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VIDEHA_397-14-26
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एहि "भार्ाहर््् रामार्तार या्र् हर्र्े र्ां क" मे हिनकर कृथत सभ केिन
छहन,ताहू पर चचाश अथछ,हकछु आले ख सं स्मरणात्मक अथछ। हकछु
समीक्षात्मक आ पररचयात्मक से िो। मतलब खटमधुर सुआ् सँ युक्त अथछ
'हर््े ि'क ई हर्र्े र्ां क। ठाम ठाम पर ललिंक सभ सं लग्न अथछ जकरा खोशल
क' कोनो पर्टिंकुलर हर्र्य पर हर्स्तृत हर्र्रण ्े खल जा सकैए। कुन्द्न
कुमार कणश जी अपन आले ख "डा. रामर्तार या्र्सँ पहिल भें टक सं स्मरण"
विदे ह ३९७ म अं क ०१ जुलाई २०२४ (िर्ष १७ मास १९९ अं क ३९७)|| 11
https://www.youtube.com/watch?v=TrnRTpwHD
bk&t=4s
डा रामार्तार या्र् जीक किब छहन,"भार्ा िाह्मण र्ा अन्दय ककरो खरी्ल
नै छै । सज्झा सं पथत छै । भार्ोक जाथत अनुसार बाँ ट -बखरा जे केयो करऽ
चािै छथि ओ नीक नहि छथि।" धीरे न्दर जीक आले ख मे उ्धृत।
र्ै ले न्दर थमश्र जीक आले ख "डॉ रामार्तार या्र् : मै थिली भार्ा- साहित्यक
असाध्य काज साधर्ला एकटा हनष्काम कमशयोगी" मे हुनकर मृदु स्र्भार्
ओ एकटा जागरूक अशभभार्कक गुण , आ या्र् जीक मै थिली भार्ा ओ
साहित्यक प्रथत माियश आ ्ाथयत्र् भार्क पररचय भे टैत अथछ।
लालदे ि कामि
प्रो० डॉ० राम अर्तार या्र् हर्र्े र्ां क मा्े
पथछला बरख अिाशत् २० द्सम्बर २०२३ ई० केँ हर््े ि इन्दटरने ट मै थिली पाजक्षक
पशत्रका मेँ मै थिली भार्ा ममशज्ञ प्रोफेसर (डॉक्टर) रामार्तार या्र् जीक उपर
हर्र्े र्ां क हनकलबाक िोर्णा भे ल रिय। से १५ जून २०२४ केँ नुतन अं क -
३९६ समय पर बिरायल अथछ। एहि भहगरि पररयास ले ल हर््े ि टीमकेँ
साधुर्ा् ्ै त छीयै न। एहि हर्र्यमे चयहनत कयल गे ल अने काें हर्द्वतजनके
आले ख - रचना पढबाक सौभाग्य प्रालत भे ल। र्रे ण्य साहित्यकार श्री गजे न्दर
ठाकुर जीक सम्पा्कीय आ प्रस्तुत हर्र्े र्ां क 'क सं ्भशमे श्री आशर्र्
अनथचन्दिार जीके रपट सँ हर्र्े र् जनतब पाठकगण केँ भे टैत छै न। हर््े िक
समार्े र्ी योजना सँ समान्दय पाठककेँ प्रर्न्दनता िोयब सोभाहर्क छै क। सन्
२००८ सँ २०२४ धररमे ३२ गोट हर्र्े र्ां क मूलतः हनकलल अथछ। पहिल
चरणमे २००८ सँ जनर्री २०१५ धरर हर्र्े र्ां क केर नामकरण शलखल नटििं
गे लैक । ्ोसर चरणमे २०१५ सँ एखनधरर जीर्ीत ले खक उपर हर्र्े र्ां क
प्रकाशर्त भे ल अथछ। ते सर चरणमे नीत नर्ल शसरीज़ रूपेँ हनकालल गे ल
अथछ। थमथिला - मै थिली ले ल जे उत्कृि काज करय बाला सं स्िा, रं गमं च -
रं गकमी , सं गीतकमी , साहित्यकार - सम्पा्क सब भे लाि अथछ ; हुनका
कृथतत्र् पर हर्र्े र्ां क श्रृंखला हनकालबाक पहिल पररयास ई-पशत्रका 'हर््े ि'
मै थिली पाजक्षक म भे ल िन् । एहि सं ग कोनू व्यक्क्त केर हर्र्यमे पाठककेँ
समे हकत रूपेँ हर्स्तृत जनतब पे यबाक यिे ि काज मानल जायत। प्रो० (डॉ०)
रामार्तार या्र् जीक रचना ओ हुनकर अर््ान 'क उपर अध्ययन ले ल
र्ं थचत रिी, से प्रथतपूर्तिं हर््े ि जून दद्वतीय अं क कयलक अथछ। ने पालक
रिहनिार मै थिली भार्ा हर्र्े र्ज्ञके मा्े सं र्त् केर उल्ले ख भे टत, सं र्त् मे सँ
14 || विदे ह (since 2000) ISSN 2229-547X VIDEHA (since 2004) www.videha.co.in
५७ अं क हनिटाए केँ अं ग्रेजी ईस्र्ीक सन् सिज रूपेँ जाहन जाएब। एहि ले
उजगुजेबाक नहििं रित। र्तशनी ओ मानकीकताक र्व्् र्ोधमे हकछु अन्दतर
से िो पाठक अनुभर् करै त िोथि, हकयाक तँ तीने कोस पर पाहन-र्ाणी मेँ
हकछु अन्दतर आहब जाइत छै क। व्याकरजणक दृथिये समुन्दनत मै थिली भार्ाके
आधार पर जँ र्ुिता पकहड़ केँ चलब तँ थमथिलाक मातृर्ाणी तीन भाग सँ
बे शसये मे फुहट जाएत। पथछम भागक भार्ाकेँ बक्ज्जका बोली आ पूरब ्थछन
कोनाक बाजबकेँ अं हगका र्ाणी कहि समृि मै थिलीकेँ खं हडत कयल जाइछ।
मु्ा सबसँ हनर्न ठें ठी मै थिली भार्ा बाजब - शलखब छै क ,जे आर्ा्ी
अनुसारे सर्ाशथधक ्े ख पड़ै त य। हर््े िक हर्र्े र्ता रिल अथछ जे एहिमे अखै न
धरर कोनूटा हर्र्े र्ां क अशभनन्द्न ग्रन्दि बनय सँ बाँ चल अथछ। तेँ एहि बाबत
आलोचना - प्रर्ं सा सब किु पढ़ै क अर्सर भे टैत छै क। ने पालक प्रथतहनथधत्र्
करयबाला प्रो० या्र् जीके ने पालमे भार्ा हर्ज्ञानी रूपेँ अथधकतर लोक
कमतर आँ कैत छन्न्दि। डाक्टर सािे र्केँ ने पाल अथधराजमे हुनकर भार्ाहनथत
कारणेँ पसीन नटििं कयल जाइत छहन। मु्ा भारत - ने पाल 'क चोहटक हर्द्वान
ले खकगण हुनका हर्र्यमे द्लक गटििंरपन सँ हनम्न तथ्य पाठक ले ल परशस
अथधगम बोध मुल्यां कन कयलहन। यिा -: प्रो० भीमनाि झा जी शलखलन्न्दि
- 'तहिया'-केँ तहियाक' लागल - श्री राम अर्तार बाबू। आगू करै त छथि-
१९५८-६० सत्रमे सिपाठी छशलयहन,से तकर अनुभर् भे ल ५०-५५ बरखक
बा्। से केंड हडर्ीजन सँ मै हरक पास भे ल रिी। ककरौल बाला पीसाजी िमर
आई ए में आर के काले जमे नाम हबनु टां गते पतरके शलखा ्े लहन प्प्रिंशसपल
सािब सँ कहि केँ। प्प्रिंशसपल प्रो० अरूण कुमार ्ि जीके हबना एकोपाई ्े ने
धरर िमर नामां कन भ' गे ल। र्ा् में सबटा प्रहक्रया पुरा कयल। धरर रौल नं ०-
५ ए' से क्र्न भे टल रिय। ओई समयमे िमर हर्र्य -: शसशभक्स
,प'साक्लोजी आ मै थिली केँ लोक चूरा ्िी चीनी केर मे ल बूझैक। कला
सं कायके दू िजार हर्द्यािी परीक्षािी मेँ सँ मात्रे पाँ च छ नाम प्रिम श्रे जणमे
रिै क,जाहिमे एक नाम रामार्तार या्र् जीके से िो अखबारमे छपल रिहन।
विदे ह ३९७ म अं क ०१ जुलाई २०२४ (िर्ष १७ मास १९९ अं क ३९७)|| 15
व्यक्क्त क' किै त छथि- िम िाह्मण केँ मजगूत नटििं करै त छी, िम तँ किै त
छी हिन्द्ी, अं ग्रेजी, ने पाली र्ा आन भार्ा' क व्याकरण जकाँ मै थिशलक से िो
छै क। तेँ र्ुि र्व्् शलखनाई आ बाजब पै ि बात छै क। " राम चै तन्दय धीरज
जीके किन - "िमरा जनै त आब मै थिली साम्राज्यर्ा्ी मानशसकताक गुलामी
खटबाक ले ल तै यार नटििं अथछ। एकर स्र्तं त्र इथतिास दृथि छै क, तिा
अर्धारणा आ हर्चारक आयाम छै क; जाहिसँ ऐथतिाशसक सं स्कृथत
लोकभार्ा आ र्े ् भार्ाक व्यर्िार सामं जस्यमे सुरजक्षत अथछ।"
डॉ० धनाकर ठाकुर केर किब छहन - " ध्र्हनहर्ज्ञान भार्ाक एकटा र्ाखा
नीक, जकरा हर्र्यमे सामान्दय जनके ज्ञान सीथमत रिै त अथछ। डाक्टर
रामर्तार या्र् एहिपर काज कयलहन आओर मै थिली पर से िो। ओ र्णश
रत्नाकरक भार्ा मै थिली मानै त छथि।।"
अपन मं िव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
विदे ह ३९७ म अं क ०१ जुलाई २०२४ (िर्ष १७ मास १९९ अं क ३९७)|| 17
गद्य
आशीर् अनतिन्द्हार
AI एिं मै तिलक िाम-झाम
्िे ज बला मानशसकतासँ जोहड़ कऽ ्े न्ख रिल छी। ्िे जक माकेट जे ना मात्र
अफर्ािपर चलै छै जे फल्लाँ केँ एते क तँ फल्लाकेँ एते क भे टलै आ एहि
अफर्ािे सँ ई माकेट हर्स्तृत भऽ गे ल छै । ते नाहिते AI केर माकेँट मै थिलक
अफर्ािे सँ चलत।
मु्ा िमरा सभकेँ जनबाक अथछ जे ई AI केकरो बारे मे कोना जानै छै । पहिल
बात तँ ई जे AI केकरो बारे मे हकछु नै जानै छै । AI केँ केकरो बारे मे जने बाक
ले ल हकछु र्ब््क प्रयोग करऽ पड़ै त छै । जकरा एकटा उ्ािरणसँ जानू। माहन
शलअ िम AI मे ्े शलयै "आर्ीर् अनथचन्दिार"। आब एहि ठाम AI तुरंत
कित जे िम आर्ीर् अनथचन्दिारक बारे मे नै जानै छी, अिाँ सिायता करू।
आब AI मे आर्ीर् अनथचन्दिारसँ सं बंथधत हकछु तथ्य द्यौ जे ई गजलकार
छथि। फल्लाँ जगिक छथि, हिनकर ई प्रकृथत छहन। आब AI नाम, गजल,
जगि आ प्रकृथतक र्ब््क आधारपर एकटा ले ख तै यार कऽ ्े त। ले खो
एक्म खुर् करऽ बला रित। आब जखन हकयो जखन AI मे आर्ीर्
अनथचन्दिारक बारे मे जानऽ चाितै तँ ओकरा पहिने सँ फीड भे ल तथ्यक आले ख
भे हट जे तै। कोनो लोकसँ सं बंथधत तथ्य जते क बे र AI लग जे तै आले ख
ओते क र्ुि िोइत चशल जे तै। ई भे लै AI केर काज।
आिायष रामानं द मं डल
अशोक िाविका मे सीिा सं ग िािाष भार्ा बनाम मानुर्ी भार्ा (मै तिली)
एक त िमर र्रीर अत्यं त सूक्ष्म िय, ्ोसर िम र्ानर छी। हर्र्े र्तः र्ानर
िोके िम इं िा मानर्ोथचत सं स्कृत -भार्ा मे बोलबै य।
परं तु एिन करे मे एकटा बाधा िय, जाौं िम दद्वज के भां थत सं स्कृत -र्ाणी के
प्रयोग करबै य त सीता िमरा रार्ण समझ के भयभीत िो जतै य।
एिन ्र्ा मे अर्श्ये िमरा र्ोइ सािशक भार्ा के प्रयोग करे के चािी जे
अयोध्या के आसपास के साधारण जनता बोलै य िय,न त इ सती साध्र्ी
सीता के िम उथचत आश्वासन न ्े सकब।
ऐ रिनापर अपन
मं िव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
22 || विदे ह (since 2000) ISSN 2229-547X VIDEHA (since 2004) www.videha.co.in
लालदे ि कामि
डॉ० (प्रो०) कमल कां ि झा: एक व्यक्तित्ि/ मायानं दके हे रैि दृति