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2024-25 दसवीं हिंदी दक्षता आधारित देहरादून संभाग केवीएस
2024-25 दसवीं हिंदी दक्षता आधारित देहरादून संभाग केवीएस
ह िं दी (पाठ्यक्रम –‘अ’)
Hindi (Course – ‘A’)
कक्षा – 10 CLASS - X
दक्षता
केन्द्रीय हिद्यालय सिंगठन
दे िादू न सिंभाग
Kendriya Vidyalaya Sangathan
Dehradun Region
केन्द्रीय विद्यालय संगठन
दे हरादून संभाग
संरक्षक मण्डल
मुख्य सं रक्षक
डॉ. सुकृवि रै िानी
उपायु क्त
केन्द्रीय विद्यालय संगठन
दे हरादू न संभाग
श्री लवलि मोहन विष्ट श्री सुरजीि वसंह श्रीमिी स्वावि अग्रिाल
सहायक आयुक्त सहायक आयुक्त सहायक आयुक्त
केन्द्रीय विद्यालय संगठन केन्द्रीय विद्यालय संगठन केन्द्रीय विद्यालय संगठन
दे हरादू न संभाग दे हरादू न संभाग दे हरादू न संभाग
दक्षता आधारित
- प्रश्नोत्तिी पुस्तिका संयोजक -
श्रीमती कमला निखुपाा
प्राचायाा
केन्द्रीय निद्यालय हल्द्वािी छाििी
सत्र 2024-25
दक्षता आधारित प्रश्नबैंक - निर्ााण सनर्नत
आििण पृष्ठ एिं सर्न्द्ियि का काया – डॉ. र्ंजुल र्ठपाल, स्नातकोत्ति नशक्षक(सहदी) एिं श्रीर्ती सुर्ि
कन्नौनजया, प्रनशनक्षत स्नातक नशक्षक(सहदी)
सहयोगकताा – डॉ. निभा नतिािी, स्नातकोत्ति नशक्षक(सहदी) एिं श्रीर्ती िी ट टटटा, प्रनशनक्षत
स्नातकनशक्षक(सहदी)
दक्षता आधारित प्रश्न बैंक
कक्षा दसव ीं
विषय ह द
िं ी (पाठ्यक्रम अ - 002)
अपठित गद्ाींश
क्र.स. प्रश्न – निम्िलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर निर्दे शयिस
ु यर प्रश्िों के उत्तर
र्दीजिए -
भूमि ,भूमि पर बसने वाला जन और जन की संस्कृति इन िीनों के सम्मिलन से राष्ट्र का
स्वरूप बनिा है | राष्ट्र का िीसरा अंग जन की संस्कृति है। िनुष्ट्य ने युगों-युगों िें म्जस
सभ्यिा का तनिााण ककया है वही उसके जीवन की स्वास- प्रश्वास है | बबना संस्कृति के
जन की कल्पना कबंध िात्र है, संस्कृति ही जन का िम्स्िष्ट्क है। राष्ट्र के सिग्र रूप िें
भूमि और जन के साथ-साथ जन की संस्कृति का िहत्वपूणा स्थान है। यदि भूमि और
जन अपनी संस्कृति से ववरदहि कर दिए जाएं िो राष्ट्रीय- लोप सिझना चादहए
| जीवन के ववटप का पुष्ट्प संस्कृति है | जंगल िें म्जस प्रकार अनेक लिा वक्ष
ृ और
वनस्पति अपने अिमय भाव से उठािे हुए पारस्पररक सम्मिलन से अववरोधी म्स्थति
प्राप्ि करिे हैं उसी प्रकार राष्ट्रीय जन अपनी संस्कृति के द्वारा एक िस
ू रे के साथ
मिलकर राष्ट्र िें रहिे हैं| म्जस प्रकार जल िें अनेक प्रवाह नदियों के रूप िें मिलकर
सिुद्र िें एकरूपिा प्रिान करिा है उसी प्रकार राष्ट्रीय जीवन िें अनेक ववधधयां राष्ट्रीय
संस्कृति िें सिन्वय प्राप्ि करिी हैं सिन्वयक्
ु ि जीवन ही राष्ट्र को सुखि बनिा है | गांव
और जंगलों िें स्वच्छं ि जन्ि लेने वाले लोकगीिों िें , िारों के नीचे ववकमसि होने वाले
लोक कथाओं िें संस्कृि का अमिि भंडार भरा हुआ है | जहां से आनंि की भरपरू िात्र
प्राप्ि हो सकिी है| राष्ट्रीय संस्कृि के पररचय-काल िें उन सबका स्वागि करने की
आवश्यकिा है |
1 लेखक के अनुसार राष्ट्र का तनिााण ककन-ककन से होिा है ?
क)भूमि ख) लोग
ग) संस्कृति घ) उपरोक्ि सभी
2 ववटप क्या अथा होिा है
1
क) जंगल ख) पेड़
ग) लकड़ी घ) शाखा
3 भूमि का पयाायवाची शब्ि नहीं है|
क) वसुंधरा ख) सररिा
ग) धरा घ) धररत्री
4 जन का िम्स्िष्ट्क ककसे कहिे है?
क) निी ख)पवाि
ग)राष्ट्र घ)संस्कृति
5 स्वागि शब्ि का संधध ववच्छे ि कीम्जए|
क)स्व+आगि ख) स्वा +आगि
ग) सु +आगि घ)सु + गि
6 कथन
1)बबना संस्कृति के जन की कल्पना नहीं करनी चादहए|
2) संस्कृति ही जन का िम्स्िष्ट्क है।
3) लोकगीि, लोक कथा संस्कृति का भंडार नहीं हैं |
ववकल्प
1) कथन 1 िथा कथन 2 असत्य हैं|
2) कथन 2 और 3 सत्य हैं|
3) कथन 1 और 2 सत्य है िथा कथन 3 असत्य है|
4) िीनों कथन सत्य हैं
7 कथन –
सिन्वयुक्ि जीवन ही राष्ट्र को सुखि बनिा है
कारण –
मिलकर साथ रहने से सभी िें भाई चारे की भावना बढिी है म्जससे सभी प्रसन्न होिे है
ववकल्प
1) कथन सही है परं िु कारण गलि है
2
3) कथन सही है और कारण िोनों ही गलि है |
12 आपके अनस
ु ार राष्ट्र की पररभाषा मलखखए |
उत्तरिाला
3
क्र.स. उत्तर
1 घ
2 ख
3 ख
4 घ
5 ग
6 ग
7 घ
8 क
9 छात्र स्ववववेक से उत्तर िें गे
10 छात्र स्ववववेक से उत्तर िें गे
11 छात्र स्ववववेक से उत्तर िें गे
12 लोगों का एक बड़ा सिह
ू , जो एक ववशेष क्षेत्र से जड़
ु ा हुआ है , जो अक्सर एक ही भाषा या
सजािीय भाषा बोलिे हैं।म्जनकी अपनी संस्कृति होिी है |
13 पेड़ ,वक्ष
ृ ,पािप ,िरु,द्रि
ु
14 संस्कृति का भंडार लोगो द्वारा बनाये लोकगीि ,लोक कथा ,रीति ररवाजों िें है |
15 राष्ट्र का लोप िब होिा है जब लोग अपनी संस्कृति को भूलने लगिे हैं, उससे अलग होने
लगिे हैं|जब लोग अपनी संस्कृति को छोड़कर िस
ू री संस्कृति को अपनािे हैं,िबउस राष्ट्र
का लोप होने लगिा है |
16 राष्ट्र को सख
ु िायी तनमन प्रकार बना सकिे हैं-
1) आपस िें प्रेि व सौहािा से रहकर
2) एक िस
ू रे की परं पराओं का समिान करके
3) आपस िें भाईचारा बढ़कर
17 कोई वक्ष
ृ ककिना ही सुन्िर क्यों न हो, यदि उस पर फूल नहीं आिे िो वह आिर और
समिान का उिना अधधकारी नहीं होिा है , म्जिना फूलों वाला वक्ष
ृ । म्जस प्रकार ककसी वक्ष
ृ
का सौन्िया उसके फूलों पर तनभार करिा है , उसी प्रकार राष्ट्र के जीवन का धचन्िन-िनन
4
एवं सौन्िया-बोध उसकी संस्कृति िें ही तनवास करिा है। इसीमलए यह कहा जािा है कक
जीवन के ववटप अथवा राष्ट्ररूपी वक्ष
ृ का पुष्ट्प उसकी संस्कृति ही है
अपहित कावयािंश
प्रश्ि-क्रमयांक निम्िलिखित अपहित कावयािंश को ध््यिपर्
ू कव पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्िों के उत्तर
1 र्दीजिए-
पहिे से कुछ लििय भयग्् में मिुि िहीां िय्य है,
अपिय सुि उसिे अपिे भुिबि से ही पय्य है .
प्रकृनत िहीां डरकर झुकती है , कभी भयग्् के बि से.
सर्दय हयरती र्ह मिुष्् के उद्म से, श्रमिि से.
ब्रह्मय कय अलभिेि – पढ़य करते निरुद्मी प्रयणी
धोते र्ीर कु-अांक भयि कय बहय भ्रुर्ों से पयिी.
भयग््र्यर्द आर्रण पयप कय और शस्त्र शोषण कय.
जिससे रितय र्दबय एक िि भयग र्दस
ू रे िि कय.
पछ
ू ो ककसी भयग््र्यर्दी से, ्ठर्द वर्धध-अांक प्रबि है,
पर्द पर क््ों र्दे ती ि स्त्र््ां, र्सुधय निि रति उगि है ?
सच पूछो तो, शर में ही बसती है र्दीजतत वर्ि् की
सांधध र्चि सांपूज्् उसी कय जिसमें शजक्त वर्ि् की.
सहिशीितय, क्षमय, र्द्य को तभी पूितय िग है .
बि कय र्दपव चमकतय उसके पीछे िब िगमग है.
(i) मिुष्् प्रकृनत को हरय सकतय है-
(क) उद्म और पररश्रम से
(ि) आतांक और भ् से
(ग)उग्रतय और शोषण से
(घ) भयग्् और पौरुष से
उत्तर (क)
(ii) ककसकी सांधध की बयतें मयन्् होती हैं-
(क) र्द्यर्यि की
(ि) शजक्तशयिी की
(ग)ज्ञयिी की
5
(घ) ककसी की भी िहीां
उत्तर (ि)
(iii) कयव्यांश कय आश् है-
(क) भयग््र्यठर्द्ों को डरयिय
(ि) उद्म और पररश्रम कय महत्त्र् बतयिय
(ग)र्सुधय के रत्िों के बयरे में बतयिय
(घ) र्ीरों के िक्षण बतयिय
उत्तर (ि)
(iv) “ब्रह्मय कय अलभिेि” से कवर् कय क््य आश् है?
उत्तर भयग्् कय लििय हुआ ्य पूर्व निधयवररत
(v) भयग््र्यर्द क््य है तथय कवर् िे उसे शोषण-शस्त्र क््ों कहय है ?
उत्तर िो िोग कमव िहीां करते और भयग्् के सहयरे िीते हैं, र्े भयग््र्यर्दी कहियते हैं. र्े
मयिते हैं कक िीर्ि में उन्हें उतिय ही लमिेगय जितिय उिके भयग्् में है परन्तु कवर्
इस बयत कय िांडि करते हुए कहतय है कक भयग््र्यर्द पयप कय आर्रण और शोषण कय
शस्त्र है. भयग््र्यर्द के ियम पर ही एक व्जक्त र्दस
ू रे कय शोषण करतय है .
प्रश्ि-क्रमयांक निम्िलिखित अपहित कावयािंश को ध््यिपूर्क
व पढ़कर पूछे गए प्रश्िों के उत्तर
2 र्दीजिए-
िक्ष्् तक पहुुँचे बबिय,पथ में पधथक वर्श्रयम कैसय |
िक्ष्् है अनत र्दरू र्दग
ु म
व मयगव भी हम ियिते हैं
ककां तु पथ के कांटकों को हम सम
ु ि ही मयिते हैं
िब प्रगनत कय ियम िीर्ि ,्ह अकयि वर्रयम कैसय |
िक्ष्् तक पहुुँचे बबिय,पथ में पधथक वर्श्रयम कैसय |
धिुष से िो छूटतय है बयण कब मग में िहरतय
र्दे िते ही र्दे िते र्ह िक्ष्् कय ही बेध करतय |
िक्ष्् प्रेररत बयण हैं हम, िहरिे कय कयम कैसय |
िक्ष्् तक पहुुँचे बबिय,पथ में पधथक वर्श्रयम कैसय |
बस र्ही है पधथक िो पथ पर निरां तर अग्रसर हो,
हो सर्दय गनतशीि जिसकय िक्ष्् प्रनतक्षण निकटतर हो |
हयर बैिे िो डगर में पधथक उसकय ियम कैसय |
िक्ष्् तक पहुुँचे बबिय,पथ में पधथक वर्श्रयम कैसय |
बयि रवर् की स्त्र्णव ककरणें निलमष में भू पर पहुुँचतीां ,
6
कयलिमय कय ियश करतीां,ज््ोनत िगमग िगत धरती
ज््ोनत के हम पांि
ु किर हमको अमयर्स से भीनत कैसी |
िक्ष्् तक पहुुँचे बबिय,पथ में पधथक वर्श्रयम कैसय |
(i) ‘ककां तु पथ के कांटकों को हम सुमि ही मयिते हैं’ कय आश् है –
(क)हम मयगव की बयधयओां से प्रसन्ि होते हैं |
(ि) बयधयओां से िूझिय ही हमयरय िक्ष्् है |
(ग) मयगव की बयधयओां को हम स्त्र्ीकयर करके चिते हैं|
(घ) हम बयधयओां की परर्यह िहीां करते|
उत्तर (ग)
7
निम्िलिखित अपहित कावयािंश को ध््यिपर्
ू कव पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्िों के उत्तर
प्रश्ि-क्रमयांक
र्दीजिए-
3
सुरलभत, सुांर्दर, सुिर्द सुमि तुझ पर खििते हैं,
भयुँनत-भयुँनत के सरस,सुधोपम िि लमिते हैं,
औषधध्युँ है प्रयतत एक से एक निरयिी ,
ियिें शोलभत कहीां धयतु-र्ररत्िों र्यिी,
िो आर्श््क होते हमें,लमिते सभी पर्दयथव हैं |
हे मयतभ
ृ ूलम र्सुधय,धरय तेरे ियम ्थयथव हैं |
कहीां धियर्लिबिी हुई है तेरी र्ेणी ,
िठर्द्युँ पैर पियर रही हैं बि कर चेरी,
पुष्पों से तरु रयलश कर रही पि
ू य तेरी,
मर्द
ृ ु मि् र्य्ु मयिो तुझे चांर्दि चयरु चढ़य रही |
हे मयतभ
ृ ूलम ,ककसकय ि तू सयजत्र्क भयर् बढ़य रही ?
क्षमयम्ी,तू र्द्यम्ी है, क्षेमम्ी है ,
सुधयम्ी,र्यत्सल््म्ी तू प्रेमम्ी है ,
वर्भर्शयलििी,वर्श्र्पयलििी,र्दुःु िहरी है,
भ्निर्यररणी, शयांनतकयररणी, सुिकरी है ,
हे शरणर्दयन्िी र्दे र्ी, तू करती सब कय रयण है |
हे मयतभ
ृ ूलम, सांतयि हम, तू िििी, तू प्रयण है |
धरती कय ियम र्सध
ु य ्थयथव है क््ोंकक ्ह-
(i)
(क)श्रेष्ि पर्दयथव र् धयतुएुँ र्दे ती है
(ि) र्स्त्तुओां को िन्म र्दे ती है
(ग) सबको धयरण करती है
(घ) अमत
ृ भी र्दे ती है
(क)
उत्तर
भयरत की धरती की वर्शेषतयओां में सजम्मलित िहीां है
(ii)
(क) सभी तरह के िि-िूि लमिते हैं
(ि) ्हयुँ ऊुँचे पहयड़ हैं
(ग) र्दुःु िहरी एर्ां सुिहरी है
(घ) िीर्ि मूल््ों से ्ुक्त है
8
(ि)
उत्तर
मयतभ
ृ ूलम से हमयरय सांबांध है
(iii)
(क) वपतय-पुर कय
(ि) मयतय–पुर कय
(ग) वपतय-पुरी कय
(घ) भयई-बहि कय
(ि)
उत्तर
‘सुरलभत,सुांर्दर, सुिर्द सुमि तुझ पर खििते है’ पांजक्त कय आश् स्त्पष्ट कीजिए.
(iv)
इस धरती पर सुगजन्धत और सुन्र्दर पुष्प खििते हैं िो धरय को और िूबसूरत बियते
उत्तर
हैं.
उपरोक्त कयव्यांश में मयतभ
ृ ूलम की प्रशांसय में क््य-क््य कहय ग्य है ?
(v)
क्षमयम्ी,र्द्यम्ी,क्षेमम्ी,सध
ु यम्ी,र्यत्सल््म्ी,प्रेमम्ी,वर्भर्शयलििी,वर्श्र्पय
उत्तर
लििी,र्दुःु िहरी,भ्निर्यररणी, शयांनतकयररणी, सि
ु करी और िि-िूि र्दे िे र्यिी है .
उत्तर कवधेय
3 िब दो य दो से अकधक स्वतांत्र उपव क्य आपस में ककसी योिक द्व र िुड़े होते हैं
तो वे क्य कहल ते हैं ?
9
6 म ली ने बच्ोां को समझ य कक फूल तोड़न मन है , व क्य में आकित उपव क्य क
कौन-स प्रक र है?
पद-पररचय
प्रश्न क्रम ांक पद-पररचय पर आध ररत लघूत्तर त्मक प्रश्न
1 पद-पररचय ककसे कहते हैं ?
उत्तर व क्य में प्रयुक्त पदोां क कवस्तृत व्य करकणक पररचय दे न ही पद-पररचय कहल त है .
उत्तर कक्रय क प्रक र, व च्य, क ल, कलांग, वचन, पुरुर् और कक्रय से सांबांकधत शब्द
5 इस पुस्तक में अनेक कचत्र हैं , व क्य में रे ख ांककत क पद-पररचय दीकिए.
6 बच्े धीरे -धीरे पढ़ रहे थे, व क्य में रे ख ांककत क पद-पररचय दीकिए.
10
उत्तर कक्रय -कवशेर्ण, रीकतव चक कक्रय -कवशेर्ण, ‘पढ़ रहे थे’ कक्रय की रीकत की कवशेर्त
उत्तर सांज्ञ , व्यल्क्तव चक सांज्ञ , स्त्रीकलांग, एकवचन, कत ा क रक, ‘नेह ’ रहन कक्रय की कत ा
है .
9 आह! उपवन तो अस्त-व्यस्त है ; व क्य में रे ख ांककत क पद-पररचय दीकिए.
पद-पररचय
प्रश्न क्रम ांक पद-पररचय पर आध ररत लघूत्तर त्मक प्रश्न
1 पद-पररचय ककसे कहते हैं ?
उत्तर व क्य में प्रयुक्त पदोां क कवस्तृत व्य करकणक पररचय दे न ही पद-पररचय कहल त है .
उत्तर कक्रय क प्रक र, व च्य, क ल, कलांग, वचन, पुरुर् और कक्रय से सांबांकधत शब्द
5 इस पुस्तक में अनेक कचत्र हैं , व क्य में रे ख ांककत क पद-पररचय दीकिए.
6 बच्े धीरे -धीरे पढ़ रहे थे, व क्य में रे ख ांककत क पद-पररचय दीकिए.
11
उत्तर कक्रय -कवशेर्ण, रीकतव चक कक्रय -कवशेर्ण, ‘पढ़ रहे थे’ कक्रय की रीकत की कवशेर्त
उत्तर सांज्ञ , व्यल्क्तव चक सांज्ञ , स्त्रीकलांग, एकवचन, कत ा क रक, ‘नेह ’ रहन कक्रय की कत ा
है .
9 आह! उपवन तो अस्त-व्यस्त है ; व क्य में रे ख ांककत क पद-पररचय दीकिए.
अलंकार
प्रश्न क्रम ांक अलांक र पर आध ररत लघूत्तर त्मक प्रश्न
6 “है वसुांधर कबखेर दे ती मोती सबके सोने पर. रकव बटोर लेत है उसको सद सवेर होने
पर ; में कौन-स अलांक र है ?
12
7 “उस वक्त म रे क्रोध के तनु क ांपने उसक लग , म नो हव के ज़ोर से सोत हआ स गर
िग ” ; पांल्क्त में कौन-स अलांक र है ?
उत्तर उत्प्रेक्ष अलांक र
8 “ले चल मैं तुझे कनक, ज्ोां कभक्षुक लेकर स्वणा-झनक” ; पांल्क्त में कौन-स अलांक र है?
सूिदास के पद
वस्तुननष्ि प्रश्न
1. उद्धव ककसकी संगति िें रहकर भी प्रेि से अछूिे रहे हैं?
(क) कृष्ट्ण की (ख) गोवपयों की (ग) मित्र की (घ) इनिें से कोई नहीं
उत्तर : (क) कृष्ट्ण की
2. गोवपयााँ ककसके प्रेि िें आसक्ि हो गई हैं?
(क) उद्धव-प्रेि (ख) कृष्ट्ण-प्रेि (ग) संगीि-प्रेि (घ) इनिें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) कृष्ट्ण-प्रेि
3. गोवपयााँ कृष्ट्ण के प्रति कैसी भावना रखिी हैं?
(क) द्वेष की (ख) क्रोध की (ग) प्रेि की (घ) घण
ृ ा की
उत्तर : (ग) प्रेि की
4. गोवपयााँ स्वयं को क्या सिझिी हैं?
(क) डरपोक (ख) तनबाल (ग) अबला (घ) साहसी
उत्तर : (ग) अबला
5. कृष्ट्ण के आने की प्रिीक्षा ककसे है?
(क) भक्िों को (ख) उद्धव को (ग) गोवपयों को (घ) यशोिा को
उत्तर : (ग) गोवपयों को
6. गोवपयों को कृष्ट्ण का व्यवहार कैसा प्रिीि होिा है ?
13
(क) उिार (ख) छलपण
ू ा (ग) तनष्ट्ठुर (घ) इनिें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) छलपूणा
7. कवव के अनुसार गोवपयों का स्वभाव कैसा है ?
(क) चिुर (ख) तनिायी (ग) घिंडी (घ) भोला
उत्तर : (घ) भोला
8. गोवपयों को अकेला छोड़कर कृष्ट्ण कहााँ चले गए थे?
(क) ब्रज (ख) द्वारका (ग) िथरु ा (घ) वन्ृ िावन
उत्तर : (ग) िथरु ा
9. कृष्ट्ण का योग-संिेश लेकर कौन आए थे?
(क) उद्धव (ख) बलराि (ग) सेवक (घ) इनिें से कोई नहीं
उत्तर : (क) उद्धव
10. उद्धव के व्यवहार की िुलना ककसके पत्ते से की गई है?
(क) पीपल के (ख) किल के (ग) केला के (घ) नीि के
उत्तर : (ख) किल के
कथन एवीं कािण
1 कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : गोवपयााँ उद्धव को बड़भागी कहिी है |
कारण : उद्धव ने कृष्ट्ण से प्रेि नहीं ककया और न ही प्रेि की पीड़ा िें िड़पे |
ववकल्प
(क) कथन सही है , ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है , ककन्िु कारण सही हैं |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं हैं |
उत्तर : (ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
2 कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : गोवपयााँ के िन की प्रेि-भावना िन िें ही रह गई |
कारण : कृष्ट्ण उनसे िरू िथुरा चले गए |
ववकल्प
(क) कथन सही है , ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है , ककन्िु कारण सही हैं |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं हैं |
14
उत्तर : (ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
3 कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : गोवपयााँ उद्धव की बाि सन
ु कर तनराश हो गई |
कारण : उद्धव श्री कृष्ट्ण के आने का सिाचार लाये थे |
ववकल्प
(क) कथन सही है , ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है , ककन्िु कारण सही हैं |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं हैं |
उत्तर : (क) कथन सही है , ककन्िु कारण गलि है |
केस स्त्टडी पर आधयररत प्रश्ि
1. पूछे गए प्रश्नों के उत्तर तनमनमलखखि पद्यांश के आधार पर िीम्जए ----
हिारे हरर हाररल की लकरी ॥
िन क्रि बचन नंि-नंिन उर , यह दृढ़ करर पकरी ।
जागि सोवि स्वप्न दिवस तनमस , कान्ह-कान्ह जक री ।
सुनि जोग लागि है ऐसो , ज्यों करुई ककरी ।
सु िौ व्याधध हिकौ लै आए , िे खी सन
ु ी न करी ।
यह िौ ‘सूर’ तिनदह लै सौंपौ , म्जनके िन चकरी ।
क) पि िें श्रीकृष्ट्ण की िल
ु ना ककससे की गई है ?
अ) कबि
ू र ब) हाररल स) कोयल ि) हाँस
उत्तर- ब) हाररल
ख) गोवपयााँ ककसके प्रेि िें बंध गई हैं ?
अ) कृष्ट्ण के ब) उद्धव के स ) संगीि प्रेि िें ि ) राधा के
उत्तर- अ) कृष्ट्ण के
ग) गोवपयों को योग संिेश कैसा लग रहा है ?
अ) लकड़ी के सिान ब) कड़वी ककड़ी के सिान
स) िीठा गन्ना के सिान ि) करील के सिान
उत्तर- ब) कड़वी ककड़ी के सिान
घ) गोवपयों ने योग संिेश को ककनके मलए उपयुक्ि बिाया है ?
अ) म्जनका िन म्स्थर है ब) म्जनका िन चंचल है
स) म्जनके िन िें खोट है ि) म्जनके िनिें डर है
उत्तर- ब) म्जनका िन चंचल है
ड.) उक्ि पि के कवव कौन हैं ?
अ) िल
ु सीिास ब) सरू िास स ) िे विास ि ) कबीरिास
15
उत्तर- ब) सूरिास
16
उत्तर- ‘प्रीति निी िें पाउाँ न बोरयौ ’ का आशय है कक-प्रेि रूपी निी िें पैर न डुबोना। अथााि ्
ककसी से प्रेि न करना और प्रेि का िहत्त्व न सिझना। ऐसा उन उद्धव के मलए कहा गया है,
जो कृष्ट्ण के पास रहकर भी उनके प्रेि से अछूिे बने रहे ।
17
(क) नौकर (ख) सेवक (ग) चौकीिार (घ)
इनिें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) सेवक
8. ककसके कहने पर परशुराि ने अपनी िािा का वध कर दिया था?
(क) गुरू के (ख) वपिा के (ग) प्रेयसी के (घ) इनिें से कोई
नहीं
उत्तर- (ख) वपिा के
9. परशरु ाि मशव को क्या िानिे हैं?
(क) वपिा (ख) ईश्वर (ग) गुरू (घ)
सेवक
उत्तर- (ग) गुरू
10. लक्ष्िण ने परशुराि के ककस स्वभाव पर व्यंग्य ककया है ?
(क) चाटुकाररिा (ख) आलसीपन (ग) िधुर
(घ) बड़बोलापन
उत्तर- (घ) बड़बोलापन
उत्ति : (ग) कथन औि कािण दोनों सही है तथा कािण कथन की सही व््ाख््ा किता है |
2. कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : परशुराि ने ववश्वामित्र को लक्ष्िण की उद्िं डिा के बारे िें मशकायि की |
कारण : लक्ष्िण अज्ञानी, तनरं कुश और िख
ू ा है |
18
ववकल्प
(क) कथन सही है, ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है , ककन्िु कारण सही हैं |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं हैं |
उत्ति : (क) कथन सही है, ककन्तु कािण गलत है |
3. कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : लक्ष्िण के अनुसार, परशुराि के िुाँह से अपशब्ि शोभा नहीं िे िे | |
कारण : परशुराि ब्राह्िण और सन्यासी है |
ववकल्प
(क) कथन सही है, ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है , ककन्िु कारण सही हैं |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं हैं |
उत्ति : (क) कथन सही है, ककन्तु कािण गलत है |
केस स्त्टडी पर आधयररत प्रश्ि
19
अ) धचल्लाने लगे । ब) िस्
ु काने लगे स) रोने लगे । ि) गस्
ु सा करने लगे ।
उत्ति- ब) मुस्काने लगे
4. घ) पद्यांश के अनस
ु ार लक्ष्िण ने बचपन िें क्या ककया ?
अ) फूल िोड़े ब) फल िोड़े स) धनुष िोड़े ि) िटके फोड़े ।
उत्ति- स) धनुष तोडे
5. ड.) प्रस्िुि पि कौन सी भाषा िें है ?
अ) ब्रज ब) अवधी स) िैधथली ि) खड़ी बोली
उत्ति- ब) अवध
20
नया सिझकर उठाया था। ऐसा परु ाना धनष
ु टूटने से हिारा क्या लाभ। इन िकों द्वारा वे
परशुराि के सिक्ष राि को तनिोष मसद्ध कर रहे थे।
3. पिशुिाम ने अपन कौन-कौन-स पवशेषताओीं दवािा लक्ष्मण को डिाने का प्र्ास कक्ा?
● उत्ति- परशुराि ने लक्ष्िण के िन िें भय उत्पन्न करने के मलए अपनी
तनमनमलखखि ववशेषिाएाँ बिाईं. लक्ष्िण को सठ कहकर चेिाया कक िन
ू े अभी िेरे
स्वभाव के बारे िें नहीं सन
ु ा।
● िैं िुझे बालक सिझकर नहीं िार रहा हूाँ।
● िू िुझे िूखा िुतन सिझने की भूल कर रहा है।
● िैं बाल ब्रह्िचारी और क्षबत्रयों का नाश करनेवाला हूाँ।
● िैंने अनेक बार इस पथ्
ृ वी को जीिकर ब्राह्िणों को िे दिया।
आत्मकथ््
वस्तुननष्ि प्रश्न
1. अरुण कपोल का क्या अथा है ?
[क] लाल गाल
[ख] सूरज
[ग] होंठ
[घ] इनिें से कोई नहीं
2. कवव ने अपने िन को ककस की संज्ञा िी है ?
[क] तििली की
[ख] भाँवरा
[ग] िछली
[घ ] इनिें से कोई नहीं
3. इनिें से कौन-सी चीज जीवन की नश्वरिा को िशाािी है ?
[क] िुरझा कर धगरिे हुए पत्ते
[ख] भाँवरा
[ग] िछली
[घ ] इनिें से कोई नहीं
4. ककिने लोगों ने अपना जीवन इतिहास मलखा है ?
[क] िस
[ख] बीस
21
[ग] असंख्य
[घ ] इनिें से कोई नहीं
5. व्यंग्य िमलन का क्या अथा है ?
[क] काला
[ख] िाला
[ग] प्रेि भरी भोर
[घ ] खराब ढग से तनंिा करना |
उत्तरिाला
1 [क]
2 [ख]
3 [क]
4 [ग]
5 [घ]
कथन एवीं कािण
प्रश्न- 1 कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चतु नए –
1 कथन - कवव अपनी आत्िकथा सरल व सीधी िानिा है |
कारण – िेरा जीव रूपी घड़ा ररक्ि है |
[क] कथन सही है , ककन्िु कारण गलि है |
[ग] कथन व कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
[ग] कथन व कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
22
3 कथन – चााँिनी राि िें पत्नी के साथ बबिाए पल
कवव के जीवन िें खमु शयां प्रिान करिे हैं |
कारण –जीवन िें क्षखणक रस घोल कर , चााँिनी रािों के बीच खखल-खखलाकर िस्
ु कराकर
चली गई |
[ग] [ग] कथन व कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
उत्तरिाला
1.[ग]
2.[क]
3.[ग]
केस स्त्टडी पर आधयररत प्रश्ि
1. पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर तनमनमलखखि कवविा के आधार पर िीम्जए –
[घ ] अपने सख
ु ों के सहारे
23
प्रश्न – 2 कवव के सरल स्वभाव के कारण ककसने धोखा दिया होगा ?
[क] प्रेमिका ने
[ख] मित्रों ने
[ग] संबंधधयों ने
[ख] खश
ु रहना चाहिा है |
[घ ] िस
ू रों की आत्िकथा सन
ु ना चाहिा है |
उत्तरिाला
1.[ ग ]
2.[ ख ]
3.[ घ ]
अनत लघु उत्तिी् प्रश्न
उत्तरिाला
3. िब
ु ल
ा िाओं को
24
दीघघ उत्तिी् प्रश्न
1. उज्ज्वल गाथा कैसे गाउाँ , िधुर चााँिनी रािों की – कथन के िाध्यि से कवव क्या कहना
चाहिा है ?
2. कवव के जीवन के अनुभव ही उसे आत्िकथा मलखने से रोकिे हैं | वे अनुभव क्या है ?
उत्तिमाला
1. कवव कहना चाहिा है कक तनजी प्रेि के िधरु क्षण सबके सािने प्रकट करने योग्य नहीं होिे |
यह व्यम्क्ि के तनजी अनुभव होिे हैं | अंि: इस बारे िें कुछ कहना सही नहीं है |
3. िोगले मित्र ऊपरी िौर पर सच्चा मित्र होने का ढोंग करिे रहे और भीिर ही भीिर कवव के
साथ ववश्वासघाि करिे रहें |उन्होंने स्वयं को कवव के सादहम्त्यक जीवन से भी लाभाम्न्वि
ककया |
उत्साह
वस्तुननष्ि – प्रश्न
25
[ग] जन-जीवन व्याकुल और िख
ु ी हो जािा है |
[घ ] जन जीवन शांि और सुखी हो जािा है |
प्रश्न- 3 बािल और बच्चों की कल्पना िें क्या सिानिा है ?
[क ] िोनों छोटे -छोटे हैं |
[ख] िोनों शोर िचािे हैं |
[ग] िोनों पववत्र व िि
ृ ल
ु हैं |
[घ ] िोनों कोिल हैं |
प्रश्न – 4 कवव के अनस
ु ार बािलों के भीिर क्या तछपा हुआ है ?
[क ] बबजली की कडक
[ख] पानी
[ग] रहस्य
[घ ] काली घटा
प्रश्न – 5 कवव के अनस
ु ार ‘नि
ू न कवविा’ कैसी होनी चादहए ?
[क ] समपण
ू ा संसार िें जोश भर िे ने वाली
[ख] समपूणा संसार को नीरविा से भर िे ने वाली
[ग] समपूणा संसार का अंि कर िे ने वाली
[घ ] उपरोक्ि िें से कोई नहीं
उत्तिमाला
1- [ख]
2- [ग]
3- [ग ]
4- [क ]
5 [क ]
कथन एवीं कािण
26
[ख] कथन गलि है , ककन्िु कारण सही है |
[ग] कथन व कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
[घ] कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं है |
उत्तरिाला
1.[ ग ]
2.[ क ]
3.[ घ ]
केस- स्टड
बािल , गरजो ! –
घेर घेर घोर गगन , धाराधर ओ !
लमलि लमलि , काले घुंघराले
बाल कल्पना के-से पाले ,
ववद्धुि -छवव उर िें , कवव नवजीवन वाले !
27
वज़्र तछपा , नि
ू न कवविा
कफर भर िो-
बाहल गरजो !
1. जन सािान्य की पीड़ा की ओर
28
2 नव सज
ृ न एवं नव चेिना का|
.
प्रश्न- 1 तनराला ने ‘ उत्साह कवविा के िाध्यि से सािाम्जक पररविान के क्या संिेश दिए हैं ?
िकासंगि उत्तर िीम्जए |
प्रश्न- 2 ‘ ववद्युि छवव उर िें कवव नवजीवन वाले | -‘ पंम्क्ि िें कवव क्या कहना चाहिे है ?
29
अट न ीिं र ी ै
प्रश्ि – 1 कवर् के घर को सग
ु ांध से कौि भर र्दे तय है ?
[क] ियगुि की हर्य
[ि] पुष्पों की मयिय
[ग] डयि से धगरे पत्ते
[घ] उपरोक्त में से कोई िहीां
प्रश्ि – 2 कवर्तय के आधयर पर बतयइए कक ककस ऋतु में प्रकृनत की सुांर्दरतय अत््धधक
बढ़ ियती है ?
[क] ियगि
ु में [ि] ग्रीष्म ऋतु में [ग] शीत ऋतु में [ घ] उपरोक्त में से कोई िहीां
प्रश्ि -3 कवर् को उसके आस-पयस कय प्रयकृनतक सौन्र्द्व ------ िग रहय है |
[क] पवर्र
[ि] िर्ीि
[ग] असीम
[घ] वर्धचर
प्रश्ि –4 ‘कही पड़ी है उर में
इस पांजक्त में उर में क््य पड़य है ?
[क] सौन्र्द्व की मयिय
[ि] आकयश के बयर्दि
[ग] हरे और ियि पत्ते
[घ] हल्की िूशबू र्यिे िूि
प्रश्ि -5 ‘अट िहीां रही है – पांजक्त में कवर् क््य कहिय चयहतय है ?
[क] सब िगह सुांर्दरतय िैिी हुई है
[ि] रां ग- बबरां गे िूि -पत्ते छय गए हैं
[ग] [ क ] और [ ि ] र्दोिों
[घ] पतझड़ ्य ग्य है
उत्तरमयिय–
1- [ क ]
2- [ क ]
30
3- [ ग ]
4- [ घ ]
5- [ ग ]
कथि एर्ां कयरण
प्रश्ि- 1 कथि एर्ां कयरण पर वर्चयर करते हुए सही वर्कल्प चुनिए –
कथि – कवर् की आुँि ियगुि की सुांर्दरतय से िहीां हट रही है |
कयरण – ियगि
ु मयस की सांर्द
ु रतय अदवर्ती् है |
[ क ] कथि सही है , ककन्तु कयरण गित है |
[ि] कथि गित है , ककन्तु कयरण सही है |
[ग] कथि र् कयरण र्दोिों सही है तथय कयरण कथि की सही व्यख््य करतय है |
[घ] कथि के लिए कयरण सही व्यख््य िहीां है |
प्रश्ि- 2 कथि एर्ां कयरण पर वर्चयर करते हुए सही वर्कल्प चुनिए –
कथि – बसांत ऋतु में प्रकृनत की सांर्द
ु रतय बढ़ ियती है |
कयरण – इस सम् मिष्ु ् के पयस कयिी सम् होतय है |
[ क ] कथि सही है , ककन्तु कयरण गित है |
[ि] कथि गित है , ककन्तु कयरण सही है |
[ग] कथि र् कयरण र्दोिों सही है तथय कयरण कथि की सही व्यख््य करतय है |
[घ] कथि के लिए कयरण सही व्यख््य िहीां है |
प्रश्ि – 3 कथि एर्ां कयरण पर वर्चयर करते हुए सही वर्कल्प चनु िए –
कथि – कथि = कवर् को ऐसय िगतय है कक प्रकृनत र्दे र्ी िे अपिे गिे में रां ग –बबरां गी
और सुगांधधत िूिों की मयिय पहि रिी है |
कयरण – कयरण- बसांत र्दे र्ी कय आगमि के पररणयम स्त्र्रूप उसे ऐसय करिय पड़तय है |
[ क ] कथि सही है , ककन्तु कयरण गित है |
[ि] कथि गित है , ककन्तु कयरण सही है |
[ग] कथि र् कयरण र्दोिों सही है तथय कयरण कथि की सही व्यख््य करतय है |
[घ] कथि के लिए कयरण सही व्यख््य िहीां है |
उत्तरमयिय–
1- [ ग ]
2- [ क ]
3- [ घ ]
केस – स्त्टडी
31
पछ
ू े गए प्रश्िों के उत्तर निम्िलिखित पद्यांश के आधयर पर र्दीजिए - ---
कहीां सयांस िेते हो,
घर-घर भर र्दे ते हो,
उड़िे को िभ में तम
ु
पर-पर कर र्दे ते हो ,
आुँि हटयतय हूुँ तो
हट िहीां रहीां है |
पत्तों से िर्दी डयि
कहीां हरी , कहीां ियि
कहीां पड़ी है उर में
मांर्द -गांध -पुष्प -मयि
पयट-पयट शोभय -श्री
पट िहीां रही है |
32
2- [ ग ]
3- [ ि ]
अनतिघु प्रश्ि
प्रश्ि -1 ियगुि मयस में कैसी हर्यएां चि रहीां हैं ?
प्रश्ि -2 पत्तों से िर्दी डयि पर कौि-कौि से रां गो की छटय बबिरी हुई है ?
प्रश्ि- 3 ियगुि में कौि – कौि से गीत गयए ियते हैं ?
उत्तरमयिय–
[ 1 ] ियगि
ु मयस में मयर्दक हर्यएां चि रही हैं |
[2 ] हरी – ियि
[ 3 ] ियगुि में होरी , ियग आठर्द गीत गयए ियते हैं |
र्दीघव उत्तरी् प्रश्ि - --
प्रश्ि- 1 ियगुि के प्रयकृनतक सौन्र्द्व की आभय मयिर् -िीर्ि में भी अपिय प्रभयर्
ठर्दियती है , उसकय धचरण मिुष््ों के दर्यरय कैसे कक्य ियतय है , स्त्पष्ट
कीजिए |
प्रश्ि- 2 प्रकृनत और मयिर् के बीच कैसय सांबांध है ?
प्रश्ि- 3 सयांस िेिय ककस जस्त्थनत कय पररचय्क है – लसदध कीजिए |
उत्तरमयिय–
[ 1 ] ियगुि की आभय प्रयकृनतक सौन्र्द्व की आभय है मिुष््ों में िो र्दे िते को
लमितय है , र्ह होिी के रां गों और होिी के िोक – गीतों में प्रस्त्िुठटत हो उितय
है | मयिर् सर्वथय प्रिुजल्ित ठर्दियई र्दे तय है | र्ह होिी के रां गों में रां गय
धचतकबरय ठर्दियई र्दे तय है | उसके धचतकबरे रां ग उसकी प्रसन्ितय को प्रकट
करते हैं |
[2 ] प्रकृनत और मिुष्् के बीच गहरय सांबांध है |र्दोिों एक -र्दस
ू रे के पूरक हैं
|मिुष्् के लिए धरती उसके घर कय आुँगि , आसमयि छत , – चयुँर्द तयरे
र्दीपक , सयगर -िर्दी पयिी के मटके उगयए पेड़ – पौधे आहयर के सयधि है |
[ 3 ] ‘अट िहीां रही है – कवर्तय में ियगि
ु ऋतु में प्रयकृनतक सौन्र्द्व पेड़- पौधों पर
िए-िए िूि -पत्तों के उगिे के रूप में अपिी शोभय को स्त्र्च्छां र्द भयर् से प्रकट
कर रहय है | प्रकृनत की इसी स्त्र्च्छां र्दतय को कवर् िे ‘सयांस िेिे के रूप में
प्रकट कक्य है |
33
्ह दीं तुरित मुसकान
वस्तुननष्ि प्रश्न
उत्तिमाला
1. (ग)
2. (ख)
3. (घ)
4. (ख)
5. (घ)
6. (घ)
कथन एवीं कािण
1 कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन :मशशु कवव को एकटक िे ख रहा था
34
कारण :कवव लमबे सिय बाि घर लौटे थे
पवकल्प
(क) कथन सही है, ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है , ककन्िु कारण सही है |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं है
35
छू गया िि
ु से कक झरने लग पड़े शेफामलका के फूल
बााँस था कक बबल
ू ?
िि
ु िझ
ु े पाए नहीं पहचान ?
िे खिे ही रहोगे अतनिेष !
थक गए हो ?
आाँख लाँ ू िैं फेर ?
क्या हुआ यदि हो सके पररधचि न पहली बार ?
यदि िुमहारी िााँ न िाध्यि बनी होिी आज
िैं न सकिा िे ख
िैं न पािा जान
िुमहारी यह िं िुररि िुसकान
धन्य िुि , िााँ भी िुमहानी धन्य !
धचर प्रवासी िैं इिर , िैं अन्य !
1 मशशु ककस कारण थक गया होगा ?
(क) खेलने से (ख) सोने से (ग) जागने से (घ) अजनबी को लगािार िे खने से
2. कवव ने मशशु की िााँ को धन्यवाि क्यों दिया होगा ?
(क) उनकी सुंिरिा के कारण (ख) घर साँभालने के कारण
(ग) भोजन बनाने के कारण (घ) मशशु से मिलाने के कारण
3 मशशु की िााँ यदि िाध्यि न बनी होिी िो कवव ककस से वंधचि रह जािा ?
(क) मशशु को न िे खने से (ख) मशशु की िस्
ु कान से
(ग) वपिा के एहसास से (घ) उपरोक्ि सभी सही है
उत्तिमाला –
1. घ
2. घ
3. घ
अनत लघु उत्तिी् प्रश्न
प्रश्न 2. कवविा िें धचरप्रवासी का प्रयोग ककसके मलए ककया गया होगा ?
36
प्रश्न 3. आपके अनस
ु ार बच्चे की िस
ु कान क्या-क्या कर सकिी है ?
उत्तिमाला –
1. कवव या अपने वपिा को
2. कवव के मलए
3. िि
ृ क िें जान डालना , हिाश व्यम्क्ि को िुस्कराहट
उत्तिमाला
1. घ
2. घ
3. घ
अनत लघु उत्तिी् प्रश्न
प्रश्न 1. आपके अनस
ु ार मशशु ककसे लगािार िे खिा रहा होगा ?
प्रश्न 2. कवविा िें धचरप्रवासी का प्रयोग ककसके मलए ककया गया होगा ?
उत्ति
37
प्रश्न 1. मशशु की तनश्छल िस
ु कान िें पाषण-दिल को भी द्रववि करने की क्षििा सिादहि है – मसद्ध
कीम्जए |
प्रश्न 2. िं िुररि िुसकान िें बच्चे की उम्र का अनुिान लगाए और िका सदहि उत्तर िीम्जए |
उत्ति
1 िासूि और नािान होने के कारण बच्चे की िुसकान तनश्छल , तनस्वाथा और तनष्ट्कपट होिी
है |साथ ही बच्चा सभी को एक सािान ही िानिा है |
2 आठ िाह से एक वषा िक ,लगभग बच्चों के िांि इसी उम्र िें आिे है | इसी आधार पर हि
बच्चे की उम्र का पिा लगा सकिे है |
3 बच्चे के मलए अनजान व्यम्क्ि को एकटक िे खना , डरना आदि और कवव के मलए उस बच्चे
की िस
ु कान िें अपने मलए सक
ु ू न पाना
फसल
वस्तुननष्ि प्रश्न
1 फसलों िें ककसकी िेहनि तछपी होिी है ?
(क) ककसानों की (ख) बच्चों की (ग) कवव की (घ) इनिें से कोई नहीं
38
(ग) उपरोक्ि िोनों
(घ) इनिें से कोई
6 कवविा िें मिट्टी का गुण-धिा ककसे कहा गया है ?
(क) जल को (ख) फ़सल को (ग) हवा को (घ) धूप को
7 संिली मिट्टी से कवव का क्या अमभप्राय है
(क) चंिन वणी सग
ु ंधधि मिट्टी (ख) चल्
ू हा लीपने के काि आने वाली मिट्टी
(ग) नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी (घ) पहाड़ों से कटकर आने वाली मिट्टी
उत्तिमाला
1. क
2. ग
3. क
4. ग
5. ग
6. ख
7. क
39
(ख) कथन गलि है, ककन्िु कारण सही है |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं है |
३ कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : फ़सल भूरी-काली-संिली मिट्टी का गुण-धिा है |
कारण : मभन्न फ़सल के मलए मभन्न मिट्टी की जरूरि होिी है |
ववकल्प
(क) कथन सही है, ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है, ककन्िु कारण सही है |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं है |
उत्तिमाला-
1. क
2. ख
3. ग
केस स्त्टडी पर आधयररत प्रश्ि
एक के नहीं ,
िो के नहीं ,
ढ़े र सारी नदियों के पानी का जाि ू ;
एक के नहीं ,
िो के नहीं ,
लाख – लाख कोदट – कोदट हाथों के स्पशा की गररिा ;
एक की नहीं ,
िो की नहीं ,
हजार – हजार खेिों की मिट्टी का गुण धिा ;
फसल क्या है ?
और िो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जाि ू है वह
हाथों के स्पशा की िदहिा है
भरू ी – काली – संिली मिट्टी का गण
ु धिा है
40
रूपांिर है सरू ज की ककरणों का
मसिटा हुआ संकोच है हवा की धथरकन का !
1 फसल के मलए पानी कहााँ से आिा है ?
(क) िालाब से (ख) नहरों से (ग)
नदियों से (घ) उपरोक्ि सभी से
उत्तिमाला-
1. फसल िें हजारों खेिों की मिट्टी का गुण-धिा ववद्यिान है |
2. फसल ढे र सारी नदियों के पानी के जाि ू का पररणाि है |
3. संिल का अथा चन्िन होिा है म्जसिें से भीनी-भीनी सुगंध आिी है, जैसे मिट्टी से आिी है |
41
प्रश्न 2 फसल कवविा के िाध्यि से कवव क्या सन्िे श िे ना चाहिे है ?
प्रश्न 3. ‘मिट्टी के गुण-धिा को कैसे सुरक्षक्षि रखा जा सकिा है?’ फसल कवविा के आधार पर स्पष्ट्ट
करें |
उत्तिमाला-
1 फसल उगाने िें प्रकृति और ककसान िोनों का ही योगिान है परन्िु ककसान का िहत्व अधधक
है क्योंकक ककसान कदठन पररश्रि करके खेिों िें जोिना, बोना , सींचना िथा उसिें खाि
आदि डालकर उसकी िे खभाल और रखवाली करिा है |
2 कक प्रकृति और िनुष्ट्य एक-िस
ू रे पर तनभार है | प्रकृति के बबना िनुष्ट्य का जीवन असंभव है
इसमलए हिें प्राकृतिक संसाधनों का िोहन नहीं करना चादहए | प्रकृति को बनाए रखने हे िु
तनरन्िर प्रयास करिे रहना चादहए |
३ मिट्टी िें उपम्स्थि जो प्राकृतिक ित्व फसल को पोवषि और पुष्ट्ट करिे है , वही मिट्टी के
गण
ु -धिा है |मिट्टी की यही गण
ु वत्ता फसल के तनिााण िें आवश्यक भमू िका तनभािी
है|प्रिवू षि जल और रासायतनक उवारक मिट्टी के इन गण
ु ों को सिाप्ि कर रहे है | यहााँ
हिारा िातयत्व है कक मिट्टी को ख़राब करने वाले कारकों को रोके और अधधक से अधधक
प्रकृति का ध्यान रखें|
सींगतकाि
42
उसे ववफलिा नहीं
उसकी िनष्ट्ु यिा सिझा जाना चादहए
1 संगिकार द्वारा अपनी आवाज को िबाए रखने के प्रयास को कवव ने िनुष्ट्यिा िानने के
मलए क्यों कहा है ?
(क) िस
ू रों को सफल बनाने के मलए त्याग के मलए
(क) शारीररक रूप से थक कर धगर जाना (ख) बोधधक रूप से अववकमसि रह जाना
(ग) िानमसक रूप से हार कर बबखर जाना (घ) मशक्षण के क्षेत्र िें असफल होकर रुक जाना
3 कफर से गाया जा सकिा है , गाया हुआ राग – इसिें कवव क्या कहना चाहिे है ?
(क) जीवन के अधूरे कायों को कफर से ककया जा सकिा है
(ख) जीवन की गलतियों को सुधारा जा सकिा है
(ग) सफलिा पाने के मलए ककसी न ककसी का साथ जरुरी है
(घ) सफल होने के मलए ककसी और से त्याग करवाना आवश्यक है
4 इस पद्यांश िें धचबत्रि संगिकार के संिभा िें कौन सा कथन सबसे अधधक सही है –
(क) उसके गायन िें उत्साह है (ख) वह िुख्य गायक बनाना चाहिा है
(ग) उसकी आवाज को िख्
ु य गायक उठािा है (घ) वह िख्
ु य गायक म्जिना ही योग्य
5 जब िनुष्ट्य के सािने कोई -----------नहीं रह जािी , िब उसका हौसला ख़त्ि हो जािा है |
(क) प्रेरणा (ख) योग्यिा (ग) संवि
े ना (घ) सफलिा
6 संगिकार कवविा िें ककसे िख्
ु य भमू िका प्रिान करने का प्रयास ककया गया है ?
(क) जो अपना किा केवल सफलिा के मलए करिे है
(ख) जो ककसी भी कीिि पर जीवन िें असफल नहीं होिे
(ग) जी स्वयं की सफलिा का त्याग कर िस
ू रों का आधार बनिे है
(घ) जो असफलिा को भी सफलिा िें बिलने की दहमिि रखिे है
43
7 संगिकार की आवाज ‘सि
ुं र’ के साथ -साथ किजोर और कांपिी हुई है क्योंकक –
(क) उसिें संगीि के गण
ु ों का अभाव है
(ख) उसे िरू िक स्पष्ट्ट नहीं सुना जा सकिा
(ग) उसिें अपनी गायन कला के प्रति दहचक है
(घ) उस पर िुख्य गायक न बनने के किाव्य का िबाव है
8 संगिकार कभी-कभी यों ही क्यों साथ िे िे िा है ?
(क) मशष्ट्य को प्रमशक्षण िे ने के मलए
(ख) नौमसखखये को राह दिखाने के मलए
(ग) अपने बबखरे सुरों को संवारने के मलए
(घ) अपनी िौजूिगी का अहसास दिलाने के मलए
उत्तिमाला
1. क
2. ग
3. ख
4. घ
5. क
6. ग
7. घ
8. घ
44
(क) कथन सही है, ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है, ककन्िु कारण सही है |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं है |
3 कथन और कारण पर ववचार करिे हुए सही ववकल्प चुतनए –
कथन : जब िुख्य गायक संगिकार का अपिान करिा है |
कारण : िब संगिकार िनुष्ट्यिा का पररचय िे िा है |
ववकल्प
(क) कथन सही है, ककन्िु कारण गलि है |
(ख) कथन गलि है, ककन्िु कारण सही है |
(ग) कथन और कारण िोनों सही है िथा कारण कथन की सही व्याख्या करिा है |
(घ) कथन के मलए कारण सही व्याख्या नहीं है |
उत्तिमाला-
1. ग
2. क
3. ख
केस स्त्टडी पर आधयररत प्रश्ि
पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर तनमनमलखखि पद्यांश के आधार पर िीम्जए ----
45
जैसे उसे याि दिलािा हो उसका बचपन
जब वह नौमसखखया था।
1 संगिकार कौन है ?
(क) िुख्य गायक का छोटा भाई (ख) िुख्य गायक का मशष्ट्य
(ग) िुख्य गायक का कोई ररश्िेिार (घ) उपरोक्ि सभी
2 संगिकार कब से िख्
ु य गायक की ििि करिा रहा है ?
(क) कायाक्रि की शुरुआि से (ख) गाने की शुरुआि से
(ग) जब से िख्
ु य गायक का मशष्ट्य बना (घ) प्राचीन काल से
3 ‘जैसे सिेटिा हो िुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सािान’ से अमभप्राय है—
(क) िुख्य गायक के यंत्र (ख) िुख्य गायक का सुर
(ग) उपरोक्ि िोनों (घ) िोनों िें से कोई नहीं
उत्तिमाला-
1. घ
2. घ
3. ख
अनत लघु उत्तिी् प्रश्न
प्रश्न 1. आवाज से राख जैसा कुछ धगरिा हुआ’ से कवव का क्या अमभप्राय है ?
उत्तिमाला-
1. इससे कवव का अमभप्राय बझ
ु िा हुआ स्वर से है |
2. संगिकार उन दिनों की याि दिलािा है , जब वह नौमसखखया था |
3. िुख्य गायक के पीछे छूटे हुए सुरों को सिेटिा है |
46
1 संगिकार कवविा िें कवव आि लोगों से क्या अपेक्षा करिा है ?
2. मसद्ध कीम्जए कक संगिकार िानविावािी दृम्ष्ट्टकोण अपनािा है ?
३. िान-समिान प्राप्ि करने के मलए सािाम्जक ररश्िे अत्यन्ि आवश्यक है – स्पष्ट्ट कीम्जए |
उत्तिमाला-
1 कवविा के आधार पर कवव की आि लोगों से अपेक्षा है कक म्जस प्रकार आप लोग हिारी
प्रशंसा करिे है उसी प्रकार हिारे संगिकारों की भी प्रशंसा ककया करें | उनके बबना साधना
अधूरी होिी है
2 संगिकार गायन िें कुशल होने पर भी अपने स्वर को िुख्य गायक के स्वर से ऊाँचा नहीं
उठने िे िा , ऐसा करके वह िुख्य गायक का समिान करिा है और अपना फ़जा तनभािा है |
३ िनुष्ट्य एक सािाम्जक प्राणी है | गुणवान ,बुद्धधिान एवं प्रतिभाशाली होने पर भी सफलिा
के चरि मशखर पर पहुाँचने के मलए उसे सिाज का सहारा लेना ही पड़िा है | जब उसके गुणों ,
बुद्धध िथा प्रतिभा को सिाज की शम्क्ि मिलिी है िभी वह िान समिान प्राप्ि करने िें
सफल होिा है |
नेता ि का चश्मा
अब हालिार साहब को बाि कुछ-कुछ सिझ िें आई। एक चश्िेवाला है म्जसका नाि
कैप्टन है। उसे नेिाजी की बगैर चश्िेवाली िूतिा बुरी लगिी है। बम्ल्क आहि करिी
है, िानो चश्िे के बगैर नेिाजी को असुववधा हो रही हो। इसमलए वह अपनी छोटी-
सी िक
ु ान िें उपलब्ध धगने-चन
ु े फ्रेिों िें से एक नेिाजी की ितू िा पर कफट कर िे िा
है। लेककन जब कोई ग्राहक आिा है और उसे वैसे ही फ्रेि की िरकार होिी है जैसा
िूतिा पर लगा है िो कैप्टन चश्िेवाला िूतिा पर लगा फ्रेि संभविः नेिाजी से क्षिा
िााँगिे हुए लाकर ग्राहक को िे िे िा है और बाि िें नेिाजी को िस
ू रा फ्रेि लौटा िे िा
है | वाह ! भई खूब ! क्या आइडडया है।
47
लेककन भाई ! एक बाि अभी भी सिझ िें नहीं आई। हालिार साहब ने पानवाले से
कफर पूछा, नेिाजी का ओररम्जनल चश्िा कहााँ गया ?
48
(III) कैप्टन चश्मे वाला मूनतघ से चश्मे कब बदलता था ?
(क) िस
ू रा चश्िा पहनािे हुए |
49
उत्तर:- I (ख) कैप्टन नाि का चश्िे वाला िूतिा पर चश्िे लगािा है |
V (क) िस
ू रा चश्िा पहनािे हुए |
लेककन आिि से िजबरू आाँखें चौराहा आिे ही ितू िा की िरफ़ उठ गईं । कुछ ऐसा िे खा
कक चीखे, रोको ! जीप स्पीड िें थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक िारे | रास्िा चलिे लोग
िे खने लगे। जीप रुकिे-न-रुकिे हालिार साहब जीप से कूिकर िेज –िेज कििों से
िूतिा की िरफ़ लपके और उसके ठीक सािने जाकर अटें शन िें खड़े हो गए।
ितू िा की आाँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्िा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना
लेिे हैं । हालिार साहब भावुक हैं । इिनी - सी बाि पर उनकी आाँखें भर आईं ।
50
(I) हालदाि साहब के मन में ककस कौम का पवचाि उबल िहा था ?
(क) पानवाले की िक
ु ान वाला स्थान
51
(IV) कैप्टन की मौत के बाद मूनतघ पि कैसा चश््ा था?
(क) लोहे का
(ख) सरकंडे का
(ग) लकड़ी का
(घ) मिट्टी का
(क) उन्हें ववश्वास था कक िूतिा कैप्टन के अभाव िें बबना चश्िे की होगी
(v) (क) उन्हें ववश्वास था कक िूतिा कैप्टन के अभाव िें बबना चश्िे की होगी
52
1 कथन (A):िास्टर जी ने िूतिा को िहीने भर िें बना िे ने का ववश्वास दिलाया।
िूतिाकार थे।
(I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
(II) (II) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन (A) की
सही व्याख्या नहीं करिा है |
(I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
(II) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या नहीं करिा है |
53
उत्तर: 2 (I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
कािण (R):िूतिा िें मसफा एक किी यह थी कक िूतिा िें संगिरिर का चश्िा नहीं
था।
(I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
(II) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या नहीं करिा है |
उत्तर: 3 (II) कथन (A) तथा कारण (R) दोनोों सही हैं परों तु कारण (R) कथन (A) की
सही व्याख्या नहीों करता है |
54
4. कथन (A): चश्िेवाला न िो सेनानी था और न ही िे श की फौज िें था कफर भी लोग
कािण (R): लोग सुभाषचंद्र के प्रति उसका सिपाण िथा राष्ट्रभम्क्ि के भावनावश
उसे
(I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
(II) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या नहीं करिा है |
उत्तर: 4 (I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की
सही व्याख्या करिा है |
55
5. कथन (A): सुभाषचंद्र बोस की िूतिा पर सरकंडे का चश्िा िे खकर हालिार साहब ने
(I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
(II) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन (A) की सही
उत्तर: 5 (I) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं िथा कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करिा है |
56
1 पान वाला एक हाँसोड़ स्वभाव का व्यम्क्ि है परं िु उसके ह्रिय िें संवेिना भी है |”
इस कथन को स्पष्ट्ट कीम्जए |
(ख) कैप्टन के प्रति कठोर दटप्पणी करने वाला पानवाला कैप्टन की ित्ृ यु पर ह्रिय
से कराह उठिा है |
सभी व्यम्क्ि हालिार साहब की िरह सकारात्िक सोच नहीं रखिे हैं | पान वाले की
2 िरह अन्य लोग भी कुछ और सोचिे और कहिे होंगे कक कैप्टन िे शभक्ि न होकर
चिुर व्यम्क्ि है | ऐसे लोगों की क्या क्या दटप्पणी हो सकिी है ?
(क) कुछ लोग कैप्टन को चिरु व्यम्क्ि िानिे होंगे कक कैप्टन ने अपने चश्िे को
बेचने के मलए प्रचार का कैसा अच्छा िाध्यि बना मलया है |
57
जब हालिार साहब ने नेिा जी की िूतिा पर कोई भी चश्िा लगा नहीं िे खा िो वह
(ख) नागररकों के
उत्तर- 1. (ख) कैप्टन के प्रति कठोर दटप्पणी करने वाला पानवाला कैप्टन की ित्ृ यु पर
ह्रिय से कराह उठिा है |
4 (ख) नागररकों के
58
नगरपामलका द्वारा ककसकी िूतिा को कहााँ लगवाने का तनणाय मलया गया?
1.
नेिाजी सुभाषचंद्र बोस की िूतिा को नगरपामलका द्वारा लगवाने का तनणाय मलया गया। इस
ितू िा को कस्बे के बीचोबीच चौराहे पर लगवाने का फैसला ककया गया। िाकक हर आने-जाने
उत्तर-
वाल की दृम्ष्ट्ट उस पर पड़ सके।
.‘नेिाजी का चश्िा’ पाठ के िाध्यि से लेखक ने क्या संिेश िे ने का प्रयास ककया है ?
2
‘नेिाजी का चश्िा’ नािक पाठ के िाध्यि से लेखक ने िे शवामसयों ववशेषकर युवा पीढ़ी को
उत्तर-
राष्ट्र प्रेि एवं िे शभम्क्ि की भावना िजबि
ू बनाए रखने के साथ-साथ शहीिों का समिान
करने का भी संिेश दिया है । िे शभम्क्ि का प्रिशान िे श के सभी नागररक अपने-अपने ढं ग से
काया-व्यवहार से कर सकिे हैं।
हालिार साहब के मलए कैप्टन सहानुभूति का पात्र था ? इसे आप ककिना उधचि सिझिे हैं ?
3.
हालिार साहब जब कैप्टन को फेरी लगािे हुए िे खिे हैं िो उनके िुाँह से अनायास तनकल जािा
उत्तर-
है , िो बेचारे की अपनी िक
ु ान भी नहीं है । वे चश्िेवाले की िे शभम्क्ि के कारण उससे सहानुभूति
रखिे हैं। उनके इस ववचार से िैं पण
ू ि
ा या सहिि हूाँ क्योंकक कैप्टन जैसा व्यम्क्ि सहानभ
ु तू ि का
पात्र है ।
“नेिा जी का चश्िा” पाठ िें नगरपामलका की काया पद्धति पर व्यंग्य तछपा है , उसे अपने
1.
शब्िों िें मलखखए |
नेिा जी का चश्िा” पाठ िें लेखक ने नगरपामलका की काया पद्धति पर व्यंग्य ककया है की
उत्तर-
नगरपामलका का बहुि सारा काि असिंजस िें िथा धचठ्ठी-पत्री जैसी औपचाररकिा िें नष्ट्ट
हो जािा है म्जस के कारण काया होने िें िे री हो जािी है | अंि िें जल्िबाजी िें काया ठीक
ढं ग से भी नहीं ककया जािा | िात्पया यह है कक नगरपामलका की काया पद्धति िें औपचाररकिा
िथा दिखावे को ही अधधक िहत्त्व दिया गया है |
नेिा जी का चश्िा पाठ का उद्िे श्य स्पष्ट्ट कीम्जए |
2.
59
उत्तर- कैप्टन चश्िे वाले के िाध्यि से लेखक ने िे शभम्क्ि की भावना को स्पष्ट्ट ककया है
कक िे श के तनिााण व ववकास की प्रकक्रया िें प्रत्येक नागररक अपने अपने िरीके से
सहयोग करिा है | इस प्रकक्रया िें बड़ों के साथ साथ बच्चे भी शामिल हैं | िे श के
प्रत्येक नागररक और इसकी सभी चीजों से प्यार करने वाला, िे श की सिद्
ृ धध के मलए
प्रयास करने वाला हर नागररक, हर व्यम्क्ि िे श भक्ि है
आपके ववचार से 'पान वाला' या 'कैप्टन' िें से असली लंगड़ा कौन है ? िका सदहि उत्तर
3.
िीम्जए।
कैप्टन शारीररक दृम्ष्ट्ट से लाँ गड़ा है । उसकी शारीररक ववकलांगिा ईश्वर प्रित्त है , लेककन वह
उत्तर-
िानमसक दृम्ष्ट्ट से अत्यंि स्वस्थ है । उसके िन िें िे शभक्िों के प्रति अत्यंि समिान की भावना
है । इसके ववपरीि, पान वाले के िन िें न िो िे शभम्क्ि है और न ही िे शभक्िों के प्रति समिान
की भावना। वह िानमसक रूप से अस्वस्थ एवं ववकलांग है । उसकी दटप्पणी प्रत्येक िे शभक्ि
को िःु खी करिी है । अिः िेरे ववचार से असली या वास्िववक लंगड़ा 'पान वाला' ही है ।
बालगोबबन भगत
60
बालगोबबन भगि की संगीि-साधना का चरि उत्कषा उस दिन िे खा
गया म्जस दिन उनका बेटा िरा । इकलौिा बेटा था वह ! और बोिा-
सा था, ककं िु इसी कारण बालगोबबन भगि उसे और भी िानिे। उनकी
सिझ िें ऐसे आिमियों पर ही ज्यािा नजर रखनी चादहए या प्यार
करना चादहए, क्योंकक ये तनगरानी और िह
ु ब्बि के ज्यािा हकिार होिे
हैं। बड़ी साध से उसकी शािी कराई थी, पिोहू बड़ी ही सुभग और
सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबंधधका बनकर भगि को बहुि कुछ
ितु नयािारी से तनवि
ृ कर दिया था उसने | उनका बेटा बीिार है, इसकी
खबर रखने की लोगों को कहााँ फुरसि ! ककं िु िौि जो अपनी ओर
सबका ध्यान खींचकर ही रहिी है। हिने सन
ु ा, बालगोबबन भगि का
बेटा िर गया ।
61
(III) िगत की पतोहू कुशल प्रबींधधका कैसे थ ?
(IV) 'उनका बेटा ब माि है ,इसकी खबि िखने की लोगों को कहााँ फुिसत।'
कथन से लेखक त्ा कहना चाहता है ?
(ख) गााँव के लोगों ने भगि के बेटे को अस्पिाल िें भिी करा दिया
(V) 'हमने सुना, बालगोबबन िगत का बेटा मि ग्ा' कथन में 'हमने'
शब्द ककसके भलए प्र्ुतत हुआ है?
62
उत्तर:- I. (क) गीि गाए जा रहे थे |
63
(I) िगत ि के चेहिे की सुींदिता ककससे झलकत थ ?
(क) वे गह
ृ स्थ होिे हुए भी साधुओं की िरह आिशों का पालन करिे
थे |
(ग) वे साधओ
ु ं की िरह घर से िरू जीवन यापन करिे थे |
64
उत्तर:- I. (क) सफेि बालों से
IV. (ग) एक गह
ृ स्थ व्यम्क्ि
V. (क) वे गह
ृ स्थ होिे हुए भी साधओ
ु ं की िरह आिशों का पालन
करिे थे |
(ii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं करिा है
65
(iv) कथन (A) गलि है परं िु कारण (R) सही है।
उत्तर: (i) कथन (A)िथा कारण(R) िोनों सही है िथा कारण(R)कथन (A)
की सही व्याख्या करिा है |
(ii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं करिा है
(iv) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही है िथा कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या करिा है |
उत्तर: (iv) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही है िथा कारण (R) कथन
(A)की सही व्याख्या करिा है |
66
3. कथन (A):बालगोबबन भगि की ित्ृ यु गौरवशाली ित्ृ यु थी।
कािण (R):भगि जी अपनी अंतिि सााँस िक प्रभु भम्क्ि िें लीन रहे
िथा तनयमिि दिनचयाा का पालन करिे रहे ।
(ii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं करिा है |
(iii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही है िथा कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या करिा है |
उत्तर: (iii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही है िथा कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या करिा है |
67
4. कथन (A):बालगोबबन भगि साधु नहीं थे वे पक्के गह
ृ स्थ थे और
कबीरपंथ का पालन भी नहीं करिे थे।
(i) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही है िथा कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या करिा है |
(ii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं
करिा है
उत्तर: (iv) कथन (A) गलि है परं िु कारण (R) सही है।
(i) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही है िथा कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या करिा है |
(ii) कथन (A) िथा कारण (R) िोनों सही हैं परं िु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं करिा है
68
(iii) कथन (A) सही है िथा कारण (R) गलि है |
1
(क) अंि सिय िक भम्क्ि भाव िें लीन रहे |
69
िगत का पुत्रवधू को उसके िाई के साथ िेिना उनके चरित्र के ककस
70
1. बालगोबबन िगत के मत्ृ ्ु सींबींध पवचाि दस
ू िों से ककस तिह भिन्न
थे ?
71
1. .बालगोबबन िगत के ग त-सींग त को ककस आपके पवचाि में नाम से
पुकािा िा सकता है?
उत्तर- है, क्योंकक वह भावनात्िक रूप से अपने पररवार से जुड़ी हुई थी। उसे
अपने पति के साथ-साथ अपने ससुर की धचंिा भी थी। इसमलए वह
उनके पास रुककर उनकी िे खभाल करना चाहिी थी। आधुतनक सिय
72
िें इस प्रकार का व्यम्क्ित्व कि ही िे खने को मिलिा है, परं िु कफर
भी इस प्रकार का आिशा आज भी प्रासंधगक है।
लखनवी अंिाज
73
(घ) सुववधा से बैठकर यात्रा करने के मलए
(III) लेखक ने सेकंड क्लास के बथा पर बैठे सज्जन पर क्या कहकर व्यंग्य
ककया ?
(क) सफ़ेिपोश
(ग) लेखक द्वारा उन्हें सेकंड क्लास िें यात्रा करिे िे खने से
74
(V) लेखक ने खीरे को अपिाथा वस्िु क्यों कहा ?
75
हों- यह है खानिानी रईसों का िरीका ! नवाब साहब खीरे की िैयारी
िथा इस्िेिाल से थककर लेट गए । हिें िस्लीि िें मसर खि कर लेना
पड़ा- यह है इनकी खानिानी िहजीब, नफ़ासि और नजाकि |
(III) नवाब साहब ख िे की फााँको को खखडकी के बाहि त्ों फेंक िहे थे?
76
(IV) ‘नजाकत’ शब्द के ठहींदी प्ाघ्वाच शब्द हैं
(घ) उपयक्
ुा ि से कोई नहीं |
उत्तर:- (I) (ख) लेखक की उपम्स्थति िें खाने से उनकी नवाबी को बट्टा
लगिा था |
77
प्रश्न 3. कथन-कािण प्रश्नोत्ति-
78
(IV) कथन (A) और कारण (R) िोनों गलि है |
79
उत्तर: 4 (IV) कथन (A) कारण सही है ( R) सही व्याख्या नहीं हैं |
(घ) उपयक्
ुा ि सभी
80
लखनऊ स्टे शन पर खीरा बेचने वालों को ग्राहकों के बारे िें कौन –सी
3 यदि नवाब साहब खीरा खा लेिे, िो लेखक उनके बारे क्या राय बना
लेिे?
(क) खीरे से अब उनका पेट खराब होगा और यह िुझे परे शान करें गे
(ग) यह व्यम्क्ि कोई नवाब नहीं है, िे खो अकेले ही खीरा खा रहे हैं |
(क) पहले सफेिपोश लोगों को भला-बुरा कहना कफर उनसे िोस्िी करना
(ख) पहले उन्हें अनिे खा करना और बाि िें खीरा खाने को कहना |
81
उत्तर- 1. (ख ) पिनशील सािंिी वगा
3. (ग) यह व्यम्क्ि कोई नवाब नहीं है, िे खो अकेले ही खीरा खा रहे हैं
4 (ख) पहले उन्हें अनिे खा करना और बाि िें खीरा खाने को कहना
1. नवाब साहब की गुलाबी आाँखों िें कौन-सा गवा चिक रहा था?
82
3. लेखक ने भी नवाब साहब की िरह सेकंड क्लास िें यात्रा की ,कफर भी
उसने नवाब साहब के चररत्र िें कमियााँ क्यों तनकालीं ?
उत्तर - है । नवाब साहब के खीरा खाने की पूरी प्रकक्रया िें इन सभी का पूरा
सिावेश है | खीरे को धोना, काटना , िौमलए पर रखना, उस पर
निक- मिचा बुरकना और कफर खाने के मलए ववनम्र आग्रह करना, यह
सब नवाबी संस्कृति के ही भाव हैं |
83
2. नवाब साहब और लेखक िें से आपको ककसिें मिलनसाररिा अधधक
दिखाई िी ?
एक कहानी यह भी
84
वपिा के ठीक ववपरीि थीं हिारी बेपढ़ी - मलखी िााँ । धरिी से कुछ
ज्यािा ही धैया और सहनशम्क्ि थी शायि उनिें | वपिाजी की हर
ज़्याििी को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उधचि - अनुधचि
फ़रिाइश और म्जि को फ़जा सिझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करिी
थीं वे। उन्होंने म्जंिगी भर अपने मलए कुछ िााँगा नहीं ,चाहा नहीं . .
.केवल दिया ही दिया । हि भाई- बदहनों का सारा लगाव
(शायि सहानुभूति से उपजा ) िााँ के साथ था लेककन तनहायि असहाय
िजबूरी िें मलपटा उनका यह त्याग कभी िेरा आिशा नहीं बन सका .
. . . न उनका त्याग, न उनकी सदहष्ट्णुिा । खैर, जो भी हो, अब
पैिक
ृ - परु ाण यहीं सिाप्ि कर अपने पर लौटिी हूाँ ।
(क) धरिी से
(ख). आकाश से
(ग) िािभ
ृ मू ि से
(घ) पत्थर से
85
(III) लेखखका और उसके भाई बहनों का सारा लगाव िााँ के प्रति क्यों था ?
(घ) सदहष्ट्णि
ु ा के कारण
( क ) लेखखका ने
( ख ) लेखखका के वपिा ने
( ग ) लेखखका की बहन ने
( घ ) लेखखका की िााँ ने
86
उत्तर:- (I) (क) धरिी से
(IV) (ग) उन्होंने जीवन भर कुछ िााँगा नहीं, चाह नहीं दिया ही
दिया
प्रश्न-2 ननम्नभलखखत गद्ाींश को पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के भलए सही उत्ति वाले
पवकल्प का च्न कीक्िए |
87
(I) प्रस्िुि अविरण िें ककसके व्यम्क्ित्व की बाि की जा रही है ?
88
(IV) लेखखका के वपिा क्रोधी और शक्की क्यों बन गए थे ?
(V) (ग) वपिा द्वारा अपना सारा क्रोध िााँ पर तनकालने के कारण
89
1 कथन (A) घर की िीवारें िोहल्ले िक फैली रहिी थी ।
90
3. कथन (A) लेखखका वपिा के स्वभाव से टकरािी रही |
(I) कथन (A) सही है , कारण (R) वक्िव्य की व्याख्या सही नहीं है
(IV) कथन (A) कारण गलि है (R) सही व्याख्या नहीं हैं
उत्तर: (I) कथन A सही है, कारण (R) वक्िव्य की व्याख्या सही नहीं है
91
5. कथन (A) लेखखका के वपिा ने प्रधानाचायाा से कहा यह िो पूरे िे श की
पुकार है इसे कोई कैसे रोक सकिा है |
(IV) कथन (A) कारण सही है (R) सही व्याख्या नहीं हैं |
92
2 वपिाजी ने रसोईघर को क्या नाि दिया ?
(क) भंडारशाला
(ख) पाठशाला
(ग) भदटयारखाना
(घ) गौशाला
(क) जल
ु स
ू िें भाग मलया |
(घ) उपयक्
ुा ि सभी
93
उत्तर- 1 ( ग ) दहन्िी अध्यावपका से
2 (.ग ) भदटयारखाना
3 ( घ ) उपयक्
ुा ि सभी
94
1 िन्नू भंडारी की कहानी की ‘एक कहानी यह भी ‘ का िूल संिेश क्या
है? इसिें भावों का ककिना सिावेश है ?
उत्तर- िािा-वपिा द्वारा अपने ही बच्चों की िुलना करके भेि -भाव भरा प्रभाव
पड़िा है । ऐसे व्यवहार से िािा -वपिा द्वारा स्वयं को अपने उपेक्षक्षि
िथा असहाय अनभ
ु व करिे हैं ,म्जससे उनका आत्िववश्वास किजोर
होिा पड़िा है और उन िें हीन भावना की ऐसी ग्रंधथ जन्ि ले लेिी है
म्जससे वह जीवन भर उभर नहीं पािे |
95
नौबतखाने में इबादत
प्रश्न -1 ननम्नभलखखत गद्ाींश को पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के भलए सही उत्ति वाले
पवकल्प का च्न कीक्िए |
अकसर सिारोहों एवं उत्सवों िें ितु नया कहिी है ये बबम्स्िल्ला खााँ हैं ।
बबम्स्िल्ला खााँ का ििलब बबम्स्िल्ला खााँ की शहनाई । शहनाई का
िात्पया- बबम्स्िल्ला खााँ का हाथ। हाथ से आशय इिना भर कक
बबम्स्िल्ला खााँ की फाँू क और शहनाई की जािई
ु आवाज का असर
हिारे मसर चढ़कर बोलने लगिा है। शहनाई िें सरगि भरा है। खााँ
साहब को िाल िालि
ू है, राग िालि
ू है , ऐसा नहीं है कक बेिाले
जाएाँगे। शहनाई िें साि सुर लेकर तनकल पड़े । शहनाई िें
परवरदिगार, गंगा िइया, उस्िाि की नसीहि लेकर उिर पड़े। ितु नया
कहिी सुबहान अल्लाह, तिस पर बबम्स्िल्ला खााँ कहिे हैं –
‘अलहििमु लल्लाह’ | छोटी-छोटी उपज से मिलकर एक बड़ा आकार बनिा
है । शहनाई का करिब शरू
ु होने लगिा है। बबम्स्िल्ला खााँ का संसार
सुरीला होना शुरू हुआ। फाँू क िें अजान की िासीर उिरिी चली आई।
िे खिे-िे खिे शहनाई डेढ शिक के साज से िो शिक का साज बन, साजों
की किार िें सरिाज हो गई | अिीरुद्िीन की शहनाई गाँज
ू उठी। उस
फकीर की िआ
ु लगी म्जसने अिीरुद्िीन से कहा था- ”बजा, बजा।”
(I) सिारोह िथा उत्सवों िें बबम्स्िल्ला खााँ को ककस प्रकार पहचाना जािा
है?
96
(घ) उनके िआ
ु से
(ख) यह सब िेरी है
97
(V) साजों की पंम्क्ि िें तनमन िें से ककसे प्रथि स्थान प्राप्ि है ?
(क) शहनाई को
(ख) ढोलक को
(ग) मसिार को
(घ) सारं गी को
V (क) शहनाई को
प्रश्न-2 ननम्नभलखखत गद्ाींश को पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के भलए सही उत्ति वाले
पवकल्प का च्न कीक्िए |
98
मसखाने वाला नायाब हीरा रहा है जो हिेशा से िो कौिों को एक होने व
आपस िें भाई-चारे के साथ रहने की प्रेरणा िे िा रहा ।
99
(IV) संगीि - साधना के क्षेत्र िें बबम्स्िल्ला खााँ की ववशेषिा थी-
(क) सरल
(ख) मिश्र
(ग) साधारण
(घ) संयक्
ु ि
V (घ) संयक्
ु ि
100
ननम्नभलखखत प्रश्नों में दो कथन ठदए गए हैं ; कथन तथा कािण
/ननष्कषघ | इस प्रश्न का उत्ति ननम्नभलखखत में से कोई एक सही
पवकल्प चुनकि कीक्िए।
101
2 कथन - शहनाई और डुिरााँव एक-िस
ू रे के मलए उपयोगी हैं।
(iii) शहनाई बजाने के मलए म्जस रीड का प्रयोग होिा है, वह डुिरााँव
िें मिलिी है |
102
4. कथन : बबम्स्िल्ला खााँ मिली-जुली संस्कृति के प्रिीक थे।
कारण : बबम्स्िल्ला खााँ िंदिरों िें म्जिने िजे से शहनाई बजािे थे उिने
ही िजे से िम्स्जिों िें भी शहनाई बजािे थे। वे होली का उिना ही
िजा लेिे थे म्जिना ईि का।
(ख) कथन सही है परं िु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करिा है।
5. कथन : शहनाई की ितु नया िें डुिरााँव को याि ककया जािा है।
(क) कथन की सही व्याख्या कारण 1 से है, कारण 2 सही नहीं है।
(ग) कथन की सही व्याख्या कारण 2 से है, कारण 1 सही नहीं है।
103
केस स्त्टडी पर आधयररत प्रश्ि
1 कैसे कहा जा सकिा है कक बबम्स्िल्ला खााँ साहब सच्चे अथों िें भारि
रत्न थे ।
104
बबम्स्िल्ला खााँ हिेशा के मलए संगीि के नायक क्यों बने रहें गे ?
3
(क) शहनाई की जािई
ु आवाज के कारण ।
105
1. बबम्स्िल्ला खााँ को काशी का 'नायाब हीरा' क्यों कहा गया है ?
3. दहरन जंगल िें ककसकी खोज करिा है ? उसकी खोज व्यम्क्ि को क्या
संिेश िे िी है ?
106
दीघघ उत्तिी् प्रश्न
107
2. बबम्स्िल्ला खााँ ने आपस िें भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा िे शवामसयों
को ककस प्रकार िी ?
उत्तर- 'नौबिखाने' का अथा है- प्रवेश द्वार के ऊपर िंगल ध्वतन बजाने का
स्थान और ‘इबािि’ का अथा है - उपासना। काशी िें पंचगंगा घाट म्स्थि
बाला जी के िंदिर की ड्योढ़ी थी । ड्योढ़ी के नौबिखाने िें बबम्स्िल्ला
खााँ बचपन से शहनाई बजाया करिे थे। उनके हर दिन की शरु
ु आि इस
ड्योढ़ी से हुआ करिी थी । उनके अब्बाजान भी यहीं डयोढ़ी पर शहनाई
बजािे थे। नौबिखाने िें इबािि उनके जीवन का िहत्त्वपूणा अंग था ।
शहनाई का ररयाज और सच्चे सुर की पकड़ का अभ्यास यहीं से हुआ
था। उनकी यह इबािि केवल शहनाई बजाने िक सीमिि नहीं थी,
अवपिु उनकी धामिाक उिारिा को भी प्रकट करिी थी । पााँचों वक़्ि की
निाज पढ़ने वाले बबम्स्िल्ला खााँ की बालाजी, ववश्वनाथ एवं संकटिोचन
पर गहरी आस्था थी । इस प्रकार 'नौबिखाने से इबािि' शीषाक
बबम्स्िल्ला की शहनाई वािन कला और उनकी गहरी आस्था को प्रकट
करिा है।
108
संस्कृति
प्रश्न -1 ननम्नभलखखत गद्ाींश को पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के भलए सही उत्ति वाले
पवकल्प का च्न कीक्िए |
(क) आग और सई
ु धागे िें है |
109
(घ) आववष्ट्कार करने और उसका उपयोग करने िें है ।
प्रश्न- 2 ननम्नभलखखत गद्ाींश को पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के भलए सही उत्ति वाले
पवकल्प का च्न कीक्िए |
110
एक संस्कृि व्यम्क्ि ककसी नई चीज की खोज करिा है; ककं िु उसकी
संिान को वह अपने पूवज
ा से अनायास ही प्राप्ि हो जािी है म्जस
व्यम्क्ि की बुद्धध ने अथवा उसके वववेक ने ककसी भी नए िथ्य का
िशान ककया, वह व्यम्क्ि ही वास्िववक संस्कृि व्यम्क्ि है और उसकी
संिान म्जसे अपने पव
ू ज
ा से वह वस्िु अनायास ही प्राप्ि हो गई है , वह
अपने पूवज
ा की भााँति सभ्य भले ही बन जाए, संस्कृि नहीं कहला
सकिा | एक आधुतनक उिाहरण लें | न्यूटन ने गुरुत्वाकषाण के मसद्धांि
का आववष्ट्कार ककया | वह संस्कृि िानव था | आज के युग का भौतिक
ववज्ञान का ववद्याथी न्यूटन के गुरुत्वाकषाण से िो पररधचि है ही ;
लेककन उसके साथ उसे और भी अनेक बािों का ज्ञान प्राप्ि है म्जनसे
शायि न्यूटन अपररधचि ही रहा । ऐसा होने पर भी हि आज के भौतिक
ववज्ञान के ववद्याथी को न्यूटन की अपेक्षा अधधक सभ्य भले ही कह
सके; पर न्यूटन म्जिना संस्कृि नहीं कह सकिे ।
(क) एक कहानी यह भी
(ग) संस्कृति
111
(II) संस्कृि का आशय है -
(क) एक भाषा
(ख) सभ्य
(ग) आववष्ट्कारक
(घ) शभ
ु
(ख) आराि से
(घ) िेहनि से
112
(V) सभ्य कौन है-
ननम्नभलखखत प्रश्नों में दो कथन ठदए गए हैं ; कथन (A) तथा कािण
(R)। इस प्रश्न का उत्ति ननम्नभलखखत में से कोई एक सही पवकल्प
चुनकि कीक्िए।
113
1 कथन (A) संस्कृि व्यम्क्ि नई चीज की खोज करिा है।
(घ) कथन (A) सही है ककं िु कथन (R) उसकी गलि व्याख्या है।
उत्तर: (ग) कथन (A) सही है और कथन (R) उसकी सही व्याख्या है |
114
3. कथन(A) : सभ्यिा का अथा िानव कल्याण से होिा है –
(घ) कथन के अनुसार िोनों (R) (i), (R) (ii) कारण गलि है
115
5. कथन -
1 आज के यग
ु का भौतिक ववज्ञान का ववद्याथी न्यट
ू न की िरह संस्कृि
है। क्या कथन सत्य है ?
(क) सत्य है
(ख) असत्य है
(ग) िोनों है
116
"जो शब्ि सबसे कि सिझ िें आिे है और म्जनका उपयोग सबसे
अधधक होिा है" वे िो शब्ि कौन से है ?
2
(i) सभ्यिा
(ii) संस्कृति
(iii) आिशा
(iv) िूल्य
ववकल्प
(क) i और ii (ख) i और iv
लोग सभ्यिा और संस्कृति पर अपनी कोई स्थाई सोच क्यों नहीं बना
पाए क्योंकक –
3
(i) लोग अपने िनिाने ढं ग से इस्िेिाल करिे है।
117
4 संस्कृति पाठ के आधार पर मलखखए कक जो िनुष्ट्य के मलए कल्याणकारी
नहीं है वह:
2 (क) i और ii
3 (ख) i, ii ,iii
2 आज से ढाई हजार वषा पूवा मसद्धाथा ने अपना घर क्यों छोड़ दिया था?
118
1 िानव संस्कृति के संिभा िें आचरण का क्या िहत्व है ? संस्कृति पाठ
के आधार पर उत्तर िीम्जए।
2. आपकी दृम्ष्ट्ट िें ककस प्रकार िानव दहि िें तनरं िर पररविानशीलिा का
नाि संस्कृति है?
3. न्यट
ू न और आज के भौतिक ववज्ञान के ववद्याथी िें क्या अंिर है ?
119
माता का अँचल
िस्तुननष्ठ प्रश्न
प्रश्ि 1- “मयतय कय अुँचि” ियमक पयि के िेिक कय असिी ियम क््य थय?
क- भोियियथ
ि- तयरकेश्र्र ियथ
ग- महयर्दे र्
घ- िीिकांि
उत्तर – (ि)
प्रश्ि 2 निम्िलिखित कथिों में से कौि सय कथि असत्् होगय -
क- ‘मयतय कय अुँचि’ पयि कय अांश लशर् पूिि सहय् दर्यरय र्दे हयती र्दनु ि्य से लि्य ग्य है |
उतर (घ)
प्रश्ि-3 अमोिय ककसे कहते हैं ?
क- एक प्रकयर की सब्िी
ि- आुँर्िय
ग- अियियस
घ- आम कय उगतय हुआ पौधय
उतर (घ)
120
घ- भेड़ों कय
उतर (ग)
प्रश्ि- 5 भोियियथ के सयथी निम्ि में से कौि-सय िेि िहीां िेिते थे ?
क- लमियई की र्दक
ु यि सियिय
ि- िेती करिय
ग- बयरयत कय िुिूस निकयििय
घ- कक्रकेट िेििय
उतर (घ)
उतर (घ)
प्रश्ि 2- कथि:- भोियियथ के वपतय पूिय पयि करिे के बयर्द अपिी रयमियमाय बही पर हियर बयर रयम
ियम लििय करते थे ।
कयरण:- कयगि के टुकड़ों पर 500 बयर रयम-रयम ियम लििकर आटे की गोलि्ों में िपेट और ्मुिय
िर्दी की ओर चि र्दे ते थे ।
क- कथि सही है ककां तु कयरण उसकी सही व्यख््य िहीां करतय ।
ि- कथि गित है ककां तु कयरण उसकी सही व्यख््य करतय है ।
ग- कथि और कयरण र्दोिों सही हैं।
घ- कथि और कयरण र्दोिों गित ठर्दए गए हैं।
उतर (क)
121
प्रश्ि 3- कथि- मयां को बयबूिी के खििौिे कय ढां ग पसांर्द िहीां थय ।
कयरण- बयबि
ू ी मुझे प्रेम-पूर्क
व ियिय िहीां खिियते थे।
क- कथि और कयरण सही है कयरण कथि की सही व्यख््य करतय है।
ि- कथि सही है ककां तु कयरण गित ठर्द्य ग्य है।
ग- कथि गित है ककां तु कयरण सही ठर्द्य ग्य है
घ- कथि एर्ां कयरण र्दोिों गित ठर्दए गए हैं ।
उत्तर -(ि)
प्रश्ि 2- भोियियथ के वपतय गांगय में एक-एक आटे की गोलि्यां िेंककर मछलि्ों को खिियते थे| ऐसय र्ह
ककस कयरण करते होंगे ?
उत्तर -पशु पक्षक्ष्ों के प्रनत परोपकयर र् पुण्् की भयर्िय के र्शीभूत होकर र्े आटे की गोलि्यां बियकर
मछलि्ों को खिियते होंगे |
प्रश्ि 3 - मयां को बयबि
ू ी के खिियिे कय ढां ग पसांर्द क््ों िहीां थय?
उत्तर- बयबूिी चयर-चयर र्दयिे बच्चों के मुांह में डयिते थे, ऐसय करिे से बच्चय भूिय रह ियतय थय | इसलिए
मयुँ को बयबूिी के खिियिे कय ढां ग पसांर्द िहीां थय |
प्रश्ि 4 - भोियियथ को कौि सी शरयरत महांगी पड़ी?
उत्तर- चूहों के बबि में पयिी डयििय और उसमें से सयांप निकििय, उसे महांगय पड़य l
122
उत्तर- कभी-कभी बयबि
ू ी और भोियियथ के बीच कुश्ती होती थी। उस कुश्ती में बयबि
ू ी कमजोर पड़कर
भोियियथ के बि को बढ़यर्य र्दे ते, जिससे भोियियथ उन्हें हरय र्दे तय थय। बयबूिी पीि के बि िेट ियते और
भोियियथ उिकी छयती पर चढ़ ियतय। िब र्ह उिकी िांबी-िांबी मूुँछें उियड़िे िगतय, तो बयबूिी हुँसते-
हुँसते मूुँछे छुड़यकर उसके हयथों को चूम िेते थे। इस प्रकयर की कुश्ती से वपतय-पुर के बीच आत्मी् सांबांधों
(मधुर सांबांधों) कय पतय चितय है। आि समयि में अधधक धि कमयिे की अांधी र्दौड़ में वपतय-पुर के बीच
इस प्रकयर के सांबांध िुतत होते िय रहे हैं। निधवि र्गव में तो इस प्रकयर के सांबांध किर भी र्दे िे िय सकते हैं,
ककां तु उच्चर्गी् समयि में वपतय के लिए इस प्रकयर के िेिों हे तु सम् निकयििय बहुत कठिि है l
प्रश्ि-2 “मयतय कय अुँचि” ियमक पयि के आधयर पर 'बयि-स्त्र्भयर्' पर अपिे वर्चयर प्रस्त्तुत कीजिए।
उत्तर बयि-स्त्र्भयर् में कोई भी सुि-र्दि
ु स्त्थय्ी िहीां होतय है। बच्चे अपिे मि के अिुकूि जस्त्थनत्ों को
र्दे ि बड़े-से-बड़े र्दि
ु को भूि कर सयमयन्् हो ियते हैं। उन्हें िेि वप्र् होते हैं। र्े मयर अिक
ु ू ि स्त्िेह को
पहचयिते हैं। भोियियथ मयतय के उबटिे पर लससकतय है , ऐसे ही गरु
ु के िबर िेिे पर रोतय है परां तु तरु ां त
ही बयिकों की टोिी र्दे ि उसके लससकिे में एकर्दम िहरयर् आ ियतय है और सयमयन्् होकर िेििे में ऐसे
मस्त्त हो ियतय है कक िगतय ही िहीां की थोड़ी र्दे र पहिे कुछ हुआ हो। अतुः बयि-स्त्र्भयर् में अांतमवि
निदर्ांदर्, निश्छि होतय है।
प्रश्ि-3 'मयतय कय अुँचि' पयि में ग्रयमीण पररर्ेश कय धचरण कक्य ग्य है। आप ग्रयमीण िीर्ि र् शहरी
िीर्ि में क््य अांतर पयते हैं?
उत्तर- 'मयतय कय अुँचि' पयि में िेिक िे ग्रयमीण पररर्ेश कय धचरण करते हुए र्हयुँ की िीर्ि शैिी कय
उल्िेि कक्य है। िहयुँ सयमूठहक र्यतयर्रण है , िोगों के मध्् आत्मी्तय की भयर्िय है, िोग प्रयकृनत के
करीब हैं, बच्चों आधुनिक ्ांरों मोबयइि िोि, कांत्ूटर इत््यठर्द पर सम् व्तीत करिे की िगह
शयरीररक िेि िेिते हैं। इसके वर्परीत शहरों में िोग एकि िीर्ि ्यपि करिे की प्रर्वृ त्त की ओर उन्मुि
हो रहे हैं, िोगों के बीच आत्मी्तय की कमी है , मयतय-वपतय र्दोिों के रोिगयर करिे के कयरण र्े अपिे
बच्चों पर उतिय ध््यि िहीां र्दे पयते, जितिय ग्रयमीण मयतय-वपतय। इस प्रकयर ग्रयमीण र् शहरी िीर्ि में
अत््धधक अांतर ठर्दियई र्दे तय है।
123
उत्तर - बच्चे अबोध होते हैं। उिकी अबोध कक्र्यएां िेि के लिए होती हैं। उन्हें ्ह ज्ञयि िहीां होतय कक
निरीह पशु पक्षी इिसे र्दि
ु पयएाुँगे । र्े उिके र्दि
ु कय अिुभर् िहीां कर पयते ।उन्हें तो बस धचडड़्य के
िड़िड़यिे ्य सयांप के िुिकयरिे करिे में ही आिांर्द लमितय है । इसलिए उन्हें क्रूर ्य अत््यचयरी िहीां कहय
िय सकतय ।िब उन्हें प्रयखण्ों के र्दि
ु र्दर्दव कय बोध होतय है तो र्ह ऐसी हरकतें करिय छोड़ र्दे ते हैं। इसलिए
आर्श््कतय इस बयत की है कक उन्हें प्रयखण्ों के र्दि
ु र्दर्दव कय एहसयस करय्य ियए । हयां, िो िोग समझते
ियिते हुए भी निरीह प्रयखण्ों को सतयते हैं, र्ह पयपी भी हैं ,क्रूर भी हैं और अपरयधी भी हैं।
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प्रश्ि-1 मयतय कय आांचि पयि के अांतगवत हम र्दे िते हैं कक गयांर् के एक बि
ु ग
ु व व्जक्त मस
ू ि नतर्यरी को
बैिू एर्ां उसके लमर लमिकर “बुढ़र्य बेईमयि मयुँगे करै िय कय चोिय” कहकर धचढ़यते हैं । ्ठर्द आप भी बैिू
की लमर मांडिी में शयलमि हो और आपको ्ह कृत्् उधचत िहीां िगतय है तो आप अपिे लमर बैिू को
ककस प्रकयर समझयओगे ?
उतर:- मैं अपिे लमर को समझयऊांगय कक गयांर् में बड़े- बुिुगव व्जक्त अपिे मयतय-वपतय के समयि होते हैं|
अतुः हमें उिकय कभी भी उपहयस िहीां उड़यिय चयठहए । सयथ ही मैं अपिे लमर को बतयऊांगय कक हमयरी
पीढ़ी के सर
ू धयर ्ह बि
ु ग
ु व व्जक्त ही हैं । हमयरी सांस्त्कृनत हमें हमेशय अपिे से बड़ों कय सम्मयि करिय
लसियती है । सयथ ही हमयरी सांस्त्कृनत अपिों से बड़ों कय मियक करिे को पयप के सयमयि भी मयिती हैं ।
मैं अपिे लमर को समझयऊांगय कक र्ह गयांर् के बुिुगव व्जक्त मूसि नतर्यरी से हयथ िोड़कर क्षमय मयांगे
तयकक अन्् बच्चों के लिए भी बैिू एक अच्छय उर्दयहरण प्रस्त्तुत कर सके ।
प्रश्ि-2 मयतय कय आांचि पयि के अांतगवत भोियियथ एर्ां उसके लमर िेिते- िेिते सयांप के बबि में पयिी
उिीचिे िगते हैं, तब सयांप बयहर निकि आतय है और सभी बच्चे डर ियते हैं । ्ठर्द आपकी कक्षय के र्दौरयि
इस प्रकयर से सयांप निकि आए तो आप इस समस्त््य कय ककस प्रकयर सयमिय करें गे ?
उतर- सर्वप्रथम तो ्ठर्द कक्षय में कोई अध््यपक है , तो मैं उन्हें सधू चत करुां गय और ्ठर्द कक्षय में अध््यपक
िहीां है तो मैं वर्द्यधथव्ों को चुपचयप एक पांजक्त बियकर बबिय सयांप को छे ड़े हुए कक्षय- कक्ष से बयहर
िेकर आऊांगय । तत्पश्चयत में उप- प्रयचय्व महोर्द् ्य प्रयचय्व महोर्द् िो भी उसे सम् उपजस्त्थत होंगे
उन्हें इस बयत की सूचिय र्दां ग
ू य । मैं अपिे सहपयठि्ों को अपिे से बड़ों की इस बयत को भी बतयऊांगय कक
िब तक हम सयुँप को स्त्र््ां से कुछ िहीां कहें गे तब तक सयांप भी हमयरय कोई िुकसयि िहीां करे गय ।
प्रश्ि-3 भोियियथ और उसके सयधथ्ों के िेि, आि के िेि और िेि-सयमग्री की अपेक्षय मल्
ू ्ों कय
वर्कयस करिे में अधधक समथव थे। ‘मयतय कय अुँचि’ पयि के आधयर पर स्त्पष्ट कीजिए।
उत्तर - आि बच्चे अधधकयुँश िेि कमरों में रहकर अकेिे िेििय चयहते हैं। इि िेिों में प्र्ुक्त सयमग्री
मशीि निलमवत होती है। इस प्रकयर के िेिों से बच्चे कय मि भी बियर्टी हो ियतय है | उिमें लमरतय,
सह्ोग आठर्द की भयर्िय वर्कलसत ही िहीां हो पयती | इसके वर्परीत भोियियथ के िेि िुिे मैर्दयिों में
िेिे ियते थे। इिमें पक्षक्ष्ों को उड़यिय, िेती-बयरी करिय, बयरयत निकयििय, भोि कय प्रबांध करिय आठर्द
मुख्् थे। इि िेिों में कयम आिे र्यिी सभी र्स्त्तुएुँ हस्त्तनिलमवत होती थी | ्े िेि सयधथ्ों के सयथ िेिे
ियते थे, जििसे सहभयधगतय, सदभयर्, मेि-िोि (लमरतय) आठर्द मूल्् वर्कलसत होते थे। इसके अियर्य
125
इि िेिों की सयमग्री में प्रयकृनतक र्स्त्तए
ु ुँ शयलमि होती थीां िो प्रकृनत से िड़
ु यर् और उसे सांरक्षक्षत करिय
लसियती थी | इससे बच्चों के मि में समयि के सयथ रयष्र-प्रेम कय उर्द् एर्ां वर्कयस होतय थय।
साना-साना ाथ जोड़ि
िस्तुननष्ि प्रश्न
प्रश्न-1. िेखिकय िे गांगटोक को ककसकय शहर कहय है ?
(क) बहयर्दरु व्जक्त्ों कय (ि) ज्ञयिी िोगों कय
(ग) मेहितकश बयर्दशयहों कय (घ) प्रयचीि रीनत्ों कय
उत्तर- (ग) मेहितकश बयर्दशयहों कय
प्रश्न-2.्ूमथयांग गांगटोक से ककतिी र्दरू है ?
(क)146 कक.मी. (ि)149 कक.मी.
(ग)148 कक.मी. (घ)152 कक.मी.
उत्तर- (ि)149 कक.मी.
प्रश्न-3.्ूमथयांग घयटी की क््य वर्शेषतय है ?
(क) इस घयटी की गहरयई बहुत है (ि)्ह घयटी िूिों से भर ियती है
(ि) इस घयटी में िोग ियिे से डरते हैं (घ)इस घयटी में िांगिी ियिर्र अधधक हैं
उत्तर- (ि)्ह घयटी िूिों से भर ियती है
प्रश्न-4. “सयिय सयिय हयथ िोडड़” ियमक पयि में ककस शहर के सौन्र्द्व कय र्णवि है ?
(क)अगरतिय (ि)लशियांग (ग)गांगटोक (घ)लसजक्कम
उत्तर-(ग)गांगटोक
प्रश्न-5. गांगटोक में श्र्ेत पतयकयएुँ ककस अर्सर पर िहरयई ियती थीां ?
(क) मत
ृ क व्जक्त की आत्मय की शयजन्त के लिए (ि)त््ौहयर के अर्सर पर
(ग) हषव के अर्सर पर (घ) ्ुदध के अर्सर पर
उत्तर-(क) मत
ृ क व्जक्त की आत्मय की शयजन्त के लिए
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(ि) कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है |
(ग) कथि A गित है
(घ) इिमें से कोई िहीां
उत्तर- (क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है|
प्रश्न-2. कथि:A सैियनि्ों को प्रकृनत की अिौककक सुन्र्दरतय कय अिुभर् करिे में रै र्ि एिेंसी सहय्तय
करती हैं |
कयरण:R सैियिी कुछ स्त्थयिों पर स्त्र््ां िहीां िय सकते |
(क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है ,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
(ि)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है ,कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है |
(ग)कथि A गित है
(घ)इिमें से कोई िहीां
उत्तर- (क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
प्रश्न-3. कथि:A ्े ठहमलशिर िि स्त्तम्भ हैं पूरे एलश्य के |
कयरण:R पथ्
ृ र्ी पर सयरय िि बिव के रूप में रहतय है |
(क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है ,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
(ि)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है ,कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है |
(ग)कथि A सही है
(घ)इिमें से कोई िहीां
उत्तर- (ग)कथि A सही है
अनत लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.’सयिय सयिय हयथ िोडड़, हयम्रो िीर्ि नतम्रो कसौिी’ कय क््य अथव है?
उत्तर-“छोटे -छोटे हयथ िोड़कर प्रयथविय कर रही हूुँ कक मेरय सयरय िीर्ि अच्छयइ्ों को समवपवत हो |”
प्रश्न 2-इस पयि में भयरत कय जस्त्र्ट्जरिैंड ककसे कहय ग्य है और क््ों ?
उत्तर – ‘कटयओ’ को भयरत कय जस्त्र्ट्जरिैंड ककसे कहय ग्य है क््ोंकक ्ह अभी तक टूररस्त्ट स्त्पॉट िहीां
बिय है और इसीलिए ्हयुँ कय प्रयकृनतक सौन्र्द्व आि भी बरकरयर है |
प्रश्न 3 -“चैरर्ेनत - चैरर्ेनत” कय क््य अथव है ?
उत्तर -“चैरर्ेनत - चैरर्ेनत” कय अथव है- चिते रहो, चिते रहो |
प्रश्न 4-लसजक्कमी ्ुर्ती कय अपिे को इजन्ड्ि कहिय उसकी ककस भयर्िय को र्दशयवतय है ?
उत्तर - लसजक्कमी ्ुर्ती भयरत को अपिय र्दे श मयिती है | र्ह भयरत में ऐसे घुि लमि गई है कक िगतय
ही िहीां कक कभी लसजक्कम भयरत में िहीां थय |्ह उसकी रयष्री्तय की भयर्िय को र्दशयवतय है |
प्रश्न 5 -पहयड़ी कुत्तों की मखण िे क््य वर्शेषतय बतयई है ?
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उत्तर - पहयड़ी कुत्तों की मखण िे क््य वर्शेषतय बतयई कक ्े केर्ि चयांर्दिी रयत में ही भौंकते हैं |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-1.. "र्हीां सुि, शयांनत और सुकूि है . िहयुँ अिांडडत सांपूणत
व य है। पेड़, पौधे, पशु और आर्दमी सब
अपिी-अपिी ि्, तयि और गनत में हैं। हमयरी पीढ़ी िे प्रकृनत की इस ि्, तयि और गनत से खििर्यड़
कर अक्षम्् अपरयध कक्य है।" 'सयिय-सयिय हयथ िोडड़' पयि के आधयर पर बतयइए कक इस अक्षम््
अपरयध कय प्रय्जश्चत मिुष्् ककस प्रकयर कर सकतय है ?
उत्तर- हमयरी पीढ़ी स्त्र्यथवपरक हो गई है। र्ह प्रकृनत के सयथ अिेक प्रकयर के खििर्यड़ कर रही है। मिष्ु ्
अपिे ियभ के लिए र्क्ष
ृ ों कय अांधयधांुध तरीके से र्दोहि कर रहय है। उसिे प्रर्दष
ू ण र् र्क्ष
ृ ों के कटयर् से
प्यवर्रणी् सांति
ु ि बबगयड़ ठर्द्य है। इससे प्रकृनत की ि्, तयि और गनत बबगड़ी है , जिसके भ्यर्ह
पररणयम सयमिे आ रहे हैं। मिुष्् के ऐसे अपरयध अक्षम्् हैं। अतुः उसे प्रय्जश्चत करिे के लिए प्रकृनत
र् प्यवर्रण की करयह सुिकर उिके अिुकूि व्र्हयर करिय होगय। प्रत््ेक व्जक्त पेड़ िगयए और बच्चे
की तरह उिकी र्दे िभयि भी करे । प्रकृनत की सुरक्षय हे तु आर्श््क है कक हम िठर्द्ों में कूड़य-करकट ि
डयिें, अधधक प्वटि स्त्थि ि बियएुँ तथय सतत वर्कयस की अर्धयरणय कय अिुपयिि करते हुए प्रयकृनतक
सांसयधिों कय उप्ोग करें । हमें प्वटि स्त्थिों की प्रयकृनतक शुधचतय को बियए रििय होगय और प्रकृनत
लमर बिकर तियजस्त्टक और पॉलिथीि को िय कहिय होगय।
प्रश्न-2 - ्ूमथयांग के पर्वती् अांचि के िििीर्ि तथय पियमू और गुमिय के िांगिों की ककस समयितय
कय र्णवि िेखिकय िे कक्य है? पयि के आधयर पर उत्तर र्दीजिए।
उत्तर - िेखिकय िे ्म
ू थयांग के पर्वती् अांचि के िििीर्ि तथय पियमू और गम
ु िय के िांगिों में
पररश्रमरत ् जस्त्र्ों के िीर्ि की समयितय कय र्णवि कक्य है। पियमू और गम
ु िय के िांगिों में पीि पर
बच्चे को कपड़े से बयुँधकर आठर्दर्यसी ्ुर्नत्युँ पत्तों की तियश में र्ि-र्ि भटक रही थीां। अधधक चििे
के कयरण उिके पयुँर् िूि गए थे। लसजक्कम में ्े जस्त्र्युँ हयथों में कुर्दयि और हथौड़े िेकर पत्थर तोड़ रही
हैं। ्ह र्दे िकर िेखिकय को ्ही िगय कक चयहे लसजक्कम हो ्य पियमू, आम जिांर्दगी की कहयिी हर िगह
एक-सी है। सयरी मियई एक तरफ़ और सयरे आुँसू, अभयर्, ्यतिय और र्ांचिय एक तरफ़।
प्रश्न-3. ्ूमथयांग में धचतस बेचती ्ुर्ती से लमिकर िेखिकय को क््ों अच्छय िगय?
उत्तर -िेखिकय िे ्म
ू थयांग में धचतस बेचती एक ्र्
ु ती से पछ
ू य- क््य तम
ु लसजक्कमी हो?" तब उसिे उत्तर
ठर्द्य िहीां, मैं इांडड्ि हूुँ।" ्ह सुिकर िेखिकय को अच्छय िगय। उसिे अिुभर् कक्य कक लसजक्कम के
िोग भयरत में लमिकर बहुत प्रसन्ि हैं। पहिे लसजक्कम एक स्त्र्तांर रिर्यड़य थय। तब र्हयुँ टूररस्त्ट
उद्ोग भी इतिय ििय-िूिय िहीां थय, परां तु भयरत में लसजक्कम कय वर्ि् होिे के पश्चयत ् ्हयुँ की जस्त्थनत
में सुधयर हुआ है। लसजक्कम के िोगों िे पूरे मि से भयरत को अपिय र्दे श मयि लि्य है। हर एक लसजक्कमी
व्जक्त भयरती्ों में इस प्रकयर लमि ग्य है कक िगतय ही िहीां, कभी लसजक्कम भयरत में िहीां थय। धचतस
128
बेचती ्र्
ु ती के मयध््म से रयष्री् एकतय के इस स्त्र्रूप को अिभ
ु र् कर िेखिकय को अत््ांत प्रसन्ितय
हुई।
दीघघ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1-"्यरयएुँ मिुष्् को '्ांरर्त ् र् भयर्शून्् होती िीर्ि शैिी से मुजक्त ठर्दियिे में सहय्क होती हैं|"
'सयिय-सयिय हयथ िोडड़' पयि के आधयर पर इस कथि के पक्ष ्य वर्पक्ष में अपिय मत र्दीजिए।
उत्तर- "्यरयएुँ मिुष्् को ्ांरर्त ् र् भयर्शून्् होती िीर्ि शैिी से मुजक्त ठर्दियिे में सहय्क होती हैं|"
मैं इस कथि से पूणत
व ुः सहमत हूुँ। र्तवमयि सम् में शहरी िीर्ि की भयग-र्दौड़ और मिुष्् कय अपिी
भौनतक इच्छयओां की पूनतव के लिए निरां तर प्र्यस करिे की प्रकक्र्य िे उसे एकयकी बिय ठर्द्य है। आि
उसकय िीर्ि केर्ि स्त्र््ां एर्ां अपिे पररर्यर तक ही लसमट ग्य है। उसमें निरां तर भयर्शून््तय रूपी
अर्गुण बढ़तय ही िय रहय है। ऐसी िीरस होती िीर्ि शैिी से मुजक्त ठर्दियिे में ्यरयएुँ बहुत महत्त्र्पूणव
भूलमकय निभयती हैं। 'सयिय-सयिय हयथ िोडड़ पयि में िेखिकय कय प्रयकृनतक सौंर्द्व से अलभभूत होकर अथयवत ्
ठहमयि् पर धगरी बिव, सतत प्रर्यहमयि झरिे, अत््ांत र्ेग से धगरती नतस्त्तय िर्दी, वप्र्त
ु य र् रूडोडेंड्रो के
महकते िूि इत््यठर्द प्रयकृनतक सौंर्द्व से आसक्त होकर ्ह सोचिय कक 'िीर्ि कय आिांर्द ्ही चिय्मयि
सौंर्द्व है, ्ह स्त्पष्ट करतय है कक ्यरयएुँ मिुष्् के िीर्ि में पररर्तवि ियिे मे सक्षम हैं।
प्रश्न 2-पर्वती् क्षेरों पर होिे र्यिी व्यर्सयन्क प्रगनत और वर्कयस कय इि स्त्थिों तथय प्रयकृनतक
र्यतयर्रण पर क््य प्रभयर् पड़ रहय है ? इस प्रभयर् को रोकिे के लिए एक सिग ियगररक के रूप में हम
क््य प्र्यस कर सकते हैं? 'सयिय-सयिय हयथ िोडड़' पयि के आधयर पर उत्तर र्दीजिए।
उत्तर - पर्वती् क्षेरों पर होिे र्यिी व्यर्सयन्क प्रगनत और वर्कयस कय इि स्त्थिों तथय प्रयकृनतक
र्यतयर्रण पर अत््ांत िकयरयत्मक प्रभयर् पड़ रहय है। वर्कयस और प्रगनत के ियम पर इि क्षेरों के प्रयकृनतक
सांसयधिों कय अांधयधुांध र्दोहि कक्य िय रहय है, जिसके कयरण प्रयकृनतक असांतुिि की जस्त्थनत पैर्दय हो गई
है।
इि क्षेरों में प्रर्दष
ू ण अत््ांत तीव्र गनत से बढ़ रहय है। प्रर्दष
ू ण के चिते स्त्िो-िॉि िगयतयर कम होतय िय
रहय है और तयपमयि में असयमयन्् र्द
ृ धध हो रही है। पहयड़ों की बिव तेिी से वपघि रही है , जिससे समुद्र
के ििस्त्तर में बढ़ोतरी की सांभयर्ियएुँ िोर पकड़ रही हैं। र्हीां र्दस
ू री ओर, इि स्त्थयिों कय प्रयकृनतक सौंर्द्व
और सष
ु मय भी अब पहिे िैसी िहीां रही।
इस प्रभयर् को रोकिे के लिए एक सिग ियगररक के रूप में हम उल्िेििी् प्र्यस कर सकते हैं। हम
िोगों को इि स्त्थिों के प्रयकृनतक र्यतयर्रण की सरु क्षय के प्रनत ियगरूक करिे में अहम भलू मकय निभय
सकते हैं। उन्हें सतत वर्कयस कय महत्त्र् समझयकर प्रयकृनतक सांसयधिों के र्दरु
ु प्ोग को िगण्् कर सकते
हैं। हम स्त्थयिी् िोगों की सहय्तय से इि स्त्थिों के लिए वर्शेष सियई अलभ्यि चियकर इि क्षेरों में
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िैिी गांर्दगी को लमटय सकते हैं तथय सयथ ही सैियनि्ों को भी इसके लिए प्रेररत कर सकते हैं। इस प्रकयर
हम पर्वती् क्षेरों के प्रनत अपिय बहुमल्
ू ् ्ोगर्दयि र्दे सकते हैं।
प्रश्न-3.पहयड़ों पर पुरुषों की अपेक्षय जस्त्र्ों कय िीर्ि अधधक कठिियइ्ों से भरय है| उि कठिियइ्ों कय
निर्यरण र्े कतवव्वप्र्तय से करती हैं |- सोर्दयहरण स्त्पष्ट कीजिए |
उत्तर- पहयड़ों पर पुरुषों की अपेक्षय जस्त्र्ों कय िीर्ि अधधक कठिियइ्ों से भरय होतय है , क््ोंकक घरे िू
जिम्मेर्दयरर्ों कय भयर जस्त्र्ों को ही र्हि करिय पड़तय है। घर के सभी सर्दस्त््ों के लिए पीिे के पयिी कय
प्रबांध करिय, ियिय बियिे के लिए ईंधि इकट्िय करिय, मर्ेलश्ों को चरयिय आठर्द कयम जस्त्र्ों को ही
करिे पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें कयफ़ी पररश्रम करिय पड़तय है। अपिे पररर्यर की आधथवक मर्दर्द के लिए,
र्े सड़कें बियिे िैसय र्दस
ु यध्् कय्व भी करती हैं। इि सभी कयमों के सयथ-सयथ उिकी मयतत्ृ र् सयधिय भी
चिती रहती है, हमयरे समयि में बच्चों के पयिि-पोषण की प्रयथलमक जजम्मेर्दयरी जस्त्र्ों को ही निभयिी
पड़ती है। उन्हें पत्थर तोड़िे और सड़क बियिे िैसे ितरियक कयमों को करते सम् अपिे बच्चों को भी
पीि पर बयुँधकर सुँभयििय पड़तय है।
र्े इि सभी कठिियइ्ों कय निर्यरण अत््ांत कतवव्वप्र्तय से करती हैं। भूि, मौत, र्दै न्् और जजांर्दय रहिे
की िांग में भी र्े मुस्त्कुरयती रहती हैं और अपिे कतवव्ों कय सहि भयर् से पयिि करती रहती हैं। इस
प्रकयर की िीर्ि-शैिी को उन्होंिे स्त्र्यभयवर्क तथय सहि रूप से अपिय लि्य है।
केस स्टडी पर आधाररत
प्रश्न-1. ‘सयिय-सयिय हयथ िोडड़’ पयि के अन्तगवत पहयड़ी क्षेरों में कचरे की समस्त््य र्दशयव्ी गई है | आपके
क्षेर में कचरे की समस्त््य िगयतयर बढती िय रही है| इस समस्त््य के समयधयि के लिए आप क््य-क््य
उपय् करें गे?
उत्तर- हम अपिे शहर और मोहल्िे को स्त्र्च्छ और सुांर्दर बियिे के लिए स्त्र््ां सांकल्प िे सकते हैं। िैसे
‘िेर्दम
ु ’ ियमक एक ककिोमीटर के क्षेर में ऐसय मयिय ियतय है कक िो भी ्हयुँ गांर्दगी मचयएगय र्ह मर
ियएगय। इसलिए र्हयुँ के िोग ककसी भी सूरत में गांर्दगी िहीां मचयिे र्दे ते । इसी प्रकयर हम भी ्ठर्द अपिे
िगर, गयांर्, मोहल्िे के बयरे में ऐसय सांकल्प कर िें कक ्हयुँ कोई गांर्दगी िहीां मचयएगय तो हमयरे
िगर,मोहल्िे एर्ां गयांर्-शहर अपिे आप ही स्त्र्च्छ हो ियएांगे तथय स्त्र्च्छतय के प्रनत हमें सभी िोगों को
ियगरूक करिय चयठहए । जिससे र्ह स्त्र््ां सांकल्प िे सकें कक हम अपिे आसपयस ककसी भी तरह की
गांर्दगी िहीां िैियएांग।े
प्रश्न-2. ‘सयिय- सयिय हयथ िोडड़’ पयि के आधयर आपिे र्दे िय कक लसजक्कम के ियगररक अपिे रयष्र के
प्रनत कतवव्निष्ि थे| आप ककस प्रकयर अपिे र्दे श के प्रनत कतवव् निभयकर अपिय प्रेम प्रकट कर सकते
हैं?
उत्तर- लसजक्कम की ्ुर्ती िे अपिे पररच् में स्त्र््ां को लसजक्कमी ि कहकर ‘इांडड्ि’ कहय । इससे पतय
चितय है कक उसमें रयष्रभजक्त प्रमुि थी। हम भी अपिे हर कय्व में रयष्र के मयि-सम्मयि कय ध््यि
130
रिें तो रयष्र प्रेम प्रकट कर सकते हैं। हम अपिय पररच् भयरती् के रूप में र्दें । हर प्रयांत को अपिय प्रयांत
मयिें तभी रयष्र प्रेम सदृ
ु ढ़ हो सकतय है तथय हमें अपिे समयि को ियगरूक करिय चयठहए कक अपिे र्दे श
से िड़
ु ी हर एक चीि में अपित्र् की भयर्िय होिी चयठहए। हमें कभी भी एक र्दस
ू रे के मयि-सम्मयि को
िे स िहीां पहुांचयिी चयठहए और हमें हमेशय प्र्यस करिय चयठहए कक हम अपिे समयि को एक िई उन्िनत
और वर्कयस की ओर अग्रसर करें । अपिे िीर्ि को एक िक्ष्् र्दे िय िय भूिें।
प्रश्न-3. ‘सयिय सयिय हयथ िोड़ी’ पयि में र्दे िय कक जितेि ियगे एक कुशि गयइड हैं| अगर आप एक गयइड
हैं तो आप के अन्र्दर कौि-कौि से आर्दशव गुण होिे चयठहए?
उत्तर- सर्वप्रथम एक कुशि गयइड व्र्हयर कुशि होिय चयठहए। उसे अपिे आसपयस ्य अपिे क्षेर की
भौगोलिक जस्त्थनत तथय वर्लभन्ि स्त्थयिों के महत्र्,उिसे िड़
ु ी रोचक ियिकयरर्ों कय ज्ञयि होिय बहुत
आर्श््क है। एक कुशि गयइड में प्वटक र्यहिों को चियिय भी आिय चयठहए जिससे कभी आर्श््कतय
पड़े तो र्ह ड्रयइर्र की भूलमकय भी निभय सके। कुशि गयइड को हमेशय अपिे प्वटकों के सयथ रहकर
उिकी सुरक्षय सुनिजश्चत करिी चयठहए। हमें प्वटकों के सयथ सर्यांर्द करिे के लिए वर्लभन्ि भयषयओां कय
ज्ञयि भी होिय चयठहए जिससे कक प्वटकों की भयषय को समझकर उन्हें उिकी भयषय में वर्लभन्ि स्त्थयिों
के बयरे में ियिकयरी प्रर्दयि की िय सके। िैस-े िििीर्ि, सांस्त्कृनत तथय धयलमवक मयन््तयओां के बयरे में
र्ह ियिकयरी र्दे सके। र्हयुँ की भौगोलिक जस्त्थनत के बयरे में तथय र्हयुँ कय किोर िीर्ि शैिी के बयरे में
बतयिय। एक कुशि गयइड में सबसे महत्र्पूणव है कक र्ह मयिर्ी् सांर्ेर्दियओां को समझ सके और अपिी
मधुर भयषय शैिी से प्वटकों को वर्लभन्ि स्त्थयिों की सुांर्दरतय कय गुणगयि ि कर बजल्क उसके महत्र् को
बतयिय चयठहए।
131
मैं क्यों ललखता ँ
िस्तनु नष्ठ प्रश्न
प्रश्ि-1. िेिक को ठहरोलशमय पर कवर्तय लिििे की प्रेरणय ककससे लमिी ?
(क) ठहरोलशमय की ्यरय के सम् पत्थर पर उभरी एक छय्य से
(ि) अपिे पड़ोलस्ों से
(ग) अपिी मयुँ से
(घ) अख़बयर में छपे िेिों से
उत्तर- (क)ठहरोलशमय की ्यरय के सम् पत्थर पर उभरी एक छय्य से
प्रश्ि-2.अिुभर् और अिुभूनत में क््य अन्तर है?
(क)अिुभर् आर्श््कतय है और अिुभूनत िक्ष्् (ि) अिुभर् से अिुभूनत प्रयतत होती है
(ग) अिुभर् अिुभूनत से गहरय होतय है (घ) अिुभर् से अिुभूनत गहरी चीि है
उत्तर- (घ) अिुभर् से अिुभूनत गहरी चीि है
132
कथन एििं कारण पर आधाररत प्रश्न
प्रश्ि-1. कथि: A लिििे की प्रेरणय कय सर्यि जितिय सीधय प्रतीत होतय है , उतिय है िहीां |
कयरण: R िेिि अांतमवि की अिुभूनत से होतय है |
(ङ) कथि A और कयरण R र्दोिों सही है ,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
(च) कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है |
(छ) कथि A गित है
(ि) इिमें से कोई िहीां
उत्तर- (क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
प्रश्ि-2. कथि:A अिुभर् से अिुभूनत गहरी चीि होती है|
कयरण:R अिुभर् घठटत घटिय कय होतय है ,ककन्तु अिुभूनत सांर्ेर्दिय और कल्पिय के सहयरे उस सत्् की होती है |
(क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
(ि)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है|
(ग)कथि A गित है
(घ)इिमें से कोई िहीां
उत्तर- (क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
प्रश्ि-3. कथि:A िेिक के मि में वर्ज्ञयि के र्दरू
ु प्ोग के प्रनत बौदधधक वर्द्रोह थय |
कयरण:R िेिक वर्ज्ञयि वर्ष् कय नि्लमत छयर थय |
(क)कथि A और कयरण R र्दोिों सही है,कयरण R कथि A की सही व्यख््य करतय है |
(ि) कथि A और कयरण R र्दोिों सही है ,कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है |
(ग) कथि A और कयरण R गित है
(घ) इिमें से कोई िहीां
उत्तर- (ि) कथि A और कयरण R र्दोिों सही है, कयरण R कथि A की सही व्यख््य िहीां करतय है|
अनत लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्ि 1- िेिक को ठहरोलशमय पर लिििे की प्रेरणय ककससे लमिी?
उत्तर- िेिक को ठहरोलशमय पर लिििे की प्रेरणय ठहरोलशमय की ्यरय के सम् पत्थर पर उभरी मयिर् छय्य से लमिी |
प्रश्ि 2 -िेिक क््ों लिितय है?
उत्तर - िेिक भीतरी वर्र्शतय र् बयहरी र्दबयर् के कयरण लिितय है |
प्रश्ि 3-िेिक को र्दस
ू रों की पीड़य कय प्रत््क्ष अिभ
ु र् कब हुआ?
उत्तर - िेिक को र्दस
ू रों की पीड़य कय प्रत््क्ष अिुभर् ठहरोलशमय में आहत िोगों को र्दे िकर हुआ ?
प्रश्ि 4- ठहरोलशमय पर अणु बम कब डयिय ग्य?
133
उत्तर- ठहरोलशमय पर अणु बम 6 अगस्त्त 1945 को डयिय ग्य |
प्रश्ि 5- प्रत््क्ष अिुभर् की अपेक्षय िेिि में कौि मर्दर्द करतय है?
उत्तर- प्रत््क्ष अिुभर् की अपेक्षय िेिि में अिुभूनत मर्दर्द करती है |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-1. पयि के आधयर पर बतयइए कक एक िेिक के लिए स्त्र्भयर् और आत्मयिुशयसि कय क््य महत्त्र् होतय है ?
उत्तर- एक िेिक के लिए स्त्र्भयर् और आत्मयिुशयसि कय बहुत महत्त्र् है। कुछ िेिकों कय स्त्र्भयर् ऐसय होतय है कक र्े
बयहरी र्दबयर् पड़े बबिय कुछ लिि ही िहीां पयते। ्ह र्दबयर् भीतरी वर्र्शतय को प्रर्दलशवत करिे के लिए होतय है। ऐसे में
बयहरी र्दबयर् िेिक के लिए सहय्क ्ांर के रूप में कय्व करतय है। इस सांबांध में िेिक कय मत ्ह है कक उसे इस प्रकयर
के र्दबयर् अथर्य सहयरे की कोई आर्श््कतय िहीां है।
प्रश्ि-2 “रचियकयर की भीतरी वर्र्शतय ही उसे िेिि के लिए मिबूर करती है और लििकर ही रचियकयर उससे मुक्त
हो पयतय है।“ 'मैं क््ों लिितय हूुँ' पयि के आधयर पर ठहरोलशमय की घटिय से िोड़ते हुए इस कथि की पुजष्ट कीजिए।
उत्तर- रचियकयर की भीतरी वर्र्शतय ही उसे िेिि के लिए मिबूर करती है, िोकक आांतररक अिुभूनत से उत्पन्ि होती
है। ककसी घटिय कय अिुभर् िब बहुत गहरय होतय है, तब मि में सांर्ेर्दिशीितय उत्पन्ि होती है और ्ही अिुभूनत
अलभव्जक्त कय आधयर बिती है।
अतुः बयहरी र्दबयर् की अपेक्षय िेिि के लिए आांतररक अिुभूनत कहीां अधधक प्रभयर्ी है। रचियकयर िे ठहरोलशमय की
वर्भीवषकय को पत्थर पर उतरी मिुष्् की छय्य को र्दे िकर महसूस कक्य और इसी अिुभूनत के घिीभूत होकर उसिे
ठहरोलशमय पर कवर्तय लिि र्दी। अिुभूनत के स्त्तर पर िो वर्र्शतय होती है , र्ह बौदधधक पकड़ से आगे की बयत है।
प्रश्न-3. प्रत््क्ष अिभ
ु र् और अिभ
ु नू त में क््य अांतर होतय है ?
उत्तर- प्रत््क्ष अिुभर् सयमिे घटी र्यस्त्तवर्क घटिय कय होतय है। ्ह आर्श््क िहीां कक र्ह अिुभर् र्दे ििे र्यिाे के
मि में गहरी अिुभूनत िगय ियए। अिुभूनत आांतररक होती है। िब ककसी के मि में ककसी भयर् की गहरी व्यकुितय
ियग उिती है तो र्ह अिुभनू त कहियती है। अिुभूनत से ही लिििे की प्रेरणय ियगती है।
दीघघ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्ि 1- िेिक कय ठहरोलशमय में हुए बम वर्स्त्िोट से प्रभयवर्त व्जक्त्ों से सयक्षयत्कयर ककस प्रकयर हुआ, उसे ्ह सब
र्दे िकर कैसय महसस
ू हुआ?
उत्तर- एक बयर िेिक िे ियपयि ियिे पर ठहरोलशमय के उस अस्त्पतयि को भी र्दे िय, िहयुँ रे डड्ोधमी पर्दयथव से आहत
िोग र्षों से कष्ट पय रहे थे। इस प्रकयर उसे इसकय प्रत््क्ष अिुभर् हुआ। उसे िगय कक कृनतकयर के लिए अिुभर् से
अिुभूनत गहरी चीज है। ्ही कयरण है कक ठहरोलशमय में सब र्दे िकर भी उसिे तत्कयि कुछ िहीां लििय। किर एक ठर्दि
उसिे र्हीां सड़क पर घूमते हुए र्दे िय कक एक ििे हुए पत्थर पर एक मयिर् की िांबी उििी छय्य है। उसकी समझ में
आ्य कक वर्स्त्िोट के सम् कोई र्हयुँ िड़य रहय होगय और वर्स्त्िोट से बबिरे हुए रे डड्ोधमी पर्दयथव की ककरणों िे उसे
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भयप बियकर उड़य ठर्द्य होगय। ्ह र्दे िकर उसे िगय कक समच
ू ी रे िडी िैसे पत्थर पर लििी गई है। उसी क्षण अणु
वर्स्त्िोट िैसे उसकी अिभ
ु ूनत में आ ग्य और उसे िगय िैसे र्ह सांपण
ू व घटिय कय भोक्तय बि ग्य है।
प्रश्न-2. ठहरोलशमय की घटिय कय उल्िेि करते हुए बतयइए कक मिुष्् ककि-ककि रूपों में वर्ज्ञयि कय र्दरु
ु प्ोग करिे
में प्रर्त्त
ृ होतय िय रहय है?
उत्तर- आिकि वर्ज्ञयि कय र्दरु
ु प्ोग अिेक ियििेर्य कयमों के लिए कक्य िय रहय है। आि आतांकर्यर्दी सांसयर-भर में
मिचयहे वर्स्त्िोट कर रहे हैं। कहीां अमेररकी टयर्रों को धगरय्य िय रहय है। कहीां मब
ुां ई बम-वर्स्त्िोट ककए िय रहे हैं। कहीां
गयडड़्ों में आग िगयई िय रही है। कहीां शजक्तशयिी र्दे श र्दस
ू रे र्दे शों को र्दबयिे के लिए उि पर आक्रमण कर रहे हैं।
िैसे- अमेररकय िे इरयक पर आक्रमण कक्य तथय र्हयुँ के िि-िीर्ि को तहस-िहस कर डयिय। वर्ज्ञयि के र्दरु
ु प्ोग
से धचककत्सक बच्चों कय गभव में भ्रूण परीक्षण कर रहे हैं। इससे ििसांख््य कय सांतुिि बबगड़ रहय है। वर्ज्ञयि के
र्दरु
ु प्ोग से ककसयि कीटियशक और िहरीिे रसय्ि नछड़क कर अपिी िसिों को बढ़य रहे हैं। इससे िोगों कय
स्त्र्यस्त्थ्् िरयब हो रहय है। वर्ज्ञयि के उपकरणों के कयरण ही र्यतयर्रण में गमी बढ़ रही है , प्रर्दष
ू ण बढ़ रहय है , बिव
वपघििे कय ितरय बढ़ रहय है तथय रोि-रोि भ्ांकर र्दघ
ु ट
व ियएां हो रही है।
प्रश्ि 3-अिुभूनत के स्त्तर पर िी वर्र्शतय होती है , बौदधधक पकड़ से आगे की बयत है और उसकी तकव सांगनत भी अिग
होती है- स्त्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- िेिक को वर्ज्ञयि कय नि्लमत छयर होिे के कयरण ियिकयरी थी, पुस्त्तकी् ्य सैदधयनतक ज्ञयि थय कक कैसे
रे डड्म-धमी पर्दयथों कय अध्््ि करते हुए हम वर्ज्ञयि की उस सीढ़ी तक पहुुँचे, िहयुँ अणु कय भेर्दि सांभर् है और
रे डड्म-धलमवतय के क््य प्रभयर् होते हैं। किर िब ठहरोलशमय पर अणु-बम धगरय तो उसिे उसके समयचयर पढ़े और उसके
परर्ती प्रभयर्ों के बयरे में भी पड़य। वर्ज्ञयि के र्दरु
ु प्ोग के प्रनत िेिक के मि में वर्द्रोह हुआ और उसिे िेि लिि ठर्द्य।
िेिक मयितय है िेि तो लििय ककां तु उसमें अिुभूनत से उत्पन्ि िो वर्र्शतय होती है , िो अांतुःहृर्द् से उमड़ी पीड़य होती
है अथयवत भोक्तय की िो पीड़य होती है र्ह शब्र्दों में स्त्र््ां निस्त्सत
ृ होती है , उसकय अभयर् हो सकतय है। अिुभूनत के स्त्तर
पर लििी 'ठहरोलशमय' अिुभूनत की पीड़य थी। ऐसी पीड़य िेि में िहीां हो सकती क््ोंकक र्ह अिुभूनत स्त्र््ां भोक्तय की पीड़य
िहीां थी | इसलिए िेिक िे कहय कक अिभ
ु नू त के स्त्तर पर िो वर्र्शतय होती है , र्ह बौदधधक पकड़ से आगे की बयत है
और उसकी तकव सांगनत भी अिग होती है |
केस स्टडी पर आधाररत
प्रश्ि1 - पत्थर पर मयिर् छय्य र्दे िकर िेिक को एक थतपड़-सय िगय, क््ों? ्ठर्द िेिक की िगह आप होते तो आपकी
प्रनतकक्र्य क््य होती? अपिे शब्र्दों में लिखिए।
उत्तर- पत्थर पर मयिर् छय्य र्दे िकर िेिक को एक थतपड़-सय इसलिए िगय, क््ोंकक उस मयिर् आकृनत को र्दे िकर
उसके समक्ष दवर्ती् वर्श्र््द
ु ध की र्ह घटिय चिय्मयि हो गई थी, िब ठहरोलशमय र् ियगयसयकी में परमयणु बम
वर्स्त्िोट हुआ थय। जिसिे ियपयि को अत््धधक क्षनत पहुुँचयई थी। सयथ ही िेिक को मिुष्् दर्यरय वर्ज्ञयि को मयिर्ी्तय
वर्रोधी रूप में प्र्ोग करिे के कयरण आत्मग्ियनि कय-सय भयर् महसूस हो रहय थय। क््ोंकक जिस वर्ज्ञयि कय उप्ोग
मिुष्् की प्रगनत एर्ां वर्कयस के लिए कक्य ियिय चयठहए उसी कय प्र्ोग मयिर्ी्तय के वर्रोधी रूप में कक्य िय रहय थय।
135
्ठर्द िेिक के स्त्थयि पर मैं होतय तो मेरी जस्त्थनत भी िेिक के समयि ही होती, क््ोंकक इस सांपण
ू व कृत्् के लिए मिष्ु ्
ही जिम्मेर्दयर थय।
प्रश्ि 2-"मै क््ों लिितय हूुँ” पयि में र्खणवत ठहरोलशमय की घटिय क््य थी? पूरे वर्श्र् को ऐसी घटियओां से कैसे बचय्य िय
सकतय है ?
उत्तर- 'मैं क््ों लिितय हूुँ’ पयि में ठहरोलशमय की घटिय मयिर् आकृनत को र्दे िकर उसके समक्ष दवर्ती् वर्श्र््ुदध की
र्ह घटिय चिय्मयि हो गई थी, िब ठहरोलशमय र् ियगयसयकी में परमयणु बम वर्स्त्िोट हुआ थय, जिसिे ियपयि को
अत््धधक िुकसयि पहुुँचय्य थय। सयथ ही िेिक को मिुष्् दर्यरय वर्ज्ञयि को मयिर्ी्तय वर्रोधी रूप में प्र्ोग करिे के
कयरण आत्मग्ियनि कय िो भयर् महसूस हो रहय थय, क््ोंकक जिस वर्ज्ञयि कय उप्ोग मिुष्् की प्रगनत एर्ां वर्कयस के
लिए कक्य ियिय चयठहए, उसी कय प्र्ोग मयिर्ी्तय के वर्रोधी रूप में कक्य िय रहय थय।
पूरे वर्श्र् को ऐसी घटियओां से निम्ि कयरणों से बचय्य िय सकतय है-
-वर्ज्ञयि दर्यरय प्रर्दत्त उपिजब्ध्ों कय प्र्ोग मयिर्ियनत के उत्थयि के लिए।
-वर्द्ुत शजक्त कय प्र्ोग उधचत तरीके से करिे पर बि र्दें |
-कृवष सुधयर र् उद्ोग-धन्धों की उन्िनत में सहय्क पदधनत एर्ां उपकरणों से ियगररकों को अर्गत करयएुँ।
प्रश्ि 3- सैनिकों दर्यरय ब्रह्मपर
ु िर्दी में बम िेंककर मछलि्ों को मयरिय" र्तवमयि में मिष्ु ् की ककस प्रर्वृ त्त की ओर
सांकेत करतय है ?
उत्तर - सैनिकों दर्यरय ब्रह्मपुर िर्दीां में बम िेंककर मछलि्ों को मयरिय मिुष्् की अनतक्रमण एर्ां सांपूणव वर्श्र् पर अपिे
प्रभुत्र् को बियए रििे की प्रर्वृ त्त की ओर सांकेत करतय है। मिुष्् की इसी प्रर्वृ त्त कय पररणयम थय कक ठहरोलशमय र्
ियगयसयकी में बम वर्स्त्िोट कक्य ग्य। र्तवमयि सम् में मिुष्् अपिे झूिे अहम ् के कयरण ककसी भी सीमय तक िय
सकतय है। र्ह अपिे कृत्् से होिे र्यिी हयनि कय वर्श्िेषण िहीां करतय, अवपतु अपिे अहम ् के झूिे तुष्टीकरण के लिए
मयिर्तय वर्रोधी कय्व भी बबिय ककसी भ् के कर र्दे तय है। मिुष्् की इसी प्रर्वृ त्त की ओर िेिक िे मछलि्ों के उर्दयहरण
से सांकेत कक्य है।
अनुच्छेद लेखन
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(क) अनुच्छेद वलखने से पहले रूपरे खा, सोंकेत-वबोंदु आवद बनानी चावहए।
(ख) भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभािशाली होनी चावहए
(ग) अनािश्यक विस्तार से बचें, लेवकन विषय से न हटें ।
(घ) उपयुिक्त सभी
उत्तर- (घ) उपर्ुुक्त सभी
प्रश्न 3- वनम्नवलखखत में से अनुच्छेद का एक प्रकार नहीों है ..
(क) विचार प्रधान अनुच्छेद
(ख) कल्पना आधाररत अनुच्छेद
(ग) सावहत्य प्रधान अनुच्छेद
(घ) भाि प्रधान अनुच्छेद
उत्तर- (ग) सातित्य प्रधान अनुच्छेद
प्रश्न 4- नीचे अवनयोवजत तरीके से कुछ िाक्य वदए गए हैं ,इन्हें सुवनयोवजत कर के ‘िसोंत ऋतु’ के वलए
एक अनुच्छेद वलखखए-
(1) भााँवत-भााँवत के सुगोंवधत पुष्ोों पर भौरे गोंजने लगते हैं। सरसोों के खेतोों को दे खकर प्रतीत होता
है मानो प्रकृवत ने पीली चादर ओढ़ ली है।
(2) िास्ति में दे खा जाए तो िसोंत मौज-मस्ती, मादकता तथा सौोंदयि की ऋतु है। इस ऋतु में
भ्रमण करने से अजीब आनोंद वमलता है।
(3) िषाि यवद ऋतुओों का रानी है तो िसोंत “ऋतुराज” है। ऋतुराज िसोंत फाल्गुन, चैत्र एिों िैशाख
मास में आता है।
(4) िसोंत अत्योंत सौोंदयियुक्त ऋतु है। इस समय न अवधक गमी होती है , और न अवधक सदी।
(5) इसी ऋतु में िसोंत पोंचमी का त्योहार मनाया जाता है। िसोंत ऋतु का प्रारों भ ही िसोंत पोंचमी
से होता है।
(6) कहते हैं , इसी वदन ज्ञान की दे िी सरस्वती का जन्म हुआ था। अतः िसोंत पोंचमी के वदन
धमधाम से सरस्वती दे िी की पजा-अचिना विद्याथी करते हैं।
(7) िसोंत की सुहािनी िायु मन को आनोंवदत कर दे ती है। िृक्ोों के सखे पत्ते झड जाते हैं। प्रकृवत
नए-नए िस्त्र धारण करके, नतन श्ृोंगार करके एक दु ल्हन की भााँवत सज-धज कर आती है।
उत्तर- सुतनर्ोतिि क्रम- 4,3,5,6,7,2,1
प्रश्न 5- वनम्नवलखखत विषयोों पर वदए गए सोंकेत वबोंदुओों के आधार पर 120 शब्ोों में अनुच्छेद वलखखए।
(1) विकास की दे न दवषत पयाि िरण
संकेि त ंदु : भवमका ,विकास के नकारात्मक प्रभाि, विज्ञान के आविष्कार, पयाििरण
का बचाि
उत्तर-पयाििरण और विकास परस्पर जुडे हुए हैं। पयाििरण पर विचार वकए वबना विकास के बारे
में नहीों सोचा जा सकता। विकास एक सतत चलने िाली प्रविया है। हालााँवक विकास के कुछ
सकारात्मक और नकारात्मक पररणाम होते हैं। यवद पयाििरण पर विचार वकए वबना विकास
वकया जाता है, तो इसका पयाििरण पर नकारात्मक प्रभाि पडता है। पयाििरण से तात्पयि िायु,
जल और भवम से है। इन सभी कारकोों का मानि के साथ अोंतसंबोंध होता है। आज मनुष्य वदनोों-
वदन विकास के मागि में अग्रसर है , वकोंतु इस विकास के चलते िो अपना अखस्तत्व ही खतरे में
डाल रहा है तथा िह इस बात से अनवभज्ञ है। ज्ोों-ज्ोों मानि सभ्यता का विकास हो रहा है , त्योों-
त्योों पयाििरण में प्रदषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के विया-कलाप और
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उसकी जीिन-शैली काफी हद तक वजम्मेदार हैं। सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने कई
नए आविष्कार वकए हैं, वजनसे औद्योगीकरण को बढ़ािा वमला है। आधुवनकीकरण एिों
जनसोंख्या िृखि के कारण मनुष्य वदन-प्रवतवदन िनोों की कटाई करते हुए खेती और घर के वलए
जमीन को पेडोों से खाली करता जा रहा है। विज्ञान हर नए अनुसोंधान के साथ मानि जीिन को
अवधक सरल बनाता चला जा रहा है। आज विज्ञान के बढ़ते चहुाँ ओर विकास के कारण मानि
दु वनया के हर क्ेत्र में अग्रसर वदखाई दे रहा है। मानि ने विज्ञान की सहायता से पृथ्वी पर उपलब्ध
हर चीज़ को अपने काब में कर वलया है। विज्ञान की सहायता से आज हम ऊाँचे आसमान में उड
सकते हैं ि गहरे पानी में सााँस ले सकते हैं। आज विज्ञान के वनत नए आविष्कार हमारे जीिन में
रोज चमत्कार उत्पन्न कर रहें हैं। आविष्कारोों ने हमारे जीिन को जवटलता से सरलता की ओर ला
वदया है , वकोंतु इसका हमें बहुत बडा नुकसान भी उठाना पड रहा है और िो है -प्रदवषत
पयाििरण। अोंततः कहा जा सकता है वक वकसी भी समाज के वलए विकास करना अपेक्ाकृत
काफी कवठन होता है, वकोंतु विकास के साथ-साथ हमें अपने पयाििरण का भी ध्यान रखना होगा
तभी विकास सफल कहलाएगा अन्यथा हमें दवषत िातािरण ही वमलेगा।
(2) विज्ञान की अद् भुत खोज: मोबाइल फोन
संकेि त ंदु : भवमका, सोंचार के क्ेत्र में िाोंवत,सस्ता एिों सुलभ साधन, लाभ और हावनयााँ
उत्तर- विज्ञान ने मानि जीिन को विविध रूपोों में प्रभावित वकया है। शायद ही आज कोई ऐसा
क्ेत्र हो, जहााँ विज्ञान ने हस्तक्ेप न वकया हो। समय-समय पर हुए आविष्कारोों ने मानि जीिन को
बदलकर रख वदया है। विज्ञान की इन्हीों अद् भुत खोजोों में एक है -मोबाइल फोन। मोबाइल फोन
से मनुष्य इतना प्रभावित हुआ है वक अब वकशोर ही नहीों, अवपतु हर आयु िगि के लोग इसका
प्रयोग करते दे खे जा सकते हैं। िास्ति में, मोबाइल फोन इतना उपयोगी और सुविधापणि साधन
है वक हर व्यखक्त इसे अपने पास रखना चाहता है और इसका विवभन्न रूपोों में प्रयोग भी कर रहा
है। सोंचार की दु वनया में फोन का आविष्कार एक िाोंवत थी। तारोों के माध्यम से जुडे फोन पर
अपने वप्रयजनोों से बातें करना एक रोमाोंचक अनुभि था। शुरू में फोन महाँगे तथा एक ही स्थान
पर रखे जाने िाले थे। हमें बातें करने के वलए इनके पास जाना पडता था, परों तु मोबाइल फोन
जेब में रखकर कहीों भी लाया और ले जाया जा सकता है। अब यह सििसुलभ भी बन गया है।
िास्ति में, मोबाइल फोन का आविष्कार सोंचार के क्ेत्र में िाोंवत से कम नहीों है। आज मोबाइल
फोन पर बातें करने के अवतररक्त फोटो खीोंचना, गणनाएाँ करना, फाइलें सुरवक्त रखना आवद
बहुत-से काम वकए जा रहे हैं। कुछ लोग इसका दु रुपयोग करने से भी नहीों चकते हैं। असमय
फोन करके दसरोों को परे शान करना, अिाोंवछत फोटो खीोंचना आवद कायि करके इसका
दु रुपयोग करते हैं। अतः इसका आिश्यकतानुसार ही प्रयोग करना चावहए।
(3) समय का सदु पयोग
संकेि त ंदु : भवमका, सफल जीिन का रहस्य, समय की उपेक्ा का पररणाम, समय की
उपयोवगता के लाभ
उत्तर- समय के सदु पयोग का अथि है - समय का सही उपयोग। दसरे शब्ोों में हम यह भी कह
सकते हैं वक सही समय पर सही कायि करना ही 'समय का सदु पयोग' कहलाता है। वकसी भी
प्रकार की सफलता का रहस्य समय का सदु पयोग है। समय िह धन है , वजसका दु रुपयोग करने
से पछतािे के अवतररक्त और कुछ नहीों वमलता। समय के सदु पयोग में ही जीिन की सफलता
का रहस्य वनवहत है। समय सभी के वलए समान रहता है-चाहे िह वनधिन हो या धनिान, राजा हो
या रों क, मखि हो या विद्वान्। इसवलए सभी को अपना जीिन सफल और साथिक बनाने हेतु समय
138
का सदु पयोग करना ही पडता है। आज तक वजतने भी महान् व्यखक्त हुए हैं , सभी ने समय के
महत्त्व को एक मत में स्वीकार वकया है। समय का सदु पयोग सामान्य व्यखक्त को भी महान् बना
दे ता है और महान् व्यखक्त को भी अत्योंत सामान्य। वकसी विचारक ने ठीक ही कहा है वक 'जो
व्यखक्त समय को बबािद करते हैं , एक वदन समय उन्हें बबािद कर दे ता है।' अोंग्रेज़ी में भी समय को
धन कहा गया है। जो व्यखक्त इस धन को याँ ही लुटाता रहता है , िह एक वदन समय का रोना रोता
है , वकोंतु बाद में पछताने से कुछ नहीों होता है। समय वकसी की प्रतीक्ा नहीों करता। खोया हुआ
धन, पुनः अवजित वकया जा सकता है। खोया हुआ िैभि, पुनः प्राप्त वकया जा सकता है। खोया
हुआ स्वास्थ्य, उवचत वचवकत्सा द्वारा प्राप्त वकया जा सकता है। भली हुई विद्या पुनः अवजित की जा
सकती है, वकोंतु समय को एक बार खोने के बाद उसे पुनः प्राप्त नहीों वकया जा सकता। यह
वनरों तर गवतशील है। अतः हमें इसके साथ कदम वमलाकर चलते रहना चावहए। अन्यथा हमें
समय की उपेक्ा का दों ड झेलना ही पडता है। व्यखक्त को सफलता प्राप्त करने के वलए अपना
वनवित कायििम बनाकर एिों एकाग्रवचत्त होकर कायि करना चावहए, तब ही सफलता उसका
िरण करे गी। प्रत्येक क्ण का सदु पयोग करना ही बुखिमानी है। अतः समय की महत्ता को
समझना ि पहचानना चावहए। महादे िी िमाि ने भी वलखा है -
"त मोती के द्वीप स्वप्न में रहा खोजता,
तब तो बहता समय वशला-सा जम जाएगा।"
(4) आत्मवनभिरता
संकेि त ंदु-आत्मवनभिरता क्या है ,आत्मवनभिरता के लाभ,आत्मवनभिरता से जुडी सािधावनयााँ
आत्मवनभिरता दो शब्ोों ‘आत्म’ और वनभिरता से बना है , वजसका अथि है -स्वयों पर वनभिर रहना।
अथाित् अपने कायों और आिश्यकताओों को परा करने के वलए दसरे का मुाँह न ताकना।
आत्मवनभिरता उत्तम कोवट का मानिीय गुण है। इससे व्यखक्त कमि करने वलए स्वतः प्रेररत होता
है। व्यखक्त को अपनी शखक्त, योग्यता और कायिक्मता पर परा विश्वास होता है। इसी बल पर
व्यखक्त उत्सावहत होकर परी लगन से काम करता है और सफलता का िरण करता है।
आत्मवनभिरता व्यखक्त के वलए स्वतः प्रेरणा का कायि करती है। यह प्रेरणा व्यखक्त को वनरों तर आगे
ही आगे ले जाती है। इससे व्यखक्त में वनराशा या हीनता नहीों आने पाती है। आगे बढ़ते रहने से
हम दसरोों के वलए आदशि और अनुकरणीय बन जाते हैं। यहााँ एक बात यह अिश्य ध्यान रखना
चावहए वक हम अवत उत्सावहत होकर अवत आत्मविश्वासी न बन जाएाँ क्योोंवक इससे हमारे कदम
गलत वदशा में उठ सकते हैं । अच्छा हो वक कोई कदम उठाने से पिि हम अपनी कायि क्मता का
आाँ कलन कर लें, इससे हम असफलता का वशकार होने से बच जाएाँ गे, पर हमें हर पररखस्थवत में
आत्मवनभिर बनना चावहए ।
पत्र-लेखन
139
(ख) जन्मवदन पत्र
(ग) वमत्र के नाम पत्र
(घ) भाई के नाम पत्र
उत्तर- (क) प्रार्ुना पत्र
प्रश्न 3- वनम्नवलखखत में से कौन सा पत्र का एक प्रकार नहीों है ?
(क) व्यापाररक पत्र
(ख) सरकारी पत्र
(ग) सामावजक पत्र
(घ) समाचार पत्र
उत्तर- (घ) समाचार पत्र
प्रश्न 4- ‘अपने समकक् वकसी अवधकारी से परामशि लेना’ के वलए वनम्न में से कौन सा पत्र वलखेंगे ?
(क) आवधकाररक पत्र
(ख) अधि सरकारी पत्र
(ग) सरकारी पत्र
(घ) व्यखक्तगत पत्र
उत्तर- (ख) अर्द्ु सरकारी पत्र
प्रश्न 5- पत्र के सोंदभि में कौन सा कथन सत्य नहीों है ?
(क) पत्र की भाषा सरल, सहज एिों प्रभािपणि होनी चावहए
(ख) पत्र में शब्-जाल,पाखित्य और गोपनीयता का सहारा लेना चावहए
(ग) पत्र में कम शब्ोों में अवधक बात कहने की प्रिृवत्त होनी चावहए
(घ) पत्र में विनम्रता, सरलता और वशष्टता होनी चावहए
उत्तर- (ख) पत्र में शब्द-िाल,पाण्डित्य और गोपनीर्िा का सिारा लेना चातिए
प्रश्न 6- नीचे ‘विद्यालय की पुस्तक खरीदने के वलए वपता को पत्र’ विषय पर अवनयवमत िम में पत्र वदया
गया है इसे िमबि और सुवनयोवजत कर के वलखें ।
(1) भगिान से यही मनोकामना है वक आप और मााँ दोनोों ही सकुशल होों। मैं भी यहााँ
ठीक हाँ। पढ़ाई-वलखाई भी सुचारु ढों ग से चल रही है।
(2) वपताजी, विद्यालय के अध्यापक ने बोडि परीक्ा में बेहतर प्रदशिन करने हेतु वपछले
िषों के परीक्ा प्रश्नपत्र को हल करने का सुझाि वदया है , वजसके वलए मुझे कुछ वकताबोों की
जरूरत है वजनका कुल मल्य 1260 रुपए है।
(3) केंद्रीय विद्यालय छात्रािास, लैंसडाउन,उत्तराखोंड - 246155
(4) चोंवक बोडि परीक्ा वसर पर है इसवलए यहााँ का माहौल में आजकल काफी गोंभीरता
छाई हुई है। बोडि परीक्ा को लेकर जीतोड मेहनत जारी है और उम्मीद है वक इस बार
आपलोगोों के आशीिािद से अच्छे अोंकोों के साथ परीक्ा में सफलता प्राप्त होगी।
(5) पज् वपताजी,
(6) आपका सुपुत्र-वनरों जन शमाि
(7) आपके पैसे भेजते ही मैं अगले वदन बाजार से वकताबें खरीद लाऊाँगा।
(8) चरण स्पशि,
(9) वदनाोंक : 11.04.2024
140
(10) बाकी यहााँ सब कुशल-मोंगल है। मााँ को मेरा प्रणाम कवहएगा और छोटी को मेरा
प्यार दीवजएगा।
उत्तर- सुतनर्ोतिि क्रम-3,9,5,8,1,2,4,7,10,6
प्रश्न 7-
आप आयुष शमाि हैं तथ 333, सैक्टर,गौतम नगर,दे हरादन में रहते हैं |आपके वनकट के
अस्पताल में आिश्यक उपकरणोों और औषवधयोों के अभाि के कारण रोवगयोों को बहुत
कवठनाइयोों का सामना करना पड रहा है। इस समस्या की ओर अवधकाररयोों का ध्यान
आकवषित करने के वलए वकसी समाचार-पत्र के सोंपादक को पत्र वलखखए।
उत्तर- सेिा में
सोंपादक
वहोंदुस्तान,
दे हरादन।
महोदय,
मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से सरकारी अस्पताल के अवधकाररयोों का ध्यान
आकृष्ट करना चाहता हाँ। कृपया मेरे िक्तव्य को पत्र में स्थान दे कर अनुगृहीत करें -
दे हरादन भारत के सबसे अवधक उभरते हुए नगरोों में से एक है। परों तु जब इसके सरकारी
अस्पताल की ओर दे खते हैं तो दया आती है। यह अस्पताल रोवगयोों की वचवकत्सा के वलए बना
होगा, परों तु अब यह प्रतीक्ालय बन गया है। रोवगयोों को न तो दिाइयााँ वमलती हैं , न उनके
परीक्ण हो पाते हैं। एक्स-रे की मशीनें तक खराब पडी रहती हैं। थक, पेशाब तक के टे स्ट के
वलए रोवगयोों को इनकार कर वदया जाता है। दिाइयााँ तो हमेशा नदारद रहती हैं। ऐसा लगता है
वक कोई अज्ञात हाथ सरकारी दिाओों की कालाबाजारी करता है। मशीनोों और उपकरणोों पर भी
जान-पहचान िालोों के परीक्ण कर वदए जाते हैं। आम जनता को ठें गा वदखा वदया जाता है। मेरा
सरकारी अवधकाररयोों से वनिेदन है वक िे इस अव्यिस्था की जााँच करें और अपेवक्त सुधार करें ।
धन्यिाद !
भिदीय
आयुष शमाि
333, सैक्टर-7
गौतम नगर,दे हरादन
वदनाोंक: 31माचि 2024
प्रश्न 8- आप सरज नेगी हैं तथ 22, माडल टाउन ,दे हरादन में रहते हैं|अपने नगर के विद् युत
अवधकारी को वबजली की कटौती के कारण पढ़ाई में आने िाली कवठनाइयोों की चचाि करते हुए,
इसमें सुधार के वलए पत्र वलखखए।
उत्तर- प्रेषक :
सरज नेगी
141
22, माडल टाउन
दे हरादन
वदनाोंक : 15 अप्रैल, 2024
सेिा में
विद् युत अवधकारी,
विकास नगर,
दे हरादन
महोदय,
मैं आपका ध्यान वबजली-सोंकट की ओर वदलाना चाहता हाँ। वपछले छः मास से इस नगर
की विद् युत आपवति खोंवडत हो गई है। जब चाहे , वबजली चली जाती है और घोंटोों-घोंटोों नहीों आती
है।महोदय, मैं एक विद्याथी हाँ। मेरे जैसे अन्य विद्याथी भी वबजली गुल होने के कारण बेहद तनाि
में हैं। यवद ऐसा चलता रहा तो हमारी पढ़ाई बावधत होगी। महोदय कृपया इस समस्या का वनदान
कीवजए, वजससे हमें वनयवमत वबजली वमलती रहे।
भिदीय
सरज नेगी
प्रश्न 9 आप आशुतोष राित हैं,आप 535, रायिाला, दे हरादन में रहते हैं,अपने नगर के एक प्रख्यात
विद्यालय को उनके छात्रोों की अनुशासनहीनता की घटनाओों का उल्लेख करते हुए प्रधानाचायि
को पत्र वलखकर उवचत कायििाही के वलए अनुरोध कीवजए।
उत्तर
आशुतोष राित 535,
रायिाला, दे हरादन
अप्रैल 14, 2024
सेिा में
श्ीमान प्राचायि
के.के.जी. स्कल
दे हरादन
महोदय,
मुझे अत्योंत खेद के साथ आपको वशकायत करनी पड रही है वक आपके विद्यालय के छात्र
दोपहर छु ट्टी के बाद छे डाखानी करते नज़र आते हैं। ये घटनाएाँ लगभग रोज होने लगी हैं। मुख्य
बाज़ार में डी.ए.िी. पखिक स्कल है। इस स्कल की लडवकयााँ जब बाहर वनकलती हैं तो आपके
विद्यालय के छात्र जमघट बनाकर खडे हो जाते हैं। िे हर लडकी पर फब्ती कसते हैं। अगर कोई
उन्हें रोके तो िे मारपीट पर उतर आते हैं। यहााँ हुडदों ग और हुल्लडबाजी आम बात हो गई है।
142
मेरा आपसे वनिेदन हैं वक आप स्वयों कभी छु ट्टी के बाद का नज़ारा सडकोों पर दे खें। इस बारे में
जो आपको उवचत लगे, कायििाही अिश्य करें ।
धन्यिाद !
भिदीय
आशुतोष राित
प्रश्न 10 आप अवमत राणा ,34/7,रिीोंद्र नगर, दे हरादन में रहते हैं |आपके मोहल्ले में आए वदन चोररयााँ
हो रही हैं। उनकी रोकथाम के वलए थानाध्यक् को गश्त बढ़ाने हेतु पत्र वलखखए।
उत्तर
प्रेषक :
अवमत राणा
34/7,रिीोंद्र नगर,
दे हरादन
वदनाोंक: 21 माचि 2024
सेिा में
थानाध्यक्
रिीोंद्र नगर
दे हरादन
धन्यिाद!
भिदीय
अवमत राणा
143
स्ववृत्त
इस प्रश्न में आधुवनक युग में काम आने िाले बायोडाटा अथाित् स्विृत्त लेखन से सम्बखित प्रश्न पछे
जाते हैं। इस प्रश्न के माध्यम से छात्र के अपने अनुभि ि लेखन कौशल में अपनी प्रस्तुवत करने
की क्मता को परखा जाता है।
एक विशेष प्रकार का लेखन वजसमें वकसी व्यखक्त विशेष के बारे में विशेष प्रयोजन को ध्यान में
रखकर िमिार तरीके से सचनाएाँ सोंकवलत की जाती हैं , स्विृत्त (बायोडाटा) कहलाता है। स्विृत्त
उम्मीदिार के प्रवतवनवध के रूप में कायि करता है। स्विृत्त वनयोक्ता के मन में उम्मीदिार के प्रवत
एक सकारात्मक धारणा प्रस्तुत करता है। इसवलए एक अच्छे स्विृत्त को एक चुोंबक की तरह मान
जाता है।
स्विृत्त दो शब्ाोंशोों से वमलकर बना है , स्व+ िृत्त | स्व = स्वयों, खुद, अपना।
िृत्त = पररचय, ब्यौरा (व्यखक्त विशेष का लेखा-जोखा, योग्यता, अनुभि, उपलखब्धयााँ आवद|
सूचनाओं का अनुशातसि प्रवाि स्विृत्त में उम्मीदिार सोंबोंधी सभी सचनाएाँ एक अनुशावसत
प्रिाह में सोंकवलत होनी चावहए। इनका सामान्यतः वनम्न िम होना चावहए-
व्यखक्त पररचय
शैक्वणक योग्यता
व्यािसावयक योग्यता
पात्रता परीक्ा
उपलखब्धयााँ
व्यण्डक्त पररचर् स्विृत्त में व्यखक्त पररचय के अोंतगित वनम्नवलखखत सचनाएाँ सोंकवलत की जाती है
उम्मीदिार का नाम
144
माता-वपता का नाम
जन्म वतवथ
पत्र-व्यिहार का पता
स्थायी पता
ई-मेल पता
मोबाइल नोंबर
शैक्षतिक र्ोग्यिाएँ
ि.सों परीक्ा/वडग्री िषि विद्यालय/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय
विषय श्ेणी प्रवतशत
1 दसिीों कक्ा 1997 राजकीय विद्यालय सी.बी.एस.ई.
अोंग्रेजी, वहोंदी, विज्ञान, गवणत, सामावजक विज्ञान प्रथम
93%
2 बारहिीों 1999 राजकीय विद्यालय सी.बी.एस.ई.
अोंग्रेजी, भौवतकी, रसायन विज्ञान, जीष-विज्ञान, गवणत प्रथम
95%
3 बी.एस.सी. (ऑनसि) 2002 वहोंद कॉलेज, वदल्ली विश्वविद्यालय
कोंप्यटर साइों स प्रथम 84%
4 एम.बी.ए 2004 आदशि इों स्टीट् ्यट मैनेजमेंट मानि सोंसाधन
प्रथम 85%
अन्य सं ंतधि र्ोग्यिाएँ
1. कोंप्यटर का अच्छा ज्ञान और अभ्यास (एम.एस. ऑव़िस तथा इों टरनेट)
2. फ्ाोंसीसी भाषा का कायि योग्य ज्ञान।
उपलण्डिर्ाँ
145
1 अखखल भारतीय िाद-वििाद प्रवतयोवगता (िषि 2001) में प्रथम पुरस्कार
2 राजीि गाोंधी स्मारक वनबोंध प्रवतयोवगता (2002) में प्रथम पुरस्कार
3 विद्यालय और महाविद्यालय विकेट टीमोों का कप्तान
स्ववृत्त
नाम : डॉ. अोंजली गुप्ता
वपता का नाम : डॉ. राकेश गुप्ता
माता का नाम : श्ीमती प्रीवत गुप्ता
जन्म वतवथ : 1 फरिरी, 1991
ितिमान पता : सी-52, सेक्टर सात वचत्रकटकॉलोनी जयपुर
स्थायी पता : उपयुिक्त
दरभाष नोंबर : 011592348
मोबाइल नोंबर : 9753XXXXXX
ई-मेल : anjali@gmail.com
शैक्वणक योग्यताएाँ
ि.सों. परीक्ा /वडग्री िषि
विद्यालय/बोडि /महाविद्यालय विषय
श्ेणी प्रवतशत
146
1 दसिीों 2006 आई.आई.एसजयपुर/सी.बी.एस.ई
अोंग्रेजी, वहोंदी, गवणत, विज्ञान, सामावजक विज्ञान, सोंस्कृत
प्रथम 76%
2 बारहिीों 2008 आई.आई.एस.जयपुर/सी.बी.एस.ई.
भौवतक विज्ञान,जीि-विज्ञान, रसायन विज्ञान, वहोंदी, अोंग्रेजी
प्रथम 83%
उपलण्डिर्ाँ
● विज्ञान विज विद्यालयी स्तर प्रथम पुरस्कार 2007
● अोंतरािष्टरीय विज्ञान प्रवतयोवगता (क्लीिलैंड में आयोवजत) वद्वतीय पुरस्कार (2009)
147
2. कल्पना कीवजए वक आपने स्नातक स्तर तक अध्ययन वकया है तथा आप (वप्रयोंका जैन) एक
समाज सेविका के रूप में कायि कर रही हैं। भास्कर में आाँ गनबाडी में सहावयका हे तु विज्ञापन
प्रकावशत हुआ है । इस पद पर वनयुखक्त पाने हेतु एक आिेदन-पत्र वलखखए तथा स्विृत भी तैयार
कीवजए।
उत्ति :
स्ववृत्त
नाम : वप्रयोंका जैन
वपता का नाम : श्ी मृदुल जैन
माता का नाम : श्ीमती तन्वी जैन
जन्म वतवथ : 5 जुलाई, 1997
ितिमान पता : मकान नोंबर 32, वशिाजी नगर अजमेर
(राजस्थान)
स्थायी पता : अ-69, सयाि कॉलोनी जोधपुर (राजस्थान)
दरभाष नोंबर : 0140 562831
मोबाइल नोंबर : 2367XXXXX
ई-मेल : 17priyanka@gmail.com
शैक्षतिक र्ोग्यिाएँ
ि. सों. परीक्ा / वडग्री िषि विद्यालय/बोडि /महाविद्यालय विषय
श्ेणी प्रवतशत
1 दसिीों 2012 महेश्वरी पखिक स्कल, अजमेरवहोंदी, अोंग्रेजी, सोंस्कृत,गवणत,
विज्ञान,सामावजक विज्ञान वद्वतीय 57%
2 बारहिीों 2014 महेश्वरी पखिक स्कल, अजमेरसमाजशास्त्र, इवतहास, मनोविज्ञान,
वहोंदी,अोंग्रेजी वद्वतीय 59%
3 बी.ए.(स्नातक) 2017 डी.ए.िी. कॉलेज,अजमेर समाजशास्त्र,मनोविज्ञान, इवतहास
प्रथम 68%
उपलण्डिर्ाँ
● िाद-वििाद राज्-स्तरीय प्रवतयोवगता, प्रथम पुरस्कार, 2013
● आशुभाषण प्रवतयोवगता राष्टरीय स्तर पर (वद्वतीय पुरस्कार) 2016
148
● अनाथ आश्मोों ि मदर-टे रेसा होम का वनयवमत अोंतराल पर दौरा
● समाचार-पत्र का वनयवमत पठन
उत्ति
स्ववृत्त
नाम : तरुण िैश्य
वपता का नाम : जगदीश िैश्य
माता का नाम : श्ीमती लवलता िैश्य
जन्म वतवथ : 2अक्टबर, 1996
ितिमान पता : ए-24. जैन-स्वीट् स, पीर िाली गली, जयपुर
स्थायी पता : उपयुिक्त
दरभाष नोंबर : 0141-9283XXX
मोबाइल नोंबर : 9828XXXXXX
ई-मेल : tarun@gmail.com
शैक्वणक योग्यताएाँ
ि.सों. परीक्ा / वडग्री िषि
विद्यालय/बोडि /महाविद्यालय विषय
श्ेणी प्रवतशत
1 दसिीों 2011 महेश्वरी पखिक स्कल, जयपुर सी.बी.एस.ई.
अोंग्रेजी, वहोंदी, विज्ञान, गवणत, सामावजक, सोंस्कृत प्रथम
92%
149
2 बारहिीों 2013 उपयुिक्त अोंग्रेजी, वहोंदी, सोंस्कृत, वहोंदी,
सावहत्य, गृह विज्ञान प्रथम 94%
3 बी.ए. 2016 महाराजा कॉलेज, जयपुर, राजस्थान विश्वविद्यालय
सोंस्कृत, वहोंदी सावहत्य, राजनीवत विज्ञान प्रथम
85%
4 एम.एस.ई. 2018 राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर वहोंदी सावहत्य
प्रथम 84%
5 बी.एड. 2020 राजस्थान सोंस्कृत वशक्ा महाविद्यालय कॉलेज, जयपुर
वहोंदी, सोंस्कृत प्रथम 83%
उपलण्डिर्ाँ
● वहोंदी विज (वजला स्तर) प्रवतयोवगता में वद्वतीय पुरस्कार िषि 2012
● सोंस्कृत विज (विश्वविद्यालय स्तर) प्रवतयोवगता में प्रथम पुरस्कार िषि 2015
ई-मेल लेखन
प्रश्न 1- इों स्टेंट मैसेवजोंग सवििस एक प्रकार की ईमेल सवििस है जो यजर को ररयल टाइम में एक दसरे को
सोंदेशोों और ़िाइलें भेजने की अनुमवत दे ती है।
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) कभी-कभी
(घ) कहा नहीों जा सकता
150
उत्तर- (ख) असत्य
प्रश्न 2 ईमेल प्राप्त करने के वलए वनम्नवलखखत में से वकस प्रोटोकॉल का उपयोग वकया जाता है ?
(क) SMTP
(ख) HTTP
(ग) POP3
(ग) FTP
उत्तर- (ग) POP3
प्रश्न 3 ________ फील्ड प्रेषक के एडर े स अथाित ई-मेल भेजने िाले के पत को इों वगत करता है।
(क) To (ख) Bcc
(ग) From (घ) Inbox
उत्तर- (ग) From
प्रश्न 4 ई-मेल वलखने के सोंदभि में वनम्नवलखखत में से कौन सा कथन असत्य है ?
(क) हम 'To' ़िील्ड में एक से अवधक पते (एडर े स) नहीों जोड सकते हैं।
(ख) हम ' Bcc' ़िील्ड को खाली छोड सकते हैं।
(ग) हम 'Cc' फील्ड को खाली छोड सकते हैं।
(घ) 'To' और 'Cc' ़िील्ड अक्सर एक दसरे के स्थान पर उपयोग वकए जाते हैं।
उत्तर- (घ) 'To' और 'Cc' फील्ड अक्सर एक दू सरे के स्थान पर उपर्ोग तकए िािे
िैं।
प्रश्न 5 ईमेल में काबिन कॉपी (CC) का उपयोग क्या है ?
(क) प्राप्तकताि CC में सोंदेश के अन्य सभी प्राप्तकतािओों के वलए अदृश्य होते हैं
(ख) प्राप्तकताि CC में सोंदेश के अन्य सभी प्राप्तकतािओों के वलए दृश्य होते हैं
(ग) प्राप्तकताि CC में सोंदेश के केिल एक प्राप्तकताि के वलए अदृश्य होते हैं
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीों
उत्तर-(ख) प्राप्तकिाु CC में संदेश के अन्य सभी प्राप्तकिाुओ ं के तलए दृश्य िोिे िैं
प्रश्न 6 _______ उपयोगकताि को ई-मेल के साथ फाइल भेजने की अनुमवत दे ता है।
(क) डर ाफ्ट (ख) मैसेंजर
(ग) सेंट (घ) अटै चमेंट
उत्तर- (घ) अटै चमेंट
प्रश्न 7 ईमेल वलखने का सही िम है ….
(क) From, To, Cc, Bcc, Subject
(ख)Subject, To, Cc, From,Bcc,
(ग) To, Subject,Cc,Bcc,From
(घ) Subject, Form, To, Cc, Bcc
उत्तर-(क) From, To, Cc, Bcc, Subject
प्रश्न 8
आपको चररत्र प्रमाण-पत्र की आिश्यकता है। चररत्र प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के वलए अपने
विद्यालय के प्रधानाचायि abcschool@gmail.com को ईमेल वलखखए।
151
From: abc0123@mycbseguide.com
To: abcschool@gmail.com
CC …
BCC …
महोदय,
विनम्र वनिेदन यह है वक मैं आपके विद्यालय की नौिीों ‘अ’ की छात्रा हाँ। मैंने फरिरी 2024 में
एक छात्रिृवत्त परीक्ा दी थी, वजसमें मुझे सफल घोवषत वकया गया है। इसमें अन्य आिश्यक
प्रमाण-पत्रोों के साथ चररत्र प्रमाण-पत्र भी मााँगा गया है। मैंने गत िषि अपनी कक्ा में दसरा स्थान
प्राप्त वकया था। मैं गरीब पररिार से हाँ। वपता जी वकसी तरह से मेरी पढ़ाई का खचि िहन कर रहे
हैं। यह छात्रिृवत्त वमलने से मेरी पढ़ाई का खचि सुगमता से परा हो जाएगा।आपसे प्राथिना है वक
मेरे भविष्य को ध्यान में रखते हुए मुझे चररत्र प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें । मैं आपकी
आभारी रहाँगी।
प्रश्न 9- आपके शहर में सभी प्रकार के खाद्य पदाथों में वमलािट का धोंधा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
अपने राज् के खाद्य-मोंत्री को dfpd@gov.in पर एक ईमेल वलखकर इस समस्या के प्रवत उनका
ध्यान आकृष्ट कीवजए।
उत्तर
From: xyz01@gmail.com
To: dfpd@gov.in
CC …
BCC …
महोदय,
आप भली-भाोंवत जानते है वक त्योहारोों का मौसम आ पहुाँचा है वजसमें खाद्य पदाथों की
महत्त्वपणि भवमका होती है। इस समय बाजार में खाद्य पदाथों की मााँग बहुत बढ़ जाती है और
उनकी पवति करने के वलए वमलािट करने िालोों का धोंधा भी ज़ोर पकडने लगता है वजससे ग्राहक
बहुत परे शान होते हैं। आप सम्बखित विभागीय कमिचाररयोों को सचेत करें वजससे िे जगह-जगह
छापामार कायििाही हो और दोषी लोगोों के खखलाफ सख्त कायििाही की जाए तावक जनजीिन
विवभन्न बीमाररयोों से सुरवक्त हो सके।
भवदीय
नाम-xyz
152
प्रश्न 10 – आपके घर के आस पास कल कारखानोों एिों यातायात का दबाि बढ़ रहा है , वजससे ध्ववन
प्रदषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। आप नगर योजना अवधकारी को ध्ववन प्रदषण की समस्या
से अिगत कराने के वलए लगभग 80 शब्ोों में एक ईमेल वलखखए।
Form- xyz123@gmail.com
To- nagarniyojandhr@gmail.comCc….
Bcc..
उत्तर-
विषय- ध्ववन प्रदषण की समस्या के रोकथाम हेतु |
सेिा में,
नगर योजना अवधकारी
स्वरुप नगर
दे हरादन।
महोदय,
आजकल हमारे नगर में उद्योगोों के बढ़ने के कारण जनसोंख्या लगातार बढ़ रही है।कल-
कारखानोों एिों यातायात का दबाि भी यहााँ अवधक है। सारा वदन कारखानोों की आिाजोों, टर क के
भोपुओों (हॉनि) की आिाजोों आवद के कारण अत्योंत असुविधा होती है , वजस कारण ध्ववन प्रदषण
होता है साथ ही लोगोों का यहााँ रहना दभर हो गया है तथा इस ध्ववन प्रदषण के चलते विद्याथी
अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंवद्रत नहीों कर पा रहे हैं।
आपसे प्राथिना है वक कृपया हमारे क्ेत्र में बढ़ रहे ध्ववन प्रदषण पर वनयोंत्रण करने की व्यिस्था
करें ।
धन्यिाद।
प्राथी
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कवज्ञ पन लेखन
इस प्रश्न में ककसी भी क्षेत्र से िुड़े कवर्य पर कवज्ञ पन तैय र करने के कलए कदय ि त है । इसके आध र पर
कवद्य कथायोां की कल्पन की सम ह र शल्क्त अथ ात् सीकमत शब्दोां में अकधकतम अकभव्यल्क्त तथ
प्रस्तुतीकरण की क्षमत को परख ि त है।
अर्थ और पररभाषा
स म न्य रूप से कवज्ञ पन शब्द क अथा है ‘ज्ञ पन कर न ’ य ‘सूचन दे न ’। कवज्ञ पन अांग्रेिी शब्द
'एडवरट इकिांग' क कहांदी पय ाय है, िब ककसी वस्तु य सेव के कलए इसक प्रयोग होत है , ती इसक
अकभप्र य लोगोां को उस ओर आकृष्ट करन होत है।
इसे ‘स वािकनक सूचन की घोर्ण भी कह सकते हैं , क्योांकक यह ऐसी सूचन होती है , िो िन-स ध रण
के कहतोां से िुड़ी होती है । कवज्ञ पन उन समस्त गकतकवकधयोां क न म है , किनक उद् द्दे श्य ककसी कवच र,
वस्तु य सेव के कवर्य में ि नक री प्रस ररत करन है और इससे कवज्ञ पनकत ा क उद्दे श्य ग्र हक को
अपनी इच्छ के अनुकूल बन न है।
कवज्ञ पन से ग्र हक के मन में किज्ञ स उत्पन्न होती है। इससे ग्र हक य उपभोक्त उस कवच र, वस्तु अथव
सेव से स्वयां को िोड़ने लगत है और ब द में उसे अपन ने लगत है।
ववज्ञापन की आवश्यकता
औद्योकगकीकरण के दौर में कवज्ञ पन क िन्म हआ। आि कवज्ञ पन, व्यवस य िगत क एक अकनव या
अांग बन चुक है। ककसी नए उत्प द के कवर्य में ि नक री दे ने, इसकी कवशेर्त एूँ व प्र ल्ि स्थ न आकद
बत ने के कलए कवज्ञ पन की आवश्यकत पड़ती है। एक ही उत्प द के क्षेत्र में असांख्य प्रकतयोगी आ गए
है। यकद कवज्ञ पन क सह र न कलय ि ए, तो स म न्य िनत तक अपने उत्प द की ि नक री दी ही नहीां
ि सकेगी। आि कवज्ञ पनोां के म ध्यम से ककसी उत्प द के ब ि र में आने से पहले ही उसके कवर्य में
उपभोक्त ओां के अांदर किज्ञ स उत्पन्न कर दी ि ती है। इस प्रक र कवज्ञ पन, आधुकनक युग क कवशेर्कर
औद्योकगक सांस्कृकत क अकभन्न तत्व हो गय है। कवज्ञ पन कवक्रय-व्यवस्थ में वस्तु क पररचय कर ने,
उसकी कवशेर्त एूँ तथ ल म बत ने क क म करके ग्र हक को आकृष्ट करने में उपयोगी भूकमक कनभ त
है।
कवज्ञ पन क कोई एक उद् दे श्य नहीां होत है , बल्ि इसके अनेक उद्दे श्य होते हैं , किनमें कनम्न तीन
सव ाकधक महत्त्वपूणा हैं
1. तात्कावलक विक्री त त्क कलक रूप से अपने उत्प दोां की कबक्री करन भी कांपकनयोां क महत्त्वपूणा
क या होत है।
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2. विक्री के वलए प्रेररत करना कांपकनयोां क क या केवल उत्प द क उत्प दन करन ही नहीां होत ,
बल्ि उस उत्प द की कबक्री करन और कबक्री को बढ़ न भी होत है।
3. उत्पाद से लोगों को पररवचत कराना अपने उत्प द से पररकचत कर ने, उसके प्रकत उत्सुकत ि गृत
करने, खरीदने की इच्छ िग ने आकद सांबांधी क या भी महत्त्वपूणा है।
ववज्ञापन के प्रकार
(1) मौखिक ववज्ञापन व्यल्क्तगत प्रच र, रे कडयो, आक शव णी आकद के म ध्यम से ककए ि ते हैं। इसके
अांतगात उत्प द के ब रे में ि नक री केवल बोलकर ही दी ि ती है।
(ii) वलखित ववज्ञापन प्र युः पत्र-पकत्रक ओां, सम च र-पत्रोां में प्रक कशत होते हैं। कलल्खत कवज्ञ पन में
उत्प द के ब रे में ि नक री कलखकर दी ि ती है। कलल्खत कवज्ञ पन को कडि इनोां, रां गोां, स्लोगनोां आकद
के प्रयोग से प्रभ वी तथ आकर्ाक बन य ि त है।
(iii) दृश्य-श्रव्य ववज्ञापन के अांतगात प्र युः दू रदशान में कदख ए ि ने व ले कवज्ञ पन आते हैं। इन कवज्ञ पनोां
में उत्प द के ब रे में ि नक री चलकचत्रोां के द्व र अत्यांत आकर्ाक ढां ग से उपभोक्त ओां तक पहांच ई ि ती
है। इस म ध्यम की पहूँच सबसे अकधक व्य पक है।
आपके कनध ाररत प ठ्यक्रम में कलल्खत कवज्ञ पनोां की स्थ न कदय गय है।
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संदेश-लेिन
सांदेश को अांग्रेिी भ र् में 'मैसेि'्कह ि त है। सांदेश लेखन क अथा है - अकभप्रेररत ब त
कहन य महत्वपूणा सांकक्षि सूचन दे न । "ककसी व्यल्क्त कवशेर् य समूह द्व र ककसी
व्यल्क्त को य समूह को बत ई ि ने व ली अकभप्रेररत ब त य महत्त्वपूणा सांकक्षि सूचन को
सांदेश कहते हैं।
संदेश लेिन के प्रकार
सांदेश लेखन के स म न्य तौर पर दो प्रक र हैं -
1.्औपचाररक संदेश ऐसे सांदेश,्िो क य ा लयी उद्दे श्य को ध्य न में रखकर ककसी
क य ालय के अकधक री आकद को कलखे ि ते हैं ,्वे औपच ररक सांदेश कहल ते हैं: िैसे
बैंक,्कांपनी,्मोब इल,्व्य प र सांबांकधत य प्रध नमांत्री क दे श के न म सांदेश आकद।
2.्अनौपचाररक संदेश ऐसे सांदेश,्िो अपने सगे सांबांधी य कमत्र को कलखे ि ते हैं ,्वे
अनौपच ररक सांदेश कहल ते हैं: िैसे- िन्मकदन,्स लकगरह आकद के अवसर पर अपने
कमत्रोां य ररश्तेद रोां को शुभक मन सांदेश कलखन ।
प ठ्यक्रम में मुख्यतुः अनौपच ररक सांदेशोां को श कमल ककय गय है ,्किसके अांतगात हम
कनम्नकलल्खत सांदेशोां क अध्ययन करें गे-
1.्शुभक मन सांदेश िन्मकदवस,्ककसी प्रकतयोकगत में उत्तीणा होने पर कथ में प्रथम आने
पर,्पदोन्नकत होने पर इत्य कद।
2.्पवा तथ त्योह रोां पर कदए ि ने व ले सांदेश स्वतांत्रत कदवस,्गणतांत्र कदवस,्होली,्
दीप वली,्ईद आकद।
3.्कवशेर् अवसरोां पर कदए ि ने व ले सांदेश पुण्यकतकथ,्शोक सांदेश,्भ गवत कथ क
आयोिन,्स्वच्छ भ रत अकभय न,्पय ावरण कदवस आकद।
संदेश लेिन के अंग
सांदेश लेखन के कनम्नकलल्खत अांग म ने ि ते हैं
1.्शीर्ाक सांदेश लेखन में शीर्ाक क महत्त्वपूणा स्थ न है। सांदेश कलखते समय सवाप्रथम
शीर्ाक कलख ि त है। शीर्ाक सरल तथ सांकक्षि होन च कहए,्िैसे- िन्मकदवस पर
शुभक मन सांदेश।
2.्कदन ांक शीर्ाक कलखने के ब द कदन ांक को कलखन च कहए। कदन ांक भी सांदेश लेखन क
अकनव या अांग म न गय है। कदन ांक कलखने के कईप्रक र हैं: िैसे 2 िनवरी,्20XX,्2-1-
20XX,्2/1/20XX्आकद।
3.्समय कदन ांक के ब द समय कलख ि त है। किस समय सांदेश कलख ि त है ,्उसी
समय क वणान ककय ि त है ;
िैसे-प्र तुः 6:00 बिे,्श म 4:00 बिे आकद।
4.्अकभनन्दन अकभव दन क अथा है - िद्ध पूवाक ककय ि ने व ल नमस्क र य वांदन ।
किसको सांदेश कलख ि रह है ,्उसके प्रकत सांबांध के अनुस र ही समुकचत अकभव दन क
प्रयोग करन च कहए,्िैसे कप्रय कमत्र,्आदरणीय कपत िी,्िद्धे य च च िी आकद।
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5.्मुख्य म ग/कवर्य-वस्तु सांदेश लेखन में मुख्य भ ग में कवर्य क कवस्त र ककय ि त है
तथ कम-से-कम शब्दोां में अपनी ब त पूणा की ि ती है । इस प्रक र,्मुख्य भ ग में
महत्वपूणा ि नक री क वणान ककय ि त है।
6.्प्रेर्क 'प्रेर्क'्क अथा है - भेिने व ल । सांदेश भेिने व ले को प्रेर्क कह ि त है।
सांदेश लेखन में मुख्य म ग के ब द प्रेर्क क न म कलख ि त है।
सांदेश लेखन में ध्य न रखने योग्य ब तें
दे श लेखन करते समय कनम्नकलल्खत ब तें ध्य न में रखनी च कहए -
सांदेश को हमेश बॉक्स में कलख ि न च कहए।
बॉक्स के बीचोां-बीच सबसे पहले शुभक मन सांदेश/शोक सांदेश आकद शीर्ाक'्कलख
ि न ब कहए।
ब ई तरफ कदन ां क तथ उसके नीचे समय कलखन य कहए। उसके ब द अकभव दन,्िैसे-
कप्रय,्म न्यवर आकद।
इसके नीचे मुख्य कवर्य क वणान करें । ध्य न रखें कक यह वणान ज् द लांब न हो।
अांत में प्रेर्क य नी भेिने व ले क न म कलखन च कहए।
दिनांक-13-5-20XX ठर्दियांक
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उद हरण
1.आपके भयई को रयष्रपनत दर्यरय 'र्ीर बयिक सम्मयि' से परु स्त्कृत कक्य ग्य है, उसे बधयई र्दे िे हे तु सांर्देश
लिखिए।
बधयई सांर्देश
वप्र् अिुि ! ियिकर अनत हषव हुआ कक तुमिे िर्दी में कूर्दकर एक छोटे से बच्चे की ियि बचयई।
्ह अत््ांत सरयहिी् कय्व है , जिसके लिए तुम्हें रयष्रपनत दर्यरय 'र्ीर बयिक सम्मयि' प्रयतत हुआ
है। मेरी तरि से इस सम्मयि के लिए तम्
ु हें ढे र सयरी बधयइ्युँ। मेरी ईश्र्र से कयमिय है कक तम
ु
िीर्ि में इसी प्रकयर सयहलसक कय्व करते रहो और र्दस
ू रों के लिए प्रेरणय बिो।
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2.चेन्िई निर्यसी अपिे लमर को पोंगि के अर्सर पर िगभग 40 शब्र्दों में एक बधयई सांर्देश
लिखिए।
बधयई सन्र्दे श
वप्र् लमर
"आि से स्
ू व हुए हैं उत्तरय्ण, शभ
ु नतधथ्ों कय हुआ है आगमि आपके िीर्ि में शभ
ु घड़ी
आए िैमिी के सांग पोंगि मियएुँ" तुम्हें और तुम्हयरे सभी पररर्यरििों को पयर्ि पर्व पोंगि की
हयठर्दवक शुभकयमियएुँ। ्ह पयर्ि पर्व आपके पररर्यर में सुि, समद
ृ धध तथय िुलश्युँ िेकर आए।
तुम्हयरय लमर
रमेश
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3.वपतयिी की मत्ृ ्ु कय समयचयर र्दे ते हुए, एक शोक सांर्देश लिखिए।
शोक सांर्देश
मयन््र्र ! अत््ांत र्दुःु िय के सयथ सूधचत करिय पड़ रहय है कक मेरे वपतयिी अरुण नतर्यरी कय
स्त्र्गवर्यस ठर्दियांक 10 मई, 20XX रवर्र्यर को हो ग्य थय। उिकी आत्मय की शयांनत के लिए
श्रयदध कय आ्ोिि 23 मई, 20XX शनिर्यर को सुनिजश्चत कक्य ग्य है । अतुः आपसे निर्ेर्दि
है कक आप इस अर्सर पर आकर ठर्दर्ांगत आत्मय की शयांनत के लिए ईश्र्र से प्रयथविय कर हमें
कृतयथव करें ।
शोक सांततत
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4.आपके लमर िे िीट को परीक्षय में रयज्् में तीसरय स्त्थयि प्रयतत कक्य है । उसे बधयई र्दे ते हुए
िगभग 40 शब्र्दों में एक सांर्देश लिखिए।
बधयई सन्र्दे श
वप्र् लमर,
"तुम्हें िीट की परीक्षय में तीसरय स्त्थयि प्रयतत करिे की बहुत-बहुत बधयई।"
सुिकर बड़य ही हषव और गर्व हुआ। मैं तुम्हें इसकी बधयई र्दे तय हूुँ मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीर्द थी
तथय आशय करतय हूुँ कक तुग इसके बयर्द भी ऐसे ही मेहित करोगे और हर परीक्षय में उत्तीणव
होंगे। इससे वर्द्यि्/सांस्त्थय एर्ां परू े पररर्यर कय गौरर् बढ़े गय। मैंिे तम्
ु हयरी सिियतय की बयत
अपिे पररर्यर को बतयई तथय इस बयत को सुिकर सभी बहुत िुश हुए एर्ां बधयई भी र्दी।
तुम्हयरय लमर
रोठहत
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ह िं दी मातृभाषा (कोड-002)
कक्षा 9वी िं-10वी िं (2024-25)
राष्ट्रीय हिक्षा नीहत 2020 तथा केंद्रीय माध्यममक मिक्षा बोर्ड द्वारा समय-समय पर दक्षता आधाररत मिक्षा, कला
समे मकत अमधगम, अनु भवात्मक अमधगम को अपनाने की बात की गई है , जो मिक्षामथड योों की प्रमतभा को उजागर करने,
खे ल-खे ल में सीखने पर बल दे ने, आनों दपूर्ड ज्ञानाजड न और मवद्याजडन के मवमवध तरीकोों को अपनाने तथा अनु भव के द्वारा
सीखने पर बल दे ती है ।
दक्षता आधाररत हिक्षा से तात्पयड है - सीखने और मू ल्ाों कन करने का एक ऐसा दृमिकोर्, जो मिक्षाथी के सीखने के
प्रमतफल और मवषय में मविे ष दक्षता को प्राप्त करने पर बल दे ता है । दक्षता वह क्षमता, कौिल, ज्ञान और दृमिकोर् है ,
जो व्यक्ति को वास्तमवक जीवन में कायड करने में सहायता करती है । इससे मिक्षाथी यह सीख सकते हैं मक ज्ञान और
कौिल को मकस प्रकार प्राप्त मकया जाए तथा उन्हें वास्तमवक जीवन की समस्याओों पर कैसे लागू मकया जाए।
जीवनोपयोगी बनाना तथा वास्तमवक जीवन के अनु भवोों से पाठ को समृ द्ध करना, ही दक्षता आधाररत मिक्षा है । इसके
मलए उच्च स्तरीय म ोंतन कौिल पर मविे ष बल दे ने की आवश्यकता है ।
कला समेहकत अहधगम को मिक्षर्-अमधगम प्रमिया में सुमनमित करना अत्यमधक आवश्यक है । कला के सोंसार में
कल्पना की एक अलग ही उडान होती है । कला एक व्यक्ति की र नात्मक अमभव्यक्ति है । कला समे मकत अमधगम से
तात्पयड है - कला के मवमवध रूपोों सोंगीत, नृ त्य, नाटक, कमवता, रों गिाला, यात्रा, मू मतडकला, आभू षर् बनाना, गीत मलखना,
नु क्कड नाटक, कोलाज, पोस्टर, कला प्रदिड नी को मिक्षर् अमधगम की प्रमिया का अमभन्न महस्सा बनाना। मकसी मवषय
को आरों भ करने के मलए आइस ब्रेमकोंग गमतमवमध के रूप में तथा सामोंजस्यपूर्ड समझ पैदा करने के मलए अोंतरमवषयक
या बहुमवषयक पररयोजनाओों के रूप में कला समे मकत अमधगम का प्रयोग मकया जाना ामहए। इससे पाठ अमधक
रो क एवों ग्राह्य हो जाएगा।
अनु भवात्मक अहधगम या आनु भहवक ज्ञानार्जन का उद्दे श्य िै मक्षक वातावरर् को मिक्षाथी केंमद्रत बनाने के साथ-
साथ स्वयों मू ल्ाों कन करने , आलो नात्मक रूप से सो ने , मनर्डय ले ने तथा ज्ञान का मनमाड र् कर उसमें पारों गत होने से
है । यहााँ मिक्षक की भू ममका सुमवधा प्रदाता व प्रेक्षक की रहती है । ज्ञानाजड न-अनु भामवक ज्ञानाजडन, सहयोगात्मक तथा
स्वतोंत्र रूप से होता है और यह मिक्षामथड योों को एक साथ कायड करने तथा स्वयों के अनु भव द्वारा सीखने पर बल दे ता है ।
यह मसद्धाों त और व्यवहार के बी की दू री को कम करता है ।
माध्यममक स्तर तक आते-आते मवद्याथी मकिोर हो ुका होता है और उसमें सुनने , बोलने, पढ़ने , मलखने के साथ-साथ
आलो नात्मक दृमि मवकमसत होने लगती है । भाषा के सौोंदयाड त्मक पक्ष, कथात्मकता/गीतात्मकता, दृश्य-श्रव्य और मप्रोंट
की भाषा की समझ, िब्द िक्तियोों की समझ, राजनै मतक एवों सामामजक ेतना का मवकास, स्वयों की अक्तिता का सोंदभड
और आवश्यकता के अनु सार उपयुि भाषा-प्रयोग, िब्दोों का सुम ोंमतत प्रयोग, भाषा की मनयमबद्ध प्रकृमत आमद से
मवद्याथी पररम त हो जाता है । इतना ही नहीों, वह मवमवध मवधाओों और अमभव्यक्ति की अनेक िै मलयोों से भी पररम त हो
ुका होता है । अब मवद्याथी की दृमि आस-पडोस, राज्य-दे ि की सीमा को लााँ घते हुए वैमिक मक्षमतज तक फैल जाती है ।
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इन बच्चोों की दु मनया में समा ार, खेल, मिल्म तथा अन्य कलाओों के साथ-साथ पत्र-पमत्रकाएाँ और अलग-अलग तरह
की मकताबें भी प्रवेि पा ुकी होती हैं ।
इस स्तर पर मातृभाषा महों दी का अध्ययन सामहक्तत्यक, साों स्कृमतक और व्यावहाररक भाषा के रूप में कुछ इस तरह से
हो मक उच्चतर माध्यममक स्तर पर पहुाँ ते-पहुाँ ते यह मवद्यामथड योों की पह ान, आत्ममविास और मवमिड की भाषा बन
सके। प्रयास यह भी हो मक मवद्याथी भाषा के मलक्तखत प्रयोग के साथ-साथ सहज और स्वाभामवक मौक्तखक अमभव्यक्ति
में भी सक्षम हो सके।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से –
(क) मवद्याथी अगले स्तरोों पर अपनी रुम और आवश्यकता के अनु रूप महों दी की पढ़ाई कर सकेंगे तथा महों दी में
बोलने और मलखने में सक्षम हो सकेंगे।
(ख) अपनी भाषा दक्षता के लते उच्चतर माध्यममक स्तर पर मवज्ञान, समाज मवज्ञान और अन्य के साथ सहज
सोंबद्धता (अोंतसंबोंध) स्थामपत कर सकेंगे।
(ग) दै मनक जीवन व्यवहार के मवमवध क्षे त्रोों में महों दी के औप ाररक/अनौप ाररक उपयोग की दक्षता हामसल कर
सकेंगे।
(घ) भाषा प्रयोग के परों परागत तौर-तरीकोों एवों मवधाओों की जानकारी एवों उनके समसाममयक सोंदभों की समझ
मवकमसत कर सकेंगे।
(ङ) महों दी भाषा में दक्षता का इस्तेमाल वे अन्य भाषा-सोंर नाओों की समझ मवकमसत करने के मलए कर सकेंगे।
दृश्य-श्रव्य, मल्टी मीहडया तथा हवहवध हरिं ट माध्यमोिं से रसाररत सूचनाओिं को समझना हवश्लेहषत करना और
सरे हषत कर सकेंगे ।
कक्षा आठवीों तक अमजड त भामषक कौिलोों (सुनना, बोलना, पढ़ना और मलखना) का उत्तरोत्तर मवकास।
सृजनात्मक सामहत्य के आलो नात्मक आस्वाद की क्षमता का मवकास।
स्वतोंत्र और मौक्तखक रूप से अपने मव ारोों की अमभव्यक्ति का मवकास।
ज्ञान के मवमभन्न अनु िासनोों के मवमिड की भाषा के रूप में महों दी की मवमिि प्रकृमत एवों क्षमता का बोध कराना।
सामहत्य की प्रभावकारी क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की मवमवधताओों (रािरीयता, धमड , जामत, मलों ग
एवों भाषा) के प्रमत सकारात्मक और सोंवेदनिील आ ार-मव ार का मवकास।
भारतीय भाषाओों एवों मवदे िी भाषाओों की साों स्कृमतक मवमवधता से परर य।
व्यावहाररक और दै मनक जीवन में मवमवध अमभव्यक्तियोों की मौक्तखक व मलक्तखत क्षमता का मवकास।
सों ार माध्यमोों (मप्रोंट और इलेक्ट्रॉमनक) में प्रयुि महों दी की प्रकृमत से अवगत कराना और नवीन भाषा प्रयोग
करने की क्षमता से परर य। (मल्टीमीमर्या, सोिल मीमर्या, पौर्कास्ट, ब्लाग)
मवश्लेषर् और तकड क्षमता का मवकास।
भावामभव्यक्ति क्षमताओों का उत्तरोत्तर मवकास।
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मतभे द, मवरोध और टकराव की पररक्तस्थमतयोों में भी भाषा को सोंवेदनिील और तकडपूर्ड इस्ते माल से िाों मतपूर्ड
सोंवाद की क्षमता का मवकास।
भाषा की समावेिी और बहुभामषक प्रकृमत की समझ और व्यवहार का मवकास करना।
हिक्षण युक्तियााँ
माध्यममक कक्षाओों में अध्यापक की भू ममका उम त वातावरर् के मनमाड र् में सहायक होनी ामहए। भाषा और सामहत्य
की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान दे ने की ज़रूरत होगी मक -
मवद्याथी द्वारा की जा रही गलमतयोों को भाषा के मवकास के अमनवायड रर् के रूप में स्वीकार मकया जाना
ामहए, मजससे मवद्याथी अबाध रूप से मबना मझझक के मलक्तखत और मौक्तखक अमभव्यक्ति करने में उत्साह का
अनु भव करें । मवद्यामथड योों पर िुक्तद्ध का ऐसा दबाव नहीों होना ामहए मक वे तनाव महसूस करने लगें। उन्हें भाषा
के सहज, कारगर और र नात्मक रूपोों से इस तरह पररम त कराना उम त है मक वे स्वयों, सहज रूप से
भामषक योग्यताओों का मवकास कर सकें।
मवद्याथी स्वतोंत्र और अबाध रूप से मलक्तखत और मौक्तखक अमभव्यक्ति करें । अमधगम बामधत होने पर अध्यापक,
अध्यापन िै ली में पररवतडन करें ।
ऐसे मिक्षर्-मबोंदुओों की पह ान की जाए, मजनसे कक्षा में मवद्याथी मनरों तर समिय भागीदारी करें और अध्यापक
भी इस प्रमिया में उनके साथी बनें ।
हर भाषा का अपना व्याकरर् होता है । भाषा की इस प्रकृमत की पह ान कराने में पररवेिगत और पाठगत
सोंदभों का प्रयोग करना ामहए। यह पूरी प्रमिया ऐसी होनी ामहए मक मवद्याथी स्वयों को िोधकताड समझें तथा
अध्यापक इसमें केवल मनदे िन करें ।
महों दी में क्षेत्रीय प्रयोगोों, अन्य भाषाओों के प्रयोगोों के उदाहरर् से यह बात स्पि की जानी ामहए मक ये प्रयोग
मवभे दीकरर् नहीों उत्पन्न करते है , बक्ति मलमप भाषा के समावेिी स्वरूप को पुि करते हैं और उसका पररवेि
अमनवायड रूप से बहुभामषक होता है ।
मभन्न क्षमता वाले मवद्यामथड योों के मलए उपयुि मिक्षर्-सामग्री का इस्ते माल मकया जाए तथा मकसी भी प्रकार से
उन्हें अन्य मवद्यामथड योों से कमतर या अलग न समझा जाए।
कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की मवमवधताओों (मलों ग, जामत, वगड, धमड आमद) के प्रमत सकारात्मक और
सोंवेदनिील वातावरर् मनममड त करना ामहए।
काव्य भाषा के ममड से मवद्याथी का परर य कराने के मलए ज़रूरी होगा मक मकताबोों में आए काव्याों िोों की
लयबद्ध प्रस्तु मतयोों के ऑमर्यो-वीमर्यो कैसेट तैयार मकए जाएाँ । अगर आसानी से कोई गायक/गामयका ममले
तो कक्षा में मध्यकालीन सामहत्य के अध्यापन-मिक्षर् में उससे मदद ली जानी ामहए।
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रा.िै .अ. और प्र.प.,(एन.सी.ई.आर.टी.) द्वारा उपलब्ध कराए गए अमधगम प्रमतफल/सीखने-मसखाने की प्रमिया
जो इस पाठ्य याड के साथ सोंलग्नक के रूप में उपलब्ध है , को मिक्षक द्वारा दक्षता आधाररत मिक्षा का लक्ष्य
प्राप्त करने के मलये अमनवायड रूप से इस्ते माल करने की आवश्यकता है ।
मिक्षा मों त्रालय के मवमभन्न सोंगठनोों तथा स्वतोंत्र मनमाड ताओों द्वारा उपलब्ध कराए गए कराए गए अन्य कायडिम/
ई-सामग्री वृत्तम त्रोों और िी र मिल्मोों को मिक्षर्-सामग्री के तौर पर इस्ते माल करने की ज़रूरत है । इनके
प्रदिड न के िम में इन पर लगातार बात ीत के ज़ररए मसने मा के माध्यम से भाषा के प्रयोग मक मवमििता की
पह ान कराई जा सकती है और महों दी की अलग-अलग छटा मदखाई जा सकती है ।
कक्षा में मसिड पाठ्यपुस्तक की उपक्तस्थमत से बेहतर होगा मक मिक्षक के हाथ में तरह-तरह की पाठ्यसामग्री
को मवद्याथी दे खें और कक्षा में अलग-अलग मौकोों पर मिक्षक उनका इस्ते माल करें ।
भाषा लगातार ग्रहर् करने की मिया में बनती है , इसे प्रदमिड त करने का एक तरीका यह भी है मक मिक्षक खु द
यह मसखा सकें मक वे भी िब्दकोि, सामहत्यकोि, सोंदभड ग्रोंथ की लगातार मदद ले रहे हैं । इससे मवद्यामथड योों में
इनके इस्ते माल करने को लेकर तत्परता बढ़े गी। अनु मान के आधार पर मनकटतम अथड तक पहुाँ कर सोंतुि
होने की जगह वे सटीक अथड की खोज करने के मलए प्रेररत होोंगे। इससे िब्दोों की अलग-अलग रों गत का पता
ले गा, वे िब्दोों के सूक्ष्म अोंतर के प्रमत और सजग हो पाएाँ गे।
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परीक्षाथी ध्यानपूवडक परीक्षा/ ऑमर्यो क्तिप को सुनने के पिात परीक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्ोों का अपनी समझ
से मौक्तखक उत्तर दें गे।
कौिलोिं के मूल्ािंकन का आधार
श्रवण वाचन
1 मवद्याथी में पररम त सोंदभों में प्रयुि िब्दोों और पदोों को 1 मवद्याथी केवल अलग-अलग िब्दोों और पदोों के
समझने की सामान्य योग्यता है। प्रयोग की योग्यता प्रदमिड त करता है ।
2 छोटे सुसोंबद्ध कथनोों को पररम त सोंदभों में समझने की 2 पररम त सोंदभों में िु द्धता से केवल छोटे सुसोंबद्ध
योग्यता है । कथनोों का सीममत प्रयोग करता है ।
3 पररम त या अपररम त दोनोों सों दभों में कमथत सू ना को 3 अपेमक्षत दीघड भाषर् में जमटल कथनोों के प्रयोग
स्पि समझने की योग्यता है । की योग्यता प्रदमिड त करता है ।
4 दीघड कथनोों को पयाड प्त िुद्धता से समझता है और 4 अपररम त क्तस्थमतयोों में मव ारोों को तामकडक ढों ग से
मनष्कषड मनकाल सकता है । सोंगमठत कर धाराप्रवाह रूप में प्रस्तु त कर सकता
है ।
5 जमटल कथनोों के मव ार-मबोंदुओों को समझने और 5 उद्दे श्य और श्रोता के मलए उपयुि िैली को
मवश्लेमषत करने की योग्यता प्रदमिड त करता है । अपना सकता है ।
हटप्पणी
परीक्षर् से पूवड परीक्षाथी को तैयारी के मलए कुछ समय मदया जाए।
मववरर्ात्मक भाषा में मवषय के अनु कूल तीनोों कालोों का प्रयोग अपेमक्षत है ।
मनधाड ररत मवषय परीक्षाथी के अनु भव सोंसार के होों, जै से - कोई ुटकुला या हास्य-प्रसोंग सुनाना, हाल में पढ़ी
पुस्तक या दे खे गए मसने मा की कहानी सुनाना।
मिक्षाथी को मवषय केंमद्रत स्वतोंत्र अमभव्यक्ति करने का अवसर प्रदान करें ।
पठन कौिल
सरसरी दृमि से पढ़कर पाठ का केंद्रीय मव ार ग्रहर् करना।
एकाग्रम त हो एक अभीि गमत के साथ मौन पठन करना।
पमठत सामग्री पर अपनी प्रमतमिया व्यि करना।
भाषा, मव ार एवों िै ली की सराहना करना।
सामहत्य के प्रमत अमभरुम का मवकास करना।
सामहत्य की मवमभन्न मवधाओों की प्रकृमत के अनु सार पठन कौिल का मवकास।
सोंदभड के अनु सार िब्दोों के अथड –भे दोों की पह ान करना।
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समिय (व्यवहारोपयोगी) िब्द भों र्ार की वृक्तद्ध करना।
पमठत सामग्री के मवमभन्न अोंिोों का परस्पर सोंबोंध समझना।
पमठत अनु च्छेदोों के िीषड क एवों उपिीषड क दे ना।
कमवता के प्रमु ख उपादान यथा - तुक, लय, यमत, गमत, बलाघात आमद से पररम त कराना।
लेिन कौिल
मलमप के मान्य रूप का ही व्यवहार करना।
मवराम-म ह्ोों का उपयुि प्रयोग करना।
प्रभावपूर्ड भाषा तथा लेखन-िैली का स्वाभामवक रूप से प्रयोग करना।
उपयुि अनु च्छेदोों में बााँ टकर मलखना।
प्राथड ना पत्र, मनमों त्रर् पत्र, बधाई पत्र, सोंवेदना पत्र, ई-मे ल, आदे ि पत्र, एस.एम.एस आमद मलखना और मवमवध
प्रपत्रोों को भरना।
मवमवध स्रोतोों से आवश्यक सामग्री एकत्र कर अभीि मवषय पर मनबोंध मलखना।
दे खी हुई घटनाओों का वर्डन करना और उन पर अपनी प्रमतमिया दे ना।
महों दी की एक मवधा से दू सरी मवधा में रूपाों तरर् का कौिल।
समारोह और गोमियोों की सू ना और प्रमतवेदन तैयार करना।
सार, सोंक्षेपीकरर् एवों भावाथड मलखना।
गद्य एवों पद्य अवतरर्ोों की व्याख्या मलखना।
स्वानु भूत मव ारोों और भावनाओों को स्पि सहज और प्रभाविाली ढों ग से अमभव्यि करना।
िमबद्धता और प्रकरर् की एकता बनाए रखना।
मलखने में सृजनात्मकता लाना।
अनावश्यक काट-छााँ ट से ब ते हुए सुपाठ्य ले खन कायड करना
दो मभन्न पाठोों की पाठ्यवस्तु पर म ोंतन करके उनके मध्य की सोंबद्धता (अोंतसंबोंधोों) पर अपने मव ार अमभव्यि
करने में सक्षम होना।
रटे -रटाए वाक्ोों के स्थान पर अमभव्यक्तिपरक/ क्तस्थमत आधाररत/ उच्च म ोंतन क्षमता वाले प्रश्ोों पर सहजता से
अपने मौमलक मव ार प्रकट करना।
रचनात्मक अहभव्यक्ति
अनुच्छेद लेिन
पू णजता – सोंबोंमधत मवषय के सभी पक्षोों को अनु च्छेद के सीममत आकार में सोंयोमजत करना
क्रमबद्धता– मव ारोों को िमबद्ध एवों तकडसोंगत मवमध से प्रकट करना
हवषय-केंहित – प्रारों भ से अोंत तक अनु च्छेद का एक सूत्र में बाँधा होना
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सामाहसकता – अनावश्यक मवस्तार न दे कर सीममत िब्दोों में यथासोंभव मवषय से सोंबद्ध पूरी बात कहने का
प्रयास करना
पत्र लेिन
अनौप ाररक पत्र मव ार-मवमिड का ज़ररया, मजनमें मै त्रीपूर्ड भावना मनमहत, सरलता, सोंमक्षप्त और सादगी से
भरी लेखन िैली
औप ाररक पत्रोों द्वारा दै मनक जीवन की मवमभन्न क्तस्थमतयोों में कायड, व्यापार, सोंवाद, परामिड , अनु रोध तथा सुझाव
के मलए प्रभावी एवों स्पि सोंप्रेषर् क्षमता का मवकास
सरल और बोल ाल की भाषा िै ली, उपयुि, सटीक िब्दोों के प्रयोग, सीधे-सादे ढों ग से मवषय की स्पि और
प्रत्यक्ष प्रस्तु मत
प्रारूप की आवश्यक औप ाररकताओों के साथ सुस्पि, सुलझे और िमबद्ध मव ार आवश्यक; तथ्य, सोंमक्षप्तता
और सोंपूर्डता के साथ प्रभावी प्रस्तु मत
हवज्ञापन लेिन
(हवज्ञाहपत वस्तु / हवषय को केंि में रिते हुए)
मवज्ञामपत वस्तु के मवमिि गुर्ोों का उल्ले ख
आकषड क ले खन िैली
प्रस्तुमत में नयापन, वतडमान से जु डाव तथा दू सरोों से मभन्नता
मवज्ञापन में आवश्यकतानु सार नारे (स्लोगन) का उपयोग
मवज्ञापन लेखन में बॉक्स, म त्र अथवा रों ग का उपयोग अमनवायड नहीों है , मकोंतु समय होने पर प्रस्तु मत को प्रभावी
बनाने के मलए इनका उपयोग मकया जा सकता है ।
सिंवाद लेिन
(दी गई पररक्तथथहतयोिं के आधार पर सिंवाद लेिन)
सीमा के भीतर एक दू सरे से जु डे साथड क और उद्दे श्यपूर्ड सोंवाद
पात्रोों के अनु कूल भाषा िै ली
कोिक में विा के हाव-भाव का सोंकेत
सोंवाद ले खन के अोंत तक मवषय/मु द्दे पर वाताड पूरी
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र नात्मकता/
उद्दे श्यपरकता
सिंदेि लेिन
(िुभकामना, पवज -त्यो ारोिं एविं हविेष अवसरोिं पर हदए र्ाने वाले सिंदेि)
मवषय से सोंबद्धता
सोंमक्षप्त और सारगमभड त
भाषाई दक्षता एवों प्रस्तुमत
र नात्मकता/सृजनात्मकता
मवषय के अनु कूल काव्य-पोंक्तियोों का आों मिक उपयोग, मकोंतु इसकी अमनवायडता नहीों
ई-मेल लेिन
(हवहवध हवषयोिं पर आधाररत औपचाररक ई-मेल लेिन)
बोधगम्य भाषा
मवषय से सोंबद्धता
सोंमक्षप्त, स्पि व सारगमभड त
मििा ार व औप ाररकताओों का मनवाड ह
स्ववृत्त लेिन
(उपलब्ध ररक्ति के हलए स्ववृ त्त लेिन)
स्पि, सोंपूर्ड व व्यवक्तस्थत
नाम, जन्ममतमथ, वतडमान पता, िै क्षमर्क योग्यता, अनु भव, अमभरुम योों, आत्मकथ्य, दू रभाष
आमद का उल्ले ख (परीक्षा में गोपनीयता का मनवाड ह अपेमक्षत)
अन्य मविे ष जानकारी/ योग्यता आमद
सूचना लेिन
(औपचाररक िैली में व्याव ाररक र्ीवन से सिंबिंहधत हवषयोिं पर आधाररत सूचना लेिन)
सरल एवों बोधगम्य भाषा
मवषय की स्पिता
मवषय से जु डी सोंपूर्ड जानकारी
औप ाररक मििा ार का मनवाड ह
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ह िंदी पाठ्यक्रम -अ (कोड सिं. 002)
ििंड भारािंक
क अपहठत बोध 14
घ रचनात्मक लेिन 20
भारािंक-{80(वाहषजक बोडज परीक्षा )+20 (आिं तररक परीक्षा)
हनधाजररत समय- 3 घिं टे भारािंक-80
1 अपमठत गद्याों ि व काव्याों ि पर बोध, म ोंतन, मवश्ले षर्, सराहना आमद पर बहुमवकल्पीय,
अमतलघूत्तरात्मक एवों लघूत्तरात्मक प्रश्
2 व्याकरर् के मलए मनधाड ररत मवषयोों पर मवषयवस्तु का बोध, भामषक मबोंदु/ सोंर ना आमद पर
अमतलघूत्तरात्मक/लघूत्तरात्मक प्रश्। (1x16)
(कुल 20 प्रश् पूछे जाएाँ गे, मजनमें से केवल 16 प्रश्ोों के उत्तर दे ने होोंगे)
4 अलों कार- (अथाड लोंकार : उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अमतियोक्ति, मानवीकरर्) (1x4=4) 4
(5 में से 4 प्रश् करने होोंगे)
12 | P a g e
3 ििंड – ग (पाठ्यपुस्तक एविं पू रक पाठ्यपु थतक)
1 मक्षमतज (भाग 2 ) से मनधाड ररत पाठोों में से गद्याों ि के आधार पर मवषयवस्तु का ज्ञान, 5
बोध, अमभव्यक्ति आमद पर एक अोंकीय पााँ बहुहवकल्पी रश्न पूछे जाएाँ गे। (1x5)
2 मक्षमतज (भाग 2 ) से मनधाड ररत पाठोों में से मवषयवस्तु का ज्ञान, बोध, अमभव्यक्ति 6
आमद पर तीन प्रश् पूछे जाएाँ गे।(मवकल्प समहत- 25-30 िब्द-सीमा वाले 4 में से 3
प्रश् करने होोंगे) (2x3)
कृमतका (भाग 2 ) से मनधाड ररत पाठोों पर आधाररत दो प्रश् पूछे जाएाँ गे। (4x2) 8
(मवकल्प समहत-50-60 िब्द-सीमा वाले 3 में से 2 प्रश् करने होोंगे)
ii अमभव्यक्ति की क्षमता पर केंमद्रत औप ाररक अथवा अनौप ाररक मवषयोों में से मकसी 5 20
एक मवषय पर लगभग 100 िब्दोों में पत्र (5 x 1= 5)
iii रोजगार से सोंबोंमधत ररक्तियोों के मलए लगभग 80 िब्दोों में स्ववृत्त लेखन (5 x 1= 5) 5
अथवा
मवमवध मवषयोों पर आधाररत लगभग 80 िब्दोों में ई-मे ल ले खन (5 x 1= 5)
13 | P a g e
सोंदेि ले खन लगभग 40 िब्दोों में (िु भकामना, पवड-त्योहारोों एवों मविे ष अवसरोों पर
मदए जाने वाले सोंदेि) (4 x 1 = 4)
कुल 80
अ सामहयक आकलन 5
ब बहुहवध आकलन 5
स पोटज फ़ोहलयो 5
कुल 100
हनधाजररत पु स्तकें :
1. हक्षहतर्, भाग–2, एन.सी.ई.आर.टी., नई मदल्ली द्वारा प्रकामित नवीनतम सोंस्करर्
2. कृहतका, भाग–2, एन.सी.ई.आर.टी., नई मदल्ली द्वारा प्रकामित नवीनतम सोंस्करर्
कक्षा दसवी िं ेतु रश्न पत्र का हवस्तृत रारूप र्ानने के हलए कृपया बोडज द्वारा र्ारी आदिज रश्न पत्र
दे िें।
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14 | P a g e