3 set hard bond mahroon लघु शोध प्रबंधिका

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“समायोजन एवं अ भव ृ के संदभ म बी.एड.

छा ा यापक पर सतत एवं


यापक मू यांकन या के भाव का तल
ु ना मक अ ययन |”

लखनऊ व व व यालय, लखनऊ के मा टर ऑफ़ एजक


ु े शन
(एम.एड.) उपा ध क आं शक पू त हे तु तत

लघु शोध ब ध

शोध नदशक शोधाथ


मह कुमार मानसी शु ला

(अ स टट ोफेसेर) एम.एड. (छा ा)

सेमे टर(चतुथ)

अनु मांक – 2210636320031

रजत ड ी कॉलेज म टयार , चनहट, फैजाबाद रोड, लखनऊ

स 2022-2024

1|Page
अनु म णका

घोषणा प 4

माण प 5

आभार प 6

अ याय – 7-19

1.1- तावना

1.2- अ ययन क आव यकता एवं मह व

1.3- अ ययन का औ च य

1.4- सम या कथन

1.5- यु त श द का प रभा षकरण

1..6- अ ययन का उ दे य

1.7- अ ययन क प रक पना

1.8- अ ययन का सीमांकन

अ याय – वतीय 20-23

2.1- स बि धत सा ह य का अ ययन

2.2- स बि धत सा ह य क आव यकता एवं मह व

2|Page
अ याय – तत
ृ ीय 24-52

3.1- अनुसध
ं ान अ भक प

3.2- अ ययन क जनसं या

3.3- अ ययन का यायदश

3.4- अ ययन हे तु यु त उपकरण

3.4.1- अ ययन हे तु यु त उपकरण क वेधता

3.4.2- अ ययन हे तु यु त उपकरण क व वशनीयता

3.4.3- अ ययन का शासन

3.5- अ ययन मे यु त सांि यक व धयां

अ याय – चतुथ 28-50

4.1- समांको का सांि यक व लेषण

4.2- प रक पनाओं का स यापन

अ याय – पंचम 53-57

5.1- प रणाम और न कष

5.2- शै क न हताथ

5.3- भावी अ ययन हे तु सुझाव

संदभ ंथ सच
ू ी 58-60

3|Page
घोषणा प

म मानसी शु ला शपथपव
ू क घोषणा करती हूँ क यह तुत शोध बंध “समायोजन
एवं अ भव ृ के संदभ म बी.एड. छा ा यापक पर सतत एवं यापक मू यांकन
या के भाव का तुलना मक अ ययन |” , लखनऊ व व व यालय, लखनऊ के
एम.एड. उपा ध हे तु तुत कया जा रहा है | तुत शोध बंध पूणतया: मौ लक
शोध काय है | य द मेरे कथन मे कोई अस यता पाई जाती है तो, उस ि त थ मे
सभी प रणाम का उ रदा य व मेरा होगा | इस शोध हे तु िजन पु तक क सहायता
ल गई है , उनका उ लेख संदभ ंथ-सूची मे कर दया गया |

नदशक शोधाथ

मह कुमार मानसी शु ला

(अ स टट ोफेसर)

4|Page
माण प

मा णत कया जाता है क मानसी शु ला रजत ड ी कॉलेज लखनऊ ,स ब ध


लखनऊ व व व यालय, के एम.एड. स 2022-2024 क श ु है | यह तु त
शोध बंध “समायोजन एवं अ भव ृ के संदभ म बी.एड. छा ा यापक पर सतत एवं
यापक मू यांकन या के भाव का तुलना मक अ ययन |”, वषय के अंतगत लघु
शोध बंध, मेरे नर ण व नदशन मे पूण कया है |

मै इनके उ वल भ व य क कामना के साथ लघु शोध बंध को एम.एड. उपा ध


मू यांकनाथ तुत करने क अनस
ु ंशा करता हूँ |

शोध नदशक

मह कुमार

(अ स टट ोफेसेर )

5|Page
आभार प

कसी भी गंत य तक पहुचाने के लए एक सुयो य पाठ दशक क आव यकता होती


है | तुत शोध को पूरा करने मे िजन िजन श क का सहयोग रहा उनका मे
आभार य त करती हूँ | शोध काय को पूरा कराने का ेय मह कुमार सर को है |
शोध काय मे उनके वारा दए गए अमू य समय, नदशन एवं सहयोग के लए
आभार य त करने मे नश द हू | इसके अत र त म अपने hod डॉ अ रमदन संह
सर वा सभी श क को आभार य त करती हूँ |

शोधाथ

Date - मानसी शु ला

6|Page
अ याय – थम

1.1- तावना

1.2- अ ययन क आव यकता एवं मह व

1.3- अ ययन का औ च य

1.4- सम या कथन

1.5- यु त श द का प रभा षकरण

1..6- अ ययन का उ दे य

1.7- अ ययन क प रक पना

1.8- अ ययन का सीमांकन

7|Page
1.1 – तावना

श ा णाल मे सतत एवं यापक मू यांकन क मह ा –

श ा एक समाज के वकास क आधार शला होती है और उसके क मे श क और


व याथ होते ह | श क श ा के त भ होते ह और उनक भावशीलता छा क
ग त पर य प से भाव डालती है | इस संदभ मे B.ed. छा ा यापक, जो
भ व य के श क होते ह, क श ण या का मह व और अ धक बढ़ जाता है |
उनके श ण क गुणव ा यह नधा रत करती है , क वे अपने व या थय के लए
कतने स म श क बनगे |

सतत एवं यापक मू यांकन क भू मका –

श ा णाल मे मू यांकन केवल पर ा तक सी मत नह ं है, यह सतत और यापक


होना चा हये |

सतत मू यांकन – सतत मू यांकन का मतलव है क व या थय क ग त का


नरं तर मू यांकन कया जाए, िजससे उनक मताओं और क मय का समय पर
पता लगाया जा सके|

यापक मू यांकन – यापक मू यांकन का उ दे य है , क व या थय क सभी े


मे ग त को मापा जाए, जैसे क शै णक, सां कृ तक, शार रक और नै तक
वकास |

सतत और यापक मू यांकन का भाव –

B.ed. छा ा यापक पर सतत और यापक मू यांकन क या का गहरा भाव


पड़ता है | यह उ ह न केवल उनक शै णक मताओं मे सुधार करने मे मदद
करता है , बि क श ण के यावहा रक पहलुओं को भी बेहतर ढं ग से समझने मे

8|Page
मदद करता है | इस या के मा यम से वे व भ न व धय से प र चत होते ह
और उनके भाव को समझते ह |

सतत एवं यापक मू यांकन के न न ल खत 3 आधार है -

1. श ा के उ दे य
2. शै क अनुभव जो व या थय को उपल ध कराये जा रहे ह |
3. मू यांकन क व धयां था साधन मू यांकन तथा श ा के अ य प का
गहरा संबध
ं है | मू यांकन के आधार पर उ दे य मे भी प रवतन लाया जा
सकता है |

पा य म उ दे य श ण

मू यांकन

सतत एवं यापक मू यांकन के मु य त व –

सतत एवं यापक मू यांकन णाल के मु य न न ल खत त व ह -

1. अंक के थान पर ैड का योग


2. रटने और बना समझे याद करने क व ध पर रोक |
3. व भ न कार के व तु न ट न का उ चत समावेश |
4. पाठांतर याओं का म त आयोजन करना |
5. मू यांकन या का छा , अ यापक, और अ भभावक वारा भावशाल
योग |

9|Page
6. सतत और यापक मू यांकन या का काया वयन करना िजससे छा
के सभी कौशल पर यान दया जा सके |

सतत एवं यापक मू यांकन णाल के लाभ-

सतत एवं मू यांकन णाल के न न ल खत लाभ ह –

1. व या थय का सवागीण वकास करना – श ा का काय व या थय के


यि त व के सभी प का सवागीण वकास करना है , िजसमे सतत एवं
यापक मू यांकन णाल सहायक स ध होती है |

2. उ चत नयोजन – सतत एवं यापक मू यांकन एक सम मू यांकन णाल


है | अ यापक अपने काय क योजना यवि थत ढं ग से बना लेते ह |

3. नय मत अ धगम – अ यापक वारा सतत एवं मू यांकन के मा यम से


लगातार मू यांकन होने के कारण , व याथ नय मत प से अ धगम करते
ह |

4. समय ब धता – व या थय एवं अ यापक मे समय पालन के मू य का


वकास होता है | य क उनके काय का नर ण भी सतत एवं यापक
मू यांकन णाल वारा कया जाता है |

5. सजगता – सतत एवं यापक मू यांकन णाल व या थय एवं अ यापक को


सजग बनाने मे सहायक होती है |

10 | P a g e
6. नय मत श ण – अ यापक वारा मू यांकन संबंधी ग त रपोट नय मत
प से अ भभावक के सामने े सत होती है |

सतत एवं यपक मू यांकन पर मुख आयोग के सुझाव –

कोठार आयोग एवं श ा आयोग 1964-1966 ने अनुभव कया क अब यह मान


लया गया है क मू यांकन एक नरं तर या है और श ा णाल का एक
अ भ न अंग है |

मू यांकन का सीधा संबंध श ा के उ दे य से होता है | मू यांकन


व या थय के अ ययन और अ यापक क श ण णाल को बहुत भा वत करता
है |

11 | P a g e
समायोजन –

समायोजन श द क उ प लै टन भाषा के ‘ऐड-जे ट’ श द से हुई है | इसका अथ है


क कसी भी प रि थ त मे सामंज य बनाए रखने के लए जो उ चत हो वैसा

यवहार करना ह समायोजन है | यह एक म है िजसके मा यम से यि त या


ाणी अपनी आव यकताओं एवं संतुि ट को भा वत करने वाल प रि थ तय के साथ
सामंज य था पत करने मे सफल होता है |

रै थस के अनुसार – ‘समायोजन वह यवहार है िजसके वारा पयावरणीय मांग के


साथ सामंज य था पत कया जाता है |’

आइजे नक और उसके सा थय के अनुसार – ‘यह वह अव था है िजसमे एक ओर


यि त क आव यकता तथा दस
ू र और वातावरण के अ धकार मे पण
ू संतिु ट नह ं
होती है |’

प रि थ त के अनुसार यवहार करना या उसके साथ सामंज य था पत करना


ह समायोजन कहलाता है | समायोजन क सम या अनेक कारण से पैदा होती है |
उसका समाधान ा त करना ह समायोजन है |

समायोजन के े -

 गहृ समायोजन
 शै क समायोजन
 वा य समायोजन
 संवेगा मक समायोजन
 सामािजक समायोजन

इस कार प ट होता है क उ प न परि थ तय के त यथो चत यवहार


करना ह समायोजन है |

12 | P a g e
अ भव ृ –

येक यि त का अपना ि टकोण होता है िजसके कारण वह य ीकरण करता है


| यि त क व भ न व तुओं के त इस धारणा को ह अ भव ृ ी कहते ह | तु त
अ ययन मे b.ed ववष य पा य म के दौरान अ ययन मे सतत एवं यापक
मू यांकन या के त श क श णा थय क त याओं को अ भव ृ ी माना
गया है |

दस
ू रे श द मे कसी यि त क व श ट घटना के त भावना तथा व वास को ह
अ भव ृ त कहते ह | अ भव ृ ी यि त को उस ि टकोण क ओर संकेत करती है ,
िजसके कारण वह कसी व तु प रि थ त सं था या यि त के त व श ट यवहार
करता है |

क नर के अनुसार – ‘अ भव ृ ी क प रभाषा यि त व के समूह या कसी सं था के


त समा यीकृत च व ृ ध के प मे क जाती है |’

आलपोट के अनुसार – ‘आलपोट ने अ भव ृ को एक वशेष तरह क मान सक तथा


नायवीक त परता के प मे प रभा षत कया है |’

अ भव ृ के घटक –

अ भव ृ के तीन घटक होते ह, जो क न न ह –

1. वचारपरक घटक
2. संवे गक घटक
3. या मक घटक

 वचारपरक घटक को सं ाना मक प कहा जाता है |


 सामवे गक घटक को भावा मक प कहा जाता है |
 या मक घटक को यवहरा मक प कहा जाता है |
 अं ेजी मे इ हे a-b -c घटक कहा जाता है |

13 | P a g e
1.2 - अ ययन क आव यकता एवं मह व –

अ ययन क आव यकता –

श ा क गुणव ा मे सुधार –

b.ed काय म मे श ण क गुणव ा सीधे व या थय क श ा क गुणव ा पर


भाव डालती है | सतत और यापक मू यांकन णाल के भाव का व लेषण करने
से इन श ण काय म क भावशीलता को समझा जा सकता है |

नी त- नमाण मे सहायक –

अ ययन के प रणाम श ा नी त- नमाताओं को cce णाल बेहतर ढं ग से लागू


करने और उसमे सध
ु ार करने के दशा- नदश दान कर सकते ह |

यि तगत वकास –

मू यांकन णाल केवल शै णक दशन तक सी मत नह ं है, यह व या थय के


स पण
ू वकास को भी भा वत करती है | यह अ ययन यह पता लगाएगा क cce
णाल b.ed छा ा यापक के सम यि त व वकास मे कैसे योगदान दे ती है |

14 | P a g e
अ ययन का मह व –

श क क पेशेवर वकास –

इस अ ययन से ा त न कष b.ed छा ा यापक के पेशेवर वकास को ो सा हत


करगे, िजससे वे अपने श ण मे आ धक कुशल और भावी बन सकगे |

सम वकास पर जोर –

Cce णाल के अ ययन से यह सु नि चत कया जा सकेगा क मू यांकन केवल


शै णक दशन तक सी मत न रहे , बि क व या थय के स पूण वकास को भी
कवर करे |

श ण व धय मे सुधार –

अ ययन से यह पता चलेगा क cce णाल को कस कार और बेहतर बनाया जा


सकता है, िजससे श ा णाल मे सुधार हो सके |

1.3 - अ ययन का औ च य –

Ncte (1993) क अनुशंसा के अनुसार मा य मक श क श ा श ण काय म दो


वष कया जाना चा हये | इस अनुशंसा के आधार पर भारत वष मे मा य मक तर
के श क श ण काय म को एक वष क अव ध से बढ़ाकर दो वष कर दया गया
| ववष बी. एड. पा य म याि वत करने के प चात न यह उठता है क
सेमे टर प ध त को अपनाया जाए | छा ा यापक के मू यांकन हे तु सतत एवं सम
मू यांकन णाल को अपनाया गया है |

15 | P a g e
वतमान मे यह ववष b.ed. श क श ण पा य म का या वयन कया जा
रहा है , तो शोधाथ के मन मे यह िज ासा पी शोध न उठता है क , b.ed.
पा य म मे सेमे टर प ध त लागू करने एवं सतत एवं यापक मू यांकन णाल
अपनाने से बी.एड. छा अ यापक एवं अ या पकाओं पर इसका या भाव पड़ेगा ?
इसी न को जानने के लए शोधाथ ने इस वषय पर शोध करने का न चय कया
है |

प रव तत पा य म एवं मू यांकन क या का श क श ण क सं थाओं


वारा कस तरह अपनाया जा रहा है ? एवं इसका या भाव श क श ण पर
पड़ रहा है ? इसका अ ययन कया जाना है | अत: शोधाथ वार शोध के लए
इसस े का चयन कया गया |

1.4 – सम या कथन –

 “समायोजन एवं अ भव ृ के संदभ म बी.एड. छा ा यापक पर सतत एवं


यापक मू यांकन या के भाव का तल
ु ना मक अ ययन |”

1.5 – यु त श द का प रभा षकरण –

समायोजन -

तुत शोध अ ययन मे नय मत बी.एड. छा ा यापक के समायोजन से आशय बेल


अ भ यि तव अ भयोजन के अनस
ु ार गह
ृ , वा य, सामािजक, एवं संवेगा मक
समायोजन के मापन के प मे लया गया है |

16 | P a g e
अ भव ृ –

तुत शोध अ ययन मे नय मत बी.एड. छा ा यापक क अ भव ृ से मतलब डॉ.


एस.पी. अहुलवा लया वारा न मत श क अ भव ृ अ भयोजन के अनुसार बी.एड.
छा ा यापक के शै क यवसाय, क ा-क श ा, व याथ क त अ यास,शै क
या, व याथ एवं श क से स बि धत कथन के त अ भमत को मापन के
प मे लया गया है |

सतत एवं यापक मू यांकन –

सतत एवं यापक मू यांकन व यालय के छा के आधार पर मू यांकन है क इसमे


छा के वकास के उन सभी पहलुओं को शा मल कया गया है जो एक णाल को
दशाता है | अत; इसमे व या थय के तीन प ाना मक, भावना मक, और
या मक प को भी मू यांकन मे शा मल कया गया है |

बी.एड. छा ा यापक –

बी.एड. छा ा यापक से आशय ncte, उ र दे श उ च श ा वभाग वारा मा यता


ा त श ा महा वदयाल मे बी.एड. ववष पा य म मे अ ययनरत श क
श णअर थय से है |

1.6 – अ ययन का उ दे य –

1 - B.ed. छा ा यापक पर सतत एवं यापक मू यांकन क या के भाव का


अ ययन न न के संदभ मे करना –

a) पूव समायोजन एवं प च समायोजन


b) पूव अ भव ृ एवं प च अ भव ृ

17 | P a g e
2 - B.ed. छा ा यापक पर सतत एवं यापक मू यांकन क या के भाव का
अ ययन न न के संदभ मे करना, जब क लंग एवं शै क उपलि ध को सहचर के
प मे लया गया है –

a) समायोजन
b) अ भव ृ

3 - ामीण एवं शहर b.ed. छा ा यापक पर सतत एवं यापक मू यांकन के


या के भाव का अ ययन न न के संदभ मे करना –

a) समायोजन
b) अ भव ृ

1.7 – अ ययन क प रक पना –

1. B.ed. छा ा यापक के पव
ू समायोजन एवं प च समायोजन पर सतत एवं
यापक मू यांकन या के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा |
2. B.ed. छा ा यापक क पव
ू अ भव ृ एवं प च अ भव ृ पर सतत एवं
यापक मू यांकन या के भाव का कोई साथक अंतर नह ं होगा |
3. B.ed. छा ा यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के
भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा, जब क लंग को सहचर के प मे
लया गया है |
4. B.ed. छा ा यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन या के
भाव का कोई साथक अंतर नह ं होगा, जब क लंग को सहचर के प मे
लया गया है |
5. B.ed. छा ा यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के
भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा, जब क शै णक उपलि ध को सहचर
के प मे लया गया है |
6. B.ed. छा ा यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन या के
भाव का कोई साथक अंतर नह ं होगा, जब क शै णक उपलि ध को सहचर
के प मे लया गया है |

18 | P a g e
7. ामीण एवं शहर B.ed. छा ा यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक
मू यांकन या के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा |
8. ामीण एवं शहर B.ed. छा ा यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक
मू यांकन या के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा |\

1.8 – अ ययन का परसीमन -

इस शोध का न न बंदओ
ु ं के अंतगत परसीमन कया गया -

1. शोध अ ययन हे तु यायदश का आकार 1500 रखा गया है |


2. तुत शोध अ ययन के लए उ र दे श के 19 श ा महा व यालाओं मे से
बी.एड. स 2022-2024 के थम सेमे टर एवं चतुथ सेमे टर के श क

श णा थय को चुना गया |

19 | P a g e
अ याय – वतीय

2.1- स बि धत सा ह य का अ ययन

2.2- स बि धत सा ह य क आव यकता एवं मह व

20 | P a g e
अ याय – वतीय

2.1– स बि धत सा ह य का अ ययन –

स बि धत सा ह य का अ ययन कसी भी शोध काय का एक मह वपण


ू ह सा होता
है | यह शोधकता को वषय क गहन समझ दान करता है और उसे पव
ू मे कए
गए अनुसंधान और उनके न कष से अवगत कराता है | बी.एड. छा ा यापक पर
सतत एवं यापक मू यांकन णाल के भाव का अ ययन करते समय, व भ न
ोत से ा त सा ह य का व लेषण करना आव यक है | इस अ ययन के मुख
े मे न न ल खत शा मल ह –

1. Cce णाल का मु य उ दे य और स धांत िजसमे सतत और यापक


मू यांकन क चचा क जाती है |
2. व भ न शै णक तर पर cce णाल के भाव का अ ययन |
3. Cce णाल के काया वयन मे आने वाल चुनौ तयाँ और उन पर काबू करने
के उपाय |
4. बी.एड. पा य म और उनके उ दे य का अ ययन , िजसमे श ण क
व भ न व धय और मू यांकन याओं पर चचा क जाती है |
5. बी.एड. छा अ यापक के श ण मे cce णाल के काया वयन का
व लेषण |
6. श क श ण मे cce णाल क भू मका और उसके भाव का अ ययन |
7. श ण के दौरान मू यांकन क व भ न व धय और उनके भाव का
तुलना मक अ ययन |
8. शै णक दशन मे सुधार के लए cce णाल के लाभ और सीमाएं |
9. Cce णाल के मा यम से सम वकास को मापने के तर के और उनके
भाव |
10. Cce णाल मे सुधार लाने के उपाय और नवाचार |

21 | P a g e
स बि धत सा ह य का अ ययन करते समय , व भ न पु तके , शोध प , रे पो स
और श ा नी त द तावेज का व लेषण कया जाना चा हये| | यह अ ययन न
केवल cce णाल और बी.एड . छा अ यापक पर इसके भाव क गहन समझ
दान करे गा , बि क इसके काया वयन मे आने वाल चुनौ तय और उनके समाधान
पर भी मह वपण
ू जानकार उपल ध कराएगा | सा ह य के इसस अ ययन के मा यम
से, शोधकता अपने अ ययन के लए ठोस आधार तैयार कर सकेगा और मू यांकन
न कष ा त कर सकेगा |

2.2 – स बि धत सा ह य क आव यकता एवं मह व –

* स बि धत सा ह य क आव यकता -

1. स बि धत सा ह य का अ ययन , शोधकता को वषय क गहन समझ दान


करता है |
2. यह शोधकता को पूव मे कए गए अनुसध
ं ान और उनके न कष से अवगत
कराता है |
3. इससे शोधकता को यह समझने मे मदद मलती है क उनके अ ययन के
े मे पहले से या ात है और या अभी भी ात नह ं है |
4. स बि धत सा ह य का अ ययन शोध के लए एक ठोस आधार दान करता
है |
5. यह अ ययन क दशा नधा रत करने और शोध क संरचना को वयवि थत
करने मे सहायता दे ता है |
6. यह शोध या को अ धक वै ा नक और यवि थत बनाने मे मदद करता
है |
7. इसमे शोधकता अपने नवीनतम और सं गक ि टकोण लो शा मल कर
सकता है |

22 | P a g e
* स बि धत सा ह य का मह व -

1. स बि धत सा ह य का अ ययन शोध क गुणव ा को बढ़ाता है |


2. स बि धत सा ह य का अ ययन शोधकता को सज
ृ ना मक और नवचार
ि टकोण अपनाने के लए े रत करता है |
3. यह नये वचार और समाधान को सोचने के लए े रत करता है |
4. यह शोधकता को व भ न ि टकोण और व भ न ि टय को समझने और
उनका समावेश करने मे मदद करता है |
5. यह अ ययन के न कष क व वशसनीयता , और वेधता को भी सु नि चत
करता है |
6. यह शोध के न कष को यापक संदभ मे समझने , और लागू करने मे
मदद करता है |
7. स बि धत सा ह य का अ ययन शोध क योजना और न पादन मे संग त
और भावशीलता सु नि चत करती है |
8. स बि धत सा ह य का अ ययन यह सु नि चत करता है क शोधकता वारा
कया गया अ ययन वतमान संदभ और सम याओं से स बि धत हो |

23 | P a g e
अ याय – तत
ृ ीय

3.1- अनुसंधान अ भक प

3.2- अ ययन क जनसं या

3.3- अ ययन का यायदश

3.4- अ ययन हे तु यु त उपकरण

3.4.1- अ ययन हे तु यु त उपकरण क वेधता

3.4.2- अ ययन हे तु यु त उपकरण क व वशनीयता

3.4.3- अ ययन का शासन

3.5- अ ययन मे यु त सांि यक व धयां

24 | P a g e
अ याय – तत
ृ ीय

3.1 - शोध वध –

अपने शोध काय को वै ा नक प दान करने हे तु शोधाथ को आव यक प से कुछ


व ध, यायदश, उपकरण को तुत करना होता है | तुत अ ययन मे यु त
व ध, व ध, उपकरण तथा यायदश का ववरण दया गया है |

3.2 - अ ययन क वध –

शोधाथ वारा अनुसंधान मे सव ण व ध का योग कया गया है |

3.3 - शोध ाक प –

शोधाथ वारा अपने अ ययन के उ दे य क पू त हे तु शोधाथ ने वासी ायो गक


पूव प च अ भक प को अपनाया गया है |

3.4 - शोध अ ययन के चर –

आ त चर – समायोजन एवं अ भव ृ

सहचर – शै क उपलि ध

वतं चर – सतत एवं सम मू यांकन

3.4.1 - यायदश एवं चयन या –

शोधकता वारा यायदश चयन हेतु यायदश क उपयु त वशेषताओं, दशाओं को


यान मे रखते हुए सरल यदर चक व ध का योग कया गया िजसके अंतगत उ र
दे श के बी.एड. छा ा यापक का चयन कया गया है |

25 | P a g e
महा व यालय का छा ा यापक छा ा या पका कुल
नाम
डॉ.भीमराओ 42 57 99
अंबड
े कर
महा व यालय
मनमीत नगर 39 37 76
महा व यालय
उ मानी ड ी 22 49 71
कॉलेज
रॉयल ड
ू स ड ी 39 48 87
कॉलेज
कमला ड ी कॉलेज 42 47 89

रामा ड ी कॉलेज 36 51 94

वीर बहादरु संह 27 53 80


महा व यालय
रजत ड ी कॉलेज 40 45 85

रजत वोमए स 32 37 69
ड ी कॉलेज
रजत कॉलेज ऑफ 22 60 82
एजक
ु े शन ए ड
मै न म ट
आयावत कॉलेज 47 46 93

सट ुप ऑफ 37 56 93
कॉलेज
बाबू रामे वरम 41 50 90
दयाल ड ी कॉलेज
लखीमपरु कॉलेज 38 50 88
ऑफ एजक
ु े शन
ी कृ ण कॉलेज 36 51 87

से े ड हाट ड ी 32 48 80
कॉलेज
And टे यचस ै नंग 36 48 84
Ydc 5 19 24

26 | P a g e
3.4.2 - अ ययन हे तु यु त उपकरण –

तुत शोध मे समायोजन एवं अ भव ृ से स बि धत माननीकृत उपकरण का योग


कया गया है –

समायोजन हे तु – बेल यि त व अ भयोजन का उपयोग कया गया |

अ भव ृ हे तु – डॉ.स.पी.अहलुवा लया अ भव ृ अ भयोजन पर ण का उपयोग कया


गया |

त या मापनी – व न मत त या मापनी

3.4.3 - अ ययन हे तु यु त उपकरण क व वसनीयता –

बेल यि तगत अ भयोजन व वशयनीयता को घर, वा य, सामािजक, और


भावना मक सम और वषम कथन के लए 100 नातक कॉलेज व या थय पर मापा
गया है , जो क मश: 0.826, 0.815, 0.844, 0.861, और 0.921 व वसनीयता
पाई गई |

अहलुवा लया अ भव ृ अ भयोजन पर ण क व वसनीयता को .59 (n=102) और


.64 (n=290) के सम एवं वषम गुणांक पर मापा गया |

3.4.4 - अ ययन हे तु यु त उपकरण क वेधता –

बेल यडजे टमट इनवटर के संसो धत ह द सं करण के मानक करण क या मे


, इसक वेधता को नयोिजत करके पर ण को समवत और नमाण क वेधता लागू
करने से भी नधा रत कया गया है |

27 | P a g e
3..5- उपकरण का शासन –

त या मापनी – अ ययन के उ दे य क आव यकता के अनु प छा ा यापक


क सतत एवं यापक मू यांकन के त उनके मत का अ ययन करने हे तु शोधाथ ने
त या मापनी का नमाण कया |

त या मापनी का नमाण एवं जानकार का मत –

शोधाथ वारा त या मापनी के अंतगत सव थम 25 कथन का नमाण कया गया


| नमाण करने के प चात जानकार क राए ल गई | उनक राए के अनुसार कुछ
न का हटाकर 16 न को अपनी त या मे थान दया |

त या मापनी का ारि भक योग –

त या मापनी का नमाण हो जाने के बाद शोधाथ ने व भ न श ा महा व यालाओं


मे जाकर छा ा यापक पर त या मापनी का योग कया और इस मापनी को भरने
से पूव आव यक नदश दए |

त या मापनी का शासन –

त या मापनी का नमाण हो जाने के प चात उसे श क / श काओं पर शा सत


कया | न का व प ल खत प मे है, िजसमे उ चत च ह लगाकर अपनी
त या य त करनी है |

त या को दे ने से पहले नदश द गए क उ हे कस कार क मापनी का उ र


अं कत करना है | मापनी को भरने के आधे घंटे बाद इस त या मापनी को वापस
ले लया गया | अंत मे ा तांक का सांि यक व लेषण कया गया |

28 | P a g e
3..6 - अ ययन मे यु त सांि यक व धयां –

शोध अ ययन से ा त द ो का व लेषण करने हे तु अ ययन के उ दे य के अनु प


t – test , ancova , एवं तशतांक सांि यक व ध का योग कया गया है | इन
पर ण को शोधकता ने सांि यक मे यु त नवाचार spss नामक सॉ टवेयर के
वारा व ले षत कया |

29 | P a g e
अ याय – चतुथ

4.1- समांको का सांि यक व लेषण

4.2- प रक पनाओं का स यापन

30 | P a g e
अ याय – चतुथ

4.1 – समांको का सांि यक व लेषण –

तुत अ ययन मे प रक पनाओ के पर ण हे तु संक लत द ो का व लेषण न न


सांि यक तकनीक वारा कया गया है –

1. बी.एड छा अ यापक के पूव एवं प च समायोजन पर सतत एवं यापक


मू यांकन क या के भाव मे t test का योग कया गया |
2. बी.एड छा अ यापक क पूव एवं प च अ भव ृ पर सतत एवं यापक
मू यांकन क या के भाव मे t test का योग कया गया |
3. बी.एड छा अ यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन क
या के भाव मे ancova पर ण का योग कया गया जब क लंग क
सहचर के प मे लया गया |
4. बी.एड छा अ यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन क
या के भाव मे ancova पर ण का योग कया गया जब क लंग को
सहचर के प मे लया गया |
5. बी.एड छा अ यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन क
या के भाव मे ancova पर ण का योग कया गया जब क शै णक
उपलि ध को सहचर के प मे लया गया |
6. बी.एड छा अ यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन क
या के भाव मे ancova पर ण का योग कया गया जब क शै णक
उपलि ध को सहचर के प मे लया गया |
7. ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक
मू यांकन क या के भाव मे t test का योग कया गया |
8. ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक
मू यांकन क या के भाव मे t test का योग कया गया |

31 | P a g e
4.2– प रक पनाओं का स यापन –

प रक पना 1 – B.ed. छा ा यापक के पव


ू समायोजन एवं प च समायोजन पर
सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव का अ ययन करना |

सारणी मांक 4.2.1 - B.ed. छा ा यापक के पव


ू समायोजन एवं प च
समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव के मा य, फलंक ,
मा णक वचलन एवं ट मान का सारांश -

चर N Mean S. d. S. d. T Df Sign. Significance


error 2
tailed

1500 98.49 7.02 .18

पूव
समायोजन

1500 108.44 7.47 .19 37.59 2998 0.000 Significance

प च
समायोजन

*साथकता का अंतर 0.01

उपरो त सारणी से प ट है क t का मान 115.46 है, जो df= 2998 के साथकता


के तर 0.01 पर साथक है | अत: प रक पना B.ed. छा ा यापक के पव

समायोजन एवं प च समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव म
पर कोई साथक अंतर नह होगा | नर त क जाती है |

आगे सारणी से प ट है क cce या के भाव म प च समायोजन का मा य


108.44 है जो क पूव समायोजन के मा यसे 98.49 से उ च है | अथात बी.एड
छा अ यापक के प च समायोजन के मा य फलक का ा तांक, पूव समायोजन के
मा य फलक के ा तांक से cce या के भाव म अ धक पाया गया |अत:
न कष व प यह कहा जा सकता है क B.ed. छा ा यापक के पूव समायोजन एवं
प च समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव म साथक अंतर
पाया गया |

32 | P a g e
110 mean

108.44

108

106

104

102

100

98.49

98

96

94

92

पूव समायोजन प च समायोजन

ाफ -1 – बी.एड. छा अ यापक के पूव समायोजन एवमं प च समऊओजन पर


cce या के भाव के मा य फलंक का ाफ

33 | P a g e
प रक पना – 2 –

B.ed. छा ा यापक क पूव अ भव ृ एवं प च अ भव ृ पर सतत एवं यापक


मू यांकन या के भाव का कोई साथक अंतर नह ं होगा |

सारणी मांक 4.2.2 –

B.ed. छा ा यापक क पूव अ भव ृ एवं प च अ भव ृ पर सतत एवं यापक


मू यांकन या के भाव के मा य, फलंक , मा णक वचलन एवं ट - मान का
सारांश -

चर N Mean S.D S.d T Df Sign. 2 Significance


error tailed

पूव 1500 30.07 15.43 .39


अ भव ृ

31.78 2998 0.000 Significance


प च 1500 31.85 15.31 .39
अ भव ृ त

*साथकता का अंतर 0.01

उपरो त सारणी से ात होता है क ट का मान 31.78 है, जो df = 2998 के


साथकता के तर 0.01 है | इस लए यह साथकता के 0.01 तर पर साथक है |
अत; - B.ed. छा ा यापक क पूव अ भव ृ एवं प च अ भव ृ पर सतत एवं
यापक मू यांकन या के भाव मे पर कोई साथक अंतर नह ं होगा नर त क
जाती है |

आगे सारणी से ात हुया क cce या के भाव मे प च अ भव ृ का मा य


31.85 है जो क पूव अ भव ृ के मा य 30.07 से उ च है | अत : न कष व प
यह कहा जा सकता है क बी.एड छा अ यापक क प च अ भव ृ त का मान, पूव

34 | P a g e
अ भव ृ के मान से cce या के भाव मे अ धक पाया गया | अत; B.ed.
छा ा यापक क पूव अ भव ृ एवं प च अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन
या के भाव मे साथक अंतर पाया गया |

32 mean

31.85

31.5

31

30.5

30.07

30

29.5

29

पूव अ भव ृ प च अ भव ृ

ाफ – 2 – बी.एड. छा अ यापक क पव
ू तथा प च अ भव ृ पर cce
या के भाव के मा य फलंक का ाफ

35 | P a g e
प रक पना – 3 –

B.ed. छा ा यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव


का अ ययन करना , जब क लंग को सहचर के प मे लया गया है

सारणी 4.3.3 –

B.ed. छा ा यापक के समायोजन पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव


मे पर ण हे तु (ancova) सारांश , जब क लंग को सहचर के प मे लया गया |

समायोजन N Mea Df Ss
Mss F-value Signific
n ance

छा अ याप 620 83.4 1 744.139 744.136


क 7 9

8.4 Signific
ance
छा 880 81.3 149 13111.62 88.59
अ या पका 7 7 1

कुल 150 149 13855.76


0 8 0

*साथकता का अंतर 0.05

उपरो त सारणी से सप ट है क f का मान 8.4 है जो क वतं ता के तर 1/1498


एवं साथकता के तर 0.05 से कम है | अत: यह साथकता के तर 0.5 तर पर
साथक है | अथरत छा अ यापक एवं छा अ या पका के समायोजन के मा य
ा तांक मे साथक अंतर है , जब क लंग को सहचर के प मे लया गया है इस
प रि थ त मे नल प रक पना B.ed. छा ा यापक के समायोजन पर सतत एवं
यापक मू यांकन या के भाव का अ ययन करना , जब क लंग को सहचर के
प मे लया गया है नर त क जाती है |

36 | P a g e
आगे सारणी से प ट है क बी.एड . छा अ यापक के समायोजन पर cce या
का मा य फलाँक 83.47 है जो क बी.एड. छा अ या पकाओं के समायोजन पर cce
या के मा य फलाँक 81.37 से उ च है |

अत: न कष व प यह कहा जा सकता है क बी.एड. छा अ यापक के समायोजन


पर cce या का भाव , बी.एड. छा अ या पकाओं के समायोजन पर cce
या क भाव क तुलना मे भावशील रहा है , जब क लंग को सहचर के प मे
लया गया है |

ाफ - 3

84 mean

83.47

83.5

83

82.5

82

81.76

81.5

81

80.5

छा अ यापक छा अ या पकाय

37 | P a g e
प रक पना -4 –

बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन या के


भाव का अ ययन करना, जब क लंग को सहचर के प मे लया गया है |

सारणी 4.2.4 –

बी.एड छा अ यापक एवं अ या पकाओं क अ भव ृ पर सतत एवं यापक


मू यांकन या के भाव मे पर ण हे तु (ancova) सारांश, जब क लंग को
सहचर के प मे लया गया है |

अ भव ृ N Mean Df Ss Mss F– Significanc


e
value

छा 620 311.2 1 2118.226 2118.22


अ यापक 1 6

8.00 Significanc
e
1
छा 880 318.8 149 39180.04 264.730
अ या पका 4 7 7

कुल 150 149 13855.76


0 8 0

*साथकता का तर 0.05

उपरो त सारणी से सप ट है क f का मान 8.001 है जो क वतं ता का तर


1/1498 एवं साथकता के तर 0.05 से कम है | अत: यह साथकता के तर 0.5
तर पर साथक है | अरथाथ छा अ यापक एवं छा अ या पका क अ भव ृ के
मा य ा तांक मे साथक अंतर है , जब क लंग को सहचर के प मे लया गया है
|इस प रि थ त मे सन
ु ने प रक पना ‘ बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर सतत
एवं यापक मू यांकन या के भाव का अ ययन करना, जब क लंग को सहचर
के प मे लया गया है | नर त क जाती है |’

आगे सारणी से सप ट है क बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर सतत एवं


यापक मू यांकन या के भाव का मा य फलाँक 318.84 है जो क बी.एड. छा

38 | P a g e
अ यापक क अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव के मा य
फलाँक 311.21 से उ च है |

अत : न कष व प यह कहा जा सकता है क बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ


पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव बी.एड. छा अ या पकाओं क
अ भव ृ पर सतत एवं यापक मू यांकन या के भाव क तुलना मे भावशील
रहा, जब क लंग को सहचर के प मे लया गया है |

ाफ – 4

320 mean

318.84

318

316

314

312

311.21

310

308

306

छा अ यापक छा अ या पकाएं

39 | P a g e
प रक पना – 5 – बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या के भाव
का अ ययन करना, जब क शै क उपलि ध को सहचर के प मे लया गया है |

सारणी – 4.2.5 – बी.एड. छा अ यापक एवं अ या पकाओं के समायोजन पर cce


या के भाव मे पर ण हे तु ( ancova ) सारांश, जब क शै क उपलि ध को
सहचर के प मे लया गया है |

समायोजन
N Mean Df ss Mss F- Signific
value ance

छा अ याप
क क
620 61.71 1 874.736 874.736
शै क
उपलि ध

12.332 Signific
छा अ या प
ance
काओं क
880 66.61 1497 10497.638 70.930
शै क
उपलि ध

कुल 1500 1498 13855.760

*साथकता का तर 0.01

उपरो त सारणी से सप ट है क f का मान 12.332 है , जो क वतं ता के तर


1/1498 एवं साथकता के तर 0.01 से अ धक है | अत: यह साथकता के तर 0.1
तर पर साथक है | अरथाथ छा अ यापक एवं छा अ या पका के मा य ा तांक
मे साथक अंतर है जब क शै क उपलि ध को सहचर के प मे लया गया है | इस
ि त थ मे सुनये प रक पना ‘बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या
के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा , जब क शै क उपलि ध को सहचर के
प मे लया गया है |’ नर त क जा त है |

आगे सारणी से यह सप त है क बी. एड. छा अ या पकाओं के समायोजन पर


cce या के मा य फलाँक 66.61 है जो क ,बी. एड. छा अ यापक के
समायोजन पर cce या के मा य फलाँक 61.71 से उ च है | अत ; न कष यह

40 | P a g e
नकलता है क बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या के भाव , क
बी. एड. छा अ या पकाओं के समायोजन पर cce या के क बी. एड. छा
अ या पकाओं के समायोजन पर cce या के भाव क तुलना मे भावशील रहा ,
शै क उपलि ध को सहचर के प मे लया गया है |’

67 mean

66.61

66

65

64

63

62

61.71

61

60

59

छा अ यापक क शै क उपलि ध छा अ या पकाओं क शै क उपलि ध

ाफ -5

41 | P a g e
प रक पना – 6 –

बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर cce या के भाव का अ ययन करना,


जब क शै क उपलि ध को सहचर के प मे लया गया है |

सारणी 4.2.6 –

बी.एड. छा अ यापक एवं अ या पकाओं क अ भव ृ पर cce या के भाव मे


पर ण हे तु (ancova) सारांश , जब क शै क उपलि ध को सहचर के प मे लय
गया है |

अ भव ृ N Mean Df Ss Mss F-value Significance

छा
आ यापक 620 66.84 1 316.728 316.728
क शै क
उपलि ध
5.349 Significance

छा
अ या पकाओं 880 69.39 1497 8764.106 59.217
क शै क
उपलि ध

कुल 1500 1498 980.833

*साथकता का अंतर 0.01

उपरो त सारणी से सप ट है क f का मान 5.349 है , जो क वतं ता के तर


1/1498 एवं साथकता के तर 0.01 से अ धक है | अत: यह साथकता के तर 0.1
तर पर साथक है | अरथाथ छा अ यापक एवं छा अ या पका के मा य ा तांक
मे साथक अंतर है जब क शै क उपलि ध को सहचर के प मे लया गया है | इस
ि त थ मे शू य प रक पना ‘बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या
के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा , जब क शै क उपलि ध को सहचर के
प मे लया गया है |’ नर त क जा त है |
आगे सारणी से यह सप त है क बी. एड. छा अ या पकाओं के समायोजन पर
cce या के मा य फलाँक 69.39 है जो क ,बी. एड. छा अ यापक के

42 | P a g e
समायोजन पर cce या के मा य फलाँक 66.84 से उ च है | अत ; न कष यह
नकलता है क बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या के भाव , क
बी. एड. छा अ या पकाओं के समायोजन पर cce या के क बी. एड. छा
अ या पकाओं के समायोजन पर cce या के भाव क तुलना मे भावशील रहा ,
शै क उपलि ध को सहचर के प मे लया गया है |’

ाफ -6

70 MEAN

69.39

69.5

69

68.5

68

67.5

67

66.84

66.5

66

65.5

छा अ यापक क शै क उपलि ध छा अ या पकाओं क शै क उपलि ध

43 | P a g e
प रक पना – 7 -

ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या के भाव का


अ ययन करना |

सारणी 4.2.7 –

ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या के भाव के


म य का मा य , फलंक , मा णक वचलन एवं ट मान का सारांश

समायोजन N Mean S.d. S.d. T Df Sig 2 Significance


error tailed

ामीण
छा 550 78.94 4.45 .60
अ यापक

2.92 1498 .004 Significance


शहर
छा 950 81.17 4.53 .46
अ यापक

*साथकता का अंतर 0.01

उपरो त सारणी से सप ट है क t का मान 2.92 है , तथा df = 1498 है जो क


साथकता के तर 0.1 से काम है इस लए यह साथकता के 0.01 तर पर साथक है
| अत: शू य प रक पना ‘ ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक के समायोजन
पर cce या के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा |’ नर त क जा त है |

आगे सारणी से सप ट है क शहर बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce


या के भाव का मा य फलाँक 81.17 है जो क ामीण बी.एड. छा अ यापक
के समायोजन पर cce या के मा य फलाँक 78.94 से उ च है | अत: न कष
व प यह कहा जासकता है क शहर बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर
cce या के भाव , ामीण बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce या
के भाव क तुलना मे सरे सठ है |

44 | P a g e
अत: शहर छा अ यापक के संयोजन एवं ामीण छा अ यापक के समायोजन मे
cce या के भाव मे साथक अंतर पाया गया है |

81.5

81.17

81

80.5

80

79.5

79

78.94

78.5

78

77.5

ामीण छा अ यापक शहर छा अ यापक

ाफ -7 – ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक के समायोजन पर


cce या के भाव के म य के मा य फलंक का ाफ

45 | P a g e
प रक पना – 8

ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर cce या के भाव का


अ ययन करना |

सारणी 4.2.8 –

ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर cce या के भाव के


म य का मा य , फलंक , मा णक वचलन एवं ट मान का सारांश |

अ भव ृ N Mean
S.d.
S.d. T Df Sig Significance
error 2tailed

ामीण
छा 550 78.98 4.79 .64
अ यापक

2.20 1498 .03 Significance


शहर
छा 950 80.64 4.41 .45
अ यापक

*साथकता का तर 0.05

उपरो त सारणी से सप ट है क t का मान 2.92 है , तथा df = 1498 है जो क


साथकता के तर 0.1 से काम है इस लए यह साथकता के 0.01 तर पर साथक है
| अत: शू य प रक पना ‘ ामीण एवं शहर बी.एड. छा अ यापक के समायोजन
पर cce या के भाव मे कोई साथक अंतर नह ं होगा |’ नर त क जा त है |

आगे सारणी से सप ट है क शहर बी. एड. छा अ यापक के समायोजन पर cce


या के भाव का मा य फलाँक 80.64 है जो क ामीण बी.एड. छा

46 | P a g e
अ यापक के समायोजन पर cce या के मा य फलाँक 78.98 से उ च है |
अत: न कष व प यह कहा जा सकता है क शहर बी. एड. छा अ यापक के
समायोजन पर cce या के भाव , ामीण बी. एड. छा अ यापक के
समायोजन पर cce या के भाव क तुलना मे सरे सठ है |

अत: शहर छा अ यापक के संयोजन एवं ामीण छा अ यापक के समायोजन मे


cce या के भाव मे साथक अंतर पाया गया है |

81

80.64

80.5

80

79.5

e 79.98

79

78.5

78 ामीण छा अ यापक शहर छा अ यापक

ाफ -8- ामीण एवं शहर बी. एड. छा अ यापक क अ भव ृ पर


cce या के भाव के म य के मा य फलंक का ाफ

47 | P a g e
* बी.एड. छा अ यापक का cce या के त द ो का तत
ु ीकरण –

सहमत असहमत ( तशत मे )


कथन ( तशत मे )
सतत एवं यापक 82 18
मू यांकन णाल पारंप रक
श ा णाल क क मय
को दरू करता है |
सतत एवं यापक 75 25
मू यांकन णाल श क
श णा थय के सवागीण
वकास मे सहायक होता है
|
सतत एवं यापक 78 22
मू यांकन णाल श क
श णा थय के बाहर
पर ा के दवाब को काम
करता है
सतत एवं यापक 74 26
मू यांकन णाल श क
श णा थय मे
सज
ृ ना मकता का वकास
करता है |
सतत एवं यापक 65 35
मू यांकन णाल श क
श णा थय मे
सज
ृ ना मक तत
ु ीकरण
प रव ृ का वकास करती
है |
सतत एवं यापक 60 40
मू यांकन णाल के
श क श णअ थय मे
संवेगा मक पहलुआओं का
वकास करती है |
सतत एवं यापक 82 18
मू यांकन णाल के
अंतगत श क

48 | P a g e
श णअ थय का नरं तर
मू यांकन करता है

सतत एवं यापक 79 21


मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थय मे अ धगम
करने का वकास होता है |
सतत एवं यापक 81 19
मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थय मे व भ न
कौशल का वकास होता है
|
सतत एवं यापक 63 47
मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थय मे नै तक
प का पण
ू त: मू यांकन
होता है |
सतत एवं यापक 72 28
मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थय मे
यावहा रक प के पण
ू त:
मू यांकन होता है |
सतत एवं यापक 69 31
मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थय मे
सै धां तक प का पण
ू त:
मू यांकन होता है |
सतत एवं यापक 87 13
मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थय क शै क

49 | P a g e
उपलि ध मे व ृ ध होती है
|

सतत एवं यापक 83 17


मू यांकन णाल परं परागत
मू यांकन णाल से अ छ
णाल है |
सतत एवं यापक 48 52
मू यांकन णाल के
अंतगत श क
श णअ थ सदे व पर ा
के भय से सत रहते है |

* बी. छ ा यापक का cce या के त ा त द ो का व लेषण –

कथन 1 सहमत बी.एड. छा % - 82

असहमत बी.एड. छा % -18

कथन 2 सहमत बी.एड. छा % - 75

असहमत बी.एड. छा % -25

कथन 3 सहमत बी.एड. छा % - 53

असहमत बी.एड. छा % -47

कथन 4 सहमत बी.एड. छा % -78

असहमत बी.एड. छा % -22

50 | P a g e
कथन 5 सहमत बी.एड. छा % -74

असहमत बी.एड. छा % -26

कथन 6 सहमत बी.एड. छा % -65

असहमत बी.एड. छा % -35

कथन 7 सहमत बी.एड. छा % -60

असहमत बी.एड. छा % -40

कथन 8 सहमत बी.एड. छा % - 82

असहमत बी.एड. छा % -18

कथन 9 सहमत बी.एड. छा % -79

असहमत बी.एड. छा % -21

कथन 10 सहमत बी.एड. छा % -81

असहमत बी.एड. छा % -19

कथन 11 सहमत बी.एड. छा % -63

असहमत बी.एड. छा % -47

51 | P a g e
कथन 12 सहमत बी.एड. छा % -72

असहमत बी.एड. छा % -28

कथन 13 सहमत बी.एड. छा % -69

असहमत बी.एड. छा % -31

कथन 14 सहमत बी.एड. छा % -87

असहमत बी.एड. छा % -13

कथन 15 सहमत बी.एड. छा % -83

असहमत बी.एड. छा % -17

कथन 16 सहमत बी.एड. छा % -48

असहमत बी.एड. छा % - 52

52 | P a g e
अ याय – पंचम

5.1- प रणाम और न कष

5.2- शै क न हताथ

5.3- भावी अ ययन हे तु सझ


ु ाव

53 | P a g e
अ याय – पंचम

5.1 – प रणाम और न कष –

शोधाथ वारा कए गए शोध उ दे य से न न ल खत न कष पाए गए जो क


न न ल खत है -

1. बी.एड. छा अ यापक के पव
ू समायोजन एवं प च समायोजन पर cce
या के भाव मे साथक अंतर पाया गया |
2. बी.एड. छा अ यापक क पूव अ भव ृ एवं प च अ भव ृ पर cce
मू यांकन या के भाव मे साथक अंतर पाया गया |
3. बी.एड. छा अ यापक एवं छा अ या पकाओं के समायोजन का cce या
के भाव मे साथक अंतर पाया गया |
4. बी.एड छा अ यापक एवं छा अ या पकाओं पर cce या कर भाव मे
साथक अंतर पाया गया |
5. बी.एड छा अ यापक एवं छा अ या पकाओं क शै क उपलि ध के
समायोजन पर cce या के भाव मे साथक अंतर पाया गया |
6. बी.एड छा अ यापक एवं छा अ या पकाओं क अ भव ृ त पर cce या
के भाव मे साथक अंतर पाया गया |
7. शहर छा अ यापक के समायोजन एवं ामीण छा अ यापक के
समायोजन मे cce या के भाव मे साथक अंतर पाया गया |
8. शहर छा अ यापक क अ भव ृ त एवं ामीण छा अ यापक क अ भव ृ त
मे cce या के भाव मे साथक अंतर पाया गया |

54 | P a g e
त या मापनी से ा त न कष –

1. Cce णाल पारं प रक श ा णाल क क मय को दरू करता है |


2. Cce णाल श क श णा थय मे त पधा क भवन का वकास करता
है |
3. Cce णाल श क श णा थय के सवागीण वकास मे सहायक होता है |
4. Cce णाल श क श णा थय मे सज
ृ ना मकता का वकास होता है
5. Cce णाल श क श णा थय सज
ृ ना मक तुतीकरण व का
वकास करती है |
6. Cce णाल श क श णा थय मे संवेगा मक पहलओ
ु ं को बढ़ाती है |
7. Cce णाल श क श णा थय के सामािजक पहलओ
ु ं को समझने मे
सहायता करती है |
8. Cce णाल मे श क श णा थय को पर ाओं के भए से सदे व सत
रहते है |
9. Cce णाल से श क श णा थय मे मान सक तनाव मे व ृ ध हुई है |
10. Cce णाल मे श क श णा थय के ोजे ट वक से उन पर व ीय भर
बढ़ता है |

5.2 – शै क न हताथ –

व या थय के लए -

1. Cce या के वारा व या थय मे समायोजन क भावना का वकास कया


जा सकता है |
2. Cce या के वारा व या थय मे पर ा को लेकर उप न तनाव एवं
चंता को दरू कया जा सकता है |

55 | P a g e
3. Cce या के वारा व या थय को हमेशा आगे बढ़ने को लेकर े रत
कया जा सकता है |
4. Cce या के वारा व या थय क समायोजन वा अ भव ृ के बारे मे पता
लगाया जा सकता है |
5. Cce या के वारा व या थय के अ धगम क ग त के बारे मे पता
लगाया जा सकता है |

अ यापक के लए –

1. Cce या के भाव से अ यापक व या थय मे समायोजन करने क


मता का पता आसानी से लगा सकगे |
2. Cce या के भाव से अ यापक व या थय क अ भव ृ के बारे मे
आसानी से पता लगा सकगे |
3. Cce या के भाव से अ यापक व या थय को उ चत तर के से
उपचारा मक श ा दे कर उ मे समायोजन करने क मता का वकास करगे |
4. Cce या के भाव से अ यापक व या थय को वयं के समायोजन का
मू यांकन करने के लए े रत करगे |
5. Cce या के भाव से अ यापक अपनी शै क या क गुणव ा मे
सध
ु ार कर सकगे |
6. Cce या के भाव से अ यापक अपने नये अनभ
ु व के वारा क ा- क
मे उसका योग कर सकगे |

अ भभावक के लए –

1. अ भभावक को चा हये क वे अपने ब च के जीवन से जड़


ु ी सम याओं को
पहचान कर उनको दरू करने का यास कर |
2. अ भभावक को अपने ब च को मौ लक काय करने के लए े रत करना
चा हए |

56 | P a g e
3. अ भभावक को अपने ब च को क ा- क के बाहर होने वाल फजल
ू खच
के बारे मे समझाना चा हए |

5.3 – भावी शोध अ ययन हे तु सझ


ु ाव –

शोध काय के दौरान अनेक कारण से शोध के कुछ प अछूते रह जाते है , िजस पर
भ व य मे बहुत से शोध काय कए जा सकते ह –

1. बी.एड छा अ यापक के शै क उपलि ध का cce या के भाव मे


अ ययन करना |
2. बी.एड छा अ यापक बी.एड छा अ यापक के नै तक वकास , सामािजक
वकास एवं भावना मक वकास का cce के भाव मे अ ययन करना |
3. उ चतर मा य मक व यालय के व या थय के समायोजन का cce या
के भाव मे अ ययन करना |
4. उ चतर मा य मक व यालय के व या थय क अ भव ृ का cce या के
भाव मे अ ययन करना |
5. के य तथा नवोदय व यालय के व या थय के समायोजन का cce
या के भाव मे अ ययन करना |
6. के य तथा नवोदय व यालय के व या थय क अ भव ृ का cce
या के भाव मे अ ययन करना |
7. व या थय क ने व मता और समायोजन पर cce या के भाव मे
अ ययन करना |
8. व या थय क ने व मता और अ भव ृ का cce या के भाव मे
अ ययन करना |

57 | P a g e
संदभ थ
ं सच
ू ी

58 | P a g e
संदभ ंथ सूची

पु तक

1. "Continuous and Comprehensive Evaluation: A Study of Teachers'


Perceptions" by Dr. K. Pushpanadham
2. "Continuous and Comprehensive Evaluation: Practices and Perceptions"
by Dr. Rajni Bala
3. "Teacher Education in India" by Dr. J. S. Rajput
4. "Educational Evaluation and Assessment in India" by Dr. R. P. Singh
5. "Assessment for Learning: Beyond the Three R's" by Dr. Anil Kumar

शोध प

1. "Impact of Continuous and Comprehensive Evaluation on Student


Performance in India" (शोध पि का म कािशत)
2. "Challenges in Implementing Continuous and Comprehensive Evaluation
in Teacher Education Institutions" (शोध पि का म कािशत)
3. "Teachers' Attitudes towards Continuous and Comprehensive Evaluation
in Indian Schools" (शोध पि का म कािशत)

रपोट और सरकार द तावेज

1. National Curriculum Framework (NCF) 2005


2. National Policy on Education (NPE) 1986/1992
3. Reports by National Council of Educational Research and Training
(NCERT)

1. "Continuous and Comprehensive Evaluation: Manual for Teachers" by


Central Board of Secondary Education (CBSE)
2. "Annual Status of Education Report (ASER)" by Pratham Education
Foundation
3. "Guidelines for Implementation of CCE" by Kendriya Vidyalaya
Sangathan (KVS)

59 | P a g e
जनल और प काएँ

1. "Indian Journal of Teacher Education" by National Council for Teacher


Education (NCTE)
2. "Journal of Indian Education" by NCERT

ऑनलाइन ोत

1. National Repository of Open Educational Resources (NROER)


2. Shodhganga: A Reservoir of Indian Theses

3. e-PG Pathshala ( भत
ू भारतीय अ ययन साम ी)

अ त र त पु तक और अ ययन

1. "Evaluation Reforms in Higher Education" by Dr. G. M. Naidu


2. "Continuous and Comprehensive Evaluation: Policy and Practices" by
Dr. R. K. Gupta
3. "Curriculum Development and Evaluation in Education" by Dr. H. S.
Srivastava

60 | P a g e

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