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Indian Polity Pcs Mantra PDF Compressed Copy
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Shivam Singh
1773 का ये गर
ु ेटटॊग एक्ट :-
तत्कारीन ब्रिटटश प्रधानभॊत्री रॉिग नाथग द्वाया गटित गुप्त समभनत (सीक्रेट कभेटी) की
मसपारयश ऩय बायत एक्ट को 1773 का ये गुरेटटॊग एक्ट कहा गमा
उद्दे श्म-इसका भुख्म उद्दे श्म कॊऩनी के कामों को बायत तथा ब्रिटे न दोनों स्थानों ऩय
ननमॊब्रत्रत कयना व कॊऩनी भें व्माप्त दोषों को सभाप्त कयना था।
प्रावधान-
1- कॊऩनी के फोिग ऑप िामये क्टय के कामगकार को 1 वषग के स्थान ऩय 4 वषग का
कय टदमा गमा साथ ही मह बी ननमभ फनामा गमा कक कोटग ऑप िामये क्टय की
कुर सदस्म सॊख्मा 24 के एक चौथाई सदस्म प्रनतवषग अवकाश ग्रहण कयें गे।
2- बायतीम ऩरयऩेऺ से कॊऩनी प्रशासन भें फॊगार के पोटग ववमरमभ प्रेमसिेंसी के
प्रशासक को इस एक्ट के भाध्मभ से अॊग्रेजी ऺेत्रों का गवनगय जनयर फना टदमा
गमा अथागत फॊगार भॊफ
ु ई औय भद्रास प्रेमसिेंसी अबी तक एक दस
ू ये से स्वतॊत्र थी
ऩय इस अधधननमभ द्वाया फॊगार प्रेसीिेंसी के अधीन कयके फॊगार के गवनगय को
तीनों प्रेसीिेंमसमों का गवनगय जनयर फना टदमा गमा।
3- शासन की सभस्त सैननक व मसववर शक्क्तमों को गवनगय जनयर उसके 4 सदस्म
Shivam Singh
ऩरयषद को सौंऩ टदमा गमा, वाये न हे क्स्टॊ ग्स को प्रथभ गवनगय जनयर ननमुक्त
ककमा गमा औय गवनगय की कामगकारयणी ऩरयषद के चाय अन्म सदस्म थे- फपलरऩ
फ्ाॊलसस, क्रेवरयॊग, भानसन, फयवैर
4- इसी अधधननमभ के द्वाया 1774 भें कोरकाता भें सवोच्च न्मामारम की स्थाऩना
की गई सय एमरजा एम्ऩे को भुख्म न्मामाधीश व तीन अन्म चेम्फजज, रीभैस्टय
एवॊ हाइड को न्मामाधीश फनामा गमा
5- अधधननमभ के द्वाया कॊऩनी के कभगचारयमों को ब्रफना राइसेंस प्राप्त ककए गए
व्माऩाय को प्रनतफॊधधत कय टदमा गमा।
पऩट्स इॊडडमा एक्ट 1784
इस एक्ट के भाध्मभ से कॊऩनी के व्माऩारयक एवॊ याजनीनतक कक्रमाकराऩों को
अरग अरग कय टदमा गमा, व्माऩारयक कक्रमाकराऩों को कॊऩनी के िामये क्टय के
हाथों भें मथावत यखते हुए याजनीनतक कक्रमाकराऩों के ननमॊत्रण एवॊ ऩमगवेऺण हे तु
इॊग्रैंि भें एक 6 सदस्मीम ननमॊत्रक भॊिर(फोिग आप कॊट्रोर) की स्थाऩना की गई।
गवनगय जनयर की ऩरयषद की सॊख्मा 4 से कभ कय के तीन कय दी गई ।
प्राॊतीम ऩरयषद के सदस्मों की सॊख्मा 4 से 3 कय दी गई ।
गवनगय जनयर को प्राॊतीम सयकायों को फखागस्त कयने का अधधकाय मभरना इस
अधधननमभ की सफसे भहत्वऩूणग ववशेषता थी
बायत भें ननमक्
ु त अॊग्रेज अधधकारयमों के अवैध कामों ऩय भुकदभा चराने हे तु
इॊग्रैंि भें कोटग की व्मवस्था की गई।
इस अधधननमभ के द्वाया गवनगय जनयर को दे शी याजाओॊ से मुद्ध व सॊधध कयने
से ऩूवग कॊऩनी के िामये क्टय से स्वीकृनत रेना अननवामग कय टदमा गमा।
इस एक्ट के द्वाया दास प्रथा को गैयकानूनी घोवषत कय टदमा गमा क्जसके फाद
1843 ईसवी के ननमभ 5 द्वाया दास प्रथा ऩय योक रग गई।
नोट- 1833 के एक्ट के ऩूवग ननममभत ववधधमों (आदे शों)को ववननमभ कहा जाता था
जफकक इस अधधननमभ द्वाया ननमभगत ववधधमाॊ(आदे श) अधधननमभ कहराते थे , दस
ू ये
शब्दों भें बायत के गवनगय जनयर की ऩरयषद द्वाया ननमभगत ववधध को अधधननमभ कहा
जाता था।
1853 का एक्ट चाटज य एक्ट
1853 का चाटग य एक्ट बायतीमों द्वाया कॊऩनी के प्रनतकक्रमावादी शासन की सभाक्प्त की
भाॊग व गवनगय जनयर रॉिग िरहौजी द्वाया कॊऩनी के शासन भें सुधाय हे तु प्रस्तत
ु रयऩोटग
के सॊदबग भें प्रेरयत ककमा गमा था।
इस एक्ट द्वाया ववधाई कामों को प्रशासननक कायणों से अरग कयने की व्मवस्था
की गई ववधध ननभागण हे तु बायत के मरए एक अरग 12 सदस्म ववधान ऩरयषद(
ऑर इॊडिमा रेक्जसरेटटव काउॊ मसर )की स्थाऩना की गई ।
फॊगार के प्रशासननक कामों के मरए एक ऩथ
ृ क रेक्टटनेंट गवनगय ननमुक्त ककमा
गमा ।
ववधध सदस्म को गवनगय जनयर की ऩरयषद का ऩूणग सदस्म फना टदमा गमा।
कॊऩनी के कभगचारयमों की ननमुक्क्त के मरए नाभजद की के स्थान ऩय प्रनतमोगी
ऩयीऺाओॊ को आधाय फनामा गमा।
नोट-1853 का एक्ट बायतीम शासन (ब्रिटटश कारीन) के इनतहास भें अॊनतभ चाटग य था।
वामसयाम को ववधानसबा भें बायतीमों के नाभ ननटदग ष्ट कयने की शक्क्त प्रदान की
गई। मह याज्म सधचव के ननमॊत्रण तथा ननयीऺण भें कामग कयती थी।
इस एक्ट भें सफसे भहत्त्वऩूणग प्रावधान ननवागचन ऩद्धनत की शुरुआत थी। हाराॉकक,
इसभें ननवागचन शब्द का उल्रेख नहीॊ था। ननवागचन की ऩद्धनत अप्रत्मऺ थी औय
ननवागधचत सदस्मों को भनोनीत की सॊऻा दी जाती थी।
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ववधानभॊिर के सदस्मों के अधधकाय दो ऺेत्रों भें फढा टदमे गए। प्रथभ, फजट भें
अऩने ववचाय प्रकट कयने का अधधकाय टदमा गमा। दस
ू या, सावगजननक टहत के
भाभरे भें 6 टदन ऩव
ू ग सच
ू ना दे कय उन्हें प्रश्न ऩछ
ू ने का अधधकाय टदमा गमा।
ऩथ
ृ क् ननवागचन के आधाय ऩय भक्ु स्रभों के मरमे साॊप्रदानमक प्रनतननधधत्व का
प्रावधान, क्जसके अॊतगगत भुक्स्रभ सदस्मों का चुनाव भुक्स्रभ भतदाता ही कय
सकते थे।
केंद्र भें द्ववसदनीम व्मवस्था रागू की गई, क्जसके अॊतगगत केंद्रीम ववधानऩरयषद
औय याज्म ऩरयषद का गिन ककमा गमा। केंद्रीम औय प्राॊतीम ववषमों की सूची की
ऩहचान एवॊ उन्हें ऩथ
ृ क् कय याज्मों ऩय केंद्रीम ननमॊत्रण कभ ककमा गमा।
प्राॊतों भें द्वैध शासन प्रणारी की शुरुआत हुई। प्राॊतीम ववषमों को दो बागों भें फाॉटा
गमा-आयक्षऺत औय हस्ताॊतरयत। आयक्षऺत ववषम भें बूमभकय, ववत्त, न्माम, ऩमु रस,
ऩें शन, सभाचाय-ऩत्र, कायखाने आटद सेवाएॉ थीॊ, जफकक हस्ताॊतरयत सूची भें मशऺा,
स्वास््म, कृवष, सावगजननक ननभागण ववबाग, स्थानीम स्वामत्त शासन जैसे ववषम
थे। आयक्षऺत ववषमों ऩय गवनगय कामगऩामरका ऩरयषद की सहामता से शासन कयता
था, जो ववधानऩरयषद के प्रनत उत्तयदामी नहीॊ थी। । शासन की इस दोहयी व्मवस्था
को द्वैध शासन व्मवस्था कहा गमा।
इस अधधननमभ ने ऩहरी फाय दे श भें द्ववसदनीम व्मवस्था औय प्रत्मऺ ननवागचन
की व्मवस्था प्रायॊ ब की। वामसयाम की कामगकायी ऩरयषद के छह सदस्मों भें से
(कभाॊिय-इन-चीप को छोड़कय) तीन सदस्मों का बायतीम होना आवश्मक था।
ऩथ
ृ क् ननवागचक भॊिर का ववस्ताय ककमा गमा। भुसरभानों के साथ मसख, बायतीम
ईसाई, मूयोवऩमन एवॊ एॊग्रो-इॊडिमन के मरमे बी ऩथ
ृ क् ननवागचन की व्मवस्था की
गई। सॊऩवत्त, कय मा मशऺा के आधाय ऩय सीमभत सॊख्मा भें रोगों को भताधधकाय
प्रदान ककमा गमा।
ऩहरी फाय केंद्रीम फजट को याज्मों के फजट से अरग कयते हुए याज्म
ववधानसबाओॊ को अऩना फजट स्वमॊ फनाने के मरमे अधधकृत कय टदमा गमा।
इसके तहत एक वैधाननक आमोग का गिन ककमा गमा, क्जसका कामग दस वषग
फाद जाॉच कय अऩनी रयऩोटग प्रस्तत
ु कयना था।
साइभन कभीशन
नवॊफय, 1927 भें बायत के याज्म सधचव रािग ब्रफनहे ि ने सय जान साइभन की
अध्मऺता भें एक वैधाननक कभीशन के गिन की घोषणा की।
कभीशन का उद्दे श्म प्रान्तीम सयकायों के कामों की जाॊच कयना, प्रनतननधध
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सॊस्थाओॊ की कामगप्रणारी की सभीऺा कयना औय बववष्म भें उत्तयदामी सयकाय की
स्थाऩना भें जो प्रगनत हुई है , उसकी रूऩये खा तैमाय कयना था।
बायत सयकाय ऐक्ट, 1919 दो वषग फाद 1921 भें रागू हुआ था। इस तयह
कभीशन का गिन 1931 भें होना चाटहए था। मह सवार उिता है कक कपय इसे
सभम से ऩहरे ही क्मों गटित कय टदमा गमा ? अॊग्रेज़ सयकाय ने घोषणा की कक
इस ननमक्ु क्त के द्वाया वह बायत की सभस्माओॊ ऩय उदायताऩव
ू क
ग ववचाय कयना
चाहती है , रेककन वस्तुत् इसके कायण कछ औय थे। याष्ट्रवाटदमों ने ननमतकामरक
जाॊच ऩद्धनत का ववयोध ककमा औय उन्होंने सॊवैधाननक व्मवस्था भें ऩण
ू ग सॊशोधन
की भाॊग की।
कभीशन के सबी सातों सदस्म अॊग्रेज थे औय ब्रिटटश सॊसद के सदस्म बी थे।
अॊग्रेज़ सयकाय ने कभीशन भें ककसी बायतीम को शामभर न ककमे जाने के पैसरे
के ऩऺ भें दो तकग टदमे।
I. उसने फतामा, चॊकू क कभीशन को अऩना प्रनतवेदन ब्रिटटश सॊसद के सम्भख
ु
प्रस्तुत कयना था इसमरए कभीशन भें केवर अॊग्रेज़ सदस्मों को ही ननमक्त कयना
उधचत था। इस तकग भें फहत ज़्मादा वज़न नहीॊ था, क्मोंकक उस सभम रािग मसन्हा
औय श्री सकरातवारा-दो बायतीम सदस्म बी ब्रिटटश सॊसद भें थे।
II. दस
ू ये अॊग्रेज़ सयकाय ने घोवषत ककमा कक चूॊकक सॊवैधाननक सुधाय के भाभरे भें
बायतवामसमों भें भतैक्म नहीॊ है , इसमरए ककसी बायतीम को इसका सदस्म फनाना
सॊबव नहीॊ है । वस्तुत् ब्रफकेनहे ि को बम था कक ऐसे मभश्र कभीशन भें बायतीम
औय ब्रिटटश श्रमभक प्रनतननधधमों के फीच गिफॊधन हो सकता है ।
कभीशन ने दो फाय (फ़यवयी-भाचग 1928, अक्तूफय 1928, अप्रैर 1929) भें बायत
का दौया ककमा। हय फाय उसे फटहष्काय का साभना कयना ऩड़ा। काफ़ी व्माऩक दौये
के फाद एक रयऩोटग तैमाय की, जो भई, 1930 भें प्रकामशत हुई।
नेहरू रयऩोटज
भई, 1928 भें भोतीरार नेहरू की अध्मऺता भें याष्ट्रवाटदमों ने नेहरू समभनत का
गिन इसमरए ककमा था, ताकक वे साइभन कभीशन के गिन औय राडज
बफकेनहे ड की उस चुनौती का जवाफ दे सकें, क्जसभें उन्होंने बायतवामसमों से एक
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ऐसा सॊववधान फनाने के मरए कहा था, क्जस ऩय बायत भें भतैक्म हो।
अगस्त भें समभनत की रयऩोटग को अऩनामा गमा। करकत्ता काॊग्रेस अधधवेशन भें
कहा गमा कक इस रयऩोटग ने बायत की याजनीनतक औय साॊप्रदानमक सभस्माओॊ को
सुरझाने भें फहुत फड़ा मोगदान टदमा है ।
समभनत की रयऩोटग ने क्जस सॊववधान की रूऩये खा फनामी थी, वह स्व-शामसत
अधधयाज्मों के सॊववधान के प्रारूऩ औय ऩण
ू त
ग ् उत्तयदामी शासन के मसद्धान्त ऩय
आधारयत थी। ऩूणग उत्तयदामी सयकाय की स्थाऩना को ककसी दयू गाभी रक्ष्म के रूऩ
भें नहीॊ, फक्ल्क तात्कामरक रक्ष्म के तौय ऩय स्वीकृत ककमा गमा था।
स्ऩष्टतमा मह 1919 के ऐक्ट भें स्वीकृत क्रमभक प्रगनत के मसद्धाॊत से मबन्न
था। इस भसौदे को साभान्मतमा नेहरू समभनत रयऩोटग के नाभ से जाना जाता है ।
इसने ननम्नमरखखत मसपारयशें की:
1) बायत को ब्रिटटश साम्राज्म के बीतय दसये अधधयाज्मों के सभकऺ सॊवैधाननक
दजाग टदमा जाम औय सॊसद को कानून फनाने का अधधकाय बी हो तथा बायत याष्ट्र
भॊिर के नाभ से जाना जाम।
2) सॊववधान नागरयकता को ऩरयबावषत कये औय भौमरक अधधकायों की घोषणा कये ।
इसने बायत शासन अधधननमभ, 1858 द्वाया स्थावऩत बायत सधचव की ऩरयषद को
सभाप्त कय टदमा।
बायत शासन अधधननमभ 1935 के प्रावधानों के अनुरूऩ 1937 भें वभाग को बायत
से अरग कय टदमा गमा।
सॊघ रोक सेवा आमोग, प्राॊतीम सेवा आमोग तथा दो मा अधधक याज्मों के मरमे
सॊमक् Shivam Singh
ु त सेवा आमोग की स्थाऩना हुई।
इसके तहत 1937 भें सॊघीम न्मामारम की स्थाऩना हुई।
अगस्त प्रस्ताव
द्ववतीम ववश्वमुद्ध भें टहटरय की असाधायण सपरता तथा फेक्ल्जमभ हॉरैंि तथा फ्राॊस
के ऩतन के फाद ब्रिटे न की क्स्थनत अत्मॊत कभज़ोय हो गई थी, परत् ब्रिटे न ने
सभझौतावादी दृक्ष्टकोण की नीनत अऩनाई। मुद्ध भें बायतीमों का सहमोग प्राप्त कयने के
उद्दे श्म से 8 अगस्त 1940 को वामसयाम मरनमरथगो ने एक घोषणा की, क्जसे अगस्त
प्रस्ताव के नाभ से जाना जाता है । इस प्रस्ताव भें ननम्न प्रावधान थे-
बायत के मरए िोमभननमन स्टे टस भुख्म रक्ष्म
बायतीमों को सक्म्भमरत कय मुद्ध सराहकाय ऩरयषद की स्थाऩना
वामसयाम की कामगकारयणी ऩरयषद का ववस्ताय
मुद्ध के ऩश्चात सॊववधान सबा का गिन ककमा जाएगा, क्जसभें भुख्मतमा बायतीम
अऩने साभाक्जक, आधथगक एवॊ याजनीनतक धायणाओॊ के अनुरूऩ सॊववधान के
ननभागण की रूऩये खा सुननक्श्चत कयें गे। सॊववधान ऐसा होगा कक यऺा, अल्ऩसॊख्मकों
के टहत, याज्मों से सॊधधमाॉ तथा अखखर बायतीम सेवाएॉ इत्माटद भुद्दों ऩय बायतीमों
के अधधकाय का ऩूणग ध्मान यखा जाएगा।
अल्ऩसॊख्मकों को आश्वस्त ककमा गमा कक सयकाय ऐसी ककसी सॊस्था को शासन
नहीॊ सौंऩेगी, क्जसके ववरुद्ध सशक्त भत हो।
उक्त आधायों ऩय बायतीम सयकाय को सहमोग प्रदान कयें गे।
काॊग्रेस ने अगस्त प्रस्तावों को अस्वीकाय कय टदमा। जवाहय रार नेहरू ने इसे ‘दयवाजे
भें जड़ी जॊग रगी कीर की तयह है ।
भुक्स्रभ रीग ने शुरुआत भें अल्ऩसॊख्कों की फात ऩय इसका स्वागत तो ककमा, ककन्तु
प्रस्ताव भें ऩककस्तान की भाॉग स्ऩष्ट रूऩ से न स्वीकाय ककमे जाने के कायण उसने बी
प्रस्ताव को अस्वीकाय कय टदमा।Shivam Singh
प्रस्ताव भें प्रथभ फाय बायतीमों द्वाया स्वमॊ सॊववधान ननभागण कयने के तकग को भान्मता
दी गई तथा काॊग्रेस की सॊववधान सबा गटित कयने की भाॉग को स्वीकाय ककमा गमा।
िोमभननमन स्टे टस के भुद्दे को बी स्ऩष्ट रूऩ से स्वीकाय ककमा गमा।
3) सॊघीम ववषमों के अनतरयक्त सबी ववषम एवॊ अवमशष्ट शक्क्तमाॉ प्राॊतों भें ननटहत
4) होनी चाटहए।
5) बायतीम याज्म सॊघ सभवऩगत ववषमों के अनतरयक्त सभस्त ववषमों एवॊ शक्क्तमों को
यखे यहें गे।
7) सॊघ एवॊ सभूहों के सॊववधान भें एक ऐसा उऩफन्ध होना चाटहए क्जसके अधीन
ककसी बी प्राॊत को उसकी ववधान सबा के भतों की फहुसॊख्मा द्वाया प्रायक्म्बक दस
वषों की अवधध के ऩश्चात ् औय तदऩ
ु याॊत प्रनत दस वषग के अॊतयार ऩय सॊववधान के
ननफॊधनों ऩय ऩुनववगचाय कयने के मरए आहूत कयने की अनुभनतहो।
8) कैब्रफनेट मभशन ने ककसी बी रूऩ भें भक्ु स्रभ रीग की ऩाककस्तान की भाॉग को
अस्वीकाय कय टदमा। Shivam Singh
9) सॊववधान सबा के गिन के सम्फॊध भें मभशन ने वमस्क भताधधकाय ऩय आधारयत
ननवागचन से इॊकाय कय टदमा. क्मोंकक इसभें अत्मॊत ववरम्फ होगा। मह व्मवस्था की
गई कक सॊववधान ननभागत्री सबा का गिन अप्रत्मऺ ननवागचन द्वाया ककमा जाना
चाटहमे। इस उद्दे श्म से प्रत्मेक प्रान्त भें वहाॉ के प्रभुख सभुदामों के भध्म उनकी
जनसॉख्मा के अनऩ
ु ात भें कुछ स्थान आवॊटटत ककमा जाना चाटहमे ,जो साभान्मत:
10 राख की जनसॊख्मा ऩय एक हो ।
मह नीनत जून 1945 की मशभरा काॊफ्रेंस के सभम वाइसयॉम वैवेर की नीनत से
ब्रफल्कुर ववऩयीत थी, मशभरा काॊफ्रेंस भें क्जन्ना ने भुसरभानों को नाभजद कयने
के एकाधधकाय का दावा ककमा।
क्जन्ना की भाॊग यद्द कय दी गमी औय काॊफ्रेंस बॊग कय दी गमी थी।
कैब्रफनेट मभशन का मह बी ववश्वास था कक ऩाककस्तान का कोई अरग अक्स्तत्व
नहीॊ है इसमरए मभशन ने जो मोजना फनामी उसके अॊतगगत दे श की एकता को
ध्मान भें यखते हुए भुक्स्रभ अल्ऩसॊख्मक के टहतों की यऺा की फात की गमी।
सॊववधान के स्वरूऩ ननधागयण के मरए कामगकायी दर को तीन बागों भें ववबाक्जत
ककमा गमा। भद्रास, फॊफई, सॊमुक्त प्रान्त, ब्रफहाय, भध्म प्राॊत औय उड़ीसा को सभूह
“क” भें यखा गमा।
ऩॊजाफ, उत्तय ऩक्श्चभ सीभाॊत प्रदे श औय मसन्ध को सभूह “ख” भें यखा गमा औय
सभह
ू ‘ग’ का ननभागण आसाभ औय फॊगार को मभराकय हआ।
प्रनतयऺा, ववदे शी भाभरों औय सॊचाय को केंद्र के अधीन यखा गमा।
प्रथभ आभ चुनाव के फाद कोई प्राॊत अऩने सभह
ू को छोड़ सकता था औय 10 वषग
के फाद सभूह औय केन्द्रीम सॊववधान भें ऩरयवतगन की भाॊग कय सकता था।
Shivam Singh
सॊपवधान का ननभाजण
सॊपवधान सबा का गठन :- कैब्रफनेट मभशन मोजना द्वाया सुझाए गए प्रस्तावों के तहत
11 टदसम्फय 1946 को- ड़ाo याजेन्द्र प्रकाश को स्थामी अध्मऺ चुना गमा।
उऩाध्मऺ,एच.सी.भुखजी
सय फी.एन.याव को- सैवाधाननक सराहकाय ननमक्
ु त ककमा गमा (प्रथभ प्रारुऩ इन्ही
के द्वाया)
उद्दे श्म प्रस्ताव –13 टदसम्फय 1946 को ऩॊडित जवाहय रार नेहरु द्वाया ऩेश ककम गमा।
सलभनत अध्मऺ
सॊघ सॊपवधान सलभनत जवाहय रार नेहरु
सॊध शक्क्त सलभनत जवाहय रार नेहरु
ननमभ लसलभनत
Shivam Singh
डाo याजेन्द्र प्रसाद
सॊचारन सलभनत डाo याजेन्द्र प्रसाद
प्रारुऩ सलभनत डाo बीभ याव अम्फेडकय
भौलरक अधधकाय हे तु
सराहकाय सलभनत सयदाय फल्रब बाई ऩटे र
भौलरक अधधकाय जे.फी.कृऩरानी
उऩसलभनत
अरऩसॊख्मक सलभनत एच.सी. भुखजी
प्राॊतीम सॊपवधान सलभनत सयदाय फल्रब बाई ऩटे र
सदन सलभनत ऩट्टालब सीता यभैमा
सलभनत अध्मऺ
याज्मों के लरए सलभनत जवाहय रार नेहरु
कामज सॊचारन सलभनत के.एभ. भॊुशी
याष्ट्रीम ध्वज सम्फन्द्धी डाo याजेन्द्र प्रसाद
सलभनत
सॊपवधान सबा के कामो जी.वी. भावरॊकय
के लरए सलभनत
प्रारुऩ सलभनत की जाॉच जवाहय रार नेहरु
के लरए पवशेष सलभनत
नागरयकता ऩय तदथज एस.वयदाचायी
सलभनत
सॊपवधान ननभात्री सबा डाo याजेन्द्र प्रसाद
दस
ू या- 15 नवॊफय 1948-17 अक्टूफय 1949
ऩहरी ननवागधचत सॊसद दोनो सदनों के साथ भई 1952 भें अक्स्तत्व भें आई।
Shivam Singh
सॊववधान सबा के सम्फॊध भें टदए गए वकतव्म-
आइवय जेननग्स- अऩनी याष्ट्रवादी प्रनत कक्रमा भें बायतीम सॊववधान के ननभागताओॊ ने
अल्ऩसॊख्मकों को के टहतों तथा बावनाओॊ के भहत्व को कभ कयके आॊका है ।
सॊपवधान के सोत
भूर अधधकाय
Shivam Singh
न्मानमक ऩुनववगरोकन मसध्दाॊत
न्मामधीश औय याष्ट्रऩनत ऩय भहामबमोग
आमयरैण्ि का सॊववधान-
प्रस्तावना की बाषा
सभवती सच
ू ी
केन्द्र याज्म सम्फॊध
दोनों सदनों की सॊमुक्त फैिक का प्रावधान
भर
ू कतगव्म
प्रस्तावना भें न्माम का आदशग
ऩहरी अनुसूची-याज्मों के नाभ एवॊ उनके न्मानमक ऺेत्र सॊघ याज्म ऺेत्रों के नाभ एवॊ
उनकी सीभाएॉ.
दस
ू यी अनुसूची- प्रभुख ऩदाधधकारयमों के वेतन बत्ते,ऩें शन का उल्रेख ।
मे दोनों इस अनस
ु च
ू ी के तहत शऩथ नहीॊ रेते है ।
चौथी अनुसूची- याज्मों एवॊ के. शा.प्र. के मरए याज्मसबा भें सीटों का आवॊटन ।
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ऩाॉचवी अनुसूची- अनुसूधचत औय जनजातीम ऺेत्रों के प्रशासन के फाये भें ।
छठवीॊ अनस
ु ूची- असभ,भेघारम, ब्रत्रऩयु ा, औय मभजोयभ याज्मों के जनजातीम ऺेत्रों के
प्रशासन के फायें भें।
सातवीॊ अनुसूची- सॊघ औय याज्म के फीच शक्क्तमों का ववबाजन सॊघ सूची (100ववषम)
याज्मसूची (61ववषम) सभवती सूची (52 ववषम)
9वीॊ अनस
ु च
ू ी- प्रथभ सॊववधान सॊशोधन 1951 भें जोड़ी गई
बमू भ सुधाय जभीदायी उन्भर
ू न कानन
ू ों से सॊववधान
10वीॊ अनुसूची- 52वें सॊववधान सॊशोधन अधधननमभ 1985 भें जोड़ा गमा।
11वीॊ अनुसच
ू ी- 73वें सॊववधान सॊशोधन भें जोड़ी गई
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सॊपवधान के प्रभख
ु अनच्
ु छे द-
अनु. 3- नए याज्मों की स्थाऩना तथा भौजूदा याज्मों के ऺेत्रपर, सीभा व नाभ भें
ऩरयवतगन
अनु. 15- धभग, प्रजानत अथवा नस्र, जानत, मरॊग अथवा जन्भ स्थान के आधाय ऩय
बेदबाव का ननषेध
अन.ु 25- अन्त् कयण तथा धभग के प्रकटन, अभ्मास एवॊ प्रचाय- प्रसाय की स्वतॊत्रता
अनु. 28- कुछ शैऺखणक सॊस्थानों भें धामभगक ननदे शों अथवा धामभगक उऩासना के मरए
उऩक्स्थत होने की स्वतॊत्रता
अन.ु 30- अल्ऩसॊख्मकों को अऩनी शैऺखणक सॊस्था खोरने औय चराने का अधधकाय
अन.ु 42- न्मामोधचत एवॊ भाननीम कामग दशाओॊ तथा भातत्ृ व सहामता का प्रावधान
अनु. 45- फारऩन ऩूवग दे खबार तथा 6 वषग से कभ आमु के फच्चों को मशऺा
अनु. 48(A)- ऩमागवयण सॊयऺण एवॊ सॊवधगन तथा वन एवॊ वन्म जीवों की सुयऺा
अनु. 72- याष्ट्रऩनत की ऺभादान इत्माटद की शक्क्त तथा दण्ि स्थगन, भापी एवॊ कभ
कयना
अन.ु 74- भॊब्रत्रऩरयषद का याष्ट्रऩनत को सहमोग एवॊ ऩयाभशग दे ना
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अनु.126- कामगकायी भुख्म न्मामाधीश की ननमुक्क्त
अन.ु 201- याज्मऩार द्वाया ववधेमक को याष्ट्रऩनत के ववचायाथग सयु क्षऺत यखना
अनु. 262- अन्तयागज्मीम नटदमों व नटद घाटटमों के ऩानी से सम्फक्न्धत वववाद भें न्माम
ववशेष उऩफॊध-
सॊविधान की प्रस्तािना:
हभ बायत के रोग, बायत को एक
सम्ऩूर्ण प्रबुत्ि सम्ऩन्न, सभाजिादी , धभणननयऩेऺ, रोकतॊत्रात्भक गर्याज्म फनाने के लरए
तथा उसके सभस्त नागरयकों को साभाजजक, आर्थणक औय याजनीनतक न्माम,
विचाय, अशबव्मजतत, विश्िास, धभण औय उऩासना की स्ितॊत्रता,
प्रनतष्ठा औय अिसय की सभता प्राप्त कयने के लरए तथा उन सफ भें
व्मजतत की गरयभा औय याष्र की एकता औय अखण्डता सुननजश्चत कयनेिारी फॊधत
ु ा फढाने के
लरए दृढ सॊकल्ऩ होकय अऩनी इस सॊविधान सबा भें आज तायीख 26 निम्फय 1949 ई0 (लभतत
भागग शीर्ग शुक्र सप्तभी, सम्ित ् दो हजाय छह विक्रभी) को एतद द्िाया इस सॊविधान को
अॊगीकृत, अधधतनमलभत औय आत्भावऩगत कयते हैं।
1.असभ याज्म सयकाय फनाभ िेरूिायी केस (Assam State Government vs. berubari
Case) 1960 :-
के अनस
ु ाय उद्देलशका सॊविधान का अॊग नहीॊ है ऩयन्तु सॊविधान की बार्ा सभझने के लरए
उद्देलशका का सहाया लरमा जा सकता है ।
न्मामभतू तग दहदामतल्
ु राह ने इस केस भें उद्देलशका को सॊविधान की भर
ू आत्भा कहा जफकक
Ans. हाॉ
इसी आधाय ऩय 42 िें सॊविधान सॊशोधन 1976 द्िाया इसभें ―सभाजिादी‖, ―ऩॊथतनयऩेऺ‖, एिॊ ―अखण्डता‖
शब्द जोडे गए।
Note:- प्रस्तािना (उद्देलशका) ही बायत को एक धभगतनयऩेऺ याज्म िर्णगत कयता है ।
रोकतन्त्र (Democracy) :-
बायत भें जनता द्िाया तनिागधचत प्रतततनधधमों के भाध्मभ से शासन होता है इसे अप्रत्मऺ रोकताॊत्ररक
प्रणारी मा प्रतततनधध प्रणारी कहा जाता है ।
अर्धकाय (Right) -
न्माम — साभान्त्जक, आधथगक, यणनैततक
स्ितन्त्रता — विचाय, अलबव्मन्त्क्त, विश्िास, धभग औय उऩासना
सभानता — प्रततष्ट्ठा एिॊ अिसय की
बायतीम सॊविधान की प्रस्तािना Fundamental Right, Directive Prinicple of State, Fundaments
Duties भें तनदहत है ।
अत् प्रस्तािना सॊविधान के स्ऩष्ट्र् प्रािधानों को यद्द नहीॊ कय सकती है ना ही Court द्िाया प्रिततगत
कयामी जा सकेगी। भर
ू ढाॉचे को छोडकय सॊशोधन हो सकता है ।
भहत्िऩर्
ू ण त्रफॊद ु –
बायत के भर
ू सॊविधान भें कुर 395 Art. 8 अनस
ु धू चमाॉ ि 22 बाग थे। ऩयन्तु ितगभान भें 450
अनच्
ु छे द हैं — रेककन सॊविधान के बागों औय अनच्
ु छे दों भें सॊशोधन भर
ू सॊख्माओॊ भें कोई
ऩरयितगन ना कयते हुए ककमा गमा है इसीलरए आज बी अन्त्न्तभ अनच्
ु छे द 395 ि बाग 22 ही हैं।
अनच्
ु छे द – 2 :- सॊसद को सॊघ भें नमे याज्मों के प्रिेश मा स्थाऩना कयने के लरए विधध फनाने का अधधकाय
दे ता है । नाभ भें ऩरयितगन, याज्मों के ऺेर, सीभाकॊन का बी अधधकाय सॊसद को ही प्राप्त है ।
अनच्
ु छे द – 3 :- सॊसद साधायण फहुभत द्िाया ऐसा कय सकती है ।
14 िें सॊिोधन द्िाया (1962) भें ऩाॊडडचेयी का छठा UT फनामा (1954 भें फ्ाॊसीसी उऩतनिेश भाहे , मनभ,
ऩाॊडडचेयी को सभझौते के तहत लभराकय ऩाॊडडचेयी का गठन हुआ था।)
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1961 भें सैतनक कामगिाही (आऩये शन विजम) द्िाया गोिा, दभन एिॊ द्िीऩ को ऩत
ु ग
ग ालरमों से भक्
ु त
कयाकय उसे 7िाॊ UT का दजाग ददमा गमा, ऩन
ु ् 56 िें सॊशोधन द्िाया 1987 भें गोिा को 25 िाॊ याज्म
फना ददमा गमा।
14 याज्मों के फाद अन्म याज्मों के फनने का क्रभ :-
क्रभ याज्म
15 वाां याज्म गज
ु यात (फांफई से अरग 1 भई 1960
कयके )
16वाां याज्म नागारैंड 1 ददस० 1963
17वाां याज्म हरयमाणा 1 नवांफय 1966
18वाां याज्म दहभाांचर 25 जनवयी 1971
19वाां याज्म भणणऩयु 21 जनवयी 1972
20 वाां याज्म त्रिऩयु ा 21 जनवयी 1972
21वाां याज्म भेघारम 21 जनवयी 1972
22वाां याज्म ससक्ककभ 16 भई 1975
23वाां याज्म सभजोयभ 20 पयवयी 1987
24वाां याज्म अरुणाांचर प्रदे श 20 पयवयी 1987
25वाां याज्म गोवा 30 भई 1987
26वाां याज्म छत्तीसगढ़ 1 नवांफय 2000
27वाां याज्म उत्तयाखांड 9 नवांफय 2000
28वाां याज्म झायखांड 15 नवांफय 2000
29वाां याज्म तेरग
ां ाना 2 जन
ू 2014
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नोट : जम्भू कश्भीय औय रद्दाख – 2019 भें बायत के 8वें औय 9वें केंद्र शाससत प्रदे श फने
रद्दाख की ववधानसबा नहीां होगी वहाां केंद्र द्वाया बेजे गए प्रशासन ननमुकत होंगें |
नागरयकता (CITIZENSHIP)
बायतीम सॊविधान के बाग-II (अनच्
ु छे द - 5 से 11 तक) भें िर्णगत
अनच्
ु छे द - 05 — एक व्मन्त्क्त बायत का नागरयक भाना जाएगा, मदद
उसका जन्भ बायत भें हुआ हो, मा
उसके भाता-वऩता मा दोनों भें से ककसी एक का जन्भ बायत भें हुआ हो
सॊविधान रागू होने के ऩाॉच िर्ग ऩि
ू ग से बायत भें यह यहा हो
अनच्
ु छे द - 06 — ऩाककस्तान से बायत को प्रिजन कयने िारा कोई व्मन्त्क्त बायत का नागरयक हो सकता
है , मदद उसके भाता - वऩता मा दादा - दादी अविबान्त्जत बायत भें ऩैदा हुए हों, तथा साथ ही-
िह 19 जुराई 1948 के ऩि
ू ग स्थानाॊतरयत हुआ हो औय अऩने प्रिसन की ततधथ से साभान्मत् बायत
भें तनिास ककमा हो,
मा
Shivam Singh
िह 19 जुराई 1948 को मा उसके फाद बायत भें प्रिसन ककमा हो औय बायत के नागरयक के रूऩ भें
ऩॊजीकृत हो ऐसे व्मन्त्क्त के ऩॊजीकृत होने के लरए बायत भें 6 भाह का तनिास आिश्मक है ।
अनुच्छे द - 07 — 1 भाचग 1947 के फाद बायत भें ऩाककस्तान को स्थानान्तरयत व्मन्त्क्त मदद कपय से बायत
भें ऩन
ु िागस के लरए रौर् आमे तो िह बायत का नागरयक फन सकता है ।
ऐसे व्मन्त्क्त को ऩॊजीकयण प्राथगना ऩर के फाद 6 भाह तक बायत भें यहना होगा।
अनुच्छे द - 08 — एक व्मन्त्क्त जो बायत से फाहय यहा यहा हो ककन्तु उसके भाता-वऩता मा दादा-दादी
अविबान्त्जत बायत भें ऩैदा हुए हों तो िह बायत का नागरयक फन सकता है , मदद उसने कूर्नीततक तयीके मा
ऩार्गदीम प्रतततनधध के रूऩ भें नागरयक के रूऩ भें ऩॊजीकयण ककमा हो।
अनुच्छे द - 09 — कोई व्मन्त्क्त बायत का नागरयक नहीॊ भाना जाएगा मदद उसने स्िेच्छा से ककसी अन्म
दे श की नागरयकता ग्रहण कय री हो।
अनुच्छे द - 10 — प्रत्मेक व्मन्त्क्त जो बायत का नागरयक है , बायत का नागरयक भाना जाएगा मदद सॊसद
कोई अन्म प्रािधान न कयें ।
मदद कोई याज्म सयकाय चाहे तो अऩने लशऺण सॊस्थाओॊ भें अऩने याज्म के तनिालसमों को विशेर्
सवु िधा दे सकती है ।
जम्भू कश्भीय की विशेर् न्त्स्थतत के कायण िहाॉ के विधान भॊडर के मह अधधकाय है कक िह स्थामी
तनिालसमों को ऩरयबावर्त कयें तथा इनके हे तु नौकयी, सॊऩन्त्त्त क्रम, लशऺा इत्मादद हे तु विशेर्
सवु िधामें दे सके।
1. जन्भ से नागरयकता
Shivam Singh
2. िॊशानग
ु त नागरयकता
भौलरक अधधकाय न्मामोधचत प्रकृतत के हैं, अथागत इन्हें न्मामऩालरका का सॊयऺण प्राप्त है , मे व्मन्त्क्त को
याज्म के विरूद्ध प्राप्त अधधकाय है ।
भर
ू सॊविधान भें कुर सात भर
ू अधधकाय प्रदान ककमे गमे थे ककन्तु ितगभान भें केिर 6 भर
ू अधधकाय ही हैं।
अनुच्छे द - 13 — बायतीम सॊविधान के रागू होने के साथ ही दे श भें प्रचलरत सबी विधधमाॉ उस भारा तक
शन्
ू म होंगी, न्त्जस भारा तक िे बाग-III के उऩफॊधों से असॊगत हैं।
भर
ू अर्धकाय (fundamental rights) ऩय एक नजय -
अनच्
ु छे द - 14 — बायत के याज्म ऺेर भें ककसी व्मन्त्क्त को विधध के सभऺ सभता से मा विधधमों के
सभान सॊयऺण से िॊधचत नहीॊ ककमा जामेगा।
अनच्
ु छे द - 15 — केिर धभग, भर
ू िॊश, जातत, लरॊग मा जन्भस्थान के आधाय ऩय विबेद का प्रततर्ेध।
अनच्
ु छे द 19(1)(छ) — िन्त्ृ त्त, व्मिसाम मा उऩजीविका का अधधकाय
अनच्
ु छे द - 20(2) — ककसी व्मन्त्क्त को एक ही अऩयाध के लरए एक फाय से अधधक अलबमोन्त्जत एिॊ
दन्त्ण्डत नहीॊ ककमा जा सकता।
अनच्
ु छे द - 20(3) — ककसी व्मन्त्क्त को स्िमॊ के विरूद्ध गिाही दे ने के लरए िाध्म नहीॊ ककमा जा सकता।
अनच्
ु छे द - 21 — ककसी व्मन्त्क्त को विधध द्िाया स्थावऩत प्रकक्रमा के अनस
ु ाय ही उसके प्राण एिॊ दै दहक
स्ितॊरता से िॊधचत ककमा जा सकता है , अन्मथा नहीॊ
साभान्म दण्ड विधध के अधीन धगयफ्ताय ककसी व्मन्त्क्त को तनम्न अधधकाय प्राप्त हैं।
अनच्
ु छे द - 24 — कायखानों आदद भें फारकों के तनमोजन ऩय प्रततफॊध
अनच्
ु छे द - 28 — लशऺण सॊस्थाओॊ भें धालभगक लशऺा मा उऩासना भें उऩन्त्स्थत होने के फाये भें स्ितॊरता।
अनच्
ु छे द - 28(1) — ऩण
ू त
ग ् याज्मतनधध से ऩोवर्त ककसी लशऺण सॊस्था भें कोई धालभगक लशऺा नहीॊ दी
जाएगी।
अनुच्छे द - 28(3) — याज्म तनधध से सहामता प्राप्त लशऺण सॊस्था भें शालभर होने िारे ककसी बी
व्मन्त्क्त को धालभगक लशऺा रेने हे तु फाध्म नहीॊ ककमा जाएगा।
अनच्
ु छे द - 29 — अल्ऩसॊख्मक िगों के दहतों का सॊयऺण
अनु ु्च्छे द - 30 — लशऺा सॊस्थाओॊ की स्थाऩना एिॊ प्रशासन कयने का अल्ऩसॊख्मक िगों का अधधकाय
अनच्
ु छे द - 32 — सॊिध
ै ातनक उऩचायों का अधधकाय
इसी के द्िाया भर
ू अधधकायों का प्रितगन तथा व्मिहारयक प्रमोग
भर
ू अधधकायों के उल्रॊघन की दशा भें न्मामारम द्िाया विशेर् सॊयऺण
डॉ0 बीभयाि अम्फेडकय के अनस
ु ाय ―सॊविधान की आत्भा‖
अनच्
ु छे द - 33 — सॊसद को मह अधधकाय है कक िह सशस्र फरों, खुकपमा एजेंलसमों एिॊ अन्म के भर
ू
अधधकायों ऩय मन्त्ु क्तमक्
ु त प्रततफॊध रगा सके।
अनच्
ु छे द - 34 — बायत के ककसी ऺेर भें मदद सैन्म अधधतनमभ रागू है तो सॊसद िहाॉ भर
ू अधधकायों
ऩय प्रततफॊध रगा सकती है । Shivam Singh
अनच्
ु छे द - 35 — भर
ू अधधकायों को प्रबािी फनाने हेतु कानन
ू फनाने के सॊफध
ॊ भें सॊसद एिॊ याज्म
विधानभण्डरों के फीच शन्त्क्तमों का विबाजन
याज्म नीनत के ननदे िक तत्ि
(Directive Principles of State Policy)
अनच्
ु छे द - 36 — याज्म की ऩरयबार्ा
अनुच्छे द - 37 — नीतत तनदे शक तत्ि न्मामारम द्िाया प्रितगनीम नहीॊ हैं ककन्तु विधध फनाने भें इन
लसद्धान्तों को रागू कयना याज्म का कतगव्म होगा।
अनुच्छे द - 38 — याज्म द्िाया साभान्त्जक एिॊ रोक कल्माण की अलबिवृ द्ध के लरए साभान्त्जक व्मिस्था
फनामा जाएगा।
अनुच्छे द - 40 — ग्राभ ऩॊचामतों का गठन कयना एिॊ उन्हें स्िामत शासन हे तु शन्त्क्तमाॉ एिॊ प्राधधकाय दे ना।
अनच्
ु छे द - 41 — कुछ दशाओॊ (फढ
ु ाऩा, फीभायी, अशक्तता) भें काभ, लशऺा एिॊ रोक सहामता ऩाने का
अधधकाय
अनच्
ु छे द - 42 — काभ की न्मामसॊगत एिॊ भानिोधचत दशाओॊ का तथा प्रसतू त सहामता का उऩफॊध
अनच्
ु छे द - 43(क) — उद्मोगों के प्रफॊधन भें भजदयू ों की बागीदायी के लरए उऩमक्
ु त विधान फनाना।
अनुच्छे द - 44 — सभस्त नागरयकों के लरए एक सभान नागरयक सॊदहता रागू कयने का प्रमास कयना।
अनच्
ु छे द - 46 — अनस
ु धू चत जातत, जनजातत औय अन्म दफ
ु र
ग िगों के लशऺा एिॊ अथग सॊफध
ॊ ी दहतों की
अलबिवृ द्ध ि साभान्त्जक न्माम सतु नन्त्श्चत कयना।
अनच्
ु छे द - 47 — रोगों भें ऩोर्ाहाय एिॊ जीिन स्तय को ऊॉचा कयने तथा रोक स्िास््म भें सध
ु ाय कयने का
याज्म का कतगव्म
अनच्
ु छे द - 48 — कृवर् एिॊ ऩशऩ
ु ारन का सॊगठन
अनुच्छे द - 48(क) — ऩमागियण के सॊयऺण एिॊ सॊिद्धगन तथा िन एिॊ िन्म जीिों की यऺा का प्रमास कयना।
अनच्
ु छे द - 49 — याष्ट्रीम भहत्ि के स्भायकों, स्थानों एिॊ िस्तओ
ु ॊ का सॊयऺण कयना।
Shivam Singh
अनुच्छे द - 50 — याज्म की रोक सेिाओॊ भें कामगऩलरका से न्मामऩालरका के ऩथ
ृ क्कयण हे तु याज्म द्िाया
कदभ उठाना।
अनुच्छे द - 51 — अन्तयागष्ट्रीम शाॊतत एिॊ सयु ऺा की अलबिवृ द्ध के लरए प्रमास कयना।
भर
ू कतणव्म (Fundamental Duties)
बायतीम सॊविधान भें भर
ू कतगव्म को शालभर ककमा गमा |
भर
ू कतगव्मों की सॊख्मा — ितगभान भें 11
बायत भें भर
ू कतगव्म प्रेरयत हैं — सोविमत सॊघ के सॊविधान से
ककसी नागरयक द्िाया कतगव्मों का ऩारन न ककमे जाने ऩय न्मामारम द्िाया उसे दन्त्ण्डत नहीॊ ककमा जा
सकता।
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िभाण सशभनत (1999) — भर
ू कतणव्मों के प्रचारन से सॊफर्ॊ धत
याष्ट्र गौयि अऩभान तनिायण अधधतनमभ — बायत के सॊविधान, याष्ट्रीम ध्िज औय याष्ट्रीम गान के
अनादय का तनिायण के लरए।
केन्र - याज्म सॊफॊध (Center - state relationship)
मे हैं -
(I) विधामी सॊफध
ॊ
(II) प्रशासतनक सॊफध
ॊ
(III) वित्तीम सॊफध
ॊ
1. विधामी सॊफॊध्-
सॊसद को सॊऩण
ू ग बायत मा उसके ककसी बाग के लरए कानन
ू फनाने का अधधकाय है तथा याज्म
विधानभण्डर को अऩने याज्म मा उसके ककसी बाग के लरए विधध तनभागण का अधधकाय है ।
सातिीॊ अनस
ु च
ू ी केन्द्र ि याज्मों के फीच विधामी शन्त्क्तमों को तनधागरयत कयती हैं |
(i) सॊघ सच
ू ी्- इसके अॊतगगत याष्ट्रीम भहत्ि के विर्म शालभर है , न्त्जन ऩय विधध तनभागण का एकभार
अधधकाय सॊसद के ऩास है । इसभें 97 विर्म हैं।
(ii) याज्म सच
ू ी्- इनभें मे विर्म शालभर है , न्त्जन ऩय याज्म विधान भॊडर को कानन
ू फनाने का अधधकाय है ।
ितगभान भें इसके 61 विर्म हैं Shivam Singh
(iii) सभिती सच
ू ी्- इस सच
ू ी के विर्मों ऩय सॊसद ि याज्म विधानभॊडर दोनों ही कानन
ू फना सकते हैं। इस
सभम इसभें 52 विर्म हैं।
अिशिष्ि िजतत्-
अनच्
ु छे द-248:- के अनस
ु ाय अिलशष्ट्र् शन्त्क्तमाॉ केन्द्र के ऩास हैं। अथागत ऐसे विर्म जो उऩयोक्त तीनों
सधू चमों भें िर्णगत नहीॊ है , उस ऩय विधध तनभागण का अधधकाय केन्द्र को प्राप्त है।
अनच्
ु छे द-249:- याज्म सच
ू ी के विर्म के सॊफध
ॊ भें याष्ट्रीम दहत भें विधध फनाने की सॊसद को शन्त्क्त
अनच्
ु छे द-250:- मदद आऩात की उद्घोर्णा प्रितगन भें हो, तो याज्म सच
ू ी के विर्म के सॊफध
ॊ भें विधध
फनाने की सॊसद की शन्त्क्त।
अनच्
ु छे द-252:- दो मा अधधक याज्मों के लरए उनकी सहभतत से ऐसी विधध का ककसी अन्म याज्म
द्िाया अॊगीकाय ककमा जाना।
अनच्
ु छे द-253:- अॊतयागष्ट्रीम कयायों को प्रबािी कयने के लरए प्रािधान।
अनच्
ु छे द-254:- मदद सभिती सच
ू ी के विर्म ऩय केन्द्र तथा याज्म के कानन
ू ों भें असह्भतत हो तो,
सॊघीम कानन
ू ही भान्म होगा।
प्रिासननक सॊफध
ॊ ्-
सॊविधान के बाग 11 भें अनच्
ु छे द-256-263 तक केन्द्र एिॊ याज्मों के फीच प्रशासतनक सॊफध
ॊ ों की
व्माख्मा की गमी है । सॊघ, याज्म को तनम्नलरर्खत विर्म भें तनदे श दे सकता है-
अनच्
ु छे द-256:- सॊसद द्िाया फनाई गई विधधमों का अनऩ
ु ारन सतु नन्त्श्चत कयने के लरए।
अनच्
ु छे द-257:- मह सतु नन्त्श्चत कयने के लरए कक याज्म की कामगऩालरका शन्त्क्त का प्रमोग, सॊघ
की कामगऩालरका शन्त्क्त के प्रमोग भें कोई अडचन न डारे।
Shivam Singh
मह सतु नन्त्श्चत कयने के लरए कक याष्ट्रीम भहत्ि के सॊचाय साधनों का तनभागण हो औय िे फनाए
यखे जाएॊ। इसके अॊतगगत याष्ट्रीम याजभागग औय जरभागग हैं। ये रों के सॊयऺण के लरए।
अनच्
ु छे द-350क :- प्राथलभक स्तय ऩय भातब
ृ ार्ा भें लशऺा की सवु िधाएॉ उऩरब्ध कयाने के लरए।
अनच्
ु छे द-355:- मह सतु नन्त्श्चत कयने के लरए कक प्रत्मेक याज्म सयकाय, सॊविधान के उऩफॊधों के
अनस
ु ाय चर यही है ।
अनच्
ु छे द-339:- अनस
ु धू चत जनजाततमों के कल्माण के लरए मोजना फनाने औय उसके तनष्ट्ऩादन
के फाये भें ।
अनच्
ु छे द-262:- अॊतयागष्ट्रीम नददमों औय नदी घादर्मों के जर सॊफध
ॊ ी वििाद के सॊफध
ॊ भें सॊसद को
विधध तनभागण की शन्त्क्त प्राप्त है ।
अनच्
ु छे द-312:- केन्द्र द्िाया अर्खर बायतीम सेिाओॊ का तनभागण ककमा जाना।
वित्तीम सॊफध
ॊ ्-
अनच्
ु छे द-275:- सॊसद उन याज्मों को वित्तीम सहामता दे गा, न्त्जनको ऐसी सहामता की आिश्मकता
है ।
अनच्
Shivam Singh
ु छे द-282:- सॊघ मा याज्मों द्िाया अऩने याजस्ि के ककए जाने िारे त्म।
अनच्
ु छे द-283:- सॊधचत तनधधमों, आकन्त्स्भकता तनधधमों औय रोक रेखाओॊ भें जभा धनयालशमों की
अलबयऺा।
अनच्
ु छे द-289:- केन्द्र सयकाय को मह अधधकाय है कक िह अऩनी सॊधचत तनधध की साख ऩय
दे शिालसमों ि विदे शी सयकायों से ऋण रे सके।
आऩातकारीन उऩफॊध (Emergency provision)
Note:- भर
ू सॊविधान भें सशस्र विद्रोह के स्थान ऩय आन्तरयक अशाॊतत शब्द था ऩयन्तु 1975 ―िीभतत
इॊददया गाॉधी‖ द्िाया आन्तरयक अशाॊतत के आधाय ऩय आऩातकार का प्रितगन याष्ट्रऩतत ―पखरूद्दीन अरी
अहभद‖ से कयिामा न्त्जसके फाद सयकाय ऩरयितगन होने ऩय 44 िें सॊविधान सॊशोधन द्िाया आन्तरयक
Shivam Singh
अशाॊतत के स्थान ऩय सशस्र विद्रोह शब्द रामा गमा।
ऩन
ु ् फढाने के सॊसद का ऩन
ु ् अनभ
ु ोदन जरूयी है क्मोंकक 6-6 भाह कयके ही फढे गी। इसको 6-6
भाह कयके अतनन्त्श्चत कार तक फढा सकते हैं।
(c) अनच्
ु छे द 20, 21 को छोडकय भर
ू अधधकायों का तनरम्फन हो जाता है ।
(d) आऩात की उद्घोर्णा होने ऩय रोकसबा अऩना कामगकार एक फाय भें 1 िर्ग के लरए फढा सकती
है ऩयन्तु आऩातकार सभाप्त होने ऩय इसका प्रितगन 6 भाह से ज्मादा नहीॊ (अनच्
ु छे द - 83)
(e) आऩातकार के रागू यहने ऩय सॊसद ककसी याज्म भें याष्ट्रऩतत शासन की अिधध 1 िर्ग से अधधक
फढाने का सॊकल्ऩ ऩारयत कय सकती है ऩय ऐसा अधधकतभ 3 िर्ग तक कय सकती है ।
Shivam Singh
2. 356 के तहत आऩातकार (याज्मों भें याष्रऩनत िासन):-
सॊविधान भें इसके लरए आऩात शब्द का प्रमोग नहीॊ है।
मद्मवऩ बायत भें इसका प्रमोग याजनैततक विद्िेर् से ज्मादा ककमा गमा ।
उद्घोषर्ा का अनभ
ु ोदन्-
अनच्
ु छे द 356 के तहत उद्घोर्णा सॊसद के दोनों सदनों भें यखी जाती है उसे प्रत्मेक सॊदन द्िाया
साधायण फहुभत से दो भाह के बीतय ऩारयत कयना होता है ।
1 िर्ग से ज्मादा सभम तक आऩातकार जायी यखने के लरए सॊसद द्िाया सॊकल्ऩ तबी ऩारयत
ककमा जामेगा जफ तनम्नलरर्खत दशाएॊ हो-
1. आऩात की उद्घोर्णा (सम्ऩण
ू ग बायत ि उसके ककसी बाग भें ) प्रितगन भें हो,
औय
2. तनिागचन आमोग मह प्रभार्णत कय दे कक याज्म भें चुनाि कयाना सम्बि
नहीॊ
उऩयोक्त दोनों शते 44 िें सॊविधान सॊशोधन से जोडी गई।
अनच्
ु छे द 355:- याज्मों की सयु ऺा का सॊघ का कतगव्म
याज्म विधान भण्डर भें तनदहत ककसी शन्त्क्त को अऩने हाथ भें नहीॊ रे सकता औय ना ही
याष्ट्रऩतत उच्च न्मामारम से सॊफधधत कोई शन्त्क्त अऩने अधीन कय सकता।
Note:- अनच्
Shivam Singh
ु छे द 356 के तहत सिगप्रथभ याष्ट्रऩतत शासन ऩेप्सू (ऩदर्मारा, ऩॊजाफ ईस्र् ऩॊजाि स्र्े र्
मतू नमन) मे 1951 भें रगामा गमा था।
अिर्ध्- सॊसद के अनभ ु ोदन के त्रफना दो भाह तक प्रितगन भें यहती है ऩयन्तु सॊसद साधायण फहुभत से दो
भाह के ऩिू ग उद्घोर्णा को अनभ ु ोददत कय दे तो मह अतनन्त्श्चतकार तक फनी यहे गी।
याज्म विधान भण्डर द्िाया ऩारयत धन विधेमक ि वित्तीम विधेमकों को याष्ट्रऩतत के विचाय हे तु
आयक्षऺत ककमा जा सकता है ।
[Q] अनच्
ु छे द 352 के तहत अफ तक ककतनी फाय याष्ट्रीम आऩतकार रग चक
ु ा है ?
ans - 3 फाय
Note:- अनच्
ु छे द 352 ि 356 के तहत रगे आऩातकार को हर्ाने की घोर्णा
नहीॊ है ।
Shivam Singh
याष्ट्रऩतत स्िमॊ कय सकता है इसके लरए उसे ककसी से अनभ
ु तत की आिश्मकता
केंर सयकाय (Central Government)
याष्रऩनत (President)
इस प्रकाय के तनिागचक भॊडर भें शालभर हैं — ससॊद के दोनों सदनों के ननिाणर्चत सदस्म औय
याज्म विधान सबाओॊ के ननिाणर्चत सदस्म (ददल्री एिॊ ऩाजण्डचेयी सदहत)
बायत का नागरयक
कभ से कभ 35 िर्ग की आमु का
रोकसबा सदस्म चन
ु े जाने की मोग्मता धायण कयने िारा
Shivam Singh
सॊसद मा याज्म विधान भॊडर के ककसी सदस्म को याष्ट्रऩतत के ऩद हे तु चुन लरए जाने ऩय — उसे ऩद
ग्रहण की ततधथ से ही सदन की सदस्मता छोडनी ऩडेगी
याष्ट्रऩतत के चन
ु ाि से सॊफधॊ धत ककसी वििाद का तनऩर्ाया — बायत के सिोच्च न्मामारम के द्िाया
याष्ट्रऩतत का कामगकार — अऩने ऩद ग्रहण की ततधथ से ऩाॉच िर्ग तक
बायत के याष्ट्रऩतत को हर्ामा जा सकता है — सॊसद द्िाया रामे गमे भहालबमोग के आधाय ऩय
(अनच्
ु छे द-61)
14 ददन ऩि
ू ग नोदर्स ददमा जाता है ।
भहालबमोग प्रस्ताि ऩारयत हो सकता है — ककसी सदन के कुर सदस्म सॊख्मा के दो-नतहाई फहुभत से
याष्रऩनत को िऩथ —
उच्चतभ न्मामारम के भख्
ु म न्मामधीश द्िाया
भख्
ु म न्मामाधीश की अनऩ
ु न्त्स्थतत भें उच्चतभ न्मामारम के िरयष्ट्ठतभ
न्मामाधीश द्िाया
सॊघ की कामगऩालरका शन्त्क्त धायण कयना तथा अऩने अधीनस्थ अधधकारयमों द्िाया प्रमक्
ु त कयना
बायत के प्रधानभॊरी की तनमन्त्ु क्त तथा प्रधानभॊरी की सराह ऩय अन्म भॊत्ररमों की बी तनमन्त्ु क्त
भहान्मामिादी, तनमॊरक एिॊ भहारेखा ऩयीऺक, भख्
ु म चुनाि आमक्
ु त ि अन्म चन
ु ाि आमक्
ु तों,
सॊघ रोक सेिा आमोग के अध्मऺ एिॊ सदस्मों, याज्म के याज्मऩारों, वित्त आमोग के अध्मऺ
एिॊ सदस्मों आदद की तनमन्त्ु क्त
अनस
ु धू चत जातत, जनजातत तथा अन्म वऩछडे िगग के लरए एक आमोग की तनमन्त्ु क्त
सॊसद की फैठक फर
ु ाना तथा उसे कुछ सभम के लरए स्थाधगत यखना
सॊसद के सॊमक्
ु त अधधिेशन का आह्िान कयना (अध्मऺता- रोकसबा अध्मऺ)
प्रत्मेक नमे चुनाि के फाद तथा प्रत्मेक िर्ग सॊसद के प्रथभ अधधिेशन का सॊफोधन
सादहत्म, विऻान, करा ि सभाज सेिा के ऺेरों से 12 सदस्मों का याज्मसबा के लरए भनोनमन
सॊसद के सरािसान की अिधध भें अध्मादे श जायी कय सकता है। इस प्रकाय के अध्मादे श को सॊसद की
ऩन
ु ् फैठक के छ् सप्ताह के अन्दय सॊसद द्िाया अनभ
ु ोददत कयना आिश्मक है ।
CAG, वित्त आमोग, सॊघ रोक सेिा आमोग ि अन्म की रयऩोर्ग सॊसद के सभऺ यखता है।
चुनाि आमोग के ऩयाभशग ऩय ससॊद सदस्मों की तनयहगता के प्रश्न ऩय तनणगम कयता है।
प्रभुख वित्तीम िजततमाॉ –
धन विधेमक ऩय ऩि
ु ागनभ
ु तत दे ता है (सॊसद भें प्रस्तत
ु ककमे जाने से ऩहरे)
अनद
ु ान की भाॉग ऩय लसपारयश दे ता है ।
केन्द्र औय याज्म के भध्म याजस्ि के फॉर्िाये के लरए प्रत्मेक ऩाॉच िर्ग के फाद एक वित्त आमोग का
गठन कयता है ।
अन्म िजततमाॉ:-
Shivam Singh
1. याष्रीम आऩातकार (अनच्ु छे द - 352 के तहत)
बायत की तयप से सभस्त अन्तयागष्ट्रीम सभझौते एिॊ सॊधधमाॊ याष्ट्रऩतत के नाभ ऩय ककमे जाते हैं।
(मद्वऩ इनके लरए सॊसद की अनभ
ु तत अतनिामग है )
याष्ट्रऩतत बायत के सैन्म फरों का सिोच्च सेनाऩतत होता है।
मद्ध
ु मा मद्ध
ु सभान्त्प्त की घोर्णा कयता है ।
उऩयाष्ट्रऩतत दे श का दस
ू या सिोच्च ऩद होता है । उऩयाष्ट्रऩतत याज्मसबा का ऩदे न सबाऩतत बी होता है ।
उसका कामगकार 5 िर्ग का होता है , जफकक याज्मसबा के सदस्मों का कामगकार 6 िर्ग होता है । याष्ट्रऩतत
की बाॉतत उऩयाष्ट्रऩतत का तनिागचन बी एक तनिागचक - भण्डर द्िाया ककमा जाता है । ऻातव्म हो कक
इसभें याज्म विधानसबा के सदस्म बाग नहीॊ रेत।े
अनच्ु छे द - 64 — उऩयाष्ट्रऩतत ―याज्मसबा का ऩदे न सबाऩतत‖ होगा औय अन्म कोई राब का ऩद धायण
नहीॊ कये गा।
Shivam Singh
अनच्ु छे द - 65 — याष्ट्रऩतत की भत्ृ म,ु ऩदत्माग मा ऩद से हर्ाए जाने मा अन्म कायणों से उसके ऩद भें
हुई रयन्त्क्त की दशा भें उऩयाष्ट्रऩतत याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कये गा।
उऩयाष्रऩनत ऩद की ितत्-
मह सॊसद अथिा याज्म विधानभण्डर के ककसी सदन का सदस्म न हो। मदद ऐसा व्मन्त्क्त जो सॊसद
मा याज्म विधानभण्डर का सदस्म है , उऩयाष्ट्रतत ऩद के लरए तनिागधचत हो जाता है तो उऩयाष्ट्रऩतत
ऩद ग्रहण कयने की ततधथ से उस सदन भें उसका स्थान रयक्त सभझा जाएगा, न्त्जसका िह सदस्म
है । िह ककसी राब के ऩद ऩय न हो।
ऩदािर्ध्- उऩयाष्ट्रऩतत की ऩदािधध 5 िर्ग होती है ककन्तु िह कबी बी अऩना त्मागऩर याष्ट्रऩतत को
दे सकता है । इसके अरािा याज्मसबा द्िाया उसे ऩदािधध से ऩि
ू ग बी हर्ामा जा सकता है ।
उऩयाष्ट्रऩतत अऩने 5 िर्ग के ऩदािधध के ऩश्चात ् बी तफ तक अऩने ऩद ऩय फना यहता है, जफ तक
कक उसका उत्तयाधधकायी अऩना ऩद ग्रहण न कय रे।
याज्मसबा के सबाऩनत के रूऩ भें — याज्मसबा के सबाऩतत के रूऩ भें उसके कामग एिॊ शन्त्क्तमाॊ
रोकसबा अध्मऺ की बाॊतत होती है । बायतीम उऩयाष्ट्रऩतत अभेरयकी उऩयाष्ट्रऩतत की बाॊतत कामग
कयता है ।
कामणिाहक याष्रऩनत के रूऩ भें — याष्ट्रऩतत का ऩद रयक्त होने की न्त्स्थतत भें (याष्ट्रऩतत की
भत्ृ म,ु त्मागऩर, तनष्ट्कासन मा अन्म कायणों से) उऩयाष्ट्रऩतत अर्धकतभ 6 भाह तक कामगिाहक
याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कयता है ।
याष्रऩनत के अनऩ
ु जस्थनत — होने की दशा भें (फीभायी मा अन्म कायण से) िह याष्ट्रऩतत के ऩन
ु ् कामग कयने
तक उसके कतगव्मों का तनिगहन कयता है ।
कामगिाहक याष्ट्रऩतत के रूऩ भें कामग कयते सभम िह याज्म सबा सबाऩतत के रूऩ भें कामग नहीॊ कयता तथा
याष्ट्रऩतत के ऩद सॊफध
ॊ ी िेतन प्राप्त कयता है ।
ऩन
ु ननणिाणचन ऩय कोई प्रततफन्ध नहीॊ
2. कतगव्मों का ऩारन
हिाने की प्रकक्रमा्-
ककन्तु इस सॊफध
ॊ भें उऩयाष्ट्रऩतत को 14 ददन िर्ग सच
ू ना दे ना अतनिामग है तथा ऐसे सॊकल्ऩ
का रोकसबा द्िाया सहभतत आिश्मक है ।
सॊसद (Parliament)
अनच्
ु छे द - 79 — सॊसद तीन अॊगों से लभरकय फनती है
याज्म सबा
ददल्री-3 + ऩद
ु च
ु ेयी-1 ऺेर ददल्री-(3) + ऩड
ु ु चेयी(1) से
ननिाणचन्- याज्मसबा के सदस्मों का तनिागचन याज्म विधान सबा के ―तनिागधचत सदस्मों‖ द्िाया
―आनऩ
ु ाततक प्रतततनधधत्ि‖ के आधाय ऩय ―एकर सॊक्रभणीम‖ ऩद्धतत तथा ―खुरा भतदान‖ (Open Ballet)
द्िाया ककमा जाता है ।
मोग्मता्-
1. बायत का नागरयक
2. आमु 30 िर्ग
3. राब के ऩद ऩय नहीॊ
4. बायत के ककसी बी तनिागचन ऺेर के तनिागचक नाभािरी भें नाभ हो।
ननमोग्मता्-
विकृत धचत्त मा ददिालरमा हो
राब के ऩद ऩय हो
चुनािी अऩयाध का दोर्ी हो
साभान्त्जक अऩयाध जैसे — अस्ऩश्ृ मता, दे हज, सती प्रथा आदद का दोर्ी हो।
याज्मसबा के वििेषार्धकाय्-
अनच्ु छे द - 249 Shivam Singh
अनच्ु छे द - 312
उऩयाष्ट्रऩतत को ऩद से हर्ाने के प्रस्ताि का प्रायम्ब
रोकसबा बॊग होने की न्त्स्थतत भें आऩात कार की अिधध को फढाने का अधधकाय
7 िें सॊविधान सॊशोधन अधधतनमभ 1956‖ द्िाया याज्मसबा भें केन्द्रशालसत प्रदे श ददल्री ि ऩद
ु च
ु ेयी को
प्रतततनधधत्ि ददमा गमा।
याज्मसबा का सबाऩनत्-
दे श का उऩयाष्ट्रऩतत याज्मसबा का ऩदे न सबाऩतत होता है । अथागत ् िह सदन का सदस्म नहीॊ होता है ।
िाईभत — रोकसबा अध्मऺ की बाॉतत िह बी ऩहरी फाय भें भत नहीॊ दे सकता फन्त्ल्क फयाफय भत ऩडने
की न्त्स्थतत भें तनणागमक भत दे ता है ।
साभान्म भत/ऩहरी फाय भत(नहीॊ दे सकता) — जफ याज्म सबा भें सबाऩतत को हर्ाने सॊफध
ॊ ी सॊकल्ऩ
विचायाधीन हो तो िह सदन का ऩीठासीन अधधकायी नहीॊ होता (अध्मऺता नहीॊ कयता) मद्मवऩ िह
सदन की कामगिाही भें बाग तो रे सकता है ककन्तु भत नहीॊ दे सकता, जफकक रोकसबा का अध्मऺ
ऩहरी फाय भें भत दे सकता है अगय उसे हर्ाने का सॊकल्ऩ विचायाधीन हो।
िह अऩना िेतन, बत्ता याज्मसबा के सबाऩतत के रूऩ भें प्राप्त कयता है, न कक उऩयाष्ट्रऩतत के रूऩ भें।
मह बायत की सॊधचत तनधध ऩय बारयत होता है ।
याज्मसबा का उऩसबाऩनत्-
याज्मसबा के सदस्म अऩने फीच से ही उऩसबाऩतत का कयते चमन हैं। महीॊ कायण है कक उऩसबाऩतत
रयक्त होने ऩय याज्म सबा नए उऩसबाऩतत का चमन स्िमॊ कय रेती है , जफकक रोकसबा भें मह
कामग याष्ट्रऩतत द्िाया ककमा जाता है ।
रोकसबा
ShivamकीSingh
सॊयचना
याज्मों से 530 + केन्द्रशालसत प्रदे शों से 20 याज्मों से 530 + केन्द्रशालसत प्रदे शों से — 13
ननिाणचन्- रोकसबा सदस्मों का तनिागचन ‘आनऩ
ु ाततक प्रतततनधधत्ि’ के आधाय ऩय नहीॊ फन्त्ल्क (प्रत्मऺ
तनिागचन द्िाया िमस्क सािगबौभ भताधधकाय के आधाय ऩय) ‘प्रादे लशक प्रतततनधधत्ि’ के आधाय ऩय होता है ।
मोग्मता्- याज्मसबा केिर आमु का अन्तय रोकसबा हे तु 25 िर्ग तथा याज्मसबा हे तु आमु 30 िर्ग
होनी चादहए।
रोकसबा का अध्मऺ्-
अनच्ु छे द - 93 के अनस
ु ाय रोकसबा स्िमॊ अऩने सदस्मों भें से ही अध्मऺ चुनती है एिॊ उऩाध्मऺ
चमन कयती है ।
अध्मऺ एिॊ उऩाध्मऺ दोनों ऩद रयक्त होने ऩय रोकसबा द्िाया फनाए गए 10 सदस्मों की तालरका भें
से िरयष्ट्ठता के क्रभ भें आने िारा व्मन्त्क्त अध्मऺता कयता है ।
चुनाि ऩश्चात नई रोकसबा के लरए याष्ट्रऩतत द्िाया एक ‘अस्थामी अध्मऺ’ (प्रोर्े भ स्ऩीकय)
तनमक्
ु त ककमा जाता है जो प्राम् रोकसबा का िरयष्ट्ठतभ सदस्म होता है ।
उसका भख्
ु म कामग रोकसबा के नए सदस्मों को शऩथ ददराना तथा सदन के स्थामी अध्मऺ के
चमन भें भदद कयना है ।
सॊसद के दो सत्रों के फीच 6 भाह से अर्धक का अन्तयार नहीॊ होना चादहए अथागत ् 1 िर्ग भें दो
सर अिश्म होना चादहए।
2. भानसन
ू सत्र (जुराई से शसतम्फय)
एक सरािसान ि दस
ू ये सर के प्रायॊ ब होने के भध्म की सभमािधध को ‘अिकाश’ ‘सरािकाश’ कहते हैं।
कोयभ/गर्ऩनू तण — मह सदन के कुर सदस्मों का 10% (ऩीठासीन अधधकायी सदहत) होता है । कोयभ
के अबाि भें अध्मऺ/सबाऩतत का दातमत्ि है कक िह सदन की कामगिाही को स्थाधगत कय दे ।
स्थगन — स्थगन द्िाया सथन की फैठक को एक तनन्त्श्चत सभम के लरए योक ददमा जाता है । मह
सभम कुछ घण्र्े , कुछ ददन मा कुछ सप्ताह बी हो सकता है ।
Shivam Singh
सत्रािसान — सदन के ककसी सर का सभाऩन सरािसान कहराता है । सरािसान की घोर्णा याष्ट्रऩतत
द्िाया भॊत्ररऩरयर्द की सराह से होती है ।
अननश्चतकारीन स्थगन — इसके तहत अध्मऺ द्िाया मह नहीॊ फतामा जाता है कक सदन को
ककतने सभम के लरए स्थाधगत ककमा जा यहा है ।
िन्
ू म कार आधे घॊिे की फहस
सॊकल्ऩ मि
ु ा सॊसद
अविश्िास प्रस्ताि
प्रश्न कार — सॊसद का ऩहरा घण्र्ा (11 फजे से 12 फजे तक) प्रश्न कार कहराता है । इस सभम
सॊसद सदस्म प्रश्न ऩछ
Shivam Singh
ू ते हैं तथा भॊरी उसका जिाफ दे ते हैं।
प्रश्नों के प्रकाय
तायाॊककत प्रश्न अतायाॊककत प्रश्न अल्ऩ सच
ू ना के प्रश्न
और्चत्म प्रश्न्-
साभान्मता विऩऺी सदस्म द्िाया सयकाय ऩय तनमॊरण हे तु तफ उठामा जाता है जफ सदन
भें सॊचारन के साभान्म तनमभों का ऩारन नहीॊ होता।
Shivam Singh
औधचत्म प्रश्न भें ककसी फहस की अनभ
ु तत नहीॊ होती।
ऐसा प्रस्ताि न्त्जस ऩय चचाग के लरए सभम ि ततधथ की घोर्णा ककमे फगैय रोकसबा अध्मऺ
द्िाया स्िीकाय कय लरमा जाता है ।
ननमभ 377 / वििेष उल्रेख्- ऐसा भाभरा जो औधचत्म प्रश्न नहीॊ है , उसे प्रश्न कार
के दौयान नहीॊ उठामा जाता, आधे घॊर्े की फहस से न्त्जसभें कई साये भाभरे शालभर हैं, इसे
विशेर् उल्रेख के तहत याज्मसबा भें उठामा जाता है । मह रोकसबा भें तनमभ-377 के अधनी
‘नोदर्स’ कहा जाता है।
प्रस्ताि
धन्मिाद प्रस्ताि्-
प्रत्मेक आभ चुनाि के फाद ऩहरे सर एिॊ वित्तीम िर्ग के ऩहरे सर भें याष्ट्रऩतत सदन को
सॊफोधधत कयते हुए अलबबार्ण दे ता है । मह अलबबार्ण भॊत्ररऩरयर्द द्िाया तैमाय ककमा जाता है ,
न्त्जसभें सयकाय के कामग तनष्ट्ऩादन ि बािी मोजनाओॊ का न्त्जक्र होता है ।
धन्मिाद प्रस्ताि का सॊविधान भें उल्रेख नहीॊ है। मह ससॊदीम प्रकक्रमा का बाग है।
ध्मानाकषणर् प्रस्ताि्-
स्थगन प्रस्ताि्-
स्थगन प्रस्ताि भें ऐसे भद्द
ु ों को उठामा जाता है जो अत्मन्त जरूयी तथा रोक भहत्ि के
हों। ऐसी न्त्स्थतत भें सदन भें ितगभान चचाग को योककय स्थगन प्रस्ताि द्िाया राए गए भद्द
ु े
ऩय चचाग की जाती है । स्थगन प्रस्ताि ककसी बी सदन भें रामा जा सकता है ।
अविश्िास प्रस्ताि्-
रोकसबा के तनमभ 198 के तहत अविश्िास प्रस्ताि केिर रोकसबा भें रामा जा सकता
है ।
इस प्रस्ताि को राने के लरए कायण फताना आिश्मक नहीॊ।
अविश्िास प्रस्ताि ऩारयत हो जाने ऩय सयकाय को अतनिामग रूऩ से त्मागऩर दे ना ऩडता है।
वििेषार्धकाय प्रस्ताि्-
मह प्रस्ताि सॊसदीम विशेर्ाधधकायों के उल्रॊघन से सॊफधॊ धत है। मदद कोई सॊसद सदस्म मह
भहसस
ू कयता है कक त्मों को छुऩाकय मा गरत सच
ू ना दे कय ककसी भॊरी ने सॊसद सदस्मों
के विशेर्ाधधकायों का उल्रॊघन ककमा है तो सॊसद सदस्म/सदस्मों द्िाया विशेर्ाधधकाय प्रस्ताि
रामा जा सकता है । इसका उद्देश्म सॊफधॊ धत भॊरी की तनॊदा कयना है ।
आ जाता है कक िह (सयकाय) विश्िास प्रस्ताि मा अन्म भाध्मभों से रोकसबा भें अऩना फहुभत लसद्ध कयें ।
Shivam
ननॊदा प्रस्ताि औय अविश्िास प्रस्ताि भें Singh
अन्तय -
ननॊदा प्रस्ताि अविश्िास प्रस्ताि
1. तनॊदा प्रस्ताि राने का कायण फताना अतनिामग है । 1. अविश्िास प्रस्ताि राने का कायण फताना आिश्मक
नहीॊ।
2. एक भॊरी मा अनेक भॊत्ररमों के विरुद्ध रामा जा 2. सभस्त भॊत्ररऩरयर्द के विरुद्ध रामा जाता है , न कक
सकता है । ककसी एक भॊरी के विरुद्ध
3. सयकाय को त्माग ऩर दे ना ऩडता। 3. सयकाय (भॊत्ररऩरयर्द) को त्माग ऩर दे ना अतनिामग
है ।
4. सयकाय के कुछ कामों मा नीततमों के र्खराप तनॊदा 4. मह भॊत्ररऩरयर्द को रोकसबा का विश्िास प्राप्त है
के लरए रामा जाता है । मा नहीॊ, के तनधागयण के लरए रामा जाता है ।
विधेमक -
1. साधायर् विधेमक्-
3. सॊमक्
ु त फैठक का प्रािधान
5. याष्ट्रऩतत की ऩि
ू ग अनभ
ु तत आिश्मक नहीॊ।
2. धन विधेमक्-
2. याज्मसबा 14 ददन तक योक सकती है मा सॊशोधन की लसपारयश कय सकती है । न्त्जसे स्िीकाय कयना
3. सॊमक्
ु त फैठक नहीॊ हो सकती।
Shivam Singh
4. याष्ट्रऩतत स्िीकाय कयते हैं, ऩयन्तु ऩन
ु विगचाय हे तु नहीॊ रौर्ा सकते।
5. याष्ट्रऩतत की ऩि
ू ग अनभ
ु तत से।
3. सॊमक्
ु त फैठक हो सकती है ।
5. याष्ट्रऩतत की ऩि
ू ग अनभ
ु तत से रामा जाता है ।
फजि (Budget)
* बायतीम सॊविधान भें फजर् शब्द का प्रमोग नहीॊ ककमा गमा है ।
* अनच्
ु छे द 112 भें फजि के शरए ‘िावषणक वित्तीम विियर्’ िब्द का प्रमोग ककमा गमा है ।
4. खचग का अनभ
ु ान।
7. नमी ऩरयमोजना।
Shivam Singh
फजि के सॊफॊध भें सॊिध
ै ाननक प्रािधान्-
* अनच्
ु छे द-112(1) — याष्ट्रऩतत प्रत्मेक वित्तीम िर्ग भें फजर् को सॊसद के दोनों सदनों के सभऺ यखिाएगा।
* कय सॊफध
ॊ ी विधेमक केिर रोकसबा भें ही ऩयु ्स्थावऩत ककमा जा सकता है ।
* सॊसद ककसी कय भें कभी मा सभाप्त कय सकती हैं ककॊ तु इसे फढा नहीॊ सकती।
1. बायत की सॊधचत तनधध ऩय बारयत व्मम्- सॊसद भें भतदान की आिश्मकता नहीॊ।
1. फजि का प्रस्तुतीकयर् — फजर् वित्त भॊरी द्िाया 1 पयियी को ऩेि ककमा जाता है। वित्तभॊरी द्िाया
फजर् बार्ण के ऩश्चात ् फजर् को सिगप्रथभ रोकसबा भें प्रस्तत
ु ककमा जाता है । याज्मसबा को अनद
ु ान भाॊगों ऩय
कर्ौती का अधधकाय नहीॊ होता है ।
2. आभ फहस — दस
ू ये चयण भें फजर् ऩय तीन से 4 ददन की फहस चरती है । फहस के अन्त भें वित्त भॊरी
द्िाया सासॊदों के प्रश्नों का जिाफ ददमा जाता है ।
3. विबागीम सशभनतमों द्िाया जाॉच — फजर् ऩय फहस के ऩश्चात ् सॊसद की स्थामी सलभततमाॉ अनद
ु ान भाॊगों
की जाॉच कयती है । स्थामी सलभतत की मह व्मिस्था 1993 भें सॊसदीम वित्तीम तनमॊरण के उद्देश्म से प्रायॊ ब की
गई थी।
6. वित्त विधेमक ऩारयत होना — आने िारे िर्ग के लरए सयकाय के सबी वित्तीम प्रस्ताि वित्त विधेमक भें
शालभर ककमे जाते हैं। साभान्मत् वित्त विधेमक को फजर् ऩेश ककमे जाने के तयु ॊ त फाद रोक सबा भें ऩेश ककमा
जाता है । वितनमोग विधेमक के विऩयीत वित्त विधेमक भें कय फढाने मा घर्ाने सॊफध
ॊ ी सॊशोधन प्रस्तावित ककमे
जा सकते हैं।
वित्त विधेमक ऩेश होने के 75 ददन के बीतय सॊसद द्िाया ऩारयत ि याष्ट्रऩतत द्िाया स्िीकृत होना आिश्मक है ।
सिोच्च न्मामारम (SUPREME COURT)
बायत की शासन प्रणारी सॊघीम है ऩयन्तु न्मामऩलरका एकीकृत है अथागत ऩूये दे श के लरए एक ही
सिोच्च न्मामारम है ।
सॊविधान रागू होने के सभम उच्चतभ न्मामारम भें न्मामधीशों की सॊख्मा 8 (7+1) थी।
उच्चतभ न्मामारम भें न्मामाधीशों की सॊख्मा भें िवृ द्ध की शन्त्क्त सॊसद के ऩास है |
Shivam Singh
प्रश्न - क्मा सिोच्च न्मामारम ददल्री के अततरयक्त अन्म ककसी स्थान ऩय सन
ु िाई कय
सकता है ?
उत्तय – हाॉ , मदद भख्
ु म न्मामाधीश याष्ट्रऩतत के अनभ
ु ोदन से कोई स्थान सन
ु िाई के लरए
तम कयें तफ
प्रश्न - सॊविधान के तनिगचन सॊफॊधी अगय कोई केस हो तो कभ से कभ ककतने जजों की फेंच
(ऩीठ) होनी चादहए ?
उत्तय - न्मूनतभ 5
तदथण न्मामाधीि(Art. 127):- जफ सुप्रीभ कोर्ग (सुप्रीभ कोर्ग ) के सर को चारू यखने के लरए
गणऩूततग ना होने ऩय न्मामाधीशों की आिश्मकता होती है । तदथग न्मामाधीश की तनमुन्त्क्त CJI
द्िाया याष्ट्रऩतत की ऩूिग सहभतत से होती है ।
कामणकायी भख्
ु म न्मामाधीि की ननमजु तत्- जफ CJI( चीप जन्त्स्र्स ऑप इॊडडमा) ना हो,
तफ सप्र
ु ीभ कोर्ग Art.-126 के अन्म न्मामाधीशों भें से याष्ट्रऩतत कामगकायी भख्
ु म न्मामाधीश की
तनमन्त्ु क्त कय सकता है ।
सॊसद के दोनों सदनों द्िाया विशेर् फहुभत से ऩारयत होने ऩय याष्ट्रऩतत द्िाया हर्ामा
जाता है |
अबी तक ककसी बी न्मामाधीश को भहालबमोग द्िाया हर्ामा नहीॊ गमा है ।
न्मामाधीि जाॉच अर्धननमभ्- 1968 सुप्रीभ कोर्ग ने न्मामाधीशों को हर्ाने िारे प्रस्ताि को
सॊसद भें यखने तथा उनके कदाचाय ि असभथगता की जाॉच के लरए 3 सदस्मी कभेर्ी फनाई
जामेगी।
सिोच्च न्मामारम के ऺेत्रार्धकाय ि अन्म अर्धकाय्-
अनच्
ु छे द 131 — प्रायन्त्म्बक अधधकारयता
अनच्
ु छे द 132 — सॊिैधातनक भाभरों भें अधधकारयता
(1) ऩर्
ू ण भर
ू अर्धकाय ऺेत्र (Obsolute Original Jurisdiction) :-
ितत मा योक — इस ऺेराधधकाय भें केिर िही भाभरे सुप्रीभ कोर्ग रे सकता है न्त्जनभें विधध का
प्रश्न हो अत् इसके तहत सप्र
ु ीभ कोर्ग याजनैततक भाभरे ग्रहण नहीॊ कय सकता।
उच्च न्मामारम ने अधीनस्थ न्मामारम के दोर्भुक्त के आदे श को अऩीर भें उरर् ददमा हो
मा
उच्च न्मामारम अधीनस्थ न्मामारम से भाभरा भगाॊए औय अलबमुक्त ऩय दोर्लसद्ध कयते हुए
भत्ृ मु दण्ड दे दे ।
Note - सॊसद आऩयधधक भाभरों भें सुप्रीभ कोर्ग की अऩीर ग्रहण कयने ि सुनने के लरए
अततरयक्त शन्त्क्त प्रदान कय सकती है । (अनच्
ु छे द-140)
Shivam Singh
सुप्रीभ कोर्ग ककसी बी भाभरे को अऩने िहाॉ दे खने के लरए विशेर् इजाजत दे सकता है । मह
शन्त्क्त असादायण औय गम्बीय भाभरों भें हस्तऺेऩ कयने के प्रामोजन से प्रदान की गई है ।
Note:- सैन्म न्मामारम के विरूद्ध मे विशेर् इजाजत नहीॊ।
अनच्
ु छे द-143 सप्र
ु ीभ कोर्ग को मह याईर् दे ता है कक िह सािगजतनक भहत्ि के भद्द
ु े ऩय
याष्ट्रऩतत द्िाया याम भाॉगने ऩय याम दे । स्िप्रेयणा से याष्ट्रऩतत को ऩयाभशग नहीॊ दे ता।
याष्ट्रऩतत सराह भानने को फाध्म नहीॊ। इसी तयह सप्र
ु ीभ कोर्ग बी सारह दे ने को फाध्म नहीॊ
है ।
ऩयाभशग सलभतत भें 5 भेम्फय (Minimum) होते हैं।
अशबरेखीम न्मामारम (Court of record) –
ऩन
ु विणरोकन का अर्धकाय (Right to Review) –
सुप्रीभ कोर्ग का मे अधधकाय सॊसद द्िाया फनाई गई विधध मा अनुच्छे द -145 के तहत
फनामे गए तनमभों के अधीन है ।
ऩि
Shivam Singh
ू ण ननर्णम का शसद्धान्त (Pre-Decision Principle) –
सप्र
ु ीभ कोर्ग के डडसीजन हाईकोर्ग (HC) के लरए ऩि
ू ग तनणगम का फर यखते हैं। ऩयन्तु मे
तनमभ स्िमॊ सप्र
ु ीभ कोर्ग ऩय रागू नहीॊ होता अत् सप्र
ु ीभ कोर्ग अऩने तनणगम को फदर
सकता है ।
न्मानमक ऩन
ु विणरोकन (Judicial review) -
न्मातमक ऩन
ु विगरोकन से तात्ऩमग सप्र
ु ीभ कोर्ग द्िाया सॊविधान ि उसकी सिोच्चता से ही
अथागत सॊघीम मा याज्म विधानभण्डर द्िाया अगय अऩने सीभाओॊ के फाहय जाकय विधध
तनभागण कयते हैं मा भर
ू अधधकाय के विरूद्ध कानन
ू फनाते हैं तो ऐसे विधध मा कानन
ू सप्र
ु ीभ
कोर्ग सभाप्त कय सकता है ।
PIL — PN बगिती + कृष्ट्णा अय्मय साहफ द्िाया (1980) भें प्रिततगत की गमी |
बायत भें इसकी शुरूआत – बागरऩुय के विचायाधीन कैददमों से हुई |
“ककसी बी व्मन्त्क्त के विधधक अधधकायों की ऺतत की ददशा भें सभाज का कोई बी अन्म व्मन्त्क्त
अनुच्छे द 32 के तहत आिेदन दे सकता है ।
प्रश्न. िो कौन-सा अनुच्छे द है न्त्जसके अनुसाय ककसी व्मन्त्क्त को स्िमॊ के विरूद्ध गिाही के लरए
फाध्म नहीॊ कय सकते ?
उत्तय - अनुच्छे द 20(3)
उच्च न्मामारम (High Court)
सॊविधान के अनच्
ु छे द (214 – 232) भें याज्मों के उच्च न्मामारमों के फाये भें उऩिॊध है ।
अनच्
ु छे द 214 कहता है कक प्रत्मेक याज्म का एक उच्च न्मामारम होगा ऩयन्तु अनच्
ु छे द 231 के
तहत सॊसद दो मा अधधक याज्मों के लरए एक ही उच्च न्मामारम फना सकती है ।
अनच्
ु छे द 217 के अनस
ु ाय याष्ट्रऩतत उच्च न्मामारम के भख्
ु म न्मामाधीशों की तनमन्त्ु क्त सिोच्च
न्मामारम के भख्
ु म न्मामाधीश एिॊ सम्फधधत याज्म के याज्मऩार के ऩयाभशग से कयता है ।
कामणकार्- 62 िर्ग
Note:- ऩि
ू ग भें हाइकोर्ग के न्मामाधीशों की सेिातनित्ृ त की उम्र 60 िर्ग मा थी न्त्जसे 15 िें सॊविधान
सॊशोधन द्िाया 62 िर्ग की गई।
Note:- अगय कोई जज ककसी याज्म के हाइकोर्ग भें जज है तो िह सेिातनित्ृ त के फाद लसपग सप्र
ु ीभ
कोर्ग औय अन्म याज्मों के हाइकोर्ग भें िकारत कय सकता है ऩय उसी याज्म के हाइकोर्ग भें नहीॊ ।
[Q]. क्मा उच्च न्मामारमों के िेतन याज्म की सॊधचत तनधध ऩय बारयत होते हैं ?
[ans]. हाॉ, ऩय ऩें शन बायत की सॊधचत तनधध से प्राप्त होती है ।
Shivam Singh
मे 5 प्रकाय की है –
1.फन्दी प्रत्मऺीकयर् (Habeas corpus) - इसका प्रमोग दहयासत भें लरए गए ककसी
व्मन्त्क्त को प्रस्तत
ु कयने से है ।
मे रयर् सािगजतनक प्राधधकयण एिॊ व्मन्त्क्तगत दोनों के विरूद्ध जायी कय सकते हैं।
4. उत्प्रेषर् (Certiorari):- मदद तनचरे न्मामारम ने अऩने अधधकाय ऺेर से फाहय तनणगम दे ददमा
Shivam Singh
है तो ऊऩयी न्मामारम उत्प्रेर्ण रयर् द्िाया तनचरे न्मामारम के तनणगम को यद्द कय दे ता है ।
5. अर्धकाय ऩच्
ृ छा (Quo warranto):- न्मामारम ककसी व्मन्त्क्त के सािगजतनक कामागरम भें
दामय अऩने दािे के जाॉच के लरए जायी कयता है । इसे ककसी बी इच्छुक व्मन्त्क्त द्िाया दामय ककमा
जा सकता है जफकक अन्म 4 रयर्े ऩीडडत व्मन्त्क्त द्िाया दामय की जाती हैं।
याज्म सयकाय (State Government)
याज्मऩार (Governor)
अनच्
ु छे द-153 — प्रत्मेक याज्म का एक याज्मऩार होगा।
* 7िें सॊविधान सॊशोधन (1956) द्िाया मह प्रािधान ककमा गमा कक एक ही व्मन्त्क्त दो मा दो से अधधक याज्मों
का याज्मऩार हो सकता है ।
* अनच्
ु छे द-155 — याज्मऩार की तनमन्त्ु क्त याष्ट्रऩतत कयता है ।
मोग्मता्-
* बायत का नागरयक हो।
* आमु 35 िर्ग।
* राब के ऩद ऩय ना हो।
कामणकार्-
* अनच्
ु छे द-156 — याज्मऩार याष्ट्रऩतत के प्रसादऩमगन्त ऩद धायण कये गा।
* कामगकार से ऩि
ू ग बी याज्मऩार चाहे तो अऩना त्मागऩर याष्ट्रऩतत को दे सकता है ।
िऩथ्-
* उच्च न्मामारम के भख्
ु म न्मामाधीश के सभऺ
* सॊविधान के यऺण, सॊयऺण एिॊ सयु ऺा तथा जनता की सेिा ि कल्माण की शऩथ।
1. कामणऩाशरका िजततमाॉ:-
2. वित्तीम िजतत्-
* धन विधेमक ऩय ऩि
ू ग अनभ
ु तत दे ना।
3. न्मानमक िजतत्-
* उच्च न्मामारमों के न्मामाधीश की तनमन्त्ु क्त भें याज्मऩार से बी ऩयाभशग लरमा जाता है ।
* न्त्जरा न्मामाधीशों की तनमन्त्ु क्त, स्थानाॊतयण एिॊ प्रोन्नतत याज्मऩार द्िाया उच्च न्मामारम के ऩयाभशग
से की जाती है ।
* न्मातमक आमोग के सदस्मों की तनमन्त्ु क्त िह याज्म रोक सेिा आमोग ि उच्च न्मामारम के ऩयाभशग
से कयता है ।
Shivam Singh
4. ऺभादान सॊफध
ॊ ी िजतत — याज्मऩार के ऺभादान शन्त्क्त का विस्ताय याज्म के विर्म ऺेर तक
विस्तारयत है । याज्मऩार को दण्ड के सॊफध
ॊ भें तनम्नलरर्खत शन्त्क्तमाॉ प्राप्त हैं-
(i) रघक
ु यण (ii) ऩरयहाय
(iii) वियाभ (iv) प्रततरम्फ
* याज्मऩार को भत्ृ मद
ु ण्ड को ऩण
ू त
ग ् ऺभा कयने का अधधकाय नहीॊ है । मह अधधकाय केिर याष्ट्रऩतत को है ।
5. िीिो ऩॉिय्- याष्ट्रऩतत की बाॉतत याज्मऩार को तीन प्रकाय की िीर्ो ऩॉिय प्राप्त है -
1. आत्मन्त्न्तक/ऩण
ू ग िीर्ो। 2. तनरम्फनकायी िीर्ो। 3. ऩॉकेर् िीर्ो।
6. विधामी िजतत्-
* विधानसबा के सर को आहूत कयना, सरािसान कयना मा विघर्न कयना।
* चनु ाि के ऩश्चात ऩहरे सर को सॊफोधधत कयना।
* विधानसबा भें एक आॊग्र बायतीम को तथा विधान ऩरयर्द के 1/6 सदस्मों को भनोनीत कयना।
* विधानभण्डर द्िाया ऩारयत विधेमकों ऩय अनभ
ु तत दे ना।
वििेषार्धकाय्-
* ऩद ऩय यहते हुए ककमे गए कामों (ऩद सॊफध
ॊ ी कामों) के लरए ककसी बी न्मामारम भें उत्तयदामी नहीॊ
ठहयामा जा सकता।
* कामगकार के दौयान ककमे गमे व्मन्त्क्तगत कामों के विरूद्ध आऩयाधधक भाभरा नहीॊ चरामा जा सकता।
केिर लसविर भाभरा चरामा जा सकता है ककन्तु दो भाह ऩि
ू ग नोदर्स दे ना अतनिामग है ।
स्िवििेकीम अर्धकाय्-
* ककसी विधेमक को याष्ट्रऩतत के विचाय के लरए आयक्षऺत कयना।
* याज्म भें याष्ट्रऩतत शासन की लसपारयश कयना।
* अततरयक्त प्रबाय की न्त्स्थतत भें केन्द्र शालसत प्रदे श भें प्रशासक के रूऩ भें कामग कयना।
* याज्म के प्रशासतनक भाभरों एिॊ विधानऩरयर्द के सॊफध
ॊ भें भख्
ु मभॊरी से जानकायी भाॊगना।
* याज्मऩार को कुछ ऩरयन्त्स्थततजन्म स्िवििेकी शन्त्क्तमाॉ बी प्राप्त है ।
ननमजु तत सॊफध
ॊ ी िजतत —
िह भख्
ु मभॊरी, भॊरी, याज्म रोक सेिा आमोग के अध्मऺ एिॊ सदस्मों, याज्म तनिागचन आमोग के अध्मऺ याज्म के
भहाधधिक्ता, याज्म विश्ि विद्मारम के कुरऩततमों आदद की तनमन्त्ु क्त कयता है ।
* याज्मऩार द्िाया चाय याज्मों (छत्तीसगढ, भध्म प्रदे श, झायखण्ड, ओडीश) भें जनजातत कल्माण भॊरी की
तनमन्त्ु क्त की जाती है ।
* िह भख् Shivam Singh
ु मभॊरी से ककसी प्रशासतनक भाभरे मा विधामी प्रस्ताि की जानकायी भाॊग सकता है ।
* याज्मऩार याज्म विश्ि विद्मारमों का कुराधधऩतत होता है ।
* िह याष्ट्रऩतत से याज्म भें ―सॊिध
ै ातनक आऩातकार‖ रगाने की लसपारयश कय सकता है ।
भुख्मभॊत्री एिॊ याज्म भॊत्रत्रऩरयषद
(Chief Minister and Council of State Ministers)
याज्मऩार भख्
ु मभॊरी के ऩयाभशग से कये गा।
* भख्
ु मभॊरी ककसी बी सदन का सदस्म हो सकता है , मदद नहीॊ है तो 6 भाह के अन्दय सदस्मता ग्रहण
कयनी ऩडेगी।
कामणकार- (साभान्मत् 5 िषण):- 1. याज्मऩार के प्रसाद ऩमगन्त।
2. जफ तक विधानसबा भें विश्िास प्राप्त है ।
4. भख्
ु मभॊरी के इस्तीपे मा भत्ृ मु की न्त्स्थतत भें भॊत्ररऩरयर्द स्ित् विघदर्त हो जाती है ।
5. भख्
ु मभॊरी याज्मऩार ि भॊरीऩरयर्द के फीच कडी का कामग कयता है ।
7. विधानसबा का सर फर
ु ाने मा स्थाधगत कयने के सॊफध
ॊ भें याज्मऩार को सराह दे ता है ।
अनच्
ु छे द-163 — याज्मऩार को सहामता औय सराह दे ने के लरए एक भॊत्ररऩरयर्द होगी, न्त्जसका प्रधान भख्
ु मभॊरी
होगा। याज्मऩार, भॊत्ररऩरयर्द की सराह ि सहामता के आधाय ऩय कामग कये गा, ऩयन्तु उन विर्मों को छोडकय,
जहाॉ याज्मऩार को स्िवििेक का प्रमोग कयना है ।
सॊयचना्-
* भर
ू सॊविधान भें भॊत्ररऩरयर्द के आकाय का उल्रेख नहीॊ।
* छत्तीसगढ, झायखण्ड, भध्म प्रदे श ि ओडीसा भें जनजाततमों के कल्माण के लरए एक विशेर् भॊरी की
तनमन्त्ु क्त की जाएगी।
िऩथ्-
* याज्मऩार के सभऺ।
* ऩद एिॊ गोऩनीमता की शऩथ।
भतदान्- * एक भॊरी ककसी बी सदन की कामगिाही भें बाग रे सकता है ककन्तु भतदान केिर उसी सदन भें
कय सकता है , न्त्जसका िह सदस्म है ।
भॊत्रत्रऩरयषद का गठन (Formation of Council of Ministers)
* भर
ू सॊविधान भें भॊरी ऩद को िगीकृत नहीॊ ककमा गमा है । इसका तन ्धागयण भख्
ु मभॊरी सभम ि ऩरयन्त्स्थततमों के
दहसाफ से कयता है ।
* केन्द्र की बाॉतत याज्म स्तय ऩय बी भॊत्ररऩरयर्द भें तीन तयह के भॊरी होते हैं।
2. याज्म भॊत्री — इन्हें कैत्रफनेर् के साथ सम्फद्ध ककमा जा सकता है मा स्ितॊर प्रबाय बी ददमा जा सकता है । मे
कैत्रफनेर् (भॊत्ररभण्डर) के सदस्म नहीॊ होते औय केत्रफनेर् भें तबी बाग रे सकते हैं, जफ इन्हें फर
ु ामा जाता है।
3. उऩभॊत्री — मे कैत्रफनेर् भॊत्ररमों के सहोमगी के रूऩ भें कामग कयते हैं। मे कैत्रफनेर् के सदस्म नहीॊ होते औय इन्हें
स्ितॊर प्रबाय बी नहीॊ ददमा जाता।
Shivam Singh
याज्म विधानभण्डर (State Legislature)
याज्म विधानभण्डर्- (विधानसबा + विधानऩरयर्द)
गठन्- * विधानसबा के सदस्मों को प्रत्मऺ भतदान द्िाया िमस्क भताधधकाय के आधाय ऩय चुना जाता है ।
* याज्मऩार आॊग्र-बायतीम सभद
ु ाम के एक व्मन्त्क्त को विधानसबा भें भनोनीत कय सकता है ।
(अन.ु -333)
आयऺर््- सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST को जनसॊख्मा के अनऩ
ु ात भें याज्म विधानसबा भें आयऺण प्रदान ककमा गमा है (अन.ु -
332)
कामणकार्-
* साभान्मत् 5 िर्ग।
* अस्थाई सदन है ।
* आऩातकार भें विधानसबा का कामगकार एक िर्ग तक फढामा जा सकता है ।
* भॊत्ररऩरयर्द की लसपारयश ऩय याज्मऩार द्िाया विधानसबा को सभम ऩि
ू ग बॊग ककमा जा सकता है ।
Shivam Singh
विधान ऩरयषद (Legislative Assembly)
गठन् * अनच्
ु छे द-169 भें विधान ऩरयर्द के सज
ृ न मा उत्सादन (सभान्त्प्त) का प्रािधान है ।
नोि - ितगभान भें 7 याज्मों की फजाम अफ 6 याज्मों भें ही विधान ऩरयर्द फची हैं
1. उत्तय प्रदे श
2. भहायाष्ट्र
3. आन्र प्रदे श Shivam Singh
4. तेरगाॊना
5. कनागर्क
6. त्रफहाय
बायतीम सॊविधान के अनच् ु छे द - 40 भें सयकाय को ग्राभ ऩॊचामतों के गठन का तनदे श दे ते हुए कहा गमा है कक-
याज्म ग्राभ ऩॊचामतों का सॊगठन कये गा औय उनको िे सबी अधधकाय प्रदान कये गा न्त्जससे िे स्िामतशासी इकाईमों
के रूऩ भें प्रबािी ढॊ ग से कामग कयने के लरए मोग्म हो जाए। बायतीम सॊविधान के रागू होने के फाद शासनका
विकेन्द्रीकयण सतु नन्त्श्चत कयने के लरए विलबन्न याज्मों द्िाया ग्राभ ऩॊचामतों की स्थाऩना के प्रमास शरू
ु हुए औय
1952 भें गाॊिों के सिाांगीण विकास के लरए साभद ु ातमक विकास कामगक्रभ तथा 1953 भें याष्ट्रीम विस्ताय सेिा
मोजना शरू
ु की गई।
प्रभुख सशभनतमाॊ -
जी. िी. के. याि सशभनत्- 1985, इन्होंने कहा की “विकास प्रकक्रमा दफ्तयशाही मक्
ु त होकय” ऩॊचामत याज से
विच्छे ददत हो गई है न्त्जससे ऩॊचामत व्मिस्था कभजोय हो गई अत् इसे “त्रफना जड़ की घास” कहा गमा।
सॊिध
ै ानीकयर््-
1. सिगप्रथभ याजीि गाॉधी 64 िा सॊशोधन रेकय आमे ऩयन्तु मे याज्मसबा से ऩास ना हो सका।
2. अत् नयॊ लसहयाि सयकाय के कामगकार भें 24 अप्रैर 1993 को मह प्रकाश भें आमा।
भहत्ि्-
1. 11 िीॊ अनस
ु च
ू ी जोडी गई औय ऩॊचामत भें 29 विर्म डारे गए इसके द्िाया अनच्
ु छे द 40 को व्मिहारयक रूऩ
ददमा गमा।
2. अथागत याज्म सयकायें इसे अऩनाने के लरए फाध्म है । गठन तनमलभत अॊतयार ऩय चन
ु ाि कयिाना आदद-आदद
याज्म सयकाय की इच्छा ऩय तनबगय नहीॊ है ।
अमोग्मता सॊफधी प्रश्नों का ननऩिाया्- याज्म भॊडर द्िाया तनदे लशत अधधकायी द्िाया ककमा जामेगा — 243
(अमोग्मता सॊफध
ॊ ी प्रािधान है )
िजततमाॉ ि कामण्- याज्म विधान भॊडर के आदे श से
1. ऩॊचामत चुॊगी शल्
ु क ि अन्म कय रा सकती है । ग्रहण कय सकती है ।
ऩॊचामत भें चन
ु ाि रड़ने के शरए आमु — 21 िषण
— 1993 के ऩॊचामत Act भें ऩॊचामतों के लरए कुछ अतनिामग ि स्िैन्त्च्छक प्रािधान बी हैं।
11 िीॊ अनस
ु च
ू ी भें िाशभर कुछ विषम्- कुर 29 विर्म है ।
* ककस अनच्
ु छे द के तहत सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST ि women को ऩॊचामत भें आयऺण है । — Art. 243-D
नगयऩलरका ऩरयर्द, नगयऩलरका, अधधसधू चत ऺेर, सलभतत, नगयी ऺेर छािनी फोडग, शहयी ऺेर सलभतत, ऩत्तन
न्मास औय विशेर् उद्देश्म के लरए गदठत सलभतत।
सन 1687-88 भें बायत की ऩहरी नगयऩालरका भद्रास भें गदठत हुई थी। 1726 भें — फॊफई कपय करकत्ता भें ।
# 1882 भें राडग रयऩन ने स्थानीम स्िशासन का भैग्नाकार्ाग जायी ककमा न्त्जनका प्रबाि 1947 तक यहा अत,
रयऩन भें स्थानीम स्ििासन का वऩता कहा जाता है ।
— इस Act द्िाया याज्म अऩने महाॉ नगयऩलरका फनाने के लरए फाद्म अधधतनमभ की विशेर्ताएॉ
1. नगय ऩॊचामत
2. नगय ऩशरका्- याज्म भें याज्म विधान भॊडर द्िाया ि केन्द्र शालसत प्रदे श भें सॊसद द्िाया गदठत की जाती
है । नगय तनगभ की तयह नगय ऩलरका के ऩास बी ऩरयर्द, स्थाई सलभतत तथा भख्
ु म कामगकायी अधधकायी नाभक
अधधकाय ऺेर आते हैं।
3. अर्धसर्ू चत ऺेत्र सशभनत्- गठन दो प्रकाय के ऺेर के प्रशासन के लरए गदठत की जाती है ।
मह ऩयू ी तयह नालभत ऺेर है इसके अध्मऺ ि सदस्म नालभत ककमे जाते हैं।
4. नगय ऺेत्रीम सशभनत्- छोर्े कस्फो के प्रशासन के लरए याज्म सयकाय द्िाया तनिागधचत ि नालभत ककमा जा
सकता है ।
5. छािनी ऩरयषद्- मह केन्द्रीम सयकाय के यऺा भॊरारम के प्रशासतनक तनभॊरण के अधीन कामग कयता है । इस
सभम दे श भें 62 छािनी ऩरयर्दें है ।
इसभें तनिागधचत ि नालभत दोनों प्रकाय के सदस्म होते हैं तनिागधचत सदस्म 3 िर्ग की अिधध के लरए ि नालभत
रॊफे सभम के लरए
मे 4 प्रकाय की होती है ।
Shivam Singh
6. नगयीम ऺेत्र्- िह
ृ त सािगजतनक उऩक्रभों द्िाया ...... ककमा जाता है जो उद्मोगों के तनकर् फनी आिसीम
कारोतनमों भें यहने िारे अऩने कभगचारयमों को सवु िधाएॉ प्रदान कयती है सायी न्त्जम्भेदायी ि तनमन्त्ु क्त सािगजतनक
उऩक्रभों द्िाया ही होती है ।
न्मास ऩत्तन का गठन सॊसद के एक एक्र् से होता है एिॊ सदस्म तनिागधचत ि नालभत दोनों तयीके के होते हैं।
8. वििेष उद्देश्म हे तु अशबकयर््- मे ऺेर आधारयत ना होकय कामगक्रभ आधारयत होते हैं।
िाडण सशभनत्- तीन राख मा अधधक जनसॊक्मा िारी नगयऩलरका के ऺेर के तहत एक मा अधधक िोडग को
लभराकय फाडग सलभतत होगी।
सप्र
ु ीभ कोर्ग , ST Area भें रागू नहीॊ।
दन्त्जलग रॊग गोयखा दहर ऩरयर्द की शन्त्क्तमों को प्रबावित नहीॊ कयता।
भहानगयीम मोजना सशभनत्- प्रत्मेक भहानगय ऺेर भें विकास मोजना के प्रारूऩ को तैमाय कयने हे तु इस Act के
अन्तगगत भहानगयीम मोजना सलभतत के 2/3 सदस्म भहानगय ऺेर भें नगयऩलरका के तनिागधचत सदस्मों एिॊ
ऩॊचामते के अध्मऺों द्िाया स्िमॊ भे से चुने जामेगें।
जजरा मोजना सशभनत्- न्त्जरा मोजना सलभतत के 415 बाग सदस्म न्त्जरा ऩॊचामत औय नगयऩलरका के तनिागधचत
सदस्म द्िाया स्िॊम से चुने जामेगें।
Shivam Singh
* नगयवऩरका भें व्मन्त्क्त के प्रतततनधधत्ि के सॊफध
ॊ भें - इसभें िह व्मन्त्क्त शालभर ककमा जामेगा न्त्जसे
नगयऩलरका के प्रशासन का विशेर् शालभर ककमा जमेगा न्त्जसे नगयवऩरका के प्रशासन का विशेर् ऻान ि अनब
ु ि
हो रेककन उसे नगयऩलरका की सबा भें Vote डारने का अधधकाय ना हो।
सॊिध
ै ाननक ननकाम (Consitutional Bodies)
(ii) बायत की सॊधचत तनधध से याज्मों को ददए जाने िारे सहामता अनद
ु ान के विर्म।
(iii) याज्म वित्त आमोग की लसपारयश के आधाय ऩय ऩॊचामतों एिॊ नगयऩालरकाओॊ के स्रोतों की
ऩतू तग के लरए याज्म की सॊधचत तनधध को फढाने के लरए ककए जाने िारे उऩाम।
वित्त आमोग की प्रत्मेक लसपारयश को याष्ट्रऩतत स्ऩष्ट्र्ीकयण के साथ सॊसद के सभऺ यखिाएगा
(अनच्
ु छे द-281)
कामणकार्-
भख्
ु म तनिागचन आमक्
ु त एिॊ अन्म आमक्
ु तों का कामगकार ऩदबाय ग्रहण कयने की ततधथ से 6 िर्ग मा 65
िर्ग की आमु तक, इनभें से जो बी ऩहरे, होता है ।
6. तनिागचन आमोग सॊसद सदस्मों एिॊ याज्म विधानभॊडर के सदस्मों को अमोग्मता सॊफध
ॊ ी भाभरों भें
क्रभश् याष्ट्रऩतत औय याज्मऩार को ऩयाभशग दे ता है ।
— 14 जर
ु ाई 1995 को उच्चतभ न्मामारम ने फहुसदस्मीम तनिागचन आमोग को अऩनी स्िीकृतत दे दी।
— चुनाि आमक्
ु तों भें भतबेद की न्त्स्थतत भें फहुभत द्िाया तनणगम ककमा जाता है ।
ितगभान भें ककसी दर को याष्ट्रीम दर का दजाग प्राप्त कयने के लरए तनम्नलरर्खत अहगताएॊ ऩयू ी कयनी होंगी-
1. मदद िह रोकसबा ि विधानसबा के आभ चुनािों भें 4 मा अधधक याज्मों भें िैध भतों का 6% प्राप्त कयता है
Shivam Singh
तथा इसके साथ ककसी याज्म मा याज्मों से रोकसबा भें 4 सीर् प्राप्त कयता है ।
2. मदद कोई दर रोकसबा भें 2% स्थान ऩय जीतता है औय उसके सदस्म तीन अरग याज्मों से चन
ु े जाते हैं।
कतणव्म औय िजततमाॉ:-
* िह बायत की सॊधचत तनधध, प्रत्मेक याज्म की सॊधचत तनधध औय प्रत्मेक सॊघ शन्त्क्त जहाॉ विधानसबा हो, से
सबी व्मम सॊफध
ॊ ी रेखाओॊ की रेखा ऩयीऺा कयता है ।
* मे सबी तनकाम एिॊ प्राधधकयण न्त्जन्हें केन्द्र मा याज्म सयकायों से Grant लभरता हो, तनगभों, तनकामों एिॊ
सयकायी कॊऩतनमों का।
* िह बायत की रोक रेखा सदहत प्रत्मेक याज्म की तनधध औय प्रत्मेक याज्म के रोक रेखा से सॊफधॊ धत सभस्त
व्मम का ऩयीऺण कयता है ।
* िह ऋण, तनऺेऩ तनधध, जभा अधग्रभ, फचत खाता औय दान प्रेर्ण व्मिसाम से सॊफधॊ धत केन्द्र ि याज्म सयकायों
के सबी रेन-दे न का ऩयीऺण
* िह ककसी कय मा शल्
ु क की शद्ध
ु आगाभों का तनधागयण औय प्रभाणऩ कयता है ।
Shivam Singh
व्मिहाय भें कैग केिर भहारेखा ऩयीऺक के रूऩ भें है , दस
ू ये शब्दों भें कैग का बायत की सॊधचत तनधध से धन की
तनकासी ऩय कोई तनमॊरण नहीॊ है औय अनेक विबाग कैग से प्राधधकाय के त्रफना चैक जायी कय धन की तनकासी
कय सकते हैं। ―कैग की बलू भका व्मम होने के फाद केिर रेखा ऩयीऺक की है ।
* 1753 भें इॊडडमन ऑडडर् एण्ड अकाउण्र् डडऩार्ग भेन्र् की स्थाऩना।
याज्मों भें सिोच्च विधध अधधकायी भहाधधिक्ता मा एडिोकेर् जनयर ऑफ़ स्र्े र् होता है |
मोग्मता – िह सबी जो हाईकोर्ग का न्मामाधीश फनने की मोग्मता है |(उच्च न्मामारम भें 10 िर्ग का
अनब
ु ि)
गैय सॊिध
ै ाननक ननकाम (Non – Consitutional Bodies)
Shivam Singh
याजबाषा (Official language)
8 िीॊ अनस
ु च
ू ी भें सजम्भशरत बाषाएॊ - 8 िीॊ अनस
ु च
ू ी का सॊफध
ॊ बार्ा से है ।
ऩहरे 14 बार्ाओॊ को 8 िीॊ अनस
ु च
ू ी के तहत भान्मता प्राप्त थी। ितगभान भें विलबन्न सॊशोधनों से इनकी सॊख्मा
22 हो गई।
सॊविधान सॊशोधन द्िाया सन्त्म्भलरत बार्ाएॊ-
1. 21 िाॊ सॊविधान सॊशोधन(1967) — लसॊधी बार्ा जोडी गई
2. 71 िाॊ सॊशोधन(1992) — कोंकणी, भर्णऩयु ी, नेऩारी जोडी गई।
3. 92 िाॊ सॊशोधन(2003) — डोगयी, फोडो, भैधथरी, सॊथारी
मह केन्द्र सयकाय एिॊ केन्द्र शालसत प्रदे शों के अधीन कामगयत कामागरमों, वित्तीम सॊस्थानों, सािगजतनक ऺेर के
उऩक्रभों आदद के फाय भें लशकामत एिॊ अऩीरों ऩय सन
ु िाई कयता हो।
सॊयचना्- एक भख्
ु म सच
ू ना आमक्
ु त ि सच
ू ना आमक्
ु त( 10 से अधधक नहीॊ) (ितगभान भें 6 हैं, 10 अगस्त
2019)
ननमजु तत्- याष्ट्रऩतत के द्िाया एक सलभतत की लसपारयश ऩय न्त्जसभें प्रधानभॊरी, विऩऺ के नेता(लसपग रोकसबा)
एिॊ PM द्िाया भनोनीत एक कैत्रफनेर् भॊरी होता है (अथागत कुर 3 रोग )
मोग्मता्- विधध, विऻान, साभान्त्जक सेिा, प्रफॊधन ऩरकारयता मा प्रशासन आदद का विलशष्ट्र् अनब
ु ि यखने िारा
हो।
उसे MP मा MLA नहीॊ होना चादहए राब का ऩद ना धायण कयता हो तथा राब का व्माऩाय का उधभ
ना हो।
Shivam Singh
कामणकार्- 5 िर्ग अथाि 65 िर्ग की उम्र तक
हिाना्- याष्ट्रऩतत भाभारे को जाॉच के लरए सप्र
ु ीभ कोर्ग भें बेजता है कपय सप्र
ु ीभ कोर्ग इस ऩय सराह दे ता है ।
कपय याष्ट्रऩतत हर्ा सकते हैं।
िजततमाॉ:- ककसी व्मन्त्क्त को प्रस्तत
ु होने का सभन जायी कय सकता है । अथगदॊड रगा सकता है , RTI के सॊफध
ॊ भें
प्रलशऺण दे ना शऩथऩर के रूऩ भें साक्ष्म प्राप्त कयना इत्मदद।
Note:- आमोग, रोक सच
ू ना अधधकायी ऩय 250 रूऩए के प्रततददन के दहसाफ से जुभागना रा सकता है जो
अधधकतभ 25,000 हो सकता है ।
प्रककमा्-
1. सॊशोधन विधेमक सॊसद के ककसी बी सदन भें यखा जा सकता है ।
2. सॊशोधन विधेमक ऩय सॊमक्
ु त अधधिेशन नहीॊ फर
ु ामा जा सकता।
3. विधेमक को याष्ट्रऩतत ना योक सकता ना ही ऩन
ु वग िचाय के लरए बेज सकता।
सॊविधान सॊिोधन के शरए तीन प्रकाय की प्रकक्रमा सॊविधान भें िर्णगत हैं-
1. साधायण फहुभत द्िाया सॊशोधन
2. विशेर् फहुभत द्िाया सॊशोधन
3. विशेर् फहुभत ि याज्मों के अनस
ु भथगन द्िाया सॊशोधन
प्रत्मेक सदन के कुर सदस्मों के फहुभत तथा प्रत्मेक सदन के उऩन्त्स्थत एिॊ भतदान भें बाग रेने
िारे 2/3 (दो ततहाई) सदस्मों की फहुभत से।
बलू भ सध
ु ाय एिॊ न्मातमक सभीऺा से जुडे अन्म कानन
ू को नौिीॊ सच
ू ी भें स्थान
Shivam Singh
52िाॊ सॊिोधन अर्धननमभ, 1985 ( इसे दर-फदर वियोधी विर्ध के रूऩ भें जाना जाता है)
इसके तहत सॊसद एिॊ याज्म विधानभॊडर के सदस्मों को दर-फदर के भाभरे भें तनयहगक ठहयाने
की व्मिस्था है इसके लरए विस्ताय से दसिीॊ अनस
ु च
ू ी को जोडा गमा है ।
याज्म को शन्त्क्त प्रदान की गई कक ककसी िर्ग भें बयी न जा सकी आयक्षऺत िेणी की रयन्त्क्तमों
को अन्म अनि
ु ती िर्ग मा िर्ों के दौयान बयी जाने िारी रयन्त्क्तमों की ऩथ
ृ क िेणी भाना जाए।
ऐसी रयन्त्क्तमों को उस िर्ग की कुर रयन्त्क्तमों भें न लभरामा जाए न्त्जसे िर्ग िे बयी जाएॊ औय
उन्हें उस िर्ग की कुर रयन्त्क्तमों भें 50 प्रततशत आयऺण सीभा भें सन्त्म्भलरत न भाना जाए।
दस
ू ये शब्दों भें इस सॊशोधन ने फैकरॉग रयन्त्क्तमों के भाभरे भें 50 प्रततशत तक की आयऺण की
सीभा को सभाप्त कय ददमा।
86िाॊ सॊविधान सॊिोधन, 2002
6 से 14 िर्ग तक के फच्चों के लरए अतनिामग एिॊ तन्शल्
ु क लशऺा को भौलरक अधधकाय के रूऩ
भें भान्मता (अन.ु – 51A) के तहत सॊशोधन द्िाया 11 िाॊ कतगव्म जोडा गमा।
आठिी अनस
ु च
ू ी भें 4 नई बार्ा फोडो, डोंगयी, भैधथरी औय सन्थारी को शालभर ककमा गमा।
मह अधधतनमभ प्रस्तावित याष्ट्रीम न्मातमक तनमन्त्ु क्त आमोग (एनजेएसी-NJAC) की सॊयचना एिॊ काभकाज हे तु
सॊविधान की विलबन्न धायाओॊ भें सॊशोधन से सॊफधॊ धत है ।
इस अधधतनमभ के द्िाया सॊविधान के अनच्
ु छे द 124 (2), 127 (1) 128, 217(1) ि (2) औय 224 क भें
सॊशोधन ककमा गमा है ।
Shivam Singh
Shivam Singh