�चह्न का प्रय वाक् म� �कया जाता है , उन्ह ‘�वराम �चह्’ कहते ह�। इससे वाक्-�वन्या और भाव� क� अ�भव्यिक म� स्पष्ट आ जाती है और स�दयर भी बढ़ जाता है ।
‘�वराम’ का अथर है - “रुकन” या ठहरना|
�हन्द म� प्रच� प्म र �वराम �चह् �नम्न�ल�ख ह�
• पूणर �वराम (।)
• अल्प�वरा (,) • अदध�वराम ् (;) • प्र वाचक �चह् (?) • �वस्मया�दबोध �चह् (!) • योजक (-) • लाघव �चह्न (०) • �ववरण �चह् (:-) • �नद� शक (डैस) (– ) • उद्ध �चह् ( ‘’ ) ( “ ” ) • कोष्ठ (( )) • हं सपद ( /\ ) पूणर �वराम �चह् - सामान् कथन वाले सभी प्रक के वाक्य – सरल, संयुक् और �मश के अंत म� पण ू र �वराम का �चह् लगाया जाता है । जैसे – (क) राम अच्छ लड़का है ।
अल् �वराम �चह् - जहाँ थोड़ी सी दे र रुकनापड़े, वहाँ अल्
�वराम �चह् का प्रयोग करतह�। जैसे – �दल्ल, मम ु ्ब, चेन्न और कोलकाता भारत के बड़े शहर ह�। अद्धर् �वर�चह् - जहाँ अल्प �वराम क� अपे�ा कुछ अ�धक दे र तक रुकना पड़, वहाँ अद्धर् �वराम का प्रयोग ह�। जैसे – सय ू ार्स्त हो ग; ला�लमा का स्थान का�लमा ने ले �लया। �वस्मया�दबोध / सम्बोधनसूच �चह् - हषर, �वषाद, घण ृ ा, आश्चय, भय, प्राथर आ�द शब्द, पदबंध�, उपवाक्य तथा वाक्य के अंत म� लगाया जाता है । जैसे - आह ! उसे �कतनी पीड़ा हो रह� है । प्र वाचक �चह् - प्रश्न वा�चह् का प्रयोग वाक्य� के म� �कया जाता है । य�द एक ह� वाक् म� कई प्रश्नस उपवाक् ह� तो परू े वाक् क� समािप् पर ह� प्रश्नस �चह् लगाया जाता है । जैसे – तम ु ्हार क्य नाम है और तमु क्या करते ह?
योजक �चह् - सामा�सक पद� या पुनरुक और युग् शब्द के मध्
यह �चह् लगाया जाता है । जैसे – भारत-रत्, घर-घर, सुख-द ुख। लाघव �चह् - �कसी बड़े शब्द को सं�ेप म� �लखने के �लए कुछ अंश �लखकर लाघव �चह् लगा �दया जाता है । इसको सं�ेपण �चह् भी कहते ह�। जैसे –डॉक्टर के �लए- डॉ० और इंजी�नयर के �लए- इंजी०।
�ववरण �चह् - �ववरण �चन् का प्रयोग वाक्यांश के �वष
म� कुछ सचू क �नद� श आ�द दे ने के �लए �कया जाता है । जैसे – इस दे श म� बड़ी - बड़ी न�दयाँ �नम्न ह�:- �नद� शक �चह् - यह योजक �चहन से थोड़ा बड़ा होता है । वाक्याश तथा वाक्य के बीच इसका प्रय होता है । �कसी कथन के पहले ।�कन्ह� वस्तुओ , काय� आ�द का ब्योर दे ने म� । जैसे – वह �नम्न�ल�ख सामान लाया – मसाले, दाल� , फल, मरु ब्ब, चटनी और अचार। उदधरण �चहन - इसके दो रू ह� – इकहरा ‘..’ और दोहरा “..” ।
क�व या लेखक का उपनाम , पाठ� का शीषर् , पुस्त/समाचार-पत
आ�द का नाम �लखने म� इकहरे अवतरण �चह् का प्रय होता है । जैसे – सय ू ्कां र �त्रपा ‘ �नराला ’ ने ‘ प�रमल ’ ग्र क� रचना क�।
लेखक या वक्त के कथन को ज्य का त्य �लखने के �लए दह ु रे
अवतरण �चह् का प्रय होता है । जैसे – प्राचा ने कहा, “ �वदया�थर्य को अनुशासन मे रहकर अध्यय करना चा�हए।” कोष्ठ �चहन - कोष्ठक �चन का प्रयोग अथर् को अ�धक स्पष्करने के �लए शब्द अथवावाक्यांशको कोष्ठकके अन्दर �लखकर�कया जाता है । जैसे – �वश्वा�मत(क्रोध म� काँपते ह) ठहर जा।
हं सपद �चह् - �लखते समय कोई शब् छूट जाने क� िस्थ� म�
संबं�धत स्था पर हं सपद लगाकर छूटे शब् को ऊपर या हा�शए म� �लख �दया जाता है । �क जैसे - रमेश ने राजू से कहा /\ तम ु घर चले जाओ। कायर् पत् �नम्न�ल�खत�वराम �चन्ह� के सह� नाम �ल�खए- क) ? ख) , ग) - �नम्न�ल�खत वाक्य म� से सह� �वराम �चन्ह यु वाक्य को�ल�खए| [क] सोहन, मोहन, वेदांत और राम मेला दे खने गए है | [ख] सोहन मोहन वेदांत और राम मेला दे खने गए ह� | [ग] सोहन मोहन वेदांत और राम मेला दे खने गए ह�|
�वराम �चन्ह� के कोई चार प्रकार �ल�ख
दो �वपर�ताथर्क शब्द� के बीच �कस �चन्ह का प् होता है ? जब दो संयुक्त �क्रयाएँ एक साथ प्रयुक्त ह� - सा �चन्ह लगाया जाता ह? पणू ्�वराम के बाद सवार्�धक प्रयुक्त र होने वाला � �चह् कौन सा है ? �नद� शक �चह्न या रे�खका का प्रय�कस �लए �कया जाता है ? ‘बालक स्कूल से कब आय’ म� उ�चत �वराम �चह्न का प्रयोक�िजए �नद� शानस ु ार उत्तर �ल�ख- ( ‘---’) इस �वराम �चह्न का नाम क्या ? �नम्न�ल�खत वाक्य� म� उ�चत स्थान� पर �वर �चह्न लगाइ- क) वह बोला अहा कैसा सुंदर दृश्य ह ख) गांधीजी ने कहा है सत्य ह� ईश्वर ह ग) म�ने पछ ू ा आपने क्या काम �कया घ) गुरूजी ने पूछा कल कौन कौन जाएगा समाप्