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10 || विदे ह (since 2000) ISSN 2229-547X VIDEHA (since 2004) www.videha.co.

in

ले खक आ पाठकक बीच से तुक काज से िो करै ए,जखन कोनो हर्द्वान पर एहि


तरिक काज िोइत अथछ तखन। एिन किब छहन आर्ीर् जीक।
"अं ततः िरे क हर्द्वान जनते -जना्शन ले ल िोइत छथि आ तेँ जनता-जना्शन
केँ ओहि हर्द्वान सभ सँ हकछु ने हकछु अपे क्षा रहिते छै ।" एहि सं पा्कीय
नोटक सं ग सं तोर् कुमार थमश्र (जनकपुर) जीक ले ख प्रकाशर्त करब
प्रर्ं सनीय अथछ। सं तोर् जी शलखै त छथि,
"आ्रणीय डा रामार्तार या्र् नहि तऽ ओ िमरा सँ
हकछु पुछला आ नहि िमरा हकछु किबाक मौका भे टल।हुनकासँ भें ट करबाक
इच्छा मनमे लागले रहि गे ल। एक बे र बहुत प्रयास कएलाक बा् िमरा हुनकर
फोन नं . उपलव्ध भे ल, फोन कएशलयहन। ओ व्यस्त छलथि। बात नहि भे ल।
ओ 'बा्मे भे टब' किलन्खन। फेर ओ बा् कहिया आओत, नहि जाहन।"

तहिना कहर् राजीर् झा 'एकान्दत' जीक ले ख या्र् जीक पोिी


"Histography of Maithili Lexicography & Francis
Bucanan's cpmparative Vocabularies" पर समीक्षात्मक
ले ख अथछ। एकान्दत जीक किब छहन," सि किी तऽ अइ समस्त पोिी मे
इथतिासक नामे बुकाननक र्ब््कोर् आ बाँ की डाटा सं ग्रिक अथतररक्त
सािशक आयाम मात्र बुकाननक आलोचनात्मक व्याख्या टा अथछ। ले खक
नूतन अन्दर्ेर्णक दृथि आ क्षमताक प्र्र्शन नहि कऽ सकलाि अथछ।"

एहि "भार्ाहर््् रामार्तार या्र् हर्र्े र्ां क" मे हिनकर कृथत सभ केिन
छहन,ताहू पर चचाश अथछ,हकछु आले ख सं स्मरणात्मक अथछ। हकछु
समीक्षात्मक आ पररचयात्मक से िो। मतलब खटमधुर सुआ् सँ युक्त अथछ
'हर््े ि'क ई हर्र्े र्ां क। ठाम ठाम पर ललिंक सभ सं लग्न अथछ जकरा खोशल
क' कोनो पर्टिंकुलर हर्र्य पर हर्स्तृत हर्र्रण ्े खल जा सकैए। कुन्द्न
कुमार कणश जी अपन आले ख "डा. रामर्तार या्र्सँ पहिल भें टक सं स्मरण"
विदे ह ३९७ म अं क ०१ जुलाई २०२४ (िर्ष १७ मास १९९ अं क ३९७)|| 11

मे एकटा र्ीहडयोक ललिंक साझा केलहन अथछ । ललिंक पर जा क हुनका नीक


जकाँ सुहन सकैत छथि पाठक। हुनका ्े न्ख सकैत छथि -

https://www.youtube.com/watch?v=TrnRTpwHD
bk&t=4s

धीरे न्दर झा 'मै थिल' जीक आले ख से िो सं स्मरणे छहन।

हुनकर सान्न्दनध्य मे हकछु ओ समय जे हबतौलक,से हुनकर हर्द्वता सँ प्रभाहर्त


भे ल,एिन कइअक टा सं स्मरणात्मक आले ख पहढ़ अनुभर् कएलहुँ िम।
धीरे न्दर जीक र्ब्् छहन - "भार्ा आ र्ब्् जे हुनका मूँिसँ हनकशल रिल
छलहन से गं भीर ओ भररगर िमरा अनुभर् भे ल।"

डा रामार्तार या्र् जीक किब छहन,"भार्ा िाह्मण र्ा अन्दय ककरो खरी्ल
नै छै । सज्झा सं पथत छै । भार्ोक जाथत अनुसार बाँ ट -बखरा जे केयो करऽ
चािै छथि ओ नीक नहि छथि।" धीरे न्दर जीक आले ख मे उ्धृत।

भीमनाि झा जीक सं स्मरण "'तहिया'केँ तहियाक'


राखल- श्री रामार्तार बाबू" पहढ़ बाल्यकालहि सँ हुनकर प्रथतभार्ाली
िोएबाक जनतब भे टैत छै लोककेँ। भीमनाि जीक र्ब्् मे -
"प्रथतभार्ाली रिबे करथि,अर्सरो भे टैत गे लहन ्े र्-हर््े र्मे पढ़लहन-
पढ़ौलहन, भार्ाहर्ज्ञानमे हर्र्े र्ज्ञता प्रालत कयलहन, र्ोध-अनुसन्दधानमे
अन्दतराशष्रीय नाम भे लहन।फलत: समस्त प्रबुि मै थिल समाजक बीच ई चुनल
र्ीर्शस्ि हर्द्वन्दमजणमालाक एक ्ाना मानल जाय
लगलाि।"
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उ्यनारायण लसिंि 'नथचकेता' जी अपन आले ख "रामार्तार या्र् जी-जे ना


िम हुनका थचन्दिने छशलयहन" मे किलहन अथछ - 'िमरा ज्ञानतः एिन कोनो
मै थिली के हर्द्वान नहि छथि जे हिनका सँ बे सी प्रभार्ी ढं ग सँ अं ग्रेजी तिा
जमशन मे अपन बात कें अं तराशष्रीय फोरम मे रान्ख सकै छथि।"
आगाँ कहि रिल छथि - 'िमर ज्ञानतः मै थिली हकयै क, हिन्न्द्यो मे भररसक
एिन अध्ययन क्यो नहि क' रिल छल। िँ , ई बात अर्श्ये किब जे आगाँ
चशल कय श्रिे य डॉ सुभर झा जी के सुपुत्र डॉ प्रभाकर झा पे ररस मे एिी
तरिक काज कयने छलाि।"

के्ार कानन जी अपन ले ख "हर्द्वानक सत्सं ग-किा" मे रामार्तार या्र्


जीक सं ग भे ल पत्राचारक चचाश करै त शलखै त छथि -"हुनका सन भार्ार्ास्त्री,
मृदुभार्ी , सुलेख मे शलखनािर हर्द्वानक सं सगश मे अक्षरक माध्यमे ,पत्र
पशत्रकाक आ्ान प्र्ानक माध्यमे िम जुड़ल रिलहुँ से हनन्ित रूपेँ िमर
सौभाग्य थिक।"

र्ै ले न्दर थमश्र जीक आले ख "डॉ रामार्तार या्र् : मै थिली भार्ा- साहित्यक
असाध्य काज साधर्ला एकटा हनष्काम कमशयोगी" मे हुनकर मृदु स्र्भार्
ओ एकटा जागरूक अशभभार्कक गुण , आ या्र् जीक मै थिली भार्ा ओ
साहित्यक प्रथत माियश आ ्ाथयत्र् भार्क पररचय भे टैत अथछ।

राम चै तन्दय धीरज,डॉ.धनाकर ठाकुर,डॉ. शर्र् कुमार थमश्र सभ गोटाक ले ख


स्तरीय,जनतब युक्त बुझाएल।

ठीके किलहन अथछ अयोध्यानाि चौधरी जी - जहिना हुनकर दुलशभ योग्यता,


जहिना हुनकर दुलशभ भाग्य तहिना हुनकर दुलशभ कृथतत्र्। िमरा जनै त हुनक
एक-एकटा कृथत मै थिली
विदे ह ३९७ म अं क ०१ जुलाई २०२४ (िर्ष १७ मास १९९ अं क ३९७)|| 13

भार्ा-साहित्यक िे तु अनमोल धरोिर अथछ। मै थिली भार्ा-साहित्यक


इथतिास अनन्दत समय धरर गर्श करै त रित।

लालदे ि कामि
प्रो० डॉ० राम अर्तार या्र् हर्र्े र्ां क मा्े
पथछला बरख अिाशत् २० द्सम्बर २०२३ ई० केँ हर््े ि इन्दटरने ट मै थिली पाजक्षक
पशत्रका मेँ मै थिली भार्ा ममशज्ञ प्रोफेसर (डॉक्टर) रामार्तार या्र् जीक उपर
हर्र्े र्ां क हनकलबाक िोर्णा भे ल रिय। से १५ जून २०२४ केँ नुतन अं क -
३९६ समय पर बिरायल अथछ। एहि भहगरि पररयास ले ल हर््े ि टीमकेँ
साधुर्ा् ्ै त छीयै न। एहि हर्र्यमे चयहनत कयल गे ल अने काें हर्द्वतजनके
आले ख - रचना पढबाक सौभाग्य प्रालत भे ल। र्रे ण्य साहित्यकार श्री गजे न्दर
ठाकुर जीक सम्पा्कीय आ प्रस्तुत हर्र्े र्ां क 'क सं ्भशमे श्री आशर्र्
अनथचन्दिार जीके रपट सँ हर्र्े र् जनतब पाठकगण केँ भे टैत छै न। हर््े िक
समार्े र्ी योजना सँ समान्दय पाठककेँ प्रर्न्दनता िोयब सोभाहर्क छै क। सन्
२००८ सँ २०२४ धररमे ३२ गोट हर्र्े र्ां क मूलतः हनकलल अथछ। पहिल
चरणमे २००८ सँ जनर्री २०१५ धरर हर्र्े र्ां क केर नामकरण शलखल नटििं
गे लैक । ्ोसर चरणमे २०१५ सँ एखनधरर जीर्ीत ले खक उपर हर्र्े र्ां क
प्रकाशर्त भे ल अथछ। ते सर चरणमे नीत नर्ल शसरीज़ रूपेँ हनकालल गे ल
अथछ। थमथिला - मै थिली ले ल जे उत्कृि काज करय बाला सं स्िा, रं गमं च -
रं गकमी , सं गीतकमी , साहित्यकार - सम्पा्क सब भे लाि अथछ ; हुनका
कृथतत्र् पर हर्र्े र्ां क श्रृंखला हनकालबाक पहिल पररयास ई-पशत्रका 'हर््े ि'
मै थिली पाजक्षक म भे ल िन् । एहि सं ग कोनू व्यक्क्त केर हर्र्यमे पाठककेँ
समे हकत रूपेँ हर्स्तृत जनतब पे यबाक यिे ि काज मानल जायत। प्रो० (डॉ०)
रामार्तार या्र् जीक रचना ओ हुनकर अर््ान 'क उपर अध्ययन ले ल
र्ं थचत रिी, से प्रथतपूर्तिं हर््े ि जून दद्वतीय अं क कयलक अथछ। ने पालक
रिहनिार मै थिली भार्ा हर्र्े र्ज्ञके मा्े सं र्त् केर उल्ले ख भे टत, सं र्त् मे सँ
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५७ अं क हनिटाए केँ अं ग्रेजी ईस्र्ीक सन् सिज रूपेँ जाहन जाएब। एहि ले
उजगुजेबाक नहििं रित। र्तशनी ओ मानकीकताक र्व्् र्ोधमे हकछु अन्दतर
से िो पाठक अनुभर् करै त िोथि, हकयाक तँ तीने कोस पर पाहन-र्ाणी मेँ
हकछु अन्दतर आहब जाइत छै क। व्याकरजणक दृथिये समुन्दनत मै थिली भार्ाके
आधार पर जँ र्ुिता पकहड़ केँ चलब तँ थमथिलाक मातृर्ाणी तीन भाग सँ
बे शसये मे फुहट जाएत। पथछम भागक भार्ाकेँ बक्ज्जका बोली आ पूरब ्थछन
कोनाक बाजबकेँ अं हगका र्ाणी कहि समृि मै थिलीकेँ खं हडत कयल जाइछ।
मु्ा सबसँ हनर्न ठें ठी मै थिली भार्ा बाजब - शलखब छै क ,जे आर्ा्ी
अनुसारे सर्ाशथधक ्े ख पड़ै त य। हर््े िक हर्र्े र्ता रिल अथछ जे एहिमे अखै न
धरर कोनूटा हर्र्े र्ां क अशभनन्द्न ग्रन्दि बनय सँ बाँ चल अथछ। तेँ एहि बाबत
आलोचना - प्रर्ं सा सब किु पढ़ै क अर्सर भे टैत छै क। ने पालक प्रथतहनथधत्र्
करयबाला प्रो० या्र् जीके ने पालमे भार्ा हर्ज्ञानी रूपेँ अथधकतर लोक
कमतर आँ कैत छन्न्दि। डाक्टर सािे र्केँ ने पाल अथधराजमे हुनकर भार्ाहनथत
कारणेँ पसीन नटििं कयल जाइत छहन। मु्ा भारत - ने पाल 'क चोहटक हर्द्वान
ले खकगण हुनका हर्र्यमे द्लक गटििंरपन सँ हनम्न तथ्य पाठक ले ल परशस
अथधगम बोध मुल्यां कन कयलहन। यिा -: प्रो० भीमनाि झा जी शलखलन्न्दि
- 'तहिया'-केँ तहियाक' लागल - श्री राम अर्तार बाबू। आगू करै त छथि-
१९५८-६० सत्रमे सिपाठी छशलयहन,से तकर अनुभर् भे ल ५०-५५ बरखक
बा्। से केंड हडर्ीजन सँ मै हरक पास भे ल रिी। ककरौल बाला पीसाजी िमर
आई ए में आर के काले जमे नाम हबनु टां गते पतरके शलखा ्े लहन प्प्रिंशसपल
सािब सँ कहि केँ। प्प्रिंशसपल प्रो० अरूण कुमार ्ि जीके हबना एकोपाई ्े ने
धरर िमर नामां कन भ' गे ल। र्ा् में सबटा प्रहक्रया पुरा कयल। धरर रौल नं ०-
५ ए' से क्र्न भे टल रिय। ओई समयमे िमर हर्र्य -: शसशभक्स
,प'साक्लोजी आ मै थिली केँ लोक चूरा ्िी चीनी केर मे ल बूझैक। कला
सं कायके दू िजार हर्द्यािी परीक्षािी मेँ सँ मात्रे पाँ च छ नाम प्रिम श्रे जणमे
रिै क,जाहिमे एक नाम रामार्तार या्र् जीके से िो अखबारमे छपल रिहन।
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ता हबिारमे मगध आ पटना यूहनर्र्सिंटी मात्रे रिै क। िमरा तँ दद्वतीय श्रे णी सँ


उिीणश िे बाक सौभाग्य प्रालत भे ल छल। रामार्तार जी ्े र् हर््े र्मे पढ़लहन-
पढ़ौलहन। भार्ा हर्ज्ञानमे हर्र्े र्ता प्रालत केलहन। र्ोध अनुसंधानमे अन्दतर
राष्रीय नाम भे लहन, एक पर एक उत्कृि ग्रन्दि आ र्ोध प्रर्न्दधक' ले खन
प्रकार्न कयलहन। अने काें मित्र्पूणश हर्लुलत पाण्डु शलहपकेँ ताहक सम्पाद्त
क' सोझा अनलन्न्दि। तेँ समस्त प्रर्ुध्् मै थिल समाजक बीच ई चुनल शर्र्शस्ि
हर्द्वन्दमजणमालाक एक ्ाना मानर् जाए लगलाि अथछ। थमथिला मै थिलीक
खुटाकेँ हर्श्व भार्ाक अध्ययन सं सारमे मजगुथत सँ गाड़ने छथि।"
श्री उ्य नारायण लसिंि 'नथचकेता ' - रामार्तार या्र् जी - जे ना िम हुनका
थचन्दिने छलयहन आले खमे एकठाम शलखने छथि -" िमरा ज्ञानत: एिन कोनू
मै थिलीके हर्द्वान नटििं छथि जे हिनका सँ बे सी प्रभार्ी ढं ग सँ अं ग्रेज़ी तिा
जमशनमे अपन बातके अन्दतराशष्रीय फोरममे रान्ख सकै छथि। अध्यापक रूपमे
ओ शत्रभुर्न हर्श्व हर्द्यालय आ पाटन काले ज मेँ पढ़ौने छलथि। मु्ा केंसास
हर्श्व हर्द्यालयके प्रशर्क्षण हुनका ्जक्षण एशर्याई ्े र्मे यक प्रमुख ध्र्हन -
हर्ज्ञानी बना ्े लकहन। ओ मात्र भार्ाचायश टा नहि साहित्यो क्षे त्रमे एकटा
प्रथतथष्ठत नाम छथि। पूर्ाां चल हर्श्वहर्द्यालयक कुलपथत से िो हनयुक्त भे ला।"
धीरे न्दर झा 'मै थिल '- " िम जनकपुर उद्योग र्ाजणज्य सं िक सभा िौलमे
एक अन्दतराशष्रीय मै थिली सम्मे लनमे कायशक्रम सँ पूर्शहि उपस्स्ित डॉ०
रामार्तार या्र् जीकेँ पहिल खे प एक गोटे सँ ललास्स्टक कुसी पर बै सल गलप
करै त ्े खशलयै न ओहि सँ पहिले परीचय नटििं रिने , हुनक भें टक अशभलार्ी
रिी। मै थिली र्व््, र्ाक्य आ भार्ा हर्ज्ञान सं बंधी हर्र्य र्स्तु ककरो बुझबै त
रिथिन।ओ गम्भीर आ भररगर हुनका मुँि सँ हनकलल आर्ाज िमरा
कणशथप्रयता आ ज्ञानर्धशक लागल। प्रसं ग उठल छलै क - िाह्मण कायस्िक
भार्ा एर्ं अन्दय जाथतक भार्ामे फकश रिल ,जकर उल्ले ख ओ करै त जगिक
अनुसारे मै थिली भार्ामे फरक िोइते छै क। मै थिली समृि भार्ा अथछ । अपन
बात रखै क क्रममे ओ जे लोक िमरा बाभन बुझैत अथछ। ताहि अनजान
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व्यक्क्त क' किै त छथि- िम िाह्मण केँ मजगूत नटििं करै त छी, िम तँ किै त
छी हिन्द्ी, अं ग्रेजी, ने पाली र्ा आन भार्ा' क व्याकरण जकाँ मै थिशलक से िो
छै क। तेँ र्ुि र्व्् शलखनाई आ बाजब पै ि बात छै क। " राम चै तन्दय धीरज
जीके किन - "िमरा जनै त आब मै थिली साम्राज्यर्ा्ी मानशसकताक गुलामी
खटबाक ले ल तै यार नटििं अथछ। एकर स्र्तं त्र इथतिास दृथि छै क, तिा
अर्धारणा आ हर्चारक आयाम छै क; जाहिसँ ऐथतिाशसक सं स्कृथत
लोकभार्ा आ र्े ् भार्ाक व्यर्िार सामं जस्यमे सुरजक्षत अथछ।"
डॉ० धनाकर ठाकुर केर किब छहन - " ध्र्हनहर्ज्ञान भार्ाक एकटा र्ाखा
नीक, जकरा हर्र्यमे सामान्दय जनके ज्ञान सीथमत रिै त अथछ। डाक्टर
रामर्तार या्र् एहिपर काज कयलहन आओर मै थिली पर से िो। ओ र्णश
रत्नाकरक भार्ा मै थिली मानै त छथि।।"
अपन मं िव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
विदे ह ३९७ म अं क ०१ जुलाई २०२४ (िर्ष १७ मास १९९ अं क ३९७)|| 17

गद्य

२.१.आर्ीर् अनथचन्दिार- AI एर्ं मै थिलक ताम-झाम


२.२.आचायश रामानं ् मं डल- अर्ोक र्ाहटका मे सीता सं ग र्ाताश भार्ा बनाम
मानुर्ी भार्ा (मै थिली)रामार्तार या्र्जीक सं जक्षलत पररचय
२.३.लाल्े र् कामत- डॉ० (प्रो०) कमल कां त झा: एक व्यक्क्तत्र्/
मायानं ्के िे रैत दृथि
२.४.प्रमो् झा 'गोकुल'- रहनयाँ (किा)
२.५.प्रेमर्ं कर झा पर्न- सभ गुणक खान- फलक राजा आम
२.६.कुमार मनोज कश्यप- लिुकिा-कृतघ्न
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२.१.आर्ीर् अनथचन्दिार- AI एर्ं मै थिलक ताम-झाम

आशीर् अनतिन्द्हार
AI एिं मै तिलक िाम-झाम

30 जूनकेँ िरे क बखश World Social Media Day मनाएल जाइत छै


आ िम एहि तथ्यकेँ अपन पोिी "मै थिली र्े ब पत्रकाररताक इथतिास"मे ्े ब
हबसरर गे ल छी। आ तँ इ िम सोचलहुँ जे आजुक द्नमे िम एहि बातकेँ अनै त
AI माने Artificial Intelligence आ मै थिलक ताम-झामपर बात
करी। ओना िम अपन पोिीमे AI पर शलखने छी।

मै थिल ताम-झामसँ िमर मतलब जे AI खास कऽ फेसबुकक AI एलाक


बा् बहुत रास मित्र्ाकां क्षी लोक अपन फेसबुकक र्ॉलपर AI द्वारा अपन
बायो (पररचय) पोस्ट कऽ रिल छथि आ एना ्े खाबै छथि जे ना ओ दुहनयाँ क
नोटे बल पस्ब्लक फीगर िोथि। िम र्तशमानक एहि AI उजाहिकेँ मै थिलक
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्िे ज बला मानशसकतासँ जोहड़ कऽ ्े न्ख रिल छी। ्िे जक माकेट जे ना मात्र
अफर्ािपर चलै छै जे फल्लाँ केँ एते क तँ फल्लाकेँ एते क भे टलै आ एहि
अफर्ािे सँ ई माकेट हर्स्तृत भऽ गे ल छै । ते नाहिते AI केर माकेँट मै थिलक
अफर्ािे सँ चलत।

मु्ा िमरा सभकेँ जनबाक अथछ जे ई AI केकरो बारे मे कोना जानै छै । पहिल
बात तँ ई जे AI केकरो बारे मे हकछु नै जानै छै । AI केँ केकरो बारे मे जने बाक
ले ल हकछु र्ब््क प्रयोग करऽ पड़ै त छै । जकरा एकटा उ्ािरणसँ जानू। माहन
शलअ िम AI मे ्े शलयै "आर्ीर् अनथचन्दिार"। आब एहि ठाम AI तुरंत
कित जे िम आर्ीर् अनथचन्दिारक बारे मे नै जानै छी, अिाँ सिायता करू।
आब AI मे आर्ीर् अनथचन्दिारसँ सं बंथधत हकछु तथ्य द्यौ जे ई गजलकार
छथि। फल्लाँ जगिक छथि, हिनकर ई प्रकृथत छहन। आब AI नाम, गजल,
जगि आ प्रकृथतक र्ब््क आधारपर एकटा ले ख तै यार कऽ ्े त। ले खो
एक्म खुर् करऽ बला रित। आब जखन हकयो जखन AI मे आर्ीर्
अनथचन्दिारक बारे मे जानऽ चाितै तँ ओकरा पहिने सँ फीड भे ल तथ्यक आले ख
भे हट जे तै। कोनो लोकसँ सं बंथधत तथ्य जते क बे र AI लग जे तै आले ख
ओते क र्ुि िोइत चशल जे तै। ई भे लै AI केर काज।

एहि ठाम अबै त-अबै त अिाँ सभ बुजझ गे ल िे बै जे AI केकरो बारे मे हकछु नै


जानै छै । फेसबुक जते क लोक अपन AI बायो पोस्ट कऽ रिल छथि ओहिमे सँ
100 % अपने सँ AI केँ ्े ल तथ्यपर ्ऽ रिल छथि। आ एकरा गं भीरतासँ
ले बाक जरूरथत नै छै ।
अपन मं तव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
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२.२.आचायश रामानं ् मं डल- अर्ोक र्ाहटका मे सीता सं ग र्ाताश भार्ा बनाम


मानुर्ी भार्ा (मै थिली)रामार्तार या्र्जीक सं जक्षलत पररचय

आिायष रामानं द मं डल
अशोक िाविका मे सीिा सं ग िािाष भार्ा बनाम मानुर्ी भार्ा (मै तिली)

बाल्मीहक रामायण के अनुसार -

अिं ह्यथततनुिैर् र्ानरि हर्र्े र्तः।


र्ाचं चो्ािररष्याथम मानुर्ीथमिं सं स्कृताम् ।।१७।

एक त िमर र्रीर अत्यं त सूक्ष्म िय, ्ोसर िम र्ानर छी। हर्र्े र्तः र्ानर
िोके िम इं िा मानर्ोथचत सं स्कृत -भार्ा मे बोलबै य।

यद् र्ाचं प्र्ास्याथम दद्वजाथतररर् सं स्कृताम।


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रार्णं मन्दयमाना मां सीता भीता भहर्ष्यथत।।१८

परं तु एिन करे मे एकटा बाधा िय, जाौं िम दद्वज के भां थत सं स्कृत -र्ाणी के
प्रयोग करबै य त सीता िमरा रार्ण समझ के भयभीत िो जतै य।

अर्श्यमे र् र्क्तव्यं मानुर्ं र्ाक्यमिशर्त् ।


मया सान्दत्र्थयतुं र्क्या नान्दयिे यमहनन्न्द्ता।
।१९।।

एिन ्र्ा मे अर्श्ये िमरा र्ोइ सािशक भार्ा के प्रयोग करे के चािी जे
अयोध्या के आसपास के साधारण जनता बोलै य िय,न त इ सती साध्र्ी
सीता के िम उथचत आश्वासन न ्े सकब।

िनुमान जी सं स्कृत आ अयोध्या के लोक भार्ा के ले ल मानुर् भार्ा के प्रयोग


कैलै ितन। सं स्कृत के ले ल हर्द्वान मनुर् के भार्ा आ साधारण लोग के ले ल
मानुर् (लोक) भार्ा।अइमे थमथिला आ थमथिला भार्ा के कोई चचाश न िय।

-गीता प्रेस,गोरखपुर -बाल्मीहक रामायण के आधार पर।

-आचायश रामानं ् मं डल सीतामढ़ी, मो -9973641075

ऐ रिनापर अपन
मं िव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
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२.३.लाल्े र् कामत- डॉ० (प्रो०) कमल कां त झा: एक व्यक्क्तत्र्/


मायानं ्के िे रैत दृथि

लालदे ि कामि
डॉ० (प्रो०) कमल कां ि झा: एक व्यक्तित्ि/ मायानं दके हे रैि दृति

डॉ० (प्रो०) कमल कां ि झा: एक व्यक्तित्ि


प्रशसि साहित्यकार डॉक्टर - प्रोफेसर कमलकान्दत झा'क जनम मधुबनी
जजलान्दतगशत कलुआिी प्रखं डके िररपुर डीिटोलमे २९ माचश १९४३ ई०मे भे ल
छलहन। मु्ा ओ रिै त छलाि जयनगर केर र्ाडश नं ० १३ मेँ । हुनक रचना "
गाछ रूसल अथछ" ले ल २०२० के साहित्य अका्मी पुरस्कार ले ल कोराना
कालमे चयहनत भे लहन। मु्ा हुनका ई गौरर्र्ाली पुरस्कार ले ल गे लहन १८
शसतम्बर २०२१ मेँ , ऐ ले थमथिलां चल मे बढ खुर्ी पसरल रिय। ओ
जयनगरके आयश कुमार पुस्तकालय केर ज्योत्सना मं डल'क सहक्रय स्स्य
रिथि। ओडी बी काले ज जयनगरके नौकरी सँ १ अप्रील २००३ केँ से र्ाहनर्ृि
भे ल रिथि। मै थिली भार्ा साहित्य आ थमथिला राज्य हनमाशण आन्द्ोलन ले ल
भारत- ने पाल क' लोकक बीच हर्र्े र् रूपेँ चचाश मे छलाि। भारत- ने पाल
अन्दतराशष्रीय मै थिली पररर््के अध्यक्ष प् पर रिै त खूब यर्स्र्ी छलाि।

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