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कन्जन्कन्टिवाईटिस – )ईई ूरफ् (

 मह ईॉखों की ईभ फीभायी है न्कजसे हभ ईॉख ईना बी कहते हैं।


रऺण –
 इस बफभायी भें योगी कक ईॉख रार हो जाती है , कीचड़ ईता है , ईॊसफ्
ईते हैं, चुबन होती है तथा कबी कबी सज
फ् न बी ई जाती है .
उऩचाय –
 एॊिीफामोटिक ईई ड्राऩ जैसे जेंिाभाइसीन ईई ड्राऩ ईॉखों भें छ् फाय एक
एक फॉद
फ् तीन टदनों तक डारना चाटहए. तीन टदनों भें ठीक नहीॊ होने ऩय गॊबीय बफभायी कक
सॊबावना हो सकती है . अत् ऐसी न्कथथतत भें नेत्र ववशेषऻ से उऩचाय कयाना चाटहए.
 राऩयवाही फयतने से दृन्कटि हभेशा के लरए जा सकती है .
फचाव –
 मह सॊक्राभक बफभायी है जो सॊऩकक से पैरती है .
 अत् अऩनी ईॉखों को हाथ न रगावें . योगी से हाथ लभराने एवॊ उसकी वथतओ
ु ॊ के इथतेभार
से फचकय इस बफभायी के पैराव को योका जा सकता है .

दृन्कटिदोष )rtrRE evit aRReR( –


रऺण –
 इसभें दयफ् कक वथतुमें साफ़ नहीॊ टदखाई ऩड़ती हैं.
 इस योग से ऩीड़ड़त फच्चे ककसी बी वाथतु को गौय से दे खने की
कोलशश कयते हैं.
 शारा भें ब्रेकफोडक के ऩास फैठते हैं. ऩढ़ते सभम ककताफ को चेहये
के ऩास यखते हैं.
 ऐसे फच्चे थवाबाववक रूऩ से साभान्म फच्चों कक तुरना भें सुथत एवॊ खेरकफ्द जैसी
गततववधधमों से दयफ् यहने वारे होते हैं.
उऩचाय
 सही नॊफय का चश्भा दे कय इसका इराज ककमा जाता है । ऐसे फच्चों को शासन द्वाया
तनशल्
ु क चश्भा प्रदान ककए जाने की व्मवथथा है ।
 चश्भा रगाने भें शभक हो तो कान्िे टि रेंस रगामे जा सकते हैं .
 नॊफय न्कथथय होने ऩय रेज़य ईऩये शन से चश्भा उतय सकता है .
फचाव –
 मटद चश्भा सभम ऩय नहीॊ ऩहनामा गमा तो एम्बब्रामोवऩमा नाभक बफभायी हो सकती है
न्कजसभें चश्भा रगाकय बी साफ़ नहीॊ दे खाई दे ता . इसे ऩण
फ् क रूऩ से योका जा सकता है . सबी
शाराओॊ भें सार भें एक फाय नेत्र ऩयीऺण अवश्म होना चाटहए.

वविालभन –‘ए’ की कभी –

 मह फच्चों भें ऩाई जाने वारी एक गॊबीय फीभायी है न्कजसे यतौंधी बी कहा
जाता है । इसभें फच्चा यात भें मा कभ योशनी भें थऩटि नहीॊ दे ख ऩाता।
 मह कुऩोषण मा खाने भें वविालभन ‘ए’ की ऩमाकप्त भात्रा नहीॊ होने से
उऩजती है, जो दवा से ठीक हो सकती है । रेककन इस फीभायी भें राऩयवाही
थथामी दृन्कटिहीनता का कायण बी फन सकता है ।
उऩचाय –
 वविालभन ‘ए’ से बयऩफ्य तत्वों वारे ऩदाथों जैसे हयी ऩत्तेदाय सन्कब्जमाॊ, ऩऩीता, ईभ,
कद्दफ्, गाजय, भुनगा, दध
फ् , अॊडा, भछरी इत्माटद को बोजन भें शालभर ककमा जाना
चाटहए. इसके अततरयटत फच्चे को वविालभन ‘ए’ की खयु ाक ऩाॊच वषक की उम्र तक
हय छ् भहीने भें दे ना चाटहए. मह दवा सबी थवाथ्म केन्रों तथा शासकीम
अथऩतारों भें तन्शुल्क उऩरब्ध होती है .

भोततमाबफॊद )tEeERE e( –

 मह फढ़ती उम्र के साथ होने वारी थवाबाववक फीभायी है , अत्


व्माऩक जनवगक को प्रबाववत कयती है ।
 दे श भें कुर दृन्कटिहीनता का अथसी प्रततसत बाग भोततमाबफॊद के
वजह से होती है .
 साभान्मतमा मह फीभायी ऩचास वषक के फाद ईॉखों भें होती है ककन्तु कुछ कायणों से मह
ककसी बी उम्र भें हो सकती है .
रऺण –
 भोततमाबफॊद होने ऩय प्रायन्कम्बबक अवथथा भें दयफ् कक वथतए
ु ॊ धुॊधरी टदखाई ऩड़ने रगती हैं
तथा धीये धीये दृन्कटि औय कभजोय हो जाती है .
 ऐसे रऺण भहसस
फ् होने ऩय नेत्र ववशेषऻ से लभर कय सराह रेनी चाटहए.
उऩचाय –
 भोततमाबफॊद ऩण
फ् त
क ् साध्म फीभायी है एवॊ इसका इराज केवर शल्म कक्रमा से ही सॊबव है .
अन्म ककसी ववधध से इसका इराज सॊबव नहीॊ है . जफ बी दै तनक कामों भें कटठनाई हो
इसकी शल्म कक्रमा कयाई जा सकती है . कच्चा मा ऩटका भोततमाबफॊद से अॊतय नहीॊ ऩड़ता.
 भोततमाबफॊद की शल्म कक्रमा ककसी बी ऋतु भें एक साभान सपरता के साथ कयाई जा
सकती है . वतकभान भें रेंस प्रत्मायोऩण ववधध से शल्म कक्रमा की जाती है न्कजसकी सवु वधा
न्कजरा अथऩतारों, भेड़डकर कारेज अथऩतारों तथा एन जी ओ अथऩतारों भें तन्शल्
ु क
उऩरब्ध है .
 रेंस प्रत्मायोऩण के ऩश्चात फायी़ दे खने के लरए चश्भा रग सकता है .
 भोततमाबफॊद का शल्म कक्रमा नहीॊ कयाने ऩय ईॉखों के बीतय का रेंस पि सकता है औय
ईॉख भें ददक होता है . रेंस के पिने ऩय शल्मकक्रमा तो कयवानी ही ऩड़ती है रेककन ऐसी
न्कथथतत भें ईॉखों भें योशनी ईने की सॊबावना नहीॊ होती.

 माद यखें –
“भोततमाबफॊद से दृन्कटिहीनता अथथामी होती है , रेककन हभायी राऩयवाही इसे थथामी फना
सकती है .
ग्राकोभा )काॊधचमाबफॊद (

 मह फीभायी उम्रजतनत तथा ईनव


ु ाॊलशक बी होती है । इस फीभायी
भें ईॉख के अॊदय का दफाव फढ़ जाता है न्कजससे ईॉख की नस
सख
फ् ने रगती है । मह अत्मॊत खतयनाक न्कथथतत होती है टमोंकक
नस सख
फ् ने से ईने वारी दृन्कटिहीनता का कोई इराज सॊबव नहीॊ
है । मह दृन्कटि वाऩस नहीॊ राई जा सकती इसीलरए इसे कारा
भोततमा बी कहा जाता है ।
 अच्छी फात मह है कक प्रायन्कम्बबक अवथथा भें इसका तनदान हो जाने ऩय दवाओॊ के
भाध्मभ से इससे होने वारी दृन्कटि की हातन को तनमॊबत्रत ककमा जा सकता है ।
 इस हे तु चारीस वषों की उम्र के फाद प्रत्मेक व्मन्कटत को अऩनी ईॉखों की जाॊच नेत्र
ववशेषऻ से ववशेष रूऩ से ग्राकोभा के लरए कयाना ही चाटहए।

रऺण –
 ग्राकोभा का रऺण थऩटि नहीॊ होता रेककन कुछ न्कथथततमों भें
इस फीभायी की शॊका की जा सकती है – जैसे -
 लसय ददक होते यहना। ववशेष रूऩ से शाभ के वटत।
 दृन्कटि का दामया लसकुड़ता हुई प्रतीत होना मातन सीधे दे खते हुमे
अगर फगर की चीजों का टदखाई न ऩड़ना।
 ऩढ़ने के चश्भें का नॊफय जल्दी जल्दी फढना।
 योशनी से अॊधेये भें ईने ऩय ईॉखों को अॊधेये का अभ्मथत होने भें
साभान्म से अधधक वटत रगता प्रतीत होना।
 फल्फ ईटद प्रकाश थत्रोत अथवा चाॉद के चायों ओय यॊ गीन वरम
टदखराई ऩड़ना।
उऩचाय –
 दवाई से तनमॊत्रण सॊबव है । ईऩये शन की ईवश्मकता कभ ही ऩड़ती है ।
फचाव –
 ऩयु ाने रयकाडक सटहत तनमलभत ऩयीऺण ही इसका एकभात्र फचाव है . न्कजनको ऩारयवारयक
ग्राकोभा हो, ब्रड प्रेशय, डामबफिीज से ऩीड़ड़त हों, ईॉख भें चोि रगी हो उनको ग्राकोभा
कक सॊबावना अधधक होती है .

शुटक ईॉख – )ड्राई ईई(

रऺण -
 ईॉखों भें जरन, चुबन।
 ईॉखें रार होना।
 धुॊधराऩन ईना जो ऩरकों को झऩकने से दयफ् हो जाता हो।
 ऩढ़ने, िी वी दे खने, कम्बमि
फ् य ऩय काभ कयने के फाद ईॉखों भें
तकरीप होना।
कायण –
 वविालभन ‘ए’ की कभी, ऩमाकवयण प्रदष
फ् ण, सॊक्रभण, दवाओॊ के दटु प्रबाव, एमय कॊड़डशनय
का ज्मादा उऩमोग, हाभोन्स की कभी तथा उम्र का प्रबाव, अधधक दे य तक ईॉखों को बफना
ईयाभ टदमे कम्बमि
फ् य भें काभ कयना इत्माटद।
उऩचाय –
 रफ
ु रयकेटिॊग ईई ड्राऩ से ईयाभ हो जाता है .
फचाव –
 धफ्र, धफ्ऩ, धई
ु ॉ औय गयभ हवा से ईॉखों का फचाव।
 फाहय जाते सभम सयु ऺा चश्भों का इथतेभार।
 ऩानी अधधक वऩमें।
 गि
ु खा, गड़
ु ाखफ्, शयाफ, तॊफाखफ् से ऩयहे ज।
 रगाताय ऩढ़ाई व कॊप्मि
फ् य ऩय अधधक दे य तक काभ नहीॊ कयें .

डामबफटिक ये टिनोऩेथी –

 भधुभेह )डामबफिीज( हभाये दे श की फढ़ती हुई सभथमा है । अतनमॊबत्रत भधुभेह ईॉख के ऩदम
ऩय घातक दटु प्रबाव डारता है ।
रऺण –

 दृन्कटि का धुॊधरा ऩन।


 कारे धब्फे मा कारी ये खाएॉ टदखना।

फचाव –

 इसका एकभात्र फचाव भधुभह


े ऩय तनमॊत्रण ही है ।
 ये टिनोऩेथी मा ऩदम की खयाफी होने ऩय रेजय से सेंकाई, ईॉख भें इॊजेटशन तथा शल्म कक्रमा
के द्वाया इसका इराज ककमा जाता है जो अत्मॊत कटठन होता है तथा सपरता की
सॊबावना बी कभ होती है ।
 भधुभेह के योगी को ईदशक रूऩ से प्रतत छह भाह भें ईॉख के ऩदम की जाॊच नेत्र ववशेषऻ से
कयाते यहना चाटहए।

ईॉखों भें फाहयी वथतु का धगयना–

 ईते जाते हुमे ईॉखों भें धर


फ् के कण, उड़ते हुमे छोिे कीड़े धगय जाना
ईभ घिना है । ऐसे भें त्वरयत उऩचाय भें राऩयवाही फयतने से ईॉखों
को खासा नक
ु सान हो सकता है ।
ऐसी न्कथथतत भें ध्मान यखें –
 ईॉखों को हयधगज न भरें, इससे थवच्छ ऩिर )कातनकमा( ऩय ज भ
फन सकता है तथा दृन्कटि बी जा सकती है ।
 ईॉखों को थवच्छ शीतर जर के छीिों से धो रेवें ताकक कचड़ा
तनकर जामे।
 ईयाभ नहीॊ ईने ऩय ववऩयीत कयवि रेते हुए ऩरकों को फाय फाय
चरामें, इससे कचडा फहकय नाक की तयप ईॉख के ककनाये ई
जाएगा न्कजसे सावधानी से रुभार औय उॉ गलरमों कक सहामता से तनकारा जा सकता है .
 ऐसे भें बी ईयाभ न लभरे तो नेत्र ववशेषऻ को टदखा कय उधचत उऩचाय कयामा जाना
चाटहए।
 सावधानी के लरए जफ बी फाहय तनकरें/ड्राइववॊग कयें सयु ऺा हे तु सादा चश्भा अवश्म रगाएॊ.

ईॉखों भें चोि –


 चोि ईॉखों के फाहयी मा बीतयी टहथसे भें रग सकती है ।
 बोथयी मा नक
ु ीरी वथतओ
ु ॊ से रग सकती है ।
 चोि रगने ऩय तत्कार ही नेत्र ववशेषऻ से सराह रें.
 मटद ईॉखों की योशनी भें कभी भहसस
फ् हो मा ईॉखों भें खफ्न जभा
टदखाई ऩड़े तो मह गॊबीय रऺण है .
 ईॉख को फॊद कय ऩैड रगाएॊ मा रुभार से ढॉ क कय नेत्र ववशेषऻ को टदखाएॉ. ईॉख को
भसरें नहीॊ. एॊिीफामोटिक ईई ड्राऩ हो तो डार रें.
 ध्मान यहे ईॉख से खफ्न तनकरे मा नक
ु ीरी वथतु से चोि रगने ऩय
कोई बी दवा मा ऩानी ईॉख भें न डारें. ददकतनवायक गोरी रे सकते
हैं.
ईखों के जरने/झुरसने मा अम्बर/ऺाय धगय जाने ऩय-
 ईखों को तयु ॊ त शीतर जर से कई फाय धो रें।
 ईॉखों भें जीवाणुयोधी भरहभ रगामें।
 तत्कार नेत्र ववशेषऻ को टदखाकय उधचत उऩचाय कयाएॊ अन्मथा थथामी दृन्कटिहीनता हो
सकती है ।

ईॉखों का याईनो –

 मह फीभायी छत्तीसगढ़ प्राॊत भें ही अधधकतय ऩाई जाती है ।


 याइनों थऩोयोड़डओलसस नाभक मह फीभायी जानवयों से भनटु मों भें
पैरती है ।
 मह फीभायी उन ताराफों भें नहाने से होती है जहाॊ जानवय एवॊ
भनटु म एक साथ थनान कयते हैं।
 मह फीभायी फच्चों को ही अधधकाॊशत् प्रबाववत कयती है । टमोंकक मे अधधक दे य तक ताराफ
भें डफ्फे यहते हैं.
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 अत् साभान्कजक सॊकल्ऩ के साथ जानवयों एवॊ भनटु मों के नहाने का ताराफ ऩथ
ृ क रूऩ से
धचन्हाॊककत ककमा जाना चाटहए ताकक इस फीभायी की योकथाभ शतप्रततशत हो सके।
नेत्रदान –

टमा हभ जानते हैं?

 कक हभाये दे श भें नेत्रदान की अल्ऩता के कायण राखों रोग दृन्कटिहीन जीवन व्मातीत कय
यहे हैं।
 कक हभाये नेत्रदान कयने से दो दृन्कटिहीन व्मन्कटतमों के जीवन भें यौशनी ई सकती है ।

नेत्रदान कौन कय सकता है –

 नेत्रदान केवर भत्ृ मु ऩश्चात ही ककमा जा सकता है ।


 साभान्मतमा ऩाॊच वषक से साठ वषक ईमव
ु गक के हय व्मन्कटत की ईॉखेदान
के लरए उऩमट
ु त होती हैं .
 ये फीज, टििनेस, एड्स, हे ऩेिाटिस, सऩकदॊश, जहय, जरने मा डफ्फने से हुई
भत्ृ मु भें नेत्र, दान के उऩमट
ु त नहीॊ होते।

नेत्रदान कैसे कयें –

 नेत्रदान हे तु ककसी बी प्रकाय की ऩव


फ् क औऩचायककताओॊ की ईवश्मकता
नहीॊ होती। शासन द्वाया नेत्रदान घोषणा ऩत्र बयकय जभा कयने की
प्रकक्रमा भें छफ्ि दे दी गई है।
 इसके लरए ऩरयवाय के सदथमों की सहभतत ही ऩमाकप्त होती है ।
 नेत्रदाता की ईॉखों को भत्ृ मऩ
ु याॊत खुरा न यहने दें एवॊ फॊद ऩरकों ऩय
गीरी रुई मा फपक का िुकड़ा यख दें ।
 तत्ऩश्चात न्कजतनी जल्दी हो सके नेत्र धचककत्सक मा नेत्र फैंक को नेत्रदान
सॊफध
ॊ ी सच
फ् ना दें । अच्छा हो मटद एक व्मन्कटत याथता टदखाने धचककत्सकीम
िीभ के साथ ईए। इससे ऩता खोजने की वजह से होने वारी अनावश्मक
दे यी को दयफ् ककमा जा सकता है ।
 नेत्र दान की प्रकक्रमा भत्ृ मु के छह घॊिे के बीतय ही ऩयफ् ी हो जानी चाटहए, तथा चौफीश घॊिे
के अॊदय नेत्र कोष भें ऩहुॊच जाना चाटहए .
 नेत्र तनकारे जाने के फाद नकरी ईॉख रगा दी जाती है न्कजससे चेहये भें ककसी प्रकाय की
ववकृतत नहीॊ ईती, फन्कल्क मे नेत्र ककसी दृन्कटिहीन की ईॉखों भें योशनी बयकय भस
ु कुयाते हैं।

आईये नेत्र दान सॊकल्प स्वयम ऱें तथा औरों को भी नेत्रदान हे तु प्रेररत करें ।

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ववशेषऻ से ऩयीऺण कयाने ऩय इसकी जानकायी हो जाती है .

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कॊप्यट
ू र ववज़न ससॊड्रोम (CVS) से बेें

 रगाताय योजाना दो से तीन घॊिे कॊप्मि


फ् य ऩय कामक कयने से व्मन्कटत भें
कॊप्मि
फ् य ववजन लसन्ड्रोभ के रऺण दे खने को लभर सकते है । कुछ
सावधातनमाॉ फयतकय कॊप्मि
फ् य ववजन लसन्ड्रोभ से फचाव ककमा जा सकता है ।
 कॊप्मि
फ् य कऺ भें उधचत प्रकाश होना जरूयी है ज्मादा तेज योशनी बी नहीॊ
होनी चाटहए, एवॊ प्रकाश व्मन्कटत के ऩीछे से होना चाटहमे, साभने से नहीॊ।
 जफ बी कॊप्मि
फ् य के ऩास फैठें तो हय 20 लभनि के फाद 20 सेकेंड के लरए
थक्रीन से नजयें हिा रें औय 20 पुि दयफ् दे खें।
भॉतनिय को कुछ इस तयह सेि कयें कक ईॊखें भॉतनिय के िॉऩ रेवर ऩय हों।
 कॊप्मि
फ् य ड़डवाइस का कॊट्राथि मा ब्राइिनेस रेवर को सेि कयें मा एन्िीग्रेमय
कवय औय कॊप्मि
फ् य ग्रास कपि कयाएॊ।
 फेहतय रेंस का प्रमोग कयें मा एन्िी ग्रेमय थक्रीन का चश्भा ऩहनें .

आखों की दे खभाऱ के टटप्स

 रेि कय ना ऩढ़ें , औय ऩढ़ें न भें योशनी कभ रगाताय ईधे घॊिे से अधधक ना ऩढ़ें .
 ईॊखों को थवथथ यखने के लरए वविालभन ए , प्रोिीनमुटत बोजन रेना चाटहए।
 वविालभन ए के लरए हयी ऩत्तेदाय सन्कब्जमाॊ औय ऩीरे पर [,ईभ],ऩऩीता ,गाजय, कुम्बहड़ा
, भुनगा, खीया ,अॊडा, भछरी,दध
फ् , ।
 प्रोिीन के लरए सोमाफीन फहुत अच्छा है , तीन ककरो सोमाफीन के साथ सात ककरो गेहफ्ॊ लभरा
कय वऩसवा रें. इसकी योिी खाएॊ.
 अऩनी ईॉखों को धर
फ् औय धए
फ् ॉ से फचामें।अऩनी ईॊखों की सुयऺा के लरए घय से फाहय
तनकरने ऩय सादा चश्भा रगाएॊ |
 अऩने लरववॊग रूभ भें फहुत ज्मादा योशनी मा फहुत ज्मादा अॊधेया न यखें।
 एरसीडी भॉतनिसक का प्रमोग कयें । इनसे ईॉखों ऩय जोय कभ ऩड़ता है।
 अऩने कॊप्मि
फ् य थक्रीन को हाथ बय के पासरे ऩय यखें, अऩनी ईॉखों के थतय से नीचे।
 िीवी थक्रीन के ईकाय से तीन गुना दयफ् से दे खें , बुत ऩास से ना दे खें .
 कॊप्मि
फ् य ऩय िाइवऩॊग कयते सभम पोंि साइज को फढ़ा रें।
 सार भें एक फाय नेत्र ववशेषऻ से ईॉखों की जाॊच जरुय कयाएॊ ।
 सप्ताह भें एक टदन फायी –फायी से दोनों ईॉखों को थवमॊ चेक कयें दयफ् की नजय , ऩास की
नजय तथा भेकुरय पॊटशन ऩयीऺण हे तु ववजन काडक लभरते हैं.
 ईॉखों की फीभायी होने ऩय थवमॊ धचककत्सा न कयें ।
 ईॉखों भें काजर, सुयभे का इथतेभार न कयें ।
 ईॊखों भें कचया, धर
फ् का कण ईटद ऩड़ने ऩय ईॉख को भरना नहीॊ चाटहए।
 प्रततटदन चाय फाय अऩनी ईॊखों को थवच्छ ठण्डे ऩानी से धोएॊ।
 सफ
ु ह घास ऩय दस लभनि तक नॊगे ऩैय िहरें।
 अऩने भुॉह भें ऩानीबय रें औय कपय ठॊ डे ऩानी की फद
फ्ॊ ों से ईॉखों ऩय छीॊिे भायें । ऐसा सुफह
ऩाॊच फाय कयें .
आॊखों में समस्या होने पर ऱऺण

दरू की या पास की वास्तु स्पष्ट ना टदखाई दे ना | आॉख एवॊ ससर में भारीपन, आॉख ऱाऱ होना, आॉख से पानी
जाना, आॉख में जऱन होना, आॉख में खज
ु ऱी होना, आॉख में सख
ू ापन , रगों का साफ न टदखना ।
पढाई करने से आॊखों से पानी आने का अथथ है आपकी आॊखों की माॊसपेसियाॊ कमजोर हैं, ऐसे में आपको आॊखों की
एक्सरसाइज करनी ेाटहए।
 मटद ईॊखों भें फहुत ज्मादा तकरीप मा ददक है तो तुयॊत ईई थऩेशलरथि से लभरना चाटहए ।
 मटद ईऩकी ईॊखें कभजोय है तो ईऩको ककसी एक केंर बफॊद ु को पोकस कय कुछ दे य तक
उसे दे खना चाटहए.
 ऩेन की नोक ऩय पोकस कयते हुए उसे धीये -धीये ईगे ऩीछे कयना चाटहए . इस एकसयसाइज
को टदन भें तीन –चाय फाय कयें .
 ईखों को सबी टदशाओॊ भें धीये | धीये घुभाएॉ-इससे ईऩकी ईॊखों की भसल्स भजफत
फ् होंगी।
 ईॊखों से कभ टदखाई दे ने ऩय ईऩको ईई थऩेशलरथि की सराह ऩय नजय का चश्भा रगाना
चाटहए मा कपय ईऩ रेंस का इथतेभार बी कय सकते हैं।नॊफय थथाई होने ऩय रेजय ऑऩेयशन
हो सकता है |

याद रखें - हभ सबी फीभारयमों को तो नहीॊ योक सकते ककन्तु तयु ॊ त उऩचाय से जटिरता को अवश्म
फचा सकते हैं . तनमलभत नेत्र ऩयीऺण से फीभायी को प्रायॊ लबक अवथथा भें ऩहचान रेने से सभम ,ऩैसा
औय ऩये शानी फचती है तथा ठीक होने की बी ज्मादा सॊबावना होती है .

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