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ट्रेन के ब्रेक में एक पाइप होता
ट्रेन के ब्रेक में एक पाइप होता
ट्रेन के ब्रेक में एक पाइप होता है, जिसमें हवा भरी होती है। यही
हवा ब्रेक-शू को आगे-पीछे करती है और जब ब्रेक-शू पहिए पर
रगड़ खाता है तो ब्रेक लगने लगता है। लेकिन ब्रेक कब और
किस स्थिति में लगाना है ये पूरी तरह ट्रेन के ड्राइवर मतलब
लोको पायलट और उसके सहयोगी गार्ड की सूझबूझ पर निर्भर
करता है।
ट्रेन के डब्बों में एयर ब्रेक होते हैं।
इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए ट्रेन में किसी भी तरह का स्पेशल ब्रेक नहीं होता है।
कब लगाया जा सकता है इमरजेंसी ब्रेक?
अगर ट्रेन के सामने कोई जानवर या व्यक्ति आ जाए, पटरी खराब हो
या उखड़ी हो, ट्रेन में कोई खराबी आ जाए तभी वो इमरजेंसी ब्रेक लगा सकता है।
एयर ब्रेक प्रणाली में ड्राइवर जब ब्रेक लगाता है तो ब्रेक पाइप का प्रेशर
एक न्यूनतम रेट (6 सेकं ड में 0.6 kg/वर्ग cm) से ज्यादा ड्राप हो तो ब्रेक लग जाते हैं।
ब्रेक लगने से ब्रेक ब्लॉक या ब्रेक पैड पहिए/डिस्क से चिपक जाते हैं।
अब जैसे अपनी दोनों हथेलियों को रगड़ने (घर्षण) से वे गर्म हो जाती हैं,
उसी तरह ब्रेक ब्लॉक/पैड और पहिए/डिस्क आपसे घर्षण से गर्म हो जाते हैं
और इस तरह ट्रेन की गतिज ऊर्जा - ताप ऊर्जा में परिवर्तित हो वातावरण में चली जाती है और ट्रेन रुक जाती
है।
5 तरह के ब्रेक होते हैं जो कि निम्नवत हैं।
बायीं तरफ ट्रेड ब्रेक जो पहिए की बाहरी परिधि पर
लगती है।
LHB सवारी डब्बे: न्यूमैटिक डिस्क ब्रेक
ICF सवारी डब्बे: न्यूमैटिक ट्रेड (Tread) ब्रेक दायीं तरफ डिस्क ब्रेक जो पहिए/एक्सल से जुड़े हुए
MEMU, EMU, DEMU: EP Tread ब्रेक (EP: Electro Pneumatic) डिस्क पर लगती है।
वंदे भारत: EP डिस्क ब्रेक *
तेजस: EP assist डिस्क ब्रेक
LHB BRAKE
पहिए की बाहरी परिधि - tread पर ब्रेक (लाल रंग में)
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