Professional Documents
Culture Documents
रहीम के दोहे(प्रसंग सहित) (1)
रहीम के दोहे(प्रसंग सहित) (1)
kiv pircy
Rयहीभ का ऩयू ा नाभ अब्दर ु यहीभ
(अब्दयु रहीभ) खानखाना था। इनका
जन्भ 17 ददसम्फय 1556 को राहौय
भें हुआ। मे फैयभ खाॊ के ऩुत्र थे। यहीभ
अकफय के नवयत्नों भें से एक थे औय
अकफय के दयफाय भें इनका भहत्त्वऩण ू र
स्थान था। यहीभ भध्ममग ु ीन दयफायी
सॊस्कृतत के प्रतततनधध कवव थे।
यहीभ ने अऩने अनुबवों को सयर औय
सहज शैरी भें प्रस्तुत ककमा।प्रस्तुत
दोहों भें यहीभ जी ने हभें नीतत व ऻान
का अनभोर ऩाठ ऩढ़ामा है ।
रहहमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फपर ना ममऱे, ममऱे गाॉठ ऩरर जाय॥
• प्रस्तत
ु ऩॊश्ततमों भें कफीय दास जी कहते हैं कक
वह कीचड़ का थोड़ा-सा ऩानी बी धन्म है , जो
कीचड़ भें होने के फावजूद बी ना जाने ककतने
कीड़े-भकौड़ों की प्मास फुझा दे ता है । वहीीँ दस
ू यी
ओय, सागय का अऩाय जर जो ककसी की बी
प्मास नहीॊ फझ ु ा सकता, कवव को ककसी काभ का
नहीॊ रगता। महाॉ कवव ने एक ऐसे गयीफ के फाये
भें कहा है , श्जसके ऩास धन नहीॊ होने के फावजूद
बी वह दस ू यों की भदद कयता है । साथ ही एक
ऐसे अभीय के फाये भें फतामा है , श्जसके ऩास ढे य
साया धन होने ऩय बी वह दस ू यों की भदद नहीॊ
कयता ऩॊक- kml उदचध - sagr
नाद रीझझ तन दे त मग
ृ , नर धन दे त समेत।
ते रहीम ऩशु से अचधक, रीझेहु कछू न दे त॥