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46 ||गजे न्द्र ठाकु र

िोर पं कज झा पराशर (सानहत्र् अकादे मीक मै थिली परामशयदािी


सथमथतक सदस्र्) [जलप्रां तर २०१७ (पृ. ३१)]:

मूल ददिे श कुमार थमश्र (दुइ पाटि के बीि में ... २००६): कोसी के
प्रवाह की भर्ावहता की एक झलक नफरोजशाह तुगलक की फौज
के सि् 1354 में बं गाल से ददहली लौटिे के समर् थमलती है ।
बतार्ा जाता है नक जब सुल्ताि की फौजें कोसी के नकिारे पहुँ िीं
तो दे खा नक िदी के र्दसरे नकिारे पर हाजी शम्सुिीि इत्रलर्ास की
फौजें मुकाबले के त्रलए तै र्ार खड़ी हौं । र्ह वही हाजी शम्सुिीि िे
जजन्द्हाें िे हाजीपुर तिा समस्तीपुर शहर बसार्े िे । नफरोज की
नित िवल सुशील || 47

फौजें शार्द कुरसे ला के आस-पास नकसी जगह पर कोसी के


नकिारे सोि में पड़ गइं । िदी की रफ्तार उन्द्हें आगे बढ़िे से रोक
रही िी। आन्खरकार फैसला हुआ नक िदी के साि-साि उत्तर की
ओर बढ़ा जार् और जहाँ िदी पार करिे लार्क हो जार् वहाँ पािी
की िाह ली जार्े । सुल्ताि की फौजें प्रार्ः सौ कोस ऊपर गइं और
जजर्ारि के पास, जो नक उसी स्िािपर अवल्स्ित िा जहाँ िदी
पहाड़ाें से मै दािाें में उतरती िी, िदी को पार नकर्ा। िदी की धारा
तो र्हाँ पतली जरूर िी पर प्रवाह इतिा ते ज िा नक पाँ ि-पाँ ि सौ
मि के भारी पत्िर िदी में थतिकाें की तरह बह रहे िे । जहाँ िदी
को पार करिा मुमनकि लगा उसके दोिाें ओर सुल्ताि िे हाथिर्ाें
की कतार खड़ी कर दी और िीिे वाली कतार में रस्से लटकार्े
गर्े जजससे नक र्दद कोई आदमी बहता हुआ हो तो इस रस्साें की
मदद से उसे बिार्ा जा सके। शम्सुिीि िे कभी सोिा भी ि िा
नक सुल्ताि की फौजें कोसी को पार कर लें गी और जब उसको
इस बात का पता लगा नक सुलताि की फौजाें िे कोसी को पार
करिे में कामर्ाबी पा ली है तो वह भाग निकला।

िोर पं कज झा पराशर (सानहत्र् अकादे मीक मै थिली परामशयदािी


सथमथतक सदस्र्) [जलप्रां तर २०१७ (पृ. १०५)]:
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(ई माि नकछु उदाहरि अथछ, िोर पं कज झा पराशर (सानहत्र्


अकादे मीक मै थिली परामशयदािी सथमथतक सदस्र्) क
“जलप्रां तर २०१७” पाइरे टे ड पोिी अथछ आ सम्पूिय पोिी ददिे श
कुमार थमश्रजीक पोिीसँ निलयज्जतासँ पै राक पै रा उठा कऽ अही
तरहेँ भरल गे ल अथछ।)
नित िवल सुशील || 49

अध्याय २
घिाड़ी (उपन्द्यास) (१९७३)

ई उपन्द्र्ास अन्खल भारतीर् थमथिला सं घ (बाबू साहे ब िौधरी)


द्वारा छापल गे ल छल। बाबू साहे ब िौधरीक समस्र्ा िामसँ आमुख
से हो छन्न्द्ह। आ सुशील ई उपन्द्र्ास अपि मार्केँ समर्पिंत करै
छथि। छोट-छीि ले खकीर् वततव्यमे ओ अहाँ केँ मरुभूथमक र्ािा
ले ल िलै ले कहै छथि, मुदा मरुद्याि से हो छै , खजूर पानि जतऽ
भे टै छै ।

पाठक जीक दलािपर उपन्द्र्ास प्रारम्भ होइत अथछ, र्दटा सन्द्र्दक


एकटा िौकी, र्दटा लगहरर महींस, एकटा गार्, आ एक जोड़ा
बड़द। बाँ झी घूरमे झझिंगड़
ु ा दै त अथछ, सुखार्ल जाड़निसँ बे शी ई
सजीव बाँ झी जड़ै छै , प्रकृथतक लीला!

आ उपन्द्र्ासकार सभटा सरं जाम केलाक बाद रतिक प्रवे श


उपन्द्र्ासमे करबै छथि। थमत्रलरीमै ि रति।

एतऽ भाषार्ी त्रशक्षा से हो भे टत। अिावश्र्क 'क' आ 'त' केर


प्रर्ोग सुशील १९७३ मे से हो िै करै छला, पी.डी.एफ.मे जतऽ
शुरूमे ई आर्ल छै तकरा ओ पे िसँ कानट दे िे छथि, बादक फमाय
ठीक छै । ऐ उपन्द्र्ासमे मलाहक लड़की आ ब्राह्मिक बे टाक प्रेम
50 ||गजे न्द्र ठाकु र

सम्बन्द्ध से हो भे टत। तँ की ई त्रसद्ध होइए जे , जे भाषार्ी रूपसँ


फररच्छ अथछ ओ आगाँ क से हो सोिै ए , ओकर नवषर्-वस्तु से हो
आगाँ ददसुका सोि ले िे होइ छै । मूलधारामे ई दुिू निपत्ता भे टत।
से दुलहा गामक उदर्िन्द्र झा 'नविोद' जे नक मे नडर्ोकर छथि आ
प्रथतनक्रर्ावादी नविारधाराक छथि (नवदे हक शरददन्द्द् िौधरी
नवशे षां क आ प्रेमलता थमश्र 'प्रेम' नवशे षां क दुिूमे हुिकर छल-
छद्म शरददन्द्दु आ प्रेमलता जी अत्रभले न्खत केिे छथि), से
मूलधारामे स्वीकृत भे लथि मुदा ओही दुलहा गामक सुशील जे
भाषा, नविार, रििाक नवषर् आ रििाक स्तर सभमे हुिकासँ
बहुत आगाँ छथि, हुिके जाथतक छथि से कथतआ दे ल गे ला,
मूलधारामे ओ अस्वीकृत केिा िै होइतथि? छद्म समीक्षक सभकेँ
तँ हुिकर िामो िै सुिल छन्न्द्ह बा ओ सभ ऐ तरहक स्वां ग करै
छथि।

रतिक घराड़ी जोथत ले ल गे ल छै , लालबाबू जोथत ले िे छथिन्द्ह।


ओकर छोटका भार् अपिे नहस्सा िे त्रलखत, रतिक नहस्सा कोिा
लालबाबू त्रलखबा ले लन्न्द्ह? लालबाबू बदले ि करै ले तै र्ार छथि
(आगाँ जा कऽ कारि रति केस कऽ दे िे छै ) मुदा रतिकेँ वएह
घराड़ी िाही, दोसर ठाम उपनट कऽ नकए जार्त? मुदा ई सूििा
औपन्द्र्ात्रसक नवस्तारमे आगाँ जा कऽ खुजैए। ईहो जे रति,
नपताक मृत्र्ुक बाद, थमत्रलरीमे ित्रल गे ल आ गामसँ निपत्ता भऽ
गे ल जखि आ से हो जखि ओ पन्द्रह बखयक रहर्। दे ह दशा बीस
नित िवल सुशील || 51

बखयक लागै , से ओ अपि उमे र बीस बखय बते लकै , से थमत्रलरी भती
लऽ ले लकै। पन्द्रह साल कोिो पते िै । ओकर भार् महादे व कोहुिा
लालबाबूक कृपापर अथछ, पे ट पोत्रस रहल अथछ। मार् आ
कोरपोछु आ बहीि बानढ़मे बनह गे लै। ओकर रोष स्वाभानवक। मुदा
पाठकजी केँ अपि गोटी खे लेबाक छन्न्द्ह , अत्रभराम झा किे
फररछार्ल गप कहै छथि। बुचिि, पाठक जीक बड़का बे टा।
बुचिि सरआें खे लाइत अथछ, सोझमथतर्ा अथछ, कोि बाँ सक दाहा
बितै से आब लालबाबू बुझथिन्द्ह, से बजै ए। पाठक जी जकाँ गोटी
से ट करर् िै अबै छै , से पाठकजीसँ मतान्द्तर से हो छै । पाठकजीक
पौिी कुमकुमक प्रवे श करबै छथि उपन्द्र्ासकार। कुमकुमक बड्ड
पै घ रोल आगाँ आबै बला छै , अखि तँ ओ कानि रहल अथछ, ओकर
टे रत्रलिक फ्ाकमे आनग धऽ ले लकै , पानक गे ल। पाठक जी नबदा
होइ छथि अस्पताल। पनहल खण्ड समाप्त।

बागमती कातक अस्पताल, लालबाबू (लत्रलते श्वर िौधरी)क


प्रतापे , पाँ ि बीघा सोिक टु कड़ी हुिके दे ल। पाठको जीक
र्ोगदाि, पाइसँ िै दे हसँ । बुचिुि आ ओकर र्ुवा से िा धुनि कऽ
श्रमदाि दे लक । आ ऐ परोपकारक कारि? हुिकर बे टा ओइ
काल दरभं गामे डातटरी पनढ़ रहल छला, आ ओ आब अही
अस्पतालमे छथि। र्दरक सोि! आ कुमकुम केँ पाठकजी लऽ जाइ
छथि, अही अस्पताल जतऽ मलाह जाथतक करुिा िसय छै , आ
लालबाबूक बे टा ब्राह्मि जाथतक डॉ. नबिार्क ओतऽ डातटर छै ।
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आ लाल बाबू से हो अस्पताल पहुँ थि जाइ छथि। हुिका ऐ सभ


गपमे मोि िै लगै छन्न्द्ह, हुिकर मोि टाङल छनि ओइ गपपर, रति
जे भोरमे गे ल रहन्न्द्ह पाठकजीक ओइठाम। दोसर खण्ड समाप्त।

ते सर खण्डक प्रारम्भ, ििु पोखनड़पर गप्प सड़तका ित्रल रहल छै ।


पं िैती छै , रति आ लालबाबूक बीि सुलह हे तै आनक िै ? पाठक
जीक छोटका बे टा मलर्, वएह जे कुमकुमले टे रेलीिक फ्ाक
अििे रहै , आ लालबाबूक छोटका बे टा अजीत, दुिू बड़ा ददिक
ताथतलमे मुजफ्फरपुर कओले जसँ गाम आर्ल छै , ओहो दुिू
ओत्तऽ छै । नवनवध भारतीसँ बहीदा रहमाि जर्माला प्रोग्राम प्रस्तुत
कऽ रहल छथि। पी.डी.एफ.मे सुशील जी पे िसँ कानट कऽ अमीि
सर्ािी केिे छथि, मुदा अमीि सर्ािी नबिाका-त्रसबाका प्रोग्राम
करै छला सीलोि रे नडर्ोसँ , सै निक भाइ ले ल जर्माला नवत्रभन्द्ि
कलाकार नवनवध भारतीपर होइए, अमीिो सर्ािी तकरा कऽ सकै
छथि आ बहीदा रहमाि से हो, से हम थप्रण्टबला वसयि लऽ कऽ
ित्रल रहल छी। पं िैती धौत परीक्षा नवजे ता सुन्द्दर झा केर िामसँ
स्िानपत पुस्तकालर्पर छै , ििु पोखनड़पर। लालबाबू बदले ि
करै ले तै र्ार छथि बरू र्द कट्ठा बे सी दे ता मुदा रतिकेँ वएह घराड़ी
िाही, ओ तमसा जाइए। आ खण्ड समाप्त।

िाररम खण्ड प्रारम्भ, रतिक छोटका भाइ महादे बक हत्र्ा!


रतिपर आरोप छै । ओ भानग जाइए। मुदा बुचिि ओकरा पक्षमे
नित िवल सुशील || 53

िािामे बाजै ए जे जखि ओ ४-५ ददिसँ गाममे रहबे िै करर् तँ ओ


हत्र्ा केिा करत? ओकरा सं गे ४-५ टा छौड़ो छै , फेर १०-१५ टा।
पाठकजी अवाक छथि। लाल बाबू सन्द्ि छथि। आ बतहि बाबू
सभक मुखाकृथत दे न्ख रहल छथि। बतहि बाबू रतिक पक्ष
बुचििसँ सुििे रहथि, आ बतहि बाबूक कहला नहसाबे बुचिि
बर्ाि दै त अथछ। पें िपर पें ि। खण्ड समाप्त।

पाँ िम खण्ड। ब्राह्मि डॉ. नबिार्क आ मलाह िसय करुिा। करुिा


कहै ए, ई नववाह असम्भव अथछ, ओ िीि जाथतक अथछ, मलाहक
बे टी अथछ आ नबिार्क पै घ लोक। नबिार्क िै मािै ए। आ...

पाँ िम खण्ड। ब्राह्मि डॉ. नबिार्क आ मलाह िसय करुिा। करुिा


कहै ए, ई नववाह असम्भव अथछ, ओ िीि जाथतक अथछ, मलाहक
बे टी अथछ आ नबिार्क पै घ लोक। नबिार्क िै मािै ए। आ कहै ए
जे ओ की करत जे करुिाक हृदर्सँ डर भागतै । मुदा करुिा
ओकरा िोपड़ा कऽ नबदा भऽ जाइए। मुदा सूतलमे उपन्द्र्ासकार
ओकरा तं ग करै छथिन्द्ह सपिा सुिा कऽ, से प्रेम तँ ओकरो छै हे ।
आ एम्हर नबिार्क तामसे नवखसँ सनवख अथछ। ओ करुिाकेँ
कार्र बुझैए। मुदा उपन्द्र्ासकार एकटा लाठी ले िे बूढ़ाक प्रवे श
ओकर स्वप्िमे करबै छथिन्द्ह- जे नबिार्ककेँ कहै छथि जे जकरा
नबिार्क सबला बुजझ रहल छथि ओ समाजक गन्द्हार्ल
पररपाटीक िलते अबला अथछ, आ अपि िक्र सुदशयि आ त्रिशूल
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हुिका दे मर् कहै छनि। साहसे टा िै , काजो कऽ कर् दे खबर् कहै


छन्न्द्ह, खाली झु ट्ठेक प्रथतज्ञासँ की हएत? स्िीगि समाजकेँ
नवश्वास िै छै । मुदा नबिार्क कहै ए जे ओकर प्रथतज्ञा सत्र् छै । ओ
ई गप थिकरर कऽ कहै ए जे ओ ई कइर्े कऽ रहत। आ ओकर भक
खुजज जाइ छै । मलर् आ अजीत नबिार्क केँ घुरा लऽ जाइ छै ।

छअम खण्ड- महादे वक हत्र्ाक बाद ओकर श्राद्धक भोज लालबाबू


िीक जकाँ केलन्न्द्ह। मुदा बतहि बाबू आ पाठक जी ऐ गुलंञ्जरक
कारिसँ अपररथित िै छथि। महादे वक हत्र्ाक पाछाँ कोि
व्यक्ततक हाि छै , से बुझबामे हुिका सभकेँ कोिो भाङठ िै छन्न्द्ह।
मुदा खुत्रल कऽ नवरोध करबाक साधां श िै छन्न्द्ह। आ ओम्हर
लालबाबू से हो नहिका दुिूकेँ थमला कऽ राखऽ िाहै छथि आ बतहि
बाबूसँ से हो सौजनिर्ाँ जोनड़ लै छथि। उकबा उठल छै जे
सं तराजक बे टा रति राथत कऽ बुचििसँ भेँ ट करऽ अबै छै ।
परगासक बाप सरर्ू मण्डलक र्द साल पनहिे मृत्र्ु भऽ गे लै , श्राद्ध
सभक सभटा खिाय लाले बाबू दे िे रथिन्द्ह। से परगासक खािदाि
िूिक सै ररर्त दइ छै । परगास मै नरक पास कएिे छल, लाल बाबू
फीस माफ करबा दे िे रहथिन्द्ह। ओ बै कवडय तलासक अिुदाि ले ल
पै रबी केिे रहर् मुदा लाल बाबू उहटा-पुहटा बुझा कऽ ओकरा
अपिा लग रान्ख ले लन्खन्द्ह , तीि बीघा खे त दे लन्खन्द्ह मुदा तकर
कोिो त्रलखा-पढ़ी िै भे ल छै । आ अन्द्तमे नकछु हास्र् बतहि बाबूक
समथधक स्वागतमे - िाह हुिका नगलासमे दे ल गे लन्न्द्ह , बे सी
नित िवल सुशील || 55

दुआरे , मुदा हुिका भे लन्न्द्ह शरबत थछऐ, छटपटार् लगला ज्‍वह


कएल मुगाय जकाँ ।छअम खण्ड समाप्त।

ओम्हर रति अपि थमि शं कर भगवािक भतत अवधे शक तानकमे


अथछ। अवधे श कनपले श्वर स्िाि िोरा कऽ भानग जाइ छल, आ
थमनडल पास केलाक बाद भगवाि शं करसँ सभ ददि भेँ ट होर् तँ र्
कनपले श्वर हाइ स्कूलमे िाआें त्रलखे िे छल। रति निमतहला घाटमे
भूतिाि मन्न्द्दरमे शं कर भगवािक शरिमे जाइत अथछ। आ
अवधे श भे ट जाइ छै , भूपेि बोश एवे न्द्र्ूमे ओ पत्िी सुिीता सं गे
रहै ए। कंगाली वे शमे रति! पै घ अफसर अवधे श कङ्गालीकेँ
पकड़िे सीढ़ीपर ठाढ़ अथछ। सातम खण्ड समाप्त।

मोती कुकुड़ सं गे खनढ़आक त्रशकार रति आ अवधे श थमत्रल कऽ


करर्। रतिपर वारं ट छै । ओकरा जमाित िाही। मुदा एकटा थिट्ठी
अबै छै , अवधे शक भार्क। डॉ. नबिार्कक नबर्ाह ओ सभ अपि
बहीि प्रेमासँ करबाबर् िाहै छला, लाल बाबूकेँ से हो पत्रसन्द्ि
छन्न्द्ह। मुदा आब अवधे शकेँ सोिर् पड़तै । नबिार्क तँ नबिार्के
अथछ, मुदा लालबाबू? रति कहै ए जे नबर्ाह तँ लड़कासँ िे हे तै।
मुदा पररवारो दे खऽ पड़ै छै । थिट्ठीमे त्रलखल छै जे लालबाबू जहदीसँ
काज भऽ जार् से िाहै छथि। से शं का उत्पन्द्ि करै ए। पनहिे तँ ओ
रुप्पै र्ाक लोभमे कनहर्ो खुत्रल कऽ गप्प िै केलनि। आठम खण्ड
समाप्त।
56 ||गजे न्द्र ठाकु र

कुमकुमक सं ग करुिा पाठक जीक आं गि जाइत अबै त रहै ए ,


हे म-छे म बनढ़ गे ल छै । लालबाबू करुिासँ बदली भऽ दोसर ठाम
जे बा ले ल कहै छथि, ओ दखायस्तपर हस्ताक्षर कऽ दइए। लालबाबू
जाइ छथि। करुिा किै ए , ओकरा दे न्ख कुमकुम से हो कािै ए।
पाठक जी अबै छथि। कुमकुमसँ किबाक कारि पुछै छथि आ ओ
भे द खोलै ए, लालबाबू करुिापर तमसार्ल छलन्खन्द्ह, कोिो
कागिपर हस्ताक्षर ले लन्खन्द्ह। खण्ड िौ समाप्त।

करुिा आ नबिार्कक गपशप। करुिाक िजरर लालबाबूक फोटो


ददस जाइए। नबिार्क दृढ़ अथछ। दसम खण्ड समाप्त।

पाठकजी आ बतहि बाबूक गपशप। पाठकजीकेँ कोिो गप बुझल


छन्न्द्ह। लालबाबू करुिाकेँ िोकरी ददएबासँ पनहिे मलहासँ कोिो
शतय मं जूरीक गप करै छला। पुछलापर िदठ गे ला, नडगरसारर
पोखररमे जीरा दे मर् िाहै ए से कनह दे लनि। मुदा कोिो पोखरर जीरा
ले ल िै दे िे छलन्खि मलहाकेँ लालबाबू। तखि कोि एहे ि गप छै
जे मलहा आ लालबाबूए टा केँ बूझल छन्न्द्ह। करुिाक पढ़ाइ
मुजफ्फरपुरमे 'कैिोत्रलक ििय स्कूल' आ 'िै पमे ि गहसय स्कूल'सँ
भे लै। पाठकजीकेँ कुमकुम पुछिे छलन्न्द्ह जे करुिा दीदी ककर
बे टी छथिि, दीदी बाबूकेँ ओ कहै छलन्खि जे ओ तोहल बे टी थछर्ौ
आ रुपै य्र्ा से हो दे लन्खि। करुिा किीपर हस्ताक्षर केलक?
नित िवल सुशील || 57

कुमकुमसँ पाठक जी नबिार्ककेँ कहबा दे थिन्द्ह। नबिार्क


करुिासँ पूछत आ ओ मिा िै कऽ सकत। आ फेर नबिार्क आ
करुिाक गपशप, नबिार्क समाठक िोट करुिापर िै बजरऽ
दे ता। एगारहम खण्ड समाप्त।

अवधे शक पै रवीपर रति कलकत्तामे से तर्ुररटी एडवाइजर अथछ।


माथमलाक तारीखपर मुजफ्फरपुर जाइए मुदा गाम िै जाइए।
अवधे श सं गे शे फालीसँ भेँ ट होइ छै । गपक क्रममे शे फाली कहै
छथि जे अवधे श कते क मै थिल सभकेँ िोकरी ददर्े लथिि मुदा वएह
सभ नहिकर निन्द्दा करै त रहै छन्न्द्ह। शे फाली कहै छथिि जे
शे फालीक मामा वकील छथिन्द्ह, ओ कहै छथिन्द्ह जे रतिक जीत
हे तै मुदा असली हत्र्ाराक पता से हो लगबऽ पड़त। रतिकेँ नवश्वास
छै जे असली हत्र्ारा लालबाबूक जजरथतर्ा परगा छै । अवधे श
एकटा आर थिट्ठीक गप रतिकेँ कहै छै , नबिार्ककेँ करुिा सं ग
लभ भऽ गे ल छै , ओ ओकरासँ नबर्ाह करऽ िाहै ए। शे फालीक
नपता रतिक से तर्ुररटी ऑनफसर, शे फालीक मामा कमल सरकार
छथि वकील। शे फालीक नपता रार् जी मै थिल आ माता बं गाली।
शे फाली मै थिलीमे कइएकटा पोिी से हो त्रलखिे छथि। शे फाली आ
रतिक घटकैती! खण्ड बारह समाप्त।

लालबाबू करुिाक बदलीक थिट्ठी पठबा दइ छथि, मुदा नबिार्क


करुिाकेँ छु ट्टीपर पठबा दइ छथिन्द्ह आ पोस्टमै ि िॉट अवले बल
58 ||गजे न्द्र ठाकु र

त्रलन्ख कऽ थिट्ठी घुरा दइए। पोस्टमे ि िवर्ुवक अथछ आ नबिार्क


ओकरा िोकरी लगे बामे बहुत प्रर्ास केिे रहथि। लालबाबू
परगासक माध्र्मसँ करुिाकेँ निपत्ता करबा दे ता मुदा हुिकर
पत्िीकेँ सुिल र्दटा शब्द 'दे न्खहें बिाकऽ' उद्वेत्रलत कऽ दइ छन्न्द्ह।
गमी ताथतलमे मलर् आ अजीत गामे पर अथछ। परगास िारर गोटे सँ
गे ल मुदा करुिा दाँ त कानट कऽ अपिाकेँ छोड़ा ले लक। आ ओकर
थिथिऐब सुनि मलर्, अजीत आ ड्रेसर सीरीिरि आनब गे लै।
करुिा ओइ िारूमे सँ परगासकेँ िीन्न्द्ह गे लै। खण्ड ते रह समाप्त।

करुिाक बदलीक थिट्ठी एकबे र िे घुरलै , आब फेर लालबाबू कोिो


ब्र्ाेँ त लगा रहल छथि, दे खै छथि ओइ छु तहररर्ाकेँ आब के रखतै ।
रति बरी भऽ जे त्तै , से वकील कहलकन्न्द्ह। करुिा आ परगासक
नबर्ाह करा दे ता आ माथमले खतम। घर घुरै छथि। पत्िी
नबिार्कक नबर्ाहमे दे री हुिका द्वारा मां गल जार्बला पूरेसूर तीस
हजार रुपै य्र्ा आ ऊपरसँ मोटरकेँ मािै छथि। खण्ड िौदह समाप्त।

थमस्टर रार् सभक बदौलत रतिकेँ िोकरीर्ो भे टलै आ जमाितो।


लालबाबूक पत्िीकेँ भिक लानग गे लन्न्द्ह जे करुिा रतिक बहीि
थछऐ मुनिर्ाँ , ओकरा पहुँ िीपर थिन्द्ह छै जइपर ओ घड़ी बान्द्हैत
अथछ, परगासक मार्सँ नकछु बजा गे ल रहै । लालबाबू पछताइ
छथि जे नकए पाइ ले ल अनड़ गे ला, भिे अवधे शक बहीिक सं ग
नबिार्कक नबर्ाह करा दै तथि। बाताबाती होइए, पत्िी नबिार्क
नित िवल सुशील || 59

आ करुिाक नबर्ाह भऽ कऽ रहत से कहै छथि, लालबाबू धकेल


दइ छथिन्द्ह, नबिार्क बीिमे आनब जाइए, लाल बाबू तीतल
नबलानड़ सि पाछू हनट जाइ छथि। खण्ड पन्द्रह समाप्त।

नबिार्क सं गे मार् स्टाफ तवाटयर ित्रल गे ली। बतहि बाबू, पाठक


जी आ मिसूर िदाफ लालबाबूकेँ मिबै ले ल गे ला। परगास
बुचििक कनहर्ो िे ले छल, मुदा आब कहाँ जाइए। करुिाक
बदलीक थिट्ठी फेर अबै छै , स्पे शल मे सेंजर द्वारा। करुिा थिट्ठी
ररसीव कऽ ले लक। नबिार्क तमसा जाइए, ओकरा िीि, बदमाश
कहै ए, कहै ए जे जाथत धमय कतऽ जे तै! कहै ए जे स्िी िीि होइते
अथछ। कहै ए िीि! कुलटा! मुदा 'प्रािे श' शब्द सुनिते नबिार्क
नपघत्रल जाइए। करुिा एकटा मोड़ल कागि नबिार्कक हािमे
दै त अथछ। नबिार्क ओ पनढ़ लञ्ज्जत भऽ जाइए, क्षमा मां गैए।
करुिा ररजाइि कऽ दे लक ई गप साौं से पसरर जाइए। लालबाबू
खे िाइ-नपिाइ शुरू कऽ दे लन्न्द्ह, जँ नबिार्क घर आओत तँ ओ घर
छोनड़ दे ता, एते धरर लालबाबू आं ट कऽ दे लनि। परगासकेँ
लालबाबू अन्न्द्तम िाटक खे ले बा ले ल कहै छथिन्द्ह। खण्ड सोलह
समाप्त।

अन्न्द्तम खण्ड अथछ खण्ड सिह। दुगाय भसािक ददि। दुगायपूजामे


तीिटा िाटक मं िस्ि कएल जाइए, र्दटा मै थिली आ एकटा नहन्द्दी।
आइ मै थिली िाटक छै - 'कुहे स', नबिार्क रामकुमारक पाटय
60 ||गजे न्द्र ठाकु र

अस्वीकार केलक, ओ डातटरक पाटय खे लत। अजजत रामकुमारक


आ मलर् उचि त्रशजक्षत र्ुवक शं करक पाटय खे लत। बुचिि वरक
बाप सुवंश बिै त अथछ। पाटय खे लेलासँ लोक ओहिे िै भऽ जाइए,
बुचिि सभकेँ रबानड़ दै त अथछ। माथमलाक तारीखक बाद रति
से हो अवधे श आ बुचििक आग्रहपर दुगायपूजा दे खै ले ल गाम आर्ल
अथछ। गाममे गुलंञ्जर छै जे करुिा मलाहक बे टी िै थछऐ, रति
करुिासँ र्द-तीि बे र गप केलक, ओ अन्द्दाज करै ए जे हो ि हो
करुिा ओकरे बहीि मुनिर्ेँ िे हुअर्। स्िीगिक गप ओकरा मोि
पड़ै छै जे रतिे सि एिमे ि छै ई छौड़ी। रति बुचिि ओइठाम रहै ए।
िारर बजै बला छै , िाटक समाप्त होइबला छै , भसािक कारि दे री
भे लै। करुिा अपि नपताकेँ सभ साल बजा लै त अथछ, ओ अपिो
मोिे आनब जाइ छथि, अहू बे र आर्ल छथिन्द्ह। परगास रतिक
पछोर धे िे अथछ। िवगछु लीक अन्द्तमे धूर छै , गाछक पाछाँ ओ
धपार्ल अथछ। मुदा छह धोखामे लालबाबूपर पड़ल, रति पाछु ए
छल। फरीछ भऽ गे लै , लालबाबू अस्पताल एला। आ फेर
रहस्र्ोद्घाटि आ पिाताप। आ नबजर्ादशमीक िाटक समाप्त।
नित िवल सुशील || 61

अध्याय ३
गामबाली (उपन्द्यास) (१९८२)

सभक आँ न्खक काँ ट गामबाली आइ ओ बबूर से हो कनट गे ल!


ओकरा िाहऽ बला, िै िाहऽ बला आ कात रहनिहार, तीिू तरहक
लोक खुश अथछ। ओकर अन्न्द्तम सं स्कार के करतै ? जादव समाज
आनक ब्राह्मि समाज। जादव समाज आ ब्राह्मि समाजक लोक
पहुँ िै छथि मात्रलक मािे सोिमनि झा लग, ओ छथि पाउ-पाउ
करै त, मसलिमे ओङठल।
गामबालीक सं स्कार जादव समाज थमत्रल कऽ करतै ।
गोअर टोलीक लोक ओकरा गामबाली कहब शुरू केलकै आ फेर
बभिटोली, कैिटोली, जोलहा टोलीक लोक से हो ओकरा
गामबाली कहऽ लगलै ।
गामबालीक वर बूढ़, ओ ते सर बहु छली, पनहलसँ बचिा िै भे लै तँ
दोसर नबर्ाह आ फेर दोसरोमे बचिा आ पनहलोमे । आ फेर ते सर
नबर्ाह सौख ले ल। बाबू पै रुखक गप छै , के कत्ते बहु डे नब सकैए।
ज्ञाििि र्ादव मािे ज्ञिििमाकेँ लोक मरखाह बिा दे लकै , अपिे
बलजोरी ओकरा घरो कऽ दऽ जाइ गे लै आ तहि लाहे ब मिा दइ
गे लै गाममे ।

गामबाली जीनवत रहत्रल , ओकर जजजीनवषा आर प्रबल भऽ गे लै


बादमे । बड़े शािसँ आवाजाही करै त रहत्रल , कोिो अरिि िै एलै ।
62 ||गजे न्द्र ठाकु र

आथमल नपिहार समाङ ले ल धिसि, कुलटा बुजझनिहार ले ल कत्तौ


नकछु िै । जे ओकरा सं गे भौजीक सम्बन्द्धे हँ सी ठट्ठा करै तकर ओ
जवाब दै हँ त्रस कऽ। गुअरटोलीसँ ओकरा गामबाली कहबाक प्रिार
भे लै आ साौं से गाम पसरर गे लै।
मुदा गामबालीक कोिो सम्बन्द्ध अपि ऐ गामक अपि पुराि
सासुरक पररवारसँ िै रहलै । मुदा खाि-पाि, ले ब दे ब साौं से बाभि-
गच्छसँ छू टल रहलै ।
आइ ओकर मृत्र्ुक बाद ओकर प्रशं सक कम िै छै , शािसँ आर्त्रल
आ शािसँ ित्रल गे त्रल।
धिक एें ठल बूढ़ सं गे गामबालीक नबर्ाह भे ल रहै , पथतक ते सर
पत्िी। सखा-पात ले ल बूढ़ दोसर नबर्ाह केलनि फेर दोसरो आ
पनहलोसँ बचिा भे लनि। ते सर पत्िी सख ले ल , लौल ले ल केलन्न्द्ह।
थछिरबा मिसा सभ ओकरा र्दरर करऽ िाहलकै आ ज्ञािििमाकेँ
मरखाह बिा दे लकै।
आ उपन्द्र्ासकार शुरू करै छथि ज्ञाििि र्ादवक न्खस्सा।
ओ पै घकेँ बाबा, काका, भाइ आ छोटकेँ बौआ, बचिा आ िूिू
कहर्। कोिो आं गि िै रहै जतऽ ओकर प्रवे श िै रहै । दाइ, काकी,
बनहि, बथिर्ा कहै त-कहै त ओकर मुँह टू टै। मुदा कनिर्ाँ -पुतराक
अं गिामे हठ दऽ जाइत साइते नकर्ो दे खिे हे तै। बूनढ़-पुरैनिर्ाँ क
हठ केलोपर भावहुक अं गिा ओ धखाइते जाइ छल। बाबी, मार्
आ नपउस श्रे िीक स्िी कनहतथिि- एहे ि लजकोटर भऽ कऽ
बै दनगरी केिा करै छह।
नित िवल सुशील || 63

गीतक प्रेमी रहर् ज्ञाििि। नवदे त्रशर्ा िाि आ िौटं की मे खूब मोि
लागै , एकरा सोलकन्द्हक नवधा मािल जाइ छलै मुदा कुलीि
धीर्ापूता आ िवतूर आगुए जा कर् बै सए। नवदे त्रशर्ा िािक
सभटा गीत र्ाद रहै ओकरा। नवद्यापथत, निगुयि ििारी ओ ओहुिा
टे रर दीअर्, बाभि सभकेँ खूब पत्रसन्द्ि पड़ै , बाभिक गाम रहै ।
मीरा आ कबीरक भजि ओनहिा र्ाद रहै ओकरा। मुदा जात्रलम
लसिंहक िाि आ गीत ले ल मोि अहुररर्ा काटै , धुर छीर्ा हे तै,
साहस िै होइ।
बै दनगरीसँ ओकरा र्श भे टलै मुदा बहुतो लोक कुरबुरा गे लै। आ
ओकरा मोि भे लै हरमुनिर्ा नकिबाक, आजी माँ गानड़ कऽ रखिे
रहथिि जजिगी भररक कमाइ, िािीक रुपै य्र्ा। हरमुनिर्ा, घड़ी
आ घोड़ा सोिपुर मे लासँ आनब गे लै। ई नकछु लोकक आँ न्खमे
गड़ऽ लगलै । मात्रलकक अपि भाथतज गे िा झा ज्ञािििक परम
थमि रहै , घोड़ा दौगे बामे पारं गत भऽ गे लै। गाममे कए गोटे केँ घड़ी
रहै , र्द तीि टा आर हरमुनिर्ा रहै , मुदा मौका मुिात्रसब ज्ञािििक
घड़ी आ हरमुनिर्ा काज आबै , कत्तौ कीतयि बा अिजाम होइ,
हरमुनिर्ा हाजजर। ककरो बचिा होनिहारी रहै , ओकर घड़ी
सोइरीमे हाजजर। ओकर बौस्तु दसगदाय रहै ।
एम्हर गामबालीक ददय बढ़ऽ लगलै । ज्ञाििि ओतऽ घोड़ा िनढ़ कऽ
िै जार्, किीले रगड़ा ले त, रामाधार अनगले सुआ रहै । मुदा गे िा
झा घोड़ापर सभतरर घूमै। मुदा गामबाली ओकर घड़ीक बड़ाइ
केिे रहथिि, घोड़ा दे खे बाक अिुरोध गामबाली केलन्खि। से ओ
64 ||गजे न्द्र ठाकु र

घोड़ा लऽ कऽ आर्ल रहै दे खे बा ले ल। मुदा ओतऽ तऽ दोसरे


ओलबा-दोलबा उठल रहै । गामबालीकेँ भूत लागल रहै की?
ओकर शरीर दे खबा ले ल लोक जुमल रहै । लोक पै ि ढारर रहल
रहै । फेर गामबाली होशमे एलै । ज्ञािििकेँ गामबाली कहै जे पे टमे
ददय होइ छै , ई भूत-तूत िै थछऐ। ज्ञाििि िबका दवाइ दे लकै,
पुरिा फेनक दे बाले कहलकै।
आ फेर शुरू होइए नकरि दाइक द्वाररकाक गुरु महराजक न्खस्सा।
नकरि दाइकेँ होइ छन्न्द्ह जे गुरू महराजकेँ कतऽ राखी कतऽ िै ।
हरमोनिर्ा लै ले नकछु गोटे आर्ल छलै , गुरु महराज ले ल ठे कैताक
जोगार ज्ञािििकेँ करऽ पड़तै ।
कंटीर बाबूक भतीजी नकरि दाइ, बाल नवधवा। दुरागमिक
पनहिनहर्े िूड़ी थछिा गे लनि, तापसी भऽ गे ली, अठवारे
कनपले स्सर जाथि। कुल-खूटक उद्धार भऽ जे तनि, लोक कहथि।
सं त समागम करबाबथि। बृन्द्दाबि आ द्वाररकाक सं त बड़े प्रशं सा
करनि।
द्वाररकाक महराजजी, अद्भुत, डोका सि-सि आँ न्ख, मुदा बाबाकेँ
पत्रसन्द्ि िै , जनह-तहहिं कनह दे लन्खि, मुदा महराजजी भजि गानब
ित्रल जे ता, रुकऽ िै आर्ल छथि। नकरिदाइक कण्ठ एते क िीक
तँ महराज जीक केहे ि हे तन्न्द्ह। लोक आह्लाददत भऽ गे ल, बाबा
माफी मं गलन्न्द्ह, नकरि दाइ थतरनपत भे ली। आगाँ महराजजीक
नववरि। ओ द्वाररकाक िै बृन्द्दाविक छथि, बाल-ब्रह्मिारी,
बृन्द्दावि जे ओगरलनि से छोड़लनि िै । तौं एहे ि लाल बुन्द्ि दे ह छै ,
नित िवल सुशील || 65

पि भ्रिक एहे ि दे ह भइर्े िै सकै छै । ओतऽ कनिर्ाँ ज्ञाििि ददस


एकटक दे न्ख रहत्रल छत्रल आ मात्रलक कनिर्ाँ केँ, ज्ञािििकेँ भे लै
जे ओ पकड़ा गे ल। तीि-िाररटा बाल-नवधवा आरो छली।
महराजजी नबन्द्दुजीक भजि गौलनि, फेर सूर आ फेर मीराक।
ज्ञाििि सोिमे डू थम गे ल कनिर्ाँ (गामबाली) से हो एक ददि
नकरि दाइ बिती? सभ बाल नवधवामे ते ज होइ छै , नकरि दाइ
सि हुिको मे छन्न्द्ह।
नकरि दाइ िै तँ सकली बिती, ओझा झाड़ै त रहतन्न्द्ह। भूत सभ
ददि सबार रहतनि।
आ िै तँ परमे स्सरी बितीह, हुिकर दे हक गां ठ-बान्द्ह ककरो पागल
बिा सकैए। माि एक-र्द बे रक माजरा रहतनि, फेर कनपले स्सर,
नवदे स्सर घुमैत रहती।
आ िै तँ रतिी बनि जे ती, बापक घरमे बे टी निभीक रहै छै , सुरक्षा
केनिहार िारू कात। मुदा पुरुष तँ आनग पजारर दै छै , ओकर दोख
धएल िै जाइ छै । से रतिी उढ़रर गे त्रल। रतिी भदठ गे त्रल, समाजकेँ
मुँह दे खे बाक साहस िै भे लै।
िै कनिर्ाँ नकछु िै बिती, ओ अपराजजता छथि, ओ डु ब्बी मारर
पानि िै पीतीह। ओ उदठ गे ल, ओ सोलकन्द्ह अथछ, मात्रलककेँ
नकर्ो िै पकड़तै , नबहाररमे पवयत ठाढ़े रहै छै , खढ़ उनड़र्ा जाइ छै ।
हरमुनिर्ाँ लऽ कऽ नबदा भे ल। ओइ राथत कनिर्ाँ केँ निन्द्ि िै
भे लनि। कनिर्ाँ क बाप पल्ण्डत रहथिि, त्रलखऽ पढ़ऽ त्रसखा दे िे
रहथिि। भाइक इथतहास, भूगोलक नकताब पढ़र् लागथि कनहर्ो
66 ||गजे न्द्र ठाकु र

काल।
जमीन्द्दारी उखरलाक पिरहो बरख बीथत गे ल रहै , मुदा गाममे
सरओ खे लेबाक रे वाज रहबे करै । गामक खलीफा रहथि दफेदार
जादब। ज्ञाििि खलीफाक भाथतज, मात्रलक (सोिमनि झा) क
समाङ सभ खलीफाक िे ला। ज्ञाििि अपि सं गतुरर्ामे र्द-तीिटा
केँ छोनड़ सभसँ पें िै ल आ फुतीगर। ज्ञािििसँ िौपाल जमै । ओ
मधुबिी-दरभं गा दवाइ कीिै ले जार्, अखबार पढ़र्। भारत-िीिमे
र्ुद्ध भे ल रहै । सभकेँ सुिाबर्।
कोलाकोली धाि कटार् लागल रहै , अं गिामे धािक झट्टा पसारल
रहै ।
मात्रलकक एकटा भाथतज रामाधारकेँ ज्ञािििक घोड़ा, घड़ी आ
हरमुनिर्ाँ सभसँ बे शी अधला लागै । सोलकन्द्ह घड़ी बान्द्हत नक
घास छीलत? बात बढ़लै , ज्ञाििि पटनक कऽ पाँ ि-छअ घुस्सा
जमा दे लकै। गे िा झा ज्ञािििकेँ सम्हारलक, खलीफा रामाधारकेँ
सम्हारलक। खलीफा ज्ञािििकेँ अपि र्दरा पर िै आबै ले कहलकै-
ताेँ डोम, हम िमार।
रामाधारक बमकार, खलीफा नपपरक पात भे ल छल, मात्रलकक
पै रुख बुझल रहै । खलीफा कपली गार् भऽ रामाधारकेँ लऽ कऽ
पहुँ िल। बात पसाही जकाँ पसरर गे लै। सोिमनि झा भाथतजकेँ
डाँ नट दे लनि मुदा बात नबसरऽ बला िै छलै । ब्राह्मिपर हाि
छोड़लक, गाम-गमाइत भार-िङे रा जाइ आनक भार-दौर आबै ,
भररर्ा अबस्से ऐ गपक खोदबीि करै ।
नित िवल सुशील || 67

सोिमनि सोिलनि- ज्ञाििि सभक हृदर्मे अथछ, हुिको हृदर्मे ।


मुदा जखि ओ ज्ञािििकेँ तौलऽ लगला तँ ओ िाें त्रसक एक
किोक सुरकाि िै छल। आ से कि आँ न्खकेँ कुटकुटा दे िे रहनि।
आ निियर् भे ल साँ पक फेंिकेँ िकुिबाक। राड़ आ राँ ड़ दबले
िीक। ज्ञािििक बापसँ सुवंश झाक पटरी बै सनि, हुिकर एकटा
िठालु पशु ज्ञािििक बाप अपिा खुट्टापर लऽ गे ल छला, जाइते
ओ गाभ रखलकै, पाड़ी तरे बचिो भे लै। तनहर्े सँ ज्ञािििक
अबरजात बनढ़-गे ल रहै , आब कनिर्ाँ क दवाइ-बीरोसँ आर बनढ़
गे लै। पानि-पािर नकछु खसौ मुदा ज्ञाििि एक बे र गाम भरर
टहत्रल अनबते छल।
ज्ञािििकेँ आब सभ ददि आर्ब पार िै लगतै , सभक व्यवहार
बदलल छै , तकरारर करबाक रस्ता ताकल जा रहल छै । धाब
कतौ, पौ कतौ। ओ बहुत रास पुनड़र्ा बिा रहल छल, कनिर्ाँ क
अं गिामे , बे सी पुनड़र्ा नकए बिा रहल अथछ ज्ञाििि? की हमरोसँ
झगड़ा कऽ ले लाौं , एकटा अहीं तँ खोज-पुछाड़ी करै छी-कनिर्ाँ
पुछै छथिन्द्ह। आत्मीर् गप्प। र्ै ह तँ नबसा रहल अइ हमरापर-
ज्ञाििि बाजल।
जकरा िै दे खलनि राम, तकरा के दे खत आि- कनिर्ाँ बजली।
कनिर्ाँ ओकर नबर्ाहक नवषर्मे जजज्ञासा करै छथि, ओ उत्तर
दै ए- नबर्ाह भे लो छन्न्द्ह आ िनहर्ो- नबर्ाह ठे ङासँ िानप कऽ भे ल
छन्न्द्ह- सोलकन्द्हमे अनहिा होइ छै । हमरा सभमे सगाइ िलै छै ,
भररसक कत्तौ कऽ ले लकै- ज्ञाििि बजै ए।
68 ||गजे न्द्र ठाकु र

ज्ञाििि बै द अथछ, ज्ञाििि अपि गप सभकेँ कनह दै ए, कारि


बै द आ रोगीक सम्बन्द्ध बाप-बे टा सि होइ छै - ज्ञाििि बजै ए।
आर कोिो सम्बन्द्ध िै ?- कनिर्ाँ पूछै छथिि।
जमीन्द्दारी समर्मे जकरा डरे खढ़ जरै , से केिा मृदुभाषी भऽ
गे ल? ओत्रल ले बाक भाविा..
एक राथत ज्ञािििक एक बीघा धाि कनट गे लै। गं गाजली धाि बड़े
सुतरल रहै ।
रामपुर गाममे िोरर िै होइ।
मुदा ई..
लोककेँ आिर्य भे लै, कुकुरो िै भुकलै ।
मुदा ज्ञाििि सुबहापर नकछु िै करत।
ओररका जूथम गे ल रहै मुदा ज्ञािििक गपसँ आौं टबाक मौका िै
भे टै गे लै। बातक लारिार भे लै मुदा ज्ञाििि लारनिकेँ शुरुएमे
तोनड़ दे लकै।
कुकुर अिथिन्द्हारकेँ कटै छै , बनिर्ाँ थिन्द्हारकेँ आ थछिार आ िोर
सभकेँ।
ज्ञाििि तीि-िारर गोटे क सङोर कऽ खे तमे धपार् लागल।
मुदा एक राथत अलसा गे ल। निशा भाग राथतमे कारी लोटा मां गै ले
एलै , कररर्ा िामी से न्द्हकट, उथितबासँ कम िै । ओ ओकरा
कहलकै जे आइर्ो िरही परहक ओकर खे त कटा गे लै। कररर्ा
सभ ददिे सँ मात्रलकक लोक। ओकरापर नबसबास िै ; ओकरा एक
गोटे क तकथतर्ािीमे रान्ख अपिे गुप्ती आ लाठी ले लक ज्ञाििि,
नित िवल सुशील || 69

आि सभ भाला आ गड़ां स लऽ नबदा भे ल। धाि सत्ते छोपल जा


रहल छलै , ई तीि-िारर गोटे आ ओम्हर पन्द्रह-बीस गोटे ।
ज्ञािििक प्रत्र्ुत्पन्द्िमथत कमालक रहै , अखि वार करब ठीक िै ,
हथिर्ार ओकरो सभ लग हे तै। जखि बोझ उठा कऽ ओ सभ
नबदा हएत तखि वार करत, ओ रामाधारकेँ पकड़त, आि सभ
अिका। भाड़ा परहक िोर िोर िै होइए, ओ सभ सामिा िै कऽ
सकतै ।
रामाधार पकड़ा गे लै। पराउ झा ओकरा छोड़बे लकै, पुत्रलस आ
कािूिक ओझरीक ििय से हो छै ।
मुदा बादमे ज्ञािििकेँ िारर-पाँ ि घुस्सा लगलै मुदा गे िा झा आ
पराउ झा सं ग दे लकै।
खलीफाक बे टा बै जू ब्राह्मि सभक सं ग बै सार करऽ लागल रहै ।
एकटा बाँ सक बीट ले ल खलीफा आ ज्ञािििमे बाताबाती भऽ
जाइ, खलीफा हारर कऽ छोनड़ दै मुदा बै जू िै मािै बला।
सोिमनि झा (मासलक) आ सतं जीब झा बे मािे बड़बनढ़र्ाँ मुदा
भीतरे -भीतर सुिगै त।
मात्रलक कनिर्ाँ क पहुँ िी पकनड़ हािमे रुपै य्र्ाक बं नडल धऽ
दे लथिि, कनिर्ाँ बं नडल िूल्हहमे धऽ दे लथिि।
ज्ञाििि घोड़ा बे थि ले लक।
फेर कनिर्ाँ क िै हरक किा, समाजक किा कहै छथि
उपन्द्र्ासकार।
साधु महात्मा भीलिीकेँ पम्पासरक पानि िै छु अ दे लनि जे छु ता
70 ||गजे न्द्र ठाकु र

जे तै। पम्पासरमे नपलुआ फनड़ गे लै। पुरुषोत्तम राम भीलिीकेँ


ओइमे िहबे लनि, ओकरामे गङ्गा ढु कल रहै , पम्पासरक पानि
अमृत भऽ गे लै।
कनिर्ाँ आं गिसँ बहरा गे ली, ज्ञाििि लग पहुँ थि गे ली। ओ
ज्ञािििक छातीमे अपि किपटी सटा ले लनि। ज्ञािििक आजी
सभटा दे खै त रहै । कनिर्ाँ घुरर गे ली। पौ फटै त बात कािोकाि
गुलगुला गे लै। मात्रलक कनिर्ाँ केँ ठाें दठर्ा कऽ ओकरा ज्ञािििक
दरबज्जामे ठे ल दे लनि। आ कनिर्ाँ गामबाली भऽ गे ली, ओही
ददि। ज्ञाििि भरर पाँ जज पकनड़ ले लकनि, कनिर्ाँ क सभ पीड़ा
मे टा गे लनि तखिे । ज्ञाििि गौआँ क बुत्तापर गाममे थमनडल स्कूल
खोललक। रस्ताकेँ ऐलफैल करबओलक। आसपासक गाममे
रामपुरक ििाय होमऽ लगलै । जमीन्द्दारी प्रिा समाप्त भे लै आ
पाँ न्ख बला लोक सभ परती-परां त आ राजक आमक गाछी
कौड़ीक भावमे त्रलखबऽ लगलै ।
ओइ ददि घड़ी पूजा रहै । बीट लग बजझ गे लै। गामबाली ओइ ददि
दोसर बे र नवधवा भऽ गे ली। मात्रलक आ खलीफाकेँ बारह बखय
जहलमे रहऽ पड़लनि।
गामबालीक न्खस्सा एते क नवस्तारमे ककरो िै बुझल रहै , ओकरा
मरलाक बाद सभ ओकरा बारे मे सुिैए।
सोिदाइक बाप हुिका िौबरखक उमे रमे दथछिाहाक हािे बे थि
दे लनि, ओ पथतकेँ छोनड़ दोसर नबर्ाह कऽ ले लनि। पनहल पथत
आर्ल रहै मुदा गामक कओले जजर्ा आ परदे त्रशर्ा सभ ठाें दठर्ा

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