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Law of Evidence Unit 4
Law of Evidence Unit 4
Law of Evidence Unit 4
Barabanki
Law of evidence
(Unit-IV)
Syllabus-
Competency to testify
State privilege
Professional privilege
General principles of examination and cross examination
Leading questions
Unlawful questions in cross examination
Compulsion to answer question put to witness
Hostile witness
Pankaj Katiyar
Assistant Professor
Avadh Law College
Barabanki
Competency of testify
गवाह क सा मता-:
इसका अथ है क यायालय म गवाह दे ने के लए कौन यि त स म होगा?
सा य अ ध नयम क धारा 118 से 120 और धारा 133 म गवाह क स मता के बारे म ावधान
कया गया है ।
अता धारा 118 म गवाह क स मता सामा य नयम है और उसक अ मता अपवाद है । जो क
न न ल खत है -
1-
य द गवाह यायालय वारा पछ
ू े गए न को समझने म असमथ है ।
2-
य द गवाह न का उ र दे ने म न न ल खत कारण से असमथ हो-
क- कम आयु
ख- अ य धक बढ़
ु ापा
ग- मान सक अथवा शार रक बीमार
घ- कसी कार का कोई अ य कारण
धारा 121 से 132 साधारण नयम के अपराद क घोषणा करती है क कोई सा ी सम त स यता
बतलाने के लए और अपने क जे शि त के कसी भी द तावेज को जो ववादा पद बात से सस
ु ंगत है पेश
करने के लए आब ध है ।
धारा 121. यायाधीश और मिज े ट-: कोई भी यायाधीश या मिज े ट यायालय म ऐसे
यायाधीश या मिज े ट के नाते अपने वयं के आचरण के बारे म या ऐसी कसी बात के बारे म िजसका
ान उसे ऐसे यायाधीश या मिज े ट के नाते यायालय म हुआ क ह ं न का उ र दे ने के लए
कसी भी यायालय के वशेष आदे श के सवाय िजसके वह अधीन थ है ववश नह ं कया जाएगा कंतु
अ य बात के बारे म जो उसक प रि थ त म उस समय घ टत हुई थी जब वह ऐसे काय कर रहा था
उसक पर ा क जा सकेगी।
टांत
(क)
(ख)
(ग)
इस धारा के साथ धारा 162 को भी पढ़ा जाना चा हए धारा 162 उपबं धत करती है क जब कसी
यि त को कोई द तावेज पेश करने के लए बल ु ाया गया हो तो चाहे उसे कुछ आप हो तो भी उसे
द तावेज पेश करने के लए आना चा हए और उसक आप क बात यायालय तय करे गा इस उपबंध
से यह तीत होता है क यह अ का शत सरकार द तावेज को जो सरु ा धारा 123 ने द है उसे काटने
का योजन नह ं रखता है ।
धारा 125 के अंतगत लोक ऑ फसर को अपने संसच ू नाओं के ोत सरु त करने का अवसर दे ती
है कसी भी मिज े ट तथा पु लस ऑ फसर से यह नह ं पछू ा जा सकता क उसे कसी अपराध के बारे म
कैसे और कस यि त से सच ू ना मल अथात मिज े ट पु लस अ धकार और राज व अ धकार को
इजाजत द गई है क वह अपने मख ु बर का नाम चाहे कट कर चाहे न कर य द यह अ धकार न दया
गया होता तो मख
ु बर से बदला लए जाने का भय था और अ धका रय के लए कोई मख ु बर मल
सकना असंभव हो जाता।
व ृ क संसच
ू नाएं (professional communication)
व ृ क संसच
ू ना का ता पय ऐसी व वसनीय संसच ू ना से है जो यावसा यक कानन ू ी सलाहकार व
मवु ि कल के बीच उस सलाहकार क नयिु त के उ दे य पर द जाती है धारा 126 के इस स धांत पर
आधा रत है क य द कानन ू ी सलाहकार को द जाने वाल संसच ू ना के संर ण का वशेषा धकार नह ं
होगा तो कोई भी यि त अपना परू ा मामला बताने से डरे गा और उसका प रणाम यह होगा क वह पण ू
सहयोग नह ं ा त कर सकेगा इस धारा म व वसनीय संसच ू ना को कट न करने के लए जो
वशेषा धकार दया गया है वह केवल कानन ू ी सलाहकार के लए है य द वह डॉ टर या पादर इ या द को
दया गया है तो उसक र ा नह ं क जा सकती है ।
टांत -:
(क) - क ीकार का अटान ख से कहता है मने कूट रचना क है और म चाहता हूं क आप
मेर तर ा कर यह संसच ू ना कटन से संर त है य क ऐसे यि त क तर ा आपरा धक
योजन नह ं है िजसका दोषी होना ात हो ।
(ख)-
(ग)-
टांत :
(क)
(ख)
(ग
(घ
धारा 137.
मु य पर ा -: कसी सा ी क उस प कार वारा जो उसे बल
ु ाता है पर ा उसक मु य
पर ा कहलाती है ।
पन
ु ः पर ा -: कसी सा ी क त पर ा के प चात उसक उस प कार वारा िजसने उसे
बल
ु ाया था पर ा उसक पन ु ः पर ा कहलाएगी ।
धारा 137 "मु य पर ा" , " त पर ा" , और "पन ु ः पर ा" का अथ बताती है जब क धारा 138
मु य पर ा त पर ा और पन ु ः पर ा के लेने का म नधा रत करती है यह धारा मु य पर ा और
पन
ु ः पर ा क सीमा का भी नधारण करती है तथा त पर ा करने का अ धकार भी धारा 138 के
अंतगत ा त होता है ।
धारा 138. पर ाओं का म -:
सा य से सव थम मु य पर ा होगी उसके प चात तप ी ऐसा चाहे तो त पर ा होगी
त प चात य द उसे बल
ु ाने वाला प कार ऐसा चाहे तो पन
ु ः पर ा होगी ।
पर ा और त पर ा को सस ु ंगत त य से संबं धत होना चा हए कंतु त पर ा का उन
त य तक सी मत रहना आव यक नह ं है िजनका सा ी ने अपनी मु य पर ा म प रसा य दया है ।
पन
ु ः पर ा उन बात के प ट करण के त उ द ट होगी जो त पर ा म न द ट हुए हो
तथा य द पन ु ः पर ा म यायालय क अनु ा से कोई नई बात व ट क गई हो तो तप ी उस बात
के बारे म अ त र त त पर ा कर सकेगा ।
अतः धारा 139 से प ट है क य द कसी यि त को द तावेज पेश करने के लए समन कया गया
है तो ऐसे यि त क त पर ा नह ं क जा सकती जब तक क ऐसा यि त सा ी के तौर पर
यायालय म न बल ु ाया गया हो या जब तक उसने कुछ मौ खक सा य न दया हो ।
सच
ू क न (leading question)-
1- त पर ा म सच ू क न पछ ू े जा सकते ह।
2- कुछ वषय म मु य पर ा एवं पन ु ः पर ा म यायालय क आ ा से सच
ू क न पछू े जा सकते ह।
3-प ोह सा ी से उसे बल
ु ाने वाला प कार यायालय क अनम ु त से त पर ा कर सकता है ।
धारा 146. पर ा म व ध पण
ू न -:
(Hostile witness) प ोह सा ी -
प ोह श द से ता पय है क जब कोई सा ी उसे बलु ाने वाले प कार के व ध गवाह दे ता है
तो उसे प ोह सा ी कहा जाता है । प ोह सा ी के बारे म सा य अ ध नयम क धारा 154 म
ावधान कया गया है ।
अतः धारा 154 से प ट है क जब कोई सा ी उसी प कार के व ध बात करने लगे िजसने उसे
बल
ु ाया है तो ऐसे सा ी को प ोह सा ी कहते ह इस लए यह आव यक हो जाता है क उसक त
पर ा उसी प कार वारा क जाए िजसने उसे बल ु ाया है ता क उसक बात का खंडन हो सके यह
यायालय क अनु ा से ह कया जा सकता है । जो यि त ऐसे न करने क अनु ा ा त करता है
वह न वारा ा त होने वाल साम ी का सा य के प म उपयोग कर सकेगा ।
Pankaj Katiyar
Assistant Professor
Avadh Law College
Barabanki