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ट्रेन में कहां होते हैं ब्रेक और ड्राइवर ब्रेक कै से लगाता है.

ट्रेन के ब्रेक में एक पाइप होता है, जिसमें हवा भरी होती है। यही
हवा ब्रेक-शू को आगे-पीछे करती है और जब ब्रेक-शू पहिए पर
रगड़ खाता है तो ब्रेक लगने लगता है। लेकिन ब्रेक कब और
किस स्थिति में लगाना है ये पूरी तरह ट्रेन के ड्राइवर मतलब
लोको पायलट और उसके सहयोगी गार्ड की सूझबूझ पर निर्भर
करता है।
ट्रेन के डब्बों में एयर ब्रेक होते हैं।

एयर ब्रेक को तकनीकी तौर पर न्यूमैटिक


(Pneumatic ) ब्रेक कहते हैं। इसमें 5
kg/वर्ग cm के उच्च दबाव (वायुमंडलीय
दबाव का 5 गुणा) का एक ब्रेक पाइप रेल
इंजिन से आखिरी डब्बे तक निरन्तर लगा
रहता है और जो ड्राइवर के ब्रेक हैंडल से भी
जुड़ा रहता है।
ये सुविधा रेल यात्रियों के लिए होती है कि अगर ट्रेन के अंदर कोई ऐसी स्थिति घट जाए, जिससे ट्रेन रोकनी पड़े, तो चेन पुलिंग
की जा सकती है. अलार्म चेन खींचते ही अलार्म वॉल्व में दिए गए चेक के ज़रिए ब्रेक पाइप से हवा का प्रेशर बाहर निकलता है
और रेल का ब्रेक लग जाता है. ब्रेक लगते ही हवा का प्रेशर कम होने लगता है इससे ड्राइवर को हूटिंग सिग्नल मिल जाता है
और वो ट्रेन को रोकने के कारण का पता करता है
लोकोपायलट ब्रेक कब लगा सकता है,
ब्रेक लगाने के लिए उसे किस तरह का सिग्नल मिलता है।
जैसे किसी भी सड़क पर ट्रैफिक संचालन के लिए
तीन सिग्नल होते हैं ऐसे ही रेलवे में भी तीन सिग्नल होते हैं-
हरा, पीला और लाल। हरा सिग्नल होने पर ट्रेन अपनी स्पीड से चलती रहती है,
लेकिन जब पीला सिग्नल मिलता है तो लोकोपायलट को ट्रेन की स्पीड कम करनी होती है।
अगर लगातार पीला सिग्नल लोकोपायलट को मिल रहा है
तो उसे बार-बार अपनी स्पीड कम करने की जरूरत होती है।
वहीं अगर लाल सिग्नल मिलता है तो लोकोपायल की ये जिम्मेदारी होती है कि वो सिग्नल से
पहले ट्रेन रोक दे।
क्या ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक भी होता है?

इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए ट्रेन में किसी भी तरह का स्पेशल ब्रेक नहीं होता है।
कब लगाया जा सकता है इमरजेंसी ब्रेक?
अगर ट्रेन के सामने कोई जानवर या व्यक्ति आ जाए, पटरी खराब हो
या उखड़ी हो, ट्रेन में कोई खराबी आ जाए तभी वो इमरजेंसी ब्रेक लगा सकता है।

लेकिन फिर भी दिमाग में सवाल उठ रहा है


कि पंजाब के अमृतसर में लोकोपायलट ने भीड़
देखकर इमरजेंसी ब्रेक क्यों नहीं लगाए।
इमरजेंसी ब्रेक लगने के बाद भी ट्रेन को रुकने के लिए
लगभग 800-900 मीटर की दूरी तय करनी होती है।
कार्यविधि

एयर ब्रेक प्रणाली में ड्राइवर जब ब्रेक लगाता है तो ब्रेक पाइप का प्रेशर
एक न्यूनतम रेट (6 सेकं ड में 0.6 kg/वर्ग cm) से ज्यादा ड्राप हो तो ब्रेक लग जाते हैं।
ब्रेक लगने से ब्रेक ब्लॉक या ब्रेक पैड पहिए/डिस्क से चिपक जाते हैं।
अब जैसे अपनी दोनों हथेलियों को रगड़ने (घर्षण) से वे गर्म हो जाती हैं,
उसी तरह ब्रेक ब्लॉक/पैड और पहिए/डिस्क आपसे घर्षण से गर्म हो जाते हैं
और इस तरह ट्रेन की गतिज ऊर्जा - ताप ऊर्जा में परिवर्तित हो वातावरण में चली जाती है और ट्रेन रुक जाती
है।
5 तरह के ब्रेक होते हैं जो कि निम्नवत हैं।
बायीं तरफ ट्रेड ब्रेक जो पहिए की बाहरी परिधि पर
लगती है।
LHB सवारी डब्बे: न्यूमैटिक डिस्क ब्रेक
ICF सवारी डब्बे: न्यूमैटिक ट्रेड (Tread) ब्रेक दायीं तरफ डिस्क ब्रेक जो पहिए/एक्सल से जुड़े हुए
MEMU, EMU, DEMU: EP Tread ब्रेक (EP: Electro Pneumatic) डिस्क पर लगती है।
वंदे भारत: EP डिस्क ब्रेक *
तेजस: EP assist डिस्क ब्रेक

LHB BRAKE
पहिए की बाहरी परिधि - tread पर ब्रेक (लाल रंग में)

Axle माउंटेड ब्रेक डिस्क


वंदे भारत डिस्क ब्रेक

इसमें डिस्क ब्रेक के बगल में नहीं बल्कि पहिए


के साथ ही लगा होता है।
मालगाड़ी:
न्यूमैटिक ट्रेड (Tread) ब्रेक

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