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​Avadh Law College

Barabanki

The Indian Evidence Act 1872

Syllabus(unit-3rd)

Expert witness,
who is an expert ?
Types of expert witness
Opinion on relationship especially proof of marriage
The problem of judicial defence to expert testimony
General principles concerning oral evidence
General principles concerning documentary evidence

Pankaj Katiyar
Assistant professor
Avadh Law College
Barabanki

Expert witness
Who is expert ? ( वशेष कौन है )
सा य अ ध नयम के योजन के लए वशेष उस यि त को कहते ह िजसने कसी व ान, कला
, यापार ,या यवसाय म वशेष ान कुशलता या अनभ ु व ा त कया है यह ान अ यास अवलोकन या
सावधानीपव ू क अ ययन से ा त कया गया हो सकता है ।
सा य अ ध नयम क धारा 45 म वशेष श द को वशेष कुशल यि तय के प म प रभा षत कया
गया है आमतौर से िजस यि त ने कसी वषय क व श ट श ा ा त कर लया है इस प रभाषा के अंतगत
आता है चाहे उसने इसका कभी अ यास नह ं कया है कंतु फर भी इस श द का अ भ ाय कसी वषय म कुछ
ान और यावहा रक अनभ ु व दोन से है

ी चं ब ा बनाम टे ट ऑफ यप
ू ी 1974
के बाद म माननीय उ च यायालय ने यह अवधारणा कया क इस धारा म यु त वशेषण श द को
सामान अथ म लेना चा हए आबकार इं पे टर िजसने सप स के पर ण का काम 21 वष से कया है इस धारा
के अंतगत वशेष माना जाएगा।

अ दलु रहमान बनाम टे ट ऑफ मैसरू 1972


के बाद म मैसरू उ च यायालय ने आधा रत कया क सा ी को वशेषण होने के लए यह आव यक नह ं है
क उसके पास कोई उपा ध हो सोने क शु धता के न पर एक साधारण सनु ार क राय ह क गई य द आप
उसके पास परु ाने अनभ
ु व को छोड़कर कोई अ य उपा ध उस वषय पर नह ं थी।
सामा य नयम यह है क राय ाहा नह ं होती है गवाह का काय यायालय के सम वयं वारा दे खे
गए त य को रखना है और राय बनाना यायालय का काय है परं तु कुछ ऐसे भी मामले होते ह िजन पर यायालय
सह राय नह ं बना सकता अथात िजसम व श ट ान या अनभ ु व क आव यकता हो तो ऐसे मामल म राय
ससु ग
ं त हो सकती है धारा 45-51 सामा य नयम के अपवाद है क अ य यि तय क राय सा य म नह ं ाहा
होती ह।

धारा 45 - वशेष क राय (expert opinion)


जब क यायालय को वदे शी व ध क या व ान क या कला क कसी बात पर या ह त लेख या
अंगु ल च ह क अन यता के बारे म राय बनानी हो तब उस बात पर ऐसी वदे शी व ध व ान या कला म या
ह तलेख या अंगु ल च ह क अन यता वषयक न म वशेष यि तय क राय सस ु ग
ं त त य ह। ऐसे यि त
वशेष कहलाते ह।

सा य व ध का यह एक सामा य नयम है क कोई भी यि त सा ी के प म यायालय म कसी त य


के बारे म सफ वह बात कह सकता है िजसके बारे म वह वयं कुछ जानकार रखता है मा उसक राय अथवा
व वास को ाहा नह ं कया जाता ।ले कन इस अ ध नयम क धारा 45 से 51 तक म उपबं धत ावधान इस
सामान नयम के अपवाद ह।

धारा 45 से नधा रत करती है क जब यायालय को न न ल खत चीज के बारे म राय बनानी हो-


1- वदे शी व ध या
2- व ान या
3-कला के वषय पर या
4-ह त लेख या
5-अंगु ल च ह क अन यता के वषय म
तो इन मामल पर वशेष क राय सस ु ग
ं त है

1- वदे शी व ध-
जब यायालय को कसी वदे शी रा क व ध के वषय म राय बनानी होती है तो उस व ध
के वशेष को यायालय के सम यह बताने के लए बल ु ाया जाता है क कसी व श ट वषय पर कसी वदे शी
रा क या व ध है ।

2- व ान या कला-
जब यायालय को कला या व ान के वषय पर राय बनानी होती है तो उस वषय पर
कल आया व ान म वशेष कुशल यि तय क राय सस ु ग
ं त त य है । च क सक य सा य (medical
evidence) व ान के अंतगत आते ह।

3-ह तलेख(handwriting)-
जब यायालय को लखावट के वषय म राय बनानी है तो वशेष क राय ाहा होती है
यायालय कसी हौसले के बारे म कोई राय या तो-

(i)- कसी ह त लेख वशेष क राय पर धारा 45 या


(ii)- उस ह त लेख से प र चत कसी यि त क राय पर धारा 47 या
(iii)-. वयं के वारा तल
ु ना करके न मत कर सकता है । धारा 73
3- अंगु ल च ह (finger impressions)-
आपरा धक अनस ु ध
ं ान का अंगु ल च ह क पहचान एक बहुत मह वपण ू भाग है अंगु ल च ह क पहचान
सु नि चत प से पणू पहचान होती है यह कहा जाता है क य य प मानव शर र ज म से म ृ यु पयत न य येक
प म प रव तत होता रहता है कंतु अंगु लय के नशान कभी प रव तत नह ं होते।

वशेष क राय का सबत ू -


वशेष क राय तब तक साथ म नह ं ल जाएगी जब तक क उसक गवाह के प म यायालय के
सम पर ा नह ं होती और उससे त पर ा नह ं क जाती।

वशेष के सा य का मू य (value of experts evidence)-


वशेष क राय हो क सस ु ग
ं त तथा उसका मू यदो भ न न है अ ध नयम म केवल
सस ु ग
ं त के बारे म बताया गया है मलू के बारे म कुछ नह ं कहा गया है मू य कई बात को यान म रखते हुए
दे खना पड़ता है एक तो यह है क वशेष से गलती भी हो सकती है तथा वह जानबझ ू कर झठ
ू बोल सकता है
वशेष का सा य आमतौर पर कम मू यवान समझा जाता है अथात उसे कमजोर सा समझा जाता है य क
िजस प क ओर से उसको बल ु ाया गया है वह उनका प ले सकता है अतः वशेष का सा य पया त सावधानी
से योग करना चा हए वशेष क राय यायाधीश पर बंधन कार नह ं है यायालय से वशेष क राय पर
व वास करने से इंकार कर सकता है जोरा एक कसी तक पर आधा रत हो एसएसआर भत ू सा य के प म ाहा
नह ं कया जा सकता।

मरु ार लाल बनाम टे ट ऑफ़ म य दे श


के
बाद म यायमू त च नापा रे डी ने कहा क वशेष से अपराधी नह ं होता और इस लए उसक पर सा य
को इतना कमजोर नह ं समझा जा सकता िजतना क सह अपराधी के सा य को।

धारा 46 वशेष क राय से संबं धत त य-(facts relating to experts opinion)


वे त य जो अ यथा सस
ु ग
ं त नह ं है सस
ु ग
ं त होते ह य द वे वशेष क राय ओं का समथन करते हो या
उनसे असंगत हो जब क ऐसी राय सस ु ग
ं त हो।
टांत-
(a)
(b)

धारा 46 धारा 45 के उपब धो क अनप ु रू क है धारा 46 से प ट है क वशेष क राय का समथन या खंडन


कया जा सकता है इस धारा के अनसु ार कोई त य सस ु ग
ं त नह ं है इस बात के अंतगत सस
ु गं त होगा य द वे
वशेष क राय का समथन या खंडन करता है यह धारा इस नयम का अपवाद है क अनस ु मथक(collateral)
त य को सा य म नह ं दया जा सकता।

आचरण वारा नातेदार के बारे म राय


धारा 50-: नातेदार के बारे म राय कब से सस
ु ग
ं त है -
जब क यायालय को एक यि त क कसी अ य के साथ नातेदार के बारे म राय बनानी हो तब
ऐसी नातेदार के अि त व बारे म ऐसे कसी यि त के आचरण वारा अ भ य त राय िजसके पास कुटुंब के
सद य के प म या अ यथा उस वषय के संबध ं म ान के वशेष साधन है सस
ु ग
ं त त य है ।
परं तु भारतीय ववाह व छे द अ ध नयम 1869 के अधीन कारवाईय म या भारतीय दं ड सं हता 1807
क धारा 494, 495, 497 या 498 के अधीन आ भयोजन म ऐसी राय ववाह सा बत करने के लए पया त नह ं
होगी।
टांत:-
(क) न यह है क या क और ख ववा हत थे? यह त य क वे अपने म वारा प त और प नी के प म
ाया वीकृत कए जाते थे और उनसे वैसा बताव कया जाता था सस
ु ग
ं त है ।
(ख) न यह है क या क, ख का धमज पु है ?
यह त य क कुटुंब के सद य वारा क से सदा उस प म बताव कया जाता था ससु ग
ं त है ।

धारा 32 (5) और (6) के अधीन मत ृ क यि त का बयान िजसके पास नातेदार क जानकार का वशेष
साधन रहा हो नातेदार सा बत करने से संबं धत है जब क धारा 50 के अंतगत ऐसी नातेदार के संबध
ं म जी वत
यि त क राय को सस ु ग
ं त माना गया है िजस यि त के पास ान के वशेष साधन है उसे यायालय के सम
उपि थत होना होता है और वह धारा 50 के अंतगत बयान दे ता है ।
इस धारा के अंतगत सा य को ाहा होने के लए न न ल खत शत आव यक है -
1-सा ी को यह दखाना होगा क उसके पास नातेदार के बारे म ान के वशेष साधन है
2-उसे यायालय के सम उन यि तय का आचरण भी रखना चा हए िजनके नातेदार के बारे म वह बयान दे ता
है आचरण इस कृ त का होना चा हए जो नातेदार को य त कर।

इस धारा के टांत (1) से प ट है क आचरण उस यि त का होना चा हए िजसक नातेदार स ध करना है


जब क टांत (2) से प ट है क आचरण गवाह का भी हो सकता है ।

धारा 51-: राय के आधार कब सस


ु ग
ं त है -
जब कभी कसी जी वत यि त क राय सस
ु ग
ं त है तब वे आधार भी िजन पर वह आधा रत है
सस
ु ग
ं त है ।
टांत कोई वशेष अपनी राय बनाने के योजनाथ कए हुए योग का ववरण दे सकता है ।

कसी मामले म य दश सा ी का सा य न चया मक होता है वशेष का सा य केवल एक राय है


जो य सा य क संपिु ट कर सकता है च क सक य सा य वंम अ भयोजन के केस को सा बत नह ं करता
इसका मू य केवल संपोषक है यह सा बत कर सकता है क क थत प से चोट पहुंचाई जा सकती है या नह ं
पहुंचाई जा सकती ह और चोट वारा म ृ यु का रत क जा सकती है या नह ं यायमू त हदायतु ला के अनसु ार
डॉ टर जो शव पर ा करता है वह त य का गवाह है उदाहरण के लए शर र पर पाए गए गोदना के च ह से
वशेष बता सकता है क उस दरू को जहां से गोल मार गई और घाव क गहराई और आकार से वह इ तेमाल
कए गए ह थयार के कार को बता सकता है और उस बल योग को बता सकता है जो लगाया गया है ।

Oral evidence (मौ खक सा य)


मौ खक सा ऐसा सा य है जो सा ी यायालय के सम मह ंु वारा बोले हुए श द से दे ता है ।
कोई भी त य तो मौ खक साथ वारा या कसी द तावेज वारा सा बत कया जा सकता है केवल दो ह तर के
कसी त य को सा बत करने के तीत होते ह एक है घटना थल पर उपि थत यि तय क गवाह वारा िजसे
मौ खक सा य कहते ह और दस ू रा है इसी द तावेज वारा ऐसे द तावेज इंसान कहते ह।

सामा यता सा ी अपने कथन मौ खक प से दे ते ह और इसे मौ खक सा य कहते ह मौ खक सा य सा य


का यायालय के सम मौ खक कथन है जो सा ी बोल नह ं सकता वह वाद के त य के बारे म अपना ान
इशार वारा या लख कर बता सकता है दोन प रि थ तय म इसे मौ खक सा य कहते ह।

वीन एं ेस बनाम अ द ु लाह के बाद म एक ी िजसका गला इतना कटा हुआ था क वह बोल नह ं पा रह
थी उसने हाथ के इशारे से हमलाकार का नाम बताया ऐसे मौ खक कथन माना गया।
धारा 59- मौ खक सा य वारा त य का सा बत कया जाना:-
द तावेज इले ॉ नक अ भलेखो क अंतव तु के सवाय सभी तक मौ खक सा य वारा
सा बत कए जा सकगे।

धारा 60- मौ खक सा य य होना चा हए (oral evidence must be direct)


मौ खक सा य सम त अव थाओं म चाहे वह कैसी भी हो य ह होगा अथात
य द वह कसी दे खे जा सकने वाले त य के बारे म है तो वह ऐसे सा ी का सा य होगा जो कहता है क उसने
उसे दे खा,
य द वह कसी सन ु े जा सकने वाले त य के बारे म है तो वह ऐसे सा ी का ह सा य होगा जो कहता है क
उसने उसे सन ु ा,
य द वह कसी ऐसे त य के बारे म है िजसका कसी अ य इं य वारा या कसी अ य र त से बोध हो
सकता था तो वह ऐसे सा ी का ह सा य होगा जो कहता है क उसने उसका बोध उस इं य वारा या उस र त से
कया है ,
य द वह कसी राय के या उन आधार के िजन पर वह राय धा रत है के बारे म ह तो वह उस यि त का ह
सा य होगा जो वह राय उन आधार पर धारण करता है ,
परं तु वशेष क राय जो सामा यता व य के लए था पत क जाने वाल पु तक म अ भ य त है
और वे आधार िजन पर ऐसी राय धा रत है य द रच यता मर गया है या वह मल नह ं सकता है या वह सा य दे ने
के लए असमथ हो गया है या उसे इतने वलंब या यय के बना िजतना यायालय अयिु तयु त समझता है
सा ी के प म बल ु ाया नह ं जा सकता हो ऐसी पु तक को पेश करके सा बत कए जा सकगे,
परं तु यह भी क य द मौ खक सा य द तावेज से भ न कसी भौ तक चीज के अि त व या दशा के बारे
म है तो यायालय य द वह ठ क समझे ऐसी भौ तक चीज का अपने नर णाथ पेश कया जाना अपे त कर
सकेगा।
धारा 60 का उ दे य अनु त ु सा य को मौ खक सा य क सीमा से अलग रखना है धारा 60 का
उ दे श अनु त ु सा य को अपविजत करना है अनु त ु सा य कोई सा य नह ं है इस लए अ ध नयम के
नमाताओं ने कहा है क मौ खक सा य उस यि त का होना चा हए िजसने त य का अनभ ु व अपनी इं य
अथात यि तगत जानकार से कया है कसी अ य यि त के वारा दे खी गई अथवा अनभ ु व क गई व तु का
कोई दस ू रा यि त सा य नह ं दे सकता।

सव कृ ट सा य का नयम (rule of best evidence)-


1- मौ खक सा य य होना चा हए ।(धारा 60)
2- द तावेज ाथ मक सा य वारा सा बत कया जाना चा हए। (धारा 74)
3- सं वदा क शत को केवल द तावेज वारा ह सा बत कया जा सकता है ।(धारा 91)

अनु तु सा य क अ ा ता के आधार-:
अनु तु साथ न न ल खत कारण से अ ाह होते ह-
1-यह शपथ पव ू क नह ं दया जाता है जो यि त कसी घटना के बारे म कसी से कहता है वह शपथ लेकर नह ं
कहता अता उसम स यता का अंश कम रहने क संभावना होती है ।
2- इसक तपर ा नह ं क जा सकती है ।
3- अ धकतर मामल म यह अनम ु ान कया जा सकता है क कुछ उ म सा य मल सकते थे कंतु वे पेश नह ं
कए गए ह।
4- इसक वीकृ त से पर ण म दे र लगती है पहले उस यि त को बल ु ाना िजसने कसी से सन
ु ा और फर उस
यि त को बल
ु ाना िजससे उसने सनु ा।
5- इसक वीकृ त से जालसाजी क संभावना बढ़ जाती है ।
6- वह यि तगत िज मेदार से संबं धत नह ं होता िजसके कारण गवाह म या बोल सकता है ।
अनु तु सा य को अपविजत करने का स धांत कई अपवाद के अधीन है जो भारतीय सा य अ ध नयम म
अलग-अलग धाराओं म उपबं धत ह जो न न ल खत है -
1-
वीकृ त और सं वीकृत-:
2-
धारा 32 के अंतगत सस
ु ग
ं त कथन-:
3-
पवू कारवाईय म कथन (धारा 33) -:
4-
लोक द तावेज म कथन(धारा 34,35) -:

5-
रे स जे टे (धारा 6) -:
6-
वशेष क पु तक म कथन (धारा 60 का परं तक
ु ) -:

उपरो त व णत अपवाद के अंतगत य क सा य उस यि त के वारा नह ं दया जाता है जो घटना


का वयं य दश है फर भी ऐसे सा य को भारतीय सा य अ ध नयम के अंतगत ाहा माना गया है ।

उपरो त अपवाद के आधार-:


1-सा य क आव यकता, य क िजन मामल म उ म सा य नह ं मल सकते ह उनम केवल इ ह ं सा य को
ाहा मान लया जाता है ।
2- उसक व वसनीयता पर प रि थ त के अनसु ार गारं ट अथात िजन प रि थ तय म ऐसे कथन कए जाते ह
उनम स यता क संभावनाएं अ धक रहती ह ।

द तावेज सा य (documentary evidence)-:


द तावेज श द क प रभाषा भारतीय सा य अ ध नयम क धारा 3 म द गई है द तावेज से ऐसा
कोई वषय अ भ ेत है िजसको कसी पदाथ पर अ र अंकू या च ह के साधन वारा या उसम से एक से अ धक
साधन वारा अ भ य त या व णत कया गया है जो उस वषय के अ भलेखन के योजन से उपयोग कए जाने
को आश यत ह या उपयोग कया जा सके।

द तावेज क अंतव तु का सबत ू (धारा 61)-:


द तावेज क अंतव तु या तो ाथ मक या वतीयक सा य वारा सा बत क जा सकेगी।
अता उपरो त धारा से प ट है क द तावेज क अंतव तय
ु या तो ाथ मक सा य से सा बत क जा
सकगी या वतीयक सा य से, जब कोई द तावेज ाथ मक व वतीयक सा य के प म पेश कया जाता है तो
उसे धारा 67-73 म नधा रत कए गए तर क से सा बत कया जाना चा हए।

ाथ मक सा य (primary evidence)-: (धारा 62)


इसके अंतगत न न ल खत चार कार क चीज ाथ मक वा य क प रभाषा म आती है -

1- िजस द तावेज का सा य दया जाना है य द वो वयं पेश कया जाए।


2- जहां कोई द तावेज कई एक मलू तय म बनाया गया है तो ऐसे द तावेज क येक त ाथ मक सा य
होगा।
3- जब कोई द तावेज तलेख के प म बनाया गया हो और एक तलेख पर एक प कार ने और दस ू रे तलेख
पर दसू रे प कार ने ह ता र कए हो तो एक तलेख उस प कार के व ध ाथ मक सा य होगा िजसने उस
पर ह ता र कए हो।
4- जब कोई द तावेज एक पा मक या वारा बनाया गया है जैसा क मु ण, शला मु ण या फोटो टे ट म
होता है तो येक ऐसा द तावेज बाक सब वषय व तु का ाथ मक सा य होगा।

वतीयक सा य(secondary evidence)-: (धारा 63)


वतीयक सा य से अ भ ेत है और उसके अंतगत आते ह-
1- एति मनप चात अंत व ट उपब धो के अधीन द गई मा णत तयां
2- मल
ू से ऐसी याि तरक याओं वारा, जो याएं वयं ह त क शु धता सु नि चत करती है बनाई गई
तयां तथा ऐसी तय से तल ु ना क गई त ल पयां।
3- मलू से बनाई गई या तलु ना क गई तयां।
4- उन प कार के व ध िज ह ने उ ह न पा दत नह ं कया है द तावेज के तलेख।
5- कसी द तावेज क अंतव तु का उस यि त वारा िजसने वयं उसे दे खा है दया हुआ मौ खक वत
ृ ांत।

टांत-
क,
ख,
ग,
घ,

द तावेज का ाथ मक सा य वारा सा बत कया जाना (धारा 64)-:


धारा 65 म व णत अव थाओं के सवाय द तावेज ाथ मक सा य वारा सा बत करनी होगी।
अथात जो कुछ द तावेज के प म लेखब ध है उसे वता उस लेख वारा ह सा बत कया जाना चा हए
य क द तावेज अपनी अंतरव तओ ु ं का वयं सबसे बड़ा सा य है परं तु इसके कुछ अपवाद है जो क धारा 65 म
व णत है िजन अव थाओं म वतीयक साथ दया जा सकता है ।

वे अव थाएं िजनम द तावेज के संबधं म वतीयक सा य दया जा सकेगा (धारा 65)-:


कसी द तावेज के अि त व, दशा या अंतव तु का वतीयक सा य न न ल खत अव थाओं
म दया जा सकेगा-
(क)- जब क यह द शत कर दया जाए यह तीत होता हो क मल ू ऐसे यि त के क जे म या श यधीन है ,
िजसके व ध उस द तावेज का सा बत कया जाना इि सत है अथवा जो यायालय क आदे शका क पहुंच के
बाहर है या ऐसी आदे शका के अ यधीन नह ं है अथवा
जो उसे पेश करने के लए वैध प से आब ध है ,
और जब क ऐसा यि त धारा 66 म व णत सच ू ना के प चात उसे पेश नह ं करता है ,

(ख)- जब क मल
ू के अि त व दशा या अंतव तु को उस यि त वारा उसके व ध उसे सा बत कया जाना है या
उसके हत त न ध वारा ल खत प म वीकृत कया जाना सा बत कर दया गया है ,
(ग)- जब क मल
ू न ट हो गया है या खो गया अथवा उसक अंतव तु का सा य दे ने क थापना करने वाला
प कार अपने वयं के य त म या उपे ा से अनु त ू अ य कसी कारण से उसे यिु तयु त समय म पेश नह ं
कर सकता,

(घ)-जब क मल
ू इस कृ त का है क उसे आसानी से थानांत रत नह ं कया जा सकता,

(ड.)- जब क धारा 74 के अंतगत एक लोक द तावेज है ,

(च)- जब मल
ू ऐसी द तावेज है क िजसक मा णत त का साथ दया जाना इस अ ध नयम वारा या भारत म
व ृ कसी अ य व ध वारा अनु ात है ,

(छ)- जब क मलू ऐसी अनेक लेखाओं या अ य द तावेज से ग ठत है िजसक यायालय म सु वधा पव ू क पर ा


नह ं क जा सकती और वह त य िजसे सा बत कया जाना है संपण
ू सं ह का साधारण प रणाम है ,

अव थाओं (क), (ग) और (घ) म द तावेज क अंतव तु का कोई भी वतीयक सा ाहा है ।

अव था (ख) म वह ल खत वीकृ त ाहा है ।

अव था (ड.) या (च) म द तावेज क मा णत त ाहा है कंतु अ य कसी भी कार का वतीयक साथ ाहा
नह ं है ।

अव था (छ) म द तावेज के साधारण प रणाम का सा य कसी ऐसे यि त वारा दया जा सकेगा िजसने
उनक पर ा क है और जो ऐसी द तावेज क पर ा करने म कुशल है ।

आता प ट है क धारा 64 नधा रत करती है क द तावेज क अंतव तु को सा बत करने का केवल एक


ह तर का है वह यह है क यायालय के सम मल ू द तावेज को पेश कया जाना चा हए कंतु धारा 64 यह भी
अपवाद के प म नधा रत करती है क धारा 65 म व णत मामल म द तावेज क अंतव तु या वतीयक सा य
पेश कया जा सकता है । परं तु कसी भी वतीयक सा य को दे ने के पव
ू धारा 65 म नधा रत क गई शत को परू ा
कया जाना आव यक है अथात द तावेज क अंतव तु का वतीयक सा य तभी दया जा सकता है जब क इस
धारा म जो व भ न प रि थ तयां द गई ह उनम से कोई भी प रि थ त वतमान हो।

यह आप क कोई वतीय के साथ ाहा नह ं है यथाशी ारं भक तर पर क जानी चा हए य द ारं भ म


कोई आप नह ं क जाती है और वतीयक सा य पेश कर दया जाता है तो वह अ भलेख का भाग हो जाता है
फर यह आप क प कार वतीयक साथ दे ने का हकदार नह ं है बाद म नह ं क जा सकती।

धारा 65-क. इले ॉ नक अ भलेख म संबं धत सा य के बारे म वशेष ावधान -:

इले ॉ नक अ भलेख क अंतव तय


ु धारा 65 ख के ावधान के अनस
ु ार सा बत क जा सकगी।

धारा 65 ख. इले ॉ नक अ भलेख क ाहता-: कसी भी इले ॉ नक अ भलेख क ाहता के बारे म


धारा 65 ख. म ावधान कया गया है अथात धारा 65 ख. म द गई प रि थ तय के अधीन ह इले ॉ नक
अ भलेख को सा य म ाहा कया जाएगा।

धारा 66 पेश करने क सच


ू ना के बारे म नयम-:
धारा 66 यह कहती है क धारा 65 (क) के अधीन वतीयक सा य तभी दया जा सकता है जब क उस
प कार ने जो क वतीयक साथ दे ना चाहता है दस ू रे प कार को या उसके अटान को या उसके वक ल को उस
द तावेज को पेश करने क पव ू नो टस दे द है ।
धारा 66 म कुछ अपवाद भी दए गए ह जब क वतीयक साथ दे ने के पव ू नो टस दे ने क आव यकता नह ं
होती है ये न न ल खत है -
1- जब क सा बत क जाने वाल द तावेज वयं एक सच ू ना है

2- जब क त प ी को मामले क कृ त से यह जानना ह होगा क उसे पेश करने क उससे अपे ा क जाएगी

3- जब क यह तीत होता है यह सा बत कया जाता है क त प ी ने मल


ू पर क जा कपाट या बल वारा अभी
ा त कर लया है

4- जब क मल
ू त प ी या उसके अ भकता के पास यायालय म है

5- जब क तप या उसके अ भकता ने उसका खो जाना वीकार कर लया है

6- जब क द तावेज पर क जा रखने वाला यि त यायालय के आदे शका क पहुंच के बाहर है या ऐसी आदे शका
के अ यधीन नह ं है ।

Pankaj Katiyar
Assistant Professor
Avadh Law College
Barabanki

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