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BA 6th sem DDE political science in hindi

Constitutional Structures: Executive, Legislature and Judiciary. Political Culture.

State and Local Government ,Socio-Economic Bases of the Constitution, Women and the
Political Process

भाग-A

संवैधानिक संरचनाएँ: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका

कार्यपालिका:
भारत के संविधान में कार्यपालिका को सरकार के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और
अन्य अधिकारीगण के माध्यम से कार्य करती है।

राष्ट्रपति: भारत का राष्ट्रपति राष्ट्र प्रमुख होता है। वह संवैधानिक रूप से कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं, लेकिन उनकी भूमिका मुख्य रूप से औपचारिक होती है।
राष्ट्रपति संसद द्वारा निर्वाचित होता है और उनका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।

प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद: कार्यपालिका के वास्तविक प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं। प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और वे संसद के निचले
सदन (लोकसभा) के बहुमत दल के नेता होते हैं। मंत्रिपरिषद, जिसमें कै बिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री शामिल होते हैं, प्रधानमंत्री की सहायता करते हैं।

विधायिका:
भारतीय संसद द्विसदनीय है, जिसमें लोकसभा (सांसदों का निम्न सदन) और राज्यसभा (सांसदों का उच्च सदन) शामिल हैं।

लोकसभा: लोकसभा का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाता है और इसका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। यह सदन विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाता है और यह सरकार की नीतियों पर चर्चा एवं विचार विमर्श करता है।

राज्यसभा: राज्यसभा एक स्थायी सदन है जिसका चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से राज्य विधानसभाओं द्वारा किया जाता है। राज्यसभा में सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों
का होता है और हर दो वर्षों में एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं।

न्यायपालिका:
न्यायपालिका भारतीय संविधान की संरक्षक है और यह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से न्याय की प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।

सर्वोच्च न्यायालय: यह भारत का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है और संविधान की व्याख्या करता है। इसके मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीशों को राष्ट्रपति
द्वारा नियुक्त किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय संविधान की सर्वोच्चता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है।

उच्च न्यायालय: प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय होता है जो संबंधित राज्य के अंतर्गत आने वाले मामलों की सुनवाई करता है।
निचली न्यायालय: जिला और अधीनस्थ न्यायालय स्थानीय स्तर पर न्यायिक कार्यों का संचालन करते हैं।

राजनीतिक संस्कृ ति:


भारतीय राजनीतिक संस्कृ ति बहुआयामी और विविधतापूर्ण है। यह लोकतांत्रिक आदर्शों, परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित है। राजनीतिक संस्कृ ति
का निर्माण विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारकों से होता है और यह नागरिकों की राजनीतिक भागीदारी, विश्वास और व्यवहार को प्रभावित
करती है।

भाग-B

राज्य और स्थानीय सरकार

राज्य सरकार:
राज्यों में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य मंत्रिपरिषद होते हैं। राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, जबकि मुख्यमंत्री राज्य विधानमंडल के बहुमत दल
का नेता होता है। राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के प्रशासन और विकास के लिए जिम्मेदार होती हैं।

स्थानीय सरकार:
स्थानीय सरकारें नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत आदि के माध्यम से स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक कार्य करती हैं। 73 वें और 74 वें संवैधानिक
संशोधन के माध्यम से पंचायती राज और नगरीय स्थानीय निकायों को अधिक सशक्त बनाया गया है।

संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधार

भारतीय संविधान का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना करना है। यह समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर आधारित है। संविधान में
सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं, जैसे कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आरक्षण, भूमि सुधार, श्रमिक अधिकार,
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकार आदि।

महिला और राजनीतिक प्रक्रिया

भारतीय संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं और उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है। संविधान के 73 वें और
74 वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण प्रदान किया है। इसके अलावा, महिला आरक्षण विधेयक
भी संसद में लंबित है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है। महिलाओं की
राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कई पहलें की गई हैं।

1. सविधानों की मूल विशेषताएँ [Basic Features of the Constitutions].

1. ग्रेट ब्रिटेन के संविधान की मूल विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (Describe the basic features of the consititution of Great
Britain.)

ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (Discuss the main features of British Constitution.)
2. अमेरिका के संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें। (Discuss the salient features of the constitution of
America.)

3. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्ज़रलैण्ड में इसकी कार्य-प्रणाली का वर्णन कीजिए।

(What do you understand by Direct Democracy? Discuss its working in Switzerland.).

4. संविधान किसे कहते हैं? लिखित एवं अलिखित संविधान में अंतर करें। (What is meant by constitution? Make distinction
betwen written and un written constitution.)

2. संवैधानिक संरचनाएँ: विधानपालिका [Constitutional Structures: Legislature]

1. ब्रिटिश कॉमन सभा की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन करें। (Describe the composition, powers and functions of
British House of Commons.)

अथवा

ब्रिटेन में कामन सभा की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।

2.

ब्रिटिश कॉमन सभा के स्पीकर के चुनाव, शक्तियों एवं स्थिति का वर्णन करें।

(Describe the election, powers and position of Speaker of British House of Commons.)

1. सविधानों की मूल विशेषताएँ [Basic Features of the Constitutions]


ग्रेट ब्रिटेन के संविधान की मूल विशेषताएँ (Describe the basic features of the constitution of Great Britain)
ग्रेट ब्रिटेन का संविधान अनूठा और विशेष प्रकार का है क्योंकि यह एक लिखित दस्तावेज नहीं है बल्कि विभिन्न स्रोतों से बना हुआ है। इसकी मुख्य विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं:

अलिखित संविधान (Unwritten Constitution): ब्रिटेन का संविधान एक अलिखित संविधान है, जिसका मतलब है कि यह एकल दस्तावेज़ के रूप
में मौजूद नहीं है। यह विभिन्न संवैधानिक दस्तावेजों, परंपराओं, न्यायिक निर्णयों और संसदीय कानूनों का संग्रह है।

संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy): ब्रिटेन एक संवैधानिक राजतंत्र है जहां राजा या रानी का स्थान के वल सांके तिक होता है और
वास्तविक सत्ता निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में होती है।

संसदीय संप्रभुता (Parliamentary Sovereignty): ब्रिटिश संसद सर्वोच्च विधायिका है और इसके पास कानून बनाने, संशोधित करने और निरस्त
करने की पूर्ण शक्ति है।
लचीलापन (Flexibility): ब्रिटेन का संविधान लचीला है, जिसका अर्थ है कि इसे सामान्य संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से बदला जा सकता है। इसके
लिए किसी विशेष प्रक्रिया या कठिनाई की आवश्यकता नहीं होती।

परंपराओं और प्रथाओं का महत्व (Importance of Conventions and Practices): संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा परंपराओं और
संवैधानिक प्रथाओं पर आधारित है, जो विधायिका और कार्यपालिका के संचालन में मार्गदर्शन करते हैं।

न्यायिक समीक्षा का अभाव (Absence of Judicial Review): ब्रिटेन में संसद के कानूनों की न्यायिक समीक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, यानी
अदालतें संसद के कानूनों को असंवैधानिक घोषित नहीं कर सकतीं।

2. अमेरिका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ (Discuss the salient features of the constitution of America)

अमेरिकी संविधान एक लिखित दस्तावेज है और यह विश्व के सबसे पुराने और स्थायी संविधानों में से एक है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

लिखित संविधान (Written Constitution): अमेरिकी संविधान एक लिखित दस्तावेज है जो स्पष्ट रूप से संघीय सरकार की संरचना और
कार्यप्रणाली को परिभाषित करता है।

संघीय प्रणाली (Federal System): अमेरिका एक संघीय प्रणाली है जिसमें सत्ता का वितरण कें द्र और राज्य सरकारों के बीच होता है। संविधान संघ
और राज्यों की शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।

अलगाव और नियंत्रण की प्रणाली (System of Separation of Powers and Checks and Balances): सरकार को तीन
शाखाओं में विभाजित किया गया है: विधायिका (संसद), कार्यपालिका (राष्ट्रपति) और न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट)। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी शाखा
अत्यधिक शक्तिशाली न हो और प्रत्येक शाखा अन्य शाखाओं की गतिविधियों को नियंत्रित कर सके ।

बिल ऑफ राइट्स (Bill of Rights): संविधान के पहले दस संशोधन, जिन्हें बिल ऑफ राइट्स कहा जाता है, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा
करते हैं जैसे कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, और निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया का अधिकार।

लचीला संविधान (Flexible Constitution): यद्यपि अमेरिकी संविधान को संशोधित करना कठिन है, फिर भी इसे आवश्यकतानुसार बदलने की
प्रक्रिया है, जो इसे समय के साथ प्रासंगिक बनाए रखती है।

लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन (Support for Democratic Values): संविधान जनता की संप्रभुता, प्रतिनिधि सरकार, और कानून के शासन
जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करता है।

3. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्ज़रलैण्ड में इसकी कार्य-प्रणाली का वर्णन कीजिए। (What do you understand by
Direct Democracy? Discuss its working in Switzerland.)

प्रत्यक्ष लोकतन्त्र (Direct Democracy): प्रत्यक्ष लोकतंत्र वह प्रणाली है जिसमें नागरिक सीधे नीति और कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं,
बजाय इसके कि वे प्रतिनिधियों का चुनाव करके उनके माध्यम से यह कार्य करवाएँ।

स्विट्ज़रलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की कार्यप्रणाली:

जनमत संग्रह (Referendum): स्विट्ज़रलैण्ड में कोई भी नया कानून या संवैधानिक संशोधन सीधे जनता के मतदान के माध्यम से अनुमोदित होता है।
यदि किसी कानून के विरोध में पर्याप्त संख्या में हस्ताक्षर एकत्रित हो जाते हैं, तो उस पर जनमत संग्रह कराया जाता है।
नागरिक पहल (Citizen's Initiative): नागरिक किसी नए कानून या संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक संख्या में
हस्ताक्षर एकत्रित कर प्रस्ताव को जनमत संग्रह के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

संसदीय अनुमोदन (Parliamentary Approval): यद्यपि संसद कानून बनाती है, लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतिम निर्णय जनता का होता है।

संवैधानिक संरचनाएँ (Constitutional Structures): स्विट्ज़रलैण्ड में संघीय संविधान है, जो देश के विभिन्न हिस्सों को स्वायत्तता प्रदान करता है
और प्रत्यक्ष लोकतंत्र के कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है।

4. संविधान किसे कहते हैं? लिखित एवं अलिखित संविधान में अंतर करें। (What is meant by constitution? Make distinction
between written and unwritten constitution.)

संविधान (Constitution): संविधान वह सर्वोच्च कानून है जो किसी देश की शासन व्यवस्था, सरकार की संरचना, विभिन्न सरकारी निकायों की शक्तियों
और नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों को परिभाषित करता है।

लिखित एवं अलिखित संविधान में अंतर:

लिखित संविधान (Written Constitution):

एक औपचारिक दस्तावेज के रूप में होता है।


स्पष्ट रूप से कानूनों और प्रक्रियाओं को परिभाषित करता है।
उदाहरण: अमेरिका, भारत।
अलिखित संविधान (Unwritten Constitution):

एकल दस्तावेज़ के रूप में नहीं होता।


परंपराओं, प्रथाओं, न्यायिक निर्णयों और संसदीय कानूनों का संग्रह होता है।
उदाहरण: ग्रेट ब्रिटेन।

5. संवैधानिक संरचनाएँ: विधानपालिका (Constitutional Structures: Legislature)

ब्रिटिश कॉमन सभा की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन करें। (Describe the composition, powers and functions of
British House of Commons.)
ब्रिटिश कॉमन सभा, जिसे हाउस ऑफ कॉमन्स कहते हैं, ब्रिटेन की संसद का निचला सदन है। इसकी रचना, शक्तियाँ और कार्य निम्नलिखित हैं:

रचना (Composition):

हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य (Members of Parliament, MPs) आम चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं।
प्रत्येक सांसद एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
सदस्यों की संख्या वर्तमान में 650 है।
शक्तियाँ (Powers):

विधायी शक्तियाँ (Legislative Powers): हाउस ऑफ कॉमन्स कानून बनाने की शक्ति रखती है। कोई भी नया कानून या संशोधन संसद द्वारा पारित
किया जाता है।
वित्तीय शक्तियाँ (Financial Powers): बजट और वित्तीय विधेयकों को पारित करने की शक्ति के वल कॉमन्स के पास होती है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स
(ऊपरी सदन) वित्तीय विधेयकों को अस्वीकार नहीं कर सकता।
नियंत्रण और पर्यवेक्षण (Control and Supervision): सरकार की नीतियों और कार्यों पर निगरानी रखना। यह प्रश्नोत्तर सत्र, बहस और समितियों
के माध्यम से किया जाता है।

कार्य (Functions):

विधि निर्माण (Law Making): नए कानूनों का निर्माण, मौजूदा कानूनों में संशोधन और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करना।
सरकार का गठन (Formation of Government): हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी सरकार बनाती है और प्रधानमंत्री का
चयन करती है।
जनता का प्रतिनिधित्व (Representation of People): जनता के विचारों, समस्याओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करना।
विचार-विमर्श और बहस (Debate and Discussion): राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस करना और सरकार की नीतियों पर विचार-विमर्श
करना।

6. ब्रिटिश कॉमन सभा के स्पीकर के चुनाव, शक्तियों एवं स्थिति का वर्णन करें।

स्पीकर का चुनाव (Election of the Speaker):

चयन प्रक्रिया (Selection Process): हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों द्वारा स्पीकर का चुनाव किया जाता है। चुनाव प्रक्रिया में सभी सांसद भाग लेते
हैं।
अराजनीतिक (Non-partisan): स्पीकर का पद अराजनीतिक होता है। स्पीकर को चुने जाने के बाद वह किसी भी राजनीतिक दल से दूरी बना लेते हैं।

ब्रिटिश कॉमन सभा के स्पीकर का चुनाव, शक्तियाँ एवं स्थिति


चुनाव प्रक्रिया:?

ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर का चुनाव एक विशेष प्रक्रिया के तहत होता है:

उम्मीदवारी: स्पीकर पद के लिए संसद के किसी भी सदस्य को नामांकित किया जा सकता है। इसके लिए उस सदस्य को कम से कम 12 अन्य सांसदों का
समर्थन चाहिए, जिनमें से कम से कम 3 का समर्थन विरोधी दल से होना अनिवार्य है।
चुनाव: चुनाव एक गुप्त मतदान प्रक्रिया के माध्यम से होता है। इसमें सदन के सभी सदस्य भाग लेते हैं और मतदान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है।
अधिकांश वोट: यदि किसी भी उम्मीदवार को पहले चरण में बहुमत नहीं मिलता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और पुनः
मतदान होता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक किसी उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल जाता।
शक्तियाँ:
स्पीकर की शक्तियाँ और अधिकार ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में महत्वपूर्ण हैं:

सदन की कार्यवाही का संचालन: स्पीकर सदन की बैठकों का संचालन करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी कार्यवाही नियमों और प्रक्रियाओं के
अनुसार हो।
वक्ताओं का चयन: स्पीकर तय करते हैं कि किसे बोलने का मौका मिलेगा। यह अधिकार सदन में चर्चा को संतुलित और न्यायसंगत बनाए रखने के लिए
महत्वपूर्ण है।
आदेश की रक्षा: स्पीकर का मुख्य कर्तव्य सदन में व्यवस्था बनाए रखना है। वे सदस्यों को अनुशासन में रखते हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों के
खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं।
मतदान: आम तौर पर, स्पीकर मतदान में भाग नहीं लेते। लेकिन, जब सदन में मतदान के परिणाम बराबर हो जाते हैं, तो स्पीकर का निर्णायक वोट होता है,
जिसे "कास्टिंग वोट" कहा जाता है।
स्थिति:
स्पीकर की स्थिति संसद में और देश के राजनीतिक ढांचे में बेहद महत्वपूर्ण है:
तटस्थता: स्पीकर अपने पद पर तटस्थ रहते हैं। उन्हें किसी भी राजनीतिक दल का पक्ष नहीं लेना चाहिए और निष्पक्ष रहना चाहिए।
आदर एवं सम्मान: स्पीकर को उच्चतम आदर और सम्मान मिलता है। सदन के भीतर उनकी स्थिति सर्वोपरि होती है और उनके फै सलों का पालन करना
अनिवार्य होता है।
प्रोटोकॉल: स्पीकर का दर्जा सरकारी प्रोटोकॉल में उच्च होता है। वे अनेक आधिकारिक और औपचारिक अवसरों पर प्रतिनिधित्व करते हैं।
पुनर्निवाचन: यदि कोई स्पीकर चुनाव में खड़ा होता है, तो आम तौर पर उन्हें बिना किसी विरोध के पुनर्निवाचित कर लिया जाता है।
निष्कर्ष:
ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर का पद संसदीय प्रणाली में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और लोकतांत्रिक होती है, शक्तियाँ
व्यापक और संतुलित होती हैं, और स्थिति सम्मानजनक और तटस्थ होती है। स्पीकर संसद की सुचारू और निष्पक्ष कार्यवाही के लिए अनिवार्य भूमिका
निभाते हैं।

3. लार्ड सभा की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन करें।

रचना
लार्ड सभा ब्रिटिश संसद का उच्च सदन है। इसकी रचना विभिन्न प्रकार के सदस्य मिलकर करते हैं:

आजीवन सदस्य: इन्हें महारानी द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त किया जाता है। इनकी संख्या सीमित नहीं है।
वंशानुगत सदस्य: ये सदस्य अपने पद को वंशानुगत रूप से प्राप्त करते हैं। हालाँकि, 1999 के हाउस ऑफ लार्ड्स एक्ट के बाद इनकी संख्या को सीमित कर
दिया गया है।
धार्मिक सदस्य: चर्च ऑफ इंग्लैंड के वरिष्ठ बिशप भी इस सभा के सदस्य होते हैं। इसमें कु ल 26 बिशप होते हैं।
शक्तियाँ एवं कार्य
विधायी प्रक्रिया में भागीदारी: लार्ड सभा कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेती है। यह विधेयकों पर विचार-विमर्श करती है और उन्हें संशोधित करने का
अधिकार रखती है।
जांच-पड़ताल: लार्ड सभा विभिन्न सरकारी नीतियों और कार्यों की समीक्षा करती है। इसके लिए विभिन्न समितियाँ गठित की जाती हैं।
न्यायिक भूमिका: 2009 तक, लार्ड सभा ब्रिटेन का सर्वोच्च न्यायालय थी। अब यह भूमिका यूके सुप्रीम कोर्ट निभाता है।
परामर्शी भूमिका: लार्ड सभा महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को सलाह देती है।

4. लार्ड सभा का औचित्य बताइए।

औचित्य
लार्ड सभा के औचित्य को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:

जांच और संतुलन: यह सरकार और हाउस ऑफ कॉमन्स पर एक जांच और संतुलन का कार्य करता है।
विशेषज्ञता: लार्ड सभा में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं जो विधेयकों की गहन समीक्षा कर सकते हैं।
प्रतिनिधित्व: यह समाज के विभिन्न हिस्सों का प्रतिनिधित्व करता है जो हाउस ऑफ कॉमन्स में नहीं होता।
विलंबन का अधिकार: यह विधेयकों पर विलंबन कर उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है।

5. अमेरिका के प्रतिनिधि सभा की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन करें।

रचना
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा, जिसे हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स कहते हैं, निम्नलिखित विशेषताएँ रखती है:

सदस्य संख्या: इसमें 435 सदस्य होते हैं, जो राज्यों की जनसंख्या के आधार पर चुने जाते हैं।
कार्यकाल: प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल दो वर्ष का होता है।
योग्यता: सदस्य बनने के लिए न्यूनतम 25 वर्ष की आयु, 7 वर्ष का अमेरिकी नागरिक होना आवश्यक है।
शक्तियाँ एवं कार्य
विधायी शक्ति: यह नए कानून बनाने का अधिकार रखती है। सभी राजस्व विधेयक पहले इसी सदन में पेश होते हैं।
जांच और समीक्षा: यह सरकार के कार्यों की जांच और समीक्षा करती है। इसके लिए विभिन्न समितियाँ होती हैं।
महाभियोग: यह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और अन्य अधिकारियों के खिलाफ महाभियोग चलाने का अधिकार रखती है।
बजट स्वीकृ ति: संघीय बजट को पास करना इसका प्रमुख कार्य है।

6. अमेरिकी स्पीकर की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन करें और ब्रिटिश स्पीकर से उसकी तुलना भी करें।

अमेरिकी स्पीकर की शक्तियाँ एवं कार्य


विधायी कार्यों का संचालन: स्पीकर सदन की बैठकें संचालित करते हैं और बहसों का नियमन करते हैं।
समितियों का गठन: स्पीकर विभिन्न समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
विधेयकों पर नियंत्रण: स्पीकर यह निर्णय लेते हैं कि कौन से विधेयक सदन में प्रस्तुत किए जाएँ।
प्रशासनिक कार्य: स्पीकर सदन के प्रशासनिक कार्यों का भी संचालन करते हैं।
ब्रिटिश स्पीकर से तुलना
अमेरिकी स्पीकर: एक राजनीतिक पद है और पार्टी की नीतियों के अनुसार कार्य करता है।
ब्रिटिश स्पीकर: निष्पक्ष होता है और किसी भी पार्टी के पक्ष में नहीं होता। इसका मुख्य कार्य सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना है।

7. "अमेरिकी सीनेट विश्व में सबसे अधिक शक्तिशाली दूसरा सदन है।" वर्णन कीजिए।

शक्तियाँ एवं कार्य


विधायी शक्ति: सीनेट सभी विधेयकों की समीक्षा और संशोधन कर सकता है।
प्रस्तावों की पुष्टि: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मंत्रियों, न्यायाधीशों, और अन्य उच्च अधिकारियों की पुष्टि सीनेट करता है।
संधि की पुष्टि: अंतर्राष्ट्रीय संधियों को सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
महाभियोग प्रक्रिया: सीनेट महाभियोग अभियोग की सुनवाई करता है और निर्णय सुनाता है।

8. चीन की राष्ट्रीय जन कांग्रेस की रचना, शक्तियों एवं कार्यों की विवेचना करें।

रचना
सदस्य संख्या: इसमें लगभग 3,000 सदस्य होते हैं, जो विभिन्न प्रांतीय, क्षेत्रीय, और मिलिट्री इकाइयों से चुने जाते हैं।
कार्यकाल: सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
शक्तियाँ एवं कार्य
विधायी शक्ति: राष्ट्रीय जन कांग्रेस कानून बनाने का अधिकार रखती है।
संविधान संशोधन: यह संविधान में संशोधन कर सकती है।
सरकार की नियुक्ति: प्रधानमंत्री और अन्य उच्च सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति करती है।
नीति निर्धारण: यह सरकार की नीतियों और योजनाओं को अनुमोदित करती है।

9. चीन की राष्ट्रीय जन कांग्रेस की स्थायी समिति की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन करें।

रचना
सदस्य संख्या: स्थायी समिति में लगभग 150-175 सदस्य होते हैं।
कार्यकाल: इसका कार्यकाल भी 5 वर्ष का होता है।
शक्तियाँ एवं कार्य
विधायी कार्य: स्थायी समिति कानून बनाने का कार्य करती है जब कांग्रेस सत्र में नहीं होती।
निर्णय लागू करना: यह कांग्रेस के निर्णयों को लागू करने का कार्य करती है।
नियंत्रण और निगरानी: यह सरकार और न्यायपालिका की गतिविधियों पर निगरानी रखती है।

10. स्विस संघीय सभा की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

रचना
दो सदनों का संघ: स्विस संघीय सभा दो सदनों, नेशनल काउंसिल और काउंसिल ऑफ स्टेट्स, से मिलकर बनी होती है।
सदस्य संख्या: नेशनल काउंसिल में 200 सदस्य और काउंसिल ऑफ स्टेट्स में 46 सदस्य होते हैं।
शक्तियाँ एवं कार्य
विधायी शक्ति: संघीय सभा कानून बनाने का कार्य करती है।
निर्वाचन: संघीय सभा राष्ट्रपति और अन्य उच्च अधिकारियों का निर्वाचन करती है।
बजट स्वीकृ ति: यह संघीय बजट को पास करती है।
संधि की पुष्टि: यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों की पुष्टि करती है।
ये विवरण प्रत्येक संस्था की संरचना, शक्तियों और कार्यों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।

स्विट्ज़रलैण्ड की राष्ट्रीय परिषद् और राज्य परिषद् के आपसी सम्बंध

स्विट्ज़रलैण्ड की राजनीतिक व्यवस्था में दो प्रमुख विधायिक संस्थाएँ हैं: राष्ट्रीय परिषद् (National Council) और राज्य परिषद् (Council of
States)। ये दोनों परिषदें मिलकर संघीय संसद का गठन करती हैं और उनके बीच आपसी सम्बन्ध महत्वपूर्ण हैं।

संरचना:

राष्ट्रीय परिषद्: इसमें 200 सदस्य होते हैं जिन्हें प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुना जाता है। यह परिषद् स्विट्ज़रलैण्ड की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती है।
राज्य परिषद्: इसमें 46 सदस्य होते हैं, जिनमें प्रत्येक कान्टन (राज्य) से दो और प्रत्येक अर्ध-कान्टन से एक सदस्य चुना जाता है। यह परिषद्
स्विट्ज़रलैण्ड के कान्टनों का प्रतिनिधित्व करती है।
संविधानिक भूमिका:

दोनों परिषदें कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेती हैं। किसी भी विधेयक को कानून बनने के लिए दोनों परिषदों की स्वीकृ ति प्राप्त करनी होती है।
यदि दोनों परिषदों में सहमति नहीं बनती है, तो एक संयुक्त समिति गठित की जाती है जो विवादित मुद्दों का समाधान करती है।
कार्य और शक्तियाँ:

विधायी कार्य: दोनों परिषदें विधायी प्रस्तावों पर विचार करती हैं और उन्हें पारित करती हैं।
नियंत्रण: संघीय सरकार और प्रशासन पर निगरानी रखने की भूमिका निभाती हैं।
बजट स्वीकृ ति: संघीय बजट की स्वीकृ ति और वित्तीय मामलों में निर्णय लेना।
अंतर्राष्ट्रीय समझौते: विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की पुष्टि।
आपसी सहयोग और संघर्ष:

सामान्यतः दोनों परिषदें सहमति और सहयोग से काम करती हैं, लेकिन कभी-कभी मतभेद भी होते हैं जिन्हें सुलझाने के लिए संयुक्त समितियों का सहारा लिया
जाता है।
दोनों परिषदों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए संघीय संरचना और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
ब्रिटेन के सम्राट् की शक्तियों, कार्यों एवं स्थिति की व्याख्या
शक्तियाँ:
सांवैधानिक शक्ति: सम्राट ब्रिटेन के संविधान के तहत कार्य करता है, जिसमें अधिकांश कार्य औपचारिक और प्रतीकात्मक होते हैं।
संसदीय शक्ति: संसद को बुलाने और भंग करने का अधिकार, संसद के सत्र का उद्घाटन।
न्यायिक शक्ति: न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में औपचारिक भूमिका।
कार्य:

प्रतीकात्मक कार्य: राष्ट्र के प्रतीक के रूप में कार्य करना, विदेशों में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करना।
औपचारिक कार्य: सरकार के कार्यों को मंजूरी देना, प्रधानमंत्री की नियुक्ति।
स्थिति:

संसदीय संप्रभुता: सम्राट की शक्तियाँ सीमित और संसदीय संप्रभुता के अधीन होती हैं।
संवैधानिक प्रमुख: सम्राट राष्ट्रीय एकता और सांस्कृ तिक पहचान का प्रतीक है।
ब्रिटेन में राजपद के औचित्य का संक्षिप्त उल्लेख
राजनीतिक स्थिरता: राजपद राजनीतिक स्थिरता और निरंतरता का प्रतीक है।
सांस्कृ तिक पहचान: राजपद राष्ट्रीय एकता और सांस्कृ तिक पहचान को बढ़ावा देता है।
परंपरा और इतिहास: राजपद ब्रिटेन की ऐतिहासिक और पारंपरिक धरोहर का हिस्सा है।
ब्रिटिश प्रधान मंत्री की नियुक्ति, शक्तियों एवं स्थिति
नियुक्ति:

प्रधान मंत्री की नियुक्ति सम्राट द्वारा उस व्यक्ति के रूप में की जाती है जो संसद में बहुमत का समर्थन प्राप्त करता है।
शक्तियाँ:

कार्यकारी शक्ति: सरकार का प्रमुख, नीतियों का निर्धारण और क्रियान्वयन।


प्रशासनिक शक्ति: मंत्रिमंडल की अध्यक्षता, सरकारी विभागों का नेतृत्व।
विधायी शक्ति: संसद में कानून प्रस्तावित करना और उनका समर्थन प्राप्त करना।
स्थिति:

लोकतांत्रिक प्रतिनिधि: जनता द्वारा चुने गए सांसदों का नेता।


राजनीतिक नेता: सरकार के प्रमुख और नीतियों का निर्णायक।
अमेरिका के राष्ट्रपति की शक्तियों, कार्यों एवं स्थिति
शक्तियाँ:

कार्यकारी शक्ति: संघीय सरकार का प्रमुख, नीतियों का निर्धारण और क्रियान्वयन।


सैन्य शक्ति: सशस्त्र बलों का प्रमुख।
विधायी शक्ति: विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका, विधेयकों पर वीटो।
कार्य:

प्रशासनिक कार्य: सरकारी विभागों का नेतृत्व, नीति निर्धारण।


विदेशी मामलों: अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का निर्माण और विदेश नीति का निर्धारण।
आर्थिक नीति: बजट और आर्थिक नीतियों का निर्धारण।
स्थिति:

लोकतांत्रिक प्रतिनिधि: जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचित।


संवैधानिक प्रमुख: संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर कार्य।
अमेरिकी राष्ट्रपति की ब्रिटिश राजा और प्रधानमंत्री से तुलना
शक्तियाँ:

अमेरिकी राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियाँ ब्रिटिश प्रधान मंत्री से अधिक व्यापक और स्वतंत्र हैं।
ब्रिटिश सम्राट की शक्तियाँ सांवैधानिक और प्रतीकात्मक होती हैं।
स्थिति:

अमेरिकी राष्ट्रपति सीधे जनता द्वारा निर्वाचित होता है, जबकि ब्रिटिश प्रधान मंत्री संसद के बहुमत से चुना जाता है।
ब्रिटिश राजा की स्थिति औपचारिक और प्रतीकात्मक होती है।
कार्य:

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्य व्यापक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रभावी होते हैं।
ब्रिटिश प्रधान मंत्री आंतरिक नीतियों और प्रशासनिक कार्यों में अधिक ध्यान कें द्रित करता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधान मंत्री की शक्तियों, कार्यों और वास्तविक स्थिति में तुलना
अमेरिकी राष्ट्रपति:

कार्यकारी शक्ति का प्रमुख, स्वतंत्र और व्यापक शक्तियाँ।


सैन्य और विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका।
विधायी प्रक्रिया में वीटो और विशेष सत्र बुलाने की शक्ति।
ब्रिटिश प्रधान मंत्री:

संसद में बहुमत के नेता, सरकार का प्रमुख।


नीतियों का निर्धारण और प्रशासनिक कार्यों का नेतृत्व।
विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका, लेकिन सीमित शक्तियाँ।
अमेरिका के कार्यपालिका के कार्य
नीति निर्धारण: नीतियों का निर्माण और क्रियान्वयन।
प्रशासनिक कार्य: संघीय विभागों और एजेंसियों का नेतृत्व।
विदेशी मामले: अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रबंधन।
सैन्य नेतृत्व: सशस्त्र बलों का कमान।
आर्थिक नीति: संघीय बजट और आर्थिक नीतियों का निर्माण।

अमेरिका के राष्ट्रपति की ब्रिटिश राजा और प्रधानमंत्री से तुलना कीजिए। (Compare American President with British King and
the Prime Minister.)

अथवा

अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधान मंत्री की शक्तियों, कार्यों और वास्तविक स्थिति में तुलना कीजिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश राजा एवं प्रधानमंत्री की शक्तियों, कार्यों और वास्तविक स्थिति में तुलना
1. अमेरिकी राष्ट्रपति
शक्तियाँ:

कार्यकारी शक्ति: अमेरिकी राष्ट्रपति संघीय सरकार का प्रमुख होता है और सभी कार्यकारी विभागों का नेतृत्व करता है।
विधायी शक्ति: राष्ट्रपति के पास कानून पर वीटो लगाने की शक्ति होती है, और वह कांग्रेस को विशेष सत्र में बुला सकता है।
सैन्य शक्ति: राष्ट्रपति सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है।
नियुक्ति की शक्ति: संघीय न्यायाधीशों और कै बिनेट के सदस्यों की नियुक्ति करता है, जो सीनेट की पुष्टि के अधीन होती है।
विदेश नीति: अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का निर्माण और अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों का प्रबंधन।
कार्य:

नीति निर्माण: प्रशासनिक नीतियों का निर्धारण और क्रियान्वयन।


विधायी प्रस्ताव: विधायी एजेंडा को कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत करना और कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
विदेशी मामले: अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों पर बातचीत करना।
सैन्य संचालन: सैन्य अभियानों का प्रबंधन और रणनीतिक दिशा निर्देश देना।
वास्तविक स्थिति:

अमेरिकी राष्ट्रपति व्यापक और स्वतंत्र शक्तियों के साथ एक मजबूत कार्यकारी प्रमुख होता है। उसकी भूमिका देश की नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में निर्णायक
होती है।

2. ब्रिटिश राजा
शक्तियाँ:

सांवैधानिक शक्ति: ब्रिटिश राजा की अधिकांश शक्तियाँ औपचारिक और प्रतीकात्मक होती हैं।
संसदीय शक्ति: संसद के सत्र का उद्घाटन और भंग करने की औपचारिक शक्ति।
न्यायिक शक्ति: न्यायाधीशों की नियुक्ति में औपचारिक भूमिका।
प्रेरणास्पद शक्ति: राष्ट्रीय एकता और सांस्कृ तिक पहचान को प्रोत्साहित करना।
कार्य:

प्रतीकात्मक कार्य: राष्ट्र के प्रतीक के रूप में कार्य करना और राष्ट्रीय समारोहों में भाग लेना।
औपचारिक कार्य: सरकार के कार्यों को मंजूरी देना और प्रधानमंत्री की नियुक्ति।
राजनयिक कार्य: विदेशों में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करना और विदेशी राजदूतों का स्वागत करना।
वास्तविक स्थिति:

ब्रिटिश राजा एक संवैधानिक और प्रतीकात्मक प्रमुख होता है, जिसकी वास्तविक शक्तियाँ सीमित होती हैं। उसकी भूमिका मुख्यतः सांस्कृ तिक और ऐतिहासिक
होती है।

3. ब्रिटिश प्रधानमंत्री
शक्तियाँ:

कार्यकारी शक्ति: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और सभी सरकारी विभागों का नेतृत्व करता है।
विधायी शक्ति: संसद में कानून प्रस्तावित करना और उनका समर्थन प्राप्त करना।
प्रशासनिक शक्ति: मंत्रिमंडल की अध्यक्षता और सरकारी नीतियों का निर्धारण।
नियुक्ति की शक्ति: मंत्रियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति।
कार्य:
नीति निर्धारण: सरकारी नीतियों का निर्धारण और क्रियान्वयन।
विधायी प्रक्रिया: संसद में विधायी एजेंडा को आगे बढ़ाना और कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
प्रशासनिक कार्य: सरकारी विभागों का समन्वय और नेतृत्व।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व: विदेशों में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेना।
वास्तविक स्थिति:

ब्रिटिश प्रधानमंत्री एक शक्तिशाली और प्रभावशाली कार्यकारी प्रमुख होता है, जिसकी भूमिका सरकार की नीतियों और प्रशासनिक कार्यों में निर्णायक होती है।
उसकी शक्तियाँ संसद में बहुमत के समर्थन पर आधारित होती हैं।
तुलना:
शक्तियों का विस्तार:

अमेरिकी राष्ट्रपति: स्वतंत्र और व्यापक शक्तियाँ, विशेषकर कार्यकारी और सैन्य क्षेत्रों में।
ब्रिटिश राजा: सीमित और प्रतीकात्मक शक्तियाँ।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री: शक्तिशाली कार्यकारी प्रमुख, लेकिन संसद की निगरानी में।
कार्यकारी स्वतंत्रता:

अमेरिकी राष्ट्रपति: अधिक स्वतंत्रता और कम संसदीय हस्तक्षेप।


ब्रिटिश प्रधानमंत्री: संसद की सहमति और समर्थन पर निर्भर।
ब्रिटिश राजा: के वल औपचारिक और प्रतीकात्मक भूमिका।
वास्तविक स्थिति:

अमेरिकी राष्ट्रपति: देश और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में निर्णायक और प्रमुख।


ब्रिटिश प्रधानमंत्री: सरकार के प्रमुख के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका, लेकिन संसद की निगरानी में।
ब्रिटिश राजा: सांस्कृ तिक और राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सम्मानित।
निष्कर्ष
अमेरिकी राष्ट्रपति, ब्रिटिश राजा और ब्रिटिश प्रधानमंत्री तीनों की भूमिकाएँ और शक्तियाँ अलग-अलग होती हैं। राष्ट्रपति की शक्तियाँ और स्वतंत्रता व्यापक होती
हैं, जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री संसदीय प्रणाली में कार्य करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ब्रिटिश राजा की भूमिका मुख्यतः सांस्कृ तिक और प्रतीकात्मक
होती है, जिसमें वास्तविक शक्तियों का अभाव होता है।

1. ब्रिटिश प्रधान मंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियों एवं स्थिति की तुलना

ब्रिटिश प्रधान मंत्री की शक्तियाँ और स्थिति:

निर्वाचन और नियुक्ति:

ब्रिटिश प्रधान मंत्री संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होता है और सत्तारूढ़ दल का नेता होता है।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति महारानी द्वारा की जाती है, लेकिन यह सामान्यतः हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत दल के नेता को ही नियुक्त करती है।
प्रमुख शक्तियाँ:

कार्यपालिका की प्रमुखता: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और सभी मंत्रीमंडल के सदस्यों की नियुक्ति और उन्हें हटाने का अधिकार रखता है।
नीति निर्माण: प्रधानमंत्री सरकार की नीति निर्धारण में मुख्य भूमिका निभाता है और संसद में सरकारी नीतियों का प्रस्तुतीकरण करता है।
संसदीय नियंत्रण: प्रधानमंत्री संसद में बहुमत के समर्थन के कारण विधायी प्रक्रिया पर व्यापक नियंत्रण रखता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियाँ और स्थिति:

निर्वाचन और नियुक्ति:

अमेरिकी राष्ट्रपति का निर्वाचन सीधे आम जनता द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली (इलेक्टोरल कॉलेज) के माध्यम से होता है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल चार वर्ष का होता है और वह अधिकतम दो कार्यकाल तक सेवा कर सकता है।
प्रमुख शक्तियाँ:

कार्यपालिका की प्रमुखता: राष्ट्रपति संघीय सरकार के कार्यकारी प्रमुख होता है और वह अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को नियुक्त करता है, जिनकी पुष्टि सीनेट
द्वारा की जाती है।
विधायी शक्तियाँ: राष्ट्रपति को विधेयकों पर वीटो करने का अधिकार होता है, और वह विशेष सत्र बुला सकता है।
विदेश नीति: राष्ट्रपति अंतरराष्ट्रीय संधियों पर वार्ता करता है, हालांकि उनकी पुष्टि सीनेट द्वारा की जानी चाहिए।
सैन्य शक्तियाँ: राष्ट्रपति सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है।
तुलना:

निर्वाचन प्रणाली: ब्रिटिश प्रधान मंत्री को अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति को सीधे जनता द्वारा चुना जाता है।
शक्तियों का वितरण: ब्रिटिश प्रधान मंत्री की शक्तियाँ अधिक पार्लियामेंट्री होती हैं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति के पास व्यापक कार्यकारी और सैन्य शक्तियाँ होती
हैं।
विधायी नियंत्रण: ब्रिटिश प्रधान मंत्री के पास संसद पर अधिक नियंत्रण होता है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति को विधायी प्रक्रिया में कांग्रेस के साथ समन्वय करना
होता है।

6. चीन के राष्ट्रपति की योग्यताएँ, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन

चीन के राष्ट्रपति की योग्यताएँ:

नागरिकता: राष्ट्रपति चीन का नागरिक होना चाहिए।


आयु: राष्ट्रपति की आयु कम से कम 45 वर्ष होनी चाहिए।
अनुभव: आमतौर पर राष्ट्रपति का चयन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के उच्च पदों पर अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से होता है।
शक्तियाँ और कार्य:

राष्ट्रपति की शक्तियाँ:

नियुक्तियाँ: राष्ट्रपति प्रमुख सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों और राज्यों के प्रमुखों की नियुक्ति करता है।
विधायी शक्तियाँ: राष्ट्रीय जन कांग्रेस (NPC) की मंजूरी के साथ कानूनों पर हस्ताक्षर करता है।
विदेश नीति: अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर करता है।
सैन्य शक्तियाँ: कें द्रीय सैन्य आयोग का प्रमुख होता है और देश की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है।
कार्य:

प्रशासनिक कार्य: राष्ट्रीय जन कांग्रेस और इसके स्थायी समिति के निर्णयों को लागू करता है।
राजनयिक कार्य: विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिनिधियों का स्वागत करता है और राज्याभिषेक समारोह में भाग लेता है।
आदेश और निषेध: राष्ट्रपति विशेष आदेश और निषेध जारी कर सकता है।

7. चीन की राज्य परिषद् की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन


राज्य परिषद् की रचना:

प्रधान मंत्री: राज्य परिषद का प्रमुख होता है।


उप प्रधानमंत्री: प्रधान मंत्री की सहायता के लिए कई उप प्रधानमंत्री होते हैं।
मंत्री और आयोग प्रमुख: विभिन्न मंत्रालयों और आयोगों के प्रमुख राज्य परिषद के सदस्य होते हैं।
राज्य पार्षद: विशिष्ट मामलों के लिए जिम्मेदार राज्य पार्षद भी इसमें शामिल होते हैं।
शक्तियाँ और कार्य:

कार्यकारी शक्तियाँ:

नीति निर्माण: राष्ट्रीय नीतियों और योजनाओं का निर्धारण और कार्यान्वयन।


प्रशासनिक शक्तियाँ: कानूनों और विनियमों का क्रियान्वयन।
वित्तीय शक्तियाँ: राष्ट्रीय बजट का निर्माण और कार्यान्वयन।
विकास कार्य: आर्थिक और सामाजिक विकास की योजनाओं का निर्माण।
प्रशासनिक कार्य:

मंत्रालयों का समन्वय: विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों का समन्वय और निगरानी।


आंतरिक सुरक्षा: देश की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखना।
अंतरराष्ट्रीय संबंध: अंतरराष्ट्रीय संबंधों को स्थापित और मजबूत करना।

8. स्विस संघीय कार्यपालिका की रचना, शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन

स्विस संघीय कार्यपालिका की रचना:

संघीय परिषद (Federal Council): यह स्विट्ज़रलैंड की कार्यपालिका का सर्वोच्च निकाय है।


सदस्य: संघीय परिषद में सात सदस्य होते हैं, जो विभिन्न राजनीतिक दलों से चुने जाते हैं।
अध्यक्ष: संघीय परिषद का अध्यक्ष एक वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है और यह भूमिका नियमित रूप से रोटेट होती है।
शक्तियाँ और कार्य:

नीति निर्माण: संघीय परिषद सरकार की नीति निर्धारण करती है और उसे क्रियान्वित करती है।
विधायी प्रक्रिया: संघीय परिषद संघीय असेंबली (संसद) के साथ मिलकर कानूनों का निर्माण और उनका कार्यान्वयन करती है।
प्रशासनिक कार्य: संघीय परिषद संघीय प्रशासन की निगरानी और समन्वय करती है।
आंतरिक और बाह्य सुरक्षा: देश की सुरक्षा और रक्षा के लिए नीतियों का निर्माण और उनका कार्यान्वयन।
विदेश नीति: अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय संधियों का निष्पादन।
1. ब्रिटिश न्याय व्यवस्था के लक्षणों का संक्षिप्त वर्णन
समान कानून: सभी नागरिकों के लिए समान कानून।
स्वतंत्र न्यायपालिका: न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है।
न्यायिक पुनर्विलोकन: कानूनों और सरकारी निर्णयों का न्यायिक पुनर्विलोकन।
प्रेसिडेंट प्रणाली: न्यायालय पूर्व निर्णयों (precedents) का अनुसरण करते हैं।
2. ब्रिटेन में कानून के शासन का अर्थ और अपवाद
कानून के शासन का अर्थ:

समानता: सभी नागरिक कानून के सामने समान होते हैं।


न्यायिक स्वतंत्रता: न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र होती है।
कानूनी निश्चितता: कानून स्पष्ट और सार्वजनिक होते हैं।
अपवाद:

संसदीय संप्रभुता: संसद कानून बनाने में सर्वोच्च होती है और इसके द्वारा बनाए गए कानून को न्यायालय द्वारा अमान्य नहीं किया जा सकता।
विशेषाधिकार: कु छ सरकारी अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए कानूनी जिम्मेदारी से छू ट होती है।

3. अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के संगठन एवं शक्तियाँ

संगठन:

सदस्य: नौ न्यायाधीश, जिनमें एक मुख्य न्यायाधीश और आठ सहायक न्यायाधीश होते हैं।


नियुक्ति: न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है और सीनेट द्वारा पुष्टि की जाती है।
कार्यकाल: न्यायाधीश आजीवन नियुक्त होते हैं, जब तक कि वे इस्तीफा न दें या उन्हें महाभियोग द्वारा हटाया न जाए।

शक्तियाँ:

न्यायिक पुनर्विलोकन: संविधान की व्याख्या और संवैधानिकता का निर्धारण।


अपील की सुनवाई: निचली अदालतों के निर्णयों के खिलाफ अपील सुनना।
मौलिक अधिकार: नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना।
संविधान की रक्षा: संघीय कानूनों और संविधान के तहत विवादों का समाधान करना।

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय की रचना, अधिकार-क्षेत्र एवं स्थिति


रचना
अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय (US Supreme Court) की रचना नौ न्यायाधीशों (जस्टिस) से होती है, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश (Chief
Justice) और आठ सहयोगी न्यायाधीश (Associate Justices) शामिल होते हैं। ये न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और सीनेट द्वारा
पुष्टि के बाद अपना पद ग्रहण करते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति जीवन पर्यंत होती है, अर्थात वे सेवानिवृत्ति, इस्तीफा या निधन तक अपने पद पर बने रहते हैं।

अधिकार-क्षेत्र
अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है: मौलिक और अपीलीय।

मौलिक अधिकार-क्षेत्र: इसमें उन मामलों का निर्णय करना शामिल है जो संघीय सरकार और राज्यों के बीच विवाद, राज्यों के बीच विवाद, और विदेशों के
नागरिकों के साथ अमेरिकी नागरिकों के विवाद से संबंधित होते हैं।
अपीलीय अधिकार-क्षेत्र: यह न्यायालय निचली संघीय अदालतों और राज्य सर्वोच्च न्यायालयों के निर्णयों के खिलाफ अपीलों को सुनता है। यह संवैधानिक
मामलों, संघीय कानूनों की व्याख्या, और संघीय विधानों के प्रभाव पर निर्णय करता है।
स्थिति
अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय संविधान का सर्वोच्च संरक्षक और व्याख्याता है। यह न्यायपालिका की सर्वोच्च संस्था है और इसकी प्राथमिक भूमिका संवैधानिकता की
समीक्षा करना है। न्यायालय के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होते हैं और इनका अनुपालन सभी राज्य और संघीय अदालतों के लिए अनिवार्य होता है।

न्यायिक पुनर्निरीक्षण की परिभाषा एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में इसकी कार्यप्रणाली

परिभाषा
न्यायिक पुनर्निरीक्षण (Judicial Review) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय यह निर्धारित करता है कि किसी विधायिका या कार्यपालिका का कोई
कृ त्य संविधान के अनुरूप है या नहीं। इस प्रक्रिया के तहत न्यायालय कानूनों और सरकारी कार्यों की संवैधानिकता की समीक्षा करता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यप्रणाली


संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायिक पुनर्निरीक्षण की प्रक्रिया 1803 के प्रसिद्ध मार्बरी बनाम मैडिसन (Marbury v. Madison) मामले से प्रारंभ हुई
थी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह सिद्धांत स्थापित किया कि न्यायपालिका के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी कानून या सरकारी कृ त्य की
संवैधानिकता की समीक्षा कर सके ।

इस प्रक्रिया के तहत:

संवैधानिकता की समीक्षा: सर्वोच्च न्यायालय निचली अदालतों के निर्णयों की समीक्षा कर सकता है और यह तय कर सकता है कि वे संविधान के अनुरूप हैं या
नहीं।
संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा: न्यायालय संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करता है और सुनिश्चित करता है कि कोई भी कानून या सरकारी कार्य नागरिकों के
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करे।
निर्णय की अंतिमता: सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अंतिम होते हैं और इनका पालन सभी निचली अदालतों और सरकारी संस्थानों को करना अनिवार्य होता है।
चीन की न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं
चीन की न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

एकदलीय प्रणाली: चीन की न्याय व्यवस्था में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है और पार्टी की
नीतियों के अनुसार कार्य करती है।
चार-स्तरीय न्यायालय प्रणाली: इसमें सर्वोच्च जन न्यायालय, उच्च जन न्यायालय, मध्यवर्ती जन न्यायालय, और आधारभूत जन न्यायालय शामिल हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव: न्यायालयों पर समाजवादी कानूनों और पार्टी नीतियों का गहरा प्रभाव होता है।
लोक अदालतें और लोक अभियोजक: स्थानीय स्तर पर लोक अदालतें और अभियोजक कार्यरत होते हैं, जो न्याय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सुधार और अधुनिकीकरण: हाल के वर्षों में चीन ने न्यायिक सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास किए हैं

चीन के सर्वोच्च जन न्यायालय का संगठन, शक्तियाँ एवं कार्य


संगठन

चीन के सर्वोच्च जन न्यायालय (Supreme People's Court) का संगठन प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice), उप-प्रधान न्यायाधीश
(Deputy Chief Justices), और अन्य न्यायाधीशों द्वारा किया जाता है। न्यायालय के विभिन्न विभाग होते हैं जो विशेष प्रकार के मामलों की सुनवाई
करते हैं।

शक्तियाँ एवं कार्य

संवैधानिक समीक्षा: सर्वोच्च जन न्यायालय संविधान और कानूनों की व्याख्या करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी निचली अदालतें संविधान के
अनुरूप कार्य करें।
अपीलीय न्यायाधिकार: यह निचली अदालतों से अपीलों को सुनता है और उनके निर्णयों की समीक्षा करता है।
न्यायिक निरीक्षण: निचली अदालतों के कार्यों का निरीक्षण और मार्गदर्शन करता है।
कानून निर्माण: कानूनों और विधानों के निर्माण में सहायता प्रदान करता है और सरकार को कानूनी परामर्श देता है।
स्विस संघीय न्यायाधिकरण की रचना एवं क्षेत्राधिकार
रचना
स्विस संघीय न्यायाधिकरण (Swiss Federal Tribunal) का संगठन 38 न्यायाधीशों से होता है, जिनमें से 30 स्थायी और 8 अंशकालिक होते
हैं। न्यायाधीशों का चयन संघीय संसद द्वारा किया जाता है।
क्षेत्राधिकार

सवैंधानिक न्यायाधिकार: संघीय और कांतोनल (राज्य) कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा करता है।
अपीलीय न्यायाधिकार: निचली संघीय अदालतों और कांतोनल अदालतों के निर्णयों के खिलाफ अपील सुनता है।
प्रशासनिक न्यायाधिकार: संघीय प्रशासनिक एजेंसियों के फै सलों के खिलाफ अपील की सुनवाई करता है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकार: अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों के अनुपालन की समीक्षा करता है।
स्विट्ज़रलैंड में न्यायपालिका पर एक निबंध
स्विट्ज़रलैंड की न्यायपालिका संघीय और कांतोनल स्तरों पर विभाजित है। संघीय न्यायपालिका का शीर्ष निकाय संघीय न्यायाधिकरण है, जबकि प्रत्येक
कांतोन की अपनी न्यायिक प्रणाली होती है। न्यायपालिका स्वतंत्र है और कार्यपालिका या विधायिका से कोई हस्तक्षेप नहीं होता। न्यायपालिका का मुख्य उद्देश्य
कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करना और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।

राजनीतिक संस्कृ ति

ब्रिटेन की राजनीतिक संस्कृ ति की प्रमुख विशेषताएं

ब्रिटेन की राजनीतिक संस्कृ ति की मुख्य विशेषताएं हैं:

संसदीय प्रणाली: ब्रिटेन में संसदीय लोकतंत्र है, जिसमें संसद सर्वोच्च है।
राजशाही: संवैधानिक राजशाही का अस्तित्व है, जहां महारानी या महाराजा का प्रतीकात्मक और सांस्कृ तिक महत्व है।
द्विदलीय प्रणाली: मुख्य रूप से दो राजनीतिक दल – कं जरवेटिव और लेबर पार्टी – प्रमुख हैं।
परंपराओं का सम्मान: राजनीतिक निर्णय और प्रक्रियाएं परंपराओं पर आधारित होती हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की राजनीतिक संस्कृ ति की प्रमुख विशेषताएं
संविधानवाद: अमेरिकी संविधान देश की सर्वोच्च विधि है और इसे विशेष सम्मान प्राप्त है।
स्वतंत्रता और लोकतंत्र: व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकार महत्वपूर्ण हैं।
विभाजन का सिद्धांत: शक्तियों का विभाजन विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच होता है।
विविधता: सांस्कृ तिक, धार्मिक, और सामाजिक विविधता को महत्व दिया जाता है।

चीन की राजनीतिक संस्कृ ति की मुख्य विशेषताएं

एकदलीय शासन: चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का एकाधिकार है।


मार्क्सवादी-लेनिनवादी सिद्धांत: राजनीतिक विचारधारा पर आधारित शासन।
सामाजिक नियंत्रण: सरकार का समाज के सभी पहलुओं पर नियंत्रण।
राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रीय एकता और अखंडता को विशेष महत्व दिया जाता है।

स्विट्जरलैंड की राजनीतिक संस्कृ ति की प्रमुख विशेषताएं

प्रत्यक्ष लोकतंत्र: नागरिकों को सीधा कानून बनाने और नीतियों पर निर्णय लेने का अधिकार है।
संघीय प्रणाली: शक्तियों का विभाजन संघीय, कांतोनल, और स्थानीय स्तर पर होता है।
तटस्थता: स्विट्जरलैंड की तटस्थता की नीति और वैश्विक मामलों में स्वतंत्र रुख।
सहमति का सिद्धांत: निर्णय लेने में सर्वसम्मति और सहमति पर जोर दिया जाता है।
यहाँ प्रस्तुत जानकारी न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं के प्रमुख पहलुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है, जिससे इन देशों के प्रशासनिक और कानूनी ढांचे
की समझ विकसित होती है।

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PART - B

6. राज्य एवं स्थानीय सरकार [State and Local Government

].........

.....103

1. इंग्लैंड में स्थानीय संस्थाओं के विकास एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए। (Write a note on the development and importance of
Local Institutions in England.)

अथवा

ब्रिटेन के स्थानीय शासन पर एक निबन्ध लिखिए। (Write an essay on Local Government of Britain.)......103

2. अमेरिका में राज्य के राज्यपाल पर नोट लिखिए। (Write a note on the Governor of State in U.S.A.)

अथवा

अमेरिका में राज्यपाल के कार्यों का वर्णन करें।....

3. अमेरिका में स्थानीय शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Briefly describe Local Governments in America.)

अथवा

अमेरिका का राज्य एवं स्थानीय सरकार पर नोट लिखिए। (Write a note on State and Local Governments in
America.)............... 109

4. चीन में स्थानीय सरकार की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए। (Discuss the working of Local Government in China.)

अथवा

चीन में स्थानीय सरकार की भूमिका का वर्णन करें।111

5. स्विट्ज़रलैण्ड में राज्य एवं स्थानीय सरकारों के संगठन का विवेचन कीजिए। (Discuss the organization of the State and
Local Governments in Switzerland.)
1. इंग्लैंड में स्थानीय संस्थाओं के विकास एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए। (Write a note on the development and importance of
Local Institutions in England.)
इंग्लैंड में स्थानीय संस्थाओं का विकास बहुत पुराना है और यह लोकतांत्रिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्थानीय संस्थाओं का विकास 19 वीं
शताब्दी में शुरू हुआ जब औद्योगिकीकरण के कारण शहरों में जनसंख्या का विस्तार हुआ। इस समय के दौरान, स्वास्थ्य, शिक्षा, और आवास जैसी
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थानीय प्रशासनिक संस्थाओं की आवश्यकता महसूस की गई। इसके परिणामस्वरूप, विभिन्न स्थानीय निकायों का गठन
किया गया, जैसे कि नगर परिषदें (Municipal Councils) और काउंटी काउंसिल (County Councils)। इन संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य
स्थानीय स्तर पर प्रशासन और सेवाओं का प्रबंधन करना है।

स्थानीय संस्थाओं का महत्व:

लोकतंत्र का आधार: स्थानीय संस्थाएं जनता को उनके निकटतम प्रशासनिक इकाई से जोड़ती हैं, जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं।
सेवाओं का प्रबंधन: स्थानीय संस्थाएं स्थानीय सेवाओं, जैसे कि सफाई, स्वास्थ्य, और शिक्षा का प्रबंधन करती हैं।
सामाजिक विकास: स्थानीय प्रशासन सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होता है।
अथवा
ब्रिटेन के स्थानीय शासन पर एक निबन्ध लिखिए। (Write an essay on Local Government of Britain.)
ब्रिटेन में स्थानीय शासन की व्यवस्था बहुत ही पुरानी और सुव्यवस्थित है। यह व्यवस्था विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर विभाजित है, जिसमें काउंटी, बरो, नगर
और पेरिश स्तर शामिल हैं। स्थानीय शासन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं को पूरा करना और स्थानीय विकास को बढ़ावा देना है।

स्थानीय शासन के प्रमुख कार्य:

स्थानीय सेवाएं: सफाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, और आवास जैसी सेवाओं का प्रबंधन।
विकास योजनाएं: स्थानीय स्तर पर विकास की योजनाएं और उनका क्रियान्वयन।
वित्तीय प्रबंधन: स्थानीय करों का संग्रह और उनका उपयोग।
स्थानीय शासन का महत्व:

प्रभावी प्रशासन: स्थानीय शासन निकटता के कारण अधिक प्रभावी और उत्तरदायी होता है।
जन भागीदारी: स्थानीय शासन में जनता की भागीदारी अधिक होती है, जिससे जनहित के कार्यों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ता है।
समस्याओं का समाधान: स्थानीय समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही अधिक प्रभावी ढंग से हो सकता है।
2. अमेरिका में राज्य के राज्यपाल पर नोट लिखिए। (Write a note on the Governor of State in U.S.A.)
अमेरिका में राज्य के राज्यपाल (Governor) राज्य की कार्यकारी शाखा का प्रमुख होता है। राज्यपाल का मुख्य कार्य राज्य के कानूनों का क्रियान्वयन
करना और राज्य प्रशासन का प्रबंधन करना है। राज्यपाल का चयन आमतौर पर प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा होता है और उनका कार्यकाल 4 वर्षों का होता है, हालांकि
यह राज्य के हिसाब से भिन्न हो सकता है।

राज्यपाल के प्रमुख कार्य:

विधायी कार्य: राज्यपाल राज्य की विधान सभा के समक्ष बजट प्रस्तुत करता है और विधायी प्रक्रियाओं में भाग लेता है।
कार्यकारी आदेश: राज्यपाल आवश्यकतानुसार कार्यकारी आदेश जारी कर सकता है।
नियुक्ति: राज्यपाल विभिन्न राज्य विभागों के प्रमुखों की नियुक्ति करता है।
सुरक्षा और आपातकालीन सेवाएं: राज्यपाल प्राकृ तिक आपदाओं और अन्य आपात स्थितियों में राज्य की सुरक्षा और सहायता की व्यवस्था करता है।
अथवा
अमेरिका में राज्यपाल के कार्यों का वर्णन करें। (Describe the functions of the Governor in U.S.A.)
अमेरिका में राज्यपाल के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
कानून क्रियान्वयन: राज्यपाल राज्य के कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है।
वित्तीय प्रबंधन: राज्यपाल राज्य का बजट तैयार करता है और वित्तीय संसाधनों का उचित प्रबंधन करता है।
प्रशासनिक कार्य: राज्यपाल विभिन्न राज्य विभागों के कार्यों का समन्वय और निगरानी करता है।
विधायी संबंध: राज्यपाल विधान मंडल के साथ मिलकर काम करता है और आवश्यकतानुसार विधेयकों पर हस्ताक्षर करता है या वीटो करता है।
आपातकालीन सेवाएं: राज्यपाल आपात स्थितियों में राज्य की प्रतिक्रिया का नेतृत्व करता है।
3. अमेरिका में स्थानीय शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Briefly describe Local Governments in America.)
अमेरिका में स्थानीय शासन का ढांचा बहुत व्यापक और विविध है, जिसमें शहर, काउंटी, कस्बे, और विशेष जिलों जैसी कई इकाइयाँ शामिल हैं। प्रत्येक
स्थानीय सरकार की अपनी जिम्मेदारियाँ और अधिकार क्षेत्र होते हैं, जो राज्य के कानूनों द्वारा परिभाषित होते हैं।

स्थानीय शासन की प्रमुख इकाइयाँ:

काउंटी (County): काउंटी स्थानीय प्रशासन की सबसे बड़ी इकाई होती है, जो आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करती है।
नगरपालिका (Municipality): इसमें शहर और कस्बे शामिल होते हैं, जो शहरी क्षेत्रों में प्रशासनिक सेवाएं प्रदान करते हैं।
विशेष जिला (Special District): यह विशिष्ट सेवाओं, जैसे कि जल आपूर्ति, परिवहन, या शिक्षा के लिए गठित किए जाते हैं।
स्थानीय शासन के कार्य:

सेवाएं: पुलिस, अग्निशमन, स्वच्छता, और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन।


विकास: स्थानीय विकास योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन।
कराधान: स्थानीय करों का संग्रह और उनका उपयोग।
अथवा
अमेरिका का राज्य एवं स्थानीय सरकार पर नोट लिखिए। (Write a note on State and Local Governments in America.)
अमेरिका में राज्य और स्थानीय सरकारें संघीय व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी स्वतंत्र सरकार होती है, जिसमें विधान, कार्यकारी
और न्यायिक शाखाएं शामिल होती हैं। राज्य सरकारें अपने कानून और नीतियाँ बनाती हैं, जो संघीय कानूनों के अधीन होती हैं।

राज्य सरकार के प्रमुख घटक:

विधानमंडल: प्रत्येक राज्य की अपनी विधान सभा होती है, जो कानून बनाती है।
राज्यपाल: राज्य का कार्यकारी प्रमुख, जो प्रशासन का नेतृत्व करता है।
न्यायपालिका: राज्य का न्यायिक तंत्र, जो कानूनों की व्याख्या और उनका पालन सुनिश्चित करता है।
स्थानीय सरकारें राज्य सरकारों के तहत काम करती हैं और स्थानीय सेवाओं और प्रशासन का प्रबंधन करती हैं। यह स्थानीय निकाय स्थानीय जरूरतों के
हिसाब से काम करते हैं और जनता के प्रति सीधे उत्तरदायी होते हैं।

4. चीन में स्थानीय सरकार की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए। (Discuss the working of Local Government in China.)

चीन में स्थानीय सरकार की कार्य प्रणाली काफी कें द्रीकृ त और संरचित होती है। चीन की प्रशासनिक संरचना में प्रांत, नगर, काउंटी, और टाउनशिप स्तर
शामिल हैं। स्थानीय सरकारें कें द्रीय सरकार की नीतियों और निर्देशों का पालन करती हैं और स्थानीय प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करती हैं।

स्थानीय सरकार की कार्य प्रणाली:

नीतियों का क्रियान्वयन: कें द्रीय नीतियों और योजनाओं का स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन करना।
विकास योजनाएं: आर्थिक और सामाजिक विकास की स्थानीय योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन।
सेवाएं: शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और अन्य सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन।
अथवा
चीन में स्थानीय सरकार की भूमिका का वर्णन करें। (Describe the role of Local Government in China.)
चीन में स्थानीय सरकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह कें द्रीय सरकार की नीतियों और योजनाओं का स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन करती
है। स्थानीय सरकारें सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और स्थानीय सेवाओं का प्रबंधन करती हैं।

स्थानीय सरकार की प्रमुख भूमिकाएं:

कें द्रीय नीतियों का क्रियान्वयन: स्थानीय स्तर पर कें द्रीय नीतियों और योजनाओं को लागू करना।
विकास और प्रबंधन: स्थानीय विकास योजनाओं का निर्माण और उनका क्रियान्वयन।
सार्वजनिक सेवाएं: शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और अन्य सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन।

5. स्विट्ज़रलैण्ड में राज्य एवं स्थानीय सरकारों के संगठन का विवेचन कीजिए। (Discuss the organization of the State and
Local Governments in Switzerland.)

स्विट्ज़रलैण्ड में राज्य (कैं टन) और स्थानीय सरकारों का संगठन बहुत ही विकें द्रित और संघीय प्रणाली पर आधारित है। प्रत्येक कैं टन का अपना संविधान,
विधानमंडल, कार्यपालिका, और न्यायपालिका होती है। स्थानीय सरकारें (जिन्हें Gemeinden या Communes कहा जाता है) कैं टन के अधीन
काम करती हैं और स्थानीय प्रशासन का प्रबंधन करती हैं।

स्विट्ज़रलैण्ड में राज्य एवं स्थानीय सरकारों के संगठन का विवेचन

स्विट्ज़रलैण्ड में राज्य एवं स्थानीय सरकारें तीन स्तरों में विभाजित हैं: संघीय सरकार (Federal Government), कैं टन सरकारें (Cantonal
Governments) और नगरपालिका सरकारें (Municipal Governments)।

संघीय सरकार (Federal Government)


स्विट्ज़रलैण्ड की संघीय सरकार, जिसे "फ़े डरल काउंसिल" कहा जाता है, सर्वोच्च कार्यकारी निकाय है। इसमें सात सदस्य होते हैं, जिन्हें संघीय सभा
(Federal Assembly) द्वारा चुना जाता है। संघीय सरकार का मुख्यालय बर्न में स्थित है। संघीय सरकार का प्रमुख कार्य संघीय क़ानूनों का निर्माण
और पालन करवाना, अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रबंधन और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

कैं टन सरकारें (Cantonal Governments)


स्विट्ज़रलैण्ड 26 कैं टन में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी सरकार है। कैं टन स्विट्ज़रलैण्ड की संघीय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक
कैं टन का अपना संविधान होता है और वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस और सार्वजनिक परिवहन जैसे कई मामलों में स्वायत्तता रखते हैं। कैं टन सरकारें आमतौर पर
एक कार्यकारी परिषद और एक विधायी परिषद से मिलकर बनती हैं। कार्यकारी परिषद के सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं और वे विभिन्न विभागों का प्रबंधन
करते हैं।

नगरपालिका सरकारें (Municipal Governments)


कैं टन के तहत नगरपालिका स्तर पर प्रशासन होता है। प्रत्येक नगरपालिका की अपनी परिषद होती है, जिसे नगर परिषद कहा जाता है। नगर परिषदें
नगरपालिका के विभिन्न मामलों का प्रबंधन करती हैं, जैसे कि सार्वजनिक सेवाएं, स्थानीय बुनियादी ढांचा, और सांस्कृ तिक कार्यक्रम। नगरपालिका सरकारें
स्थानीय नागरिकों द्वारा चुनी जाती हैं और वे स्थानीय समस्याओं का समाधान करती हैं।

एक स्विस कैं टन के शासन-तन्त्र पर नोट


स्विट्ज़रलैण्ड के हर कैं टन का अपना शासन-तन्त्र होता है, जो संघीय प्रणाली का एक हिस्सा है। उदाहरण के लिए, ज्यूरिख (Zürich) कैं टन को लेते हैं:

संविधान और विधायी शक्ति


ज्यूरिख कैं टन का अपना संविधान है, जिसे "Kantonsverfassung" कहा जाता है। कैं टन की विधायी शक्ति ग्रैंड काउंसिल (Grosser Rat) के
पास होती है, जो कि कैं टन की संसद है। यह परिषद जनता द्वारा चुनी जाती है और इसमें कई सदस्य होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कार्यकारी शक्ति
कैं टन की कार्यकारी शक्ति गवर्निंग काउंसिल (Regierungsrat) के पास होती है, जिसमें सात सदस्य होते हैं। ये सदस्य भी जनता द्वारा चुने जाते हैं
और वे विभिन्न विभागों का नेतृत्व करते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, पुलिस, आदि।

न्यायिक शक्ति
ज्यूरिख कैं टन की न्यायिक प्रणाली स्वतंत्र होती है। इसमें विभिन्न न्यायालय होते हैं, जो कानूनी विवादों का समाधान करते हैं और न्याय प्रदान करते हैं। कैं टन
न्यायालय संघीय न्यायालयों के अधीन होते हैं।

प्रशासनिक संगठन
कैं टन को प्रशासनिक रूप से कई जिलों (Bezirke) में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक जिले का अपना प्रशासनिक कें द्र होता है। यह प्रणाली स्थानीय
स्तर पर प्रभावी शासन और प्रशासन सुनिश्चित करती है।

ब्रिटिश संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधार


ब्रिटिश संविधान की कोई लिखित प्रणाली नहीं है, लेकिन इसके सामाजिक-आर्थिक आधार कु छ प्रमुख तत्वों पर आधारित हैं:

ऐतिहासिक विकास
ब्रिटिश संविधान का विकास ऐतिहासिक रूप से हुआ है और यह परंपराओं, न्यायिक निर्णयों और कानूनी प्रथाओं पर आधारित है। इसका सामाजिक-आर्थिक
आधार औद्योगिक क्रांति, साम्राज्यवादी विस्तार और सामाजिक सुधारों से प्रभावित हुआ है।

वर्ग और सामाजिक संरचना


ब्रिटिश समाज में वर्ग विभाजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संविधान ने समय के साथ विभिन्न वर्गों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया है।
भूमि-अधिकार, मताधिकार और श्रम अधिकारों में परिवर्तन सामाजिक-आर्थिक आधार को प्रभावित करते रहे हैं।

आर्थिक नीतियाँ और कल्याण राज्य


ब्रिटिश संविधान के तहत, आर्थिक नीतियों और कल्याण राज्य (Welfare State) का महत्वपूर्ण स्थान है। स्वास्थ्य सेवा (NHS), सामाजिक सुरक्षा
और शिक्षा प्रणाली जैसे पहलू संविधान की सामाजिक-आर्थिक नींव का हिस्सा हैं।

राजनीतिक संस्थाएँ और उनकी भूमिका


ब्रिटिश संसद, मंत्रिमंडल और न्यायपालिका संविधान की प्रमुख संस्थाएँ हैं। इनकी भूमिका सामाजिक-आर्थिक नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण
होती है। संसद आर्थिक कानूनों का निर्माण करती है, जबकि न्यायपालिका उनकी व्याख्या और प्रवर्तन करती है।

इन बिन्दुओं के आधार पर, ब्रिटिश संविधान का सामाजिक-आर्थिक आधार विभिन्न ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों से प्रभावित होता रहा है,
जिसने इसे अद्वितीय और लचीला बनाया है।

2. अमेरिका के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधारों का उल्लेख कीजिए। (Explain the Socio-Economic bases of the
Constitution of America.)

अथवा

अमेरिका के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधार क्या है? (What are the socio-economic bases of the Constitution of
USA? Discuss..........
3. चीन के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधारों का विवेचन कीजिए। (Discuss the Socio-Economic bases of the Chinese
Constitution.)

अथवा

चीन के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधारों की समीक्षा कीजिए। (Examine the Socio-Economic bases of the
Constitution of China.).

4. स्विट्ज़रलैण्ड की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (Describe the characteristics of Socio-
Economic system of Switzerland.)

अथवा

स्विट्ज़रलैण्ड की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर एक विस्तृत नोट लिखिए। (Write a detailed note on Socio-Economic system
of Switzerland.)

अथवा

स्विट्ज़रलैण्ड के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधारों का वर्णन कीजिए।

(Discuss the socio-economic bases of the Constitution of Switzerland.) .

8. महिलाएँ एवं राजनीतिक प्रक्रिया [Women and the Political Process].

1. ब्रिटेन, अमेरिका, चीन एवं स्विट्जरलैंड में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का वर्णन कीजिए।

(Discuss the political participation of women in Britian, America, China and Switzerland.)

अथवा

ग्रेट ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए।

अमेरिका के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधार

अमेरिका का संविधान विश्व में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसने न के वल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं को भी गहन रूप से प्रभावित
किया है। इसके मुख्य सामाजिक-आर्थिक आधार निम्नलिखित हैं:

समानता का सिद्धांत: संविधान की प्रस्तावना और बिल ऑफ राइट्स में समानता का अधिकार महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को
कानून के समक्ष समान अधिकार मिलें, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, या लिंग के हों।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: पहला संशोधन नागरिकों को विचार, भाषण, प्रेस, सभा और याचिका की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह आर्थिक गतिविधियों के लिए
भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यापार, मीडिया और अन्य उद्यमों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देता है।

निजी संपत्ति का अधिकार: संविधान के पांचवे और चौदहवें संशोधन में निजी संपत्ति के अधिकार की रक्षा की गई है। सरकार बिना उचित प्रक्रिया के किसी की
संपत्ति नहीं ले सकती, जिससे निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।

मुक्त बाजार की अवधारणा: संविधान में कहीं भी कें द्रीकृ त आर्थिक नियंत्रण का समर्थन नहीं किया गया है। यह मुक्त व्यापार और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता
है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की नींव है।

संघीय संरचना: संघीय प्रणाली के तहत, विभिन्न राज्यों को अपने आर्थिक नीतियाँ बनाने की स्वतंत्रता है। इससे राज्य अपनी आर्थिक स्थितियों के अनुसार
नीतियाँ बना सकते हैं और प्रयोग कर सकते हैं।

चीन के संविधान के सामाजिक-आर्थिक आधार


चीन का संविधान समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित है, जो साम्यवादी पार्टी के नेतृत्व में सामाजिक और आर्थिक संरचना को निर्धारित करता है। इसके मुख्य
सामाजिक-आर्थिक आधार निम्नलिखित हैं:

समाजवाद का मार्ग: संविधान में चीन को समाजवादी राज्य के रूप में परिभाषित किया गया है, जहां उत्पादन के साधन सामूहिक या राज्य के स्वामित्व में होते
हैं। यह साम्यवादी विचारधारा पर आधारित है।

समानता और सामाजिक न्याय: संविधान सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी
नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर मिलें।

कें द्रीकृ त आर्थिक योजना: चीनी संविधान राज्य की कें द्रीय भूमिका को मान्यता देता है, जिसमें सरकार आर्थिक नीतियों और योजनाओं को निर्धारित और
कार्यान्वित करती है। यह कें द्रीय योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।

सामूहिक कृ षि और उद्योग: संविधान कृ षि और उद्योग के सामूहिक स्वामित्व को बढ़ावा देता है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी और संसाधनों के समान वितरण
को सुनिश्चित किया जा सके ।

संपत्ति के अधिकार: जबकि निजी संपत्ति को मान्यता दी गई है, राज्य का स्वामित्व प्राथमिकता में है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि राज्य की नीतियों के
अनुसार संसाधनों का उपयोग हो।

स्विट्ज़रलैंड की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की विशेषताएँ


स्विट्ज़रलैंड की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था विशिष्ट है और यह देश की संवैधानिक संरचना पर आधारित है। इसके मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

प्रत्यक्ष लोकतंत्र: स्विट्ज़रलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र का महत्व है, जहां नागरिक सीधे संवैधानिक संशोधनों और नीतिगत निर्णयों में भाग लेते हैं। इससे सामाजिक
और आर्थिक नीतियाँ नागरिकों की सहमति से बनाई जाती हैं।

मिश्रित अर्थव्यवस्था: स्विट्ज़रलैंड की अर्थव्यवस्था मिश्रित है, जिसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे आर्थिक स्थिरता और
विकास सुनिश्चित होता है।

समाज कल्याण प्रणाली: स्विट्ज़रलैंड में एक मजबूत समाज कल्याण प्रणाली है, जो नागरिकों को स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। यह
प्रणाली सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देती है।
क्षेत्रीय स्वायत्तता: संविधान के तहत, विभिन्न कें टन (राज्य) अपनी आर्थिक नीतियाँ बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। इससे विभिन्न क्षेत्रों की आर्थिक आवश्यकताओं को
ध्यान में रखकर नीतियाँ बनाई जाती हैं।

निजी संपत्ति का सम्मान: स्विट्ज़रलैंड में निजी संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा की गई है। यह निवेशकों को सुरक्षित और स्थिर वातावरण प्रदान करता है,
जिससे आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं।

महिलाएँ एवं राजनीतिक प्रक्रिया

ब्रिटेन, अमेरिका, चीन एवं स्विट्जरलैंड में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी


ब्रिटेन: ब्रिटेन में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में समय के साथ वृद्धि हुई है। महिलाएं संसद और अन्य राजनीतिक संस्थानों में सक्रिय भूमिका निभा रही
हैं। महिला अधिकार आंदोलन और सामाजिक सुधारों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अमेरिका: अमेरिका में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का एक लंबा इतिहास है, जो महिला मताधिकार आंदोलन से शुरू हुआ। आज, महिलाएं कांग्रेस,
सीनेट, और अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर कार्यरत हैं।

चीन: चीन में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी समाजवादी सिद्धांतों के तहत होती है। महिलाओं को राजनीतिक संगठनों और सामूहिक निर्णय प्रक्रियाओं में
शामिल किया जाता है, हालांकि यह अक्सर सीमित होता है और पार्टी के नियंत्रण में होता है।

स्विट्ज़रलैंड: स्विट्ज़रलैंड में महिलाओं को 1971 में मताधिकार मिला। आज, महिलाएं राजनीतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय हैं और विभिन्न महत्वपूर्ण राजनीतिक
पदों पर कार्यरत हैं। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में उनकी भागीदारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

ग्रेट ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं की भूमिका


ग्रेट ब्रिटेन:

महिलाओं ने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सुधार आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संसद और स्थानीय सरकार में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है।
राजनीतिक दलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और उनकी निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ावा दिया जा रहा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका:

महिलाओं का राजनीति में प्रवेश 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से शुरू हुआ।


आज, महिलाएं सीनेट, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और विभिन्न राज्य विधानसभाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
महिलाओं के लिए नीतिगत सुधार, जैसे समान वेतन और प्रजनन अधिकार, मुख्य मुद्दे बने हुए हैं।
इन सभी देशों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और समय के साथ इसमें सुधार और बढ़ोतरी हो रही है।

स्विटजरलैण्ड की राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका


स्विटजरलैण्ड की राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका पिछले कु छ दशकों में काफी महत्वपूर्ण हो गई है। स्विटजरलैण्ड ने 1971 में महिलाओं को वोट
देने का अधिकार दिया, जो कि कई अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में काफी देर से था। इसके बावजूद, महिलाओं ने स्विटजरलैण्ड की राजनीति में तेजी से
प्रमुख स्थान हासिल किया।

संविधान और कानूनी अधिकार: 1981 में स्विटजरलैण्ड के संविधान में संशोधन कर महिलाओं और पुरुषों के बीच कानूनी समानता स्थापित की गई। इसने
महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित किया और उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी: स्विटजरलैण्ड की संसद में महिलाओं की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है। 2003 में, पहली बार संघीय परिषद में
महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर हो गई। वर्तमान में भी संसद और अन्य राजनीतिक निकायों में महिलाओं की मजबूत उपस्थिति है।

महत्वपूर्ण महिला नेता: स्विटजरलैण्ड में कई प्रमुख महिला नेता रही हैं जिन्होंने राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें मिशेलिन कै ल्मी-रे और डोरिस
लोइतहार्ड जैसी नेता शामिल हैं, जिन्होंने संघीय परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

महिला अधिकार आंदोलन: महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले संगठनों ने स्विटजरलैण्ड में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये संगठन महिलाओं को राजनीति में प्रवेश करने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

समाज में परिवर्तन: महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने स्विटजरलैण्ड की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित किया है। महिलाओं ने न के वल
पारंपरिक मुद्दों पर बल्कि आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक न्याय जैसे व्यापक मुद्दों पर भी अपना प्रभाव डाला है।

इंग्लैण्ड की राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका


इंग्लैण्ड की राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका भी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है। इंग्लैण्ड में महिलाओं ने 20 वीं सदी के प्रारंभ से ही राजनीति में
सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी थी।

मताधिकार का अधिकार: 1918 में, इंग्लैण्ड ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया, हालांकि प्रारंभ में यह अधिकार के वल 30 वर्ष से अधिक उम्र की
महिलाओं के लिए था। 1928 में, सभी वयस्क महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ।

महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी: आज, ब्रिटिश संसद में महिलाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय है। 2019 के आम चुनाव में, 220 महिलाओं ने सांसद के
रूप में चुनाव जीता, जो कि कु ल संसद का 34% है।

महत्वपूर्ण महिला नेता: इंग्लैण्ड ने कई प्रमुख महिला नेताओं को देखा है जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इनमें मार्गरेट थैचर,
जो ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, और थेरेसा मे शामिल हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है।

समानता कानून: इंग्लैण्ड में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जैसे कि समानता अधिनियम 2010, जिसने
कार्यस्थल और सार्वजनिक जीवन में भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन: इंग्लैण्ड में विभिन्न महिला संगठनों और आंदोलनों ने महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई है। ये संगठन महिलाओं को राजनीति में शामिल होने, चुनाव लड़ने और नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं।

इन दोनों देशों में महिलाओं की राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी ने न के वल उनके समाज में परिवर्तन लाया है बल्कि वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण योगदान
दिया है।

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