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3 राज्य नीति के निर्देशात्मक सिद्धान्त DPSP
3 राज्य नीति के निर्देशात्मक सिद्धान्त DPSP
सं िवधान के िनमाण हे तु िविभ सिमितयों का गठन िकया गया था। मौिलक अिधकारों की सू ची के
अिधिनयमन हे तु मौिलक अिधकार उपसिमित का गठन िकया गया था। जे बी कृपलानी इस सिमित के अ थे ।
इस सिमित ने मौिलक अिधकारों से सं बंिधत ापक तथा िव ृ त द ावे ज़ ु त िकए। सं िवधान सभा के
सलाहकार बीएन राऊ ने मौिलक अिधकारों को दो भागों म िवभ करने का सु झाव िदया िजसम पहला भाग
ायोिचत/ ायसं गत [justifiable] अिधकारों का है तथा दू सरे को डीपीएसपी के तौर पर वग कृत िकया गया है ।
चूँिक मौिलक अिधकार रा के िव उपल ह अतः सरकार को मौिलक अिधकारों को भावी बनाने हे तु
िव ृ त िव ीय सं साधनों की आव कता होती जो त ता के तुरंत बाद उपल नही ं थे । अतः कुछ मौिलक
अिधकारों को संिवधान के चौथे भाग म थान िदया गया िज डीपीएसपी की सं ा दी गई है । यह मौिलक
अिधकारों का िव ार है ।
डीपीएसपी भारत सरकार अिधिनयम 1935 [Government of India Act-1935] के अनु देश प
[instrument of instructions] से िलए गए ह। यह आं िशक प से आयरलड के सं िवधान से भी े रत ह।
आय रश सं िवधान ने े िनश सं िवधान से डीपीएसपी की ेरणा ा की है ।
डीपीएसपी की िवशे षताएँ
शासन के मू ल िस ा Fundamentals of Governance- सं िवधान के अनु े द 37 म कहा गया है िक
डीपीएसपी िकसी ायालय ारा वतनीय [enforceable] नही ं होंगे, िक ु िफर भी इनम अिधकिथत दे श दे श
के शासन म मूलभू त ह और िविध िनमाण करने के दौरान इन त ों को भावी बनाना रा का कत होगा। अतः
डीपीएसपी को रा के िव नही ं माना जाता। हालाँ िक, डीपीएसपी का भावीकरण रा की इ ा पर िनभर
करता है ।
A. लोक िहतकारी रा Welfare State: - डीपीएसपी संिवधान का एकमा भाग है िजसम अनु े द 38 के
अंतगत लोक िहतकारी रा का उ ेख िकया गया है । रा सामािजक, आिथक तथा राजनै ितक ाया पर
आधा रत सामािजक व था को ो ािहत करे गा। रा आमदनी म असमानता को ू न करने का यास
करे गा तथा ित ा, सुिवधाओं एवं अवसरों म असमानताओं के शमन हे तु भी त र रहे गा।
B. समाजवादी रा का आधार Basis of Socialist State: भारतीय सं िवधान उदार लोकत की िवशे षताओं
को समाजवादी िस ां तों के साथ स ि त करता है । हालाँ िक, “समाजवाद” श ावना म 42व
सं वैधािनक सं शोधन के ारा वष 1976 म जोड़ा गया है । िक ु चौथे भाग म डीपीएसपी के मा म से
समाजवाद के आदश को पू व म ही थान दे िदया गया है ।
अनु े द 39(b) कहता है िक समुदाय के भौितक सं साधनों का ािम एवं िनयं ण इस कार िवत रत िकया
जाएगा िजससे सवसाधारण के िहत को ो ाहन िमले। अनु े द 39 (c) के अनु सार आिथक व था इस
कार सं चािलत की जाएगी िजससे धन एवं उ ादन के साधनों का सवसाधारण हे तु अिहतकारी सं क ीकरण
न हो।
सं िवधान के अनु े द 37 के अं तगत, डीपीएसपी ायालय के ारा वतनीय नही ं ह। यह भारत की भावी सरकारों
की चे तना के र क ह। िक ु डीडी बसु का कहना है िक अनु े द 365 के अं तगत डीपीएसपी वतनीय ह। यह
कहता है िक जब रा सं घ सरकार के िनदशों का अनु पालन करने म असफल रह तो इसका अथ यह होगा िक
रा सरकार सं वैधािनक तं के अनु सार संचािलत नही ं हो रही है । ावहा रक प से , अनु े द 365 के अं तगत
सं घ सरकार के िनदशों के उ ं घन को आधार बना कर कभी भी अनु े द 356 को लागू नही ं िकया गया है ।
Granville Austin ने कहा है िक भारतीय संिवधान एक कानू नी द ावेज़ नही,ं ब एक सामािजक द ावे ज़ है ।
यह भारत म सामािजक ा लाने हे तु आव क साधन है । भारतीय सं िवधान की सं रचना भारत सरकार
अिधिनयम 1955 से ली गई है । शासन का संसदीय प तथा सं घीय शासन सामािजक ाय के उ े की
ितपू ित हे तु आव क साधन ह। सं िवधान के मौिलक अिधकारों तथा डीपीएसपी से सं बंिधत भाग भारतीय
सं िवधान के उ े ों का उ े ख करते ह। मौिलक अिधकारों ने उदार समाज की नी ंव रखी िजसके अं तगत सभी
यों की ग रमा को समान स ान दान िकया जाएगा। हालाँ िक, िनदशा क िस ा समानतापू ण
सामािजक तथा आिथक प र थितयाँ बरकरार रखने का यास करते ह। यह मौिलक अिधकारों म िनिहत
तं ताओं के उपभोग हे तु आधार के िनमाण हे तु आव क है । मौिलक अिधकार जीवन की त ता का
उ े ख करते ह िजसकी ितपू ित डीपीएसपी म उ खत िश ा तथा ा के अिधकारों के िबना सं भव नही ं
है ।
समान नाग रक सं िहता Uniform Civil Code (UCC)
डीपीएसपी का भावीकरण सं तोषजनक रहा है िक ु समान नाग रक संिहता पर कायवाही अभी शे ष है । नाग रक
सं िहता का अथ है सभी नाग रकों हे तु िववाह, तलाक, तथा गोद लेने की ि याओं हे तु समान क़ानू नों का
अिधिनयमन। हालाँ िक, सभी नाग रकों हे तु आपरािधक कानू न समान ह िक ु नाग रक कानू न समान नही ं है । यह
सभी धािमक पं थों हे तु िभ ह। िह दू िववाह अिधिनयम-1955 िहं दुओ,ं िसखों, जै नों तथा बौ ों पर लागू होता है ।
मु म िनजी कानू न-1937 मु मों पर लागू होता है । इसाइयों तथा पारिसयों हे तु भी िविभ कानू न ह। अनु े द