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Hindi Activity -2
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मत्स्य अवतार :
3. वराह अवतार :
4. भगवान नसि
ृ हं :
भगवान विष्णु ने नसि
ृ हं अवतार लेकर दै त्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया
था। इस अवतार की कथा इस प्रकार है - धर्म ग्रंथों के अनस
ु ार दै त्यों का राजा
हिरण्यकशिपु स्वयं को भगवान से भी अधिक बलवान मानता था। उसे मनष्ु य,
दे वता, पक्षी, पश,ु न दिन में , न रात में , न धरती पर, न आकाश में , न अस्त्र से,
न शस्त्र से मरने का वरदान प्राप्त था। उसके राज में जो भी भगवान विष्णु की
पज
ू ा करता था उसको दं ड दिया जाता था। उसके पत्र
ु का नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद
बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। यह बात जब हिरण्यकशिपु का
पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुआ और प्रह्लाद को समझाने का प्रयास किया,
लेकिन फिर भी जब प्रह्लाद नहीं माना तो हिरण्यकशिपु ने उसे मत्ृ यद
ु ं ड दे
दिया।हर बार भगवान विष्णु के चमत्कार से वह बच गया। हिरण्यकशिपु की बहन
होलिका, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था, वह प्रह्लाद को लेकर
धधकती हुई अग्नि में बैठ गई। तब भी भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच
गया और होलिका जल गई। जब हिरण्यकशिपु स्वयं प्रह्लाद को मारने ही वाला था
तब भगवान विष्णु नसि
ृ हं का अवतार लेकर खंबे से प्रकट हुए और उन्होंने अपने
नाखन
ू ों से हिरण्यकशिपु का वध कर दिया।
5. वामन अवतार :
सत्ययग
ु में प्रह्लाद के पौत्र दै त्यराज बलि ने स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया।
सभी दे वता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान
विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं दे वमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होकर तम्
ु हें स्वर्ग
का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने वामन अवतार
लिया।एक बार जब बलि महान यज्ञ कर रहा था तब भगवान वामन बलि की
यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। राजा बलि के
गरु
ु शक्र
ु ाचार्य भगवान की लीला समझ गए और उन्होंने बलि को दान दे ने से मना
कर दिया। लेकिन बलि ने फिर भी भगवान वामन को तीन पग धरती दान दे ने
का संकल्प ले लिया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती
और दस
ू रे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई
स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पग रखने को कहा।
बलि के सिर पर पग रखने से वह सत
ु ललोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता
दे खकर भगवान ने उसे सत
ु ललोक का स्वामी भी बना दिया। इस तरह भगवान
वामन ने दे वताओं की सहायता कर उन्हें स्वर्ग पन
ु : लौटाया।
6. श्रीराम अवतार :
त्रेतायग
ु में राक्षसराज रावण का बहुत आतंक था। उससे दे वता भी डरते थे। उसके
वध के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पत्र
ु
रूप में जन्म लिया। इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया
और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया।पिता के कहने पर
वनवास गए। वनवास भोगते समय राक्षसराज रावण उनकी पत्नी सीता का हरण
कर ले गया। सीता की खोज में भगवान लंका पहुंचे, वहां भगवान श्रीराम और
रावण का घोर यद्
ु ध जिसमें रावण मारा गया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने राम
अवतार लेकर दे वताओं को भय मक्
ु त किया।
7. श्रीकृष्ण अवतार :
द्वापरयग
ु में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लेकर अधर्मियों का नाश किया।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। इनके पिता का नाम वसद
ु े व और
माता का नाम दे वकी था। भगवान श्रीकृष्ण ने इस अवतार में अनेक चमत्कार
किए और दष्ु टों का सर्वनाश किया।कंस का वध भी भगवान श्रीकृष्ण ने ही किया।
महाभारत के यद्
ु ध में अर्जुन के सारथि बने और दनि
ु या को गीता का ज्ञान दिया।
धर्मराज यधि
ु ष्ठिर को राजा बना कर धर्म की स्थापना की। भगवान विष्णु का ये
अवतार सभी अवतारों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है ।
8. परशरु ाम अवतार :
9. बद्
ु ध अवतार :