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जाति, मज़हब तथा जातीयता
जाति, मज़हब तथा जातीयता
जातीयता जाित, मज़हब तथा भाषा पर आधा रत सामू िहक पहचान की ओर संकेत करता है । जातीयता म
जाित तथा मज़हब िनिहत ह। अतु ल कोहली ने भारतीय समाज की िवशेषता पर काश डाला है । उनका
कहना है िक समाज पारं प रक है , हालाँ िक राजनै ितक व था आधु िनक है । समाज धािमक है िक ु
संिवधान पं थिनरपे है । समाज म सं दाय ाथिमक है िक ु सं िवधान के अं तगत गत ग रमा का
मह सवािधक है । त ता के प ात, पॉल ास के अनु सार, भाषा भारतीय राजनीित का सबसे बड़ा
मु ा बन गई। रा की आिधका रक भाषा का मु ा, रा ों का भाषाई पुनगठन तथा अ सं कों की
भाषा भारतीय लोकत हे तु चु नौती बन गए। यह एक जातीय मु ा है । भारतीय लोकत के अं तगत धीरे
धीरे इस सम ा का िनवारण कर िलया गया। माटी के सपूत आं दोलन [Sons of Soil Movement] का
आरं भ भी भाषा के आधार पर ही िकया गया। यह एक े ीय आं दोलन था िजसके अं तगत एक िवशेष
समूह के भाषा तथा सं ृ ित के सं र ण हे तु िवशे ष ावधान की माँ ग रखी गई।
परं परा तथा आधुिनकता Tradition and Modernity
रजनी कोठारी का कहना है िक भारतीय समाज पारं प रक है । जाित तथा मज़हब पारं प रक समाज से जुड़े
ए ह। िक ु राजनै ितक व था आधुिनक तथा लोकतां ि क है । रजनी कोठारी का मत है िक पारं प रकता
तथा आधु िनकता एक दू सरे के िवरोधी नही ं ह। आधु िनकता का अथ परं पराओं का खं डन नही ं है। अिपतु
आधुिनकता का अथ है परं परा का आधु िनकीकरण। अतः उनका कहना है िक जाित जैसी पर राओं का
अं त नही ं होगा। ब जाित अब एक आधु िनक अवतार ले रही है । जाित का राजनीितकरण जाित की नई
पहचान है ।
जाित का राजनीितकरण Politicization of Caste
रजनी कोठारी का कहना है िक भारत म जाितवाद जैसा कुछ भी नही ं है । जाितवाद को लोकत हेतु
अिभशाप माना जाता है । जाितवाद का अथ है की जाित आधा रत पहचान की ाथिमकता िजसके
अं तगत जाित की सद ता तथा पहचान नाग रकता से अिधक मह पू ण होती है । जाित समूहों के बीच
श ु ता को ो ािहत करना जाितवाद का उदाहरण है ।
रजनी कोठारी का कहना है िक िजसने भी भारत म जाितवाद की आलोचना की है , वह न तो समाज को
समझता है न तो राजनै ितक व था को। राजनीित सामािजक व था के अं तगत सं चािलत होती है , और
जाित भारत की मूलभूत सामािजक इकाई है । राजनै ितक व थाओं को िनवात म नही ं समझा जा सकता।
अतः जाित का राजनीितकरण त है । यहाँ जाितयाँ िहत समूहों के समान संचािलत होती ह। पि मी
समाज म आधु िनकीकरण तथा औ ोिगकीकरण के कारण िहत समूहों का उ व आ। िक ु भारतीय
समाज औ ोगीकृत नही ं है अतः जाित सं थाएँ िहत समूहों का प ले लेती ह। जाित सदा से ही एक
सामािजक पहलू रहा है िक ु जाित की राजनै ितक पहचान लोकतां ि क राजनैितक व था का प रणाम
है । पारं प रक प से जाित को िववाह तथा भोजन से जोड़कर दे खा जाता है िक ु जाित राजनितक
संघटन का मा म बन जाता है ।
लोकतां ि क अवतार
डॉ तथा डॉ का कहना है िक भारतीय लोकत के िव ार हे तु जाित की भूिमका सकारा क
है । भारत की तं ता के प ात, राजनीित तथा शासन म उ जाितयाँ बल थी ं। हालाँ िक, उ जाितयाँ
सां क बल म अ सं क ह। सां क बल म िपछड़ी जाितयाँ तथा अनु सूिचत जाितयाँ एवं जनजाितयाँ
ब सं क ह। अब उ ोंने अपने सां क बल को अनु भव कर िलया है । अतः लोकसभा तथा रा
िवधानसभाओं की जनसां की म प रवतन आ गया है । वतमान म अनु सूिचत जाितयाँ तथा जनजाितयाँ
संसद म ब सं क ह। आं दे श म क ा तथा रे ी जाितयों का वच है । महारा की राजनै ितक
व था म मराठों की भूिमका बल है । िह ी के ों के चुनावों म िपछड़ी जाितयाँ तथा अनु सूिचत जाितयाँ
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एवं जनजाितयाँ िनणय िनधा रत करने म अहम भूिमका िनभा रही ं ह। लोकत का अथ है ब सं कों का
शासन। पारं प रक प से, जाित को अलोकतां ि क माना जाता है ोंिक यह असमानता तथा शु ता एवं
अशु की संक नाओं पर आधा रत है ।
लोकतांि क उभार
योग यादव ने लोकत हे तु जाित के सकारा क प रणाम पर काश डाला है । उनका कहना है िक
आर ण की माँग िपछड़ी जाितयों की बढ़ती जाग कता का प रणाम है । म ल आं दोलन भारत की
दू सरी लोकतांि क लहर का उदाहरण है । िपछड़ी जाितयों तथा अनु सूिचत जाितयों एवं जनजाितयों ने
श म अंश की माँ ग की है । जाित का भाव राजनीित पर पड़ा है तथा राजनीित और भी अिधक
लोकतां ि क हो गई है ।
हािशये पर थत जाितयों का सश करण
हािशये पर थत जाितयों का अथ है िपछड़ी जाितयाँ , अनु सूिचत जाितयाँ तथा जनजाितयाँ। पू व म,
राजनै ितक तथा शासिनक े ों म उ जाितयों का वच था िक ु अब िपछड़ी जाितयाँ तथा एससी एवं
एसटी उ जाित का थान ले रही ं ह। उ ोंने सरकार के गठन हे तु जाित गठबंधनों का िनमाण िकया है ।
हािशये पर थत जाितयों के सश करण हे तु जाित राजनीित सहायक िस हो रही है । राजनीित के
कारण जाित व था लोकतांि क हो रही है ।
Fragmentation
म ल आं दोलन के दौरान, श ा करने हेतु सभी िपछड़ी जाितयाँ एक हो गईं। जाित गठबंधनों का
ने तृ िपछड़ी जाितयाँ कर रही ं थी ं। अब िपछड़ी जाितयों म िवखं डन प से दे खा जा सकता है ।
उ र दे श तथा िबहार म स ा ा करने हे तु भाजपा के नेतृ म सभी गै र-यादव िपछड़ी जाितयाँ एक
हो गईं। मायावती ने भी पूव म यही रणनीित अपनाई थी। िनतीश कुमार ने दिलत वग के ि भाजन के
अं तगत महादिलतों पर ज़ोर िदया तथा िबहार म लालू यादव का िसं हासन छीन िलया।
जाित पर लोकत का भाव
रजनी कोठारी का कहना है िक जाित भारतीय समाज की मूल संरचना है । उनका मत है िक लोकत के
आचार के कारण जाित सं थाओं का गठन िकया गया। सामािजक प से, जाित का अथ है समाज म
अनु मिणकता तथा िवघटन उप थत ह। AJGAR जै से राजनै ितक गठबं धन जाित के राजनै ितक योग के
प रणाम ह। इसका अथ है अहीर, जाट, गु र तथा राजपू त। जाित सं थान िन िल खत िस ांतों पर
आधा रत होते ह:
a. चे तना Consciousness
b. भौितक िवकास Material Progress
c. समाज म ित ा
रजनी कोठारी का कहना है िक सामािजक संरचना का पराभव कभी भी नही ं होता। ब वह अपना
प प रवितत कर लेती है अतः जाितयाँ अब सरकार की नीितयों को भािवत करने हे तु दबाव गुटों की
भूिमका िनभा रही ं ह। जाितयाँ समाज म श को यथाथ बनाने का मा म बन गईं ह। लोकत
ब सं क सरकार के िस ा पर आधा रत है तथा जो भी जाित ब सं क होगी, वही लोकत का
िनमाण करे गी।
लोकत पर जाित का भाव
डॉ तथा डॉ एवं रजनी कोठारी जैसे अ यनकताओं ने लोकत के िवकास हे तु जाित को एक
सकारा क पहलू बताया है । लोकत को अिधक सश करने म जाित सहायक िस हो सकती है
ोंिक िपछड़ी जाितयाँ , अनु सूिचत जनजाितयाँ तथा जाितयाँ जाित सं थानों के कारण ही लोकत का अथ
यथाथ हण कर पा रही ं ह। पू व म 1967 के बाद से केरला म उ जाितयाँ स ा म थी ं। िपछड़ी जाितयों