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बरसन लगी बदररया

लेख़िका- komaalrani
Created by - PdfGuru Xfourm
सावन शरू
ु हो गया था। सावन की झड़ी लगी थी, घने बादल छाये थे। रे डियो पर गगररजा दे वी ‘बरसन लागी रे
बदररया’ अलाप रही थी। बाहर हररयाली छाई थी और मेरा मन खुशी से गा रहा था। मैं अपनी छोटी ननद मीता
को छे ड़ रही थी। मैं उसके हाथ में में हंदी लगा रहा थी, उसकी गोरी हथेली और नाजुक उं गललयों पर सद
ुं र
डिज़ाइन बना रही थी पर मेरा मन कल रात में खोया था। मैं एक भी लमनट नहीं सोई थी, बाहर और कमरे में
भी रात भर बरसात जो होती रही।

वहां बादल धरती पर छाकर रस बरसा रहा थे, यहां मेरा पतत मझ
ु े पर छाया था और मैं उसके रस में भीगी जा
रही थी। बबजली की हर गरज पर मैं उसे जकड़ लेती और वह अपना लण्ि मेरी चूत में पेल दे ता। रात भर चुदाई

ve
चली, पहले बबजली की कौंध जैसी प्रखर, पर उसके बाद एक धीमी सरु ीली लय में जैसे सावन का रस बरस रहा
हो। रात भर मेरी छरहरी टांगें उसके कंधे पर टटकी रही थी।

मेरी ननद ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखें उठाकर मझ


ु े उलाहना टदया- “क्यों भाभी, कहां खो गई, ये मेरे हाथ है , भैया
के नहीं…”

मैं खखलखखलाकर बोली- “तम्


.li
ु हारे भैया हाथ नहीं, कुछ और पकड़ते हैं…”
um
वह भी हँसने लगी और बोली- “हाँ मालम
ू है …”

अब बारी मेरी थी, मैंने झूठ मठ


ू का अचरज टदखाते हुए कहा- “तम्
ु हें कैसे मालम
ू , तम्
ु हें भी पकड़ा था क्या?”
or

वह शरमा गई।

पर मैंने नहीं छोड़ा- “बन्नो, अब तो तम्


ु हारा सोलहवां सावन लग गया है …” और फिर हाथ उसके स्कटट के अंदर
Xf

िालकर बोली- “अब तो इस केसर क्यारी में बरसात हो जानी चाटहये…”

वह भी इस नोक झोंक में शालमल होकर बोली- “अरे भाभी, आपके ताल में तो रोज टदन रात पानी बरसता है ,
पर मेरी भाभी को अपनी इस ननद की फिक्र ही नहीं है …”

उसके दस ू रे हाथ में में हंदी लगाते हुए मैंने कहा- “मेरी गलती… अबकी बरसात में तो जरूर तम् ु हारी केसर क्यारी
में बरसात करवा दं ग ू ी और कोई नहीं लमला तो तम् ु हारे भैया तो हैं ही, उनका भी स्वाद बदल जायेगा। और लेट
मी टे ल य,ू ही इज़ ररयली गि
ु । और वैसे मेरा कज़न सन्जय तो तम्
ु हारा दीवाना है ही, उसे तो जब चाहो…”

मीता ने नाक लसकोड़कर कहा- “अपने भैया से कटहये अपना मँह


ु धो आयें…”

1
मैं हँसकर बोली- “अरे वो मह
ँु क्या, तम
ु जो कहोगी वह सब कुछ धोकर आ जायेगा…”

फिर मैंने उसे याद टदलाया- “यू नो, पहले तम्


ु हारे ललये मैं क्या गाती थी?

हमरे गाँववाली गोररया जब जवान होई, तब हमारा गंगा स्नान होई।

“तो अब गंगा स्नान करने का वक्त आ गया, चाहे तो मेरे भाई को और चाहो तो अपने भाई को या फिर दोनों
को। इस बाररश में तो बरस जाओ जम के…”

मैंने फिर से वही गलती कर दी, कहानी को शरू ु करने के पहले पात्र पररचय बहुत जरूरी है इसललये मैं फिर
शरू
ु वात करती हूँ। मेरा नाम रं जना है । िेढ़ साल पहले मेरी शादी राजीव से हुई, अच्छा ऊँचा परू ा खूबसरू त
नौजवान है और उसकी एक ही पैशन है , मैं। मौका लमलते ही शरू
ु हो जाता है, कहीं भी कभी भी मझ
ु े चोदने की
ताक में रहता है । समझ लो मैंने उसे जोरू का गल
ु ाम बना ललया है ।

ve
हम आपस में एकदम खल
ु े और फ्रैंक है और वह मेरा एडिक्ट हो गया है । मेरी ननद मीता ने अभी महीने पहले
अपनी सोलहवीं वर्टगांठ मनायी है । ग्यारहवी में पढ़ती है । 5’4” कद है और उसका मासम
ू चेहरा और गदराया
बदन, इससे वह बला की मादक लगती है । और यह उसे मालम
ू है । उसका गोरा रं ग ऐसा है जैसे दध
ू में थोड़ा
गल
ु ाब घल
कारण काफ़ी बड़े लगते हैं। मझ
ु से वह बहुत खल
.li
ु ा हो। उसके कमलसन उरोज छोटे है, करीब 32” साइज़ के, पर उसके नाजक
ु ी है और हमारा संबध
ु बदन और पतली कमर के
ं बहुत घतनष्ठ है ।
um
मीता असल में मेरे पतत की चचेरी बहन है पर मेरी इकलौती ननद होने की वजह से उसे मेरे और मेरी सहे ललयों
की रं गीली छे ड़छाड़ सहनी पड़ती है । यह छे ड़छाड़ लसफ़ट बोलने सन
ु ने की नहीं है, बहुत बार हम उसकी चूगचयां भी
मसल दे ते हैं। होली में उसकी बचने की हर कोलशश नाकाम करके मैंने जबसे उसके टाप में हाथ िालकर उसका
जोबन दबाया था, तबसे हमारे बीच के सब बांध टूट गये हैं। वह हमारी कामक
ु तछछोलेदार बातों और नान-वेज
चुटकुलों का मजा तो लेती ही है , बल्कक खद
ु भी हमारी बातों का दो टूक जवाब दे ने की कोलशश में रहती है । मेरे
or

पतत के साथ भी जब मैं बातें करती हूँ तो मीता के बारे में भी हम ऐसी ही बातें करते हैं।

कल रात भी जब हमारी धआ
ु ंधार चद
ु ाई चल रही थी तो मैंने अपने पतत को छे ड़- “क्यों, मीता की याद आ रही
है जो आज इतने जोश में हो?”
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उसने मेरी चच
ू ी दबाई और जवाब में अपना लण्ि बाहर तनकालकर एक बार में फिर परू ा अंदर कर टदया। मेरे
गालों पर दांत लगाते हुए वह बोला- “अभी वह छोटी है …”

मैंने अपने चूतड़ उछालकर कहा- “उसकी गचंता न करो, एक बार बरसात होने के बाद वह एकदम बड़ी हो
जायेगी। वैसे भी तम
ु जब कहो, मैं ट्राई करा दं ग
ू ी, वह छोरी तम्
ु हारा ये परू ा मस
ू ल घोंट जायेगी…”

इस बात पर उसने मेरे खड़े मम्मों को काट खाया और बोला- “मझ


ु े क्या बहनचोद समझ रखा है?”

मैंने अपने लम्बे नाखन


ू ों से उसकी पीठ खरोंचते हुए कहा- “और क्या, मझ ु े तो शरू
ु में ही पता चल गया था फक
मेरी सारी ननदें तछनार है और ससरु ाल के सारे मदट बहनचोद। वैसे तम्
ु हें आपत्ति हो तो मैं अपने भैया सन्जय से
2
उसका उद्घाटन करा दं ग
ू ी। हाँ चाहो तो पीछे वाली का उद्घाटन तम
ु कर दे ना। (मेरा पतत तनतम्बों का रलसया है ,
गद
ु ा सम्भोग का बहुत शौकीन और हर दो तीन टदन में मेरी गाण्ि का बाजा बज ही जाता है । मैंने बहुत बार
उसे मीता के कमलसन भरे तनतम्बों को घरू ते हुए दे खा है ) और इस तरह बात बराबर हो जायेगी…”

इससे वह इतना मस्त हुआ और उस रात मेरी ऐसी चद ु ाई हुई जो बस ल्जंदगी में कभी-कभी होती है । मैं उसे
मीता के सामने भी छे ड़ा करती थी और वे दोनों इस बात पर शरमा से जाते थे पर मन में दोनों के लड्िू िूटते
थे, यह मझ
ु े पक्का मालम
ू है ।

एक टदन मैं अपने पतत के साथ ललंगरी खरीदने को गई और कुछ सेक्सी चीज़ें पसंद की। मैंने मीता के ललये भी
एक दो ली और अपने राजीव को टदखाई। वह समझा फक ये मेरे ललये है इसललये उसने सझ
ु ाव टदया फक गल
ु ाबी
रं ग की पश ु -अप टाइप की भी ले ल।ूं मैंने वे पैक कराईं और कुछ चाकलेट भी ले ललये। जब हम घर पहुँचे तो
मैंने पैकेट उसके हाथ में दे कर उसे मीता को दे ने को कहा। उसे लगा फक चाकलेट का पैकेट है और वह मीता को
दे ने लगा।

ve
मैंने कहा फक खोलकर दो।

जब उसने पैकेट खोला तो वो गल


ु ाबी ब्रा दे खकर एकदम झेंप गया। मैं खखलखखला उठी और मीता को छे ड़ने
लगी- “मीता, ये तम्
ु हारे भैया खद
ु तम्
.li
ु हारे ललये पसंद करके लाये हैं…”

फिर राजीव को बोली- “अरे इतने प्यार से लाये हैं तो पहना भी दील्जये…”
um
मीता शरमा कर भाग गई। राजीव भी शरमा गया था पर इतना उिेल्जत हो गया था फक कपड़े बदलते समय
उसका खड़ा लशश्न साि टदख रहा था। उन्होंने उसी समय मझ
ु े झक
ु ा कर मेरी इतनी जबरदस्त चद
ु ाई की फक
मजा आ गया।
or

हाँ, तो मैं कहाँ थी?

मैंने मेरी छोटी ननद के हाथ में में हंदी लगाने का काम परू ा कर ललया था और वह उसे सख
ु ाने में लगी थी।
बरसात अब कम हो गई थी और लसफ़ट बद
ूं ा-बांदी हो रही थी। तभी मेरी सहे ली चम्पा ने आकर हमें बाहर झूला
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झूलने को बल
ु ाया। हमारे घर के पीछे घनी अमराई है जहां एक पेड़ पर झूला बंधता है और अड़ोस पड़ोस की
सभी औरतें और लड़फकयां आकर झल
ू ा झल
ू ते हैं और कजरी गाते हैं।

चम्पा भाभी कामक


ु रसीले चुटकुले सन
ु ाने और दोहरे अथट की बातें करने में एक्सपटट थी। मेरी ननद होने की
वजह से मीता बेचारी सबका तनशाना बनती थी। जब सब औरतें साथ होती तो कोई फकसी तरह की शरम या
बंधन नहीं पालता था। हम अपनी रातों के अनभ
ु व भी एक दस
ू रे को बताते। मीता यह जानती थी इसललये मेरे
साथ आने में टहचफकचा रही थी। इसललये उसने बहाना बना ललया फक हाथ की मेंहंदी सख
ू ी नहीं है तो झल
ू े की
रस्सी वह कैसे पकड़ेगी।

3
चम्पा ने उसके गाल पर चँट
ू ी काट कर कहा- “अरे तम्
ु हारी भाभी तम्
ु हारे जोबन पकड़कर रहे गी। सारी रात
तम्
ु हारी ये भाभी रं जना तम्
ु हारे भैया के साथ झल
ू ा झल
ू ती है , तो कौन सी रस्सी पकड़ती है । जैसे तम्
ु हारे भैया
इसकी चूची पकड़कर झूला झुलाते हैं, वैसे ही हम आज उनकी बहन को झूला झुलायेंगे…”

जब हम अमराई को पहुँचे तो वहां तीन औरतें पहले ही झूला झूल रही थीं। सबके हाथ में में हंदी थी और धानी
चुनरी में ललपटी, गहनों से लदी वे सद
ंु र नाररयां अठखेललयां कर रही थीं। मीता को दे खते ही वे उससे छे ड़छाड़
करने लगीं- “क्यों ननद रानी, अभी बरसात हुई फक नहीं?”

उसे बीच में बबठाकर एक बाजू से चम्पा भाभी और एक बाजू से एक दस


ू री औरत ने उसे पकड़ ललया। पकड़कर
सहारा दे ने का तो लसफ़ट बहाना था, असल में वे उसके कमलसन उरोजों को सहला रही थी। मझ
ु े झल
ू े को धक्का
दे ने या पें ग दे ने का काम टदया गया।

जकद ही हमने झूले की गतत बढ़ा दी और बेचारी मीता, अपने हाथों में लगी गीली में हंदी के कारण अपने बचाव

ve
में कुछ नहीं कर सकी। चम्पा भाभी उसे छे ड़ते हुए एक कजरी गाने लगी।

कैसे खेलन जैबो सावन में कजररया, बदररया घिर आयी ननदी,
तू तो जात हो अकेली, न संग न सहे ली, गंडा और छै ला िेर लेहहयें तोरी डगररया,
बदररया घिर आयी ननदी,
कोई तो चोललया खोललये और कस के जोबना मसललयें,
.li
और कोई भरतपर लूहटयें, लट जायी आज तोरी जवाघनयां, बदररया घिर आयी ननदी।
um
जकदी ही गीत और उनके हावभाव ज्यादा कामक
ु और रं गीले हो गये और अब मीता भी उस माहौल में मन से
शालमल हो गई। पर अब फिर से वर्ाट का जोर बढ़ गया था और इसललये मेरी अगधकतर सहे ललयां वहां से खखसक
ली। अब मैं और चम्पा भाभी ही रह गये और रह गई हमारे बीच सैंित्तवच बनी मीता। चम्पा भाभी ने मझ
ु े खूब
आग्रह फकया फक मेरी रात के फक्रया कलापों का त्तवस्तत
ृ त्तववरण दं ।ू मझ
ु े मालम
ू था फक यह सब असल में मीता
or

के ललये था और मैंने भी परू े डिटे ल में अपनी आपबीती टहन्दी में सन


ु ायी।

मैंने बड़े मजे ले-लेकर बताया फक कैसे राजीव ने मेरे पैर अपने कंधे पर रखकर सारी रात मझ
ु े चोदा, चोदते
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समय कैसे मेरी चगू चयां मसल-मसलकर रगड़ी और कैसे मेरा एक तनपल उनके मह
ँु में था, एक हाथ में था और
कैसे उनकी एक उं गली मेरा ल्क्लट सहला रही थी। ये सब बातें करके मैं और मेरी जवान ननद बहुत उिेल्जत हो
गये थे। उधर चम्पा भाभी एक और सेक्सी कजरी गाने लगी।

बदररया घिर आयी ननदी, अरे मोरे सैंया और दे वर दोनों बड़े ही रलसया कैसे खेलूं कजररया रे
दे वर मोरा चोली खोले और सैंया साया उठाये,
दे वर मोरा बडा ही रलसया जोबन मोरा दबाये, सैंया मोरा बात न माने कस के अंदर धँसाये
अरे दोनों संग-संग लूटे मजा सावनवां में ,
बदररया घिर आयी ननदी।

4
अब मीता ने भी भाभी की बात का दो टूक जवाब दे ते हुए कहा- “अरे भाभी, ये तो बड़ी मजेदार बात है , एक
साथ दो-दो का मजा, और क्या चाटहये…”

मैं चम्पा से बोली फक चलो, हम लोग भी आज इसको एक साथ दो का मजा दे ते हैं।

चम्पा भाभी हाँ बोली और तरु ं त उसके हाथ मीता के टाप के अंदर घस
ु गये। इसके पहले फक मीता कुछ कहती
या प्रततकार करती, भाभी उसके जवान स्तनों को पकड़कर प्यार से सहलाने और दबाने लगी। मैंने मीता की
स्कटट उठाकर उसकी पैंटी उतार दी। अब पानी फिर जोर से बरसने लगा था और हमारे कपड़े गीले होकर हमारे
शरीर से ऐसे गचपक गये थे फक हर अंग का आकार साि टदखता था।

बेचारी मीता हमारे बीच िंसी थी और वह छूटने को अपने हाथों का प्रयोग भी नहीं कर सकती थी। इतनी दे र
की रं गीली छे ड़छाड़ ने उसे भी उिेल्जत कर टदया था। मेरी उं गली अब उसके बाहरी भगोष्ठ (लेबबया) को रगड़
रही थी और अंगठ
ू ा उसके ल्क्लट को छे ड़ रहा था।

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“ओह्ह… नहीं भाभी, अब छोड़ दील्जये…” कहती हुई वह प्रततरोध तो कर रही थी पर यह एकदम कमजोर प्रततरोध
था।

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“अरे सावन में मजा न लोगी तो कब लोगी? फिर कहोगी फक भैया से भाभी तो मजा ले लेती हैं और मैं प्यासी
रह जाती हूँ…” कहते हुए, मैंने उसकी कोरी कँु वारी चूत की रगड़-तघसाई और तेज कर दी।
um
“अरे आज हमीं दो से मजा ले लो…” कहकर चम्पा भाभी ने उसका टाप उठाकर उसका भीगा जोबन नंगा कर
टदया- “दे खो आज बताती हूँ फक तम्
ु हारे भैया कैसे चूची रगड़ते हैं…” कहती हुई वह अपनी दोनों हथेललयां मीता
की फकशोर छाततयों पर रखकर उन्हें जोर से मसलने लगी।

“हाँ और मैं बताती हूँ फक कैसे उनका लण्ि मेरी चूत में चुदाई करता है , कहकर मैंने अपनी उं गली की टटप
or

उसकी चत
ू में अंदर िाल दी और धीरे -धीरे गोल-गोल घम
ु ाने लगी।

“ओह भाभी, प्लीज़…” कहती हुई वह अपने चत ू ड़ झलू े पर रगड़ रही थी। काले घने बादल फिर तघर आये थे।
हमारे पैर झूले को पें ग दे रहे थे और उसी लय में हमारे हाथ मेरी ननद की चतू और चच ू ी को रगड़ रहे थे। मेरी
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एक उं गली उसकी चूत के अंदर थी और दस


ू री उसकी चूत को खूब जोर से दबा रहा थी।

मेरा अंगठ
ू ा उसके ल्क्लट पर जमा हुआ था और उससे धींगा-मस्ती कर रहा था।

“ओह, भाभी, ओह्ह…” कहके अब मीता लससकाररयां भरती हुई तड़प रही थी।

मैंने चम्पा की ओर दे खा और वह समझ गई। उसने मीता के तनपलों पर अपना दबाव बढ़ा टदया और मैंने उसके
ल्क्लट को उं गली और अंगठ
ू े के बीच लेकर रगड़कर दबा टदया। मीता शायद, पहले भी झड़ चुकी होगी पर झूले
पर झूलते हुए, बरसात में भीगते हुए आगैज़्म का उसका यह पहला अनभ ु व था। हम दोनों ने उसे बांहों में भींच
ललया, और यह कामना की फक उसके ‘थाइलैंि’ में घनघोर वर्ाट होती रहे । अब तक उसे बहुत मजा आने लगा
था। बोली- “अरे भाभी, आप लोगों से बचे तब ना…”
5
मैंने चट
ु की लेते हुए कहा- “कोई बात नहीं ननद रानी, कुछ नहीं तो मैं शेयर कर लग ंू ी, मैं कुछ टदन बाद चार
पांच टदन छुट्टी पर जा रही हूँ, और तम्
ु हारे भैया उपवास पर रहें गे। इससे अच्छा… अरे जो केयर करते हैं वही
शेयर करते हैं…”

जैसे ही पानी कुछ थमा, हम घर की ओर भागे। मैं मीता को अपने कमरे में ले गई। उसे छींक आयी तो मैंने ये
कहकर फक “अरे ठं िक लग जायेगी, जकदी ये गीले कपड़े उतारो…” ओर उसे कुछ समझ में आने के पहले ही
उसका टाप उतार टदया और ब्रेलसयर खोल िाली। वह बेचारी झेंप कर अपनी ब्रा पकिने की कोलशश करने लगी
पर मेरे आगे उसकी क्या चलती। उसके कमलसन जवान स्तन बाहर आ गये। मैंने एक छोटा तौललया ललया और
उन्हें पोंछने का टदखावा करती हुई उन्हें जोर से रगड़ने लगी।

तभी मझ
ु े भी छींक आ गई। अब मीता की बारी थी, उसने मेरी साड़ी खींच दी और बोली- “भाभी आप भी कपड़े
बदललये…”

ve
“ठीक है …” कहकर मैंने अपना ब्लाउज़ और ब्रा भी खोल दी।

मीता की आँखें मेरे गवट से तनी 36िीिी साइज़ के जोबन पर गड़ी थीं। जब उसने उनपर बने दांतों के तनशान,

उसकी स्कटट उतारते हुए मैं बोली- “तम्


.li
खरोंचे और ब्रल्ू ज़ंग के तनशान दे खे तो वह चौंक पड़ी- “ये क्या भाभी, ये कैसे तनशान हैं?”

ु हारे भैया के, रात भर जो उन्होंने काटा और चस


ू ा है…”
um
“अरे मेरे भैया तो बड़े जुकमी हैं…” कहते हुए मीता ने हकके से मेरे उरोजों को छुआ।

मैंने उसके हाथों में अपनी चूची थमा दी और बोली- “और क्या? लेफकन बन्नो, ददट चाहे ल्जतना हो, मजा भी
खूब आता है । मैं तो कहती हूँ फक एक बार तम
ु भी उनसे चुसवा कर दे खो…”
or

मीता घबरा गई- “ना बाबा ना, मझ


ु े ऐसे नहीं कटवाना…”

“चलो, भैया से तो जब भैया आयेंगे तब चुसवाना, अभी भाभी से चुसवा लो…” कहते हुए मैंने उसकी कँु वारी
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कोमल चच ू ी मँहु में भर ली और लगी चूसने। थोड़ी दे र बाद मेरी जीभ उसके स्तन के तनचले भाग को चाटती हुई
उसके स्तनाग्रों की ओर बढ़ने लगी। दसू रे हाथ से मैं उसके उरोजों को पकड़कर धीरे -धीरे मसल रही थी। वह ‘नहीं
भाभी, नहीं भाभी’ कर रही थी पर मैं जानती थी फक यह लसफ़ट टदखावे का त्तवरोध है ।

मेरी जीभ अब उसके जोबन को सहलाकर चाट रही थी और उसके स्तनों को मस्त कर रही थी। बीच में ही मैं
अपनी जीभ से उसके स्तनाग्रों को ल्ललक कर दे ती। अचानक मैंने उसके एक तनपल को अपने होंठों के बीच
पकड़ ललया और उसे चस
ू ने लगी। मीता अब लससक रही थी “भाभी ओह, हाँ, ऊह… नहीं भाभी, छोड़ दील्जये
प्लीज़…” मैंने एक मस्ती की लससकारी भरी और उसके हाथ अपने दगू धया स्तनों पर रखकर उसे मेरे मतवाले
उरोजों को दबाने और हथेली में भरकर उनसे खेलने पर मजबरू कर टदया।

6
कुछ दे र की टहचफकचाहट के बाद मीता के हाथ मेरे स्तनों पर घम
ू ने लगे और मैं उिेल्जत होकर उस सक
ु ु मार
कन्या के स्तन और जोर से मसलने लगी। तभी िोन की घंटी की ककशट आवाज ने हमारी इस धंद
ु रतत को
रोक टदया। मीता िोन उठाकर बात करने लगी। मैं उसकी चूगचयां हाथ में पकड़कर उससे पीछे से गचपक गई
और हचक-हचक कर धक्के मारने लगी जैसे उसे पीछे से चोद रही होऊँ।

मेरी चूगचयां उसकी नग्न कोमल पीठ पर रगड़ रही थी।

“येस? अच्छा तो साले जी है … हाँ कटहये? मैं सब समझती हूँ… मेरी नहीं, इस सेक्सी मौसम में आपको मेरी नहीं,
अपनी बहनजी की याद सता रही होगी…”

मीता की चगू चयों का मदट न करते हुए मैं सब सनु रही थी। मैं समझ गई फक वह मेरे भाई सन्जय से बात कर
रही है । मेरी शादी से ही वह उसे ‘साले जी’ कहकर गचढ़ाती थी। िोन पर सन्जय है यह समझ में आते ही मैंने
उसके तनपलों को उं गललयों से मसला और दस
ू रे हाथ से उसकी चूत कसकर पकड़ ली।

ve
वह ‘आह’ कर उठी और सन्जय ने पछ
ू ा फक क्या हुआ?

मैंने िोन मीता के हाथ से खींचकर हँसते हुए सन्जय से कहा- “इस मस्त मौसम में वह तम्
ु हारी आवाज सन
ु कर
लससक रही है, अगर तम ु आ जाओ तो…”
.li
सन्जय बोला- “ठीक है मैं आ रहा हूँ, पर रात भर रुकंू गा…”
um
मैंने मीता को बताया- “दे खो, सन्जय आ रहा है , लगता है आज तो बरसात होकर ही रहे गी…”

वह शरमा गई और बोली- “हाँ, मैं जानती हू…”


or

अचानक मैंने गौर फकया फक मीता के कपड़े तो नीचे उसके कमरे में होंगे इसललये मैंने उसे अपनी एक धानी
साड़ी पहना दी, जो सावन की इस छटा से मेल खा रही थी। मैंने भी एक ऐसी ही साड़ी पहन ली।

मीता ने साड़ी तो पहन ली पर फिर तन


ु क गई- “भाभी आपकी चोली तो…”
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मेरे पास इस समस्या का भी समाधान था- “दे खो, अभी हमारे पास समय नहीं है , सन्जय ने पास से ही िोन
फकया था, वह आता ही होगा। तम
ु मेरी ये ल्स्ट्रं ग वाली चोली पहन लो। यह बैकलेस है और इसे पीछे से बांध
सकते हैं। ब्रा अभी रहने दो…” उसके कुछ कहने के पहले मैंने उसे अपनी बैकलेस चोली पहना दी और पीछे से
कसकर िोरी उसकी पीठ पर बांध दी। उन कपों में कस जाने के बाद उसके टे तनस की गें दों जैसे स्तन तनकर
खड़े हो गये और ऊपर उभर आये।

उसे यह पता नहीं था फक वह लो कट चोली है और उसमें से उसकी जवानी का माल साि टदख रहा है । मैंने
उसके तनपल कस के दबाये और वे भी कड़े होकर उभर आये।

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बेल बजी और वह भागकर दरवाजा खोलने चली गई फक शायद सन्जय आ गया। भैया जरूर आये थे पर मेरे
नहीं, उसके… मेरा पतत राजीव आफिस से जकदी आ गया था। यह समझकर फक मैं हूँ, उसने मीता को ही
कसकर आललंगन में समेट ललया। पीछे से मेरे हँसने पर उसे अपनी गलती समझ में आयी। पर जब उसने मेरी
ननद की ओर दे खा तो उसकी तनगाहें मीता के जवान उरोजों पर अटक गयीं जो उस तंग लो कट बैकलेस चोली
में बंध कर गवट से सीना तान कर खड़े थे।

अपने स्तनों का उभार छुपाने के ललये मीता ने आंचल लेना चाहा पर मैंने हँस के उसका आंचल उसके मम्मों के
बीच समेट टदया। मैं समझ गई थी फक मेरा पतत बहुत उिेल्जत हो गया है, उसके पैंट में तम्बू टदखायी दे ने लगा
था।

जब हम अपने कमरे में आये तो मैंने तरु ं त उसे हाथ में जकड़ ललया और बोली- “अगर चोली के अंदर से दे खकर
ये हाल हो रहा है तो एक बार जब हाथ में आ जायेगा तो क्या होगा? तम
ु कुछ भी कहो, अब यह साबबत हो
गया है फक मेरी छोटी सी ननद पर तम
ु मरते हो…” यह कहकर मैं उसकी गोद में बैठ गई और उसके प्यासे

ve
होंठों को चूमकर पछ
ू ा- “क्यों कैसा लगा मेरी ननद का रूप?”

“बड़ी हो गई है …” उसने कबल


ू फकया।

बल
.li
मैं अपने तनतम्ब उसके तनकर खड़े लण्ि पर रगड़ती हुई बोली- “बड़ी हो गई है या बड़ा हो गया है । मैं उसको
ु ाती हूँ, एक बार फिर जरा कस के पकड़ के दे खो…”
um
वह मझ
ु े रोकता रह गया पर मैंने मीता को हांक मारकर बल
ु ा ही ललया।

वह बेचारी आंचल में अपनी जवानी छुपाने की कोलशश करती हुई आई पर उससे उसके फकशोर स्तन और
उभरकर टदख रहे थे। मै अपने पतत की गोद में ही बैठी रही और उसके लण्ि में फिर से होती उिेजना का
आभास मझ
ु े होता रहा। मैंने मीता को रसोई के बारे में त्तवस्तार से टहदायतें दी। मैंने उससे कहा फक आराम से
or

समय लेकर तैयारी करे क्योंकी आज सन्जय आ रहा है और उसे खुश करना जरूरी है ।

उसने पछ
ू ा फक भाभी, भैया को कुछ चाय या नाश्ता चाटहये होगा?
Xf

मैंने मना कर टदया। कहा फक उन्हें बाहर जाना है इसललये वह सब तैयारी कर ले और मैं फिर आकर खाना
पकाने में उसकी सहायता करूंगी।

उसके जाते ही मैंने दरवाजा लगकर लसटकनी चढ़ा दी और वापस राजीव के पास आ गई। वह समझ गया फक
मीता अब रसोई में घंटे भर तो व्यस्त रहे गी। मैंने ल्ज़प खोलकर उसका लण्ि तनकाल ललया और अधीरता से उसे
चूसने लगी। फिर उसे ललटाकर मैं उसपर चढ़ गई और ऊपर से मन भर के जबरदस्त चद
ु ाई की। कुछ दे र बाद
मैं नीचे थी और वो ऊपर थे। मैं लसस्काररयां भर भरकर बोलती रही- “आह… ओह्ह… प्लीज़ और कस के चोदो…
हाँ, ऐसे ही…” पलंग के चरमराने के साथ ही मेरी पायल खनक रही थी और मीता को वह सन
ु ाई दे रही होगी, मैं
जानती थी।

8
जब हमारी चुदाई समाप्त हुई तो राजीव थक कर लस्त हो गया था। मैं फकचन में आयी तो मीता अपनी मश्ु कान
नहीं छुपा पाई- “क्यों भाभी, भैया को नाश्ता करा टदया?”

“हाँ, पर अभी मेरा भाई आ रहा है , उसे तम


ु नाश्ता, डिनर, ब्रेकिास्ट सब करवा दे ना, और अब अगर ज्यादा
बोला ना…” कहते हुए मैंने एक बैंगन उठा ललया- “तो मेरा भाई तो बाद में आयेगा, पहले मैं ही तम्
ु हारी चूत को
नाश्ता करा दं ग
ू ी…”

सन्जय जकदी ही आ गया। बबलकुल भीग गया था क्योंकी पानी फिर बरसने लगा था। उसकी यह हालत दे खकर
मीता हँसने लगी। मैंने उसे िांटा और कहा फक जकदी से इसे कपड़े दे , नहीं तो ठं िक लग जायेगी।

मीता उसे ताने मारती रही- “मै अपनी टाप, स्कटट दं ू या भाभी आपकी साड़ी और ब्लाउज़ लाऊँ?” और मेरे कानों
में धीरे से बोली- “और भाभी अपने भाई से उनकी ब्रा का साइज़ तो पछ
ू लील्जये, मेरी तो होगी नहीं, शायद
आपकी हो जाये…”

ve
सन्जय के कान पर उसकी िुसिुसाहट नहीं पहुँची थी। बोला- “नहीं नहीं, मैं एक जोड़े कपड़े साथ लाया हूँ…”

मीता उसके ललये तौललया लेकर आयी और उसने अपने आपको सख


ु ाकर कपड़े बदल ललये। उन्हें अकेला छोड़कर

.li
मैं खाना लगाने चली गई। खाने को बैठने के पहले मैंने मीता की ड्रेस बदलवा दी थी। अब वह एक साल परु ाना
फ्राक पहने थी जो उसे टाइट होता था और वह बबककुल फकसी म्यल्ू ज़क वीडियो वाली बेबी िाल लग रही थी।
मीता को मैंने राजीव के सामने और मेरे भैया सन्जय के बाजू में बबठाया था।
um
उसको खाना परोसते समय मैं उसे लगातार छे ड़ रही थी- “मीता, लसफ़ट अपने भाई को मत दो, मेरे भाई का भी
खयाल रखना…”

वह बोली- “नहीं भाभी, मैं दोनों का खयाल रखूंगी…” मीता का टाइट फ्राक लो कट था और जब वह झक
ु ती, दोनों
or

परु
ु र् उसके मचलते स्तनों और बीच की घाटी के सौंदयट का मजा लेत।े मैंने अपने पतत की पैंट में टदखते तम्बू
का अंदाजा ललया। वह फिर से अपना लसर उठा रहा था। उसे दबाते हुए मैंने मीता को फिर तना मारा- “दे खो,
जैसे मैं रोज तम्
ु हारे भाई का खयाल रखती हूँ, वैसे ही तम
ु मेरे भाई का खयाल रखो…”
Xf

मेरी बात का दहु रा अथट समझकर वह शमाट गई पर उलट कर बोली- “दे तो रही हूँ आपके भाई को पर वे ही
शरमा रहे हैं…”

खाने भर हमारी यह छे ड़छाड़ और हँसी मजाक चलते रहे । राजीव का अब परू ा खिा हो गया था, शायद मेरी
फकशोरी ननद के जवान जोबन के लगातार दशटन, मेरी उं गललयों की उसके लशश्न से खेल और सावन की लगातार
झड़ी ने उसे मदहोश कर टदया था। एक जम्भाई दे कर दशाटते हुए फक वह थक गया है , राजीव उठा और जाने के
पहले मझु े जकदी आने को कह गया।

मीता मझ
ु े बोली- “भाभी, भैया को नींद आ रही है, जाके सल
ु ा दील्जये…”

9
मैंने उसके गाल पर चँ ट
ू ी काट कर कहा- “ठीक है, उन्हें तो मैं रोज सल
ु ाती हूँ, पर तम
ु आज जरा मेरे भाई को
ठीक से सल ु ाना…”

सन्जय के सोने का इंतजाम मैंने मीता के पास वाले कमरे में ही फकया था। वह कमरा असल में करीब-करीब
मीता के कमरे का ही एक भाग था, बीच में बस एक दरवाजा था। मैं दो गगलास दध
ू लाई और मीता को दे ते
हुए बोली- “एक तम्
ु हारे ललये और एक मेरे भैया के ललये, उन्हें जरा अपने हाथ से त्तपला दे ना…”

वह हँस पड़ी और सन्जय को छे ड़ते हुए बोली- “अरे मझ


ु े नहीं मालम
ू था फक साले जी अब तक दध
ू पीते हैं…”

मैंने सन्जय का पक्ष लेते हुए कहा- “अरे अगर तम्


ु हारे जैसी त्तपलाने वाली हो तो वह रात भर मँह
ु लगाकर पीता
रहे …”

इस बार मीता ने तरु ं त पलटकर जवाब टदया- “भाभी, आपके भैया तो मँह
ु खोलते ही नहीं…”

ve
मैंने मीता की चच
ू ी दबाकर कहा- “अरे बन्नो, ये मेरे सामने मँह
ु नहीं खोल रहा है , अभी मेरे जाने के बाद दे खना
क्या-क्या खोलता है …”

तभी राजीव ने मझ
.li
ु े आवाज लगाई, फक एक गगलास पानी लेकर आऊँ।

मीता बोली- “भाभी, जकदी जाइये, भैया की प्यास नहीं बझ


ु ी तो?”
um
मैं उसकी बात काट कर बोली- “ठीक है, मैं चली तम्
ु हारे भाई की प्यास बझ
ु ाने और तम
ु मेरे भाई की प्यास
बझ
ु ाओ…” जब मैं ऊपर अपने बेिरूम में पहुँची तो दे खा फक अब बात हद तक बढ़ गई थी। राजीव पलंग पर पण ू ट
नग्नावस्था में लेटा हुआ था और उसका लण्ि शान से झंिे जैसा लसर उठाकर खड़ा था। मैंने िटािट अपने कपड़े
उतारे और उसके उस महाकाय लण्ि का चुम्बन ललया।
or

मैंने होंठों को उसके सप


ु ाड़े पर रगड़ा और उसपर जीभ चलाते हुए पछ
ू ा- “लगता है फक आज मेरी फकशोरी ननद
की उभरती चगू चयां दे खकर एकदम मस्त हो गये हो। घबराओ मत, जकदी ही उसके कँु वारे होंठ तम्
ु हें चाट रहे
होंगे और तम
ु उसके सारे रसीले छे दों का मजा लोगे…”
Xf

मेरे पतत ने बात काट कर कहा- “ये क्या बोल रही हो, और फकससे बोल रही हो?”

मैंने उसके लोहे जैसे सख्त लण्ि को दबाते राजीव को आँख मारते हुए कहा- “अपने इस मस्त यार से जो आज
मेरी कमलसन ननद की चगू चयां दे खकर मस्त हो गया है । मैं उसको बोल रही हूँ फक उसे छोटी मस्त चूची वाली
का मजा चखाऊँगी। आखखर यह मझ
ु े इतना मजा दे ता है , मझ
ु े भी तो इसका खयाल रखना चाटहये…”

इतना कहकर मैंने मँहु खोलकर एक बार में ही उसका िूला हुआ लाल तपता सप ु ाड़ा अपने जलते होंठों के बीच
ले ललया। मेरी लम्बी ल्स्लम उं गललयां अब उसकी गोटटयां सहला रही थीं। मेरी जीभ उसके मत्र
ूं तछद्र को छे ड़कर
उसके िंिे को चाटने लगी थी, साथ ही मेरी उं गललयां उसकी गोटटयों और गद
ु ा के बीच के भाग को हौले-हौले
रगड़ रही थीं।
10
अब वह बरु ी तरह उिेल्जत था और मझ
ु से और करने की याचना कर रहा था। आखखर मैं कौन होती थी, अपने
ननद के भाई को भख
ू ा रखने वाली? इसललये मैंने उसे जोर से चूसना शरू
ु कर टदया। वह अपने चूतड़ उचका-
उचका कर और मजा लेने की कोलशश कर रहा था। कुछ दे र जोर से चूसने के बाद मैंने उसके लण्ि को मँह
ु से
तनकाला और अपने तनचले मँह
ु के होंठों से उसे छे ड़ने लगी। मैंने उसके हाथ अपने हाथ में पकड़े हुए थे और मेरी
मस्त 36िीिी का जोबन उसकी छाती पर रगड़ रही थी। बाहर कुछ दे र पहले की बद ूं ा-बांदी अब घनघोर वर्ाट में
पररखणत हो गई थी।

खखड़की पर बद
ँू ों के गगरने की आवाज के साथ-साथ मैं अपनी चूत उसके तन्नाये लण्ि पर तघस रही थी। अब वह
मझ
ु से याचना करते हुए कह रहा था- “प्लीज़, टे क इट, मेरा लण्ि ले लो, ओह्ह… ओह्ह…”

मैंने एक धीमे धक्के के साथ बस उसके लण्ि का छोर अपनी चूत में ले ललया और फिर रुक गई- “ओके, मैं
अभी खूब जम के चुदाई कराऊँगी पर पहले एक बात इमानदारी से बताओ…” मझ
ु े मालम
ू था फक लण्ि का छोर

ve
चूत में िँसा हो तो इस हालत में कोई परु
ु र् झठ
ू नहीं बोल सकता।

“हाँ पछ
ू ो…” बेचारा राजीव त्तववश होकर बोला।

“जब तम
ु ने मेरी ननद का जोबन दे खा तो तम्
.li
ु हारा खड़ा हुआ था फक नहीं?” मैंने पछ

“फकसी का भी हो जायेगा, एक फकशोरी का खखलता जोबन दे खकर…” वह बोला।


ू ा।
um
“नहीं मैं तम्
ु हारा पछ
ू रही हूँ, सच सच बताओ मीता का दे खकर तम्
ु हारा खड़ा हो गया था फक नहीं?”

“हाँ हो गया था एकदम हो गया था…” उसने स्वीकार फकया- “पर प्लीज़ छोड़ो ना…”
or

मैंने अपनी पतली कमर से धक्का टदया और उसका सप


ु ाड़ा अपनी चूत में लेकर फिर रुक गई। चूत को
लसकोड़कर उसे पकड़ते हुए मैंने अपनी पछ
ू ताछ जारी रखी- “तो तम
ु को लगता है फक वह मस्त माल हो गई है
चोदने लायक…”
Xf

“हाँ लेफकन अभी तो तम


ु मझ
ु े चोदो…”

उसके इस बात को स्वीकारने के बाद मैंने जोर से धक्का लगाया और उसक लण्ि गप से मेरी गीली चूत में समा
गया। मतवाले मौसम के साथ-साथ मीता के बारे में की हुई मेरी छे ड़-छाड़ के कारण उसका लण्ि लोहे के राि
जैसा खड़ा हो गया था। मेरी म्यान में घस
ु कर उसे चौड़ा करता हुआ अंदर से मेरी कोमल नललका को वह जोर से
तघस रहा था। अब मैं भी न रुक सकी और उछल-उछलकर उसे चोदने लगी। मेरी कसी मस्त चूगचयों को वह
मसल कुचल रहा था। मैं उसके कंधे पकड़कर ऊपर से धक्के लगा रही थी और उसके मतवाले लण्ि को अपनी
चूत में तनगल कर चोद रही थी।

11
उसके लण्ि को मेरी चूत अपनी पेलशयों को लसकोड़कर कसकर पकड़ लेती और कभी मैं उसे अपनी चूत से
करीब-करीब परू ा तनकाल दे ती। लसफ़ट सप
ु ाड़ा अंदर रह जाता। उसे कुछ दे र तंग करने के बाद मैं उसकी पीठ अपने
लम्बे नाखूनों से खरोंच कर फिर उसका लण्ि परू ा अंदर ले लेती।

एक हवा के झोंके के साथ खखड़की खुल गई और वर्ाट की िुहारें अंदर आकर मेरी ज़ुकफ़ों से खेलने लगी। ठं िी
हवा ने पेरी पीठ को सहलाया और हवा के एक और झोंके ने वर्ाट की बद
ँू ों से मेरे स्तनों के उभार को रस में
लभगो टदया। मेरे पतत ने मझ
ु े कसकर बांहों में लेकर मेरे स्तन अपनी छाती पर भींच ललये। मेरे कान में
िुसिुसा कर वह बोला- “बहुत मजा आ रहा है …”

उसे छे ड़ने का एक भी मौका मैं हाथ से नहीं जाने दे ती थी। बोली- “कल जब मीता को चोदोगे ना तो इससे भी
ज्यादा मजा आयेगा…”

टदखावे का गस्
ु सा करते हुए वह मझ
ु पर झपटा और मझ ु े मेरी पीठ के बल नीचे पटक टदया। पर ऐसा करने में

ve
उसका लण्ि मेरी चूत से बाहर आ गया। उसने मेरे पैर मोड़कर उन्हें मेरे लसर के पास लाकर मेरी गठरी बना दी
और अपना लण्ि मेरे ल्क्लट पर रगड़ने लगा- “मझ
ु े बहनचोद बनाने चली थी, चलो पहले तम
ु तो चद
ु ाओ फिर
अपनी ननद की बात करना…”

अपनी चत
.li
ू लसकोड़कर मैंने उसे लण्ि अंदर िालने से रोका और ताना मारा- “मन तो करता है लमल जाये… अरे मैं
तो चुदवाऊँगी ही पर…” अचानक बबजली जोर से कौंधी और मैं एक चीख के साथ उससे गचपक गई। मौका
दे खकर राजीव ने एक बार में अपना लण्ि जड़ तक मेरी चत
ू में उतार टदया। बाहर लगातार गरज के साथ वर्ाट
um
हो रही थी और हम उसी लय में चुदाई कर रहे थे। हम ऐसे मदहोश हुए फक समय का कोई ध्यान हमें नहीं
रहा। मैं भी राजीव के हर धक्के के जवाब में उतने ही जोर से नीचे से अपने चत
ू ड़ उछालती थी। बहुत दे र चोद-
चोदकर आखखर हम एक साथ स्खललत हुए।

बबजली भी चली गई थी और घना अंधेरा छा गया था। हम एक दस


ू रे की बांहों में ललपटे रहे । बबजली की कौंध
or

में हमारे आपस में ललपटे नग्न तन क्षणभर को टदखाई दे ते और फिर गायब हो जाते। मेरे पतत ने धीरे -धीरे मेरे
कान को अपने दांतों से कतरना शरू
ु कर टदया। बादलों की गरज अब बंद हो गई थी और ररमखझम पानी बरस
रहा था इसललये हमने कमरे की सब खखड़फकयां खोल दी थीं। रस की बौछारें हमें बार-बार लभगा जातीं। पानी की
बँद
ू ों से मेरे फिर से उिेल्जत तनपल गीले हो गये थे और एक बद
ूं तनपल के छोर पर आकर थम गई थी। मेरा
Xf

पतत उसका लोभ न पचा पाया और उसने उसे बद ूं जीभ से चाट ली। धीरे -धीरे नीचे की ओर बढ़ता हुआ वह मेरे
गोरे पेट पर जमी नन्ही बँद
ू ों को चाटने लगा।

वहां से मेरी कामना की घाटी तक पहुँचने में उसे कोई टदक्कत नहीं हुई। अपने होंठों से मेरी स्वाटदष्ट रसीली
चूत को खोलते हुए उसकी जीभ मेरी चूत में घस ु कर उसे चाटने लगी। मैं असहनीय सख ु से अधमरी सी हो गई
थी।

बाककनी के खुले दरवाजे को दे खकर उसे एक बात सझ


ू ी। मझ
ु े खींचकर वह बाहर ले गया। मैं कहती ही रह गई
फक अरे ये क्या करते हो, मैं कुछ पहन तो ल,ूं पर वह एक न माना। रात की मखमली काली चादर ने हमें ओढ़ा
रखा था। हम दोनों उस बरसते अमत
ृ में भीगते हुए उस स्वगसख
ुट का आनंद लेने लेगे।

12
“आओ आज तम्
ु हें सावन फक िुहार का परू ा मजा दे ता हूँ…”

उसकी इस बात से मैं कहाँ पीछे हटने वाली थी। उससे गचपटते हुए मैंने कहा- “मजा तो मैं दं ग
ू ी चलो उधर
सावन बरसे इधर तम
ु बरसो…” और यह कहते हुए मैंने अपनी अंदर और बाहर से परू ी गीली चूत उसके लण्ि पर
रगड़ना शरू
ु कर टदया। अंधेरा जरूर था पर बादल छँ ट रहे थे और बीच-बीच में चांद बादलों के पीछे से ऐसे
तनकल आता जैसे कोई दक
ु हन साजन की एक झलकी के ललये घघ
ूं ट उठाकर दे ख रही हो। चंद्रमा का बढ़ता घटता
प्रकाश हमारे शरीर पर रं गोली सी बना रहा था। मैं उसका लण्ि पकड़े थी और वह मेरी चत
ू से खेल रहा था। हम
दोनों वर्ाट में भीगते हुए फिर तप उठे थे।

बाककनी की मि
ंु रे दे खकर मेरे पतत ने मझ
ु े चारों खाने नीचे हो जाने को कहा। मैं तरु ं त कोहतनयों और घट
ु नों पर
जम गई।

वर्ाट की बँद
ू ें अब मेरी पीठ पर पड़कर मेरे तनतम्बों की चीर में से जलधारा बनाते हुए बह रही थीं। तेज िुहारें

ve
मेरे उरोजों पर चुभ रही थीं। जकदी ही मेरे पतत ने मेरे पीछे से एक हाथ से मेरी चूची पकड़ी और अपना लण्ि
मेरी चत
ू में एक बार में आधे से ज्यादा गाड़ टदया- “मेरी बहुत टदन से इच्छा थी फक सावन में भीगते हुए खब

जमकर चद ु ाई करें …” वह लससक कर बोला।

“हाँ, और मेरी भी…” कहते हुए मैंने चत


.li
ू से उसके लण्ि को जकड़ ललया और उसके अगले प्रहार की प्रतीक्षा करने
लगी। पर हमारे भाग्य में यह नहीं था। बबजली लौट आयी और उजाला हो गया। हमने जकदी में बाककनी का
लाइट आन रहने टदया था। हम शायद फिर भी जट
ु े रहते पर पास के ललैट से आवाज आने से हमारी टहम्मत
um
नहीं हुई। हम भागकर अंदर आये और दरवाजा लगा ललया। अंदर हमें रोकने वाला कोई नहीं था। मैं अपने
साजन के गोद में बैठ गई और उसका लण्ि अपनी चतू में ले ललया।

वह बोला- “चलो आज तम्


ु हें सावन के झूले का मजा दें …” और मेरी पतली कमररया दोनों हाथों में पकड़कर वह
मझ
ु े झुलाने के अंदाज में चोदने लगा। हम लोगों ने खूब आसन बदल-बदल कर चुदाई की। बाहर पानी तेज हो
or

गया था और उसके साथ हमारी चुदाई की रलतार भी। आखखर राजीव ने मझ


ु े पलंग पर पटका, झुक कर मेरी
टांगें उठाकर अपने कंधों पर रखीं और फिर हचक-हचक कर मझ
ु े चोदने लगा। मेरी चूची की खूब जमकर रगड़ाई
हो रही थी और चत
ू की जमकर चद
ु ाई।
Xf

करीब करीब आधे घंटे की घमासान रतत के बाद हम झड़े। दोनों थक कर चूर हो गये थे। मैं उसके पीछे उससे
गचपट कर लेटी थी और मेरी चच ू ी उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके कान हौले-हौले काट रही थी। हम इसी तरह
स्पन
ू आसन में बहुत दे र पड़े रहे । अब चांद तनकल आया था और कमरे में शभ्र
ु चांदनी िैल गई थी। मैंने फिर
उसके लण्ि को मठ्
ु ठी में लेकर सहलाना शरू
ु कर टदया पर दो बार की भरपरू चुदाई के बाद अब वह लस्त होकर
मरु झाया पड़ा था। मैंने फिर से हककी िुककी बातचीत चालू कर दी।

“मीता तम्
ु हारी सगी बहन तो नहीं है ना?”

“ना, तम
ु जानती हो मेरी…”

13
उसकी बात काट कर उसके फिर से जागते हुए लण्ि को पकड़कर मैं बोली- “अरे यार, आजकल तो लोग सगी को
नहीं छोड़ते और फिर वह तो तम्
ु हारी… जानते हो कई मजहबों में तो ऐसे ररश्तों में बाकायदा शादी भी होती है …
फिर? अच्छा ये बताओ, तम्
ु हें वह कैसी लगती है?”

“अच्छी लगती है…”

“अच्छा और आज उसकी चगू चयों को दे खकर तम्


ु हारा लण्ि खड़ा हो गया था ना?” कहते हुए मैंने उसके सप
ु ाड़े पर
से चमड़ी नीचे कर दी। अब वह फिर करीब करीब परू ा खड़ा हो गया था।

“वो…वो…वो मैंने बोला तो था तम्


ु हें … अब दे खकर तो हो जायेगा…”

“अच्छा तम्
ु हें उसकी चूची के अलावा क्या मस्त लगता है ? उसके चूतड़ कैसे लगते हैं? अगर उसकी गाण्ि मारने
को लमले? सोचो मस्त-मस्त भारी गाण्ि लेफकन एकदम कसा-कसा छे द, कैसे िँस-िँसकर तम्
ु हारा ये मस
ू ल

ve
जायेगा…”

अब मेरी बात का जवाब उसके लण्ि ने उचक कर टदया। लसफ़ट मेरी वणटन से ही वह फिर टन्ना गया था और
मेरी मठ्
ु ठी के बाहर आ गया था।

मतलब है फक तम्
.li
“दे खो मेरी ननद के चूतड़ और उसकी गाण्ि के बारे में सोच करके ही फकतने कस के खड़ा हो गया। इसका
ु हारा उसकी लेने का फकतना मन करता है …” अब मैं उसके लण्ि को कसकर मटु ठया रही थी-
um
“एक बार उसकी कँु वारी कसी गाण्ि मार लो…”

अब वह इतना कामोिेल्जत हो गया था फक मझ


ु े पटककर मझ
ु पर चढ़ बैठा- “ननद की गाण्ि तो मैं बाद में
मारूंगा पर आज भाभी की नहीं छोड़ूग
ं ा…”
or

मझ
ु े फिर कोहतनयों और घट
ु नों पर खड़ा करके उसने पीछे से मेरी चूत में लण्ि िाल टदया। कुछ दे र चोदने के
बाद लण्ि बाहर खींचकर उसने मेरे चूतड़ों के बीच उतार टदया। ओह क्या ददट हुआ? और फकतना मदभरा ददट?
क्या सख
ु लमला? मैं पहली बार गाण्ि नहीं मरा रही थी, कई बार हम ऐसा गद ु ा सम्भोग करते थे।
Xf

पहले धक्के में लण्ि का छोर बस मेरी गाण्ि के छकले को पार कर सका। पर उसने पेलना जारी रखा और धीरे -
धीरे उसका सप
ु ाड़ा परू ा मेरी गाण्ि में घस
ु गया। अब वह रुक गया और उसकी दो उं गललयां मेरे चत
ू में घस
ु कर
चूतमंथन करने लगीं। दस
ू रे हाथ से वह मेरा स्तनमदटन करने लगा। इस दोहरी मीठी मार के आगे मेरा ददट हवा
हो गया और अचानक मेरी दोनों चूगचयां हाथों से कुचलकर उसने एक जोरदार धक्का लगाया। मेरी चीख
तनकलते-तनकलते बची। शायद आधा लण्ि मेरी गाण्ि में घस
ु गया था। अब मझ
ु े भी मजा आने लगा था।

मेरी ल्स्थतत दे खकर फक मैं सम्हल गई हूँ, वह अब मेरी गाण्ि मारने लगा। उसकी दो उं गललयां मेरी चत
ू के अंदर
घस
ु कर मेरा चरम बबंद ु ढूँढ़ रही थीं और अंगठू ा मेरी ल्क्लट पर चल रहा था। ददट और मादक सख ु का वह एक
अद्भत
ु लमश्रण था। मैं जानती थे फक वह आज दो बार पहले ही झड़ चक
ु ा है इसललये मेरी गाण्ि की अच्छी
मराई होगी। मीता के बारे में मेरे ताने सन
ु -सन
ु कर वह आपे के बाहर हो गया था और घचाघच मेरी गाण्ि चोद
रहा था पर मझ
ु े बहुत आनंद आ रहा था।
14
मैंने अपनी गद
ु ा लसकोड़कर उसके लण्ि को पकड़ा तो वह समझ गया फक अब मझ
ु े मजा आ रहा है । उसने
करीब-करीब परू ा लण्ि सप
ु ाड़े तक बाहर खींचकर तनकाला और फिर धीरे -धीरे अंदर धँसाने लगा। मैंने फिर छे ड़ा-
“हाँ, ऐसे ही कल मेरी ननद की गाण्ि मारना…”

मेरी बात सन
ु कर उसका लण्ि मेरी गाण्ि में उछलने लगा और जवाब में उसने मेरे ल्क्लट को मसलते हुए
कसकर मेरी चच ू ी दबायी और एक शल्क्तशाली धक्के में अपना लण्ि जड़ तक मेरी गाण्ि में उतार टदया। फिर
झूठा गस्
ु सा टदखाते हुए बोला- “उसकी तो मैं कल मारूंगा पर आज तम
ु अपनी गाण्ि मरवा लो…”

जवाब में मैंने अपने चत


ू ड़ पीछे धकेले और बोली- “चलो मेरे राजा मान तो गये फक कल मेरी ननद की गाण्ि
मारोगे…”

हम आधे घंटे तक इस गद
ु ा सम्भोग का मजा लेते रहे और फिर वह मेरी गाण्ि में झड़ गया। पर तब तक

ve
उसकी उं गललयों के जाद ू ने मेरा भी दो बार काम तमाम कर टदया था। रात ढलने को आ गई थी और एक दस
ू रे
की बांहों में लसमटकर हम आखखर गहरी नींद सो गये।

***** *****
सब

पर से ही मसलते हुए मैंने पछ


.li
ु ह मैं जकदी उठ गई और नीचे आकर चाय बनाने लगी। कुछ दे र में मीता भी आयी पर उसकी चाल दे खकर
ही मैं समझ गई फक गचडड़या ने चारा घोंट ललया है । चाय का पानी मैंने बढ़ा टदया। उसकी चच
ू ा- “क्यों रानी, कैसी गज
ु री रात? िट गई फक बच गई?”
ू ी को उसके फ्राक
um
शरमा कर मश्ु कुराते हुए वह बोली- “िट गई…”

पर मैं उसे ऐसे थोड़े छोड़ने वाली थी। उसकी छोटी-छोटी चूगचयां पकड़कर दबाते हुए मैमे पछ
ू ा- “वाऊ… फकतनी
बार?”
or

“तीन बार…” उसने स्वीकार फकया। अब लज्जा से उसके गाल लाल हो गये थे।

मैं बोली- “चलो, हाल खुलासा बयान करो। और एकदम शरू


ु से, कोई चीज छुपाना नहीं…”
Xf

वह बोली- “भाभी, एकदम शरू


ु से?”

मैंने कहा हाँ।

मीता ने अपनी कहानी शरू


ु की- “भाभी, तम्
ु हें याद है फक जब कल रात सन्जय आया था तो भीगा हुआ था और
फिर उसने कुरता पजामा पहन ललया था। मैंने उसे तौललया टदया और उसकी गीली पैंट सख
ु ाने को ले गई। जब
उसके पाकेट में दे खा तो उसका बटुआ था।

उसे छे ड़ते हुए मैं बोली- “तम्


ु हारा बटुआ खाली कर दे ती हूँ, अंदर जो भी होगा वह सब मेरा…”

15
यह सन
ु कर वह पागल सा हो गया और पसट छुड़ाने की कोलशश करने लगा। पर मैं छूट कर भाग आयी और
अंदर दे खा। अंदर दे खा तो एक िोटो था। मैं उसे तनकालने लगी तो वह अपनी बात पर अड़ गया- “दे खो मीता,
तम
ु सारे पैसे ले लो पर यह िोटो मझ
ु े दे दो…”

“क्यों? तम्
ु हारी गलटफ्रेंि है क्या? बड़ी खूबसरू त और लकी होगी जो तम्
ु हें काबू में कर ललया…”

वह बार-बार मझ
ु से याचना कर रहा था फक मैं िोटो न दे खं।ू

मैं भी अड़ी रही- “क्यों, ऐसी कौन सी हूर है फक मैं दे ख भी नहीं सकती, मैं तो जरूर दे खग
ूँ ी, दे खकर बस वापस
कर दं ग
ू ी…”

वह फिर से िोटो छुड़ाने की कोलशश करने लगा पर मैंने ऐसी जगह अपना हाथ िालकर उसे छुपा ललया जहाँ
कोई हाथ नहीं िालेगा, जो लड़फकयों के ललये सबसे सेि जगह है, याने मेरी ब्रा में । पर वह इतना व्याकुल था फक

ve
उसने हाथ वहां भी िाल टदया और िोटो ढूँढ़ने को इधर-उधर टटोलने लगा। उसके हाथों का मेरे स्तनों को स्पशट
होना ही था फक मेरे रोम-रोम में लसहरन सी दौड़ गई। असल में मैंने िोटो अपने दस
ू रे हाथ में छुपा ललया था
इसललये चुपचाप नजरें हटाकर दे ख ललया फक फकसका िोटो है । िोटो दे खते ही मैं रोमांगचत हो उठी और अपने
धड़कते सीने पर हाथ रख ललया। इससे अन्जाने में उसका हाथ मेरे उरोजों पर और दब सा गया।

***** *****
.li
“हे , फकसका िोटो था? जरा बता तो…” मैं भी अपनी उत्सक
ु ता नहीं छुपा पायी।
um
मीता बोली- “मेरा…” फिर आगे की कहानी बताते हुए बोली- “अब मझु े समझ में आया फक वह क्यों उसे छुपाने
को इतना उत्सकु था। मैं शरमा गई, मन में एक खश ु ी की ऐसी लहर दौड़ी फक अनजाने में मैंने अपना हाथ
अपने धड़कते टदल पर रख ललया ल्जससे उसका हाथ मेरे स्तनों पर और दब गया। सन्जय भी थोड़ी दत्तु वधा में
था, मझ
ु से लमन्नत करने लगा फक फकसी से कहना नहीं…”
or

मैं सातवें आसमान पर थी इसललये कुछ कहने सन


ु ने की ल्स्थतत में नहीं थी। सन्जय ने फिर से मझ
ु े पछ
ू ा फक
मैंने बरु ा तो नहीं माना। अब तक मझ
ु े उसके हाथ के अपने उरोजों पर दबाव का अहसास हो गया था और वह
भी अपना हाथ छुड़ाने की कोलशश कर रहा था। मैंने अपने होश सम्भाले और उसे अपना हाथ मेरी ब्रा में से
Xf

खींचने की इजाजत दे दी पर एक बार उसकी ओर मश्ु कुराकर फिर से उसे पल भर के ललये छाती पर दबा ललया।
इससे उसका हौसला बढ़ा और उसने भी मश्ु कुराते हुए अपना हाथ खींच ललया।

उसकी ओर मँह
ु बनाते हुए मैंने कहा- “एकदम बरु ा माना, बरु ा क्या, हम तो गस्
ु सा भी हो गये…”

अब वह भी थोड़ी ढीठ हो गया था। मेरी चगू चयों को घरू ते हुए बोला- “अच्छा फकस बात का बरु ा माना?”

पर तभी तम
ु आ गयीं और हम अलग-अलग चल टदये। पर मैंने महसस
ू फकया फक हमारे बीच का ररश्ता अब
बदल सा गया है । मैं भी ज्यादा नखरा करने लगी और बोकि हो गई। खाने पर तम्
ु हारी छे ड़छाड़ ने तो हमें और
करीब ला टदया।

16
“ऐ, मद्
ु दे पर आओ, असली बात बताओ रानी…” मैं अब बेचैन हो रही थी।

“बताती हूँ बाबा…” कहकर मीता ने बातें आगे शरू


ु की। रात को तम्
ु हारे जाने के बाद- “हे मन्
ु ना दद
ु ू पीना है?”
मैंने शैतानी भरे स्वर में पछ
ू ा।

उसने जवाब टदया- “लेफकन जैसे मैं चाहूं वैसे त्तपलाना पड़ेगा जैसे दीदी कह रही थी…”

“ठीक है तम
ु जैसे चाहे पी लो अगर टहम्मत हो तो, एक लड़की से छुपाकर उसकी िोटो रखे हो और… चलो मैं
तम्
ु हारे दध
ू में शक्कर लमला दे ती हूँ…” और मैंने गगलास को मँह
ु लगाकर एक घट
ूं पी ललया। जब गगलास मैंने
उसे टदया तो उसने वहीं मह
ँु लगाया जहाँ मेरे होंठों के तनशान गगलास पर थे। जब आधा गगलास खाली हो गया
तो तो मैंने उसके हाथ से लेकर फिर वैसा ही फकया। हम दोनों अब मदहोश से हो रहे थे, इसललये बात आगे न
बढ़ए इसललये मैं उसे गि
ु नाइट करके अपने कमरे में जाने लगी।

ve
तभी उसने मझ
ु े पकड़कर कहा- “एक गि
ु नाइट फकस तो दो पहले…” और मेरे दहकते होंठों पर अपने होंठ रख
टदये। बबना उसकी ओर दे खे अपने आपको अलग करके मैं अपने कमरे में चली गई पर अपना दरवाजा मैंने खल
ु ा
रखा।

“फिर क्या हुआ…” उत्सक


ु ता से मैंने पछ
ू ा।
.li
मीता आगे बोलने लगी- भाभी आप तो जानती हैं फक कल मौसम फकतना सेक्सी था। मेरे कमरे में खखड़की से
um
ठं िी हवा आ रही थी और पानी तेजी से बरस रहा था। ऊपर के कमरे से आप लोगों की मादक आहों की आवाज
भी आ रही थी। जैसा आपने और भाभी ने झूले पर मझ
ु े वहां छुआ था, मेरा हाथ अपने आप वहां चला गया,
और यू नो मैं एकदम गीली थी। मैं सन्जय के बारे में और आज शाम हुई सब घटनाओं के बारे में सोच रही थी
और मेरी उं गललयां धीरे -धीरे वहां चल रही थीं। मैं सोने की कोलशश कर रही थी तभी जोर से बबजली कौंधी।
or

आप तो जानती हैं फक मझ
ु े बबजली से फकतना िर लगता है और मैं चीख पड़ी और यह सन
ु कर वह अंदर आ
गये। मैंने उससे प्राथटना की फक थोड़ी दे र मेरे पास लेट जाओ और वह म…न कर मेरे पास सो गया। मेरा टदल
धड़क रहा था और इसललये मैंने उसका हाथ फ्राक के अंदर मेरे टदल पर रख टदया। तभी बबजली फिर चमकी,
इस बार वह इतनी प्रखर थी फक मैंने उसे पकड़ ललया और कहा- “प्लीज़, मझ
ु े कस के पकड़ लो…” और उसका
Xf

हाथ मेरे स्तनों पर दबा टदया।

उसके बाद वह मझ
ु े धीरे -धीरे सहलाने लगा। मेरे सारे बटन उन्होंने खोल टदये और ब्रा का हुक भी तनकाल टदया।
जब तक मैं समझती, मेरे दोनों उरोज उनके हाथ में थे और वे बड़े प्यार से धीरे -धीरे उन्हें सहला रहे थे। मैं
थोड़ा अपराधीपन महसस
ू कर रही थी और अच्छा भी लग रहा था। मँह
ु से मैं कह रही थी फक नहीं नहीं पर… यह
उसको भी समझ में आ गया।

उन्होंने मेरा फ्राक उतारने की कोलशश की तो मैंने मना कर टदया- “नहीं, प्लीज़ नहीं…”

उसने गगड़गगड़ा कर कहा- “मीता, प्लीज़, मेरा बहुत टदनों से मन है । मैं बस तम्
ु हें कस के बांहों में लेना चाहता
हूँ। लगता है फक मैं तम्
ु हें भींच लूं और हमारे बीच में कुछ भी न हो…”
17
मैंने बेमन से इजाजत दे दी- “ठीक है, पर प्लीज़, थोड़ी दे र के ललये, मझ
ु े बहुत शमट लग रही है …” तभी बबजली
गल
ु हो गई।

“तो मैं फ्राक उतार दं ?


ू ” वह बोला।

मैंने धीरे से कहा- “हाँ…”

उसने खींचकर उतार टदया। हम शीट के नीचे थे इसललये मझ


ु े यकीन था फक वह मेरा नग्न शरीर नहीं दे ख
पायेगा। उसने भी बतनयान उतार टदया था और उसकी चौड़ी छाती मेरी छाती से लभड़ी हुई थी। मेरी खझझक भी
अब जाती रही थी और मैं अपनी कमलसन जवान चूगचयां उसकी छाती पर दबा रही थी। हम आपस में पागलों
जैसी चूमाचाटी कर रहे थे।

ve
बाहर हवा का झोंका अब एक ति
ू ान में तब्दील हो रहा था और सांय-सांय की आवाज आ रही थी। उसके पाजामे
से मेरी पैंटी पर पड़ता दबाव मझ
ु े महसस
ू हो रहा था। उसका एक हाथ, जो अबतक मेरे मम्मे दबा रहा था, नीचे
आकर मझ
ु े वहां सहलाने लगा। अचानक बबना मझ
ु से पछ
ू े , उसने खींचकर मेरी पैंटी उतार दी। मैं अपनी जांघें बंद
करती, उसके पहले ही उसका हाथ वहां था, मेरी जांघों को अलग करता हुआ और उन्हें अंदर से सहलाता हुआ।

मीता अब कांप रही थी।


.li
um
मैंने उसे पकड़कर कहा- “बोलो ना फिर क्या हुआ?”

वह हथेललयों में मँह


ु तछपाते हुए बोली- “भाभी मझ
ु े शरम आती है…”

मैंने कस के उसकी चच
ू ी मसली और झकला कर बोली- “आगे बोल…”
or

वह आगे बोली- “फिर भाभी उन्होंने मझ


ु े अपना वो पकड़ा टदया…”

मैं अपनी हँसी न दबा सकी। खखलखखलाते हुए बोली- “खुल के बोल ना क्या पकड़ा टदया?”
Xf

वह बोली- “वही अपना वो मैनहुि…”

इस बार मैंने मीता की बरु उसके ड्रेस के ऊपर से ही कसकर भींची और कहा- “अरी बन्नो, रात में दो तीन बार
परू ा घोंट गई, और इस समय नाम बोलने में शरमा रही हो। खुल के बोलो और बताओ फकतना बड़ा था? तम्
ु हें
कैसा लगा? वरना यह परू ा का परू ा बेलन तम्
ु हारी…”

मेरी धमकी से मीता फिर बोलने लगी- “भाभी, ओके… उन्होंने मझ


ु े अपना लण्ि पकड़ा टदया था, फकतना सख्त
था। और एकदम गरम, मेरे बबिे के बराबर रहा होगा या उससे भी बड़ा। थोड़ी दे र तो मैं ऐसे ही पकड़े रही पर
फिर उनके ररक्वेस्ट करने पर मैंने उसे धीरे -धीरे दबाया। तब तक उन्होंने अपनी एक उं गली मेरे वहां…”

18
“फिर वहां बोली… बता खुलकर कहाँ िाली थी उं गली, सारी रात चद
ु वाई, चूत में तीन चार बार लण्ि घोंटा और…
अरे अब शमट को गि
ु बाइ करो और ल्जंदगी के मजे लो…”

“भाभी उन्होंने… उन्होंने अपनी उं गली मेरी चूत में िाल दी और वह अंगठ
ू े से ल्क्लट भी रगड़ने लगे। उनके होंठ
मेरे तनपल चूस रहे थे…”

“फिर…” अब मैं भी उिेल्जत हो चली थी।

फिर उन्होंने टे बल के ऊपर से उठाकर मेरी क्रीम अपने लण्ि पर लगाई और मेरी चूत िैलाकर उसमें भी खूब सी
िाल दी और मेरी टांगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं। मैं मना कर रही थी फक नहीं, प्लीज़ नहीं, मझ ु े बहुत ददट
होगा पर उन्होंने कहा- “मीता िाललिंग, मझ
ु े तम्
ु हारा बहुत खयाल है और जैसे ही ददट हो बोलना, मैं तनकाल
लग
ूं ा…”

ve
उन्होंने मेरी चूत पर लण्ि रगड़ा और थोड़ा सा प्रेस फकया और मेरी तो जान सी तनकल गई। मैंने अपने होंठ
भींच ललये और उन्होंने कसकर दोबारा िाला। मझ
ु े लगा जैसे गरम लोहे का राि घस
ु गया हो और मैं ददट से
चीख दी।

“फिर क्या हुआ? क्या वह रुक गया?”


.li
हाँ भाभी, यू नो ही इज़ सो केयररंग… उन्होंने मझु े फकस फकया और कहा- “मीता अगर तम्
ु हें बहुत ददट हो रहा हो
um
तो मैं तनकाल लेता हूँ, पर मेरा बहुत टदनों से मन कर रहा था और फिर ऐसा मौका लमले फक ना लमले…” वे
बोले फक आइ प्रालमस बस थोड़ा सा और ददट होगा और उसके बाद तम
ु को भी खब
ू मजा आयेगा। जैसा बोलो…
तम
ु कहो तो मैं तनकाल ल…
ंू मेरे ललये इस मजे से तम्
ु हारी खश
ु ी ज्यादा इंपाटें ट है पर कभी तो ये ददट सहना ही
होगा…” और वे लण्ि बाहर खींचने लगे।
or

मझ
ु े लगा फक ये इतने टदनों से मेरी त्तपक्चर अपने पास रखे थे, और मेरे ददट के ललये ये सब कुछ करने को
तैयार हैं तो ऐसे में मझ
ु े सेल्किश नहीं होना चाटहये। और मेरा ददट भी कुछ कम हो गया था। मैंने उनके होंठों
पर कस के फकस कर ललया और उन्हें ललपटाकर जोर से अपनी ओर खींचा। वे समझ गये। फिर बहुत धीरे -धीरे
प्यार करते हुए।
Xf

थोड़ी दे र में ददट भी गायब हो गया और मझ


ु े भी मजा आने लगा। बाहर खब
ू जोर का पानी बरस रहा थ और
अंदर हम दोनों की चदु ाई… बहुत दे र तक… मैं खो गई थी, कभी वह मेरे तनपल चस
ू ते कभी मेरे ल्क्लट पर हाथ
िेरते, कभी धीरे कभी परू ी तेजी से, सच भाभी, आप सही कह रही थीं बहुत मजा आता है । पता नहीं फकिी दे र
तक तो उन्होंने फकया और फिर वे मेरे अंदर ही स्खललत हो गये।

“तो आया ना मजा…” मैंने उसका चम्


ु मा ललया।

“बहुत भाभी…” और उसने मेरे चुम्बन का जवाब चुम्बन से टदया।

“हाँ, तो उसके बाद तम


ु लोग सो गये?” मैंने पछ
ू ा।
19
कहाँ भाभी, इिे सीधे आपके भाई थोड़े ही हैं। बाहर बहुत मस्त मौसम हो रहा था। पानी अब फिर से तेज हो
गया था। बबजली चली गई थी इसललये हमने खखड़की भी खोल रखी थी। सावन की िुहारें मेरे बदन पर पड़कर
फिर आग सी लगा रही थीं। फिर वो मझ
ु े लेकर खखड़की के पास खड़े हो गये और मझ
ु े अपनी बांहों में लेकर
चूमने लगे। तेज हवा और पानी के छींटें, हमें अंदर तक टहला रहे थे। उसने पहले मेरी आँखें फकस की और फिर
होंठ… उसके बाद एक बहुत सेक्सी लाइन गाई…

Your lips make the roses red,


Because to see your lips they blush for shame
From your sweet breath
Their sweet smells do proceed;
The living heat which your eye beams doth make
Warmeth the ground and quickeneth the seed.।

ve
और उनके इन शब्दों से मैं फिर परू ी तरह उिेल्जत हो गई। वह मझ
ु े अपनी बांहों में लेकर पलंग पर लाये और
मझ
ु े अपनी गोद में बबठाकर दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगे।

.li
मेरे तनपकस फिर से खड़े हो गये थे और मेरे परू े शरीर में लसहरन सी हो रही थी। भाभी… मैं बता नहीं सकती
फकतना अच्छा लग रहा था। वो बड़ी बेशमी से मेरे जोबन को सहलाते हुए उसकी तारीि कर रहे थे और मैं भी
um
इिी बेशरम हो गई थी फक मझ
ु े भी सन
ु कर मजा आ रहा था और मैंने भी उनके एकदम सख्त… उसको पकड़
ललया और सहलाने लगी।

मैंने फिर उसको बोला- “पकड़ने में नहीं शरमायी और नाम लेने में बन्नो को शरम आ रही है…”

“ओके भाभी, मैं उनका लण्ि पकड़कर सहला रही थी और उन्होंने भी अपनी एक उं गली मेरी चूत में िालकर
or

टहलाना शरू
ु कर टदया था। मेरी चूगचयों पर जो पानी की बँद
ू ें पड़ी थीं, वह उसे चाट-चाटकर साि कर रहे थे। इिे
में अचानक लाइट आ गई और दगू धया नाइट बकब जल गया। मैंने अपने को कवर करने की कोलशश की पर
आपके भाई इिे दष्ु ट हैं फक उन्होंने मझ
ु े करने नहीं टदया और कहने लगा- “मीता, अब हम लोगों को एक दस
ू रे
Xf

से क्या तछपाना…”

मैंने शरम से आँखें बंद कर लीं पर चूमकर और फिर अपनी कसम टदलाकर उन्होंने मझ
ु े आँखें खोलने के ललये
मजबरू कर टदया। मैंने जब नजर नीचे की तो पाया फक मेरे तनपकस एकदम कड़े और खड़े हैं और आपके भाई
अपनी जीभ से उसे ल्ललक कर रहे हैं। उन्होंने मझ
ु े िोसट फकया फक मैं अपनी चूत भी टदखाऊँ। बोले फक- “see
how beautiful are your portals of love…”

फिर उन्होंने अपनी उं गललयों से उसे अलग फकया और मझ


ु से बोले- “As a petal of rose with soft and
pearly skin, I open your love lips my smooth and pink flower, I offer to your sex, its delicate
velvet as a smooth nest formy hot kisses and later on warm love juice…”

20
भाभी, बाहर का सेक्सी मौसम, हलकी बन्
ू दा-बान्दी और उनकी छुअन के साथ उनके शब्दों ने मझ
ु े एकदम से
गरम कर टदया और मैं सब शरम भल
ू गई और अपने आप मेरी चत
ू , जैसे कोई कली खखलती है वैसे खल
ु गई।
और बस ये दे खते ही वे झक
ु कर मेरी चूत पर चुम्मा लेने लगे। मैंने उन्हें मना फकया फक फकस जगह पे आप
फकस कर रहे हो?

पर भाभी उन्होंने कहा फक- “मेरा सारा शरीर… एक-एक इंच प्यार करने के ललये है और मझ
ु े चुपचाप इसका मजा
लेना चाटहये…”

मेरी सांसें भारी हो रही थीं, मेरी आँखें मद


ुं रही थीं और मेरे चूतड़ धीरे -धीरे टहल रहे थे और मैंने अपने को फिर
उनके भरोसे छोड़ टदया। उन्होंने दो तीन तफकये मेरी चत
ू ड़ों के नीचे रखे और फिर पहले की तरह अपने लण्ि
और मेरी चूत पर क्रीम लगाकर उन्होंने मेरी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखी और जबरदस्ती करके मेरी आँखें
खुलवायीं। अब मेरी शरम भी बहुत कम हो गई थी और मैं उनके फकस का खूब जवाब दे रही थी। थोड़ी दे र तक
मेरे ल्क्लट पर लण्ि रगड़ने के बाद जब मैं अपने चूतड़ों को बार-बार ऊपर उठाने लगी तो उन्होंने मेरी चूत में

ve
परू ी ताकत से एक धक्के में लण्ि िाल टदया। भाभी, ददट तो फिर हुआ पर पहले से कम। धीरे -धीरे करके आपके
भाई ने परू ा अंदर िाल टदया।

और उस दष्ु ट ने फिर कस के मेरा तनपल चूसके पछ


ू ा- “क्यों मीता, अब तो ददट नहीं हो रहा है ?”

“तो तम
ु ने क्या जवाब टदया…” मैं उत्सक
ु थी।
.li
um
भाभी, मैंने जवाब में कस के उन्हें फकस कर ललया और अपने हाथों से अपनी ओर खींच ललया। फिर बहुत दे र
तक हम लोग करते रहे । वे अपना करीब-करीब परू ा बाहर तनकालकर कहते- “मीता दे खो अब बाहर आ गया है…”
और फिर एक बार में परू ा अंदर िाल दे ता। पोज़ बदल बदल कर, और फिर जब वो तो हम साथ-साथ करवट पर
थे और ऐसे ही सो गये…”
or

“पर… पर तम
ु तो कह रही थीं तीन बार…” अब मैं भी गरमा चली थी।

“हाँ भाभी, जब थोड़ी दे र बाद नींद खल


ु ी तो मैंने अपनी टांगें हटाने की कोलशश की पर मैंने पाया फक उनका तो
फिर परू ी तरह खड़ा और कड़ा है , और मैंने उन्हें फिर से बांहों में भर ललया। आधी नींद में ही वे कमर चलाने
Xf

लगे और थोड़ी दे र बाद मैं भी उनका साथ दे रही थी। मैंने उनका हाथ भी अपने मम्मों पर रख ललया और धीरे
से फकस कर ललया। इससे उनकी नींद खल
ु गई और फिर तो… मझ
ु े ललटाकर वह अच्छी तरह चालू हो गये। बिी
तो उन्होंने बंद करने नहीं दी थी। अबकी ददट मझ
ु े पहले दोनों बार से कम हुआ और मजा भी खूब आ रहा था।
मेरा तो कई बार हुआ पर वो बहुत दे र बाद… आखखर वो झड़े… लेफकन अबके उनके झड़ते ही मैंने धीरे से उनके
लण्ि को बाहर तनकाल ललया और अपनी जांघों के बीच में दबा ललया। थोड़ी दे र में वह फिर सो गये थे। मैंने
बाहर दे खा तो सब
ु ह हो रही थी। इसललये मैंने फिर फ्राक पहनी और फकचन में आ गई…”

“वाह, बन्नो, तम
ु ने तो पहली ही बार में है ट-टट्रक कर ली। बट लेट मी टे ल यू वन गथंग, जैसे कान छे दते हैं ना,
तो उसमें ररंग पहनना जरूरी होता है फक फिर से छे द बंद न हो जाये, उसी तरह से यही हालत चूत की है…”
कहते हुए मैंने हाथ उसकी फ्राक में िालकर उसकी अभी-अभी चद
ु ी कमलसन चत
ू पकड़कर भींच दी- “इट ओन्ली

21
मीन्स दै ट मझ
ु े तम्
ु हारे ललये कोई रे गल
ु र इन्तज़ाम करना पड़ेगा, ल्जससे मेरी बन्नो की चूत अब रोज-रोज चारा
खाये…”

“पर भाभी, सन्जय तो… आज रात में चला जायेगा…”

“आइ नो…” उसकी चूत में उं गली िालकर उसकी लेबबया िैलाते हुए मैंने गचढ़ाया- “चलो मेरे भैया न सही, मेरे
सैंयां ही सही, आज उन्हीं के साथ तम्
ु हारा…”

“पर भाभी, आपका उपवास हो जायेगा…” मेरी बात बीच में काटकर आँखें मटकाकर खखलखखलाती हुई वह बोली।
एक रात में छोरी फकतनी बदल गई थी।

“कोई बात नहीं, ननद भाभी लमल बाँट कर खायेंगे…” मैं हँसकर बोली।

ve
चाय का पानी अब उबल रहा था। मैंने चाय उड़ेलकर दो ट्रे बनायीं। एक मैंने मीता को दे ते हुए कहा- “हे , जरा
यह मेरे भाई को दे के आओ। रात भर में तम
ु ने उसकी सारी मलाई तनकाल ली, अब थोड़ा रीप्लेतनश भी करो।
और हाँ, बेि-टी दे ने के पहले उसके हगथयार को गि
ु मातनिंग का एक गरम-गरम फकस दे के उठाना…”

“हाँ… मैं कह दं ग
जाने लगी।
.li
ू ी फक यह फकस मेरी भाभी की ओर से है …” अपने जवान तनतम्बों को टहलाते हुए वह बोली और
um
“अच्छा चारा खाकर गचडड़या बहुत बोलने लगी है, आज मैंने अपने सैंयां से तम्
ु हारी ये कोरी-कोरी गाण्ि न मरवाई
तो कहना…”

“ठीक है भाभी, आपके भैया को दे ख ललया, अब आपके सैंयां को भी दे ख लग


ूं ी…” फकसी खखलती तछनार जैसे
अपने चूतड़ मटकाकर वह बोली और चली गई।
or

मैं भी अपने पतत के ललये बेि-टी लेकर ऊपर आयी। उन्हें जकदी जाना था इसललये वे तैयार हो रहे थे। जब वे
बाहर आये तो आंगन में फिर सावन भादों की झड़ी लग गई थी। उन्हें छे ड़ती हुई मैं बोली-
Xf

“तेरी दो टककया की नौकरी, मेरा लाखों का सावन जाये।


हाय हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दरू ी…”

उसने मझ
ु े बांहों में भींचकर कहा फक जानती हो, इस मौसम में मेरा बस एक ही मन करता है फक तम्
ु हें खींच के
बाररश में ले जाऊँ, और वहां हम लोग खूब जमकर भीगें और वहीं तम्
ु हें मैं रस ले-लेके चोदं ।ू उसके होंठ मेरे
होंठों के अमत
ृ का पान कर रहे थे और उसके हाथ मेरे बालों में चल रहे थे।

“तो फिर दे र क्या है? मैं भी हूँ और बाररश भी है…” आँखें मटकाकर मैंने उन्हें चैलेंज फकया और फिर मेरा
मतलब साि करने के ललये उनकी पैंट में फिर से सरसराते हुए उनके लण्ि को पकड़ ललया।

22
“यू नो, आज मैं चार बजे तक जकदी घर आने की सोच रहा था, उसके बाद… लेफकन यू नो, इट त्तवल नाट बी
पालसबल…” वे बोले।

“िाललिंग, मैं जानती हूँ फक तम


ु फकस प्राबलम की बात कर रहे हो पर अगर मैं वह प्राबलम साकव कर दं ू तो बस
मेरी एक छोटी सी शतट है, तम्
ु हें एक काम करना होगा…” अब तक मैंने उकाका ल्ज़प खोल ललया था और ब्रीि के
ऊपर से उसका करीब-करीब परू ा तन्नाया लण्ि सहला रही थी।

“बोलो ना क्या शतट है तम्


ु हारी, यू नो, मैं वैसे ही जोरू का गल
ु ाम हूँ, जो कहोगी वह करूंगा…” मझ
ु े भख
ू े की तरह
आललंगन में लेकर मेरा पकलू उठाकर मेरे स्तन जोर से मसलते हुए उन्होंने कहा।

“ओके, तो ल्जसके साथ, जैसे, जो भी कहूंगी… करना पड़ेगा, कोई भी नखरा नहीं चलेगा…” मेरा हाथ अब उसके
ब्रीि में घस
ु कर उसके सप
ु ाड़े की चमड़ी नीचे कर रहा था।

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“हाँ, हाँ, ल्जसके साथ, जैसे भी, जो भी कहोगी करूंगा, करूंगा, करूंगा, लेफकन आज शाम को…”

“ओके, हो जायेगा, िाललिंग, तम्


ु हारे ललये कुछ भी… पर अपना प्रालमस याद रखना…” अपना हाथ तनकालते हुए मैंने
कहा- “पर अभी तो नाश्ते पर चलो, मीता और सन्जय इंतज े ार कर रहे होंगे…”

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नाश्ते की टे बल पर मीता और सन्जय साथ-साथ बैठे थे। सन्जय का हाथ मीता के कंधे पर था। मेरे ढले पकलू
को दे खकर मीता ने मजाक फकया- “भाभी, मैं तो सोच रही थी फक आप भैया को कमरे में ही नाश्ता करा रही
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हैं…”

“अरे मैं इिे टदनों से तम्


ु हारे भैया को नाश्ता करा रही हूँ लेफकन अब आज से तम ु उनको नाश्ता कराओ, उनका
भी टे स्ट बदल हो जायेगा। पर ये बताओ फक तम ु ने मेरे भैया को कराया फक नहीं?” मैंने उसी तरह का जवाब
टदया।
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कल की धआ ु ध
ं ार रतत के बाद मीता आज एकदम बदल गई थी। अपने भैया की प्लेट में हलवा परोसते हुए
अपनी चगू चयां तानकर बड़ी शैतानी भरी मश्ु कान के साथ बोली- “ठीक है, लील्जये भैया, ये मैंने अपने हाथ से
बनाया है , लसफ़ट भाभी क्यों, मैं भी करा सकती हूँ…”
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यह नोंक झोंक सन
ु कर मैंने टे बल के नीचे से राजीव के लण्ि पर हाथ रखा तो वह परू ा तन्नाकर खड़ा हो गया
था।

“और हाँ भाभी, ये मत कटहयेगा फक मैं अपने भाई का खयाल नहीं रखती हूँ, जरा दे खखये…” उस भरी प्लेट की
ओर इशारा करते हुए वह आगे बोली।

“ठीक है , खयाल तो रखना ही चाटहये… पर आपको भी मेरी ननद का खयाल रखना होगा, अरे जरा केला तो पास
कील्जये मीता को…” एक प्लेट में रखे मोटे ताजे केलों की ओर इशारा करती हुई मैं अपने पतत से बोली।

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उसने सबसे मोटा केला उठाकर मेरी फकशोरी ननद को दे टदया ल्जसने उसे बड़े प्यार से पकड़कर धीरे -धीरे उसे
छीला, बबलकुल इस अंदाज में जैसे वह सप
ु ाड़े पर की चमड़ी उतार रही हो, और फिर उसे चाटते हुए अपने मादक
होंठों के बीच ले ललया।

यह अब राजीव के सब्र की सीमा के बाहर था क्योंकी अब उसका लण्ि ल्ज़पर तोड़कर बाहर आने को आमादा हो
गया था।

मैंने अब त्तवर्य बदला और सन्जय को पछ


ू ा- “हे , आज शाम को तो तम
ु फ्री हो?”

“हाँ, पर रात को दस बजे तक लौट जाऊँगा…”

“तो ठीक है, मीता तम


ु जानती हो ना, वेव्ज़, जो नया वाला वाटर पाकट है, वहां आज शाम को रे न िांस है, शाम
चार बजे से, और कपकस के ललये है, उन्होंने ल्इन्वटे शन भेजा है, और ये दे र से आते हैं तो हम लोग तो जा नहीं

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पायेंगे, तो सन्जय तम
ु मीता को लेकर चले जाना। थोड़ा दरू है इसललये तम
ु लोग तीन बजे ही तनकल लेना।
और तम्
ु हें मालम
ू है, कुछ बड़े एक्साइटटंग खेल हैं। और िेयररंग कपकस के ललये प्राइज़ेज़ भी हैं। मझ
ु े यकीन है
फक तम
ु और मीता बहुत से प्राइज़ेज़ लेकर लौटोगे…”

सन्जय बोला फक ठीक है ।

मीता भी खश
ु ी से िूलकर कुप्पा हुई जा रही थी।
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पर जब मैंने अपने पतत की ओर दे खा तो सबसे ज्यादा खुशी उन्हें हुई थी। जब मैं उसे छोड़ने और गि ु बाइ फकस
दे ने को दरवाजे तक गई, तो मझ
ु े कसकर आललंगन में लेकर वे बोले “सो मेनी थैम्क्स टु य,ू मैं ठीक चार बजे
तक आ जाऊँगा, पर वह शतट क्या है?”
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अपना हाथ उसकी पैंट पर िेरते हुए मैं बोली- “शतट तो बहुत लसम्पल है, आज रात आपको मेरी ननद की कँु वारी
कोरी गाण्ि मारनी होगी…”

💐💐💐💐💐 समाप्त 💐💐💐💐💐


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