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PRAHAAR Social Justice
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PRAHAAR Social Justice
सामा जक ाय
वशेषताएँ
सम एवं सिं नोटस ्
ामािणक ोत से अ ितत आकड़ ँ े एवं त य
गणव
ु ू उ र लेखन के िलए मह वपण
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िवगत वष म पछेू गए के साथ समायोिजत
पारपं रक टॉिप स का समसामियक घटनाओ ं के साथ जोड़कर ततीकरण
ु
िवषय सूची
1. सुभद्य
े (कमजोर ) वर््ग और सामाजिक न्याय 1-7 5. व
रिष्ठ नागरिक, विकलाांग/दिव्ययांग व्यक्ति,
परिचय......................................................................................... 1 LGBTQIA+ समुदाय एवं अल्पसंख्यक 61-83
भारत मेें सामान््य सभु ेद्य (असरु क्षित) वर्गगों का विभाजन ............................. 1 भारत मेें दत्तक ग्रहण प्रक्रिया............................................................. 57
समावेशी विकास, आय असमानता और सामाजिक न््ययाय........................... 6 वरिष्ठ नागरिक............................................................................. 61
भारत मेें वरिष्ठ नागरिकोों के समक्ष चनु ौतियाँ.......................................... 62
2. समाज के कमजोर वर््ग /जाति / जनजातियााँ 8-28 वृद्धजनोों के जीवन की गणु वत्ता मेें सधु ार के उपाय................................... 63
नीति आयोग की अनुशंसाएँ: आगे की राह............................................ 65
अनुसूचित जातियाँ........................................................................... 8
आर््थथि क सशक्तीकरण...................................................................... 65
अनुसूचित जाति की शिकायतोों के समाधान हेतु सरकारी पहलेें ................. 10 विकलांग/ दिव््ययाांग व््यक्ति ................................................................. 66
अनुसूचित जनजातियाँ (STs).......................................................... 14 अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों (PwDs) से जड़ु ़ी चनु ौतियाँ .................... 67
अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC)................................................................. 23 भारत मेें अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों (PwDs) के लिए प्रावधान............... 68
कल््ययाणकारी कार््यक्रमोों के कार््ययान््वयन मेें सहायता................................. 69
3. महिलाएँ 29-42 LGBTQIA +.............................................................................. 70
परिचय....................................................................................... 29 भारत मेें LGBTQIA+ मुद्दे............................................................... 71
महिला सशक्तीकरण के लिए योजनाएँ.................................................. 30 LGBTQIA+ के कल््ययाण के लिए उठाए गए कदम.................................. 72
समाचारोों मेें रहे चर््चचित मद्ु दे................................................................ 75
महिला कल््ययाण के लिए संस््थथाएँ........................................................ 31
महिला कल््ययाण के लिए विधायी हस््तक्षेप............................................. 32 6. स्वास्थ्य और पोषण 84-95
महिला आरक्षण अधिनियम, 2023..................................................... 33 स््ववास््थ््य...................................................................................... 84
महिलाओं के लिए कल््ययाणकारी योजनाएँ/कार््यक्रम................................. 34 संवैधानिक प्रावधान....................................................................... 84
समाचार मेें रहे मद्ु दे......................................................................... 37 मुख््य तथ््य................................................................................... 84
रिपोर््ट के मख्ु ्य निष््कर््ष .................................................................... 85
4. बच्चे, किशोर और युवा 43-60 राष्ट्रीय स््ववास््थ््य लेखा (NHA) अनुमान, 2018-19............................... 85
परिचय....................................................................................... 43 भारत मेें स््ववास््थ््य संरचना................................................................ 85
बच््चचा (Child).............................................................................. 43 स््ववास््थ््य क्षेत्र मेें चनु ौतियाँ................................................................. 85
स््ववास््थ््य तक पहुचँ मेें सधु ार हेतु सरकारी हस््तक्षेप................................. 86
किशोर और यवु ा (Adolescent and youth)...................................... 43
प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल का महत्तत्व................................................. 87
तथ््य और आँकड़े (facts and figures)............................................. 43
स््ववास््थ््य से संबंधित हालिया मद्ु दे....................................................... 88
भारत मेें बाल अधिकार (child rights in India)................................... 44 स््ववास््थ््य का अधिकार..................................................................... 88
बच््चोों की असरक्षा
ु .......................................................................... 44 ‘स््ववास््थ््य के अधिकार’ के लिए संवैधानिक सरक्षा ु ................................... 88
सरक्षा
ु (भेद्यता) को प्रभावित करने वाले कारक...................................... 44 स््ववास््थ््य के अधिकार से संबंधित चनु ौतियाँ.......................................... 88
बच््चोों से संबंधित मुद्ददों से निपटने के लिए पहल और समाधान................... 45 राष्ट्रीय आत््महत््यया रोकथाम रणनीति.................................................. 89
भारत मेें बाल संरक्षण के लिए विधिक ढाँचा ......................................... 45 भारत मेें आत््महत््यया से होने वाली मौतोों पर आँकड़़े ................................ 89
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)................................. 46 सरकारी पहल............................................................................... 89
बच््चोों के लिए कल््ययाणकारी योजनाएँ.................................................. 47
सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी........................................................... 90
विज़न 2035: भारत मेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी............................. 90
भारत मेें बाल, किशोर और यवु ा कल््ययाण के
सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी का लाभ............................................... 90
लिए ऐप््स और पोर््टल पहल.............................................................. 48
सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी बनाए रखने मेें चनु ौतियाँ............................ 90
समाचारोों मेें रहे चर््चचित मुद्दे................................................................ 49 आयष्ु ्ममान भारत डिजिटल मिशन का महत्तत्व.......................................... 91
I I
वाश कार््यक्रम (WASH Programme).............................................. 91 लर््नििं ग पॉवर्टी (अधिगम निर््धनता)..................................................... 103
वॉश (WASH) का महत्तत्व................................................................ 91 अधिगम निर््धनता को समाप्त करने की आवयश््कता............................... 103
वॉश (WASH) को बढ़़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ......................... 92 अधिगम निर््धनता मेें वृद्धि के कारण................................................... 103
वॉश (WASH) हासिल करने मेें चनु ौतियाँ............................................ 92 सीखने की क्षमता का महत्तत्व............................................................ 104
आशा (मान््यता प्राप्त सामाजिक स््ववास््थ््य कार््यकर््तता) कार््यकर््तता................... 92 नई शिक्षा नीति, 2020.................................................................. 104
आशा कार््यकर््तताओं की भूमिका.......................................................... 92 प्रगति और चनु ौतियाँ.................................................................... 104
आशा कार््यकर््तताओं के समक्ष चनु ौतियाँ................................................. 92 अधिगम दृष्टिकोण........................................................................ 104
सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरेज (UHC)................................................. 93 नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 की मुख््य विशेषताएँ............................... 104
एक स््ववास््थ््य (One Health)........................................................... 93 उच््चतर शिक्षा............................................................................. 105
राष्ट्रीय आयषु मिशन (NAM)........................................................... 93 एनईपी 2020 का महत्तत्व और चनु ौतियाँ............................................. 105
डिजिटल स््ववास््थ््य पर वैश्विक पहल.................................................... 94 डिजिटल शिक्षा/ ई-लर््नििं ग............................................................... 106
SPECS 2030 पहल.................................................................... 94 ई-लर््नििं ग (E-LEARNING)........................................................... 106
प्रेरणा: एक अनुभवात््मक शिक्षण कार््यक्रम........................................... 106
7. शिक्षा 96-107 चनु ौतियाँ................................................................................... 106
परिचय....................................................................................... 96 सरकारी पहल............................................................................. 106
संवैधानिक प्रावधान....................................................................... 96 स््वयं प््लस प््ललेटफार््म (SWAYAM Plus Platform)........................... 106
महत्तत्वपूर््ण तथ््य.............................................................................. 96
शिक्षा की वार््षषिक स््थथिति रिपोर््ट, 2023................................................ 96 8. मानव संसाधन 108-113
चनु ौतियाँ..................................................................................... 96 परिचय..................................................................................... 108
सरकारी हस््तक्षेप .......................................................................... 96 मानव पूज ँ ी सूचकांक, 2023........................................................... 108
माध््यमिक शिक्षा............................................................................ 97 मानव संसाधन से संबंधित तथ््य और आँकड़़े...................................... 108
उच््चतर शिक्षा............................................................................... 97 चनु ौतियाँ................................................................................... 108
हालिया उपाय.............................................................................. 97 सरकारी हस््तक्षेप......................................................................... 109
प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा......................................................... 97 पीएम दक्ष.................................................................................. 110
उच््चतर शिक्षा............................................................................... 97 योजना की मुख््य विशेषताएँ............................................................ 110
व््ययावहारिक सझ ु ाव......................................................................... 98 पात्रता (ELIGIBILITY)............................................................... 110
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009................................................ 99 कार््ययान््वयन (IMPLEMENTATION)............................................. 110
आरटीई अधिनियम के महत्तत्वपूर््ण तथ््य................................................ 99 सतत विकास लक्षष्य...................................................................... 110
आरटीई अधिनियम की सीमाएँ.......................................................... 99 भारत मेें प्रवासन 2020-2021 रिपोर््ट............................................... 110
राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना......................................................... 99 चक्रीय प्रवासन (Circular Migration) : परिघटना की समझ................. 110
प्रौद्योगिकी हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन............................................... 99 यूनिसेफ की सिफारिशेें.................................................................. 111
एडटेक का विनियमन.................................................................... 100
स््व-नियमन (SELF -REGULATION)........................................... 100
9. गरीबी एवं भुखमरी 114-130
विनियमन की आवश््यकता............................................................. 100 गरीबी या निर््धनता ...................................................................... 114
ऋण आधारित शल्ु ्क प्रणाली.......................................................... 100 निर््धनता के कारण....................................................................... 116
सामाजिक कौशलोों पर अल््प ध््ययान................................................... 100 भौगोलिक, पर््ययावरणीय और आर््थथि क कारक........................................ 117
उच््च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2021-2022 के मुख््य निर््धनता का नारीकरण ................................................................. 122
निष््कर््ष..................................................................................... 100 भख ु मरी.................................................................................... 123
उच््च शिक्षा मेें निजी क्षेत्र ............................................................... 101 भारत मेें भख ु मरी की स््थथिति........................................................... 123
निजी संस््थथानोों की भूमिका............................................................. 101 भारत मेें भख ु मरी के कारण............................................................. 124
प्रतिभा पलायन........................................................................... 102 प्रच््छन््न भखु मरी (Hidden भ्unger).............................................. 125
महत्तत्वपूर््ण तथ््य............................................................................ 102 भख ु मरी उन््ममूलन के लिए भारत सरकार की पहलेें ............................... 126
सरकार द्वारा किए गए उपाय........................................................... 102 पोषण संवद्धि ृ हेतु नीति आयोग की अभिनव भारत @75 कार््यनीति .......... 128
प्रतिभा पलायन का समाधान करने के लिए सझ ु ाव................................ 103 नीति आयोग: मोटापे की रोकथाम पर राष्ट्रीय सम््ममेलन.......................... 128
मेें मदद करती है। और निचली जातियोों जैसे समहोू ों को उपेक्षित करने का कार््य किया है।
लैैंगिक समानता
यह सर््व प्रथम सामाजिक न््ययाय का विषय है,
जो अधिकारोों, संसाधनोों और अवसरोों तक मानवाधिकार
सभी की समान पहुचँ की अनुमति देता है। मानवाधिकार और सामाजिक न््ययाय एक ही सिक््कके
लैैंगिक समानता विकास की शर््त है और यह के दो पहलू हैैं। वे एक-दूसरे से अलग होकर अस््ततित््व
स््थथायी शांति एवं सरु क्षा के लिए आवश््यक है। मेें नहीीं रह सकते। एक समाज के न््ययायपूर््ण होने के
लिए, इसे सभी के नागरिक, राजनीतिक, आर््थथिक,
समान हिस्सेदारी सांस््ककृ तिक और सामाजिक अधिकारोों की सरु क्षा
सामाजिक न््ययाय प्राप्त करने और सफलता
के लिए समान अवसर सनिश् ु चित करने के शाांतिपूर््ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना
लिए समान संसाधन प्रदान करना आवश््यक शांति न््ययाय का ही परिणाम है यह लोगोों तथा
है जो समुदायोों और व््यक्तियोों की विशिष्ट राष्टट्ररों के मध््य सम््ममान एवं सहयोग पर निर््भर है।
आवश््यकताओं पर ध््ययान केेंद्रित करते हैैं। सामाजिक कार््यकर््तता स््थथानीय से वैश्विक स््तर तक
शांति एवं समाज के सामान््य कल््ययाण को बढ़़ावा
देते हैैं।
सहभागिता
सामाजिक न््ययाय के लिए आवश््यक है कि
व््यक्तियोों को उनके कल््ययाण को प्रभावित करने
वाली नीतियाँ बनाने मेें भाग लेने का अवसर और
मंच मिल सके ।
z आरक्षण नीतियाँ: सरकार अनसु चि ू त जाति (SC), अनसु चि ू त जनजाति (ST) z सिविल सोसाइटी और सक्रियता: स््थथानीय स््तर के आदं ोलन और
और अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC) के लिए शिक्षा, रोजगार और राजनीति मेें सिविल सोसाइटी; संगठनात््मक जागरूकता बढ़़ाकर, समदु ायोों को संगठित
आरक्षण लागू करती है। करके तथा सरकार को जवाबदेह बनाकर, सामाजिक न््ययाय की वकालत
z लैैंगिक समानता: महिलाओ ं को शिक्षा, रोजगार और ससं ाधनोों मेें लैैंगिक करते हैैं।
असमानता का सामना करना पड़ता है। मनरे गा तथा ‘बेटी बचाओ, बेटी सामाजिक न््ययाय की दिशा मेें भारत की यात्रा मेें समाज के सभी वर्गगों मेें समानता,
पढ़़ाओ’ जैसी पहलोों का उद्देश््य उन््हेें सशक्त बनाना है। निष््पक्षता और समावेशन को बढ़़ावा देते हुए संबंधित चनु ौतियोों का समाधान
z गरीबी उन््ममूलन: मनरे गा जैसे कार््यक्रम गरीबी पर ध््ययान केें द्रित करते हुए करना शामिल है।
ग्रामीण परिवारोों को रोजगार और सामाजिक सरु क्षा का अवसर प्रदान करते हैैं। सामाजिक न्याय के लिए संवैधानिक प्रावधान
z कानूनी सध ु ार: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम और अत््ययाचार निवारण
अधिनियम जैसे काननोू ों का उद्देश््य उपेक्षित समदु ायोों के विरुद्ध भेदभाव और मौलिक अधिकार अन््य प्रावधान
अत््ययाचार को रोकना है। समानता: प्रस््ततावना:
z शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल: सर््व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय स््ववास््थ््य z अनुच््छछेद 14: यह कानन ू के z अपने सभी लोगोों को सामाजिक,
मिशन जैसी पहलेें, विशेष रूप से उपेक्षित समदु ायोों के लिए शिक्षा और स््ववास््थ््य समक्ष समानता और काननू के आर््थथिक और राजनीतिक न््ययाय
देखभाल तक पहुचँ मेें सधु ार करती हैैं।
सभी के लिए समान संरक्षण के की गारंटी देती है; प्रतिष्ठा और
z पर््ययावरणीय न््ययाय: पर््ययावरणीय न््ययाय, पर््ययावरणीय ससं ाधनोों के समान वितरण
अधिकार की गारंटी देता है। अवसर की समानता सनिश् ु चित
तथा सभु द्ये जनसंख््यया पर पर््ययावरणीय खतरोों के असंगत प्रभाव पर ध््ययान देने
करती है ।
पर केें द्रित है।
आगे की राह: z अपर््ययाप्त सामाजिक निवेश: स््ववास््थ््य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सरु क्षा
1. सहभागी योजना: योजना तैयार करने मेें सुभेद्य वर्गगों को शामिल करने से मेें कम निवेश, मानव पँजू ी विकास को कमजोर करता है, उदाहरण: ग्रामीण
यह सुनिश्चित होता है कि उनकी जरूरतेें पूरी होों, उदाहरण- के रल के ‘पीपुल््स क्षेत्ररों मेें स््ववास््थ््य सवि
ु धाओ ं की कमी के कारण आवश््यक चिकित््ससा सेवाओ ं
प््ललान कैैं पेन’ ने स््थथानीय लोगोों को प्राथमिकता देने और प्रभावी ढंग से धन तक पहुचँ सीमित हो जाती है।
आवंटित करने का अधिकार दिया। z अन््य सामाजिक-आर््थथिक चुनौतियाँ: निरक्षरता और गरीबी बरकरार हैैं,
2. क्षमता निर््ममाण: प्रशिक्षण प्रदान करना लक्षित समहोू ों को सशक्त बनाता है। जिससे समग्र विकास बाधित हो रहा है। गिरती विकास दर और स््थथिर विनिर््ममाण
गुजरात मेें सेवा संगठन (SEWA) महिला श्रमिकोों को प्रशिक्षित करता है,
क्षेत्र ने आर््थथिक चनु ौतियोों को बढ़़ा दिया है। कृषि क्षेत्र की मानसनू पर निर््भरता
उनका समर््थन करता है और सहायता कार््यक्रमोों तक उनकी पहुचँ को बढ़़ावा
देता है। और उच््च बेरोजगारी दर, स््थथिति की जटिलता को और भी बढ़ा देती है।
3. सूचना प्रसार: प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT) योजना जैसे डिजिटल z सामाजिक अन््ययाय: वेतन अतं र और अल््पसंख््यक असमानताएँ, असमानता
प््ललेटफॉर््म का उपयोग जागरूकता और सेवा पहुचँ को बढ़़ाने मेें योगदान को बनाए रखती हैैं। एलजीबीटीक््ययू (LGBTQ ) उत््पपीड़न और सीमित शिक्षा
देती है। प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT), नुकसान को कम करता है तथा पहुचँ , विशेष रूप से लड़कियोों के लिए, सामाजिक प्रगति मेें बाधा डालती
पारदर््शशिता मेें सुधार करता है। है। श्रम और दर््व््य ु वहार सहित बाल कल््ययाण के मद्दु दों पर तत््ककाल ध््ययान देने
निष्कर््ष की माँग करते हैैं।
z योजना की सफलता के लिए जागरूकता को बढ़़ावा देना और लक्षित समहोू ों z सरकारी पहल: SETU (स््वरोजगार और प्रतिभा उपयोग), कौशल भारत,
की सक्रिय भागीदारी सनिश्
ु चित करना आवश््यक है। सहभागी नियोजन, महात््ममा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरे गा), प्रधानमत्री ं
क्षमता निर््ममाण और डिजिटल आउटरीच के माध््यम से, सरकारेें योजना की
प्रभावशीलता को बढ़़ा सकती हैैं, जिससे इच््छछित लाभार््थथियोों को लाभ हो जन धन योजना और मद्रा ु (सक्षू ष्म इकाई विकास और पनु र््ववित्त एजेेंसी) बैैंक
सकता है। आदि।
z उच््च शिक्षा और कोचिंग के लिए छात्रवृत्ति: विभिन््न योजनाएँ अनसु चू ित और तदनसु ार नीतियोों को तैयार करने के लिए सामाजिक-आर््थथिक और
जाति के छात्ररों को उच््च शिक्षा और विदेशी अध््ययन के अवसरोों के लिए जाति जनगणना (SECC) जैसे स्रोतोों से आँकड़े जटु ाकर उनका उपयोग
छात्रवृत्ति और फे लोशिप प्रदान करती हैैं। किया जाना चाहिए।
मौजूदा कानूनोों की समीक्षा करना: ऑनलाइन उत््पपीड़न और
सामाजिक पहल
साइबर अपराध जैसे समसामयिक मद्ददों ु के समाधान के लिए
z अंतर-जातीय विवाहोों का सरं क्षण: सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता
मंत्रालय (MoSJE) उन जोड़ों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जहाँ एक अनसु चू ित जाति और अनसु चू ित जनजाति (अत््ययाचार निवारण)
पति या पत््ननी अनसु चू ित जाति से है और दसू रा गैर-अनसु चू ित जाति से है। अधिनियम (POCA) जैसे काननोू ों को अद्यतन करना।
z प्रभावी क्रियान््वयन सनिश् ु चित करना:
आर््थथिक पहल
सस् ं ्थथागत क्षमता निर््ममाण: SC मामलोों के लिए समर््पपित विशेष अदालतोों
z राष्ट्रीय अनुसचू ित जाति वित्त और विकास निगम (NSFDC) (1989):
की जाँच और अभियोजन क्षमता को मजबतू करने के लिए पर््ययाप्त संसाधन
गरीबी रे खा से दोगनु े से नीचे रहने वाले अनसु चू ित जाति की आय-सृजन
गतिविधियोों को वित्तपोषित करने के लिए स््थथापित। और प्रशिक्षण आवंटित करना।
कानूनी प्रवर््तनोों को सव ं ेदनशील बनाना: पलि
ु स कर््ममियोों को अनसु चू ित
z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास परिषद (NSKFDC)
(1997): इसके अतं र््गत सफाई कर््मचारियोों, हाथ से मैला ढोने वालोों और जाति के मद्ददोंु पर प्रशिक्षित करना और अत््ययाचार के मामलोों मेें त््वरित
उनके आश्रितोों के बीच लाभार््थथियोों को ऋण सवु िधाएँ प्रदान की जाती हैैं। और निष््पक्ष जाँच सनिश् ु चित करना।
z प्रधानमंत्री आदर््श ग्राम योजना: सरकार का लक्षष्य मौजदू ा योजनाओ ं के सामुदायिक-स््तरीय निगरानी: ग्राम सभा जैसे तंत्र के माध््यम से
बेहतर क्रियान््वयन के माध््यम से 50% से अधिक अनसु चू ित जाति (SC) अनसु चू ित जाति समदु ायोों को भेदभाव संबंधी शिकायत दर््ज कराने और
आबादी वाले गाँवोों का विकास करना है। काननोू ों के कार््ययान््वयन की निगरानी करने के लिए सशक्त बनाना।
राहत और पनु र््ववास प्रदान करना भी शामिल है। (SSWs) को PPE किट का वितरण करने की परिकल््पना की गई है।
z सश ं ोधित SC/ST अधिनियम, 2018: इसमेें, प्रारंभिक जाँच जरूरी नहीीं स््वच््छता प्रतिक्रिया इकाइयोों (SRU) को सरु क्षा उपकरणोों हेतु सहायता
अधिनियम, 2013’ (PEMSRA, 2013): की खरीद के लिए, सफाई कर््मचारियोों को आर््थथिक सहायता और
z अधिनियम का उद्देश््य: शष्ु ्क शौचालयोों और मैला ढोने की प्रथा का सब््ससिडी (पँजू ी + ब््ययाज) प्रदान करके मशीनीकरण और उद्यम विकास
उन््ममूलन और वैकल््पपिक व््यवसायोों मेें मैला ढोने वालोों का पनु र््ववास करना है। को बढ़़ावा देगी।
इस काननू के अतं र््गत निम््न को अपराध की श्रेणी मेें समाहित किया गया है : IEC (सच ू ना, शिक्षा एवं सच ं ार) अभियान: नमस््तते के हस््तक्षेप के
अस््ववास््थ््यकर शौचालयोों की सफाई के लिए लोगोों को सीधे तौर पर बारे मेें जागरूकता फै लाने के लिए शहरी स््थथानीय निकायोों (ULB)
मैला ढोने वाले के रूप मेें नियक्त
ु करना। और राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC)
बिना सरु क्षात््मक उपकरण के सीवर और सेप््टटिक टैैंकोों की सफाई के द्वारा संयक्त
ु रूप से व््ययापक सचू ना, शिक्षा एवं संचार अभियान चलाया
लिए लोगोों को नियक्त
ु करना। जाएगा।
z साक्षरता दर: 59% (परु ु ष - 68.5%, महिला - 49.40%) PLFS 2018- z अनुसचू ित जाति और अनुसचू ित जनजाति (अत््ययाचार निवारण)
19 रिपोर््ट से पता चलता है कि कुल मिलाकर 78.1% की तल ु ना मेें ST की अधिनियम, 1989: इसका उद्देश््य अनसु चू ित जाति और अनसु चू ित जनजाति
साक्षरता दर मेें 69.4% का सधु ार हुआ है। के सदस््योों के खिलाफ अत््ययाचार और अपराधोों को रोकना है।
z किसी समुदाय को अनस ु चू ित जनजाति के रूप मेें निर््ददिष्ट करने के मानदडं : z पंचायतोों के प्रावधान (अनुसचू ित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम, 1996
z आदिम-यग ु ीनता, भौगोलिक अलगाव, संकोची-स््वभाव और सामाजिक, (PESA): आदिवासी स््वशासन को सक्षम बनाने के उद्देश््य से, पंचायती राज
शैक्षणिक और आर््थथिक पिछड़़ापन जैसे लक्षण किसी भी सामान््य समदु ाय प्रणाली के प्रावधानोों को अनसु चू ित क्षेत्ररों तक विस््ततारित करना।
से अनसु चू ित जनजाति समदु ायोों को अलग करने वाले प्रधान कारक हैैं अतः z वन अधिकार अधिनियम, 2006 (अनुसचू ित जनजाति और अन््य
इनके इन््हीीं विशिष्ट गणोु ों के आधार पर इन््हेें राष्टट्रपति द्वारा अनसु चू ित जनजाति पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारोों की मान््यता) अधिनियम, 2006):
के रूप मेें निर््ददिष्ट किया जाता है। यह वन संसाधनोों पर अनसु चू ित जनजातियोों और अन््य वन-निवासी समदु ायोों
z विशिष्टताएँ वर््ष 1931 की जनगणना मेें अपनाई गई ं जनजातीय समद ु ायोों की के अधिकारोों को मान््यता देता है, जिनका वे पारंपरिक रूप से उपयोग करते रहे
परिभाषाओ ं से प्रभावित हैैं। हैैं। इसमेें भमि
ू अधिकार, लघु वन उपज के संग्रह, उपयोग और निपटान तक
z अनच् ु ्छछेद 342 (1) किसी राज््य विशेष या केें द्र शासित प्रदेश से संबंधित पहुचँ और किसी भी सामदु ायिक वन संसाधन की सरु क्षा, पनु रुद्धार, संरक्षण
जनजातियोों या जनजातीय समदु ायोों के कुछ हिस््सोों या समहोू ों को अनसु चू ित और प्रबंधन के अधिकार शामिल हैैं।
जनजाति के रूप मेें निर््ददिष्ट करने का आदेश देता है। z भूमि अधिग्रहण, पुनर््ववास और पुनर््व््यवस््थथापन मेें उचित मुआवजा और
z इसलिए, अनस ु चू ित जनजातियोों की सचू ी प्रत््ययेक राज््य/केें द्र शासित प्रदेश के पारदर््शशिता का अधिकार अधिनियम, 2013: यह अनसु चू ित क्षेत्ररों मेें भमि ू
लिए अलग-अलग है और एक राज््य मेें अनसु चू ित जनजाति के रूप मेें नामित अधिग्रहण के लिए सचू ित सहमति को अनिवार््य बनाता है और उचित मआ ु वजे,
समदु ाय दसू रे राज््य मेें समान दर््जजा नहीीं रख सकता है। पनु र््ववास और पनु र््स्थथापन के प्रावधानोों की रूपरे खा तैयार करता है।
z अनच् ु ्छछेद 342 के खडं 1 के तहत राष्टट्रपति की अधिसचू नाएँ, जिन््हेें संविधान z नागरिक अधिकार सरं क्षण अधिनियम, 1955: अस््पपृश््यता पर आधारित
आदेश के रूप मेें जाना जाता है, इन विशिष्टताओ ं को लागू करने के लिए भेदभाव पर रोक लगाकर अनसु चू ित जनजाति सहित सभी व््यक्तियोों के नागरिक
जारी की जाती हैैं। अधिकारोों को सनिश्
ु चित करना।
तरह से संबोधित नहीीं किया जाता है। हैैं, जबकि 20.5% गैर-आदिवासी गरीबी रे खा से नीचे रहते हैैं।
सरकार का हस््तक्षेप देखभाल पहुचँ मेें सधु ार करना और आदिवासी आबादी की अद्वितीय
स््ववास््थ््य चनु ौतियोों का समाधान करना है।
वन ग्राम का विकास: इसे 10वीीं योजना के दौरान मानव विकास
मोबाइल स््ववास््थ््य इकाइयाँ (MHUs): इन््हेें सद ु रू आदिवासी क्षेत्ररों मेें
सचू कांक (HDI) बढ़़ाने और निवासियोों के लिए बनि ु यादी सवु िधाएँ और
स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश््य से स््थथापित किया गया है।
सेवाएँ प्रदान करने के लिए लॉन््च किया गया था।
जनजातीय स््ववास््थ््य और पोषण पोर््टल: इसे आदिवासी आबादी के
पंचायत प्रावधान (अनुसचू ित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम,
स््ववास््थ््य और पोषण सबं ंधी आवश््यकताओ ं को परू ा करने के लिए लॉन््च
(PESA)1996: अधिनियम ने पाँचवीीं अनसु चू ी मेें अधिसचू ित क्षेत्र वाले
किया गया है।
नौ राज््योों के आदिवासी क्षेत्ररों मेें पंचायतोों के प्रावधानोों को विस््ततारित किया।
प्रधानमंत्री जन आरोग््य योजना (PM - JAY): वित्तीय बोझ के बिना
स््ववास््थ््य पोर््टल: यह ई-पोर््टल, भारत की जनजातीय आबादी की सभी
गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य देखभाल तक पहुचँ को सक्षम बनाता है।
स््ववास््थ््य और पोषण सबं ंधी जानकारी एक ही मचं पर प्रदान करता है।
प्रधानमत्री ं दक्ष और कुशलता सपं न््न हितग्राही (PM-DAKSH) योजना
(2021): यह SC , OBC, EBC, DNT, कचरा बीनने वालोों सहित कर्नाटक मेें TSP के तहत निधि का कम उपयोग
स््वच््छता कार््यकर््तताओ ं को शामिल करते हुए हाशिये पर रहने वाले व््यक्तियोों SCP और TSP मेें समग्र आवंटित कुल निधि का क्रमश: 15% और 9% ही
को कुशल बनाने के लिए एक राष्ट्रीय कार््य योजना है। उपयोग किया गया है जो कि निराशाजनक था। विधान सभा के 73 सदस््योों
z लक्षित यवु ाओ ं को अल््पकालिक और दीर््घकालिक कौशल प्रदान करके उनके और विधान परिषद के 36 सदस््योों ने वर््ष 2019-20 के लिए SCP और TSP
कौशल स््तर को बढ़़ाना और साथ ही उनको वेतन/स््वरोजगार मेें सहायता के तहत कोई कार््य प्रस््ततावित/नहीीं किया है।
प्रदान करना। GOAL(ऑनलाइन नेतृत््व) कार््यक्रम: यह जनजातीय युवाओ ं को
डिजिटल मोड के माध््यम से परामर््श प्रदान करने के लिए जनजातीय मामलोों
z शिक्षा एवं कौशल विकास
के मंत्रालय के साथ फे सबुक इडं िया की एक संयुक्त पहल है।
एकलव््य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS): इन विद्यालयोों का उद्श्दे ्य
राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस््थथान (NTRI): यह राष्ट्रीय स््तर का एक
दरू दराज के क्षेत्ररों मेें आदिवासी छात्ररों को गणु वत्तापर््णू शिक्षा प्रदान करना है।
प्रमखु संस््थथान है जो शैक्षणिक, कार््यकारी और विधायी क्षेत्ररों मेें जनजातीय
अनुसचू ित जनजाति के विद्यार््थथियोों के लिए प्री और पोस््ट मै ट्रिक
चिंताओ,ं मद्ददों
ु और मामलोों के प्रमख ु केें द्र के रूप मेें कार््य करे गा।
छात्रवृत्ति: कक्षा नौवीीं से बारहवीीं तक के बच््चोों के लिए उपचरात््मक अन््य कानूनी प्रावधान: अनुसूचित जनजाति और अन््य पारंपरिक वन
(रे मीडियल) और विशेष कोचिगं सवु िधा प्रदान करता है। निवासी (वन अधिकारोों की मान््यता) अधिनियम, 2006 (FRA) ; पंचायतोों
अभूतपूर््व जनजातीय के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम, 1996 (PESA)
सशक्तीकरण ; अंडमान और निकोबार (आदिवासी जनजातियोों का संरक्षण) विनियमन,
1956 ; विदेशी (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश, 1963 और अंडमान एवं निकोबार
वार््षषिक जनजातीय बजट
मेें 75% की वृद्धि द्वीप समहू (आदिवासी जनजातियोों का संरक्षण) विनियमन, 1956 आदि।
आगे की राह
7525 z उनकी स््थथिति का अध््ययन करने और उनकी समस््ययाओ ं को दरू करने के
लिए सरकार ने कई आयोगोों की नियक्ु ति की है। जैसे ढेबर आयोग, जाक््ससा
वार््षषिक बजट (करोड़ मेें)
देता है, जिन पर ये समदु ाय आजीविका सहित विभिन््न आवश््यकताओ ं के बीच समन््वय का अभाव।
लिए निर््भर हैैं। मौजद ू ा अनेक काननोू ों का FRA के साथ टकराव होना।
विगत वर्षषों के प्रश्न अनुच््छछेद 16(4) राज््य को “नागरिकोों के किसी भी पिछड़़े वर््ग के पक्ष मेें
नियुक्तियोों या पदोों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने की अनुमति देता है,
1. स््वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियोों (एस.टी.) के प्रति भेदभाव को
यदि राज््य की राय (मत) मेें राज््य के तहत सेवाओ ं मेें उनका पर््ययाप्त प्रतिनिधित््व
दरू करने के लिए, राज््य द्वारा की गई दो मख्ु ्य विधिक पहलेें क््यया हैैं?
नहीीं है।”
(2017)
2. क््यया कारण है कि भारत मेें जनजातियोों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ अन्य पिछड़ा वर््ग (OBC) के समक्ष चुनौतियााँ
कहा जाता है? भारत के संविधान मेें प्रतिष्ठापित उनके उत््थथापन के z शैक्षिक असमानताएँ: OBC को गणु वत्तापर््णू शिक्षा तक पहुचँ ने मेें चनु ौतियोों
लिए प्रमख ु प्रावधानोों को सूचित कीजिये। (2016) का सामना करना पड़ता है, जिससे साक्षरता दर कम हो जाती है और कौशल
3. समाज के कमजोर वर्गगों के लिए विभिन््न आयोगोों की बहुलता, विकास एवं रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैैं।
अतिव््ययापी अधिकारिता और प्रकार्ययों के दोहरे पन की समस््ययाओ ं की z आर््थथिक पिछड़़ापन: कई OBC समदु ाय सीमित कमाई क्षमता वाले पारंपरिक
ओर ले जाती है। क््यया यह अच््छछा होगा कि सभी आयोगोों को एक व््यवसायोों मेें लगे हुए हैैं, जिसके परिणामस््वरूप वे आर््थथिक रूप से उपेक्षित हैैं
व््ययापक मानव अधिकार आयोग के छत्र मेें विलय कर दिया जाय? और गरीबी का जीवन व््यतीत कर रहे हैैं।
अपने उत्तर के पक्ष मेें तर््क दीजिये। (2018) z सामाजिक भेदभाव: OBC को उनकी जाति और सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति
4. भारत के जनजातीय समदु ायोों की विविधताओ ं को देखते हुए किस के आधार पर सामाजिक भेदभाव और कलंक (तिरस््ककार) का सामना करना
विशिष्ट संदर््भ के अंतर््गत उन््हेें किसी एकल श्रेणी मेें माना जाना चाहिए। पड़ता है, जिससे उनकी सामाजिक गतिशीलता और उन््नति के अवसर सीमित
(2022) हो जाते हैैं।
अन्य पिछड़़ा वर््ग (OBC) z राजनीतिक प्रतिनिधित््व की कमी: उनकी महत्तत्वपर््णू जनसंख््यया के बावजदू ,
OBC को प्रायः राजनीतिक निर््णय लेने वाले निकायोों मेें कम प्रतिनिधित््व दिया
‘अन््य पिछड़ा वर््ग’ शब््द पिछड़़े/उपेक्षित समदु ायोों और जातियोों को दर््शशाने के जाता है, जिससे उनके अधिकारोों और हितोों की वकालत करने की उनकी
लिए गढ़़ा गया था जो अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) क्षमता मेें बाधा उत््पन््न हो जाती है।
नहीीं थे। यह माना जाता है कि भारत मेें प्रारंभ से ही सामाजिक पिछड़़ापन
OBC के उत्थान हेतु संवैधानिक पहल
पारंपरिक रूप से जाति की स््थथिति का प्रत््यक्ष परिणाम रहा है और इन प्रारंभिक
बाधाओ ं के परिणामस््वरूप ही पिछड़़ापन भिन््न-भिन््न रूपोों मेें उभर कर सामने राष्ट् रीय पिछड़़ा आयोग: संवैधानिक निकाय
आया है। राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) एक संवैधानिक निकाय है जो भारत
संविधान के अनुच््छछेद 15(4) मेें अन््य पिछड़ा वर््ग के लिए सकारात््मक कार््रवाई मेें सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़़े वर्गगों की चिंताओ ं और कल््ययाण
अनिवार््य है: “इस अनुच््छछेद या अनुच््छछेद 29 के खंड (2) [धर््म, जाति आदि के उपायोों को संबोधित करने के लिए अधिकृ त है। वर््ष 2018 का 102वाँ संविधान
आधार पर राज््य के शैक्षणिक संस््थथानोों मेें प्रवेश के संबंध मेें भेदभाव न करना], संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर््जजा
मेें कुछ भी राज््य को नागरिकोों के किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से प्रदान करता है। NCBC के पास सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़़े वर्गगों
पिछड़़े वर््ग की उन््नति के लिए कोई विशेष प्रावधान करने से नहीीं रोके गा।” से संबंधित शिकायतोों और कल््ययाण उपायोों की जाँच करने का अधिकार है।
z ठोस आँकड़ोों का सार््वजनिक प्रचार करना: नीति निर््ममाताओ,ं शोधकर््तताओ ं प्रश्न - राष्ट्रीय पिछड़ा वर््ग आयोग के सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय
और समदु ायोों के लिए साक्षष्य-आधारित हस््तक्षेपोों को सचू ित करने के लिए मेें रूपांतरण को ध््ययान मेें रखते हुए इसकी भमि ू का की विवेचना कीजिये।
पारदर्शी और सल ु भ आँकड़े की उपलब््धता सनिश्ु चित की जानी चाहिए। (2022)
z शिक्षा: भाषा अवरोधोों और डिजिटल विभाजन जैसे कारकोों को संबोधित “आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS)” व््यक्तियोों या परिवारोों की एक श्रेणी को
करते हुए, सभी स््तरोों पर गणु वत्तापर््णू शिक्षा तक पहुचँ मेें सधु ार के लिए पर््ययाप्त संदर््भभित करता है जो सरकार द्वारा उन््हेें शिक्षा और रोजगार मेें आरक्षण के साथ-
संसाधन आवंटित किए जाने चाहिए। साथ अन््य कल््ययाणकारी योजनाओ ं जैसे विभिन््न लाभ प्रदान करने के उद्देश््य से
z रोजगार: बाजार की माँग के अनरूु प कौशल विकास कार््यक्रमोों को लागू करना निर््धधारित एक निश्चित आय सीमा के भीतर आते हैैं। इस वर्गीकरण का उद्देश््य
चाहिए और समावेशी कार््यस््थलोों को बढ़़ावा दिया जाना चाहिए। सामाजिक-आर््थथिक असमानताओ ं को दरू करना और आर््थथिक रूप से वंचित
z स््ववास््थ््य सेवा: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों की विशिष्ट स््ववास््थ््य लोगोों को सहायता प्रदान करना है।
आवश््यकताओ ं को संबोधित करते हुए कम मल््य ू वाली और गणु वत्ता वाली आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) कौन है ?
स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक समान पहुचँ सनिश्
ु चित करना। आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग भारत मेें समाज का वह वर््ग है, जो अनारक्षित श्रेणी
z वित्तीय समावेशन: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों को आर््थथिक रूप से मेें आता है और जिसकी वार््षषिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है। इस
सशक्त बनाने के लिए सक्षू ष्म-वित्त योजनाओ ं और वित्तीय साक्षरता कार््यक्रमोों श्रेणी मेें वे लोग शामिल हैैं जो SC / ST / OBC की जाति श्रेणियोों से संबंधित
को प्रोत््ससाहित करना चाहिए। नहीीं हैैं और जो पहले से आरक्षण का लाभ नहीीं उठा रहे हैैं।
व््यक्तियोों के लिए शैक्षणिक संस््थथानोों और सार््वजनिक रोजगार मेें 10% तक z अधिसचू ित नगर पालिकाओ ं मेें 100 वर््ग गज और उससे अधिक के आवासीय
सीटोों के आरक्षण की अनमु ति देता है। भख ू डं है, या
z संविधान संशोधन (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019 ने अनच् ु ्छछेद 15(6) अन््य क्षेत्ररों मेें 200 वर््ग गज के सभी आवासीय भख ू ंडोों के स््ववामी हैैं तो उनको
और अनच्ु ्छछेद 16(6) को शामिल किया, जो क्रमशः शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों और आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण के लाभ से बाहर रखा गया है।
सार््वजनिक रोजगार मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) को आरक्षण आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण पर सर्वोच््च न््ययायलय के प्रमख ु
प्रदान करता है। फै सले:
103वेें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संशोधित अनुच्छेद विधिक विश्लेषण और समीक्षा
अनुच््छछेद 15(6) z जनहित अभियान बनाम भारत सघं (2022):
z भारतीय सवं िधान का अनच्ु ्छछेद 15(6) आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों के इस मामले मेें, सप्री ु म कोर््ट की एक संविधान पीठ ने 103वेें संविधान
व््यक्तियोों के लिए शैक्षणिक संस््थथानोों और सार््वजनिक रोजगार मेें 10% तक संशोधन की वैधता को बनाए रखा, जो सरकारी नौकरियोों और शैक्षणिक
सीटोों के आरक्षण की अनमु ति देता है। संस््थथानोों मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों (EWSs) के लिए 10% आरक्षण
z यह सरकार को, पहले से ही अनच्ु ्छछेद 15 (4) और 15 (5) मेें उल््ललिखित का प्रावधान करता है।
वर्गगों के अलावा किसी भी आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) की उन््नति न््ययायालय ने माना कि संशोधन संविधान की मल ू संरचना का उल््ललंघन नहीीं
के लिए विशेष प्रावधान करने मेें सक्षम बनाता है। यह शैक्षणिक संस््थथानोों करता है और यह संविधान मेें संशोधन करने की संसद की शक्ति का एक वैध
मेें उनके प्रवेश से संबंधित है। प्रयोग है।
z जनहित अभियान और भारत सघ ं (2023) की समीक्षा:
अनुच््छछेद 16(6)
इस मामले मेें, सप्री ु म कोर््ट ने आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग के आरक्षण
z यह सरकार को अनच्ु ्छछेद 16 (4) मेें उल््ललिखित वर्गगों के अलावा किसी भी की वैधता को बनाए रखने वाले अपने वर््ष 2022 के फै सले की समीक्षा
आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) की उन््नति के लिए विशेष प्रावधान करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
बनाने मेें सक्षम बनाता है। इसका संबंध नियक्ु तियोों या पद पर पदोन््नति से है।
न््ययायालय ने माना कि उसके पिछले फै सले मेें कोई त्रुटि नहीीं थी और
z अनच्ु ्छछेद 16 (4) उन पिछड़़े वर्गगों के लिए आरक्षण से संबंधित है, जिन््हेें समीक्षा याचिका मेें काननू का कोई नया या महत्तत्वपर््णू प्रश्न नहीीं उठाया
राज््य की राय मेें सेवाओ ं मेें पर््ययाप्त प्रतिनिधित््व नहीीं है। गया था।
आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) वर््ग हेतु आरक्षण आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण: सामाजिक-
z सिन््हहो आयोग: आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) को आरक्षण सिन््हहो आर््थथिक और कानूनी प्रभावोों का आकलन
आयोग की सिफारिशोों के आधार पर दिया गया था, जिसने वर््ष 2010 मेें z आरक्षण सामाजिक उत््थथान हेतु न कि वित्तीय सशक्तीकरण के लिए:
अपनी रिपोर््ट सौौंपी थी। आरक्षण का उपयोग गरीबी उन््ममूलन रणनीति के रूप मेें नहीीं किया जाना चाहिए,
z सवं ैधानिक सश ं ोधन: 103वेें संशोधन अधिनियम, 2019 ने आबादी के गैर- बल््ककि ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्गगों के लिए प्रतिपरू क भेदभाव के रूप मेें
अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) और गैर-अनसु चू ित जाति/ जनजाति (SC/ST) वर्गगों किया जाना चाहिए। छात्रवृत्तियाँ और अन््य साधन उपलब््ध कराने से गरीबी
के बीच आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग को 10% आरक्षण प्रदान करने के लिए की समस््यया का समाधान हो सकता है।
संविधान मेें अनच्ु ्छछेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया। z बुनियादी सरच ं ना: यह भी तर््क दिया गया कि यह संविधान की बनि ु यादी
103वेें संशोधन अधिनियम के प्रावधान सरं चना का उल््ललंघन करता है और मडल ं आयोग मामले मेें सप्री
ु म कोर््ट के
z केें द्र और राज््य आरक्षण: अधिनियम केें द्र और राज््य दोनोों सरकारोों को फै सले द्वारा तय आरक्षण के लिए 50% की सीमा का उल््ललंघन करता है।
आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) को आरक्षण प्रदान करने मेें सक्षम z समानता सिद््धाांत का उल््ललंघन: आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) से
बनाता है। हालाँकि, यह राज््य सरकार को यह निर््णय लेने की अनमु ति देता अनसु चू ित जाति/ जनजाति (SC/ST) और अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों
है कि राज््य सरकार की नौकरियोों मेें नियक्ु ति और राज््य सरकार के शैक्षणिक को बाहर करना समानता के सिद््धाांत का उल््ललंघन है। यह खल ु ी प्रतिस््पर्द्धा के
संस््थथानोों मेें प्रवेश के लिए आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग को आरक्षण प्रदान अवसरोों के लिए उनकी पात्रता को प्रतिबंधित करता है, उन््हेें उनके आवटि ं त
किया जाए या नहीीं। आरक्षण कोटा के भीतर सीमित कर देता है।
कमी स््पष्ट रूप से दिखाई दे रही है और इसलिए सुधारात््मक कदम उठाने की सलाह देना।
तत््ककाल आवश््यकता है। कार््रवाई का उपयुक्त तरीका निम््नलिखित हो सकता है: महिला सशक्तीकरण पर राष्ट् रीय
z ठोस लैैं गिक परिवर््तनकारी नीतियोों को अपनाना, जिसमेें बाल देखभाल महिला आयोग द्वारा उठाए गए कदम
से लेकर समान वेतन तक की नीतियाँ तथा लैैंगिक समानता का समर््थन करने z आयोग ने लक्षद्वीप को छोड़कर सभी राज््योों/ सघं राज््य क्षेत्ररों का दौरा
वाले काननू शामिल हैैं। पूरा कर लिया है तथा महिलाओ ं की स््थथिति और उनके सशक्तीकरण
z स््ववास््थ््य प्रणाली की प्रतिक्रिया को मजबूत करना ताकि पीड़़ित-केें द्रित का आकलन करने के लिए लिंग प्रोफाइल तैयार कर ली है।
देखभाल और आवश््यकतानसु ार अन््य सेवाओ ं को संदर््भभित किया जा सके । z इसने बड़़ी सख्ं ्यया मेें शिकायतेें प्राप्त कीीं और त््वरित न््ययाय प्रदान करने के लिए
z स््ककू ल शिक्षा मेें परिवर््तन लाना ताकि भेदभावपर््ण
कई मामलोों मेें स््वतः संज्ञान लेते हुए कार््रवाई की।
ू दृष्टिकोण और मान््यताओ ं
को चनु ौती दी जा सके जिसमेें व््ययापक यौन शिक्षा और लैैंगिक सवं ेदनशीलता z इसने बाल विवाह का मद्ु दा उठाया, काननू ी जागरूकता कार््यक्रम प्रायोजित
किए, पारिवारिक महिला लोक अदालतेें आयोजित कीीं।
शामिल हो।
z दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961, पीएनडीटी अधिनियम, 1994, भारतीय
z स््थथानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स््तर पर सतत और प्रभावी साक्षष्य-
दडं सहं िता, 1860 और राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 जैसे
आधारित रोकथाम रणनीतियोों मेें लक्षित निवेश। काननोू ों की समीक्षा की ताकि उन््हेें अधिक कठोर और प्रभावी बनाया जा सके ।
z डेटा सग्र ं ह को मजबूत करना तथा महिलाओ ं द्वारा अनभु व की जाने वाली z इसने लैैंगिक जागरूकता के लिए कार््यशालाएँ/ सेमिनार आयोजित किए तथा कन््यया
हिसं ा के विभिन््न रूपोों के मापन मेें सधु ार करना, जिनमेें सबसे अधिक हाशिये भ्णरू हत््यया, महिलाओ ं के विरुद्ध हिसं ा आदि के विरुद्ध प्रचार अभियान चलाया,
पर रहने वाली महिलाएँ भी शामिल हैैं। ताकि इन सामाजिक बरु ाइयोों के विरुद्ध समाज मेें जागरूकता पैदा की जा सके ।
महिलाएँ 31
महिला कल्याण के लिए विधायी हस्तक्षेप शिकायत निवारण तंत्र
z कार््यस््थल पर महिलाओ ं का यौन उत््पपीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) पहलू विवरण
अधिनियम, 2013
z यह काननू महिलाओ ं को उनके कार््यस््थल पर यौन-उत््पपीड़न से बचाने के z 10+ कर््मचारियोों वाले संगठनोों के लिए आतं रिक
लिए बनाया गया था। यह झठू े या दर््भभाव
ु नापर््णू आरोपोों के विरुद्ध भी सरु क्षा शिकायत समिति (ICC) (सिविल न््ययायालय के समान
प्रदान करता है। शक्तियाँ)।
यौन-उत््पपीड़न विरोधी नीति शिकायत z 10 से कम कर््मचारियोों वाले सगं ठनोों या नियोक्ता के
समिति विरुद्ध शिकायतोों के लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित
आंतरिक समिति कर््मचारी जागरूकता स््थथानीय समिति।
का गठन अधिनियम के एवं सहायता z शिकायत घटना के 3 महीने के भीतर दर््ज की जानी
अनुपालन के चाहिए।
लिए मुख््य कदम
z जाँच से पहले पीड़़ित और प्रतिवादी के बीच वैकल््पपिक
पोस््टर और नोटिस वैधानिक वार््षषिक रिपोर््ट समझौता सगु म समझौता।
पृष्ठभूमि
z आतं रिक शिकायत समिति जाँच कर सकती है (जो 90
z भँवरी देवी के स: वर््ष 1992 मेें राजस््थथान की एक सामाजिक कार््यकर््तता भँवरी दिनोों के भीतर परू ी हो जाती है) या शिकायत पलि
जाँच करना ु स
देवी को एक छोटी लड़की के बाल विवाह का विरोध करने पर क्रू र सामहि ू क को भेज सकती है।
बलात््ककार का सामना करना पड़़ा। इस चौौंकाने वाले मामले ने महिलाओ ं की
कमजोरी और कार््यस््थल पर यौन-उत््पपीड़न के विरुद्ध काननू ी सरु क्षा उपायोों की
अपराधी z आतं रिक शिकायत समिति नियोक्ता को कार््रवाई की
कमी को उजागर किया।
के विरुद्ध सिफारिश कर सकती है।
z विशाखा दिशा-निर्देश: कार््यस््थल पर उत््पपीड़न के खिलाफ किसी विशिष्ट
काननू की अनपु स््थथिति को देखते हुए, सर्वोच््च न््ययायालय ने वर््ष 1997 कार््रवाई
मेें हस््तक्षेप किया। ऐतिहासिक विशाखा दिशा-निर्देशोों मेें, न््ययायालय ने
महिलाओ ं की सरु क्षा के लिए दिशा-निर्देशोों का एक सेट जारी किया, जब z आतं रिक शिकायत समिति के निर््णय के विरुद्ध अपील
निवेदन 90 दिनोों के भीतर संभव।
तक कि एक समर््पपित काननू नहीीं बनाया जा सके ।
प्रमुख प्रावधान आतं रिक शिकायत समिति झठू ी शिकायतकर््तता के
झठू ी z
यौन उत्पीड़न की व्यापक परिभाषा शिकायतेें खिलाफ कार््रवाई की सिफारिश कर सकती है।
अधिनियम मेें यौन उत््पपीड़न को किसी भी अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-
मौखिक आचरण के रूप मेें परिभाषित किया गया है, जिसमेें शामिल हैैं: z पीड़़ित, प्रतिवादी, गवाह की पहचान और पछू ताछ/
z यौन-सबं ंधोों के लिए माँग या अनरु ोध। गोपनीयता कार््रवाई का विवरण गोपनीय रखा जाना चाहिए।
z यौन रूप से अश्लील टिप््पणी या चट ु कुले बनाना।
z अश्लील साहित््य या यौन रूप से स््पष्ट सामग्री प्रदर््शशित करना। चुनौतियााँ
z कोई अन््य कार््य जो शत्रुतापर््ण
ू , भयभीत करने वाला या आक्रामक कार््य z अपवाद: यह अधिनियम सशस्त्र बलोों पर लागू नहीीं होता है, जो कि
वातावरण निर््ममित करता है। अधिकांशतः परुु ष प्रधान है।
यौन उत्पीड़न की पााँच परिस्थितियााँ z लिंग-तटस््थ नहीीं: यह ट््राांसजेेंडरोों और परुु षोों आदि द्वारा अनभु व किए गए
z यौन संबंधोों के बदले मेें अनचि ु त लाभ जैसे वेतनवृद्धि, पदोन््नति आदि देने की यौन उत््पपीड़न पर विचार नहीीं करता है।
पेशकश करना या ऐसा दर््शशाना।
z निगरानी का अभाव: इसके कार््ययान््वयन की निगरानी के लिए उचित तंत्र
z यौन प्रस््तताव से इनकार करने पर रोजगार मेें हानिकारक व््यवहार की धमकी देना।
सनिश्
ु चित करने हेतु कोई प्राधिकारी नहीीं है।
z वर््तमान या भविष््य की रोजगार स््थथिति से संबंधित धमकी या दबाव।
z काम मेें हस््तक्षेप करना या शत्रुतापर््णू , डराने वाला या आक्रामक कार््य वातावरण z संगठित और असंगठित दोनोों क्षेत्ररों मेें कार््य करने वाले अधिकांश कर््मचारियोों
बनाना। मेें जागरूकता की कमी है।
z अपमानजनक व््यवहार जिससे महिला के स््ववास््थ््य या सरु क्षा पर असर पड़ने z अन््य: कंपनियोों का गैर-अनपु ालन, आतं रिक शिकायत समिति की विशेषज्ञता
की संभावना हो। का अभाव, महिला शिकायतकर््तताओ ं का उत््पपीड़न आदि।
महिलाएँ 33
z प्रतिनिधित््व और लोकतांत्रिक मूल््योों का विस््ततार: अल््पसंख््यक समदु ायोों
की महिलाओ ं को नामांकित करने का अधिनियम का प्रावधान विधायिकाओ ं मेें योजनाओं के परिणाम
उनके ऐतिहासिक अल््प प्रतिनिधित््व की समस््यया को दरू करता है तथा विविध व््ययापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (2016-18) से पता चला है कि वर््ष 2015-16 मेें
आवाजोों की पहुचँ को सनिश्
ु चित करके लोकतांत्रिक मल्ू ्योों को मजबतू करता है। राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण मेें उल््ललेखित आयु के अनुपात मेें कम कद
38.4 प्रतिशत से घटकर 34.7 प्रतिशत हो गई है। इसी अवधि के दौरान कद
z समीकरण को सतं ुलित करना: दोहरे सदस््य वाले निर््ववाचन क्षेत्ररों को लागू के अनुपात मेें कम वजन 21 प्रतिशत से घटकर 17.3 प्रतिशत और आयु
करने से लोकतांत्रिक सिद््धाांतोों को कमजोर किए बिना मतदाताओ ं की पसदं के अनुपात मेें कम वजन 35.7 प्रतिशत से घटकर 33.4 प्रतिशत हो गई।
की स््वतंत्रता बनी रहती है, क््योोंकि घटते लोकतांत्रिक अधिकारोों के बारे मेें
सफलता की कहानियोों को उजागर करना: अन््य देशोों मेें आरक्षित सीटोों के
चितं ाओ ं का अनभु वजन््य समर््थन नहीीं है। आरक्षण परुु ष उम््ममीदवारोों के साथ माध््यम से चनु ी गई महिलाओ ं की उपलब््धधियोों को प्रदर््शशित करेें ताकि योग््यता-
भेदभाव नहीीं करता है, बल््ककि निष््पक्षता और संतलिु त प्रतिनिधित््व के लिए आधारित तर्ककों का मक ु ाबला किया जा सके ।
प्रयास करता है।
महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएँ /कार््यक्र म
कानून से संबंधित मुद्दे
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
z प्रॉक््ससी भय: परुु ष समकक्षषों के लिए महिलाओ ं के मात्र ‘प्रॉक््ससी’ बनने के
z इस योजना को वर््ष 2016 मेें लॉन््च किया गया था। गरीबी रेखा से नीचे
बारे मेें आशक ं ा बनी रहती है। भले ही परिवारोों के भीतर शक्ति गतिशीलता को (बीपीएल) के परिवारोों की महिलाओ ं को मुफ््त एलपीजी कनेक््शन प्रदान
संबोधित करना महत्तत्वपर््णू है, लेकिन अध््ययनोों से पता चलता है कि महिलाओ ं किया गया ताकि महिलाओ ं और बच््चोों के स््ववास््थ््य की सरु क्षा हो सके ।
का बढ़ता प्रतिनिधित््व महिलाओ ं और बच््चोों के कल््ययाण पर सकारात््मक z सक्रिय घरे लू एलपीजी उपभोक्ताओ ं की संख््यया अप्रैल, 2014 मेें 14.52 करोड़
प्रभाव डालता है। से बढ़कर मार््च, 2023 तक 31.36 करोड़ हो गई है।
z कार््ययान््वयन मेें बाधाएँ: अधिनियम को परिसीमन से जोड़ने से इसके योजना का प्रदर््शन
अधिनियमन मेें विलंब होता है। इन प्रक्रियाओ ं को अलग करना या वैकल््पपिक z गरीब महिलाओ ं के परिवारोों को 8 करोड़ मुफ््त एलपीजी कनेक््शन
समय सीमाएँ तलाशना महत्तत्वपर््णू हो सकता है। प्रदान किए गए। के वल चार वर्षषों (2016-20) मेें घरे लू एलपीजी कवरे ज वर््ष
z प्रतिनिधित््व का विस््ततार: ओबीसी महिलाओ ं को कोटे मेें शामिल करने की 2014-15 मेें 56% से बढ़कर 98% हो गया।
माँग अतं र्संबंध की आवश््यकता को उजागर करती है। इस पर ध््ययान देने के लिए z इस योजना के कारण वर््ष 2014 की तल ु ना मेें वर््ष 2019 मेें एलपीजी की
खपत मेें 56% की वृद्धि हुई।
समावेशिता सनिश् ु चित करने हेतु सावधानीपर््वू क समायोजन की आवश््यकता है।
z उज््ज््वला से पहले, घरे लू और परिवेशी वायु प्रदषू ण के कारण वैश्विक रुग््णता
z आवंटन दुविधाएँ: आरक्षित सीटोों की पहचान कै से की जाएगी, इस पर स््पष्टता मेें भारत दसू रा सबसे बड़़ा योगदानकर््तता था।
बहुत जरूरी है। पारदर्शी दिशा-निर्देश स््थथापित करना और क्षेत्रीय गतिशीलता
पर विचार करना आवश््यक है। पंचायती राज संस्थाओ ं मेें महिलाएँ
भारत के स््थथानीय शासन मेें 14.5 लाख महिलाएँ नेतत्ृ ्वकारी पदोों पर हैैं।
z आरक्षित सीटोों से परे: योग््यता पर बहस प्रायः स््थथायी पर््ववाग्रहो
ू ों से उपजी है।
उन््होोंने कोविड-19 के विरुद्ध लड़़ाई मेें महत्तत्वपूर््ण भमि
ू का निभाई है।
अध््ययनोों से पता चलता है कि आरक्षण से शासन की गणु वत्ता कम नहीीं होती कोविड-19 रोगियोों के लिए राशन, आइसोलेशन या अस््पताल मेें बेडोों की
है और आरक्षित सीटेें, अनदेखी की गई महिलाओ ं को अवसर प्रदान करती हैैं। व््यवस््थथा करना, गर््भवती महिलाओ ं के लिए तत््ककाल चिकित््ससा सहायता ने
z कोटा से अधिक: हालाँकि, यह अधिनियम एक पहलू से निपटता है, फिर भी भी उनका ध््ययान आकर््षषित किया।
राजनीति के अपराधीकरण और काले धन के प्रभाव से निपटने सहित व््ययापक इस वास््तविकता और महिला नेताओ ं के कार््य की मान््यता मेें 8 मार््च, 2021
चनु ावी सधु ार, समग्र समाधान के लिए महत्तत्वपर््णू बने हुए हैैं। को वैश्विक स््तर पर अतं रराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, जिसकी थीम थी-
“नेतृत््व मेें महिलाएँ: COVID-19 दुनिया मेें समान भविष््य प्राप्त करना।”
आगे की राह
महिलाओ ं पर प्रभाव
z समावेशी राजनीतिक स््थथानोों को बढ़़ावा देना: राजनीतिक दलोों को इससे देश मेें रसोई गैस की सार््वभौमिक पहुचँ सनिश्
z ु चित होगी। यह उपाय
आतं रिक सधु ार अपनाने के लिए प्रोत््ससाहित करना और महिला नेतत्ृ ्व और महिलाओ ं को सशक्त बनाएगा और उनके स््ववास््थ््य की रक्षा करे गा।
मार््गदर््शन कार््यक्रमोों को बढ़़ावा देना, जिससे वे स््वतंत्र रूप से कार््य करने मेें z इससे भोजन पकाने मेें लगने वाला समय और मेहनत कम हो जाएगी।
सक्षम हो सके ।
चिंताएँ
z सीट चक्रण के विकल््पोों पर विचार करना: लॉटरी-आधारित आवटं न या
z उज््ज््वला लाभार्थी सिलेेंडर रिफिल की उच््च लागत के कारण अस््वच््छ खाना
भौगोलिक रूप से स््थथिर आरक्षित सीटोों जैसे वैकल््पपिक मॉडलोों का मल्ू ्ययाांकन करेें पकाने के ईधन ं पर लौट आते हैैं।
ताकि पनु र््ननिर््ववाचन की सभं ावनाओ ं के बारे मेें चितं ाओ ं को दरू किया जा सके । z 98% एलपीजी कवरे ज के बावजदू स््वच््छ खाना पकाने वाले ईधन ं के समग्र
z योग््यता आधारित चयन प्रक्रिया को बढ़़ावा देना: राजनीतिक दलोों को उपयोग मेें के वल 20% की वृद्धि हुई है।
लैैंगिक भेदभाव के बिना उम््ममीदवार चयन प्रक्रियाओ ं को अपनाने के लिए z विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन का अनुमान है कि अके ले भारत मेें ही भोजन
प्रोत््ससाहित करेें ताकि पर््ववाग्रहो
ू ों को कम किया जा सके और योग््यता पर ध््ययान पकाने वाले अशुद्ध ईधन ं के कारण लगभग 5 लाख मौतेें होती हैैं। इनमेें
केें द्रित किया जा सके । से अधिकांश अकाल मौतेें गैर-संचारी रोगोों के कारण होती हैैं।
महिलाएँ 35
आर््थथिक सशक्तीकरण के लिए योजनाएँ आपराधिक राष्ट्रीय महिला एकीकृ त बाल राष्ट्रीय
z भारत की महिलाओ ं के लिए प्रदर््शनियाँ/ उत््सव- विशेष रूप से ग्रामीण कानून आयोग संरक्षण योजना साइबर
भारत की महिला उद्यमियोों और किसानोों को अपने उत््पपादोों को प्रदर््शशित करने (संशोधन), (एनसीडब््ल्ययू) अपराध
और बेचने के लिए एक मचं प्रदान करना। अधिनियम, रिपोर््टििंग
z राजीव गांधी किशोरी सशक्तीकरण योजना (सबला): यवु ा महिलाओ ं को 2013 पोर््टल
आत््मनिर््भर बनाने मेें मदद करना, जिसमेें पोषण अनपु रू ण और शिक्षा, स््ववास््थ््य कार््यस््थल पर राष्ट्रीय बाल उज््ज््वला पोषण
शिक्षा और सेवाएँ तथा जीवन कौशल और व््ययावसायिक प्रशिक्षण शामिल है। महिलाओ ं का अधिकार योजना, महिला अभियान
z स््ववाधार गृह (कठिन परिस््थथितियोों मेें महिलाओ ं के लिए योजना): यह यौन उत््पपीड़न संरक्षण आयोग शक्ति केें द्र
योजना कठिन परिस््थथितियोों मेें महिलाओ ं के पनु र््ववास के लिए है। इस योजना (रोकथाम, (एमएसके ),
मेें वे महिलाएँ शामिल हैैं, जो परित््यक्त हैैं और जिन््हेें कोई सामाजिक और
निषेध और निर््भया फंड
आर््थथिक सहायता प्राप्त नहीीं हो रही है तथा जो घरे लू हिसं ा, पारिवारिक तनाव
और प्राकृ तिक आपदाओ ं की शिकार हैैं। निवारण)
अधिनियम,
z उज््ज््वला: तस््करी की रोकथाम तथा तस््करी और वाणिज््ययिक यौन शोषण
के पीड़़ितोों के बचाव, पनु र््ववास और पनु ः एकीकरण के लिए एक व््ययापक 2013
योजना। देश मेें 134 सरु क्षात््मक और पनु र््ववास गृहोों सहित 254 परियोजनाएँ यौन अपराधोों कामकाजी वन स््टटॉप सेेंटर महिलाओ ं के
हैैं। लाभार््थथियोों की संख््यया 5,291 (2019) है। से बच््चोों महिलाओ ं के योजना, स््ववाधार लिए प्रशिक्षण
z वन स््टटॉप सेेंटर (सखी): हिसं ा पीड़़ित महिला इन केें द्ररों पर चिकित््ससा, पलि
ु स, का संरक्षण लिए छात्रावास, गृह और रोजगार
काननू ी और मनोवैज्ञानिक परामर््श सहायता प्राप्त कर सकती है। अधिनियम, हेल््पलाइन का कार््यक्रम को
z अनैतिक तस््करी (रोकथाम) अधिनियम, 1956: वाणिज््ययिक यौन शोषण 2012 सार््वभौमीकरण समर््थन
और अधिनियम के तहत पंजीकृ त वेश््ययावृत्ति से संबंधित सभी मामलोों पर
प्रतिबंध लगाता है। जेेंडर बजटिंग
विवाह संबंधी योजनाएँ जेेंडर बजटिंग एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसका उद्देश््य विकास मेें जेें डर
z धनलक्ष्मी योजना- इसका उद्देश््य माता-पिता को आकर््षक बीमा कवर को मुख््यधारा मेें लाना तथा पुरुषोों और महिलाओ ं के बीच लाभोों
प्रदान करके बाल विवाह को समाप्त करना तथा माता-पिता को अपने बच््चोों का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
को शिक्षित करने के लिए प्रोत््ससाहित करना तथा बालिकाओ ं के लिए कुछ भारत सरकार प्रतिवर््ष जेेंडर बजट स््टटेटमेेंट प्रकाशित करती है, जो बजट की
चिकित््ससा व््यय को कवर करना है। लैैंगिक दृष्टि से जाँच करती है तथा महिलाओ ं के लिए आवंटन के बारे मेें
z एनआरआई वैवाहिक विवाद- महिला एवं बाल विकास मत्रा ं लय ने एनआरआई जानकारी प्रदान करती है।
वैवाहिक विवादोों मेें शामिल महिलाओ ं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएँ 2023-24 का केें द्रीय बजट, जेेंडर बजटिंग मेें कुछ उल््ललेखनीय रुझान
तैयार की हैैं। ये मानक संचालन प्रक्रियाएँ महिलाओ ं के लिए न््ययाय तक त््वरित दर््शशाता है:
पहुचँ की सविध ु ा के लिए अपनाए जाने वाले चरणबद्ध काननू ी उपायोों का जेेंडर बजटिंग मेें पिछले वर््ष की तुलना मेें 23% की वृद्धि हुई, जो बढ़कर
वर््णन करते हैैं। 2,23,219.75 करोड़ हो गया। यह कुल बजट का 4.9% रहा, जो
महिलाओ ं के लिए स््थथायी कमीशन के विषय मेें सप्री
ु म कोर््ट का फै सला पिछले वर््ष 4.23% था।
(2020) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए आवंटन मेें 1.08% की वृद्धि
भारतीय सेना मेें महिला अधिकारियोों को परुु ष अधिकारियोों के बराबर की गई।
कमांड पद मिल सकते हैैं। इसके खिलाफ सरकार के तर््क भेदभावपूर््ण, लगभग 90% जेें डर बजट ग्रामीण विकास; महिला एवं बाल विकास;
परे शान करने वाले और रूढ़़िवादिता पर आधारित थे। न््ययायालय ने यह भी कृषि, स््ववास््थ््य एवं परिवार कल््ययाण तथा शिक्षा पर केें द्रित है।
कहा कि सभी महिला अधिकारियोों को उनकी सेवा के वर्षषों की परवाह किए महत्तत्वपूर््ण क्षेत्र जैसे कि परिवहन, जल संग्रहण और सुरक्षा जै से महत्तत्वपूर््ण
बिना स््थथायी कमीशन उपलब््ध कराया जाना चाहिए। क्षेत्ररों पर जेें डर बजट मेें सीमित ध््ययान दिया गया।
महिला सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति के बजट मेें 1.2% की कमी देखी गई।
महिला सशक्तीकरण के लिए भारत के उपाय
विधायी संस््थथाएँ योजनाएँ/ अन््य उपाय पाम राजपूत समिति
हस््तक्षेप कार््यक्रम इसकी स््थथापना वर््ष 2012 मेें भारत मेें महिलाओ ं की स््थथिति मेें सुधार हेतु
बाल विवाह नोडल मंत्रालय बेटी बचाओ, जेेंडर बजट अध््ययन करने और सिफारिशेें करने के लिए की गई थी।
निषेध के तौर पर बेटी पढ़़ाओ मुख्य अनुशंसाएँ
अधिनियम, महिला एवं z सभी निर््णय लेने वाली सस्ं ्थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण।
2006 बाल विकास z महिला सशक्तीकरण सबं ंधी सस ं दीय समिति को सभी प्रस््ततावित कानूनोों
मंत्रालय। के लैैंगिक निहितार्थथों की जाँच करनी चाहिए।
z ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर हत््ययाओ ं से लड़ने के लिए अलग कानून बनाया वेश््ययालय प्रबंधन जैसे किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीीं होनी चाहिए।
जाए तथा मस््ललि ु म और ईसाई धर्ममों के परिवारिक काननोू ों मेें बदलाव किया z स््थथान का महत्तत्व: यह अधिनियम सार््वजनिक स््थथानोों के 200 मीटर के
जाए, क््योोंकि वे महिलाओ ं के खिलाफ हैैं। भीतर यौन कार््य पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे यह प्रभावी रूप से पृथक क्षेत्ररों
मौखिक, एकतरफा, तीन तलाक (तलाक) और बहुविवाह की प्रथा पर
की ओर बढ़ रहा है तथा सरु क्षा और दृश््यता के बारे मेें चितं ाएँ बढ़ रही हैैं।
पर््णू प्रतिबंध। z सहमति महत्तत्वपूर््ण है: मौलिक आवश््यकता सहमति है- किसी का भी शोषण
z आपराधिक न््ययाय प्रणाली मेें सधु ार करना, उसे मजबरू करना या यौन कार््य के लिए प्रेरित करना परू ी तरह से अवैध है।
z अस््पष्टता और चुनौतियाँ: इस अधिनियम मेें ‘स््वतंत्र यौनकर्मी’ की सरु क्षा
महिलाओ ं के लिए न््ययाय सनिश् ु चित करने के लिए आपराधिक न््ययाय प्रणाली
मेें व््ययापक बदलाव। और सामाजिक सरु क्षा से संबंधित मद्ददों ु पर ध््ययान नहीीं दिया गया है।
z लाभ साझा करना: यह कानन ू किसी भी ऐसे व््यक्ति को दडिं त करता है जो
अधिक लिंग संवेदनशील प्रवर््तन तंत्र।
“परू ी तरह या आशं िक रूप से किसी अन््य व््यक्ति की वेश््ययावृत्ति की कमाई
विभिन््न काननो ू ों और उनके परस््पर संबंध के बारे मेें अधिक जागरूकता।
पर निर््भर रहता है”, जिससे यौन कार््य से होने वाले व््यक्तिगत लाभ के बारे मेें
महिलाओ ं के अधिकारोों की सरु क्षा हेतु जवाबदेही।
अस््पष्टता पैदा होती है।
समाचार मेें रहे प्रमुख मुद्दे z प्रवर््तन मेें असगं तता: अधिनियम का कार््ययान््वयन विभिन््न क्षेत्ररों मेें बहुत भिन््न
होता है, जिसके कारण प्रायः यौनकर््ममियोों का उत््पपीड़न और शोषण होता है।
भारत मेें सेक्स वर््कर््स के अधिकार
वे देश जहााँ वेश्यावृत्ति को वैधानिक मान्यता प्राप्त है
z हाल ही मेें, सर्वोच््च न््ययायालय ने सेक््स वर््क को एक पेशे के रूप मेें मान््यता
दी तथा संविधान के अनच्ु ्छछे द 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियोों का प्रयोग हालाँकि, दनिय ु ा भर मेें वेश््ययावृत्ति की वैधता मेें काफी भिन््नता है फिर भी कई
करते हुए इस बात की पष्ु टि की कि सेक््स वर््क र, काननू के तहत सम््ममान और देशोों ने इस पेशे को औपचारिक रूप देकर एक विशेष रुख अपनाया है:
z जर््मनी: 1927 ई.मेें वैधानिक मान््यता की शरु ु आत करने वाला जर््मनी अपने
समान सरु क्षा के हकदार हैैं।
राज््य-विनियमित वेश््ययालयोों के लिए जाना जाता है। सेक््स वर््क र स््ववास््थ््य बीमा
सुप्रीम कोर््ट के दिशा-निर्देश और पेेंशन जैसे सामाजिक लाभोों का आनंद लेते हैैं और करोों का भगु तान करते
z हस््तक्षेप न करना: पलि ु स को निर्देश दिया गया है कि वह वयस््क, सहमति से हैैं, जो उद्योग मेें असामान््य स््तर की सरु क्षा प्रदान करता है।
काम करने वाले यौनकर््ममियोों के विरुद्ध हस््तक्षेप या आपराधिक कार््रवाई न करे । z न््ययूजीलैैं ड: वर््ष 2003 मेें इसी तरह का कदम उठाते हुए न््ययूजीलैैंड मेें भी
z उत््पपीड़न से बचाव: वेश््ययालय पर छापे के दौरान यौनकर््ममियोों को गिरफ््ततारी, लाइसेेंस प्राप्त वेश््ययालयोों के साथ सार््वजनिक स््ववास््थ््य और रोजगार नियमोों
दडं , उत््पपीड़न या शोषण का सामना नहीीं करना चाहिए, स््ववैच््छछिक यौन कार््य का पालन करते हुए एक समान मॉडल के तहत कार््य किया जाता है। इस
की वैधता बनाम वेश््ययालय संचालन की अवैधता को मान््यता दी जानी चाहिए। प्रणाली का उद्देश््य श्रमिकोों के अधिकारोों की रक्षा करना और काम करने की
z सवं ैधानिक मान््यता: सभी व््यक्तियोों के लिए सविध ं ान के अनच्ु ्छछे द 21 के स््थथितियोों मेें सधु ार करना है।
तहत सम््ममानजनक जीवन के अधिकार की पष्ु टि। z वेश््ययालयोों से परे : ब्राजील और कोलंबिया जैसे अन््य देश एक अलग दृष्टिकोण
z पारिवारिक अखंडता: यौनकर््ममियोों के बच््चोों को के वल इसलिए उनकी अपनाते हैैं। हालाँकि, यौन कार््य अपने आप मेें वैध है, लेकिन दलाली जैसी
माताओ ं से अलग नहीीं किया जाना चाहिए, क््योोंकि उनकी माताएँ यौन व््ययापार गतिविधियाँ पूर््णतः वर््जजित हैैं। यह सक्षू ष्म दृष्टिकोण मद्ु दे की जटिलता को
मेें संलिप्त हैैं। स््ववीकार करता है और शोषण से जड़ु ़ी चितं ाओ ं को दरू करने का प्रयास करता है।
z तस््करी की धारणा: जब नाबालिग वेश््ययालयोों या यौनकर््ममियोों के साथ पाए भारत मेें यौनकर््ममियोों के सामने आने वाली समस्याएँ
जाते हैैं, तो तस््करी की धारणा नहीीं होनी चाहिए। z हिंसा: विश्व स््ववास््थ््य संगठन के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 70% यौनकर््ममियोों
z समान व््यवहार: पलि ु स को निर्देश दिया गया कि वे आपराधिक शिकायत को पलि ु स द्वारा हमले का सामना करना पड़ता है।
दर््ज कराने वाली यौनकर््ममियोों (विशेषकर यौन अपराधोों के संबंध मेें) के साथ z स््ववास््थ््य जोखिम: पर््ययाप्त स््ववास््थ््य सेवा सहायता के अभाव मेें उन््हेें एचआईवी
भेदभाव न करेें। (HIV) और गर््भभाशय ग्रीवा के कैैं सर जैसे यौन संचारित रोगोों (STD) के
z पहचान सरु क्षा: मीडिया को निर्देश दिया गया है कि वे गिरफ््ततारी, छापेमारी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स््ववास््थ््य संगठन द्वारा वर््ष 2018 मेें
और बचाव कार्ययों के दौरान यौनकर््ममियोों की पहचान सरु क्षित रखेें तथा उनकी किए गए एक अध््ययन मेें पाया गया कि भारत मेें यौनकर््ममियोों मेें एचआईवी
पहचान वाली तस््ववीरोों के प्रकाशन या प्रसारण से बचेें। का प्रसार अतं रराष्ट्रीय औसत से 10 गनु ा अधिक है।
महिलाएँ 37
आगे की राह z लैैंगिक असमानताएँ: अन््य क्षेत्ररों मेें परुु षोों की तल
ु ना मेें महिलाओ ं को प्रायः
देखभाल अर््थव््यवस््थथा मेें कम वेतन, कम लाभ और अनिश्चित कार््य स््थथितियोों
z हिंसा का मुकाबला: न््ययायमर््तति ू वर््ममा समिति की वर््ष 2016 की रिपोर््ट मेें का सामना करना पड़ता है।
यौनकर््ममियोों की शिकायतोों को निपटाने और संवेदनशील जाँच सनिश् ु चित करने
z वैश्विक अंतर्संबंध: वैश्विक देखभाल ृंखलाएँ, जहाँ विकासशील देशोों से
के लिए पलि ु स बलोों के भीतर समर््पपित इकाइयोों की सिफारिश की गई है।
देखभाल कर्मी विकसित देशोों मेें देखभाल प्रदान करने के लिए आते हैैं, नैतिक
z स््ववास््थ््य सेवा तक पहुच ँ : व््ययापक स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक पहुचँ सनिश्
ु चित
और नीतिगत चनु ौतियाँ उत््पन््न करती हैैं।
करना, जिसमेें नियमित जाँच और यौन संचारित रोगोों और गर््भभाशय ग्रीवा के
कैैं सर के लिए निवारक उपाय शामिल हैैं, अत््ययंत महत्तत्वपर््णू है। इसके अतिरिक्त, महिलाओ ं पर प्रभाव
वेश््ययालयोों और संबंधित अन््य जगहोों मेें सांस््ककृतिक रूप से संवेदनशील सेवाएँ z समय की कमी: वैतनिक कार््य का प्रबंध, घर के कार््य और बच््चोों की देखभाल
प्रदान करने से स््ववास््थ््य सेवा तक पहुचँ ने मेें आने वाली बाधाओ ं को दरू किया के बीच तालमेल बैठाने से महिलाओ ं के पास स््वयं के लिए सीमित समय
जा सकता है। बचता है। वर््ष 2022 की ऑक््सफै म रिपोर््ट से पता चला है कि भारत मेें
z कलंक-मुक्ति: भारत के 22वेें विधि आयोग की रिपोर््ट (2018) मेें अनचि ु त महिलाएँ प्रतिदिन 15.8 घंटे अवैतनिक देखभाल कार्ययों मेें बिताती हैैं जबकि
धारणाओ ं और भेदभावपर््णू प्रथाओ ं से निपटने के लिए काननू प्रवर््तन और परुु षोों के लिए यह अवधि मात्र 5.3 घटं े है। इस ‘समय की कमी’ के कारण
सेवा प्रदाताओ ं के लिए तस््करी-विरोधी प्रशिक्षण कार््यक्रमोों मेें यौन कार््य को नीींद की कमी, सामाजिक अलगाव आदि होता है।
शामिल करने की सिफारिश की गई है।
z अवसर लागत- शिक्षा और कौशल विकास: एक आर््थथिक सहयोग और विकास
दे खभाल अर््थव्यवस्था (CARE ECONOMY) संगठन (OECD) रिपोर््ट से पता चलता है कि भारतीय महिलाएँ प्रतिदिन
देखभाल अर््थव््यवस््थथा को प्रायः गलत समझा जाता है। सामान््यतः इसे घरे लू लगभग 5.6 घटं े अवैतनिक देखभाल कार्ययों पर व््यतीत करती हैैं जबकि परुु ष
कार््य के साथ जोड़ दिया जाता है या औपचारिक आर््थथिक चर््चचा के साथ संबद्ध इसी कार््य मेें के वल 52 मिनट व््यतीत करते हैैं।
कर दिया जाता है। वास््तव मेें, यह मानव कल््ययाण और आर््थथिक गतिविधि के z कार््यस््थल पर भेदभाव-‘माँ दडं ’: माताओ ं को प्रायः भर्ती मेें पक्षपात,
बहुत व््ययापक और महत्तत्वपूर््ण पहलू को शामिल करता है। कम वेतन और सीमित पदोन््नति का सामना करना पड़ता है, क््योोंकि उन््हेें
घरेलू कर््तव्ययों से कहीीं अधिक प्रतिबद्धता या लचीलेपन की कमी के रूप मेें देखा जाता है।
z रूढ़़ियोों से परे: हालाँकि, घरे लू काम देखभाल अर््थव््यवस््थथा का एक महत्तत्वपर््णू z अल््प रोजगार और अलगाव: महिलाएँ कठिन देखभाल कार््यक्रमोों को परू ा
हिस््ससा है, लेकिन सीमित रूढ़़िवादिता से आगे जाना आवश््यक है। देखभाल करने के लिए अपने कौशल स््तर से नीचे की नौकरियोों का चयन कर सकती
अर््थव््यवस््थथा मेें शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवा, सामाजिक कार््य, बाल देखभाल, वृद्ध हैैं, जिससे कुछ क्षेत्ररों मेें लैैंगिक अलगाव कायम रहता है।
देखभाल और सामदु ायिक सेवाओ ं जैसे महत्तत्वपर््णू क्षेत्र भी शामिल हैैं। z घर मेें लैैंगिक असमानता- असमान घरेलू बोझ: यह परिवारोों मेें पारंपरिक
z विविध आवश््यकताओ ं को पूरा करना: ये गतिविधियाँ आजीवन व््यक्तियोों लैैंगिक भमि ू काओ ं को सदृु ढ़ करता है, जिससे महिलाओ ं की निर््णय लेने की
की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात््मक आवश््यकताओ ं को परू ा करती शक्ति और स््ववायत्तता मेें बाधा उत््पन््न होती है।
हैैं, बच््चोों और यवु ा वयस््कोों से लेकर बजु र्गु गों एवं दिव््ययाांग व््यक्तियोों तक सभी z बढ़ती असरु क्षा: देखभाल संबंधी कार्ययों के बोझ तले दबी महिलाएँ सीमित
को समाहित करती हैैं। संसाधनोों और सामाजिक सरु क्षा के कारण प्रायः जलवायु संबंधी परिवर््तनोों
एक छिपी हुई आर््थथिक महाशक्ति और आर््थथिक मदं ी के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैैं।
z महत्तत्वपूर््ण योगदान: देखभाल अर््थव््यवस््थथा वैश्विक सकल घरे लू उत््पपाद का आगे की राह
एक बड़़ा हिस््ससा है, जिसका अनमु ान विश्व आर््थथिक मंच द्वारा 8-10% z अदृश््य परिमाणीकरण: लैैंगिक भेदभाव की के वल स््ववीकारोक्ति से आगे बढ़ें
लगाया गया है। अवैतनिक देखभाल कार््य और अनौपचारिक क्षेत्ररों को कम तथा अवैतनिक देखभाल कार््य के आर््थथिक योगदान को अभिनिर््धधारित करने,
महत्तत्व दिए जाने के कारण इसका योगदान प्रायः अदृश््य रहता है।
जागरूकता बढ़़ाने और इसकी उचित मान््यता का समर््थन करने के लिए समय-
z रोजगार सज ृ न: लाखोों लोग, मख्ु ्य रूप से महिलाएँ, देखभाल अर््थव््यवस््थथा उपयोग सर्वेक्षण और आर््थथिक मल्ू ्ययाांकन मॉडल का उपयोग करेें।
मेें रोजगार पाती हैैं, जिससे यह आजीविका और आर््थथिक भागीदारी का प्रमख ु
z घरेलू कार््य का मूल््ययाांकन: घरे लू कार््य के लिए औपचारिक पारिश्रमिक ढाँचा
स्रोत बन जाता है।
विकसित करना, उचित पारिश्रमिक, सामाजिक सरु क्षा लाभ और व््ययावसायिक
विशेषताएँ विकास के अवसर सनिश् ु चित करना।
उपर््ययुक्त के अतिरिक्त के यर इकोनॉमी की निम््नलिखित विशेषताएँ हैैं: z सामाजिक बुनियादी ढाँचे मेें निवेश: सस््तती और सल ु भ बाल देखभाल,
z रोजगार सज ृ न: लाखोों लोग (मख्ु ्य रूप से महिलाएँ) के यर इकोनॉमी मेें वृद्ध देखभाल और दीर््घकालिक देखभाल सविध ु ाओ ं मेें सार््वजनिक क्षेत्र के
रोजगार पाते हैैं, जिससे यह क्षेत्र आजीविका और आर््थथिक भागीदारी का एक निवेश को बढ़़ाना, अवैतनिक पारिवारिक देखभाल पर निर््भरता को कम करना।
महत्तत्वपर््णू स्रोत बन जाता है। उदाहरण के लिए स््ववीडन की सार््वभौमिक बाल देखभाल प्रणाली।
कामकाजी महिलाएँ
अवैतनिक या
घरेलू कामोों मेें उच््च
भारत मेें भागीदारी के कारण
अनुबंधित महिलाएँ वैतनिक कामोों मेें
महिलाओं की निम््न
स््टटाफ भागीदारी दर
पुरुष
महिलाएँ अवैतनिक कार्ययों मेें घरेलू कार्ययों मेें महिलाओं की
शिक्षा-रोजगार असंगति और लैैंगिक वेतन अंतराल
रोजाना पाँच घंटे बिताती हैैं- भागीदारी दर
z कौशल अंतर और अधूरी आकांक्षाएँ: शिक्षित महिलाओ,ं विशेष रूप से
कार््य बल मेें शामिल महिलाओं के
स््ननातकोों की बढ़ती संख््यया, प्रायः उनकी आकांक्षाओ ं और योग््यताओ ं से मेल
एक बड़़े हिस््ससे के पास किसी भी
खाने वाली नौकरियोों की माँग को पीछे छोड़ देती है। इससे बेरोजगारी बढ़ती
सामाजिक सरु क्षा का लाभ नहीीं है।
है और कई लोग काम की तलाश करने से हतोत््ससाहित होते हैैं।
z सीमित औपचारिक अवसर: मध््यम शिक्षा स््तर (लिपिकीय, बिक्री) वाली
महिलाओ ं के लिए उपयक्त ु वेतनभोगी पदोों की कमी उनकी भागीदारी के लिए
और अधिक बाधाएँ उत््पन््न करती है।
z लैैंगिक वेतन अंतराल: ग््ललोबल जेेंडर गैप रिपोर््ट, 2022 भारत मेें चौौंकाने वाले
28.7% अतं र को उजागर करती है, जिसे निम््नलिखित कारणोों से जोड़़ा गया है:
महिला श्रम बल भागीदारी दर (Female Labour Force Participation
z व््ययावसायिक अलगाव: महिलाएँ कम वेतन वाले क्षेत्ररों तक ही सीमित
Rate), जो कार््यरत या सक्रिय रूप से काम की तलाश कर रही कामकाजी
रहती हैैं।
आयु की महिलाओ ं की हिस््ससेदारी को दर््शशाती है, कार््यबल मेें लैैंगिक समानता
z सांस््ककृतिक बाधाएँ: सीमित शैक्षिक अवसर और अतं र््ननिहित सामाजिक
के प्रमख ु संकेतक के रूप मेें कार््य करती है।
मानदडं असमानता मेें योगदान करते हैैं।
z हालाँकि, नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force
z अवैतनिक घरेलू कार््य: यह बोझ महिलाओ ं पर असमान रूप से पड़ता है
Survey) 2021-22 महिला श्रम बल भागीदारी दर के 32.8% तक बढ़ने के
तथा उनकी कमाई की क्षमता पर असर पड़ता है।
साथ आशा की एक किरण दर््शशाता है, फिर भी यह एक चितं ाजनक तस््ववीर पेश
करता है। वर््ष 2017-18 मेें 23.3% के ऐतिहासिक निम््नतम स््तर की तल ु ना प्रतिस्पर्द्धी मााँगेें
मेें, प्रगति धीमी बनी हुई है, जो भारतीय रोजगार मेें महिलाओ ं के निरंतर कम z विवाह और घरेलू आय: कार््यबल से बाहर निकलने वाली महिलाओ ं का
प्रतिनिधित््व को दर््शशाता है। एक महत्तत्वपर््णू हिस््ससा विवाहित है, जिनके पति की आय ‘घरे लू आय प्रभाव’
z हालाँकि, प्राथमिक क्षेत्र मेें महिला रोजगार मेें गिरावट जारी है, लेकिन के माध््यम से उनकी वापसी को प्रभावित करती है।
सेवा क्षेत्र मेें लगातार वृद्धि हुई है, जिससे वर््ष 2017-18 और वर््ष 2021-22 z मातृत््व और शिशु देखभाल चुनौतियाँ: कई महिलाओ ं को बच््चचे के जन््म के
के बीच महिलाओ ं के लिए 14.2 मिलियन रोजगार उत््पन््न हुए हैैं। यह प्रवृत्ति बाद कार््यबल मेें पनु ः प्रवेश करने मेें निम््नलिखित कारणोों से कठिनाई होती है:
विकसित हो रहे आर््थथिक परिदृश््य और संभावित अवसरोों को रे खांकित करती है। मातृत््व लाभ अधिनियम: वर््ष 2016 का अधिनियम उत््ससाहवर््धक तो है
z न््ययूनतम कमी के बावजद ू ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर (39.3%) लेकिन फिर भी यह नियोक्ताओ ं के लिए अतिरिक्त लागत पैदा करता है,
वर््ष 2021-22 मेें अपने शहरी समकक्ष (26.5%) की तल ु ना मेें काफी अधिक जिससे महिलाओ ं को काम पर रखने मेें बाधा उत््पन््न होती है।
है। यह शहरी महिलाओ ं के सामने रोजगार तक पहुचँ और उसे बनाए रखने सीमित बाल देखभाल विकल््प: गण ु वत्तापर््णू देखभाल की कमी काम
मेें आने वाली लगातार चनु ौतियोों को उजागर करता है, जिसके लिए लक्षित पर वापस लौटने की इच््छछुक माताओ ं के लिए एक महत्तत्वपर््णू बाधा बनी
हस््तक्षेप की आवश््यकता है। हुई है।
महिलाएँ 39
सीमित गतिशीलता और रूढ़िवादी सामाजिक मानदं ड नवाचार को बढ़़ावा देना
z कर प्रोत््ससाहन: आतं रिक शिकायत तंत्र और सरु क्षित परिवहन सविध
ु ाओ ं
जैसी लिंग-अनुकूल प्रथाओ ं वाली कंपनियोों के लिए कर छूट लागू करने से
नियोक्ताओ ं और महिलाओ ं दोनोों को प्रोत््ससाहन मिल सकता है।
z सार््वजनिक-निजी भागीदारी: सरकार और निजी संस््थथाओ ं के बीच सहयोग
का निर््ममाण बच््चोों की देखभाल और परिवहन बाधाओ ं जैसी चनु ौतियोों का
समाधान करने के लिए अभिनव समाधानोों को बढ़़ावा दे सकता है। उदाहरण-
भारत मेें शिकायत निवारण तंत्र के लिए ‘शी-बॉक््स’ पहल।
सामाजिक मानदं डोों मेें परिवर््तन
z बड़़े पैमाने पर अभियान: गहरी जड़ेें जमाए हुए लैैंगिक रूढ़़ियोों को चनु ौती
z सीमित अंतरराष्ट्रीय प्रवास: विश्व बैैंक के अनसु ार, वर््ष 2020 मेें भारत देने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियानोों मेें निवेश करना महत्तत्वपर््णू
के अंतरराष्ट्रीय प्रवासियोों मेें के वल 22.5% महिलाएँ थीीं जबकि वैश्विक है। उदाहरण के लिए- भारत मेें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़़ाओ’ अभियान ने
औसत 48% है।
लड़कियोों के नामांकन दर मेें सधु ार करने मेें मदद की है।
z अस््पष्ट वेतन अंतर: शिक्षा, अनभु व और कौशल को ध््ययान मेें रखने के बाद
भी लिंग के आधार पर वेतन अतं र का एक महत्तत्वपर््णू हिस््ससा अस््पष्ट रह जाता समान वेतन सुनिश्चित करना
है, जो व््ययापक भेदभाव का संकेत देता है। z अंतरराष्ट्रीय समन््वय: वर््ष 2030 तक संयक्त ु राष्टट्र सतत विकास लक्षष्य-8
z कलंक और पारिवारिक दबाव: कुछ समदु ायोों मेें, घर से बाहर काम करने
के ‘समान कार््य के लिए समान वेतन’ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए
वाली महिलाओ ं के साथ कलंक जड़ु ़ा हुआ है, विशेष रूप से कुछ नौकरियोों मेें,
जिसके कारण पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण वे काम छोड़ देती हैैं। ठोस कार््रवाई की आवश््यकता है। वार््षषिक जेेंडर गैप रिपोर््ट, 2023 मेें भारत को
146 देशोों मेें से 127वेें स््थथान पर रखा गया है, जबकि पिछले वर््ष यह 135वेें
कार््यस्थल पर यौन उत्पीड़न
स््थथान पर था। लेकिन यह सधु रा हुआ आँकड़़ा (कुल जेेंडर गैप का 64.3%
z अनपु ालन सबं ंधी मद्ु :दे वर््ष 2020 तक लगभग 31% कंपनियाँ कार््यस््थल पर
यौन उत््पपीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) का अनपु ालन करने मेें विफल रही कम होना) भी तत््ककाल हस््तक्षेप की आवश््यकता को दर््शशाता है।
हैैं, जिससे महिलाओ ं की सरु क्षा मेें इसकी प्रभावशीलता मेें बाधा आ रही है। z सवं ैधानिक और कानूनी ढाँचा: समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976;
z यौन उत््पपीड़न की व््ययापकता: POSH अधिनियम के बावजदू राष्ट्रीय क्राइम मातृत््व लाभ अधिनियम, 1961 और कारखाना अधिनियम, 1948 जैसे मौजदू ा
रिकॉर््ड ब््ययूरो के आँकड़ों से पता चलता है कि वर््ष 2021 मेें भारत मेें कार््यस््थल काननू समान वेतन के लिए काननू ी आधार प्रदान करते हैैं। हालाँकि, इन नीतियोों
पर यौन उत््पपीड़न के 28,014 मामले दर््ज किए गए, जो वर््ष 2020 के 22,206 को लागू करना और मजबतू करना महत्तत्वपर््णू है।
मामलोों की तल ु ना मेें 26% की वृद्धि दर््शशाता है।
नीतिगत अकुशलताएँ और कार्यान्वयन अंतराल बिल््डििं ग सपोर््ट सिस्टम
z सहायक सेवाओ ं की कमी: मौजदू ा नीतियोों मेें प्रायः सरु क्षित परिवहन, बाल z बाल देखभाल समाधान: के रल राज््य की सामाजिक सरु क्षा स््ककीम
देखभाल और प्रवास सहायता जैसी महत्तत्वपर््णू सहायक संरचनाओ ं की अनदेखी ‘आंगनवाड़़ी क्रे च योजना’ कामकाजी माताओ ं को किफायती बाल देखभाल
की जाती है, जिससे कौशल कार््यक्रमोों और कार््यबल भागीदारी तक महिलाओ ं सेवाएँ प्रदान करती है, जो एक सफल मॉडल का प्रदर््शन करती है।
की पहुचँ मेें बाधा उत््पन््न होती है।
z प्रवासन को सवि ु धाजनक बनाना: कार््य के अवसर तलाशने वाली महिलाओ ं
z त्रुटिपूर््ण प्राथमिकताएँ: कई राष्ट्रीय नीतियाँ आवश््यक सहायता सेवाओ ं को
प्राथमिकता देने मेें विफल रहती हैैं, जिससे महिलाओ ं को कौशल कार््यक्रमोों से को मार््गदर््शन, नेटवर््कििंग के अवसर और संभावित वित्तीय सहायता प्रदान करके
जड़ु ने और कार््यबल मेें प्रभावी रूप से प्रवेश करने के लिए संघर््ष करना पड़ता है। समर््थन प्रदान करने से सरु क्षित प्रवासन को प्रोत््ससाहित और सविध
ु ाजनक बनाया
जा सकता है।
आगे की राह
सरपंच पति
नीति निर्माण को नया स्वरूप देना
z परिणामोों से परे: महिलाओ ं को सशक्त बनाने के लिए सरु क्षा, करियर मंडु ोना ग्रामीण विकास फाउंडेशन नामक एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा ‘सरपंच-
आकांक्षाओ ं और वांछित अवसरोों के साथ कौशल संरेखण जैसे ‘सक्षम पति’ के मद्ु दे को सर्वोच््च न््ययायालय के ध््ययान मेें लाया गया। इस प्रथा मेें गैर-
कारकोों’ को शामिल करके मापदडों ों को पनु ः उन््ममुख करना महत्तत्वपर््णू है। निर््ववाचित पुरुष रिश््ततेदार पर्दे के पीछे से सत्ता का प्रयोग करते हैैं जबकि निर््ववाचित
z अंतर को कम करना: नीति आयोग की महिला कार््यस््थल कार््य योजना महिला पंचायत नेता सार््वजनिक चेहरा बनकर कार््य करती हैैं। हालाँकि,
(2020) मेें स््ककू ली पाठ्यक्रमोों मेें व््ययावसायिक प्रशिक्षण को एकीकृ त करने और न््ययायालय ने पंचायत प्रणाली के भीतर महिला सशक्तीकरण को कमजोर करने
महिलाओ ं के लिए उच््च रोजगार वृद्धि क्षमता वाले उभरते क्षेत्ररों की ओर कौशल के बारे मेें चिंता को स््ववीकार किया। उसने स््पष्ट किया कि इस मद्ु दे को सीधे
विकास कार््यक्रमोों को लक्षित करने की सिफारिश की गई है। हल करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। बहरहाल, न््ययायालय ने महिला
z चक्रानक्र ु म प्रणाली: न््ययायसंगत प्रतिनिधित््व सनिश् ु चित करने और सत्ता के एप््ललिके शन जैसी पहलोों का उद्देश््य योजना, बजट और निर््णय लेने की प्रक्रियाओ ं
संकेेंद्रण को रोकने के लिए, महिलाओ ं के लिए आरक्षित सीटेें और पद, मेें महिलाओ ं की भागीदारी को सविध ु ाजनक बनाना है।
प्रत््ययेक पंचायत के भीतर विभिन््न निर््ववाचन क्षेत्ररों मेें चक्रानक्र
ु म द्वारा आवंटित ग्राम पंचायत विकास योजना
की जाती हैैं। ग्राम पंचायत विकास योजना दिशा-निर्देश पंचायती राज संस््थथाओ ं मेें महिला
z समावेशी प्रतिनिधित््व: अनुसचि ू त जातियोों और अनुसचि ू त जनजातियोों सशक्तीकरण को बढ़़ावा देने मेें महत्तत्वपूर््ण भमि
ू का निभाते है। प्रमख
ु विशेषताओ ं
के लिए मौजूदा कोटे के अंतर््गत महिलाओ ं के लिए 33% आरक्षण लागू मेें शामिल हैैं:
होता है, जिससे विविध समदु ायोों मेें समावेशी भागीदारी सनिश् ु चित होती है। z सक्रिय भागीदारी: बजट, योजना, कार््ययान््वयन और निगरानी सहित ग्राम
पंचायत पति के पीछे कारण पंचायत विकास योजना प्रक्रिया के विभिन््न चरणोों मेें महिलाओ ं की सक्रिय
भागीदारी को प्रोत््ससाहित करना।
z गहरी जड़ें जमाए बैठी लैैंगिक असमानता:
z महिला सभाएँ: सामान््य ग्राम सभाओ ं से पहले विशेष रूप से महिलाओ ं के
पितृसत्तात््मक मानदड ं : पंचायत पति का आधार पितृसत्तात््मक मानदडों ों लिए बैठकेें (महिला सभाएँ) आयोजित करना ताकि सामदु ायिक चर््चचाओ ं मेें
मेें गहराई से समाया हुआ है, जो परुु ष अधिकार और निर््णय लेने को
उनकी आवाज और भागीदारी को बढ़़ावा दिया जा सके ।
प्राथमिकता देते हैैं। यह महिलाओ ं को घरे लू क्षेत्र तक सीमित कर देता है,
z समावेशी ग्राम सभाएँ: यह सनिश् ु चित करना कि महिला सभाओ ं की सिफारिशोों
जिससे सार््वजनिक मामलोों मेें उनकी पहुचँ और वैधता कम हो जाती है।
और चितं ाओ ं को ग्राम सभाओ ं मेें एकीकृ त किया जाए और तत््पश्चात ग्राम
सामाजिक कलंक: पारंपरिक लैैंगिक भमि ू काएँ प्रायः महिलाओ ं को पचं ायत विकास योजना मेें प्रतिबिंबित किया जाए।
शासन के लिए अयोग््य बनाती हैैं, जिससे सार््वजनिक जीवन मेें उनकी
भागीदारी से जड़ु ़े कलंक को बढ़़ावा मिलता है। आगे की राह
z जागरूकता और सशक्तीकरण का अभाव: z दृष्टिकोण मेें बदलाव: महिलाओ ं की राजनीतिक भागीदारी मेें बाधा डालने
सीमित शिक्षा: शिक्षा तक सीमित पहुच ँ के कारण विशेष रूप से ग्रामीण वाली हानिकारक रूढ़़ियोों और पितृसत्तात््मक मानदडों ों को चनु ौती देने वाले
क्षेत्ररों मेें, महिलाएँ अपने अधिकारोों और स््थथानीय शासन मेें अपनी भागीदारी अभियानोों को बढ़़ावा देना। संयक्त ु राष्टट्र महिला परिषद की ‘HeForShe’
के महत्तत्व से अनभिज्ञ रहती हैैं। अभियान जैसी पहल एक मॉडल के रूप मेें काम कर सकती है।
भे दभावपूर््ण प्रथाएँ: महिलाओ,ं परिवारोों और समद ु ायोों मेें जागरूकता की z मार््गदर््शन और प्रयोजन: सफल परुु ष नेताओ ं को महत्त्वाकांक्षी महिला
कमी भेदभावपर््णू प्रथाओ ं को बढ़़ावा देती है, जो पंचायत पति को स््ववीकार राजनेताओ ं का मार््गदर््शन और प्रयोजन करने के लिए प्रोत््ससाहित करना, उन््हेें
करती हैैं और यहाँ तक कि इसे सामान््य भी बनाती हैैं। मार््गदर््शन और नेटवर््क तक पहुचँ प्रदान करना।
महिलाएँ 41
z समर््थन और जागरूकता: समर््थन के प्रयासोों मेें परुु षोों को शामिल करना, विगत वर्षषों के प्रश्न
उन््हेें लिंग आधारित भेदभाव के विरुद्ध बोलने के लिए प्रोत््ससाहित करना और
पंचायती राज संस््थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए समान अवसरोों को बढ़़ावा देना। 1. एक आयोग के संविधानीकरण के लिए कौन-कौन से चरण आवश््यक
z क्षमता निर््ममाण कार््यक्रम: महिला नेताओ ं की विशिष्ट आवश््यकताओ ं के अनरू ु प है? क््यया आपके विचार मेें राष्ट्रीय महिला आयोग को सांविधानिकता
प्रशिक्षण कार््यक्रम तैयार करना, जिसमेें सार््वजनिक भाषण, नीति विश्ले षण, नेतत्ृ ्व प्रदान करना भारत मेें लैैंगिक न््ययाय एवं सशक्तीकरण और अधिक
कौशल और राजनीतिक प्रक्रियाओ ं को संचालित करने जैसे विषय शामिल होों।
अतं रराष्ट्रीय लोकतंत्र और चनु ाव सहायता संस््थथान (International Institute सुनिश्चित करे गा? कारण बताइए।
for Democracy and Electoral Assistance) द्वारा ‘नेतत्ृ ्व क्षमता को (2020)
उजागर करना’ कार््यक्रम जैसे सफल मॉडल का उपयोग करना। 2. सामाजिक विकास की संभावनाओ ं को बढ़़ाने के क्रम मेें, विशेषकर
निष्कर््ष जराचिकित््ससा एवं मातृ स््ववास््थ््य देखभाल के क्षेत्र मेें सुदृढ़ और
मातृ स््ववास््थ््य सेवा मेें प्रगति ने भारत मेें मृत््ययु दर को कम किया है, लेकिन पर््ययाप्त स््ववास््थ््य देखभाल संबंधी नीतियोों की आवश््यकता है। विवेचन
सामाजिक-आर््थथिक कारकोों, ग्रामीण-शहरी विभाजन और लैैंगिक पूर््ववाग्रह के कीजिए। (2020)
कारण असमानताएँ बनी हुई हैैं। महिलाओ ं को पोषण संबंधी कमियोों और गैर-
संचारी रोगोों के साथ-साथ हिसं ा, भेदभाव और अवैतनिक श्रम जैसे मद्ददों 3. भारत मेें महिलाओ ं के समक्ष समय और स््थथान संबंधित निरंतर
ु से भी
स््ववास््थ््य संबंधी खतरोों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी आर््थथिक भागीदारी चनु ौतियाँ क््यया-क््यया हैैं? (2019)
को सीमित करते हैैं। लैैंगिक असमानता को दरू करने और एक समावेशी समाज 4. “महिला सशक्तीकरण जनसंख््यया संवद्ृ धि को नियंत्रित करने की कंु जी
प्राप्त करने के लिए प्रभावी सरकारी पहलोों का लगातार कार््ययान््वयन, अधिक है।” चर््चचा कीजिए। (2019)
धन और शिक्षा, कानूनी सुधारोों और आर््थथिक सशक्तीकरण पर ध््ययान देने की
आवश््यकता है। 5. “स््थथानीय स््वशासन की संस््थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए सीटोों के
आरक्षण का भारत के राजनीतिक प्रक्रम के पितृतंत्रात््मक अभिलक्षण
प्रमुख शब्दावलियाँ पर एक सीमित प्रभाव पड़़ा है।” टिप््पणी कीजिए।
(2019)
लिंग समानता, महिलाओं को सशक्त बनाना, भारत को सशक्त
बनाना, आर््थथिक सशक्तीकरण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़़ाओ, नए भारत 6. भारत मेें एक मध््यम-वर्गीय कामकाजी महिला की अवस््थथिति को
के लिए नारी शक्ति, महिला नेतृत््व विकास, महिला सशक्तीकरण, पितृतंत्र (पेट्रीआर्की) किस प्रकार प्रभावित करता है?
समानता महिलाओं से शरू ु होती है, महिला उद्यमी, महिलाओं के (2014)
लिए डिजिटल साक्षरता, नारी शक्ति परु स््ककार, नेतृत््वकर््तता, लिंग
समानता, नारीवादी आंदोलन, महिला उद्यमिता, महिला एकता, 7. “महिला संगठनोों को लिंग भेद से मक्त ु करने के लिए पुरुषोों की
लिंग संवेदनशीलता, बेहतरी के लिए संतुलन, कोई लिंग संबंधी सदस््यता को बढ़ावा मिलना चाहिए।” टिप््पणी कीजिए।
अवधारणा नहीीं, कोई बाधा नहीीं। (2013)
z चाइल््डलाइन (1098): यह संकट मेें फंसे बच््चोों के लिए समर््थन और सहायता प्रोत््ससाहन और शिक्षक-प्रशिक्षण और बनु ियादी ढाँचे मेें सधु ार करना।
प्रदान करने वाला एक राष्ट्रीय, टोल-फ्री हेल््पलाइन नंबर है। उदाहरण: ‘सर््व शिक्षा अभियान’ कार््यक्रम ने प्रगति दिखाई है, लेकिन इसमेें
z पेेंसिल (PENCIL) (बाल श्रम न करने हेतु प्रभावी प्रवर््तन के लिए मंच): और विस््ततार और गणव ु त्तापर्ू ्ण शिक्षा पर ध््ययान देने की आवश््यकता है।
बाल श्रम मामलोों पर नजर रखने और बाल अधिकारोों तथा श्रम काननोू ों पर
z बाल श्रम उन््ममूलन:
शिक्षित करने के लिए एक ऑनलाइन पोर््टल।
आँकड़े: 10.1 मिलियन बच््चचे (5-14 वर््ष) (जनगणना 2011) बाल श्रम
z राष्ट्रीय छात्रवत्ृ ति पोर््टल: केें द्र सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन््न छात्रवृत्तियोों
के लिए आवेदन की सवु िधा प्रदान करता है। मेें लगे हुए हैैं, जिससे उनके स््ववास््थ््य और शिक्षा पर असर पड़ रहा है।
z उमंग ऐप: शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल सहित विभिन््न सरकारी सेवाओ ं तक कार््रवाई: मौजद ू ा काननोू ों के कार््ययान््वयन का सशक्तीकरण, परिवारोों के
पहुचँ प्रदान करता है। लिए वैकल््पपिक आजीविका प्रदान करना और बचाए गए बच््चोों के लिए
z सार््थक - कै रियर मार््गदर््शन के लिए राष्ट्रीय पोर््टल: छात्ररों और यवु ाओ ं के पनर््ववा
ु स कार््यक्रमोों मेें निवेश करना।
लिए कै रियर मार््गदर््शन ससं ाधन और उपकरण प्रदान करता है। उदाहरण: ‘राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना’ शिक्षा और व््ययावसायिक प्रशिक्षण
विभिन्न राज्य सरकारोों की पहलेें पर केें द्रित है, जो विस््ततार के लिए एक संभावित मॉडल पेश करती है।
z बाल रक्षक ऐप (कर््ननाटक): उपयोगकर््तताओ ं को बाल यौन हमले और शोषण z कुपोषण से मुकाबला:
की रिपोर््ट करने की अनमति ु देता है। आँकड़े: 5 वर््ष से कम उम्र के 35.5% बच््चचे अविकसित हैैं (NFHS-5,
z शी-बॉक््स ऐप (के रल): महिलाओ ं और बच््चोों को हिसं ा और उत््पपीड़न की 2019-21), जिससे दीर््घकालिक स््ववास््थ््य और विकासात््मक समस््ययाएँ
रिपोर््ट करने के लिए एक मचं प्रदान करता है। पैदा होती हैैं।
z सखु ी वतन ऐप (गुजरात): बच््चोों और किशोरोों के लिए सरकारी योजनाओ ं कार््रवाई: आग ं नबाड़़ियोों और स््ककू ली भोजन के माध््यम से पौष्टिक भोजन
और सेवाओ ं के बारे मेें जानकारी प्रदान करता है। तक पहुचँ का विस््ततार करना, स््तनपान को बढ़़ावा देने के लिए प्रेरित करना
z किशोरी शक्ति योजना (कर््ननाटक): किशोरियोों को जीवन कौशल प्रशिक्षण और माताओ ं को पोषण प्रथाओ ं के बारे मेें शिक्षित करना।
और पोषण सबं ंधी सहायता के माध््यम से सशक्त बनाना।
उदाहरण: ‘पोषण अभियान’ कार््यक्रम का उद्श्दे ्य कुपोषण को दरू करना है,
z ई-बाल सरु क्षा (के रल): बाल यौन शोषण की सीधे पलि ु स को रिपोर््ट करने
और सहायता सेवाओ ं तक पहुचँ ने के लिए एक मोबाइल ऐप। लेकिन इसके लिए पहुचँ और सामदु ायिक भागीदारी बढ़़ाने की आवश््यकता है।
z बाल रक्षा मोबाइल ऐप: बाल रक्षा ऐप को आयर्ु वेद से सबं ंधित सवु िधाओ ं का z बच््चोों की हिंसा और दुर््व््यवहार से रक्षा:
उपयोग करके बाल चिकित््ससा निवारक स््ववास््थ््य देखभाल के बारे मेें माता-पिता आँकड़े: NCRB डेटा यौन अपराध और तस््करी सहित बच््चोों के खिलाफ
के बीच जागरूकता बढ़़ाने के लिए विकसित किया गया है। ऐप उनके बच््चोों अपराधोों मेें वृद्धि को दर््शशाता है।
के स््ववास््थ््य और प्रतिरक्षा मेें सधु ार करने मेें किट की प्रभावशीलता के बारे मेें कार््रवाई: बाल संरक्षण तंत्र को मजबत ू करना, समदु ायोों को दर््व््यव
ु हार
माता-पिता से प्रतिक्रिया एकत्र करे गा।
की रिपोर््ट करने के लिए सशक्त बनाना और पीड़़ितोों के लिए काननी ू और
व्यापक राष्ट् रीय बाल नीति, 2013 मनोवैज्ञानिक सहायता तक पहुचँ मेें सधु ार करना।
z बच््चोों की स््थथिति मेें निरंतर और उभरती चनु ौतियोों का समाधान करने मेें यह उदाहरण: ‘एकीकृ त बाल संरक्षण योजना’ एक रूपरे खा प्रदान करती
नीति अधिकार आधारित दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्धता दोहराती है। है, लेकिन इसके लिए मजबतू कार््ययान््वयन और सामदु ायिक जागरूकता
z इस नीति का मत है कि प्रत््ययेक बच््चचा विशिष्ट है, और वह एक अत््ययंत अभियान की आवश््यकता है।
महत्तत्वपर्ू ्ण राष्ट्रीय संपत्ति है। अतः भेदभाव का कारण बनने वाली स््थथितियोों
z मानसिक स््ववास््थ््य मेें निवेश:
को कम करने या समाप्त करने के लिए विशेष उपायोों और सकारात््मक कार््रवाई
की आवश््यकता है। आँकड़े: सीमित आँकड़े मौजद ू हैैं, लेकिन अध््ययनोों से पता चलता है कि
z उत्तरजीविता, स््ववास््थ््य, पोषण, विकास, शिक्षा, सरु क्षा और भागीदारी प्रत््ययेक बच््चोों मेें चितं ा और अवसाद सहित मानसिक स््ववास््थ््य सबं ंधी समस््ययाएँ
बच््चचे के निर््वविवाद अधिकार हैैं और यही इस नीति की प्रमख ु प्राथमिकताएँ हैैं। बहुत अधिक हैैं।
कार््रवाई: मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं को स््ककू ल प्रणालियोों और प्राथमिक
आगे की राह
स््ववास््थ््य देखभाल मेें एकीकृ त करना, मानसिक स््ववास््थ््य संबंधी चितं ाओ ं
भारत को बाल कल््ययाण से संबंधित कई जटिल चनु ौतियाँ हैैं, जिसमेें बाल
श्रम, कुपोषण, शिक्षा तक पहुचँ की कमी और दर््व््यव की पहचान और प्रबंधन करने के लिए शिक्षकोों और स््ववास््थ््य देखभाल
ु हार तथा शोषण की
संवेदनशीलता शामिल है। इन मद्ददों
ु से निपटने के लिए एक बहु-आयामी पेशवरोे ों का प्रशिक्षण।
दृष्टिकोण की आवश््यकता है जो तत््ककाल जरूरतोों और दीर््घकालिक समाधानोों उदाहरण: ‘मनोदर््पण’ पहल एक प्रारंभिक बिंद ु प्रदान करती है, लेकिन
दोनोों को संबोधित करेें। इसे बढ़़ाने और मौजदू ा प्रणालियोों को एकीकृ त करने की आवश््यकता है।
हो सकती है, जिससे परिवार अपने बच््चोों की शिक्षा का खर््च उठाने मेें सक्षम
विधायी उपाय:
हो सकेें गे और आर््थथिक समस््ययाएँ कम हो सकेें गी।
z बाल श्रम अधिनियम, 1986 खतरनाक उद्योगोों मेें बाल श्रम पर प्रतिबधं लगाता है। z एकीकृत दृष्टिकोण और बच््चोों की भूमिका: बाल श्रम से निपटने के लिए
z बाल श्रम (संशोधन) अधिनियम, 2016 बाल श्रम (14 वर््ष से कम) पर परू ी एकीकृ त रणनीतियोों की आवश््यकता है जो बाल संरक्षण प्रणालियोों को मजबतू
तरह से प्रतिबंध लगाता है और खतरनाक व््यवसायोों मेें किशोरोों (14-18 वर््ष) करेें, निर््धनता और असमानता का निपटान करेें, शिक्षा की पहुचँ और गणव ु त्ता
के नियोजन को प्रतिबंधित करता है। मेें सधु ार करेें और बच््चोों के अधिकारोों के लिए जन समर््थन जटु ाएँ। बाल श्रम
z किशोर न््ययाय अधिनियम, 2000 कामकाजी बच््चोों के लिए देखभाल और को रोकने और प्रतिक्रिया देने मेें भमि ू का निभाने के लिए बच््चोों को सशक्त
सरु क्षा की आवश््यकता मानता है। बनाना आवश््यक है।
z SC/ST (अत््ययाचार निवारण) संशोधन अधिनियम मेें बंधआ ु मजदरू ी और बाल श्रम को समाप्त करना संयुक्त राष्टट्र सतत विकास लक्षष्य 8 (बेहतर कार््य और
बच््चोों के शोषण के लिए कठोर दडं का प्रावधान किया गया है। आर््थथिक विकास) का एक मख्ु ्य पहलू है। सतत विकास लक्षष्य और बाल श्रम पर
प्रयासोों को जोड़ने से इन लक्षष्ययों की दिशा मेें कार््य करने वाले विभिन््न हितधारकोों
नीतिगत हस्तक्षेप:
की क्षमता का लाभ उठाया जा सकता है। बाल श्रम को समाप्त करने के लिए
z मनरेगा (2005): ग्रामीण परिवारोों को गारंटीकृ त रोजगार प्रदान करता है।
व््यक्तिगत कार््रवाई की नहीीं बल््ककि संयुक्त प्रयासोों की जरूरत है।
z शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009: शिक्षा को निःशल्ु ्क और अनिवार््य
बनाता है (6-14 वर््ष)। भारत मेें बाल विवाह:
z मध््ययाह्न भोजन योजना: भोजन के साथ स््ककू ल मेें उपस््थथिति को प्रोत््ससाहित लैैंसेट ग्लोबल हेल्थ का अध्ययन
करता है। अध्ययन के निष्कर््ष
z प्रस््ततावित राष्ट्रीय नीति मेें घरे लू कामगारोों के लिए बच््चोों की श्रमिकता को
z लैैंसेट ग््ललोबल हेल््थ के एक हालिया अध््ययन से पता चलता है कि भारत
संज्ञान मेें लेकर उनके द्वारा की गई शिकायतोों का गंभीरता से निपटान और मेें पाँच मेें से एक लड़की और छह मेें से एक बालक की शादी अभी भी
दोषियोों के खिलाफ कठोर कार््रवाई सनु िश्चित की जाएगी। काननी ू उम्र से कम मेें होती है।
z अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ: बाल श्रम को समाप्त करने की प्रतिबद्धता को z शोधकर््तताओ ं ने अध््ययन को संकलित करने के लिए वर््ष 1993 से 2021 के
प्रदर््शशित करते हुए वर््ष 2017 मेें ILO कन््वेेंशन 138 और 182 की पष्टि ु मध््य पाँच राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षणोों (NFHSs) का विश्लेषण किया।
की गई।
लैैंसेट ग्लोबल हेल्थ - मुख्य विशेषताएँ
z राष्ट्रीय परियोजनाएँ: राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना और पेेंसिल प््ललेटफार््म
बाल श्रमिकोों के पनर््ववा
ु स और बाल श्रम काननोू ों को प्रभावी ढंग से लागू करने z नीति की तात््ककालिकता: शोधकर््तता वर््ष 2030 तक बाल विवाह को समाप्त
की दिशा मेें कार््य करते हैैं। करने के लिए मजबतू राष्ट्रीय और राज््य-स््तरीय नीतियोों की आवश््यकता पर
बल देते हैैं।
z गैर-सरकारी सगं ठनोों के प्रयास: बचपन बचाओ आंदोलन, के यर इडिया ं
और चाइल््ड राइट्स एडं यू (CRY) जैसे संगठन बाल श्रम को समाप्त z क्षेत्रीय असमानताएँ: राज््योों और केें द्र शासित प्रदेशोों मेें बाल विवाह के
करने और बच््चोों के अधिकारोों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से कार््य करते हैैं। प्रचलन मेें महत्तत्वपर्ू ्ण भिन््नता मौजदू है।
z बालिका विवाह मेें गिरावट: मणिपरु को छोड़कर, सभी राज््योों मेें वर््ष 1993
आगे की राह से 2021 तक बालिका विवाह मेें गिरावट देखी गई।
z मूल कारणोों का समाधान करना: बाल तस््करी को समाप्त करना, निर््धनता z उपलब््ध आँकड़े: वर््ष 2021 मेें, लगभग 13.5 मिलियन बालिकाओ ं और
को कम करना, निशल्ु ्क और अनिवार््य शिक्षा सनु िश्चित करना और जीवन 1.45 मिलियन बालकोों की शादी बचपन मेें ही कर दी गई।
स््तर के बनु ियादी मानकोों की स््थथापना से बाल श्रम को काफी हद तक कम z राज््यवार आंकड़े: बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्टट्र से ही
किया जा सकता है। कुल बालिका विवाह का आधे से अधिक हिस््ससा है, जबकि गजु रात, बिहार,
z श्रम कानूनोों का सख््तती से कार््ययान््वयन: पार््टटियोों या बहुराष्ट्रीय कंपनियोों द्वारा पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश मेें बालक के बाल विवाह का 60% से अधिक
शोषण को रोकने के लिए श्रम काननोू ों को सख््तती से लागू करना महत्तत्वपर्ू ्ण है। हिस््ससा है।
शारीरिक लक्षण जैसे पसीना आना, आखे ं ें लाल होना, मतली, उल््टटी, शरीर के लिए शामकोों के वर््तमान उपयोगकर््तता हैैं।
z इनहेलेेंट का उपयोग: 7% बच््चचे और किशोर इनहेलेेंट का उपयोग करते हैैं,
मेें दर््द, उनीींदापन या नीींद न आना एवम् मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे तीव्र चितं ा,
जबकि वयस््कोों मेें यह दर 0.58% है, लगभग 18 लाख बच््चोों को इनहेलेेंट
अवसाद और मडू स््ववििंग (मन परिवर््तन)। साइकोएक््टटिव (मनो-सक्रिय) पदार््थ
उपयोग के लिए सहायता की आवश््यकता होती है।
के उपयोग से आश्रित सिड्ं रोम (Dependence Syndrome) हो सकता z मादक पदार्थथों का इज ं ेक््शन लगाना: अनमु ानतः 8.5 लाख लोग मादक
है - जो व््ययावहारिक, संज्ञानात््मक और शारीरिक घटनाओ ं का एक समहू है, पदार्थथों का इजं ेक््शन लगा रहे हैैं।
जिस कारण सामाजिक अलगाव होता है। z वर््ल््ड ड्रग रिपोर््ट, 2022 के अनस ु ार, भारत वर््ष 2020 मेें जब््त की गई अफीम
संसदीय स्थायी समिति की रिपोर््ट
की मात्रा के मामले मेें चौथे स््थथान पर है, कुल 5.2 टन जब््तती के साथ और
जब््त की गई मॉर््फफिन मात्रा के मामले मेें तीसरे स््थथान पर है (कुल 0.7 टन)।
z हाल ही मेें, समिति ने 'यवु ा व््यक्तियोों के बीच मादक पदार्थथों के दरुु पयोग - z सर्वेक्षण निष््कर््ष : भारत मेें 50 मिलियन से अधिक आबादी नशे की
समस््ययाएँ एवं समाधान' पर एक रिपोर््ट प्रस््ततुत की, जिसमेें सख््त प्रवर््तन, पनर््ववा
ु स आदी हैैं। विभिन््न राज््योों मेें अलग-अलग प्रकार की नशीली दवाएँ प्रचलित हैैं।
और सामदु ायिक भागीदारी पर जोर दिया गया। z आत््महत््यया के मामले : मादक पदार्थथों या शराब की लत के कारण प्रतिदिन
z ससं द सदस््योों ने मादक पदार्थथों के दरुु पयोग को रोकने की तात््ककालिकता पर लगभग 10 आत््महत््ययाएँ होती हैैं, जिनमेें सबसे अधिक मामले महाराष्टट्र,
प्रकाश डाला और यवु ाओ ं के लिए बेहतर प्रवर््तन, पनर््ववा ु स केें द्र और खेल तमिलनाडु और के रल से सामने आते हैैं।
परिसरोों जैसे उपायोों का सझु ाव दिया। भौगोलिक कारक: ‘गोल््डन ट्राइएंगल’ और ‘गोल््डन क्रिसेेंट’ जैसे प्रमख ु
हेरोइन उत््पपादक क्षेत्ररों से भौगोलिक निकटता, नेपाल के कै नबिस ट्रेड (भाँग
समाज के लिए मादक पदार्थथों के निहितार््थ व््ययापार) के साथ-साथ मादक पदार्थथों की तस््करी को बढ़़ावा देती है।
z गंभीर स््ववास््थ््य समस््यया: मादक पदार्थथों का दरुु पयोग न के वल व््यक्तियोों को
बल््ककि उनके परिवारोों, समाजोों और राष्टट्ररों को भी प्रभावित करता है। यह चोरी,
अपराध और हिसं ा जैसे असामाजिक व््यवहार मेें वृद्धि करता है।
z आर््थथिक प्रभाव: यह आतंकवाद और राष्टट्र-विरोधी गतिविधियोों के वित्तपोषण
के लिए उपयोग किए जाने वाले बेहिसाब धन का सृजन करके आर््थथिक विकास
पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
z वैश्विक व््ययापकता: विश्व स््तर पर लगभग 230 मिलियन लोग प्रतिवर््ष अवैध
मादक पदार्थथों का उपयोग करते हैैं, जिनमेें से 2 लाख से अधिक मौतेें अवैध
मादक पदार्थथों के उपयोग के कारण होती हैैं।
तस््करी के मुद्ददों से निपटने के लिए विभिन््न विभिन््न अवैध दवाओं पर प्रतिबंध या जब््तती के लिए
देशोों के साथ 37 समझौता ज्ञापन/समझौते परु स््ककार मेें बढ़ोतरी के साथ नए परु स््ककार दिशा-निर्देश।
नारकोटिक््स के नियंत्रण से संबंधित
नवंबर, 2016 मेें नार्को-समन््वय मादक पदार्थथों की तस््करी से खर्चचों को पूरा करने के लिए ‘राज््योों
केेंद्र (NCORD)। निपटने के लिए भारत की पहल को वित्तीय सहायता’ की योजना को
पनर्
ु जीवन
जब््तती सूचना प्रबंधन मादक पदार्थथों के दुरुपयोग के नियंत्रण के
प्रणाली (SIMS) लिए राष्ट्रीय कोष का निर््ममाण
एक नया सॉफ़्टवेयर जो मादक पदार्थथों से जड़ु ़े अपराधोों और
अपराधियोों का एक संपूर््ण ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा तस््करी का मादक पदार्थथों के नशे की लत के शिकार
(नारकोटिक््स कं ट्रोल ब््ययूरो द्वारा विकासशील) मुकाबला करना दरुु पयोग के खिलाफ लोगोों की पहचान करना,
जनता को शिक्षित करना उनका इलाज करना और
जमीनी स््तर उनका पनर््ववा
ु स करना
मादक पदार्थथों के खतरे के व््ययापक मादक पदार्थथों के दरुु पयोग के पीड़़ितोों मादक पदार्थथों के दरुु पयोग के दष्पु प्रभावोों के
परिप्रेक्षष्य को ध््ययान मेें रखते हुए, सरकार के लिए उपचार, पनर््ववा
ु स और नुकसान मेें बारे मेें जनता, विशेषकर यवु ाओं के बीच अधिक
को दोतरफा रणनीति पर काम करने की कमी के लिए पर््ययाप्त बनु ियादी ढाँचा बनाने जागरूकता प्रसार
की आवश््यकता है
z अंतरराष्ट्रीय सम््ममेलन: भारत तीन सयं ुक्त राष्टट्र दवा सम््ममेलनोों का z सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय: मादक पदार्थथों की माँग
हस््तताक्षरकर््तता है, स््ववापक औषधियोों पर एकल सम््ममेलन (1961), मेें कमी, जागरूकता, शिक्षा और पनर््ववाु स के लिए प्रयासोों का नेतत्ृ ्व करना।
साइकोट्रोपिक औषधि पर अभिसमय, 1971, मादक पदार्थथों और z व््यसनी के लिए एकीकृत पुनर््ववास केें द्र (IRCA) सामाजिक न््ययाय एवं
साइकोट्रोपिक औषधि की तस््करी के विरुद्ध अभिसमय, 1988, जो अधिकारिता मत्रा ं लय द्वारा वित्त पोषित, उपचार और पनर््ववा
ु स सेवाएँ प्रदान
मादक पदार्थथों के दरुु पयोग को नियंत्रित करने के लिए एक काननी ू ढाँचा करता है।
प्रदान करते हैैं। z व््ययापक औषधि सर्वेक्षण: आवधिक सर्वेक्षण मादक पदार्थथों के दरुु पयोग
की स््थथितियोों का आकलन करते हैैं और नीति-निर््ममाण को सचि ू त करते हैैं।
z प्रवर््तन एजेेंसी: मादक पदार्थथों की तस््करी से निपटने और कड़़े दडं लागू
z तकनीकी हस््तक्षेप: NCORD पोर््टल और ई-पोर््टल SIMS जैसे पोर््टलोों का
करने के लिए एक नोडल एजेेंसी के रूप मेें नारकोटिक््स कंट्रोल ब््ययूरो की शभु ारंभ किया गया है जिनका मख्ु ्य उद्देश््य मादक पदार्थथों की जब््तती के डेटा
स््थथापना की गई। नारकोटिक््स कंट्रोल डिवीजन और केें द्रीय उत््पपाद शुल््क को डिजिटलीकृ त करना और नवीनतम तकनीकोों का उपयोग करके मादक
एवं सीमा शुल््क विभाग जैसी अन््य एजेेंसियाँ मादक पदार्थथों के नियंत्रण पदार्थथों के अपराधोों का पता लगाना और रोकना है।
की दिशा मेें काम करती हैैं। z जागरूकता कार््यक्रम: नशा मुक्त भारत अभियान और शैक्षिक पाठ्यक्रम
z राष्ट्रीय कार््य योजना: मादक पदार्थथों की माँग मेें कमी के लिए राष्ट्रीय कार््य मेें मादक पदार्थथों के बारे मेें जागरूकता का एकीकरण।
योजना (NAPDDR) जागरूकता अभियान, सामदु ायिक पहुचँ और उपचार z सीमा सरु क्षा: भारत की सीमाओ ं पर मादक पदार्थथों की तस््करी से निपटने के
पर केें द्रित है। लिए अर्दद्धसैनिक बलोों का सशक्तीकरण।
सबसे कमजोर आबादी तक पहुचँ ने मेें चनु ौतियाँ बनी हुई हैैं। किसी शैक्षणिक संस््थथान मेें नामांकित हैैं। नामांकित न होने वाले यवु ाओ ं का
z कार््यकर््तताओ ं के मुद्दे: आगं नवाड़़ी कार््यकर््तताओ ं को प्रायः अत््यधिक भार, प्रतिशत 14 वर््ष के बच््चोों के लिए 3.9% और 18 वर््ष के बच््चोों के लिए
न््ययूनतम वेतन और अपर््ययाप्त प्रशिक्षण का सामना करना पड़ता है। 32.6% है।
z स्ट्रीम (विधा) का चयन: अधिकांश छात्ररों ने कला/मानविकी (55.7%)
z बुनियादी ढाँचे की कमी: कुछ आगं नवाड़़ी केें द्ररों मेें स््वच््छ जल और
शौचालय जैसी बनु ियादी सवु िधाओ ं का अभाव है, जिससे सेवा की गणव ु त्ता मेें दाखिला लिया, परुु षोों (36.3%) की तल ु ना मेें महिलाओ ं द्वारा विज्ञान,
प्रभावित हो रही है। प्रौद्योगिकी, इजी
ं नियरि ं ग और गणित (28.1%) चनन
ु े की सभं ावना कम है।
सस z व््ययावसायिक प्रशिक्षण की स््थथिति: सर्वेक्षण मेें शामिल के वल 5.6% यव ु ा
z ं ाधनोों की कमी: सीमित सस ं ाधनोों और सभं ावित धन के दुरुपयोग के
कारण योजना को सार््वभौमिक बनाने मेें बाधाओ ं का सामना करना पड़ता है। व््ययावसायिक प्रशिक्षण या सबं ंधित पाठ्यक्रम ले रहे हैैं।
z लक्ष्यीकरण चुनौतियाँ: विश्व बैैंक के अध््ययन के अनसु ार, सबसे गरीब z बुनियादी कौशल और साक्षरता स््तर का आकलन: लगभग 25% यव ु ा
और सबसे कुपोषित लोगोों की तल ु ना मेें अमीर बच््चोों को अधिक लाभ अपनी क्षेत्रीय भाषा मेें मानक II-स््तर का पाठ धाराप्रवाह नहीीं पढ़ सकते हैैं।
हो सकता है। z भाग देने की समस््ययाएँ: 14-18 वर््ष के आधे से अधिक बच््चचे भाग देने वाले
आगे की राह सवालोों (3-अक ं ीय 1-अक ं ीय) की समस््ययाओ ं से जझू ते हैैं, के वल 43.3% ही
उन््हेें सही ढंग से हल करते हैैं।
z समन््वय: ICDS को अन््य कार््यक्रमोों के साथ एकीकृ त करने से इसका
z स््ममार््टफोन दक्षता मेें डिजिटल विभाजन: सर्वेक्षण मेें शामिल लगभग 90%
प्रभाव बढ़ सकता है।
परिवारोों के पास स््ममार््टफोन थे, जिनमेें से लगभग 95% बालक और 90%
z निगरानी और मूल््ययाांकन: सेवा गणव ु त्ता सनु िश्चित करने के लिए निगरानी
बालिकाएँ स््ममार््टफोन के उपयोग मेें कुशल थीीं।
प्रणालियोों को मजबतू करना महत्तत्वपर्ू ्ण है।
z मानव सस ं ाधन विकास: कर््मचारियोों के प्रशिक्षण और बेहतर कामकाजी रिपोर््ट मेें प्रकाशित चुनौतियााँ
परिस््थथितियोों मेें निवेश करना महत्तत्वपर्ू ्ण है। z मूलभूत साक्षरता और सख् ं ्ययात््मक कौशल (FLN) मेें कोई सधा ु र नहीीं:
z बुनियादी ढाँचे का उन््नयन: सेवा वितरण के लिए आगं नवाड़़ी केें द्ररों मेें विद्यार््थथियोों के FLN मेें कोई खास बदलाव नहीीं आया है। वर््ष 2017 मेें,
बनु ियादी सवु िधाएँ सनु िश्चित करना आवश््यक है। 14-18 वर््ष के 76.6% बच््चचे ग्रेड 2-स््तरीय पाठ पढ़ सकते थे, जो वर््ष 2023
z सामुदायिक व््यस््तता: ग्राम सभा जैसे मचों ों का उपयोग जागरूकता बढ़़ा मेें घटकर 73.6% हो गया। आधारभतू गणित के कम स््तर रोजाना की गणनाओ ं
सकता है और समदु ायोों को सशक्त बना सकता है। और व््ययावहारिक स््थथितियोों पर प्रभाव डालते हैैं।
z लक्षित हस््तक्षेप: सबसे कमजोर आबादी तक प्रभावी ढंग से पहुचँ ने के लिए z खराब गुणवत्ता वाला श्रमबल: मल ू भतू अक
ं गणित कौशल मेें कमी देश
केें द्रित रणनीतियोों की आवश््यकता है। की श्रम शक्ति की गणव ु त्ता को प्रभावित करती है।
z पढ़ने और अंकगणित कौशल मेें लैैंगिक असमानता: अक ं गणित और वर््ष से कम उम्र के बच््चचे को गोद ले सकता है।
अग्ं रेजी पढ़ने मेें परुु षोों का महिलाओ ं की तल
ु ना मेें बेहतर प्रदर््शन रहा। समय दत्तक ग्रहण के लिए लिखित पंजीकरण की आवश््यकता होती है
बताने और लंबाई मापने जैसे कार्ययों मेें लैैंगिक असमानता देखी गई है। दत्तक माता-पिता को जैविक माता-पिता की तरह ही समान अधिकार
z डिजिटल कौशल मेें लैैंगिक असमानता: महिलाओ ं की तल ु ना मेें परुु षोों के और जिम््ममेदारियाँ प्रदान करता है।
पास अधिक स््ममार््टफोन हैैं, डिजिटल कार्ययों मेें बालक बालिकाओ ं से बेहतर z किशोर न््ययाय (बच््चोों की देखभाल और सरं क्षण) अधिनियम (JJ
प्रदर््शन कर रहे हैैं। अधिनियम), 2015: अनाथ, परित््यक्त, आत््मसमर््पण करने वाले बच््चोों
आगे की राह और रिश््ततेदारोों के बच््चोों को जोड़ों या एकल माता-पिता द्वारा गोद लेने की
z व््ययावसायिक शिक्षा को पुनः दिशा देना: व््ययावसायिक शिक्षा को राष्ट्रीय अनमति
ु है।
शिक्षा नीति (NEP) मेें उल््ललिखित आकांक्षाओ ं के साथ संरेखित करना। दम््पत्तियोों/एकल माता-पिता को अनाथ, परित््यक्त, या आत््मसमर््पण करने
आकांक्षी व््ययावसायिक प्रशिक्षण के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस््थथानोों (ITI) वाले बच््चोों को गोद लेने की अनमति ु देता है।
और पॉलिटेक््ननिक के साथ सहयोग करना। 18 वर््ष से कम उम्र के किसी भी बच््चचे को गोद लेना संभव है।
z वंचित शिक्षार््थथियोों को सशक्त बनाना: खल ु ी शिक्षा और डिजिटल लाइसेेंस प्राप्त एजेेंसियोों के माध््यम से गोद लेने की आवश््यकता है।
प्रौद्योगिकी के माध््यम से वचि
ं त व््यक्तियोों को जीविकोपार््जन के साथ-साथ दत्तक माता-पिता को जैविक माता-पिता की तरह, समान अधिकार और
अध््ययन करने मेें सक्षम बनाना। जिम््ममेदारियाँ प्रदान करता है।
z अनौपचारिक शिक्षा की आवश््यकता: औपचारिक प्रक्रियाओ ं की परू कता
z मानक नियम (मॉडल रूल) एवं दत्तक ग्रहण नियम, 2017:
हेतु अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना, विशेषकर कृ षि जैसे विषयोों मेें।
दत्तक माता-पिता (आय,ु वैवाहिक स््थथिति, स््ववास््थ््य, वित्त) के लिए पात्रता
z स््ममार््टफोन का उपयोग और शिक्षा के अवसर: सीखने के लिए स््ममार््टफोन
मानदडं निर््धधारित करना।
के उपयोग को प्रोत््ससाहित करना, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्ररों मेें जहाँ इनका व््ययापक
लाइसेेंस प्राप्त एजेेंसियोों (मिलान, अदालत की मज ं रू ी) के माध््यम से दत्तक
रूप से उपयोग किया जा सकता है।
तकनीकी और व््ययावसायिक शिक्षा मेें विवेकपूर््ण सुधार आवश््यक हैैं ताकि ग्रहण का आदेश।
युवाओ ं को उनकी शैक्षिक प्रगति और दैनिक आवश््यकताओ ं के लिए बुनियादी दत्तक माता-पिता और दत्तक बच््चोों के अधिकारोों और जिम््ममेदारियोों को
साक्षरता और अंकगणितीय कौशल निर््ममाण मेें सहायता मिल सके । परिभाषित करना।
गोद लेने की प्रक्रिया की निगरानी और विनियमन के लिए CARA की
भारत मेें दत्तक ग्रहण प्रक्रिया
स््थथापना करना।
z दत्तक ग्रहण: गोद लेने की प्रक्रिया को सव्ु ्यवस््थथित करने और अनाथ और
परित््यक्त बच््चोों के कल््ययाण को सनु िश्चित करने के उद्देश््य से हाल के न््ययायिक संस्थागत संरचना
निर्देशोों और संसदीय समिति की सिफारिशोों के कारण भारत मेें इस ओर ध््ययान z केें द्रीय दत्तक ग्रहण सस ं ाधन प्राधिकरण (CARA): अतं र-देशीय और
दिया जा रहा है। अतं र-राज््ययीय दत्तक ग्रहण को नियंत्रित करता है।
z सप्रीम
ु कोर््ट के एक फै सले (टेें पल ऑफ हीलिंग बनाम यूनियन ऑफ z राज््य दत्तक ग्रहण सस ं ाधन एजेेंसी (SARA): राज््य के भीतर गोद लेने को
इडिया
ं ) मेें कहा है कि गोद लेने के लिए योग््य बच््चोों की पहचान की जाए बढ़़ावा देना और निगरानी करना।
और उन््हेें गोद लेने के लिए तैयार किया जाए। z जिला बाल कल््ययाण समिति (CWC): बच््चोों को गोद लेने के लिए काननी ू
z कार््ममिक, लोक शिकायत, काननू और न््ययाय विभाग से संबंधित संसदीय रूप से स््वतंत्र घोषित करता है।
स््थथायी समिति की एक हालिया रिपोर््ट ने गोद लेने वाले काननोू ों मेें सधु ार की z जिला बाल सरं क्षण इकाई (DCPU): बच््चोों की पहचान करता है और
आवश््यकता पर प्रकाश डाला। उन््हेें बाल देखभाल संस््थथानोों (चाइल््ड के यर इस््टटि
ं ट्यटू / CCI) मेें रखता है।
भारत मेें गोद लेने की प्रक्रिया z विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेेंसी (SAA): बच््चोों को गोद देने मेें सहायता करता है।
दत्तक ग्रहण बच््चचे को जैविक माता-पिता से स््थथायी रूप से अलग कर, दत्तक z अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेेंसी (AFAA): अतं रराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण
माता-पिता को कानूनी अभिभावकत््व प्रदान करना है। प्रक्रिया का समन््वय करता है।
महत्तत्व: बज ु र्ु ्ग व््यक्तियोों के पास मल्ू ्यवान व््यक्तिगत और व््ययावसायिक आयु-समावेशी समाज के निर््ममाण के लिए इन योगदानोों को मान््यता देना
अनभु व होता है। आवश््यक है। जब हम पीढ़़ीगत अंतर को पाटते हैैं, तो सभी को लाभ होता
उदाहरणः उनके अनभ ु वोों को उचित देखभाल और समर््थन के माध््यम से है, जिससे अधिक समृद्ध और सामंजस््यपूर््ण भविष््य की ओर अग्रसर हुआ जा
सामाजिक लाभ के लिए उपयोग किया जा सकता है। सकता है।
z पीढ़़ीगत सबं ंधः भारत मेें वरिष्ठ नागरिकोों
महत्तत्व: बज ु र्ु ्ग, पीढ़़ियोों के बीच महत्तत्वपर््णू कड़़ी के रूप मेें कार््य करते हैैं। के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियााँ
उदाहरण: संयक्त ु परिवारोों मेें दादा-दादी, यवु ा पीढ़़ियोों को मल्ू ्योों और नीति आयोग ने फरवरी, 2024 मेें ‘भारत मेें वरिष्ठ देखभाल सुधारः वरिष्ठ
नैतिकता के हस््तताांतरण मेें महत्तत्वपर््णू भमि ू का निभाते हैैं। देखभाल प्रतिमान की पुनर््क ल््पना’ शीर््षक से एक स््थथिति पत्र जारी किया
z सामाजिक सद्भाव को बढ़़ावा देनाः है, जिसमेें बढ़ती उम्र वाली आबादी के लिए वर््तमान रुझानोों, चनु ौतियोों और
महत्तत्व: बज ु र्ु ्ग, अपनी समृद्ध सांस््ककृतिक विरासत के साथ सामाजिक सधु ारोों पर चर््चचा की गई है।
सद्भाव मेें योगदान करते हैैं। स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ
उदाहरणः उनका ज्ञान असहिष््णणुता, हिस ं ा और घृणा-अपराधोों के खिलाफ z पुरानी बीमारीः बजु र्गु गों मेें प्रायः मानसिक स््ववास््थ््य के मद्दु दों और परु ानी
एक रक्षक के रूप मेें कार््य करता है। बीमारियोों का उच््च प्रसार देखने को मिलता है।
z नैतिक और सामाजिक दायित््ववः z वद्ृ धावस््थथा देखभाल: बढ़ती उम्र वाली आबादी के लिए विशेष देखभाल
महत्तत्व: समाज की जिम््ममेदारी है कि वह अपने बज ु र्गु गों की देखभाल करे । सवि
ु धाओ ं और सेवाओ ं की बढ़ती माँग।
उदाहरणः यह उनके आजीवन योगदान को स््ववीकार करता है और उनके
रुग्णता और अक्षमताएँ
सामाजिक मल्ू ्योों का संरक्षण सनिश् ु चित करता है। z बजु र्गु गों मेें परु ानी बीमारियोों, अक्षमताओ ं और मानसिक स््ववास््थ््य के मद्दु दों का
वरिष्ठ नागरिकोों का समाज मेें योगदान उच््च प्रसार होता है।
वरिष्ठ नागरिक व््यक्तिगत और पेशेवर दोनोों तरह के अनुभवोों के एक समृद्ध भंडार z किफायती स््ववास््थ््य देखभाल और वृद्धावस््थथा मेें चिकित््ससा देखभाल सेवाओ ं
होते हैैं। यहाँ बताया गया है कि वे समाज मेें कै से महत्तत्वपर््णू योगदान देते हैैंः तक पहुचँ मेें कमी स््ववास््थ््य चनु ौतियोों को बढ़़ाती है।
z प्रबंधन और ज्ञान हस््तताांतरण मनोवैज्ञानिक मुद्दे
उनके समृद्ध अनभ ु व पीढ़़ीगत अतं र को समाप्त करते हैैं। z अवसादः वृद्धावस््थथा मेें शक्तिहीनता, हीनभावना और कार््यनिर््ववाहन क्षमता मेें
वे व््यक्तिगत विकास और व््ययावसायिक विकास को बढ़़ावा देते हुए यव ु ा कमी की भावना उत््पन््न हो सकती है।
व््यक्तियोों का मार््गदर््शन कर सकते हैैं। z भावनात््मक हानि : मौखिक या भावनात््मक दर््व््य ु वहार वरिष्ठ नागरिकोों के
z परिवार की स््थथिरता और समर््थन बीच मनोवैज्ञानिक संकट को बढ़़ा देता है।
वरिष्ठ व््यक्ति प्रायः परिवारोों के स््ततंभ होते हैैं, विशेष रूप से बहु-पीढ़़ी के z एकाकीपनः विधवा होने और सेवानिवृत्ति के कारण साहचर््य की हानि या
परिवारोों मेें। कमी होना।
वे सभी सदस््योों के लिए स््थथिरता और कल््ययाण की भावना को बढ़़ावा देते z पहचान का सक ं टः सेवानिवृत्ति के बाद समायोजन की कठिनाइयाँ, जिससे
हुए भावनात््मक और व््ययावहारिक समर््थन प्रदान करते हैैं। अलगाव और उद्देश््यहीनता की भावना पैदा होती है।
करते हुए उन््हेें दरुु पयोग और शोषण से बचाने पर केें द्रित है। वरिष्ठ नागरिकोों के लिए राज््य कार््य योजना (SAPSrC)
z बुजुर्गगों के स््ववास््थ््य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम (1999): वर््ष वरिष्ठ नागरिक कल््ययाण के क्षेत्र मेें भारत सरकार के अन््य मत्रालयो ं ों/विभागोों
1999 मेें शरू ु किया गया बजु र्गु गों के स््ववास््थ््य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम, की पहलोों के साथ समन््वय (CWMSrC)
सरकार की अतं रराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओ,ं विशेष रूप से दिव््ययाांग z मीडिया, वकालत, क्षमता निर््ममाण, अनसु ंधान और अध््ययन, पायलट और
व््यक्तियोों के अधिकारोों पर संयक्त ु राष्टट्र सम््ममेलन (UNCRPD) के तहत एक कोई अन््य परियोजना जिसका उद्देश््य वरिष्ठ नागरिकोों का कल््ययाण है और जो
प्रतिक्रिया है। NISD के माध््यम से NAPSrC (NISDSrC) कवरे ज के अतं र््गत आती है।
अद्वितीय वित्तीय आवश््यकताओ ं को नजरअदं ाज कर देते हैैं, जिससे वे आर््थथिक निर््ममाण करता है।
अवसरोों से और अधिक वंचित हो जाते हैैं। सरक्ष ं कताः अभिभावकोों और दिव््ययाांगजनोों के बीच संयक्त ु निर््णय लेने
इन चनु ौतियोों से निपटने के लिए, सरकार के साथ-साथ सिविल सोसाइटी का प्रावधान करता है।
संगठनोों को समावेशिता को बढ़़ावा देने, दिव््ययाांगता अधिकारोों को लागू करने दड ं ः दिव््ययाांगजनोों के विरुद्ध अपराधोों और अधिनियम के उल््ललंघन के लिए
और भारत मेें दिव््ययाांग व््यक्तियोों के लिए पर््ययाप्त समर््थन प्रणाली प्रदान करने के दडं अधिरोपित करता है।
लिए ठोस प्रयासोों की आवश््यकता है। विशे ष न््ययायालयः अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों (PwD)के
भारत मेें अक्षमता युक्त/दिव्ययांग अधिकारोों के उल््ललंघन के मामलोों को सभं ालने के लिए प्रत््ययेक जिले मेें
व्यक्तियोों (PwDS) के लिए प्रावधान न््ययायालयोों को नामित करता है।
सय ं ुक्त राष्टट्र अक्षमता युक्त/विकलांग व््यक्तियोों के अधिकारोों पर
संवैधानिक ढााँचा कन््वेेंशन (UN - CRPwD) के साथ सरं ेखणः यह प्रक्रिया भारतीय
z प्रस््ततावनाः संविधान की प्रस््ततावना प्रतिष्ठा और अवसर की समानता के काननू को अतं रराष्ट्रीय सम््ममेलन के अनरू ु प लाती है।
साथ सभी के लिए सामाजिक, आर््थथिक और राजनीतिक न््ययाय सनिश् ु चित
करती है। दिव्ययांग व्यक्तियोों के लिए कल्याणकारी कार््यक्रम
z मौलिक अधिकार (अनुच््छछे द 14,15,21,23,32): विभिन््न अनच्ु ्छछेद z अक्षमता युक्त/विकलांग(दिव््ययाांगजन) सशक्तीकरण विभाग : दिव््ययाांगजनोों
दिव््ययाांगजनोों को समानता, गैर-भेदभाव, जीवन, स््वतंत्रता, तस््करी से सरु क्षा के कल््ययाण और सशक्तीकरण के लिए एक अलग दिव््ययाांग मामलोों के विभाग
और काननू ी सहायता के अधिकार की गारंटी देते हैैं। की स््थथापना की गई थी।
z निर्देशक सिद््धाांत (अनुच््छछे द 41): यह अनच्ु ्छछेद राज््य को अक्षमता यक्त ु / z विकलांग व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2006: एक ऐसा वातावरण
विकलांग व््यक्तियोों (PwD) को काम, शिक्षा और सार््वजनिक सहायता प्रदान बनाना जो उनके अधिकारोों की सरु क्षा और समाज मेें पर््णू भागीदारी के लिए
करने का निर्देश देता है। समान अवसर प्रदान कर सके । यह दिव््ययाांगजनोों के अधिकारोों की सरु क्षा और
z सातवीीं अनुसच ू ीः सातवीीं अनसु चू ी राज््य के एक विषय के रूप मेें दिव््ययाांगोों समाज मेें उनके समावेश को सनिश् ु चित करने के लिए विशिष्ट उपायोों और
और बेरोजगारोों की राहत को सचू ीबद्ध करती है। रणनीतियोों की रूपरे खा तैयार करता है।
व््यक्तियोों के अधिकारोों की रक्षा के लिए नए काननू बनाना या मौजदू ा z यह अधिनियम भीख माँगना अपराध बनाता है।
काननोू ों मेें संशोधन करना। z यह दडं के साथ-साथ ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के खिलाफ अपराध निर््धधारित करता है।
भारत मेें धार््ममिक अल्पसंख्यकोों की सामाजिक-आर््थथिक स्थिति (66वेें दौर के राष्ट्रीय प्रतिदर््श सर्वेक्षण (NSS) के आधार पर )
शैक्षिक उपलब््धधि (माध््यमिक एवं ऊपर) निम््न उच््च ईसाई (सर्वोच््च) उपलब््ध नहीीं है
श्रम बल भागीदारी (लिंग अंतर) व््ययापक संकीर््ण ईसाई (न््ययूनतम अंतर) उपलब््ध नहीीं है
आय का मख््य
ु स्रोत (ग्रामीण) स््व-रोज़गार लागू नहीीं सिख (कृ षि) मस््ललि
ु म (ग्रामीण श्रमिक)
आय का मख््य
ु स्रोत (शहरी) स््व-रोज़गार वेतन ईसाई (वेतन) मस््ललि
ु म (स््व-रोज़गार)
औसत मासिक प्रति व््यक्ति व््यय (MPCE) निम््न उच््च सिख (सर्वोच््च) मस््ललि
ु म (सबसे निम््न)
भमि
ू स््ववामित््व (छोटी जोत <0.4 हेक््टटेयर) उच््च निम््न - -
भमि
ू स््ववामित््व (बड़़ी जोत > 4 हेक््टटेयर) निम््न निम््न सिख (सर्वोच््च) उपलब््ध नहीीं है
करने से असमान रूप से पीड़़ित हैैं। लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार राज््य को देता है।
z पहचान की समस््ययााः सामाजिक-सांस््ककृतिक प्रथाओ ं और इतिहास मेें अतं र z अनुच््छछे द 16 (1) और (2): अवसर की समानता
पहचान के मद्दु दों को जन््म देते हैैं, जिससे बहुसंख््यक समदु ाय के साथ समायोजन राज््य के तहत किसी भी कार््ययालय मेें रोजगार या नियक्ति ु से संबंधित मामलोों
करना चनु ौतीपर््णू हो जाता है। मेें नागरिकोों के अवसर की समानता का अधिकार सनिश् ु चित करता है।
z सरु क्षा की समस््ययााः बाकी समाज और विभिन््न पहचानोों के सापेक्ष छोटी z अनुच््छछे द 16 (4): नियुक्तियोों का आरक्षण
संख््यया जीवन, संपत्ति और कल््ययाण के बारे मेें असरु क्षा की भावनाओ ं को यह अनच् ु ्छछेद राज््य को नागरिकोों के किसी भी पिछड़़े वर््ग के पक्ष मेें नियक्तियो ु ों
बढ़़ावा देती है, विशेष रूप से बहुसंख््यक और अल््पसंख््यक समदु ायोों के बीच या पदोों के आरक्षण के लिए प्रावधान करने के लिए अधिकृ त करता है।
तनावपर््णू सबं ंधोों के दौरान। z अनुच््छछे द 25(1): धर््म की स््वतंत्रता
z समानता से सबं ंधित समस््ययााः अल््पसंख््यक समदु ाय भेदभाव के लोगोों को अत ं रात््ममा की स््वतंत्रता और स््वतंत्र रूप से धर््म को मानने,
परिणामस््वरूप अक््सर विकास के अवसरोों से वचं ित हो जाते हैैं, जिससे आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार देता है।
असमानता की भावना पैदा होती है। z अनुच््छछे द 26: धार््ममिक सप्रं दाय का अधिकार
z सांप्रदायिक तनाव और दगों ों की समस््ययााः सांप्रदायिक तनाव और दगें , जो यह अनच् ु ्छछेद धार््ममिक और धर््ममार््थ उद्देश््योों के लिए सस्ं ्थथानोों की स््थथापना और
स््वतंत्रता के बाद से तेजी से प्रचलित हैैं, अल््पसंख््यक हितोों के लिए खतरा हैैं। रखरखाव के लिए प्रत््ययेक धार््ममिक सप्रं दाय के अधिकार को सनिश् ु चित करता है।
z सिविल सेवा और राजनीति मेें प्रतिनिधित््व की कमीः समानता के z अनुच््छछे द 27: अनिवार््यता के विरुद्ध निषेध
लिए संवैधानिक प्रावधानोों के बावजदू अल््पसंख््यक समदु ाय, विशेष रूप से यह अनच् ु ्छछेद किसी भी व््यक्ति को किसी विशेष धर््म के प्रचार के लिए
मसु लमान, सिविल सेवा और राजनीति मेें उपेक्षित महससू करते हैैं। कर देने के लिए बाध््य करने पर रोक लगाता है।
z सरु क्षा प्रदान करने की समस््ययााः अल््पसख््य ं क, विशेष रूप से सांप्रदायिक z अनुच््छछे द 28: धार््ममिक शिक्षा या उपासना मेें उपस््थथिति होने के बारे मेें
हिसं ा के दौरान पलि ु स सरु क्षा की माँग करते हैैं, लेकिन सरकारोों के लिए व््ययापक स््वतंत्रता
सरु क्षा प्रदान करना मश््ककिल
ु और महँगा है। यह अनच् ु ्छछेद लोगोों को धार््ममिक शिक्षा या शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों मेें पजू ा मेें
z समान नागरिक सहि ं ता की शुरूआत से सबं ंधित समस््ययााः समान नागरिक भाग लेने की स््वतंत्रता सनिश् ु चित करता है।
संहिता की शरुु आत को कुछ समदु ायोों के विरोध का सामना करना पड़ता है, z अनुच््छछे द 29 (1): विशिष्ट भाषा या सस्ं ्ककृति के सरक्ष ं ण का अधिकार
जिससे धार््ममिक समदु ायोों के बीच संबंध और तनावपर््णू हो जाते हैैं।
यह अनच् ु ्छछेद नागरिकोों के किसी भी वर््ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि
भारत मेें अल्पसंख्यक महिलाओ ं द्वारा सामना की जाने वाली या संस््ककृति के संरक्षण का अधिकार देता है।
समस्याएँ z अनुच््छछे द 29 (2): प्रवेश का अधिकार
z लैैंगिक असमानता: अल््पसंख््यक महिलाओ ं को लैैंगिक असमानता और यह अनच् ु ्छछेद के वल धर््म, नस््ल, जाति, भाषा या उनमेें से किसी के आधार
अपने समदु ायोों के भीतर विकास की कमी के कारण कई चनु ौतियोों का सामना पर राज््य द्वारा बनाए गए या सहायता प्राप्त किसी भी शैक्षणिक संस््थथान
करना पड़ता है। मेें किसी भी नागरिक को प्रवेश से इनकार करने पर प्रतिबंध लगाता है।
z असरु क््षााः अल््पसंख््यक समदु ाय का हिस््ससा होने और परुु ष प्रधान समाज का z अनुच््छछे द 30 (1): धार््ममिक और भाषाई अल््पसख् ं ्यकोों का अधिकार
सामना करने से अल््पसंख््यक महिलाएँ दर््व््य ु वहार और भेदभाव के प्रति अधिक सभी धार््ममिक और भाषाई अल््पसंख््यकोों को अपनी पसंद के शैक्षणिक
संवेदनशील हो जाती हैैं। संस््थथानोों की स््थथापना और प्रशासन का अधिकार प्रदान करता है।
z विभिन््न पहलुओ ं मेें असमानता: अल््पसंख््यक महिलाओ ं को अपने परुु ष z अनुच््छछे द 30 (2): भेदभाव से स््वतंत्रता
समकक्षषों और बहुसंख््यक समदु ायोों की तल ु ना मेें शिक्षा, रोजगार के अवसरोों, राज््य से सहायता प्राप्त करने मेें भेदभाव से अल््पसख््य ं क-प्रबंधित शैक्षणिक
सरु क्षा और स््ववास््थ््य सेवा मेें असमान व््यवहार का सामना करना पड़ता है। संस््थथानोों की स््वतंत्रता सनिश् ु चित करता है।
z नई रोशनीः अल््पसंख््यक महिलाओ ं का नेतत्ृ ्व विकास। रिपोर््ट मेें इन असमानताओ ं को दरू करने के लिए शिक्षा, रोजगार और
z हमारी धरोहरः भारत मेें अल््पसंख््यक समदु ायोों की विरासत का संरक्षण। स््ववास््थ््य सेवा मेें लक्षित हस््तक्षेपोों की अनश ु सं ा की गई है।
z जियो पारसीः भारत मेें पारसियोों की जनसंख््यया मेें गिरावट को रोकने के इसने मस््ललि ु म बहुल जिलोों मेें निवेश बढ़़ाने, छात्रवृत्ति, कौशल विकास
लिए योजना। कार््यक्रमोों और सरकारी नौकरियोों मेें आरक्षण का आह्वान किया।
z वक््फ प्रबंधन रंगनाथ मिश्रा आयोग
कौमी वक््फ बोर््ड तराकियाती योजनाः अभिलेखोों का कम््प्ययूटरीकरण
वर््ष 2004 मेें स््थथापित रंगनाथ मिश्रा आयोग का उद्देश््य भारत मेें धार््ममिक और
और राज््य वक््फ बोर्डडों का सदृु ढ़़ीकरण।
भाषाई अल््पसंख््यकोों की सामाजिक-आर््थथिक स््थथितियोों मेें सुधार करना था।
शहरी वक््फ सप ं त्ति विकास योजनाः शहरी वक््फ संपत्ति विकास
आयोग ने 21 मई, 2007 को सरकार को रिपोर््ट सौौंपी। यहाँ शैक्षिक और
अनसु ंधान/अध््ययन, निगरानी और विकास योजनाओ ं के मल्ू ्ययाांकन के
लिए वक््फ को अनदु ान-संस््थथानोों को प्रचार समर््थन सहित। आर््थथिक अधिकारोों पर ध््ययान केें द्रित करने वाली प्रमख ु सिफारिशोों का विवरण
दिया गया हैः
z मौलाना आजाद शिक्षा फाउंडेशन (MAEF) को समग्र निधियन।
z अल््पसख् ं ्यक शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों को मजबूत बनानाः
z राष्ट्रीय अल््पसंख््यक विकास और वित्त निगम (NMDFC) को हिस््ससेदारी।
आयोग को सशक्त बनानाः अल््पसख््य ं क शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों के
z राष्ट्रीय अल््पसंख््यक विकास और वित्त निगम की राज््य स््तरीकृ त एजेेंसियोों
को अनदु ान-सहायता योजना। लिए आयोग की संरचना, शक्तियोों और कार्ययों का विस््ततार करना, इसे
अल््पसंख््यक शैक्षिक अधिकारोों को लागू करने के लिए एक मजबतू प्रहरी
अल्पसंख्यकोों की भलाई के लिए समितियााँ के रूप मेें बदलना।
सच्चर समिति z वित्तीय सहायता मेें वद््धििः ृ
सच््चर समिति, जिसे वर््ष 2005 मेें भारत मेें मसु लमानोों की सामाजिक-आर््थथिक राष्ट्रीय समन््वय समितिः अल््पसख््य ं क समदु ायोों के लिए ऋण प्रवाह
और शैक्षिक स््थथिति का आकलन करने के लिए गठित किया गया था, ने सामान््य की निगरानी और सवि ु धा के लिए भारतीय रिजर््व बैैंक की देखरे ख मेें
आबादी की तुलना मेें भारी असमानताओ ं का खल ु ासा किया। समिति ने वर््ष राष्ट्रीयकृ त बैैंकोों और वित्तीय संस््थथानोों के प्रतिनिधियोों को शामिल करते
2006 मेें अपनी रिपोर््ट प्रस््ततुत की। हुए एक राष्ट्रीय स््तर की समन््वय समिति की स््थथापना करना।
मेें वे मख ु रता से अपनी बात रखने मेें सक्षम नहीीं होते हैैं, फलस््वरूप, किसी
घरेलू कामगारोों के प्रकार
भी प्रकार के समर््थन को प्राप्त करने मेें वे विफल रहते हैैं।
z एक घरेलू कामगार पूर््णकालिक या अंशकालिक आधार पर कार््य कर
सूचना क्षेत्र के श्रमिकोों के प्रभाव और असुरक्षाएँ
सकता है।
उन््हेें एक ही परिवार द्वारा या सेवा प्रदाता के माध््यम से या उनके द्वारा
z सामाजिक सरु क्षा की कमीः अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकोों को बहुत कम
नियोजित किया जा सकता है। लाभ प्राप्त होते हैैं, जिससे वे आर््थथिक और राजनीतिक अस््थथिरता के प्रति
संवेदनशील हो जाते हैैं।
हो सकता है कि वे नियोक्ता (लिव-इन कर््मचारी) के घर मेें रह रहे होों या
z आर््थथिक असरु क््षााः आकस््ममिक श्रमिक, कई प्रवासी, कम वेतन, अकुशल
अपने ही घर मेें रह रहे होों।
नौकरियोों के कारण आर््थथिक अस््थथिरता के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैैं।
प्रवासी घरे लू कामगारः एक घरेलू कामगार, जो उस देश मेें काम कर
z सरं चनात््मक नुकसानः सीमित साक्षरता और कौशल शोषण मेें योगदान करते
रहा हो, जिसका वह नागरिक नहीीं है।
हैैं, जो शहरी श्रम बाजारोों मेें भेदभाव से बदतर हो जाता है।
z महिलाओ ं द्वारा उच््च योगदानः विश्व भर मेें 75.6 मिलियन घरेलू कामगारोों
z सरकारी विफलताः शहरी अनौपचारिक श्रमिकोों को वेतन असमानता और
मेें से 76.2% महिलाएँ हैैं, जिसका अर््थ है कि घरेलू कामगारोों का एक-चौथाई लाभकारी रोजगार के अवसरोों की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे
परुु ष हैैं। अनिश्चित परिस््थथितियाँ बनी रहती हैैं।
अनुमानित संख्या भारत मेें घरेलू कामगार z घरेलू कामगारोों पर राष्ट्रीय नीति का मसौदाः केें द्र सरकार द्वारा विचाराधीन,
z 4.8 मिलियन घरेलू कामगार प्रमख ु विशेषताओ ं मेें शामिल हैैंः
z 2.9 मिलियन महिला घरेलू कामगार (ILO के अनसु ार) विधान मेें समावेशः मौजद ू ा श्रम काननोू ों मेें घरेलू कामगारोों को शामिल
z घरेलू काम मेें महिलाओ ं के कुल रोजगार का प्रतिशत: 3.5% करने का प्रस््तताव।
पंजीकरण का अधिकारः श्रमिकोों को पज ं ीकरण का अधिकार दिया
z कामकाजी श्रेणियोों मेें घरेलू कामगारोों की श्रेणीः तीसरी
गया, जिससे लाभोों तक पहुचँ आसान हो गई।
z शहरी क्षेत्ररों मेें काम करने वाले घरेलू कामगारोों का प्रतिशत: 66%
सघो ं ों का गठनः सामहि ू क सौदेबाजी के लिए संघोों और संघोों के गठन के
z पिछले दशक मेें घरेलू कामगारोों की संख््यया मेें वृद््धििः 75%
लिए श्रमिकोों को सशक्त बनाना।
घरेलू कामगारोों के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियााँ न््ययूनतम मजदूरी और सामाजिक सरु क््षााः न््ययूनतम मजदरू ी, सामाजिक
z काम करने की असतं ोषजनक स््थथिति सरु क्षा और दरुु पयोग से सरु क्षा सनिश्
ु चित करना।
न््ययूनतम मजदरू ी और सामाजिक सरु क्षा कवरे ज से इनकार न््ययाय तक पहुच ँ ः विवाद समाधान के लिए अदालतोों और न््ययायाधिकरणोों
शोषण के प्रति सव ं ेदनशीलता, विशेष रूप से नियोक्ताओ ं के घरोों मेें रहने तक पहुचँ प्रदान करना।
वाले श्रमिकोों के लिए नियोक्ता एजेें सियोों का विनियमनः शोषण को रोकने के लिए प््ललेसमेें ट
z कानूनी सरु क्षा अंतराल एजेेंसियोों के निरीक्षण और विनियमन के लिए तंत्र की स््थथापना।
कानन ू ी सरु क्षा के लिए विशिष्ट अधिनियमोों की अनपु स््थथिति घरेलू कामगारोों की सहायता के लिए उपाय
वर््ष 2010 और 2017 से अनम ु ोदन की प्रतीक्षा कर रहे प्रस््ततावित बिल z सवं ैधानिक सरु क््षााः
z कार््ययान््वयन चुनौतियाँ z अनुच््छछे द 23 (मौलिक अधिकार) मानव तस््करी, जबरन श्रम और बेगार
न््ययूनतम मजदूरी अधिनियम जैसे काननो ू ों का अपर््ययाप्त प्रवर््तन को प्रतिबंधित करता है, शोषण के खिलाफ व््यक्तियोों के अधिकारोों की रक्षा
सामाजिक सरु क्षा आदेशोों के अनप ु ालन का अभाव करता है।
को शामिल करने के लिए किया गया, जिससे स््ववास््थ््य समावेशन सनिश् शोषण और दर््व््यु वहार का समाधान करना और एक बाध््यकारी राष्ट्रीय
ु चित
हो सके । नीति ढाँचा स््थथापित करना।
प्रधानमंत्री जन आरोग््य योजना व््ययापक स््ववास््थ््य लाभोों के लिए घरेलू कार््य श्रेणियोों का मानकीकरण और बेहतर डेटा प्रबंधनः न््ययूनतम
कामगारोों को शामिल करती है। मजदरू ी को प्रभावी ढंग से निर््धधारित करने और घरेलू कामगारोों की
डिजिटल पहलः ई-श्रम पोर््टल का लक्षष्य घरेलू कामगारोों सहित 38 करोड़ जनसांख््ययिकी को समझने के लिए प्रवासी कामगारोों पर विश्वसनीय डेटा
असंगठित कामगारोों को पंजीकृ त करना है। संग्रह सनिश्
ु चित करने के लिए विभिन््न घरेलू कामगार श्रेणियोों के लिए
नियोक्ताओ ं के लिए स््ववैच््छछिक सक ं ल््पपः घरेलू कामगारोों के लिए प्रकार और कार््यभार को परिभाषित करना।
उचित कार््य प्रथाओ ं को बढ़़ावा देने के लिए प्रमख ु नियोक्ता सगं ठनोों द्वारा z वरिष्ठ नागरिक: आशा की किरण; सक्रिय बढ़ु ़ापा, जीवंत जीवन; अनभु व
न््ययायसंगत कार््य के लिए नियोक्ता प्रतिज्ञा शरू ु की गई और अपनाई गई। का मल्ू ्य; साझा करने लायक विचार; थ्राइव - एकजटु ता, स््ववास््थ््य,
वैश्विक सहयोग सेवानिवृत्ति, स््वतंत्रता, आवाज का अनभु व; अनग्रु ह - विकास, लचीलापन,
z भारतीय काननू मेें एकीकृ त पालेर्मो प्रोटोकॉल, व््यक्तियोों की तस््करी को वकालत, समदु ाय, सशक्तीकरण; एकाकीपन; लंबे समय तक देखभाल;
परिभाषित करता है और उसका मक ु ाबला करता है। सामाजिक सरु क्षा; मानसिक स््ववास््थ््य; बजु र्गु गों के साथ दर््व््य
ु वहार की
z अतं रराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और यरू ोपीय आयोग का सहयोग मानव रोकथाम; विकलांग व््यक्ति (दिव््ययाांग): विविधता मेें क्षमता; समावेशीकरण;
तस््करी से निपटने के लिए परिचालन संकेतक विकसित करता है। बाधाओ ं को समाप्त करना, आशाओ ं का निर््ममाण करना; सीमाओ ं से परे
z अंतरराष्ट्रीय श्रम सगं ठन (ILO) कन््वेेंशन-29 (1930) जबरन श्रम को शक्ति; सक्षम-पहुचँ , अपनापन, नेतत्ृ ्व, प्रेरणा - समावेशन, नेटवर््क , समर््थन,
परिभाषित करता है। शक्ति, स््वतंत्रता, सम््ममान, समानता, बाधारहित पहुचँ ; सहायक तकनीक;
z अंतरराष्ट्रीय श्रम सगं ठन (ILO) कन््वेेंशन-189 वैश्विक स््तर पर घरेलू समावेश; विकलांगता अधिकार; स््वतंत्र जीवन; विशेष शिक्षा,सिल््वर
कामगारोों के लिए उचित कार््य स््थथितियोों की वकालत करता है। इकॉनमी, स््ववास््थ््य वृद्धता पर अतं रराष्ट्रीय दशक।
आगे की राह z LGBT समदु ाय: विविधता मेें एकता का जश्न मनाना; हर रंग मेें गौरव; प्रेम,
z केें द्रीय श्रम और रोजगार मत्री
ं द्वारा प्रारम््भ, घरेलू कामगारोों (DW) पर अखिल प्रेम है; सभी के लिए समानता; समान: सशक्तीकरण, जीवन की गणु वत्ता,
भारतीय सर्वेक्षण , जिसका उद्देश््य व््ययापक डेटा एकत्र करना है। एकता, स््ववीकृ ति, प्रेम; गौरव: साझेदारी, सम््ममान, समावेश, विविधता,
z घरेलू कामगारोों की सहायता के लिए आगे की राह: समानता; लिंग पहचान, गौरव माह, गौरव परेड।
शिक्षा के साथ-साथ स््ववास््थ््य मानव पँजू ी और आर््थथिक विकास मेें एक मल ू भतू z अनुच््छछे द- 39 (E)- z अनुच््छछे द-243G-अनच्ु ्छछे द-243G
निवेश है। इसका महत्तत्व इस साधारण तथ््य मेें निहित है कि यह एक व््यक्ति और
समग्र रूप से राष्टट्र की उत््पपादकता को कई गुना बढ़़ा देता है। दसू री तरफ तस््ववीर राज््य को श्रमिकोों, परुु षोों, के तहत सार््वजनिक स््ववास््थ््य को
पेश करने के लिए; अच््छछे स््ववास््थ््य के बिना, बच््चचे स््ककू ल जाने मेें असमर््थ हैैं महिलाओ ं और बच््चोों के मजबतू करने के लिए पंचायतोों और
और वयस््क काम पर जाने मेें असमर््थ हैैं। इसलिए दनिया ु भर मेें स््ववास््थ््य और स््ववास््थ््य को सरु क्षित करने नगरपालिकाओ ं को अधिकार देता है।
शिक्षा पर बहुत जोर दिया जा रहा है। का निर्देश देता है। z मौलिक अधिकार- बंधआ ु मक्ु ति
स्वास्थ्य
z अनुच््छछे द- 42- राज््य को मोर््चचा बनाम भारत संघ और अन््य
z उचित गुणवत्ता युक्त समय पर मिलने वाली, स््ववीकार््य और किफायती
स््ववास््थ््य देखभाल प्राप्त करना प्रत््ययेक व््यक्ति का अधिकार है। काम और मातृत््व राहत वाद मेें उच््चतम न््ययायालय ने
z विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन के सविं धान (1946) मेें "प्रत््ययेक मनष्ु ्य के मौलिक की उचित और मानवीय अनच्ु ्छछे द- 21 के तहत स््ववास््थ््य के
अधिकार के रूप मेें स््ववास््थ््य के उच््चतम प्राप््य मानक" की परिकल््पना की स््थथितियाँ निर््ममित करने का अधिकार की व््ययाख््यया की।
गई है। निर्देश देता है। z उच््चतम न््ययायालय का निर््णय-
z सतत विकास लक्षष्य 3 (अच््छछा स््ववास््थ््य और कल््ययाण) का उद्देश््य "सभी
उम्र के लोगोों के लिए स््वस््थ जीवन सनिश् z अनुच््छछे द- 47 - राज््य पंजाब राज््य और अन््य बनाम
ु चित करना और कल््ययाण को बढ़़ावा
देना" है। लोगोों के पोषण स््तर और मोहिदं र सिंह चावला वाद मेें
संवैधानिक प्रावधान जीवन स््तर को बढ़़ाएगा उच््चतम न््ययायालय ने पनु ः पष्ु टि की
भारतीय संविधान भी स््वस््थ नागरिकोों के मल्ू ्य को समझता है और इसलिए तथा सार््वजनिक स््ववास््थ््य मेें कि स््ववास््थ््य का अधिकार जीवन के
इसमेें निम््नलिखित प्रावधान हैैं: सधु ार करे गा। अधिकार के लिए मौलिक है।
मुख्य तथ्य
विश्व मलेरिया रिपोर््ट , 2022
z भारत मेें मलेरिया की प्रगति: z नमूना पंजीकरण प्रणाली (2020) के निष््कर््ष:
भारत मेें वर््ष 2000 से वर््ष 2020 के बीच मलेरिया से होने वाली रुग््णता नवजात मृत््ययु दर, जो वर््ष 2019 मेें प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर 22
मेें 85.34% की कमी और मलेरिया से होने वाली मृत््ययु दर मेें 94% की थी, 2 अकं घटकर वर््ष 2020 मेें प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर 20 हो
कमी देखी गई है।
गई, यह 9.1% की वार््षषिक गिरावट का संकेत देता है।
यह प्रगति मलेरिया के मामलोों मेें उल््ललेखनीय गिरावट का संकेत देती
है, जो सहस्राब््ददी विकास लक्षष्ययों (MDGs) के लक्षष्य 6 के अनरू ु प है। शिशु मृत््ययु दर मेें 2 अको
ं ों की गिरावट देखी गई, जो वर््ष 2019 मेें 30
z क्षेत्रीय सदं र््भ: प्रति 1,000 जीवित जन््म से घटकर वर््ष 2020 मेें 28 प्रति 1,000
WHO के अनस ु ार दक्षिण-पर््वू एशिया क्षेत्र मेें मलेरिया के 83% मामलोों जीवित जन््म हो गई।
मेें भारत का योगदान है। 5 वर््ष से कम उम्र की लड़कियोों की मृत््ययु दर लड़कोों से अधिक है।
z वैश्विक उपलब््धधियाँ: z भारत मेें रोग का बोझ:
श्रीलंका ने वर््ष 2016 मेें मलेरिया-मक्त ु प्रमाणीकरण प्राप्त किया और
2017 मेें, भारत मेें लगभग 9.7 मिलियन मौतेें और 486 मिलियन
अपनी स््थथिति बरकरार रखी।
DALYs (डिसएबिलिटी-अडजस््टटेड लाइफ इयर््स) दर््ज की गई थीीं।
चीन और अल साल््ववाडोर को वर््ष 2021 मेें WHO द्वारा मलेरिया मक्त ु
प्रमाणित किया गया था। राष्ट्रीय DALY के एक-तिहाई से अधिक को संचारी, मातृ,
इस््ललामिक रिपब््ललिक ऑफ ईरान ने वर््ष 2020 मेें लगातार तीन वर्षषों तक प्रसवकालीन और पोषण संबंधी विकारोों के लिए जिम््ममेदार ठहराया
शन्ू ्य स््वदेशी मामले हासिल किए। गया (लैैंसेट रिपोर््ट)।
z मलेरिया के लिए विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन (WHO) की वैश्विक तकनीकी रणनीति वर््ष 1990 के बाद से परू े भारत मेें समग्र रोग भार मेें प्रमख ु गैर-संचारी
2016-2030: रोग समहोू ों का योगदान बढ़ गया है।
विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) ने मलेरिया के उन््ममूलन के लिए 2016- वर््ष 2016 मेें, भारत मेें रोगोों के भार के पाँच प्रमख
ु व््यक्तिगत कारणोों मेें
2030 की ग््ललोबल टेक््ननिकल स्ट्रैटेजी (GTS) को 2021 मेें अपडेट से तीन गैर-संचारी रोग थे।
किया जिसमेें वर््ष 2016 से वर््ष 2020 तक की वैश्विक मलेरिया प्रतिक्रिया वर््ष 2016 मेें भारत के कुल रोग भार मेें घरे लू वायु प्रदषू ण का योगदान
से प्राप्त अतं र्दृष्टियोों को शामिल किया गया। 5% था, जबकि बाहरी वायु प्रदषू ण का योगदान 6% था।
z सीखे गए सबक मेें; रुकी हुई प्रगति को पहचान करना, कोविड-19 महामारी से
निपटना और ‘उच््च भार से उच््च प्रभाव’ वाले दृष्टिकोण को लागू करना शामिल है।
संस््थथागत प्रसव 89% - राज््य झारखडं , बिहार, उत्तर प्रदेश आदि जैसे गरीब राज््योों की तल ु ना मेें
अधिक खर््च करते हैैं।
राष्ट् रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमान, 2018-19 z ढाँचागत चुनौतियाँ:
स्वास्थ्य औ 85
वर््ष 2020 से मातृत््व मृत््ययु दर (MMR) को मौजदू ा स््तर से घटाकर 100
संक्रामक रोग अपर््ययाप्त चिकित््ससा अवसंरचना
तक लाना, नवजात मृत््ययु दर को 16 तक कम करना और वर््ष 2025 तक
कुपोषण स््ववास््थ््य देखभाल जनशक्ति की खामियाँ स््थथिर जन््म दर को "एकल अक ं " तक लाना।
प्रणाली की खामियाँ HIV/एड्स के लिए 90:90:90 का लक्षष्य प्राप्त करना, यानी - 90% HIV
निजी क्षेत्र की
सीमित भूमिका खराब स््वच््छता संक्रमित लोग अपनी HIV स््थथिति जानते हैैं, 90% HIV रोगियोों को
निरंतर एटं ीरेट्रोवायरल थेरेपी प्राप्त होती है और ART प्राप्त करने
z आशा कार््यकर््तताओ ं से सबं ंधित मुद्दे
वाले 90% लोगोों मेें रोगात््मक विषाणु का दमन करना।
नैदानिक उपकरणोों की उपलब््धता का अभाव।
‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ सुनिश्चित करने की योजना
कम संसाधन वाले ग्रामीण क्षेत्ररों मेें काम करने के लिए योग््य चिकित््सकोों
z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन - यह न््ययायसगं त, सस््तती और गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य
की बढ़ती अनिच््छछा। देखभाल सेवाओ ं तक सार््वभौमिक पहुचँ की परिकल््पना करता है, जो लोगोों की
z सेवा वितरण चुनौतियाँ जरूरतोों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी होों। इसके मख्ु ्य घटक - सार््वभौमिक
निम््न गुणवत्ता देखभाल: गलत निदान, स््ववास््थ््य कार््यकर््तताओ ं का कवरे ज, गणु वत्ता मानकोों को प्राप्त करना, देखभाल की निरंतरता और विकेें द्रीकृ त
अपर््ययाप्त प्रशिक्षण, और गलत दवाएँ; प्रचलित निम््न गणु वत्ता देखभाल योजना है।
मेें योगदान करती हैैं। z भारत नवजात शिशु कार््य योजना - देश मेें रोके जा सकने वाली नवजात
पहुच ँ मेें बाधाएँ: सामाजिक और वित्तीय असमानताएँ, विशेष रूप से मृत््ययु दर और मृत जन््मोों को कम करने मेें तेजी लाने के लिए है, जिसका लक्षष्य
वर््ष 2030 तक 'एकल अक ं नवजात मृत््ययु दर (NMR)' तथा 'वर््ष 2030 तक
विकलांगोों, मानसिक रूप से विकलांग और बजु र््गु आबादी के लिए स््ववास््थ््य
एकल अक ं स््थथिर जन््म दर (SBR)' प्राप्त करना है।
सेवाओ ं तक पहुचँ मेें बाधाएँ हैैं।
z प्रधानमंत्री स््ववास््थ््य सरु क्षा योजना (PMSSY) -इस योजना का उद्देश््य देश
z निजी अस््पतालोों का प्रभुत््व: निजी क्षेत्र का नियंत्रण: वित्तीय वर््ष 2020 मेें, के विभिन््न भागोों मेें सस््तती स््ववास््थ््य सविु धाओ ं की उपलब््धता मेें असंतल ु न को
अस््पताल बाजार हिस््ससेदारी का 70% और अस््पताल बिस््तरोों के 63% पर दरू करना है और विशेष रूप से कम सेवा वाले राज््योों मेें गणु वत्तापर््णू चिकित््ससा
निजी क्षेत्र के प्रदाताओ ं का नियंत्रण था। शिक्षा की सवि ु धाओ ं को बढ़़ाना है।
z आउट-ऑफ-पॉके ट व््यय (OOPE): OOPE मेें कमी: 2018-19 के लिए z प्रधानमंत्री स््ववास््थ््य सरु क्षा निधि (PMSSN)
राष्ट्रीय स््ववास््थ््य लेखा अनमु ान मेें आउट-ऑफ-पॉके ट खर््च (OOPE) 2013- एक गैर-समाप््य (नॉन-लैप््ससेबल) आरक्षित कोष है जो सार््वजनिक लेखा
वर््ष करना और कुल प्रजनन दर (TFR) को घटाकर 2.1 तक लाना। साथ वृद्धि से प्रति व््यक्ति जीडीपी मेें 4% की वृद्धि होती है, स््ववास््थ््य मेें निवेश
ही, पाँच वर््ष से कम उम्र के बच््चोों की मृत््ययु दर को वर््ष 2025 तक कम से स््ववास््थ््य कार््यबल के अत््यधिक आवश््यक विस््ततार के माध््यम से, मख्ु ्य
करके 23 तक लाना। रूप से महिलाओ ं के लिए लाखोों नौकरियाँ सृजन होता हैैं।
आगे की राह
सेवाओ ं तक पहुचँ सनिश् ु चित करता है, जो एक स््वस््थ और उत््पपादक समाज
के लिए आधारशिला के रूप मेें कार््य करता है।
पर््वू कालिक प्रयासोों के बावजदू , भारत मेें स््ववास््थ््य क्षेत्र कई चनु ौतियोों का सामना
z मानव अधिकार के रूप मेें स््ववास््थ््य:
कर रहा है, जिससे राष्ट्रीय विकास को बढ़़ावा देने के लिए तत््ककाल समाधान की
के रल का मॉडल: के रल की प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली
आवश््यकता है। राष्ट्रीय विकास मेें स््ववास््थ््य सेवाओ ं की महत्तत्वपूर््ण भमि ू का को
‘स््ववास््थ््य को एक मानव अधिकार’ के रूप मेें सचालि ं त करती है, केें द्ररों
पहचानते हुए, इन चनु ौतियोों से पार पाना आवश््यक है।
और सामदु ायिक स््ववास््थ््य कार््यकर््तताओ ं के एक मजबतू नेटवर््क के माध््यम
z प्रस््ततावित रणनीतियाँ:
से बनिया
ु दी स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करती है।
सार््वजनिक क्षेत्र संबंधी स््ववास््थ््य सेवाओ ं का सदृढ़ ु ीकरण z स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक न््ययायसगं त पहुचँ :
z महँगी और अक््सर दर््ग ु म निजी स््ववास््थ््य सेवाओ ं पर निर््भरता कम करने के लिए तमिलनाडु की पहल: तमिलनाडु प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों और उप-केें द्ररों
सार््वजनिक स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली का विस््ततार तथा सदृु ढ़़ीकरण करना। के साथ स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक समान पहुचँ सनिश् ु चित करता है, जिसमेें
z स््वच््छ जल और स््वच््छता को प्राथमिकता देते हुए सरकारी स््ववास््थ््य व््यय को मफ्ु ्त आवश््यक स््ववास््थ््य सेवाओ ं के लिए "अम््ममा क््ललीनिक" जैसी पहल
सकल घरे लू उत््पपाद के 2.5% तक बढ़़ाना। शामिल है।
कुशल सस ं ाधन उपयोग: इष्टतम संसाधन उपयोग और बेहतर स््ववास््थ््य z निवारक देखभाल और लागत-प्रभावशीलता:
परिणामोों के लिए वित्तीय तथा प्रबंधकीय प्रणालियोों को नया स््वरूप प्रदान दिल््लली का दृष्टिकोण: दिल््लली के ‘मोहल््लला क््ललीनिक’ निवारक
स्वास्थ्य औ 87
स्वास्थ्य से संबंधित हालिया मुद्दे मजबतू हो जाता है, तो उनके बनिया ु दी ढाँचे का लाभ मिसिगं मिडिल मेें
स््ववैच््छछिक योगदान की अनमु ति देने के लिए किया जा सकता है।
नीति आयोग रिपोर््ट : ‘हेल्थ इंश्योरेें स फॉर इंडियाज मिसिंग मिडल’
नीति आयोग ने ‘हेल््थ इश्ं ्ययोरेें स फॉर इडं ियाज मिसिंग मिडल’ शीर््षक से आगे की राह
एक व््ययापक रिपोर््ट जारी की है , जो भारतीय आबादी मेें स््ववास््थ््य बीमा कवरे ज z एकीकृत दृष्टिकोण: अलग-अलग समय पर चरणबद्ध तीन मॉडलोों का
मेें अंतराल को सामने लाती है और इस स््थथिति का समाधान प्रस््ततुत करती है। संयोजन, मिसिंग मिडिल आबादी के लिए कवरे ज सनिश् ु चित कर सकता है।
मिसिंग मिडिल z आउटरीच रणनीति: कृ षि परिवारोों के लिए राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम
z "मिसिगं मिडिल" अवधारणा उन लोगोों के एक समहू को उजागर करती है (NFSA), प्रधानमत्री
ं सरु क्षा बीमा योजना, प्रधानमत्री ं किसान सम््ममान निधि
जिन््हेें गरीब नहीीं माना जाता है, लेकिन फिर भी वह महत्तत्वपर््णू स््ववास््थ््य खर्चचों (PM-KISAN) जैसे सरकारी डेटाबेस को इन परिवारोों से सहमति लेने के
के प्रति सवं ेदनशील हैैं। बाद निजी बीमाकर््तताओ ं के साथ साझा किया जा सकता है। इससे आबादी के
जरूरतमदं वर््ग तक बीमा उत््पपादोों की पहुचँ बढ़़ेगी।
z इस समहू मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें स््वरोजगार वाले व््यक्ति और शहरी क्षेत्ररों मेें विभिन््न
प्रकार के अनौपचारिक, अर््ध-औपचारिक तथा औपचारिक श्रमिक शामिल हैैं। स्वास्थ्य का अधिकार
z गरीबोों को सरकारी सब््ससिडी वाला स््ववास््थ््य बीमा और संपन््न लोगोों को z राजस््थथान सरकार ने स््ववास््थ््य का अधिकार विधेयक पारित किया, जो राज््य
सामाजिक या निजी बीमा के माध््यम से कवरे ज प्राप्त होता है है, लेकिन के प्रत््ययेक निवासियोों को सभी सार््वजनिक स््ववास््थ््य सवि
ु धाओ ं पर निशल्ु ्क
मिसिंग मिडिल वर््ग के पास स््ववास््थ््य के लिए पर््ययाप्त वित्तीय सरु क्षा का अभाव है। सेवाओ ं का लाभ उठाने का अधिकार देता है।
z रिपोर््ट के अनसु ार लगभग 30% आबादी, लगभग 40 करोड़ व््यक्ति, इस स्वास्थ्य का अधिकार क्या है ?
श्रेणी मेें आते हैैं। z स््ववास््थ््य का अधिकार स््ववास््थ््य के उस न््यनयू तम मानक को संदर््भभित करता है
रिपोर््ट संबंधी अन्य निष्कर््ष जिसे प्राप्त करने का प्रत््ययेक मनष्ु ्य हकदार है। इसकी उत््पत्ति वर््ष 1946 मेें हुई
z स््ववास््थ््य पर कम सार््वजनिक व््यय ने सार््वजनिक क्षेत्र मेें स््ववास््थ््य सेवाओ ं की जब स््ववास््थ््य को मानव अधिकार के रूप मेें बढ़़ावा देने के लिए विश्व स््ववास््थ््य
क्षमता और गणु वत्ता को बाधित किया है। संगठन (WHO) की स््थथापना की गई थी।
यह अधिकांश व््यक्तियोों (लगभग दो-तिहाई) को महँगे निजी क्षेत्र मेें इलाज
z स््ववास््थ््य का अधिकार मानव गरिमा का एक मल ू भतू पहलू है, और यह सरकारोों
कराने के लिए प्रेरित करता है। हालाँकि, कम वित्तीय सरु क्षा के कारण जेब का कर््तव््य है कि वह सभी व््यक्तियोों के लिए इस अधिकार की रक्षा करेें तथा
से अधिक व््यय (OOPE) होता है। उन््हेें आगे बढ़़ाएँ, चाहे उनका लिंग, नस््ल, जातीयता, धर््म या सामाजिक-
z कम बीमा अंतर्वेशन: स््ववास््थ््य बीमा की पहुचँ बढ़़ाने के लिए महत्तत्वपर््णू आर््थथिक स््थथिति कुछ भी हो।
चनु ौतियोों को दरू करने की आवश््यकता होगी। उपभोक्ता जागरूकता और z उल््ललेखनीय आंकड़े: भारत मेें प्रति 1,000 लोगोों पर के वल 1.4 बिस््तर, प्रति
विश्वास बढ़़ाने, मानकीकृ त उत््पपाद तथा उपभोक्ता सरं क्षण के लिए विनियमन 1,445 लोगोों पर 1 डॉक््टर और प्रति 1,000 लोगोों पर 1.7 नर्ससें हैैं।
को संशोधित करने एवं संभावित रूप से परिचालन दक्षता मेें सधु ार के लिए 75% से अधिक स््ववास््थ््य देखभाल बनिया ु दी ढाँचा मेट्रो शहरोों मेें केें द्रित
एक मचं प्रदान करने मेें सरकार की महत्तत्वपर््णू भमि
ू का है। है, जिससे बाकी आबादी बनिया ु दी चिकित््ससा सवि ु धाओ ं से वंचित है।
सिफारिशेें ‘स्वास्थ्य के अधिकार ’ के लिए संवैधानिक सुरक्षा
रिपोर््ट मेें देश मेें स््ववास््थ््य बीमा कवरे ज बढ़़ाने के लिए तीन मॉडल की सिफारिश z मौलिक अधिकार: भारत के संविधान का अनच्ु ्छछे द- 21 जीवन और
की गई है: व््यक्तिगत स््वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। स््ववास््थ््य का
z एक बड़़े और विविध जोखिम पूल का निर््ममाण: एक निजी स््ववैच््छछिक अधिकार गरिमापर््णू जीवन मेें अतं र््ननिहित है।
अश ं दायी स््ववास््थ््य बीमा उत््पपाद की सफलता के लिए एक बड़़े और विविध z राज््य के नीति निदेशक तत्तत्व: अनच्ु ्छछे द- 38, 39, 42, 43, और 47
जोखिम पल ू के निर््ममाण की आवश््यकता होती है। ऐसा करने के लिए सरकार स््ववास््थ््य के अधिकार की प्रभावी प्राप्ति सनिश्
ु चित करने के लिए राज््य पर
को सचू ना, शिक्षा, संचार अभियानोों के माध््यम से स््ववास््थ््य बीमा के बारे मेें दायित््व डालते हैैं।
उपभोक्ताओ ं मेें जागरूकता उत््पन््न करनी चाहिए। z परमानंद कटारा बनाम भारत सघं (1989) वाद : उच््चतम न््ययायालय
z एक सश ं ोधित, मानकीकृत स््ववास््थ््य बीमा उत््पपाद विकसित करना: ने निर््णय दिया था कि सरकारी अस््पताल या अन््य किसी भी अस््पताल मेें
मिसिगं मिडिल की सामर््थ््य के अनरू ु प, स््ववास््थ््य बीमा की लागत मेें कमी कार््यरत प्रत््ययेक डॉक््टर का यह पेशवे र दायित््व है कि वह अपनी विशेषज्ञता
लाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए- ‘आरोग््य सज ं ीवनी’ को किफायती के साथ जीवन रक्षा के लिए अपनी सेवाएँ दे।
बनाया जा सकता है।
स्वास्थ्य के अधिकार से संबंधित चुनौतियााँ
z सरकारी सब््ससिडी युक्त स््ववास््थ््य बीमा: इस मॉडल का उपयोग मिसिग ं
मिडिल के उन हिस््सोों के लिए किया जा सकता है जो स््ववैच््छछिक अश z कम स््ववास््थ््य देखभाल खर््च: वित्तीय वर््ष 2023 मेें, भारत सरकार ने स््ववास््थ््य
ं दायी
मॉडल के लिए भगु तान करने की सीमित क्षमता के कारण कवर नहीीं किए गए सेवा के लिए सकल घरे लू उत््पपाद का के वल 2.1% आवंटित किया, जो निम््न
और मध््यम आय वाले देशोों (LMIC) के लिए सकल घरे लू उत््पपाद के औसत
हैैं। मध््यम अवधि मेें, एक बार जब PMJAY का आपर््तति ू -पक्ष और उपयोग
व््यय हिस््ससे जो 5.6% है, से काफी कम है।
अपर््ययाप्त z अगले तीन वर्षषों के भीतर आत््महत््यया के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स््थथापित
स््ववास््थ््य के अधिकार संक्रामक
स््ववास््थ््य करना।
से संबंधित चुनौतियाँ रोगोों का भार
अवसंरचना z ‘मनोरोग बाह्य रोगी विभाग’ स््थथापित करना, जो अगले पाँच वर्षषों के भीतर
लैैंगिक असमानताएँ सभी जिलोों मेें जिला मानसिक स््ववास््थ््य कार््यक्रम के माध््यम से आत््महत््यया
रोकथाम सेवाएँ प्रदान करे गा।
z सक्रा
ं मक रोगोों का भार: फ्रंटियर््स इन पब््ललिक हेल््थ की रिपोर््ट के अनसु ार,
भारत मेें 33% से अधिक व््यक्ति अभी भी संक्रामक रोगोों से पीड़़ित हैैं, जिसमेें z अगले आठ वर्षषों के भीतर सभी शैक्षणिक संस््थथानोों मेें मानसिक कल््ययाण
आतं रिक रोगी को देखभाल के लिए प्रति व््यक्ति अपनी जेब से 7.28 रुपए और पाठ्यक्रम को एकीकृ त करना।
बाह्य रोगी को देखभाल के लिए 29.38 रुपए खर््च करने पड़ते हैैं। z आत््महत््ययाओ ं की जिम््ममेदार मीडिया रिपोर््टििंग के लिए दिशानिर्देश विकसित
z अपर््ययाप्त स््ववास््थ््य अवसरं चना: भारत मेें स््ववास््थ््य सेवा अवसंरचना की कमी करना, और
है, प्रति 1000 लोगोों पर के वल 1.4 बिस््तर हैैं और 75% से अधिक सवि ु धाएँ z आत््महत््यया के साधनोों तक पहुच ँ को प्रतिबंधित करना।
महानगरीय क्षेत्ररों मेें केें द्रित हैैं, जहाँ के वल 27% आबादी रहती है, 73%
यह नीति वैश्विक रणनीति के अनुरूप है: संयुक्त राष्टट्र के सतत विकास लक्षष्य
आबादी के पास पर््ययाप्त चिकित््ससा सवि ु धाओ ं का अभाव हैैं।
(SDG) 3.4 का उद्देश््य रोकथाम और उपचार के माध््यम से गैर-संचारी रोगोों से
z लैैंगिक असमानताएँ: भारत मेें महिलाओ ं को महत्तत्वपर््णू स््ववास््थ््य असमानताओ ं
होने वाली असामयिक मृत््ययु दर को एक तिहाई तक कम करना तथा मानसिक
का सामना करना पड़ता है, जिसमेें सीमित स््ववास््थ््य देखभाल पहुचँ , उच््च मातृ
मृत््ययु दर और लिंग आधारित हिसं ा शामिल है। विश्व आर््थथिक मचं 2021 के स््ववास््थ््य एवं कल््ययाण को बढ़़ावा देना है।
अनसु ार, भारत लगातार महिला स््ववास््थ््य और अस््ततित््व के लिए पाँच सबसे सरकारी पहल
खराब देशोों मेें शमु ार है। z राष्ट्रीय मानसिक स््ववास््थ््य कार््यक्रम (NMHP), 1982 को निकट भविष््य
आगे की राह मेें सभी के लिए, विशेष रूप से आबादी के सबसे कमजोर और वंचित वर्गगों के
z स््ववास््थ््य व््यय बढ़़ाना: राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति (NHP) 2017 मेें उल््ललिखित लिए न््यनयू तम मानसिक स््ववास््थ््य देखभाल की उपलब््धता तथा पहुचँ सनिश् ु चित
स््ववास््थ््य देखभाल व््यय को 2.5% तक बढ़़ाने के लक्षष्य के साथ स््ववास््थ््य करने के लिए शरू ु किया गया था।
सवि ु धाओ ं के भीतर बनिया ु दी ढाँचे को मजबतू करना है। मानसिक स््ववास््थ््य देखभाल कार््यक्रम- देश मेें मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं
z प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों का सशक्तीकरण : यह मानते हुए कि किसी व््यक्ति को मजबतू करने के लिए एवं मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए
की जीवन भर की 80-90% स््ववास््थ््य आवश््यकताएँ प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों समदु ाय के सदस््योों को प्रशिक्षण देना। मानसिक स््ववास््थ््य की दिशा मेें
द्वारा परू ी की जा सकती हैैं, इन सवि ु धाओ ं को सदृु ढ़ करने की आवश््यकता है। समदु ाय/इलाके हेतु एक स््थथायी नेटवर््क विकसित करने के लिए सरकार
z प्रभावी नीति कार््ययान््वयन: स््ववास््थ््य देखभाल से सबं ंधित मौजदू ा नीतियोों और के साथ सहयोग एक महत्तत्वपर््णू मद्ु दा होगा।
विनियमोों का उचित कार््ययान््वयन तथा जागरूकता सनिश् ु चित करना महत्तत्वपर््णू है।
z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति, 2017: इस नीति के अतं र््गत निम््नलिखित क्षेत्ररों मेें
z अन््य देशोों से सीखना: भारत सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज (UHC) की दिशा
मेें आगे बढ़ने के लिए थाईलैैंड जैसे विकासशील देशोों से महत्तत्वपर््णू जानकारियाँ कार््यवाही की जाएगी:
प्राप्त कर सकता है। सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज (UHC) मेें तीन प्रमख ु तत्तत्व सार््वजनिक वित्तपोषण के माध््यम से विशेषज्ञञों का सृजन बढ़़ाना और
शामिल हैैं: जनसंख््यया कवरे ज, रोग कवरे ज और लागत कवरे ज। सार््वजनिक प्रणालियोों मेें काम करने के इच््छछुक लोगोों को प्राथमिकता देने
के लिए विशेष नियम विकसित करना।
राष्ट् रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति
प्राथमिक स््तर की सवि ु धाओ ं पर मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं को मजबतू
z स््ववास््थ््य और परिवार कल््ययाण मत्रा
ं लय ने राष्ट्रीय आत््महत््यया रोकथाम रणनीति
की घोषणा की है जो देश मेें अपनी तरह की पहली रणनीति है। करने हेतु मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए समदु ाय
z आत््महत््यया रोकथाम नीति, वर््ष 2030 तक आत््महत््यया मृत््ययु दर मेें 10% के सदस््योों का नेटवर््क निर््ममाण।
की कमी लाने के लिए समयबद्ध कार््य योजनाओ ं और बहु-क्षेत्रीय सहयोग ऐसे संदर््भ मेें डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना जहाँ योग््य मनोचिकित््सकोों
स्वास्थ्य औ 89
z मनोदर््पण पहल की शरुु आत छात्ररों को उनके मानसिक स््ववास््थ््य और कल््ययाण z उभरती बीमारियोों का शीघ्र पता लगाना:
के लिए मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए आत््मनिर््भर उभरती बीमारियोों का पता लगाने की गति मेें सध ु ार करने और सार््वजनिक
भारत अभियान के तहत की गई थी। स््ववास््थ््य आपातकालीन प्रतिक्रिया तथा पनु र्प्राप्ति क्षमताओ ं को बढ़़ाने की
z किरण हेल््पलाइन को शीघ्र जाँच, प्राथमिक चिकित््ससा, मनोवैज्ञानिक सहायता, तत््ककाल आवश््यकता है।
सकं ट प्रबंधन, मानसिक कल््ययाण और मनोवैज्ञानिक सक ं ट प्रबंधन प्रदान करने हालाँकि, यह लक्षष्य नई विश्लेषणात््मक चन ु ौतियाँ पेश करते हैैं।
के उद्देश््य से शरू
ु किया गया था तथा इसका प्रबंधन विकलांग व््यक्तियोों के z अपर््ययाप्त कंप््ययूटिंग सस
ं ाधन:
सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) द्वारा किया जाएगा। डेटा स्रोतोों की बढ़ती संख््यया और विश्लेषण के लिए डेटा की बढ़ती मात्रा
विज़न 2035: भारत मेें सार््वजनिक स्वास्थ्य निगरानी पर राजनीतिक, नीति, तकनीकी तथा प्रबंधकीय नेतत्ृ ्व शामिल हो।
z व््ययापक रोग श्रेणियोों की पहचान करना जिन््हेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी
z यह नीति आयोग द्वारा जारी एक श्वेत पत्र है, जिसकी परिकल््पना भारत
के अतं र््गत शामिल किया जाएगा।
मेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी को बढ़़ावा देने और इस क्षेत्र मेें भारत को
z गै र-सचा ं री रोगोों और स््थथितियोों की चरणबद्ध तरीके से निगरानी बढ़़ाना।
एक वैश्विक नेता के रूप मेें स््थथापित करने के लिए एक दृष्टिकोण पत्र के रूप
z उन बीमारियोों को नियमित रूप से प्राथमिकता देना, जिन््हेें सार््वजनिक
मेें की गई है।
स््ववास््थ््य समस््यया के रूप मेें उन््ममूलन के लिए लक्षित किया जा सकता है।
z इसमेें त्रिस््तरीय सार््वजनिक स््ववास््थ््य प्रणाली को आयष््ममा
ु न भारत मेें एकीकृ त
z सभी स््तरोों राष्ट्रीय, राज््य, जिला और ब््ललॉक पर निगरानी के लिए मुख््य
करने की परिकल््पना की गई है।
समर््थन कार्ययों, प्रमुख कार्ययों तथा तंत्र की विशेषताओ ं मेें सध ु ार करना।
z यह ‘व््यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक स््ववास््थ््य रिकॉर््ड’ को निगरानी का आधार बनाकर z कार््रवाई के लिए डेटा साझाकरण, डेटा अधिकृत करने , विश्लेषण और
निगरानी को मख्ु ्यधारा मेें लाने का सझु ाव देकर योगदान देता है। प्रसार को सव्ु ्यवस््थथित करने के लिए तंत्र की स््थथापना।
सार््वजनिक स्वास्थ्य निगरानी का लाभ z निगरानी गतिविधि मेें हर कदम पर नवाचारोों को प्रोत््ससाहित करना।
स्वास्थ्य औ 91
z स््ववास््थ््य और सामाजिक-आर््थथिक लाभ: WASH सेवाओ ं तक पहुचँ आगे की राह
बढ़़ाने से बेहतर स््ववास््थ््य, जीवन प्रत््ययाशा मेें वृद्धि , छात्ररों की बेहतर शिक्षा और
z परिवर््तन की आवश््यकता: पीने के पानी की गणु वत्ता और आपर््तति ू तथा
लैैंगिक समानता को बढ़़ावा देना शामिल है। यह बीमारियोों व गरीबी को कम
विशेष रूप से स््वच््छता के लिए जोखिम मल्ू ्ययााँकन मेें दीर््घकालिक जलवायु
करने और सामाजिक-आर््थथिक विकास को बढ़़ावा देने मेें सहायक हो सकता है।
परिवर््तन संबंधी विचारोों को शामिल करना अक््सर नजरअदं ाज कर दिया जाता
z बाल मृत््ययु दर पर प्रभाव: अपर््ययाप्त स््वच््छता के कारण प्रतिवर््ष लगभग
है, लेकिन यह तीव्रता से आवश््यक हो जाएगा।
700,000 बच््चोों की मौत हो जाती है, इसका मख्ु ्य कारण विकासशील
देशोों मेें डायरिया का होना है। WASH से संबंधित मद्ददों z सतत विकास लक्षष्ययों (SDG) की उपलब््धधि: लक्षष्य 3 (अच््छछा स््ववास््थ््य और
ु के कारण होने वाली
बीमारी का बोझ वैश्विक मौतोों का 3.3% है। कल््ययाण), लक्षष्य 6 (सभी के लिए स््वच््छ पानी और स््वच््छता) और लक्षष्य 16
(शांतिपर््णू और समावेशी समाज की अभिवृद्धि)
z दीर््घकालिक प्रभाव: दीर््घकालिक डायरिया लंबे समय तक बच््चोों के
शारीरिक और संज्ञानात््मक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। z सभी स््तरोों पर अतं र-क्षेत्रीय और विभिन््न कार््यक्रमोों के सहयोग को मजबतू
करना
z लैैंगिक न््ययाय: WASH सवि ु धाओ ं तक अपर््ययाप्त पहुचँ छात्ररों, विशेषकर
लड़कियोों को स््ककू ल जाने से रोकती है, जिससे उनकी शैक्षिक उपलब््धधियोों आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार््यकर्ता ) कार््यकर्ता
और भविष््य की कार््य उत््पपादकता पर असर पड़ता है। इसके विपरीत, WASH
जानकारी
सविु धाओ ं तक बेहतर पहुचँ लैैंगिक समानता और न््ययाय को बढ़़ावा देती है।
z आशा कार््यकर््तता समदु ाय के भीतर ऐसी स््वयंसेविकाएँ हैैं जिन््हेें लोगोों को सरकार
z कोविड-19 प्रबंधन मेें भूमिका: जल कोविड-19 के प्रबंधन मेें एक केें द्रीय
की विभिन््न स््ववास््थ््य देखभाल योजनाओ ं के लाभोों तक पहुचँ की जानकारी
भमि ू का निभाता है, निवारक उपाय के रूप मेें बार-बार हाथ धोने की सलाह
प्रदान करने और सहायता करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
दी जाती है और सक्र ं मण से उबरने के लिए जल का सेवन आवश््यक है।
z आशा मख्ु ्य रूप से समदु ाय के भीतर 25 से 45 वर््ष की आयु के बीच की
वॉश (WASH) को बढ़़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ विवाहित, विधवा या तलाकशदु ा महिलाएँ हैैं।
z स््वच््छ भारत मिशन (SBM) - इस कार््यक्रम की शरुु आत खल ु े मेें शौच को z WHO ने, समदु ाय को सरकार के स््ववास््थ््य कार््यक्रमोों से जोड़ने के उनके प्रयासोों
समाप्त करने और ठोस अपशिष्ट प्रबधं न मेें सधु ार के लिए वर््ष 2014 मेें की गई थी। के लिए भारत की 10.4 लाख आशा कार््यकर््तताओ ं को ‘ग््ललोबल हेल््थ लीडर'
सरकार ने वर््ष 2014 से वर््ष 2019 के बीच लगभग 110 मिलियन के रूप मेें मान््यता दी है।
शौचालयोों के निर््ममाण के लिए सब््ससिडी प्रदान की है।
आशा कार््यकर्ताओ ं की भूमिका
SBM ने शौचालय की पहुच ँ और उपयोग के संबंध मेें लाखोों लोगोों के
व््यवहार को परिवर््ततित किया है। z ये हाशिये पर रहने वाले समदु ायोों को प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों, उप-केें द्ररों और
जिला अस््पतालोों जैसी सवि ु धाओ ं से जोड़ने वाले सेतु के रूप मेें कार््य करती हैैं।
वर््ष 2014 के बाद से 50 करोड़ लोगोों ने खल ु े मेें शौच करना बदं कर दिया है।
z राष्ट्रीय ग्रामीण स््ववास््थ््य मिशन (NRHM) के तहत इन सामदु ायिक स््ववास््थ््य
z AMRUT - इसे वर््ष 2015 मेें बनिया ु दी ढाँचे की स््थथापना के उद्देश््य हेतु शरू
ु
स््वयंसेवकोों की भमि ू का पहली बार वर््ष 2005 मेें स््थथापित की गई थी।
किया गया था, जिससे शहरी परिवर््तन के लिए पर््ययाप्त मजबतू सीवेज नेटवर््क
और पानी की आपर््तति ू सनिश्
ु चित कर सके । z इसका उद्देश््य पहाड़़ी, आदिवासी या अन््य कम आबादी वाले क्षेत्ररों मेें प्रत््ययेक
1,000 व््यक्तियोों या प्रति बस््तती के लिए एक आशा कार््यकर््तता की नियक्ु ति
z जल जीवन मिशन - JJM की परिकल््पना वर््ष 2024 तक ग्रामीण भारत के
सभी घरोों मेें व््यक्तिगत घरे लू नल कनेक््शन के माध््यम से सरु क्षित और पर््ययाप्त करना है। आशा कार््यकर््तताओ ं को बच््चोों का टीकाकरण सनिश् ु चित करने और
पेयजल उपलब््ध कराने की गई है। प्रेरित करने का भी काम सौौंपा गया है।
वॉश (WASH) हासिल करने मेें चुनौतियााँ आशा कार््यकर्ताओ ं के समक्ष चुनौतियााँ
z बुनियादी ढाँचा: शहरी क्षेत्ररों मेें प्रवास से घनी आबादी वाले निर््धन समहोू ों z आशा कार््यकर््तताओ ं के साथ डॉक््टरोों जैसा व््यवहार नहीीं किया गया,इस तथ््य
का निर््ममाण होता है, जो स््वच््छता बनिया ु दी ढाँचे के विकास के लिए एक के बावजदू कि दोनोों महामारी के खिलाफ लड़़ाई मेें अग्रिम पंक्ति मेें हैैं।
चनु ौती उत््पन््न करता है। z आशा कार््यकर््तताओ ं को पर््ययाप्त PPE किट की आपर््तति
ू नहीीं की गई, जबकि वे
z शहरी मलिन बस््ततियाँ: अपर््ययाप्त आपर््तति ू , माँग सीमाएँ और संस््थथागत बाधाएँ संपर््क अनरु े खण का कार््य करती हैैं तथा समदु ाय मेें नए संक्रमित मामलोों के
निर््धन समदु ायोों की,विशेषकर शहरी मलिन बस््ततियोों मेें, पर््ययाप्त शहरी सेवाओ ं साथ सपं र््क मेें रहती हैैं।
तक पहुचँ मेें बाधा डालती हैैं। इससे उनके और उनके परिवारोों के लिए एक बड़़ा खतरा पैदा हो गया
z जल वितरण के मुद्दे: विश्व स््ववास््थ््य संगठन की रिपोर््ट है कि विकासशील है, जिसके परिणामस््वरूप उच््च जोखिम वाले कोविड -19 संपर््क होने के
देशोों मेें वितरण लाइनोों मेें 25%-45% पानी रिसाव के कारण नष्ट हो जाता है। कारण समदु ाय द्वारा कलंकित तथा भेदभाव किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, पीने योग््य जल लाइनोों मेें अपशिष्ट जल के क्रॉस-सदं षू ण के इससे आशा कार््यकर््तताओ ं और उनके परिवारोों के खिलाफ हिस ं ा के कई
परिणामस््वरूप बीमारी का गंभीर प्रकोप हुआ है। मामले भी सामने आए हैैं।
z जलवायु परिवर््तन: जलवायु परिवर््तन WASH प्रणालियोों के लिए जोखिमोों z उन््हेें प्राथमिक या निःशल्ु ्क परीक्षणोों तक भी पहुचँ नहीीं थी। यदि उनका
को बढ़़ा देता है, विशेष रूप से गरीब और विकासशील क्षेत्ररों मेें जहाँ सरु क्षित कोविड-19 परीक्षण सकारात््मक आया, तो उन््हेें उनके उपचार के लिए सहायता
रूप से प्रबंधित बनिया
ु दी स््वच््छता तक पहुचँ का अभाव है। नहीीं मिल रही थी।
वैश्विक स््ववास््थ््य जोखिमोों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। निधियोों का कम उपयोग।
z सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज प्राप्त करने मेें बाधाएँ: दवा की गण ु वत्ता को लेकर चितं ाएँ।
अतीत मेें व््ययापक निवारक देखभाल और प्राथमिक देखभाल पर अपर््ययाप्त अस््पताल निर््ममाण मेें ढाँचागत देरी।
सरकार प्रायोजित बीमा योजनाओ ं की बहुलता के परिणामस््वरूप जोखिम कुछ राज््योों/केें द्रशासित प्रदेशोों मेें आयष
ु विभागोों की अपर््ययाप्त स््थथापना।
पलू का विखडं न हुआ। सोवा रिग््पपा का NAM मेें शामिल न होना।
स्वास्थ्य औ 93
z सध
ु ार के लिए सिफारिशेें: इसके प्रमुख उद्देश्ययों मेें शामिल हैैं:
गण ु वत्ता नियंत्रण और मानकीकरण को बढ़़ाना। z दृष्टि सधु ार मेें प्रगति का आकलन करने के लिए चश््ममा प्राप्त करने वाले व््यक्तियोों
अनस ु ंधान और साक्षष्य-आधारित प्रथाओ ं को बढ़़ावा देना। की संख््यया पर नज़र रखना।
आयष ु और एलोपैथिक स््ववास््थ््य देखभाल के बीच एकीकरण अतं र को z भारत के संदर््भ मेें, जहाँ 100 मिलियन से अधिक लोगोों को आवश््यक रूप से
पाटना। आँखोों की देखभाल और चश््ममे तक पहुचँ की कमी है, SPECS 2030 पहल
विशिष्ट कार््य योजनाओ ं के माध््यम से होने वाली देरी को कम करना। से सकारात््मक प्रभाव उत््पन््न होने की उम््ममीद है।
जागरूकता अभियानोों और जिम््ममेदार विज्ञापन के माध््यम से उपभोक्ता
अन्य तथ्य
विश्वास तथा समर््थन को बढ़़ावा देना।
z यह पहल विभिन््न दृष्टिगत स््थथितियोों को ठीक करने के महत्तत्व पर प्रकाश
z भविष््य की रणनीतियाँ:
डालती है:
आयर्वेदि ु क स््ववास््थ््य और कल््ययाण केें द्ररों (AHWC) के लिए विशिष्ट कार््य मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) को अवतल लेेंस से ठीक किया जा सकता है।
योजनाएँ।
हाइपरमेट्रोपिया (दरू दृष्टि दोष) को उत्तल लेेंस से ठीक किया जा सकता है।
कर््मचारियोों के लिए प्रशिक्षण कार््यक्रम।
प्रेस््बबायोपिया (जरा दृष्टि दोष), उम्र से सबं ंधित निकट ध््ययान केें द्रित करने की क्षमता
राज््योों के लिए वित्तीय प्रोत््ससाहन।
की हानि, सधु ार के लिए आमतौर पर बाइफोकल लेेंस की आवश््यकता होती है।
प्रक्रिया को सव्ु ्यवस््थथित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
पोषण
डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल
(Global Initiative on Digital Health-GIDH) पोषण उद्देश्य:
z वर््ष 2022-23 तक, पोषण अभियान के तहत वर््ष 2015-16 की आधार रे खा
z हाल ही मेें, विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) और G20 की भारत की अध््यक्षता
(NFHS-4) की तल ु ना मेें निम््नलिखित परिणामो को प्राप्त करने का लक्षष्य था:
मेें, ग््ललोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल््थ (GIDH) नामक एक नई पहल
बच््चोों मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनरू ु प कम लंबाई) की समस््यया को 25% या
शरू ु की गई।
उससे कम करना।
GIDH का लक्ष्य:
बच््चोों (0-6 वर््ष) मेें कम वजन की समस््यया घटाकर 25% या उससे कम
z डिजिटल स््ववास््थ््य 2020-2025 पर वैश्विक रणनीति के अनरू ु प प्रयासोों मेें करना।
सामजं स््य स््थथापित करना, जो स््ववास््थ््य संबंधी सतत विकास लक्षष्ययों (SDG)
छोटे बच््चोों (6-59 महीने) मेें रक्ताल््पता (एनीमिया) की समस््यया को 43%
को प्राप्त करने के लिए उपयक्त ु डिजिटल स््ववास््थ््य समाधानोों के विकास और
या उससे कम तक कम करना।
कार््ययान््वयन मेें तेजी लाकर वैश्विक स््ववास््थ््य परिणामोों को बढ़़ाने का प्रयास
किशोरियोों और महिलाओ ं (15-49 वर््ष) मेें रक्ताल््पता (एनीमिया) की
करता है।
समस््यया को 38% या उससे कम तक कम करना।
z मानक आधारित और परस््पर संगत प्रणालियोों के विकास और सदृ ु ढ़़ीकरण को
बढ़़ावा देने के लिए उच््च-गणु वत्ता वाली तकनीकी सहायता प्रदान करना जो वर््तमान स्थिति
वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओ,ं मानदडों ों, और मानकोों के अनरू ु प होों। z पाँच वर््ष से कम आयु के 40% से अधिक बच््चोों की मृत््ययु के लिए अल््पपोषण
z सनिश् ु चित गणु वत्ता वाले डिजिटल परिवर््तन उपकरणोों के उपयोग को सक्षम एक प्रमख ु जोखिम कारक है।
करना, सरकारोों को डिजिटल स््ववास््थ््य परिवर््तन की दिशा मेें निगरानी करने z कुपोषण, एनीमिया और आयोडीन की कमी से प्रभावित बच््चचे वयस््क होने पर
के लिए सशक्त बनाना। निम््न IQ स््ककोर और कम उत््पपादकता से ग्रसित हो सकते हैैं।
GIDH का इरादा चार मल ू भतू स््तम््भोों (निवेश ट्रैकर; प्रौद्योगिकियोों की z स््टटंटिंग (उम्र के अनरू ु प कम लंबाई) को कम करने से भारत की GDP मेें
आवश््यकता वाले देशोों हेतु माँग ट्रैकर; उपलब््ध डिजिटल उपकरणोों का एक 4-11% की वृद्धि हो सकती है।
पुस््तकालय, तथा प्रौद्योगिकियोों के व््ययापक क्रियान््ववित हेतु ज्ञान-साझाकरण मंच) z प्रगति के बावजदू , राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS) -4 (2015-16)
पर ध््ययान केें द्रित करके डिजिटल स््ववास््थ््य परिवर््तन के लिए अनावश््यक प्रयासोों बच््चोों मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनरू
ु प कम लंबाई), वेस््टटििंग (लंबाई के अनरू
ु प कम
और उत््पपाद-केें द्रित दृष्टिकोण जैसी चनु ौतियोों से निपटने का है। वजन) और रक्ताल््पता (एनीमिया) की उच््च दर को इगि ं त करता है।
SPECS 2030 पहल: z ब्राजील, चीन और मैक््ससिको जैसी अन््य उभरती अर््थव््यवस््थथाओ ं मेें पोषण
विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) के नेतत्ृ ्व मेें SPECS 2030 पहल का उद्देश््य नेत्र सक ं े तक बेहतर हैैं।
देखभाल और उपचार तक सार््वभौमिक पहुचँ सुनिश्चित करके वैश्विक दृष्टिबाधा z भारत मेें मोटापे और अधिक वजन वाले वयस््कोों मेें भी वृद्धि हो रही है, जिससे
तथा अंधापन का नियंत्रण करना है। मधमु हे तथा हृदय संबंधी विकारोों का खतरा बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य औ 95
7 शिक्षा
शिक् 97
z राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लक्षष्य वर््ष z राष्ट्रीय सस्ं ्थथागत रैैंकिंग फ्रे मवर््क (NIRF) 2015
छात्ररों का 2035 तक उच््च शिक्षा मेें सकल नामांकन अनपु ात भारत मेें उच््च शैक्षणिक संस््थथानोों को श्रेणीबद्ध करने
नामांकन के लिए शिक्षा मत्रालय ं (MoE) द्वारा स््थथापित एक
(जीईआर) को 50% तक बढ़़ाना है।
(Enrollment पद्धति है।
इसमेें अत ं ःविषय दृष्टिकोण के माध््यम से पाठ्यक्रम
of Students)
को लचीला बनाने पर जोर दिया गया है। इसका उद्देश््य संस््थथानोों को अपने विकास को
शिक् 99
एडटेक का विनियमन सामाजिक कौशलोों पर अल्प ध्यान
z एडटेक मल ू तः 'शिक्षा और प्रौद्योगिकी' का एक संयोजन है। यह सीखने की z एडटेक मचं पारंपरिक स््ककूली शिक्षा को परू ी तरह से प्रतिस््थथापित नहीीं कर
सवि
ु धा के लिए कंप््ययूटर हार््डवेयर, सॉफ््टवेयर और शैक्षिक सिद््धाांत का एक सकते क््योोंकि स््ककूल, क््ललासरूम शिक्षा के अतिरिक्त सहयोग, खेल और विचार
संयक्त
ु उपयोग है। जैसे महत्तत्वपर्ू ्ण जीवन कौशल को बढ़़ावा देने मेें महत्तत्वपर्ू ्ण भमि
ू का निभाते हैैं।
z कोविड-19 के दौरान दरू स््थ शिक्षा अचानक एकमात्र विकल््प बन गई क््योोंकि आगे की राह
संस््थथानोों, छात्ररों, अभिभावकोों और अधिकारियोों ने डिजिटल मोड पर कार््य z एड-टेक परिदृश््य, विशेष रूप से इनके स््तर, पहुचँ और प्रभाव को परू ी तरह से
करना प्रारंभ कर दिया। मानचित्रित करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। शिक्षकोों और छात्ररों के लिए
z भारतीय एडटेक उद्योग का मल्ू ्य वर््ष 2020 मेें 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर पहुचँ , समानता, बनिया ु दी ढाँच,े प्रशासन और गणु वत्ता से सबं ंधित परिणामोों
था और वर््ष 2025 तक इसके 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुचँ ने की और चनु ौतियोों पर ध््ययान केें द्रित किया जाना चाहिए।
z नीति निर््ममाण और योजना प्रक्रिया को सभी योजनाओ ं मेें अभिसरण योग््य
उम््ममीद है।
बनाने का प्रयास करना चाहिए। (शिक्षा, कौशल, डिजिटल प्रशासन और वित्त)।
स्व-नियमन (SELF -REGULATION) z यह सनिश् ु चित किया जाना चाहिए कि एड-टेक नीतियाँ तीन प्रमख ु तत्तत्ववों पर
z एडटेक कंपनियोों ने इटं रनेट एडं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इडिया ं ध््ययान केें द्रित करती होों:
(आईएएमएआई) के तत्त्वावधान मेें एक सामहि ू क 'इडिया
ं एडटेक संघ' का 1. शिक्षण, सीखना और मल्ू ्ययाांकन की प्रक्रियाओ ं को सक्षम बनाना,
गठन किया है। 2. सुलभता,
z इस संघ ने अपने व््यवसायोों के लिए एक आचार संहिता अपनाई है। हालाँकि, 3. शासन- योजना, प्रबंधन और निगरानी प्रक्रियाओ ं सहित शासन प्रणालियोों
सरकार पहले ही एडटेक क्षेत्र को विनियमित करने के लिए एक नीति बनाने मेें सुधार।
का सकं े त दे चक
ु ी है। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2021-
विनियमन की आवश्यकता 2022 के मुख्य निष्कर््ष
z गोपनीयता जोखिम: z परिचय: शिक्षा मत्रालय
ं द्वारा जारी, AISHE वर््ष 2011 से उच््च शिक्षा
शैक्षिक एप््ललीके शन (Apps) उपकरणोों के माध््यम से उपयोगकर््तताओ ं से सांख््ययिकी और सार््वजनिक सचू ना प्रणाली (HESPIS) योजना के अतं र््गत
व््ययापक डेटा एकत्र करते हैैं और सीखने के अनभु वोों को अनक ु ू लित करने आयोजित किया जा रहा है।
और भविष््य के ऐप संस््करणोों को बेहतर बनाने के लिए इसका सक्षू ष्मता z भागीदारी और डेटा सग्रं ह:
से विश्ले षण करते हैैं। डेटा सग्रं ह मेें विश्वविद्यालय अनदु ान आयोग, अखिल भारतीय
जीपीएस, गायरोस््ककोप और बायोमेट्रिक सेेंसर जैसे सेेंसर शिक्षार्थी के तकनीकी शिक्षा परिषद और राज््य सरकारोों जैसे प्रमख
ु हितधारकोों
परिवेश और भावनाओ ं के बारे मेें विस््ततृत जानकारी प्रदान करते हैैं, जिससे की भागीदारी है।
गोपनीयता और सरु क्षा के बारे मेें चितं ाएँ बढ़ जाती हैैं। सर्वेक्षण आयोजित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड और एक समर््पपित
z एकाधिकार: पोर््टल का उपयोग किया गया है।
उद्यम पँज ू ी-समर््थथित एडटेक मचं कम या बिना किसी लागत पर सेवाएँ z सस्ं ्थथानोों की सख्
ं ्यया:
प्रदान कर सकते हैैं, जिससे संभावित रूप से उद्योग मेें एकाधिकारवादी
1,168 विश्वविद्यालय, 45,473 कॉलेज और 12,002 स््टैैंडअलोन
प्रथाओ ं को बढ़़ावा मिल सकता है।
सस्ं ्थथान पजं ीकृ त किए गए।
z एल््गगोरिथम पूर््ववा ग्रह:
17 विश्वविद्यालय और 4,470 कॉलेज विशेष रूप से महिलाओ ं के
एडटे क मंच प्रायः एआई-आधारित उपकरण पर निर््भर करते हैैं, जो
लिए हैैं।
छात्ररों के शैक्षणिक जीवन पर दीर््घकालिक प्रभाव के साथ पर््ववाग्र
ू ह उत््पन््न
z छात्र नामांकन:
कर सकते हैैं।
कुल नामांकन वर््ष 2020-21 मेें 4.14 करोड़ से बढ़कर वर््ष 2021-22
उदाहरण के लिए, यू.के . मेें वंचित पृष्ठभमिू के छात्ररों को एल््गगोरिथम पूर््ववाग्रहोों के
कारण निम््न श्रेणी प्राप्त हुई, जो प्रणालीगत मद्ददों मेें लगभग 4.33 करोड़ हो गया।
ु को उजागर करती हैैं।
18-23 वर््ष आयु वर््ग के लिए उच््च शिक्षा मेें सकल नामांकन अनपु ात
ऋण आधारित शुल्क प्रणाली
(जीईआर) 28.4 है, जो वैश्विक औसत 40% से कम है।
z एडटेक कंपनियोों की शल्ु ्क संरचना प्रत््ययेक व््यक्ति के लिए किफायती नहीीं हो
लिंग समानता सचू कांक (Gender Parity Index -GPI) 1.01 है,
सकती है, क््योोंकि वे उपभोक्ता-संचालित सेवाओ ं के रूप मेें कार््य करती हैैं
जिसमेें महिला जीईआर लगातार पाँचवेें वर््ष परुु ष जीईआर से आगे है।
और उच््च शल्ु ्क लेती हैैं।
21 मेें 56%)। z उदाहरण- इतिहासकार रामचद्रं गहु ा की अहमदाबाद विश्वविद्यालय मेें नियक्ति ु
पर एक धार््ममिक समहू के विरोध के बाद उनका विश्वविद्यालय मेें पद ग्रहण
कौशल विकास केें द्र की उपलब््धता 61% है।
करने से इनकार करना।
z विदेशी छात्ररों का प्रतिनिधित््व:
अपर्याप्त बुनियादी ढााँचा
भारत 46,878 विदेशी छात्ररों की मेजबानी करता है, जिसमेें नेपाल
z कुछ निजी संस््थथान कम शल्ु ्क पर गणु वत्तापर्ू ्ण शिक्षा देने का वादा करते हैैं,
28% के साथ अग्रणी है।
जिसके परिणामस््वरूप अपर््ययाप्त बनियाु दी ढाँचा और अप्रशिक्षित शिक्षकोों की
अधिकांश विदेशी छात्र स््ननातक पाठ्यक्रमोों मेें नामांकित हैैं (74.8%)।
समस््यया होती हैैं।
उच्च शिक्षा मेें निजी क्षेत्र z ये समस््ययाएँ संस््थथानोों की क्षमता को अस््थथिर करती है और संस््थथान अचानक
बंद होने की ओर अग्रसर हो जाते हैैं, जिससे बहुत से छात्र शिक्षा से वंचित
z हमारे अधिकांश प्रमख ु शिक्षा संस््थथानोों को सरकार (राज््य या केें द्र) द्वारा वित्त
रह जाते हैैं।
पोषित किया जाता है और वे सभी गैर-लाभकारी उद्यमोों के रूप मेें चलाए
जाते हैैं। पारदर््शशिता का अभाव
z शिक्षा के क्षेत्र मेें निजी क्षेत्र के प्रवेश से इजं ीनियरिंग, दतं चिकित््ससा, चिकित््ससा z उच््च निजी सस्ं ्थथान छात्ररों को आकर््षषित करने के लिए अस््पष्ट तरीके अपनाते
और फार्मेसी जैसे व््ययावसायिक पाठ्यक्रम शरू ु हुए हैैं। हैैं, उनके पाठ्यक्रम संरचनाओ ं और शल्ु ्क व््यवस््थथा मेें स््पष्टता का अभाव होता
है, जो संभावित छात्ररों को हतोत््ससाहित कर सकता है।
z निजी क्षेत्र के लिए अवसरोों मेें समय के साथ वृद्धि हुई क््योोंकि निजी क्षेत्र को
यह आभास हुआ कि इच््छछुक छात्ररों की उचित आपर््तति ू है, जो शिक्षा की लागत कार््यकाल की सुरक्षा:
वहन कर सकते है। z निजी संस््थथानोों मेें प्रायः शिक्षकोों के लिए नौकरी की सरु क्षा का अभाव होता
है, इसलिए वह प्रबंधन के निर्देशोों का अनसु रण करने के लिए स््वयं को बाध््य
निजी संस्थानोों की भूमिका महससू कर सकते हैैं।
z शैक्षणिक स््वतंत्रता: निजी संस््थथानोों मेें शिक्षकोों और कर््मचारियोों की नियक्ति
ु मेें z विशेष रूप से, प्रताप भानु मेहता और अरविंद सब्रु मण््यन जैसे प्रमख ु अध््ययापकोों
सरकार कोई भमि ू का नहीीं निभाती है। इसके अतिरिक्त, वे दैनिक गतिविधियोों ने कथित तौर पर सरकार की आलोचना पर प्रबंधन की चितं ाओ ं के कारण
को परू ा करने के लिए सरकारी सहायता पर भी निर््भर नहीीं हैैं। अशोका विश्वविद्यालय से त््ययागपत्र दे दिया।
z उन््नत बनिया
ु दी ढाँचा: निजी सस्ं ्थथान बेहतर बनिया ु दी ढाँचे और अच््छछी गणु वत्ता त्रुटिपूर््ण परिणाम:
वाले शिक्षक प्रदान करके छात्ररों के बेहतर शैक्षणिक प्रदर््शन का वादा करते हैैं। z विशेषाधिकार प्राप्त छात्र प्रायः निजी संस््थथानोों मेें बेहतर परिणाम प्राप्त करते
वे अभिभावकोों को अपनी ओर आकर््षषित करने के लिए इसे एक महत्तत्वपर्ू ्ण हैैं, अधिकतर सामाजिक-आर््थथिक पृष्ठभमिू के कारण, न की बेहतर संसाधनोों
कारक के रूप मेें उपयोग करते हैैं। के कारण।
z सरकारी विद्यालयोों और विश्वविद्यालयोों को परू क बनाना: निजी संस््थथान आगे की राह
विश्वविद्यालयोों का समर््थन करते हैैं क््योोंकि सरकार के पास विशाल भारतीय
z लोकतांत्रिक निर््णय लेना।
आबादी को परू ी तरह से समायोजित करने की क्षमता नहीीं है।
z शिक्षा का अधिकार अधिनियम का समचि ु त क्रियान््वयन।
z व््यवसाय क्षेत्र से संसाधन जटाु ना: कॉर्पोरे ट सामाजिक उत्तरदायित््व (सीएसआर) z शिक्षा क्षेत्र के लिए गैर-लाभकारी अधिदेश और मौजदू ा शल्ु ्क नियमोों की
के तहत कॉर्पोरे ट क्षेत्र से वित्त, अनदु ान और ऋण जटा ु ने से भारत मेें उच््च समीक्षा करना, निजी स््ककूलोों के लिए कॉर्पोरे ट प्रशासन संरचनाओ ं को शरू ु
शिक्षा के पारिस््थथितिकी तंत्र मेें सधु ार हो रहा है। करना और निजी स््ककूलोों को सक्षू ष्म, लघु या मध््यम उद्यमोों के रूप मेें वर्गीकृ त
z गैर-लाभकारी उद्देश््योों के लिए निजी विश्वविद्यालयोों की स््थथापना: इस प्रकार करना।
के विश्वविद्यालय उच््च शिक्षा को किफायती और निम््न आर््थथिक वर््ग के छात्ररों z न््ययायपर्ू ्ण एवं समान शैक्षणिक व््यवस््थथा बनाए रखने मेें राज््य की भमि
ू का को
के लिए सल ु भ बना रहे हैैं। नजरअदं ाज नहीीं किया जा सकता।
चिंताएँ निष्कर््ष
शिक्षा वितरण को प्राथमिकता देना महत्तत्वपूर््ण है, चाहे वह निजी माध््यम से हो
असमानताओ ं मेें वृद्धि:
या सार््वजनिक माध््यम से। सार््वजनिक संस््थथानोों की स््थथिति के बारे मेें चिंताएँ रही
z निजी संस््थथान अपनी उच््च लागत के कारण वर््ग विभाजन को बढ़़ावा देते हैैं हैैं, जिससे निजी संस््थथानोों द्वारा निर््धधारित मानकोों के अनुरूप उनमेें सधु ार करने
और कई छात्ररों को पहुचँ से बाहर कर देते हैैं। की आवश््यकता पर बल दिया गया है। इसके अतिरिक्त, गुणवत्तापूर््ण शैक्षणिक
z निजी सस्ं ्थथानोों मेें लिंग और जातिगत असमानताएँ बनी रहती हैैं, जहाँ उच््च संस््थथानोों के लिए आबादी की बढ़ती माँगोों और अपेक्षाओ ं को पूरा करने के लिए
जाति पृष्ठभमिू के छात्ररों का प्रतिनिधित््व असमान रूप से होता है। निजी विश्वविद्यालय महत्तत्वपूर््ण हैैं।
शिक् 101
प्रतिभा पलायन सरकारी नीतियाँ (Government Policies): प्रतिभा पलायन
को रोकने के लिए प्रतिबंधात््मक नीतियाँ, जैसे कि अमेरिका मेें प्रवास
संदर््भ करने वाले डॉक््टरोों को एनओआरआई प्रमाणपत्र जारी न करना, प्रायः
z गृह मत्रालय
ं (MHA) की हालिया जानकारी के अनसु ार, विगत पाँच वर्षषों मेें दीर््घकालिक चितं ाओ ं का निवारण करने मेें विफल रहती हैैं।
छह लाख से अधिक भारतीयोों ने अपनी नागरिकता का त््ययाग किया है। यह साहित््ययिक चोरी और आजीविका विकास के मुद्दे (Plagiarism
भारत से प्रतिभा पलायन की मात्रा को दर््शशाता है। and Career Growth Issues): समयबद्ध पदोन््नति और बौद्धिक
प्रौद्योगिकी कंपनियोों की एक लंबी सचू ी है, जिनके प्रमख सपं दा अधिकार चनु ौतियोों जैसे मद्ु दे भी प्रवास को प्रेरित कर सकते हैैं।
z ु अमेरिका मेें प्रवास
करने वाले भारतीय हैैं। इस सचू ी मेें ट्विटर, गगू ल, माइक्रोसॉफ््ट, एडोब, अपकर््ष कारक
आईबीएम, पालो ऑल््टटो नेटवर््क््स समेत अन््य शामिल हैैं। यह भारत के प्रतिभा z अच््छछा पारिश्रमिक (Better Remuneration): विकसित देश उच््च वेतन
समहू को दर््शशाता है, जो विदेशोों मेें कार््य कर रहा है। और अच््छछे जीवन स््तर की पेशकश करते हैैं, जो वित्तीय स््थथिरता की तलाश
करने वाले प्रवासियोों को आकर््षषित करते हैैं।
महत्त्वपूर््ण तथ्य
z विकसित देशोों की नीतियाँ (Policies of Developed Countries):
z वैश्विक धन प्रवासन समीक्षा रिपोर््ट (Global Wealth Migration Review प्रवासी-अनक ु ू ल नीतियाँ, जैसे फ्रंटलाइन स््ववास््थ््य कर््ममियोों को नागरिकता प्रदान
Report) के अनसु ार, वर््ष 2022 मेें उच््च निवल मल्ू ्य वाले व््यक्तियोों (High- करना (उदाहरण- महामारी के दौरान फ््राांस द्वारा) प्रवासन को प्रोत््ससाहित करती
Net-Worth Individuals- HNIs) के देश छोड़ने के मामले मेें भारत चीन हैैं।
के बाद दसू रे स््थथान पर रहा। वर््ष 2022 मेें कम-से-कम 8,000 एचएनआई ने z वद्ध ृ जनसांख््ययिकी (Ageing Demography): विकसित देश बढ़ती
भारत छोड़ दिया। आबादी के बीच दक्षता बनाए रखने के लिए यवु ा श्रमिकोों को बनाए रखने
z मॉर््गन स््टटेनली की रिपोर््ट के अनसु ार, उच््च निवल मल्ू ्य वाले वाले 35,000 को प्राथमिकता देते हैैं।
भारतीय उद्यमियोों ने वर््ष 2014-2020 के मध््य एनआरआई/आप्रवासी के रूप z सामाजिक दबाव (Societal Pressure): उदारवादी विचारधारा वाले यवु ा
मेें भारत छोड़ दिया। भारत विश्व मेें पलायन मेें प्रथम स््थथान पर है। भारत मेें सामाजिक अपेक्षाओ ं से दबा हुआ अनभु व करते हैैं, जिसके कारण
वे विदेशोों के अधिक उदार समाज से प्रभावित हो सकते हैैं।
z भारत विकसित देशोों विशेषकर खाड़़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशोों, यरू ोप
z अच््छछा जीवन स््तर (Better Standard of Living): विकसित देश अच््छछे
और अन््य अग्ं रेजी भाषी देशोों मेें स््ववास््थ््य कर््ममियोों का एक प्रमख
ु निर््ययातक रहा है। जीवन स््तर, स््ववास््थ््य सेवा, शिक्षा, वेतन और कर लाभ प्रदान करते हैैं।
प्रतिभा पलायन क्या है ? z महामारी के दौरान माँग (Pandemic Demand): महामारी ने विदेशोों
प्रतिभा पलायन शिक्षित व््यक्तियोों का एक देश (प्रायः विकासशील देश) से दसू रे मेें स््ववास््थ््य कर््ममियोों की माँग बढ़़ा दी है, जिसके कारण वीजा विस््ततार जैसी
देश (प्रायः अधिक विकसित देश) मेें प्रवासन है। भारत उन््नत अर््थव््यवस््थथाओ ं के प्रवासी-अनक ु ू ल नीतियाँ लागू हुई हैैं (उदाहरण के लिए- य.ू के . पात्र विदेशी
लिए कुशल और अकुशल मानव पँजू ी का एक प्रमख ु आपूर््ततिकर््तता है। स््ववास््थ््य कर््ममियोों को एक वर््ष का वीजा विस््ततार दे रहा है)।
शिक् 103
z अध््ययन सामग्री की गुणवत्ता (Quality of Study Material): खराब z शिक्षा प्रौद्योगिकी मेें निवेश: भारत मेें स््ककूल बंद होने का प्रभाव, पनु :
डिजाइन की गई पाठ्यपस्ु ्तकेें और शिक्षण सामग्री खराब शैक्षणिक प्रदर््शन मेें नामांकन अभियान की आवश््यकता और दो वर््ष के अतं राल के बाद स््ककूल
योगदान करती हैैं और सीखने की क्षमता मेें बाधा डालती हैैं। फिर से खल ु ने पर सीखने के स््तर का पनु र््ममूल््ययाांकन और कक्षा शिक्षण के परू क
z बच््चोों मेें कुपोषण (Malnutrition among Children): पोषण के के लिए शिक्षा प्रौद्योगिकी मेें निवेश की आवश््यकता है।
मामले मेें गभं ीर अभाव और अस््ववास््थ््यकर वातावरण, साथ ही देखभाल करने z डिजिटल साक्षरता: टेलीविजन और रे डियो शिक्षा का कई वर्षषों के बाद
वालोों की कमी, बच््चोों मेें अधिगम निर््धनता मेें योगदान करती है। पनु ः वापस आना, एक अच््छछा विकास है। हमेें ऐसी लचीली प्रणालियोों की
z शिक्षकोों की गुणवत्ता (Quality of Teachers): अप्रभावी मार््गदर््शन, आवश््यकता है क््योोंकि हम नहीीं जानते कि अगली प्राकृतिक आपदा क््यया
शिक्षण पद्धतियाँ और प्रशिक्षित शिक्षकोों की कमी के परिणामस््वरूप सीखने होने वाली है।
के परिणामोों मेें कमी आती है, जो आगे चलकर अधिगम निर््धनता मेें योगदान z बजटीय आवंटन: बजटीय आवंटन मेें वृद्धि शिक्षा मेें गणु वत्ता और बेहतर
देती है। बनिया
ु दी ढाँचा लाएगी, यह सीखने की गरीबी को कम करने मेें सहायता करे गी।
सीखने की क्षमता का महत्त्व नई शिक्षा नीति, 2020
z सतत विकास और गरीबी मेें कमी के लिए (For Sustainable Growth z नई शिक्षा नीति, 2020 21वीीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जो चौौंतीस वर््ष
and Poverty Reduction): खराब शिक्षा परिणाम भविष््य की समृद्धि के परु ानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 का स््थथान लेती है।
लिए बड़़ी लागत है जबकि यह जानते हुए कि मानव पँजू ी वैश्विक स््तर पर धन z पहुचँ , समानता, गणु वत्ता, सामर््थ््य और उत्तरदायित््व के सिद््धाांतोों पर स््थथापित,
का सबसे महत्तत्वपर्ू ्ण घटक है। यह सतत विकास के लिए 2030 एजेेंडा के साथ संरेखित है।
z समग्र स््ककूली शिक्षा प्रणाली मेें सधा ु र (Improving Overall z इसका लक्षष्य 21वीीं सदी की आवश््यकताओ ं और व््यक्तिगत छात्र क्षमताओ ं
Schooling Systems): जब बच््चचे पढ़ नहीीं पाते हैैं, तो यह सामान््यतः एक के अनरू ु प स््ककूल और कॉलेज शिक्षा दोनोों की समग्र, लचीली और बहु-
स््पष्ट संकेत है कि स््ककूल प्रणाली बच््चोों को गणित, विज्ञान और मानविकी जैसे विषयक प्रकृति को बढ़़ाकर भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक
अन््य क्षेत्ररों मेें सीखने मेें सहायता करने के लिए अच््छछी तरह से व््यवस््थथित नहीीं है। ज्ञान महाशक्ति मेें बदलना है।
z उन््नत गुणवत्ता वाला कार््यबल (Better Quality Workforce): जिन प्रगति और चुनौतियााँ
देशोों ने आधारभतू शिक्षा को प्राथमिकता दी है और इसमेें निवेश किया है, z नई शिक्षा नीति, 2020 ने शिक्षा और सीखने मेें महत्तत्वपर्ू ्ण प्रगति का सक
ं ेत
उन््होोंने बेहतर गणु वत्ता वाले कार््यबल का उत््पपादन किया है, जिससे उनकी दिया है।
अर््थव््यवस््थथाएँ प्रगति करने मेें सक्षम हुई हैैं। दक्षिण कोरिया और चीन दोनोों z भारत ने नई शिक्षा नीति के अतं र््गत अब एक वर््ष परू ा कर लिया है, हालाँकि,
ने 1970 के दशक मेें ऐसा किया था और उनकी अर््थव््यवस््थथाओ ं पर इसका महामारी ने इसकी प्रगति मेें बाधा उत््पन््न की है।
आश्चर््यजनक प्रभाव पड़़ा था।
अधिगम दृष्टिकोण
z व््यक्तिगत स््वतंत्रता मेें सधा ु र (Improves Individual Freedom):
z नई शिक्षा नीति अवलोकन, श्रवण, अन््ववेषण, प्रयोग और पछ ू ताछ के माध््यम
व््यक्तियोों और परिवारोों के लिए, इससे उच््च उत््पपादकता और आय, गरीबी मेें
से सीखने पर बल देती है।
कमी, रोजगार की उच््च दर, बेहतर स््ववास््थ््य परिणाम और अधिक नागरिक
जड़ु ़ाव हो सकता है। z हालाँकि, ऑनलाइन शिक्षण मचों ों मेें व््ययावहारिक अनभु व अनपु स््थथित हैैं, जो
महामारी के दौरान नई शिक्षा नीति के कार््ययान््वयन के लिए एक चनु ौती है।
z समाज को लाभ (Benefits Society): समाजोों के लिए यह तीव्रता से
नवाचार और विकास, बेहतर कार््य करने वाले संस््थथान, अधिक अतं र-पीढ़़ीगत नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 की मुख्य विशेषताएँ
सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक विश्वास का उच््च स््तर और संघर््ष की कम स्कूल शिक्षा
संभावना मेें योगदान दे सकता है।
z यह नीति, पाठ्यक्रम मेें व््ययापक परिवर््तन, ‘आसान’ बोर््ड परीक्षाओ,ं ‘मख्ु ्य
आगे की राह महत्तत्वपर्ू ्ण तत्तत्ववों को बनाए रखने के लिए पाठ्यक्रम मेें कटौती और ‘अनभु वात््मक
z अधिक और बेहतर कौशल उपयुक्त पाठ्य-पुस््तकोों तक समय पर पहुच ँ शिक्षा और आलोचनात््मक चितं न’ पर ध््ययान केें द्रित करती है।
सनिश्
ु चित करना: मगं ोलिया मेें, पस्ु ्तकोों तक बेहतर पहुचँ के कारण छात्ररों के z नई शैक्षणिक संरचना और पाठ्यक्रम के साथ प्रारंभिक बाल््ययावस््थथा की
परिणामोों मेें 0.21 मानक विचलन का सधु ार हुआ है। देखभाल और शिक्षा।
z कै च-अप लर््नििंग और ब्रशिंग (पकड़ना और सँवारना) मेें तेजी लाने पर z नई शिक्षा नीति मेें आयु समहोू ों के अनरू ु प ‘5+3+3+4’ डिजाइन वाले
ध््ययान देना: इससे बनिया
ु दी बातोों पर ध््ययान देने मेें सहायता मिलेगी और बच््चचे शैक्षणिक संरचना का प्रस््तताव किया गया है।
आसानी से पाठ्यक्रम को दोहरा सकते हैैं। 3-8 वर््ष (मल ू भतू चरण- Foundational Stage),
z कक्षा मेें शिक्षकोों द्वारा अतिरिक्त प्रयास: शिक्षकोों को कक्षा के भीतर छात्ररों 8-11 (प्रारंभिक- Preparatory),
को ग्रेड या उम्र के अनसु ार नहीीं, बल््ककि वे जहाँ हैैं उसके अनसु ार समहि
ू त करने 11-14 (मध््य- Middle),
शिक् 105
आगे की राह लाभ
किसी भी नीति की प्रभावशीलता उसके कार््ययान््वयन पर निर््भर करती है, जिसके z सविधा
ु और लचीलापन (Convenience and Flexibility): शिक्षक
लिए विभिन््न निकायोों के समन््ववित प्रयासोों की आवश््यकता होती है। राष्ट्रीय अपने पसंदीदा समय मेें कहीीं से भी पढ़़ा सकते हैैं और छात्र कभी भी और कहीीं
शिक्षा नीति (एनईपी) मेें एमएचआरडी, सीएबीई, सरकारेें , शिक्षा मंत्रालय, भी पाठ्यक्रम सीख सकते हैैं।
बोर््ड और नियामक निकाय जैसे कई हितधारक शामिल होते हैैं। इसका उद्देश््य z प्रभावी अधिगम (Effective Learning): स््ककूली शिक्षा के सभी स््तरोों
पर ई-लर््नििंग को लागू करने से यह सनिश् ु चित करने मेें सहायता मिलेगी कि छात्र
लचीलेपन और आत््म-साक्षात््ककार पर ध््ययान देते हुए पूर््व प्राथमिक से डॉक््टरे ट
तीव्रता से पाठोों को पर््ययाप्त रूप से समझ सकेें ।
अध््ययन तक शिक्षा मेें सुधार करना है। इसके सफल निष््पपादन के लिए केें द्रीय
z अनुशासित अधिगम (Disciplined Learning): शिक्षण की दृश््य-श्रव््य
और राज््य अधिकारियोों के बीच राजनीतिक सहमति और सहयोगात््मक प्रयासोों पद्धति से अनशासिु त शिक्षण वातावरण बनता है, जिससे अध््ययापक और छात्र
की आवश््यकता है। के बीच प्रभावी संवाद होता है।
डिजिटल शिक्षा/ ई-लर््ननििंग z लागत प्रभावी (Cost effective): ई-लर््नििंग से समय और धन बचता है,
अच््छछी गुणवत्ता वाली डिजिटल सामग्री की बढ़ती आवश््यकता को स््ववीकार परिवहन लागत कम होती है।
करते हुए, सरकार ने ई-लर््नििंग सामग्री योगदान को आमंत्रित करने के लिए z पर््ययावरण अनुकूल (Environment Friendly): पारंपरिक शिक्षा सामग्री
जैसे कागजात की कोई आवश््यकता नहीीं है। इस प्रकार यह पर््ययावरण के प्रति
विद्यादान 2.0 लॉन््च किया है।
अनक ु ू ल है।
ई-लर््ननििंग (E-LEARNING) z वैश्विक स््तर की शिक्षा (Global level Education): शिक्षक कई भाषाओ ं
z यह इटं रनेट के माध््यम से शैक्षिक जानकारी पहुचँ ाने की एक विधि है। यह और विभिन््न समय क्षेत्ररों के लोगोों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर सकते हैैं।
ई-पस्ु ्तकेें, सीडी, वेबिनार जैसे अन््य विभिन््न साधनोों के माध््यम से ज्ञान साझा z अधिक सल ं ग््नता (More Engagement): पारंपरिक शिक्षण की तल ु ना मेें
करने की प्रक्रिया है। डिजिटल शिक्षण अधिक आकर््षक अनभु व है। डिजिटल शिक्षण के माध््यम से,
एक पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है जो मल््टटीमीडिया के
z यह लचीला और स््व-गति वाला है और दरू स््थ शिक्षा के लिए उपयक्त ु है।
उपयोग के माध््यम से इसे संवादात््मक और मनोरंजक बना दे।
z ई-शिक्षा ने छात्ररों को प्रदान की जाने वाली चॉक और बोर््ड शैली की पारंपरिक
पद्धति मेें क््राांति ला दी है। सरकारी पहल
z स््वयं (SWAYAM -Study Webs of Active Learning for Young
प्रेरणा: एक अनुभवात्मक शिक्षण कार््यक्रम
Aspiring Minds)- यह सचू ना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का
z शिक्षा मत्रालय
ं (MoE) ने प्रतिभागियोों के बीच नेतत्ृ ्व गणोु ों को विकसित उपयोग करते हुए ऑनलाइन पाठ्यक्रमोों के लिए एक एकीकृ त मचं है, जो स््ककूल
करने के लिए ‘प्रेरणा: एक अनभु वात््मक शिक्षण कार््यक्रम’ शरू ु किया है। (9वीीं से 12वीीं) से लेकर स््ननातकोत्तर स््तर तक को आच््छछादित करता है। यह
z कार््यक्रम विवरण: छात्ररों, शिक्षकोों और शिक्षक प्रशिक्षकोों के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी प्रदान
यह कक्षा IX-XII तक के चयनित छात्ररों के लिए एक सप्ताह का करता है।
आवासीय कार््यक्रम है। z दीक्षा (DIKSHA)- दीक्षा मचं शिक्षकोों, छात्ररों और अभिभावकोों को निर््धधारित
प्रत््ययेक बैच मेें समान लिंग प्रतिनिधित््व (10 लड़के और 10 लड़कियोों) स््ककूल पाठ्यक्रम से संबंधित आकर््षक शिक्षण सामग्री प्रदान करता है।
के साथ 20 छात्र शामिल हैैं। स्वयं प्लस प्लेटफार््म (SWAYAM Plus Platform)
स््थथान: 1888 ई. मेें स््थथापित वर््ननाक््ययुलर स््ककूल, वडनगर, गज ु रात से शिक्षा मत्रालय (MoE) ने स््वयं प््लस प््ललेटफॉर््म का उद्घाटन किया है।
z ं
कार््यक्रम की शरुु आत। z SWAYAM एक व््ययापक निःशल् ु ्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOCs)
z पाठ्यक्रम: आईआईटी गांधीनगर द्वारा विकसित, इसमेें नौ मल्ू ्य-आधारित मचं है जो शिक्षार््थथियोों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए समर््पपित है।
विषयोों पर ध््ययान केें द्रित किया गया है।
z विद्यादान (VIDYADAAN)- यह कार््यक्रम पाठ्यक्रम के अनरू ु प मनोरंजक
z उद्देश््य: विविधता मेें एकता की भावना पर बल देते हुए ‘वसधु वै कुटुंबकम’ और आकर््षक ई-लर््नििंग सामग्री विकसित करने और योगदान करने के लिए
के सार को अपनाना। शिक्षाविदोों और संगठनोों को एक साथ लाता है।
चुनौतियााँ z डिजिटल शिक्षा पर प्रज्ञाता दिशा-निर्देश (PRAGYATA Guidelines
z अभिभावकोों, शिक्षकोों और छात्ररों की डिजिटल निरक्षरता। on Digital Education) - ये दिशा-निर्देश छात्ररों के लिए स्क्रीन समय की
z टैबलेट, लैपटॉप आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणोों की क्रय सामर््थ््य। सीमा तय करने की सलाह देते हैैं। इसमेें डिजिटल शिक्षा के आठ चरण शामिल
हैैं, जो इस प्रकार है- योजना-समीक्षा-व््यवस््थथा-मार््गदर््शन-बातचीत-कार््य
z गाँवोों और दरू दराज के इलाकोों मेें इटं रनेट कनेक््टटिविटी। सौौंपना-पता लगाना -सराहना।
z स््थथानीय भाषा मेें सामग्री का अभाव। z पीएम ई-विद्या (PM e-Vidya)- यह छात्ररों और शिक्षकोों के बीच विभिन््न
z रसायन विज्ञान जैसे व््ययावहारिक उन््ममुख विषयोों की ई-लर््नििंग मेें सीमाएँ हैैं। प्रकार की डिजिटल/ ऑनलाइन शिक्षण-अधिगम सामग्री तक बहुआयामी
z शिक्षकोों की अपरिचितता और परिवर््तन के प्रति प्रतिरोध। पहुचँ की सवि ु धा प्रदान करने वाली एक अनठू ी और अभिनव पहल है।
शिक् 107
8 मानव संसाधन
z अपर््ययाप्त प्रशिक्षण क्षमता (Insufficient Training Capacity): कुशल
परिचय
श्रमिकोों की भारी माँग को देखते हुए शैक्षणिक संस््थथानोों मेें उपलब््ध मौजदू ा
भारत आज एक ऐसा राष्टट्र है, जहाँ 65% कार््यबल युवा आयु वर््ग मेें हैैं। यदि बनिय
ु ादी सवि ु धाएँ अपर््ययाप्त हैैं। भारत मेें हर वर््ष लगभग 12 मिलियन लोगोों के
इस जनसांख््ययिकीय लाभ को प्राप्त करने का कोई उपाय है, तो वह युवाओ ं के कार््यबल मेें शामिल होने की उम््ममीद है जबकि देश की वर््तमान कुल प्रशिक्षण
कौशल विकास के माध््यम से ही होगा ताकि वे न के वल अपने व््यक्तिगत विकास क्षमता लगभग 4.3 मिलियन है।
मेें, बल््ककि देश की आर््थथिक वृद्धि मेें भी योगदान दे सकेें । राष्ट्रीय कौशल विकास
z बेमेल कौशल (Skill Mismatch): उद्योगोों के लिए आवश््यक कौशल
मिशन को लागू करने के लिए वर््ष 2014 मेें एक समर््पपित कौशल विकास और
और शैक्षिक और प्रशिक्षण संस््थथानोों द्वारा प्रदान किए गए कौशल के बीच
उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की स््थथापना की गई थी, जो गति और उच््च मानकोों
के साथ व््ययापक पैमाने पर कौशल प्रदान करने की कल््पना करता है। अतं र है। सरकार और उसकी सहयोगी एजेेंसियोों की ओर से विभिन््न प्रयासोों के
बावजदू भारत मेें व््ययावसायिक पाठ्यक्रमोों की विश्वसनीयता अभी भी सदं िग््ध है।
मानव पूज
ँ ी सूचकाांक, 2023
z रीस््ककिलिंग और अपस््ककिलिंग (Reskilling and Upskilling): रोजगार
रिपोर््ट के मुख्य निष्कर््ष क्षेत्र मेें वर््ष 2025 तक आधी वैश्विक श्रम शक्ति को रीस््ककिलिंग की आवश््यकता
z महामारी ने मानव पंजू ी निर््ममाण मेें दशकीय प्रगति को खतरे मेें डाल दिया, हो सकती है (WEF के अनसु ार)। कृ त्रिम बद्ु धिमत्ता (AI), डेटा एनालिटिक््स
जिसमेें स््ववास््थ््य, उत्तरजीविता दर, स््ककू ल नामांकन और स््टटंटिंग (उम्र के अनपु ात जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियोों के उद्भव के कारण पनु ः कौशलीकरण
मेें कम लम््बबाई की समस््यया) मेें कमी के सधु ार शामिल हैैं। (Reskilling) एवं कौशल उन््नयन (Upskilling) की चनु ौती प्रमख ु होती
z महामारी का आर््थथिक प्रभाव विशेष रूप से महिलाओ ं और सबसे वंचित जा रही है।
परिवारोों पर गहरा रहा है, जिससे कई लोग खाद्य असरु क्षा और निर््धनता की
चपेट मेें आ गए हैैं। क्षेत्रवार और भौगोलिक दृष्टि
व््ययावसायिक प्रशिक्षण को
से कौशल आवश््यकताओं का
z लोगोों की सरु क्षा और उनमेें निवेश करना महत्तत्वपर््णू है क््योोंकि देश टिकाऊ, आकांक्षापूर््ण विकल््प बनाना
समावेशी सधु ार और भविष््य के विकास की नीींव रखने के लिए कार््य करते हैैं। मानचित्रण
z मानव पँजू ी सचू कांक (विश्व बैैंक), 2023 मेें भारत को 195 देशोों मेें से 116वाँ बेहतर गणु वत्ता और प्रासंगिकता
स््थथान प्राप्त हुआ है। अनौपचारिक क्षेत्र को कौशल
के लिए उद्योगोों को शामिल
विकास पारिस््थथितिकी तंत्र मेें
मानव संसाधन से संबंधित तथ्य और आँकड़़े करना - प्रशिक्षुता कार््यक्रमोों को
एकीकृ त करना
असगठ बढ़़ाना
z ं ित क्षेत्र मेें लगभग 85% कार््यबल किसी भी प्रकार के कौशल विकास
का प्रयास नहीीं करता है। एक प्रभावी, अंतरराष्ट्रीय स््तर
z प्रशिक्षकोों की वार््षषिक वृद्धिशील आवश््यकता लगभग 20,000 है, जबकि पर मान््यता प्राप्त मूल््ययाांकन और
वर््तमान मेें प्रशिक्षकोों की वर््तमान वार््षषिक क्षमता के वल 2,000 है। प्रमाणन प्रणाली लागू करना
चुनौतियााँ मानव संसाधन उपयोगिता हेतु उठाए जाने वाले कदम
z कम या कोई कार््य कौशल नहीीं (Little or No Job Skills): भारत z जोखिम लेने के व््यवहार का अभाव (Absence of Risk-taking
कौशल रिपोर््ट, 2021 मेें लगभग 45.9% यवु ाओ ं को ही रोजगार योग््य माना
Behaviour): अधिकांश यवु ा उद्यमशीलता को पसंद नहीीं करते हैैं, बल््ककि
गया। यनि ू सेफ के आँकड़ों से ज्ञात होता है कि 50% से अधिक भारतीय यवु ा
वे कंपनियोों मेें कार््य करना चनु ते हैैं।
वर््ष 2030 तक रोजगार के लिए आवश््यक शिक्षा और कौशल प्राप्त करने की
राह पर नहीीं हैैं। z कुशल युवाओ ं के लिए नौकरी सज ृ न (Job Creation For Skilled
z उद्यमिता के प्रति जागरूकता और उदासीनता (Unawareness & Youth): भारत को वर््ष 2030 तक 100 मिलियन अधिक रोजगार सृजित
Apathy Towards Entrepreneurship): ऑब््जर््वर रिसर््च फाउंडेशन करने की आवयश््कता है। अधिक रोजगार सृजित करना सबसे बड़़ी विकास
और विश्व आर््थथिक मचं (WEF) के हालिया अध््ययन ‘यंग इडिय ं ा एडं वर््क ’ चनु ौती है। कामकाजी आबादी की पर््णू भागीदारी के बिना कोई भी देश अपनी
के अनसु ार, लगभग 70% भारतीय यवु ाओ ं को योजनाओ ं के बारे मेें जानकारी परू ी क्षमता प्राप्त नहीीं कर सकता और 21वीीं सदी की चनु ौतियोों का सामना
नहीीं है। नहीीं कर सकता।
z अशिक्षित ग्रामीण युवा (Uneducated Rural Youth): निजी क्षेत्र मख््य ु सभी के लिए एआई (AI for All): शिक्षा मत्ं रालय ने चिप बनाने वाली
रूप से शिक्षित यवु ाओ ं (विशेषकर 12वीीं पास) और बड़़े पैमाने पर शहरी दिग््गज कंपनी इटं ेल और केें द्रीय माध््यमिक शिक्षा बोर््ड (CBSE) के साथ
क्षेत्ररों मेें सेवा क्षेत्र की आवश््यकता के अनसु ार कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता मिलकर 'एआई फॉर ऑल' पहल की घोषणा की, जिसका उद्देश््य कृ त्रिम
है। अतं तः असंगठित क्षेत्र के सैकड़ों श्रमिकोों को किसी भी प्रकार का कौशल बद्ु धिमत्ता (AI) की बनिय ु ादी समझ पैदा करना है।
प्रशिक्षण नहीीं मिलता है। z आजीविका सवं र्दद्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता
सरकारी हस्तक्षेप (Skill Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood
Promotion- SANKALP): इसका उद्देश््य संस््थथानोों को मजबतू बनाने,
z कौशल भारत (Skill India): देश के यवु ाओ ं को कौशल क्षमताओ ं के
बेहतर बाजार संपर््क स््थथापित करने और समाज के हाशिये पर उपस््थथित वर्गगों
साथ सशक्त बनाने के लिए शरू ु किया गया, जो उन््हेें अपने कार््य वातावरण
को शामिल करने के माध््यम से गणु ात््मक और मात्रात््मक रूप से अल््पकालिक
मेें अधिक रोजगार योग््य और अधिक उत््पपादक बनाता है।
कौशल प्रशिक्षण मेें सधु ार करना है।
z कौशल विकास और उद्यमिता पर राष्ट्रीय नीति, 2015 (National
Policy on Skill Development and Entrepreneurship, 2015): z स््टटार््ट-अप ग्राम उद्यमिता कार््यक्रम (Start-up Village
इस नीति का उद्देश््य देश के भीतर की जा रही सभी कौशल गतिविधियोों के Entrepreneurship Program -SVEP): ग्रामीण विकास मत्ं रालय द्वारा
लिए एक समान ढाँचा प्रदान करना, उन््हेें सामान््य मानकोों के अनरू शरू ु किए गए SVEP का उद्देश््य ग्रामीण उद्यमिता को बढ़़ावा देना है। यह
ु प बनाना
और कौशल को माँग केें द्ररों के साथ जोड़ना है। महिलाओ,ं अनसु चि ू त जातियोों और अनसु चि ू त जनजातियोों सहित हाशिये पर
रहने वाले समदु ायोों पर ध््ययान केें द्रित करता है और उन््हेें अपने स््वयं के सक्षू ष्म
z पीएम-युवा योजना (PM- YUVA Yojana): इस योजना का उद्देश््य
उद्यम शरू ु करने के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और सलाह प्रदान करता है।
उद्यमिता शिक्षा, क्षमता निर््ममाण को बढ़़ावा देना तथा संभावित और इच््छछुक
उद्यमियोों को सलाह और सहायता प्रदान करना है। उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण z राष्ट्रीय कै रियर सेवा (National Career Service-NCS): NCS श्रम
के माध््यम से उद्यमिता विकास के लिए एक सक्षम पारिस््थथितिकी तंत्र बनाना। और रोजगार मत्ं रालय द्वारा विकसित एक ऑनलाइन मचं है। यह नौकरी मिलान,
करियर परामर््श, कौशल मल््ययाां ू कन और प्रशिक्षण कार््यक्रम सहित विभिन््न
z भारतीय कौशल सस् ं ्थथान (India Institute of Skills- IIS): कौशल
प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है। मचं का उद्देश््य सभी व््यक्तियोों के लिए समान
की गणु वत्ता और मात्रा के संदर््भ मेें एक निश्चित मानक और उच््च स््तर स््थथापित
अवसर और रोजगार संसाधनोों तक पहुचँ की सवि ु धा प्रदान करना है, चाहे
करना।
उनकी पृष्ठभमि ू कुछ भी हो।
z प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal
z महिला ई-हाट (Mahila E-Haat): महिला एवं बाल विकास मत्ं रालय की
Vikas Yojana): रोजगार योग््य कौशल के प्रति रूचि तथा संभावित और
मौजदू ा दैनिक वेतन भोगियोों को नकद परु स््ककार और प्रोत््ससाहन देकर उनकी यह पहल महिला उद्यमियोों को अपने उत््पपादोों को प्रदर््शशित करने और विक्रय के
कार््यकुशलता को बढ़़ाना और गणु वत्तापर््णू प्रशिक्षण प्रदान करना। लिए एक ऑनलाइन मचं प्रदान करती है। इसका उद्देश््य महिलाओ ं के आर््थथिक
सशक्तीकरण को बढ़़ावा देना और उनके लिए मख््य ु धारा की अर््थव््यवस््थथा मेें
z दीन दयाल उपाध््ययाय ग्रामीण कौशल््य योजना (Deen Dayal
भाग लेने के अवसर उत््पन््न करना है।
Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana): ग्रामीण गरीब यवु ाओ ं
को आर््थथिक रूप से स््वतंत्र और विश्व स््तर पर प्रासंगिक कार््यबल मेें बदलना। z उड़़ान (Udaan): उड़़ान गृह मत्ं रालय की एक विशेष पहल है और राष्ट्रीय
कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा कार््ययान््ववित की जाती है। यह जम््ममू और
z औद्योगिक मूल््य सव ं र्दद्धन के लिए कौशल सदृु ढ़़ीकरण (Skills
कश््ममीर के बेरोजगार यवु ाओ ं के लिए कौशल विकास और नौकरी नियोजन
Strengthening for Industrial Value Enhancement-STRIVE
पर केें द्रित है।
Project) परियोजना: औद्योगिक प्रशिक्षण सस्ं ्थथानोों (ITI) और प्रशिक्तषु ा
के माध््यम से प्रदान किए गए कौशल प्रशिक्षण की प्रासंगिकता और दक्षता z मालवीय मिशन - शिक्षक प्रशिक्षण कार््यक्रम (Malaviya Mission -
मेें सधु ार करना। Teachers Training Programme - MM-TTP):
इसकी शरु ु आत विश्वविद्यालय अनदु ान आयोग (UGC) द्वारा की गई थी।
z मानव सस ं ाधन विकास मंत्रालय की पहल (Ministry of Human
Resource Development Initiatives): MM-TTP का अवलोकन:
मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास के लिए निम््नलिखित पहल की हैैं: यह उच््च शिक्षा विभाग के तहत शिक्षकोों की क्षमता बढ़़ाने के उद्देश््य
डिजिटल बोर््ड अभियान: भारत मेें गण ु वत्तापर््णू शिक्षा को बढ़़ावा देने से वर््तमान योजनाओ ं के पनु र््गठन का प्रस््तताव करता है।
के लिए उभरती प्रौद्योगिकियोों का उपयोग करना। कार््यक्रम का उद्देश््य राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के लक्षष्ययों के अनरू
ु प
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर््नििं ग (ML) पर क््ललाउड रिसर््च
विभिन््न प्रशिक्षण केें द्ररों का उपयोग करते हुए, दो वर्षषों मेें उच््च
लैब: ये प्रयोगशालाएँ छात्ररों को भारत मेें AI और ML नवाचार पर ध््ययान शैक्षणिक संस््थथानोों (HEIs) मेें संकाय और कर््मचारियोों के लिए
केें द्रित करने वाली अनसु ंधान पहल को आगे बढ़़ाने के लिए AWS क््ललाउड क्षमता-निर््ममाण प्रशिक्षण प्रदान करना है।
पहल के हिस््ससे के रूप मेें, मानव संसाधन विकास केें द्ररों (HRDCs)
तकनीक का उपयोग करने के अवसर प्रदान करेेंगीीं। यह IIT-BHU और
अमेजॉन इटं रनेट सर््वविसेज प्राइवेट लिमिटेड (AISPL) के बीच समझौता का नाम बदलकर मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केें द्र रखा
ज्ञापन के तहत एक पहल है। जाएगा।
संदर््भ
z मार््च, 2020 मेें कोविड-19 महामारी की शरुु आत के बाद जल ु ाई, 2020 और
जनू , 2021 के बीच सभी घरोों मेें भारत की 0.7% आबादी को ‘अस््थथायी
सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय ने कौशल विकास योजनाओ ं को
आगतं क ु ’ (Temporary Visitor) के रूप मेें पहचाना गया।
लक्षित समहोू ों-पिछड़़ा वर््ग, अनुसूचित जाति और सफाई कर््मचारी तक पहुचँ योग््य
बनाने के लिए 'पीएम-दक्ष' (प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन््न हितग्राही) z अस््थथायी आगंतुक (Temporary Visitor): एक आगतं क ु , जो अपने
पोर््टल और 'पीएम-दक्ष' मोबाइल ऐप शरू सामान््य परिवेश के बाहर किसी मख््य ु गंतव््य पर एक वर््ष से कम समय के
ु किया है।
लिए यात्रा कर रहा हो, देश या यात्रा किए गए स््थथान मेें किसी स््थथानीय इकाई
योजना की मुख्य विशेषताएँ द्वारा नियोजित होने के अलावा किसी अन््य मख््य ु उद्देश््य के लिए-
z इसके अतं र््गत पात्र लक्षष्य समहोू ों को अल््पपावधि पर कौशल विकास प्रशिक्षण इन 0.7% ‘अस््थथायी आगंतको ु ों’ मेें से 84% से अधिक को महामारी से
कार््यक्रम प्रदान किए जाते हैैं। संबंधित कारणोों, जैसे नौकरी छूटना, स््ककू ल बंद होना और स््ववास््थ््य संबंधी
z प्रशिक्षण कार््यक्रम, पनु ः कौशलीकरण (Reskilling) एवं कौशल उन््नयन मद्ददों
ु के कारण स््थथानांतरित किया जाना।
(Upskilling), उद्यमिता विकास कार््यक्रम और दीर््घकालिक प्रशिक्षण कार््यक्रम। जल ु ाई, 2020 से जनू , 2021 की अवधि के लिए सपं र््णू भारत मेें प्रवासन
z ये प्रशिक्षण कार््यक्रम सरकारी प्रशिक्षण संस््थथानोों, कौशल विकास और उद्यमिता दर 28.9% थी, जिसमेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें प्रवासन दर 26.5% और शहरी
मत्ं रालय द्वारा गठित सेक््टर कौशल परिषदोों और अन््य विश्वसनीय संस््थथानोों के क्षेत्ररों मेें 34.9% थी।
माध््यम से कार््ययान््ववित किए जा रहे हैैं। महिला प्रवासी जनसंख््यया का एक बड़़ा प्रतिशत, 47.9%, थीीं जिनमेें से
पात्रता (ELIGIBILITY) 48% ग्रामीण क्षेत्ररों मेें तथा 47.8% शहरी क्षेत्ररों मेें रहती थीीं।
अनुसूचित जाति, अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC), आर््थथिक रूप से पिछड़़े वर््ग, विमक्त परु ु ष प्रवासन दर 10.7% थी, जिनमेें से 5.9% ग्रामीण क्षेत्ररों मेें और
ु
जनजाति, कचरा बीनने वालोों सहित सफाई कर््मचारी, हाथ से मैला ढोने वाले, 22.5% शहरी क्षेत्ररों मेें थी।
ट््राांसजेेंडर और अन््य समान श्रेणियोों मेें हाशिये पर रहने वाले व््यक्ति। चक्रीय प्रवासन (Circular Migration) : परिघटना की समझ
कार्यान्वयन (IMPLEMENTATION) z परिभाषा (Definition): सर््ककु लर माइग्रेशन मेें स््थथायी अथवा अस््थथायी
इसे सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर््गत इसे तीन निगमोों द्वारा स््थथानांतरणोों के स््थथान पर एकाधिक उत्पप्रवास एवं वापसी के साथ बार-बार
कार््ययान््ववित किया जाता है: प्रवासन अनभु व शामिल होता है।
z राष्ट्रीय अनस ु चि
ू त जाति वित्त एवं विकास निगम (NSFDC) z विशेषताएँ (Characteristic):
z राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC)
आमतौर पर कम आय वाले समहो ू ों के बीच विभिन््न स््थथानोों पर मौसमी
z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC)। रोजगार के अवसरोों की तलाश मेें देखा जाता है।
सतत विकास लक्ष्य व््यक्ति स््थथायी या अस््थथायी रूप से बसने के बजाय काम की उपलब््धता
सतत विकास लक्षष्य- 8: सभी के लिए निरंतर, समावेशी और सतत आर््थथिक के आधार पर स््थथानान््तरित होते हैैं।
विकास, पूर््ण और उत््पपादक रोजगार एवं गरिमापूर््ण कार््य को बढ़़ावा देना। z लाभ (Benefits):
लक्ष्य राज््योों/ शहरोों की विकास आवश््यकताओ ं को व््यक्तियोों के लिए आर््थथिक
z वर््ष 2030 तक यवु ा लोगोों और दिव््ययाांग व््यक्तियोों सहित सभी महिलाओ ं और अवसरोों के साथ संतलि ु त करता है।
परुु षोों के लिए पर््णू और उत््पपादक रोजगार तथा गरिमापर््णू कार््यदशाएँ प्रदान कौशल हस््तताांतरण और ‘Brain Circulation’ को प्रोत््ससाहित करके
करना साथ ही समान कार््य के लिए समान वेतन प्रदान करना। Brain Drain को कम करता है।
z प्रवासी श्रमिकोों, विशेष रूप से महिला प्रवासियोों और अनिश्चित रोजगार वाले स््थथायी जनसंख््यया वृद्धि के बिना श्रमिकोों की कमी को संबोधित करता है।
लोगोों सहित सभी श्रमिकोों के लिए श्रम अधिकारोों की रक्षा करना और सरु क्षित आय स्रोतोों मेें विविधता लाकर आय की अस््थथिरता को कम करता है।
कार््य वातावरण को बढ़़ावा देना। स््थथायी आप्रवासन से जड़ ु ़े दबावोों को कम करता है।
z बलात श्रम उन््ममूलन, आधनि ु क दासता और मानव तस््करी को समाप्त करने उच््च प्रेषण दरोों को प्रोत््ससाहित करता है।
और बाल सैनिकोों की भर्ती और उपयोग सहित बाल श्रम के सबसे खराब
सांस््ककृतिक आदान-प्रदान की सवि ु धा प्रदान करता है।
रूपोों पर प्रतिबंध और उन््ममूलन सनिश्
ु चित करने के लिए तत््ककाल और प्रभावी
उपाय करना तथा वर््ष 2025 तक सभी रूपोों मेें बाल श्रम को समाप्त करना। z चुनौतियाँ (Challenges):
नियोक्ताओ ं द्वारा शोषण, जिसमेें खराब कार््य परिस््थथितियाँ और श्रम
भारत मेें प्रवासन 2020-2021 रिपोर््ट
अधिकारोों का उल््ललंघन शामिल है।
सांख््ययिकी और कार््यक्रम कार््ययान््वयन मंत्रालय ने एक अध््ययन के लिए प्रवासियोों
सीमित बचत अवसरोों के साथ निर््ववाह स््तर का रोजगार।
और अस््थथायी आगंतुकोों पर डेटा संकलित किया जो जून, 2022 मेें जारी किया
डेटा की कमी और कम रिपोर््टििंग के कारण सरकार का सीमित नीति समर््थन।
गया था।
गरीबी रे खा से नीचे (BPL) रहने वाले लोगोों की वास््तविक संख््यया को गरीबी की गणना के लिए विभिन्न समितियोों द्वारा सुझाए गए
दृष्टिकोण
संदर््भभित करती है।
z डॉ. वाई. के . अलघ की अध््यक्षता मेें ‘न््ययूनतम आवश््यकताओ ं और
यह एक ऐसी स््थथिति है जो भोजन, वस्त्र, स््ववास््थ््य, शिक्षा, स््वच््छता
प्रभावी उपभोग माँग के अनुमान’ पर टास््क फोर््स (1979)
सवु िधाएँ, आश्रय आदि जैसी बनि ु यादी मानवीय आवश््यकताओ ं से वंचित
इस टास््क फोर््स के दृष्टिकोण के आधार पर भारत मेें पहली बार आधिकारिक
होने के कारण उत््पन््न होती है।
रुप से गरीबी की गणना शरू ु हुई।
z सापे क्ष निर््ध नता:
गरीबी रे खा को ग्रामीण क्षेत्ररों मेें प्रति व््यक्ति प्रतिदिन 2,400 किलो
इसे सामाजिक दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया है, जो आस-पास रहने
कै लोरी तथा शहरी क्षेत्ररों मेें प्रति व््यक्ति प्रतिदिन 2,100 किलो कै लोरी
वाली जनसंख््यया के जीवन स््तर के आर््थथिक मानकोों के सापेक्ष है। इसलिए की औसत प्रति व््यक्ति दैनिक कै लोरी आवश््यकता को परू ा करने के लिए
यह आय असमानता की एक माप है। प्रति व््यक्ति उपभोग व््यय स््तर के रूप मेें परिभाषित किया गया था।
आमतौर पर, सापेक्ष गरीबी को जनसंख््यया के उस प्रतिशत के रूप मेें मापा वर््ष 1973-74 के मल् ू ्योों के आधार पर, टास््क फोर््स ने वर््ष 1973-74 के
जाता है, जिसकी आय, औसत आय के एक निश्चित अनपु ात से कम होती मल्ू ्योों पर ग्रामीण और शहरी गरीबी रे खाओ ं को क्रमशः 49.09 रुपये और
है। अर््थथात अपने समाज के औसत जीवन स््तर की तल ु ना मेें जीवन यापन 56.64 रुपये प्रति व््यक्ति प्रति माह निर््धधारित किया।
करने मेें असमर््थ वर््ग होते हैैं। लकड़़ावाला विशेषज्ञ समूह (1993)
यह विकसित देशोों मेें गरीबी दर का पता लगाने के लिए व््ययापक रूप से z इसने गरीबी रे खा को पनु ः परिभाषित नहीीं किया तथा न््ययूनतम पोषण
इस््ततेमाल किया जाने वाला एक उपाय है। आवश््यकताओ ं के आधार पर राष्ट्रीय स््तर पर अलघ समिति द्वारा अनश ु सित
ं
निम््न आर््थथिक शिक्षा एवं स््ववास््थ््य पृथक ग्रामीण एवं शहरी गरीबी रे खाओ ं को ही बरकरार रखा।
वृद्धि का निम््न स््तर
मानव पँजू ी z हालाँकि, अतं रराज््ययीय मल्ू ्योों के अतं र को प्रतिबिंबित करने के लिए इसे
कम निवेश वृद्धि कम आय विकास राज््य-विशिष्ट गरीबी रे खाओ ं मेें विभाजित किया गया।
का निम््न स््तर
बचत का उत््पपादकता का z पिछले कुछ वर्षषों मेें इस पद्धति की विश्वसनीयता समाप्त हो गई है। कीमत के
निम््न स््तर निम््न स््तर आँकड़़े त्रुटिपर््णू थे और क्रमिक गरीबी रे खाएँ मलू कै लोरी मानदडों ों को बनाए
गरीबी का दुष््चक्र रखने मेें विफल रहीीं।
के लिए 816 रुपये प्रति व््यक्ति प्रति माह और शहरी क्षेत्ररों के लिए 1,000 BPL जनगणनाओ ं के विपरीत, SECC-2011 मेें घरे लू वंचनाओ ं को ट्रै क
करने की क्षमता पेश की गई थी जो गरीबी के बहुआयामी पक्ष पर ध््ययान केें द्रित
रुपये प्रति व््यक्ति प्रति माह अनमु ानित की गई।
करते हुए अंतराल को प्रभावी ढंग से संबोधित करती है। जनगणना अधिनियम
z रंगराजन समिति (2014)
के बाहर यह प्रत््ययेक घर के विशिष्ट अभाव को समझने का एक अनूठा अवसर
तेेंदल ु कर समिति के दृष्टिकोण की व््ययापक आलोचना के साथ-साथ बदलते प्रदान करती है। सुमित बोस समिति (2017) ने विभिन््न सरकारी योजनाओ ं
समय और भारत के लोगोों की आकांक्षाओ ं के कारण वर््ष 2012 मेें रंगराजन के लिए लाभार््थथियोों की पहचान करने के लिए SECC- 2011 के आँकड़ों
समिति की स््थथापना की गई। का लाभ उठाने की सिफारिश की।
अखिल भारतीय ग्रामीण और शहरी गरीबी रे खा के पथ ृ क मानक सरकार ने सामाजिक कल््ययाण कार््यक्रमोों को लागू करने मेें SECC डेटा
बनाने तथा इनसे राज््य स््तरीय ग्रामीण और शहरी अनमु ान निकालने की का उपयोग किया है जिसमेें शामिल हैैं:
पद्धति को पनु ः अपना लिया। z प्रधानमत्री
ं आवास योजना (ग्रामीण) ,
इसने ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों के लिए अलग-अलग उपभोग की टोकरी z दीनदयाल अत्ं ्ययोदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(NRLM),
विचार करता है: रखता है। समान योग््यता होने के बावजदू दलित, गैर-दलितोों की तल ु ना
z स््ववास््थ््य: इसमेें पोषण, बाल एवं किशोर मृत््ययु दर तथा मातृ स््ववास््थ््य जैसे मेें 11% कम कमाते हैैं (विश्व बैैंक, 2020)। अवसरोों की यह कमी गरीबी
कारक शामिल हैैं। का एक चक्र बनाती है, जो गहराई तक जड़ें जमा लेती है।
z शिक्षा: स््ककू ली शिक्षा के वर्षषों और स््ककू ल मेें उपस््थथिति का मल्
ू ्ययाांकन किया स््ववास््थ््य
जाता है। प्रबंधन
z जीवन स््तर: इस आयाम मेें भोजन पकाने के लिए स््वच््छ ईधन, ं स््वच््छता, स््ववास््थ््य संसाधनोों
स््ववास््थ््य
पेयजल, विद्युत, आवास, संपत्ति और बैैंक खातोों तक पहुचँ पर विचार किया साक्षरता का उपयोग
जाता है।
शिक्षा निर््भरता
सभी संकेतकोों मेें सुधार: उत््ससाहजनक बात यह है कि रिपोर््ट मेें बहुआयामी
निर््धनता सूचकांक(MPI) की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी 12 सामाजिक गरीबी मानव मामल
ू ी या अपर््ययाप्त
हिसं ा
संकेतकोों मेें उल््ललेखनीय सुधार पर प्रकाश डाला गया है, जो जीवन के बहिष््ककार पँजू ीनौकरी की संभावना
विभिन््न पहलुओ ं मेें प्रगति को दर््शशाता है। भेदभाव कम आय
सफलता के संकेतक: बहुआयामी निर््धनता सूचकांक(MPI) मूल््य 0.117 हिसं ा
से लगभग आधा घटकर 0.066 हो गया और गरीबी की तीव्रता (औसत
अभाव स््ककोर) 47% से घटकर 44% हो गई। ये सकारात््मक रुझान बताते z निर््धनता को बढ़़ाने वाले अन््य सामाजिक कारक
हैैं कि भारत, वर््ष 2030 की समय-सीमा से पहले सतत विकास लक्षष्य लैैं गिक असमानता: भारत मेें महिलाओ ं और बालिकाओ ं को काफी
(SDG) 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधे से कम करना) को प्राप्त भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन््हेें प्रायः शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवा और
करने की राह पर है। यह उपलब््धधि सतत विकास लक्षष्ययों (SDGs) के व््ययापक आर््थथिक अवसरोों तक कम पहुचँ मिलती है। लैैंगिक मानदडं घर से बाहर
उद्देश््योों के साथ संरेखित, सतत और न््ययायसंगत विकास के लिए सरकार की काम करने या संपत्ति रखने की उनकी क्षमता को प्रतिबंधित करते हैैं, जिससे
प्रतिबद्धता को दर््शशाती है। लैैंगिक निर््धनता को बढ़ावा मिलता है।
z प्रवासन मुद्दे: अत््यधिक निर््भरता, ग्रामीण समदु ायोों को आर््थथिक झटकोों और कमजोरियोों
के प्रति सभु द्ये बना सकती है।
बेहतर आर््थथिक अवसरोों की उम््ममीद से प्रेरित होकर गाँवोों से शहरोों की ओर
पलायन से लोगोों का शहरोों मेें अतं ः प्रवेश बढ़ सकता है। हालाँकि, उचित संरचनात्मक और प्रणालीगत चुनौतियााँ
योजना के अभाव मेें यह पलायन शहरी गरीबी को बढ़़ा सकता है, जिससे z असमानता: भारत मेें गहरी जड़ें जमाए बैठी असमानता, निर््धनता को कायम
संसाधनोों और बनि ु यादी ढाँचे पर दबाव बढ़ सकता है। रखती है। धन, सपत्ं ति और अवसरोों का असमान वितरण गरीबोों को इस चक्र से
ग्रामीण गरीबी बाहर निकलने की क्षमता को सीमित करता है।
z जाति व््यवस््थथा: चली आ रही दृढ़ जाति व््यवस््थथा भेदभाव और सामाजिक
z कृषि पर निर््भरता:
बहिष््ककार को बढ़़ावा देती है तथा उपेक्षित समदु ायोों के व््यक्तियोों के लिए शैक्षिक
ग्रामीण क्षेत्ररों मेें प्राथमिक आजीविका स्रोत के रूप मेें कृ षि पर निर््भरता
और आर््थथिक अवसरोों को सीमित करती है।
ग्रामीण समदु ायोों को मौसम की स््थथिति मेें उतार-चढ़़ाव, फसल की विफलता
z भ्रष्टाचार: विभिन््न स््तरोों पर व््ययाप्त भ्रष्टाचार उन ससं ाधनोों पर रोक लगा देता है,
और बाजार की अनिश्चितताओ ं के प्रति भेद्य बना सकती है, जिससे आय के
जिनका उपयोग विकास कार््यक्रमोों के लिए किया जा सकता है। यह संस््थथाओ ं
स््तर पर असर पड़ सकता है।
को कमजोर करता है और सरकार मेें विश्वास कम करता है, जिससे निर््धनता कम
वर््ष ग्रामीण शहरी करने की प्रभावी पहल मेें बाधा उत््पन््न होती है।
शीर््ष गरीबी शीर््ष गरीबी z अकुशल शासन: नीति कार््ययान््वयन मेें अकुशलता, नौकरशाही और पारदर््शशिता
MPI
गणना की
MPI
गणना की की कमी के कारण गरीबी उन््ममूलन कार््यक्रमोों मेें विलंब और अपव््यय होता है।
अनुपात तीव्रता अनुपात तीव्रता
(H) (A) (H) (A) आर््थथिक और सामाजिक कारक
2019-21 0.086 19.28% 44.55% 0.023 5.27% 43.10% z जनसख् ं ्यया वद्धि
ृ : तेजी से बढ़ती जनसंख््यया संसाधनोों, बनि ु यादी ढाँचे और
2015-16 0.154 32.59% 47.38% 0.039 8.65% 45.27%
रोजगार सृजन के लिए किए जा रहे प्रयासोों पर दबाव डालती है। जनसख्ं ्यया वृद्धि
से भोजन, स््ववास््थ््य सेवा और शिक्षा की आवश््यकता बढ़ती जाती है, जिससे
अनुमान बताते हैैं कि शहरी क्षेत्ररों की तुलना मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें उनके MPI मल्ू ्य सभी की बनि ु यादी जरूरतोों को परू ा करना मश््ककि
ु ल हो जाता है।
मेें तेजी से कमी देखी गई। वर््ष 2015-16 और 2019-21 के बीच शहरी क्षेत्ररों मेें z उच््च बेरोजगारी: आर््थथिक विकास के बावजदू भारत मेें खास तौर पर हाशिये
8.65% से घटकर 5.27% की तुलना मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें गरीबी घटकर 32.59% पर रहने वाली आबादी के बीच बेरोजगारी और अल््प रोजगार की समस््यया
से 19.28% हो गई। है। औपचारिक क्षेत्र मेें नौकरी के अवसरोों की कमी के कारण बहुत से लोग
तालिका: भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों मेें बहुआयामी निर््धनता (स्रोत: अनौपचारिक क्षेत्र मेें फँ स जाते हैैं, जहाँ कम मजदरू ी और सीमित लाभ मिलते हैैं।
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: प्रगति समीक्षा- 2023)। यह राष्ट्रीय परिवार z बुनियादी सेवाओ ं तक सीमित पहुच ँ : कई गरीब व््यक्तियोों के पास शिक्षा,
स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS)- 4 (2015-16) और NFHS- 5 (2019-21) के स््ववास््थ््य सेवा, स््वच््छ जल और स््वच््छता जैसी आवश््यक सवु िधाओ ं तक पहुचँ
सर्वेक्षण अवधि के बीच ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों मेें बहुआयामी गरीबी मेें हुए नहीीं है। इससे अभाव का एक चक्र बनता है, जिससे समाज के उत््पपादक सदस््य
बदलावोों को प्रस््ततुत करता है। बनने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
z शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवा तक सीमित पहुच ँ : z ग्रामीण-शहरी विभाजन: गरीबी दर के मामले मेें ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों
दरू स््थ ग्रामीण इलाकोों मेें गण
ु वत्तापर््णू शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवा सवु िधाओ ं के बीच असमानता अत््यधिक है। ग्रामीण क्षेत्ररों मेें बनिु यादी ढाँचे और अवसरोों
तक सीमित पहुचँ होती है। बनि ु यादी ढाँचे की यह कमी गरीबी के चक्र को की कमी गरीबी को बढ़़ाती है और पहले से ही भीड़भाड़ वाले शहरोों की ओर
जारी रखती है, जिससे मानव विकास मेें बाधा आ सकती है। पलायन को बढ़़ावा देती है।
अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए हताश होकर अपराध की ओर रुख कर जीवन कौशल को बढ़़ावा मिलता है और महत्तत्वपर््णू आधार संरचनाएँ उपलब््ध
सकते हैैं। चोरी या सेेंधमारी जैसे संपत्ति संबंधी अपराध बनि ु यादी जरूरतोों को होती हैैं।
परू ा करने का एकमात्र तरीका लग सकता है। z असमानता को सबं ोधित करना: आर््थथिक असमानता को कम करने से
z सामाजिक अव््यवस््थथा और कमजोर सस् ं ्थथाएँ: गरीबी से पीड़़ित समदु ाय निराशा और उपेक्षित होने की संभावना कम होती है, जो अपराध और हिसं ा
प्रायः सामाजिक अव््यवस््थथा से पीड़़ित होते हैैं। इसमेें कमजोर पारिवारिक को कम करती है।
संरचना, सकारात््मक रोल मॉडल की कमी और सामदु ायिक संस््थथाएँ, जो z सामुदायिक नियंत्रण और पुनर््स्थथापनात््मक न््ययाय: पनु र््स्थथापनात््मक न््ययाय
सहायता प्रदान कर सकती हैैं मेें गिरावट शामिल है। ये सभी कारक मख्ु ्यतः पद्धतियोों के साथ-साथ समदु ायोों और काननू प्रवर््तन के बीच विश्वास का निर््ममाण,
यवु ाओ ं मेें आपराधिक व््यवहार की संभावना को बढ़़ाते हैैं। संघर््ष और अपराध के मल ू कारणोों को संबोधित कर सकता है।
इस अवधारणा का सबसे स््पष्ट उदाहरण निर््धनता का नारीकरण है, जो निर््धनता के चक्र को तोड़ने तथा अधिक समावेशी और समतामूलक समाज
महिलाओ ं पर गरीबी के असंगत प्रभावोों को संदर््भभित करता है। यहाँ हम को बढ़़ावा देने के लिए महिलाओ ं को आर््थथिक और सामाजिक रूप से
इस बात पर गहराई से विचार करते हैैं कि भारत मेें इस मद्ु दे मेें सामाजिक, आर््थथिक सशक्त बनाना महत्तत्वपूर््ण है। इसके लिए निम््न की आवश््यकता है:
और सांस््ककृतिक कारक किस प्रकार योगदान करते हैैं: z कौशल विकास, व््ययावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता कार््यक्रमोों के माध््यम से
परिभाषा 10.3%, परुु षोों के लिए 7.5%) फिर भी मधमु हे से 9.0% वयस््क महिलाएँ
खाद्य एवं कृ षि संगठन (FAO) के अनुसार, भख ु मरी को भोजन ऊर््जजा के और 10.2% वयस््क परुु ष प्रभावित हैैं।
अपर््ययाप्त सेवन से उत््पन््न होने वाली एक कष्टदायक अनुभूति के रूप z विश्व मेें खाद्य सरु क्षा और पोषण की स््थथिति (SOFI): SOFI पौष्टिक
मेें वर््णणित किया गया है। एक व््यक्ति के लिए सामान््य न््ययूनतम ऊर््जजा की भोजन की लागत और भारतीय आबादी के एक बड़़े हिस््ससे के सामने आने
आवश््यकता लगभग 1,800 किलो कै लोरी प्रतिदिन होती है, जिसमेें आयु, वाली वित्तीय चनु ौतियोों के बीच बढ़ते अतं र को रे खांकित करती है।
शरीर का आकार, शारीरिक स््थथिति और गतिविधि के स््तर जैसे कारकोों के वर््ष 2021 मेें, सर्वेक्षण किए गए देशोों मेें भारत चौथे स््थथान पर था, जिसकी
आधार पर भिन््नताएँ होती हैैं। 74% आबादी पौष्टिक आहार का खर््च उठाने मेें असमर््थ थी।
z यद्यपि भारत अपनी जनसंख््यया के लिए पर््ययाप्त खाद्यान््न उत््पपादन करता है, फिर
क्षेत्रीय असमानता: भारत के विविध राज््योों मेें भख ु मरी और कुपोषण के
भी विश्व की 25 प्रतिशत भख ु मरी से पीड़ित जनसख्ं ्यया इसी देश मेें रहती है।
अलग-अलग स््तर हैैं। उदाहरण के लिए, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध््य
कै लोरी हगं र
प्रदेश जैसे राज््योों मेें के रल और तमिलनाडु जैसे राज््योों की तल
ु ना मेें भख
ु मरी
और कुपोषण की व््ययापकता दर अधिक है।
वैश्विक भुखमरी सूचकाांक (GHI), 2023
भख
ु मरी
प्रच््छन््न भख ु मरी z वर््ष 2023 के वैश्विक भख ु मरी सचू कांक मेें भारत ने 125 देशोों के बीच 28.7
प्रोटीन (सूक्षष्म पोषक के GHI स््ककोर के साथ 111वाँ स््थथान हासिल किया, जो भख ु मरी के
हगं र तत्तत्ववों की कमी) महत्तत्वपर््णू स््तर को दर््शशाता है।
भुखमरी के वििभन््न प्रकार z भारत के पड़़ोसी देशोों जिनमेें पाकिस््ततान (102वाँ), बांग््ललादेश (81वाँ),
महत्त्वपूर््ण तथ्य नेपाल (69वाँ) और श्रीलंका (60वाँ) शामिल हैैं। इन देशोों ने भारत की
z अतं रराष्ट्रीय खाद्य नीति अनसु ंधान संस््थथान (IFPRI) के अनसु ार, अनमु ानित तलु ना मेें बेहतर अक ं हासिल किए हैैं।
3.1 मिलियन बच््चोों की मृत््ययु मेें से 1.1 मिलियन बच््चोों की मृत््ययु, सक्षू ष्म पोषक z वैश्विक रुझान
तत्तत्ववों की कमी के कारण होती है। GHI, 2023 रिपोर््ट के अनस ु ार, बेलारूस, बोस््ननिया और हर्जेगोविना,
z IFPRI के अनसु ार, गंभीर एनीमिया के कारण प्रतिवर््ष प्रसव के दौरान 50,000 चिली और चीन शीर््ष रैैंक वाले देशोों मेें शामिल हैैं, जो इन देशोों मेें
महिलाओ ं की मौत हो जाती है। प्रतिवर््ष आयोडीन की कमी के कारण लगभग भखु मरी के निम््न स््तर को दर््शशाता है जबकि यमन, मेडागास््कर और
18 मिलियन बच््चचे कमजोर मस््ततिष््क के साथ पैदा होते हैैं। मध््य अफ्रीकी गणराज््य सबसे निचले स््थथान पर हैैं।
वैश्विक GHI 2023 स््ककोर 18.3 है, जिसे मध््यम माना जाता है जिसमेें
भारत मेें भुखमरी की स्थिति
वर््ष 2015 के बाद से न््ययूनतम सधु ार हुआ है।
z राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS): NFHS भारत मेें भख ु मरी
वर््ष 2017 से कुपोषण की व््ययापकता 572 मिलियन से बढ़कर लगभग
और कुपोषण दर सहित विभिन््न संकेतकोों पर व््ययापक आँकड़़े प्रदान करता है।
735 मिलियन हो गई है।
NFHS-5 (2019-2020) के अनस ु ार, पाँच साल से कम उम्र के बच््चोों
GHI ने प्रगति मेें ठहराव के लिए जलवायु परिवर््तन, युद्ध, आर््थथिक
मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनुपात मेें कम लम््बबाई) की व््ययापकता 38.4%
(NFHS-4) से मामल ू ी रूप से कम होकर 34.7% हो गई है, जबकि सक ं ट, कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन््न
वेस््टटििंग (लम््बबाई के अनुपात मेें कम वजन) 21% से बढ़कर 24.4% सक ं टोों को जिम््ममेदार ठहराया है। इन संकटोों ने सामाजिक और
हो गई है। हालाँकि, ये दरेेंं अभी भी कुपोषण के एक व््ययापक आँकड़े की आर््थथिक असमानताओ ं को बढ़़ा दिया है, जिससे भख ु मरी को कम
ओर संकेत करती हैैं। करने के वैश्विक प्रयासोों मेें बाधा उत््पन््न हुई है।
संयुक्त राष्टट्र खाद्य अंतरराष्ट्रीय मान््यता प्राप्त स्रोतोों से बाल मृत््ययु के अनुमान के लिए
कम पीड़़ित हैैं क््योोंकि उन््हेें दोयम दर्जे का समझा जाता है और आम तौर पर गरीब
GHI-9.9
एवं कृ षि (FAO) उपलब््ध नवीनतम प्रकाशित डाटा सयं क्त
ु राष्टट्र (UNIGME) अतं र
एजेेंसी समूह परिवारोों मेें उन््हेें सबसे आखिर मेें खाना मिलता है। स््ककूलोों तक पहुचँ न होने
के कारण वे मध््ययाह्न भोजन से भी वचित ं रहती हैैं।
z सतत विकास लक्षष्ययों (SDGs) के साथ सरं ेखण
z कुशासन: भ्रष्टाचार, भख ु मरी को मिटाने मेें सबसे बड़़ी बाधा है। लोगोों मेें
कुपोषण की व््ययापकता SDG 2.1 के साथ सरं े खित है, जो सभी के लिए
जागरूकता की कमी से यह समस््यया और भी जटिल हो जाती है।
सरु क्षित, पौष्टिक और पर््ययाप्त भोजन तक पहुचँ सनिश्
ु चित करने पर केें द्रित है।
उदाहरण: खाद्यान््न वितरण मेें अनियमितता है, लाभ के लिए अनाज को
बच््चोों मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनुपात मेें कम लम््बबाई) और वेस््टटििंग खल ु े बाजार मेें बेच दिया जाता है तथा राशन की दक ु ानोों मेें निम््न गणु वत्ता
(लम््बबाई के अनुपात मेें कम वजन) की दरेें सतत विकास लक्षष्य वाला अनाज बेचा जाता है।
(SDG) 2.2 के सक ं े तक हैैं, जिसका उद्देश््य सभी प्रकार के कुपोषण z अज्ञात भुखमरी: परिवारोों को गरीबी रे खा से ऊपर या नीचे के रूप मेें गलत
को समाप्त करना है। तरीके से वर्गीकृ त करने तथा निम््न गणु वत्ता वाले अनाज के कारण खाद्य
रोकथाम योग््य बाल मृत््ययु को कम करना सतत विकास लक्षष्य (SDG) उपभोग मेें गिरावट आती है।
3.2 के अंतर््गत एक लक्षष्य है। z प्रच््छन््न भुखमरी: अनचित ु आहार, बीमारी और गर््भभावस््थथा तथा स््तनपान
z वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) रिपोर््ट, 2023 पर भारत सरकार की के दौरान अपर््ययाप्त पोषण के कारण सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी से प्रच््छन््न
प्रतिक्रिया भख ु मरी पैदा होती है।
z मातृ ज्ञान का अभाव: माताओ ं मेें पोषण, स््तनपान और पालन-पोषण के
कार््यप्रणाली की आलोचना: महिला एवं बाल विकास मत्रा ं लय ने
बारे मेें अपर््ययाप्त समझ चितं ा का एक अन््य विषय है।
रिपोर््ट मेें प्रयक्त
ु कार््यप्रणाली के संबंध मेें आपत्तियाँ उठाई हैैं तथा ‘गंभीर
z सस ं ाधनोों का अपव््यय और जलवायु परिवर््तन: ससं ाधनोों का अपव््यय
कार््यप्रणाली संबंधी चितं ाओ’ं पर प्रकाश डाला है तथा ‘दर््भभाव ु नापर््णू
का परिणाम समाज के निचले तबके को भगु तना पड़ता है क््योोंकि वे बदलती
उद्देश््य’ का आरोप लगाया है।
घटनाओ ं के साथ तालमेल नहीीं बिठा पाते हैैं।
विरोधाभासी आँकड़़े: सरकार के पोषण सक ं े तक के आँकड़़े लगातार इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर््तन के परिणामस््वरूप रे गिस््ततानोों का
यह सकं े त देते हैैं कि बच््चोों मेें कुपोषण की व््ययापकता 7.2% से कम है, विस््ततार, मृदा अपरदन, जल की कमी और चरम मौसम संबंधी घटनाएँ
जो कि GHI के 18.7% के आँकड़़े के विपरीत है। गरीब लोगोों को अधिक प्रभावित करती हैैं, जिससे भख ु मरी बढ़ती है।
बाल स््ववास््थ््य पर जोर: सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि चार z प्राकृतिक आपदाएँ: मौसम की चरम स््थथितियोों के कारण भख ु मरी का संकट
GHI संकेतकोों मेें से तीन बच््चोों के स््ववास््थ््य पर केें द्रित हैैं, जिससे परू ी पैदा होता है। सख ू े और बाढ़ से फसलेें नष्ट हो जाती हैैं और गरीब लोग
आबादी का प्रतिनिधित््व प्रभावित हो सकता है। असरु क्षित हो जाते हैैं।
सदिं ग््ध नमूना आकार (सैम््पल साइज): सरकार ने ‘अल््पपोषित z जैसा कि वर््ष 2018 के आर््थथिक सर्वेक्षण मेें बताया गया है कि शौचालय की
जनसंख््यया के अनपु ात’ सचू क की सटीकता के बारे मेें संदहे व््यक्त किया सवु िधा की कमी के कारण महिलाएँ खल ु े मेें शौच जाने से बचने के लिए कम
है, क््योोंकि यह एक छोटे नमनू ा आकार के जनमत सर्वेक्षण पर निर््भर है। खाना खाती हैैं।
प्रच््छन््न भख
ु मरी, जिसे सूक्षष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी भी कहा जाता है। यह तब z बच््चचे एवं किशोर: स््टटंटिंग (उम्र के अनपु ात मेें कम लम््बबाई) और वेस््टटििंग
प्रकट होती है, जब आवश््यक विटामिन, प्रोटीन और खनिजोों का सेवन (लम््बबाई के अनपु ात मेें कम वजन) , मानसिक दर््बु लता, नियमित संक्रमण, बाल
या अवशोषण बच््चोों मेें इष्टतम स््ववास््थ््य और विकास को बनाए रखने के लिए स््ववास््थ््य एवं जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव, उच््च मृत््ययु दर आदि।
और वयस््कोों मेें सामान््य शारीरिक और मानसिक कार्ययों के लिए आवश््यक स््तर z गर््भवती महिलाएँ: मृत््ययु दर मेें वृद्धि, प्रसवकालीन जटिलताओ ं मेें वृद्धि आदि।
प्रच््छन््न भुखमरी के कारण: सूक्षष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी, अनुचित आहार, बीमारियोों का बढ़ता जोखिम, यहाँ तक कि हल््ककी से मध््यम कमियाँ भी व््यक्ति
पौष्टिक भोजन की अनुपलब््धता, पहुचँ और सामर््थ््य की कमी। उदाहरण - मांस, के स््ववास््थ््य और विकास को प्रभावित कर सकती हैैं।
फल, सब््जजियाँ आदि। जागरूकता की कमी, सुरक्षित पेयजल और स््वच््छता z राष्टट्ररों के विकास पर प्रभाव: मानव स््ववास््थ््य को प्रभावित करने के अलावा
सवु िधाओ ं की कमी, जीवन के कुछ चरणोों के दौरान सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की प्रच््छन््न भख ु मरी विशेष रूप से निम््न और मध््यम आय वाले देशोों मेें
अधिक जरूरत होती है जै से - गर््भभावस््थथा और स््तनपान के दौरान। कृ षि मेें फसल सामाजिक-आर््थथिक विकास को बाधित कर सकती है।
विविधता का अभाव आदि।
'प्रच््छन््न भुखमरी', भख ु मरी उत््पन््न नहीीं करती जैसा कि हम जानते हैैं। हो
वैश्विक प्रच्छन्न भुखमरी संक ट सकता है कि आप इसे पेट मेें महसूस न करेें लेकिन यह आपके स््ववास््थ््य और
z 2 अरब से अधिक लोग प्रच््छन््न भुखमरी से पीड़़ित हैैं, जो उन 805 जीवन शक्ति पर हमला करती है। - यूनिसेफ (UNICEF)
मिलियन लोगोों के दोगनु े से भी अधिक हैैं, जिन््हेें खाने के लिए पर््ययाप्त कै लोरी प्रच्छन्न भुखमरी से निपटने के उपाय
नहीीं मिलती (खाद्य एवं कृ षि सगं ठन, 2014)।
z अनुपूरण: यह एक तकनीकी दृष्टिकोण है, जिसमेें पोषक तत्तत्ववों को सिरप या
z अफ्रीका का अधिकांश भाग, सहारा का दक्षिणी भाग तथा दक्षिण
गोलियोों के माध््यम से सीधे वांछित जनसख्ं ्यया तक पहुचँ ाया जाता है।
एशियाई उपमहाद्वीप ऐसे क्षेत्र हैैं, जहाँ प्रच््छन््न भख
ु मरी की व््ययापकता बहुत
अनप ु रू ण कार््यक्रमोों का उपयोग के वल अल््पकालिक उपाय के रूप
अधिक है।
मेें किया जाता है और फिर उन््हेें दीर््घकालिक, सध ं ारणीय खाद्य-
z कई विकासशील देश कुपोषण के ‘तिहरे बोझ’ के रूप मेें जानी जाने वाली
आधारित उपायोों जैसे कि फोर््टटिफिके शन और आहार सश ं ोधन के
विपत्ति - अल््पपोषण, सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी और मोटापा का
साथ प्रतिस््थथापित कर दिया जाता है।
सामना कर रहे हैैं।
z खाद्य सदृु ढ़ीकरण (Food Fortification) एवं जैव सदृु ढ़ीकरण
प्रच्छन्न भुखमरी से निपटने मेें चुनौतियााँ
(Biofortification)
z एकीकृ त बाल विकास सेवा (ICDS), सार््वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य सदृ ु ढ़़ीकरण या सवर्दद्धन
ं मेें भोजन मेें आवश््यक सक्षू ष्म तत्तत्ववों
और खाद्य सरु क्षा जैसे कार््यक्रमोों के क्रियान््वयन मेें महत्तत्वपर््णू अतं राल मौजदू और विटामिनोों को शामिल किया जाता है, जिससे बड़़े पैमाने पर
हैैं। उदाहरण के लिए- अधिकांश राज््योों मेें बच््चोों के लिए आयरन सिरप की अभाव जन््य रोगोों की रोकथाम होती है।
भारी कमी है, जिसे तत््ककाल सधु ारने की आवश््यकता है।
मख् ु ्य खाद्य पदार्थथों और मसालोों मेें सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों को शामिल करने से
z यद्यपि राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम (NFSA) के तहत सार््वभौमिक मातृत््व पोषण संबंधी कमियोों को दरू करने मेें महत्तत्वपर््णू योगदान मिल सकता है।
अधिकार सनिश् ु चित किया गया है फिर भी इसके कार््ययान््वयन मेें अनेक बाधाएँ हैैं।
बायोफोर््टटिफिके शन मेें फसलोों की पोषकता बढ़़ाने के लिए आपस
z सर््व शिक्षा अभियान, मध््ययाह्न भोजन योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण स््ववास््थ््य
मेें उनका प्रजनन कराना शामिल है। इसे पारंपरिक चयनात््मक प्रजनन
मिशन जैसी संस््थथागत सहायता प्रणालियाँ पहले से ही मौजदू हैैं, लेकिन उन््हेें
या आनवु शि ं क इजं ीनियरिंग के माध््यम से प्राप्त किया जा सकता है।
सदृु ढ़़ीकरण की आवश््यकता है।
पारंपरिक फोर््टटिफिके शन के विपरीत, बायोफोर््टटिफिके शन प्रसस् ं ्करण के
z यवतियो
ु ों मेें रक्त अल््पता (एनीमिया) को कम करने के लिए साप्ताहिक आयरन-
दौरान पोषक तत्तत्ववों को जोड़ने के बजाय पौधोों के खाद्य पदार्थथों के
फोलिक एसिड अनपु रू ण कार््यक्रम लागू करना प्रच््छन््न भख ु मरी को दरू करने
पोषण मूल््य को बढ़़ाने पर ध््ययान केें द्रित करता है।
की दिशा मेें एक सकारात््मक कदम है।
z भारत व््ययापक स््तर पर आयरन की कमी से निपटने के लिए बाजरा जैसी z खाद्य विविधीकरण
आयरन-समृद्ध फसलोों की कृ षि को बढ़़ावा दे रहा है, जिनमेें विटामिन बी, इसका अर््थ है सक्ष ू ष्म पोषक तत्तत्ववों से भरपरू खाद्य पदार्थथों की मात्रा और
कै ल््शशियम, आयरन, पोटेशियम, मैग््ननीशियम और जिंक प्रचरु मात्रा मेें होते हैैं। सीमा दोनोों को बढ़़ाना।
z लक्षित जनसंख््यया मेें विशिष्ट सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी को दरू करने के यह जनसंख््यया के पोषण मेें सध ु ार करने का अधिमानित तरीका है
उद्देश््य से खाद्य सदृु ढ़ीकरण (फ़ूड फोर््टटिफिके शन) और जैव-सदृु ढ़ीकरण क््योोंकि इसमेें न के वल सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों बल््ककि ऑक््ससीकरण रोधी
(बायोफोर््टटिफिके शन) जैसी नवीन कृ षि तकनीकोों को प्रोत््ससाहित किया जाना (एटं ीऑक््ससीडेेंट) और प्रोबायोटिक््स जैसे कई खाद्य घटकोों के सेवन मेें
चाहिए। सधु ार करने की क्षमता है।
अन््न योजना (AAY) के तहत सबसे गरीब परिवारोों को प्रति माह 35 स््तनपान कराने वाली माताओ ं की पोषण और स््ववास््थ््य स््थथिति को
किलोग्राम अनाज मिलना जारी रहेगा। सध ु ारना तथा मृत््ययु दर, रुग््णता और कुपोषण दर को कम करना है।
रियायती मूल््य और सश ं ोधन: अधिनियम के लागू होने से तीन वर्षषों तक, z मध््ययाह्न भोजन योजना (MDMS): MDMS स््ककू ली बच््चोों को निःशल्ु ्क
TPDS के अतर््गत ं खाद्यान््न चावल, गेहूँ और मोटे अनाज क्रमशः 3/2/1 भोजन उपलब््ध कराती है, जिसका उद्देश््य उनके पोषण स््तर मेें सधु ार करना,
रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती कीमत पर उपलब््ध हैैं। स््ककू ल मेें उपस््थथिति बढ़़ाना और शिक्षा को बढ़़ावा देना है।
परिवार की पहचान: पात्र परिवारोों की पहचान राज््योों/संघ राज््य क्षेत्ररों z पीएम-पोषण: सितंबर, 2021 मेें केें द्रीय मत्रिम ं डं ल ने प्रधानमत्री
ं पोषण शक्ति
द्वारा लक्षित सार््वजनिक वितरण प्रणाली के अतर््गत ं की जाती है तथा निर््ममाण (पीएम-पोषण) को मजं रू ी दी, जिसमेें सरकारी और सरकारी सहायता
प्रत््ययेक राज््य के लिए विशिष्ट मानदडं निर््धधारित किए जाते हैैं। प्राप्त स््ककूलोों मेें गर््म पका हुआ भोजन उपलब््ध कराने के लिए 1.31 ट्रिलियन
महिलाओ ं और बच््चोों के लिए पोषण सहायता: 6 महीने से 14 रुपये का बजट आवटित ं किया गया।
वर््ष की आयु के बच््चचे, गर््भवती महिलाएँ और स््तनपान कराने वाली इस पहल ने स््ककूलोों मेें मध््ययाह्न भोजन के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम का स््थथान
माताएँ एकीकृ त बाल विकास सेवा (ICDS) और मिड-डे मील (MDM) लिया, जिसे ‘मिड-डे मील’ योजना के नाम से जाना जाता है ।
योजनाओ ं के तहत निर््धधारित पोषण मानदडों ों को परू ा करने वाले भोजन
वर््ष 2021-22 से 2025-26 तक पाँच वर्षषों की प्रारंभिक अवधि के लिए
के हितग्राही हैैं। 6 वर््ष तक के कुपोषित बच््चोों को उच््च पोषण मानदडं
संचालित होगी।
प्रदान किए जाते हैैं।
कवरे ज: प्राथमिक (कक्षा 1-5) और उच््च प्राथमिक (कक्षा 6-8)
मातृत््व लाभ: गर््भवती महिलाओ ं और स््तनपान कराने वाली माताओ ं
स््ककू ली बच््चोों को प्रति कार््य दिवस क्रमशः 100 ग्राम और 150 ग्राम
को 6,000 रुपये का मातृत््व लाभ मिलता है।
खाद्यान््न आवंटित किया जाता है, जिससे न््ययूनतम 700 कै लोरी सनिश् ु चित
महिला सशक्तीकरण: राशन कार््ड जारी करने के लिए परिवार की सबसे
होती है। इसके अतिरिक्त यह कार््यक्रम बालवाटिका (3-5 वर््ष की आयु)
बड़़ी महिला (जो 18 वर््ष या उससे अधिक की हो) को मखि ु या नियक्त ु
के छात्ररों तक विस््ततारित है, जो प्री-प्राइमरी कक्षाओ ं मेें पढ़ रहे हैैं।
किया जाता है।
पीएम पोषण योजना (जिसे पहले मिड-डे मील योजना के रूप मेें जाना
शिकायत निवारण तंत्र: शिकायतोों का समाधान जिला और राज््य स््तर
पर स््थथापित तंत्ररों के माध््यम से किया जाता है। जाता था) का प्राथमिक लक्षष्य भारत मेें बच््चोों के एक बड़़े हिस््ससे के सामने
आने वाले दो महत्तत्वपूर््ण मुद्ददों से निपटना है: भुखमरी और शिक्षा।
परिवहन और हैैंडलिंग लागत: राज््योों को केें द्र सरकार द्वारा परिवहन,
इस पहल का उद्देश््य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स््ककूलोों मेें
खाद्यान््नोों की हैैंडलिंग और उचित मल्ू ्य दक ु ान (FPS) डीलरोों के मार््जजिन
को कवर करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। पढ़ने वाले पात्र बच््चोों के पोषण स््तर को सध ु ारना है।
पारदर््शशिता और जवाबदेही: यह प्रावधान PDS रिकॉर््ड के प्रकटीकरण, इसके अतिरिक्त इसका उद्देश््य वंचित पष्ठ ृ भूमि से आने वाले वंचित
सामाजिक लेखा परीक्षा और सतर््कता समितियोों की स््थथापना के माध््यम बच््चोों को स््ककू ल मेें अधिक नियमित रूप से उपस््थथित होने के लिए
से पारदर््शशिता सनिश्ु चित करते हैैं। प्रोत््ससाहित करना है, जिससे वे कक्षा मेें बेहतर ढंग से ध््ययान केें द्रित कर सकेें ।
खाद्य सरु क्षा भत्ता: खाद्यान््न या भोजन की आपर्ू ्तति न होने की स््थथिति मेें z पोषण (समग्र पोषण के लिए प्रधानमंत्री की व््ययापक योजना) अभियान:
लाभार््थथियोों को खाद्य सरु क्षा भत्ता प्रदान किया जाता है। वर््ष 2018 मेें शरू ु किए गए इस अभियान का उद्देश््य पोषण परामर््श, स््ववास््थ््य
दड ं : जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा अनश ु सित
ं राहत का जाँच और सक्षू ष्म पोषक परू कता सहित विभिन््न हस््तक्षेपोों के माध््यम से बच््चोों,
अनपु ालन न करने पर राज््य खाद्य आयोग द्वारा दडं लगाया जा सकता है। किशोरोों और गर््भवती महिलाओ ं मेें कुपोषण को कम करना है।
z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन (NHM): NHM विभिन््न हस््तक्षेपोों जैसे टीकाकरण, अनवर् ु ती देखभाल प्रदान की जाती है।
प्रसवपर््वू देखभाल और पोषण परामर््श के माध््यम से कुपोषण को दरू करने सहित प्रोटोकॉल मेें 'दोस््त माँ'(Buddy Mother) पहल की शरु ु आत की गई
मातृ एवं बाल स््ववास््थ््य मेें सधु ार लाने पर ध््ययान केें द्रित करता है। है, जिसमेें स््वस््थ शिशओ ु ं की माताएँ कु पोषित बच््चोों की माताओ ं को
z खाद्य सदृु ढ़ीकरण कार््यक्रम: सरकार ने चावल, गेहूँ और नमक जैसे मख्ु ्य मार््गदर््शन प्रदान करती हैैं।
खाद्य पदार्थथों को सदृु ढ़ बनाने के लिए आवश््यक विटामिन और खनिज जैसे आहार विविधता और सक्ष ू ष्म पोषक तत्तत्ववों से भरपरू भोजन को प्रोत््ससाहित
आयरन, आयोडीन, जिंक और विटामिन A और D को शामिल करने किया जाता है।
के लिए कार््यक्रम शुरू किए हैैं ताकि विशेष रूप से कमजोर आबादी के उल््ललेखनीय बात यह है कि 5 वर््ष से कम आयु के 7.7% बच््चचे गंभीर रूप
बीच पोषण संबंधी परिणामोों मेें सधु ार हो सके । से वेस््टटििंग (लम््बबाई के अनपु ात मेें कम वजन) से पीड़़ित हैैं।
पोषण अभियान के अतर््गत ं राज््योों के लिए लचीलापन बढ़़ाना ताकि वे z पोषण MIS को सदृु ढ़ करना और निगरानी तंत्र को मजबूत करना
सदं र््भ-विशिष्ट कार््ययान््वयन के लिए कार््यक्रम तैयार कर सकेें और नवीन IT-आधारित वास््तविक-समय निगरानी तंत्र को लागू करना।
स््ववास््थ््य देखभाल उपायोों, जन््म अत ं राल, विशिष्ट स््तनपान तथा परू क माता-पिता का मोटापा, माता का कुपोषण
आहार तक समय पर पहुचँ पर ध््ययान केें द्रित करना । z मोटापा कम करने की दिशा मेें भारत की कार््रवाई
टीकाकरण को प्राथमिकता जिसमेें रोटावायरस और न््ययूमोकोकल टीके FSSAI की ‘ईट राइट इडिय ं ा’ पहल: सरु क्षित और पौष्टिक भोजन
शामिल हैैं। का समावेशन करती है। स््ककू ल परिसर के आसपास स््वस््थ भोजन को
बढ़़ावा देती है।
मख् ु ्य खाद्य पदार्थथों के अनिवार््य फोर््टटिफिके शन पर विचार करना तथा
फिट इडिय ं ा पहल: फिटनेस और शारीरिक गतिविधियोों के बारे मेें
फोर््टटिफाइड खाद्यान््नोों और डबल फोर््टटिफाइड नमक को सरकारी कार््यक्रमोों जागरूकता फै लाना और फिटनेस को हर स््ककू ल, कॉलेज और गाँव तक
मेें शामिल करना । पहुचँ ाना।
सक्ष ू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी मेें सधु ार के लिए अनाज के जैव-सदृु ढ़़ीकरण माँ का निरपे क्ष स््ननेह (MAA) कार््यक्रम: शिशु और छोटे बच््चोों के