Hindi unit 2

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Bhakti Shastri - Hindi-Unit 2

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भक्त का भौतिक नाम -Dibyajiban Majhi

भक्त का आध्यात्मिक नाम- Dibyajiban Ashray Das

Questions and answers

1. भक्तों के 5 गुणों की सूची। जिसे कृ ष्ण, भक्त में पसंद करते हैं
Ans-जो किसी से द्वेष नहीं करता, लेकिन सभी जीवों का दयालु मित्र है, जो अपने को
स्वामी नहीं मानता और मिथ्या अहंकार से मुक्त है, जो सुख-दुख में समभाव रहता है,
सहिष्णु है, सदैव आत्मतुष्ट रहता है, आत्मसंयमी है तथा जो निश्चय के साथ मुझमें
मन तथा बुद्धि को स्थिर करके भक्ति में लगा रहता है, ऐसा भक्त मुझे अत्यन्त प्रिय
है

2. कृ ष्ण की आठ भौतिक ऊर्जाओं को उनकी स्थूल और सूक्ष्म श्रेणियों में सूचीबद्ध


करें?

Ans-भगवन कृष्णकी आठ प्रकारकी अपरा प्रकृतिओं में से -

णी
स्थूल रेणी रे
रे- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश

सुखम श्रेणी -मन, बुद्धि तथा अहंकार

3. सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, कलियुग और कल्प की अवधि को सूचीबद्ध करें?

Ans-सत्य -१७,२८,००० वर्षों

त्रेता- १२,९६,००० वर्षों


द्वापर- ८,६४,००० वर्षों
कलियुग- ४,३२,००० वर्षों
कल्प -४३,२०,००० वर्षों

4. महात्मा के 4 गुण बताएं?


Ans-एक महात्मा सदैव भगवान् कृ ष्ण के गुणों का कीर्तन करता रहता है I
वह सदैवकृ ष्ण के गुण-गान में व्यस्त रहता है | वह निर्विशेषवादी नहींहोता |
उसके पास कोई दूसरा कार्य नहीं रहता |
बह ब्यक्ति सदा सर्बदा एकादशी तथा भगवान की अबिर्भाव दिबस को उछब रूपमे
उपवास करते हुए पालन करताहे।
5. सांसारिक वर्षों में ब्रह्मा का जीवन काल क्या है?
Ans- ब्रह्मा के १०० वर्ष गणना के अनुसार पृथ्वी के ३१,१०,४०,००,००,००,००० वर्ष के
तुल्य होताहै।
6. भौतिक दुनिया में कृ ष्ण को देखे जा सकने वाले 6 तरीकों की सूची बनाएं?
Ans- (A). जिस प्रकार सुर्यको होम उनकी सक्ति प्रकाश दयारा अनुभव करतेहै ठीक
उसी प्रकार होम भगवानको अपने धाम में रहते हुए भी सर्बब्यापी साक्तीद्यारा
अनुभव किआ जाताहै।
(B). समुद्र का जल खार होनेके कारण होम उसे पान नहीं करते हे क्यूंकि जल का
स्वाद मूल हे और वही मूल भगवान का स्वरुप में माना जाताहै।
(C). समग्र संसारमे जो सब चर तथा अचर प्राणी दीखताहे उसका बीज कृ ष्ण हे।
(D). ये संसार में पृथी , अग्नि , जल , फू ल की सुगंध तथा भौतिक सुगंध बह
भगवन कृ ष्णा स्वरुप हे।
(E). संसार का समस्त बुद्धि का मूल कृ ष्णा हे अगर मनुस्य बुद्धिमान नहीं होता त
बह कृ ष्णा को समझ नहीं पाता।
(F). ये संसार में जो जितना बलवान हे उसका मूल जो बल होताहे ये कृ ष्णा स्वरुप
भगवान होताहै।

7. सूची में, संस्कृ त या हिंदी में, 4 प्रकार के लोग जो आत्मसमर्पण करते हैं और कृ ष्ण
को समर्पण नहीं करते हैं?

Ans-( 1 ) चार प्र


कार केपुण्यात्माभगवान् केचरणकमलोंकी रण में
जाते
हैं – आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी तथा ज्ञानी |

( 2 ) मूढ़ ,नराधम , माययापहृतज्ञानी अर्थात् भ्रमित मनोधर्मी, तथा नास्तिक –


ये चार प्रकार के दुष्कृती कभी भी भगवान् के चरणकमलों की शरण में नहीं जाते।
8. हिंदी अर्थ दीजिए 1) दुष्कृ ति 2) सुकृ ति
Ans-नास्तिक योजना-निर्माताओं को दुष्कृ ति कहा जाताहै। जिसका अर्थ है, दुष्टजन।
जो लोक शास्त्रसे निपुण होते हुए भी भगवन के सरन में नहीं जातेहै।
जो लोक शास्त्रीय विधि-विधानों, नैतिक तथा सामाजिक नियमों को मानते हैं और
परमेश्र्वर के प्रति प्रेम ,श्रद्धा,तथा भक्ति करते हे उनको सुकृ ति कहलातेहै।
9. "हाथों और पैरों से बंधे एक आदमी खुद को मुक्त नहीं कर सकता" सादृश्य को
समझाएं
Ans- यदि मनुष्य के हाथ-पैर बाँध दिये जायें तो वह अपने को छु ड़ा नहीं सकता -
उसकी सहायता के लिए कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए जो बँधा न हो। चूँकि एक बँधा हुआ
व्यक्ति दूसरे बँधे व्यक्ति की सहायता नहीं कर सकता, अतः रक्षक को मुक्त होना
चाहिए ।उसी प्रकार कृ ष्णा को जानने वाला ब्यक्ति ही कृ ष्णा की बारेमे बता सकतेहै
तथा उनके बारेमे तथा कथित ज्ञान दे सकतेहै। अतः के वल कृ ष्ण या उनके
प्रामाणिक प्रतिनिधि गुरु ही बद्धजीव को छु ड़ा सकते हैं।
10. "हम सड़क पर कु छ मेलबॉक्स पा सकते हैं, और यदि हम उन पेटियों में अपने पत्र
पोस्ट करते हैं" की सादृश्य को समझाएं
Ans- सड़क किनारे लेटर बॉक्स लगे होते हैं, जिनमें अगर हम अपने पत्र डाल दें तो
वे बिना किसी परेशानी के अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं। लेकिन अगर हमें कहीं
कोई पुराना बॉक्स या उसकी प्रतिकृ ति दिख जाए, जो डाकघर से स्वीकृ त न हो, तो
वही काम नहीं होगा। इसी तरह भगवान ने मूर्ति के रूप में एक आकृ ति बनाई है,
जिसे अर्चा-विग्रह कहते हैं।

Hare Krishna

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