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NIT_NAVAL_SUSHIL_GAJENDRA_THAKUR-51-75
NIT_NAVAL_SUSHIL_GAJENDRA_THAKUR-51-75
मूल ददिे श कुमार थमश्र (दुइ पाटि के बीि में ... २००६): कोसी के
प्रवाह की भर्ावहता की एक झलक नफरोजशाह तुगलक की फौज
के सि् 1354 में बं गाल से ददहली लौटिे के समर् थमलती है ।
बतार्ा जाता है नक जब सुल्ताि की फौजें कोसी के नकिारे पहुँ िीं
तो दे खा नक िदी के र्दसरे नकिारे पर हाजी शम्सुिीि इत्रलर्ास की
फौजें मुकाबले के त्रलए तै र्ार खड़ी हौं । र्ह वही हाजी शम्सुिीि िे
जजन्द्हाें िे हाजीपुर तिा समस्तीपुर शहर बसार्े िे । नफरोज की
नित िवल सुशील || 47
अध्याय २
घिाड़ी (उपन्द्यास) (१९७३)
बखयक लागै , से ओ अपि उमे र बीस बखय बते लकै , से थमत्रलरी भती
लऽ ले लकै। पन्द्रह साल कोिो पते िै । ओकर भार् महादे व कोहुिा
लालबाबूक कृपापर अथछ, पे ट पोत्रस रहल अथछ। मार् आ
कोरपोछु आ बहीि बानढ़मे बनह गे लै। ओकर रोष स्वाभानवक। मुदा
पाठकजी केँ अपि गोटी खे लेबाक छन्न्द्ह , अत्रभराम झा किे
फररछार्ल गप कहै छथि। बुचिि, पाठक जीक बड़का बे टा।
बुचिि सरआें खे लाइत अथछ, सोझमथतर्ा अथछ, कोि बाँ सक दाहा
बितै से आब लालबाबू बुझथिन्द्ह, से बजै ए। पाठक जी जकाँ गोटी
से ट करर् िै अबै छै , से पाठकजीसँ मतान्द्तर से हो छै । पाठकजीक
पौिी कुमकुमक प्रवे श करबै छथि उपन्द्र्ासकार। कुमकुमक बड्ड
पै घ रोल आगाँ आबै बला छै , अखि तँ ओ कानि रहल अथछ, ओकर
टे रत्रलिक फ्ाकमे आनग धऽ ले लकै , पानक गे ल। पाठक जी नबदा
होइ छथि अस्पताल। पनहल खण्ड समाप्त।
अध्याय ३
गामबाली (उपन्द्यास) (१९८२)
गीतक प्रेमी रहर् ज्ञाििि। नवदे त्रशर्ा िाि आ िौटं की मे खूब मोि
लागै , एकरा सोलकन्द्हक नवधा मािल जाइ छलै मुदा कुलीि
धीर्ापूता आ िवतूर आगुए जा कर् बै सए। नवदे त्रशर्ा िािक
सभटा गीत र्ाद रहै ओकरा। नवद्यापथत, निगुयि ििारी ओ ओहुिा
टे रर दीअर्, बाभि सभकेँ खूब पत्रसन्द्ि पड़ै , बाभिक गाम रहै ।
मीरा आ कबीरक भजि ओनहिा र्ाद रहै ओकरा। मुदा जात्रलम
लसिंहक िाि आ गीत ले ल मोि अहुररर्ा काटै , धुर छीर्ा हे तै,
साहस िै होइ।
बै दनगरीसँ ओकरा र्श भे टलै मुदा बहुतो लोक कुरबुरा गे लै। आ
ओकरा मोि भे लै हरमुनिर्ा नकिबाक, आजी माँ गानड़ कऽ रखिे
रहथिि जजिगी भररक कमाइ, िािीक रुपै य्र्ा। हरमुनिर्ा, घड़ी
आ घोड़ा सोिपुर मे लासँ आनब गे लै। ई नकछु लोकक आँ न्खमे
गड़ऽ लगलै । मात्रलकक अपि भाथतज गे िा झा ज्ञािििक परम
थमि रहै , घोड़ा दौगे बामे पारं गत भऽ गे लै। गाममे कए गोटे केँ घड़ी
रहै , र्द तीि टा आर हरमुनिर्ा रहै , मुदा मौका मुिात्रसब ज्ञािििक
घड़ी आ हरमुनिर्ा काज आबै , कत्तौ कीतयि बा अिजाम होइ,
हरमुनिर्ा हाजजर। ककरो बचिा होनिहारी रहै , ओकर घड़ी
सोइरीमे हाजजर। ओकर बौस्तु दसगदाय रहै ।
एम्हर गामबालीक ददय बढ़ऽ लगलै । ज्ञाििि ओतऽ घोड़ा िनढ़ कऽ
िै जार्, किीले रगड़ा ले त, रामाधार अनगले सुआ रहै । मुदा गे िा
झा घोड़ापर सभतरर घूमै। मुदा गामबाली ओकर घड़ीक बड़ाइ
केिे रहथिि, घोड़ा दे खे बाक अिुरोध गामबाली केलन्खि। से ओ
64 ||गजे न्द्र ठाकु र
काल।
जमीन्द्दारी उखरलाक पिरहो बरख बीथत गे ल रहै , मुदा गाममे
सरओ खे लेबाक रे वाज रहबे करै । गामक खलीफा रहथि दफेदार
जादब। ज्ञाििि खलीफाक भाथतज, मात्रलक (सोिमनि झा) क
समाङ सभ खलीफाक िे ला। ज्ञाििि अपि सं गतुरर्ामे र्द-तीिटा
केँ छोनड़ सभसँ पें िै ल आ फुतीगर। ज्ञािििसँ िौपाल जमै । ओ
मधुबिी-दरभं गा दवाइ कीिै ले जार्, अखबार पढ़र्। भारत-िीिमे
र्ुद्ध भे ल रहै । सभकेँ सुिाबर्।
कोलाकोली धाि कटार् लागल रहै , अं गिामे धािक झट्टा पसारल
रहै ।
मात्रलकक एकटा भाथतज रामाधारकेँ ज्ञािििक घोड़ा, घड़ी आ
हरमुनिर्ाँ सभसँ बे शी अधला लागै । सोलकन्द्ह घड़ी बान्द्हत नक
घास छीलत? बात बढ़लै , ज्ञाििि पटनक कऽ पाँ ि-छअ घुस्सा
जमा दे लकै। गे िा झा ज्ञािििकेँ सम्हारलक, खलीफा रामाधारकेँ
सम्हारलक। खलीफा ज्ञािििकेँ अपि र्दरा पर िै आबै ले कहलकै-
ताेँ डोम, हम िमार।
रामाधारक बमकार, खलीफा नपपरक पात भे ल छल, मात्रलकक
पै रुख बुझल रहै । खलीफा कपली गार् भऽ रामाधारकेँ लऽ कऽ
पहुँ िल। बात पसाही जकाँ पसरर गे लै। सोिमनि झा भाथतजकेँ
डाँ नट दे लनि मुदा बात नबसरऽ बला िै छलै । ब्राह्मिपर हाि
छोड़लक, गाम-गमाइत भार-िङे रा जाइ आनक भार-दौर आबै ,
भररर्ा अबस्से ऐ गपक खोदबीि करै ।
नित िवल सुशील || 67