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Bade Bhai Sahab( hindi)
Bade Bhai Sahab( hindi)
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कक्षा – दसवी िं
गद्य - पाठ 1, बड़े भाई सा ब
(ऱे खाहित्रीय उपन्यास)
1
अनुक्रमहणका
क्रम सिंख्या हववरण पृ ष्ठ सिंख्या
1. अशधगम 5
3. पात्र-पररचर् 7
6. गशतशिशधर्ााँ 16
8. िगश पहे ली 36
9. प्रश्नािली 38
10. िब्दािली 42
11. ग्रंथ-सूची 43
12. अशभस्वीकृशत 44
2
अस्वीकरण
3
आमुख
‘ बड़े भाई साहब’ कहािी प्रमुख साशहत्यकार प्रेमचं द द्वारा रशचत है । इस
कहािी को आज के र्ु ग से जोड़िे के शलए एक आधु शिक पररिार का सहारा
शलर्ा गर्ा है । पाठ ‘ बड़े भाई साहब’ में शिशहत संदेि मााँ तथा दोिों बच्चों की
बातचीत के द्वारा आज के विद्यार्थीिर्ग तक पहाँ चािे का प्रर्ास शकर्ा गर्ा है ।
4
कक्षा - दसवी िं
हवषय-ह िं दी
अहिगम प्राब्लि
5
दृश्य आऱे खण (स्टोरी बोर्श )
ितश माि पररिे ि में घर में भाइर्ों की प्रे मचं द का जीिि पररचर्
िोंक-झोंक,
‘बड़े भाई साहब’ पाठ के
मााँ का बीच में आकर समझािा ि माध्यम से शिक्षा प्रणाली के प्रशत
साशहत्यकार प्रे मचं द की कहािी द्वारा जागरूकता उत्पन्न करिा
बच्चों का मागश दिशि करिा
बड़े भाई का अपिा कतश व् शिभाते हए छोटे भाई का पढाई के साथ-साथ खे लों
छोटे भाई को उपदे ि दे िा में भी रुशच शदखािा
6
पात्र
पात्र- वतशमान काल में
कुछ हमत्र
7
िररत्रगत हवऱ्ेषताए
8
वतशमान पररवार का दृश्य
अब बस करो । सुबह से खेल
रहे हो। उठकर िहा धो लो।
9
भाई ठीक ही तो कह
रहा है ।
ठीक से बात
हाँ ह!
करो।
10
अरे अरे ! लड़ो िहीं। तो समझा दो ि इसे।
आप भैर्ा को
समझाओ।
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बैठक में मा दोनोिं को प्यार स़े सोफ़े पर अपऩे पास बैठाकर समझाती ैं।
तुम्हें शहंदी जगत के सुप्रशसद्ध
साशहत्यकार प्रेमचंद की कहािी
'बड़े भाई साहब' सुिाती हाँ ।
हााँ तो बताओ!
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तीनोिं आकर बगीि़े में बैठ जात़े ैं।
प्रेमचंद का मूल िाम धिपत रार् था। इिका जन्म 31 जुलाई
1880 को बिारस के लमही गााँ ि में हआ।
तीि-तीि िाम !
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इन्ोंिे कौि-कौि से उपन्यास
शलखे हैं ?
ितरं ज के ब्लखलाड़ी,
सद्र्तत, गोदाि, गबि,
कौि-कौि सी? हीरा - मोती।
14
हााँ,िही। बस! अब पररचर् तो
बहत हो गर्ा। चलो, कहािी
िुरू करो िा!
ठीक है तो सुिो…
15
गहतहवहिया
• आपको अपिे छोटे अथिा बड़े भाई बहि की कौि-सी
बात अच्छी लगती है और क्ों ? कक्षा में चचाश कीशजए ।
16
क ानी की र्ुरुआत - ॉस्टल का कमरा
बड़े भाई साहब
कैसे-कैसे शचत्र बिाते
हैं ? मुझे तो कुछ समझ
िहीं आता। उिसे
कैसे पूछूाँ?
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हमत्रोिं क़े साथ ख़ेलकर ल़ेखक र्ाम को ॉस्टल में जब वापस आता ै ।
कहााँ थे?
र्हीं था।
इस तरह अंग्रे़िी पढोगे तो श़िंदगी भर पढते र्हााँ रात-शदि आखें फोडनी पड़ती हैं
रहोगे और एक ह़िश तक िा आएगा। और खून जलाना पड़ता है तब कहीं
अंग्रे़िी पढिा कोई हाँ सी खेल िहीं है शक जो र्ह शिद्या आती है । और आती क्ा है ?
चाहे पढ ले िहीं तो ऐरा-गैरा नत्थू खैरा हााँ, कहिे को आ जाती है । बड़े -बड़े
सभी अंग्रे़िी के शिद्वाि हो जाते। शिद्वाि भी िुद्ध अंग्रे़िी िहीं शलख सकते
बोलिा तो दू र रहा।
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तुम्हारी बुब्लद्ध का कसूर है ।
और मैं कहता हाँ तुम शकतिे घोिंघा ो शक मुझे इतिे मेले -तमािे होते हैं ,तुमिे मुझे
दे खकर भी सबक िहीं लेते।मैं शकतिी मेहित कभी जाते दे खा? रो़ि शक्रमकेट और
करता हाँ । र्ह तुम अपिी आाँ खों से दे खते हो। हॉकी मैच होते हैं । मैं पास िहीं
अगर िहीं दे खते तो र्ह तुम्हारी आाँ खों का फटकता, हमेिा पढता रहता हाँ ।
कसूर है ।
उस पर एक-एक दऱिे में दो-दो, तुम उम्र भर इसी दऱिे में पढते रहोगे ?
तीि-तीि साल पड़ा रहता हाँ , शफर अगर तुम्हें इस तरह उम्र गाँिािी है,तो
भी तुम कैसे आिा करते हो शक बेहतर है , घर चले जाओ और म़िे से
खेलकूद में िक्त गाँिाकर पास हो गुल्ली- डं डा खेलो।दादा की गाढी कमाई
जाओगे ? मुझे तो दो र्ा तीि साल के रुपर्े क्ों बबाश द करते हो?
लगते हैं ।
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1. कह तो ठीक रहे हैं,
र्ह सब मुझे पता है
पर क्ा करूाँ ?अपराध
शकर्ा है तो डााँट तो
सहिी पड़े गी।
2. घर चला जाऊाँ ?
5.छ: से आठ तक पढा तो मुझसे जाता
अंग्रे़िी,आठ से िौ तक िहीं। मूखश ही रह
शहसाब , िौ से साढे िौ लूाँगा। िहीं-िहीं,
तक इशतहास,शफर भोजि पढ लूाँगा ।
और स्कूल ।
20
ल़ेखक हमत्रोिं क़े साथ ख़ेलऩे मैदान में आ जाता ै ।
21
कुछ समय पश्चात वाहषशक परीक्षा में अव्वल आऩे क़े बाद छोटा भाई गुल्ली र्िं र्ा
ख़ेलकर र्रत़े हुए छात्रावास क़े कमऱे में प्रव़ेर् करता ै और बड़े भाई क़े हलए
सोिता ै ।
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रािण चक्रमिती राजा था। संसार के सभी राजा उसे कर दे ते
थे। बड़े -बड़े दे िता भी उसकी गुलामी करते थे। आग और
पािी उसके दास थे। घमंड िे उसका नामोहनर्ान तक
हमटा शदर्ा, कोई उसे िुल्लू भर पानी द़े ऩे वाला न बचा।
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िूहक ल़ेखक को बड़े भाई की बातोिं का असर ोना बिंद ो िुका था। अत:
भाई सा ब अपनी ताहकशक बुब्लद्ध द्वारा ल़ेखक को अऩेक उदा रणोिं स़े
समझाऩे लगत़े ैं।
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कह शदर्ा ‘समर् की पाबंदी’ पर एक
शिबंध शलखो, जो चार पन्नों से कम िा
हो। जो बात एक िाक् में कही जा सके,
उसे चार पन्नों में शलखिे की क्ा
़िरूरत?
उपद़े र् जारी र ता ै।
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हवद्यालय जाऩे की तैयारी र्ुरू ो जाती ै ।
बच गए ! स्कूल का
समर् शिकट था,
िहीं ईश्वर जािे र्ह
उपदे ि-माला कब
समाप्त होती।
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एक वषश क़े पश्चात वाहषशक परीक्षा में हफर अव्वल आऩे क़े बाद और बड़े भाई
क़े फ़ेल ोऩे पर, छोट़े भाई की खुर्ी आिी ो गई ल़ेहकन एक कुहटल
हविार भी उसक़े मन में आया।
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और छोटा भाई मैदान में ख़ेलऩे आ जाता ै। इस तर व कुछ समय तक
मनमानी करऩे लगता ै ।
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ॉस्टल पहुिकर उनका उपद़े र् हफर र्ुरू ो जाता ै।
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समझ केिल शकताबें पढिे से िहीं आती,
दु शिर्ा दे खिे से आती है । हमारी अम्मा िे
आठिें हे िरी के शकतिे ब्याह, आकाि में
कोई दऱिा िहीं पास शकर्ा और दादा जी
शकतिे िक्षत्र हैं ! उन्ें मालूम हो र्ा िा हो
भी पााँ चिीं-छठी जमात से आगे िहीं गए...
...लेशकि ह़िारों ऐसी बातें हैं शजिका ज्ञाि
इिके पास दु शिर्ा का हमसे ज़्यादा त़िुबाश
उन्ें हमसे और तुमसे ज़्यादा है .
है । इन्ें हमें समझािे और सुधारिे का
अशधकार हमेिा रहे गा।
इिकी ताशकशक
िब्लक्त लाजिाब
सही बात
है ।
ही तो कह
रहे हैं ।
जी
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हम-तुम तो इतिा भी िहीं जािते शक महीिे भर
कैसे खचश चलािा है? सारे पैसे 20 और 22
तक खचश करके पैसे-पैसे के मोहताज हो जाते
हैं । शजतिा तुम और मैं खचश कर रहे हैं , उसके
आधे में दादा पूरे पररिार की दे खभाल कर लेते
थे। सुि रहे हो िा...
जी
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और दोनोिं भाई ट लत़े हुए मैदान में आ जात़े ैं ।
32
उसी समय कटी हुई पतिंग दोनोिं भाइयोिं क़े ऊपर स़े गुज़री। उसकी र्ोर
लटक र ी थी। भाई सा ब भी छोट़े भाई क़े साथ कनकौए की र्ोर थाम़े हुए
ॉस्टल की ओर दौड़े ।
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क ानी खत्म ोऩे क़े बाद…
और तुमिे क्ा
सीखा ?
भैर्ा, मुझे मा़ि कर
दो। आप मेरे भले के
शलए ही मुझे खेलिे से
रोक रहे थे िा !
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बताओ िा , मााँ !
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बूझो तो जानें
वगश प ़े ली
क छा ज उ सी ख ह क्षा ब
त त्रा ड ओ व म ना ण व
च वा नौ वीीं त न आ ध न
ज स ब औ ज र ऊ घ म
द क ऊ ण द ट श ङ ह
ग र ई ध क था ना य क
ब ग आ घ र प ब तीं ली
प ए स ङ टीं ख व ग र
र प ष झ त फ न म क
झ तीं य़ ऱ प ध म व म
व ग क ख ल घ ध्य इ अ
म म त शश क्षा प्र णा ली ध्य
क व द उ न य ऐ भ य
ग न ज झ च ड चा ऊ न
ल अ नु भ व श र औ शी
स द ग अ ड ऱ सौ ञ ल
1. बड़े भाई साहब िे श़िं दगी में शकसे 1.ले खक और उसके बड़े भाई कहााँ
महत्त्वपूणश कहा है ? रहते थे ?
2. बड़े भाई साहब कौि-सी कक्षा में पढते 2. बड़े भाई स्वभाि से कैसे थे ?
थे ?
3.‘िसीहत’ िब्द का पर्ाश र्िाची िब्द 3. भाई साहब क्ा उड़ािे में शिपुण थे ?
शलब्लखए । 4. बड़े भाई साहब के अिुसार शिक्षा-
4.बड़े भाई साहब िे शकस पर व्ंग्य शकर्ा प्रणाली कैसी थी ?
है ?
5.प्रेमचंद जी िे लगभग शकतिी
5.शकसकी रुशच खेलकूद, कंकररर्ााँ
कहाशिर्ााँ शलखी ?
उछालिे में थी ?
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उत्तर
2. िौिीं 2.अध्यर्ििील
3. सीख 3. पतंग
4. शिक्षा-प्रणाली 4. रटं त
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प्रश्नावली
प्रश्न 1-मााँ िे बच्चों को कहािी कहााँ सुिाई?
A)बगीचे में
B) बैठक में
C)रसोईघर में
D)िर्ि कक्ष में
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प्रश्न 7- ले खक का मि शकस काम में िहीं लगता था ?
A) पढिे में
B) खेलिे में
C) दोस्तों के साथ कंचे खेलिे में
D) सभी
प्रश्न 10- ले खक को भाई साहब की बातें अच्छी क्ों िहीं लगती थी?
A) क्ोंशक ले खक अव्वल दऱिे में पास हआ था
B) भाई साहब फेल हो गए थे
C) भाई साहब उपदे ि दे ते थे
D) सभी
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प्रश्न 13- ले खक की अपिे बारे में क्ा धारणा बि गई थी ?
A) िह शबिा पढे भी प्रथम आएगा
B) शक िह फेल हो जाएगा
C) शक िह िहीं पढ सकता
D) कोई िहीं
प्रश्न 14- बड़े भाई छोटे भाई से हर समर् सबसे पहले क्ा सिाल पूछते थे ?
A) कहााँ थे
B) क्ा कर रहे थे
C) कहााँ जा रहे हो
D) पढाई कर ली
प्रश्न 15- बड़े भाई साहब शदमाग को आराम दे िे के शलए क्ा करते थे ?
A) कॉपी और शकताब के हाशिर्ों पर कुत्तों और शबब्लल्लर्ों की तस्वीर बिाते थे
B) एक ही िब्द को बार-बार शलखते थे
C) शबिा अथश के िब्द शलखते थे
D) सभी
प्रश्न 17- बड़े भाई साहब के अिुसार जीिि की समझ कैसे आती है ?
A) अिुभि से
B) धक्के खाकर
C) पढिे से
D) सभी
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प्रश्न सिंख्या उत्तर प्रश्न सिंख्या उत्तर
1 A 10 D
2 C 11 C
3 B 12 D
4 C 13 A
5 B 14 A
6 D 15 D
7 A 16 D
8 D 17 A
9 D 18 A
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र्ब्दावली
दऱिा - कक्षा
गाढी कमाई - मेहित की कमाई
चेष्टा - कोशिि
दबे पााँ ि - शबिा आिा़ि के
शिपशत्त - मुसीबत
फटकार - डााँ ट
घुड़शकर्ााँ - गु स्से से भरी बातें सुििा
शतरस्कार – अपमाि
रौब - डर
िरीक - िाशमल
हे कड़ी - घमंड
़िाशहर - स्पष्ट
आं तक – भर्
चररत्र - व्िहार
मह़ि - शस़िश
भू मण्डल - पूरी धरती
स्वाधीि - स्वतंत्र
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ग्रिंथ-सूिी
आई.टी. उपकरण
• अशभव्ब्लक्त संपादक
• माइक्रमोसॉफ्ट पेंट
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अहभस्वीकृहत
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हनद़े र्क प्रािायाश का सिंद़ेर्
इस ग्राशफक उपन्यास का शिमाश ण हम सभी के शलए एक अिूठा अिुभि रहा है । र्ह
एक अथश में, 21 िीं िताब्दी के चार मुख्य ' स ' कौिलों को िाशमल करता है :
सृजनात्मकता - हम सबिे अपिी रचिात्मकता का पररचर् दे ते हए इि ग्राशफक
उपन्यासों का शिमाश ण शकर्ा है ।
स योग - सभी शिभाग एक टीम के रूप में काम
करिे के शलए एक साथ आए।
सोि-हविार- महत्त्वपूणश तथ्ों पर गहि सोच-
शिचार करिे के शलए सब एक साथ जु ट गए तथा
कई मुद्दों पर शिचार-शिमिश शकर्ा गर्ा शजससे
पाठ्यक्रम सिोत्तम तरीके से हमारे शिक्षाशथश र्ों
तक पहाँ च सके।
सिंिार- अपिे पाठकों के शलए हम सीखिे के
प्रशतफल को संचार के माध्यम से अशधक
महत्त्वपूणश तरीके से संप्रेशषत कर पाए।
मुझे लगता है शक ग्राशफक उपन्यास जशटल
मॉड्यल
ू को तोड़िे और उन्ें एक कहािी के
माध्यम से समझािे का एक िािदार तरीका है ।
इस सामग्री को बिािे के शलए तथा टीमों को प्रोत्साशहत करिे के शलए सुश्री
अिीता करिाल और श्री मिोज आहजा को मेरा हाशदश क आभार।
श्री संदीप सेठी का आभार, शजन्ोंिे इस उपन्यास के शलए प्रशिक्षण दे िे में पूणश
धैर्श शदखार्ा, िहीं तो, इस उपन्यास को सही शदिा ि शमल पाती।
अपिे लक्ष्य तक पहाँ चिे के शलए शिक्षकों द्वारा की गई जी-तोड़ मेहित भी
प्रिं सिीर् है ।
अशदशत शमश्रा
शिदे िक प्राचार्ाश
शदल्ली पब्लिक स्कूल
सेक्टर-45, गुड़गााँ ि
‘बड़े भाई साहब’ कहािी प्रमुख साशहत्यकार प्रेमचंद द्वारा
रशचत है । इस कहािी को आज के र्ुग से जोड़िे के शलए
एक आधुशिक पररिार का सहारा शलर्ा गर्ा है । मााँ तथा
दोिों बच्चों की बातचीत के द्वारा पाठ ‘बड़े भाई साहब‘ में
शिशहत संदेि आज के शिद्याथीिगश तक पहाँ चािे का प्रर्ास
शकर्ा गर्ा है ।
प्रेमचंद की इस कहािी में बाल मिोशिज्ञाि का शिश्लेषण
शकर्ा है । लेखक िे भी र्ह शसद्ध करिा चाहा है शक बचपि
में पढाई के साथ-साथ खेलकूद भी आिश्यक है तभी स्वस्थ
व्ब्लक्तत्व का शिकास हो सकता है ।