Bade Bhai Sahab( hindi)

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ह िं दी - स्पर्श भाग-2

qqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqq

कक्षा – दसवी िं
गद्य - पाठ 1, बड़े भाई सा ब
(ऱे खाहित्रीय उपन्यास)

हदल्ली पब्लिक स्कूल , गुडगाव


(सीबीएसई स़े सिंबद्ध )
“असाधारण लक्ष्य प्राप्त करिे के शलए सबका स योग हम में
उच्च कोशट का ईंधि तैर्ार करता है , और हमें सफलता की
उड़ाि भरिे के शलए प्रेररत करता है ।”

प्रहर्क्षण और श्री संदीप सेठी


सला कार शिक्षाशिद, परामिश शिदे िक- शिक्षा कार्श क्रमम
एम.एस.एम.एस.संग्रहालर्, जर्पुर

श्रीमती अशदशत शमसरा


समन्वयक
शिदे िक प्राचार्ाश - शदल्ली पब्लिक स्कूल, गुड़गााँ ि

श्रीमती सपिा धिि


डीि (छात्र कल्याण) - शदल्ली पब्लिक स्कूल, गुड़गााँ ि

श्रीमती शिशि धंजल (शिषर् संदशिशका)


हवषय पी.जी.टी. शहं दी शिभाग
हवऱ्ेषज्ञ
श्रीमती अंजु भटिागर, टी.जी.टी. शहं दी शिभाग
श्रीमती िशि प्रभा शमश्रा, टी.जी.टी. शहं दी शिभाग
श्रीमती िीलम िमाश , टी.जी.टी. शहं दी शिभाग

आवरण पृष्ठ श्रीमती मधुशमता िंदी (शिभागाध्यक्षा)


पी.जी.टी. कला शिभाग

कला श्री सुिां त चटजी, पी.जी.टी. कला शिभाग

तकनीकी श्रीमती ज्योशत खुरािा, पी.जी.टी. कंप्यूटर साइं स शिभाग


स योग
कॉशमक बुक और अशतररक्त परस्पर संिादात्मक
शडशजटल सामग्री तक पहाँ चिे के शलए, अपिे एं डरॉइड
स्माटश फोि र्ा टै बलेट पर गू गल प्ले स्टोर से DIKSHA
ऐप डाउिलोड करें और DIKSHA ऐप का उपर्ोग
करके QR कोड को स्कैि करें ।।

1
अनुक्रमहणका
क्रम सिंख्या हववरण पृ ष्ठ सिंख्या

1. अशधगम 5

2. दृश्य आरे खण (स्टोरी बोडश ) 6

3. पात्र-पररचर् 7

4. चररत्रगत शििे षताएाँ 8

5. कहािी (ितश माि काल) 9

6. गशतशिशधर्ााँ 16

7. कहािी (बड़े भाई साहब) 17

8. िगश पहे ली 36

9. प्रश्नािली 38

10. िब्दािली 42

11. ग्रंथ-सूची 43

12. अशभस्वीकृशत 44

2
अस्वीकरण

शदल्ली पब्लिक स्कूल, गु ड़गााँ ि, सेक्टर-45 द्वारा कृत र्ह

उपन्यास केिल काल्पशिक है । र्ह उपन्यास र्ुिा शिक्षाशथश र्ों को

प्रेररत करिे, उिकी रुशच को जागृत करिे और पाठ की बेहतर

समझ प्रदाि करिे के शलए बिार्ा गर्ा है । इसका अथश है शक

र्ह उपन्यास केिल पूरक मात्र है , इसका उद्दे श्य पाठ्यपुस्तक

में शिशहत पाठ की जािकारी को बदलिा िहीं है । इस ग्राशफक

उपन्यास के पात्र काल्पशिक हैं और शकसी भी िाम, पात्र और

घटिा से उिका शमलिा मात्र संर्ोग है ।

3
आमुख
‘ बड़े भाई साहब’ कहािी प्रमुख साशहत्यकार प्रेमचं द द्वारा रशचत है । इस
कहािी को आज के र्ु ग से जोड़िे के शलए एक आधु शिक पररिार का सहारा
शलर्ा गर्ा है । पाठ ‘ बड़े भाई साहब’ में शिशहत संदेि मााँ तथा दोिों बच्चों की
बातचीत के द्वारा आज के विद्यार्थीिर्ग तक पहाँ चािे का प्रर्ास शकर्ा गर्ा है ।

प्रेमचं द की कहाशिर्ााँ हमेिा शिक्षाप्रद रही हैं । उन्ोंिे अपिी कहाशिर्ों के


माध्यम से शकसी ि शकसी समस्या पर प्रहार शकर्ा है । ‘बड़े भाई साहब’ समाज
में समाप्त हो रहे कतश व्ों के एहसास को दोबारा जीशित करिे का प्रर्ास मात्र
है ।

‘ बड़े भाई साहब’ कहािी में प्रेमचं द िे बाल-मिोशिज्ञाि का शिश्ले षण शकर्ा है ।


र्शद बच्चों को केिल उपदे ि शदर्ा जाए तो िह उिकी उम्र के शिरुद्ध होता है
क्ोंशक उिकी बालमि की इच्छाओं को दबा शदर्ा जाता है । मि मारकर
अच्छा बििे की कोशिि हमारे स्वाभाशिक जीिि में गशतरोध उत्पन्न कर दे ता है
इसशलए बड़े भाई साहब, छोटे भाई के मागश दिश ि के अं तगश त अपिा शिकास
िहीं कर पाते हैं । इस कहािी में बड़े भाई साहब अपिे कतशव् को साँभालते हए
अपिे भाई के प्रशत अपिे उत्तरदाशर्त्व को पूरा कर रहे हैं । उिकी उम्र इतिी
िहीं है शजतिी उिकी श़िम्मेदाररर्ााँ हैं । िह स्वर्ं के बचपि को छोटे भाई के
शलए शतलां जशल दे िे से भी िहीं शहचशकचाते हैं । उन्ें इस बात का एहसास है शक
उिके गलत कदम छोटे भाई के भशिष्य को शबगाड़ सकते हैं । एक 14 साल
के बच्चे द्वारा उठार्ा गर्ा कदम छोटे भाई के उज्ज्वल भशिष्य की िींि रखता
है , र्ही आदिश बड़े भाई को छोटे भाई के सामिे और भी ऊाँचा बिा दे ते हैं ।

लेखक िे बड़े भाई साहब के माध्यम से शिक्षा पद्धशत के उि दोषों का भी िणश ि


शकर्ा है जो बच्चों को शकताबी कीड़ा बिाते हैं और जीिि के व्ािहाररक ज्ञाि
से अलग रखते हैं । बड़े भाई साहब रटं त शिद्या के कारण बु ब्लद्ध का शिकास िहीं
कर सके। एक अच्छी शिक्षा पद्धशत में पढाई के साथ खे लों का महत्त्व भी होिा
चाशहए। लेखक िे भी र्ह शसद्ध करिा चाहा है शक बचपि में पढाई के साथ
खे लकूद भी आिश्यक है तभी स्वस्थ व्ब्लक्तत्व का शिकास हो सकता है । साथ
ही साथ कतशव् पालि और आदिश स्थाशपत करिे के शलए सामान्य जीिि की
शदिचर्ाश को िहीं बदलिा चाशहए।

4
कक्षा - दसवी िं

हवषय-ह िं दी

बड़े भाई सा ब (प्ऱेमििंद )

अहिगम प्राब्लि

• व्ब्लक्तत्व के शिकास के शलए पढाई और खेलकूद दोिों


की आिश्यकता।

• शिक्षा प्रणाली का व्ािहाररक होिा ।

• अिुभि को जीिि जीिे का आधार समझिा।

• भ्रातृत्व प्रेम, एक दू सरे के प्रशत सम्माि का भाि, धैर्श और


कतशव्शिष्ठा जैसे िैशतक मूल्यों का शिकास।

• अशभव्ब्लक्त हे तु भाषा को प्रभािी बिािे में लोकोब्लक्तर्ों


तथा मुहािरों की महत्ता।

5
दृश्य आऱे खण (स्टोरी बोर्श )

ितश माि पररिे ि में घर में भाइर्ों की प्रे मचं द का जीिि पररचर्
िोंक-झोंक,
‘बड़े भाई साहब’ पाठ के
मााँ का बीच में आकर समझािा ि माध्यम से शिक्षा प्रणाली के प्रशत
साशहत्यकार प्रे मचं द की कहािी द्वारा जागरूकता उत्पन्न करिा
बच्चों का मागश दिशि करिा

बड़े भाई का अपिा कतश व् शिभाते हए छोटे भाई का पढाई के साथ-साथ खे लों
छोटे भाई को उपदे ि दे िा में भी रुशच शदखािा

अं त में दोिों भाइर्ों का र्ह समझ जािा र्ह भी समझ ले िा शक अिुभि से


शक व्ब्लक्तत्व के शिकास के शलए पढाई ही जीिि जीिे की समझ आती
के साथ खे लकूद भी आिश्यक है ।

ितश माि पररिे ि में भी जीिि अं ततः घर में मााँ और भाइर्ों की


मूल्य को अपिािे की सीख बातचीत के माध्यम से अशधगम प्राप्त
ले िा करिा

6
पात्र
पात्र- वतशमान काल में

मा बडा भाई - 14 साल का छोटा भाई 10 साल का

साह त्यकार प्ऱेमििंद की क ानी ‘ बड़े भाई सा ब’ क़े पात्र

बड़े भाई सा ब-14 साल छोटा भाई -9 साल

कुछ हमत्र

7
िररत्रगत हवऱ्ेषताए

8
वतशमान पररवार का दृश्य
अब बस करो । सुबह से खेल
रहे हो। उठकर िहा धो लो।

तंग मत करो । मैं मााँ से शिकार्त


कर दू ाँ गा। मम्मी, दे खो भैर्ा मुझे
खेलिे िहीं दे रहे ।

क्ों झगड़ रहे हो?


मााँ , सुबह से र्ह खेल रहा
है ।पढाई िगैरह सब
छोड़कर ।

9
भाई ठीक ही तो कह
रहा है ।

हााँ, तो पढ शलर्ा िा ! सारा शदि


पुस्तक खोल कर बैठा रहाँ क्ा
भैर्ा की तरह ?

ठीक से बात
हाँ ह!
करो।

10
अरे अरे ! लड़ो िहीं। तो समझा दो ि इसे।

आप भैर्ा को
समझाओ।

आओ, दोिों को समझाती हाँ ।

जैसे पहले के जमािे में


कहािी सुिाकर समझाते थे?

हााँ ! ठीक िैसे ही । अच्छा तो


बाहर बैठक में चलकर बात
करते हैं ।

11
बैठक में मा दोनोिं को प्यार स़े सोफ़े पर अपऩे पास बैठाकर समझाती ैं।
तुम्हें शहंदी जगत के सुप्रशसद्ध
साशहत्यकार प्रेमचंद की कहािी
'बड़े भाई साहब' सुिाती हाँ ।

हााँ ! मैंिे र्ह िाम सुिा है ।


कहााँ सुिा है ?

मुझे पता है ! बाहर पाकश में


आओ, मैं िहााँ बताता हाँ ।

शिद्यालर् में शहंदी शदिस पर साशहत्यकारों के


शिषर् में जािकारी एकत्र करिे को कहा था।
तब पढा था।

हााँ तो बताओ!

अरे ! तो तुम्हें उिके बारे में अपिे भाई


को भी बतािा चाशहए!

12
तीनोिं आकर बगीि़े में बैठ जात़े ैं।
प्रेमचंद का मूल िाम धिपत रार् था। इिका जन्म 31 जुलाई
1880 को बिारस के लमही गााँ ि में हआ।

बिारस, र्ूपी में है


िा!

हााँ, र्ूपी में है और प्रेमचंद


को उदू श में ििाब रार् के
िाम से जािते हैं ।

तीि-तीि िाम !

हााँ , र्े स्कूल में टीचर भी


थे।

और इन्ें ‘उपन्यास सम्राट’ भी कहते


हैं ।

13
इन्ोंिे कौि-कौि से उपन्यास
शलखे हैं ?

इिके उपन्यास हैं -गोदाि, गबि,


प्रेमाश्रम, सेिासदि, शिमशला, कमशभूशम,
रं गभूशम, कार्ाकल्प, प्रशतज्ञा ।

और इिकी पशत्रकाएाँ हैं


- हं स तथा माधुरी।

कई शहंदी श़िल्में इिकी


कहाशिर्ों पर आधाररत
हैं ।

ितरं ज के ब्लखलाड़ी,
सद्र्तत, गोदाि, गबि,
कौि-कौि सी? हीरा - मोती।

14
हााँ,िही। बस! अब पररचर् तो
बहत हो गर्ा। चलो, कहािी
िुरू करो िा!

‘ितरं ज के ब्लखलाड़ी’ तो आपिे शदखाई थी, िही संजीि


कुमार िाली िा?

ठीक है तो सुिो…

ठीक है तो आाँ खें बंद करो और


शहं दी श़िल्म की तरह सुिािा।
श़िल्म की तरह इसे सोचो ।

15
गहतहवहिया
• आपको अपिे छोटे अथिा बड़े भाई बहि की कौि-सी
बात अच्छी लगती है और क्ों ? कक्षा में चचाश कीशजए ।

• खेलिे से ति और मि दोिों स्वस्थ रहते हैं । इस शिषर्


पर अध्यापक कक्षा में िाद - शििाद करिाएाँ ।

• विद्यार्थी शचत्र के माध्यम से अपिे मिपसंद कोई दो


खेल बताएाँ ।

16
क ानी की र्ुरुआत - ॉस्टल का कमरा
बड़े भाई साहब
कैसे-कैसे शचत्र बिाते
हैं ? मुझे तो कुछ समझ
िहीं आता। उिसे
कैसे पूछूाँ?

िे िौिीं में और मैं पााँ चिीं


में। बड़ी क्लास बड़ी
बातें! उिकी रचिाओं को
समझिा तो मेरे शलए
छोटा मु बडी बात है ।

बड़े भाई सा ब की बात को ल़ेखक समझ न ी िं पाता और बा र ख़े ल क़े


मैदान में दोस्ोिं क़े साथ ख़ेलऩे लग जाता ै ।

म़िा तो कंकररर्ााँ उछालिे,


पढिे में क्ा म़िा है ? शततली उड़ािे, दीिार पर चढिे
में है ।

हााँ और इस तरह गाड़ी के


पीछे दौड़िे में है |

17
हमत्रोिं क़े साथ ख़ेलकर ल़ेखक र्ाम को ॉस्टल में जब वापस आता ै ।

कहााँ थे?
र्हीं था।

भाई सा ब का उपद़े र् र्ुरू ो जाता ै ।

इस तरह अंग्रे़िी पढोगे तो श़िंदगी भर पढते र्हााँ रात-शदि आखें फोडनी पड़ती हैं
रहोगे और एक ह़िश तक िा आएगा। और खून जलाना पड़ता है तब कहीं
अंग्रे़िी पढिा कोई हाँ सी खेल िहीं है शक जो र्ह शिद्या आती है । और आती क्ा है ?
चाहे पढ ले िहीं तो ऐरा-गैरा नत्थू खैरा हााँ, कहिे को आ जाती है । बड़े -बड़े
सभी अंग्रे़िी के शिद्वाि हो जाते। शिद्वाि भी िुद्ध अंग्रे़िी िहीं शलख सकते
बोलिा तो दू र रहा।

18
तुम्हारी बुब्लद्ध का कसूर है ।
और मैं कहता हाँ तुम शकतिे घोिंघा ो शक मुझे इतिे मेले -तमािे होते हैं ,तुमिे मुझे
दे खकर भी सबक िहीं लेते।मैं शकतिी मेहित कभी जाते दे खा? रो़ि शक्रमकेट और
करता हाँ । र्ह तुम अपिी आाँ खों से दे खते हो। हॉकी मैच होते हैं । मैं पास िहीं
अगर िहीं दे खते तो र्ह तुम्हारी आाँ खों का फटकता, हमेिा पढता रहता हाँ ।
कसूर है ।

उस पर एक-एक दऱिे में दो-दो, तुम उम्र भर इसी दऱिे में पढते रहोगे ?
तीि-तीि साल पड़ा रहता हाँ , शफर अगर तुम्हें इस तरह उम्र गाँिािी है,तो
भी तुम कैसे आिा करते हो शक बेहतर है , घर चले जाओ और म़िे से
खेलकूद में िक्त गाँिाकर पास हो गुल्ली- डं डा खेलो।दादा की गाढी कमाई
जाओगे ? मुझे तो दो र्ा तीि साल के रुपर्े क्ों बबाश द करते हो?
लगते हैं ।

19
1. कह तो ठीक रहे हैं,
र्ह सब मुझे पता है
पर क्ा करूाँ ?अपराध
शकर्ा है तो डााँट तो
सहिी पड़े गी।
2. घर चला जाऊाँ ?
5.छ: से आठ तक पढा तो मुझसे जाता
अंग्रे़िी,आठ से िौ तक िहीं। मूखश ही रह
शहसाब , िौ से साढे िौ लूाँगा। िहीं-िहीं,
तक इशतहास,शफर भोजि पढ लूाँगा ।
और स्कूल ।

4.प्रातः काल छ: बजे 3.टाइम-टे बल


उठूाँगा। हाथ-मुाँह धोकर बिाऊाँगा। शबलकुल
िाश्ता करू ाँ गा और शफर िहीं खेलूाँगा ।
पढिे बैठ जाऊाँगा।

6.साढे तीि बजे


िापस आऊाँगा।
आधा घंटा आराम
करूाँ गा। 7.चार से पााँ च बजे
10.दस से ग्यारह तक भूगोल, पााँ च
शिशिध शिषर्, शफर से छ: ग्रामर ।
शिश्राम। ।
टाइम टे बल तो बि
गर्ा। 8.आधा घंटा र्हीं
हॉस्टल के सामिे
टहल लूाँगा।
साढे छ: से सात तक
9.शफर भोजि , आठ अंग्रे़िी कंपो़िीिि।
से िौ तक अिुिाद ,
िौ से दस तक शहं दी।
पर पहले दोस्तों के साथ
खेलकर आता हाँ

20
ल़ेखक हमत्रोिं क़े साथ ख़ेलऩे मैदान में आ जाता ै ।

गाड़ी के पीछे दौड़िे में


शकतिा म़िा आता है ि !

मन ी मन र्रता भी ै पर ख़ेलकूद न ी िं छोड पाता था ।

हे भगिाि! कहीं भाई साहब ि


आ जाएाँ और शफर पुस्तकें
खोलिे की बात ि करें ।

21
कुछ समय पश्चात वाहषशक परीक्षा में अव्वल आऩे क़े बाद छोटा भाई गुल्ली र्िं र्ा
ख़ेलकर र्रत़े हुए छात्रावास क़े कमऱे में प्रव़ेर् करता ै और बड़े भाई क़े हलए
सोिता ै ।

भाई साहब िे अपिा


खून जलाकर कौि-सा उिकी िह घोर तपस्या
तीर मार हलया, मैं तो कहााँ गई? मुझे दे ब्लखए, म़िे
खेलते-कूदते द़िे में से खेलता भी रहा और द़िे
अव्वल आ गर्ा। में अव्वल भी हाँ ।

कमऱे में प्रव़ेर् करऩे पर

इशतहास में रािण का हाल तो पढा ही होगा।


दे खता हाँ , इस साल पास हो गए और उसके चररत्र से कौि-सा उपदे ि शलर्ा? र्ा
द़िे में अव्वल आ गए, तो तुम्हारा र्ूाँ ही पढ गए? मह़ि इब्लिहाि पास कर
हदमाग ो गया ै, मगर भाई़िाि, लेिा कोई बड़ी ची़ि िहीं, असल ची़ि है
घमंड तो बड़े -बड़े का िहीं रहा, तुम्हारी बुब्लद्ध का शिकास। जो कुछ पढो,उसका
क्ा हस्ती है ? अशभप्रार् समझो।

22
रािण चक्रमिती राजा था। संसार के सभी राजा उसे कर दे ते
थे। बड़े -बड़े दे िता भी उसकी गुलामी करते थे। आग और
पािी उसके दास थे। घमंड िे उसका नामोहनर्ान तक
हमटा शदर्ा, कोई उसे िुल्लू भर पानी द़े ऩे वाला न बचा।

तुमिे तो केिल एक दऱिा पास शकर्ा है


िैताि का हाल भी पढा ही होगा। उसे र्ह और अभी से तुम्हारा हसर हिर गया तब
अशभमाि था शक ईश्वर का उससे बढकर सच्चा तो तुम आगे पढ चुके। र्ह समझ लो शक
भक्त कोई है ही िहीं। अंत में उसे स्वगश से िरक तुम अपिी मेहित से िहीं पास हए, अिंि़े
में ढकेल शदर्ा गर्ा। इसी प्रकार िाहेरूम का क़े ाथ बट़े र लग गई। मगर बटे र
भी अहं कार िष्ट शकर्ा गर्ा। केिल एक बार हाथ लग सकती है ,बार-
बार िहीं।

23
िूहक ल़ेखक को बड़े भाई की बातोिं का असर ोना बिंद ो िुका था। अत:
भाई सा ब अपनी ताहकशक बुब्लद्ध द्वारा ल़ेखक को अऩेक उदा रणोिं स़े
समझाऩे लगत़े ैं।

मेरे फेल होिे पर मत जाओ। मेरे दऱिे में


आओगे तो दातोिं पसीना आ जाएगा, और
तो और इं ब्लिस्ताि का इशतहास पढिा
कभी-कभी गुल्ली-डं डे में भी अिंिा िोट पड़े गा। आठ - आठ हे िरी हो गु़िरे हैं ।
हनर्ाना पड जाता है । इससे कोई सफल कौि-सा कां ड शकस हेिरी के समर् में
ब्लखलाड़ी िहीं हो जाता। सफल ब्लखलाड़ी िह हआ, र्ह भी र्ाद कर लेिा आसाि िहीं है ।
है शजसका कोई शििािा खाली िा जाए।

हदमाग िक्कर खाऩे लगता है । आिं िी रोग


ो जाता है । एक ही िाम के पीछे दोर्म, दाल-भात-रोटी खाई र्ा भात-दाल-रोटी
सोर्म, चहारूम, पंचुम लगाते चले गए। खाई, इस में क्ा रखा है , िह तो िही दे खते
मुझसे पूछते तो दस लाख िाम बता दे ता। हैं जो पुस्तक में शलखा है । चाहते हैं शक
लड़के अक्षर-अक्षर रट डालें। और इसी
रटं त का िाम शिक्षा रख छोड़ा है ।

24
कह शदर्ा ‘समर् की पाबंदी’ पर एक
शिबंध शलखो, जो चार पन्नों से कम िा
हो। जो बात एक िाक् में कही जा सके,
उसे चार पन्नों में शलखिे की क्ा
़िरूरत?

उपद़े र् जारी र ता ै।

इसशलए मेरा कहिा माशिए। लाख


़िेल हो गर्ा हाँ , लेशकि तुमसे बड़ा
हाँ , संसार का मुझे तुमसे कहीं
संक्षेप में तो चार पन्ने हए, िहीं तो ज़्यादा अिुभि है ।जो कुछ कहता
िार्द सौ-दो-सौ पन्ने शलखिाते। हाँ उसे हगर बाहिए ,िहीं तो
ते़ि भी दौशड़ए और धीरे -धीरे भी। है पछताइएगा।अब चशलए, शिद्यालर्
उलटी बात, है र्ा िहीं? चलिे का समर् हो गर्ा

25
हवद्यालय जाऩे की तैयारी र्ुरू ो जाती ै ।

बच गए ! स्कूल का
समर् शिकट था,
िहीं ईश्वर जािे र्ह
उपदे ि-माला कब
समाप्त होती।

अब जाओ, िाश्ते का समर् हो गर्ा है ।

हे भगिाि! जब पास होिे पर र्ह


शतरस्कार हो रहा है , तो ़िेल हो
जािे पर तो िार्द प्राण ी ल़े हलए
जाएाँ ।

26
एक वषश क़े पश्चात वाहषशक परीक्षा में हफर अव्वल आऩे क़े बाद और बड़े भाई
क़े फ़ेल ोऩे पर, छोट़े भाई की खुर्ी आिी ो गई ल़ेहकन एक कुहटल
हविार भी उसक़े मन में आया।

भाई साहब एक साल और


़िेल हो जाएाँ तो मैं उिके
बराबर हो जाऊाँ, शफर िह
शकस आधार पर मेरी फ़िीहत
कर सकेंगे ?

फ़ेल ोऩे पर भाई सा ब छोटा भाई मन ी मन खुर्


उदास थ़े । ोत़े हुए

मैं पास हो ही जाऊाँगा। पढूाँ र्ा ि


पढूाँ। मेरी तो तकदीर बड़ी
बलिाि है । पहले मैं थोड़ी दे र
पतंग उड़ाकर आता हाँ ।

27
और छोटा भाई मैदान में ख़ेलऩे आ जाता ै। इस तर व कुछ समय तक
मनमानी करऩे लगता ै ।

खेलिे में ही श़िंदगी का असली


म़िा है ि शक सारा शदि शकताबें
पढिे में। ।

एक हदन मैदान में बड़े भाई सा ब और ल़ेखक की मुठभ़ेड ो जाती ै।

इि बा़िारी लौंडों के साथ धेले के


किकौए के शलए दौड़ते तुम्हें िमश िहीं
आती! तुम्हें कुछ तो अपिी पो़िीिि
का ख्याल रखिा चाशहए। चलो हॉस्टल
चलो।

28
ॉस्टल पहुिकर उनका उपद़े र् हफर र्ुरू ो जाता ै।

एक ़िमािा था शक लोग आठिीं पास


करके तहसीलदार बि जाते थे और
आज भी बड़ी-बड़ी पो़िीिि पर हैं ...
और तुम शकतिे कम अक्ल हो, जो
बा़िारी लड़कों के साथ किकौए उड़ाते
हो।

तुमको क्ा लगा शक भाई साहब को


डााँ टिे का हक अब िहीं रहा.... तुम्हारी
ऐसी सोच रखिा गलती है ।

ध्याि से सुिो ...हो सकता है शक अगले साल


तुम मुझसे आगे शिकल जाओ। लेशकि
तुम्हारे मेरे बीच के 5 साल के अंतर को
तुम क्ा ख़ुदा भी िहीं शमटा सकता। मुझे
श़िंदगी का तुमसे ज़्यादा त़िुबाश है । मैं तुम से
पााँ च साल बड़ा ही रहाँ गा।

29
समझ केिल शकताबें पढिे से िहीं आती,
दु शिर्ा दे खिे से आती है । हमारी अम्मा िे
आठिें हे िरी के शकतिे ब्याह, आकाि में
कोई दऱिा िहीं पास शकर्ा और दादा जी
शकतिे िक्षत्र हैं ! उन्ें मालूम हो र्ा िा हो
भी पााँ चिीं-छठी जमात से आगे िहीं गए...
...लेशकि ह़िारों ऐसी बातें हैं शजिका ज्ञाि
इिके पास दु शिर्ा का हमसे ज़्यादा त़िुबाश
उन्ें हमसे और तुमसे ज़्यादा है .
है । इन्ें हमें समझािे और सुधारिे का
अशधकार हमेिा रहे गा।

इिकी ताशकशक
िब्लक्त लाजिाब
सही बात
है ।
ही तो कह
रहे हैं ।

जी

दै ि ि करे आज मैं बीमार


हो जाऊाँ... तो तुम घबरा
कर दादा को ही तार अब अगर दादा तुम्हारी जगह हो
करोगे ...है िा ! तो...िो शबिा घबरार्े.. पहले खुद
मऱि पहचािकर इलाज करें गे ...
और िहीं सफल हए तो डॉक्टर
को बुलाएाँ गे। समझ आर्ा ?

30
हम-तुम तो इतिा भी िहीं जािते शक महीिे भर
कैसे खचश चलािा है? सारे पैसे 20 और 22
तक खचश करके पैसे-पैसे के मोहताज हो जाते
हैं । शजतिा तुम और मैं खचश कर रहे हैं , उसके
आधे में दादा पूरे पररिार की दे खभाल कर लेते
थे। सुि रहे हो िा...

जी

हमारे एम.ए. पास हे डमास्टर जी


एक ह़िार रुपर्े पािे के बाद भी
क़िशदार रहते थे। पर उिकी बूढी
मााँ के पास शडग्री िहीं है पर जब से
उन्ोंिे घर का इं त़िाम दे खा...
मास्टर जी के र्हााँ जैसे लक्ष्मी आ
जी, समझ रहा हाँ । गई है । समझ आर्ा....

ल़ेखक को तार् द़े खकर


भाई सा ब ऩे हवषय
बदला ।

अगर तुम र्ों ि मािोगे तो मैं इसका


(थप्पड़ शदखाते हए) प्रर्ोग भी कर
सकता हाँ । मैं जािता हाँ, तुम्हें मेरी
बातें ज़ र लग र ी ैं।
चलो ,थोड़ा टहल आएाँ ।

31
और दोनोिं भाई ट लत़े हुए मैदान में आ जात़े ैं ।

मैं किकौए उड़ािे को मिा िहीं करता । मेरा भी


जी ललचाता है लेशकि क्ा करू ाँ ? खुद बेराह चलूाँ
तो तुम्हारी रक्षा कैसे करू
ाँ ? र्ह कतशव् भी तो मेरे
शसर है ।

भाई साहब,आप जो कुछ कह रहे हैं िह


शबलकुल सच है और आपको उसे कहिे
का अशधकार है ।

32
उसी समय कटी हुई पतिंग दोनोिं भाइयोिं क़े ऊपर स़े गुज़री। उसकी र्ोर
लटक र ी थी। भाई सा ब भी छोट़े भाई क़े साथ कनकौए की र्ोर थाम़े हुए
ॉस्टल की ओर दौड़े ।

33
क ानी खत्म ोऩे क़े बाद…

अब बताओ ! कैसी लगी


कहािी ? इस कहािी से
तुमिे क्ा सीखा ?

और तुमिे क्ा
सीखा ?
भैर्ा, मुझे मा़ि कर
दो। आप मेरे भले के
शलए ही मुझे खेलिे से
रोक रहे थे िा !

मााँ, र्ह तो जल्दी ही


सीख गर्ा ।

पढाई के साथ-साथ खेल भी होिे चाशहए


तभी व्ब्लक्तत्व का पूणश शिकास होता है।
मैं सीख गर्ा हाँ मााँ ।

34
बताओ िा , मााँ !

और मााँ , आपिे क्ा सीखा?

हमारी शिक्षा िीशतर्ों में बदलाि


़िरूरी है । शिक्षा-प्रणाली रटं त होिे
की जगह व्ािहाररक होिी चाशहए
शजससे बच्चे रुशच से पढें ।

चलो, अब अंदर चलते हैं । पापा के आिे का


समर् हो गर्ा और तुम्हारे पढिे का भी ।

35
बूझो तो जानें
वगश प ़े ली
क छा ज उ सी ख ह क्षा ब
त त्रा ड ओ व म ना ण व
च वा नौ वीीं त न आ ध न
ज स ब औ ज र ऊ घ म
द क ऊ ण द ट श ङ ह
ग र ई ध क था ना य क
ब ग आ घ र प ब तीं ली
प ए स ङ टीं ख व ग र
र प ष झ त फ न म क
झ तीं य़ ऱ प ध म व म
व ग क ख ल घ ध्य इ अ
म म त शश क्षा प्र णा ली ध्य
क व द उ न य ऐ भ य
ग न ज झ च ड चा ऊ न
ल अ नु भ व श र औ शी
स द ग अ ड ऱ सौ ञ ल

बाए स़े दाए ऊपर स़े नीि़े

1. बड़े भाई साहब िे श़िं दगी में शकसे 1.ले खक और उसके बड़े भाई कहााँ
महत्त्वपूणश कहा है ? रहते थे ?
2. बड़े भाई साहब कौि-सी कक्षा में पढते 2. बड़े भाई स्वभाि से कैसे थे ?
थे ?
3.‘िसीहत’ िब्द का पर्ाश र्िाची िब्द 3. भाई साहब क्ा उड़ािे में शिपुण थे ?
शलब्लखए । 4. बड़े भाई साहब के अिुसार शिक्षा-
4.बड़े भाई साहब िे शकस पर व्ंग्य शकर्ा प्रणाली कैसी थी ?
है ?
5.प्रेमचंद जी िे लगभग शकतिी
5.शकसकी रुशच खेलकूद, कंकररर्ााँ
कहाशिर्ााँ शलखी ?
उछालिे में थी ?

36
उत्तर

बाए स़े दाए ऊपर स़े नीि़े


1. अिुभि 1. छात्रािास

2. िौिीं 2.अध्यर्ििील

3. सीख 3. पतंग

4. शिक्षा-प्रणाली 4. रटं त

5. कथा िार्क 5. चार सौ

37
प्रश्नावली
प्रश्न 1-मााँ िे बच्चों को कहािी कहााँ सुिाई?
A)बगीचे में
B) बैठक में
C)रसोईघर में
D)िर्ि कक्ष में

प्रश्न 2- बच्चों िे प्रेमचंद की कहािी पर आधाररत कौि-सी श़िल्म दे खी हई थी?


A)सद्र्तत
B) गोदाि
C)ितरं ज के ब्लखलाड़ी
D)हीरा-मोती

प्रश्न 3- भाई साहब ले खक से शकतिी कक्षा आगे थे ?


A) दो कक्षा
B) तीि कक्षा
C) चार कक्षा
D) सात कक्षा

प्रश्न 4-बड़े भाई साहब कहािी शकस िै ली में शलखी गई है ?


A) व्ंग्यात्मक
B) करुणामर्ी
C) आत्म कथात्मक
D) सभी

प्रश्न 5- ले खक के भाई साहब उससे शकतिे साल बड़े थे ?


A) 3 साल
B) 5 साल
C) 6 साल
D) 8 साल

प्रश्न 6- अिसर शमलते ही ले खक कौि-से काम करता था ?


A) चारदीिारी पर चढता उतरता था
B) काग़ि की शततशलर्ााँ उड़ाता था
C) कंकर उछालता था
D) सभी

38
प्रश्न 7- ले खक का मि शकस काम में िहीं लगता था ?
A) पढिे में
B) खेलिे में
C) दोस्तों के साथ कंचे खेलिे में
D) सभी

प्रश्न 8- भाई साहब शकस कला में शिपुण थे ?


A) खेलों में
B) पढिे में
C) कंचे खेलिे में
D) उपदे ि दे िे की कला में

प्रश्न 9- शकस बात पर ले खक के शदल के टु कड़े हो जाते थे ?


A) पतं ग कटिे से
B) खेल में हार जािे से
C) फेल होिे होिे से
D) भाई साहब के उपदे ि सुििे से

प्रश्न 10- ले खक को भाई साहब की बातें अच्छी क्ों िहीं लगती थी?
A) क्ोंशक ले खक अव्वल दऱिे में पास हआ था
B) भाई साहब फेल हो गए थे
C) भाई साहब उपदे ि दे ते थे
D) सभी

प्रश्न 11- ले खक को कौि-सा िर्ा िौक पैदा हो गर्ा था ?


A) कंचे खेलिे का
B) शकताबें पढिे का
C) पतं ग उड़ािे का
D) सभी

प्रश्न 12- बड़े भाई साहब के अिुसार कैसी बुब्लद्ध व्थश है ?


A) जो आत्मगौरि को मार डाले
B) पढाई ि करिे दे
C) जो खेलकूद में लगी रहे
D) सभी

39
प्रश्न 13- ले खक की अपिे बारे में क्ा धारणा बि गई थी ?
A) िह शबिा पढे भी प्रथम आएगा
B) शक िह फेल हो जाएगा
C) शक िह िहीं पढ सकता
D) कोई िहीं

प्रश्न 14- बड़े भाई छोटे भाई से हर समर् सबसे पहले क्ा सिाल पूछते थे ?
A) कहााँ थे
B) क्ा कर रहे थे
C) कहााँ जा रहे हो
D) पढाई कर ली

प्रश्न 15- बड़े भाई साहब शदमाग को आराम दे िे के शलए क्ा करते थे ?
A) कॉपी और शकताब के हाशिर्ों पर कुत्तों और शबब्लल्लर्ों की तस्वीर बिाते थे
B) एक ही िब्द को बार-बार शलखते थे
C) शबिा अथश के िब्द शलखते थे
D) सभी

प्रश्न 16- बड़े भाई में क्ा गुण थे ?


A) गंभीर प्रिृशत्त के थे
B) छोटे भाई के शहतै षी थे
C) िाक् कला में शिपुण थे
D) सभी

प्रश्न 17- बड़े भाई साहब के अिुसार जीिि की समझ कैसे आती है ?
A) अिुभि से
B) धक्के खाकर
C) पढिे से
D) सभी

प्रश्न 18- कहािी 'बड़े भाई साहब' से मााँ िे क्ा सीखा ?


A) शिक्षा िीशतर्ों में बदलाि ़िरूरी है ।
B) शिक्षा िीशत में कोई बदलाि िहीं होिा चाशहए।
C) बच्चों को रटं त शिक्षा-प्रणाली का पालि करिा चाशहए।
D) शिक्षा-प्रणाली व्ािहाररक िहीं होिी चाशहए।

40
प्रश्न सिंख्या उत्तर प्रश्न सिंख्या उत्तर

1 A 10 D

2 C 11 C

3 B 12 D

4 C 13 A

5 B 14 A

6 D 15 D

7 A 16 D

8 D 17 A

9 D 18 A

41
र्ब्दावली
दऱिा - कक्षा
गाढी कमाई - मेहित की कमाई
चेष्टा - कोशिि
दबे पााँ ि - शबिा आिा़ि के
शिपशत्त - मुसीबत
फटकार - डााँ ट
घुड़शकर्ााँ - गु स्से से भरी बातें सुििा
शतरस्कार – अपमाि
रौब - डर
िरीक - िाशमल
हे कड़ी - घमंड
़िाशहर - स्पष्ट
आं तक – भर्
चररत्र - व्िहार
मह़ि - शस़िश
भू मण्डल - पूरी धरती
स्वाधीि - स्वतंत्र

42
ग्रिंथ-सूिी

• कक्षा दसिीं पाठ्यपुस्तक स्पिश भाग-2


एि.सी.ई.आर.टी.

आई.टी. उपकरण

• एम .एस. पािर प्वाइं ट

• अशभव्ब्लक्त संपादक

• ऑटोडे स्क स्केचबुक संस्करण 8.7.1

• माइक्रमोसॉफ्ट पेंट

43
अहभस्वीकृहत

“रिनात्मकता क़े हबना पररवतश न असिंभव ै और पररवतशन क़े


हबना प्रगहत सिंभव न ी िं ।”

इसी बात की साथशकता शसद्ध करिे के शलए शकसी िे सच ही कहा है ,


“आवश्यकता आहवष्कार की जननी ै ।” िई शिक्षा-प्रणाली के साथ-साथ
पाठ्यक्रम को िर्ा रूप दे िे के शलए शजस तरीके से कल्पिािीलता का
प्रर्ोग करते हए ग्राशफक उपन्यास बिािे का प्रर्ास शकर्ा गर्ा है िह
रचिात्मकता का अशद्वतीर् उदाहरण है । ग्राशफक िॉिेल के शलए शिद्यालर्
में संगठि बिाए गए। अशभशिन्यास सत्र के द्वारा अध्यापकिगश की िं काओं
का शििारण शकर्ा गर्ा। शिषर् चुिे गए, पात्रों का चर्ि, शिचारों का आदाि-
प्रदाि हआ और शफर संगठि िब्लक्त का प्रदिशि हआ । भाषा, कला,
कंप्यूटर शिभाग, एकजुट होकर एक-दू सरे का सहर्ोग करिे लगे। र्ह एक
समर्-शििेिक कार्श था लेशकि आदिश िेतृत्व में शकर्ा गर्ा चुिौतीपूणश
कार्श , आत्मशिश्वास और ऊजाश से भरपू र था। संगठि के सदस्यों द्वारा इस
बात पर पूणश ध्याि केंशित शकर्ा गर्ा शक इस शचत्रमर् प्रस्तुशत में कहािी की
मौशलकता तथा शिद्याशथशर्ों की रोचकता बिी रहे ि अशधगम पूणशत: प्राप्त हो
सकें। हमें पूणश शिश्वास है शक पाठक इसे अिश्य पसंद करें गे।

44
हनद़े र्क प्रािायाश का सिंद़ेर्
इस ग्राशफक उपन्यास का शिमाश ण हम सभी के शलए एक अिूठा अिुभि रहा है । र्ह
एक अथश में, 21 िीं िताब्दी के चार मुख्य ' स ' कौिलों को िाशमल करता है :
सृजनात्मकता - हम सबिे अपिी रचिात्मकता का पररचर् दे ते हए इि ग्राशफक
उपन्यासों का शिमाश ण शकर्ा है ।
स योग - सभी शिभाग एक टीम के रूप में काम
करिे के शलए एक साथ आए।
सोि-हविार- महत्त्वपूणश तथ्ों पर गहि सोच-
शिचार करिे के शलए सब एक साथ जु ट गए तथा
कई मुद्दों पर शिचार-शिमिश शकर्ा गर्ा शजससे
पाठ्यक्रम सिोत्तम तरीके से हमारे शिक्षाशथश र्ों
तक पहाँ च सके।
सिंिार- अपिे पाठकों के शलए हम सीखिे के
प्रशतफल को संचार के माध्यम से अशधक
महत्त्वपूणश तरीके से संप्रेशषत कर पाए।
मुझे लगता है शक ग्राशफक उपन्यास जशटल
मॉड्यल
ू को तोड़िे और उन्ें एक कहािी के
माध्यम से समझािे का एक िािदार तरीका है ।
इस सामग्री को बिािे के शलए तथा टीमों को प्रोत्साशहत करिे के शलए सुश्री
अिीता करिाल और श्री मिोज आहजा को मेरा हाशदश क आभार।
श्री संदीप सेठी का आभार, शजन्ोंिे इस उपन्यास के शलए प्रशिक्षण दे िे में पूणश
धैर्श शदखार्ा, िहीं तो, इस उपन्यास को सही शदिा ि शमल पाती।
अपिे लक्ष्य तक पहाँ चिे के शलए शिक्षकों द्वारा की गई जी-तोड़ मेहित भी
प्रिं सिीर् है ।
अशदशत शमश्रा
शिदे िक प्राचार्ाश
शदल्ली पब्लिक स्कूल
सेक्टर-45, गुड़गााँ ि
‘बड़े भाई साहब’ कहािी प्रमुख साशहत्यकार प्रेमचंद द्वारा
रशचत है । इस कहािी को आज के र्ुग से जोड़िे के शलए
एक आधुशिक पररिार का सहारा शलर्ा गर्ा है । मााँ तथा
दोिों बच्चों की बातचीत के द्वारा पाठ ‘बड़े भाई साहब‘ में
शिशहत संदेि आज के शिद्याथीिगश तक पहाँ चािे का प्रर्ास
शकर्ा गर्ा है ।
प्रेमचंद की इस कहािी में बाल मिोशिज्ञाि का शिश्लेषण
शकर्ा है । लेखक िे भी र्ह शसद्ध करिा चाहा है शक बचपि
में पढाई के साथ-साथ खेलकूद भी आिश्यक है तभी स्वस्थ
व्ब्लक्तत्व का शिकास हो सकता है ।

DELHI PUBLIC SCHOOL – GURGAON


(Affiliated to C.B.S.E)
Site No. 1, Sector-45, Urban Estate, Gurugram-122003
www.dpsgurgaon.org

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