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VinashKari_Pralay_Hadppa_हड़प्पा_श्रृंखला_2_विनाशकारी_प्रलय_विनीत
VinashKari_Pralay_Hadppa_हड़प्पा_श्रृंखला_2_विनाशकारी_प्रलय_विनीत
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वे दका, अ द त और
वं दता के लए
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चेतावनी
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लेखक क ओर से
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हड़ पा जैसा रोमांच मलेगा, और आप इसे भी वैसे ही सराहगे।
उ ा!
उदय हो!
वनीत बाजपेयी
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अब तक क कहानी...
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समान दखता था, अब कसी ेत या शैतान से कम नह दखाई दे रहा था। वो
ऊपर आसमान को दे खता है और खून को जमा दे ने वाली भीषण ची कार म
घोषणा करता है—
‘पहले से ही मृत लोग सुनो। मुद क सभा, मेरी बात सुनो। मूख सुन लो।
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से वं चत कर दया। ले कन इससे भी अ धक अनपे त था क वो व ुत को
बताते ह, वो और कोई नह ब क वयं ववा वन पुजारी था—3700 बाद आ
उसका पुनज म... जो इस नय त को पूरा करने आया था।
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दशावतार
म य
कूम
वराह
नर स हा
वामन
परशुराम
(अन र मु न)
राम
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(अयो या के राजकुमार, आदश पु ष)
कृ ण
बु
(सव ानी)
क क
(आखरी अवतार, चमकती तलवार धारण करने वाला, जसका इंतजार अभी
बाक है...
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आमुख
‘वो सब मरने वाले ह...’ मनु वयं से बुदबुदाया। ‘और म भी उनके साथ मर
जाऊंगा।’
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अंत क घोषणा कर द थी। बाघ के दांत क तरह नुक ली बूंद आसमान से गर
रही थ , जो मनु और उसके सम पत अनुया यय पर बाण क वषा के समान
बरस रही थ । मनु- श य या मनु य क वचा पर पड़ती येक बूंद अ य भाले
क तरह उ ह भेद रही थी। वीर पु ष और म हला क यह सेना कोलाहल भरे
जल म जस चीज पर संतुलन बनाने क को शश कर रही थी, वो कोई सामा य
नाव नह थी।
मनु क नाव।
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ा त कया गया ब मू य और अचल ान इस नौका के मा यम से आगे नह जाने
वाला था। ाचीन रसायन, औष ध, वमानन, तं - व ान, श प, औजार और
आ या मकता, सब हमेशा के लए लु त हो जाने वाले थे, महान बाढ़ के
प रणाम व प, वो सब समु क तली म दब जाने वाले थे।
सबसे बढ़कर ।
मनु लगातार अधीर हो रहा था। उसने शंख बजाकर खतरे का संकेत दया। यह
शंख तभी बजाया जाना था, जब कोई भीषण आपदा हो। और वो समय आ
प ंचा था। अपने सम पत अनुया यय क मौत से अ धक पीड़ादायक और कुछ
नह हो सकता था। मनु ने अपना चेहरा, अपनी कलाई पर बंधे चमड़े से प छा,
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गहरी सांस ली और फर से शंख बजाया, जसक तेज आवाज तूफानी आसमान
म दबकर रह गई।
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‘म य...!’ ऊपर कड़कती बजली को दे खते ए मनु च लाया, उसक बांह फैली
ई थ और फेफड़े फटने को तैयार थे, मानो वो आसमान तक अपनी अधीर
वनती प ंचाना चाहता था!
म य।
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Contents
चेतावनी
लेखक क ओर से
अब तक क कहानी...
दशावतार
पआमुख
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बनारस 2017: यू व ऑड डर
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: लय
बनारस, 2017: याह ातृ-संघ
मैनहटन, यूयॉक क सट , 2017: ‘मौत भी हा इट मा क से भय खाती है’
हड़ पा , 1700 ईसापूव: नीली अ न का अनु ान
बनारस, 2017: वधुत
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: ऋण
बनारस, 2017: याह ातृसंघ – भाग 2
हड़ पा , 1700 ईसापूव: र -धारा का ाप
बनारस, 2017: तशोध
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: ‘इसक कहानी स दय तक या या द क
जाएगी’
बनारस, 2017: लु त स यता
हड़ पा , 1700 ईसापूव: पु दर पु , पीढ़ दर पीढ़
बनारस, 2017: याह ा तृसंघ – भाग III
हड़ पा , 1700 ईसापूव: मोहन जोदड़ो क अं तम राजकुमारी
बनारस, 2017: ‘ जट मृतक को जगा दे गा’
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: सत पा
बनारस, 2017: र बीज अनु ान
हड़ पा , 1700 ईसापूव: वीराने का स ाट
बनारस, 2017: महान रका शा ी
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: ‘तुमने परी ा उ ीण तीण क ’
बनारस, 2017: ‘वो उनके अनुयायी थे’
हड़ पा , 1700 ईसापूव: अं त त म स तऋ ष
बनारस क बा सीमा, 2017: कालच
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: स य त मनु
बनारस क बा सीमा, 2017: सैकड़ हवन कुंड
हड़ पा , 1700 ईसापूव: हड़ पा का दे वता
बनारस क बा सीमा, 2017: पाताल
हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव: मनु क नाव
ई ी
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हड़ पा , 1700 ईसापूव: ववा वन पुजारी
बनारस क बाहरी सीमा, 2017: दे व-ब ल
मश:...
लेखक के बारे म
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कह रोम के करीब, 2017
‘ या तु ह भरोसा है, वो सच म वही है?’
सच म परेशान ।
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उस ाचीन और भयानक भ व यवाणी के 1,600 साल बाद, वो पावन दे वता
शायद आ प ंचा था। और बग मैन क कुस के लए यह सबसे भयानक खबर
थी।
‘जैसा आप कह, सर,’ रेग ने अपना गला साफ करते ए कहा। अभी के लए, वो
उसके सा ा य म ‘ बन बुलाया मेहमान’ था।
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‘मेरी तरफ से मा केरा बआंका को याद दला दोगे न, रेग? उसे याद दला दे ना क
वो उसके लए क गई मेरी ाथना क वजह से ही जी वत है।’
‘उसे याद दला दे ना क उसके बुरे काम को ई र इसी लए माफ करता रहा है
य क उसने बड़े उ े य के लए काम आने का वादा कया था। अगर वो उस
द ल य म असफल रहता है, तो नया म उसके रहने के लए कोई जगह नह
बचेगी।’
इससे पहले क वो राहत क सांस ले पाता, उसके फोन क घंट दोबारा से बजी।
दोबारा से बग मैन क आवाज सुनकर रेग तनाव म आ गया। ले कन इस बार
आवाज खी नह थी, ब क बग मैन कुछ हसाब लगा रहा था। उसक आवाज
म अ न तता और कंपन था।
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
र -वषा
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भारी श से सुस त, येक हड़ पा घुड़सवार क कमर म, ह य को काट
दे ने वाली भारी तलवार बंधी थी। आगे चलने वाले हरी अपने सर के ऊपर बड़ा
भाला गोल-गोल घुमा रहे थे, उनका भाला र पूव म रहने वाले एक-स ग के गडे
क खाल तक चीर सकता था। धनुधर के बाण हड़ पा के रसायन-शा य ारा
बनाए नीले जहर म डू बे थे। यह हड़ पा सपा हय क चय नत टु कड़ी थी, जनका
चयन वयं नई रानी ने कया था। मृत-कारावास म जाने वाले ताकतवर कैद क
सुर ा म वो कोई ढ ल नह छोड़ना चाहती थी। अं तम बार। वो वहां अं तम बार
जा रहा था, दोबारा न लौटने के लए।
सुंदर। शूरवीर।
तारा।
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गुन, शा और अप के दए नशे से धु होने के बावजूद हड़ पा क सेना कसी छपे
ए धनुधर से बना संघष कए भागने को तैयार नह थी, भले ही वो धनुधर
कतना ही द य न हो, या इस मामले म कह तो, कतनी ही द य न हो।
एक श त और उ ं ड टु कड़ी, सौ घुड़सवार धनुधर, सब उस दशा म दे ख रहे
थे, जहां से छपे ए हमलावर ने उनके दल पर वार कया था। अपने चलते घोड़
को रोके बना ही, इन समथ धनुधर ने अपने रकाब पर खड़े होकर हमलावर क
दशा म बाण क वषा कर द । तारा के पास अब च ान के पीछे शरण लेने के
अलावा कोई वक प नह था।
‘जैसे क हमने योजना बनाई थी, हमारा पहला ल य होगा दे वता को आजाद
कराना,’ सोमद ने अपने मु भर सा थय को आगे बढ़कर आ मण करने से
पल भर पहले याद दलाया। ‘एक बार उनके आजाद होने पर, इनम से कोई भी
सपाही टक नह पाएगा। दे वता वयं इन सबका सफाया कर दगे।’
‘मेरा भरोसा करो, मेरे साहसी म । मने ताकतवर ववा वन पुजारी को बुरे से बुरे
हालात म दे खा है,’ सोमद ने जवाब दया। ‘म मानता ं क उनक वतमान
त शायद मनु य क पीड़ा सहने या उसक क पना तक करने से परे ह,
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ले कन फर भी मुझे उनके अद य बल पर भरोसा है। उ ह तब तक नह हराया जा
सकता, जब तक वो वयं न चाह। उ ह तब तक नह मारा जा सकता, जब तक वो
वयं मरने का नणय न कर ल। उ ह तब तक यु म नह हराया जा सकता, जब
तक क श ु उनका ने हल न हो।’
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और इस अपरा जत दखती सेना का बड़ा भाग अब भागने क तैयारी करता
दखाई दे रहा था।
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श त दल का सामना नह कर पाएंगे। वो उनसे ब त र था, और चाहकर भी
कुछ नह कर सकता था। वो अपने े दांव क ओर मुड़ा।
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छड़ क जंजीर तारा क कनपट से बाल भर क री पर आकर लगी, जब वो
म पर पलट मारकर वार से बचने क को शश कर रही थी। छड़ र से गीली
म म गढ़ गई, और उसे वहां से नकालने म पल भर लगा। इतना समय शेरनी
के पलटवार के लए पया त था। उसने अपने बाल म से दो घातक जहर बुझी
सुइयां नकाल । वो ना गन क तरह अपने शकार पर लपक , ले कन उस दै य ने
तारा का गला पकड़ लया। उसक बांह ब त लंबी थी और उसने पूरी बांह पर
तांबे का मोटा कवच पहना आ था, और तारा ब त यास करके भी उसक न न
वचा तक नह प ंच पा रही थी। उसक पकड़ मजबूत होती जा रही थी और तारा
को महसूस आ क उसक जदगी ख म होने वाली थी।
उसका भारी-भरकम दरवाजा खुला आ था। उसके बड़े ताले टू ट चुके थे।
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ववा वन पुजारी अब दे वता नह था। वो ाचीन ंथ म व णत कसी घनौने और
याह रा स से भी अ धक बुरा दखाई दे रहा था।
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बनारस, 2017
मृ युंजय
उस गाड़ी म व ुत था।
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उसका सर घबराई ई नैना क गोद म था, व ुत के मुंह से जब-तब, खांसी के
साथ खून नकल रहा था। दो गो लयां, एक गहरा घाव जसने उसके छाती का
मांस चीर दया था, और घंट के संघष के बाद, अब ये घाव इस वैभवशाली मनु य
के लए भी घातक जान पड़ रहे थे।
‘वो हमारा साथ छोड़ रहे ह,’ जीप म नैना और बलवंत के साथ बैठा, मठ का एक
अ य यो ा बुदबुदाया।
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‘गोवधन दादा, हम अभी भी मठ से कुछ मनट र ह। ले कन शायद व ुत के
पास इतना समय नह है। वो जा रहा है, दादा... वो हमेशा के लए जा रहा है...!’
फोन पर इन श द को कहते ए नैना फूट-फूटकर रोने लगी।
बलवंत नैना क तरफ मुड़ा, आगे भीड़ क वजह से जीप क ग त कुछ धीमी ई
थी।
‘हम सभी उ ह उतना ही यार करते ह, नैना जतना तुम करती हो। हम सब
जानते ह क व ुत क नय त या है। वो न सफ इस मठ के लए ह, न ही सफ
बनारस के लए... ब क पूरी मानवजा त के लए ह।’
नैना सुन रही थी। कोई व ुत से उतना यार नह कर सकता, जतना म करती ं।
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‘उनके माथे पर पानी छड़कती रहो, नैना,’ गोवधन ने जवाब दया। ‘उ ह
ाने सा मक ए सड का एक और इंजे न ठ क उसी तरह दो, जैसे मने तु ह
बताया था। उ ह पूरी तरह बेहोश मत होने दे ना। उनसे कुछ भी बात करती रहो।
और या...?’
एक पल को खामोशी रही।
‘वो... वो कुछ बुदबुदा रहे ह, गोवधन दादा,’ नैना ने कुछ पल बाद घबराते ए
कहा।
‘मुझे... मुझे कुछ समझ नह आ रहा...’ उसने कहा, इतनी तेज क जीप म बैठे
दोन उसक आवाज साफ सुन पाएं।
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‘दादा...’ नैना ने कहा।
मौत से कुछ पल क री पर भी, दे वता संघष कर रहा था। ाचीन शहर क तंग
ग लय म, इस नया से सरी नया म जाने वाले पुल के कनारे खड़ा हो,
व ुत सा ात काशी के ई र का आ ान कर रहा था। वो मदद के लए भगवान
शव को बुला रहा था।
आज तो ब कुल नह ।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
‘पानी क ये बूंद... उधार ह मुझ पर’
पछले अ ाईस घंट से, बुरी तरह से घायल, बना खाने और थोड़े से पानी के
साथ वह युवक, अपने माग पर आगे बढ़ रहा था। उसके गहरे घाव से मवाद बह
रहा था। ब त खून बह जाने क वजह से वो कसी भी पल बेहोश हो सकता था।
उसका मुंह सूख चुका था और ह ठ पपड़ा गए थे। उसे तो शायद पहले ही मर
जाना चा हए था।
अपनी मां का अं तम सं कार कए बना, मनु अपना शरीर नह याग सकता था।
वो मां जसका शव, पूरे रा ते वो अपनी गोद म लए आ रहा था।
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नह मांग सकता था, न ही कसी से दशा पूछ सकता था। वह जानता था क
हड़ पा क नई रानी, य वदा हर क मत पर उसे ढूं ढ़ने म जुट होगी।
जहां तक नजर जाती वो जगह बंजर नजर आ रही थी। मील र तक मनु शायद
अकेला ही या ी था। वहां लगातार गम और धूल भरी हवा चल रही थी। मनु ने
अपनी उं ग लय के पोर गले कए और अपनी मां क आंख , ह ठ और माथे पर
उसी नेह से लगाए, जैसे कोई मां अपने नवजात को यार से सहलाती है। जैसे
ही वो उस थैली क बूंद को अपने यासे मुंह म खाली करने वाला था, उसे र
तज म कुछ दखाई दया। वो छोटे से लेट ध बे जैसा दखाई पड़ रहा था,
ले कन मनु को लगा क वो कोई इंसानी आकृ त थी। उस सूखी धरती पर बेजान
पड़ी ई।
युवा यो ा-मु न ने अपना घोड़ा उसी बेजान शरीर क तरफ हांक दया। एक दन
पहले, हड़ पा क बाहरी सीमा पर हो रही लड़ाई म उसने अपनी मां को नराश
कया था। वो अब कसी और को नराश नह करने वाला था।
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वो अपनी आंख मल रहा था। जो वो दे ख रहा था, वो कसी इंसान सा कम, ब क
एक बड़ी मछली जैसा अ धक नजर आ रहा था! अपने तीस घंटे के सफर म,
जतना मनु दे ख पाया था, उससे साफ था क यहां आस पास कोई जलाशय नह
था। तो फर इतनी बड़ी मछली ऐसे सूखे दे श म कैसे आ सकती थी?
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मनु भांप नह पा रहा था। पल भर म ही, उसे अहसास आ क उसके घाव क
तकलीफ कम हो चली थी। उसे वयं म एक राहत महसूस ई और उसे वैसी ही
शां त का अनुभव आ, जो उसे स तऋ ष के चरण छू ते ए होता था। ब क यह
अहसास कुछ अ धक गहरा था। अ धक द ।
मनु अपने घोड़े के पास जड़ खड़ा था। जैसे उस म य-मनु य ने अपनी आंख
खोल और मु कुराया, मनु का सारा जीवन उसक आंख के सामने घूम गया।
अपने यारे पता के साथ बचपन क वो हंसी, ममतामयी मां से जुड़ी वो खुशनुमा
याद, तारा के साथ गुजारे कुछ सुनहरी पल, बदमाश रंगा के साथ उसक साहसी
जंग... सबकुछ। और उससे अ धक भी। उसे उन जगह और समय क भी बात
याद आ रही थ , ज ह वो पहचानता भी नह था। वो शायद इससे पहले के ज म
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क बात थ । मनु को अपना सारा दद, यास, भूख, गु सा... सब कुछ उस नीली
रंगत वाले इंसान के सामने, उसक एक नजर पड़ते ही, पघलता आ महसूस
आ।
वो कौन है?
म य-मनु य उस थोड़े से पानी से ही पूरी तरह तरोताजा हो उठा था। बना कुछ
कहे वो उठा और संजना के शरीर क तरफ बढ़ा। उसने संजना को इतने यार से
दे खा क मनु क अब तक क रोक ई लाई फूट पड़ी। उसने कोमलता से
संजना का माथा छु आ और यार से उसे थपथपाया। मनु समझ नह पा रहा था
क यह सपना था या वा तव म घ टत हो रहा था, ले कन उसक हर थपथपाहट
से संजना का शरीर वापस से वैसा ही हो गया, जैसे अपनी मृ यु के समय था।
उसके चेहरे क कोमल मु कान, वचा का तेज और म म महक वापस आ गई
थी। ये मां क वो छ व थी, जसे मनु पहचानता था।
‘आप कौन ह?’ मनु ने म य-मनु य से पूछा, जसके सुंदर, लंब,े भूरे बाल द ता
का अहसास करा रहे थे।
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वो जान गया था क ये सब उस नीली रंगत वाले इंसान का ही कया धरा था। मनु
उसक तरफ मुड़ा, तो दे खा क वो र बादल क तरफ बढ़े चला जा रहा था।
‘याद रखना, महान दे वता, तु ह काले मं दर तक प ंचना है। उगते सूरज क दशा
म बढ़ते जाओ, तु ह वो मं दर वह मलेगा,’ उस आदमी ने नम आवाज म कहा।
नीली रंगत वाला इंसान धीमे से मुड़ा, मु कुराया और हाथ हलाते ए मनु क बात
का जवाब दया।
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बनारस, 2017
तं -मं क जंग
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ारका शा ी सुन रहे थे, उनके चेहरे पर म म मु कान थी।
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‘पुरो हत जी, म भी बाबा के साथ समय बताने के अलावा और अ धक कुछ नह
चाहता,’ व ुत ने जवाब दया। ‘ले कन या आप नह जानते क उनसे कुछ भी
बुलवा पाना ब त क ठन है? वो अपनी इ ा से ही बात करते ह। वो उतना ही
बताते ह, जतना बताना चाहते ह। कोई भी उनसे ज दबाजी नह कर सकता।
कम से कम म तो नह !’
‘ नया के सबसे बड़े काले जा गर से लड़ते ए उनक जान जाने वाली थी।’
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‘ये सब कौन कर रहा है, पुरो हत जी?’ व ुत ने ोध से पूछा। ‘कौन मुझे मारने
क को शश कर रहा है? उस दन मेरे दशा मेध घाट पर जाने से पहले, बाबा ने
कसी यू व ऑडर का ज तो कया था। वो या है और वो हमारे मन य
ह?’
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साथ बजने लगे। ाचीन मं दर के रह यमयी साधु ने इस खतरे को वैसे ही
भांप लया था, जैसे ारका शा ी ने। उन लोग ने मं दर के घंटे बजाकर, अपने
संर क को बचाने क गुहार लगाई। उन सबने प व आ मा क फौज का
आ ान कया। वो अं धयारा समय, जसके लए बनारस और दे व-रा स मठ क
आ या मक प से संरचना क गई थी, आ प ंचा था। तब तक इस ाचीन नगरी
का आसमान नया क सबसे बड़ी तां क जंग के लए तैयार हो चुका था।
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सधु का कनारा, हड़ पा के प म म, 1700 ईसापूव
अ-सुरा
रात के अंधेरे म, उसका घोड़ा तूफान क मार झेलते ए आगे बढ़ रहा था। वो सर
से पैर तक तुलसी, लोबान और सरी आयुव दक बू टय के हरे लेप से पुता आ
था। सफ उसक इकलौती आंख ही काले अंधेरे म चमक रही थी।
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सपाही अब घबरा गया। इस वशाल सेना का एक कड़ा नयम यह था क महान
सुरा को कसी भी हालत म नाराज नह कया जाना चा हए। कभी भी नह ।
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छोड़कर जाना पड़ा था, उसके साथ उसके सात वफादार दो त भी चले गए थे।
उसने सोचा था क उसके जाने के बाद मामला ठं डा पड़ जाएगा। ले कन जब
उसने सुना क उसके माता- पता को मृत-कारावास म डाल दया गया था, तभी वो
जान गया था क अब वो वहां से जी वत बाहर नह आएंगे। और उस समय उसके
पास इतनी ताकत नह थी क अपने मां-बाप को उस खौफनाक सजा से बचा
पाता।
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वो अब अ-सुरा बन चुके थे!
‘जी, वामी। उ ह ने मुझसे यही नाम आपको बताने के लए कहा था,’ दरबान ने
कहा, उसने एक बार भी अपनी आंख उठाकर उस ताकतवर राजा को दे खने का
साहस नह कया था। ‘और महाराज, मुझे आपको ये भी बताना चा हए क... वो
बुरी तरह से वकृत है।’
‘मुझे अ तरह याद है, चंड...’ सुरा ने कड़कते ए कहा। ‘मुझे याद है क
उसने अपने मु भर यो ा के साथ हमारी सेना को धूल चटा द थी। मुझे याद
है क वो पहाड़ से मेरे े घोड़ को ले गया था। मुझे याद है क उसने अपनी
तलवार से तु ह और मुझे बुरी तरह पछाड़ दया था!’
‘ले कन मुझे ये भी याद है... क उसने मेरे बेटे क जान ब द थी,’ सुरा ने फर
से कहा। ‘मुझे ये भी याद है क उसने हमारी कसी भी म हला को हाथ तक नह
लगाया था और उनसे स मानपूवक वहार कया था।’
चंड सुन रहा था। वो इससे असहमत नह हो सकता था। वो जानता था क सुरा
सही कह रहा था।
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‘मुझे याद है क हमारे युगल सं ाम म जब भी मेरी तलवार गर जाती तो वो
दोबारा उसे उठाने का मुझे मौका दे ता। म ये नह भूल सकता क जब उसके पास
मेरा सर कलम करने का मौका था, तब वो चुपचाप मुझे मेरे हाल पर छोड़कर
चला गया।’
‘वो साधारण मनु य नह है, चंड। कोई भी साधारण मनु य तु ह और मुझे इतनी
आसानी से नह हरा सकता है। वो दे वता है! ये मने उसक आंख म दे खा है।
उनम नेह क एक चमक है, और वो नेह उसके श ु के लए भी है।’
‘हां वो है। हां वो है...’ सुरा बुदबुदाया। वो अचानक दरबान क तरफ मुड़ा और
आदे श दया।
‘मेहमान को अंदर ले आओ। और यान रहे उनके स मान म कोई कमी न रहे।’
सुरा ने मेहमान क आंख म नजद क से झांका। वो आंख उसे बेचैन करने वाली
नदयता से घूर रही थी। ये आदमी वही था। ले कन कुछ तो बदल गया था। वो
बदलाव भयानक था।
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उसे या हो गया था?
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बनारस 2017
रा स
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उ ह ने अपना गला साफ करते ए एक गलास पानी पया और फर वापस
अपनी बात कहनी शु क । व ुत के लए वो जानना ज री था।
‘ले कन पुरो हत जी, अगर वो मेरे पीछे पड़े थे, तो ये सब, यहां बनारस म य
शु आ? म तो यहां से सैकड़ मील र था!’
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तुरंत मर गया था। उनका मानना था, हटलर के अंदर का शैतान इतना ताकतवर
था क उसे हटाया नह जा सकता था।’
‘ये सब ब त हैरानी भरा और भयानक है, पुरो हत जी। ले कन मेरा सवाल अभी
भी बरकरार है। अगर आप कह रहे ह क वो हमला मेरे लए था, तो वो सब
बनारस म य आ? वहां य नह , जहां म था? और य क अपने परदादा क
तुलना म म सामा य ,ं तो म तो आसानी से उनका शकार बन गया होता।’
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थे। और फर भी वो नडरता से लड़ते रहे। सैकड़ साल म वो अपनी सामा जक
चमक खो चुके थे। ज ह एक समय म जीवन का नै तक आदश समझा जाता था,
इस प व गु के स मान म राजा तक अपना सहासन छोड़ दे ते थे, वो साधू
और ऋ ष तृतीय ेणी के नाग रक क तरह, दया पर जीने के लए मजबूर थे।
भौ तकतावाद, प मीवाद से भा वत असंगत समाज इन मागदशक को अब
महज गृह- वेश, ज म और मृ यु संबंधी समारोह तक सी मत कर चुका था।
महानगरीय ह प रवार इ ह एक अवां छत ज रत क तरह महज रवाज पू त के
लए बुलाता है। वो नह जानते क आज भी यही हा शये पर बैठे भगवान के
आदमी, काली ताकत के खलाफ हमारी सबसे बड़ी सुर ा बनते ह। वो लोग उस
दन अपनी जान तक गंवाने को तैयार थे।
‘वो कौन था, पुरो हत जी?’ व ुत ने सीधे-सीधे पूछा। उसका मुंह सूख रहा था।
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पुरो हत जी अब जोश से लय के उन पल को फर से साकार करने क को शश
कर रहे थे। आंख से झलकते डर के साथ, उ ह ने अपने दोन हाथ ऊपर क तरफ
उठाए, अपना सर पीछे फका और कसी ऐसी भाषा म बोला, जो व ुत ने कभी
उनके मुंह से नह सुनी थी।
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ब थ नयाई नगर (वतमान का तुक ), 325 ई वी
नाइ सया क प रषद
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ये बने ही कसी एक शासक के अंतगत शा सत होने के लए ह। एक ही कानून के
तहत। एक ही आदे श के तहत। अ ै त एक म था, और ऐसा इंसान जसक
स ाट ब त शंसा करता था। ‘मेरे श वर म आकर मुझसे मलना, ढ ठ बालक,’
उसने ह कुश क पहाड़ी से परे, समतल से आए अपने युवा म क तरफ ं य
से मु कुराते ए कहा। स ाट दे खने म अपराजेय था।
वो शायद था भी।
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प रषद सद य पी रहे थे।
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ले कन कां टटाइन क एक गहरी योजना भी थी। मु य प रषद के बाद ही, बंद
दरवाज के पीछे एक गु त सभा का आयोजन कया गया था। यहां कां टटाइन ने
अपने वचार उ पुजा रय , अ य , खजांची और सलाहकार के साथ साझा
कया। ऐसा नज रया जो उसके जाने के बाद भी कायम रहेगा।
एक यू व ऑडर के मा यम से।
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अ ै त के सामने बैठ गया।
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राजा उठकर अपने श वर म, कुछ सोचते ए च कर लगाने लगा। अ ै त ने
कां टटाइन क ताकतवर मु को तलवार के ह े पर कसते ए दे खा। वजेता का
दमाग उ े जत हो चुका था। कुछ पल बाद, स ाट फर से आयवत से आए युवा
यो ा-पुजारी के स मुख बैठ गया।
पूरी रात चली बहस के बाद, अ ै त मान गया था क कसी भी तरह कां टटाइन
को मानवजा त के लए बनाई गई उसक वशाल योजना लागू करने से नह रोका
जा सकता। ऐसे आदमी को रोक पाना असंभव है, जो वयं को ई र के समान ही
सवश मान मानता हो।
‘इसी लए मने तु ह यहां बुलाया है, मेरे भले म । अगर यू व ऑडर अपने
महान उ े य से भटकता है, तो सफ तु हारा वंश ही उसे रोक पाएगा। तुम स दय
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तक नया के सबसे ब मू य रह य के संर क रहोगे। म जानता ं क तुम
व ा को पुन ा पत कर दोगे।’
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
मां...
वयं को म य कहने वाले आदमी के नदश के अनुसार, मनु अपनी मां के शरीर
को यार और सावधानी से लए, पूव दशा क ओर सफर करता रहा। वीराने म
उस द पु ष के संपक म आने पर मनु वयं को ताजा दम महसूस कर रहा था।
इससे मनु को एक बात का अहसास तो हो गया था।
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था। उसे अहसास था क अगर म य ने उसे दशा दखाई थी, तो वो सही ही
होगी।
मनु को सरपट भागते अपने घोड़े क एक जगह पर आकर चाल धीमी करनी पड़ी,
जब उसने दे खा क काले प रधान पहने इन लोग ने धीरे-धीरे उसे घेरना शु कर
दया था। उसे उनसे कसी तरह के खतरे का अनुभव नह आ। वयं एक स म
यो ा होने क वजह से, मनु म सपाही का सा सहज- ान भी था। वो र से ही
वरोध को भांप सकता था। यहां, उसे ऐसा कुछ अनुभव नह आ था।
एक वृ म हला, जसका चेहरा उसक अपनी मां के चेहरे क तरह ही सुंदर था,
उसक तरफ आई। उसके बाल पूरी तरह सफेद थे, आंख नीली, तीखी नाक और
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एक असामा य आ म व ास था। उसके काले कपड़े नम हवा म लहरा रहे थे,
उसक उ अ सी या उससे कुछ अ धक ही रही होगी। ले कन वो अपने से आधी
उ क म हला क तरह चल और बोल रही थी।
‘आपका वागत है, मनु,’ उसने सुकून भरी आवाज म कहा। ‘अब संजना क
दे खभाल हम करने द।’
घोड़े से उतरकर, उसने झुककर बार-बार संजना के चेहरे को चूमा। ‘मां... मेरी
मां... मेरी यारी, मां... म आपसे ज द मलूंगा, मां... आप डरना मत, मां... म
ज द आपके पास आऊंगा, मां... मां... मेरी मां...’ वो बस यही कहता रहा।
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उस दयालु और सफेद बाल वाली म हला ने लेट पहाड़ वाली उस गुफा म
वेश कया, जसम मनु ठहरा आ था। इस रेतीले दे श म रात ब त ठं डी आ
करती थ , जब क दन खासे गम थे। मनु को गम दे ने के लए वहां थोड़ी सी आग
जली ई थी। इस रह यमयी जगह के च क सक ने पूरे दन उसक दे खभाल क
थी।
वो उसे बलकुल वैसे ही अपने हाथ से खाना खला रही थी, जैसे उसक मां
खलाया करती थी। उसके अठारह वष का होने तक उसक मां ने उसे अपने हाथ
से खाना खलाया था। उसने उसके सर को थपथपाया, जस पर अब थोड़े बाल
उग आए थे। उस म हला क आंख म वही कोमलता थी, जो उसक मां क आंख
म आ करती थी। जब मनु ने धीरे से इशारा कया क अभी के लए वो पया त ले
चुका था, तो उस म हला ने धीरे से चावल का कटोरा पीछे सरका दया।
म हला मु कुराई। ‘अब आराम कर, मनु,’ ये कहकर वो गुफा के दरवाजे से बाहर
जाने को मुड़ी।
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‘आप मेरा नाम कैसे जानती ह? और आपको ये कैसे पता क मेरी मां का नाम
संजना था? मने तो आपको नह बताया...’ मनु ने जानना चाहा।
मनु वधा म था। ‘हां, म उनसे मला था। ले कन कैसे... वो यहां मुझसे पहले
कैसे प ंच?े ’ उसने पूछा। ‘म घोड़े पर था और वो पैदल। म सीधा इन धूसर पवत
क तरफ आया ं। वो कसी भी तरह यहां मुझसे पहले नह प ंच सकते थे!’
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𝐈𝐍𝐃𝐈𝐀𝐍 𝐁𝐄𝐒𝐓 𝐓𝐄𝐋𝐄𝐆𝐑𝐀𝐌 𝐄-𝐁𝐎𝐎𝐊𝐒 𝐂𝐇𝐀𝐍𝐍𝐄𝐋
(𝑪𝒍𝒊𝒄𝒌 𝑯𝒆𝒓𝒆 𝑻𝒐 𝑱𝒐𝒊𝒏)
सा ह य उप यास सं ह
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
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बनारस, 2017
सफेद पोशाक वाले आदमी
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था। योगी क प र चत मु ा म नह , ब क ऐसे मानो वो वेद पर खड़ा हो, उसक
उं ग लयां आपस म गुथी ई थ । उसका सर स मान म झुका आ था।
‘म इसका चेहरा कुचल ं गा!’ सोनू कहते ए, बंधे ए आदमी पर वार करने के
लए बढ़ा। ले कन वो बीच म ही क गया। बाला ने अपनी आंख खोलकर सोनू
को घूरा। उसक आंख से चगा रयां बरस रही थ । ये उस युवक का जोश ठं डा
करने के लए काफ था। उस बंधे शेर क आंख म म-तु ह-दे ख-लूंगा से अ धक
कुछ भयावह था।
‘ य , बाला?’ व ुत ने पूछा।
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‘सॉरी...? तुमने या कहा, मारने क को शश ?’ बाला ने दोहराया, उसक भंव
हैरानी से चढ़ ई थ ।
‘कौन हो तुम, व ुत? या तुम भगवान हो? या तुम दे वता हो? या तुम कोई
भोले ब े हो या कोई चालाक जा गर?’ बाला नाटक य अंदाज म अपना सर
एक तरफ को झुकाते ए फुफकारा। नैना के उस पर हावी हो जाने पर जो बेरहम
नफरत व ुत ने उसक आंख म दे खी थी, वो वापस लौट आई थी।
वो सही था। और व ुत ये बात जानता था। बाला उनम से नह था, जो इतने पास
का नशाना चूक जाता। वो एक श त कमांडो था, एक सट क नशानेबाज।
तुरंत ही, एक भयानक अहसास व ुत पर हावी हो गया। बाला ने कसी उ े य से
व ुत को जी वत रखा था!
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‘मुझे थोड़ी रम दो, और मेरे हाथ को खोल दो,’ बाला ने जोर दया। ‘तुम जानते
हो क तु हारे सामने मेरा कोई मुकाबला नह है, भले ही तुम अभी पूरी तरह व
नह हो।’
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व ुत सर पर लटकती उस तेज, गम रौशनी म, बाला क नम आंख दे ख सकता
था।
‘तुम मेरे बारे म कुछ नह जानते हो, व ुत,’ बाला ने कहा, अपना पांचवां क
ख म करते ए। व ुत बाला को इतनी शराब इस लए पीने दे रहा था, य क वह
चाहता था क बाला सब बता दे ।
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व ुत सुन रहा था। बलवंत और गोवधन भी।
‘ना रयल के पेड़ पर चढ़ने वाले। मेरे पता ये थे—गरीब, भूख से बेजार, केरल के
र गांव म, ना रयल के पेड़ पर चढ़कर, ना रयल तोड़ने वाले। हम कबायली थे,
व ुत। जमीन पर जीने वाले। या मुझे कहना चा हए, जमीन पर मरने वाले...’
‘और फर एक दन, वो आए। सफेद कपड़ वाले वो आदमी, सीधे हमारी दयनीय
झोपड़ी म चले आए और हम इस तरह गले लगाया, जैसे पहले कभी कसी ने
नह लगाया था। उ ह ने हम खाना खलाया, हम कपड़े दए, हमारी शु क ।
तुम जानते हो व ुत क जब पूरी नया तु हारा अपमान करे, तु ह भूखा मरने के
लए छोड़ दे , ऐसे समय म कसी क द ई उ मीद और वीकृ त का या मतलब
होता है? यक नन तुम नह जानते! तुम तो यह भी नह जानते क तीन दन तक
भूखे रहने का या मतलब होता है। तुम इसे या समझोगे?!’
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घटना के, जनके बारे म वयं बाला ने बताया था। न ही व ुत को अंदाजा था
क उसके मन बन चुके दो त क पृ भू म इतनी खौफनाक थी।
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सोनू को दे खकर ऐसा लग रहा था मानो उसे कभी भी घबराहट का दौरा पड़ने
वाला था। वो अब बुरी तरह हकला रहा था।
ढाआआकक! ढाआआकक!
वाआआनंग! वाआआनंग!
ढाआआकक! ढाआआकक!
वाआआनंग! वाआआनंग!
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था और आंख पूरी तरह से ऊपर चढ़ गई थ । वह साधना म बैठा शैतान लग रहा
था।
‘वो कौन है, बलवंत दादा? आप इतने भय और स मोहन से कसके बारे म बात
कर रहे ह?’
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सधु का कनारा, प मी हड़ पा, 1700 ईसापूव
येक पु क मौत
चंड ने जो सुना, उसे लेकर वो संदेह म था। वो उनका सबसे बड़ा त ं था,
हड़ पा क फौज का सबसे ताकतवर सेना य , भगवान का व प, जसने यु
म उ ह परा जत कया था—वो आज उनके प रसर म बैठा आ, अपने ही लोग
के खा मे के लए, उनक मदद मांग रहा था। उसक बात पर यक न कर पाने क
सफ एक ही वजह थी, और वो थी ववा वन पुजारी क अमानवीय त। कोई
भी साधारण मनु य अपने शरीर पर इतने दं ड नह झेल सकता था।
ववा वन पुजारी ने अपनी नाराजगी छपाए बना चंड को दे खा। वो आदमी जसे
हड़ पा का सूय माना जाता था, उसे अपने से कमतर लोग से बहस पसंद नह
थी। सुरा ने इस तनाव को भांप लया। बना एक पल गंवाए उसने बीच-बचाव
कया।
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‘ चंड बस यही जानना चाहता है, ओ महान अ ववा वन पुजारी क जब आयवत
का अ धकांश भाग बाढ़ म बह जाएगा, तो मेरे पास शासन के लए या बचेगा?
जब वहां जा ही नह होगी तो ऐसे म सा ा य का या लाभ?’
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और फर उसने कुछ ऐसा कहा, जसे सुनने क कभी ववा वन पुजारी ने उ मीद
तक नह क थी।
‘यह नह हो सकता,’ घायल दे वता ने जवाब दया। ‘तु हारे पास तु हारा सा ा य
होगा। तु हारा राज पूरे आयवत म होगा। लगभग पूरी नया पर तु हारा राज
होगा, सुरा। स तऋ ष को अकेला छोड़ दो।’
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‘संभलकर, चंड,’ ववा वन ने अपनी थाली से नजर हटाए बना कहा।
इससे पहले क चंड अपनी बात पूरी कर पाता, दे वता भोजन क उस शाही मेज
से लपककर उठ गया, और अपनी खूंखार कटार नकालकर सुरा के सेना य के
गले पर रख द । उसक कटार का नीले रंग का ह ा, वयं उसके र से तर हो
रहा था।
यह कोई साधारण मनु य नह है, जैसा क म हमेशा से जानता था। मेरे हजार
सै नक से घरे होने के बावजूद, वो एक सह क तरह नडर है।
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अपनी मह वाकां ा के कले म सजा लेता है। ले कन सुरा गलती कर रहा था। हां,
ववा वन पुजारी का दल टू ट गया था। ले कन वो कह से भी परा जत नह आ
था।
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‘और आपक प नी, ओ अ-दे वता... उनक दयालुता के बारे म हमने इतना सुना
था क वो अकेली ऐसी थ , जनके लए हमने कभी अपनी अ-भाषा का इ तेमाल
नह कया। उ ह को हम उनके वा त वक नाम से पुकारते थे—संजना।’
‘उसे तीन तीर मारे गए, आपने कहा... तीन तीर!’ सुरा ने कहा। ‘ कतना साहसी
युवक था! उसने ज र अपने आखरी पल म आपको याद कया होगा, जब वो
मरता आ अपने घोड़े से गरा था। उसक मौत का बदला, हड़ पा के येक बेटे
क मौत से लया जाना चा हए!’
ववा वन पुजारी अब नफरत से कांप रहा था। उसक जीवनसाथी, उसक यारी
प नी यु म मर गई थी, उसके साथ कभी ऐसा नह होना चा हए था। उसका पु
बुरी तरह से घायल होकर वहां से नकला था, इतनी बुरी हालत म क ववा वन
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के म सोमद अ ुपूण सां वना ही दे सका। कुछ ही घंट म उसक पूरी जदगी
बखर गई थी।
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बनारस 2017
जट कपा लक
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क आंख चढ़ ई थ , जो साल से अफ म और चरस लेने का प रणाम था। उनके
बदन और चेहर पर, मशान म जलती चता क सफेद राख मली ई थी। उनके
मुंह ऐसे लग रहे थे मानो वो अभी र पीकर आए ह । तंबाकू और पान चबाने क
वजह से उनके ह ठ लाल हो गए थे। उनम से काफ लोग के पास भारी भाले,
शूल और स त चमड़े क बनी ढाल थ । उनके आभूषण इंसान और पशु क
ह य से बने थे। ले कन इससे भी खतरनाक था, उनम से हरेक का अ त और
अकथनीय स मोहन।
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श शाली माना जाता था क मशान म उसका एक कदम पड़ने भर से मुद जाग
जाते थे। अपनी कड़ी साधना के बल पर वो हमालय क ठं डी गुफा से लेकर
बंगाल और असम क सबसे याह तां क मठ तक म धुनी रमा चुका था। वह
मशान घाट म महीन बताकर, रह यमयी मं के उ ारण से मृतक का आ ान
करता था। दशक बीतने के साथ, जट या ‘तीन जटा वाला’ जट कपा लक
बन गया। उसके नाम म बाद का श द, उसके शूल पर छड़ी के सहारे बंधे
कपाल या इंसानी खोपड़ी क वजह से जुड़ा। उसके वकराल अनुयायी भारतीय
न दय के कनारे ब त बड़ी धा मक सभा का आयोजन कया करते। और
साल पहले, ऐसे ही कसी मेले म एक इटली वासी जट से मला था।
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रणनी त के तहत, चतु कोणीय खंड को घेर रखा था और राइफलमेन प व
प रसर क ऊंची मीनार पर खड़े थे। अब तक मठ के शीष पुजारी भी, अपने
कमंडल लए प रसर म आ गए थे। बलवंत व ुत से कंधे से कंधा मलाकर चल
रहा था, उसक सदमे क शु आती त या अब पूरी तरह से यु त म बदल
चुक थी।
ढाआआकक! ढाआआकक!
वाआआनंग! वाआआनंग!
मसान-राजा!
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
महान राजा
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मनु पुजारी क युवा बांह जन भाल को थामती थ , वो अपने नशाने तक प ंचते
थे।
म य।
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मानवजा त ने मयादा पु षो म के प म याद कया; एक व यात धनुधर, जो
रण े म अपने ही प रजन को दे खकर वच लत हो गया था, उसे उसके
आ या मक मागदशक ने ऐसा उपदे श दया, जससे स दय तक लोग ान लगे;
एक दे व त, जसने अमानवीय यातना को सहा, जसने ेम का संदेश दे ने के
लए अपने ाण तक को याग दया; और एक आ तक, जसने अपने इ के
लए अपने पु क ब ल दे द ।
‘म य, शायद आप मुझे कोई और समझ रहे ह,’ मनु ने जवाब दया। ‘म राजा
नह ं।’
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इस भू म को छोड़ ं गा।’
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मरते समय, मेरे पता के साथ, पूरे हड़ पा म एक भी म नह था।
‘कैसे... मेरे पता, महान ववा वन पुजारी ने अपनी अं तम सांस कैसे ली?’ मनु ने
पूछा। अब तक उसके आंसू सूख चुके थे। पछले कुछ दन म वो इतनी शारी रक
और मान सक पीड़ा झेल चुका था क अब दद उसे और स त ही बना रहा था।
मनु अपने बाएं घुटने पर बैठ गया, अपनी बांह अपने दा हने पैर पर रख, सर नीचे
झुकाए, अपने पता क दवंगत आ मा के लए शां त ाथना म।
और वो सही था।
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बनारस, 2017
कपाल अपण
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थ , जनम जानवर क ह यां और यो तषीय र न जड़े ए थे। उसने अपने
हाथ के अंगूठ और उं ग लय म बीस से अ धक अंगू ठयां पहनी ई थ , जनम
उसने अपना लंबा और काला शूल थामा आ था। ले कन जट के वकराल
व का सबसे भयावह पहलू वो इंसानी खोपड़ी थी, जो उसने अपनी छड़ी
पर बांध रखी थी। उस खोपड़ी के पूरे दांत थे, और उसका मुंह यूं खुला आ था
मानो वो वकरालता से ठहाका लगा रही हो।
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रहा था, वो कुछ और नह ब क ‘ग ड़ पुराण’ क सबसे भयावह पं यां थ ।
ग ड़ पुराण वो ाचीन ंथ है, जसम उन भयानक यातना का वणन है, जो
मृतक को नक म द जाती ह। दोन भयानक ा णय क कमर पर बंधी दरा तय
के दांत अभी भी खून से सने ए थे।
‘कपा लक तुमने अपने नीच मुख से मेरे पर-पोते व ुत का नाम लेकर, अपनी
सारी सीमाएं पार कर द ह। अगर तुम के भ नह होते तो, आज तुम भी
अपनी मृत सेना का ह सा बन गए होते।’
यह वही है।
ढाआआकक! ढाआआकक!
वाआआनंग! वाआआनंग!
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एकदम बंद हो गया।
‘आपने मेरा साद ठु करा दया, गु दे व?’ उसने ऐसे पूछा, मानो वो कतना नराश
था। ‘आपने मेरा कपाल-अपण ठु करा दया?’
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मसान-राजा, मृतक-नाथ, महा-तां क, जट कपा लक ने स मान से ारका
शा ी के सामने सर झुकाया और जाने के लए मुड़ गया।
‘हम बात करनी होगी,’ अघो रय के प रसर से बाहर जाते ही, ारका शा ी ने
व ुत से कहा।
मठाधीश ने हां म सर हलाया। ‘शाम के बाद, मेरी कुट र म आकर मुझसे मलो,
पु ।’
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जैसे ही वो कोठरी के सामने के बरामदे म प ंचे, तो उनक नजर कांपते ए सोनू
पर पड़ी। ऐसा लग रहा था मानो उसने भूत दे ख लया हो! इससे पहले क व ुत
और बलवंत उससे कुछ पूछ पाते, सोनू कोने म जाकर उ टयां करने लगा।
ऊपर लटकते ए ब ब के नीचे रखी, ट ल क मेज से खून टपक रहा था, जहां
कुछ दे र पहले बाला ने रम का गलास रखा आ था। उसी मेज पर, दराती के
कए गए काम का नमूना भी रखा था।
उसक आंख पूरी तरह चढ़ ई थ और उसका मुंह वैसे ही खुला आ था, जैसे
जट के शूल पर लगी खोपड़ी का मुंह था।
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
पहाड़ पर कोहराम
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क अटू ट आंधी ने सम आयवत के जनजीवन को अपंग बना दया था। येक
को यक न था क उ ह म से कसी के जघ य अपराध क वजह से, सबको ई र
के ोध का भागी बनना पड़ रहा था। ले कन वो नह जानते थे क दे वता क
यातना के सा ी और सहभागी बनकर वो सभी अ य अपराध के साझेदार बन
चुके थे।
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‘वो सं या म कम से कम हजार ह,’ चंड ने ववा वन से, तेज हवा के बीच
च लाते ए कहा। ‘और यह रात क पारी है। दन के समय तो ये इससे भी
दोगुनी सं या म काम करते ह।’
‘तु हारे पास जानवर क खाल से बनी जो सबसे लंबी र सी है, वो मुझे दो। हमारे
पास समय ब त कम है,’ ववा वन ने अपने नए सा थय के चेहरे पर आए
अ व ास क अनदे खी करते ए कहा।
‘ले कन अ ववा वन, यह ढलान बलकुल खड़ी है। कसी ने भी कभी इतनी
ऊंचाई से छलांग नह लगाई है। या तो र सी साथ छोड़ दे गी या तुम तीर क तेजी
से सीधे जमीन पर जाकर गरोगे!’
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हमलावर यह छलांग, कमर पर चमड़े क र सी बांधकर, लगाता था वो कसी ऊंचे
पेड़ या तीन मं जला इमारत से अ धक ऊंची नह होती थी। जो ववा वन पुजारी
कह रहा था, वो कभी सुना नह गया था, और ब त जो खम भरा था।
‘जैसे ही म अपने तीसरे या चौथे तघात के बाद जमीन पर उत ं गा, तभी अपने
पैदल सपा हय को नदश दे ना क वो पूरे े को चार तरफ से घेर ल। जो
वरोध कर उ ह मार दे ना और बा कय को बंद बना लेना। बं दय से इस वकराल
प रयोजना म काम लया जाएगा।’
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के दो समूह और नशाने पर प ंचा दए। अपने सपा हय को जमीन पर गरता
दे ख, हड़ पा के दल म अचानक से अफरा-तफरी मच गई। और तभी, उनम से
कुछ ने एक आंख वाले ेत को, आसमान से अपने ऊपर गरता दे खा, जो तुरंत ही
जाने कहां गायब हो गया! अब तो वहां हडकंप मच गया था। ट लेकर जाते और
प र क च ान ख चने वाले मज र, तुरंत ही सब छोड़कर भागने लगे। जाने कहां
से तीर क वषा होने लगी और उस समय म काम पर मौजूद हड़ पा के सपा हय
के छ के छू ट गए।
‘वो अकेला हजार के मुकाबले खड़ा है, और फर भी वो जीत रहा है!’ उसने
वयं से कहा।
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‘आप अतुलनीय ह, ओ महान अ-दे वता!’ सुरा ने ववा वन पुजारी के स मुख
झुकते ए कहा। नया म ऐसा कोई नह था, जसके सामने सुरा पहले झुका
हो। ‘इ तहास कभी आपको भुला नह पाएगा।’
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अ भयंता ने हकलाते ए जवाब दया, ‘वो... वो... वो र -धारा के वाह को
हड़ पा से र करना, भु।’
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बनारस, 2017
‘हमने उसे दानव बना दया’
सारनाथ के धामेक तूप का सुंदर, तंभ जैसा गुंबद उनके सामने खड़ा था। शां त
और अ या म का तीक होने के बावजूद, ये कसी तरह से अपने सामने बैठे दो
थत मन और आहत आ मा को सां वना नह दे पा रहा था।
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पर ले जाएगा। ले कन उसने कभी सपने म भी क पना नह क थी क वो इतने
भयावह हालात म यहां आएंगे।
अभी के लए तो।
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व ुत के परेशान, मनोहर चेहरे को नेह से दे खते ए, दा मनी ने अपने हाथ म
व ुत का हाथ लया। कुछ ही दन म उनक नया या से या हो गई थी। कुछ
स ताह पहले तक जोशीले, सफल और स के प म व यात व ुत
अब कोई मसीहा बन गया था, जसे कसी ऐसे रह य क र ा करनी थी जो पूरी
मानवजा त के लए आव यक था! वो क़ ल, जा -टोने, तां क , गो लय ,
ह या , आ मा और छपे ए श ु के क म था। ये सब जतनी तेजी से
सामने आया था, उसे दा मनी पूरी तरह पचा नह पा रही थी। वो सबकुछ क मत
पर छोड़ चुक थी। उसका असीम, अनंत, अवणनीय व ास सफ एक ही आदमी
पर था। वो आदमी जो उसका था।
व ुत।
‘दा मनी, हमने उसे दानव बनाया। मने उसक कहानी सुनी थी। उसके बचपन
और उसके प रवार क यातना क सड़ी ई सचाई...’
व त
ु बोलता रहा। दा मनी ने उसे बोलने दया। वो जानती थी क इस समय
व तु को दल ह का करने क ज रत थी।
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‘हमारा धम व का सबसे ाचीन धम है। वा तव म तो ये धम भी नह है। ये तो
इस महान रा , इस सुंदर उपमहा प के जीवन क शैली है। हमने जीरो क खोज
क , ग णतीय पाई का मान नकाला, माशल आट, श य च क सा, औष ध,
शतरंज, राजनी त, योग... हम उस दौर म गूढ़ वेद लख रहे थे, जब प मी लोग
गुफा म रहते ए, क ा मांस खाते थे! हमने वण व ा या जा त था क
रचना क जससे म को भावशाली तरीके से बांटा जा सके—अथ व ा म
वकास के लए। ले कन दे खो हमने अपनी सबसे प व अवधारणा को कतनी
बुरी तरह से कर दया।’
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तारीफ कर रहा था, और दा मनी ने जोर दया था क वो भी यह मठाई खाना
चाहती थी। दा मनी को मीठा अ धक पसंद नह था, ले कन वो कुछ भी करके
व ुत का मन पछली शाम क भयावह घटना से हटाना चाहती थी।
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दा मनी व ुत के हर श द को यान से सुनते ए, उसक बात का अथ हण कर
रही थी।
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ले कन हम सब जा त, धम, भाषा, रा य इ या द के नाम पर एक- सरे से लड़ने म
त ह। और अगर यही होता रहा तो इसके प रणाम व प बाला जैसे और भी
उपे त लोग को ह थयार क तरह पाला जाता रहेगा।’
‘हम वह खड़े ह, जहां हजार साल पहले, कसी दन बु खड़े थे, दा मनी। बौ
धम के मानने वाल ने उ ह अपना मानकर अपनाया। सरी तरफ, ह ने उ ह
भगवान व णु का नौवां अवतार माना। दोन समुदाय बु को चाहते ह। दोन
समुदाय ने उ ह अपने द वरासत मानकर साझा कया। उनके बीच कसी
तरह का कोई संघष नह है। यही समावेश, यही संयु ता हम व श बनाकर,
हमारी वरासत को अमर करती है।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
काला मं दर
वह सवा धक भ य था।
काला मं दर।
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‘मेरे साथ आओ, मनु,’ पवत संर क क अ ेता, रमणीय म हला ने कहा। ‘म
आपको सबसे प व मं दर म ले चलती ं।’
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से कम नह था। अपने कंधे पर कसी के हाथ को महसूस करके, वो तकरीबन
घबरा ही गया था।
मनु यान से सुन रहा था, तभी उसने गौर कया क म य क तरह ही, मछली क
खाल जैसे कपड़े पहने और भी म हला व पु ष उनके आसपास इक ा होने लगे
थे। जस तरह से वो म य के सामने सर झुका रहे थे, उससे साफ था क वो सब
उसके अनुयायी थे। वो सभी दे खने म सौ य और दयालु थे, और उनसे समु क
गंध आ रही थी। मनु हैरान था।
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‘युग के येक च क समा त पर, सृ अपने और धरती क एकमा जा त
—जो वधाता का त न ध व करती है—के स म लत काय का मू यांकन करती
है। इसके बाद ही उस या का नधारण होता है, जसे हम द घायु कहते ह।
कभी-कभी पूण शु करण क आव यकता होती है, जसे कृ त क अवणनीय
श अंजाम दे ती है। और कभी आं शक शु क ही आव यकता होती है।
अ ाई क वजय के साथ बुराई का अंत। इसके लए कसी अवतार का ज म
होता है।’
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इस बारे म चचा से नह जान सकते। म बस यह कह रहा ं क म इन गहन वेद
और सरे ंथ का व ाथ रहा ं। उनक वल णता और तभा के चलते, मेरे
लए यह वीकार कर पाना हमेशा मु कल रहा क जसे हम सवश मान मानते
ह, वो ही मानवता क नय त का नधारण करे। या यह अनु चत नह है?’
‘तो तुम अपनी जा त के नय त नधारण म भू मका अदा करना चाहते हो, मनु?’
कुछ पल के वचार- वमश के बाद म य ने कहा। वो अब मु कुरा नह रहा था।
‘हां... हां, मुझे लगता है क मेरे और मेरे लोग के बारे म नणय लेने के लए, म
मददगार बनना चा ंगा।’
उसक आंख चमक रही थ और उसने अपना दा हना हाथ फैलाया, उसक उं गली
मनु क तरफ इशारा कर रही थी, जब उसने ये र जमा दे ने वाले श द कहे।
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बनारस, 2017
कां टटाइन
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‘हां। हां, वो प ंच गई है!’
‘ह म...’
‘नह , ले कन मुझे बताओ, व ुत,’ ारका शा ी ने जोर दया, ‘राम कौन थे?’
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‘बाबा, आप सच म मुझसे पूछ रहे ह क भगवान राम कौन थे? आप मुझसे
मयादा-पु षो म के बारे म पूछ रहे ह, न रता का मूत प, मानवजा त का
आदश, वयं ई र-राजा, राम के बारे म?’
ारका शा ी ने सर हलाकर अपनी बात आगे बढ़ाई, ‘अब मुझे बताओ व ुत,
या राम ने अपने जीवनकाल म कुछ गल तयां क थ ? वो स र थे, अपने म
प रपूण थे... ले कन या उनके फैसल म कोई गलती नह थी?’
‘इतने व तृत जवाब के लए ध यवाद, व ुत। तुम बलकुल सही कह रहे हो।
द ता या अ या म होने से ही कोई पूरी तरह सव प र, या सवश मान नह बन
जाता। राम जानते थे क वण मृग का कोई अ त व ही नह होता। ले कन फर
भी उ ह ने उसका पीछा कया। या राम नह दे ख सकते थे क हरन क उस
सुनहरी खाल के नीचे शैतान छपा था?’
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व ुत सुन रहा था। अब वह समझ गया था क उसके बाबा या कहने क
को शश कर रहे थे। ‘ नय त के रा ते म कोई नह आ सकता। पूव- नधा रत कम
के बल पर कुछ घटना का घटना म सु न त होता है, ज ह कोई भी घटने से
नह रोक सकता। अगर भु राम से फैसले लेने म गलती हो सकती थी, तो यह
न र ारका शा ी कौन है? मुझे खेद है क म इस सबको भांप नह सका,
व ुत। मुझे बुरी ताकत के होने का आभास तो था, ले कन वो सब कसी गहन
पद के पीछे थ ,’ मठाधीश ने कहा, वो ब त थत दख रहे थे।
‘नाइ सया...?’ व ुत फुसफुसाया। ‘मने नाइ सया के बारे म सुना है, बाबा। वह
तो ईसाई पाद रय क महान प रषद ई थी, कोई चौथी शता द म। वह ब त ही
मह वपूण घटना थी, य क इसम धम को मानने वाल के बीच क कई बड़ी
बहस को हमेशा के लए ख म कर लया गया था।’
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‘तुमने ब त अ तरह पढ़ाई क है, व ुत,’ डमा टर ने कहा। ‘का तकेय और
पूजा को तुम पर ब त गव होता।’
व ुत यान से सुन रहा था, वो सोच रहा था क उसके परदादा को नाइ सया
प रषद के इस छपे ए अ याय के बारे म कैसे पता था। उसे इसके लए यादा
इंतजार नह करना पड़ा।
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व ुत क आंख हैरानी से फैल गई थ ।
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
उसका जघ य पाप
वचन पूरा करने का समय आ गया था। सुरा ने अपनी बात रखते ए, ट और
कांसे के पवत को ह थयाने म, ववा वन पुजारी क मदद क थी। उसक सेना ने
नमाण ल पर अपने हजार खर यो ा के साथ घेराबंद भी कर ली थी,
जससे पं डत चं धर और य वदा उसे दोबारा से हा सल न कर पाएं। इस लए
अब वचन पूरा करने क बारी ववा वन क थी। अब वो अपना जघ य पाप करने
जा रहा था।
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अपने शूरवीर पु मनु के जी वत होने से अनजान, ववा वन पुजारी असीम ोध
म जल रहा था। वो इस नया को वैसी नदयता और घृणा दखाने वाला था, जो
पहले कभी नह दे खी गई थी। और शायद भ व य म भी कभी न दे खी जाए।
उसका काम पहले ही हो चुका था। वो तो अपने साथी को दया, अपना वचन पूरा
करने आया था, और फर अंत म अपने शरीर क य म आ त दे दे ने वाला था।
अभी-अभी, पछले कुछ दन म इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी, महान दे वता
सबसे अ धक मह वपूण सबक नह सीख पाया था। अभी भी वो योजना बना रहा
था, जो उसके मुता बक पूरी होने वाली थी।
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हसक हमले करती ह, उस वधाता का समथन चाह सकती ह? हसा को सबसे
पहले सजा मलती है। सबसे अ धक सजा भी।
स तऋ ष!
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सुरा क सांस पूवानुमान से भारी हो रही थ । वो अपने और अपने महान सा ा य
के बीच क आखरी बाधा को आज ख म कर दे ने वाला था!
‘तुम या बात कर रहे हो, ओ अ-दे वता,’ असुर के राजा ने ोध से कहा। ‘वो
सब यहां ह! वो जी वत ह... ले कन कसम से, अ धक समय तक जी वत नह
रहगे!’
‘कल सुबह म इनक राख अपने शरीर पर लगाऊंगा,’ सुरा ने कठोर आवाज म,
अ धकारपूवक आदे श दया।
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बनारस 2017
यू व ऑडर
व ुत शां त से, यान लगाकर सुन रहा था... बीच-बीच म वो समथन म अपना
सर हला दे ता था। वो ारका शा ी के वाह को बा धत नह करना चाहता था।
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को लेकर सजग था। तो संग ठत नया के अपने सपने को पूरा करने के लए,
उसने धम के साथ ही शु आत करने का नणय लया।’
‘इससे मुझे मुगल बादशाह अकबर क याद आई, बाबा,’ व ुत ने जवाब दया।
‘यहां तक क अकबर ने भी अपने वशाल सा ा य म शां त और पर र सोहाद
लाने के लए, कसी भी एक धम क े ता से इंकार कर दया था और सभी धम
को बराबरी का दजा दया था। उसने तो एक नए धम क भी शु आत क थी,
जसे द न-ए-इलाही कहा गया।’
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‘बाबा, इससे पहले क आप आगे बढ़, आपको मुझे बताना होगा क ये काला
मं दर या है! उस दन घाट पर बलवंत दादा ने भी इसका ज कया था। उ ह ने
कहा था क नैना काले मं दर के संपक म रहने के लए सेटेलाईट फोन रखती है।
फर रोमी भी पोटे शयम साइनाइड खाने से पहले, इसके बारे म कुछ बड़बड़ा रहा
था। अब आप भी इससे जुड़े कसी रह य का ज कर रहे ह, जो सैकड़ साल
से रह य बना रहा है। बाबा, काला मं दर या है? यह हमसे कैसे जुड़ा है? इसम
कस रह य को छपाया गया है?’
‘था ? या तुमने ‘था’ कहा, व ुत?’ ारका शा ी ने पूछा, उनक भंव हैरानी से
चढ़ गई थ और उनके श द म अपने परपोते के लए ह क सी झड़क थी। ‘ यू
व ऑडर पूरी नया म भूत क परछा क तरह फैल रहा है, और अब ये पहले
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से भी कह अ धक ताकतवर है। या सारे संकेत इसी तरफ नह इशारा कर रहे
ह, व ुत? या इसी के बारे म मने तु ह उस बद क मत दन नह बताया था, जब
तुम घाट पर रोमी परेरा से मले थे?’
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‘कोई इतनी असंगत चीज कैसे सोच सकता था, बाबा? ये तो भारत जैसे महान
दे श के लए भी सा य काय है क इसके सारे नवा सय को एक रंग से रंग दया
जाए, जैसा क कई राजनै तक अलगाववाद करने क को शश भी करते ह।
ले कन अगर हम राजनी त को हटा भी द, तो कैसे इंसान को कृ म एक पता म
बांधा जा सकता है, जब क वो नैस गक प से एक- सरे से अलग ह? कैसे
वतं इ ा, आजाद , वक प , ाथ मकता, मह वाकां ा और वफादारी के साथ
ाई प से समझौता कया जा सकता है? लोग को भेड़ क तरह कैसे हांका
जा सकता है?’ व ुत ने खीझते ए पूछा। उसे यह ब त ही वा हयात लग रहा
था क कैसे एक स ाट ने न सफ अपने समय के लोग क क मत को नयं त
करने क धृ ता क , ब क उसने आगे क पी ढ़य के लए यही एक पता
ा पत करने क योजना बनाई!
‘ ातृ-संघ के पहले समूह को, जसे कां टटाइन ने नाइ सया म संग ठत कया था,
उसने नदश दए थे। उसके चुने ए पहले बीस ‘भाइय ’ को एक- नया,
एक-सरकार के उसके ल य को पूरा करने के लए लगातार, बना के और
बेरहमी से काम करना था।’
डमा टर व त
ु को दे खने के लए मुड़े और मु कुराए। ले कन व ुत दे ख सकता
था क उनक आंख म कोई खुशी नह थी।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
लय
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माता- पता का ज आने पर, एक पल को मनु का गला भर आया, ले कन फर
उसने वयं को संभाल लया।
उसने गहरी सांस ली, अपना कमरबंद खोला और अपनी तलवार बाहर ख च ली।
उसे अपने पास म रखकर वो च ान से बनी एक सीढ़ पर बैठ गया।
‘ याआअ...?’ मनु ने कुछ श मदा होते ए पूछा। वो वयं भी अब हंसने लगा था,
ले कन नह समझ पा रहा था क म य को कौन सी बात इतनी हा या द लगी
थी।
इससे पहले क मनु वरोध म कुछ कह पाता, उसने जो दे खा, उससे उसके र गटे
खड़े हो गए। म य क हंसी क गूंज वशाल मं दर के येक वृ -खंड और ऊंची
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द वार से सुनाई पड़कर चार ओर फैल रही थी। पल भर म ही मनु को लगा मानो
वो पूरा पवत हंस रहा था। ना... सफ सम पवत ही नह , ब क पूरा ांड हंस
रहा था। गरता आ येक प ा, येक प र, येक प ी, येक पशु,
लता का येक गु , हवा का येक कण, रौशनी क येक करण, येक
नवजात शशु... सम सृ ही मानो म य क खल खलाहट म शा मल हो गई
थी।
बस इतना ही।
वो नह था।
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ववा वन पुजारी और उनक प नी संजना, ही इसके वा त वक रह य को जानते
थे।’
मनु ने तुरंत आदे श का पालन कया। म य क सेवा का छोटा सा अवसर भी, उसे
ब त खुशी दे ता था।
अब वे काले पवत के बाहर, धूल भरे समतल पर टहल रहे थे। आसमान म घने
बादल घर आए थे। कृ त का वकराल प, जो हड़ पा और उसके आसपास
क जगह पर छाया आ था, अब र-दराज इलाक म भी अपने पांव पसारने
लगा था। मनु और म य ने ककर, ऊपर आसमान म दे खा। ब त से वासी
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प ी, आसमान म गरजते बादल और चमकती बजली के बीच, व भ संरचनाएं
बनाते ए उड़ रहे थे।
‘ये लोग मेरे पता के वफादार थे? र तक फैला उनका भाव मेरे लए नया नह
था। ले कन फर भी वो बना कसी दो त के यूं मरे क उनके अं तम सफर म कोई
उ ह कंधा तक दे ने वाला न था,’ मनु ने कड़वाहट से कहा।
‘भीषण बाढ़ सच म आने वाली है, मनु। इतनी वनाशकारी बाढ़ जसके बारे म न
तो मनु य ने कभी सुना है, और न ही उसक क पना क है। ऐसी बाढ़ ज द ही
आने वाली है।’
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‘ले कन म भ व यव ा नह ,ं मनु।’
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जो आने वाला है वो और कुछ नह ब क वयं लय है— नया क समा त! ’
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बनारस, 2017
याह ातृ-संघ
दे र रात हो चुक थी। घड़ी म साढ़े यारह बज रहे थे, और डमा टर के सोने का
समय भी काफ पहले नकल चुका था। ले कन ारका शा ी और व ुत बात
ख म करने के मूड म नह थे। उनक बात इस समय नया क कसी भी चीज से
अ धक मह वपूण थ ।
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मसीह क कहानी को भी समझा है। इसके आधार म ेम, समानता, मा, भ
और आ म- याग के अलावा और कुछ नह है। जीसस ने तो वयं जगत क पीड़ा
को अपने ऊपर ले लया था। तो ऐसा धम कैसे राजनी त या सा ा यवाद उ े य
लए हो सकता है? इससे भी अ धक, ईसाइयत क उदारता और क णा तो इसके
ारा चलाई जाने वाली अनेक परोपकारी संगठन म दे खी जा सकती है। र य
जाना? भारत म ही अनेक ऐसे ईसाई सं ान ह जो बना थके गरीब के वा य,
श ा, सफाई इ या द के लए काम कर रहे ह। तो अगर कोई भी धम क तरफ
उं गली उठाता है, तो ये गलत होगा।’
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नैना ने मठाधीश के ब तर के पास रखी मेज पर, ह द वाले गम ध का गलास
रखा।
‘सारे सेवक आराम करने चले गए ह, बाबा। आपने इतने समय से कुछ खाया नह
था,’ नैना ने मु कुराते ए कहा। वो नेही बेट के लाड़ से बुजुग से बात कर रही
थी। ारका शा ी ने ही उसका पालन-पोषण कया था।
‘22 मई, 337 ई वी को, उसक मौत के तुरंत बाद ही, उसका गु त ातृ-संघ एक
भयानक दानव म बदल गया। इसम इस समय के कुछ धनी और सबसे
श शाली भी जुड़े थे, और इस वजह से ातृ-संघ का भाव ब त ही
तेजी से बढ़ा। साथ ही अपने आदश और ल य म भी यह वकृत होता चला गया।
मानवजा त के क याण के लए संग ठत होने वाला यू व ऑडर ज द ही
मानवजा त को नयं त करने वाला बन गया— ातृ-संघ क नजर म यह उनके
ाचीन ल य से जरा ही भ था।
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ातृ-संघ ने सबसे पहले अपने ही धम म उठने वाले असंतोष और वरोध के वर
को दबाया। 431 ई वी म, बाइजटाइन के स ाट थयोडॉ सयस तीय ने इफेसस
(वतमान तुक म से कुक के करीब) म एक और प व प रषद बुलाई, जसने
ने टो रयन यन के मह वपूण सं दाय को वधम घो षत कर दया। प रषद
म कोई नह जानता था क थयोडॉ सयस गु त ातृ-संघ का ही सद य था।
ब क वह संघ का मुख कमांडर था,’ ारका शा ी ने बताया।
ारका शा ी ने गम ध से कुछ घूंट भरे, अपनी आंख बंद करके कुछ पल सोचा
और फर बोलना शु कया। वो जानते थे क उ ह तकरीबन पं ह सौ साल के
र म संघष, कपट, ष ं , यु , आ थक अपराध और नरसंहार का वणन कुछ
ही घंट म करना था। इसका अनु म ब त ज टल था।
‘इस ातृ-संघ को कस नाम से पुकारा जाता था, बाबा? या मुझे अपनी भूल
सुधारते ए कहना चा हए, कस नाम से पुकारा जाता है , बाबा?’
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‘उनका वभाजन हो गया...’ व ुत बुदबुदाया। ‘वो आपस म बंट गए, है न
बाबा?’
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रंग से बने बड़े से ॉस, और उस पर बंधे कवच क वजह से वो मील र से
दखाई दे ते, टे लर इ तहास म पहली बार सफ धम क ापना करने वाली सेना
के प म नजर आए थे। भारी ह थयार से सुस त यह सेना कसी राजा या
रानी को जवाबदे ह नह थी। आम भाषा म कहा जाए तो ये सेना उ पुजारी के
आदे श का पालन करती थी!
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याद था क मठ और इसके नेता ारा लड़ी गई सारी लड़ाइयां इस प व
आ म क र ा, या बुरी ताकत को रोकने क ही थ ।
‘पैसा?!’ व ुत च का।
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𝐈𝐍𝐃𝐈𝐀𝐍 𝐁𝐄𝐒𝐓 𝐓𝐄𝐋𝐄𝐆𝐑𝐀𝐌 𝐄-𝐁𝐎𝐎𝐊𝐒 𝐂𝐇𝐀𝐍𝐍𝐄𝐋
(𝑪𝒍𝒊𝒄𝒌 𝑯𝒆𝒓𝒆 𝑻𝒐 𝑱𝒐𝒊𝒏)
सा ह य उप यास सं ह
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
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मैनहटन, यूयॉक सट , 2017
‘मौत भी हाइट मा क से भय खाती है’
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साल के इ तहास के सबसे बदतर वनाश के आदे श दए गए।’
रेग मा रनी अपनी कॉच से घूंट भरते ए सोच रहा था क मा केरा कसे वो सब
सुना रहा था। सफ वो ही बग मैन क वा त वकता जानता था। वो ही उसके
काय का सा ी और असल म कई खूंखार काय का साझेदार भी था।
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के मुंह म लंबा पेचकस घुसाकर, उसक खोपड़ी से पार करते ए, उसे कार सीट
के हेडरे ट से ब ध दया था। इन खौफनाक ह या ने पूरे शहर और शासन को
भयभीत कर दया था।
हरी आंख वाले उस लड़के को मलान छोड़ना पड़ा था। ले कन उससे पहले वो
उस संगठन क नजर म आ चुका था, जसके लए पैसा, र और नयं ण ही
सबकुछ था।
तीन मा फया भाइय ने उसे, जेनेवा से बाहर, अपना कोक न नेटवक चलाने के
लए नयु कया था। ले कन उ ह ने बड़ी गलती कर द थी। पं ह साल म, वो
हरी आंख वाला लड़का आदमी बन चुका था—एक ब त खतरनाक आदमी।
उसने बड़े आराम से अपने तीन मा लक को ठकाने लगा दया था, जनक लाश
तक कभी जेनेवा झील क तली से नह मली थी। 35 क उ तक, वो न सफ
स स लयाई मा फया का अ ववा दत राजा था, ब क वो पूरे यूरोप म अपराध को
बं धत करने लगा था।
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मा केरा बआंका क हरी आंख नडरता से चमक रही थ , जब वो रेग क तरफ
चलकर आया, और अपने आलीशान सोफे पर बैठ गया।
‘ या तुम जानते हो, रेग, मुझ पर कतनी बार जानलेवा हमला कया गया है?’
‘एक सौ चार बार,’ मा केरा ने अपनी शालीन आवाज म कहा, उसक मु कान
उसके चेहरे पर वापस आ गई थी। ले कन उसक आंख रेग क आ मा को भेद
रही थ , जो वयं मौत या हसा से अनजान नह था।
‘ या तुम जानते हो क मुझे कतनी बार चाकू मारा गया, गोली लगी या गला
घ टने क को शश ई?’
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
नीली अ न का अनु ान
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‘ओ साहसी असुर , कौन तु ह रोक रहा है? इ ह जला दो! इन मायावी जीव को
जलाकर, अपने स ाट सुरा को स करो!’
‘ये पागलपन बंद करो, सुरा!’ ववा वन पुजारी ने कहा। ‘यहां कुछ गड़बड़ है। ये
स तऋ ष नह ह। म उनक प व उप त यहां महसूस नह कर पा रहा। द
सात ने पहले ही समा ध ले ली है, और उनक आ मा कह और चली गई है। तु ह
दखाई नह दे रहा क उनका शरीर य इतनी ज द य होकर पृ वी म मल
रहा है? उन द मु नय क आ मा के बना ये न र शरीर कसी खाली बतन से
अ धक कुछ नह ह!’
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सुरा के सपाही अब प र क तमा क तरह जड़ हो गए। उनम से कोई भी
हलने क ह मत नह कर सका। रात के उस अंधेरे म, सफ स तऋ षय के मुड़े
ए शरीर ही दखाई दे रहे थे, जो अब पांच हजार साल पुरानी तवचा के कु हलाए
ए ढे ले तीत हो रहे थे। उनके सभी अंग पर झु रयां पड़ रही थ , खाल मुड़ गई
थी, ले कन उनक आंख क पर चढ़ाई सफेद चादर के समान चमक रही थ ।
‘ ववा वन... ओ बद क मत दे वता, मुझे तुम पर दया आ रही है। दे खो, तुम या
बन गए हो! हम जल रहे ह और तुम कुछ नह कर रहे हो। तो ऐसा ही सही...
तु हारी लयकारी नय त तु हारी ती ा कर रही है...’
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इन भयानक श द के साथ, सरे स तऋ ष का अप र चत शरीर नीली अ न म
जलकर भ म हो गया।
‘माग से हट जाओ अ-दे वता,’ सुरा ने जवाब दया, उसक आंख नीली अ न के
अलौ कक काश पर लगी थ । उस पर अब तक वहशीपन और मह वाकां ा
सवार हो चुक थी। ऊंचे पहाड़ क गजना, तूफानी ठं डी हवा, रंग बदलता
आसमान और कोड़े मारते बादल... कुछ भी अब असुर राजा का माग नह रोक
सकते थे। यह उसका दन था, और वो जंग छे ड़ने के लए तैयार था— फर भले
ही उसे अपने रा ते म आने वाले परमे र से ही य न लड़ना पड़े ।
इससे पहले क ववा वन कुछ बोल पाता, उसे अपने कंधे पर चंड का हाथ
महसूस आ।
‘आपने हम जबान द थी, ओ महान अ-दे वता,’ चंड ने कहा। ‘आपने हम अपनी
जबान द थी!’
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ह के हो चुके थे क अभी ख चे गए मु नय का भार कसी नवजात शशु क भां त
मालूम पड़ रहा था। पागल क तरह हंसते ए, सपा हय ने उन मु नय को गदन
पकड़कर उठाया और उ ह बना यास के ही अ न क तरफ उछाल दया।
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बनारस, 2017
व ुत
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हावी रह पाती थ ।
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वर भी सुनाई दया। वयं श त गायक और गटा र ट, व ुत इन सुरीली
तान को सुनकर मु ध हो गया। वह उठकर इस वरलहरी के पीछे चल दया।
वो जानता था क यह या था।
कथक!
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शा ीय संगीत पर नृ य करते ए, वो पूणतया अलौ कक लग रही थी और नृ य
क थकान के बावजूद भी उसके चेहरे क मोहक मु कान फ क नह ई थी।
उसक आंख ुव तारे क तरह चमक रही थ ।
‘ व डयो!’
व ुत जम गया।
वो मुड़ा, तो कुछ कदम र नैना को खड़े पाया। कुछ पल पहले के गहन अ यास
क वजह से वो अभी भी हांफ रही थी। व ुत को लगा क वो इस अतुलनीय
स दय के सामने ढह जाएगा। ले कन शारी रक आकषण से अ धक, नैना क
न काम परवाह थी, जसके सामने व ुत बेबस हो गया था। उसे उ मीद थी क
नैना कुछ दन मुंह फुला कर रखेगी, जब तक क व ुत गड़ गड़ाकर उससे माफ
न मांग ले। व ुत ने उसे समझने म भूल क थी, और ये वाकई म अ य अपराध
था। ले कन अभी वो सामने खड़ी थी—उसके मन को पढ़ते ए, उसक ला न को
समझते ए। एक तरफ तो वो यु म दे वी काली का प धारण कर लेती थी,
ले कन अपने वन प म वो इतनी मनोहर लगती थी, जतना व ुत ने कभी
कसी को नह दे खा था।
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सब मठ क उस कोठरी म, खून से भरी मेज पर मर चुक थी। जस दन व ुत ने
अपना पहला कदम काशी म रखा था, तब से उसक जदगी हमेशा के लए बदल
गई थी।
‘तुम कहां थे अब तक, व ुत?’ नैना ने अपना सर झुकाकर पूछा। ‘तुम कहां
थे?’
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‘मुझे माफ कर दो नैना...’ व ुत ने अचानक कहा।
वो सफल रही।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
ऋण
मनु बादल क तेज गरज के साथ उठा था, जो हर बीतते समय के साथ और
वकराल होती जा रही थी। वो पछली रात को काले मं दर से वापस आ गया था
और उसने काले प रधान वाले सपा हय के साथ आराम करने का नणय लया
था। उ ह क तरह, मनु ने उठकर अपनी चटाई मोड़कर रख द थी।
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क आंख क तरह चमक रही थी। म य अपनी टु कड़ी के बीच म चल रहा था,
जो चमकती बजली के बीच ही दखाई पड़ रहा था।
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हर बार क तरह, इस बार भी म य के पास मनु को बताने के लए एक हैरानी
भरी बात थी। ले कन इस बार वो बात हैरानी के साथ सुखद भी थी।
मनु जम गया। उसने अपनी आंख बंद कर ल और खुशी के आंसू उसके गाल पर
लुढ़क आए।
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कुछ पल बाद उसने म य को दे खा और फर से हंसने लगा। म य ने भी बड़ी सी
मु कान से उसका जवाब दया। मनु एक झटके से उठा और म य क तरफ
लपका। वो म य के हाथ पकड़कर उ ह बार-बार चूमने लगा।
मनु शरमाया।
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बनारस, 2017
याह ातृसंघ – भाग 2
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लखवानी थी। दे व-रा स मठ ने सदै व अपनी लड़ाइयां वयं ही लड़ी थ । और
याय भी सदै व ही आ था।
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ये शलम क तरफ बढ़ते इन द न तीथया य को माग म डाकू और लुटेरे लूट लेते
थे। इ ह बचाते ए पहली बार नाइट् स टे लर नया क नजर म आने लगे।’
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के प म इ तेमाल कया गया—चच क संप , राजा और सम जनसं या को
नयं त करने के लए।’
कुछ पल खामोशी रही। व ुत अपने पास बैठे चार लोग के चेहरे दे ख रहा था,
ज ह दे ख मालूम पड़ रहा था क उ ह ने सूचना का समु दबा रखा था।
आ खरकार, मठाधीश ने बोलने का नणय लया।
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इंटरनेट टायकून भी हो सकता है। वो वस ऐ स क कसी गु त लेबोरेटरी म
जीनोम और लो नग पर शोध करने वाला कोई वै ा नक भी हो सकता है। वो हर
जगह ह, व ुत। और फर भी वो अ य ह।’
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
र -धारा का ाप
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बदले क उसक यास अब और बढ़ गई थी। ज ह ने उसे नक क इस अ न म
झुलसने को मजबूर कया था, उ ह अपनी करनी का फल भुगतना होगा।
सारा मां...
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दया क अब वो इस पाप का सफाया कर दे ! म पाप क इस नगरी को हमेशा के
लए यागकर, वापस मां पृ वी क पावन कोक म समा जाऊंगी। सर वती, ान
क नद अब से सफ कहा नय का ह सा बनकर रह जाएगी। ले कन उससे
पहले म अपने अपरा धय को उनके कए क सजा दे कर जाऊंगी।
ववा वन पुजारी अब अपने घुटन पर था, उसक आंख बंद थ और उसने हाथ
जोड़कर, समपण म सर झुका रखा था। उसने लय के वषय म ाचीन ंथ म
पढ़ा था और जानता था क यह कोई ऐसी चीज थी जो येक युग क समा त
पर होती थी—सृ के पुन ार के लए। वो नह जानता था क यह इतनी ज द
आ जाएगी, या वो वयं इस वकराल व वंस के क म होगा। ले कन फर, उसे
इसक चता नह थी। जहां तक उसका मामला था, उसके जीवन म तो लय
पहले ही आ चुक थी— जसने उसका सबकुछ ख म कर दया था।
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अब वो एक-आंख वाला दानव बन गया था। उसका घर जो कभी उसक य
प नी और पु क व त हंसी से गूंजा करता था, वो अब भ म हो गया था।
स तऋ ष, ज ह वो मागदशक और भाईय का सा नेह करता था, उनका वयं
उसक सु वधा के लए संहार कर दया गया था। हड़ पा क सुनहरी नगरी ज द
ही वकराल लय म डू बने वाली थी। और ान क नद , जसे वो एक मां क तरह
पूजता था, वो अब र -धारा बन सम त मानवजा त को अ भशाप दे रही थी।
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बनारस, 2017
तशोध
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राजा क अ या मक और सै य ताकत का ठकाना है। वो जानता है क आप
उसके पीछे जाएंगे। वो चाहता भी है क आप उसके पीछे जाएं,’ मठ के यु -
मुख, बलवंत ने चेतावनी द ।
‘पूरे बनारस म एक ही आदमी है, जो हमारी मदद कर सकता है,’ उसने कहा।
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वो त त बनारस ह व व ालय (बी.एच.यू.) के वशाल प रसर म चल रहे
थे। 1916 म पं डत मदन मोहन मालवीय ारा ा पत बी.एच.यू. को ए शया क
सबसे बड़ी रे जड शयल यू नव सट माना जाता है, जहां 75 से अ धक छा ावास
म 12,000 से अ धक छा रहते ह। 1,300 एकड़ के सघन े म फैले इस
अकाद मक क म 40 से अ धक दे श के 35,000 छा श ा हण करते ह।
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‘ पाठ जी, हम यहां आपक सहायता और आशीवाद लेने आए ह। सफ आप
ही हमारे अ भयान म हमारा मागदशन कर सकते ह।’
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‘मने अघोरी तां क के प म नौ साल बताए ह। जट मेरे भाई सामान था। या
कम से कम म तो यही मानता था। यह उसके मसान-राजा और महा-तां क बनने
से ब त पहले क बात थी। हम युवा थे। हमारी साधना रंग ला रही थी और स
हम ताकत का नशा करा रही थी। हम कसी भी राह चलते पर, भयावह ाचीन
जा , जैसे बगलामुखी इ या द कर सकते थे। ले कन जैसे महीने और साल गुजरे,
जट कुछ बदलने लगा।’
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‘उसक कुंडली ने यह नह बताया क वो अ ा इंसान है या बुरा। वो ऐसा
भ व यफल था जसे हजार साल म कसी तां क ने नह दे खा होगा। मने उसे
बार-बार पढ़ा, और म अपनी आंख पर भरोसा नह कर पा रहा था। अ े और
बुरे क बात तो जाने द जए, वो कुंडली कसी मनु य क थी ही नह !’
जट का ज म रा स यो न म आ था।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
‘इसक कहानी स दय तक याद क
जाएगी’
अगर उस नाव का प रमाण मनु य क क पना से परे होगा, तो म उसे कैसे बना
पाऊंगा? कोई ऐसी चीज कैसे बना सकता है, जसके लए वो वयं ही व त न
हो? और म ही उसे य बनाऊंगा? इस क ती को नय त का कौन सा ल य पूण
करना था? और म य मुझे स य त मनु य कह रहे ह?
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इससे पहले क मनु म य से पूछ पाता क वो इस तूफान म बाहर य नकले थे,
उसने दे खा क कुछ थके ए घोड़े , हवा से संघष करते ए, उनक गुफा क ओर
बढ़ रहे थे। सूय पु को उन घुड़सवार म से एक को पहचानने म अ धक समय
नह लगा, जब वो कपास के धागे से बनी एक पारभासी मशाल को, हवा से बचाते
ए ला रहा था।
मनु सोमद क तरफ दौड़ा और उसे घोड़े क काठ से लगभग ख चते ए, उसके
गले लग गया। उसने हड़ पा के बु मान नमाता के पैर छु ए और उसे एक बार
फर से बांह म भर लया। उसक आंख अपने अ भभावक क मृ त म नम हो
गई थ । सोमद बार-बार मनु को आशीवाद दे रहा था, और दे ख सकता था क
संजना जहां भी होगी, उसे आज अपने पु पर गव होगा।
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वो भी उसके साथ बार-बार पृ वी पर आएगी। वो हर ज म म उसका साथ
नभाएगी।
कुछ नह ।
कोई।
तारा।
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बनारस, 2017
लु त स यता
ारका शा ी मु कुराए।
‘ये दे खकर अ ा लगा क तुम मुझे इतनी अ तरह समझने लगे, व ुत,’
उ ह ने कहा।
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‘ले कन बाबा फर भी, हम य ? बनारस म, भारतीय यो गय का आ म इतना
अहम कैसे हो गया? एक गु त सं ा का दै य, जो नया के सबसे ताकतवर लोग
के नयं ण म है, उसे हम इतना बड़ा खतरा य लग रहे ह?’
कम से कम अभी तो नह ।
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महान आ यान पर कुछ पल दमाग दौड़ाने के बाद, व ुत ने जवाब दया,
‘ न त प से, भु हनुमान—हम उ ह रामायण और महाभारत, दोन आ यान
म उप त पाते ह। वो भु राम के परम भ थे और उनके साहस और चातुय
क कहानी के बना रामायण अधूरी ही रहती। फर वो चाहे वण नगरी लंका को
जलाने क बात हो या वशाल समु को छलांग लगाकर पार करना, हनुमान
रामायण म पूरी तरह से छाए रहे। बाद म महाभारत म भी, उनका ज अनेक
बार आया, जहां उ ह ने एक छोटे से वानर के प म महान भीम का गव
चकनाचूर कया। बाद म वो कु े के महान यु के दौरान, अजुन के रथ क
पताका पर भी शो भत थे।’
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म जोड़ने वाली कड़ी नह ढूं ढ़ पाया।
बुजुग ने कुछ पल ककर अपने परपोते को अपनी कही बात समझने का अवसर
दया। कुछ दे र ककर, उ ह ने अपनी बात आगे बढ़ाई।
‘अब तुम इसे अजीब संयोग कह सकते हो क जो तीन करदार युग क सीमा के
पार भी उप त रहे, वो वही तीन थे जो काश क ग त के बराबर या शायद
उससे भी तेज चल सकते थे।’
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अब तक परदादा और परपोते क जोड़ी ाचीन ंथ के उन अनेक संकेत , इशार
और घटना पर चचा कर चुक थी, जनम आधु नक वै ा नकता के च थे, जो
बता रहे थे क वो पीढ़ वतमान मानवजा त से कह अ धक आधु नक थी।
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‘ये सच है, बाबा। और या आप जानते ह क ंथ म ा के घातक भाव
का जो वणन कया गया है, वो हरो शमा और नागासाक के परमाणु बम व ोट
के भाव से कतना मलता है?’
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
पु दर पु , पीढ़ दर पीढ़
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‘पीछे हट जाओ, ओ अ-दे वता!’ रा स राजा च लाया।
अचानक ही सुरा अपने असुर क तरफ मुड़ा और ढटाई से कहा, ऐसे घोषणा
करते ए मानो वो अभी से हर चीज और हर कसी का वामी था।
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उसके वकराल सपा हय ने भी अपनी प र चत बहा री से त या द । येक
अपने वकराल ह थयार के साथ, ई र को चुनौती दे ने वाले अपने राजा के समथन
म आ गया!
‘असुर सा ा य क जय हो!’
वो सभी एक लय से च लाए।
सुरा अपनी टु कड़ी के नदयी सेना य क तरफ मुड़ा, जो तुरंत समझ गया क
उसका र पपासु राजा या चाहता था। उसने अब छठे ऋ ष क कमर म अपना
वशाल भाला घ प दया और उसे यूं उठा लया मानो कोई शकारी अपने मृत
शकार को उठाता है। कु हलाया आ ऋ ष दद से कराहा, उसे अ न म फकने से
पहले उसे आग के ऊपर लटकाकर, मांस क तरह भूना गया। वो तब भी जी वत
था।
तु हारे वंश का येक पु वही हसक मौत मरेगा, जो आज भयानक रात म तुमने
दे खी है!
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म तु ह अ भशाप दे ता ं! और तु हारे सम वंश को!
‘और हां, वो शायद ब त ही नममता से मरा था... आपके अ भशाप क तरह ही,
ओ ऋ ष... मेरे मनु को जहरीले बाण से भेद दया गया था!’
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हम तुम पर दया आ रही है, बद क मत पता, प तत आधे-भगवान!’
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बनारस, 2017
याह ातृसंघ – भाग III
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‘इसका या मतलब है, बाबा? सारे कानून से ऊपर...?’
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‘आपको या लगता है, इस नमम संहार के पीछे कारण या हो सकता है,
बाबा?’
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यू व ऑडर को रोका जाना चा हए था।
‘और कन- कन चेहर और पहचान के पीछे ऑडर ने वयं को छपाया था, बाबा?
आपने कहा था क वो हमेशा अपनी पहचान बदलते रहते थे।’
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‘यह एक नह है, व ुत। इसम ब त से ह। इतने सवाल के व तृत
जवाब दे ने म ब त समय लगेगा। अभी के लए बस इतना जान लो—ये खासतौर
पर तभाशाली और भटके ए बु जी वय के पास इस धरती पर द ता के
भाव को समझने क श है। वो ाचीन रह य के ाता ह और साधारण
मनु य से भ , वो जानते ह क नया पर राज करने वाली एक द ताकत
भ है। जैसा क मने पहले भी कहा, उ ह हमारा भय नह है। वो उस रह य से
डरते ह, जो काले मं दर म छपा है।’
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
मोहन जोदड़ो क अं तम राजकुमारी
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बजली चमकने पर, वो अपने चेहरे को कसी भयानक डा कनी के समान मान
रही थी। उसक आ म ला न का यह म और कुछ नह अ पतु उसके कए काय
का त बब था।
यही तो म बन गई ं। एक डा कनी।
मुझे मेरे पाप क सजा मल रही है। मेरे स न प त भी मेरी करनी का प रणाम
भोगगे। हड़ पा के लोग भी मेरे कृ य तले दब जाएंगे। जस सा ा य क मुझे
चाह थी, वो इस बवंडर म बह जाएगा।
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अपने भय से लड़ते ए, चं धर ने अपने दांत भ च लए। य वदा सही कह रही
थी।
सवाय एक के।
वयं चं धर।
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बनारस, 2017
‘ जट मृतक को जगा दे गा’
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व ुत, नैना और सोनू ने एक- सरे को दे खा। उनम से कसी को भी समझ नह
आया क मठाधीश ने ोफेसर को ानंद य कहा था। और उससे भी खराब,
ोफेसर को इस नाम से कोई आप नह ई थी और वो ऐसे जवाब दे रहा था
मानो सबकुछ सामा य हो।
अनु ा नक शर छे दन?
ानंद?
‘उसक कोई तो कमजोरी होगी, पाठ जी,’ बलवंत ने पूछा। ‘सबक कोई न
कोई होती है! आपको बस वो हम बतानी है और बाक काम हम कर लगे। हम उन
पशाच के गढ़ पर हमला कर दगे!’
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वो अपने परदादा से जुड़ी पहेली के लए भी परेशान था। इस ाचीन आ म के
कोने-कोने से जुड़े हर रह य और राज से पदा उठने म जाने और कतना समय
लगेगा?
और ानंद।
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संर त कर, इसका व तार करना चाहते थे। तो सरे जमीन से इसका
नामो नशान तक मटा दे ना चाहते थे।’
जट मृतक को जगाएगा!’
मठाधीश ने अपनी आंख बंद कर रखी थ । वो गहन यान म थे। एक समथ योगी
तुरंत ही गहन यान म जा सकता था। तां क व ा का आधु नक साधक, वयं
व ुत दे ख सकता था क उसके परदादा या करने क को शश कर रहे थे।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
सत पा
‘इस बारे म मने वेद म पढ़ा है, ओ म य— वशेषकर ाचीन शतपथ ा ण म,’
मनु ने कहा।
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गीली थी, और ठं डी, तूफानी रात म ठठु र रही थी। ले कन उसके ने हमेशा क
तरह चमक रहे थे—मानो आकषक, तराशे ए चेहरे म कोई चमकते ए र न
लगा दए गए ह । यक नन वो रो रही थी, ले कन फूट-फूटकर नह ।
पहले पहल मनु, धीरे-धीरे उसक ओर बढ़ा... और फर उमंग से दौड़ पड़ा। उसने
भागकर उसे बांह म उठा लया। उसने उसे कसकर गले से लगा लया, और मन
ही मन कसम ली क अब वो उसे वयं से र नह जाने दे गा। कभी भी नह !
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‘मेरी तारा...’ वो इतना ही फुसफुसा पाया।
और रोने लगी।
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आशा।
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‘मेरी बात सु नए, ओ म य, म इस गुफा म मौजूद सभी लोग क तरफ से बोल
रहा ं।’
‘तारा... कतना सुंदर नाम है,’ म य ने कहा। ‘ये तु हारी तरह ही सुंदर ह, य।’
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‘इस नाम से तो हम इसे घर पर पुकारते ह, म य। इसका वा त वक नाम कुछ
और है,’ कुछ शमाते ए, मनु ने पीछे से ही कहा।
‘सत पा।’
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𝐈𝐍𝐃𝐈𝐀𝐍 𝐁𝐄𝐒𝐓 𝐓𝐄𝐋𝐄𝐆𝐑𝐀𝐌 𝐄-𝐁𝐎𝐎𝐊𝐒 𝐂𝐇𝐀𝐍𝐍𝐄𝐋
(𝑪𝒍𝒊𝒄𝒌 𝑯𝒆𝒓𝒆 𝑻𝒐 𝑱𝒐𝒊𝒏)
सा ह य उप यास सं ह
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
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बनारस, 2017
र बीज अनु ान
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वो नारी थ ही नह । वो ऐसी जघ य पा पन थ , जनक नया म कोई जगह नह
थी। व ुत उ ह वैसे ही सजा दे ने वाला था, जैसे वो कसी नमम ह यारे को दे ता।
‘वो रा ता या है, पाठ जी?’ सोनू ने जानना चाहा। युवक एकदम से बस जंग
के मैदान म कूद जाना चाहता था। दशा मेध घाट पर मले घाव का वो उनसे
बदला लेना चाहता था। वो उनके गढ़ म वैसे ही घुस जाना चाहता था, जैसे वो
उसके मठ म, उसके घर म घुस आए थे। ले कन इससे भी अ धक, वो अपनी पूरी
जान लगाकर अपने य दे वता, अपने व ुत दादा को बचाना चाहता था!
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था, ाचीन समय क तरह और सरी चीज जैसे कफन, सड़े ए मांस और
केतक के फूल के साथ, एक श शाली तां क का कपाल भी अ पत कया
जाता है। ले कन इससे भी मह वपूण, येक अमाव या को जट उस
आनु ा नक अ न म अपना भी र अ पत करता था...’
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कया जा सकता था!’ नैना ने सोनू को समझाया, य क वही था, जसे यह
मथक य कहानी नह पता थी।
‘म हमेशा सोचा करता था क मां काली को अपनी लाल जीभ बाहर नकाले य
दखाया गया है। अब पता चला!’ उसने गव से कहा।
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ारका शा ी समय बबाद करने के मूड म नह थे।
व ुत एक-दो पल शांत रहा। उसका दमाग फाइटर जेट से भी तेज चल रहा था।
नैना ने यान दया क उसने अपना सर ह का सा द वार से टका लया था;
उसक आंख बंद थ , मु यां भची ई थ और जबड़े स त। वो नह जानती थी
क व ुत के यार म पड़ने से वयं को कैसे रोके। वो जतना ही भ था, उतना
ही आधारभूत भी। नैना ने अपना यान वहां से हटाया।
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संभालते ए पूछा।
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
वीराने का स ाट
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संजना को खो दया था। उसके मनोहर, आ ाकारी और वीर पु ने जस दन
पृ वी पर अपनी आंख खोली थ , तभी से ये तय हो गया था क उसका ज म
कसी महान ल य हेतु आ था। ले कन इसके बजाय उसे अपनी मां क मृ यु क
पीड़ा और अपने पता का अपमान सहना पड़ा, और भरी जवानी म जहरीले बाण
से घायल हो, दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ा। अलौ कक नीली अ न उसके
य स तऋ षय म से छह को नगल चुक थी। सारा मां, य सर वती, ान क
नद नमम र -धारा म बदल चुक थी, और वयं सम त मानवजा त को शा त
पीड़ा और तकलीफ का ाप दे चुक थी।
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यह ब ल चढ़ाने म ववा वन को एक पल से अ धक का समय नह लगा। और यह
तो अनुभवी, उ माद सेना य था! बाक असुर को हो चुका था क अगर
दे वता ने मौत के इस तांडव को आगे बढ़ाने का नणय लया, तो उनका या
अंजाम होगा।
सुरा के नेतृ व म, जुझा यो ा ववा वन पुजारी के समीप आने लगे। दे वता जरा
भी नह हचका, और अपनी उसी मु ा म बैठा रहा। ये वो शांत मु ा थी, जसम
एक त आ अपने शकार पर मौत क भां त झपटने से पहले बैठता है।
वो चंड था।
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उसके दल म क उठ । लपकती नीली अ न ने तो उसे लगभग स मो हत कर
दया था और उसने सारा और छह स तऋ षय का अ भशाप भी सुना था।
कड़कती बजली, काटती हवा, धुआंधार बरसात को वो दे ख सकता था... वो
समझ सकता था क ये सब बेमौसम और अ ाकृ तक थे।
कुछ ऐसा जो कभी सुना नह गया था, कुछ ऐसा जो पूरी तरह से व वंसकारी
था... वा तव म आ रहा था। उन सबके लए।
‘तु हारा दमाग खराब हो गया है, चंड? तुम सुरा क तलवार के ोध को रोकने
क को शश कर रहे हो?!’
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ये ंथ म लखा है। जब ई र कसी को न करने क ठान लेता है, तो वो सबसे
पहले उसके नणय लेने क मता छ न लेता है।
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बनारस, 2017
महान ारका शा ी
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‘कुछ वशेष नह । बस इस ाचीन, यागे गए अनु ान के बारे म पूण जानकारी के
बना, म अमाव या को जाने के प म नह ं। यक नन अगर ानंद इसक
सलाह दे रहा है, तो वो सही कह रहा होगा। उसे ाचीन ंथ के साथ ही काले
व ान का भी अ ा ान है।’
व ुत वधा म था।
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व ुत जवाब सुनना नह चाहता था।
‘जब ानंद दया और रहम क भीख मांग रहा था, तब बड़ी ही बेरहमी से दरांती
से उसक आंख नकाल ली गई।’
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सफ छह दन और रह गए थे। दद, संघष और याग क स दयां बीत गई थ ।
सफ इस दन के इंतजार म।
सब सफ इस सुनहरे दन के लए।
‘इसी वजह से मने तु ह और पुरो हत, दोन को एक साथ बुलाया है, व ुत,’
डमा टर ने कहना शु कया।
‘मेरा समय आ गया है, व ुत। पुरो हत और म, साल से मेरी कुंडली पढ़ रहे ह
और हम दोन ही इस पर सहमत ह। मेरा अंत नजद क है, पु । ब त नजद क।’
व ुत फूट-फूटकर रोने लगा। उसने लगभग अपनी पूरी जदगी अकेले बतायी
थी, बना प रवार के यार और साथ के। वो बाला जैसे म के भरोसे रहा था।
भाई जैसा वो यार भी उससे उसी नय त के हाथ छ न लया गया, जो उसके
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नसीब म बद थी। पछले कुछ दन म, उसे अपने बाबा से वो सारा यार मला
था, जसक उसने इ ा क थी। वो भी अब खोने वाला था!
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
‘तुमने परी ा उ ीण क ’
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‘तुमने उ ह बस एक ही बार दे खा है... वो भी भीड़ म, र से, तारा,’ उसने कहा।
‘उनसे आमने-सामने मलने क ती ा करो। वैसे भी यह म य का ही नणय
होता है क कसे वो द लग और कसे साधारण। वो वयं उसके लए समय
चुनते ह। उनक योजना के अनुकूल हो, तो वो आपको वयं से घृणा करने के लए
ववश कर सकते ह। कोई नह जान सकता क उनके मन म या चल रहा है। म
तु ह बस इतना ही बता सकती ं क वो इतने ही समीप ह, जतने धरती पर चलते
ई र।’
मनु उसक बात से हैरान नह था। उसने यह सब वयं अनुभव कया था। तारा
थोड़ी शंकालु थी, उसे यह सब अ तशयो पूण वणन लग रहा था।
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नवासी ह। कुछ कहते ह क मथक य समु -दै य, लोक-नास, जो सैकड़
जहाज से भी बड़ा अजगर है, वो भी उनका पालतू सेवक है। म य ने एक बार
इस पवत क वशाल सेना से र ा क थी। जब अनेक घुड़सवार उनक तरफ
लपके, तो वे यु े म अकेले खड़े रहे थे, उनके लंबे बाल और मछली सा
प रधान हवा म फड़फड़ा रहे थे। म य ने बस मु कुराकर अपने दोन हाथ हवा म
उठा दए थे। मने यह अपनी आंख से दे खा था। सैकड़ घोड़े हन हना कर क
गए, अपने सवार को हवा म फकते ए, जो रण े म जमीन पर जाकर गरे।
वापस लौटने से पहले, घोड़ ने अपना सर म य के सामने झुका दया।’
‘म य ही समु ह।’
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म य के समझाने के बाद, सोमद ने तारा को सलाह द थी क वो मनु को न
बताए क दे वता जी वत था, और क अब या बन गया था। तारा ने इसका कड़ा
वरोध कया था। वो अपने मनु से कुछ नह छपाने वाली थी—उसके पता के
जी वत होने क खबर तो बलकुल भी नह । वो बस मनु क सुर ा क वजह से
बेमन से इस बात के लए सहमत हो पाई थी। वो जानती थी क अगर मनु को
ववा वन पुजारी के जी वत होने क खबर मलेगी, तो वो तुरंत अपने पता क
सहायता के लए दौड़ पड़े गा— जनक अब कोई सहायता नह क जा सकती
थी। वो बस इतना जानती थी क हड़ पा का सूय हमेशा के लए मृत हो चुका था।
जो बचा था वो का तल रा स था... और अगर मनु भी अपने सीने म बदले क
आग लए घूमेगा, तो वो भी वही बन जाएगा। मनु से यह सच छपाने के लए
उसने वयं को ता ड़त कया, ले कन उसके पास कोई वक प नह था।
मनु और तारा ने यान दया क म य उनक तरफ ही आ रहा था। नीले मछली
पी आदमी ने तारा को दे खा और मु कुराया। तारा क सांस वह क गई, जहां
थी और वो वैसे ही स मोहन म खड़ी रही, जैसे म य को पहली बार दे खकर मनु
को आ था। उसे वैसी शां त का अनुभव आ जो द मं दर के ांगन म होता
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है। वैसी शां त जो बचपन म उसने संजना क बांह म महसूस क थी। वो खुशी
जो मनु के लए उसका यार उसे दे ता था। उसे महसूस आ क उसने पहले भी
कह म य को दे खा था। या शायद हर जगह।
‘मेरे का जवाब दो, मनु। तो या आपको लगता है क आपके अपने सगे मामा
और तीन अंधे आद मय के साथ, एक म हला को मारने से, आपके अ भभावक
और पूवज आप पर और आपक बहा री पर ब त गव करगे?’
‘मुझे बताएं स य त, आपक मां आपसे या करने को कहत ... जदगी बचाने को
या जदगी लेने को?’ म य ने पूछा।
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‘और अगर आपके तशोध या सृ को बचाने के आपके दा य व के बीच
होता... तो वो या सुझाव दे त ?’
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बनारस, 2017
‘वो उनके अनुयायी थे’
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‘मुझे तु ह और भी कुछ बताना है। मेरी स यां भी शायद उस समय से
भावहीन हो गई थ , जब मने प म के तां क से यु कया था। रा स ने
न त प से मेरी सहायता क थी, य क इसका वचन उसने मुझे आधी सद
पहले ही दया था, ले कन उस अ या मक प र म ने अपना भाव डाला। म
बाला क काली आ मा को नह दे ख सका, जब क वो मेरे सामने ही था। मेरी
काल-श तब कहां चली गई थी, जब जट क पशाचनी ने हमारा यान
भटकाकर, बाला का वध कर दया? और अब, जब शायद हम मेरे जीवन का
आखरी यु लड़ने जा रहे ह, तो म भ व य दे ख ही नह पा रहा ं। म र बीज
अनु ान क व तृत जानकारी याद ही नह कर पा रहा ं। म नह जानता क म
तु हारे कसी काम आ भी पाऊंगा या नह , व ुत।’
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‘दे खो, नैना, इस बार हम सीधे उस रा स क गुफा पर हमला करने जा रहे ह।
उनक सं या अ धक होगी, और इस बार यह जंग सफ हाथ या ह थयार से नह
लड़ी जाएगी। ये ऐसी लड़ाई होगी, जो न तो तुमने, न मने ही कभी पहले लड़ी है।’
‘तुम मुझसे मजाक कर रहे हो, व ुत!’ उसने ख ता से जवाब दया। ‘यह मठ
मेरा घर है! म कसी भी ऐसी लड़ाई से बाहर नह रही ,ं जो मेरे प रवार, मेरे
बाबा... और तुमसे जुड़ी हो। तुम से... व ुत।’
‘हां, हां, हजार बार हां... म तुमसे यार करती ं व ुत,’ उसने फर से कहा,
मानो वो उससे अपने दल क कहानी सुनने के लए वनती कर रही हो। मानो वो
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उससे वो कहलवाना चाहती थी, जो वो पछले दो दशक से सुनना चाह रही थी।
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व ुत ने ह के से कंधे उचकाकर, भावहीन त या द ।
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
अं तम स तऋ ष
ववा वन पुजारी ने पहले असुर को, र न-मा से उसके उदर से लेकर सीने तक
तरछा चीर दया। फर बजली क सी तेजी से वो मुड़ा और सरे असुर का सर
धड़ से अलग कर दया, जब क तीसरे के सीने म पैर से जोरदार हार करते ए,
उसे कई फुट र पथरीली जमीन पर फक दया।
अगले कुछ मनट और चलने वाली लड़ाई म, दे वता ने वयं पर हमला करते दस
और सै नक को मौत के घाट उतार दया, ले कन यु म दे वता भी उनके वार से
घायल हो रहा था। पहले से ही घायल और खाल उतरे शरीर के साथ, दे वता और
घाव सहन नह कर सकता था।
सुरा कोई सामा य अ रोही नह था। अतीत म दे वता के हाथ परा जत हो चुका
था, ले कन वो आपस म ए संघष क बात थी। न ही उस समय दे वता शारी रक
प से इतना घायल था। ये दोन बात ववा वन पुजारी के व जा रही थ और
उसे हर दशा से वयं पर ए तलवार और भाल के वार को झेलना था।
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दे वता अचानक अपने आसपास मौजूद क ठनाइय के घेरे को तोड़ते ए पास क
च ान क तरफ दौड़ा। एक बेहतरीन और कुशल चाल के साथ, उसने एक पैर से
बड़े से प र पर छलांग लगाई, वहां से मुड़ा और च ान का उपयोग वयं को
उछालने के लए करते ए, उसने आकाशीय वार कया। वो छलांग काम आई
और र न-मा ने एक और असुर का सर फाड़ दया, जो दद से च लाता आ
तुरंत मृ यु को ा त हो गया।
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इसे उस अ न क भ म तपा लाओ, जो स तऋ षय के प व अवशेष से ध य
ई है—
वो ऐसा य था, जसे शायद धरती मां भी कभी भुला नह पाएंगी। पृ वी मनु य
और द ता का समागम कैसे भूल सकती थी? नय त को उसके अंजाम तक
प ंचाने म ई रीय सहायता को कोई कैसे भुला सकता था?
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घुसाए ए। उसक आंख बंद थ और ह ठ ाथना बुदबुदा रहे थे, श का
आ ान करते ए। तूफानी रात के अंधेरे म, वो वयं अ न क भां त नीला दखाई
पड़ रहा था।
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बनारस क बा सीमा, 2017
कालच
दल तैयार था। इसका नेतृ व वयं डमा टर कर रहे थे। इस दल म बलवंत, सोनू,
ानंद और मठ के कुछ चु नदा सौ यो ा थे...
...और व ुत।
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वो गहरे नशे म लग रहे थे। य शाला के बाहर, काली, अमाव या क रात म, पहरे
पर खड़े ए तां क सुर ाक मय को बड़ी सहजता से हटा दया गया। ोफेसर
पाठ सही कह रहा था। वो लोग वा तव म कसी गहरे नशे म लग रहे थे।
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‘डा कनी,’ व ुत ने शां त से कहा।
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क इस सं ाम म काफ र पात होने वाला था। मठ के यो ा अब काली ताकत
से लोहा लेने को तैयार थे।
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‘म आपके पास वापस आऊंगा, बाबा... म वादा करता !ं म आपके पास वापस
आऊंगा!’
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
स य त मनु
अंध अनुसरण।
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‘हड़ पा का अ त व अब कुछ घंट से अ धक नह रहेगा। कल, रात के अंधेरे म,
र -धारा सम नगर को नगल जाएगी।’
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केवल ववा वन और संजना ही ऐसे पु का पालन कर सकते थे, जो सरे
मनु य म े है।
मनु य क अबाध इ ा।
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तय हो गया था, मनु, सोमद , तारा और पवत-संर क म से कुछ चु नदा तुरंत
हड़ पा के लए ान करने वाले थे। अगर वे बना के बढ़ते रहे, तो वो कुछ ही
घंट म शा पत महानगर के ार तक प ंच जाएंगे। अगर वे तुरंत ही नगर खाली
करवाने म कामयाब रहे, तो कुछ जद गय को बचाया जा सकता था।
कम से कम अभी के लए तो।
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‘मुझे बताओ, मनु... स य त का या अथ है?’
आप ही अकेले स य त ह गे।’
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बनारस क बा सीमा, 2017
सैकड़ हवन कुंड
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एक पल को एक- सरे को दे खा और फर ोफेसर पाठ को, जो एक जी वत
लाश लग रहा था।
लाश।
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उसक आंख मृतक नाथ— जट कपा लक को तलाश रही थ ।
व ुत खामोश रहा।
व ुत यु - मुख क ओर मुड़ा।
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दे वता ने केवल एक नाम लया। शायद प मी नया का सबसे भयानक नाम।
और फर व ुत ने उ ह दे खा।
दो पशा चनी। उनक नजर दे वता पर टक थ । वो उसी तरह भारी सांस ले रही
थ , जैसे व ुत ने पहली बार उ ह दे खा था।
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व ुत ने गु से से अपने दांत भ चे और मसान-राजा क तरफ बढ़ा। तभी ोफेसर
पाठ ने दे वता क बांह पकड़कर, उसे रोक लया।
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
हड़ पा का दे वता
मरने के लए।
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ववा वन पुजारी क तलवार क े ता क धरती पर कोई तुलना नह थी। दे वता
को रा स-राजा और उसके सपा हय को मारने म कुछ ही पल लगे। सफ एक
ही असुर अभी तक खड़ा था, वो था चंड, जसने सुरा क ू रता को भी रोकने
क को शश क थी।
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हम जदगी का ब मू य उपहार दया। ले कन मेरी मु का और कोई माग नह
है। इसके लए कोई कम सजा नह द जा सकती। अगर हो सके तो मुझे मा
कर दे ना, ओ द ऋ ष।
इसके साथ हड़ पा के ाकुल सूय ने अपनी कृपाण क नोक अपने पेट पर लगा
द । चंड इस पूरे घटनाकम का सा ी था। वो स मोहन और भावना म इतना
जड़ हो गया था क कुछ भी कहने या करने लायक नह बचा था।
दे वता ने अपनी आंख बंद क और अपने हाथ कृपाण के मूंठ पर रखे। उसने भु
के स मुख अं तम ाथना बुदबुदाई।
ववा वन पुजारी अपने घुटन पर ढह गया और उसने अपने हाथ अपनी जंघा
पर रखे। उसने अपनी आंख बंद करके आभार जताया। इस भयानक रात म ये
पहली बार आ था, जब उसने स तऋ ष क वही पहले वाली प र चत, सौ य
आवाज सुनी थी।
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‘तुमने स तऋ षय को नह मारा है, ववा वन। कोई उ ह नुकसान कैसे प ंचा
सकता है, जो वयं सृ म से ही एक ह ? जैसे ही तुमने यहां कदम रखे, तु हारे
अंदर के दे वता ने भांप लया था क हमारे जीण होते शरीर म हम नह थे। तुम
सही थे। स तऋ ष अना द, अन र ह... और अब हम काले मं दर के क म
रहगे, जो हमारी साधना से नीले काश से व लत ह गे। अब हमारी आ माएं
नए, द शरीर म रहगी। और तु हारा पु , स य त मनु, अब हमारे साथ रहेगा।’
पहाड़ से आती गरज क आवाज अब दखाई दे ने लगी थी। एक वराट भू- खलन
नद क तरफ बढ़ रहा था। छोटे -छोटे प र पहले ही भारी वषा के साथ सब
जगह बरस रहे थे।
‘जो कहा जा चुका है, उसे वापस नह लया जा सकता, ओ दे वता! अ भशाप
वापस नह होता। ले कन मुझे, अं तम मु न को बचाकर तुमने अपने दय क
नेक , अपनी आ मा क अ ाई का प रचय दया है। तो म इस ऋण को
चुकाऊंगा, हड़ पा के सूय। तु हारा पु , स य त मनु, अ भशाप से अछू ता रहेगा।
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और तु हारे वंशज भी महानता हा सल करगे, ले कन अ भशाप क वजह से—उन
सबक मौत ब त हसक होगी! वो तब तक काले मं दर के संर क रहगे, जब तक
तु हारा वापस पृ वी पर आने का समय नह हो जाएगा।
‘तु हारा नाम अमर हो जाएगा, ववा वन पुजारी। अब से हजार साल बाद, तुम
फर से ज म लोगे—उस महान नय त को पूरा करने के लए, जो इस ह पर
आने वाले कसी भी सरे से अ धक महान होगी।
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ओ महान दे वता, इसके लए तु हारा ही चयन कया गया है।’
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बनारस क बा सीमा, 2017
पाताल
गुफा के सरे कोने म दे वय —मां काली, मां बगलामुखी, मां मशान तारा और
अ य —क वशाल तमाएं लगी थ । मसान-राजा जानता था क मौत क प र ध
म कोई भी अनु ान श के इन अवतार के आशीवाद के बना नह हो सकता।
व ुत को तुरंत महसूस हो गया क जट या बड़ी गलती कर रहा था।
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नकलती गम असहनीय थी, और वहां का सम े ही तप रहा था। व ुत ने
यान दया क ग े म केवल कोयले ही नह भरे थे। जैसे ही उसे उस ग े म मानव
अंग और ह यां दखाई द , तो उसे उबकाई आने को ई। उसे अहसास आ क
वहां क हवा वा तव म इंसानी मांस के जलने क बू से गमक रही थी।
अगर पृ वी पर कोई नक था, कोई पाताल था, तो व ुत वहां कदम रख चुका था।
पशा चनी।
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व ुत ह के से दौड़ता आ आगे बढ़ा। जस ग त से वो आगे बढ़ा, उससे अघोरी
एकदम हैरान रह गए। सैकंड से पहले ही दे वता ने छलांग लगाकर, एक भारी-
भरकम हरी के सीने पर वार कया। इससे पहले क सरे अघोरी अपने ह थयार
उठा पाते, व ुत ने सरे हरी के सर पर ए रयल कक लगा । दोन आदमी
तड़पते ए धरती पर जा गरे।
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व ुत अब जान गया था क महा-तां क या कर रहा था। वो दोन ह या रन के
शरीर म डा क नय को बुला रहा था। अगर वो सफल रहा, तो व ुत भी उनके
दानवीय हार का सामना नह कर पाएगा।
‘ॐ बीजं;
नमः श ;
शवाये त क कम...’
दोन भयावह पुंज वरोध म च लाने लगे। उनक चीख इतनी ककश थी क सोनू
डर से कांपते ए अपने घुटन पर बैठ गया। उसने अपनी हथे लय से अपने कान
ढं क लए और डा क नय पर से नजर हटा ली।
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व ुत को अपना सर दो भाग म बंटता आ महसूस आ। दद असहनीय था
और उसे धुंधला सा दख रहा था। दे वता ने अपने दोन हाथ से अपना सर पकड़ा
आ था। उसक उं ग लयां तुरंत ही उसके अपने र म भीगने लग , जो उसके
सर पर ए गहरे ज म से नकल रहा था। बेहोश होकर गरने से पहले वो ये
दे खने के लए मुड़ा क उसके सर पर लगा या था।
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हड़ पा के पूव म, 1700 ईसापूव
मनु क नाव
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म य जानता था क अब सबको वो बताने का समय आ गया था, जो वो पहले ही
सं त प से मनु को बता चुका था।
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उ ह दे खकर मनु अवाक रह गया।
सात सं यासी इस मूसलाधार बरसात म, बना हले, ऊंचे पवत पर यान म बैठे
थे। उनसे नम नीला काश नकल रहा था। च ान पर पड़ती बजली क चमक म
मनु इतना तो दे ख सकता था क ये मु न युवा श ु से अ धक नह थे, वो
शायद उससे भी कम उ के थे! वो बेहद शांत और सुकून म थे। उनक वचा
इतनी तेजमयी थी, मानो उनक उ प कसी द कोख से ई हो।
वो द थे।
मनु म य क ओर मुड़ा।
ले कन म हमेशा र ंगा।’
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म य अब एक ती , ऊंची च ान पर खड़ा था। उसक पृ भू म म नमम
आसमान दखाई पड़ रहा था। मनु, तारा, सोमद और सरे ब त से लोग वहां
उसक बात सुनने के लए एक थे।
हवा हसक तरीके से मछली- जा त के मुख को हला रही थी। उसके खुले केश
और ढ ले कपड़े हवा म लहरा रहे थे। बा रश म भीगा आ, रह यमयी
अपनी बांह, अपने दोन तरफ फैलाए खड़ा था। उसने अपना चेहरा उठाकर ऊपर
आसमान म दे खा, और चमकती बजली ने एक बार फर इस द व का
अ भवादन कया। बजली क सफेद चमक के बीच म य का नीला काश अ त
जान पड़ रहा था।
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तुम इस संसार का पुन नमाण करोगे, स यता को फर से बसाओगे और कालच
को चा लत रखोगे।
यह लय का सामना करेगी।
यह सृ को बचाएगी!’
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हड़ पा, 1700 ईसापूव
ववा वन पुजारी
मूसलाधार बरसात के बीच वो इंसान वयं से ही कुछ बड़बड़ाए जा रहा था, मानो
उस पर कोई दै वीय श का भाव हो, और साल क साधना और वै दक
अनुशासन से ा त क श के हर कण को वो इस काय म झ क रहा था। मोट
र सी पर वो ती ता से हार कए जा रहा था, इसम उसक उं ग लयां भी बुरी तरह
से छल गई थ और उनसे र बह रहा था। जब वो और सांस नह ले पाया तो
अपना सर पीछे कर आसमान क तरफ दे खने लगा। बा रश क मोट बूंद उसके
चेहरे पर थपेड़े क तरह पड़ रही थ । जब बेरहमी से गरते उस पानी ने उसक
पलक से क चड़ हटा द तो लंबी आह भरकर वो आसमान चीर दे ने वाली आवाज
म च लाया। शायद यह उसक हाल म कलं कत ई आ मा क भगवान के
सामने अपनी पीड़ा रखने क को शश थी। ले कन वह जानता था क ब त दे र हो
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चुक थी। भगवान भी उसके कृ य से आतं कत थे और उसे माफ नह करने वाले
थे। ना ही कोई और उसे माफ करने वाला था।
शु आत हो चुक थी।
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वो जड़ खड़ा आ उसी दशा म दे ख रहा था, जहां से वकराल प धरे ए
उसक मां कट होने वाली थी। वो जान गया था। वो जानता था क उस हवन
कुंड म पहली आ त उसी के र क गरने वाली थी। अचानक, वह उसके त
सहज हो गया।
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पवत के सामने एक छोट सी च ट क तरह महसूस कर रहा था, मातृ व प नद
क आसमान जतनी ऊंची, सूनामी क लहर उसे नगलने से बस कुछ ही पल र
थी।
ववा वन पुजारी पछले कुछ दन म अपने माग से भटक गया था। तशोध क
अंधी आग म उसने जीवन भर क चमक को गंवा दया था। ले कन वह था तो
ववा वन पुजारी ही। एक दे वता! सरे व त यो गय क तरह ही उसने तुरंत
अपनी आ मा को अपनी कुंड लनी म एका कया, अपनी धड़कन को थामा और
अपने न र शरीर को मृ यु के लए तैयार कया। जल म हमेशा के लए समा जाने
से पहले उसने अपने मन म, शां त से अं तम ाथना बुदबुदाई।
पानी क वनाशकारी लहर ने दे वता ववा वन पुजारी को नगल लया, जैसे कोई
वशालकाय हाथी पैर तले मसलकर सूखी टहनी का अ त व ही ख म कर दे ता
है। भगवान, र रं जत नद , काली रात, इं क गजना, नजन भू म का व तार
और बेरहमी से पड़ती बा रश उस महान आदमी के अंत के मूक सा ी बने। ले कन
ववा वन पुजारी क मौत का भाव इस धरती से यूं ही नह मटने वाला था। यह
तो शु आत थी। वह नफरत, छल, ष ं और हसक झड़प म हजार साल तक
जी वत रहने वाला था। सफ आयवत ही नह , ब क संपूण पृ वी पर ई र के
नाम पर चलने वाली मार-काट म उसका भय ल त होना था। उसक मौत या
इंसानी प भी उसे इस अ भशाप से मु नह करने वाला था।
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बनारस क बाहरी सीमा, 2017
दे व-ब ल
उसे ऐसा लग रहा था मानो वो हवा म तैर रहा था, नीचे दखती अ न उसक वचा
को झुलसा रही थी।
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‘दे खो... इस दे वता को दे खो!’ उस ग े के आसपास घूमते ए, जट कपा लक
ने व ुत का मजाक बनाते ए कहा। ‘ या इसी दे वता से वो गोरी-चमड़ी वाले
लोग इतना डर रहे थे?’
‘उ ह जाने दो, जट...’ व ुत ने कहा, उसक आवाज दद से कांप रही थी। ‘तुम
ाचीन अघो रय के नाम पर ध बा हो। तुम अ या मक दशन अघोर का अपमान
हो। स े अघोरी तां क भु के साधक होते ह, द ा ेय के भ , और वो
आशीवाद दे ते ह। वो नयावी माया का याग करके, स य क खोज म रत होते
ह। मसान-राजा, तुम तो अघोरी हो ही नह ! तुम स े तां क नह हो! तुम मुझे
ही चाहते थे न। तो अब मुझे मार दो... ले कन उ ह जाने दो।’
महा-तां क ने धीरे-धीरे अपनी आंख बंद करके, सर ऊपर उठाया, मानो काली
ताकत के स मुख कोई ाथना बुदबुदा रहा हो। कुछ पल बाद उसने अचानक
अपनी आंख खोल द । उसके राख पुते चेहरे से व त ू रता और स ा क
ललक टपक रही थी। उसने व ुत क ओर संकेत कया।
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‘ जट... यही सुनहरा अवसर है,’ ानंद ने कहा। ‘हमारे अनु ान म अभूतपूव
ताकत जोड़ने का।’
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व ुत जानता था क उसके पास समय कम था। उसने फर से जंजीर ख ची, इस
बार अपना पूरा बल लगाकर। उसके सीने क मांसपे शयां लोहे के तार के समान
खच रही थ और उसके ताकतवर हाथ क नस फटने को तैयार थ । दे वता के
अधीर संघष को दे ख सोनू और बलवंत स मो हत थे, जो इस परा म को अपने
नम और आशावान ने से दे ख रहे थे।
व ुत वा तव म दे वता था।
जैसे ही उसने जंजीर ख चकर, गरती द वार से अपने दा हने हाथ को आजाद
कराया, व ुत ने अंगार सी लाल आंख से जट कपा लक को घूरा। महा-
तां क अब अ व ास से कांप रहा था।
म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’
मश:...
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मश:...
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𝐈𝐍𝐃𝐈𝐀𝐍 𝐁𝐄𝐒𝐓 𝐓𝐄𝐋𝐄𝐆𝐑𝐀𝐌 𝐄-𝐁𝐎𝐎𝐊𝐒 𝐂𝐇𝐀𝐍𝐍𝐄𝐋
(𝑪𝒍𝒊𝒄𝒌 𝑯𝒆𝒓𝒆 𝑻𝒐 𝑱𝒐𝒊𝒏)
सा ह य उप यास सं ह
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
𝐶𝑙𝑖𝑐𝑘 𝐻𝑒𝑟𝑒
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