Law of Evidence Unit 4

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Avadh Law College

Barabanki

Law of evidence
(Unit-IV)

Syllabus-
Competency to testify
State privilege
Professional privilege
General principles of examination and cross examination
Leading questions
Unlawful questions in cross examination
Compulsion to answer question put to witness
Hostile witness

Pankaj Katiyar
Assistant Professor
Avadh Law College
Barabanki

Competency of testify
गवाह क सा मता-:
इसका अथ है क यायालय म गवाह दे ने के लए कौन यि त स म होगा?
सा य अ ध नयम क धारा 118 से 120 और धारा 133 म गवाह क स मता के बारे म ावधान
कया गया है ।

धारा 118 -कौन सा ी दे सकता है ? Who may testify?


सभी यि त सा य दे ने के लए स म ह गे जब तक क यायालय का यह वचार न हो
क कोमल वयस अ तवा धक शर र के या मन के रोग या इसी कार के कसी अ य कारण से वे उनसे
कए न को समझने या उन न के यु त संगत उ र दे ने से नवा रत ह।

प ट करण - : कोई पागल यि त सा य दे ने के लए अ म नह ं है जब तक क वह अपने पागलपन


के कारण उससे कए गए न को समझने से या उनके यिु तसंगत उ र दे ने से नवा रत न हो।

अता धारा 118 म गवाह क स मता सामा य नयम है और उसक अ मता अपवाद है । जो क
न न ल खत है -
1-
य द गवाह यायालय वारा पछ
ू े गए न को समझने म असमथ है ।
2-
य द गवाह न का उ र दे ने म न न ल खत कारण से असमथ हो-
क- कम आयु
ख- अ य धक बढ़
ु ापा
ग- मान सक अथवा शार रक बीमार
घ- कसी कार का कोई अ य कारण

Section 119 -: Dumb witness


मकू सा ी-
वह सा ी जो बोलने म असमथ है अपना सा य कसी अ य कार से िजसम वह उसे
बोधग य बना सकता हो यथा लखकर या संकेत वारा दे सकेगा कंतु ऐसा लेख और वे संकेत खल
ु े
यायालय म ह लखने ह गे या करने ह गे इस कार दया हुआ सा य मौ खक सा य ह समझा
जाएगा।
परं तु य द सा ी मौ खक प से संसू चत करने म असमथ है तो यायालय कथन
अ भ ल खत करने म कसी वभा षए या वशेष बोधक क सहायता लेगा और ऐसे कथन क वी डयो
फ म तैयार क जा सकेगी।
अता धारा 119 ावधान करती है क य द कोई गवाह बोलने म असमथ है तो वह अपना सा य
अ य प म दे सकता है िजस प म भी प ट हो जाए जैसे लखकर, हाव-भाव के दशन वारा आ द
कंतु इस कार का लखना या हाव-भाव का दशन खल ु े यायालय म होना चा हए इस कार का सा य
मौ खक सा य माना जाएगा।

यह धारा इस स धांत पर आधा रत है क ऐसे गवाह को आव यकता के आधार पर सा य म


वीकार कया जाता है और दस
ू रा कोई तर का नह ं है िजससे गवाह अपने को प ट कर सके।

धारा 120 - स वल वाद के प कार और उनक पि नयां या प त, अपरा धक वचारण के अधीन यि त


का प त या प नी-:
सभी स वल कारवाइय के वाद के प कार और वाद के कसी प कार का प त या प नी स म
सा ी ह गे कसी यि त के व ध अपरा धक कायवाह म उस यि त का प त या प नी स म सा ी
होगा या होगी।

ाचीन काल म प त और प नी कानन


ू क ि ट म एक समझे जाते थे य द प त या प नी कसी
कायवाह म प कार रहते थे तो उनक प नी या प त उनके लए या उनके व ध गवाह नह ं हो सकते
थे इस धारा का उ दे य इस ाचीन नयम को समा त करना है ।
अतः अब वतमान म सा य अ ध नयम क धारा 120 के अनस ु ार-

क- स वल कारवाई म दावे के प कार और कसी प कार का प त या उसक प नी स म गवाह


माने जाएंगे ।
ख- िजसके व ध कोई आपरा धक कारवाई है उसका प त या प नी स म गवाह माने जाएंगे।

Testimony of accomplice (सह- अपराधी का प रसा य)


धारा 133- सह-अपराधी -: सह-अपराधी अ भयु त यि त के व ध स म सा ी होगा और कोई दोष
स ध केवल इस लए अवैध नह ं है क वह कसी सह-अपराधी के अस पु ट प रसा य के आधार पर
क गई है ।

सह अपराधी वह यि त होता है जो अपराध करने म बराबर साथ रहता है अपराधी श द से


अपराध म साथ-साथ दोषी होना व दत होता है जहां पर गवाह यह मानता है क वह तवाद के साथ
आपरा धक काय कर रहा था तो वह सह-अपराधी है ।
उदाहरण -: र वत लेना अपराध है और जो कसी लोक अ धकार को र वत दे ने का
ताव रखता है वह सह-अपराधी है ।
धारा 133 को धारा 114 के टांत (ख) के साथ पढ़ा जाना चा हए य क धारा 133 और धारा
114 के टांत (ख) का संयु त भाव यह है क य य प कसी सह-अपराधी के प रसा य के आधार पर
कसी अ भयु त क दोष स ध को अवैध नह ं कहा जा सकता फर भी यवहार म यायालय ऐसे
सा य को ताि वक व श टय म संपिु ट के बना वीकार नह ं करगे।

सह-अपराधी के सा य क आव यकताय-: सह-अपराधी के सा य के आधार पर दोष स ध करने के


लए यह बात आव यक है -
1-सह-अपराधी का सा य व वास के यो य होना चा हए
2-अपराध के साथ अ भयु त का संबंध था पत करते हुए ताि वक व शि टय म उसका सा य
स पु ट कया जाना चा हए

साधारण नयम यह है क सह-अपराधी के प रसा य म संपिु ट क आव यकता सदै व रहती है वह


अपराधी के सा य क संपिु ट का नयम अब एक व धक नयम बन गया है ।
संपिु ट य आव यक है -:
1-सह-अपराधी क कृ त सदै व अपने ऊपर से दोष हटाने क होती है अतः अपने ऊपर क दो षता
को दस ू रे पर लादने क ि ट से म या शपथ लेता है
2-अपराध म एक सहयोगी होने के कारण इस बात क अ धक संभावना रहती है क वह शपथ क
प व ता क अवहे लना कर सकता है तथा म या सा य दे सकता है
3-उसके अ भयोजन का प लेने क संभावना रहती है य क अ भयोजन वारा उसे मा का वचन
दे दया गया होता है

सह-अपराधी के सा य का अ य वतं सा थय वारा सं पिु ट होना आव यक है इस नयम क


थापना सु ीम कोट ने मदन मोहन बनाम टे ट ऑफ पंजाब 1970 के बाद म भी कया और इसक
पिु ट शेश मा बनाम टे ट ऑफ महारा 1970,के वाद म भी हुई ।

वशेषा धकृत संसच


ू नाय. (privilegedcommunication)-:
कुछ ऐसे वषय ह िजनके बारे म कोई बात कट करने के लए कसी को ववश नह ं कया जा
सकता इ ह वशेषा धकृत संसच ू नाएं कहते ह वशेषा धकृत संसच
ू नाएं दो कार क होती ह वह जो कट
करने से सरु त रखी जाती है तथा वह िजनका कट करना विजत होता है ।

धारा 121 से 132 साधारण नयम के अपराद क घोषणा करती है क कोई सा ी सम त स यता
बतलाने के लए और अपने क जे शि त के कसी भी द तावेज को जो ववादा पद बात से सस
ु ंगत है पेश
करने के लए आब ध है ।

वे न िजनका उ र दे ने के लए कसी सा ी को ववश नह ं कया जा सकता (धारा 121, 124 और


125) उनम और उन न म, िजनका उ र दे ने क उसे अनु ा नह ं द जा सकती (धारा 123 और 126)
सु भ नता क जानी चा हए।

धारा 121. यायाधीश और मिज े ट-: कोई भी यायाधीश या मिज े ट यायालय म ऐसे
यायाधीश या मिज े ट के नाते अपने वयं के आचरण के बारे म या ऐसी कसी बात के बारे म िजसका
ान उसे ऐसे यायाधीश या मिज े ट के नाते यायालय म हुआ क ह ं न का उ र दे ने के लए
कसी भी यायालय के वशेष आदे श के सवाय िजसके वह अधीन थ है ववश नह ं कया जाएगा कंतु
अ य बात के बारे म जो उसक प रि थ त म उस समय घ टत हुई थी जब वह ऐसे काय कर रहा था
उसक पर ा क जा सकेगी।

टांत
(क)
(ख)
(ग)

धारा 122. ववा हत ि थ त के दौरान म क गई संसच ू नाएं -:


कोई भी यि त जो ववा हत है य जो ववा हत रह चक ु ा है कसी संसच
ू ना को जो कसी
यि त वारा िजससे वह ववा हत है यह चक ु ा है ववा हत ि थ त के दौरान म उसे द गई थी कट
करने के लए ववश न कया जाएगा और न वह कसी संसच ू ना को कट करने के लए अनु ात कया
जाएगा जब तक क वह यि त िजसने वहसंसच ू ना द है या उसका हत त न ध स मत ना हो सवाय
उन वाद म जो ववा हत यि त के बीच हो या उन काय म िजनम एक ववा हत यि त दस ू रे के
व ध कए गए कसी अपराध के लए अ भयोिजत है ।

राम भरोसे बनाम उ र दे श रा य 1954 एस.सी. के बाद म यायमू त वैकंु ठ वकटारमैया ने


अ भ नधा रत कया क प नी केवल अपने प त के आचरण का सा य दे सकती है कंतु उसका नह ं जो
कुछ उसने उससे कहा था।

धारा 122 म जो सामा य नयम तपा दत कया गया है वह यह है क प त या प नी वैवा हक


काल म एक दस ू रे को द गई संसचू ना को एक दस
ू रे के व ध कट करने के लए बा य नह ं कए जा
सकते ह और ऐसी संसच ू नाओं को यायालय के अंतगत सा बत करने से रोक दया जाएगा।
धारा 122 को लागू करने के लए यह आव यक नह ं है क प नी या प त मामले क कायवाह के
प कार ह ।
उदाहरण - कोई ऐसा वाद है िजसम प त या प नी प कार नह ं है कंतु प त और प नी के बीच के
वातालाप को मामले को नपटाने के लए पेश करना ज र है तो यह धारा ऐसे वातालाप को पेश करने क
अनम ु त नह ं दे ती।
परं तु इस धारा म कुछ अपवाद है येक कार क संसच ू ना सरु त नह ं रखी जा सकती-
1-
संसच ू ना के अ त र त काय - :
कोई प नी यह सा य दे सकती है क उसके प त ने कसी वशेष अवसर पर या काय कए थे
परं तु इस बात का नह ं क उसने या कहा था।
2-
पर यि तय वारा सा य -:
प त प नी म कसी पर यि त क उपि थ त म होने वाल बातचीत या िजस कसी पर
यि त ने छपकर सन ु लया हो उसका सा ऐसा यि त दे सकता है केवल ववाह के प कार सा य
दे ने से विजत ह गे कोई अ य यि त नह ।ं
3-
वशेषा धकार का अ ध यजन -:
कसी वशेषा धकृत संसचू ना का सा य उस यि त या उसके त न ध क अनम ु त से
दया जा सकता है िजसने संसच ू ना द थी इसे वशेषा धकार का अ ध यजन कहते ह।

State privilege रा य वशेषा धकार -:


धारा 123 रा य के कायकलाप के बारे म अ का शत द तावेज को कट कए जाने से
सरु त रखती है द तावेज रा य के कायकलाप से संबं धत होना चा हए या उसका कट करना लोक हत
य रा य के कायकलाप के व ध हो।

धारा 123. रा य के कायकलाप के बारे म सा य -:


कोई भी यि त रा य के कसी भी कायकलाप से संबं धत अ का शत शासक य
अ भलेख से यु प न कोई भी सा य दे ने के लए अनु ात ना कया जाएगा सवाय स प ृ त वभाग के
मख
ु ऑ फसर क अनु ा के जो ऐसी अनु ा दे गा या उसे वधा रत करे गा जैसा करना वह ठ क समझे।

अता प ट है क बना वभागा य क अनम ु त के कोई भी यि त अ का शत शासक य


अ भलेख क जो रा य के मामले के वषय म ह सा य नह ं दे सकता है ।

इस धारा के साथ धारा 162 को भी पढ़ा जाना चा हए धारा 162 उपबं धत करती है क जब कसी
यि त को कोई द तावेज पेश करने के लए बल ु ाया गया हो तो चाहे उसे कुछ आप हो तो भी उसे
द तावेज पेश करने के लए आना चा हए और उसक आप क बात यायालय तय करे गा इस उपबंध
से यह तीत होता है क यह अ का शत सरकार द तावेज को जो सरु ा धारा 123 ने द है उसे काटने
का योजन नह ं रखता है ।

धारा 124. शासक य सच


ू नाएं -:
कोई भी लोक ऑ फसर उसे शासक य व वास म द हुई संसच
ू नाओं को कट करने के लए ववश नह ं
कया जाएगा जब क वह समझता है क इस कटन से लोक हत क हा न होगी।

अतः धारा 124 से प ट है क कसी भी लोक अ धकार उस संसचू ना को बताने के लए बा य


नह ं कया जा सकता है जो उसे शासक य व वास म द गई है जब क वह लोक अ धकार यह समझता है
क इससे लोक हत म हा न होगी।

धारा 125. अपराध के करने के बारे म जानकार -:


कोई भी मिज े ट या पु लस ऑ फसर यह कहने के लए ववश नह ं कया जाएगा क
कसी अपराध के कए जाने के बारे म उसे कोई जानकार कहां से मल और कसी भी राज व ऑ फसर
को यह कहने के लए ववश नह ं कया जाएगा क उसे लोक राज व के व ध कसी अपराध के कए
जाने के बारे म कोई जानकार कहां से मल ।

प ट करण - इस धारा म राज व ऑ फसर से लोक राज व क कसी शाखा के कारोबार म या के


बारे म नयोिजत ऑ फसर अ भ ेत है ।

धारा 125 के अंतगत लोक ऑ फसर को अपने संसच ू नाओं के ोत सरु त करने का अवसर दे ती
है कसी भी मिज े ट तथा पु लस ऑ फसर से यह नह ं पछू ा जा सकता क उसे कसी अपराध के बारे म
कैसे और कस यि त से सच ू ना मल अथात मिज े ट पु लस अ धकार और राज व अ धकार को
इजाजत द गई है क वह अपने मख ु बर का नाम चाहे कट कर चाहे न कर य द यह अ धकार न दया
गया होता तो मख
ु बर से बदला लए जाने का भय था और अ धका रय के लए कोई मख ु बर मल
सकना असंभव हो जाता।

व ृ क संसच
ू नाएं (professional communication)

व ृ क संसच
ू ना का ता पय ऐसी व वसनीय संसच ू ना से है जो यावसा यक कानन ू ी सलाहकार व
मवु ि कल के बीच उस सलाहकार क नयिु त के उ दे य पर द जाती है धारा 126 के इस स धांत पर
आधा रत है क य द कानन ू ी सलाहकार को द जाने वाल संसच ू ना के संर ण का वशेषा धकार नह ं
होगा तो कोई भी यि त अपना परू ा मामला बताने से डरे गा और उसका प रणाम यह होगा क वह पण ू
सहयोग नह ं ा त कर सकेगा इस धारा म व वसनीय संसच ू ना को कट न करने के लए जो
वशेषा धकार दया गया है वह केवल कानन ू ी सलाहकार के लए है य द वह डॉ टर या पादर इ या द को
दया गया है तो उसक र ा नह ं क जा सकती है ।

धारा 126. व ृ क संसच ू नाएं -:


कोई भी बै र टर अटान ल डर या वक ल अपने क ीकार क अ भ य त
स म त के सवाय ऐसी संसच ू ना को कट करने के लए जो उसके ऐसे वे र टर अटान ल डर या वक ल
क है सयत म नयोजन के अनु म म या योजनाथ उसके क ीकार वारा या क ओर से उसे द गई
हो अथवा कसी द तावेज क िजससे वह अपने व ृ क नयोजन के अनु म म या के योजनाथ प र चत
हो गया है अंतव तु या दशा क थत करने को अथवा कसी सलाह को जो ऐसे नयोजन के अनु म म या
के योजनाथ उसने अपने क ीकार को द है कट करने के लए कसी भी समय अनु ात नह ं कया
जाएगा,
परं तु इस धारा क कोई बात न न ल खत बात को कट करण से संर ण ना दे गी-

1- कसी भी अवैध योजन को अ सर करने म द गई कोई भी ऐसी संसच


ू ना

2- ऐसा कोई भी त य जो कसी वे र टर ल डर अटान या वक ल ने अपनी ऐसी है सयत म नयोजन के


अनु म म सं े त कया हो और िजससे द शत हो क उसके नयोजन के ारं भ के प चात कोई अपराध
या कपट कया गया है ।

यह त व ह न है क ऐसे वे र टर ल डर अटॉन या वक ल का यान ऐसे त य के त उसके


क ीकार वारा या क ओर से आक षत कया गया था या नह ं ।

प ट करण - इस धारा म क थत बा यता नयोजन के अव सत हो जाने के उपरांत भी बनी रहती


है ।

टांत -:
(क) - क ीकार का अटान ख से कहता है मने कूट रचना क है और म चाहता हूं क आप
मेर तर ा कर यह संसच ू ना कटन से संर त है य क ऐसे यि त क तर ा आपरा धक
योजन नह ं है िजसका दोषी होना ात हो ।

(ख)-

(ग)-

धारा 127. धारा 126 दभु ा षय आ द को लागू होगी -:


धारा 126 के उपबंध दभ
ु ा षय और बै र टर ल डर अटान और वक ल के
ल पक या सेवक को लागू ह गे।

धारा 128. सा य दे ने के लए वयमेव उ धत होने से वशेषा धकार अ ध य त नह ं हो जाता -:


य द कसी वाद का कोई प कार व ेरणा से ह या अ यथा उसम सा य दे ता है तो
यह भी न समझा जाएगा क त वारा उसने ऐसे कटन के लए जैसा क धारा 126 म व णत है
स म त दे द तथा य द कसी वाद या कायवाह का कोई प कार ऐसे कसी वे र टर ल डर अटान या
वक ल को सा ी के प म बल ु ाता है तो यह क उसने ऐसे करण के लए अपनी सहम त दे द है केवल
तभी समझा जाएगा जब क वह ऐसे वे र टर अटान या वक ल से उन बात के बारे म न कर िजनके
कटन के लए वह ऐसे न के अभाव म वाधीन हो ना होता ।
अता धारा 128 से प ट है क य द दोन म से कोई भी गवाह क है सयत से उपि थत होता
है तो भी यह सरु ा यथावत बनी रहे गी कंतु य द मव ु ि कल वक ल को गवाह के प म बल
ु ाता है तो
वक ल उस संसच ू ना को कट करने के लए बा य ह कारण यह है क जब मव ु ि कल वक ल को सा ी के
प म बल
ु ाता है और वक ल से संसच
ू ना का रह योदघाटन करने के लए कहता है तो यह समझा जायेगा
क वव त प से उसने रह योदघाटन करने क वीकृ त दे द है ।

धारा 129 -: व ध सलाहकार से गोपनीय संसच ू नाएं -:


कोई भी यि त कसी गोपनीय संसच ू ना का जो उसके और उसके व ध व ृ क सलाहकार के
बीच हुई है यायालय को कट करने के लए ववश नह ं कया जाएगा जब तक क वह अपने को सा ी
के तौर पर पेश न कर द ऐसे पेश करने क दशा म क ह ं भी ऐसी संसच ू नाओं को िज ह उस कसी सा य
को प ट करने के लए जानना, जो उसने दया है , यायालय को आव यक तीत हो कट करने के लए
ववश कया जा सकेगा, कंतु क ह ं भी अ य संसच ू नाओं को नह ं ।

अतः धारा 129 प ट करती है क कसी भी यि त को यह कट करने के लए बा य नह ं कया


जा सकता है क उसके एवं उसके कानन
ू ी सलाहकार म या व वसनीय संसच ू ना हुई है जब तक क वह
यि त वयं अपने को गवाह के प म नह ं लाता है उस समय उसे ऐसी संसचू ना को कट करने के लए
बा य कया जा सकता है जो यायालय क ि ट म आव यक है िजससे दए गए सा य का प ट करण
हो जाए ।

General principles of examination and cross examination (पर ा एवं त-पर ा के


साधारण स धांत)
समा यता सा य के पेश होने का म तथा इसके बारे म व ध स वल या सं हता
और दं ड या सं हता म व न द ट है और य द कसी वषय पर कोई उपव ध स वल या सं हता
या दं ड या सं हता म नह ं मलता है तो यायालय अपने वयं के ववेक से तय करते ह इस संबंध म
सा य अ ध नयम क धारा 135 से 166 तक म ावधान कया गया है ।

धारा 135 : सा य के पेशकरण और उनक पर ा का म -: सा य के पेशकरण और


उनक पर ा का म मशः स वल और दं ड या के त संबं धत व ध और प ध त वारा तथा ऐसे
कसी व ध के अभाव म यायालय के ववेक वारा व नय मत होगा।

स वल या सं हता के आदे श 10 और दं ड या सं हता के अ याय 18 20 21 22


और 28 म सा य क पर ा के ढं ग को बताया गया है ।
ाहता का न चय -:
धारा 136 : यायालय सा य क ाहता के बारे म न चय करे गा -:
जब क दोन म से कोई प कार कसी त य का साथ दे ने क थापना करता है तब
यायाधीश सा य दे ने क थापना करने वाले कार से पछ ू सकेगा क अ भक थत सा य य द वह
सा बत हो जाए कस कार से सस ु ंगत होगा और य द यायाधीश यह समझता है क वह त य य द
सा बत हो गया तो ससु ंगत होगा तो वह उस सा य को हण करे गा अ यथा नह ।ं
य द वह त य िजसका सा बत करना था पत है ऐसा है िजसका सा य कसी अ य त य के
सा बत होने पर ह ाहा होगा ऐसा अं तम व णत त य थम व णत त य का सा य दए जाने के पव ू
सा बत करना होगा जब तक क प कार ऐसे त य को सा बत करने का वचन ना दे दे और यायालय
ऐसे वचन से संतु ट ना हो जाए।
य द एक अ भक थत त य क सस ु ंग त अ य अ भक थत त य के थम सा बत होने पर नभर
हो तो यायाधीश अपने ववेकानस
ु ार या तो दसू रे त य के सा बत होने के पव
ू थम त य का सा य दया
जाना अनु ात कर सकेगा या थम त य का सा य दए जाने के पव ू वतीय त य का सा य दए जाने
क अपे ा कर सकेगा।

टांत :
(क)
(ख)
(ग
(घ

अतः प ट है क यह धारा यायालय को ऐसे मामल म सा य पेश करने के म को नयं त


करने के लए व तत ृ शि त दान करती है जहां क एक त य का सबत ू दस
ू रे त य के सबतू पर नभर
करता है यायाधीश को यह अ धकार है क वह पछ ू सकता है क दया जाने वाला सा य कस कार से
ससु ंगत है तब यायाधीश को उसक ाहता का नणय करना चा हए यायाधीश को यह दे खना पड़ता है
क अ भलेख पर लाने के लए कसी त य को अ ध नयम क सस ु ंग त क धाराओं (धारा 5 से 55 तक)
के अंतगत अव य ह सस ु ंगत होना चा हए ।

धारा 137 :- धारा 137 म अंत न हत स धांत यह है क सा य म केवल सस ु ंगत त य को पेश


कया जाना चा हए और इस योजन के लए यायालय सा य पेश करने वाले प कार से यह जांच कर
सकता है क ता वत सा य कस कार और कस धारा के अंतगत सस ु ंगत है इसके अ त र त यह
धारा यायालय को सा य पेश करने के म के नयं ण का अ धकार भी दे ती है उस समय जब क एक
त य का सबतू दस
ू रे त य के सबत
ू पर नभर करता है ।

धारा 137.
मु य पर ा -: कसी सा ी क उस प कार वारा जो उसे बल
ु ाता है पर ा उसक मु य
पर ा कहलाती है ।

त पर ा -: कसी सा ी क तप ी वारा क गई पर ा उसक त पर ा कहलाती है


पन
ु ः पर ा -: कसी सा ी क त पर ा के प चात उसक उस प कार वारा िजसने उसे
बल
ु ाया था पर ा उसक पन ु ः पर ा कहलाएगी ।

धारा 137 "मु य पर ा" , " त पर ा" , और "पन ु ः पर ा" का अथ बताती है जब क धारा 138
मु य पर ा त पर ा और पन ु ः पर ा के लेने का म नधा रत करती है यह धारा मु य पर ा और
पन
ु ः पर ा क सीमा का भी नधारण करती है तथा त पर ा करने का अ धकार भी धारा 138 के
अंतगत ा त होता है ।
धारा 138. पर ाओं का म -:
सा य से सव थम मु य पर ा होगी उसके प चात तप ी ऐसा चाहे तो त पर ा होगी
त प चात य द उसे बल
ु ाने वाला प कार ऐसा चाहे तो पन
ु ः पर ा होगी ।
पर ा और त पर ा को सस ु ंगत त य से संबं धत होना चा हए कंतु त पर ा का उन
त य तक सी मत रहना आव यक नह ं है िजनका सा ी ने अपनी मु य पर ा म प रसा य दया है ।

पन
ु ः पर ा उन बात के प ट करण के त उ द ट होगी जो त पर ा म न द ट हुए हो
तथा य द पन ु ः पर ा म यायालय क अनु ा से कोई नई बात व ट क गई हो तो तप ी उस बात
के बारे म अ त र त त पर ा कर सकेगा ।

धारा 139. कसी द तावेज को पेश करने के लए सम नत यि त क त पर ा -:


ऐसी द तावेज को पेश करने के लए सम नत यि त केवल इस त य के कारण क वह
उसे पेश करता है सा ी नह ं हो जाता तथा य द और जब तक वह सा ी के तौर पर बल
ु ाया नह ं जाता
उनक त पर ा नह ं क जा सकती ।

अतः धारा 139 से प ट है क य द कसी यि त को द तावेज पेश करने के लए समन कया गया
है तो ऐसे यि त क त पर ा नह ं क जा सकती जब तक क ऐसा यि त सा ी के तौर पर
यायालय म न बल ु ाया गया हो या जब तक उसने कुछ मौ खक सा य न दया हो ।

धारा 140. शील का सा य दे ने वाले सा ी -: शील का साथ दे ने वाले सा य क त पर ा और


पन
ु ः पर ा क जा सकेगी ।

सच
ू क न (leading question)-

वह न जो गवाह को यह इशारा करता है क उसका वह उ र होगा जो क न कता


वारा वां छत है तो
उसे सचू क न कहते ह। सच
ू क न से संबं धत उपबंध सा य अ ध नयम क धारा 141, 142 और
143 म दए गए ह-

धारा 141. सच ू क न -: कोई न जो उस उ र को सझ ु ाता है िजसे पछ


ू ने वाला यि त पाना
चाहता है या पाने क आशा करता है सच
ू क न कहा जाता है ।

धारा 142. सचू क न कब नह ं पछ


ू ा जाना चा हए -:
सचू क न मु य पर ा म या पन ु ः पर ा म य द वरोधी प कार वारा आ ेप कया
जाता है यायालय क अनु ा के बना नह ं पछू े जाने चा हए।

यायालय उन बात के बारे म जो पन


ु ः थापना या प रचायक के प म या न ववाद है जो
उसक राय म पहले से ह पया त प से ह सा बत हो चक
ु े ह सच
ू क न के लए अनु ा दे गा।
धारा 143. सच
ू क न कब पछ
ू े जा सकगे? -: सच
ू क न त पर ा म पछ
ू े जा सकगे।

धारा 142 और 143 के उप बंध से प ट है क न न ल खत दशाओं म सच


ू क न पछ
ू े जा सकते
ह-

1- त पर ा म सच ू क न पछ ू े जा सकते ह।
2- कुछ वषय म मु य पर ा एवं पन ु ः पर ा म यायालय क आ ा से सच
ू क न पछू े जा सकते ह।
3-प ोह सा ी से उसे बल
ु ाने वाला प कार यायालय क अनम ु त से त पर ा कर सकता है ।

धारा 146. पर ा म व ध पण
ू न -:

जब क कसी सा ी से त पर ा क जाती है तब उससे एति मनपव


ू नद ट न के
अ त र त ऐसे कोई भी न पछ
ू े जा सकगे िजनक कृ त-

1-उसक स यवा दता परखने क है

2-यह पता चलाने क है क वह कौन है और जीवन म उसक ि थ त या है

3-उसके शील को दो त लगाकर उसक व वसनीयता को ध का पहुंचाने क है चाहे ऐसे न का उ र


उसे य या परो ता अपराध म फंसाने क व ृ रखता हो या उसे कसी शाि त या समपहरण के
लए उ छ न करता हो या य ता या परो ता उ छ न करने क व ृ रखता हो।
परं तु भारतीय दं ड सं हता क धारा 376,धारा 376-क, धारा 376-ख ,धारा 376-ग , धारा 376-घ,
धारा 376-ड. के अधीन कसी अपराध के लए या ऐसे कसी अपराध को करने के य न के कसी
अ भयोजन म जहां स म त का न ववाध है वहां पी ड़ता क त पर ा म उसके साधारण अनै तक
आचरण या कसी यि त के साथ पव ू ल गक अनभ ु व के बारे म ऐसी स म त या स मत क गण ु व ा
सा बत करने के लए सा य दे ना या न को पछ ू ना अनु ेय नह ं होगा।

धारा 147. सा ी को उ र दे ने के लए कब ववश कया जाएगा -:


य द कोई ऐसा न उस वा य कायवाह से सस ु ंगत कसी बात से संबं धत है तो धारा
132 के उपबंध उसको लागू ह गे।

धारा 132. इस आधार पर क उ र उसे अपराध म फंसाएगा सा ी उ र दे ने से य न होगा -:


कोई सा ी कसी वाद या कसी द वानी या दां डक कारवाई म ववाधक वषय से सस ु ंगत
कसी वषय के बारे म कए गए कसी न का उ र दे ने से इस आधार पर य न होगा क ऐसे न
का उ र ऐसे सा ी को अपराध म फंसाएगा या उसक व ृ य ता या परो ता अपराध म फंसाने क
होगी अथवा वह ऐसे सा ी को कसी क म क शाि त या संपहरण के लए उ छ न करे गा या उसक
वृ य ता या परो ता उ छ न करने क होगी।
परं तु ऐसा कोई भी उ र िजसे दे ने के लए कोई सा ी ववश कया जाएगा उसे गर तार या
अ भयोजन के अ यधीन नह ं करे गा और न ऐसे उ र वारा म या साथ दे ने के लए अ भयोजन म के
सवाय व उसके व ध कसी दां डक कायवाह म सा बत कया जाएगा।
यह सरु ा गवाह को इस लए दान क गई है िजससे गवाह याय करने म सहायता दान कर सके।

(Hostile witness) प ोह सा ी -
प ोह श द से ता पय है क जब कोई सा ी उसे बलु ाने वाले प कार के व ध गवाह दे ता है
तो उसे प ोह सा ी कहा जाता है । प ोह सा ी के बारे म सा य अ ध नयम क धारा 154 म
ावधान कया गया है ।

धारा 154. प कार वारा अपने ह सा ी से न -:


1- यायालय उस यि त को जो सा ी को बल ु ाता है उसे सा ी से कोई ऐसा न करने क अपने
ववेकानसु ार अनु ा दे सकेगा जो त प ी वारा त पर ा म कए जा सकते ह।
2-इस धारा क कोई बात उप धारा 1 के अधीन इस कार अनु ात यि त को ऐसे सा ी के सा य के
कसी भाग पर नभर करने के हक से वं चत नह ं करे गा।

अतः धारा 154 से प ट है क जब कोई सा ी उसी प कार के व ध बात करने लगे िजसने उसे
बल
ु ाया है तो ऐसे सा ी को प ोह सा ी कहते ह इस लए यह आव यक हो जाता है क उसक त
पर ा उसी प कार वारा क जाए िजसने उसे बल ु ाया है ता क उसक बात का खंडन हो सके यह
यायालय क अनु ा से ह कया जा सकता है । जो यि त ऐसे न करने क अनु ा ा त करता है
वह न वारा ा त होने वाल साम ी का सा य के प म उपयोग कर सकेगा ।

फु ल कुमार बनाम एंपरर् (1931) -:


के बाद म यायालय ने अवधा रत कया क कसी गवाह का सा य जो प ोह हो गया है
उसका उतना सा य िजतना बल
ु ाने वाले के हत म है अपविजत करने क आव यकता नह ं है और
िजतना तकूल प कार के हत म है उसे भी अपविजत करने क आव यकता नह ं है ।

अतः प ोह सा ी के सा य के आधार पर भी दोष स ध क जा सकती है य द वह कसी अ य


व वसनीय सा य वारा संपु ट हो जाता है ।

Pankaj Katiyar
Assistant Professor
Avadh Law College
Barabanki

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