Professional Documents
Culture Documents
10th notes koshish 2023 14 bb_230326_175557
10th notes koshish 2023 14 bb_230326_175557
1
KREIS Third Language Hindi
RESOURCE PERSONS
• Basavaraja Bhooti, Hindi Teacher
KRCRS(481) Shahapur Dist- Yadagiri. Mo. No – 9900804567
2
KREIS Third Language Hindi
क वता का आशय : भगवतीचरण वमा के नाम को ह ी सा ह म आदर के साथ लया जाता है । #$ुत
क वता म क व के दे श#ेम क& झलक दखायी दे ती है । वे मातृभू+म को #णाम करते ,ए उसम व/मान
अपार वन संपदा, ख+नज - संप56 का वणन करते ,ए भारत के महान् वभू+तय8 का 9रण करते ह: ।
इस क वता से भारत क& महानता का प रचय #ा< होता है ।
3
KREIS Third Language Hindi
I. : II. – :
1. क व कसे णाम कर रहे ह ? 1. भारत माँ के कृ त-स>दय? का वण?न
उ र : क व मातृभू म को :णाम कर रहे ह>। क@3जए ।
2. भारत माँ के हाथ म ा है ? क व वमा\ जी ने मातृभू म क वता म :ाकृ तक
उ र : भारत माँ के हाथ@ म ाय पताका तथा #ान-दीप स]दय\ का वण\न करते है कA -
ह>। • भारत माँ का :कृ त-स]दय\ नयन मनोहर है।
3. आज माँ के साथ कौन है ? • मातृभू म के हरे-भरे सुहाने खे :कृ त कA
उ र : आज माँ के साथ को<ट-को<ट भारतवासी ह>। शोभा ब0ाते ह> ।
4. सभी ओर ा गूँज उठा है ? • यहाँ फल-फूल@ से युG बाग-बगीचे तथा
उ र : सभी ओर जय-+हP द के नाद का गूँज उठा है। वन ह>।
5. भारत के खेत कैसे ह ? • इस धरती ख नज@ कA अपार स दा ह
उ र : भारत के खेत हरे-भरे तथा सुहाने ह>। 2. मातृभू#म का C1प कैसे सुशोEभत है
6. भारत भू#म के अंदर ा- ा भरा (आ है ? • मातृभू म अमर@ कA जननी है।
उ र : भारत भू म के अंदर ख नज@ का Tापक धन भरा • उसके ^दय म गांधी, बुD और राम समा यत
-आ है। ह>।
7. सुख-संप#+, धन-धाम को माँ कैसे बाँट रही है ? • माँ के एक हाथ म ाय पताका तथा दूसरे
उ र : सुख-संप , धन-धाम को माँ मुG हH से बाँट रही हाथ म #ान दीप है।
है। • इस :कार मातृभू म का _5प सुशो भत है ।
4
KREIS Third Language Hindi
पाठ - 2 - Oेमचं द
इस कहानी म बाजार म लोग8 के साथ होनेवाली धोखेबाज़ी पर #काश डाला गया है ।
ख़रीदारी करते समाय सावधानी बरतने क& आवMकता पर ज़ोर दया गया है ।
• ! "#
• ज : 31 जुलाई 1880 • सािह./क िवध: यथार् 0थवाद2 कथाकार थे |
• थल : वारणासी के पास लमही गाँ व मे आ | • रचनाएँ : कहानी सं6ह : बड़े घर क: बेटी, नमक का दरोगा,
• वा तिवक : धनपतराय था | पंच परमे=र, पूस क: रात आिद, ?ेमचं द क: कहािनयाँ ‘मानस
• #श%ा : वे मे&ट(क तक ही पढ़ पाये | सरोवर’ नाम से संकBलत है |
• कार् या %े+ : वे #श%ा िवभाग मे नौकरी करते थे • उपEयास : गोदान, सेवासदन, गबन, िनर् मला, कर् मभूFम
• मृ/ु : सन 5 अJतूबर 1981
5
KREIS Third Language Hindi
6
KREIS Third Language Hindi
महादे वी वमा
ज : 24 माच 1907 रचनाएँ : यामा, दीप3शखा, नीरझ, नहार, अतीत के चल8च9, :ृ त के रेखाएं,
पथ के साथी, मेरा प<रवार, =ंखला क> क<?याँ.
ल : फ काबाद मे आ
पुर ार : सेकसो<रया, मंगल प<रतोषक, <Cवेदी पदक, यामा कृ त के Dलए “
उपाधी : “आधु नक मीरा”
Eानपीठ पुर&ार
श ा : याग व! व"ालय से सं&ृत म)
मृ ु : 3सतंबर 1987
एम ए उपा-ध
7
KREIS Third Language Hindi
I. ( : II. - * :
1. लेUखका ने कौए को ’ों िवUचf प\ी कहा है ? 1. लेUखका का ान आकिषCत करने के Uलए
उNर : लेUखका ने कौए को इसUलए िवUचf प\ी कहा है िगœू ’ा करता था ?
िक यह प\ी एक साथ समाद•रत, अनाद•रत, अित उNर :- लेUखका का ान आकिषCत करने
सšािनत तथा अित अवमािनत है। के Uलए िगœू लेUखका के पैर के पास
2. िगलहरी का ब›ा कहाँ पड़ा था आकर सर से परदे पर चढ़ जाता और तेजी
से उतरता था।
उ: िगलहरी का ब›ा गमले और दीवार कW सं Uध म} पड़ा
था। 2. महादे वी वमाC को चौंकाने के Uलए वह
(िगœू) कहाँ -कहाँ Uछप जाता था ?
3. लेUखका ने िगœू के घावों पर ’ा लगाया ?
उNर :- महादेवी वमाC को चौंकाने के Uलए
उ: लेUखका ने िगœू के घावों पर पे‡žUलन का मरहम
वह (िगœू) परदे पर चढ़ जाता और तेजी
लगाया।
से उतरता था, फूलदान के फूलों म} Uछप
4. लेUखका को िकस कारण से अŸताल म} रहना पड़ा ?
जाता, कभी सोनजुही कW पिNयों म} Uछप
उ : लेUखका को मोटर दुघटC ना म} आहत हो जाने के जाता था।
कारण से अŸताल म} रहना पड़ा।
3. लेUखका को िगलहरी िकस ‡Kित म}
5. िगलहरी का िOय खा‰ ’ा था ? िदखायी पड़ी?
पड़ी?
उ : िगलहरी का िOय खा‰ काजू था। उNर :- कौओं कW चोंच से घायल होकर
6. वमाC जी िगलहरी को िकस नाम से बुलाती थीं ? िन£े¤ अवKा म} िगलहरी लेUखका को
उ : वमाC जी िगलहरी को िगœू नाम से बुलाती थीं। िदखायी पड़ी।
7. िगलहरी का लघु गात िकसके भीतर बं द रहता था?
था? 4. लेUखका ने िगœू के Oाण कै से बचाये ?
िगलहरी का लघु गात Uलफाफे के भीतर बं द रहता था। उNर :- लेUखका ने घायल िगœू को धीरे से
8
KREIS Third Language Hindi
उ#र:- लेXखका खाते समय िबqू थाली के पास बैठकर उ#र :- िगqू अपने अंितम िदन सुबह से न
एक-एक चावल उठाकर खाना िसखायी। कभी लेXखका कुछ खाया न बाहर गया, उसके पंजे ठं डे हो गए
jलखने बैठी तो िगqू तंग करती थी तब लेXखका jलफाफV थे लेXखका ने उसे गरम रखने का nयzन िकया
के भीतर बंदकर अनुशासन िसखायी। लेिकन nभात कQ nथम िकरण के साथ िगqू
9
KREIS Third Language Hindi
V. : ?G ;H : VI. %I " ;H :
VII.
VII. ! J ?G :K. L8 :
1. Uचपकना Uचपकाना Uचपकवाना
Uलखना Uलखाना Uलखवाना 3. सोना सुलाना सुलवाना
िमलना िमलाना िमलवाना रोना •लाना •लवाना
2. देखना िदखाना िदखवाना धोना धुलाना धुलवाना
छे ड़ना Uछड़ाना Uछड़वाना 4. पीना िपलाना िपलवाना
भेजना Uभजाना Uभजवाना सीना Uसलाना Uसलवाना
VIII.
VIII. ?G ;H :
IX.
IX. ?G ;H :
10
KREIS Third Language Hindi
पाठ-
पाठ-4 % 4N -: रामधारी संह दनकर
पाठ का आशय : इस प/भाग म वैEा+नक युग और आधु+नक मानव का व]ेषण ,आ है । क व दनकर जी इस क वता _ारा
यह संदेश दे ना चाहते ह: क आज के मानव ने #कृ+त के हर त` पर वजय #ा< कर ली है । परं तु कैसी वडं बना है क उसने
Xयं को नहa पहचाना, अपने भाईचारे को नहa समझा। #कृ+त पर वजय #ा< करना मनुc क& साधना है , मानव-मानव के
बीच \ेह का बाँध बाँधना मानव क& 5स G है । जो मानव Dसरे मानव से #ेम का रdा जोड़कर आपस क& Dरी को +मटाए, वही
मानव कहलाने का अQधकारी होगा।
: 8) ".
किव का नाम : रामधारी Uसंह 'िदनकर' काल : सन् 1904-74 ई.
Kल : िबहार Oा° का मुं गेर Uजला कृ ित : ±ँकार, रेणुका, रसवं ती, सामधेनी, धूप-छाँ ह, कु •\ेf, बापू, र‡˜रथी,
• सZरत-नदी-ನ ,!ೋ"ೆ • ताप-धुप,भा‰प-23ಲು,%ಾಷ:
श€दाथ^:
• यान -नौका - #ೌ ೆ • लांघना - पारकरना -8ಾಟುವ ದು
• दुिनया - िवŠ, nपंच – ಜಗತು, • िगZर-पहाड,पव^त- %ೆಟ',ಗುಡ) • Žयोम-गगन,आकाश-ಆ ಾಶ
• सव^•-हमेशा - ಾ ಾಗಲು • िसधुं-सागर-ಸಮುದ+ • ‚ेय-जानकारी-;ಾನ,ಅ=ವ
• िवजयी-जय, जीत - ೆಲುವ • परमाणु-कण, अणु के कण- ಪರ-ಾಣು • •ेय - •े•ता,
• आसीन-बैठना- ಕು ತು ೋಳ • आलोक-nकाश-%ೆಳಕು • बड‘पन - >ೆ+ಷ'6ೆ, 8ೋಡ)ತನ
• नर-मनु‰य, आदमी- ಮನುಷ • आगार - घर, संŒह Jथान - ಮ#ೆ, ಭಂ1ಾರ • चैतaय-समझ-ಅ=ವ ,?ಳ ವ ೆ
• कर-हाथ,हJत- ಕರ, ೈ • भाप-भा‰प, उ‰णता - 23ಲು, ಉಷ56ೆ • उर-’द
ृ य-ಹೃದಯ
• वारी-जल,पानी- ೕರು • •Pम-आदेश-ಆ8ೇಶ • असीमीत-अपZरिमत -3C ಇಲEದ
• िवrयूत-ऊजा^,शि‹- ದು • पवन-हवा,वायु- ಾ • Žयवधान-परदा,दूरी-ಅ1ೆ,ತ1ೆ
किव के कहते है कQ - आज कQ दुिनया ब•त अजीब और नवीन आकाश से पाताल तक सब कुछ उसे पता है।
है। परaतु वह मानवता को ही नहL पहचान पाया।
मानव ने nकृित के हर त“व पर िवजय nा” कर ली है। उसने अपने भाईचारे को नहL समझा।
पानी, िबजली और भाप सभी त“व अब मनु‰य के हाथ म. ह` । किव के अनुसार वही सcा मनु‰य है जो बुि•ध से
उसी के आ‚ा पर हवा का तापमान उतरता और चढ़ ता है। सोचना छोड़ देता है और –दय को जीतता है।
आज का मनु‰य नदी, पहाड़ , समुw सभी को एक समान पार (लाँघ वही मनु‰य •े— है jजसकQ सभी मनु‰यV से nीित है
) सकता है। जो मनु‰य आपस कQ दूरी िमटाकर Jनेह का संबंध
यह मनु‰य ही है jजसने nकृित का शृंगार िकया, बनाता है वही मनु‰य ‚ानी है, िव˜ान है और वह ही
‚ान, िव‚ान का nकाश सारे जग म. फैलाया। मनु‰य कहलाने का भी अिधकारी है।
I. * :
1. आज क, दुिनया कैसी है ? 4. ‘अ3भनव मनुष’ किवता के किव का नाम 3ल4खए।
उ#र :- आज कQ िदिनया िविच• और नवीन है। उ#र :- ‘अjभनव मनुष’ किवता के किव का नाम है
2. मानव के > म पर या चढ़ ता और उतरता है ? रामधारीœसह िदनकर ।
उ#र :- मानव के •Pम पर पवन का ताप चढ़ ता और 5. आधुिनक पु-ष ने िकस पर िवजय पायी है ?
उतरता है । आधुिनक पुRष ने nकृित के हर तzव पर िवजय पायी है।
3. परमाणु िकसे देखकर काँपते हB ? 6. नर िकन-िकन को एक समान लाँघ सकता है ?
उ#र : परमाणु मनु‰य के करV को देखकर काँपते ह` । नर नदी, पहाड तथा समुw को एक समान लाँघ सकता है।
11
KREIS Third Language Hindi
12
KREIS Third Language Hindi
भारत के राfप+त कलाम जी का जीवन सादगी का +मसाल था। उनके माता पता का प रgम,
आउं बरहीन जीवन सबके लए आदश#ाय है । उनका प रवार अ+तQथय8 क& सेवा से संतृ< था। उनका
प रवार धा+मh क एकता को मानता था। बV8 के चैतCशील, ब,मुखी Si?` के +नमाण के लए
ऐसे आदश Si?य8 क& जीवनी #ेरणा#द है ।
• पाठ के िवध :-
:- ‘मेरा बचपन' आ³कथा है। • ये नौकाएँ तीथCयािfयों को रामे¦रम् से
• जE :-
:- अ“ुल कलाम जी का जE धनुषकोिट तक लाने ले जाने का काम
तिमलनाडु के रामे¦रम् क´े म} एक करती थीं।
म मवग•य प•रवार म} Zआ था। • अहमद जलालु¬ीन उनके अ°रंग िमf
• माता -िपता :-
:- िपता जैनल
ु ा“ीन माता बन गए, उŒोने कलाम को 'आजाद'
अUशयšा । कहकर पुकारा करते थे।
• अ“ुल कलाम जी का जीवन बZत ही • पूरे इलाके म} UसफC जलालु¬ीन ही
सादगीपूणC बीता। अंcेजी म} पढ़-Uलख सकते थे।
• वे माँ के साथ ही रसोई म} नीचे बैठकर खाना • जलालु¬ीन कलाम जी को हमेशा
खाया करते थे। UशU\त ~ि|यों, वैºािनक खोजों,
• माँ बड़े µार से के ले के पNे के ऊपर चावल समकालीन सािहn और Uचिक©ा
एवं †ािद¤ सांबर डालती, उŒ} घर का बना िवºान कW उपल‡½यों कW जानका•रयाँ
अचार और ना•रयल कW चटनी भी खाने के दे ते रहते थे।
Uलए िमलती थी। • कलाम जी के बचपन के समय म}
• रामे¦रम् मU·र के सबसे बड़े पुजारी प\ी पुJक} दुलCभ थीं।
ल¸ण शा¹ी कलाम के िपताजी के िमf • Kानीय Jर पर उc रा¤¾ वादी एस. टी.
थे। आर. मािनकम का वहाँ िनजी
• िपताजी उनसे आ ाU³क मामलों पर चचाC • कलाम जी ने Uज·गी भर अपने िपता से पुJकालय था
करते रहते थे। िवºान और Oौ‰ोिगकW के बुिनयादी सnों • कलाम जी के जीवन म} गहरा असर
• िपताजी कW िदनचयाC सुबह चार बजे नमाज को समझने का भरपूर Oय¼ िकया। डालने वाले उनके चचेरे भाई श¿सु¬ीन
पढ़ने के साथ शु‹ होती थी । नमाज के बाद • कलाम जी िपताजी ने Kानीय ठे के दार थे।
वे ना•रयल के बाग म} जाया करते । अहमद जलालु¬ीन के साथ लकड़ी कW • श¿सु¬ीन रामे¦रम् म} अखबारों के
नौकाएँ बनाने का काम शु‹ िकया। एकमाf िवतरक थे।
I. * :
Zआ??
1. अ“ुल कलामजी का जE कहाँ Zआ 3. अ“ुल कलामजी के बचपन म} दुलCभ वJु ’ा थी?
थी?
उNर:अ“ुल कलामजी का जE मÀास राÁ के रामे¦रम् क´े उNर: अ“ुल कलामजी के बचपन म} पुJक} दुलCभ वJु थी।
म} Zआ। 4. जैनुलाबदीन ने कौनसा काम शु• िकया?
िकया?
2. अ“ुल कलामजी बचपन म} िकस घर म} रहते थे? उNर: जैनुलाबदीन ने लकडी कW नौकाएँ बनाने का काम शु•
उNर: अ“ुल कलामजी बचपन म} अपने पु-तैनी घर म} रहते िकया।
थे। 5. अ“ुल कलामजी के चचेरे भाई कौन थे?
उNर: अ“ुल कलामजी के चचेरे भाई शमसु¬ीन थे।
13
KREIS Third Language Hindi
II - * :
1. शमसु!ीन अखबार& के 'वतरण का काय+ कैसे करते थे? पौ फटना = भात होना
उ0र: शमसु!ीन रामे2रम् म अखबार& के एकमा5 'वतरक थे। अखबार रामे2रम् काम आना = काम म आना,
7े शन पर सुबह क8 9े न से प:ँचते थे। इस अखबार एजसी को अकेले शमसु!ीन इ ेमाल होना
ही चलाते थे। रामे2रम् म अखबार& क8 जुमला एक हजार 'तयाँ 'बकती थी।
V. %I " L8 : VI. : ;H :
% 4L8 :
14
KREIS Third Language Hindi
15
KREIS Third Language Hindi
I. * :
1. बसंत या- या बेचता था? 1. एकांक, का <थम द ृ$य कहाँ घटता है?
उ : बसंत छलनी, बटन तथा िदयासलाई बेचता था। उ#र : एकांकQ का nथम दृGय बड़ े नगर के बाज़ार म.
2. बसंत के भाई का नाम या था? घटता है।
उ#र : बसंत के भाई का नाम nताप था। 2. बसंत के घर पर डॉ टर को कौन लेकर आता है?
3. पं. राजिकशोर कौन थे? उ#र : बसंत के घर पर डॉPटर को अमरœसह लेकर आता
उ#र : पं. राजिकशोर मजदूरV के एक नेता थे। है।
4. छलनी दाम या था? 3. पं. राजिकशोर के अनुसार बसंत म िनिहत द ुल7भ गुण
उ#र : छलनी का दाम दो आना था। या है?
5. बसंत और <ताप कहाँ रहते थे? उ#र : पं. राजिकशोर के अनुसार बसंत म. िनिहत दुल^भ
उ: बसंत और nताप भीखू अहीर के घर म. रहते थे। गुण ईमानदारी है।
6. बसंत क, स^ाई एकांक, म िकतने द ृ$य हB? 10. पं. राजिकशोर कहाँ रहते थे?
उ#र : बसंत कQ सcाई एकांकQ म. तीन दृGय ह`।
उ#र : पं. राजिकशोर िकशनगंज म. रहते थे।
II. -: * :
1. छलनी से Fा-
Fा-Fा कर सकते हH ? 5. ाताप राजMकशोर के घर F& आया?
आया?
उ0र : छलनी से दूध छान सकते हH। इसके अलावा उ0र : बसंत राजMकशोर Qारा Oदये गए नोट को भुनाकर
चाय भी छान सकते हH। वापस आते समय मोटर के नीचे आ गया । इससे उसके
2. बसंत राजMकशोर से Fा 'वनती करता है? दोनो पैर कुचले गये । इसAलए वह नहZ लौटा । छु _े पैसे
उ0र : बसंत राजMकशोर से बटन और Oदयासलाई लेने वापस देने के Aलए ताप राजMकशोर के घर आया ।
क8 'वनती करता है। जब राजMकशोर के Qारा मना 6. बसंत ने राजMकशोर को छलनी खरीदने के Aलए Mकस
करने पर वह फ8र से उRे छलनी लेने के Aलए भी तरह aे रत Mकया?
Mकया?
'वनती करता है। उ0र : साहब छलनी लीAजए। दूध छा'नए, चाय
3. बसंत राजMकशोर से दो पैसे लेने से F& इनकार छा'नए... Aसफ+ दो आना क8मत है। जब राजMकशोर के
उ0र : बसंत एक TाUभमानी लVका था । वह मुW म ‘‘साहब, सबेरे से अब तक कुछ नहZ 'बका। आपसे आशा
पैसे लेने को भीख समझता था। इसAलए बसंत थी। साहब ! एक तो ले लीAजए। इस कार बसंत ने
राजMकशोर से दो पैसे लेने से इनकार करता है । राजMकशोर को छलनी खरीदने के Aलए ेaरत Mकया।
उ0र : बसंत नोट भुनाने के Aलए बा[ार क8 ओर गया। उ0र : बसंत के पैर देखकर डॉhर ने कहा क8 शायद पैर
जब नोट भुनाकर वापस लौट रहा था तब वह मोटर के क8 हiी टू ट गई है। इसAलए उसे अjताल ले जाकर पैर
नीचे आ गया। इससे उसके दोनो पैर कुचले गये। का kीन करके देखना होगा।
16
KREIS Third Language Hindi
: ?G ;H
17
KREIS Third Language Hindi
पाठ.7 4 +
गो वामी तुलसीदास जी ने अपने दोहों म` भ[Jत और नैितकता को ?ितपािदत िकया है। उEहों ने ? तुत दोहों म`
िववेकपूर्ण bयवहार, संतों के ल%ण, दया धर्म का महcव, िवपFR के साथी राम पर भरोसा, अEतर और बाd के
?काश के बारे म` बड़ा ही सुXदर Fच+ण िकया है।
?G :
1. मुUखया मुख सों चािहए,
चािहए, खान पान को एक । 2. जड,
जड, चेतन,
न, गुण िदषमय,
िदषमय, िव† कWŒ करतार ।
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सिहत िववेक ॥ सं त-
त-हंस गुण गहिहं पय
पय,, प•रह•र वा•र िवकार ॥
OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी के
के दोहे” से Uलया गया है। दोहे” से Uलया गया है।
भावाथC : OJुत दोहे म} मुUखया के †ाभाव के बारे मे बताते Zये भावाथC : OJुत दोहे म} तुलसीदास ली ने हंस प\ी के सात सं त कW
तुलसीदास कहते हŠ- Uजस तरह मुँ ह खाने-पीने का काम अके ले तुलना कराते Zए कहते हŠ- सृि¤कताC इस दुिनया को अ•े -बुरे एवं
करते Zए, शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण करता है, उसी गुण-दोषमय िमलाकर बनाया है। लेिकन हम, हंस ‹पी साधु कW तरह
तरह मुUखया भी काम अपनी तरह से कर} लेिकन उसका फल सभी िवकारों को छोड़कर अ•े गुणों को अपनाना चािहए ।
को िमले।
3. दया धमC का मूल है, पाप मूल अUभमान । 4. तुलसी साथी िवपिN के , िव‰ा िवनय िववेक ।
तुलसी दया न छाँ िडये, जब लग घट म} Oाण ॥ साहस सुकृित सुसn‚त,
n‚त, राम भरोसो एक ॥
OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी के
के दोहे” से Uलया गया है। दोहे” से Uलया गया है।
भावाथC : OJुत दोहे म} तुलसीदास कहते हŠ- दया धमC का भावाथC : OJुत दोहे म} तुलसीदास कहते हŠ- मनुÐ पर जब
मूल है और पाप का मूल अUभमान है। इसUलए मनुÐ के िवपिN पडती है, तब उसकW िव‰ा, िवनय तथा िववेक ही
शरीर म} जब तक Oाण है, तब तक अपना अUभमान छोडकर उसका साथ िनभाते हŠ। जो राम पर भरोसा करने वाला
दयालु बने रहना चािहए। साहसी, सnवान बनता है।
18
KREIS Third Language Hindi
II. दो-
दो-ितन वा’ों म} उNर UलUखए :
1.मु
1.मुUखया को मुख के समान होना चािहए। कै से?
उNर: मुUखया को मुख के समान होना चािहए। मुँ ह खाने-पीने का काम अके ला करता है, लेिकन वह जो खाता-पीता है, उससे
शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण होता है। तुलसी कW राय म} मुUखया को भी ऐसे ही िववेकशील होना चािहए िक वह सबके िहत
म} काम कर}।
2.मनु
2.मनुÐ को हंस कW तरह ’ा करना चािहए?
चािहए?
उNर: Uजस Oकार हंस प\ी सारहीन या पानी को छोडकर दूध या सार को cहण करता है उसी Oकार मनुÐ को पानी ‹पी िवकार
गुणों को छोडकर दूध ‹पी अ•े गुणों को अपनाना चािहए।
IV. अनु‹पता :
19
KREIS Third Language Hindi
पाठ.8 D#T T K UV
पाठ का आशय :
वैEा+नक आ वkार8 ने मानव-जीवन को सु वधाजनक बनाया है । इं टरनेट से
मानव क& जीवनशैली और उसक& सोच म lां+तकारी प रवतन ,आ है । आज
इं टरनेट के बना संचार व सूचना दोन8 NेW कमजोर हो जाते ह: । इं टरनेट ने पूरी
m+नया को एक जगह ला खड़ा कर दया है । जीवन के हर NेW म इं टरनेट का
ब,त बड़ा योगदान है । इं टरनेट वरदान है तो अQभशाप भी है
• सुझाव- सलाह, ಸಲ!ೆ, • अUभलेख- UलUखत िववरण, Record; • हाUसल करना- Oाd करना,
• ~य- खचC करना, • इनफारमेशन टै Üोलाजी- सूचना
• अनिगनत- असं â, ಬಹಳಷು';
Oौ‰ोिगकW।
20
KREIS Third Language Hindi
II. दो-
दो-ितन वा’ों म} उNर UलUखए :
1.इं
1.इंटरनेट का मतलब ’ा है?
उNर: इंटरनेट अनिगनत कं µूटरों के कई अंतजाCलों का एक दूसरे से सं बं ध Kािपत करने का जाल है। इंटरनेट एक तरह से िव¦~ापी
कं µूटरों का अंतजाCल (नेटवकC ) है, UजसकW वजह से पूरे िव¦ का िवJार एक गाँ व का-सा छोटा हो गया है।
2. ~ापार और बŠिकं ग म} इंटरनेट से ’ा मदद िमलती है ?
उNर: इंटरनेट Ïारा हम घर बैठे-बैठे खरीदारी कर सकते हŠ। कोई भी िबल भर सकते हŠ। इससे दुकान जाने और लाइन म} घं टो खडे
रहने का समय बच सकता है। इंटरनेट बŠिकं ग Ïारा दुिनया कW िकसी भी जगह पर चाहे Uजतनी भी रकम भेजी जा सकती है।
3. ई-गवनÊस ’ा है?
उNर: ई-गवनÊस Ïारा सरकार के सभी कामकाज का िववरण, अUभलेख, सरकारी आदे श आिद यथावत् लोगों को सूUचत िकया जाता
है। इससे Oशासन पारदश• बन सकता है।
III. " -SW * :
1. सं चार व सूचना के \ेf म} इंटरनेट का ’ा महä
उNर:इंटरनेट Ïारा पल भर म} िबना Áादा खचC िकए कोई भी िवचार हो, ‡Kर Uचf हो, िविडयो Uचf हो दुिनया के िकसी भी कोने म}
भेजना मुमिकन हो गया है। चाहो तो पूरे एक पुJकालय कW िकताबों के िवषय को कम समय म} कहीं भी भेज सकते हो। इं टरनेट
आधुिनक जीवनशैली का महäपूणC अंग बन गया है। शायद इसके िबना सं चार और सूचना दोनों ही \ेf ठप ने पड जाते हŠ। आज
इंटरनेट के िबना सं चार और सूचना दोनों \ेf कमजोर हो जाते हŠ।
2. वीिडयो काåरेž.. के बारे म} UलUखए।
UलUखए
उNर: वीिडयो काåरेž म} एक जगह बैठकर ही | दुिनया के कई दे शों के OितिनUधयों के साथ 8-10 दूरदशCन के परदे पर चचाC कर
सकते हŠ। एक ही कमरे म} बैठकर िवUभT देशों म} रहनेवाले लोगों के साथ िवचारिविनमय कर सकते हŠ।
3. सोशल नेटविकÞ ग.. एक ×ांितकारी खोज है। कै से?
उNर:सोशल नेटविकÞ ग एक ×ांितकारी खोज है। Uजसने दुिनया भर के लोगों को एक जगह पर ला खडा कर िदया है। सोशल
नेटविकÞ ग के कई सीइß हŠ, जैसे – फे सपुक, आरकु ट, िæËर, Uलं कड – इन आिद। इन साइटों के कारण देश-िवदेश के लोगों कW
रहन-सहन वेश-भूषा, खान-पान के अलावा सं kृ ित कला आिद का Oभाव शीçाितशीç हमारे समाज पर पड रहा है।
4. इंटरनेट से कौन-
कौन-सी हािनयाँ हो सकती हŠ ?
21
KREIS Third Language Hindi
उNर: इंटरनेट एक ओर वरदान है तो दूसरी ओर वह अUभशाप भी है। इंटरनेट कW वजह से पैरसी, बŠिकं ग कर áॉड, हैिकं ग आिद
बढ़ रही है। मु| वेबसाइट, चैिटंग न आिद से युवा पीढी ही नहीं ब›े भी इंटरनेट कW कबं ध ºा बाहों के पाश म} फं से Zए हŠ। इससे
समय का दु•पयोग और ब›े अनुपयु| और अनाव€क जानकारी हाUसल कर रहे हŠ।
अनुUपता
1. कं‘यूटर : संगणक यं• :: इंटरनेट : —— अंतजा^ल
2. आई.टी. :इनफारमेशन टै Pनोलाजी ::आई.टी.ई.एस. : इनफारमेशन टै Pनोलाजी एनेब¥ड
सsवसेस
3. फेसपुक : वरदान :: हैœकग : — शाप
4. वीिङयो काa§¥स : िवचार-िविनमय :: ई-nशासन : सरकारी काम म. पारद¨शता
22
KREIS Third Language Hindi
कृ ित : कहानी सं cह — हँसते हŠ रोते हŠ, भूत के पाँ व पीछे , जैसे उनके िदन िफरे
पाठ का आशय : इस जगत् म अnाई-बुराई दोन8 दखाई दे ती ह: । हं स-Nीर Cाय क& तरह इनम हम 5सफ अnाई को
अपनाकर बुराई को छोड़ दे ना चा हए। बेईमानी भी एक अवगुण है । बेईमान8 पर Sंo करते ,ए #$ुत रचना _ारा लेखक ने
सचेत कया है क हम बेईमानी से Dर रह।
23
KREIS Third Language Hindi
I. एक वा य म उ2र 3ल4खए
. 1. <(तुत कहानी के लेखक कौन हB? 11. लेखक दूसरे दजn म सफर य करना चाहते थे?
nJतुत कहानी के लेखक हZरशंकर परसाई ह`| लेखक एक सौ पचास Rपये बचाने के jलए दूसरे
2. लेखन को िकससे लेना-देना नह* है? दज³ म. सफर करना चाहते थे ।
लेखक को ईमान से कुछ-लेना देना नहL है | 12. लेखक क, चpपल िकसने पहनी थ*?
3. आयोजनकता7ओं ने लेखक को िकस (तर का लेखक कQ च‘पल. एक ईमानदार डेjलगेट ने पहनी
ईमानदार माना? थी।
आयोजनकता^ओं ने लेखक को रा•ीय Jतर का 13. लेखक के अनुसार बड़े जलस म िकसक,
ईमानदार माना। बदली हो जाती है?
4. लेखक के सhमेलन म आने से िकसे <ेरणा िमलेगी? लेखक के अनुसार बड़े जलसV म. कQ च‘पलV कQ
स{मेलन म. लेखक के आने से ईमानदारV तथा अदला-बदली हो जाती है। |
उदीयमान ईमानदारV को nेरणा िमलेगी। 14. बगल के कमरे म य ह5ा >आ?
5. आयोजनकता7ओं को या iम >आ था ? बगल के कमरे से ´ीफकेस गायब •आ था इसjलए
आयोजनकता^ओं ±म •आ था िक लेखक ईमानदार हqा •आ|
ह`। 15. rीफकेस म या था?
6. लेखक को िकस सhमेलन का उद्घाटन करने ´ीफकेस म. कागजात थे।
आमंिMत िकया गया? 16. लेखक ने धूप का च$मा कहाँ रखा था?
लेखक को ईमानदारV के स{मेलन का उद्घाटन करने लेखक ने धूप का चGमा कमरे के टेबल पर रखा
के jलए बुलाया गया था | था।
7. (टेशन पर लेखक कैसा (वागत >आ? 17. तीसरे िदन लेखक के कमरे से या गायब हो
Jटेशन पर लेखक का भŽय Jवागत •आ । गया था ?
8. लेखक को कहाँ ठहराया गया था ? तीसरे िदन लेखक के कमरे से कंबल गायब हो
लेखक को होटल के एक बड़े कमरे म. ठहराया गया गया था।
था। 18. (वागत सिमित के मंMी िकसे डाँटने लगे ?
9. सhमेलन का उद्घाटन कैसे >आ ? Jवागत सिमित के मं•ी काय^कता^ओं को डाँटने
स{मेलन का उ²ाटन शानदार •आ । लगे।
10. सhमेलन म सबसे पहले लेखक क, कौनसी व(तु 19. लेखक पहनने के कपड़े कहाँ दबाकर सो गए?
गायब >ई? लेखक पहनने के कपडे िसरहाने दबाकर सोये.
स{मेलन म. सबसे पहले लेखक कQ च‘पल. गायब •ईं ।
24
KREIS Third Language Hindi
स{मेलन कर रहे ह`। आप दे श के nिस•ध ईमानदार ह`। हमारी nाथ^ना है 3. जवाब x सवाल
दे Xखए च‘पल. एक जगह नहL उतारनी एक च‘पल यहाँ उताZरये, तो दूसरी 2. धोना धुलाना धुलवाना
दस फQट दूर च‘पल. चोरी नहL होतL। एक ही जगह जोड़ी होगी तो कोई 3. देखना <दखाना <दखवाना
भी पहन लेगा। म`ने ऐसा ही िकया था । 4. लौटना लौटाना लौटवाना
5. लेखक ने कमरा छोड़ कर जाने का िनण7य य 3लया? 5. उतरना उतारना उतरवाना
लेखक कQ सारी चीज. चुरा ली गयी थL। ताला तक चोरी म. चला गया । 6. पहनना पहनाना पहनवाना
तब लेखक ने सोचा िक अब म` बचा ·ँ। अगर Rका तो म` ही चुरा jलया
IX. सं2ध-!व4े द करके सं2ध का नाम ल%खए :
जाऊँगा। इसjलए लेखक ने कमरा छोड़ कर जाने का िनण^य jलया।
1. Xागत : सु + आगत - यण् सं2ध
6. मुsय अितिथ क, बेईमानी कहाँ िदखाई देती है?
2. सहानुभू त : सह + अनुभू त – दीघ सं2ध
उ#र: लेखक ने पहले दज³ का िकराया लेकर दूसरे दज³ से सफर करके
3. सLन : सत् + जन – 8ंजन सं2ध
एक सौ पचास Rपये बचाये। दस बडी फूल-मालाएँ पहनाने पर लेखक
4.परोपकार : पर + उपकार – गुण सं2ध
ने उaह. माली को बेचने के बारे म. सोचा। ये मु¸य अितिथ कQ बेईमानी
5. न3]^त: नः + 8च^त - !वसग सं2ध
है।
6. सदैव : सदा + एव - वृ:; सं2ध
25
KREIS Third Language Hindi
III.. 5-6 * :
2. मंMी तथा काय7कता7ओं के बीच म या वाता7लाप >आ ? 3. <रdा : तीन प हयe का वाहन :: साइ<कल
:..........
उ#र: मं•ी काय^कता^ओं को डाँटने लगे ‘‘तुम लोग Pया
दो प!हय@ का वाहन
करते हो? तु{हारी ¼ूटी यहाँ है । तु{हारे रहते चोZरयाँ हो रहL ह` ।
4. रेलगा?ी : पटरी :: हवाईजहाज : ……………….
यह ईमानदार स{मेलन है। बाहर यह चोरी कQ बात फैली, तो आकाश
िकतनी बदनामी होगी ?’’ काय^कता^ओं ने कहा, ''हम Pया कर. ?
अगर स{माननीय डेलीगेट यहाँ-वहाँ जाय., तो Pया हम उaह. रोक
कBड या अंDेEी म> अनुवाद कFGजए:
सकते ह`?’’
1. हम आप को आने-जाने का पहले दजi का <कराया
3. सhमेलन म लेखक को कौन-से अनुभव >ए? संtप
े म 3ल4खए: द)गे।
उ#र: Jटेशन पर लेखक का भŽय Jवागत •आ । लगभग दस बड़ी
उjर: #ಾವ ಮ ೆ (ತಮ ೆ) ಬಂದು
फूल-मालाएँ पहनायL गयL तब उaहVने सोचा िक आस-पास कोई !ೋಗುವ ಪ+ಥಮ ದJೆKಯ %ಾL ೆ
माली होता तो फूल-मलाएँ बेच लेता । स{मलेन म. लेखक कQ ೊಡು6ೇ ೆ.
नयी च‘पले गायब •ईं । उनके बदले फटी-पुरानी च‘पल. िकसी ने 2. mेशन पर मेरा खूब Xागत आ।
छोड़ दी थL। दूसरे िदन लेखक का धुप का चGमा भी कमरे से उjर: Mೆ'ೕಶNನPE ನನ ೆ ಅದುQ=
गायब •आ। तीसरे िदन रात म. लेखक अपना क{बल खोजने लगे MಾRಗತ ಾSತು.
तो क{बल भी गायब •आ था । स{मलेन म. ईमानदार लोगV ने 3. देnखए, चaल) एक जगह नहb उतारना चा हए।
भाग jलया था पर असल म. वे बेईमान थे । अंत म. कमरे का ताला उjर: #ೋL=. ಚಪ:PಗಳನುU ಒಂದು
यहाँ से चलना चािहए अaयथा म` ही चुरा jलया जाऊँगा । 4. अब मo बचा pँ। अगर Tका तो मo ही चुरा Dलया
जाऊँ गा।
उjर: ಈಗ #ಾನು ಉ 8ೆYೕ#ೆ. ಒಂದು ೇ"ೆ
ಂತFೆ #ಾ#ೇ ಕ"ೆದು!ೋಗು6ೇ#ೆ.
26
KREIS Third Language Hindi
मानव को सतत #यZशील होना चा हए | Dसर8 क& सहायता से वह नवीन व$ुओंको बनाना
भी सीख सकता है | न केवल लोग8 से अ पतु #ा णय8 से भी हम सीख +मलती है |
nकट करते •ए सोचा िक मकान कहा- “आप लोग जरा मेरी पीठ
कैसे बनाए जाते ह`, इसjलए वे कQ पि¹याँ rयान से दे खो िफर पेड़V
पशुओं से पूछताछ करने के jलए से ब•त सी पि#याँ तोड़ लो। इन
जंगल कQ ओर िनकल पड़ े। पि#यV को छ‘पर पर उसी तरह लगा
दोJतV कQ सबसे पहले मुलाकात •ई दो, जैसी मेरी पीठ पर पि¹याँ ह`।
हाथी ने उ#र िदया मेरे पैरV जैसे पेड़V से लकड़ ी उaहVने जंगल से लौटकर एक जगह
– हाथी से
हाथी के बाद दो दोJतV कQ के मोटे और मजबूत गोले काट लो, मकान बना jलया। यह दुिनया म.
मुलाकात •ई – साँप से साँप ने कहा-जैसा म` ·ँ वैसी पतली और आदमी के हाथV बना पहला मकान
ल{बी लकड़ी काटो। था ।
27
KREIS Third Language Hindi
IV अनुUपता :
1. हाथी : जंगली जानवर : : भ`स : पालतू जानवर
2. मछली : पानी : : साँप : ज़मीन
3. मछली : तैरना : : साँप : रगना
4. हाथी : सूँड : : भ`स : मुँह
28
KREIS Third Language Hindi
8 [ – 11 . 2 8+" - . ; J <4\
क व का प<रचय
• उसे नc नहp होने देना चा+हए • जो भी काय करना है, तुर त ही है, य द हमने इसे नह पहचाना
29
KREIS Third Language Hindi
I. एक वा य म उ र िलिखए :
1. किव के अनुसार मनु य को सुख कब नह िमलता?
िमलता?
उ र: किव के अनुसार समय को न करने से सुख नही िमलता।
2. बहाने बनाने का मुख कारण या है ?
उ र: बहाने बनाने का मुख कारण आलस है।
3. समय कसका दया आ अनुपम धन है ?
उ र: समय भगवान (ईश) का दया आ अनुपम धन है।
4. किव कस पर िव ास करने को कहते ह ?
उ र: किव आ मा (अपने आप) पर िव ास करने को कहते है।
5. समय के खोने से या होता है ?
उ र: समय के खोने से हमेशा पछताना पडता है ।
II. दो-
दो-तीन वा य म उ र िलिखए :
1. मनु य के िलए सुख क ाि कब संभव है ?
उ र: मनु य के िलए सुख क ाि तब संभव है जब वह समय का सदुपयोग करता है। काम के समय को बहाने
करके नह टालता है। समय का न न करके सुसमय पर जो काम करना है, उसे मन लगाकर करता है। ऐसे
मनु य को ही जीवन म सुख क ाि होती है।
2. समय का सदुपयोग कै से करना चािहए ?
उ र: एक पल को भी थ नह जाने देना चािहए। एक-एक पल से ही जीवन बनता है। इसिलए काम कोई भी
हो उसे िबना कसी बहाने बनाये उसी समय पूरा मन लगाकर करना चािहए। आल य याग कर, समय को
अमू य धन मानकर काय करने से जीवन सफल होता है। हम काम करने का जो अवसर ा होता है, उसे थ
जाने नह देना चािहए।
3. किवता के अंितम चार पंि य म किव या कहना चाहते ह ?
उ र: किव के अनुसार, अपनेआप पर िव ास रखकर जो भी काम हम कर, उसे पूरी लगन के साथ कर। हम
काम करने का अ छा अवसर ा होता है। उसे थ जाने नह देना है। समय को खोकर मनु य सुखी नह रह
पाता। उसे हमेशा पछताना पडता है।
4. किवता के अंितम चारपंि य म किव या कहना चाहते ह ?
उ र:किव के अनुसार, अपने आप पर िव ास रखकर जो भी काम हम कर, उसे पूरी लगन के साथ कर। हम
काम करने का अ छा अवसर ा होता है। उसे थ जाने नह देना है। समय को खोकर मनु य सुखी नह रह
पाता। उसे हमेशा पछताना पडता है।
अनु पताः
1. आलस : प र म :: न : ——- लाभ
2. जानो : मानो :: लगा दो : — भगा दो
3. धन : िनधन :: दया : —— िलया
4. जीवन : मरण :: खोना : —— पाना
30
KREIS Third Language Hindi
8 [ – 12 T
• रोबो नल सुबह नाuा कराने, मेहमान@ के _ागत म aार खोलने, • एक +दन अचानक चलती बस से गरने के कारण उसके चोट आ
घर के छोटे बx@ को कहा नयाँ सुनाने आ+द काम@ को ब-त तyरता गई, फल_5प उसे अ„ताल म भत… होना पeा। इससे स}ैना
से करने लगा। प<रवार को ब-त परेशानी -ई।
• एक +दन रोबो नल कA मुलाकात रोबोदीप से -ई दोन@ के बीच दोHी • धीरज स}ैना ने ‘रोबो<ट न} कारपोरेशन' काया\लय प-ँचकर
हो गई। रोबो नल कA तरह रोबोदीप भी एक बु Dमान रोबोट था। देखा `क एक रोबोट वै†ूम ‡ीनर से दˆर के फश\ को साफ कर
• वे दोन@ साधोराम के बारे म बात करने लगे। उसे जब गाँव भेज देने रहा था। क‰Šूटर वशेष#@ ने कृ`Bम बु D का समावेश रोबोट म कर
के बारे म पता चला तो रोबोट ने कहा यह तो नयम के वbD है। +दया।
• रोबोट इ{ान ने पेट पर लात मारना अ|ी बात नहp है, यह • काउं टर पर बैठे एक रोबोट ने धीरज स}ैना का _ागत कर पूछा, म>
मानवीय गुण भी नहp है। दोन@ के बीच गुf मंBणा -ई और दोन@ घर आपके 4लए †ा कर सकता ‹ँ। इस जवाब म स}ैना जी ने कहा
लौटे । `क मुझे घरेलू कामकाज के 4लए बु Dमान रोबोट कA ज5रत है ।
• अगले +दन रोबो नल और रोबोदीप कA मुलाकात 'रोबोटो न} • साधारण रोबोट कA नहp। जैसे- नाती पोत@ का होमवक\ कराने एवं
कारपोरेशन' के काया\लय म -ई । वड\ :ोसेसर पर मेरा काम संभालने के 4लए। उसी +दन क नी का
• क नी के मा4लक रोबोजीत से उ~@ने भट कर सारी बात समझायp, एक कम\चारी एक रोबोट स}ैना प<रवार म कान करने के 4लए
सुनकर रोबोजीत बोला- म> तो अनुबंध कA शत• से बँधा होने के छोe गया।
कारण आपकA मदद नहp कर सकता। • बु Dमान रोबोट का नाम ही रोबो नल रखा गयाहै अr म समझौता
• रोबो नल और रोबोदीप aारा समझाने पर भी रोबोजीत ने उनकA एक कर नौकर को घर म `फर से काम पर रख 4लया।
भी बात नहp मानी और नराश होकर दोन@ वापस लौट आए। • अगले +दन वह रोबोदीप के साथ संघ के काया\लय जा प-ँचा। वहाँ
• कुछ +दन ऐसे ही बीत गए। एक +दन धीरज स}ैना ने एक व#ान अŒ• ने सारी बात सुनकर काय\का<रणी कA आपातकालीन बैठक
कथा वड\ :ोसेसर पर टाइप करने के 4लए दी। कथा सं•ेप म यह थी बुलाकर रोबोटो कA हeताल का ऐलान कर +दया।
`क एक घर म> नौकर को जो `कसी जानलेवा बीमारी से पी+eत था • उ~@ने रोबोजीत पर स}ैना प<रवार के साथ -ए अनुबंध को तुरr
उसे काम से नकालकर रोबोट को रख +दया। र• कर +दया।
• रोबोट को इसकA जानकारी मलते ही वह 'रोबो<टक संघ' को अवगत • अr म धीरज स}ैना ने रोबो<टक संघ के अŒ• से गुजा<रश कA
कराता है। संघ रोबोट@ कA हeताल कA घोषणा कर देता जब तक साधोराम पूरी तरह से ठीक नहp हो जाता है, तब तक
• :Hुत कहानी म लेखक aारा छाB@ को यह समझाया गया है `क रोबो नल उसके पास काम करता रहेगा। संघ aारा यह बात मान ली
मशीन कभी भी मनु‚ का ƒान नहp ले सकती, मनु‚ का महn गयी ।
कभी भी कम नहp हो सकता । • शाम को रोबो नल और रोबोदीप ने मलकर अपनी खुशी जा+हर
कA।
एक वा य म उ र िलिखए :
1. वषO से सPेना के पQरवार म कौन काम कर रहा था? 4. रोबो नल क@ मुलाकात कससे (ई ?
वष• से स}ेना के प<रवार म साधोराम सेवक काम कर रहा रोबो नल कA मुलाकात रोबोदीप से -ई।
था। 5. शमा? पQरवार के कु+े का ना 3लWखए।
2. धीरज सPेना कस काया?लय म जा प(ँचे ? शमा\ प<रवार के कु े का नाम शे5
धीरज स}ेना रोबोटो न} कॉरपोरेशन के काया\लय म जा 6. रोबो नल और रोबोदीप कससे #मलने गए ?
प-ँचे। रोबो नल और रोबोदीप कंपनी के मा4लक रोबोजीत से
3. एक रोबोट वै ूम Sीनर से ा साफ कर रहा था? मलने गए।
एक रोबोट वै†ूम ‡ीनर से दˆर के फश\ को साफ कर 7. वैJा नक लेखक का नाम 3लWखए।
रहा था।
31
KREIS Third Language Hindi
32
KREIS Third Language Hindi
उ र: व#ान कथा का सार इस :कार है- एक घर म नौकर `कसी जानलेवा बीमारी से पी+eत था, उसे
नकालकर उसकA जगह पर एक रोबोट को रख +दया जाता है। `कसी तरह रोबोट को इस बात कA जानकारी
मल जाती है तो वह ‘रोबो<टक संघ से संपक\ साधकर संघ को सारी बात@ से अवगत कराता है। संघ रोबोट@
कA हeताल कA घोषणा कर देता है। इससे उस नौकर को घर म `फर से नौकरी म रख 4लया जाएगा।
4. रोबोQटक कंप नय के मा3लक के बीच हलचल मच गई ?
उ र : रोबो नल और रोबोदीप ‘रोबो<टक संघ म जाकर धीरज स}ेना के नौकर साधोराम के बारे म सब कुछ
बता +दए। इन सब बात@ को अŒ• सुनकर संघ कA काय\का<रणी कA आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक म
तय -आ `क सभी रोबो<टक कंप नय@ के काम करनेवाले रोबोट@ कA हeताल का आहवाहन कर +दया जाए।
इस वषय कंप नय@ के मा4लक@ के बीच हलचल मच गई।
33
KREIS Third Language Hindi
8 [ – 11 )+ 2 + <?
पाठ
पाठ का आशय :
इस पाठ से ब े साहस गुण, दृढ़ िन य, अथक प र म, मुसीबत का सामना करना
इ या द आदश गुण सीखते ह। इसके साथ िहमालय क ऊँची चो टय क जानकारी भी
ा करते ह। यह पाठ िस करता है क 'मेहनत का फल अ छा होता है।'
34
KREIS Third Language Hindi
I.
एक वा म उ+र 3लWखए :
1. #बछं`ी पाल को कौन-सा गौरव ाa (आ है ?
उ र: बछं jी पाल को एवरे– कA चोटी पर चढनेवाली पहली भारतीय म+हला होने का गौरव :ाf है।
2. #बछं`ी के माता- पता कौन थे ?
उ र: बछं jी कA माता हं सादेई नेगी और पता `कशनपाल 4सP ह थे।
3. #बछं`ी ने ा नbय कया ?
उ र: बछं jी ने न™य `कया `क वह अपने भाई जैसे पहाe@ पर च0े गी।
4. #बछं`ी ने कस cे3शयर पर चढाई क@ ?
उ र: बछं jी ने गंगोBी žे4शयर पर चढाई कA।
5. सन् 1983 म 7दhी म कौन-सा सiेलन (आ था ?
उ र: सन् 1983 म +द’ी म +हमालय पव\तारो+हय@ का स¢ेलन -आ।
6. एवरे j पर भारत का झंडा फहराते समय पाल के साथ कौन थे ?
उ र:एवरे– पर भारत का झंडा फहराते समय पाल के साथ पव\तारोही अंगदोरजी थे।
7. कन?ल का नाम ा था ?
उ र: कन\ल का नाम खु’र था।
8. kाटू कौन-सी रlी लाया था ?
उ र: ¬ाटू नायलॉन कA र-ी लाया था।
9. #बछं`ी ने थैले से कौन-सा Eचm नकाला ?
उ र: बछं jी ने थैले से दुगा\ माँ का चB नकाला।
10. कन?ल ने बधाई देते (ए #बछं`ी से ा कहा ?
उ र: कन\ल ने बधाई देते -ए बछं jी से कहा देश को तुम पर गव\ है।
11. मेजर का नाम ा था ?
उ र: मेजर का नाम कुमार था।
12. #बछं`ी को भारतीय पव?तारोहण संघ ने कौन-सा पदक देकर सiान कया ?
उ र: बछं jी को भारतीय पव\तारोहण संघ ने _ण\पदक देकर स¢ान `कया।
35
KREIS Third Language Hindi
36
KREIS Third Language Hindi
37
KREIS Third Language Hindi
पाठ – 14 –] - सूरदास
पद का आशय :
ब े वभाव से भोले होते है। वे हमेशा अपने माता-िपता से अपने भाई, बहन और िम क कु छ-न-
कु छ िशकायत करते रहते ह। उनका बाल सहज वभाव देखकर बड़ को हँसी आती है और उ ह
पुचकारकर सां वना देते ह। माँ और बेटे के ऐसे सहज संबध
ं क क पना कर सूरदास जी ने अपने इस
पद म उसका मा मक िच ण कया है
सूरदास (सन् 1540-
1540-1642)
भ किव सूरदास हंदी सािह याकाश के सूय माने जाते ह। इ ह भि काल क सगुण भि धारा क कृ णभि -शाखा के
वतक माना जाता है। इनका ज म उ र देश के नकता गाँव म सन् 1540 को आ था। इनक मुख रचनाएँ ह- 'सूर
सागर', 'सूर सारावली' एवं 'सािह यलहरी' । इनक मृ यु सन् 1642 को ई। इनके का म वा स य, ृंगार तथा भि का
ि वेणी संगम आ है।
श दाथ : • रस- ोध, • का ह-कृ ण,
• मैया-माँ, • के मारे-के कारण, • चबाई-पीठ पीछे बुराई करनेवाला,
• मो हं-मुझे, • तुमरो-तु हारे, चुगलखोर;
• दाऊ-भै या (बलराम), • तात-िपता, • जनमत ही को - ज म से ही,
• िखझाना-िचढ़ाना, • कत- य , • धूत -दु ,
• मोस -मुझसे, • याम-काला, • लिख-देखकर,
• मोल-मू य, • वाल-गोपालक, • स -कसम, सौगंध; ह -म,
• दाम; तोिह-तुझे, • िसखै-िसखाना, • पूत-पुत्
• जसुमित-जसोदा, यशोदा; • बलभ -बलबीर, बलराम; • रीझै- मोिहत होना,
• जायो- ज म दया, • सुन -सुनो
I.एक
I.एक वा य म उ र िलिखए :
1. सूर- याम पद के रचियता कौन ह ? 5. यशोदा कसक कसम खाती है ?
उ र: सूर- याम पद के रचियता सूरदास ह। उ र: यशोदा गोधन क कसम खाती है।
2. कृ ण क िशकायत कसके ित है ? 6. बालकृ ण कससे िशकायत करता
करता है ?
उ र: कृ णा क िशकायत भाई बलराम के ित उ र: बालकृ ण माता यशोदा से िशकायत
ह। करता है।
3. यशोदा और नंद का रं ग कै सा था ? 7. बलराम के अनुसार कसे मोल िलया गया है
उ र: यशोदा और नंद का रं ग गोरा था। ?
4. चुटक दे-देकर हँसनेवाले कौन थे ? उ र: बलराम के अनुसार कृ ण को मोल
उ र: चुटक दे-देकर हँसनेवाले सब वाला िम िलया गया है।
थे । 8. बालकृ ण का रं ग कै सा था ?
उ र: बालकृ ण का रं ग काला था।
38
KREIS Third Language Hindi
II. दो-
दो-तीन वा य म उ र िलिखए:
1. कृ ण बलराम के साथ खेलने य नह जाना चाहता?
चाहता?
उ र: भाई बलराम कृ ण को ब त िचढाता था क यशोदा ने उसे ज म नह दया है बि क मोल िलया है। उसके माता
िपता कौन ह ? उसका रंग काला य है? इसी गु से के कारण कृ ण बलराम के साथ खेलने नह आना चाहता था।
2. बलराम कृ ण के माता
माता-
ता-िपता के बारे म या कहता है ?
उ र: बलराम कृ ण के माता-िपता के बारे म या कहता है क – उसके माता िपता कौन ह ? नंद और यशोदा तो गोरे
का पु नह है। तु हारे माता-िपता कौन ह? नंद-यशोदा तो गोरे ह, तू काला कै से है? माँ, तू के वल मुझे ही मारती है,
बलदाऊ को डाँटती तक नह । इसक हँसी-मजाक सुनकर सब वाल िम चुटक बजाकर मुझ पर हँसते ह।”
चार-
चार-छः वा य म उ र िलिखए:
िलिखए:
1. पद का भावाथ अपने श द म िलिखए।
उ र: कृ ण अपनी माँ से िशकायत करता है क भाई उसे ब त िचढाता है क यशोदा माँ ने उसे ज म नह दया है
बि क मोल िलया है। इसी गु से के कारण कृ म बलराम के साथ खेलने नह जाता। वह बार बार कृ ण से पूछता है क
उसके माता िपता कौन ह ? नंद और यशोदा तो गोरे ह ले कन उसका रंग य काला है ? बलराम क ऐसी हँसी-मजाक
सुनकर कृ ण को सब वाला िम चुटक बजा-बजाकर हँसते ह। उ ह बलराम ने ही ऐसा करना िसखाया है। कृ ण माँ से
कहता है क माँ िसफ उसी को ही मारना सीखी है। वह कभी भाई पर गु सा नह करती। कृ ण के ोिधत मुख और
बात को सुनकर यशोदा माता खुश हो जाती है। वह कृ ण को समाधान करती है क बलराम ज म से दृ है। गोधन क
कसम, वह ही कृ ण क माता और कृ ण उसका पु है।
अनु पता :
1. बलभ : बलराम :: का ह : —— कृ ण
2. जसोदा : माता :: नंद : ——— िपता
3. रझता : मोिहत होना :: िखजाना : ——– िचढाना
4. बलबीर : बलराम :: जसोदा : ———- यशोदा
39
KREIS Third Language Hindi
40
KREIS Third Language Hindi
41
KREIS Third Language Hindi
42
KREIS Third Language Hindi
43
KREIS Third Language Hindi
44
KREIS Third Language Hindi
45
KREIS Third Language Hindi
46
KREIS Third Language Hindi
पाठ – 17 ;; 2 + +1 + -
जगतराम आय
पाठ का आशय :
इस पाठ म पाँच-छः लड़के संग ठत होकर अपनी बाल-शि को कट कर रहे ह।
यह लड़के एक साथ रहकर अ छी आदत को अपनाने का य करते ह। इतना ही
नह सब ब े िमलकर अपने गाँव को एक नया जीवन दान करते ह। इस पाठ ारा
बाल-शि का मह व बताया जा रहा है
I. एक वा य म उ र िलिखए:
1. कससे डरकर नौका पार नह होती ?
उ र: लहर से डरकर नौका पार नह होती।
2. कनक हार नह होती है ?
उ र: कोिशश करनेवाल क हार नह होती है
3. दाना
दाना लेकर कौन चलती है ?
उ र: न ह च टी दाना लेकर चलती है।
4. च टी कहाँ चढती है?
उ र: च टी दीवार पर चढती है।
5. कसक मेहनत बेकार नह होती ?
उ र: च टी क मेहनत बेकार नह होती।
6. सागर म डु ब कयाँ कौन लगाता है ?
उ र: सागर म गोताखोर डु ब कयाँ लगाता है
7. मोती कहाँ िमलता है?
उ र: मोती सागर म मोती गहरे िमलता है ।
8.. कसक मुटठी खाली नह होती ?
उ र: यास (कोिशश) करनेवाल क मुटठी खाली नह होती
9. कसको मैदान छोडकर भागना नह चािहए ?
उ र: संघष करनेवाल को मैदान छोडकर भागना नह चािहए
10. कु छ कए िबना ही या नह होती है ?
उ र: कु छ कए िबना ही जयजयकार नह होती।
47
KREIS Third Language Hindi
II. दो-
दो-तीन वा य म उ र िलिखए:
िलिखए
1. चीटी के बारे म किव या कहते है ?
उ र: च टी जब दाना लेकर चलती है तो दीवार पर चढ़ते ए सौ बार फसलती है।
ले कन फर भी वह हार नह मानती। आिखर म वह सफल होती है।
2. गोताखोर के बारे म किव के िवचार या है ?
उ र: गोताखोर कई बार डु ब कयाँ लगाने पर भी खाली हाथ लौट आता है। ले कन उसका
उ साह दुगना हो जाता है। उसक मु ी म मोती अव य आते ह।
3. असफलता से सफलता क ओर जाने के बारे म किव या कहते है ?
उ र: असफलता से सफलता क ओर जानेवाले के बारे म किव का यह कहना है क
असफलता एक चुनौती है उसे वीकार कर । साहस और िव ास के साथ उसका सामना
कर । जब तक सफलता हािसल न हो तब तक कोिशश करनी चािहए ।
किवता क अंितम पंि य को कं ठ थ करके िलिखए :
असफलता एक चुनौती है, इसे वीकार करो,
या कमी रह गई , देखो और सुधार करो ।
जबतक न सफल हो, न द चैन को यागो तुम,
संघष का मैदान छोडकर मत भागो तुम ।
कु छ कडा िबना ही जय-जयकार नही होती,
कोिशश करनेवाल क कमी हार नह होती ।
अनु प
पता
ता
1.मेहनत : प र म :: कोिशश : यास
2. चढना : उतरना :: हारना : जीतना
3. वीकार : इ कार :: चैन : बेचैन
4. संधु : समु :: हाथ : कर
48
KREIS Third Language Hindi
49
KREIS Third Language Hindi
50
KREIS Third Language Hindi
51
KREIS Third Language Hindi
52
KREIS Third Language Hindi
53
KREIS Third Language Hindi
54
KREIS Third Language Hindi
55
KREIS Third Language Hindi
56
KREIS Third Language Hindi
57
KREIS Third Language Hindi
58
KREIS Third Language Hindi
35. ^ : #; 8JG 2( । 4
पया?वरण परदूषण
qावना : प<रसर का गहरा :भाव मानव जीवन पर पeता है | मानव ही अपने चार@ ओर के वातावरण को शुÓद
रख सकता है , ले•खन :कृ त कA गोद म पला माना आज :कृ त पर ही अtाचार कर रहा है और पया\वरण को
दू षत कर रहा है |
पया?वरण परदूषण के कारण :
• पया\वरण :दूषण का मुÔ कारण है हमारी ब0ती -ई जनसंÔा वाहन@ कA संÔा और कारखान@ कA
संÔा |
• व:दूषण का :मुख कारण वन वनाश है | लगातार वृ4•@ कA कटाई से :कृ त का संतुलन डगमगा रहा
है |
• वाहनो और कारखानो से नकलनेवा4ल काब\न डाई ऑ}ाइड तथा अ वषैली गैस@ से पया\वरण
:दूषण ब0 रहा है |
• कारखान@ से नकलाने वाले हा नकारक रासाय नक jT बहकर नदी नाल@ म जा मलते ह> और पानी
गंदा हो जाता है |
• अनाव›क जगह@ पर Õ नवध\क@ का उपयोग और बना कारण वाहन@ के भोपू बजाना 4लसके कारण
Õ न :दूषण होता है |
पQरणाम और उपाय: पया\वरण :दूषण को रोकने के 4लए हमेशा तyर रहना चा+हए | अपनी पाठशाल एवं
गांव का `कचरा कeा और गंदगी को साफ करना चा+हए | पया\वरण :दूषण के : त जाग5क रहना चा+हए | पेe
पौध@ को लगाना और ब0ाना चा+हए |
59
KREIS Third Language Hindi
उपसंहार : पया\वरण :दूषण को रोकना हमारा करतT है | सरकार aारा बनाए गए कानून@ को Œान म रखकर
एक अ|े नाग<रक कA है4सयत से हम अपने आसपास के वातवरण को साफ रखने का भरसक :यास करना
चा+हए| सरकार को संचार माŒम@ aारा पया\वरण के महn का :चार :सार करना चा+हए। ऐसा करने से
पया\वरण :दूषण को कुछ हद तक रोका जा सकता है |
जनसंxा क@ समyा
qावना / वषय वेश :- ब0ती जनसंÔा कA समsा सामा 5प से व¡ कA समsा है | भारत को
ब0ती -ई जनसंÔा का सामना करना पe रहा है। दु नयाँ कA 17% आबादी भारत म रहती है। जनसंÔा कA ³ व
से भारत व¡ म दूसरे ƒान पर है|
कारण और दु{Qरणाम :
• व#ान कA उ× त के साथ च`कlी एवं _ाØ कA सु वधाओं म उ× त -ई है|
• व भ× बीमा<रय@ के 4लए इलाज और उपचार शोध `कये गये ह> । फलतः ज˜ लेने वाले 4शशुओं और
रो गय@ कA मृtु दर म कमी -ई है। तथा औसत आयु म वृ D -ई है |
• अ4श4•त और गरीब वग\ के लोगो के अ#ान के कारण जनसंÔा म वृ D |
• धा म± क §Óदा के कारण ज˜ नयंBण व धय@ और प<रावार नयोजन व धयो को नही अपनाना |
जनसंxा व|ोट के दु{Qरणाम :
• ब0ती -ई जनसंÔा के कारण देश कA :ग त कुं<ठत होती है |
• वHुओं के मूh म वृ D और +दन : त+दन महं गाई ब0 रही है |
• बेकारी और बेरो‘गारी कA वजह से अपराध@ म वृ D -ई है |
• पया\वरण :दूषण कA समsा उy× -ई है |
जनसंxा नयंmण केउपाय :
• सरकार ने पुbष@ के 4लए ूनतम ववाह योÙ आयु 21 वष\ और म+हालाओं के 4लए 18 वष\ तय कA
है |
• द क Zहण को ब0ाव +दया गया है सरकार aारा बx@ को गोद 4लने को भी ब0ाव दे +दया गया है|
• सरकार तथा सामा4जक संƒाओं ने सभाओं, गो cओं, संचार माŒम@ aारा छोटे पर<रार से होने वाले
Úायदे का :चार व :सार `कया है|
उपसंहार : भारत म ब0ती जनसंÔा गंभीर चP ता का वषय है । हालं`क सरकार ने इस पर नयंBण रखने के
4लए ब-त सारे कदम उटाए ह> , 4ल•खन यह नयंBण पया\f :भा व नहp है । इस समsा को रोकने के 4लए कई
अ उपाय `कए जाने कA अव›ाकता है।
“सुखमय जीवन का यह सार | दो बx@ का हो प<रवार |“
C}ता का मह~
60
KREIS Third Language Hindi
qावना / वषय वेश :- “ _|ता म नमा\Ûा , सÚाई म खुदाई होती है |” साÚ सÚाई एक अ|ी
आदत है , जो _| पया\वरण और आदश\ 4जवन के 4लए हर एक के पास होनी चा+हए | _| भारत अ भयान
_| भारत महाkा गांधी का सपना था | _| भारत अ भयान राÝTापी सफाई अ भयान है | यह अ भयान
_|ता के : त जाग5क करने के 4लए भारत सरकार aारा चलाए जाने वाला बeा आंदोलन है
_| भारत अ भयान का आरं भ नई +द’ी के राजघाट पर 2 अÞू बर 2014 को भारत के :धानमंBी
§ी नरj मोदी जी ने `कया था |
मह~ एवं आव•कता :
• _|ता हम मान4सक सामा4जक और बौ Dक हर तरीके से _ƒ बनाती है |
• हम अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चा+हए ता`क `कसी :कार कA बीमारी ना फैले |
C}ता से लाभ :
इस अ भयान म छाB अपना महnपूणग योगदान दे सकते ह> | छाB अपने प<रावार और œुल म इस अ भयान
के आशय को तन मन से अपनाएंगे और काया\ करगे तो _ƒ भारत और _| भारत का नमा\ण कर सकते
ह> |
• भारत म खुले म मला tाग कA Tवƒा का जe से उ˜ूलन करना |
• T Gगत शौचh का नमा\ण कA Tवƒा |
• _|ता के 4लए लोगो म जाग5कता लाना |
• Tावहा<रक बदलाव को ब0ाव देना |
• शहर और Zाम@ को _| रखना |
• साफ सफाई से संबं धत जन जागृ त काया\àम का आयोजन करना |
उपासंहर: हम यह कह सकते ह> `क मानव के जीवन म _|ता का ब-त ही महnपूण\ ƒान है । _|
वáलय, _| भोजन, _यं कA _|ता, T Gगत _|ता, बच@ कA सुर•ा, _| पेयजल और _|
शौचालय इन सब का होना ब-त ही महnपूण\ है। इस 4लए देश के हर नाग<रक को अपने घर के आस पास के
वातावरण को _| रखना सीखना चा+हए। और छाB@ को भी _|ता के : त सचेत कराना अव›क है।
“C}ता का रखे •ान C}ता से देश बनेगा महान”.
इं टरनेट
वषय वेश :- आज का युग इं टरनेट युग है | बeे बू0@ से लेकर छोटे बx@ तक सब पर इस इâरनेट का असर
प0ा है |
इं टरनेट का अथ? :- इं टरनेट अन गनत कंŠूटर@ के कई अंतरजाल का एक दूसरे से संबंध ƒा पत करने का
जाल है |
इं टरनेट का मह~ :- इं टरनेट जीवन के हर •B म अपना कमाल +दखाया है | चकlा , कृ ष, अंत<र•ा #ान
, व#ान , 4श•ा और यहां तक `क देश के र•ा +दलो कA काया\वाही म इं टरनेट का ब-त बeा योगदान है|
इं टरनेट लाभ:
61
KREIS Third Language Hindi
बेरोƒगारी
वषय :वेश : हमारे देश कA एक क<ठन समsा है बेरो‘गारी | बेरो‘गारी एक आ थ± क और साम4जक समsा
है 4जसके कारण देश कA शां त और Tवƒा को खतरा है |
बेरो‘गारी का अथ\ : बेरोजगार उस T G को कहा जाता है जो `क बाजार म : त मजदूरी दर पर काम तो करना
चाहता है 4ल•खन उसे काम नही मल पा रहा है | `कसी प0े वखे T G को नौकरी नही मल रही है तो उसे
बेरोजगार माना जाता है |
बेरोƒगारी के कारण : æ
• ब0ती -ई जनसंÔा æ
• दोषपूण\ 4श• :णा4ल æ
• आधुवनक मशीन@का उपयोग
• उáोग धंध@ का अभाव æ
• लघु तथा कुटीर उáोग@ कA िअन त
बेरोƒगारी के दु{Qरणाम : æ
• बेरोजगारी के कारण नद\नता म वृ D होती है æ
• भुखमरी कA समsा उy× होती है æ
• अपराध@ म वृ D होती है æ
• बेरोजगारी के कारण मान4सक अशां त होती हैऔर कुछ लोग तंग आकर आkहtा कर लेते ह>
62
KREIS Third Language Hindi
6. महाँगाई
वषय वेश : भारत कA ब-त सी आ थ± क समsाओं म महं गाई कA समsा एक मुÔ है , 4जसके कारण
èरीब@ को अपनी मूलभूत आव›कताएाँ भी पूरी करना मुéêल हो जाता है |
महं गाई का अथ? : महं गाई का अथ\ होता है वHुओं कA ãAमत म वृ D या इ‘ाÚा होना |महं गाई कA वजह से
देश कA अथ\ Tेवƒा म उतार चढाव आते ह> |
महं गाई के कारण : æ
• जनसंÔा वृ D के कारण |
• अनाज कम होने के कारण |
• अ तवृ c और अनावृ c के कारण |
• बeे बeे Tापारी अनाज को अपने अपने गोदाम@ म जमा कर बा‘ार म दाम ब0ने तक रखते ह>
महं गाई से उ„v समyाएं : æ
• अनाज पया\f माB म ना मलने के कारण काला बा‘ारी कA समsा उy× होती है |
• काला धन जमा हो रहा है |
• राजनी त म Tाf ëcाचर |
• राÝीय कृत उáोग@ म घाटा |
• bपए का अवमूhन मुjाìA त |
महं गाई दूर करने के उपाय : …
• सरकार को कालाबाजारी रोकने के लए ब-त ही सí कानून बनाने चा+हए æ ।
• महं गाई को खk करने के 4लए जनता को भी सरकार का साथ देना चा+हए æ ।
• जनसंÔा पर नयंBण लगाने से भी महं गाई को रोका जा सकता है ।
• ëcाचार काला बाजारी करनेवाल@ पर शासक पर का कठोर नयंBण होना चा+हए ।
उपसंहार : महं गाई देश कA आ थ± क TîHा के 4लए खतरनाक है इस पर नयंBण नही `कया गया तो ëcाचार
को :ेरणा मलती है इसके कारण आ थ± क वृ D मंद पe जाती है अतः महं गाई पर नयंBण के 4लए यथाशीï कeे
से कeे कदम उठाने कA अव›कता है |
63
KREIS Third Language Hindi
IX. ^ : a. * 8f : 1x5=5
38. 5
S4h 8f
<दनांक : 02.02.2023
Aेषक
सीमा कBा 10 व-
5क. रा. च. आ.
पाठशाला EनFूर ( बी )
ता. भालक: Jज. बीदर
सेवा म,
Aधाना ापक
5क. रा. च. आ.
पाठशाला EनFूर ( बी )
ता. भालक: Jज. बीदर
आदरणीय महोदय,
उपयु1N 5वषय के संबंध म आपसे Eनवेदन है 5क मेरी तबीयत ठीक नह- है | मO 5पछले कुछ <दन9 से
बुखार से पी<ड़त Pँ | डॉTर से अपना इलाज करवाना चाहती Pँ | इसJलए आप मुझे <द. 03. 02.2023 से
04.02.2023 तक इन दो <दन9 क: छु Fी देने क: कृपा क:Jजए
धWवादसXहत
64
KREIS Third Language Hindi
2. %8 8i R * > %8 :8 ( 8f ।
<दनांक: 14/02/2023
से.
आरा ा भूEत
10 व- कBा,
यादा[गरी
मेरी पढाई अdी तरह चल रही है । घटक परीBाओं म मOने अdे अंक नीकाले हO । मुझे
पूरा भरोसा है 5क मेरे सतत अ यन से और आप के आशीवा1द से वा<षgक परीBा म अhल नंबर से
उ]ीण1 हो जाऊँ गी।
आपक: लाडली
आरा ा भूEत
सेवा म,
बसवराज 6ब 6ब
यादागुरी 585223
65
KREIS Third Language Hindi
66
KREIS Third Language Hindi
42) oÉxÉÇiÉ Måü oÉÉUå qÉåÇ AÉmÉ YrÉÉ eÉÉlÉiÉå Wæû ? AmÉlÉå zÉoSÉåÇ qÉåÇ ÍsÉÎZÉL ?
43) AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ AÉæU eÉsÉÉsÉÑ̬lÉ Måü xÉÇoÉkÉ MüÉ uÉhÉïlÉ MüÐÎeÉL ?
44) rÉzÉÉåSÉ YrÉÉåÇ ZÉÑzÉ WûÉå eÉÉiÉÏ Wæû ?
45) qÉÏlÉÉ qÉæQûqÉ Måü AlÉÑxÉÉU SåzÉ MüÉ MüsrÉÉhÉ MæüxÉå xÉÇjÉlÉ Wæû ?
46) MüsÉqÉ eÉÏ MüÉå eÉsÉÉsÉÑ̬lÉ lÉå lÉD SÒÌlÉrÉÉ MüÉ oÉÉåkÉ MæüxÉå MüUÉrÉÉ ?
47) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ MüWûÉlÉÏ xÉå AÉmÉMüÉå YrÉÉ xÉÏZÉ ÍqÉsÉiÉÏ ?
1) mÉëåqÉcÉÇS eÉÏ Måü xÉÉjÉ UåuÉQûÏ oÉåcÉlÉåuÉÉsÉå MüÉ urÉuÉWûÉU MæüxÉÉ jÉÉ ?
2) CÇOûUlÉåOû xÉå SåzÉ MüÐ AÉÍjÉïMü ÎxjÉÌiÉ qÉåÇ MæüxÉå xÉÑkÉÉU Séé xÉMüiÉå WæÇû ?
3) ÌSlÉMüU eÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU pÉÉæÌiÉMü xÉÉkÉlÉÉåÇ MüÉ uÉhÉïlÉ MüÐÎeÉL ?
4) UÉåoÉÉåÌlÉsÉ YrÉÉ-YrÉÉ MüÉqÉ MüUiÉÉ jÉÉ ?
5) eÉsÉÉsÉѬÏlÉ AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ MüÉå lÉD SÒÌlÉrÉÉ MüÉ oÉÉåkÉ MæüxÉå MüUÉrÉÉ ?
6) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ mÉÉPû MüÉ xÉÇSåzÉ YrÉÉ Wæû ?
7) xÉqÉrÉ MüÐ mÉWcÉÉlÉ MüÌuÉiÉÉ AÉzÉrÉ YrÉÉ Wæû ?
8) kÉÏUeÉ xÉYxÉålÉÉ MüÉå AÇiÉ qÉåÇ UÉåoÉÉåÌOûMü xÉÇbÉ xÉå YrÉÉ aÉÑeÉÉËUzÉ MüUlÉÏ mÉQûÏ ?
9) AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ MüÌuÉiÉÉ MüÉ AÉzÉrÉ YrÉÉ Wæû ?
10) xÉqÉrÉ AlÉqÉÉåsÉ Wæû | MæüxÉå xmwÉOû MüÐÎeÉL ?
11) ¥ÉÉlÉ - ÌuÉ¥ÉÉlÉ Måü ¤Éå§É qÉåÇ MülÉÉïOûMü MüÐ mÉëaÉÌiÉ MüÉ uÉhÉïlÉ MüÐÎeÉL ?
12) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ mÉÉPû ²ÉUÉ sÉåZÉMü mÉÉPMüÉåÇ MüÉå YrÉÉ xÉÏZÉ SålÉÉ cÉÉWûiÉå WæÇû ?
13) ÌSlÉMüUeÉÏ lÉå AÉkÉÑÌlÉMü qÉÉlÉuÉ MüÉ aÉÑhÉ aÉÉlÉ MæüxÉå ÌMürÉÉ Wæû ?
14) sÉåÎZÉMü Måü mÉëÌiÉ ÌaÉssÉÔ AmÉlÉÏ pÉÉuÉlÉÉ MæüxÉå mÉëMüU MüUiÉÉ jÉÉ ?
15) mÉÇÌQûiÉ UÉeÉÌMüzÉÉåU MüÐ mÉUÉåmÉMüÉËUiÉÉ AlÉÑxÉUÍhÉrÉ Wæû | xmɹ MüÐÎeÉL ?
16) ÌaÉssÉÔ lÉå qÉWûSåuÉÏ uÉqÉÉï MüÐ AxuÉxjÉiÉÉ qÉåÇ ElÉMüÉ ZÉrÉÉsÉ MæüxÉå UZÉÉ ?
17) xÉÉåÍzÉrÉsÉ lÉåOûuÉÌMïÇüaÉ xÉÉDOûÉåÇ Måü MüÉUhÉ xÉqÉÉeÉ mÉU YrÉÉ mÉëpÉÉuÉ mÉÄQûÉ Wæû ?
18)oÉxÉÇiÉ mÉËU´ÉqÉ MüÐ MüqÉÉD xÉå eÉÏlÉåuÉÉsÉÉ oÉÉsÉMü Wæû | MæüxÉå oÉiÉÉDL ?
19) ÌaÉssÉÔ qÉWûSåuÉÏ uÉqÉÉï MüÉå MæüxÉå cÉÉæÇMüiÉÉ jÉÉ ?
20)UÉåoÉÉåÌlÉsÉ AÉæU xÉÉkÉÉåUÉqÉMåü oÉÉUå qÉåÇ YrÉÉåÇ ÍcÉÇÌiÉiÉ jÉÉ ?
21) aÉÉåiÉZÉÉåU MåüoÉÉUå qÉåÇ MüÌuÉ MåüÌuÉcÉÉU YrÉÉ Wæû ?
22)CÇOûUlÉåOû AÉkÉÑÌlÉMü eÉÏuÉlÉ zÉæsÉÏ MüÉ qÉWûiuÉmÉÔhÉï AÇaÉ oÉlÉ aÉrÉÉ Wæû MæüxÉå xm¹ MüÐÎeÉL ?
23)oÉÉsÉzÉÌ£ü mÉÉPû Måü AlÉÑxÉÉU NûɧÉÉåÇ MüÐ OûÉåsÉÏ MüÉ MüiÉïurÉ YrÉÉ- YrÉÉ jÉÉ ?
24) UÉåoÉÉåÌOûMüÐ ÌlÉrÉqÉÉåÇ Måü oÉÉUå qÉåÇ AÉmÉ YrÉÉ eÉÉlÉiÉå WæÇû ?
25) ‘ AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ ’ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ uÉæ¥ÉÉÌlÉMü rÉÑaÉ AÉæU AÉkÉÑÌlÉMü qÉÉlÉuÉ MüÉ ÌuÉzsÉåwÉhÉ MæüxÉå ÌMürÉÉ Wæû ?
26)UÉåoÉÉåÌlÉsÉ MüÇmÉÌlÉrÉÉåÇ MüÉ Måü qÉÉÍsÉMüÉåÇ Måü oÉÏcÉ WûsÉcÉsÉ YrÉÉåÇ qÉcÉ aÉD ?
67
KREIS Third Language Hindi
6) ‘ AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ ’ MüWûÉð mÉU AÉxÉÏlÉ WÒûAÉ Wæû ?
7) xÉåoÉ ZÉÉlÉå xÉå YrÉÉ sÉÉpÉ WûÉåiÉÉ Wæû ?
8) uÉÏQûÏrÉÉåÇ MüÉlTüÉUålxÉ xÉå YrÉÉ sÉÉpÉ Wæû ?
9) iÉÑsÉxÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU qÉÉlÉuÉ MüÐ AÉÇiÉËUMü AÉæU oÉɽ zÉÑ̬ MæüxÉå WûÉåiÉÏ Wæû ?
10) MüÌuÉ pÉaÉuÉÌiÉcÉUhÉ uÉqÉÉï qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ ÌMülÉMüÉ xqÉUhÉ MüUiÉå Wæû ?
11) iÉÑsÉxÉÏSÉxÉ Måü oÉcÉmÉlÉ MüÉ lÉÉqÉ ‘ UÉqÉoÉÉåsÉÉ ’ YrÉÉåÇ mÉÄQûÉ ?
12) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ ÌMüxÉMüÐ eÉlÉlÉÏ Wæû ?
13) iÉÑsÉxÉÏSÉxÉ xÉå UÍcÉiÉ qÉWûÉ MüÉurÉ MüÉ lÉÉqÉ YrÉÉ Wæû ?
14) ‘ ÌuÉOûÍqÉlÉ AÉæU mÉëÉåOûÏlÉ ’ zoSÉåÇ MüÉ ÌuÉcÉÉU MüWûÉð WûÉå UWûÉ Wæû ?
15) rÉzÉÉåSÉ YrÉÉåÇ ZÉÑzÉ WûÉåiÉÏ Wæû ?
16) mÉëåqÉcÉÇS eÉÏ cÉÉæMü qÉåÇ YrÉÉåÇ aÉrÉå jÉå ?
17) ÌaÉssÉÔ xÉÑUÉD mÉU YrÉÉåÇ sÉåOû eÉÉiÉÉ jÉÉ ?
18) rÉzÉÉåSÉ ÌMüxÉMüÐ MüxÉqÉ ZÉÉiÉÏ Wæû ?.
19) mÉÉPû Måü AlÉÑxÉÉU xÉoÉxÉå mÉWûsÉå AÉSqÉÏ MüWûÉð UWûiÉÉ jÉÉ ?
20) UÉqÉ lÉÉqÉ eÉmÉlÉå xÉå qÉÉlÉuÉ MüÉå YrÉÉ sÉÉpÉ ÍqÉsÉiÉÏ Wæû ?
21) iÉÑsÉxÉÏSÉxÉ eÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU qÉÑÎZÉrÉÉ MæüxÉå WûÉlÉÏ cÉÉÌWûL ?
22) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ ÌMüxÉMüÐ fÉsÉMü ÌSZÉÉrÉÏ SåiÉÏ Wæû ?
23) pÉÉUiÉ qÉÉð ‘ AqÉUÉåÇ MüÐ eÉlÉlÉÏ ’ YrÉÉåÇ MüWûsÉÉiÉÏ Wæû ?
24) MüÌuÉ pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ MüÉå mÉëhÉÉqÉ YrÉÉåÇ MüWû UWåû Wæû ?
25) MüÌuÉ iÉÑsÉxÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU xÉÇiÉ MüÉå MæüxÉå WûÉålÉÉ cÉÉÌWûL ?
26) ÌMÇüSÕ sÉÉÍsÉqÉÉ AÉæU ÌMÇücÉÉ sÉÉÍsÉSÉqÉ lÉå YrÉÉ iÉrÉ ÌMürÉÉ ?
27) ÌoÉNåûSìÏ MüÉælÉ –MüÉælÉ-xÉå mÉÑUxMüÉU SåMüU xÉqqÉÉlÉ ÌMürÉÉ ?
28) ÌuÉkrÉÉ ,ÌuÉlÉrÉ iÉjÉÉ ÌuÉuÉåMü ÌMüxÉMåü xÉÉjÉÏ Wæû ?
29) MüÌuÉ pÉaÉuÉÌiÉcÉUhÉ uÉqÉÉï pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ xÉå YrÉÉ ÌlÉuÉåSlÉ MüU UWåû Wæû ?
30) mÉzÉÑ mÉͤÉrÉÉåÇ lÉå AÉSqÉÏ MüÉå YrÉÉ oÉlÉÉlÉÉ ÍxÉZÉÉrÉÉ ?
31) SÉålÉÉåÇ SÉåxiÉ eÉÉlÉuÉÉUÉåÇ xÉå ÍqÉsÉlÉå YrÉÉ aÉrÉå ?
32) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ ÌMüxÉMüÐ fÉsÉMü ÌSZÉÉrÉÏ SåiÉÏ Wæû ?
33) WûÉjÉÏ qÉMüÉlÉ -oÉlÉÉlÉå Måü oÉÉUå qÉåÇ SÉålÉÉåÇ SÉåxiÉÉåÇ MüÉå SrÉÉ oÉÉåsÉÉ ?
34) WÇûxÉ ÃmÉÏ xÉÉkÉÑ sÉÉåaÉ YrÉÉ AmÉlÉÉiÉå Wæû ?
35) zÉUÏU Måü xÉÉUå AÇaÉÉåÇ MüÉå mÉÉsÉlÉ – mÉÉåwÉhÉ MüÉælÉ MüUiÉÉ Wæû ?
36) MüÌuÉ pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ MüÉå mÉëhÉÉqÉ YrÉÉåÇ MüU UWåû Wæû ?
37) ÌMÇüSÕ sÉÉÍsÉqÉÉ AÉæU ÌMÇücÉÉ sÉÉÍsÉSÉqÉ eÉÇaÉsÉ MüÐ AÉåU YrÉÉåÇ cÉsÉ mÉÄQåû ?
38) aÉÉåqÉOåûµÉU MüÐ qÉÔÌiÉï ÌuÉµÉ MüÉå YrÉÉ xÉÇSåzÉ Så UWûÏ Wæû ?
39) xÉoÉxÉå mÉWûsÉå AÉSqÉÏ MüÉå qÉMüÉlÉ oÉlÉÉlÉÉ ÌMüxÉlÉå ÍxÉZÉÉrÉÉ ?
40) AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ MüÉå eÉsÉÉsÉÑ̬lÉ ÌMüxÉ lÉÉ xÉå mÉÑMüÉUiÉå jÉå ?
68
KREIS Third Language Hindi
RESOURCE PERSONS
• Basavaraja Bhooti, Hindi Teacher
KRCRS(481) Shahapur Dist- Yadagiri. Mo. No – 9900804567
69