Q - 1 चित्र-लेखन - सुझाव

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चित्र-वर्णन

चित्र-लेखन / प्रस्ताव के लिए सझ


ु ाव -
आई.सी.एस.सी. बोर्ड की परीक्षा में भाषा के अंतर्गत चित्र-प्रस्ताव भी पछ
ू ा जाता है । यदि
छात्र चित्र-प्रस्ताव की समझ विकसित करके लिखित अभ्यास करे तो अधिकतम अंक पा
सकता है । चित्र लेखन में रचनात्मकता की अपरिमित संभावनाएंँ हैं। सक्ष्
ू म निरीक्षण करके
चित्र पर आधारित विचार लिखना होता है । ये विचार लेख के रूप में प्रकट किये जा सकते
हैं। छात्र अपनी कल्पना शक्ति के द्वारा कहानी भी लिख सकते हैं। चित्र-प्रस्ताव लिखते
समय उसके केंद्र बिंद ु को समझना आवश्यक है । केंद्र बिंद ु को ध्यान में रखकर छात्र लेख
अथवा कहानी लिख सकता है ।

चित्र प्रस्ताव / लेखन लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें :-
1. वाक्य छोटे -छोटे एवं सरल हों।
2. चित्र वर्णन में रोचकता एवं प्रवाह बना रहे ।
3. चित्र के सभी पहलओ
ु ं पर चर्चा करें ।
4. अनावश्यक विस्तार से बचें ।
5. चित्र के मल
ू विषय का ध्यान रखें। लेखन में बहक जाने के खतरे मौजद
ू होते हैं।
6. प्रस्तावना के रूप में उन सभी बिंदओ
ु ं को रखना चाहिए जो चित्र में दिखाई दे रहे हों।
7. प्रस्तावना में ही प्रस्ताव का मख्
ु य मद्
ु दा स्पष्ट कर दे ना चाहिए।
चित्र-वर्णन
नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से दे खिए और चित्र को आधार बनाकर उसका परिचय दे ते
हुए कोई लेख, घटना अथवा कहानी लिखिए, जिसका सीधा व स्पष्ट संबध
ं चित्र से होना
चाहिए।
क) चित्रों पर आधारित लेख -

चित्र-वर्णन -
प्रस्तत
ु चित्र में कुछ बच्चे फुटबॉल खेलते नजर आ रहे हैं। बच्चों में तीन लड़के हैं तथा तीन
लड़कियाँ। चित्र में दिखाए गए बच्चों में सभी अलग-अलग दे शों के बच्चे हैं। दो बच्चे (एक
लड़का और एक लड़की) यरू ोपियन लग रहे हैं, दो बच्चे (एक लड़का और एक लड़की) किसी
अफ्रीकन दे श के हैं तथा दो बच्चे (एक लड़का और लड़की) भारतीय मल
ू के हैं। यह इस
बात को दर्शाता है कि खेल में राष्ट्र, जाति, रं ग, धर्म आदि के भेद-भाव का कोई महत्व नहीं
है । खेल सबको एक साथ जोड़ते हैं। मझ
ु े भी फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है । मैं 'मेरा प्रिय
खेल- फुटबॉल' विषय पर एक लेख प्रस्तत
ु कर रहा हूँ
लेख -
फुटबॉल विश्व में सबसे अधिक खेला जाने वाला खेल है । यह विश्व के सभी दे शों में
प्रचलित है । लोकप्रियता के मामले में फुटबॉल, क्रिकेट से भी आगे है । फुटबॉल 200 से
ज़्यादा दे शों में खेला जाता है । अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, बेल्जियम, इंग्लैंड, रूस,
कोलंबिया, पेरू, उरुग्वे, अर्जेंटीना, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाइजीरिया, सेनेगल,
कोस्टारिका जैसे दे शों में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय है ।

यह बहुत ही रोमांचकारी खेल है जो आमतौर पर दो टीमों के मध्य मनोरं जन के लिए खेला


जाता है । दोनों टीमों में 11-11 खिलाड़ी होते हैं। दोनों टीमों के खिलाड़ियों की यह कोशिश
होती है कि अपने प्रतिद्वंद्वी के ऊपर अधिक-से-अधिक गोल किए जाएँ। फुटबॉल की
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में परू े खेल के लिए 90 मिनट निर्धारित होते हैं तथा 45 मिनट
के बाद खिलाड़ियों को 15 मिनट का अंतराल भी दिया जाता है । इस खेल को नियंत्रित
करने के लिए दो लाइनमैन तथा एक रे फ़री होते हैं। रे फ़री द्वारा लिए गए निर्णय दोनों ही
टीमों को मान्य होते हैं। फुटबॉल एक ऐसा खेल है जिसमें परू े शरीर का व्यायाम हो जाता
है । यह व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूपों से चस्
ु त-दरु
ु स्त तो रखता ही है , साथ
ही खिलाड़ियों का मनोरं जन भी करता है ।

यरू ोप तथा अमेरिका में फुटबॉल सबसे लोकप्रिय खेल है । हर चार वर्ष के बाद विश्व के
किसी-न-किसी दे श में फुटबॉल का वर्ल्ड कप होता है , जिसमें विश्व की बहुत-सी टीमें भाग
लेती हैं। हालाँकि भारत में फुटबॉल के लिए यव
ु ाओं में वह जन
ु न
ू दिखाई नहीं दे ता जो
यरू ोप, अमेरिका आदि दे शों के यव
ु ाओं में दिखाई पड़ता है । हमारे यहाँ बंगाल और पर्वो
ू त्तर
राज्यों के लोग फुटबॉल खेलना बहुत पसंद करते हैं, पर अभी तक हमारा दे श अंतर्राष्ट्रीय
स्तर अपने को स्थापित नहीं कर सका है । पर जो भी हो, मझ
ु े फुटबॉल खेलना और
फुटबॉल के मैच दे खना बहुत प्रिय है ।
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ख) चित्रों पर आधारित घटनाएँ -

चित्र-वर्णन -
प्रस्तत
ु चित्र किसी पहाड़ी प्रदे श का है । लगता है , यह स्थान काफ़ी ऊँचाई पर है क्योंकि
चारों ओर बहुत बर्फ़ बारी हुई है । न केवल परू ी पहाड़ी बल्कि पेड़-पौधे भी बर्फ़ से ढक गए हैं।
सड़क पर भी बर्फ़ की मोटी चादर बिछ गई है । पहाड़ों पर जब इस तरह की बर्फ़ पड़ती है तो
वाहन चलाना कितना कठिन हो जाता है , इसका पता सड़क पर चल रहे दोनों वाहनों से
चल रहा है । वाहनों में एक मिलिट्री का ट्रक है , जो पहाड़ी के ऊपर चढ़ रहा है । दर्घ
ु टना से
बचने के लिए ट्रक चालक ट्रक की हे ड-लाइट्स जला रखी है । दस
ू रा वाहन एक कार है जो
ट्रक को आता दे ख रुक गई है । कार के पीछे एक व्यक्ति भी खड़ा दिखाई दे रहा है । उक्त
चित्र मझ
ु े उस घटना को याद दिला रहा है , जब मैं उत्तराखंड की यात्रा पर था और भारी
हिमपात शरू
ु हो गया था। उस घटना के विषय में कुछ बातें मैं नीचे बता रहा हूँ

घटना -
इसी वर्ष दिसंबर के प्रथम सप्ताह में मैं अपनी कार से नैनीताल और मसरू ी (उत्तराखंड) की
यात्रा पर गया था। मैंने एक पहाड़ी ड्राइवर को अपने साथ गाड़ी चलाने के लिए ले लिया
था। उत्तराखंड के मसरू ी और नैनीताल में बध
ु वार को बर्फ़ बारी हुई थी। मैं उस दिन मसरू ी में
ही था, शाम से ही मसरू ी के प्रसिद्ध माल रोड पर बर्फ बारी शरू
ु हो गई थी और सब
ु ह तक
यह सारा शहर बर्फ की चादर में लिपटा नज़र आ रहा था। मसरू ी के आसपास के ऊँचाई
वाले सारे इलाके भी बर्फ से ढक गए थे। मसरू ी के लाल टिब्बा और गनहिल जैसे प्रसिद्ध
पर्यटक स्थल सफ़ेद चादर में ढके नज़र आ रहे थे। समाचार मिल रहे थे कि कुमायूँ में
नैनीताल झील के दोनों ओर की पहाड़ियाँ भी बर्फ से ढक गई हैं। भारी बर्फ़ बारी के कारण
धनौल्टी-मसरू ी मार्ग को बंद कर दिया गया था। परू ा उत्ताराखंड बर्फ की चपेट में था। यह
भी समाचार मिला था कि गढ़वाल में बद्रीनाथ, केदारनाथ और औली तथा कुमायूँ और
मन
ु स्यारी में भारी बर्फ़ बारी जारी है ।

उत्तराखंड के केदारनाथ, तग
ंु नाथ, रुद्रप्रयाग आदि स्थानों में भी बर्फ़ बारी की सच
ू ना थी।
बीते एक माह में चौथी बार इस इलाके में बर्फ़ बारी हुई थी, जिसके कारण आम जन-जीवन
प्रभावित हो गया था। औली में बारिश और बर्फ बारी होने की वजह से नेशनल स्कीइंग
चैंपियनशिप की प्रतियोगिताएँ शरू
ु नहीं हो पाई थीं।

गरु
ु वार से हो रही लगातार वर्षा व हिमपात के बाद परू े उत्तराखंड जनपद में शीतलहर चल
रही है । कई गाँवों में बर्फ बारी के चलते उनका संपर्क ब्लॉक तथा जिला मख्
ु यालय से कट
गया हैं। जोशीमठ-औली मोटर मार्ग कई दिनों से पर्यटक के वाहनों के लिए बंद है । भारी
हिमपात के चलते यहाँ लोक निर्माण विभाग के मज़दरू ों को सड़क से बर्फ़ हटाने में कड़ी
मशक्कत करनी पड़ रही है । यह भी समाचार मिला है कि सैकड़ों पर्यटक जगह-जगह फँस
गए हैं।
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ग) चित्रों पर आधारित कहानियाँ -

चित्र-वर्णन -
यह वक्ष
ृ ारोपण कार्यक्रम का दृश्य है । संभवतः यह कोई पार्क है । यहाँ कई लोग वक्ष
ृ ारोपण
का कार्य करते हुए दिखलाई पड़ रहे हैं। विद्यालय की कुछ छात्राएँ भी इस कार्य में संलग्न
हैं। सभी लड़कियाँ खश
ु ी-खश
ु ी और परू े उत्साह के साथ इस कार्य में लगी नज़र आ रही हैं।
मैं इस चित्र पर आधारित एक कहानी यहाँ प्रस्तत
ु कर रहा हूँ।

कहानी -
जैसे ही शिक्षक महोदय ने कक्षा में प्रवेश किया, शोरगल
ु करते बच्चे एकदम शांत हो गए।
अध्यापक महोदय ने एक सरसरी निगाह कक्षा में शांत बैठे बच्चों पर डाली और कहना
प्रारं भ किया

"बच्चो, आज मैं तम
ु सबको को एक गंभीर एवं अत्यंत ज्वलंत विषय के बारे में बताने जा
रहा हूँ। मैं समझता हूँ कि तम
ु लोग इस विषय की गंभीरता को समझोगे और मेरी बात को
ध्यान से सन
ु ोगे।”

"जी, श्रीमान!” बच्चों ने समवेत स्वर में कहा।

“बच्चो, तम
ु जानते हो कि हमारी पथ्
ृ वी एक गंभीर समस्या से जझ
ू रही है और वो समस्या
है - पर्यावरण प्रदष
ू ण की। पर्यावरण प्रदष
ू ण के कारण जल, थल और नभ तीनों ही
विषाक्त होते जा रहे हैं और मानव जीवन खतरे में पड़ गया है । यदि इस समस्या का
निदान नहीं किया गया तो संपर्ण
ू मानव जाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।"

"आप ठीक कह रहे हैं, श्रीमान! किंतु इस समस्या से निजात पाने के लिए हम क्या कर
सकते हैं?" एक लड़के ने कहा।

शिक्षक महोदय ने कहा - "बच्चो, इस समस्या से निदान पाने के लिए यह आवश्यक है कि


हम प्रदष
ू ण उत्पन्न करने वाले कारकों को चिह्नित कर उन्हें नष्ट करें । इसके लिए हमें
वाय,ु जल तथा ध्वनि को प्रदषि
ू त करने वाले तत्वों को समल
ू नष्ट करना पड़ेगा। यह तभी
संभव है , जब सरकार के साथ-साथ हम भी प्रदष
ू ण को खत्म करने में अपना योगदान दें ।"

"हम इस दिशा में क्या कर सकते हैं, सर?" काजल ने शिक्षक महोदय से पछ
ू ा।

"लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाकर, कूड़े-कचरे को निर्धारित स्थल पर डालने,


सार्वजनिक स्थलों का प्रयोग करने तथा अधिकाधिक पौधे लगाने हे तु लोगों को प्रेरित कर
हम इस समस्या को खत्म करने दिशा में अपनी भागीदारी निभा सकते हैं।" शिक्षक
महोदय ने कहा

"ठीक है , सर। हम यह संकल्प लेते हैं कि आपकी बातों पर ज़रूर अमल करें गे और
पर्यावरण को प्रदषि
ू त होने से बचाएँगे।" सभी बच्चों ने एक स्वर में कहा।

कक्षा समाप्त हुई तो मीनाक्षी, काजल और रमन ने यह निर्णय किया कि वे लोगों में
पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करें गे और अधिकाधिक मात्रा में वक्ष
ृ ारोपण करें गे।
आगामी रविवार को तीनों ने अपने कुछ अन्य सहपाठियों के साथ मिलकर एक स्वयंसेवी
संस्था के सहयोग से शहर के विभिन्न स्थानों पर वक्ष
ृ ारोपण कार्यक्रम में भाग लिया और
सैकड़ों वक्ष
ृ लगाए। वक्ष
ृ ारोपण करते वक्त सभी के चेहरे पर असीम खश
ु ी और आत्मिक
संतष्टि
ु झलक रही थी।
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