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15492182f586-1_gs_pre_test_4329_e_2024 (1)
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ANSWERS & EXPLANATIONS
GENERAL STUDIES (P) TEST – 4329 (2024)
Q 1.B
● स्मृतियों ने तिगि दो हजार िर्षों के दौरान हहिंद ू जीिन शैली में अत्यिंि महत्िपूर्ण भूतमका तनभाई है।
● ये स्मृतियािं धार्मणक किणव्यों, प्रथाओं, कानूनों और सामातजक रीति-ररिाजों को पररभातर्षि करिी हैं। सामान्य िौर पर, स्मृतियों
को धमणसत्र
ू ों के तिस्िाररि और समकालीन सिंस्करर् के रूप में माना जा सकिा है। धमणसत्र
ू ों में छठी शिाब्दी ई. पू. से िीसरी
शिाब्दी ई. पू. िक के घटनाक्रम शातमल हैं।
● इसके ित्काल बाद ही स्मृतियों की रचना आरिं भ हो गई थी िथा रचना का यह कायण लगभग आठ सौ िर्षण या उससे भी अतधक
समय िक जारी रहा।
● मानि धमणशास्त्र या मनुस्मृति न के िल इस िगण की सबसे प्राचीन कृ ति है बतकक सबसे प्रतसद्ध भी है और आज भी पूरे भारि में
इसका अनुसरर् ककया जािा है।
● इसकी रचना लगभग पहली शिाब्दी ई. पू. में हुई थी। इसके अलािा, कु छ अन्य महत्िपूर्ण स्मृतियों में नारदस्मृति, तिष्र्ुस्मृति,
याज्ञिक्यस्मृति, बृहस्पतिस्मृति और कात्यायनस्मृति शातमल हैं।
● ये सभी समकालीन समाज के कानून और सामातजक रीति-ररिाजों की जानकारी प्रदान करने िाले अत्यिंि महत्िपूर्ण स्रोि हैं।
इन स्मृतियों को दैिीय उत्पति का घोतर्षि ककया गया था।
● दूसरी शिाब्दी ई. पू. में पििंजतल द्वारा रतचि ‘महाभाष्य’ व्याकरर् के क्षेत्र में सबसे उत्कृ ष्ट कृ ति है, यह पातर्तन की अष्टाध्यायी
पर तलखी गई एक रटप्पर्ी है। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● पििंजतल के बाद, सिंस्कृ ि व्याकरर् का तशक्षर् कें द्र दक्कन में स्थानािंिररि हो गया, जहािं पहली शिाब्दी ईस्िी में काििंत्र
तिचारधारा तिकतसि हुई।
● हाल नामक साििाहन शासक के एक प्रतितिि दरबारी तिद्वान सिणिमणन ने कािन्त्र व्याकरर् की रचना की थी। यह एक सिंतक्षप्त
और उपयोगी कृ ति थी जो लगभग छह महीने में सिंस्कृ ि सीखने हेिु सहायिा प्रदान करिी थी। इसतलए कथन 2 सही है।
● हाल ने प्राकृ ि भार्षा में एक महान काव्य कृ ति गाथा सप्तशिी की भी रचना की। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
● अश्वघोर्ष उस काल के एक महत्िपूर्ण सातहत्यकार थे। िह न के िल एक नाटककार और कति थे बतकक एक महान बौद्ध दाशणतनक
भी थे।
● उन्होंने सौन्दरानिंद, बुद्धचररि, िज्रसूची और कई अन्य कृ तियों की रचना की थी। बुद्धचररि में बुद्ध की सिंपर्
ू ण जीिनी महाकाव्य
के रूप में तलखी गई है।
Q 2.B
● मनसबदारी व्यिस्था भारि में मुगलों द्वारा तिकतसि एक अनूठी प्रशासतनक व्यिस्था थी। इसे मुगल सम्राट अकबर ने अपने
शासन काल के उन्नीसिें िर्षण में आरिं भ ककया था। अिः कथन 1 सही नहीं है।
● मनसबदार शब्द उस व्यति के तलए प्रयुि होिा है, तजन्हें कोई मनसब यानी कोई सरकारी हैतसयि अथिा पद तमलिा था। यह
मुगलों द्वारा चलाई गई श्रेर्ी प्रर्ाली थी तजसके ज़ररए (क) जाि या रैंक; (ख) िेिन और सिार या सैन्य उिरदातयत्ि तनधाणररि
ककए जािे थे। मनसबदार सैन्य कमािंडर, उच्च नागररक और सैन्य अतधकारी थे।
Q 3. B
● गुजणर-प्रतिहार राजििंश ने 8िीं शिाब्दी के मध्य से 11िीं शिाब्दी िक उिरी भारि के अतधकािंश तहस्सों पर शासन ककया था।
उन्होंने सिणप्रथम उज्जैन और कफर कन्नौज पर शासन ककया। राजििंशीय सिंघर्षण से गुजरण -प्रतिहार ििंश की शति कमजोर हो गई
थी। राष्ट्रकू ट शासक इिं द्र िृिीय के नेिृत्ि में एक शतिशाली आक्रमर् के पररर्ामस्िरूप इनकी शति और भी कमजोर हो गई।
इिं द्र िृिीय ने 916 में कन्नौज को लुट तलया था। साथ ही, अप्रभािी शासकों के उिरातधकार के कारर्, राजििंश अपने पूिण प्रभाि
को कभी पुनः प्राप्त नहीं कर पाया।
)
om
● प्रतिहार, कई राजपूि राज्यों में खिंतडि हो गए। इनमें तनम्न शातमल हैं:
l.c
○ कन्नौज का गढ़िाल ििंश एक राजििंश था। यह 11िीं और 12िीं शिाब्दी के दौरान ििणमान उिर प्रदेश और तबहार के कु छ
ai
gm
तहस्सों पर शासन करने िाला एक प्रमुख राजपूि राजििंश था। उनकी राजधानी गिंगा के मैदानों में बनारस में तस्थि थी।
5@
1
○ परमार राजििंश एक राजपूि राजििंश था। इसका उदय कन्नौज के प्रतिहार साम्राज्य के अिशेर्षों पर हुआ था। इस राजििंश
ys
(ja
ने 9िीं और 14िीं शिाब्दी के बीच मालिा क्षेत्र/ मध्य भारि पर शासन ककया था।
hu
Sa
○ कदकली और अजमेर के चौहान भी राजपूि राजििंश थे, तजन्हें शाकिं भरी के चाहमानों के रूप में भी जाना जािा है। उन्होंने
ar
h
○ तत्रपुरी का कलचुरर राजििंश एक मध्यकालीन भारिीय राजििंश था। इस राजििंश ने 10िीं-12िीं शिाब्दी के बीच ििणमान
fo
ed
○ जेजाकभुति का चिंदल
े ििंश मध्य भारि के क्षेत्रों पर शासन करने िाला एक अन्य राजपूि राजििंश था। चिंदेलों ने 9िीं और
rs
pe
Q4.D
● मौयण राज्य कृ र्षकों की भलाई के तलए हसिंचाई और तितनयतमि जल आपूर्िण की व्यिस्था करिा था। मेगस्थनीज हमें बिािा है कक
तमस्र की भािंति ही मौयण साम्राज्य में भी अतधकारी जमीन को मापिा था और उन नहरों का तनरीक्षर् करिा था तजनसे होकर
जल छोटी नहरों में पहुिंचिा था। इसतलए कथन 1 सही है।
● मौयण कालीन सामातजक व्यिस्था का प्रमुख तिकास दासों को कृ तर्ष कायण में सिंलग्न करना था। मेगस्थनीज का कहना है कक उसने
भारि में ककसी भी दास को नहीं देखा। लेककन इस बाि में कोई सिंदेह नहीं है कक भारि में गृहदास िैकदक काल से ही पाए जािे
थे।
Q 5.D
● मुग़ल काल के भारिीय-फारसी स्रोि ककसान के तलए सामान्य िौर पर रै यि ( बहुिचन, ररआया) या मुजररयान शब्द का
इस्िेमाल करिे थे। साथ ही, हमें ककसान या आसामी जैसे शब्द भी तमलिे हैं।
● सत्रहिीं शिाब्दी के स्रोि दो प्रकार के ककसानों का उकलेख करिे हैं - खुद-काश्ि और पातह-काश्ि।
○ खुद-काश्ि िे ककसान थे जो उन्हीं गााँिों में रहिे थे तजनमें उनकी जमीनें थीं। पातह-काश्ि िे कृ र्षक थे, जो दूसरे गााँिों से ठे के
पर खेिी करने आिे थे।
○ लोग अपनी मजी से भी पातह-काश्ि बनिे थे- (मसलन, अगर करों की शिें ककसी दूसरे गााँि में बेहिर तमलें) और मजबूरन
भी (जैसे कक, अकाल या भुखमरी के बाद आर्थणक परेशानी से)।
● उिर भारि के एक औसि ककसान के पास शायद ही कभी एक जोड़ी बैल और दो हल से ज्यादा कु छ होिा था; अतधकािंश के
पास इससे भी कम सिंसाधन होिे थे।
)
om
● गुजराि में तजन ककसानों के पास 6 एकड़ के करीब ज़मीन थी िे समृद्ध माने जािे थे; दूसरी िरफ़ बिंगाल में एक औसि ककसान
l.c
की ज़मीन की ऊपरी सीमा 5 एकड़ थी 10 एकड़ जमीन िाले आसामी को अमीर समझा जािा था। खेिी व्यतिगि तमतककयि
ai
gm
के तसद्धािंि पर आधाररि थी। ककसानों की जमीन उसी िरह खरीदी और बेची जािी थी जैसे दूसरे सिंपति मातलकों की।
5@
1
Q 6.C
hu
Sa
● सिंि शिंकरदेि असम में पिंद्रहिीं शिाब्दी के अिंि में एक प्रमुख िैष्र्ि भति सिंि के रूप में उभरे । उनकी तशक्षाओं को प्रायः
ar
h
भगििी धमण के रूप में जाना जािा है। यह श्रीमद्भगिद्गीिा और भागिि पुरार् पर आधाररि थीं तजसके अिंिगणि इष्ट देि यथा
us
rT
तिष्र्ु के प्रति पूर्ण समपणर् का आह्िान ककया गया था। इसतलए कथन 1 सही है।
fo
ed
● उन्होंने नाम कीिणन, सत्सिंग या पतित्र भिों की मिंडली में भगिान के नामों के पाठ करने की आिश्यकिा पर बल कदया। उन्होंने
is
al
on
आध्यातत्मक ज्ञान और नाम घर या प्राथणना कक्षों के प्रसारर् के तलए सत्र या मठों की स्थापना को भी प्रोत्सातहि ककया। इनमें से
rs
pe
कई सिंस्थाएिं और प्रथाएिं इस क्षेत्र में फल-फू ल रही हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में कीिणन-घोर्ष शातमल है। इसतलए कथन 2 और 3
s
ti
सही हैं।
en
m
cu
do
Q 7.C
is
Th
● मौयों के उत्कर्षण के पूिण की दो सकदयों में मगध साम्राज्य के तिकास का दौर समकालीन ईरानी साम्राज्य के दौर के सामान रहा।
● इस अितध में भारि में सबसे तिशाल राज्य की स्थापना हबिंतबसार, अजािशत्रु और महापद्म निंद जैसे कई साहसी एििं
महत्िाकािंक्षी शासकों के प्रयासों से हुई थी। इन्होंने अपने साम्राज्य का तिस्िार करने और अपने शासन को मजबूि करने के तलए,
उतचि और अनुतचि, सभी साधनों का प्रयोग ककया। हालािंकक, मगध के तिस्िार का यही एकमात्र कारर् नहीं था।
● लौह युग में मगध को इसकी भौगोतलक तस्थति का लाभ तमला ्योंकक लोहे के समृद्ध भिंडार राजगीर के समीपििी क्षेत्रों में ही
तस्थि थे। राजगीर मगध की प्रारिं तभक राजधानी थी।
○ समृद्ध लौह खतनज भिंडार मगध के समीप ही उपलब्ध होने के कारर् मगध के शासक स्ियिं को प्रभािशाली हतथयार से
सुसतज्जि करने में सक्षम थे। ये सिंसाधन इनके प्रतिद्विंतद्वयों को आसानी से उपलब्ध नहीं थे।
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● मगध के तलए कु छ अन्य अनुकूल पररतस्थतियािं भी उपलब्ध थी। मगध की दोनों राजधातनयािं, प्रथम राजगीर और तद्विीय
पाटतलपुत्र, सामररक दृतष्ट से अत्यिंि महत्िपूर्ण स्थलों पर तस्थि थी। राजगीर पािंच पहातड़यों से तघरा हुआ था इसतलए
ित्कालीन पररतस्थतियों में यह एक अभेद्य स्थल था।
● मगध, गिंगा के मध्य मैदानों में तस्थि था। यहािं से िनों को साफ करने के पिाि् जलोढ़ मृदा से युि एक तिशाल उपजाऊ क्षेत्र की
प्रातप्त हुई।
● सैन्य सिंगठन के मामले में मगध को तिशेर्ष लाभ प्राप्त था, हालािंकक भारिीय राज्य घोड़ों और रथों के उपयोग में अभ्यस्ि थे,
ककन्िु मगध अपने पड़ोसी राज्यों के तिरुद्ध युद्धों में हातथयों का िृहद पैमाने पर प्रयोग करने िाला पहला राज्य था। मगध के
शासकों को देश के पूिी भाग से हातथयों की आपूर्िण की जािी थी। ग्रीक स्रोिों से ज्ञाि होिा है कक निंद ििंश की सेना में 6000
हाथी थे।
● मगध का समाज गैर-रूकढ़िादी था। रूकढ़िादी ब्राह्मर्ों द्वारा यहााँ बसे ककराि और मगध लोगो को तनम्न कोरट का समझा जािा
था।
○ हालािंकक, िैकदक अथिा आयण लोगों के आगमन से यहािं जातियों का सुखद नस्लीय तमश्रर् हुआ। चूकिं क यह राज्य हाल ही में
आयीकृ ि (Aryanized) हुआ था, इसतलए काफी समय पहले िैकदक प्रभाि में आने िाले राज्यों की अपेक्षा मगध में
तिस्िार के तलए अतधक उत्साह था। इन सभी कारर्ों से मगध को अन्य राज्यों को परातजि करने और भारि में प्रथम
साम्राज्य की स्थापना करने में सफलिा तमली।
● इसतलए तिककप (C) सही उिर है।
Q 8.A
)
om
● कृ ष्र्ाट्टम के रल का लोकनाट्य है। यह 17िीं शिाब्दी के मध्य कालीकट के महाराज मनिेदा के शासन के अधीन अतस्ित्ि में
l.c
आया।
ai
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कृ ष्र्ाट्टम आठ नाटकों का िृि है, जो क्रमागि रूप में आठ कदन प्रस्िुि ककया जािा है। ये नाटक हैं- अििारम्, कातलयमदणन,
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●
1
● िृिािंि भगिान कृ ष्र् की थीम पर आधाररि हैं - श्रीकृ ष्र् जन्म, बाकयकाल िथा बुराई पर अच्छाई की तिजय को तचतत्रि करिे
ys
(ja
● मुतडयेट्टु के रल का पारिं पररक लोकनाट्य है। इसका उत्सि िृतिकम् (निम्बर-कदसम्बर) मास में मनाया जािा है।
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● यह प्रायः: देिी के सम्मान में के रल के के िल काली मिंकदरों में ही प्रदर्शणि ककया जािा है। इसतलए तिककप (a) सही उिर है।
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● यह असुर दाररका पर देिी भद्रकाली की तिजय को तचतत्रि करिा है। गहरे साज-हसिंगार के आधार पर साि चररत्रों का तनरूपर्
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होिा है- तशि, नारद, दाररका, दानिेन्द्र, भद्रकाली, कू तल, कोइतम्बदार (निंकदके श्िर)।
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Q 9.A
s
ti
● हातलया सिंदभण: माइक्रोसॉफ्ट ररसचण इिं तडया (Microsoft Research India) िेजी से लुप्त हो रही भार्षाओं को सिंरतक्षि करने
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● 'दुलभ
ण ' भारिीय भार्षाओं को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉमण पर उपलब्ध कराने के तलए, माइक्रोसॉफ्ट ने िर्षण 2015 में प्रोजे्ट एलोरा
is
Th
Q 10.B
● पाल राजििंश एक शतिशाली भारिीय राजििंश था। इस राजििंश ने 8िीं शिाब्दी ईस्िी से लेकर 12िीं शिाब्दी ईस्िी िक पूिी
भारि के कु छ तहस्सों पर शासन ककया था। पाल साम्राज्य की स्थापना सिंभिि: 750 ईस्िी में गोपाल ने की थी। 770 ईस्िी में
उसकी मृत्यु के पिाि् उसका पुत्र धमणपाल उिरातधकारी बना। धमणपाल ने 810 ईस्िी िक शासन ककया। धमणपाल को राष्ट्रकू ट
राजा ध्रुि से परातजि होना पड़ा। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● पाल शासक बौद्ध ज्ञान-तिज्ञान और धमण के महान सिंरक्षक थे। धमणपाल ने नालिंदा तिश्वतिद्यालय का पुनरुद्धार ककया और
तिक्रमतशला तिश्वतिद्यालय की स्थापना की जो नालिंदा के बाद दूसरे सबसे तिख्याि तिश्वतिद्यालय के रूप में उभरा। इसतलए
कथन 2 सही है।
● कन्नौज तििाद के पररर्ामस्िरूप धमणपाल और प्रतिहार राजा ित्सराज के बीच सिंघर्षण हुआ। बाद में, धमणपाल ने कन्नौज पर
पुनः कब्जा कर तलया और अपने जागीरदार चक्रायुध को शासक के रूप में तनयुि ककया। इसतलए कथन 3 सही है।
● इस कदम ने उिरी भारि में सबसे प्रमुख नेिा के रूप में धमणपाल की तस्थति को मजबूि ककया। उसने स्ियिं को उिरापथ स्िामी
अथिा "उिरी भारि के भगिान" के रूप में घोतर्षि ककया।
Q 11.B
● सुतर्षर िाद्यों में एक खोखली नतलका में हिा भर कर (अथाणि फूाँ क मारकर) ध्ितन उत्पन्न की जािी है। हिा के मागण को तनयिंतत्रि
)
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करके स्िर की ऊिंचाई सुतनतिि की जािी है और िाद्यों मे बने छेदों को उिं गतलयों की सहायिा से क्रमशः खोलकर और बिंद करके
l.c
राग को बजाया जािा है। इस सभी िाद्यों में सबसे साधारर् िाद्य यिंत्र बााँसरु ी है। आम िौर पर बााँसरु रयााँ बािंस अथिा लकड़ी से
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बनी होिी है। भारिीय सिंगीिकार लकड़ी िथा बािंस की बााँसरु ी को इनकी सिंगीिात्मक िथा स्िर-सिंबध
िं ी तिशेर्षिाओं के कारर्
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1
पसिंद करिे हैं। हालािंकक लाल चिंदन की लकड़ी, काली लकड़ी, बेंि, हाथी दािंि, पीिल, कािंस,े चािंदी और सोने की बनी बााँसरु रयों
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sh
tu
● अिनद्ध िाद्यों (िाल िाद्य) में पशु की खाल पर आघाि करके ध्ितन उत्पन्न की जािी है। इसे तमट्टी, धािु के बिणन या कफर लकड़ी
hu
Sa
के ढोल या ढािंचे के ऊपर खींच कर लगाया जािा है। ऐसे िाद्यों का प्राचीनिम उकलेख िेदों मे ककया गया है। िेदों में भूतम दुदिंभ
ु ी
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का उकलेख है। यह भूतम पर खुदा हुआ एक खोखला गढ़ा होिा है, तजसे बैल या भैंस की खाल से खींच कर ढिंका जािा है। इस गढ़े
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● मनुष्य द्वारा आतिष्कृ ि सबसे प्राचीन िाद्ययिंत्र को घन िाद्य यिंत्र कहा जािा है। इन िाद्य यिंत्रों के तनमाणर् के बाद इन्हें बजाने के
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समय कभी भी तिशेर्ष सुर में तमलाने की आिश्यकिा नहीं होिी है। प्राचीन काल में यह िाद्ययिंत्र मानि शरीर के तिस्िार जैसे
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pe
डिंतडयों, िालों िथा छतड़यों आकद के रूप में सामने आए और ये दैतनक जीिन में प्रयोग में लाई जाने िाली िस्िुओं, जैसे पात्र
s
ti
(बिणन), कड़ाही, झािंझ, िालम आकद के साथ बहुि गहरे जुड़े हुए थे। मूलिः यह िस्िुएिं लय प्रदान करिी हैं िथा लोक और
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m
आकदिासी अिंचल के सिंगीि एििं नृत्य के साथ सिंगि प्रदान करने के तलए सिाणतधक उपयुि हैं।
cu
do
● िि िाद्य, िाद्यों का ऐसा िगण है, तजनमें िार अथिा ििंत्रों के किं पन से ध्ितन उत्पन्न की जािी है। यह किं पन िार पर उिं गली छेड़ने
is
Th
या कफर िार पर गज चलाने से उत्पन्न होिी है। किं तपि होने िाले िार की लिंबाई िथा उसको कसे जाने की क्षमिा स्िर की
ऊिंचाई (स्िरमान) तनतिि करिी है।
Q 12.C
● अकबर ने 1580 में अपने साम्राज्य को बारह प्रािंिों में तिभातजि ककया तजसे सूबा कहा जािा था। ये बारह प्रािंि बिंगाल, तबहार,
इलाहाबाद, अिध, आगरा, कदकली, लाहौर, मुकिान, काबुल, अजमेर, मालिा और गुजराि थे। प्रत्येक प्रािंि में एक सूबद
े ार, एक
दीिान, एक बख्शी, एक सद्र, एक काजी और एक िाककया-निीस की तनयुति की गयी। इस प्रकार, प्रािंिों में तनयिंत्रर् और
सिंिल
ु न के तसद्धािंि पर आधाररि एक व्यितस्थि प्रशासन का गठन ककया गया। इसतलए तिककप 2 और 4 सही हैं।
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● िाककया-निीस सन्देश लेखक होिे थे, जो साम्राज्य के सभी तहस्सों में िैनाि होिे थे। मीर बख्शी के माध्यम से इनकी ररपोटण को
दरबार में सम्राट के समक्ष प्रस्िुि ककया जािा था।
● प्रािंिों को सरकारों में और सरकार को परगना में तिभातजि ककया गया था। सरकार के मुख्य अतधकारी फौजदार और
अमलगुजार थे। फौजदार कानून और व्यिस्था का प्रभारी था जबकक अमलगुजार भू-राजस्ि के तनधाणरर् और सिंग्रह के तलए
उिरदायी था। इस प्रकार, अमलगुजार सरकार के स्िर पर प्रमुख अतधकाररयों में से एक था न कक प्रािंिीय स्िर पर। इसतलए
तिककप 1 और 3 सही नहीं हैं।
● अमलगुजार को सभी प्रकार की भूतम जोि की सामान्य देखरे ख की आिश्यकिा होिी थी िाकक भू-राजस्ि के तनधाणरर् और
सिंग्रह के तलए शाही तनयमों एििं तितनयमों का समान रूप से अनुपालन ककया जा सके ।
● फौजदार अपने अतधकार क्षेत्र में कानून और व्यिस्था बनाए रखने के तलए उिरदायी होिा था। फौजदार सरकार/तजला स्िर
पर सामान्यिः कानून और व्यिस्था को बनाए रखने का प्रभारी होिा था। और शाही फरमानों और तितनयमों को तनष्पाकदि
करिे थे। उसने शतिशाली जमींदारों को भी अपने अधीन रखा।
Q 13.D
● इतिहास में उलुग खान को बाद में बलबन के नाम से जाना गया। िह 1265 में हसिंहासन पर बैठा था। बलबन की बढ़िी सिा ने
कई िुकण अमीरों को अलग-थलग कर कदया था। इन अमीरों ने नसीरुद्दीन महमूद के युिा और अनुभिहीन होने के बाद से सरकार
के मामलों में अपनी पहले जैसी शति और प्रभाि को जारी रखने की उम्मीद की थी।
● इकिुितमश को व्यापक रूप से गुलाम ििंश का िास्ितिक सिंस्थापक माना जािा है। उसने 'चालीसा', िुकण-ए-चहलगानी िथा
चहलगानी व्यिस्था की स्थापना की थी। इस व्यिस्था में 40 अमीरों का एक समूह शातमल था, तजन्होंने कदकली सकिनि के
)
om
शासन में महत्िपूर्ण भूतमका तनभाई थी। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
l.c
● पूिण अितध के दौरान, बलबन ने नसीरुद्दीन महमूद के नायब या तडप्टी का पद सिंभाला था। नसीरूद्दीन को बलबन ने 1246 में
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हसिंहासन हातसल करने में मदद की थी। gm
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1
● कें द्रीकृ ि सरकार का युग पहली बार शुरू हुआ था। बलबन ने लगािार राजशाही की प्रतििा और शति को बढ़ाने की कोतशश
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sh
tu
की, ्योंकक िह आश्वस्ि था कक उसके सामने आने िाले आिंिररक और बाहरी खिरों का सामना करने का यही एकमात्र िरीका
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था। उसने ककसी ऐसे व्यति के तलए महत्िपूर्ण सरकारी पदों पर तिचार करने से इनकार कर कदया जो एक कु लीन पररिार से
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Sa
● उसने सैन्य तिभाग (दीिान-ए-अजण) को पुनगणरठि ककया और उन सैतनकों और अश्वारोही सैतनकों को पेंशन दी जो अब सेिा के
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योग्य नहीं थे। जबकक अलाउद्दीन तखलजी ने सिणप्रथम एक पृथक आररज तिभाग स्थातपि ककया। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
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Q 14.C
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● कनाणटक में बारहिीं शिाब्दी के दौरान िीरशैि परिं परा का उदय हुआ। बसिन्ना (1106-68) को इस िीरशैि परिं परा का
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सिंस्थापक माना जािा है। िह एक कलचुरी राजा के दरबार में मिंत्री थे। इनके अनुयातययों को िीरशैि (तशि के िीर) या
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m
● शेख तनजामुद्दीन औतलया (1238 से 1325) तचश्िी सिंप्रदाय के एक सूफी सिंि थे। इस प्रकार िह िेरहिीं और चौदहिीं शिाब्दी
is
Th
ईस्िी के थे और िह बसिन्ना के समकालीन नहीं थे। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● हलिंगायिों का मानना है कक मृत्यु के बाद भि तशि में तिलीन हो जाएिंगे िथा िे इस सिंसार में पुनः नहीं लौटेंग।े अिः िे पुनजणन्म
के तसद्धािंि को नहीं मानिे हैं। इसतलए िे धमणशास्त्रों में बिाए गए श्राद्ध सिंस्कार (जैसे दाह सिंस्कार) का पालन नहीं करिे हैं और
मृिकों को तितधपूिक
ण दफनािे हैं। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● िीरशैि आिंदोलन का अध्ययन करने के तलए, िचन (शातब्दक रूप से कहािि) महत्िपूर्ण हैं। िचन, कन्नड़ भार्षा में उन स्त्री और
पुरुर्षों द्वारा रचे गए थे जो इस आिंदोलन में शातमल हुए थे।
Q 15.C
● भारिीय मूर्िणकारों ने पकी तमट्टी की मूर्िणयािं (Terracotta) बनाने और पत्थर िराशने-उके रने में तजिनी कु शलिा प्राप्त कर
रखी थी, उिनी ही प्रिीर्िा उन्होंने कािंसे को तपघलाने, ढालने और उससे मूर्िणयािं आकद बनाने के कायण में भी प्राप्त कर ली थी।
उन्होंने हसिंधु घाटी की सभ्यिा के अति प्राचीन काल में ही ढलाई के सीरे -पेडुण या 'लुप्त - मोम' की प्रकक्रया सीख ली थी। इसके
साथ ही िािंबा, जस्िा और रटन को तमलाकर धािुओं की तमश्रधािु बनाने की प्रकक्रया की भी खोज की थी, तजसे कािंसा कहा
जािा है। इस प्रकार कथन 2 सही नहीं है।
● फोफनार, महाराष्ट्र से प्राप्त बुद्ध की िाकाटक कालीन कािंस्य प्रतिमाएाँ, गुप्त कालीन कािंस्य प्रतिमाओं के समकालीन हैं। उनमें ईसा
की िीसरी शिाब्दी में प्रचतलि आिंध्र प्रदेश की अमराििी शैली का प्रभाि दृतष्टगोचर होिा है और साथ ही उनमें तभक्षुओं के िस्त्र
पहनने की शैली में भी काफी पररििणन आया कदखाई देिा है। बुद्ध का दातहना हाथ अभय मुद्रा में स्िििंत्र है इसतलए िस्त्र शरीर
के दातहने तहस्से से लटका हुआ कदखाई देिा हैं तजसके फलस्िरूप प्रतिमा के इस तहस्से पर सिि प्रिाही रे खा कदखाई देिी हैं।
बुद्ध की आकृ ति के टखनों के स्िर पर लटका हुआ िस्त्र स्पष्टिः िक्ररे खीय मोड़ बनािा हैं जब िह बाएिं हाथ से पकड़ा हुआ
कदखाई देिा हैं। इस प्रकार कथन 1 सही नहीं है।
● गुप्त और िाकाटक कालीन कािंस्य प्रतिमाओं की एक अतिररि तिशेर्षिा यह है कक िे सुिाह्य थीं और बौद्ध तभक्षुक उन्हें व्यतिगि
रूप से पूजा के उद्देश्य से या बौद्ध तिहारों में स्थातपि करने के तलए कहीं भी ले जा सकिे थे। इस प्रकार, पररष्कृ ि पुरानी शैली
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का प्रभाि भारि के अनेक भागों में और भारि से बाहर भी एतशयाई देशों में फै ल गया। इस प्रकार कथन 3 सही है।
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Q 16.D
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● तिदेशी तििरर्ों को भारि के बारे में देशी सातहत्य का अनुपूरक बनाया जा सकिा है। पयणटक बनकर या भारिीय धमण को
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अपनाकर अनेक यूनानी, रोमन और चीनी यात्री भारि आए और अपनी आिंखों देखे भारि के तििरर् तलखकर छोड़ गए। ध्यान
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देने योग्य बाि है कक भारिीय स्रोिों में तसकिं दर के आक्रमर् की कोई जानकारी नहीं तमलिी है। उसके भारिीय कारनामों के
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● यूनानी यातत्रयों ने 326 ईसा पूिण में भारि पर आक्रमर् करने िाले तसकिं दर महान के समकालीन सैंड्रोकोट्स के नाम का उकलेख
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ककया है। हप्रिंस सैंड्रोकोट्स की पहचान चिंद्रगुप्त मौयण, तजसके राज्यरोहर् की तितथ 322 ईसा पूिण तनधाणररि की गई है, के रूप में
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की जािी है।
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○ यह पहचान प्राचीन भारि के तितथक्रम के तलए सुदढ़ृ आधारतशला बन गई। चिंद्रगुप्त मौयण के दरबार में दूि बनकर आए
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मेगस्थनीज की इिं तडका उन उद्धरर्ों के रूप में सुरतक्षि है, जो अनेक प्रख्याि लेखकों की रचनाओं में आए हैं।
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● ईसा की पहली और दूसरी सकदयों के यूनानी और रोमन तििरर्ों में कई भारिीय बिंदरगाहों के उकलेख तमलिे हैं िथा भारि
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और रोमन साम्राज्य के बीच होने िाले व्यापार की िस्िुओं की चचाण भी तमलिी है।
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○ यूनानी भार्षा में तलखी गई पेररप्लुस ऑफ़ द एररतियन सी और टॉलेमी की ज्योग्राफी नामक पुस्िकों में भी प्राचीन भूगोल
और िातर्ज्य के अध्ययन के तलए प्रचुर महत्िपूर्ण सामग्री तमलिी है। इनमें पहली पुस्िक 80 ई. और 115 ई. के बीच
ककसी समय ककसी अज्ञाि लेखक ने तलखी, जबकक दूसरी पुस्िक 150 ई. के आसपास की मानी जािी है।
○ तप्लनी की नेचरु तलस तहस्टोररया ईसा की पहली शिाब्दी ईस्िी से सिंबतिं धि है। यह लैरटन भार्षा में तलखी गई है और हमें
भारि और इटली के बीच होने िाले व्यापार के बारे में जानकारी देिी है।
● इसतलए तिककप (d) सही उिर है।
Q 18.D
● भारिीय सिंगीि के तिकास के दौरान तहन्दुस्िानी और कनाणटक सिंगीि के रूप में दो तभन्न उप-शैतलयािं तिकतसि हुई। 14िीं
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शिाब्दी ईस्िी में हरपाल द्वारा रतचि “सिंगीि सुधाकर” नामक रचना में कनाणटक और तहन्दुस्िानी शैली शब्दों का पहली बार
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प्रयोग ककया गया। तहन्दुस्िानी और कनाणटक की दो तभन्न शैतलयािं मुतस्लमों के आगमन के बाद, तिशेर्ष रूप से कदकली के मुगल
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● सिंगीि की दोनों ही शैतलयािं एक समान मूल स्त्रोि से तिकतसि हुई थीं। भारि के उिरी भाग में प्रचतलि भारिीय सिंगीि ने
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कदकली के मुगल शासकों के दरबारों में सुशोतभि फारसी और अरबी सिंगीिकारों के सिंगीि की कु छ तिशेर्षिाओं को आत्मसाि
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कर तलया जबकक दतक्षर् का सिंगीि अपने मूल स्रोि के अनुसार तिकतसि होिा रहा। हालािंकक, उिर और दतक्षर् की दोनों
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शैतलयों के मूलभूि पहलू समान ही रहे। कनाणटक सिंगीि के महत्िपूर्ण रूप तनम्नतलतखि हैं;
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● गीिम: गीिम इस सिंगीि की सरलिम शैली है। इसे सिंगीि के प्रारिं तभक छात्रों को तसखाया जािा है िथा इसकी सिंरचना
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अत्यतधक सरल और सिंगीि प्रिाह अत्यतधक सहज एििं मोहक है। सिंगीि का यह स्िरूप उस राग का एक सरल एििं मधुर
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तिस्िार है तजसमें इसकी रचना की जािी है। इसकी गति एक समान होिी है। इसमें कोई खण्ड नहीं होिा है, जो गीि के एक
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भाग को दूसरे से अलग करे । इसे शुरू से लेकर अिंि िक तबना दोहराए गाया जािा है। सिंगीि में कोई जरटल तभन्निाएिं नहीं है।
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सिंगीि का तिर्षय सामान्यिः भतिपूर्ण होिा है। गर्ेश, महेश्वर और तिष्र्ु की स्िुति में पुरिंदरदास की प्रारिं तभक गीिों, तजन्हें
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सामूतहक रूप से तपकलरी गीि कहा जािा है, सिंगीि के छात्रों को पढ़ाए जाने िाले गीिों का पहला सेट है।
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● सुलादी: सुलादी सिंगीि सिंरचना और व्यिस्था में लगभग गीिम के ही समान है हालािंकक, ये गीिम की िुलना में उच्च स्िर के हैं।
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सुलादी एक िालमतलका है, तजसमें खण्ड तभन्न-तभन्न िालों में होिे हैं। सातहत्य अक्षर, गीिों की िुलना में कम होिे हैं िथा स्िर
तिस्िारों का समूह होिा है। इनका तिर्षय सामान्यिः भति होिा है। सुलादी की रचना तभन्न-तभन्न गीिों में की जािी है, जैसे
तिलिंतबि, मध्य और द्रुि। पुरिंदरदास ने अनेक सुलाकदयों की रचना की है।
● स्िराजाति: इसे गीिम में पाठ्यक्रम के बाद तसखाया जािा है। यह गीिों से अतधक जरटल होिा है और िर्णमों के अध्ययन के
तलए मागण प्रशस्ि करिा है। इसके अिंिगणि िीन खण्ड शातमल हैं तजन्हें पकलिी, अनुपकलिी और चरर्म कहा जािा है। इसका
तिर्षय भति, साहस अथिा प्रेम से सिंबिंतधि होिा है। इसकी उत्पति जाति के साथ (िाल, सोकफा अक्षरों, जैसे िका िारी ककिा
नाका िातिन तगना िाम) एक नृत्य के रूप में हुई।
Q 19.C
● ध्रुपद मुख्य रूप से जाप या पूजा की एक शैली है जहािं एक गायक नाद या ध्ितनयों के माध्यम से भगिान से प्राथणना करिा है।
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ऐसा माना जािा है कक यह प्रबिंध सिंरचना का तिस्िार है। यद्यतप 14िीं सदी िक इसकी लोकतप्रयिा को बढ़ािा तमल सकिा था,
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लेककन 15िीं सदी से लेकर 18िीं सदी िक की अितध में इसका तिकास हुआ। इसतलए कथन 3 सही है।
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इन शिातब्दयों के दौरान हम इस शैली के सिाणतधक सम्मातनि िथा सुप्रतसद्ध गायकों एििं सिंरक्षकों से पररतचि होिे हैं। इन
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सिंरक्षकों में ग्िातलयर के महाराजा मान हसिंह िोमर थे। ध्रुपद की व्यापक प्रतसतद्ध के तलए िे मुख्य रूप से उिरदायी थे। इसके
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उिरी क्षेत्रों में भति सिंप्रदाय की सिाणतधक महत्िपूर्ण तिभूतियों में से एक थे। परिं परा के अनुसार, स्िामी हररदास िानसेन के
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गुरु थे, जो ध्रुपद के ज्ञाि सिोिम गायकों में से एक थे और सम्राट अकबर के राजदरबार के नौ रत्नों में से एक थे। इसतलए कथन
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1 और 2 सही है।
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● सिंरचना की दृतष्ट से ध्रुपद के दो भाग हैं, अतनबद्ध अनुभाग और सिंचारी में ध्रुपद। गायकों का पहला मुि अलाप है। ध्रुपद
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तिशेर्षिः चार भागों में गाया जाने िाला एक गीि है: स्थाई, अिंिरा, सिंचारी और अभोग। ध्रुपद की अतनिायण तिशेर्षिा इसका
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गिंभीरिा और और लय पर बल है।
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● ध्रुपद गायन की चार शैतलयािं या िातर्यािं थीं। गौहर िार्ी में राग या अलिंकृि रागात्मक आकृ तियों का तिकास है। डागर िार्ी
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में रागात्मक िक्रिाओं और शालीनिा पर बल कदया गया है। किं धार िार्ी में स्िरों के शीघ्र अलिंकरर् की तिशेर्षिा है। नौहर
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िार्ी अपने व्यापक सिंगीिात्मक लिंघन (आकतस्मक पररििणनों) के तलए जानी जािी थी। ये िातर्यािं अब अदृश्य हो गई हैं।
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● ध्रुपद का आज भी अत्यतधक सम्मान ककया जािा है और इसे सिंगीि-समारोह के मिंच पर िथा अतधकािंशिः उिर भारि के
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मिंकदरों में सुना जा सकिा है। ध्रुपद शैली जनिा के बीच इिना लोकतप्रय नहीं रह गया है और कु छ हद िक पृिभूतम में चला गया
है। ध्रुपद से घतनष्ट रूप से बीन और पखािज को भी आजकल अतधक सिंरक्षर् या लोकतप्रयिा प्राप्त नहीं है।
Q 20. A
● दतक्षर् भारि में ितमलनाडु का भरिनाट्यम निणककयों द्वारा मिंकदरों को समर्पणि कला के रूप में तिकतसि हुआ है और इसे पहले
साकदर या दासी अट्टम के नाम से जाना जािा था। यह भारि के पारिंपररक नृत्यों में से पहला नृत्य है तजसे तथएटर कला के रूप
में कफर से िैयार ककया गया है और इसे देश और तिदेश दोनों में व्यापक रूप से प्रदर्शणि ककया जाना है। इसतलए कथन 1 सही
नहीं है और कथन 3 सही है।
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● भरिनाट्यम, भरि मुतन के नाट्यशास्त्र जैसे उत्कृ ष्ट ग्रिंथ में स्थातपि प्रदशणन और सौंदयणशास्त्र के तसद्धािंिों पर आधाररि है। इसमें
िेलुगु, ितमल और सिंस्कृ ि में गीिों की समृद्ध प्रदशणन सूची (Repertoire) है। भरिनाट्यम प्रस्िुति का ििणमान प्रारूप, साथ ही
साथ इसकी सिंगीि रचनाओं का एक महत्िपूर्ण तहस्सा, उन्नीसिीं शिाब्दी के प्रतसद्ध 'ििंजौर चौकड़ी' द्वारा रतचि है। 'ििंजौर
चौकड़ी' में चार भाई पोन्नैया, तचन्नैय्याह, तशिानिंदम और ितडिेलु शातमल थे।
● भरिनाट्यम प्रस्िुति की शुरुआि अलाररप्पू से होिी है जो एक प्रकार का नृत्य है। अलाररप्पू को कभी-कभी िोडायमिंगलम् या
पुष्पािंजतल नामक एक स्िुति गान से पहले प्रस्िुि ककया जािा है। िोडायमिंगलम् अ्सर "कौििम" नामक एक प्रदशणन के बाद
नहीं होिा है।
● तिकलाना एक शुद्ध नृत्ि है तजसे भरिनाट्यम पाठ के प्रस्िुिीकरर् के समापन के रूप में प्रस्िुि ककया जािा है। इसतलए कथन 2
सही नहीं है।
● इनके अलािा, भरिनाट्यम की प्रस्िुति की सूची में तनम्नतलतखि शातमल हैं:
● जािीस्िरम: यह भी एक नृि प्रस्िुति है। यह एक राग के स्िरों पर नृत्य की जाने िाली जातियों (नृत्य का प्रारिं तभक चरर्) का
एक सिंयोजन है।
● शब्दम: एक नृत्य प्रस्िुति है जो भरिनाट्यम की प्रस्िुति में पहली बार सातत्िक अतभनय का उपयोग करिा है। यह एक देििा
को सिंबोतधि होिा है और आध्यातत्मक प्रेम व्यि करिा है।
● िर्णम: भरिनाट्यम रिं गपटल की एक जरटल और महत्िपूर्ण रचना है तजसमें नृि और नृत्य दोनों का तििेकपूर्ण तमश्रर् होिा है।
यह आमिौर पर एक देििा को सिंबोतधि होिा है तजसमें भगिान के तलए भति प्रेम की अतभव्यति की जािी है। इसमें राग के
स्िरों और जातियों दोनों का उपयोग होिा हैं। इसमें सिंगीि और सातहत्य दोनों सतम्मतलि होिे हैं।
● जािली: यह नृत्य रचना की एक और तिधा है जो आमिौर पर धमणतनरपेक्ष चररत्र की होिी है। यह आमिौर पर नायक के तलए
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नातयका के प्यार को प्रस्िुि करिा है।
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Q 21.A gm
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हातलया सिंदभण: US-FDA ने नई दिाओं के परीक्षर् हेिु जानिरों के तलए किं प्यूटर आधाररि और प्रयोगात्मक तिककपों को
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● ऑगणन-ऑन-ए-तचप एक माइक्रोफ्लुइतडक उपकरर् है। इसका उद्देश्य इन तिट्रो में तितशष्ट मानि अिंगों या ऊिकों की सिंरचना
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और कायणप्रर्ाली का अनुकरर् करना है। यह एक मकटी-चैनल 3-D माइक्रोफ्लुइतडक सेल ककचर, इिं टीग्रेटेड सर्कण ट (तचप) है जो
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पूरे अिंग या अिंग ििंत्र की गतितितधयों, यािंतत्रकी और शारीररक अनुकक्रया का अनुकरर् करिा है। यह महत्िपूर्ण बायोमेतडकल
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इिं जीतनयररिं ग अनुसिंधान की तिर्षय िस्िु का गठन करिा है। इसतलए कथन 1 सही है।
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● यह एक छोटी, पारदशी तचप है जो तसतलकॉन, कािंच, या पॉतलमर जैसे जैि सिंगि पदथों से बनी होिी है और इसमें जीतिि
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कोतशकाओं के साथ पिंतिबद्ध छोटे चैनल होिे हैं। इन जीतिि कोतशकाओं को मानि ऊिकों से प्राप्त ककया जािा है और मॉडल
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ककए जा रहे तितशष्ट अिंग के सूक्ष्म िािािरर् को दोहराने के तलए ककचर ककया जा सकिा है। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
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ििंत्र- प्रत्येक ऑगणन-ऑन-ए-तचप में माइक्रोफ्लुइतडक चैनलों और कक्षों का एक जरटल नेटिकण होिा है। यह ककसी तितशष्ट अिंग के
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यािंतत्रक और रासायतनक िािािरर् का अनुकरर् कर सकिा है। यह रि और िायु के प्रिाह का अनुकरर् कर सकिा है, जबकक
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जीतिि कोतशकाएिं दिा परीक्षर् और रोग मॉडहलिंग के तलए एक यथाथणिादी िािािरर् प्रदान करिी हैं।
● सिंभातिि अनुप्रयोग-
o दिा तिकास, रोग मॉडहलिंग और तिर्षाििा परीक्षर् सतहि इसके बहुि से सिंभातिि अनुप्रयोग हैं।
o मानि अिंगों की सिंरचना और कायों की प्रतिकृ ति के द्वारा शोधकिाण यह अध्ययन कर सकिे हैं कक अिंग, दिाओं और अन्य
यौतगकों के साथ कै से अन्िर्क्रणया करिे हैं।
o इससे तितभन्न प्रकार के रोगों के तलए अतधक प्रभािी और व्यतिगि उपचार का तिकास हो सकिा है।
o यह पशु परीक्षर् पर तनभणरिा को कम करिे हुए दिाओं और अन्य यौतगकों के परीक्षर् के तलए अतधक नैतिक और प्रभािी
दृतष्टकोर् प्रदान करिा है।
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Q 22.B
● गोल गुब
िं द:
○ यह कनाणटक के बीजापुर तजले में तस्थि है।
○ यह बीजापुर के आकदल शाही राजििंश (1489-1686 ई.) के साििें सुकिान मुहम्मद आकदल शाह (1626-1656 ई.) का
मकबरा है। इसे स्ियिं सुकिान ने अपने जीिन काल में ही बनिाना शुरू कर कदया था। इसका काम पूरा न होने के बािजूद
यह एक शानदार इमारि है। इसतलए कथन 1 सही है।
○ मकबरे में कई छोटी-बड़ी इमारिें हैं, जैसे- अिंदर आने के तलए तिशाल दरिाजा, एक नक्कारखाना, एक मतस्जद और एक
सराय जो दीिारों से तघरे एक बड़े बाग के भीिर तस्थि हैं।
○ गुम्बद एक तिशाल िगाणकार भिन है तजस पर एक गोलाकार ड्रम तनर्मणि है और इस ड्रम पर एक शानदार गुम्बद रटका
हुआ है तजसके कारर् उसे यह नाम कदया गया है। इसकी एक बाहरी दीिार है (जो आकार में िगाणकार है)। इसतलए कथन 2
सही नहीं है।
○ यह गहरे स्लेटी रिं ग के बेसाकट पत्थर से तनर्मणि है और इसे प्लास्टर से सिंिारा गया है। इसतलए कथन 3 सही है।
○ गुम्बद की इमारि की प्रत्येक दीिार 135 फु ट लिंबी, 110 फु ट ऊिंची और 10 फु ट मोटी है।
○ ड्रम और गुम्बद दोनों को तमलाकर इस इमारि की ऊिंचाई 200 फु ट से भी अतधक हो जािी है।
○ मकबरे में के िल एक िगाणकार बड़ा कक्ष और 125 फु ट व्यास िाला गुम्बद है।
○ यह मकबरा 18,337 िगण फु ट में फै ला हुआ है और दुतनया का दूसरा सबसे बड़ा मकबरा है।
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Q 23.D
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● फनाणओ नूतनज (Fernao Nuniz) यहूदी मूल का एक पुिणगाली यात्री, इतिहासकार और घोड़ों का व्यापारी था। यह अच्युि राय
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के शासनकाल के दौरान भारि आया और िीन िर्षों की अितध (1535 से 1537 िक) के तलए तिजयनगर साम्राज्य की
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तनकोलो डी कोंटी (Nicolo de Conti) िेतनस का रहने िाला एक व्यापारी था। इसने 1414 और 1438 के बीच पूिी भूतम के
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रास्िे से होिे हुए भारि की यात्रा की। उसके गिंिव्यों स्थलों में तिजयनगर साम्राज्य भी शातमल था। उसने देिराय तद्विीय के
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शासन काल में तिजयनगर साम्राज्य की यात्रा की। अपने िृिािंि में, उसने शहर की ककलेबिंदी और शासकों की सेना में सेिारि
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● अब्दुर रज्जाक (Abdur Razzak) भारि की यात्रा करने िाला एक फारसी यात्री था। इसने देिराय तद्विीय के शासनकाल के
दौरान तिजयनगर साम्राज्य की यात्रा की। “मिला अस-सदैन िा मजमा उल-बहरीन” में उसने देिराय तद्विीय के शासन का एक
तिस्िृि तििरर् प्रदान ककया है।
● इब्न बिूिा (Ibn Battuta), एक प्रतसद्ध भूगोलिेिा और 14िीं शिाब्दी में यात्रा करने िाला अन्िेर्षक था। िह मोरक्को का रहने
िाला था। उसने अपने जीिन के िीन दशक भारिीय उपमहाद्वीप, मध्य एतशया, दतक्षर्-पूिण एतशया और पूिी चीन सतहि
तितभन्न तहस्सों में व्यिीि ककए। अपनी पुस्िक "रे हला" में उसने हररहर प्रथम के शासनकाल का भी िर्णन ककया है।
● इसतलए तिककप (d) सही उिर है।
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● जैन धमण की तशक्षाओं का प्रसार करने के तलए, महािीर ने अपने अनुयातययों का एक सिंघ बनाया तजसमें पुरुर्षों और मतहलाओं
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दोनों को प्रिेश कदया गया।
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Q 25.C
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● ब्राह्मर्ों को बड़े पैमाने पर ग्राम-अनुदान तमलना इस बाि का द्योिक है कक ब्राह्मर्ों की श्रेििा गुप्त काल में मजबूि हुई। ब्राह्मर्
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गुप्त ििंश के शासकों को क्षतत्रय मानने लगे जबकक िे मूलिः िैश्य थे। ब्राह्मर्ों ने गुप्त राजाओं को देििाओं के गुर्ों से अलिंकृि रूप
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में प्रस्िुि ककया। इससे गुप्त राजाओं की हैतसयि धमण शास्त्र सम्मि हो गई और िे ब्राह्मर्-प्रधान िर्ण व्यिस्था के परम समथणक हो
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गए।
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● जातियािं कई उप-जातियों में बिंट गई और जातियों का कोई समेकन नहीं था। यह दो कारकों के पररर्ामस्िरूप हुआ - एक ओर,
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बड़ी सिंख्या में तिदेतशयों को भारिीय समाज में आत्मसाि कर तलया गया था और तिदेतशयों के प्रत्येक समूह को एक प्रकार की
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o चूिंकक तिदेशी मुख्य रूप से तिजेिा के रूप में आए थे इसतलए उन्हें समाज में क्षतत्रय का स्थान तमला। हूर् लोग पािंचिी सदी
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का अिंि होिे-होिे भारि आए और अिंििः राजपूिों के छिीस कु लों में से एक कु ल के मान तलए गए।
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जातियों की सिंख्या में िृतद्ध का दूसरा कारर् भूतम अनुदान के माध्यम से अनेक जनजािीय लोगों का ब्राह्मर्िादी समाज में
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समातहि होना था। जनजातियों के सरदार प्रमुखों को उच्च कु ल का माना जाने लगा। हालािंकक उनके सामान्य स्िजनों को नीच
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कु ल का माना गया और प्रत्येक जनजाति अब हहिंदू समाज में ककसी न ककसी प्रकार की जाति के रूप में अििीर्ण हुई।
● कु छ मायनों में, इस काल में शूद्रों और तस्त्रयों की तस्थति में सुधार हुआ। अब उन्हें रामायर्, महाभारि और पुरार् सुनने का
अतधकार तमल गया। िे अब कृ ष्र् नामक देििा की पूजा भी कर सकिे थे।
o साििीं सदी के बाद से शूद्रों की पहचान मुख्यिः कृ र्षक के रूप में होने लगी, जबकक पूिक
ण ाल में उनका तचत्रर् के िल अपने
ऊपर के िीनों िर्ों के तलए काम करने िाले सेिक, दास और खेतिहर मजदूर के रूप में ही होिा था।
● इस काल में अछू िों की सिंख्या में िृतद्ध हुई, तिशेर्षकर चािंडालों की सिंख्या में। समाज में चािंडाल बहुि ही पहले ईसा पूिण पािंचिीं
सदी से ही कदखाई देिे हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
Q 26.D
● हातलया सिंदभण: सामान्य पात्रिा परीक्षा (CET) भारि में आयोतजि की जाएगी। इसका उद्देश्य प्रत्येक िर्षण तिज्ञातपि सरकारी
नौकररयों में चयन के तलए तितभन्न भिी एजेंतसयों द्वारा आयोतजि की जाने िाली कई परीक्षाओं को एकल ऑनलाइन परीक्षा से
प्रतिस्थातपि करना है।
● ििणमान में, सरकारी नौकरी के इच्छु क उम्मीदिारों को तितभन्न पदों के तलए कई भिी एजेंतसयों द्वारा सिंचातलि की जाने िाली
तभन्न-तभन्न परीक्षाओं में सतम्मतलि होना पड़िा है। सामान्य पात्रिा परीक्षा (CET) का उद्देश्य प्रत्येक िर्षण तिज्ञातपि सरकारी
नौकररयों में चयन के तलए तितभन्न भिी एजेंतसयों द्वारा आयोतजि की जाने िाली कई परीक्षाओं को एकल ऑनलाइन परीक्षा से
प्रतिस्थातपि करना है।
● कें द्रीय मिंतत्रमिंडल ने सरकारी नौकररयों के तलए परीक्षा आयोतजि करने हेिु एक स्िििंत्र तनकाय, राष्ट्रीय भिी एजेंसी (NRA) के
गठन को मिंजरू ी दे दी है। यह 1860 के सोसायटी पिंजीकरर् अतधतनयम के िहि पिंजीकृ ि एक सोसायटी होगी। इसतलए कथन 2
सही है।
● प्रारिंभ में, यह समूह ख और ग (गैर-िकनीकी) पदों के तलए उम्मीदिारों की स्क्रीहनिंग/शॉटणतलस्ट करने हेिु एक सामान्य पात्रिा
परीक्षा (CET) आयोतजि करे गा, तजसे ििणमान में कमणचारी चयन आयोग (SSC), रे लिे भिी बोडण (RRBs) और बैंककिं ग
कार्मणक चयन सिंस्थान (IBPS) द्वारा आयोतजि ककया जा रहा है। बाद में इसके अिंिगणि और भी परीक्षाओं को लाया जा सकिा
)
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है। इसतलए कथन 1 सही है।
l.c
● चूिंकक कई भिी परीक्षाएिं उम्मीदिारों के साथ-साथ सिंबतिं धि भिी एजेंतसयों पर भी बोझ होिी हैं, तजसमें पररहायण/बार-बार होने
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िाला खचण, कानून और व्यिस्था/सुरक्षा सिंबध gm
िं ी मुद्दे और स्थल सिंबिंधी समस्याएिं शातमल हैं। इनमें से प्रत्येक परीक्षा में औसिन
5@
1
2.5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदिार शातमल होिे हैं। एक सामान्य पात्रिा परीक्षा (CET) इन उम्मीदिारों को एक बार उपतस्थि
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होने और उच्च स्िर की परीक्षा हेिु इनमें से ककसी एक या सभी भिी एजेंतसयों के तलए आिेदन करने में सक्षम बनािी है। यह
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o आिेदकों का पिंजीकरर्, रोल निंबर/प्रिेश पत्र िैयार करना, अिंकों का प्रदशणन, योग्यिा सूची आकद का कायण ऑनलाइन ककया
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जाएगा।
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o CET कई भार्षाओं में उपलब्ध होगी। इससे देश के तितभन्न तहस्सों के लोगों को परीक्षा देने में बहुि सुतिधा होगी और उन्हें
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CET बहुतिककपीय िस्िुतनि प्रकार के प्रश्न पत्र पर आधाररि होगी और यह किं प्यूटर आधाररि परीक्षा होगी।
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एक उम्मीदिार का CET स्कोर िीन िर्षण के तलए मान्य होगा। इसतलए कथन 3 सही है।
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Q 27.A
● राष्ट्रकू ट राजििंश एक हहिंदू शाही पररिार था तजसने भारि के दक्कन क्षेत्र िथा आस-पास के क्षेत्रों पर शासन ककया था। इस ििंश
का शासनकाल लगभग 755 और 975 ई. के बीच था। इस साम्राज्य की स्थापना दिंतिदुगण ने की थी। इन्होने आधुतनक शोलापुर
के पास मान्यखेि या मलखेड में अपनी राजधानी स्थातपि की।
● गोहििंद िृिीय (793-814) और अमोघिर्षण (814-878) महान राष्ट्रकू ट शासक थे। अमोघिर्षण ने 68 िर्षों िक शासन ककया। िह
एक महान तनमाणर्किाण था और उसने अपने राजधानी नगर मान्यखेि का भव्य तनमाणर् ककया िाकक यह इिं द्र के नगर से भी
उत्कृ ष्ट कदखाई दे।
Q 28.B
● हातलया सिंदभण: “प्रधान मिंत्री PVTG तिकास तमशन” को 'रीहचिंग द लास्ट माइल' के तहस्से के रूप में लॉन्च ककया जाएगा।
● तिशेर्ष रूप से कमजोर जनजािीय समूहों (PVTGs) की सामातजक-आर्थणक तस्थतियों में सुधार लाने के तलए प्रधान मिंत्री
PVTG तिकास तमशन शुरू ककया जाएगा। इसमें PVTGs पररिारों और पयाणिासों को सुरतक्षि आिास, स्िच्छ पेयजल एििं
स्िच्छिा, तशक्षा, स्िास््य एििं पोर्षर्, सड़क िथा दूरसिंचार कनेत्टतिटी और सिंधारर्ीय आजीतिका के अिसरों जैसी बुतनयादी
सुतिधाएिं उपलब्ध कराई जाएिंगी।
● अनुसतू चि जनजातियों के तलए तिकास कायण योजना के िहि अगले िीन िर्षों में इस तमशन को लागू करने के तलए 15,000
करोड़ रुपये की रातश उपलब्ध कराई जाएगी।
● प्रधानमिंत्री PVTGs तमशन को 'रीहचिंग द लास्ट माइल' के तहस्से के रूप में लॉन्च ककया जाएगा। ध्यािव्य है कक रीहचिंग द लास्ट
माइल इस िर्षण के बजट में सूचीबद्ध साि सप्तऋतर्ष प्राथतमकिाओं में से एक है। भारि में ऐसे 75 PVTGs समूह हैं, जो इस
योजना से लाभातन्िि होंगे।
)
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● िर्षण 1973 में, ढेबर आयोग ने एक अलग श्रेर्ी के रूप में आकदम जनजािीय समूहों (PTGs) का तनमाणर् ककया। ये िे जनजािीय
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समूह हैं जो अन्य जनजािीय समूहों की अपेक्षा कम तिकतसि हैं। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
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● gm
PVTGs, जनजािीय समूहों के बीच अत्यतधक कमजोर समूह हैं। इसके कारर् अतधक तिकतसि एििं मुखर जनजािीय समूह
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जनजािीय तिकास तनतध का एक बड़ा तहस्सा प्राप्त कर लेिे हैं, अिः PVTGs को उनके तिकास के तलए अतधक धन की
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आिश्यकिा होिी है। इस सिंदभण में, िर्षण 1975 में, भारि सरकार ने PVTGs नामक एक अलग श्रेर्ी के रूप में, सबसे कमजोर
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जनजािीय समूहों की पहचान करने की पहल की। इस प्रकार के 52 समूहों की घोर्षर्ा की गई। िर्षण 1993 में इस श्रेर्ी में 23
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और समूहों को शातमल ककया गया, तजससे देश के 17 राज्यों और एक सिंघ राज्य क्षेत्र में तिस्िाररि 705 अनुसतू चि जनजातियों
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में से कु ल 75 PVTGs का तनमाणर् हुआ (2011 की जनगर्ना)। िर्षण 2006 में, भारि सरकार ने PTGs का नाम बदलकर
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ये भौतिक रूप से अपेक्षाकृ ि अलग-थलग हैं (दूर-दराज के क्षेत्रों में बसे हुए हैं।)
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भाइयों के साहतसक कारनामों का उकलेख ककया जािा है। इन भाइयों ने महोबा के राजा परमल के समय में सेिा प्रदान की थी।
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यह न के िल बुद
िं ेलखिंड का एक सिाणतधक लोकतप्रय सिंगीि है बतकक देश के अन्य भागों में भी लोकतप्रय है।
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● gm
छकरी, कश्मीर: छकरी एक समूह गीि है, जो कश्मीर के लोक सिंगीि की एक सिाणतधक लोकतप्रय शैली है। यह नूि (तमट्टी के
5@
1
बिणन), रबाब, सारिं गी और िुम्बाकनरी (ऊिंची गदणन िाला तमट्टी का एक बिणन) के साथ गाया जािा है। इसतलए युग्म 2 सही
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सुमते लि है।
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● िीज गीि, राजस्थान: िीज, राजस्थान की मतहलाओं की बड़ी भागीदारी के साथ मनाई जािी है। यह श्रिर् माह की अमािस्या
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के बाद िीसरे कदन मनाई जािी है। त्योहार के दौरान गाए जाने िाले गीिों का तिर्षय तशि और पािणिी का तमलन, मानसून की
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मनमोहक छठा, हररयाली मौसम िथा मयूर नृत्य के आसपास कें कद्रि होिा है।
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● दसकरठया, ओतडशा: यह ओतडशा में प्रचतलि गाथा गायन की एक शैली है। दसकरठया शब्द ‘काठी’ अथिा ‘राम िाली’ नामक
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एक काि से बने सिंगीि िाद्य से तलया गया है। इसका उपयोग प्रस्िुिीकरर् के दौरान ककया जािा है। प्रस्िुिीकरर् एक प्रकार
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की पूजा होिी है तजसे ‘दास’ रूपी भि द्वारा अर्पणि ककया जािा है। इसतलए युग्म 3 सही सुमते लि है।
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Q 30.C
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● कलिंदर, मदारी, मलिंग और हैदरी सूफी सिंि थे। उन्होंने िैराग्य के चरम रूपों का पालन ककया। उन्होंने सूफी तसद्धािंिों की मौतलक
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व्याख्या के आधार पर निीन आिंदोलनों की नींि रखी। उन्होंने शरीयि के कानूनों की अिहेलना की। इसतलए, उन्हें अ्सर बा-
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शररया सूकफयों (शररया का पालन करने िाले) के तिपरीि बे-शररया कहा जािा था। इसतलए युग्म 1 सही सुमते लि नहीं है।
● तजयारि, सूफीिाद में सूफी सिंि की दरगाह की िीथण यात्रा को सिंदर्भणि करिा है। इस िरह की िीथण यात्राएिं तिशेर्ष रूप से उनकी
बरसी या उसण (अथिा तििाह, अथाणि् पीर की आत्मा के ईश्वर से तमलन) पर की जािी थीं। इसतलए युग्म 2 सही सुमते लि है।
● खलीफा स्ियिं सिंि द्वारा तनयुि सूफी सिंि का िाररस था। सूफी सिंिों को अलग-अलग नामों से जाना जािा था, जैसे शेख (अरबी
में), पीर या मुर्शणद (फारसी में)। िे आध्यातत्मक व्यिहार के तनयम तनधाणररि करने के अलािा खानकाह में रहने िालों के बीच के
सिंबिंध और शेख ि जनसामान्य के बीच के ररश्िों की सीमा भी तनयि करिे थे। िे अनुयातययों (मुरीदों) की भिी करिे थे और
अपने िाररस (खलीफा) की तनयुति करिे थे। इसतलए युग्म 3 सही सुमते लि है।
Q 31.A
● कु िुब मीनार को अिंग्रज
े ी में Qutb Minar और Qutab Minar भी तलखा जािा है। यह एक मीनार या "ति्ट्री टािर" है जो
कु िुब पररसर का तहस्सा है। यह िोमर राजपूिों द्वारा स्थातपि कदकली के सबसे पुराने ककलेदार शहर, लाल कोट की जगह पर
तस्थि है। यह भारि के दतक्षर् कदकली, महरौली क्षेत्र में यूनेस्को का तिश्व धरोहर स्थल है। इस स्मारक का तनमाणर् कु िुबद्द
ु ीन
ऐबक द्वारा शुरू ककया गया था, लेककन इकिुितमश द्वारा इसको पूरा ककया गया। ऐसा माना जािा है कक यह सूफी सिंि
कु िुबुद्दीन बतख्ियार काकी को समर्पणि है। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● कु िुब मीनार का तनमाणर् िेरहिीं शिाब्दी में ककया गया था। यह 234 फु ट ऊिंची है। इसकी पािंच मिंतजलें हैं जो ऊपर की ओर
क्रमशः पिली या सिंकरी होिी चली जािी हैं।
● मीनार बहुभुजी और िृिाकार रूपों का तमश्रर् है।
● यह अतधकिर लाल और पािंडु रिं ग के बलुआ पत्थर की बनी है, अलबिा इसकी ऊपरी मिंतजल में कहीं-कहीं सिंगमरमर का भी
प्रयोग हुआ है।
● इसकी एक तिशेर्षिा यह है कक इसके बारजे अत्यिंि सजे हुए हैं और इसमें कई तशलालेख हैं तजन पर फू ल-पतियों के नमूने बने हैं।
● अलाई दरिाजा (कु िुब मीनार का दतक्षर्ी द्वार) भारि में कदकली के महरौली क्षेत्र में कु िुब पररसर में तस्थि कु व्िि-उल-इस्लाम
मतस्जद का दतक्षर्ी प्रिेश द्वार है। इसका तनमाणर् 1311 ई. में सुकिान अलाउद्दीन खलजी द्वारा करिाया गया था। लाल बलुआ
)
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पत्थर से बना, यह एक चौकोर गुिंबददार गेट हाउस है तजसमें धनुर्षाकार प्रिेश द्वार हैं और इसमें एक कक्ष है। इसतलए कथन 2
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सही है।
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1
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Q 32.B
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● मौयोिर काल के दौरान, तिदेशी शासकों ने सिंस्कृ ि सातहत्य का सिंरक्षर् और सिंिधणन ककया। सबसे पहले काव्य शैली का नमूना
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कारठयािाड़ के रुद्रदामन के तशलालेख में लगभग 150 ई. का तमलिा है। उसके बाद से तशलालेखों की रचना शुद्ध सिंस्कृ ि में की
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जाने लगी थी। हालािंकक तशलालेखों की रचना में प्राकृ ि का प्रयोग चौथी शिाब्दी ईस्िी िक और उसके बाद भी जारी रहा।
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● ऐसा लगिा है कक अश्वघोर्ष जैसे कु छ महान रचनाकारों ने कु र्षार्ों के सिंरक्षर् का लाभ उठाया। अश्वघोर्ष ने बुद्धचररि तलखा,
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जो बुद्ध की जीिनी है। उन्होंने ही सौन्दरानिंद की रचना भी की, जो सिंस्कृ ि काव्य का एक बेहिरीन उदाहरर् है।
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Q 33.A
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● िर्षण 1333 के दौरान, मुहम्मद तबन िुगलक ने भारि के ििणमान तहमाचल प्रदेश के कु कलू-कािंगड़ा क्षेत्र में करातचल अतभयान
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Q 35.A
● उिर िैकदक काल में ऋग्िैकदक जनिा िाली सभा-सतमतियों का महत्ि कम हो गया और उनकी जगह पर राजकीय प्रभुत्ि में
िृतद्ध हुई। तिदथ नामक सिंस्था पूर्णिः समाप्त हो गई। सभा और सतमति का अतस्ित्ि बना रहा ककिं िु उनकी प्रकृ ति मे पररििणन हो
)
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गया था। इन सिंस्थाओं में राजाओं और अतभजात्यों का बोलबाला हो गया। अब सभा में तस्त्रयों का प्रिेश तनतर्षद्ध हो गया िथा
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कु लीनों एििं ब्राह्मर्ों का प्राबकय हो गया।
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○ gm
राज्यों की आकार िृतद्ध से मुतखया या राजा अतधकातधक शतिशाली होिा गया। सिा धीरे -धीरे जनजािीय से प्रादेतशक
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होिी गई।
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○ लेककन उिर िैकदक काल में भी राजा के पास एक स्थायी सेना नहीं थी। युद्ध के समय कबीले के जिानों के दल भारिी कर
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तलए जािे थे और कमणकािंड के एक अनुिान के अनुसार युद्ध में तिजय प्रातप्त की कामना से राजा को एक ही थाली में अपने
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भाई-बिंधओं
ु (तिश्) के साथ खाना पड़िा था।
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● उिर िैकदक काल में समाज चार िर्ों में तिभि था- ब्राह्मर्, राजन्य या क्षतत्रय, िैश्य और शूद्र। यज्ञ का अनुिान अत्यतधक बढ़
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● उिर िैकदक काल में यज्ञ में दान के रूप में गाय के साथ-साथ सोना, कपड़े, घोड़े भी कदए जािे थे। कभी कभी पुरोतहि दतक्षर्ा में
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राज्य का कु छ भाग भी मािंग लेिे थे, ककिं िु यज्ञ की दतक्षर्ा में भूतमदान की प्रथा उिर िैकदक काल में प्रचतलि नहीं हुई थी।
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● देििाओं की आराधना के जो भौतिक उद्देश्य पूिण में थे िे ही इस काल में बने रहे। यद्यतप इस काल में आराधना की रीति में
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○ स्िुतिपाठ पहले की िरह ही चलिे रहे, ककिं िु ये देििाओं को प्रसन्न करने की प्रमुख रीति नहीं रहे। इस काल में प्रत्युि यज्ञ
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करना कहीं अतधक महत्िपूर्ण हो गया। यज्ञ के सािणजतनक िथा घरे लू दोनों रूप प्रचतलि हुए। सािणजतनक यज्ञ राजा अपनी
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प्रजा के साथ करिा था और प्रजा में अ्सर एक ही कबीले के लोग होिे थे।
● इसतलए तिककप (a) सही है।
Q 36.A
● ऋग्िैकदक काल में मतहला दातसयों का प्रचलन था। उदाहरर् के तलए, हम िेदों में पुरोतहिों को कदए जाने िाले दान में गायों
और मतहला दातसयों की चचाण सुनिे हैं और कभी भी भूतम दान कदए जाने का कोई प्रमार् प्राप्त नहीं होिा है। इसतलए कथन 1
सही है।
Q 37.A
● कें द्रीय बजट, 2023-23 में तमष्टी योजना (MISHTI SCHEME) अथाणि् मैंग्रोि इतनतशएरटि फॉर शोरलाइन हैतबटैट्स एिंड
टैंतजबल इनकम नामक एक नए कायणक्रम की घोर्षर्ा की गई। यह भारि के समुद्र िट के ककनारे और लिर्ीय भूतम पर मैंग्रोि
िृक्षारोपर् की सुतिधा प्रदान करे गा।
● तमष्टी पहल का महत्ि-
● मैंग्रोि क्षेत्र भारि में सबसे अतधक जैि-तितिधिा युि स्थानों में से एक हैं।
● मैंग्रोि िूफानी मौसम के प्रभाि से भी िटरे खाओं की रक्षा करिे हैं।
● जलिायु पररििणन से दुतनया भर में चरम मौसम की घटनाओं में िृतद्ध हुई है। अिः ऐसे में मैंग्रोि िृक्षारोपर् को िटीय भूतम को
प्रत्यास्थ बनाने, बाढ़ और मृदा अपरदन को रोकने िथा चक्रिािों के तलए एक बफर के रूप में कायण करने िाले घटक के रूप में
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देखा जा रहा है।
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● मैंग्रोि उत्कृ ष्ट काबणन हसिंक के रूप में भी कायण करिे हैं और उष्र्करटबिंधीय िर्षाण िनों की िुलना में चार गुना अतधक काबणन का
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प्रच्छादन कर सकिे हैं। gm
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● तमष्टी कायणक्रम मनरे गा, कै म्पा तनतध और अन्य स्रोिों के बीच समन्िय के माध्यम से सिंचातलि ककया जाएगा। कै म्पा प्रतिपूरक
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िनीकरर् कोर्ष प्रबिंधन एििं योजना प्रातधकरर् का सिंतक्षप्त रूप है। यह कायणक्रम मैंग्रोि की सुरक्षा हेिु पररििणनकारी तसद्ध हो
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सकिा है। इसके िहि मैंग्रोि के पौधे देश के िटीय क्षेत्रों में लगाए जाएिंगे। इसका मुख्य उद्देश्य “मैंग्रोि िनों का सिंरक्षर्” करना
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○ तिश्व का लगभग 40% मैंग्रोि आिरर् दतक्षर्-पूिण एतशया और दतक्षर् एतशया में पाया जािा है।
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○ भारि में दतक्षर् एतशया के कु ल मैंग्रोि किर का लगभग 3% पाया जािा है।
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○ भारि में मैंग्रोि तनम्नतलतखि राज्यों और कें द्र शातसि प्रदेशों में पाए जािे हैं: पतिम बिंगाल, ओतडशा, आिंध्र प्रदेश,
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ितमलनाडु , अिंडमान और तनकोबार द्वीप समूह, के रल, कनाणटक, गोिा, महाराष्ट्र और गुजराि।
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○ मैंग्रोि महानदी, गोदािरी और कृ ष्र्ा नदी घारटयों के डेकटा क्षेत्रों में भी पाए जािे हैं।
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○ भारि के मैंग्रोि आिरर् का 42.45% अके ले पतिम बिंगाल में फै ला हुआ है। इसके बाद गुजराि (23.66%) और अिंडमान
और तनकोबार द्वीप समूह (12.39%) का स्थान आिा है। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
Q 38.C
● अलाउद्दीन तखलजी (1296-1316) ने बाजार नीति की शुरुआि की थी। यह एक महत्िपूर्ण और तितशष्ट उपाय था तजसमें घरे लू
िथा अिंिराणष्ट्रीय दोनों इतिहासकारों ने रुतच कदखाई।
Q 39.B
● प्राचीन भारि में कराधान प्रर्ाली की दृतष्ट से मौयण काल एक महत्िपूर्ण काल था। कौरटकय ने ककसानों, तशतकपयों और
व्यापाररयों से िसूल ककए जाने िाले अनेक करों का उकलेख ककया है। इन सभी करों के तनधाणरर्, िसूली और सिंग्रह के तलए एक
दृढ़ और दक्ष सिंगठन की आिश्यकिा थी।
● मौयण शासन के दौरान कर के सिंग्रहर् और िसूली से अतधक महत्ि उसके तनधाणरर् को कदया गया था।
● समाहिाण कर तनधाणरर् हेिु सिोच्च प्रभारी अतधकारी था और सतन्नधािा राजकीय कोर्षागार और खजाने का मुख्य सिंरक्षक था।
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● समाहिाण द्वारा राज्य को पहुिंचाया गया नुकसान सतन्नधािा द्वारा पहुिंचाए गए नुकसान से अतधक गिंभीर माना जािा था। िास्िि
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में, कर तनधाणरर् का ऐसा तिशद ििंत्र सिणप्रथम मौयणकाल में ही देखा जािा है।
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अथणशास्त्र में करों की लिंबी सूची का उकलेख ककया गया है, यकद िास्िि में इन सभी करों की िसूली की जािी थी िो प्रजा के
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Q 40.A
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● तिजयनगर साम्राज्य, तिजयनगर (ििणमान हम्पी, कनाणटक) शहर में तस्थि एक दतक्षर् भारिीय साम्राज्य था। इसने 14िीं
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शिाब्दी से लेकर 17िीं शिाब्दी िक शासन ककया था। तिजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्िी. में हुई थी। इसकी
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स्थापना का श्रेय सिंगम ििंश के दो भाइयों हररहर I और बुक्का राय I को कदया जािा है। ये दोनों यादि ििंश के एक चरिाहे
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● तिजयनगर साम्राज्य का प्रभुत्ि दतक्षर् भारि में एक तिशाल क्षेत्र पर था। इसमें ििणमान कनाणटक, आिंध्र प्रदेश, ितमलनाडु ,
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के रल, गोिा िथा िेलिंगाना और महाराष्ट्र के कु छ तहस्से शातमल थे। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
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● तिजयनगर साम्राज्य की बढ़िी हुई शति ने स्िभाििः इसे दतक्षर् और उिर में कई शतियों के साथ सिंघर्षण में ला कदया था।
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दतक्षर् में, इसके मुख्य प्रतिद्विंद्वी मदुरै के सुकिान थे। तिजयनगर और मदुरै के सुकिानों के बीच सिंघर्षण लगभग चार दशकों िक
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चला। 1377 ई. िक मदुरै की सकिनि लगभग समाप्त हो गई। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
Q 41.C
● भिाई गुजराि की एक पारिं पररक नाट्य शैली है।
● इस शैली के मुख्य कें द्र कच्छ और कारठयािाड़ हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
● भिाई में उपयोग ककए जाने िाले िाद्ययिंत्रों में तनम्न शातमल होिे हैं:
o भुग
िं ल,
o िबला,
19 www.visionias.in ©Vision IAS
o बािंसरु ी,
o पखािज,
o रबाब,
o सारिं गी, मिंजीरा, आकद। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● भिाई में भति और रूमानी भािनाओं का दुलभ
ण समन्िय देखने को तमलिा है। इसतलए कथन 3 सही है।
Q 42.D
● हातलया सिंदभण: भारिीय भूिज्ञ
ै ातनक सिेक्षर् ने पहली बार कें द्र शातसि प्रदेश जम्मू और कश्मीर के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9
तमतलयन टन के तलतथयम के ‘अनुमातनि’ भिंडार (G3) की खोज की है। हाल ही में हुई तलतथयम भिंडार की यह खोज एक
महत्िपूर्ण तिकासक्रम है तजसमें इलेत्ट्रक िाहनों (ईिी) और इले्ट्रॉतन्स सतहि तितभन्न उद्योगों में क्रािंति लाने की क्षमिा है।
● तलतथयम एक दुलभ
ण और मूकयिान खतनज है। इसे 'ऊजाण भिंडारर् प्रौद्योतगकी के सफे द सोने' के रूप में जाना जािा है। साथ ही
यह इलेत्ट्रक बैटरी में उपयोग ककए जाने िाले प्रमुख घटकों में से एक है। ईिी के अतिररि, तलतथयम-आधाररि अधणचालक
राष्ट्रीय सुरक्षा, परमार्ु तचककत्सा और अन्य िैज्ञातनक अनुसिंधान के क्षेत्रों में भी महत्िपूर्ण भूतमका तनभा रहे हैं।
● अभी िक पयाणप्त सिंसाधनों की कमी के कारर्, भारि अपनी तलतथयम आिश्यकिाओं को पूरा करने के तलए आयाि पर बहुि
अतधक तनभणर रहा है। इसकी 80% से अतधक तलतथयम आिश्यकिाओं की पूर्िण चीन, अजेंटीना और तचली जैसे देशों से आयाि
के माध्यम से होिी है।
● भारि में तलतथयम भिंडार की खोज देश को इसके आयाि पर तनभणरिा कम करने, तलतथयम-आयन बैटरी के उत्पादन में
आत्मतनभणर बनने और तलतथयम-आयन बैटरी के िैतश्वक बाजार में एक प्रमुख अतभकिाण के रूप में स्ियिं को स्थातपि करने का
)
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अिसर प्रदान करिी है।
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● ििणमान खोज से भारि तिश्व में तलतथयम भिंडार के मामले में साििें स्थान पर पहुिंच गया है।
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● इसतलए तिककप (d) सही उिर है। gm
5@
1
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Q 43.D
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(ja
● मुद्राराक्षस ("अिंतिम निंद राजा के मुख्यमिंत्री राक्षस की मुकद्रका"), तिशाखदि द्वारा चौथी शिाब्दी ईस्िी में सिंस्कृ ि में रतचि एक
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ऐतिहातसक नाटक है। यह एक राजनीतिक रोमािंचक नाटक है। इसमें सम्राट चिंद्रगुप्त मौयण द्वारा उिरी भारि में अपने गुरु और
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मुख्यमिंत्री चार््य की सहायिा से सिा ग्रहर् करने का िर्णन ककया गया है। इसतलए युग्म 1 सही सुमते लि है।
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o मुद्राराक्षस की ऐतिहातसक प्रामातर्किा को कु छ हद िक शास्त्रीय हेलेतनतस्टक स्रोिों से समथणन प्राप्त होिा है। इसमें निंद के
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क्रूर शासन, चिंद्रगुप्त द्वारा सिा पर अतधकार, मौयण साम्राज्य का गठन और तसकिं दर महान की तिजय के पररर्ामस्िरूप
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● हर्षण को हर्षणिद्धणन के नाम से भी जाना जािा है। उसने 606 ई. से 647 ई. िक उिरी भारि में एक बड़े साम्राज्य पर शासन
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ककया था। सम्राट हर्षण स्ियिं एक महान तिद्वान था। उसने बार्भट्ट और मयूर जैसे कई कतियों को सिंरक्षर् प्रदान ककया और
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उनका प्रतिपालन/आर्थणक समथणन ककया। बार्भट्ट द्वारा रतचि प्रतसद्ध ग्रन्थ हर्षणचररि से हमें उसका जीिनिृि ज्ञाि होिा है।
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Q 45.B
● उिर भारि में मिंकदर स्थापत्य/िास्िुकला की जो शैली लोकतप्रय हुई उसे नागर शैली कहा जािा है। इस शैली की एक सामान्य
तिशेर्षिा यह है कक सिंपर्
ू ण मिंकदर एक तिशाल चबूिरे (िेदी) पर बनाया जािा है और उस िक पहुिंचने के तलए सीकढ़यािं तनर्मणि
होिी हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
● इसके अतिररि इन मकदिंरों में, दतक्षर् भारिीय या द्रतिड़ शैली के तिपरीि, कोई चहारदीिारी या दरिाजे नहीं होिे हैं।
हालािंकक, आरिं तभक मिंकदरों में तसफण एक मीनार या तशखर तनर्मणि थे जबकक बाद के मिंकदरों में कई तशखर तनर्मणि ककए जाने
लगे। मिंकदर का गभणगह
ृ हमेशा सबसे ऊाँचे तशखर के ठीक नीचे बनाया जािा है। इसतलए कथन 2 सही नहीं है और कथन 3 सही
है।
)
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● नागर मिंकदर के तिपरीि, द्रतिड़ मकदिंर चारों ओर एक चहारदीिारी से तघरा होिा है। इस चहारदीिारी के बीच में प्रिेश द्वार
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तनर्मणि होिे हैं तजन्हें गोपरमु कहा जािा है। मकदिंर के गम्बुद का रूप तजसे ितमलनाडु में तिमान कहा जािा है, मुख्यिः: एक
5@
सीढ़ीदार तपरातमड की िरह होिा है जो ऊपर की ओर ज्यातमिीय रूप से उठा होिा है, न कक उिर भारि के मकदिंरों की िरह
1
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● दतक्षर् भारिीय मिंकदरों में, तशखर शब्द का प्रयोग मिंकदर की चोटी पर तस्थि मुकुट जैसे ित्ि के तलए ककया जािा है तजसका
(ja
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आकार आमिौर पर एक छोटी स्िूतपका या एक अष्टभुजी गुमटी जैसा होिा है। यह उिर भारिीय मिंकदरों के आमलक या कलश
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के समान होिा है। उिर भारि के मिंकदर के गभणगह के प्रिेश द्वार के पास तमथुनों या गिंगा-यमुना नदी की प्रतिमाएिं तनर्मणि होिी
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हैं, दतक्षर् भारिीय मिंकदरों में आमिौर पर भयानक द्वारपालों की प्रतिमाएिं खड़ी की जािी हैं जो मानों मिंकदर की रक्षा कर रह
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हों। मिंकदर के अहािे (पररसर) में एक बड़ा जलाशय या िालाब तनर्मणि होिा है। उप-देिालयों को या िो मिंकदर के मुख्य गम्बुद के
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भीिर ही शातमल कर तलया जािा है या कफर अलग छोटे देिालयों के रूप में मुख्य मिंकदर के पास बनाया जािा है। दतक्षर् के
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मिंकदरों में, उिर भारि के मिंकदरों की िरह एक-साथ कई छोटे-बड़े तशखर नहीं बनाए जािे थे। इसतलए कथन 4 सही नहीं है।
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Q 46.A
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● छत्रपति तशिाजी ने अपने पड़ोसी मुगल राज्यों से कर की िसूली करके अपनी आय में िृतद्ध की। यह कर भू-राजस्ि का चौथा
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Q 48.B
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● अला-उद-दीन हसन बहमन शाह बहमनी सकिनि का सिंस्थापक था। उसे हसन गिंगू के नाम से भी जाना जािा है उसने सकिनि
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पर 1347 ई. से 1358 ई. िक शासन ककया। बहमनी राजििंश की राजधानी गुलबगाण (हसनबाद) थी। हसन गिंगू ने अपने सैन्य
5@
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जीिन की शुरुआि सुकिान मोहम्मद तबन िुगलक के सेनापति के रूप में की थी। उसे दौलिाबाद का राज्यपाल बनाया गया था।
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अपना साम्राज्य स्थातपि करने के बाद उसने अपने बड़े बेटे को साम्राज्य सौंप कदया।
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● बहमनी साम्राज्य की स्थापना 1347 ई. में अला-उद-दीन बहमन शाह या अलाउद्दीन हसन ने की थी।
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● गिंगा नाम के एक ब्राह्मर् मातलक की सेिा में रहने के कारर् इसका अभ्युदय हुआ और इसतलए इसे हसन गिंगू के नाम से जाना
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जािा है। अपने राज्यातभर्षेक के उपरािंि इसने अलाउद्दीन हसन बहमन शाह की उपातध धारर् की थी।
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Q 49.A
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● हातलया सिंदभण: प्राचीन सिंस्मारक िथा पुराित्िीय स्थल और अिशेर्ष सिंशोधन तिधेयक को बजट सत्र में पुनः प्रस्िुि ककया गया।
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● पुरािातत्िक िथा ऐतिहातसक स्मारकों एििं स्थलों के सिंरक्षर् और परररक्षर् के उद्देश्य से सिंसद द्वारा 1958 में प्राचीन सिंस्मारक
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िथा पुराित्िीय स्थल और अिशेर्ष (AMASR) अतधतनयम पाररि ककया गया था। यह पुरािातत्िक उत्खनन के तितनयमन,
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रूपकृ तियों एििं नक्कातशयों और अन्य ऐसी िस्िुओं के सिंरक्षर् के तलए भी प्रािधान करिा है। इसतलए कथन 1 सही है।
● 1958 के मूल अतधतनयम में, "प्राचीन स्मारक" से कोई सिंरचना, रचना, या स्मारक, या कोई स्िूप या दफनगाह, या कोई गुफा,
शैल-रूपकृ ति, उत्कीर्ण लेख या एकाश्म जो ऐतिहातसक, पुरािातत्िक या कलात्मक रुतच का है और जो कम से कम एक सौ िर्षों
से तिद्यमान है, अतभप्रेि है। इसके अतिररि, "पुरािातत्िक स्थल और अिशेर्ष" का अथण है "कोई भी ऐसा क्षेत्र तजसमें ऐतिहातसक
या पुरािातत्िक महत्ि के भग्नािशेर्ष या पाररशेर्ष शातमल है जो कम से कम एक सौ िर्षों से तिद्यमान है। इसतलए कथन 2 सही
नहीं है।
Q 50.A
● हातलया सिंदभण: भारि सरकार द्वारा कच्चे िेल पर हििंडफॉल टै्स (Windfall tax) में कटौिी की गई है।
● जब आर्थणक तस्थति के कारर् उद्योगों को औसि से अतधक लाभ प्राप्त होिा है िो सरकार द्वारा कु छ उद्योगों पर कर लगाया
जािा है तजसे हििंडफॉल टै्स (अप्रत्यातशि कर) से सिंदर्भणि ककया गया है। इस प्रकार की आर्थणक पररतस्थतियािं एक तनतिि
व्यिसाय या उद्योग के तलए अचानक अप्रत्यातशि लाभ उत्पन्न करिी हैं, सामान्य िौर पर ऐसा लाभ भू-राजनीतिक व्यिधान,
प्राकृ तिक आपदा, या युद्ध के पररर्ामस्िरूप मािंग या आपूर्िण में रुकािट के कारर् असामान्य िृतद्ध से उत्पन्न होिा है। इसका एक
)
अच्छा उदाहरर् रूस और यूक्रेन के बीच का टकराि है।
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● इस कर को उस समय भी लगाया जािा है जब एक ही समय में सािणजतनक व्यय में अस्थायी उछाल की िीव्र आिश्यकिा होिी
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● हििंडफॉल टै्स लगाने के तलए दुतनया भर की सरकारों ने तभन्न-तभन्न िकण कदए हैं-
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○ यह अप्रत्यातशि लाभ का पुनर्िणिरर् है जब उच्च कीमिें उपभोिाओं की कीमि पर उत्पादकों को लाभ पहुिंचािी हैं।
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से प्रभातिि होिे हैं। ये भतिष्य के करों के बारे में बाजार में अतनतिििा उत्पन्न कर सकिे हैं।
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● अिंिराणष्ट्रीय मुद्रा कोर्ष (IMF) का कहना है कक मूकय िृतद्ध की प्रतिकक्रया में ये कर अपनी समीचीन और राजनीतिक प्रकृ ति को
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देखिे हुए तडजाइन की समस्याओं से ग्रस्ि हो सकिे हैं। साथ ही इसने यह भी कहा कक एक अस्थायी हििंडफॉल प्रॉकफट टै्स शुरू
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करने से भतिष्य के तनिेश में कमी आएगी ्योंकक सिंभातिि तनिेशक तनिेश सिंबिंधी तनर्णय करिे समय सिंभातिि करों की
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● एक अन्य मुद्दा यह है कक इस कर को ककस पर लगाया जाना चातहए। ्या इसे के िल बड़ी किं पतनयों पर लगाना चातहए जो उच्च
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Q 51.D
● िली तचत्रकला कथात्मक तचत्रकाररयािं हैं तजनमें चेहरे की अतभव्यति की बहुि कम गुज
िं ाइश के साथ भाि-भिंतगमा और लय की
आिश्यकिा होिी है। इसमें अतधकािंश पात्र एक-दूसरे के साथ सिंिाद में होिे हैं। यह कला रूप िली(महाराष्ट्र) की सामातजक
जीिन शैली और कक्रयाकलापों जैसे तशकार करना, मछली पकड़ना, खेिी, िन गतितितधयों और ग्रामीर् जीिन आकद तिर्षयों से
सिंबतिं धि है। तितभन्न फसलों के मौसम, तििाह और जन्म के दौरान इनके घरों को तचत्रों से अलिंकृि ककया जािा है। इसतलए
कथन 1 सही है।
23 www.visionias.in ©Vision IAS
● िली मुख्य रूप से कृ र्षक हैं तजनका जीिन मानसून चक्र द्वारा तनयिंतत्रि होिा है। चूिंकक उनका जीिन प्रकृ ति से तनकटिा से जुड़ा
हुआ होिा है, अिः िे इसकी सूयण और चिंद्रमा, िज्र, तबजली, हिा, बाररश और अनेक अन्य देििाओं के रूप में पूजा करिे हैं।
देििाओं की पूजा ऋिुओं के अनुसार की जािी है। पुरुर्षों और मतहलाओं को फसल की कटाई में सिंलग्न दृश्य, भूतम पर खेिी करिे
हुए और तशकार और कई अन्य दैतनक कक्रयाकलापों में दशाणया जािा है। िली तचत्रों में पुरुर्षों और मतहलाओं की सर्पणल
सिंरचनाएिं और सिंकेंकद्रि गोलाकार तडजाइन िारपा नृत्य के प्रिीक हैं।
● िली तचत्रकला चररत्र में सरल है तजसमें तत्रभुजाकार रूप में मानि आकृ तियािं बनाई जािी हैं िथा हाथ और पैर छड़ी की भािंति
होिे हैं। साथ ही ज्यातमिीय आकृ तियों में तितभन्न प्रकार की िनस्पतियों एििं जीिों के तचत्र बनाए जािे हैं। इस तचत्रकला का
अभ्यास पीढ़ी दर पीढ़ी ककया जािा है और कलाकारों को कोई औपचाररक प्रतशक्षर् नहीं कदया जािा है। इसतलए कथन 3 सही
है।
● इन तचत्रों को साधारर्िः तमट्टी और गोबर आधाररि सिह पर तचतत्रि ककया जािा है। सबसे पहले गेरू (लाल तमट्टी) से लेप
ककया जािा है और कफर सफे द रिंग के तलए चािल के पेस्ट का लेप ककया जािा है। ये तचत्र साधारर् होिे हैं लेककन जीिन से
भरपूर होिे हैं। इस तचत्रकला के तलए ब्रश के स्थान पर सालिी घास या बािंस की छतड़यों का उपयोग ककया जािा है। इसतलए
कथन 2 सही है।
● िली, मुिंबई के उिरी बाहरी इलाके में, पतिमी भारि में पाई जाने िाली मुख्य जनजाति है, तजसका तिस्िार गुजराि सीमा िक
है। िली फू स से तनर्मणि तमट्टी की झोपतड़यों के छोटे गािंिों में रहिे हैं, जो इस िरह से बनाए गए हैं कक िे सभी एक कें द्रीय धुरी
के चारों ओर तिस्िृि प्रिीि होिे हैं। इसतलए तिककप (d) सही उिर है।
Q 52.B
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• हररर्षेर् चौथी शिाब्दी के दौरान सिंस्कृ ि कति और एक दरबारी अतधकारी थे। िे गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त के दरबार में एक
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महत्िपूर्ण व्यति थे।
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उन्होंने 345 ईस्िी. में प्रयाग प्रशतस्ि की रचना की थी, तजसमें समुद्रगुप्त की बहादुरी का िर्णन ककया गया है। कति हररर्षेर् ने
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1
○ इस िृहद अतभलेख में कति समुद्रगुप्त द्वारा तितजि लोगों एििं राज्यों का िर्णन ककया गया है। यह प्रशतस्ि उसी स्िम्भ पर
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○ उनकी रचनाओं में अतभज्ञानशाकुिं िलम्, तिक्रमोिशीयम् और मालतिकातग्नतमत्रम् के साथ-साथ महाकाव्य रघुििंश एििं
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• रतिकीर्िण, चालु्य राजा पुलके तशन तद्विीय के दरबारी कति थे। उन्होंने प्रतसद्ध एहोल अतभलेख उत्कीर्र्णि ककया था।
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Q53.D
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Q 54.B
• ऋतर्ष-मुतनयों द्वारा तनरिंिर हचिंिन ने महान दाशणतनक पद्धतियों को जन्म कदया। इन दशणनों ने मानि और जगि को एक तनष्पक्ष,
स्िििंत्र और िकण सिंगि मानतसकिा के साथ देखा।
• महत्िपूर्ण दशणन पद्धतियााँ है, चािाणक, जैन, बुद्ध, िैशेतर्षक, न्याय, सािंख्य, योग, मीमािंसा और िेदािंि।
• पहली िीन पद्धतियााँ नातस्िक हैं; जो िेदों और ईश्वर के अतस्ित्ि को स्िीकार नहीं करिी हैं, जबकक अन्य सभी आतस्िक हैं, जो
िेदों और ईश्वर को मानिी हैं।
• चािाणक दशणन (तजसे लोकायि भी कहा जािा है) के िल भौतिकिाद में तिश्वास करिा है।
• भौतिक ित्िों से बने भौतिक शरीर यानी मानि को ही सभी कक्रयाओं का मूल मानिा है।
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• मृत्यु ही मानि का अिंि है; और सुख भोगना ही जीिन की एकमात्र िस्िु है।
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• मृत्यु के पिाि् कोई जीिन नहीं है, कोई स्िगण या नरक नहीं है, कोई कमणिाद नहीं है और कोई पुनजणन्म नहीं है।
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• gm
चािाणक दशणन आत्मा, ईश्वर या ििणमान से परे ककसी अन्य जीिन के अतस्ित्ि को स्िीकार नहीं करिा है।
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Q 55.B
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• ईसिी की आरिं तभक शिातब्दयों से ही भूतमदान के प्रमार् भी तमलिे हैं। इनमें से कई का उकलेख अतभलेखों में ककया गया है।
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• इनमें से कु छ अतभलेख पत्थरों पर तलखे गए थे जबकक अतधकािंश िाम्र पत्रों पर खुदे होिे थे तजन्हें सिंभििः भूतमदान प्राप्त करने
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िाले लोगों को प्रमार् रूप में कदया जािा था। भूतमदान के जो प्रमार् तमले हैं िे साधारर् िौर पर धार्मणक सिंस्थाओं या ब्राह्मर्ों
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को कदए गए थे।
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• अग्रहार शाही सिंरक्षर् या अन्य द्वारा ब्राह्मर्ों को दान में कदए गए भूभाग को कहा जािा था। ब्राह्मर्ों से भूतमकर या अन्य प्रकार
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के कर नहीं िसूले जािे थे। ब्राह्मर्ों को स्ियिं स्थानीय लोगों से कर िसूलने का अतधकार था। इसतलए तिककप (b) सही उिर है।
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Q 56.D
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● िुग
िं भद्रा दोआब दतक्षर् भारि में तस्थि एक क्षेत्र है। यह तिशेर्ष रूप से कनाणटक और आिंध्र प्रदेश राज्यों में तस्थि है। यह क्षेत्र
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िुग
िं भद्रा और कृ ष्र्ा नकदयों के बीच तस्थि है। भारि में मध्यकाल के दौरान, िुिंगभद्रा दोआब क्षेत्र ने दक्कन पठार के इतिहास और
राजनीति में महत्िपूर्ण भूतमका तनभाई थी। इस क्षेत्र पर तितभन्न राजििंशों द्वारा शासन ककया गया; तजनमें चालु्य, राष्ट्रकू ट,
होयसल और तिजयनगर साम्राज्य शातमल है। इसतलए तिककप (d) सही उिर है।
● 992 ई. से 1120 ई. िक, चोल साम्राज्य और पतिमी चालु्य साम्राज्य के बीच कई सिंघर्षण हुए, तजसे ििणमान भारि के दतक्षर्ी
क्षेत्र में चोल-चालु्य युद्ध के नाम से जाना जािा है। ये युद्ध दो मोचों पर लड़े गए: पहला पतिमी मोचाण, जहािं मान्यखेि और
ककयार्ी पर अतधकार करना चोलों का उद्देश्य था, और दूसरा पूिी मोचाण, जहािं दोनों के तलए रर्नीतिक रूप से महत्िपूर्ण
स्थान, िेंगी, के आस-पास के क्षेत्रों के तलए दोनों सिंघर्षणरि थे।
● िुिंगभद्रा दोआब क्षेत्र पर तनयिंत्रर् को लेकर यादिों और होयसलों के बीच भी सिंघर्षण के कई उदाहरर् तमलिे हैं।
25 www.visionias.in ©Vision IAS
● िुिंगभद्रा दोआब क्षेत्र पर तनयिंत्रर् को लेकर तिजयनगर और बहमनी साम्राज्यों के बीच तनरिंिर और भीर्षर् सिंघर्षण हुए थे।
बहमनी सकिनि ने इस क्षेत्र पर अतधकार करने के तलए तिजयनगर साम्राज्य के तिरुद्ध कई अतभयान ककए। हालािंकक तिजयनगर
साम्राज्य इन हमलों का प्रतिरोध करने और क्षेत्र पर अपना प्रभुत्ि बनाए रखने में सक्षम था।
● काकिीय राजििंश ने पूिी दक्कन क्षेत्र पर शासन ककया था और गर्पति ििंश ने ििणमान ओतडशा और उिरी िटीय आिंध्र पर
शासन ककया था। इसतलए िुिंगभद्रा दोआब पर तनयिंत्रर् को लेकर इन दोनों साम्राज्यों के बीच कोई प्रत्यक्ष युद्ध नहीं हुआ था।
Q 57.B
● िैशते र्षक दाशणतनक प्रर्ाली: ऐसा माना जािा है कक सिंस्कृ ि दाशणतनक कर्ाद कश्यप ने इसके तसद्धािंिों की व्याख्या की थी। उन्हें
इस दशणन की स्थापना का श्रेय कदया जािा है। इसतलए कथन 3 सही है।
● िैशते र्षक प्रर्ाली दुतनया का एक यथाथणिादी, तिश्लेर्षर्ात्मक और िस्िुतनि दशणन है।
● यह दाशणतनक प्रर्ाली तितभन्न प्रकार की मौतलक चीजों के बीच अिंिर करने और सभी अियिों को पािंच ित्िों - पृ्िी, जल,
िायु, अतग्न और आकाश - में िगीकृ ि करने का प्रयास करिी है, जो परमार्ुओं, समय, स्थान, मन और स्ि के रूप में मौजूद होिे
● जब इन पािंच ित्िों के अर्ु आपस में तमलने लगिे हैं, िब सृतष्ट की रचना शुरू हो जािी है और जब इनका तिघटन होिा है, िब
● इस प्रकार िैशते र्षक प्रर्ाली पदाथण और आत्मा के द्वैििाद को मानिी है और घोर्षर्ा करिी है कक मोक्ष ब्रह्मािंड की परमार्ु
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प्रकृ ति और आत्मा से इसकी तभन्निा को पूरी िरह से पहचानने पर तनभणर करिा है। इसतलए कथन 1 सही है।
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Q 58.D
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● इस काल सिणप्रमुख आर्थणक घटनाक्रम भारि और पूिी रोमन साम्राज्य के बीच फू लिा-फलिा व्यापार था। आरिं भ में इस व्यापार
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का अतधकािंश भाग स्थल मागण से ककया जािा था। हालािंकक, ईसा पूिण पहली सदी से शकों, पार्थणयनों और कु र्षार्ों के आक्रमर्ों के
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● यद्यतप ईरान के पार्थणयन लोग भारि से लोहा और इस्पाि का तनयाणि करिे थे िथातप उन्होंने ईरान से और पतिमी क्षेत्रों के
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साथ भारि के व्यापार को बातधि ककया। हालािंकक, ईसा की पहली सदी से व्यापार मुख्यि: समुद्री मागण से होने लगा।
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● सिंभििः ईसिी सन् के आरिंभ में मानसून की पररघटना का ज्ञान हो गया था। इसके फलस्िरूप नातिक अरब सागर के पूिी िटों
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● िे तितभन्न बिंदरगाहों जैसे कक- भारि के पतिमी िट पर तस्थि भड़ौच और सोपारा और पूिी िट पर तस्थि अररकामेडु और
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इन सभी बिंदरगाहों में भड़ौच सबसे महत्िपूर्ण और प्रगतिशील था। यहािं पर न के िल साििाहन साम्राज्य में उत्पाकदि
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िस्िुओं को लाया जािा था बतकक यहािं शक और कु र्षार् राजििंश में उत्पाकदि िस्िुएिं भी पहुिंचिी थी।
● शक और कु र्षार् लोग भी पतिमोिर सीमा प्रािंि से पतिमी समुद्र िट िक जाने हेिु दो मागों का प्रयोग करिे थे। दोनों मागण
िक्षतशला में तमलिे थे और मध्य एतशया से गुजरने िाले रे शम मागण से भी जुड़े थे। पहला मागण उिर से सीधे दतक्षर् की ओर
जािा था और िक्षतशला को तनचली हसिंधु घाटी से जोड़िे हुए भड़ौच चला जािा था। दूसरा भाग, जो उिरापथ नाम से तिकदि
है, अतधक व्यस्ि मागण था।
अनुसरर् करिे हुए दतक्षर् की ओर मथुरा और मथुरा से मालिा क्षेत्र में उज्जैन पहुिंच कर िहािं से पतिमी समुद्र िट पर
भड़ौच िक जािा था। उज्जैन में इसमें एक और मागण तमल जािा था, जो इलाहाबाद के समीप कौशािंबी से तनकलिा था।
Q 59.B
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1580 में, अकबर ने दहसाला नामक एक नई भू-राजस्ि प्रर्ाली की शुरुआि की। यह प्रर्ाली भू-राजस्ि की जब्िी प्रर्ाली का
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●
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सिंशोतधि रूप थी। जब्िी प्रर्ाली मृदा की उत्पादकिा के आधार पर माप और मूकयािंकन की एक प्रर्ाली थी। यह शेरशाह की
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● अकबर ने इस प्रर्ाली को लाहौर से इलाहाबाद िक और मालिा िथा गुजराि में लागू ककया। हालािंकक, जब्िी प्रर्ाली में
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● कानूनगो, जो ििंशानुगि भूतमधर थे िथा अन्य स्थानीय अतधकारी जो स्थानीय पररतस्थतियों से पररतचि होिे थे, अ्सर कई
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मामलों में िास्ितिक उत्पादन को छु पा लेिे थे। इसतलए प्रर्ाली में सुधार के तलए अकबर ने करोड़ी नामक अतधकाररयों को
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तनयुि ककया तजन्होंने राज्य को सही कीमिों की सूचना दी। इन्हीं तनष्कर्षों के आधार पर दहसाला प्रर्ाली की शुरुआि की गई
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भू-राजस्ि की दहसाला प्रर्ाली के िहि, अलग-अलग फसलों के तपछले दस (दह) िर्षों का उत्पादन और इसी अितध में उनकी
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●
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कीमिों का औसि तनकाला जािा था। इस औसि उपज का एक तिहाई तहस्सा राजस्ि के रूप में राज्य को देना होिा था।
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हालािंकक, राज्य द्वारा नकद में राजस्ि भुगिान की मािंग की जािी थी। उपज के मूकय का नकद में यह पररििणन तपछले दस िर्षों
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की कीमिों के औसि पर आधाररि ककया जािा था। इस प्रकार बीघा भूतम के उत्पादन से राजस्ि को मन (Maunds) में
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cu
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तनधाणररि ककया जािा था। हालािंकक, कीमिों के औसि के आधार पर राज्य की मािंग को रुपये प्रति बीघा में पररिर्िणि कर कदया
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जािा था।
● इसके साथ ही, मुगल शासन के दौरान दहसाला प्रर्ाली के अलािा अन्य प्रर्ातलयािं भी प्रचतलि थीं। बटाई या गकलाबख्शी ऐसी
ही प्रर्ाली थी। इस प्रर्ाली में उपज (गकले) को ककसानों और राज्य के बीच एक तनतिि अनुपाि में बािंट कदया जािा था। उपज
या फसल को कढ़ाई या उसकी कटाई और गट्ठर में बािंधने के पिाि् अथिा कटाई से पूिण कभी भी तिभातजि कर कदया जािा था।
यह प्रर्ाली एक सरल और तनष्पक्ष प्रर्ाली थी, लेककन इसके तलए काफी बड़ी सिंख्या में ईमानदार कमणचाररयों की आिश्यकिा
थी, तजन्हें फसल पकाई और कटाई के समय खेिों में उपतस्थि रहना पड़िा था। कु छ पररतस्थतियों में ककसानों को जब्िी और
बटाई प्रर्ाली में से एक का चयन करने की छू ट होिी थी। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
Q 61.B
● चेररयल स्क्रॉल पेंरटिंग िेलग
िं ाना से सिंबतिं धि है। इसतलए युग्म 1 सही सुमते लि नहीं है।
○ िारिं गल तजले में तस्थि चेररयल इस कला का पारिंपररक कें द्र है।
○ हजिंगोर, मुची और मेरा के पारिं पररक जाति-आधाररि समूह तजन्हें नक्काश के नाम से जाना जािा है, इन तचत्रों को तचतत्रि
करिे हैं।
○ इस िरह के स्क्रॉल का उपयोग सिंगीिकारों के साथ कहानीकारों द्वारा नाररयल के खोल से बनी गुतड़या और मुखौटे के साथ
ककया जािा था। जबकक बड़े स्क्रॉल बुरादे और लकड़ी से बने होिे हैं, तजसे टेला पुनीकी कहा जािा है। इसे इमली के बीज के
पेस्ट के साथ लेपा जािा है।
○ इस पेंरटिंग के सामान्य तिर्षय कृ ष्र् लीला, रामायर्, महाभारि, तशि पुरार्, माकं डेय पुरार् से सिंबतिं धि होिे हैं, जो गौड़ा,
)
मतडगा आकद जैसे समुदायों के गाथागीिों और लोक कथाओं से पररपूररि होिे हैं।
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l.c
○ ककसी भी तिर्षय िस्िु के बािजूद, चेररयल पेंरटिंग भगिान गर्ेश की पेंरटिंग से शुरू होिी है, तजन्हें तिघ्नहिाण कहा जािा है
ai
और उसके पिाि तिद्या की देिी सरस्ििी की पेंरटिंग होिी है। gm
5@
1
● पट्टतचत्र ओतडशा की पारिं पररक तचत्रकला है। इसतलए युग्म 2 सही सुमते लि है।
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○ यह शब्द सिंस्कृ ि शब्द "पट" और "तचत्र" से तलया गया है तजसका अथण क्रमशः कपड़ा और तचत्र होिा है।
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○ यह कला शैली पुरी के भगिान जगन्नाथ को समर्पणि है। बिंगाल, राजस्थान या दतक्षर् भारि के स्क्रॉल तचत्रों के तिपरीि,
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पुरी के पट्टतचत्र, बिंगाल के कालीघाट तचत्र और महाराष्ट्र के तचत्रकथी तचत्र स्ियिं में पररपूर्ण तचत्रों के अलग-अलग भाग हैं।
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○ पट्टतचत्र तचत्रकला के आयिाकार, सख्ि और चमकीले भाग होिे हैं। इसे कपड़े पर तचतत्रि ककया जािा है, यह कै निास
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○ इसे पत्थर के रिं ग, शिंख के चूर्ण और जैतिक लाख से कागज या कपड़े पर तचतत्रि ककया जािा है। साथ ही इमली के बीज और
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● 'तपछिाई' शब्द का शातब्दक अथण है 'पीछे िाली'। इन्हें कपड़े पर तचतत्रि ककया जािा है। राजस्थान के नाथद्वारा के श्रीनाथजी
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मिंकदर िथा अन्य मिंकदरों में मुख्य मूर्िण के पीछे दीिार पर लगाने के तलए इन िृहद आकार के तचत्रों का उपयोग ककया जािा है।
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cu
Q 63.B
● गद्यात्मक सातहत्य के क्षेत्र कातलदास (380 ई. से 415 ई. के बीच) सिाणतधक उत्कृ ष्ट सातहत्यकार है।
● उन्होंने कु मारसिंभिम् (कु मार का जन्म) और रघुिश
िं म् (रघुओं का ििंश) नामक दो महान महाकाव्यों की रचना की।
● काव्य परिं परा में, सिंरचना जैसे कक शैली, अलिंकार, ककपना, तििरर् आकद पर अतधक ध्यान कदया जािा है िथा कथा के तिर्षय
को पृिभूतम में रखा जािा है।
● इस िरह की गद्यात्मक रचना का समग्र उद्देश्य तबना ककसी नैतिक मानदिंडों का उकलिंघन ककए एक धार्मणक और सािंस्कृ तिक
जीिन शैली की प्रभािकाररिा को सामने लाना है।
● अन्य प्रतितिि कतियों, जैसे भारति (550 ई.) ने ककरािाजुन
ण ीयम् (ककराि और अजुन
ण की कथा) और माघ (65-700 ई.) ने
)
तशशुपालिधम् (तशशुपाल की हत्या) की रचना की।
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l.c
● इनके अतिररि, इस परिंपरा में श्रीहर्षण और भट्टी जैसे कई अन्य बहुप्रतिभािान कतियों के नाम भी शातमल हैं।
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● gm
काव्य या नाटक का मुख्य उद्देश्य पाठक या दशणक को एक तभन्न दृतष्टकोर् प्रदान करना या उसका मनोरिंजन (लोकरिंजन) करना
5@
1
है। साथ ही, इनका उद्देश्य पाठक या दशणक की भािनाओं को भी उिेतजि करके अिंििः उसे जीिन के प्रति अपने दृतष्टकोर् को
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● इसतलए नाटक कतििाओं और गद्यात्मक रूप में शैलीबद्ध और पररपूर्ण होिे हैं। यह लौककक के एक स्िर के साथ-साथ
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● भरि (पहली शिाब्दी ईसा पूिण-पहली शिाब्दी ईस्िी के मध्य) द्वारा नाट्यशास्त्र नामक ग्रिंथ की रचना की गई थी। यह नाट्य
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कला पर रतचि प्रथम ग्रिंथ है। इसमें नाट्य कला से सिंबिंतधि प्रदशणन, रिं गमिंच, अतभनय, भाि-भिंतगमा, रस और मिंच तनदेशन के
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● कातलदास को सिोत्कृ ष्ट नाटककार माना जािा है। इनके िीन नाटकों मालतिकातग्नतमत्रम (मालतिका और अतग्नतमत्र),
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तिक्रमोिणशीयम् (तिक्रम और उिणशी) और अतभज्ञान शाकुिं िलम या अतभज्ञानशाकुिं िलम् (राजा दुष्यिंि िथा शकुिं िला के
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पुनर्मणलन की कथा) में प्रेम रस की सभी सिंभातिि अतभव्यतियों का अतद्विीय िर्णन ककया गया है।
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● िे प्रेम और सौंदयण रस के कति हैं और जीिन की अतभपुतष्ट में तिश्वास करिे हैं। इनके अनुसार जीिन का आनिंद शुद्ध, पतित्र और
do
is
Th
Q 64.A
● अरबस्क कलात्मक सजािट का एक रूप है। इसमें "सिह को लयबद्ध रै तखक पैटनण के आधार पर अलिंकृि ककया जािा है। साथ
ही, इसमें अन्य आकृ तियों के साथ पतियों, लिाओं और सीधी रेखाओं के माध्यम से सजािटी कायण ककया जािा है। यह इिं डो-
इस्लातमक िास्िुकला की एक तिशेर्षिा है। इसतलए तिककप (a) सही है।
Q 65.C
● दतक्षर् भारि की प्रमुख पारिं पररक नाट्य शैतलयािं:
● दशाििार कोंकर् ि गोिा क्षेत्र की अत्यिंि तिकतसि नाट्य शैली है। प्रस्िुिकिाण पालन ि सृजन के देििा भगिान तिष्र्ु के दस
अििारों को प्रस्िुि करिे हैं। ये दस अििार तनम्नतलतखि हैं- मत्स्य, कू मण, िराह, नरहसिंह, िामन, परशुराम, राम, कृ ष्र्(या
बलराम), बुद्ध ि कतकक। शैलीगि साज हसिंगार से परे दशाििार का प्रदशणन करने िाले लकड़ी ि कागज की लुगदी (Papier
mache) का मुखौटा पहनिे हैं।
● कु रटयाट्टम के रल की सिाणतधक प्राचीन पारिं पररक लोक नाट्य शैली है। यह सिंस्कृ ि नाटकों की परिं परा पर आधाररि है। इसमें
तनम्नतलतखि चररत्र होिे हैं- चा्यार या अतभनेिा, नािंब्यार या िादक िथा नािंग्यार या स्त्री पात्र। सूत्रधार और तिदूर्षक
कु रटयाट्टम के तिशेर्ष पात्र होिे हैं। तसफण तिदूर्षक को ही बोलने की स्ििंित्रिा होिी है। हस्िमुद्राओं िथा आिंखों के सिंचलन पर बल
देने के कारर् यह नृत्य एििं नाट्य शैली तितशष्ट बन जािी है।
● कनाणटक की पारिं पररक नाट्य शैली यक्षगान तमथकीय कथाओं िथा पुरार्ों पर आधाररि है। इसके महाभारि से तलए गए मुख्य
लोकतप्रय कथानक तनम्नतलतखि हैं: द्रौपदी स्ियिंिर, सुभद्रा तििाह, अतभमन्यु िध, कर्ण-अजुन
ण युद्ध। इनके अतिररि इसके
)
रामायर् से तलए गए मुख्य लोकतप्रय कथानकों में शातमल हैं: लि कु श युद्ध, बाली सुग्रीि युद्ध और पिंचिटी।
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● ितमलनाडु की पारिं पररक लोकनाट्य कलाओं में थेरुकु थु अत्यिंि लोकतप्रय है। इसका सामान्य शातब्दक अथण है - सड़क पर ककया
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gm
जाने िाला नाट्य। यह मुख्यि: मररयम्मन और द्रौपदी अम्मा के िार्र्षणक मिंकदर उत्सि के समय प्रस्िुि ककया जािा है। इस प्रकार,
5@
1
थेरुकु थु के माध्यम से सिंिान और अच्छी फसल की प्रातप्त के तलए दोनों देतियों की आराधना की जािी है। थेरुकु थु की तिस्िृि
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तिर्षय-िस्िु के रूप में यह मूलि: द्रौपदी के जीिन-चररत्र से सिंबतिं धि आठ नाटकों का चक्र होिा है। कारट्टयकारन सूत्रधार की
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भूतमका तनभािे हुए नाटक का पररचय देिा है िथा अपने मसखरे पन से श्रोिाओं का मनोरिंजन करिा है।
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Sa
Q 66.B
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● चोल साम्राज्य को चोलमिंडलम या कोरोमिंडल कहा जािा था। यह पािंड्य राज्य के उिर-पूिण में पेन्नार और िेलरू नकदयों के बीच
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तस्थि था। हमें चोलों के राजनीतिक इतिहास के बारे जो कु छ ज्ञाि है, उसके अनुसार इनकी राजनीतिक सिा का प्रमुख कें द्र एििं
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○ ऐसा प्रिीि होिा है कक दूसरी शिाब्दी ईसा पूिण के मध्य में एलारा नामक चोल राजा ने श्रीलिंका पर तिजय प्राप्त की और
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○ चोलों का सुदढ़ृ इतिहास, दूसरी शिाब्दी ईस्िी में प्रतसद्ध शासक कररकाल से शुरू होिा है, तजसने 100 ईस्िी के लगभग
शासन ककया। उसने पुहार की स्थापना की और कािेरी नदी के ककनारे 160 ककलोमीटर लिंबे िटबिंध का तनमाणर् करिाया।
इसतलए युग्म 1 सुमते लि नहीं है।
○ इस िटबिंध के तनमाणर् में 12,000 दासों का उपयोग ककया गया था, तजन्हें श्रीलिंका से बिंदी बनाकर लाया गया था। पुहार,
कािेरीपट्टनम के समान ही एक प्रतसद्ध नगर था, कािेरीपट्टनम चोल साम्राज्य की राजधानी थी। यह व्यापार और िातर्ज्य
का एक प्रमुख कें द्र था। खुदाई से पिा चलिा है कक यहािं एक बड़ा बिंदरगाह था।
● चेर या के रल देश पािंड्य राज्य के पतिम एििं उिर में तस्थि था। इसमें समुद्र और पहाड़ों के बीच की भूतम की सिंकरी पट्टी और
आधुतनक के रल राज्य का एक भाग शातमल था।
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○ ईस्िी सन् के प्रारिं तभक शिातब्दयों में चेर देश, चोल और पािंड्य देश तजिना ही महत्िपूर्ण था। यह रोमनों के साथ अपने
व्यापार के कारर् एक महत्िपूर्ण एििं समृद्ध राज्य था। रोमनों ने अपने तहिों की रक्षा के तलए मुतजररस (आधुतनक कोतच्च के
पास) में चेर देश के क्रािंगानोर के समान ही दो रे तजमेंट स्थातपि ककए थे। ऐसी मान्यिा है कक उन्होंने िहािं ऑगस्टस का एक
मिंकदर भी बनिाया था।
○ चेर कतियों के अनुसार सबसे प्रतसद्ध सम्राट सेनगुट्टु िन था, तजसे लाल चेर भी कहा जािा है, उसने अपने प्रतिद्विंतद्वयों को
परातजि ककया और अपने चचेरे भाई को िहााँ का शासक बनाया। इसतलए युग्म 2 सुमते लि नहीं है।
● चालु्यों ने छठी शिाब्दी ईस्िी की शुरुआि में पतिमी दक्कन में अपना राज्य स्थातपि ककया था। उन्होंने िािापी को अपनी
राजधानी बनाई, तजसे ििणमान में आधुतनक बादामी नाम से जाना जािा है यह कनाणटक राज्य के बीजापुर तजले में तस्थि है।
○ बाद में ये तितभन्न स्िििंत्र शासकों के रूप में अलग-अलग शाखाओं में तिभातजि हो गए, लेककन मुख्य शाखा ने िािापी पर
दो शिातब्दयों िक शासन ककया। इस अितध में दक्कन में कोई अन्य शति बादामी के चालु्यों तजिनी महत्िपूर्ण नहीं हुई
जब िक कक मध्यकाल के अिंि में तिजयनगर साम्राज्य की स्थापना नहीं हुई थी।
○ पुलके तशन तद्विीय (609- 642) सबसे प्रतसद्ध चालु्य शासक था। उसके बारे में हमें ऐहोल तशलालेख पर उसके दरबारी
कति रतिकीर्िण द्वारा रतचि प्रशतस्ि से पिा चलिा है। यह तशलालेख सिंस्कृ ि में काव्यात्मक उत्कृ ष्टिा का एक उदाहरर् है
और इसके अतिशयोतिपूर्ण होने के बािजूद पुलके तशन की जीिनी के तलए यह एक मूकयिान स्रोि है। इसतलए युग्म 3
सुमते लि है।
○ पुलके तशन ने कदिंबों की राजधानी बनिासी को नष्ट कर कदया और मैसरू के गिंगों को अपना आतधपत्य स्िीकार करने के तलए
तििश ककया। उसने नमणदा के िट पर हर्षण की सेना को भी परातजि ककया और दक्कन की िरफ उसके तिस्िार को रोका।
○ पकलिों के साथ हुए सिंघर्षण में िह पकलि राजधानी के तनकट िक पहुाँच गया था, पररर्ामस्िरूप पकलिों ने अपना उिरी
)
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प्रािंि पुलके तशन तद्विीय को सौंप कर शािंति समझौिा ककया।
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Q 67.B gm
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● हातलया सिंदभण: उिरी आयरलैंड प्रोटोकॉल को "हििंडसर फ्े मिकण " द्वारा प्रतिस्थातपि ककया जाएगा।
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● यूरोपीय आयोग और यूनाइटेड ककिं गडम द्वारा उिरी आयरलैंड प्रोटोकॉल की कायणप्रर्ाली को बदलने के तलए एक नए समझौिे
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की घोर्षर्ा की गई। यह प्रोटोकॉल जनिरी 2021 में लागू हुआ और िब से, यूरोपीय सिंघ और यूनाइटेड ककिं गडम दो िर्षण से
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● हििंडसर फ्े मिकण के अनुसार, उिरी आयरलैंड यूरोपीय सिंघ के एकल बाजार और सीमा शुकक सिंघ का तहस्सा बना रह सकिा है।
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यह पहले ब्रेत्जट समझौिे के तहस्से के रूप में तब्ररटश मुख्य भूतम से आने िाले उत्पादों पर आरोतपि की गई कई कठोर
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● इस नई व्यिस्था के साथ, ग्रेट तब्रटेन से उिरी आयरलैंड जाने िाली िस्िुओं और यूरोपीय सिंघ में जारी रहने िाली िस्िुओं को
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● महत्ि- हििंडसर फ्े मिकण अभी भी यूरोपीय सिंघ को उिरी आयरलैंड पर कु छ प्रभाि प्रदान करे गा। कई उद्योग यूरोपीय सिंघ के
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कानून के अधीन बने रहेंगे, तिशेर्ष रूप से ऐसे उद्योग जो खाद्य और पशु उत्पादों से सिंबिंतधि हैं। साथ ही यूरोपीय न्यायालय इन
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Q 68.C
● हातलया सिंदभण:
○ स्टारहलिंक ने कई उपग्रहों को कक्षा में स्थातपि ककया है।
○ भारिी-समर्थणि उपग्रह ऑपरे टर, OneWeb ने माचण 2023 में अपने सभी तनम्न-भू कक्षा िाले कनेत्टतिटी उपग्रहों का
प्रक्षेपर् ककया।
)
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से पूिण पररक्रमा करिे है। ये पृ्िी का चक्कर लगाने में पृ्िी के घूर्न
ण काल के लगभग बराबर 23 घिंटे 56 तमनट और 4 सेकिंड का
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समय लेिे हैं। इसतलए भू स्थैतिक कक्षा में तस्थि उपग्रह एक तनतिि स्थान पर तस्थर प्रिीि होिे हैं। पृ्िी के घूर्न
ण के साथ पूरी
5@
1
िरह से मेल करने के तलए 35,786 ककमी की ऊाँचाई पर भू स्थैतिक कक्षा में तस्थि उपग्रहों की गति लगभग 3 ककमी प्रति सेकिंड
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होनी चातहए। इसकी िुलना में, तनम्न भू कक्षा पृ्िी की सिह के अपेक्षाकृ ि करीब (1000 कक.मी. से कम) होिी है। पृ्िी से
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(ja
तनकटिा के कारर् यह उपग्रह इमेहजिंग, अिंिराणष्ट्रीय अिंिररक्ष स्टेशन (ISS) की स्थापना आकद कई उपायों के तलए अतधक
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उपयोगी है। इस कक्षा में उपग्रहों की गति लगभग 7.8 कक.मी. प्रति सेकिंड होिी है; इस गति से, एक उपग्रह को पृ्िी का चक्कर
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लगाने में लगभग 90 तमनट लगिे हैं, तजसका अथण है कक अिंिराणष्ट्रीय अिंिररक्ष स्टेशन एक कदन में लगभग 16 बार पृ्िी की
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Q 69.B
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दक्कन पर पहला मुगल आक्रमर् अकबर के शासनकाल (1556-1605) के दौरान हुआ था। 1591 ई. में अकबर ने एक
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●
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कू टनीतिक मुतहम छेड़ी। उसने सभी दक्कन के राज्यों को अपने दूि-मिंडल भेजकर उन्हें मुग़ल अधीनिा स्िीकार करने के तलए
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'आमिंतत्रि' ककया। हालािंकक, खानदेश को छोड़कर ककसी भी राज्य ने मुगलों के इस प्रस्िाि को स्िीकार नहीं ककया।
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● अहमदनगर में अतस्थरिा ने मुगलों को दक्कन में हस्िक्षेप करने का अिसर प्रदान ककया। मुगल आक्रमर् का नेिृत्ि गुजराि के
सूबेदार शहजादा मुराद और अब्दुर रहीम खान-ए-खाना ने ककया।
● हमलािर मुगल सेना के तिरुद्ध लड़ाई का नेिृत्ि चािंद बीबी ने ककया था। हालािंकक, दक्कनी शतियों में गुटबिंदी उनकी पराजय का
कारर् बनी। सन् 1596 में एक सिंतध पर हस्िाक्षर ककए गए तजसके िहि बरार को मुगलों को सौंप कदया गया और मुगल
आतधपत्य को अहमदनगर द्वारा भी मान्यिा दे दी गई। बदले में मुगल बहादुर को राजा के रूप में मान्यिा देने पर राजी हो गए।
इसतलए कथन 1 सही है।
Q 70.B
● पूिण की िुलना में गुप्तकाल की न्यातयक व्यिस्था अत्यतधक उन्नि थी। इस काल में अनेक तितध-पुस्िकों का सिंकलन ककया गया।
● पहली बार दीिानी िथा आपरातधक तितधयों को स्पष्ट रूप से पररभातर्षि और सीमािंककि ककया गया। चोरी और व्यतभचार
आपरातधक न्याय तिधान के अिंिगणि आिे थे। तितभन्न प्रकार की सिंपतियों से सिंबिंतधि तििाद दीिानी कानून के अिंिगणि लाए
)
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गए। उिरातधकार से सिंबिंतधि तिस्िृि तनयमों की रचना इस युग में की गई। इसतलए कथन 1 सही है।
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● इस काल में अनेक तितधयााँ िर्णभद
े पर आधाररि थीं। राजा का किणव्य तितध की रक्षा करना था। राजा, ब्राह्मर् पुजाररयों की
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मदद से मामलों की सुनिाई करिा था। इसतलए कथन 2 सही है।
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● कारीगरों, व्यापाररयों और अन्य लोगों की श्रेतर्यािं स्ितनर्मणि तितधयों द्वारा शातसि होिी थीं। िैशाली और इलाहाबाद के
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तनकट भीटा से प्राप्त हुई गुप्तकालीन मुहरें इिं तगि करिी हैं कक ये सिंघ बहुि अच्छी िरह से तिकतसि थे। इसतलए कथन 3 सही है।
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Q 71.A
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● सिंगम शास्त्र में 18 कृ तियािं (गीिों के आठ सिंग्रह और दस लिंबी कतििाएिं) शातमल हैं। ये अतभव्यति की अपनी प्रत्यक्षिा के तलए
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● इन्हें 473 कतियों द्वारा तलखा गया था, तजनमें 30 मतहलाएिं थीं। इनमें प्रतसद्ध कितयत्री अिय्यर भी शातमल थीं।
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● 102 कतििाओं के मामले में, रचनाकार अज्ञाि हैं। इनमें से अतधकािंश सिंकलन िीसरी शिाब्दी ईसा पूिण के हैं।
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● इस अितध के दौरान, ितमल की प्रारिं तभक कतििाओं को समझने के तलए एक व्याकरर् िोलकातप्पयम तलखा गया था ।
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● िोलकातप्पयम पािंच भूदश्ृ यािंकनों या प्रेम की ककस्मों को इिं तगि करिा है और उनके प्रिीकात्मक परम्पराओं की रूपरे खा प्रस्िुि
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करिा है।
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● आलोचकों का कहना है कक सिंगम सातहत्य के िल ितमल प्रतिभा का प्रारिं तभक साक्ष्य मात्र नहीं है। ितमल भातर्षयों ने अपने
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Q 72.B
● मुगल काल के दौरान ‘मुज़ररयान’ पद का इस्िेमाल ऐसे काश्िकार ककसानों का िर्णन करने हेिु ककया जािा था जो आम िौर
पर उच्च दर पर भू-राजस्ि का भुगिान करिे थे। यह िगण गािंि के कृ र्षकों में सबसे बड़ा िगण था। इसतलए तिककप (b) सही उिर
है।
● ऐसे ककसान जो अपने स्िातमत्ि िाली भूतम को जोििे थे, िे खुद-काश्ि कहलािे थे। िे प्रथागि दरों पर भू-राजस्ि का भुगिान
करिे थे। इनमें से कु छ के पास अनेक हल और बैल थे, तजन्हें िे गरीब पट्टेदार ककसानों (मुजररयान) को ककराए पर दे देिे थे।
● भूतमहीन कृ र्षक और मजदूर िगण के लोगों को प्रायः कमीन कहा जािा था। जब भी अकाल पड़िा था िो ककसानों का यही िगण
और गााँि के कारीगर सिाणतधक पीतड़ि होिे थे। साथ ही, इस समय अकाल बार-बार पड़िे थे।
Q 73.C
● चौदहिीं शिाब्दी के दौरान भारि में सिंचार की एक अनूठी प्रर्ाली थी। इब्नबिूिा ने अपनी पुस्िक 'ररहला' में भारि की सिंचार
)
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की अनूठी प्रर्ाली की व्याख्या की, तजसने उसे बहुि प्रभातिि ककया।
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● भारि में दो प्रकार की डाक व्यिस्था थी। अश्व डाक व्यिस्था तजसे उलूक कहा जािा है, हर चार मील की दूरी पर िैनाि
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राजकीय घोड़ों द्वारा चातलि था। पैदल डाक व्यिस्था में प्रति मील पर िीन रठकाने होिे हैं। एक मील के िीसरे तहस्से को दािा
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1
● एक मील के हर िीसरे भाग पर एक घनी आबादी िाला गााँि होिा है, तजसके बाहर िीन मण्डप होिे हैं तजनमें पुरुर्ष कमर
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कसकर काम करने के तलए िैयार बैठे रहिे हैं। यह पैदल डाक व्यिस्था अश्व डाक व्यिस्था से अतधक िीव्र थी और अ्सर इसका
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उपयोग खुरासान के फलों के पररिहन के तलए ककया जािा था। इन फलों को भारि में बहुि पसिंद ककया जािा हैं। इससे
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व्यापाररयों के तलए न के िल लिंबी दूरी िक सूचना भेजना और उधार प्रेतर्षि करना सिंभि हुआ बतकक अकप सूचना पर आिश्यक
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Q 74.C
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● हबिंतबसार के शासनकाल में मगध ने एक तितशष्ट स्थान प्राप्त ककया। हबिंतबसार हयणक ििंश से सिंबिंतधि था िथा महात्मा बुद्ध का
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समकालीन था। उसके द्वारा तिजय और तिस्िार की नीति शुरू की गई िथा यह नीति अशोक के कहलिंग तिजय के साथ समाप्त
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हुई।
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● अििंिी के साथ मगध की प्रबल शत्रुिा थी। अििंिी की राजधानी उज्जैन थी। अििंिी के राजा चिंडप्रद्योि महासेन और हबिंतबसार के
मध्य युद्ध हुआ ककन्िु दोनों ने अिंि में इस शत्रुिा को समाप्त करना ही उपयुि समझा। बाद में, राजा प्रद्योि के पीतलया से ग्रतसि
होने की तस्थति में हबिंतबसार ने अििंिी के राजा के अनुरोध पर अपने राजिैद्य जीिक को उज्जैन भेजा था।
● मगध पर तशशुनाग ििंश के बाद निंद ििंश ने शासन ककया। ये मगध के सबसे शतिशाली शासक तसद्ध हुए। उनका शासन इिना
शतिशाली था कक तसकिं दर भी पिंजाब पर आक्रमर् करने के बाद पूिण की ओर बढ़ने का साहस नहीं कर सका।
● ये सभी घटनाएिं महापद्म निंद के शासनकाल में घरटि हुई। उसने अपने को एकराट की उपातध प्रदान की। एकराट िह शासक
होिा है तजसने अन्य सभी शासकों को परातजि ककया हो।
Q 75.B
● येलोस्टोन नेशनल पाकण को व्यापक रूप से तिश्व का पहला राष्ट्रीय उद्यान माना जािा है। यह सिंयि
ु राज्य अमेररका का पहला
राष्ट्रीय उद्यान है, तजसने स्थानों को उनके प्राकृ तिक और मनोरिंजक मूकय के तलए सिंरतक्षि करने की प्रकक्रया तनधाणररि की है।
इसतलए कथन 1 सही है।
● यह व्योहमिंग के उिर-पतिमी कोने में तस्थि है िथा मोंटाना और इडाहो िक फै ला हुआ है। इस राष्ट्रीय उद्यान के उिर-पतिमी
कोने से गाडणनर नदी तनकलिी है, जो आगे चलकर तमसौरी नदी में तमल जािी है। गाडणनर नदी पहले येलोस्टोन पाकण में प्रिातहि
होिी है, उसके बाद यह पाकण के उिरी प्रिेश द्वार पर रै टलस्नेक बट्टे के पास तमलिी है। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
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हस्िाक्षर ककए गए थे। यह 9,000 िगण ककमी. से अतधक के क्षेत्र में फै ला हुआ है। इसमें झील, घाटी, नकदयािं, भू-िापीय
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● यह िर्षों से कई सफल सिंरक्षर् प्रयासों का कें द्र रहा है। ििणमान में यह सिंयुि राज्य अमेररका में सिाणतधक प्रतसद्ध जीिों का
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पयाणिास स्थल है। यह तग्रजली बेयर, भेतड़यों िथा लुप्तप्राय बाइसन और एकक के स्िििंत्र सिंचरर् करने िाले झुिंडों का आिास है।
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Q 76.B
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● मीमािंसा का मूल अथण है िकण करने और अथण लगाने की कला। लेककन इसमें िकण का प्रयोग तितिध िैकदक कमों के अनुिानों का
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औतचत्य तसद्ध करने में ककया गया है, और इसके अनुसार मोक्ष इन्हीं िेद-तितहि कमों के अनुिान से प्राप्त होिा है।
● मीमािंसा के अनुसार िेद में कही गई बािें सदा सत्य हैं। इस दशणन का मुख्य लक्ष्य स्िगण और मोक्ष की प्रातप्त है।
● मनुष्य िब िक स्िगण-सुख पािा रहिा है जब िक उसका सिंतचि पुण्य शेर्ष रहिा है। जब िह पुण्य समाप्त हो जािा है िब िह
कफर धरिी पर आ तगरिा है। परिंिु यकद िह मोक्ष पा लेिा है िो िह सािंसाररक जन्म-मृत्यु के चक्र से सदा के तलए मुि हो जािा
है।
● मीमािंसा में यह दृढ़िापूिक
ण िर्र्णि है कक मोक्ष पाने के तलए यज्ञ करना चातहए। ऐसे यज्ञों में पुरोतहिों को दान-दतक्षर्ा का लाभ
तमलिा था और तितिध िगों के बीच सामातजक स्िर भेद को मान्यिा तमलिी थी।
Q 77.D
● हातलया सिंदभण: बजट में 63000 से अतधक प्राथतमक कृ तर्ष ऋर् सतमतियों (PACS) के कम्प्यूटरीकरर् की घोर्षर्ा की गई है।
भारि में PACS एक मूल इकाई और सबसे छोटी सहकारी ऋर् सिंस्था है। यह जमीनी स्िर (ग्राम पिंचायि और ग्राम स्िर) पर
कायण करिी है।
● PACSs राज्य स्िर पर राज्य सहकारी बैंकों (SCBs) की अध्यक्षिा िाली तत्रस्िरीय सहकारी ऋर् सिंरचना में अिंतिम कड़ी के
रूप में कायण करिी हैं। इसतलए कथन 2 सही है।
● ये ककसानों को फसल चक्र की अितध के तलए तितभन्न कृ तर्ष और ककसानी गतितितधयों के तलए अकपकातलक और मध्यम अितध
के कृ तर्ष ऋर् प्रदान करिी हैं। SCBs से जमा धन (Credit) को तजला सहकारी कें द्रीय बैंकों या DCCBs में हस्िािंिररि ककया
जािा है, जो तजला स्िर पर कायण करिे हैं। DCCBs, PACS के साथ कायण करिे हैं। PACS ककसानों के सीधे सिंपकण में कायण
करिे हैं। फसल चक्र की शुरुआि में, ककसान अपनी बीज, उिणरक आकद की आिश्यकिा को पूरा करने के तलए ऋर् प्राप्त करिे हैं।
बैंक इस ऋर् को 7% ब्याज पर देिे हैं, तजसमें से 3% कें द्र द्वारा और 2% राज्य सरकार द्वारा सतब्सडी दी जािी है। प्रभािी
रूप से, ककसान के िल 2% ब्याज पर फसली ऋर् प्राप्त करिे हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
● चूिंकक ये सहकारी तनकाय हैं, इसतलए सभी ककसान व्यतिगि रूप से PACS के सदस्य होिे हैं और उनमें से ही पदातधकाररयों
को तनिाणतचि ककया जािा है।
● एक गााँि में कई PACS हो सकिी हैं, जो RBI द्वारा तितनयतमि होिी हैं और बैंककिं ग तितनयम अतधतनयम, 1949 और बैंककिं ग
कानून (सहकारी सतमतियािं) अतधतनयम, 1955 द्वारा शातसि होिी हैं। इसतलए कथन 3 सही है।
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● भारिीय ररजिण बैंक द्वारा 2022 में प्रकातशि एक ररपोटण में PACS की सिंख्या 1.02 लाख बिाई गई है।
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Q 78.B
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● ओतडशा मिंकदर िास्िुकला के तलए प्रतसद्ध है िथा मिंकदरों की तितिधिा के साथ िास्िुकला की कहलिंग शैली अपने सुतिकतसि
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रूपों को प्रस्िुि करिी है। तशकप शास्त्रों के अनुसार, कहलिंग शैली में िीन अलग-अलग प्रकार के मिंकदर पाए जािे हैं। ये हैं 'रे खा',
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● रे खा मिंकदर या तिमान की तिशेर्षिा िक्र रे खीय अतधरचना है। इसे चार भागों में तिभातजि ककया जा सकिा है। चार भाग हैं-
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तपस्िा, बाड़ा, गिंडी और तसरा या मस्िक। नीचे से लेकर कलश िक, मिंकदर के प्रत्येक भाग का एक अलग नाम होिा है। उड़ीसा
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के तशकपकारों ने मिंकदर को ब्रह्मािंडीय प्रार्ी के शरीर के रूप में माना। इसतलए मिंकदर के तितभन्न भागों के नाम शरीर के अिंगों के
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नाम पर रखे गए हैं। तजस प्रकार एक मानि शरीर के तितभन्न अिंग एक दूसरे से व्यितस्थि रूप से जुड़े हुए हैं, उसी प्रकार मिंकदर
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के तितभन्न खिंड एक दूसरे के साथ एक महत्िपूर्ण सिंबिंध रखिे हैं और एक कलात्मक रचना में एकीकृ ि होिे हैं।
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● खाखरा मिंकदर अपनी शैली में बहुि ही अनूठा होिा है। इस प्रकार के मिंकदर ओतडशा में बहुि सीतमि मात्रा में पाए जािे हैं। यह
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शैली तिशेर्ष रूप से शति पूजा से सिंबिंतधि है। खाखरा की गिंडी को मामूली अिंिर के साथ या िो एक रे खा की िरह या एक पीढ़ा
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की िरह बनाया जािा है। देउला की योजना आयिाकार होिी है और इसके मस्िक को इसकी लिंबी बेलनाकार गुिंबदनुमा छि से
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पहचाना जािा है तजसे काखरू या िोइिा काखरू की अस्पष्ट समानिा के कारर् खाखरा कहा जािा है। खाखरा के ऊपर या िो
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लघु आमलक या कलश रखा जािा है, तजसके पाश्वण भाग में शेर होिे हैं।
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● बाड़ा के प्रबिंधन के सिंदभण में रे खा मिंकदर और पीढ़ा मिंकदर के बीच में कोई अिंिर नहीं है, लेककन िे गिंडी की प्रकृ ति में तभन्न हैं।
जगमोहन की गिंडी तपरातमडनुमा है। इसे कई पीढों या क्षैतिज प्लेटफामों से तनर्मणि ककया गया है, जो तपरातमड के रूप में हैं।
पीढ़े का आकार नीचे से ऊपर की ओर िेजी से कम होिा जािा है। यह कमी िब िक जारी रहिी है जब िक कक सबसे ऊपरी
पीढ़े का आकार सबसे तनचले तहस्से के आकार से आधा न हो जाए। पीढ़ों को उनके बीच खड़ी दीिार की मध्यम ऊिंचाई के साथ
एक या दो स्िरों में व्यितस्थि ककया जा सकिा है। इनमें से प्रत्येक स्िर को पोिाला कहा जािा है। गिंडी के ककसी भी हबिंदु पर
अनुप्रस्थ काट िगाणकार होिी है। गिंडी के ऊपर मस्िक होिा है, जो कई ित्िों से तनर्मणि होिा है तजनकी अनुप्रस्थ काट गोलाकार
होिी हैं। सबसे पहले बेकी आिी है, कफर घिंटा आिा है, जो घिंटी के आकार की एक तिशाल धारीदार सिंरचना होिी है। घिंटा के
शीर्षण पर रे खा की िरह बेकी, आमलक, खपुरी और कलश का क्रम होिा है।
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Q 79.D
● मौयण राज्य लगभग सारे आर्थणक कायणकलापों को तनयिंतत्रि करिा था। राज्य ने खेतिहरों और शूद्र मजदूरों की सहायिा से परिी
भूतम को िोड़कर कृ तर्ष-क्षेत्र को बढ़ाया।
● कृ तर्ष-क्षेत्र बढ़ने से राज्य को अच्छी खासी आय होने लगी, ्योंकक उस पर नए-नए बसाए गए ककसानों से अच्छा राजस्ि आने
लगा।
● ऐसा लगिा है कक ककसानों से िसूले जाने िाले कर उनकी उपज के एक-चौथाई से लेकर छठे तहस्से िक होिे थे। तजन ककसानों
को राज्य द्वारा हसिंचाई की सुतिधा प्रदान की जािी थी, उनसे हसिंचाई-कर िसूला जािा था।
● इसके अतिररि आपािकाल के समय में ककसानों को अतधक उपजाने के तलए बाध्य ककया जािा था। नगरों में तबक्री के तलए जो
माल लाए जािे थे उन पर प्रिेशद्वार पर ही चुिंगी ले ली जािी थी।
● इसके अलािा, खान, मकदरा की तबक्री, हतथयारों के तनमाणर् आकद पर भी राज्य का एकातधकार था। इन सभी से अिश्य ही
राज्य कोर्ष समृद्ध होिा था।
● इसतलए तिककप (d) सही उिर है।
Q 80.B
● दक्कन और मध्य भारि में मौयों के मूल उिरातधकाररयों में सबसे महत्िपूर्ण साििाहन थे। साििाहन और पुरार्ों में उतकलतखि
आिंध्र एक ही माने जािे थे। पुरार्ों में के िल आिंध्र-शासन का उकलेख है, साििाहन शासन की नहीं।
○ दूसरी ओर, साििाहन अतभलेखों में आिंध्र नाम नहीं तमलिा है। कु छ पुरार्ों के अनुसार आिंध्रों ने 300 िर्षों िक शासन
ककया िथा लगभग पहली शिाब्दी ईसा पूिण से लेकर िीसरी शिाब्दी की शुरुआि िक की अितध को साििाहनों का
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शासन-काल माना जािा है।
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● साििाहनों ने ब्राह्मर्ों और बौद्ध तभक्षुओं को कर-मुि ग्रामदान देने की प्रथा आरिं भ की। जो आबाद भूतम और ग्राम दान में कदए
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जािे थे उन्हें राजपुरुर्षों एििं सैतनकों और सभी प्रकार के राजकोर्षीय अतधकाररयों के हस्िक्षेप से मुि घोतर्षि कर कदया जािा
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था। इसतलए दान ककए गए ऐसे क्षेत्र साििाहन साम्राज्य के भीिर छोटे-छोटे स्िििंत्र द्वीप जैसे बन गए। इसतलए कथन 1 सही
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है।
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● साििाहनों की राजकीय भार्षा प्राकृ ि थी। सभी अतभलेख इसी भार्षा में और ब्राह्मी तलतप में तलखे गए थे, जैसा कक हम अशोक
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काल में देख चुके हैं। हो सकिा है कक कु छ साििाहन राजाओं ने प्राकृ ि में पुस्िकें भी तलखी हों। गाथासप्तसिी नामक एक प्राकृ ि
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ग्रिंथ का श्रेय हाल नामक साििाहन राजा को कदया जािा है। इसतलए कथन 2 सही है।
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● साििाहनों ने स्िर्ण का उपयोग बहुमूकय धािु के रूप में ककया होगा, ्योंकक उन्होंने कु र्षार्ों की िरह सोने के तसक्के जारी नहीं
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ककए थे। उन्होंने ज्यादािर सीसे के तसक्के जारी ककए, जो दक्कन में पाए जािे हैं। उन्होंने पोटीन, िािंबे और कािंसे की मुद्राएिं भी
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Q 81.B
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● तशिाजी के अधीन मराठा प्रशासन को आठ मिंतत्रपररर्षदों में सिंगरठि ककया गया था तजन्हें अष्टप्रधान कहा जािा था।
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● सबसे प्रमुख मिंत्री पेशिा था जो अथणव्यिस्था और राज्य के सामान्य प्रशासन की देखभाल करिा था। सर-ए-नौबि (सेनापति)
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सेना का अध्यक्ष होिा था और एक सम्मातनि पद था और ककसी प्रमुख मराठा सरदार को दी जािी थी। इसतलए युग्म 1
सुमते लि नहीं है।
● अष्टप्रधान के अन्य महत्िपूर्ण सदस्य मजूमदार, शुरुनिीस या तचटनीस, दबीर या सुमि
िं , न्यायाधीश और पिंतडि राि या सदर
आकद थे।
● मजूमदार लेखाकार था, जबकक िाकया-निीस गुप्तचर तिभाग और घरे लू मामलों में सहयोग करिा था।
● शुरुनिीस अथिा तचटतनस राजा के पत्र-व्यिहार में उसकी मदद करिे थे।
● सेनापति प्रमुख कमािंडर होिा था।
Q 82.C
● पूिी समुद्र िट पर बसा ओतडशा राज्य, ओतडसी नृत्य का घर है। यह भारिीय शास्त्रीय नृत्य के अनेक रूपों में से एक है। ऐंकद्रय
और गीिात्मक, ओतडसी नृत्य रूप दैि एििं मानि, उदाि और लौकककिा को छू िा प्रेम ि उत्साह का एक नृत्य है।
● नाट्य शास्त्र में अनेक प्रादेतशक तिशेर्षिाओं का उकलेख ककया गया है, जैसे कक उधरा मगध शैली के रूप में तिख्याि दतक्षर्ी-पूिी
शैली को ििणमान ओतडसी नृत्य के प्राचीन अग्रदूि के रूप में पहचाना जा सकिा है।
● इस नृत्य के दूसरी शिाब्दी ईसा पूिण के पुरािातत्िक साक्ष्य, भुिनेश्वर के पास उदयतगरर और खण्डतगरर में पाए गए है। बाद में
दूसरी सदी ईसा पूिण से दसिीं सदी ईस्िी िक, बुद्ध प्रतिमाओं के असिंख्य उदाहरर्, नृत्य करिी योतगतनयों की िािंतत्रक आकृ तियााँ,
नटराज िथा प्राचीन तशि मिंकदरों के अन्य कदव्य सिंगीिकार एििं निणककयािं, नृत्य की इस परिंपरा का एक प्रमार् प्रस्िुि करिे हैं।
● ओतडसी एक उच्च शैली का नृत्य है और कु छ मात्रा में यह शास्त्रीय नाट्य शास्त्र िथा अतभनय दपणर् पर आधाररि है। िस्िुिः
जदुनाथ तसन्हा के अतभनय दपणर् प्रकाश, राजमतर् पात्रा के अतभनय चिंकद्रका और महेश्वर महापात्रा के अतभनय चिंकद्रका से इस
कला ने बहुि कु छ प्राप्त ककया है।
● इसकी अतभव्यति की िकनीककयााँ दो आधारभूि मुद्राओं चौक एििं तत्रभिंग के समान तनर्मणि होिी हैं। चौक एक िगाणकार नृत्य
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मुद्रा है। यह शरीर के भार के समान सिंिुलन के साथ मूलिः एक पुरुर्षोतचि मुद्रा है। तत्रभिंग मुख्यिः एक तस्त्रयोतचि मुद्रा है,
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तजसमें शरीर गला, धड़ और घुटना िीनों जगह पर मुड़ा होिा है। इसतलए कथन 1 सही है।
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धड़ सिंचालन ओतडसी नृत्य शैली का एक महत्िपूर्ण और तितशष्ट अतभलक्षर् है। इसमें शरीर का तनचला तहस्सा तस्थर रहिा है
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और शरीर के ऊपरी तहस्से के कें द्र से होकर धड़ धुरी के समानािंिर एक ओर से दूसरी ओर गति करिा है। इसके सिंिुलन के तलए
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तितशष्ट प्रतशक्षर् की आिश्यकिा होिी है तजससे किं धों या तनिम्बों की ककसी गतितितध से बचा जा सकिा है। समिल पािंि, पैरों
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की उिं गली या एड़ी के मेल के साथ तनतिि पद सिंचालन होिा है। यह जरटल सिंयोजनों की एक तितिधिा में प्रयोग की जािी है।
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यहााँ पैरों की गतितितधयों की बहुसिंख्यक सिंभािनाएिं भी होिी है। पैरों की अतधकािंश गतितितधयािं जमीन पर या हिा में
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● शिातब्दयों से महारी (maharis) इस नृत्य शैली की प्रमुख अतधकाररर्ी रहीं हैं। महारी मूलिः मिंकदर की निणककयााँ थीं जो धीरे
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धीरे शाही दरबारों में काम करने लगीं। इसके पररर्ामस्िरूप इस कला का ह्रास हुआ। इस समय लड़कों का एक िगण भी, तजसे
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गोरटपुआ कहा जािा था, मिंकदरों में और लोगों के सामान्य मनोरिंजन के तलए नृत्य करने लगा। ये भी इस कला में तनपुर् थे। इस
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● ििणमान में हम मिंच पर जो ओतडसी नृत्य देखिे हैं िह महारी मिंकदर परिं परा और गोरटपुआ भति अतभव्यति का सिंयोजन है।
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Q 83.B
● हातलया सिंदभण: राजस्थान के बाड़मेर में ‘अनमोल जीिन अतभयान’ नामक हातलया पहल ने ग्राम पिंचायिों और गृह स्िातमयों
को गािंि से 10 कक.मी. दूर टािंका (स्थानीय देििाओं से सिंबद्ध) या पतित्र िन उपिनों में नलकू पों और लॉक किर जोड़ने के तलए
प्रेररि ककया है।
● फाइबर से बने कम िजन के नलकू प दोहरे उद्देश्य की पूर्िण करिे हैं-
o दुघटण नाओं और आत्महत्याओं को रोकना (तपछले िर्षण आत्महत्या के 171 मामले सामने आए)
o टिंकी से जल तनकालना।
Q 84.B
● हड़प्पाई लोग धरिी को उिणरिा की देिी समझिे थे और इसकी पूजा उसी िरह िरह करिे थे जैसे तमस्र के लोग नील नदी की
देिी आइतसस की पूजा करिे थे।
● कु छ िैकदक सूिों में पृ्िी मािा की स्िुति है, ककिं िु उसको कोई प्रमुखिा नहीं दी गई है। बहुि समय के बाद ही हहिंदू धमण में इस
मािृदेिी को उच्च स्थान तमला है। ईसा की छठी सदी और उसके बाद से ही दुगाण, अम्बा, काली, चिंडी आकद तितिध मािृ-देतियों
को पुरार्ों और ििंत्रों में आराध्य देतियों का स्थान तमला। कालक्रम में प्रत्येक गािंि की अपनी अलग-अलग देिी हो गई। इसतलए
कथन 1 सही नहीं है।
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● पुरुर्ष देििा को एक मुहर पर तचतत्रि ककया गया है। इस देििा के तसर पर िीन सींग हैं। यह मुहर हमारे मतस्िष्क में पशुपति
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महादेि की पारिं पररक छति का स्मरर् करािी है। देििा के चारों ओर, चार पशु पृ्िी की चारों कदशाओं की ओर देखिे हैं।
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तशि की छति के उपयोग के अतिररि, हम हलिंग पूजा के प्रचलन को भी देखिे हैं, जो कालािंिर में तशि की पूजा से गहन
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रूप से जुड़ गई थी। हड़प्पा में पत्थर पर बने हलिंग और योतन के अनेकों प्रिीक तमले हैं।
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o सिंभििः ये पूजा के तलए बने थे। ऋग्िेद में हलिंग-पूजक अनायण जातियों की चचाण है। हलिंग पूजा हड़प्पा काल में शुरू हुई और
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आगे चलकर हहिंदू समाज में पूजा की तितशष्ट तितध मानी जाने लगी। इसतलए कथन 2 सही है।
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● तसन्धु क्षेत्र के लोग िृक्षों की पूजा भी करिे थे। एक मुहर (सील) पर पीपल की डालों के बीच तिराजमान देििा तचतत्रि है। इस
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िृक्ष की पूजा आज िक जारी है। हड़प्पा काल में पशु-पूजा का भी प्रचलन था, कई पशु मुहरों पर अिंककि हैं। इनमें सबसे महत्ि
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● इसी प्रकार पशुपति महादेि के आस-पास के पशु इिं तगि करिे हैं कक उनकी पूजा की जािी थी।
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● इन बािों से स्पष्ट होिा है कक हसिंधु प्रदेश के तनिासी िृक्ष, पशु और मानि के स्िरूप में देििाओं की पूजा करिे थे। परिंिु िे अपने
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इन देििाओं को मिंकदरों में नहीं रखिे थे, जैसा कक प्राचीन तमस्र और मेसोपोटातमया में होिा था, न ही हड़प्पा िातसयों की
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तलतप को पढ़े तबना हम उनके धार्मणक तिश्वासों के बारे में कु छ कह सकिे हैं।
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● िािीज़ बड़ी िादाद में तमले हैं। सिंभििः हड़प्पािासी मानिे थे कक भूि-प्रेि उनका अतनष्ट कर सकिे हैं, और इसतलए उनसे बचने
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के तलए िािीज़ पहनिे थे। अथिणिेद में, अनेकों ििंत्र-मिंत्र या जादू-टोने कदए गए हैं और रोगों को दूर करने िथा भूि-प्रेिों को
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Q 85.C
● गुप्त ििंश ने तबहार और उिर प्रदेश तस्थि अपनी सिा-कें द्र से उिर और पतिम भारि पर ईसा की छठी सदी के मध्य िक
लगभग 160 िर्षण राज्य ककया। उसके बाद उिर भारि कफर अनेक राज्यों में बिंट गया। गोरे हूर्ों ने लगभग 500 ई० से कश्मीर,
पिंजाब और पतिमी भारि पर अपना प्रभुत्ि स्थातपि कर तलया। उिरी और पतिमी भारि लगभग आधे दजणन सामिंि राजाओं
के हाथ में चला गया, तजन्होंने गुप्त साम्राज्य को आपस में बााँट तलया।
Q 86.A
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● याओशािंग: यह महोत्सि प्रत्येक िर्षण मैिेई चिंद्र कै लेंडर के लामिा (फरिरी-माचण) की पूर्र्णमा को मनाया जािा है। यह सूयाणस्ि के
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ठीक बाद शुरू होिा है और उसके बाद याओशािंग मेई थबा "पुआल की झोपड़ी का दहन" होिा है। होली के तिपरीि, यह
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पारिंपररक िरीके से पािंच कदनों िक मनाया जािा है। इन पािंच कदनों के दौरान, मतर्पुर कदन में खेल आयोजनों और राि में
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पारिंपररक "थबल चोंगबा" नृत्य के साथ जीििंि हो उठिा है। थबल चोंगबा मैिई
े का एक पारिं पररक नृत्य है, जहािं लड़के और
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लड़ककयािं एक खुले मैदान में इकट्ठा होिे हैं और एक मिंडली में नृत्य करिे हैं। लेककन इन कदनों पूरे लामिा महीने में थबल चोंगबा
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का प्रदशणन ककया जािा है। याओशािंग के दौरान व्यािसातयक गतितितधयािं और सािणजतनक पररिहन ठप्प पड़ जािे हैं। तनजी
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और सरकारी, दोनों िरह के सभी तशक्षर् सिंस्थान भी बिंद कर कदए जािे हैं। इसतलए तिककप (a) सही उिर है।
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● लोसार: यह अरुर्ाचल प्रदेश का एक प्रमुख त्योहार है ्योंकक यह तिब्बिी नि िर्षण का प्रिीक है। बौद्ध धमण के महायान सिंप्रदाय
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का अनुसरर् करने िाली मोनपा, शेरडु कपेन्स, मेम्बा, खिंबा और नाह जैसी जनजातियािं इस त्योहार को पूरे धूमधाम से मनािी
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हैं। यह िीन कदिसीय उत्सि प्रत्येक िर्षण 11 फरिरी से शुरू होिा है। त्योहार के पहले कदन, पुजारी धमणपाल या पाकडेन कहामो
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कहे जाने िाले सिोच्च पुजारी को प्रसाद चढ़ािे हैं, जबकक आम लोग तमत्रों और पररिार से तमलने जािे हैं और उन्हें िाशी डेलक
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(शुभकामनाएिं) देिे हैं। साथ ही, स्थानीय परिंपरा के अनुसार, अच्छी फसल सुतनतिि करने के तलए घर की िेकदयों पर अिंकुररि
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जौ के बीज और बाकटी में त्सम्पा (म्खन के साथ भुना हुआ जौ का आटा) और अन्य अनाज चढ़ाए जािे हैं। त्योहार के दूसरे
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कदन को ग्यालपो लोसर कहा जािा है। इस कदन राष्ट्रीय नेिाओं और राजाओं को सम्मातनि ककया जािा है। त्योहार के िीसरे
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और अिंतिम कदन को छो-्योंग लोसर के नाम से जाना जािा है, इस कदन लोग धमणपाल को प्रसाद चढ़ािे हैं और छिों पर और
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पूरे इलाके में प्राथणना ध्िज बािंधिे हैं। हालािंकक आध्यातत्मक अनुिान िीसरे कदन समाप्त होिा है, ककिं िु उत्सि को आगे 10 से 15
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)
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● मोढेरा का सूयण मिंकदर ग्यारहिीं शिाब्दी के आरिं तभक काल की रचना है और इसे सोलिंकी राजििंश के राजा भीमदेि प्रथम ने
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1026 में बनिाया था। सोलिंकी परििी चालु्यों की एक शाखा थे। सूयण मिंकदर में सामने की ओर एक अत्यिंि तिशाल िगाणकार
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जलाशय है तजसमें सीकढयों की सहायिा से जल िक पहुाँचा जा सकिा है। इसे सूयण कुिं ड कहिे है। कुिं ड, नदी या िालाब जैसे ककसी
5@
1
जल तनकाय का ककसी धार्मणक िास्िु स्थल के पास होना पुराने ज़माने से ही आिश्यक समझा जािा रहा हैं। ग्यारहिीं शिाब्दी
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की शुरुआि िक ये जल तनकाय कई मिंकदरों का तहस्सा बन गए थे। यह एक सौ िगण मीटर का आयिाकार िालाब शायद भारि
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का सबसे भव्य मिंकदर जलाशय है। जलाशय के भीिर की सीकढ़यों के बीच में एक सौ आठ छोटे छोटे देिस्थान बने हुए हैं। एक
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अलिंकृि तिशाल चाप-िोरर् दशणनाथी को सीधे सभा मिंडप की ओर ले जािा है। यह मिंडप चारों ओर से खुला है, जैसा कक उन
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कदनों पतिमी िथा मध्य भारिीय मिंकदरों में आम ररिाज था। इस प्रकार तिककप (c) सही उिर है।
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Q 88.C
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हातलया सिंदभण: हाल ही में, एक मामले में भारि के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने ‘सीलबिंद तलफाफे /किर’ में सूचना स्िीकार करने
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से इनकार कर कदया।
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यह सीलबिंद किर न्यायशास्त्र, उच्चिम न्यायालय और कभी-कभी अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा उपयोग में लाई जाने िाली एक
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प्रथा है। इसके िहि सरकारी एजेंतसयों से सीलबिंद तलफाफों में सूचना मािंगी या स्िीकार की जािी है। इस सूचना को के िल
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● यद्यतप कोई भी तितशष्ट कानून सीलबिंद तलफाफे के तसद्धािंि को पररभातर्षि नहीं करिा है, परिंिु उच्चिम न्यायालय को उच्चिम
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न्यायालय के तनयमों के आदेश XIII के तनयम 7 और भारिीय साक्ष्य अतधतनयम 1872 की धारा 123 के िहि इसका उपयोग
करने की शति प्राप्त है।
● उच्चिम न्यायालय के तनयमों के आदेश XIII का तनयम 7: इस तनयम के अनुसार, यकद मुख्य न्यायाधीश या न्यायालय कु छ
सूचनाओं को सीलबिंद तलफाफे के िहि रखने का तनदेश देिे हैं या इसे गोपनीय प्रकृ ति का मानिे हैं, िो ककसी भी पक्ष को ऐसी
सूचना िक पहुिंच की अनुमति नहीं दी जाएगी, तसिाय इसके कक मुख्य न्यायाधीश स्ियिं आदेश दें कक तिरोधी पक्ष को इसकी
अनुमति दी जाए। इसमें यह भी उकलेख ककया गया है कक सूचना को गोपनीय रखा जा सकिा है यकद उसका प्रकाशन जनिा के
तहि में नहीं माना जािा है।
Q 89.A
● िैकदक सातहत्य
o िेदों की उतचि समझ के तलए छह िेदािंग (िेदों के अिंग) तिकतसि ककए गए थे।
o इनमें तशक्षा (उच्चारर् की तितध), ककप (कमणकािंड िथा आचार या अनुिान), व्याकरर् (शब्दों की व्युत्पति), तनरुि (िैकदक
शब्दों का तनिणचन या व्याख्या), छिंद (अक्षरों की गर्ना के आधार पर पद्यात्मक मन्त्रों के स्िरूप का तनधाणरर् िथा
नामकरर् या मैरट्र्स) और ज्योतिर्ष (खगोल तिज्ञान/यज्ञ के समय का तनरूपर्) शातमल हैं।
o प्रत्येक िेदािंग ने अपना एक तिश्वसनीय सातहत्य तिकतसि ककया है जो सूत्र के रूप में अथाणि उपदेशों रूप में हैं।
o यह गद्यात्मक अतभव्यति का एक अत्यिंि सटीक स्िरूप है तजसे प्राचीन भारिीयों द्वारा तिकतसि ककया गया था।
o पातर्तन की अष्टाध्यायी व्याकरर् पर तलखा गया एक महत्िपूर्ण ग्रन्थ है। यह सूत्र (उपदेशात्मक शैली) में लेखन की उत्कृ ष्ट
कला की अिंतिम पररर्ति है। इसमें आठ अध्याय शातमल है और प्रत्येक अध्याय आपस में सटीक रूप से जुड़ा हुआ है।
o िेदों के अलािा ब्राह्मर्, आरण्यक और उपतनर्षद भी िैकदक सातहत्य में शातमल हैं िथा ये उिर िैकदक सातहत्य के रूप में
)
जाने जािे हैं।
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● इसतलए तिककप (a) सही उिर है।
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Q 90.C
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● हड़प्पा सिंस्कृ ति कािंस्य युग से सिंबिंतधि है। हड़प्पा के लोग पत्थर के अनेक औज़ारों और उपकरर्ों का प्रयोग करिे थे, लेककन िे
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● सामान्यिः कािंसा, िािंबे में रटन तमलाकर धािुतशतकपयों द्वारा बनाया जािा था। चूिंकक दोनों में से कोई भी धािु हड़प्पाई लोगों
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को आसानी से उपलब्ध नहीं थी, इसतलए हड़प्पा में कािंसे के औजार बहुिायि में नहीं तमलिे हैं।
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● हड़प्पाई स्थलों से जो कािंसे के औजार और हतथयार तमले हैं उनमें रटन की मात्रा बहुि कम है। कफर भी, हड़प्पािातसयों द्वारा
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छोड़ी गई कािंसे की िस्िुएिं नगण्य नहीं हैं। इन िस्िुओं से सिंकेि तमलिा है कक हड़प्पा समाज में तशतकपयों में कसेरों (कािंस्य-
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तशतकपयों) के समुदाय का महत्िपूर्ण स्थान है। िे प्रतिमाओं और बिणनों के साथ-साथ कई िरह के औजार और हतथयार भी बनािे
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थे, जैस-े कु कहाड़ी, आरी, छु रा और बरछा। हालािंकक यह सभ्यिा लौह युग से बहुि पहले की थी िथा हड़प्पा सभ्यिा में लोहे का
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सिंदभण और प्रयोग नहीं तमलिा है। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
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● हड़प्पाई शहरों में कई अन्य महत्िपूर्ण तशकप भी प्रचतलि थे। मोहनजोदड़ो से बुने हुए सूिी कपडे का एक टुकड़ा तनकला है और
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कई िस्िुओं पर कपड़े की छाप देखने में आई है। किाई के तलए िकतलयों का इस्िेमाल होिा था। बुनकर 'ऊनी और सूिी िस्त्र'
बुनिे थे। ईंटों की तिशाल इमारिों से पिा चलिा है कक स्थापत्य (राजगीरी) एक महत्िपूर्ण तशकप था। इससे राजगीरों
(स्थापतियों) के िगण के अतस्ित्ि का भी आभास तमलिा है। इसतलए कथन 4 सही है।
● हड़प्पाई लोग नाि बनाने का कायण भी करिे थे। तमट्टी की मुहरें बनाना और तमटटी की मूर्िणयािं बनाना भी महत्िपूर्ण तशकप थे।
सोना चािंदी अफगातनस्िान से और रत्न दतक्षर् भारि से आिे थे। हड़प्पाई कारीगर मतर्यों के स्िर्णकार चािंदी, सोना और
बहुमूकय रत्नों के आभूर्षर् बनािे थे। तनमाणर् में भी तनपुर् थे। इसतलए कथन 2 सही है।
● कु म्हार का चाक खूब प्रचलन में था और हड़प्पाई लोगों के मृद्भािंडों की अपनी ख़ास तिशेर्षिाएिं थीं। ये भािंडों को तचकना और
चमकदार बनािे थे। इसतलए कथन 3 सही है।
42 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 91.C
● हातलया प्रसिंग: तिश्व बैंक ने "मतहला, व्यिसाय और कानून 2023 ररपोटण" जारी की है।
● मतहला, व्यिसाय िथा कानून ररपोटण 2023, 190 अथणव्यिस्थाओं में मतहलाओं के आर्थणक अिसर को प्रभातिि करने िाले
कानूनों और तितनयमों का तिश्लेर्षर् करने िाले िार्र्षणक अध्ययनों की शृिंखला में नौिािं सिंस्करर् है। इसमें 1971 से 2023 िक की
अितध के तलए डेटा उपलब्ध है।
● यह ररपोटण आठ सिंकेिकों पर आधाररि हैं- जिंगमिा (Mobility), कायणस्थल, िेिन, तििाह, अतभभािकिा (Parenthood),
उद्यतमिा, सिंपति और पेंशन।
● इस डेटा का उपयोग, कानूनी लैंतगक समानिा और मतहलाओं की उद्यतमिा और रोजगार के बीच सिंबध
िं ों के साक्ष्य बनाने के
तलए ककया जा सकिा है।
● ररपोटण के तनष्कर्षण ्या हैं?
○ तिश्व स्िर पर:
✓ के िल 14 देशों ने पूरा 100 स्कोर ककया है: बेतकजयम, कनाडा, डेनमाकण , फ्ािंस, जमणनी, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड,
लाितिया, ल्समबगण, नीदरलैंड, पुिणगाल, स्पेन और स्िीडन।
✓ 2022 में, िैतश्वक औसि स्कोर 100 में से 76.5 है।
✓ सुधार की मौजूदा गति से, हर जगह कानूनी लैंतगक समानिा िक पहुिंचने में कम से कम 50 साल लगेंग।े
o भारि
✓ भारि का स्कोर 100 में से 74.4 है।
✓ भारि के तलए समग्र स्कोर दतक्षर् एतशया (63.7) के क्षेत्रीय औसि से अतधक है। दतक्षर् एतशया क्षेत्र के भीिर,
)
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अतधकिम स्कोर 80.6 (नेपाल) का है।
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✓ ररपोटण में मुब
िं ई में लागू कानूनों और तितनयमों पर डेटा का उपयोग ककया गया।
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✓ भारि को आने-जाने की स्िििंत्रिा, मतहलाओं के काम के फै सले और शादी की बाधाओं से सिंबतिं धि कानूनों के तलए एक
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✓ भारि में, एक सिंपन्न नागररक समाज ने भी अिंिरालों की पहचान करने, कानून का मसौदा िैयार करने और
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अतभयानों, चचाणओं और तिरोधों के माध्यम से जनमि को सिंगरठि करने में योगदान कदया। इसके पररर्ामस्िरूप
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● अन्य जानकारी: कामकाजी मतहलाओं के जीिन चक्र पर तिश्व बैंक सूचकािंक (World Bank Index on the Life Cycle of
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Working Women)- यह मतहलाओं की आर्थणक भागीदारी और उनके जीिनकाल में अिसरों की प्रगति को मापने और ट्रैक
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करने के तलए तिश्व बैंक द्वारा तिकतसि एक उपाय है। यह सिंकेिकों के एक सेट पर आधाररि है जो मतहलाओं के रोजगार को
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प्रभातिि करने िाले कानूनों और तितनयमों, तिि िक पहुिंच और कायणस्थल पर लैंतगक हहिंसा और उत्पीड़न जैसे कारकों को
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मापिा है।
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○ सूचकािंक का उद्देश्य नीति तनमाणिाओं और तहिधारकों को डेटा और समझ प्रदान करना है तजसका उपयोग मतहलाओं के
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आर्थणक अिसरों और पररर्ामों में सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों और कायणक्रमों को सूतचि करने के तलए ककया जा
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सकिा है।
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○ भारि ने कामकाजी मतहलाओं के जीिन चक्र पर तिश्व बैंक सूचकािंक में 100 में से 74.4 अिंक प्राप्त ककए हैं। यह स्कोर
सूचकािंक में सिेक्षर् ककए गए 190 देशों में भारि को 140िें स्थान पर रखिा है।
● इस प्रकार तिककप (C) सही उिर है।
Q 92.D
● जून 1665 में मराठा राजा तशिाजी और औरिं गजेब के प्रतितनतध राजा जय हसिंह प्रथम के बीच पुरिंदर की सिंतध पर हस्िाक्षर
ककए गए थे। इसतलए कथन 1 सही है।
● सिंतध की शिें थीं:
43 www.visionias.in ©Vision IAS
o तशिाजी को अपने 35 किलों में से 23 किले, तजनकी लगान चार लाख हूर् (Huns) प्रति िर्षण थी िथा उसके आस-पास के
क्षेत्र को मुग़लों को सौंपना पड़ा। तशिाजी के पास सम्राट के प्रति सेिा और तनिा का िचन की शिण पर एक लाख हूर् िाले
12 ककले ही शेर्ष रह गए। इसतलए कथन 2 सही है।
o बीजापुरी कोंकर् में चार लाख हूर् प्रतििर्षण की आय िाले क्षेत्रों, तजनपर तशिाजी का पहले अतधकार था, को तशिाजी के
पास रहने कदया गया। इसके अलािा बीजापुर क्षेत्र के बालाघाट तजसकी आय प्रतििर्षण पािंच लाख हूर् थी और इसे तशिाजी
द्वारा बीजापुर से अभी जीिा गया था, िो क्षेत्र भी उन्हें दे कदए गए। इनके बदले में तशिाजी को मुगलों को चालीस लाख
हूर् ककस्िों में देना था। इसतलए कथन 3 सही है।
o तशिाजी ने व्यतिगि रूप से सेिा करने से छू ट मािंगी। इसके बदले उसके स्थान पर उसके अियस्क पुत्र सिंभाजी को 5,000
मनसब की पदिी प्रदान की गई।
Q 93. D
● हातलया सिंदभण: भारि ने हाल ही में G20 समूह की अध्यक्षिा ग्रहर् की है। इसने स्टाटणअप20 इिं गज
े मेंट ग्रुप (SUMup) की
शुरुआि की तजसमें G20 सदस्यों में क्रािंति लाने की क्षमिा है।
● यह एकमात्र निगरठि सहभातगिा समूह है तजसके द्वारा G20 ने स्ियिं को एक ऐसे उभयहस्ि-कु शल सिंस्थान में पररिर्िणि कर
कदया है, जहािं बड़े तनगमों और स्टाटणअप दोनों को अथणव्यिस्थाओं को आगे ले जाने में समान अिसर कदया जाएगा।
● यद्यतप मौजूदा B20 इिं गज
े मेंट ग्रुप ने कॉपोरे टों पर अपना ध्यान कें कद्रि करना जारी रखा है, कफर भी नई सिंरचना, स्टाटणअप20,
दोनों समूहों के बीच आिश्यक सिंबिंधों के साथ िैतश्वक स्टाटणअप इकोतसस्टम से सिंबतिं धि नीतिगि मुद्दों को उठाएगा।
● B20 इिं गज
े मेंट ग्रुप-
)
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o यह G20 देशों से अिंिराणष्ट्रीय व्यापार जगि के अग्रर्ी व्यापाररयों के तलए एक मिंच है।
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2010 में स्थातपि, यह G20 में सबसे प्रमुख सहभातगिा समूहों में से एक है। किं पतनयािं और व्यािसातयक सिंगठन इसके
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भागीदार हैं। gm
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इसका उद्देश्य आर्थणक तिकास, व्यापार, तनिेश, तडतजटलीकरर्, तस्थरिा और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों पर G20 को
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o भारिीय उद्योग पररसिंघ (CII) को भारि की G20 अध्यक्षिा के तलए B20 सतचिालय के रूप में नातमि ककया गया है।
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● स्टाटणअप20-
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o इसका उद्देश्य स्टाटणअपों का समथणन करने और स्टाटणअपों, कॉपोरे टों, तनिेशकों, निाचार एजेंतसयों और अन्य प्रमुख
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इकोतसस्टम तहिधारकों के बीच िालमेल को सक्षम करने के तलए एक िैतश्वक आख्यान िैयार करना है।
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o इिं गेजमेंट ग्रुप में िीन कायण बल शातमल हैं, जहािं प्रतितनतध G20 देशों में स्टाटणअपों के स्के हलिंग को बढ़ािा देने के तलए कु शल
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▪
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▪ समािेश और तस्थरिा
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Q 94.A
● हातलया सिंदभण: जलिायु पररििणन पर अिंिर सरकारी पैनल (IPCC) ने 20 माचण, 2023 को अपनी सिंश्लर्ष
े र् ररपोटण (हसिंथते सस
ररपोटण: SYR) प्रकातशि की। इसमें IPCC के छठे आकलन चक्र के दौरान जारी तनम्नतलतखि ररपोटों के तनष्कर्षों के सारािंश कदए
गए हैं -
o 2018 की 1.5°C ररपोटण,
o 2019 की भूतम और महासागरों पर तिशेर्ष ररपोटण और
o 2021 और 2022 के बीच प्रकातशि िीन आकलन ररपोटण।
44 www.visionias.in ©Vision IAS
● SYR को कोतिड-19 महामारी, यूक्रेन पर रूसी आक्रमर् और उसके बाद के िैतश्वक ऊजाण सिंकट द्वारा उत्पन्न प्रमुख िैतश्वक
अतस्थरिा के मद्देनजर प्रस्िुि ककया गया है।
● ररपोटण के प्रमुख तनष्कर्षण:
o िैतश्वक िापमान में 1.5°C से 2°C की िृतद्ध होने पर हहिंद महासागर के सिही िापमान में 1°C से 2°C िक बढ़ने की
सिंभािना है।
o इस ररपोटण में, िैज्ञातनकों ने दशाणया है कक पतिमी हहिंद महासागरीय क्षेत्र में समुद्री उष्मीय िरिं गों (MHW) की घटनाओं में
सिाणतधक िृतद्ध हुई है जो प्रति दशक लगभग 1.5 घटनाओं की दर से बढ़ी हैं। इसके बाद उिरी बिंगाल की खाड़ी में प्रति
दशक 0.5 घटनाओं की दर से इसमें िृतद्ध हुई है। तपछले चार दशकों में 1982 और 2018 के बीच पतिमी हहिंद महासागर
ने 66 घटनाएिं घरटि हुई हैं, जबकक बिंगाल की खाड़ी में 94 घटनाएिं घरटि हुई हैं।
o िापमान 1.5°C की सीमा को पार करने िाला है: ििणमान औसि िापमान में पहले ही पूिण-औद्योतगक काल के िापमान से
1.1°C (इसमें लगभग 1.07°C का योगदान मानि गतितितधयों का रहा है) की िृतद्ध हो चुकी है।
o 2030 िक इस बाि की 50% सिंभािना है कक ककसी एक िर्षण में िैतश्वक सिही िापमान 1.5 °C से अतधक हो सकिा है।
o तिश्व अभी भी िैतश्वक िापमान में 1.5 °C की सीमा से से अतधक की िृतद्ध को रोकने के तलए पयाणप्त प्रयास नहीं कर रहा
है। हालािंकक, ऐसा करने हेिु कई व्यिहायण और प्रभािी तिककप उपलब्ध हैं।
o िापमान 1.5°C से अतधक बढ़ने के पररर्ामस्िरूप ध्रुिीय, पिणिीय, िटीय पाररतस्थतिकी ििंत्र आकद पर अपररििणनीय
प्रतिकू ल प्रभाि पड़ेगा।
o िापमान को 1.5°C की सीमा के भीिर रखने हेि,ु उत्सजणन को 2019 के स्िर की िुलना में 2030 िक कम से कम 43%
)
और 2035 िक कम से कम 60% कम करने की आिश्यकिा है। ऐसा करने के तलए ििणमान दशक एक तनर्ाणयक दशक है।
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Q 95.B gm
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हातलया सिंदभण: भारि ने जी-20 देशों से भगोड़े आर्थणक अपरातधयों के शीघ्र प्रत्यपणर् के तलए बहुपक्षीय कारण िाई अपनाने का
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○ यह अतधतनयम भगोड़े आर्थणक अपराधी (FEO) को एक ऐसे व्यति के रूप में पररभातर्षि करिा है तजसके तिरुद्ध
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अतधतनयम में सूचीबद्ध अपराध के सिंबिंध में तगरफ्िारी िारिं ट जारी ककया गया है और अपराध कम-से-कम 100 करोड़
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○ यह उन आर्थणक अपरातधयों की सिंपतियों को जब्ि करने का प्रािधान करिा है, जो दािंतडक अतभयोजन का सामना करने से
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बचने के तलए देश छोड़ चुके हैं या दािंतडक अतभयोजन का सामना करने के तलए देश लौटने से इनकार करिे हैं। भगोड़ा
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आर्थणक अपराधी अतधतनयम के िहि एक अतधसूचना जारी की जािी है, तजसमें अतभयुि को अतधसूचना की तितथ से 6
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सप्ताह के भीिर न्यायालय में पेश होना होिा है, तजसमें तिफल होने पर न्यायालय उसे भगोड़ा घोतर्षि कर देगी और
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उसकी सिंपतियों को कें द्र सरकार जब्ि कर लेगी। इसतलए कथन 2 सही है।
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Q 97.A
● अजिंिा और एलोरा की गुफाएिं प्राचीन भारि में गुफा िास्िुकला के उत्कृ ष्ट उदाहरर् हैं। जहािं अजिंिा गुफाओं का सिंबिंध बौद्ध धमण
के तिर्षयों पर बने सुिंदर तचत्रों से है, िहीं एलोरा गुफाओं का सिंबिंध उस समय के दौरान देश में प्रचतलि िीन अलग-अलग धमों
(बौद्ध धमण, हहिंदू धमण और जैन धमण) से सिंबिंतधि मूर्िणकला और िास्िुकला से है।
● अजिंिा तितभन्न आकारों की 30 गुफाओं का एक समूह है, जो िाघोरा नामक सिंकरी धारा के सम्मुख पहाड़ को घोड़े की नाल के
)
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आकार में काटकर बनाई गई हैं। प्रत्येक गुफा सीकढयों के माध्यम से नदी से जुड़ी हुई थी, जो अब ध्िस्ि हो गई हैं और ििणमान में
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इसके कु छ अिशेर्ष ही प्राप्त होिे हैं। इन गुफाओं का तनमाणर् दो चरर्ों में ककया गया था - पहले चरर् की गुफ़ाएिं दूसरी शिाब्दी
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ईसा पूिण के आसपास तनर्मणि की गई थीं, जबकक तद्विीय चरर् की गुफाओं का तनमाणर् 400-650 ईस्िी के दौरान ककया गया
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था। जहािं अजिंिा में दो मिंतजली गुफाएिं हैं, िहीं एलोरा में िीन मिंतजली गुफाएिं एक अनूठी उपलतब्ध है। इसतलए कथन 1 सही है।
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● अजिंिा और एलोरा दोनों में अलिंकृि बौद्ध तचत्र एििं प्रतिमाएिं हैं। अजिंिा में, तचत्रों एििं प्रतिमाओं के तिर्षयिस्िु बुद्ध की जीिन
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की घटनाएिं, जािक और अिदान हैं। हसिंहल अिदान, महाजनक जािक और तिदुर पिंतड़ि जािक के प्रसिंगों से गुफा की पूरी
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दीिार ढकी हुई हैं। यह उकलेखनीय है कक छद्दिंि जािक की कथा आरिं तभक काल की गुफा सिंख्या 10 पर तिस्िारपूिक
ण तचतत्रि की
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गई है और तभन्न-तभन्न घटनाओं को अनेक भौगोतलक स्थलों के अनुसार एक साथ रखा गया है। इन दृश्यों में जिंगल में घरटि
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घटनाओं को राजमहल में घरटि घटनाओं से अलग कदखाया गया है। पद्मपातर् और िज्रपातर् की प्रतिमाएिं गुफा सिंख्या 1 में
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● एलोरा शैलीगि सिंकलनिाद अथाणि एक ही स्थान पर अनेक शैतलयों के सिंगम की दृतष्ट से भी बेजोड़ है। एलोरा और औरिं गाबाद
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की गुफाएिं दो धमों- बौद्ध धमण और ब्राह्मर् धमण के बीच चल रहे अिंिर को दशाणिी हैं। इसमें बारह बौद्ध गुफाएिं हैं जहािं बौद्ध धमण
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की गई हैं। बौद्ध गुफाएाँ आकार की दृतष्ट से काफी बड़ी हैं और एक, दो और यहािं िक कक िीन मिंतजले हैं। उनके स्ििंभ तिशालकाय
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हैं। अतधिािा बुद्ध की प्रतिमाएिं आकार में बड़ी हैं और पद्मपातर् और िज्रपातर् की प्रतिमाएिं सामान्यिौर पर उनके अिंगरक्षक के
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Q 98.B
● निपार्षार् युग के लोग पॉतलश ककए हुए पत्थर के उपकरर्ों और औजारों का इस्िेमाल करिे थे। िे तिशेर्ष रूप से पत्थर की
कु कहातड़यों का इस्िेमाल करिे थे, जो देश के एक िृहद तहस्से में बड़ी सिंख्या में पाई गई हैं।
● बुजह
ण ोम कश्मीर में निपार्षार्कालीन एक महत्िपूर्ण बस्िी है। निपार्षार् काल के लोग यहााँ एक पठार पर बने गिों में तनिास
करिे थे। िे सिंभििः तशकार और मछली पकड़ने का कायण करिे थे।
के साथ उनकी कब्रों में दफनाया जािा था। निपार्षार् काल की िरह गिण आिास और मातलकों की कब्रों में पालिू कु िों को
दफ़नाने की प्रथा भारि के ककसी अन्य भाग में नहीं तमलिी है। बुजह
ण ोम का प्रारिं तभक काल लगभग 2400 ई.पू. है।
Q 99.D
● िुगलक राजििंश एक मुतस्लम शाही पररिार था, तजसका सिंबिंध िुकण-मिंगोल या िुकण ििंश से था। िुगलक ििंश का मध्यकालीन
भारि के दौरान कदकली सकिनि पर आतधपत्य था। 1320 ई. में िुगलक राजििंश कदकली में सिासीन हुआ, उनका शासन 1412
ई. िक (राजििंश की समातप्त िक) जारी रहा। िुगलक राजििंश में िीन योग्य शासक हुए: गयासुद्दीन िुगलक, मुहम्मद तबन
● मुहम्मद तबन िुगलक ने राजधानी को कदकली से देितगरी स्थानािंिररि ककया। चूिंकक देितगरी दतक्षर् भारि में िुकी शासन के
तिस्िार का आधार रहा था। पूरे दतक्षर् भारि को तनयिंत्रर् में लाने के प्रयास से गिंभीर राजनीतिक करठनाइयािं उत्पन्न हुई। बाद
में देितगरर का नाम बदलकर दौलिाबाद कर कदया गया। उसने जकद ही दौलिाबाद को छोड़ने का तनर्णय तलया। इसतलए कथन
● मुहम्मद तबन िुगलक ने सोने और चािंदी की आपूर्िण पर तनभणरिा से बचने के तलए सािंकेतिक मुद्रा की शुरुआि की। 14िीं सदी में
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तिश्व में चािंदी की कमी हो गई थी। बाद में लोगों ने इन तसक्कों को ढ़ालना शुरू कर कदया, तजससे यह प्रयोग असफल हो गया।
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इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
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● कफरोज शाह िुगलक ने सेना के तलए आनुितिं शकिा के तसद्धािंि को लागू ककया। पुराने सैतनकों को शािंतिपूिणक आराम करने और
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उनके स्थान पर अपने पुत्रों या दामादों को भेजने की अनुमति दी गई, और यकद िे उपलब्ध नहीं होिे थे, िो दासों को भी भेजा
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● कफरोज शाह िुगलक के समय जतजया एक पृथक कर बन गया। पहले यह ख़राज का तहस्सा था ्योंकक शरीयि में जतजया का
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Q 100.D
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कु तचपुड़ी नाम का उद्भि भारि के आिंध्र प्रदेश के कु चेलपुरम गािंि से हुआ है। नृत्य, नाटक और सिंगीि की शास्त्रीय शैली के रूप में
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कु तचपुड़ी का भारिीय शास्त्रीय कला की अतभव्यति में एक अतद्विीय स्थान है। कु तचपुड़ी का सबसे अतधक तिकास साििीं सदी
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ईस्िी में शुरू हुए भति आिंदोलन के प्रतिफल के रूप में हुआ। हालािंकक, 14िीं शिाब्दी में िपस्िी तसद्धेंद्र योगी ने कु तचपुड़ी को
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● कु तचपुड़ी मूल रूप से एक पुरुर्ष नृत्य परिं परा थी। पुरुर्षों का समूह हहिंद ू पौरातर्क ग्रिंथों की कहातनयों को प्रदर्शणि करने के तलए
गािंि-गािंि की यात्रा करिा था। जैसे एतलज़ाबेथन तथएटर में पुरुर्षों द्वारा मतहलाओं की भूतमका भी तनभाई जािी थी। तपछले 9
या 10 दशकों से ही मतहलाओं को इस कला में प्रस्िुि ककया जा रहा है। कु तचपुड़ी अपने ििणमान स्िरूप में िेम्पति तचन्ना सत्यम
और स्िगीय िेदािंिम् लक्ष्मीनारायर् शास्त्री जैसे कदग्गजों की दृतष्ट का पररर्ाम है। इसमें पुरुर्ष और मतहला कलाकार दोनों
शातमल हैं।
प्राथणना या आह्िान के िल गर्ेश ििंदना िक ही सीतमि था। अब अन्य देििाओं का भी आह्िान ककया जािा है। ित्पश्चाि्
अिर्णनात्मक िथा काकपतनक नृत्य अथाणि् नृत्ि प्रस्िुति होिी है। अ्सर जतिस्िरम् को नृत्ि के ही रूप में प्रस्िुि ककया जािा है।
इसके बाद शब्दम् नामक िर्णनात्मक प्रस्िुति की जािी है। परिं परागि लोकतप्रय शब्दम् प्रस्िुति में से एक है- दशाििार। शब्दम्
के बाद नाट्य-प्रस्िुति स्िरूप कलापम् प्रस्िुि ककया जािा है। अनेक परिंपरागि निणक कलाकार, भामाकलापम् नाम परिंपरागि
नृत्य नाटक से सत्यभामा पात्र-प्रिेश को प्रस्िुि करना पसिंद करिे है। ‘भामर्े, सत्यभामर्े’ गीि िथा परिं परागि प्रिेश दारू
(चररत्र तिशेर्ष के प्रिेश के समय प्रस्िुि ककया जाने िाला गीि) इिना सुरीला ि श्रुतिमधुर होिा है कक उसका आकण र्षर्, व्यापक
और सदाबहार प्रिीि होिा है। इसी अनुक्रम में, ित्पश्चाि् पदम्, जािली, श्लोकम् आकद सातहतत्यक ि सिंगीि स्िरूपों पर
आधाररि तिशुद्ध नृत्यातभनय-प्रस्िुति की जािी है। ऐसी प्रस्िुति में गाए गए प्रत्येक शब्द को नृत्य की मुद्राओं द्वारा प्रस्िुि ककया
जािा है। इस प्रकार के नृत्य को उपयु्िि: दृश्य-कतित्ि (दृश्य-काव्य) कहा जा सकिा है। सामान्यि: कु चीपुड़ी नृत्य-प्रस्िुति को
िरिं गम् प्रस्िुति के पश्चाि् समाप्ि ककया जािा है। इस प्रस्िुति के साथ कृ ष्र्-लीला-िरिं तगर्ी के उद्धरर् गाए जािे हैं। इसमें
अ्सर निणक कलाकार शकट-िदनम् पाद मुद्रा में पीिल की थाली पर पािंिों को रखकर खड़ा रहिा है और अत्यिंि कु शलिापूिक
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● नृत्य प्रस्िुति के साथ सिंगि रूप में कनाणटक सिंगीि की शास्त्रीय शैली सतहि पररििणनीय आह्लादक प्रस्िुति की जािी है। गायकों
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के अतिरर्ि, अन्य सिंगि कलाकार भी होिे हैं। िाल सिंगीि प्रस्िुि करने हेिु एक मृदग
िं म्-िादक, सुरीला िाद्यात्मक सिंगीि
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प्रदान करने हेिु एक िायतलन अथिा िीर्ा-िादक या दोनों, एक मिंजीरा-िादक, जो अ्सर िाद्य िृद
िं का सिंचालन करिा है और
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सोकलुकट्टु (स्मरर्ोपकारी िाल के बोल) का उच्चारर् करिा है।
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