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बायत का सॊवैधाननक इनतहास

बायत के सॊवैधाननक इनतहास को हभ दो बागों भें ववबक्त कय सकते हैं


1. ईस्ट इॊडिमा कॊऩनी के शासन के अॊतगगत
2. ब्रिटे न की सयकाय के शासन के अॊतगगत है

Shivam Singh
1773 का ये गर
ु ेटटॊग एक्ट :-
तत्कारीन ब्रिटटश प्रधानभॊत्री रॉिग नाथग द्वाया गटित गुप्त समभनत (सीक्रेट कभेटी) की
मसपारयश ऩय बायत एक्ट को 1773 का ये गुरेटटॊग एक्ट कहा गमा
उद्दे श्म-इसका भुख्म उद्दे श्म कॊऩनी के कामों को बायत तथा ब्रिटे न दोनों स्थानों ऩय
ननमॊब्रत्रत कयना व कॊऩनी भें व्माप्त दोषों को सभाप्त कयना था।
प्रावधान-
1- कॊऩनी के फोिग ऑप िामये क्टय के कामगकार को 1 वषग के स्थान ऩय 4 वषग का
कय टदमा गमा साथ ही मह बी ननमभ फनामा गमा कक कोटग ऑप िामये क्टय की
कुर सदस्म सॊख्मा 24 के एक चौथाई सदस्म प्रनतवषग अवकाश ग्रहण कयें गे।
2- बायतीम ऩरयऩेऺ से कॊऩनी प्रशासन भें फॊगार के पोटग ववमरमभ प्रेमसिेंसी के
प्रशासक को इस एक्ट के भाध्मभ से अॊग्रेजी ऺेत्रों का गवनगय जनयर फना टदमा
गमा अथागत फॊगार भॊफ
ु ई औय भद्रास प्रेमसिेंसी अबी तक एक दस
ू ये से स्वतॊत्र थी
ऩय इस अधधननमभ द्वाया फॊगार प्रेसीिेंसी के अधीन कयके फॊगार के गवनगय को
तीनों प्रेसीिेंमसमों का गवनगय जनयर फना टदमा गमा।
3- शासन की सभस्त सैननक व मसववर शक्क्तमों को गवनगय जनयर उसके 4 सदस्म

Shivam Singh
ऩरयषद को सौंऩ टदमा गमा, वाये न हे क्स्टॊ ग्स को प्रथभ गवनगय जनयर ननमुक्त
ककमा गमा औय गवनगय की कामगकारयणी ऩरयषद के चाय अन्म सदस्म थे- फपलरऩ
फ्ाॊलसस, क्रेवरयॊग, भानसन, फयवैर
4- इसी अधधननमभ के द्वाया 1774 भें कोरकाता भें सवोच्च न्मामारम की स्थाऩना
की गई सय एमरजा एम्ऩे को भुख्म न्मामाधीश व तीन अन्म चेम्फजज, रीभैस्टय
एवॊ हाइड को न्मामाधीश फनामा गमा
5- अधधननमभ के द्वाया कॊऩनी के कभगचारयमों को ब्रफना राइसेंस प्राप्त ककए गए
व्माऩाय को प्रनतफॊधधत कय टदमा गमा।
पऩट्स इॊडडमा एक्ट 1784
 इस एक्ट के भाध्मभ से कॊऩनी के व्माऩारयक एवॊ याजनीनतक कक्रमाकराऩों को
अरग अरग कय टदमा गमा, व्माऩारयक कक्रमाकराऩों को कॊऩनी के िामये क्टय के
हाथों भें मथावत यखते हुए याजनीनतक कक्रमाकराऩों के ननमॊत्रण एवॊ ऩमगवेऺण हे तु
इॊग्रैंि भें एक 6 सदस्मीम ननमॊत्रक भॊिर(फोिग आप कॊट्रोर) की स्थाऩना की गई।
 गवनगय जनयर की ऩरयषद की सॊख्मा 4 से कभ कय के तीन कय दी गई ।
 प्राॊतीम ऩरयषद के सदस्मों की सॊख्मा 4 से 3 कय दी गई ।
 गवनगय जनयर को प्राॊतीम सयकायों को फखागस्त कयने का अधधकाय मभरना इस
अधधननमभ की सफसे भहत्वऩूणग ववशेषता थी
 बायत भें ननमक्
ु त अॊग्रेज अधधकारयमों के अवैध कामों ऩय भुकदभा चराने हे तु
इॊग्रैंि भें कोटग की व्मवस्था की गई।
 इस अधधननमभ के द्वाया गवनगय जनयर को दे शी याजाओॊ से मुद्ध व सॊधध कयने
से ऩूवग कॊऩनी के िामये क्टय से स्वीकृनत रेना अननवामग कय टदमा गमा।

चाटज य एक्ट 1793


 Shivam Singh
इस अधधननमभ के भाध्मभ से कॊऩनी के अधधकायों को 20 वषग के मरए फढा टदमा
गमा
 ननमॊत्रक भॊिर फोिग ऑप कॊट्रोर के सदस्मों को बायतीम याजस्व से वेतन दे ने की
व्मवस्था की गई।

1853 का एक्ट (चाटज य एक्ट 1813)


कॊऩनी के एकाधधकाय (भोनोऩोरी )को सभाप्त कयने उस ऩय औय अधधक प्रबावी ननमॊत्रण
(इपेक्क्टव कॊट्रोर) स्थावऩत कयने व ईसाई मभशनरयमों को बायत भें औय अधधक स्वतॊत्रता
की भाॊग के भद्दे नजय मह एक्ट ऩारयत ककमा गमा था।
 इस चाटग य द्वाया ऩहरी फाय ईसाई मभशनरयमों को बायत भें धभग प्रचाय की आऻा
दी गई ।
 कॊऩनी के व्माऩारयक एकाधधकाय को सभाप्त कय सबी ब्रिटटश नागरयकों को
व्माऩाय का अधधकाय प्रदान कय टदमा गमा रेककन चीन के साथ व्माऩाय औय चाम
के व्माऩाय के एकाधधकाय को फनाए यखा गमा।
 बायतीमों की मशऺा ऩय प्रनत वषग ₹1 राख खचग कयने का प्रफॊध ककमा गमा ।
 स्थानीम स्वामत्तशासी सॊस्थाओॊ को कयायोऩण का अधधकाय टदमा गमा।

1833 का चाटज य एक्ट


 कॊऩनी का अधधकाय 20 वषग के मरए ऩुन् फढा टदमा गमा।
 फॊगार के गवनगय जनयर को सॊऩूणग बायत का गवनगय जनयर फना टदमा गमा इस
प्रकाय इस एक्ट द्वाया दे श की शासन प्रणारी का केंद्रीकयण कय टदमा गमा गवनगय

ू फनाने का अधधकाय प्रदान ककमा गमा ककॊतु


जनयर को ऩयू े बायत के मरए कानन
ननमॊत्रक भॊिर इस कानून को अस्वीकृत कय स्वमॊ कानून फना सकता था
 ववधधक ऩयाभशग हे तु गवनगय जनयर की काउॊ मसर भें ववधध सदस्म के रूऩ भें चौथे
सदस्म को शामभर ककमा गमा ।
Shivam Singh
 कॊऩनी के व्माऩारयक एकाधधकाय को (चाम व चीन के साथ व्माऩाय सटहत )सभाप्त
कय टदमा गमा।

 इस एक्ट के द्वाया दास प्रथा को गैयकानूनी घोवषत कय टदमा गमा क्जसके फाद
1843 ईसवी के ननमभ 5 द्वाया दास प्रथा ऩय योक रग गई।
नोट- 1833 के एक्ट के ऩूवग ननममभत ववधधमों (आदे शों)को ववननमभ कहा जाता था
जफकक इस अधधननमभ द्वाया ननमभगत ववधधमाॊ(आदे श) अधधननमभ कहराते थे , दस
ू ये
शब्दों भें बायत के गवनगय जनयर की ऩरयषद द्वाया ननमभगत ववधध को अधधननमभ कहा
जाता था।
1853 का एक्ट चाटज य एक्ट
1853 का चाटग य एक्ट बायतीमों द्वाया कॊऩनी के प्रनतकक्रमावादी शासन की सभाक्प्त की
भाॊग व गवनगय जनयर रॉिग िरहौजी द्वाया कॊऩनी के शासन भें सुधाय हे तु प्रस्तत
ु रयऩोटग
के सॊदबग भें प्रेरयत ककमा गमा था।
 इस एक्ट द्वाया ववधाई कामों को प्रशासननक कायणों से अरग कयने की व्मवस्था
की गई ववधध ननभागण हे तु बायत के मरए एक अरग 12 सदस्म ववधान ऩरयषद(
ऑर इॊडिमा रेक्जसरेटटव काउॊ मसर )की स्थाऩना की गई ।
 फॊगार के प्रशासननक कामों के मरए एक ऩथ
ृ क रेक्टटनेंट गवनगय ननमुक्त ककमा
गमा ।
 ववधध सदस्म को गवनगय जनयर की ऩरयषद का ऩूणग सदस्म फना टदमा गमा।
 कॊऩनी के कभगचारयमों की ननमुक्क्त के मरए नाभजद की के स्थान ऩय प्रनतमोगी
ऩयीऺाओॊ को आधाय फनामा गमा।

नोट-1853 का एक्ट बायतीम शासन (ब्रिटटश कारीन) के इनतहास भें अॊनतभ चाटग य था।

1858 का बायत शासन अधधनमभ


Shivam Singh
 1857 के ववद्रोह के फाद इस अधधननमभ को ऩारयत ककमा गमा क्जसने ईस्ट इॊडिमा
कॊऩनी को सभाप्त कय गवनगयों, ऺेत्रों औय याजस्व सॊफॊधी शक्क्तमाॉ ब्रिटटश याजशाही
को सौंऩ दीॊ।
 बायत का शासन सीधे भहायानी ववक्टोरयमा के अधीन चरा गमा।
 गवनगय-जनयर का ऩदनाभ फदरकय बायत का वामसयाम कयते हुए उसे बायत भें
ब्रिटटश ताज का प्रत्मऺ प्रनतननधध फनामा गमा (रॉिग कैननॊग बायत के प्रथभ
वामसयाम फने)।
 'कोटग ऑप िामये क्टसग' तथा 'फोिग ऑप कॊट्रोर' को सभाप्त कय उनके अधधकाय
ब्रिटटश भॊब्रत्रभॊिर के एक सदस्म को सौंऩे गए।
 ब्रिटटश भॊब्रत्रभॊिर के उस सदस्म को 'बायत याज्म सधचव' (Secretary of Sate
for India) का ऩद प्रदान ककमा गमा।
 बायत याज्म सधचव की सहामता के मरमे एक 15 सदस्मीम 'बायत ऩरयषद' का
गिन ककमा गमा, क्जसके सदस्मों (बायत सधचव सटहत) को वेतन बायतीम याजस्व
से टदमा जाना था।
 इस 15 सदस्मीम ऩरयषद व बायत सधचव के वेतन को बायतीम याजस्व से दे ना
तम ककमा गमा, रेककन इसका सॊचारन रॊदन से होता था। बायत सधचव की
ऩरयषद एक ननगमभत ननकाम थी क्जसे बायत औय इॊग्रैण्ि भें भुकदभा कयने का
अधधकाय था। इस ऩय बी भुकदभा हो सकता था।

1861 का बायतीम ऩरयषद अधधननमभ

 बायतीम ऩरयषद अधधननमभ, 1861 बायत के सॊवैधाननक इनतहास भें एक


भहत्त्वऩूणग घटना है , क्मोंकक इसके द्वाया बायत सयकाय की भॊब्रत्रभॊिरीम व्मवस्था
Shivam Singh
की नीॊव यखी गई थी। इस अधधननमभ के

 प्रभुख प्रावधान ननम्नमरखखत थे

 इस अधधननमभ द्वाया कामगकायी ऩरयषद के सदस्मों की सॊख्मा 4 से फढाकय 5 कय


दी गई। (इसभें तीन सदस्म प्रशासननक सेवा के होते थे, क्जनको बायत भें यह कय
कामग कयने का 10 वषग का अनुबव होना आवश्मक था। शेष 2 सदस्मों भें एक को
5 वषग का ववधध सॊफॊधी अनुबव प्राप्त होना आवश्मक था।)

 वामसयाम की ववधानऩरयषद भें न्मूनतभ 6 औय अधधकतभ 12 अनतरयक्त भनोनीत


सदस्मों का प्रावधान ककमा गमा था। उनभें कभ-से-कभ आधे सदस्मों का गैय-
सयकायी होना आवश्मक था, ककॊतु इनकी शक्क्तमाॉ ववधध-ननभागण तक ही सीमभत
होती थीॊ।
 1862 भें रॉिग कैननॊग ने तीन बायतीमों- फनायस के याजा, ऩटटमारा के भहायाजा
औय सय टदनकय याव को ववधानऩरयषद भें भनोनीत ककमा।

 वामसयाम को ववधानसबा भें बायतीमों के नाभ ननटदग ष्ट कयने की शक्क्त प्रदान की
गई। मह याज्म सधचव के ननमॊत्रण तथा ननयीऺण भें कामग कयती थी।

 वामसयाम को ववशेषाधधकाय व आऩात क्स्थनत भें अध्मादे श जायी कयने का


अधधकाय टदमा गमा। वामसयाम को आवश्मक ननमभ एवॊ आदे श जायी कयने की
शक्क्त प्रदान की गई, क्जसके तहत रॉिग कैननॊग ने बायतीम शासन भें ऩहरी फाय
'सॊववबागीम प्रणारी' (Portfolio System) की शुरुआत की।

 इस अधधननमभ ने फॊफई औय भद्रास प्रेसीिेंमसमों को कानून फनाने की शक्क्त वाऩस


दे कय ववकेंद्रीकयण की प्रकक्रमा की शुरुआत की।

1892 का बायत ऩरयषद अधधननमभ

 इस एक्ट भें सफसे भहत्त्वऩूणग प्रावधान ननवागचन ऩद्धनत की शुरुआत थी। हाराॉकक,
इसभें ननवागचन शब्द का उल्रेख नहीॊ था। ननवागचन की ऩद्धनत अप्रत्मऺ थी औय
ननवागधचत सदस्मों को भनोनीत की सॊऻा दी जाती थी।
Shivam Singh
 ववधानभॊिर के सदस्मों के अधधकाय दो ऺेत्रों भें फढा टदमे गए। प्रथभ, फजट भें
अऩने ववचाय प्रकट कयने का अधधकाय टदमा गमा। दस
ू या, सावगजननक टहत के
भाभरे भें 6 टदन ऩव
ू ग सच
ू ना दे कय उन्हें प्रश्न ऩछ
ू ने का अधधकाय टदमा गमा।

1909 का बायत ऩरयषद अधधननमभ (भॉरे लभॊटो सध


ु ाय)
 इस अधधननमभ द्वाया ऩरयषदों व उनके कामगऺेत्रों का अधधक ववस्ताय ककमा गमा
औय उन्हें प्रनतननधधक एवॊ प्रबावी फनाने के मरमे उऩाम ककमे गए। इस अधधननमभ
की प्रभुख ववशेषताएॉ ननम्नमरखखत थीॊ :

 केंद्रीम ववधानऩरयषद भें सयकायी सदस्मों के फहुभत की व्मवस्था यखी गई, तो


प्राॊतीम ववधानऩरयषदों भें गैय-सयकायी सदस्मों के फहुभत की व्मवस्था थी।
 सत्मेन्द्र प्रसाद मसन्हा वामसयाम की कामगकारयणी ऩरयषद भें ननमुक्त होने वारे
प्रथभ बायतीम (ववधध सदस्म) थे।

 ववधानऩरयषद के सदस्मों को अॊनतभ रूऩ से फजट स्वीकाय कयने से ऩव


ू ग फजट ऩय
वाद-वववाद कयने, तथा प्रस्ताव ऩारयत कयने का अधधकाय टदमा गमा।

 सदस्मों को सावगजननक टहत से सॊफॊधधत ववषमों की वववेचना कयने औय प्रस्ताव


ऩारयत कयने का अधधकाय प्रदान ककमा गमा।

 इसके तहत जानत, वगग, धभग आटद के आधाय ऩय ऩथ


ृ क् ननवागचन प्रणारी अऩनाई
गई, क्जसभें प्रेसीिेंसी कॉऩोये शन, चेम्फय ऑप कॉभसग तथा जभीॊदायों को ऩथ
ृ क्
प्रनतननधधत्व टदमा गमा।

 ऩथ
ृ क् ननवागचन के आधाय ऩय भक्ु स्रभों के मरमे साॊप्रदानमक प्रनतननधधत्व का
प्रावधान, क्जसके अॊतगगत भुक्स्रभ सदस्मों का चुनाव भुक्स्रभ भतदाता ही कय
सकते थे।

 गाॊधी जी ने इस एक्ट को सवगस्व नाश कयने वारा एक्ट कहा।

बायत शासन अधधननमभ, 1919


Shivam Singh
 इसे भॉन्टे ग्मू-चेम्सपोिग सुधाय बी कहा जाता है जो 1921 से रागू हुआ।

 केंद्र भें द्ववसदनीम व्मवस्था रागू की गई, क्जसके अॊतगगत केंद्रीम ववधानऩरयषद
औय याज्म ऩरयषद का गिन ककमा गमा। केंद्रीम औय प्राॊतीम ववषमों की सूची की
ऩहचान एवॊ उन्हें ऩथ
ृ क् कय याज्मों ऩय केंद्रीम ननमॊत्रण कभ ककमा गमा।
 प्राॊतों भें द्वैध शासन प्रणारी की शुरुआत हुई। प्राॊतीम ववषमों को दो बागों भें फाॉटा
गमा-आयक्षऺत औय हस्ताॊतरयत। आयक्षऺत ववषम भें बूमभकय, ववत्त, न्माम, ऩमु रस,
ऩें शन, सभाचाय-ऩत्र, कायखाने आटद सेवाएॉ थीॊ, जफकक हस्ताॊतरयत सूची भें मशऺा,
स्वास््म, कृवष, सावगजननक ननभागण ववबाग, स्थानीम स्वामत्त शासन जैसे ववषम
थे। आयक्षऺत ववषमों ऩय गवनगय कामगऩामरका ऩरयषद की सहामता से शासन कयता
था, जो ववधानऩरयषद के प्रनत उत्तयदामी नहीॊ थी। । शासन की इस दोहयी व्मवस्था
को द्वैध शासन व्मवस्था कहा गमा।
 इस अधधननमभ ने ऩहरी फाय दे श भें द्ववसदनीम व्मवस्था औय प्रत्मऺ ननवागचन
की व्मवस्था प्रायॊ ब की। वामसयाम की कामगकायी ऩरयषद के छह सदस्मों भें से
(कभाॊिय-इन-चीप को छोड़कय) तीन सदस्मों का बायतीम होना आवश्मक था।
ऩथ
ृ क् ननवागचक भॊिर का ववस्ताय ककमा गमा। भुसरभानों के साथ मसख, बायतीम
ईसाई, मूयोवऩमन एवॊ एॊग्रो-इॊडिमन के मरमे बी ऩथ
ृ क् ननवागचन की व्मवस्था की
गई। सॊऩवत्त, कय मा मशऺा के आधाय ऩय सीमभत सॊख्मा भें रोगों को भताधधकाय
प्रदान ककमा गमा।

 ऩहरी फाय केंद्रीम फजट को याज्मों के फजट से अरग कयते हुए याज्म
ववधानसबाओॊ को अऩना फजट स्वमॊ फनाने के मरमे अधधकृत कय टदमा गमा।

 इसके तहत एक वैधाननक आमोग का गिन ककमा गमा, क्जसका कामग दस वषग
फाद जाॉच कय अऩनी रयऩोटग प्रस्तत
ु कयना था।

साइभन कभीशन
 नवॊफय, 1927 भें बायत के याज्म सधचव रािग ब्रफनहे ि ने सय जान साइभन की
अध्मऺता भें एक वैधाननक कभीशन के गिन की घोषणा की।
 कभीशन का उद्दे श्म प्रान्तीम सयकायों के कामों की जाॊच कयना, प्रनतननधध
Shivam Singh
सॊस्थाओॊ की कामगप्रणारी की सभीऺा कयना औय बववष्म भें उत्तयदामी सयकाय की
स्थाऩना भें जो प्रगनत हुई है , उसकी रूऩये खा तैमाय कयना था।
 बायत सयकाय ऐक्ट, 1919 दो वषग फाद 1921 भें रागू हुआ था। इस तयह
कभीशन का गिन 1931 भें होना चाटहए था। मह सवार उिता है कक कपय इसे
सभम से ऩहरे ही क्मों गटित कय टदमा गमा ? अॊग्रेज़ सयकाय ने घोषणा की कक
इस ननमक्ु क्त के द्वाया वह बायत की सभस्माओॊ ऩय उदायताऩव
ू क
ग ववचाय कयना
चाहती है , रेककन वस्तुत् इसके कायण कछ औय थे। याष्ट्रवाटदमों ने ननमतकामरक
जाॊच ऩद्धनत का ववयोध ककमा औय उन्होंने सॊवैधाननक व्मवस्था भें ऩण
ू ग सॊशोधन
की भाॊग की।
 कभीशन के सबी सातों सदस्म अॊग्रेज थे औय ब्रिटटश सॊसद के सदस्म बी थे।
अॊग्रेज़ सयकाय ने कभीशन भें ककसी बायतीम को शामभर न ककमे जाने के पैसरे
के ऩऺ भें दो तकग टदमे।
I. उसने फतामा, चॊकू क कभीशन को अऩना प्रनतवेदन ब्रिटटश सॊसद के सम्भख

प्रस्तुत कयना था इसमरए कभीशन भें केवर अॊग्रेज़ सदस्मों को ही ननमक्त कयना
उधचत था। इस तकग भें फहत ज़्मादा वज़न नहीॊ था, क्मोंकक उस सभम रािग मसन्हा
औय श्री सकरातवारा-दो बायतीम सदस्म बी ब्रिटटश सॊसद भें थे।
II. दस
ू ये अॊग्रेज़ सयकाय ने घोवषत ककमा कक चूॊकक सॊवैधाननक सुधाय के भाभरे भें
बायतवामसमों भें भतैक्म नहीॊ है , इसमरए ककसी बायतीम को इसका सदस्म फनाना
सॊबव नहीॊ है । वस्तुत् ब्रफकेनहे ि को बम था कक ऐसे मभश्र कभीशन भें बायतीम
औय ब्रिटटश श्रमभक प्रनतननधधमों के फीच गिफॊधन हो सकता है ।

 कभीशन ने दो फाय (फ़यवयी-भाचग 1928, अक्तूफय 1928, अप्रैर 1929) भें बायत
का दौया ककमा। हय फाय उसे फटहष्काय का साभना कयना ऩड़ा। काफ़ी व्माऩक दौये
के फाद एक रयऩोटग तैमाय की, जो भई, 1930 भें प्रकामशत हुई।

नेहरू रयऩोटज

 भई, 1928 भें भोतीरार नेहरू की अध्मऺता भें याष्ट्रवाटदमों ने नेहरू समभनत का
गिन इसमरए ककमा था, ताकक वे साइभन कभीशन के गिन औय राडज
बफकेनहे ड की उस चुनौती का जवाफ दे सकें, क्जसभें उन्होंने बायतवामसमों से एक
Shivam Singh
ऐसा सॊववधान फनाने के मरए कहा था, क्जस ऩय बायत भें भतैक्म हो।
 अगस्त भें समभनत की रयऩोटग को अऩनामा गमा। करकत्ता काॊग्रेस अधधवेशन भें
कहा गमा कक इस रयऩोटग ने बायत की याजनीनतक औय साॊप्रदानमक सभस्माओॊ को
सुरझाने भें फहुत फड़ा मोगदान टदमा है ।
 समभनत की रयऩोटग ने क्जस सॊववधान की रूऩये खा फनामी थी, वह स्व-शामसत
अधधयाज्मों के सॊववधान के प्रारूऩ औय ऩण
ू त
ग ् उत्तयदामी शासन के मसद्धान्त ऩय
आधारयत थी। ऩूणग उत्तयदामी सयकाय की स्थाऩना को ककसी दयू गाभी रक्ष्म के रूऩ
भें नहीॊ, फक्ल्क तात्कामरक रक्ष्म के तौय ऩय स्वीकृत ककमा गमा था।
 स्ऩष्टतमा मह 1919 के ऐक्ट भें स्वीकृत क्रमभक प्रगनत के मसद्धाॊत से मबन्न
था। इस भसौदे को साभान्मतमा नेहरू समभनत रयऩोटग के नाभ से जाना जाता है ।
इसने ननम्नमरखखत मसपारयशें की:
1) बायत को ब्रिटटश साम्राज्म के बीतय दसये अधधयाज्मों के सभकऺ सॊवैधाननक
दजाग टदमा जाम औय सॊसद को कानून फनाने का अधधकाय बी हो तथा बायत याष्ट्र
भॊिर के नाभ से जाना जाम।
2) सॊववधान नागरयकता को ऩरयबावषत कये औय भौमरक अधधकायों की घोषणा कये ।

3) ववधामी शक्क्त याजा औय दो सदनों वारी सॊसद भें ननटहत हो औय कामगऩामरका की


शक्क्त याजा भें ननटहत हो, क्जसका प्रमोग गवनगय जनयर द्वाया ककमा जाम। प्रदे शों
भें उत्तयदामी सयकाय की स्थाऩना के मरए याज्मऩारों औय कामगकारयणी ऩरयषदों के
सॊफॊध भें बी मही प्रावधान रागू ककमे जामॊ।

4) ऩद-सोऩानात्भक (Hierarchy) न्मामऩामरका की व्मवस्था की जाम, क्जसके शीषग


ऩय सवोच्च न्मामारम हो।

 नेहरू समभनत को रयमासतों का दजाग तम कयने भें काफ़ी कटिनाइमों का साभना


कयना ऩड़ा 1927 भें रयमासतों के रोगों ने स्व-शामसत सॊस्थाएॊ स्थावऩत कयने के
ववचाय से स्टे ट ऩीऩल्स काॊफ्रेंस का गिन ककमा।
 इस कायग वाई से यजवाड़ों के टहतों को चुनौती मभरी। इसमरए इन्होंने इस भसरे ऩय
ब्रिटटश सयकाय से सहामता भाॊगी।
 इसके ऩरयणाभस्वरूऩ सय हयकोटग फटरय की अध्मऺता भें एक समभनत का गिन
हुआ क्जसने ब्रिटटश सवोच्चता के अधीन रयमासतों के सॊयऺण ऩय जोय टदमा।
Shivam Singh
 नेहरू समभनत ने फटरय समभनत की ननमक्क्त की ननॊदा की। उसने कहा कक सवोच्च
सत्ता के अधधकायों औय दानमत्वों को बायतीम याष्ट्र भॊिर की सयकाय को
हस्ताॊतरयत ककमा जाना चाटहए। औय बायतीम याष्ट्रभॊिर तथा रयमासतों के फीच के
झगड़ों को सवोच्च न्मामारम के सुऩुदग ककमा जाना चाटहए।

बायत शासन अधधनमभ, 1935


 बायत के वतगभान सॊववधान का प्रभुख स्रोत 1935 का अधधननमभ है ।

 बायत भें सवगप्रथभ सॊघीम शासन प्रणारी की नीॊव यखी गई।

 सॊघ की दो इकाइमाॉ थी-ब्रिटटश बायतीम प्राॊत तथा दे शी रयमासतें । सॊघीम व्मवस्था


कबी अक्स्तत्व भें नहीॊ आई क्मोंकक दे सी रयमासतों ने इसभें शामभर होने से भना
कय टदमा।
 अवमशष्ट शक्क्तमाॉ वामसयाम को दे दी गई। इस अधधननमभ के तहत केंद्र औय
याज्मों के फीच शक्क्तमों का फॉटवाया ककमा गमा तथा याज्म भें द्वैध शासन
सभाप्त कय केंद्र भें द्वैध शासन रागू ककमा गमा।

 इस अधधननमभ ने केंद्र औय इकाइमों के फीच तीन सूधचमों-सॊघीम सूची (59),


याज्म सच
ू ी (54) औय सभवती सच
ू ी (36) के आधाय ऩय शक्क्तमों का फॉटवाया कय
टदमा।

 दमरत जानतमों, भटहराओॊ औय भजदयू वगग के मरमे अरग से ननवागचन की


व्मवस्था।

 इसने बायत शासन अधधननमभ, 1858 द्वाया स्थावऩत बायत सधचव की ऩरयषद को
सभाप्त कय टदमा।

 भताधधकाय का ववस्ताय हुआ (रगबग 10 प्रनतशत जनसॊख्मा)।

 दे श की भुद्रा औय साख ऩय ननमॊत्रण के मरमे बायतीम रयजवग फैंक की स्थाऩना की


गई।

 बायत शासन अधधननमभ 1935 के प्रावधानों के अनुरूऩ 1937 भें वभाग को बायत
से अरग कय टदमा गमा।

 सॊघ रोक सेवा आमोग, प्राॊतीम सेवा आमोग तथा दो मा अधधक याज्मों के मरमे
सॊमक् Shivam Singh
ु त सेवा आमोग की स्थाऩना हुई।
 इसके तहत 1937 भें सॊघीम न्मामारम की स्थाऩना हुई।

अगस्त प्रस्ताव

द्ववतीम ववश्वमुद्ध भें टहटरय की असाधायण सपरता तथा फेक्ल्जमभ हॉरैंि तथा फ्राॊस
के ऩतन के फाद ब्रिटे न की क्स्थनत अत्मॊत कभज़ोय हो गई थी, परत् ब्रिटे न ने
सभझौतावादी दृक्ष्टकोण की नीनत अऩनाई। मुद्ध भें बायतीमों का सहमोग प्राप्त कयने के
उद्दे श्म से 8 अगस्त 1940 को वामसयाम मरनमरथगो ने एक घोषणा की, क्जसे अगस्त
प्रस्ताव के नाभ से जाना जाता है । इस प्रस्ताव भें ननम्न प्रावधान थे-
 बायत के मरए िोमभननमन स्टे टस भुख्म रक्ष्म
 बायतीमों को सक्म्भमरत कय मुद्ध सराहकाय ऩरयषद की स्थाऩना
 वामसयाम की कामगकारयणी ऩरयषद का ववस्ताय
 मुद्ध के ऩश्चात सॊववधान सबा का गिन ककमा जाएगा, क्जसभें भुख्मतमा बायतीम
अऩने साभाक्जक, आधथगक एवॊ याजनीनतक धायणाओॊ के अनुरूऩ सॊववधान के
ननभागण की रूऩये खा सुननक्श्चत कयें गे। सॊववधान ऐसा होगा कक यऺा, अल्ऩसॊख्मकों
के टहत, याज्मों से सॊधधमाॉ तथा अखखर बायतीम सेवाएॉ इत्माटद भुद्दों ऩय बायतीमों
के अधधकाय का ऩूणग ध्मान यखा जाएगा।
 अल्ऩसॊख्मकों को आश्वस्त ककमा गमा कक सयकाय ऐसी ककसी सॊस्था को शासन
नहीॊ सौंऩेगी, क्जसके ववरुद्ध सशक्त भत हो।
 उक्त आधायों ऩय बायतीम सयकाय को सहमोग प्रदान कयें गे।

काॊग्रेस ने अगस्त प्रस्तावों को अस्वीकाय कय टदमा। जवाहय रार नेहरू ने इसे ‘दयवाजे
भें जड़ी जॊग रगी कीर की तयह है ।

भुक्स्रभ रीग ने शुरुआत भें अल्ऩसॊख्कों की फात ऩय इसका स्वागत तो ककमा, ककन्तु
प्रस्ताव भें ऩककस्तान की भाॉग स्ऩष्ट रूऩ से न स्वीकाय ककमे जाने के कायण उसने बी
प्रस्ताव को अस्वीकाय कय टदमा।Shivam Singh
प्रस्ताव भें प्रथभ फाय बायतीमों द्वाया स्वमॊ सॊववधान ननभागण कयने के तकग को भान्मता
दी गई तथा काॊग्रेस की सॊववधान सबा गटित कयने की भाॉग को स्वीकाय ककमा गमा।
िोमभननमन स्टे टस के भुद्दे को बी स्ऩष्ट रूऩ से स्वीकाय ककमा गमा।

फिप्स लभशन-(भाचज-अप्रैर, 1942)


11 भाचग को कक्रप्स मभशन की घोषणा हुई थी औय 23 भाचग 1942 भें स्टै पोिग कक्रप्स
(मह रेफय ऩाटी का नेता था क्जसके फहुत से काॊग्रेसी नेताओॊ के साथ दोस्ताना सॊफॊध थे।)
के नेतत्ृ व भें एक आमोग बायत ऩहुॉचा। 30 भाचग को कक्रप्स ने अऩनी मोजना प्रस्तुत
की।प्रकट रूऩ भें क्जसका उद्दे श्म था जल्द से जल्द बायत भें स्वशासी सयकाय की
स्थाऩना, ऩय कक्रप्स ने क्जन प्रावधानों की घोषणा की, उससे कापी ननयाशा उत्ऩन्न हुई।
 मद्ु ध के फाद ऐसे बायतीम सॊघ के ननभागण का प्रमत्न ककमा जाम, क्जसे ऩूणग
उऩननवेश का दजाग प्राप्त हो । उसे याष्ट्रकुर से अरग होने का धधकाय प्राप्त होगा।
 इसभें ऩूणग स्वतॊत्रता दे ने की फात नहीॊ की गई थी फक्ल्क बायत को मुद्ध के फाद
िॉमभननमन स्टे टस का दजाग दे ने की फात की गमी। औय इसभें प्रस्ताववत सॊववधान
सबा के ननभागण का प्रावधान था। क्जसभें बायतीम यजवाड़ों का प्रनतननधधत्व
याजाओॊ के प्रनतननधधमों द्वाया होना था।
 इसभें मह ब्रफल्कुर स्ऩष्ट था कक नमे कामगकारयणी ऩरयषद भें ननमॊत्रण ऩूयी तयह
अॊग्रेज़ शासकों के अधीन यहना था।
 काॊग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकाय कय टदमा।
 एभयी, जो बायत भें सधचव थे, ने इस प्रस्ताव को रूटढवादी, प्रनतकक्रमावादी औय
सॊकुधचत कहा।
 कक्रप्स प्रस्ताव ने अप्रत्मऺ रूऩ से ऩाककस्तान फनने भें भहत्त्वऩूणग बूमभका ननबाई।
इसभें एक धाया थी क्जसे “रोकर आप्शन” (स्थानीम ववकल्ऩ) के रूऩ भें जाना
जाता है । इसके अनुसाय प्राॊतों को मह अधधकाय टदमा गमा कक बववष्म भें अऩनी
क्स्थनत ननधागरयत कयने के मरए ब्रिटे न से सीधा सभझौता कय सकते हैं औय इसके
साथ ही साथ बववष्म भें फनने वारे नमे सॊववधान को अस्वीकाय बी कय सकते हैं।
Shivam Singh
 हाराॉकक कक्रप्स मभशन असपर यहा रेककन इसने भुक्स्रभ रीग को एक तयह से
प्रोत्साटहत ककमा।
 प्राॊतीम स्वामत्तता के प्रावधान ने ऩाककस्तान फनने की भाॉग को वैधाननक रूऩ
प्रदान ककमा। क्जस सभम बायतीमों द्वाया इस सभस्मा को फहत हल्के ढॊ ग से
मरमा जा यहा था उस सभम ऩाककस्तान फनाने की भाॉग को सयकायी तॊत्र ने कापी
तेजी से प्रोत्साटहत ककमा।
अगस्त प्रस्ताव की तुरना भें कक्रप्स प्रस्ताव फेहतय था। काॊग्रेस औय भक्ु स्रभ रीग दोनों
ने कक्रप्स प्रस्तावों को अस्वीकाय कय टदमा। भहात्भा गाॉधी ने इसे ‘ऩककस्तान फनाने के
मरए इसे भुक्स्रभ रीग को ननभॊत्रण’ कहा था। भहात्भा गाॊधी ने इन प्रस्तावों को ‘
टदवामरमा होने वारे फैंक का उत्तय टदनाॊककत चेक मा ऩोस्ट िेटेि चेक ’ फतामा था।
कैबफनेट लभशन
 24 भाचग 1946 भें कैब्रफनेट मभशन बायत बेजा गमा।
 इस मशष्टभॊिर भें कुर तीन सदस्म थे – बायत सधचव ऩैधथक रॉयें स, व्माऩाय फोिग
के अध्मऺ स्टे पोिग कक्रप्स औय नौ सेना प्रभुख ए.फी. एरेक्जेंिय।
 इसका उद्दे श्म एक याष्ट्रीम सयकाय की स्थाऩना कयना औय सत्ता हस्ताॊतयण की
सॊवैधाननक व्मवस्था को खोजना था।
 जफ अॊग्रेजों ने बायत छोड़ने का ननणगम मरमा तो मह ववश्वास ककमा गमा कक पूट
िारो औय याज कयो की नीनत अफ नहीॊ चर सकती। इसके ऩऺ भें मह तकग बी
साभने यखा गमा कक स्वतॊत्रता के फाद एकीकृत बायत ब्रिटे न के हक भें राबप्रद
होगा।
 इस तकग के ऩीछे मह ववश्वास बी ननटहत था कक एकीकत बायत की सैन्म शक्क्त
याष्ट्रभॊिर (काभनवेल्थ) की प्रनतयऺा की सकक्रम सहमोगी फन सकेगी औय मटद
बायत औय ऩाककस्तान का फॉटवाया हो गमा तो बायत की सैन्म शक्क्त दफगर हो
जामेगी।
 बायत-ऩाककस्तान के आऩसी झगड़े से याष्ट्रभॊिर (कॉभनवेल्थ) की शक्क्त बी
कभज़ोय होगी।
 इस नीनत ऩरयवतगन के कायण काॊग्रेस औय रीग के प्रनत अॊग्रेज़ों का यवैमा फदर
गमा। Shivam Singh
 ब्रिटे न के प्रधानभॊत्री एटरी ने 15 भाचग 1946 को घोषणा की कक “फहुसॊख्मक के
ननणगम ऩय अल्ऩसॊख्मकों को वीटो रगाने का अधधकाय नहीॊ टदमा जामेगा।”
कैबफनेट लभशन के प्रभुख प्रस्ताव ननम्नलरखखत थे :
1) बायत भें एक अखखर बायतीम सॊघ की स्थाऩना होनी चाटहए, क्जसभें ब्रिटटश
बायतीम औय दे शी याज्म सक्म्भमरत हों जो ववदे शी भाभरों. प्रनतयऺा एवॊ सूचनाओॊ
का ननमॊत्रण औय उऩमुक्त ववषमों के मरए आवश्मक ववत्त सॊग्रह कयने की शक्क्त
प्राप्त हो।

2) सॊघ का ब्रफटटश-बायतीम औय याज्मों के प्रनतननधधमों से गटित कामगऩामरका एवॊ


ववधानभण्िर हो । ववधान भण्िर भें ककसी गम्बीय साम्प्रदानमक भाभरे उिे प्रश्न
ऩय ननणगम प्रत्मेक दोनों फड़े सभद
ु ामों (टहॊद,ू भस
ु रभान) के उऩक्स्थत एवॊ भतदान
कयने वारे प्रनतननधधमों के फहुभत औय साथ-साथ उऩक्स्थत एवॊ भतदान कयने वारे
सभस्त सदस्मों के फहुभत से हो।

3) सॊघीम ववषमों के अनतरयक्त सबी ववषम एवॊ अवमशष्ट शक्क्तमाॉ प्राॊतों भें ननटहत

4) होनी चाटहए।

5) बायतीम याज्म सॊघ सभवऩगत ववषमों के अनतरयक्त सभस्त ववषमों एवॊ शक्क्तमों को
यखे यहें गे।

6) प्राॊतों को कामगऩामरका एवॊ ववधानमका के साथ सभूह फनाने की स्वतन्त्रता होगी


औय प्रत्मेक सभह
ू साभान्म रूऩ से मरए जाने वारे प्राॊतीम ववषमों को अवधारयत
कय सकेंगे।

7) सॊघ एवॊ सभूहों के सॊववधान भें एक ऐसा उऩफन्ध होना चाटहए क्जसके अधीन
ककसी बी प्राॊत को उसकी ववधान सबा के भतों की फहुसॊख्मा द्वाया प्रायक्म्बक दस
वषों की अवधध के ऩश्चात ् औय तदऩ
ु याॊत प्रनत दस वषग के अॊतयार ऩय सॊववधान के
ननफॊधनों ऩय ऩुनववगचाय कयने के मरए आहूत कयने की अनुभनतहो।

8) कैब्रफनेट मभशन ने ककसी बी रूऩ भें भक्ु स्रभ रीग की ऩाककस्तान की भाॉग को
अस्वीकाय कय टदमा। Shivam Singh
9) सॊववधान सबा के गिन के सम्फॊध भें मभशन ने वमस्क भताधधकाय ऩय आधारयत
ननवागचन से इॊकाय कय टदमा. क्मोंकक इसभें अत्मॊत ववरम्फ होगा। मह व्मवस्था की
गई कक सॊववधान ननभागत्री सबा का गिन अप्रत्मऺ ननवागचन द्वाया ककमा जाना
चाटहमे। इस उद्दे श्म से प्रत्मेक प्रान्त भें वहाॉ के प्रभुख सभुदामों के भध्म उनकी
जनसॉख्मा के अनऩ
ु ात भें कुछ स्थान आवॊटटत ककमा जाना चाटहमे ,जो साभान्मत:
10 राख की जनसॊख्मा ऩय एक हो ।
 मह नीनत जून 1945 की मशभरा काॊफ्रेंस के सभम वाइसयॉम वैवेर की नीनत से
ब्रफल्कुर ववऩयीत थी, मशभरा काॊफ्रेंस भें क्जन्ना ने भुसरभानों को नाभजद कयने
के एकाधधकाय का दावा ककमा।
 क्जन्ना की भाॊग यद्द कय दी गमी औय काॊफ्रेंस बॊग कय दी गमी थी।
 कैब्रफनेट मभशन का मह बी ववश्वास था कक ऩाककस्तान का कोई अरग अक्स्तत्व
नहीॊ है इसमरए मभशन ने जो मोजना फनामी उसके अॊतगगत दे श की एकता को
ध्मान भें यखते हुए भुक्स्रभ अल्ऩसॊख्मक के टहतों की यऺा की फात की गमी।
 सॊववधान के स्वरूऩ ननधागयण के मरए कामगकायी दर को तीन बागों भें ववबाक्जत
ककमा गमा। भद्रास, फॊफई, सॊमुक्त प्रान्त, ब्रफहाय, भध्म प्राॊत औय उड़ीसा को सभूह
“क” भें यखा गमा।
 ऩॊजाफ, उत्तय ऩक्श्चभ सीभाॊत प्रदे श औय मसन्ध को सभूह “ख” भें यखा गमा औय
सभह
ू ‘ग’ का ननभागण आसाभ औय फॊगार को मभराकय हआ।
 प्रनतयऺा, ववदे शी भाभरों औय सॊचाय को केंद्र के अधीन यखा गमा।
 प्रथभ आभ चुनाव के फाद कोई प्राॊत अऩने सभह
ू को छोड़ सकता था औय 10 वषग
के फाद सभूह औय केन्द्रीम सॊववधान भें ऩरयवतगन की भाॊग कय सकता था।

Shivam Singh
सॊपवधान का ननभाजण

सॊपवधान सबा का गठन :- कैब्रफनेट मभशन मोजना द्वाया सुझाए गए प्रस्तावों के तहत

 सॊववधान सबा के सद्स्मों की कुर सॊख्मा- 389

 सॊववधान सबा के मरए सीटों का आफॊटन –जनसॊख्मा के अनुऩात भें हुआ था ।

प्रत्मेक 10 राख जनसॊख्मा ऩय- 1सीट


Shivam Singh
सॊपवधान सबा के सदस्मों का चुनाव-

 प्राॊतीम ववधान सबा के सदस्मों द्वाया


 अप्रत्मऺ रुऩ से एकर सॊक्रभणीम भत के भाध्मभ से
 सॊववधान सबा भें प्रत्मेक सभुदाम- टहन्द,ू भुक्स्रभ,मसक्ख इसाई,ऩायसी, आॊग्र
बायतीम, अनुसधू चत जानत, अनुसधू चत जनजानत के प्रनतननधधमों को जगह मभरी ।

सॊववधान सबा के मरए चुनाव जुराई – अगस्त 1946 भे हुए

काग्रेस – 208 सीट, भुक्स्रभ रीग – 73 सीट

दे शी रयमासतों ने बाग नही मरमा था।


सॊववधान सबा की ऩहरी फैिक- 9 टदसम्फय 1946

अस्थाई अध्मऺ- ड़ाo सक्च्चदानॊद मसन्हा

 11 टदसम्फय 1946 को- ड़ाo याजेन्द्र प्रकाश को स्थामी अध्मऺ चुना गमा।
उऩाध्मऺ,एच.सी.भुखजी
 सय फी.एन.याव को- सैवाधाननक सराहकाय ननमक्
ु त ककमा गमा (प्रथभ प्रारुऩ इन्ही
के द्वाया)

उद्दे श्म प्रस्ताव –13 टदसम्फय 1946 को ऩॊडित जवाहय रार नेहरु द्वाया ऩेश ककम गमा।

 मही उद्दे श्म प्रस्ताव बावी सॊववधान की रुऩ ये खा थी ।

सॊपवधान सबा की सलभनतमाॉ :-

सलभनत अध्मऺ
सॊघ सॊपवधान सलभनत जवाहय रार नेहरु
सॊध शक्क्त सलभनत जवाहय रार नेहरु
ननमभ लसलभनत
Shivam Singh
डाo याजेन्द्र प्रसाद
सॊचारन सलभनत डाo याजेन्द्र प्रसाद
प्रारुऩ सलभनत डाo बीभ याव अम्फेडकय

भौलरक अधधकाय हे तु
सराहकाय सलभनत सयदाय फल्रब बाई ऩटे र
भौलरक अधधकाय जे.फी.कृऩरानी
उऩसलभनत
अरऩसॊख्मक सलभनत एच.सी. भुखजी
प्राॊतीम सॊपवधान सलभनत सयदाय फल्रब बाई ऩटे र
सदन सलभनत ऩट्टालब सीता यभैमा
सलभनत अध्मऺ
याज्मों के लरए सलभनत जवाहय रार नेहरु
कामज सॊचारन सलभनत के.एभ. भॊुशी
याष्ट्रीम ध्वज सम्फन्द्धी डाo याजेन्द्र प्रसाद
सलभनत
सॊपवधान सबा के कामो जी.वी. भावरॊकय
के लरए सलभनत
प्रारुऩ सलभनत की जाॉच जवाहय रार नेहरु
के लरए पवशेष सलभनत
नागरयकता ऩय तदथज एस.वयदाचायी
सलभनत
सॊपवधान ननभात्री सबा डाo याजेन्द्र प्रसाद

प्रारुऩ सलभनत-कुर- 7 सदस्म


Shivam Singh
गठन-29 अगस्त 1947

अध्मऺ- िाo बीभ याव अम्फेिकय

सदस्म- 1-एन गोऩार स्वाभी आमॊगय

2-अल्राटद कृष्ण स्वाभी अय्मय

3- के. एभ. भुॊशी

4-सैय्मद भोहम्द सादल्


ु रा
5-एन.भाधव याव (फी.एर.मभत्र की जगह)

6-टी.टी कृष्णभचायी (िी.ऩी.खेतान की जगह

 स्वतन्त्रता के ऩश्चात सॊववधान सबा की प्रथभ फैिक-31 अक्टूफय 1947 को हुई।


 22 जनवयी 1947 को सॊववधान सबा द्वाया सॊववधान दे ने का उद्दे श्म प्रस्ताव
ऩारयत ककमा गमा था ।

सॊववधान ननभागण प्रकक्रमा के दौयान सॊववधान का तीन वाचन हुआ ।

ऩहरा- 4-9 नवॊफय 1948

दस
ू या- 15 नवॊफय 1948-17 अक्टूफय 1949

तीसया- 14 नवॊफय 1949-26 नवफॊय 1949

 26 नवॊफय 1949 को सॊववधान ऩय सबाऩनत के हस्ताऺय हुए औय उसे ऩारयत


घोवषत ककमा गमा।
 26 नवॊफय 1949 को अऩनए गए सॊववधान के 284 सदस्मों ने अॊनतभ रुऩ से
ऩारयत सॊववधान ऩय हस्ताऺय ककमा ।
Shivam Singh
 नागरयकता,ननवागचन,औय अॊतरयभ सॊसद से सॊववधान उऩफन्धो को तथा अस्थाई
औय सॊक्रभण कायी उऩफन्धो को तुयॊत प्रबावी ककमा गमा, अथागत वे 26 नवॊफय
1949 से रागू ककए गए ।
 शेष सॊववधान 26 जनवयी 1950 को रागू हुआ ।
 सॊववधान ननभागण भें सॊववधान सबा द्वाया कुर 11 अधधवेशन हुए ।

इन 11 अधधवेशन के अनतरयक्त सॊववधान सबा की एक फैंिक 24नवॊफय 1950 को


हुई । कुर-12

मह सॊववधान सबा की अॊनतभ फैिक थी ।


सॊववधान सबा भें कुर 15 भटहराएॉ थी।

 सॊववधान सबा भें साभ्मवादी दर, सभाजवादी दर औय टहन्द ू भहासबा का


प्रनतननधधत्व नही था।
 22 जुराई 1947 को याष्ट्रीम ध्वज को अऩनामा गमा ।
 24जनवयी 1950 याष्ट्रीम गान को अऩनामा गमा ।
 भई 1949 भें याष्ट्रभॊिर की सदस्मता
 24जनवयी 1950 को िाo याजेन्द्र प्रसाद को बायत का प्रथभ याष्ट्रऩनत चुना गमा ।
 सॊववधान ननभागण भें कुर 2वषग 11भाह 18टदन रगे
 24जनवयी 1950 को अॊनतभ फैिक हुई.

सॊववधान सबा बॊग कय दी गई

अॊतरयभ सॊसद का गिन हुआ

17 अप्रैर 1952 को अॊतरयभ सॊसद का अक्स्तत्व सभाप्त हो गमा ।

ऩहरी ननवागधचत सॊसद दोनो सदनों के साथ भई 1952 भें अक्स्तत्व भें आई।

Shivam Singh
 सॊववधान सबा के सम्फॊध भें टदए गए वकतव्म-

ननयाजुद्दीन अहभद-अऩवहन समभनत

 ग्रेनववरे आक्स्टन- सॊववधान सबा एक दरीम दे श का एक दरीम ननकाम है । सबा


ही काग्रेस है औय काग्रेस ही बायत है ।

रािग ववसकाॊउट- टहन्दओ


ु ॊ का ननकाम

ववस्टन चधचगर- सॊववधान सबा ने बायत के एक फड़े सभद


ु ाम का प्रनतननधधत्व ककमा।

आइवय जेननग्स- अऩनी याष्ट्रवादी प्रनत कक्रमा भें बायतीम सॊववधान के ननभागताओॊ ने
अल्ऩसॊख्मकों को के टहतों तथा बावनाओॊ के भहत्व को कभ कयके आॊका है ।
सॊपवधान के सोत

बायत शासन अधधननमभ 1935- सॊघीम तॊत्र, न्मामऩामरका

 याज्म ऩार का कामागरम


 आऩात कारीन उऩफॊध
 रोक सेवा आमोग
 प्रशासननक वववयण

ब्रिटे न का सॊववधान- सॊसदीम शासन, ववधामी प्रकक्रमा

ववधध का शासन, एकर नागरयकता

भॊब्रत्रभॊिरीम प्रणारी, सॊसदीम ववशेषाधधकाय द्वव सदनवाद

सॊमुक्त याज्म अभेरयका का सॊववधान-

 भूर अधधकाय
Shivam Singh
 न्मानमक ऩुनववगरोकन मसध्दाॊत
 न्मामधीश औय याष्ट्रऩनत ऩय भहामबमोग

आमयरैण्ि का सॊववधान-

याज्म के नीनत ननदे शक तत्व


 याष्ट्रऩनत की ननवागचन ऩद्धनत
 याज्म सबा के मरए सदस्मों का नाभाॊकन

कनािा का सॊववधान- सशक्त केन्द्र के साथ सॊघीम व्मवस्था

 अवमशष्ट शक्क्तमों का केन्द्र भें ननटहत


 याज्मों भें याज्मऩार की ननमक्ु क्त
 उच्चतभ न्मामारम का ऩयाभशी न्माम ननणगमन

आस्ट्रे मरमा का सॊववधान –

 प्रस्तावना की बाषा
 सभवती सच
ू ी
 केन्द्र याज्म सम्फॊध
 दोनों सदनों की सॊमुक्त फैिक का प्रावधान

जभगनी का वाइभय सॊववधान – आऩातकार के सभम भूर अधधकायों का ननरॊफन

सोववमत सॊघ का सॊववधान-

 भर
ू कतगव्म
 प्रस्तावना भें न्माम का आदशग

फ्राॊस का सॊववधान- गणतॊत्रात्भक औय प्रस्तावना भें स्वतन्त्रता सभता औय फॊधत्ु व का


आदशग.
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दक्षऺण अफ्रीका का सॊववधान- सॊववधान भें सॊशोधन भें प्रकक्रमा याज्म सबा के सद्स्मों का
ननवागचन

जाऩान का सॊववधान- ववधध द्वाया स्थावऩत प्रकक्रमा

सॊपवधान की अनुसधू चमाॉ-

ऩहरी अनुसूची-याज्मों के नाभ एवॊ उनके न्मानमक ऺेत्र सॊघ याज्म ऺेत्रों के नाभ एवॊ
उनकी सीभाएॉ.

दस
ू यी अनुसूची- प्रभुख ऩदाधधकारयमों के वेतन बत्ते,ऩें शन का उल्रेख ।

1- याष्ट्रवऩत 2- याज्मों के याज्मऩार 3- रोकसबा के अध्मऺ,उऩाध्मऺ


4- याज्मसबा के सबाऩनत औय उऩसबाऩती

5- याज्म ववधान सबा अध्मऺ

6- याज्म ववधान ऩरयषद के सबाऩनत उऩसबाऩनत

7- सवेच्च न्मामारम के न्मामधीश

8- उच्च न्मामारम के न्मामधीश

9- बायत के ननमॊत्रण एवॊ भहारेखा ऩरयऺक

तीसयी अनुसूची- शऩथ प्रनतऻान

नोट- 1- याष्ट्रऩनत के अनुo 60 के तहत शऩथ रेता है

2-याज्मऩार 159के तहत शऩथ रेता है ।

मे दोनों इस अनस
ु च
ू ी के तहत शऩथ नहीॊ रेते है ।

चौथी अनुसूची- याज्मों एवॊ के. शा.प्र. के मरए याज्मसबा भें सीटों का आवॊटन ।

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ऩाॉचवी अनुसूची- अनुसूधचत औय जनजातीम ऺेत्रों के प्रशासन के फाये भें ।

छठवीॊ अनस
ु ूची- असभ,भेघारम, ब्रत्रऩयु ा, औय मभजोयभ याज्मों के जनजातीम ऺेत्रों के
प्रशासन के फायें भें।

सातवीॊ अनुसूची- सॊघ औय याज्म के फीच शक्क्तमों का ववबाजन सॊघ सूची (100ववषम)
याज्मसूची (61ववषम) सभवती सूची (52 ववषम)

आठवीॊ अनुसूचीॊ- सॊववधान द्वाया भान्मता प्राप्त 22 बाषाएॉ

9वीॊ अनस
ु च
ू ी- प्रथभ सॊववधान सॊशोधन 1951 भें जोड़ी गई
बमू भ सुधाय जभीदायी उन्भर
ू न कानन
ू ों से सॊववधान

10वीॊ अनुसूची- 52वें सॊववधान सॊशोधन अधधननमभ 1985 भें जोड़ा गमा।

2- इसभें दर फदर से सॊववधान कानूनों का उल्रेख ककमा गमा है ।

11वीॊ अनुसच
ू ी- 73वें सॊववधान सॊशोधन भें जोड़ी गई

 ऩॊचामत को शक्क्तमों तथा प्राधधकाय


 कुर 29 ववषम है ।

12वीॊ अनुसूची- 74 वें सॊववधान सॊशोधन द्वाया जोड़ी गई

 नगय ऩामरका की शक्क्त का उल्रेख


 इसभे कुर 18 ववषम हैं ।

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सॊपवधान के प्रभख
ु अनच्
ु छे द-

अनु. 3- नए याज्मों की स्थाऩना तथा भौजूदा याज्मों के ऺेत्रपर, सीभा व नाभ भें
ऩरयवतगन

अनु. 5- सॊववधान रागू होने के सभम नागरयकता

अन.ु 11- सॊसद द्वाया कानून फनाकय नागरयकता अधधकायों का ननमभ

अनु. 14- कानून के सभऺ सभानता

अनु. 15- धभग, प्रजानत अथवा नस्र, जानत, मरॊग अथवा जन्भ स्थान के आधाय ऩय
बेदबाव का ननषेध

अनु. 16- योजगायों के भाभरे भें अवसयों की सभानता

अनु. 17- अस्ऩश्ृ मता का उन्भूरन

अनु. 18- उऩाधधमों का उन्भूरन

अन.ु 19- अमबव्मक्क्त की स्वतॊत्रता


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अनु. 20- अऩयाधों के मरए दोषमसद्धध से सॊयऺण

अनु. 21- जीवन तथा व्मक्क्तगत स्वतॊत्रता का सॊयऺण

अनु. 23- भानव व्माऩाय तथा फरात ् श्रभ से सॊयऺण

अन.ु 24- कायखानों भें फच्चों के योजगाय का ननषेध

अन.ु 25- अन्त् कयण तथा धभग के प्रकटन, अभ्मास एवॊ प्रचाय- प्रसाय की स्वतॊत्रता

अनु. 28- कुछ शैऺखणक सॊस्थानों भें धामभगक ननदे शों अथवा धामभगक उऩासना के मरए
उऩक्स्थत होने की स्वतॊत्रता
अन.ु 30- अल्ऩसॊख्मकों को अऩनी शैऺखणक सॊस्था खोरने औय चराने का अधधकाय

अनु. 32- सॊवैधाननक उऩचायों का अधधकाय

अनु. 36- याज्म की ऩरयबाषा

अनु. 39(A)- सभान न्माम एवॊ नन्शुल्क कानूनी सहामता

अन.ु 40- ग्राभ ऩॊचामतों का गिन

अन.ु 42- न्मामोधचत एवॊ भाननीम कामग दशाओॊ तथा भातत्ृ व सहामता का प्रावधान

अनु. 44- नागरयकों के मरए सभान नागरयक सॊटहता

अनु. 45- फारऩन ऩूवग दे खबार तथा 6 वषग से कभ आमु के फच्चों को मशऺा

अनु. 48(A)- ऩमागवयण सॊयऺण एवॊ सॊवधगन तथा वन एवॊ वन्म जीवों की सुयऺा

अन.ु 50- न्माम ऩामरका का कामगऩामरका से अरगाव

अनु. 51- अॊतयागष्ट्रीम शाॊनत एवॊ सुयऺा को प्रोत्साहन

अनु.52- बायत के याष्ट्रऩनत


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अनु. 53- सॊघ की कामगऩामरका शक्क्त

अन.ु 60- याष्ट्रऩनत द्वाया शऩथ ग्रहण

अन.ु 61- याष्ट्रऩनत ऩय भहामबमोग प्रकक्रमा

अनु. 63- बायत के उऩयाष्ट्रऩनत

अनु. 69- उऩयाष्ट्रऩनत द्वाया शऩथ ग्रहण

अनु. 72- याष्ट्रऩनत की ऺभादान इत्माटद की शक्क्त तथा दण्ि स्थगन, भापी एवॊ कभ
कयना
अन.ु 74- भॊब्रत्रऩरयषद का याष्ट्रऩनत को सहमोग एवॊ ऩयाभशग दे ना

अनु. 78- प्रधानभॊत्री का याष्ट्रऩनत को सूचनाएॊ प्रदान कयने सॊफॊधी कतगव्म

अनु. 79- सॊसद का गिन

अनु. 89- याज्मसबा के सबाऩनत एवॊ उऩसबाऩनत

अन.ु 93- रोकसबा के अध्मऺ एवॊ उऩाध्मऺ

अन.ु 110- धन ववधेमक की ऩरयबाषा

अनु. 112- वावषगक ववत्तीम वववयण (फजट)

अनु. 114- ववननमोजन ववधेमक

अनु. 115- ऩूयक, अनतरयक्त तथा अनतये क अनुदान

अन.ु 123- याष्ट्रऩनत की अध्मादे श जायी कयने की शक्क्त

अनु. 124- उच्चतभ न्मामारम की स्थाऩना एवॊ गिन

Shivam Singh
अनु.126- कामगकायी भुख्म न्मामाधीश की ननमुक्क्त

अनु.127- तदथग न्मामाधीशों की ननमुक्क्त

अन.ु 129- अमबरेख न्मामारम के रूऩ भें उच्चतभ न्मामारम

अन.ु 139- उच्चतभ न्मामारम की रयट जायी कयने की शक्क्त

अनु.143- याष्ट्रऩनत की उच्चतभ न्मामारम से सराह कयने की शक्क्त

अनु. 148- बायत के ननमॊत्रक एवॊ भहारेखा ऩयीऺक

अनु. 153- याज्मों के याज्मऩार


अन.ु 155- याज्मऩार की ननमक्ु क्त

अनु. 161- याज्मऩार की ऺभा आटद की शक्क्त

अनु. 163- भॊब्रत्रऩरयषद का याज्मऩार को सहमोग एवॊ सराह दे ना

अनु. 165- याज्म का भहाधधवक्ता

अन.ु 200- याज्मऩार द्वाया याज्म ववधानमका के ववधेमकों ऩय स्वीकृनत

अन.ु 201- याज्मऩार द्वाया ववधेमक को याष्ट्रऩनत के ववचायाथग सयु क्षऺत यखना

अनु. 199- याज्म ववत्त ववधेमक की ऩरयबाषा

अनु. 202- वावषगक ववत्तीम वववयण (फजट) याज्मों का

अनु. 204- ववननमोग ववधेमक (याज्मों भें)

अन.ु 205- ऩयू क, अनतरयक्त अथवा अनतये क अनद


ु ान

अनु. 214- याज्मों के मरए उच्च न्मामारम

अनु. 216- उच्च न्मामारम का गिन


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अनु. 231- दो मा अधधक याज्मों के मरए साझे उच्च न्मामारम की स्थाऩना

अन.ु 233- क्जरा न्मामाधीशों की ननमक्ु क्त

अन.ु 243- ऩॊचामती याज-

1. 243(A)- ग्राभ सबा


2. 243(D)- सीटों का आयऺण
3. 243(G)- ऩॊचामत की शक्क्तमाॊ, प्राधधकाय तथा उत्तयदानमत्व
4. 243(Q)- नगय ऩामरकाओॊ का गिन
5. 243(R)- नगय ऩामरकाओॊ का सॊयचना
6. 243(T)- सीटों का आयऺण (नगय ऩामरका भें )
7. 243(W)- नगयऩामरकाओॊ की शक्क्तमाॊ, प्राधधकाय, दानमत्व
8. 243(ZD)- क्जरा आमोजना समभनत
9. 243(ZE)- भहानगयीम आमोजना समभती

अनु.248- ववधामन की अवशेष शक्क्तमाॊ

अन.ु 249- याष्ट्रटहत भें याज्म सच


ू ी से सॊफॊधधत ककसी भाभरे भें सॊसद की कानन
ू फनाने
की शक्क्त

अन.ु 256- याज्मों तथा सॊघ की क्जम्भेदारयमाॊ

अनु. 262- अन्तयागज्मीम नटदमों व नटद घाटटमों के ऩानी से सम्फक्न्धत वववाद भें न्माम

अनु. 263- अन्तयागज्म सॊफॊधों से सॊफॊधधत प्रावधान

अनु. 273- जूट एवॊ जूट उत्ऩादों ऩय ननमागत कय के मरए अनुदान


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अन.ु 280- ववत्त आमोग की स्थाऩना

अन.ु 300(A)- सम्ऩवत्त का अधधकाय

अनु. 312- अखखर बायतीम सेवाएॊ

अनु. 315- सॊघ औय याज्मों के मरए रोक सेवा आमोग

अनु. 320- रोक सेवा आमोगों के कामग

अन.ु 324- ननवागचन आमोग

अनु. 343- सॊघ की याजबाषा


अन.ु 345- याज्म की याजबाषा

अनु. 352- याष्ट्रीम आऩातकार की घोषणा

अनु. 356- याज्म का सॊवैधाननक तॊत्र की ववपरता एवॊ याष्ट्रऩनत शासन

अनु. 358- आऩातकार भें अनु. 19 के प्रावधानों का स्थगन

अन.ु 360- ववत्तीम आऩातकार सॊफॊधी प्रावधान

अन.ु 368- सॊववधान का सॊशोधन कयने की सॊसद की शक्क्त एवॊ प्रकक्रमा

अनु. 370- जम्भू कश्भीय याज्म के सॊफॊध भें अस्थामी उऩफॊध

ववशेष उऩफॊध-

अनु. 21(A)- प्राथमभक मशऺा का अधधकाय

अन.ु 169- याज्मों भें ववधान ऩरयषदों का उत्सादन मा सज


ृ न

अनु. 51(क)- भौमरक कतगव्म


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सॊविधान की उद्देशिका (Preamble of the Constitution)

सॊविधान की प्रस्तािना:
हभ बायत के रोग, बायत को एक
सम्ऩूर्ण प्रबुत्ि सम्ऩन्न, सभाजिादी , धभणननयऩेऺ, रोकतॊत्रात्भक गर्याज्म फनाने के लरए
तथा उसके सभस्त नागरयकों को साभाजजक, आर्थणक औय याजनीनतक न्माम,
विचाय, अशबव्मजतत, विश्िास, धभण औय उऩासना की स्ितॊत्रता,
प्रनतष्ठा औय अिसय की सभता प्राप्त कयने के लरए तथा उन सफ भें
व्मजतत की गरयभा औय याष्र की एकता औय अखण्डता सुननजश्चत कयनेिारी फॊधत
ु ा फढाने के
लरए दृढ सॊकल्ऩ होकय अऩनी इस सॊविधान सबा भें आज तायीख 26 निम्फय 1949 ई0 (लभतत
भागग शीर्ग शुक्र सप्तभी, सम्ित ् दो हजाय छह विक्रभी) को एतद द्िाया इस सॊविधान को
अॊगीकृत, अधधतनमलभत औय आत्भावऩगत कयते हैं।

 Source of Preamble - उद्देशिका के स्त्रोत्-


 जिाहय रार नेहरू द्िाया सॊविधान सबा भें 13 ददसम्फय 1946 को प्रस्तत
ु एिॊ 22 जनियी
1947 को स्िीकृत उद्देश्म प्रस्ताि
 आस्रे लरमा का सॊविधान
 तमा उद्देशिका सॊविधान का अॊग है ?
SHIVAM SINGH
ू ण िाद (Cases) -
भहत्िऩर्

 1.असभ याज्म सयकाय फनाभ िेरूिायी केस (Assam State Government vs. berubari
Case) 1960 :-

के अनस
ु ाय उद्देलशका सॊविधान का अॊग नहीॊ है ऩयन्तु सॊविधान की बार्ा सभझने के लरए
उद्देलशका का सहाया लरमा जा सकता है ।

 2. गोरकनाथ फनाभ ऩॊजाफ याज्म सयकाय केस (Golaknath vs Punjab State


Government Case) 1967 :-

न्मामभतू तग दहदामतल्
ु राह ने इस केस भें उद्देलशका को सॊविधान की भर
ू आत्भा कहा जफकक

डॉ. फी. आय. अम्फेडकय अनच्


ु छे द - 32 को सॊविधान की भर
ू आत्भा भानते थे।
 3. केििानन्द बायती फनाभ केयर याज्म (Keshavanand Bharti vs State of
Kerala) 1973 :-

अफ तक की सफसे फडी 13 जजों की सॊिध


ै ातनक ऩीठ (फेंच) ने इस ऩय पैसरा सन
ु ामा। औय मे पैसरा
सन
ु ामा कक भौलरक अधधकायों भें सॊशोधन ककमा जा सकता है ऩयन्तु भौलरक ढाॉचे भें ऩरयितगन नहीॊ होना
चादहए। औय इसी िाद से मह बी स्थावऩत हुआ कक उद्देलशका न्माम मोग्म नहीॊ है औय इसके आधाय ऩय
कोई तनणगम नहीॊ ददमा जा सकता।

 ऩयीऺा की दृजष्ि से भहत्िऩर्


ू ण प्रश्न उत्तय –

[Q]. क्मा उद्देलशका भें सॊशोधन हो सकता है ?

Ans. हाॉ

 इसी आधाय ऩय 42 िें सॊविधान सॊशोधन 1976 द्िाया इसभें ―सभाजिादी‖, ―ऩॊथतनयऩेऺ‖, एिॊ ―अखण्डता‖
शब्द जोडे गए।
 Note:- प्रस्तािना (उद्देलशका) ही बायत को एक धभगतनयऩेऺ याज्म िर्णगत कयता है ।

[Q]. आधथगक न्माम के उद्देश्मों की ऩतू तग कौन कयता है ?

Ans. उद्देलशका (प्रस्तािना) औय नीतत तनदे लशक तत्ि


Shivam Singh
[Q]. ककसने प्रस्तािना को बायतीम गणतन्र की जन्भकॊु डरी कहा?

Ans. के. एभ. भश


ुॊ ी ने
बायतीम सॊविधान की वििेषताएॉ - Features of Indian Constitution

 हभ बायत के रोग (We the people of India) — सॊमक्


ु त याष्ट्र सॊघ के चार्ग य की तयह (हभ सॊमक्
ु त
याष्ट्र सॊघ के रोग) अथागत सॊविधान का भर
ू बायत की जनता है ।

 सभाजिादी (Socialist) — बायत का सभाजिाद रोकतान्त्न्रक सभाजिाद है जो नेहरू की अिधायणा ऩय


आधारयत है ।

 सभाजिादी व्मिस्था (Socialist system) — उत्ऩादन के प्रभख


ु साधनों ऩय सयकायी तनमॊरण होता है |
मे कभ मा ज्मादा हो सकता है ।

 साम्मिादी सभाजिाद (Communist Socialism) — याज्म का तनमन्रण अधधक कठोय होता है ।

 रोकताॊत्रत्रक सभाजिाद (Democratic Socialism) — तनमन्रण कभ होता है ।

 बायत ने फीच का यास्ता अऩनाकय लभधित व्मिस्था भें जन्भ ददमा।

 सॊविधान के विलबन्न उऩफॊधों मथा आर्थणक न्माम, बाग-4, अनच्


ु छे द 39, 39B, 396 के तहत सभाजिाद
द्रन्त्ष्ट्र्कोण दलशगत होता है ।
Shivam Singh
 Note :- 39B, 39C सॊसाधनों का सकेन्द्रण ना हो

 रोकतन्त्र (Democracy) :-
 बायत भें जनता द्िाया तनिागधचत प्रतततनधधमों के भाध्मभ से शासन होता है इसे अप्रत्मऺ रोकताॊत्ररक
प्रणारी मा प्रतततनधध प्रणारी कहा जाता है ।

 बायत एक गणतन्र है इसका अथग – बायत का याष्ट्रऩतत तनिागधचत होगा ना कक िॊशानग


ु त

 अर्धकाय (Right) -
 न्माम — साभान्त्जक, आधथगक, यणनैततक
 स्ितन्त्रता — विचाय, अलबव्मन्त्क्त, विश्िास, धभग औय उऩासना
 सभानता — प्रततष्ट्ठा एिॊ अिसय की
 बायतीम सॊविधान की प्रस्तािना Fundamental Right, Directive Prinicple of State, Fundaments
Duties भें तनदहत है ।
 अत् प्रस्तािना सॊविधान के स्ऩष्ट्र् प्रािधानों को यद्द नहीॊ कय सकती है ना ही Court द्िाया प्रिततगत
कयामी जा सकेगी। भर
ू ढाॉचे को छोडकय सॊशोधन हो सकता है ।

 भहत्िऩर्
ू ण त्रफॊद ु –

बायत के भर
ू सॊविधान भें कुर 395 Art. 8 अनस
ु धू चमाॉ ि 22 बाग थे। ऩयन्तु ितगभान भें 450
अनच्
ु छे द हैं — रेककन सॊविधान के बागों औय अनच्
ु छे दों भें सॊशोधन भर
ू सॊख्माओॊ भें कोई
ऩरयितगन ना कयते हुए ककमा गमा है इसीलरए आज बी अन्त्न्तभ अनच्
ु छे द 395 ि बाग 22 ही हैं।

 सय आइिय जेननस — “विश्ि का सफसे फडा औय विस्तत


ृ सॊविधान”

 लरर्खत है ऩयन्तु इसभें ऩयम्ऩयाओॊ एिॊ प्रथाओॊ का बी स्थान है ।

 दो प्रकाय की शासन प्रणारी ऩाई जाती हैं-


1. अध्मऺात्भक — याष्ट्रऩतत प्रभख
ु (USA) जैसा उसका चुनाि सीधे जनता द्िाया
2. सॊसदीम िासन प्रर्ारी — िास्तविक शन्त्क्त जनता द्िाया तनदहत भॊत्ररऩरयर्द भें होती है ।
Shivam Singh
 अनच्
ु छे द 75(3):- भॊत्ररऩरयर्द साभदू हक रूऩ से रोकसबा के प्रतत उत्तयदामी होती है – मह प्रािधान बायतीम
सॊविधान भें सॊसदीम प्रणारी की आधायलशरा है ।
सॊघ औय उसका याज्म ऺेत्र (Union and its territory)

 अनच्
ु छे द – 2 :- सॊसद को सॊघ भें नमे याज्मों के प्रिेश मा स्थाऩना कयने के लरए विधध फनाने का अधधकाय
दे ता है । नाभ भें ऩरयितगन, याज्मों के ऺेर, सीभाकॊन का बी अधधकाय सॊसद को ही प्राप्त है ।

 अनच्
ु छे द – 3 :- सॊसद साधायण फहुभत द्िाया ऐसा कय सकती है ।

 1953 भें पजर अरी की अध्मऺता भें (ऩतनक्कय, रृदमनाथ,.....) याज्म ऩन


ु गगठन आमोग फनामा गमा न्त्जनकी
रयऩोर्ग 1955 के आधाय ऩय याज्म ऩन
ु गगठन आमोग 1956 फनामा गमा।

 इस रयऩोर्ग के आधाय ऩय सॊविधान भें 7 िाॊ सॊशोधन ककमा गमा औय भर


ू सॊविधान के याज्मों की 4 िेणी

मथा क, ख, ग, घ, को सभाप्त कय 14 याज्मों औय 6 UT का गठन ककमा गमा।

 14 िें सॊिोधन द्िाया (1962) भें ऩाॊडडचेयी का छठा UT फनामा (1954 भें फ्ाॊसीसी उऩतनिेश भाहे , मनभ,
ऩाॊडडचेयी को सभझौते के तहत लभराकय ऩाॊडडचेयी का गठन हुआ था।)

Shivam Singh
 1961 भें सैतनक कामगिाही (आऩये शन विजम) द्िाया गोिा, दभन एिॊ द्िीऩ को ऩत
ु ग
ग ालरमों से भक्
ु त
कयाकय उसे 7िाॊ UT का दजाग ददमा गमा, ऩन
ु ् 56 िें सॊशोधन द्िाया 1987 भें गोिा को 25 िाॊ याज्म
फना ददमा गमा।
 14 याज्मों के फाद अन्म याज्मों के फनने का क्रभ :-

क्रभ याज्म
15 वाां याज्म गज
ु यात (फांफई से अरग 1 भई 1960
कयके )
16वाां याज्म नागारैंड 1 ददस० 1963
17वाां याज्म हरयमाणा 1 नवांफय 1966
18वाां याज्म दहभाांचर 25 जनवयी 1971
19वाां याज्म भणणऩयु 21 जनवयी 1972
20 वाां याज्म त्रिऩयु ा 21 जनवयी 1972
21वाां याज्म भेघारम 21 जनवयी 1972
22वाां याज्म ससक्ककभ 16 भई 1975
23वाां याज्म सभजोयभ 20 पयवयी 1987
24वाां याज्म अरुणाांचर प्रदे श 20 पयवयी 1987
25वाां याज्म गोवा 30 भई 1987
26वाां याज्म छत्तीसगढ़ 1 नवांफय 2000
27वाां याज्म उत्तयाखांड 9 नवांफय 2000
28वाां याज्म झायखांड 15 नवांफय 2000
29वाां याज्म तेरग
ां ाना 2 जन
ू 2014

Shivam Singh
नोट : जम्भू कश्भीय औय रद्दाख – 2019 भें बायत के 8वें औय 9वें केंद्र शाससत प्रदे श फने
रद्दाख की ववधानसबा नहीां होगी वहाां केंद्र द्वाया बेजे गए प्रशासन ननमुकत होंगें |
नागरयकता (CITIZENSHIP)
 बायतीम सॊविधान के बाग-II (अनच्
ु छे द - 5 से 11 तक) भें िर्णगत

 अनच्
ु छे द - 05 — एक व्मन्त्क्त बायत का नागरयक भाना जाएगा, मदद
 उसका जन्भ बायत भें हुआ हो, मा
 उसके भाता-वऩता मा दोनों भें से ककसी एक का जन्भ बायत भें हुआ हो
 सॊविधान रागू होने के ऩाॉच िर्ग ऩि
ू ग से बायत भें यह यहा हो

 उऩयोक्त प्रािधान बायत के भर


ू तनिालसमों हे तु सॊविधान प्रायॊ ब ऩय नागरयकता के अधधकाय प्रदान
कयता है ।

 अनच्
ु छे द - 06 — ऩाककस्तान से बायत को प्रिजन कयने िारा कोई व्मन्त्क्त बायत का नागरयक हो सकता
है , मदद उसके भाता - वऩता मा दादा - दादी अविबान्त्जत बायत भें ऩैदा हुए हों, तथा साथ ही-

 िह 19 जुराई 1948 के ऩि
ू ग स्थानाॊतरयत हुआ हो औय अऩने प्रिसन की ततधथ से साभान्मत् बायत
भें तनिास ककमा हो,
मा

Shivam Singh
 िह 19 जुराई 1948 को मा उसके फाद बायत भें प्रिसन ककमा हो औय बायत के नागरयक के रूऩ भें
ऩॊजीकृत हो ऐसे व्मन्त्क्त के ऩॊजीकृत होने के लरए बायत भें 6 भाह का तनिास आिश्मक है ।

 अनुच्छे द - 07 — 1 भाचग 1947 के फाद बायत भें ऩाककस्तान को स्थानान्तरयत व्मन्त्क्त मदद कपय से बायत
भें ऩन
ु िागस के लरए रौर् आमे तो िह बायत का नागरयक फन सकता है ।

 ऐसे व्मन्त्क्त को ऩॊजीकयण प्राथगना ऩर के फाद 6 भाह तक बायत भें यहना होगा।

 अनुच्छे द - 08 — एक व्मन्त्क्त जो बायत से फाहय यहा यहा हो ककन्तु उसके भाता-वऩता मा दादा-दादी
अविबान्त्जत बायत भें ऩैदा हुए हों तो िह बायत का नागरयक फन सकता है , मदद उसने कूर्नीततक तयीके मा
ऩार्गदीम प्रतततनधध के रूऩ भें नागरयक के रूऩ भें ऩॊजीकयण ककमा हो।

 अनुच्छे द - 09 — कोई व्मन्त्क्त बायत का नागरयक नहीॊ भाना जाएगा मदद उसने स्िेच्छा से ककसी अन्म
दे श की नागरयकता ग्रहण कय री हो।
 अनुच्छे द - 10 — प्रत्मेक व्मन्त्क्त जो बायत का नागरयक है , बायत का नागरयक भाना जाएगा मदद सॊसद
कोई अन्म प्रािधान न कयें ।

 अनुच्छे द - 11 — सॊसद को मह अधधकाय है कक िह नागरयकता की प्रान्त्प्त, सभान्त्प्त मा सॊफधॊ धत अन्म सबी


विर्मों ऩय विधध फना सकती है ।

 बायत का सॊविधान सम्ऩण


ू ग दे श के लरए एकर नागरयकता को भान्मता दे ता है , ककन्त,ु

 मदद कोई याज्म सयकाय चाहे तो अऩने लशऺण सॊस्थाओॊ भें अऩने याज्म के तनिालसमों को विशेर्
सवु िधा दे सकती है ।

 आभजन अथिा अनस


ु धू चत जनजाततमों के दहत भें ककसी व्मन्त्क्त के अफाध सॊचयण एिॊ तनिास के
अधधकाय का मन्त्ु क्तमक्
ु त प्रततफॊधधत ककमा जा सकता है।

 जम्भू कश्भीय की विशेर् न्त्स्थतत के कायण िहाॉ के विधान भॊडर के मह अधधकाय है कक िह स्थामी
तनिालसमों को ऩरयबावर्त कयें तथा इनके हे तु नौकयी, सॊऩन्त्त्त क्रम, लशऺा इत्मादद हे तु विशेर्
सवु िधामें दे सके।

 नागरयकता अर्धननमभ 1955 के अनस


ु ाय नागरयकता प्राजतत के आधाय-

 1. जन्भ से नागरयकता
Shivam Singh
 2. िॊशानग
ु त नागरयकता

 3. ऩॊजीकयण द्िाया नागरयकता

 4. दे शीमकयण द्िाया नागरयकता

 5. ऺेर सन्त्म्भरन द्िाया नागरयकता

 नागरयकता की सभाजतत के आधाय -

1. स्िेच्छा ऩरयत्माग 2. फखागस्तगी द्िाया 3. नागरयकता से िॊधचत ककमे जाने ऩय


भौशरक अर्धकाय (Fundamental Rights)

 भौलरक अधधकायों का उल्रेख सॊविधान के बाग-III (अनच्


ु छे द- 12 से 35) भें ककमा गमा है ।

 बायतीम सॊविधान का बाग-III को बायत का भैग्नाकार्ाग कहा जाता है ।

 भौलरक अधधकाय न्मामोधचत प्रकृतत के हैं, अथागत इन्हें न्मामऩालरका का सॊयऺण प्राप्त है , मे व्मन्त्क्त को
याज्म के विरूद्ध प्राप्त अधधकाय है ।

 भर
ू सॊविधान भें कुर सात भर
ू अधधकाय प्रदान ककमे गमे थे ककन्तु ितगभान भें केिर 6 भर
ू अधधकाय ही हैं।

 44 िें सॊविधान सॊशोधन, 1978 द्िाया सॊऩन्त्त्त के भर


ू अधधकाय को इस सच
ू ी से हर्ाकय अनच्
ु छे द 300 क
के अन्तगगत विधधक अधधकाय फना ददमा गमा है ।

 याष्ट्रीम आऩातकार (अनच्


ु छे द-352) के दौयान अनच्
ु छे द 20 औय 21 को छोडकय सभस्त भर
ू ाधधकाय तनरॊत्रफत
ककमे जा सकते हैं।

 अनुच्छे द - 12 — याज्म की ऩरयबाषा


 याज्म की ऩरयबार्ा के अन्तगगत बायतीम सॊसद, याज्मों के विधान भॊडर, केन्द्र एिॊ याज्मों की
सयकाये , सबी स्थानीम तनकाम तथा ऐसे सबी तनकामों को शालभर ककमा जाता है , जो फतौय
Shivam Singh
याज्म की सॊस्था काभ कय यही हो।

 अनुच्छे द - 13 — बायतीम सॊविधान के रागू होने के साथ ही दे श भें प्रचलरत सबी विधधमाॉ उस भारा तक
शन्
ू म होंगी, न्त्जस भारा तक िे बाग-III के उऩफॊधों से असॊगत हैं।

 भर
ू अर्धकाय (fundamental rights) ऩय एक नजय -

 1. सभानता का अर्धकाय (Right to equality) – अनच्


ु छे द (14 से 18)

 अनच्
ु छे द - 14 — बायत के याज्म ऺेर भें ककसी व्मन्त्क्त को विधध के सभऺ सभता से मा विधधमों के
सभान सॊयऺण से िॊधचत नहीॊ ककमा जामेगा।

 अनच्
ु छे द - 15 — केिर धभग, भर
ू िॊश, जातत, लरॊग मा जन्भस्थान के आधाय ऩय विबेद का प्रततर्ेध।

 अनुच्छे द - 16 — रोक तनमोजन भें अिसय की भारा


 अनुच्छे द - 17 — अस्ऩश्ृ मता का अन्त

 अनुच्छे द - 18 — उऩाधधमों का अन्त

 2. स्ितॊत्रता का अर्धकाय (Right to freedom) अनच्


ु छे द – (19 से 22)

 अनुच्छे द - 19 — विचाय अलबव्मन्त्क्त एिॊ अन्म स्ितॊरतामें

 अनुच्छे द 19(1)(क) — बार्ण औय अलबव्मन्त्क्त की स्ितॊरता


 अनुच्छे द 19(1)(ख) — शाॊततऩण
ू ग ि हधथमाय यदहत सम्भेरन का अधधकाय
 अनुच्छे द 19(1)(ग) — सॊघ मा सलभतत फनाने का अधधकाय

 अनुच्छे द 19(1)(घ) — बायतीम याज्म ऺेर भें अफाध सॊचयण का अधधकाय

 अनुच्छे द 19(1)(ड) — बायत भें कहीॊ बी फसने का अधधकाय

 अनच्
ु छे द 19(1)(छ) — िन्त्ृ त्त, व्मिसाम मा उऩजीविका का अधधकाय

 अनुच्छे द - 20 — अऩयाधों के लरए दोर्लसवद्ध के सॊफध


ॊ भें अधधकाय
Shivam Singh
 अनच्
ु छे द - 20(1) — ककसी बी दन्त्ण्डक विधध का बत
ू रऺी प्रबाि नहीॊ होगा।

 अनच्
ु छे द - 20(2) — ककसी व्मन्त्क्त को एक ही अऩयाध के लरए एक फाय से अधधक अलबमोन्त्जत एिॊ
दन्त्ण्डत नहीॊ ककमा जा सकता।

 अनच्
ु छे द - 20(3) — ककसी व्मन्त्क्त को स्िमॊ के विरूद्ध गिाही दे ने के लरए िाध्म नहीॊ ककमा जा सकता।

 अनच्
ु छे द - 21 — ककसी व्मन्त्क्त को विधध द्िाया स्थावऩत प्रकक्रमा के अनस
ु ाय ही उसके प्राण एिॊ दै दहक
स्ितॊरता से िॊधचत ककमा जा सकता है , अन्मथा नहीॊ

 अनुच्छे द 21(क) — याज्म 6 से 14 िर्ग के फच्चों को अतनिामग एिॊ तन्शल्


ु क लशऺा की व्मिस्था कये गा
(86 िाॉ सॊशोधन, 2002)
 अनच्
ु छे द – 22 - कुछ दशाओॊ भें धगयफ्तायी एिॊ तनयोध से सॊयऺण

 साभान्म दण्ड विधध के अधीन धगयफ्ताय ककसी व्मन्त्क्त को तनम्न अधधकाय प्राप्त हैं।

 धगयफ्तायी का कायण जानने का अधधकाय

 अऩनी ऩसन्द के िकीर द्िाया भाभरा न्मामारम भें प्रस्तत


ु कयाने का अधधकाय

 धगयफ्तायी के 24 घण्र्ों के अन्दय भन्त्जस्रे र् के सभऺ प्रस्तत


ु ककमे जाने का अधधकाय
(इसभें अिकाश, मारा का सभम शालभर नहीॊ)

 3. िोषर् के विरूद्ध अर्धकाय (Right against exploitation) (अनच्


ु छे द - 23, 24) :-

 अनुच्छे द - 23 — फारिभ एिॊ भानि के दव्ु मागऩाय का तनर्ेध

 अनच्
ु छे द - 24 — कायखानों आदद भें फारकों के तनमोजन ऩय प्रततफॊध

 4. धाशभणक स्ितॊत्रता का अर्धकाय (Right to religious freedom)(अनच्


ु छे द – 25 - 28)
Shivam Singh
 अनुच्छे द - 25 — अन्त्कयण औय धभग के अफाध रूऩ से भानने, आचयण एिॊ प्रचाय कयने की
स्ितॊरता

 अनुच्छे द - 26 — धालभगक कामों के प्रफॊधन की स्ितॊरता

 अनुच्छे द - 27 — ककसी बी व्मन्त्क्त को ऐसे कयों के बग


ु तान के लरए फाध्म नहीॊ ककमा जाएगा
न्त्जनकी आम ककसी धभग विशेर् की उन्नतत के लरए खचग की जाती हो।

 अनच्
ु छे द - 28 — लशऺण सॊस्थाओॊ भें धालभगक लशऺा मा उऩासना भें उऩन्त्स्थत होने के फाये भें स्ितॊरता।

 अनच्
ु छे द - 28(1) — ऩण
ू त
ग ् याज्मतनधध से ऩोवर्त ककसी लशऺण सॊस्था भें कोई धालभगक लशऺा नहीॊ दी
जाएगी।
 अनुच्छे द - 28(3) — याज्म तनधध से सहामता प्राप्त लशऺण सॊस्था भें शालभर होने िारे ककसी बी
व्मन्त्क्त को धालभगक लशऺा रेने हे तु फाध्म नहीॊ ककमा जाएगा।

 5. सॊस्कृनत एिॊ शिऺा सॊफॊधी अर्धकाय (अन.ु - 29-30) -


(Rights related to culture and education)

 अनच्
ु छे द - 29 — अल्ऩसॊख्मक िगों के दहतों का सॊयऺण

 अनु ु्च्छे द - 30 — लशऺा सॊस्थाओॊ की स्थाऩना एिॊ प्रशासन कयने का अल्ऩसॊख्मक िगों का अधधकाय

 अनच्
ु छे द - 32 — सॊिध
ै ातनक उऩचायों का अधधकाय

 इसी के द्िाया भर
ू अधधकायों का प्रितगन तथा व्मिहारयक प्रमोग
 भर
ू अधधकायों के उल्रॊघन की दशा भें न्मामारम द्िाया विशेर् सॊयऺण
 डॉ0 बीभयाि अम्फेडकय के अनस
ु ाय ―सॊविधान की आत्भा‖

 अनच्
ु छे द - 33 — सॊसद को मह अधधकाय है कक िह सशस्र फरों, खुकपमा एजेंलसमों एिॊ अन्म के भर

अधधकायों ऩय मन्त्ु क्तमक्
ु त प्रततफॊध रगा सके।

 अनच्
ु छे द - 34 — बायत के ककसी ऺेर भें मदद सैन्म अधधतनमभ रागू है तो सॊसद िहाॉ भर
ू अधधकायों
ऩय प्रततफॊध रगा सकती है । Shivam Singh
 अनच्
ु छे द - 35 — भर
ू अधधकायों को प्रबािी फनाने हेतु कानन
ू फनाने के सॊफध
ॊ भें सॊसद एिॊ याज्म
विधानभण्डरों के फीच शन्त्क्तमों का विबाजन
याज्म नीनत के ननदे िक तत्ि
(Directive Principles of State Policy)

 बायतीम सॊविधान के बाग - 4 भें अनच्


ु छे द - 36 से 51 तक नीतत तनदे शक तत्िों का उल्रेख ककमा
गमा है ।
 मह आमयरैण्ड के सॊविधान से प्रेयणा प्राप्त हैं।
 नीतत तनदे शक तत्िों का उद्देश्म ―रोक कल्मार्कायी याज्म‖ की स्थाऩना कयना है ।
 िस्तत
ु ् मे ऐसे विचाय है न्त्जन्हें सॊविधान तनभागताओॊ ने बविष्ट्म भें फनने िारी सयकायों के सभझ एक
ऩथ प्रदशगक के रूऩ भें यखा है ।

 अनच्
ु छे द - 36 — याज्म की ऩरयबार्ा

 अनुच्छे द - 37 — नीतत तनदे शक तत्ि न्मामारम द्िाया प्रितगनीम नहीॊ हैं ककन्तु विधध फनाने भें इन
लसद्धान्तों को रागू कयना याज्म का कतगव्म होगा।

 अनुच्छे द - 38 — याज्म द्िाया साभान्त्जक एिॊ रोक कल्माण की अलबिवृ द्ध के लरए साभान्त्जक व्मिस्था
फनामा जाएगा।

 अनुच्छे द - 39 — याज्म के लरए तनम्न कुछ तत्ि अनस


ु यण कयने मोग्म हैं -
Shivam Singh
 सबी नागरयकों को आजीविका के ऩमागप्त साधन प्राप्त कयने का अधधकाय

 बौततक सॊसाधानों का उधचत स्िालभत्ि एिॊ वितयण

 उत्ऩादन के साधनों का विकेन्दीकयण

 सभान काभ के लरए सभान िेतन आदद।

 अनुच्छे द - 39(क) — सभान न्माम एिॊ तन्शल्


ु क विधधक सहामता

 अनुच्छे द - 40 — ग्राभ ऩॊचामतों का गठन कयना एिॊ उन्हें स्िामत शासन हे तु शन्त्क्तमाॉ एिॊ प्राधधकाय दे ना।

 अनच्
ु छे द - 41 — कुछ दशाओॊ (फढ
ु ाऩा, फीभायी, अशक्तता) भें काभ, लशऺा एिॊ रोक सहामता ऩाने का
अधधकाय
 अनच्
ु छे द - 42 — काभ की न्मामसॊगत एिॊ भानिोधचत दशाओॊ का तथा प्रसतू त सहामता का उऩफॊध

 अनुच्छे द - 43 — कभगचारयमों की तनिागह भजदयू ी एिॊ कुर्ीय उद्मोगों का विकास कयना।

 अनच्
ु छे द - 43(क) — उद्मोगों के प्रफॊधन भें भजदयू ों की बागीदायी के लरए उऩमक्
ु त विधान फनाना।

 अनुच्छे द - 44 — सभस्त नागरयकों के लरए एक सभान नागरयक सॊदहता रागू कयने का प्रमास कयना।

 अनुच्छे द - 45 — 6 िर्ग से कभ आमु के फारकों के लरए तन्शल्


ु क एिॊ अतनिामग लशऺा का उऩफॊध कयना।

 अनच्
ु छे द - 46 — अनस
ु धू चत जातत, जनजातत औय अन्म दफ
ु र
ग िगों के लशऺा एिॊ अथग सॊफध
ॊ ी दहतों की
अलबिवृ द्ध ि साभान्त्जक न्माम सतु नन्त्श्चत कयना।

 अनच्
ु छे द - 47 — रोगों भें ऩोर्ाहाय एिॊ जीिन स्तय को ऊॉचा कयने तथा रोक स्िास््म भें सध
ु ाय कयने का
याज्म का कतगव्म

 अनच्
ु छे द - 48 — कृवर् एिॊ ऩशऩ
ु ारन का सॊगठन

 अनुच्छे द - 48(क) — ऩमागियण के सॊयऺण एिॊ सॊिद्धगन तथा िन एिॊ िन्म जीिों की यऺा का प्रमास कयना।

 अनच्
ु छे द - 49 — याष्ट्रीम भहत्ि के स्भायकों, स्थानों एिॊ िस्तओ
ु ॊ का सॊयऺण कयना।

Shivam Singh
 अनुच्छे द - 50 — याज्म की रोक सेिाओॊ भें कामगऩलरका से न्मामऩालरका के ऩथ
ृ क्कयण हे तु याज्म द्िाया
कदभ उठाना।

 अनुच्छे द - 51 — अन्तयागष्ट्रीम शाॊतत एिॊ सयु ऺा की अलबिवृ द्ध के लरए प्रमास कयना।
भर
ू कतणव्म (Fundamental Duties)
 बायतीम सॊविधान भें भर
ू कतगव्म को शालभर ककमा गमा |

 स्िर्ण शसॊह सशभनत की लसपारयशों के आधाय ऩय


 42 िें सॊविधान सॊशोधन, 1976 द्िाया
 बाग IVA के अन्तगणत अनच्
ु छे द-51A जोडा गमा

 भर
ू कतगव्मों की सॊख्मा — ितगभान भें 11

 42 िें सॊविधान सॊशोधन 1976 द्िाया कुर 10 भर


ू कतगव्मों को शालभर ककमा गमा
 11 िाॉ भर
ू कत्तगव्म 86 िें सॊविधान सॊशोधन 2002 के द्िाया

 बायत भें भर
ू कतगव्म प्रेरयत हैं — सोविमत सॊघ के सॊविधान से

 ककसी नागरयक द्िाया कतगव्मों का ऩारन न ककमे जाने ऩय न्मामारम द्िाया उसे दन्त्ण्डत नहीॊ ककमा जा
सकता।

Shivam Singh
 िभाण सशभनत (1999) — भर
ू कतणव्मों के प्रचारन से सॊफर्ॊ धत

 याष्ट्र गौयि अऩभान तनिायण अधधतनमभ — बायत के सॊविधान, याष्ट्रीम ध्िज औय याष्ट्रीम गान के
अनादय का तनिायण के लरए।
केन्र - याज्म सॊफॊध (Center - state relationship)

 सॊविधान द्िाया केन्द्र एिॊ याज्म के फीच तीन प्रकाय के सॊफध


ॊ ों की व्मिस्था की गमी है ।

 मे हैं -
(I) विधामी सॊफध

(II) प्रशासतनक सॊफध

(III) वित्तीम सॊफध

 1. विधामी सॊफॊध्-
 सॊसद को सॊऩण
ू ग बायत मा उसके ककसी बाग के लरए कानन
ू फनाने का अधधकाय है तथा याज्म
विधानभण्डर को अऩने याज्म मा उसके ककसी बाग के लरए विधध तनभागण का अधधकाय है ।

 सातिीॊ अनस
ु च
ू ी केन्द्र ि याज्मों के फीच विधामी शन्त्क्तमों को तनधागरयत कयती हैं |

 (i) सॊघ सच
ू ी्- इसके अॊतगगत याष्ट्रीम भहत्ि के विर्म शालभर है , न्त्जन ऩय विधध तनभागण का एकभार
अधधकाय सॊसद के ऩास है । इसभें 97 विर्म हैं।

 (ii) याज्म सच
ू ी्- इनभें मे विर्म शालभर है , न्त्जन ऩय याज्म विधान भॊडर को कानन
ू फनाने का अधधकाय है ।
ितगभान भें इसके 61 विर्म हैं Shivam Singh
 (iii) सभिती सच
ू ी्- इस सच
ू ी के विर्मों ऩय सॊसद ि याज्म विधानभॊडर दोनों ही कानन
ू फना सकते हैं। इस
सभम इसभें 52 विर्म हैं।

 42 िें सॊविधान सॊशोधन 1976 द्िाया याज्म सच


ू ी के 5 विर्मों को सभिती सच
ू ी भें शालभर ककमा
गमा है । मे हैं – िन, लशऺा, नाऩ एिॊ तौर, िन्म जीिों एिॊ ऩक्षऺमों का सॊयऺण तथा न्माम का
प्रशासन ।

 अिशिष्ि िजतत्-

 अनच्
ु छे द-248:- के अनस
ु ाय अिलशष्ट्र् शन्त्क्तमाॉ केन्द्र के ऩास हैं। अथागत ऐसे विर्म जो उऩयोक्त तीनों
सधू चमों भें िर्णगत नहीॊ है , उस ऩय विधध तनभागण का अधधकाय केन्द्र को प्राप्त है।
 अनच्
ु छे द-249:- याज्म सच
ू ी के विर्म के सॊफध
ॊ भें याष्ट्रीम दहत भें विधध फनाने की सॊसद को शन्त्क्त

 अनच्
ु छे द-250:- मदद आऩात की उद्घोर्णा प्रितगन भें हो, तो याज्म सच
ू ी के विर्म के सॊफध
ॊ भें विधध
फनाने की सॊसद की शन्त्क्त।

 अनच्
ु छे द-252:- दो मा अधधक याज्मों के लरए उनकी सहभतत से ऐसी विधध का ककसी अन्म याज्म
द्िाया अॊगीकाय ककमा जाना।

 अनच्
ु छे द-253:- अॊतयागष्ट्रीम कयायों को प्रबािी कयने के लरए प्रािधान।

 अनच्
ु छे द-254:- मदद सभिती सच
ू ी के विर्म ऩय केन्द्र तथा याज्म के कानन
ू ों भें असह्भतत हो तो,
सॊघीम कानन
ू ही भान्म होगा।

 प्रिासननक सॊफध
ॊ ्-
 सॊविधान के बाग 11 भें अनच्
ु छे द-256-263 तक केन्द्र एिॊ याज्मों के फीच प्रशासतनक सॊफध
ॊ ों की
व्माख्मा की गमी है । सॊघ, याज्म को तनम्नलरर्खत विर्म भें तनदे श दे सकता है-

 अनच्
ु छे द-256:- सॊसद द्िाया फनाई गई विधधमों का अनऩ
ु ारन सतु नन्त्श्चत कयने के लरए।

 अनच्
ु छे द-257:- मह सतु नन्त्श्चत कयने के लरए कक याज्म की कामगऩालरका शन्त्क्त का प्रमोग, सॊघ
की कामगऩालरका शन्त्क्त के प्रमोग भें कोई अडचन न डारे।
Shivam Singh
 मह सतु नन्त्श्चत कयने के लरए कक याष्ट्रीम भहत्ि के सॊचाय साधनों का तनभागण हो औय िे फनाए
यखे जाएॊ। इसके अॊतगगत याष्ट्रीम याजभागग औय जरभागग हैं। ये रों के सॊयऺण के लरए।

 अनच्
ु छे द-350क :- प्राथलभक स्तय ऩय भातब
ृ ार्ा भें लशऺा की सवु िधाएॉ उऩरब्ध कयाने के लरए।

 अनच्
ु छे द-355:- मह सतु नन्त्श्चत कयने के लरए कक प्रत्मेक याज्म सयकाय, सॊविधान के उऩफॊधों के
अनस
ु ाय चर यही है ।

 अनच्
ु छे द-339:- अनस
ु धू चत जनजाततमों के कल्माण के लरए मोजना फनाने औय उसके तनष्ट्ऩादन
के फाये भें ।
 अनच्
ु छे द-262:- अॊतयागष्ट्रीम नददमों औय नदी घादर्मों के जर सॊफध
ॊ ी वििाद के सॊफध
ॊ भें सॊसद को
विधध तनभागण की शन्त्क्त प्राप्त है ।

 अनच्
ु छे द-312:- केन्द्र द्िाया अर्खर बायतीम सेिाओॊ का तनभागण ककमा जाना।

 वित्तीम सॊफध
ॊ ्-

 सॊविधान के बाग XII भें अनच्


ु छे द – (268-293) तक केन्द्र-याज्म के फीच वित्तीम सॊफध
ॊ ों का उल्रेख
है ।

 वित्तीम प्रािधानों भें दो प्रभख


ु रऺण हैं- सॊघ याज्म सयकायों की कयाधान शन्त्क्तमों भें ऩू ्णग विबाजन
तथा दोनों के फीच कयों की साऺेदायी

 सॊविधान भें याज्मों को अनद


ु ान तथा ऋण के भाध्मभ से सहामक अनद
ु ान दे ने का बी प्रािधान यखा
गमा है ।

 अनच्
ु छे द-275:- सॊसद उन याज्मों को वित्तीम सहामता दे गा, न्त्जनको ऐसी सहामता की आिश्मकता
है ।
 अनच्
Shivam Singh
ु छे द-282:- सॊघ मा याज्मों द्िाया अऩने याजस्ि के ककए जाने िारे त्म।

 अनच्
ु छे द-283:- सॊधचत तनधधमों, आकन्त्स्भकता तनधधमों औय रोक रेखाओॊ भें जभा धनयालशमों की
अलबयऺा।
 अनच्
ु छे द-289:- केन्द्र सयकाय को मह अधधकाय है कक िह अऩनी सॊधचत तनधध की साख ऩय
दे शिालसमों ि विदे शी सयकायों से ऋण रे सके।
आऩातकारीन उऩफॊध (Emergency provision)

 बायतीम सॊविधान भें जभगनी के िीभय सॊविधान से प्रेरयत होकय अनच्


ु छे द (352-360) तक आऩातकार
का प्रािधान ककमा।

 बायतीम सॊविधान भें तीन प्रकाय के आऩातकार का िणगन है -


1. याष्रीम आऩातकार (अनच्
ु छे द - 352)
2. याष्रऩनत िासन (सॊिध
ै ाननक तन्त्र की विपरता) (अनु ु्च्छे द 356)
3. वित्तीम आऩातकार (अनच्
ु छे द 360)

 1.याष्रीम आऩातकार (National emergency):-


 याष्ट्रीम आऩातकार की घोर्णा याष्ट्रऩतत द्िाया होती है घोर्णा कयने के 3 आधाय होते हैं।
(a) मद्ध

(b) िाह्म आक्रभण
(c) सशस्र विद्रोह

 Note:- भर
ू सॊविधान भें सशस्र विद्रोह के स्थान ऩय आन्तरयक अशाॊतत शब्द था ऩयन्तु 1975 ―िीभतत
इॊददया गाॉधी‖ द्िाया आन्तरयक अशाॊतत के आधाय ऩय आऩातकार का प्रितगन याष्ट्रऩतत ―पखरूद्दीन अरी
अहभद‖ से कयिामा न्त्जसके फाद सयकाय ऩरयितगन होने ऩय 44 िें सॊविधान सॊशोधन द्िाया आन्तरयक
Shivam Singh
अशाॊतत के स्थान ऩय सशस्र विद्रोह शब्द रामा गमा।

 याष्ट्रऩतत याष्ट्रीम आऩात की उद्घोर्णा तबी कये गा जफ भॊत्ररभण्डर इस आशम की सच


ू ना उसे
लरर्खत दे गा। लरर्खत सच
ू ना की अतनिामगता बी 44 िें सॊविधान सॊशोधन से री गई।

 352 के तहत उद्घोषर्ा का अनुभोदन्-


 याष्ट्रऩतत द्िाया की गई उद्घोर्णा सॊसद के दोनों सदनों भें अनभ
ु ोदन के लरए यखी जामेगी औय
प्रत्मेक सदन द्िाया विशेर् फहुभत से इसे अनभ
ु ोददत कयना आिश्मक है । (30 ददन भें )

 Note:- मदद आऩात अनभ


ु ोदन याज्मसबा से ऩास हो औय उस सभम रोकसबा विघदर्त हो तफ नई
रोकसबा की प्रथभ फैठक होने के 30 ददन के अॊदय अनभ
ु ोदन प्राप्त कयना आिश्मक है ।
 352 के तहत आऩातकार की अिर्ध्-
 अनभ
ु ोदन के फाद 6 भहीने तक।

 ऩन
ु ् फढाने के सॊसद का ऩन
ु ् अनभ
ु ोदन जरूयी है क्मोंकक 6-6 भाह कयके ही फढे गी। इसको 6-6
भाह कयके अतनन्त्श्चत कार तक फढा सकते हैं।

 352 के तहत आऩातकार का प्रबाि्- (अनच्


ु छे द-353)
 (a) याज्मों की कामगऩालरका शन्त्क्त केन्द्र की कामगऩालरका के अधीन काभ कये गी।

 (b) केन्द्र, याज्म सच


ू ी के ककसी बी विर्म ऩय कानन
ू फना सकती है ।

 (c) अनच्
ु छे द 20, 21 को छोडकय भर
ू अधधकायों का तनरम्फन हो जाता है ।

 (d) आऩात की उद्घोर्णा होने ऩय रोकसबा अऩना कामगकार एक फाय भें 1 िर्ग के लरए फढा सकती
है ऩयन्तु आऩातकार सभाप्त होने ऩय इसका प्रितगन 6 भाह से ज्मादा नहीॊ (अनच्
ु छे द - 83)

 (e) आऩातकार के रागू यहने ऩय सॊसद ककसी याज्म भें याष्ट्रऩतत शासन की अिधध 1 िर्ग से अधधक
फढाने का सॊकल्ऩ ऩारयत कय सकती है ऩय ऐसा अधधकतभ 3 िर्ग तक कय सकती है ।

Shivam Singh
 2. 356 के तहत आऩातकार (याज्मों भें याष्रऩनत िासन):-
 सॊविधान भें इसके लरए आऩात शब्द का प्रमोग नहीॊ है।

 याज्मों भें सॊिध


ै ातनक तॊर की विपरता होने ऩय याष्ट्रऩतत द्िाया अनच्
ु छे द 356 के तहत याज्मों भें
याष्ट्रऩतत शासन रगा ददमा जाता है ।

 मद्मवऩ बायत भें इसका प्रमोग याजनैततक विद्िेर् से ज्मादा ककमा गमा ।

 उद्घोषर्ा का अनभ
ु ोदन्-
 अनच्
ु छे द 356 के तहत उद्घोर्णा सॊसद के दोनों सदनों भें यखी जाती है उसे प्रत्मेक सॊदन द्िाया
साधायण फहुभत से दो भाह के बीतय ऩारयत कयना होता है ।

 मदद याज्मसबा से प्रस्ताि ऩास हो औय रोकसबा विघदर्त हो तो रोकसबा के ऩन


ु ग
ग ठन के
ऩश्चात ् प्रथभ फैठक से 30 ददन का अन्दय प्रस्ताि ऩास हो जाना चादहए।
 उद्घोषर्ा की अिर्ध्-
 6-6 भाह कयने के अधधकतभ 3 िर्ग तक फढाई जा सकती है , हय 6-6 भहीनें फढाने ऩय प्रत्मेक 6
भहीने ऩय उसी तयीके से अथागत दोनों सदनों से साधायण फहुभत से ऩास होना चादहए ऩयन्तु

 1 िर्ग से ज्मादा सभम तक आऩातकार जायी यखने के लरए सॊसद द्िाया सॊकल्ऩ तबी ऩारयत
ककमा जामेगा जफ तनम्नलरर्खत दशाएॊ हो-
1. आऩात की उद्घोर्णा (सम्ऩण
ू ग बायत ि उसके ककसी बाग भें ) प्रितगन भें हो,
औय
2. तनिागचन आमोग मह प्रभार्णत कय दे कक याज्म भें चुनाि कयाना सम्बि
नहीॊ
 उऩयोक्त दोनों शते 44 िें सॊविधान सॊशोधन से जोडी गई।

 अनच्
ु छे द 355:- याज्मों की सयु ऺा का सॊघ का कतगव्म

 356 के तहत आऩातकार का प्रबाि्-


 याष्ट्रऩतत, याज्म सयकाय के सबी काभ अऩने हाथ भें रे सकता है । ऩयन्तु

 याज्म विधान भण्डर भें तनदहत ककसी शन्त्क्त को अऩने हाथ भें नहीॊ रे सकता औय ना ही
याष्ट्रऩतत उच्च न्मामारम से सॊफधधत कोई शन्त्क्त अऩने अधीन कय सकता।

 Note:- अनच्
Shivam Singh
ु छे द 356 के तहत सिगप्रथभ याष्ट्रऩतत शासन ऩेप्सू (ऩदर्मारा, ऩॊजाफ ईस्र् ऩॊजाि स्र्े र्
मतू नमन) मे 1951 भें रगामा गमा था।

 3. वित्तीम आऩातकार (Financial emergency) -


 अनच्
ु छे द 360 याष्ट्रऩतत को जफ मे रगे कक ऐसी न्त्स्थतत उत्ऩन्न हो गई है न्त्जससे बायत मा
उसके ककसी बाग को वित्तीम सॊकर् है तफ याष्ट्रऩतत, केन्द्रीम भॊरीभण्डर की सराह ऩय ही (ऩय
लरर्खत नहीॊ लसपग भौर्खक सराह) वित्तीम आऩतकार की घोर्णा कयता है ।

 अिर्ध्- सॊसद के अनभ ु ोदन के त्रफना दो भाह तक प्रितगन भें यहती है ऩयन्तु सॊसद साधायण फहुभत से दो
भाह के ऩिू ग उद्घोर्णा को अनभ ु ोददत कय दे तो मह अतनन्त्श्चतकार तक फनी यहे गी।

 Note:- अबी तक बायत भें एक फाय बी वित्तीम आऩातकार नहीॊ रगा है ।


 वित्तीम आऩातकार के प्रबाि्-
 सॊघ ि याज्म के अधीन काभ कयने िारे सबी कभगचायी, प्रशासक, सप्र
ु ीभ ि हाईकोर्ग के सबी जज
के िेतन बत्ते योके जा सकते हैं।

 याज्म विधान भण्डर द्िाया ऩारयत धन विधेमक ि वित्तीम विधेमकों को याष्ट्रऩतत के विचाय हे तु
आयक्षऺत ककमा जा सकता है ।

[Q] अनच्
ु छे द 352 के तहत अफ तक ककतनी फाय याष्ट्रीम आऩतकार रग चक
ु ा है ?

ans - 3 फाय

 1. 26 अक्र्ूफय 1962 (बायत चीन मद्ध


ु )

 2. 3 ददसम्फय 1971 (बायत-ऩाक मद्ध


ु )

 3. 25 जून 1975 (आन्तरयक अशाॊतत के आधाय ऩय)

 Note:- अनच्
ु छे द 352 ि 356 के तहत रगे आऩातकार को हर्ाने की घोर्णा

नहीॊ है ।
Shivam Singh
याष्ट्रऩतत स्िमॊ कय सकता है इसके लरए उसे ककसी से अनभ
ु तत की आिश्मकता
केंर सयकाय (Central Government)

याष्रऩनत (President)

 सॊघीम कामगऩालरका का प्रधान — बायत का याष्ट्रऩतत (अनच्ु छे द-53)

 याष्ट्रऩतत अऩने कृत्मों का प्रमोग भॊत्ररऩरयर्द की सराह ऩय कयता है ।

 याष्ट्रऩतत का तनिागचन होता है — आनऩ


ु ाततक प्रतततनधधत्ि ऩद्धतत के अनस
ु ाय एकर सॊक्रभणीम भत
प्रणारी द्िाया |

 इस प्रकाय के तनिागचक भॊडर भें शालभर हैं — ससॊद के दोनों सदनों के ननिाणर्चत सदस्म औय
याज्म विधान सबाओॊ के ननिाणर्चत सदस्म (ददल्री एिॊ ऩाजण्डचेयी सदहत)

 याष्ट्रऩतत ऩद के उम्भीदिाय को आिश्मक रूऩ से होना चादहए

 बायत का नागरयक

 कभ से कभ 35 िर्ग की आमु का

 रोकसबा सदस्म चन
ु े जाने की मोग्मता धायण कयने िारा

Shivam Singh
 सॊसद मा याज्म विधान भॊडर के ककसी सदस्म को याष्ट्रऩतत के ऩद हे तु चुन लरए जाने ऩय — उसे ऩद
ग्रहण की ततधथ से ही सदन की सदस्मता छोडनी ऩडेगी

 कोई व्मन्त्क्त याष्ट्रऩतत के ऩद हे तु तनिागधचत हो सकता है — एक से अधधक फाय

 याष्ट्रऩतत के चन
ु ाि से सॊफधॊ धत ककसी वििाद का तनऩर्ाया — बायत के सिोच्च न्मामारम के द्िाया
 याष्ट्रऩतत का कामगकार — अऩने ऩद ग्रहण की ततधथ से ऩाॉच िर्ग तक
 बायत के याष्ट्रऩतत को हर्ामा जा सकता है — सॊसद द्िाया रामे गमे भहालबमोग के आधाय ऩय
(अनच्
ु छे द-61)

 याष्ट्रऩतत अऩना त्मागऩर दे ता है — उऩयाष्ट्रऩतत को

 याष्ट्रऩतत ऩय भहालबमोग — सॊसद के ककसी बी सदन से शरू


ु ककमा जा सकता है ।
 याष्रऩनत ऩय भहाशबमोग रग सकता है —

 सॊविधान का अततक्रभण ककमे जाने की दशा भें

 14 ददन ऩि
ू ग नोदर्स ददमा जाता है ।

 नोदर्स ऩय सॊसद की कुर सदस्म सॊख्मा के कभ से कभ ¼ सदस्मों का


हस्ताऺय होना चादहए

 भहालबमोग प्रस्ताि ऩारयत हो सकता है — ककसी सदन के कुर सदस्म सॊख्मा के दो-नतहाई फहुभत से

 याष्रऩनत को िऩथ —
 उच्चतभ न्मामारम के भख्
ु म न्मामधीश द्िाया

 सॊविधान औय विधध के सॊयऺण, प्रततयऺण औय ऩरययऺण

 याष्रऩनत के ऩद रयततता की जस्थनत भें —

 कामों का तनिगहन उऩयाष्ट्रऩतत के द्िाया

 उऩयाष्ट्रऩतत का ऩद बी रयक्त यहने की न्त्स्थतत भें कामों का तनिगहन बायत


Shivam Singh
के भख्
ु म न्मामाधीश के द्िाया

 भख्
ु म न्मामाधीश की अनऩ
ु न्त्स्थतत भें उच्चतभ न्मामारम के िरयष्ट्ठतभ
न्मामाधीश द्िाया

 कामगिाहक याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कयने िारे व्मन्त्क्त को याष्ट्रऩतत की


सभस्त शन्त्क्तमाॉ एिॊ िेतन बत्ते ि विशेर्ाधधकाय प्राप्त होते हैं।
 याष्रऩनत की कामणकायी िजततमाॉ –

 सॊघ की कामगऩालरका शन्त्क्त धायण कयना तथा अऩने अधीनस्थ अधधकारयमों द्िाया प्रमक्
ु त कयना

 बायत के प्रधानभॊरी की तनमन्त्ु क्त तथा प्रधानभॊरी की सराह ऩय अन्म भॊत्ररमों की बी तनमन्त्ु क्त
 भहान्मामिादी, तनमॊरक एिॊ भहारेखा ऩयीऺक, भख्
ु म चुनाि आमक्
ु त ि अन्म चन
ु ाि आमक्
ु तों,
सॊघ रोक सेिा आमोग के अध्मऺ एिॊ सदस्मों, याज्म के याज्मऩारों, वित्त आमोग के अध्मऺ
एिॊ सदस्मों आदद की तनमन्त्ु क्त

 अनस
ु धू चत जातत, जनजातत तथा अन्म वऩछडे िगग के लरए एक आमोग की तनमन्त्ु क्त

 अन्तययाज्मीम ऩरयर्द की तनमक्


ु त

 प्रभुख विधामी िजततमों:-

 सॊसद की फैठक फर
ु ाना तथा उसे कुछ सभम के लरए स्थाधगत यखना

 सॊसद के सॊमक्
ु त अधधिेशन का आह्िान कयना (अध्मऺता- रोकसबा अध्मऺ)

 प्रत्मेक नमे चुनाि के फाद तथा प्रत्मेक िर्ग सॊसद के प्रथभ अधधिेशन का सॊफोधन

 सादहत्म, विऻान, करा ि सभाज सेिा के ऺेरों से 12 सदस्मों का याज्मसबा के लरए भनोनमन

 सॊसद द्िाया ऩारयत ककसी विधेमक ऩय, याष्रऩनत-


Shivam Singh
 1. विधेमक को अऩनी स्िीकृतत दे सकता है ।

 2. अऩनी स्िीकृतत सयु क्षऺत यख सकता है ।

 3. मदद िह धन विधेमक नहीॊ है , तो ऩतु नगविचाय के लरए रौर्ा सकता है ।

 सॊसद के सरािसान की अिधध भें अध्मादे श जायी कय सकता है। इस प्रकाय के अध्मादे श को सॊसद की
ऩन
ु ् फैठक के छ् सप्ताह के अन्दय सॊसद द्िाया अनभ
ु ोददत कयना आिश्मक है ।

 CAG, वित्त आमोग, सॊघ रोक सेिा आमोग ि अन्म की रयऩोर्ग सॊसद के सभऺ यखता है।

 चुनाि आमोग के ऩयाभशग ऩय ससॊद सदस्मों की तनयहगता के प्रश्न ऩय तनणगम कयता है।
 प्रभुख वित्तीम िजततमाॉ –
 धन विधेमक ऩय ऩि
ु ागनभ
ु तत दे ता है (सॊसद भें प्रस्तत
ु ककमे जाने से ऩहरे)

 िावर्गक वित्तीम विियण (फजर्) को सॊसद के सभऺ यखता है।

 अनद
ु ान की भाॉग ऩय लसपारयश दे ता है ।

 केन्द्र औय याज्म के भध्म याजस्ि के फॉर्िाये के लरए प्रत्मेक ऩाॉच िर्ग के फाद एक वित्त आमोग का
गठन कयता है ।

 प्रभुख न्मानमक िजततमाॉ:-

 उच्चतभ न्मामारम के भख्


ु म न्मामाधीश औय उच्चतभ तथा उच्च न्मामारम के न्मामाधीशों की
तनमन्त्ु क्त कयता है ।

 ककसी विधध मा त्म ऩय उच्चतभ न्मामारम से सराह रे सकता है।

 ककसी अऩयाध के लरए दोर्लसद्ध व्मन्त्क्त के लरए दण्डादे श को तनरॊत्रफत

 अन्म िजततमाॉ:-

 याष्ट्रऩतत को तीन ऩरयन्त्स्थततमों भें आऩातकारीन शन्त्क्तमाॉ प्रदान की गमी हैं-

Shivam Singh
 1. याष्रीम आऩातकार (अनच्ु छे द - 352 के तहत)

 2. याष्रऩनत िासन (अनच्ु छे द - 356)

 3. वित्तीम आऩातकार (अनच्ु छे द - 360)

 बायत की तयप से सभस्त अन्तयागष्ट्रीम सभझौते एिॊ सॊधधमाॊ याष्ट्रऩतत के नाभ ऩय ककमे जाते हैं।
(मद्वऩ इनके लरए सॊसद की अनभ
ु तत अतनिामग है )
 याष्ट्रऩतत बायत के सैन्म फरों का सिोच्च सेनाऩतत होता है।

 थर, जर एिॊ िामु सेना के प्रभख


ु ों की तनमन्त्ु क्त कयता है ।

 मद्ध
ु मा मद्ध
ु सभान्त्प्त की घोर्णा कयता है ।

 याष्ट्रऩतत के ऩास सॊसद से ऩारयत विधेमकों के सॊफध


ॊ भें तनम्न प्रकाय की िीर्ो शन्त्क्त प्राप्त है -
 1. अत्माजन्तक िीिो — सॊसद द्िाया ऩारयत विधेमक को अऩने ऩास सयु क्षऺत यख रेता है।

 2. ननरम्फनकायी िीिो — सॊसद द्िाया ऩारयत विधेमक को ऩन


ु विगचाय, हे तु
रौर्ा दे ता है ।

 3. ऩॉकेि िीिो — इस के तहत याष्ट्रऩतत विधेमक ऩय न तो कोई सहभतत दे ता है न अस्िीकृत कयता


है औय न ही रौर्ता है । िस्तत
ु ् विधेमक को अतनन्त्श्चत कार के लरए रॊत्रफत कय दे ता है ।

उऩयाष्रऩनत (VICE PRESIDENT)

 उऩयाष्ट्रऩतत दे श का दस
ू या सिोच्च ऩद होता है । उऩयाष्ट्रऩतत याज्मसबा का ऩदे न सबाऩतत बी होता है ।
उसका कामगकार 5 िर्ग का होता है , जफकक याज्मसबा के सदस्मों का कामगकार 6 िर्ग होता है । याष्ट्रऩतत
की बाॉतत उऩयाष्ट्रऩतत का तनिागचन बी एक तनिागचक - भण्डर द्िाया ककमा जाता है । ऻातव्म हो कक
इसभें याज्म विधानसबा के सदस्म बाग नहीॊ रेत।े

 अनच्ु छे द - 63 — बायत का एक उऩयाष्ट्रऩतत होगा।

 अनच्ु छे द - 64 — उऩयाष्ट्रऩतत ―याज्मसबा का ऩदे न सबाऩतत‖ होगा औय अन्म कोई राब का ऩद धायण
नहीॊ कये गा।
Shivam Singh
 अनच्ु छे द - 65 — याष्ट्रऩतत की भत्ृ म,ु ऩदत्माग मा ऩद से हर्ाए जाने मा अन्म कायणों से उसके ऩद भें
हुई रयन्त्क्त की दशा भें उऩयाष्ट्रऩतत याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कये गा।

 उऩयाष्रऩनत ऩद की ितत्-

 मह सॊसद अथिा याज्म विधानभण्डर के ककसी सदन का सदस्म न हो। मदद ऐसा व्मन्त्क्त जो सॊसद
मा याज्म विधानभण्डर का सदस्म है , उऩयाष्ट्रतत ऩद के लरए तनिागधचत हो जाता है तो उऩयाष्ट्रऩतत
ऩद ग्रहण कयने की ततधथ से उस सदन भें उसका स्थान रयक्त सभझा जाएगा, न्त्जसका िह सदस्म
है । िह ककसी राब के ऩद ऩय न हो।

 ऩदािर्ध्- उऩयाष्ट्रऩतत की ऩदािधध 5 िर्ग होती है ककन्तु िह कबी बी अऩना त्मागऩर याष्ट्रऩतत को
दे सकता है । इसके अरािा याज्मसबा द्िाया उसे ऩदािधध से ऩि
ू ग बी हर्ामा जा सकता है ।
 उऩयाष्ट्रऩतत अऩने 5 िर्ग के ऩदािधध के ऩश्चात ् बी तफ तक अऩने ऩद ऩय फना यहता है, जफ तक
कक उसका उत्तयाधधकायी अऩना ऩद ग्रहण न कय रे।

 उऩयाष्रऩनत के कामण एिॊ िजततमाॊ:-

 याज्मसबा के सबाऩनत के रूऩ भें — याज्मसबा के सबाऩतत के रूऩ भें उसके कामग एिॊ शन्त्क्तमाॊ
रोकसबा अध्मऺ की बाॊतत होती है । बायतीम उऩयाष्ट्रऩतत अभेरयकी उऩयाष्ट्रऩतत की बाॊतत कामग
कयता है ।

 कामणिाहक याष्रऩनत के रूऩ भें — याष्ट्रऩतत का ऩद रयक्त होने की न्त्स्थतत भें (याष्ट्रऩतत की
भत्ृ म,ु त्मागऩर, तनष्ट्कासन मा अन्म कायणों से) उऩयाष्ट्रऩतत अर्धकतभ 6 भाह तक कामगिाहक
याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कयता है ।

 याष्रऩनत के अनऩ
ु जस्थनत — होने की दशा भें (फीभायी मा अन्म कायण से) िह याष्ट्रऩतत के ऩन
ु ् कामग कयने
तक उसके कतगव्मों का तनिगहन कयता है ।

 कामगिाहक याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कयते सभम िह याज्म सबा सबाऩतत के रूऩ भें कामग नहीॊ कयता तथा
याष्ट्रऩतत के ऩद सॊफध
ॊ ी िेतन प्राप्त कयता है ।

 ऩन
ु ननणिाणचन ऩय कोई प्रततफन्ध नहीॊ

 िऩथ्- याष्ट्रऩतत मा/याष्ट्रऩतत द्िाया तनमक्


Shivam Singh
ु त प्रतततनधध के सभऺ

 1. सॊविधान के प्रतत सच्ची िद्धा ि तनष्ट्ठा

 2. कतगव्मों का ऩारन

 हिाने की प्रकक्रमा्-

 उऩयाष्ट्रऩतत को ऩद से हर्ाने के हे तु भहालबमोग की आिश्मकता नहीॊ। याज्मसबा ―सॊकल्ऩ‖


ऩारयत कय ―प्रबािी फहुभत‖ (याज्म सबा के कुर सदस्मों का फहुभत) द्िाया उऩयाष्ट्रऩतत को
ऩद से हर्ा सकती है ।

 ककन्तु इस सॊफध
ॊ भें उऩयाष्ट्रऩतत को 14 ददन िर्ग सच
ू ना दे ना अतनिामग है तथा ऐसे सॊकल्ऩ
का रोकसबा द्िाया सहभतत आिश्मक है ।
सॊसद (Parliament)

 अनच्
ु छे द - 79 — सॊसद तीन अॊगों से लभरकय फनती है

रोकसबा + याज्मसबा + याष्रऩनत = सॊसद

 अनच्ु छे द - 80 — याज्मसबा की सॊयचना

 अनच्ु छे द - 81 — रोक सबा की सॊयचना

याज्म सबा

अर्धकतभ सदस्म सॊख्मा - 250 ितणभान सदस्म सॊख्मा - 245

तनिागधचत – 238 Shivam Singh तनिागधचत - 233


+ +
भनोनीत - 12 भनोनीत -12

तनिागधचत – 238 तनिागधचत - 233

याज्मों से – 234 + केन्द्रशालसत प्रदे श से - 4 याज्मों से – 229 + केन्द्रशालसत कुर-4

केन्द्रशालसत प्रदे श से - 4 केन्द्रशालसत कुर-4

ददल्री-3 + ऩद
ु च
ु ेयी-1 ऺेर ददल्री-(3) + ऩड
ु ु चेयी(1) से
 ननिाणचन्- याज्मसबा के सदस्मों का तनिागचन याज्म विधान सबा के ―तनिागधचत सदस्मों‖ द्िाया
―आनऩ
ु ाततक प्रतततनधधत्ि‖ के आधाय ऩय ―एकर सॊक्रभणीम‖ ऩद्धतत तथा ―खुरा भतदान‖ (Open Ballet)
द्िाया ककमा जाता है ।

 कामणकार्- याज्मसबा एक स्थामी सदन है, अत् विघर्न नहीॊ होता।


कामगकार — 6 िर्ग
प्रत्मेक 2 िर्ग फाद 1/3 सदस्म सेिातनित्ृ त औय इतने ही नए सदस्मों का चमन

 मोग्मता्-
1. बायत का नागरयक
2. आमु 30 िर्ग
3. राब के ऩद ऩय नहीॊ
4. बायत के ककसी बी तनिागचन ऺेर के तनिागचक नाभािरी भें नाभ हो।

 ननमोग्मता्-
 विकृत धचत्त मा ददिालरमा हो
 राब के ऩद ऩय हो
 चुनािी अऩयाध का दोर्ी हो
 साभान्त्जक अऩयाध जैसे — अस्ऩश्ृ मता, दे हज, सती प्रथा आदद का दोर्ी हो।

 याज्मसबा के वििेषार्धकाय्-
 अनच्ु छे द - 249 Shivam Singh
 अनच्ु छे द - 312
 उऩयाष्ट्रऩतत को ऩद से हर्ाने के प्रस्ताि का प्रायम्ब

 रोकसबा बॊग होने की न्त्स्थतत भें आऩात कार की अिधध को फढाने का अधधकाय

 7 िें सॊविधान सॊशोधन अधधतनमभ 1956‖ द्िाया याज्मसबा भें केन्द्रशालसत प्रदे श ददल्री ि ऩद
ु च
ु ेयी को
प्रतततनधधत्ि ददमा गमा।

 याज्मसबा का सबाऩनत्-

 दे श का उऩयाष्ट्रऩतत याज्मसबा का ऩदे न सबाऩतत होता है । अथागत ् िह सदन का सदस्म नहीॊ होता है ।
 िाईभत — रोकसबा अध्मऺ की बाॉतत िह बी ऩहरी फाय भें भत नहीॊ दे सकता फन्त्ल्क फयाफय भत ऩडने
की न्त्स्थतत भें तनणागमक भत दे ता है ।

 साभान्म भत/ऩहरी फाय भत(नहीॊ दे सकता) — जफ याज्म सबा भें सबाऩतत को हर्ाने सॊफध
ॊ ी सॊकल्ऩ
विचायाधीन हो तो िह सदन का ऩीठासीन अधधकायी नहीॊ होता (अध्मऺता नहीॊ कयता) मद्मवऩ िह
सदन की कामगिाही भें बाग तो रे सकता है ककन्तु भत नहीॊ दे सकता, जफकक रोकसबा का अध्मऺ
ऩहरी फाय भें भत दे सकता है अगय उसे हर्ाने का सॊकल्ऩ विचायाधीन हो।

 िह अऩना िेतन, बत्ता याज्मसबा के सबाऩतत के रूऩ भें प्राप्त कयता है, न कक उऩयाष्ट्रऩतत के रूऩ भें।
मह बायत की सॊधचत तनधध ऩय बारयत होता है ।

 याज्मसबा का उऩसबाऩनत्-
 याज्मसबा के सदस्म अऩने फीच से ही उऩसबाऩतत का कयते चमन हैं। महीॊ कायण है कक उऩसबाऩतत
रयक्त होने ऩय याज्म सबा नए उऩसबाऩतत का चमन स्िमॊ कय रेती है , जफकक रोकसबा भें मह
कामग याष्ट्रऩतत द्िाया ककमा जाता है ।

रोकसबा
ShivamकीSingh
सॊयचना

अर्धकतभ सदस्म सॊख्मा - 552 ितणभान सदस्म सॊख्मा — 545

तनिागधचत — 550 तनिागधचत — 543


+ +
भनोनीत — 2 एॊग्रो इॊडडमन भनोनीत — 2

ननिाणर्चत — 550 ननिाणर्चत — 543

याज्मों से 530 + केन्द्रशालसत प्रदे शों से 20 याज्मों से 530 + केन्द्रशालसत प्रदे शों से — 13
 ननिाणचन्- रोकसबा सदस्मों का तनिागचन ‘आनऩ
ु ाततक प्रतततनधधत्ि’ के आधाय ऩय नहीॊ फन्त्ल्क (प्रत्मऺ
तनिागचन द्िाया िमस्क सािगबौभ भताधधकाय के आधाय ऩय) ‘प्रादे लशक प्रतततनधधत्ि’ के आधाय ऩय होता है ।

 कामणकार्- 5 िर्ग। रोकसबा एक अस्थामी सदन है न्त्जसे प्रधानभॊरी की लसपारयस ऩय सभम ऩि


ू ग
याष्ट्रऩतत द्िाया बॊग ककमा जा सकता है ।

 पस्ि भास्ि द भोस्ि शसस्िभ(FTP):- अथागत ् रोकसबा के चन


ु ाि भें िह प्रत्माशी जीतता है, न्त्जसे
सिागधधक भत प्राप्त होते हैं।

 मोग्मता्- याज्मसबा केिर आमु का अन्तय रोकसबा हे तु 25 िर्ग तथा याज्मसबा हे तु आमु 30 िर्ग
होनी चादहए।

 रोकसबा का अध्मऺ्-
 अनच्ु छे द - 93 के अनस
ु ाय रोकसबा स्िमॊ अऩने सदस्मों भें से ही अध्मऺ चुनती है एिॊ उऩाध्मऺ
चमन कयती है ।

 अध्मऺ एिॊ उऩाध्मऺ दोनों ऩद रयक्त होने ऩय रोकसबा द्िाया फनाए गए 10 सदस्मों की तालरका भें
से िरयष्ट्ठता के क्रभ भें आने िारा व्मन्त्क्त अध्मऺता कयता है ।

 रोकसबा अध्मऺ के कामण ि िजततमाॉ:-


 विधेमक के धन विधेमक का तनधागयण, सॊमक्
ु त फैठक अध्मऺता (आहूत याष्ट्रऩतत), तनणागमक दर-
Shivam Singh
फदर तनयहगता तनणगम (न्मातमक सभीऺा सॊबि), सॊसदीम सलभतत अध्मऺ तनमन्त्ु क्त।

 प्रोिे भ स्ऩीकय (अस्थामी अध्मऺ):-

 चुनाि ऩश्चात नई रोकसबा के लरए याष्ट्रऩतत द्िाया एक ‘अस्थामी अध्मऺ’ (प्रोर्े भ स्ऩीकय)
तनमक्
ु त ककमा जाता है जो प्राम् रोकसबा का िरयष्ट्ठतभ सदस्म होता है ।

 प्रोर्े भ स्ऩीकय को स्थामी अध्मऺ के सभान ही शन्त्क्तमाॉ प्राप्त होती हैं।

 उसका भख्
ु म कामग रोकसबा के नए सदस्मों को शऩथ ददराना तथा सदन के स्थामी अध्मऺ के
चमन भें भदद कयना है ।

 प्रोर्े भ स्ऩीकय को याष्ट्रऩतत स्िमॊ शऩथ ददराता है।


 बायत के ऩहरे प्रोर्े भ स्ऩीकय डॉ सन्त्च्चदानॊद लसन्हा थे।
सॊसद के सत्र (Session of Parliament)

 सॊसद के दो सत्रों के फीच 6 भाह से अर्धक का अन्तयार नहीॊ होना चादहए अथागत ् 1 िर्ग भें दो
सर अिश्म होना चादहए।

 साभान्मत् एक िर्ग भें तीन सर होते हैं:-

 1. फजि सत्र (पयियी से भई)

 2. भानसन
ू सत्र (जुराई से शसतम्फय)

 3. िीतकारीन सत्र (निम्फय से ददसम्फय)

 एक सरािसान ि दस
ू ये सर के प्रायॊ ब होने के भध्म की सभमािधध को ‘अिकाश’ ‘सरािकाश’ कहते हैं।

 कोयभ/गर्ऩनू तण — मह सदन के कुर सदस्मों का 10% (ऩीठासीन अधधकायी सदहत) होता है । कोयभ
के अबाि भें अध्मऺ/सबाऩतत का दातमत्ि है कक िह सदन की कामगिाही को स्थाधगत कय दे ।

 स्थगन — स्थगन द्िाया सथन की फैठक को एक तनन्त्श्चत सभम के लरए योक ददमा जाता है । मह
सभम कुछ घण्र्े , कुछ ददन मा कुछ सप्ताह बी हो सकता है ।
Shivam Singh
 सत्रािसान — सदन के ककसी सर का सभाऩन सरािसान कहराता है । सरािसान की घोर्णा याष्ट्रऩतत
द्िाया भॊत्ररऩरयर्द की सराह से होती है ।

 अननश्चतकारीन स्थगन — इसके तहत अध्मऺ द्िाया मह नहीॊ फतामा जाता है कक सदन को
ककतने सभम के लरए स्थाधगत ककमा जा यहा है ।

 विघिन — विघर्न से विद्मभान सदन का जीिनकार सभाप्त हो जाता है । रोकसबा का विघर्न


ककमा जा सकता है ककन्तु याज्मसबा का नहीॊ क्मोंकक याज्मसबा एक स्थामी सदन है ।

 रेक-डक सत्र — नमी रोकसबा के गठन से ऩि


ू ग ितगभान रोकसबा के अॊततभ सर को ‘रेभ-डक सर’
कहते हैं।
 ितणभान रोकसबा के िे सदस्म, जो नमी रोकसबा के शरए ननिाणर्चत नहीॊ हो ऩाते ‘रेभ-डक’
कहराते हैं।

 सॊसदीम कामणिाही के साधन –

प्रश्न कार अल्ऩकारीन चचाण

िन्
ू म कार आधे घॊिे की फहस

प्रस्ताि और्चत्म प्रश्न

सॊकल्ऩ मि
ु ा सॊसद

अविश्िास प्रस्ताि

 प्रश्न कार — सॊसद का ऩहरा घण्र्ा (11 फजे से 12 फजे तक) प्रश्न कार कहराता है । इस सभम
सॊसद सदस्म प्रश्न ऩछ
Shivam Singh
ू ते हैं तथा भॊरी उसका जिाफ दे ते हैं।

प्रश्नों के प्रकाय
तायाॊककत प्रश्न अतायाॊककत प्रश्न अल्ऩ सच
ू ना के प्रश्न

भौखखक प्रश्न शरखखत प्रश्न भौखखक प्रश्न


(15 ददन का नोदिस दे कय)
भौखखक उत्तय शरखखत उत्तय भौखखक उत्तय
ऩयू क प्रश्न ऩछ
ू े जा सकते हैं। ऩयू क प्रश्न नहीॊ सािणजननक भहत्ि के विषम से
सॊफर्ॊ धत
कभ से कभ 10 ददन का नोदिस
दे कय ऩछ
ू ा जाता है ।
 िन्
ू म कार — मह बायतीम निाचाय है । प्रश्न कार के तयु ॊ त फाद (12 फजे से 1 फजे) तक 1 घॊर्े
का कार ‘शन्
ू म कार’ कहराता है ।

 शन्ू म कार भें सॊसद सदस्म त्रफना ककसी ऩि


ू ग सच
ू ना के ककसी भाभरे को उठा
सकते हैं।
 मह ‘अनौऩचारयक साधन’ है।
 आधे घॊिे की फहस — रोक भहत्ि के विर्मों ऩय चचाग के लरए अध्मऺ द्िाया सप्ताह भें तीन ददन
तनधागरयत कय ददमा जाता है। इस ऩय भतदान की आिश्मकता नहीॊ होती।

 अल्ऩकाशरक चचाण मा दो घॊिे की चचाण्-

 सािगजतनक भहत्ि के विर्म ऩय फहस।

 अध्मऺ सप्ताह भें तीन ददन फहस हे तु उऩरब्ध कया सकता है ।

 फहस भें/चचाग भें 2 घॊर्े से अधधक सभम नहीॊ रगता।

 और्चत्म प्रश्न्-
 साभान्मता विऩऺी सदस्म द्िाया सयकाय ऩय तनमॊरण हे तु तफ उठामा जाता है जफ सदन
भें सॊचारन के साभान्म तनमभों का ऩारन नहीॊ होता।
Shivam Singh
 औधचत्म प्रश्न भें ककसी फहस की अनभ
ु तत नहीॊ होती।

 मह सदन का ध्मान आकवर्गत कयने की असाधायण मन्त्ु क्त है क्मोंकक मह सदन की


कामगिाही सभाप्त कयती है ।

 अननमत ददिस/अननजश्चत प्रस्ताि्-

 ऐसा प्रस्ताि न्त्जस ऩय चचाग के लरए सभम ि ततधथ की घोर्णा ककमे फगैय रोकसबा अध्मऺ
द्िाया स्िीकाय कय लरमा जाता है ।

 ननमभ 377 / वििेष उल्रेख्- ऐसा भाभरा जो औधचत्म प्रश्न नहीॊ है , उसे प्रश्न कार
के दौयान नहीॊ उठामा जाता, आधे घॊर्े की फहस से न्त्जसभें कई साये भाभरे शालभर हैं, इसे
विशेर् उल्रेख के तहत याज्मसबा भें उठामा जाता है । मह रोकसबा भें तनमभ-377 के अधनी
‘नोदर्स’ कहा जाता है।
प्रस्ताि

 ऩीठासीन अधधकायी को शन्त्क्त प्राप्त है कक िह ककसी प्रस्ताि को स्िीकाय कये मा अस्िीकाय


कयें ।

सॊसद भें ऩेि ककए जाने िारे विशबन्न प्रस्ताि -

 धन्मिाद प्रस्ताि्-
 प्रत्मेक आभ चुनाि के फाद ऩहरे सर एिॊ वित्तीम िर्ग के ऩहरे सर भें याष्ट्रऩतत सदन को
सॊफोधधत कयते हुए अलबबार्ण दे ता है । मह अलबबार्ण भॊत्ररऩरयर्द द्िाया तैमाय ककमा जाता है ,
न्त्जसभें सयकाय के कामग तनष्ट्ऩादन ि बािी मोजनाओॊ का न्त्जक्र होता है ।

 धन्मिाद प्रस्ताि का सॊविधान भें उल्रेख नहीॊ है। मह ससॊदीम प्रकक्रमा का बाग है।

 ध्मानाकषणर् प्रस्ताि्-

 शन्ू म कार की तयह मह बी बायतीम निाचाय की दे न है ।

 शन्ू म कार के विऩयीत इसका प्रकक्रमा तनमभों भें उल्रेख है।


Shivam Singh
 अविरॊफनीम रोक भहत्ि के प्रश्न/भद्द
ु े ऩय भॊरी का ध्मान आकवर्गत कयने के लरए सदन
के सदस्म द्िाया अध्मऺ की ऩि
ू ग अनभ
ु तत से रामा जाता है ।

 स्थगन प्रस्ताि्-
 स्थगन प्रस्ताि भें ऐसे भद्द
ु ों को उठामा जाता है जो अत्मन्त जरूयी तथा रोक भहत्ि के
हों। ऐसी न्त्स्थतत भें सदन भें ितगभान चचाग को योककय स्थगन प्रस्ताि द्िाया राए गए भद्द
ु े
ऩय चचाग की जाती है । स्थगन प्रस्ताि ककसी बी सदन भें रामा जा सकता है ।

 अविश्िास प्रस्ताि्-
 रोकसबा के तनमभ 198 के तहत अविश्िास प्रस्ताि केिर रोकसबा भें रामा जा सकता
है ।
 इस प्रस्ताि को राने के लरए कायण फताना आिश्मक नहीॊ।

 मह प्रस्ताि विऩऺ द्िाया रामा जाता है।


 अविश्िास प्रस्ताि ऩय चचाग के लरए रोक सबा के 50 सदस्मों की सहभतत अतनिामग है।

 अविश्िास प्रस्ताि ऩारयत हो जाने ऩय सयकाय को अतनिामग रूऩ से त्मागऩर दे ना ऩडता है।

 वििेषार्धकाय प्रस्ताि्-

 मह प्रस्ताि सॊसदीम विशेर्ाधधकायों के उल्रॊघन से सॊफधॊ धत है। मदद कोई सॊसद सदस्म मह
भहसस
ू कयता है कक त्मों को छुऩाकय मा गरत सच
ू ना दे कय ककसी भॊरी ने सॊसद सदस्मों
के विशेर्ाधधकायों का उल्रॊघन ककमा है तो सॊसद सदस्म/सदस्मों द्िाया विशेर्ाधधकाय प्रस्ताि
रामा जा सकता है । इसका उद्देश्म सॊफधॊ धत भॊरी की तनॊदा कयना है ।

 विशेर्ाधधकाय प्रस्ताि त्रिर्े न से लरमा गमा है।

ननॊदा प्रस्ताि्- केिर रोकसबा भें रामा जा सकता है ।


* ककसी एक भॊरी मा सभस्त भॊत्ररऩरयर्द के विरुद्ध रामा जा सकता है ।
* तनॊदा प्रस्ताि को राने का कायण फताना अतनिामग है।
* तनॊदा प्रस्ताि ऩारयत हो जाने ऩय सयकाय को त्माग ऩर दे ना आिश्मक नहीॊ होता ककन्तु उस ऩय दफाि

आ जाता है कक िह (सयकाय) विश्िास प्रस्ताि मा अन्म भाध्मभों से रोकसबा भें अऩना फहुभत लसद्ध कयें ।

Shivam
 ननॊदा प्रस्ताि औय अविश्िास प्रस्ताि भें Singh
अन्तय -
ननॊदा प्रस्ताि अविश्िास प्रस्ताि
1. तनॊदा प्रस्ताि राने का कायण फताना अतनिामग है । 1. अविश्िास प्रस्ताि राने का कायण फताना आिश्मक
नहीॊ।

2. एक भॊरी मा अनेक भॊत्ररमों के विरुद्ध रामा जा 2. सभस्त भॊत्ररऩरयर्द के विरुद्ध रामा जाता है , न कक
सकता है । ककसी एक भॊरी के विरुद्ध
3. सयकाय को त्माग ऩर दे ना ऩडता। 3. सयकाय (भॊत्ररऩरयर्द) को त्माग ऩर दे ना अतनिामग
है ।
4. सयकाय के कुछ कामों मा नीततमों के र्खराप तनॊदा 4. मह भॊत्ररऩरयर्द को रोकसबा का विश्िास प्राप्त है
के लरए रामा जाता है । मा नहीॊ, के तनधागयण के लरए रामा जाता है ।
विधेमक -
1. साधायर् विधेमक्-

1. ककसी बी सदन भें प्रस्तत


ु ।

2. दोनों सदनों को सभान शन्त्क्तमाॉ (ककॊ तु सॊमक्


ु त फैठक के कायण याज्मसबा का प्रबाि कभ)

3. सॊमक्
ु त फैठक का प्रािधान

4. याष्ट्रऩतत द्िाया स्िीकाय, अस्िीकाय, ऩन


ु विगचाय हे तु बेजना, िीर्ो का प्रमोग

5. याष्ट्रऩतत की ऩि
ू ग अनभ
ु तत आिश्मक नहीॊ।

2. धन विधेमक्-

1. केिर रोकसबा भें ऩेश

2. याज्मसबा 14 ददन तक योक सकती है मा सॊशोधन की लसपारयश कय सकती है । न्त्जसे स्िीकाय कयना

रोकसबा की इच्छा ऩय तनबगय है ।

3. सॊमक्
ु त फैठक नहीॊ हो सकती।
Shivam Singh
4. याष्ट्रऩतत स्िीकाय कयते हैं, ऩयन्तु ऩन
ु विगचाय हे तु नहीॊ रौर्ा सकते।

5. याष्ट्रऩतत की ऩि
ू ग अनभ
ु तत से।

3. वित्त विधेमक (अनुच्छे द-117)

1. केिर रोक सबा भें ऩेश ककमा जा सकता है ।

2. याज्म सबा द्िाया सॊशोधन ककमा जा सकता है ।

3. सॊमक्
ु त फैठक हो सकती है ।

4. याष्ट्रऩतत स्िीकाय, अस्िीकाय मा ऩन


ु विगचाय के लरए कह सकते हैं।

5. याष्ट्रऩतत की ऩि
ू ग अनभ
ु तत से रामा जाता है ।
फजि (Budget)
* बायतीम सॊविधान भें फजर् शब्द का प्रमोग नहीॊ ककमा गमा है ।

* अनच्
ु छे द 112 भें फजि के शरए ‘िावषणक वित्तीम विियर्’ िब्द का प्रमोग ककमा गमा है ।

* वित्तीम िर्ग — 1 अप्रैर से आयॊ ब होकय 31 भाचण तक।

* फजर् के अन्तगगत तनम्नलरर्खत विियण शालभर ककमे जाते हैं-

1. याजस्ि एिॊ ऩॉज


ू ी की अनभ
ु ातनत प्रान्त्प्तमाॉ।

2. िास्तविक प्रान्त्प्तमाॉ एिॊ खचग का विियण।

3. याजस्ि फढाने के उऩाम ि साधन

4. खचग का अनभ
ु ान।

5. आने िारे सार के लरए आधथगक एिॊ वित्तीम नीतत।

6. कय व्मिस्था एिॊ खचग की मोजना।

7. नमी ऩरयमोजना।

Shivam Singh
फजि के सॊफॊध भें सॊिध
ै ाननक प्रािधान्-

* अनच्
ु छे द-112(1) — याष्ट्रऩतत प्रत्मेक वित्तीम िर्ग भें फजर् को सॊसद के दोनों सदनों के सभऺ यखिाएगा।

* याष्ट्रऩतत के लसपारयश के त्रफना अनद


ु ानों की भाॉग नहीॊ की जाएगी।

* सॊधचत तनधध से कोई बी धन वितनमोग विधेमक के भाध्मभ से ही तनकारा जाएगा।

* याष्ट्रऩतत की सॊस्ततु त के त्रफना कय तनधागयण सॊफध


ॊ ी विधेमक सॊसद भें ऩयु ्स्थावऩत नहीॊ ककमा जा सकता।

* कय सॊफध
ॊ ी विधेमक केिर रोकसबा भें ही ऩयु ्स्थावऩत ककमा जा सकता है ।

* सॊसद ककसी कय भें कभी मा सभाप्त कय सकती हैं ककॊ तु इसे फढा नहीॊ सकती।

* प्राधधकृत विधध के लसिाम ककसी कय की उगाही मा सॊग्रहण नहीॊ ककमा जाएगा।


* फजि भें दो प्रकाय के व्मम िाशभर होते हैं।

1. बायत की सॊधचत तनधध ऩय बारयत व्मम्- सॊसद भें भतदान की आिश्मकता नहीॊ।

2. बायत की सॊधचत तनधध से ककए गए व्मम - हे तु सॊसद भें भतदान आिश्मक।

फजि ऩारयत होने की प्रकक्रमा्-

सॊसद भें फजर् ऩारयत होने की प्रकक्रमा 6 चयणों से होकय गज


ु यती है-

1. फजि का प्रस्तुतीकयर् — फजर् वित्त भॊरी द्िाया 1 पयियी को ऩेि ककमा जाता है। वित्तभॊरी द्िाया
फजर् बार्ण के ऩश्चात ् फजर् को सिगप्रथभ रोकसबा भें प्रस्तत
ु ककमा जाता है । याज्मसबा को अनद
ु ान भाॊगों ऩय
कर्ौती का अधधकाय नहीॊ होता है ।

2. आभ फहस — दस
ू ये चयण भें फजर् ऩय तीन से 4 ददन की फहस चरती है । फहस के अन्त भें वित्त भॊरी
द्िाया सासॊदों के प्रश्नों का जिाफ ददमा जाता है ।

3. विबागीम सशभनतमों द्िाया जाॉच — फजर् ऩय फहस के ऩश्चात ् सॊसद की स्थामी सलभततमाॉ अनद
ु ान भाॊगों
की जाॉच कयती है । स्थामी सलभतत की मह व्मिस्था 1993 भें सॊसदीम वित्तीम तनमॊरण के उद्देश्म से प्रायॊ ब की
गई थी।

4. अनुदान भाॊगों ऩय भतदान — अनद


ु ान भाॊगों ऩय भतदान ऩय अधधकाय केिर रोक सबा को है , याज्म सबा
को नहीॊ। Shivam Singh
5. विननमोग विधेमक ऩारयत होना — बायत की सॊधचत तनधध से कोई बी धन वितनमोग विधेमक के भाध्मभ
से ही तनकारा जाएगा। वितनमोग विधेमक रोक सबा भें ऩेश ककमा जाता है । इसभें रोक सबा द्िाया स्िीकृत
सबी भाॊगों तथा सॊधचत तनधध ऩय बारयत व्मम को सन्त्म्भलरत ककमा जाता है ।

6. वित्त विधेमक ऩारयत होना — आने िारे िर्ग के लरए सयकाय के सबी वित्तीम प्रस्ताि वित्त विधेमक भें
शालभर ककमे जाते हैं। साभान्मत् वित्त विधेमक को फजर् ऩेश ककमे जाने के तयु ॊ त फाद रोक सबा भें ऩेश ककमा
जाता है । वितनमोग विधेमक के विऩयीत वित्त विधेमक भें कय फढाने मा घर्ाने सॊफध
ॊ ी सॊशोधन प्रस्तावित ककमे
जा सकते हैं।

वित्त विधेमक ऩेश होने के 75 ददन के बीतय सॊसद द्िाया ऩारयत ि याष्ट्रऩतत द्िाया स्िीकृत होना आिश्मक है ।
सिोच्च न्मामारम (SUPREME COURT)

 सॊविधान के बाग-5 के अनुच्छे द 124 - 147 सिोच्च न्मामारम से सॊफधधत है ।

 बायत की शासन प्रणारी सॊघीम है ऩयन्तु न्मामऩलरका एकीकृत है अथागत ऩूये दे श के लरए एक ही
सिोच्च न्मामारम है ।

 सिोच्च न्मामारम (01)


 उच्च न्मामारम
 न्त्जरा एिॊ सर न्मामारम (प्रत्मेक न्त्जरे भें )
 भुन्त्न्सप न्मामारम (न्त्जरे भें कई)
 न्माम ऩॊचामत (गाॉि भें एक)

 सॊविधान रागू होने के सभम उच्चतभ न्मामारम भें न्मामधीशों की सॊख्मा 8 (7+1) थी।

 उच्चतभ न्मामारम भें न्मामाधीशों की सॊख्मा भें िवृ द्ध की शन्त्क्त सॊसद के ऩास है |

Shivam Singh
प्रश्न - क्मा सिोच्च न्मामारम ददल्री के अततरयक्त अन्म ककसी स्थान ऩय सन
ु िाई कय
सकता है ?
उत्तय – हाॉ , मदद भख्
ु म न्मामाधीश याष्ट्रऩतत के अनभ
ु ोदन से कोई स्थान सन
ु िाई के लरए
तम कयें तफ

उदाहयर् — अबी तक है दयाफाद ि िीनगय भें सिोच्च न्मामारम ऐसी सुनिाई कय चक


ु ा है ।

प्रश्न - सॊविधान के तनिगचन सॊफॊधी अगय कोई केस हो तो कभ से कभ ककतने जजों की फेंच
(ऩीठ) होनी चादहए ?
उत्तय - न्मूनतभ 5
 तदथण न्मामाधीि(Art. 127):- जफ सुप्रीभ कोर्ग (सुप्रीभ कोर्ग ) के सर को चारू यखने के लरए
गणऩूततग ना होने ऩय न्मामाधीशों की आिश्मकता होती है । तदथग न्मामाधीश की तनमुन्त्क्त CJI
द्िाया याष्ट्रऩतत की ऩूिग सहभतत से होती है ।

 मोग्मता्- ककसी उच्च-न्मामारम के न्मामाधीश को जो उच्चतभ न्मामारम का न्मामाधीश


तनमुक्त ककमे जाने की मोग्मता यखता हो।

 उच्च न्मामारम के न्मामाधीश से ऩयाभशग कय तदथग न्मामाधीश तनमक्


ु त ककमा जा सकता
है । मे केिर सप्र
ु ीभ कोर्ग (सप्र
ु ीभ कोर्ग ) भें होता है ।

 कामणकायी भख्
ु म न्मामाधीि की ननमजु तत्- जफ CJI( चीप जन्त्स्र्स ऑप इॊडडमा) ना हो,
तफ सप्र
ु ीभ कोर्ग Art.-126 के अन्म न्मामाधीशों भें से याष्ट्रऩतत कामगकायी भख्
ु म न्मामाधीश की
तनमन्त्ु क्त कय सकता है ।

 Note:- सॊविधान भें भुख्म न्मामाधीश की तनमुन्त्क्त के लरए कोई ऩथ


ृ क प्रािधान नहीॊ है ियन
प्रत्मेक न्मामाधीशों की तनमन्त्ु क्त के लरए एक ही प्रकक्रमा है ।

 अन्म न्मामाधीिों की ननमजु तत्- याष्ट्रऩतत बायत के CJI की सराह ऩय (याष्ट्रऩतत


Shivam Singh
तनमन्त्ु क्त कयते सभम उच्चतभ ि उच्च न्मामारमों के अन्म न्मामाधीशों से सराह बी रे सकता
है न्त्जसे िह उधचत सभझे) ऩयन्तु याष्ट्रऩतत को भुख्म न्माधीश से ऩयाभशग कयना अतनिामग है |

 ऩयन्तु याष्ट्रऩतत न्मामाधीशों के उस ऩयाभशग को भानने के लरए फाध्म नहीॊ है जो CJI


द्िाया अन्म न्मामाधीशों से ऩयाभशग ककए त्रफना लसपारयश बेजी गई हो।
 न्मामाधीिों को हिामा जाना्- 1. लसद्ध कदाचाय 2. असभथगता

 सॊसद के दोनों सदनों द्िाया विशेर् फहुभत से ऩारयत होने ऩय याष्ट्रऩतत द्िाया हर्ामा
जाता है |
 अबी तक ककसी बी न्मामाधीश को भहालबमोग द्िाया हर्ामा नहीॊ गमा है ।
 न्मामाधीि जाॉच अर्धननमभ्- 1968 सुप्रीभ कोर्ग ने न्मामाधीशों को हर्ाने िारे प्रस्ताि को
सॊसद भें यखने तथा उनके कदाचाय ि असभथगता की जाॉच के लरए 3 सदस्मी कभेर्ी फनाई
जामेगी।
 सिोच्च न्मामारम के ऺेत्रार्धकाय ि अन्म अर्धकाय्-

 अनच्
ु छे द 131 — प्रायन्त्म्बक अधधकारयता

 अनच्
ु छे द 132 — सॊिैधातनक भाभरों भें अधधकारयता

 अनुच्छे द 133 — लसविर भाभरों भें

 अनुच्छे द 134 — अऩयाधधक भाभरों भें

 अनुच्छे द 136 — िैिेकीम अधधकारयता (अऩीर के लरए


विशेर् इजाजत)

 अनुच्छे द 137 — न्मातमक ऩुनविगरोकन

 अनुच्छे द 143 — सराहकायी अधधकारयता


Shivam Singh
 अनुच्छे द 141 — सुप्रीभ कोर्ग द्िाया ददमे गमे तनणगम बायत के सबी न्मामारमों ऩय फाध्मकायी
होते हैं।

 प्रायजम्बक ऺेत्रार्धकाय — सुप्रीभ कोर्ग का िह अधधकाय न्त्जसके तहत िह ककसी भाभरे की


सीधे सुनिाई कयता है । प्रायॊ लबक ऺेराधधकाय बी दो प्रकाय के होते हैं |
1. ऩर्
ू ण भर
ू अर्धकाय ऺेत्र 2. सभिती प्रायॊ शबक ऺेत्रार्धकाय

 (1) ऩर्
ू ण भर
ू अर्धकाय ऺेत्र (Obsolute Original Jurisdiction) :-

 लसपग सुनिाई सुप्रीभ कोर्ग भें होती है


 बायत सयकाय ि 1 मा अधधक याज्मों के भध्म वििाद

 दो मा अधधक याज्मों के भध्म वििाद ऩयन्तु इसकी बी कुछ शते हैं |

 ितत मा योक — इस ऺेराधधकाय भें केिर िही भाभरे सुप्रीभ कोर्ग रे सकता है न्त्जनभें विधध का
प्रश्न हो अत् इसके तहत सप्र
ु ीभ कोर्ग याजनैततक भाभरे ग्रहण नहीॊ कय सकता।

 सॊविधान रागू होने से ऩि


ू ण — भें ककए गए सॊधध कयाय, इत्मादद ने वििाद होने ऩय उच्चतभ
न्मामारम को प्रायन्त्म्बक ऺेराधधकाय नहीॊ प्राप्त है ।

 (b) सभिती प्रायजम्बक ऺेत्रार्धकाय (Concurrent Original Jurisdiction) —


ऐसे भाभरे जो सप्र
ु ीभ कोर्ग ि HC दोनों की प्रायन्त्म्बक ऺेराधधकाय भें आते हैं।
 जैसे – भर
ू अधधकाय

 अऩीरीम ऺेत्रार्धकाय (Appellate Jurisdiction) : - सुप्रीभ कोर्ग बायत का अन्त्न्तभ


अऩीरीम न्मामारम है , उसे सबी HC के तनणगम के विरूद्ध अऩीर सन
ु ने का अधधकाय है ।

 अऩीरीम ऺेराधधकाय चाय प्रकाय के होते हैं, जो तनम्न हैं -


Shivam Singh
 (a) सॊिध
ै ाननक भाभरों भें अऩीर (Appeal in constitutional matters) -
हाइकोर्ग (HC) इस फात का प्रभाण दे कक उक्त भाभरें भें सॊविधान की व्माख्मा से सॊफधधत कोई
प्रश्न है ।

 (b) शसविर भाभरों भें अऩीर (Appeal in civil cases) –

 HC इन दो भाभरो का प्रभाण ऩर दे तफ सप्र


ु ीभ कोर्ग भें लसविर भाभरों की सन
ु िाई

 उस भाभरे भें विधध के व्माऩक भहत्ि का प्रश्न हो।

 HC की याम भें उस प्रश्न का सुप्रीभ कोर्ग द्िाया डडसीजन जरूयी हो।


 Note :- भूर सॊविधान भें ऐसा प्रािधान ता कक 20 हजाय रूऩए से ऊऩय के दीिानी भाभरे ही
सुप्रीभ कोर्ग भें जा सकते थे रेककन सॊविधान सॊशोधन 30 से मह खत्भ कय- उऩयोक्त दोनों
आधाय जोडे गए।
 Note :- उच्च न्मामारम के एकर न्मामाधीश के आदे श के विरूद्ध अऩीर उच्च न्मामारम भें
ही की जा सकती है ।

 (c) अऩयार्धक भाभरों भें अऩीर (Appeal in criminal cases) –

 उच्च न्मामारम ने अधीनस्थ न्मामारम के दोर्भुक्त के आदे श को अऩीर भें उरर् ददमा हो
मा
 उच्च न्मामारम अधीनस्थ न्मामारम से भाभरा भगाॊए औय अलबमुक्त ऩय दोर्लसद्ध कयते हुए
भत्ृ मु दण्ड दे दे ।
 Note - सॊसद आऩयधधक भाभरों भें सुप्रीभ कोर्ग की अऩीर ग्रहण कयने ि सुनने के लरए
अततरयक्त शन्त्क्त प्रदान कय सकती है । (अनच्
ु छे द-140)

 (d) वििेष इजाजत (Special permission) -

Shivam Singh
 सुप्रीभ कोर्ग ककसी बी भाभरे को अऩने िहाॉ दे खने के लरए विशेर् इजाजत दे सकता है । मह
शन्त्क्त असादायण औय गम्बीय भाभरों भें हस्तऺेऩ कयने के प्रामोजन से प्रदान की गई है ।
 Note:- सैन्म न्मामारम के विरूद्ध मे विशेर् इजाजत नहीॊ।

 ऩयाभिण ऺेत्रार्धकाय (Consulting jurisdiction) –

 अनच्
ु छे द-143 सप्र
ु ीभ कोर्ग को मह याईर् दे ता है कक िह सािगजतनक भहत्ि के भद्द
ु े ऩय
याष्ट्रऩतत द्िाया याम भाॉगने ऩय याम दे । स्िप्रेयणा से याष्ट्रऩतत को ऩयाभशग नहीॊ दे ता।
याष्ट्रऩतत सराह भानने को फाध्म नहीॊ। इसी तयह सप्र
ु ीभ कोर्ग बी सारह दे ने को फाध्म नहीॊ
है ।
 ऩयाभशग सलभतत भें 5 भेम्फय (Minimum) होते हैं।
 अशबरेखीम न्मामारम (Court of record) –

 तनणगमों का साक्ष्मात्भक भूल्म होगा।


 ककसी न्मामारम भें प्रश्न धचह्न नहीॊ रगामा जा सकता है ।
 ―कन्र्े म्र् आि कोर्ग ‖ भें ककसी को बी दन्त्ण्डत ककमा जा सकता है ।

 ऩन
ु विणरोकन का अर्धकाय (Right to Review) –

 सिोच्च न्मामरम को अनुच्छे द 137 के तहत अऩने तनणगमों के ऩुनविगरोकन का अधधकाय


है ।

 सुप्रीभ कोर्ग का मे अधधकाय सॊसद द्िाया फनाई गई विधध मा अनुच्छे द -145 के तहत
फनामे गए तनमभों के अधीन है ।

 अनुच्छे द 139 क — सुप्रीभ कोर्ग को, एक हाईकोर्ग (HC) से दस


ू ये हाईकोर्ग (HC) भें कुछ भाभरों
भें राॊसपय कयने की तथा हाईकोर्ग (HC) से कुछ भाभरों को अऩने ऩास भॉगाने की शन्त्क्त दी
गई है ।

 ऩि
Shivam Singh
ू ण ननर्णम का शसद्धान्त (Pre-Decision Principle) –
 सप्र
ु ीभ कोर्ग के डडसीजन हाईकोर्ग (HC) के लरए ऩि
ू ग तनणगम का फर यखते हैं। ऩयन्तु मे
तनमभ स्िमॊ सप्र
ु ीभ कोर्ग ऩय रागू नहीॊ होता अत् सप्र
ु ीभ कोर्ग अऩने तनणगम को फदर
सकता है ।

 न्मानमक ऩन
ु विणरोकन (Judicial review) -

 न्मातमक ऩन
ु विगरोकन से तात्ऩमग सप्र
ु ीभ कोर्ग द्िाया सॊविधान ि उसकी सिोच्चता से ही
अथागत सॊघीम मा याज्म विधानभण्डर द्िाया अगय अऩने सीभाओॊ के फाहय जाकय विधध
तनभागण कयते हैं मा भर
ू अधधकाय के विरूद्ध कानन
ू फनाते हैं तो ऐसे विधध मा कानन
ू सप्र
ु ीभ
कोर्ग सभाप्त कय सकता है ।

 मह लसपग USA औय बायत भें ही है ।


 अनुच्छे द - 140 — सॊसद सुप्रीभ कोर्ग की शन्त्क्तमों भें िवृ द्ध कय सकती है ।

 रोकदहत िाद - Public Interest litigation (PIL)

 PIL — PN बगिती + कृष्ट्णा अय्मय साहफ द्िाया (1980) भें प्रिततगत की गमी |
 बायत भें इसकी शुरूआत – बागरऩुय के विचायाधीन कैददमों से हुई |
 “ककसी बी व्मन्त्क्त के विधधक अधधकायों की ऺतत की ददशा भें सभाज का कोई बी अन्म व्मन्त्क्त
अनुच्छे द 32 के तहत आिेदन दे सकता है ।

 Note:- ऩर लरखकय बी न्माम भाॉग सकता है अथागत रयर् की अतनिामगता नहीॊ।

 अिधायणा को अऩनाने के कायण सप्र


ु ीभ कोर्ग की अनच्
ु छे द - 32 के तहत अधधकारयता
व्माऩक हो गई है ।

प्रश्न . ककस न्मामारम भें PIL डारी जा सकती है ?


उत्तय - लसपग सप्र
ु ीभ कोर्ग मा हाई कोर्ग भें
Shivam Singh
प्रश्न . एक व्मन्त्क्त को त्रफना भक
ु दभा चरामे (वप्रिेन्त्न्र्ि डडर्े न्शन के अन्तगगत) ककतने ददन तक
फॊदी फनाकय यखा जा सकता है ?
उत्तय - तीन भाह तक (90 ददन)

प्रश्न. िो कौन-सा अनुच्छे द है न्त्जसके अनुसाय ककसी अऩयाधी को एक ही अऩयाध के लरए दो


फाय दन्त्ण्डत नहीॊ कय सकते हैं ?
उत्तय - अनुच्छे द-20(2)

प्रश्न. िो कौन-सा अनुच्छे द है न्त्जसके अनुसाय ककसी व्मन्त्क्त को स्िमॊ के विरूद्ध गिाही के लरए
फाध्म नहीॊ कय सकते ?
उत्तय - अनुच्छे द 20(3)
उच्च न्मामारम (High Court)

 सॊविधान के अनच्
ु छे द (214 – 232) भें याज्मों के उच्च न्मामारमों के फाये भें उऩिॊध है ।
 अनच्
ु छे द 214 कहता है कक प्रत्मेक याज्म का एक उच्च न्मामारम होगा ऩयन्तु अनच्
ु छे द 231 के
तहत सॊसद दो मा अधधक याज्मों के लरए एक ही उच्च न्मामारम फना सकती है ।

 सिोच्च न्मामारम की बाॉतत ही उच्च न्मामारम बी अलबरेखीम न्मामारम है ।

 न्मामाधीि की ननमजु तत्-

 अनच्
ु छे द 217 के अनस
ु ाय याष्ट्रऩतत उच्च न्मामारम के भख्
ु म न्मामाधीशों की तनमन्त्ु क्त सिोच्च
न्मामारम के भख्
ु म न्मामाधीश एिॊ सम्फधधत याज्म के याज्मऩार के ऩयाभशग से कयता है ।

 जफकक अन्म न्मामधीिों की ननमजु तत याष्रऩनत द्िाया

 सिोच्च न्मामारम के भख्


ु म न्मामाधीश सॊफधधत याज्म का याज्मऩार
 सॊफधधत याज्म का याज्मऩार
 सफॊधधत याज्म के हाइकोर्ग का भख्
ु म न्मामाधीश के ऩयाभशग से |

 त्मागऩत्र्- उच्च न्मामारम का न्मामाधीश याष्ट्रऩतत को त्मागऩर सौंऩ सकता है ।

 हाई कोिण के न्मामाधीिों की मोग्मता - Shivam Singh


 1. बायत का नागरयक हो
 2. 10 िर्ग तक न्मातमक ऩद ऩय काभ कय चक
ु ा हो।
 3. हाइकोर्ग भें 10 सार तक एडिोकेर् यहा हो

 कामणकार्- 62 िर्ग
 Note:- ऩि
ू ग भें हाइकोर्ग के न्मामाधीशों की सेिातनित्ृ त की उम्र 60 िर्ग मा थी न्त्जसे 15 िें सॊविधान
सॊशोधन द्िाया 62 िर्ग की गई।

 न्मामाधीिों को हिामा जाना्-


 ठीक उसी तयह जैसे उच्चतभ न्मामारम के न्मामाधीशों को उनके ऩद से हर्ामा जाता है अथागत सॊसद
द्िाया भहालबमोग प्रस्ताि ऩारयत कय दोनों सदनों के विशेर् फहुभत से प्रस्ताि ऩास कय तत्ऩश्चात
याष्ट्रऩतत का आदे श प्राप्त कय न्मामाधीश को उसके ऩद से हर्ा ददमा जाता है ।
 भहाशबमोग का आधाय्- लसद्ध कदाचाय एिॊ असभथगता होती है ।

 Note:- अगय कोई जज ककसी याज्म के हाइकोर्ग भें जज है तो िह सेिातनित्ृ त के फाद लसपग सप्र
ु ीभ
कोर्ग औय अन्म याज्मों के हाइकोर्ग भें िकारत कय सकता है ऩय उसी याज्म के हाइकोर्ग भें नहीॊ ।

 ऩयीऺा के दृजष्ि से भहत्िऩर्


ू ण प्रश्न
[Q]. ककसी न्मामाधीश का एक उच्च न्मामारम से दस
ू ये उच्च न्मामारम भें राॊसपय कौन कय
सकता है ?
[ans]. याष्ट्रऩतत( बायत के भख्
ु म न्मामाधीश के ऩयाभशग से)

Note:- ऩयाभशग सॊफध


ॊ ी ि तदथग न्मामाधीश सॊफध
ॊ ी अधधकाय लसपग सप्र
ु ीभ कोर्ग के ऩास ही ना
कक हाइकोर्ग के।
[Q]. बायत भें सिगप्रथभ कहाॉ-कहाॉ हाइकोर्ग की स्थाऩना हुई ?
[ans]. 1862 भें भफ ॊु ई, कोरकाता एिॊ चेन्नई भें

[Q]. इराहाफाद हाइकोर्ग की स्थाऩना कफ हुई ?


[ans]. दसू ये क्रभ ऩय 1866 भें

[Q]. क्मा उच्च न्मामारमों के िेतन याज्म की सॊधचत तनधध ऩय बारयत होते हैं ?
[ans]. हाॉ, ऩय ऩें शन बायत की सॊधचत तनधध से प्राप्त होती है ।

Shivam Singh

 रयि जायी कयने की िजतत्-


 बायत के प्रत्मेक उच्च न्मामारम को अनच्
ु छे द 226 के तहत रयर् जायी कयने की शन्त्क्त दी गई है ।
(अनच्
ु छे द 32 द्िाया सप्र
ु ीभ कोर्ग को)

 रयर् जायी कयने भें हाइकोर्ग की शन्त्क्त सप्र


ु ीभ कोर्ग से अधधक है क्मोंकक सप्र
ु ीभ कोर्ग लसपग भर
ू अधधकायों
के हनन ऩय रयर् जायी कय सकता है जफकक हाइकोर्ग भर
ू अधधकाय ि ककसी अन्म उद्देश्म के लरए बी
रयर् जायी कय सकता है ।
रयि (Writ)

मे 5 प्रकाय की है –

 1.फन्दी प्रत्मऺीकयर् (Habeas corpus) - इसका प्रमोग दहयासत भें लरए गए ककसी
व्मन्त्क्त को प्रस्तत
ु कयने से है ।

 मे रयर् सािगजतनक प्राधधकयण एिॊ व्मन्त्क्तगत दोनों के विरूद्ध जायी कय सकते हैं।

 2. ऩयभादे ि (Mandamus) - न्मामऩलरका द्िाया कामगऩलरका को आदे लशत रयर् न्त्जसभें


कामगऩलरका से उस कामग को कयने के लरए कहा जाता है जो प्रदत्त शन्त्क्तमों के अन्तगगत कयना
चादहए।

 3. प्रनतषेध (Prohibition):- जफ तनचरा न्मामारम अऩने अधधकाय ऺेर के फाहय ककसी


विर्म ऩय सन
ु िाई कयता है तो ऊऩयी न्मामारम प्रततर्ेध रयर् जायी कय भाभरे को अऩने ऩास भॊगा
रेता है ।

 4. उत्प्रेषर् (Certiorari):- मदद तनचरे न्मामारम ने अऩने अधधकाय ऺेर से फाहय तनणगम दे ददमा
Shivam Singh
है तो ऊऩयी न्मामारम उत्प्रेर्ण रयर् द्िाया तनचरे न्मामारम के तनणगम को यद्द कय दे ता है ।

 5. अर्धकाय ऩच्
ृ छा (Quo warranto):- न्मामारम ककसी व्मन्त्क्त के सािगजतनक कामागरम भें

दामय अऩने दािे के जाॉच के लरए जायी कयता है । इसे ककसी बी इच्छुक व्मन्त्क्त द्िाया दामय ककमा
जा सकता है जफकक अन्म 4 रयर्े ऩीडडत व्मन्त्क्त द्िाया दामय की जाती हैं।
याज्म सयकाय (State Government)

याज्मऩार (Governor)

अनच्
ु छे द-153 — प्रत्मेक याज्म का एक याज्मऩार होगा।
* 7िें सॊविधान सॊशोधन (1956) द्िाया मह प्रािधान ककमा गमा कक एक ही व्मन्त्क्त दो मा दो से अधधक याज्मों
का याज्मऩार हो सकता है ।
* अनच्
ु छे द-155 — याज्मऩार की तनमन्त्ु क्त याष्ट्रऩतत कयता है ।

मोग्मता्-
* बायत का नागरयक हो।
* आमु 35 िर्ग।
* राब के ऩद ऩय ना हो।

कामणकार्-
* अनच्
ु छे द-156 — याज्मऩार याष्ट्रऩतत के प्रसादऩमगन्त ऩद धायण कये गा।
* कामगकार से ऩि
ू ग बी याज्मऩार चाहे तो अऩना त्मागऩर याष्ट्रऩतत को दे सकता है ।

िऩथ्-
* उच्च न्मामारम के भख्
ु म न्मामाधीश के सभऺ
* सॊविधान के यऺण, सॊयऺण एिॊ सयु ऺा तथा जनता की सेिा ि कल्माण की शऩथ।

िेतन, बत्ते एिॊ सवु िधाएॉ:-


Shivam Singh
* जो सॊसद तनधागरयत कये ।
* ितगभान भें याज्मऩार का िेतन तीन राख ऩचास हजाय है ।

कामण एिॊ िजततमाॉ:-

* याज्मऩार को तनम्नलरर्खत प्रकाय की शन्त्क्तमाॉ प्राप्त हैं-

1. कामगऩालरका शन्त्क्तमाॉ 2. विधामी शन्त्क्तमाॉ 3. वित्तीम शन्त्क्तमाॉ

4. ऺभादान की शन्त्क्तमाॉ 5. िीर्ो ऩॉिय 6. न्मातमक शन्त्क्तमाॉ

1. कामणऩाशरका िजततमाॉ:-

* याज्म सयकाय के सबी कामग याज्मऩार के नाभ ऩय ककमे जाते हैं।


* याज्मऩार याज्म सयकाय के कामों को अधधक सवु िधाजनक फनाने के लरए तथा उसके नाभ ऩय होने

िारे कामों के सॊफध


ॊ भें तनमभ फना सकता है ।

* सदन को रॊत्रफत विधेमकों तथा अन्म विर्मों ऩय सॊदेश बेजना।

* विधानसबा सबा के सदस्मों की तनयहताग ऩय तनिागचन आमोग के ऩयाभशग से तनणगम रेना।

अध्मादे ि जायी कयने सॊफध


ॊ ी िजतत — जफ याज्म विधानभण्डर का सर न चर यहा हो तो याज्मऩार अध्मादे श
जायी कय सकता है । याज्मऩार को अध्मादे श को ककसी बी सभम सभाप्त कयने की भहत्िऩण
ू ग शन्त्क्त प्राप्त है ।

2. वित्तीम िजतत्-

* फजर् को विधानभण्डर के सभऺ यखिाना।

* धन विधेमक ऩय ऩि
ू ग अनभ
ु तत दे ना।

* याज्म वित्त आमोग का गठन।

3. न्मानमक िजतत्-
* उच्च न्मामारमों के न्मामाधीश की तनमन्त्ु क्त भें याज्मऩार से बी ऩयाभशग लरमा जाता है ।
* न्त्जरा न्मामाधीशों की तनमन्त्ु क्त, स्थानाॊतयण एिॊ प्रोन्नतत याज्मऩार द्िाया उच्च न्मामारम के ऩयाभशग
से की जाती है ।
* न्मातमक आमोग के सदस्मों की तनमन्त्ु क्त िह याज्म रोक सेिा आमोग ि उच्च न्मामारम के ऩयाभशग
से कयता है ।
Shivam Singh
4. ऺभादान सॊफध
ॊ ी िजतत — याज्मऩार के ऺभादान शन्त्क्त का विस्ताय याज्म के विर्म ऺेर तक
विस्तारयत है । याज्मऩार को दण्ड के सॊफध
ॊ भें तनम्नलरर्खत शन्त्क्तमाॉ प्राप्त हैं-
(i) रघक
ु यण (ii) ऩरयहाय
(iii) वियाभ (iv) प्रततरम्फ

* याज्मऩार को भत्ृ मद
ु ण्ड को ऩण
ू त
ग ् ऺभा कयने का अधधकाय नहीॊ है । मह अधधकाय केिर याष्ट्रऩतत को है ।

5. िीिो ऩॉिय्- याष्ट्रऩतत की बाॉतत याज्मऩार को तीन प्रकाय की िीर्ो ऩॉिय प्राप्त है -

1. आत्मन्त्न्तक/ऩण
ू ग िीर्ो। 2. तनरम्फनकायी िीर्ो। 3. ऩॉकेर् िीर्ो।

6. विधामी िजतत्-
* विधानसबा के सर को आहूत कयना, सरािसान कयना मा विघर्न कयना।
* चनु ाि के ऩश्चात ऩहरे सर को सॊफोधधत कयना।
* विधानसबा भें एक आॊग्र बायतीम को तथा विधान ऩरयर्द के 1/6 सदस्मों को भनोनीत कयना।
* विधानभण्डर द्िाया ऩारयत विधेमकों ऩय अनभ
ु तत दे ना।

वििेषार्धकाय्-
* ऩद ऩय यहते हुए ककमे गए कामों (ऩद सॊफध
ॊ ी कामों) के लरए ककसी बी न्मामारम भें उत्तयदामी नहीॊ
ठहयामा जा सकता।
* कामगकार के दौयान ककमे गमे व्मन्त्क्तगत कामों के विरूद्ध आऩयाधधक भाभरा नहीॊ चरामा जा सकता।
केिर लसविर भाभरा चरामा जा सकता है ककन्तु दो भाह ऩि
ू ग नोदर्स दे ना अतनिामग है ।

स्िवििेकीम अर्धकाय्-
* ककसी विधेमक को याष्ट्रऩतत के विचाय के लरए आयक्षऺत कयना।
* याज्म भें याष्ट्रऩतत शासन की लसपारयश कयना।
* अततरयक्त प्रबाय की न्त्स्थतत भें केन्द्र शालसत प्रदे श भें प्रशासक के रूऩ भें कामग कयना।
* याज्म के प्रशासतनक भाभरों एिॊ विधानऩरयर्द के सॊफध
ॊ भें भख्
ु मभॊरी से जानकायी भाॊगना।
* याज्मऩार को कुछ ऩरयन्त्स्थततजन्म स्िवििेकी शन्त्क्तमाॉ बी प्राप्त है ।

ननमजु तत सॊफध
ॊ ी िजतत —
िह भख्
ु मभॊरी, भॊरी, याज्म रोक सेिा आमोग के अध्मऺ एिॊ सदस्मों, याज्म तनिागचन आमोग के अध्मऺ याज्म के
भहाधधिक्ता, याज्म विश्ि विद्मारम के कुरऩततमों आदद की तनमन्त्ु क्त कयता है ।
* याज्मऩार द्िाया चाय याज्मों (छत्तीसगढ, भध्म प्रदे श, झायखण्ड, ओडीश) भें जनजातत कल्माण भॊरी की
तनमन्त्ु क्त की जाती है ।
* िह भख् Shivam Singh
ु मभॊरी से ककसी प्रशासतनक भाभरे मा विधामी प्रस्ताि की जानकायी भाॊग सकता है ।
* याज्मऩार याज्म विश्ि विद्मारमों का कुराधधऩतत होता है ।
* िह याष्ट्रऩतत से याज्म भें ―सॊिध
ै ातनक आऩातकार‖ रगाने की लसपारयश कय सकता है ।
भुख्मभॊत्री एिॊ याज्म भॊत्रत्रऩरयषद
(Chief Minister and Council of State Ministers)

ननमजु तत्- अनच्


ु छे द 164 के अनस
ु ाय भख्
ु मभॊरी की तनमन्त्ु क्त याज्मऩार कये गा तथा अन्म भॊत्ररमों की तनमन्त्क्त

याज्मऩार भख्
ु मभॊरी के ऩयाभशग से कये गा।
* भख्
ु मभॊरी ककसी बी सदन का सदस्म हो सकता है , मदद नहीॊ है तो 6 भाह के अन्दय सदस्मता ग्रहण
कयनी ऩडेगी।
कामणकार- (साभान्मत् 5 िषण):- 1. याज्मऩार के प्रसाद ऩमगन्त।
2. जफ तक विधानसबा भें विश्िास प्राप्त है ।

िेतन बत्ते्- याज्म विधानभण्डर द्िाया तनधागरयत।

िऩथ्- याज्मऩार के सभऺ

कामण एिॊ िजततमाॉ:-


1. भॊत्ररमों के फीच कामों ि विबागों का फॊर्िाया कयना।
2. भॊत्ररऩरयर्द के फैठकों की अध्मऺता कयना तथा भॊत्ररमों के कक्रमाकराऩों भें सहमोग सभन्िम स्थावऩत
कयना।
3. मह ककसी बी भॊरी को त्माग ऩर दे ने को कह सकता है मा उसे फखागस्त कयने की लसपारयश याज्मऩार
Shivam Singh
से कय सकता है ।

4. भख्
ु मभॊरी के इस्तीपे मा भत्ृ मु की न्त्स्थतत भें भॊत्ररऩरयर्द स्ित् विघदर्त हो जाती है ।

5. भख्
ु मभॊरी याज्मऩार ि भॊरीऩरयर्द के फीच कडी का कामग कयता है ।

6. याज्मऩार द्िाया भहत्िऩण


ू ग अधधकारयमों की तनमन्त्ु क्त (जैसे — भहाधधिक्ता, याज्म रोक सेिा आमोग

के अध्मऺ एिॊ सदस्म, याज्म तनिागचन आमक्


ु त। भख्
ु मभॊरी के ऩयाभशग से की जाती है ।

7. विधानसबा का सर फर
ु ाने मा स्थाधगत कयने के सॊफध
ॊ भें याज्मऩार को सराह दे ता है ।

अन्म्- * िह याज्म मोजना फोडग का अध्मऺ होता है ।

* ऺेरीम ऩरयर्द का उऩाध्मऺ का ऩद ग्रहण कयता है ।

* अन्तयागज्मीम ऩरयर्द औय याष्ट्रीम विकास ऩरयर्द का सदस्म होता है ।


याज्म भॊत्रत्रऩरयषद (State Council of Minister)

* बायत भें सॊसदात्भक शासन व्मिस्था को अऩनामा गमा है न्त्जसके अनस


ु ाय कामगऩालरका की िास्तविक शन्त्क्त
का प्रमोग भॊत्ररभण्डर द्िाया ककमा जाता है । (केन्द्र ि याज्म दोनों स्तयों ऩय।)

अनच्
ु छे द-163 — याज्मऩार को सहामता औय सराह दे ने के लरए एक भॊत्ररऩरयर्द होगी, न्त्जसका प्रधान भख्
ु मभॊरी
होगा। याज्मऩार, भॊत्ररऩरयर्द की सराह ि सहामता के आधाय ऩय कामग कये गा, ऩयन्तु उन विर्मों को छोडकय,
जहाॉ याज्मऩार को स्िवििेक का प्रमोग कयना है ।

सॊयचना्-

* भर
ू सॊविधान भें भॊत्ररऩरयर्द के आकाय का उल्रेख नहीॊ।

* 91िें सॊविधान सॊशोधन (2003) के अनस


ु ाय भॊत्ररऩरयर्द का आकाय (भख्
ु मभॊरी सदहत) विधानसबा की
कुर सदस्म सॊख्मा का अधधकतभ -15% से ज्मादा नहीॊ होना चादहए। न्मन
ू तभ-12% सदस्म

* छत्तीसगढ, झायखण्ड, भध्म प्रदे श ि ओडीसा भें जनजाततमों के कल्माण के लरए एक विशेर् भॊरी की
तनमन्त्ु क्त की जाएगी।

भॊत्रत्रमों की ननमजु तत्-


Shivam Singh
* भख्
ु मभॊरी के ऩयाभशग ऩय याज्मऩार द्िाया।

िऩथ्-

* याज्मऩार के सभऺ।
* ऩद एिॊ गोऩनीमता की शऩथ।

भतदान्- * एक भॊरी ककसी बी सदन की कामगिाही भें बाग रे सकता है ककन्तु भतदान केिर उसी सदन भें
कय सकता है , न्त्जसका िह सदस्म है ।
भॊत्रत्रऩरयषद का गठन (Formation of Council of Ministers)

* भर
ू सॊविधान भें भॊरी ऩद को िगीकृत नहीॊ ककमा गमा है । इसका तन ्धागयण भख्
ु मभॊरी सभम ि ऩरयन्त्स्थततमों के
दहसाफ से कयता है ।

* केन्द्र की बाॉतत याज्म स्तय ऩय बी भॊत्ररऩरयर्द भें तीन तयह के भॊरी होते हैं।

1. कैत्रफनेि भॊत्री 2. याज्म भॊत्री 3. उऩभॊत्री

1. कैत्रफनेि भॊत्री — सबी भहत्िऩण


ू ग विबाग कैत्रफनेर् भॊत्ररमों को ददमे जाते हैं। मे कैत्रफनेर् के सदस्म होते हैं तथा
नीततमों के तनधागयण भें इनकी भहत्िऩण
ू ग बलू भका होती है ।

2. याज्म भॊत्री — इन्हें कैत्रफनेर् के साथ सम्फद्ध ककमा जा सकता है मा स्ितॊर प्रबाय बी ददमा जा सकता है । मे
कैत्रफनेर् (भॊत्ररभण्डर) के सदस्म नहीॊ होते औय केत्रफनेर् भें तबी बाग रे सकते हैं, जफ इन्हें फर
ु ामा जाता है।

3. उऩभॊत्री — मे कैत्रफनेर् भॊत्ररमों के सहोमगी के रूऩ भें कामग कयते हैं। मे कैत्रफनेर् के सदस्म नहीॊ होते औय इन्हें
स्ितॊर प्रबाय बी नहीॊ ददमा जाता।

Shivam Singh
याज्म विधानभण्डर (State Legislature)
याज्म विधानभण्डर्- (विधानसबा + विधानऩरयर्द)

* सॊविधान के बाग-6 भें अनच्


ु छे द 168 से 212 तक याज्म विधानभण्डर के गठन, कामगकार एिॊ शन्त्क्तमों का
िणगन है ।
* विधानसबा अनच्
ु छे द-170

गठन्- * विधानसबा के सदस्मों को प्रत्मऺ भतदान द्िाया िमस्क भताधधकाय के आधाय ऩय चुना जाता है ।
* याज्मऩार आॊग्र-बायतीम सभद
ु ाम के एक व्मन्त्क्त को विधानसबा भें भनोनीत कय सकता है ।
(अन.ु -333)

आयऺर््- सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST को जनसॊख्मा के अनऩ
ु ात भें याज्म विधानसबा भें आयऺण प्रदान ककमा गमा है (अन.ु -
332)

कामणकार्-
* साभान्मत् 5 िर्ग।
* अस्थाई सदन है ।
* आऩातकार भें विधानसबा का कामगकार एक िर्ग तक फढामा जा सकता है ।
* भॊत्ररऩरयर्द की लसपारयश ऩय याज्मऩार द्िाया विधानसबा को सभम ऩि
ू ग बॊग ककमा जा सकता है ।

Shivam Singh
विधान ऩरयषद (Legislative Assembly)

विधान ऩरयषद (अनच्


ु छे द-171)

गठन् * अनच्
ु छे द-169 भें विधान ऩरयर्द के सज
ृ न मा उत्सादन (सभान्त्प्त) का प्रािधान है ।

* अनच्ु छे द-169 के अनस


ु ाय सॊसद साभान्म फहुभत से प्रस्ताि ऩारयत कय विधान ऩरयर्द का सज
ृ न कय
सकती है ककन्तु सॊसद ऐसा तबी कये गी जफ सॊफधॊ धत याज्म के विधानसबा ने अऩने विशेर् फहुभत से इस आशम
का सॊकल्ऩ ऩारयत कय ददमा हो।

सदस्म सॊख्मा्- अधधकतभ — विधानसबा का एक ततहाई तथा न्मन


ू तभ 40।
ननिाणचन ऩद्धनत्-
* विधानऩरयर्द के सदस्म अप्रत्मऺ रूऩ से चन
ु जाते हैं।
* 1/3 सदस्म स्थानीम तनकामों, जैसे- नगयऩालरका न्त्जरा फोडग आदद द्िाया चुने जाते हैं।
* 1/3 सदस्म विधानसबा के सदस्मों द्िाया चुने जाते हैं।
* 1/12 सदस्म ऐसे नागरयकों द्िाया चुने जाते हैं जो 3 िर्ग से स्नातक हो।
* 1/12 सदस्म 3 िर्ग से अध्माऩन (Teaching) कय यहे रोगों द्िाया चुने जाते हैं।
(मे अध्माऩक भाध्मलभक स्कूरों से कभ/नीचे नहीॊ होना चादहए।)
* शेर् सदस्मों को याज्मऩार द्िाया भनोनीत ककमा जाता है । न्त्जन्हें सादहत्म, करा, विऻान, सभाज सेिा
ि सहकारयता आन्दोरन का व्मािहारयक अनब
ु ि हो।
* विधान ऩरयर्द के सदस्म एकर सॊक्रभणीम भत द्िाया आनऩ
ु ाततक प्रतततनधधत्ि प्रणारी के भाध्मभ से
चुने जाते हैं।
* विधान ऩरयर्द के कुर सदस्मों भें से 5/6 अप्रत्मऺ रूऩ से तनिागधचत तथा 1/6 सदस्म याज्मऩार द्िाया
भनोनीत होते हैं।
कामणकार्-
* कामगकार 6 िर्ग।
* मह एक स्थामी सदन है न्त्जसके 1/3 सदस्म प्रत्मेक दो िर्ग ऩय सेिातनित्ृ त होते हैं।
* इसे विघदर्त नहीॊ ककमा जा सकता ककन्तु सभाप्त ककमा जा सकता है ।

नोि - ितगभान भें 7 याज्मों की फजाम अफ 6 याज्मों भें ही विधान ऩरयर्द फची हैं
1. उत्तय प्रदे श
2. भहायाष्ट्र
3. आन्र प्रदे श Shivam Singh
4. तेरगाॊना
5. कनागर्क

6. त्रफहाय

Note:- अगस्त 2019 को जम्भू कश्भीय से विधानऩरयर्द की सभान्त्प्त हो गई।


स्थानीम सयकाय (Local Government)

ऩॊचामती याज (Panchayati Raj)

बायतीम सॊविधान के अनच् ु छे द - 40 भें सयकाय को ग्राभ ऩॊचामतों के गठन का तनदे श दे ते हुए कहा गमा है कक-
याज्म ग्राभ ऩॊचामतों का सॊगठन कये गा औय उनको िे सबी अधधकाय प्रदान कये गा न्त्जससे िे स्िामतशासी इकाईमों
के रूऩ भें प्रबािी ढॊ ग से कामग कयने के लरए मोग्म हो जाए। बायतीम सॊविधान के रागू होने के फाद शासनका
विकेन्द्रीकयण सतु नन्त्श्चत कयने के लरए विलबन्न याज्मों द्िाया ग्राभ ऩॊचामतों की स्थाऩना के प्रमास शरू
ु हुए औय
1952 भें गाॊिों के सिाांगीण विकास के लरए साभद ु ातमक विकास कामगक्रभ तथा 1953 भें याष्ट्रीम विस्ताय सेिा
मोजना शरू
ु की गई।

प्रभुख सशभनतमाॊ -

फरिन्त याम भेहता कभेिी्- (1957) (ग्राभोद्िाय सलभतत)


जनियी 1957 भें बायत सयकाय ने साभद
ु ातमक विकास कामगक्रभ (1952) ि याष्ट्रीम विस्ताय सेिा(1953) द्िाया
ककमे गए कामों की जाॉच ि उऩाम सझ
ु ाने के लरए एक कभेर्ी गदठत की न्त्जसने 1957 को रयऩोर्ग सौंऩी औय
रोकतन्त्न्रक विकेन्द्रीकयण का सझ
ु ाि ददमा।
— इनकी लसपारयशों को NDC द्िाया जनियी 1958 भें िलरत कय लरमा गमा।
— 1959 नागौय याजस्थान भें सिगप्रथभ रागू ककमा गमा।
— ऩयन्तु कई याज्मों ने त्ररस्तयीम व्मिस्था ना अऩनामा -
तलभरनाडु — द्वि स्तयीम ऩॊ. फॊगार — 4 स्तयीम
याजस्थान — III स्तयीम व्मिस्था अऩनाई गई।
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अिोक भेहता सशभनत(1977):-
जनता ऩार्ी की सयकाय ने मे कभेर्ी फनाई इसके अनस
ु ाय -
1. न्त्जरा ऩरयर्द न्त्जरा स्तय ऩय औय उसके नीचे भॊडर ऩॊचामत भें 1500-20000 जनसॊख्मा िारे गाॊिों के सभह

होने चादहए।
2. ऩचाॊमती चुनाि भें सबी स्तय ऩय याजनैततक ऩादर्ग मों की अधधकारयक बागदायी हो।
3. न्माम ऩॊचामत को विकास ऩचाॊमत से अरग तनकाम के रूऩ भें यखना जाना चादहए।
— कनागर्क, ऩॊ. फॊगार ि आन्र प्रदे श ने अशोक भेहता सलभतत की लसपारयशों को रागू ककमा।

जी. िी. के. याि सशभनत्- 1985, इन्होंने कहा की “विकास प्रकक्रमा दफ्तयशाही मक्
ु त होकय” ऩॊचामत याज से
विच्छे ददत हो गई है न्त्जससे ऩॊचामत व्मिस्था कभजोय हो गई अत् इसे “त्रफना जड़ की घास” कहा गमा।

L. M. शसहॊ िी कभेिी्- 1986 (याजीि गाॉधी सयकाय द्िाया)


— ऩॊचामती याज सॊस्थाओॊ को सॊिध
ै ातनक फनामा जामे।
— गािों भें सभह
ू के लरए न्माम ऩॊचामत की स्थाऩना की जामे

सॊिध
ै ानीकयर््-

1. सिगप्रथभ याजीि गाॉधी 64 िा सॊशोधन रेकय आमे ऩयन्तु मे याज्मसबा से ऩास ना हो सका।

2. अत् नयॊ लसहयाि सयकाय के कामगकार भें 24 अप्रैर 1993 को मह प्रकाश भें आमा।

भहत्ि्-
1. 11 िीॊ अनस
ु च
ू ी जोडी गई औय ऩॊचामत भें 29 विर्म डारे गए इसके द्िाया अनच्
ु छे द 40 को व्मिहारयक रूऩ
ददमा गमा।
2. अथागत याज्म सयकायें इसे अऩनाने के लरए फाध्म है । गठन तनमलभत अॊतयार ऩय चन
ु ाि कयिाना आदद-आदद
याज्म सयकाय की इच्छा ऩय तनबगय नहीॊ है ।

त्रत्रस्तयीम प्रर्ारी्- ग्राभ, भाध्मलभक औय न्त्जरा स्तय।


— ऐसा याज्म न्त्जसकी जनसॊख्मा 20 राख से ऊऩय ना हो, को भाध्मलभक स्तय ऩय ऩॊचामतों का गठन ना कयने
की छूर् दे ते हैं।

सदस्मों एिॊ अध्मऺ का चन


ु ाि्-
1- गाॉि, भाध्मलभक ि न्त्जरा स्तय ऩय ऩॊचामतो के सबी सदस्म रोगों द्िाया सीधे चन
ु े जामेगें
Shivam Singh
2- भाध्मलभक एि न्त्जरा स्तय ऩय ऩॊचामत के अध्मऺ का चुनाि तनिागधचत सदस्मों द्िाया उन्हीॊ भें से अप्रत्मऺ
रूऩ से होगा।

सीिों का आयऺर््- प्रत्मेक ऩॊचामत भें तीनों स्तय ऩय सप्र


ु ीभ कोर्ग , ST, भदहराओॊ को उनकी कुर जनसॊख्मों के
अनऩ
ु ात भें आयऺण उऩरब्ध कयिाता है ।
ऩॊचामतों भें अध्मऺ ि अन्म ऩदों के लरए हय स्तय ऩय भदहराओॊ के लरए आयऺण 1/3 से कभ नहीॊ होगा।
— मद्मवऩ OBC के लरए आयऺण नहीॊ है ऩयन्तु मह Act विधानभण्डर को इसके लरए बी अधधकृत कयता है
कक िह ऩॊचामत अध्मऺ के कामगकार भें वऩछडे िगों के लरए ककसी बी स्तय ऩय आयऺण की व्मिस्था कये ।
— UP ने इसी के तहत 2000 भें OBC के लरए आयऺण ककमा।
— 5 िर्ग का कामगकार खत्भ होने के 6 भाह के अन्दय चुनाि अतनिामग

अमोग्मता सॊफधी प्रश्नों का ननऩिाया्- याज्म भॊडर द्िाया तनदे लशत अधधकायी द्िाया ककमा जामेगा — 243
(अमोग्मता सॊफध
ॊ ी प्रािधान है )
िजततमाॉ ि कामण्- याज्म विधान भॊडर के आदे श से
1. ऩॊचामत चुॊगी शल्
ु क ि अन्म कय रा सकती है । ग्रहण कय सकती है ।

2. याज्म की सभेककत नीधध से ऩॊचामतों को अनद


ु ान सहामता दे ने का उऩफॊध कयती है ।

याज्म वित्त आमोग को केन्द्रीम वित्त आमोग बी सराह दे सकता है ।

छूि प्रातत याज्म ि ऺेत्र्- मह कानन


ू J & K, नागारैण्ड, भेघारम, लभजोयभ भें रागू नहीॊ होता | भर्णऩयु के
उन ऺेरों भें िहाॉ न्त्जरा ऩरयर्द अन्त्स्तत्ि भें हो | ऩॊ. फॊगार का दन्त्जलग रॊग न्त्जरा जहाॉ, गोयखा दहर ऩरयर्द है ।

हाराकक सॊसद चाहे तो महाॉ ऩय ऩॊचामत कानन


ू रागू कयिा सकती है ।

न्मामारम के हस्तऺेऩ ऩय योक्- मह अधधतनमभ ऩॊचामत से चन


ु ािी भाभरो भें हस्तऺेऩ ऩय योक रगाता है ।
औय नगयऩलरका भें बी कोर्ग का हस्तऺेऩ नहीॊ है ।

याज्म तनिागचन आमक्


ु त की तनमन्त्ु क्त याज्मऩार ही कयिाता है ऩयन्तु उसको याज्मऩार हर्ा नहीॊ सकता।

ऩॊचामत भें चन
ु ाि रड़ने के शरए आमु — 21 िषण

— 1993 के ऩॊचामत Act भें ऩॊचामतों के लरए कुछ अतनिामग ि स्िैन्त्च्छक प्रािधान बी हैं।

11 िीॊ अनस
ु च
ू ी भें िाशभर कुछ विषम्- कुर 29 विर्म है ।

कृवर् ि कृवर् विस्ताय, बलू भ विकास, ऩीने का ऩानी, ऩशऩ


ु ारन, भग
ु ीऩारन, दग्ु ध उत्ऩादन, गयीफी उन्भर
ू न
कामगक्रभ, व्मस्क औय गैय िमस्क औऩचारयक विर्म विकराॊग भानलसक योगी, सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST की सभवृ द्ध, रोक
विभाणन ऩद्धतत सडके ऩर
Shivam Singh
ु ें तर्ों जरभागग ि अन्म सॊचाय साधन

* ककस अनच्
ु छे द के तहत सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST ि women को ऩॊचामत भें आयऺण है । — Art. 243-D

Note:- 95 सॊशोधन द्िाया मे आयऺण अिधध जनियी 2020 तक तम की गई है।


Urban Local government (िहयी स्थानीम िासन)

बायत भें 8 प्रकाय के स्थानीम शासन है ।

नगयऩलरका ऩरयर्द, नगयऩलरका, अधधसधू चत ऺेर, सलभतत, नगयी ऺेर छािनी फोडग, शहयी ऺेर सलभतत, ऩत्तन
न्मास औय विशेर् उद्देश्म के लरए गदठत सलभतत।

सन 1687-88 भें बायत की ऩहरी नगयऩालरका भद्रास भें गदठत हुई थी। 1726 भें — फॊफई कपय करकत्ता भें ।

# 1882 भें राडग रयऩन ने स्थानीम स्िशासन का भैग्नाकार्ाग जायी ककमा न्त्जनका प्रबाि 1947 तक यहा अत,
रयऩन भें स्थानीम स्ििासन का वऩता कहा जाता है ।

1 June 1993 को 74 िाॉ सॊिोधन अर्धननमभ आमा्-

सॊविधन भें 12 िीॊ List जोडी गई न्त्जसभें 18 विर्म हैं।

— इस Act द्िाया याज्म अऩने महाॉ नगयऩलरका फनाने के लरए फाद्म अधधतनमभ की विशेर्ताएॉ

तीन प्रकाय की नगयऩलरकाएॉ होंगी-

1. नगय ऩॊचामत

2. नगयऩलरका ऩरयर्द (छोर्े शहयी ऺेरों के लरए)


3. फडे शहयी ऺेरों के लरए नगयऩलरका तनमभ
Shivam Singh

िहयी िासनों के प्रकाय्-

1. नगय ननगभ्- ऩरयर्द, स्थाई सलभतत, आमक्


ु त ऩरयर्द

इसभें तीन प्राधधकयण है — ऩरयर्द, स्थाई सलभतत, आमक्


ु त

ऩरयर्द का प्रधान भेमय होता है उऩभेमय सहामक

स्थाई सलभतत्- ऩरयर्द के कामों को सग


ु भ फनाने के लरए गदठत की सलभतत जो फहुत फडी होती है िह रोक
कामग, लशऺा स्िास्थ ऩय तनधागयण वितयण को दे खती है।

2. नगय ऩशरका्- याज्म भें याज्म विधान भॊडर द्िाया ि केन्द्र शालसत प्रदे श भें सॊसद द्िाया गदठत की जाती
है । नगय तनगभ की तयह नगय ऩलरका के ऩास बी ऩरयर्द, स्थाई सलभतत तथा भख्
ु म कामगकायी अधधकायी नाभक
अधधकाय ऺेर आते हैं।
3. अर्धसर्ू चत ऺेत्र सशभनत्- गठन दो प्रकाय के ऺेर के प्रशासन के लरए गदठत की जाती है ।

(a) औद्मोगीकयण के लरए विकासशीर कस्फा


(b) मह कस्फा न्त्जसने अबी तक नगयऩलरका के गठन की आिश्मक शते ऩयू ी नहीॊ की मे रेककन याज्म सयकाय
द्िाया िह िहत्ऩण
ू ग भाना जामे।

मह ऩयू ी तयह नालभत ऺेर है इसके अध्मऺ ि सदस्म नालभत ककमे जाते हैं।

4. नगय ऺेत्रीम सशभनत्- छोर्े कस्फो के प्रशासन के लरए याज्म सयकाय द्िाया तनिागधचत ि नालभत ककमा जा
सकता है ।

5. छािनी ऩरयषद्- मह केन्द्रीम सयकाय के यऺा भॊरारम के प्रशासतनक तनभॊरण के अधीन कामग कयता है । इस
सभम दे श भें 62 छािनी ऩरयर्दें है ।
इसभें तनिागधचत ि नालभत दोनों प्रकाय के सदस्म होते हैं तनिागधचत सदस्म 3 िर्ग की अिधध के लरए ि नालभत
रॊफे सभम के लरए

मे 4 प्रकाय की होती है ।

* सेना अधधकायी न्त्जसके प्रबाि भें िह स्र्े शन हो ऩरयर्द का अध्मऺ होता है ।


* छािनी ऩरयर्द के कामगकायी अधधकायी की तनमन्त्ु क्त बायत के याज्म द्िाया होती है ।

Shivam Singh
6. नगयीम ऺेत्र्- िह
ृ त सािगजतनक उऩक्रभों द्िाया ...... ककमा जाता है जो उद्मोगों के तनकर् फनी आिसीम
कारोतनमों भें यहने िारे अऩने कभगचारयमों को सवु िधाएॉ प्रदान कयती है सायी न्त्जम्भेदायी ि तनमन्त्ु क्त सािगजतनक
उऩक्रभों द्िाया ही होती है ।

7. न्मास ऩत्तन्- फॊदयगाह ऺेरों भें स्थालभत की जाती है ।

न्मास ऩत्तन का गठन सॊसद के एक एक्र् से होता है एिॊ सदस्म तनिागधचत ि नालभत दोनों तयीके के होते हैं।
8. वििेष उद्देश्म हे तु अशबकयर््- मे ऺेर आधारयत ना होकय कामगक्रभ आधारयत होते हैं।

कुछ उदाहयण- नगयीम सध


ु ाय न्माम, शहयी सध
ु ाय प्रधधकयण प्रदर्
ू ण तनमॊरण फोडग, विद्मत
ु आऩतू तग फोडग मे याज्म
विधानभण्डर मा तनमाभों के अधधतनमभ द्िाया स्थावऩत की जाती है ।
मे स्थानीम नगयऩलरका के अधीन नहीॊ होते।

AP जैन सशभनत = ग्राभीर् िहयी सॊफध सशभनत

िाडण सशभनत्- तीन राख मा अधधक जनसॊक्मा िारी नगयऩलरका के ऺेर के तहत एक मा अधधक िोडग को
लभराकय फाडग सलभतत होगी।

सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST Area भें रागू नहीॊ।
दन्त्जलग रॊग गोयखा दहर ऩरयर्द की शन्त्क्तमों को प्रबावित नहीॊ कयता।

भहानगयीम मोजना सशभनत्- प्रत्मेक भहानगय ऺेर भें विकास मोजना के प्रारूऩ को तैमाय कयने हे तु इस Act के
अन्तगगत भहानगयीम मोजना सलभतत के 2/3 सदस्म भहानगय ऺेर भें नगयऩलरका के तनिागधचत सदस्मों एिॊ
ऩॊचामते के अध्मऺों द्िाया स्िमॊ भे से चुने जामेगें।

जजरा मोजना सशभनत्- न्त्जरा मोजना सलभतत के 415 बाग सदस्म न्त्जरा ऩॊचामत औय नगयऩलरका के तनिागधचत
सदस्म द्िाया स्िॊम से चुने जामेगें।

Shivam Singh
* नगयवऩरका भें व्मन्त्क्त के प्रतततनधधत्ि के सॊफध
ॊ भें - इसभें िह व्मन्त्क्त शालभर ककमा जामेगा न्त्जसे
नगयऩलरका के प्रशासन का विशेर् शालभर ककमा जमेगा न्त्जसे नगयवऩरका के प्रशासन का विशेर् ऻान ि अनब
ु ि
हो रेककन उसे नगयऩलरका की सबा भें Vote डारने का अधधकाय ना हो।
सॊिध
ै ाननक ननकाम (Consitutional Bodies)

वित्त आमोग (Finance Commission)

वित्त आमोग (अनच्


ु छे द-280)
 अनच्
ु छे द 280 वित्त आमोग की व्मिस्था कयता है । इसका गठन हय ऩाॉच सार फाद याष्ट्रऩतत
द्िाया ककमा जाता है । मह ननम्न भाभरों ऩय याष्रऩनत को शसपारयि कयता है ।

 (i) केन्द्र तथा याज्म के भध्म कयों के शद्ध


ु आगभों के वितयण के विर्म भें तथा याज्मों के भध्म
ऐसे बाग के आिॊर्न के विर्म भें ।

 (ii) बायत की सॊधचत तनधध से याज्मों को ददए जाने िारे सहामता अनद
ु ान के विर्म।

 (iii) याज्म वित्त आमोग की लसपारयश के आधाय ऩय ऩॊचामतों एिॊ नगयऩालरकाओॊ के स्रोतों की
ऩतू तग के लरए याज्म की सॊधचत तनधध को फढाने के लरए ककए जाने िारे उऩाम।

 (iv) याष्ट्रऩतत द्िाया वित्तीम भाभरों के सॊफध


ॊ भें सौंऩा गमा कोई अन्म कामग।

 वित्त आमोग की प्रत्मेक लसपारयश को याष्ट्रऩतत स्ऩष्ट्र्ीकयण के साथ सॊसद के सभऺ यखिाएगा
(अनच्
ु छे द-281)

केन्द याज्म सॊफध


ॊ ों ऩय गदठत आमोग Shivam Singh
आमोग/सशभनत िषण
1. प्रशासतनक सध
ु ाय आमोग 1969
2. याजभन्नाय सलभतत 1969
3. सयकारयमा आमोग 1983
4. एभ.एभ. ऩछ
ुॊ ी आमोग 2007

 बायत की सॊर्चत ननर्ध (अनच्


ु छे द-266):-
 इस अनच्
ु छे द के द्िाया बायत की सॊधचत तनधध तथा प्रत्मेक याज्म की सॊधचत तनधध की स्थाऩना की गई है ।
आकन्त्स्भक तनधध एिॊ याज्मों को ददमे जाने िारे कयों औय शल्
ु कों को छोडकय, बायत सयकाय को प्राप्त सबी
याजस्ि, अधग्रभों द्िाया लरमे गए सबी उधायों से उस सयकाय को प्राप्त सबी धनयालशमों की एक सॊधचत तनधध
फनती है , न्त्जसे बायत की सॊधचत तनधध के रूऩ भें जाना जाता है ।

 आकजस्भकता ननर्ध (अनच्


ु छे द-267):-
 सॊसद औय याज्म विधानभॊडर को बायत मा याज्म की आकन्त्स्भकता तनधध स्थावऩत कयने की शन्त्क्त है । मह
तनधध कामगऩालरका के अधीन है । मह तनधध बायत की आकन्त्स्भकता तनधध अधधतनमभ, 1950 द्िाया गदठत
की गई है ।

ननिाणचन आमोग (Election Commission)

अनु ्च्छे द-324 के अनस


ु ाय एक स्ितन्र तनिागचन आमोग की व्मिस्था की गई है , जो स्िच्छ एिॊ तनष्ट्ऩऺ
चुनाि का सॊचारन कयती है। तनिागचन आमोग, भख्
ु म तनिागचन आमक्
ु त तथा अन्म तनिागचन आमक्
ु तों, न्त्जन्हें
सभम सभम ऩय याष्ट्रऩतत तनधागरयत कयता है , से लभरकय फनता है ।
— चुनाि आमोग की सेिा शते तथा उनकी कामगविधध को तनन्त्श्चत कयने का अधधकाय सॊसद को प्राप्त है ।

कामणकार्-
भख्
ु म तनिागचन आमक्
ु त एिॊ अन्म आमक्
ु तों का कामगकार ऩदबाय ग्रहण कयने की ततधथ से 6 िर्ग मा 65
िर्ग की आमु तक, इनभें से जो बी ऩहरे, होता है ।

िजततमाॉ:- Shivam Singh


1. भतदान सच
ू ी तैमाय कयना तथा सबी तनिागचनों के सॊचारन का अधीऺण, तनदे शन औय तनमॊरण
कयना।
2. तनिागचन ऺेरों का ऩरयसीभन मा सीभाॊकन कयना।
3. याष्ट्रऩतत, उऩयाष्ट्रऩतत, सॊसद एिॊ विधान भॊडरों के चन
ु ािों का अधीऺण, तनमॊरण ि तनदे शन कयना।
4. याजनीततक दरों, उम्भीदिायों एिॊ भतदाताओॊ के लरए ददशा तनदे श तैमाय कयना।

5. भान्मता प्राप्त याजनीततक दरों को आयक्षऺत चुनाि धचन्ह प्रदान कया।

6. तनिागचन आमोग सॊसद सदस्मों एिॊ याज्म विधानभॊडर के सदस्मों को अमोग्मता सॊफध
ॊ ी भाभरों भें
क्रभश् याष्ट्रऩतत औय याज्मऩार को ऩयाभशग दे ता है ।

7. आमोग विलबन्न याजनीततक दरों को भान्मता प्रदान कयता है ।


— 950 भें चुनाि आमोग के गठन के फाद से अक्र्ूफय 1989 तक आमोग ने एक सदस्मीम तनकाम के रूऩ भें काभ
ककमा।

— 16 अक्र्ूफय 1989 को इसभें दो औय तनिागचन आमक्


ु तों की तनमन्त्ु क्त हुई। रेककन 1 जनियी 1990 को मे दोनों
ऩद सभाप्त कय ददए गए।

— 1 अक्र्ूफय 1993 को याष्ट्रऩतत ने वऩय से दो अरग तनिागचन आमक्


ु तों की तनमन्त्ु क्त की।

— 14 जर
ु ाई 1995 को उच्चतभ न्मामारम ने फहुसदस्मीम तनिागचन आमोग को अऩनी स्िीकृतत दे दी।

— चुनाि आमक्
ु तों भें भतबेद की न्त्स्थतत भें फहुभत द्िाया तनणगम ककमा जाता है ।

याष्रीम दरों के रूऩ भें भान्मता

ितगभान भें ककसी दर को याष्ट्रीम दर का दजाग प्राप्त कयने के लरए तनम्नलरर्खत अहगताएॊ ऩयू ी कयनी होंगी-

1. मदद िह रोकसबा ि विधानसबा के आभ चुनािों भें 4 मा अधधक याज्मों भें िैध भतों का 6% प्राप्त कयता है
Shivam Singh
तथा इसके साथ ककसी याज्म मा याज्मों से रोकसबा भें 4 सीर् प्राप्त कयता है ।

2. मदद कोई दर रोकसबा भें 2% स्थान ऩय जीतता है औय उसके सदस्म तीन अरग याज्मों से चन
ु े जाते हैं।

3. मदद कोई दर को कभ से कभ 4 याज्मों भें याज्मस्तयीम दर के रूऩ भें भान्मता प्राप्त है ।


रोक सेिा आमोग (public service Commission)

सॊविधान के बाग XVI भें अनच्


ु छे द-315 से 323 तक रोक सेिा आमोग के फाये भें उऩफॊध है ।
— बायत का याष्ट्रऩतत सॊघ रोक सेिा आमोग के अध्मऺ एिॊ अन्म सदस्मों को तनमक्
ु त कयता है ।
— सॊघ रोक सेिा आमोग के अध्मऺ एिॊ सदस्म 6 िर्ग की अिधध के लरए मा 65 िर्ग की आमु तक,
इनभें से जो बी ऩहरे हो, अऩने ऩद ऩय यहते हैं। िे अऩना त्मागऩर याष्ट्रऩतत को सॊफोधधत कय दे सकते हैं।
— याज्म रोक सेिा आमोग अध्मऺ एिॊ अन्म सदस्मों की तनमन्त्ु क्त याज्मऩार कयता है ।
— याज्म रोक सेिा आमोग के सदस्म 6 िर्ग मा 62 िर्ग की आमु तक, इनभें से जी बी ऩहरे हो, अऩने
ऩद ऩय यह सकते हैं। िे याज्मऩार को अऩना त्माग ऩर सौंऩ सकते हैं।

— याज्म रोक सेिा आमोग के सदस्मों को याष्ट्रऩतत हर्ा सकता है , न कक याज्मऩार।


— दो मा दो से अधधक याज्मों के लरए सॊमक्
ु त याज्म रोक सेिा आमोग का बी गठन ककमा जा सकता है ।
इसेक अध्मऺ एिॊ सदस्मों की तनमन्त्ु क्त याष्ट्रऩतत द्िाााय होती है । इनका कामगकार 6 िर्ग मा 62 िर्ग की आम,ु
जो ऩहरे हो, तक होता है । मे याष्ट्रऩतत को अऩना त्मागऩर दे ते हैं एिॊ इन्हें याष्ट्रऩतत ही अऩने ऩद से हर्ा सकता
है ।

बायत का ननमन्त्रक एिॊ भहारेखा ऩयीऺक


(Controller and Auditor General of India)
Shivam Singh
अनच्
ु छे द 148 भें तनमन्रक एिॊ भहारेखा ऩयीऺक के स्ितन्र ऩद की व्मिस्था की गई है ।
तनमन्त्ु क्त – याष्ट्रऩतत द्िाया
कामगकार – 6 िर्ग मा 65 सार
ऩदच्मत
ू – याष्ट्रऩतत द्िाया िैसे ही हर्ामा जा सकता है जैसे उच्चतभ न्मामारम के न्मामाधीशों को, दस
ू ये शब्दों
भें सॊसद के दोनों सदनों द्िाया विशेर् फहुभत के साथ उसके दव्ु मगिहाय का अमोग्मता ऩय प्रस्ताि ऩास कय
* याष्ट्रऩतत द्िाया सॊविधान भें उल्रेर्खत कामगिाही के जरयए हर्ामा जा सकता है । इस तयह मे याष्ट्रऩतत के प्रसाद
ऩमगन्त ऩद ऩय नहीॊ यहता।
* अऩना ऩद छोडने के फाद ककसी अन्म ऩद, चाहे िह बायत सयकाय का हो मा याज्म सयकाय का, गह
ृ ण नहीॊ कय
सकता है ।
* िेतन एिॊ अन्म सेिा शते सॊसद द्िाया तनधागरयत होती हैं िेतन उच्चतभ न्मामारम के न्मामाधीश के फयाफय

कतणव्म औय िजततमाॉ:-
* िह बायत की सॊधचत तनधध, प्रत्मेक याज्म की सॊधचत तनधध औय प्रत्मेक सॊघ शन्त्क्त जहाॉ विधानसबा हो, से
सबी व्मम सॊफध
ॊ ी रेखाओॊ की रेखा ऩयीऺा कयता है ।
* मे सबी तनकाम एिॊ प्राधधकयण न्त्जन्हें केन्द्र मा याज्म सयकायों से Grant लभरता हो, तनगभों, तनकामों एिॊ
सयकायी कॊऩतनमों का।
* िह बायत की रोक रेखा सदहत प्रत्मेक याज्म की तनधध औय प्रत्मेक याज्म के रोक रेखा से सॊफधॊ धत सभस्त
व्मम का ऩयीऺण कयता है ।

* िह ऋण, तनऺेऩ तनधध, जभा अधग्रभ, फचत खाता औय दान प्रेर्ण व्मिसाम से सॊफधॊ धत केन्द्र ि याज्म सयकायों
के सबी रेन-दे न का ऩयीऺण

* िह ककसी कय मा शल्
ु क की शद्ध
ु आगाभों का तनधागयण औय प्रभाणऩ कयता है ।

* CAG याष्ट्रऩतत को 3 रेखा ऩयीऺण प्रततिेदन प्रस्तत


ु कयता है ।

1. वितनमोग रेखाओॊ ऩय रेखा ऩयीऺण


2. वित्त रेखाओॊ ऩय रेखा ऩयीऺण
3. सयकायी उऩक्रभों ऩय रेखाओॊ ऩय रेखा ऩयीऺण
* िह याष्ट्र ि याज्मऩार के तनिेदन ऩय ककसी अन्म प्राधधकयण के रेखाओॊ की बी रेखा ऩयीऺक कय सकता है ।
* याज्म सयकाय के रेखों से सॊफधधत रयऩोर्ग याज्मऩार को दे ता है जो उसे विधानभॊडर के ऩर्र ऩय यखते हैं।
* कैग केिर सॊसद के प्रतत न्त्जम्भेदाय होता है ।
* इन्र्े रीजेन्स एॊजले समा अदद से CAG खचे के व्मोयें नहीॊ भाॊग सकता
बायत भें भें कैग की ऩरयकल्ऩना तनमन्रक सदहत भहारेखा ऩयीऺक के रूऩ भें की गई है । मद्मवऩ

Shivam Singh
व्मिहाय भें कैग केिर भहारेखा ऩयीऺक के रूऩ भें है , दस
ू ये शब्दों भें कैग का बायत की सॊधचत तनधध से धन की
तनकासी ऩय कोई तनमॊरण नहीॊ है औय अनेक विबाग कैग से प्राधधकाय के त्रफना चैक जायी कय धन की तनकासी
कय सकते हैं। ―कैग की बलू भका व्मम होने के फाद केिर रेखा ऩयीऺक की है ।
* 1753 भें इॊडडमन ऑडडर् एण्ड अकाउण्र् डडऩार्ग भेन्र् की स्थाऩना।

भहान्मामिादी (Attorney General)

Art. 76 भें भहान्मामिादी का िर्णन है ।

ननमजु तत्- याष्ट्रऩतत द्िाया ( 6 िर्ग मा 65 िर्ग की उम्र तक)


मोग्मता्- िह सबी जो उच्चतभ न्मामारम के न्मामाधीश फनने के लरए जरूयी होती हैं।

जैसे- उच्च न्मामारम के न्मामधीश के रूऩ भें 5 िर्ग का अनब


ु ि मा 10 िर्ग का अनब
ु ि हाईकोर्ग भें ।
ऩदच्मत
ु ्- सॊविधान भें हर्ाने की कोई भर
ू व्मिस्था नहीॊ है िह अऩने ऩद ऩय याष्ट्रऩतत के प्रसाद ऩमगन्त यहता है ।
रेककन ऩयॊ ऩया है कक जफ सयकाय त्मागऩर दे दे मा फदर जामे तो उसे त्माऩर दे ना होता है क्मोंकक उसकी
लसपरयश सयकाय के दाया ही होती है ।

Note:- उसे सॊसद के दोनों सदनों, सॊमक्


ु त िैठक भें बाग रेने औय फोरने का अधधकाय है रेककन भताधधकाय का
नहीॊ।

* उसे एक सॊसद सदस्म की तयह सबी बत्ते, विशेर्ाधधकाय लभरते हैं।


कामण्- याष्ट्रऩतत द्िाया सौंऩे गए साये विधधक कामों का तनिगहन

* Art. 88 — भहान्मामिादी सॊसद भें Voting नहीॊ कय सकता।


* भहान्मामिादी को बायत के ककसी बी न्मामारम भें ऩेश होने का अधधकाय है ।
Note:- त्रफना सयकाय की अनभ
ु तत भें ककसी आऩयधधक व्मन्त्क्त का फचाि नहीॊ, कॊऩनी भें तनदे शक नहीॊ, रेककन
उसे तनजी तनधधक कामगिाही से योका नहीॊ जा सकता।
Attorney General Minister नहीॊ होते क्मोंकक कैत्रफनेर् भें कानन
ू भॊरी होता है ।

भहार्धितता (Solicitor General)

 मे केंद्र भें होते हैं |


Shivam Singh
 केंद्र भें भहान्मामिादी की सहामता के लरए भहाधधिक्ता एिॊ अऩय भहाधधिक्ता होते हैं ऩयन्तु अनच्
ु छे द 76 भें
इनका उल्रेख नहीॊ है |

Advocate General of state -

 याज्मों भें सिोच्च विधध अधधकायी भहाधधिक्ता मा एडिोकेर् जनयर ऑफ़ स्र्े र् होता है |

 ननमजु तत – याज्मऩार द्िाया (साभान्मत् याज्म सयकाय द्िाया सझ


ु ामा गमा नाभ)

 मोग्मता – िह सबी जो हाईकोर्ग का न्मामाधीश फनने की मोग्मता है |(उच्च न्मामारम भें 10 िर्ग का
अनब
ु ि)
गैय सॊिध
ै ाननक ननकाम (Non – Consitutional Bodies)

रोकऩार एिॊ रोकामुतत

रोकऩार तथा रोकामत


ु त अर्धननमभ, 2013 ने सॊघ (केंद्र) के लरए रोकऩार औय याज्मों के लरए रोकामक्
ु त
सॊस्था की व्मिस्था की |
मे सॊस्थाएॊ त्रफना ककसी सॊिध
ै ातनक दजे िारे िैधातनक तनकाम हैं |
मे Ombudsman का कामग कयते हैं औय कुछ तनन्त्श्चत िेणी के सयकायी अधधकारयमों के विरुद्ध रगे भ्रष्ट्र्ाचाय के
आयोऩों की जाॉच कयते हैं |
प्रशासतनक सध
ु ाय आमोग ने न्मज
ू ीरैण्ड की तयह न्मामारमों को रोकऩार एिॊ रोकामक्
ु त के दामये से फाहय यखा
है ।
रोकऩार की ननमजु तत्- सदस्मों की तनमन्त्ु क्त चमन सलभतत की लसपारयस ऩय याष्ट्रऩतत द्िाया की जाती है |
चमन सलभतत भें प्रधानभॊरी जो कक चेमयऩसगन होता है , रोकसबा अध्मऺ, रोकसबा के विऩऺ का नेता, बायत के
भख्
ु म न्मामाधीश मा उसके द्िाया नालभत कोई न्मामाधीश औय एक प्रख्मात न्मामविद से लभरकय गदठत होती है |
रोकामत
ु त्- सिगप्रथभ रोकामक्
ु त की तनमन्त्ु क्त — भहायाष्ट्र (1971) but Act Orissa भें भें ऩारयत 1970 भें
हुआ था।
ननमजु तत्- याज्मऩार द्िाया सराह HC हाई कोर्ग के Justice Chief, याज्म विऩऺ के नेता,
अर्धकाय ऺेत्र्- HP, AP, MP, GUI

नोि - दे श के प्रथभ रोकऩार औय ऩीसी घोर् भाचग 2019 तनमक्


ु त ककमे गमे हैं |
ितगभान भें उत्तय प्रदे श के रोकामक्
ु त विशॊबय दमार जी हैं |

Shivam Singh
याजबाषा (Official language)

सॊविधान के बाग XVII भें अनच्


ु छे द 343 से 351 तक याजबार्ा के सॊफध
ॊ भें उऩफॊधों का िणगन है ।
सॊघ की याजबाषा:-
— अनच्
ु छे द-343 के अनस
ु ाय सॊघ की याजबार्ा दहन्दी औय लरवऩ दे िनागयी होगी।
— अनच्
ु छे द 344 के अनस
ु ाय, याष्ट्रऩतत द्िाया एक याजबार्ा आमोग का गठन ककमा जाता है , जो कक
दहन्दी के प्रमोग के विस्ताय एिॊ शासकीम औय न्मातमक कामों भें प्रमोग होने िारी बार्ा ऩय सॊस्ततु तमाॊ दे ता है ।
याजबाषा सशभनत्-
इसभें रोकसबा के 20 एिॊ याज्मसबा के 10 सदस्म होते हैं, जो याजबार्ा आमोग की सॊस्ततु तमों का
ऩयीऺण कय याष्ट्रऩतत को लसपारयश कयते हैं।
प्रथभ याजबार्ा आमोग का गठन, 1955 भें फी. जी. खेय की अध्मऺता भें ककमा गमा था।

8 िीॊ अनस
ु च
ू ी भें सजम्भशरत बाषाएॊ - 8 िीॊ अनस
ु च
ू ी का सॊफध
ॊ बार्ा से है ।
ऩहरे 14 बार्ाओॊ को 8 िीॊ अनस
ु च
ू ी के तहत भान्मता प्राप्त थी। ितगभान भें विलबन्न सॊशोधनों से इनकी सॊख्मा
22 हो गई।
सॊविधान सॊशोधन द्िाया सन्त्म्भलरत बार्ाएॊ-
1. 21 िाॊ सॊविधान सॊशोधन(1967) — लसॊधी बार्ा जोडी गई
2. 71 िाॊ सॊशोधन(1992) — कोंकणी, भर्णऩयु ी, नेऩारी जोडी गई।
3. 92 िाॊ सॊशोधन(2003) — डोगयी, फोडो, भैधथरी, सॊथारी

केन्रीम सूचना आमोग


(Central Information Commission) (2005)

मह केन्द्र सयकाय एिॊ केन्द्र शालसत प्रदे शों के अधीन कामगयत कामागरमों, वित्तीम सॊस्थानों, सािगजतनक ऺेर के
उऩक्रभों आदद के फाय भें लशकामत एिॊ अऩीरों ऩय सन
ु िाई कयता हो।
सॊयचना्- एक भख्
ु म सच
ू ना आमक्
ु त ि सच
ू ना आमक्
ु त( 10 से अधधक नहीॊ) (ितगभान भें 6 हैं, 10 अगस्त
2019)
ननमजु तत्- याष्ट्रऩतत के द्िाया एक सलभतत की लसपारयश ऩय न्त्जसभें प्रधानभॊरी, विऩऺ के नेता(लसपग रोकसबा)
एिॊ PM द्िाया भनोनीत एक कैत्रफनेर् भॊरी होता है (अथागत कुर 3 रोग )
मोग्मता्- विधध, विऻान, साभान्त्जक सेिा, प्रफॊधन ऩरकारयता मा प्रशासन आदद का विलशष्ट्र् अनब
ु ि यखने िारा
हो।
उसे MP मा MLA नहीॊ होना चादहए राब का ऩद ना धायण कयता हो तथा राब का व्माऩाय का उधभ
ना हो।
Shivam Singh
कामणकार्- 5 िर्ग अथाि 65 िर्ग की उम्र तक
हिाना्- याष्ट्रऩतत भाभारे को जाॉच के लरए सप्र
ु ीभ कोर्ग भें बेजता है कपय सप्र
ु ीभ कोर्ग इस ऩय सराह दे ता है ।
कपय याष्ट्रऩतत हर्ा सकते हैं।
िजततमाॉ:- ककसी व्मन्त्क्त को प्रस्तत
ु होने का सभन जायी कय सकता है । अथगदॊड रगा सकता है , RTI के सॊफध
ॊ भें
प्रलशऺण दे ना शऩथऩर के रूऩ भें साक्ष्म प्राप्त कयना इत्मदद।
Note:- आमोग, रोक सच
ू ना अधधकायी ऩय 250 रूऩए के प्रततददन के दहसाफ से जुभागना रा सकता है जो
अधधकतभ 25,000 हो सकता है ।

RTI सॊिोधन त्रफर 2019

RTI सॊशोधन विधेमक का प्रस्ताि केन्द्र सयकाय रामी है । न्त्जसके अनस


ु ाय RTI एक्र् के सेक्शन 13 भें सॊशोधन
कयते हुए भख् ु म सच
ू ना आमक्
ु त ि सचू ना आमक्
ु त के िेतन, कामगकार ि सेिा की शते केन्द्र सयकाय तम ककमे
जाॊएगें । सेक्शन 16 के अनसु ाय मही सॊशोधन याज्म सचू ना आमक्
ु त ऩय भान्म होने का प्रस्ताि है ।
सॊविधान सॊिोधन (Constitutional amendment)

 इसकी प्रये णा दक्षऺण अफ्ीका से री गई है ।

 सॊविधान का बाग 20, अनच्


ु छे द 368 सॊविधान सॊशोधन के सम्फॊधधत है ।

 बायत भें सॊविधान सॊशोधन की शन्त्क्त सॊसद को दी गई है ।

 याज्म विधानभण्डर को सॊविधान सॊशोधन की शन्त्क्त नहीॊ प्रदान की गई है ।

 प्रककमा्-
1. सॊशोधन विधेमक सॊसद के ककसी बी सदन भें यखा जा सकता है ।
2. सॊशोधन विधेमक ऩय सॊमक्
ु त अधधिेशन नहीॊ फर
ु ामा जा सकता।
3. विधेमक को याष्ट्रऩतत ना योक सकता ना ही ऩन
ु वग िचाय के लरए बेज सकता।
 सॊविधान सॊिोधन के शरए तीन प्रकाय की प्रकक्रमा सॊविधान भें िर्णगत हैं-
1. साधायण फहुभत द्िाया सॊशोधन
2. विशेर् फहुभत द्िाया सॊशोधन
3. विशेर् फहुभत ि याज्मों के अनस
ु भथगन द्िाया सॊशोधन

 1. साधायर् फहुभत द्िाया सॊिोधन्- Shivam Singh


 साधायण फहुभत से तात्ऩमग सॊसद के दोनों सदनों भें उऩन्त्स्थत एिॊ भतदान भें बाग रेने िारे
आधे से अधधक सदस्मों के अनस ु भथगन से है ।

 2. वििेष फहुभत द्िाया सॊिोधन्-

 प्रत्मेक सदन के कुर सदस्मों के फहुभत तथा प्रत्मेक सदन के उऩन्त्स्थत एिॊ भतदान भें बाग रेने
िारे 2/3 (दो ततहाई) सदस्मों की फहुभत से।

 3. वििेष फहुभत तथा याज्मों के अनस


ु भथणन द्िाया सॊिोधन्-
 सॊसद के प्रत्मेक सदन का विशेर् फहुभत तथा आधे से अधधक याज्मों के विधान भण्डरों द्िाया
(साधायण) फहुभत इसे अनस ु भथगन।
 साधायर् फहुभत द्िाया सॊिोधन के विषम्-
1. सॊघ भें नमे/विदे शी याज्मों का प्रिेश (अन.ु 2)
2. नए याज्मों का तनभागण कयना मा ितगभान याज्मों के नाभ, सीभा मा ऺेर भें ऩरयितगन
(अन.ु 3) (ऩहरी अनस
ु च
ू ी)
3. नागरयकता से सॊफधॊ धत अन.ु 11
4. याज्मों भें विधान ऩरयर्द का उत्सादन, सभाऩन मा सज
ृ न (अन.ु 169)
5. सॊघ शालसत ऺेरों के लरए विधान भण्डर मा भॊत्ररऩरयर्द का सज
ृ न (अन.ु 239(क))
6. याष्ट्रऩतत, उऩयाष्ट्रऩतत, याज्मऩार, रोकसबा अध्मऺ, न्मामाधीशों आदद की ऩरयरन्त्ब्धमाॉ
एिॊ विशेर्ाधधकाय (दस
ू यी अनस
ु च
ू ी)
7. सॊसद भें गणऩतू तग एिॊ सॊसदीम प्रकक्रमा के तनमभ
8. सॊसद सदस्मों के िेतन बत्ते
9. सॊसद सदस्मों औय इसकी सलभततमों के विशेर्ाधधकाय
10. सॊसद भें अॊग्रेजी बार्ा का प्रमोग
11. 5 िीॊ, 6 िीॊ, एिॊ 8 िीॊ अनस
ु च
ू ी
12. सॊसद एिॊ याज्म विधानभण्डर के लरए तनिागचन
13. तनिागचन ऺेर का ऩन
ु ् तनधागयण/ऩन
ु धागयण

 वििेष फहुभत द्िाया सॊिोधन के विषम


1. भर
ू अधधकाय
2. नीतत तनदे शक तत्ि
3. िे सबी उऩफन्ध जो प्रथभ ि तत
ृ ीम िेणी भें शालभर नहीॊ है ।
Shivam Singh
 वििेष फहुभत तथा याज्मों के अनसु भथणन द्िाया सॊिोधन के विषम
1. याष्ट्रऩतत का तनिागचन (अन.ु 54)
2. याष्ट्रऩतत के तनिागचन की प्रककमा (अन.ु 55)
3. सॊघ की कामगऩालरका शन्त्क्त का विस्ताय (अन.ु 73)
4. याज्मों की कामगऩालरका शन्त्क्त का विस्ताय (अन.ु 1620
5. केन्द्र शालसत प्रदे शों के लरए उच्च न्मामारम (अन.ु 141)
6. उच्चतभ न्मामारम एिॊ उच्च न्मामारम
7. केन्द्र-याज्म विधामी सॊफध

8. सॊसद (याज्मसबा) भें याज्मों का प्रतततनधधत्ि
9. 7 िीॊ अनस
ु च
ू ी से सॊफद्ध कोई विर्म
10. स्िमॊ अन.ु 368
भहत्िऩर्
ू ण सॊविधान सॊिोधन (Important Constitution Amendment)

 प्रथभ सॊिोधन अर्धननमभ, 1951 -

 बलू भ सध
ु ाय एिॊ न्मातमक सभीऺा से जुडे अन्म कानन
ू को नौिीॊ सच
ू ी भें स्थान

 7िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1956 -


 याज्मों के चाय िगों की सभान्त्प्त, जैस-े बाग-क, बाग-ख औय बाग-घ, इनके स्थान ऩय 14 याज्मों
एिॊ छह केंद्रशालसत प्रदे शों को स्िीकृतत

 दो मा उससे अधधक याज्मों के फीच साभदू हक न्मामारम की स्थाऩना।

 9िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1960 -


 इसके द्िाया सॊविधान के प्रथभ अनस
ु च
ू ी भें ऩरयितगन कयके बायत-ऩाक सभझौते (1958) के
अनस
ु ाय ऩाककस्तान को फेरूफाडी सॊघ (ऩन्त्श्चभ फॊगार न्त्स्थत) दे ददमा गमा।

 11िाॊ सॊिोधन अर्धननम, 1961 - Shivam Singh


 याष्ट्रऩतत मा उऩयाष्ट्रऩतत के तनिागचन को उऩमक्
ु त तनिागचक भण्डर भें रयक्तता के आधाय ऩय
चन
ु ौती नहीॊ दी जा सकती।

 24िाॊ सॊिोधन अर्धननम, 1971


 सॊसद को मह अधधकाय है कक िह सॊविधान के ककसी बी दहस्से का, चाहे िह भर
ू अधधकाय क्मों
न हो, सॊशोधन कय सकती है ।
 याष्ट्रऩतत द्िाया सॊिध
ै ातनक सॊशोधन विधेमक को भॊजूयी प्रदान कयना आिश्मक

 25िाॊ सॊिोधन अर्धननम, 1971 -


 सॊऩन्त्त्त के भर
ू अधधकाय भें कर्ौती।
 26िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1971 -
 वप्रिी ऩसग औय प्राॊतीम याज्मों के ऩि
ू ग शासकों के विशेर्ाधधकायों की सभान्त्प्त।

 31िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1972 -


 रोकसबा सीर्ों की सॊख्मा 525 से फढाकय 545

 42िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1976 ( सफसे भहत्िऩर्


ू ण सॊिोधन, इसे रघु सॊविधान के रूऩ भें जाना जाता है ।
इसी के भाध्मभ के स्िर्ण शसॊह सशभनत की शसपारयिों को प्रबािी फनामा गमा)

 तीन नए शब्द जोडे गए (सभाजिादी, धभगतनयऩेऺ एिॊ अॊखडता)


 नागरयकों के लरए भर
ू कतगव्मों को जोडा गमा (नमा बाग IV क)
 कैत्रफनेर् की सराह के लरए याष्ट्रऩतत की फाध्मता।
 प्रशासतनक अधधकयणों एिॊ अन्म भाभरों ऩय अधधकयणों की व्मिस्था (बाग XIV क)
जोडा गमा।
 1971 की जनगणना के आधाय ऩय 2001 तक रोक सबा सीर्ों एिॊ याज्म विधानसबा
सीर्ों को तनन्त्श्चत ककमा गमा।
Shivam Singh
 सॊविधातनक सॊशोधन को न्मातमक जाॉच से फाहय ककमा गमा।
 न्मातमक सभीऺा एिॊ रयर् न्मामऺेर भें उच्चतभ एिॊ उच्च न्मामारमों की शन्त्क्त भें
कर्ौती।
 रोकसबा एिॊ विधानसबा के कामगकार को 5 िर्ग से फढाकय 6 िर्ग ककमा गमा।
 तनदे शक तत्िों के कामागन्िमन हे तु फनाई गई विधधमों को न्मामारम द्िाया इस आधाय
ऩय अिैध घोवर्त नहीॊ ककमा जा सकता है कक मे कुछ भर
ू अधधकायों ऩय प्रबािी होंगी।
 तीन नए तनदे शक तत्ि जोडे गए अथागत सभान न्माम औय तनशल्
ु क विधधक सहामता,
उद्मोगों के प्रॊफध
ॊ भें कभगकायों का बाग रेना, ऩमागियण का सॊयऺण तथा सॊिधगन औय
िन तथा िन्म जीिों की यऺा ।
 बायत के ककसी एक बाग भें याष्ट्रीम अऩदा की घोर्णा।
 याज ् भें याष्ट्रऩतत शासन के कामगकार भें एक फाय भें छह भाह से एक सार तक की
फढोतयी।
 केन्द्र को ककसी याज्म भें कानन
ू एिॊ व्मिस्था फनाए यखने के लरए सैन्म फर बेजने की
शन्त्क्त।
 44िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1978 (42िाॊ सॊिोधन के तहत कुछ भाभरों को यद्द कयने के सॊदबण भें जनता
सयकाय द्िाया प्रबािी)

 रोकसबा एिॊ याज्म विधानभॊडर के कामगकार को ऩि


ू ि
ग त यखा गमा (5 िर्ग)
 सॊसद एिॊ याज्म विधानभॊडर की कामगिाही की रयऩोर्ग को सभाचायऩर भें प्रकाशन के लरए
साॊविधातनक सॊयऺण प्रदान ककमा गमा।
 कैत्रफनेर् की सराह को ऩन
ु विगचाय के लरए एक फाय बेजने की याष्ट्रऩतत को शन्त्क्त, ऩयन्तु
ऩन
ु विगचाय के फाद मह फाध्मकायी होगी।
 याष्ट्रीम आऩात के सॊदबग भें ―आॊतरयक अशाॊतत‖ शब्द के स्थान ऩय ―सशस्र विद्रे ह‖ शब्द यखा
गमा।
 याष्ट्रऩतत के लरए मह व्मिस्था फनाई गई कक िह केिर कैत्रफनेर् की लरर्खत लसपारयश ऩय ही
आऩातकार घोवर्त कय सकता है ।
 भर
ू अधधकायों की सच
ू ी से सॊऩन्त्त्त का अधधकाय सभाप्त ककमा गमा औय इसे केिर विधधक
अधधकाय फनामा गमा।
 अनच्
ु छे द 20 औय 21 द्िाया प्रदत्त भर
ू अधधकायों को याष्ट्रीम आऩातकार भें तनराॊत्रफत नहीॊ
ककमा जा सकता।
 उस उऩफन्ध को हर्ामा गमा न्त्जसने न्मामारम के याष्ट्रऩतत उऩयाष्ट्रऩतत प्रधानभॊरी औय
रोकसबा अध्मऺ के तनिागचन सॊफध
ॊ ी वििाद भाभरों ऩय तनणगम दे ने की शन्त्क्त छीन री थी।

Shivam Singh
 52िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1985 ( इसे दर-फदर वियोधी विर्ध के रूऩ भें जाना जाता है)
 इसके तहत सॊसद एिॊ याज्म विधानभॊडर के सदस्मों को दर-फदर के भाभरे भें तनयहगक ठहयाने
की व्मिस्था है इसके लरए विस्ताय से दसिीॊ अनस
ु च
ू ी को जोडा गमा है ।

 61िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1989


 रोकसबा एिॊ विधानसबा चुनाि भें भतदान की उम्र 21 से घर्ाकय 18 िर्ग की गई।

 69िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1991


 केन्द्रशालसत याज्म ददल्री को विशेर् दजाग दे ते हुए याष्ट्रऩतत याजधानी ऺेर ददल्री फनामा गमा।
इस सॊशोधन भें ददल्री के लरए 70 सदस्मी विधानसबा एिॊ 7 सदस्मीम भॊत्ररऩरयर्द की
व्मिस्था बी की गई।
 70िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1992
 याष्ट्रऩतत के तनिागचन भें तनिागचन कॉरेज के रूऩ भें याष्ट्रीम याजधानी ऺेर ददल्री विधानसबा के
सदस्मों एिॊ केन्द्रशालसत याज्म ऩड
ु च
े ेयी को बी शालभर ककमा गमा।

 71िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ,1992


 कोंकणी, भर्णऩयु ी, औय नेऩारी बार्ा को आठिीॊ अनस
ु च
ू ी भें शालभर ककमा गमा। न्त्जसके साथ
ही अनस
ु धू चत बार्ाओॊ की सॊख्मा फढकय 18 हो गई।

 73िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1992


 ऩॊचामती याज सॊस्थाओॊ को सॊिध
ै ातनक न्त्स्थतत एिॊ सयु ऺा प्रदान की गई। इस उद्देश्म के लरए
सॊविधान भें नमा बाग IX जोडा गमा न्त्जसे, ―ऩॊचामत‖ नाभ ददमा गमा औय नई 11िीॊ अनस
ु च
ू ी
भें ऩॊचामत की 29 कामागत्भक भदें जोडी गई।

 74िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1992


 शहयी स्थानीम तनकामों को सॊिध
ै ातनक न्त्स्थतत एिॊ सयु ऺा प्रदान की गई। इस उद्देश्म के लरए
सॊविधान भें नमा बाग IX जोडा गमा न्त्जसे, ―नगयऩलरकाएॊ‖ नाभ ददमा गमा औय नमी फाहयिीॊ
अनस
ु च
ू ी भें नगयऩलरकाओॊ को 18 कामागत्भक भदें जोडी गई।

 76िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1994


 तलभरनाडु आयऺण अधधतनमभ, 1994 को (जो याज्म के शैऺर्णक सॊस्थानों एिॊ याज्म सेिाओॊ
Shivam Singh
को 69 प्रततशत आयऺण उऩरब्ध कयाता है ) नौिीॊ अनस
ु च
ू ी भें न्मातमक सभीऺा से सॊयऺण के
लरए जोडा गमा। 1992 भें उच्चतभ न्मामारम ने व्मिस्था दी कक कुर आयऺण 50 प्रततशत से
अधधक नहीॊ होना चादहए।

 81िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 2000

 याज्म को शन्त्क्त प्रदान की गई कक ककसी िर्ग भें बयी न जा सकी आयक्षऺत िेणी की रयन्त्क्तमों
को अन्म अनि
ु ती िर्ग मा िर्ों के दौयान बयी जाने िारी रयन्त्क्तमों की ऩथ
ृ क िेणी भाना जाए।
ऐसी रयन्त्क्तमों को उस िर्ग की कुर रयन्त्क्तमों भें न लभरामा जाए न्त्जसे िर्ग िे बयी जाएॊ औय
उन्हें उस िर्ग की कुर रयन्त्क्तमों भें 50 प्रततशत आयऺण सीभा भें सन्त्म्भलरत न भाना जाए।
दस
ू ये शब्दों भें इस सॊशोधन ने फैकरॉग रयन्त्क्तमों के भाभरे भें 50 प्रततशत तक की आयऺण की
सीभा को सभाप्त कय ददमा।
 86िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2002
 6 से 14 िर्ग तक के फच्चों के लरए अतनिामग एिॊ तन्शल्
ु क लशऺा को भौलरक अधधकाय के रूऩ
भें भान्मता (अन.ु – 51A) के तहत सॊशोधन द्िाया 11 िाॊ कतगव्म जोडा गमा।

 91िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2003


 भॊरीऩरयर्द के आकाय को ऩरयलभत कयना रोकसबा तथा विधानसबा की सदस्म सॊख्मा की
अधधकतभ -15%

 92िाॊ सॊविधान सॊसोधन, 2003

 आठिी अनस
ु च
ू ी भें 4 नई बार्ा फोडो, डोंगयी, भैधथरी औय सन्थारी को शालभर ककमा गमा।

 93िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2005


 साभान्त्जक औय भौर्खक रूऩ से कभजोय रोगों को लशऺण सॊस्थानों भें प्रिेश सॊफध
ॊ ी आयऺण का
प्रािधान ककमा गमा है । अन्म वऩछडा िगग को लशऺण सॊस्थामों भें प्रिेश हे तु 27% का आयऺण

 97िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2011 Shivam Singh


 अनच्
ु छे द-19(1)(ग) के तहत सहकायी सलभततमाॊ फनाने का अधधकाय (मह सॊशोधन सहकायी
सलभततमों को सॊिध
ै ातनक स्तय प्रदान कयता है । )

 98िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2013

 कनागर्क के याज्मऩार की शन्त्क्तमों भें विस्ताय कय कनागर्क, आ0 प्र0 के ऺेर का विकास

 99िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2014

मह अधधतनमभ प्रस्तावित याष्ट्रीम न्मातमक तनमन्त्ु क्त आमोग (एनजेएसी-NJAC) की सॊयचना एिॊ काभकाज हे तु
सॊविधान की विलबन्न धायाओॊ भें सॊशोधन से सॊफधॊ धत है ।
इस अधधतनमभ के द्िाया सॊविधान के अनच्
ु छे द 124 (2), 127 (1) 128, 217(1) ि (2) औय 224 क भें
सॊशोधन ककमा गमा है ।

इसके अरािा इस अधधतनमभ के द्िाया तीन नए अनच्


ु छे द 124 क, 124 ख औय 124 ग जोडे गए हैं औय
अनच्
ु छे द 231 (2) (क) को विरोवऩत ककमा गमा है ।

13 अप्रैर, 2015 को इन अधधतनमभों के प्रबािी होने की ततधथ है ।

 100िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2015


 बायत-फाॊग्रादे श सीभा सभझौता

 101िाॊ सॊविधान सॊिोधन


 GST

Shivam Singh
Shivam Singh

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