PRAHAAR Social Justice

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MAINS WALLAH (STATIC + CURRENT)

स वल सेवा मु परी ा-2024 पर अं तम ‘ हार’

सामा जक ाय

वशेषताएँ
सम एवं सिं नोटस ्
ामािणक ोत से अ ितत आकड़ ँ े एवं त य
गणव
ु ू उ र लेखन के िलए मह वपण
ापण ू क -वडस

िवगत वष म पछेू गए के साथ समायोिजत
पारपं रक टॉिप स का समसामियक घटनाओ ं के साथ जोड़कर ततीकरण

िवषय सूची
1. सुभद्य
े (कमजोर ) वर््ग और सामाजिक न्याय  1-7 5. व
 रिष्ठ नागरिक, विकलाांग/दिव्ययांग व्यक्ति,
‰ परिचय......................................................................................... 1 LGBTQIA+ समुदाय एवं अल्पसंख्यक 61-83
‰ भारत मेें सामान््य सभु ेद्य (असरु क्षित) वर्गगों का विभाजन ............................. 1 ‰ भारत मेें दत्तक ग्रहण प्रक्रिया............................................................. 57
‰ समावेशी विकास, आय असमानता और सामाजिक न््ययाय........................... 6 ‰ वरिष्ठ नागरिक............................................................................. 61
‰ भारत मेें वरिष्ठ नागरिकोों के समक्ष चनु ौतियाँ.......................................... 62
2. समाज के कमजोर वर््ग /जाति / जनजातियााँ  8-28 ‰ वृद्धजनोों के जीवन की गणु वत्ता मेें सधु ार के उपाय................................... 63
‰ नीति आयोग की अनुशंसाएँ: आगे की राह............................................ 65
‰ अनुसूचित जातियाँ........................................................................... 8
‰ आर््थथि क सशक्तीकरण...................................................................... 65
‰ अनुसूचित जाति की शिकायतोों के समाधान हेतु सरकारी पहलेें ................. 10 ‰ विकलांग/ दिव््ययाांग व््यक्ति ................................................................. 66
‰ अनुसूचित जनजातियाँ (STs).......................................................... 14 ‰ अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों (PwDs) से जड़ु ़ी चनु ौतियाँ .................... 67
‰ अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC)................................................................. 23 ‰ भारत मेें अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों (PwDs) के लिए प्रावधान............... 68
‰ कल््ययाणकारी कार््यक्रमोों के कार््ययान््वयन मेें सहायता................................. 69
3. महिलाएँ  29-42 ‰ LGBTQIA +.............................................................................. 70
‰ परिचय....................................................................................... 29 ‰ भारत मेें LGBTQIA+ मुद्दे............................................................... 71
‰ महिला सशक्तीकरण के लिए योजनाएँ.................................................. 30 ‰ LGBTQIA+ के कल््ययाण के लिए उठाए गए कदम.................................. 72
‰ समाचारोों मेें रहे चर््चचित मद्ु दे................................................................ 75
‰ महिला कल््ययाण के लिए संस््थथाएँ........................................................ 31
‰ महिला कल््ययाण के लिए विधायी हस््तक्षेप............................................. 32 6. स्वास्थ्य और पोषण 84-95
‰ महिला आरक्षण अधिनियम, 2023..................................................... 33 ‰ स््ववास््थ््य...................................................................................... 84
‰ महिलाओं के लिए कल््ययाणकारी योजनाएँ/कार््यक्रम................................. 34 ‰ संवैधानिक प्रावधान....................................................................... 84
‰ समाचार मेें रहे मद्ु दे......................................................................... 37 ‰ मुख््य तथ््य................................................................................... 84
‰ रिपोर््ट के मख्ु ्य निष््कर््ष .................................................................... 85
4. बच्चे, किशोर और युवा  43-60 ‰ राष्ट्रीय स््ववास््थ््य लेखा (NHA) अनुमान, 2018-19............................... 85
‰ परिचय....................................................................................... 43 ‰ भारत मेें स््ववास््थ््य संरचना................................................................ 85
‰ बच््चचा (Child).............................................................................. 43 ‰ स््ववास््थ््य क्षेत्र मेें चनु ौतियाँ................................................................. 85
‰ स््ववास््थ््य तक पहुचँ मेें सधु ार हेतु सरकारी हस््तक्षेप................................. 86
‰ किशोर और यवु ा (Adolescent and youth)...................................... 43
‰ प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल का महत्तत्व................................................. 87
‰ तथ््य और आँकड़े (facts and figures)............................................. 43
‰ स््ववास््थ््य से संबंधित हालिया मद्ु दे....................................................... 88
‰ भारत मेें बाल अधिकार (child rights in India)................................... 44 ‰ स््ववास््थ््य का अधिकार..................................................................... 88
‰ बच््चोों की असरक्षा
ु .......................................................................... 44 ‰ ‘स््ववास््थ््य के अधिकार’ के लिए संवैधानिक सरक्षा ु ................................... 88
‰ सरक्षा
ु (भेद्यता) को प्रभावित करने वाले कारक...................................... 44 ‰ स््ववास््थ््य के अधिकार से संबंधित चनु ौतियाँ.......................................... 88
‰ बच््चोों से संबंधित मुद्ददों से निपटने के लिए पहल और समाधान................... 45 ‰ राष्ट्रीय आत््महत््यया रोकथाम रणनीति.................................................. 89
‰ भारत मेें बाल संरक्षण के लिए विधिक ढाँचा ......................................... 45 ‰ भारत मेें आत््महत््यया से होने वाली मौतोों पर आँकड़़े ................................ 89
‰ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)................................. 46 ‰ सरकारी पहल............................................................................... 89
‰ बच््चोों के लिए कल््ययाणकारी योजनाएँ.................................................. 47
‰ सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी........................................................... 90
‰ विज़न 2035: भारत मेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी............................. 90
‰ भारत मेें बाल, किशोर और यवु ा कल््ययाण के
‰ सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी का लाभ............................................... 90
लिए ऐप््स और पोर््टल पहल.............................................................. 48
‰ सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी बनाए रखने मेें चनु ौतियाँ............................ 90
‰ समाचारोों मेें रहे चर््चचित मुद्दे................................................................ 49 ‰ आयष्ु ्ममान भारत डिजिटल मिशन का महत्तत्व.......................................... 91

I  I
‰ वाश कार््यक्रम (WASH Programme).............................................. 91 ‰ लर््नििं ग पॉवर्टी (अधिगम निर््धनता)..................................................... 103
‰ वॉश (WASH) का महत्तत्व................................................................ 91 ‰ अधिगम निर््धनता को समाप्त करने की आवयश््कता............................... 103
‰ वॉश (WASH) को बढ़़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ......................... 92 ‰ अधिगम निर््धनता मेें वृद्धि के कारण................................................... 103
‰ वॉश (WASH) हासिल करने मेें चनु ौतियाँ............................................ 92 ‰ सीखने की क्षमता का महत्तत्व............................................................ 104
‰ आशा (मान््यता प्राप्त सामाजिक स््ववास््थ््य कार््यकर््तता) कार््यकर््तता................... 92 ‰ नई शिक्षा नीति, 2020.................................................................. 104
‰ आशा कार््यकर््तताओं की भूमिका.......................................................... 92 ‰ प्रगति और चनु ौतियाँ.................................................................... 104
‰ आशा कार््यकर््तताओं के समक्ष चनु ौतियाँ................................................. 92 ‰ अधिगम दृष्टिकोण........................................................................ 104
‰ सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरेज (UHC)................................................. 93 ‰ नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 की मुख््य विशेषताएँ............................... 104
‰ एक स््ववास््थ््य (One Health)........................................................... 93 ‰ उच््चतर शिक्षा............................................................................. 105
‰ राष्ट्रीय आयषु मिशन (NAM)........................................................... 93 ‰ एनईपी 2020 का महत्तत्व और चनु ौतियाँ............................................. 105
‰ डिजिटल स््ववास््थ््य पर वैश्विक पहल.................................................... 94 ‰ डिजिटल शिक्षा/ ई-लर््नििं ग............................................................... 106
‰ SPECS 2030 पहल.................................................................... 94 ‰ ई-लर््नििं ग (E-LEARNING)........................................................... 106
‰ प्रेरणा: एक अनुभवात््मक शिक्षण कार््यक्रम........................................... 106
7. शिक्षा  96-107 ‰ चनु ौतियाँ................................................................................... 106
‰ परिचय....................................................................................... 96 ‰ सरकारी पहल............................................................................. 106
‰ संवैधानिक प्रावधान....................................................................... 96 ‰ स््वयं प््लस प््ललेटफार््म (SWAYAM Plus Platform)........................... 106
‰ महत्तत्वपूर््ण तथ््य.............................................................................. 96
‰ शिक्षा की वार््षषिक स््थथिति रिपोर््ट, 2023................................................ 96 8. मानव संसाधन  108-113
‰ चनु ौतियाँ..................................................................................... 96 ‰ परिचय..................................................................................... 108
‰ सरकारी हस््तक्षेप .......................................................................... 96 ‰ मानव पूज ँ ी सूचकांक, 2023........................................................... 108
‰ माध््यमिक शिक्षा............................................................................ 97 ‰ मानव संसाधन से संबंधित तथ््य और आँकड़़े...................................... 108
‰ उच््चतर शिक्षा............................................................................... 97 ‰ चनु ौतियाँ................................................................................... 108
‰ हालिया उपाय.............................................................................. 97 ‰ सरकारी हस््तक्षेप......................................................................... 109
‰ प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा......................................................... 97 ‰ पीएम दक्ष.................................................................................. 110
‰ उच््चतर शिक्षा............................................................................... 97 ‰ योजना की मुख््य विशेषताएँ............................................................ 110
‰ व््ययावहारिक सझ ु ाव......................................................................... 98 ‰ पात्रता (ELIGIBILITY)............................................................... 110
‰ शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009................................................ 99 ‰ कार््ययान््वयन (IMPLEMENTATION)............................................. 110
‰ आरटीई अधिनियम के महत्तत्वपूर््ण तथ््य................................................ 99 ‰ सतत विकास लक्षष्य...................................................................... 110
‰ आरटीई अधिनियम की सीमाएँ.......................................................... 99 ‰ भारत मेें प्रवासन 2020-2021 रिपोर््ट............................................... 110
‰ राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना......................................................... 99 ‰ चक्रीय प्रवासन (Circular Migration) : परिघटना की समझ................. 110
‰ प्रौद्योगिकी हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन............................................... 99 ‰ यूनिसेफ की सिफारिशेें.................................................................. 111
‰ एडटेक का विनियमन.................................................................... 100
‰ स््व-नियमन (SELF -REGULATION)........................................... 100
9. गरीबी एवं भुखमरी  114-130
‰ विनियमन की आवश््यकता............................................................. 100 ‰ गरीबी या निर््धनता ...................................................................... 114
‰ ऋण आधारित शल्ु ्क प्रणाली.......................................................... 100 ‰ निर््धनता के कारण....................................................................... 116
‰ सामाजिक कौशलोों पर अल््प ध््ययान................................................... 100 ‰ भौगोलिक, पर््ययावरणीय और आर््थथि क कारक........................................ 117
‰ उच््च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2021-2022 के मुख््य ‰ निर््धनता का नारीकरण ................................................................. 122
निष््कर््ष..................................................................................... 100 ‰ भख ु मरी.................................................................................... 123
‰ उच््च शिक्षा मेें निजी क्षेत्र ............................................................... 101 ‰ भारत मेें भख ु मरी की स््थथिति........................................................... 123
‰ निजी संस््थथानोों की भूमिका............................................................. 101 ‰ भारत मेें भख ु मरी के कारण............................................................. 124
‰ प्रतिभा पलायन........................................................................... 102 ‰ प्रच््छन््न भखु मरी (Hidden भ्unger).............................................. 125
‰ महत्तत्वपूर््ण तथ््य............................................................................ 102 ‰ भख ु मरी उन््ममूलन के लिए भारत सरकार की पहलेें ............................... 126
‰ सरकार द्वारा किए गए उपाय........................................................... 102 ‰ पोषण संवद्धि ृ हेतु नीति आयोग की अभिनव भारत @75 कार््यनीति .......... 128
‰ प्रतिभा पलायन का समाधान करने के लिए सझ ु ाव................................ 103 ‰ नीति आयोग: मोटापे की रोकथाम पर राष्ट्रीय सम््ममेलन.......................... 128

II   प्रहार 2024: आधुनिक भारत का इितहास II


सुभेद्य (कमजोर) वर््ग और
1 सामाजिक न्याय
z सभु द्ये (असरु क्षित) वर्गगों की विशेषताएँ:
परिचय
 समूह सभ ु ेद्यता: ये वर््ग सामहि ू क रूप से असरु क्षित होते हैैं।
सामाजिक न््ययाय के लिए प्रयास करना जीवन का सबसे मूल््यवान कार््य
 कारक: सभ ु द्ये ता सामाजिक-सांस््ककृतिक और आर््थथिक कारकोों से उत््पन््न
है।  -अल््बर््ट आइस्ं ्टटीन
सामाजिक न््ययाय के बिना आजादी अधूरी है।  -अटल बिहारी वाजपेयी। होती है।
“एक न््ययायपूर््ण समाज वह समाज है जिसमेें परस््पर सम््ममान की बढ़ती  व््यवस््थथित और सरं चित: सभ ु द्ये ता व््यवस््थथित है और सामाजिक संरचना
हुई भावना और अपमान ​​की घटती हुई भावना मिलकर एक करुणामयी मेें अतं र््ननिहित होती है।
समाज का निर््ममाण करती है।”  -डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर  वर्गीकरण: भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा इन््हेें तीन मख् ु ्य श्रेणियोों
भारत, मख्ु ्य रूप से एक जाति-आधारित समाज होने के कारण, गहरी सामाजिक मेें वर्गीकृ त किया गया है, जिनमेें शामिल हैैं - अनसु चि ू त जाति(SC),
असमानताओ ं का सामना करता रहा है। ये सामाजिक असमानताएँ जाति, अनसु चि ू त जनजाति(ST) और अन््य पिछड़़ा वर््ग(OBC)।
लिंग, दिव््ययाांगता, सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति एवं भौगोलिक स््थथिति सहित
z विस््ततारित सच ू ी: महिलाएँ, बजु र््गु व््यक्ति, दिव््ययाांग और यौन अल््पसंख््यक
अनेक कारकोों की परस््पर जटिल क्रिया से उत््पन््न होती हैैं। ये कारक समस््ययाओ ं
की अधिव््ययापी परतेें बना सकते हैैं, जिससे कुछ समहोू ों के सदस््योों के लिए सदस््य।
‘गरीबी, उपेक्षित रहने और स््ववास््थ््य देखभाल जैसी आवश््यक सेवाओ’ं तक z सामाजिक न््ययाय एवं अधिकारिता विभाग को समाज के वंचित और उपेक्षित
सीमित पहुचँ के चक्र से मक्त
ु होना, विशेष रूप से कठिन हो जाता है। हालाँकि, वर्गगों के सशक्तीकरण का कार््य सौौंपा गया है। मत्रालय ं के लक्षित समहोू ों मेें
समकालीन भारत विभिन््न सरकारी और गैर-सरकारी पहलोों के माध््यम से इन अनसु चि ू त जाति(SC), अन््य पिछड़़ा वर््ग(OBC), वरिष्ठ नागरिक, मादक द्रव््योों
असमानताओ ं को पाटने का प्रयास कर रहा है। के सेवन के शिकार, विमक्त ु , घमु तं ू और अर्दद्ध-घमु तं ू जनजातियाँ, भिखारी तथा
सुभेद्यता ट््राांसजेेंडर इत््ययादि शामिल हैैं।
z सभु ेद्यता(असरु क्षा) बाह्य शक्तियोों से उत््पन््न होने वाली हानि या क्षति की भारत मेें सामान्य सुभद्ये
संभावना है।
(असुरक्षित ) वर्गगों का विभाजन
सुभेद्यता के प्रकार
 भौतिक सभ ु ेद्यता: गरीबोों के लिए स््ववामित््व और पात्रता अधिकारोों का जाति और सामाजिक पहचान के आधार पर
अभाव, उदाहरण: गरीब जनता। z अनुसचू ित जातियाँ (SC): पहले ‘अछूत’ के रूप मेें जानी जाती थीीं, इन
 आर््थथिक सभ ु ेद्यता: अपर््ययाप्त वेतन वाले अनौपचारिक रोजगार के कारण जातियोों को सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
अनियमित आय, उदाहरण: प्रवासी श्रमिक। z अनुसचू ित जनजाति (ST): मख्ु ्य धारा से हटकर, सामाजिक संसाधनोों और
 सामाजिक सभ ु ेद्यता: आय असमानता के कारण, निम््न वर््ग और मध््यम विकास से वंचित रहने के कारण शिक्षा और विकास मेें चनु ौतियोों का सामना
वर््ग के बीच अतं र पैदा होता है, उदाहरण :निम््न वर््ग और मध््यम वर््ग। करने वाले स््थथानिक समदु ाय।
 व््यक्तिगत सभ ु ेद्यता: व््यक्तिगत तौर पर अन््ययाय और हिसं ा के शिकार, z अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC): ऐतिहासिक क्षति और आर््थथिक एवं सामाजिक
विशेष रूप से निचली जाति के लोग और अल््पसंख््यक, जिनमेें महिलाएँ, असमानताओ ं का सामना करने वाले विविध समदु ाय।
बच््चचे, बजु र््गु , दिव््ययाांग और निराश्रित शामिल हैैं, उदाहरण : निम््न जाति
की महिलाएँ। z आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS): गरीबी और अवसरोों की कमी का
सामना करने वाले समहू जिन््हेें अनसु चि ू त जाति(SC), अनसु चिू त जनजाति(ST)
सुभेद्य वर््ग (Vulnerable Sections) और अन््य पिछड़़ा वर््ग(OBC) के तहत वर्गीकृ त नहीीं किया गया है।
सुभेद्य (असुरक्षित) वर््ग: ये जनसंख््यया के सामाजिक, आर््थथिक और राजनीतिक z धार््ममिक अल््पसख् ं ्यक: मस््ललि
ु म तथा ईसाई जैसे समहू सामाजिक और
रूप से कम विकसित वर््ग हैैं जो विभिन््न प्रकार की अक्षमताओ ं से ग्रस््त होते हैैं। आर््थथिक असरु क्षाओ ं का सामना कर रहे हैैं।
ये वर््ग आम जनता की तुलना मेें गरीबी और सामाजिक बहिष््ककार के अधिक
जोखिम का अनुभव करते हैैं। ये वर््ग दोषयुक्त या अन््ययायपूर््ण व््यवस््थथा के कारण z ट््राांसजेेंडर व््यक्ति: भेदभाव, सामाजिक स््ववीकार््यता की कमी और शिक्षा तथा
पीड़़ित होते हैैं। रोजगार तक सीमित पहुचँ का सामना करने वाले व््यक्ति।
आयु और योग्यता के आधार पर z मानवीय आधार: सभु द्ये वर्गगों को उनके कल््ययाण के लिए राज््य से विशेष
z वरिष्ठ नागरिक/ बुजुर््ग: वृद्ध आबादी स््ववास््थ््य, वित्तीय सरु क्षा और सामाजिक सहायता और देखभाल की आवश््यकता होती है। राज््य के समर््थन की कमी
अलगाव के मद्दु दों का सामना कर रही है। से नक
ु सान होता है तथा निष््पक्ष एवं समान जीवन विकल््पोों तक पहुचँ मेें
z विकलांग व््यक्ति (PwD): शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी बाधा आती है।
अक्षमताओ ं वाले व््यक्तियोों को भागीदारी मेें सामाजिक बाधाओ ं का सामना z आर््थथिक अनिवार््यता: आर््थथिक विकास के लिए समावेशी विकास आवश््यक
करना पड़ता है। है, जिसमेें सभु द्ये वर्गगों के लिए समर््थन की आवश््यकता होती है। कल््ययाणकारी
योजनाएँ गरीबोों और वंचितोों की रक्षा करती हैैं, जिससे वे आर््थथिक संवृद्धि मेें
परिस्थितियोों के आधार पर
भाग लेने मेें सक्षम होते हैैं।
z बच््चचे: गरीबी और पहचान संबंधी मद्दु दों के कारण कुपोषण, बाल श्रम, दर््व््य
ु वहार,
तस््करी और शिक्षा की कमी के प्रति संवेदनशील होते हैैं। z राष्टट्र निर््ममाण: इन वर्गगों द्वारा अनभु व किया गया अन््ययाय, सामाजिक सद्भाव और
z प्रवासी: शोषण, भेदभाव और सामाजिक समर््थन की कमी का सामना करने एकता को कमजोर करता है, जो राष्टट्र निर््ममाण के प्रयासोों मेें बाधा उत््पन््न करता है।
वाले आतं रिक प्रवासी। सुभेद्य (असुरक्षित) वर्गगों को उत््पपीड़न, उपेक्षा और पिछड़़ेपन से मक्ति ु दिलाना
सामाजिक प्रगति और समावेशी विकास के लिए अति आवश््यक है। संवैधानिक
सुभेद्य (असुरक्षित ) वर्गगों के कल्याणार््थ योजनाओ ं का महत्त्व
सिद््धाांतोों, मानवीय विचारोों, आर््थथिक अनिवार््यताओ ं तथा राष्टट्र-निर््ममाण के लक्षष्ययों
भारत मेें, लिंग, जाति, समदु ाय और नृजातीयता पर आधारित संरचनात््मक
पर आधारित सरकारी समर््थन, सभु ेद्य वर्गगों के उत््थथान और अधिक न््ययायसंगत
भेदभाव आर््थथिक अवसरोों एवं बुनियादी सुविधाओ ं तक समान पहुचँ मेें बाधा
समाज की अभिवृद्धि हेतु आवश््यक है।
उत््पन््न करते हैैं। विशेषकर महिलाओ,ं दलितोों, आदिवासियोों, मसु लमानोों,
अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकोों, गरीबोों, बुजुर्गगों और विकलांगोों सहित कई वंचित कल्याणकारी योजनाओ ं का महत्त्व
समहोू ों को मख्ु ्यधारा की सार््वजनिक सेवाओ ं से बहिष््ककार का सामना करना z गरीबी, सभु ेद्यता और असमानता मेें कमी: कल््ययाणकारी योजनाएँ समाज
पड़ता है। के भीतर गरीबी, सभु द्ये ता और असमानता को कम करने तथा सामाजिक
विशिष्ट सुभेद्यता(असुरक्षा ) एकजटु ता को बढ़़ावा देने मेें महत्तत्वपर््णू योगदान देती हैैं।
z सफाई कर्मी समुदाय (Scavenger Community): ये समदु ाय स््ववास््थ््य z विकास के लिए आर््थथिक प्रवर््तक: ये योजनाएँ आर््थथिक प्रवर््तक के रूप मेें
देखभाल तक सीमित पहुचँ के साथ, तनाव और बीमारियोों के प्रति संवेदनशील कार््य करती हैैं, जो सदृु ढ़, सतत और समावेशी आर््थथिक विकास को बढ़़ावा
होते हैैं। देती हैैं। घरे लू आय मेें वृद्धि करके , ये उपभोग और बचत को प्रोत््ससाहित करती
z जनजातीय लोग: नृजातीयता के आधार पर उपेक्षित ये लोग सामान््यतः हैैं, जिससे संचयी माँग मेें वृद्धि होती है।
भमि
ू हीन होते हैैं और इनके पास ससं ाधनोों पर बहुत कम नियंत्रण होता है, z मानव पूज ँ ी विकास: कल््ययाणकारी योजनाएँ मानव पँजू ी विकास को बढ़़ाने
जिससे इन््हेें गरीबी, निम््न शिक्षा स््तर और खराब स््ववास््थ््य जैसी समस््ययाओ ं मेें महत्तत्वपर््णू भमि
ू का निभाती हैैं। वे उत््पपादकता बढ़़ाती हैैं, कौशल मेें सधु ार
का सामना करना पड़ता है।
करती हैैं, और रोजगार क्षमता बढ़़ाती हैैं , अतं तः जनसांख््ययिकीय लाभांश की
z महिलाएँ: महिलाएँ लिंग आधारित रूढ़िगत असरु क्षाओ ं के साथ, जाति, वर््ग क्षमता प्रदर््शशित होती है।
और नृजातीय भेदभाव का सामना करते हुए दोहरे भेदभाव का अनभु व करती हैैं।
भारत मेें कल्याणकारी योजनाओ ं की सीमाएँ
सरकारी सहायता की आवश्यकता
यद्यपि, कल््ययाणकारी योजनाओ ं का लक्षष्य सुभेद्य (असुरक्षित) वर्गगों का उत््थथान
z सवं ैधानिक और दार््शनिक आधार:
करना है परंतु उनके लचीले क्रियान््वयन के कारण उन््हेें उन चनु ौतियोों का सामना
 प्रस््ततावना: भारतीय सवि ं धान सभी नागरिकोों के लिए सामाजिक, आर््थक थि
करना पड़ता है जो उनकी प्रभावशीलता मेें बाधा डालती हैैं।
और राजनीतिक न््ययाय तथा प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता सनिश् ु चित करता है।
 मौलिक अधिकार: संविधान समानता, सम््ममान के साथ जीवन, शिक्षा,
लक्षित मुद्दे
अस््पपृश््यता से सरु क्षा और शोषण से मक्ति
ु जैसे अधिकारोों की गारंटी देता है। z समावेशन/ बहिष््करण त्रुटियाँ: सार््वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) मेें ‘फर्जी
 राज््य के नीति निर्देशक सिद््धाांत (DPSP): यह सिद््धाांत राज््य को अपने कार््ड’ जैसी त्रुटियोों के कारण योजनाएँ प्रायः इच््छछित लाभार््थथियोों तक नहीीं पहुचँ
नागरिकोों का कल््ययाण सनिश् ु चित करने का निर्देश देते हैैं, ताकि भारत एक पाती हैैं। कुछ राज््योों ने परिवारोों की तल
ु ना मेें अधिक राशन कार््ड जारी किए हैैं,
कल््ययाणकारी राज््य की अवधारणा को विकसित कर सके । जबकि अन््य कुछ राज््य पात्र परिवारोों की पहचान करने के लिए संघर््ष कर रहे हैैं।
z अंतरराष्ट्रीय सम््ममेलन: भारत बाल अधिकारोों पर संयक्त ु राष्टट्र कन््वेेंशन जैसे z अनपेक्षित लाभार्थी: अतं तः, सामाजिक सरु क्षा का उद्देश््य जरूरतमदं व््यक्तियोों
अतं रराष्ट्रीय समझौतोों का समर््थन करता है, जोकि असरु क्षित समहोू ों के हित तक पहुचँ स््थथापित करके , गरीबी से छुटकारा दिलाना है। हालाँकि, सतत
मेें राज््य के समर््थन की वकालत करता है। मल्ू ्ययाांकन के अभाव मेें , लाभ अक््सर अनपु यक्त
ु लाभार््थथियोों को ही प्राप्त होता है।

2  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियााँ उन्नत कार्यान्वयन
z भ्रष्टाचार तथा नुकसान : यह संसाधनोों की पहुचँ को उन लोगोों से दरू कर z प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT): LPG सब््ससिडी के लिए JAM (जन
देते हैैं जिन््हेें इन संसाधनोों की सबसे अधिक आवश््यकता होती है। धन-आधार-मोबाइल) त्रिसयं ोजन, प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT) सनिश् ु चित
z परिणाम की तुलना मेें उत््पपादन पर ध््ययान केें द्रित करना: योजनाएँ स््ककूलोों करते हैैं ताकि धन व सेवाओ ं की पहुचँ पात्र लाभार््थथियोों तक सनिश्
ु चित हो सके ।
के निर््ममाण व आवश््यक बनिय ु ादी ढाँचे जैसे निर््ममाण (आउटपटु /उत््पपादन) को z प्रौद्योगिकी का उपयोग: जियोमनरे गा (GeoMGNREGA) अतं रिक्ष
प्राथमिकता दे सकती हैैं, उच््च साक्षरता दर, जैसे- बेहतर शिक्षा (आउटकम/ प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मनरे गा के तहत बनाई गई सपं त्तियोों का डेटाबेस
परिणाम) के अतं िम लक्षष्य की उपेक्षा कर सकती हैैं। तैयार करता है, जो मोबाइल टैगिगं और ऑनलाइन निगरानी के माध््यम से
लाभार्थी भागीदारी पारदर््शशिता को बढ़़ावा देता है।
z जागरूकता की कमी: सार््वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) या मनरे गा जैसी
भागीदारी बढ़ाना
माँग-संचालित योजनाओ ं के कुशल कार््ययान््वयन के लिए लाभार्थी जागरूकता
z सामाजिक ऑडिट: मनरे गा जैसी योजनाओ ं के लिए ये अनिवार््य ऑडिट
और भागीदारी की आवश््यकता होती है। इसके बिना, सभु द्ये (असरु क्षित) वर््ग
के वल अनदु ान प्राप्तकर््तता बनकर रह जाते हैैं । इसके अतिरिक्त जागरूकता की पारदर््शशिता और सार््वजनिक भागीदारी को बढ़़ाते हैैं।
कमी की वजह से ये समदु ाय विकास मेें अपनी भागीदारी नहीीं निभा पाते हैैं। z स््वयं सहायता समूह (SHG): SHG लाभार्थी जागरूकता और पारदर््शशिता
बढ़़ाने, NRLM जैसी योजनाओ ं को लागू करने और निगरानी करने मेें
योजना की संरचना संबंधी मुद्दे
महत्तत्वपर््णू भमि
ू का निभाते हैैं।
z सरं चनात््मक मुद्ददों पर ध््ययान: अस््थथायी समाधान के रूप मेें बनाई गई मनरे गा
जैसी कुछ योजनाएँ, कौशल विकास की कमी जैसे गरीबी के मल ू कारणोों पर प्रदर््शन-आधारित बजटिंग
ध््ययान केें द्रित करने मेें विफल होने के कारण स््थथायी बन सकती हैैं। z परिणाम-आधारित बजटिंग (OBB): यह विधि प्राप्त परिणामोों के आधार
z क्षमता निर््ममाण को हतोत््ससाहित करना: कल््ययाणकारी योजनाओ ं की पर विभागीय प्रगति का आकलन करती है और व््यय से ध््ययान हटाकर बेहतर
अधिकता लाभार््थथियोों को सरकारी सहायता पर अधिक निर््भर होने एवं अपने साक्षरता दर जैसे परिणामोों पर ध््ययान केें द्रित करती है।
कौशल मेें सधु ार करने को हतोत््ससाहित कर सकती है। अतः चनु ौतियोों पर ध््ययान दे कर और इन सधु ारोों को अपनाकर भारत, समाज के
वित्तीय और संसाधन संबंधी बाधाएँ सभु ेद्य (असरु क्षित) वर्गगों के उत््थथान मेें अपनी कल््ययाणकारी योजनाओ ं को और
z सरकारी खजाने पर बोझ: कुछ योजनाएँ सरकारी वित्त पर दबाव डाल सकती अधिक प्रभावी बना सकता है।
हैैं, जिससे निवेश और रोजगार सृजन सीमित हो सकता है। सामाजिक न्याय
z डिजिटल बुनियादी ढाँचे सब ं ंधी चुनौतियाँ: ग्रामीण क्षेत्ररों मेें अपर््ययाप्त संयुक्त राष्टट्र के अनुसार, “सामाजिक न््ययाय को सामान््य तौर पर आर््थथिक
डिजिटल बनिय ु ादी ढाँचे की वजह से प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT) जैसी विकास के लाभोों के उचित एवं प्रभावी वितरण के रूप मेें समझा जा सकता
प्रणालियोों को अतं िम व््यक्ति तक सेवाओ ं के वितरण मेें समस््ययाओ ं का सामना
है।” सामाजिक न््ययाय समाज के भीतर सभी व््यक्तियोों के लिए समान आर््थथिक,
करना पड़ सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक अधिकारोों तथा अवसरोों की वकालत करता है। इसमेें
कल््ययाणकारी योजनाएँ देश के सामाजिक, आर््थथिक और राजनीतिक विकास
मानवाधिकार, सेवाओ ं और संसाधनोों तक आसान पहुचँ , भागीदारी, समानता
मेें महत्तत्वपूर््ण भमि
ू का निभाती हैैं, लेकिन भारतीय समाज के सुभेद्य (असुरक्षित)
और संसाधनोों का उचित वितरण जैसे सिद््धाांत शामिल हैैं।
वर्गगों पर उनके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए इन सीमाओ ं पर ध््ययान देने
z विश्व सामाजिक न््ययाय दिवस: संयक्त ु राष्टट्र महासभा द्वारा नवंबर, 2007
की आवश््यकता है।
मेें अपने तिरसठवेें सत्र मेें, प्रतिवर््ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न््ययाय
भारतीय कल्याणकारी योजनाओ ं से
दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश््य सामाजिक अनबु ंध को
संबंधित चुनौतियोों का समाधान
सदृु ढ़ करने और बढ़ती असमानताओ ं पर नियंत्रण पाने की दिशा मेें सवं ाद और
हालाँकि, इन योजनाओ ं के क्रियान््वयन मेें कुछ चनु ौतियाँ मौजूद हैैं, इन
कार््र वाई को बढ़़ावा देना है।
चनु ौतियोों के समाधान के लिए सरकारेें तथा संस््थथाएँ कल््ययाणकारी योजनाओ ं
की प्रभावशीलता मेें सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत हैैं : भारत मेें सामाजिक न्याय
बेहतर लक्ष्यीकरण z यह एक बहुआयामी अवधारणा है जो समानता, निष््पक्षता और समावेशन के
z सामाजिक-आर््थथिक जाति जनगणना (SECC): यह पहल पात्र लाभार्थी सिद््धाांतोों पर आधारित है। सामाजिक न््ययाय प्राप्त करने की दिशा मेें भारत की
पहचान के लिए परु ानी गरीबी रे खा से नीचे (BPL) की सचियो
ू ों को प्रतिस््थथापित यात्रा जाति-आधारित भेदभाव, आर््थथिक असमानताओ,ं लैैंगिक असमानता
करती है। और प्रणालीगत अन््ययाय की ऐतिहासिक विरासत से प्रभावित रही है। भारत मेें
z विशिष्ट पहचान-आधार योजना : विशिष्ट पहचान अर््थथात आधार योजना सामाजिक न््ययाय के कुछ प्रमख ु पहलू इस प्रकार हैैं:
लक्षित या पात्र लाभार््थथियोों को लक्षित करने और धोखाधड़़ी को कम करने  जाति व््यवस््थथा: भारत के ऐतिहासिक जाति-आधारित भेदभाव ने दलितोों

मेें मदद करती है। और निचली जातियोों जैसे समहोू ों को उपेक्षित करने का कार््य किया है।

सुभेद्य (कमजोर) वर ्ग और सामाजिक 3


सामाजिक न्याय के सिद्धधांत

लैैंगिक समानता
यह सर््व प्रथम सामाजिक न््ययाय का विषय है,
जो अधिकारोों, संसाधनोों और अवसरोों तक मानवाधिकार
सभी की समान पहुचँ की अनुमति देता है। मानवाधिकार और सामाजिक न््ययाय एक ही सिक््कके
लैैंगिक समानता विकास की शर््त है और यह के दो पहलू हैैं। वे एक-दूसरे से अलग होकर अस््ततित््व
स््थथायी शांति एवं सरु क्षा के लिए आवश््यक है। मेें नहीीं रह सकते। एक समाज के न््ययायपूर््ण होने के
लिए, इसे सभी के नागरिक, राजनीतिक, आर््थथिक,
समान हिस्सेदारी सांस््ककृ तिक और सामाजिक अधिकारोों की सरु क्षा
सामाजिक न््ययाय प्राप्त करने और सफलता
के लिए समान अवसर सनिश् ु चित करने के शाांतिपूर््ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना
लिए समान संसाधन प्रदान करना आवश््यक शांति न््ययाय का ही परिणाम है यह लोगोों तथा
है जो समुदायोों और व््यक्तियोों की विशिष्ट राष्टट्ररों के मध््य सम््ममान एवं सहयोग पर निर््भर है।
आवश््यकताओं पर ध््ययान केेंद्रित करते हैैं। सामाजिक कार््यकर््तता स््थथानीय से वैश्विक स््तर तक
शांति एवं समाज के सामान््य कल््ययाण को बढ़़ावा
देते हैैं।
सहभागिता
सामाजिक न््ययाय के लिए आवश््यक है कि
व््यक्तियोों को उनके कल््ययाण को प्रभावित करने
वाली नीतियाँ बनाने मेें भाग लेने का अवसर और
मंच मिल सके ।

z आरक्षण नीतियाँ: सरकार अनसु चि ू त जाति (SC), अनसु चि ू त जनजाति (ST) z सिविल सोसाइटी और सक्रियता: स््थथानीय स््तर के आदं ोलन और
और अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC) के लिए शिक्षा, रोजगार और राजनीति मेें सिविल सोसाइटी; संगठनात््मक जागरूकता बढ़़ाकर, समदु ायोों को संगठित
आरक्षण लागू करती है। करके तथा सरकार को जवाबदेह बनाकर, सामाजिक न््ययाय की वकालत
z लैैंगिक समानता: महिलाओ ं को शिक्षा, रोजगार और ससं ाधनोों मेें लैैंगिक करते हैैं।
असमानता का सामना करना पड़ता है। मनरे गा तथा ‘बेटी बचाओ, बेटी सामाजिक न््ययाय की दिशा मेें भारत की यात्रा मेें समाज के सभी वर्गगों मेें समानता,
पढ़़ाओ’ जैसी पहलोों का उद्देश््य उन््हेें सशक्त बनाना है। निष््पक्षता और समावेशन को बढ़़ावा देते हुए संबंधित चनु ौतियोों का समाधान
z गरीबी उन््ममूलन: मनरे गा जैसे कार््यक्रम गरीबी पर ध््ययान केें द्रित करते हुए करना शामिल है।
ग्रामीण परिवारोों को रोजगार और सामाजिक सरु क्षा का अवसर प्रदान करते हैैं। सामाजिक न्याय के लिए संवैधानिक प्रावधान
z कानूनी सध ु ार: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम और अत््ययाचार निवारण
अधिनियम जैसे काननोू ों का उद्देश््य उपेक्षित समदु ायोों के विरुद्ध भेदभाव और मौलिक अधिकार अन््य प्रावधान
अत््ययाचार को रोकना है। समानता: प्रस््ततावना:
z शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल: सर््व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय स््ववास््थ््य z अनुच््छछेद 14: यह कानन ू के z अपने सभी लोगोों को सामाजिक,
मिशन जैसी पहलेें, विशेष रूप से उपेक्षित समदु ायोों के लिए शिक्षा और स््ववास््थ््य समक्ष समानता और काननू के आर््थथिक और राजनीतिक न््ययाय
देखभाल तक पहुचँ मेें सधु ार करती हैैं।
सभी के लिए समान संरक्षण के की गारंटी देती है; प्रतिष्ठा और
z पर््ययावरणीय न््ययाय: पर््ययावरणीय न््ययाय, पर््ययावरणीय ससं ाधनोों के समान वितरण
अधिकार की गारंटी देता है। अवसर की समानता सनिश् ु चित
तथा सभु द्ये जनसंख््यया पर पर््ययावरणीय खतरोों के असंगत प्रभाव पर ध््ययान देने
करती है ।
पर केें द्रित है।

4  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z अनुच््छछेद 15(1): धर््म, नस््ल, राज््य के नीति निर्देशक सिद््धाांत: z आर््थथिक विकास और मानव पूज ँ ी: अमर््त््य सेन का दृष्टिकोण लोगोों मेें निवेश
जाति, लिंग या जन््म स््थथान के समाज कल््ययाण: पर बल देता है। स््ववास््थ््य देखभाल, शिक्षा, पोषण और सामाजिक सरु क्षा पर
आधार पर भेदभाव का निषेध। z अनुच््छछेद 38: यह राज््य को सरकारी व््यय मेें वृद्धि एक स््वस््थ, अधिक शिक्षित कार््यबल बनाकर आर््थथिक
z अनुच््छछेद 15(4): यह अनच् ु ्छछेद लोगोों के कल््ययाण के लिए एक विकास को बढ़़ावा देती है। इससे उपभोक्ता माँग के साथ ही समग्र आर््थथिक
अनसु चि ू त जाति (SC) और सामाजिक व््यवस््थथा को बढ़़ावा गतिविधियोों को बढ़़ावा मिलता है।
अनसु चि ू त जनजाति (ST) की देने का प्रयास करने का निर्देश
उन््नति के लिए विशेष प्रावधानोों देता है। ऑक्सफै म की असमानता इंक रिपोर््ट- 2024
की अनमु ति देता है। आजीविका का अधिकार: मुख्य निष्कर््ष
z अनुच््छछेद 16(1): यह सार््वजनिक z अनुच््छछेद 39(क): यह सनिश् ु चित 1. वर््ष 2020 के बाद से सबसे अमीर पाँच अरबपतियोों की संपत्ति दोगुनी
रोजगार मेें अवसर की समानता करता है कि नागरिकोों के पास हो गई है।
सनिश्
ु चित करता है। आजीविका के पर््ययाप्त साधन 2. समान अवधि मेें पाँच अरब लोग और भी गरीब हो गए हैैं।
z अनुच््छछेद 16(4): यह पिछड़़े वर्गगों उपलब््ध होों। 3. वैश्विक गरीबी महामारी के पूर््व के स््तर पर बनी हुई है।
के लिए आरक्षण का प्रावधान समान कार््य के लिए समान वेतन: 4. अरबपतियोों की संपत्ति वर््ष 2020 के बाद औसतन $3. 3 अरब तक
करता है। z अनुच््छछेद 39(घ): यह परु ु षोों और बढ़ी है।
गरिमा: महिलाओ ं दोनोों के लिए समान
संपत्ति वितरण
z अनुच््छछेद 17: इसके तहत कार््य के लिए समान वेतन को
1. अमीर देशोों के पास वैश्विक संपत्ति का 69% हिस््ससा है।
अस््पपृश््यता को समाप्त किया गया। बढ़़ावा देता है।
2. शीर््ष 1% के पास सभी वैश्विक वित्तीय संपत्तियोों का 43% हिस््ससा है।
स््वतंत्रता: श्रमिक सुरक्षा:
z अनुच््छछेद 39(ङ): यह श्रमिकोों
कंपनियोों के लाभ
z अनुच््छछेद 19: यह अनच् ु ्छछेद
(परुु ष/महिला) के स््ववास््थ््य और 1. बड़़ी कंपनियाँ मनु ाफे के शीर््ष स््तर पर पहुचँ रहीीं हैैं।
भाषण और अभिव््यक्ति की
अधिकारोों की सरु क्षा करता है। 2. 148 बड़़े निगमोों द्वारा $1.8 ट्रिलियन का शद्ध ु लाभ अर््जजित किया गया
स््वतंत्रता की गारंटी देता है।
बाल संरक्षण: है।
जीवन और स््वतंत्रता:
z अनुच््छछेद 21: यह अनच् z अनुच््छछेद 39(च): यह बच््चोों विशिष्ट व्यक्तित्व
ु ्छछेद
गरिमापर््णू जीवन और स््वतंत्रता और यवु ाओ ं को शोषण और 1. बर््ननार््ड अरनॉल््ट
का अधिकार सनिश् ु चित करता है। परित््ययाग से बचाता है। 2. अलिको डांगोटे
सुरक्षा: समान न््ययाय: 3. जेफ बेजोस
z अनुच््छछेद 23: यह तस््करी और z अनुच््छछेद 39 ‘क’: यह समान श्रमिक स््थथितियाँ-मद्रास््फफी
ु ति के कारण 800 मिलियन श्रमिकोों को लगभग
बलात श्रम (भिक्षावृत्ति और न््ययाय और मफ्ु ्त काननू ी सहायता 1.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
संबंधित प्रथाओ)ं पर प्रतिबंध प्रदान करता है। कॉर्पोरे ट कराधान-प्रभावी कॉरपोरे ट कर दर मेें एक-तिहाई की गिरावट दर््ज
लगाता है। कार््य, शिक्षा, सार््वजनिक सहायता: की गई है।
z अनुच््छछेद 24: यह अनच् z अनुच््छछेद 41: इसका उद्देश््य
ु ्छछेद z असमानता को कम करना: ऑक््सफैम की हालिया ‘असमानता इक ं
कारखानोों मेें बच््चोों के रोजगार कुछ स््थथितियोों मेें कार््य, शिक्षा रिपोर््ट-2024’ एक चितं ाजनक प्रवृत्ति का खल ु ासा करती है: अमीर और गरीबोों
पर प्रतिबंध लगाता है। और सार््वजनिक सहायता के
के मध््य वैश्विक असमानता 25 वर्षषों मेें पहली बार सबसे ख़राब स््तर पर रही।
अधिकारोों को सरु क्षित करना है।
यह 'सम््पत्ति वृद्धि' लगभग पांच अरब लोगोों की 'बढ़ती दरिद्रता' के बिल््ककुल
उत््थथान:
विपरीत है। अके ले वर््ष 2023 मेें, अरबपतियोों को 3.3 ट्रिलियन डॉलर का लाभ
z अनुच््छछेद 46: यह अनस ु चि
ू त
जाति, अनसु चि हुआ, जो वर््ष 2020 की तल ु ना मेें 34% की शद्ध
ु संपत्ति मेें वृद्धि को दर््शशाता है।
ू त जनजाति और
अन््य सभु द्ये वर्गगों के शैक्षिक और z गरीबी और भुखमरी को कम करना : सरकारोों द्वारा सामाजिक क्षेत्र के खर््च
आर््थथिक हितोों को बढ़़ावा देता है। मेें कमी गरीबोों को गैर-खाद्य आवश््यक वस््ततुओ ं पर अधिक खर््च करने के लिए
मजबरू करती है, जिससे मानव संसाधन विकास, स््ववास््थ््य और शिक्षा पर उनका
भारत मेें सामाजिक न्याय की आवश्यकता व््यय कम हो जाता है।
अमर््त््य सेन के अनुसार, सरकार को पोषण, स््ववास््थ््य, शिक्षा और सामाजिक z समावेशी विकास: वर््ष 2023-24 मानव विकास रिपोर््ट के अनसु ार, भारत के
सुरक्षा पर अपना व््यय बढ़़ाकर गरीबी से जुड़े मद्दु दों पर ध््ययान देने के लिए एक
मानव विकास सचू कांक (HDI) मल्ू ्य 0.644 (2022 मेें) मेें सधु ार देखा गया
सुव््यवस््थथित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। भारत को सामाजिक न््ययाय प्राप्त करने
मेें अनेक जटिल चनु ौतियोों का सामना करना पड़ता है। यहाँ प्रमख ु मद्दु दों और बढ़़े है, लेकिन अभी भी इस रिपोर््ट मेें भारत विश्व के 193 देशोों की सचू ी मेें 134 वेें
हुए सामाजिक व््यय की आवश््यकता का विवरण दिया गया है: स््थथान पर है।

सुभेद्य (कमजोर) वर ्ग और सामाजिक 5


z क्षेत्रीय असमानताएँ: बिहार मेें साक्षरता दर लगभग 61.8% है, जबकि के रल z ध््ययातव््य है कि सामाजिक न््ययाय समाज मेें निष््पक्षता और समानता से जड़़ा
ु हुआ
मेें यह 94% से अधिक है, जो शिक्षा प्राप्ति मेें क्षेत्रीय असमानताओ ं को है। इसमेें स््ववास््थ््य देखभाल, रोजगार, आवास और अवसरोों मेें समानता शामिल
दर््शशाता है। है। भेदभाव और सामाजिक न््ययाय संगत नहीीं हैैं। भारत एक कल््ययाणकारी राज््य
z सामाजिक बहिष््ककार: ऐतिहासिक रूप से, उपेक्षित समदु ाय, दलित आदि है, इसलिए संविधान निर््ममाताओ ं के उद्देश््योों को साकार करने के लिए समाज
किसी-न-किसी रूप मेें जाति-आधारित भेदभाव का अनभु व करते हैैं तथा ये के विभिन््न कमजोर और हाशिये पर रहने वाले वर्गगों का समर््थन करना सरकार
समदु ाय सामाजिक बहिष््ककार के शिकार होते हैैं, जिससे सामाजिक और आर््थथिक
की प्रमख ु जिम््ममेदारी होनी चाहिए।
वृद्धि एवं विकास के उनके अवसर सीमित हो जाते हैैं।
z लैैंगिक असमानता: भारत मेें महिला श्रम बल भागीदारी दर लगभग 37% समावेशी विकास, आय
है, जो वैश्विक औसत 47% से काफी कम है, यह आर््थथिक भागीदारी मेें लैैंगिक
असमानता और सामाजिक न्याय
अतं र को दर््शशाता है।
सामाजिक न्याय प्राप्ति मेें चुनौतियााँ परिचय
z जागरूकता की कमी: सदोद्देश््य-पर््णू समग्र विकास के लक्षष्य पर आधारित हाल की विश्व असमानता रिपोर््ट (2022) भारत की प्रमख ु आय असमानता
सामाजिक कल््ययाण योजनाओ ं के बावजदू , कई लाभार्थी अपने अधिकारोों पर प्रकाश डालती है, जिसमेें शीर््ष 10% लोगोों के पास राष्ट्रीय आय का
से अनजान हैैं, उदाहरण- मनरे गा के तहत, कुछ लोग बेरोजगारी भत्ते जैसे 57% हिस््ससा है। भारत की उच््च विकास दर, उच््च मानव विकास संकेतकोों मेें
प्रावधानोों से अनजान हैैं।
परिवर््ततित नहीीं हुई है।
z नीतियोों की ख़राब सरं चना : लक्षित समहू की जरूरतोों की अपर््ययाप्त समझ
के कारण निम््न गणु वत्ता वाली नीतियाँ बनती हैैं, जैसा कि सार््वजनिक वितरण समावेशी विकास
प्रणाली (PDS) मेें देखा जाता है, जिसकी विशिष्ट पोषण संबंधी आवश््यकताओ ं z आर््थथिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के अनसु ार, समावेशी
की उपेक्षा के लिए आलोचना की जाती है। विकास वह आर््थथिक विकास है जिसे सभी के साथ समान रूप से साझा किया
z कार््ययान््वयन सबं ंधी चुनौतियाँ: कमजोर कार््ययान््वयन, कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार
जाता है और यह प्रत््ययेक व््यक्ति के लिए अवसरोों का सृजन करता है। समावेशिता
से ग्रस््त होता है। यह मनरे गा जैसी योजनाओ ं की प्रभावशीलता मेें बाधा
डालता है और अधिक जवाबदेहिता की आवश््यकता को उजागर करता है। मेें न््ययाय, अवसर की समानता तथा बाजार एवं रोजगार के बदलते स््वरूप के
z निगरानी और मूल््ययाांकन: ICDS जैसी योजनाओ ं मेें अपर््ययाप्त निगरानी के साथ सरु क्षा शामिल है, जो सफल विकास रणनीतियोों के लिए आवश््यक हैैं।
परिणामस््वरूप अनियमित भोजन आपर््तति ू और स््वच््छता सबं ंधी चक ू जैसे मद्देु z महत्तत्व: यह समग्र विकास प्राप्त करने, गरीबी और असमानता को कम करने
सामने आते हैैं, जो बेहतर निगरानी की आवश््यकता को रे खांकित करते हैैं। तथा सभी नागरिकोों के लिए सम््ममानजनक जीवन सनिश् ु चित करने के लिए
z विद्यमान चुनौतियाँ: उच््च गरीबी दर, निम््न शैक्षिक स््तर और कुपोषण, जैसे आवश््यक है।
बहुआयामी मद्दु दों तथा विद्यमान चनु ौतियोों से निपटने के लिए, लक्षित हस््तक्षेप
और व््ययापक सामाजिक न््ययाय पहल की आवश््यकता है। प्रगति मेें बाधक चुनौतियााँ

आगे की राह: z अपर््ययाप्त सामाजिक निवेश: स््ववास््थ््य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सरु क्षा
1. सहभागी योजना: योजना तैयार करने मेें सुभेद्य वर्गगों को शामिल करने से मेें कम निवेश, मानव पँजू ी विकास को कमजोर करता है, उदाहरण: ग्रामीण
यह सुनिश्चित होता है कि उनकी जरूरतेें पूरी होों, उदाहरण- के रल के ‘पीपुल््स क्षेत्ररों मेें स््ववास््थ््य सवि
ु धाओ ं की कमी के कारण आवश््यक चिकित््ससा सेवाओ ं
प््ललान कैैं पेन’ ने स््थथानीय लोगोों को प्राथमिकता देने और प्रभावी ढंग से धन तक पहुचँ सीमित हो जाती है।
आवंटित करने का अधिकार दिया। z अन््य सामाजिक-आर््थथिक चुनौतियाँ: निरक्षरता और गरीबी बरकरार हैैं,
2. क्षमता निर््ममाण: प्रशिक्षण प्रदान करना लक्षित समहोू ों को सशक्त बनाता है। जिससे समग्र विकास बाधित हो रहा है। गिरती विकास दर और स््थथिर विनिर््ममाण
गुजरात मेें सेवा संगठन (SEWA) महिला श्रमिकोों को प्रशिक्षित करता है,
क्षेत्र ने आर््थथिक चनु ौतियोों को बढ़़ा दिया है। कृषि क्षेत्र की मानसनू पर निर््भरता
उनका समर््थन करता है और सहायता कार््यक्रमोों तक उनकी पहुचँ को बढ़़ावा
देता है। और उच््च बेरोजगारी दर, स््थथिति की जटिलता को और भी बढ़ा देती है।
3. सूचना प्रसार: प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT) योजना जैसे डिजिटल z सामाजिक अन््ययाय: वेतन अतं र और अल््पसंख््यक असमानताएँ, असमानता
प््ललेटफॉर््म का उपयोग जागरूकता और सेवा पहुचँ को बढ़़ाने मेें योगदान को बनाए रखती हैैं। एलजीबीटीक््ययू (LGBTQ ) उत््पपीड़न और सीमित शिक्षा
देती है। प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण (DBT), नुकसान को कम करता है तथा पहुचँ , विशेष रूप से लड़कियोों के लिए, सामाजिक प्रगति मेें बाधा डालती
पारदर््शशिता मेें सुधार करता है। है। श्रम और दर््व््य ु वहार सहित बाल कल््ययाण के मद्दु दों पर तत््ककाल ध््ययान देने
निष्कर््ष की माँग करते हैैं।
z योजना की सफलता के लिए जागरूकता को बढ़़ावा देना और लक्षित समहोू ों z सरकारी पहल: SETU (स््वरोजगार और प्रतिभा उपयोग), कौशल भारत,
की सक्रिय भागीदारी सनिश्
ु चित करना आवश््यक है। सहभागी नियोजन, महात््ममा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरे गा), प्रधानमत्री ं
क्षमता निर््ममाण और डिजिटल आउटरीच के माध््यम से, सरकारेें योजना की
प्रभावशीलता को बढ़़ा सकती हैैं, जिससे इच््छछित लाभार््थथियोों को लाभ हो जन धन योजना और मद्रा ु (सक्षू ष्म इकाई विकास और पनु र््ववित्त एजेेंसी) बैैंक
सकता है। आदि।

6  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के लिए रणनीतियााँ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम
z शिक्षा को बढ़़ाना: अनिवार््य प्रारंभिक शिक्षा को बढ़़ावा देने के लिए सर््व z अंतरराष्ट्रीय श्रम सगं ठन (ILO) द्वारा डिसेेंट वर््क कंट्री प्रोग्राम (DWCP):
शिक्षा अभियान (SSA) जैसी योजनाओ ं को लागू करना। के रल के साक्षरता दिसंबर, 2022 मेें हस््तताक्षरित, भारत के लिए DWCP 2023-27 सामाजिक
अभियान ने, सामदु ायिक भागीदारी और नवीन शिक्षण विधियोों के माध््यम से सरु क्षा प्रणालियोों को सदृु ढ़ करते हुए सम््ममानजनक रोजगार के अवसर और सतत
सार््वभौमिक साक्षरता दर प्राप्त की है। आजीविका निर््ममित करने पर केें द्रित है। यह राष्ट्रीय प्राथमिकताओ ं के अनरू ु प
z गरीबी उन््ममूलन: आर््थथिक अवसर और सामाजिक सरु क्षा प्रदान करने के लिए है जो पर््ययाप्त रोजगार सृजन और मजबतू सामाजिक सरु क्षा पर जोर देता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसे लक्षित गरीबी उन््ममूलन z SMILE-75 पहल: भारत सरकार द्वारा शरू ु की गई, SMILE-75 पहल 75
कार््यक्रमोों को लागू करना। नगर निगमोों मेें व््ययापक कल््ययाण उपायोों के माध््यम से गरीबी और भिक्षावृत्ति
पर ध््ययान केें द्रित करती है। इसमेें पनु र््ववास, चिकित््ससा सहायता, परामर््श, शिक्षा
 आध्र ं प्रदेश जैसे राज््योों मेें स््वयं सहायता समूह (SHG) महिलाओ ं को
और कौशल विकास शामिल है, जिसका उद्देश््य उपेक्षित व््यक्तियोों का उत््थथान
आर््थथिक रूप से आत््मनिर््भर बनने के लिए सशक्त बना रहे हैैं।
करना और उन््हेें समाज की मख्ु ्यधारा मेें एकीकृ त करना है।
z लैैंगिक समानता को बढ़़ावा देना: शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल मेें लैैंगिक सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय: यह अनसु चि
z ू त जाति,
असमानताओ ं को दरू करने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़़ाओ (BBBP) अनसु चि ू त जनजाति तथा अन््य पिछड़़ा वर््ग, दिव््ययाांग व््यक्तियोों और वरिष्ठ
योजना जैसी नीतियोों को लागू करना। के रल मेें कुटुंबश्री पहल द्वारा, स््वयं नागरिकोों सहित सभु द्ये (असरु क्षित) वर्गगों के लिए नीतियाँ बनाने और उनके
सहायता समहोू ों, उद्यमिता और कौशल विकास के माध््यम से महिलाओ ं को क्रियान््वयन हेतु जिम््ममेदार है। मत्रालय
ं लक्षित हस््तक्षेपोों और सहायता तंत्ररों के
सशक्त बनाना। माध््यम से उनकी सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति और समग्र कल््ययाण को बढ़़ाने
z क्षेत्रीय विकास: ग्रामीण बनिय ु ादी ढाँचे मेें सधु ार के लिए प्रधानमत्री
ं ग्राम सड़क पर ध््ययान केें द्रित करता है।
योजना (PMGSY) जैसी क्षेत्रीय विकास योजनाओ ं को लागू करना। ओडिशा z विधायी उपाय: भारत ने ऐतिहासिक रूप से वचि ं त समहोू ों के उत््पपीड़न और
मेें बालाराम योजना, आदिवासी क्षेत्ररों मेें कृषि विकास और आजीविका वृद्धि भेदभाव का मक ु ाबला करने के लिए अनसु चि ू त जाति और अनसु चि ू त जनजाति
पर ध््ययान केें द्रित करती है। (अत््ययाचार निवारण) अधिनियम, 1989 तथा दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकार
z सामाजिक कल््ययाण सबं ंधी योजनाएँ: रोजगार और सामाजिक सरु क्षा प्रदान अधिनियम, 2016 जैसे काननू पेश किए हैैं, जिनका उद्देश््य उनके सामाजिक
करने के लिए महात््ममा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरे गा) विकास को बढ़़ाना तथा आर््थथिक स््थथिति एवं सामाजिक समावेशन को बढ़़ावा
जैसी मौजदू ा योजनाओ ं को मजबतू करना। तेलंगाना की रायथु बंधु योजना, देना है।
किसानोों को उनकी प्रत््ययेक एकड़ भमि ू के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
z सामुदायिक सहभागिता: ग्राम सभाओ ं जैसी पहलोों के माध््यम से स््थथानीय प्रमुख शब्दावलियाँ
शासन मेें सामदु ायिक भागीदारी को प्रोत््ससाहित करना। राजस््थथान मेें शक्ति केें द्र
कार््यक्रम, महिलाओ ं को जमीनी स््तर के निर््णयोों मेें भागीदारी करने के लिए सभु ेद्य वर््ग का अमानवीयकरण, गरीबी के चक्र की बेड़़ियोों को तोड़ना,
सशक्त बनाता है। सभु ेद्यता को उजागर करना, जोखिम, असरु क्षित, अतिसंवेदनशीलता;
सभु ेद्य वर््ग , हाशिये पर रहने वाले समूह, वंचित समुदाय, सामाजिक
z स््ववास््थ््य देखभाल के बुनियादी ढाँचे को बढ़़ाना: स््ववास््थ््य देखभाल तक
रूप से बहिष््ककृ त, दिव््ययाांग लोग, सामाजिक समावेशन, अंतर को
पहुचँ मेें सधु ार के लिए स््ववास््थ््य सवि ु धाओ ं और टेलीमेडिसिन सेवाओ ं के
समाप्त करना, सभी के लिए अवसरोों की समता सनिश् ु चित करना,
विस््ततार मेें निवेश करना। तेलंगाना मेें आरोग््यश्री योजना, गरीबी रे खा से नीचे
गरीबी उन््ममूलन, समस््यया और लक्ष्यीकरण त्रुटियाँ, बनि
ु यादी ढाँचे की
के परिवारोों को नगद रहित स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करती हैैं ।
बाधाएँ, प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण, समानता, लिंग असमानता, साझा
आगे की राह समृद्धि , असमानता को कम करना, पिरामिड के निचले भाग को
समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के लिए मुख्य सिद्धधांत ऊपर उठाना, एक न््ययायपूर््ण समाज का निर््ममाण करना।
z अवसर की समानता: सभी के लिए ससं ाधनोों और अवसरोों तक उचित
विगत वर्षषों के प्रश्न
पहुचँ सनिश् ु चित करना।
1. “वंचितोों के विकास और कल््ययाण की योजनाएँ, अपनी प्रकृ ति से ही
z मानव विकास पर ध््ययान: एक कुशल और सशक्त कार््यबल बनाने के लिए
दृष्टिकोण मेें भेदभाव करने वाली होती हैैं।” क््यया आप सहमत हैैं? अपने
स््ववास््थ््य, शिक्षा और सामाजिक सरु क्षा मेें निवेश करना। उत्तर के पक्ष मेें कारण दीजिए। (2023)
z डिजिटल विभाजन की समाप्ति : आधनि ु क अर््थव््यवस््थथा मेें भागीदारी को 2. उच््च संवृद्धि के लगातार अनुभव के बावजूद, भारत के मानव विकास
सविु धाजनक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी तक समान पहुचँ प्रदान करना। के निम््नतम संकेतक चल रहे हैैं। उन मद्दु दों का परीक्षण कीजिए, जो
z सामाजिक समावेशन को बढ़़ावा देना: साझा समृद्धि प्राप्त करने के लिए संतुलित और समावेशी विकास को पकड़ मेें नहीीं आने दे रहे हैैं।
भेदभाव को समाप्त करना और सामाजिक एकजटु ता को बढ़़ावा देना।  (2019)
भारत मेें समावेशी विकास और सामाजिक न््ययाय प्राप्त करने के लिए एक 3. सभु द्ये वर्गगों के लिए क्रियान््ववित की जाने वाली कल््ययाण योजनाओ ं का
बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश््यकता है। इन चनु ौतियोों का समाधान करके निष््पपादन उनके बारे मेें जागरूकता के न होने और नीति प्रक्रम की सभी
और प्रभावी नीतियोों को लागू करके , भारत अपने सभी नागरिकोों के लिए अधिक अवस््थथाओ ं पर उनके सक्रिय ताैर पर सम््ममिलित न होने के कारण इतना
न््ययायसंगत और समृद्ध भविष््य का निर््ममाण कर सकता है। प्रभावी नहीीं होता है। चर््चचा कीजिए। (2019)

सुभेद्य (कमजोर) वर ्ग और सामाजिक 7


समाज के कमजोर
2 वर््ग /जाति/ जनजाितयाँ
अनुसूचित जातियााँ अनुसूचित जातियोों (SCs) के उत््थथान हेतु संवैधानिक प्रावधान
अनुच््छछेद विवरण
परिभाषा अनुच््छछेद 14 समानता का अधिकार
अनुसूचित जातियाँ देश के भीतर उन जातियोों या नस््लोों को संदर््भभित करती हैैं अनुच््छछेद 15(4) अनुसूचित जातियोों की उन््नति के लिए विशेष प्रावधानोों
जो छुआछूत जैसी विभेदकारी ऐतिहासिक प्रथाओ ं के कारण कठोर सामाजिक, का उल््ललेख।
शैक्षणिक और आर््थथिक समस््ययाओ ं का सामना कर रही हैैं। इन समदु ायोों के हितोों अनुच््छछेद SCs/STs के पक्ष मेें राज््य के अधीन सेवाओ ं मेें किसी
की रक्षा करने और इनकी तीव्र सामाजिक-आर््थथिक प्रगति की वृद्धि हेतु नीति- 16(4A) भी वर््ग या पदोों के वर्गगों मेें पदोन््नति के मामलोों मेें
निर््ममाताओ ं को इनकी ओर विशेष ध््ययान देना चाहिए। आरक्षण के विषय मेें उल््ललेख किया गया है।
“अनुसूचित जाति” पदनाम को सबसे पहले 1935 ई. के भारत सरकार अनुच््छछेद 17 यह अनुच््छछेद अस््पपृश््यता को समाप्त करता है।
अधिनियम के तहत संकल््पपित और परिभाषित किया गया था। इसके बाद, अनुच््छछेद 46 राज््य से अपेक्षा की जाती है कि वह, विशेष रूप से
संविधान के अनुच््छछेद 341 के माध््यम से आधिकारिक तौर पर अनुसूचित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित
जातियोों को मान््यता दी गई थी। कमजोर वर्गगों के शैक्षिक और आर््थथिक हितोों को विशेष
अनुच््छछेद 341 के तहत जारी, भारतीय संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, देखभाल के साथ बढ़़ावा दे।
1950 द्वारा शरू ु मेें अनुसूचित जाति का दर््जजा के वल उपेक्षित हिदं ू समदु ायोों को अनुच््छछेद 335 इसमेें प्रावधान किया गया है कि संघ या राज््य से
ही दिया जाता था। हालाँकि, बाद मेें क्रमशः सिखोों और बौद्धधों को अनुसूचित संबंधित सेवाओ ं और पदोों पर नियुक्तियोों मेें प्रशासन की
जाति के दायरे मेें शामिल करने के लिए इस आदेश को 1956 ई. और 1990 दक्षता बनाए रखने के साथ-साथ SC/ST सदस््योों के
ई. मेें संशोधित किया गया। दावोों पर भी विचार किया जाएगा।
अनुच््छछेद 338 अनुसूचित जातियोों और अनुसूचित जनजातियोों के लिए
अनुसूचित जाति से संबंधित आँकड़़े/ सूचकाांक: जनगणना 2011 एक राष्ट्रीय आयोग की स््थथापना करता है, जो सुरक्षा
वर््ष 2011 की जनगणना मेें देश की कुल आबादी मेें अनुसूचित जातियोों की मामलोों की जाँच और निगरानी, विशिष्ट शिकायतोों को
संख््यया लगभग 16.6% थी। अनुसूचित जातियोों (SCs) का लिंगानुपात 945 संबोधित करने और सामाजिक-आर््थथिक विकास योजना
है, जो राष्ट्रीय औसत 940 से अधिक है। हालाँकि, अनुसूचित जातियोों मेें पर सलाह देने के लिए जिम््ममेदार है।
महिलाओ ं के बीच साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत 65% की तुलना मेें 57% है अनुच््छछेद लोक सभा और राज््योों की विधान सभाओ ं मेें
जो विशेष रूप से कम है। इसी प्रकार, SC आबादी के बीच कुल साक्षरता दर 330 और 332 क्रमशःअनुसूचित जातियोों (SCs) और अनुसूचित
65% है, जो राष्ट्रीय औसत 74.04% से कम है। इसके बावजूद, SCs के बीच जनजातियोों (STs) के लिए सीटोों के आरक्षण का
महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLPR) अपेक्षाकृ त अधिक है। प्रावधान किया गया है। इसके अंतर््गत स््थथानीय निकायोों
मेें आरक्षण भी शामिल है।
अनुसूचित जातियोों के लिए संवैधानिक और विधिक सुरक्षा
अनुच््छछेद राष्टट्रपति, राज््यपाल के परामर््श से, अनुसूचित जाति
उपाय
341 (1) समझी जाने वाली जातियोों या नस््लोों के भीतर जातियोों,
z नागरिक अधिकार सरं क्षण अधिनियम, 1955: यह अधिनियम 1955 ई. मेें नस््लोों, जनजातियोों या समहोू ों को निर््ददिष्ट करने के लिए
अनसु चू ित जातियोों (SCs) के नागरिक अधिकारोों की रक्षा करने, उन््हेें भेदभाव अधिकृ त है।
के खिलाफ काननू ी सरु क्षा प्रदान करने और काननू के तहत उनके लिए समान
उपचार सनिश्
ु चित करने के उद्देश््य से लागू किया गया था। z अनुसचू ित जाति और अनुसचू ित जनजाति अत््ययाचार निवारण
z बंधुआ मजदूरी प्रथा उन््ममूलन अधिनियम (1976): 1976 ई. मेें, अधिनियम, 1989: वर््ष 1989 मेें अधिनियमित, इस अधिनियम मेें अनसु चू ित
अधिनियमित इस अधिनियम का उद्देश््य; काननू ी रूप से बंधआ ु मजदरू ी प्रथा जाति(SC) और अनसु चू ित जनजाति (ST) के खिलाफ होने वाले अत््ययाचारोों
पर रोक लगाना एवं बंधआ ु मजदरोू ों की मक्ु ति और पनु र््ववास के लिए तंत्र प्रदान को रोकने और दडं ित करने के साथ, उपेक्षित समदु ायोों पर होने वाले विभिन््न
कर समाज से बंधआ ु मजदरू ी की प्रथा को समाप्त करना था, जो अनसु चू ित प्रकार के भेदभाव, हिसं ा और शोषण के खिलाफ काननू ी सहायता और सरु क्षा
जाति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती थी। प्रदान करने की माँग की गई।
z केें द्रीय शैक्षणिक सस्ं ्थथान (नामांकन मेें आरक्षण) अधिनियम, 2006: वर््ष सामाजिक कलंक और बहिष्कार
2006 मेें पारित इस अधिनियम ने केें द्रीय शैक्षणिक संस््थथानोों मेें नामांकन मेें
z सदं ू षण एवं शुद्धता: अनसु चू ित जाति से जड़ु ़ी ‘अशद्ध ु ता’ की धारणा
अनसु चू ित जाति के छात्ररों के लिए आरक्षण को अनिवार््य कर दिया, जिससे सामाजिक बहिष््ककार को बढ़़ावा दे रही है, जो अनसु चू ित जातियोों के सार््वजनिक
उच््च शिक्षा तक पहुचँ के समान अवसर सनिश् ु चित हुए और सामाजिक स््थथानोों, अवसरोों तक पहुचँ मेें बाधा उत््पन््न करने के साथ-साथ उच््च जातियोों
समावेशन और सशक्तीकरण को बढ़़ावा मिला। के साथ संवाद व संपर््क को भी प्रतिबंधित करती है।
z हाथ से मैला ढोने के रोजगार का निषेध और उनका पुनर््ववास अधिनियम, z सीमित आवश््यकताए:ं ऐतिहासिक रूप से, अनसु चू ित जाति को स््वच््छ
2013: वर््ष 2013 मेें लागू किए गए इस अधिनियम का उद्देश््य व््यक्तियोों, जल, शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल जैसी बनि ु यादी आवश््यकताओ ं तक पहुचँ
विशेष रूप से अनसु चू ित जाति जैसे उपेक्षित समदु ायोों के लोगोों को हाथ से वंचित कर दिया गया था, जो उनकी वर््तमान उपेक्षापर््णू परिस््थथितियोों मेें
से मैला ढोने वाली रोजगार प्रथा पर रोक लगाकर और उनको पनु र््ववास और योगदान दे रहा है।
वैकल््पपिक आजीविका प्रदान करके , हाथ से मैला ढोने की अमानवीय प्रथा आर््थथिक असमानता
को समाप्त करना था। z गरीबी: विश्व बैैंक द्वारा किए गए एक शोध के अनसु ार, वर््ष 2011 तक, अन््य
संस्थागत सुरक्षा उपाय जातियोों के 9% की तल ु ना मेें अनसु चू ित जाति के 34% लोग गरीबी रे खा से
नीचे जीवन-यापन कर रहे थे। इसका तात््पर््य यह हुआ कि संसाधनोों, शिक्षा
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC): राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
और स््ववास््थ््य-देखभाल तक इनकी पहुचँ सीमित रही है।
भारत का एक संवैधानिक निकाय है, जिसकी स््थथापना अनुसूचित जातियोों और
z सपं त्ति मेें विषमता: अनसु चू ित जाति के पास भारत की संपत्ति का के वल
आंग््ल-भारतीय समदु ायोों को उनके शोषण के खिलाफ सुरक्षा उपाय प्रदान करने, 7% हिस््ससा है, जो उनकी जनसंख््यया हिस््ससेदारी (25.2%) से काफी कम है
उनके सामाजिक, शैक्षिक, आर््थथिक एवं सांस््ककृतिक हितोों को बढ़़ावा देने तथा (इकोनॉमिक एडं पॉलिटिकल वीकली, 2023)।
उनकी रक्षा करने के उद्देश््य से की गई थी, इसके संबंध मेें संविधान मेें विशेष z भूमि-हीनता: ऐतिहासिक रूप से भमि ू स््ववामित््व से वंचित, अनसु चू ित जातियाँ
प्रावधान किए गए थे। भारतीय संविधान का अनुच््छछेद 338 अनुसूचित जाति के भमि
ू और संसाधनोों तक सीमित पहुचँ से जझू रही हैैं, जिससे उनकी आर््थथिक
लिए एक राष्ट्रीय आयोग के गठन से संबंधित है। गतिशीलता मेें बाधा आ रही है।
इसका उद्देश््य अनुसूचित जातियोों को भेदभाव और शोषण से बचाना, उनके
अल्प-राजनीतिक प्रतिनिधित्व
सामाजिक-आर््थथिक विकास को बढ़़ावा देना और अवसर की समानता सुनिश्चित
z सीमित प्रतिनिधित््व: सरकारी निकायोों मेें आरक्षित सीटोों के बावजदू ,
करना है। आयोग अधिकारोों के उल््ललंघन की शिकायतोों की जाँच करता है,
अनसु चू ित जाति का प्रीतिनिधित््व भारत सरकार के वरिष्ठ पदोों (संयक्त
ु सचिव
कल््ययाणकारी उपायोों के कार््ययान््वयन की निगरानी करता है और अनुसूचित और सचिव) मेें के वल 4% तक सीमित है। (DoPT के अनसु ार)
जातियोों की उन््नति के लिए अनुकूल नीतियोों का समर््थन करता है।
z उभरती हुई राजनीतिक शक्ति: हाँलाकि, इस वर््ग की राजनीतिक भागीदारी
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) बढ़ रही है परंत,ु अभी भी अनसु चू ित जाति को महत्तत्वपर््णू राजनीतिक शक्ति
MoSJE के दो विभाग हैैं: पहला, सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता विभाग और प्रतिनिधित््व हासिल करने के लिए संघर््ष करना पड़ रहा है।
और दसू रा, दिव््ययाांग व््यक्तियोों का अधिकारिता विभाग। असुरक्षा और शोषण
z इसमेें दो सवं ैधानिक निकाय हैैं: पहला, सवं िधान के अनच्ु ्छछेद 338 के तहत
z जेलोों मेें आबादी का अतिप्रतिनिधित््व: किन््हीीं न किन््हीीं कारणोों से जेलोों
स््थथापित राष्ट्रीय अनसु चू ित जाति आयोग (NCSC) और दसू रा, भारत के
मेें कै द कुल कै दियोों का 20.74% के वल अनसु चू ित जाति वर््ग से संबंधित
संविधान के अनच्ु ्छछेद 338B के तहत स््थथापित राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग
है।(NCRB, 2019 के अनसु ार)
(NCBC)।
z मानवाधिकारोों का उल््ललंघन: अनसु चू ित जाति के विरुद्ध हिसं ा, भेदभाव और
z इसके तहत सांविधिक निकाय भी हैैं, जैसे कि ‘भारतीय पन ु र््ववास परिषद’,
अत््ययाचार की घटनाएँ जारी हैैं, जिससे उनके मानवीय अधिकारोों का निरंतर
जिसे 1992 ई. मेें दिव््ययाांग एवं अशक्त व््यक्तियोों के लिए स््थथापित किया
उलंघन हो रहा है, जो उनकी सरु क्षा और सम््ममान को बाधा पहुचँ ा रहा है।
गया था और एक अन््य ‘ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय परिषद’, जिसे
2019 ई. मेें स््थथापित किया गया था। z हाथ से मैला ढोना: काननू ी प्रतिबंधोों के बावजदू , हाथ से मैला ढोने की प्रथा,
जिसमे मख्ु ्य रूप से अनसु चू ित जाति की संलग््नता है, भारत के कई हिस््सोों
z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी आयोग (NCSK) और विमक्त ु , घमु तं ू और अर्दद्ध- मेें अभी भी प्रचलन मेें है।
घमु तं ू जनजातियोों के लिए राष्ट्रीय आयोग भी इसके तहत कार््य करते हैैं।
अन्य मुद्दे
अनुसूचित जातियोों के समक्ष चुनौतियााँ
z शिक्षा की निम््न स््थथिति: प्रगति के बावजदू , अनसु चू ित जातियोों के बीच
अस््पपृश््यता एक ऐतिहासिक प्रथा, जिसकी जड़ेें हिदं ू जाति व््यवस््थथा मेें गहराई से निरक्षरता दर उच््च बनी हुई है, जिससे उनकी आरोही गतिशीलता सीमित
समायी हुई हैैं, ने भारत मेें अनुसूचित जातियोों (SCs) को सामाजिक, आर््थथिक हो गई है।
और राजनीतिक रूप से उपेक्षित बने रहने के लिए मजबूर किया है। संवैधानिक z बुनियादी सविधु ाओ ं तक सीमित पहुच ँ : स््वच््छ जल, स््वच््छता और
सुरक्षा और प्रगति के बावजूद भी, अनुसूचित जाति को समानता और कल््ययाण विश्वसनीय परिवहन-सवु िधाओ ं की कमी उनकी कठिनाइयोों को और बढ़़ा
के लिए कई चनु ौतियोों का सामना करना पड़ रहा है। देती है।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 9


z सांस््ककृतिक तिरस््ककार: अनसु चू ित जातियोों को प्रायः धार््ममिक प्रथाओ ं और z बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (2020 से प्रभावी): यह एक
सांस््ककृतिक कार््यक्रमोों से बहिष््ककार का सामना करना पड़ता है। उप-योजना है। इसका उद्देश््य प्रधानमत्री ं अनसु चू ित जाति अभ््ययुदय योजना
z परस््पर भेदभाव: अनसु चू ित जाति की महिलाओ,ं LGBTQ + व््यक्तियोों और के तहत अनसु चू ित जाति के छात्ररों के लिए छात्रावास का निर््ममाण करना है।
अन््य उपेक्षित समहोू ों को जाति, लिंग और यौन-संबंधी रुझान के आधार पर z हाथ से मैला ढोने वालोों के पुनर््ववास के लिए स््व-रोजगार योजना (2007):
जटिल भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह योजना हाथ से मैला ढोने वालोों को स््व-रोजगार की सवु िधा प्रदान करने
z राष्ट्रीय अपराध रिकॉर््ड ब््ययूरो (NCRB) की ‘भारत मेें अपराध’ रिपोर््ट के 2022 के लिए शरू ु की गई है।
का सस्ं ्करण अनसु चू ित जाति और अनसु चू ित जनजाति की सवं ेदनशीलता पर z अनुसचू ित जाति के लिए ऋण वृद्धि गारंटी योजना (2014): यह योजना
प्रकाश डालता है। वर््ष 2022 मेें, अनसु चू ित जातियोों (SCs) के विरुद्ध घटित
SC समदु ाय से संबंधित यवु ा और स््टटार््टअप उद्यमियोों को क्रेडिट गारंटी सवु िधा
अपराधोों के 57,582 मामले दर््ज किए गए, जो वर््ष 2021 मेें घटित अपराधोों
से 13.1% अधिक है, जब 50,900 मामले दर््ज किए गए थे। प्रदान करती है।
z अंबेडकर सोशल इनोवेशन एडं इनक््ययूबेशन मिशन (ASIIM): MoSJE
अनुसूचित जाति की शिकायतोों की इस योजना का लक्षष्य उद्यम पँजू ी निधि के माध््यम से अगले 4 वर्षषों मेें
के समाधान हेतु सरकारी पहलेें अनसु चू ित जाति के यवु ाओ ं के लिए 1,000 स््टटार््टअप््स का समर््थन करना है।
शैक्षिक पहलेें z PM-दक्ष(DAKSH) (2020-21): इसका उद्देश््य अनसु चू ित जाति के यवु ाओ ं
को दीर््घकालिक और अल््पकालिक कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है।
z अनुसचू ित जाति के छात्ररों/छात्राओ ं की योग््यता का उन््नयन (1987-88
ई.): कक्षा 9 से 12 तक अनसु चू ित जाति के छात्ररों/छात्राओ ं को आवासीय/ z PM-अजय (2021-22): अनसु चू ित जाति उपयोजना (SCA से SCSP) और
गैर-आवासीय विद्यालयोों मेें शिक्षा की सवु िधा प्रदान की जाती है। प्रधानमत्री
ं आदर््श ग्राम योजना (PMAGY) के लिए विशेष केें द्रीय सहायता
z डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन (1992 ई.): इसका प्राथमिक उद्देश््य शताब््ददी सहित तीन केें द्र प्रायोजित योजनाओ ं का विलय, जिसका उद्देश््य SC समदु ायोों
समारोह समिति की सिफारिशोों से उभरी योजनाओ ं को संचालित करने के का व््ययापक विकास करना है।
साथ-साथ डॉ. अबं ेडकर की विचारधारा और दर््शन को बढ़़ावा देना है। आगे की राह
z अनुसचू ित जाति के छात्ररों के लिए पोस््ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (PMS-SC)
संवैधानिक सरु क्षा प्रावधानोों और दशकोों के प्रयासोों के बावजदू , भारत मेें
(2007): यह पहल केें द्र सरकार द्वारा शिक्षा के माध््यम से अनसु चू ित जाति के
अनुसूचित जाति (SC) को अवसरोों तक पहुचँ ने और समानता हासिल करने
छात्ररों को सशक्त बनाने के उद्देश््य से व््ययापक हस््तक्षेप का प्रतिनिधित््व करती है।
मेें महत्तत्वपूर््ण चनु ौतियोों का सामना करना पड़ रहा है। वास््तव मेें एक समावेशी
z SC छात्ररों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति (2012): इसका उद्देश््य अनसु चू ित
समाज की स््थथापना के लिए, धरातलीय आँकड़ोों की वास््तविक जानकारी और
जाति के छात्ररों/छात्राओ ं के अभिभावकोों को अपने बच््चोों को शिक्षित करने मेें
सहायता करना है, जिससे स््ककूल छोड़ने वाले छात्ररों की संख््यया कम हो सके । सामदु ायिक भागीदारी को एकीकृ त करने वाला एक बहु-आयामी दृष्टिकोण
महत्तत्वपूर््ण है।
z जनपथ स््थथित डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय केें द्र (2017): यह एक विश्व स््तरीय
z नीतिगत और विधिक ढाँचे का सदृ ु ढ़ीकरण
पस्ु ्तकालय और ई-लर््नििंग सेेंटर है, जिसका उद्देश््य अनसु चू ित जाति के छात्ररों
के लिए शैक्षिक अवसरोों को बढ़़ाना है।  आँकड़े-आधारित कानून: विशिष्ट आवश््यकताओ ं की पहचान करने

z उच््च शिक्षा और कोचिंग के लिए छात्रवृत्ति: विभिन््न योजनाएँ अनसु चू ित और तदनसु ार नीतियोों को तैयार करने के लिए सामाजिक-आर््थथिक और
जाति के छात्ररों को उच््च शिक्षा और विदेशी अध््ययन के अवसरोों के लिए जाति जनगणना (SECC) जैसे स्रोतोों से आँकड़े जटु ाकर उनका उपयोग
छात्रवृत्ति और फे लोशिप प्रदान करती हैैं। किया जाना चाहिए।
 मौजूदा कानूनोों की समीक्षा करना: ऑनलाइन उत््पपीड़न और
सामाजिक पहल
साइबर अपराध जैसे समसामयिक मद्ददों ु के समाधान के लिए
z अंतर-जातीय विवाहोों का सरं क्षण: सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता
मंत्रालय (MoSJE) उन जोड़ों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जहाँ एक अनसु चू ित जाति और अनसु चू ित जनजाति (अत््ययाचार निवारण)
पति या पत््ननी अनसु चू ित जाति से है और दसू रा गैर-अनसु चू ित जाति से है। अधिनियम (POCA) जैसे काननोू ों को अद्यतन करना।
z प्रभावी क्रियान््वयन सनिश् ु चित करना:
आर््थथिक पहल
 सस् ं ्थथागत क्षमता निर््ममाण: SC मामलोों के लिए समर््पपित विशेष अदालतोों
z राष्ट्रीय अनुसचू ित जाति वित्त और विकास निगम (NSFDC) (1989):
की जाँच और अभियोजन क्षमता को मजबतू करने के लिए पर््ययाप्त संसाधन
गरीबी रे खा से दोगनु े से नीचे रहने वाले अनसु चू ित जाति की आय-सृजन
गतिविधियोों को वित्तपोषित करने के लिए स््थथापित। और प्रशिक्षण आवंटित करना।
 कानूनी प्रवर््तनोों को सव ं ेदनशील बनाना: पलि
ु स कर््ममियोों को अनसु चू ित
z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास परिषद (NSKFDC)
(1997): इसके अतं र््गत सफाई कर््मचारियोों, हाथ से मैला ढोने वालोों और जाति के मद्ददोंु पर प्रशिक्षित करना और अत््ययाचार के मामलोों मेें त््वरित
उनके आश्रितोों के बीच लाभार््थथियोों को ऋण सवु िधाएँ प्रदान की जाती हैैं। और निष््पक्ष जाँच सनिश् ु चित करना।
z प्रधानमंत्री आदर््श ग्राम योजना: सरकार का लक्षष्य मौजदू ा योजनाओ ं के  सामुदायिक-स््तरीय निगरानी: ग्राम सभा जैसे तंत्र के माध््यम से

बेहतर क्रियान््वयन के माध््यम से 50% से अधिक अनसु चू ित जाति (SC) अनसु चू ित जाति समदु ायोों को भेदभाव संबंधी शिकायत दर््ज कराने और
आबादी वाले गाँवोों का विकास करना है। काननोू ों के कार््ययान््वयन की निगरानी करने के लिए सशक्त बनाना।

10  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z सामाजिक समावेशन और सशक्तीकरण को बढ़़ावा देना:
 अस््ववास््थ््यकर शौचालयोों का निर््ममाण करना।
 शिक्षा पर ध््ययान देना: उच््च ड्रॉपआउट (स््ककूल छोड़ने की) दर का
 इस अधिनियम के लागू होने की एक निश्चित अवधि के भीतर
समाधान करना, SC छात्ररों के लिए शिक्षा की गणु वत्ता मेें सधु ार करना
अस््ववास््थ््यकर शौचालयोों को ध््वस््त या परिवर््ततित नहीीं किया जाएगा।
और छात्रवृत्ति और उच््च शिक्षा के अवसरोों तक पहुचँ सनिश् ु चित करना।
 आर््थथिक सशक्तीकरण: लक्षित कौशल विकास कार््यक्रम, सक्ष
z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी आयोग: यह सफाई कर््मचारियोों के कल््ययाण
ू ष्म वित्त
(माइक्रोफाइनेेंस) और बाजारोों तक पहुचँ प्रदान करना और अनसु चू ित से सबं ंधित मामलोों को देखने और सरकार को सिफारिशेें करने के लिए
जाति की आबादी के लिए उद्यमिता पहल का समर््थन करना। एक सांविधिक निकाय है।
 भूमि अधिकार: भमि ू स््ववामित््व की सवु िधा प्रदान करना और भमि ू z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC): यह
पनु र्गग्रहण और पनु र््ववितरण कार््यक्रमोों के माध््यम से ऐतिहासिक बेदखली सफाई कर््मचारियोों और उनके आश्रितोों को किसी भी व््यवहार््य आय-सृजन
का समाधान करना। योजनाओ ं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसके अतं र््गत 22
 स््ववास््थ््य सेवा पहुचँ : अनसु चू ित जाति सबं ंधी समदु ायोों के लिए मानसिक प्रशिक्षण संस््थथानोों को सचू ीबद्ध किया गया है और वैकल््पपिक रोजगार को
स््ववास््थ््य जागरूकता और सहायता कार््यक्रमोों सहित गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य बढ़़ावा देने और उद्यमिता को प्रोत््ससाहित करने के प्रयास मेें विभिन््न प्रकार
सेवाओ ं तक पहुचँ सनिश् ु चित करना। के कौशल प्रशिक्षणोों की पहचान की गई है।
z साझेदारी और सामुदायिक सपं र््क को बढ़ावा देना: z हाथ से मैला ढोने वालोों के पुनर््ववास के लिए स््व-रोजगार योजना
 सहयोग को बढ़़ावा देना: समावेशी समाधान विकसित करने और लागू
(SRMS): वैकल््पपिक व््यवसायोों मेें सहायता प्रदान करना।
करने के लिए सरकार, सिविल सोसाइटी संगठनोों और अनसु चू ित जाति z सफाई मित्र सरक्षा ु चुनौती: 30 अप्रैल, 2021 तक भारत भर के 243
समदु ायोों के बीच सहयोग को बढ़़ावा देना। शहरोों मेें सभी सेप््टटिक और सीवेज टैैंक जैसे सफाई कार्ययों को परू ी तरह से
 सामुदायिक भागीदारी: निर््णय लेने की प्रक्रियाओ ं मेें सक्रिय रूप से मशीनीकृ त करने का लक्षष्य रखा गया था।
भाग लेने और सभी स््तरोों पर उनके अधिकारोों का समर््थन करने के लिए नमस्ते (NAMASTE)
अनसु चू ित जाति के समदु ायोों को सशक्त बनाना।
z सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मत्राल ं य (MoSJE) ने एक योजना
 जागरूकता बढ़़ाना: जातिगत भेदभाव से निपटने और सामाजिक
"नेशनल एक््शन फॉर मैकेनाइज््ड सैनिटेशन इकोसिस््टम" (NAMASTE)
समावेशन को बढ़़ावा देने के लिए सार््वजनिक जागरूकता अभियान और
तैयार की है।
शैक्षिक कार््यक्रम शरू ु करना।
z इस योजना को देश के सभी शहरी स््थथानीय निकायोों (ULB) तक विस््ततारित
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति करने की प्रक्रिया शरू ु कर दी गई है।
अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 मेें संशोधन
z सभी शहरी स््थथानीय निकायोों मेें लागू की जाने वाली इस योजना की मख्ु ्य
z यह अधिनियम संविधान के अनच्ु ्छछेद 15 (भेदभाव का निषेध), 17
विशेषताएँ इस प्रकार हैैं:
(अस््पपृश््यता का उन््ममूलन) और 21 (जीवन और व््यक्तिगत स््वतंत्रता की
 पहचान: NAMASTE योजना मेें सीवर/सेप््टटिक टैैंक वर््कर््स (SSWs)
सरु क्षा) मेें वर््णणित स््पष्ट संवैधानिक सरु क्षा उपायोों को ध््ययान मेें रखते हुए, दोहरे
उद्देश््य के साथ अधिनियमित किया गया है। इसमेें इन उपेक्षित समदु ायोों के की पहचान करने की परिकल््पना की गई है।
सदस््योों की सरु क्षा के साथ-साथ जाति-आधारित अत््ययाचारोों के पीड़़ितोों को  प्रशिक्षण: व््ययावसायिक प्रशिक्षण और सीवर/सेप््टटिक टैैंक वर््कर््स

राहत और पनु र््ववास प्रदान करना भी शामिल है। (SSWs) को PPE किट का वितरण करने की परिकल््पना की गई है।
z सश ं ोधित SC/ST अधिनियम, 2018: इसमेें, प्रारंभिक जाँच जरूरी नहीीं  स््वच््छता प्रतिक्रिया इकाइयोों (SRU) को सरु क्षा उपकरणोों हेतु सहायता

है तथा SC और ST पर अत््ययाचार के मामलोों मेें प्राथमिकी (FIR) दर््ज प्रदान करना।


करने के लिए वरिष्ठ पलि ु स अधिकारियोों को प्राधिकारी नियक्त ु करने के लिए  आयष्ु ्ममान भारत-प्रधानमत्री ं जन आरोग््य योजना (AB-PMJAY) के
किसी पर््वू अनमु ोदन की भी आवश््यकता नहीीं है। तहत चिन््हहित सीवर/सेप््टटिक टैैंक वर््कर््स (SSWs) और उनके परिवारोों
अन्य कानूनी प्रावधान को स््ववास््थ््य बीमा योजना का लाभ प्रदान करना।
z ‘हाथ से मैला ढोने के रोजगार का निषेध और उनका पुनर््ववास  आजीविका सहायता: कार््य योजना स््वच््छता से संबंधित उपकरणोों

अधिनियम, 2013’ (PEMSRA, 2013): की खरीद के लिए, सफाई कर््मचारियोों को आर््थथिक सहायता और
z अधिनियम का उद्देश््य: शष्ु ्क शौचालयोों और मैला ढोने की प्रथा का सब््ससिडी (पँजू ी + ब््ययाज) प्रदान करके मशीनीकरण और उद्यम विकास
उन््ममूलन और वैकल््पपिक व््यवसायोों मेें मैला ढोने वालोों का पनु र््ववास करना है। को बढ़़ावा देगी।
इस काननू के अतं र््गत निम््न को अपराध की श्रेणी मेें समाहित किया गया है :  IEC (सच ू ना, शिक्षा एवं सच ं ार) अभियान: नमस््तते के हस््तक्षेप के
 अस््ववास््थ््यकर शौचालयोों की सफाई के लिए लोगोों को सीधे तौर पर बारे मेें जागरूकता फै लाने के लिए शहरी स््थथानीय निकायोों (ULB)
मैला ढोने वाले के रूप मेें नियक्त
ु करना। और राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC)
 बिना सरु क्षात््मक उपकरण के सीवर और सेप््टटिक टैैंकोों की सफाई के द्वारा संयक्त
ु रूप से व््ययापक सचू ना, शिक्षा एवं संचार अभियान चलाया
लिए लोगोों को नियक्त
ु करना। जाएगा।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 11


z अनुसचू ित जातियोों के भीतर प्रचलित पदानुक्रम का नियंत्रण: अनसु चू ित
खबरोों मेें
जाति श्रेणी समरूप नहीीं है और इसमेें विशिष्ट सांस््ककृतिक, सामाजिक और
बैैंडिकूट रोबोटिक््स - के रल, मैनहोल सफाई के लिए रोबोटिक््स तकनीक का आर््थथिक विशेषताओ ं वाले समदु ायोों की एक विस््ततृत शृखल ं ा शामिल है।
व््ययापक रूप से उपयोग करने वाला पहला राज््य बन गया है:  कुछ अनस ु चू ित जाति समदु ायोों ने शिक्षा, रोजगार और सामाजिक-आर््थथिक
z के रल, गरु ु वायरु के मदि ं र शहर मेें रोबोटिक सफाई कर्मी बैैंडिकूट को सेवा मेें विकास मेें प्रगति की है, जबकि अन््य को अभी भी विभिन््न समस््ययाओ ं
लगाकर अपने सभी कमीशन किए गए मैनहोल की सफाई के लिए रोबोटिक््स का सामना करना पड़ रहा है।
तकनीक का उपयोग करने वाला देश का पहला राज््य बन गया।
z अनुसचू ित जातियोों की सामाजिक गतिशीलता सरक्षि ु त करने मेें
z बैैंडिकूट एक रोबोटिक मशीन है जो सभी प्रकार के सीवर मैनहोल की सफाई
सहायता:
के लिए बनाई गई है।
 राजनीतिक शक्ति का अधिग्रहण, शैक्षिक सध ु ार और व््ययावसायिक
z इसे के रल स््थथित जेनरोबोटिक््स द्वारा विकसित किया गया है, और पहले से
परिवर््तन; अनसु चू ित जाति की आरोही गतिशीलता के लिए प्रमख ु विकल््प
ही देश भर के शहरी निकायोों मेें इसका उपयोग किया जा रहा है, जिससे
बन सकते हैैं, जो उपवर्गीकरण की माँग के लिए एक प्रमख ु कारक के रूप
स््वच््छता कार््यकर््तताओ ं द्वारा मैनहोल मेें शारीरिक रूप से प्रवेश करने की प्रथा
मेें कार््य करता है।
को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने मेें सफलता मिल रही है।
z सामाजिक न््ययाय सनिश् ु चित करना:
अनुसूचित जातियोों का उपवर्गीकरण  उपवर्गीकरण विशेष अनस ु चू ित जाति उपसमहोू ों की विशिष्ट कमजोरियोों
केें द्र सरकार ने कै बिनेट सचिव की अध््यक्षता मेें सचिवोों की एक पाँच सदस््ययीय और जरूरतोों को संबोधित करने के लिए अधिक लक्षित दृष्टिकोण को
समिति गठित की है, जो देश भर मेें 1,200 से अधिक अनुसूचित जातियोों के अपनाने पर बल देता है।
z सस ं ाधनोों का समान वितरण सनिश् ु चित करना: उप-वर्गीकरण से कुछ
बीच सबसे पिछड़़े समदु ायोों, जो अपेक्षाकृ त अगड़़े और प्रभावशाली समदु ायोों
द्वारा शोषित हैैं, के बीच लाभोों, योजनाओ ं और पहलोों के समान वितरण के लिए समदु ायोों मेें लाभोों के संकेेंद्रण से बचने मेें मदद मिल सकती है, जबकि अन््य
एक पद्धति का मल््ययाां समदु ाय वचं ित रह गए होों।
ू कन और निर््धधारण करे गी।
 इसके लिए, राज््योों ने अनस ु चू ित जाति कोटा को इस आधार पर विभाजित
जातीय उपवर्गीकरण क््यया है?
इसका तात््पर््य विभिन््न मानदंडोों के आधार पर व््ययापक जातीय समहोू ों को करने का प्रयास किया है कि जाति, वर्गीकृ त असमानता का एक रूप
उपसमहोू ों मेें वर्गीकृ त करना है। है। भर्ती के लिए पंजाब ने 1975 ई. मेें अनसु चू ित जातियोों के भीतर
प्राथमिकताओ ं का एक क्रम बनाया था।
समय के साथ, कुछ जातियोों और समदु ायोों ने अपनी अनूठी विशेषताओ,ं
ऐतिहासिक पृष्ठभमि जाति के उपवर्गीकरण से जुड़़ी चुनौतियाँ क््यया हैैं?
ू या सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति के आधार पर मान््यता और
z अनुसचू ित जातियोों की आंतरिक असमानता का समाधान कठिन है:
विशिष्ट विशेषाधिकार की माँग की है। उपवर्गीकरण बड़़े जाति समहोू ों के भीतर
राष्ट्रीय अनसु चू ित जनजाति आयोग (NCST) के अनसु ार, सबसे पिछड़़ी
विविधता को संबोधित करने और विशिष्ट उपसमहोू ों को लक्षित लाभ प्रदान
अनसु चू ित जातियाँ अगड़़ी अनसु चू ित जाति समदु ायोों से इतनी पीछे हैैं कि एक
करने का प्रयास करता है जिन््हेें सामाजिक और आर््थथिक रूप से वंचित माना
अलग कोटा से मदद नहीीं मिलेगी।
जा सकता है।
 इस प्रकार NCSC और NCST ने सिफारिश की थी कि मौजद ू ा योजनाएँ
जाति के अंतर््गत उपवर्गीकरण की आवश््यकता क््योों है?
और सरकारी लाभ किसी भी उपवर्गीकरण से पहले इन वर्गगों तक पहुचेँ ।ें
z अनुसचू ित जाति समुदायोों के बीच असमानताओ ं को दूर करने के लिए:
z सघ ं वाद का मुद्दा: वर््ष 2004 मेें सप्री ु म कोर््ट ने माना कि राज््य के पास
अनसु चू ित जाति समदु ायोों के बीच वर्गीकृ त असमानताएँ हैैं और यहाँ तक कि
अनसु चू ित जाति की सचू ी मेें एकतरफा उपवर्गीकरण करने की शक्ति नहीीं है।
उपेक्षित समदु ायोों के बीच भी, कुछ समदु ायोों के पास बनि ु यादी सवु िधाओ ं
संविधान मेें प्रावधान किया गया है कि ये सचू ियाँ के वल संसद द्वारा बनाई जा
तक पहुचँ भी नहीीं है।
सकती हैैं और राष्टट्रपति द्वारा अधिसचू ित की जा सकती हैैं।
 उनमेें से अपेक्षाकृ त अधिक अगड़़े समद ु ाय लगातार लाभ प्राप्त करने मेें  हालाँकि, न््ययायमर््तति ू अरुण मिश्रा की अध््यक्षता वाली पाँच-न््ययायाधीशोों की
सफल रहे हैैं जबकि अधिक पिछड़़े समदु ायोों को बाहर कर दिया गया है। पीठ ने वर््ष 2020 के फै सले मेें कहा था कि पहले से अधिसचू ित SC/ST
 अवसरोों मेें असग ं त हिस््ससेदारी: सरु क्षात््मक और प्रतिपरू क भेदभाव की सचू ी मेें लाभ की मात्रा पर निर््णय लेना इसके साथ ‘छे ड़छाड़’ नहीीं
की नीति के कारण रोजगार, शिक्षा और विधायिका मेें उपजातियोों का होगी और राज््य ऐसा कर सकते हैैं। फिलहाल, इस फै सले को बड़़ी पीठ
अनपु ातहीन प्रतिनिधित््व होता है। को हस््तताांतरित किया गया है।
 उदाहरण के लिए, तमिलनाडु मेें, अनस ु चू ित जाति कोटे के भीतर 3% कोटा z पहचान एवं मानदड ं : उपवर्गीकरण के लिए मापदडं निर््धधारित करना चनु ौतीपर््णू
अरुुंधतियार जाति को दिया जाता है, न््ययायमर््तति ू एम. एस. जनार््थनम की हो सकता है। सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति, शैक्षणिक उपलब््धधि या क्षेत्रीय कारकोों
रिपोर््ट मेें कहा गया है कि राज््य मेें अनसु चू ित जाति की आबादी 16% होने जैसे मापदडों ों पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इन मानदडों ों पर आम
के बावजदू भी उनका प्रतिनधित््व के वल 0-5% नौकरियोों तक सीमित है। सहमति तक पहुचँ ना मश््ककिल ु हो सकता है।

12  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आगे की राह
विभिन््न राज््योों मेें अनुसूचित z उपवर्गीकरण हेतु विकल््पोों की तलाश: केें द्र सरकार को इसके लिए काननू ी
जनजाति जनसंख््यया का संकेेंद्रण विकल््प तलाशने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, भारत के अटॉर्नी जनरल
(राज््य की कु ल जनसंख््यया के % के रूप मेें) (AGI) ने राय दी थी कि इसे सवु िधाजनक बनाने के लिए एक सवं ैधानिक
संशोधन लाया जा सकता है।
 NCSC और NCST ने राय दी थी कि सवं िधान के अनच् ु ्छछेद 16(4)
मेें पहले से ही राज््योों को उन पिछड़़े वर्गगों के लिए विशेष काननू बनाने
का प्रावधान है, जिन वर्गगों के बारे मेें राज््योों को लगता है कि उनका
प्रतिनिधित््व कम है।
 उषा मेहरा समिति ने एक संवैधानिक संशोधन के माध््यम से अनच् ु ्छछेद 341
मेें खडं (3) को शामिल करने की सिफारिश की, जो राज््य विधानमडल ं
को राष्टट्रपति की पष्टिु के अधीन अनसु चू ित जाति श्रेणी के पनु र््वर्गीकरण
को लागू करने का अधिकार देता है।
z आँकड़ोों का सग्रं ह और विश्लेषण: विभिन््न अनसु चू ित जाति समदु ायोों की
सामाजिक-आर््थथिक स््थथितियोों पर व््ययापक और सटीक आँकड़ा-सग्रह ं सनिश्
ु चित करना।
 उदाहरण के लिए, जाति-आधारित जनगणना विभिन््न जाति समहो ू ों की
सामाजिक और आर््थथिक स््थथिति का अधिक सटीक और अद्यतन आँकड़े
प्रदान कर सकती है, जिससे सकारात््मक क्रियात््मक नीतियोों और कल््ययाण
कार््यक्रमोों को तैयार करने और उनका मल््ययाां
ू कन करने मेें मदद मिल सकती है।
z क्रीमी-लेयर की अवधारणा: अनसु चू ित जाति के भीतर ‘क्रीमी लेयर’ की
 वर््ष 1976 के के रल राज््य बनाम एन. एम. थॉमस मामले मेें, सप्री ु म कोर््ट अवधारणा को अदालत ने जरनैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण गप्ता ु के वर््ष
ने कहा कि "अनसु चू ित जातियाँ, जाति नहीीं बल््ककि वर््ग हैैं।" 2018 के फै सले मेें बरकरार रखा था।
 वर््ष 2005 मेें ई. वी. चिन््ननैया मामले मेें, अदालत ने माना था कि अनसु चू ित z ‘क्रीमी-लेयर’ की अवधारणा: ‘क्रीमी-लेयर’ की अवधारणा आरक्षण
जाति की विशेष सरु क्षा इस पर आधारित है कि "सभी अनसु चू ित जातियाँ के लिए पात्र लोगोों पर आय की एक निश्चित सीमा (सालाना 8 लाख से
अतं र असमानता की परवाह किए बिना सामहि ू क रूप से आरक्षण के लाभोों अधिक) तय करती है। यह अवधारणा अन््य पिछड़़ी जातियोों पर लागू होती
का आनंद ले सकती हैैं" क््योोंकि सरु क्षा शैक्षिक, आर््थथिक या ऐसे अन््य है, इसे वर््ष 2018 मेें पहली बार अनुसूचित जातियोों की पदोन््नति के लिए
कारकोों पर आधारित नहीीं है बल््ककि के वल उन लोगोों पर आधारित है जो लागू किया गया था।
अस््पपृश््यता से पीड़़ित थे। z विकास-सबं ंधी मानदडं : सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति, शैक्षिक प्राप्ति और
क्षेत्रीय असमानताओ ं जैसे कारकोों पर विचार करते हुए उपवर्गीकरण के लिए
z आँकड़ोों की सटीकता और उपलब््धता: प्रत््ययेक समदु ाय और उपसमदु ाय
पारदर्शी और समावेशी मानदडं विकसित करना।
की वास््तविक जनसख्ं ्यया और उनसे सबं ंधित सामाजिक-आर््थथिक आँकड़े
 आध्र ं प्रदेश सरकार ने वर््ष 1996 मेें न््ययायमर््तति
ू रामचद्रं राजू के नेतत्ृ ्व मेें
आवश््यक हैैं, जो यह तय करने के लिए एक उचित आधार प्रदान कर सकते एक आयोग बनाया, जिसने इस सबतू के आधार पर राज््य मेें अनसु चू ित
हैैं कि जातियोों को कै से वर्गीकृ त किया जा सकता है? जाति के उपवर्गीकरण की सिफारिश की कि कुछ समदु ाय अधिक पिछड़़े
 विभिन््न अनसु चू ित जाति समदु ायोों की सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति पर थे और दसू रोों की तल ु ना मेें उनका प्रतिनिधित््व कम था।
सटीक और नवीनतम आँकड़े प्राप्त करना एक चनु ौती है। विगत वर्षषों के प्रश्न
z अंतर-समूह विवादोों की सभ ं ावना: उपवर्गीकरण से अनसु चू ित जातियोों के 1. क््यया राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एन.सी.एस.सी.) धार््ममिक
विभिन््न समदु ायोों के बीच आतं रिक विभाजन और विवाद हो सकते हैैं। कुछ अल््पसंख््यक संस््थथानोों मेें अनुसूचित जातियोों के लिए संवैधानिक
समहू लाभ से वंचित महससू कर सकते हैैं, जिससे व््ययापक-स््तर पर अनसु चू ित आरक्षण के क्रियान््वयन का प्रवर््तन करा सकता है? परीक्षण कीजिये।
जातियोों के विभिन््न वर्गगों के भीतर सामाजिक तनाव उत््पन््न हो सकता है।  (2018)
2. क््यया कमजोर और पिछड़़े समदु ायोों के लिए आवश््यक सामाजिक
 उदाहरण के लिए, अनसु चू ित जातियोों के बीच पिछड़़ापन भी अस््पपृश््यता की संसाधनोों को सुरक्षित करने के द्वारा, उनकी उन््नति के लिए सरकारी
प्रथा से ही आता है और उपवर्गीकरण आतं रिक मतभेदोों को बढ़़ा सकता योजनाएँ, शहरी अर््थव््यवस््थथाओ ं मेें व््यवसायोों की स््थथापना करने मेें
है वहीीं प्रतिस््पर्द्धा सकारात््मक कार््य कर सकती है। उनको बहिष््ककृ त कर देती हैैं? (2014)

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 13


अनुसूचित जनजातियााँ (STs) हाल ही मेें, जम््ममू-कश््ममीर की पद्दारी जनजाति और पहाड़़ी जातीय समहू
तथा हिमाचल प्रदेश के हाटी (हट्टी) समदु ाय को अनुसूचित जनजाति की
परिभाषा
सूची मेें शामिल किया गया है।
‘अनुसूचित जनजाति’ शब््द भारत के संविधान मेें सर््वप्रथम, अनुच््छछेद 366
अनुसूचित जनजाति सूची मेें शामिल होने की प्रक्रिया
(25) मेें अनुसूचित जनजातियोों को “ऐसी आदिवासी जनजातियोों या जनजातीय
समदु ायोों या ऐसी जनजातियोों के कुछ हिस््सोों या समहोू ों के रूप मेें परिभाषित z राज््य सरकार जनजातीय कार््य मत्राल
ं य को अनश
ु सं ा करती है।
किया गया है जिन््हेें इस संविधान के प्रयोजनोों के लिए अनुच््छछेद 342 के तहत z जनजातीय कार््य मत्राल
ं य अनश ु सं ा की समीक्षा करता है और इसे
अनुसूचित जनजाति माना जाता है।” इनको राष्टट्रपति द्वारा एक विशेष सार््वजनिक अनमु ोदन के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल को भेजता है।
अधिसूचना के माध््यम से अनुसूचित जनजाति घोषित किया जाता है। z इसके साथ ही राष्ट्रीय अनसु चू ित जनजाति आयोग द्वारा इस सिफारिश
अनुसूचित जनजातियोों से संबधं ित आँकड़़े/ सूचकाांक: पर मजं रू ी हेतु विचार किया जाता है।
जनगणना 2011 z कै बिनेट द्वारा जनजाति को ST सचू ी मेें शामिल करने का निर््णय लिया
वर््ष 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसचू ित जनजातियाँ (STs) देश की जाता है।
कुल जनसंख््यया का लगभग 8.6 % है अर््थथात 10.42 करोड़ जनसंख््यया। उनका z अतिं म निर््णय राष्टट्रपति कार््ययालय द्वारा अनच्ु ्छछेद 342 से प्राप्त शक्तियोों
लिंगानुपात 990 है, जो राष्ट्रीय औसत 940 से अधिक है। हालाँकि, इस के तहत परिवर््तनोों को निर््ददिष्ट करते हुए एक अधिसचू ना जारी करने पर
अनुकूल लिंगानुपात के बावजदू , अनुसचू ित जनजातियोों की कुल साक्षरता दर निर््भर करता है।
60% है, जो राष्ट्रीय औसत 75% से कम है। z किसी भी समदु ाय का अनसु चू ित जनजाति मेें शामिल होना तभी प्रभावी
z अनस ु चू ित जनजाति (ST) का प्रतिशत: लक्षद्वीप मेें सबसे अधिक प्रतिशत है, माना जाता है, जब लोकसभा और राज््यसभा अर््थथात दोनोों सदनोों द्वारा
इसके बाद मिजोरम, नागालैैंड, मेघालय और दादरा और नगर हवेली का स््थथान है। पारित होने के बाद संविधान (अनसु चू ित जनजाति) आदेश, 1950 मेें
z अनुसचू ित जनजातियोों (ST) की कुल सख् ं ्यया: मध््य प्रदेश मेें सबसे अधिक सश
ं ोधन करने वाले विधेयक पर राष्टट्रपति अपनी सहमति व््यक्त कर देते हैैं।
संख््यया है, इसके बाद महाराष्टट्र, ओडिशा, झारखडं , गजु रात और राजस््थथान
का स््थथान हैैं। विधायी प्रावधान

z साक्षरता दर: 59% (परु ु ष - 68.5%, महिला - 49.40%) PLFS 2018- z अनुसचू ित जाति और अनुसचू ित जनजाति (अत््ययाचार निवारण)
19 रिपोर््ट से पता चलता है कि कुल मिलाकर 78.1% की तल ु ना मेें ST की अधिनियम, 1989: इसका उद्देश््य अनसु चू ित जाति और अनसु चू ित जनजाति
साक्षरता दर मेें 69.4% का सधु ार हुआ है। के सदस््योों के खिलाफ अत््ययाचार और अपराधोों को रोकना है।
z किसी समुदाय को अनस ु चू ित जनजाति के रूप मेें निर््ददिष्ट करने के मानदडं : z पंचायतोों के प्रावधान (अनुसचू ित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम, 1996
z आदिम-यग ु ीनता, भौगोलिक अलगाव, संकोची-स््वभाव और सामाजिक, (PESA): आदिवासी स््वशासन को सक्षम बनाने के उद्देश््य से, पंचायती राज
शैक्षणिक और आर््थथिक पिछड़़ापन जैसे लक्षण किसी भी सामान््य समदु ाय प्रणाली के प्रावधानोों को अनसु चू ित क्षेत्ररों तक विस््ततारित करना।
से अनसु चू ित जनजाति समदु ायोों को अलग करने वाले प्रधान कारक हैैं अतः z वन अधिकार अधिनियम, 2006 (अनुसचू ित जनजाति और अन््य
इनके इन््हीीं विशिष्ट गणोु ों के आधार पर इन््हेें राष्टट्रपति द्वारा अनसु चू ित जनजाति पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारोों की मान््यता) अधिनियम, 2006):
के रूप मेें निर््ददिष्ट किया जाता है। यह वन संसाधनोों पर अनसु चू ित जनजातियोों और अन््य वन-निवासी समदु ायोों
z विशिष्टताएँ वर््ष 1931 की जनगणना मेें अपनाई गई ं जनजातीय समद ु ायोों की के अधिकारोों को मान््यता देता है, जिनका वे पारंपरिक रूप से उपयोग करते रहे
परिभाषाओ ं से प्रभावित हैैं। हैैं। इसमेें भमि
ू अधिकार, लघु वन उपज के संग्रह, उपयोग और निपटान तक
z अनच् ु ्छछेद 342 (1) किसी राज््य विशेष या केें द्र शासित प्रदेश से संबंधित पहुचँ और किसी भी सामदु ायिक वन संसाधन की सरु क्षा, पनु रुद्धार, संरक्षण
जनजातियोों या जनजातीय समदु ायोों के कुछ हिस््सोों या समहोू ों को अनसु चू ित और प्रबंधन के अधिकार शामिल हैैं।
जनजाति के रूप मेें निर््ददिष्ट करने का आदेश देता है। z भूमि अधिग्रहण, पुनर््ववास और पुनर््व््यवस््थथापन मेें उचित मुआवजा और
z इसलिए, अनस ु चू ित जनजातियोों की सचू ी प्रत््ययेक राज््य/केें द्र शासित प्रदेश के पारदर््शशिता का अधिकार अधिनियम, 2013: यह अनसु चू ित क्षेत्ररों मेें भमि ू
लिए अलग-अलग है और एक राज््य मेें अनसु चू ित जनजाति के रूप मेें नामित अधिग्रहण के लिए सचू ित सहमति को अनिवार््य बनाता है और उचित मआ ु वजे,
समदु ाय दसू रे राज््य मेें समान दर््जजा नहीीं रख सकता है। पनु र््ववास और पनु र््स्थथापन के प्रावधानोों की रूपरे खा तैयार करता है।
z अनच् ु ्छछेद 342 के खडं 1 के तहत राष्टट्रपति की अधिसचू नाएँ, जिन््हेें संविधान z नागरिक अधिकार सरं क्षण अधिनियम, 1955: अस््पपृश््यता पर आधारित
आदेश के रूप मेें जाना जाता है, इन विशिष्टताओ ं को लागू करने के लिए भेदभाव पर रोक लगाकर अनसु चू ित जनजाति सहित सभी व््यक्तियोों के नागरिक
जारी की जाती हैैं। अधिकारोों को सनिश्
ु चित करना।

14  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z विदेशी (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश (1963): विदेशी (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश
अनुसूचित जनजातियोों के उत््थथान के लिए संवैधानिक प्रावधान
(1963) अडं मान और निकोबार द्वीप समहू को ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ घोषित करता
अनुच््छछेद विवरण है, जो प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (RAP) के बिना विदेशियोों के प्रवेश को सीमित
अनुच््छछेद 15(4) अनुसूचित जनजातियोों (STs) सहित OBC की करता है। यह उपाय द्वीपोों मेें निवास करने वाली स््वदेशी जनजातियोों की
उन््नति के लिए विशेष प्रावधान। गोपनीयता और सांस््ककृतिक अखडं ता की रक्षा के लिए बनाया गया है।
अनुच््छछेद 29 अनुसूचित जनजाति सहित अल््पसंख््यकोों के हितोों z बंधआु मजदरू ी अधिनियम, 1976 और SC/ST अत््ययाचार निवारण
की सुरक्षा। अधिनियम, 1989 जिनकी चर््चचा पहले की जा चक ु ी है, अनसु चू ित जनजातियोों
अनुच््छछेद 46 राज््य के नीति निर्देशक सिद््धाांत (DPSP) मेें कमजोर पर भी लागू होते हैैं।
वर्गगों के शैक्षिक और आर््थथिक हितोों को बढ़़ावा देने z पंचायतोों प्रावधान (अनुसचू ित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम, 1996
पर जोर दिया गया है। (PESA): पंचायत प्रावधान (अनसु चू ित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम,
अनुच््छछेद 350 विशिष्ट भाषा, लिपि या संस््ककृति और मातृभाषा मेें 1996 पंचायती राज संस््थथाओ ं का दायरा संपर््णू भारत मेें अनसु चू ित क्षेत्ररों तक
निर्देश को संरक्षित करने का अधिकार। विस््ततारित करता है। इसका उद्देश््य आदिवासी समदु ायोों को स््थथानीय स््वशासन
और निर््णय लेने की प्रक्रियाओ ं मेें उनकी भागीदारी सनिश् ु चित करके सशक्त
अनुच््छछेद 23 व मानव तस््करी और बेगार तथा अन््य प्रकार के जबरन
बनाना है।
24 श्रम पर प्रतिबंध
z अनुसचू ित जनजाति और अन््य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारोों
अनुच््छछेद 164 बिहार, ओडिशा और मध््य प्रदेश मेें जनजातीय की मान््यता) अधिनियम, 2006 (FRA): अनसु चू ित जनजाति और अन््य
मामलोों के मंत्री का प्रावधान।
पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारोों की मान््यता) अधिनियम, 2006 मेें विशेष
अनुच््छछेद 243 अनुसूचित जनजातियोों के लिए पंचायतोों मेें सीटोों का रूप से कमजोर जनजातीय समहोू ों (PVTGs) के वन और आवास अधिकारोों
आरक्षण। को मान््यता देने वाले प्रावधान शामिल हैैं। इसका उद्देश््य आदिवासी समदु ायोों
अनुच््छछेद 244(1) यह अनुच््छछेद राष्टट्रपति द्वारा निर््ददिष्ट और संविधान की की पारंपरिक भमि ू और संसाधन अधिकारोों की रक्षा करना है, विशेषकर उन
पाँचवीीं अनुसूची मेें उल््ललिखित अनुसूचित क्षेत्ररों को लोगोों की जो अपनी आजीविका के लिए वन संसाधनोों पर निर््भर हैैं।
परिभाषित करता है, जो 10 राज््योों मेें प्रभावी हैैं।
संवैधानिक उपाय
अनुच््छछेद 330 लोकसभा मेें अनुसूचित जनजातियोों के लिए सीटोों
z संविधान के अनच्ु ्छछेद 338 A के तहत स््थथापित राष्ट्रीय अनसु चू ित जनजाति
का आरक्षण।
आयोग (NCST) को अनसु चू ित जनजातियोों के अधिकारोों और हितोों की
अनुच््छछेद 334 अनुसूचित जनजात वर््ग के लिए 1O वर््ष की अवधि सरु क्षा का उत्तरदायित््व सौौंपा गया है। यह जनजातीय मामलोों के मत्राल
ं य के
के आरक्षण का प्रावधान, जिसे कई बार बढ़़ाया गया तहत एक सवं ैधानिक निकाय है। अनसु चू ित जनजातियोों के अधिकारोों से वचं ित
है। होने या शोषण के संबंध मेें विशिष्ट शिकायतोों की जाँच करने के आदेश के
अनुच््छछेद 371 उत्तर-पर्वी
ू राज््योों और सिक््ककिम के लिए विशेष साथ, आयोग उनके अधिकारोों की वकालत करने और उनके न््ययायसंगत उपचार
प्रावधान। को सनिश्ु चित करने मेें महत्तत्वपर््णू भमि
ू का निभाता है।
5 वीीं अनुसूची अनुसचू ित क्षेत्ररों और अनुसचू ित जनजातियोों के
प्रशासन और नियंत्रण को निर््ददिष्ट किया गया है। जनजातीय मामलोों का मंत्रालय
6 वीीं अनुसूची यह असम, मेघालय, त्रिपरु ा और मिजोरम राज््योों मेें जनजातीय कार््य मंत्रालय (MoTA) देश मेें अनुसूचित जनजातियोों के
जनजातीय क्षेत्ररों के प्रशासन का प्रावधान करती है। अधिकारोों की सुरक्षा के लिए जिम््ममेदार है।
z वर््ष 2020 मेें, ट्राइफे ड ने इन उत््पपादोों को बेचने वाले आदिवासियोों को
अनुच््छछेद 275(1) संविधान की पाँचवीीं और छठी अनुसचू ी के अंतर््गत
आने वाली अनुसूचित जनजातियोों वाले राज््योों को लाभकारी मल््य ू प्रदान करने के लिए आवल ं ा जसू , जामनु जसू आदि
सहायता अनुदान प्रदान करता है। विकसित करने के लिए ट्राइफूड (TRIFOOD) प्रसस्ं ्करण इकाइयाँ शरू ु
कीीं।
z इसके अतिरिक्त मत्राल ं य कई अन््य ई-गवर्ननेंस पहलेें भी संचालित करता है:
अनुसूचित जनजातियोों के लिए
संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपाय  स््ववास््थ््य पोर््टल: यह पोर््टल आदिवासी आबादी की आवश््यकताओ ं

के अनरू ु प स््ववास््थ््य और पोषण संबंधी जानकारी प्रदान करता है।


अनुसूचित जनजातियोों की सुरक्षा के लिए विधायी उपाय
 GOAL(Going Online as Leader) (ऑनलाइन ने तृत््व):
z अंडमान और निकोबार (आदिवासी जनजातियोों का सरं क्षण) विनियमन,
कार््यक्रम अनसु चू ित जनजाति के छात्ररों मेें नेतत्ृ ्व विकास पर केें द्रित है।
1956: यह विनियमन अडं मान और निकोबार द्वीप समहू मेें रहने वाले
 आले ख (ALEKH) न््ययूजले टर: न््ययूजलेटर विशेष रूप से जनजातीय
सेेंटिनलीज और अन््य आदिवासी जनजातियोों की सरु क्षा के लिए स््थथापित
किया गया था। यह उनकी सांस््ककृतिक विरासत और जीवन शैली के संरक्षण समदु ायोों के लिए एक संचार माध््यम के रूप मेें कार््य करता है, जो
के लिए काननू ी सरु क्षा और उपाय प्रदान करता है। प्रासंगिक अपडेट और जानकारी प्रदान करता है।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 15


अनुसूचित जनजाति से संबंधित चुनौतियााँ z गुणवत्तापूर््ण शिक्षा का अभाव: अपर््ययाप्त विद्यालय, गणु वत्तापर््णू शिक्षा का
अभाव, योग््य एवं प्रशिक्षित शिक्षकोों की अनपु स््थथिति और मातृभाषा मेें शिक्षा
z जनजातीय सस्ं ्ककृति पर प्रभाव और परिणामी पहचान सक ं ट: शिक्षा,
की कमी के कारण आदिवासियोों की साक्षरता दर न््ययूनतम है।
शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और संस््ककृ तीकरण ने आदिवासी संस््ककृति को
 प्राथमिक और माध््यमिक स््तर पर आदिवासियोों का स््ककूल छोड़ने का
प्रभावित किया है परिणामस््वरूप, उनके समक्ष पहचान का संकट पैदा हो गया है।
प्रतिशत सामान््य आबादी की तल ु ना मेें बहुत अधिक है।
 वैश्वीकरण और आधनि ु कीकरण के प्रभाव के कारण ग्रेट अडं मानी
z उनके पास शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल तक पहुचँ सीमित है, जिसका उनके
जनजातियोों की पारंपरिक प्रथाएँ और रीति-रिवाज विलप्तु होने के कगार
समग्र कल््ययाण और विकास पर नकारात््मक प्रभाव पड़ता है।
पर हैैं।
आदिम लक्षणोों का प्रदर््शन  वर््ष 2011 की जनगणना के अनस ु ार अनसु चू ित जनजाति की साक्षरता
दर 59% थी।
बड़़े पै माने पर जन- z बुनियादी सविध ु ाओ ं तक पहुच ँ का अभाव: सड़केें , पक््कके आवास, विद्तयु ,
विशिष्ट संस््ककृति
संपर््क से संकोच पेयजल और स््वच््छता सवु िधाएँ, स््ककूल, अस््पताल आदि का अभाव।
 वर््ष 2011 की जनगणना के आँकड़ोों से पता चलता है कि
अनुसूचित जनजाति से
आदिवासी आबादी के बीच नल के पानी, स््वच््छता सवु िधाओ,ं जल
संबंधित लोकुर समिति
(1965) की विशेषताएँ निकासी सवु िधाओ ं और स््वच््छ खाना पकाने के ईधन ं तक बहुत कम
पहुचँ है।
z भूमि हस््तताांतरण: औपनिवेशिक काल से, विकासात््मक गतिविधियोों और
सामाजिक-आर््थथिक पिछड़़ापन कृ षि विस््ततार के लिए जनजातीय भमि ू का अधिग्रहण किया जाता
भौगोलिक अलगाव
z अपराध: वर््ष 2022 मेें, भारत मेें अनसु चू ित जनजातियोों के खिलाफ 10,064 रहा है।
अपराध दर््ज किए गए, जो वर््ष 2021 मेें दर््ज 8,802 मामलोों से 14.3% की z जबरन प्रवासन के कारण विस््थथापन: इससे निर््ममाण उद्योग मेें ठे का मजदरोू ों
वृद्धि दर््शशाता है। अपराध दर 8.4 से बढ़कर 9.6 हो गई। विशेष रूप से, इस वर््ष और प्रमख ु शहरोों मेें घरे लू कामगारोों के रूप मेें काम करने वाली अनसु चू ित
आदिवासी महिलाओ ं के खिलाफ 1,347 बलात््ककार के मामले और 1,022 जनजातियोों की संख््यया मेें वृद्धि हुई है।
हमले देखे गए। z गजु रात मेें सरदार सरोवर बाँध ने हजारोों आदिवासी लोगोों को उनकी पैतक ृ
z वन अधिकारोों पर अतिक्रमण: वन नीतियोों और विनियमोों ने जनजातीय भमिू से विस््थथापित कर दिया।
लोगोों के पारंपरिक अधिकारोों को खतरे मेें डाल दिया है और इस प्रकार, उनके  अध््ययनोों (2011) के अनस ु ार, 50 से अधिक वर्षषों मेें ‘विकास’ परियोजनाओ ं
लिए भोजन एकत्र करना और झमू कृ षि जैसी गतिविधियाँ चनु ौती बन गई ं हैैं।
के कारण भारत मेें लगभग 50 मिलियन लोग विस््थथापित हुए हैैं।
z राजनीतिक प्रतिनिधित््व: राजनीतिक प्रक्रिया मेें उनका प्रतिनिधित््व जनसंख््यया
के अनरू z गरीबी और बेरोजगारी: सामाजिक-आर््थथिक और जाति जनगणना (SECC)
ु प पर््ययाप्त नहीीं है और नीति-निर््ममाण प्रक्रिया मेें उनकी आवाज नहीीं
सनु ी जाती है। 2011 के आँकड़ोों से पता चलता है कि 45.3% ग्रामीण अनसु चू ित जनजाति
 भारत के पर् ू वोत्तर क्षेत्र के जनजातीय समदु ायोों को राजनीतिक प्रक्रिया मेें के परिवार गरीबी रे खा से नीचे हैैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 25.7% है।
उचित प्रतिनिधित््व नहीीं मिला है और सरकार द्वारा उनके मद्ददों ु को परू ी  गरीबी रे खा की स््थथिति: 40.6% आदिवासी गरीबी रे खा से नीचे रहते

तरह से संबोधित नहीीं किया जाता है। हैैं, जबकि 20.5% गैर-आदिवासी गरीबी रे खा से नीचे रहते हैैं।

आधुनिक निर््ममाण योजनाओ ं द्वारा 39


34
आजीविका अधिकारोों का हनन 30 32 31
23
रिपोर््ट मेें कहा गया है कि बाँधोों, सिंचाई 24 23 24
परियोजनाओं, अभयारण््योों के विकास 16 19
के लिए बड़़े पैमाने पर औद्योगीकरण 13 13
10
से प्रायः आदिवासियोों की भूमि चली 7
जाती है
1987-88 1993-94 1999-2000 2004-05 2009-10 2011-12
वे परिवार जिनके पास कोई भू-स््ववामित््व नहीीं है। वे परिवार जिनके पास कोई भूमि नहीीं है। वे परिवार जो किसी भूमि पर कृ षि नहीीं करते हैैं।
चित्र: सेेंटर फॉर इक््वविटी स््टडीज (CES) की इंडिया एक््सक््ललूजन रिपोर््ट के अनुसार स्रोत: कृ षि अध््ययन की समीक्षा

16  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z स््ववास््थ््य और पोषण सबं ंधी असमानताएँ: राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण z शिक्षकोों के लिए योजना- 21वीीं सदी के कार््यक्रम के लिए
(NFHS-5) के आँकड़ोों से पता चलता है कि पाँच साल से कम उम्र के अनुभवात््मक शिक्षण:
अनसु चू ित जनजाति के बच््चोों मेें कुपोषण का प्रसार अधिक है, जिनमेें 38.5%  लाभार्थी: एकलव््य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) के
स््टटंटिंग (उम्र के अनपु ात मेें कम लम््बबाई) प्रभावित और 32.5% कम वजन प्रधानाचार्ययों और शिक्षकोों के लिए 21वीीं सदी के लिए प्रायोगिक शिक्षण
वाले हैैं। कार््यक्रम शरू ु किया गया है।
 मलेरिया के 30% मामले आदिवासियोों मेें हैैं और मलेरिया से सब ं ंधित मृत््ययु  उद्देश््य: इसे प्रशिक्षकोों यानी शिक्षकोों और प्रधानाध््ययापकोों के लिए
दर 60% है, आदिवासियोों मेें कम बॉडी मास इडं ेक््स (BMI) और स््टटंटिंग एक ऑनलाइन कार््यक्रम के रूप मेें परिकल््पपित किया गया है ताकि
(उम्र के अनपु ात मेें कम लम््बबाई) गैर-आदिवासी आबादी से अधिक है। कक्षा शिक्षण को वास््तविक जीवन के अनभु वोों के अनरू ु प ढालने मेें
 जीवन प्रत््ययाशा: आदिवासियोों की जीवन प्रत््ययाशा राष्ट्रीय औसत 67 मदद मिल सके ।
वर््ष की तलु ना मेें 63.9 वर््ष है।  प्रशिक्षण: सभी चयनित शिक्षकोों और प्रधानाध््ययापकोों को यह कार््यक्रम
 कुपोषण: लगभग 80 प्रतिशत जनजातीय बच््चचे कुपोषण और रक्त निःशल््क
ु प्रदान किया गया। चयनित शिक्षकोों को "शिक्षक नेता" के
अल््पता (एनीमिया) से पीड़़ित हैैं। रूप मेें प्रशिक्षित किया गया।
 लिंगानुपात: आदिवासियोों मेें लिंगानप ु ात राष्ट्रीय औसत 940 : 1,000
महिला सशक्तीकरण
की तल ु ना मेें 990 : 1,000 है।
z आदिवासी महिलाओ ं के संपत्ति अधिकार: यह आदिवासी समदु ायोों की
अनुसूचित जनजातियोों (STs) के लिए कल्याण कार््यक्र म महिलाओ ं के भमि
ू , संपत्ति और संसाधनोों के स््ववामित््व, विरासत और नियंत्रण
गरीबी और सामाजिक अलगाव के कगार पर रहने वाले आदिवासियोों के सर््वाांगीण के अधिकारोों की काननू ी मान््यता और सरु क्षा को संदर््भभित करता है। इन
समावेशी विकास को सनिश् ु चित करने के लिए सरकार की ओर से प्रयास करना अधिकारोों का उद्देश््य ऐतिहासिक लैैंगिक असमानताओ ं को संबोधित करना
उचित है। सरकार द्वारा उनके उत््थथान हेतु निम््नलिखित कदम उठाए गए हैैं: और आदिवासी समाजोों के भीतर समानता को बढ़़ावा देना है।
z शै क्षिक सशक्तीकरण:
ये उपाय आदिवासी महिलाओ ं को सशक्त बनाने, उनके आर््थथिक अवसरोों को
 छात्रवृत्ति योजनाएँ: प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, पोस््ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और बढ़़ाने और आदिवासी समाजोों के भीतर लैैंगिक समानता को बढ़़ावा देने मेें
योग््यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति। योगदान देते हैैं।
 जनजातीय क्षेत्ररों मेें व््ययावसायिक प्रशिक्षण केें द्र: विभिन््न पारंपरिक/
z आर््थथिक सशक्तीकरण:
आधनि ु क व््यवसायोों मेें जनजातीय यवु ाओ ं के कौशल को उन््नत करना।
 जनजातीय उत््पपादोों/ उत््पपादन के विकास और विपणन के लिए
उदाहरण के लिए, सड़क एवं परिवहन मत्राल ं य ने घोषणा की कि सरकार सस्ं ्थथागत सहायता: हालाँकि, इस योजना का दायरा सीमित है क््योोंकि
आदिवासी क्षेत्ररों और देश के 115 सबसे गरीब जिलोों मेें चालक प्रशिक्षण इस योजना के तहत के वल 8 राज््योों को ही सहायता प्रदान की गई है। इस
केें द्र स््थथापित करने के लिए काम कर रही है। योजना के अतं र््गत सतत सहायता अनदु ान प्राप्त करने वाला त्रिपरु ा एकमात्र
 एकलव््य मॉडल आवासीय विद्यालय/आश्रम विद्यालय: अनस ु चू ित राज््य है जिसे वर््ष 2014 से 2018 तक हर वर््ष धनराशि प्रदान की गई और
जनजाति के विद्यार््थथियोों को आवासीय शिक्षा प्रदान करना। वर््ष 2018 मेें, उसके द्वारा आवंटित सभी धनराशि का उपयोग किया है।
सरकार ने 50 प्रतिशत से अधिक अनसु चू ित जनजाति की आबादी और  अनुसचू ित जनजाति सदस््योों वाले स््वयं सहायता समूहोों के लिए
कम से कम 20,000 आदिवासी लोगोों वाले प्रत््ययेक ब््ललॉक मेें एकलव््य सक्षू ष्म ऋण योजना: ग्रामीण विकास मत्राल ं य (MoRD) के आँकड़ोों के
मॉडल आवासीय विद्यालय स््थथापित करने की घोषणा की। अनसु ार, बैैंकिंग प्रणाली से स््वयं सहायता समहोू ों को 2.8 लाख करोड़
निम््न साक्षरता वाले जिलोों मेें अनुसूचित जनजाति की लड़कियोों के रुपये दिए गए हैैं और प्रति गाँव उद्यमोों की संख््यया मेें 79 प्रतिशत तथा
बीच शिक्षा को मजबूत करने की योजना प्रति व््यक्ति मासिक आय मेें 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे अनसु चू ित
इस योजना का उद्देश््य लक्षित जिलोों या ब््ललॉकोों मेें सामान््य महिला आबादी जनजातियोों को भी अत््यधिक लाभ हुआ है।
और आदिवासी महिलाओ ं के बीच साक्षरता के स््तर मेें अंतर को समाप्त  आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना: यह अनस ु चू ित जनजातीय
करना है। महिलाओ ं के आर््थथिक विकास के लिए प्रारंभ की गई एक योजना है। इसके
z कस््ततूरबा गांधी बालिका विद्यालय ( SC, ST, OBCs, अल््पसख्
तहत ₹1 लाख तक की लागत वाली योजनाओ ं के लिए 90% तक का
ं ्यकोों
ऋण 4% प्रतिवर््ष की रियायती ब््ययाज दर पर उपलब््ध कराया जाता है।
एवं BPL के लिए): उच््च प्राथमिक स््तर पर आवासीय विद्यालय स््थथापित
 स््टैैं ड अप इडि ं या योजना: इसका उद्देश््य इच््छछु क महिलाओ ं और
करके वंचित समहोू ों की लड़कियोों तक पहुचँ और गुणवत्तापूर््ण शिक्षा
अनसु चू ित जाति/ अनसु चू ित जनजाति उद्यमियोों के बीच उद्यमिता को
सनिश्
ु चित करना। बढ़़ावा देना है। स््टैैंड-अप इडं िया योजना के तहत 1.8 लाख से अधिक
z स््ककू ल इनोवेशन एब ं ेसडर ट्रेनिंग प्रोग्राम (SIATP): यह कार््यक्रम खातोों मेें 40,700 करोड़ रुपये से अधिक की मजं रू ी दी गई है।
आदिवासी बच््चोों की रचनात््मकता को प्रोत््ससाहित करता है। एकलव््य z सामाजिक सशक्तीकरण:
मॉडल आवासीय विद्यालयोों (EMRS) के छात्ररों को SIATP से  जनजातीय उपयोजना (TSP) के लिए विशे ष केें द्रीय सहायता:
अत््यधिक लाभ होने की संभावना है क््योोंकि यह जनजातीय बच््चोों को जनजातीय कार््य मत्राल ं य (MoTA) द्वारा राज््योों को कृ षि, बागवानी,
सर्वोत्तम संभव शिक्षा देने के लिए जनजातीय मामलोों के मंत्रालय के रे शम उत््पपादन जैसे क्षेत्ररों मेें, परिवार-उन््ममुख आय-सृजन योजनाओ ं के
प्रयास के भी अनुरूप है। लिए सहायता अनदु ान प्रदान किया जाता है।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 17


आर््थथिक सशक्तीकरण  अनुसचू ित जनजाति के छात्ररों/छात्राओ ं की उच््च शिक्षा के लिए
राष्ट्रीय फैलोशिप और छात्रवृत्ति योजना: यह अनसु चू ित जनजाति के
सामाजिक सशक्तीकरण के आयाम छात्ररों को उच््च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
स््वतंत्र रूप से अपना चुनाव करने की क्षमता  कौशल विकास और व््ययावसायिक प्रशिक्षण पहल: रोजगार

क्षमता बढ़़ाने के लिए जनजातीय यवु ाओ ं के लिए कौशल विकास और


राजनीतिक सशक्तीकरण व््ययावसायिक प्रशिक्षण के उद्देश््य से विभिन््न कार््यक्रम।
z स््ववास््थ््य देखभाल
नीतियोों और योजनाओं के माध््यम से  राष्ट्रीय जनजातीय स््ववास््थ््य देखभाल योजना: इसका उद्देश््य स््ववास््थ््य

सरकार का हस््तक्षेप देखभाल पहुचँ मेें सधु ार करना और आदिवासी आबादी की अद्वितीय
स््ववास््थ््य चनु ौतियोों का समाधान करना है।
 वन ग्राम का विकास: इसे 10वीीं योजना के दौरान मानव विकास
 मोबाइल स््ववास््थ््य इकाइयाँ (MHUs): इन््हेें सद ु रू आदिवासी क्षेत्ररों मेें
सचू कांक (HDI) बढ़़ाने और निवासियोों के लिए बनि ु यादी सवु िधाएँ और
स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश््य से स््थथापित किया गया है।
सेवाएँ प्रदान करने के लिए लॉन््च किया गया था।
 जनजातीय स््ववास््थ््य और पोषण पोर््टल: इसे आदिवासी आबादी के
 पंचायत प्रावधान (अनुसचू ित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम,
स््ववास््थ््य और पोषण सबं ंधी आवश््यकताओ ं को परू ा करने के लिए लॉन््च
(PESA)1996: अधिनियम ने पाँचवीीं अनसु चू ी मेें अधिसचू ित क्षेत्र वाले
किया गया है।
नौ राज््योों के आदिवासी क्षेत्ररों मेें पंचायतोों के प्रावधानोों को विस््ततारित किया।
 प्रधानमंत्री जन आरोग््य योजना (PM - JAY): वित्तीय बोझ के बिना
 स््ववास््थ््य पोर््टल: यह ई-पोर््टल, भारत की जनजातीय आबादी की सभी
गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य देखभाल तक पहुचँ को सक्षम बनाता है।
स््ववास््थ््य और पोषण सबं ंधी जानकारी एक ही मचं पर प्रदान करता है।
 प्रधानमत्री ं दक्ष और कुशलता सपं न््न हितग्राही (PM-DAKSH) योजना
(2021): यह SC , OBC, EBC, DNT, कचरा बीनने वालोों सहित कर्नाटक मेें TSP के तहत निधि का कम उपयोग
स््वच््छता कार््यकर््तताओ ं को शामिल करते हुए हाशिये पर रहने वाले व््यक्तियोों SCP और TSP मेें समग्र आवंटित कुल निधि का क्रमश: 15% और 9% ही
को कुशल बनाने के लिए एक राष्ट्रीय कार््य योजना है। उपयोग किया गया है जो कि निराशाजनक था। विधान सभा के 73 सदस््योों
z लक्षित यवु ाओ ं को अल््पकालिक और दीर््घकालिक कौशल प्रदान करके उनके और विधान परिषद के 36 सदस््योों ने वर््ष 2019-20 के लिए SCP और TSP
कौशल स््तर को बढ़़ाना और साथ ही उनको वेतन/स््वरोजगार मेें सहायता के तहत कोई कार््य प्रस््ततावित/नहीीं किया है।
प्रदान करना। GOAL(ऑनलाइन नेतृत््व) कार््यक्रम: यह जनजातीय युवाओ ं को
डिजिटल मोड के माध््यम से परामर््श प्रदान करने के लिए जनजातीय मामलोों
z शिक्षा एवं कौशल विकास
के मंत्रालय के साथ फे सबुक इडं िया की एक संयुक्त पहल है।
 एकलव््य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS): इन विद्यालयोों का उद्श्दे ्य
राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस््थथान (NTRI): यह राष्ट्रीय स््तर का एक
दरू दराज के क्षेत्ररों मेें आदिवासी छात्ररों को गणु वत्तापर््णू शिक्षा प्रदान करना है।
प्रमखु संस््थथान है जो शैक्षणिक, कार््यकारी और विधायी क्षेत्ररों मेें जनजातीय
 अनुसचू ित जनजाति के विद्यार््थथियोों के लिए प्री और पोस््ट मै ट्रिक
चिंताओ,ं मद्ददों
ु और मामलोों के प्रमख ु केें द्र के रूप मेें कार््य करे गा।
छात्रवृत्ति: कक्षा नौवीीं से बारहवीीं तक के बच््चोों के लिए उपचरात््मक अन््य कानूनी प्रावधान: अनुसूचित जनजाति और अन््य पारंपरिक वन
(रे मीडियल) और विशेष कोचिगं सवु िधा प्रदान करता है। निवासी (वन अधिकारोों की मान््यता) अधिनियम, 2006 (FRA) ; पंचायतोों
अभूतपूर््व जनजातीय के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्ररों तक विस््ततार) अधिनियम, 1996 (PESA)
सशक्तीकरण ; अंडमान और निकोबार (आदिवासी जनजातियोों का संरक्षण) विनियमन,
1956 ; विदेशी (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश, 1963 और अंडमान एवं निकोबार
वार््षषिक जनजातीय बजट
मेें 75% की वृद्धि द्वीप समहू (आदिवासी जनजातियोों का संरक्षण) विनियमन, 1956 आदि।

आगे की राह
7525 z उनकी स््थथिति का अध््ययन करने और उनकी समस््ययाओ ं को दरू करने के
लिए सरकार ने कई आयोगोों की नियक्ु ति की है। जैसे ढेबर आयोग, जाक््ससा
वार््षषिक बजट (करोड़ मेें)

4296 आयोग आदि। इन आयोगोों की सिफारिशोों को आगे की कार््रवाई का आधार


बनाना चाहिए।
ढेबर आयोग (1960) की सिफारिशेें (शिक्षा के संबंध मेें ):
z पिछड़़े इलाकोों मेें सभी आदिवासी बच््चोों को मध््ययाह्न भोजन, कपड़़े, मफ्ु ्त
2021-22
किताबेें, पढ़ने और लिखने की सामग्री आदि प्रदान करना। उन क्षेत्ररों मेें स््ककूल
चित्र: पिछले कुछ वर्षषों मेें बजटीय आवंटन मेें वृद्धि खोले जाने चाहिए जहाँ कम-से-कम 30 बच््चचे स््ककूल जाने वाले होों।

18  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z आदिवासी सामाजिक और सांस््ककृतिक जीवन के अनरू ु प स््ककूलोों के समय, z सस्ं ्ककृति के सबं ंध मेें:
छुट्टियोों का समायोजन, स््ककूलोों मेें आदिवासी संस््ककृति का माहौल बनाना आदि।  भमि ू , वन, संस््ककृति और आजीविका के स्रोतोों पर जनजातीय पारंपरिक
z कोठारी आयोग ने ढेबर आयोग की सिफारिशोों का समर््थन किया और साथ ही अधिकारोों का सम््ममान और सरु क्षा सनिश्
ु चित करना। वनोों की सरु क्षा और
माता-पिता को शिक्षित करने की आवश््यकता का भी सझु ाव दिया। प्रबंधन मेें भाग लेने की अनमु ति प्रदान करना।
अपनी भाषा, संस््ककृति और परंपराओ ं के संरक्षण और पहचान के नुकसान से
अनुसूचित जनजातियोों के कल्याण के लिए जाक्सा समिति की स््वयं को बचाने के अधिकार को मान््यता दी जानी चाहिए, उन््हेें संरक्षित किया
सिफारिशेें: जाना चाहिए और उनका दस््ततावेजीकरण किया जाना चाहिए साथ ही एक
z कानूनी एवं प्रशासनिक ढाँचे के सबं ंध मेें: गतिशील जीवित संस््ककृति के रूप मेें पनपने की अनुमति दी जानी चाहिए।
 जनजाति सलाहकार परिषद को सशक्त बनाना, इसके दायरे और लघु वन उपज (MINOR FOREST PRODUCE) के
जिम््ममेदारियोों का विस््ततार करना और इसे जनजाति सलाहकार, सरु क्षा और लिए न्यूनतम समर््थन मूल्य (MSP)
विकासात््मक परिषद मेें बदलना।
जनजातीय कार््य मंत्रालय ने लघु वन उपज (MFP) सचू ी के लिए न््ययूनतम
 स््ववायत्त परिषदोों को राज््य वित्त आयोग के अत ं र््गत शामिल किया जाना समर््थन मल््य
ू (MSP) को संशोधित किया है और सूची मेें 14 अतिरिक्त लघु
चाहिए और वित्त आयोग को राज््य और स््ववायत्त परिषद के बीच संसाधन वन उपजोों को शामिल किया गया है।
वितरण के उचित सिद््धाांत निर््धधारित करने चाहिए। लघु वन उपज (MFP) का महत्त्व
z सामाजिक-आर््थथिक विकास: z लघु वन उपज (MFP) का तात््पर््य गैर-लकड़़ी वन उत््पपादोों से है। इसमेें बाँस,
 आदिवासियोों के लिए सामाजिक-आर््थथिक प्रगति मेें उचित हिस््ससेदारी बेेंत, चारा, पत्तियाँ, गोोंद, मोम, रंग, रे जिन जैसे उत््पपाद और मेवे, जंगली फल
सनिश्
ु चित करना, जिसमेें स््ववास््थ््य, शिक्षा, आजीविका, पेयजल, स््वच््छता आदि सहित भोजन के कई रूप शामिल हैैं।
आदि जैसी सवु िधाएँ शामिल हैैं। z लघु वन उपज (MFP) आदिवासियोों के लिए आजीविका का एक प्रमख ु स्रोत
 ADC और अन््य राजनीतिक संस््थथानोों मेें आदिवासी महिलाओ ं
है। लघु वन उपज (MFP) का संग्रहण और बिक्री जनजातीय वार््षषिक आय
का 40-60% योगदान करती है।
(एक-तिहाई) के साथ-साथ छोटे आदिवासी समहोू ों के लिए भी आरक्षण
की व््यवस््थथा करना। सरकार इसे तर््क संगत बनाना कहती है
 जनजातीय क्षेत्ररों मेें कृ षि आधारित प्रशिक्षण सस्
लघु वन उपज मौजूदा MSP संशोधित MSP
ं ्थथान और सबं ंधित श्रम 100
इमली 22 चिरौौंजी की फली
प्रधान प्रसस्ं ्करण उद्योग स््थथापित करना 18 60
शहद 132 हरड़ 11
z भूमि हस््तताांतरण के सबं ंध मेें: 150 8
करंज बीज 1821 रंगीनी लाख 230
 जनजातीय भमि ू को अन््यत्र हस््तताांतरण से बचाने वाले काननोू ों को हर कीमत 100
महुवा बीज 22 कुसमु ी लाख 320
पर बरकरार रखा जाना चाहिए। 20 150
(रुपये/किग्रा मेें) बीज के साथ
 अपनी मातृभमि ू मेें संसाधनोों द्वारा उत््पन््न धन का एक उचित हिस््ससा उन््हेें
“यह निर््णय इसलिए लेना पड़़ा क््योोंकि MSP ऊँचे स््तर पर तय किया गया है
काननू द्वारा मिलना चाहिए। और इसे तर््क संगत बनाने की जरूरत है। अब से, कीमतेें के वल बढ़ें गी" -जनजातीय
 काननो ू ों को सख््तती से लागू करके सभी प्रकार की आदिवासी भमि ू हस््तताांतरण मामलोों के मंत्री जएु ल ओराम
प्रथा को रोकना और पेसा (PESA) के प्रावधानोों के अनसु ार आदिवासी z लघु वन उपज (MFP) आदिवासियोों के लिए आजीविका का एक प्रमख ु स्रोत
मालिकोों को हस््तताांतरित भमि ू वापस लौटाना। है। लघु वन उपज (MFP) का सग्रह ं ण और बिक्री जनजातीय वार््षषिक आय
z शिक्षा के सबं ंध मेें: का 40-60% योगदान करती है।
 जनजातीय क्षेत्ररों के स््ककूलोों मेें शिक्षकोों की भर्ती स््थथानीय स््तर पर की z चकिँू , अधिकांश लघु वन उपज (MFP) महिलाओ ं द्वारा एकत्र और उपयोग/
जानी चाहिए। बेचे जाते हैैं, इसलिए यह महिला सशक्तीकरण को भी सनिश्
ु चित करता है।
 नए शिक्षक प्रशिक्षण संस््थथान खोले जाने चाहिए और प्रशिक्षण के लघु वन उपज (MFP) से संबंधित सरकारी योजनाएँ
लिए पाठ्यक्रम सामाजिक-सांस््ककृतिक परिवेश, आदिवासी लोकाचार, वन धन विकास योजना
आदिवासी भाषा आदि के अनक ु ू ल होना चाहिए। z वन धन योजना या वन धन स््ककीम, ‘न््ययूनतम समर््थन मल््य ू (MSP) के माध््यम
 राज््य सरकारोों को बहुभाषी शिक्षा के लिए एक नीति विकसित करनी से लघु वन उपज (MFP) के विपणन के लिए तंत्र और MFP के लिए मल््य ू
चाहिए ताकि प्रारंभिक शिक्षा स््थथानीय भाषा मेें हो। श्रंखला के विकास’ का एक घटक अप्रैल, 2018 मेें लॉन््च किया गया था।
 पाठ्यक्रम मेें स््थथानीय संस््ककृति, लोककथाओ ं और आदिवासी इतिहास को z राष्ट्रीय स््तर पर नोडल एजेेंसी के रूप मेें TRIFED द्वारा कार््ययान््ववित, वन धन
शामिल करने से आदिवासी बच््चोों का आत््मविश्वास बढ़़ाने और उनके स््टटार््ट-अप देश की आदिवासी आबादी के सामाजिक-आर््थथिक विकास के लिए
जीवन मेें शिक्षा की प्रासगि ं कता बढ़़ाने मेें मदद मिल सकती है। एक सवु िचारित मास््टर प््ललान है। इस योजना मेें निम््नलिखित नवाचार शामिल हैैं:

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 19


z अधिनियम के मुख््य प्रावधान:
 स््व-कृ षि और निवास का अधिकार जिसे आमतौर पर व््यक्तिगत अधिकार

माना जाता है।


 सामद ु ायिक अधिकार जैसे चराई, मत््स््यन और जंगलोों मेें जल निकायोों
तक पहुचँ , PVTGs के लिए आवास अधिकार आदि।
अधिनियम का महत्त्व
बाहरी लोगोों के अतिक्रमण के बिना
अपने परिवेश के साथ जनजातीय
आदिवासियोों को आत््मनिर््भर बनाना
परिणाम का मूल््ययाांकन मानव संबंधोों का संरक्षण
चरित्र के विकास से किया जाना बाहरी लोगोों के दबाव के
ट्राइफे ड (TRIFED)* ने जनजातीय उत््पपादोों के विपणन के
चाहिए न कि खर््च किए गए धन बिना अपनी प्रतिभा के
लिए पूरे देश मेें फ्ररेंचाइजी सहित 141 आउटलेट स््थथापित
या आँकड़ोों से अनुरूप विकास
इसके द्वारा कोविड-19 के दौरान अपना स््वयं का ई-कॉमर््स
पोर््ट ल www.tribesindia.com स््थथापित किया गया था। आदिवासी पंचशील
स््टैैंड अप इंडिया योजना के तहत आदिवासी उद्यमियोों को (नेहरूवादी दृष्टिकोण),
*ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेेंट फे डरेशन ऑफ
इंडिया लिमिटेड
चित्र: TRIFED द्वारा की गई पहलेें
 जनजातीय संग्रहकर््तताओ ं के लिए आजीविका सृजन और उन््हेें उद्यमियोों मेें अपने स््वयं के सामाजिक और आदिवासियोों के लिए, आदिवासियोों द्वारा
परिवर््ततित करने का लक्षष्य रखने वाली एक पहल। सांस््ककृतिक संस््थथानोों के माध््यम और आदिवासियोों के बीच से, बाहरी लोगोों
से प्रशासन की न््ययूनतम भागीदारी के साथ प्रशासन
 मख्ु ्य रूप से वन संसाधनोों पर अधिक निर््भरता रखने वाले आदिवासी
जिलोों मेें आदिवासी समदु ाय के स््ववामित््व वाले वन धन विकास केें द्र z इसका उद्देश््य वन-निवास समदु ायोों के विरुद्ध ऐतिहासिक अन््ययाय को समाप्त
क््लस््टर (VDVKCs) स््थथापित करने का विचार है। करना है।
 एक वन धन विकास केें द्र क््लस््टर (VDVKC) मेें 15 आदिवासी स््वयं z यह वन मेें रहने वाली अनसु चू ित जनजातियोों और अन््य पारंपरिक वन निवासियोों
सहायता समहू /वन धन केें द्र होोंगे, जिनमेें से प्रत््ययेक मेें 20 आदिवासी की भमिू के स््ववामित््व, आजीविका और खाद्य सरु क्षा को सनिश्ु चित करता है।
NTFP सग्रह ं कर््तता या कारीगर शामिल होोंगे यानी प्रति क््लस््टर लगभग z यह सतत उपयोग, जैव विविधता के संरक्षण और पारिस््थथितिक संतल ु न के
300 लाभार्थी होोंगे। रखरखाव के लिए वन अधिकार धारकोों की जिम््ममेदारियोों और अधिकार को
 केें द्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषित ट्राइफे ड प्रत््ययेक 300 सदस््ययीय वन शामिल करके संरक्षण व््यवस््थथा को मजबतू करता है।
धन केें द्र क््लस््टर के लिए 15 लाख रुपये प्रदान करता है। z यह संविधान की पाँचवीीं और छठी अनसु चू ियोों के अधिदेश का विस््ततार करता
है जो स््वदेशी समदु ायोों के अधिकारोों की रक्षा करते हैैं।
आगे की राह
z यह सामदु ायिक वन संसाधन अधिकारोों को मान््यता देकर वन प्रशासन का
z लघु वन उपज (MFP) आजीविका सृजन मेें योगदान दे सकता है और लगभग लोकतंत्रीकरण करता है।
100 मिलियन लोगोों की गरीबी को कम सकता है। इससे संबंधित गरीब लोगोों
z अधिनियम के क्रियान््वयन आँकड़े:
को उचित लाभ सनिश् ु चित करना राज््य का कर््तव््य है।
 सितंबर, 2018 के अत ं तक, कुल 4,219,741 दावे (व््यक्तिगत और
z राज््य खरीद एजेेंसियोों (जिनमेें से अधिकांश बड़़े पैमाने पर खरीद को संभालने
सामदु ायिक दावे) दायर किए गए हैैं और 17,848,733 एकड़ वन भमि ू की
के लिए गंभीर रूप से अपर््ययाप्त हैैं) की क्षमताओ ं को बढ़़ाने की आवश््यकता है।
1,889,835 मालिकाना हक (व््यक्तिगत और सामदु ायिक दावे) वितरित
z जनजातीय और अन््य पारंपरिक वन निवासी समदु ायोों के बीच उनके अधिकारोों किए गए हैैं। लेकिन इसका अर््थ यह भी है कि कुल 1,934,345 दावे
और अवसरोों के बारे मेें बेहतर निगरानी और अधिक जागरूकता सनिश् ु चित खारिज कर दिए गए।
करने से उन््हेें अपनी आजीविका मजबतू करने मेें मदद मिलेगी।
z अनसु चू ित जनजाति और अन््य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारोों की अधिनियम के क्रियान्वयन मेें चुनौतियााँ
मान््यता) अधिनियम, 2006 z राजनीतिक इच््छछाशक्ति की कमी: अधिनियम के कार््ययान््वयन मेें राजनीतिक
z वन अधिकार अधिनियम, 2006 के रूप मेें लोकप्रिय यह अधिनियम नागरिकोों इच््छछाशक्ति की स््पष्ट कमी दिखाई दे रही है क््योोंकि वन-निवास समदु ायोों की शक्ति
के उपेक्षित सामाजिक-आर््थथिक वर््ग की रक्षा करने और उनके जीवन और का दावा नव-उदारवादी विकास प्रतिमान के साथ सीधे टकराव उत््पन््न करता है।
आजीविका के अधिकार के साथ पर््ययावरण के अधिकार को संतलि ु त करने के z कार््ययात््मक या कार््ययान््वयन बाधाएँ: ये बाधाएँ निम््नलिखित क्षेत्ररों मेें
लिए अधिनियमित किया गया था। यह वन मेें रहने वाले आदिवासी समदु ायोों परिलक्षित व््यवस््थथित मद्ददों
ु के कारण हैैं:
और अन््य पारंपरिक वन निवासियोों के वन संसाधनोों के अधिकारोों को मान््यता  अधिनियम के क्रियान््वयन पर आदिवासी, राजस््व एवं वन विभाग के

देता है, जिन पर ये समदु ाय आजीविका सहित विभिन््न आवश््यकताओ ं के बीच समन््वय का अभाव।
लिए निर््भर हैैं।  मौजद ू ा अनेक काननोू ों का FRA के साथ टकराव होना।

20  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


 वन नौकरशाही द्वारा नीतियोों के क्रियान््वयन का प्रतिरोध करना। z PVTGs की पहचान के लिए मानदडं :
 दस््ततावेजीकरण और स््ववीकृति साक्षष्य का अभाव: उदाहरण के लिए,  प्रौद्योगिकी का कृ षि-पर््वू स््तर का होना (परंपरागत कृ षि)
कार््ययान््वयन के शरुु आती चरणोों मेें, साक्षष्य के रूप मेें उपग्रह छवियोों  साक्षरता का निम््न स््तर
(सैटेलाइट इमेजनरी) पर जोर दिया गया था जबकि अन््य स््ववीकार््य सबतोू ों  आर््थथिक पिछड़़ापन
को नजरअदं ाज कर दिया गया था, जैसा कि गजु रात मेें देखा गया, जिसके
 घटती या स््थथिर जनसंख््यया/आबादी
परिणामस््वरूप दावोों को बड़़े पैमाने पर खारिज कर दिया गया।
z सस्ं ्थथागत मुद्दे: संस््थथागत मद्ु दे जैसे कि ग्राम सभा द्वारा तैयार किए गए समदु ाय कमजोर जनजातियोों की संख्या
के कच््चचे नक््शशे और व््यक्तिगत दावोों मेें प्रायः तकनीकी जानकारी का अभाव z 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समहोू ों (PVTG) की संख््यया
होता है और नीतियाँ शैक्षिक अक्षमता से प्रभावित होती हैैं। z 18 - राज््योों की संख््यया (17) और केें द्रशासित प्रदेश (1) जहाँ वे मौजदू हैैं
 वनवासियोों मेें अशिक्षा, अज्ञानता और नक््सलवाद आदि की व््ययाप्तता। z वर््ष 2001 मेें कुल PVTG जनसंख््यया 27,68,322
 इसके परिणामस््वरूप, कई दावे खारिज किए जा रहे हैैं; लंबित या सीमित z 23,000* - छत्तीसगढ़ के बस््तर रेेंज मेें PVTG, अबझू मारिया की
अधिकारोों को मान््यता दी जा रही है। दरअसल, मान््यता प्राप्त क्षेत्र को जनसंख््यया
काफी कम कर दिया गया है, जिस पर बिना किसी उचित कारण के दावा z PVTGS मेें खोोंड पोरजा, असरु , बिरहोर, कादर, सहरिया, कुरुम््बबास,
किया गया है। बैगा, टोडा, जारवा, शोम््पपेन, सेेंटिनलीज शामिल हैैं।
z अधिनियम मेें खामियाँ: पर््ययावरणविदोों का एक वर््ग इस बात पर चितं ा जताता z "छत्तीसगढ़ के जनजातीय अनसु ंधान और प्रशिक्षण संस््थथान द्वारा उद्धृत
है कि FRA सामदु ायिक अधिकारोों के लिए कम गजंु ाइश देता है क््योोंकि यह वर््ष 2015-16 सर्वेक्षण के पर आधारित
व््यक्तिगत अधिकारोों के पक्ष मेें अधिक झक
ु ा हुआ नजर आता है। स्रोत: जनजातीय कार््य मंत्रालय
z वन उपज की गुणवत्ता मेें गिरावट और परिणामी गरीबी: आदिवासियोों
z महत्तत्वपूर््ण तथ््य
के पास जमीनेें हैैं (FRA के तहत मान््यता प्राप्त भमि ू सहित) लेकिन वे छोटे
आकार और निम््न गणु वत्ता वाली हैैं, वे सिचं ाई सवु िधाओ ं के बिना बंजर हैैं,  हाल ही मेें, मध््य प्रदेश मेें भारिया PVTG और छत्तीसगढ़ मेें कमार और
इस प्रकार उन््हेें आजीविका के ऐसे अन््य स्रोतोों की तलाश करने के लिए मजबरू बैगा जनजातियोों को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पर््ययावास
होना पड़ता है जो शायद उतने पर््ययाप्त नहीीं हैैं। अधिकार प्रदान किए गए हैैं।
 छत्तीसगढ़ मेें, स््थथानीय बीड़ी बनाने के लिए तेेंदू पत्ततों के सग्रह
ं ण जैसी  भारत के ओडिशा राज््य मेें PVTG की सबसे अधिक संख््यया (13) है।
गतिविधियोों से होने वाली कमाई तब प्रभावित हुई जब बिहार से भारी PVTGs से संबंधित मुद्दे
संख््यया मेें मजदरोू ों का वहाँ आगमन हुआ, जो न््ययूनतम मजदरू ी दरोों पर भी
z असमानताएँ: PVTG के बीच सामाजिक और आर््थथिक स््थथितियोों मेें
काम करने के इच््छछु क थे।
असमानताओ ं का स््तर बहुत अधिक है।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) z घटती आबादी: 1858 ई. मेें ग्रेट अडं मानी की संख््यया लगभग 3,500 थी,
PVTGs (Particularly Vulnerable Tribal Groups ) के विषय मेें वहीीं वर््ष 1901 मेें उनकी संख््यया घटकर 625 रह गई। वर््ष 2001 की जनगणना
z PVTGs: आदिवासियोों मेें इनका विकास सबसे कम हुआ है। वर््ष 1973 मेें के अनसु ार, ग्रेट अडं मानी की संख््यया के वल 43 थी, जारवा 241 थे, औगं े 96
ढेबर आयोग ने सबसे पहले इन््हेें आदिम जनजातीय समहू के रूप मेें मान््यता थे, सेेंटिनलीज 39 थे और शोम््पपेन 398 थे।
दी। वर््ष 2006 मेें, सरकार ने PTGs का नाम बदलकर विशेष रूप से कमजोर z स््ववास््थ््य की निम््न स््थथिति: गरीबी, अशिक्षा, सरु क्षित पेयजल की कमी,
जनजातीय समहू (PVTGs) कर दिया। स््वच््छता की निम््न स््थथिति, दर््गु म क्षेत्र, कुपोषण, खराब मातृ एवं शिशु स््ववास््थ््य
z PVTGs की मूल विशेषताएँ: ये अधिकतर समरूप हैैं, छोटी आबादी और सेवाएँ, स््ववास््थ््य और पोषण सेवाओ ं की अनपु लब््धता, अधव ं िश्वास आदि जैसे
अपेक्षाकृ त शारीरिक रूप से अलग-थलग हैैं, सामाजिक संस््थथान के एक सरल कारकोों के कारण स््ववास््थ््य संकेतकोों मेें उनका प्रदर््शन खराब है।
साँचे मेें ढले हुए हैैं और उनमेें लिखित भाषा, अपेक्षाकृ त सरल तकनीक और z निरक्षरता: PVTG की औसत साक्षरता दर 10% से 44% के बीच है।
परिवर््तन की तीव्र विकास दर का अभाव है। z आजीविका: वनोों की कटाई, जलवायु परिवर््तन और नई वन संरक्षण नीतियोों
z PVTG समूहोों के आँकड़े: 75 PVTG, 17 राज््योों और केें द्रशासित प्रदेश के कारण, उनके गैर-लकड़़ी वन उपज संग्रह मेें बाधा आ रही है। NTFP उपज
अडं मान और निकोबार द्वीप समहू मेें रहते हैैं। ये जनजातीय समहू सांस््ककृतिक रूप के मल््य
ू के बारे मेें जागरूकता की कमी के कारण, PVTG का बिचौलियोों
से काफी भिन््न हैैं, इसलिए उनकी समस््ययाएँ भी समहू -दर-समहू भिन््न-भिन््न हैैं। द्वारा शोषण किया जाता रहा है।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 21


PVTGs की सहायता के लिए सरकार की पहल राष्ट् रीय स्वास्थ्य मिशन
PVTGs समूहोों के विकास के लिए योजना z आदिवासी क्षेत्ररों मेें गरीब और उपेक्षित आबादी को सस््तती स््ववास््थ््य देखभाल
सेवाएँ प्रदान करने, स््ववास््थ््य देखभाल प्रणालियोों को मजबतू करने के लिए
अंतिम व्यक्ति तक पहुुँचना वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
कोई भी पीछे न छू टे z सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करने का मिशन: सरकार ने वर््ष 2047 तक
सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करने का लक्षष्य रखा है, इस संबंध मेें जन-
प्रधानमंत्री PVTG* विकास मिशन लॉन््च जागरूकता के प्रसार के लिए कदम उठाए जाएगं े, प्रभावित आदिवासी क्षेत्ररों
किया जाएगा मेें 0-40 वर््ष के आयु वर््ग के 7 करोड़ लोगोों की व््ययापक जाँच की जाएगी
और केें द्रीय मत्रालयो
ं ों और राज््य सरकारोों के सहयोगात््मक प्रयासोों के माध््यम
कर््ननाटक के सूखा प्रभावित क्षेत्ररों मेें स््थथायी सूक्षष्म से परामर््श दिया जाएगा।
सिंचाई के लिए वित्तीय सहायता
आधारभूत ढााँचे को बढ़़ावा देना
740 एकलव््य मॉडल आवासीय विद्यालयोों के z जनजातीय मामलोों का मंत्रालय: यह आदिवासी गाँवोों को बनि ु यादी
लिए 38,800 अतिरिक्त शिक्षक सवु िधाएँ प्रदान करने के लिए प्रधानमत्री ं आदि आदर््श ग्राम योजना के तहत
PMGKAY के तहत सभी अंत््ययोदय और प्राथमिकता देश भर मेें कम से कम 50% आदिवासी आबादी और 500 अनसु चू ित जनजाति
वाले 36,000 से अधिक गाँवोों को मॉडल आदिवासी गाँवोों मेें विकसित करने
वाले परिवारोों को एक साल के लिए मुफ््त अनाज
के लिए काम कर रहा है और जिसके तहत अब विभिन््न मत्रालयो ं ों को इन
प्राचीन शिलालेखोों के डिजिटलीकरण के लिए ‘भारत श्री’ चिन््हहित गाँवोों मेें अपनी योजनाओ ं के कार््ययान््वयन पर ध््ययान केें द्रित करने की
की स््थथापना की जाएगी आवश््यकता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना का परिव््यय 66% तक z आकांक्षी ब््ललॉक कार््यक्रम: स््ववास््थ््य, पोषण, शिक्षा, कृ षि, जल संसाधन,
बढ़़ाया गया वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बनि ु यादी ढाँचे जैसे कई क्षेत्ररों मेें
*विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह आवश््यक सरकारी सेवाओ ं की परिपर््णू ता के लिए 500 ब््ललॉकोों को शामिल
करते हुए सरकार द्वारा आकांक्षी ब््ललॉक कार््यक्रम शरू ु किया गया है।
z PVTGs के सामाजिक-आर््थथिक विकास को सनिश् ु चित करने के लिए वर््ष
z प्रधानमंत्री आवास योजना: प्रधानमत्री ं आवास योजना के परिव््यय को 66
2008 मेें लॉन््च की गयी।
प्रतिशत बढ़़ाकर 79,000 करोड़ रुपये से अधिक करने का प्रस््तताव है।
z इस योजना के तहत समर््थथित गतिविधियोों मेें आवास, भमि ू वितरण, भमिू
आगे की राह
विकास, कृ षि विकास, मवेशी विकास, संपर््क सड़कोों का निर््ममाण, ऊर््जजा के
z PVTG की विशिष्ट आवश््यकताओ,ं चनु ौतियोों और अवसरोों को समझने
गैर-पारंपरिक स्रोतोों की स््थथापना, सामाजिक सरु क्षा आदि शामिल हैैं।
के लिए अनसु ंधान और डेटा संग्रह प्रयासोों को बढ़़ावा देना चाहिए। साक्षष्य-
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहोों (PVTGs) का विकास आधारित नीति-निर््ममाण और उनकी स््थथिति मेें सधु ार लाने के उद्देश््य से कार््यक्रमोों
के प्रभावी कार््ययान््वयन मेें मदद मिल सकती है।
z जनजातीय मामलोों का मत्राल ं य इसे 100% केें द्रीय सहायता के प्रावधान वाली
z शिक्षा और जनजातीय विकास के क्षेत्र मेें कार््य कर रहे गैर-सरकारी सगं ठनोों
केें द्र प्रायोजित योजना के रूप मेें लागू करता है। (NGO) और सिविल सोसाइटी समहोू ों के साथ साझेदारी को बढ़़ावा देना।
z इसका लक्षष्य PVTGs की संस््ककृतिक विरासत और पहचान को बनाए रखते z PVTG को शिक्षा और पर््यटन से संबंधित निर््णय लेने की प्रक्रियाओ ं और
हुए उनका व््ययापक तरीके से सामाजिक-आर््थथिक विकास करना है। नीति निर््धधारण मेें सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत््ससाहित करना।
z इस योजना के तहत राज््योों/केें द्रशासित प्रदेशोों को शिक्षा, आवास, कृ षि प्रधानमंत्री - जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (2023)
विकास, पशपु ालन आदि गतिविधियोों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की (PM-JANMAN)
जाती है। प्रधानमंत्री ने आदिवासी समहोू ों और आदिम जनजातियोों, जिनमेें से अधिकांश
प्रधानमंत्री PVTGs विकास मिशन
अभी भी वन मेें निवास करते हैैं, तक बेहतर पहुचँ स््थथापित करने के संकल््प
के साथ 15 नवंबर, 2023 को जनजातीय गौरव दिवस पर पीएम जनमन
z यह PVTG परिवारोों और बस््ततियोों को बनिु यादी सवु िधाओ ं से परिपर््णू करे गा मिशन की शरुु आत की।
और PVTGs के लिए गणु वत्ता परक शिक्षा पर जोर देगा।
दृष्टिकोण
z समहू के सामाजिक-आर््थथिक विकास के लिए अगले तीन साल के लिए पीएम-जनमन विजन का उद्देश््य स््ववास््थ््य, शिक्षा, आजीविका मेें अंतर को
15,000 करोड़ रुपये का वित्तीय आवंटन किया गया है। पाटकर PVTG की सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति मेें सुधार करना है साथ ही
z अनसु चू ित जनजातियोों के लिए विकास कार््य योजना के अतं र््गत अगले तीन नौ मंत्रालयोों/ विभागोों की मौजूदा योजनाओ ं के साथ जुड़कर विशेष रूप
वर्षषों मेें मिशन को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये उपलब््ध कराए से कमजोर जनजातीय समहू (PVTG) समदु ायोों, बस््ततियोों और परिवारोों के
जाएगं े। बुनियादी ढाँचे मेें सधु ार करना है।

22  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


उद्श्य
दे
पीएम-जनमन का मल ू उद्देश््य PVTG परिवारोों और बस््ततियोों को बुनियादी सुविधाओ ं और सेवाओ ं से परिपूर््णता प्रदान करके विशेष रूप से कमजोर जनजातीय
समहोू ों ( PVTG) की सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति मेें सुधार करना है। मिशन के व््ययापक उद्देश््य निम््नलिखित हैैं:

स््वच््छ पेयजल शिक्षा स््ववास््थ््य देखभाल सड़क और दूरसंचार स््थथायी आजीविका


सुरक्षित आवास
एवं स््वच््छता गणु वत्तापूर््ण शिक्षा और पोषण कनेक््टटिविटी के अवसर
यह सनिश् ु चित करना
स््वच््छ और सरु क्षित तक पहुचँ को बढ़़ाना। समग्र स््ववास््थ््य आर््थथिक अवसरोों और PVTG बस््ततियोों के
कि प्रत््ययेक PVTG
पेयजल स्रोतोों तक PVTG बच््चोों के परिणामोों मेें सधु ार सूचना तक पहुचँ को भीतर या उनके निकट
परिवार को सरु क्षित
पहुचँ की गारंटी देना बीच नामांकन और के लिए PVTG सविध
ु ाजनक बनाने के स््थथायी आजीविका
और रहने योग््य
और उचित स््वच््छता प्रतिधारण दर बढ़़ाने समुदायोों की नियमित लिए PVTG बस््ततियोों विकल््पोों को बढ़़ावा
आवास उपलब््ध हो। सविध
ु ाओं को बढ़़ावा पर ध््ययान केेंद्रित करने जाँच और पोषण को जोड़ने के लिए देना, उन््हेें आर््थथिक रूप
उन््हेें पर््ययावरणीय देना, स््ववास््थ््य जोखिमोों के साथ, इस प्रकार कार््यक्रमोों सहित सड़क बनियु ादी ढाँचे, से सशक्त बनाना और
चनु ौतियोों से बचाना को कम करना और उन््हेें बेहतर भविष््य के स््ववास््थ््य सेवाओं विद्तयु और दूरसंचार सीमांत संसाधनोों पर
और उन््हेें सरु क्षा की समग्र कल््ययाण मेें सधु ार लिए ज्ञान और कौशल
तक आसान पहुचँ कनेक््टटिविटी की उनकी निर््भरता को कम
भावना प्रदान करना। करना के साथ सशक्त बनाना
सनिश्
ु चित करना स््थथापना करना करना

विगत वर्षषों के प्रश्न अनुच््छछेद 16(4) राज््य को “नागरिकोों के किसी भी पिछड़़े वर््ग के पक्ष मेें
नियुक्तियोों या पदोों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने की अनुमति देता है,
1. स््वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियोों (एस.टी.) के प्रति भेदभाव को
यदि राज््य की राय (मत) मेें राज््य के तहत सेवाओ ं मेें उनका पर््ययाप्त प्रतिनिधित््व
दरू करने के लिए, राज््य द्वारा की गई दो मख्ु ्य विधिक पहलेें क््यया हैैं?
नहीीं है।”
 (2017)
2. क््यया कारण है कि भारत मेें जनजातियोों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ अन्य पिछड़ा वर््ग (OBC) के समक्ष चुनौतियााँ
कहा जाता है? भारत के संविधान मेें प्रतिष्ठापित उनके उत््थथापन के z शैक्षिक असमानताएँ: OBC को गणु वत्तापर््णू शिक्षा तक पहुचँ ने मेें चनु ौतियोों
लिए प्रमख ु प्रावधानोों को सूचित कीजिये। (2016) का सामना करना पड़ता है, जिससे साक्षरता दर कम हो जाती है और कौशल
3. समाज के कमजोर वर्गगों के लिए विभिन््न आयोगोों की बहुलता, विकास एवं रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैैं।
अतिव््ययापी अधिकारिता और प्रकार्ययों के दोहरे पन की समस््ययाओ ं की z आर््थथिक पिछड़़ापन: कई OBC समदु ाय सीमित कमाई क्षमता वाले पारंपरिक
ओर ले जाती है। क््यया यह अच््छछा होगा कि सभी आयोगोों को एक व््यवसायोों मेें लगे हुए हैैं, जिसके परिणामस््वरूप वे आर््थथिक रूप से उपेक्षित हैैं
व््ययापक मानव अधिकार आयोग के छत्र मेें विलय कर दिया जाय? और गरीबी का जीवन व््यतीत कर रहे हैैं।
अपने उत्तर के पक्ष मेें तर््क दीजिये। (2018) z सामाजिक भेदभाव: OBC को उनकी जाति और सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति
4. भारत के जनजातीय समदु ायोों की विविधताओ ं को देखते हुए किस के आधार पर सामाजिक भेदभाव और कलंक (तिरस््ककार) का सामना करना
विशिष्ट संदर््भ के अंतर््गत उन््हेें किसी एकल श्रेणी मेें माना जाना चाहिए। पड़ता है, जिससे उनकी सामाजिक गतिशीलता और उन््नति के अवसर सीमित
 (2022) हो जाते हैैं।
अन्य पिछड़़ा वर््ग (OBC) z राजनीतिक प्रतिनिधित््व की कमी: उनकी महत्तत्वपर््णू जनसंख््यया के बावजदू ,
OBC को प्रायः राजनीतिक निर््णय लेने वाले निकायोों मेें कम प्रतिनिधित््व दिया
‘अन््य पिछड़ा वर््ग’ शब््द पिछड़़े/उपेक्षित समदु ायोों और जातियोों को दर््शशाने के जाता है, जिससे उनके अधिकारोों और हितोों की वकालत करने की उनकी
लिए गढ़़ा गया था जो अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) क्षमता मेें बाधा उत््पन््न हो जाती है।
नहीीं थे। यह माना जाता है कि भारत मेें प्रारंभ से ही सामाजिक पिछड़़ापन
OBC के उत्थान हेतु संवैधानिक पहल
पारंपरिक रूप से जाति की स््थथिति का प्रत््यक्ष परिणाम रहा है और इन प्रारंभिक
बाधाओ ं के परिणामस््वरूप ही पिछड़़ापन भिन््न-भिन््न रूपोों मेें उभर कर सामने राष्ट् रीय पिछड़़ा आयोग: संवैधानिक निकाय
आया है। राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) एक संवैधानिक निकाय है जो भारत
संविधान के अनुच््छछेद 15(4) मेें अन््य पिछड़ा वर््ग के लिए सकारात््मक कार््रवाई मेें सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़़े वर्गगों की चिंताओ ं और कल््ययाण
अनिवार््य है: “इस अनुच््छछेद या अनुच््छछेद 29 के खंड (2) [धर््म, जाति आदि के उपायोों को संबोधित करने के लिए अधिकृ त है। वर््ष 2018 का 102वाँ संविधान
आधार पर राज््य के शैक्षणिक संस््थथानोों मेें प्रवेश के संबंध मेें भेदभाव न करना], संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर््जजा
मेें कुछ भी राज््य को नागरिकोों के किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से प्रदान करता है। NCBC के पास सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़़े वर्गगों
पिछड़़े वर््ग की उन््नति के लिए कोई विशेष प्रावधान करने से नहीीं रोके गा।” से संबंधित शिकायतोों और कल््ययाण उपायोों की जाँच करने का अधिकार है।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 23


अन्य पिछड़ा वर््ग (OBC) के उत्थान हेतु सरकार की योजनाएँ OBC एक बहुजातीय समहू है और OBC समदु ाय के
z प्री और पोस््ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्ररों के भीतर महत्तत्वपूर््ण असमानता है।
आरक्षण के लाभोों का असमान वितरण है, कुछ
लिए केें द्रीय क्षेत्र योजना की तरह, प्री-मैट्रिक और उच््च शिक्षा स््तरोों के लिए
उपजातियाँ आरक्षण के एक महत्तत्वपूर््ण हिस््ससे पर
अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) छात्ररों/छात्राओ ं को वित्तीय सहायता प्रदान करती
आधिपत््य कर लेती हैैं।
है। उदाहरण के लिए, कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्ररों/छात्राओ ं के लिए उपवर्गीकरण
उदाहरण के लिए, 25% से अधिक आरक्षण पर सिर््फ
केें द्रीय क्षेत्र की छात्रवृत्ति योजना, उच््च शिक्षा प्राप्त करने वाले अन््य पिछड़ा की आवश््यकता
10 उपजातियोों का आधिपत््य है। राष्ट्रीय पिछड़़ा
वर््ग (OBC) छात्ररों/छात्राओ ं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। वर््ग आयोग (NCBC) ने आरक्षण लाभोों के अधिक
z नेशनल फेलोशिप: उच््च शिक्षा प्राप्त करने वाले अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) न््ययायसंगत वितरण को सुनिश्चित करने के लिए OBC
छात्र/छात्राएँ राष्ट्रीय फे लोशिप के लिए पात्र हैैं। उन््हेें विश्वविद्यालयोों और को तीन समहोू ों मेें उपवर्गीकृ त करने की सिफारिश की है:
कॉलेजोों मेें एम.फिल और पी.एच.डी. कार््यक्रम करने के लिए वित्तीय सहायता अत््ययंत पिछड़़ा, अधिक पिछड़़ा और पिछड़़ा।
प्रदान की जाती है। निर््णणायक आँकड़ोों की कमी अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC)
की सटीक पहचान और वर्गीकरण करने मेें चनु ौती पेश
z अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) युवाओ ं को ऋण हेतु सक्षम योजना: सक्षम
करती है।
योजना के तहत, अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) यवु ाओ ं को उनके उद्यमशीलता इस बात की चिंता है कि उपवर्गीकरण से जातिगत
उद्यमोों और कौशल विकास पहलोों को सहायता देने के लिए रियायती दरोों पर चिंताएँ पहचान का राजनीतीकरण हो सकता है और वोट बैैंक
ऋण तक पहुचँ प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिए, प्रधानमत्री ं मद्ु रा योजना की राजनीति मेें वृद्धि हो सकती है।
जैसी योजनाएँ अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) के उद्यमियोों को अपना व््यवसाय प्रभावशाली अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) उपजातियोों का
शरू ु करने या उसका विस््ततार करने के लिए ऋण प्रदान करती हैैं। विरोध हो सकता है जो उपवर्गीकरण को अपनी राजनीतिक
z राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग वित्त और विकास निगम (NBCFDC): विभिन््न ऋण और सामाजिक स््थथिति के लिए खतरा मानते हैैं।
योजनाओ ं और कौशल कार््यक्रमोों के माध््यम से वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण अन्य पिछड़ा वर््ग (OBC) आरक्षण और क्रीमी लेयर
और उद्यमशीलता मेें समर््थन के साथ अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) के आर््थथिक z पष्ठृ भूमि: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) आरक्षण को साकार बनाने के उद्देश््य से
सशक्तीकरण हेतु सवु िधा प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, निगम विभिन््न गठित मडल ं आयोग, जिसे आधिकारिक तौर पर द्वितीय पिछड़़ा वर््ग आयोग भी
ऋण योजनाएँ और कौशल विकास कार््यक्रम पेश करता है। कहा जाता है, ने वर््ष 1980 मेें अपनी रिपोर््ट प्रस््ततुत की। सरकार द्वारा आयोग
z राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) को सवं ैधानिक दर््जजा: सरकार की रिपोर््ट को स््ववीकार किया गया और वर््ष 1990 से सरकारी नौकरियोों और
ने राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर््जजा दिया, जिससे शैक्षणिक संस््थथानोों मेें अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) हेतु आरक्षण लागू किया गया।
उसे अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) के कल््ययाण से संबंधित मामलोों की जाँच और z वैधानिक उपलब््धधि: वर््ष 1992 के इदि ं रा साहनी वाद, जिसे मडल ं वाद
निगरानी करने और उनके उत््थथान के लिए उपायोों की सिफारिश करने का के नाम से भी जाना जाता है, मेें सप्री ु म कोर््ट ने अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC)
आरक्षण को बरकरार रखा लेकिन अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) श्रेणी के भीतर
अधिकार मिल गया। राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग अधिनियम, 1993 आयोग
‘क्रीमी-लेयर’ की अवधारणा प्रस््ततुत की।
के कामकाज के लिए काननू ी ढाँचा प्रदान करता है।
z इसका अर््थ यह हुआ कि संपन््न अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) परिवारोों या क्रीमी-
z शिक्षा और रोजगार मेें आरक्षण: शैक्षणिक संस््थथानोों और सरकारी नौकरियोों लेयर के व््यक्तियोों को आरक्षण लाभ से बाहर रखना प्रस््ततावित किया गया ताकि
मेें आरक्षण नीतियोों से अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) वर््ग का प्रतिनिधित््व सनिश् ु चित यह सनिश् ु चित किया जा सके कि लाभ अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ाय
होता है। उदाहरण के लिए, भारत के संविधान द्वारा अनिवार््य सरकारी कॉलेजोों, के सबसे वंचित वर्गगों तक पहुचँ सके । अदालत के फै सले का उद्देश््य अन््य
विश्वविद्यालयोों और सार््वजनिक क्षेत्र की नौकरियोों मेें आरक्षण कोटा शामिल है। पिछड़ा वर््ग (OBC) श्रेणी के भीतर सामाजिक और आर््थथिक असमानताओ ं
z कौशल विकास कार््यक्रम: सरकार द्वारा अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) के यवु ाओ ं को लगातार बने रहने से रोकना था।
की रोजगार क्षमता बढ़़ाने के लिए विभिन््न कौशल विकास कार््यक्रम शरू ु किए z कार््ययान््वयन: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) आरक्षण सरकारी नौकरियोों, शैक्षणिक
गए हैैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमत्री ं कौशल विकास योजना (PMKVY), जो सस्ं ्थथानोों और सार््वजनिक क्षेत्र के उपक्रमोों सहित विभिन््न क्षेत्ररों मेें लागू किया
अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समेत समाज के सभी वर्गगों के यवु ाओ ं को कौशल गया है। सरकारी नियमोों और दिशा-निर्देशोों के अनसु ार अन््य पिछड़ा वर््ग
प्रशिक्षण प्रदान करती है (OBC) उम््ममीदवारोों के लिए आरक्षण कोटा तय किया जाता है।
अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) का उप-वर्गीकरण z चुनौतियाँ: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) आरक्षण के कार््ययान््वयन के बावजदू ,
नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और इसका लाभ लक्षित लाभार््थथियोों
वर््ष 2017 मेें अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC) के उपवर्गीकरण
तक पहुचँ ने संबंधित चनु ौतियाँ बनी हुई हैैं। क्रीमी-लेयर की पहचान, योग््य
का अध््ययन करने के लिए न््ययायमर््तति ू रोहिणी आयोग
पृष्ठभमि
ू उम््ममीदवारोों के बीच जागरूकता की कमी और शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों मेें अपर््ययाप्त
की नियुक्ति की गई थी। आयोग ने वर््ष 2023 मेें अपनी बनि
ु यादी ढाँचे और संसाधनोों जैसे मद्ु दे अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) आरक्षण
उपवर्गीकरण रिपोर््ट प्रस््ततुत की। के प्रभावी कार््ययान््वयन के लिए चनु ौतियाँ पैदा करते हैैं।

24  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आगे की राह प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी
भारत मेें अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) कल््ययाण का मद्ु दा एक जटिल विषय बना z राष्ट्रीय पिछड़ा वर््ग आयोग (NCBC) का सशक्तीकरण: आरक्षण नीतियोों
हुआ है, जिसके लिए बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश््यकता है। के कार््ययान््वयन की निगरानी, शिकायतोों की जाँच और प्रभावी रणनीतियोों पर
हालाँकि, 127वाँ संवैधानिक संशोधन राज््योों को अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) की राज््य सरकारोों को सलाह देने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर््ग आयोग (NCBC)
पहचान करने और उन््हेें लाभ प्रदान करने मेें अधिक स््ववायत्तता प्रदान करता है, की क्षमता को बढ़़ाया जाना चाहिए।
लेकिन कई चनु ौतियाँ अभी भी बनी हुई हैैं, जैसे: z सामुदायिक भागीदारी: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों को कल््ययाण
आँकड़ोों मेें भिन्नता और सामाजिक-आर््थथिक असमानता कार््यक्रमोों की योजना और कार््ययान््वयन मेें शामिल करेें ताकि यह सनिश्
ु चित किया
z सीमित आँकड़े: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों की स््थथिति पर आधारित जा सके कि उनकी आवश््यकताएँ की पर््तति ू हो और उनकी आवाज सनु ी जा सके ।
व््ययापक और सटीक आँकड़ोों का अभाव प्रभावी नीति निर््ममाण और लक्षित z नियमित समीक्षा और मूल््ययाांकन: कमियोों की पहचान करने और आवश््यक
हस््तक्षेप मेें बाधा डालता है। समायोजन करने के लिए हस््तक्षेपोों और नीतियोों के प्रभाव का नियमित आकलन
z सामाजिक-आर््थथिक असमानताएँ: “राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग आयोग (NCBC) करना।
रिपोर््ट 2021-22” जैसी रिपोर्टटें विभिन््न अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समहोू ों मेें अंतर-जातीय विविधताओ ं को प्रबंधित करना
शिक्षा, रोजगार और स््ववास््थ््य देखभाल पहुचँ मेें महत्तत्वपर््णू असमानताओ ं को
z विशिष्ट आवश््यकताओ ं की पहचान और समाधान करना: अन््य पिछड़ा
उजागर करती हैैं।
वर््ग (OBC) समदु ायोों के भीतर विविध वास््तविकताओ ं की पहचान करना
आँकड़ोों का विस्तृत संग्रहण और विश्लेषण और प्रत््ययेक समहू के लिए लक्षित हस््तक्षेप मॉडल तैयार करना चाहिए।
z ठोस आँकड़ोों के सग्रं हण मेें निवेश करना: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) z अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) के भीतर सकारात््मक कार््रवाई: अतं र-जातीय
समदु ायोों की गतिशीलता को समझने के लिए, जाति और उप-जाति के आधार असमानताओ ं को दरू करने के लिए, न््ययायमर््तति
ू रोहिणी आयोग के सझु ाव के
पर नियमित सामाजिक-आर््थथिक सर्वेक्षण और जनगणना आयोजित किया जाना अनसु ार, अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) के भीतर उपवर्गीकरण पर विचार करना।
चाहिए।
न््ययायमर््तति
ू रोहिणी आयोग की रिपोर््ट (2018), मंडल आयोग की रिपोर््ट (1980)
z ठोस आँकड़ोों का उपयोग करना: विभिन््न अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समहोू ों और राष्ट्रीय पिछड़ा वर््ग आयोग (NCBC) रिपोर््ट जैसी समितियोों के रिपोर्टटों के
के सामने आने वाली विशिष्ट आवश््यकताओ ं और चनु ौतियोों की पहचान करने आँकड़े विभिन््न अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समहोू ों के लिए विशिष्ट रणनीतियोों
के लिए राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS) ,राष्ट्रीय नमनू ा सर्वेक्षण
की जानकारी देते हैैं।
कार््ययालय( NSSO) और राज््य-स््तरीय सर्वेक्षणोों के डेटा का विश्ले षण किया
जाना चाहिए। विगत वर््ष का प्रश्न

z ठोस आँकड़ोों का सार््वजनिक प्रचार करना: नीति निर््ममाताओ,ं शोधकर््तताओ ं प्रश्न - राष्ट्रीय पिछड़ा वर््ग आयोग के सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय
और समदु ायोों के लिए साक्षष्य-आधारित हस््तक्षेपोों को सचू ित करने के लिए मेें रूपांतरण को ध््ययान मेें रखते हुए इसकी भमि ू का की विवेचना कीजिये।
पारदर्शी और सल ु भ आँकड़े की उपलब््धता सनिश्ु चित की जानी चाहिए।  (2022)

लक्षित हस्तक्षेप और समावेशन आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS)

z शिक्षा: भाषा अवरोधोों और डिजिटल विभाजन जैसे कारकोों को संबोधित “आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS)” व््यक्तियोों या परिवारोों की एक श्रेणी को
करते हुए, सभी स््तरोों पर गणु वत्तापर््णू शिक्षा तक पहुचँ मेें सधु ार के लिए पर््ययाप्त संदर््भभित करता है जो सरकार द्वारा उन््हेें शिक्षा और रोजगार मेें आरक्षण के साथ-
संसाधन आवंटित किए जाने चाहिए। साथ अन््य कल््ययाणकारी योजनाओ ं जैसे विभिन््न लाभ प्रदान करने के उद्देश््य से
z रोजगार: बाजार की माँग के अनरूु प कौशल विकास कार््यक्रमोों को लागू करना निर््धधारित एक निश्चित आय सीमा के भीतर आते हैैं। इस वर्गीकरण का उद्देश््य
चाहिए और समावेशी कार््यस््थलोों को बढ़़ावा दिया जाना चाहिए। सामाजिक-आर््थथिक असमानताओ ं को दरू करना और आर््थथिक रूप से वंचित
z स््ववास््थ््य सेवा: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों की विशिष्ट स््ववास््थ््य लोगोों को सहायता प्रदान करना है।
आवश््यकताओ ं को संबोधित करते हुए कम मल््य ू वाली और गणु वत्ता वाली आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) कौन है ?
स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक समान पहुचँ सनिश्
ु चित करना। आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग भारत मेें समाज का वह वर््ग है, जो अनारक्षित श्रेणी
z वित्तीय समावेशन: अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों को आर््थथिक रूप से मेें आता है और जिसकी वार््षषिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है। इस
सशक्त बनाने के लिए सक्षू ष्म-वित्त योजनाओ ं और वित्तीय साक्षरता कार््यक्रमोों श्रेणी मेें वे लोग शामिल हैैं जो SC / ST / OBC की जाति श्रेणियोों से संबंधित
को प्रोत््ससाहित करना चाहिए। नहीीं हैैं और जो पहले से आरक्षण का लाभ नहीीं उठा रहे हैैं।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 25


भारत मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) वर््ग की स्थिति z पात्रता मानदडं : आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण मौजदू ा
आरक्षण के अतिरिक्त है।
नीति आयोग द्वारा उपयोग किए गए बहु-आयामी गरीबी सचू कांक के आधार
 एक व््यक्ति जो अनस ु चू ित जाति/ जनजाति (SC/ST) और अन््य पिछड़ा
पर, भारत की लगभग 18.2% सामान््य आबादी आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग
(EWS) की श्रेणी मेें आती है, जिनकी संख््यया लगभग 350 मिलियन है। वर््ग (OBC) के लिए आरक्षण के अतं र््गत नहीीं आता है और जिसके
103वेें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2019 के माध््यम से शैक्षणिक संस््थथानोों परिवार की सकल वार््षषिक आय 8 लाख रुपये से कम है, उसे आरक्षण के
और सार््वजनिक रोजगार मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों के लिए आरक्षण की लिए आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) के रूप मेें पहचाना जाना है।
शरुु आत के साथ आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) की अवधारणा को इसके अतिरिक्त -
प्रमख z जिन लोगोों के पास पाँच एकड़ कृ षि भमि ू है, या
ु ता मिली।
z भारतीय सवं िधान का अनच् ु ्छछेद 15(6) आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों के z 1,000 वर््ग फुट का एक आवासीय फ््ललैट है, या

व््यक्तियोों के लिए शैक्षणिक संस््थथानोों और सार््वजनिक रोजगार मेें 10% तक z अधिसचू ित नगर पालिकाओ ं मेें 100 वर््ग गज और उससे अधिक के आवासीय
सीटोों के आरक्षण की अनमु ति देता है। भख ू डं है, या
z संविधान संशोधन (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019 ने अनच् ु ्छछेद 15(6) अन््य क्षेत्ररों मेें 200 वर््ग गज के सभी आवासीय भख ू ंडोों के स््ववामी हैैं तो उनको
और अनच्ु ्छछेद 16(6) को शामिल किया, जो क्रमशः शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों और आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण के लाभ से बाहर रखा गया है।
सार््वजनिक रोजगार मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) को आरक्षण आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण पर सर्वोच््च न््ययायलय के प्रमख ु
प्रदान करता है। फै सले:
103वेें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संशोधित अनुच्छेद विधिक विश्लेषण और समीक्षा
अनुच््छछेद 15(6) z जनहित अभियान बनाम भारत सघं (2022):
z भारतीय सवं िधान का अनच्ु ्छछेद 15(6) आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों के  इस मामले मेें, सप्री ु म कोर््ट की एक संविधान पीठ ने 103वेें संविधान
व््यक्तियोों के लिए शैक्षणिक संस््थथानोों और सार््वजनिक रोजगार मेें 10% तक संशोधन की वैधता को बनाए रखा, जो सरकारी नौकरियोों और शैक्षणिक
सीटोों के आरक्षण की अनमु ति देता है। संस््थथानोों मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों (EWSs) के लिए 10% आरक्षण
z यह सरकार को, पहले से ही अनच्ु ्छछेद 15 (4) और 15 (5) मेें उल््ललिखित का प्रावधान करता है।
वर्गगों के अलावा किसी भी आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) की उन््नति न््ययायालय ने माना कि संशोधन संविधान की मल ू संरचना का उल््ललंघन नहीीं
के लिए विशेष प्रावधान करने मेें सक्षम बनाता है। यह शैक्षणिक संस््थथानोों करता है और यह संविधान मेें संशोधन करने की संसद की शक्ति का एक वैध
मेें उनके प्रवेश से संबंधित है। प्रयोग है।
z जनहित अभियान और भारत सघ ं (2023) की समीक्षा:
अनुच््छछेद 16(6)
 इस मामले मेें, सप्री ु म कोर््ट ने आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग के आरक्षण
z यह सरकार को अनच्ु ्छछेद 16 (4) मेें उल््ललिखित वर्गगों के अलावा किसी भी की वैधता को बनाए रखने वाले अपने वर््ष 2022 के फै सले की समीक्षा
आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) की उन््नति के लिए विशेष प्रावधान करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
बनाने मेें सक्षम बनाता है। इसका संबंध नियक्ु तियोों या पद पर पदोन््नति से है।
 न््ययायालय ने माना कि उसके पिछले फै सले मेें कोई त्रुटि नहीीं थी और
z अनच्ु ्छछेद 16 (4) उन पिछड़़े वर्गगों के लिए आरक्षण से संबंधित है, जिन््हेें समीक्षा याचिका मेें काननू का कोई नया या महत्तत्वपर््णू प्रश्न नहीीं उठाया
राज््य की राय मेें सेवाओ ं मेें पर््ययाप्त प्रतिनिधित््व नहीीं है। गया था।
आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) वर््ग हेतु आरक्षण आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण: सामाजिक-
z सिन््हहो आयोग: आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) को आरक्षण सिन््हहो आर््थथिक और कानूनी प्रभावोों का आकलन
आयोग की सिफारिशोों के आधार पर दिया गया था, जिसने वर््ष 2010 मेें z आरक्षण सामाजिक उत््थथान हेतु न कि वित्तीय सशक्तीकरण के लिए:
अपनी रिपोर््ट सौौंपी थी। आरक्षण का उपयोग गरीबी उन््ममूलन रणनीति के रूप मेें नहीीं किया जाना चाहिए,
z सवं ैधानिक सश ं ोधन: 103वेें संशोधन अधिनियम, 2019 ने आबादी के गैर- बल््ककि ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्गगों के लिए प्रतिपरू क भेदभाव के रूप मेें
अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) और गैर-अनसु चू ित जाति/ जनजाति (SC/ST) वर्गगों किया जाना चाहिए। छात्रवृत्तियाँ और अन््य साधन उपलब््ध कराने से गरीबी
के बीच आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग को 10% आरक्षण प्रदान करने के लिए की समस््यया का समाधान हो सकता है।
संविधान मेें अनच्ु ्छछेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया। z बुनियादी सरच ं ना: यह भी तर््क दिया गया कि यह संविधान की बनि ु यादी
103वेें संशोधन अधिनियम के प्रावधान सरं चना का उल््ललंघन करता है और मडल ं आयोग मामले मेें सप्री
ु म कोर््ट के
z केें द्र और राज््य आरक्षण: अधिनियम केें द्र और राज््य दोनोों सरकारोों को फै सले द्वारा तय आरक्षण के लिए 50% की सीमा का उल््ललंघन करता है।
आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) को आरक्षण प्रदान करने मेें सक्षम z समानता सिद््धाांत का उल््ललंघन: आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) से
बनाता है। हालाँकि, यह राज््य सरकार को यह निर््णय लेने की अनमु ति देता अनसु चू ित जाति/ जनजाति (SC/ST) और अन््य पिछड़ा वर््ग (OBC) समदु ायोों
है कि राज््य सरकार की नौकरियोों मेें नियक्ु ति और राज््य सरकार के शैक्षणिक को बाहर करना समानता के सिद््धाांत का उल््ललंघन है। यह खल ु ी प्रतिस््पर्द्धा के
संस््थथानोों मेें प्रवेश के लिए आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग को आरक्षण प्रदान अवसरोों के लिए उनकी पात्रता को प्रतिबंधित करता है, उन््हेें उनके आवटि ं त
किया जाए या नहीीं। आरक्षण कोटा के भीतर सीमित कर देता है।

26  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z आय मानदडं के साथ चुनौतियाँ: ₹8 लाख प्रति वर््ष का आय मानदडं z दलित और आदिवासी महिलाओ ं की उपेक्षा: वर््ष 2020-21 के बजट मेें
आयकर रिटर््न दाखिल करने के लिए छूट सीमा से अधिक है (₹2.5 लाख से केें द्र प्रायोजित योजनाओ ं और केें द्रीय क्षेत्र की योजनाओ ं से दलित महिलाओ ं
कम कर योग््य आय वाले लोगोों को प्रदान किया जाता है)। इसके अलावा, के लिए 0.8% (7,986.34 करोड़ रुपये) और आदिवासी महिलाओ ं के लिए
यह राष्ट्रीय स््तर की वार््षषिक प्रति व््यक्ति आय से भी अधिक है, जो सभं ावित 0.34% (3,174.91 करोड़ रुपये) का आवटं न किया गया है।
रूप से आबादी के एक महत्तत्वपर््णू हिस््ससे को शामिल करती है। z अज्ञानता: जरुरतमदं लोगोों मेें ज्ञान का अभाव, योजनाओ ं के बारे मेें जागरूकता
z अपर््ययाप्त आँकड़े: इसके अलावा, सटीक प्रत््यक्ष आय आक ं ड़ोों की कमी सीमित करता है जिसके परिणामस््वरूप क्षरण होता है और लाभ से वचं ित
और धोखाधड़़ी वाली आय घोषणाओ ं की सभं ावना प्रभावी कार््ययान््वयन मेें किया जाता है।
बाधाएँ उत््पन््न करती है। आगे की राह
z लोकलुभावनवाद के एक उपकरण के रूप मेें : आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग
z मौजदू ा सरकारी प्रयासोों को और अधिक प्रभावी एवं सहभागी बनाया जाए।
के लिए आरक्षण को राजनीति से प्रेरित कदम के रूप मेें देखा जाता है, जिससे
z नवाचार, प्रभावशीलता और सामाजिक योजनाओ ं के प्रभाव के लिए राज््योों
संभावित रूप से सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। 50% अधिकतम सीमा के
की रैैंकिंग शरू
ु करना।
उल््ललंघन की अनमु ति देना भविष््य के उल््ललंघनोों के लिए एक मिसाल कायम
z देशभर मेें प्रमख
ु सामाजिक प्रथाओ ं की पहचान करना, जो अभी भी दलितोों
कर सकता है, जिससे आगे विभाजन और संभावित टकराव हो सकता है।
को अलग-थलग करती हैैं- चाहे वह स््ककूलोों मेें, घरोों मेें, या कार््यस््थलोों मेें होों
हालाँकि, भारत मेें आर््थथिक रूप से कमजोर वर््ग (EWS) आरक्षण नीति, आर््थथिक
- और छात्ररों और शिक्षकोों, ग्रामीणोों, कंपनियोों आदि के लिए लक्षित संचार
असमानताओ ं को संबोधित करने के उद्देश््य से है, संवैधानिक संरचना, समानता अभियान चलाए जाने चाहिए।
और सामाजिक गतिशीलता पर इसके संभावित प्रभाव के बारे मेें चिंताओ ं के
z SC/ST समदु ायोों के लिए बजट आवंटन, आबादी मेें उनकी हिस््ससेदारी के
कारण विवादास््पद बनी हुई है। इसके कार््ययान््वयन ने आय मानदंड, डेटा सटीकता
अनपु ात मेें होना चाहिए।
और इसकी राजनीतिक प्रेरणाओ ं की धारणा से संबंधित चनु ौतियोों को उजागर
किया है, जो सामाजिक उत््थथान और समावेशी शासन को संतुलित करने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तीकरण के एक उपकरण के रूप मेें
आरक्षण
एक सूक्षष्म दृष्टिकोण की आवश््यकता को रे खांकित करता है।
z आरक्षण शिक्षा, रोजगार और राजनीति मेें प्रतिनिधित््व मेें सधु ार करके
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़़ा वर््ग के लिए
ऐतिहासिक रूप से वंचित समहोू ों के लिए सामाजिक न््ययाय सनिश् ु चित करने के
कल्याण योजनाओं के निष्पादन मेें बाधाएँ - आलोचनात्मक परीक्षण
लिए सकारात््मक कार््रवाई की एक व््यवस््थथा को सदं र््भभित करता है।
z गरीबी और असमानता: अलगाव, बहिष््ककार और व््ययावसायिक अधीनता
z मल ू रूप से आरक्षण के वल SC और ST को दिया गया था, लेकिन बाद
की समस््ययाएँ देश के सामाजिक-आर््थथिक विकास मेें इन सामाजिक समहोू ों को
मेें मडल
ं आयोग की रिपोर््ट के कार््ययान््वयन के बाद वर््ष 1987 मेें इसे OBC
मख्ु ्यधारा मेें लाने मेें बड़़ी बाधाएँ हैैं।
(के वल शिक्षा और सार््वजनिक रोजगार मेें) के लिए बढ़़ा दिया गया था।
z अपर््ययाप्त एवं अप्रभावी वित्तपोषण: जबकि नीति आयोग के दिशा-निर्देशोों
z 103 वाँ संशोधन अधिनियम, 2019 पर््ववर्ती ू अनारक्षित श्रेणी के छात्ररों के
के अनसु ार इस वर््ष के बजट मेें SC के लिए देय आवटं न 1,39,172 करोड़
बीच आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों (EWS) के लिए 10% अतिरिक्त कोटा
रुपये होना चाहिए, लेकिन आवंटन 83,257 करोड़ रुपये या 60% था।
प्रदान करता है।
 धनराशि के कुशल आवंटन की कमी: सस ं ाधनोों को कुछ लक्षित
योजनाओ ं के बजाय, कई योजनाओ,ं विशेष रूप से अनसु चू ित जाति आरक्षण की आवश्यकता
उप-योजना (SCSP) और आदिवासी उप-योजना (TSP) के तहत वितरित z ऐतिहासिक अन््ययाय और जाति-आधारित भेदभाव: इतिहास गवाह है
किया जाता है। कि भारतीय सामाजिक संगठन की चातर््वु र््ण््य व््यवस््थथा ने इन सामाजिक समहोू ों
इसके अलावा, प्रत््ययेक मंत्रालय को अपने खर््च का 15% अनुसूचित जाति को ऐतिहासिक अन््ययाय और जाति-आधारित भेदभाव का शिकार बनाया है
उपयोजना मेें अलग रखना होता है, लेकिन अक््सर उनके परिणाम महत्तत्वहीन अतः इनके उत््थथान और सामाजिक समानता के लिए आरक्षण आवश््यक है।
होते हैैं। क््यया आरक्षण से असमानता समाप्त हो सकती है?
जाति एक कारक है, लेकिन आरक्षित की गई श्रेणियोों मेें रोजगार कम हैैं,
z खराब शासन: अत ं र-मत्राल
ं यी अभिसरण की कमी और लाभार््थथियोों के
अच््छछी नौकरियाँ कम हैैं
उप-इष्टतम लक्ष्यीकरण सहित शासन एक अन््य प्रमख ु मद्ु दा है। चार््ट 1- संगठित क्षेत्र के रोजगार मेें सार््वजनिक क्षेत्र की हिस््ससेदारी
z धरातलीय सच््चचाई को नजरअंदाज करना: हस््तक्षेपोों को नियंत्रित करते

समय SC / ST समहोू ों की विशिष्ट सांस््ककृतिक और सामाजिक आवश््यकताओ ं


को शामिल करने मेें असमर््थता के कारण इन समहोू ों को मख्ु ्यधारा मेें लाने मेें
भी बाधा उत््पन््न हुई है।
z समावेशी दृष्टिकोण की कमी: नीतियोों की संरचना, योजना और कार््ययान््वयन

मेें लोगोों की भागीदारी का अभाव और जवाबदेही का अभाव।

समाज के कमजोर वर्ग /जाति/ जनजाितया 27


चार््ट 2- सार््वजनिक और निजी क्षेत्र मेें वेतनभोगी रोजगार मेें हिस््ससेदारी z शीर््ष न््ययायालय वर््ष 2020 मेें शासित राज््योों मेें अनसु चू ित जाति (SC),
सरकारी नौकरी निजी नौकरियाँ अनसु चू ित जनजाति (ST) और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़़े वर्गगों
8.5
अनुसूचित जनजाति 3.8 (SEBC) की सचू ी को उप-वर्गीकृ त कर सकता है ताकि आरक्षण का वास््तविक
अनुसूचित जाति 18.4
13.9 36.4 उद्देश््य उनमेें से विशेष रूप से वंचितोों को तरजीह दी जा सके ।
अन््य पिछड़़ा वर््ग 38.0
अन््य 38.0 z आरक्षण लाभ को 1 या 2 पीढ़़ियोों तक सीमित रखना। इसे सरकारी कर््मचारियोों
चार््ट 3 1993-94 और 2018-19 मेें वेतनभोगी की अगली पीढ़़ी के लिए बंद किया जा सकता है। लंबवत आरक्षण - प्रत््ययेक
और अन््य नौकरियोों की हिस््ससेदारी ऊर््ध्ववाधर श्रेणी के भीतर असमानताओ ं को पहचानना और प्रत््ययेक श्रेणी के
कुल रोजगार भीतर दिव््ययाांगोों, महिलाओ ं आदि को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। चकि ँू ,
मेें हिस््ससेदारी स््वनियोजित वेतनभोगी अनौपचारिक सार््वजनिक क्षेत्र की नौकरियाँ घट रही हैैं इसलिए सरकार को पिछड़़े समदु ायोों के
1993-94 57.9 8.3 33.8 क्षमता निर््ममाण और समग्र विकास के लिए अन््य कार््यक्रम तैयार करने चाहिए।
2018-19 52.1 23.8 24.2 z अनसु चू ित जाति/अनसु चू ित जनजाति समदु ायोों मेें उद्यमिता को प्रोत््ससाहित
करना; अनसु चू ित जाति/अनसु चू ित जनजाति पेशवरो े ों द्वारा प्रचारित उद्यमोों के
z पिछड़़ापन: ये सामाजिक एवं आर््थथिक रूप से सभी मापदडों ों पर पिछड़़े हैैं और लिए सरकारी अनबु ंधोों और परियोजनाओ ं मेें आरक्षण शरू ु किया जाना चाहिए।
इनकी स््थथिति आज भी संतोषजनक नहीीं है। z अनसु चू ित जाति एवं जनजाति (अत््ययाचार निवारण) अधिनियम के तहत दलितोों
z अस््पपृश््यता: उन पर अस््पपृश््यता की प्रथा लागू की गई, जो विभिन््न सामाजिक की काननू ी एवं न््ययायिक सरु क्षा को मजबतू करना।
प्रतिबंधोों का रूप ले लेती है। आगे की राह
z सार््वजनिक सेवाओ ं मेें अपर््ययाप्त प्रतिनिधित््व: सार््वजनिक सेवाओ ं मेें पिछड़़े निष््कर््षतः, आरक्षण एक सकारात््मक भेदभाव है जो जाति वर््चस््ववादियोों को
वर्गगों का अपर््ययाप्त प्रतिनिधित््व, उन््हेें शिक्षा, शक्तिशाली पद और आकर््षक अपर््ययाप्त विशेषाधिकार प्राप्त लोगोों की बेहतरी के उनके अधिकार से वंचित
नौकरियाँ देने से इनकार करता था। करने से रोकने के लिए आवश््यक है। हालाँकि, आरक्षण जातिगत पूर््ववाग्रह को
z हाथ से मैला ढोना: देश मेें सामाजिक कुप्रथा अभी भी मौजदू है और इसमेें समाप्त नहीीं कर सकता है, लेकिन यह उन््हेें अधिकारोों से वंचित करने से रोक
सबसे अधिक पिछड़़े समदु ाय कार््यरत हैैं। सकता है। यह उनकी सामाजिक, आर््थथिक और राजनीतिक गतिशीलता को
सक्षम बनाता है, इस तरह आरक्षण सामाजिक परिवर््तन के एक अभिकर््तता के
z समान अवसर प्रदान करना: पिछड़़े समदु ायोों को उनकी उन््नति के लिए
रूप मेें कार््य करता है।
समान अवसर प्रदान करना।
आरक्षण का प्रभाव प्रमुख शब्दावलियाँ
z केें द्रीय प्रशासनिक सेवाओ ं मेें, अनसु चू ित जाति वर््ष 1984 मेें समहू - ग के हाशिये पर उपस््थथित (उपेक्षित) समूह, वंचित समुदाय, सामाजिक
14 प्रतिशत, वर््ष 2003 मेें समहू - ख के 14.3 प्रतिशत और वर््ष 2015 मेें रूप से बहिष््ककृ त, अंतराल की समाप्ति, पिरामिड के तल को ऊपर
समहू - क के 13.3 प्रतिशत तक पहुचँ गए। उठाना, एक न््ययायपूर््ण समाज का निर््ममाण, हाशिये पर उपस््थथित
z केें द्रीय सार््वजनिक क्षेत्र के उद्यमोों (CPSE) मेें उनका अनपु ात वर््ष 2004 मेें (उपेक्षित) लोगोों का उत््थथान, जातिगत बंधनोों को तोड़ना, दलित
14.6 प्रतिशत से बढ़कर वर््ष 2014 मेें 18.1 प्रतिशत हो गया। अधिकार का मामला, अस््पपृश््यता का अंत, जनजातीय विरासत
उत््सव, स््वदेशी संस््ककृ ति का संरक्षण, आदिवासी अधिकारोों की
z इसके समानांतर, अनसु चू ित जाति की साक्षरता दर वर््ष 1981 मेें 21.38 प्रतिशत वकालत, आदिवासियोों के अधिकार, वंचितोों का उत््थथान, सामाजिक
से बढ़कर वर््ष 2011 मेें 66.1 प्रतिशत हो गई। विभाजन को पाटना, सभी के लिए समान अवसर, बाधाओं को
तोड़ना, उन््नत भविष््य का निर््ममाण, कार््यवाही मेें सकारात््मक
वाांछित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अन्य सुझाव
कार््यवाही, हाशिये से मुख््य धारा तक, आर््थथिक समानता को बढ़़ावा
z अनसु चू ित जाति (SC) और अनसु चू ित जनजाति (ST) समदु ायोों के लिए देना, शिक्षा के माध््यम से सशक्तीकरण, बेजबु ानोों की आवाज बलु ंद
क्रीमी-लेयर अवधारणा को लागू करके अनसु चू ित जाति (SC) और अनसु चू ित करना, परिवर््तन के लिए उत्प्रेरक, सामाजिक गतिशीलता, जाति-
जनजाति (ST) समदु ायोों का उप-वर्गीकरण और अधिकांश गरीब लोगोों के आधारित असमानता, दलित समावेशिता, दलित मुक्ति, आदिवासी
लिए आरक्षण लाभ सनिश्
ु चित करने को प्राथमिकता देना। विरासत, आर््थथिक उत््थथान आदि।

28  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


3 महिलाएँ
“आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैैं, तो आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैैं। अवसरोों की कमी, शक्तिशाली लैैंगिक वेतन अंतराल, कार््यस््थल
आप एक महिला को शिक्षित करते हैैं, तो आप एक पीढ़़ी को शिक्षित करते हैैं।” पदोों पर अल््प प्रतिनिधित््व पर कम भागीदारी, कु पोषण
 -ब्रिघम यंग स्त्री द्वेष, लिंग भेद और घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, वैवाहिक
“प्रकृ ति ने स्त्री को जो नि:स््ववार््थ सेवा की भावना प्रदान की है, उसमेें पुरुष कभी भी आर््थथि क असमानता महिलाओं की बलात््ककार, साइबर अपराध
स्त्री के बराबर नहीीं हो सकता।”  -महात््ममा गांधी कार््यस््थल पर हिंसा, समस््ययाएँ पितृसत्ता, ऑनर किलिंग, बाल
“इस बात के पर््ययाप्त प्रमाण हैैं कि महिलाओ ं की शिक्षा और साक्षरता से बच््चोों की यौन उत््पपीड़न विवाह, कन््यया भ्रूण हत््यया
मृत््ययु दर मेें कमी आती है।”  -अमर््त््य सेन शिक्षा, राजनीति, सरकार और बुलिंग, एसिड
नौकरियोों मेें कम प्रतिनिधित््व अटैक
परिचय
विश्व भर मेें, महिलाओ ं को कई चनु ौतियोों का सामना करना पड़ता है, जो उन््हेें महिलाओ ं को होने वाली समस्याएँ
जीवन के विभिन््न पहलुओ ं मेें कमजोर बनाता हैैं। ये चनु ौतियाँ सामाजिक मानदंडोों, z शैशवावस््थथा मेें: कन््यया भ्णरू हत््यया और शिशु हत््यया
सांस््ककृतिक प्रथाओ ं और प्रणालीगत असमानताओ ं मेें गहराई से निहित हो सकती
z बाल््ययावस््थथा: बाल विवाह, शिक्षा मेें बाधा, स््ववास््थ््य और कुपोषण,
हैैं। उनके सामने आने वाली जटिलताओ ं को समझना सार््थक संवाद को बढ़़ावा देने
माहवारी अस््वच््छता, बल मजदरू ी
और उनके सशक्तीकरण के लिए रणनीतियोों को आगे बढ़़ाने मेें महत्तत्वपर््णू है। यह
z एक महिला के रूप मेें: घरे लू हिसं ा, साइबर अपराध, यौन हिसं ा, एसिड
अन््ववेषण एक संवेदनशील विश्व मेें महिलाओ ं के सामने आने वाली चनु ौतियोों पर
अटैक, ऑनर किलिंग, मानव तस््करी
गहराई से विचार करता है साथ ही सशक्तीकरण के उन मार्गगों पर भी प्रकाश डालता
z कार््य के सदं र््भ मेें: अल््प महिला भागीदारी; कृ षि का नारीकरण;
है, जो सभी के लिए अधिक न््ययायपूर््ण और समान भविष््य के द्वार तक पहुचँ ते हैैं।
z कार््यस््थल पर यौन उत््पपीड़न: POSH अधिनियम, 2013; देखभाल
महिलाओ ं के लिए संवैधानिक प्रावधान अर््थव््यवस््थथा, मासिक धर््म अवकाश, भारतीय महिलाओ ं के लिए STEM
z अनच्ु ्छछे द 15(3)- महिलाओ ं के z अनच्ु ्छछे द 42- यह अनच्ु ्छछे द करियर, विधायी अधिकारोों मेें महिला आरक्षण, भारत मेें सेक््स वर््कर््स के
अधिकार, सरपंच पति
पक्ष मेें सकारात््मक कार््रवाई की राज््य द्वारा काम की न््ययायसंगत
z वद्
ृ धावस््थथा: बजु र््गु महिला श्रमिकोों द्वारा सामना की जाने वाली समस््ययाएँ
अनमु ति देता है । और मानवीय स््थथिति सनिश् ु चित
z अन््य आधुनिक मुद्दे: प्रजनन अधिकार, मस््ललि ु म महिला (विवाह पर
z अनच्ु ्छछे द 23- मानव दर्ु ्व्ययापार करने तथा मातृत््व सहायता के अधिकारोों का संरक्षण) अधिनियम, 2019, सबरीमाला मदि ं र प्रवेश
और बलात श्रम का प्रतिषेध। लिए प्रावधान करने की अनमु ति
अनच्ु ्छछे द 39(a)- राज््य यह z लिंगानुपात: देश मेें लिंगानपु ात हमेशा महिलाओ ं के लिए प्रतिकूल रहा है।
z देता है।
सनिश्
ु चित करे गा कि परुु षोों और वर््ष 2011 मेें यह 940 था (जनगणना-2011)।
z अनच्ु ्छछे द 243D- सभी स््तरोों पर
महिलाओ ं को समान रूप से z बाल लिंगानुपात: राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वे (NFHS)- 5 के अनसु ार
पंचायतोों मेें महिलाओ ं के लिए
आजीविका के पर््ययाप्त साधनोों का पिछले पाँच वर्षषों मेें जन््ममे बच््चोों का जन््म के समय बाल लिंग अनपु ात (प्रति
कम-से-कम एक-तिहाई आरक्षण 1,000 परुु षोों पर महिलाएँ) 929 है।
अधिकार हो।
का प्रावधान करता है। 20 राज््योों
z अनच्ु ्छछे द 39(d)- परुु षोों और z महिला कार््यबल भागीदारी दर: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) डेटा
ने अपने-अपने राज््य पचं ायती बताता है कि कामकाजी आयु वर््ग (15-59 वर््ष) की महिलाओ ं के लिए, भारत
महिलाओ,ं दोनोों के लिए समान
कार््य के लिए समान वेतन। राज अधिनियमोों मेें पचं ायती राज मेें कार््यबल भागीदारी दर के वल 35.6 प्रतिशत है। वर््ष 2021-22 मेें ग्रामीण
संस््थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए और शहरी क्षेत्ररों मेें भागीदारी दर क्रमशः 39.3 प्रतिशत और 26.5 प्रतिशत
z अनच्ु ्छछे द 51A(e)- महिलाओ ं
की गरिमा के लिए अपमानजनक 50% आरक्षण का प्रावधान है। हालाँकि, वर््ष 2017 से 2021 तक, महिलाओ ं की कार््यबल भागीदारी दर
प्रथाओ ं का त््ययाग करना। किया है। (LFPR) परुु षोों के सापेक्ष बढ़़ी है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्ररों मेें। अनमु ान
यह भी बताते हैैं कि वर््ष 1990 से 2022 के बीच भारत मेें महिला श्रम बल
भारत मेें महिलाओ ं की स्थिति- तथ्य और आँकड़़े
की भागीदारी 28% से घटकर 24% हो गई है। इस गिरावट ने उनकी वृद्धि
साक्षरता: देश मेें साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत है, जिसमेें 82.14% पुरुष और को बाधित किया है और उनकी अधिकतम क्षमताओ ं को प्राप्त करने मेें बाधा
65.46% महिला साक्षर (जनगणना- 2011) हैैं। डाली है।
z लैैंगिक अंतराल (Gender Gap): हाल ही मेें प्रकाशित वार््षषिक लैैंगिक z घरेलू हिंसा से महिलाओ ं का सरं क्षण अधिनियम, 2005: यह अधिनियम
अतं राल रिपोर््ट, 2023 के अनसु ार, लिंग समानता के मामले मेें भारत 146 महिलाओ ं को किसी भी ऐसे काननू / आचरण/ चक ू / कमीशन से बचाता है, जो
देशोों मेें से 127 वेें स््थथान पर है- जो पिछले वर््ष की तल
ु ना मेें आठ स््थथानोों के उन््हेें नक
ु सान पहुचँ ाता है, चोट पहुचँ ाता है या नकु सान पहुचँ ाने की संभावना
सधु ार को दर््शशाता है। रखता है, उसे घरे लू हिसं ा माना जाता है।
z यौन उत््पपीड़न: पर््णू कालिक कॉर्पोरे ट क्षेत्र की नौकरियोों मेें 35% महिलाओ ं ने
यौन-उत््पपीड़न का अनभु व किया है (कार््यस््थल मेें महिलाए,ं रिपोर््ट)। महिलाओ ं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के
उन्मूलन पर सम्मेलन
राजनीतिक z इसे वर््ष 1979 मेें सयं क्त
ु राष्टट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था और इसका
गतिशीलता मनोवैज्ञानिक
वर््णन प्रायः महिला अधिकारोों के अतं रराष्ट्रीय बिल के रूप मेें किया जाता है।
महिला सशक्तीकरण
z यह सम््ममेलन राजनीतिक और सार््वजनिक जीवन मेें महिलाओ ं की समान
का पै माना
पहुचँ और समान अवसर सनिश् ु चित करके महिलाओ ं और परुु षोों के बीच
कल््ययाण आर््थथि क
समानता को साकार करने का आधार प्रदान करता है।
निर््णयन
प्रमुख प्रावधान
z मातृ-मृत््ययु अनुपात: मातृ-मृत््ययु अनमु ान अतं र-एजेेंसी समहू (MMEIG) मातृ- z यह गैर-भेदभाव, यौन रूढ़़िवादिता और यौन तस््करी पर केें द्रित है।
मृत््ययु अनपु ात (MMR) के वैश्विक अनमु ान प्रदान करता है। UN MMEIG, z राजनीतिक जीवन, प्रतिनिधित््व और राष्ट्रीयता के अधिकार पर जोर देते हुए
2020 की रिपोर््ट, ‘मातृ-मृत््ययु दर वर््ष 2000 से 2020 के रुझान’ के अनसु ार,
यह सार््वजनिक क्षेत्र मेें महिलाओ ं के जीवन की रूपरे खा प्रस््ततुत करता है।
भारत की MMR वर््ष 2000 मेें 384 से घटकर वर््ष 2020 मेें 103 हो गई
z विशेष रूप से शिक्षा, रोजगार और स््ववास््थ््य पर ध््ययान केें द्रित करते हुए
है, जबकि वैश्विक MMR वर््ष 2000 मेें 339 से घटकर वर््ष 2020 मेें 223
हो गई है। यह महिलाओ ं के आर््थथिक और सामाजिक अधिकारोों का वर््णन करता है।
z स््ववास््थ््य: अधिकांश राज््योों मेें 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएँ एनीमिया z यह महिलाओ ं के वैवाहिक और पारिवारिक जीवन मेें समानता के अधिकार
से ग्रस््त हैैं। (राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण - 5, 2019-20)। के साथ-साथ काननू के समक्ष समानता के अधिकार को रे खांकित करता है।
z घरेलू हिंसा: राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS-4) के अनसु ार, 15 z दहेज निषेध अधिनियम, 1961 मेें महिलाओ ं के विरुद्ध दहेज सबं ंधी
वर््ष से अधिक आयु की लगभग एक-तिहाई (33%) महिलाओ ं ने किसी- अत््ययाचारोों की रोकथाम और दडं के लिए कड़़े प्रावधान हैैं।
न-किसी रूप मेें घरे लू हिसं ा का अनभु व किया है। z मुस््ललिम महिला (विवाह अधिकार सरं क्षण) अधिनियम, 2019: यह
z एनसीआरबी क्राइम इन इडं िया रिपोर््ट (2021): महिलाओ ं के खिलाफ लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप मेें तलाक की सभी घोषणाओ ं को अमान््य और
30% से अधिक अपराध पति या रिश््ततेदारोों द्वारा क्रू रता के तहत दर््ज किए गए। अवैध बनाता है। यह तलाक की घोषणा को सज्ं ञेय अपराध बनाता है, जिसके
z सतत विकास लक्षष्य 3.1: वर््ष 2030 तक वैश्विक मातृ-मृत््ययु दर को 70/ लिए जर््ममा
ु ने के साथ तीन साल तक की कै द हो सकती है।
लाख जीवित जन््मोों से कम करना।
महिला सशक्तीकरण के लिए योजनाएँ
z सतत विकास लक्षष्य 5: “लैैंगिक समानता प्राप्त करना और सभी महिलाओ ं
एवं बालिकाओ ं को सशक्त बनाना|” z आजादी का अमृत महोत््सव महिला सम््ममान बचत पत्र: एकमश्ु ्त नई
छोटी बचत योजना, महिला सम््ममान बचत प्रमाणपत्र (MSSC) मार््च, 2025
महिलाओ ं का राजनीतिक बहिष्कार तक दो वर््ष की अवधि के लिए उपलब््ध कराया जाएगा। यह आशं िक निकासी
z संसद- वर््तमान लोकसभा मेें 14% (78 सांसद) महिला सांसद हैैं अर््थथात विकल््प के साथ 7.5% की निश्चित ब््ययाज दर पर 2 वर््ष की अवधि के लिए
1952 ई. के बाद से महिला सांसदोों की सबसे अधिक सख्ं ्यया। राज््यसभा महिलाओ ं या बालिकाओ ं के नाम पर ₹2 लाख तक की जमा सविध ु ा प्रदान
मेें 245 सदस््योों मेें से के वल 25 (10.2%) महिलाएँ हैैं। करे गा (केें द्रीय बजट 2023-24)।
z विधानसभाएँ- 4,120 विधायकोों मेें से के वल 9% महिलाएँ थीीं (एडीआर z वन स््टटॉप सेेंटर योजना: वन स््टटॉप सेेंटर (OSC) का उद्देश््य निजी और
रिपोर््ट)। हाल के विधानसभा चनु ावोों (2021) मेें तमिलनाडु मेें के वल 5% सार््वजनिक स््थथानोों, परिवार, समदु ाय और कार््यस््थल पर हिसं ा से प्रभावित
महिलाएँ और 140 सदस््ययीय के रल राज््य विधानसभा मेें के वल 11 महिलाएँ महिलाओ ं को सहायता प्रदान करना है।
चनु ी गई।ं z बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ योजना: “बेटी बचाओ, बेटी पढ़़ाओ” भारत
महिलाओं को सशक्त और सुरक्षित करने हेतु वैधानिक उपाय सरकार का एक अभियान है, जिसका उद्देश््य भारत मेें बालिकाओ ं के लिए
z कार््यस््थल पर महिलाओ ं का यौन उत््पपीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) जागरूकता पैदा करना और कल््ययाणकारी सेवाओ ं की दक्षता मेें सधु ार करना है।
अधिनियम, 2013 को कार््यस््थल पर महिलाओ ं को सरु क्षा प्रदान करने के z उज््ज््वला: यह महिला और बच््चोों की तस््करी की रोकथाम और तस््करी एवं
उद्देश््य से पारित किया गया था। वाणिज््ययिक यौन शोषण के पीड़़ितोों के बचाव, पनु र््ववास और पनु ः एकीकरण
z एसिड अटै क: भारतीय दडं सहं िता, 1860 की धारा 326B सक्षा ं रक पदार्थथों के लिए एक व््ययापक योजना है।
के उपयोग और जानबझू कर संक्षारक पदार््थ को फेें कने या फेें कने का प्रयास z स््ववाधार गहृ : यह कठिन परिस््थथितियोों मेें रहने वाली महिलाओ ं के लिए एक
करने से संबंधित है। योजना है ताकि वे सम््ममान और दृढ़ विश्वास के साथ अपना जीवन व््यतीत कर सकेें ।

30  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z महिला पुलिस स््वयंसेवक (Mahila Police Volunteers): महिलाओ ं z लैैंगिक सवं ेदनशीलता पर ध््ययान केें द्रित करना: सभी हितधारकोों के लिए
के विरुद्ध अपराध से लड़ने के लिए महिला पलि ु स स््वयंसेवक सार््वजनिक- लैैंगिक संवेदनशीलता घरे लू हिसं ा के प्रति प्रभावी प्रतिक्रियाओ ं का एक
पलि
ु स इटं रफे स के रूप मेें कार््य करे गा। महत्तत्वपर््णू घटक है। इसे पलिु स, न््ययायपालिका, नौकरशाही, नीति निर््ममाताओ,ं
z महिला शक्ति केें द्र (MSK) का उद्देश््य ग्रामीण महिलाओ ं को कौशल विकास सामाजिक कार््यकर््तताओ,ं परामर््शदाताओ ं और अन््य सेवा प्रदाताओ ं के प्रशिक्षण
और रोजगार के अवसर प्रदान करके उन््हेें सशक्त बनाना है। के पाठ्यक्रम का हिस््ससा बनाया जाना चाहिए।
z जागरूकता पैदा करना और सच ू ना का प्रसार: कई महिलाएँ घरे लू हिसं ा
विभिन्न समिति/ आयोग की सिफारिशेें
से बच नहीीं पाती हैैं, क््योोंकि उन््हेें उपलब््ध काननू ी सेवाओ ं और इस क्षेत्र मेें
z महिलाओ ं के लिए विवाह की आयु 18 से बढ़़ाकर कार््य करने वाली एजेेंसियोों के बारे मेें जानकारी नहीीं होती है। इसलिए उपलब््ध
21 वर््ष हो। सेवाओ ं की सीमा के बारे मेें जानकारी का प्रसार करना अपरिहार््य है।
z बालिकाओ ं के लिए परिवहन सहित स््ककू ल और महिला कल्याण के लिए संस्थाएँ
कॉलेजोों तक पहुचँ बढ़़ाने पर ध््ययान देना।
जया जे टली z बालिकाओ ं के लिए कौशल एवं व््यवसाय प्रशिक्षण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
समिति, 2020 सनिश्
ु चित करना। z मत्रा
ं लय का व््ययापक उद्देश््य महिलाओ ं और बच््चोों का समग्र विकास करना है।
z समिति ने स््ककूलोों मेें यौन शिक्षा की भी सिफारिश की। z मत्रा
ं लय योजनाएँ, नीतियाँ और कार््यक्रम तैयार करता है; काननू बनाता है/
z नए काननू की सामाजिक स््ववीकृ ति को प्रोत््ससाहित सश ं ोधित करता है। यह महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र मेें कार््यरत सरकारी
और गैर-सरकारी संगठनोों के प्रयासोों का मार््गदर््शन और समन््वय करता है।
करने के लिए बड़़े पैमाने पर जागरूकता अभियान
चलाया जाए। z मत्रा
ं लय द्वारा की गई प्रमख
ु नीतिगत पहलोों मेें एकीकृ त बाल विकास योजना
का सार््वभौमीकरण, किशोरी शक्ति योजना, पोषण अभियान, बाल अधिकार
z आतं रिक शिकायत समिति (Internal Complaints सरं क्षण आयोग की स््थथापना और घरे लू हिसं ा से महिलाओ ं के सरं क्षण
Committee) के स््थथान पर एक रोजगार न््ययायाधिकरण अधिनियम का अधिनियमन शामिल हैैं।
स््थथापित करने की सिफारिश की गई, क््योोंकि आतं रिक
न््ययायमूर््तति राष्ट् रीय महिला आयोग
समिति के कारण महिलाएँ शिकायत करने से
वर््ममा राष्ट्रीय महिला आयोग को राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के
हतोत््ससाहित होोंगी।
समिति, 2012 तहत जनवरी, 1992 मेें एक वैधानिक निकाय के रूप मेें स््थथापित किया गया था:
z समिति ने कार््यस््थल पर यौन उत््पपीड़न से महिलाओ ं
z महिलाओ ं के लिए संवैधानिक और कानन ू ी सरु क्षा उपायोों की समीक्षा करना
के संरक्षण अधिनियम मेें घरे लू कामगारोों को शामिल इसका प्रमख उद्दे
श् ्य है


करने की सिफारिश की।
z सध ु ारात््मक विधायी उपायोों की सिफारिश करना।
आगे की राह z शिकायतोों के निवारण मेें सविध ु ा प्रदान करना।
हालाँकि, इन प्रयासोों के बावजूद महिला सशक्तीकरण के मोर्चे पर प्रगति की z महिलाओ ं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलोों पर सरकार को

कमी स््पष्ट रूप से दिखाई दे रही है और इसलिए सुधारात््मक कदम उठाने की सलाह देना।
तत््ककाल आवश््यकता है। कार््रवाई का उपयुक्त तरीका निम््नलिखित हो सकता है: महिला सशक्तीकरण पर राष्ट् रीय
z ठोस लैैं गिक परिवर््तनकारी नीतियोों को अपनाना, जिसमेें बाल देखभाल महिला आयोग द्वारा उठाए गए कदम
से लेकर समान वेतन तक की नीतियाँ तथा लैैंगिक समानता का समर््थन करने z आयोग ने लक्षद्वीप को छोड़कर सभी राज््योों/ सघं राज््य क्षेत्ररों का दौरा
वाले काननू शामिल हैैं। पूरा कर लिया है तथा महिलाओ ं की स््थथिति और उनके सशक्तीकरण
z स््ववास््थ््य प्रणाली की प्रतिक्रिया को मजबूत करना ताकि पीड़़ित-केें द्रित का आकलन करने के लिए लिंग प्रोफाइल तैयार कर ली है।
देखभाल और आवश््यकतानसु ार अन््य सेवाओ ं को संदर््भभित किया जा सके । z इसने बड़़ी सख्ं ्यया मेें शिकायतेें प्राप्त कीीं और त््वरित न््ययाय प्रदान करने के लिए
z स््ककू ल शिक्षा मेें परिवर््तन लाना ताकि भेदभावपर््ण
कई मामलोों मेें स््वतः संज्ञान लेते हुए कार््रवाई की।
ू दृष्टिकोण और मान््यताओ ं
को चनु ौती दी जा सके जिसमेें व््ययापक यौन शिक्षा और लैैंगिक सवं ेदनशीलता z इसने बाल विवाह का मद्ु दा उठाया, काननू ी जागरूकता कार््यक्रम प्रायोजित
किए, पारिवारिक महिला लोक अदालतेें आयोजित कीीं।
शामिल हो।
z दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961, पीएनडीटी अधिनियम, 1994, भारतीय
z स््थथानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स््तर पर सतत और प्रभावी साक्षष्य-
दडं सहं िता, 1860 और राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 जैसे
आधारित रोकथाम रणनीतियोों मेें लक्षित निवेश। काननोू ों की समीक्षा की ताकि उन््हेें अधिक कठोर और प्रभावी बनाया जा सके ।
z डेटा सग्र ं ह को मजबूत करना तथा महिलाओ ं द्वारा अनभु व की जाने वाली z इसने लैैंगिक जागरूकता के लिए कार््यशालाएँ/ सेमिनार आयोजित किए तथा कन््यया
हिसं ा के विभिन््न रूपोों के मापन मेें सधु ार करना, जिनमेें सबसे अधिक हाशिये भ्णरू हत््यया, महिलाओ ं के विरुद्ध हिसं ा आदि के विरुद्ध प्रचार अभियान चलाया,
पर रहने वाली महिलाएँ भी शामिल हैैं। ताकि इन सामाजिक बरु ाइयोों के विरुद्ध समाज मेें जागरूकता पैदा की जा सके ।

महिलाएँ 31
महिला कल्याण के लिए विधायी हस्तक्षेप शिकायत निवारण तंत्र
z कार््यस््थल पर महिलाओ ं का यौन उत््पपीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) पहलू विवरण
अधिनियम, 2013
z यह काननू महिलाओ ं को उनके कार््यस््थल पर यौन-उत््पपीड़न से बचाने के z 10+ कर््मचारियोों वाले संगठनोों के लिए आतं रिक
लिए बनाया गया था। यह झठू े या दर््भभाव
ु नापर््णू आरोपोों के विरुद्ध भी सरु क्षा शिकायत समिति (ICC) (सिविल न््ययायालय के समान
प्रदान करता है। शक्तियाँ)।
यौन-उत््पपीड़न विरोधी नीति शिकायत z 10 से कम कर््मचारियोों वाले सगं ठनोों या नियोक्ता के
समिति विरुद्ध शिकायतोों के लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित
आंतरिक समिति कर््मचारी जागरूकता स््थथानीय समिति।
का गठन अधिनियम के एवं सहायता z शिकायत घटना के 3 महीने के भीतर दर््ज की जानी
अनुपालन के चाहिए।
लिए मुख््य कदम
z जाँच से पहले पीड़़ित और प्रतिवादी के बीच वैकल््पपिक
पोस््टर और नोटिस वैधानिक वार््षषिक रिपोर््ट समझौता सगु म समझौता।
पृष्ठभूमि
z आतं रिक शिकायत समिति जाँच कर सकती है (जो 90
z भँवरी देवी के स: वर््ष 1992 मेें राजस््थथान की एक सामाजिक कार््यकर््तता भँवरी दिनोों के भीतर परू ी हो जाती है) या शिकायत पलि
जाँच करना ु स
देवी को एक छोटी लड़की के बाल विवाह का विरोध करने पर क्रू र सामहि ू क को भेज सकती है।
बलात््ककार का सामना करना पड़़ा। इस चौौंकाने वाले मामले ने महिलाओ ं की
कमजोरी और कार््यस््थल पर यौन-उत््पपीड़न के विरुद्ध काननू ी सरु क्षा उपायोों की
अपराधी z आतं रिक शिकायत समिति नियोक्ता को कार््रवाई की
कमी को उजागर किया।
के विरुद्ध सिफारिश कर सकती है।
z विशाखा दिशा-निर्देश: कार््यस््थल पर उत््पपीड़न के खिलाफ किसी विशिष्ट
काननू की अनपु स््थथिति को देखते हुए, सर्वोच््च न््ययायालय ने वर््ष 1997 कार््रवाई
मेें हस््तक्षेप किया। ऐतिहासिक विशाखा दिशा-निर्देशोों मेें, न््ययायालय ने
महिलाओ ं की सरु क्षा के लिए दिशा-निर्देशोों का एक सेट जारी किया, जब z आतं रिक शिकायत समिति के निर््णय के विरुद्ध अपील
निवेदन 90 दिनोों के भीतर संभव।
तक कि एक समर््पपित काननू नहीीं बनाया जा सके ।
प्रमुख प्रावधान आतं रिक शिकायत समिति झठू ी शिकायतकर््तता के
झठू ी z

यौन उत्पीड़न की व्यापक परिभाषा शिकायतेें खिलाफ कार््रवाई की सिफारिश कर सकती है।
अधिनियम मेें यौन उत््पपीड़न को किसी भी अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-
मौखिक आचरण के रूप मेें परिभाषित किया गया है, जिसमेें शामिल हैैं: z पीड़़ित, प्रतिवादी, गवाह की पहचान और पछू ताछ/
z यौन-सबं ंधोों के लिए माँग या अनरु ोध। गोपनीयता कार््रवाई का विवरण गोपनीय रखा जाना चाहिए।
z यौन रूप से अश्लील टिप््पणी या चट ु कुले बनाना।
z अश्लील साहित््य या यौन रूप से स््पष्ट सामग्री प्रदर््शशित करना। चुनौतियााँ
z कोई अन््य कार््य जो शत्रुतापर््ण
ू , भयभीत करने वाला या आक्रामक कार््य z अपवाद: यह अधिनियम सशस्त्र बलोों पर लागू नहीीं होता है, जो कि
वातावरण निर््ममित करता है। अधिकांशतः परुु ष प्रधान है।
यौन उत्पीड़न की पााँच परिस्थितियााँ z लिंग-तटस््थ नहीीं: यह ट््राांसजेेंडरोों और परुु षोों आदि द्वारा अनभु व किए गए
z यौन संबंधोों के बदले मेें अनचि ु त लाभ जैसे वेतनवृद्धि, पदोन््नति आदि देने की यौन उत््पपीड़न पर विचार नहीीं करता है।
पेशकश करना या ऐसा दर््शशाना।
z निगरानी का अभाव: इसके कार््ययान््वयन की निगरानी के लिए उचित तंत्र
z यौन प्रस््तताव से इनकार करने पर रोजगार मेें हानिकारक व््यवहार की धमकी देना।
सनिश्
ु चित करने हेतु कोई प्राधिकारी नहीीं है।
z वर््तमान या भविष््य की रोजगार स््थथिति से संबंधित धमकी या दबाव।
z काम मेें हस््तक्षेप करना या शत्रुतापर््णू , डराने वाला या आक्रामक कार््य वातावरण z संगठित और असंगठित दोनोों क्षेत्ररों मेें कार््य करने वाले अधिकांश कर््मचारियोों
बनाना। मेें जागरूकता की कमी है।
z अपमानजनक व््यवहार जिससे महिला के स््ववास््थ््य या सरु क्षा पर असर पड़ने z अन््य: कंपनियोों का गैर-अनपु ालन, आतं रिक शिकायत समिति की विशेषज्ञता
की संभावना हो। का अभाव, महिला शिकायतकर््तताओ ं का उत््पपीड़न आदि।

32  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


अनफे स प्रैक््टटिस दर््ज के सोों
पिछले 5 वर्षषों मेें यौन उत््पपीड़न की
वर््ष लंबित PoSH शिकायतोों की संख््यया मेें 75% की
मामलोों की संख््यया की संख््यया
वृद्धि।
वित्त वर््ष 2016 798 54
वित्त वर््ष 2017 980 102 लंबित मामलोों के समाधान की
वित्त वर््ष 2018 1120 103
1448 180
संख््यया मेें 275% की वृद्धि।
वित्त वर््ष 2019
वित्त वर््ष 2020 1400 202 वित्त वर््ष 2016 से आज तक
207 कं पनियोों (43.5%) को यौन
उत््पपीड़न की कोई शिकायत नहीीं
मिली है।
कार््यस््थल पर यौन उत््पपीड़न पर सुप्रीम कोर््ट का हालिया फैसला

आगे की राह महिला आरक्षण अधिनियम, 2023


z आचार सहं िता को सदृु ढ़ बनाएँ: कर््मचारी आचार संहिता मेें यौन उत््पपीड़न नारी शक्ति वंदन अधिनियम या महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 हाल ही मेें
को स््पष्ट रूप से परिभाषित करेें, शन्ू ्य सहनशीलता की नीति लागू करेें तथा संसद द्वारा पारित किया गया। महिला आरक्षण अधिनियम का उद्देश््य संसद और
इस नीति को व््ययापक रूप से प्रचारित करेें, जैसे कि ‘बोलेें, आगे आएँ, यौन राज््य विधानसभाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए एक-तिहाई सीटेें आरक्षित करना है।
उत््पपीड़न रोकेें ’ के माध््यम से।
नए कानून की मुख्य विशेषताएँ
z अनिवार््य आंतरिक शिकायत समितियाँ (ICCs): सभी सग ं ठनोों को
z 33% आरक्षण: काननू मेें लोकसभा, राज््य विधानसभाओ ं और दिल््लली
गोपनीय जाँच के लिए प्रशिक्षित, निष््पक्ष ICCs की स््थथापना करने की
विधानसभा मेें महिलाओ ं के लिए 33% आरक्षण अनिवार््य किया गया है।
आवश््यकता होती है, चाहे उनका आकार या क्षेत्र कुछ भी हो।
यह आरक्षण अनसु चि ू त जातियोों और अनसु चिू त जनजातियोों के लिए आरक्षित
z शिकायत निवारण प्रक्रिया को कारगर बनाना
सीटोों पर भी लागू होता है।
 शिकायतोों का शीघ्र निपटान: अत ं रराष्ट्रीय श्रम सगं ठन द्वारा अनश ु सि
ं त z सवं ैधानिक सश ं ोधन: दो नए अनच्ु ्छछे द 330A (लोकसभा मेें आरक्षण)
समयबद्ध एवं कुशल शिकायत निवारण तंत्र को लागू करना। और 332A (राज््य विधानसभाओ ं मेें आरक्षण) क्रमशः लोकसभा और
न््ययायोचित एवं निष््पक्ष जाँच: सनिश् ु चित करेें कि जाँच निष््पक्ष हो और के वल साक्षष्य विधानसभाओ ं के लिए परिवर््तनोों को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान मेें
पर आधारित हो तथा महिलाओ ं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन््ममूलन शामिल किए जाएगं े।
पर सम््ममेलन की सिफारिशोों का पालन किया जाए। z कार््ययान््वयन समयरेखा: आरक्षण अगली जनगणना और उसके बाद होने
z जागरूकता और ज्ञान का निर््ममाण:
वाले परिसीमन के बाद लागू होगा। यह 15 वर््ष तक लागू रहेगा जब तक कि
 व््ययापक प्रशिक्षण: सभी कर््मचारियोों को यौन उत््पपीड़न की रोकथाम, ससं द द्वारा इसे आगे नहीीं बढ़़ाया जाता।
जिसमेें प्रत््यक्षदर््शशियोों के हस््तक्षेप और रिपोर््टििंग प्रक्रियाएँ शामिल हैैं, पर z सीट चक्रण: प्रत््ययेक परिसीमन के बाद आरक्षित सीटोों को चक्रित किया
नियमित रूप से प्रशिक्षण देें। जाएगा, जिससे समय के साथ व््ययापक प्रतिनिधित््व सनिश्
ु चित होगा।
 विशिष्ट भूमिकाओ ं के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण: शिकायतोों से
महिला आरक्षण अधिनियम के लाभ
निपटने के लिए प्रबंधकोों और मानव संसाधन कर््ममियोों के लिए विशेष
z राजनीतिक सशक्तीकरण और लैैंगिक समानता: यह अधिनियम विधायी
प्रशिक्षण प्रदान करेें, जैसे कि ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग द्वारा
निकायोों मेें महिलाओ ं के स््पष्ट रूप से कम प्रतिनिधित््व (वर््तमान मेें ससं द मेें
दिया जाने वाला प्रशिक्षण।
14.3%) से निपटने के लिए एक महत्तत्वपर््णू उपकरण के रूप मेें कार््य करता
z कानूनी ढाँचे को सदृ ु ढ़ करना: है। उनकी उपस््थथिति बढ़़ाने से लैैंगिक समानता को बढ़़ावा मिलता है तथा
 POSH अधिनियम के दायरे का विस््ततार: POSH अधिनियम मेें
महिलाओ ं को उनके और समाज के लिए महत्तत्वपर््णू मद्ददों ु पर अपनी आवाज
सश ं ोधन की वकालत करना ताकि इसे लिंग-तटस््थ और समावेशी बनाया उठाने का अधिकार मिलता है।
जा सके तथा लिंग अभिव््यक्ति की परवाह किए बिना सभी को संरक्षण z सामाजिक विकास के लिए नेतृत््व: वर््ष 2001 के पश्चिम बंगाल विश्ले षण
प्रदान किया जा सके । जैसे अध््ययनोों से पता चलता है कि महिला नेता ग्रामीण महिलाओ ं को सीधे
 वस््ततुनिष्ठ परिभाषाएँ और दड ं : अपराधोों की गंभीरता के आधार पर प्रभावित करने वाले सामाजिक बनिय ु ादी ढाँचे (जैसे पानी, ईधन ं तक पहुचँ )
अपराधियोों के लिए स््पष्ट दडं निर््धधारित करेें ताकि निरंतरता सनिश् ु चित हो को प्राथमिकता देती हैैं। नीतिगत फोकस मेें यह बदलाव महत्तत्वपर््णू सामाजिक
और अपराधोों की पनु रावृत्ति को रोका जा सके । जरूरतोों को संबोधित करने की अपार संभावनाएँ रखता है।

महिलाएँ 33
z प्रतिनिधित््व और लोकतांत्रिक मूल््योों का विस््ततार: अल््पसंख््यक समदु ायोों
की महिलाओ ं को नामांकित करने का अधिनियम का प्रावधान विधायिकाओ ं मेें योजनाओं के परिणाम
उनके ऐतिहासिक अल््प प्रतिनिधित््व की समस््यया को दरू करता है तथा विविध व््ययापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (2016-18) से पता चला है कि वर््ष 2015-16 मेें
आवाजोों की पहुचँ को सनिश्
ु चित करके लोकतांत्रिक मल्ू ्योों को मजबतू करता है। राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण मेें उल््ललेखित आयु के अनुपात मेें कम कद
38.4 प्रतिशत से घटकर 34.7 प्रतिशत हो गई है। इसी अवधि के दौरान कद
z समीकरण को सतं ुलित करना: दोहरे सदस््य वाले निर््ववाचन क्षेत्ररों को लागू के अनुपात मेें कम वजन 21 प्रतिशत से घटकर 17.3 प्रतिशत और आयु
करने से लोकतांत्रिक सिद््धाांतोों को कमजोर किए बिना मतदाताओ ं की पसदं के अनुपात मेें कम वजन 35.7 प्रतिशत से घटकर 33.4 प्रतिशत हो गई।
की स््वतंत्रता बनी रहती है, क््योोंकि घटते लोकतांत्रिक अधिकारोों के बारे मेें
सफलता की कहानियोों को उजागर करना: अन््य देशोों मेें आरक्षित सीटोों के
चितं ाओ ं का अनभु वजन््य समर््थन नहीीं है। आरक्षण परुु ष उम््ममीदवारोों के साथ माध््यम से चनु ी गई महिलाओ ं की उपलब््धधियोों को प्रदर््शशित करेें ताकि योग््यता-
भेदभाव नहीीं करता है, बल््ककि निष््पक्षता और संतलिु त प्रतिनिधित््व के लिए आधारित तर्ककों का मक ु ाबला किया जा सके ।
प्रयास करता है।
महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएँ /कार््यक्र म
कानून से संबंधित मुद्दे
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
z प्रॉक््ससी भय: परुु ष समकक्षषों के लिए महिलाओ ं के मात्र ‘प्रॉक््ससी’ बनने के
z इस योजना को वर््ष 2016 मेें लॉन््च किया गया था। गरीबी रेखा से नीचे
बारे मेें आशक ं ा बनी रहती है। भले ही परिवारोों के भीतर शक्ति गतिशीलता को (बीपीएल) के परिवारोों की महिलाओ ं को मुफ््त एलपीजी कनेक््शन प्रदान
संबोधित करना महत्तत्वपर््णू है, लेकिन अध््ययनोों से पता चलता है कि महिलाओ ं किया गया ताकि महिलाओ ं और बच््चोों के स््ववास््थ््य की सरु क्षा हो सके ।
का बढ़ता प्रतिनिधित््व महिलाओ ं और बच््चोों के कल््ययाण पर सकारात््मक z सक्रिय घरे लू एलपीजी उपभोक्ताओ ं की संख््यया अप्रैल, 2014 मेें 14.52 करोड़
प्रभाव डालता है। से बढ़कर मार््च, 2023 तक 31.36 करोड़ हो गई है।
z कार््ययान््वयन मेें बाधाएँ: अधिनियम को परिसीमन से जोड़ने से इसके योजना का प्रदर््शन
अधिनियमन मेें विलंब होता है। इन प्रक्रियाओ ं को अलग करना या वैकल््पपिक z गरीब महिलाओ ं के परिवारोों को 8 करोड़ मुफ््त एलपीजी कनेक््शन
समय सीमाएँ तलाशना महत्तत्वपर््णू हो सकता है। प्रदान किए गए। के वल चार वर्षषों (2016-20) मेें घरे लू एलपीजी कवरे ज वर््ष
z प्रतिनिधित््व का विस््ततार: ओबीसी महिलाओ ं को कोटे मेें शामिल करने की 2014-15 मेें 56% से बढ़कर 98% हो गया।
माँग अतं र्संबंध की आवश््यकता को उजागर करती है। इस पर ध््ययान देने के लिए z इस योजना के कारण वर््ष 2014 की तल ु ना मेें वर््ष 2019 मेें एलपीजी की
खपत मेें 56% की वृद्धि हुई।
समावेशिता सनिश् ु चित करने हेतु सावधानीपर््वू क समायोजन की आवश््यकता है।
z उज््ज््वला से पहले, घरे लू और परिवेशी वायु प्रदषू ण के कारण वैश्विक रुग््णता
z आवंटन दुविधाएँ: आरक्षित सीटोों की पहचान कै से की जाएगी, इस पर स््पष्टता मेें भारत दसू रा सबसे बड़़ा योगदानकर््तता था।
बहुत जरूरी है। पारदर्शी दिशा-निर्देश स््थथापित करना और क्षेत्रीय गतिशीलता
पर विचार करना आवश््यक है। पंचायती राज संस्थाओ ं मेें महिलाएँ
भारत के स््थथानीय शासन मेें 14.5 लाख महिलाएँ नेतत्ृ ्वकारी पदोों पर हैैं।
z आरक्षित सीटोों से परे: योग््यता पर बहस प्रायः स््थथायी पर््ववाग्रहो
ू ों से उपजी है।
उन््होोंने कोविड-19 के विरुद्ध लड़़ाई मेें महत्तत्वपूर््ण भमि
ू का निभाई है।
अध््ययनोों से पता चलता है कि आरक्षण से शासन की गणु वत्ता कम नहीीं होती कोविड-19 रोगियोों के लिए राशन, आइसोलेशन या अस््पताल मेें बेडोों की
है और आरक्षित सीटेें, अनदेखी की गई महिलाओ ं को अवसर प्रदान करती हैैं। व््यवस््थथा करना, गर््भवती महिलाओ ं के लिए तत््ककाल चिकित््ससा सहायता ने
z कोटा से अधिक: हालाँकि, यह अधिनियम एक पहलू से निपटता है, फिर भी भी उनका ध््ययान आकर््षषित किया।
राजनीति के अपराधीकरण और काले धन के प्रभाव से निपटने सहित व््ययापक इस वास््तविकता और महिला नेताओ ं के कार््य की मान््यता मेें 8 मार््च, 2021
चनु ावी सधु ार, समग्र समाधान के लिए महत्तत्वपर््णू बने हुए हैैं। को वैश्विक स््तर पर अतं रराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, जिसकी थीम थी-
“नेतृत््व मेें महिलाएँ: COVID-19 दुनिया मेें समान भविष््य प्राप्त करना।”
आगे की राह
महिलाओ ं पर प्रभाव
z समावेशी राजनीतिक स््थथानोों को बढ़़ावा देना: राजनीतिक दलोों को इससे देश मेें रसोई गैस की सार््वभौमिक पहुचँ सनिश्
z ु चित होगी। यह उपाय
आतं रिक सधु ार अपनाने के लिए प्रोत््ससाहित करना और महिला नेतत्ृ ्व और महिलाओ ं को सशक्त बनाएगा और उनके स््ववास््थ््य की रक्षा करे गा।
मार््गदर््शन कार््यक्रमोों को बढ़़ावा देना, जिससे वे स््वतंत्र रूप से कार््य करने मेें z इससे भोजन पकाने मेें लगने वाला समय और मेहनत कम हो जाएगी।
सक्षम हो सके ।
चिंताएँ
z सीट चक्रण के विकल््पोों पर विचार करना: लॉटरी-आधारित आवटं न या
z उज््ज््वला लाभार्थी सिलेेंडर रिफिल की उच््च लागत के कारण अस््वच््छ खाना
भौगोलिक रूप से स््थथिर आरक्षित सीटोों जैसे वैकल््पपिक मॉडलोों का मल्ू ्ययाांकन करेें पकाने के ईधन ं पर लौट आते हैैं।
ताकि पनु र््ननिर््ववाचन की सभं ावनाओ ं के बारे मेें चितं ाओ ं को दरू किया जा सके । z 98% एलपीजी कवरे ज के बावजदू स््वच््छ खाना पकाने वाले ईधन ं के समग्र
z योग््यता आधारित चयन प्रक्रिया को बढ़़ावा देना: राजनीतिक दलोों को उपयोग मेें के वल 20% की वृद्धि हुई है।
लैैंगिक भेदभाव के बिना उम््ममीदवार चयन प्रक्रियाओ ं को अपनाने के लिए z विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन का अनुमान है कि अके ले भारत मेें ही भोजन
प्रोत््ससाहित करेें ताकि पर््ववाग्रहो
ू ों को कम किया जा सके और योग््यता पर ध््ययान पकाने वाले अशुद्ध ईधन ं के कारण लगभग 5 लाख मौतेें होती हैैं। इनमेें
केें द्रित किया जा सके । से अधिकांश अकाल मौतेें गैर-संचारी रोगोों के कारण होती हैैं।

34  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


स्वास्थ्य/ पोषण/ प्रसूति हेतु योजनाएँ z निर््भया फंड- भारत मेें महिलाओ ं की गरिमा की रक्षा और सरु क्षा सनिश्
ु चित
करने की दिशा मेें पहल का समर््थन करने के लिए स््थथापित किया गया। इस
z सिकल सेल एनीमिया उन््ममूलन मिशन: वर््ष 2047 तक सिकल सेल फंड का प्रबंधन वित्त मत्रा
ं लय द्वारा किया जाता है।
एनीमिया को समाप्त करने के लिए मिशन शरू ु किया जाएगा। (केें द्रीय बजट
2023-24)
निर््भया फंड
z राष्ट्रीय पोषण कार््यक्रम (पोषण अभियान): इस कार््यक्रम का लक्षष्य
z शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल सबं ंधी स््थथायी समिति ने अपनी
बौनापन, अल््पपोषण, एनीमिया और कम वजन वाले शिशओ ु ं के जन््म के
316वीीं रिपोर््ट मेें निर््भया फंड के कम उपयोग पर चितं ा जताई और
स््तर को कम करना है।
अनरु ोध किया कि सरकार राज््योों के साथ मिलकर इसके द्वारा वित्तपोषित
z मातृ एवं शिशु ट्रैकिंग प्रणाली, 2009: स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली की परियोजनाओ ं और कार््यक्रमोों के क्रियान््वयन मेें तेजी लाए।
निगरानी करना ताकि यह सनिश् ु चित किया जा सके कि सभी माताओ ं और  भारत सरकार ने वर््ष 2013 के केें द्रीय बजट मेें 10 बिलियन का
उनके बच््चोों को गर््भभावस््थथा देखभाल, प्रसव के दौरान चिकित््ससा देखभाल और कोष घोषित किया था।
टीकाकरण सहित विभिन््न सेवाओ ं तक पहुचँ हो।
 इस कोष का उद्देश््य भारत मेें महिलाओ ं की सरु क्षा और सम््ममान
z इदिं रा गांधी मातृत््व सहयोग योजना: 19 वर््ष या उससे अधिक आयु की की रक्षा करने वाले कार््यक्रमोों को सहायता प्रदान करना है।
गर््भवती और स््तनपान कराने वाली महिलाओ ं को उनके पहले दो जीवित
 निर््भया वर््ष 2012 के दिल््लली सामूहिक बलात््ककार की पीड़़िता
शिशओ ु ं के लिए सशर््त मातृत््व लाभ प्रदान करती है।
को दिया गया एक बदला हुआ नाम था।
z समु न (सरु क्षित मातृत््व आश्वासन): इसका उद्देश््य सार््वजनिक स््ववास््थ््य सविध ु ा
 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सहित कई मत्रा ं लयोों ने इस
मेें आने वाली प्रत््ययेक महिला और नवजात शिशु को निःशल्ु ्क सम््ममानजनक
निधि का उपयोग कै से किया जाए, इसका निर््णय लिया।
और गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य सेवा प्रदान करना है। इसके अतं र््गत सभी गर््भवती
 हिस ं ा की शिकार महिलाओ ं की सहायता के लिए वन स््टटॉप सेेंटर
महिलाएँ, नवजात शिशु और प्रसव के 6 महीने तक की माताएँ कई निःशल्ु ्क
की स््थथापना की गई।
स््ववास््थ््य सेवाओ ं का लाभ उठा सकती हैैं।
 वित्त मत्रा
ं लय का आर््थथिक मामलोों का विभाग इस कोष के प्रबंधन
z प्रधानमंत्री सरु क्षित मातृत््व योजना: इसका उद्देश््य प्रसवपर््वू देखभाल
का प्रभारी है।
(Antenatal Care) की गणु वत्ता और कवरे ज मेें सधु ार करना है। प्रजनन,
मातृ, नवजात शिश,ु बाल और किशोर स््ववास््थ््य (RMNCH+A) रणनीति के कार््यबल भागीदारी दर (WFPR) बढ़़ाना
तहत निदान और परामर््श सेवाएँ। पीएमएसएमए के तहत गर््भवती महिलाओ ं
z पुलिस बल मेें आरक्षण: भारत सरकार ने सभी राज््य सरकारोों को पलि ु स मेें
को हर महीने की 9 तारीख को मफ्ु ्त स््ववास््थ््य जाँच और आवश््यक उपचार
किया जाएगा। यह योजना गर््भवती महिलाओ ं के लिए देश भर के सभी सरकारी महिलाओ ं का प्रतिनिधित््व बढ़़ाकर कुल संख््यया का 33% करने का निर्देश
अस््पतालोों मेें लागू होगी। दिया।
z लेबर रूम और गुणवत्ता सध ु ार पहल (लक्षष्य): इस कार््यक्रम से सार््वजनिक z राष्ट्रीय महिला कोष: इसका मख्ु ्य उद्देश््य गरीब महिलाओ ं को विभिन््न
स््ववास््थ््य सस्ं ्थथानोों मेें प्रसव कराने वाली हर गर््भवती महिला और नवजात को आजीविका सहायता और आय सृजन गतिविधियोों के लिए सक्षू ष्म ऋण
लाभ मिलेगा। इससे लेबर रूम, प्रसति ू ऑपरे शन थियेटर और प्रसति ू गहन उपलब््ध कराना है।
चिकित््ससा इकाइयोों (ICUs) और उच््च निर््भरता इकाइयोों (HDUs) मेें गर््भवती z कामकाजी महिला छात्रावास योजना: कामकाजी महिलाओ ं के लिए
महिलाओ ं की देखभाल की गणु वत्ता मेें सधु ार होगा। सरु क्षित और सविध
ु ाजनक स््थथान पर आवास की उपलब््धता को बढ़़ावा देना,
महिला सुरक्षा के लिए योजनाएँ जिसमेें उनके बच््चोों के लिए डे के यर सविध
ु ाएँ भी शामिल होों।
z हेल््पलाइन का सार््वभौमीकरण- हिसं ा से प्रभावित महिलाओ ं को 24 घटं े z डिजिटल लाडो: यह एक राष्टट्रव््ययापी पहल है, जिसमेें हर बेटी को घर से ही
आपातकालीन और गैर-आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए एक काम करने के लिए अपनी प्रतिभा और कौशल विकसित करने के लिए
हेल््पलाइन नंबर (181)। सिखाया और प्रशिक्षित किया जाएगा।
z महिला पुलिस स््वयंसेवक- महिलाओ ं के विरुद्ध हिसं ा की घटनाओ ं
राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए योजनाएँ
जैसे घरे लू हिसं ा, बाल विवाह, दहेज उत््पपीड़न और हिसं ा आदि की सचू ना
प्राधिकारियोों/पलि
ु स को देना। z पंचायतोों की महिला प्रमुखोों के लिए प्रशिक्षण- पंचायतोों की महिला
z राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर््टििंग पोर््ट ल- यह पोर््टल के वल साइबर अपराधोों प्रमखो
ु ों को सशक्त बनाने के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने
से सबं ंधित शिकायतोों पर ध््ययान देता है, जिसमेें महिलाओ ं और बच््चोों के 2 लाख से अधिक महिला पंचायत प्रमुखोों को प्रशिक्षित करने के लिए
खिलाफ साइबर अपराधोों पर विशेष ध््ययान दिया जाता है। एक विशाल कार््यक्रम शरू ु किया है।
z यौन उत््पपीड़न इलेक्ट्रॉनिक-बॉक््स (SHe-Box)- महिलाओ ं द्वारा कार््यस््थल z जेेंडर चैैंपियंस- इसे यवु ा छात्ररों को संवेदनशील बनाने और काननोू ों, विधानोों,
पर यौन उत््पपीड़न से संबंधित शिकायत दर््ज करने के लिए ऑनलाइन शिकायत काननू ी अधिकारोों और जीवन कौशल शिक्षा के बारे मेें जागरूकता पैदा करने
प्रबंधन प्रणाली। के लिए शैक्षिक संस््थथानोों के माध््यम से कार््ययान््ववित किया जा रहा है।

महिलाएँ 35
आर््थथिक सशक्तीकरण के लिए योजनाएँ आपराधिक राष्ट्रीय महिला एकीकृ त बाल राष्ट्रीय
z भारत की महिलाओ ं के लिए प्रदर््शनियाँ/ उत््सव- विशेष रूप से ग्रामीण कानून आयोग संरक्षण योजना साइबर
भारत की महिला उद्यमियोों और किसानोों को अपने उत््पपादोों को प्रदर््शशित करने (संशोधन), (एनसीडब््ल्ययू) अपराध
और बेचने के लिए एक मचं प्रदान करना। अधिनियम, रिपोर््टििंग
z राजीव गांधी किशोरी सशक्तीकरण योजना (सबला): यवु ा महिलाओ ं को 2013 पोर््टल
आत््मनिर््भर बनाने मेें मदद करना, जिसमेें पोषण अनपु रू ण और शिक्षा, स््ववास््थ््य कार््यस््थल पर राष्ट्रीय बाल उज््ज््वला पोषण
शिक्षा और सेवाएँ तथा जीवन कौशल और व््ययावसायिक प्रशिक्षण शामिल है। महिलाओ ं का अधिकार योजना, महिला अभियान
z स््ववाधार गृह (कठिन परिस््थथितियोों मेें महिलाओ ं के लिए योजना): यह यौन उत््पपीड़न संरक्षण आयोग शक्ति केें द्र
योजना कठिन परिस््थथितियोों मेें महिलाओ ं के पनु र््ववास के लिए है। इस योजना (रोकथाम, (एमएसके ),
मेें वे महिलाएँ शामिल हैैं, जो परित््यक्त हैैं और जिन््हेें कोई सामाजिक और
निषेध और निर््भया फंड
आर््थथिक सहायता प्राप्त नहीीं हो रही है तथा जो घरे लू हिसं ा, पारिवारिक तनाव
और प्राकृ तिक आपदाओ ं की शिकार हैैं। निवारण)
अधिनियम,
z उज््ज््वला: तस््करी की रोकथाम तथा तस््करी और वाणिज््ययिक यौन शोषण
के पीड़़ितोों के बचाव, पनु र््ववास और पनु ः एकीकरण के लिए एक व््ययापक 2013
योजना। देश मेें 134 सरु क्षात््मक और पनु र््ववास गृहोों सहित 254 परियोजनाएँ यौन अपराधोों कामकाजी वन स््टटॉप सेेंटर महिलाओ ं के
हैैं। लाभार््थथियोों की संख््यया 5,291 (2019) है। से बच््चोों महिलाओ ं के योजना, स््ववाधार लिए प्रशिक्षण
z वन स््टटॉप सेेंटर (सखी): हिसं ा पीड़़ित महिला इन केें द्ररों पर चिकित््ससा, पलि
ु स, का संरक्षण लिए छात्रावास, गृह और रोजगार
काननू ी और मनोवैज्ञानिक परामर््श सहायता प्राप्त कर सकती है। अधिनियम, हेल््पलाइन का कार््यक्रम को
z अनैतिक तस््करी (रोकथाम) अधिनियम, 1956: वाणिज््ययिक यौन शोषण 2012 सार््वभौमीकरण समर््थन
और अधिनियम के तहत पंजीकृ त वेश््ययावृत्ति से संबंधित सभी मामलोों पर
प्रतिबंध लगाता है। जेेंडर बजटिंग
विवाह संबंधी योजनाएँ जेेंडर बजटिंग एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसका उद्देश््य विकास मेें जेें डर
z धनलक्ष्मी योजना- इसका उद्देश््य माता-पिता को आकर््षक बीमा कवर को मुख््यधारा मेें लाना तथा पुरुषोों और महिलाओ ं के बीच लाभोों
प्रदान करके बाल विवाह को समाप्त करना तथा माता-पिता को अपने बच््चोों का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
को शिक्षित करने के लिए प्रोत््ससाहित करना तथा बालिकाओ ं के लिए कुछ भारत सरकार प्रतिवर््ष जेेंडर बजट स््टटेटमेेंट प्रकाशित करती है, जो बजट की
चिकित््ससा व््यय को कवर करना है। लैैंगिक दृष्टि से जाँच करती है तथा महिलाओ ं के लिए आवंटन के बारे मेें
z एनआरआई वैवाहिक विवाद- महिला एवं बाल विकास मत्रा ं लय ने एनआरआई जानकारी प्रदान करती है।
वैवाहिक विवादोों मेें शामिल महिलाओ ं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएँ 2023-24 का केें द्रीय बजट, जेेंडर बजटिंग मेें कुछ उल््ललेखनीय रुझान
तैयार की हैैं। ये मानक संचालन प्रक्रियाएँ महिलाओ ं के लिए न््ययाय तक त््वरित दर््शशाता है:
पहुचँ की सविध ु ा के लिए अपनाए जाने वाले चरणबद्ध काननू ी उपायोों का जेेंडर बजटिंग मेें पिछले वर््ष की तुलना मेें 23% की वृद्धि हुई, जो बढ़कर
वर््णन करते हैैं। 2,23,219.75 करोड़ हो गया। यह कुल बजट का 4.9% रहा, जो
महिलाओ ं के लिए स््थथायी कमीशन के विषय मेें सप्री
ु म कोर््ट का फै सला पिछले वर््ष 4.23% था।
(2020) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए आवंटन मेें 1.08% की वृद्धि
भारतीय सेना मेें महिला अधिकारियोों को परुु ष अधिकारियोों के बराबर की गई।
कमांड पद मिल सकते हैैं। इसके खिलाफ सरकार के तर््क भेदभावपूर््ण, लगभग 90% जेें डर बजट ग्रामीण विकास; महिला एवं बाल विकास;
परे शान करने वाले और रूढ़़िवादिता पर आधारित थे। न््ययायालय ने यह भी कृषि, स््ववास््थ््य एवं परिवार कल््ययाण तथा शिक्षा पर केें द्रित है।
कहा कि सभी महिला अधिकारियोों को उनकी सेवा के वर्षषों की परवाह किए महत्तत्वपूर््ण क्षेत्र जैसे कि परिवहन, जल संग्रहण और सुरक्षा जै से महत्तत्वपूर््ण
बिना स््थथायी कमीशन उपलब््ध कराया जाना चाहिए। क्षेत्ररों पर जेें डर बजट मेें सीमित ध््ययान दिया गया।
महिला सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति के बजट मेें 1.2% की कमी देखी गई।
महिला सशक्तीकरण के लिए भारत के उपाय
विधायी संस््थथाएँ योजनाएँ/ अन््य उपाय पाम राजपूत समिति
हस््तक्षेप कार््यक्रम इसकी स््थथापना वर््ष 2012 मेें भारत मेें महिलाओ ं की स््थथिति मेें सुधार हेतु
बाल विवाह नोडल मंत्रालय बेटी बचाओ, जेेंडर बजट अध््ययन करने और सिफारिशेें करने के लिए की गई थी।
निषेध के तौर पर बेटी पढ़़ाओ मुख्य अनुशंसाएँ
अधिनियम, महिला एवं z सभी निर््णय लेने वाली सस्ं ्थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण।
2006 बाल विकास z महिला सशक्तीकरण सबं ंधी सस ं दीय समिति को सभी प्रस््ततावित कानूनोों
मंत्रालय। के लैैंगिक निहितार्थथों की जाँच करनी चाहिए।

36  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z राष्ट्रीय महिला आयोग को हितधारकोों को पर््णू लाभ सनिश् ु चित करने के लिए भारत मेें यौन कार्ययों की वैधता
नीतियोों, काननोू ों, कार््यक्रमोों और बजट का अध््ययन, सिफारिश और प्रभाव
डालने के सक्रिय सहायता प्राप्त जनादेश को परू ा करने के लिए ‘प्रतिक्रियात््मक चे तावनियोों के साथ वैधता: एक व््ययापक प्रतिबंध के विपरीत भारत का
हस््तक्षेप’ से आगे जाना होगा। कानूनी ढाँचा सीधे तौर पर यौन कार्ययों को गैर-कानूनी नहीीं बनाता है। 1986
ई. का अनैतिक व््ययापार (रोकथाम) अधिनियम इस बिंदु को स््पष्ट करता है।
z देश मेें मस््ललि
ु म महिलाओ ं की स््थथिति का अध््ययन करने के लिए एक अलग
पैनल नियक्त ु करने का सझु ाव दिया गया। किसके लिए वैध ?
z अलगाव या तलाक की स््थथिति मेें पत््ननी और बच््चोों को भरण-पोषण का किन परिस््थथितियोों मेें यौन कार््य वैध हो सकता है?
अनिवार््य भुगतान। z स््वतंत्र: इसे स््वतंत्र रूप से किया जाना चाहिए अर््थथात इसमेें दलाली या

z ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर हत््ययाओ ं से लड़ने के लिए अलग कानून बनाया वेश््ययालय प्रबंधन जैसे किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीीं होनी चाहिए।
जाए तथा मस््ललि ु म और ईसाई धर्ममों के परिवारिक काननोू ों मेें बदलाव किया z स््थथान का महत्तत्व: यह अधिनियम सार््वजनिक स््थथानोों के 200 मीटर के

जाए, क््योोंकि वे महिलाओ ं के खिलाफ हैैं। भीतर यौन कार््य पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे यह प्रभावी रूप से पृथक क्षेत्ररों
 मौखिक, एकतरफा, तीन तलाक (तलाक) और बहुविवाह की प्रथा पर
की ओर बढ़ रहा है तथा सरु क्षा और दृश््यता के बारे मेें चितं ाएँ बढ़ रही हैैं।
पर््णू प्रतिबंध। z सहमति महत्तत्वपूर््ण है: मौलिक आवश््यकता सहमति है- किसी का भी शोषण

z आपराधिक न््ययाय प्रणाली मेें सधु ार करना, उसे मजबरू करना या यौन कार््य के लिए प्रेरित करना परू ी तरह से अवैध है।
z अस््पष्टता और चुनौतियाँ: इस अधिनियम मेें ‘स््वतंत्र यौनकर्मी’ की सरु क्षा
 महिलाओ ं के लिए न््ययाय सनिश् ु चित करने के लिए आपराधिक न््ययाय प्रणाली
मेें व््ययापक बदलाव। और सामाजिक सरु क्षा से संबंधित मद्ददों ु पर ध््ययान नहीीं दिया गया है।
z लाभ साझा करना: यह कानन ू किसी भी ऐसे व््यक्ति को दडिं त करता है जो
 अधिक लिंग संवेदनशील प्रवर््तन तंत्र।
“परू ी तरह या आशं िक रूप से किसी अन््य व््यक्ति की वेश््ययावृत्ति की कमाई
 विभिन््न काननो ू ों और उनके परस््पर संबंध के बारे मेें अधिक जागरूकता।
पर निर््भर रहता है”, जिससे यौन कार््य से होने वाले व््यक्तिगत लाभ के बारे मेें
 महिलाओ ं के अधिकारोों की सरु क्षा हेतु जवाबदेही।
अस््पष्टता पैदा होती है।
समाचार मेें रहे प्रमुख मुद्दे z प्रवर््तन मेें असगं तता: अधिनियम का कार््ययान््वयन विभिन््न क्षेत्ररों मेें बहुत भिन््न
होता है, जिसके कारण प्रायः यौनकर््ममियोों का उत््पपीड़न और शोषण होता है।
भारत मेें सेक्स वर््कर््स के अधिकार
वे देश जहााँ वेश्यावृत्ति को वैधानिक मान्यता प्राप्त है
z हाल ही मेें, सर्वोच््च न््ययायालय ने सेक््स वर््क को एक पेशे के रूप मेें मान््यता
दी तथा संविधान के अनच्ु ्छछे द 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियोों का प्रयोग हालाँकि, दनिय ु ा भर मेें वेश््ययावृत्ति की वैधता मेें काफी भिन््नता है फिर भी कई
करते हुए इस बात की पष्ु टि की कि सेक््स वर््क र, काननू के तहत सम््ममान और देशोों ने इस पेशे को औपचारिक रूप देकर एक विशेष रुख अपनाया है:
z जर््मनी: 1927 ई.मेें वैधानिक मान््यता की शरु ु आत करने वाला जर््मनी अपने
समान सरु क्षा के हकदार हैैं।
राज््य-विनियमित वेश््ययालयोों के लिए जाना जाता है। सेक््स वर््क र स््ववास््थ््य बीमा
सुप्रीम कोर््ट के दिशा-निर्देश और पेेंशन जैसे सामाजिक लाभोों का आनंद लेते हैैं और करोों का भगु तान करते
z हस््तक्षेप न करना: पलि ु स को निर्देश दिया गया है कि वह वयस््क, सहमति से हैैं, जो उद्योग मेें असामान््य स््तर की सरु क्षा प्रदान करता है।
काम करने वाले यौनकर््ममियोों के विरुद्ध हस््तक्षेप या आपराधिक कार््रवाई न करे । z न््ययूजीलैैं ड: वर््ष 2003 मेें इसी तरह का कदम उठाते हुए न््ययूजीलैैंड मेें भी

z उत््पपीड़न से बचाव: वेश््ययालय पर छापे के दौरान यौनकर््ममियोों को गिरफ््ततारी, लाइसेेंस प्राप्त वेश््ययालयोों के साथ सार््वजनिक स््ववास््थ््य और रोजगार नियमोों
दडं , उत््पपीड़न या शोषण का सामना नहीीं करना चाहिए, स््ववैच््छछिक यौन कार््य का पालन करते हुए एक समान मॉडल के तहत कार््य किया जाता है। इस
की वैधता बनाम वेश््ययालय संचालन की अवैधता को मान््यता दी जानी चाहिए। प्रणाली का उद्देश््य श्रमिकोों के अधिकारोों की रक्षा करना और काम करने की
z सवं ैधानिक मान््यता: सभी व््यक्तियोों के लिए सविध ं ान के अनच्ु ्छछे द 21 के स््थथितियोों मेें सधु ार करना है।
तहत सम््ममानजनक जीवन के अधिकार की पष्ु टि। z वेश््ययालयोों से परे : ब्राजील और कोलंबिया जैसे अन््य देश एक अलग दृष्टिकोण

z पारिवारिक अखंडता: यौनकर््ममियोों के बच््चोों को के वल इसलिए उनकी अपनाते हैैं। हालाँकि, यौन कार््य अपने आप मेें वैध है, लेकिन दलाली जैसी
माताओ ं से अलग नहीीं किया जाना चाहिए, क््योोंकि उनकी माताएँ यौन व््ययापार गतिविधियाँ पूर््णतः वर््जजित हैैं। यह सक्षू ष्म दृष्टिकोण मद्ु दे की जटिलता को
मेें संलिप्त हैैं। स््ववीकार करता है और शोषण से जड़ु ़ी चितं ाओ ं को दरू करने का प्रयास करता है।
z तस््करी की धारणा: जब नाबालिग वेश््ययालयोों या यौनकर््ममियोों के साथ पाए भारत मेें यौनकर््ममियोों के सामने आने वाली समस्याएँ
जाते हैैं, तो तस््करी की धारणा नहीीं होनी चाहिए। z हिंसा: विश्व स््ववास््थ््य संगठन के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 70% यौनकर््ममियोों
z समान व््यवहार: पलि ु स को निर्देश दिया गया कि वे आपराधिक शिकायत को पलि ु स द्वारा हमले का सामना करना पड़ता है।
दर््ज कराने वाली यौनकर््ममियोों (विशेषकर यौन अपराधोों के संबंध मेें) के साथ z स््ववास््थ््य जोखिम: पर््ययाप्त स््ववास््थ््य सेवा सहायता के अभाव मेें उन््हेें एचआईवी
भेदभाव न करेें। (HIV) और गर््भभाशय ग्रीवा के कैैं सर जैसे यौन संचारित रोगोों (STD) के
z पहचान सरु क्षा: मीडिया को निर्देश दिया गया है कि वे गिरफ््ततारी, छापेमारी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स््ववास््थ््य संगठन द्वारा वर््ष 2018 मेें
और बचाव कार्ययों के दौरान यौनकर््ममियोों की पहचान सरु क्षित रखेें तथा उनकी किए गए एक अध््ययन मेें पाया गया कि भारत मेें यौनकर््ममियोों मेें एचआईवी
पहचान वाली तस््ववीरोों के प्रकाशन या प्रसारण से बचेें। का प्रसार अतं रराष्ट्रीय औसत से 10 गनु ा अधिक है।

महिलाएँ 37
आगे की राह z लैैंगिक असमानताएँ: अन््य क्षेत्ररों मेें परुु षोों की तल
ु ना मेें महिलाओ ं को प्रायः
देखभाल अर््थव््यवस््थथा मेें कम वेतन, कम लाभ और अनिश्चित कार््य स््थथितियोों
z हिंसा का मुकाबला: न््ययायमर््तति ू वर््ममा समिति की वर््ष 2016 की रिपोर््ट मेें का सामना करना पड़ता है।
यौनकर््ममियोों की शिकायतोों को निपटाने और संवेदनशील जाँच सनिश् ु चित करने
z वैश्विक अंतर्संबंध: वैश्विक देखभाल ृंखलाएँ, जहाँ विकासशील देशोों से
के लिए पलि ु स बलोों के भीतर समर््पपित इकाइयोों की सिफारिश की गई है।
देखभाल कर्मी विकसित देशोों मेें देखभाल प्रदान करने के लिए आते हैैं, नैतिक
z स््ववास््थ््य सेवा तक पहुच ँ : व््ययापक स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक पहुचँ सनिश्
ु चित
और नीतिगत चनु ौतियाँ उत््पन््न करती हैैं।
करना, जिसमेें नियमित जाँच और यौन संचारित रोगोों और गर््भभाशय ग्रीवा के
कैैं सर के लिए निवारक उपाय शामिल हैैं, अत््ययंत महत्तत्वपर््णू है। इसके अतिरिक्त, महिलाओ ं पर प्रभाव
वेश््ययालयोों और संबंधित अन््य जगहोों मेें सांस््ककृतिक रूप से संवेदनशील सेवाएँ z समय की कमी: वैतनिक कार््य का प्रबंध, घर के कार््य और बच््चोों की देखभाल
प्रदान करने से स््ववास््थ््य सेवा तक पहुचँ ने मेें आने वाली बाधाओ ं को दरू किया के बीच तालमेल बैठाने से महिलाओ ं के पास स््वयं के लिए सीमित समय
जा सकता है। बचता है। वर््ष 2022 की ऑक््सफै म रिपोर््ट से पता चला है कि भारत मेें
z कलंक-मुक्ति: भारत के 22वेें विधि आयोग की रिपोर््ट (2018) मेें अनचि ु त महिलाएँ प्रतिदिन 15.8 घंटे अवैतनिक देखभाल कार्ययों मेें बिताती हैैं जबकि
धारणाओ ं और भेदभावपर््णू प्रथाओ ं से निपटने के लिए काननू प्रवर््तन और परुु षोों के लिए यह अवधि मात्र 5.3 घटं े है। इस ‘समय की कमी’ के कारण
सेवा प्रदाताओ ं के लिए तस््करी-विरोधी प्रशिक्षण कार््यक्रमोों मेें यौन कार््य को नीींद की कमी, सामाजिक अलगाव आदि होता है।
शामिल करने की सिफारिश की गई है।
z अवसर लागत- शिक्षा और कौशल विकास: एक आर््थथिक सहयोग और विकास
दे खभाल अर््थव्यवस्था (CARE ECONOMY) संगठन (OECD) रिपोर््ट से पता चलता है कि भारतीय महिलाएँ प्रतिदिन
देखभाल अर््थव््यवस््थथा को प्रायः गलत समझा जाता है। सामान््यतः इसे घरे लू लगभग 5.6 घटं े अवैतनिक देखभाल कार्ययों पर व््यतीत करती हैैं जबकि परुु ष
कार््य के साथ जोड़ दिया जाता है या औपचारिक आर््थथिक चर््चचा के साथ संबद्ध इसी कार््य मेें के वल 52 मिनट व््यतीत करते हैैं।
कर दिया जाता है। वास््तव मेें, यह मानव कल््ययाण और आर््थथिक गतिविधि के z कार््यस््थल पर भेदभाव-‘माँ दडं ’: माताओ ं को प्रायः भर्ती मेें पक्षपात,
बहुत व््ययापक और महत्तत्वपूर््ण पहलू को शामिल करता है। कम वेतन और सीमित पदोन््नति का सामना करना पड़ता है, क््योोंकि उन््हेें
घरेलू कर््तव्ययों से कहीीं अधिक प्रतिबद्धता या लचीलेपन की कमी के रूप मेें देखा जाता है।
z रूढ़़ियोों से परे: हालाँकि, घरे लू काम देखभाल अर््थव््यवस््थथा का एक महत्तत्वपर््णू z अल््प रोजगार और अलगाव: महिलाएँ कठिन देखभाल कार््यक्रमोों को परू ा
हिस््ससा है, लेकिन सीमित रूढ़़िवादिता से आगे जाना आवश््यक है। देखभाल करने के लिए अपने कौशल स््तर से नीचे की नौकरियोों का चयन कर सकती
अर््थव््यवस््थथा मेें शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवा, सामाजिक कार््य, बाल देखभाल, वृद्ध हैैं, जिससे कुछ क्षेत्ररों मेें लैैंगिक अलगाव कायम रहता है।
देखभाल और सामदु ायिक सेवाओ ं जैसे महत्तत्वपर््णू क्षेत्र भी शामिल हैैं। z घर मेें लैैंगिक असमानता- असमान घरेलू बोझ: यह परिवारोों मेें पारंपरिक
z विविध आवश््यकताओ ं को पूरा करना: ये गतिविधियाँ आजीवन व््यक्तियोों लैैंगिक भमि ू काओ ं को सदृु ढ़ करता है, जिससे महिलाओ ं की निर््णय लेने की
की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात््मक आवश््यकताओ ं को परू ा करती शक्ति और स््ववायत्तता मेें बाधा उत््पन््न होती है।
हैैं, बच््चोों और यवु ा वयस््कोों से लेकर बजु र्गु गों एवं दिव््ययाांग व््यक्तियोों तक सभी z बढ़ती असरु क्षा: देखभाल संबंधी कार्ययों के बोझ तले दबी महिलाएँ सीमित
को समाहित करती हैैं। संसाधनोों और सामाजिक सरु क्षा के कारण प्रायः जलवायु संबंधी परिवर््तनोों
एक छिपी हुई आर््थथिक महाशक्ति और आर््थथिक मदं ी के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैैं।
z महत्तत्वपूर््ण योगदान: देखभाल अर््थव््यवस््थथा वैश्विक सकल घरे लू उत््पपाद का आगे की राह
एक बड़़ा हिस््ससा है, जिसका अनमु ान विश्व आर््थथिक मंच द्वारा 8-10% z अदृश््य परिमाणीकरण: लैैंगिक भेदभाव की के वल स््ववीकारोक्ति से आगे बढ़ें
लगाया गया है। अवैतनिक देखभाल कार््य और अनौपचारिक क्षेत्ररों को कम तथा अवैतनिक देखभाल कार््य के आर््थथिक योगदान को अभिनिर््धधारित करने,
महत्तत्व दिए जाने के कारण इसका योगदान प्रायः अदृश््य रहता है।
जागरूकता बढ़़ाने और इसकी उचित मान््यता का समर््थन करने के लिए समय-
z रोजगार सज ृ न: लाखोों लोग, मख्ु ्य रूप से महिलाएँ, देखभाल अर््थव््यवस््थथा उपयोग सर्वेक्षण और आर््थथिक मल्ू ्ययाांकन मॉडल का उपयोग करेें।
मेें रोजगार पाती हैैं, जिससे यह आजीविका और आर््थथिक भागीदारी का प्रमख ु
z घरेलू कार््य का मूल््ययाांकन: घरे लू कार््य के लिए औपचारिक पारिश्रमिक ढाँचा
स्रोत बन जाता है।
विकसित करना, उचित पारिश्रमिक, सामाजिक सरु क्षा लाभ और व््ययावसायिक
विशेषताएँ विकास के अवसर सनिश् ु चित करना।
उपर््ययुक्त के अतिरिक्त के यर इकोनॉमी की निम््नलिखित विशेषताएँ हैैं: z सामाजिक बुनियादी ढाँचे मेें निवेश: सस््तती और सल ु भ बाल देखभाल,
z रोजगार सज ृ न: लाखोों लोग (मख्ु ्य रूप से महिलाएँ) के यर इकोनॉमी मेें वृद्ध देखभाल और दीर््घकालिक देखभाल सविध ु ाओ ं मेें सार््वजनिक क्षेत्र के
रोजगार पाते हैैं, जिससे यह क्षेत्र आजीविका और आर््थथिक भागीदारी का एक निवेश को बढ़़ाना, अवैतनिक पारिवारिक देखभाल पर निर््भरता को कम करना।
महत्तत्वपर््णू स्रोत बन जाता है। उदाहरण के लिए स््ववीडन की सार््वभौमिक बाल देखभाल प्रणाली।

38  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: देखभाल की लागत को कम करने और दिव््ययाांग महिला श्रम बल मेें कम भागीदारी के कारण
व््यक्तियोों और वृद्धधों के लिए स््वतंत्र जीवन को बढ़़ावा देने के लिए टे लीहेल््थ,
सहायक प्रौद्योगिकी और देखभाल रोबोट जैसे तकनीकी समाधानोों का
पता लगाना। उदाहरण के लिए, जापान की रोबोट क््राांति पहल।
श्रम कार््यबल मेें महिलाओं की अल्प भागीदारी

कामकाजी महिलाएँ
अवैतनिक या
घरेलू कामोों मेें उच््च
भारत मेें भागीदारी के कारण
अनुबंधित महिलाएँ वैतनिक कामोों मेें
महिलाओं की निम््न
स््टटाफ भागीदारी दर
पुरुष
महिलाएँ अवैतनिक कार्ययों मेें घरेलू कार्ययों मेें महिलाओं की
शिक्षा-रोजगार असंगति और लैैंगिक वेतन अंतराल
रोजाना पाँच घंटे बिताती हैैं- भागीदारी दर
z कौशल अंतर और अधूरी आकांक्षाएँ: शिक्षित महिलाओ,ं विशेष रूप से
कार््य बल मेें शामिल महिलाओं के
स््ननातकोों की बढ़ती संख््यया, प्रायः उनकी आकांक्षाओ ं और योग््यताओ ं से मेल
एक बड़़े हिस््ससे के पास किसी भी
खाने वाली नौकरियोों की माँग को पीछे छोड़ देती है। इससे बेरोजगारी बढ़ती
सामाजिक सरु क्षा का लाभ नहीीं है।
है और कई लोग काम की तलाश करने से हतोत््ससाहित होते हैैं।
z सीमित औपचारिक अवसर: मध््यम शिक्षा स््तर (लिपिकीय, बिक्री) वाली
महिलाओ ं के लिए उपयक्त ु वेतनभोगी पदोों की कमी उनकी भागीदारी के लिए
और अधिक बाधाएँ उत््पन््न करती है।
z लैैंगिक वेतन अंतराल: ग््ललोबल जेेंडर गैप रिपोर््ट, 2022 भारत मेें चौौंकाने वाले
28.7% अतं र को उजागर करती है, जिसे निम््नलिखित कारणोों से जोड़़ा गया है:
महिला श्रम बल भागीदारी दर (Female Labour Force Participation
z व््ययावसायिक अलगाव: महिलाएँ कम वेतन वाले क्षेत्ररों तक ही सीमित
Rate), जो कार््यरत या सक्रिय रूप से काम की तलाश कर रही कामकाजी
रहती हैैं।
आयु की महिलाओ ं की हिस््ससेदारी को दर््शशाती है, कार््यबल मेें लैैंगिक समानता
z सांस््ककृतिक बाधाएँ: सीमित शैक्षिक अवसर और अतं र््ननिहित सामाजिक
के प्रमख ु संकेतक के रूप मेें कार््य करती है।
मानदडं असमानता मेें योगदान करते हैैं।
z हालाँकि, नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force
z अवैतनिक घरेलू कार््य: यह बोझ महिलाओ ं पर असमान रूप से पड़ता है
Survey) 2021-22 महिला श्रम बल भागीदारी दर के 32.8% तक बढ़ने के
तथा उनकी कमाई की क्षमता पर असर पड़ता है।
साथ आशा की एक किरण दर््शशाता है, फिर भी यह एक चितं ाजनक तस््ववीर पेश
करता है। वर््ष 2017-18 मेें 23.3% के ऐतिहासिक निम््नतम स््तर की तल ु ना प्रतिस्पर्द्धी मााँगेें
मेें, प्रगति धीमी बनी हुई है, जो भारतीय रोजगार मेें महिलाओ ं के निरंतर कम z विवाह और घरेलू आय: कार््यबल से बाहर निकलने वाली महिलाओ ं का
प्रतिनिधित््व को दर््शशाता है। एक महत्तत्वपर््णू हिस््ससा विवाहित है, जिनके पति की आय ‘घरे लू आय प्रभाव’
z हालाँकि, प्राथमिक क्षेत्र मेें महिला रोजगार मेें गिरावट जारी है, लेकिन के माध््यम से उनकी वापसी को प्रभावित करती है।
सेवा क्षेत्र मेें लगातार वृद्धि हुई है, जिससे वर््ष 2017-18 और वर््ष 2021-22 z मातृत््व और शिशु देखभाल चुनौतियाँ: कई महिलाओ ं को बच््चचे के जन््म के
के बीच महिलाओ ं के लिए 14.2 मिलियन रोजगार उत््पन््न हुए हैैं। यह प्रवृत्ति बाद कार््यबल मेें पनु ः प्रवेश करने मेें निम््नलिखित कारणोों से कठिनाई होती है:
विकसित हो रहे आर््थथिक परिदृश््य और संभावित अवसरोों को रे खांकित करती है।  मातृत््व लाभ अधिनियम: वर््ष 2016 का अधिनियम उत््ससाहवर््धक तो है

z न््ययूनतम कमी के बावजद ू ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर (39.3%) लेकिन फिर भी यह नियोक्ताओ ं के लिए अतिरिक्त लागत पैदा करता है,
वर््ष 2021-22 मेें अपने शहरी समकक्ष (26.5%) की तल ु ना मेें काफी अधिक जिससे महिलाओ ं को काम पर रखने मेें बाधा उत््पन््न होती है।
है। यह शहरी महिलाओ ं के सामने रोजगार तक पहुचँ और उसे बनाए रखने  सीमित बाल देखभाल विकल््प: गण ु वत्तापर््णू देखभाल की कमी काम
मेें आने वाली लगातार चनु ौतियोों को उजागर करता है, जिसके लिए लक्षित पर वापस लौटने की इच््छछुक माताओ ं के लिए एक महत्तत्वपर््णू बाधा बनी
हस््तक्षेप की आवश््यकता है। हुई है।

महिलाएँ 39
सीमित गतिशीलता और रूढ़िवादी सामाजिक मानदं ड नवाचार को बढ़़ावा देना
z कर प्रोत््ससाहन: आतं रिक शिकायत तंत्र और सरु क्षित परिवहन सविध
ु ाओ ं
जैसी लिंग-अनुकूल प्रथाओ ं वाली कंपनियोों के लिए कर छूट लागू करने से
नियोक्ताओ ं और महिलाओ ं दोनोों को प्रोत््ससाहन मिल सकता है।
z सार््वजनिक-निजी भागीदारी: सरकार और निजी संस््थथाओ ं के बीच सहयोग
का निर््ममाण बच््चोों की देखभाल और परिवहन बाधाओ ं जैसी चनु ौतियोों का
समाधान करने के लिए अभिनव समाधानोों को बढ़़ावा दे सकता है। उदाहरण-
भारत मेें शिकायत निवारण तंत्र के लिए ‘शी-बॉक््स’ पहल।
सामाजिक मानदं डोों मेें परिवर््तन
z बड़़े पैमाने पर अभियान: गहरी जड़ेें जमाए हुए लैैंगिक रूढ़़ियोों को चनु ौती
z सीमित अंतरराष्ट्रीय प्रवास: विश्व बैैंक के अनसु ार, वर््ष 2020 मेें भारत देने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियानोों मेें निवेश करना महत्तत्वपर््णू
के अंतरराष्ट्रीय प्रवासियोों मेें के वल 22.5% महिलाएँ थीीं जबकि वैश्विक है। उदाहरण के लिए- भारत मेें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़़ाओ’ अभियान ने
औसत 48% है।
लड़कियोों के नामांकन दर मेें सधु ार करने मेें मदद की है।
z अस््पष्ट वेतन अंतर: शिक्षा, अनभु व और कौशल को ध््ययान मेें रखने के बाद
भी लिंग के आधार पर वेतन अतं र का एक महत्तत्वपर््णू हिस््ससा अस््पष्ट रह जाता समान वेतन सुनिश्चित करना
है, जो व््ययापक भेदभाव का संकेत देता है। z अंतरराष्ट्रीय समन््वय: वर््ष 2030 तक संयक्त ु राष्टट्र सतत विकास लक्षष्य-8
z कलंक और पारिवारिक दबाव: कुछ समदु ायोों मेें, घर से बाहर काम करने
के ‘समान कार््य के लिए समान वेतन’ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए
वाली महिलाओ ं के साथ कलंक जड़ु ़ा हुआ है, विशेष रूप से कुछ नौकरियोों मेें,
जिसके कारण पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण वे काम छोड़ देती हैैं। ठोस कार््रवाई की आवश््यकता है। वार््षषिक जेेंडर गैप रिपोर््ट, 2023 मेें भारत को
146 देशोों मेें से 127वेें स््थथान पर रखा गया है, जबकि पिछले वर््ष यह 135वेें
कार््यस्थल पर यौन उत्पीड़न
स््थथान पर था। लेकिन यह सधु रा हुआ आँकड़़ा (कुल जेेंडर गैप का 64.3%
z अनपु ालन सबं ंधी मद्ु :दे वर््ष 2020 तक लगभग 31% कंपनियाँ कार््यस््थल पर
यौन उत््पपीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) का अनपु ालन करने मेें विफल रही कम होना) भी तत््ककाल हस््तक्षेप की आवश््यकता को दर््शशाता है।
हैैं, जिससे महिलाओ ं की सरु क्षा मेें इसकी प्रभावशीलता मेें बाधा आ रही है। z सवं ैधानिक और कानूनी ढाँचा: समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976;
z यौन उत््पपीड़न की व््ययापकता: POSH अधिनियम के बावजदू राष्ट्रीय क्राइम मातृत््व लाभ अधिनियम, 1961 और कारखाना अधिनियम, 1948 जैसे मौजदू ा
रिकॉर््ड ब््ययूरो के आँकड़ों से पता चलता है कि वर््ष 2021 मेें भारत मेें कार््यस््थल काननू समान वेतन के लिए काननू ी आधार प्रदान करते हैैं। हालाँकि, इन नीतियोों
पर यौन उत््पपीड़न के 28,014 मामले दर््ज किए गए, जो वर््ष 2020 के 22,206 को लागू करना और मजबतू करना महत्तत्वपर््णू है।
मामलोों की तल ु ना मेें 26% की वृद्धि दर््शशाता है।
नीतिगत अकुशलताएँ और कार्यान्वयन अंतराल बिल््डििं ग सपोर््ट सिस्टम
z सहायक सेवाओ ं की कमी: मौजदू ा नीतियोों मेें प्रायः सरु क्षित परिवहन, बाल z बाल देखभाल समाधान: के रल राज््य की सामाजिक सरु क्षा स््ककीम
देखभाल और प्रवास सहायता जैसी महत्तत्वपर््णू सहायक संरचनाओ ं की अनदेखी ‘आंगनवाड़़ी क्रे च योजना’ कामकाजी माताओ ं को किफायती बाल देखभाल
की जाती है, जिससे कौशल कार््यक्रमोों और कार््यबल भागीदारी तक महिलाओ ं सेवाएँ प्रदान करती है, जो एक सफल मॉडल का प्रदर््शन करती है।
की पहुचँ मेें बाधा उत््पन््न होती है।
z प्रवासन को सवि ु धाजनक बनाना: कार््य के अवसर तलाशने वाली महिलाओ ं
z त्रुटिपूर््ण प्राथमिकताएँ: कई राष्ट्रीय नीतियाँ आवश््यक सहायता सेवाओ ं को
प्राथमिकता देने मेें विफल रहती हैैं, जिससे महिलाओ ं को कौशल कार््यक्रमोों से को मार््गदर््शन, नेटवर््कििंग के अवसर और संभावित वित्तीय सहायता प्रदान करके
जड़ु ने और कार््यबल मेें प्रभावी रूप से प्रवेश करने के लिए संघर््ष करना पड़ता है। समर््थन प्रदान करने से सरु क्षित प्रवासन को प्रोत््ससाहित और सविध
ु ाजनक बनाया
जा सकता है।
आगे की राह
सरपंच पति
नीति निर्माण को नया स्वरूप देना
z परिणामोों से परे: महिलाओ ं को सशक्त बनाने के लिए सरु क्षा, करियर मंडु ोना ग्रामीण विकास फाउंडेशन नामक एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा ‘सरपंच-
आकांक्षाओ ं और वांछित अवसरोों के साथ कौशल संरेखण जैसे ‘सक्षम पति’ के मद्ु दे को सर्वोच््च न््ययायालय के ध््ययान मेें लाया गया। इस प्रथा मेें गैर-
कारकोों’ को शामिल करके मापदडों ों को पनु ः उन््ममुख करना महत्तत्वपर््णू है। निर््ववाचित पुरुष रिश््ततेदार पर्दे के पीछे से सत्ता का प्रयोग करते हैैं जबकि निर््ववाचित
z अंतर को कम करना: नीति आयोग की महिला कार््यस््थल कार््य योजना महिला पंचायत नेता सार््वजनिक चेहरा बनकर कार््य करती हैैं। हालाँकि,
(2020) मेें स््ककू ली पाठ्यक्रमोों मेें व््ययावसायिक प्रशिक्षण को एकीकृ त करने और न््ययायालय ने पंचायत प्रणाली के भीतर महिला सशक्तीकरण को कमजोर करने
महिलाओ ं के लिए उच््च रोजगार वृद्धि क्षमता वाले उभरते क्षेत्ररों की ओर कौशल के बारे मेें चिंता को स््ववीकार किया। उसने स््पष्ट किया कि इस मद्ु दे को सीधे
विकास कार््यक्रमोों को लक्षित करने की सिफारिश की गई है। हल करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। बहरहाल, न््ययायालय ने महिला

40  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आरक्षण उद्देश््योों को लागू करने के लिए बेहतर तंत्र तलाशने के लिए पंचायती z शक्ति गतिशीलता और परिवर््तन का प्रतिरोध:
राज मंत्रालय की जिम््ममेदारी पर प्रकाश डाला। यह सेेंटर फॉर बजट एडं  पुरुष प्रभुत््व: राजनीतिक क्षेत्ररों मेें परु
ु षोों का वर््चस््व लैैंगिक समानता के
गवर्ननेंस अकाउंटेबिलिटी (CBGA) की वर््ष 2022 की रिपोर््ट की सिफारिशोों प्रति प्रतिरोध को बढ़़ावा देता है, जिससे पंचायत पति के लिए अनक ु ूल
के अनुरूप है, जिसने पंचायती राज संस््थथानोों (PRI) मेें महिला आरक्षण को वातावरण का निर््ममाण होता है।
साकार करने मेें ‘सरपंच-पति’ को एक महत्तत्वपर््णू बाधा के रूप मेें पहचाना।  रणनीतिक नियंत्रण: कुछ मामलोों मेें, परिवार के परु ु ष सदस््य या
पंचायती राज संस्थाओ ं मेें महिलाओ ं के प्रतिनिधित्व के लिए प्रभावशाली नेता स््थथानीय शासन पर अपनी शक्ति और प्रभाव बनाए
संवैधानिक प्रावधान रखने के लिए पचं ायत पति का शोषण कर सकते हैैं तथा अपने लाभ के
वर््ष 1992 के 73वेें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच््छछेद 243D के लिए महिला नेताओ ं के निर््णयोों मेें हेरफे र कर सकते हैैं।
माध््यम से पंचायती राज संस््थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए एक-तिहाई सरकारी पहल
आरक्षण अनिवार््य करके भारतीय लोकतंत्र ने एक महत्तत्वपूर््ण उपलब््धधि
को प्राप्त किया। इस ऐतिहासिक निर््णय का उद्देश््य जमीनी स््तर पर महिलाओ ं राष्ट् रीय ग्राम स्वराज अभियान
को सशक्त बनाना और स््थथानीय शासन मेें उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित वर््ष 2018 मेें शरू ु की गई ‘राष्ट्रीय ग्राम स््वराज अभियान’ का उद्देश््य सतत
करना था। विकास लक्षष्ययों (SDG) के अनुरूप उत्तरदायी और सतत ग्रामीण शासन के
प्रमुख प्रावधान लिए पंचायती राज संस््थथाओ ं की क्षमताओ ं को बढ़़ाना है। इसका एक प्रमख ु
z राष्ट्रीय अनिवार््यता: अनच्ु ्छछे द 243D सभी तीन स््तरोों- ग्राम पंचायतोों, उद्देश््य महिलाओ ं की भागीदारी को प्रोत््ससाहित करना है। इसे विभिन््न तरीकोों से
पंचायत समितियोों और जिला परिषदोों के पंचायती राज संस््थथाओ ं मेें अध््यक्षषों प्रोत््ससाहित किया जाता है:
z वित्तीय सहायता: राष्ट्रीय ग्राम स््वराज अभियान, पंचायती राज संस््थथाओ ं को
की कुल सीटोों और कार््ययालयोों मेें महिलाओ ं के लिए 33% से अन््ययून आरक्षण
की गारंटी देता है। अनदु ान प्रदान करता है तथा अधिक महिला प्रतिनिधियोों वाली पंचायतोों को
अतिरिक्त 10% अनदु ान आवंटित किया जाता है।
z राज््य स््तरीय पहल: कई राज््योों ने राष्ट्रीय अनिवार््यता को पार करने मेें अग्रणी
z क्षमता निर््ममाण: महिला निर््ववाचित प्रतिनिधियोों को आवश््यक कौशल और ज्ञान
भमि ू का निभाई है। आध्रं प्रदेश, छत्तीसगढ़, गजु रात, हिमाचल प्रदेश, बिहार
और अन््य राज््योों ने अपने-अपने राज््य पचं ायती राज अधिनियमोों मेें महिलाओ ं से लैस करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षण कार्क्र्य म आयोजित किए जाते हैैं।
के लिए 50% आरक्षण लागू किया है। z सशक्तीकरण के लिए प्रौद्योगिकी: ई-ग्राम स््वराज प््ललेटफार््म और मोबाइल

z चक्रानक्र ु म प्रणाली: न््ययायसंगत प्रतिनिधित््व सनिश् ु चित करने और सत्ता के एप््ललिके शन जैसी पहलोों का उद्देश््य योजना, बजट और निर््णय लेने की प्रक्रियाओ ं
संकेेंद्रण को रोकने के लिए, महिलाओ ं के लिए आरक्षित सीटेें और पद, मेें महिलाओ ं की भागीदारी को सविध ु ाजनक बनाना है।
प्रत््ययेक पंचायत के भीतर विभिन््न निर््ववाचन क्षेत्ररों मेें चक्रानक्र
ु म द्वारा आवंटित ग्राम पंचायत विकास योजना
की जाती हैैं। ग्राम पंचायत विकास योजना दिशा-निर्देश पंचायती राज संस््थथाओ ं मेें महिला
z समावेशी प्रतिनिधित््व: अनुसचि ू त जातियोों और अनुसचि ू त जनजातियोों सशक्तीकरण को बढ़़ावा देने मेें महत्तत्वपूर््ण भमि
ू का निभाते है। प्रमख
ु विशेषताओ ं
के लिए मौजूदा कोटे के अंतर््गत महिलाओ ं के लिए 33% आरक्षण लागू मेें शामिल हैैं:
होता है, जिससे विविध समदु ायोों मेें समावेशी भागीदारी सनिश् ु चित होती है। z सक्रिय भागीदारी: बजट, योजना, कार््ययान््वयन और निगरानी सहित ग्राम

पंचायत पति के पीछे कारण पंचायत विकास योजना प्रक्रिया के विभिन््न चरणोों मेें महिलाओ ं की सक्रिय
भागीदारी को प्रोत््ससाहित करना।
z गहरी जड़ें जमाए बैठी लैैंगिक असमानता:
z महिला सभाएँ: सामान््य ग्राम सभाओ ं से पहले विशेष रूप से महिलाओ ं के
 पितृसत्तात््मक मानदड ं : पंचायत पति का आधार पितृसत्तात््मक मानदडों ों लिए बैठकेें (महिला सभाएँ) आयोजित करना ताकि सामदु ायिक चर््चचाओ ं मेें
मेें गहराई से समाया हुआ है, जो परुु ष अधिकार और निर््णय लेने को
उनकी आवाज और भागीदारी को बढ़़ावा दिया जा सके ।
प्राथमिकता देते हैैं। यह महिलाओ ं को घरे लू क्षेत्र तक सीमित कर देता है,
z समावेशी ग्राम सभाएँ: यह सनिश् ु चित करना कि महिला सभाओ ं की सिफारिशोों
जिससे सार््वजनिक मामलोों मेें उनकी पहुचँ और वैधता कम हो जाती है।
और चितं ाओ ं को ग्राम सभाओ ं मेें एकीकृ त किया जाए और तत््पश्चात ग्राम
 सामाजिक कलंक: पारंपरिक लैैंगिक भमि ू काएँ प्रायः महिलाओ ं को पचं ायत विकास योजना मेें प्रतिबिंबित किया जाए।
शासन के लिए अयोग््य बनाती हैैं, जिससे सार््वजनिक जीवन मेें उनकी
भागीदारी से जड़ु ़े कलंक को बढ़़ावा मिलता है। आगे की राह
z जागरूकता और सशक्तीकरण का अभाव: z दृष्टिकोण मेें बदलाव: महिलाओ ं की राजनीतिक भागीदारी मेें बाधा डालने
 सीमित शिक्षा: शिक्षा तक सीमित पहुच ँ के कारण विशेष रूप से ग्रामीण वाली हानिकारक रूढ़़ियोों और पितृसत्तात््मक मानदडों ों को चनु ौती देने वाले
क्षेत्ररों मेें, महिलाएँ अपने अधिकारोों और स््थथानीय शासन मेें अपनी भागीदारी अभियानोों को बढ़़ावा देना। संयक्त ु राष्टट्र महिला परिषद की ‘HeForShe’
के महत्तत्व से अनभिज्ञ रहती हैैं। अभियान जैसी पहल एक मॉडल के रूप मेें काम कर सकती है।
 भे दभावपूर््ण प्रथाएँ: महिलाओ,ं परिवारोों और समद ु ायोों मेें जागरूकता की z मार््गदर््शन और प्रयोजन: सफल परुु ष नेताओ ं को महत्त्वाकांक्षी महिला
कमी भेदभावपर््णू प्रथाओ ं को बढ़़ावा देती है, जो पंचायत पति को स््ववीकार राजनेताओ ं का मार््गदर््शन और प्रयोजन करने के लिए प्रोत््ससाहित करना, उन््हेें
करती हैैं और यहाँ तक कि इसे सामान््य भी बनाती हैैं। मार््गदर््शन और नेटवर््क तक पहुचँ प्रदान करना।

महिलाएँ 41
z समर््थन और जागरूकता: समर््थन के प्रयासोों मेें परुु षोों को शामिल करना, विगत वर्षषों के प्रश्न
उन््हेें लिंग आधारित भेदभाव के विरुद्ध बोलने के लिए प्रोत््ससाहित करना और
पंचायती राज संस््थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए समान अवसरोों को बढ़़ावा देना। 1. एक आयोग के संविधानीकरण के लिए कौन-कौन से चरण आवश््यक
z क्षमता निर््ममाण कार््यक्रम: महिला नेताओ ं की विशिष्ट आवश््यकताओ ं के अनरू ु प है? क््यया आपके विचार मेें राष्ट्रीय महिला आयोग को सांविधानिकता
प्रशिक्षण कार््यक्रम तैयार करना, जिसमेें सार््वजनिक भाषण, नीति विश्ले षण, नेतत्ृ ्व प्रदान करना भारत मेें लैैंगिक न््ययाय एवं सशक्तीकरण और अधिक
कौशल और राजनीतिक प्रक्रियाओ ं को संचालित करने जैसे विषय शामिल होों।
अतं रराष्ट्रीय लोकतंत्र और चनु ाव सहायता संस््थथान (International Institute सुनिश्चित करे गा? कारण बताइए।
for Democracy and Electoral Assistance) द्वारा ‘नेतत्ृ ्व क्षमता को  (2020)
उजागर करना’ कार््यक्रम जैसे सफल मॉडल का उपयोग करना। 2. सामाजिक विकास की संभावनाओ ं को बढ़़ाने के क्रम मेें, विशेषकर
निष्कर््ष जराचिकित््ससा एवं मातृ स््ववास््थ््य देखभाल के क्षेत्र मेें सुदृढ़ और
मातृ स््ववास््थ््य सेवा मेें प्रगति ने भारत मेें मृत््ययु दर को कम किया है, लेकिन पर््ययाप्त स््ववास््थ््य देखभाल संबंधी नीतियोों की आवश््यकता है। विवेचन
सामाजिक-आर््थथिक कारकोों, ग्रामीण-शहरी विभाजन और लैैंगिक पूर््ववाग्रह के कीजिए। (2020)
कारण असमानताएँ बनी हुई हैैं। महिलाओ ं को पोषण संबंधी कमियोों और गैर-
संचारी रोगोों के साथ-साथ हिसं ा, भेदभाव और अवैतनिक श्रम जैसे मद्ददों 3. भारत मेें महिलाओ ं के समक्ष समय और स््थथान संबंधित निरंतर
ु से भी
स््ववास््थ््य संबंधी खतरोों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी आर््थथिक भागीदारी चनु ौतियाँ क््यया-क््यया हैैं? (2019)
को सीमित करते हैैं। लैैंगिक असमानता को दरू करने और एक समावेशी समाज 4. “महिला सशक्तीकरण जनसंख््यया संवद्ृ धि को नियंत्रित करने की कंु जी
प्राप्त करने के लिए प्रभावी सरकारी पहलोों का लगातार कार््ययान््वयन, अधिक है।” चर््चचा कीजिए। (2019)
धन और शिक्षा, कानूनी सुधारोों और आर््थथिक सशक्तीकरण पर ध््ययान देने की
आवश््यकता है। 5. “स््थथानीय स््वशासन की संस््थथाओ ं मेें महिलाओ ं के लिए सीटोों के
आरक्षण का भारत के राजनीतिक प्रक्रम के पितृतंत्रात््मक अभिलक्षण
प्रमुख शब्दावलियाँ पर एक सीमित प्रभाव पड़़ा है।” टिप््पणी कीजिए।
 (2019)
लिंग समानता, महिलाओं को सशक्त बनाना, भारत को सशक्त
बनाना, आर््थथिक सशक्तीकरण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़़ाओ, नए भारत 6. भारत मेें एक मध््यम-वर्गीय कामकाजी महिला की अवस््थथिति को
के लिए नारी शक्ति, महिला नेतृत््व विकास, महिला सशक्तीकरण, पितृतंत्र (पेट्रीआर्की) किस प्रकार प्रभावित करता है? 
समानता महिलाओं से शरू ु होती है, महिला उद्यमी, महिलाओं के  (2014)
लिए डिजिटल साक्षरता, नारी शक्ति परु स््ककार, नेतृत््वकर््तता, लिंग
समानता, नारीवादी आंदोलन, महिला उद्यमिता, महिला एकता, 7. “महिला संगठनोों को लिंग भेद से मक्त ु करने के लिए पुरुषोों की
लिंग संवेदनशीलता, बेहतरी के लिए संतुलन, कोई लिंग संबंधी सदस््यता को बढ़ावा मिलना चाहिए।” टिप््पणी कीजिए। 
अवधारणा नहीीं, कोई बाधा नहीीं।  (2013)

42  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


4 बच्चे, किशोर और युवा

परिचय किशोर और युवा: विश्व जनसंख्या


यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, भारत विश्व की सबसे बड़़ी किशोर आबादी जनसंख््ययााः आज विश्व मेें 1.8 अरब से अधिक युवा हैैं, जिनमेें से 90%
का प्रतिनिधित््व करता है, जिसे विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) द्वारा 10 वर््ष विकासशील देशोों मेें रहते हैैं, जहाँ वे जनसंख््यया का एक बड़़ा हिस््ससा निर््ममित
से 19 वर््ष की आयु के व््यक्तियोों के रूप मेें परिभाषित किया गया है, जिसमेें करते हैैं। अके ले भारत मेें 235 मिलियन से अधिक और चीन मेें 225
कुल 253 मिलियन लोग शामिल हैैं। यदि इतनी बड़़ी संख््यया मेें किशोर सरु क्षित, मिलियन से अधिक युवा हैैं।
जनसंख््यया रुझानः वास््तव मेें युवा लोगोों का अनुपात वर््ष 2010 मेें 17.6
स््वस््थ, शिक्षित होों और देश के निरंतर विकास मेें सहायता के लिए सचू ना और
प्रतिशत से घटकर वर््ष 2050 मेें 13.5 प्रतिशत हो जाएगा। अफ्रीका मेें
जीवन कौशल से युक्त होों तो इससे देश को सामाजिक, राजनीतिक और आर््थथिक युवाओ ं की हिस््ससेदारी वर््ष 2040 तक 28% तक बढ़ने की उम््ममीद है, जबकि
रूप से लाभ होगा। अन््य क्षेत्ररों मेें गिरावट आ रही है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र मेें यह अनुपात वर््ष
बच्चा (CHILD) 2012 के 61% से घटकर वर््ष 2040 तक 52% हो जाएगा।
किशोर जन््म दरः वर््ष 1990 के बाद से इसमेें गिरावट आई है लेकिन
z भारत मेें 'बच््चचे' की परिभाषा अलग-अलग क़़ाननोू ों मेें अलग-अलग है। अफ्रीका (प्रति 1,000 पर 101 जन््म), दक्षिण एशिया (प्रति 1,000 पर
z किशोर न््ययाय (बच््चोों की देखभाल और सरं क्षण) अधिनियम, 2015, 77), और लैटिन अमेरिका ( प्रति 1,000 पर 73) मेें उच््च दर बनी हुई
लैैंगिक अपराधोों से बच््चोों का सरं क्षण अधिनियम, 2012 की धारा 2 (d) है। विकसित देशोों (प्रति 1,000 पर 23.4) की तुलना मेें विकासशील देशोों
और बहुमत अधिनियम/द मेजोरिटी एक््ट,1875 की धारा 3 (1) के अनसु ार, (52.3 प्रति 1,000) मेें अधिक है।
“बच््चचे का अर््थ वह व््यक्ति है जिसने अठारह वर््ष की आयु परू ी नहीीं की हो।” z किशोरावस््थथा 10 से 19 वर््ष की आयु के बीच, बचपन और वयस््कता के मध््य
z हालाँकि, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बच््चचे को "एक व््यक्ति, यदि का जीवन का चरण है। यह मानव विकास का एक अनठू ा चरण है जिसमेें कई
शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिवर््तन शामिल होते हैैं। इन परिवर््तनोों
वह परुु ष है, तो उसने इक््ककीस वर््ष की आयु परू ी न की हो और यदि महिला
मेें यौवन, तर््क कौशल का विकास, बौद्धिक विचार तथा नैतिक निर््णय और
है, तो अठारह वर््ष की आयु परू ी न की हो" के रूप मेें परिभाषित करता है। माध््यमिक यौन विशेषताओ ं से सबं ंधित बदलाव शामिल हैैं।
जबकि बाल श्रम (सरं क्षण और विनियमन) अधिनियम, 1986 की धारा z सयं ुक्त राष्टट्र सचिवालय द्वारा यह ध््ययान मेें रखकर कि सदस््य देश और अन््य
2(ii) मेें कहा गया है कि "बच््चचे का अर््थ उस व््यक्ति से है जिसने 14 वर््ष संस््थथाएँ अलग-अलग परिभाषाओ ं का उपयोग करती हैैं, यवु ा (Youth) और
की उम्र परू ी न की हो।" नवयवु ा (Young People) शब््दोों का परस््पर उपयोग 15-24 वर््ष की आयु के
z एकरूपता बनाए रखने और भ्रम से बचने के लिए, बाल अधिकारोों पर लिए किया जाता है। 'यवु ा' के रूप मेें प्रायः अनिवार््य शिक्षा छोड़ने और अपनी
पहली नौकरी खोजने की उम्र के बीच के व््यक्ति को संदर््भभित किया जाता है।
कन््वेेंशन (यूनिसेफ) द्वारा परिभाषित बच््चचे की अतं रराष्ट्रीय स््तर पर स््ववीकृ त
परिभाषा "वह पुरुष या महिला व््यक्ति, जिसकी उम्र 18 वर््ष से कम है।" तथ्य और आँकड़े (FACTS AND FIGURES)
z मानव संसाधन विकास के एजेेंडे मेें ‘बच््चचे’ पहली प्राथमिकता हैैं क््योोंकि z बाल जनसख् ं ्यया: भारत के पास विश्व की सबसे बड़़ी बाल जनसंख््यया है,
आजीवन सीखने और मानव विकास की नीींव इन््हीीं महत्तत्वपर्ू ्ण , प्रारंभिक वर्षषों संयक्त
ु राष्टट्र जनसंख््यया प्रभाग के अनसु ार इसके वर््ष 2023 मेें लगभग 472
मेें रखी जाती है। मिलियन तक होने का अनमु ान है।
z हालाँकि, बच््चचे भी समाज के सबसे असरु क्षित वर््ग हैैं और उन््हेें विशेष z विद्यालय उपस््थथिति: भारत मेें प्राथमिक शिक्षा के लिए 99.2% के सकल
नामांकन अनपु ात के साथ स््ककू ल नामांकन दरोों मेें सधु ार हुआ है।
ध््ययान और देखभाल की आवश््यकता होती है।
z बाल निर््भरता अनुपात: विश्व बैैंक के अनसु ार वर््ष 2020 मेें, भारत मेें 0-14
किशोर और युवा (ADOLESCENT AND YOUTH) आयु वर््ग के बच््चोों के लिए निर््भरता अनपु ात 34.2% था।
z सरकारी बजट आवंटन: PRS लेजिस््ललेटिव रिसर््च के अनसु ार, वित्तीय वर््ष
z विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) किशोरोों को 10 से 19 वर््ष की आयु के 2024-25 के लिए अतं रिम बजट मेें बच््चोों के लिए आवटं न मेें उल््ललेखनीय
लोगोों के रूप मेें और युवाओ ं को 15 से 24 वर््ष की आयु के लोगोों के रूप वृद्धि देखी गई है, जो ₹109,493.08 करोड़ तक पहुचँ गई है, जो कि वित्त
मेें परिभाषित करता है। वर््ष 2023-24 के सश ं ोधित अनमु ान से 17.5% अधिक है।
z बाल इटं रनेट उपयोग: स््टटेटिस््टटा (Statista) के आँकड़ोों से पता चलता बाल अधिकारोों की श्रेणियााँ
है कि वर््ष 2021 मेें, भारत के इटं रनेट उपयोगकर््तताओ ं मेें बच््चोों की संख््यया
z जीवित रहने का अधिकार: भोजन, आश्रय और स््ववास््थ््य देखभाल जैसी
लगभग 14% थी।
बनु ियादी आवश््यकताएँ।
z साक्षरता दर: विश्व बैैंक के अनसु ार, भारत मेें 5-9 वर््ष की 53% लड़कियाँ सरु क्षा का अधिकार: दर््व््यव
z ु हार, उपेक्षा और शोषण से मक्ु ति।
अशिक्षित हैैं।
z भागीदारी का अधिकार: उन््हेें प्रभावित करने वाले निर््णयोों मेें भागीदारी।
z शिक्षकोों की कमी: लगभग 60% स््ककूलोों मेें, कक्षा 1 से 5 तक पढ़़ाने के z विकास का अधिकार: शारीरिक, मानसिक और भावनात््मक विकास।
लिए दो से कम शिक्षक हैैं, और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के अनसु ार,
प्रति प्राथमिक विद्यालय मेें औसतन तीन से कम शिक्षक हैैं। बच्चचों की असुरक्षा
z बाल श्रम: अंतरराष्ट्रीय श्रम सगं ठन के अनसु ार, दक्षिण एशिया मेें 5-17 z सभी बच््चोों को, उनकी उम्र के आधार पर, शोषण, दर््व््यव
ु हार, हिसं ा और उपेक्षा
आयु वर््ग के बाल श्रमिकोों की संख््यया सबसे अधिक भारत मेें है। के जोखिम मेें माना जाता है।
z बाल श्रम सांख््ययिकी: z विशेष रूप से असरु क्षित समहोू ों मेें अनाथ, सड़क पर रहने वाले बच््चचे,
 ग्रामीण क्षेत्ररों मेें 13.9% बच््चचे बाल श्रम मेें शामिल हैैं, जबकि शहरी क्षेत्ररों
शरणार्थी या विस््थथापित बच््चचे, बाल श्रमिक, वेश््ययावत्ृ ति या यौन शोषण
मेें यह आँकड़ा 4.7% है। मेें फंसे बच््चचे, दिव््ययाांग बच््चचे और अपराधी बच््चचे शामिल हैैं।
 70% बाल श्रमिक कृ षि क्षेत्र मेें, 20% सेवा क्षेत्र मेें और 10% उद्योग सुरक्षा (भेद्यता ) को प्रभावित करने वाले कारक
मेें कार््यरत हैैं। z दिव््ययाांगताएँ: शारीरिक और मानसिक दिव््ययाांगताएँ असरु क्षा को बढ़़ा सकती हैैं।
 वर््ष 2011 की जनगणना के अनस ु ार, 10.1 मिलियन बच््चचे, या कुल z उत्तेजक व््यवहार: गलत समझी जाने वाली व््यवहार संबंधी समस््ययाएँ उपेक्षा
बाल जनसख्ं ्यया का 3.9%, ‘मख्ु ्य श्रमिक’ या ‘सीमांत श्रमिक’ हैैं। या दर््व््यव
ु हार का कारण बन सकती हैैं।
z मृत््ययु दर: z शक्तिहीनता: अपनी स््थथिति पर नियंत्रण का अभाव बच््चोों को असरु क्षित
 5 वर््ष से कम उम्र की मृत््ययु दर (U5MR) प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर बनाता है।
42 है, नवजात शिशु मृत््ययु दर (NNMR) प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर z रक्षाहीनता: दर््व््यव
ु हार से सरु क्षा का अभाव बच््चोों को असरु क्षित बना देता है।
25 है, और शिशु मृत््ययु दर (IMR) प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर 35 है। z निष्क्रियता: अपनी स््थथिति के कारण सहायता माँगने मेें असमर््थता बच््चोों को
 प्रसवकालीन मृत््ययु दर भी प्रति 1,000 गर््भधारण पर 36 से घटकर प्रति असरु क्षित बनाती है।
1,000 गर््भधारण पर 32 हो गई है। (राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण z बीमारी: स््ववास््थ््य समस््ययाओ ं वाले बच््चचे अधिक असरु क्षित होते हैैं।
(NFHS)-5, के अनसु ार) z अदृश््यता: सिस््टम (तंत्र) की पहुचँ से बाहर के बच््चचे अत््यधिक असरु क्षित हैैं।
z पोषक तत्तत्ववों का स््तर: z आयु वर््ग: छोटे बच््चचे, विशेषकर छह वर््ष से कम उम्र के , सरु क्षा पर अधिक
 बौनापन या स््टटंटिंग (उम्र के अनप ु ात मेें कम लंबाई) 38.4% से घटकर निर््भर होते हैैं।
35.5% हो गई है, वेस््टटििंग (लंबाई के अनपु ात मेें कम वजन) 21.0% से भारत मेें असुरक्षित बच्चचों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दे
घटकर 19.3% हो गई है, और कम वजन की स््थथिति 35.8% से घटकर z बाल श्रम: वर््ष 2011 की जनगणना के अनसु ार, भारत मेें 5-18 आयु वर््ग
32.1% हो गई है। के 33 मिलियन बाल श्रमिक हैैं, जिनमेें 5-14 आयु वर््ग के 10.13 मिलियन
 शहरी क्षेत्ररों मेें प्रति महिला बच््चोों की संख््यया वर््ष 1992-93 के 2.7 से बाल श्रमिक हैैं।
घटकर वर््ष 2019-21 मेें 1.6 हो गई है। (राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य शिक्षा संबध
ं ी असमानताएँ
सर्वेक्षण (NFHS)-5, के अनसु ार) z शाला छोड़ने की दर (ड्रॉप््टआउट रेट): प्राथमिक स््तर पर छात्ररों की अखिल
भारत मेें बाल अधिकार (CHILD RIGHTS IN भारतीय औसत शाला छोड़ने की दर 4.13% है, जो माध््यमिक स््तर पर बढ़कर
17.06% हो गई है।
INDIA)
z अधिगम अंतराल: कुपोषण, गणव ु त्तापर्ू ्ण प्रारंभिक बाल देखभाल और शिक्षा
बाल अधिकार क्या हैैं ? तक पहुचँ की कमी; प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा मेें सीखने के अतं राल
बाल अधिकार मौलिक मानवाधिकार हैैं जो पृष्ठभमि मेें योगदान करती है।
z ू की परवाह किए बिना
18 वर््ष से कम उम्र के सभी बच््चोों पर लागू होते हैैं। z बाल उत््पपीड़न: NGO चाइल््ड राइट्स एडं यू (CRY) के अनसु ार, वर््ष 2016
से 2022 तक बच््चोों के खिलाफ यौन हिसं ा मेें 96% की वृद्धि हुई। वर््ष 2022
z बाल अधिकारोों पर संयक्त ु राष्टट्र कन््वेेंशन (UNCRC) इन बनु ियादी अधिकारोों
मेें, बच््चोों से बलात््ककार और पेनिट्रेटिव (अतं र्पप्रवेशन) हमलोों के 38,911 मामले
को निर््धधारित करता है।
दर््ज किए गए, जो वर््ष 2021 (NCRB) मेें 36,381 से अधिक हैैं। NCRB डेटा
z भारत मेें, बच््चचे की परिभाषा विभिन््न काननोू ों मेें भिन््न हो सकती है (उदाहरण से पता चलता है कि 28.9% भारतीय बच््चोों ने किसी-न-किसी प्रकार के यौन
के लिए, किशोर न््ययाय अधिनियम मेें 18, बाल श्रम अधिनियम मेें 14)। अपराध का अनभु व किया है, जिनमेें से 90% मामले परिवार के भीतर होते हैैं।

44  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z बाल विवाह: विश्व स््तर पर भारत मेें बाल वधओ ु ं की संख््यया सबसे अधिक z अनुच््छछेद 46: कमजोर वर्गगों के लोगोों को सामाजिक अन््ययाय और सभी
है, यहाँ 42% विवाहित महिलाओ ं की शादी बचपन मेें ही हो जाती है।
प्रकार के शोषण से बचाने का अधिकार।
z साइबर-धमकी और बाल अश्लीलता: साइबर-धमकी की रिपोर््ट करने
z अनुच््छछेद 47: पोषण और जीवन स््तर का अधिकार और सार््वजनिक
वाले प्रत््ययेक तीन मेें से एक बच््चचा है और प्रतिदिन अपलोड की जाने वाली
स््ववास््थ््य मेें सधु ार।
बाल यौन शोषण की हजारोों छवियोों के साथ महत्तत्वपर्ू ्ण चितं ाएँ शामिल हैैं।
z अनुच््छछेद-51A (k): भारत के प्रत््ययेक नागरिक का, जो माता-पिता या
कुपोषण अभिभावक है, यह कर््तव््य होगा कि वह छह से चौदह वर््ष की आयु के
z प्रयासोों के बावजदू , भारत मेें बाल कुपोषण की दर चितं ाजनक बनी हुई है, भारत अपने बच््चचे या जैसा भी मामला हो, प्रतिपाल््य (Ward) को शिक्षा प्रदान
28.7 के स््ककोर के साथ 125 देशोों मेें से 111वेें स््थथान पर है, जो वैश्विक भख
ु मरी करने के अवसर प्रदान करे ।
सचू कांक (वर््ल््ड हगं र इडं ेक््स) 2023 मेें भख
ू के गंभीर स््तर का संकेत देता है।
z राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS)-5 डेटा पाँच साल से कम उम्र के भारत मेें बाल संरक्षण के लिए विधिक ढााँचा
कम वजन वाले, उम्र के अनपु ात मेें कम लंबाई वाले और लंबाई के अनपु ात लिंग निर्धारण एवं कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम
मेें कम वजन वाले बच््चोों की संख््यया के उच््च प्रसार को इगि ं त करता है। स््टटंटिंग
(उम्र के अनपु ात मेें कम लंबाई की प्रस््थथिति) 38.4% से घटकर 35.5% हो z गर््भधारण पूर््व और प्रसव पूर््व निरूपण तकनीक अधिनियम, 1994:
गई है, वेस््टटििंग (लंबाई के अनपु ात मेें कम वजन की प्रस््थथिति) 21.0% से यह अधिनियम भ्रूण के लिंग परीक्षण और गर््भ मेें कन््ययाओ ं की हत््यया पर पर्ू ्ण
घटकर 19.3% हो गई है, और कम वजन की स््थथिति 35.8% से घटकर रोक लगाता है। साथ ही, प्रसवपर््वू लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापनोों पर भी
32.1% हो गई है। प्रतिबंध लगाता है।
z लिंग असमानता: वर््ष 2011 की जनगणना मेें 0-6 वर््ष के आयु वर््ग मेें प्रति बाल श्रम का विनियमन
1,000 बालकोों पर 918 बालिकाओ ं का बाल लिंग अनुपात (CSR) z बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986: कुछ रोजगारोों मेें
दर््शशाया गया है। बच््चोों की नियक्ु ति पर रोक लगाता है और अन््य रोजगारोों मेें बच््चोों के लिए
z प्राकृतिक आपदाएँ और जलवायु परिवर््तन: प्राकृ तिक आपदाओ ं के प्रति काम की शर्ततों को नियंत्रित करता है।
भारत की संवेदनशीलता के कारण लाखोों बच््चचे सरु क्षा और स््ववास््थ््य जोखिमोों z बाल (श्रम का अभिवाचन) अधिनियम, 1933: बच््चोों के श्रम को गिरवी
के प्रभाव मेें हैैं, जिनमेें से वर््ष 2013 और 2015 के बीच 20 मिलियन से रखने पर रोक।
अधिक प्रभावित हुए हैैं।
बच्चचों का संरक्षण एवं कल्याण
बच्चचों से संबधं ित मुद्ददों से निपटने के लिए पहल और z किशोर न््ययाय (बच््चोों की देखभाल और सरं क्षण) अधिनियम, 2015:
समाधान काननू का उल््ललंघन करने वाले बच््चोों के लिए प्रक्रियात््मक सरु क्षा उपायोों को
निर््ददिष्ट करता है और गोद लेने की प्रक्रियाओ,ं लंबित मामलोों आदि से संबंधित
बच्चचों के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपाय मौजदू ा काननोू ों मेें चनु ौतियोों का समाधान करता है।
अनुच््छछेद 14, 15, 15(3), 19(1) (a), 21, 21(A), 23, 24, 39(e) 39(f)
बाल विवाह एवं यौन अपराधोों की रोकथाम
भारत के संविधान मेें बच््चोों सहित सभी लोगोों की रक्षा, सुरक्षा और कल््ययाण
के प्रावधान हैैं। z बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006: बाल विवाह पर रोक लगाता है
z अनुच््छछेद 243 G : महिला एवं बाल विकास के कार््यक्रमोों को पंचायत
और इसमेें शामिल लोगोों के लिए सजा को बढ़़ाते हुए पीड़़ितोों को राहत
प्रदान करता है।
को सौौंपने की माँग करके बाल देखभाल के संस््थथागतकरण का प्रावधान
करता है (अनसु चू ी 11 का विषय 25)। z लैैंगिक अपराधोों से बच््चोों का सरं क्षण अधिनियम, 2012: बच््चोों को
यौन हमलोों, उत््पपीड़न और पोर्नोग्राफी (अश्लील विवरणोों) से बचाता है। ऐसे
z अनुच््छछेद 39: राज््य, विशेष रूप से, अपनी नीति को सरु क्षित करने की
अपराधोों की सनवु ाई के लिए विशेष अदालतेें स््थथापित करता है।
दिशा मेें निर्देशित करे गा।
z अनुच््छछेद 39(e): इस अनच् ु ्छछेद के अनसु ार श्रमिकोों, परुु षोों और महिलाओ ं पॉक्सो संशोधन अधिनियम
के स््ववास््थ््य और शक्ति, और बच््चोों की कम उम्र का दरुु पयोग न हो अधिनियम ने इसकी विभिन््न धाराओ ं के अंतर््गत सजा मेें वृद्धि की है।
और नागरिकोों को आर््थथिक आवश््यकता से मजबरू होकर उनकी उम्र की अधिनियम मेें पेनिट्रेटिव (प्रवेशन) यौन उत््पपीड़न के लिए न््ययूनतम सजा को
क्षमताओ ं के अनपु यक्त ु व््यवसायोों मेें प्रवेश न करना पड़़े। सात साल से बढ़़ाकर 10 साल कर दिया है और यदि बच््चचा 16 साल से
z अनुच््छछेद 39(f): यह निर्देश देता है कि बच््चोों को स््वस््थ तरीके से और कम उम्र का है, तो न््ययूनतम सजा को 20 साल तक बढ़़ा दिया गया है। गंभीर
स््वतंत्रता तथा सम््ममान की स््थथितियोों मेें विकसित होने के अवसर और पेनिट्रेटिव यौन उत््पपीड़न के लिए दंड को बढ़ाते हुए मृत््ययुदंड भी शामिल
सविधा
ु एँ दी जाएँ और बचपन एवं यवु ावस््थथा को शोषण और नैतिक व किया गया है।
भौतिक परित््ययाग से बचाया जाए। बच््चचे से संबंधित किसी भी रूप मेें पॉर्नोग्राफिक सामग्री रखने के लिए सजा
z अनच् ु ्छछेद 45: राज््य छह वर््ष की आयु परू ी करने तक सभी बच््चोों को का प्रावधान है, भले ही आरोपी व््यक्ति इसे साझा करने के इरादे से हटाने या
आरंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करे गा। नष्ट करने या रिपोर््ट करने मेें विफल रहे होों।

बच्चे, किशोर औरयु 45


भारतीय दं ड संहिता के अंतर््गत कानूनी सुरक्षा
z बच््चोों की सरु क्षा: NCPCR की बच््चोों की सरु क्षा मेें सक्रिय भमि ू का है,
विशेष रूप से स््ककूलोों मेें गंभीर शारीरिक दडं को रोकने मेें।
z भारतीय दडं सहि ं ता की धारा 82 और 83: सात वर््ष से कम उम्र के बच््चोों
को आपराधिक दायित््व से छूट देती है और उनकी परिपक््वता की कमी को z बाल सरं क्षण के लिए पंचायती राज सस्ं ्थथाओ ं के साथ सहयोग: पंचायत
स््ववीकारती है। राज सस्ं ्थथाएँ बाल सरं क्षण को बढ़़ाने के लिए NCPCR के साथ सहयोग
z भारतीय दडं सहि ं ता (IPC) की धारा 305, 315, 316, 317, 369, 366A, किया जाना आवश््यक है, जिससे लापता बच््चोों के मामलोों की रिपोर््ट करने
372 और 373: बच््चोों से जड़ु ़े आत््महत््यया, शिशहु त््यया, भ्रूणहत््यया, परित््ययाग, जैसे महत्तत्वपर्ू ्ण परिणाम प्राप्त होोंगे।
अपहरण और वेश््ययावृत्ति जैसे अपराधोों के खिलाफ काननी ू प्रावधान प्रदान z बाल श्रम का उन््ममूलन: NCPCR बाल श्रम उन््ममूलन के लिए रणनीति तैयार
करतीीं हैैं। करता है, जैसा कि ग््ययारहवीीं योजना के दौरान प्रस््ततुत रिपोर्टटों मेें दिखाया गया है।
बाल कल्याण सुनिश्चित करने वाले अन्य अधिनियम z शिक्षा हेल््पलाइन: NCPCR द्वारा स््थथापित एक शिक्षा हेल््पलाइन, ‘शिक्षा
z बच््चोों को निःशुल््क एवं अनिवार््य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, का अधिकार अधिनियम’ से सबं ंधित चितं ाओ ं का समाधान करती है, जिससे
2009: यह अधिनियम 6-14 वर््ष की आयु के बच््चोों के लिए निःशल्ु ्क और निःशुल््क और अनिवार््य शिक्षा तक पहुचँ सनु िश्चित होती है।
अनिवार््य शिक्षा की गारंटी देता है। NCPCR के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियााँ
z प्रशिक्षु अधिनियम, 1961: प्रशिक्षुओ ं की नियक्ु ति को नियंत्रित करता है,
z सीमित प्रवर््तन शक्ति: NCPCR के पास अपनी सिफारिशोों को लागू करने
नाबालिगोों के अधिकारोों और सरु क्षा को सनु िश्चित करता है।
का अधिकार नहीीं है और वह अन््य जिम््ममेदारियोों के बोझ तले दबे स््थथानीय
z अनाथालय और अन््य पूर््त आश्रम (पर््यवेक्षण और नियंत्रण) अधिनियम,
1960 : परित््यक्त महिलाओ ं के लिए अनाथालयोों और घरोों पर पर््यवेक्षण और अधिकारियोों पर निर््भर है। उदाहरण के लिए, वर््ष 2021 मेें, NCPCR ने ईटं
नियंत्रण प्रदान करता है। भट्टटों मेें बाल मजदूरोों की दर््दु शा पर प्रकाश डाला, लेकिन इससे सबं ंधित
z सरं क्षक और प्रतिपाल््य अधिनियम, 1890: बच््चोों के कल््ययाण को सनु िश्चित प्रवर््तन एक चनु ौती बनी हुई है।
करते हुए, उनके अभिभावकोों की नियक्ु ति और निष््ककासन को नियंत्रित करता है। z अनिश्चित समय-सीमा: NCPCR द्वारा जाँच अनिश्चित काल तक बढ़ सकती
z हिंदू दत्तक भरण-पोषण अधिनियम, 1956: यह अधिनियम हिदं ू वयस््कोों है, जिससे असरु क्षित बच््चोों को कार््रवाई का इतं जार करना पड़ सकता है।
और बच््चोों के लिए गोद लेने और रखरखाव प्रावधानोों से संबंधित है। उदाहरण के लिए, चेन््नई के एक स््ककू ल मेें बाल यौन शोषण से जड़ु ़ा वर््ष
z अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958: यह अधिनियम 21 वर््ष से कम 2020 का मामला दो साल बाद भी समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है।
उम्र के अपराधियोों के कारावास पर प्रतिबंध लगाता है, जिसका उद्देश््य उनके z स््वतंत्रता से सबं ंधित प्रश्न: सरकारी नियक्ु तियोों से NCPCR पर सच््चची
आदतन अपराधियोों के रूप मेें परिवर््तन को रोकना है। स््वतंत्रता की कमी के आरोप लगने लगते हैैं। उदाहरण के लिए, आलोचकोों ने
राष्ट् रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) मणिपरु की क्रू रताओ ं पर आयोग की धीमी प्रतिक्रिया अपनाने के आरोप लगाये।
z सस ं ाधनोों की कमी: अपर््ययाप्त ससं ाधन बाल अधिकारोों के उल््ललंघन की जाँच
z यह देश मेें बाल अधिकारोों की रक्षा, प्रचार और बचाव के लिए बाल
अधिकार सरं क्षण आयोग (NCPCR) अधिनियम, 2005 के अतं र््गत करने और सहायता सेवाएँ प्रदान करने मेें NCPCR की प्रभावशीलता मेें बाधा
स््थथापित एक वैधानिक निकाय है। डालते हैैं। सीआरवाई (CRY) की वर््ष 2022 की रिपोर््ट मेें NCPCR के
कार््य मेें प्रभावी बाधा के रूप मेें कार््यबल और बनु ियादी ढाँचे की कमी पर
बाल अधिकारोों की सुरक्षा के लिए NCPCR द्वारा उठाए गए कदम
प्रकाश डाला गया।
z बच््चोों को कानूनी सहायता प्रदान करना: NCPCR दुर््व््यवहार, उपेक्षा
z समन््वय चुनौतियाँ: अन््य बाल अधिकार एजेेंसियोों के साथ बेहतर सहयोग के
या शोषण से प्रभावित बच््चोों को काननी ू सहायता प्रदान करता है। सहायता
अभाव के कारण प्रयासोों का दोहराव (प्रयासोों की निरर््थकता) और अक्षमताएँ
मेें परामर््श और चिकित््ससा देखभाल तक पहुचँ शामिल हैैं।
उत््पन््न होती हैैं। नेशनल लॉ यनू िवर््ससिटी के वर््ष 2019 के एक अध््ययन मेें पाया
z पेशेवरोों को प्रशिक्षण प्रदान करना: NCPCR शिक्षकोों, पुलिस
अधिकारियोों और सामाजिक कार््यकर््तताओ ं को बाल दर््व््यव गया कि NCPCR और राज््य आयोगोों के बीच केें द्रीकृ त डेटा-साझाकरण की
ु हार और उपेक्षा
की पहचान करने और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित कमी समन््ववित कार््रवाई मेें बाधा डालती है।
करता है। आगे की राह
z बाल अधिकारोों के बारे मेें जागरूकता बढ़़ाना: NCPCR द्वारा स््वतंत्रता मेें वद्ृ धि: NCPCR को व््ययापक शर्ततें प्रदान करने, आयक्ततों
z ु के लिए
जागरूकता अभियानोों मेें माता-पिता, शिक्षकोों और जनता को बाल
अधिक स््वतंत्र चयन प्रक्रिया लागू करने और जाँच शक्तियाँ बढ़़ाने से इसकी
अधिकारोों और उनकी सरु क्षा के बारे मेें समझ बढ़़ाने के लिए लक्षित किया
गया है। स््ववायत्तता बढ़़ेगी।
z महामारी के दौरान स््ककू ल द्वारा उत््पपीड़न को रोकना: NCPCR ने शिक्षा z सस ं ाधन सवं र्दद्धन: प्रभावी जाँच, पीड़़ितोों को बेहतर सहायता और अन््य
विभागोों से शल्ु ्क(फीस) का भगु तान न करने के कारण लॉकडाउन के दौरान संस््थथाओ ं के साथ बेहतर समन््वय को सक्षम करने के लिए पर््ययाप्त वित्तीय और
बच््चोों के प्रति स््ककूलोों द्वारा उत््पपीड़न को रोकने का आग्रह किया है। मानव संसाधन प्रदान करना आवश््यक है।

46  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z सहयोगात््मक प्रयास: राज््य बाल अधिकार आयोगोों और गैर-सरकारी z मध््ययाह्न भोजन: इसका लक्षष्य कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने के लिए स््ककू ल जाने
संगठनोों के साथ समन््वय को सदृु ढ़ करने से प्रयासोों को सव्ु ्यवस््थथित किया वाले बच््चोों के बीच नामांकन, प्रतिधारण (रिटेेंशन) और उपस््थथिति को बढ़़ाना
और साथ ही पोषण स््तर मेें सधु ार करना है।
जाए और संसाधन उपयोग को प्रभावी ढंग से इष्टम स््तर तक किया जाए।
z समग्र शिक्षा अभियान: इसे वर््ष 2018 मेें लॉन््च किया गया था। इसमेें सर््व
z जन जागरूकता अभियान: बाल अधिकारोों और उपलब््ध सहायता तंत्ररों के
शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध््यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)
बारे मेें सार््वजनिक जागरूकता बढ़़ाना अत््ययंत आवश््यक है क््योोंकि इससे ही और शिक्षक शिक्षा (TE) की तीन योजनाओ ं को शामिल किया गया था।
समदु ायोों को बाल अधिकारोों के उल््ललंघन की पहचान करने और रिपोर््ट करने  योजना के उद्देश््य: गणव ु त्तापर्ू ्ण शिक्षा का प्रावधान और छात्ररों के सीखने
के लिए सक्रिय रूप से प्रेरित किया जा सके गा। के परिणामोों मेें वृद्धि करना; स््ककू ली शिक्षा मेें सामाजिक और लैैंगिक अतं र
भारत के बच््चोों की सुरक्षा मेें अधिक प्रभावी शक्ति बनने के लिए NCPCR के को प्रभावी रूप से कम करना; स््ककू ली शिक्षा के सभी स््तरोों पर समानता
लिए इन चनु ौतियोों को हल करना महत्तत्वपूर््ण है। और समावेशन सनु िश्चित करना; स््ककू ली शिक्षा प्रावधानोों मेें न््ययूनतम मानक
सनु िश्चित करना; व््ययावसायिक शिक्षा को बढ़़ावा देना; शिक्षा का अधिकार
केें द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) (RTE) अधिनियम, 2009 के कार््ययान््वयन मेें राज््योों का समर््थन करना।
z यह MoWCD (महिला और बाल विकास मंत्रालय) के अंतर््गत एक संक ट मेें फंसे बच्चचों के लिए
स््ववायत्त निकाय है। यह मख्ु ्य रूप से मान््यता प्राप्त संस््थथाओ ं के माध््यम z खोया-पाया पोर््टल: लापता/पाए गए/देखे गए बच््चोों का विवरण बड़़े पैमाने
से अनाथ (Orphan), परित््यक्त (Abandoned) और आत््मसमर््पण पर जनता के साथ साझा करने के लिए जनता को एक मचं प्रदान करना। वर््ष
(Surrendered) करने वाले बच््चोों को गोद लेने से सबं ंधित है। 2015-2017 के बीच 3,355 से अधिक बच््चोों को एकजटु /पनर््ववासि ु त किया
z अतं र-देशीय (इटं रकंट्री) एडॉप््शन, 1993 पर हेग कन््वेेंशन के प्रावधानोों के गया है।
अनसु ार, इसे बच््चोों के देश और अतं र-देशीय गोद लेने से निपटने के लिए z महिला और बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) का रेलवे के साथ
केें द्रीय प्राधिकरण के रूप मेें नामित किया गया है। समझौता ज्ञापन पर हस््तताक्षर: रे लवे के माध््यम से भागे हुए, परित््यक्त, अपहृत,
तस््करी किए गए बच््चोों के बचाव और पनर््ववा
ु स के लिए MoWCD ने रे लवे
राष्ट् रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (NIPCCD) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस््तताक्षर किए। 33 मख्ु ्य रे लवे स््टटेशनोों को
z महिला एवं बाल विकास मत्रा ं लय (MoWCD) की देखरे ख वाला NIPCCD, लापता परिवारोों के बचाव, पनर््ववा
ु स और बहाली की सवु िधाओ ं से ससु ज््जजित
किया गया है।
दिल््लली मेें स््थथित एक स््ववायत्त संगठन है।
z चाइल््डलाइन: संकट की स््थथिति मेें बच््चोों को बचाने और सहायता के लिए
z 50 साल के ट्रैक रिकॉर््ड के साथ, NIPCCD रणनीतिक रूप से महिलाओ ं राष्टट्रव््ययापी 1098 हेल््पलाइन नंबर है।
और बच््चोों के विकास को आगे बढ़़ाने मेें सहायता करता है। z POCSO ई-बॉक््स: यह बाल यौन शोषण की रिपोर््ट करने के लिए एक
z यह मत्रा
ं लय को कार््यक्रमात््मक अनसु धं ान, क्षमता निर््ममाण और सलाहकार ऑनलाइन शिकायत बॉक््स है।
सेवाएँ प्रदान करता है, मिशन पोषण 2.0/सक्षम आंगनवाड़़ी, बाल कल््ययाण बालिकाओ ं के लिए योजनाएँ
के लिए मिशन वात््सल््य और महिला सरु क्षा और सशक्तीकरण के लिए
z उड़़ान: केें द्रीय माध््यमिक शिक्षा बोर््ड की पहल, जिससे छात्राओ ं को स््ककूलोों
मिशन शक्ति जैसी पहलोों का समर््थन करता है। से उच््च शिक्षा प्राप्त करने और अतं तः भविष््य मेें विभिन््न नेतत्ृ ्व भमि ू काएँ
निभाने मेें सक्षम बनाया जा सके ।
बच्चचों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
z सक ु न््यया समृद्धि योजना (2015): एक छोटी जमा योजना, जिसे 'बेटी
शिक्षा एवं स्वास्थ्य बचाओ बेटी पढाओ' के एक भाग के रूप मेें शरू ु किया गया है, ताकि
बालिकाओ ं के माता-पिता को उनकी शिक्षा और शादी के लिए धन जमा
z एकीकृत बाल सरं क्षण योजना (ICPS): ICPS कई मौजदू ा बाल संरक्षण करने के लिए प्रोत््ससाहित किया जा सके । इस योजना की शरुु आत के 2 महीने
योजनाओ ं को एक व््ययापक तंत्र के अतं र््गत लाता है और बच््चोों की असरु क्षा और के अदं र ही इसके अतं र््गत 1,80,000 खाते खोले जा चक ु े थे।
नक ु सान को रोकने के लिए अतिरिक्त हस््तक्षेपोों व प्रयासोों को एकीकृ त करता है। z लाडली लक्ष्मी योजना (मध््य प्रदेश): इसका उद्देश््य बालिकाओ ं के स््ववास््थ््य
z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन (NHM):-राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन (NHM) की और शैक्षिक स््थथिति मेें सधु ार करना,कन््यया भ्रूण हत््यया को रोकना, बालिकाओ ं
प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर (RMNCH+A) रणनीति NHM के जन््म के प्रति लोगोों मेें सकारात््मक दृष्टिकोण लाना और बाल विवाह को
की एक व््ययापक पहल है जो बाल स््ववास््थ््य और पोषण स््थथिति मेें सधु ार के लिए रोकना है।
हस््तक्षेपोों को एकीकृ त करती है। यह रणनीति नवजात, शिश,ु पांच वर््ष से कम z कन््ययाश्री प्रकल््प (पश्चिम बंगाल): सशर््त नकद हस््तताांतरण के माध््यम से
विशेष रूप से सामाजिक-आर््थथिक रूप से वंचित परिवारोों की बालिकाओ ं की
आयु के बच््चोों की मृत््ययु दर और कुपोषण के कारणोों का समाधान करती है।
स््थथिति और भलाई मेें सधु ार करना। बंगाल मेें उच््च शिक्षा सस्ं ्थथानोों मेें महिला
z सर््व शिक्षा अभियान: प्राथमिक शिक्षा को समयबद्ध तरीके से लिंग अनुपात वर््ष 2010 मेें 42% से बढ़कर वर््ष 2020 मेें 47.3% हो गया
सार््वभौमिक बनाने का लक्षष्य। है। इस योजना ने वर््ष 2017 मेें सयं ुक्त राष्टट्र लोक सेवा पुरस््ककार जीता।
z पढ़़े भारत बढ़़े भारत: यह सर््व शिक्षा अभियान का एक उप-कार््यक्रम है z भाग््यलक्ष्मी योजना (कर््ननाटक): गरीबी रे खा से नीचे के परिवारोों मेें
जिसका उद्देश््य कक्षा I और II के बच््चोों के लिए प्रारंभिक पठन, लेखन और बालिकाओ ं के जन््म को बढ़़ावा देना और विशेष रूप से परिवार मेें और
गणित के कार््यक्रमोों मेें सधु ार करना है। सामान््य रूप से समाज मेें बालिकाओ ं की स््थथिति को बेहतर बनाना।

बच्चे, किशोर औरयु 47


z शिक्षा को प्राथमिकता देना:
भारत मेें बाल, किशोर और युवा कल्याण के लिए
 आँकड़े: 25.8% बच््चचे (5-16 वर््ष) स््ककू ल से बाहर रहते हैैं, जिससे उनके
ऐप्स और पोर््टल पहल
भविष््य की संभावनाएँ बाधित होती हैैं।
केें द्र सरकार की पहल  कार््रवाई: सार््वजानिक विद्यालयोों के वित्तीयन मेें वृद्धि, नामांकन को

z चाइल््डलाइन (1098): यह संकट मेें फंसे बच््चोों के लिए समर््थन और सहायता प्रोत््ससाहन और शिक्षक-प्रशिक्षण और बनु ियादी ढाँचे मेें सधु ार करना।
प्रदान करने वाला एक राष्ट्रीय, टोल-फ्री हेल््पलाइन नंबर है।  उदाहरण: ‘सर््व शिक्षा अभियान’ कार््यक्रम ने प्रगति दिखाई है, लेकिन इसमेें
z पेेंसिल (PENCIL) (बाल श्रम न करने हेतु प्रभावी प्रवर््तन के लिए मंच): और विस््ततार और गणव ु त्तापर्ू ्ण शिक्षा पर ध््ययान देने की आवश््यकता है।
बाल श्रम मामलोों पर नजर रखने और बाल अधिकारोों तथा श्रम काननोू ों पर
z बाल श्रम उन््ममूलन:
शिक्षित करने के लिए एक ऑनलाइन पोर््टल।
 आँकड़े: 10.1 मिलियन बच््चचे (5-14 वर््ष) (जनगणना 2011) बाल श्रम
z राष्ट्रीय छात्रवत्ृ ति पोर््टल: केें द्र सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन््न छात्रवृत्तियोों
के लिए आवेदन की सवु िधा प्रदान करता है। मेें लगे हुए हैैं, जिससे उनके स््ववास््थ््य और शिक्षा पर असर पड़ रहा है।
z उमंग ऐप: शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल सहित विभिन््न सरकारी सेवाओ ं तक  कार््रवाई: मौजद ू ा काननोू ों के कार््ययान््वयन का सशक्तीकरण, परिवारोों के
पहुचँ प्रदान करता है। लिए वैकल््पपिक आजीविका प्रदान करना और बचाए गए बच््चोों के लिए
z सार््थक - कै रियर मार््गदर््शन के लिए राष्ट्रीय पोर््टल: छात्ररों और यवु ाओ ं के पनर््ववा
ु स कार््यक्रमोों मेें निवेश करना।
लिए कै रियर मार््गदर््शन ससं ाधन और उपकरण प्रदान करता है।  उदाहरण: ‘राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना’ शिक्षा और व््ययावसायिक प्रशिक्षण

विभिन्न राज्य सरकारोों की पहलेें पर केें द्रित है, जो विस््ततार के लिए एक संभावित मॉडल पेश करती है।
z बाल रक्षक ऐप (कर््ननाटक): उपयोगकर््तताओ ं को बाल यौन हमले और शोषण z कुपोषण से मुकाबला:
की रिपोर््ट करने की अनमति ु देता है।  आँकड़े: 5 वर््ष से कम उम्र के 35.5% बच््चचे अविकसित हैैं (NFHS-5,
z शी-बॉक््स ऐप (के रल): महिलाओ ं और बच््चोों को हिसं ा और उत््पपीड़न की 2019-21), जिससे दीर््घकालिक स््ववास््थ््य और विकासात््मक समस््ययाएँ
रिपोर््ट करने के लिए एक मचं प्रदान करता है। पैदा होती हैैं।
z सखु ी वतन ऐप (गुजरात): बच््चोों और किशोरोों के लिए सरकारी योजनाओ ं  कार््रवाई: आग ं नबाड़़ियोों और स््ककू ली भोजन के माध््यम से पौष्टिक भोजन
और सेवाओ ं के बारे मेें जानकारी प्रदान करता है। तक पहुचँ का विस््ततार करना, स््तनपान को बढ़़ावा देने के लिए प्रेरित करना
z किशोरी शक्ति योजना (कर््ननाटक): किशोरियोों को जीवन कौशल प्रशिक्षण और माताओ ं को पोषण प्रथाओ ं के बारे मेें शिक्षित करना।
और पोषण सबं ंधी सहायता के माध््यम से सशक्त बनाना।
 उदाहरण: ‘पोषण अभियान’ कार््यक्रम का उद्श्दे ्य कुपोषण को दरू करना है,
z ई-बाल सरु क्षा (के रल): बाल यौन शोषण की सीधे पलि ु स को रिपोर््ट करने
और सहायता सेवाओ ं तक पहुचँ ने के लिए एक मोबाइल ऐप। लेकिन इसके लिए पहुचँ और सामदु ायिक भागीदारी बढ़़ाने की आवश््यकता है।
z बाल रक्षा मोबाइल ऐप: बाल रक्षा ऐप को आयर्ु वेद से सबं ंधित सवु िधाओ ं का z बच््चोों की हिंसा और दुर््व््यवहार से रक्षा:
उपयोग करके बाल चिकित््ससा निवारक स््ववास््थ््य देखभाल के बारे मेें माता-पिता  आँकड़े: NCRB डेटा यौन अपराध और तस््करी सहित बच््चोों के खिलाफ
के बीच जागरूकता बढ़़ाने के लिए विकसित किया गया है। ऐप उनके बच््चोों अपराधोों मेें वृद्धि को दर््शशाता है।
के स््ववास््थ््य और प्रतिरक्षा मेें सधु ार करने मेें किट की प्रभावशीलता के बारे मेें  कार््रवाई: बाल संरक्षण तंत्र को मजबत ू करना, समदु ायोों को दर््व््यव
ु हार
माता-पिता से प्रतिक्रिया एकत्र करे गा।
की रिपोर््ट करने के लिए सशक्त बनाना और पीड़़ितोों के लिए काननी ू और
व्यापक राष्ट् रीय बाल नीति, 2013 मनोवैज्ञानिक सहायता तक पहुचँ मेें सधु ार करना।
z बच््चोों की स््थथिति मेें निरंतर और उभरती चनु ौतियोों का समाधान करने मेें यह  उदाहरण: ‘एकीकृ त बाल संरक्षण योजना’ एक रूपरे खा प्रदान करती
नीति अधिकार आधारित दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्धता दोहराती है। है, लेकिन इसके लिए मजबतू कार््ययान््वयन और सामदु ायिक जागरूकता
z इस नीति का मत है कि प्रत््ययेक बच््चचा विशिष्ट है, और वह एक अत््ययंत अभियान की आवश््यकता है।
महत्तत्वपर्ू ्ण राष्ट्रीय संपत्ति है। अतः भेदभाव का कारण बनने वाली स््थथितियोों
z मानसिक स््ववास््थ््य मेें निवेश:
को कम करने या समाप्त करने के लिए विशेष उपायोों और सकारात््मक कार््रवाई
की आवश््यकता है।  आँकड़े: सीमित आँकड़े मौजद ू हैैं, लेकिन अध््ययनोों से पता चलता है कि
z उत्तरजीविता, स््ववास््थ््य, पोषण, विकास, शिक्षा, सरु क्षा और भागीदारी प्रत््ययेक बच््चोों मेें चितं ा और अवसाद सहित मानसिक स््ववास््थ््य सबं ंधी समस््ययाएँ
बच््चचे के निर््वविवाद अधिकार हैैं और यही इस नीति की प्रमख ु प्राथमिकताएँ हैैं। बहुत अधिक हैैं।
 कार््रवाई: मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं को स््ककू ल प्रणालियोों और प्राथमिक
आगे की राह
स््ववास््थ््य देखभाल मेें एकीकृ त करना, मानसिक स््ववास््थ््य संबंधी चितं ाओ ं
भारत को बाल कल््ययाण से संबंधित कई जटिल चनु ौतियाँ हैैं, जिसमेें बाल
श्रम, कुपोषण, शिक्षा तक पहुचँ की कमी और दर््व््यव की पहचान और प्रबंधन करने के लिए शिक्षकोों और स््ववास््थ््य देखभाल
ु हार तथा शोषण की
संवेदनशीलता शामिल है। इन मद्ददों
ु से निपटने के लिए एक बहु-आयामी पेशवरोे ों का प्रशिक्षण।
दृष्टिकोण की आवश््यकता है जो तत््ककाल जरूरतोों और दीर््घकालिक समाधानोों  उदाहरण: ‘मनोदर््पण’ पहल एक प्रारंभिक बिंद ु प्रदान करती है, लेकिन
दोनोों को संबोधित करेें। इसे बढ़़ाने और मौजदू ा प्रणालियोों को एकीकृ त करने की आवश््यकता है।

48  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z सतत वित्तपोषण: z सामाजिक - आर््थथिक चुनौतियाँ: प्रवासी श्रमिकोों की वापसी विद्यमान
 कार््रवाई: बच््चोों से संबंधित कार््यक्रमोों और पहलोों के लिए सरकार, निजी प्रकरणोों मेें वृद्धि करती हैैं, जिससे समस््यया और बढ़ जाती है।
क्षेत्र और अतं रराष्ट्रीय भागीदारी से पर््ययाप्त और निरंतर धन का आवंटन। z आर््थथिक परिवेश: भारत की आर््थथिक मदं ी और बढ़ती बेरोजगारी बाल श्रम
 उदाहरण: सामाजिक प्रभाव बॉण््ड जैसे नवोन््ममेषी वित्तपोषण तंत्र अतिरिक्त के प्रसार मेें योगदान करती है।
ससं ाधनोों को आकर््षषित कर सकते हैैं। z डिजिटल असमानता: इटं रनेट और डिजिटल उपकरणोों तक सीमित पहुचँ
भारत मेें बच््चोों के बहुमख
ु ी विकास की चनु ौतियोों के मद्ददोंु को हल करने के लिए दरू स््थ शिक्षा मेें बाधा डालती है, जिससे बच््चोों को वैकल््पपिक गतिविधियोों के
एक समग्र दृष्टिकोण की आवश््यकता है जो नीति सुधार, सामदु ायिक जुड़़ाव लिए मजबरू होना पड़ता है।
और निरंतर निवेश को परस््पर जोड़ सकेें । बच््चोों के अधिकारोों और कल््ययाण को z अनौपचारिक क्षेत्र का विकास: कड़़े श्रम काननू उद्योगोों को सवि ं दात््मक
प्राथमिकता देकर, भारत अपनी वास््तविक क्षमता का आकलन कर सकता है श्रमिकोों को नियक्त ु करने के लिए प्रोत््ससाहित करते हैैं, जिससे बाल शोषण
और अपनी युवा पीढ़़ी के लिए एक उज््ज््वल भविष््य का निर््ममाण कर सकता है। की संभावना बढ़ जाती है।
समाचारोों मेें रहे चर््चचित मुद्दे z विधायी अंतराल: परु ाने काननू समस््यया की गभं ीरता को हल करने मेें विफल
रहते हैैं, जिससे बच््चचे असरु क्षित हो जाते हैैं।
बाल श्रम z अन््य कारक: आर््थथिक असरु क्षा, सामाजिक सरु क्षा व््ययापकता की कमी और
बाल श्रम: इसमेें बच््चोों को किसी भी प्रकार के काम मेें शामिल किया जाता है, कम घरे लू आय गरीब परिवारोों के बच््चोों को बाल श्रम की ओर ले जाती है।
चाहे भगु तान किया गया हो या अवैतनिक हो, जो उन््हेें उनके बचपन से वंचित बाल श्रम के प्रभाव
करता है और उनकी शिक्षा मेें हस््तक्षेप करता है।
z बचपन से वंचित करना: बाल श्रम बच््चोों से उनका बचपन छीन लेता है,
z प्रसार: भारत मेें बाल श्रम की एक व््ययापक समस््यया है, लाखोों बच््चचे, विशेष
उन््हेें शिक्षा और आराम के अधिकार से वंचित कर देता है।
रूप से ग्रामीण क्षेत्ररों मेें, विभिन््न प्रकार के कार्ययों मेें संलिप्त हैैं।
z वयस््क जीवन: बाल श्रम के कारण प्राप्त शिक्षा और कौशल की कमी वयस््कता
z आँकड़े: वर््ष 2011 की जनगणना के आँकड़ोों से पता चलता है कि 5-14
मेें अच््छछे काम के अवसरोों मेें बाधा डालती है।
वर््ष की आयु के लगभग 10.1 मिलियन बच््चचे कामकाजी हैैं, जिनमेें से 8.1
z स््ववास््थ््य को खतरा: लंबे समय तक और खतरनाक काम करने से बाल श्रमिकोों
मिलियन ग्रामीण क्षेत्ररों मेें हैैं और ये मख्ु ्य रूप से कृ षि कार्ययों से जड़ु ़े हुए हैैं।
को शारीरिक और मानसिक स््ववास््थ््य संबंधी जोखिम का सामना करना पड़ता
z वैश्विक सद ं र््भ: बाल श्रम दर मेें मामल ू ी गिरावट के बावजदू , भारत वर््ष 2025
है, जिससे उनका समग्र विकास बाधित होता है।
तक बाल श्रम को समाप्त करने के सयं क्त ु राष्टट्र के सतत विकास लक्षष्य 8.7
z गरीबी का दुष््चक्र: बाल श्रम बच््चोों को शिक्षा से वंचित करके , परिवारोों को
को परू ा करने के लिए सघं र््ष कर रहा है।
पीढ़़ियोों तक गरीबी के चक्र मेें फंसाकर गरीबी को बरकरार रखता है।
z बंधुआ मजदूर: बंधुआ मजदूरी और दासता जै सी स््थथिति सहने वाले बच््चोों
z राष्ट्रीय प्रभाव: बड़़ी संख््यया मेें बाल श्रमिकोों की उपस््थथिति देश के दीर््घकालिक
की संख््यया के मामले मेें भारत विश्व स््तर पर सबसे आगे है।
आर््थथिक विकास और सामाजिक-आर््थथिक कल््ययाण को कमजोर करती है।
बाल श्रम मेें योगदान देने वाले कारक
बाल श्रम के संबंध मेें नीति निर्माताओ ं के लिए प्रमुख चुनौतियााँ
ग्रामीण क्षेत्ररों मेें गरीबी
निम््न कृ षि उत््पपादकता और z पारिभाषिक भ्रम: काननोू ों मेें अस््पष्ट आयु परिभाषाएँ उन््ममूलन प्रयासोों को
और निम््न आय
ग्रामीण अर््थव््यवस््थथाओं का बच््चोों द्वारा वयस््कोों जटिल बनाती हैैं।
निम््न प्रदर््शन का पूरक/प्रतिस््थथापन
z पहचान सबं ंधी बाधाएँ: दस््ततावेजीकरण की अनपु स््थथिति शोषण की अनमति ु
समुदायोों की नवप्रवर््त न और गरीबी और बाल देती है, विशेषकर प्रवासी और घरे लू कामगार परिवारोों के मध््य।
विपरीत परिस््थथितियोों का श्रम का दुष््चक्र z कमजोर कानून प्रवर््तन: अपर््ययाप्त प्रवर््तन, निवारण और भ्रष्टाचार बाल श्रम
जवाब देने की क्षमता मेें कमी बच््चोों का श्रम बल मेें के खिलाफ प्रभावी लड़़ाई मेें बाधा डालते हैैं।
प्रवेश,अधिकतर बाल श्रम
न््ययूनतम वयस््क वेतन और का सबसे निकृ ष्ट रूप z महामारी का प्रभाव: कोविड-19 के कारण कम निरीक्षण और तस््करोों का
कमजोर मोलभाव की क्षमता पीछा करने से बाल श्रम का जोखिम बढ़ गया है।
अकुशल श्रम मेें फं से z शिक्षा और पोषण सबं ंधी असफलताएँ: शिक्षा और पोषण मेें महामारी-
बच््चचे/वयस््क
प्रेरित असफलताओ ं ने मौजदू ा बाल श्रमिकोों के लिए स््थथिति खराब कर दी है
z अंतराल: लाखोों बच््चचे स््ककू ल से बाहर हैैं, जिससे बाल श्रम के प्रति संवेदनशील और अधिक बच््चोों को श्रम के लिए विवश किया जा रहा है।
समहू निर््ममित हुआ है। z विधायी असगति
ं : रोजगार की आयु और अनिवार््य शिक्षा से संबंधित काननोू ों
z आर््थथिक मंदी: आर््थथिक सक ं ट और लॉकडाउन से घरे लू आय कम हो गई है, के बीच विसंगतियाँ बाल श्रम को प्रभावी ढंग से समाप्त करने के प्रयासोों मेें
जिससे परिवारोों को जीवित रहने के लिए बाल श्रम पर निर््भर रहना पड़ रहा है। बाधा डालती हैैं।

बच्चे, किशोर औरयु 49


भारत मेें बाल श्रम उन्मूलन के लिए सरकारी उपाय z नीति और विधायी प्रवर््तन को सदृु ढ़ बनाना: नीति और विधायी प्रवर््तन को
बढ़़ाने, तथा सरकार, श्रमिकोों और नियोक्ता संगठनोों और राष्ट्रीय, राजकीय और
संवैधानिक अधिदेश (Constitutional Mandate): सामदु ायिक स््तरोों पर अन््य भागीदारोों की क्षमता निर््ममाण को प्राथमिकता देना।
z मौलिक अधिकार के रूप मेें बच््चोों (6-14 वर््ष) के लिए निःशल्ु ्क एवं अनिवार््य z शिक्षा पहल: साक्षरता और शिक्षा को बढ़़ावा देना महत्तत्वपर् ू ्ण है, क््योोंकि
शिक्षा (अनच्ु ्छछेद 21A )। अशिक्षित व््यक्ति बाल श्रम के निहितार््थ को नहीीं समझ सकते हैैं। बच््चोों को
z बलात श्रम का निषेध (अनच्ु ्छछेद 23)। कार््यबल मेें प्रवेश करने से रोकने के लिए स््ककू ली शिक्षा तक पहुचँ और गणव ु त्ता
z खतरनाक काम से बच््चोों (14 वर््ष से कम) की सरु क्षा (अनच्ु ्छछेद 24)। मेें सधु ार आवश््यक है।
z श्रमिकोों और बच््चोों के स््ववास््थ््य और कल््ययाण की सनु िश्चितता (अनच्ु ्छछेद 39)। z बेरोजगारी दूर करना: रोजगार के अवसर बढ़ने से बाल श्रम पर निर््भरता कम

हो सकती है, जिससे परिवार अपने बच््चोों की शिक्षा का खर््च उठाने मेें सक्षम
विधायी उपाय:
हो सकेें गे और आर््थथिक समस््ययाएँ कम हो सकेें गी।
z बाल श्रम अधिनियम, 1986 खतरनाक उद्योगोों मेें बाल श्रम पर प्रतिबधं लगाता है। z एकीकृत दृष्टिकोण और बच््चोों की भूमिका: बाल श्रम से निपटने के लिए
z बाल श्रम (संशोधन) अधिनियम, 2016 बाल श्रम (14 वर््ष से कम) पर परू ी एकीकृ त रणनीतियोों की आवश््यकता है जो बाल संरक्षण प्रणालियोों को मजबतू
तरह से प्रतिबंध लगाता है और खतरनाक व््यवसायोों मेें किशोरोों (14-18 वर््ष) करेें, निर््धनता और असमानता का निपटान करेें, शिक्षा की पहुचँ और गणव ु त्ता
के नियोजन को प्रतिबंधित करता है। मेें सधु ार करेें और बच््चोों के अधिकारोों के लिए जन समर््थन जटु ाएँ। बाल श्रम
z किशोर न््ययाय अधिनियम, 2000 कामकाजी बच््चोों के लिए देखभाल और को रोकने और प्रतिक्रिया देने मेें भमि ू का निभाने के लिए बच््चोों को सशक्त
सरु क्षा की आवश््यकता मानता है। बनाना आवश््यक है।
z SC/ST (अत््ययाचार निवारण) संशोधन अधिनियम मेें बंधआ ु मजदरू ी और बाल श्रम को समाप्त करना संयुक्त राष्टट्र सतत विकास लक्षष्य 8 (बेहतर कार््य और
बच््चोों के शोषण के लिए कठोर दडं का प्रावधान किया गया है। आर््थथिक विकास) का एक मख्ु ्य पहलू है। सतत विकास लक्षष्य और बाल श्रम पर
प्रयासोों को जोड़ने से इन लक्षष्ययों की दिशा मेें कार््य करने वाले विभिन््न हितधारकोों
नीतिगत हस्तक्षेप:
की क्षमता का लाभ उठाया जा सकता है। बाल श्रम को समाप्त करने के लिए
z मनरेगा (2005): ग्रामीण परिवारोों को गारंटीकृ त रोजगार प्रदान करता है।
व््यक्तिगत कार््रवाई की नहीीं बल््ककि संयुक्त प्रयासोों की जरूरत है।
z शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009: शिक्षा को निःशल्ु ्क और अनिवार््य
बनाता है (6-14 वर््ष)। भारत मेें बाल विवाह:
z मध््ययाह्न भोजन योजना: भोजन के साथ स््ककू ल मेें उपस््थथिति को प्रोत््ससाहित लैैंसेट ग्लोबल हेल्थ का अध्ययन
करता है। अध्ययन के निष्कर््ष
z प्रस््ततावित राष्ट्रीय नीति मेें घरे लू कामगारोों के लिए बच््चोों की श्रमिकता को
z लैैंसेट ग््ललोबल हेल््थ के एक हालिया अध््ययन से पता चलता है कि भारत
संज्ञान मेें लेकर उनके द्वारा की गई शिकायतोों का गंभीरता से निपटान और मेें पाँच मेें से एक लड़की और छह मेें से एक बालक की शादी अभी भी
दोषियोों के खिलाफ कठोर कार््रवाई सनु िश्चित की जाएगी। काननी ू उम्र से कम मेें होती है।
z अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ: बाल श्रम को समाप्त करने की प्रतिबद्धता को z शोधकर््तताओ ं ने अध््ययन को संकलित करने के लिए वर््ष 1993 से 2021 के
प्रदर््शशित करते हुए वर््ष 2017 मेें ILO कन््वेेंशन 138 और 182 की पष्टि ु मध््य पाँच राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षणोों (NFHSs) का विश्लेषण किया।
की गई।
लैैंसेट ग्लोबल हेल्थ - मुख्य विशेषताएँ
z राष्ट्रीय परियोजनाएँ: राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना और पेेंसिल प््ललेटफार््म
बाल श्रमिकोों के पनर््ववा
ु स और बाल श्रम काननोू ों को प्रभावी ढंग से लागू करने z नीति की तात््ककालिकता: शोधकर््तता वर््ष 2030 तक बाल विवाह को समाप्त
की दिशा मेें कार््य करते हैैं। करने के लिए मजबतू राष्ट्रीय और राज््य-स््तरीय नीतियोों की आवश््यकता पर
बल देते हैैं।
z गैर-सरकारी सगं ठनोों के प्रयास: बचपन बचाओ आंदोलन, के यर इडिया ं
और चाइल््ड राइट्स एडं यू (CRY) जैसे संगठन बाल श्रम को समाप्त z क्षेत्रीय असमानताएँ: राज््योों और केें द्र शासित प्रदेशोों मेें बाल विवाह के
करने और बच््चोों के अधिकारोों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से कार््य करते हैैं। प्रचलन मेें महत्तत्वपर्ू ्ण भिन््नता मौजदू है।
z बालिका विवाह मेें गिरावट: मणिपरु को छोड़कर, सभी राज््योों मेें वर््ष 1993
आगे की राह से 2021 तक बालिका विवाह मेें गिरावट देखी गई।
z मूल कारणोों का समाधान करना: बाल तस््करी को समाप्त करना, निर््धनता z उपलब््ध आँकड़े: वर््ष 2021 मेें, लगभग 13.5 मिलियन बालिकाओ ं और
को कम करना, निशल्ु ्क और अनिवार््य शिक्षा सनु िश्चित करना और जीवन 1.45 मिलियन बालकोों की शादी बचपन मेें ही कर दी गई।
स््तर के बनु ियादी मानकोों की स््थथापना से बाल श्रम को काफी हद तक कम z राज््यवार आंकड़े: बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्टट्र से ही
किया जा सकता है। कुल बालिका विवाह का आधे से अधिक हिस््ससा है, जबकि गजु रात, बिहार,
z श्रम कानूनोों का सख््तती से कार््ययान््वयन: पार््टटियोों या बहुराष्ट्रीय कंपनियोों द्वारा पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश मेें बालक के बाल विवाह का 60% से अधिक
शोषण को रोकने के लिए श्रम काननोू ों को सख््तती से लागू करना महत्तत्वपर्ू ्ण है। हिस््ससा है।

50  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z झारखंड मेें वद्ृ धि: वर््ष 1993 और 2021 के बीच झारखडं मेें बाल विवाह z पश्चिम बंगाल मेें इसका प्रचलन सबसे अधिक (42%) है, जबकि गोवा,
की संख््यया मेें सबसे अधिक प्रतिशत वृद्धि देखी गई। हिमाचल प्रदेश और के रल मेें इसकी दर कम (6-7%) है।
z राज््योों के रुझान: अधिकांश राज््योों मेें बालिका विवाह की संख््यया मेें कमी z सबसे अधिक 39% बाल विवाह, आदिवासियोों और दलितोों मेें होते हैैं।
देखी गई, जिसमेें उत्तर प्रदेश पर्ू ्ण कमी मेें अग्रणी रहा, जबकि पश्चिम बंगाल मेें z लाभान््ववित सामाजिक समूहोों मेें 17% बाल विवाह होते हैैं तथा शेष अन््य
उल््ललेखनीय पर्ू ्ण वृद्धि देखी गई।
पिछड़़ा वर््ग मेें होते हैैं।
बाल विवाह अवलोकन
भारत मेें बाल विवाह जारी रहने के कारण:-
z बाल विवाह मेें 18 साल की उम्र से पहले लड़की या 21 साल से पहले
z वित्तीय भार: गरीब परिवार बेटियोों की शादी को निर््भरता कम करने और
बालक की शादी करना शामिल है, जिसमेें औपचारिक और अनौपचारिक संबंध
शामिल हैैं जहाँ बच््चचे एक साथी के साथ ऐसे रहते हैैं जैसे कि शादीशदु ा होों। संभावित रूप से दहेज आय प्राप्त करने के तरीके के रूप मेें देखते हैैं।
z विधान: बाल विवाह निषेध (सश ं ोधन) विधेयक, 2021 महिलाओ ं के z सीमित अवसर: बेटियोों को आर््थथिक बोझ के रूप मेें देखा जाता है, क््योोंकि
लिए विवाह योग््य आयु 21 वर््ष निर््धधारित करता है। बेटोों की तल
ु ना मेें कमाई की क्षमता सीमित होती है।
z वैश्विक मुद्दा: लैैंगिक असमानता, गरीबी, सामाजिक मानदडों ों और z दहेज प्रथा: लड़की की उम्र बढ़ने के साथ दहेज देने का दबाव बढ़ता जाता है,
असरु क्षा के कारण बाल विवाह को बढ़़ावा मिलता है, जिसके दनु िया भर मेें जिससे परिवार कम उम्र मेें उसकी शादी करने के लिए प्रोत््ससाहित होते हैैं। लिंग
विनाशकारी परिणाम होते हैैं। भेदभाव और सामाजिक दबाव के कारण दहेज प्रथा को बढ़़ावा मिलता है।
z भारत मेें व््ययापकता: यनू िसेफ का अनमु ान है कि विश्व की तीन मेें से एक z बालिकाओ ं की ‘सरु क्षा’: कम उम्र मेें बालिकाओ ं की शादी करके गलत
बालिका वधू भारत मेें रहती है। तरीके से उनकी कामक ु ता को नियंत्रित करने और पारिवारिक सम््ममान की रक्षा
प्रमुख तथ्य और आँकड़े करने के तरीके के रूप मेें देखा जाता है।
कम उम्र मेें विश्व की 3 मेें से 1 बाल आधे से अधिक भारतीय बाल z सामाजिक आदर््श: बाल विवाह ग्रामीण क्षेत्ररों मेें, निचली जातियोों मेें अधिक
बच््चचे पैदा वधू भारत मेें रहती है उत्तर प्रदेवध

एु ँ 5 राज््योों मेें रहती हैैं
होना पुरुषोों मेें बाल
बिहार
प्रचलित है और यहाँ बालिकाओ ं की शिक्षा की उपेक्षा की जाती है।
विवाह: 25 मेें से
1 पुरुष का विवाह
18 वर््ष की उम्र
से पूर््व कर दिया
पश्चिम बंगाल z तस््करी: अत््यधिक गरीबी के कारण कुछ परिवारोों को अपनी बेटियोों को
बाल महाराष्टट्र
वधुएँ
जाता है
मध््य प्रदेश शादी या वेश््ययावृत्ति के लिए बेचने का लालच दिया जाता है। लचर कानून
विश्व मेें बाल वधएु ँ
650 मिलियन
प्रवर््तन और जागरूकता की कमी के कारण इन प्रथाओ ं की प्रभावी ढंग से
भारत मेें 223 15-19 वर््ष की आयु
मिलियन वाली 6.8 % महिलाएँ रोकथाम नहीीं की जा सकी है।
पहले से ही माँ बनी या
20-24 आयु वर््ग की महिलाओ ं मेें
गर््भवती हुई ं
z कमजोर कार््ययान््वयन: बाल विवाह के खिलाफ काननोू ों को प्रायः सख््तती से
प्रति 4 मेें से 1 का विवाह 18 वर््ष
की उम्र से पूर््व कर दिया गया राज््यवार अभिलेखित बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, लागू नहीीं किया जाता है, जिससे इस प्रथा को जारी रखना आसान हो जाता है।
की गई घटनाएँ कर््ननाटक 2020 के अंतर््गत दर््ज मामले
बाल विवाह की घटनाएँ z अपंजीकृत विवाह: कई बाल विवाहोों की रिपोर््ट नहीीं की जाती, जिससे उन््हेें
तमिलनाडु असम
ट्रैक करने और रोकने के प्रयासोों मेें बाधा आती है।
ग्रामीण क्षेत्र

तेलंगाना पश्चिम बंगाल सीमित ज्ञान: परिवार, विशेषकर वचि


z ं त समदु ायोों मेें, बाल विवाह के काननी

शहरी
क्षेत्र

और सामाजिक दष्ु ्परिणामोों से अनभिज्ञ हो सकते हैैं।


z 1.5 मिलियन बालिकाओ ं की भारत मेें हर साल 18 साल से कम उम्र मेें
z गरीबी और बाल विवाह का अंतर्संबंध: गरीबी कई तरह से बाल विवाह
शादी होती है, जो विश्व स््तर पर सबसे ज््ययादा है।
को बढ़़ावा देती है:
z लगभग आधी भारतीय लड़कियोों की शादी बचपन मेें ही हो जाती है।
z बड़़े परिवार: बड़़े परिवार का बोझ उपलब््ध संसाधनोों पर दबाव डालते हैैं,
z बाल विवाह को कम करने विशेषकर 15-18 वर््ष की बालिकाओ ं के मामले,
मेें प्रगति धीमी है। जिससे माता-पिता बोझ कम करने के लिए बेटियोों की जल््ददी शादी करने के
लिए विवश हो जाते हैैं।
z ग्रामीण क्षेत्ररों (48%) की तल ु ना मेें शहरी क्षेत्ररों (29%) मेें कम प्रसार
परिलक्षित होता है। z सीमित शिक्षा: शिक्षा की कमी से बालिकाओ ं के लिए अवसर कम हो जाते
z विभिन््न समुदायोों और जातीय समूहोों के बीच भिन््नताएँ मौजदू हैैं। हैैं, जिससे विवाह ही एकमात्र विकल््प प्रतीत होने लगता है।
z बाल विवाह बालिकाओ ं की शिक्षा, रोजगार और निर््णय लेने की क्षमता को z ऋण निपटान: कुछ परिवार कर््ज चक
ु ाने के लिए अपनी बेटियोों की शादी
प्रभावित करता है। लेनदारोों से कर देते हैैं।
z वैश्विक बाल विवाह मेें भारत का योगदान 40% है, जो वैश्विक स््तर पर 14वेें z कोविड-19 प्रभाव: महामारी के दौरान नौकरी छूटने और वित्तीय कठिनाइयोों
स््थथान पर है। ने कुछ परिवारोों को बाल विवाह के लिए मजबरू कर दिया।

बच्चे, किशोर औरयु 51


भारत पर बाल विवाह का प्रभाव बाल विवाह समाप्त करने के वित्तीय लाभ:
जिन लड़कियोों की z अध््ययनोों का अनमु ान है कि बाल विवाह समाप्त करने से प्रथम वर््ष मेें 22.1
बाल वधओ ु ं के
कम उम्र मेें शादी बिलियन डॉलर का वैश्विक कल््ययाण लाभ होगा।
गरीबी मेें रहने की हो जाती है उनके
अधिक संभावना z भारत मेें बाल विवाह के उच््च प्रसार को देखते हुए, सभं ावित आर््थथिक लाभ
पास शैक्षिक और महत्तत्वपर्ू ्ण हैैं।
होती है आर््थथिक अवसर
बाल विवाह कम हो जाते हैैं बाल विवाह रोकथाम हेतु प्रयास
गरीबी के चक्र
को बनाए मौजूदा कानून
रखता है z बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929 (CMRA): महिलाओ ं के लिए
विवाह की न््ययूनतम आयु 18 वर््ष और परुु षोों के लिए 21 वर््ष निर््धधारित थी।
z बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 (PCMA): CMRA को
खर्चचों को कम करने के लिए परिवार प्रतिस््थथापित किया गया, जिसमेें बच््चचे की उम्र को 18 (महिला) और 21
बाल विवाह का विकल््प चनते
ु हैैं (परुु ष) से ​​कम के रूप मेें परिभाषित किया गया। इसका उल््ललंघन करने पर
कारावास /या जर््ममान
ु े का प्रावधान है।
आर््थथिक प्रभाव z लैैंगिक अपराधोों से बच््चोों का सरं क्षण अधिनियम, 2012 (POCSO):
z उत््पपादकता मेें कमी: बाल वधओ ु ं और वरोों के पास शिक्षा और रोजगार बच््चोों को बाल विवाह सहित यौन शोषण से सरु क्षा प्रदान करता है।
कौशल की कमी होती है, जिससे अर््थव््यवस््थथा मेें योगदान करने की उनकी
अंतराल और प्रस्तावित परिवर््तन
क्षमता मेें बाधा आती है।
z हिंदू विवाह अधिनियम, 1956: बाल विवाह मेें माता-पिता या पदाधिकारियोों
z अतिरिक्त बोझ: कम उम्र मेें शादी से अधिक बच््चचे पैदा होते हैैं, जिससे घर को दडि ं त करने के प्रावधानोों का अभाव है।
की आर््थथिक स््थथिति पर दबाव पड़ता है।
z मुस््ललिम पर््सनल लॉ: बाद मेें विवाह को रद्द करने के लिए ‘यौवन के विकल््प’
z सकल घरेलू उत््पपाद हानि: अनमु ान है कि बाल विवाह से भारत को सकल के साथ बाल विवाह की अनमति ु देता है।
घरे लू उत््पपाद का 1.7% नक
ु सान होगा। z न््ययूनतम आयु मेें प्रस््ततावित वद्ृ धि: संसदीय समिति द्वारा महिलाओ ं के लिए
स्वास्थ्य के मुद्दे विवाह की न््ययूनतम आयु बढ़़ाकर 21 वर््ष करने पर विचार किया गया और इसे
z मातृ मृत््ययु दर: 15 वर््ष से कम उम्र की बालिकाओ ं की प्रसव या गर््भभावस््थथा काननू मेें सश
ं ोधन के माध््यम से वर््ष 2021 मेें लागू कर दिया गया।
के दौरान मृत््ययु की संभावना पाँच गनु ा अधिक होती है। सरकारी उपाय
z शिशु मृत््ययु दर: यवु ा माताओ ं से जन््म लेने वाले शिशओ
ु ं की मृत््ययु दर अधिक z जन जागरूकता अभियान: मीडिया के माध््यम से, अंतरराष्ट्रीय महिला
होती है और समय से पर््वू जन््म लेने या जन््म के समय उनका वजन कम होने दिवस और राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप मेें जन जागरूकता अभियानोों
की सभं ावना अधिक होती है। का संचालन करना।
z स््ववास््थ््य समस््ययाएँ: कम उम्र मेें शादी के कारण समय से पहले गर््भधारण हो z सबला कार््यक्रम: किशोरियोों को PCMA सहित उनके काननी ू अधिकारोों
जाता है, जिससे यवु ा माताओ ं और उनके बच््चोों के लिए जोखिम बढ़ जाता है। के बारे मेें शिक्षित करती है।
z बाल सरं क्षण को सदृु ढ़ बनाना: आपातकालीन स््थथिति के दौरान बाल संरक्षण
शिक्षा
कार््यकर््तताओ ं को आवश््यक स््ववास््थ््य सेवाओ ं मेें एकीकृ त करना।
z सीमित अवसर: बाल वधओ ु ं को प्रायः स््ककू ल छोड़ने के लिए मजबरू किया लिंग सवं ेदीकरण कार््यक्रम: लैैंगिक मद्ददों
z ु और बाल विवाह रोकथाम पर
जाता है, जिससे उनकी शिक्षा और भविष््य की संभावनाएँ सीमित हो जाती हैैं। ु स और गैर-सरकारी सगं ठनोों को प्रशिक्षण देना।
पलि
z अंतरपीढ़़ीगत चक्र: बाल वधओ ु ं मेें शिक्षा की कमी उनके बच््चोों के लिए z कानून प्रवर््तन: काननोू ों पर क्षमता निर््ममाण और बाल विवाह हेल््पलाइन का
गरीबी के चक्र को बरकरार रखती है। संचलन (उदाहरण के लिए, ओडिशा बाल विवाह प्रतिरोध मचं )।
अन्य हानिकारक प्रभाव आगे की राह
z बाल अधिकारोों का उल््ललंघन: बाल विवाह बच््चोों को उनकी शिक्षा, सरु क्षा z शिक्षा: बालिकाओ ं को सशक्त बनाने और सामदु ायिक दृष्टिकोण बदलने के
और विकास के अधिकार से वंचित करता है। लिए उनकी शिक्षा को बढ़़ावा देना।
z गरीबी मेें वद्ृ धि: सीमित अवसरोों के कारण बाल विवाह परिवारोों को गरीबी z सामुदायिक गतिशीलता: शपथ, प्रतिज्ञा, परामर््श और मीडिया का उपयोग
के चक्र मेें फंसा देता है। करके प्रभावशाली लोगोों के साथ कार््य करना।
z किशोर विधवाएँ: बाल विवाह से किशोर विधवाओ ं की सख्ं ्यया बढ़ती है, z बालिकाओ ं का सशक्तीकरण: जीवन कौशल, सरु क्षा प्रशिक्षण, उच््च शिक्षा
जिससे सामाजिक और आर््थथिक चनु ौतियाँ उत््पन््न होती हैैं। और रोजगार के अवसर प्रदान करना।

52  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z समन््यव को बढ़़ावा देना: शिक्षा, सामाजिक सरु क्षा जैसे क्षेत्ररों मेें बेटी बचाओ z युवाओ ं मेें प्रचलन: मादक पदार्थथों का दरुु पयोग, विशेषकर 18-25 आयु
बेटी पढ़़ाओ जैसे कार््यक्रमोों को बढ़ावा देना। वर््ग के बीच, दनु िया भर मेें एक महत्तत्वपर्ू ्ण चनु ौती है।
z प्रोत््ससाहन राशि: व््यक्तिगत आवश््यकताओ ं को परू ा करने और शिक्षा को z राजनीतिक निहितार््थ: मादक पदार्थथों के उत््पपादक सघं (ड्रग कार्टेल),
प्रोत््ससाहित करने के लिए सशर््त नकद हस््तताांतरण योजनाओ ं को लागू करना। राज््य की सत्ता को नष्ट कर देते हैैं और बड़़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़़ावा देते
हैैं। यह धन शोधन (मनी लॉन््ड््रििंग), आतंकवाद वित्तपोषण आदि की व््ययापकता
बाल विवाह के उन््ममूलन के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश््यकता के कारण राष्ट्रीय सरु क्षा को प्रभावित करता है।
है, जिसमेें कानूनी ढाँचे, सार््वजनिक जागरूकता, सामदु ायिक भागीदारी और
भारत मेें मादक पदार्थथों के दरु
ु पयोग का परिमाण और परिदृश्य
बालिकाओ ं को सशक्त बनाना शामिल है। बाल विवाह मक्त ु भारत हेतु सरकारी
सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय की "भारत मेें पदार््थ के उपयोग
पहल और गैर-सरकारी संगठनोों के साथ सहयोग महत्तत्वपर्ू ्ण है।
की सीमा और प्रतिरूप पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण" (2019) की रिपोर््ट के अनुसार,
भारत मेें मादक पदार्थथों का दरु
ु पयोग पदार््थ के उपयोग की भयावहता इस प्रकार है:
z शराब का उपयोग: लगभग 16 करोड़ व््यक्ति (10-75 आयु वर््ग, आबादी
मादक पदार्थथों का दरु
ु पयोग क्या है ? का 14.6%) वर््तमान मेें शराब उपयोगकर््तता हैैं, जिनमेें से 5.2% को शराब पर
z परिभाषा: विश्व स््ववास््थ््य संगठन के अनसु ार, मादक पदार्थथों के दरुु पयोग का निर््भर व््यक्ति के रूप मेें वर्गीकृ त किया गया है।
z भाँग का उपयोग (Cannabis use): लगभग 3.1 करोड़ व््यक्ति (2.8%)
तात््पर््य शराब और अवैध दवाओ ं सहित साइकोएक््टटिव (मनो-सक्रिय) पदार्थथों
भाँग का उपयोग करते हैैं और 72 लाख (0.66%) भाँग से संबंधित समस््ययाओ ं
के हानिकारक या खतरनाक उपयोग से है।
से ग्रस््त हैैं।
z व््यसनलिप्तता (एडिक््शन): यह मादक द्रव््योों के सेवन का एक उन््नत चरण z अफीम का उपयोग (Opioid use): कुल मिलाकर, 2.06% आबादी
है, जिसमेें हानिकारक परिणामोों के बावजदू ड्रग््स लेने की विवशता होती है, अफीम उपयोगकर््तता है और लगभग 0.55% (60 लाख) को अफीम उपयोग
जिसके परिणामस््वरूप सामाजिक अलगाव होने लगता है। विकारोों के लिए उपचार सेवाओ ं की आवश््यकता है।
z लक्षण: भख ू मेें कमी, वजन मेें कमी, दैनिक गतिविधियोों मेें रुचि की कमी तथा z शामक (Sedatives): लगभग 18 करोड़ (1.08%) गैर-चिकित््ससीय उद्देश््योों

शारीरिक लक्षण जैसे पसीना आना, आखे ं ें लाल होना, मतली, उल््टटी, शरीर के लिए शामकोों के वर््तमान उपयोगकर््तता हैैं।
z इनहेलेेंट का उपयोग: 7% बच््चचे और किशोर इनहेलेेंट का उपयोग करते हैैं,
मेें दर््द, उनीींदापन या नीींद न आना एवम् मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे तीव्र चितं ा,
जबकि वयस््कोों मेें यह दर 0.58% है, लगभग 18 लाख बच््चोों को इनहेलेेंट
अवसाद और मडू स््ववििंग (मन परिवर््तन)। साइकोएक््टटिव (मनो-सक्रिय) पदार््थ
उपयोग के लिए सहायता की आवश््यकता होती है।
के उपयोग से आश्रित सिड्ं रोम (Dependence Syndrome) हो सकता z मादक पदार्थथों का इज ं ेक््शन लगाना: अनमु ानतः 8.5 लाख लोग मादक
है - जो व््ययावहारिक, संज्ञानात््मक और शारीरिक घटनाओ ं का एक समहू है, पदार्थथों का इजं ेक््शन लगा रहे हैैं।
जिस कारण सामाजिक अलगाव होता है। z वर््ल््ड ड्रग रिपोर््ट, 2022 के अनस ु ार, भारत वर््ष 2020 मेें जब््त की गई अफीम
संसदीय स्थायी समिति की रिपोर््ट
की मात्रा के मामले मेें चौथे स््थथान पर है, कुल 5.2 टन जब््तती के साथ और
जब््त की गई मॉर््फफिन मात्रा के मामले मेें तीसरे स््थथान पर है (कुल 0.7 टन)।
z हाल ही मेें, समिति ने 'यवु ा व््यक्तियोों के बीच मादक पदार्थथों के दरुु पयोग - z सर्वेक्षण निष््कर््ष : भारत मेें 50 मिलियन से अधिक आबादी नशे की
समस््ययाएँ एवं समाधान' पर एक रिपोर््ट प्रस््ततुत की, जिसमेें सख््त प्रवर््तन, पनर््ववा
ु स आदी हैैं। विभिन््न राज््योों मेें अलग-अलग प्रकार की नशीली दवाएँ प्रचलित हैैं।
और सामदु ायिक भागीदारी पर जोर दिया गया। z आत््महत््यया के मामले : मादक पदार्थथों या शराब की लत के कारण प्रतिदिन

z ससं द सदस््योों ने मादक पदार्थथों के दरुु पयोग को रोकने की तात््ककालिकता पर लगभग 10 आत््महत््ययाएँ होती हैैं, जिनमेें सबसे अधिक मामले महाराष्टट्र,
प्रकाश डाला और यवु ाओ ं के लिए बेहतर प्रवर््तन, पनर््ववा ु स केें द्र और खेल तमिलनाडु और के रल से सामने आते हैैं।
परिसरोों जैसे उपायोों का सझु ाव दिया। भौगोलिक कारक: ‘गोल््डन ट्राइएंगल’ और ‘गोल््डन क्रिसेेंट’ जैसे प्रमख ु
हेरोइन उत््पपादक क्षेत्ररों से भौगोलिक निकटता, नेपाल के कै नबिस ट्रेड (भाँग
समाज के लिए मादक पदार्थथों के निहितार््थ व््ययापार) के साथ-साथ मादक पदार्थथों की तस््करी को बढ़़ावा देती है।
z गंभीर स््ववास््थ््य समस््यया: मादक पदार्थथों का दरुु पयोग न के वल व््यक्तियोों को
बल््ककि उनके परिवारोों, समाजोों और राष्टट्ररों को भी प्रभावित करता है। यह चोरी,
अपराध और हिसं ा जैसे असामाजिक व््यवहार मेें वृद्धि करता है।
z आर््थथिक प्रभाव: यह आतंकवाद और राष्टट्र-विरोधी गतिविधियोों के वित्तपोषण
के लिए उपयोग किए जाने वाले बेहिसाब धन का सृजन करके आर््थथिक विकास
पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
z वैश्विक व््ययापकता: विश्व स््तर पर लगभग 230 मिलियन लोग प्रतिवर््ष अवैध
मादक पदार्थथों का उपयोग करते हैैं, जिनमेें से 2 लाख से अधिक मौतेें अवैध
मादक पदार्थथों के उपयोग के कारण होती हैैं।

बच्चे, किशोर औरयु 53


z नार्को-आतंकवाद (नार्को टे ररिज््म): सीमा पार तस््करी ने नार्को-आतंकवाद z आर््थथिक समृद्धि: पंजाब और महाराष्टट्र जैसे क्षेत्ररों मेें आय का स््तर बढ़ने से
को बढ़़ावा दिया है, जिससे भारत के लिए सरु क्षा सबंधी खतरे उत््पन््न हो गए है। खर््च योग््य आय मेें वृद्धि होती है, जिससे दवाएँ अधिक सल ु भ हो जाती हैैं।
z मनोवैज्ञानिक कारक: जो लोग अवसाद, तनावपर्ू ्ण जीवनशैली और कम
भारत मेें व्यापक मादक पदार्थथों के दरु
ु पयोग के कारण
आत््मसम््ममान जैसी समस््ययायोों या चनु ौतियोों से जझू रहे हैैं, वे इसके निवारण
z सामाजिक परिस््थथिति: सयं क्त ु परिवारोों का विघटन, नैतिक मल्ू ्योों मेें गिरावट के विकल््प के रूप मेें मादक पदार्थथों का उपयोग करते हैैं।
और पारंपरिक सामाजिक नियंत्रणोों का शिथिल होना मादक पदार्थथों के दरुु पयोग
मेें योगदान देता है। मादक पदार्थथों के दरु
ु पयोग के खिलाफ सरकार की पहल
z साथियोों का दबाव: साथियोों का प्रभाव, विशेषकर शैक्षणिक संस््थथानोों मेें, z भारत के संविधान मेें राज््य के नीति के निदेशक सिद््धाांतोों का अनुच््छछेद 47
कई यवु ाओ ं को मादक पदार्थथों का सेवन शरू ु करने के लिए प्रेरित करता है। राज््योों को सार््वजनिक स््ववास््थ््य मेें सधु ार करने और नशीले पेय एवं दवाओ ं के
z आसान उपलब््धता: भारत की भौगोलिक स््थथिति ‘गोल््डन ट्राइएगं ल’ और सेवन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करने का निर्देश देता है।
‘गोल््डन क्रिसेेंट’ जैसे प्रमख
ु उत््पपादक क्षेत्ररों से मादक पदार्थथों की तस््करी मेें z कानूनी ढाँचा: स््ववापक औषधि और मन:प्रभावी पदार््थ अधिनियम, 1985
सवु िधा प्रदान करती है। तथा नार्कोटिक ड्रग््स और स््ववापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार््थ अवैध
व््ययापार निवारण अधिनियम, 1988।

तस््करी के मुद्ददों से निपटने के लिए विभिन््न विभिन््न अवैध दवाओं पर प्रतिबंध या जब््तती के लिए
देशोों के साथ 37 समझौता ज्ञापन/समझौते परु स््ककार मेें बढ़ोतरी के साथ नए परु स््ककार दिशा-निर्देश।
नारकोटिक््स के नियंत्रण से संबंधित
नवंबर, 2016 मेें नार्को-समन््वय मादक पदार्थथों की तस््करी से खर्चचों को पूरा करने के लिए ‘राज््योों
केेंद्र (NCORD)। निपटने के लिए भारत की पहल को वित्तीय सहायता’ की योजना को
पनर्
ु जीवन
जब््तती सूचना प्रबंधन मादक पदार्थथों के दुरुपयोग के नियंत्रण के
प्रणाली (SIMS) लिए राष्ट्रीय कोष का निर््ममाण
एक नया सॉफ़्टवेयर जो मादक पदार्थथों से जड़ु ़े अपराधोों और
अपराधियोों का एक संपूर््ण ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा तस््करी का मादक पदार्थथों के नशे की लत के शिकार
(नारकोटिक््स कं ट्रोल ब््ययूरो द्वारा विकासशील) मुकाबला करना दरुु पयोग के खिलाफ लोगोों की पहचान करना,
जनता को शिक्षित करना उनका इलाज करना और
जमीनी स््तर उनका पनर््ववा
ु स करना
मादक पदार्थथों के खतरे के व््ययापक मादक पदार्थथों के दरुु पयोग के पीड़़ितोों मादक पदार्थथों के दरुु पयोग के दष्पु प्रभावोों के
परिप्रेक्षष्य को ध््ययान मेें रखते हुए, सरकार के लिए उपचार, पनर््ववा
ु स और नुकसान मेें बारे मेें जनता, विशेषकर यवु ाओं के बीच अधिक
को दोतरफा रणनीति पर काम करने की कमी के लिए पर््ययाप्त बनु ियादी ढाँचा बनाने जागरूकता प्रसार
की आवश््यकता है
z अंतरराष्ट्रीय सम््ममेलन: भारत तीन सयं ुक्त राष्टट्र दवा सम््ममेलनोों का z सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय: मादक पदार्थथों की माँग
हस््तताक्षरकर््तता है, स््ववापक औषधियोों पर एकल सम््ममेलन (1961), मेें कमी, जागरूकता, शिक्षा और पनर््ववाु स के लिए प्रयासोों का नेतत्ृ ्व करना।
साइकोट्रोपिक औषधि पर अभिसमय, 1971, मादक पदार्थथों और z व््यसनी के लिए एकीकृत पुनर््ववास केें द्र (IRCA) सामाजिक न््ययाय एवं
साइकोट्रोपिक औषधि की तस््करी के विरुद्ध अभिसमय, 1988, जो अधिकारिता मत्रा ं लय द्वारा वित्त पोषित, उपचार और पनर््ववा
ु स सेवाएँ प्रदान
मादक पदार्थथों के दरुु पयोग को नियंत्रित करने के लिए एक काननी ू ढाँचा करता है।
प्रदान करते हैैं। z व््ययापक औषधि सर्वेक्षण: आवधिक सर्वेक्षण मादक पदार्थथों के दरुु पयोग
की स््थथितियोों का आकलन करते हैैं और नीति-निर््ममाण को सचि ू त करते हैैं।
z प्रवर््तन एजेेंसी: मादक पदार्थथों की तस््करी से निपटने और कड़़े दडं लागू
z तकनीकी हस््तक्षेप: NCORD पोर््टल और ई-पोर््टल SIMS जैसे पोर््टलोों का
करने के लिए एक नोडल एजेेंसी के रूप मेें नारकोटिक््स कंट्रोल ब््ययूरो की शभु ारंभ किया गया है जिनका मख्ु ्य उद्देश््य मादक पदार्थथों की जब््तती के डेटा
स््थथापना की गई। नारकोटिक््स कंट्रोल डिवीजन और केें द्रीय उत््पपाद शुल््क को डिजिटलीकृ त करना और नवीनतम तकनीकोों का उपयोग करके मादक
एवं सीमा शुल््क विभाग जैसी अन््य एजेेंसियाँ ​​मादक पदार्थथों के नियंत्रण पदार्थथों के अपराधोों का पता लगाना और रोकना है।
की दिशा मेें काम करती हैैं। z जागरूकता कार््यक्रम: नशा मुक्त भारत अभियान और शैक्षिक पाठ्यक्रम
z राष्ट्रीय कार््य योजना: मादक पदार्थथों की माँग मेें कमी के लिए राष्ट्रीय कार््य मेें मादक पदार्थथों के बारे मेें जागरूकता का एकीकरण।
योजना (NAPDDR) जागरूकता अभियान, सामदु ायिक पहुचँ और उपचार z सीमा सरु क्षा: भारत की सीमाओ ं पर मादक पदार्थथों की तस््करी से निपटने के
पर केें द्रित है। लिए अर्दद्धसैनिक बलोों का सशक्तीकरण।

54  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आगे की राह z नूर जीवन का बेटियाँ सशक्तीकरण को बढ़़ावा देती है;
z नीति निर््ममाण: आवधिक सर्वेक्षणोों और मादक पदार्थथों के दरुु पयोग की z बिटिया और बिरबा बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ को पर््ययावरण जागरूकता
स््थथितियोों के आकलन के आधार पर सचि ू त नीति-निर््ममाण। के साथ जोड़ते हैैं;
z कानूनी सधा ु र: मादक पदार्थथों की समस््ययाओ ं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित z आओ स््ककू ल चलेें स््ककू ल मेें नामांकन सनु िश्चित करता है;
करने के लिए अनक ु ू ल काननी
ू और नीतिगत परिवेश बनाना। z कलेक््टर की क््ललास निःशल्ु ्क कोचिगं प्रदान करती है;
z समुदाय की भागीदारी: जागरूकता और पनर््ववा ु स प्रयासोों मेें स््थथानीय निकायोों, z बाल कै बिनेट यवु ा नेतत्ृ ्व को बढ़़ावा देता है।
गैर-सरकारी संगठनोों और नागरिकोों को शामिल करना। योजना का प्रदर््शन
z कलंक (Stigma) को कम करना: मादक पदार्थथों की लत को एक नैतिक z राष्ट्रीय SRB(Sex Ratio at Birth) सचका ू ंक:918 (2014-15) से 934
विफलता के बजाय एक स््ववास््थ््य स््थथिति के रूप मेें देखने के लिए सामाजिक (2019-20) तक की वृद्धि, पांच वर्षषों मेें 16 अकों ों का सधु ार।
धारणाओ ं को बदलना। z जिला-स््तरीय सधा ु र: बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ के अतं र््गत 2014-15
z उन््नत उपचार सविधा
से 2018-19 तक 640 जिलोों मेें से 422 जिलोों मेें जन््म के समय लिंगानपु ात
ु एँ: उपचार के अतं र को कम करने और नशे की लत से
मेें सधु ार देखा गया।
प्रभावी ढंग से निपटने के लिए साक्षष्य-आधारित उपचार सेवाओ ं को बढ़़ाना।
z बालिकाओ ं का राष्ट्रीय सकल नामांकन अनुपात: चार वर्षषों मेें 77.45
मादक पदार्थथों के दरुु पयोग से निपटने के लिए कानून प्रवर््तन, रोकथाम, उपचार (2014-15) से बढ़कर 81.32 (2018-19) हो गया अर््थथात 3.87 अक ं की
और पुनर््ववास सहित बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश््यकता है। इन चनु ौतियोों वृद्धि हुई है।
का समाधान करके , भारत अपने नागरिकोों के लिए नशा मक्त ु भविष््य की दिशा z विद्यालयोों मेें शौचालय सविधाु एँ: अनपु ात 92.1% (2014-15) से बढ़कर
मेें कार््य कर सकता है। 95.1% (2018-19) हो गया।
स््ववास््थ््य सक
ं े तक: पहली तिमाही मेें प्रसवपर््वू देखभाल पंजीकरण 61%
बच्चचों से संबधं ित महत्त्वपूर््ण योजनाओं का विश्लेषण
z
(2014-15) से बढ़कर 71% (2019-20) हो गया, जबकि इसी अवधि मेें
बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ संस््थथागत प्रसव 87% से बढ़कर 94% हो गया।
z योजना का उद्देश््य: बाल लिंग अनुपात (CSR) मेें गिरावट, महिला MWCD
सशक्तीकरण, लैैंगिक असमानता को दूर करने से लेकर बालिकाओ ं की
सरु क्षा तक की समस््ययायोों का समाधान करना। शक्ति वात््सल््य पोषण
बालिकाओं की शिक्षा सनु िश्चित करना
संबल सामर््थ््य
बालिका शिशु की “बेटी बचाओ बेटी बाल लिंग
उत्तरजीविता और पढ़़ाओ” अभियान की अनुपात मेें
सरु क्षा सनु िश्चित विशेषताएँ सधा
ु र BBBP
करना
बाल विवाह की रोकथाम
WCD HFW HRD
z योजना के प्रमख
ु तत्तत्ववों मेें गर््भधारण पूर््व और प्रसव पूर््व निदान तकनीक
(लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम को लागू करना और एक राष्टट्रव््ययापी जागरूकता PC और PNDT बालिकाओं का
जागरूकता और वकालत अभियान शामिल है। और अधिनियम को लागू विद्यालयोों मेें नामांकन
z बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ योजना का जोर; प्रशिक्षण, संवेदनशीलता, संवेदीकरण करना और प्रतिधारण
जागरूकता बढ़़ाने और जमीनी स््तर पर सामदु ायिक गतिशीलता के माध््यम z चिंताएँ: भारत के राज््योों ने पिछले पाँच वर्षषों (2015-16 से 2019-20) मेें
से मानसिकता बदलने पर है। योजना के अतं र््गत आवंटित धन का के वल 45 प्रतिशत उपयोग किया है।
“बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ” की अभिनव पहलेें आगे की राह
z डिजिटल गुड्डी-गुड्डा बोर््ड लैैंगिक असमानता दर््शशाता है; बालिकाओ ं के प्रति मानसिकता मेें बदलाव न के वल लैैंगिक समानता और
z उड़़ान बालिकाओ ं को विभिन््न पेशोों के बारे मेें जानकारी देना और उन््हेें महिला सशक्तीकरण के लिए आवश््यक है, बल््ककि नए भारत की परिकल््पना
उनके करियर विकल््पोों के बारे मेें समझाना को साकार करने के लिए भी आवश््यक है क््योोंकि कोई भी राष्टट्र अपनी 50%
आबादी को पीछे छोड़कर प्रगति नहीीं कर सकता है। महिला सशक्तीकरण की
z माय ऐम माय टारगेट अकादमिक उत््ककृ ष्टता को मान््यता देता है; दिशा मेें पहला कदम बालिकाओ ं के अस््ततित््व को सुनिश्चित करना है और
z लक्षष्य से रूबरू इटं र््नशिप प्रदान करता है; BBBP अभियान इस दिशा मेें एक उपयुक्त कदम है।

बच्चे, किशोर औरयु 55


ICDS SDG 2, 3 और 4 के साथ सुसंगत है, शन्ू ्य भख ु मरी, अच््छछे स््ववास््थ््य
एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS)
और गुणवत्तापूर््ण शिक्षा पर ध््ययान केें द्रित करता है। कमियोों को दरू करके और
1975 ई. मेें शरू ु की गई एकीकृ त बाल विकास सेवा (ICDS) योजना, भारत मेें संभावनाओ ं को अधिकतम करके , ICDS इन लक्षष्ययों को प्राप्त करने और भारत
आरंभिक बचपन के विकास के लिए महत्तत्वपूर््ण बनी हुई है, जो 6 साल से कम के बच््चोों के लिए एक स््वस््थ भविष््य को प्रोत््ससाहित करने मेें महत्तत्वपूर््ण योगदान
उम्र के बच््चोों और उनकी माताओ ं के लिए भोजन पूरकता, प्री-स््ककू ल शिक्षा दे सकता है।
और स््ववास््थ््य देखभाल जैसी सेवाएँ प्रदान करती है।
शिक्षा की वार््षषिक स्थिति (ASER)
मुख्य तथ्य रिपोर््ट- 2023 के मुख्य निष्कर््ष
z विस््ततार: मार््च, 2022 तक देशभर मेें 13.91 लाख से अधिक आंगनवाड़़ी प्रथम फाउंडेशन के नेतत्ृ ्व मेें एक सर्वेक्षण के आधार पर ‘बियॉन््ड बेसिक््स’
केें द्र (AWCs) कार््यरत हैैं। शीर््षक से शिक्षा की वार््षषिक स््थथिति रिपोर््ट (ASER) 2023 जारी की गई ।
z पूरक पोषाहार के लाभार््थथियोों की सख् ं ्यया मेें वद्ृ धि, दसवीीं योजना के अतं z युवा गतिविधियोों की स््थथिति: सभी नामांकन श्रेणियोों मेें, पुरुषोों की तुलना
मेें 705.43 लाख से बढ़कर मार््च, 2015 मेें 1022.33 लाख हो गई। मेें महिलाओ ं का अनुपात प्रतिदिन घरेलू कार्ययों मेें लिप्त रहा। यह पाया
z प्री-स््ककू ल शिक्षा के लिए लाभार््थथियोों [बच््चचे (3-6 वर््ष)] की सख् ं ्यया मेें गया कि महिलाओ ं (28%) की तुलना मेें पुरुषोों (40.3%) का प्रतिशत
वद्ृ धि हुई, दसवीीं योजना के अतं मेें यह 300.81 लाख से बढ़कर मार््च, 2015 अधिक था, जिन््होोंने 15 दिनोों से अधिक समय तक घरेलू काम के अलावा
मेें 365.44 लाख हो गया। अन््य काम किया था। लगभग 30% युवा अपने माता-पिता के लिए काम
z लाभार््थथियोों की सख् ं ्यया मेें वद्ृ धि: पूरक पोषण और प्री-स््ककू ल शिक्षा से कर रहे हैैं।
लाभान््ववित होने वाले बच््चोों की संख््यया बढ़ रही है, हालाँकि, हालिया आक ं ड़े z आकांक्षाएँ: बालक और युवा, सेना (13.8%) और पुलिस (13.6%)
उपलब््ध नहीीं है। सेवा मेें जाने, बालिकाएँ और युवतियाँ शिक्षक (16%) और डॉक््टर
कमियााँ (14.8%) बनने की इच््छछा रखते हैैं।
z निष््पक्षता सबं ंधी चिंताएँ: अशिक्षित माताओ ं सहित सबसे गरीब और z नामांकन मेें आयु का अंतर: कुल मिलाकर, 14-18 वर््ष के 86.8% बच््चचे

सबसे कमजोर आबादी तक पहुचँ ने मेें चनु ौतियाँ बनी हुई हैैं। किसी शैक्षणिक संस््थथान मेें नामांकित हैैं। नामांकित न होने वाले यवु ाओ ं का
z कार््यकर््तताओ ं के मुद्दे: आगं नवाड़़ी कार््यकर््तताओ ं को प्रायः अत््यधिक भार, प्रतिशत 14 वर््ष के बच््चोों के लिए 3.9% और 18 वर््ष के बच््चोों के लिए
न््ययूनतम वेतन और अपर््ययाप्त प्रशिक्षण का सामना करना पड़ता है। 32.6% है।
z स्ट्रीम (विधा) का चयन: अधिकांश छात्ररों ने कला/मानविकी (55.7%)
z बुनियादी ढाँचे की कमी: कुछ आगं नवाड़़ी केें द्ररों मेें स््वच््छ जल और
शौचालय जैसी बनु ियादी सवु िधाओ ं का अभाव है, जिससे सेवा की गणव ु त्ता मेें दाखिला लिया, परुु षोों (36.3%) की तल ु ना मेें महिलाओ ं द्वारा विज्ञान,
प्रभावित हो रही है। प्रौद्योगिकी, इजी
ं नियरि ं ग और गणित (28.1%) चनन
ु े की सभं ावना कम है।
सस z व््ययावसायिक प्रशिक्षण की स््थथिति: सर्वेक्षण मेें शामिल के वल 5.6% यव ु ा
z ं ाधनोों की कमी: सीमित सस ं ाधनोों और सभं ावित धन के दुरुपयोग के
कारण योजना को सार््वभौमिक बनाने मेें बाधाओ ं का सामना करना पड़ता है। व््ययावसायिक प्रशिक्षण या सबं ंधित पाठ्यक्रम ले रहे हैैं।
z लक्ष्यीकरण चुनौतियाँ: विश्व बैैंक के अध््ययन के अनसु ार, सबसे गरीब z बुनियादी कौशल और साक्षरता स््तर का आकलन: लगभग 25% यव ु ा
और सबसे कुपोषित लोगोों की तल ु ना मेें अमीर बच््चोों को अधिक लाभ अपनी क्षेत्रीय भाषा मेें मानक II-स््तर का पाठ धाराप्रवाह नहीीं पढ़ सकते हैैं।
हो सकता है। z भाग देने की समस््ययाएँ: 14-18 वर््ष के आधे से अधिक बच््चचे भाग देने वाले

आगे की राह सवालोों (3-अक ं ीय 1-अक ं ीय) की समस््ययाओ ं से जझू ते हैैं, के वल 43.3% ही
उन््हेें सही ढंग से हल करते हैैं।
z समन््वय: ICDS को अन््य कार््यक्रमोों के साथ एकीकृ त करने से इसका
z स््ममार््टफोन दक्षता मेें डिजिटल विभाजन: सर्वेक्षण मेें शामिल लगभग 90%
प्रभाव बढ़ सकता है।
परिवारोों के पास स््ममार््टफोन थे, जिनमेें से लगभग 95% बालक और 90%
z निगरानी और मूल््ययाांकन: सेवा गणव ु त्ता सनु िश्चित करने के लिए निगरानी
बालिकाएँ स््ममार््टफोन के उपयोग मेें कुशल थीीं।
प्रणालियोों को मजबतू करना महत्तत्वपर्ू ्ण है।
z मानव सस ं ाधन विकास: कर््मचारियोों के प्रशिक्षण और बेहतर कामकाजी रिपोर््ट मेें प्रकाशित चुनौतियााँ
परिस््थथितियोों मेें निवेश करना महत्तत्वपर्ू ्ण है। z मूलभूत साक्षरता और सख् ं ्ययात््मक कौशल (FLN) मेें कोई सधा ु र नहीीं:
z बुनियादी ढाँचे का उन््नयन: सेवा वितरण के लिए आगं नवाड़़ी केें द्ररों मेें विद्यार््थथियोों के FLN मेें कोई खास बदलाव नहीीं आया है। वर््ष 2017 मेें,
बनु ियादी सवु िधाएँ सनु िश्चित करना आवश््यक है। 14-18 वर््ष के 76.6% बच््चचे ग्रेड 2-स््तरीय पाठ पढ़ सकते थे, जो वर््ष 2023
z सामुदायिक व््यस््तता: ग्राम सभा जैसे मचों ों का उपयोग जागरूकता बढ़़ा मेें घटकर 73.6% हो गया। आधारभतू गणित के कम स््तर रोजाना की गणनाओ ं
सकता है और समदु ायोों को सशक्त बना सकता है। और व््ययावहारिक स््थथितियोों पर प्रभाव डालते हैैं।
z लक्षित हस््तक्षेप: सबसे कमजोर आबादी तक प्रभावी ढंग से पहुचँ ने के लिए z खराब गुणवत्ता वाला श्रमबल: मल ू भतू अक
ं गणित कौशल मेें कमी देश
केें द्रित रणनीतियोों की आवश््यकता है। की श्रम शक्ति की गणव ु त्ता को प्रभावित करती है।

56  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z शैक्षणिक और पारिवारिक उत्तरदायित््वोों को सतं ुलित करना: यवु ाओ ं को गोद लेने को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून
पारिवारिक जिम््ममेदारियोों के साथ शैक्षणिक आवश््यकताओ ं को संतलि ु त करने
z हिंदू दत्तक ग्रहण तथा भरण-पोषण अधिनियम (HAMA), 1956:
मेें चनु ौतियोों का सामना करना पड़ता है, जिससे आकांक्षाएँ प्रभावित होती हैैं।
 यह अधिनियम हिद ंओ
ु ं (किसी भी धर््म) और विदेशियोों को गोद लेने की
z शिक्षा के लिए स््ममार््टफोन का अनुचित उपयोग: शैक्षिक उद्देश््योों के लिए
स््ममार््टफोन का कम उपयोग किया जाता है, जबकि लगभग 80% का उपयोग अनमति ु देता है।
मनोरंजन के लिए किया जाता है।  18 वर््ष से अधिक उम्र का कोई भी (मानसिक रूप से स््वस््थ)व््यक्ति, 15

z पढ़ने और अंकगणित कौशल मेें लैैंगिक असमानता: अक ं गणित और वर््ष से कम उम्र के बच््चचे को गोद ले सकता है।
अग्ं रेजी पढ़ने मेें परुु षोों का महिलाओ ं की तल
ु ना मेें बेहतर प्रदर््शन रहा। समय  दत्तक ग्रहण के लिए लिखित पंजीकरण की आवश््यकता होती है

बताने और लंबाई मापने जैसे कार्ययों मेें लैैंगिक असमानता देखी गई है।  दत्तक माता-पिता को जैविक माता-पिता की तरह ही समान अधिकार

z डिजिटल कौशल मेें लैैंगिक असमानता: महिलाओ ं की तल ु ना मेें परुु षोों के और जिम््ममेदारियाँ प्रदान करता है।
पास अधिक स््ममार््टफोन हैैं, डिजिटल कार्ययों मेें बालक बालिकाओ ं से बेहतर z किशोर न््ययाय (बच््चोों की देखभाल और सरं क्षण) अधिनियम (JJ
प्रदर््शन कर रहे हैैं। अधिनियम), 2015: अनाथ, परित््यक्त, आत््मसमर््पण करने वाले बच््चोों
आगे की राह और रिश््ततेदारोों के बच््चोों को जोड़ों या एकल माता-पिता द्वारा गोद लेने की
z व््ययावसायिक शिक्षा को पुनः दिशा देना: व््ययावसायिक शिक्षा को राष्ट्रीय अनमति
ु है।
शिक्षा नीति (NEP) मेें उल््ललिखित आकांक्षाओ ं के साथ संरेखित करना।  दम््पत्तियोों/एकल माता-पिता को अनाथ, परित््यक्त, या आत््मसमर््पण करने

आकांक्षी व््ययावसायिक प्रशिक्षण के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस््थथानोों (ITI) वाले बच््चोों को गोद लेने की अनमति ु देता है।
और पॉलिटेक््ननिक के साथ सहयोग करना।  18 वर््ष से कम उम्र के किसी भी बच््चचे को गोद लेना संभव है।

z वंचित शिक्षार््थथियोों को सशक्त बनाना: खल ु ी शिक्षा और डिजिटल  लाइसेेंस प्राप्त एजेेंसियोों के माध््यम से गोद लेने की आवश््यकता है।
प्रौद्योगिकी के माध््यम से वचि
ं त व््यक्तियोों को जीविकोपार््जन के साथ-साथ  दत्तक माता-पिता को जैविक माता-पिता की तरह, समान अधिकार और
अध््ययन करने मेें सक्षम बनाना। जिम््ममेदारियाँ प्रदान करता है।
z अनौपचारिक शिक्षा की आवश््यकता: औपचारिक प्रक्रियाओ ं की परू कता
z मानक नियम (मॉडल रूल) एवं दत्तक ग्रहण नियम, 2017:
हेतु अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना, विशेषकर कृ षि जैसे विषयोों मेें।
 दत्तक माता-पिता (आय,ु वैवाहिक स््थथिति, स््ववास््थ््य, वित्त) के लिए पात्रता
z स््ममार््टफोन का उपयोग और शिक्षा के अवसर: सीखने के लिए स््ममार््टफोन
मानदडं निर््धधारित करना।
के उपयोग को प्रोत््ससाहित करना, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्ररों मेें जहाँ इनका व््ययापक
 लाइसेेंस प्राप्त एजेेंसियोों (मिलान, अदालत की मज ं रू ी) के माध््यम से दत्तक
रूप से उपयोग किया जा सकता है।
तकनीकी और व््ययावसायिक शिक्षा मेें विवेकपूर््ण सुधार आवश््यक हैैं ताकि ग्रहण का आदेश।
युवाओ ं को उनकी शैक्षिक प्रगति और दैनिक आवश््यकताओ ं के लिए बुनियादी  दत्तक माता-पिता और दत्तक बच््चोों के अधिकारोों और जिम््ममेदारियोों को

साक्षरता और अंकगणितीय कौशल निर््ममाण मेें सहायता मिल सके । परिभाषित करना।
 गोद लेने की प्रक्रिया की निगरानी और विनियमन के लिए CARA की
भारत मेें दत्तक ग्रहण प्रक्रिया
स््थथापना करना।
z दत्तक ग्रहण: गोद लेने की प्रक्रिया को सव्ु ्यवस््थथित करने और अनाथ और
परित््यक्त बच््चोों के कल््ययाण को सनु िश्चित करने के उद्देश््य से हाल के न््ययायिक संस्थागत संरचना
निर्देशोों और संसदीय समिति की सिफारिशोों के कारण भारत मेें इस ओर ध््ययान z केें द्रीय दत्तक ग्रहण सस ं ाधन प्राधिकरण (CARA): अतं र-देशीय और
दिया जा रहा है। अतं र-राज््ययीय दत्तक ग्रहण को नियंत्रित करता है।
z सप्रीम
ु कोर््ट के एक फै सले (टेें पल ऑफ हीलिंग बनाम यूनियन ऑफ z राज््य दत्तक ग्रहण सस ं ाधन एजेेंसी (SARA): राज््य के भीतर गोद लेने को
इडिया
ं ) मेें कहा है कि गोद लेने के लिए योग््य बच््चोों की पहचान की जाए बढ़़ावा देना और निगरानी करना।
और उन््हेें गोद लेने के लिए तैयार किया जाए। z जिला बाल कल््ययाण समिति (CWC): बच््चोों को गोद लेने के लिए काननी ू
z कार््ममिक, लोक शिकायत, काननू और न््ययाय विभाग से संबंधित संसदीय रूप से स््वतंत्र घोषित करता है।
स््थथायी समिति की एक हालिया रिपोर््ट ने गोद लेने वाले काननोू ों मेें सधु ार की z जिला बाल सरं क्षण इकाई (DCPU): बच््चोों की पहचान करता है और
आवश््यकता पर प्रकाश डाला। उन््हेें बाल देखभाल संस््थथानोों (चाइल््ड के यर इस््टटि
ं ट्यटू / CCI) मेें रखता है।
भारत मेें गोद लेने की प्रक्रिया z विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेेंसी (SAA): बच््चोों को गोद देने मेें सहायता करता है।
दत्तक ग्रहण बच््चचे को जैविक माता-पिता से स््थथायी रूप से अलग कर, दत्तक z अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेेंसी (AFAA): अतं रराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण
माता-पिता को कानूनी अभिभावकत््व प्रदान करना है। प्रक्रिया का समन््वय करता है।

बच्चे, किशोर औरयु 57


दत्तक ग्रहण पर विचार क्ययों आवश्यक ? भारत मेें गोद लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने की पहल
z यूनिसेफ का अनमु ान है कि भारत मेें 29.6 मिलियन अनाथ या परित््यक्त z किशोर न््ययाय (बालकोों की देखरेख और सरं क्षण)अधिनियम, 2015
बच््चचे हैैं। मेें सश ं ोधन अधिनियम, 2021: अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को
आसान बनाना: इस सश ं ोधन के तहत केें द्रीय दत्तक ग्रहण ससं ाधन प्राधिकरण
z महिला एवं बाल विकास मत्रा ं लय ने 7,164 CCI मेें 2.56 लाख बच््चोों (CARA) को सीधे अतं र-देशीय गोद लेने सबंधी प्रक्रियाओ ं को नियंत्रित करने
की रिपोर््ट दी है। की अनमति ु दी गई है, जिससे भारतीय बच््चोों को विदेशी माता-पिता द्वारा गोद
z CARA ने COVID-19 महामारी के बीच वर््ष 2013 से 2021 तक भारत लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके ।
की उच््चतम दत्तक ग्रहण की दर (3,559) दर््ज की। z दत्तक ग्रहण विनियम, 2021 मेें सश ं ोधन: HAMA के अंतर््गत अंतर-
z भारत मेें लाखोों अनाथ, परित््यक्त और आत््मसमर््पपित बच््चचे हैैं जिन््हेें अच््छछे देशीय दत्तक ग्रहण के लिए CARA को NOC जारी करने की अनुमति
देना: यह सश ं ोधन CARA को हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम
आवासोों की जरूरत है।
(HAMA), 1956 के अतं र््गत अतं र-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए आवश््यक
z गोद लेने से इन बच््चोों को एक स््थथिर पारिवारिक परिवेश और उज््ज््वल भविष््य है। 'अनापत्ति प्रमाणपत्र' (NOC) जारी करने का अधिकार देता है। इस प्रक्रिया
दत्तक ग्रहण मेें चुनौतियााँ मेें संभवतः विभिन््न प्राधिकरणोों से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करना शामिल होगा।
z ऑनलाइन पंजीकरण पोर््टल CARINGS: यह पहल बाल दत्तक ग्रहण
z लंबी और जटिल प्रक्रिया: गोद लेने की प्रक्रिया नौकरशाही और बहुत समय
संसाधन सचू ना और मार््गदर््शन प्रणाली के लिए एक ऑनलाइन पोर््टल
लेने वाली हो सकती है, जिससे संभावित माता-पिता हतोत््ससाहित हो सकते हैैं। (CARINGS) स््थथापित करती है। यह सभं वतः भावी दत्तक माता-पिता के
z गोद लेने योग््य बच््चोों का सीमित समूह: गोद लेने के लिए उपलब््ध बच््चोों लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाता है और उन््हेें गोद लेने योग््य बच््चोों के
की संख््यया भावी माता-पिता की माँग की तल ु ना मेें सीमित है। साथ मिलाने की सवु िधा प्रदान करता है।
z जागरूकता की कमी: कई लोगोों को गोद लेने की प्रक्रियाओ ं और पात्रता z मिशन वात््सल््य: कठिन परिस््थथितियोों मेें बच््चोों के लिए सस्ं ्थथागत
मानदडों ों के बारे मेें जानकारी का अभाव है। देखभाल और सेवाओ ं को उन््नत बनाना: इस मिशन का उद्देश््य गोद लेने
की आवश््यकता वाले बच््चोों की भलाई सनु िश्चित करने के लिए बाल देखभाल
z सामाजिक कलंक (Social stigma): जैविक बच््चोों के लिए सामाजिक संस््थथानोों (CCI) द्वारा प्रदान की जाने वाली देखभाल की गणव ु त्ता मेें सधु ार
प्राथमिकता और गोद लेने से जड़ु ़े कलंक के कारण बच््चोों के लिए परिवार करना है।
ढूंढ़ना मश््ककि
ु ल हो सकता है। z अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण पर हेग कन््वेेंशन का अनुसमर््थन, 1993: भारत
z भेदभावपूर््ण नियम: वर््तमान नियमोों मेें LGBTQ+ जोड़़े, एकल परुु ष (बालक द्वारा इस अतं रराष्ट्रीय सम््ममेलन का अनसु मर््थन अतं र-देशीय दत्तक ग्रहण मेें
को गोद लेने के अलावा) और CARA के साथ पजी ं कृ त नहीीं होने वाले जोड़़े बच््चोों की सरु क्षा के लिए सरु क्षा उपाय स््थथापित करता है और यह सनु िश्चित
शामिल नहीीं हैैं। करता है कि गोद लेने का कार््य बच््चचे के सर्वोत्तम हित मेें किया जाए।
z गोद लेने के आदेशोों को अधिकृत करने के लिए जिला न््ययायाधीशोों और
z वित्तीय भार: काननी ू शल्ु ्क और एजेेंसी शल्ु ्क जैसे गोद लेने से संबंधित खर््च अतिरिक्त जिला न््ययायाधीशोों को सशक्त बनाना: यह संशोधन संभवतः
कुछ लोगोों के लिए बाधा बन सकते हैैं। जिला न््ययायाधीशोों (DM) और अतिरिक्त जिला न््ययायाधीशोों को गोद लेने के
टेेंपल ऑफ हीलिंग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया निर््णय आदेशोों को मजं रू ी देने का अधिकार सौौंपता है, जिससे गोद लेने की प्रक्रिया
मेें तेजी आएगी।
z सप्रीम
ु कोर््ट के निर्देश के अनसु ार, यह आवश््यक है कि बाल देखभाल संस््थथानोों z दो साल की अनिवार््य अवधि की बाध््यता को समाप्त करना: पर््वू
(CCIs) मेें रह रहे बच््चोों को पहचानने और उन््हेें गोद लेने की प्रक्रिया मेें विनियमन के अतं र््गत गोद लेने वाले परिवारोों को गोद लेने की निगरानी के
शामिल करने के लिए समन््ववित प्रयास किए जाए।ं लिए भारत मेें दो साल तक इतं जार करना पड़ सकता था। यह संशोधन इस
z चाइल््डके अर संस््थथानोों (CCI) मेें ‘अयोग््य’ माता-पिता या अभिभावकोों के आवश््यकता को समाप्त करता है, जिससे गोद लेने वाले माता-पिता जल््द ही
साथ रहने वाले बच््चोों को गोद लेने के लिए पहचाना जाना चाहिए। अपने देश लौट सकते हैैं।
z ‘अयोग््य’ माता-पिता: माता-पिता बनने मेें असमर््थ या अनिच््छछु क, मादक z गोद लिए गए बच््चचे की प्रगति और सरु क्षा की निगरानी के लिए भारतीय
मिशन: यह पहल गोद लिए गए बच््चचे की भलाई की निगरानी की जिम््ममेदारी
द्रव््योों के सेवन मेें शामिल, आपराधिक रिकॉर््ड वाले या बाल शोषण या उपेक्षा विदेशोों मेें भारतीय मिशनोों को सौौंपती है।
के दोषी।
संसदीय समिति द्वारा सुधार हेतु सिफारिशेें
z द्वि-मासिक अभियान: उच््चतम न््ययायालय द्वारा CCI मेें अनाथ-परित््यक्त-
z समान एवं व््ययापक दत्तक ग्रहण कानून: प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए
आत््मसमर््पपित (OAS) श्रेणी मेें बच््चोों की पहचान करने का निर्देश दिया गया।
सभी धर्ममों पर एक ही काननू लागू हो।
z CARINGS पर पंजीकरण: सभी राज््योों को यह सनु िश्चित करना चाहिए कि z LGBTQ+ समुदाय का समावेश: समान लिंग वाले जोड़ों को गोद लेने
अनाथ-परित््यक्त-आत््मसमर््पपित (OAS) श्रेणी के बच््चचे चाइल््ड एडॉप््शन की अनमतिु देेंना।
रिसोर््स इन््फफॉर्मेशन एडं गाइडेेंस सिस््टम (CARINGS) पोर््टल पर पजी ं कृ त z CCI का अनिवार््य पंजीकरण: बाल देखभाल मेें सधु ार करना और
होों। अपंजीकृ त संस््थथानोों पर रोक लगाना।

58  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z अधिक पारदर््शशिता: गोद लेने की प्रक्रिया को सव्ु ्यवस््थथित करना और इसे
OTT प्लेटफार्ममों मेें काम करने
अधिक पारदर्शी बनाना।
z जागरूकता अभियान: सामाजिक कलंक को दरू करना और एक सकारात््मक
वाले बच्चचों की सुरक्षा के लिए मानदं ड
विकल््प के रूप मेें गोद लेने को बढ़़ावा देना। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सोशल मीडिया और
z वित्तीय सहायता: गोद लेने पर विचार कर रहे आर््थथिक रूप से वंचित परिवारोों OTT प््ललेटफार्ममों सहित मनोरंजन उद्योग मेें काम करने वाले बच््चोों के अधिकारोों
को वित्तीय सहायता प्रदान करना। की रक्षा के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैैं।
z यह सनु िश्चित करना कि गोद लेने के आदेश न््ययायिक अधिकारियोों द्वारा जारी
प्रमुख प्रावधान
किए जाए,ं न कि प्रशासनिक एजेेंसियोों द्वारा।
z गोद लेने के काननो ू ों मेें ‘नाजायज’ शब््द का प्रयोग समाप्त करना। z ये दिशा-निर्देश,बच््चोों से जड़ु ़े व््ययावसायिक मनोरंजन के विभिन््न रूपोों को
z गोद लेने की प्रक्रियाओ ं मेें तेजी लाने के लिए मासिक बैठकेें आयोजित करना। शामिल करने के दायरे का विस््ततार करते हैैं। ये बाल सरं क्षण, स््ववास््थ््य,
मौजूदा चनु ौतियोों का समाधान करके और सुझाए गए सुधारोों को लागू करके , मानसिक स््ववास््थ््य, निर््ममाता की जिम््ममेदारियाँ, अभिभावकोों की भूमिका
भारत एक अधिक कुशल, दयालू और समावेशी दत्तक ग्रहण प्रणाली बना और बच््चोों के लिए आय सरु क्षा को निरुपित करते हैैं।
सकता है, जिससे अधिक बच््चोों को प््ययार करने वाले और स््थथायी घर मिल सकेें । z दिशा-निर्देशोों के लिए, जिला न््ययायाधीश से अनुमति, दर््व््यवु हार या शोषण
लैैंगिक अपराधोों से बालकोों के खिलाफ अस््ववीकरण और बच््चचे की शिक्षा के प्रावधान की आवश््यकता
का संरक्षण (POCSO) नियम, 2020 होती है। बच््चोों या उनके परिवारोों द्वारा बनाई गई सामग्री को पारिवारिक उद्यम
केें द्र ने POCSO अधिनियम मेें हाल के संशोधनोों को लागू करने के लिए नए माना जाता है।
नियमोों को अधिसूचित किया है। z दिशा-निर्देशोों मेें उल््ललंघन के लिए दडं भी शामिल है। इन दिशा-निर्देशोों का
प्रमुख प्रावधान महत्तत्व सोशल मीडिया और OTT प््ललेटफार्ममों के बढ़ते प्रभाव को शामिल करने,
z स््ककू ल और के यर होम स््टटाफ का अनिवार््य पुलिस सत््ययापन। बच््चोों को शोषण से बचाने और मौजदू ा अधिनियमोों (किशोर न््ययाय अधिनियम,
z पोर्नोग्राफी (अश्लील विवरणोों) जैसी यौन शोषण सामग्री की रिपोर््ट करने 2015, बाल श्रम संशोधन अधिनियम, 2016, लैैंगिक अपराधोों से बालकोों
और आयु-उपयुक्त बाल अधिकार शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रियाएँ। का संरक्षण अधिनियम, 2012, सचू ना प्रौद्योगिकी (मध््यवर्ती दिशानिर्देश और
z राज््य सरकार को बच््चोों के खिलाफ हिस ं ा के प्रति ‘जीरो टॉलरेेंस’(शन्ू ्य डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021)) का अनपु ालन सनु िश्चित
सहिष््णणु) के सिद््धाांत पर आधारित बाल सरं क्षण नीति बनाने के लिए कहा गया है। करने की आवश््यकता मेें निहित है
z केें द्र सरकार और प्रत््ययेक राज््य सरकार बच््चोों के संपर््क मेें आने वाले सभी UMMEED - छात्र आत्महत्याओ ं को रोकने के लिए स्कूलोों के
व््यक्तियोों, चाहे वह नियमित हो या संविदात््मक, को बाल सरु क्षा और संरक्षण के लिए मसौदा दिशा-निर्देश
बारे मेें सवं ेदनशील बनाने के लिए अभिविन््ययास कार््यक्रम (Orientation
Programme), सवं ेदीकरण कार््यशालाएँ (Sensitisation Workshop) केें द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा उम््ममीद (समझ, प्रेरणा, प्रबंधन, सहानुभति
ू ,
और पुनश्चर््यया पाठ्यक्रम (Refresher Course) सहित समय-समय पर सशक्तता, विकास) (UMMEED - Understand, Motivate, Manage,
प्रशिक्षण प्रदान करे गी। Empathise, Empower, Develop) शीर््षक से जारी मसौदा दिशा-निर्देशोों
z केें द्र और राज््य सरकारोों को बच््चोों के लिए आयु-उपयुक्त शैक्षिक सामग्री का उद्देश््य छात्ररों के लिए संवेदनशीलता, समझ और समर््थन को बढ़़ाकर स््ककूलोों
और पाठ्यक्रम तैयार करने, उन््हेें व््यक्तिगत सरु क्षा के विभिन््न पहलओ ु ं के मेें छात्र आत््महत््ययाओ ं को संबोधित करना और प्रत््ययेक बच््चचे का कल््ययाण
बारे मेें सचिू त करने के लिए कहा गया है। सुनिश्चित करना है।
सड़कोों पर रहने वाले (स्ट् रीट सिचुएशंस ) बच्चे (CiSS) दिशा-निर्देशोों के प्रमुख घटक:
स्ट्रीट सिचएु शंस (CiSS) मेें बच््चोों के पुनर््ववास मेें सहायता के लिए, राष्ट्रीय बाल z स््ककू ल वेलनेस टीम (SwT) का गठन: स््ककू ल के प्रधानाचार््य के नेतत्ृ ्व
अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बाल स््वराज पोर््टल के अंतर््गत एक मेें, इन टीमोों को सक ं ट की स््थथितियोों से निपटने और आत््म-क्षति के लक्षण
‘CISS एप््ललिके शन’ का शभु ारंभ किया है। प्रदर््शशित करने वाले छात्ररों को तत््ककाल सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित
प्रमुख प्रावधान किया जाएगा।
z इसका उपयोग सभी राज््योों और केें द्र शासित प्रदेशोों से डेटा एकत्र करके z शिक्षक और परिवार उन््ममुखीकरण: छात्ररों की आत््महत््यया के बारे मेें
सड़कोों पर रहने वाले बच््चोों के बचाव और पुनर््ववास प्रक्रिया पर नज़र रखने
जागरूकता बढ़़ाने और विभिन््न हितधारकोों के बीच क्षमता निर््ममाण के लिए
के लिए किया जाता है।
z आश्रय स््थल खोलना, परामर््श, चिकित््ससा देखभाल, प्रायोजन, नशा मक्ु ति शिक्षकोों और परिवार के सदस््योों के लिए वार््षषिक उन््ममुखीकरण कार््यक्रम
कार््यक्रम, शैक्षिक सेवाएँ, काननी ू /पैराकाननी
ू सेवाएँ, स््वयंसेवा, और सहायता आयोजित किया जाएगा।
के अन््य रूप सभी संभव हैैं। z चेतावनी सक ं े तोों पर प्रतिक्रिया: चेतावनी के संकेत दिखाने वाले या स््वयं
z प््ललेटफॉर््म का प्राथमिक उद्देश््य डेटा एकत्रित करना है, जिसे बाद मेें जिला को नक ु सान पहुचँ ाने का प्रयास करने वाले छात्ररों का सामना करने पर स््ककू ल के
बाल संरक्षण अधिकारी (DCPO) को रिपोर््ट किया जाता है ताकि वे उचित व््यक्तियोों या कल््ययाण टीम के सदस््योों के लिए विशिष्ट कार््रवाइयोों की रूपरे खा
कार््रवाई कर सकेें । तैयार की जाती है।

बच्चे, किशोर औरयु 59


z मानसिक स््ववास््थ््य सबं ंधित मुद्ददों की जागरूकता बढ़़ाना: स््ककूलोों को
कहानी सनु ाने, रै लियोों, पोस््टरोों, प्रदर््शनियोों और अन््य पहलोों जैसी गतिविधियोों
‰ RISE: लचीला, प्रेरणादायक, मजबूत, सशक्त (R.I.S.E.:
के माध््यम से मानसिक स््ववास््थ््य संबंधी चितं ाओ ं को दरू करने के लिए प्रोत््ससाहित Resilient, Inspiring, Strong, Empowered);
किया जाता है।
‰ प्रसन््नता: स््ववास््थ््य, शिक्षा, खेल, उद्देश््य और यवु ा विकास
(HAPPY: Health, Academics, Play, Purpose, and
z सरु क्षा उपाय: छात्ररों के लिए एक सरु क्षित वातावरण बनाने के लिए खाली
Youth Development);
कक्षाओ ं मेें ताला लगाने और अच््छछी रोशनी वाले स््ककू ल परिसर को सनु िश्चित ‰ GROW: मार््गदर््शन, संसाधन, अवसर, कल््ययाण (सभी के
करने सहित व््ययावहारिक सरु क्षा उपायोों की सिफारिश की जाती है।
लिए) (GROW: Guidance, Resources, Opportunities,
Well-being (for all));
प्रमुख शब्दावलियाँ ‰ SAFE: समर््थन, वकालत, भविष््य, सशक्तीकरण (सभी के लिए)
‰ बच््चचे: कल के नेता, आज के बच््चचे; बचपन मेें निवेश, भविष््य (SAFE - Support, Advocacy, Future, Empowerment
(for all));
सरु क्षित करना; हर बच््चचा महत्तत्व रखता है; बचपन के सपने,
‰ LEARN: नेतृत््व, शिक्षा, वकालत, सक्षमता, पोषण (सभी के
वयस््क वास््तविकताएँ; कल के निर््ममाण हेतु शक्ति; समाज के
लिए) ( LEARN: Leadership, Education, Advocacy,
निर््ममाण खंड; छोटे कदम, बड़़े सपने; भोलापन; बचपन का जादू। Resilience, Nurturing (for all);
‰ किशोर: किशोर क्षमता, अनंत संभावनाएँ; किशोर यात्रा के मार््ग ‰ रचनात््मक, स््वस््थ, समावेशी, सीखना, सपने देखना (बच््चोों
को प्रशस््त करना; किशोरोों के मख ु र स््वर, परिवर््त न को बढ़़ाना; के लिए); Creative, Healthy, Inclusive, Learning,
किशोरावस््थथा की शक्ति; स््वयं की खोज, भविष््य को परिभाषित Dreaming (For Children);
करना; उभरते किशोर, ऊँचे सपने; किशोर लचीलापन, ‰ अनुकूलन, खोज, आशावादी, नेता, विकसित होना (किशोरोों
परिवर््त न मेें शक्ति, साहसी किशोर, जीवन की लम््बबी यात्रा; के लिए); Adapt, Discover, Optimistic, Leaders,
किशोर पनर््जजा
ु गरण। Evolving (For Adolescents)
‰ युवा: यवु ा शक्ति, वैश्विक प्रभाव; सशक्त यवु ा, बदलते समुदाय; ‰ यवु ा, अवसर, अजेय, प्रगति (यवु ाओं के लिए)। Young,
यवु ा दृष्टि, असीम नवाचार; यवु ा ऊर््जजा, असीमित क्षमता; यवु ा Opportunity, Unstoppable, Thrive (For Youth).
नेतृत््व, कल के पथप्रदर््शक; यवु ा मन, निडर; यवु ा सपने,
साहसिक कार््य; यवु ा गति, सामाजिक परिवर््त न; यवु ा जागृति, विगत वर्षषों के प्रश्न
विश्व जागृति; यवु ा भावना, अनंत प्रेरणा। z स््ककू ली शिक्षा के महत्तत्व के बारे मेें जागरूकता उत््पन््न किए बिना, बच््चोों
‰ CAY: बच््चचे, किशोर, यवु ा (Children, Adolescents, की शिक्षा मेें प्रेरणा-आधारित पद्धति के संवर्दद्धन मेें निःशल्ु ्क और अनिवार््य
Youth); बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 अपर््ययाप्त है। विश्लेषण कीजिए।
‰ G.R.O.W: Growing, Resilient, Optimistic, Wise;  (2022)
‰ युवा: आकांक्षा, अवसर, एकता, परिवर््त न, आशा (Y.O.U.T.H. z राष्ट्रीय बाल नीति के मख्ु ्य प्रावधानोों का परीक्षण कीजिए तथा इसके
-Yearning, Opportunity, Unity, Transformation, Hope); कार््ययान््वयन की प्रस््थथिति पर प्रकाश डालिए। (2016)

60  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव््याांग व्यक्ति,
5 LGBTQIA+ समुदाय एवं अल्पसंख्यक
तथ्य एवं आँकड़े
वरिष्ठ नागरिक
z वर््ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनसु ार, भारत मेें वरिष्ठ नागरिकोों
परिचय (60+आय)ु की आबादी 10.38 करोड़ यानी कुल आबादी का 8.6% है। बजु र्गु गों
भारत वर््तमान मेें एक अद्वितीय जनसांख््ययिकीय परिवर््तन का अनुभव कर रहा है, की हिस््ससेदारी वर््ष 1961 के 5.6 % से बढ़कर वर््ष 2011 मेें 8.6 % हो गई है।
जो बुजुर््ग नागरिकोों की संख््यया मेें उल््ललेखनीय वृद्धि के साथ-साथ अपनी युवा z अनुमानित विकासः संयक्त ु राष्टट्र जनसंख््यया कोष और हेल््प एज इडं िया द्वारा
आबादी मेें वृद्धि से चिह्नित है। यह जनसांख््ययिकीय बदलाव देश के आर््थथिक जारी एक रिपोर््ट के अनसु ार वर््ष 2026 तक बजु र्ु ्ग व््यक्तियोों की संख््यया बढ़कर
विकास के मार््ग मेें चनु ौतियाँ और अवसर दोनोों प्रस््ततुत करता है। 17.3 करोड़ होने की उम््ममीद है। अनमु ान है कि वर््ष 2050 तक भारत मेें हर
पाँच मेें से एक व््यक्ति की आयु 60 वर््ष से अधिक होगी। इसके अलावा, भारत
मेें विश्व की बजु र्ु ्ग आबादी का 1/8 वाँ हिस््ससा है।

z जनसख् ं ्यया वितरणः भारतीय जनसख््यया ं का आयु विभाजन; 30.8% (0-14


आयु वर््ग), 60.3% (15-59 आयु वर््ग) और 8.6% (60+ आयु वर््ग) है।
z ग्रामीण-शहरी वितरणः लगभग 71% बजु र्ु ्ग आबादी ग्रामीण क्षेत्ररों मेें रहती
है, जबकि 29% शहरी क्षेत्ररों मेें हैैं।
z बढ़ती बुजुर््ग आबादीः संयक्त ु राष्टट्र जनसंख््यया कोष (UNFPA) के अनसु ार,
भारत की बजु र्ु ्ग आबादी वर््ष 2011 के 10.4 करोड़ से बढ़कर वर््ष 2050 तक
30 करोड़ होने की उम््ममीद है, जो कुल आबादी का 18% है।
z वृद्धावस््थथा निर््भरता अनपु ात बढ़ रहा है, इसके वर््ष 2031 तक 20.1% तक
प्रमुख जनसाांख्यिकीय रुझान पहुचँ ने का अनमु ान है, जो 15-59 वर््ष के आयु वर््ग मेें प्रति 100 व््यक्तियोों मेें
z उम्र बढ़ने की प्रक्रियाः उम्र बढ़ना एक निरंतर, अपरिवर््तनीय, सार््वभौमिक बजु र्ु ्ग व््यक्तियोों की सख््यया
ं मेें उल््ललेखनीय वृद्धि का सक ं े त देता है।
प्रक्रिया है, जो गर््भधारण से लेकर मृत््ययु तक होती है, जिसमेें आर््थथिक निर््भरता की z हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्टट्र जैसे राज््य पहले से ही
शरुु आत आमतौर पर किसी के उत््पपादक योगदान मेें गिरावट के रूप मेें होती है। विशेष रूप से उम्र बढ़ने की प्रवृत्तियोों के साक्षी हैैं।
z वरिष्ठ नागरिक की परिभाषाः माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकोों की देखभाल z आर््थथिक सर्वेक्षण 2018-19 से पता चलता है कि भारत को जर््मनी और फ््राांस
और कल््ययाण अधिनियम, 2007 के अनसु ार, भारत मेें एक वरिष्ठ नागरिक वह जैसे विकसित देशोों की तरह बढ़ती उम्रदराज आबादी का सामना करना पड़
है, जिसकी आयु 60 वर््ष या उससे अधिक हो। सकता है।
भारत मेें वृद्धावस्था का नारीकरण z चरित्र निर््ममाण
 दादा-दादी यव ु ा पीढ़़ी को आकार देने मेें महत्तत्वपर््णू भमि
ू का निभाते हैैं।
z संयक्तु राष्टट्र जनसंख््यया कोष (UNPF) की रिपोर््ट मेें भारत मेें उम्र बढ़ने के
 मल् ू ्योों और नैतिकता को स््थथापित करके , वे जिम््ममेदार और सहानभु ति ू पर््णू
नारीकरण को एक प्रमख ु चनु ौती के रूप मेें पहचाना गया है।
z बजु र्गु गों मेें लिंगानपु ात लगातार बढ़ रहा है, जो कि वर््ष 2026 तक प्रति 1,000 नागरिकोों को ऊपर उठाने मेें योगदान करते हैैं।
z सहिष््णणुता और सामाजिक सहयोग को बढ़़ावा देना
परुु षोों पर 1,060 महिलाओ ं तक पहुचँ ने का अनमु ान है।
 महत्तत्वपर््णू सामाजिक और सांस््ककृतिक बदलावोों को देखने के बाद, वरिष्ठ
z बजु र्ु ्ग महिलाओ,ं विशेष रूप से विधवा और आश्रित से जनसंख््यया का एक
महत्तत्वपर््णू हिस््ससा निर््ममित होता है। नागरिक एक अनठू ा दृष्टिकोण प्रदान करते हैैं।
 उनके अनभ ु व, सहिष््णणुता और समझ को बढ़़ावा देते हुए सामाजिक
z वर््ष 2021 मेें महिलाओ ं के लिए निर््भरता अनपु ात 14.8% था, जो लिंग-
सवं ेदनशील नीतियोों की आवश््यकता को उजागर करता है। विभाजन के विरुद्ध एक प्रतिरोधक के रूप मेें कार््य कर सकते हैैं।
z सघ ं र््ष समाधान
z नीति निर््ममाताओ ं का ध््ययान बजु र्ु ्ग महिलाओ ं की विशेष आवश््यकताओ ं को परू ा
 संघर््ष समाधान, कौशल और मानव व््यवहार की गहरी समझ के साथ
करना होना चाहिए ताकि उनका समावश े और कल््ययाण सनिश्
ु चित किया जा सके।
वरिष्ठ नागरिक, परिवार और समदु ायोों के भीतर विवादोों को सल ु झाने मेें
भारत मेें बुजुर्गगों की देखभाल का महत्त्व मदद कर सकते हैैं।
z अनुभव का उपयोगः  वे शांति और सामाजिक सद्भाव को बढ़़ावा देते हैैं।

 महत्तत्व: बज ु र्ु ्ग व््यक्तियोों के पास मल्ू ्यवान व््यक्तिगत और व््ययावसायिक आयु-समावेशी समाज के निर््ममाण के लिए इन योगदानोों को मान््यता देना
अनभु व होता है। आवश््यक है। जब हम पीढ़़ीगत अंतर को पाटते हैैं, तो सभी को लाभ होता
 उदाहरणः उनके अनभ ु वोों को उचित देखभाल और समर््थन के माध््यम से है, जिससे अधिक समृद्ध और सामंजस््यपूर््ण भविष््य की ओर अग्रसर हुआ जा
सामाजिक लाभ के लिए उपयोग किया जा सकता है। सकता है।
z पीढ़़ीगत सबं ंधः भारत मेें वरिष्ठ नागरिकोों
 महत्तत्व: बज ु र्ु ्ग, पीढ़़ियोों के बीच महत्तत्वपर््णू कड़़ी के रूप मेें कार््य करते हैैं। के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियााँ
 उदाहरण: संयक्त ु परिवारोों मेें दादा-दादी, यवु ा पीढ़़ियोों को मल्ू ्योों और नीति आयोग ने फरवरी, 2024 मेें ‘भारत मेें वरिष्ठ देखभाल सुधारः वरिष्ठ
नैतिकता के हस््तताांतरण मेें महत्तत्वपर््णू भमि ू का निभाते हैैं। देखभाल प्रतिमान की पुनर््क ल््पना’ शीर््षक से एक स््थथिति पत्र जारी किया
z सामाजिक सद्भाव को बढ़़ावा देनाः है, जिसमेें बढ़ती उम्र वाली आबादी के लिए वर््तमान रुझानोों, चनु ौतियोों और
 महत्तत्व: बज ु र्ु ्ग, अपनी समृद्ध सांस््ककृतिक विरासत के साथ सामाजिक सधु ारोों पर चर््चचा की गई है।
सद्भाव मेें योगदान करते हैैं। स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ
 उदाहरणः उनका ज्ञान असहिष््णणुता, हिस ं ा और घृणा-अपराधोों के खिलाफ z पुरानी बीमारीः बजु र्गु गों मेें प्रायः मानसिक स््ववास््थ््य के मद्दु दों और परु ानी
एक रक्षक के रूप मेें कार््य करता है। बीमारियोों का उच््च प्रसार देखने को मिलता है।
z नैतिक और सामाजिक दायित््ववः z वद्ृ धावस््थथा देखभाल: बढ़ती उम्र वाली आबादी के लिए विशेष देखभाल
 महत्तत्व: समाज की जिम््ममेदारी है कि वह अपने बज ु र्गु गों की देखभाल करे । सवि
ु धाओ ं और सेवाओ ं की बढ़ती माँग।
 उदाहरणः यह उनके आजीवन योगदान को स््ववीकार करता है और उनके
रुग्णता और अक्षमताएँ
सामाजिक मल्ू ्योों का संरक्षण सनिश् ु चित करता है। z बजु र्गु गों मेें परु ानी बीमारियोों, अक्षमताओ ं और मानसिक स््ववास््थ््य के मद्दु दों का
वरिष्ठ नागरिकोों का समाज मेें योगदान उच््च प्रसार होता है।
वरिष्ठ नागरिक व््यक्तिगत और पेशेवर दोनोों तरह के अनुभवोों के एक समृद्ध भंडार z किफायती स््ववास््थ््य देखभाल और वृद्धावस््थथा मेें चिकित््ससा देखभाल सेवाओ ं
होते हैैं। यहाँ बताया गया है कि वे समाज मेें कै से महत्तत्वपर््णू योगदान देते हैैंः तक पहुचँ मेें कमी स््ववास््थ््य चनु ौतियोों को बढ़़ाती है।
z प्रबंधन और ज्ञान हस््तताांतरण मनोवैज्ञानिक मुद्दे
 उनके समृद्ध अनभ ु व पीढ़़ीगत अतं र को समाप्त करते हैैं। z अवसादः वृद्धावस््थथा मेें शक्तिहीनता, हीनभावना और कार््यनिर््ववाहन क्षमता मेें
 वे व््यक्तिगत विकास और व््ययावसायिक विकास को बढ़़ावा देते हुए यव ु ा कमी की भावना उत््पन््न हो सकती है।
व््यक्तियोों का मार््गदर््शन कर सकते हैैं। z भावनात््मक हानि : मौखिक या भावनात््मक दर््व््य ु वहार वरिष्ठ नागरिकोों के
z परिवार की स््थथिरता और समर््थन बीच मनोवैज्ञानिक संकट को बढ़़ा देता है।
 वरिष्ठ व््यक्ति प्रायः परिवारोों के स््ततंभ होते हैैं, विशेष रूप से बहु-पीढ़़ी के z एकाकीपनः विधवा होने और सेवानिवृत्ति के कारण साहचर््य की हानि या
परिवारोों मेें। कमी होना।
 वे सभी सदस््योों के लिए स््थथिरता और कल््ययाण की भावना को बढ़़ावा देते z पहचान का सक ं टः सेवानिवृत्ति के बाद समायोजन की कठिनाइयाँ, जिससे
हुए भावनात््मक और व््ययावहारिक समर््थन प्रदान करते हैैं। अलगाव और उद्देश््यहीनता की भावना पैदा होती है।

62  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


सामाजिक चुनौतियााँ z विश्वास की कमीः डिजिटल प्रौद्योगिकियोों से जड़ु ़े साइबर खतरोों और
जटिलताओ ं का भय।
z शहरीकरणः संयक्त ु से छोटे परिवारोों मेें स््थथानांतरण, बजु र्गु गों के लिए पारिवारिक
z व््यक्तिगत सबं ंधोों मेें कमी: संचार बाधाओ ं के कारण बजु र्गु गों का यवु ा पीढ़़ियोों
सहयोग को कम करता है।
से संपर््क टूट जाता है।
z बुजुर््ग दुर््व््यवहारः शारीरिक, भावनात््मक और वित्तीय दर््व््य ु वहार सहित
विभिन््न अभिव््यक्तियोों के साथ बढ़ती समस््यया। बुजुर्गगों की चुनौतियााँ (80 +)
z अलगावः बजु र्गु गों मेें अकेलेपन और उपेक्षा की बढ़ती दर, मानसिक स््ववास््थ््य z निर््भरता: इस अवस््थथा मेें शारीरिक सीमाओ ं के कारण दसू रोों पर निर््भरता मेें
को प्रभावित कर रही है। वृद्धि होती है।
z उम्रवादः उम्र के आधार पर रूढ़िवादी विचार, पर््ववाग्र ू ह और भेदभाव, जैसे z स््ववास््थ््य सेवा बोझ: गैर-सचं ारी रोगोों का अधिक प्रसार, स््ववास््थ््य बीमा तक
कि - बढ़ु ़ापे मेें उत््पपादकता मेें कथित कमी हो जाती है। यह बजु र्गु गों के लिए सीमित पहुचँ के साथ, वित्तीय तनाव को बढ़़ाता है।
सामाजिक बाधाएँ उत््पन््न करता है, जो उनके अवसरोों और कल््ययाण को बुजुर््ग महिलाओ ं की चुनौतियााँ
प्रभावित करता है। z लिंग-आधारित भेदभावः संसाधनोों और अवसरोों तक पहुचँ मेें आजीवन
परिवार और सामाजिक स्तर पर बदलाव असमानताएँ।
z पारंपरिक भूमिकाः ऐतिहासिक रूप से, परिवारोों मेें बजु र्गु गों की देखभाल की z स््ववास््थ््य असमानताएँः बजु र्ु ्ग महिलाओ ं मेें परु ानी बीमारियोों और विकलांगता
जाती रही है; हालाँकि, बढ़ती एकल पारिवारिक व््यवस््थथा ने इस जिम््ममेदारी की उच््च दर।
को बदल दिया है। z वैधव््य: 80 वर््ष से अधिक आयु की अधिकांश महिलाएँ विधवा हैैं, जो
z प्रवास के रुझानः आर््थथिक अवसरोों और शहरीकरण ने परिवारोों को अलग सामाजिक और आर््थथिक चनु ौतियोों का सामना कर रही हैैं।
कर दिया है, जिसने बजु र्ु ्ग सदस््योों को बिना सहारे के छोड़ दिया है । वृद्ध जनोों के जीवन की गुणवत्ता मेें सुधार के उपाय
z लैैंगिक गतिशीलता: महिलाओ ं के बीच शिक्षा और रोजगार मेें वृद्धि ने
पारंपरिक देखभाल की लैैंगिक गतिशीलता (Gender Dynamics) को बदल संवैधानिक और कानूनी ढााँचा
दिया है, जिससे बजु र्गु गों की देखभाल प्रभावित हुई है। z समानता का अधिकारः केें द्र और राज््य सरकारोों पर समवर्ती जिम््ममेदारियोों
आर््थथिक चुनौतियााँ के साथ संविधान द्वारा गारंटीकृ त।
z अनुच््छछे द 41: यह अनच्ु ्छछेद बजु र्ु ्ग व््यक्तियोों के लिए रोजगार, शिक्षा और
z वित्तीय दबावः आय की कमी और स््ववास््थ््य देखभाल की बढ़ती लागत
सार््वजनिक सहायता के अधिकारोों पर जोर देता है।
बजु र्गु गों की गरीबी मेें योगदान करती है।
z अनुच््छछे द 46: यह अनच्ु ्छछेद वरिष्ठ नागरिकोों के लिए शैक्षिक और आर््थथिक
z आवास की आवश््यकताएँः बजु र्ु ्ग नागरिकोों के लिए अपर््ययाप्त आवास
अधिकारोों को अनिवार््य करता है।
विकल््प और रहने की स््थथिति।
z अनुच््छछे द 47: यह अनच्ु ्छछेद सरकार को वरिष्ठ नागरिकोों सहित सभी नागरिकोों
z पेेंशन और आर््थथिक सरु क्षा तक पहुच ँ का अभावः
के लिए पोषण, जीवन स््तर और सार््वजनिक स््ववास््थ््य को ऊपर उठाने का
 आर््थथिक दबावः कई बज ु र्ु ्ग गरीबी रे खा से नीचे (BPL) हैैं और पेेंशन निर्देश देता है।
लाभ तक उनकी पहुचँ नहीीं है।
z माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकोों का रखरखाव एवं कल््ययाण अधिनियम,
 वित्तीय असरु क्षा: वित्तीय असरु क्षा, वरिष्ठठों को सेवानिवृत्ति की आयु से
2007 (2019 मेें सश ं ोधित): यह अधिनियम वरिष्ठ नागरिकोों और माता-पिता
आगे काम करने के लिए मजबरू करती है। को उपेक्षा से बचाता है, जिससे बच््चचे और रिश््ततेदार उनकी देखभाल के लिए
 सीमित पेें शन समावेशन: बज ु र्गु गों के लिए पेेंशन और वित्तीय उत््पपादोों आर््थथिक रूप से जिम््ममेदार होते हैैं।
की कम उपलब््धता। z माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकोों का रखरखाव एवं कल््ययाण सश ं ोधन
 अपर््ययाप्त ढाँचागत सवि ु धाएँ: सामाजिक सरु क्षा प्रणालियोों पर अपर््ययाप्त विधेयक, 2019: यह अधिनियम उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकोों के लिए सरु क्षा का
सरकारी व््यय और बजु र्गु गों की देखभाल के लिए भौतिक बनि ु यादी ढाँचे विस््ततार करता है तथा उनकी भलाई और सरु क्षा सनिश् ु चित करता है।
की कमी।
वृद्धता पर मैड््ररि ड अंतरराष्ट्रीय कार््य योजना, 2002
प्रौद्योगिकी अवरोधक
z यह कार््य योजना वृद्ध आयु वाले समाज की चनु ौतियोों का समाधान करने
z डिजिटल विभाजनः स््ममार््टफोन और इटं रनेट जैसी आधनिु क तकनीकोों के और वृद्ध व््यक्तियोों के मानवाधिकारोों की प्राप्ति के लिए एक दिशानिर्देश
अनक ु ू ल होने मेें असमर््थता।
प्रदान करती है।
z पहुच ँ सबं ंधी मुद्दे: डिजिटल सेवाओ ं की सीमित समझ और उपयोग,
z इसने तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्ररों पर ध््ययान केें द्रित किया: 1. वृद्ध व््यक्ति
सामाजिक अलगाव को बढ़़ाती है।
और विकास; 2. बढ़ु ़ापे मेें स््ववास््थ््य और खश ु हाली को बढ़़ावा देना और
z डिजिटल निरक्षरताः ऑनलाइन सेवाओ ं को संचालित करने और डिजिटल
प््ललेटफार्ममों तक पहुचँ ने मेें असमर््थता। 3. सक्षम और सहायक वातावरण सनिश् ु चित करना।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 63


z सतत विकास लक्षष्ययों के लिए 2030 एजेेंडा भी समावेशी विकास के लिए z वद्ध ृ व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2011: आय सरु क्षा, गृह देखभाल
उनकी परू ी क्षमता और उनके योगदान को साकार करने के महत्तत्व को सेवाओ,ं पेेंशन, स््ववास््थ््य बीमा और आयु के अनक ु ू ल रहने के वातावरण को
पहचानता है। बढ़़ावा देती है।
z प्रधानमंत्री वय वंदन योजना (PMVVY): इस योजना के अतं र््गत प्रारंभिक
संयुक्त राष्टट्र स्वस्थ वृद्धावस्था दशक (2021-2030) निवेश के बदले मेें वरिष्ठ नागरिकोों को गारंटीकृ त मासिक पेेंशन प्रदान करती है।
z वृद्ध लोगोों, उनके परिवारोों और उनके समदु ायोों के जीवन को बेहतर बनाने z इदिर
ं ा गांधी राष्ट्रीय वद् ृ धावस््थथा पेेंशन योजना (IGNOAPS): यह योजना
के लिए दस वर्षषों की ठोस, उत्प्रेरक और सहयोगात््मक कार््र वाई के लिए गरीबी रे खा से नीचे वाले (BPL) परिवारोों के बजु र्ु ्ग व््यक्तियोों को वित्तीय
सभी को एक साथ लाने का एक अवसर प्रदान करता है। सहायता प्रदान करती है।
सरकारी योजनाएँ एवं पहल z राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): आयु संबंधी अक्षमता वाले वरिष्ठ नागरिकोों
z वद्ध
ृ व््यक्तियोों का एकीकृत कार््यक्रम (IPOP), 1992: यह पहल बजु र्ु ्ग को जीवन सहायक उपकरणोों का वितरण करती है।
व््यक्तियोों की बनि
ु यादी आवश््यकताओ ं को परू ा करके और उनके समग्र कल््ययाण z वयोश्रेष्ठ सम््ममानः यह सम््ममान वरिष्ठ नागरिकोों और संस््थथानोों द्वारा उत््ककृष्ट
को सनिश्
ु चित करके, उनके जीवन की गणु वत्ता मेें सधु ार के उद्देश््य से शरूु की गई थी। योगदान को मान््यता प्रदान करता है।
z वद्धृ व््यक्तियोों के लिए एकीकृत कार््यक्रम (IPOP): आश्रय, भोजन और
वरिष्ठ नागरिकोों के
चिकित््ससा देखभाल जैसी बनि ु यादी सवि ु धाएँ प्रदान करता है।
कल्याण के लिए
महत्त्वपूर््ण z एल््डर (Elder) लाइनः पेेंशन, स््ववास््थ््य सेवा और काननू ी मामलोों पर
योजनाएँ मार््गदर््शन के लिए टोल-फ्री हेल््पलाइन।
z सीनियर के यर एजिंग ग्रोथ इज ं न (SAGE) पहलः यह पहल बजु र्गु गों की
अटल पेेंशन योजना: यह सभी
भारतीयोों, विशेषकर गरीबोों, वंचितोों, देखभाल के लिए नवीन उत््पपादोों और सेवाओ ं के विकास को बढ़़ावा देती है।
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना:
इसका उद्देश््य अनिश्चित बाजार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकोों के लिए पेेंशन z सपं न््न परियोजनाः यह दरू संचार विभाग के पेेंशनभोगियोों के लिए एक
स््थथिति के कारण भविष््य मेें ब््ययाजके रूप मेें एक सार््वभौमिक सामाजिक
सुरक्षा प्रणाली प्रदान करता है। ऑनलाइन पेेंशन प्रसंस््करण और भगु तान प्रणाली है।
आय मेें होने वाली गिरावट से बुजर््गु
व््यक्तियोों की रक्षा करना है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता
z वरिष्ठ नागरिकोों के लिए सेक्रेड पोर््टलः यह पोर््टल 60 वर््ष से अधिक आयु
अटल वायु अभ््ययुदय योजना कार््यक्रम: यह एक ऐसी योजना है के नागरिकोों के लिए नौकरी और काम के अवसर प्रदान करता है।
(AVYAY): यह वरिष्ठ नागरिकोों जिसके तहत बीपीएल श्रेणी के बुजर्गु गों, z वरिष्ठ नागरिक कल््ययाण कोषः इस कल््ययाण कोष को बजु र्ु ्ग आबादी को
की चार बुनियादी ज़रूरतेें प्रदान विधवाओं और विकलांग व््यक्तियोों को
`200/- से 500/- प्रति माह तक की
करती है: वित्तीय सुरक्षा, भोजन, वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। लाभान््ववित करने वाली गतिविधियोों को निधि देने के लिए वर््ष 2016 मेें
स््ववास््थ््य देखभाल और सम््ममान स््थथापित किया गया था।
का जीवन। प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना: यह
योजना 18-70 वर््ष की आयु के लोगोों z वरिष्ठ नागरिकोों के लिए राष्ट्रीय पुरस््ककार-वयोश्रेष्ठ सम््ममानः बजु र्ु ्ग
वरिष्ठ पेेंशन बीमा योजना:
एकमुश््त राशि के भुगतान पर के लिए उपलब््ध है, जिसमेें आकस््ममिक व््यक्तियोों, विशेष रूप से गरीब वरिष्ठ नागरिकोों के लिए विशिष्ट सेवाएँ प्रदान
मृत््ययु के मामले मेें 2 लाख और आंशिक
ग्राहकोों को गारंटीकृ त पेेंशन स््थथायी विकलांगता के मामले मेें 1 करने मेें शामिल प्रतिष्ठित वरिष्ठ नागरिकोों और संस््थथानोों द्वारा किए गए प्रयासोों
सुनिश्चित करती है। लाख का जोखिम कवरेज है। को मान््यता देना।
z वरिष्ठ नागरिकोों की राष्ट्रीय परिषद (NCSrC): इसका गठन वर््ष 1999 मेें
z राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार््यक्रम, 1995: राष्ट्रीय सामाजिक सहायता
सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मत्री ं की अध््यक्षता मेें नीति के कार््ययान््वयन
कार््यक्रम की शरुु आत बेसहारा वरिष्ठ नागरिकोों को सामाजिक सहायता प्रदान
की देखरे ख करने और वृद्धधों के लिए नीतियोों और कार््यक्रमोों के निर््ममाण और
करने के लिए की गई थी, जिसका उद्देश््य यह सनिश् ु चित करना था कि उनके कार््ययान््वयन मेें सरकार को सलाह देने के लिए किया गया था।
पास आवश््यक संसाधनोों तक पहुचँ हो और उनके निर््ववाह के लिए समर््थन हो।
z वरिष्ठ नागरिकोों के कल््ययाण के लिए राष्ट्रीय कार््य योजना (NAPSrC):
z वद्ध
ृ व््यक्तियोों पर राष्ट्रीय नीति (NPOP), 1999: वर््ष 1999 मेें तैयार यह योजना वरिष्ठ नागरिकोों की शीर््ष चार जरूरतोों अर््थथात् वित्तीय सरु क्षा, भोजन,
की गई वृद्ध व््यक्तियोों पर राष्ट्रीय नीति का उद्देश््य; वरिष्ठ नागरिकोों की वित्तीय, स््ववास््थ््य देखभाल और मानव सपं र््क /गरिमापर््णू जीवन का ध््ययान रखती है। यह
स््ववास््थ््य देखभाल, आश्रय और अन््य आवश््यकताओ ं को परू ा करने के लिए एक व््ययापक योजना है जो 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी है, इसके तहत चार
व््ययापक सरकारी सहायता प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त, यह उनके जीवन उप-योजनाएँ हैैंः
की समग्र गणु वत्ता को बढ़़ाने हेतु विभिन््न सेवाओ ं तक पहुचँ की सवि ु धा प्रदान  वरिष्ठ नागरिकोों के लिए एकीकृ त कार््यक्रम की योजना (IPSrC)

करते हुए उन््हेें दरुु पयोग और शोषण से बचाने पर केें द्रित है।  वरिष्ठ नागरिकोों के लिए राज््य कार््य योजना (SAPSrC)

z बुजुर्गगों के स््ववास््थ््य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम (1999): वर््ष  वरिष्ठ नागरिक कल््ययाण के क्षेत्र मेें भारत सरकार के अन््य मत्रालयो ं ों/विभागोों
1999 मेें शरू ु किया गया बजु र्गु गों के स््ववास््थ््य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम, की पहलोों के साथ समन््वय (CWMSrC)
सरकार की अतं रराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओ,ं विशेष रूप से दिव््ययाांग z मीडिया, वकालत, क्षमता निर््ममाण, अनसु ंधान और अध््ययन, पायलट और
व््यक्तियोों के अधिकारोों पर संयक्त ु राष्टट्र सम््ममेलन (UNCRPD) के तहत एक कोई अन््य परियोजना जिसका उद्देश््य वरिष्ठ नागरिकोों का कल््ययाण है और जो
प्रतिक्रिया है। NISD के माध््यम से NAPSrC (NISDSrC) कवरे ज के अतं र््गत आती है।

64  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


वरिष्ठ नागरिकोों के लिए राष्ट्रीय नीति (NPSC), 2011 सामाजिक समावेश
वरिष्ठ नागरिकोों के लिए राष्ट्रीय नीति (2011) निम््नलिखित बिंदओ ु ं पर केें द्रित हैः z वरिष्ठ नागरिकोों की जरूरतोों और चनु ौतियोों के बारे मेें जागरूकता मेें वृद्धि।
z वरिष्ठ नागरिकोों का सशक्तीकरणः राष्ट्रीय स््तर पर उनकी आवाज और z ज्ञान साझा करने के लिए सहकर्मी सहायता समहोू ों को प्रोत््ससाहन।
जरूरतोों को शामिल करना, विशेष रूप से महिलाओ ं के लिए। दर््व््य
z ु वहार और उपेक्षा से निपटने के लिए काननू ी ढाँचे को मजबतू करना।
z वित्तीय सरु क््षााः पेेंशन, घरेलू देखभाल सहायता और स््ववास््थ््य सेवा तथा
आवास तक पहुचँ प्रदान करना। बुजुर्गगों के साथ मित्रतापूर््ण जीवन/आवास
z सम््ममानजनक देखभालः अति ं म उपाय के रूप मेें संस््थथागत देखभाल के साथ z वरिष्ठ नागरिकोों के जीवनयापन संबंधी परियोजनाओ ं के लिए एकल खिड़की
स््वतंत्र जीवन को बढ़़ावा देना। समाधान पोर््टल का विकास।
z समावेशी समाजः सल ु भ वातावरण बनाना और वरिष्ठ नागरिकोों के अधिकारोों z सेवाओ ंतक आसान पहुचँ के लिए एक राष्ट्रीय वरिष्ठ देखभाल पोर््टल का निर््ममाण।
की रक्षा करना। z वरिष्ठ देखभाल क्षेत्र मेें देखभाल कर््मचारियोों को पहचानना और उनका सहयोग
z अनुभव का मूल््ययाांकन करनाः वरिष्ठ नागरिकोों को राष्ट्रीय संपत्ति के रूप करना।
मेें मान््यता देना।
z वित्तीय योजनाः दीर््घकालिक बचत और सभी के लिए ऋण तक पहुच ँ को
आर््थथिक सशक्तीकरण
प्रोत््ससाहित करना। z आयु के अनक ु ू ल श्रम बाजारोों और रोजगार के अवसरोों को बढ़़ावा देना।
मौजूदा सरकारी तंत्र से जुड़़े मुद्दे z वरिष्ठ नागरिकोों के लिए ‘ग्रे इटं र््नशिप’ कार््यक्रम पेश करना।
z इदिर
ं ा गांधी राष्ट्रीय वद् ृ धावस््थथा पेेंशन योजना (IGNOAPS) z वित्तीय साक्षरता को बढ़़ावा देना और वरिष्ठ नागरिकोों को वित्तीय धोखाधड़़ी
से बचाना।
 इस योजना के अत ं र््गत वर््ष 2006 से 200 रुपये की स््थथिर मासिक पेेंशन
प्रदान की जाती है। z वरिष्ठ नागरिकोों की जरूरतोों को परू ा करने वाली ‘सिल््वर इकॉनमी’ (Silver
z माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकोों का रखरखाव और कल््ययाण Economy) को प्रोत््ससाहित करना।
अधिनियम, 2007 z वरिष्ठ देखभाल उत््पपादोों पर, कर और वस््ततु एवं सेवा कर (GST) सधु ारोों की
 बच््चोों/रिश््ततेदारोों द्वारा प्रभावी रखरखाव सनिश्ु चित करने मेें विफलता। पेशकश करना।
 अपर््ययाप्त प्रवर््तन और कार््ययान््वयन।
z वरिष्ठ नागरिक जमाओ ं के लिए एक अनिवार््य बचत योजना लागू करना ।
z वद्ध
ृ व््यक्तियोों के लिए एकीकृत कार््यक्रम (IPOP) डिजिटल समावेश
 कम वित्त पोषित और खराब तरीके से प्रशासित। z वरिष्ठ नागरिकोों के लिए किफायती डिजिटल उपकरणोों तक पहुचँ बढ़़ाना।
 वर््ष 2015-2016 मेें के वल 23,095 लाभार््थथियोों तक पहुच ँ । z डिजिटल साक्षरता मेें सधु ार के लिए अभियानोों और कार््यशालाओ ं का
z कम सामाजिक सरु क्षा व््यय आयोजन करना।
 भारत का सामाजिक सरु क्षा व््यय सकल घरेलू उत््पपाद (GDP) का 1.45% z नियमित कार्ययों को सरल बनाने के लिए कृ त्रिम बद्ु धिमत्ता (AI) और बिग डेटा
है, जो एशिया मेें सबसे कम है। जैसी तकनीकोों का उपयोग करना।
z अपरिपक््व पेेंशन उद्योग
निजी भागीदारी
 किसी भी पेेंशन योजना के तहत के वल 7.4 % आबादी को कवर किया
जाता है। z सार््वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को मजबतू करना।
 अनौपचारिक क्षेत्र के कर््मचारियोों को शामिल करने मेें चन
z बजु र्गु गों की देखभाल की पहल के लिए कॉर्पोरे ट सामाजिक उत्तरदायित््व (CSR)
ु ौतियाँ।
निधियोों को प्रोत््ससाहित करना।
z दीर््घकालिक निवेश की ओर अनिच््छछा
z वृद्ध देखभाल गृहोों, गतिशील चिकित््ससा इकाइयोों और कौशल-निर््ममाण कार््यक्रमोों
 लंबी अवधि मेें निवेश करने मेें कठिनाई।
मेें निजी क्षेत्र की भागीदारी की संभावनाओ ं का अन््ववेषण।
 भविष््य के लिए निवेश करने की इच््छछा का अभाव।
निष्कर््ष
नीति आयोग की अनुशंसाएँ : आगे की राह
भारत सरकार ने वरिष्ठ नागरिकोों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विभिन््न
स्वास्थ्य कार््यक्षेत्र योजनाओ ं और नीतियोों को लागू किया है, लेकिन स््ववास््थ््य सेवा, सामाजिक
z वरिष्ठ नागरिकोों और देखभाल करने वालोों के बीच स््ववास््थ््य साक्षरता को समावेश और आर््थथिक सशक्तीकरण मेें और अधिक निवेश की आवश््यकता
बढ़़ावा देना। है। नीति आयोग की सिफारिशोों का पालन करके तथा निजी भागीदारी को
प्रोत््ससाहित करके , भारत वरिष्ठ नागरिकोों के लिए एक अधिक आयु-अनुकूल
z प्राथमिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं को मजबतू करना।
समाज बनाया जा सकता है।
z घरेलू स््ववास््थ््य देखभाल, मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं और पोषण कार््यक्रमोों की
पहुचँ मेें वृद्धि करना। सीनियर के यर एजिंग ग्रोथ इं जन पहल (SAGE पहल )
z डेटा संग्रह और नीति विकास के लिए एक राष्ट्रीय वरिष्ठ देखभाल केें द्र की z उद्देश््ययः इस पहल का उद्देश््य भारत मेें बजु र्गु गों के लिए नवीन उत््पपादोों और
स््थथापना करना। सेवाओ ं को बढ़़ावा देने के लिए सरकार के नेतत्ृ ्व मेें प्रयास है।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 65


z SAGE पोर््टलः यह पोर््टल विश्वसनीय स््टटार््टअप््स द्वारा बजु र्ु ्ग देखभाल उत््पपादोों z सरकार ने सिल््वर इकॉनमी के विचार को बढ़़ावा देने के लिए पहल शरू
ु की हैः
और सेवाओ ं के लिए वन-स््टटॉप एक््ससेस प्रदान करता है।  सीनियर एबल सिटिजन््स फॉर री-एम््प्ललॉयमेें ट इन डिग््ननिटी
z स््टटार््टअप््स का चयनः स््ववास््थ््य, आवास, प्रौद्योगिकी, वित्त, काननू ी जरूरतोों (SACRED) पोर््टलः यह वरिष्ठ नागरिकोों को निजी क्षेत्र मेें नौकरी
को परू ा करने वाले नवीन समाधानोों के आधार पर चनु ाव। प्रदाताओ ं से जोड़़ेगा।
z कार््ययान््वयनः मत्राल
ं य चिन््हहित स््टटार््टअप््स के माध््यम से उत््पपादोों तक पहुचँ  सीनियर एजिंग ग्रोथ इज ं न (SAGE) पहलः यह वरिष्ठ देखभाल उत््पपादोों
की सवि ु धा प्रदान करता है। और सेवाओ ं को बढ़़ावा देगा और प्रोत््ससाहित करेगा।
z शामिल किए गए क्षेत्रः स््ववास््थ््य, यात्रा, वित्त, काननू ी, आवास, भोजन आदि। स्वस्थ वृद्धता के संयुक्त राष्टट्र दशक की प्रगति रिपोर््ट
z वृद्ध आबादी की जरूरतोों को परू ा करने के लिए एवं सिल््वर इकॉनमी को z उद्देश््ययः विश्व स््तर पर वृद्ध लोगोों, परिवारोों और समदु ायोों के जीवन मेें सधु ार
बढ़़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये आवटि ं त किए गए। करना।
वृद्धधों हेतु जीवन की गुणवत्ता सूचकाांक, 2021 z दशक की अवधिः 2021-2030
z इसे प्रधानमत्री ं की आर््थथिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) द्वारा जारी किया z वैश्विक प्रतिबद्धताएँः उम्र बढ़ने और स््ववास््थ््य पर विश्व स््ववास््थ््य संगठन
गया। (WHO) की वैश्विक रणनीति और कार््य योजना (2016-2030) और एजिंग
z उद्देश््ययः क्षेत्रीय वृद्धता के उतार-चढ़़ाव की पहचान करता है और भारत मेें पर मैड्रिड इटं रनेशनल प््ललान ऑफ एक््शन (2002) पर आधारित है।
समग्र वृद्धता की स््थथिति का आकलन करता है। मुख्य निष्कर््ष
z प्रमुख निष््कर््ष z अधिकार सरक्ष ं णः 60% से अधिक देशोों मेें वृद्ध लोगोों के अधिकारोों को
 भारत, वर््तमान मेें जनसांख््ययिकीय लाभांश का लाभ ले रहा है। लेकिन बढ़़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए तंत्र हैैं।
65 वर््ष से अधिक आयु वर््ग वर््ष 2050 तक सबसे तेजी से बढ़ने वाला z आयु-अनुकूल शहरः अधिक देशोों मेें आय-ु अनक ु ू ल शहरोों और समदु ायोों के
आयु वर््ग बन जाएगा। लिए विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) ग््ललोबल नेटवर््क का समर््थन करने वाले
 देश मेें कुल जनसख््यया ं के % के रूप मेें बजु र्गु गों की हिस््ससेदारी वर््ष 2001 राष्ट्रीय कार््यक्रम हैैं।
के लगभग 7.5 % से बढ़कर वर््ष 2026 तक लगभग 12.5 % और वर््ष z सस ं ाधन सीमाएँः स््वस््थ उम्र बढ़ने के प्रयासोों के लिए सीमित ससं ाधन;
2050 तक 19.5 % से अधिक होने की उम््ममीद है। प्रतिबद्धता और निवेश मेें वृद्धि महत्तत्वपर््णू है।
z शीर््ष स््ककोरिंग क्षेत्रः z कार््रवाई की आवश््यकताः निम््न और मध््यम आय वाले देशोों मेें ठोस और
 राजस््थथान और हिमाचल प्रदेश क्रमशः वृद्ध और अपेक्षाकृ त वृद्ध राज््योों मेें। त््वरित कार््र वाई की आवश््यकता है, जहाँ वर््ष 2050 तक विश्व की 80% वृद्ध
 केें द्र शासित प्रदेश और पर्वोत्तू र राज््योों की श्रेणी मेें चडं ीगढ़ और मिजोरम। आबादी रहेगी।

सिल्वर इकॉनमी (Silver Economy) विकलाांग/ दिव्ययांग व्यक्ति


z सिल््वर इकॉनमी वरिष्ठ नागरिकोों से सबं ंधित सार््वजनिक और उपभोक्ता व््यय विकलाांग व्यक्ति (PwD) कौन हैैं ?
से उत््पन््न होने वाले आर््थथिक अवसरोों को संदर््भभित करती है।
z सयं ुक्त राष्टट्र की परिभाषाः संयक्तु राष्टट्र अक्षमता यक्त
ु /विकलांग व््यक्तियोों के
z इसमेें वे उत््पपाद और सेवाएँ शामिल हैैं, जो वे प्रत््यक्ष रूप से खरीदते हैैं साथ अधिकारोों पर कन््वेेंशन (UN - CRPwD) द्वारा, अक्षमता यक्त ु /विकलांग
ही अप्रत््यक्ष आर््थथिक गतिविधियाँ, जो वे प्रोत््ससाहित करते हैैं। व््यक्तियोों (PwD) को दीर््घकालिक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदनात््मक
सिल्वर अर््थव्यवस्था क्षति वाले लोगोों के रूप मेें परिभाषित करता है, जो विभिन््न बाधाओ ं के साथ
भारत मेें सिल््वर इकोनॉमी के
अतं ःक्रिया मेें, समाज मेें उनकी पर््णू भागीदारी मेें बाधा डालते हैैं।
विकास से वरिष्ठ नागरिकोों की z दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनसु ार, कम-से-कम
देखभाल, विशेष रूप से समाज 40% निर््ददिष्ट दिव््ययाांगता/विकलांगता के साथ प्रमाणित व््यक्तियोों को बेेंचमार््क
के सबसे निचले तबके के लिए, दिव््ययाांग/विकलांग माना जाता है।
सार््वभौमिक पहुचँ के लिए
आवश््यक सब््ससिडीयक्तु सेवाएँ
z विकलागं ता पर वैश्विक रिपोर््टटः विकलागं ता जटिल, गतिशील और विवादित है।
उपलब््ध हो सकेेंगी। z अक्षमता युक्त/विकलांग व््यक्तियोों के अधिकार अधिनियम, 2016:
UN-CRPwD परिभाषा का उपयोग करता है। यह बेेंचमार््क अक्षमता युक्त/
• स््ववास््थ््य सेवा उद्योग मेें अनुसंधान एवं विकास आधार विकसित करना विकलांगता वाले व््यक्ति को कम से कम 40% निर््ददिष्ट विकलांगता वाले
• नए आईसीटी समाधान, जैसे देखभाल रोबोटिक््स व््यक्ति के रूप मेें भी परिभाषित करता है। इस अधिनियम ने मान््यता प्राप्त
• सेवानिवृत्ति मेें देरी करना और अत््यधिक कुशल तकनीकी नौकरियाँ प्रदान करना अक्षमताओ ं को 7 से बढ़़ाकर 21 कर दिया।
• एसएमई और स््टटार््टअप नवीन समाधान लेकर आ रहे हैैं। z विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन (WHO): ज््ययादातर विकासशील देशोों मेें 1 बिलियन
• स््ववास््थ््य मोबाइल एप््ललिके शन जो ट्रैकिंग मेें सहायता करते हैैं। लोग (15%) किसी-न-किसी प्रकार की दिव््ययाांगता से प्रभावित हैैं। विश्व की
• बड़़ी फार््ममा कं पनियाँ एकीकृ त चिकित््ससीय समाधान विकसित कर रही हैैं। 15% आबादी किसी-न-किसी प्रकार की दिव््ययाांगता से प्रभावित है, जिसमेें
• अकुशल जनसंख््यया को पनु ः कौशल का अवसर प्रदान करना 80% से अधिक कम और मध््यम आय वाले देशोों मेें हैैं।

66  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


भारत मेें अक्षमता युक्त/विकलाांग व्यक्तियोों (PwD) की वर््तमान स्थिति अक्षमता युक्त/विकलाांग व्यक्तियोों
z सख्ं ्ययााः लगभग 26.8 मिलियन (जनगणना-2011), जोकि जनसंख््यया का (PwDS) से जुड़़ी चुनौतियााँ
2.21% है।
z लैैंगक विभाजन: 14.9 मिलियन परुु ष और 11.9 मिलियन महिलाएँ। स्वास्थ्य चुनौतियााँ
z स््थथानः 69% ग्रामीण क्षेत्ररों मेें रहते हैैं। z निवारणीय अक्षमताएँः भारत मेें अक्षमताओ ं का एक महत्तत्वपर््णू हिस््ससा
z दिव््ययाांगता के प्रकारः गतिशीलता सबं ंधी (20%), दृश््य हानि (19%), श्रवण रोकथाम योग््य है, जो जन््म के दौरान चिकित््ससा जटिलताओ,ं मातृ स््थथितियोों,
हानि (19%), एकाधिक दिव््ययाांगता (8%)। कुपोषण और दर््घु टनाओ ं या चोटोों जैसे मद्दु दों से उपजी हैैं।
 आयु समूहः 10-19 वर्षषों मेें उच््चतम (4.62 मिलियन)।
z स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक पहुच ँ की कमीः कई दिव््ययाांग व््यक्तियोों को सस््तती
 रोजगारः 34% को श्रमिकोों के रूप मेें रिपोर््ट किया गया (अरुणांचल प्रदेश
स््ववास््थ््य सेवाओ ं के साथ-साथ अपनी स््थथितियोों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित
मेें उच््चतम, नागालैैंड, सिक््ककिम मेें सर््ववाधिक)। करने के लिए आवश््यक सहायता और उपकरणोों तक पहुचँ ने मेें चनु ौतियोों का
दिव्ययांगता के मॉडल सामना करना पड़ता है।
z चिकित््ससा मॉडलः दिव््ययाांगता व््यक्ति से संबंधित होती है और इसके लिए शैक्षिक बाधाएँ
चिकित््ससा हस््तक्षेप की आवश््यकता होती है।
z गैर-समावेशी शिक्षा प्रणालीः भारत मेें शिक्षा प्रणाली प्रायः दिव््ययाांग व््यक्तियोों
z सामाजिक मॉडलः दिव््ययाांगता सामाजिक बाधाओ ं से उत््पन््न होती है, जो
अक्षमता यक्त
ु /विकलागं व््यक्तियोों (PwD) की भागीदारी को प्रतिबधि
ं त करती हैैं। की आवश््यकताओ ं को परू ा करने मेें विफल रहती है, इसके दृष्टिकोण मेें
समावेशिता की कमी होती है।
दिव्ययांगता के प्रकार
सामाजिक भागीदारी
z दिव््ययाांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 ने दिव््ययाांगता के प्रकारोों को 7 से सामाजिक कलंक मेें परेशानी अपर््ययाप्त राजनीतिक
बढ़़ाकर 21 कर दिया। 21 अक्षमताएँ नीचे दी गई हैैंः- और भेदभाव भागीदारी
z शारीरिक अक्षमता: लोकोमोटर अक्षमता; कुष्ठ रोग से ठीक व््यक्ति; सेरेब्रल शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवाओं
संस््थथागत उदासीनता
पाल््ससी; बौनापन; मांसपेशीय दर््ववि
ु कास; तेज़ाब हमले से पीड़़ित; दृष्टि हानि दिव््ययाांगोों तक पहुचँ का अभाव
(अधं ापन या कम दृष्टि); श्रवण अक्षमता (बधिर- सनु ने मेें कठिनाई); भाषण योजनाओं/अधिनियमोों द्वारा सामना
और भाषा अक्षमता। दूसरोों पर निर््भर
का खराब कार््ययान््वयन किये जाने
z बौद्धिक अक्षमता: विशिष्ट अधिगम अक्षमताएँ; ऑटिज््म स््पपेक्टट्रम विकार। कल््ययाणकारी कार््यक्रमोों वाले मुद्दे गरीबी (सबसे गरीब
z मानसिक व््यवहार: मानसिक बीमारी के प्रति अनभिज्ञता लोगोों मेें)
z क्रोनिक न््ययूरोलॉजिकल कंडीशन (मल््टटीपल स््क्ललेरोसिस, पार््कििंसंस रोग); रक्त बहिष््करण बेरोजगारी
एवं अभाव सार््वजनिक स््थथानोों
विकार (हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग) और अन््य बहुविध
तक पहुचँ का अभाव
अक्षमताओ/ं दिव््ययाांगताओ ं के कारण होने वाली अक्षमताए।ं
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, विकलांग लोगोों को स्वास्थ्य देखभाल z विशेष शिक्षा मेें कमियाँः विशेष विद्यालय दर््ल ु भ हैैं और यहाँ तक कि जहाँ
तक पहुुँचने मेें कई तरह की बाधाओ ं का सामना करना पड़ता है वे मौजदू हैैं, उन तक पहुचँ , प्रशिक्षित शिक्षकोों की उपलब््धता और उपयक्त

मनोवृत्ति संबंधी बाधाएं शारीरिक बाधाएँ शैक्षिक सामग्री अपर््ययाप्त रहती है।
• स््ववास््थ््य सेवा प्रदाताओं द्वारा पूर््ववाग्रह, • स््ववास््थ््य देखभाल सुविधाओं तक पहुचँ ने
कलंक, भेदभाव। के लिए उपयुक्त बुनियादी ढाँचे का अभाव, रोजगार असमानताएँ
• सेवा प्रदाताओं को विकलांगोों की जैसे व््हहीलचेयर पर पहुचँ ने के लिए रास््तते, z कम रोजगार दरः उत््पपादक कार््य करने मेें सक्षम होने के बावजदू दिव््ययाांग
आवश््यकताओं के बारे मेें जानकारी का दरवाजे, शौचालय तक पहुचँ ने के लिए रैैंप।
अभाव है। • निश्चित ऊंचाई वाले फर्नीचर, जिनमेें वयस््कोों को सामान््य आबादी की तल ु ना मेें काफी कम रोजगार उपलब््धता दर
• विकलांगता से ग्रस््त महिलाओं को यौन, जांच बिस््तर और कु र््ससियाँ ​​शामिल हैैं, का का सामना करना पड़ता है।
प्रजनन स््ववास््थ््य सेवाओं और जानकारी उपयोग विकलांग लोगोों के लिए कठिन हो
मेें बाधाओं का सामना करना पड़ता है। सकता है। z निजी क्षेत्र की चुनौतियाँः निजी क्षेत्र मेें स््थथिति बिगड़ती जा रही है, जहाँ
• दूरदराज के इलाकोों मेें स््ववास््थ््य सुविधाओं नियोजित दिव््ययाांग व््यक्तियोों की सख््यया
ं असमान रूप से कम है।
संचार बाधाएं का अभाव।
पहुच
ँ संबंधी बाधाएँ
• श्रवण बाधित व््यक्तियोों के लिए स््ववास््थ््य वित्तीय बाधाएँ
सेवाओं मेें लिखित सामग्री या सांकेतिक • कम आय वाले देशोों मेें आधे से अधिक z शारीरिक बाधाएँः इमारतोों, सार््वजनिक परिवहन और आवश््यक सेवाओ ं तक
भाषा दभु ाषियोों की सीमित उपलब््धता। विकलांग लोग उचित स््ववास््थ््य देखभाल भौतिक पहुचँ दिव््ययाांग व््यक्तियोों के लिए एक बड़़ी चनु ौती बनी हुई है।
• दृष्टिबाधित व््यक्तियोों के लिए ब्रेल या बड़़े का खर््च वहन नहीीं कर सकते।
z सीमित सेवा पहुच ँ ः कई सार््वजनिक सेवाओ ं मेें दिव््ययाांग व््यक्तियोों की जरूरतोों
प््रििंट जैसे सुलभ प्रारूपोों मेें जानकारी और • स््ववास््थ््य सेवा तक यात्रा करने और दवा
नुस््खखे का अभाव।
के भुगतान से जुड़़ी लागत वहन करने मेें को परू ा करने के लिए आवश््यक बनि ु यादी ढाँचे की कमी होती है, जिससे
असमर््थता।
उनकी पहुचँ मेें और बाधा आती है।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 67


भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार z ग््ययारहवीीं और बारहवीीं अनुसच
ू ीः दिव््ययाांगोों और मानसिक रूप से मदं लोगोों
के कल््ययाण’को शामिल करती है।
z नकारात््मक सामाजिक दृष्टिकोणः दिव््ययाांगता के प्रति नकारात््मक दृष्टिकोण,
परिवारोों और समाज के भीतर बना रहता है जो दिव््ययाांग व््यक्तियोों के विरुद्ध राष्ट्रीय कानून
भेदभाव मेें योगदान देता है। z भारतीय पुनर््ववास परिषद अधिनियम, 1992: यह अधिनियम दिव््ययाांगजनोों के
z मानसिक स््ववास््थ््य सबं ंधित मुद्दे: मानसिक बीमारियोों या बौद्धिक अक्षमता लिए सेवाओ ं का नियमन और निगरानी करता है, पाठ्यक्रम का मानकीकरण
वाले लोगोों को विशेष रूप से गंभीर कलंक का सामना करना पड़ता है, जिससे करता है और एक योग््य पेशवे र रजिस््टर रखता है।
प्रायः उन््हेें सामाजिक विमर््श और अवसरोों से बाहर रखा जाता है। z नेशनल ट्रस््ट अधिनियम, 1999: यह अधिनियम ऑटिज््म, सेरेब्रल पाल््ससी,
आँकड़े और साांख्यिकीय चुनौतियााँ मानसिक मदं ता और कई दिव््ययाांगोों के साथ अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों
z अपर््ययाप्त आँकड़़ा सग्रं हः भारत मेें दिव््ययाांग जनसंख््यया के बारे मेें व््ययापक (PwD) का सहयोग करने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय प्रदान करता है।
आँकड़ोों और सांख््ययिकी डेटा की कमी है, जो प्रभावी नीति-निर््ममाण और z मानसिक स््ववास््थ््य देखभाल अधिनियम, 2017: मानसिक स््ववास््थ््य सेवायेें
संसाधन आवंटन मेें बाधा डालता है। प्रदान करता है और मानसिक बीमारी वाले व््यक्तियोों के अधिकारोों की रक्षा
करता है।
नीति के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे
z दिव््ययाांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD अधिनियम): कई
z नीतियोों का निम््न कार््ययान््वयनः दिव््ययाांग व््यक्तियोों का सहयोग करने के उद्देश््य
प्रावधानोों के साथ प्रमख ु अधिनियमः
से विभिन््न नीतियोों और योजनाओ ं के अस््ततित््व के बावजदू कार््ययान््वयन कम
 आरक्षण मेें वद््धििः ृ सरकारी नौकरियोों मेें 4% और उच््च शिक्षा संस््थथानोों
रहता है, जिससे जमीनी स््तर पर सीमित प्रभाव पड़ता है।
z प्रवर््तन की कमीः दिव््ययाांगता से सबं ंधित नीतियोों के लिए प्रवर््तन तंत्र प्रायः मेें 5% आरक्षण का प्रावधान
कमजोर होते हैैं, जिससे दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकारोों और जरूरतोों की निरंतर  मुफ््त शिक््षााः सरकारी वित्त पोषित और मान््यता प्राप्त सस् ं ्थथानोों मेें बेेंचमार््क
उपेक्षा की अनमु ति मिलती है। दिव््ययाांग बच््चोों (6-18 वर््ष की आय)ु के लिए।
 सल ु भताः एक समय-सीमा (सगु म््य भारत अभियान) के भीतर सार््वजनिक
आर््थथिक असुरक्षा
भवनोों मेें सल ु भता सनिश्
ु चित करता है।
z वित्तीय निर््भरताः कई दिव््ययाांग व््यक्तियोों को सीमित रोजगार के अवसरोों के
 शिकायत निवारणः मख््य ु आयक्त ु और राज््य आयक्त ु , कार््ययान््वयन की
कारण आर््थथिक असरु क्षा का सामना करना पड़ता है, जिससे परिवार के सदस््योों
या सामाजिक कल््ययाण सहायता पर निर््भरता बढ़ती है। निगरानी करते हैैं और शिकायतोों का समाधान करते हैैं।
z वित्तीय समावेशन की कमीः वित्तीय संस््थथान प्रायः दिव््ययाांग व््यक्तियोों की  वित्तीय सहायताः दिव््ययाांगजनोों के लिए राष्ट्रीय और राज््य निधि का

अद्वितीय वित्तीय आवश््यकताओ ं को नजरअदं ाज कर देते हैैं, जिससे वे आर््थथिक निर््ममाण करता है।
अवसरोों से और अधिक वंचित हो जाते हैैं।  सरक्ष ं कताः अभिभावकोों और दिव््ययाांगजनोों के बीच संयक्त ु निर््णय लेने
इन चनु ौतियोों से निपटने के लिए, सरकार के साथ-साथ सिविल सोसाइटी का प्रावधान करता है।
संगठनोों को समावेशिता को बढ़़ावा देने, दिव््ययाांगता अधिकारोों को लागू करने  दड ं ः दिव््ययाांगजनोों के विरुद्ध अपराधोों और अधिनियम के उल््ललंघन के लिए
और भारत मेें दिव््ययाांग व््यक्तियोों के लिए पर््ययाप्त समर््थन प्रणाली प्रदान करने के दडं अधिरोपित करता है।
लिए ठोस प्रयासोों की आवश््यकता है।  विशे ष न््ययायालयः अक्षमता यक्त ु /विकलांग व््यक्तियोों (PwD)के
भारत मेें अक्षमता युक्त/दिव्ययांग अधिकारोों के उल््ललंघन के मामलोों को सभं ालने के लिए प्रत््ययेक जिले मेें
व्यक्तियोों (PwDS) के लिए प्रावधान न््ययायालयोों को नामित करता है।
 सय ं ुक्त राष्टट्र अक्षमता युक्त/विकलांग व््यक्तियोों के अधिकारोों पर
संवैधानिक ढााँचा कन््वेेंशन (UN - CRPwD) के साथ सरं ेखणः यह प्रक्रिया भारतीय
z प्रस््ततावनाः संविधान की प्रस््ततावना प्रतिष्ठा और अवसर की समानता के काननू को अतं रराष्ट्रीय सम््ममेलन के अनरू ु प लाती है।
साथ सभी के लिए सामाजिक, आर््थथिक और राजनीतिक न््ययाय सनिश् ु चित
करती है। दिव्ययांग व्यक्तियोों के लिए कल्याणकारी कार््यक्रम
z मौलिक अधिकार (अनुच््छछे द 14,15,21,23,32): विभिन््न अनच्ु ्छछेद z अक्षमता युक्त/विकलांग(दिव््ययाांगजन) सशक्तीकरण विभाग : दिव््ययाांगजनोों
दिव््ययाांगजनोों को समानता, गैर-भेदभाव, जीवन, स््वतंत्रता, तस््करी से सरु क्षा के कल््ययाण और सशक्तीकरण के लिए एक अलग दिव््ययाांग मामलोों के विभाग
और काननू ी सहायता के अधिकार की गारंटी देते हैैं। की स््थथापना की गई थी।
z निर्देशक सिद््धाांत (अनुच््छछे द 41): यह अनच्ु ्छछेद राज््य को अक्षमता यक्त ु / z विकलांग व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2006: एक ऐसा वातावरण
विकलांग व््यक्तियोों (PwD) को काम, शिक्षा और सार््वजनिक सहायता प्रदान बनाना जो उनके अधिकारोों की सरु क्षा और समाज मेें पर््णू भागीदारी के लिए
करने का निर्देश देता है। समान अवसर प्रदान कर सके । यह दिव््ययाांगजनोों के अधिकारोों की सरु क्षा और
z सातवीीं अनुसच ू ीः सातवीीं अनसु चू ी राज््य के एक विषय के रूप मेें दिव््ययाांगोों समाज मेें उनके समावेश को सनिश् ु चित करने के लिए विशिष्ट उपायोों और
और बेरोजगारोों की राहत को सचू ीबद्ध करती है। रणनीतियोों की रूपरे खा तैयार करता है।

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z सगु म््य भारत अभियान (Accessible India Campaign): इस z नेशनल ट्रस््ट की योजनाएँः नेशनल ट्रस््ट ऑटिज््म, सेरेब्रल पाल््ससी, मानसिक
अभियान का लक्षष्य निर््ममित पर््ययावरण, परिवहन प्रणाली और सचू ना और संचार मदं ता एवं अन््य दिव््ययाांग व््यक्तियोों के कल््ययाण के लिए विभिन््न योजनाओ ं का
पारिस््थथितिकी तंत्र की पहुचँ को बढ़़ाना है। प्रबंधन करता है, जो उनके जीवन की गणु वत्ता मेें सधु ार के लिए सहायता सेवाएँ,
z दीनदयाल विकलांग पुनर््ववास योजना: इस योजना का लक्षष्य समान अवसर, वित्तीय सहायता और अन््य प्रकार की सहायता प्रदान करती हैैं।
समानता, सामाजिक न््ययाय और दिव््ययाांग व््यक्तियोों के सशक्तीकरण को सनिश् ु चित z स््ममाइल (SMILE) योजनाः सामाजिक न््ययाय एवं अधिकारिता मत्राल ं य द्वारा
करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है। शरूु की गई यह योजना भीख माँगने मेें लगे व््यक्तियोों को स््थथायी आजीविका
z दीनदयाल विकलांग पुनर््ववास योजना (2003): इस योजना के तहत गैर- के लिए समर््थन और अवसर प्रदान करके उनके पनु र््ववास पर केें द्रित है।
सरकारी सगं ठनोों को व््ययावसायिक प्रशिक्षण केें द्ररों, समदु ाय आधारित पनु र््ववास, z चुनावोों मेें सल
ु भता: भारतीय चनु ाव आयोग ने दिव््ययाांगजनोों के लिए अपना
वोट डालने के लिए अनक ु ू ल वातावरण बनाने के लिए कई उपाय किए हैैं।
पर््वू स््ककूली और प्रारंभिक हस््तक्षेप कार््यक्रमोों और विशेष स््ककूलोों सहित दिव््ययाांग
उदाहरण-
व््यक्तियोों (PwD) को कई प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता
 EVM की मतपत्र इकाई पर ब्रेल संकेत।
प्रदान की जाती है।
 कतार मेें खड़़े हुए बिना मतदान केें द्ररों मेें प्रवेश करना।
z दिव््ययाांग छात्ररों के लिए राष्ट्रीय अध््ययेतावत्ति ृ (RGMF) (2012): यह पहल
 मतदान केें द्ररों के अद ं र व््हहीलचेयर ले जाने की सवि ु धा दी गई है।
वित्तीय सहायता और अन््य आवश््यक संसाधन प्रदान करके दिव््ययाांग छात्ररों के
 एक दृष्टिबाधित/कमजोर मतदाता के साथ एक साथी को जाने की अनम ु ति
लिए उच््च शिक्षा प्राप्त करने के अवसरोों को बढ़़ाने का प्रयास करती है। यह
देता है।
योजना दिव््ययाांग छात्ररों के लिए प्रत््ययेक वर््ष 200 अध््ययेतावृत्तियाँ प्रदान करती है।
 चन ु ाव कर््ममियोों को दिव््ययाांगजनोों की विशेष जरूरतोों के बारे मेें प्रशिक्षित
z समुदाय आधारित समावेशी विकास (CBID) कार््यक्रम:
और संवेदनशील बनाया गया।
 केें द्रीय सामाजिक न््ययाय मत्री ं ने दिव््ययाांगजनोों के पनु र््ववास के लिए छह
महीने के समदु ाय आधारित समावेशी विकास (CBID) कार््यक्रम का वैश्विक उपाय
उद्घाटन किया। z भारत ने दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकारोों और गरिमा के सरक्ष ं ण और
सवं र्दद्धन पर सयं ुक्त राष्टट्र कन््वेेंशन पर हस््तताक्षर किए। यह दिव््ययाांग व््यक्तियोों
 दिव््ययाांगता के मद्द ु दों से निपटने और समाज मेें दिव््ययाांग लोगोों के एकीकरण
की पहुचँ , भौतिक वातावरण, परिवहन, सचू ना और संचार तथा अन््य सवि ु धाओ ं
की सवि ु धा के लिए, कार््यक्रम का उद्देश््य सामदु ायिक स््तर पर जमीनी स््तर और सेवाओ ं तक पहुचँ सनिश् ु चित करने के लिए उचित उपाय करने का दायित््व
से पनु र््ववास कार््यकर््तताओ ं का एक समहू विकसित करना है, जो आशा और प्रदान करता है।
आगं नवाड़़ी कार््यकर््तताओ ं के साथ सहयोग कर सकते हैैं। z भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र मेें विकलांग लोगोों की पूर््ण भागीदारी और
 यह कार््यक्रम इन कर््मचारियोों को अपनी जिम््ममेदारियोों को सफलतापर््व ू क समानता पर घोषणा पत्र का हस््तताक्षरकर््तता है।
निभाने के लिए उनकी क्षमता मेें सधु ार करने के लिए योग््यता-आधारित z भारत एक समावेशी, बाधा मक्त ु और अधिकार आधारित समाज की दिशा मेें
ज्ञान और कौशल देने के लिए विकसित किया गया है। इन कर््मचारियोों काम करने वाले ‘बिवाको मिलेनियम फ्रे मवर््क ’ का भी हस््तताक्षरकर््तता है।
को ‘दिव््ययाांग मित्र’ या दिव््ययाांग लोगोों के मित्र’ के रूप मेें संदर््भभित z इचिं योन रणनीतिः एशिया और प्रशांत क्षेत्र मेें दिव््ययाांग व््यक्तियोों के लिए
किया जाएगा। ‘Make the Right Real’ का लक्षष्य।
 सहायक उपकरणोों की खरीद/ फिटिंग के लिए दिव््ययाांग व््यक्तियोों को z दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकारोों पर सयं ुक्त राष्टट्र सम््ममेलनः दिव््ययाांग
सहायता (ADIP योजना)- जरूरतमदं दिव््ययाांग व््यक्तियोों को टिकाऊ, व््यक्तियोों के अधिकारोों और गरिमा को बढ़़ावा देने और उनकी रक्षा करने
परिष््ककृ त और वैज्ञानिक रूप से निर््ममित, आधनि ु क, मानक सहायता और वाली एक अतं रराष्ट्रीय संधि।
उपकरणोों की खरीद मेें सहायता करना। z दिव््ययाांग व््यक्तियोों का अंतरराष्ट्रीय दिवस (3 दिसबं र): विकलांगता के मद्दु दों
z दिव््ययाांग््जनोों के लिए विशिष्ट पहचान पत्रः इस परियोजना को दिव््ययाांगजनोों के बारे मेें जागरूकता बढ़़ाने और दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकारोों और कल््ययाण
के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने और प्रत््ययेक दिव््ययाांग व््यक्ति को एक विशिष्ट को बढ़़ावा देने के लिए एक वार््षषिक उत््सव का आयोजन।
दिव््ययाांगता पहचान पत्र (UDID) जारी करने की दृष्टि से कार््ययान््ववित किया कल्याणकारी कार््यक्र मोों के कार्यान्वयन मेें सहायता
जा रहा है।
z अपर््ययाप्त आंकड़ेें: PwD, सामाजिक कलंक के कारण अक्षमताओ ं को छुपाते
z मोबाइल एडेड नोट आइडेेंटिफायर (MANI): यह दृष्टिबाधित व््यक्तियोों को हैैं, जिससे गलत डेटा मिलता है।
भारतीय बैैंक नोटोों के मल्ू ्यवर््ग की पहचान करने मेें सहायता करने के लिए एक z खराब कार््ययान््वयनः दिव््ययाांगजनोों के लिए मौजदू ा योजनाओ ं मेें प्रायः उचित
मोबाइल एप््ललिके शन है। इसे भारतीय रिजर््व बैैंक द्वारा विकसित किया गया है। निष््पपादन की कमी होती है।
z विकलांग व््यक्तियोों के अधिकार अधिनियम, 2016 के कार््ययान््वयन z सीमित सल ु भताः सार््वजनिक बनि ु यादी ढाँचा दिव््ययाांगजनोों की गतिशीलता
के लिए योजना (SIPDA): सिपडा (SIPDA) दिव््ययाांगजन अधिकार मेें बाधा डालता है।
अधिनियम, 2016 के प्रभावी कार््ययान््वयन के लिए राज््य सरकारोों, केें द्र और z मनोवत्ति ृ बाधाएँः कलंक और गलत धारणाएँ भेदभाव और बहिष््ककार की
राज््य सरकार के निकायोों, स््ववायत्त निकायोों और विश्वविद्यालयोों को अनदु ान ओर ले जाती हैैं।
सहायता प्रदान करता है, जिससे दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकारोों और कल््ययाण z शैक्षणिक असमानता: समावेशी शिक्षा के बनि ु यादी ढाँचे और प्रशिक्षित
को बढ़़ावा मिलता है। शिक्षकोों की कमी।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 69


z रोजगार के मुद््देेः दर्ु ्गम कार््यस््थल और नकारात््मक धारणाएँ रोजगार के अवसरोों z राज््योों के साथ सहयोगः
को सीमित करती हैैं।  बेहतर पहुच ँ के लिए विकेें द्रीकृ त स््ववास््थ््य देखभाल की वकालत करना।
z समानुभूति का अभाव: दिव््ययाांगजनोों के साथ सहानभु ति ू पर््वू क व््यवहार किया  दिव््ययाांगता की चनु ौतियोों से निपटने के लिए राज््योों को केें द्रीकृ त सहायता
जाता है, न कि समावेशन के माध््यम से उन््हेें सशक्त बनाया जाता है। प्रदान करना।
आगे की राह भारत अक्षमता युक्त/ दिव््ययाांग (PwD) व््यक्तियोों के कल््ययाण और सामाजिक
रोजगार के अवसरोों मेें वद््धििः न््ययाय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसने अक्षमता युक्त/ दिव््ययाांग (PwD)
z ृ
व््यक्तियोों के लिए उनकी वास््तविक क्षमता का एहसास करने के लिए एक
 विभिन््न क्षेत्ररों मेें रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना।
अनुकूल वातावरण को सक्षम करने के लिए कई उपाय शरू ु किए हैैं। अक्षमता
 विविध आवश््यकताओ ं के लिए विशेष रूप से निर््ममित प्रशिक्षण कार््यक्रम।
युक्त/ दिव््ययाांग (PwD) व््यक्तियोों का सशक्तीकरण भारत के लिए भी फलदायी है
 कार््यस््थल समावेशिता के लिए RPwD अधिनियम के प्रावधानोों को लागू क््योोंकि विश्व बैैंक का अनुमान है कि अक्षमता युक्त/ दिव््ययाांग (PwD) व््यक्तियोों
करना। को अर््थव््यवस््थथा से बाहर रखने से सकल घरेलू उत््पपाद (GDP) लगभग 5%
 सल ु भ कार््यस््थलोों का समर््थन करने वाली कारपोरे ट सामाजिक उत्तरदायित््व से 7% कम हो जाती है।
(CSR) पहलोों को बढ़़ावा देना।
दिव्ययांग मंत्रालय (महाराष्टट्र )
z सगु म््यता और बुनियादी ढाँचे मेें सध ु ारः
z दिव््ययाांगोों (विभिन््न क्षमताओ ं वाले) के लिए एक अलग सरकारी एजेेंसी
 सार््वजनिक स््थथानोों पर सार््वभौमिक डिजाइन सिद््धाांतोों को अपनाना।
को हाल ही मेें महाराष्टट्र राज््य की मजं रू ी मिली है। इस विकास की घोषणा
 रैैंप, लिफ््ट, निर्देशक चिन््होों आदि के साथ बनि ु यादी ढाँचे का उन््नयन करना। अतं रराष्ट्रीय दिव््ययाांग दिवस के सम््ममान मेें की गई थी। 20 वर्षषों से यह
 प्रभावशीलता के लिए सग ु म््य भारत अभियान की निगरानी करना। माँग की जा रही है कि दिव््ययाांगजनोों के कल््ययाण और सरु क्षा के लिए एक
z जागरूकता और सवं ेदनशीलता बढ़़ानाः अलग विभाग बनाया जाए।
 जन जागरूकता अभियानोों और कार््यशालाओ ं का आयोजन करना। z इसका उद्देश््य दिव््ययाांगोों की भलाई की गारंटी देना और उनके उद्देश््य से कई
 सकारात््मक मीडिया चित्रण को बढ़़ावा देना और शिक्षा के माध््यम
सरकारी पहलोों को सफलतापर््वू क परू ा करना है।
से दिव््ययाांगता जागरूकता को एकीकृत करना।
 निर््णय लेने की भमि ू काओ ं मेें दिव््ययाांगजनोों को शामिल करना।
प्रमुख शब्दावलियाँ
z कानूनी और नीतिगत समर््थन को मजबूत करनाः
 दिव््ययाांग कल््ययाण योजनाओ ं के लिए सस ं ाधनोों का आवटं न करना। दिव््ययाांग व््यक्तियोों के अधिकार (RPwD) अधिनियम, गणु वत्तापूर््ण
 दिव््ययाांगजनोों को शामिल करते हुए सहभागी नीति निर््ममाण सनिश्
व््ययावसायिक प्रशिक्षण, व््यवहारगत बाधाएँ, समुदाय आधारित
ु चित करना।
समावेशी विकास।
 PwD मद्द ु दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए न््ययायपालिका और
प्रशासन को प्रशिक्षित करना। विगत वर्षषों के प्रश्न
z जमीनी स््तर पर क्षमता निर््ममाणः z क््यया निःशक्त व््यक्तियोों के अधिकार अधिनियम, 2016 समाज मेें अभीष्ट
 दिव््ययाांगजनोों के अधिकारोों की वकालत करने के लिए समद ु ाय के नेताओ ं लाभार््थथियोों के सशक्तीकरण और समावेशन की प्रभावी क्रियाविधि को सनिश्
ु चित
को प्रशिक्षित करना। करता है? चर््चचा कीजिये। (2017)
 पहुच ँ के माध््यम से नीतियोों और समदु ायोों के बीच की खाई को पाटना। z दिव््ययाांगता के संदर््भ मेें सरकारी पदाधिकारियोों और नागरिकोों की गहन
z निवारक कार््रवाईः संवेदनशीलता के बिना दिव््ययाांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के वल
विधिक दस््ततावेज बनकर रह जाता है। टिप््पणी कीजिये।  (2022)
 विकलांगता की शीघ्र जाँच के लिए व््ययापक स््ववास््थ््य देखभाल कार््यक्रमोों

को लागू करना। LGBTQIA +


 चिन््हहित विकलांगताओ ं के लिए शीघ्र हस््तक्षेप सेवाएँ प्रदान करना।
LGBTQIA+ समदु ाय उन लोगोों का एक विविध समहू है, जो समलैैंगिक,
z समुदाय आधारित पुनर््ववास (CBR) दृष्टिकोणः उभयलिंगी, ट््राांसजेेंडर, क़््ववीर, इटं रसेक््स, अलैैंगिक, या Questioning के रूप मेें
 दिव््ययाांगजनोों को सशक्त बनाना और उन््हेें समद ु ायोों के बीच एकीकृ त करना। पहचाने जाते हैैं। यह समदु ाय, उत््पपीड़न और भेदभाव के एक साझा इतिहास के
 जमीनी स््तर पर सल ु भ पनु र््ववास सेवाएँ प्रदान करना। साथ-साथ समानता और स््ववीकृ ति प्राप्त करने के एक साझा लक्षष्य से एकजुट है।
z LGBTQIA+: प््लस साइन विविध SOGIESC (यौन अभिविन््ययास, लिंग
z जन जागरूकता और समझ बढ़़ानाः
पहचान, लिंग अभिव््यक्ति और लिंग विशेषताओ)ं वाले लोगोों का प्रतिनिधित््व
 नकारात््मक दृष्टिकोण को बदलने के लिए सामाजिक अभियान शरू ु करना।
करता है, जो अन््य शब््दोों का उपयोग करके पहचान करते हैैं। कुछ संदर्भभों मेें,
 दिव््ययाांगजनोों के सकारात््मक मीडिया प्रतिनिधित््व को प्रोत््ससाहित करना।
LGB , LGBT या LGBTI का उपयोग विशेष आबादी को सदं र््भभित करने
 समावेशिता के लिए विशेष शिक्षा पर पन ु र््वविचार करना। के लिए किया जाता है।

70  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z सक्रियता का पहला चरण (1992-1999)
 उद्भवः समलैैंगिक अधिकारोों के लिए प्रयास वर््ष 1992 मेें शरू ु हुए।
 कलकत्ता इद्र ं धनुष गौरवः वर््ष 1999 मेें कोलकाता मेें आयोजित भारत
की पहली समलैैंगिक गौरव परेड।
z कानूनी निर््णणायक मोड़ (2009)
 दिल््लली उच््च न््ययायालयः नाज फाउंडेशन बनाम एन. सी. टी. दिल््लली

सरकार वाद मेें सहमति से समलैैंगिक कृ त््योों को अपराध की श्रेणी से बाहर


z सामुदायिक समावेशः वे ऐसे लोग हैैं, जो सिसजेेंडर (Cisgender) करते हुए सवं ैधानिक अधिकारोों की पष्ु टि की।
विषमलैैंगिक आदर्शशों के साथ अपनी पहचान नहीीं रखते हैैं। भारत मेें, z विफलता और पुनर्जीवित उम््ममीदेें (2013-2017)
LGBTQIA+ समदु ाय मेें एक विशिष्ट सामाजिक समहू , एक अलग समदु ाय,  सप्री ु म कोर््ट द्वारा बहालीः वर््ष 2013 मेें धारा 377 को बहाल किया गया।
किन््नर भी शामिल है। उन््हेें सांस््ककृतिक रूप से ‘न तो परुु ष, न ही महिला’ के  सांसद शशि थरूरः इनके लोकसभा मेें समलैैंगिकता को वैध बनाने के
रूप मेें परिभाषित किया गया है या परुु षोों के रूप मेें जो एक महिला की तरह प्रयास को वर््ष 2015 मेें खारिज कर दिया गया।
व््यवहार करते हैैं। वर््तमान मेें उन््हेें थर््ड जेेंडर के रूप मेें जाना जाता है। z गोपनीयता की जीत (2017): पट्ु टास््ववामी निर््णय (2017) मेें सर्वोच््च
बुनियादी आँकड़े न््ययायालय द्वारा गोपनीयता के अधिकार को मौलिक के रूप मेें मान््यता दी गई।
z वर््ष 2011 की जनगणना के अनसु ार, भारत मेें लगभग 4.88 लाख ट््राांसजेेंडर z धारा 377 (2018) पर ऐतिहासिक फैसलाः सप्री ु म कोर््ट ने वर््ष 2018 मेें
लोग रहते हैैं। लेस््बबियन, गे, बाइसेक््ससुअल और ट््राांसजेेंडर (LGBT) को कुछ सहमति से समलैैंगिक संबंधोों से संबंधित धारा 377 को असंवैधानिक घोषित
सामाजिक और काननू ी कठिनाइयोों का सामना करना पड़ता है। कर दिया।
z वर््ष 2011 की जनगणना मेें यह भी बताया गया कि 55,000 बच््चचे अपने z जारी सघं र््ष (2018 के बाद) व््ययापक सघं र््ष: धारा 377 के निरस््त होने के
माता-पिता द्वारा पहचाने गए ट््राांसजेेंडर हैैं। बावजदू LGBT समानता के लिए संघर््ष जारी है, जो भारत के सामाजिक
z सतत विकास लक्षष्य (SDG) 3: सभी चरणोों मेें सभी के लिए स््वस््थ जीवन परिदृश््य को आकार दे रही है।
और कल््ययाण सनिश् ु चित करना। z 2019: ट््राांसजेेंडर व््यक्ति (अधिकारोों का सरक्ष ं ण) अधिनियम, कल््ययाण
z सतत विकास लक्षष्य (SDG) 5: लैैंगिक समानता प्राप्त करना और सभी और अधिकारोों के संरक्षण के लिए अधिनियमित।
महिलाओ ं और बालिकाओ ं को सशक्त बनाना। z 17 अक््टटूबर, 2023: भारत के सर्वोच््च न््ययायालय ने समलैैंगिक विवाह को
z सतत विकास लक्षष्य (SDG) 10: देशोों के भीतर और देशोों के बीच वैध बनाने को खारिज कर दिया, लेकिन संविधान के तहत LGBT नागरिकोों
असमानताओ ं को कम करना। के अधिकारोों की पष्ु टि की, जिससे विधानसभाओ ं को सामदु ायिक चनु ौतियोों
z सतत विकास लक्षष्य (SDG) 16: सतत विकास के लिए शांतिपर््णू और को संबोधित करने और अधिकारोों को विनियमित करने वाले काननू बनाने
समावेशी समाजोों को बढ़़ावा देना, सभी के लिए न््ययाय तक पहुचँ प्रदान करना का अधिकार मिला।
और सभी स््तरोों पर प्रभावी, जवाबदेह, समावेशी संस््थथानोों का निर््ममाण करना।
भारत मेें LGBTQIA+ मुद्दे
भारत मेें LGBTQIA+ अधिकारोों का विकास - साांस्कृतिक
मान्यता से साांस्कृतिक स्वीकृति तक z भेदभावः LGBTQIA+ व््यक्तियोों को रोजगार, आवास, स््ववास््थ््य सेवा और
z औपनिवेशिक युग का कलंक (1860-1949) शिक्षा सहित जीवन के विभिन््न पहलओ ु ं मेें भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
 धारा 377: ब्रिटिश द्वारा लागू कानन ू समलैैंगिक कृ त््योों को अप्राकृ तिक z सामाजिक कलंकः होमोफोबिया (समलैैंगिकता के प्रति नकारात््मक दृष्टिकोण
मानता है। और भावनाओ ं की एक श्रंखला) और ट््राांसफोबिया प्रचलित हैैं, जो प्रभावहीनता
 स््वतंत्रता के बादः अनच् ु ्छछेद 14 के तहत समानता का अधिकार और मानसिक स््ववास््थ््य के मद्दु दों की ओर ले जाते हैैं।
भेदभावपर््णू काननू को निरस््त नहीीं करता था। z जागरूकता की कमीः LGBTQIA+ समदु ाय और आम जनता दोनोों मेें
z सांस््ककृतिक स््ववीकृति और ऐतिहासिक सदं र््भभः अक््सर अधिकारोों और संसाधनोों के बारे मेें जागरूकता की कमी होती है।
 उन््ननीसवीीं सदी मेें विकासः ब्रिटिश प्रभाव के बीच समलैैंगिकता का z हिंसा और दुर््व््यवहारः LGBTQIA+ व््यक्ति बड़़े पैमाने पर परिवार के सदस््योों
उदय। और समाज से हिसं ा, उत््पपीड़न और दर््व््यु वहार का अनभु व करते हैैं। ट््राांसजेेंडर
 मध््यकालीन अंतर्दृष््टििः भागवत परु ाण और वाल््ममीकि रामायण जैसे लोग विशेष रूप से असरु क्षित होते हैैं।
प्राचीन ग्रंथ LGBTQIA+ विषयोों को स््ववीकार करते हैैं। z सेवाओ ं तक सीमित पहुच ँ ः भेदभाव और बहिष््ककार के कारण शिक्षा, रोजगार
 आधुनिक अंतर्दृष््टििः शकंु तला देवी की ‘समलैैंगिकोों की दनि ु या’ जैसे के अवसर और स््ववास््थ््य सेवाएँ अक््सर दर्ु ्गम हो जाती हैैं।
अध््ययन और क्रमशः 1994 और 2014 मेें मतदान के अधिकार और z व््ययापक भेदभाव विरोधी काननोू ों का अभावः कोई भी काननू विशेष रूप से यौन
तीसरे लिंग की स््थथिति जैसी काननू ी मान््यताएँ। अभिविन््ययास या लिगं पहचान के आधार पर भदे भाव को सबं ोधित नहीीं करता है।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 71


z सीमित प्रतिनिधित््ववः LGBTQIA+ समदु ाय के स््वरोों को राजनीति और z अनुच््छछे द 21 (जीवन और व््यक्तिगत स््वतंत्रता का अधिकार): यह
मीडिया मेें कम प्रतिनिधित््व दिया जाता है, जो काननू ी और सामाजिक मोर्चचों अनच्ु ्छछेद किसी व््यक्ति की गरिमा और स््ववायत्तता के साथ जीवन के अधिकार
पर प्रगति मेें बाधा डालता है। की रक्षा करता है।
z कार््ययान््वयन की कमीः LGBTQIA+ अधिकारोों की पर््णू प्राप्ति सनिश् ु चित z अनुच््छछे द 23 (शोषण के खिलाफ अधिकार): यह अनच्ु ्छछेद शोषण और
करने के लिए मौजदू ा काननू ी सरु क्षा को बेहतर कार््ययान््वयन की आवश््यकता है। अमानवीय कृ त््योों का निषेध करता है।
z ग्रामीण LGBTQIA+ समुदायः संपर््क और इटं रनेट पहुचँ की कमी, समर््थन कानूनी सुरक्षा
और संसाधनोों तक पहुचँ ने की उनकी क्षमता को प्रतिबंधित करती है। z ट््राांसजेेंडर व््यक्ति (अधिकारोों का सरक्ष
ं ण) अधिनियम, 2019: यह
अधिनियम रोजगार, शिक्षा और अन््य क्षेत्ररों मेें ट््राांसजेेंडरोों के खिलाफ भेदभाव
विभेदन के परिणाम
को प्रतिबंधित करता है।
z उच््च ड्रॉपआउट दरः स््ककूलोों मेें भेदभाव के कारण कई LGBTQIA+ यवु ा z नागरिकता अधिनियम, 1955: यह अधिनियम नागरिकता प्राप्त करने के
पढ़़ाई छोड़ देते हैैं। लिए लिंग पहचान के आधार पर भेदभाव नहीीं करता है।
z गरीबी और शोषणः नौकरी के सीमित अवसर कई लोगोों को गरीबी और z जन््म और मृत््ययु पंजीकरण अधिनियम, 1969: लिंग-तटस््थ, लिंग निर््ददिष्ट
वेश््ययावृत्ति जैसी जोखिम भरी स््थथितियोों के लिए मजबरू करते हैैं। किए बिना पजं ीकरण की अनमु ति देना।
z मानसिक स््ववास््थ््य के मुद््देेः सामाजिक बहिष््ककार, भेदभाव और हिस ं ा, z अनैतिक तस््करी रोकथाम अधिनियम (ITPA), 1956: यह अधिनियम
अवसाद, चितं ा और मादक द्रव््योों के सेवन की ओर अग्रसर होते हैैं। परुु ष और महिला दोनोों यौनकर््ममियोों की रक्षा करता है, जिसमेें अनिश्चित लिंग
z बेघर: परिवारोों से अस््ववीकृ ति बेघरता की ओर ले जाती है, विशेष रूप से
पहचान वाले लोग भी शामिल हैैं।
LGBTQIA+ यवु ाओ ं मेें। z UGC एटं ी-रैगिंग रेगुलेशन (2009): विश्वविद्यालयोों मेें यौन अभिविन््ययास
और लिंग पहचान के आधार पर रै गिंग और भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
जबकि भारत ने LGBTQIA+ अधिकारोों मेें कुछ प्रगति की है, परंतु महत्तत्वपूर््ण
चनु ौतियाँ अभी भी बनी हुई हैैं। एक अधिक समावेशी और स््ववीकार करने वाले महत्त्वपूर््ण निर््णय
समाज के निर््ममाण के लिए सामाजिक कलंक को दरू करने, व््ययापक भेदभाव z नाज फाउंडेशन बनाम एन.सी.टी. दिल््लली सरकार (2009): भारतीय दडं
विरोधी कानून बनाने और सभी के लिए शिक्षा, रोजगार और स््ववास््थ््य सेवा तक संहिता की धारा 377 (समलैैंगिकता को अपराध बनाना) को असंवैधानिक
पहुचँ सुनिश्चित करने की आवश््यकता है। घोषित किया गया, जो अनच्ु ्छछेद 14, 15, 19 और 21 (बाद मेें पलट दी गई)
का उल््ललंघन करती है।
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) z सरु ेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउंडेशन (2013): इसमेें नाज फाउंडेशन
द्वारा किए गए अध्ययन संबंधी प्रमुख निष्कर््ष के फै सले को पलटकर समलैैंगिकता को पनु ः अपराध घोषित किया।
z 99% ट््राांसजेेंडर लोगोों ने कई अवसरोों पर सामाजिक अस््ववीकृ ति का अनभु व z राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत सघं (2014): इसने ट््राांसजेेंडर
किया है। को तीसरे लिंग के रूप मेें मान््यता दी और उन््हेें संविधान के तहत समान
z 52% समदु ाय को अपने स््ककूल के सहपाठियोों और 15% को शिक्षकोों अधिकारोों की गारंटी दी।
द्वारा उत््पपीड़न का सामना करना पड़़ा है, जिसके परिणामस््वरूप वे स््ककूल z के .एस. पुट्टास््ववामी बनाम भारत सघं (2017): इसके तहत यौन अभिविन््ययास
छोड़ रहे हैैं। के अधिकार सहित निजता के अधिकार को मान््यता दी गई।
z जनगणना रिपोर््ट-2011 के अनसु ार, भारत मेें 4.8 लाख लोग ट््राांसजेेंडर हैैं। z नवतेज सिहं जौहर बनाम भारत सघं (2018): इसके अतं र््गत धारा 377
z 50%-60% ट््राांसजेेंडर कभी स््ककूल नहीीं गए हैैं। को असंवैधानिक घोषित किया, सहमति से समलैैंगिक संबंधोों को वैध बनाया।
z 89% ट््राांसजेेंडरोों ने कहा कि योग््य लोगोों के लिए भी कोई नौकरी नहीीं है। z अरुण कुमार बनाम पंजीकरण महानिरीक्षक (2019): इस वाद मेें एक
परुु ष और एक ट््राांसवमु न के बीच विवाह को मान््यता दी गई।
LGBTQIA+ के कल्याण के लिए उठाए गए कदम
सरकारी उपाय
भारतीय संविधान मेें यौन अल्पसंख्यकोों के लिए सुरक्षा उपाय z ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय पोर््टल: देश मेें कहीीं से भी डिजिटल
z प्रस््ततावनाः सवि
ं धान की प्रस््ततावना न््ययाय, प्रतिष्ठा की समानता और सामाजिक- रूप से प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के लिए आवेदन करने मेें एक ट््राांसजेेंडर
आर््थथिक-राजनीतिक समानता सनिश् व््यक्ति की मदद करना।
ु चित करती है।
z गरिमा गृह: ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों को आश्रय, भोजन, चिकित््ससा देखभाल और
z अनुच््छछे द 14 (समानता का अधिकार): यह अनच्ु ्छछेद काननू के समक्ष समान
मनोरंजक सवि ु धाओ ं जैसी बनि ु यादी सवि
ु धाओ ं के साथ आश्रय प्रदान करना।
व््यवहार की गारंटी देता है और लिंग जैसे कारकोों के आधार पर भेदभाव को यह उनकी क्षमता निर््ममाण/कौशल विकास के लिए सहायता प्रदान करेगा।
प्रतिबंधित करता है।
z के रल राज््य: ट््राांसजेेंडर नीति की घोषणा करने वाला पहला राज््य। ट््राांसजेेंडर
z अनुच््छछे द 15 और 16 (भेदभाव और अवसर की समानता के खिलाफ व््यक्तियोों के उद्देश््य से समन््वय नामक एक निरंतर शिक्षा कार््यक्रम शरू ु किया
अधिकार): ये अनच्ु ्छछेद लिंग पहचान और यौन अभिविन््ययास सहित लिंग के गया। साथ ही सभी विश्वविद्यालयोों और संबद्ध कला और विज्ञान कॉलेजोों को
आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करते हैैं। ट््राांसजेेंडर लोगोों के लिए दो सीटेें आरक्षित करने का निर्देश दिया।

72  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z स््ववीकृति योजना (ओडिशा): यह राज््य के ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के समान 3. सामाजिक जागरूकता और संवेदीकरण
अवसर, समानता, सामाजिक न््ययाय और सशक्तीकरण सनिश् ु चित करने के लिए  शै क्षिक कार््यक्रमः LGBTQ अधिकारोों के बारे मेें लोगोों को शिक्षित
पर््ययावरण को सक्षम बनाने के लिए एक व््ययापक योजना है। करने, दर््व््य
ु वहार और भेदभाव को दरू करने एवं कर््मचारियोों को प्रशिक्षित
z स््ममाइल (SMILE) स््ककीमः केें द्रीय सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मत्री ं ने करने के लिए शैक्षिक कार््यक्रमोों को लागू करना।
केें द्रीय क्षेत्र की योजना स््ममाइल ( Support for Marginalised Individuals  योग््यकर््तता सिद््धाांतः यौन अभिविन््ययास और लिंग पहचान की स््वतंत्रता
for Livelihood and Enterprise) लॉन््च की है। को मान््यता देने वाले अतं रराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकोों को अपनाना।
 यह ट््राांसजेेंडर समद ु ाय और भीख माँगने मेें लगे लोगोों को कल््ययाण और 4. समाज के लिए अगला कदम
पनु र््ववास प्रदान करने के लिए निर््धधारित है।  समावेशी वातावरणः रूढ़़िवादिता को चन ु ौती देना और जीवन के सभी
 इसमेें दो उप-योजनाएँ शामिल हैैं- पहलओ ु ं मेें समावेशिता को बढ़़ावा देना।
 भीख माँगने वाले व््यक्तियोों के व््ययापक पुनर््ववास के लिए केें द्रीय क्षेत्र
 स््ववीकृति को बढ़़ावा देनाः शैक्षणिक सस् ं ्थथानोों और गौरव माह जैसी
की योजनाः यह सर्वेक्षण और पहचान, जटु ाने, बचाव/ आश्रय गृह और पहलोों के माध््यम से सामाजिक स््ववीकृ ति को प्रोत््ससाहित करना।
व््ययापक पनु र््ववास पर ध््ययान केें द्रित करेगी।
5. आगे की राह
 ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के कल््ययाण के लिए व््ययापक पन ु र््ववास के लिए केें द्रीय सहायक कानूनः LGBTQIA+ व््यक्तियोों को भेदभाव, घृणा अपराधोों और
क्षेत्र योजनाः
हिसं ा से बचाने के लिए नीतियोों और कानूनोों को लागू करना।
z यह ट््राांसजेेंडर छात्ररों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करता है।  माता-पिता की स््ववीकृतिः एक अधिक समावेशी समाज को बढ़़ावा देने
z इसमेें पीएम-दक्ष (PM-DAKSH) योजना के तहत कौशल विकास और के लिए माता-पिता की स््ववीकृ ति को प्रोत््ससाहित करना ।
आजीविका के प्रावधान हैैं।
 समानता, विशे ष व््यवहार नहीींः LGBTQIA+ व््यक्तियोों के साथ
z गरिमा गृह के रूप मेें आवास सवि ु धा, भोजन, कपड़़े, मनोरंजक सवि ु धाएँ,
समानता का व््यवहार करना और उन््हेें परू ी तरह से सामहि ू क विकास मेें
कौशल विकास के अवसर, मनोरंजक गतिविधियोों और चिकित््ससा सहायता
एकीकृ त करना।
आदि को सनिश् ु चित करती है।
z चयनित अस््पतालोों के माध््यम से लिंग-पष्ु टि सर््जरी का समर््थन करने वाले 6. ट््राांसजेें डर समुदाय की विशिष्ट आवश््यकताएँ
 जन जागरूकता अभियानः जागरूकता अभियानोों के माध््यम से
PM-JAY के साथ मिलकर एक व््ययापक पैकेज प्रदान करता है।
ट््राांसजेेंडर समदु ाय से जड़ु ़े सामाजिक कलंक को समाप्त करना।
नागरिक समाज (सिविल सोसाइटी )
 सव ं ेदीकरण कार््यक्रमः ट््राांसजेेंडर मद्दु दों पर काननू ी और काननू प्रवर््तन
z ‘सत््यमेव जयते’ और ‘द तारा शर््ममा’ शो जैसे लोकप्रिय टीवी शो ने LGBT प्रणालियोों को प्रशिक्षित करना और हिसं ा के अपराधियोों के खिलाफ
मद्दु दों के बारे मेें माता-पिता के बीच जागरूकता बढ़़ाने मेें मदद की है।
कार््र वाई करना।
z सोशल मीडिया और कॉर्पोरे ट पहलोों ने LGBT अधिकारोों के बारे मेें जागरूकता
 समावेशी दृष्टिकोणः ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए सामाजिक स््ववीकृ ति
बढ़़ाई है।
की बाधाओ ं को दरू करने के लिए समावेशी नीतियोों और विनियमोों को
z उच््च शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों मेें रैगिंग पर UGC विनियमनः किसी छात्र के
अपनाना।
यौन अभिविन््ययास या लिंग पहचान के आधार पर लक्षित भेदभाव, बदमाशी
और रै गिंग को प्रतिबंधित करता है। यह व््ययापक दृष्टिकोण भारत मेें यौन अल््पसंख््यकोों के लिए एक अधिक समावेशी
समाज बनाने के लिए कानूनी, सामाजिक और शैक्षिक पहलुओ ं को संबोधित
आगे की राह
करता है।
1. मौलिक अधिकारोों की मान््यता
ट््राांसजेेंडर व्यक्ति (अधिकारोों का संरक्षण ) अधिनियम, 2019
 मानवाधिकार मान््यताः यह सनिश् ु चित करना कि LGBTQ अधिकार
मौलिक मानवाधिकार हैैं, जिसमेें विवाह, गोद लेना और सरं क्षकता शामिल हैैं। इस अधिनियम को ट््राांसजेेंडर लोगोों के अधिकारोों, उनके कल््ययाण और अन््य
 कानूनी सध ु ारः विवाह, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्ररों मेें यौन अभिविन््ययास संबंधित मामलोों की सरु क्षा प्रदान करने के उद्देश््य से लागू किया गया था।
और लिंग पहचान के आधार पर भेदभाव का मक ु ाबला करने के लिए प्रमुख शर्ततें
काननू बनाना या उनमेें संशोधन करना। z एक ट््राांस व््यक्ति को ऐसे व््यक्ति के रूप मेें परिभाषित करता है, जिसका लिंग
 भे दभाव विरोधी नीतियाँः सार््वजनिक और निजी दोनोों क्षेत्ररों मेें लिंग-
जन््म के समय दिए गए लिंग से मेल नहीीं खाता है।
तटस््थ उत््पपीड़न काननोू ों और भेदभाव विरोधी नीतियोों को लागू करना।
z रोजगार, शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवा और अन््य सेवाओ ं मेें उनके साथ भेदभाव को
2. सरकार और विधायी पहलेें प्रतिबंधित करता है।
 कलक ं का मुकाबला करनाः LGBTQIA+ समदु ाय के खिलाफ कलक ं ,
भदे भाव और दर््व््य z लिंग पहचान की आत््म-धारणा की अनमु ति देता है। लेकिन जिला मजिस्ट्रेट
ु वहार को खत््म करने के लिए पहलोों का क्रियान््वयन।
द्वारा जारी पहचान प्रमाण पत्र के आधार पर उनकी मान््यता अनिवार््य है।
 कानूनी सरु क््षााः LGBTQIA+ अधिकारोों, विशेष रूप से ट््राांसजेेंडर

व््यक्तियोों के अधिकारोों की रक्षा के लिए नए काननू बनाना या मौजदू ा z यह अधिनियम भीख माँगना अपराध बनाता है।
काननोू ों मेें संशोधन करना। z यह दडं के साथ-साथ ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के खिलाफ अपराध निर््धधारित करता है।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 73


z ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए स््थथापित राष्ट्रीय परिषद: केें द्रीय सामाजिक z समान अवसर के लिए नीतियाँः यह प्रतिष्ठानोों को ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के
न््ययाय और अधिकारिता मत्री ं इसक अध््यक्ष होोंगे और केें द्रीय सामाजिक न््ययाय लिए समान अवसर के लिए नीतियाँ तैयार करने, समावेशिता को बढ़़ावा देने
और अधिकारिता राज््यमत्री ं उपाध््यक्ष होोंगे। परिषद के निम््नलिखित कार््य हैैं- के लिए अनिवार््य करता है।
 ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के सब ं ंध मेें नीतियोों, कार््यक्रमोों, विधान और z बुनियादी सवि ु धाओ ं की आवश््यकताएँः अस््पतालोों मेें अलग वार््ड और
परियोजनाओ ं के निर््ममाण पर केें द्र सरकार को सलाह देना। यनिू सेक््स शौचालय जैसी समावेशी सवि ु धाओ ं को प्रोत््ससाहित करता है।
 ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों की समानता और पर््ण ू भागीदारी प्राप्त करने के लिए बनाई z ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय परिषद (NCT): नीति निर््ममाण, निगरानी
गई नीतियोों और कार््यक्रमोों के प्रभाव की निगरानी और मल्ू ्ययाांकन करना। और शिकायत निवारण पर सलाह देती है, जिससे ट््राांसजेेंडर अधिकारोों का
 ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों की शिकायतोों का निवारण करना।
संरक्षण सनिश् ु चित होता है।
z अपराध और दडं ः जबरन श्रम, सार््वजनिक स््थथानोों तक पहुचँ से इनकार या
आलोचना दर््व््य
ु वहार जैसे अपराधोों मेें छह महीने से दो साल तक की कै द और जर््ममा ु ना
z NALSA फैसले की उपेक्षा : होता है।
 यह अधिनियम NALSA के फै सले के मल ू सिद््धाांत के खिलाफ है क््योोंकि ट््राांस-जेेंडरोों के लिए सरकार की पहल
यह ट््राांसजेेंडर स््थथिति के आत््मनिर््णय की अनमु ति नहीीं देता है।
 अधिनियम सार््वजनिक रोजगार और शिक्षा मेें आरक्षण की पेशकश भी
ट््राांसजेेंडर व्यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय पोर््टल
नहीीं करता है जैसा कि सर्वोच््च न््ययायालय के पहले के फै सले द्वारा निर्देशित z प्रमाणपत्ररों और पहचान पत्ररों के लिए डिजिटल आवेदन की सवि
ु धा के लिए
किया गया था। लॉन््च किया गया।
z नागरिक अधिकारोों पर मौन: विवाह, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे नागरिक z आवेदन की स््थथिति और शिकायत निवारण पर नजर रखने मेें सक्षम बनाता है।
अधिकारोों की अनदेखी की जाती है। यह अधिनियम ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों की z आवेदनोों को संसाधित करने के लिए सख््त समय-सीमा पारदर््शशिता सनिश्
ु चित
कल््ययाणकारी लाभोों तक पहुचँ पर भी स््पष्ट नहीीं है। करती है।
z असमान व््यवहार: अधिनियम मेें एक ट््राांसजेेंडर व््यक्ति के यौन उत््पपीड़न के ट््राांसजेेंडर व्यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय परिषद
लिए अधिकतम दो साल के कारावास का प्रावधान है, जबकि एक समलैैंगिक z सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मत्राल ं य द्वारा गठित।
महिला के साथ बलात््ककार के लिए न््ययूनतम दडं 10 साल है। z सदस््योों मेें सरकारी अधिकारी, ट््राांसजेेंडर समदु ायोों के प्रतिनिधि और गैर-
z यह अधिनियम ट््राांस महिलाओ ं और किन््नरोों पर अधिक ध््ययान केें द्रित करता सरकारी सगं ठन शामिल हैैं।
है- इटं रसेक््स, जेेंडर क््ववीर और ट््राांसमेन पर बहुत कम जोर दिया जाता है। z इसका उद्देश््य नीतियोों पर सलाह देना, उनके प्रभाव की निगरानी करना और
z भिक्षावत्ति
ृ को अपराध बनाना: ट््राांसजेेंडरोों के लिए आजीविका का विकल््प शिकायतोों का समाधान करना है।
प्रदान किए बिना यह अधिनियम भिक्षावृत्ति को अपराध बनाता है, जिस पर गरिमा गृह
उनकी वर््तमान आजीविका निर््भर है। z निराश्रित ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए आश्रय गृह स््थथापित करने की योजना।
आगे की राह z लक्षष्य ट्रस््ट के सहयोग से गुजरात के वडोदरा मेें पायलट परियोजना शरू ु
z LGBTQ समदु ाय तेजी से सहिष््णणुता और स््ववीकृ ति प्राप्त कर रहा है, विशेष की गई।
रूप से बड़़े शहरोों मेें, लेकिन घर और स््ककूल मेें अधिकांश LGBTQ लोगोों के ट््राांसजेेंडर व्यक्तियोों के लिए भत्ता
लिए, उनकी कामक ु ता की स््ववीकृ ति और खले
ु तौर पर अपने लिंग विकल््पोों z प्रत््ययेक ट््राांसजेेंडर व््यक्ति को 1,500 रुपये का निर््ववाह भत्ता प्रदान किया जाता है।
को व््यक्त करने की स््वतंत्रता अभी भी निरंतर एक सघं र््ष बनी हुई है। z गैर-सरकारी संगठनोों को सहायता के बारे मेें जागरूकता फै लाने का काम
इस प्रकार, सरकार को उन््हेें सशक्त बनाने, सामाजिक कलंक को कम करने और सौौंपा गया है।
उनकी सामाजिक-आर््थथिक स््थथिति मेें सुधार करने के लिए समान संवैधानिक परामर््श सेवा हेल्पलाइन
अधिकार प्रदान करने की आवश््यकता है। z सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मत्राल
ं य द्वारा स््थथापित निःशल्ु ्क हेल््पलाइन
ट््राांसजेें डर व््यक्ति (अधिकारोों की सुरक्षा) नियम, 2020 (8882133897)।
z मान््यता और गै र-भे दभावः अधिनियम के तहत नियम शिक्षा, रोजगार,
z पेशवे र मनोवैज्ञानिक सोमवार से शनिवार तक परामर््श सेवाएँ प्रदान करते हैैं।
स््ववास््थ््य सेवा, संपत्ति के अधिकारोों और सार््वजनिक सेवाओ ं मेें भेदभाव को
प्रतिबंधित करते हैैं। ट््राांसजेेंडरोों का टीकाकरण

z पहचान मान््यताः स््व-अनभ


z मत्राल
ं य यह सनिश्
ु चित करता है कि टीकाकरण केें द्ररों पर कोई भेदभाव न हो।
ु तू लिंग पहचान का अधिकार प्रदान करता है
और जिला मजिस्ट्रेटोों को चिकित््ससा परीक्षा के बिना पहचान प्रमाण पत्र जारी z हरियाणा और असम जैसे राज््योों मेें मोबाइल टीकाकरण केें द्र शरू
ु किए गए हैैं।
करने का आदेश देता है। ट््राांसजेेंडर आबादी की रक्षा के लिए राज्य के कानून
z चिकित््ससा हस््तक्षेपः चिकित््ससा प्रमाणन के साथ लिग ं पनु र््ननिर््धधारण सर््जरी के बाद z उदाहरणोों मेें ओडिशा की ‘स््ववीकृ ति’ योजना, के रल की ट््राांसजेेंडर नीति,
सश ं ोधित पहचान प्रमाणपत्ररों के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करना सनिश् ु चित करता है। तमिलनाडु की कल््ययाण नीति और चडं ीगढ़ का ट््राांसजेेंडर बोर््ड शामिल है।

74  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आगे की राह z गोद लेनाः वर््तमान गोद लेने के नियमोों को समलैैंगिक समदु ाय के लिए
भेदभावपर््णू माना जाता है, अदालत ने केें द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण
z स््ककूल स््तर पर जन जागरूकता अभियान और संवेदीकरण महत्तत्वपर््णू हैैं।
(CARA) नियमोों को रद्द करने से इनकार कर दिया। केें द्र सरकार ने समलैैंगिक
z काननू ी और काननू प्रवर््तन प्रणालियोों को सशक्त और संवेदनशील बनाया संगठन के लिए लाभ निर््धधारित करने के लिए एक समिति बनाने का संकल््प
जाना चाहिए। लिया।
z ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों के लिए राष्ट्रीय परिषद जागरूकता बढ़़ाने और स््ववीकृ ति z जन््मजात पारिवारिक हिंसा से सरक्ष ं णः मख््य ु न््ययायाधीश ने ‘असामान््य
को बढ़़ावा देने मेें महत्तत्वपर््णू भमि
ू का निभाती है। परिवारोों’ को मान््यता दी और पलि
ु स को समलैैंगिक व््यक्तियोों को अपने परिवारोों
z ट््राांसजेेंडर अधिकारोों और कल््ययाण को आगे बढ़़ाने के लिए समावेशी नीतियोों के पास लौटने के लिए मजबरू नहीीं करने का निर्देश दिया।
और विनियमोों के साथ-साथ नकारात््मक दृष्टिकोण को बदलने के प्रयास नागरिक संगठन: समलैैंगिक जोड़ों को विवाहित जोड़ों के समान अधिकार और
आवश््यक हैैं। जिम््ममेदारियाँ देने वाली कानूनी स््थथिति को संदर््भभित करता है।
समलैैं गिक विवाह
सर्वोच्च न्यायालय का निर््णय संक्षेप मेें विवाह के अधिकार पर सुप्रीम कोर््ट के फैसले:
बहुमत की राय अल््पमत की राय z नालसा फै सला (2014): ट््राांसजेेंडर लोगोों के मौलिक अधिकारोों को
• विवाह का कोई अधिकार नहीीं; • विवाह का कोई अधिकार नहीीं; मान््यता दी गई।
• नागरिक संघ का कोई अधिकार नहीीं; • नागरिक संघ का अधिकार है; z के . एस. पट्ु टास््ववामी बनाम भारत संघ (2017) ने निजता के अधिकार
• यह के वल कानूनोों के माध््यम से ही हो • बच््चोों को गोद लेने का अधिकार है; का समर््थन किया।
सकता है; z नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018) ने आईपीसी की धारा 377
• बच््चोों को गोद लेने का अधिकार नहीीं; • ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों को विवाह करने का
• अपना साथी स््वयं चुनने का अधिकार है; अधिकार है। को निरस््त करके समलैैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
• ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों को विवाह करने का z शफीन जहाँ बनाम भारत संघः अपने साथी को चनु ने के अधिकार को
अधिकार है। मान््यता दी।
z शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघः जीवन साथी चनु ने के अधिकार को
समाचारोों मेें रहे चर््चचित मुद्दे मौलिक अधिकार के रूप मेें मान््यता दी।
भारत मेें समलैैंगिक विवाहः एक कानूनी समीक्षा विशेष विवाह अधिनियम (SMA), 1954
सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियााँः
z विशेषताएँः विशेष विवाह अधिनियम, धर््मनिरपेक्षता को बढ़़ावा देते हुए
धार््ममिक पृष्ठभमि ू की परवाह किए बिना नागरिक विवाह की सवि ु धा प्रदान
z समलिंगी विवाहः न््ययायालय ने फै सला सनु ाया कि संविधान के तहत समलिंगी करता है।
विवाह कोई अयोग््य अधिकार नहीीं है।
z व््ययाख््ययााः न््ययायालय ने इस बात पर विचार-विमर््श किया कि क््यया समलैैंगिक
z सिविल यूनियनः सिविल यनि ू यनोों के लिए काननू ी दर््जजा समलैैंगिक जोड़ों जोड़ों को शामिल करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम को लिंग-तटस््थ
(3:2 निर््णय) के लिए नहीीं दिया गया था। बनाया जा सकता है।
z ट््राांसजेेंडर व््यक््तििः ट््राांसजेेंडर व््यक्ति अपने पहचाने गए लिंग के आधार पर z विभिन््न धर्ममों के जोड़ों के लिए नागरिक विवाह की सवि ु धा के लिए
मौजदू ा काननोू ों के तहत शादी कर सकते हैैं। अधिनियमित।
z सस ं द का क्षेत्रः न््ययायालय के अनसु ार, समलैैंगिक विवाह को वैध बनाने का z शर्ततों मेें उम्र की आवश््यकताएँ, सहमति, मानसिक स््ववास््थ््य और कुछ संबंधोों
अधिकार संसद के पास है। का निषेध शामिल हैैं।
z विवाह के पक्षषों को विवाह अधिकारी को नोटिस देना चाहिए, आपत्तियाँ उठाई
समलैैंगिक जोड़ोों के अधिकार जा सकती हैैं और जिला अदालत मेें अपील की जा सकती है।
z सहवास का अधिकारः समलैैंगिक जोड़ों को सहवास करने का अधिकार है, z विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के परिणामस््वरूप कुछ धर्ममों के लिए
जैसा कि न््ययायालय द्वारा स््ववीकार किया गया है। परिवार से अलगाव होता है।
z भेदभाव की रोकथाम: न््ययायालय द्वारा समलिंगी जोड़ों के खिलाफ भेदभाव समलैैंगिक विवाह के पक्ष और विपक्ष मेें तर््क
की रोकथाम पर जोर दिया जाता है।
पक्ष मेें तर््क
भारत मेें समलैैंगिक विवाह की वैधता z समानताः यौन अभिविन््ययास की परवाह किए बिना सभी व््यक्ति काननू के
z वैधानिक अधिकारः विवाह एक वैधानिक अधिकार है, हालाँकि, इसे स््पष्ट तहत समान अधिकारोों और सरु क्षा के हकदार हैैं।
रूप से मौलिक अधिकार के रूप मेें मान््यता नहीीं दी गई है। z मौलिक अधिकारः विवाह करने और अपना साथी चनु ने का अधिकार
z न््ययायिक व््ययाख््ययााः सप्री
ु म कोर््ट के पिछले फै सलोों ने विवाह के अधिकार और भारतीय सविं धान के विभिन््न अनच्ु ्छछेदोों के लिए अतं र््ननिहित होने का तर््क
LGBTQIA+ व््यक्तियोों के समान अधिकारोों पर प्रकाश डाला। दिया जाता है।
z कानूनी प्राधिकरणः संविधान, संसद और राज््योों दोनोों को विवाह विनियमोों z परिवारोों और समुदायोों को मजबूत करनाः विवाह सामाजिक और आर््थथिक
को लागू करने का अधिकार देता है। लाभ प्रदान करता है जिसका विस््ततार समलैैंगिक जोड़ों तक होना चाहिए।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 75


विपक्ष मेें तर््क z विधायी प्रयासः संसद समलैैंगिक विवाह को वैध बनाने वाले काननू बना
सकती है।
z धार््ममिक और सांस््ककृतिक मान््यताओ ं के खिलाफः कई लोग विवाह पर
पारंपरिक विचारोों के कारण समलैैंगिक विवाह का विरोध करते हैैं। z सार््वजनिक जागरूकताः LGBTQIA+ अधिकारोों के बारे मेें जागरूकता
बढ़़ाना सामाजिक स््ववीकृ ति के लिए महत्तत्वपर््णू है।
समलैैं गिक विवाह का फैसला
भारत मेें समलैैं गिक विवाह भारत के मुख्यन्यायधीश का निष्कर््ष/निर््णय
भारत मेें समलैैंगिक विवाह के भारत मेें समलैैंगिक विवाह के • क््ववीरनेस एक प्राकृतिक घटना है, यह शहरी या संभ््राांत नहीीं है।
पक्ष मेें तर््क पक्ष मेें तर््क • संविधान विवाह करने के मौलिक अधिकार को मान््यता नहीीं देता है।
विवाह एक मौलिक अधिकार है विवाह की धार््ममिक परिभाषाएँ • न््ययायालय विशेष विवाह अधिनियम 1954 को रद्द नहीीं कर सकता या
सरोगेसी और गोद लेना राज््य का 'वैध' हित एसएमए के प्रावधानोों मेें संशोधन नहीीं कर सकता।
विशेष विवाह अधिनियम का विस््ततार गोपनीयता का अधिकार • संघ मेें सभी व््यक्तियोों को प्रवेश की स््वतंत्रता संविधान मेें है।
सहवास एक मौलिक अधिकार है संसद द्वारा कानून • एलजीबीटीक््ययू विवाह को मान््यता देना संसद के अधिकार क्षेत्र मेें है
समान लिंग वाले जोड़ों का आत््मसात कानून की व््ययाख््यया • अनुच््छछे द 15 (1), सेक््स शब््द को यौन रुझान के अर््थ मेें पढ़़ा जाना
भारतीय संस््ककृति और मूल््य प्रणाली बच््चोों को गोद लेने से जुड़़े मुद्दे चाहिए
मानव गरिमा लिंग संबंधी शर्ततें • यौन रुझान के कारण संघ मेें प्रवेश के अधिकार को प्रतिबंधित नहीीं
कानूनी सुधार किया जा सकता।
संवाद और जुड़़ाव • अविवाहित जोड़़े गोद ले सकते हैैं, इसमेें समलैैंगिक जोड़़े भी शामिल होोंगे
z प्रजनन: कुछ लोगोों का तर््क है कि विवाह मख््य ु रूप से प्रजनन के लिए है, आगे की राह
जिसे समान-लिंग वाले जोड़़े जैविक रूप से प्राप्त नहीीं कर सकते हैैं।
z जागरूकताः सार््वजनिक जागरूकता और LGBTQIA+ अधिकारोों की
z कानूनी मुद््देेः समान-लिंग विवाह से उत््पन््न होने वाली काननू ी जटिलताओ ं
स््ववीकृ ति को बढ़़ावा देना।
के बारे मेें चितं ाएँ मौजदू हैैं, जैसे कि विरासत और गोद लेने के अधिकार।
z कानन ू ी सधु ारः समलैैंगिक विवाह की अनमु ति दने े या वैकल््पपिक काननू ी मान््यता
अन्य प्रमुख बिंदःु शरूु करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम जैसे काननोू ों मेें सश ं ोधन करना।
z नागरिक सगं ठन: एक छोटे समहू ने समान-लिंग वाले जोड़ों को नागरिक z सव ं ाद और जुड़़ावः धार््ममिक नेताओ ं और समदु ायोों के साथ संवाद को बढ़़ावा
संगठन का विस््ततार करने का समर््थन किया, जो उन््हेें कुछ काननू ी विशेषाधिकार देना ताकि समझ मेें कमी को दरू किया जा सके ।
प्रदान करेगा। z सहयोगःLGBTQ+ समद ु ाय, सरकार और सिविल सोसाइटी सहित
z ट््राांसजेेंडर अधिकारः अदालत ने मौजदू ा काननोू ों के तहत ट््राांसजेेंडर व््यक्तियोों हितधारकोों को प्रगति के लिए सहयोग करना चाहिए।
के विवाह करने के अधिकार को बरकरार रखा। सर्वोच््च न््ययायालय का निर््णय भारत मेें समलैैंगिक विवाह के लिए एक झटका
z गोद लेने का अधिकारः अदालत ने समलैैंगिक जोड़ों को गोद लेने का है। हालाँकि, यह आगे की कानूनी लड़़ाई और विधायी कार््रवाई के लिए दरवाजे
अधिकार नहीीं दिया, लेकिन भेदभावपर््णू नियमोों को स््ववीकार किया। खोलता है। विवाह समानता प्राप्त करने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण
z समलैैंगिक अधिकारोों के लिए समितिः सरकार समलैैंगिक जोड़ों के सामने की आवश््यकता होगी, जिसमेें कानूनी सुधार, जन जागरूकता अभियान और
आने वाले मद्दु दों को सबं ोधित करने के लिए एक समिति बना सकती है। हितधारकोों के बीच सहयोग शामिल हैैं।

चुनौतियााँ और उसके समाधान संबंधी प्रमुख बिंद ु अल्पसंख्यक


z भेदभावः वस््ततुओ,ं सेवाओ ं और काननू ी अधिकारोों तक पहुचँ मेें समलैैंगिक अल्पसंख्यकोों की परिभाषा
समदु ाय के खिलाफ भेदभाव की रोकथाम महत्तत्वपर््णू है।
z राष्ट्रीय अल््पसंख््यक आयोग अधिनियम अल््पसंख््यकोों को ‘केें द्र सरकार द्वारा
z जागरूकता और विधानः जागरूकता बढ़़ाना, काननू ी सधु ार लागू करना अधिसचू ित एक समदु ाय’ के रूप मेें परिभाषित करता है।
तथा उत््पपीड़न और भेदभाव को रोकने के लिए दिशा-निर्देश स््थथापित करना
z सयं ुक्त राष्टट्र मानवाधिकार घोषणा का अनुच््छछे द 1: सभी मनष््य ु स््वतंत्र
आवश््यक है। रूप से पैदा हुए हैैं और गरिमा और अधिकारोों मेें समान हैैं। वे चेतना और
z कानूनी पूर््ववर््तीीः काननू ी चनु ौतियाँ समान-लिंग विवाह की मान््यता का मार््ग विवेक से सपं न््न हैैं और उन््हेें भाईचारे की भावना से एक-दसू रे के प्रति व््यवहार
प्रशस््त कर सकती हैैं, जिसके लिए सहयोग और सामाजिक स््ववीकृ ति की करना चाहिए।
आवश््यकता होती है। z भारतीय संविधान धार््ममिक और भाषाई अल््पसख् ं ्यकोों को स््ववीकार करता है
भविष्य का दृष्टिकोण लेकिन ‘अल््पसख््य ं क’ की एक विशिष्ट परिभाषा प्रदान नहीीं करता है।
z कानूनी चुनौतियाँः LGBTQIA+ समदु ाय आगे की काननू ी लड़़ाई के माध््यम z धार््ममिक अल््पसख्ं ्यकः वर््तमान मेें छह समदु ाय अधिसचू ित अल््पसख््य ं क हैैंः
से समान-लिंग विवाह के लिए एक काननू ी मिसाल की तलाश कर सकता है। मसु लमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन (जैन को 2014 मेें जोड़़ा गया था)।

76  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z भाषाई अल््पसख् ं ्यकः इन््हेें संविधान मेें स््पष्ट रूप से परिभाषित नहीीं किया गया z अल््पसख्ं ्यक बहुल जिलेः भारत सरकार ने 121 जिलोों की पहचान की है
है, लेकिन क्षेत्रीय जनसांख््ययिकी के आधार पर अनमु ान लगाया जा सकता है। जहाँ कम-से-कम 25% अल््पसंख््यक आबादी है (उन राज््योों को छोड़कर जहाँ
z सर्वोच््च न््ययायालय के फै सलोों से पता चलता है कि अल््पसंख््यकोों की पहचान अल््पसंख््यक बहुसंख््यक हैैं)।
राष्ट्रीय स््तर (टी.एम.ए. पाई फाउंडेशन वाद) पर नहीीं, बल््ककि राज््य स््तर पर
की जाती है।
वैश्विक संदर््भ
z आप्रवासी विरोधी और अल््पसंख््यक विरोधी भावनाओ ं का उदय दनि ु या भर
मेें देखा जाता है, जिससे घृणा अपराध और भेदभाव की घटनाएँ होती हैैं।
z यरू ोप मेें ‘एल पासो’ नरसंहार और अल््पसंख््यक विरोधी हमलोों जैसे उदाहरण
विश्व स््तर पर अल््पसंख््यक समदु ायोों के सामने आने वाली चनु ौतियोों को उजागर
करते हैैं।
भारत मेें धार््ममिक अल्पसंख्यकः जनसाांख्यिकी और वितरण
प्रमुख आँकड़़े (जनगणना-2011)
z कुल अल््पसख्ं ्यक आबादीः भारत का 19.3%
z सबसे बड़़ा अल््पसख्
ं ्यक समुदाय: मसु लमान (14.2%)
z अन््य अल््पसख्
ं ्यकः ईसाई (2.3%), सिख (1.7%), बौद्ध (0.7%), जैन संकेें द्रण के उदाहरण
(0.4%) तथा पारसी (0.006%)। z मुस््ललिमः जम््ममू और कश््ममीर, के रल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आध्रं प्रदेश,
भौगोलिक वितरण कर््ननाटक तथा राजस््थथान।
z राष्ट्रीय स््तर परः अल््पसंख््यक संपर््णू भारत मेें फै ले हुए हैैं, कुछ राज््योों मेें z ईसाईः नागालैैंड (88%) मिजोरम (87%) मेघालय (74%) गोवा (25%)
इनका उच््च घनत््व है। तथा के रल (18.4%)।
z ग्रामीण तथा शहरीः ग्रामीण क्षेत्ररों की तल ु ना मेें शहरी क्षेत्ररों मेें अल््पसंख््यकोों z सिखः पजं ाब (58%)
का प्रतिशत थोड़़ा अधिक है (मसु लमानोों के लिए 16% शहरी बनाम 12% z बौद्धः सिक््ककिम (27%) अरुणाचल प्रदेश (12%) तथा महाराष्टट्र (6%)
ग्रामीण, ईसाइयोों के लिए 3% शहरी बनाम 2% ग्रामीण)। z जैनः महाराष्टट्र (1.3%) गजु रात (1%) तथा दिल््लली (1%)

भारत मेें धार््ममिक अल्पसंख्यकोों की सामाजिक-आर््थथिक स्थिति (66वेें दौर के राष्ट्रीय प्रतिदर््श सर्वेक्षण (NSS) के आधार पर )

सबसे अच््छछा प्रदर््शन करने सबसे खराब प्रदर््शन करने


सू च क ग्रामीण शहरी
वाला धर््म वाला धर््म
साक्षरता दर (जनगणना-2011) - - ईसाई (सर्वोच््च) मस््ललि
ु म (सबसे कम)
विद्यालय उपस््थथिति निम््न उच््च ईसाई (सर्वोच््च) उपलब््ध नहीीं है

शैक्षिक उपलब््धधि (माध््यमिक एवं ऊपर) निम््न उच््च ईसाई (सर्वोच््च) उपलब््ध नहीीं है

श्रम बल भागीदारी (लिंग अंतर) व््ययापक संकीर््ण ईसाई (न््ययूनतम अंतर) उपलब््ध नहीीं है

आय का मख््य
ु स्रोत (ग्रामीण) स््व-रोज़गार लागू नहीीं सिख (कृ षि) मस््ललि
ु म (ग्रामीण श्रमिक)
आय का मख््य
ु स्रोत (शहरी) स््व-रोज़गार वेतन ईसाई (वेतन) मस््ललि
ु म (स््व-रोज़गार)
औसत मासिक प्रति व््यक्ति व््यय (MPCE) निम््न उच््च सिख (सर्वोच््च) मस््ललि
ु म (सबसे निम््न)
भमि
ू स््ववामित््व (छोटी जोत <0.4 हेक््टटेयर) उच््च निम््न - -

भमि
ू स््ववामित््व (बड़़ी जोत > 4 हेक््टटेयर) निम््न निम््न सिख (सर्वोच््च) उपलब््ध नहीीं है

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 77


अल्पसंख्यकोों के समक्ष उपस्थित प्रमुख समस्याएँ अल्पसंख्यकोों के लिए संवैधानिक सुरक्षा कवच
z पूर््ववाग्रह और भेदभाव z अनुच््छछे द 14: कानून के समक्ष समानता
 पूर््ववाग्रहोों का प्रसारः ‘हिद ं ू कायर हैैं और मसु लमान उपद्रवी हैैं’ जैसी  यह अनच् ु ्छछेद काननू के समक्ष समानता और काननू के समान संरक्षण के
सामान््य रूढ़़ियाँ धार््ममिक समदु ायोों के बीच सामाजिक दरू ी को बढ़़ाने मेें लोगोों के अधिकार की गारंटी देता है।
योगदान देती हैैं। z अनुच््छछे द 15 (1) और (2): भेदभाव का निषेध
 वैश्विक मुद््दााः अल््पसंख््यकोों, विशेष रूप से महिलाओ ं के खिलाफ भेदभाव  धर््म, नस््ल, जाति, लिंग या जन््म स््थथान के आधार पर नागरिकोों के खिलाफ

एक वैश्विक समस््यया है। भेदभाव का निषेध करता है।


 असत ं ुलित उपेक्षा: अल््पसंख््यक महिलाएँ आर््थथिक, सामाजिक और z अनुच््छछे द 15 (4): विशेष प्रावधान
राजनीतिक हाशिये पर रहने, दर््व््य ु वहार, भेदभाव और रूढ़़ियोों का सामना  नागरिकोों के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़़े वर्गगों की उन््नति के

करने से असमान रूप से पीड़़ित हैैं। लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार राज््य को देता है।
z पहचान की समस््ययााः सामाजिक-सांस््ककृतिक प्रथाओ ं और इतिहास मेें अतं र z अनुच््छछे द 16 (1) और (2): अवसर की समानता
पहचान के मद्दु दों को जन््म देते हैैं, जिससे बहुसंख््यक समदु ाय के साथ समायोजन  राज््य के तहत किसी भी कार््ययालय मेें रोजगार या नियक्ति ु से संबंधित मामलोों
करना चनु ौतीपर््णू हो जाता है। मेें नागरिकोों के अवसर की समानता का अधिकार सनिश् ु चित करता है।
z सरु क्षा की समस््ययााः बाकी समाज और विभिन््न पहचानोों के सापेक्ष छोटी z अनुच््छछे द 16 (4): नियुक्तियोों का आरक्षण
संख््यया जीवन, संपत्ति और कल््ययाण के बारे मेें असरु क्षा की भावनाओ ं को  यह अनच् ु ्छछेद राज््य को नागरिकोों के किसी भी पिछड़़े वर््ग के पक्ष मेें नियक्तियो ु ों
बढ़़ावा देती है, विशेष रूप से बहुसंख््यक और अल््पसंख््यक समदु ायोों के बीच या पदोों के आरक्षण के लिए प्रावधान करने के लिए अधिकृ त करता है।
तनावपर््णू सबं ंधोों के दौरान। z अनुच््छछे द 25(1): धर््म की स््वतंत्रता
z समानता से सबं ंधित समस््ययााः अल््पसंख््यक समदु ाय भेदभाव के  लोगोों को अत ं रात््ममा की स््वतंत्रता और स््वतंत्र रूप से धर््म को मानने,
परिणामस््वरूप अक््सर विकास के अवसरोों से वचं ित हो जाते हैैं, जिससे आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार देता है।
असमानता की भावना पैदा होती है। z अनुच््छछे द 26: धार््ममिक सप्रं दाय का अधिकार
z सांप्रदायिक तनाव और दगों ों की समस््ययााः सांप्रदायिक तनाव और दगें , जो  यह अनच् ु ्छछेद धार््ममिक और धर््ममार््थ उद्देश््योों के लिए सस्ं ्थथानोों की स््थथापना और
स््वतंत्रता के बाद से तेजी से प्रचलित हैैं, अल््पसंख््यक हितोों के लिए खतरा हैैं। रखरखाव के लिए प्रत््ययेक धार््ममिक सप्रं दाय के अधिकार को सनिश् ु चित करता है।
z सिविल सेवा और राजनीति मेें प्रतिनिधित््व की कमीः समानता के z अनुच््छछे द 27: अनिवार््यता के विरुद्ध निषेध
लिए संवैधानिक प्रावधानोों के बावजदू अल््पसंख््यक समदु ाय, विशेष रूप से  यह अनच् ु ्छछेद किसी भी व््यक्ति को किसी विशेष धर््म के प्रचार के लिए
मसु लमान, सिविल सेवा और राजनीति मेें उपेक्षित महससू करते हैैं। कर देने के लिए बाध््य करने पर रोक लगाता है।
z सरु क्षा प्रदान करने की समस््ययााः अल््पसख््य ं क, विशेष रूप से सांप्रदायिक z अनुच््छछे द 28: धार््ममिक शिक्षा या उपासना मेें उपस््थथिति होने के बारे मेें
हिसं ा के दौरान पलि ु स सरु क्षा की माँग करते हैैं, लेकिन सरकारोों के लिए व््ययापक स््वतंत्रता
सरु क्षा प्रदान करना मश््ककिल
ु और महँगा है।  यह अनच् ु ्छछेद लोगोों को धार््ममिक शिक्षा या शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों मेें पजू ा मेें
z समान नागरिक सहि ं ता की शुरूआत से सबं ंधित समस््ययााः समान नागरिक भाग लेने की स््वतंत्रता सनिश् ु चित करता है।
संहिता की शरुु आत को कुछ समदु ायोों के विरोध का सामना करना पड़ता है, z अनुच््छछे द 29 (1): विशिष्ट भाषा या सस्ं ्ककृति के सरक्ष ं ण का अधिकार
जिससे धार््ममिक समदु ायोों के बीच संबंध और तनावपर््णू हो जाते हैैं।
 यह अनच् ु ्छछेद नागरिकोों के किसी भी वर््ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि
भारत मेें अल्पसंख्यक महिलाओ ं द्वारा सामना की जाने वाली या संस््ककृति के संरक्षण का अधिकार देता है।
समस्याएँ z अनुच््छछे द 29 (2): प्रवेश का अधिकार
z लैैंगिक असमानता: अल््पसंख््यक महिलाओ ं को लैैंगिक असमानता और  यह अनच् ु ्छछेद के वल धर््म, नस््ल, जाति, भाषा या उनमेें से किसी के आधार
अपने समदु ायोों के भीतर विकास की कमी के कारण कई चनु ौतियोों का सामना पर राज््य द्वारा बनाए गए या सहायता प्राप्त किसी भी शैक्षणिक संस््थथान
करना पड़ता है। मेें किसी भी नागरिक को प्रवेश से इनकार करने पर प्रतिबंध लगाता है।
z असरु क््षााः अल््पसंख््यक समदु ाय का हिस््ससा होने और परुु ष प्रधान समाज का z अनुच््छछे द 30 (1): धार््ममिक और भाषाई अल््पसख् ं ्यकोों का अधिकार
सामना करने से अल््पसंख््यक महिलाएँ दर््व््य ु वहार और भेदभाव के प्रति अधिक  सभी धार््ममिक और भाषाई अल््पसंख््यकोों को अपनी पसंद के शैक्षणिक
संवेदनशील हो जाती हैैं। संस््थथानोों की स््थथापना और प्रशासन का अधिकार प्रदान करता है।
z विभिन््न पहलुओ ं मेें असमानता: अल््पसंख््यक महिलाओ ं को अपने परुु ष z अनुच््छछे द 30 (2): भेदभाव से स््वतंत्रता
समकक्षषों और बहुसंख््यक समदु ायोों की तल ु ना मेें शिक्षा, रोजगार के अवसरोों,  राज््य से सहायता प्राप्त करने मेें भेदभाव से अल््पसख््य ं क-प्रबंधित शैक्षणिक
सरु क्षा और स््ववास््थ््य सेवा मेें असमान व््यवहार का सामना करना पड़ता है। संस््थथानोों की स््वतंत्रता सनिश् ु चित करता है।

78  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z अनुच््छछे द 38 (2): असमानताओ ं को समाप्त करने का दायित््व z अल््पसख् ं ्यक शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों के लिए राष्ट्रीय आयोगः
 यह अनच् ु ्छछेद व््यक्तियोों और लोगोों के समहोू ों के बीच स््थथिति, सवि
ु धाओ ं  धार््ममिक अल््पसख््यको
ं ों द्वारा स््थथापित शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों की रक्षा करने
और अवसरोों मेें असमानताओ ं को समाप्त करने का प्रयास करने के लिए वाला सांविधिक निकाय।
राज््य को बाध््य करता है।  इसमेें एक अध््यक्ष (उच््च न््ययायालय के न््ययायाधीश) और केें द्र सरकार द्वारा
z अनुच््छछे द 46: कमजोर वर्गगों को बढ़़ावा देना नामित दो अन््य व््यक्ति शामिल हैैं।
 यह अनच् ु ्छछेद राज््य से लोगोों के कमजोर वर्गगों के शैक्षिक और आर््थथिक z राष्ट्रीय अल््पसख्
ं ्यक विकास और वित्त निगमः
हितोों पर विशेष ध््ययान देने के साथ उन््हेें बढ़़ावा देने की आवश््यकता पर  अल््पसख््यकों ों के लिए आर््थथिक और विकासात््मक गतिविधियोों को बढ़़ावा
जोर देता है। देना।
z अनुच््छछे द 347: भाषा के लिए विशेष प्रावधान  कंपनी अधिनियम के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप मेें पंजीकृ त।
 यह अनच् ु ्छछेद किसी भी राज््य की आबादी के एक वर््ग द्वारा बोली जाने z अंतरराष्ट्रीय मानदडं ः
वाली भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान प्रदान करता है।  नागरिक और राजनीतिक अधिकारोों पर अत ं रराष्ट्रीय नियम के अनच्ु ्छछेद
z अनुच््छछे द 350 A: मातृभाषा मेें शिक्षा के लिए सवि ु धाएँ 27 के तहत अल््पसंख््यक अधिकारोों का संरक्षण सनिश् ु चित किया जाता है।
 यह अनच् ु ्छछेद प्राथमिक स््तर पर मातृभाषा मेें शिक्षा के लिए सवि ु धाएँ  ‘राष्ट्रीय, जातीय, धार््ममिक और भाषाई अल््पसंख््यकोों से संबंधित व््यक्तियोों
प्रदान करता है। के अधिकारोों पर संयक्त
ु राष्टट्र घोषणा’ अल््पसंख््यक अधिकारोों को सरु क्षित
z अनुच््छछे द 350 B: भाषाई अल््पसख् ं ्यकोों के लिए विशेष अधिकारी करने के लिए मानक और मार््गदर््शन निर््धधारित करती है।
 भाषाई अल््पसंख््यकोों के लिए एक विशेष अधिकारी के लिए प्रावधान
अल्पसंख्यकोों के लिए सरकारी कल्याणकारी उपाय
स््थथापित करता है और अपने कर््तव््योों की रूपरे खा तैयार करता है।
अल्पसंख्यकोों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार््यक्रम
विधायी सुरक्षा भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए प्रधानमत्री
z ं के नए 15 सत्री ू कार््यक्रम का
z राष्ट्रीय अल््पसख् ं ्यक आयोग अधिनियम, 1992 उद्देश््य अल््पसंख््यकोों की कल््ययाणकारी आवश््यकताओ ं को परू ा करना है।
 केें द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय अल््पसंख््यक आयोग की स््थथापना। z उद्देश््ययः यह सनिश्
ु चित करना कि प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण का एक उचित
 इसमेें एक अध््यक्ष और 6 सदस््य होते हैैं, जिसमेें से कम-से-कम 5 सदस््य अश ं अल््पसंख््यक समदु ायोों को लक्षित करता है और वंचित अल््पसंख््यक वर्गगों
अल््पसंख््यक समदु ायोों से संबंधित होते हैैं। सहित वंचितोों को सरकारी योजनाओ ं का लाभ देता है।
z वक््फ अधिनियमः z राज््य सरकारोों/केें द्र शासित प्रदेशोों के माध््यम से केें द्रीय मत्रालयो
ं ों/विभागोों
 मस््ललि
ु म समदु ाय मेें दान को नियंत्रित करता है। द्वारा लागू किया गया, अल््पसंख््यक बहुल जिलोों मेें विकास परियोजनाओ ं के
 केें द्रीय वक््फ परिषद भारत मेें वक््फोों के प्रशासन का प्रबंधन करती है।
आवंटन पर जोर दिया गया।
 वक््फ धार््ममिक, पवित्र या धर््ममार््थ उद्देश््योों के लिए चल या अचल संपत्तियोों अल्पसंख्यकोों के कल्याण के लिए
का स््थथायी समर््पण है। प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्रीय कार््यक्रम
z नागरिकता सश ं ोधन अधिनियमः z एकीकृ त बाल विकास सेवाओ ं की पर््ययाप्त उपलब््धता
 पाकिस््ततान, बांग््ललादेश और अफगानिस््ततान से प्रताड़़ित अल््पसंख््यकोों को z स््ककूली शिक्षा तक पहुचँ मेें सधु ार
12 के बजाय 6 साल के भीतर नागरिकता प्रदान करता है। z उर््ददू सीखने के लिए अधिक संसाधन
 पात्र अल््पसंख््यकोों मेें हिद ं ,ू ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी (हिदं ओ ु ं z मदरसा शिक्षा आधनि ु कीकरण
को छोड़कर) शामिल हैैं, जो वर््ष 2014 से पहले चले गए थे। z अल््पसख््यं क सम द
ु के मेधावी छात्ररों के लिए छात्रवृत्ति
ाय
z अल््पसख् ं ्यक कार््य मंत्रालयः z मौलाना आज़़ाद एजक ु े शन फाउंडेशन के माध््यम से शैक्षिक बनि
ु यादी ढांचे
 अधिसचू ित अल््पसख््य ं क समदु ायोों से सबं ंधित मद्दु दों को हल करने के लिए का उन््नयन
वर््ष 2006 मेें गठित किया गया। z गरीबोों के लिए स््वरोजगार एवं मजदरू ी रोजगार योजना
 अल््पसंख््यक समद ु ायोों के लिए नीतियाँ, योजनाएँ तैयार करता है और z तकनीकी शिक्षा के माध््यम से कौशल उन््नयन
विकास कार््यक्रमोों का समन््वय करता है। z आर््थथिक गतिविधियोों के लिए उन््नत ऋण सहायता
z विदेश मंत्रालयः z राज््य एवं के न्द्रीय सेवाओ ं मेें भर्ती
 हज समिति से संबंधित मामलोों का प्रबंधन करता है। z ग्रामीण आवास योजना मेें उचित हिस््ससेदारी
z मानव सस ं ाधन और विकास मंत्रालयः z अल््पसंख््यक समदु ायोों द्वारा बसाई गई मलिन बस््ततियोों की स््थथिति मेें सधु ार।
 मदरसोों मेें गण ु वत्तापर््णू शिक्षा के लिए योजनाओ ं को लागू करता है। z सांप्रदायिक घटनाओ ं की रोकथाम
 अल््पसंख््यक संस््थथानोों के लिए बनि ु यादी ढाँचे के विकास पर ध््ययान केें द्रित z सांप्रदायिक अपराधोों के लिए अभियोजन
करना। z सांप्रदायिक दगों ों के पीड़़ितोों का पनु र््ववास

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 79


इसके प्रमुख निष््कर्षषों का विवरण निम््न प्रकार है:
शैक्षिक सशक्तीकरण
z शै क्षिक अभावः
z स््ककॉलरशिप योजनाः प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, पोस््ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और  उच््च ड्रॉपआउट दरः 25% मस््ललि ु म बच््चचे (6-14 वर््ष) कभी भी स््ककूल
योग््यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति। नहीीं गए या स््ककूल छोड़ दिया, जो महत्तत्वपर््णू शैक्षिक अतं राल को उजागर
z एम.फ़़िल /पी.एच.डी. डिग्री के छात्ररों के लिए मौलाना आजाद नेशनल करता है।
फै लोशिप (MANF)।
 उच््च शिक्षा तक सीमित पहुच ँ ः प्रमख ु कॉलेजोों मेें के वल 4% स््ननातक
z पढ़़ो परदेशः अल््पसंख््यक समदु ाय के छात्ररों के लिए विदेशी अध््ययन के लिए
और 8% स््ननातकोत्तर मसु लमान थे, जो गणु वत्तापर््णू शिक्षा तक पहुचँ की
शैक्षिक ऋण पर ब््ययाज सब््ससिडी प्रदान करने वाली योजना।
कमी का संकेत देते हैैं।
z नया सवेराः मफ्ु ्त कोचिगं और सबं द्ध योजना।
z लैैं गिक असमानताः
z नई उड़़ानः सघं लोक सेवा आयोग (UPSC)/कर््मचारी चयन आयोग (SSC),
राज््य लोक सेवा आयोग (PSC) आदि द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर््ण  महिला कार््यबल की कम भागीदारीः 80% हिद ं ू महिलाओ ं की तल ु ना
करने के बाद मख््य
ु परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्ररों के लिए सहायता। मेें के वल 25% मस््ललि ु म महिलाओ ं को रोजगार दिया गया, जो महिला
सशक्तीकरण के सीमित अवसरोों को दर््शशाता है।
आर््थथिक सशक्तीकरण
z रोजगार की चुनौतियाँः
z कौशल विकास
 अनौपचारिक क्षेत्र का प्रभुत््ववः उच््च जाति के हिद ंओ
ु ं के 49% की
 सीखो और कमाओ (अध््यवसाय और अर््जन)

 उस््तताद (USTTAD) (विकास के लिए पारंपरिक कला/शिल््प मेें


तल ु ना मेें के वल 27% शहरी मस््ललि ु म श्रमिकोों के पास नियमित नौकरी थी,
कौशल और प्रशिक्षण का उन््नयन) जो कमजोर अनौपचारिक क्षेत्ररों मेें एकाग्रता का सझु ाव देती है।
 नई मंजिलः मदरसा छात्ररों और मख््य  स्ट्रीट वेेंडिग ं मेें अधिक प्रतिनिधित््ववः राष्ट्रीय औसत 8% की तल ु ना
ु धारा के समकक्षषों के बीच अकादमिक
और कौशल विकास अतं राल को संबोधित करने वाला मध््यवर्ती कोर््स। मेें 12% मस््ललिु म परुु ष श्रमिक स्ट्रीट वेेंडर थे, जो औपचारिक रोजगार के
z राष्ट्रीय अल््पसंख््यक विकास और वित्त निगम (NMDFC) के माध््यम से अवसरोों तक सीमित पहुचँ का संकेत देता है।
अवसरं चना विकास के लिए रियायती ऋण।  रक्षा बलोों मेें कम प्रतिनिधित््ववः रक्षा बलोों मेें मस ु लमानोों की हिस््ससेदारी
z प्रधानमत्री
ं जन विकास कार््यक्रम (PMJVK)। के वल 4% थी, जिससे प्रमख ु क्षेत्ररों मेें प्रतिनिधित््व के बारे मेें चितं ा बढ़ गई।
विशेष पहलेें z अनुशंसाएँः

z नई रोशनीः अल््पसंख््यक महिलाओ ं का नेतत्ृ ्व विकास।  रिपोर््ट मेें इन असमानताओ ं को दरू करने के लिए शिक्षा, रोजगार और

z हमारी धरोहरः भारत मेें अल््पसंख््यक समदु ायोों की विरासत का संरक्षण। स््ववास््थ््य सेवा मेें लक्षित हस््तक्षेपोों की अनश ु सं ा की गई है।
z जियो पारसीः भारत मेें पारसियोों की जनसंख््यया मेें गिरावट को रोकने के  इसने मस््ललि ु म बहुल जिलोों मेें निवेश बढ़़ाने, छात्रवृत्ति, कौशल विकास
लिए योजना। कार््यक्रमोों और सरकारी नौकरियोों मेें आरक्षण का आह्वान किया।
z वक््फ प्रबंधन रंगनाथ मिश्रा आयोग
 कौमी वक््फ बोर््ड तराकियाती योजनाः अभिलेखोों का कम््प्ययूटरीकरण
वर््ष 2004 मेें स््थथापित रंगनाथ मिश्रा आयोग का उद्देश््य भारत मेें धार््ममिक और
और राज््य वक््फ बोर्डडों का सदृु ढ़़ीकरण।
भाषाई अल््पसंख््यकोों की सामाजिक-आर््थथिक स््थथितियोों मेें सुधार करना था।
 शहरी वक््फ सप ं त्ति विकास योजनाः शहरी वक््फ संपत्ति विकास
आयोग ने 21 मई, 2007 को सरकार को रिपोर््ट सौौंपी। यहाँ शैक्षिक और
अनसु ंधान/अध््ययन, निगरानी और विकास योजनाओ ं के मल्ू ्ययाांकन के
लिए वक््फ को अनदु ान-संस््थथानोों को प्रचार समर््थन सहित। आर््थथिक अधिकारोों पर ध््ययान केें द्रित करने वाली प्रमख ु सिफारिशोों का विवरण
दिया गया हैः
z मौलाना आजाद शिक्षा फाउंडेशन (MAEF) को समग्र निधियन।
z अल््पसख् ं ्यक शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों को मजबूत बनानाः
z राष्ट्रीय अल््पसंख््यक विकास और वित्त निगम (NMDFC) को हिस््ससेदारी।
 आयोग को सशक्त बनानाः अल््पसख््य ं क शैक्षणिक सस्ं ्थथानोों के
z राष्ट्रीय अल््पसंख््यक विकास और वित्त निगम की राज््य स््तरीकृ त एजेेंसियोों
को अनदु ान-सहायता योजना। लिए आयोग की संरचना, शक्तियोों और कार्ययों का विस््ततार करना, इसे
अल््पसंख््यक शैक्षिक अधिकारोों को लागू करने के लिए एक मजबतू प्रहरी
अल्पसंख्यकोों की भलाई के लिए समितियााँ के रूप मेें बदलना।
सच्चर समिति z वित्तीय सहायता मेें वद््धििः ृ
सच््चर समिति, जिसे वर््ष 2005 मेें भारत मेें मसु लमानोों की सामाजिक-आर््थथिक  राष्ट्रीय समन््वय समितिः अल््पसख््य ं क समदु ायोों के लिए ऋण प्रवाह
और शैक्षिक स््थथिति का आकलन करने के लिए गठित किया गया था, ने सामान््य की निगरानी और सवि ु धा के लिए भारतीय रिजर््व बैैंक की देखरे ख मेें
आबादी की तुलना मेें भारी असमानताओ ं का खल ु ासा किया। समिति ने वर््ष राष्ट्रीयकृ त बैैंकोों और वित्तीय संस््थथानोों के प्रतिनिधियोों को शामिल करते
2006 मेें अपनी रिपोर््ट प्रस््ततुत की। हुए एक राष्ट्रीय स््तर की समन््वय समिति की स््थथापना करना।

80  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z शिक्षा और रोजगार मेें आरक्षणः z डिजिटल विभाजन को पाटनाः अल््पसंख््यक समदु ायोों मेें इटं रनेट और
 केें द्र सरकार की नौकरियाँः केें द्र सरकार की नौकरियोों मेें मस
ु लमानोों के डिजिटल उपकरणोों तक समान पहुचँ सनिश् ु चित करने के लिए बनि ु यादी ढाँचे
लिए 10% और अन््य अल््पसंख््यकोों के लिए 5% आरक्षण लागू करना, और प्रौद्योगिकी मेें निवेश करना। यह उन््हेें डिजिटल अर््थव््यवस््थथा मेें परू ी तरह से
व््ययापक प्रतिनिधित््व सनिश्
ु चित करना। भाग लेने और ऑनलाइन शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवा और अन््य आवश््यक सेवाओ ं
 सरकारी योजनाएँः मनरेगा जैसी लोकप्रिय योजनाओ ं मेें समान भागीदारी
तक पहुचँ ने की अनमु ति देता है।
के उद्देश््य से आरक्षण का विस््ततार, मसु लमानोों के लिए 10% और अन््य
अल््पसंख््यकोों के लिए 5% आवंटन। अंतरधार््ममिक संवाद और सद्भाव
z अतिरिक्त अनुशंसाएँः z अंतरधार््ममिक सवं ाद को बढ़़ावा देनाः यवु ा समहोू ों से लेकर धार््ममिक नेताओ ं
 नियमित निगरानीः अल््पसंख््यकोों की जरूरतोों को परू ा करने मेें उनकी तक विभिन््न स््तरोों पर अतं रधार््ममिक संवाद कार््यक्रमोों, कार््यशालाओ ं और
प्रभावशीलता का आकलन करने हेतु मौजदू ा योजनाओ ं और नीतियोों का आदान-प्रदान को समर््थन और प्रोत््ससाहित करना। यह विभिन््न समदु ायोों के
नियमित आकलन और मल्ू ्ययाांकन करना।
बीच समझ, सहानभु ति ू और सहयोग को बढ़़ावा देता है।
 बजटीय आवंटनः भारत मेें महत्तत्वपर््ण ू अल््पसंख््यक आबादी को देखते हुए
अल््पसंख््यक कल््ययाण कार््यक्रमोों के लिए समर््पपित बजटीय आवंटन मेें वृद्धि। z समुदाय-आधारित सघं र््ष समाधानः स््थथानीय स््तर पर सल ु भ और सांस््ककृतिक
रूप से संवेदनशील संघर््ष समाधान तंत्र स््थथापित करना, जिसमेें प्रशिक्षित
वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकाांक
मध््यस््थ और परामर््शदाता शामिल होों। यह विवादोों को शांतिपर््णू ढंग से हल
सेेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस (CPA) द्वारा प्रकाशित वैश्विक अल््पसंख््यक
करने और समदु ायोों के बीच विश्वास बनाने मेें मदद करता है।
रिपोर््ट धार््ममिक अल््पसंख््यकोों के साथ उनके व््यवहार के आधार पर देशोों को
रैैंक करती है। वर््ष 2022 मेें 110 देशोों के सूचकांक मेें भारत शीर््ष पर रहा। साांस्कृतिक संरक्षण और आर््थथिक सशक्तीकरण
प्रमुख निष्कर््ष z पारंपरिक ज्ञान सरक्ष
ं णः अल््पसंख््यक समदु ायोों की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियोों
z भारत की रैैंकिंगः भारत सबसे आगे है, उसके बाद दक्षिण कोरिया, जापान, और प्रथाओ ं के संरक्षण का दस््ततावेजीकरण और समर््थन करना। यह डिजिटल
पनामा और संयक्त ु राज््य अमेरिका हैैं। अभिलेखागार, शैक्षिक कार््यक्रमोों और सांस््ककृतिक उत््सवोों, सांस््ककृतिक पहचान
z मूल््ययाांकन पैरामीटरः रिपोर््ट संवैधानिक प्रावधानोों, सरकारी नीतियोों और
और गौरव को बढ़़ावा देने के माध््यम से किया जा सकता है।
काननू ी ढाँचे के आधार पर देशोों का आकलन करती है।
z भारत की अल््पसख् ं ्यक नीतिः भारत विविधता को बढ़़ावा देता है और z सामाजिक प्रभाव निवेशः अल््पसंख््यक स््ववामित््व वाले व््यवसायोों और
इसमेें गैर-काननू ी धार््ममिक संप्रदायोों का अभाव है। स््टटार््टअप मेें प्रभाव निवेश को प्रोत््ससाहित करना। यह पँजू ी तक पहुचँ प्रदान
z समावेशिताः धर्ममों और संप्रदायोों के प्रति भारत का गैर-भेदभावपर््णू करता है और इन समदु ायोों के भीतर आर््थथिक स््वतंत्रता और रोजगार सृजन
दृष्टिकोण एक संभावित मॉडल निर््धधारित करता है। को बढ़़ावा देता है।
z सयं ुक्त राष्टट्र मान््यताः भारत की अल््पसंख््यक नीति को संयक्त
ु राष्टट्र द्वारा
नीति और समर््थन
समावेशी और गैर-भेदभावपर््णू के रूप मेें मान््यता दी गई है।
z बजटीय आवंटन मेें वद््धििः
ृ अल््पसंख््यक कल््ययाण कार््यक्रमोों के लिए बजट
सहयोगात्मक समाधान
आवंटन मेें उल््ललेखनीय वृद्धि का समर््थन करना, जो अल््पसंख््यक समदु ायोों के
z सार््वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): अल््पसख््यको ं ों के लिए सतत वित्त
आकार और उनकी जरूरतोों को दर््शशाता है।
पोषण और नवीन शिक्षा पहल के लिए निजी क्षेत्र के संसाधनोों और विशेषज्ञता
का लाभ उठाने के लिए सार््वजनिक निजी भागीदारी (PPP) को सक्रिय रूप से z समान प्रतिनिधित््व सनिश् ु चित करनाः सरकारी निकायोों और विधानसभाओ ं
आगे बढ़़ाती है। अल््पसंख््यक शिक्षा और कौशल विकास पर लक्षित निगमित मेें अल््पसंख््यक प्रतिनिधित््व बढ़़ाने के उपायोों का समर््थन करना, यह सनिश्
ु चित
सामाजिक उत्तरदायित््व कार््यक्रमोों को प्रोत््ससाहित करना। करना कि उनकी आवाज सनु ी जाए और उनकी जरूरतोों को प्रभावी ढंग से
z समुदाय के नेतृत््व वाली पहलः स््थथानीय समदु ायोों को शिक्षा कार््यक्रमोों, संबोधित किया जाए।
सांस््ककृतिक संरक्षण परियोजनाओ ं और संघर््ष समाधान तंत्र के प्रबंधन और उसमेें
z अल््पसख्ं ्यक अधिकारोों की रक््षााः धर््म की स््वतंत्रता, सांस््ककृतिक अभिव््यक्ति
भाग लेने के लिए सशक्त बनाना। यह स््ववामित््व और जवाबदेही को बढ़़ावा देता
है, उनकी प्रभावशीलता को बढ़़ाता है। तथा शिक्षा और रोजगार तक पहुचँ सहित अल््पसंख््यकोों के संवैधानिक और
काननू ी अधिकारोों को बनाए रखना और उनकी रक्षा करना।
डिजिटल समावेशन
ये निरंतर आकलन और अनुकूलन की आवश््यकता वाले निरंतर प्रयास हैैं।
z लक्षित डिजिटल साक्षरता कार््यक्रमः अल््पसख््य ं क समदु ायोों की विशिष्ट
आवश््यकताओ ं और भाषाओ ं के अनरू विविध हितधारकोों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर, संवेदनशीलता और समावेश
ु प डिजिटल साक्षरता कार््यक्रमोों को
डिजाइन और कार््ययान््ववित करना। यह सामदु ायिक सगं ठनोों और गैर-सरकारी के साथ इन रणनीतियोों को लागू करके और दीर््घकालिक प्रणालीगत परिवर््तन की
संगठनोों के साथ साझेदारी के माध््यम से किया जा सकता है, जिससे सांस््ककृतिक दिशा मेें काम करके , हम भारत मेें सभी समदु ायोों के लिए एक अधिक न््ययायसंगत
रूप से उपयक्त
ु और सल ु भ शिक्षा सनिश्
ु चित हो सके । और समृद्ध भविष््य बना सकते हैैं।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 81


घरेलू कामगार/ प्रवासी मजदरू z अपर््ययाप्त आँकड़े
 4 मिलियन से 50 मिलियन घरेलू कामगारोों के व््ययापक रूप से अलग-
घरेलू काम और कामगार अर््थ अलग अनमु ान
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) घरेलू कामगार सम््ममेलन, 2011 के अनुच््छछेद  नियोजन और नीति निर््ममाण के प्रयासोों मेें बाधा
1 के अनुसारः z अनौपचारिक नियोक्ता एजेेंसियोों की भूमिका
z ‘घरेलू कार््य’ शब््द का अर््थ है घर मेें या उसके लिए किया गया कार््य;
 लाभ-केें द्रित एजेेंसियोों द्वारा शोषण की ओर ले जाने वाली जाँच की कमी
z ‘घरेलू कर््मचारी’ शब््द का अर््थ है रोजगार संबंध के भीतर घरेलू कार््य मेें लगा
 श्रमिकोों के अधिकारोों पर मन ु ाफे को प्राथमिकता देना
हुआ कोई भी व््यक्ति;
z घरेलू श्रम अधिकारोों की उपेक्षा
z जो व््यक्ति के वल कभी-कभी या छिटपट ु रूप से घरेलू कार््य करता है और
 कानन ू , घरेलू काम को वैध ‘काम’ के रूप मेें मान््यता देने मेें विफल रहा है।
व््ययावसायिक आधार पर नहीीं करता है, वह घरेलू कर््मचारी नहीीं है। घरेलू
 यह श्रमिकोों के अधिकारोों और सरु क्षा मेें बाधा डालता है।
कर््मचारी वे कर््मचारी होते हैैं जो किसी निजी घर या घरोों मेें या उनके लिए कार््य
करते हैैं। वे प्रत््यक्ष और अप्रत््यक्ष देखभाल सेवाएँ प्रदान करते हैैं और इस तरह z सीमित सघं ीकरण
देखभाल अर््थव््यवस््थथा (Care Economy) के प्रमख ु सदस््य हैैं।  घरेलू कामगारोों का सीमित संघीकरण होने की वजह से, शोषण के मामलोों

मेें वे मख ु रता से अपनी बात रखने मेें सक्षम नहीीं होते हैैं, फलस््वरूप, किसी
घरेलू कामगारोों के प्रकार
भी प्रकार के समर््थन को प्राप्त करने मेें वे विफल रहते हैैं।
z एक घरेलू कामगार पूर््णकालिक या अंशकालिक आधार पर कार््य कर
सूचना क्षेत्र के श्रमिकोों के प्रभाव और असुरक्षाएँ
सकता है।
 उन््हेें एक ही परिवार द्वारा या सेवा प्रदाता के माध््यम से या उनके द्वारा
z सामाजिक सरु क्षा की कमीः अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकोों को बहुत कम
नियोजित किया जा सकता है। लाभ प्राप्त होते हैैं, जिससे वे आर््थथिक और राजनीतिक अस््थथिरता के प्रति
संवेदनशील हो जाते हैैं।
 हो सकता है कि वे नियोक्ता (लिव-इन कर््मचारी) के घर मेें रह रहे होों या
z आर््थथिक असरु क््षााः आकस््ममिक श्रमिक, कई प्रवासी, कम वेतन, अकुशल
अपने ही घर मेें रह रहे होों।
नौकरियोों के कारण आर््थथिक अस््थथिरता के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैैं।
 प्रवासी घरे लू कामगारः एक घरेलू कामगार, जो उस देश मेें काम कर
z सरं चनात््मक नुकसानः सीमित साक्षरता और कौशल शोषण मेें योगदान करते
रहा हो, जिसका वह नागरिक नहीीं है।
हैैं, जो शहरी श्रम बाजारोों मेें भेदभाव से बदतर हो जाता है।
z महिलाओ ं द्वारा उच््च योगदानः विश्व भर मेें 75.6 मिलियन घरेलू कामगारोों
z सरकारी विफलताः शहरी अनौपचारिक श्रमिकोों को वेतन असमानता और
मेें से 76.2% महिलाएँ हैैं, जिसका अर््थ है कि घरेलू कामगारोों का एक-चौथाई लाभकारी रोजगार के अवसरोों की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे
परुु ष हैैं। अनिश्चित परिस््थथितियाँ बनी रहती हैैं।
अनुमानित संख्या भारत मेें घरेलू कामगार z घरेलू कामगारोों पर राष्ट्रीय नीति का मसौदाः केें द्र सरकार द्वारा विचाराधीन,
z 4.8 मिलियन घरेलू कामगार प्रमख ु विशेषताओ ं मेें शामिल हैैंः
z 2.9 मिलियन महिला घरेलू कामगार (ILO के अनसु ार)  विधान मेें समावेशः मौजद ू ा श्रम काननोू ों मेें घरेलू कामगारोों को शामिल
z घरेलू काम मेें महिलाओ ं के कुल रोजगार का प्रतिशत: 3.5% करने का प्रस््तताव।
 पंजीकरण का अधिकारः श्रमिकोों को पज ं ीकरण का अधिकार दिया
z कामकाजी श्रेणियोों मेें घरेलू कामगारोों की श्रेणीः तीसरी
गया, जिससे लाभोों तक पहुचँ आसान हो गई।
z शहरी क्षेत्ररों मेें काम करने वाले घरेलू कामगारोों का प्रतिशत: 66%
 सघो ं ों का गठनः सामहि ू क सौदेबाजी के लिए संघोों और संघोों के गठन के
z पिछले दशक मेें घरेलू कामगारोों की संख््यया मेें वृद््धििः 75%
लिए श्रमिकोों को सशक्त बनाना।
घरेलू कामगारोों के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियााँ  न््ययूनतम मजदूरी और सामाजिक सरु क््षााः न््ययूनतम मजदरू ी, सामाजिक

z काम करने की असतं ोषजनक स््थथिति सरु क्षा और दरुु पयोग से सरु क्षा सनिश्
ु चित करना।
 न््ययूनतम मजदरू ी और सामाजिक सरु क्षा कवरे ज से इनकार  न््ययाय तक पहुच ँ ः विवाद समाधान के लिए अदालतोों और न््ययायाधिकरणोों
 शोषण के प्रति सव ं ेदनशीलता, विशेष रूप से नियोक्ताओ ं के घरोों मेें रहने तक पहुचँ प्रदान करना।
वाले श्रमिकोों के लिए  नियोक्ता एजेें सियोों का विनियमनः शोषण को रोकने के लिए प््ललेसमेें ट

z कानूनी सरु क्षा अंतराल एजेेंसियोों के निरीक्षण और विनियमन के लिए तंत्र की स््थथापना।
 कानन ू ी सरु क्षा के लिए विशिष्ट अधिनियमोों की अनपु स््थथिति घरेलू कामगारोों की सहायता के लिए उपाय
 वर््ष 2010 और 2017 से अनम ु ोदन की प्रतीक्षा कर रहे प्रस््ततावित बिल z सवं ैधानिक सरु क््षााः
z कार््ययान््वयन चुनौतियाँ z अनुच््छछे द 23 (मौलिक अधिकार) मानव तस््करी, जबरन श्रम और बेगार
 न््ययूनतम मजदूरी अधिनियम जैसे काननो ू ों का अपर््ययाप्त प्रवर््तन को प्रतिबंधित करता है, शोषण के खिलाफ व््यक्तियोों के अधिकारोों की रक्षा
 सामाजिक सरु क्षा आदेशोों के अनप ु ालन का अभाव करता है।

82  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z अनुच््छछे द 39 (E): राज््य को व््यक्तियोों के स््ववास््थ््य और शक्ति के दरुु पयोग  समाज कल््ययाण योजनाओ ं मेें वद््धििः ृ अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकोों को
को रोकने के लिए प्रोत््ससाहित करता है, जिससे उम्र और शक्ति के आधार पर आर््थथिक व््यवधानोों से बचाने और गरीब कल््ययाण योजना के तहत वित्तीय
काम की उपयक्त ु ता सनिश्ु चित होती है। सहायता प्रदान करने के लिए मौजदू ा योजनाओ ं को सदृु ढ़ करना।
z विधायी समावेशनः  कृषि-मूल््य श्रंखलाओ ं का अन््ववेषण करना और अतिरिक्त अनाज
 असंगठित श्रमिक सामाजिक सरु क्षा अधिनियम, 2008 घरेलू कामगारोों भंडार का उपयोग करना: रोजगार के अवसरोों के लिए नई कृ षि मल्ू ्य
को सामाजिक सरु क्षा प्रदान करता है। श्रंखलाओ ं के निर््ममाण मेें लौटने वाले प्रवासियोों को शामिल करना और
 कार््यस््थल पर महिलाओ ं का यौन उत््पपीड़न अधिनियम, 2013 घरेलू कार््य
प्रवासी श्रमिकोों को लाभान््ववित करने के लिए सरकारी गोदामोों से अतिरिक्त
सेटिंग््स सहित कार््यस््थल उत््पपीड़न को सबं ोधित करता है। अनाज का स््टटॉक वितरित करना।
 बाल श्रम अधिनियम 14 वर््ष से कम उम्र के बच््चोों को घरेलू काम मेें
 स््कके ल-अप ‘एक राष्टट्र, एक राशन कार््ड’ योजनाः शहरी क्षेत्ररों मेें
शामिल होने से रोकता है।
सब््ससिडी वाले अनाज तक पहुचँ का विस््ततार करना, प्रवासी श्रमिकोों का
 किशोर न््ययाय अधिनियम, 2000: 18 वर््ष से कम आयु के श्रमिकोों को
समर््थन करना और खाद्य सरु क्षा सनिश्ु चित करना।
शोषणकारी परिस््थथितियोों से बचाता है।
 सशक्त सामाजिक और राजनीतिक प्रतिबद्धता तथा घरेलू कामगारोों
z सरकारी योजनाएँः
पर राष्ट्रीय नीतिः सशक्त प्रतिबद्धता के माध््यम से घरेलू कामगारोों के
 राष्ट्रीय स््ववास््थ््य बीमा योजना (RSBY) का विस््ततार घरेलू कामगारोों

को शामिल करने के लिए किया गया, जिससे स््ववास््थ््य समावेशन सनिश् शोषण और दर््व््यु वहार का समाधान करना और एक बाध््यकारी राष्ट्रीय
ु चित
हो सके । नीति ढाँचा स््थथापित करना।
 प्रधानमंत्री जन आरोग््य योजना व््ययापक स््ववास््थ््य लाभोों के लिए घरेलू  कार््य श्रेणियोों का मानकीकरण और बेहतर डेटा प्रबंधनः न््ययूनतम
कामगारोों को शामिल करती है। मजदरू ी को प्रभावी ढंग से निर््धधारित करने और घरेलू कामगारोों की
 डिजिटल पहलः ई-श्रम पोर््टल का लक्षष्य घरेलू कामगारोों सहित 38 करोड़ जनसांख््ययिकी को समझने के लिए प्रवासी कामगारोों पर विश्वसनीय डेटा
असंगठित कामगारोों को पंजीकृ त करना है। संग्रह सनिश्
ु चित करने के लिए विभिन््न घरेलू कामगार श्रेणियोों के लिए
 नियोक्ताओ ं के लिए स््ववैच््छछिक सक ं ल््पपः घरेलू कामगारोों के लिए प्रकार और कार््यभार को परिभाषित करना।
उचित कार््य प्रथाओ ं को बढ़़ावा देने के लिए प्रमख ु नियोक्ता सगं ठनोों द्वारा z वरिष्ठ नागरिक: आशा की किरण; सक्रिय बढ़ु ़ापा, जीवंत जीवन; अनभु व
न््ययायसंगत कार््य के लिए नियोक्ता प्रतिज्ञा शरू ु की गई और अपनाई गई। का मल्ू ्य; साझा करने लायक विचार; थ्राइव - एकजटु ता, स््ववास््थ््य,
वैश्विक सहयोग सेवानिवृत्ति, स््वतंत्रता, आवाज का अनभु व; अनग्रु ह - विकास, लचीलापन,
z भारतीय काननू मेें एकीकृ त पालेर्मो प्रोटोकॉल, व््यक्तियोों की तस््करी को वकालत, समदु ाय, सशक्तीकरण; एकाकीपन; लंबे समय तक देखभाल;
परिभाषित करता है और उसका मक ु ाबला करता है। सामाजिक सरु क्षा; मानसिक स््ववास््थ््य; बजु र्गु गों के साथ दर््व््य
ु वहार की
z अतं रराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और यरू ोपीय आयोग का सहयोग मानव रोकथाम; विकलांग व््यक्ति (दिव््ययाांग): विविधता मेें क्षमता; समावेशीकरण;
तस््करी से निपटने के लिए परिचालन संकेतक विकसित करता है। बाधाओ ं को समाप्त करना, आशाओ ं का निर््ममाण करना; सीमाओ ं से परे
z अंतरराष्ट्रीय श्रम सगं ठन (ILO) कन््वेेंशन-29 (1930) जबरन श्रम को शक्ति; सक्षम-पहुचँ , अपनापन, नेतत्ृ ्व, प्रेरणा - समावेशन, नेटवर््क , समर््थन,
परिभाषित करता है। शक्ति, स््वतंत्रता, सम््ममान, समानता, बाधारहित पहुचँ ; सहायक तकनीक;
z अंतरराष्ट्रीय श्रम सगं ठन (ILO) कन््वेेंशन-189 वैश्विक स््तर पर घरेलू समावेश; विकलांगता अधिकार; स््वतंत्र जीवन; विशेष शिक्षा,सिल््वर
कामगारोों के लिए उचित कार््य स््थथितियोों की वकालत करता है। इकॉनमी, स््ववास््थ््य वृद्धता पर अतं रराष्ट्रीय दशक।
आगे की राह z LGBT समदु ाय: विविधता मेें एकता का जश्न मनाना; हर रंग मेें गौरव; प्रेम,
z केें द्रीय श्रम और रोजगार मत्री
ं द्वारा प्रारम््भ, घरेलू कामगारोों (DW) पर अखिल प्रेम है; सभी के लिए समानता; समान: सशक्तीकरण, जीवन की गणु वत्ता,
भारतीय सर्वेक्षण , जिसका उद्देश््य व््ययापक डेटा एकत्र करना है। एकता, स््ववीकृ ति, प्रेम; गौरव: साझेदारी, सम््ममान, समावेश, विविधता,
z घरेलू कामगारोों की सहायता के लिए आगे की राह: समानता; लिंग पहचान, गौरव माह, गौरव परेड।

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग/दिव्यांग व्यक्ति, LGBTQIA+ समुदाय एव 83


6 स्वास्थ्य और पोषण

शिक्षा के साथ-साथ स््ववास््थ््य मानव पँजू ी और आर््थथिक विकास मेें एक मल ू भतू z अनुच््छछे द- 39 (E)- z अनुच््छछे द-243G-अनच्ु ्छछे द-243G
निवेश है। इसका महत्तत्व इस साधारण तथ््य मेें निहित है कि यह एक व््यक्ति और
समग्र रूप से राष्टट्र की उत््पपादकता को कई गुना बढ़़ा देता है। दसू री तरफ तस््ववीर राज््य को श्रमिकोों, परुु षोों, के तहत सार््वजनिक स््ववास््थ््य को
पेश करने के लिए; अच््छछे स््ववास््थ््य के बिना, बच््चचे स््ककू ल जाने मेें असमर््थ हैैं महिलाओ ं और बच््चोों के मजबतू करने के लिए पंचायतोों और
और वयस््क काम पर जाने मेें असमर््थ हैैं। इसलिए दनिया ु भर मेें स््ववास््थ््य और स््ववास््थ््य को सरु क्षित करने नगरपालिकाओ ं को अधिकार देता है।
शिक्षा पर बहुत जोर दिया जा रहा है। का निर्देश देता है। z मौलिक अधिकार- बंधआ ु मक्ु ति
स्वास्थ्य
z अनुच््छछे द- 42- राज््य को मोर््चचा बनाम भारत संघ और अन््य
z उचित गुणवत्ता युक्त समय पर मिलने वाली, स््ववीकार््य और किफायती
स््ववास््थ््य देखभाल प्राप्त करना प्रत््ययेक व््यक्ति का अधिकार है। काम और मातृत््व राहत वाद मेें उच््चतम न््ययायालय ने
z विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन के सविं धान (1946) मेें "प्रत््ययेक मनष्ु ्य के मौलिक की उचित और मानवीय अनच्ु ्छछे द- 21 के तहत स््ववास््थ््य के
अधिकार के रूप मेें स््ववास््थ््य के उच््चतम प्राप््य मानक" की परिकल््पना की स््थथितियाँ निर््ममित करने का अधिकार की व््ययाख््यया की।
गई है। निर्देश देता है। z उच््चतम न््ययायालय का निर््णय-
z सतत विकास लक्षष्य 3 (अच््छछा स््ववास््थ््य और कल््ययाण) का उद्देश््य "सभी
उम्र के लोगोों के लिए स््वस््थ जीवन सनिश् z अनुच््छछे द- 47 - राज््य पंजाब राज््य और अन््य बनाम
ु चित करना और कल््ययाण को बढ़़ावा
देना" है। लोगोों के पोषण स््तर और मोहिदं र सिंह चावला वाद मेें
संवैधानिक प्रावधान जीवन स््तर को बढ़़ाएगा उच््चतम न््ययायालय ने पनु ः पष्ु टि की
भारतीय संविधान भी स््वस््थ नागरिकोों के मल्ू ्य को समझता है और इसलिए तथा सार््वजनिक स््ववास््थ््य मेें कि स््ववास््थ््य का अधिकार जीवन के
इसमेें निम््नलिखित प्रावधान हैैं: सधु ार करे गा। अधिकार के लिए मौलिक है।

मुख्य तथ्य
विश्व मलेरिया रिपोर््ट , 2022
z भारत मेें मलेरिया की प्रगति: z नमूना पंजीकरण प्रणाली (2020) के निष््कर््ष:
 भारत मेें वर््ष 2000 से वर््ष 2020 के बीच मलेरिया से होने वाली रुग््णता  नवजात मृत््ययु दर, जो वर््ष 2019 मेें प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर 22
मेें 85.34% की कमी और मलेरिया से होने वाली मृत््ययु दर मेें 94% की थी, 2 अकं घटकर वर््ष 2020 मेें प्रति 1,000 जीवित जन््मोों पर 20 हो
कमी देखी गई है।
गई, यह 9.1% की वार््षषिक गिरावट का संकेत देता है।
 यह प्रगति मलेरिया के मामलोों मेें उल््ललेखनीय गिरावट का संकेत देती

है, जो सहस्राब््ददी विकास लक्षष्ययों (MDGs) के लक्षष्य 6 के अनरू ु प है।  शिशु मृत््ययु दर मेें 2 अको
ं ों की गिरावट देखी गई, जो वर््ष 2019 मेें 30
z क्षेत्रीय सदं र््भ: प्रति 1,000 जीवित जन््म से घटकर वर््ष 2020 मेें 28 प्रति 1,000
 WHO के अनस ु ार दक्षिण-पर््वू एशिया क्षेत्र मेें मलेरिया के 83% मामलोों जीवित जन््म हो गई।
मेें भारत का योगदान है।  5 वर््ष से कम उम्र की लड़कियोों की मृत््ययु दर लड़कोों से अधिक है।
z वैश्विक उपलब््धधियाँ: z भारत मेें रोग का बोझ:
 श्रीलंका ने वर््ष 2016 मेें मलेरिया-मक्त ु प्रमाणीकरण प्राप्त किया और
 2017 मेें, भारत मेें लगभग 9.7 मिलियन मौतेें और 486 मिलियन
अपनी स््थथिति बरकरार रखी।
DALYs (डिसएबिलिटी-अडजस््टटेड लाइफ इयर््स) दर््ज की गई थीीं।
 चीन और अल साल््ववाडोर को वर््ष 2021 मेें WHO द्वारा मलेरिया मक्त ु
प्रमाणित किया गया था।  राष्ट्रीय DALY के एक-तिहाई से अधिक को संचारी, मातृ,
 इस््ललामिक रिपब््ललिक ऑफ ईरान ने वर््ष 2020 मेें लगातार तीन वर्षषों तक प्रसवकालीन और पोषण संबंधी विकारोों के लिए जिम््ममेदार ठहराया
शन्ू ्य स््वदेशी मामले हासिल किए। गया (लैैंसेट रिपोर््ट)।
z मलेरिया के लिए विश्व स््ववास््थ््य सगं ठन (WHO) की वैश्विक तकनीकी रणनीति  वर््ष 1990 के बाद से परू े भारत मेें समग्र रोग भार मेें प्रमख ु गैर-संचारी
2016-2030: रोग समहोू ों का योगदान बढ़ गया है।
 विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) ने मलेरिया के उन््ममूलन के लिए 2016-  वर््ष 2016 मेें, भारत मेें रोगोों के भार के पाँच प्रमख
ु व््यक्तिगत कारणोों मेें
2030 की ग््ललोबल टेक््ननिकल स्ट्रैटेजी (GTS) को 2021 मेें अपडेट से तीन गैर-संचारी रोग थे।
किया जिसमेें वर््ष 2016 से वर््ष 2020 तक की वैश्विक मलेरिया प्रतिक्रिया  वर््ष 2016 मेें भारत के कुल रोग भार मेें घरे लू वायु प्रदषू ण का योगदान
से प्राप्त अतं र्दृष्टियोों को शामिल किया गया। 5% था, जबकि बाहरी वायु प्रदषू ण का योगदान 6% था।
z सीखे गए सबक मेें; रुकी हुई प्रगति को पहचान करना, कोविड-19 महामारी से
निपटना और ‘उच््च भार से उच््च प्रभाव’ वाले दृष्टिकोण को लागू करना शामिल है।

रिपोर््ट के मुख्य निष्कर््ष भारत मेें स्वास्थ्य संरचना


राष्ट्रीय परिवार नमूना z स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली को प्राथमिक, माध््यमिक और तृतीयक स््तरोों मेें
स््ववास््थ््य पंजीकरण व््यवस््थथित किया गया है।
सू च क
सर्वेक्षण-5 प्रणाली, z भारत मेें एक मिश्रित स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली है, जिसमेें सार््वजनिक और
(2019-20) 2020 निजी स््ववास््थ््य देखभाल सेवा प्रदाता शामिल हैैं।
कुल प्रजनन दर (TFR): प्रति 2.0 2.3 स्वास्थ्य क्षेत्र मेें चुनौतियााँ
महिला बच््चोों की संख््यया
स््ववास््थ््य मानव अस््ततित््व के सबसे महत्तत्वपूर््ण पहलुओ ं मेें से एक होने के बावजूद,
12-23 महीने की आयु के बच््चोों 76% - भारत मेें स््ववास््थ््य सेवाओ ं कई मद्ददों ु और चनु ौतियोों से ग्रस््त हैैं। उनमेें से कुछ हैैं:
मेें पूर््ण टीकाकरण z नीति और शासन चन ु ौतियाँ :
लिंग अनुपात (प्रति 1000 पुरुषोों 1,020 -  स््ववास््थ््य मेें मामूली निवेश - आर््थथिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनस ु ार,
पर महिलाएँ) स््ववास््थ््य सेवा पर भारत का खर््च वित्त वर््ष 2023 मेें सकल घरे लू उत््पपाद
नवजात मृत््ययु दर (NMR): जीवन 24.9 26 (GDP) का 2.1% और वित्त वर््ष 2022 मेें 2.2% तक पहुचँ गया, जबकि
के पहले 28 दिनोों के दौरान सभी वित्त वर््ष 2021 मेें यह 1.6% था। यह दनिया ु मेें सबसे कम है जबकि
जीवित जन््मोों के बीच मृत््ययु की विकसित देशोों मेें यह 10-18% के बीच है।
संख््यया, प्रति 1000 जीवित जन््मोों  स््ववास््थ््य क्षेत्र का खराब प्रशासन - अस््पतालोों मेें अधिक बिलिंग,
पर अभिव््यक्त अनावश््यक नैदानिक ​​परीक्षण और शल््य चिकित््ससा प्रक्रियाएँ आदि
शिशु मृत््ययु दर (IMR): पहले 35.2 39 जैसी गलत प्रणालियाँ प्रचलित हैैं। भारत मेें निजी और सार््वजनिक दोनोों
जन््मदिन से पहले शिशु की मृत््ययु चिकित््ससालयोों मेें जवाबदेही की कमी है।
(प्रति 1000 जन््म)  स््ववास््थ््य व््यय मेें अंतर-राज््य भिन््नता - के रल, दिल््लली जैसे विकसित

संस््थथागत प्रसव 89% - राज््य झारखडं , बिहार, उत्तर प्रदेश आदि जैसे गरीब राज््योों की तल ु ना मेें
अधिक खर््च करते हैैं।
राष्ट् रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमान, 2018-19 z ढाँचागत चुनौतियाँ:

 बुनियादी ढाँचे की कमी:नीति आयोग की 2021 की रिपोर््ट 'ब््लेेंडेड


सू च क जाँच - परिणाम
फाइनेेंस के माध््यम से भारत मेें स््ववास््थ््य सेवा की पनु र््क ल््पना' के अनसु ार,
सकल घरे लू उत््पपाद के % और प्रति 4% (2013-14) से घटकर 3.2%
भारत की 50% जनसंख््यया के पास 35% अस््पताल के बिस््तरोों तक ही
व््यक्ति व््यय के रूप मेें कुल स््ववास््थ््य (2018-19) हो गया
पहुचँ है, जो यह दर््शशाता है कि स््ववास््थ््य सेवा के बनियाु दी ढांचे को मजबतू
व््यय (THE)
करने की अत््ययंत आवश््यकता है।
वर््तमान स््ववास््थ््य व््यय (CHE), 93% (2013-14) से घटकर
 असमान सार््वजनिक स््ववास््थ््य प्रणालियाँ: स््ववास््थ््य और परिवार
कुल स््ववास््थ््य व््यय (THE) के 90.6% (2018-19) हो गया
कल््ययाण मत्रा ं लय (MoHFW) 2021 की ग्रामीण स््ववास््थ््य सांख््ययिकी के
प्रतिशत के रूप मेें
अनसु ार, शहरी क्षेत्ररों मेें कुल 5439 प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्र (PHC) और
कुल स््ववास््थ््य व््यय के % के रूप मेें 60% (2013-14) से घटकर आदिवासी क्षेत्ररों मेें 3966 प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्र (PHC) हैैं।
आउट ऑफ पॉके ट व््यय (OOPE) 48.2% (2018-19) हो गया z सस ं ाधनोों की कमी:
कुल स््ववास््थ््य व््यय के % के रूप मेें 6% (2013-14) से बढ़कर 9.6%  प्रशिक्षित स््ववास््थ््य पे शेवरोों की अपर््ययाप्त सख् ं ्यया: वर््ष 2021 WHO
स््ववास््थ््य पर सामाजिक सरु क्षा व््यय (2018-19) हो गया की रिपोर््ट मेें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भारत स््ववास््थ््य कर््ममियोों के
(SSE)। अनश ु सिं त अनपु ात मेें वर््ष 2006 के मानक से थोड़़ा ऊपर है।

स्वास्थ्य औ 85
 वर््ष 2020 से मातृत््व मृत््ययु दर (MMR) को मौजदू ा स््तर से घटाकर 100
संक्रामक रोग अपर््ययाप्त चिकित््ससा अवसंरचना
तक लाना, नवजात मृत््ययु दर को 16 तक कम करना और वर््ष 2025 तक
कुपोषण स््ववास््थ््य देखभाल जनशक्ति की खामियाँ स््थथिर जन््म दर को "एकल अक ं " तक लाना।
प्रणाली की खामियाँ  HIV/एड्स के लिए 90:90:90 का लक्षष्य प्राप्त करना, यानी - 90% HIV
निजी क्षेत्र की
सीमित भूमिका खराब स््वच््छता संक्रमित लोग अपनी HIV स््थथिति जानते हैैं, 90% HIV रोगियोों को
निरंतर एटं ीरेट्रोवायरल थेरेपी प्राप्त होती है और ART प्राप्त करने
z आशा कार््यकर््तताओ ं से सबं ंधित मुद्दे
वाले 90% लोगोों मेें रोगात््मक विषाणु का दमन करना।
 नैदानिक उपकरणोों की उपलब््धता का अभाव।
‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ सुनिश्चित करने की योजना
 कम संसाधन वाले ग्रामीण क्षेत्ररों मेें काम करने के लिए योग््य चिकित््सकोों
z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन - यह न््ययायसगं त, सस््तती और गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य
की बढ़ती अनिच््छछा। देखभाल सेवाओ ं तक सार््वभौमिक पहुचँ की परिकल््पना करता है, जो लोगोों की
z सेवा वितरण चुनौतियाँ जरूरतोों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी होों। इसके मख्ु ्य घटक - सार््वभौमिक
 निम््न गुणवत्ता देखभाल: गलत निदान, स््ववास््थ््य कार््यकर््तताओ ं का कवरे ज, गणु वत्ता मानकोों को प्राप्त करना, देखभाल की निरंतरता और विकेें द्रीकृ त
अपर््ययाप्त प्रशिक्षण, और गलत दवाएँ; प्रचलित निम््न गणु वत्ता देखभाल योजना है।
मेें योगदान करती हैैं। z भारत नवजात शिशु कार््य योजना - देश मेें रोके जा सकने वाली नवजात
 पहुच ँ मेें बाधाएँ: सामाजिक और वित्तीय असमानताएँ, विशेष रूप से मृत््ययु दर और मृत जन््मोों को कम करने मेें तेजी लाने के लिए है, जिसका लक्षष्य
वर््ष 2030 तक 'एकल अक ं नवजात मृत््ययु दर (NMR)' तथा 'वर््ष 2030 तक
विकलांगोों, मानसिक रूप से विकलांग और बजु र््गु आबादी के लिए स््ववास््थ््य
एकल अक ं स््थथिर जन््म दर (SBR)' प्राप्त करना है।
सेवाओ ं तक पहुचँ मेें बाधाएँ हैैं।
z प्रधानमंत्री स््ववास््थ््य सरु क्षा योजना (PMSSY) -इस योजना का उद्देश््य देश
z निजी अस््पतालोों का प्रभुत््व: निजी क्षेत्र का नियंत्रण: वित्तीय वर््ष 2020 मेें, के विभिन््न भागोों मेें सस््तती स््ववास््थ््य सविु धाओ ं की उपलब््धता मेें असंतल ु न को
अस््पताल बाजार हिस््ससेदारी का 70% और अस््पताल बिस््तरोों के 63% पर दरू करना है और विशेष रूप से कम सेवा वाले राज््योों मेें गणु वत्तापर््णू चिकित््ससा
निजी क्षेत्र के प्रदाताओ ं का नियंत्रण था। शिक्षा की सवि ु धाओ ं को बढ़़ाना है।
z आउट-ऑफ-पॉके ट व््यय (OOPE): OOPE मेें कमी: 2018-19 के लिए z प्रधानमंत्री स््ववास््थ््य सरु क्षा निधि (PMSSN)
राष्ट्रीय स््ववास््थ््य लेखा अनमु ान मेें आउट-ऑफ-पॉके ट खर््च (OOPE) 2013-  एक गैर-समाप््य (नॉन-लैप््ससेबल) आरक्षित कोष है जो सार््वजनिक लेखा

14 के 60% से घटकर 48.2% हो गया। मेें स््ववास््थ््य के लिए निर््धधारित है


 स््ववास््थ््य और शिक्षा उपकर मेें स््ववास््थ््य के हिस््ससे की आय को PMSSN
स्वास्थ्य तक पहुच
ँ मेें सुधार हेतु सरकारी हस्तक्षेप
मेें जमा किया जाएगा।
राष्ट् रीय स्वास्थ्य नीति, 2017:  PMSSN मेें जमा राशि का उपयोग स््ववास््थ््य और परिवार कल््ययाण मत्रा ं लय
राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति, 2017 का प्राथमिक उद्देश््य स््ववास््थ््य प्रणालियोों के सभी की प्रमख ु योजनाओ ं के लिए किया जाएगा -
आयामोों को आकार देने मेें सरकार की भमि ू का को सूचित करना, स््पष्ट करना, z आयुष््ममान भारत - प्रधानमत्री ं जन आरोग््य योजना (AB-PMJAY)
सशक्त करना और प्राथमिकता देना है - इसमेें स््ववास््थ््य मेें निवेश, स््ववास््थ््य z आयुष््ममान भारत - स््ववास््थ््य और कल््ययाण केें द्र (AB-HWCs)
सेवाओ ं का संगठन, बीमारियोों की रोकथाम और विभिन््न क्षेत्ररों के सम््ममिलित z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन - प्रधानमत्री ं स््ववास््थ््य सरु क्षा योजना (PMSSY)
कार्ययों के माध््यम से बेहतर स््ववास््थ््य को बढ़़ावा देना, प्रौद्योगिकी तक पहुचँ z स््ववास््थ््य आपात स््थथिति के दौरान आपातकालीन और आपदा तैयारी एवं
सुनिश्चित करना, मानव संसाधन का विकास, चिकित््ससा बहुलवाद को प्रोत््ससाहन, प्रतिक्रियाएँ
ज्ञान का आधार बनाना, बेहतर वित्तीय सुरक्षा रणनीतियाँ विकसित करना, तथा z कोई भी भविष््य का कार््यक्रम/योजना जिसका लक्षष्य सतत विकास लक्षष्ययों
विनियमन एवं स््ववास््थ््य बीमा को मजबूत करना शामिल है। (SDGs) और राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति (NHP) 2017 मेें निर््धधारित लक्षष्ययों की
z लक्षष्य - सभी आयु के सभी लोगोों के लिए सर्वोच््च स््तर का स््ववास््थ््य और
दिशा मेें प्रगति हासिल करना है।
कल््ययाण प्राप्त करना, सभी विकासात््मक नीतियोों मेें निवारक तथा प्रवर््तक z प्रधानमंत्री स््ववास््थ््य सरु क्षा निधि (PMSSN) का प्रशासन और रखरखाव
स््ववास््थ््य तथा परिवार कल््ययाण मत्रा ं लय (एMoHFW) को सौौंपा गया है।
स््ववास््थ््य देखभाल के उन््ममुखीकरण के माध््यम से, और अच््छछी गणु वत्ता वाली
z प्रधानमंत्री स््ववास््थ््य सरु क्षा निधि (PMSSN) का महत्तत्व:
स््ववास््थ््य देखभाल सेवाओ ं तक सार््वभौमिक पहुचँ सनिश् ु चित करना।
 बेहतर विकासात््मक परिणाम: आर््थथिक दृष्टिकोण से, बेहतर स््ववास््थ््य
z प्रमुख लक्षष्य
उत््पपादकता को बढ़़ाता है, और समय से पहले मृत््य,यु लंबे समय तक
 सकल घरे लू उत््पपाद के प्रतिशत के रूप मेें सरकार द्वारा स््ववास््थ््य विकलांगता तथा शीघ्र सेवानिवत्ति ृ के कारण होने वाले नक ु सान को कम
व््यय को मौजूदा 1.15% से बढ़़ाकर वर््ष 2025 तक 2.5% करना। करता है।
 जन््म के समय जीवन प्रत््ययाशा को 67.5 से बढ़़ाकर वर््ष 2025 तक 70  अवसरोों मेें वद्ृ धि : जनसंख््यया की जीवन प्रत््ययाशा मेें एक अतिरिक्त वर््ष की

वर््ष करना और कुल प्रजनन दर (TFR) को घटाकर 2.1 तक लाना। साथ वृद्धि से प्रति व््यक्ति जीडीपी मेें 4% की वृद्धि होती है, स््ववास््थ््य मेें निवेश
ही, पाँच वर््ष से कम उम्र के बच््चोों की मृत््ययु दर को वर््ष 2025 तक कम से स््ववास््थ््य कार््यबल के अत््यधिक आवश््यक विस््ततार के माध््यम से, मख्ु ्य
करके 23 तक लाना। रूप से महिलाओ ं के लिए लाखोों नौकरियाँ सृजन होता हैैं।

86  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z आयुष््ममान भारत - इसके दो घटक हैैं जो एक दसू रे के परू क हैैं।  आधारभूत सरं चना सदृु ढ़़ीकरण: स््ववास््थ््य बनिया ु दी ढाँचे और सेवाओ ं
 स््ववास््थ््य और कल््ययाण केें द्र (HWC) - 1,50,000 स््ववास््थ््य और मेें अतं र को पाटने के लिए सरकारी खर््च मेें वृद्धि।
कल््ययाण केें द्र स््थथापित किए जाएगं े जो व््ययापक प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल  सार््वजनिक-निजी भागीदारी: सार््वजनिक स््ववास््थ््य लक्षष्ययों को परू ा करने
प्रदान करेेंगे, जो उपयोगकर््तताओ ं के लिए सार््वभौमिक और मफ्ु ्त होगी। के लिए सार््वजनिक और निजी क्षेत्ररों के बीच सहयोग को मजबतू करना।
 प्रधानमंत्री जन आरोग््य योजना - यह योजना 10 करोड़ गरीब और  डिजिटल एकीकरण: कोविड-19 महामारी जैसी भविष््य की अन््य
कमजोर परिवारोों को प्रति वर््ष 5 लाख रुपये का स््ववास््थ््य बीमा कवर चनु ौतियोों की तैयारी हेतु एकीकृ त डिजिटल प्रौद्योगिकियोों का उपयोग करना।
प्रदान करती है, जो द्वितीयक और तृतीयक देखभाल की आवश््यकता  अनुसध ं ान: सक्रा
ं मक रोगोों के भविष््य के प्रकोप के लिए निवारक उपायोों
होने पर उपलब््ध होगा। की दिशा मेें प्रत््यक्ष अनसु ंधान।
z बुजुर्गगों हेतु स््ववास््थ््य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम - वृद्ध आबादी  शासन मेें सध ु ार: विनियामक उपायोों के माध््यम से अत््यधिक-बिलिंग
को सल ु भ, सस््तती और उच््च गणु वत्ता वाली दीर््घकालिक, व््ययापक तथा समर््पपित जैसी अवांछनीय प्रथाओ ं पर अक ं ु श लगाने के लिए स््ववास््थ््य सबं ंधी शासन
देखभाल सेवाएँ प्रदान करना। को बढ़़ाना।
z ई-सज ं ीवनी (टे लीमेडिसिन सेवा प््ललेटफॉर््म) - इसके दो स््वरूप हैैं - डॉक््टर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का महत्त्व
से डॉक््टर (ई-सज ं ीवनी AB-HWC) टे लीमेडिसिन प््ललेटफॉर््म और मरीज z प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल का महत्तत्व:
से डॉक््टर टे लीमेडिसिन प््ललेटफॉर््म (ई-सज ं ीवनी OPD) जो नागरिकोों को  कल््ययाणकारी राज््य के लिए मौलिक: प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल एक
उनके घरोों की सीमा मेें बाह्य रोगी सेवाएँ प्रदान करता है। कल््ययाणकारी राज््य के लिए आवश््यक है और सतत विकास को बढ़़ावा
z अटल बीमित व््यक्ति कल््ययाण योजना - यह बीमित व््यक्तियोों को बेरोजगार देने मेें महत्तत्वपर््णू भमि
ू का निभाती है।
होने पर नकद मआ ु वजा प्रदान करती है।  नै तिक अनिवार््य ता: यह सभी नागरिकोों के लिए आवश््यक स््ववास््थ््य

आगे की राह
सेवाओ ं तक पहुचँ सनिश् ु चित करता है, जो एक स््वस््थ और उत््पपादक समाज
के लिए आधारशिला के रूप मेें कार््य करता है।
पर््वू कालिक प्रयासोों के बावजदू , भारत मेें स््ववास््थ््य क्षेत्र कई चनु ौतियोों का सामना
z मानव अधिकार के रूप मेें स््ववास््थ््य:
कर रहा है, जिससे राष्ट्रीय विकास को बढ़़ावा देने के लिए तत््ककाल समाधान की
 के रल का मॉडल: के रल की प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली
आवश््यकता है। राष्ट्रीय विकास मेें स््ववास््थ््य सेवाओ ं की महत्तत्वपूर््ण भमि ू का को
‘स््ववास््थ््य को एक मानव अधिकार’ के रूप मेें सचालि ं त करती है, केें द्ररों
पहचानते हुए, इन चनु ौतियोों से पार पाना आवश््यक है।
और सामदु ायिक स््ववास््थ््य कार््यकर््तताओ ं के एक मजबतू नेटवर््क के माध््यम
z प्रस््ततावित रणनीतियाँ:
से बनिया
ु दी स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करती है।
 सार््वजनिक क्षेत्र संबंधी स््ववास््थ््य सेवाओ ं का सदृढ़ ु ीकरण z स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक न््ययायसगं त पहुचँ :
z महँगी और अक््सर दर््ग ु म निजी स््ववास््थ््य सेवाओ ं पर निर््भरता कम करने के लिए  तमिलनाडु की पहल: तमिलनाडु प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों और उप-केें द्ररों
सार््वजनिक स््ववास््थ््य देखभाल प्रणाली का विस््ततार तथा सदृु ढ़़ीकरण करना। के साथ स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक समान पहुचँ सनिश् ु चित करता है, जिसमेें
z स््वच््छ जल और स््वच््छता को प्राथमिकता देते हुए सरकारी स््ववास््थ््य व््यय को मफ्ु ्त आवश््यक स््ववास््थ््य सेवाओ ं के लिए "अम््ममा क््ललीनिक" जैसी पहल
सकल घरे लू उत््पपाद के 2.5% तक बढ़़ाना। शामिल है।
 कुशल सस ं ाधन उपयोग: इष्टतम संसाधन उपयोग और बेहतर स््ववास््थ््य z निवारक देखभाल और लागत-प्रभावशीलता:
परिणामोों के लिए वित्तीय तथा प्रबंधकीय प्रणालियोों को नया स््वरूप प्रदान  दिल््लली का दृष्टिकोण: दिल््लली के ‘मोहल््लला क््ललीनिक’ निवारक

करना। देखभाल और लागत-प्रभावशीलता पर जोर देते हैैं, बीमारी को बढ़ने से


 समन््ववित सेवा वितरण: जवाबदेही और नवाचार पर जोर देते हुए, क्षेत्ररों रोकने तथा तृतीयक देखभाल के भार को कम करने के लिए मफ्ु ्त सेवाएँ
के भीतर तथा सभी क्षेत्ररों मेें समन््ववित सेवा वितरण लागू करना। प्रदान करते हैैं।
 सार््वजनिक-निजी सहयोग: स््ववास््थ््य उद्देश््योों को प्राप्त करने के लिए निजी
z बेहतर स््ववास््थ््य परिणाम: प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल तक पहुचँ से बेहतर
और सार््वजनिक स््ववास््थ््य सेवा प्रदाताओ ं के बीच सहयोग को बढ़़ावा देना। स््ववास््थ््य परिणाम प्राप्त होते हैैं, जिनमेें शिशु मृत््ययु दर मेें कमी, जीवन प्रत््ययाशा
मेें वृद्धि और रोगोों का न््यनयू तम प्रसार शामिल हैैं ।
 मानव सस ं ाधन विकास: सार््वजनिक क्षेत्र के संस््थथानोों पर ध््ययान केें द्रित
z आर््थथिक उत््पपादकता: प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल एक स््वस््थ और उत््पपादक
करते हुए कुशल पेशवरो े ों की कमी को दरू करने के लिए चिकित््ससा और
कार््यबल सनिश् ु चित करती है, जो सतत आर््थथिक विकास के लिए महत्तत्वपर््णू है।
नर््सििंग शिक्षा का विस््ततार करना।
z सामाजिक सामंजस््य और स््थथिरता: सभी नागरिकोों की स््ववास््थ््य जरूरतोों का
 औषधि सध ु ार: पर्चे की दवाओ ं की नीतियोों मेें सधु ार, आवश््यक समाधान करके , विशेष रूप से असमर््थ जनजातियोों को शामिल करके , प्राथमिक
जेनेरिक दवाओ ं को बढ़़ावा देना और सार््वजनिक सवि ु धाओ ं मेें दवाओ ं स््ववास््थ््य देखभाल सामाजिक सामजं स््य और स््थथिरता को बढ़़ावा देती है।
की सार््वभौमिक उपलब््धता सनिश् ु चित करना। z समग्र प्रभाव: प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल, समान पहुचँ , निवारक देखभाल,
 नियामक उपाय: जोखिमोों और अनैतिक प्रथाओ ं से बचाने के लिए बेहतर परिणाम, आर््थथिक उत््पपादकता और सामाजिक एकजटु ता के माध््यम से,
चिकित््ससा पद्धति, सार््वजनिक स््ववास््थ््य तथा खाद्य एवं औषधि सरु क्षा मेें सतत विकास मेें सक्षम स््वस््थ, समावेशी तथा समृद्ध समाज के लिए आधार
प्रभावी नियम लागू करना। तैयार करती है।

स्वास्थ्य औ 87
स्वास्थ्य से संबंधित हालिया मुद्दे मजबतू हो जाता है, तो उनके बनिया ु दी ढाँचे का लाभ मिसिगं मिडिल मेें
स््ववैच््छछिक योगदान की अनमु ति देने के लिए किया जा सकता है।
नीति आयोग रिपोर््ट : ‘हेल्थ इंश्योरेें स फॉर इंडियाज मिसिंग मिडल’
नीति आयोग ने ‘हेल््थ इश्ं ्ययोरेें स फॉर इडं ियाज मिसिंग मिडल’ शीर््षक से आगे की राह
एक व््ययापक रिपोर््ट जारी की है , जो भारतीय आबादी मेें स््ववास््थ््य बीमा कवरे ज z एकीकृत दृष्टिकोण: अलग-अलग समय पर चरणबद्ध तीन मॉडलोों का
मेें अंतराल को सामने लाती है और इस स््थथिति का समाधान प्रस््ततुत करती है। संयोजन, मिसिंग मिडिल आबादी के लिए कवरे ज सनिश् ु चित कर सकता है।
मिसिंग मिडिल z आउटरीच रणनीति: कृ षि परिवारोों के लिए राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम
z "मिसिगं मिडिल" अवधारणा उन लोगोों के एक समहू को उजागर करती है (NFSA), प्रधानमत्री
ं सरु क्षा बीमा योजना, प्रधानमत्री ं किसान सम््ममान निधि
जिन््हेें गरीब नहीीं माना जाता है, लेकिन फिर भी वह महत्तत्वपर््णू स््ववास््थ््य खर्चचों (PM-KISAN) जैसे सरकारी डेटाबेस को इन परिवारोों से सहमति लेने के
के प्रति सवं ेदनशील हैैं। बाद निजी बीमाकर््तताओ ं के साथ साझा किया जा सकता है। इससे आबादी के
जरूरतमदं वर््ग तक बीमा उत््पपादोों की पहुचँ बढ़़ेगी।
z इस समहू मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें स््वरोजगार वाले व््यक्ति और शहरी क्षेत्ररों मेें विभिन््न
प्रकार के अनौपचारिक, अर््ध-औपचारिक तथा औपचारिक श्रमिक शामिल हैैं। स्वास्थ्य का अधिकार
z गरीबोों को सरकारी सब््ससिडी वाला स््ववास््थ््य बीमा और संपन््न लोगोों को z राजस््थथान सरकार ने स््ववास््थ््य का अधिकार विधेयक पारित किया, जो राज््य
सामाजिक या निजी बीमा के माध््यम से कवरे ज प्राप्त होता है है, लेकिन के प्रत््ययेक निवासियोों को सभी सार््वजनिक स््ववास््थ््य सवि
ु धाओ ं पर निशल्ु ्क
मिसिंग मिडिल वर््ग के पास स््ववास््थ््य के लिए पर््ययाप्त वित्तीय सरु क्षा का अभाव है। सेवाओ ं का लाभ उठाने का अधिकार देता है।
z रिपोर््ट के अनसु ार लगभग 30% आबादी, लगभग 40 करोड़ व््यक्ति, इस स्वास्थ्य का अधिकार क्या है ?
श्रेणी मेें आते हैैं। z स््ववास््थ््य का अधिकार स््ववास््थ््य के उस न््यनयू तम मानक को संदर््भभित करता है
रिपोर््ट संबंधी अन्य निष्कर््ष जिसे प्राप्त करने का प्रत््ययेक मनष्ु ्य हकदार है। इसकी उत््पत्ति वर््ष 1946 मेें हुई
z स््ववास््थ््य पर कम सार््वजनिक व््यय ने सार््वजनिक क्षेत्र मेें स््ववास््थ््य सेवाओ ं की जब स््ववास््थ््य को मानव अधिकार के रूप मेें बढ़़ावा देने के लिए विश्व स््ववास््थ््य
क्षमता और गणु वत्ता को बाधित किया है। संगठन (WHO) की स््थथापना की गई थी।
 यह अधिकांश व््यक्तियोों (लगभग दो-तिहाई) को महँगे निजी क्षेत्र मेें इलाज
z स््ववास््थ््य का अधिकार मानव गरिमा का एक मल ू भतू पहलू है, और यह सरकारोों
कराने के लिए प्रेरित करता है। हालाँकि, कम वित्तीय सरु क्षा के कारण जेब का कर््तव््य है कि वह सभी व््यक्तियोों के लिए इस अधिकार की रक्षा करेें तथा
से अधिक व््यय (OOPE) होता है। उन््हेें आगे बढ़़ाएँ, चाहे उनका लिंग, नस््ल, जातीयता, धर््म या सामाजिक-
z कम बीमा अंतर्वेशन: स््ववास््थ््य बीमा की पहुचँ बढ़़ाने के लिए महत्तत्वपर््णू आर््थथिक स््थथिति कुछ भी हो।
चनु ौतियोों को दरू करने की आवश््यकता होगी। उपभोक्ता जागरूकता और z उल््ललेखनीय आंकड़े: भारत मेें प्रति 1,000 लोगोों पर के वल 1.4 बिस््तर, प्रति
विश्वास बढ़़ाने, मानकीकृ त उत््पपाद तथा उपभोक्ता सरं क्षण के लिए विनियमन 1,445 लोगोों पर 1 डॉक््टर और प्रति 1,000 लोगोों पर 1.7 नर्ससें हैैं।
को संशोधित करने एवं संभावित रूप से परिचालन दक्षता मेें सधु ार के लिए  75% से अधिक स््ववास््थ््य देखभाल बनिया ु दी ढाँचा मेट्रो शहरोों मेें केें द्रित
एक मचं प्रदान करने मेें सरकार की महत्तत्वपर््णू भमि
ू का है। है, जिससे बाकी आबादी बनिया ु दी चिकित््ससा सवि ु धाओ ं से वंचित है।
सिफारिशेें ‘स्वास्थ्य के अधिकार ’ के लिए संवैधानिक सुरक्षा
रिपोर््ट मेें देश मेें स््ववास््थ््य बीमा कवरे ज बढ़़ाने के लिए तीन मॉडल की सिफारिश z मौलिक अधिकार: भारत के संविधान का अनच्ु ्छछे द- 21 जीवन और
की गई है: व््यक्तिगत स््वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। स््ववास््थ््य का
z एक बड़़े और विविध जोखिम पूल का निर््ममाण: एक निजी स््ववैच््छछिक अधिकार गरिमापर््णू जीवन मेें अतं र््ननिहित है।
अश ं दायी स््ववास््थ््य बीमा उत््पपाद की सफलता के लिए एक बड़़े और विविध z राज््य के नीति निदेशक तत्तत्व: अनच्ु ्छछे द- 38, 39, 42, 43, और 47
जोखिम पल ू के निर््ममाण की आवश््यकता होती है। ऐसा करने के लिए सरकार स््ववास््थ््य के अधिकार की प्रभावी प्राप्ति सनिश्
ु चित करने के लिए राज््य पर
को सचू ना, शिक्षा, संचार अभियानोों के माध््यम से स््ववास््थ््य बीमा के बारे मेें दायित््व डालते हैैं।
उपभोक्ताओ ं मेें जागरूकता उत््पन््न करनी चाहिए। z परमानंद कटारा बनाम भारत सघं (1989) वाद : उच््चतम न््ययायालय
z एक सश ं ोधित, मानकीकृत स््ववास््थ््य बीमा उत््पपाद विकसित करना: ने निर््णय दिया था कि सरकारी अस््पताल या अन््य किसी भी अस््पताल मेें
मिसिगं मिडिल की सामर््थ््य के अनरू ु प, स््ववास््थ््य बीमा की लागत मेें कमी कार््यरत प्रत््ययेक डॉक््टर का यह पेशवे र दायित््व है कि वह अपनी विशेषज्ञता
लाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए- ‘आरोग््य सज ं ीवनी’ को किफायती के साथ जीवन रक्षा के लिए अपनी सेवाएँ दे।
बनाया जा सकता है।
स्वास्थ्य के अधिकार से संबंधित चुनौतियााँ
z सरकारी सब््ससिडी युक्त स््ववास््थ््य बीमा: इस मॉडल का उपयोग मिसिग ं
मिडिल के उन हिस््सोों के लिए किया जा सकता है जो स््ववैच््छछिक अश z कम स््ववास््थ््य देखभाल खर््च: वित्तीय वर््ष 2023 मेें, भारत सरकार ने स््ववास््थ््य
ं दायी
मॉडल के लिए भगु तान करने की सीमित क्षमता के कारण कवर नहीीं किए गए सेवा के लिए सकल घरे लू उत््पपाद का के वल 2.1% आवंटित किया, जो निम््न
और मध््यम आय वाले देशोों (LMIC) के लिए सकल घरे लू उत््पपाद के औसत
हैैं। मध््यम अवधि मेें, एक बार जब PMJAY का आपर््तति ू -पक्ष और उपयोग
व््यय हिस््ससे जो 5.6% है, से काफी कम है।

88  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


कम स््ववास््थ््य देखभाल खर््च उद्देश्य

अपर््ययाप्त z अगले तीन वर्षषों के भीतर आत््महत््यया के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स््थथापित
स््ववास््थ््य के अधिकार संक्रामक
स््ववास््थ््य करना।
से संबंधित चुनौतियाँ रोगोों का भार
अवसंरचना z ‘मनोरोग बाह्य रोगी विभाग’ स््थथापित करना, जो अगले पाँच वर्षषों के भीतर

लैैंगिक असमानताएँ सभी जिलोों मेें जिला मानसिक स््ववास््थ््य कार््यक्रम के माध््यम से आत््महत््यया
रोकथाम सेवाएँ प्रदान करे गा।
z सक्रा
ं मक रोगोों का भार: फ्रंटियर््स इन पब््ललिक हेल््थ की रिपोर््ट के अनसु ार,
भारत मेें 33% से अधिक व््यक्ति अभी भी संक्रामक रोगोों से पीड़़ित हैैं, जिसमेें z अगले आठ वर्षषों के भीतर सभी शैक्षणिक संस््थथानोों मेें मानसिक कल््ययाण

आतं रिक रोगी को देखभाल के लिए प्रति व््यक्ति अपनी जेब से 7.28 रुपए और पाठ्यक्रम को एकीकृ त करना।
बाह्य रोगी को देखभाल के लिए 29.38 रुपए खर््च करने पड़ते हैैं। z आत््महत््ययाओ ं की जिम््ममेदार मीडिया रिपोर््टििंग के लिए दिशानिर्देश विकसित

z अपर््ययाप्त स््ववास््थ््य अवसरं चना: भारत मेें स््ववास््थ््य सेवा अवसंरचना की कमी करना, और
है, प्रति 1000 लोगोों पर के वल 1.4 बिस््तर हैैं और 75% से अधिक सवि ु धाएँ z आत््महत््यया के साधनोों तक पहुच ँ को प्रतिबंधित करना।
महानगरीय क्षेत्ररों मेें केें द्रित हैैं, जहाँ के वल 27% आबादी रहती है, 73%
यह नीति वैश्विक रणनीति के अनुरूप है: संयुक्त राष्टट्र के सतत विकास लक्षष्य
आबादी के पास पर््ययाप्त चिकित््ससा सवि ु धाओ ं का अभाव हैैं।
(SDG) 3.4 का उद्देश््य रोकथाम और उपचार के माध््यम से गैर-संचारी रोगोों से
z लैैंगिक असमानताएँ: भारत मेें महिलाओ ं को महत्तत्वपर््णू स््ववास््थ््य असमानताओ ं
होने वाली असामयिक मृत््ययु दर को एक तिहाई तक कम करना तथा मानसिक
का सामना करना पड़ता है, जिसमेें सीमित स््ववास््थ््य देखभाल पहुचँ , उच््च मातृ
मृत््ययु दर और लिंग आधारित हिसं ा शामिल है। विश्व आर््थथिक मचं 2021 के स््ववास््थ््य एवं कल््ययाण को बढ़़ावा देना है।
अनसु ार, भारत लगातार महिला स््ववास््थ््य और अस््ततित््व के लिए पाँच सबसे सरकारी पहल
खराब देशोों मेें शमु ार है। z राष्ट्रीय मानसिक स््ववास््थ््य कार््यक्रम (NMHP), 1982 को निकट भविष््य
आगे की राह मेें सभी के लिए, विशेष रूप से आबादी के सबसे कमजोर और वंचित वर्गगों के
z स््ववास््थ््य व््यय बढ़़ाना: राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति (NHP) 2017 मेें उल््ललिखित लिए न््यनयू तम मानसिक स््ववास््थ््य देखभाल की उपलब््धता तथा पहुचँ सनिश् ु चित
स््ववास््थ््य देखभाल व््यय को 2.5% तक बढ़़ाने के लक्षष्य के साथ स््ववास््थ््य करने के लिए शरू ु किया गया था।
सवि ु धाओ ं के भीतर बनिया ु दी ढाँचे को मजबतू करना है।  मानसिक स््ववास््थ््य देखभाल कार््यक्रम- देश मेें मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं
z प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों का सशक्तीकरण : यह मानते हुए कि किसी व््यक्ति को मजबतू करने के लिए एवं मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए
की जीवन भर की 80-90% स््ववास््थ््य आवश््यकताएँ प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों समदु ाय के सदस््योों को प्रशिक्षण देना। मानसिक स््ववास््थ््य की दिशा मेें
द्वारा परू ी की जा सकती हैैं, इन सवि ु धाओ ं को सदृु ढ़ करने की आवश््यकता है। समदु ाय/इलाके हेतु एक स््थथायी नेटवर््क विकसित करने के लिए सरकार
z प्रभावी नीति कार््ययान््वयन: स््ववास््थ््य देखभाल से सबं ंधित मौजदू ा नीतियोों और के साथ सहयोग एक महत्तत्वपर््णू मद्ु दा होगा।
विनियमोों का उचित कार््ययान््वयन तथा जागरूकता सनिश् ु चित करना महत्तत्वपर््णू है।
z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति, 2017: इस नीति के अतं र््गत निम््नलिखित क्षेत्ररों मेें
z अन््य देशोों से सीखना: भारत सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज (UHC) की दिशा
मेें आगे बढ़ने के लिए थाईलैैंड जैसे विकासशील देशोों से महत्तत्वपर््णू जानकारियाँ कार््यवाही की जाएगी:
प्राप्त कर सकता है। सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज (UHC) मेें तीन प्रमख ु तत्तत्व  सार््वजनिक वित्तपोषण के माध््यम से विशेषज्ञञों का सृजन बढ़़ाना और

शामिल हैैं: जनसंख््यया कवरे ज, रोग कवरे ज और लागत कवरे ज। सार््वजनिक प्रणालियोों मेें काम करने के इच््छछुक लोगोों को प्राथमिकता देने
के लिए विशेष नियम विकसित करना।
राष्ट् रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति
 प्राथमिक स््तर की सवि ु धाओ ं पर मानसिक स््ववास््थ््य सेवाओ ं को मजबतू
z स््ववास््थ््य और परिवार कल््ययाण मत्रा
ं लय ने राष्ट्रीय आत््महत््यया रोकथाम रणनीति
की घोषणा की है जो देश मेें अपनी तरह की पहली रणनीति है। करने हेतु मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए समदु ाय
z आत््महत््यया रोकथाम नीति, वर््ष 2030 तक आत््महत््यया मृत््ययु दर मेें 10% के सदस््योों का नेटवर््क निर््ममाण।
की कमी लाने के लिए समयबद्ध कार््य योजनाओ ं और बहु-क्षेत्रीय सहयोग  ऐसे संदर््भ मेें डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना जहाँ योग््य मनोचिकित््सकोों

का समन््वय करती है। तक पहुचँ मश््ककि ु ल है।


भारत मेें आत्महत्या से होने वाली मौतोों के आँकड़़े
z आत््महत््यया के प्रयासोों को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिए मानसिक स््ववास््थ््य
z भारत मेें, आत््महत््यया के कारण हर वर््ष एक लाख से अधिक लोगोों की जान देखभाल अधिनियम, 2017 पारित किया गया था।
चली जाती है, और यह 15-29 वर््ष की श्रेणी मेें शीर््ष पर है।  अधिनियम मेें सबसे महत्तत्वपर््ण ू प्रावधान "उन््नत निर्देश" था,जो मानसिक
z दस््ततावेज़ के अनसु ार, पिछले तीन वर्षषों मेें आत््महत््यया की दर प्रति 1,00,000 बीमारियोों से पीड़़ित व््यक्तियोों को उनके उपचार का मार््ग निर््धधारित करने
जनसख्ं ्यया पर 10.2 से बढ़कर 11.3 हो गई है। और किसी को अपना प्रतिनिधि नियक्त ु करने की अनमु ति देता है।
z आत््महत््यया के सबसे आम कारणोों मेें पारिवारिक समस््ययाएँ और बीमारियाँ  इसने इलेक्ट्रोकन््वल््ससिव थेरेपी (ECT) के उपयोग को भी प्रतिबंधित कर
शामिल हैैं, जो आत््महत््यया से सबं ंधित सभी मौतोों मेें क्रमशः 34% तथा दिया, और नाबालिगोों पर इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया, अतं तः
18% के लिए जिम््ममेदार हैैं। भारतीय समाज मेें कलंक से निपटने के उपाय पेश किए।

स्वास्थ्य औ 89
z मनोदर््पण पहल की शरुु आत छात्ररों को उनके मानसिक स््ववास््थ््य और कल््ययाण z उभरती बीमारियोों का शीघ्र पता लगाना:
के लिए मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए आत््मनिर््भर  उभरती बीमारियोों का पता लगाने की गति मेें सध ु ार करने और सार््वजनिक
भारत अभियान के तहत की गई थी। स््ववास््थ््य आपातकालीन प्रतिक्रिया तथा पनु र्प्राप्ति क्षमताओ ं को बढ़़ाने की
z किरण हेल््पलाइन को शीघ्र जाँच, प्राथमिक चिकित््ससा, मनोवैज्ञानिक सहायता, तत््ककाल आवश््यकता है।
सकं ट प्रबंधन, मानसिक कल््ययाण और मनोवैज्ञानिक सक ं ट प्रबंधन प्रदान करने  हालाँकि, यह लक्षष्य नई विश्लेषणात््मक चन ु ौतियाँ पेश करते हैैं।
के उद्देश््य से शरू
ु किया गया था तथा इसका प्रबंधन विकलांग व््यक्तियोों के z अपर््ययाप्त कंप््ययूटिंग सस
ं ाधन:
सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) द्वारा किया जाएगा।  डेटा स्रोतोों की बढ़ती संख््यया और विश्लेषण के लिए डेटा की बढ़ती मात्रा

आगे की राह चनु ौतियाँ उत््पन््न करती है।


 कंप््ययूटिंग वातावरण मेें अपर््ययाप्त संसाधन समय पर डेटा प्रोसेसिंग और
z रोकथाम के लिए, हमेें महिला और बाल विकास मत्रा ं लय, वाणिज््य तथा उद्योग
परिणाम संचार मेें बाधा उत््पन््न कर सकते हैैं।
मत्रा
ं लय, परिवार एवं स््ववास््थ््य कल््ययाण मत्रा
ं लय (MoHFW) सहित अन््य
लोगोों को सहयोगात््मक रूप से काम करने की आवश््यकता है। z कुशल कर््मचारियोों की कमी:
 सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी के लिए विश्लेषणात््मक डेटा प्रबंधन,
z मौजदू ा नीतियोों और विनियमोों के प्रभावी कार््ययान््वयन की आवश््यकता।
सांख््ययिकीय विश्लेषण, डेटा विज़अ ़ु लाइज़़ेशन और स््ववास््थ््य डेटा साक्षष्य
z आत््महत््ययाएँ समाज के सभी वर्गगों को प्रभावित करती हैैं और इस प्रकार मेें अनिश्चितताओ ं को प्रभावी ढंग से संचारित करने जैसे कार्ययों के लिए
बड़़े पैमाने पर व््यक्तियोों तथा समदु ाय के ठोस एवं सहयोगात््मक प्रयासोों की कुशल कर््ममियोों की आवश््यकता होती है।
आवश््यकता होती है।
 हालाँकि, ऐसे कुशल कर््मचारियोों की अक््सर कमी देखी जाती है।

सार््वजनिक स्वास्थ्य निगरानी


सुझाव
z परिभाषा: सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी "स््ववास््थ््य से संबंधित डेटा का निरंतर, चँकि
ू सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी मेें भारत मेें स््ववास््थ््य प्रणाली को बदलने की
व््यवस््थथित संग्रह, विश्लेषण और व््ययाख््यया है जो सार््वजनिक स््ववास््थ््य अभ््ययास क्षमता है, इसलिए इन चनु ौतियोों का समाधान सभी हितधारकोों का कर््तव््य है।
की योजना, कार््ययान््वयन और मल्ू ्ययाांकन के लिए आवश््यक है।" चनु ौतियोों के समाधान हेतु कुछ सुझाव निम््न प्रकार हो सकते हैैं:
z नीति आयोग द्वारा जारी श्वेत पत्र: विज़न 2035: भारत मेें सार््वजनिक z प्रौद्योगिकियोों और कार््य प्रणाली को विकसित करना तथा जट ु ाना
स््ववास््थ््य निगरानी। z एक समावेशी शासन ढाँचा स््थथापित करना जिसमेें राष्ट्रीय और राज््य स््तर

विज़न 2035: भारत मेें सार््वजनिक स्वास्थ्य निगरानी पर राजनीतिक, नीति, तकनीकी तथा प्रबंधकीय नेतत्ृ ्व शामिल हो।
z व््ययापक रोग श्रेणियोों की पहचान करना जिन््हेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी
z यह नीति आयोग द्वारा जारी एक श्वेत पत्र है, जिसकी परिकल््पना भारत
के अतं र््गत शामिल किया जाएगा।
मेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी को बढ़़ावा देने और इस क्षेत्र मेें भारत को
z गै र-सचा ं री रोगोों और स््थथितियोों की चरणबद्ध तरीके से निगरानी बढ़़ाना।
एक वैश्विक नेता के रूप मेें स््थथापित करने के लिए एक दृष्टिकोण पत्र के रूप
z उन बीमारियोों को नियमित रूप से प्राथमिकता देना, जिन््हेें सार््वजनिक
मेें की गई है।
स््ववास््थ््य समस््यया के रूप मेें उन््ममूलन के लिए लक्षित किया जा सकता है।
z इसमेें त्रिस््तरीय सार््वजनिक स््ववास््थ््य प्रणाली को आयष््ममा
ु न भारत मेें एकीकृ त
z सभी स््तरोों राष्ट्रीय, राज््य, जिला और ब््ललॉक पर निगरानी के लिए मुख््य
करने की परिकल््पना की गई है।
समर््थन कार्ययों, प्रमुख कार्ययों तथा तंत्र की विशेषताओ ं मेें सध ु ार करना।
z यह ‘व््यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक स््ववास््थ््य रिकॉर््ड’ को निगरानी का आधार बनाकर z कार््रवाई के लिए डेटा साझाकरण, डेटा अधिकृत करने , विश्लेषण और
निगरानी को मख्ु ्यधारा मेें लाने का सझु ाव देकर योगदान देता है। प्रसार को सव्ु ्यवस््थथित करने के लिए तंत्र की स््थथापना।
सार््वजनिक स्वास्थ्य निगरानी का लाभ z निगरानी गतिविधि मेें हर कदम पर नवाचारोों को प्रोत््ससाहित करना।

z नागरिक-अनक ु ू ल सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी प्रणालियाँ, ग्राहक प्रतिक्रिया आगे की राह


तंत्र के साथ सक्षम होकर व््यक्तिगत निजता और गोपनीयता सनिश् ु चित करेेंगी। निगरानी का उद्देश््य निर््णय निर््ममाताओ ं को समय पर, उपयोगी साक्षष्य प्रदान करके
z बेहतर तरीके से बीमारी का पता लगाने, रोकथाम और नियंत्रण के लिए केें द्र अधिक प्रभावी ढंग से नेतत्ृ ्व और प्रबंधन करने के लिए सशक्त बनाना है। यह
तथा राज््योों के बीच बेहतर डेटा-साझाकरण तंत्र। हस््तक्षेपोों की आवश््यकता मापन और हस््तक्षेपोों के प्रभावोों के प्रत््यक्ष मापन दोनोों
के लिए उपयोगी है। इस प्रकार, व््यक्ति की निजता और गोपनीयता की रक्षा करते
सार््वजनिक स्वास्थ्य निगरानी बनाए रखने मेें चुनौतियााँ
हुए सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी को मजबूत करना आवश््यक है।
z डेटा प्रबंधन
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM):
 सार््वजनिक स््ववास््थ््य निगरानी मिशन को परू ा करने के लिए प्रभावी डेटा
स््ववास््थ््य और परिवार कल््ययाण मत्रा
ं लय ने देश मेें डिजिटल स््ववास््थ््य बनिया
ु दी ढाँचे
प्रबंधन महत्तत्वपर््णू है।
के एकीकरण के लिए आवश््यक सहायता प्रदान करके , भारत मेें स््ववास््थ््य सेवा
 इस प्रयास मेें खराब डेटा गण ु वत्ता एक महत्तत्वपर््णू बाधा बनी हुई है। को डिजिटल बनाने के उद्देश््य से आयष््ममा
ु न भारत डिजिटल मिशन तैयार किया।

90  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


विशेषताएँ z माँग-कौशल बेमेल: प्रणाली को परू ी तरह से डिजिटल बनाने के लिए
z स््ववास््थ््य पहचान पत्र (ID): प्रत््ययेक नागरिक को एक स््ववास््थ््य ID प्राप्त डिजिटल डोमेन मेें कुशल जनशक्ति की भारी आवश््यकता है लेकिन इसकी
होगी, जो उनके स््ववास््थ््य खाते के रूप मेें कार््य करे गी, यह रोगी की सहमति से आपर््तति
ू कम है।
विभिन््न प्रणालियोों और हितधारकोों मेें स््ववास््थ््य रिकॉर््ड की विशिष्ट पहचान, z अपर््ययाप्त प्राथमिक स््ववास््थ््य देखभाल डेटा: प्राथमिक स््तर पर बनिया ु दी
प्रमाणीकरण तथा समेकन की सवि ढाँचे और कर््मचारियोों की कमी।
ु धा प्रदान करे गी। इसमेें परीक्षणोों, बीमारियोों,
दवाओ ं और निदान का विवरण शामिल होगा। z विभिन््न राज््योों और केें द्रीय निक्षेपागारोों द्वारा निर््ममित प्रणालियोों की
अंतरसचा ं लनीयता के मुद्दे।
z स््ववास््थ््य देखभाल पेशेवर पंजीकरण (Healthcare Professionals
Registry-HPR): इसमेें आधनि ु क और पारंपरिक दोनोों चिकित््ससा प्रणालियोों आगे की राह
मेें स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करने मेें लगे सभी स््ववास््थ््य सेवा पेशवे र शामिल हैैं। z सार््वजनिक स््ववास््थ््य प्रणाली मेें आमूल-चूल परिवर््तन: भारत की
HPR मेें पंजीकरण भारत के डिजिटल स््ववास््थ््य पारिस््थथितिकी तंत्र का उपयोग सार््वजनिक स््ववास््थ््य प्रणाली को पनु र््गठन की आवश््यकता है। हालाँकि
करने का अधिकार प्रदान करता है। आयष््ममा
ु न डिजिटल भारत मिशन एक सकारात््मक कदम है, लेकिन इसकी
चनु ौतियोों का समाधान करना आवश््यक है।
z स््ववास््थ््य सवि ु धा रजिस्ट्री (Health Facility Registry-HFR): एक
व््ययापक डेटाबेस जिसमेें अस््पतालोों, क््ललीनिकोों, नैदानिक ​​​​प्रयोगशालाओ,ं छवि z चुनौतियोों पर नियंत्रण के लिए सझ ु ाव:
 व््यक्तिगत जानकारी की सरु क्षा के लिए मजबत ू डेटा सरु क्षा उपाय लागू
केें द्र, और फार्मेसी सहित सार््वजनिक तथा निजी क्षेत्ररों मेें फै ली राष्टट्रव््ययापी
करना।
स््ववास््थ््य सवि ु धाओ ं के बारे मेें जानकारी शामिल है।
 राज््य-विशिष्ट नियमोों को समायोजित करते हुए राष्टट्रव््ययापी राष्ट्रीय डिजिटल
z व््यक्तिगत स््ववास््थ््य रिकॉर््ड (Personal Health Records-PHR): एक
स््ववास््थ््य मिशन (NDHM) संरचना का मानकीकरण करना।
इलेक्ट्रॉनिक प््ललेटफ़़ॉर््म है, जो रोगियोों को सरु क्षित और गोपनीय वातावरण मेें
 आम नागरिकोों के लिए मिशन के संचार मेें पारदर््शशिता और सरलता
अपने तथा अधिकृ त व््यक्तियोों की स््ववास््थ््य जानकारी को बनाए रखने एवं
सनिश्
ु चित करना।
प्रबंधित करने की अनमु ति देता है।
 अन््य सरकारी योजनाओ ं जैसे आयष््ममा ु न भारत योजना और IT-सक्षम पहल
z आयुष््ममान भारत डिजिटल मिशन सैैंडबॉक््स: मिशन का हिस््ससा, यह जैसे प्रजनन बाल स््ववास््थ््य देखभाल तथा निक्षय के साथ एकीकृ त करना।
सैैंडबॉक््स प्रौद्योगिकी और उत््पपादोों के लिए एक परीक्षण ढाँचे के रूप मेें  राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति, 2015 के मसौदे के अनरू ु प, NDHM के भीतर
कार््य करता है, निजी संस््थथाओ ं सहित संगठनोों को राष्ट्रीय डिजिटल स््ववास््थ््य स््ववास््थ््य को एक न््ययायसंगत अधिकार के रूप मेें मान््यता देने का समर््थन
पारिस््थथितिकी तंत्र के साथ एकीकृ त करने या कुशलतापर््वू क स््ववास््थ््य सचू ना करना।
प्रदाता या उपयोगकर््तता बनने मेें सहायता करता है।
वाश कार््यक्र म (WASH Programme)
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का महत्त्व
नाबार््ड ने सरकार के जल, स््वच््छता और सफाई (Water, Sanitisation and
z डिजिटल स््ववास््थ््य पारिस््थथितिकी तंत्र के भीतर अतं र संचालनीयता का निर््ममाण Hygiene-WASH) कार््यक्रम का समर््थन करने के लिए एक विशेष पुनर््ववित्त
करना, जैसे भगु तान मेें क््राांति लाने मेें एकीकृ त भगु तान इटं रफ़़े स (UPI) द्वारा सुविधा की घोषणा की।
निभाई गई भमि ू का। वॉश क्या है ?
z स््ववास््थ््य सेवा वितरण की दक्षता, प्रभावशीलता और पारदर््शशिता मेें सधु ार करना। z WASH एक सक्षि ं प्त शब््द है जिसका अर््थ है "जल, स््वच््छता और सफाई"।
z नागरिकोों को एक क््ललिक पर स््ववास््थ््य सवि ु धाएँ मिलेेंगी। z WASH तक सार््वभौमिक, सस््तती एवं स््थथायी पहुचँ अतं रराष्ट्रीय विकास हेतु
z व््यक्तियोों को सार््वजनिक और निजी दोनोों स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक पहुचँ ने का एक प्रमख ु सार््वजनिक स््ववास््थ््य मद्ु दा है तथा सतत् विकास लक्षष्य 6 के पहले
विकल््प प्रदान करना। 2 लक्षष्ययों का केें द्र बिंदु है।
z दिशानिर्देशोों और प्रोटोकॉल के अनपु ालन को सवि ु धाजनक बनाना तथा मल्ू ्य z विश्व स््ववास््थ््य संगठन ने वर््ष 2019 मेें पाया कि "दनियाु भर मेें, 2016 मेें
निर््धधारण मेें पारदर््शशिता सनिश्
ु चित करना। WASH के साथ 1.9 मिलियन मौतोों और 123 मिलियन DALY(Disability
z स््ववास््थ््य सेवा पेशवरो
े ों के पास मरीज के मेडिकल रिकॉर््ड तक बेहतर पहुचँ Adjusted Life Year ) को रोका जा सकता था।
सनिश्
ु चित हो सके गी। वॉश (WASH) का महत्त्व
चुनौतियााँ/चिंताएँ z हाथ की स््वच््छता मेें असमानताएँ: 'पेयजल, स््वच््छता, साफ़-सफाई और
आवास की स््थथिति' रिपोर््ट 2020 के अनसु ार, शहरी क्षेत्ररों मेें 56% परिवारोों ने
z डिजिटल डिवाइड: इससे डिजिटल रूप से निरक्षर और असंबद्ध सदु रू , पहाड़़ी
बताया कि वे भोजन करने से पहले पानी और साबनु से हाथ धोते हैैं, जबकि
तथा आदिवासी क्षेत्र बाहर हो सकते हैैं। ग्रामीण क्षेत्ररों मेें के वल 25.3% ऐसा करते हैैं।
z गोपनीयता/डेटा उल््ललंघन से सबं ंधित चिंताएँ: डेटा संरक्षण विधेयक के z कोविड-19 चुनौती: कोविड-19 महामारी के बीच हाथ की स््वच््छता का
अभाव के कारण चितं ा अधिक वास््तविक हो जाती है। निम््न स््तर एक महत्तत्वपर््णू चनु ौती है।

स्वास्थ्य औ 91
z स््ववास््थ््य और सामाजिक-आर््थथिक लाभ: WASH सेवाओ ं तक पहुचँ आगे की राह
बढ़़ाने से बेहतर स््ववास््थ््य, जीवन प्रत््ययाशा मेें वृद्धि , छात्ररों की बेहतर शिक्षा और
z परिवर््तन की आवश््यकता: पीने के पानी की गणु वत्ता और आपर््तति ू तथा
लैैंगिक समानता को बढ़़ावा देना शामिल है। यह बीमारियोों व गरीबी को कम
विशेष रूप से स््वच््छता के लिए जोखिम मल्ू ्ययााँकन मेें दीर््घकालिक जलवायु
करने और सामाजिक-आर््थथिक विकास को बढ़़ावा देने मेें सहायक हो सकता है।
परिवर््तन संबंधी विचारोों को शामिल करना अक््सर नजरअदं ाज कर दिया जाता
z बाल मृत््ययु दर पर प्रभाव: अपर््ययाप्त स््वच््छता के कारण प्रतिवर््ष लगभग
है, लेकिन यह तीव्रता से आवश््यक हो जाएगा।
700,000 बच््चोों की मौत हो जाती है, इसका मख्ु ्य कारण विकासशील
देशोों मेें डायरिया का होना है। WASH से संबंधित मद्ददों z सतत विकास लक्षष्ययों (SDG) की उपलब््धधि: लक्षष्य 3 (अच््छछा स््ववास््थ््य और
ु के कारण होने वाली
बीमारी का बोझ वैश्विक मौतोों का 3.3% है। कल््ययाण), लक्षष्य 6 (सभी के लिए स््वच््छ पानी और स््वच््छता) और लक्षष्य 16
(शांतिपर््णू और समावेशी समाज की अभिवृद्धि)
z दीर््घकालिक प्रभाव: दीर््घकालिक डायरिया लंबे समय तक बच््चोों के
शारीरिक और संज्ञानात््मक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। z सभी स््तरोों पर अतं र-क्षेत्रीय और विभिन््न कार््यक्रमोों के सहयोग को मजबतू
करना
z लैैंगिक न््ययाय: WASH सवि ु धाओ ं तक अपर््ययाप्त पहुचँ छात्ररों, विशेषकर
लड़कियोों को स््ककू ल जाने से रोकती है, जिससे उनकी शैक्षिक उपलब््धधियोों आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार््यकर्ता ) कार््यकर्ता
और भविष््य की कार््य उत््पपादकता पर असर पड़ता है। इसके विपरीत, WASH
जानकारी
सविु धाओ ं तक बेहतर पहुचँ लैैंगिक समानता और न््ययाय को बढ़़ावा देती है।
z आशा कार््यकर््तता समदु ाय के भीतर ऐसी स््वयंसेविकाएँ हैैं जिन््हेें लोगोों को सरकार
z कोविड-19 प्रबंधन मेें भूमिका: जल कोविड-19 के प्रबंधन मेें एक केें द्रीय
की विभिन््न स््ववास््थ््य देखभाल योजनाओ ं के लाभोों तक पहुचँ की जानकारी
भमि ू का निभाता है, निवारक उपाय के रूप मेें बार-बार हाथ धोने की सलाह
प्रदान करने और सहायता करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
दी जाती है और सक्र ं मण से उबरने के लिए जल का सेवन आवश््यक है।
z आशा मख्ु ्य रूप से समदु ाय के भीतर 25 से 45 वर््ष की आयु के बीच की
वॉश (WASH) को बढ़़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ विवाहित, विधवा या तलाकशदु ा महिलाएँ हैैं।
z स््वच््छ भारत मिशन (SBM) - इस कार््यक्रम की शरुु आत खल ु े मेें शौच को z WHO ने, समदु ाय को सरकार के स््ववास््थ््य कार््यक्रमोों से जोड़ने के उनके प्रयासोों
समाप्त करने और ठोस अपशिष्ट प्रबधं न मेें सधु ार के लिए वर््ष 2014 मेें की गई थी। के लिए भारत की 10.4 लाख आशा कार््यकर््तताओ ं को ‘ग््ललोबल हेल््थ लीडर'
 सरकार ने वर््ष 2014 से वर््ष 2019 के बीच लगभग 110 मिलियन के रूप मेें मान््यता दी है।
शौचालयोों के निर््ममाण के लिए सब््ससिडी प्रदान की है।
आशा कार््यकर्ताओ ं की भूमिका
 SBM ने शौचालय की पहुच ँ और उपयोग के संबंध मेें लाखोों लोगोों के
व््यवहार को परिवर््ततित किया है। z ये हाशिये पर रहने वाले समदु ायोों को प्राथमिक स््ववास््थ््य केें द्ररों, उप-केें द्ररों और
जिला अस््पतालोों जैसी सवि ु धाओ ं से जोड़ने वाले सेतु के रूप मेें कार््य करती हैैं।
 वर््ष 2014 के बाद से 50 करोड़ लोगोों ने खल ु े मेें शौच करना बदं कर दिया है।
z राष्ट्रीय ग्रामीण स््ववास््थ््य मिशन (NRHM) के तहत इन सामदु ायिक स््ववास््थ््य
z AMRUT - इसे वर््ष 2015 मेें बनिया ु दी ढाँचे की स््थथापना के उद्देश््य हेतु शरू

स््वयंसेवकोों की भमि ू का पहली बार वर््ष 2005 मेें स््थथापित की गई थी।
किया गया था, जिससे शहरी परिवर््तन के लिए पर््ययाप्त मजबतू सीवेज नेटवर््क
और पानी की आपर््तति ू सनिश्
ु चित कर सके । z इसका उद्देश््य पहाड़़ी, आदिवासी या अन््य कम आबादी वाले क्षेत्ररों मेें प्रत््ययेक
1,000 व््यक्तियोों या प्रति बस््तती के लिए एक आशा कार््यकर््तता की नियक्ु ति
z जल जीवन मिशन - JJM की परिकल््पना वर््ष 2024 तक ग्रामीण भारत के
सभी घरोों मेें व््यक्तिगत घरे लू नल कनेक््शन के माध््यम से सरु क्षित और पर््ययाप्त करना है। आशा कार््यकर््तताओ ं को बच््चोों का टीकाकरण सनिश् ु चित करने और
पेयजल उपलब््ध कराने की गई है। प्रेरित करने का भी काम सौौंपा गया है।

वॉश (WASH) हासिल करने मेें चुनौतियााँ आशा कार््यकर्ताओ ं के समक्ष चुनौतियााँ

z बुनियादी ढाँचा: शहरी क्षेत्ररों मेें प्रवास से घनी आबादी वाले निर््धन समहोू ों z आशा कार््यकर््तताओ ं के साथ डॉक््टरोों जैसा व््यवहार नहीीं किया गया,इस तथ््य
का निर््ममाण होता है, जो स््वच््छता बनिया ु दी ढाँचे के विकास के लिए एक के बावजदू कि दोनोों महामारी के खिलाफ लड़़ाई मेें अग्रिम पंक्ति मेें हैैं।
चनु ौती उत््पन््न करता है। z आशा कार््यकर््तताओ ं को पर््ययाप्त PPE किट की आपर््तति
ू नहीीं की गई, जबकि वे
z शहरी मलिन बस््ततियाँ: अपर््ययाप्त आपर््तति ू , माँग सीमाएँ और संस््थथागत बाधाएँ संपर््क अनरु े खण का कार््य करती हैैं तथा समदु ाय मेें नए संक्रमित मामलोों के
निर््धन समदु ायोों की,विशेषकर शहरी मलिन बस््ततियोों मेें, पर््ययाप्त शहरी सेवाओ ं साथ सपं र््क मेें रहती हैैं।
तक पहुचँ मेें बाधा डालती हैैं।  इससे उनके और उनके परिवारोों के लिए एक बड़़ा खतरा पैदा हो गया

z जल वितरण के मुद्दे: विश्व स््ववास््थ््य संगठन की रिपोर््ट है कि विकासशील है, जिसके परिणामस््वरूप उच््च जोखिम वाले कोविड ​​​​-19 संपर््क होने के
देशोों मेें वितरण लाइनोों मेें 25%-45% पानी रिसाव के कारण नष्ट हो जाता है। कारण समदु ाय द्वारा कलंकित तथा भेदभाव किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, पीने योग््य जल लाइनोों मेें अपशिष्ट जल के क्रॉस-सदं षू ण के  इससे आशा कार््यकर््तताओ ं और उनके परिवारोों के खिलाफ हिस ं ा के कई
परिणामस््वरूप बीमारी का गंभीर प्रकोप हुआ है। मामले भी सामने आए हैैं।
z जलवायु परिवर््तन: जलवायु परिवर््तन WASH प्रणालियोों के लिए जोखिमोों z उन््हेें प्राथमिक या निःशल्ु ्क परीक्षणोों तक भी पहुचँ नहीीं थी। यदि उनका
को बढ़़ा देता है, विशेष रूप से गरीब और विकासशील क्षेत्ररों मेें जहाँ सरु क्षित कोविड-19 परीक्षण सकारात््मक आया, तो उन््हेें उनके उपचार के लिए सहायता
रूप से प्रबंधित बनिया
ु दी स््वच््छता तक पहुचँ का अभाव है। नहीीं मिल रही थी।

92  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


सुझाव  स््ववास््थ््य के लिए प्रेरित मानव संसाधनोों की भारी कमी।
 भारत मेें निर््ममित दवाओ ं के लिए 84% सक्रिय फार््ममास््ययुटिकल सामग्री
z आशा के कार््य को मान््यता: सरकार और समदु ायोों को वित्तीय एवं गैर-वित्तीय
प्रोत््ससाहन दोनोों के माध््यम से आशा के योगदान को स््ववीकार करना चाहिए। (API) आयात की जाती है।
 देश भर मेें नैदानिक परीक्षणोों मेें व््ययापक भिन््नता। उदाहरण के लिए, कुछ
z सस्ं ्थथागत तंत्र: नीति निर््ममाण प्रक्रियाओ ं मेें आशा के अनभु वोों, जरूरतोों और
शहरोों मेें लिपिड प्रोफाइल परीक्षण की लागत 90 रुपए हो सकती है, वहीीं
वर््ग, जाति तथा लिंग सहित सामाजिक-आर््थथिक वास््तविकताओ ं को शामिल
अन््य शहरोों मेें यह 7,110 रुपए तक जा सकती है
करने के लिए सस्ं ्थथागत तंत्र स््थथापित करना।
z आगे की राह:
z स््पष्ट दिशानिर्देश: सेवा वितरण मेें उनकी प्रभावशीलता को बढ़़ाने के लिए
 सार््वजनिक क्षेत्र मेें स््ववास््थ््य सवि
ु धाएँ जटु ाना और निजी क्षेत्र को इसमेें
आशाओ ं के लिए स््पष्ट और सक्षि ं प्त दिशानिर्देश तरु ंत विकसित तथा प्रसारित करना।
शामिल करना।
z क्षमता निर््ममाण: आशा के लिए क्षमता निर््ममाण रणनीति लागू करना, विशेष रूप
 सस््तती दवाओ ं और चिकित््ससा उपकरणोों तक पहुच ँ सनिश्
ु चित करना।
से प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ध््ययान केें द्रित करना, और उनके पेशवे र विकास
 कटोच समिति की सिफारिशोों के अनस ु ार छह बड़़े API मध््यवर्ती क््लस््टर
का समर््थन करने के लिए पर््यवेक्षण पहल शरू ु करना।
स््थथापित करके API के घरे लू उत््पपादन को बढ़़ावा देना।
z सहायता प्रणालियाँ: अपनी भमि ू काओ ं मेें आने वाली चनु ौतियोों को पहचानते
 स््ववास््थ््य अनस ु ंधान क्षमता को मजबतू करना।
हुए, आशा कार््यकर््तताओ ं का शारीरिक और मानसिक विकास सनिश् ु चित करने
 प्रमखु पारंपरिक चिकित््ससा की पहचान करना और चिकित््ससा की आधनि ु क
के लिए सहायता प्रणालियाँ विकसित करना।
प्रणालियोों के साथ सहयोग की सवि ु धा प्रदान करना।
z स््ववास््थ््य प्रणाली मेें सधु ार: आशा के लिए विशिष्ट व््ययापक स््ववास््थ््य प्रणाली
सधु ारोों की शरूु आत करना, जिसमेें सभी स््तरोों पर स््पष्ट जवाबदेही तत्रं के साथ एक स्वास्थ्य (One Health)
निष््पक्ष भर्ती, प्रतिधारण, वित्तीय सरु क्षा, अवकाश प्रबधं न, यौन उत््पपीड़न के खिलाफ z 'एक स््ववास््थ््य' की अवधारणा यह मानती है कि मनष्ु ्य का स््ववास््थ््य, पशओ
ु ं
सरु क्षा और शारीरिक तथा मानसिक स््ववास््थ््य सहायता की नीतियाँ शामिल हैैं। और पर््ययावरण के स््ववास््थ््य से जड़ु ़ा हुआ है।
सार््वभौमिक स्वास्थ्य कवरे ज (UHC) यह अवधारणा तेजी से महत्तत्वपूर््ण होती जा रही है, क््योोंकि मनुष््योों को
प्रभावित करने वाले अधिकांश संक्रामक रोग जूनोटिक (पशु से मनुष््य मेें
पिछले दो दशकोों मेें नागरिकोों को प्रदान की जाने वाली स््ववास््थ््य देखभाल की
उत््पन््न) प्रकृ ति के होते हैैं और कोविड-19 जैसे उभरते जनू ोटिक खतरोों की
गुणवत्ता और जनसंख््यया स््ववास््थ््य परिणामोों मेें उल््ललेखनीय प्रगति हुई है। फिर भी, घटनाओ ं को कम करने के लिए इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है।
संसाधनोों की उपलब््धता, राज््य स््ववास््थ््य कार््यक्रमोों की स््थथिति, ग्रामीण-शहरी
अंतर और शासन क्षमता मेें राज््योों मेें व््ययापक भिन््नता है। वर््ष 2005 मेें राष्ट्रीय राष्ट् रीय आयुष मिशन (NAM)
स््ववास््थ््य मिशन की शरुु आत के बाद देश मेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य बुनियादी ढाँचे हाल ही मेें स््ववास््थ््य और परिवार कल््ययाण पर संसदीय स््थथायी समिति द्वारा इस
का काफी विस््ततार हुआ; हालाँकि, कई क्षेत्ररों मेें कमी बनी हुई है। मद्ु दे पर प्रकाश डाला गया। इसे वर््ष 2014 मेें आयुष मंत्रालय द्वारा लॉन््च किया
z सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज (UHC) से आशय है कि सभी व््यक्तियोों और गया था और इसका उद्देश््य पारंपरिक भारतीय चिकित््ससा प्रणालियोों (आयुर्वेद,
समदु ायोों को वित्तीय समस््ययाओ ं के बिना आवश््यक स््ववास््थ््य सेवाएँ प्राप्त होों। योग तथा प्राकृ तिक चिकित््ससा, यूनानी, सिद्ध, होम््ययोपैथी और सोवा-रिग््पपा) को
यएू चसी को हासिल करना उन लक्षष्ययों (SDG 3.8) मेें से एक है जो वर््ष विकसित करना, शिक्षित करना एवं बढ़़ावा देना है।
z NAM के उद्देश््य:
2015 मेें सतत विकास लक्षष्ययों (SDG) को अपनाते समय दनिया ु के देशोों ने
 आयष ु सेवाओ ं तक पहुचँ बढ़़ाना।
निर््धधारित किए थे।
 औषधीय पौधोों की खेती को प्रोत््ससाहित करना।
z लोगोों को अपनी जेब से स््ववास््थ््य सेवाओ ं के लिए भग ु तान करने के वित्तीय
 आयष ु शिक्षण संस््थथानोों को सदृु ढ़ बनाना।
परिणामोों से बचाने से यह जोखिम कम हो जाता है कि अप्रत््ययाशित बीमारी
के कारण लोगोों को गरीबी मेें धके ल दिया जाएगा, जिसके लिए उन््हेें अपनी  आयष ु प्रणालियोों के सबंध मेें जागरूकता फै लाना।
जीवन भर की बचत खर््च करनी पड़ती है, संपत्ति बेचनी पड़ती है, या उधार लेना z अवधि: मिशन वर््ष 2026 तक सचालि ं त है।
पड़ता है - जिससे उनका और उनके बच््चोों का भविष््य भी बर््बबाद हो जाता है। z NAM की उपलब््धधियाँ: आयष ु सेवाओ ं तक पहुचँ ने वाले लाभार््थथियोों मेें
z गण ु वत्तापर््णू , किफायती स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक सार््वभौमिक पहुचँ की कमी भी उल््ललेखनीय वृद्धि।
देशोों की दीर््घकालिक आर््थथिक सभं ावनाओ ं को खतरे मेें डालती है और उन््हेें z प्रमुख चुनौतियाँ :

वैश्विक स््ववास््थ््य जोखिमोों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।  निधियोों का कम उपयोग।

z सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरे ज प्राप्त करने मेें बाधाएँ:  दवा की गण ु वत्ता को लेकर चितं ाएँ।
 अतीत मेें व््ययापक निवारक देखभाल और प्राथमिक देखभाल पर अपर््ययाप्त  अस््पताल निर््ममाण मेें ढाँचागत देरी।

ध््ययान।  प्रशासनिक अड़चनेें।

 सरकार प्रायोजित बीमा योजनाओ ं की बहुलता के परिणामस््वरूप जोखिम  कुछ राज््योों/केें द्रशासित प्रदेशोों मेें आयष
ु विभागोों की अपर््ययाप्त स््थथापना।
पलू का विखडं न हुआ।  सोवा रिग््पपा का NAM मेें शामिल न होना।

स्वास्थ्य औ 93
z सध
ु ार के लिए सिफारिशेें: इसके प्रमुख उद्देश्ययों मेें शामिल हैैं:
 गण ु वत्ता नियंत्रण और मानकीकरण को बढ़़ाना। z दृष्टि सधु ार मेें प्रगति का आकलन करने के लिए चश््ममा प्राप्त करने वाले व््यक्तियोों
 अनस ु ंधान और साक्षष्य-आधारित प्रथाओ ं को बढ़़ावा देना। की संख््यया पर नज़र रखना।
 आयष ु और एलोपैथिक स््ववास््थ््य देखभाल के बीच एकीकरण अतं र को z भारत के संदर््भ मेें, जहाँ 100 मिलियन से अधिक लोगोों को आवश््यक रूप से
पाटना। आँखोों की देखभाल और चश््ममे तक पहुचँ की कमी है, SPECS 2030 पहल
 विशिष्ट कार््य योजनाओ ं के माध््यम से होने वाली देरी को कम करना। से सकारात््मक प्रभाव उत््पन््न होने की उम््ममीद है।
 जागरूकता अभियानोों और जिम््ममेदार विज्ञापन के माध््यम से उपभोक्ता
अन्य तथ्य
विश्वास तथा समर््थन को बढ़़ावा देना।
z यह पहल विभिन््न दृष्टिगत स््थथितियोों को ठीक करने के महत्तत्व पर प्रकाश
z भविष््य की रणनीतियाँ:
डालती है:
 आयर्वेदि ु क स््ववास््थ््य और कल््ययाण केें द्ररों (AHWC) के लिए विशिष्ट कार््य  मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) को अवतल लेेंस से ठीक किया जा सकता है।
योजनाएँ।
 हाइपरमेट्रोपिया (दरू दृष्टि दोष) को उत्तल लेेंस से ठीक किया जा सकता है।
 कर््मचारियोों के लिए प्रशिक्षण कार््यक्रम।
प्रेस््बबायोपिया (जरा दृष्टि दोष), उम्र से सबं ंधित निकट ध््ययान केें द्रित करने की क्षमता
 राज््योों के लिए वित्तीय प्रोत््ससाहन।
की हानि, सधु ार के लिए आमतौर पर बाइफोकल लेेंस की आवश््यकता होती है।
 प्रक्रिया को सव्ु ्यवस््थथित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
पोषण
डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल
(Global Initiative on Digital Health-GIDH) पोषण उद्देश्य:
z वर््ष 2022-23 तक, पोषण अभियान के तहत वर््ष 2015-16 की आधार रे खा
z हाल ही मेें, विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) और G20 की भारत की अध््यक्षता
(NFHS-4) की तल ु ना मेें निम््नलिखित परिणामो को प्राप्त करने का लक्षष्य था:
मेें, ग््ललोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल््थ (GIDH) नामक एक नई पहल
 बच््चोों मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनरू ु प कम लंबाई) की समस््यया को 25% या
शरू ु की गई।
उससे कम करना।
GIDH का लक्ष्य:
 बच््चोों (0-6 वर््ष) मेें कम वजन की समस््यया घटाकर 25% या उससे कम
z डिजिटल स््ववास््थ््य 2020-2025 पर वैश्विक रणनीति के अनरू ु प प्रयासोों मेें करना।
सामजं स््य स््थथापित करना, जो स््ववास््थ््य संबंधी सतत विकास लक्षष्ययों (SDG)
 छोटे बच््चोों (6-59 महीने) मेें रक्ताल््पता (एनीमिया) की समस््यया को 43%
को प्राप्त करने के लिए उपयक्त ु डिजिटल स््ववास््थ््य समाधानोों के विकास और
या उससे कम तक कम करना।
कार््ययान््वयन मेें तेजी लाकर वैश्विक स््ववास््थ््य परिणामोों को बढ़़ाने का प्रयास
 किशोरियोों और महिलाओ ं (15-49 वर््ष) मेें रक्ताल््पता (एनीमिया) की
करता है।
समस््यया को 38% या उससे कम तक कम करना।
z मानक आधारित और परस््पर संगत प्रणालियोों के विकास और सदृ ु ढ़़ीकरण को
बढ़़ावा देने के लिए उच््च-गणु वत्ता वाली तकनीकी सहायता प्रदान करना जो वर््तमान स्थिति
वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओ,ं मानदडों ों, और मानकोों के अनरू ु प होों। z पाँच वर््ष से कम आयु के 40% से अधिक बच््चोों की मृत््ययु के लिए अल््पपोषण
z सनिश् ु चित गणु वत्ता वाले डिजिटल परिवर््तन उपकरणोों के उपयोग को सक्षम एक प्रमख ु जोखिम कारक है।
करना, सरकारोों को डिजिटल स््ववास््थ््य परिवर््तन की दिशा मेें निगरानी करने z कुपोषण, एनीमिया और आयोडीन की कमी से प्रभावित बच््चचे वयस््क होने पर
के लिए सशक्त बनाना। निम््न IQ स््ककोर और कम उत््पपादकता से ग्रसित हो सकते हैैं।
GIDH का इरादा चार मल ू भतू स््तम््भोों (निवेश ट्रैकर; प्रौद्योगिकियोों की z स््टटंटिंग (उम्र के अनरू ु प कम लंबाई) को कम करने से भारत की GDP मेें
आवश््यकता वाले देशोों हेतु माँग ट्रैकर; उपलब््ध डिजिटल उपकरणोों का एक 4-11% की वृद्धि हो सकती है।
पुस््तकालय, तथा प्रौद्योगिकियोों के व््ययापक क्रियान््ववित हेतु ज्ञान-साझाकरण मंच) z प्रगति के बावजदू , राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS) -4 (2015-16)
पर ध््ययान केें द्रित करके डिजिटल स््ववास््थ््य परिवर््तन के लिए अनावश््यक प्रयासोों बच््चोों मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनरू
ु प कम लंबाई), वेस््टटििंग (लंबाई के अनरू
ु प कम
और उत््पपाद-केें द्रित दृष्टिकोण जैसी चनु ौतियोों से निपटने का है। वजन) और रक्ताल््पता (एनीमिया) की उच््च दर को इगि ं त करता है।
SPECS 2030 पहल: z ब्राजील, चीन और मैक््ससिको जैसी अन््य उभरती अर््थव््यवस््थथाओ ं मेें पोषण
विश्व स््ववास््थ््य संगठन (WHO) के नेतत्ृ ्व मेें SPECS 2030 पहल का उद्देश््य नेत्र सक ं े तक बेहतर हैैं।
देखभाल और उपचार तक सार््वभौमिक पहुचँ सुनिश्चित करके वैश्विक दृष्टिबाधा z भारत मेें मोटापे और अधिक वजन वाले वयस््कोों मेें भी वृद्धि हो रही है, जिससे
तथा अंधापन का नियंत्रण करना है। मधमु हे तथा हृदय संबंधी विकारोों का खतरा बढ़ रहा है।

94  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आगे की राह z समुदाय-आधारित आंदोलन:
 पोषण अभियान को राजनीतिक समर््थन के साथ एक समद ु ाय-नेतत्ृ ्व वाली
z नीति और शासन:
पहल के रूप मेें सक्रिय करना।
 विभिन््न राज््योों की विशेष आवश््यकताओ ं और परिस््थथितियोों के अनस ु ार
 फ्रंटलाइन कार््यकर््तताओ ं और सामदु ायिक जड़ु ़ाव के लिए व््यवहार परिवर््तन
कार््यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करना।
संचार मॉड्यल ू विकसित करना।
 कार््यक्रम कार््ययान््वयन को बढ़़ाने के लिए वार््षषिक लेखा परीक्षण के लिए
z रक्ताल््पता (एनीमिया) नियंत्रण कार््यक्रम:
एक स््वतंत्र निकाय स््थथापित करना।
 घर, समद ु ाय, स््ककू ल और सवि
ु धा स््तरोों पर रक्ताल््पता (एनीमिया) नियंत्रण
z अभिसरण क्रिया:
के लिए साक्षष्य-आधारित रणनीति लागू करना।
 जिला स््तर पर एकीकृ त स््ववास््थ््य, पोषण और स््वच््छ भारत मिशन
 रक्ताल््पता (एनीमिया) नियंत्रण हस््तक्षेप के रूप मेें “स्क्रीन और ट्रीट”
योजनाओ ं का विकास तथा कार््ययान््वयन करना। दृष्टिकोण पर विचार करना।
 कार््ययान््वयन के लिए स््थथानीय प्रशासन, पंचायती राज संस््थथानोों और

सार््वजनिक वितरण प्रणाली को शामिल करना। समितियोों और ग्राम


स््ववास््थ््य, स््वच््छता तथा पोषण दिवसोों के माध््यम से ग्राम स््तर पर स््ववास््थ््य,
प्रमुख शब्दावलियाँ
स््वच््छता एवं पोषण सेवाओ ं को एकीकृ त करना। सार््वभौमिक स््ववास््थ््य कवरेज (UHC), वन हेल््थ, आशा(ASHA),
 जिला प्रशासकोों के लिए कार््ययान््वयन मार््गदर््शशिकाएँ निर््ममित करना।
नवजात मृत््ययु दर, शिशु मृत््ययु दर, संस््थथागत जन््म, मिसिंग मिडिल।
z मिशन मोड कार््रवाई:
पिछले वर्षषों के प्रश्न
 सभी स््तरोों पर अभिसरण तंत्र के साथ पोषण अभियान के तहत उच््च
1. "एक कल््ययाणकारी राज््य की नैतिक अनिवार््यता के अलावा, प्राथमिक
कुपोषण वाले जिलोों पर ध््ययान केें द्रित करना।
स््ववास््थ््य संरचना धारणीय विकास की एक आवश््यक पर््वू शर््त है।"
 नीति आयोग द्वारा समय सीमा, बजट आवंटन और गहन निगरानी के साथ
विश्लेषण कीजिए। (2021)
कार््य योजनाएँ विकसित करना। 2. सामाजिक विकास की संभावनाओ ं को बढ़़ाने के क्रम मेें, विशेष रूप
z कार््यक्रम के हस््तक्षेप को परिष््ककृ त करना से जराचिकित््ससा एवं मातृ स््ववास््थ््य देखभाल के क्षेत्र मेें सुदृढ़ और
 नवजात शिशओ ु ं और माताओ ं के पहले 1000 दिनोों मेें घर-आधारित पर््ययाप्त स््ववास््थ््य देखभाल संबंधी नीतियोों की आवश््यकता है। विवेचन
संपर््क को प्राथमिकता देना कीजिए।  (2020)
 खाद्य-केें द्रित दृष्टिकोणोों से परे हस््तक्षेपोों का विस््ततार करके इसमेें स््ववास््थ््य
3. भारत मेें 'सभी के लिए स््ववास््थ््य' को प्राप्त करने के लिए समचि ु त
देखभाल उपायोों और जन््म अतं राल को शामिल करना स््थथानीय सामदु ायिक स््तरीय स््ववास््थ््य देखभाल का मध््यक्षेप एक
पूर््ववापेक्षा है। व््ययाख््यया कीजिए। (150 शब््द) 2018
 टीकाकरण, खाद्य सदृढ़ ु ीकरण (फोर््टटिफिके शन) और अनाज के बायो- 4. 'जल, सफाई एवं स््वच््छता की आवश््यकता को लक्षित करने वाली
फोर््टटिफिके शन पर जोर देना।
नीतियोों के प्रभावी कार््ययान््वयन को सनिश् ु चित करने के लिए, लाभार्थी
 एक राष्ट्रीय पोषण निगरानी प्रणाली की स््थथापना और कार््यक्रम मेें सध ु ार वर्गगों की पहचान को प्रत््ययाशित परिणामोों के साथ जोड़ना होगा।’
के लिए अनसु ंधान अध््ययन करना। 'वाश’ योजना के संदर््भ मेें कथन का परीक्षण कीजिए।  (2017)
 निगरानी तंत्र का सदृढ़ ु ीकरण: ‘कॉमन एप््ललिके शन सॉफ़्टवेयर’ के माध््यम 5. सार््वभौमिक स््ववास््थ््य संरक्षण प्रदान करने मेें सार््वजनिक स््ववास््थ््य
से वास््तविक समय की सचू ना प्रौद्योगिकी-आधारित निगरानी लागू करना। प्रणाली की अपनी परिसीमाएँ हैैं। क््यया आपके विचार मेें खाई को पाटने
 सभी स््तरोों पर परिभाषित जवाबदेही के साथ क्षेत्र मेें संयक्त ु स््ववास््थ््य और मेें निजी क्षेत्रक सहायक हो सकता है? आप अन््य कौन से व््यवहार््य
पोषण समीक्षाएँ आयोजित करना। विकल््प सुझाएँगे?  (2015)

स्वास्थ्य औ 95
7 शिक्षा

परिचय शिक्षा की वार््षषिक स्थिति रिपोर््ट , 2023


शिक्षा, पर्ू ्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न््ययायसंगत और न््ययायपर्ू ्ण समाज z शिक्षा की वार््षषिक स््थथिति रिपोर््ट (ASER) रिपोर््ट, 2023 पष्ु टि करती है
को विकसित करने तथा राष्ट्रीय विकास को बढ़़ावा देने के लिए एक मल ू भतू कि प्राथमिक स््ककूल जाने वाले उम्र के लड़के और लड़कियाँ सभी स््ककूल
आवश््यकता है। वैश्विक मंच पर सामाजिक न््ययाय और समानता, वैज्ञानिक उन््नति, मेें वापस आ गए हैैं। बच््चोों के लिए सीखने को आकर््षक बनाना आज
थोड़़े से प्रयास से संभव है।
राष्ट्रीय एकता और सांस््ककृ तिक संरक्षण के संदर््भ मेें, गुणवत्तापूर््ण शिक्षा तक
z कई राज््योों मेें सरकारी स््ककूल अब सीमांत और कमजोर सामाजिक वर्गगों
सार््वभौमिक पहुचँ प्रदान करना, भारत की सतत प्रगति और आर््थथिक विकास के बच््चोों के लिए सबसे अनक ु ू ल स््थथान बन गए हैैं, क््योोंकि माता-पिता
की कंु जी है। (राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020) के पास व््यय करने योग््य आय सीमित है और लड़कियोों की शिक्षा के वल
संवैधानिक प्रावधान औपचारिकता के लिए है।
z आय और रोजगार कम होने के कारण तीन-चौथाई बच््चचे सरकारी स््ककूलोों
86वेें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के माध््यम से अनुच््छछे द 21 'क' के
मेें वापस आ गए हैैं।
तहत शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप मेें शामिल किया गया है
साथ ही अनुच््छछे द 45 की विषय वस््ततु को बदल दिया गया और अनुच््छछे द 51 खराब सकल
राजनीतिक हस््तक्षेप
'क' के तहत शिक्षा से संबंधित एक मौलिक कर््तव््य जोड़़ा गया। नामांकन अनुपात
उच््च शिक्षा
z अनुच््छछे द 21 क: राज््य छह से चौदह वर््ष की आयु के सभी बच््चोों को निःशल्
ु ्क अपर््ययाप्त बुनियादी ढाँचा अपर््ययाप्त वित्तीय सहायता
मेें चुनौतियाँ
और अनिवार््य शिक्षा प्रदान करे गा। माँग और कौशल औद्योगिक उन््ममुखी
z अनुच््छछे द 45: छह वर््ष की आयु परू ी करने तक सभी बच््चोों के लिए प्रारंभिक की कमी शिक्षा का अभाव
बाल््ययावस््थथा की देखभाल और शिक्षा प्रदान करना। चुनौतियााँ
z अनुच््छछे द 51 क: प्रत््ययेक माता-पिता या अभिभावक को यह सनिश्
ु चित करना z प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा: प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा की मख्ु ्य
होगा कि उनके बच््चचे या प्रतिपाल््य को छह से चौदह वर््ष की आयु के बीच चनु ौतियोों मेें सार््वजनिक विद्यालय मेें संसाधनोों का अभाव, बनिया
ु दी ढाँचे की
शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाएँ। कमी, शिक्षकोों की अनपु स््थथिति, शिक्षा की गणु वत्ता, बोर््ड परीक्षाओ ं से सबं ंधित
महत्त्वपूर््ण तथ्य उच््च जोखिम, जीवन कौशल प्रशिक्षण का अभाव, असंतलु ित शिक्षक-छात्र
अनपु ात, भारतीय भाषाओ ं की उपेक्षा आदि शामिल हैैं।
z साक्षरता दर (वर््ष 2011 की जनगणना के अनसु ार) 74.04% है; परुु षोों के लिए
z उच््चतर शिक्षा: उच््च शिक्षा की मख्ु ्य चनु ौतियोों मेें सकल नामांकन अनपु ात
82.14% और महिलाओ ं के लिए 65.46%। के रल की साक्षरता दर सबसे
(वर््ष 2021-22 मेें 28.4%), अयोग््य और अप्रशिक्षित शिक्षक, पीने के पानी,
अधिक 93.91% है और बिहार (63.82%) अति ं म स््थथान पर है। मत्रालय
ू और विद्तयु , फर्नीचर और अध््ययन सामग्री जैसी मल ू भतू सवि
ु धाओ ं का
z वर््ष 1976 मेें संविधान मेें 42वेें संशोधन द्वारा शिक्षा को 'समवर्ती विषय' बना अभाव, खराब गणु वत्ता, महँगी शिक्षा, लड़कियोों के लिए असरु क्षित वातावरण,
दिया गया। राजनीतिक हस््तक्षेप, अपर््ययाप्त अनसु ंधान, निजीकरण आदि शामिल हैैं।
z उच््चतर शिक्षा मेें सकल नामांकन अनपु ात पिछले एक दशक मेें लगातार बढ़़ा सरकारी हस्तक्षेप
है, जो वर््ष 2021-22 मेें 28.4% (GER) तक पहुचँ गया है।
प्राथमिक शिक्षा
z उच््च प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा के लिए सार््वजनिक स््ककूल प्रणाली के
z सर््व शिक्षा अभियान: इसका उद्देश््य समयबद्ध तरीके से प्राथमिक शिक्षा का
भीतर छात्र-शिक्षक अनपु ात 35:1 है। सार््वभौमीकरण करना है।
z भारत शिक्षा पर सकल घरे लू उत््पपाद का के वल 3.5% व््यय करता है, जो कुछ z ‘पढ़़े भारत, बढ़़े भारत’: यह कक्षा I और II के बच््चोों के लिए समझ के
विकासशील देशोों से कम है। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका का शिक्षा पर साथ पढ़ने-लिखने और प्रारंभिक गणितीय कौशल मेें सधु ार करने के लिए सर््व
व््यय उसकी GDP का 6.1% है। शिक्षा अभियान का एक उप-कार््यक्रम है।
z मध््ययाह्न भोजन: कक्षा I से VIII तक विद्यालय जाकर पढ़ने वाले बच््चोों के z ईशान उदय छात्रवत्ृ ति योजना: यह उच््च शिक्षा को बढ़़ावा देने और पर्ू वोत्तर
बीच नामांकन, प्रतिधारण और उपस््थथिति को बढ़़ाने और साथ ही पोषण स््तर क्षेत्र के आर््थथिक रूप से कमजोर वर्गगों के बच््चोों को प्रोत््ससाहित करने के लिए
मेें सधु ार करना इसका मख्ु ्य उद्देश््य है। एक विशेष छात्रवृत्ति योजना है।
z शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009: अनच्ु ्छछे द 21 'क' को लागू करने z स््वयं कार््यक्रम: इस कार््यक्रम के तहत, आईआईटी, आईआईएम, केें द्रीय
के लिए इसे अधिनियमित किया गया था। इसके अनसु ार, 6-14 वर््ष की आयु विश्वविद्यालयोों जैसे केें द्रीय वित्त पोषित संस््थथानोों के प्राध््ययापक हमारे देश के
के सभी बच््चोों को निःशल्ु ्क और अनिवार््य शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। नागरिकोों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करेेंगे।
यह सभी निजी विद्यालयोों मेें कक्षा I मेें प्रवेश के लिए आर््थथिक रूप से वंचित
z राष्ट्रीय उच््चतर शिक्षा अभियान (Rashtriya Uchchatar Shiksha
समदु ायोों के लिए 25% आरक्षण का भी प्रावधान करता है।
Abhiyan–RUSA): यह एक केें द्र प्रायोजित योजना (CSS) है, जिसे वर््ष
z निपुण भारत मिशन: 2013 मेें शरू
ु किया गया था, जिसका उद्देश््य पात्र राज््य उच््च शैक्षणिक संस््थथानोों
 शिक्षा मत्रालय ं ने आधारभतू साक्षरता और संख््ययात््मकता पर राष्ट्रीय मिशन को रणनीतिक वित्त पोषण प्रदान करना है।
शरू ु किया है, जिसे ‘निपणु भारत मिशन’ के नाम से जाना जाता है।
 निपण ु भारत मिशन को केें द्र प्रायोजित योजना समग्र शिक्षा के तत्त्वावधान हालिया उपाय
मेें स््थथापित किया गया है।
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा
 मिशन का लक्षष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के उद्श् दे ्योों के अनरू
ु प, वर््ष
2026-27 तक ग्रेड 3 के अतं तक प्रत््यक ये बच््चचे के लिए आधारभतू साक्षरता z राज््योों के लिए शिक्षण: अधिगम और परिणामोों को सदृु ढ़ करना (STARS)
और सख्ं ्ययात््मक कौशल मेें सार््वभौमिक दक्षता अर््जन प्राप्त करना है। परियोजना: चयनित राज््योों मेें हस््तक्षेप के माध््यम से भारतीय स््ककूल शिक्षा
 3 से 9 वर््ष की आयु के बच््चोों को लक्षित करते हुए, निपण ु भारत मिशन प्रणाली मेें समग्र निगरानी और मापन गतिविधियोों मेें सधु ार लाने की परिकल््पना
निम््नलिखित पर ध््ययान केें द्रित करता है: की गई है।
 शिक्षा तक पहुच ँ प्रदान करना और स््ककूली शिक्षा के प्रारंभिक वर्षषों z प्रज्ञाता: डिजिटल शिक्षा के लिए दिशा-निर्देश शिक्षार््थथियोों के दृष्टिकोण से
मेें प्रतिधारण सनिश्
ु चित करना। उन छात्ररों के लिए विकसित किए गए, जो लॉकडाउन के कारण घर पर थे।
 प्रशिक्षण और सहायता के माध््यम से शिक्षक क्षमताओ ं को बढ़़ाना। z समग्र शिक्षा अभियान: इसे गणु वत्तापर्ू ्ण शिक्षा प्रदान करने और छात्ररों के
 छात्ररों और शिक्षकोों दोनोों के लिए उच््च गण ु वत्ता वाली और विविध सीखने के परिणामोों को बढ़़ाने के उद्देश््य से सर््व शिक्षा अभियान (SSA),
शिक्षण सामग्री विकसित करना। राष्ट्रीय माध््यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) की
 शैक्षिक उद्देश््योों को प्राप्त करने के लिए प्रत््ययेक बच््चचे की प्रगति की
तीन योजनाओ ं को मिलाकर शरू ु किया गया था। यह स््ककूली शिक्षा के सभी
निगरानी करना। स््तरोों पर सामजं स््य और समावेशन सनिश्
ु चित करने मेें सहायता करे गा।

माध्यमिक शिक्षा उच्चतर शिक्षा


z माध््यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओ ं को प्रोत््ससाहन की राष्ट्रीय योजना: z पनु र््गठित उच््च शिक्षा वित्तपोषण एजेेंसी (HEFA)
इसका उद्देश््य माध््यमिक स््तर पर 14-18 आयु वर््ग की बालिकाओ ं के नामांकन द्वारा वित्त पोषित RISE योजना का उद्देश््य प्रमख ु
को प्रोत््ससाहन देना है। शैक्षणिक संस््थथानोों मेें अनसु ंधान और शिक्षा संबंधित
z व््ययावसायिक शिक्षा की योजना: यह योजना व््ययावसायिक शिक्षा को बनिया
ु दी ढाँचे मेें निवेश बढ़़ाना है।
सामान््य शैक्षणिक शिक्षा के साथ एकीकृ त करती है। इसका प्रमख ु उद्देश््य z प्रधानमत्ं री अनसु ंधान अध््ययेता (PMRF) योजना
अर््थव््यवस््थथा के विभिन््न क्षेत्ररों के लिए शिक्षित, रोजगार योग््य और प्रतिस््पर्द्धी का उद्देश््य वैज्ञानिक अनसु ंधान को आगे बढ़़ाने के
मानव ससं ाधन तैयार करना है। लिए अनसु ंधान और तकनीकी संस््थथानोों मेें सर्वोत्तम
z अटल नवाचार मिशन: इसका उद्देश््य देश भर मेें विद्यालय, विश्वविद्यालय, प्रतिभाओ ं को आकर््षषित करना है।
अनसु ंधान संस््थथानोों, सक्षू ष्म, मध््यम एवं लघु उद्यम (MSME) और उद्योग अनुसंधान
z IMPRINT (अनसु धं ान नवप्रवर््तन तथा प्रौद्योगिकी
स््तरोों पर नवाचार और उद्यमिता का एक पारिस््थथितिकी तंत्र विकसित और (Research)
प्रोत््ससाहित करना है। का प्रभावीकरण) आईआईटी और आईआईएससी
के बीच एक सयं क्त ु पहल है, जिसका उद्देश््य मौलिक
उच्चतर शिक्षा वैज्ञानिक और तकनीकी अनसु धं ान को बढ़़ावा देना है।
z उड़़ान: इस योजना का उद्देश््य वंचित छात्राओ ं और अनसु चि ू त जाति/ अनसु चि ू त z अकादमिक और अनसु ंधान सहयोग संवर्दद्धन योजना
जनजाति और अल््पसंख््यकोों के छात्ररों को विशेष रूप से विज्ञान और गणित
(SPARC Scheme) का उद्देश््य भारतीय संस््थथानोों
मेें स््ककूल से लेकर स््ककूल के बाद की व््ययावसायिक शिक्षा मेें स््थथानांतरित करने
और विश्व-अग्रणी समकक्षषों के बीच सहयोग की
मेें सक्षम बनाना है।
सवि ु धा प्रदान करके भारत के उच््च शिक्षा अनसु ंधान
z सक्षम: इस योजना का उद्देश््य तकनीकी क्षेत्ररों मेें उच््च शिक्षा प्राप्त करने के
पारिस््थथितिकी तंत्र मेें सधु ार करना है।
इच््छछुक दिव््ययाांग छात्ररों के लिए प्रत््ययेक वर््ष 1,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना है।

शिक् 97
z राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लक्षष्य वर््ष z राष्ट्रीय सस्ं ्थथागत रैैंकिंग फ्रे मवर््क (NIRF) 2015
छात्ररों का 2035 तक उच््च शिक्षा मेें सकल नामांकन अनपु ात भारत मेें उच््च शैक्षणिक संस््थथानोों को श्रेणीबद्ध करने
नामांकन के लिए शिक्षा मत्रालय ं (MoE) द्वारा स््थथापित एक
(जीईआर) को 50% तक बढ़़ाना है।
(Enrollment पद्धति है।
 इसमेें अत ं ःविषय दृष्टिकोण के माध््यम से पाठ्यक्रम
of Students)
को लचीला बनाने पर जोर दिया गया है।  इसका उद्देश््य संस््थथानोों को अपने विकास को

बढ़़ावा देने के साथ-साथ एक-दसू रे के विरुद्ध


 यह नीति शिक्षा प्रणाली के भीतर कई निकास
प्रतिस््पर्द्धा करने के लिए प्रोत््ससाहित करना है।
बिंदओु ं के निर््ममाण की वकालत करती है।
z एनआईआरएफ रैैंकिंग प्रतिष्ठित संस््थथान योजना
 एसटी, एससी, ओबीसी और एसईडीजी छात्ररों
(IoE) के अतं र््गत निजी संस््थथानोों के मल्ू ्ययाांकन के
को उनकी योग््यता के आधार पर छात्रवृत्ति प्रदान लिए एक मानदडं के रूप मेें भी कार््य करती है।
गुणवत्ता
की जाती है।
मेें सुधार  IoE योजना का लक्षष्य 20 संस््थथानोों (10
z मक्तु और दरू स््थ शिक्षा के लिए नए यजू ीसी नियम (Improving सार््वजनिक और 10 निजी) को विश्व स््तरीय
प्रतिष्ठित संस््थथानोों को दरू स््थ माध््यम से शिक्षा प्रदान Qualities) शिक्षण और अनसु ंधान संस््थथानोों के रूप मेें
करने की अनमु ति देते हैैं। स््थथापित या उन््नत करना है।
छात्ररों का z SWAYAM पोर््टल व््यक्तियोों को उच््च गणु वत्ता z विश्वविद्यालय अनदु ान आयोग (यजू ीसी) ने वित्त
नामांकन वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए एक मचं के रूप पोषण इच््छछुक सभी उच््च शिक्षा सस्ं ्थथानोों (एचईआई)
(Enrollment मेें कार््य करता है। के लिए एनएएसी मल्ू ्ययाांकन अनिवार््य कर दिया है।
of Students) z YUKTI 2.0 प््ललेटफॉर््म उच््च शिक्षा संस््थथानोों  अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद
मेें व््ययावसायिक क्षमता वाली प्रौद्योगिकियोों और (एआईसीटीई) ने निर््धधारित किया है कि उच््च
इनक््यबयू ेटेड स््टटार््टअप से संबंधित जानकारी को शिक्षा संस््थथानोों द्वारा प्रस््ततावित कार््यक्रमोों मेें से
व््यवस््थथित रूप से एकीकृ त करने मेें सहायता करता है। कम-से-कम आधे को राष्ट्रीय प्रत््ययायन बोर््ड
z उन््नत भारत अभियान विकास चनु ौतियोों की पहचान (एनबीए) द्वारा मान््यता प्राप्त होना चाहिए।
करने और ग्रामीण विकास के लिए स््थथायी समाधान व्यावहारिक सुझाव
तैयार करने के लिए उच््च शैक्षणिक संस््थथानोों और z प्राथमिक और माध््यमिक शिक्षा को बढ़़ावा देने के लिए सकल घरे लू उत््पपाद
ग्रामीण समदु ायोों के बीच सहयोग की सवि ु धा प्रदान का न््यनयू तम 6% शिक्षा पर आवंटित किया जाए।
करता है।
z व््यक्तिगत प्रशिक्षण, कौशल-उन््ममुख शिक्षा और शैक्षिक असमानताओ ं को कम
z राष्ट्रीय उच््चतर शिक्षा अभियान (RUSA), 2013 करने पर विशेष ध््ययान देना।
का उद्देश््य राज््य सस्ं ्थथानोों को उनके शासन और z बनिया
ु दी ढाँचे मेें वृद्धि, प्रौद्योगिकी एकीकरण और दिव््ययाांग बच््चोों की शैक्षिक
प्रदर््शन के संबंध मेें वित्तपोषण करना है। आवश््यकताओ ं को परू ा करने पर ध््ययान केें द्रित करना।
z वर््ष 2018 मेें MoE और के नरा बैैंक के सयं क्त ु उद्यम z प्रौढ़ साक्षरता को बढ़़ावा देने के साथ-साथ नैतिक और न््ययायसंगत शिक्षा प्रदान
के रूप मेें बनाई गई उच््च शिक्षा वित्तपोषण एजेेंसी करने पर अधिक ध््ययान देना।
(HEFA) का उद्देश््य शीर््ष संस््थथानोों मेें बनिया
ु दी ढाँचे z शिक्षक विकास कार््यक्रमोों को लक्षित करना और लिंग-तटस््थ शैक्षिक प्रथाओ ं
मेें सधु ार के वित्तपोषण के लिए बाजार, दान और का प्रचार करना।
अनुदान और CSR कोष से धन प्राप्त करना है।
विनियमन z उच््च शिक्षा मेें सकल नामांकन अनपु ात (जीईआर) बढ़़ाना और हाशिये पर
z भारतीय उच््च शिक्षा आयोग (HECI) को यजू ीसी रहने वाले समहोू ों के लिए समावेशिता सनिश् ु चित करना।
(Funding
या एआईसीटीई के स््थथान पर उच््च शिक्षा के एक अनसु धं ान और नवाचार को प्रोत््ससाहित करने के लिए एक सहायक वातावरण
and z
व््ययापक नियामक के रूप मेें कार््य करने का प्रस््तताव का निर््ममाण करना।
Regulation)
दिया गया था। z उच््चतर शिक्षा को बाजार की माँगोों के साथ संरेखित करके स््ननातकोों की
z उच््च शिक्षण संस््थथानोों को सशक्त बनाने और रोजगार क्षमता को बढ़़ाना।
उन््हेें विश्व स््तरीय शिक्षण और अनसु ंधान संस््थथान z आर््थथिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रगति के लिए शिक्षा को मौलिक उत्प्रेरक
बनने मेें सहायता करने की सरकार की प्रतिबद्धता के रूप मेें मान््यता देना।
को लागू करने के लिए प्रतिष्ठित संस््थथान कार््यक्रम सतत विकास लक्षष्य 4 को प्राप्त करने मेें शिक्षा की महत्तत्वपर्ू ्ण भमि
z ू का को
(Institutions of Eminence Programme) स््ववीकार करते हुए, “समावेशी और समान गणु वत्ता वाली शिक्षा सनिश् ु चित करेें
शरू ु किया गया है। और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरोों को बढ़़ावा देना।”

98  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 z अपूर््ण कार््ययान््वयन:
 आरटीई अधिनियम के कार््ययान््वयन मेें अपर््ययाप्त वित्त, शिक्षकोों का
z बच््चोों का निःशल्ु ्क और अनिवार््य शिक्षा का अधिकार (आरटीई)
अभाव और निगरानी तंत्र की कमी जैसी चनु ौतियाँ शामिल है।
अधिनियम, 2009 का उद्देश््य 6-14 वर््ष की आयु के सभी बच््चोों के
 डीआईएसई, 2016 की रिपोर््ट के अनस ु ार, लगभग 17.51% स््ककूल
लिए निःशल्ु ्क और अनिवार््य शिक्षा प्रदान करना है।
अभी भी अनिवार््य छात्र-शिक्षक अनपु ात को परू ा नहीीं करते हैैं।
z यह अनच्ु ्छछे द 21(क) के तहत परिकल््पपित परिणामी विधान का प्रतिनिधित््व
उपर््ययुक्त सीमाओ ं का समाधान करने वाले एक व््ययापक दृष्टिकोण को अपनाकर
करता है, जिसका अर््थ है कि प्रत््ययेक बच््चचे को औपचारिक स््ककूल मेें भारत एक समावेशी, न््ययायसंगत और प्रभावी शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए
संतोषजनक और न््ययायसंगत गणु वत्ता की पर्ू क ्ण ालिक प्रारंभिक शिक्षा का आरटीई अधिनियम की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है, जो बच््चोों को
अधिकार है, जो कतिपय अनिवार््य मानदडों ों और मानकोों को परू ा करता है। सशक्त बना कर देश के समग्र विकास मेें और अधिक योगदान दे सकता है।
आरटीई अधिनियम के महत्त्वपूर््ण तथ्य राष्ट् रीय डिजिटल शिक्षा संरचना
z शिक्षा तक पहुच ँ मेें वद्ृ धि: 6-14 वर््ष की आयु के सभी बच््चोों को z यह डिजिटल बनिया ु दी ढाँचे के विकास के लिए शिक्षा पारिस््थथितिकी तंत्र
निःशल्ु ्क और अनिवार््य शिक्षा प्राप्त करने का प्रावधान करके इस संरचना प्रदान करे गा, यह एक संघीय लेकिन अतं र-संचालित प्रणाली है, जो
अधिनियम ने नामांकन दर बढ़़ाने और स््ककूल छोड़ने की दर को कम करने सभी हितधारकोों विशेष रूप से राज््योों और केें द्रशासित प्रदेशोों की स््ववायत्तता
मेें सहायता की है। शिक्षा की वार््षषिक स््थथिति रिपोर््ट (एएसईआर) 2020 सनिश्
ु चित करे गी।
के अनसु ार, 6-14 वर््ष की आयु के बच््चोों के लिए कुल नामांकन दर वर््ष z यह एक नवीन शिक्षा पारिस््थथितिकी तंत्र के निर््ममाण मेें सहायता करे गा, जो
2006 मेें 93.4% से बढ़कर वर््ष 2020 मेें 96.3% हो गई है। इस प्रकार एक डिजिटल आधार तैयार करे गा, जो इसमेें शामिल सभी पक्षषों विशेष रूप
अधिनियम ने शिक्षा तक पहुचँ मेें सधु ार करने मेें महत्तत्वपर्ू ्ण प्रगति की है। से राज््योों और केें द्र को स््वशासन की ओर ले जाएगा।
z बुनियादी ढाँचे और गुणवत्ता मेें सधा ु र: आरटीई अधिनियम यह भी z यह शिक्षाविदोों को प्रतिभा और क्षमताओ ं के आधार पर मल्ू ्ययाांकन करने
सनिश्
ु चित करता है कि स््ककूल, ब निया
ु दी ढाँचे और शिक्षक योग््यता के सदं र््भ की सवि ु धा देता है, जिससे छात्ररों को उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र को समझने
मेें कुछ न््यनयू तम मानकोों को परू ा करेें। अधिनियम के कार््ययान््वयन के बाद से मेें सहायता मिलती है और इसका उपयोग उनके भविष््य के पेशवे र जीवन मेें
स््ककूलोों के बनिया
ु दी ढाँचे मेें महत्तत्वपर्ू ्ण सधु ार हुआ है, जिला शिक्षा सचू ना किया जा सकता है।
प्रणाली (डीआईएसई) के अनसु ार कार््ययात््मक शौचालय वाले स््ककूलोों का z इसके अतं र््गत सरकार शिक्षा क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी समाधान का निर््ममाण नहीीं
प्रतिशत वर््ष 2010 मेें 62.6% से बढ़कर वर््ष 2016 मेें 79.4% हो गया है। करे गी, बल््ककि एक सक्षमकर््तता के रूप मेें कार््य करे गी और एक ऐसी रूपरे खा
की पेशकश करे गी, जिसमेें प्रौद्योगिकी को किसी के द्वारा भी विकसित और
आरटीई अधिनियम की सीमाएँ निर््ममित किया जा सकता है।
z सीखने के परिणामोों पर सीमित ध््ययान: z यह 'डिजिटल प्रथम' दृष्टिकोण को बढ़़ावा देता है, शिक्षण और सीखने की
 यदि आरटीई अधिनियम सीखने के परिणामोों पर विशेष ध््ययान नहीीं देता गतिविधियोों का समर््थन करता है और शैक्षिक योजना के साथ-साथ शासन
है, तो यह शिक्षा को प्रभावी रूप से प्रोत््ससाहित नहीीं कर सकता है। और प्रशासनिक गतिविधियोों को सवि ु धाजनक बनाता है।
 एएसईआर, 2018 की रिपोर््ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी हेतु राष्ट् रीय शैक्षिक गठबंधन
स््तर पर कक्षा 5 के के वल 50.3% छात्र कक्षा 2 के स््तर का पाठ पढ़ z शिक्षा मत्रालय
ं ने सरकार (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-AICTE
सकते हैैं, जो सीखने के अतं र को दर््शशाता है। के माध््यम से) और सपं र्ू ्ण भारत मेें शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनियोों के बीच सहयोग
z जागरूकता सज ृ न को पर््ययाप्त महत्तत्व न देना: के रूप मेें NEAT की शरुु आत की।
 स््ककूली शिक्षा के लाभोों के बारे मेें व््ययापक जागरूकता के बिना, छात्ररों z इसका उद्देश््य शिक्षार्थी की सवि
ु धा के लिए एक ही मचं पर यवु ाओ ं की रोजगार
को उपस््थथिति के लिए प्रोत््ससाहन देना चनु ौतीपर्ू ्ण हो जाता है। क्षमता को बढ़़ाने के लिए शिक्षा मेें उच््च गणु वत्ता वाले तकनीकी समाधानोों
 सर््व शिक्षा अभियान के ‘चलो स््ककूल चले’ अभियान जैसी पहल का
तक पहुचँ प्रदान करना है।
उद्देश््य जागरूकता बढ़़ाना है, किंतु इसमेें विस््ततार की आवश््यकता है। z ये समाधान व््यक्तिगत और अनरू ु प शिक्षण अनभु व प्रदान करने के लिए कृत्रिम
बद्धि
ु मत्ता का उपयोग करते हैैं, जिससे सीखने के परिणामोों मेें सधु ार होता है
z वंचित वर्गगों के लिए अपर््ययाप्त प्रोत््ससाहन:
और विशेष क्षेत्ररों मेें कौशल विकास होता है।
 हाशिये पर रहने वाले बच््चोों के बीच स््ककूल मेें उपस््थथिति को प्रोत््ससाहित
z NEAT भारत और विश्व की ज्ञान-आधारित आवश््यकताओ ं को परू ा करते
करने के लिए छात्रवृत्ति, परिवहन या मध््ययाह्न भोजन जैसे प्रावधानोों
हुए, विशेष रूप से आर््थथिक रूप से वंचित छात्ररों के बीच डिजिटल विभाजन
की कमी है। को कम करने की ओर अग्रसर है।
 मध््ययाह्न भोजन योजना अस््ततित््व मेें है, हालाँकि, इसके कार््ययान््वयन मेें
z यह अपने व््यवसाय-से-व््यवसाय (बी2बी) और व््यवसाय-से-उपभोक्ता (बी2सी)
चनु ौतियोों का सामना करना पड़ता है, इसमेें अधिक समावेशन के लिए मॉडल के माध््यम से एड-टेक कंपनियोों (शिक्षा और प्रौद्योगिकी का संयोजन),
अतिरिक्त प्रोत््ससाहन की आवश््यकता है। शैक्षणिक संस््थथानोों और छात्ररों के बीच एक सेतु के रूप मेें कार््य करता है।

शिक् 99
एडटेक का विनियमन सामाजिक कौशलोों पर अल्प ध्यान
z एडटेक मल ू तः 'शिक्षा और प्रौद्योगिकी' का एक संयोजन है। यह सीखने की z एडटेक मचं पारंपरिक स््ककूली शिक्षा को परू ी तरह से प्रतिस््थथापित नहीीं कर
सवि
ु धा के लिए कंप््ययूटर हार््डवेयर, सॉफ््टवेयर और शैक्षिक सिद््धाांत का एक सकते क््योोंकि स््ककूल, क््ललासरूम शिक्षा के अतिरिक्त सहयोग, खेल और विचार
संयक्त
ु उपयोग है। जैसे महत्तत्वपर्ू ्ण जीवन कौशल को बढ़़ावा देने मेें महत्तत्वपर्ू ्ण भमि
ू का निभाते हैैं।
z कोविड-19 के दौरान दरू स््थ शिक्षा अचानक एकमात्र विकल््प बन गई क््योोंकि आगे की राह
संस््थथानोों, छात्ररों, अभिभावकोों और अधिकारियोों ने डिजिटल मोड पर कार््य z एड-टेक परिदृश््य, विशेष रूप से इनके स््तर, पहुचँ और प्रभाव को परू ी तरह से
करना प्रारंभ कर दिया। मानचित्रित करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। शिक्षकोों और छात्ररों के लिए
z भारतीय एडटेक उद्योग का मल्ू ्य वर््ष 2020 मेें 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर पहुचँ , समानता, बनिया ु दी ढाँच,े प्रशासन और गणु वत्ता से सबं ंधित परिणामोों
था और वर््ष 2025 तक इसके 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुचँ ने की और चनु ौतियोों पर ध््ययान केें द्रित किया जाना चाहिए।
z नीति निर््ममाण और योजना प्रक्रिया को सभी योजनाओ ं मेें अभिसरण योग््य
उम््ममीद है।
बनाने का प्रयास करना चाहिए। (शिक्षा, कौशल, डिजिटल प्रशासन और वित्त)।
स्व-नियमन (SELF -REGULATION) z यह सनिश् ु चित किया जाना चाहिए कि एड-टेक नीतियाँ तीन प्रमख ु तत्तत्ववों पर
z एडटेक कंपनियोों ने इटं रनेट एडं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इडिया ं ध््ययान केें द्रित करती होों:
(आईएएमएआई) के तत्त्वावधान मेें एक सामहि ू क 'इडिया
ं एडटेक संघ' का 1. शिक्षण, सीखना और मल्ू ्ययाांकन की प्रक्रियाओ ं को सक्षम बनाना,
गठन किया है। 2. सुलभता,
z इस संघ ने अपने व््यवसायोों के लिए एक आचार संहिता अपनाई है। हालाँकि, 3. शासन- योजना, प्रबंधन और निगरानी प्रक्रियाओ ं सहित शासन प्रणालियोों
सरकार पहले ही एडटेक क्षेत्र को विनियमित करने के लिए एक नीति बनाने मेें सुधार।
का सकं े त दे चक
ु ी है। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2021-
विनियमन की आवश्यकता 2022 के मुख्य निष्कर््ष
z गोपनीयता जोखिम: z परिचय: शिक्षा मत्रालय
ं द्वारा जारी, AISHE वर््ष 2011 से उच््च शिक्षा
 शैक्षिक एप््ललीके शन (Apps) उपकरणोों के माध््यम से उपयोगकर््तताओ ं से सांख््ययिकी और सार््वजनिक सचू ना प्रणाली (HESPIS) योजना के अतं र््गत
व््ययापक डेटा एकत्र करते हैैं और सीखने के अनभु वोों को अनक ु ू लित करने आयोजित किया जा रहा है।
और भविष््य के ऐप संस््करणोों को बेहतर बनाने के लिए इसका सक्षू ष्मता z भागीदारी और डेटा सग्रं ह:
से विश्ले षण करते हैैं।  डेटा सग्रं ह मेें विश्वविद्यालय अनदु ान आयोग, अखिल भारतीय
 जीपीएस, गायरोस््ककोप और बायोमेट्रिक सेेंसर जैसे सेेंसर शिक्षार्थी के तकनीकी शिक्षा परिषद और राज््य सरकारोों जैसे प्रमख
ु हितधारकोों
परिवेश और भावनाओ ं के बारे मेें विस््ततृत जानकारी प्रदान करते हैैं, जिससे की भागीदारी है।
गोपनीयता और सरु क्षा के बारे मेें चितं ाएँ बढ़ जाती हैैं।  सर्वेक्षण आयोजित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड और एक समर््पपित
z एकाधिकार: पोर््टल का उपयोग किया गया है।
 उद्यम पँज ू ी-समर््थथित एडटेक मचं कम या बिना किसी लागत पर सेवाएँ z सस्ं ्थथानोों की सख्
ं ्यया:
प्रदान कर सकते हैैं, जिससे संभावित रूप से उद्योग मेें एकाधिकारवादी
 1,168 विश्वविद्यालय, 45,473 कॉलेज और 12,002 स््टैैंडअलोन
प्रथाओ ं को बढ़़ावा मिल सकता है।
सस्ं ्थथान पजं ीकृ त किए गए।
z एल््गगोरिथम पूर््ववा ग्रह:
 17 विश्वविद्यालय और 4,470 कॉलेज विशेष रूप से महिलाओ ं के
 एडटे क मंच प्रायः एआई-आधारित उपकरण पर निर््भर करते हैैं, जो
लिए हैैं।
छात्ररों के शैक्षणिक जीवन पर दीर््घकालिक प्रभाव के साथ पर््ववाग्र
ू ह उत््पन््न
z छात्र नामांकन:
कर सकते हैैं।
 कुल नामांकन वर््ष 2020-21 मेें 4.14 करोड़ से बढ़कर वर््ष 2021-22
उदाहरण के लिए, यू.के . मेें वंचित पृष्ठभमिू के छात्ररों को एल््गगोरिथम पूर््ववाग्रहोों के
कारण निम््न श्रेणी प्राप्त हुई, जो प्रणालीगत मद्ददों मेें लगभग 4.33 करोड़ हो गया।
ु को उजागर करती हैैं।
 18-23 वर््ष आयु वर््ग के लिए उच््च शिक्षा मेें सकल नामांकन अनपु ात
ऋण आधारित शुल्क प्रणाली
(जीईआर) 28.4 है, जो वैश्विक औसत 40% से कम है।
z एडटेक कंपनियोों की शल्ु ्क संरचना प्रत््ययेक व््यक्ति के लिए किफायती नहीीं हो
 लिंग समानता सचू कांक (Gender Parity Index -GPI) 1.01 है,
सकती है, क््योोंकि वे उपभोक्ता-संचालित सेवाओ ं के रूप मेें कार््य करती हैैं
जिसमेें महिला जीईआर लगातार पाँचवेें वर््ष परुु ष जीईआर से आगे है।
और उच््च शल्ु ्क लेती हैैं।

100  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z संस््थथानोों मेें बनिया
ु दी सवि
ु धाओ ं की उपलब््धता: लाभ का उद्देश्य
 पस् ु ्तकालयोों (97%) और प्रयोगशालाओ ं (88%) की उच््च z निजी संस््थथान, जिनकी स््थथापना प्रायः व््यवसायियोों द्वारा की जाती है,
उपलब््धता। व््ययावसायिक हितोों की सरु क्षा को प्राथमिकता देते हैैं। यह सरकारी एजेेंडे या
सामाजिक भावनाओ ं के अनरू ु प संस््थथागत नीतियोों को आकार देते हैैं।
 राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर््क के माध््यम से कनेक््टटिविटी बढ़़ाना (वर््ष 2020-

21 मेें 56%)। z उदाहरण- इतिहासकार रामचद्रं गहु ा की अहमदाबाद विश्वविद्यालय मेें नियक्ति ु
पर एक धार््ममिक समहू के विरोध के बाद उनका विश्वविद्यालय मेें पद ग्रहण
 कौशल विकास केें द्र की उपलब््धता 61% है।
करने से इनकार करना।
z विदेशी छात्ररों का प्रतिनिधित््व:
अपर्याप्त बुनियादी ढााँचा
 भारत 46,878 विदेशी छात्ररों की मेजबानी करता है, जिसमेें नेपाल
z कुछ निजी संस््थथान कम शल्ु ्क पर गणु वत्तापर्ू ्ण शिक्षा देने का वादा करते हैैं,
28% के साथ अग्रणी है।
जिसके परिणामस््वरूप अपर््ययाप्त बनियाु दी ढाँचा और अप्रशिक्षित शिक्षकोों की
 अधिकांश विदेशी छात्र स््ननातक पाठ्यक्रमोों मेें नामांकित हैैं (74.8%)।
समस््यया होती हैैं।
उच्च शिक्षा मेें निजी क्षेत्र z ये समस््ययाएँ संस््थथानोों की क्षमता को अस््थथिर करती है और संस््थथान अचानक
बंद होने की ओर अग्रसर हो जाते हैैं, जिससे बहुत से छात्र शिक्षा से वंचित
z हमारे अधिकांश प्रमख ु शिक्षा संस््थथानोों को सरकार (राज््य या केें द्र) द्वारा वित्त
रह जाते हैैं।
पोषित किया जाता है और वे सभी गैर-लाभकारी उद्यमोों के रूप मेें चलाए
जाते हैैं। पारदर््शशिता का अभाव
z शिक्षा के क्षेत्र मेें निजी क्षेत्र के प्रवेश से इजं ीनियरिंग, दतं चिकित््ससा, चिकित््ससा z उच््च निजी सस्ं ्थथान छात्ररों को आकर््षषित करने के लिए अस््पष्ट तरीके अपनाते
और फार्मेसी जैसे व््ययावसायिक पाठ्यक्रम शरू ु हुए हैैं। हैैं, उनके पाठ्यक्रम संरचनाओ ं और शल्ु ्क व््यवस््थथा मेें स््पष्टता का अभाव होता
है, जो संभावित छात्ररों को हतोत््ससाहित कर सकता है।
z निजी क्षेत्र के लिए अवसरोों मेें समय के साथ वृद्धि हुई क््योोंकि निजी क्षेत्र को
यह आभास हुआ कि इच््छछुक छात्ररों की उचित आपर््तति ू है, जो शिक्षा की लागत कार््यकाल की सुरक्षा:
वहन कर सकते है। z निजी संस््थथानोों मेें प्रायः शिक्षकोों के लिए नौकरी की सरु क्षा का अभाव होता
है, इसलिए वह प्रबंधन के निर्देशोों का अनसु रण करने के लिए स््वयं को बाध््य
निजी संस्थानोों की भूमिका महससू कर सकते हैैं।
z शैक्षणिक स््वतंत्रता: निजी संस््थथानोों मेें शिक्षकोों और कर््मचारियोों की नियक्ति
ु मेें z विशेष रूप से, प्रताप भानु मेहता और अरविंद सब्रु मण््यन जैसे प्रमख ु अध््ययापकोों
सरकार कोई भमि ू का नहीीं निभाती है। इसके अतिरिक्त, वे दैनिक गतिविधियोों ने कथित तौर पर सरकार की आलोचना पर प्रबंधन की चितं ाओ ं के कारण
को परू ा करने के लिए सरकारी सहायता पर भी निर््भर नहीीं हैैं। अशोका विश्वविद्यालय से त््ययागपत्र दे दिया।
z उन््नत बनिया
ु दी ढाँचा: निजी सस्ं ्थथान बेहतर बनिया ु दी ढाँचे और अच््छछी गणु वत्ता त्रुटिपूर््ण परिणाम:
वाले शिक्षक प्रदान करके छात्ररों के बेहतर शैक्षणिक प्रदर््शन का वादा करते हैैं। z विशेषाधिकार प्राप्त छात्र प्रायः निजी संस््थथानोों मेें बेहतर परिणाम प्राप्त करते
वे अभिभावकोों को अपनी ओर आकर््षषित करने के लिए इसे एक महत्तत्वपर्ू ्ण हैैं, अधिकतर सामाजिक-आर््थथिक पृष्ठभमिू के कारण, न की बेहतर संसाधनोों
कारक के रूप मेें उपयोग करते हैैं। के कारण।
z सरकारी विद्यालयोों और विश्वविद्यालयोों को परू क बनाना: निजी संस््थथान आगे की राह
विश्वविद्यालयोों का समर््थन करते हैैं क््योोंकि सरकार के पास विशाल भारतीय
z लोकतांत्रिक निर््णय लेना।
आबादी को परू ी तरह से समायोजित करने की क्षमता नहीीं है।
z शिक्षा का अधिकार अधिनियम का समचि ु त क्रियान््वयन।
z व््यवसाय क्षेत्र से संसाधन जटाु ना: कॉर्पोरे ट सामाजिक उत्तरदायित््व (सीएसआर) z शिक्षा क्षेत्र के लिए गैर-लाभकारी अधिदेश और मौजदू ा शल्ु ्क नियमोों की
के तहत कॉर्पोरे ट क्षेत्र से वित्त, अनदु ान और ऋण जटा ु ने से भारत मेें उच््च समीक्षा करना, निजी स््ककूलोों के लिए कॉर्पोरे ट प्रशासन संरचनाओ ं को शरू ु
शिक्षा के पारिस््थथितिकी तंत्र मेें सधु ार हो रहा है। करना और निजी स््ककूलोों को सक्षू ष्म, लघु या मध््यम उद्यमोों के रूप मेें वर्गीकृ त
z गैर-लाभकारी उद्देश््योों के लिए निजी विश्वविद्यालयोों की स््थथापना: इस प्रकार करना।
के विश्वविद्यालय उच््च शिक्षा को किफायती और निम््न आर््थथिक वर््ग के छात्ररों z न््ययायपर्ू ्ण एवं समान शैक्षणिक व््यवस््थथा बनाए रखने मेें राज््य की भमि
ू का को
के लिए सल ु भ बना रहे हैैं। नजरअदं ाज नहीीं किया जा सकता।
चिंताएँ निष्कर््ष
शिक्षा वितरण को प्राथमिकता देना महत्तत्वपूर््ण है, चाहे वह निजी माध््यम से हो
असमानताओ ं मेें वृद्धि:
या सार््वजनिक माध््यम से। सार््वजनिक संस््थथानोों की स््थथिति के बारे मेें चिंताएँ रही
z निजी संस््थथान अपनी उच््च लागत के कारण वर््ग विभाजन को बढ़़ावा देते हैैं हैैं, जिससे निजी संस््थथानोों द्वारा निर््धधारित मानकोों के अनुरूप उनमेें सधु ार करने
और कई छात्ररों को पहुचँ से बाहर कर देते हैैं। की आवश््यकता पर बल दिया गया है। इसके अतिरिक्त, गुणवत्तापूर््ण शैक्षणिक
z निजी सस्ं ्थथानोों मेें लिंग और जातिगत असमानताएँ बनी रहती हैैं, जहाँ उच््च संस््थथानोों के लिए आबादी की बढ़ती माँगोों और अपेक्षाओ ं को पूरा करने के लिए
जाति पृष्ठभमिू के छात्ररों का प्रतिनिधित््व असमान रूप से होता है। निजी विश्वविद्यालय महत्तत्वपूर््ण हैैं।

शिक् 101
प्रतिभा पलायन  सरकारी नीतियाँ (Government Policies): प्रतिभा पलायन
को रोकने के लिए प्रतिबंधात््मक नीतियाँ, जैसे कि अमेरिका मेें प्रवास
संदर््भ करने वाले डॉक््टरोों को एनओआरआई प्रमाणपत्र जारी न करना, प्रायः
z गृह मत्रालय
ं (MHA) की हालिया जानकारी के अनसु ार, विगत पाँच वर्षषों मेें दीर््घकालिक चितं ाओ ं का निवारण करने मेें विफल रहती हैैं।
छह लाख से अधिक भारतीयोों ने अपनी नागरिकता का त््ययाग किया है। यह  साहित््ययिक चोरी और आजीविका विकास के मुद्दे (Plagiarism
भारत से प्रतिभा पलायन की मात्रा को दर््शशाता है। and Career Growth Issues): समयबद्ध पदोन््नति और बौद्धिक
प्रौद्योगिकी कंपनियोों की एक लंबी सचू ी है, जिनके प्रमख सपं दा अधिकार चनु ौतियोों जैसे मद्ु दे भी प्रवास को प्रेरित कर सकते हैैं।
z ु अमेरिका मेें प्रवास
करने वाले भारतीय हैैं। इस सचू ी मेें ट्विटर, गगू ल, माइक्रोसॉफ््ट, एडोब, अपकर््ष कारक
आईबीएम, पालो ऑल््टटो नेटवर््क््स समेत अन््य शामिल हैैं। यह भारत के प्रतिभा z अच््छछा पारिश्रमिक (Better Remuneration): विकसित देश उच््च वेतन
समहू को दर््शशाता है, जो विदेशोों मेें कार््य कर रहा है। और अच््छछे जीवन स््तर की पेशकश करते हैैं, जो वित्तीय स््थथिरता की तलाश
करने वाले प्रवासियोों को आकर््षषित करते हैैं।
महत्त्वपूर््ण तथ्य
z विकसित देशोों की नीतियाँ (Policies of Developed Countries):
z वैश्विक धन प्रवासन समीक्षा रिपोर््ट (Global Wealth Migration Review प्रवासी-अनक ु ू ल नीतियाँ, जैसे फ्रंटलाइन स््ववास््थ््य कर््ममियोों को नागरिकता प्रदान
Report) के अनसु ार, वर््ष 2022 मेें उच््च निवल मल्ू ्य वाले व््यक्तियोों (High- करना (उदाहरण- महामारी के दौरान फ््राांस द्वारा) प्रवासन को प्रोत््ससाहित करती
Net-Worth Individuals- HNIs) के देश छोड़ने के मामले मेें भारत चीन हैैं।
के बाद दसू रे स््थथान पर रहा। वर््ष 2022 मेें कम-से-कम 8,000 एचएनआई ने z वद्ध ृ जनसांख््ययिकी (Ageing Demography): विकसित देश बढ़ती
भारत छोड़ दिया। आबादी के बीच दक्षता बनाए रखने के लिए यवु ा श्रमिकोों को बनाए रखने
z मॉर््गन स््टटेनली की रिपोर््ट के अनसु ार, उच््च निवल मल्ू ्य वाले वाले 35,000 को प्राथमिकता देते हैैं।
भारतीय उद्यमियोों ने वर््ष 2014-2020 के मध््य एनआरआई/आप्रवासी के रूप z सामाजिक दबाव (Societal Pressure): उदारवादी विचारधारा वाले यवु ा
मेें भारत छोड़ दिया। भारत विश्व मेें पलायन मेें प्रथम स््थथान पर है। भारत मेें सामाजिक अपेक्षाओ ं से दबा हुआ अनभु व करते हैैं, जिसके कारण
वे विदेशोों के अधिक उदार समाज से प्रभावित हो सकते हैैं।
z भारत विकसित देशोों विशेषकर खाड़़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशोों, यरू ोप
z अच््छछा जीवन स््तर (Better Standard of Living): विकसित देश अच््छछे
और अन््य अग्ं रेजी भाषी देशोों मेें स््ववास््थ््य कर््ममियोों का एक प्रमख
ु निर््ययातक रहा है। जीवन स््तर, स््ववास््थ््य सेवा, शिक्षा, वेतन और कर लाभ प्रदान करते हैैं।
प्रतिभा पलायन क्या है ? z महामारी के दौरान माँग (Pandemic Demand): महामारी ने विदेशोों
प्रतिभा पलायन शिक्षित व््यक्तियोों का एक देश (प्रायः विकासशील देश) से दसू रे मेें स््ववास््थ््य कर््ममियोों की माँग बढ़़ा दी है, जिसके कारण वीजा विस््ततार जैसी
देश (प्रायः अधिक विकसित देश) मेें प्रवासन है। भारत उन््नत अर््थव््यवस््थथाओ ं के प्रवासी-अनक ु ू ल नीतियाँ लागू हुई हैैं (उदाहरण के लिए- य.ू के . पात्र विदेशी
लिए कुशल और अकुशल मानव पँजू ी का एक प्रमख ु आपूर््ततिकर््तता है। स््ववास््थ््य कर््ममियोों को एक वर््ष का वीजा विस््ततार दे रहा है)।

कारण सरकार द्वारा किए गए उपाय


z वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम््ममेलन: इसके तहत भारतीय
प्रतिकर््ष कारक (Push Factors): मलू के विदेशी शिक्षाविदोों और भारतीयोों ने विभिन््न चनु ौतियोों के अभिनव
 वित्तीय अनुसधा ं न सहायता का अभाव (Lack of Financial समाधान पर विचार करने के लिए भाग लिया।
Research Support): भारत का अनसु ंधान व््यय सकल घरे लू उत््पपाद z रामानुजन फेलोशिप: यह भारत के बाहर के प्रतिभाशाली भारतीय वैज्ञानिकोों
के 0.7% पर स््थथिर बना हुआ है, जो अन््य ब्रिक््स देशोों की तल ु ना मेें के लिए भारत मेें वैज्ञानिक अनसु ंधान पदोों को संभालने के लिए विकसित
उल््ललेखनीय रूप से निम््न है। की गई है।
 निम््न आय (Lower Income): विदेशोों मेें स््ववास््थ््य, अनसु ंधान और z विज्ञान मेें परिवर््तनकारी और उन््नत अनसु धं ान योजना (STARS), शैक्षणिक
आईटी जैसे क्षेत्ररों मेें बेहतर भगु तान के अवसर प्रायः भारत से प्रवास को और अनसु ंधान सहयोग को बढ़़ावा देने की योजना (SPARC) और सामाजिक
प्रेरित करते हैैं। विज्ञान मेें प्रभावशाली नीति अनसु धं ान (IMPRESS) की तिकड़़ी का एक
सामान््य उद्देश््य सामाजिक और शद्ध ु विज्ञान मेें भारत के विशिष्ट अनसु ंधान
 उच््च शिक्षा के अवसरोों की कमी (Lack of Higher Education को बढ़़ावा देना है।
Opportunities): शीर््ष भारतीय विश्वविद्यालयोों मेें सीमित अवसर छात्ररों z 'विशिष्ट संस््थथान योजना' जैसी योजनाओ ं के माध््यम से विश्व स््तरीय संस््थथानोों
को विदेश मेें शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैैं, जहाँ उन््हेें कौशल के निर््ममाण को बढ़़ावा देना।
और ज्ञान अर््जन मेें लाभ का अनभु व होता है। z 'प्रेरित अनुसधा ं न के लिए विज्ञान मेें नवाचार' (INSPIRE) कार््यक्रम:
 प्रतिभाओ ं को मान््यता न मिलना (Non-recognition of Talents): इस कार््यक्रम का उद्देश््य प्रतिभाशाली यवु ाओ ं को प्रारंभिक चरण मेें विज्ञान
शैक्षणिक उपलब््धधियोों के होते हुए भी सामान््य व््यक्ति चर््चचित व््यक्तियोों की के अध््ययन के लिए आकर््षषित करना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रणाली तथा
तल ु ना मेें स््वयं को कम महत्तत्व वाला अनभु व कर सकता है, जो उन््हेें कहीीं अनसु ंधान एवं विकास आधार को मजबतू करने तथा उसको विस््ततारित करने
और मान््यता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। के लिए आवश््यक महत्तत्वपर्ू ्ण मानव ससं ाधन समहू का निर््ममाण करना है।

102  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


प्रतिभा पलायन का समाधान करने के लिए सुझाव z सभी मलू भतू कौशल (बनिया ु दी साक्षरता, संख््ययात््मकता और हस््तताांतरणीय
कौशल) महत्तत्वपर्ू ्ण हैैं, लेकिन पढ़ने पर ध््ययान केें द्रित किया गया है क््योोंकि:
z आधारभूत सरं चना पर ध््ययान केें द्रित करना (Infrastructure Focus):
 पढ़ने की दक्षता, सीखने का एक आसानी से समझी जाने वाली एक माप है।
पेशवे रोों को देश मेें बने रहने के लिए प्रोत््ससाहित करने के लिए मख्ु ्य आधारभतू
 पढ़ना एक छात्र के लिए हर दस ू रे क्षेत्र मेें सीखने का प्रवेश द्वार है।
संरचना मेें निवेश बढ़़ाने और उचित क्षतिपर््तति ू सनिश्
ु चित करने सहित व््यवस््थथित
परिवर््तन लागू करना।  पढ़ने की दक्षता अन््य विषयोों मेें मल ू भतू शिक्षा के लिए एक प्रतिनिधि
z नीतिगत हस््तक्षेप (Policy Intervention): चक्रीय प्रवासन और वापसी के रूप मेें कार््य कर सकती है, उसी तरह जैसे कि बच््चचे मेें कुपोषण की
प्रवासन को बढ़़ावा देने वाली नीतियाँ विकसित करना, स््ववास््थ््य कर््ममियोों को अनपु स््थथिति स््वस््थ प्रारंभिक बचपन के विकास का संकेत है।
प्रशिक्षण या शिक्षा प्राप्ति के बाद स््वदेश लौटने के लिए प्रोत््ससाहित करना। अधिगम निर््धनता को समाप्त करने की आवयश्कता
z द्विपक्षीय समझौते (Bilateral Agreements): प्रतिभा पलायन का z यह सामान््य रूप से गरीबी को समाप्त करने और साझा समृद्धि को बढ़़ावा
समाधान करने के लिए भेजने वाले और प्राप्त करने वाले देशोों के बीच ‘Brain- देने की कंु जी है।
Share’ को बढ़़ावा देने वाले द्विपक्षीय समझौते स््थथापित करना। z सीखने के परिणामोों मेें सधु ार करने के लिए: विश्व स््तर पर वर््ष 2000 और
z प्रौद्योगिकियोों और अनुसधा ं न मेें निवेश (Investment in Technologies 2017 के मध््य, प्राथमिक विद्यालय-आयु वर््ग के बच््चोों के सीखने के परिणामोों
and Research): अनसु ंधान एवं विकास (जीईआरडी) पर सकल घरे लू व््यय मेें के वल 10% सधु ार हुआ है। यदि यही गति जारी रही तो वर््ष 2030 मेें 10
को भारत के सकल घरे लू उत््पपाद के 2% तक बढ़़ाने के लिए नीतियाँ बनाना, वर््ष के 43% बच््चचे पढ़ नहीीं पाएँगे।
प्रतिभाशाली व््यक्तियोों को भारत की ओर वापस आकर््षषित करने के लिए z सतत विकास लक्षष्ययों को प्राप्त करने के लिए: हमने जो लक्षष्य निर््धधारित किया है,
अत््ययाधनि ु क अनसु ंधान और तकनीकी सवि ु धाओ ं को बढ़़ावा देना। वह महत्त्वाकांक्षी है लेकिन प्राप्त करने योग््य है और सभी के लिए गणु वत्तापर्ू ्ण
z नवाचार मेें वैश्विक भागीदारी (Global Partnerships in Innovation): शिक्षा सनिश् ु चित करने वाले सतत विकास लक्षष्य 4 (एसडीजी 4) को प्राप्त करने
सार््वजनिक-निजी भागीदारी मेें वृद्धि और संयक्त ु औद्योगिक अनसु ंधान एवं की दिशा मेें कार््रवाई को प्रेरित करना चाहिए। इसके लिए विश्व भर मेें प्रगति
विकास परियोजनाओ ं के लिए बढ़़ी हुई सार््वजनिक निधि के माध््यम से वैश्विक की दर को लगभग तीन गनु ा करने की आवश््यकता होगी, जो तब किया जा
नवाचार भागीदारी को मजबतू करना। सकता है जब प्रत््ययेक देश उन देशोों के प्रदर््शन की बराबरी कर सके , जिन््होोंने
z विचार-से-बाजार चुनौती (Idea-to-Market Challenge): चनु ौतीपर्ू ्ण वर््ष 2000 और 2015 के मध््य सबसे अधिक प्रगति की है।
समय के दौरान भारतीय नवाचारोों और स््टटार््टअप का समर््थन करने के लिए z वैश्विक उत््पपादकता बढ़़ाने के लिए: सीखने का सक ं ट न के वल बच््चोों की क्षमता
एक विशेष फंड बनाएँ, जो विदेशोों मेें रोजगार के अवसरोों की तलाश के बजाय को नष्ट करता है, बल््ककि यह परू ी अर््थव््यवस््थथा को हानि पहुचँ ाता है। यह भविष््य
घरे लू स््तर पर सफलता को बढ़़ावा दे। के कार््यबल और आर््थथिक प्रतिस््पर्द्धात््मकता पर नकारात््मक प्रभाव डालेगा।
विश्व बैैंक के मानव पँजू ी सचू कांक से ज्ञात होता है कि विश्व स््तर पर, यदि देश
निष्कर््ष स््ववास््थ््य और शिक्षा मेें पर््ययाप्त निवेश करते हैैं, तो आज जन््म लेने वाले औसत
z भारत को सनिय ु ोजित परिवर््तनोों की आवश््यकता है जिसमेें अनसु ंधान एवं बच््चचे की उत््पपादकता मात्र 56% होने की उम््ममीद है।
विकास मेें निवेश बढ़़ाना, स््ववास््थ््य, शिक्षा क्षेत्ररों मेें विश्व स््तरीय बनिया
ु दी ढाँचे अधिगम निर््धनता मेें वृद्धि के कारण
का निर््ममाण, श्रमिकोों को उचित वेतन सनिश् ु चित करना और एक समग्र वातावरण
z महामारी के दौरान स््ककूलोों का बंद होना (School Closures during the
प्रदान करना शामिल हो सकता है, जो उन््हेें देश मेें रहने के लिए प्रेरित कर सके ।
Pandemic):
लर््ननििंग पॉवर्टी (अधिगम निर््धनता ) z महामारी के दौरान स््ककूलोों के बंद होने और ऑनलाइन कक्षाओ ं मेें स््थथानांतरित
होने से अधिगम निर््धनता मेें वृद्धि हुई है।
संदर््भ
z विश्व बैैंक की वर््ष 2019 की एक रिपोर््ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि
z विश्व बैैंक के वैश्विक शिक्षा निदेशक ने COVID-19 महामारी के कारण बच््चोों
भारत मेें प्राथमिक आयु के अति ं म स््तर के 55% बच््चचे पढ़ने मेें संघर््ष करते
की सीखने की हानि पर चितं ा व््यक्त करते हुए इन अतं रालोों को पाटने के लिए
हैैं, जिसमेें 20% की वृद्धि COVID-19 के दौरान देखी गई है।
ठोस प्रयासोों की आवश््यकता को चिन््हहित किया है।
z अव््यवस््थथित स््ककूल प्रणालियाँ (Disorganized School Systems):
z विश्व बैैंक की अधिगम निर््धनता गणना के अनसु ार, भारत की अधिगम निर््धनता अपर््ययाप्त पढ़ने का कौशल प्रायः खराब संगठित स््ककूल प्रणालियोों का संकेत
54% (महामारी से पहले) से बढ़कर 70% (महामारी के बाद) हो गई है। देता है जो गणित, विज्ञान और मानविकी जैसे अन््य विषयोों मेें सीखने का
अधिगम निर््धनता क्या है ? समर््थन करने मेें विफल रहता है।
z विश्व बैैंक के अनसु ार, अधिगम निर््धनता का अर््थ है 10 वर््ष की आयु तक z स््ककूल छोड़ना (School Dropouts): विश्व स््तर पर, अनेक बच््चोों मेें
एक साधारण पाठ को पढ़ने और समझने मेें असमर््थ होना। कुशलता पर््वू क पढ़ने के कौशल की कमी है। 260 मिलियन से अधिक बच््चचे
z यह संकेतक स््ककूली शिक्षा और सीखने के संकेतकोों को एक साथ लाता है। स््ककूल नहीीं जाते हैैं, जिससे सीखने की गरीबी का सक ं ट और गहरा हो गया है।
यह उन बच््चोों की हिस््ससेदारी से शरू
ु होता है, जिन््होोंने न््यनयू तम पढ़ने की दक्षता z घरेलू आय मेें ह्रास (Decline in Household Income): घरे लू आय
हासिल नहीीं की है (जैसा कि स््ककूलोों मेें मापा जाता है) और इसे उन बच््चोों मेें ह्रास के कारण आर््थथिक मदं ी ने छात्ररों को निजी से सरकारी स््ककूलोों मेें जाने
के अनपु ात से समायोजित किया जाता है, जो स््ककूल से बाहर हैैं (और माना के लिए मजबरू किया है, जिससे निजी और सार््वजनिक शिक्षा प्रणालियोों के
जाता है कि वे पढ़ने मेें सक्षम नहीीं हैैं)। बीच गणु वत्ता अतं र बढ़ गया है।

शिक् 103
z अध््ययन सामग्री की गुणवत्ता (Quality of Study Material): खराब z शिक्षा प्रौद्योगिकी मेें निवेश: भारत मेें स््ककूल बंद होने का प्रभाव, पनु :
डिजाइन की गई पाठ्यपस्ु ्तकेें और शिक्षण सामग्री खराब शैक्षणिक प्रदर््शन मेें नामांकन अभियान की आवश््यकता और दो वर््ष के अतं राल के बाद स््ककूल
योगदान करती हैैं और सीखने की क्षमता मेें बाधा डालती हैैं। फिर से खल ु ने पर सीखने के स््तर का पनु र््ममूल््ययाांकन और कक्षा शिक्षण के परू क
z बच््चोों मेें कुपोषण (Malnutrition among Children): पोषण के के लिए शिक्षा प्रौद्योगिकी मेें निवेश की आवश््यकता है।
मामले मेें गभं ीर अभाव और अस््ववास््थ््यकर वातावरण, साथ ही देखभाल करने z डिजिटल साक्षरता: टेलीविजन और रे डियो शिक्षा का कई वर्षषों के बाद
वालोों की कमी, बच््चोों मेें अधिगम निर््धनता मेें योगदान करती है। पनु ः वापस आना, एक अच््छछा विकास है। हमेें ऐसी लचीली प्रणालियोों की
z शिक्षकोों की गुणवत्ता (Quality of Teachers): अप्रभावी मार््गदर््शन, आवश््यकता है क््योोंकि हम नहीीं जानते कि अगली प्राकृतिक आपदा क््यया
शिक्षण पद्धतियाँ और प्रशिक्षित शिक्षकोों की कमी के परिणामस््वरूप सीखने होने वाली है।
के परिणामोों मेें कमी आती है, जो आगे चलकर अधिगम निर््धनता मेें योगदान z बजटीय आवंटन: बजटीय आवंटन मेें वृद्धि शिक्षा मेें गणु वत्ता और बेहतर
देती है। बनिया
ु दी ढाँचा लाएगी, यह सीखने की गरीबी को कम करने मेें सहायता करे गी।
सीखने की क्षमता का महत्त्व नई शिक्षा नीति, 2020
z सतत विकास और गरीबी मेें कमी के लिए (For Sustainable Growth z नई शिक्षा नीति, 2020 21वीीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जो चौौंतीस वर््ष
and Poverty Reduction): खराब शिक्षा परिणाम भविष््य की समृद्धि के परु ानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 का स््थथान लेती है।
लिए बड़़ी लागत है जबकि यह जानते हुए कि मानव पँजू ी वैश्विक स््तर पर धन z पहुचँ , समानता, गणु वत्ता, सामर््थ््य और उत्तरदायित््व के सिद््धाांतोों पर स््थथापित,
का सबसे महत्तत्वपर्ू ्ण घटक है। यह सतत विकास के लिए 2030 एजेेंडा के साथ संरेखित है।
z समग्र स््ककूली शिक्षा प्रणाली मेें सधा ु र (Improving Overall z इसका लक्षष्य 21वीीं सदी की आवश््यकताओ ं और व््यक्तिगत छात्र क्षमताओ ं
Schooling Systems): जब बच््चचे पढ़ नहीीं पाते हैैं, तो यह सामान््यतः एक के अनरू ु प स््ककूल और कॉलेज शिक्षा दोनोों की समग्र, लचीली और बहु-
स््पष्ट संकेत है कि स््ककूल प्रणाली बच््चोों को गणित, विज्ञान और मानविकी जैसे विषयक प्रकृति को बढ़़ाकर भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक
अन््य क्षेत्ररों मेें सीखने मेें सहायता करने के लिए अच््छछी तरह से व््यवस््थथित नहीीं है। ज्ञान महाशक्ति मेें बदलना है।
z उन््नत गुणवत्ता वाला कार््यबल (Better Quality Workforce): जिन प्रगति और चुनौतियााँ
देशोों ने आधारभतू शिक्षा को प्राथमिकता दी है और इसमेें निवेश किया है, z नई शिक्षा नीति, 2020 ने शिक्षा और सीखने मेें महत्तत्वपर्ू ्ण प्रगति का सक
ं ेत
उन््होोंने बेहतर गणु वत्ता वाले कार््यबल का उत््पपादन किया है, जिससे उनकी दिया है।
अर््थव््यवस््थथाएँ प्रगति करने मेें सक्षम हुई हैैं। दक्षिण कोरिया और चीन दोनोों z भारत ने नई शिक्षा नीति के अतं र््गत अब एक वर््ष परू ा कर लिया है, हालाँकि,
ने 1970 के दशक मेें ऐसा किया था और उनकी अर््थव््यवस््थथाओ ं पर इसका महामारी ने इसकी प्रगति मेें बाधा उत््पन््न की है।
आश्चर््यजनक प्रभाव पड़़ा था।
अधिगम दृष्टिकोण
z व््यक्तिगत स््वतंत्रता मेें सधा ु र (Improves Individual Freedom):
z नई शिक्षा नीति अवलोकन, श्रवण, अन््ववेषण, प्रयोग और पछ ू ताछ के माध््यम
व््यक्तियोों और परिवारोों के लिए, इससे उच््च उत््पपादकता और आय, गरीबी मेें
से सीखने पर बल देती है।
कमी, रोजगार की उच््च दर, बेहतर स््ववास््थ््य परिणाम और अधिक नागरिक
जड़ु ़ाव हो सकता है। z हालाँकि, ऑनलाइन शिक्षण मचों ों मेें व््ययावहारिक अनभु व अनपु स््थथित हैैं, जो
महामारी के दौरान नई शिक्षा नीति के कार््ययान््वयन के लिए एक चनु ौती है।
z समाज को लाभ (Benefits Society): समाजोों के लिए यह तीव्रता से
नवाचार और विकास, बेहतर कार््य करने वाले संस््थथान, अधिक अतं र-पीढ़़ीगत नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 की मुख्य विशेषताएँ
सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक विश्वास का उच््च स््तर और संघर््ष की कम स्कूल शिक्षा
संभावना मेें योगदान दे सकता है।
z यह नीति, पाठ्यक्रम मेें व््ययापक परिवर््तन, ‘आसान’ बोर््ड परीक्षाओ,ं ‘मख्ु ्य
आगे की राह महत्तत्वपर्ू ्ण तत्तत्ववों को बनाए रखने के लिए पाठ्यक्रम मेें कटौती और ‘अनभु वात््मक
z अधिक और बेहतर कौशल उपयुक्त पाठ्य-पुस््तकोों तक समय पर पहुच ँ शिक्षा और आलोचनात््मक चितं न’ पर ध््ययान केें द्रित करती है।
सनिश्
ु चित करना: मगं ोलिया मेें, पस्ु ्तकोों तक बेहतर पहुचँ के कारण छात्ररों के z नई शैक्षणिक संरचना और पाठ्यक्रम के साथ प्रारंभिक बाल््ययावस््थथा की
परिणामोों मेें 0.21 मानक विचलन का सधु ार हुआ है। देखभाल और शिक्षा।
z कै च-अप लर््नििंग और ब्रशिंग (पकड़ना और सँवारना) मेें तेजी लाने पर z नई शिक्षा नीति मेें आयु समहोू ों के अनरू ु प ‘5+3+3+4’ डिजाइन वाले
ध््ययान देना: इससे बनिया
ु दी बातोों पर ध््ययान देने मेें सहायता मिलेगी और बच््चचे शैक्षणिक संरचना का प्रस््तताव किया गया है।
आसानी से पाठ्यक्रम को दोहरा सकते हैैं।  3-8 वर््ष (मल ू भतू चरण- Foundational Stage),
z कक्षा मेें शिक्षकोों द्वारा अतिरिक्त प्रयास: शिक्षकोों को कक्षा के भीतर छात्ररों  8-11 (प्रारंभिक- Preparatory),

को ग्रेड या उम्र के अनसु ार नहीीं, बल््ककि वे जहाँ हैैं उसके अनसु ार समहि
ू त करने  11-14 (मध््य- Middle),

के लिए बहुत अधिक समर््थन की आवश््यकता होगी।  14-18 (माध््यमिक- Secondary)।

104  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z एनसीईआरटी द्वारा 8 वर््ष की आयु तक के बच््चोों के लिए प्रारंभिक बाल््ययावस््थथा z राष्ट्रीय अनुसधा ं न फाउंडेशन (National Research Foundation)-
देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम (NCPFECCE) और अनसु ंधान एवं नवाचार मेें सधु ार करना।
शैक्षणिक ढाँचा विकसित किया जायेगा। z विशेष शिक्षा क्षेत्र (Special Education Zones)- वंचित क्षेत्ररों मेें कम
z सभी स््तरोों अर््थथात् प्री-स््ककूल से माध््यमिक तक स््ककूली शिक्षा की सार््वभौमिक प्रतिनिधित््व वाले समहोू ों की शिक्षा पर ध््ययान केें द्रित करना।
पहुचँ सनिश्ु चित करने पर बल दिया गया है। z शिक्षा का वित्तपोषण (Financing Education): केें द्र और राज््य शिक्षा
 बनियाु दी ढाँचे का समर््थन, ड्रॉपआउट को मख्ु ्यधारा मेें वापस लाने के क्षेत्र मेें सार््वजनिक निवेश को शीघ्र से शीघ्र जीडीपी के 6% तक बढ़़ाने के
लिए नवीन शिक्षा केें द्र, छात्ररों और उनके सीखने के स््तर पर नजर रखना। लिए मिलकर कार््य करेेंगे।
z सीखने के लिए मल ू भतू साक्षरता और संख््ययात््मकता को एक त््वरित और
एनईपी 2020 का महत्त्व और चुनौतियााँ
आवश््यक शर््त के रूप मेें मान््यता देते हुए, नई शिक्षा नीति, 2020 मल ू भतू
साक्षरता और संख््ययात््मकता पर एक राष्ट्रीय मिशन की स््थथापना का आह्वान महत्तत्व चुनौतियाँ
करती है: z व््ययापक रूपरे खा z गैर अनिवार््य (Non
 समस््त राज््य वर््ष 2025 तक कक्षा 3 तक के सभी शिक्षार््थथियोों के लिए सभी (Comprehensive Mandatory): हालाँकि, नई
प्राथमिक विद्यालयोों मेें सार््वभौमिक मल ू भतू साक्षरता और सख्ं ्ययात््मकता Framework): एनईपी 2020 शिक्षा नीति के वल एक व््ययापक
प्राप्त करने के लिए एक कार््ययान््वयन योजना तैयार करेेंगे। देश भर मेें स््ककूल और उच््च दिशा प्रदान करती है, लेकिन
नई शिक्षा नीति, 2020 बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति का पक्षधर है। इसका पालन करना अनिवार््य
z शिक्षा दोनोों के लिए एक
नहीीं है।
 नीति मेें कम-से-कम कक्षा 5 तक, लेकिन अधिमानतः कक्षा 8 और उससे व््ययापक दृष्टिकोण और व््ययापक
z स््थथानांतरणीय नौकरी
आगे तक शिक्षा के माध््यम के रूप मेें मातृभाषा/ स््थथानीय भाषा/ क्षेत्रीय रूपरे खा प्रदान करती है। (Transferable Job): एनईपी
भाषा को महत्तत्व दिया गया है। यह आलोचनात््मक चितं न को
z उन अभिभावकोों के बच््चोों के
z स््ककूली शिक्षा के लिए मानक-निर््धधारण और मान््यता: नई शिक्षा नीति, प्रोत््ससाहन: प्रधानमत्ं री के शब््दोों विषय मेें विशेष रूप से कोई
2020 नीति निर््ममाण, विनियमन, संचालन और शैक्षणिक मामलोों के लिए स््पष्ट, मेें यह नीति, 'क््यया सोचेें' के प्रावधान नहीीं करता है, जिनकी
अलग प्रणालियोों की परिकल््पना करता है: बजाय 'कै से सोचेें' पर केें द्रित है। नौकरियाँ प्रायः स््थथानांतरणीय
 राज््य/ केें द्र शासित प्रदेश एक स््वतंत्र राज््य स््ककूल मानक प्राधिकरण होती हैैं।
z प्रारंभिक वर्षषों मेें जोर (Stress
(SSSA) स््थथापित करेेंगे। z शिक्षा एक समवर्ती विषय है,
on Formative Years):
उच्चतर शिक्षा
प्रस््ततावित सधु ारोों को केें द्र और
3 वर््ष की आयु से शरू ु राज््योों द्वारा सहयोगात््मक रूप से
z भारतीय उच््च शिक्षा को विदेशी विश्वविद्यालयोों के लिए खोलना, यजू ीसी और होने वाले स््ककूली शिक्षा का ही लागू किया जा सकता है।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को समाप्त करना, 5+3+3+4 का यह मॉडल z 6% जीडीपी की चनु ौती
कई निकास विकल््पोों के साथ चार वर्षीय बहु-विषयक स््ननातक कार््यक्रम की बच््चचे के भविष््य को आकार (Challenge of 6% GDP):
शरुु आत करना और एम.फिल कार््यक्रम को समाप्त करना। देने मेें 3 से 8 वर््ष की उम्र के सरकार ने शिक्षा पर 6% व््यय
z ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल शिक्षा: स््ककूल और उच््च शिक्षा दोनोों की प्रारंभिक वर्षषों की प्रधानता को का लक्षष्य निर््धधारित किया है और
ई-शिक्षा आवश््यकताओ ं का ध््ययान रखने के लिए मानव संसाधन मत्रालय ं मेें मान््यता देता है। यह वर््तमान कर-से-सकल घरे लू
डिजिटल बनिया ु दी ढाँ च,े डिजिटल सामग्री और क्षमता निर््ममाण के लिए एक उत््पपाद अनपु ात, आर््थथिक मदं ी
z मातृभाषा (Mother Tongue):
समर््पपित इकाई बनाई जाएगी। और महामारी प्रभाव के कारण
यह कम-से-कम कक्षा 5 तक
z शिक्षा मेें प्रौद्योगिकी: राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (National कठिन है।
बच््चचे की मातृभाषा मेें सीखने के
Educational Technology Forum- NETF): एक स््ववायत्त निकाय z शीर््ष रैैंकिंग विश्वविद्यालय
महत्तत्व को भी स््ववीकार करता है। अपरिभाषित (No Definition
के रूप मेें स््थथापित किया जाएगा, जो सीखने, मल्ू ्ययाांकन, योजना और प्रशासन
को बढ़़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचारोों के मक्त ु आदान-प्रदान z व््ययावसायिक पाठ्यक्रम for Top Ranking
के लिए एक मचं प्रदान करे गा। (Vocational Courses): Universities): दस््ततावेज
नई नीति, हाईस््ककूल मेें कला, मेें कहा गया है कि विश्व के
अन्य प्रावधान शीर््ष 100 विश्वविद्यालयोों मेें
वाणिज््य और विज्ञान वर््ग की
z लिंग समावेशन कोष (Gender Inclusion Fund)- बालिकाओ ं और बाधाओ ं को तोड़ रही है और से चनि ु ंदा विश्वविद्यालयोों को
ट््राांसजेेंडर बच््चोों को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ राष्टट्र की क्षमता का भारत मेें परिसर स््थथापित करने
प्रशिक्षण के साथ व््ययावसायिक
निर््ममाण करने के लिए। की अनमु ति प्रदान की जाएगी।
पाठ्यक्रम शरू ु करने का हालाँकि, यह शीर््ष 100 को
z राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (National Educational Technology प्रशसं नीय लक्षष्य प्रस््ततुत करती परिभाषित करने के लिए मापदडों ों
Forum)- सीखने मेें सधु ार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचारोों के है। की व््ययाख््यया नहीीं करता है।
आदान-प्रदान की सवि ु धा प्रदान करने वाला एक मचं ।

शिक् 105
आगे की राह लाभ
किसी भी नीति की प्रभावशीलता उसके कार््ययान््वयन पर निर््भर करती है, जिसके z सविधा
ु और लचीलापन (Convenience and Flexibility): शिक्षक
लिए विभिन््न निकायोों के समन््ववित प्रयासोों की आवश््यकता होती है। राष्ट्रीय अपने पसंदीदा समय मेें कहीीं से भी पढ़़ा सकते हैैं और छात्र कभी भी और कहीीं
शिक्षा नीति (एनईपी) मेें एमएचआरडी, सीएबीई, सरकारेें , शिक्षा मंत्रालय, भी पाठ्यक्रम सीख सकते हैैं।
बोर््ड और नियामक निकाय जैसे कई हितधारक शामिल होते हैैं। इसका उद्देश््य z प्रभावी अधिगम (Effective Learning): स््ककूली शिक्षा के सभी स््तरोों
पर ई-लर््नििंग को लागू करने से यह सनिश् ु चित करने मेें सहायता मिलेगी कि छात्र
लचीलेपन और आत््म-साक्षात््ककार पर ध््ययान देते हुए पूर््व प्राथमिक से डॉक््टरे ट
तीव्रता से पाठोों को पर््ययाप्त रूप से समझ सकेें ।
अध््ययन तक शिक्षा मेें सुधार करना है। इसके सफल निष््पपादन के लिए केें द्रीय
z अनुशासित अधिगम (Disciplined Learning): शिक्षण की दृश््य-श्रव््य
और राज््य अधिकारियोों के बीच राजनीतिक सहमति और सहयोगात््मक प्रयासोों पद्धति से अनशासिु त शिक्षण वातावरण बनता है, जिससे अध््ययापक और छात्र
की आवश््यकता है। के बीच प्रभावी संवाद होता है।
डिजिटल शिक्षा/ ई-लर््ननििंग z लागत प्रभावी (Cost effective): ई-लर््नििंग से समय और धन बचता है,
अच््छछी गुणवत्ता वाली डिजिटल सामग्री की बढ़ती आवश््यकता को स््ववीकार परिवहन लागत कम होती है।
करते हुए, सरकार ने ई-लर््नििंग सामग्री योगदान को आमंत्रित करने के लिए z पर््ययावरण अनुकूल (Environment Friendly): पारंपरिक शिक्षा सामग्री
जैसे कागजात की कोई आवश््यकता नहीीं है। इस प्रकार यह पर््ययावरण के प्रति
विद्यादान 2.0 लॉन््च किया है।
अनक ु ू ल है।
ई-लर््ननििंग (E-LEARNING) z वैश्विक स््तर की शिक्षा (Global level Education): शिक्षक कई भाषाओ ं
z यह इटं रनेट के माध््यम से शैक्षिक जानकारी पहुचँ ाने की एक विधि है। यह और विभिन््न समय क्षेत्ररों के लोगोों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर सकते हैैं।
ई-पस्ु ्तकेें, सीडी, वेबिनार जैसे अन््य विभिन््न साधनोों के माध््यम से ज्ञान साझा z अधिक सल ं ग््नता (More Engagement): पारंपरिक शिक्षण की तल ु ना मेें
करने की प्रक्रिया है। डिजिटल शिक्षण अधिक आकर््षक अनभु व है। डिजिटल शिक्षण के माध््यम से,
एक पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है जो मल््टटीमीडिया के
z यह लचीला और स््व-गति वाला है और दरू स््थ शिक्षा के लिए उपयक्त ु है।
उपयोग के माध््यम से इसे संवादात््मक और मनोरंजक बना दे।
z ई-शिक्षा ने छात्ररों को प्रदान की जाने वाली चॉक और बोर््ड शैली की पारंपरिक
पद्धति मेें क््राांति ला दी है। सरकारी पहल
z स््वयं (SWAYAM -Study Webs of Active Learning for Young
प्रेरणा: एक अनुभवात्मक शिक्षण कार््यक्रम
Aspiring Minds)- यह सचू ना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का
z शिक्षा मत्रालय
ं (MoE) ने प्रतिभागियोों के बीच नेतत्ृ ्व गणोु ों को विकसित उपयोग करते हुए ऑनलाइन पाठ्यक्रमोों के लिए एक एकीकृ त मचं है, जो स््ककूल
करने के लिए ‘प्रेरणा: एक अनभु वात््मक शिक्षण कार््यक्रम’ शरू ु किया है। (9वीीं से 12वीीं) से लेकर स््ननातकोत्तर स््तर तक को आच््छछादित करता है। यह
z कार््यक्रम विवरण: छात्ररों, शिक्षकोों और शिक्षक प्रशिक्षकोों के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी प्रदान
 यह कक्षा IX-XII तक के चयनित छात्ररों के लिए एक सप्ताह का करता है।
आवासीय कार््यक्रम है। z दीक्षा (DIKSHA)- दीक्षा मचं शिक्षकोों, छात्ररों और अभिभावकोों को निर््धधारित
 प्रत््ययेक बैच मेें समान लिंग प्रतिनिधित््व (10 लड़के और 10 लड़कियोों) स््ककूल पाठ्यक्रम से संबंधित आकर््षक शिक्षण सामग्री प्रदान करता है।
के साथ 20 छात्र शामिल हैैं। स्वयं प्लस प्लेटफार््म (SWAYAM Plus Platform)
 स््थथान: 1888 ई. मेें स््थथापित वर््ननाक््ययुलर स््ककूल, वडनगर, गज ु रात से शिक्षा मत्रालय (MoE) ने स््वयं प््लस प््ललेटफॉर््म का उद्घाटन किया है।
z ं
कार््यक्रम की शरुु आत। z SWAYAM एक व््ययापक निःशल् ु ्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOCs)
z पाठ्यक्रम: आईआईटी गांधीनगर द्वारा विकसित, इसमेें नौ मल्ू ्य-आधारित मचं है जो शिक्षार््थथियोों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए समर््पपित है।
विषयोों पर ध््ययान केें द्रित किया गया है।
z विद्यादान (VIDYADAAN)- यह कार््यक्रम पाठ्यक्रम के अनरू ु प मनोरंजक
z उद्देश््य: विविधता मेें एकता की भावना पर बल देते हुए ‘वसधु वै कुटुंबकम’ और आकर््षक ई-लर््नििंग सामग्री विकसित करने और योगदान करने के लिए
के सार को अपनाना। शिक्षाविदोों और संगठनोों को एक साथ लाता है।
चुनौतियााँ z डिजिटल शिक्षा पर प्रज्ञाता दिशा-निर्देश (PRAGYATA Guidelines

z अभिभावकोों, शिक्षकोों और छात्ररों की डिजिटल निरक्षरता। on Digital Education) - ये दिशा-निर्देश छात्ररों के लिए स्क्रीन समय की
z टैबलेट, लैपटॉप आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणोों की क्रय सामर््थ््य। सीमा तय करने की सलाह देते हैैं। इसमेें डिजिटल शिक्षा के आठ चरण शामिल
हैैं, जो इस प्रकार है- योजना-समीक्षा-व््यवस््थथा-मार््गदर््शन-बातचीत-कार््य
z गाँवोों और दरू दराज के इलाकोों मेें इटं रनेट कनेक््टटिविटी। सौौंपना-पता लगाना -सराहना।
z स््थथानीय भाषा मेें सामग्री का अभाव। z पीएम ई-विद्या (PM e-Vidya)- यह छात्ररों और शिक्षकोों के बीच विभिन््न
z रसायन विज्ञान जैसे व््ययावहारिक उन््ममुख विषयोों की ई-लर््नििंग मेें सीमाएँ हैैं। प्रकार की डिजिटल/ ऑनलाइन शिक्षण-अधिगम सामग्री तक बहुआयामी
z शिक्षकोों की अपरिचितता और परिवर््तन के प्रति प्रतिरोध। पहुचँ की सवि ु धा प्रदान करने वाली एक अनठू ी और अभिनव पहल है।

106  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


आगे की राह विगत वर्षषों के प्रश्न
z COVID-19 महामारी के कारण शिक्षा को बड़़ी क्षति हुई है। इस अभतू पर््वू 1. स््ककूली शिक्षा के महत्तत्व के बारे मेें जागरूकता उत््पन््न किए बिना,
समय मेें डिजिटल शिक्षा को पारंपरिक स््ककूलोों और सीखने के लिए एक संभावित
विकल््प के रूप मेें देखा जा रहा है। बच््चोों की शिक्षा मेें प्रेरणा-आधारित पद्धति के संवर्दद्धन मेें निःशल्ु ्क
z सरकार और निजी क्षेत्र को एक साथ मिलकर कार््य करना चाहिए और यह और अनिवार््य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 अपर््ययाप्त
सनिश्
ु चित करना चाहिए कि शिक्षा सभी के लिए उपलब््ध, सल ु भ और सस््तती बनी है। विश्ले षण कीजिए। 
रहे और एसडीजी 4 को साकार किया जाए अर््थथात, ‘सभी के लिए समावेशी  (2022)
और समान गणु वत्ता वाली शिक्षा सनिश् ु चित करना।’
2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 सतत विकास लक्षष्य-4 (2030) के साथ
अनुरूपता मेें है। उसका ध््ययेय भारत मेें शिक्षा प्रणाली की पुनःसंरचना
प्रमुख शब्दावलियाँ
और पुनःस््थथापना है। कथन का समालोचनात््मक निरीक्षण कीजिए।
कौशल बेमेल- Skill Mismatch, जनसांख््ययिकीय लाभांश-
 (2020)
Demographic Dividend, नए कौशल सीखने की प्रक्रिया-
Reskilling, मौजूदा कौशल मेें सधु ार करना- Upskilling, सकल 3. प्रोफे सर अमर््त््य सेन ने प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक स््ववास््थ््य
नामांकन अनुपात- Gross Enrolment Ratio (GER), छात्र- देखभाल के क्षेत्र मेें महत्तत्वपूर््ण सुधारोों की वकालत की है। उनकी
शिक्षक अनुपात- Pupil Teacher Ratio(PTR), सर््व शिक्षा
स््थथिति और कार््य-निष््पपादन मेें सुधार हेतु आपके क््यया सुझाव हैैं?
अभियान- Sarva Shiksha Abhiyan, पढ़़े भारत बढ़़े भारत-
Padhe Bharat Badhe Bharat, मध््ययाह्न भोजन- Mid-Day  (2016)
Meal, निपणु भारत- NIPUN Bharat, उड़़ान- UDAAN, सक्षम- 4. भारत मेें उच््च शिक्षा की गणु ता को अंतरराष्ट्रीय स््तर पर प्रतियोगी
SAKSHAM, ईशान उदय- Ishan Uday, स््वयं- SWAYAM,
अधिगम की क्षमता- Learning Potential, अधिगम निर््धनता- बनाने के लिए उसमे भारी सुधारोों की आवश््यकता है। क््यया आपके
Learning Poverty, अधिगम अंतराल- Learning Gap, मूलभूत विचार मेें विदेशी शैक्षिक संस््थथानोों का प्रवेश देश मेें उच््च और
कौशल- Foundational Skills, दीक्षा- DIKSHA, विद्यादान- तकनीकी की गणु ता की प्रोन््नति मेें सहायक होगा? चर््चचा कीजिए।
Vidyadan, ई-विद्या- e-Vidya, प्रज्ञाता- PRAGYATA।
 (2015)

शिक् 107
8 मानव संसाधन
z अपर््ययाप्त प्रशिक्षण क्षमता (Insufficient Training Capacity): कुशल
परिचय
श्रमिकोों की भारी माँग को देखते हुए शैक्षणिक संस््थथानोों मेें उपलब््ध मौजदू ा
भारत आज एक ऐसा राष्टट्र है, जहाँ 65% कार््यबल युवा आयु वर््ग मेें हैैं। यदि बनिय
ु ादी सवि ु धाएँ अपर््ययाप्त हैैं। भारत मेें हर वर््ष लगभग 12 मिलियन लोगोों के
इस जनसांख््ययिकीय लाभ को प्राप्त करने का कोई उपाय है, तो वह युवाओ ं के कार््यबल मेें शामिल होने की उम््ममीद है जबकि देश की वर््तमान कुल प्रशिक्षण
कौशल विकास के माध््यम से ही होगा ताकि वे न के वल अपने व््यक्तिगत विकास क्षमता लगभग 4.3 मिलियन है।
मेें, बल््ककि देश की आर््थथिक वृद्धि मेें भी योगदान दे सकेें । राष्ट्रीय कौशल विकास
z बेमेल कौशल (Skill Mismatch): उद्योगोों के लिए आवश््यक कौशल
मिशन को लागू करने के लिए वर््ष 2014 मेें एक समर््पपित कौशल विकास और
और शैक्षिक और प्रशिक्षण संस््थथानोों द्वारा प्रदान किए गए कौशल के बीच
उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की स््थथापना की गई थी, जो गति और उच््च मानकोों
के साथ व््ययापक पैमाने पर कौशल प्रदान करने की कल््पना करता है। अतं र है। सरकार और उसकी सहयोगी एजेेंसियोों की ओर से विभिन््न प्रयासोों के
बावजदू भारत मेें व््ययावसायिक पाठ्यक्रमोों की विश्वसनीयता अभी भी सदं िग््ध है।
मानव पूज
ँ ी सूचकाांक, 2023
z रीस््ककिलिंग और अपस््ककिलिंग (Reskilling and Upskilling): रोजगार
रिपोर््ट के मुख्य निष्कर््ष क्षेत्र मेें वर््ष 2025 तक आधी वैश्विक श्रम शक्ति को रीस््ककिलिंग की आवश््यकता
z महामारी ने मानव पंजू ी निर््ममाण मेें दशकीय प्रगति को खतरे मेें डाल दिया, हो सकती है (WEF के अनसु ार)। कृ त्रिम बद्ु धिमत्ता (AI), डेटा एनालिटिक््स
जिसमेें स््ववास््थ््य, उत्तरजीविता दर, स््ककू ल नामांकन और स््टटंटिंग (उम्र के अनपु ात जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियोों के उद्भव के कारण पनु ः कौशलीकरण
मेें कम लम््बबाई की समस््यया) मेें कमी के सधु ार शामिल हैैं। (Reskilling) एवं कौशल उन््नयन (Upskilling) की चनु ौती प्रमख ु होती
z महामारी का आर््थथिक प्रभाव विशेष रूप से महिलाओ ं और सबसे वंचित जा रही है।
परिवारोों पर गहरा रहा है, जिससे कई लोग खाद्य असरु क्षा और निर््धनता की
चपेट मेें आ गए हैैं। क्षेत्रवार और भौगोलिक दृष्टि
व््ययावसायिक प्रशिक्षण को
से कौशल आवश््यकताओं का
z लोगोों की सरु क्षा और उनमेें निवेश करना महत्तत्वपर््णू है क््योोंकि देश टिकाऊ, आकांक्षापूर््ण विकल््प बनाना
समावेशी सधु ार और भविष््य के विकास की नीींव रखने के लिए कार््य करते हैैं। मानचित्रण
z मानव पँजू ी सचू कांक (विश्व बैैंक), 2023 मेें भारत को 195 देशोों मेें से 116वाँ बेहतर गणु वत्ता और प्रासंगिकता
स््थथान प्राप्त हुआ है। अनौपचारिक क्षेत्र को कौशल
के लिए उद्योगोों को शामिल
विकास पारिस््थथितिकी तंत्र मेें
मानव संसाधन से संबंधित तथ्य और आँकड़़े करना - प्रशिक्षुता कार््यक्रमोों को
एकीकृ त करना
असगठ बढ़़ाना
z ं ित क्षेत्र मेें लगभग 85% कार््यबल किसी भी प्रकार के कौशल विकास
का प्रयास नहीीं करता है। एक प्रभावी, अंतरराष्ट्रीय स््तर
z प्रशिक्षकोों की वार््षषिक वृद्धिशील आवश््यकता लगभग 20,000 है, जबकि पर मान््यता प्राप्त मूल््ययाांकन और
वर््तमान मेें प्रशिक्षकोों की वर््तमान वार््षषिक क्षमता के वल 2,000 है। प्रमाणन प्रणाली लागू करना
चुनौतियााँ मानव संसाधन उपयोगिता हेतु उठाए जाने वाले कदम
z कम या कोई कार््य कौशल नहीीं (Little or No Job Skills): भारत z जोखिम लेने के व््यवहार का अभाव (Absence of Risk-taking
कौशल रिपोर््ट, 2021 मेें लगभग 45.9% यवु ाओ ं को ही रोजगार योग््य माना
Behaviour): अधिकांश यवु ा उद्यमशीलता को पसंद नहीीं करते हैैं, बल््ककि
गया। यनि ू सेफ के आँकड़ों से ज्ञात होता है कि 50% से अधिक भारतीय यवु ा
वे कंपनियोों मेें कार््य करना चनु ते हैैं।
वर््ष 2030 तक रोजगार के लिए आवश््यक शिक्षा और कौशल प्राप्त करने की
राह पर नहीीं हैैं। z कुशल युवाओ ं के लिए नौकरी सज ृ न (Job Creation For Skilled
z उद्यमिता के प्रति जागरूकता और उदासीनता (Unawareness & Youth): भारत को वर््ष 2030 तक 100 मिलियन अधिक रोजगार सृजित
Apathy Towards Entrepreneurship): ऑब््जर््वर रिसर््च फाउंडेशन करने की आवयश््कता है। अधिक रोजगार सृजित करना सबसे बड़़ी विकास
और विश्व आर््थथिक मचं (WEF) के हालिया अध््ययन ‘यंग इडिय ं ा एडं वर््क ’ चनु ौती है। कामकाजी आबादी की पर््णू भागीदारी के बिना कोई भी देश अपनी
के अनसु ार, लगभग 70% भारतीय यवु ाओ ं को योजनाओ ं के बारे मेें जानकारी परू ी क्षमता प्राप्त नहीीं कर सकता और 21वीीं सदी की चनु ौतियोों का सामना
नहीीं है। नहीीं कर सकता।
z अशिक्षित ग्रामीण युवा (Uneducated Rural Youth): निजी क्षेत्र मख््य ु  सभी के लिए एआई (AI for All): शिक्षा मत्ं रालय ने चिप बनाने वाली
रूप से शिक्षित यवु ाओ ं (विशेषकर 12वीीं पास) और बड़़े पैमाने पर शहरी दिग््गज कंपनी इटं ेल और केें द्रीय माध््यमिक शिक्षा बोर््ड (CBSE) के साथ
क्षेत्ररों मेें सेवा क्षेत्र की आवश््यकता के अनसु ार कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता मिलकर 'एआई फॉर ऑल' पहल की घोषणा की, जिसका उद्देश््य कृ त्रिम
है। अतं तः असंगठित क्षेत्र के सैकड़ों श्रमिकोों को किसी भी प्रकार का कौशल बद्ु धिमत्ता (AI) की बनिय ु ादी समझ पैदा करना है।
प्रशिक्षण नहीीं मिलता है। z आजीविका सवं र्दद्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता
सरकारी हस्तक्षेप (Skill Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood
Promotion- SANKALP): इसका उद्देश््य संस््थथानोों को मजबतू बनाने,
z कौशल भारत (Skill India): देश के यवु ाओ ं को कौशल क्षमताओ ं के
बेहतर बाजार संपर््क स््थथापित करने और समाज के हाशिये पर उपस््थथित वर्गगों
साथ सशक्त बनाने के लिए शरू ु किया गया, जो उन््हेें अपने कार््य वातावरण
को शामिल करने के माध््यम से गणु ात््मक और मात्रात््मक रूप से अल््पकालिक
मेें अधिक रोजगार योग््य और अधिक उत््पपादक बनाता है।
कौशल प्रशिक्षण मेें सधु ार करना है।
z कौशल विकास और उद्यमिता पर राष्ट्रीय नीति, 2015 (National

Policy on Skill Development and Entrepreneurship, 2015): z स््टटार््ट-अप ग्राम उद्यमिता कार््यक्रम (Start-up Village
इस नीति का उद्देश््य देश के भीतर की जा रही सभी कौशल गतिविधियोों के Entrepreneurship Program -SVEP): ग्रामीण विकास मत्ं रालय द्वारा
लिए एक समान ढाँचा प्रदान करना, उन््हेें सामान््य मानकोों के अनरू शरू ु किए गए SVEP का उद्देश््य ग्रामीण उद्यमिता को बढ़़ावा देना है। यह
ु प बनाना
और कौशल को माँग केें द्ररों के साथ जोड़ना है। महिलाओ,ं अनसु चि ू त जातियोों और अनसु चि ू त जनजातियोों सहित हाशिये पर
रहने वाले समदु ायोों पर ध््ययान केें द्रित करता है और उन््हेें अपने स््वयं के सक्षू ष्म
z पीएम-युवा योजना (PM- YUVA Yojana): इस योजना का उद्देश््य
उद्यम शरू ु करने के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और सलाह प्रदान करता है।
उद्यमिता शिक्षा, क्षमता निर््ममाण को बढ़़ावा देना तथा संभावित और इच््छछुक
उद्यमियोों को सलाह और सहायता प्रदान करना है। उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण z राष्ट्रीय कै रियर सेवा (National Career Service-NCS): NCS श्रम
के माध््यम से उद्यमिता विकास के लिए एक सक्षम पारिस््थथितिकी तंत्र बनाना। और रोजगार मत्ं रालय द्वारा विकसित एक ऑनलाइन मचं है। यह नौकरी मिलान,
करियर परामर््श, कौशल मल््ययाां ू कन और प्रशिक्षण कार््यक्रम सहित विभिन््न
z भारतीय कौशल सस् ं ्थथान (India Institute of Skills- IIS): कौशल
प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है। मचं का उद्देश््य सभी व््यक्तियोों के लिए समान
की गणु वत्ता और मात्रा के संदर््भ मेें एक निश्चित मानक और उच््च स््तर स््थथापित
अवसर और रोजगार संसाधनोों तक पहुचँ की सवि ु धा प्रदान करना है, चाहे
करना।
उनकी पृष्ठभमि ू कुछ भी हो।
z प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal
z महिला ई-हाट (Mahila E-Haat): महिला एवं बाल विकास मत्ं रालय की
Vikas Yojana): रोजगार योग््य कौशल के प्रति रूचि तथा संभावित और
मौजदू ा दैनिक वेतन भोगियोों को नकद परु स््ककार और प्रोत््ससाहन देकर उनकी यह पहल महिला उद्यमियोों को अपने उत््पपादोों को प्रदर््शशित करने और विक्रय के
कार््यकुशलता को बढ़़ाना और गणु वत्तापर््णू प्रशिक्षण प्रदान करना। लिए एक ऑनलाइन मचं प्रदान करती है। इसका उद्देश््य महिलाओ ं के आर््थथिक
सशक्तीकरण को बढ़़ावा देना और उनके लिए मख््य ु धारा की अर््थव््यवस््थथा मेें
z दीन दयाल उपाध््ययाय ग्रामीण कौशल््य योजना (Deen Dayal
भाग लेने के अवसर उत््पन््न करना है।
Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana): ग्रामीण गरीब यवु ाओ ं
को आर््थथिक रूप से स््वतंत्र और विश्व स््तर पर प्रासंगिक कार््यबल मेें बदलना। z उड़़ान (Udaan): उड़़ान गृह मत्ं रालय की एक विशेष पहल है और राष्ट्रीय
कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा कार््ययान््ववित की जाती है। यह जम््ममू और
z औद्योगिक मूल््य सव ं र्दद्धन के लिए कौशल सदृु ढ़़ीकरण (Skills
कश््ममीर के बेरोजगार यवु ाओ ं के लिए कौशल विकास और नौकरी नियोजन
Strengthening for Industrial Value Enhancement-STRIVE
पर केें द्रित है।
Project) परियोजना: औद्योगिक प्रशिक्षण सस्ं ्थथानोों (ITI) और प्रशिक्तषु ा
के माध््यम से प्रदान किए गए कौशल प्रशिक्षण की प्रासंगिकता और दक्षता z मालवीय मिशन - शिक्षक प्रशिक्षण कार््यक्रम (Malaviya Mission -
मेें सधु ार करना। Teachers Training Programme - MM-TTP):
 इसकी शरु ु आत विश्वविद्यालय अनदु ान आयोग (UGC) द्वारा की गई थी।
z मानव सस ं ाधन विकास मंत्रालय की पहल (Ministry of Human
Resource Development Initiatives):  MM-TTP का अवलोकन:

मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास के लिए निम््नलिखित पहल की हैैं:  यह उच््च शिक्षा विभाग के तहत शिक्षकोों की क्षमता बढ़़ाने के उद्देश््य

 डिजिटल बोर््ड अभियान: भारत मेें गण ु वत्तापर््णू शिक्षा को बढ़़ावा देने से वर््तमान योजनाओ ं के पनु र््गठन का प्रस््तताव करता है।
के लिए उभरती प्रौद्योगिकियोों का उपयोग करना।  कार््यक्रम का उद्देश््य राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के लक्षष्ययों के अनरू
ु प
 कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर््नििं ग (ML) पर क््ललाउड रिसर््च
विभिन््न प्रशिक्षण केें द्ररों का उपयोग करते हुए, दो वर्षषों मेें उच््च
लैब: ये प्रयोगशालाएँ छात्ररों को भारत मेें AI और ML नवाचार पर ध््ययान शैक्षणिक संस््थथानोों (HEIs) मेें संकाय और कर््मचारियोों के लिए
केें द्रित करने वाली अनसु ंधान पहल को आगे बढ़़ाने के लिए AWS क््ललाउड क्षमता-निर््ममाण प्रशिक्षण प्रदान करना है।
 पहल के हिस््ससे के रूप मेें, मानव संसाधन विकास केें द्ररों (HRDCs)
तकनीक का उपयोग करने के अवसर प्रदान करेेंगीीं। यह IIT-BHU और
अमेजॉन इटं रनेट सर््वविसेज प्राइवेट लिमिटेड (AISPL) के बीच समझौता का नाम बदलकर मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केें द्र रखा
ज्ञापन के तहत एक पहल है। जाएगा।

मानव संसाधन 109


पीएम दक्ष रिपोर््ट के मुख्य बिंद ु (Key Findings of the Report):

संदर््भ
z मार््च, 2020 मेें कोविड-19 महामारी की शरुु आत के बाद जल ु ाई, 2020 और
जनू , 2021 के बीच सभी घरोों मेें भारत की 0.7% आबादी को ‘अस््थथायी
सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय ने कौशल विकास योजनाओ ं को
आगतं क ु ’ (Temporary Visitor) के रूप मेें पहचाना गया।
लक्षित समहोू ों-पिछड़़ा वर््ग, अनुसूचित जाति और सफाई कर््मचारी तक पहुचँ योग््य
बनाने के लिए 'पीएम-दक्ष' (प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन््न हितग्राही) z अस््थथायी आगंतुक (Temporary Visitor): एक आगतं क ु , जो अपने
पोर््टल और 'पीएम-दक्ष' मोबाइल ऐप शरू सामान््य परिवेश के बाहर किसी मख््य ु गंतव््य पर एक वर््ष से कम समय के
ु किया है।
लिए यात्रा कर रहा हो, देश या यात्रा किए गए स््थथान मेें किसी स््थथानीय इकाई
योजना की मुख्य विशेषताएँ द्वारा नियोजित होने के अलावा किसी अन््य मख््य ु उद्देश््य के लिए-
z इसके अतं र््गत पात्र लक्षष्य समहोू ों को अल््पपावधि पर कौशल विकास प्रशिक्षण  इन 0.7% ‘अस््थथायी आगंतको ु ों’ मेें से 84% से अधिक को महामारी से
कार््यक्रम प्रदान किए जाते हैैं। संबंधित कारणोों, जैसे नौकरी छूटना, स््ककू ल बंद होना और स््ववास््थ््य संबंधी
z प्रशिक्षण कार््यक्रम, पनु ः कौशलीकरण (Reskilling) एवं कौशल उन््नयन मद्ददों
ु के कारण स््थथानांतरित किया जाना।
(Upskilling), उद्यमिता विकास कार््यक्रम और दीर््घकालिक प्रशिक्षण कार््यक्रम।  जल ु ाई, 2020 से जनू , 2021 की अवधि के लिए सपं र््णू भारत मेें प्रवासन
z ये प्रशिक्षण कार््यक्रम सरकारी प्रशिक्षण संस््थथानोों, कौशल विकास और उद्यमिता दर 28.9% थी, जिसमेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें प्रवासन दर 26.5% और शहरी
मत्ं रालय द्वारा गठित सेक््टर कौशल परिषदोों और अन््य विश्वसनीय संस््थथानोों के क्षेत्ररों मेें 34.9% थी।
माध््यम से कार््ययान््ववित किए जा रहे हैैं।  महिला प्रवासी जनसंख््यया का एक बड़़ा प्रतिशत, 47.9%, थीीं जिनमेें से

पात्रता (ELIGIBILITY) 48% ग्रामीण क्षेत्ररों मेें तथा 47.8% शहरी क्षेत्ररों मेें रहती थीीं।
अनुसूचित जाति, अन््य पिछड़़ा वर््ग (OBC), आर््थथिक रूप से पिछड़़े वर््ग, विमक्त  परु ु ष प्रवासन दर 10.7% थी, जिनमेें से 5.9% ग्रामीण क्षेत्ररों मेें और

जनजाति, कचरा बीनने वालोों सहित सफाई कर््मचारी, हाथ से मैला ढोने वाले, 22.5% शहरी क्षेत्ररों मेें थी।
ट््राांसजेेंडर और अन््य समान श्रेणियोों मेें हाशिये पर रहने वाले व््यक्ति। चक्रीय प्रवासन (Circular Migration) : परिघटना की समझ
कार्यान्वयन (IMPLEMENTATION) z परिभाषा (Definition): सर््ककु लर माइग्रेशन मेें स््थथायी अथवा अस््थथायी
इसे सामाजिक न््ययाय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर््गत इसे तीन निगमोों द्वारा स््थथानांतरणोों के स््थथान पर एकाधिक उत्पप्रवास एवं वापसी के साथ बार-बार
कार््ययान््ववित किया जाता है: प्रवासन अनभु व शामिल होता है।
z राष्ट्रीय अनस ु चि
ू त जाति वित्त एवं विकास निगम (NSFDC) z विशेषताएँ (Characteristic):
z राष्ट्रीय पिछड़़ा वर््ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC)
 आमतौर पर कम आय वाले समहो ू ों के बीच विभिन््न स््थथानोों पर मौसमी
z राष्ट्रीय सफाई कर््मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC)। रोजगार के अवसरोों की तलाश मेें देखा जाता है।
सतत विकास लक्ष्य  व््यक्ति स््थथायी या अस््थथायी रूप से बसने के बजाय काम की उपलब््धता

सतत विकास लक्षष्य- 8: सभी के लिए निरंतर, समावेशी और सतत आर््थथिक के आधार पर स््थथानान््तरित होते हैैं।
विकास, पूर््ण और उत््पपादक रोजगार एवं गरिमापूर््ण कार््य को बढ़़ावा देना। z लाभ (Benefits):
लक्ष्य  राज््योों/ शहरोों की विकास आवश््यकताओ ं को व््यक्तियोों के लिए आर््थथिक

z वर््ष 2030 तक यवु ा लोगोों और दिव््ययाांग व््यक्तियोों सहित सभी महिलाओ ं और अवसरोों के साथ संतलि ु त करता है।
परुु षोों के लिए पर््णू और उत््पपादक रोजगार तथा गरिमापर््णू कार््यदशाएँ प्रदान  कौशल हस््तताांतरण और ‘Brain Circulation’ को प्रोत््ससाहित करके

करना साथ ही समान कार््य के लिए समान वेतन प्रदान करना। Brain Drain को कम करता है।
z प्रवासी श्रमिकोों, विशेष रूप से महिला प्रवासियोों और अनिश्चित रोजगार वाले  स््थथायी जनसंख््यया वृद्धि के बिना श्रमिकोों की कमी को संबोधित करता है।

लोगोों सहित सभी श्रमिकोों के लिए श्रम अधिकारोों की रक्षा करना और सरु क्षित  आय स्रोतोों मेें विविधता लाकर आय की अस््थथिरता को कम करता है।
कार््य वातावरण को बढ़़ावा देना।  स््थथायी आप्रवासन से जड़ ु ़े दबावोों को कम करता है।
z बलात श्रम उन््ममूलन, आधनि ु क दासता और मानव तस््करी को समाप्त करने  उच््च प्रेषण दरोों को प्रोत््ससाहित करता है।
और बाल सैनिकोों की भर्ती और उपयोग सहित बाल श्रम के सबसे खराब
 सांस््ककृतिक आदान-प्रदान की सवि ु धा प्रदान करता है।
रूपोों पर प्रतिबंध और उन््ममूलन सनिश्
ु चित करने के लिए तत््ककाल और प्रभावी
उपाय करना तथा वर््ष 2025 तक सभी रूपोों मेें बाल श्रम को समाप्त करना। z चुनौतियाँ (Challenges):
 नियोक्ताओ ं द्वारा शोषण, जिसमेें खराब कार््य परिस््थथितियाँ और श्रम
भारत मेें प्रवासन 2020-2021 रिपोर््ट
अधिकारोों का उल््ललंघन शामिल है।
सांख््ययिकी और कार््यक्रम कार््ययान््वयन मंत्रालय ने एक अध््ययन के लिए प्रवासियोों
 सीमित बचत अवसरोों के साथ निर््ववाह स््तर का रोजगार।
और अस््थथायी आगंतुकोों पर डेटा संकलित किया जो जून, 2022 मेें जारी किया
 डेटा की कमी और कम रिपोर््टििंग के कारण सरकार का सीमित नीति समर््थन।
गया था।

110  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


 गंतव््य क्षेत्ररों मेें राजनीतिक प्रक्रियाओ ं से बहिष््ककार। यूनिसेफ की सिफारिशेें
 मख््य
ु रूप से सक ं ट और असरु क्षा से प्रेरित, कमजोर शिक्षा पृष्ठभमि ू वाले z व््ययावसायिक स््थथितियोों के लिए यवु ाओ ं की अनक ु ू लन क्षमता को बढ़़ाने के
वंचित समहोू ों को प्रभावित करता है। लिए शिक्षा को कार््यबल की तैयारी के साथ एकीकृ त करना, जिसमेें सॉफ््ट
 अन््य मुद्दे (Other Issues): सामाजिक अलगाव, भाषा सब ं ंधी बाधाएँ, कौशल, तकनीकी दक्षता एवं उद्यमशीलता प्रशिक्षण शामिल है।
नौकरी की अनिश्चितता, मेजबान राज््योों मेें प्रवासी विरोधी भावनाएँ आदि। z महिलाओ ं की भागीदारी को बढ़़ावा देने के लिए, महिला कार््यबल की जरूरतोों
z आगे की राह (Way Ahead): के बारे मेें जागरूकता बढ़़ाने के लिए लैैंगिक संवेदनशीलता कार््यशालाओ ं के
साथ-साथ रियायती बाल देखभाल सेवाओ ं और सवैतनिक अवकाश की
 वृत्ताकार प्रवासी श्रमिकोों के संबंध मेें संपर््ण ू जानकारी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पेशकश की जाएगी।
स््तर पर एकत्र की जा सकती है। उदाहरण के लिए, आवधिक श्रम बल
z माध््यमिक शिक्षा मेें निवेश, गणु वत्ता, प्रासगि
ं क पाठ्यक्रम और शिक्षक की
सर्वेक्षण (PLFS) के माध््यम से। उपलब््धता को प्राथमिकता देना।
 किफायती बीमा पॉलिसियाँ, व््ययावसायिक सरु क्षा पहल और कौशल z तकनीकी अवसंरचना को बढ़़ाना एवं श्रम-गहन क्षेत्ररों को समर््थन देना रोजगार
विकास कार््यक्रम जैसे सरु क्षा उपायोों की पेशकश। सृजन के प्रयासोों मेें योगदान दे सकता है।
 श्रम काननो ू ों को विनियमित करने के लिए अतं रराज््ययीय प्रवासन परिषद आगे की राह:
के माध््यम से केें द्रीय एवं राज््य प्राधिकरणोों के बीच संरेखण और सहयोग किसी राष्टट्र की सफलता सदैव उसके युवाओ ं की सफलता पर निर््भर करती है
सनिश्
ु चित करना। और कौशल भारत निश्चित रूप से इन युवा भारतीयोों के लिए बहुत सारे लाभ
 प्रवासी श्रमिकोों को औपचारिक आर््थथिक प्रणाली मेें शामिल करने के उद्देश््य और अवसर लाएगा। वह समय दरू नहीीं जब भारत एक कुशल समाज के रूप मेें
से विशिष्ट सरकारी रणनीतियोों को विकसित करना। विकसित होगा, जहाँ सभी के लिए समृद्धि एवं सम््ममान होगा।
z माँग-संचालित कौशल विकास पारिस््थथितिकी तंत्र के लिए कौशल
 प्रवासी अधिकारोों को बनाए रखने तथा शोषण तथा दर््व् ु ्यवहार का मक ु ाबला
आवश््यकताओ ं का मानचित्रण:
करने के लिए मजबतू सरु क्षा उपायोों को लागू करना।
 भग ू ोल और क्षेत्र के आधार पर कौशल विकास योजनाएँ एवं रणनीतियोों
सुझाव को विकसित किया जाना चाहिए।
z सशक्तीकरण (Empowerment): गणु वत्तापर््णू कौशल विकास को उन््नत  तालक ु ाओ/ं जिलोों को मैपिंग के लिए आवश््यक जानकारी की उपलब््धता
करने के लिए कई राज््योों मेें राज््य कौशल विकास मिशनोों का क्षमता निर््ममाण सनिश्ु चित की जानी चाहिए।
एवं सशक्तीकरण।  कौशल आवश््यकताओ ं के अनस ु ार डेटा प्रदान करने के लिए उद्योग
z कौशल विकास (Skill Development): कौशल विकास के लिए आर््थथिक हितधारकोों को प्रोत््ससाहित किया जाना चाहिए।
 क्षेत्रीय कौशल परिषद (SSC) के सहयोग से नियमित श्रम बाजार अध््ययन
प्रोत््ससाहन एवं उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति से जड़ु ़े उत््पपादकता लाभ के
संचालित करना।
अवसर की पहचान करना।
 अनस ु ंधान और अनदु र््ध्
ै ्य अध््ययन के लिए व््ययावसायिक प्रशिक्षण नवाचार
z नवाचार (Innovation): उद्यमिता को पनपने और अवसर एवं नवाचार की
केें द्ररों की स््थथापना करना।
मानसिकता तथा संस््ककृति को विकसित करने के लिए एक सक्षम पारिस््थथितिकी
z प्रशिक्षण वितरण और गुणवत्ता मेें सध ु ार (Improving Training
तंत्र प्रदान करना। Delivery and Quality): शिक्षक प्रशिक्षण संस््थथानोों की क्षमताओ ं का
z एकीकरण (Integration): औपचारिक शिक्षा के साथ कौशल प्रशिक्षण उन््नयन; न््ययूनतम मानक निर््धधारित करने और NSQF अनरू ु प प्रमाणपत्र जारी
का एकीकरण करना। करने के लिए एकल नियामक निकाय की स््थथापना करना; प्रधानमत्ं री कौशल
z प्रशिक्षण (Training): प्रशिक्षण अवसंरचना और प्रशिक्षकोों की क्षमता तथा विकास योजना के तहत RPL को बढ़़ाएँ और हस््तताांतरणीय कौशल पर ध््ययान
गणु वत्ता मेें वृद्धि करना। केें द्रित करना।
z माध््यमिक विद्यालयोों मेें व््ययावसायिक शिक्षा (Vocational Education
z मानव सस ं ाधन आवश््यकताएँ (Human Resource Needs): उद्योग
in Secondary Schools): व््ययावसायिक शिक्षा आठवीीं कक्षा से शरू ु
की क्षेत्रीय आवश््यकताओ ं एवं देश की रणनीतिक प्राथमिकताओ ं के साथ
करना, निजी स््ककूलोों द्वारा भागीदारी को प्रोत््ससाहित करेें तथा उच््च शिक्षा मेें
कुशल श्रमिकोों की आपर््तति ू को संरेखित करके मानव संसाधन आवश््यकताओ ं ऋण अतं रण के प्रावधानोों पर विचार करना।
को संबोधित करना। z प्रशिक्षुता कार््य क्रम (Apprenticeship Programs): प्रशिक्त षु ा
z कौशल सबं ंधी आवश््यकताएँ (Skilling Needs): यह सनिश् ु चित किया अधिनियम और NAPS मेें हाल के सश ं ोधनोों की वकालत करना; प्रतिप र््तति

जाए कि सामाजिक एवं भौगोलिक रूप से वंचित तथा हाशिये पर रहने वाले के लिए दावा प्रक्रिया को सव्ु ्यवस््थथित करना; सक्षू ष्म, मध््यम एवं लघु उद्योग
समहोू ों की कौशल आवश््यकताओ ं का उचित रूप से ध््ययान रखा जाए। (MSME) क्षेत्र को प्रशिक्तषु ा प्रणाली मेें एकीकृ त करना।
z भागीदारी को बढ़ावा देना (Increase Participation): उचित कौशल z कौशल विकास (Skilling): कौशल विकास को शिक्षा के साथ एकीकृ त

और प्रशिक्षण के द्वारा मख््य


ु धारा के लैैंगिक कार््यबल मेें महिलाओ ं की भागीदारी करना; प्रवासी रोजगार संवर्दद्धन एजेेंसी की स््थथापना तथा व््ययावसायिक प्रशिक्षण
को बढ़़ावा देना। की सफलता की कहानियोों का प्रचार-प्रसार करना।

मानव संसाधन 111


z फंडिगं (Funding): कौशल कार््यक्रमोों के लिए वैकल््पपिक वित्तीय स्रोतोों
 S.K.I.L.L.S. (प्रयास, ज्ञान, नवाचार, नेतृत््व, सीखना, सफलता);
का उपयोग करना।
(Strive, Knowledge, Innovation, Leadership, Learning,
z क्षेत्रीय/ सेक््टर कौशल परिषदोों (SSCs) को सदृु ढ़ बनाना Success) H.R.E.N.E.W. (मानव संसाधन, सशक्तीकरण,
(Strengthening Sector Skill Councils): व््यवसायोों/ कार्ययों व नई पोषण, जड़ु ़ाव, कल््ययाण); शिक्षा, जड़ु ़ाव और उत््ककृष्टता के माध््यम
प्रौद्योगिकियोों पर आधारित क््लस््टर SSCs को सदृु ढ़ बनाना तथा क्षैतिज से सशक्तीकरण ((Empowerment through Education,
प्रयोज््यता के साथ कार््य भमि
ू काओ ं को एकीकृ त करना। Engagement, and Excellence - 3Es))
z निगरानी एवं मूल््ययाांकन (Monitoring and Evaluation): कार््यक्रमोों
की निगरानी के लिए राज््य-स््तरीय संकेतक विकसित करना; सॉफ््ट स््ककिल विगत वर्षषों के प्रश्न
प्रशिक्षण के लिए निजी नौकरी परामर््श एजेेंसियोों के साथ साझेदारी करना।
z मानव संसाधन विकास पर पर््ययाप्त ध््ययान नहीीं दिया जाना, भारत की विकास
प्रकिया का एक कठोर पक्ष रहा है। ऐसे उपाय सझु ाएँ जो इस अपर््ययाप्तता को
प्रमुख शब्दावलियाँ दरू कर सकेें । (2023)
 HIRE: सही नियक्ु ति, लोगोों मेें निवेश, शीर््ष प्रतिभा को बनाए z विभिन््न क्षेत्ररों मेें मानव संसाधनोों की आपर््तति
ू मेें वृद्धि करने मेें कौशल विकास
रखना, विकास को सशक्त बनाना; (Hiring Right, Investing कार््यक्रमोों ने सफलता अर््जजित की है। इस कथन के संदर््भ मेें शिक्षा, कौशल
in People, Retaining Top Talent, Empowering और रोजगार के मध््य संयोजन का विश्लेषण कीजिए। (2023)
Growth) z व््ययावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार््थक बनाने के लिए 'सीखते
 थ्राइव: प्रतिभा अधिग्रहण, मानव विकास, परु स््ककार और
हुए कमाना' (अर््न व््हहाइल यू लर््न) की योजना को सशक्त करने की आवश््यकता
मान््यता, समावेश और विविधता, जीवंत संस््ककृति; (THRIVE:
है। टिप््पणी कीजिए। (2022)
Talent Acquisition, Human Development, Reward &
z व््ययावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार््थक बनाने के लिए 'सीखते
Recognition, Inclusion & Diversity, Vibrant Culture)
 सशक्तीकरण: कार््यबल की संलग््नता, प्रदर््शन का प्रबंधन करना, हुए कमाना' (अर््न व््हहाइल यू लर््न) की योजना को सशक्त करने की आवश््यकता
विकास को बढ़़ावा देना, विकास की पेशकश करना, एक साथ है। टिप््पणी कीजिए।
जीतेें; (EMPOWER: Engage Your Workforce, Manage  (2021)
Performance, Promote Growth, Offer Development, z “भारत मेें जनसांख््ययिकीय लाभांश तब तक सैद््धाांतिक ही बना रहेगा, जब
Win Together) P.E.O.P.L.E (शक्ति, सशक्तीकरण, तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और सृजनशील
अनुकूलन, क्षमता, नेतृत््व, संलग््नता) (P.E.O.P.L.E. : नहीीं हो जाती।” सरकार ने हमारी जनसंख््यया को अधिक उत््पपादनशील और
Power, Empowerment, Optimization, Potential, रोजगार-योग््य बनने की क्षमता मेें वृद्धि के लिए कौन से उपाय किए हैैं?
Leadership, Engagement)
 (2016)

112  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


मानव संसाधन 113
9 गरीबी एवं भुखमरी
गरीबी कई रूपोों मेें प्रकट होती है जै सा कि नीचे चर््चचा की गई है:
गरीबी या निर््धनता
z स््ववास््थ््य-गरीबी: पोषण एवं स््वच््छता तक पहुच ँ का अभाव, उच््च रोग-भार
परिभाषा और कम उत््पपादकता गरीबी का जाल बनाती है।
z कौशल-निर््धनता: शिक्षा तक खराब पहुच ँ , प्रारंभिक बाल््ययावस््थथा मेें हस््तक्षेप
विश्व बैैंक के अनुसार, गरीबी का अर््थ खशु हाली मेें कमी से है और इसमेें विभिन््न
का अभाव तथा अनौपचारिक नौकरियोों मेें कौशल की निम््न गतिशीलता के
आयाम शामिल हैैं। इसमेें निम््न आय और गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए
कारण रोजगार, आय और आर््थथिक अवसर कम होते हैैं।
आवश््यक बुनियादी वस््ततुएँ और सेवाएँ हासिल करने मेें असमर््थता शामिल है।
z परिसप ं त्ति निर््धनता: भमि
ू या घर जैसी परिसंपत्तियोों की कमी, वित्त तक कम
भारत मेें वर््ष 2011 मेें 21.9% जनसंख््यया ‘राष्ट्रीय गरीबी रे खा’ से नीचे निवास
पहुचँ और सामाजिक पँजू ी का अभाव।
करती थी।
z लैैं गिक-निर््धनता: गरीबी के लिंग आधारित पहलू मेें, सपत् ं ति और आय का
गरीबी का वर्गीकरण स््ववामित््व पत्रु , पति या भाई सहित परुु ष सदस््योों को दे दिया जाता है जबकि
z निरपेक्ष निर््धनता: महिलाएँ आश्रित रहती हैैं।
z अपराध: निर््धनता; नशीली दवाओ ं की लत, वेश््ययावृत्ति, मानव तस््करी,
 निरपेक्ष निर््धनता, से तात््पर््य उन लोगोों से है, जिनकी आय किसी देश
सगं ठित अपराध, नक््सलवाद आदि को बढ़़ावा देती है। यह समाज के नैतिक
द्वारा निर््धधारित आय सीमा से नीचे है।
मल्ू ्योों का ह्रास करती है।
 यह गरीबी रे खा की अवधारणा के माध््यम से मापी जाती है और यह

गरीबी रे खा से नीचे (BPL) रहने वाले लोगोों की वास््तविक संख््यया को गरीबी की गणना के लिए विभिन्न समितियोों द्वारा सुझाए गए
दृष्टिकोण
संदर््भभित करती है।
z डॉ. वाई. के . अलघ की अध््यक्षता मेें ‘न््ययूनतम आवश््यकताओ ं और
 यह एक ऐसी स््थथिति है जो भोजन, वस्त्र, स््ववास््थ््य, शिक्षा, स््वच््छता
प्रभावी उपभोग माँग के अनुमान’ पर टास््क फोर््स (1979)
सवु िधाएँ, आश्रय आदि जैसी बनि ु यादी मानवीय आवश््यकताओ ं से वंचित
 इस टास््क फोर््स के दृष्टिकोण के आधार पर भारत मेें पहली बार आधिकारिक
होने के कारण उत््पन््न होती है।
रुप से गरीबी की गणना शरू ु हुई।
z सापे क्ष निर््ध नता:
 गरीबी रे खा को ग्रामीण क्षेत्ररों मेें प्रति व््यक्ति प्रतिदिन 2,400 किलो
 इसे सामाजिक दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया है, जो आस-पास रहने
कै लोरी तथा शहरी क्षेत्ररों मेें प्रति व््यक्ति प्रतिदिन 2,100 किलो कै लोरी
वाली जनसंख््यया के जीवन स््तर के आर््थथिक मानकोों के सापेक्ष है। इसलिए की औसत प्रति व््यक्ति दैनिक कै लोरी आवश््यकता को परू ा करने के लिए
यह आय असमानता की एक माप है। प्रति व््यक्ति उपभोग व््यय स््तर के रूप मेें परिभाषित किया गया था।
 आमतौर पर, सापेक्ष गरीबी को जनसंख््यया के उस प्रतिशत के रूप मेें मापा  वर््ष 1973-74 के मल् ू ्योों के आधार पर, टास््क फोर््स ने वर््ष 1973-74 के
जाता है, जिसकी आय, औसत आय के एक निश्चित अनपु ात से कम होती मल्ू ्योों पर ग्रामीण और शहरी गरीबी रे खाओ ं को क्रमशः 49.09 रुपये और
है। अर््थथात अपने समाज के औसत जीवन स््तर की तल ु ना मेें जीवन यापन 56.64 रुपये प्रति व््यक्ति प्रति माह निर््धधारित किया।
करने मेें असमर््थ वर््ग होते हैैं। लकड़़ावाला विशेषज्ञ समूह (1993)
 यह विकसित देशोों मेें गरीबी दर का पता लगाने के लिए व््ययापक रूप से z इसने गरीबी रे खा को पनु ः परिभाषित नहीीं किया तथा न््ययूनतम पोषण
इस््ततेमाल किया जाने वाला एक उपाय है। आवश््यकताओ ं के आधार पर राष्ट्रीय स््तर पर अलघ समिति द्वारा अनश ु सित

निम््न आर््थथिक शिक्षा एवं स््ववास््थ््य पृथक ग्रामीण एवं शहरी गरीबी रे खाओ ं को ही बरकरार रखा।
वृद्धि का निम््न स््तर
मानव पँजू ी z हालाँकि, अतं रराज््ययीय मल्ू ्योों के अतं र को प्रतिबिंबित करने के लिए इसे
कम निवेश वृद्धि कम आय विकास राज््य-विशिष्ट गरीबी रे खाओ ं मेें विभाजित किया गया।
का निम््न स््तर
बचत का उत््पपादकता का z पिछले कुछ वर्षषों मेें इस पद्धति की विश्वसनीयता समाप्त हो गई है। कीमत के
निम््न स््तर निम््न स््तर आँकड़़े त्रुटिपर््णू थे और क्रमिक गरीबी रे खाएँ मलू कै लोरी मानदडों ों को बनाए
गरीबी का दुष््चक्र रखने मेें विफल रहीीं।

114  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z तेेंदुलकर विशेषज्ञ समूह (2009) SECC- 2011 ने परिवारोों को तीन समूहोों मेें वर्गीकृत किया है:
 तेेंदल z स््वतः बहिष््ककृ त:
ु कर समिति ने गरीबी मापने के तरीके मेें कई बदलावोों का सझु ाव दिया।
 इसने वर््ष 1979 से सभी गरीबी अनम  13 परिसंपत्ति और आय-आधारित मापदडो ं ों मेें से कोई भी एक बहिष््करण
ु ानोों मेें प्रयक्त
ु कै लोरी मानदडों ों द्वारा
गरीबी रे खा का निर््धधारण करने के स््थथान पर लक्षित पोषण परिणामोों को मानदडों ों को परू ा करने वाले परिवार कल््ययाणकारी लाभोों से स््वतः ही
आधार बनाने की सिफारिश की। बाहर हो जाते हैैं।
z स््वतः समावेशित:
 इसने गरीबी का आकलन करते समय स््ववास््थ््य और शिक्षा पर निजी
 समावेशन मानदड ं को परू ा करने वाले परिवार जो 5 तीव्र सामाजिक वंचना
व््यय को शामिल करने की सिफारिश की।
मापदडों ों मेें से किसी एक को परू ा करते हैैं, उन््हेें कल््ययाणकारी लाभोों के
 मासिक घरे लू खपत के स््थथान पर, उपभोग व््यय को प्रति व््यक्ति प्रतिदिन
लिए स््वतः शामिल कर लिया जाता है।
खपत के आधार पर विभाजित किया गया जिसके परिणामस््वरूप शहरी
z अन््य:
और ग्रामीण क्षेत्ररों के लिए प्रतिदिन क्रमशः 32 रुपये और 26 रुपये
 ‘अन््य’ को वंचना के 7 संकेतकोों के आधार पर रैैंक किया गया है और बजट
का आँकड़़ा सामने आया।
की अनमति ु मिलने पर वे कल््ययाणकारी लाभोों के लिए पात्र हो सकते हैैं।
 परिणामस््वरूप, वर््ष 2011-12 के लिए राष्ट्रीय गरीबी रे खा ग्रामीण क्षेत्ररों

के लिए 816 रुपये प्रति व््यक्ति प्रति माह और शहरी क्षेत्ररों के लिए 1,000 BPL जनगणनाओ ं के विपरीत, SECC-2011 मेें घरे लू वंचनाओ ं को ट्रै क
करने की क्षमता पेश की गई थी जो गरीबी के बहुआयामी पक्ष पर ध््ययान केें द्रित
रुपये प्रति व््यक्ति प्रति माह अनमु ानित की गई।
करते हुए अंतराल को प्रभावी ढंग से संबोधित करती है। जनगणना अधिनियम
z रंगराजन समिति (2014)
के बाहर यह प्रत््ययेक घर के विशिष्ट अभाव को समझने का एक अनूठा अवसर
 तेेंदल ु कर समिति के दृष्टिकोण की व््ययापक आलोचना के साथ-साथ बदलते प्रदान करती है। सुमित बोस समिति (2017) ने विभिन््न सरकारी योजनाओ ं
समय और भारत के लोगोों की आकांक्षाओ ं के कारण वर््ष 2012 मेें रंगराजन के लिए लाभार््थथियोों की पहचान करने के लिए SECC- 2011 के आँकड़ों
समिति की स््थथापना की गई। का लाभ उठाने की सिफारिश की।
 अखिल भारतीय ग्रामीण और शहरी गरीबी रे खा के पथ ृ क मानक सरकार ने सामाजिक कल््ययाण कार््यक्रमोों को लागू करने मेें SECC डेटा
बनाने तथा इनसे राज््य स््तरीय ग्रामीण और शहरी अनमु ान निकालने की का उपयोग किया है जिसमेें शामिल हैैं:
पद्धति को पनु ः अपना लिया। z प्रधानमत्री
ं आवास योजना (ग्रामीण) ,
 इसने ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों के लिए अलग-अलग उपभोग की टोकरी z दीनदयाल अत्ं ्ययोदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(NRLM),

की सिफारिश की, जिसमेें अनश ु सित


ं कै लोरी, प्रोटीन और वसा का सेवन z प्रधानमत्रीं जन आरोग््य योजना-आयष्ु ्ममान भारत,(PMJAY-AB)
सनिश्
ु चित करने वाले खाद्य पदार््थ, कपड़़े, शिक्षा, स््ववास््थ््य, आवास और z प्रधानमत्री ं सहज बिजली हर घर योजना,
परिवहन जैसी गैर-खाद्य वस््तएतु ँ शामिल हैैं। z प्रधानमत्री ं उज््ज््वला योजना
 वर््ष 2011-12 के मल् ू ्योों पर प्रतिदिन प्रति व््यक्ति व््यय को 32 रुपये और कई राज््य सरकारेें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को लागू करने के लिए
26 रुपये से बढ़़ाकर क्रमशः शहरी क्षेत्ररों के लिए 47 रुपये और ग्रामीण भी इसका उपयोग करती हैैं।
क्षेत्ररों के लिए 32 रुपये कर दिया। सरकारी कार््यक्रमोों मेें SECC डेटा को शामिल करने से साक्षष्य-आधारित
 अखिल भारतीय स््तर पर गरीबी रे खा के रूप मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें 972
विकासात््मक हस््तक्षेप की सुविधा मिलती है। कल््ययाणकारी कार््यक्रमोों की
रुपये और शहरी क्षेत्ररों मेें 1,407 रुपये प्रति व््यक्ति मासिक उपभोग व््यय वित्तीय स््थथिति को ध््ययान मेें रखना, कार््यक्रम-विशिष्ट प्राथमिकता सूची तैयार
की सिफारिश की गई है। करना, लक्षित गरीब-हितैषी हस््तक्षेप सुनिश्चित करता है। लाभार््थथियोों का चयन
ग्राम सभाओ ं के माध््यम से मान््य किया जाता है और जहाँ कानूनी रूप से
 हालाँकि, सरकार ने रंगराजन समिति की रिपोर््ट पर कोई निर््णय नहीीं लिया।
अनुमति है, वहाँ ‘आधार’ के माध््यम से पहचान स््थथापित की जाती है, जिससे
वर््तमान मेें भारत मेें गरीब व््यक्तियोों की पहचान राज््य सरकारोों द्वारा नवीनतम दोहराव और धोखाधड़़ी कम-से-कम होती है। यह दृष्टिकोण आय या व््यय-
सामाजिक-आर््थथिक जाति जनगणना- 2011 (SECC 2011) के साथ आधारित विचारोों से परे बहुआयामी गरीबी को संबोधित करने मेें सरकार की
की गई गरीबी रे खा से नीचे (BPL) जनगणना की जानकारी के आधार प्रभावशीलता को महत्तत्वपूर््ण रूप से बढ़़ावा देता है।
पर की जाती है।
राज््योों/ संघ शासित प्रदेशोों (UT) द्वारा ग्रामीण और शहरी दोनोों क्षेत्ररों के लिए राष्ट् रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS): मुख्य बिंद ु
एक साथ आयोजित की गई SECC- 2011 को भारत सरकार द्वारा तकनीकी वार््षषिक राष्ट्रीय सर्वेक्षण: आवर्ती क्रमोों मेें विभिन््न सामाजिक-आर््थथिक
और वित्तीय दोनोों तरह से समर््थन दिया गया था। जनगणना मेें परिवारोों के संबंध विषयोों को शामिल करता है।
मेें व््ययापक डेटा एकत्र किया गया, जिसमेें व््यक्तिगत विवरण, आवास, वंचना, उदाहरण: स््ववास््थ््य और शिक्षा (71वाँ क्रम), घरे लू उपभोग व््यय (68वाँ
रोजगार, आय, संपत्ति/ सुविधाएँ और भमि और 75वाँ क्रम)।
ू स््ववामित््व शामिल थे। इसने 17.97
घरे लू उपभोग व््यय सर्वेक्षण (CES): NSS क्रम के दौरान हर 5 वर््ष मेें
करोड़ ग्रामीण परिवारोों और 6.51 करोड़ शहरी परिवारोों की सामाजिक-आर््थथिक
आयोजित किया जाता है।
स््थथिति का दस््ततावेजीकरण किया।

गरीबी एवं भुखमरी 115


आगे की जानकारी: यह रिपोर््ट भारत के सभी राज््योों, केें द्र शासित प्रदेशोों
CES का उद्देश््य: सभी आय वर्गगों मेें घरे लू मासिक व््यय और वितरण का
अनुमान लगाता है। और जिलोों के लिए बहुआयामी निर््धनता के अनुमान भी प्रदान करती
एकत्रित डेटा: खाद्य, गैर-खाद्य वस््ततुओ ं और सेवाओ ं पर व््यय। है, जिससे क्षेत्रीय विविधताओ ं और लक्षित हस््तक्षेपोों की गहरी समझ
उपयोग: सकल घरे लू उत््पपाद (GDP) और अन््य व््ययापक-आर््थथिक संकेतकोों मिलती है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बिहार, मध््य प्रदेश, ओडिशा और
का पुनर््आधार प्रदान करना। राजस््थथान को बहुआयामी गरीबी के अनुपात मेें सबसे ते जी से कमी लाने
79वाँ क्रम (2022-23): HCES पर ध््ययान केें द्रित, जिसमेें मफ्ु ्त सरकारी वाले राज््योों के रूप मेें पहचाना गया है।
कल््ययाण विकल््पोों पर डेटा भी शामिल है। अंततः यह रिपोर््ट बहुआयामी निर््धनता के खिलाफ भारत की स््थथिति मेें महत्तत्वपूर््ण
प्रगति की तस््ववीर पेश करती है। हालाँकि, चनु ौतियाँ बनी हुई हैैं, लेकिन देखे गए
बहुआयामी गरीबी को कम करने मेें भारत की महत्त्वपूर््ण प्रगति: सकारात््मक रुझान आने वाले वर्षषों मेें निरंतर सधु ार के लिए एक आशाजनक
एक संक्षिप्त अवलोकन दृष्टिकोण प्रदान करते हैैं।
एक बड़़ी सफलता: नीति आयोग की रिपोर््ट, “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी
सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा- 2023” एक उल््ललेखनीय उपलब््धधि को उजागर निर््धनता के कारण
करती है। वर््ष 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ व््यक्ति (135 निर््धनता के विरुद्ध भारत का युद्ध बहुआयामी है जिसके लिए विभिन््न कारकोों
मिलियन) बहुआयामी निर््धनता से बाहर आ गए। इसका अर््थ है कि 9.89 के बीच परस््पर क्रिया की सक्षू ष्म समझ की आवश््यकता है। आइए डेटा-संचालित
प्रतिशत की गिरावट; जिससे राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी दर 24.85% से सहायता के साथ प्रत््ययेक स््तर पर गहराई से विचार करेें:
घटकर 14.96% हो गई।
ग्रामीण क्षेत्र सबसे आगे: हालाँकि, ग्रामीण और शहरी दोनोों क्षेत्ररों मेें कमी देखी सामाजिक कारक
गई। ग्रामीण क्षेत्ररों मेें सबसे महत्तत्वपूर््ण सुधार देखा गया है, जहाँ बहुआयामी z जाति व््यवस््थथा: अवसर के लिए एक सतत बाधा
गरीबी 32.59% से घटकर 19.28% हो गई। शहरी क्षेत्ररों मेें भी गिरावट देखी  असमानता की गहरी जड़ेें: भारत की जाति व््यवस््थथा एक कठोर सामाजिक
गई, जो 8.65% से घटकर 5.27% हो गई। पदानक्रु म है, जो सदियोों से चली आ रही है। यह जन््म के समय व््यक्तियोों
उत्तर प्रदेश अग्रणी राज््य के रूप मेें उभरा: गरीबी से बाहर निकलने वाले को सामाजिक समहोू ों मेें बाँट देती है, जो बाद मेें काफी हद तक उनकी
व््यक्तियोों की सबसे अधिक संख््यया वाला राज््य उत्तर प्रदेश था, जहाँ 3.43 शिक्षा, रोजगार और ससं ाधनोों तक पहुचँ को निर््धधारित करती है।
करोड़ लोगोों के जीवन स््तर मेें सुधार हुआ।
 भे दभाव और बहिष््ककार: दलितोों (अछूतोों) और अन््य निचली जातियोों
समग्र दृष्टिकोण: रिपोर््ट राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)
को व््यवस््थथित रूप से उपेक्षित रखा जाता है और उनके साथ भेदभाव
का उपयोग करती है, जिसमेें नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण
किया जाता है। यह सामाजिक बहिष््ककार, बनि ु यादी सेवाओ ं तक सीमित
(NFHS-5, 2019-21) के डेटा को शामिल किया गया है और विश्व स््तर
पर मान््यता प्राप्त पद्धति का पालन किया गया है। यह सूचकांक के वल पहुचँ और गरीबी की उच््च दर के रूप मेें प्रकट होता है।
आय से गरीबी को मापने से कहीीं आगे तीन प्रमुख आयामोों मेें वंचनाओ ं पर  आर््थथिक प्रभाव: जाति आधारित भेदभाव आर््थथिक असमानता को कायम

विचार करता है: रखता है। समान योग््यता होने के बावजदू दलित, गैर-दलितोों की तल ु ना
z स््ववास््थ््य: इसमेें पोषण, बाल एवं किशोर मृत््ययु दर तथा मातृ स््ववास््थ््य जैसे मेें 11% कम कमाते हैैं (विश्व बैैंक, 2020)। अवसरोों की यह कमी गरीबी
कारक शामिल हैैं। का एक चक्र बनाती है, जो गहराई तक जड़ें जमा लेती है।
z शिक्षा: स््ककू ली शिक्षा के वर्षषों और स््ककू ल मेें उपस््थथिति का मल्
ू ्ययाांकन किया स््ववास््थ््य
जाता है। प्रबंधन
z जीवन स््तर: इस आयाम मेें भोजन पकाने के लिए स््वच््छ ईधन, ं स््वच््छता, स््ववास््थ््य संसाधनोों
स््ववास््थ््य
पेयजल, विद्युत, आवास, संपत्ति और बैैंक खातोों तक पहुचँ पर विचार किया साक्षरता का उपयोग
जाता है।
शिक्षा निर््भरता
सभी संकेतकोों मेें सुधार: उत््ससाहजनक बात यह है कि रिपोर््ट मेें बहुआयामी
निर््धनता सूचकांक(MPI) की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी 12 सामाजिक गरीबी मानव मामल
ू ी या अपर््ययाप्त
हिसं ा
संकेतकोों मेें उल््ललेखनीय सुधार पर प्रकाश डाला गया है, जो जीवन के बहिष््ककार पँजू ीनौकरी की संभावना
विभिन््न पहलुओ ं मेें प्रगति को दर््शशाता है। भेदभाव कम आय
सफलता के संकेतक: बहुआयामी निर््धनता सूचकांक(MPI) मूल््य 0.117 हिसं ा
से लगभग आधा घटकर 0.066 हो गया और गरीबी की तीव्रता (औसत
अभाव स््ककोर) 47% से घटकर 44% हो गई। ये सकारात््मक रुझान बताते z निर््धनता को बढ़़ाने वाले अन््य सामाजिक कारक
हैैं कि भारत, वर््ष 2030 की समय-सीमा से पहले सतत विकास लक्षष्य  लैैं गिक असमानता: भारत मेें महिलाओ ं और बालिकाओ ं को काफी

(SDG) 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधे से कम करना) को प्राप्त भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन््हेें प्रायः शिक्षा, स््ववास््थ््य सेवा और
करने की राह पर है। यह उपलब््धधि सतत विकास लक्षष्ययों (SDGs) के व््ययापक आर््थथिक अवसरोों तक कम पहुचँ मिलती है। लैैंगिक मानदडं घर से बाहर
उद्देश््योों के साथ संरेखित, सतत और न््ययायसंगत विकास के लिए सरकार की काम करने या संपत्ति रखने की उनकी क्षमता को प्रतिबंधित करते हैैं, जिससे
प्रतिबद्धता को दर््शशाती है। लैैंगिक निर््धनता को बढ़ावा मिलता है।

116  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


 सामाजिक मानदडं और परंपराएँ: विशेषकर ग्रामीण इलाकोों मेें कुछ z तटीय क्षेत्र: तटीय क्षेत्र चक्रवात, बाढ़ और कटाव के प्रति संवेदनशील होते
रीति-रिवाज और परंपराएँ निर््धनता को बनाए रखती हैैं। उदाहरण के लिए- हैैं, जिससे बनि
ु यादी ढाँचे का विनाश होता है और समदु ाय विस््थथापित होते हैैं।
दहेज प्रथा परिवारोों पर अत््यधिक वित्तीय बोझ डाल सकती है जिससे कर््ज इन प्राकृ तिक आपदाओ ं के कारण आय मेें कमी आती है और लोग गरीबी मेें
और गरीबी बढ़ती है। और भी अधिक डूब जाते हैैं।
 उत्तराधिकार के कानून: वर््तमान कानन ू परुु षोों के पास संपत्ति के स््ववामित््व मुख््य विशेषताएँ: MPI प्रगति रिपोर््ट- 2023
को प्राथमिकता देते हैैं, जिसके परिणामस््वरूप महिलाओ ं के पास भमि ू 135 मिलियन
कुल गरीबी अनुपात
और संपत्ति की कमी होती है। यह गरीबी से बाहर निकलने मेें बाधा उत््पन््न (13.5 करोड़) लोग
मेें भारी गिरावट
करता है और उन््हेें परुु ष रिश््ततेदारोों पर निर््भर बनाता है। 2015-16 और 2019-21 के बीच
बहुआयामी गरीबी से बाहर।
 भौगोलिक असमानताएँ: गरीबी प्रायः ग्रामीण क्षेत्ररों मेें केें द्रित होती है,
भारत, वर््ष 2030 से काफी
जहाँ बनि ु यादी ढाँचा सीमित होता है तथा शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवा तक सभी 12 संकेतकोों मेें सधु ार हुआ है,
पहले SDG लक्षष्य 1.2
जो यह सझ ु ाव देते हैैं कि सरकारी
पहुचँ सीमित होती है। जातिगत आधार पर भेदभाव भी अक््सर ग्रामीण (बहुआयामी गरीबी को कम
हस््तक्षेपोों का प्रभाव जमीन पर तेजी
से कम आधा कम करना)
क्षेत्ररों मेें अधिक प्रचलित होता है। हासिल करने की राह पर है। से दिखाई दे रहा है।
z गरीबी पर सामाजिक कारकोों का प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्ररों मेें बहुआयामी गरीबोों के शहरी क्षेत्ररों मेें
 सामाजिक कारक और भेदभाव कई तरीकोों से भारत मेें गरीबी मेें योगदान
प्रतिशत मेें सबसे तेज गिरावट गरीबी की व््ययापकता
करते हैैं।
 सीमित आर््थथिक अवसर: भेदभाव, रोजगार और उचित मजदरू ी तक पहुच ँ की कमी।
को प्रतिबंधित करता है, जिससे व््यक्तियोों को गरीबी से बाहर निकलने मेें गरीबी की तीव्रता,जो बहुआयामी
गरीबी मेें रहने वाले लोगोों के
बाधा उत््पन््न होती है। बीच औसत अभाव को मापती
 शिक्षा और कौशल विकास का अभाव: हाशिये पर रहने वाले समद
है, मेें लगभग 47.14% से
ु ायोों 44.39% का सुधार हुआ है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध््य MPI मूल््य - पोषण मेें
सुधार, स््ककू ली शिक्षा के वर्षषों,
के बच््चोों को प्रायः गणु वत्तापर््णू शिक्षा तक पहुचँ नहीीं मिल पाती, जिससे प्रदेश, ओडिशा और
राजस््थथान मेें MPI मेें गरीबोों स््वच््छता और भोजन पकाने
उनके भविष््य की आर््थथिक सभं ावनाएँ सीमित हो जाती हैैं। की संख््यया मेें सबसे ज््ययादा के ई ंधन ने MPI मूल््य को
कम करने मेें महत्तत्वपूर््ण भूमिका
गिरावट दर््ज की गई।
 खराब स््ववास््थ््य परिणाम: भेदभावपर््ण ू व््यवहार और स््ववास््थ््य देखभाल निभाई।

तक सीमित पहुचँ के कारण बीमारी और दिव््ययाांगता की दर बढ़ जाती है वातावरणीय कारक


जिससे लोग और अधिक गरीबी मेें फँ स जाते हैैं।
z मृदा क्षरण: अत््यधिक उपयोग, खराब कृ षि पद्धतियाँ और वनोों की कटाई से
 अंतर-पीढ़़ीगत गरीबी: गरीबी का चक्र प्रायः पीढ़़ियोों तक चलता रहता है
मिट्टी का क्षरण और उर््वरता मेें कमी हो सकती है। इससे कृ षि उत््पपादकता पर
जब उपेक्षित समहोू ों मेें पैदा हुए बच््चोों को भी अपने माता-पिता के समान बहुत बरु ा असर पड़ता है, जिससे किसानोों के लिए खदु का और अपने परिवार
ही भेदभावपर््णू बाधाओ ं का सामना करना पड़ता है। का भरण-पोषण करना मश््ककि ु ल हो जाता है।
संस्थागत कारक z जल की कमी: सख ू ा, अपर््ययाप्त वर््षषा और जल संसाधनोों के अत््यधिक दोहन से
z सीमित शिक्षा और कौशल: भारत की 25 वर््ष और उससे अधिक आयु कृ षि उत््पपादन और पीने तथा स््वच््छता के लिए स््वच््छ जल तक पहुचँ सीमित
की के वल 51.3% आबादी ने माध््यमिक शिक्षा परू ी की है (यनू ेस््कको, 2022)। हो जाती है। इससे खराब स््ववास््थ््य, खाद्य असरु क्षा और आर््थथिक कठिनाई का
शिक्षा की यह कमी कौशल विकास को सीमित करती है और व््यक्तियोों को चक्र बनता है।
कम वेतन वाली नौकरियोों मेें फंसा देती है। z प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, चक्रवात और भक ू ं प परू े क्षेत्र को तबाह कर सकते
z स््ववास््थ््य सेवा तक पहुच
ँ मेें अंतर: भारत का ‘स््ववास््थ््य सेवा पर व््यक्तिगत हैैं। घरोों, फसलोों और आजीविका को नष्ट कर सकते हैैं। सपत् ं ति और आय के
(out-of-pocket) खर््च’ 47.1% (7वाँ राष्ट्रीय स््ववास््थ््य लेखा, 2019-20) स्रोतोों का नक ु सान कमजोर परिवारोों को गरीबी मेें और भी अधिक धके ल देता
है, जो गरीबोों पर काफी बोझ डालता है। है और पनु र््ननिर््ममाण को भी मश््ककि
ु ल बना देता है।
z जलवायु परिवर््तन: जलवायु परिवर््तन के कारण मौसम के पैटर््न मेें अप्रत््ययाशित
भौगोलिक, पर्यावरणीय और आर््थथिक कारक परिवर््तन से कृ षि चक्र बाधित हो रहा है और आजीविका को खतरा हो रहा है।
भौगोलिक कारक चरम मौसम की घटनाएँ लगातार और गंभीर होती जा रही हैैं जिससे संवेदनशील
क्षेत्ररों मेें खेती और भी चनु ौतीपर््णू हो गई है।
z भू-भाग: पर््वत, पहाड़़ी या घने जंगल वाले क्षेत्ररों जैसे कठिन भ-ू भाग सड़क,
स््ककू ल और स््ववास््थ््य सेवा केें द्ररों जैसे बनि
ु यादी ढाँचे के विकास मेें बाधा उत््पन््न आर््थथिक कारक
कर सकते हैैं। इससे अलगाव बढ़ता है, बनि ु यादी सेवाओ ं और आर््थथिक अवसरोों z आय असमानता: आय असमानता का एक मापक गिनी गणु ांक भारत मेें,
तक पहुचँ सीमित हो जाती है, फलस््वरूप, गरीबी बढ़ती है। वित्तीय वर््ष 2022-23 के लिए 0.402 है (SBI रिसर््च), जो महत्तत्वपर््णू धन
z दूरस््थ स््थथान: शहरी केें द्ररों से अत््यधिक दरू स््थथित स््थथानोों मेें अक््सर आर््थथिक असमानता को दर््शशाता है। इसका तात््पर््य है कि शीर््ष 10% धन अर््जजित करने
केें द्र, उद्योग और नौकरी के अवसरोों की कमी होती है। इसके परिणामस््वरूप वाले राष्ट्रीय आय का 51% नियंत्रित करते हैैं (IMF, 2022)।
आजीविका के सीमित विकल््प और गरीबी का उच््च प्रसार होता है।

गरीबी एवं भुखमरी 117


z बेरोजगारी और अल््प रोजगार: वर््ष 2021 मेें भारत की बेरोजगारी दर 7.8% नौकरी छूटना और आय मेें गिरावट
थी (विश्व बैैंक, 2022), लेकिन अल््प बेरोजगारी एक महत्तत्वपर््णू चनु ौती बनी
हुई है जिसमेें 37% कार््यरत व््यक्ति अपने वांछित घटों ों से कम काम कर रहे z बड़़े पैमाने पर बेरोजगारी: सख््त लॉकडाउन की वजह से बड़़े पैमाने पर
हैैं (ILO, 2023)। व््यवसाय बंद हो गए और खास तौर पर अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियाँ
z ऋण जाल: भारत मेें घरे लू ऋण मेें तेजी से वृद्धि हुई है, 77% ग्रामीण परिवारोों चली गई,ं जो भारत के कार््यबल के एक बड़़े हिस््ससे को रोजगार देता है। सेेंटर
और 55% शहरी परिवारोों मेें ऋण की सचू ना दर््ज की गई है (CMII, 2022)। फॉर मॉनिटरिंग इडि ं यन इकोनॉमी (CMIE) का अनमु ान है कि फरवरी, 2020
यह उच््च ऋण बोझ परिवारोों को गरीबी के दष्ु ्चक्र मेें फँ सा सकता है। से 2021 के बीच 7 मिलियन नौकरियाँ समाप्त हो गई।
z कम पूज ँ ी निर््ममाण: सकल घरे लू उत््पपाद (GDP) के प्रतिशत के रूप मेें भारत z वेतन मेें कटौती: गैर-कृ षि श्रमिक, वेतनभोगी कर््मचारी, दैनिक वेतन भोगी
का सकल स््थथिर पँजू ी निर््ममाण घट रहा है, जो 2021 मेें 24.4% तक पहुचँ
और व््यवसाय मालिक काफी प्रभावित हुए। उन््हेें काम के घटों ों मेें कमी का
गया है (विश्व बैैंक, 2023)। निवेश की यह कमी आर््थथिक विकास और रोजगार
सृजन मेें बाधा डालती है। सामना करना पड़़ा और जिन नौकरियोों को वे फिर से हासिल करने मेें कामयाब
z अपर््ययाप्त बुनियादी ढाँचा: विश्व बैैंक के लॉजिस््टटिक््स प्रदर््शन सचू कांक रहे, उनमेें भी वेतन मेें कटौती हुई।
(2023) मेें भारत 38वेें स््थथान पर है, जो आर््थथिक गतिविधि और बाजार पहुचँ z अनौपचारिकता मेें वद्धि ृ : सीमित नौकरी विकल््पोों के कारण कई
मेें बाधा डालने वाली महत्तत्वपर््णू बनिु यादी ढाँचा चनु ौतियोों को उजागर करता है। वेतनभोगी श्रमिकोों को अनौपचारिक क्षेत्र मेें जाने के लिए मजबूर होना
z सरु क्षा तंत्र का अभाव: भारत के सामाजिक सरु क्षा तंत्र कार््यक्रम विभाजित पड़़ा, जिससे आय सरु क्षा मेें कमी और सभ ु ेद्यता बढ़ गई।
और अपर््ययाप्त हैैं, जिससे अनेक लोगोों मेें ‘बीमारी’ या ‘फसल विफलता’ जैसे z कुल आय मेें गिरावट: वर््ष 2020-2021 के दौरान घरे लू आय मेें औसतन
गरीबी के दश्चु क्ररों के प्रति भेद्यता बढ़ जाती है।
12% की गिरावट आई, जिससे संघर््षरत परिवारोों पर और अधिक बोझ पड़़ा।
वैश्विक गरीबोों की संख््यया मेें भारत की हिस््ससेदारी अधिक है
स्रोत: विश्व बैैंक 'गरीबी और साझा समृद्धि- 2022' रिपोर््ट ग्रामीण संक ट
800
z शहरी सक ं ट से परे: प्रारंभ मेें इसे एक शहरी घटना माना गया, लेकिन
719 विभिन््न क्षेत्ररों के बीच परस््पर जड़ु ़ाव के कारण आर््थथिक व््यवधान तेजी से
600
648.1 ग्रामीण क्षेत्ररों मेें फैल गया।
400 z कृषि क्षेत्र मेें बाधा: लॉकडाउन के कारण न के वल ग्रामीण क्षेत्ररों से श्रमिकोों
192.8 (ऊपरी सीमा) का बड़़े पैमाने पर पलायन हुआ बल््ककि कृषि गतिविधियाँ भी रुक गई।ं
200 159.8 (िनचली सीमा) इससे लाखोों ग्रामीण मजदूर मश््ककि ु ल मेें फँ स गए जिससे उनकी जीविका
कमाने की क्षमता बाधित हुई।
0
2019 2020 z आवागमन प्रतिबंध: श्रम, वस््तओ तु ं और आवश््यक सेवाओ ं पर आवागमन
विश्व मेें गरीबोों भारत मेें गरीबोों प्रतिबंधोों ने ग्रामीण आय और उत््पपादन को बुरी तरह प्रभावित किया।
की संख््यया की संख््यया विशेष रूप से फलोों और सब््जजियोों जैसी जल््ददी खराब होने वाली वस््तओ तु ं
z क्षेत्रीय निर््भरता: भारत का 50% से अधिक कार््यबल कृ षि क्षेत्र मेें कार््यरत के लिए।
है, जो कम उत््पपादकता और आय अस््थथिरता से ग्रस््त है।
ग्रामीण और शहरी गरीबी
भारत मेें गरीबी पर कोविड-19 का विनाशकारी प्रभाव: एक गहन
अवलोकन शहरी और ग्रामीण गरीबी सामाजिक-आर््थथिक असमानता के महत्तत्वपूर््ण आयाम
कोविड-19 महामारी ने भारत की अर््थव््यवस््थथा को बुरी तरह प्रभावित किया हैैं, जिनका नीति निर््ममाण और विकास रणनीतियोों पर महत्तत्वपूर््ण प्रभाव पड़ता
है, जिसके कारण गरीबी मेें जी रहे लाखोों लोगोों का जीवन असामान््य रूप से है। भारत जैसे देश मेें गरीबी की बहुआयामी प्रकृ ति को संबोधित करने के लिए
प्रभावित हुआ है। महामारी के दरू गामी परिणामोों पर एक विस््ततृत अवलोकन: शहरी और ग्रामीण दोनोों स््तर की गरीबी से जुड़़ी बारीकियोों और चनु ौतियोों को
भारत, निर््धनता और असमानता
समझना महत्तत्वपूर््ण है।
अत््यधिक निर््धनता मेें लोगोों का हिस््ससा*, %, शहरी गरीबी
लॉकडाउन 60 z आय असमानताएँ:
भारत मेेंकोविड-19 का पहला पहली दूसरी  शहरी क्षेत्ररों के प्रायः कुछ विशिष्ट क्षेत्ररों मेें आर््थथिक अवसरोों के सके ं ें द्रण
मामला सामने आया लहर लहर के कारण आय मेें असमानता अधिक देखी जाती है। विषम आय वितरण
40
शहरी केें द्ररों के भीतर अत््यधिक गरीबी से ग्रस््त क्षेत्ररों को बढ़ा सकते हैैं।
z अनौपचारिक रोजगार:
20
शहरी  शहरी गरीबी का एक बड़़ा हिस््ससा अनौपचारिक रोजगार से जड़ ु ़ा है, जहाँ
श्रमिकोों को नौकरी की सरु क्षा, सामाजिक लाभ और स््थथिर आय की कमी
ग्रामीण 0 होती है। प्रायः दिहाड़़ी मजदरू , फे री वाले और घरे लू कामगार इसी श्रेणी
2018 19 20 21 मेें आते हैैं।

118  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z आवास सबं ंधी चुनौतियाँ: z भूमि स््ववामित््व और किरायेदारी सबं ंधी मुद्दे:
 तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण आवास की अपर््ययाप्त सवु िधाएँ और  भमि ू स््ववामित््व संबंधी मद्ु दे और असमान भमि ू वितरण ग्रामीण गरीबी के
झग्ु ्गगी-झोपड़़ियोों का प्रसार हो सकता है। रहने की निम््न स््थथिति, स््वच््छता कारणोों मेें शामिल हैैं। भमि ू हीन किसान या छोटी जोत वाले किसान कृ षि से
की कमी और बनि ु यादी सवु िधाओ ं तक सीमित पहुचँ शहरी गरीबोों की पर््ययाप्त आय अर््जजित करने के लिए संघर््ष कर सकते हैैं।
आवासीय चनु ौतियोों को दर््शशाता है। z तकनीकी अंतराल:
z स््ववास््थ््य और शिक्षा सबं ंधी असमानताएँ:  ग्रामीण क्षेत्ररों मेें डिजिटल विभाजन अधिक स््पष्ट है, जो प्रौद्योगिकी और

 शहरी क्षेत्ररों मेें स््ववास््थ््य, सेवा और शैक्षणिक संस््थथानोों तक बेहतर पहुच


ँ के सचू ना तक पहुचँ को सीमित करता है। यह विभाजन कौशल विकास और
बावजदू असमानताएँ बनी हुई हैैं। शहरी गरीबोों को वित्तीय बाधाओ ं और अर््थव््यवस््थथा मेें आर््थथिक भागीदारी मेें बाधा डाल सकता है।
सामाजिक हाशिये पर होने के कारण गणु वत्तापर््णू स््ववास््थ््य, सेवा और शिक्षा z विविधीकरण का अभाव:
मेें बाधाओ ं का सामना करना पड़ सकता है।  अन््य आय-उत््पपादक गतिविधियोों मेें विविधीकरण की कमी एवं कृ षि पर

z प्रवासन मुद्दे: अत््यधिक निर््भरता, ग्रामीण समदु ायोों को आर््थथिक झटकोों और कमजोरियोों
के प्रति सभु द्ये बना सकती है।
 बेहतर आर््थथिक अवसरोों की उम््ममीद से प्रेरित होकर गाँवोों से शहरोों की ओर

पलायन से लोगोों का शहरोों मेें अतं ः प्रवेश बढ़ सकता है। हालाँकि, उचित संरचनात्मक और प्रणालीगत चुनौतियााँ
योजना के अभाव मेें यह पलायन शहरी गरीबी को बढ़़ा सकता है, जिससे z असमानता: भारत मेें गहरी जड़ें जमाए बैठी असमानता, निर््धनता को कायम
संसाधनोों और बनि ु यादी ढाँचे पर दबाव बढ़ सकता है। रखती है। धन, सपत्ं ति और अवसरोों का असमान वितरण गरीबोों को इस चक्र से
ग्रामीण गरीबी बाहर निकलने की क्षमता को सीमित करता है।
z जाति व््यवस््थथा: चली आ रही दृढ़ जाति व््यवस््थथा भेदभाव और सामाजिक
z कृषि पर निर््भरता:
बहिष््ककार को बढ़़ावा देती है तथा उपेक्षित समदु ायोों के व््यक्तियोों के लिए शैक्षिक
 ग्रामीण क्षेत्ररों मेें प्राथमिक आजीविका स्रोत के रूप मेें कृ षि पर निर््भरता
और आर््थथिक अवसरोों को सीमित करती है।
ग्रामीण समदु ायोों को मौसम की स््थथिति मेें उतार-चढ़़ाव, फसल की विफलता
z भ्रष्टाचार: विभिन््न स््तरोों पर व््ययाप्त भ्रष्टाचार उन ससं ाधनोों पर रोक लगा देता है,
और बाजार की अनिश्चितताओ ं के प्रति भेद्य बना सकती है, जिससे आय के
जिनका उपयोग विकास कार््यक्रमोों के लिए किया जा सकता है। यह संस््थथाओ ं
स््तर पर असर पड़ सकता है।
को कमजोर करता है और सरकार मेें विश्वास कम करता है, जिससे निर््धनता कम
वर््ष ग्रामीण शहरी करने की प्रभावी पहल मेें बाधा उत््पन््न होती है।
शीर््ष गरीबी शीर््ष गरीबी z अकुशल शासन: नीति कार््ययान््वयन मेें अकुशलता, नौकरशाही और पारदर््शशिता
MPI
गणना की
MPI
गणना की की कमी के कारण गरीबी उन््ममूलन कार््यक्रमोों मेें विलंब और अपव््यय होता है।
अनुपात तीव्रता अनुपात तीव्रता
(H) (A) (H) (A) आर््थथिक और सामाजिक कारक
2019-21 0.086 19.28% 44.55% 0.023 5.27% 43.10% z जनसख् ं ्यया वद्धि
ृ : तेजी से बढ़ती जनसंख््यया संसाधनोों, बनि ु यादी ढाँचे और
2015-16 0.154 32.59% 47.38% 0.039 8.65% 45.27%
रोजगार सृजन के लिए किए जा रहे प्रयासोों पर दबाव डालती है। जनसख्ं ्यया वृद्धि
से भोजन, स््ववास््थ््य सेवा और शिक्षा की आवश््यकता बढ़ती जाती है, जिससे
अनुमान बताते हैैं कि शहरी क्षेत्ररों की तुलना मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें उनके MPI मल्ू ्य सभी की बनि ु यादी जरूरतोों को परू ा करना मश््ककि
ु ल हो जाता है।
मेें तेजी से कमी देखी गई। वर््ष 2015-16 और 2019-21 के बीच शहरी क्षेत्ररों मेें z उच््च बेरोजगारी: आर््थथिक विकास के बावजदू भारत मेें खास तौर पर हाशिये
8.65% से घटकर 5.27% की तुलना मेें ग्रामीण क्षेत्ररों मेें गरीबी घटकर 32.59% पर रहने वाली आबादी के बीच बेरोजगारी और अल््प रोजगार की समस््यया
से 19.28% हो गई। है। औपचारिक क्षेत्र मेें नौकरी के अवसरोों की कमी के कारण बहुत से लोग
तालिका: भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों मेें बहुआयामी निर््धनता (स्रोत: अनौपचारिक क्षेत्र मेें फँ स जाते हैैं, जहाँ कम मजदरू ी और सीमित लाभ मिलते हैैं।
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: प्रगति समीक्षा- 2023)। यह राष्ट्रीय परिवार z बुनियादी सेवाओ ं तक सीमित पहुच ँ : कई गरीब व््यक्तियोों के पास शिक्षा,
स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS)- 4 (2015-16) और NFHS- 5 (2019-21) के स््ववास््थ््य सेवा, स््वच््छ जल और स््वच््छता जैसी आवश््यक सवु िधाओ ं तक पहुचँ
सर्वेक्षण अवधि के बीच ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों मेें बहुआयामी गरीबी मेें हुए नहीीं है। इससे अभाव का एक चक्र बनता है, जिससे समाज के उत््पपादक सदस््य
बदलावोों को प्रस््ततुत करता है। बनने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
z शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवा तक सीमित पहुच ँ : z ग्रामीण-शहरी विभाजन: गरीबी दर के मामले मेें ग्रामीण और शहरी क्षेत्ररों
 दरू स््थ ग्रामीण इलाकोों मेें गण
ु वत्तापर््णू शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवा सवु िधाओ ं के बीच असमानता अत््यधिक है। ग्रामीण क्षेत्ररों मेें बनिु यादी ढाँचे और अवसरोों
तक सीमित पहुचँ होती है। बनि ु यादी ढाँचे की यह कमी गरीबी के चक्र को की कमी गरीबी को बढ़़ाती है और पहले से ही भीड़भाड़ वाले शहरोों की ओर
जारी रखती है, जिससे मानव विकास मेें बाधा आ सकती है। पलायन को बढ़़ावा देती है।

गरीबी एवं भुखमरी 119


भौगोलिक एवं पर्यावरणीय कारक z मनरेगा: मनरे गा, प्रत््ययेक वित्तीय वर््ष मेें किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस््क
सदस््योों को, जो वैधानिक न््ययूनतम मजदरू ी पर सार््वजनिक कार््य से संबंधित
z प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, सख ू ा और चक्रवात जैसी बार-बार होने वाली अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए तैयार होों, उन््हेें सौ दिनोों के रोजगार की
प्राकृ तिक आपदाएँ आजीविका को बाधित करती हैैं, संपत्तियोों को नष्ट करती काननू ी गारंटी प्रदान करता है।
हैैं तथा विशेष रूप से सवं ेदनशील क्षेत्ररों के लोगोों को गरीबी से बाहर नहीीं
z राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम, 2013: यह अधिनियम काननू ी रूप से
निकलने देती हैैं।
ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को लक्षित सार््वजनिक
z जलवायु परिवर््तन: जलवायु परिवर््तन के प्रभाव जैसे अनियमित वर््षषा
स््वरूप, मरुस््थलीकरण और जल की कमी गरीबोों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते वितरण प्रणाली के तहत सब््ससिडी वाले खाद्यान््न प्राप्त करने का अधिकार देता है।
हैैं; पारंपरिक आजीविका को नष्ट करते हैैं और खाद्य असरु क्षा को बढ़़ाते हैैं। z राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार््यक्रम: इस कार््यक्रम का उद्देश््य गरीबी रे खा
z भूमि क्षरण: मृदा क्षरण, वनोों की कटाई और असंवहनीय कृ षि पद्धतियाँ भमि ू से नीचे रहने वाले परिवारोों के वृद्ध व््यक्तियोों, विधवाओ,ं दिव््ययाांग व््यक्तियोों और
क्षरण को बढ़ाती हैैं और उत््पपादकता को कम करती हैैं, जिससे गरीब ग्रामीण मख्ु ्य कमाने वाले की मृत््ययु पर शोक संतप्त परिवारोों को सहायता प्रदान करना है।
आबादी की आर््थथिक प्रत््ययाशाओ ं को नक ु सान पहुचँ ता है। भारत मेें गरीबी अभी भी क्ययों बनी हुई है ?
प्रो. अमर्तत्य सेन - क्षमता दृष्टिकोण z ग्रामीण सक ं ट: ग्रामीण संकट मख्ु ्य रूप से बढ़ती लागत, घटती भमि ू जोत,
z गरीबी सिर््फ आर््थथिक मापदडं नहीीं है बल््ककि मानवाधिकार और पहुचँ जलवायु परिवर््तन आदि के कारण कृ षि की विफलता से उत््पन््न होता है। कृ षि
का मापदडं है। यह अब आय स््तर तक सीमित नहीीं है बल््ककि यह किसी के अलावा अन््य क्षेत्ररों मेें औद्योगीकरण और रोजगार के अवसरोों की कमी
व््यक्ति को जीवन जीने के लिए उपलब््ध विकल््पोों से वचित ं करना और गरीबी उन््ममूलन मेें मख्ु ्य बाधा है।
उस विकल््प का उपयोग करने की व््यक्ति की क्षमताओ ं से वंचित करना है। z महामारी का प्रभाव: कोविड महामारी और उसके परिणामस््वरूप लॉकडाउन
z उन््होोंने प्रस््ततावित किया कि पाँच सामान््य स््वतंत्रताएँ हैैं, जो क्षमताओ ं का के कारण व््यवसाय बंद हो गए, नौकरियाँ चली गई ंऔर आय मेें गिरावट आई।
आधार हैैं; जिनका हनन गरीबी को जन््म देगा - अनमु ानित है कि भारत मेें गरीबोों की संख््यया दोगनु ी से भी ज््ययादा हो गई है।
 नागरिक अधिकारोों सहित राजनीतिक स््वतंत्रता।
z मंद विनिर््ममाण क्षेत्र: विनिर््ममाण क्षेत्र जो बड़़े पैमाने पर रोजगार सृजन मेें सहायक
 ऋण तक पहुच ँ सहित आर््थथिक सवु िधाएँ। होता है, जिसकी सकल घरे लू उत््पपाद मेें हिस््ससेदारी लगभग 15-16% है, स््थथिर
 सामाजिक अवसरोों तक पहुच ँ जिसमेें स््ववास््थ््य देखभाल, शिक्षा और हो गया है।
अन््य सामाजिक सेवायेें शामिल हैैं।
z गरीबी उन््ममूलन योजनाओ ं की विफलता: अपर््ययाप्त धनराशि, नौकरशाही की
 लोगोों के बीच तथा लोगोों और सरकारोों के बीच सब ं ंधोों मेें पारदर््शशिता।
उदासीनता, समावेशन एवं बहिष््करण सबं ंधी त्रुटियाँ, भ्रष्टाचार, मदं कार््ययान््वयन,
 संरक्षणात््मक सरु क्षा मेें बेरोजगारी लाभ तथा अकाल एवं आपातकालीन
टॉप-डाउन दृष्टिकोण के कारण गरीबी उन््ममूलन कार््यक्रम विफल हो गए और
राहत जैसे सामाजिक और आर््थथिक सरु क्षा तंत्र शामिल हैैं।
उनकी सफलता सीमित हो गई।
z इस प्रकार, क्षमता दृष्टिकोण व््यक्ति को विकल््पोों की परू ी शृख ं ला का लाभ
लेने की क्षमता तथा उस विकल््प को साकार करने की वास््तविक क्षमता z वामपंथी उग्रवाद: भारत मेें गरीबी का एक भौगोलिक आयाम है। मध््य भारत
से सबं ंधित है। और पर्ू वोत्तर क्षेत्र मेें क्रमशः नक््सली और उग्रवादी, विकास कार्ययों मेें बाधा
डालते हैैं और इस प्रकार ये भारत मेें गरीबी के प्रमख ु क्षेत्र हैैं।
भारत मेें गरीबी उन्मूलन कार््यक्रम
z अन््य: निरक्षरता, कौशल की कमी, रोजगार के अवसरोों की कमी, जनसंख््यया
z एकीकृत ग्रामीण विकास कार््यक्रम: 2 अक््टटूबर, 1980 को शरू ु किया गया, विस््फफोट, आपदाएँ; गरीबी उन््ममूलन कार््यक्रमोों मेें बाधा उत््पन््न करती हैैं और
इसका उद्देश््य गरीब ग्रामीण परिवारोों को स््वरोजगार प्रदान करना है ताकि उनकी इस प्रकार भारत मेें गरीबी बनी रहती है।
आय बढ़़े और वे गरीबी रे खा से ऊपर आ सकेें ।
z प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना: भारत मेें ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवारोों वर््तमान सुधार
को आवास उपलब््ध कराने के लिए। शहरी क्षेत्र गरीब परिवारोों के लिए वर््ष z बेहतर अवसर: सवं द्ृ धि आधारित दृष्टिकोण को विशिष्ट क्षेत्ररों पर ध््ययान केें द्रित
2015 मेें, 2022 तक सभी के लिए आवास के रूप मेें इसी प्रकार की योजना करके सदृु ढ़ किया गया है, जो लोगोों को विकास प्रक्रिया मेें भाग लेने के लिए
शरूु की गई थी। 29 अक््टटूबर, 2023 तक 2.50 करोड़ आवासोों का निर््ममाण अधिक अवसर प्रदान करते हैैं।
भी परू ा हो चक ु ा है।
z क्षमता निर््ममाण: सरकारोों ने शिक्षा, स््ववास््थ््य, स््वच््छता और अन््य सवु िधाओ ं
z राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(NRLM): यह गरीबोों को स््वयं
से संबंधित प्रावधानोों के कार््ययान््वयन के लिए आवंटन मेें काफी वृद्धि की है
सहायता समूह (SHGs) मेें सगं ठित करने और उन््हेें स््वरोजगार के लिए
सक्षम बनाने की एक गरीबी उन््ममूलन परियोजना है। जिससे क्षमता निर््ममाण और गरीबोों के कल््ययाण को बढ़़ावा मिलता है।
z राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन(NULM): इस मिशन का उद्देश््य शहरी z कमजोर या सभ ु ेद्य समूहोों का सशक्तीकरण: अनसु चित ू जातियोों (SC) और
गरीब परिवारोों को लाभकारी स््वरोजगार और कौशलयक्त ु वैतनिक रोजगार के अनसु चित
ू जनजातियोों (ST), विकलांगोों और अन््य कमजोर समहोू ों के कल््ययाण
अवसरोों तक पहुचँ प्रदान करके उनकी निर््धनता और सभु द्ये ता को कम करना है। के लिए विशेष कार््यक्रम शरू ु किए गए हैैं।

120  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z नीचे से ऊपर की ओर (बॉटम -अप ) दृष्टिकोण : ग्रामीण गरीबी उन््ममूलन z तनाव सिद््धाांत: तनाव सिद््धाांत जैसे समाजशास्त्रीय सिद््धाांतोों की यह अवधारणा
कार््यक्रमोों को नया रूप दिया गया और उनकी प्रभावशीलता बढ़़ाने के लिए है कि सामाजिक अपेक्षाओ ं और उन््हेें प्राप्त करने के साधनोों के बीच का अतं र
उन पर पनु ः ध््ययान केें द्रित किया गया। सत्ता का विकेें द्रीकरण, नीचे से ऊपर निराशा और हताशा पैदा कर सकता है। यह तनाव व््यक्तियोों को समाज द्वारा
की ओर (बॉटम -अप ) दृष्टिकोण को योजना मेें समेकित किया गया है। महत्तत्वपर््णू माने जाने वाले लक्षष्ययों को प्राप्त करने के लिए विचलित या आपराधिक
उदाहरण - मनरे गा। व््यवहार की ओर धके ल सकता है।
z भ्रष्टाचार पर अंकुश: योजनाओ ं के कार््ययान््वयन मेें होने वाली गड़बड़़ियोों को z शोषण और उत््पपीड़न: आर््थथिक असमानता शक्ति असंतल ु न पैदा करती है,
रोकने के लिए डिजिटलीकरण, प्रत््यक्ष लाभ हस््तताांतरण, वित्तीय समावेशन और जिससे गरीबी मेें रहने वाले लोग शोषण के शिकार हो जाते हैैं। वे वेतन चोरी,
सामाजिक लेखा परीक्षा के प्रावधानोों जैसी पहल की गई है। ऋण कुचक्र या मानव तस््करी के शिकार हो सकते हैैं। ये अनभव ु आक्रोश को
z सतत एवं समावेशी विकास: विकास मेें क्षेत्रीय एवं क्षेत्र आधारित असंतल ु न बढ़़ा सकते हैैं और हिसं क प्रतिक्रियाओ ं को जन््म दे सकते हैैं।
को दरू करने के लिए सरकार ने हरित क््राांति 2.0, नीली अर््थव््यवस््थथा, पर्ू वोत्तर
z मादक द्रव््योों के सेवन और मानसिक स््ववास््थ््य: गरीबी मादक द्रव््योों के
क्षेत्र के विकास के लिए पर्ू वोत्तर क्षेत्र विजन-2020 जैसे कार््यक्रम शरू
ु किए हैैं।
सेवन और मानसिक स््ववास््थ््य समस््ययाओ ं से संबंधित है। ये स््थथितियाँ निर््णय
आगे की राह और आवेग नियंत्रण को नक ु सान पहुचँ ा सकती है, जिससे हिसं ा या आपराधिक
z गरीबी के वल आर््थथिक या राजनीतिक समस््यया नहीीं है। यह एक नैतिक मद्ु दा गतिविधियोों मेें भागीदारी बढ़ सकती है।
और सामाजिक न््ययाय का भी मामला है। z गिरोह और सगं ठित अपराध: वंचित इलाकोों मेें गिरोह या संगठित अपराध
z गरीबी राष्टट्र के विकास को भी खतरे मेें डालती है क््योोंकि यह आर््थथिक विकास समहोू ों का उदय हो सकता है, जो कमजोर व््यक्तियोों का शोषण करना चाहते
मेें बाधा बनती है। हैैं। ये समहू अपनेपन की भावना जगाकर आर््थथिक लाभ के लिए एक अवैध
z इस प्रकार सरकार, सिविल सोसाइटी आदि को विभिन््न प्रकार के हस््तक्षेपोों के मार््ग प्रदान कर सकते हैैं, जिससे हिसं ा और आपराधिक गतिविधि का चक्र
माध््यम से गरीबी उन््ममूलन के लिए मिलकर काम करना चाहिए। चलता रहता है।
गरीबी और संबंधित मुद्दे प्रत्यक्ष कारण नहीीं, बल्कि एक मजबूत संबंध
गरीबी एक महत्तत्वपूर््ण सामाजिक चनु ौती है जो भारत और विश्व भर मेें लाखोों यह याद रखना महत्तत्वपूर््ण है कि गरीबी सीधे अपराध या हिसं ा का कारण नहीीं
लोगोों को प्रभावित करती है। यह के वल वित्तीय अभाव से कहीीं अधिक है। यह बनती है। गरीबी मेें रहने वाले बहुत से लोग कभी भी इन व््यवहारोों मेें शामिल
गरिमा, अवसरोों और मौलिक मानवाधिकारोों के ह्रास का कारण बनती है। इसका नहीीं होते हैैं। हालाँकि, गरीबी से जुड़़ी परिस््थथितियाँ आपराधिक या हिसं क कृ त््योों
प्रभाव व््यक्तियोों तक ही नहीीं बल््ककि समदु ायोों और समाज तक फै ला हुआ है, मेें शामिल होने के जोखिम को बढ़़ा सकती हैैं।
जिससे विभिन््न सामाजिक मद्ददोंु की संभाव््यता बढ़ जाती है जिनमेें शामिल हैैं:
मुद्दे पर चर्चा
गरीबी, अपराध और हिंसा का चक्र
गरीबी, अपराध और हिसं ा के बीच कुचक्र तोड़ने के लिए बहुआयामी,
गरीबी, अपराध और हिसं ा के बीच एक जटिल संबंध है। दीर््घकालिक दृष्टिकोण की आवश््यकता है:
z आर््थथिक अभाव और सीमित अवसर: गरीबी; भोजन, आश्रय, स््ववास््थ््य सेवा
z आर््थथिक अवसर: रोजगार सृजन, व््ययावसायिक प्रशिक्षण और छोटे व््यवसायोों
और शिक्षा जैसी बनि ु यादी जरूरतोों तक पहुचँ को सीमित करती है। ये अभाव
के लिए समर््थन के माध््यम से आर््थथिक अवसरोों का विस््ततार करना, सफलता
आर््थथिक और सामाजिक उन््नति के अवसरोों को गंभीर रूप से सीमित करते
के वैकल््पपिक मार््ग प्रदान करने के लिए महत्तत्वपर््णू है।
हैैं। इससे निराशा की भावना पैदा हो सकती है और यह धारणा बन सकती है
कि सफलता के वैध रास््तते बंद हो गए हैैं। z शिक्षा और सामाजिक समर््थन: शिक्षा और समदु ाय-आधारित कार््यक्रमोों मेें
निवेश करने से गरीबी के पीढ़़ीगत चक्र को तोड़ने मेें मदद मिलती है, सकारात््मक
z जीवन यापन की रणनीतियाँ: सीमित अवसरोों के सामने व््यक्ति अपने या

अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए हताश होकर अपराध की ओर रुख कर जीवन कौशल को बढ़़ावा मिलता है और महत्तत्वपर््णू आधार संरचनाएँ उपलब््ध
सकते हैैं। चोरी या सेेंधमारी जैसे संपत्ति संबंधी अपराध बनि ु यादी जरूरतोों को होती हैैं।
परू ा करने का एकमात्र तरीका लग सकता है। z असमानता को सबं ोधित करना: आर््थथिक असमानता को कम करने से
z सामाजिक अव््यवस््थथा और कमजोर सस् ं ्थथाएँ: गरीबी से पीड़़ित समदु ाय निराशा और उपेक्षित होने की संभावना कम होती है, जो अपराध और हिसं ा
प्रायः सामाजिक अव््यवस््थथा से पीड़़ित होते हैैं। इसमेें कमजोर पारिवारिक को कम करती है।
संरचना, सकारात््मक रोल मॉडल की कमी और सामदु ायिक संस््थथाएँ, जो z सामुदायिक नियंत्रण और पुनर््स्थथापनात््मक न््ययाय: पनु र््स्थथापनात््मक न््ययाय
सहायता प्रदान कर सकती हैैं मेें गिरावट शामिल है। ये सभी कारक मख्ु ्यतः पद्धतियोों के साथ-साथ समदु ायोों और काननू प्रवर््तन के बीच विश्वास का निर््ममाण,
यवु ाओ ं मेें आपराधिक व््यवहार की संभावना को बढ़़ाते हैैं। संघर््ष और अपराध के मल ू कारणोों को संबोधित कर सकता है।

गरीबी एवं भुखमरी 121


निर््धनता का नारीकरण निर््धनता के दष्ु ्चक्र को तोड़ना

इस अवधारणा का सबसे स््पष्ट उदाहरण निर््धनता का नारीकरण है, जो निर््धनता के चक्र को तोड़ने तथा अधिक समावेशी और समतामूलक समाज
महिलाओ ं पर गरीबी के असंगत प्रभावोों को संदर््भभित करता है। यहाँ हम को बढ़़ावा देने के लिए महिलाओ ं को आर््थथिक और सामाजिक रूप से
इस बात पर गहराई से विचार करते हैैं कि भारत मेें इस मद्ु दे मेें सामाजिक, आर््थथिक सशक्त बनाना महत्तत्वपूर््ण है। इसके लिए निम््न की आवश््यकता है:
और सांस््ककृतिक कारक किस प्रकार योगदान करते हैैं: z कौशल विकास, व््ययावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता कार््यक्रमोों के माध््यम से

लैैंगिक मानदं ड और मूल्य महिलाओ ं के लिए आर््थथिक अवसरोों को सदृु ढ़ करना।


z पारंपरिक लैैंगिक भूमिकाओ ं के तहत महिलाओ ं को प्रायः अवैतनिक z लिंग-सवं ेदनशील नीतियोों को बढ़़ावा देना, जो महिलाओ ं के विरुद्ध हिसं ा
घरेलू कार््य सौौंपे जाते हैैं, जैसे- बच््चोों की देखभाल और घर के कामकाज; को संबोधित करना, शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवा तक पहुचँ मेें सधु ार करना तथा
जिससे उनके लिए सवेतन रोजगार और वित्तीय स््वतंत्रता के अवसर सीमित महिलाओ ं की प्रतिनिधित््व को बढ़ाना।
हो जाते हैैं। z निर््णय लेने वाले मंचोों और नेतत्ृ ्व की भमि
ू काओ ं मेें महिलाओ ं की भागीदारी
z सामाजिक मानदडं महिलाओ ं की गतिशीलता, शिक्षा और कौशल विकास को प्रोत््ससाहित करना, यह सनिश्
ु चित करना कि उनकी माँगे सनु ी जाए तथा उनके
तक पहुचँ को प्रतिबंधित कर सकते हैैं, जिससे कार््यबल मेें पर््णू रूप से भाग दृष्टिकोणोों को नीति और विकास प्रक्रियाओ ं मेें शामिल किया जाए।
लेने और आर््थथिक सशक्तीकरण प्राप्त करने की उनकी क्षमता मेें बाधा उत््पन््न
गरीबी और अन््य प्रकार की सामाजिक और आर््थथिक असमानताओ ं के नारीकरण
हो सकती है।
को संबोधित करके हम एक मजबूत और अधिक सुसंगत समाज का निर््ममाण
श्रम और परिसंपत्तियोों का असमान विभाजन कर सकते हैैं, जहाँ सभी को फलने-फूलने का अवसर मिले।
z महिलाएँ प्रायः घरेलू कामकाज और देखभाल की जिम््ममेदारियोों का बोझ
विगत वर्षषों के प्रश्न
उठाती हैैं, जिससे उनके पास आय-उत््पपादक गतिविधियोों के लिए कम समय
और ऊर््जजा बचती है। 1. कल््ययाणकारी योजनाओ ं के अतिरिक्त भारत को समाज के वंचित वर्गगों
भमि और गरीबोों की सेवा के लिए मद्रा ु स््फफीति और बेरोजगारी के कुशल
z ू और सपत् ं ति जैसी परिसपं त्तियोों का असमान वितरण मुख््यतः परुु षोों
के पक्ष मेें है जिससे आर््थथिक स््ववामित््व और नियंत्रण के मामले मेें महिलाएँ प्रबंधन की आवश््यकता है। चर््चचा कीजिए।  (2022)
और अधिक हाशिये पर चली जाती हैैं । 2. क््यया लैैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दष्ु ्चक्र को महिलाओ ं
के स््वयं सहायता समहोू ों को सूक्षष्म वित्त (माइक्रो फाइनेेंस) प्रदान करके
शक्ति असंतल
ु न
तोड़़ा जा सकता है? सोदाहरण स््पष्ट कीजिए।  (2021)
z पितृसत्तात््मक सरं चना महिलाओ ं के निर््णय लेने की शक्ति और वित्तीय
3. “के वल आय पर आधारित गरीबी के निर््धधारण मेें गरीबी का आपतन,
स््ववायत्तता को सीमित करती है। यह कमी उन््हेें शोषण के प्रति संवेदनशील
और तीव्रता अधिक महत्तत्वपर््णू है।” इस संदर््भ मेें संयुक्त राष्टट्र बहुआयामी
बनाती है तथा संसाधनोों और अवसरोों तक पहुचँ ने की उनकी क्षमता मेें बाधा
डालती है। गरीबी सूचकांक की नवीनतम रिपोर््ट का विश्लेषण कीजिये।(2020)
महिलाओ ं के विरुद्ध हिंसा, घरे लू दर््व््यव 4. सुभेद्य वर्गगों के लिए क्रियान््ववित की जाने वाली कल््ययाण योजनाओ ं
z ु हार और दहेज संबंधी उत््पपीड़न
उनकी सभ ु ेद्यता मेें एक और परत जोड़ती है तथा गरीबी से बाहर निकलने का निष््पपादन उनके बारे मेें जागरूकता के न होने और नीति प्रक्रम की
की उनकी क्षमता मेें बाधा डालती है। सभी अवस््थथाओ ं पर उनके सक्रिय तौर पर सम््ममिलित न होने के कारण
इतना प्रभावी नहीीं होता है। - चर््चचा कीजिये।  (2019)
नवीनतम डेटा और रुझान
5. भारत मेें निर््धनता और भख ू के बीच संबंध मेें एक बढ़ता हुआ अंतर
z महिला श्रम बल भागीदारी: भारत की महिला श्रम बल भागीदारी (FLFP)
है। सरकार द्वारा सामाजिक व््यय को संकुचित किये जाना, निर््धनोों को
दर परुु षोों की तल ु ना मेें काफी कम है, जो औपचारिक कार््यबल मेें महिलाओ ं
अपने खाद्य बजट को निचोड़ते हुए खाद्येतर आवश््यक मदोों पर अधिक
के लिए सीमित अवसरोों को उजागर करती है।
व््यय करने के लिए मजबूर कर रहा है। स््पष्ट कीजिए।  (2019)
z शिक्षा और स््ववास््थ््य देखभाल तक पहुच ँ : महिलाओ ं और बालिकाओ ं को
गणु वत्तापर््णू शिक्षा और स््ववास््थ््य सेवाओ ं तक पहुचन
ँ े मेें चुनौतियोों का 6. आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैैं कि भख ू के मख्ु ्य कारण के रूप
सामना करना पड़ता है। इससे निर््धनता का एक चक्र बनता है, जिससे उनकी मेें खाद्य की उपलब््धता मेें कमी पर फोकस, भारत मेें अप्रभावी मानव
व््यक्तिगत और आर््थथिक वृद्धि की संभावना सीमित हो जाती है। विकास नीतियोों से ध््ययान हटा देता है?  (2018)
z निर््णय लेने की शक्ति: घरे लू और सामदु ायिक स््तर पर निर््णय लेने की 7. “भारत की सरकार द्वारा निर््धनता उन््ममूलन के विभिन््न कार््यक्रमोों के
प्रक्रिया मेें महिलाओ ं की भागीदारी सीमित बनी हुई है। यह कमी समाज मेें क्रियान््वयन के बावजूद, निर््धनता अभी भी विद्यमान है।’’ कारण
उनकी जरूरतोों और दृष्टिकोणोों को और भी हाशिये पर धके ल देती है। प्रस््ततुत करते हुए स््पष्ट कीजिए।  (2018)

122  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


8. अब तक भी भख ू और गरीबी भारत मेें सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी z वैश्विक पोषण रिपोर््ट: यह रिपोर््ट पोषण की वैश्विक प्रगति पर नजर रखती
चनु ौतियाँ हैैं। मल्ू ्ययाांकन कीजिए कि इन भारी समस््ययाओ ं से निपटने मेें है तथा देश भर की विशिष्ट प्रवृत्तियोों और चनु ौतियोों पर प्रकाश डालती है।
क्रमिक सरकारोों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिए उपाय  वर््ष 2022 की रिपोर््ट मेें कहा गया है कि भारत मातृ, शिशु और छोटे बच््चोों
सुझाइए।  (2017) के पोषण (MIYCN) लक्षष्ययों पर प्रगति कर रहा है।
9. “गरीबी उन््ममूलन की एक अनिवार््य शर््त गरीबोों को वंचितता के प्रक्रम
 पाँच वर््ष से कम आयु के 34.7% बच््चचे स््टटंटिंग (उम्र के अनुपात मेें
से विमक्त
ु कर देना है।” उपयुक्त उदाहरणोों प्रस््ततुत करते हुए इस कथन
कम लम््बबाई) से प्रभावित हैैं, जो एशिया के औसत 21.8% से अधिक
को पुष्ट कीजिये।  (2016)
10 समालोचनापूर््वक परीक्षण कीजिए कि क््यया बढ़ती हुई जनसंख््यया है जबकि 17.3% बच््चचे वेस््टटििंग (लम््बबाई के अनुपात मेें कम वजन)
निर््धनता का मख्ु ्य कारण है या कि निर््धनता जनसंख््यया वृद्धि का मख्ु ्य से प्रभावित हैैं, जो क्षेत्रीय औसत 8.9% से अधिक है।
कारण है।  (2015)  पाँच वर््ष से कम आयु के बच््चोों मेें अधिक वजन की दर 1.6% है तथा

इस वृद्धि को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैैं।


भुखमरी
 भारत मेें मोटापे की दर क्षेत्रीय औसत से कम है (महिलाओ ं के लिए

परिभाषा 10.3%, परुु षोों के लिए 7.5%) फिर भी मधमु हे से 9.0% वयस््क महिलाएँ
खाद्य एवं कृ षि संगठन (FAO) के अनुसार, भख ु मरी को भोजन ऊर््जजा के और 10.2% वयस््क परुु ष प्रभावित हैैं।
अपर््ययाप्त सेवन से उत््पन््न होने वाली एक कष्टदायक अनुभूति के रूप z विश्व मेें खाद्य सरु क्षा और पोषण की स््थथिति (SOFI): SOFI पौष्टिक
मेें वर््णणित किया गया है। एक व््यक्ति के लिए सामान््य न््ययूनतम ऊर््जजा की भोजन की लागत और भारतीय आबादी के एक बड़़े हिस््ससे के सामने आने
आवश््यकता लगभग 1,800 किलो कै लोरी प्रतिदिन होती है, जिसमेें आयु, वाली वित्तीय चनु ौतियोों के बीच बढ़ते अतं र को रे खांकित करती है।
शरीर का आकार, शारीरिक स््थथिति और गतिविधि के स््तर जैसे कारकोों के  वर््ष 2021 मेें, सर्वेक्षण किए गए देशोों मेें भारत चौथे स््थथान पर था, जिसकी
आधार पर भिन््नताएँ होती हैैं। 74% आबादी पौष्टिक आहार का खर््च उठाने मेें असमर््थ थी।
z यद्यपि भारत अपनी जनसंख््यया के लिए पर््ययाप्त खाद्यान््न उत््पपादन करता है, फिर
 क्षेत्रीय असमानता: भारत के विविध राज््योों मेें भख ु मरी और कुपोषण के
भी विश्व की 25 प्रतिशत भख ु मरी से पीड़ित जनसख्ं ्यया इसी देश मेें रहती है।
अलग-अलग स््तर हैैं। उदाहरण के लिए, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध््य
कै लोरी हगं र
प्रदेश जैसे राज््योों मेें के रल और तमिलनाडु जैसे राज््योों की तल
ु ना मेें भख
ु मरी
और कुपोषण की व््ययापकता दर अधिक है।
वैश्विक भुखमरी सूचकाांक (GHI), 2023
भख
ु मरी
प्रच््छन््न भख ु मरी z वर््ष 2023 के वैश्विक भख ु मरी सचू कांक मेें भारत ने 125 देशोों के बीच 28.7
प्रोटीन (सूक्षष्म पोषक के GHI स््ककोर के साथ 111वाँ स््थथान हासिल किया, जो भख ु मरी के
हगं र तत्तत्ववों की कमी) महत्तत्वपर््णू स््तर को दर््शशाता है।
भुखमरी के वििभन््न प्रकार z भारत के पड़़ोसी देशोों जिनमेें पाकिस््ततान (102वाँ), बांग््ललादेश (81वाँ),
महत्त्वपूर््ण तथ्य नेपाल (69वाँ) और श्रीलंका (60वाँ) शामिल हैैं। इन देशोों ने भारत की
z अतं रराष्ट्रीय खाद्य नीति अनसु ंधान संस््थथान (IFPRI) के अनसु ार, अनमु ानित तलु ना मेें बेहतर अक ं हासिल किए हैैं।
3.1 मिलियन बच््चोों की मृत््ययु मेें से 1.1 मिलियन बच््चोों की मृत््ययु, सक्षू ष्म पोषक z वैश्विक रुझान
तत्तत्ववों की कमी के कारण होती है।  GHI, 2023 रिपोर््ट के अनस ु ार, बेलारूस, बोस््ननिया और हर्जेगोविना,
z IFPRI के अनसु ार, गंभीर एनीमिया के कारण प्रतिवर््ष प्रसव के दौरान 50,000 चिली और चीन शीर््ष रैैंक वाले देशोों मेें शामिल हैैं, जो इन देशोों मेें
महिलाओ ं की मौत हो जाती है। प्रतिवर््ष आयोडीन की कमी के कारण लगभग भखु मरी के निम््न स््तर को दर््शशाता है जबकि यमन, मेडागास््कर और
18 मिलियन बच््चचे कमजोर मस््ततिष््क के साथ पैदा होते हैैं। मध््य अफ्रीकी गणराज््य सबसे निचले स््थथान पर हैैं।
 वैश्विक GHI 2023 स््ककोर 18.3 है, जिसे मध््यम माना जाता है जिसमेें
भारत मेें भुखमरी की स्थिति
वर््ष 2015 के बाद से न््ययूनतम सधु ार हुआ है।
z राष्ट्रीय परिवार स््ववास््थ््य सर्वेक्षण (NFHS): NFHS भारत मेें भख ु मरी
 वर््ष 2017 से कुपोषण की व््ययापकता 572 मिलियन से बढ़कर लगभग
और कुपोषण दर सहित विभिन््न संकेतकोों पर व््ययापक आँकड़़े प्रदान करता है।
735 मिलियन हो गई है।
 NFHS-5 (2019-2020) के अनस ु ार, पाँच साल से कम उम्र के बच््चोों
 GHI ने प्रगति मेें ठहराव के लिए जलवायु परिवर््तन, युद्ध, आर््थथिक
मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनुपात मेें कम लम््बबाई) की व््ययापकता 38.4%
(NFHS-4) से मामल ू ी रूप से कम होकर 34.7% हो गई है, जबकि सक ं ट, कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन््न
वेस््टटििंग (लम््बबाई के अनुपात मेें कम वजन) 21% से बढ़कर 24.4% सक ं टोों को जिम््ममेदार ठहराया है। इन संकटोों ने सामाजिक और
हो गई है। हालाँकि, ये दरेेंं अभी भी कुपोषण के एक व््ययापक आँकड़े की आर््थथिक असमानताओ ं को बढ़़ा दिया है, जिससे भख ु मरी को कम
ओर संकेत करती हैैं। करने के वैश्विक प्रयासोों मेें बाधा उत््पन््न हुई है।

गरीबी एवं भुखमरी 123


z वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI), कंसर््न वर््ल््डवाइड और वेल््टहंगरहिल्फ़  जटिल कारकोों पर विचार: सरकार का तर््क है कि बौनापन और दर््बु लता
द्वारा प्रकाशित एक वार््षषिक रिपोर््ट है, जो वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय जैसे संकेतक कई जटिल कारकोों का परिणाम होते हैैं, जिनमेें स््वच््छता,
- विभिन््न स््तरोों पर दुनिया भर मेें भुखमरी को व््ययापक रूप से मापने आनवु ंशिकी, पर््ययावरण और खाद्य उपयोग शामिल हैैं, जो इस धारणा को
और निगरानी करने के लिए एक सहकर्मी-समीक्षित साधन के रूप मेें चनु ौती देता है कि ये के वल भख
ु मरी के कारण होता है।
कार््य करता है।  बाल मृत््ययु दर के अनेक निर््धधारक: इसके अतिरिक्त सरकार ने इस बात
z यह 0 से 100 के पैमाने पर अक ं प्रदान करता है जिसमेें 0 भुखमरी न होने पर प्रकाश डाला है कि बाल मृत््ययु दर के वल भख
ु मरी के कारण नहीीं होती
है, अपितु अन््य कारक भी इसके कारण हो सकते हैैं।
का संकेत देता है तथा 100 सबसे निम््नतर स््थथिति को दर््शशाता है।
z वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) स््ककोर चार संकेतकोों द्वारा निर््धधारित किया भारत मेें भुखमरी के कारण
जाता है: प्रगतिशील अर््थव््यवस््थथा और कृ षि मेें प्रगति के बावजूद भख ु मरी एक महत्तत्वपूर््ण
इन चार संकेतकोों को इस प्रकार एकत्रित किया गया है- मद्ु दा बनी हुई है। भारत मेें भख ु मरी के लिए कई विशिष्ट कारक जिम््ममेदार हैैं।
भख ु मरी के कुछ प्रमख ु कारण इस प्रकार हैैं:
बेहद चिंताजनक
≥ 50.0 z गरीबी: भख ु मरी, गरीबी का परिणाम है। निम््न या खराब जीवन स््तर और
खतरनाक
अल््पपोषण बाल स््टटंटिंग बाल वेस््टटििंग बाल मृत््ययु GHI 35.0-49.9 भोजन की सीमित उपलब््धता के कारण बच््चोों मेें कुपोषण होता है, खासकर
(गंभीरता स््कके ल) गंभीर
ग्रामीण क्षेत्ररों मेें, जहाँ जनसंख््यया अधिक है।
GHI-20.0-34.9
NEW - UNICEF, विश्व स््ववास््थ््य संगठन, विश्व बैैंक, जनसांख््ययिकीय
और स््ववास््थ््य सर्वेक्षण कार््यक्रम
मध््यम z लैैं गिक असमानता: पितृसत्तात््मक मानसिकता के कारण बालिकाएँ अधिक
GHI-10.0-19.9

संयुक्त राष्टट्र खाद्य अंतरराष्ट्रीय मान््यता प्राप्त स्रोतोों से बाल मृत््ययु के अनुमान के लिए
कम पीड़़ित हैैं क््योोंकि उन््हेें दोयम दर्जे का समझा जाता है और आम तौर पर गरीब
GHI-9.9
एवं कृ षि (FAO) उपलब््ध नवीनतम प्रकाशित डाटा सयं क्त
ु राष्टट्र (UNIGME) अतं र
एजेेंसी समूह परिवारोों मेें उन््हेें सबसे आखिर मेें खाना मिलता है। स््ककूलोों तक पहुचँ न होने
के कारण वे मध््ययाह्न भोजन से भी वचित ं रहती हैैं।
z सतत विकास लक्षष्ययों (SDGs) के साथ सरं ेखण
z कुशासन: भ्रष्टाचार, भख ु मरी को मिटाने मेें सबसे बड़़ी बाधा है। लोगोों मेें
 कुपोषण की व््ययापकता SDG 2.1 के साथ सरं े खित है, जो सभी के लिए
जागरूकता की कमी से यह समस््यया और भी जटिल हो जाती है।
सरु क्षित, पौष्टिक और पर््ययाप्त भोजन तक पहुचँ सनिश्
ु चित करने पर केें द्रित है।
 उदाहरण: खाद्यान््न वितरण मेें अनियमितता है, लाभ के लिए अनाज को
 बच््चोों मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनुपात मेें कम लम््बबाई) और वेस््टटििंग खल ु े बाजार मेें बेच दिया जाता है तथा राशन की दक ु ानोों मेें निम््न गणु वत्ता
(लम््बबाई के अनुपात मेें कम वजन) की दरेें सतत विकास लक्षष्य वाला अनाज बेचा जाता है।
(SDG) 2.2 के सक ं े तक हैैं, जिसका उद्देश््य सभी प्रकार के कुपोषण z अज्ञात भुखमरी: परिवारोों को गरीबी रे खा से ऊपर या नीचे के रूप मेें गलत
को समाप्त करना है। तरीके से वर्गीकृ त करने तथा निम््न गणु वत्ता वाले अनाज के कारण खाद्य
 रोकथाम योग््य बाल मृत््ययु को कम करना सतत विकास लक्षष्य (SDG) उपभोग मेें गिरावट आती है।
3.2 के अंतर््गत एक लक्षष्य है। z प्रच््छन््न भुखमरी: अनचित ु आहार, बीमारी और गर््भभावस््थथा तथा स््तनपान
z वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) रिपोर््ट, 2023 पर भारत सरकार की के दौरान अपर््ययाप्त पोषण के कारण सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी से प्रच््छन््न
प्रतिक्रिया भख ु मरी पैदा होती है।
z मातृ ज्ञान का अभाव: माताओ ं मेें पोषण, स््तनपान और पालन-पोषण के
 कार््यप्रणाली की आलोचना: महिला एवं बाल विकास मत्रा ं लय ने
बारे मेें अपर््ययाप्त समझ चितं ा का एक अन््य विषय है।
रिपोर््ट मेें प्रयक्त
ु कार््यप्रणाली के संबंध मेें आपत्तियाँ उठाई हैैं तथा ‘गंभीर
z सस ं ाधनोों का अपव््यय और जलवायु परिवर््तन: ससं ाधनोों का अपव््यय
कार््यप्रणाली संबंधी चितं ाओ’ं पर प्रकाश डाला है तथा ‘दर््भभाव ु नापर््णू
का परिणाम समाज के निचले तबके को भगु तना पड़ता है क््योोंकि वे बदलती
उद्देश््य’ का आरोप लगाया है।
घटनाओ ं के साथ तालमेल नहीीं बिठा पाते हैैं।
 विरोधाभासी आँकड़़े: सरकार के पोषण सक ं े तक के आँकड़़े लगातार  इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर््तन के परिणामस््वरूप रे गिस््ततानोों का
यह सकं े त देते हैैं कि बच््चोों मेें कुपोषण की व््ययापकता 7.2% से कम है, विस््ततार, मृदा अपरदन, जल की कमी और चरम मौसम संबंधी घटनाएँ
जो कि GHI के 18.7% के आँकड़़े के विपरीत है। गरीब लोगोों को अधिक प्रभावित करती हैैं, जिससे भख ु मरी बढ़ती है।
 बाल स््ववास््थ््य पर जोर: सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि चार z प्राकृतिक आपदाएँ: मौसम की चरम स््थथितियोों के कारण भख ु मरी का संकट
GHI संकेतकोों मेें से तीन बच््चोों के स््ववास््थ््य पर केें द्रित हैैं, जिससे परू ी पैदा होता है। सख ू े और बाढ़ से फसलेें नष्ट हो जाती हैैं और गरीब लोग
आबादी का प्रतिनिधित््व प्रभावित हो सकता है। असरु क्षित हो जाते हैैं।
 सदिं ग््ध नमूना आकार (सैम््पल साइज): सरकार ने ‘अल््पपोषित z जैसा कि वर््ष 2018 के आर््थथिक सर्वेक्षण मेें बताया गया है कि शौचालय की

जनसंख््यया के अनपु ात’ सचू क की सटीकता के बारे मेें संदहे व््यक्त किया सवु िधा की कमी के कारण महिलाएँ खल ु े मेें शौच जाने से बचने के लिए कम
है, क््योोंकि यह एक छोटे नमनू ा आकार के जनमत सर्वेक्षण पर निर््भर है। खाना खाती हैैं।

124  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


प्रच्छन्न भुखमरी (HIDDEN HUNGER) प्रभाव

प्रच््छन््न भख
ु मरी, जिसे सूक्षष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी भी कहा जाता है। यह तब z बच््चचे एवं किशोर: स््टटंटिंग (उम्र के अनपु ात मेें कम लम््बबाई) और वेस््टटििंग
प्रकट होती है, जब आवश््यक विटामिन, प्रोटीन और खनिजोों का सेवन (लम््बबाई के अनपु ात मेें कम वजन) , मानसिक दर््बु लता, नियमित संक्रमण, बाल
या अवशोषण बच््चोों मेें इष्टतम स््ववास््थ््य और विकास को बनाए रखने के लिए स््ववास््थ््य एवं जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव, उच््च मृत््ययु दर आदि।
और वयस््कोों मेें सामान््य शारीरिक और मानसिक कार्ययों के लिए आवश््यक स््तर z गर््भवती महिलाएँ: मृत््ययु दर मेें वृद्धि, प्रसवकालीन जटिलताओ ं मेें वृद्धि आदि।

से कम हो जाता है। z वयस््क: खराब स््ववास््थ््य, कम उत््पपादकता और मृत््ययु, कुपोषण, दीर््घकालिक

प्रच््छन््न भुखमरी के कारण: सूक्षष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी, अनुचित आहार, बीमारियोों का बढ़ता जोखिम, यहाँ तक कि हल््ककी से मध््यम कमियाँ भी व््यक्ति
पौष्टिक भोजन की अनुपलब््धता, पहुचँ और सामर््थ््य की कमी। उदाहरण - मांस, के स््ववास््थ््य और विकास को प्रभावित कर सकती हैैं।
फल, सब््जजियाँ आदि। जागरूकता की कमी, सुरक्षित पेयजल और स््वच््छता z राष्टट्ररों के विकास पर प्रभाव: मानव स््ववास््थ््य को प्रभावित करने के अलावा
सवु िधाओ ं की कमी, जीवन के कुछ चरणोों के दौरान सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की प्रच््छन््न भख ु मरी विशेष रूप से निम््न और मध््यम आय वाले देशोों मेें
अधिक जरूरत होती है जै से - गर््भभावस््थथा और स््तनपान के दौरान। कृ षि मेें फसल सामाजिक-आर््थथिक विकास को बाधित कर सकती है।
विविधता का अभाव आदि।
'प्रच््छन््न भुखमरी', भख ु मरी उत््पन््न नहीीं करती जैसा कि हम जानते हैैं। हो
वैश्विक प्रच्छन्न भुखमरी संक ट सकता है कि आप इसे पेट मेें महसूस न करेें लेकिन यह आपके स््ववास््थ््य और
z 2 अरब से अधिक लोग प्रच््छन््न भुखमरी से पीड़़ित हैैं, जो उन 805 जीवन शक्ति पर हमला करती है। - यूनिसेफ (UNICEF)
मिलियन लोगोों के दोगनु े से भी अधिक हैैं, जिन््हेें खाने के लिए पर््ययाप्त कै लोरी प्रच्छन्न भुखमरी से निपटने के उपाय
नहीीं मिलती (खाद्य एवं कृ षि सगं ठन, 2014)।
z अनुपूरण: यह एक तकनीकी दृष्टिकोण है, जिसमेें पोषक तत्तत्ववों को सिरप या
z अफ्रीका का अधिकांश भाग, सहारा का दक्षिणी भाग तथा दक्षिण
गोलियोों के माध््यम से सीधे वांछित जनसख्ं ्यया तक पहुचँ ाया जाता है।
एशियाई उपमहाद्वीप ऐसे क्षेत्र हैैं, जहाँ प्रच््छन््न भख
ु मरी की व््ययापकता बहुत
 अनप ु रू ण कार््यक्रमोों का उपयोग के वल अल््पकालिक उपाय के रूप
अधिक है।
मेें किया जाता है और फिर उन््हेें दीर््घकालिक, सध ं ारणीय खाद्य-
z कई विकासशील देश कुपोषण के ‘तिहरे बोझ’ के रूप मेें जानी जाने वाली
आधारित उपायोों जैसे कि फोर््टटिफिके शन और आहार सश ं ोधन के
विपत्ति - अल््पपोषण, सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी और मोटापा का
साथ प्रतिस््थथापित कर दिया जाता है।
सामना कर रहे हैैं।
z खाद्य सदृु ढ़ीकरण (Food Fortification) एवं जैव सदृु ढ़ीकरण
प्रच्छन्न भुखमरी से निपटने मेें चुनौतियााँ
(Biofortification)
z एकीकृ त बाल विकास सेवा (ICDS), सार््वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)  खाद्य सदृ ु ढ़़ीकरण या सवर्दद्धन
ं मेें भोजन मेें आवश््यक सक्षू ष्म तत्तत्ववों
और खाद्य सरु क्षा जैसे कार््यक्रमोों के क्रियान््वयन मेें महत्तत्वपर््णू अतं राल मौजदू और विटामिनोों को शामिल किया जाता है, जिससे बड़़े पैमाने पर
हैैं। उदाहरण के लिए- अधिकांश राज््योों मेें बच््चोों के लिए आयरन सिरप की अभाव जन््य रोगोों की रोकथाम होती है।
भारी कमी है, जिसे तत््ककाल सधु ारने की आवश््यकता है।
 मख् ु ्य खाद्य पदार्थथों और मसालोों मेें सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों को शामिल करने से
z यद्यपि राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम (NFSA) के तहत सार््वभौमिक मातृत््व पोषण संबंधी कमियोों को दरू करने मेें महत्तत्वपर््णू योगदान मिल सकता है।
अधिकार सनिश् ु चित किया गया है फिर भी इसके कार््ययान््वयन मेें अनेक बाधाएँ हैैं।
 बायोफोर््टटिफिके शन मेें फसलोों की पोषकता बढ़़ाने के लिए आपस
z सर््व शिक्षा अभियान, मध््ययाह्न भोजन योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण स््ववास््थ््य
मेें उनका प्रजनन कराना शामिल है। इसे पारंपरिक चयनात््मक प्रजनन
मिशन जैसी संस््थथागत सहायता प्रणालियाँ पहले से ही मौजदू हैैं, लेकिन उन््हेें
या आनवु शि ं क इजं ीनियरिंग के माध््यम से प्राप्त किया जा सकता है।
सदृु ढ़़ीकरण की आवश््यकता है।
 पारंपरिक फोर््टटिफिके शन के विपरीत, बायोफोर््टटिफिके शन प्रसस् ं ्करण के
z यवतियो
ु ों मेें रक्त अल््पता (एनीमिया) को कम करने के लिए साप्ताहिक आयरन-
दौरान पोषक तत्तत्ववों को जोड़ने के बजाय पौधोों के खाद्य पदार्थथों के
फोलिक एसिड अनपु रू ण कार््यक्रम लागू करना प्रच््छन््न भख ु मरी को दरू करने
पोषण मूल््य को बढ़़ाने पर ध््ययान केें द्रित करता है।
की दिशा मेें एक सकारात््मक कदम है।
z भारत व््ययापक स््तर पर आयरन की कमी से निपटने के लिए बाजरा जैसी z खाद्य विविधीकरण
आयरन-समृद्ध फसलोों की कृ षि को बढ़़ावा दे रहा है, जिनमेें विटामिन बी,  इसका अर््थ है सक्ष ू ष्म पोषक तत्तत्ववों से भरपरू खाद्य पदार्थथों की मात्रा और
कै ल््शशियम, आयरन, पोटेशियम, मैग््ननीशियम और जिंक प्रचरु मात्रा मेें होते हैैं। सीमा दोनोों को बढ़़ाना।
z लक्षित जनसंख््यया मेें विशिष्ट सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी को दरू करने के  यह जनसंख््यया के पोषण मेें सध ु ार करने का अधिमानित तरीका है
उद्देश््य से खाद्य सदृु ढ़ीकरण (फ़ूड फोर््टटिफिके शन) और जैव-सदृु ढ़ीकरण क््योोंकि इसमेें न के वल सक्षू ष्म पोषक तत्तत्ववों बल््ककि ऑक््ससीकरण रोधी
(बायोफोर््टटिफिके शन) जैसी नवीन कृ षि तकनीकोों को प्रोत््ससाहित किया जाना (एटं ीऑक््ससीडेेंट) और प्रोबायोटिक््स जैसे कई खाद्य घटकोों के सेवन मेें
चाहिए। सधु ार करने की क्षमता है।

गरीबी एवं भुखमरी 125


z एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS): ICDS एक सरकारी कार््यक्रम है,
भुखमरी उन्मूलन के लिए भारत सरकार की पहलेें
जो गर््भवती महिलाओ,ं स््तनपान कराने वाली माताओ ं और छह वर््ष से कम
भखु मरी को समाप्त करने के लिए भारत के प्रयासोों मेें खाद्य असुरक्षा और उम्र के बच््चोों को पोषण और स््ववास््थ््य सेवाएँ प्रदान करता है, जिसका उद्देश््य
कुपोषण को दरू करने के उद्देश््य से कई तरह की पहल और कार््यक्रम शामिल हैैं। कुपोषण को दरू करना है।
कुछ प्रमख
ु प्रयासोों मेें शामिल हैैं:  आग ं नबाड़़ी प्रणाली, जिसे शुरू मेें आंगनवाड़़ी सेवा योजना (जिसे
z राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम (NFSA): वर््ष 2013 मेें अधिनियमित,
अब सक्षम आंगनबाड़़ी और पोषण 2.0 नाम दिया गया है) के हिस््ससे
NFSA का उद्देश््य भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी को सब््ससिडी वाले
के रूप मेें शरू ु किया गया था। यह एकीकृ त बाल विकास सेवा (ICDS)
खाद्यान््न उपलब््ध कराना है, जिससे कमजोर परिवारोों के लिए खाद्य सरु क्षा
योजना मेें महत्तत्वपर््णू भमिू का निभाती है।
सनिश्
ु चित हो सके । राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अधिनियम, 2013 की मख्ु ्य विशेषताएँ
 आग ं नवाड़़ी सेवा योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
इस प्रकार हैैं:
 लक्षित सार््वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत कवरे ज और
(MoW&CD) के तहत एक केें द्र प्रायोजित योजना है, जो प्रारंभिक
पात्रता: TPDS शहरी आबादी के 50% और ग्रामीण आबादी बाल््ययावस््थथा देखभाल और विकास के लिए विश्व के सबसे बड़़े और सबसे
के 75% को शामिल करती है, जिसमेें प्रति व््यक्ति प्रति माह 5 अनोखे कार््यक्रमोों मेें से एक है।
किलोग्राम तक पहुच ँ पर एक समान अधिकार रखते हैैं। अत्ं ्ययोदय  इस योजना का उद्देश््य बच््चोों (0-6 वर््ष), गर््भवती महिलाओ ं और

अन््न योजना (AAY) के तहत सबसे गरीब परिवारोों को प्रति माह 35 स््तनपान कराने वाली माताओ ं की पोषण और स््ववास््थ््य स््थथिति को
किलोग्राम अनाज मिलना जारी रहेगा। सध ु ारना तथा मृत््ययु दर, रुग््णता और कुपोषण दर को कम करना है।
 रियायती मूल््य और सश ं ोधन: अधिनियम के लागू होने से तीन वर्षषों तक, z मध््ययाह्न भोजन योजना (MDMS): MDMS स््ककू ली बच््चोों को निःशल्ु ्क
TPDS के अतर््गत ं खाद्यान््न चावल, गेहूँ और मोटे अनाज क्रमशः 3/2/1 भोजन उपलब््ध कराती है, जिसका उद्देश््य उनके पोषण स््तर मेें सधु ार करना,
रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती कीमत पर उपलब््ध हैैं। स््ककू ल मेें उपस््थथिति बढ़़ाना और शिक्षा को बढ़़ावा देना है।
 परिवार की पहचान: पात्र परिवारोों की पहचान राज््योों/संघ राज््य क्षेत्ररों z पीएम-पोषण: सितंबर, 2021 मेें केें द्रीय मत्रिम ं डं ल ने प्रधानमत्री
ं पोषण शक्ति
द्वारा लक्षित सार््वजनिक वितरण प्रणाली के अतर््गत ं की जाती है तथा निर््ममाण (पीएम-पोषण) को मजं रू ी दी, जिसमेें सरकारी और सरकारी सहायता
प्रत््ययेक राज््य के लिए विशिष्ट मानदडं निर््धधारित किए जाते हैैं। प्राप्त स््ककूलोों मेें गर््म पका हुआ भोजन उपलब््ध कराने के लिए 1.31 ट्रिलियन
 महिलाओ ं और बच््चोों के लिए पोषण सहायता: 6 महीने से 14 रुपये का बजट आवटित ं किया गया।
वर््ष की आयु के बच््चचे, गर््भवती महिलाएँ और स््तनपान कराने वाली  इस पहल ने स््ककूलोों मेें मध््ययाह्न भोजन के लिए राष्ट्रीय कार््यक्रम का स््थथान
माताएँ एकीकृ त बाल विकास सेवा (ICDS) और मिड-डे मील (MDM) लिया, जिसे ‘मिड-डे मील’ योजना के नाम से जाना जाता है ।
योजनाओ ं के तहत निर््धधारित पोषण मानदडों ों को परू ा करने वाले भोजन
 वर््ष 2021-22 से 2025-26 तक पाँच वर्षषों की प्रारंभिक अवधि के लिए
के हितग्राही हैैं। 6 वर््ष तक के कुपोषित बच््चोों को उच््च पोषण मानदडं
संचालित होगी।
प्रदान किए जाते हैैं।
 कवरे ज: प्राथमिक (कक्षा 1-5) और उच््च प्राथमिक (कक्षा 6-8)
 मातृत््व लाभ: गर््भवती महिलाओ ं और स््तनपान कराने वाली माताओ ं
स््ककू ली बच््चोों को प्रति कार््य दिवस क्रमशः 100 ग्राम और 150 ग्राम
को 6,000 रुपये का मातृत््व लाभ मिलता है।
खाद्यान््न आवंटित किया जाता है, जिससे न््ययूनतम 700 कै लोरी सनिश् ु चित
 महिला सशक्तीकरण: राशन कार््ड जारी करने के लिए परिवार की सबसे
होती है। इसके अतिरिक्त यह कार््यक्रम बालवाटिका (3-5 वर््ष की आयु)
बड़़ी महिला (जो 18 वर््ष या उससे अधिक की हो) को मखि ु या नियक्त ु
के छात्ररों तक विस््ततारित है, जो प्री-प्राइमरी कक्षाओ ं मेें पढ़ रहे हैैं।
किया जाता है।
 पीएम पोषण योजना (जिसे पहले मिड-डे मील योजना के रूप मेें जाना
 शिकायत निवारण तंत्र: शिकायतोों का समाधान जिला और राज््य स््तर

पर स््थथापित तंत्ररों के माध््यम से किया जाता है। जाता था) का प्राथमिक लक्षष्य भारत मेें बच््चोों के एक बड़़े हिस््ससे के सामने
आने वाले दो महत्तत्वपूर््ण मुद्ददों से निपटना है: भुखमरी और शिक्षा।
 परिवहन और हैैंडलिंग लागत: राज््योों को केें द्र सरकार द्वारा परिवहन,
 इस पहल का उद्देश््य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स््ककूलोों मेें
खाद्यान््नोों की हैैंडलिंग और उचित मल्ू ्य दक ु ान (FPS) डीलरोों के मार््जजिन
को कवर करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। पढ़ने वाले पात्र बच््चोों के पोषण स््तर को सध ु ारना है।
 पारदर््शशिता और जवाबदेही: यह प्रावधान PDS रिकॉर््ड के प्रकटीकरण,  इसके अतिरिक्त इसका उद्देश््य वंचित पष्ठ ृ भूमि से आने वाले वंचित
सामाजिक लेखा परीक्षा और सतर््कता समितियोों की स््थथापना के माध््यम बच््चोों को स््ककू ल मेें अधिक नियमित रूप से उपस््थथित होने के लिए
से पारदर््शशिता सनिश्ु चित करते हैैं। प्रोत््ससाहित करना है, जिससे वे कक्षा मेें बेहतर ढंग से ध््ययान केें द्रित कर सकेें ।
 खाद्य सरु क्षा भत्ता: खाद्यान््न या भोजन की आपर्ू ्तति न होने की स््थथिति मेें z पोषण (समग्र पोषण के लिए प्रधानमंत्री की व््ययापक योजना) अभियान:
लाभार््थथियोों को खाद्य सरु क्षा भत्ता प्रदान किया जाता है। वर््ष 2018 मेें शरू ु किए गए इस अभियान का उद्देश््य पोषण परामर््श, स््ववास््थ््य
 दड ं : जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा अनश ु सित
ं राहत का जाँच और सक्षू ष्म पोषक परू कता सहित विभिन््न हस््तक्षेपोों के माध््यम से बच््चोों,
अनपु ालन न करने पर राज््य खाद्य आयोग द्वारा दडं लगाया जा सकता है। किशोरोों और गर््भवती महिलाओ ं मेें कुपोषण को कम करना है।

126  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


z ईट राइट मूवमेेंट: यह FSSAI द्वारा संचालित एक पहल है, जिसका उद्देश््य
लक्षष्य समूह लक्षष्य
सभी भारतीयोों के लिए सरु क्षित, पौष्टिक और संधारणीय भोजन सनिश् ु चित
बच््चोों (0-6 वर््ष) मेें स््टटंटिंग (उम्र के अनुपात मेें कम 6% तक, 2% करने के लिए देश के खाद्य पारिस््थथितिकी तंत्र मेें क््राांतिकारी बदलाव लाना है।
लम््बबाई) को रोकना और कम करना प्रति वर््ष की दर से  इसका आदर््श वाक््य 'सही भोजन, बेहतर जीवन' इसके उद्देश््य को

रे खांकित करता है।


बच््चोों (0-6 वर््ष) मेें कुपोषण (कम वजन का 6% तक, 2%  राष्ट्रीय स््ववास््थ््य नीति, 2017 के अनरू ु प यह आयष्ु ्ममान भारत, पोषण
प्रचलन) को रोकना और कम करना प्रति वर््ष की दर से अभियान, एनीमिया मक्त भारत जै स ी पहलोों का परू क है और स््वच््छ

छोटे बच््चोों (6-59 महीने) मेें रक्ताल््पता (एनीमिया) 9% तक, 3% भारत मिशन, निवारक और सवर्दद्ध ं क स््ववास््थ््य देखभाल पर ध््ययान
की व््ययापकता को कम करना प्रति वर््ष की दर से केें द्रित कर रहे है।
 ‘ईट राइट इडिय ं ा’ एक संतलित ु दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमेें लोगोों
15-49 वर््ष आयु वर््ग की महिलाओ ं और 9% तक, 3% और पृथ््ववी (People and Planet) दोनोों के लिए भोजन की उपयक्तत ु ा
किशोरियोों मेें रक्ताल््पता (एनीमिया) की व््ययापकता प्रति वर््ष की दर से को बढ़़ावा देने के लिए नियामक उपाय, क्षमता निर््ममाण, सहयोग और
को कम करना सशक्तीकरण को शामिल किया जाता है।
 सब ं ंधित पहलोों मेें शामिल हैैं:
कम जन््म वजन (LBW.) को कम करना 6% तक, 2%
प्रति वर््ष की दर से  राज््य खाद्य सरु क्षा सूचकांक, FSSAI द्वारा पाँच खाद्य सरु क्षा

मापदडों ों पर राज््योों के प्रदर््शन का आकलन करने के लिए तैयार


 समदु ायोों को एकजटु करने और लोगोों को कार््रवाई के लिए सशक्त बनाने के किया गया है: मानव सस ं ाधन और सस्ं ्थथागत डेटा, अनुपालन,
लिए, भारत मेें सितंबर माह को पोषण माह के रूप मेें मनाया जाता खाद्य परीक्षण के लिए बुनियादी ढाँचा और निगरानी, प्रशिक्षण
है, जो पोषण जागरूकता और सहभागिता का एक राष्टट्रव््ययापी महीना है। और क्षमता निर््ममाण और उपभोक्ता सशक्तीकरण।
 ईट राइट अवार््डड््स: FSSAI द्वारा स््थथापित सरु क्षित और स््वस््थ
 प्रमुख पोषण रणनीतियाँ और हस््तक्षेप: IYCF (शिशु और छोटे
भोजन विकल््पोों को बढ़़ावा देने मेें खाद्य कंपनियोों और व््यक्तियोों के
बच््चोों को आहार देना), भोजन और पोषण, टीकाकरण, संस््थथागत प्रसव,
प्रयासोों को मान््यता देता है।
WASH(जल, स््वच््छता और सफाई), कृ मि मक्ु ति, ORS-जिंक, खाद्य
 ईट राइट मे ला: FSSAI द्वारा आयोजित यह कार््यक्रम नागरिकोों
सदृु ढ़़ीकरण, आहार विविधीकरण, किशोर पोषण, मातृ स््ववास््थ््य और
को स््वस््थ खान-पान की आदतेें अपनाने के लिए प्रोत््ससाहित करने
पोषण, ECD (प्रारंभिक बचपन विकास)/ ECCE (प्रारंभिक बचपन
हेतु एक सार््वजनिक सहभागिता मचं के रूप मेें कार््य करता है।
देखभाल और शिक्षा), एकीकरण, ICT-RTM (सचू ना और संचार-
z बच््चोों मेें कुपोषण की पहचान और प्रबंधन: महिला एवं बाल विकास
प्रौद्योगिकी सक्षम वास््तविक समय निगरानी) और क्षमता निर््ममाण आदि।
मत्रा
ं लय (WCD) ने स््ववास््थ््य एवं परिवार कल््ययाण तथा आयषु मत्रा ं लय के
z प्रधानमंत्री गरीब कल््ययाण अन््न योजना (PMGKAY): कोविड-19 सहयोग से बाल कुपोषण से निपटने के लिए एक प्रोटोकॉल शरू ु किया है।
महामारी के दौरान शरू ु की गई, PMGKAY का उद्देश््य सक ं ट के समय  प्रोटोकॉल मेें आग ं नबाड़़ी स््तर पर कुपोषित बच््चोों की पहचान और इसके
खाद्य असरु क्षा को कम करने के लिए कमजोर परिवारोों को अतिरिक्त मफ्ु ्त प्रबंधन के लिए विस््ततृत दिशा-निर्देश दिए गए हैैं, जो मिशन पोषण 2.0
खाद्यान््न उपलब््ध कराना है। का एक महत्तत्वपर््णू घटक है।
z महात््ममा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा):  मख् ु ्य घटकोों मेें विकास निगरानी, भख ु मरी परीक्षण और कुपोषित बच््चोों का
मनरे गा ग्रामीण परिवारोों को गारंटीकृ त मजदरू ी रोजगार प्रदान करता है तथा पोषण प्रबंधन शामिल है। भख ु मरी परीक्षण मेें असफल होने वाले बच््चोों
क्रय शक्ति और आजीविका के अवसरोों मेें वृद्धि करके गरीबी उन््ममूलन और को पोषण पनु र््ववास केें द्ररों मेें भेजा जाता है।
खाद्य सरु क्षा मेें योगदान देता है।  हस््तक्षेप के बाद अपेक्षित विकास मापदण््ड प्राप्त करने वाले बच््चोों के लिए

z राष्ट्रीय स््ववास््थ््य मिशन (NHM): NHM विभिन््न हस््तक्षेपोों जैसे टीकाकरण, अनवर् ु ती देखभाल प्रदान की जाती है।
प्रसवपर््वू देखभाल और पोषण परामर््श के माध््यम से कुपोषण को दरू करने सहित  प्रोटोकॉल मेें 'दोस््त माँ'(Buddy Mother) पहल की शरु ु आत की गई
मातृ एवं बाल स््ववास््थ््य मेें सधु ार लाने पर ध््ययान केें द्रित करता है। है, जिसमेें स््वस््थ शिशओ ु ं की माताएँ कु पोषित बच््चोों की माताओ ं को
z खाद्य सदृु ढ़ीकरण कार््यक्रम: सरकार ने चावल, गेहूँ और नमक जैसे मख्ु ्य मार््गदर््शन प्रदान करती हैैं।
खाद्य पदार्थथों को सदृु ढ़ बनाने के लिए आवश््यक विटामिन और खनिज जैसे  आहार विविधता और सक्ष ू ष्म पोषक तत्तत्ववों से भरपरू भोजन को प्रोत््ससाहित
आयरन, आयोडीन, जिंक और विटामिन A और D को शामिल करने किया जाता है।
के लिए कार््यक्रम शुरू किए हैैं ताकि विशेष रूप से कमजोर आबादी के  उल््ललेखनीय बात यह है कि 5 वर््ष से कम आयु के 7.7% बच््चचे गंभीर रूप

बीच पोषण संबंधी परिणामोों मेें सधु ार हो सके । से वेस््टटििंग (लम््बबाई के अनपु ात मेें कम वजन) से पीड़़ित हैैं।

गरीबी एवं भुखमरी 127


z अनुसध ं ान
पोषण संवृद्धि हेतु नीति आयोग की अभिनव भारत
 राष्ट्रीय पोषण निगरानी प्रणाली स््थथापित करना।
@75 कार््यनीति
 कार््ययान््वयन अनस ु ंधान अध््ययन आयोजित करना।
भारत सरकार के पॉलिसी थिंक टैैंक नीति आयोग ने पूरे देश मेें पोषण को बढ़़ाने  सशर््त नकद हस््तताांतरण और परू क पोषण की प्रभावशीलता का मल् ू ्ययाांकन
के लिए न््ययू इडि ं या @75 विजन के तहत रणनीति तैयार की है। इन रणनीतियोों करना।
का उद्देश््य कुपोषण को दरू करना, पौष्टिक भोजन तक पहुचँ मेें सुधार करना और  किशोरियोों पर लक्षित पोषण कार््यक्रमोों की समीक्षा करना तथा उन््हेें पन ुः
स््वस््थ आहार गतिविधियोों को बढ़़ावा देना है। डिजाइन करना।
z नीति और शासन सब ं ंधी मुद्ददों पर ध््ययान देना  बच््चोों और वयस््कोों मेें मोटापे को रोकने के लिए परीक्षण दृष्टिकोण।

 पोषण अभियान के अतर््गत ं राज््योों के लिए लचीलापन बढ़़ाना ताकि वे z पोषण MIS को सदृु ढ़ करना और निगरानी तंत्र को मजबूत करना
सदं र््भ-विशिष्ट कार््ययान््वयन के लिए कार््यक्रम तैयार कर सकेें और नवीन  IT-आधारित वास््तविक-समय निगरानी तंत्र को लागू करना।

दृष्टिकोणोों के साथ प्रयोग कर सकेें ।  संयक्त ु स््ववास््थ््य और पोषण की समीक्षा करना।


 सभी स््तरोों पर निर््धधारित जिम््ममेदारियोों के साथ जवाबदेही स््थथापित करना।
 कार््यक्रम कार््ययान््वयन मेें सध ु ार के लिए वार््षषिक लेखापरीक्षा हेतु एक स््वतंत्र
संस््थथागत तंत्र स््थथापित करना। z 'पोषण अभियान' को जन आंदोलन बनाना
 राजनीतिक समर््थन के साथ समद ु ाय-नेतत्ृ ्व वाले आदं ोलन को बढ़़ावा देना।
z सभी स््तरोों पर समन््ववित कार््रवाई सनु िश्चित करना
 अग्रिम पंक्ति कार््यकर््तताओ ं के लिए व््यवहार परिवर््तन संचार मॉड्यल ू
 अभियान के अतर््गत ं सभी जिलोों के लिए वार््षषिक एकीकृ त स््ववास््थ््य, पोषण विकसित करना।
और स््वच््छ भारत मिशन कार््य योजनाएँ विकसित और कार््ययान््ववित करना।
z राष्ट्रीय एनीमिया नियंत्रण कार््यक्रम को गति प्रदान करना
 समितियोों के माध््यम से गाँव स््तर पर स््ववास््थ््य, स््वच््छता और पोषण
 साक्षष्य के आधार पर संशोधित रणनीति लागू करना।
सेवाओ ं को एकीकृ त करना तथा ग्राम स््ववास््थ््य स््वच््छता और पोषण  घर, समद ु ाय, स््ककू ल और सवु िधा-स््तर की कार््रवाई को शामिल करना।
दिवसोों का नियमित आयोजन करना। एनीमिया नियंत्रण हस््तक्षेप पैकेज के हिस््ससे के रूप मेें 'जाँच और उपचार'
 पोषण के लिए एकीकृ त कार््रवाई हेतु कार््ययान््वयन मार््गदर््शशिका विकसित पर विचार करना।
करना। नीति आयोग: मोटापे की
 पोषण के लिए राज््य स््तरीय एकीकरण तंत्र तथा जिला एवं ब््ललॉक स््तर रोकथाम पर राष्ट् रीय सम्मेलन
पर संगत संरचनाएँ स््थथापित करना। z नीति आयोग ने मोटापे को ‘मूक महामारी’ बताया है। मोटापे को असामान््य
z कुपोषण के उच््च दरोों वाले जिलोों मेें विशे ष कार््यप्रणाली (मिशन मोड) या अत््यधिक वसा संचय के रूप मेें परिभाषित किया जाता है, जो स््ववास््थ््य
कार््रवाई लागू करना के लिए जोखिम पैदा करता है। 25 से अधिक बॉडी मास इडं ेक््स (BMI) को
 निर््ददिष्ट समय-सीमा और पर््ययाप्त बजटीय आवंटन के साथ राज््य, जिला
अधिक वजन माना जाता है और 30 से अधिक को मोटापा माना जाता है।
और ब््ललॉक स््तर पर एकीकरण तंत्र स््थथापित करना । अधिक वजन या मोटे बच््चोों का बड़़ा हिस््ससा विकासशील देशोों मेें रहता है,
जहाँ इसकी वृद्धि की दर विकसित देशोों की तल ु ना मेें 30% अधिक रही है।
 निगरानी प्रणालियोों को मजबत ू करना तथा नीति आयोग द्वारा गहन निगरानी z मोटापे के जोखिम कारक
वाले कार््ययान््वयन का समन््वय करना।
 अस््ववास््थ््यकर खाद्य वातावरण (अस््ववास््थ््यकर खाद्य पदार्थथों की पहुच
ँ ,
z कार््यक्रम हस््तक्षेप को परिष््ककृ त करना वांछनीयता, सामर््थ््य)
 गृह-आधारित बाल््ययावस््थथा देखभाल पहल के अतर््गत ं अतिरिक्त  अपर््ययाप्त शारीरिक गतिविधि और गतिहीन जीवनशैली

घर-आधारित सपर्ककों ं के लिए रणनीति तैयार करना।  अपर््ययाप्त स््तनपान गतिविधियाँ

 स््ववास््थ््य देखभाल उपायोों, जन््म अत ं राल, विशिष्ट स््तनपान तथा परू क  माता-पिता का मोटापा, माता का कुपोषण

आहार तक समय पर पहुचँ पर ध््ययान केें द्रित करना । z मोटापा कम करने की दिशा मेें भारत की कार््रवाई
 टीकाकरण को प्राथमिकता जिसमेें रोटावायरस और न््ययूमोकोकल टीके  FSSAI की ‘ईट राइट इडिय ं ा’ पहल: सरु क्षित और पौष्टिक भोजन
शामिल हैैं। का समावेशन करती है। स््ककू ल परिसर के आसपास स््वस््थ भोजन को
बढ़़ावा देती है।
 मख् ु ्य खाद्य पदार्थथों के अनिवार््य फोर््टटिफिके शन पर विचार करना तथा
 फिट इडिय ं ा पहल: फिटनेस और शारीरिक गतिविधियोों के बारे मेें
फोर््टटिफाइड खाद्यान््नोों और डबल फोर््टटिफाइड नमक को सरकारी कार््यक्रमोों जागरूकता फै लाना और फिटनेस को हर स््ककू ल, कॉलेज और गाँव तक
मेें शामिल करना । पहुचँ ाना।
 सक्ष ू ष्म पोषक तत्तत्ववों की कमी मेें सधु ार के लिए अनाज के जैव-सदृु ढ़़ीकरण  माँ का निरपे क्ष स््ननेह (MAA) कार््यक्रम: शिशु और छोटे बच््चोों के

के तरीकोों का पता लगाना। पोषण के लिए

128  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय


“SHARE - खाद्य स्रोतोों को सरु क्षित करना, समुदायोों को पनपने मेें मदद
प्रमुख शब्दावलियाँ करना, बदलाव के लिए कोशिश करना, संसाधन इक््वविटी, भख ु मरी को समाप्त
करना” (SHARE - Secure Food Sources, Help Communities
‰ गरीबी: आर््थथि क विकास, सामाजिक न््ययाय, शिक्षा तक पहुचँ ,
Thrive, Advocate for Change, Resource Equity, End
किफायती आवास, सूक्षष्म वित्तीयन, सतत आजीविका,
Hunger)
लैैंगिक समानता; ‘अब गरीबी समाप्त’, ‘एक उज््ज््वल भविष््य
का निर््ममाण, एक साथ’, ‘समुदायोों को सशक्त बनाना, चक्र
विगत वर्षषों के प्रश्न
को तोड़ना’, ‘सभी के लिए सम््ममान’, ‘SOLVE - अवसर
का समर््थन करना, शिक्षा प्रदान करना, समदु ायोों को ऊपर 1. भारत मेें निर््धनता और भख ू के बीच संबंध मेें एक बढ़ता हुआ अंतर
उठाना, आवश््यकताओं को आवाज देना, गरीबी को समाप्त है। सरकार द्वारा सामाजिक व््यय को संकुचित किये जाना, निर््धनोों को
करना (Supporting Opportunity, Offering Education,
Lifting Communities, Voicing Needs, Ending अपने खाद्य बजट को निचोड़ते हुए खाद्येतर आवश््यक मदोों पर अधिक
Poverty), ‘RISE - संसाधन और समर््थन, आय और अवसर, व््यय करने के लिए मजबूर कर रहा है। स््पष्ट कीजिए। 
कौशल और शिक्षा, सशक्तीकरण’ (RISE - Resources &  (2019)
Support, Income & Opportunity, Skills & Education,
Empowerment) 2. आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैैं कि भख ु के मख्ु ्य कारण के रूप
‰ भुखमरी: खाद्य सरु क्षा, खाद्य अपशिष्ट मेें कमी, कुपोषण, सतत मेें खाद्य की उपलब््धता मेें कमी पर फोकस , भारत मेें अप्रभावी मानव
कृ षि, वैश्विक खाद्य नीति, खाद्य बैैंक और पेेंट्री, सामुदायिक खाद्य विकास नीतियोों से ध््ययान हटा देता है?  (2018)
कार््यक्रम; ‘आशावर्दद्ध न से भख
ु मरी का अंत’, ‘कोई भी भूखा न
रहे’, ‘सभी के लिए भोजन, विचार के लिए भोज’, ‘भख 3. अब तक भी भख ू और गरीबी भारत मेें सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी
ु मरी रहित
विश्व’, ‘EAT - भख ु मरी को समाप्त करना, बदलाव की वकालत चनु ौतियाँ हैैं। मल्ू ्ययाांकन कीजिये कि इन भारी समस््ययाओ ं से निपटने मेें
करना, जीवन को बदलना’ (EAT - Eliminate Hunger, क्रमिक सरकारोों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिए उपाय
Advocate for Change, Transform Lives),
सुझाइए।  (2017)

गरीबी एवं भुखमरी 129


130  प्रहार 2024: सामाजिक न्याय

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