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KREIS Third Language Hindi

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KREIS Third Language Hindi

RESOURCE PERSONS
• Basavaraja Bhooti, Hindi Teacher
KRCRS(481) Shahapur Dist- Yadagiri. Mo. No – 9900804567

• Dr. Devaraj, Hindi Teacher


MDRS(02) Chamrajpet, Bangalore. – 18 Mo. No – 9449214660

• Javid Karishabu, Hindi Teacher


MDRS(224) Yadavad Dist Belaganvi Mo. No – 9482169513

• Mubeen Taj R , Hindi Teacher


KRCRS Manichendur Dis. Tumkur Mo. No – 9535033406

• Ravindrakumar, Hindi Teacher


KRCRS (704) Nitturu, Dist - Bidar Mo. No – 9845306630

• Ramesh Alur, Hindi Teacher


MDRS(288) Hebballi, Dist- Haveri Mo. 9591391316

• Rahammunnisha, Hindi Teacher


KRCRS Yerrenalli, Molakalumuru, Dist – Chitradurga Mo. No – 9731197033

• Ananada H, Hindi Teacher


MDRS(611) Hampasagar Hagari Bommanahalli, Dist- Vijayanagar Mo. No – 9481304722

• Praveen Shiragur, Hindi Teacher


MDRS(231) Kallolli, Mudulagi Dist- Belagavi Mo. No – 9449670696

• Madhusudhana C S, Hindi Teacher


KRCRS Belagola, Shrirangapattana Dist – Mondya Mob - 9880794125

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पाठ - 1 - भगवती चरण वमाC

क वता का आशय : भगवतीचरण वमा के नाम को ह ी सा ह म आदर के साथ लया जाता है । #$ुत
क वता म क व के दे श#ेम क& झलक दखायी दे ती है । वे मातृभू+म को #णाम करते ,ए उसम व/मान
अपार वन संपदा, ख+नज - संप56 का वणन करते ,ए भारत के महान् वभू+तय8 का 9रण करते ह: ।
इस क वता से भारत क& महानता का प रचय #ा< होता है ।

क व प रचय- भगवतीचणा वमा

जE : सन 30 अगJ 1903 यह धरती सुख स और धन-धा से


Kल : उNर Oदेश के उTाव Uजला के शफ़Wपुर गाँ व मे भरी है।
Zआ। मातृभू म एक हाथ म ाय का झंडा और
Uश\ा : इलाहाबाद से बी.ए एल.एल.बी कW िडcी Oाd दूसरे म #ान का दीप है।
कW
देश के सभी लोग एक साथ 'जय +ह,'
eा \ेf : िवचार और नवजीवन पिfका के सं पादक थे| और
का नारा लगाते -ए आगे ब0 और सभी
आकाश वाणी मे का करते थे|
नगर और गाँव म यही नारा गूँजे, 4जससे
पुरkार : भूले - िबसरे Uचfा को सािहnा अकाडेमी
देश का 5प बदल सके। इस4लए हे
पुरkार
रचनाएँ : Uचfा लेखा उपpास पर दो बार िफr िनमाCण मातृभू म ! तु8 सौ-सौ बार :णाम ।
Zआ है।
एक हाथ म Cाय
उपpास : टे ढ़े-मेढ़े राJे, पतन, तीन वषC, अपने िकलौने भारत माँ का #कृ+त-सBदय का पताका है
कहानी सं cह : मेरी कहािनयाँ , सzूणC कहािनयाँ , मोचाC बं दी नयन मनोहर है ।
किवता सं cह : मेरी किवताएँ , सवनीय, और एक नाराज
नाटक : मेरे नाटक, वसीयत Dसरे हाथ म
मृnु : सन 5 अ|ूबर 1981 Eान का दीप
है ।
पाठ म ान देने यो अंश:-
यहाँ फल-फूल8
क व मातृभू म को को<ट-को<ट बार :णाम रहे ह> इस धरती
से यु? वन
मातृभू म अमर लोग@ कA माता है। ख+नज8 क&
उपवन ह: ।
अपार सAदा है ।
4जस प वB भू म के Cदय म गाँधी, बुD और राम जैसे
महान लोग बसे ह>। भारत माता गांधी,
हरे -भरे खेत बुG और राम
यहाँ हरे-भरे खेत, फल - फूल@ से लदे उपवन, वन आ+द
सुहाने है । जैसे " अमर8 क&
ह>। जननी " कहते है ।
इस धरती म अपार ख नज@ कA स दा है।
मुG हH से सबको बाँट रही है।

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I. : II. – :
1. क व कसे णाम कर रहे ह ? 1. भारत माँ के कृ त-स>दय? का वण?न
उ र : क व मातृभू म को :णाम कर रहे ह>। क@3जए ।
2. भारत माँ के हाथ म ा है ? क व वमा\ जी ने मातृभू म क वता म :ाकृ तक
उ र : भारत माँ के हाथ@ म ाय पताका तथा #ान-दीप स]दय\ का वण\न करते है कA -
ह>। • भारत माँ का :कृ त-स]दय\ नयन मनोहर है।
3. आज माँ के साथ कौन है ? • मातृभू म के हरे-भरे सुहाने खे :कृ त कA
उ र : आज माँ के साथ को<ट-को<ट भारतवासी ह>। शोभा ब0ाते ह> ।
4. सभी ओर ा गूँज उठा है ? • यहाँ फल-फूल@ से युG बाग-बगीचे तथा
उ र : सभी ओर जय-+हP द के नाद का गूँज उठा है। वन ह>।
5. भारत के खेत कैसे ह ? • इस धरती ख नज@ कA अपार स दा ह
उ र : भारत के खेत हरे-भरे तथा सुहाने ह>। 2. मातृभू#म का C1प कैसे सुशोEभत है
6. भारत भू#म के अंदर ा- ा भरा (आ है ? • मातृभू म अमर@ कA जननी है।
उ र : भारत भू म के अंदर ख नज@ का Tापक धन भरा • उसके ^दय म गांधी, बुD और राम समा यत
-आ है। ह>।
7. सुख-संप#+, धन-धाम को माँ कैसे बाँट रही है ? • माँ के एक हाथ म ाय पताका तथा दूसरे
उ र : सुख-संप , धन-धाम को माँ मुG हH से बाँट रही हाथ म #ान दीप है।
है। • इस :कार मातृभू म का _5प सुशो भत है ।

8. जग के 1प को बदलने के 3लए क व कससे नवेदन III. अनु1पता:


करते ह ? 1. वसीयत: नाटक:: चBलेखा : उपHास
उ र : जग के 5प को बदलने के 4लए क व भारत माता 2. शत-शत: `ab G:: हरे-भरे : युI
नवेदन करते ह>। 3. बाय हाथ म : ाय पताका :: दा+हने हाथ म :
9. ‘जय-7ह8 द’ का नाद कहाँ-कहाँ पर गूँजना चा7हए ? Jानदीप
उ र : ‘जय-+हP द’ का नाद भारत के सकल नगर और Zाम 4. हH ::हाथ-:: पताका : झंडा
म गूँजना चा+हए।
एक हाथ म ाय-पताका, भावाथ? :
ान-दीप दूसरे हाथ म,
उपयु\G पं Gय@ को क व भगवतीचरण वमा\ aारा र चत ‘मातृभू म’ नामक क वता भाग से 4लया
जग का प बदल दे, हे माँ, गया है ।क व भारत माता कA ाय नcा, #ानश G तथा महानता के बारे म बताते -ए इस
को%ट-को%ट हम आज साथ म । :कार 4लखते ह> `क – हे भारत माता ! तेरे एक हाथ म ाय कA पताका तो दुसरे हाथ म #ान
गूँज उठे जय- ह+द नाद से – का दीपक है ।अब तू संसार का 5प बदल दे माँ! आज हम करोe@ भारतवासी तु8ारे साथ ह> ।
सकल नगर और .ाम, हे मा ! पूरे देश के गाँव-गाँव तथा नगर-नगर म ‘जय-+हP द’ का नाद गूँज उठे यही हमारी आशा
मातृ-भू, शत-शतब बार 1णाम । है । भारत माता तु8े सौ-सौ बार :णाम।

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पाठ - 2 - Oेमचं द
इस कहानी म बाजार म लोग8 के साथ होनेवाली धोखेबाज़ी पर #काश डाला गया है ।
ख़रीदारी करते समाय सावधानी बरतने क& आवMकता पर ज़ोर दया गया है ।
• ! "#
• ज : 31 जुलाई 1880 • सािह./क िवध: यथार् 0थवाद2 कथाकार थे |
• थल : वारणासी के पास लमही गाँ व मे आ | • रचनाएँ : कहानी सं6ह : बड़े घर क: बेटी, नमक का दरोगा,
• वा तिवक : धनपतराय था | पंच परमे=र, पूस क: रात आिद, ?ेमचं द क: कहािनयाँ ‘मानस
• #श%ा : वे मे&ट(क तक ही पढ़ पाये | सरोवर’ नाम से संकBलत है |
• कार् या %े+ : वे #श%ा िवभाग मे नौकरी करते थे • उपEयास : गोदान, सेवासदन, गबन, िनर् मला, कर् मभूFम
• मृ/ु : सन 5 अJतूबर 1981

पाठ म ान देने यो अंश:-


• इस कहानी म} लेखक ने • रोजाना एक सेब खाने से जीवन म} • दुकानदार ने उन सेबों को
~ि| को बाजार म} सामान डॉ…रों कW आव€कता नहीं रहती तोलकर Uलफाफे म} रखकर और
खरीदते समय होने वाली । ‹माल म} बाँ धकर उŒ} दे िदया।
धोखेबाजी से बचने के Uलए • फल खाने का समय Oातःकाल
सावधानी बरतने कW है।
आव€कता पर जोर िदया है। • पहला सड़ा Zआ था।
• पं जाबी मेवाफरोशों कW दुकान • दूसरा सेब आधा सड़ा Zआ था।
पर बZत अ•े रंगदार, • तीसरा सेब सड़ा तो नहीं था एक
गुलाबी सेब सजे Zए थे । तरप दबकर िबलकु ल िपचक
• सेबों को देखकर लेखक जी गया था ।
को ललचा उठा । • चौथा सेब बेदाग था, मगर उसम}
• आजकल UशU\त समाज म} एक काला सुराख था।
िवटािमन और Oोटीन के बारे • पहले इतनी धोखेबाजी कभी
म} िवचार करने िक O‚ुिN गई नहीं थी ~ापा•रयों का लेन-देन
है। बZत ही पारदश• था।
• भोजन म} टमाटर कW तरह • लेखक ने दुकानदार से मोलभाव • लेखक ने पाठक को यह सं देश
अब गाजर भी एक िवशेष करके आधा सेर सेब माँ गे। िदया है िक बाजार म} बेईमानी
Kान लेने लगी है। • सेब के वल †ाद कW ही चीज नहीं करने का मौका न दे और खुद
• है, ब‡ˆ उनम} गुण भी िव‰मान भी सचेत रह}।
हŠ।

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I. एक वा’ों मे उNर UलUखए : िवलोमाथCक श“


1. लेखक चीज ख रदने कहां गये थे? • शाम-सुबह
• ख•रदना-बेचना
उ#र:-लेखक चीज. खरीदने बाजर(चौक) गये थे।
• बZत-कम/थोडा
2. लेखक को या नजर आया? • अ•ा-बुरा
उ#र:- लेखक को गुलाबी रंगदार सेब नजर आया। • गरीब-अमीर
• रात-िदन
3. लेखक का जी य ललचा उठा?
• गम-खुशी
उ#र:-लेखक का जी गुलाबी रंगदार सेब देखकर ललचा उठा। • पास-दूर
4. टोमाटो िकसका अव$यक अंग बन गया है? • हानी-लाभ
उ#र:-टोमाटो भोजन(खाने) का अवGयक अंग बन गया है। • साफ-गं दा
• ईमान-बेइमान
5. (वाद म सेब िकससे बडकर नह* है?
• UशU\त-अUशU\त
उ#र:-Jवाद म. सेब आम से बड कर नहL है। • सहयोग-असहयोग
6. रोज एक सेब खाने से िकनक, ज-रत नह* होगी? • आव€क-अनाव€क
• सं देह-िनसं देह
उ#र:-रोज एक सेब खाने से डाPटर कQ जRरत नहL होगी।
अp वचन •प
II.
II - %# !&
चीज-चीज}
1. ! "# ( ) * " ) +,? राJा-राJे
:- ( * ) . / + दूकान-दूकाने
" )+ । +1 2# + +,। आं ख-आं ख}
2. 4 +? •पए-•पएं
:- 4 + -" 4( 6 ( 7. +,। दूकान-दूकाने
+,। 78 ( # , : . 4; + आं ख-आं ख}
•पए-•पएं
( .< ।"
फल-फल
3. 2+ * ?
कमCचारी-कमCचारी गण
:- 8+ 6 >7 ? । 7/ 6 >7 ~ापारी-~ापारी गण
?। @ :8" <. ? । "A? * रेवडी-रेवUशयां
4 ? । B /C 86 <. ? । D +
. +1 ? ।
अनु‹पता:

1. के ला : पीला रंग :: सेब : ………… लाल रंग


2. सेब : फल :: गाजर : ……………. स—ी सेब
3. नागपूर : सं तरा :: क˜ीर : ………… सेब
4. कपडा : नापना :: टोमाटो : …………. तोलन

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पाठ - 3 <E - महादेवी वमा


पशु- पNी भावहीन #ाणी ह: । यह कौन कह सकता है ? वे भी हमारी तरह कभी-कभी हमसे भी अQधक भावानुकूल,
वचारवान और सRदय Sवहार करते ह: । महादे वी वमा ने एक छोटी-से जीव, +गलहरी के बVे का रे खांकन कर #ाणी
जगत् क& मानव - सहज जीवन-शैली का #भावशाली चWण कया है । आज के स भ म जहाँ मानव के Xाथ के
कारण पशु-प Nय8 क& जा+तयाँ लु< होती जा रही ह: , वहाँ महादे वी वमा का यह 'सं9रण' उनक& रNा करने और
उनके #+त #ेमभाव जगाने क& दशा म एक साथक #यZ 5सG होता है । इस पाठ से \ेहभाव तथा #ाणी - दया क&
सीख +मलती है । पशु-प Nय8 के Xभाव और उनक& जीवन-शैली के साथ-साथ उनके #+त महादे वी वमा के #ेम से
बVे प र चत होते ह: ।

महादे वी वमा
ज : 24 माच 1907 रचनाएँ : यामा, दीप3शखा, नीरझ, नहार, अतीत के चल8च9, :ृ त के रेखाएं,
पथ के साथी, मेरा प<रवार, =ंखला क> क<?याँ.
ल : फ काबाद मे आ
पुर ार : सेकसो<रया, मंगल प<रतोषक, <Cवेदी पदक, यामा कृ त के Dलए “
उपाधी : “आधु नक मीरा”
Eानपीठ पुर&ार
श ा : याग व! व"ालय से सं&ृत म)
मृ ु : 3सतंबर 1987
एम ए उपा-ध

काय े : याग मे म हला व"ापीठ मे धाना"ा पका पद संभाला.

पाठ म ान देने यो अंश:-


• पुराणV म. कौए को काकभुशुXYड कहा • उसका िnय खाo काजू था। • लेXखका के rयान आकsषत करने
जाता है • लेXखका का के साथ बैpकर थाली म. से के jलए परदे के ऊपर चढ़ ता या
• कौए एक साथ समादZरत, अनादZरत और एक-एक चावल उठाकर खाता था। उतरता था।
अित अवमािनत होता है। • कई घYटे बाद उसके मुँह म. पानी कQ एक • एक बार लेXखका को मोटर दुघट
^ ना
• हमारे पूव^ज िपतरप_ म. काक बनकर बूँद टपकायी। के कारण कुछ िदन अJपताल म.
आते ह`। • लेXखका ने उसका नाम िगqू रख िदया। रहना पड़ ा।
• दूर रहने वाले ZरGतेदारV के आने का • उaहVने उसे एक फूलV कQ डjलया म. रखकर • लेXखका कQ बीमारी के समय वह
सaदेश अपने कक^श Jवर म. दे ते ह`। Xखड़ कQ म. लटका िदया था। उनके पास बैठकर पंजV से बालV को
• एक छोटा-सा िगलहरी का बcा अपने सहलाता था।
घVसले से िगर गया था। • गsमयV कQ िदनV म. लेXखका के पास
• कौए उसे मे सुलब आहार खोज रहे थे। रखी सुराही पर लेट जाता था।
• लेXखका ने उसे बड़ ी सावधानी से उठाया • िगqु िक अयु लग बग दो वष^ है।
और कमरे म. लायL। • लेXखका ने उसके शरीर को गम^
• वहाँ Rई से उसका खून साफ िकया और रखने के jलए हीटर जलाया
घाव पर प.िसjलन मरहम लगाया। • लेिकन सुभा के समय म. वह िचरा
• वह भूख लगने पर िचकू िचक् करके िनwा मे सो गया।
बुलाता था। • सोनजुही कQ लता के िनचे िगqु क
• लेXखका को चlकाने के jलए वह कभी समािध है।
फूलदान के फूलV म., परदे के चुmट म.,
कभी सोनजुही कQ पि#यV म. िछप जाता
था।

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KREIS Third Language Hindi

I. ( : II. - * :

1. लेUखका ने कौए को ’ों िवUचf प\ी कहा है ? 1. लेUखका का ान आकिषCत करने के Uलए
उNर : लेUखका ने कौए को इसUलए िवUचf प\ी कहा है िगœू ’ा करता था ?
िक यह प\ी एक साथ समाद•रत, अनाद•रत, अित उNर :- लेUखका का ान आकिषCत करने
सšािनत तथा अित अवमािनत है। के Uलए िगœू लेUखका के पैर के पास
2. िगलहरी का ब›ा कहाँ पड़ा था आकर सर से परदे पर चढ़ जाता और तेजी
से उतरता था।
उ: िगलहरी का ब›ा गमले और दीवार कW सं Uध म} पड़ा
था। 2. महादे वी वमाC को चौंकाने के Uलए वह
(िगœू) कहाँ -कहाँ Uछप जाता था ?
3. लेUखका ने िगœू के घावों पर ’ा लगाया ?
उNर :- महादेवी वमाC को चौंकाने के Uलए
उ: लेUखका ने िगœू के घावों पर पे‡žUलन का मरहम
वह (िगœू) परदे पर चढ़ जाता और तेजी
लगाया।
से उतरता था, फूलदान के फूलों म} Uछप
4. लेUखका को िकस कारण से अŸताल म} रहना पड़ा ?
जाता, कभी सोनजुही कW पिNयों म} Uछप
उ : लेUखका को मोटर दुघटC ना म} आहत हो जाने के जाता था।
कारण से अŸताल म} रहना पड़ा।
3. लेUखका को िगलहरी िकस ‡Kित म}
5. िगलहरी का िOय खा‰ ’ा था ? िदखायी पड़ी?
पड़ी?
उ : िगलहरी का िOय खा‰ काजू था। उNर :- कौओं कW चोंच से घायल होकर
6. वमाC जी िगलहरी को िकस नाम से बुलाती थीं ? िन£े¤ अवKा म} िगलहरी लेUखका को
उ : वमाC जी िगलहरी को िगœू नाम से बुलाती थीं। िदखायी पड़ी।
7. िगलहरी का लघु गात िकसके भीतर बं द रहता था?
था? 4. लेUखका ने िगœू के Oाण कै से बचाये ?
िगलहरी का लघु गात Uलफाफे के भीतर बं द रहता था। उNर :- लेUखका ने घायल िगœू को धीरे से

8. िगलहरी गम• के िदनों म} कहाँ लेट जाता था ? उठाकर •ई से र| पोंछकर घावों पर


पे‡žUलन का मरहम लगाया । इस तरह
िगलहरी गम• के िदनों म} सुराही पर लेट जाता था।
िगœू के Oाण बचाय} ।
9. िगलह•रयों कW जीवनावUध सामाpतया िकतनी होती
5. िगœू ने लेUखका कW गैर हाजरी म} िदन
है ?
कै से िबताये?
िगलह•रयों कW जीवनावUध सामाpतया दो वषC होती है।
उNर :- लेUखका कW गैर हाजरी म} कमरे म}
10.िगलहरी कW समाUध कहाँ बनायी गयी है ?
दूसरे ~वित को देखकर िगœू अपने घोंसले
उ: िगलहरी कW समाUध सोनजुही कW लता के नीचे बनायी म} जा बैठता है लेUखका अŸताल से लौंटने
गयी है। तक अपने िOय खा‰ काजू तक न खाया ।
दुःख और िनराशा से िदन िबताया।

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III. चार – पाँच वा य म उ2र 3ल4खए


1. ले4खका ने िगलहरी को या या िसखाया ? 2. िग5ू के अंितम िदन का वण7न क,3जए ।

उ#र:- लेXखका खाते समय िबqू थाली के पास बैठकर उ#र :- िगqू अपने अंितम िदन सुबह से न
एक-एक चावल उठाकर खाना िसखायी। कभी लेXखका कुछ खाया न बाहर गया, उसके पंजे ठं डे हो गए
jलखने बैठी तो िगqू तंग करती थी तब लेXखका jलफाफV थे लेXखका ने उसे गरम रखने का nयzन िकया
के भीतर बंदकर अनुशासन िसखायी। लेिकन nभात कQ nथम िकरण के साथ िगqू

3. िग5ू के काय7 कलाप के बारे म 3ल4खए । िचर िनwा म. सो गया ।


4. िग5ू के <ित महादेवी वमा7 जी क, ममता का
वह Jवयं िहलाकर अपने घर म. झूलता रहता ।
वण7न क,3जए ।
वमा^जी का rयान आकsषत करने के jलए पैर तक आकर
उ#र : महादेवी वमा^ जी ने िगलहरी के बcे के
सर से परदे पर चढ़ ता और उतरता ।
घावV पर पेXaसjलन का मरहम लगाकर उसका
उaह. चlकाने के jलए कभी फूलदान के फूलV म., कभी
nाण बचाया। रहने के jलए झूला लगाकर उसे
परदे कQ चुmट म., तो कभी सोनजूही कQ पि#यV म. िछप जाता
िगqू नाम के साथ स{मािनत िकया। िगqू को

खाने के jलए काजू तथा िबJकुट िदया, थाली म. से
खाते समय थाली से एक- एक चावल उठाकर बड़ी
एक-एक चावल उठाकर खाने को िसखाया। अaय
सफाई से खाता रहता ।
िगलहZरयV के साथ उछल-कूद करने के jलए
उसका िnय खाo काजू न िमलने पर दूसरी खाने कQ चीजV अवसर िदया। िगqू के अंितम िदनV म. उसे बचाने
को झूले के नीचे फ.क दे ता था। कQ पूरी कोशीश भी कQ और उसकQ मृ}ु के बाद
अJवJथता म. िसरहाने बैठकर नaह. पंजV से िसर और बालV समािध भी बनायी गयी। इस nकार महादेवी वमा^
को हाले से सहलाता। जी ने िगqू के nित अपनी ममता को दशा^या है।
Xखड़ कQ के राJते बाहर जाकर िदन भर िगलहZरयV के झुंड
का नेता बनकर डाल पर उछलता-कूदता ।

IV. अनू पता


कGमीरी सेब : कहानी :: िगqु : ........। रेखािच•
तूलसी के दोहे : तूलसीदास :: िगqू : ..... महादेवी वमा^
अ€दूल कलाम : जनवादी रा•्पित :: महादेवी वमा^ : ...... आधुिनक मीरा
अ€दुल कलाम : भारत रzन :: महादेवी वमा^ : .....। ‚ानपीठ पुरJकार
१९०७ : महादेवी वमा^ जी का जaम :: १९८७ :....। महादेवी वमा^ जी का िनधन
िगqू कQ पूंछ : झ€बेदार :: िगqू कQ आंखे : .....। चमकQली
कोयल : मधुर Jवर :: कौआ :....। कक^श Jवर
िबqी : िमयाऊं –िमयाऊं :: िगqू : .... िचक - िचक
अभीनव मनु‰य : आधुिनक मनु‰य का वण^न :: िगqू :....। Jनेह भाव तथा nाणी दया कQ सीख
गुलाभ : पौधा :: सोनजुही :...। उ#र :- लता

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V. : ?G ;H : VI. %I " ;H :

िनकट x दूर िव¦ास x अिव¦ास उँ गली – उँ गUलयाँ

िदन x रात िOय x अिOय आँ ख - आँ खे


पूँ छ – पूँ छ}
भीतर x बाहर सं तोष x असं तोष
Uखड़कW – Uखड़िकयाँ
चढ़ना x उतरना †Kता x अ†Kता
फू ल – फू ल
उNीणC x अनुNीणC ईमान x बेईमान पं जा – पं जे
उपयोगी x अनुपयोगी होश x बेहोश Uलफाफा –Uलफाफे
उप‡Kित x अनुप‡Kित खबर x बेखबर कै आ – कै ए
10. गमला – गमले
उUचत x अनुUचत रोज़गार x बेरोज़गार

VII.
VII. ! J ?G :K. L8 :
1. Uचपकना Uचपकाना Uचपकवाना
Uलखना Uलखाना Uलखवाना 3. सोना सुलाना सुलवाना
िमलना िमलाना िमलवाना रोना •लाना •लवाना
2. देखना िदखाना िदखवाना धोना धुलाना धुलवाना
छे ड़ना Uछड़ाना Uछड़वाना 4. पीना िपलाना िपलवाना
भेजना Uभजाना Uभजवाना सीना Uसलाना Uसलवाना

VIII.
VIII. ?G ;H :

1. उपचार = Uचिक©ा, इलाज 4. िवªय = अचरज, आ£यC


2. गात = श•रर. देह 5. िहšत = साहस, धैयC
3. आहार = खाना, भोजन 6. खोज = तलाश, ढूँ ढ

IX.
IX. ?G ;H :

िदन x रात बलवान x बलहीन ईमान x बेईमान चढ़ना x उतरना


बुि¬वान x बुि¬हीन होश x बेहोश भीतर x बाहर शि|मान x ‡-|हीन
खबर x बेखबर िनकट x दूर दयावान x दयाहीन चैन x बेचैन
िव¦ास x अिव¦ास उNीणC x अनुNीणC धन x िनधCन िOय x अिOय
उपयोग x अनुपयोग जन x िनजCन †J x अ†K उUचत x अनुUचत
सं तोष x असं तोष बल x िनबCल उप‡Kती x अनुप‡Kित गुण x िनगुCण

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KREIS Third Language Hindi

पाठ-
पाठ-4 % 4N -: रामधारी संह दनकर
पाठ का आशय : इस प/भाग म वैEा+नक युग और आधु+नक मानव का व]ेषण ,आ है । क व दनकर जी इस क वता _ारा
यह संदेश दे ना चाहते ह: क आज के मानव ने #कृ+त के हर त` पर वजय #ा< कर ली है । परं तु कैसी वडं बना है क उसने
Xयं को नहa पहचाना, अपने भाईचारे को नहa समझा। #कृ+त पर वजय #ा< करना मनुc क& साधना है , मानव-मानव के
बीच \ेह का बाँध बाँधना मानव क& 5स G है । जो मानव Dसरे मानव से #ेम का रdा जोड़कर आपस क& Dरी को +मटाए, वही
मानव कहलाने का अQधकारी होगा।

: 8) ".
किव का नाम : रामधारी Uसंह 'िदनकर' काल : सन् 1904-74 ई.
Kल : िबहार Oा° का मुं गेर Uजला कृ ित : ±ँकार, रेणुका, रसवं ती, सामधेनी, धूप-छाँ ह, कु •\ेf, बापू, र‡˜रथी,
• सZरत-नदी-ನ ,!ೋ"ೆ • ताप-धुप,भा‰प-23ಲು,%ಾಷ:
श€दाथ^:
• यान -नौका - #ೌ ೆ • लांघना - पारकरना -8ಾಟುವ ದು
• दुिनया - िवŠ, nपंच – ಜಗತು, • िगZर-पहाड,पव^त- %ೆಟ',ಗುಡ) • Žयोम-गगन,आकाश-ಆ ಾಶ
• सव^•-हमेशा - ಾ ಾಗಲು • िसधुं-सागर-ಸಮುದ+ • ‚ेय-जानकारी-;ಾನ,ಅ=ವ
• िवजयी-जय, जीत - ೆಲುವ • परमाणु-कण, अणु के कण- ಪರ-ಾಣು • •ेय - •े•ता,
• आसीन-बैठना- ಕು ತು ೋಳ • आलोक-nकाश-%ೆಳಕು • बड‘पन - >ೆ+ಷ'6ೆ, 8ೋಡ)ತನ
• नर-मनु‰य, आदमी- ಮನುಷ • आगार - घर, संŒह Jथान - ಮ#ೆ, ಭಂ1ಾರ • चैतaय-समझ-ಅ=ವ ,?ಳ ವ ೆ
• कर-हाथ,हJत- ಕರ, ೈ • भाप-भा‰प, उ‰णता - 23ಲು, ಉಷ56ೆ • उर-’द
ृ य-ಹೃದಯ
• वारी-जल,पानी- ೕರು • •Pम-आदेश-ಆ8ೇಶ • असीमीत-अपZरिमत -3C ಇಲEದ
• िवrयूत-ऊजा^,शि‹- ದು • पवन-हवा,वायु- ಾ • Žयवधान-परदा,दूरी-ಅ1ೆ,ತ1ೆ

पाठ म ान देने यो अंश:-

किव के कहते है कQ - आज कQ दुिनया ब•त अजीब और नवीन आकाश से पाताल तक सब कुछ उसे पता है।
है। परaतु वह मानवता को ही नहL पहचान पाया।
मानव ने nकृित के हर त“व पर िवजय nा” कर ली है। उसने अपने भाईचारे को नहL समझा।
पानी, िबजली और भाप सभी त“व अब मनु‰य के हाथ म. ह` । किव के अनुसार वही सcा मनु‰य है जो बुि•ध से
उसी के आ‚ा पर हवा का तापमान उतरता और चढ़ ता है। सोचना छोड़ देता है और –दय को जीतता है।
आज का मनु‰य नदी, पहाड़ , समुw सभी को एक समान पार (लाँघ वही मनु‰य •े— है jजसकQ सभी मनु‰यV से nीित है
) सकता है। जो मनु‰य आपस कQ दूरी िमटाकर Jनेह का संबंध
यह मनु‰य ही है jजसने nकृित का शृंगार िकया, बनाता है वही मनु‰य ‚ानी है, िव˜ान है और वह ही
‚ान, िव‚ान का nकाश सारे जग म. फैलाया। मनु‰य कहलाने का भी अिधकारी है।
I. * :
1. आज क, दुिनया कैसी है ? 4. ‘अ3भनव मनुष’ किवता के किव का नाम 3ल4खए।
उ#र :- आज कQ िदिनया िविच• और नवीन है। उ#र :- ‘अjभनव मनुष’ किवता के किव का नाम है
2. मानव के > म पर या चढ़ ता और उतरता है ? रामधारीœसह िदनकर ।
उ#र :- मानव के •Pम पर पवन का ताप चढ़ ता और 5. आधुिनक पु-ष ने िकस पर िवजय पायी है ?
उतरता है । आधुिनक पुRष ने nकृित के हर तzव पर िवजय पायी है।
3. परमाणु िकसे देखकर काँपते हB ? 6. नर िकन-िकन को एक समान लाँघ सकता है ?
उ#र : परमाणु मनु‰य के करV को देखकर काँपते ह` । नर नदी, पहाड तथा समुw को एक समान लाँघ सकता है।

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II दो-तीन वा य म उ2र 3ल4खए :


1. ‘<कृित पर सव7M है िवजयी पु-ष आसीन’ – इस पंिO का आशय समझाइए ।
आधुिनक मानव ने nकृित के हर तzव को अपने िनयं•ण म. कर jलया है। उसने जल, िवoुत, भाप, वायु पर अपना िनयं•ण
बना jलया है। वह नदी, पव^त, सागर एक समान लाँघ सकता है। उसका यान आकाश म. जा रहा है। वह परमाणु nयोग भी
कर रहा है। उसकQ बौि•धक _मता असीिमत है। आज मानव ने nकृित कQ हर तzव को िवकृित कर िदया है ।
2. िदनकर जी के अनुसार मानव का सही प रचय या है ?
उ#र :- किव िदनकर जी कहते ह`- आज मनु‰य ने nकृित पर िवजय nा” कर ली है। मानव कQ सही पहचान वह है जो
मानव-मानव के बीच Jनेह का बाँध बाँधता है, जो मानव दूसरे मानव से nेम का ZरGता जोडकर मानव को Žयोम से पाताल
तक सब कुछ ‚ात है परं तु Jवयं को नहL पहचाना, अपने भाईचारे को नहL समझा। आपस कQ दूरी को िमटाता है, वही
मानव कहलाने का अिधकारी होगा। जो मनु‰य बुि•ध को चैतaय –दय से जीतता है । आपसी भाईचारा, पारJपZरक nेम,
सहमनु‰य के साथ Jनेह से रहना ही मानव का सही पZरचय है ।
3. अ3भनव मनुRय किवता का दूसरा कौन-सा शीष7क हो सकता है ? य ?
उ#र :- इस किवता का दूसरा शीष^क हो सकता है – ‘nकृित पुRष’। PयV िक मनु‰य ने लगभग nकृित के हर तzव पर अपने
nयासV से िवजय nा” कर ली है ।
4. ‘<कृित पर सव7M है िवजयी पु-ष आसीन’ – इस पंिO का आशय समझाइए ।
आधुिनक मानव ने nकृित के हर तzव को अपने िनयं•ण म. कर jलया है। उसने जल, िवoुत, भाप, वायु पर अपना िनयं•ण
बना jलया है। वह नदी, पव^त, सागर एक समान लाँघ सकता है। उसका यान आकाश म. जा रहा है। वह परमाणु nयोग भी
कर रहा है। उसकQ बौि•धक _मता असीिमत है। आज मानव ने nकृित कQ हर तzव को िवकृित कर िदया है ।
5. िदनकर जी के अनुसार मानव का सही प रचय या है ?
उ#र :- किव िदनकर जी कहते ह`- आज मनु‰य ने nकृित पर िवजय nा” कर ली है। मानव कQ सही पहचान वह है जो
मानव-मानव के बीच Jनेह का बाँध बाँधता है, जो मानव दूसरे मानव से nेम का ZरGता जोडकर मानव को Žयोम से पाताल
तक सब कुछ ‚ात है परं तु Jवयं को नहL पहचाना, अपने भाईचारे को नहL समझा। आपस कQ दूरी को िमटाता है, वही
मानव कहलाने का अिधकारी होगा। जो मनु‰य बुि•ध को चैतaय –दय से जीतता है । आपसी भाईचारा, पारJपZरक nेम,
सहमनु‰य के साथ Jनेह से रहना ही मानव का सही पZरचय है ।
6. अ3भनव मनुRय किवता का दूसरा कौन-सा शीष7क हो सकता है ? य ?
उ#र :- इस किवता का दूसरा शीष^क हो सकता है – ‘nकृित पुRष’। PयV िक मनु‰य ने लगभग nकृित के हर तzव पर अपने
nयासV से िवजय nा” कर ली है ।
III. अनुUपता
1. िगq : nाjणदया कQ सीख :: अjभनव मनु‰य़ : ... आधुिनक मानव का िवVेषण
2. मेरा बचपन : अ€दूल कलाम :: अjभनव मनु‰य : .... रामधा रWसह िदनकर
3. सर् एम् िवŠेŠरŸया : भारत रzन पुरJकार :: रामधाZरœसह िदनकर : ..। : Xान पीठ
4. नर : आदिम :: उर : .... - Yदय
IV िवलोम $[द
• आज - कल • नर - नारी • िसिमत - अिसिमत
• आधुिनक -nािचन • चढना - उतरना • जीत - हार
• पुRष - ी • समान - असमान • तोड - जोड

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पाठ – 5 "8 ड़ा. ए पी जे अ दल


ु कलाम

भारत के राfप+त कलाम जी का जीवन सादगी का +मसाल था। उनके माता पता का प रgम,
आउं बरहीन जीवन सबके लए आदश#ाय है । उनका प रवार अ+तQथय8 क& सेवा से संतृ< था। उनका
प रवार धा+मh क एकता को मानता था। बV8 के चैतCशील, ब,मुखी Si?` के +नमाण के लए
ऐसे आदश Si?य8 क& जीवनी #ेरणा#द है ।

पाठ म ान देने यो अंश:-

• पाठ के िवध :-
:- ‘मेरा बचपन' आ³कथा है। • ये नौकाएँ तीथCयािfयों को रामे¦रम् से
• जE :-
:- अ“ुल कलाम जी का जE धनुषकोिट तक लाने ले जाने का काम
तिमलनाडु के रामे¦रम् क´े म} एक करती थीं।
म मवग•य प•रवार म} Zआ था। • अहमद जलालु¬ीन उनके अ°रंग िमf
• माता -िपता :-
:- िपता जैनल
ु ा“ीन माता बन गए, उŒोने कलाम को 'आजाद'
अUशयšा । कहकर पुकारा करते थे।
• अ“ुल कलाम जी का जीवन बZत ही • पूरे इलाके म} UसफC जलालु¬ीन ही
सादगीपूणC बीता। अंcेजी म} पढ़-Uलख सकते थे।
• वे माँ के साथ ही रसोई म} नीचे बैठकर खाना • जलालु¬ीन कलाम जी को हमेशा
खाया करते थे। UशU\त ~ि|यों, वैºािनक खोजों,
• माँ बड़े µार से के ले के पNे के ऊपर चावल समकालीन सािहn और Uचिक©ा
एवं †ािद¤ सांबर डालती, उŒ} घर का बना िवºान कW उपल‡½यों कW जानका•रयाँ
अचार और ना•रयल कW चटनी भी खाने के दे ते रहते थे।
Uलए िमलती थी। • कलाम जी के बचपन के समय म}
• रामे¦रम् मU·र के सबसे बड़े पुजारी प\ी पुJक} दुलCभ थीं।
ल¸ण शा¹ी कलाम के िपताजी के िमf • Kानीय Jर पर उc रा¤¾ वादी एस. टी.
थे। आर. मािनकम का वहाँ िनजी
• िपताजी उनसे आ ाU³क मामलों पर चचाC • कलाम जी ने Uज·गी भर अपने िपता से पुJकालय था
करते रहते थे। िवºान और Oौ‰ोिगकW के बुिनयादी सnों • कलाम जी के जीवन म} गहरा असर
• िपताजी कW िदनचयाC सुबह चार बजे नमाज को समझने का भरपूर Oय¼ िकया। डालने वाले उनके चचेरे भाई श¿सु¬ीन
पढ़ने के साथ शु‹ होती थी । नमाज के बाद • कलाम जी िपताजी ने Kानीय ठे के दार थे।
वे ना•रयल के बाग म} जाया करते । अहमद जलालु¬ीन के साथ लकड़ी कW • श¿सु¬ीन रामे¦रम् म} अखबारों के
नौकाएँ बनाने का काम शु‹ िकया। एकमाf िवतरक थे।

I. * :
Zआ??
1. अ“ुल कलामजी का जE कहाँ Zआ 3. अ“ुल कलामजी के बचपन म} दुलCभ वJु ’ा थी?
थी?
उNर:अ“ुल कलामजी का जE मÀास राÁ के रामे¦रम् क´े उNर: अ“ुल कलामजी के बचपन म} पुJक} दुलCभ वJु थी।
म} Zआ। 4. जैनुलाबदीन ने कौनसा काम शु• िकया?
िकया?
2. अ“ुल कलामजी बचपन म} िकस घर म} रहते थे? उNर: जैनुलाबदीन ने लकडी कW नौकाएँ बनाने का काम शु•
उNर: अ“ुल कलामजी बचपन म} अपने पु-तैनी घर म} रहते िकया।
थे। 5. अ“ुल कलामजी के चचेरे भाई कौन थे?
उNर: अ“ुल कलामजी के चचेरे भाई शमसु¬ीन थे।

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KREIS Third Language Hindi

II - * :

1. अ“ुल कलाम का बचपन बZत ही िनU£ंतता और सादगी म} बीतने के कारण UलUखए।


उNर: अ“ुल कलाम के घर आडंबर के Uलए कोई Kान नहीं था। अनाव€क या ऐशो आराम वाली चीजों से वे
दूर रहते थे। घर म} आव€क चीज} समुUचत माfा म} सुलभता से उपल½ थी।
2. आUशयšाजी अ“ुल कलाम को खाने म} ’ा ’ा देती थी
थी??
उNर: आUशयšाजी अ“ुल कलाम को खाने म} चावल एवं †ािद¤ सांबार देतीं । साथ म} घर का बना अचार
और ना•रयल कW ताजी चटनी भी देती थी।
3. जैनुलाबदीन नमाज के बारे म} ’ा कहते थे?
उNर: एक बार अ“ुल कलाम न} अपने िपताजी जैनुलाबदीन से नमाज कW Oासं िगकता के बारे म} पूछा। तब उŒोंने
कहा िक जब तुम नमाज़ पड़ते हो तो तुम अपने शरीर से इतर ÃÄांड का एक िहÅा बन जाते हो; Uजसम} दौलत,
आयु, जाित या धमC-पं थ का कोई भेदभाव नहीं रहता।
4.जैनुलाबदीन ने कौनसा काम शु• िकया?
िकया?
उNर: जैनुलाबदीन ने लकड़ी कW नौकाएँ बनाने का काम शु‹ िकया। एक Kानीय ठे के दार के साथ समुÀ तट के
पास वे नौकाएँ बनाने लगे। ये नौकाएँ तीथCयािfयों को रामे¦रम् से धनुषकोडी तक लाने-ले जाने के काम आती
थीं।
III. " . 8"
O * : IV. D + 8 P ( :

1. शमसु!ीन अखबार& के 'वतरण का काय+ कैसे करते थे? पौ फटना = भात होना
उ0र: शमसु!ीन रामे2रम् म अखबार& के एकमा5 'वतरक थे। अखबार रामे2रम् काम आना = काम म आना,
7े शन पर सुबह क8 9े न से प:ँचते थे। इस अखबार एजसी को अकेले शमसु!ीन इ ेमाल होना
ही चलाते थे। रामे2रम् म अखबार& क8 जुमला एक हजार 'तयाँ 'बकती थी।
V. %I " L8 : VI. : ;H :

उ0र: ब>ा – ब>े नौका – नौकाएँ उ0र:ब:त × कम अCा × बुरा


गली – गAलयाँ 'तयाँ – 'त शाम × सुबह बडा × छोटा
केला – केले पु क – पु क सफल × असफल अपना × पराय

% 4L8 :

1. गाँ धीजी: राM(िपता :: अNOल कलामः…… उRर: राM(पित


2. जलालुTीन : जीजा :: शमसुTीन : … उRर: चचरे भाई ।
3. ट(ेन : भूVया+ा :: नौका :…… उRर: जलV
जलVया+ा
4. िहXY : म#Xदर :: इ लाम :…… उRर: म[ जद्

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पाठ – 6 # 2 QR V िव_णु ?भाकर


पाठ का आशय : िवÇु Oभाकर मानव-मन के पारखी लेखक हŠ। इस एकांकW म} उŒोंने †ाUभमान, परदुःखकातरता जैसी
मानवीय भावनाओं का सुं दर Uचfण िकया है। गरीब होकर भी †ाUभमानी और प•रÈम कW कमाई से जीनेवाले बसं त और
Oताप एक ओर हŠ तो दूसरी ओर कं गालों के Oित हमदद• िदखाते Zए आदर के साथ ~वहार करनेवाले राजिकशोर जैसे पाf
अनुसरणीय हŠ।

कठीण श दाथ • अहीर - वाला, • भूना लाना - ಲ ತರುವ ದು;


• राह - रा ता माग, ಾ ; • ओठ-भ चना - ದುಃಖ • ओसरा - ಅಂಗಳ;
• दयासलाई - ಂ ಕ ; ಸ ಸು; • श ल - व प, आकृ ित, ಮುಖ;
• मजदूर – ಲಸ ಾರ • भीख –
• छलनी - ಾ ;
• झांककर – ಇಣು • फे रीवाले - ರು ಾ ಾ ಾರ
• एक आना - छ: पैस,े
• आ सा -रोने जैसे, ಾಡುವವರು;
ಅಳುಧ ;

पाठ म ान देने यो अंश:-

• इस एकांकW म} बाजार का É€ है • एक ~ि| ने उसे घर का पता


• नं गे पैर, फटे कपड़े पहनकर बताया। वह उनके राजिकशोर से
बसं त नामक एक बालक बजार मे मोटार दुघCटन के सारे बात
सामान बेचने का Oय¼ कर रहा बताया।
था, • दोनों भीखू अहीर के घर रहते है।
• इस समय बाजर म} एक ख¬रधारी • उनके माता-िपता को दंगों म}
~ि| मजदूर नेता राजिकशोर को िकसी ने मार डाला था।
देखता है • राजिकशोर अमर Uसंह से डॉ…र
• बसं त उनके पास जाकर बटन, वमाC को लेकर अहीर टीले म}
छलनी, िदयासलाई, बेजने का पZँचने को कहता है।
OाथCना करता है। • बसं त Oताप के साथ राजिकशोर
• पं िडत राजिकशोर ने उससे सामान को देखकर आ£यC म} पड़ता है।
लेने से इनकार कतÊ है। बदले म} • डॉ…र बसं त के पैरों कW जाँ च
दो पैसे देते है • लेिकन लड़का न लौटा और करते है। एÎुल}स के Ïारा उसे
• Uजसे बसं त ने भीख समझते हŠ । राजिकशोर अपने घर चल जाते है। अŸताल पZँचाते हŠ।
• राजिकशोर के पास छु Ëे पैसे नहीं • Oताप िकशनगं ज म} राजिकशोर का • इस एकांकW म} उŒोंने †ाUभमान,
था। उनके पास UसफC नोट ता। घर ढुं ड रहा था। परदुः खकातरता जैसी मानवीय
• राजिकशोर ने उनके पास सामान • वह बसं त का छोटा भाई Oताप था। भावनाओं का सु·र Uचfण िकया
लेकर एक •पया नोट देते है। • उससे छु Ëे पैसे माँ गने के Uलए बसं त है।
• शाम के समय लगभग दस वषC बाजार िक ओर दौड पड ते है। • इस एकांकW से Uचिfत ईमानदारी
उÌ कएक छोटा लड़का िकशनगं ज • पÍह-बीस िमनट तक राजिकशोर से Oे•रत होकर छाf OामाUणकता
कW ओर नं गे पाँ व दौड़ा आता है। बाजार म} इं तजार करते है। से जीना सीख सकते हŠ।

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KREIS Third Language Hindi

I. * :
1. बसंत या- या बेचता था? 1. एकांक, का <थम द ृ$य कहाँ घटता है?
उ : बसंत छलनी, बटन तथा िदयासलाई बेचता था। उ#र : एकांकQ का nथम दृGय बड़ े नगर के बाज़ार म.
2. बसंत के भाई का नाम या था? घटता है।
उ#र : बसंत के भाई का नाम nताप था। 2. बसंत के घर पर डॉ टर को कौन लेकर आता है?
3. पं. राजिकशोर कौन थे? उ#र : बसंत के घर पर डॉPटर को अमरœसह लेकर आता
उ#र : पं. राजिकशोर मजदूरV के एक नेता थे। है।
4. छलनी दाम या था? 3. पं. राजिकशोर के अनुसार बसंत म िनिहत द ुल7भ गुण
उ#र : छलनी का दाम दो आना था। या है?
5. बसंत और <ताप कहाँ रहते थे? उ#र : पं. राजिकशोर के अनुसार बसंत म. िनिहत दुल^भ
उ: बसंत और nताप भीखू अहीर के घर म. रहते थे। गुण ईमानदारी है।
6. बसंत क, स^ाई एकांक, म िकतने द ृ$य हB? 10. पं. राजिकशोर कहाँ रहते थे?
उ#र : बसंत कQ सcाई एकांकQ म. तीन दृGय ह`।
उ#र : पं. राजिकशोर िकशनगंज म. रहते थे।

II. -: * :
1. छलनी से Fा-
Fा-Fा कर सकते हH ? 5. ाताप राजMकशोर के घर F& आया?
आया?
उ0र : छलनी से दूध छान सकते हH। इसके अलावा उ0र : बसंत राजMकशोर Qारा Oदये गए नोट को भुनाकर
चाय भी छान सकते हH। वापस आते समय मोटर के नीचे आ गया । इससे उसके

2. बसंत राजMकशोर से Fा 'वनती करता है? दोनो पैर कुचले गये । इसAलए वह नहZ लौटा । छु _े पैसे

उ0र : बसंत राजMकशोर से बटन और Oदयासलाई लेने वापस देने के Aलए ताप राजMकशोर के घर आया ।

क8 'वनती करता है। जब राजMकशोर के Qारा मना 6. बसंत ने राजMकशोर को छलनी खरीदने के Aलए Mकस
करने पर वह फ8र से उRे छलनी लेने के Aलए भी तरह aे रत Mकया?
Mकया?
'वनती करता है। उ0र : साहब छलनी लीAजए। दूध छा'नए, चाय

3. बसंत राजMकशोर से दो पैसे लेने से F& इनकार छा'नए... Aसफ+ दो आना क8मत है। जब राजMकशोर के

करता है? Qारा मना करने पर बसंत ( आँ-सा) होकर कहता है Mक

उ0र : बसंत एक TाUभमानी लVका था । वह मुW म ‘‘साहब, सबेरे से अब तक कुछ नहZ 'बका। आपसे आशा

पैसे लेने को भीख समझता था। इसAलए बसंत थी। साहब ! एक तो ले लीAजए। इस कार बसंत ने

राजMकशोर से दो पैसे लेने से इनकार करता है । राजMकशोर को छलनी खरीदने के Aलए ेaरत Mकया।

4. बसंत राजMकशोर के पास F& नहZ लौटा?


लौटा? 7. बसंत के पैर देखकर
कर डॉhर ने Fा कहा?
कहा?

उ0र : बसंत नोट भुनाने के Aलए बा[ार क8 ओर गया। उ0र : बसंत के पैर देखकर डॉhर ने कहा क8 शायद पैर

जब नोट भुनाकर वापस लौट रहा था तब वह मोटर के क8 हiी टू ट गई है। इसAलए उसे अjताल ले जाकर पैर

नीचे आ गया। इससे उसके दोनो पैर कुचले गये। का kीन करके देखना होगा।

इसAलए वह राजMकशोर के पास नहZ लौटा।

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KREIS Third Language Hindi

III. " -S: * :


1. बसंत ईमानदार लVका है । कैसे?
उ0र : बसंत मुW के पैसे को भीख समझता था। इसAलए वह राजMकशोर से मुW म पैसे लेने से इनकार करता है ।
छलनी खरीदने के बाद राजMकशोर ने एक पये का नोट बसंत को Oदया। बसंत उस नोट को भुनाने के Aलए बा[ार क8
ओर गया। लेMकन वापस आते समय मोटर दुघ+टना से उसके दोनो पैर कुचले गये। इस Aलए वह राजMकशोर के पास न
लौट सका। जब उसे होश आया तो उसने तुरंत अपने भाई ताप को पैसे लौटाने के Aलए राजMकशोर के यहाँ भेजा। इस
घटना से हमे लगता है Mक बसंत ईमानदार भी है और TाUभमानी भी।
2. बसंत और ताप अहीर के घर F& रहते थे?
उ0र : बसंत और ताप के माँ-बाप को Mकसी ने दं ग& म मार डाला था। अत: उनके पaरवार वे दो भाई ही बचे थे। भीखू
अहीर के घर म इनका पालन-पोषण हो रहा था। इसAलए वे दोन& अहीर के घर म रहते थे।
3. राजMकशोर के मानवीय mहार का पaरचय दीAजए।
उ0र : पं. राजMकशोर ने बसंत क8 याचना सुनकर उसे मुW म दो पैसे देने के Aलए तैnार होते हH । जब उस बालक के
Qारा मना करने पर उसक8 छलनी खरीद लेते हH । मोटर दुघ+टना क8 खबर सुनते ही डॉhर को बुलाकर बसंत के घर जाते
हH और उसका उपचार करवाते हH । इसतरह गरीब बालक के 'त हमददo Oदखाते :ए आदर के साथ मानवीय mवहार
दशा+ते हH ।
% 4L8 :

1. पं. राजMकशोर : Mकशनगंज : : बसंत : __________ उ0र . अहीर टीला;


2. पं. राजMकशोर : मजदूर& के नेता : : बसंत : __________ उ0र . फेरीवाला;
3. पं. राजMकशोर : माAलक : : अमरAसr ह : __________ उ0र . नौकर;
4. ताप : छोटा भाई :: वमा+ : _________ उ0र . डॉhर;
5. ? : sाथ+क Uचt : : ! : ________ उ0र . 'वuयाOदबोधक Uचt।

: ?G ;H

• पीछे x आगे • लेना x देना


• खरीदना x बेचना • आना x जाना
• शांित x अशांित • गरीब x अमीर

17
KREIS Third Language Hindi

पाठ.7 4 +
गो वामी तुलसीदास जी ने अपने दोहों म` भ[Jत और नैितकता को ?ितपािदत िकया है। उEहों ने ? तुत दोहों म`
िववेकपूर्ण bयवहार, संतों के ल%ण, दया धर्म का महcव, िवपFR के साथी राम पर भरोसा, अEतर और बाd के
?काश के बारे म` बड़ा ही सुXदर Fच+ण िकया है।

पाठ म ान देने यो अंश:-


• नेता मुँ ह के समान होना चािहए।
• मुँ ह खाने-पीने का काम अके ला करता है, लेिकन इस से सारे अंगों का पालन-पोषण होता है।
• तुलसीदास ने हंस प\ी के †भाव कW तुलना सं त से कW है।
• हंस प\ी तरह साधु लोग अ•े बुरे गुण चोडकर, अ•े गुण लेते हŠ।
• तुलसीदास ने दया को धमC का मूल और अUभमान को पाप का मूल बताया है।
• जब तक शरीर म} Oाण हŠ, तब तक मनुÐ ने अपना अUभमान छोड़कर दयावान होना चिहए।
• मनुÐ पर जब मुसीबत आ है तब िव‰ा, िवनय तथा िववेक ही उसका
साथ िनभाते हŠ।
• Uजस ~ि| राम पर भरोसा रकता है वह साहसी, सnवान बनता है।
• देहरी पर दीया रखने से घर के अ·र और आँ गन म} Oकाश फैलता है उसी
Oकार राम नाम जपने से मानव कW आ°•रक और बाÑ शुिÒ होती है।

?G :
1. मुUखया मुख सों चािहए,
चािहए, खान पान को एक । 2. जड,
जड, चेतन,
न, गुण िदषमय,
िदषमय, िव† कWŒ करतार ।
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सिहत िववेक ॥ सं त-
त-हंस गुण गहिहं पय
पय,, प•रह•र वा•र िवकार ॥
OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी के
के दोहे” से Uलया गया है। दोहे” से Uलया गया है।
भावाथC : OJुत दोहे म} मुUखया के †ाभाव के बारे मे बताते Zये भावाथC : OJुत दोहे म} तुलसीदास ली ने हंस प\ी के सात सं त कW
तुलसीदास कहते हŠ- Uजस तरह मुँ ह खाने-पीने का काम अके ले तुलना कराते Zए कहते हŠ- सृि¤कताC इस दुिनया को अ•े -बुरे एवं
करते Zए, शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण करता है, उसी गुण-दोषमय िमलाकर बनाया है। लेिकन हम, हंस ‹पी साधु कW तरह
तरह मुUखया भी काम अपनी तरह से कर} लेिकन उसका फल सभी िवकारों को छोड़कर अ•े गुणों को अपनाना चािहए ।
को िमले।
3. दया धमC का मूल है, पाप मूल अUभमान । 4. तुलसी साथी िवपिN के , िव‰ा िवनय िववेक ।
तुलसी दया न छाँ िडये, जब लग घट म} Oाण ॥ साहस सुकृित सुसn‚त,
n‚त, राम भरोसो एक ॥
OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी के
के दोहे” से Uलया गया है। दोहे” से Uलया गया है।
भावाथC : OJुत दोहे म} तुलसीदास कहते हŠ- दया धमC का भावाथC : OJुत दोहे म} तुलसीदास कहते हŠ- मनुÐ पर जब
मूल है और पाप का मूल अUभमान है। इसUलए मनुÐ के िवपिN पडती है, तब उसकW िव‰ा, िवनय तथा िववेक ही
शरीर म} जब तक Oाण है, तब तक अपना अUभमान छोडकर उसका साथ िनभाते हŠ। जो राम पर भरोसा करने वाला
दयालु बने रहना चािहए। साहसी, सnवान बनता है।

18
KREIS Third Language Hindi

5. राम नाम मिन दीप ध•,


ध•, जीह देहरी Ïार |
तुलसी Uभतर बािहरौ,
बािहरौ, जो चाहसी उUजयार ॥
OJावना : OJुत दोहा को तुलसीदास जी Ïारा UलUखत “तुलसी के दोहे” से Uलया गया है।
भावाथC: OJुत दोहे म} तुलसीदास कहते हŠ Uजस तरह देहरी पर दीया रखने से घर के Uभतर तथा आँ गन म} Oकाश फैलता है,
उसी तरह राम नाम जपने से मानव कW आं त•रक और बाÑ शुिÒ होती है ।

I. एक वा’ों म} उNर UलUखए :


1. तुलसीदास मुख को ’ों मानते हŠ ? 6. दया िकसका मूल है ?
उNर: तुलसीदास शरीर को \Uणक मानते हŠ। उNर: दया धमC का मूल है।
2. मुUखया को िकसके समान रहना चािहए ? 7. तुलसीदास के माता-
माता-िपता का नाम ’ा था ?
उNर: मुUखया को मुख के समान रहना चािहए। उNर: तुलसीदास के माता-िपता का नाम Zलसी और
3. हंस का गुण कै सा होता है ? आ³ाराम दुबे था।
उNर:हंस का गुण दूध को cहण करके पानी को छोडता हŠ। 8. तुलसीदास के बचपन का नाम ’ा था ?
हंस का गुण यह है िक वह सारहीन वJु को छोडकर अ•े उ: तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था।
को अपनाता है। 9. पाप का मूल :’ा है ?
4. मुख िकसका पालन-
पालन-पोषण करता है ? उNर: पाप का मूल अUभमान है।
मुख शरीर के सकल अंगों का पालन-पोषण करता है। 10. तुलसीदास के अनुसार िवपिN के साथी कौन हŠ ?
5. तुलसीदास िकस शाखा के किव हŠ ? उNर: तुलसीदास के अनुसार िवपिN के साथी िव‰ा, िवनय
उNर: तुलसीदास राम-भि| शाखा के किव हŠ। और िववेक हŠ।

II. दो-
दो-ितन वा’ों म} उNर UलUखए :

1.मु
1.मुUखया को मुख के समान होना चािहए। कै से?
उNर: मुUखया को मुख के समान होना चािहए। मुँ ह खाने-पीने का काम अके ला करता है, लेिकन वह जो खाता-पीता है, उससे
शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण होता है। तुलसी कW राय म} मुUखया को भी ऐसे ही िववेकशील होना चािहए िक वह सबके िहत
म} काम कर}।
2.मनु
2.मनुÐ को हंस कW तरह ’ा करना चािहए?
चािहए?
उNर: Uजस Oकार हंस प\ी सारहीन या पानी को छोडकर दूध या सार को cहण करता है उसी Oकार मनुÐ को पानी ‹पी िवकार
गुणों को छोडकर दूध ‹पी अ•े गुणों को अपनाना चािहए।

3. मनुÐ के जीवन म} Oकाश कब फैलता है?


उNर: जब मनुÐ अपने देहलीज ‹पी जीभ पर राम नाम ‹पी Áोित रखता है तब उसके मन के अ·र और बाहर ºान‹पी Oकाश
फै लता है। जब वह रामनाम क जपता है या ªरण करता है तब मनुÐ के जीवन म} चारों ओर ºान‹पी Oकाश फै लता है।

IV. अनु‹पता :

1. दया : धमC का मूल :: पाप : — उNर: अUभमान का मूल


2. प•रह•र : nागना :: करतार : उNर: सृि¤कताC
3. जीह : जीभ :: देहरी : —— उNर: दहलीज

19
KREIS Third Language Hindi

पाठ.8 D#T T K UV
पाठ का आशय :
वैEा+नक आ वkार8 ने मानव-जीवन को सु वधाजनक बनाया है । इं टरनेट से
मानव क& जीवनशैली और उसक& सोच म lां+तकारी प रवतन ,आ है । आज
इं टरनेट के बना संचार व सूचना दोन8 NेW कमजोर हो जाते ह: । इं टरनेट ने पूरी
m+नया को एक जगह ला खड़ा कर दया है । जीवन के हर NेW म इं टरनेट का
ब,त बड़ा योगदान है । इं टरनेट वरदान है तो अQभशाप भी है

पाठ म ान देने यो अंश:-


आजकल इं टरनेट का युग है। सं चार मा म - समाचार पf, पिfकाएँ , सोशल नेटविकÞ ग के Ïारा दूसरे
बड़े-बूढ़ों से लेकर छोटे ब›ों तक सब दूरभाष, दूरदशCन, इं टरनेट आिद साधन लोगों के रहन-सहन का प•रचय
पर इं टरनेट ×ा‡° का असर पड़ा है। Uजनका उपयोग सूचनाओं के सं देशवहन के Oाd होता है।
रोहन ने अपने िपताजी से इं टरनेट पर Uलए िकया जाता है। इसके कई साइß हŠ; जैस—
े -
चचाC कW। Video Conference - एक सभागार फेसबुक, आरकु ट, िटवटर,
इं टरनेट अनिगनत कØूटरों के कई Uजसम} कई लोगों के साथ 8-10 टी.वी. के Uलं àडइन आिद।
अ°जाCलों का एक-दूसरे से सÎÙ परदे पर एक साथ चचाC होती है। ई-गवनÊž का कायC सरकार के
Kािपत करने का जाल है। कामों का िववरण, अUभलेख,
कु छ साल पहले िकसी से कोई खबर सरकारी आदे श आिद कW लोगों को
पानी होती थी, तब UचÚी या दूरभाष का सही-सही जानकारी दे ना है।
उपयोग िकया जाता था। Uचिक©ा, कृ िष, अ°•र\, िवºान
आजकल इं टरनेट के Ïारा अपने िवचार, Uश\ा, र\ा दल आिद म} इं टरनेट
Uचf आिद को आसानी से भेजा जा का काफW योगदान है।
सकता है। इससे पैरेसी, áॉड, हैिकं ग आिद
इं टरनेट के Ïारा घर बैठे खरीदारी कर बढ़ रही है।युवा और ब›े इं टरनेट
सकते हŠ और कोई भी िबल भर सकता म} फँसे Zए हŠ।
है| अ ापक ने उNर िदया िक आई.टी. और इससे व| का दु•पयोग होता है
इं टरनेट बŠिकं ग Ïारा दुिनया कW िकसी भी आई. टी. ई. एस. (इनफॉमÊशन टैÜोलॉजी और ब›े अनाव€क जानकारी
जगह रकम भेजी जा सकती है। एनेबÝड सिवCसेस) से अनेक लोगों को Oाd कर लेते हŠ।
इं टरनेट बŠिकं ग Ïारा दुिनया कW िकसी भी रोजगार िमला है।
जगह रकम भेजी जा सकती है।
श“ाथC : • सूचना - जानकारी, Information; • यथावत्- जैसे के वैसे,
• दायरा- \ेf, सीमा, CೕFೆ; ?ಳ ವ ೆ; • पैरसी- चुराकर नकली Oितयाँ
• तकनीकW- Oौ‰ोिगकW, • ठप पड़ना- बं द होना, बनाना, Piracy;
Technology, ತಂತ+ ;ಾನ; • खोज- शोध, अãेषण; • áॉड-धोखा, Hೕಸ fraud;

• नज़•रया- Éि¤कोण, #ೋಟ, • रकम- धनराUश, ಹಣ • पाश- बं धन, फं दा;

• सुझाव- सलाह, ಸಲ!ೆ, • अUभलेख- UलUखत िववरण, Record; • हाUसल करना- Oाd करना,
• ~य- खचC करना, • इनफारमेशन टै Üोलाजी- सूचना
• अनिगनत- असं â, ಬಹಳಷು';
Oौ‰ोिगकW।

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KREIS Third Language Hindi

I. एक वा’ों म} उNर UलUखए :


1.इं
1.इंटरनेट का अथC ’ा है? 4.Oगितशील
4.Oगितशील रा¤-
रा¤- िकसके Ïारा बदलाव लाने कW कोUशश कर
उNर: इंटरनेट अनिगनत कØूटरों के कई अंतजाCलों का एक दूसरे रहे हŠ?
से सÎÙ Kािपत करने का जाल है। उNर: Oगितशील रा¤- ई-गवनÊž Ïारा बदलाव लाने कW कोUशश
2.सं
2.सं चार और सूचना \ेf म} इंटरनेट का ’ा महä है? कर रहे हŠ।
इंटरनेट के िबना सं चार और सूचना दोनों ही \ेf ठप पड जाते हŠ। 5. समाज के िकन \ेfों म} इंटरनेट का योगदान है?
3.इं
3.इंटरनेट बŠिकं ग Ïारा ’ा भेजा जा सकता है? उNर:समाज के Uचिक©ा, कृ िष, अंत•र\ ºान, िवºान, Uश\ा
इंटरनेट बŠिकं ग Ïारा दुिनया कW िकसी भी जगह पर चाहे Uजतनी भी आिद . तथा:देश के र\ादलों कW कायCवाही म} इंटरनेट का बZत
रकम भेजी जा सकती है। खरीदारी कर सकते हŠ। िबल भर सकते बडा योगदान है।
हŠ।

II. दो-
दो-ितन वा’ों म} उNर UलUखए :

1.इं
1.इंटरनेट का मतलब ’ा है?
उNर: इंटरनेट अनिगनत कं µूटरों के कई अंतजाCलों का एक दूसरे से सं बं ध Kािपत करने का जाल है। इंटरनेट एक तरह से िव¦~ापी
कं µूटरों का अंतजाCल (नेटवकC ) है, UजसकW वजह से पूरे िव¦ का िवJार एक गाँ व का-सा छोटा हो गया है।
2. ~ापार और बŠिकं ग म} इंटरनेट से ’ा मदद िमलती है ?
उNर: इंटरनेट Ïारा हम घर बैठे-बैठे खरीदारी कर सकते हŠ। कोई भी िबल भर सकते हŠ। इससे दुकान जाने और लाइन म} घं टो खडे
रहने का समय बच सकता है। इंटरनेट बŠिकं ग Ïारा दुिनया कW िकसी भी जगह पर चाहे Uजतनी भी रकम भेजी जा सकती है।
3. ई-गवनÊस ’ा है?
उNर: ई-गवनÊस Ïारा सरकार के सभी कामकाज का िववरण, अUभलेख, सरकारी आदे श आिद यथावत् लोगों को सूUचत िकया जाता
है। इससे Oशासन पारदश• बन सकता है।
III. " -SW * :
1. सं चार व सूचना के \ेf म} इंटरनेट का ’ा महä
उNर:इंटरनेट Ïारा पल भर म} िबना Áादा खचC िकए कोई भी िवचार हो, ‡Kर Uचf हो, िविडयो Uचf हो दुिनया के िकसी भी कोने म}
भेजना मुमिकन हो गया है। चाहो तो पूरे एक पुJकालय कW िकताबों के िवषय को कम समय म} कहीं भी भेज सकते हो। इं टरनेट
आधुिनक जीवनशैली का महäपूणC अंग बन गया है। शायद इसके िबना सं चार और सूचना दोनों ही \ेf ठप ने पड जाते हŠ। आज
इंटरनेट के िबना सं चार और सूचना दोनों \ेf कमजोर हो जाते हŠ।
2. वीिडयो काåरेž.. के बारे म} UलUखए।
UलUखए
उNर: वीिडयो काåरेž म} एक जगह बैठकर ही | दुिनया के कई दे शों के OितिनUधयों के साथ 8-10 दूरदशCन के परदे पर चचाC कर
सकते हŠ। एक ही कमरे म} बैठकर िवUभT देशों म} रहनेवाले लोगों के साथ िवचारिविनमय कर सकते हŠ।
3. सोशल नेटविकÞ ग.. एक ×ांितकारी खोज है। कै से?
उNर:सोशल नेटविकÞ ग एक ×ांितकारी खोज है। Uजसने दुिनया भर के लोगों को एक जगह पर ला खडा कर िदया है। सोशल
नेटविकÞ ग के कई सीइß हŠ, जैसे – फे सपुक, आरकु ट, िæËर, Uलं कड – इन आिद। इन साइटों के कारण देश-िवदेश के लोगों कW
रहन-सहन वेश-भूषा, खान-पान के अलावा सं kृ ित कला आिद का Oभाव शीçाितशीç हमारे समाज पर पड रहा है।
4. इंटरनेट से कौन-
कौन-सी हािनयाँ हो सकती हŠ ?

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KREIS Third Language Hindi
उNर: इंटरनेट एक ओर वरदान है तो दूसरी ओर वह अUभशाप भी है। इंटरनेट कW वजह से पैरसी, बŠिकं ग कर áॉड, हैिकं ग आिद
बढ़ रही है। मु| वेबसाइट, चैिटंग न आिद से युवा पीढी ही नहीं ब›े भी इंटरनेट कW कबं ध ºा बाहों के पाश म} फं से Zए हŠ। इससे
समय का दु•पयोग और ब›े अनुपयु| और अनाव€क जानकारी हाUसल कर रहे हŠ।

अनुUपता
1. कं‘यूटर : संगणक यं• :: इंटरनेट : —— अंतजा^ल
2. आई.टी. :इनफारमेशन टै Pनोलाजी ::आई.टी.ई.एस. : इनफारमेशन टै Pनोलाजी एनेब¥ड
सsवसेस
3. फेसपुक : वरदान :: हैœकग : — शाप
4. वीिङयो काa§¥स : िवचार-िविनमय :: ई-nशासन : सरकारी काम म. पारद¨शता

िवलोम श[द अaय वचन Uप 3ल4खए :

• बढना x घटना उदा : पैसा – पैसे उदा : खबर – खबर.

• XJथर x अXJथर 1. परदा – परदे 1. िकताब – िकताब.

• मुमिकन x नामुमिकन 2. कमरा – कमरे 2. जगह – जगह


3. कोjशश – कोjशश.
• वरदान x अjभशाप 3. दायरा – दायरे
उदा : «जदगी – «जदिगयाँ
• दुRपयोग x सदुपयोग उदा : युग – युग
1. जानकारी – जानकाZरयाँ
• अनुपयु‹ Xउपयु‹ 1. दोJत – दोJत
2. िचि¬ – िचि¬याँ
2. कं‘यूय – कं‘युटर
3. जीवनशैली –
3. ZरGतेदार – ZरGतेदार
जीवनशैjलयाँ

इन वा य म <युO िवराम िचb का नाम 3ल4खए :

1.आज का युग इंटरनेट युग है। उ2र: पूण7 िवराम


2.इंटरनेट का मतलब Pया है? उ2र: <cाथ7क िचaह
3.बडा अ-छा सवाल है! उ2र: उdारवाचक िचaह
4.लोगV के साथ िवचार – िविनमय कर सकते है। उ2र: योजक िचaह
५ हाँ हाँ , दुGपZरणाम है। उ2र:अfप िवराम िचaह

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KREIS Third Language Hindi

पाठ 9. R X * -ह•रशं कर परसाई


पाठ का प रचय
लेखक का नाम : ह•रशं कर परसाई

काल : 22 अगJ, 1924 ई.

Kल : म Oदेश के जमानी गाँ व म}

कृ ित : कहानी सं cह — हँसते हŠ रोते हŠ, भूत के पाँ व पीछे , जैसे उनके िदन िफरे

िनबÙ सं c : सदाचार का ताबीज, ~ं è सं cह, वैÇव का िफसलन ।

पाठ का आशय : इस जगत् म अnाई-बुराई दोन8 दखाई दे ती ह: । हं स-Nीर Cाय क& तरह इनम हम 5सफ अnाई को
अपनाकर बुराई को छोड़ दे ना चा हए। बेईमानी भी एक अवगुण है । बेईमान8 पर Sंo करते ,ए #$ुत रचना _ारा लेखक ने
सचेत कया है क हम बेईमानी से Dर रह।

पाठ पाठ म ान देने यो अंश:-

पाठ कW िवधा : ~ं è रचना लेखक के कमरे से दो चादरे


इस पाठ के Ïारा लेखक ने सामाUजक गायब Zई|
असं गित कW ओर सं के त िकया है | दूसरे िदन लेखक का धूप
जो लोग †यं को ईमानदार कहलाते हŠ का च˜ा गायब Zआ।
वे असल म} ईमानदार नहीं होते । बगल के कमरे से Ãीफके स
लेखक को रा¤¾ ीय Jर का ईमानदार गायब Zआ |
माना गया । एक सíन बैठक म} धूप का
सšेलन का उéाटन शानदार Zआ। च˜ा पहने Zए थे।
सšेलन म} लेखक के आने से लेखक के िबJर से िफर
ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदारों कÎल भी गायब Zआ |
को बड़ी Oेरणा िमल जाती । लेखक अपने कपड़े Uसरहाने
êे शन पर लेखक का भ~ †ागत दबाकर सो गये
Zआ। लेखक ने †ागत कW Zई फूलों अब लेखक के कमरे से
कW मालाओं को माली को बेचने के ताला भी चुरा Uलया गया।
लेखक कW नयी चëल} एक ईमानदार
बारे म} सोचा। अब अंत म} लेखक †यं को
डेUलगेट ने पहनी थीं |
सšेलन म} लेखक कW नयी चëल} चोरी होने से बचाने के Uलए
लेखक के िबJर कW चादर गायब Zई
गायब Zì और वहाँ एक जोड़ी फटी- कमरा छो

पुरानी चëल} बची थी। ड़कर जाने का िनणCय ले
लेते हŠ।

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KREIS Third Language Hindi

I. एक वा य म उ2र 3ल4खए
. 1. <(तुत कहानी के लेखक कौन हB? 11. लेखक दूसरे दजn म सफर य करना चाहते थे?
nJतुत कहानी के लेखक हZरशंकर परसाई ह`| लेखक एक सौ पचास Rपये बचाने के jलए दूसरे
2. लेखन को िकससे लेना-देना नह* है? दज³ म. सफर करना चाहते थे ।

लेखक को ईमान से कुछ-लेना देना नहL है | 12. लेखक क, चpपल िकसने पहनी थ*?
3. आयोजनकता7ओं ने लेखक को िकस (तर का लेखक कQ च‘पल. एक ईमानदार डेjलगेट ने पहनी
ईमानदार माना? थी।
आयोजनकता^ओं ने लेखक को रा•ीय Jतर का 13. लेखक के अनुसार बड़े जलस म िकसक,
ईमानदार माना। बदली हो जाती है?
4. लेखक के सhमेलन म आने से िकसे <ेरणा िमलेगी? लेखक के अनुसार बड़े जलसV म. कQ च‘पलV कQ
स{मेलन म. लेखक के आने से ईमानदारV तथा अदला-बदली हो जाती है। |
उदीयमान ईमानदारV को nेरणा िमलेगी। 14. बगल के कमरे म य ह5ा >आ?
5. आयोजनकता7ओं को या iम >आ था ? बगल के कमरे से ´ीफकेस गायब •आ था इसjलए
आयोजनकता^ओं ±म •आ था िक लेखक ईमानदार हqा •आ|
ह`। 15. rीफकेस म या था?
6. लेखक को िकस सhमेलन का उद्घाटन करने ´ीफकेस म. कागजात थे।
आमंिMत िकया गया? 16. लेखक ने धूप का च$मा कहाँ रखा था?
लेखक को ईमानदारV के स{मेलन का उद्घाटन करने लेखक ने धूप का चGमा कमरे के टेबल पर रखा
के jलए बुलाया गया था | था।
7. (टेशन पर लेखक कैसा (वागत >आ? 17. तीसरे िदन लेखक के कमरे से या गायब हो
Jटेशन पर लेखक का भŽय Jवागत •आ । गया था ?
8. लेखक को कहाँ ठहराया गया था ? तीसरे िदन लेखक के कमरे से कंबल गायब हो
लेखक को होटल के एक बड़े कमरे म. ठहराया गया गया था।
था। 18. (वागत सिमित के मंMी िकसे डाँटने लगे ?
9. सhमेलन का उद्घाटन कैसे >आ ? Jवागत सिमित के मं•ी काय^कता^ओं को डाँटने
स{मेलन का उ²ाटन शानदार •आ । लगे।
10. सhमेलन म सबसे पहले लेखक क, कौनसी व(तु 19. लेखक पहनने के कपड़े कहाँ दबाकर सो गए?
गायब >ई? लेखक पहनने के कपडे िसरहाने दबाकर सोये.
स{मेलन म. सबसे पहले लेखक कQ च‘पल. गायब •ईं ।

24
KREIS Third Language Hindi

II. दो-तीन वा य म उ2र 3ल4खए : VI. !वलोम श$ ल%खए

1. आगमन x नगमन, Hान


1. लेखक को भेजे गये िनमंMण पM म या 3लखा गया था ?
उ#र : लेखक को प• िमला, "हम लोग इस शहर म. एक ईमानदार 2. रात x <दन

स{मेलन कर रहे ह`। आप दे श के nिस•ध ईमानदार ह`। हमारी nाथ^ना है 3. जवाब x सवाल

िक आप इस स{मेलन का उ²ाटन कर. । हम आपको आने-जाने का 4. बेचना x खरीदना


पहले दज³ का िकराया द.गे तथा आवास, भोजन आिद कQ उ#म ŽयवJथा 5. सLन x दुजन
कर.गे। आपके आगमन से ईमानदारV तथा उदीयमान ईमानदारV को बड़ी
nेरणा िमलेगी।" VII ब(वचन )प ल%खए
2. फूल मालाएं िमलने पर लेखक या सोचने लगे? 1. कपडा - कप?)
Jटेशन पर लेखक को लगभग दस बड़ी फूल मालाएँ पहनाई गयL। लेखन
2. चादर – चादर)
ने तब सोचा िक आसपास माली होता तो फूल मालाएँ बेच लेता।
3. बात – बात)
3. लेखक ने मंMी को या समझाया?
4. <डPा – <डP)
लेखक ने मं•ी को समझाया "ऐसा हरिगज मत कZरये। ईमानदारV के
5. चीज –चीQ)
स{मेलन म. पुjलस ईमानदारV कQ तलाशी ल., यह बड़ ी अशोभनीय बात
VIII) +ेरणाथक !.या )प ल%खए :
होगी। िफर इतने बड़ े स{मेलन म. थोड़ ी गड़ बड़ी होगी ही ।"
Rया थम े। Tप <C े. Tप
4. चpपल क, चोरी होने पर ईमानदार डेलीगेट ने या सुझाव िदया ?
उ#र : च‘पलV कQ चोरी होने पर ईमानदार डेjलगेट ने नेक से कहा " 1. ठहरना ठहराना ठहरवाना

दे Xखए च‘पल. एक जगह नहL उतारनी एक च‘पल यहाँ उताZरये, तो दूसरी 2. धोना धुलाना धुलवाना

दस फQट दूर च‘पल. चोरी नहL होतL। एक ही जगह जोड़ी होगी तो कोई 3. देखना <दखाना <दखवाना
भी पहन लेगा। म`ने ऐसा ही िकया था । 4. लौटना लौटाना लौटवाना
5. लेखक ने कमरा छोड़ कर जाने का िनण7य य 3लया? 5. उतरना उतारना उतरवाना
लेखक कQ सारी चीज. चुरा ली गयी थL। ताला तक चोरी म. चला गया । 6. पहनना पहनाना पहनवाना
तब लेखक ने सोचा िक अब म` बचा ·ँ। अगर Rका तो म` ही चुरा jलया
IX. सं2ध-!व4े द करके सं2ध का नाम ल%खए :
जाऊँगा। इसjलए लेखक ने कमरा छोड़ कर जाने का िनण^य jलया।
1. Xागत : सु + आगत - यण् सं2ध
6. मुsय अितिथ क, बेईमानी कहाँ िदखाई देती है?
2. सहानुभू त : सह + अनुभू त – दीघ सं2ध
उ#र: लेखक ने पहले दज³ का िकराया लेकर दूसरे दज³ से सफर करके
3. सLन : सत् + जन – 8ंजन सं2ध
एक सौ पचास Rपये बचाये। दस बडी फूल-मालाएँ पहनाने पर लेखक
4.परोपकार : पर + उपकार – गुण सं2ध
ने उaह. माली को बेचने के बारे म. सोचा। ये मु¸य अितिथ कQ बेईमानी
5. न3]^त: नः + 8च^त - !वसग सं2ध
है।
6. सदैव : सदा + एव - वृ:; सं2ध

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KREIS Third Language Hindi

III.. 5-6 * :

1. लेखक के धूप का च$मा खो जाने क, घटना का वण7न क,3जए: अनु)पता:


उ#र : दूसरे िदन बैठक म. जाने के jलए लेखक धूप का चGमा
खोजने लगे तो नहL िमला शाम को तो था । बैठक म. चाय कQ 1. पहला <दन : चaल) गायब थb :: दूसरे <दन :
.........
छु ¹ी •ई लोगV ने सहानुभूित nकट कQ। एक सºन आये वे कहने
चादर>
लगे “बड़ी । चोZरयV हो रहL ह`। देXखए आपका धूप का चGमा ही
2. तीसरे <दन : कcल गायब था :: चौथे <दन
चला गया । वे धूप का चGमा लगाये थे। वह चGमा लेखक का ही :.........
था । ताला गायब था

2. मंMी तथा काय7कता7ओं के बीच म या वाता7लाप >आ ? 3. <रdा : तीन प हयe का वाहन :: साइ<कल
:..........
उ#र: मं•ी काय^कता^ओं को डाँटने लगे ‘‘तुम लोग Pया
दो प!हय@ का वाहन
करते हो? तु{हारी ¼ूटी यहाँ है । तु{हारे रहते चोZरयाँ हो रहL ह` ।
4. रेलगा?ी : पटरी :: हवाईजहाज : ……………….
यह ईमानदार स{मेलन है। बाहर यह चोरी कQ बात फैली, तो आकाश
िकतनी बदनामी होगी ?’’ काय^कता^ओं ने कहा, ''हम Pया कर. ?
अगर स{माननीय डेलीगेट यहाँ-वहाँ जाय., तो Pया हम उaह. रोक
कBड या अंDेEी म> अनुवाद कFGजए:
सकते ह`?’’
1. हम आप को आने-जाने का पहले दजi का <कराया
3. सhमेलन म लेखक को कौन-से अनुभव >ए? संtप
े म 3ल4खए: द)गे।
उ#र: Jटेशन पर लेखक का भŽय Jवागत •आ । लगभग दस बड़ी
उjर: #ಾವ ಮ ೆ (ತಮ ೆ) ಬಂದು
फूल-मालाएँ पहनायL गयL तब उaहVने सोचा िक आस-पास कोई !ೋಗುವ ಪ+ಥಮ ದJೆKಯ %ಾL ೆ
माली होता तो फूल-मलाएँ बेच लेता । स{मलेन म. लेखक कQ ೊಡು6ೇ ೆ.
नयी च‘पले गायब •ईं । उनके बदले फटी-पुरानी च‘पल. िकसी ने 2. mेशन पर मेरा खूब Xागत आ।
छोड़ दी थL। दूसरे िदन लेखक का धुप का चGमा भी कमरे से उjर: Mೆ'ೕಶNನPE ನನ ೆ ಅದುQ=
गायब •आ। तीसरे िदन रात म. लेखक अपना क{बल खोजने लगे MಾRಗತ ಾSತು.

तो क{बल भी गायब •आ था । स{मलेन म. ईमानदार लोगV ने 3. देnखए, चaल) एक जगह नहb उतारना चा हए।

भाग jलया था पर असल म. वे बेईमान थे । अंत म. कमरे का ताला उjर: #ೋL=. ಚಪ:PಗಳನುU ಒಂದು

भी िकसीने चुरा jलया था । इस पर लेखक ने सोचा अब मुझे तुरंत ಸWಳದPE 2ಡ%ಾರದು.

यहाँ से चलना चािहए अaयथा म` ही चुरा jलया जाऊँगा । 4. अब मo बचा pँ। अगर Tका तो मo ही चुरा Dलया
जाऊँ गा।
उjर: ಈಗ #ಾನು ಉ 8ೆYೕ#ೆ. ಒಂದು ೇ"ೆ
ಂತFೆ #ಾ#ೇ ಕ"ೆದು!ೋಗು6ೇ#ೆ.

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KREIS Third Language Hindi

10. m+नया म पहला मकान - वजया गु<ा


पाठ का आशय :

मानव को सतत #यZशील होना चा हए | Dसर8 क& सहायता से वह नवीन व$ुओंको बनाना
भी सीख सकता है | न केवल लोग8 से अ पतु #ा णय8 से भी हम सीख +मलती है |

पाठ पाठ म ान देने यो अंश:-


पाठ कQ िवधा – लेख साँप के बाद दो दोJतV कQ मुलाकात
पूव¾#र भारत म. बसे आिदवासी – •ई –भBस से

Wसगफो "जैसे इस पंजर म. चार पैरV पर


आिदवािसयV के अनुसार सबसे हि¿याँ पड़ ी है, उसी तरह चार मोटे
पहले आदमी को मकान बनाना गोले जमीन म. गाड़ कर उन पर
ब•त से पशुओं ने िसखाया। पतली और ल{बी लकिड़ यV से
दो दोJतV के नाम- िकau ू ला3लम छ‘पर का पंजर बना ल.।"
और Wकचा लालीदाम भ`स के बाद दो दोJतV कQ मुलाकात
उaहVने मकान बनाने कQ jज‚ासा •ई – मछली से

nकट करते •ए सोचा िक मकान कहा- “आप लोग जरा मेरी पीठ
कैसे बनाए जाते ह`, इसjलए वे कQ पि¹याँ rयान से दे खो िफर पेड़V
पशुओं से पूछताछ करने के jलए से ब•त सी पि#याँ तोड़ लो। इन
जंगल कQ ओर िनकल पड़ े। पि#यV को छ‘पर पर उसी तरह लगा
दोJतV कQ सबसे पहले मुलाकात •ई दो, जैसी मेरी पीठ पर पि¹याँ ह`।
हाथी ने उ#र िदया मेरे पैरV जैसे पेड़V से लकड़ ी उaहVने जंगल से लौटकर एक जगह
– हाथी से
हाथी के बाद दो दोJतV कQ के मोटे और मजबूत गोले काट लो, मकान बना jलया। यह दुिनया म.
मुलाकात •ई – साँप से साँप ने कहा-जैसा म` ·ँ वैसी पतली और आदमी के हाथV बना पहला मकान
ल{बी लकड़ी काटो। था ।

I . एक वा’ म} उNर UलUखए :


1. Wसगफो आिदवासी कहाँ रहते थे? 4. दो(त क, मुलाकात सबसे पहले िकससे >ई?
œसगफो आिदवासी पूव¾#र भारत म. रहते थे। दोJतV कQ मुलाकात सबसे पहले हाथी से •ई ।
2. सबसे पहले आदमी को मकान बनाना िकसने 5. दो(त ने या- या तय िकया?
िसखाया ? दोJतV ने मकान बनाना तय िकया ।
सबसे पहले आदमी को मकान बनाना हाथीने 6. हाथी से उ2र पाकर दो(त िकससे िमले ?
िसखाया । हाथी से उ#र पाकर दोJत साँप से िमले ।
3. मकान के बारे म पूछ-ताछ करने दोन दो(त कहाँ 7. सब जानवर क, बात सुनकर दो(त ने या िकया?
चल पड़ े? सब जानवरV कQ बात. सुनकर दोJतV ने मकान बनाना
मकान के बारे म. पूछ-ताछ करने दोनV दोJत जंगल तय िकया ।
कQ ओर चल पड़ े ।

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KREIS Third Language Hindi

II. दो-तीन वा य म उ2र 3ल4खए :


1. लालीम और œकचा लालीदाम जंगल कQ और PयV चल पड़े?
उ#र : लालीम और œकचा लालीदाम इन दोनV ने मकान बनाना तय िकया। मगर वे मकान बनाना नहL जानते थे |
इसjलए पशुओं से पूछ-ताछ करने के jलए जंगल कQ ओर चल पड़े
2. दोJतV ने हाथी के साथ िकसकQ चचा^ कQ?
उ#र : दोनV दोJतV को मकान बनाना था। पर उaह. नहL मालूम था िक मकान कैसे बनाया जाता है । इसjलए दोJतV ने
हाथी से मकान बनाने के बारे म. चचा^ कQ ।
3. हाथी ने दोJतV को Pया उ#र िदया ?
उ#र : हाथी ने दोJतV को बताया िक पेड़ो से हाथी के पैर jजतने मोटे और मजबूत गोले काट लो, आगे कQ बात हाथी
नहL जानता था, उसे र#ी भर भी पता नहL था हाथी से उ#र पाकर वे दोनV आगे बढ़ गये ।
4. दोJतV ने िकन-िकन जानवरV से मुलाकात कQ?
दोJतV ने सबसे पहले हाथी से मुलाकात कQ, हाथी के बाद साँप से, भ`स से और अंत म. मछली से मुलाकात कQ ।
III. तीन-चार वा य म उ2र 3ल4खए :
1. साँप ने दो(त को या सुझाव िदया?
उ#र : साँप ने दोJतV को सुझाव िदया िक ‘’जैसा म` ·ँ ऐसी लंबी और पतली लकड़ी काट लो। ’’ आगे साँप ने कहा िक
‘’आगे कQ बात म` नहL जानता। मुझे र#ी भर भी पता नहL ।’’
2. भBस के पंजर से दो(त को या जानकारी िमली?
भ`स ने दोनV दोJतV को अपने भ`से का पंजर िदखाया और बोली ‘’जैसे इस पंजर म. चार पैरV पर हि¿याँ पड़ी है उसी तरह
चार मोटे गोले ज़मीन म. गाड़कर उनपर पतली और लंबी लकिड़यV से छ‘पर का पंजर बनाओ |’’
3. मछली ने दो(त के <c का या जवाब िदया?
उ#र : मछली ने जवाब िदया िक ‘’ आप लोग ज़रा मेरी पीठ कQ पि¹याँ rयान से दे ख लो, िफर पेड़V से ब•त सी पि#याँ
तोड़ लो, इन पि#यV को छ‘पर पर उसी तरह जमा दो, जैसी मेरी पीठ पर पि¹याँ ह` ’’

IV अनुUपता :
1. हाथी : जंगली जानवर : : भ`स : पालतू जानवर
2. मछली : पानी : : साँप : ज़मीन
3. मछली : तैरना : : साँप : रगना
4. हाथी : सूँड : : भ`स : मुँह

V. अaय वचन Uप 3ल4खए :


1. कहानी – कहािनयाँ 6. मछली – मछिलयाँ

2. गुफा – गुफाएँ 7. लकड़ी – लकिडयाँ

3. पेड़ – पेड़ 8. प ी- पि याँ

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KREIS Third Language Hindi

8 [ – 11 . 2 8+" - . ; J <4\

क वता का आशय :‘समय’


: अQधक मह`पूण तथा उपयोगी होता है । समय को जो
अपना सVा साथी बना लेगा, वह अपने काम म सफल होगा। इस क वता म
यह संदेश दया गया है क हम काम करने का जो अवसर #ा< होता है , उसे Sथ
जाने नहa दे ना चा हए।

क व का प<रचय

• क व का नाम : 4सयारामशरण गुf • पदक : 'सुधाकर पदक'


• काल :4 4सतgर 1895 • नधन: 29 माच\ 1963
• माता- पता का नाम : कौशhा, सेठ रामचरण • कृ तयाँ: मौय\ वजय, अनाथ, वषाद, आjा\, आkोlग\,
कनकने मृmयी, बापू, नकुल आ+द ।

पाठ पाठ म ान देने यो अंश:-


• समय ब-त अनमोल है। उसका • समय को जो अपना स ा सथी
महn धन से भी oादा है। बना लेता है, वही अपने काम म
• हम काम करने का जो अवसर सफल होता है।
:ाf होता है, उसी समय पर • धन तो आता जाता रहता है।
• समय एक बार िनकल गया तो
पूण\ कर लेना चा+हए उसे Tथ\
दुबारा नह आयेगा।
नहp जाने देना चा+हए ।
• समय ई र दया आ अनुपम
• सुख - शाqr भी नc हो
धन है।
जाएगी। • समय के साथ चलने से ही
• काम करने का सुअवसर मले हमारा जीवन शुभ एवं
तो आलs को tागकर समय • कल या होगा ? यह कोई भी नह क याणकारी होगा।
का पूण\ लाभ उठाना चा+हए, जानता। • जीवन म एक-एक पल अमू य

• उसे नc नहp होने देना चा+हए • जो भी काय करना है, तुर त ही है, य द हमने इसे नह पहचाना

• बीता -आ समय वापस लौटकर पूरा करो। है


• पल-पल का स पूण योग ही
नहp आता।
हमारा जीवन है।
उ ोगी - प र मी, मेहनती; सौ य-सुख , आलस-आल य, कामचोरी; बहाना - बात टालना, नाम मा का कारण ;
-धन, पदाथ, साम ी; अनुपम - अनोखा, बेजोड़, उपमा िवहीन ; तु छ-छोटा, ु , िन सार, अ प; पल- ण,
िच -मन, यान, अंतःकरण ; िव ास-भरोसा, यक न; सुसमय - अ छा समय, उ म अवसर; खोना - गँवाना, सवथा
- सदा, हमेशा।

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KREIS Third Language Hindi

I. एक वा य म उ र िलिखए :
1. किव के अनुसार मनु य को सुख कब नह िमलता?
िमलता?
उ र: किव के अनुसार समय को न करने से सुख नही िमलता।
2. बहाने बनाने का मुख कारण या है ?
उ र: बहाने बनाने का मुख कारण आलस है।
3. समय कसका दया आ अनुपम धन है ?
उ र: समय भगवान (ईश) का दया आ अनुपम धन है।
4. किव कस पर िव ास करने को कहते ह ?
उ र: किव आ मा (अपने आप) पर िव ास करने को कहते है।
5. समय के खोने से या होता है ?
उ र: समय के खोने से हमेशा पछताना पडता है ।

II. दो-
दो-तीन वा य म उ र िलिखए :
1. मनु य के िलए सुख क ाि कब संभव है ?
उ र: मनु य के िलए सुख क ाि तब संभव है जब वह समय का सदुपयोग करता है। काम के समय को बहाने
करके नह टालता है। समय का न न करके सुसमय पर जो काम करना है, उसे मन लगाकर करता है। ऐसे
मनु य को ही जीवन म सुख क ाि होती है।
2. समय का सदुपयोग कै से करना चािहए ?
उ र: एक पल को भी थ नह जाने देना चािहए। एक-एक पल से ही जीवन बनता है। इसिलए काम कोई भी
हो उसे िबना कसी बहाने बनाये उसी समय पूरा मन लगाकर करना चािहए। आल य याग कर, समय को
अमू य धन मानकर काय करने से जीवन सफल होता है। हम काम करने का जो अवसर ा होता है, उसे थ
जाने नह देना चािहए।
3. किवता के अंितम चार पंि य म किव या कहना चाहते ह ?
उ र: किव के अनुसार, अपनेआप पर िव ास रखकर जो भी काम हम कर, उसे पूरी लगन के साथ कर। हम
काम करने का अ छा अवसर ा होता है। उसे थ जाने नह देना है। समय को खोकर मनु य सुखी नह रह
पाता। उसे हमेशा पछताना पडता है।
4. किवता के अंितम चारपंि य म किव या कहना चाहते ह ?
उ र:किव के अनुसार, अपने आप पर िव ास रखकर जो भी काम हम कर, उसे पूरी लगन के साथ कर। हम
काम करने का अ छा अवसर ा होता है। उसे थ जाने नह देना है। समय को खोकर मनु य सुखी नह रह
पाता। उसे हमेशा पछताना पडता है।

अनु पताः
1. आलस : प र म :: न : ——- लाभ
2. जानो : मानो :: लगा दो : — भगा दो
3. धन : िनधन :: दया : —— िलया
4. जीवन : मरण :: खोना : —— पाना

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KREIS Third Language Hindi

8 [ – 12 T
• रोबो नल सुबह नाuा कराने, मेहमान@ के _ागत म aार खोलने, • एक +दन अचानक चलती बस से गरने के कारण उसके चोट आ
घर के छोटे बx@ को कहा नयाँ सुनाने आ+द काम@ को ब-त तyरता गई, फल_5प उसे अ„ताल म भत… होना पeा। इससे स}ैना
से करने लगा। प<रवार को ब-त परेशानी -ई।
• एक +दन रोबो नल कA मुलाकात रोबोदीप से -ई दोन@ के बीच दोHी • धीरज स}ैना ने ‘रोबो<ट न} कारपोरेशन' काया\लय प-ँचकर
हो गई। रोबो नल कA तरह रोबोदीप भी एक बु Dमान रोबोट था। देखा `क एक रोबोट वै†ूम ‡ीनर से दˆर के फश\ को साफ कर
• वे दोन@ साधोराम के बारे म बात करने लगे। उसे जब गाँव भेज देने रहा था। क‰Šूटर वशेष#@ ने कृ`Bम बु D का समावेश रोबोट म कर
के बारे म पता चला तो रोबोट ने कहा यह तो नयम के वbD है। +दया।
• रोबोट इ{ान ने पेट पर लात मारना अ|ी बात नहp है, यह • काउं टर पर बैठे एक रोबोट ने धीरज स}ैना का _ागत कर पूछा, म>
मानवीय गुण भी नहp है। दोन@ के बीच गुf मंBणा -ई और दोन@ घर आपके 4लए †ा कर सकता ‹ँ। इस जवाब म स}ैना जी ने कहा
लौटे । `क मुझे घरेलू कामकाज के 4लए बु Dमान रोबोट कA ज5रत है ।
• अगले +दन रोबो नल और रोबोदीप कA मुलाकात 'रोबोटो न} • साधारण रोबोट कA नहp। जैसे- नाती पोत@ का होमवक\ कराने एवं
कारपोरेशन' के काया\लय म -ई । वड\ :ोसेसर पर मेरा काम संभालने के 4लए। उसी +दन क नी का
• क नी के मा4लक रोबोजीत से उ~@ने भट कर सारी बात समझायp, एक कम\चारी एक रोबोट स}ैना प<रवार म कान करने के 4लए
सुनकर रोबोजीत बोला- म> तो अनुबंध कA शत• से बँधा होने के छोe गया।
कारण आपकA मदद नहp कर सकता। • बु Dमान रोबोट का नाम ही रोबो नल रखा गयाहै अr म समझौता
• रोबो नल और रोबोदीप aारा समझाने पर भी रोबोजीत ने उनकA एक कर नौकर को घर म `फर से काम पर रख 4लया।
भी बात नहp मानी और नराश होकर दोन@ वापस लौट आए। • अगले +दन वह रोबोदीप के साथ संघ के काया\लय जा प-ँचा। वहाँ
• कुछ +दन ऐसे ही बीत गए। एक +दन धीरज स}ैना ने एक व#ान अŒ• ने सारी बात सुनकर काय\का<रणी कA आपातकालीन बैठक
कथा वड\ :ोसेसर पर टाइप करने के 4लए दी। कथा सं•ेप म यह थी बुलाकर रोबोटो कA हeताल का ऐलान कर +दया।
`क एक घर म> नौकर को जो `कसी जानलेवा बीमारी से पी+eत था • उ~@ने रोबोजीत पर स}ैना प<रवार के साथ -ए अनुबंध को तुरr
उसे काम से नकालकर रोबोट को रख +दया। र• कर +दया।
• रोबोट को इसकA जानकारी मलते ही वह 'रोबो<टक संघ' को अवगत • अr म धीरज स}ैना ने रोबो<टक संघ के अŒ• से गुजा<रश कA
कराता है। संघ रोबोट@ कA हeताल कA घोषणा कर देता जब तक साधोराम पूरी तरह से ठीक नहp हो जाता है, तब तक
• :Hुत कहानी म लेखक aारा छाB@ को यह समझाया गया है `क रोबो नल उसके पास काम करता रहेगा। संघ aारा यह बात मान ली
मशीन कभी भी मनु‚ का ƒान नहp ले सकती, मनु‚ का महn गयी ।
कभी भी कम नहp हो सकता । • शाम को रोबो नल और रोबोदीप ने मलकर अपनी खुशी जा+हर
कA।

एक वा य म उ र िलिखए :
1. वषO से सPेना के पQरवार म कौन काम कर रहा था? 4. रोबो नल क@ मुलाकात कससे (ई ?
वष• से स}ेना के प<रवार म साधोराम सेवक काम कर रहा रोबो नल कA मुलाकात रोबोदीप से -ई।
था। 5. शमा? पQरवार के कु+े का ना 3लWखए।
2. धीरज सPेना कस काया?लय म जा प(ँचे ? शमा\ प<रवार के कु े का नाम शे5
धीरज स}ेना रोबोटो न} कॉरपोरेशन के काया\लय म जा 6. रोबो नल और रोबोदीप कससे #मलने गए ?
प-ँचे। रोबो नल और रोबोदीप कंपनी के मा4लक रोबोजीत से
3. एक रोबोट वै ूम Sीनर से ा साफ कर रहा था? मलने गए।
एक रोबोट वै†ूम ‡ीनर से दˆर के फश\ को साफ कर 7. वैJा नक लेखक का नाम 3लWखए।
रहा था।

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KREIS Third Language Hindi

वै#ा नक लेखक का नाम आइजक आ4समोव था।

दो तीन वा म उ+र 3लWखए।


1. धीरज सPेना को बु3[मान रोबोट क@ ज1रत थी ?
उ र: उनके नाती-पोत@ का होमवक\ कराने के 4लए उसे अ„ताल म भत… कराना पeा।
2. साधोराम को ा (आ था ?
उ र : साधोराम अचानक एक +दन चलती बस से गरकर उसे खतरनाक चोट लग गई। एवं वड\ :ोसेसर पर
उनका काम सँभालने के 4लए भी धीरज स}ेना को बु Dमान रोबोट कA ज5रत इस4लए थी
3. रोबोदीप ने रोबो नल से ा कहा ?
उ र : रोबोदीप ने रोबो नल से कहा `क, तु8ारे आने से पहले साधोराम नाम का सेवक स}ेना प<रवार म
काम करता था, वह अब अ„ताल म ह> स}ेना बता रहे थे `क वह अब साधोराम कA छु •ी करनेवाले है।
4. रोबो नल ने रोबोजीत को ा समझाने क@ को3शश क@ ?
उ तः रोबो नल ने रोबोजीत को समझाने लगे `क धीरज स}ेना के घर म पहले साधोराम नाम का सेवक
काम करता था, वह अब अ„ताल म है। स}ेना बता रहे थे `क वह अब साधोराम को थोeा मुआव‘ा देकर
उनकA छु •ी करनेवाले है ।
5. कहानी को टाइप करते समय रोबो नल को ा (आ ?
उ र: कहानी टाइप करके रोबो नल कA धाqnक और तार@ भरे प<रपंथवाली खोपडी म यकायक मानो नीली
रोशनी हो गई।

पाँच-छः वा म उ+र 3लWखए ।


1. धीरज सPेना ने घरेलू कामकाज के 3लए रोबोट रखने का नण?य 3लया ?
उ र : धीरज स}ेना के घर म पहले साधोराम नाम का सेवक काम करता था । अचानक एक +दन चलती
बस से गरकर उसे खतरनाक चोट आ गई वह अब अ„ताल म था । स}ेना का प<रवार बeा था। स}ेना
प<रवार के लोग पूरी तरह साधोराम के काम पर नभ\र थे । घरेलू कामकाज करने के 4लए उनको सेवक का
‘5रत था । इस कारण धीरज स}ेना रोबोट को कामकाज के 4लए रखने का नण\य 4लया
2. रोबो नल और रोबोदीप क@ मुलाकात का वण?न क@3जए ?
उ र : रोबो नल रोज शाम को शे5 को टहलाने के 4लए ले जाता था। ऐसे म एक +दन उसकA मुलाकात
रोबोदीप से हो गई। रोबोदीप उसी मोह’े म रहनेवाले शमा\ प<रवार के कु े झब5 को घुमाने आया करता था।
दोन@ रोबोट@ के बीच दोHी -ई।
3. वJान कथा का सार 3लWखए

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KREIS Third Language Hindi

उ र: व#ान कथा का सार इस :कार है- एक घर म नौकर `कसी जानलेवा बीमारी से पी+eत था, उसे
नकालकर उसकA जगह पर एक रोबोट को रख +दया जाता है। `कसी तरह रोबोट को इस बात कA जानकारी
मल जाती है तो वह ‘रोबो<टक संघ से संपक\ साधकर संघ को सारी बात@ से अवगत कराता है। संघ रोबोट@
कA हeताल कA घोषणा कर देता है। इससे उस नौकर को घर म `फर से नौकरी म रख 4लया जाएगा।
4. रोबोQटक कंप नय के मा3लक के बीच हलचल मच गई ?
उ र : रोबो नल और रोबोदीप ‘रोबो<टक संघ म जाकर धीरज स}ेना के नौकर साधोराम के बारे म सब कुछ
बता +दए। इन सब बात@ को अŒ• सुनकर संघ कA काय\का<रणी कA आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक म
तय -आ `क सभी रोबो<टक कंप नय@ के काम करनेवाले रोबोट@ कA हeताल का आहवाहन कर +दया जाए।
इस वषय कंप नय@ के मा4लक@ के बीच हलचल मच गई।

अH वचन 1प 3लWखए : अनु1पता :


बेटा – बेटे • शे5 को टहलाना : रोबो नल : : झब5 को घुमाना : _____
नाती – ना तने
रोबोदीप;
कु ा – कु े
छु •ी – छु <•याँ • मु•खया : धीरज स}ेना : : सेवक : _____
बे<टयाँ – बेटी साधोराम;
पोता – पो तयाँ
• टस से मस न होना : अटल रहना : : फूले न समाना : __
कंप नयाँ – कंपनी
नौक<रयाँ – नौकरी ब-त खुश होना।

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8 [ – 11 )+ 2 + <?
पाठ
पाठ का आशय :
इस पाठ से ब े साहस गुण, दृढ़ िन य, अथक प र म, मुसीबत का सामना करना
इ या द आदश गुण सीखते ह। इसके साथ िहमालय क ऊँची चो टय क जानकारी भी
ा करते ह। यह पाठ िस करता है क 'मेहनत का फल अ छा होता है।'

• पाठ पाठ म यान दे ने यो य अंश:-


• भारत कA पहली म+हला एवरे– • अपनी आरोहण •मता और
वजेता बछे —ी पाल aारा 4ल•खत कम\ठता के सहारे 23 मई, 1984
'म+हला कA साहस गाथा' नामक के +दन दोपहर के 1 बजकर 7
इ तवृ ाr ब-त :ेरणादायक तथा मनट पर वे एवरे– कA चोटी पर
रोचक है। खeी थp ।
• एवरे– कA चोटी पर च0ने वाली • एवरे– कA चोटी पर सव\:थम
बछे —ीपाल को पहली भारतीय म+हला उ~@ने अपने आपको सुर4•त
होने का गौरव :ाf है। 5प से ¤ƒर `कया।
• उनका ज˜ एक साधारण भारतीय • इसके बाद अपने घुटन@ के बल
प<रवार म -आ। बैठकर थैले से हनुमान चालीसा
• पता `कशनपाल 4सP ह तथा माँ हं सादेई और दुगा\ माँ का चB नकाला।
नेगी ह>। • लाल कपeे म लपेट करके छोटी
• बछे —ी ने अपने बeे भाई कA पहाe@ पर सी पूजा कA। कुछ देर बाद सोनम
जाने कA b च को देखते -ए _ंय भी पुलजर प-ँचकर उ~@ने फोटो
न™य 4लया `क वह भी पहाe पर 4लए ।
च0ने का लš एक +दन अव› पूरा • कन\ल खु’र उ~ बधाई देते -ए
करगी। बोले `क “देश को तुम पर गव\ है।
• इसी उ•े› से उ~@ने पव\तारोहण का 4शखर पर 43 मनट Tतीत कर
:4श•ण लेना शु5 `कया इसके उ~@ने अपनी वापसी याBा 1
साथ-साथ उ~@ने 4सलाई का काम बजकर 55 मनट पर शु5 कA
सीखकर _यं प0ाई का खच\ भी वहन और बछjीपाल केवल तीन घंटे म
`कया। ही वापस आ ग¦।
• उ~@ने संœृत म एम.ए. तथा बी. • अगH 1983 म +द’ी म +हमालय पव\तारो+हय@ के • बछjीपाल को पव\तरोहण म
एड. तक कA 4श•ा :ाf कA । स¢ेलन म पहली बार वे तेन4जP ग नोग£ तथा जुंके ताबी से §े¨ता के 4लए, भारतीय
• उ~@ने पहले 'कालानाग' पव\त कA मलp। पव\तारोहण संघ का : त ¨त
च0ाई कA। सन् 1982 म 'गंगोBी • 1984, 23 मई को एवरे– प-ँचकर उ~@ने भारत का _ण\पदक, प©§ी पुरœार और
žे4शयर ( 6672 मी.) तथा ‘bड गेरो' झंडा फहरा +दया। उस समय उनके साथ पव\तारोही अंग अजु\न पुरœार :ाf -आ।
(5819 मी.) कA च0ाई कA इससे दोरजी भी थे।
उनम आk व¡ास और ब0ा।

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I.
एक वा म उ+र 3लWखए :
1. #बछं`ी पाल को कौन-सा गौरव ाa (आ है ?
उ र: बछं jी पाल को एवरे– कA चोटी पर चढनेवाली पहली भारतीय म+हला होने का गौरव :ाf है।
2. #बछं`ी के माता- पता कौन थे ?
उ र: बछं jी कA माता हं सादेई नेगी और पता `कशनपाल 4सP ह थे।
3. #बछं`ी ने ा नbय कया ?
उ र: बछं jी ने न™य `कया `क वह अपने भाई जैसे पहाe@ पर च0े गी।
4. #बछं`ी ने कस cे3शयर पर चढाई क@ ?
उ र: बछं jी ने गंगोBी žे4शयर पर चढाई कA।
5. सन् 1983 म 7दhी म कौन-सा सiेलन (आ था ?
उ र: सन् 1983 म +द’ी म +हमालय पव\तारो+हय@ का स¢ेलन -आ।
6. एवरे j पर भारत का झंडा फहराते समय पाल के साथ कौन थे ?
उ र:एवरे– पर भारत का झंडा फहराते समय पाल के साथ पव\तारोही अंगदोरजी थे।
7. कन?ल का नाम ा था ?
उ र: कन\ल का नाम खु’र था।
8. kाटू कौन-सी रlी लाया था ?
उ र: ¬ाटू नायलॉन कA र-ी लाया था।
9. #बछं`ी ने थैले से कौन-सा Eचm नकाला ?
उ र: बछं jी ने थैले से दुगा\ माँ का चB नकाला।
10. कन?ल ने बधाई देते (ए #बछं`ी से ा कहा ?
उ र: कन\ल ने बधाई देते -ए बछं jी से कहा देश को तुम पर गव\ है।
11. मेजर का नाम ा था ?
उ र: मेजर का नाम कुमार था।
12. #बछं`ी को भारतीय पव?तारोहण संघ ने कौन-सा पदक देकर सiान कया ?
उ र: बछं jी को भारतीय पव\तारोहण संघ ने _ण\पदक देकर स¢ान `कया।

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II दो-तीन वा म उ+र 3लWखए :


. 1. #बछं`ी पाल के पQरवार का पQरचय दी3जए।
उ र: बछे दी का ज˜ एक साधारण भारतीय प<रवार म -आ था। पता `कशनपाल 4सP ह तथा माता हं सादेई नेगी कA
पाँच संतान@ म बकjी तीसरी संतान है ।
2. #बछं`ी का बचपन कैसे बीता ?
उ र: बछं jी का बचपन संघष\मय था। उसे रोज पाँच `कलोमीटर पैदल चलकर œूल जाना पeता था। 4सलाई काम
सीखा और 4सलाई करके पढाई का खचा\ जुटाया। इस तरह संœृत म एम.ए. तथा बी.एड. तक कA 4श•ा :ाf कA।
3. #बछं`ी ने पव?तारोहण के 3लए कन- कन चीज का उपयोग कया ?
उ र: बफ\ काटने के 4लए फावeे का इHेमाल `कया। च0ाई च0ने के 4लए नायलॉन कA र-ी का उपयोग `कया।
इनके अलावा ऑ}ीजन कA कमी को पूरा करने के 4लए ऑ}ीजन 4सलडर का भी उपयोग `कया।
4. एवरे j क@ चोटी पर प(ँचकर #बछं`ी ने ा कया?
उ र: एवरे– कA चोटी पर प-ँचकर बछं jी ने खुद के 4लए ƒान सुर4•त `कया। अपने घुटन@ के बल बैठी। बफ\ को
अपने माथे लगाकर सागरमये का ताज का चुंबन 4लया। बाद म हनुमान चालीसा और माँ दुगा\ कA पूजा, कA।

III चार-पाँच वा म उ+र 3लWखए:


. 1. #बछं`ी ने पहाo पर चढने क@ तैयारी कस कार क@ ?
उ र: बकjी ने पहाe पर चढने के 4लए दो दल बनाए गए। सुबह ह°ा नाuा करने के बाद साढे पाँच बजे
तंबू से नकल पडे। अंग दोरजी के साथ बगैर र-ी के ही चढाई कA। वहाँ जमी -ई बफ\ काटने के 4लए फावडे
का इHेमाल `कया। कभी नायलॉन र-ी के सहारे चढाई कA। ऑ}ीजन कA आपू त± रेगुलेटर पर बढाकर
क<ठन चढाई आसान बनाई।
2. दWpणी 3शखर पर चढते समय #बछं`ी के अनुभव के बारे म 3लWखए।
उ र: बजjी ने अंग दोरजी के साथ सुबह के नाuे के बाद च0ाई :ारं भ कA। शु5 म बना र-ी के ही च0ाई
कA। बफ\ काटने के 4लए फावeे का इHेमाल भी करना पeा †@`क बफ\ सीधी, और ढलाऊ च•ाने थी। आगे
कA च0ाई नायलॉन कA र-ी के सहारे कA। द4•णी 4शखर के ऊपर तेज हवा के झ@के भुरभुरे बफ\ के कण@
को चारो तरफ उeा रहे थे। उसने देखा `क थोडी दूर तक कोई ऊँ ची च0ाई नहp है। ढलान एकदम सीधी नीची
चली गई थी। उसकA साँस एकदम bक गई थी। उसको लगा `क सफलता ब-त न‘दीक है।
3. qुत पाठ से ा संदेश #मलता है ?
उ र: इस पाठ से बxे साहस गुण, ³0- न™य, अथक प<र§म, मु4सबत@ का सामना करना इtा+द आदश\
गुण सीख सकते ह>। यह जानकारी :ाf कर सकते ह> `क म+हलाएँ भी साहस :दश\न म पुbष@ से कुछ कम
नहp है। ³0- न™य, साहस, धैय\ aारा लš :ाf करने का तn समझते ह>।

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VI. rी3ल8 ग शs 3लWखए: VII. उदाहरण के अनुसार 3लWखए:


पुµ’P ग – ¶ी4लP ग
बाप – माँ पढ + आई = पढाई
पुbष – ¶ी चढ + आई = चढाई
भाई – बहन क+ढन + आई = क<ठनाई
बेटा – बेटी ऊँचा + आई = ऊँचाई
§ीमान – §ीमती बढ + आई = बढाई

VIII अH वचन 3लWखए : IX. वलोम शs 3लWखए:


. च•ान – च•ाने आरोहण × अवरोहण
र-ी – र¹-याँ चढना × उतरना
शीशा – शीशे ठं डा × गरम
चोटी – चो<टयाँ प<र§म × व§ाम
चादर – चादरे सामने × पीछे
XIII कvड या अंwेजी म अनुवाद क@3जए :
. 1. बछं jी का ज˜ एक साधारण प<रवार म -आ था।
उ र: Bichendri was born is a middle class family.
2Zೇಂ +ಯವರ ಜನನ ಒಂದು Mಾ[ಾರಣ ಪ= ಾರ ದPE ಆSತು.

1. बछं jी को रोज पैदल चलकर œूल जाना पडता था।


उ र: Bichendrl was going to school by walk every day.
2Zೇಂ +ರವರು ಪ+? ನ >ಾ\ೆ ೆ ನ1ೆದು !ೋಗ%ೇ ಾ]ತು

2. द4•णी 4शखर के ऊपर हवा कA ग त ब0 गई थी।


उ र: velocity of the wind was high in the southern peak.
ದ^ಣ _ಖರದ Cೕ\ೆ ಾ ಯ ರಭಸ !ೆaಾb]ತು.

3. मुझे लगा `क सफलता ब-त नजदीक है ।


उ र: I felt that success was very near.
ಸಫಲ6ೆ ತುಂ%ಾ ಸdೕಪದPE8ೆ ಎಂದು ನನ ೆ ಅ 3ತು.

4. म> एवरे– कA चोटी पर प-ँचनेवाली :थम भारतीय म+हला थी।


उ र: I was the first Indian woman to reach the peak of everest.
#ಾನು ಎವFೆf' _ಖರ ತಲುgದ Hದಲ hಾರ?ೕಯ ಮi"ೆ ಾ]8ೆY.

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पाठ – 14 –] - सूरदास

पद का आशय :
ब े वभाव से भोले होते है। वे हमेशा अपने माता-िपता से अपने भाई, बहन और िम क कु छ-न-
कु छ िशकायत करते रहते ह। उनका बाल सहज वभाव देखकर बड़ को हँसी आती है और उ ह
पुचकारकर सां वना देते ह। माँ और बेटे के ऐसे सहज संबध
ं क क पना कर सूरदास जी ने अपने इस
पद म उसका मा मक िच ण कया है
सूरदास (सन् 1540-
1540-1642)
भ किव सूरदास हंदी सािह याकाश के सूय माने जाते ह। इ ह भि काल क सगुण भि धारा क कृ णभि -शाखा के
वतक माना जाता है। इनका ज म उ र देश के नकता गाँव म सन् 1540 को आ था। इनक मुख रचनाएँ ह- 'सूर
सागर', 'सूर सारावली' एवं 'सािह यलहरी' । इनक मृ यु सन् 1642 को ई। इनके का म वा स य, ृंगार तथा भि का
ि वेणी संगम आ है।
श दाथ : • रस- ोध, • का ह-कृ ण,
• मैया-माँ, • के मारे-के कारण, • चबाई-पीठ पीछे बुराई करनेवाला,
• मो हं-मुझे, • तुमरो-तु हारे, चुगलखोर;
• दाऊ-भै या (बलराम), • तात-िपता, • जनमत ही को - ज म से ही,
• िखझाना-िचढ़ाना, • कत- य , • धूत -दु ,
• मोस -मुझसे, • याम-काला, • लिख-देखकर,
• मोल-मू य, • वाल-गोपालक, • स -कसम, सौगंध; ह -म,
• दाम; तोिह-तुझे, • िसखै-िसखाना, • पूत-पुत्
• जसुमित-जसोदा, यशोदा; • बलभ -बलबीर, बलराम; • रीझै- मोिहत होना,
• जायो- ज म दया, • सुन -सुनो

I.एक
I.एक वा य म उ र िलिखए :
1. सूर- याम पद के रचियता कौन ह ? 5. यशोदा कसक कसम खाती है ?
उ र: सूर- याम पद के रचियता सूरदास ह। उ र: यशोदा गोधन क कसम खाती है।
2. कृ ण क िशकायत कसके ित है ? 6. बालकृ ण कससे िशकायत करता
करता है ?
उ र: कृ णा क िशकायत भाई बलराम के ित उ र: बालकृ ण माता यशोदा से िशकायत
ह। करता है।
3. यशोदा और नंद का रं ग कै सा था ? 7. बलराम के अनुसार कसे मोल िलया गया है
उ र: यशोदा और नंद का रं ग गोरा था। ?
4. चुटक दे-देकर हँसनेवाले कौन थे ? उ र: बलराम के अनुसार कृ ण को मोल
उ र: चुटक दे-देकर हँसनेवाले सब वाला िम िलया गया है।
थे । 8. बालकृ ण का रं ग कै सा था ?
उ र: बालकृ ण का रं ग काला था।

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II. दो-
दो-तीन वा य म उ र िलिखए:
1. कृ ण बलराम के साथ खेलने य नह जाना चाहता?
चाहता?
उ र: भाई बलराम कृ ण को ब त िचढाता था क यशोदा ने उसे ज म नह दया है बि क मोल िलया है। उसके माता
िपता कौन ह ? उसका रंग काला य है? इसी गु से के कारण कृ ण बलराम के साथ खेलने नह आना चाहता था।

2. बलराम कृ ण के माता
माता-
ता-िपता के बारे म या कहता है ?
उ र: बलराम कृ ण के माता-िपता के बारे म या कहता है क – उसके माता िपता कौन ह ? नंद और यशोदा तो गोरे

ह प कृ ण का रंग य काला हा? माता-िपता ने उसे मोल िलया है।

3. कृ ण अपनी माता यशोदा के ित य नाराज है?


उ र: कृ ण अपनी माता यशोदा के ित इसिलए नाराज है क – माँ ने के वल कृ ण को ही मारना सीखी है। वह भाई
पर कभी गु सा नह करती है।
4. बालकृ ण अपनी माता से या-
या- या िशकायत करता है?
उ र: बालकृ ण अपनी माता से िशकायत करता है क – “मुझे भैया ब त िचढ़ाता है। तू मोल का िलया आ है, यशोदा

का पु नह है। तु हारे माता-िपता कौन ह? नंद-यशोदा तो गोरे ह, तू काला कै से है? माँ, तू के वल मुझे ही मारती है,

बलदाऊ को डाँटती तक नह । इसक हँसी-मजाक सुनकर सब वाल िम चुटक बजाकर मुझ पर हँसते ह।”

5. यशोदा कृ ण के ोध को कै से शांत करती है ?


उ र: यशोदा माता कृ ण से कहती है क हे कृ ण। सुनो। बलराम ज म से ही चुगलखोर है। म गोधन क कसम खाकर
कहती ह, म ही तेरी माता और तुम मेरे पु हो। इस कार यशोदा कृ ण के ोध को शांत करती है।

चार-
चार-छः वा य म उ र िलिखए:
िलिखए:
1. पद का भावाथ अपने श द म िलिखए।
उ र: कृ ण अपनी माँ से िशकायत करता है क भाई उसे ब त िचढाता है क यशोदा माँ ने उसे ज म नह दया है
बि क मोल िलया है। इसी गु से के कारण कृ म बलराम के साथ खेलने नह जाता। वह बार बार कृ ण से पूछता है क
उसके माता िपता कौन ह ? नंद और यशोदा तो गोरे ह ले कन उसका रंग य काला है ? बलराम क ऐसी हँसी-मजाक
सुनकर कृ ण को सब वाला िम चुटक बजा-बजाकर हँसते ह। उ ह बलराम ने ही ऐसा करना िसखाया है। कृ ण माँ से
कहता है क माँ िसफ उसी को ही मारना सीखी है। वह कभी भाई पर गु सा नह करती। कृ ण के ोिधत मुख और
बात को सुनकर यशोदा माता खुश हो जाती है। वह कृ ण को समाधान करती है क बलराम ज म से दृ है। गोधन क
कसम, वह ही कृ ण क माता और कृ ण उसका पु है।
अनु पता :
1. बलभ : बलराम :: का ह : —— कृ ण
2. जसोदा : माता :: नंद : ——— िपता
3. रझता : मोिहत होना :: िखजाना : ——– िचढाना
4. बलबीर : बलराम :: जसोदा : ———- यशोदा

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पाठ – 17 ;; 2 + +1 + -
जगतराम आय
पाठ का आशय :
इस पाठ म पाँच-छः लड़के संग ठत होकर अपनी बाल-शि को कट कर रहे ह।
यह लड़के एक साथ रहकर अ छी आदत को अपनाने का य करते ह। इतना ही
नह सब ब े िमलकर अपने गाँव को एक नया जीवन दान करते ह। इस पाठ ारा
बाल-शि का मह व बताया जा रहा है

I. एक वा य म उ र िलिखए:
1. कससे डरकर नौका पार नह होती ?
उ र: लहर से डरकर नौका पार नह होती।
2. कनक हार नह होती है ?
उ र: कोिशश करनेवाल क हार नह होती है
3. दाना
दाना लेकर कौन चलती है ?
उ र: न ह च टी दाना लेकर चलती है।
4. च टी कहाँ चढती है?
उ र: च टी दीवार पर चढती है।
5. कसक मेहनत बेकार नह होती ?
उ र: च टी क मेहनत बेकार नह होती।
6. सागर म डु ब कयाँ कौन लगाता है ?
उ र: सागर म गोताखोर डु ब कयाँ लगाता है
7. मोती कहाँ िमलता है?
उ र: मोती सागर म मोती गहरे िमलता है ।
8.. कसक मुटठी खाली नह होती ?
उ र: यास (कोिशश) करनेवाल क मुटठी खाली नह होती
9. कसको मैदान छोडकर भागना नह चािहए ?
उ र: संघष करनेवाल को मैदान छोडकर भागना नह चािहए
10. कु छ कए िबना ही या नह होती है ?
उ र: कु छ कए िबना ही जयजयकार नह होती।

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II. दो-
दो-तीन वा य म उ र िलिखए:
िलिखए
1. चीटी के बारे म किव या कहते है ?
उ र: च टी जब दाना लेकर चलती है तो दीवार पर चढ़ते ए सौ बार फसलती है।
ले कन फर भी वह हार नह मानती। आिखर म वह सफल होती है।
2. गोताखोर के बारे म किव के िवचार या है ?
उ र: गोताखोर कई बार डु ब कयाँ लगाने पर भी खाली हाथ लौट आता है। ले कन उसका
उ साह दुगना हो जाता है। उसक मु ी म मोती अव य आते ह।
3. असफलता से सफलता क ओर जाने के बारे म किव या कहते है ?
उ र: असफलता से सफलता क ओर जानेवाले के बारे म किव का यह कहना है क
असफलता एक चुनौती है उसे वीकार कर । साहस और िव ास के साथ उसका सामना
कर । जब तक सफलता हािसल न हो तब तक कोिशश करनी चािहए ।
किवता क अंितम पंि य को कं ठ थ करके िलिखए :
असफलता एक चुनौती है, इसे वीकार करो,
या कमी रह गई , देखो और सुधार करो ।
जबतक न सफल हो, न द चैन को यागो तुम,
संघष का मैदान छोडकर मत भागो तुम ।
कु छ कडा िबना ही जय-जयकार नही होती,
कोिशश करनेवाल क कमी हार नह होती ।

अनु प
पता
ता
1.मेहनत : प र म :: कोिशश : यास
2. चढना : उतरना :: हारना : जीतना
3. वीकार : इ कार :: चैन : बेचैन
4. संधु : समु :: हाथ : कर

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35. ^ : #; 8JG 2( । 4

असफलता एक चुनौती है , इसे "ीकार करो,


$ा कमी रह गई, देखो और सुधार करो |
जब तक न सफल हो, न-द चैन को .ागो तुम,
संघष1 का मैदान छोड़कर मत भागो तुम |
कुछ 5कए 6बना जय-जयकार नह- होती ,
को7शश करनेवाल9 क: कभी हार नह- होती |
VIII. ) < # : _ 4 7/ 8 15-
15-20 *: : a. 8 /
# :4x1
=4
37. 4

पया?वरण परदूषण
qावना : प<रसर का गहरा :भाव मानव जीवन पर पeता है | मानव ही अपने चार@ ओर के वातावरण को शुÓद
रख सकता है , ले•खन :कृ त कA गोद म पला माना आज :कृ त पर ही अtाचार कर रहा है और पया\वरण को
दू षत कर रहा है |
पया?वरण परदूषण के कारण :
• पया\वरण :दूषण का मुÔ कारण है हमारी ब0ती -ई जनसंÔा वाहन@ कA संÔा और कारखान@ कA
संÔा |
• व:दूषण का :मुख कारण वन वनाश है | लगातार वृ4•@ कA कटाई से :कृ त का संतुलन डगमगा रहा
है |
• वाहनो और कारखानो से नकलनेवा4ल काब\न डाई ऑ}ाइड तथा अ वषैली गैस@ से पया\वरण
:दूषण ब0 रहा है |
• कारखान@ से नकलाने वाले हा नकारक रासाय नक jT बहकर नदी नाल@ म जा मलते ह> और पानी
गंदा हो जाता है |
• अनाव›क जगह@ पर Õ नवध\क@ का उपयोग और बना कारण वाहन@ के भोपू बजाना 4लसके कारण
Õ न :दूषण होता है |
पQरणाम और उपाय: पया\वरण :दूषण को रोकने के 4लए हमेशा तyर रहना चा+हए | अपनी पाठशाल एवं
गांव का `कचरा कeा और गंदगी को साफ करना चा+हए | पया\वरण :दूषण के : त जाग5क रहना चा+हए | पेe
पौध@ को लगाना और ब0ाना चा+हए |

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उपसंहार : पया\वरण :दूषण को रोकना हमारा करतT है | सरकार aारा बनाए गए कानून@ को Œान म रखकर
एक अ|े नाग<रक कA है4सयत से हम अपने आसपास के वातवरण को साफ रखने का भरसक :यास करना
चा+हए| सरकार को संचार माŒम@ aारा पया\वरण के महn का :चार :सार करना चा+हए। ऐसा करने से
पया\वरण :दूषण को कुछ हद तक रोका जा सकता है |

जनसंxा क@ समyा
qावना / वषय वेश :- ब0ती जनसंÔा कA समsा सामा 5प से व¡ कA समsा है | भारत को
ब0ती -ई जनसंÔा का सामना करना पe रहा है। दु नयाँ कA 17% आबादी भारत म रहती है। जनसंÔा कA ³ व
से भारत व¡ म दूसरे ƒान पर है|
कारण और दु{Qरणाम :
• व#ान कA उ× त के साथ च`कlी एवं _ाØ कA सु वधाओं म उ× त -ई है|
• व भ× बीमा<रय@ के 4लए इलाज और उपचार शोध `कये गये ह> । फलतः ज˜ लेने वाले 4शशुओं और
रो गय@ कA मृtु दर म कमी -ई है। तथा औसत आयु म वृ D -ई है |
• अ4श4•त और गरीब वग\ के लोगो के अ#ान के कारण जनसंÔा म वृ D |
• धा म± क §Óदा के कारण ज˜ नयंBण व धय@ और प<रावार नयोजन व धयो को नही अपनाना |
जनसंxा व|ोट के दु{Qरणाम :
• ब0ती -ई जनसंÔा के कारण देश कA :ग त कुं<ठत होती है |
• वHुओं के मूh म वृ D और +दन : त+दन महं गाई ब0 रही है |
• बेकारी और बेरो‘गारी कA वजह से अपराध@ म वृ D -ई है |
• पया\वरण :दूषण कA समsा उy× -ई है |
जनसंxा नयंmण केउपाय :
• सरकार ने पुbष@ के 4लए ूनतम ववाह योÙ आयु 21 वष\ और म+हालाओं के 4लए 18 वष\ तय कA
है |
• द क Zहण को ब0ाव +दया गया है सरकार aारा बx@ को गोद 4लने को भी ब0ाव दे +दया गया है|
• सरकार तथा सामा4जक संƒाओं ने सभाओं, गो cओं, संचार माŒम@ aारा छोटे पर<रार से होने वाले
Úायदे का :चार व :सार `कया है|
उपसंहार : भारत म ब0ती जनसंÔा गंभीर चP ता का वषय है । हालं`क सरकार ने इस पर नयंBण रखने के
4लए ब-त सारे कदम उटाए ह> , 4ल•खन यह नयंBण पया\f :भा व नहp है । इस समsा को रोकने के 4लए कई
अ उपाय `कए जाने कA अव›ाकता है।
“सुखमय जीवन का यह सार | दो बx@ का हो प<रवार |“

C}ता का मह~

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KREIS Third Language Hindi

qावना / वषय वेश :- “ _|ता म नमा\Ûा , सÚाई म खुदाई होती है |” साÚ सÚाई एक अ|ी
आदत है , जो _| पया\वरण और आदश\ 4जवन के 4लए हर एक के पास होनी चा+हए | _| भारत अ भयान
_| भारत महाkा गांधी का सपना था | _| भारत अ भयान राÝTापी सफाई अ भयान है | यह अ भयान
_|ता के : त जाग5क करने के 4लए भारत सरकार aारा चलाए जाने वाला बeा आंदोलन है
_| भारत अ भयान का आरं भ नई +द’ी के राजघाट पर 2 अÞू बर 2014 को भारत के :धानमंBी
§ी नरj मोदी जी ने `कया था |
मह~ एवं आव•कता :
• _|ता हम मान4सक सामा4जक और बौ Dक हर तरीके से _ƒ बनाती है |
• हम अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चा+हए ता`क `कसी :कार कA बीमारी ना फैले |
C}ता से लाभ :
इस अ भयान म छाB अपना महnपूणग योगदान दे सकते ह> | छाB अपने प<रावार और œुल म इस अ भयान
के आशय को तन मन से अपनाएंगे और काया\ करगे तो _ƒ भारत और _| भारत का नमा\ण कर सकते
ह> |
• भारत म खुले म मला tाग कA Tवƒा का जe से उ˜ूलन करना |
• T Gगत शौचh का नमा\ण कA Tवƒा |
• _|ता के 4लए लोगो म जाग5कता लाना |
• Tावहा<रक बदलाव को ब0ाव देना |
• शहर और Zाम@ को _| रखना |
• साफ सफाई से संबं धत जन जागृ त काया\àम का आयोजन करना |
उपासंहर: हम यह कह सकते ह> `क मानव के जीवन म _|ता का ब-त ही महnपूण\ ƒान है । _|
वáलय, _| भोजन, _यं कA _|ता, T Gगत _|ता, बच@ कA सुर•ा, _| पेयजल और _|
शौचालय इन सब का होना ब-त ही महnपूण\ है। इस 4लए देश के हर नाग<रक को अपने घर के आस पास के
वातावरण को _| रखना सीखना चा+हए। और छाB@ को भी _|ता के : त सचेत कराना अव›क है।
“C}ता का रखे •ान C}ता से देश बनेगा महान”.

इं टरनेट
वषय वेश :- आज का युग इं टरनेट युग है | बeे बू0@ से लेकर छोटे बx@ तक सब पर इस इâरनेट का असर
प0ा है |
इं टरनेट का अथ? :- इं टरनेट अन गनत कंŠूटर@ के कई अंतरजाल का एक दूसरे से संबंध ƒा पत करने का
जाल है |
इं टरनेट का मह~ :- इं टरनेट जीवन के हर •B म अपना कमाल +दखाया है | चकlा , कृ ष, अंत<र•ा #ान
, व#ान , 4श•ा और यहां तक `क देश के र•ा +दलो कA काया\वाही म इं टरनेट का ब-त बeा योगदान है|
इं टरनेट लाभ:

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KREIS Third Language Hindi

• इं टरनेट aारा घर बैटे बैटे खरीदारी कर सकते ह>|


• कोई भी वचार हो , चB हो , या वषय हो कम समय म व¡ के `कसी भी कोने म भेजना संभव हो
गया है |
• इं टरनेट aारा कोई भी बल भर सकते ह> |
• इं टरनेट ब>`कPग aारा दुव नयां कA `कसी भी जगह म चाहे 4जतनी भी रãम भेजी जा सकती है |
• संचार और सूचना के •ेB म :ग त -ई है |
इं टरनेट के दु{Qरणाम / हा नयां :-
• इं टरनेट कA वजह से पैरेसी , ब>`कPग äॉड , हां`कPग आ ध ब0 रही है ।
• मुG वेब साइट , चा<टP ग आ ध से युवा पी0ी बगe रही है |
• बx@ अनाव›क एवं अनुपयुG जानकारी हाव4स कर रहे ह> |
• समय को नc कर रहे ह> |
उपसंहार :- उपरयुG वषय को देखते -ये हम कह सकते ह> `क इं टरनेट एक ओर वरदान है तो दूसरी ओर
अ भशाप भी है | हम इं टरनेट का उपयोग ज5रत@ को या अ|े #ान को :ाf करने के 4लए करना चा+हए ना `क
अनाव›क या अनुपयोगी जानकारी के 4लए | बx@ को अपनी नगरानी म इं टरनेट का उपयोग करने देना च+हए
|अगर ऐसा करगे तो इं टरनेट वरदान ही होगा |
“इं टरनेट है एक वरदान हर •ेB म है `क त± मान।
बन ना जाए अ भशाप, रकना बंधु इसका Œान॥“

बेरोƒगारी
वषय :वेश : हमारे देश कA एक क<ठन समsा है बेरो‘गारी | बेरो‘गारी एक आ थ± क और साम4जक समsा
है 4जसके कारण देश कA शां त और Tवƒा को खतरा है |
बेरो‘गारी का अथ\ : बेरोजगार उस T G को कहा जाता है जो `क बाजार म : त मजदूरी दर पर काम तो करना
चाहता है 4ल•खन उसे काम नही मल पा रहा है | `कसी प0े वखे T G को नौकरी नही मल रही है तो उसे
बेरोजगार माना जाता है |
बेरोƒगारी के कारण : æ
• ब0ती -ई जनसंÔा æ
• दोषपूण\ 4श• :णा4ल æ
• आधुवनक मशीन@का उपयोग
• उáोग धंध@ का अभाव æ
• लघु तथा कुटीर उáोग@ कA िअन त
बेरोƒगारी के दु{Qरणाम : æ
• बेरोजगारी के कारण नद\नता म वृ D होती है æ
• भुखमरी कA समsा उy× होती है æ
• अपराध@ म वृ D होती है æ
• बेरोजगारी के कारण मान4सक अशां त होती हैऔर कुछ लोग तंग आकर आkहtा कर लेते ह>

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KREIS Third Language Hindi

बेरोƒगारी दूर करने के उपाय : æ


• लघु उáोग@ को :ोlाहन देना æ
• जनसंÔा वृ D पर नयंBण लगाना æ
• मशीनीकरण और कŠूटरीकरण पर नयंBण æ
• रोजगार के नए अवसर@ कA तलाश æ
• कृ ष के सहायक उáोग धंध@ का वकास æ
• कुटीर और लघु उáोग@ का वकास æ 4श•ा :णा4ल म प<रवत\न
उपसंहार : हम वनराश नहं होना चा+हए हमारी 4श•ण Tवƒा म सुधार `कया जा रहा है | अपने काम धंधे
करने के 4लए लोन +दया जा रहा है | आव›कता इस बात कA है `क हम आk¡ास और ³0ता के साथ सहयोग
कर और मलकर इस समsा को हल कर |

6. महाँगाई
वषय वेश : भारत कA ब-त सी आ थ± क समsाओं म महं गाई कA समsा एक मुÔ है , 4जसके कारण
èरीब@ को अपनी मूलभूत आव›कताएाँ भी पूरी करना मुéêल हो जाता है |
महं गाई का अथ? : महं गाई का अथ\ होता है वHुओं कA ãAमत म वृ D या इ‘ाÚा होना |महं गाई कA वजह से
देश कA अथ\ Tेवƒा म उतार चढाव आते ह> |
महं गाई के कारण : æ
• जनसंÔा वृ D के कारण |
• अनाज कम होने के कारण |
• अ तवृ c और अनावृ c के कारण |
• बeे बeे Tापारी अनाज को अपने अपने गोदाम@ म जमा कर बा‘ार म दाम ब0ने तक रखते ह>
महं गाई से उ„v समyाएं : æ
• अनाज पया\f माB म ना मलने के कारण काला बा‘ारी कA समsा उy× होती है |
• काला धन जमा हो रहा है |
• राजनी त म Tाf ëcाचर |
• राÝीय कृत उáोग@ म घाटा |
• bपए का अवमूhन मुjाìA त |
महं गाई दूर करने के उपाय : …
• सरकार को कालाबाजारी रोकने के लए ब-त ही सí कानून बनाने चा+हए æ ।
• महं गाई को खk करने के 4लए जनता को भी सरकार का साथ देना चा+हए æ ।
• जनसंÔा पर नयंBण लगाने से भी महं गाई को रोका जा सकता है ।
• ëcाचार काला बाजारी करनेवाल@ पर शासक पर का कठोर नयंBण होना चा+हए ।
उपसंहार : महं गाई देश कA आ थ± क TîHा के 4लए खतरनाक है इस पर नयंBण नही `कया गया तो ëcाचार
को :ेरणा मलती है इसके कारण आ थ± क वृ D मंद पe जाती है अतः महं गाई पर नयंBण के 4लए यथाशीï कeे
से कeे कदम उठाने कA अव›कता है |

63
KREIS Third Language Hindi

IX. ^ : a. * 8f : 1x5=5

38. 5

S4h 8f
<दनांक : 02.02.2023

Aेषक
सीमा कBा 10 व-
5क. रा. च. आ.
पाठशाला EनFूर ( बी )
ता. भालक: Jज. बीदर

सेवा म,

Aधाना ापक
5क. रा. च. आ.
पाठशाला EनFूर ( बी )
ता. भालक: Jज. बीदर

आदरणीय महोदय,

5वषय : दो <दन क: छु Fी क: Aाथ1ना

उपयु1N 5वषय के संबंध म आपसे Eनवेदन है 5क मेरी तबीयत ठीक नह- है | मO 5पछले कुछ <दन9 से
बुखार से पी<ड़त Pँ | डॉTर से अपना इलाज करवाना चाहती Pँ | इसJलए आप मुझे <द. 03. 02.2023 से
04.02.2023 तक इन दो <दन9 क: छु Fी देने क: कृपा क:Jजए

धWवादसXहत

आपक: आYाकारी छाZा

अ[भभावक क: सही सीमा

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KREIS Third Language Hindi

2. %8 8i R * > %8 :8 ( 8f ।

<दनांक: 14/02/2023

से.

आरा ा भूEत

10 व- कBा,

5क]ू^ रानी चे_`ा आवासEनय शाला

यादा[गरी

पूa 5पताजी, सादर Aणाम ।

मO यहा पर कुशल Pँ । आशा करती Pँ 5क आप भी कुशल ह9

मेरी पढाई अdी तरह चल रही है । घटक परीBाओं म मOने अdे अंक नीकाले हO । मुझे
पूरा भरोसा है 5क मेरे सतत अ यन से और आप के आशीवा1द से वा<षgक परीBा म अhल नंबर से
उ]ीण1 हो जाऊँ गी।

माताजी को Aणाम। छोटे को आशीवा1द कहना ।

आपक: लाडली

आरा ा भूEत

सेवा म,

बसवराज 6ब 6ब

यादागुरी 585223

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KREIS Third Language Hindi

AÌiÉËU£ü mÉëzÉlÉÉå¨ÉU SÉå uÉÉYrÉÉ


1) xÉåoÉ Måü ÌuÉwÉrÉ qÉåÇ AÉeÉMüsÉ YrÉÉ MüWûÉ eÉÉ UWûÉ Wæû ?
2) sÉåZÉMü mÉUxÉÉD eÉÏ lÉå xÉqqÉåsÉlÉ qÉåÇ pÉÉaÉ YrÉÉåÇ ÍsÉrÉÉ ?
3) zÉÌlÉ aÉëWû LMü AirÉÇiÉ PÇûQûÉ aÉëWû Wæû | MæüxÉå ?
4) zÉÌlÉ MüÐ xÉiÉWû mÉU EiÉU mÉÉlÉÉ AÉSqÉÏ Måü ÍsÉL xÉÇpÉuÉ lÉWûÏÇ Wæû | YrÉÉåÇ ?
5) oÉåDqÉÉlÉÏ Måü oÉÉUå qÉåÇ sÉåZÉMü mÉëåqÉcÉÇS eÉÏ MüÐ UÉrÉ YrÉÉ Wæû ?
6) eÉsÉÉsÉѬÏlÉ MüsÉÉqÉ MüÉå ÌMülÉ-ÌMülÉ ÌuÉwÉrÉÉåÇ Måü oÉÉUå qÉåÇ oÉiÉÉiÉå UWûiÉå jÉå ?
7) zÉÌlÉ MüÉå ‘ PÇûQûÉ aÉëWû ‘ YrÉÉåÇ MüWûiÉå Wæû ?
8) WûqÉåÇ xÉirÉ oÉÉåsÉlÉå AÉæU mÉÉsÉlÉ MüUlÉå MüÉ AprÉÉxÉ YrÉÉåÇ MüUlÉÉ cÉÉÌWûL ?
9) qÉÏlÉÉ qÉåQûqÉ Måü AlÉÑxÉÉU SåzÉ MüÉ MüsrÉÉhÉ MæüxÉå xÉÇpÉuÉ Wæû ?
10) kÉÉåZÉåoÉÉeÉÏ Måü oÉÉUå mÉëåqÉcÉÇS mÉÉPûMüÉåÇ xÉå YrÉÉ MüWûiÉå Wæû ?
11) sÉåZÉMü lÉå MüqÉUÉ NûÉåQûMüU eÉÉlÉå MüÉ ÌlÉhÉïrÉ YrÉÉåÇ ÍsÉrÉÉ ?
12) NûsÉlÉÏ xÉå YrÉÉ - YrÉÉ MüU xÉMüiÉå Wæû ?
13) eÉsÉÉsÉѬÏlÉ xÉå MüsÉÉqÉ eÉÏ MüÉå MæüxÉÏ mÉëåUhÉ ÍqÉsÉÏ ?
14) AÉqÉǧÉhÉ mȨ́ÉMüÉ qÉå sÉåZÉMü MüÉ xuÉaÉiÉÉ MæüxÉå ÌMürÉÉ aÉrÉÉ jÉÉ ?
15) zÉÌlÉ xÉÉæUqÉÇQûsÉ MüÉ xÉoÉxÉå PÇûQûÉ aÉëWû Wæû | MæüxÉå / xmɹ ÌMüÎeÉL ?
16) mÉÉæUÉÍhÉMü MüjÉÉAÉåÇ Måü AlÉÑxÉÉU zÉÌlÉ ÌMüxÉMüÉ mÉÑ§É Wæû ? AÉæU zÉÌlÉ MüÉ xÉoÉxÉå oÉÄQû EmÉaÉëWû
MüÉælÉ- xÉÉ Wæû ?
17) sÉåZÉMü mÉUxÉÉD eÉÏ lÉå xÉqqÉåsÉlÉ qÉåÇ pÉÉaÉ YrÉÉåÇ ÍsÉrÉÉ ?
18) rÉzÉÉåSÉ M×üwhÉ MüÉå MæüxÉå qÉlÉÉiÉÏ Wæû ?
19) ÌlÉÍsÉqÉÉ Måü AlÉÑxÉÉU WûqÉÉUå MüiÉïurÉ YrÉÉ - YrÉÉ Wæû ?
20) MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ mÉÉPû qÉå sÉåZÉMü mÉÉPûMüÉå MüÉå YrÉÉ cÉåiÉÉuÉÉlÉÏ SålÉå Wæû ?
21) OûÉCOûlÉ Måü oÉÉUå qÉåÇ ÍsÉÎZÉL ?
22) AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ MüÌuÉiÉÉ Måü ²ÉUÉ ÌSlÉMüU eÉÏ YrÉÉ xÉÇSåzÉ SålÉÉ cÉÉWûiÉå Wæû ?
23) mÉëåqÉcÉÇS Måü AlÉÑxÉÉU mÉÑUÉlÉå eÉqÉÉlÉå qÉåÇ urÉÉmÉÉËUrÉÉåÇ MüÉ urÉuÉWûÉU MæüxÉÉ jÉÉ ?
24) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ mÉÉPû qÉå YrÉÉ xÉÏZÉ ÍqÉsÉiÉÏ Wæû ?
25) mÉëåqÉcÉÇS eÉÏ lÉå ZÉUÏSÉUÏ Måü qÉåÇ YrÉÉ cÉåiÉÉuÉÉlÉÏ SÏ Wæû ?
26) aÉÉeÉU Måü oÉÉUå qÉå mÉëåqÉcÉÇS Måü ÌuÉcÉÉU YrÉÉ Wæû ?
27) aÉÉåiÉZÉÉåU Måü oÉÉUå qÉå MüÌuÉ Måü ÌuÉcÉÉU YrÉÉ Wæû ?
28) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÉå AqÉUÉåÇ MüÐ eÉlÉlÉÏ YrÉÉåÇ MüWûiÉå Wæû ?
29) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ mÉÉPû sÉåZÉMü xÉoeÉÏ AÉæU TüsÉ Måü oÉÉUå qÉåÇ YrÉÉ MüWûiÉå WæÇû ?
30) UÉåeÉ LMü xÉåoÉ ZÉÉlÉå xÉå sÉÉpÉ YrÉÉ Wæû ?
31) sÉåZÉMü xÉqqÉåsÉlÉ qÉåÇ pÉÉaÉ sÉålÉå MüÉ YrÉÉ MüÉUhÉ jÉÉ ?
32) lÉÉaÉËUMü Måü MüÉåD iÉÏlÉ MüiÉïurÉ oÉiÉÉCL ?
33) ÌoÉNåÇûSìÏ mÉÉsÉ Måü xÉÇMüsmÉ YrÉÉ jÉÏ ?
34) xÉÉæUqÉÇQûsÉ MüÉ xÉuÉÉïÍkÉMü xÉÑÇSU aÉëWû MüÉælÉ-xÉÉ Wæû ? AÉæU YrÉÉåÇ ?
35) xÉirÉ MüÐ zÉÌ£ü Måü oÉÉUå qÉåÇ eÉÉlÉ qÉålxÉTüÐsQû MüÐ kÉÉUhÉ YrÉÉ Wæû ?
36) cÉÉUÉåÇ eÉsÉÉsÉѬÏlÉ lÉå AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ MüÉå MæüxÉå mÉëåËUiÉ MüÐ ?
37) OûÉåsÉÏ Måü oÉŠÉåÇ mÉÉðcÉ WûeÉÉU ÃmÉrÉå MüÐ kÉlÉUÉÍzÉ MüÉå YrÉÉ MüUiÉå Wæû ?
38) qÉÌWûsÉÉ MüÐ xÉÉWûxÉ aÉÉjÉ mÉÉPû xÉå YrÉÉ xÉÇSå zÉ ÍqÉsÉiÉÉ Wæû ?
39) CÇOûUlÉå xÉå MüÉælÉ - MüÉælÉ xÉå MüÉqÉ MüU xÉMüiÉå Wæû ?
40) mÉëÉM×üÌiÉMü xÉÇxÉÉkÉlÉÉåÇ Måü xÉÇU¤ÉhÉ qÉåÇ xÉsÉqÉÉ lÉå YrÉÉ MüWûÉ ?
41) rÉzÉÉåSÉ M×üwhÉ MüÉå MæüxÉå qÉlÉÉiÉÏ Wæû ?

66
KREIS Third Language Hindi
42) oÉxÉÇiÉ Måü oÉÉUå qÉåÇ AÉmÉ YrÉÉ eÉÉlÉiÉå Wæû ? AmÉlÉå zÉoSÉåÇ qÉåÇ ÍsÉÎZÉL ?
43) AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ AÉæU eÉsÉÉsÉÑ̬lÉ Måü xÉÇoÉkÉ MüÉ uÉhÉïlÉ MüÐÎeÉL ?
44) rÉzÉÉåSÉ YrÉÉåÇ ZÉÑzÉ WûÉå eÉÉiÉÏ Wæû ?
45) qÉÏlÉÉ qÉæQûqÉ Måü AlÉÑxÉÉU SåzÉ MüÉ MüsrÉÉhÉ MæüxÉå xÉÇjÉlÉ Wæû ?
46) MüsÉqÉ eÉÏ MüÉå eÉsÉÉsÉÑ̬lÉ lÉå lÉD SÒÌlÉrÉÉ MüÉ oÉÉåkÉ MæüxÉå MüUÉrÉÉ ?
47) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ MüWûÉlÉÏ xÉå AÉmÉMüÉå YrÉÉ xÉÏZÉ ÍqÉsÉiÉÏ ?

AÌiÉËU£ü mÉëzÉlÉÉå¨ÉU iÉÏlÉ uÉÉYrÉÉ

1) mÉëåqÉcÉÇS eÉÏ Måü xÉÉjÉ UåuÉQûÏ oÉåcÉlÉåuÉÉsÉå MüÉ urÉuÉWûÉU MæüxÉÉ jÉÉ ?
2) CÇOûUlÉåOû xÉå SåzÉ MüÐ AÉÍjÉïMü ÎxjÉÌiÉ qÉåÇ MæüxÉå xÉÑkÉÉU Séé xÉMüiÉå WæÇû ?
3) ÌSlÉMüU eÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU pÉÉæÌiÉMü xÉÉkÉlÉÉåÇ MüÉ uÉhÉïlÉ MüÐÎeÉL ?
4) UÉåoÉÉåÌlÉsÉ YrÉÉ-YrÉÉ MüÉqÉ MüUiÉÉ jÉÉ ?
5) eÉsÉÉsÉѬÏlÉ AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ MüÉå lÉD SÒÌlÉrÉÉ MüÉ oÉÉåkÉ MæüxÉå MüUÉrÉÉ ?
6) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ mÉÉPû MüÉ xÉÇSåzÉ YrÉÉ Wæû ?
7) xÉqÉrÉ MüÐ mÉWcÉÉlÉ MüÌuÉiÉÉ AÉzÉrÉ YrÉÉ Wæû ?
8) kÉÏUeÉ xÉYxÉålÉÉ MüÉå AÇiÉ qÉåÇ UÉåoÉÉåÌOûMü xÉÇbÉ xÉå YrÉÉ aÉÑeÉÉËUzÉ MüUlÉÏ mÉQûÏ ?
9) AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ MüÌuÉiÉÉ MüÉ AÉzÉrÉ YrÉÉ Wæû ?
10) xÉqÉrÉ AlÉqÉÉåsÉ Wæû | MæüxÉå xmwÉOû MüÐÎeÉL ?
11) ¥ÉÉlÉ - ÌuÉ¥ÉÉlÉ Måü ¤Éå§É qÉåÇ MülÉÉïOûMü MüÐ mÉëaÉÌiÉ MüÉ uÉhÉïlÉ MüÐÎeÉL ?
12) “ MüÉzÉqÉÏUÏ xÉåoÉ ’’ mÉÉPû ²ÉUÉ sÉåZÉMü mÉÉPMüÉåÇ MüÉå YrÉÉ xÉÏZÉ SålÉÉ cÉÉWûiÉå WæÇû ?
13) ÌSlÉMüUeÉÏ lÉå AÉkÉÑÌlÉMü qÉÉlÉuÉ MüÉ aÉÑhÉ aÉÉlÉ MæüxÉå ÌMürÉÉ Wæû ?
14) sÉåÎZÉMü Måü mÉëÌiÉ ÌaÉssÉÔ AmÉlÉÏ pÉÉuÉlÉÉ MæüxÉå mÉëMüU MüUiÉÉ jÉÉ ?
15) mÉÇÌQûiÉ UÉeÉÌMüzÉÉåU MüÐ mÉUÉåmÉMüÉËUiÉÉ AlÉÑxÉUÍhÉrÉ Wæû | xmɹ MüÐÎeÉL ?
16) ÌaÉssÉÔ lÉå qÉWûSåuÉÏ uÉqÉÉï MüÐ AxuÉxjÉiÉÉ qÉåÇ ElÉMüÉ ZÉrÉÉsÉ MæüxÉå UZÉÉ ?
17) xÉÉåÍzÉrÉsÉ lÉåOûuÉÌMïÇüaÉ xÉÉDOûÉåÇ Måü MüÉUhÉ xÉqÉÉeÉ mÉU YrÉÉ mÉëpÉÉuÉ mÉÄQûÉ Wæû ?
18)oÉxÉÇiÉ mÉËU´ÉqÉ MüÐ MüqÉÉD xÉå eÉÏlÉåuÉÉsÉÉ oÉÉsÉMü Wæû | MæüxÉå oÉiÉÉDL ?
19) ÌaÉssÉÔ qÉWûSåuÉÏ uÉqÉÉï MüÉå MæüxÉå cÉÉæÇMüiÉÉ jÉÉ ?
20)UÉåoÉÉåÌlÉsÉ AÉæU xÉÉkÉÉåUÉqÉMåü oÉÉUå qÉåÇ YrÉÉåÇ ÍcÉÇÌiÉiÉ jÉÉ ?
21) aÉÉåiÉZÉÉåU MåüoÉÉUå qÉåÇ MüÌuÉ MåüÌuÉcÉÉU YrÉÉ Wæû ?
22)CÇOûUlÉåOû AÉkÉÑÌlÉMü eÉÏuÉlÉ zÉæsÉÏ MüÉ qÉWûiuÉmÉÔhÉï AÇaÉ oÉlÉ aÉrÉÉ Wæû MæüxÉå xm¹ MüÐÎeÉL ?
23)oÉÉsÉzÉÌ£ü mÉÉPû Måü AlÉÑxÉÉU NûɧÉÉåÇ MüÐ OûÉåsÉÏ MüÉ MüiÉïurÉ YrÉÉ- YrÉÉ jÉÉ ?
24) UÉåoÉÉåÌOûMüÐ ÌlÉrÉqÉÉåÇ Måü oÉÉUå qÉåÇ AÉmÉ YrÉÉ eÉÉlÉiÉå WæÇû ?
25) ‘ AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ ’ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ uÉæ¥ÉÉÌlÉMü rÉÑaÉ AÉæU AÉkÉÑÌlÉMü qÉÉlÉuÉ MüÉ ÌuÉzsÉåwÉhÉ MæüxÉå ÌMürÉÉ Wæû ?
26)UÉåoÉÉåÌlÉsÉ MüÇmÉÌlÉrÉÉåÇ MüÉ Måü qÉÉÍsÉMüÉåÇ Måü oÉÏcÉ WûsÉcÉsÉ YrÉÉåÇ qÉcÉ aÉD ?

AÌiÉËU£ü mÉëzÉlÉÉå¨ÉU iÉÏlÉ uÉÉYrÉÉ


1) pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ Måü EU qÉåÇ MüÉælÉ zÉÉÌrÉiÉ Wæû ?
2) MülÉÉïOûMü MüÉå cÉÇSlÉ MüÉ bÉU YrÉÉåÇ MüWûiÉå WæÇû ?
3) WûqÉ , UÉqÉ mÉU pÉUÉåxÉÉ YrÉÉåÇ MüUlÉÉ cÉÉWûÏL ?
4) qÉlÉÑwrÉ xÉÑoÉWû eÉsSÏ EPûlÉå MüÐ xÉÏZÉ ÌMüxÉxÉå xÉÏZÉÉ Wæû ?
5) mÉUxÉÉDeÉÏ MüÉå xÉqqÉåsÉlÉ qÉåÇ YrÉÉåÇ oÉÑsÉÉrÉÉ aÉrÉÉ jÉÉ ?

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KREIS Third Language Hindi
6) ‘ AÍpÉlÉuÉ qÉlÉÑwrÉ ’ MüWûÉð mÉU AÉxÉÏlÉ WÒûAÉ Wæû ?
7) xÉåoÉ ZÉÉlÉå xÉå YrÉÉ sÉÉpÉ WûÉåiÉÉ Wæû ?
8) uÉÏQûÏrÉÉåÇ MüÉlTüÉUålxÉ xÉå YrÉÉ sÉÉpÉ Wæû ?
9) iÉÑsÉxÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU qÉÉlÉuÉ MüÐ AÉÇiÉËUMü AÉæU oÉɽ zÉÑ̬ MæüxÉå WûÉåiÉÏ Wæû ?
10) MüÌuÉ pÉaÉuÉÌiÉcÉUhÉ uÉqÉÉï qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ ÌMülÉMüÉ xqÉUhÉ MüUiÉå Wæû ?
11) iÉÑsÉxÉÏSÉxÉ Måü oÉcÉmÉlÉ MüÉ lÉÉqÉ ‘ UÉqÉoÉÉåsÉÉ ’ YrÉÉåÇ mÉÄQûÉ ?
12) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ ÌMüxÉMüÐ eÉlÉlÉÏ Wæû ?
13) iÉÑsÉxÉÏSÉxÉ xÉå UÍcÉiÉ qÉWûÉ MüÉurÉ MüÉ lÉÉqÉ YrÉÉ Wæû ?
14) ‘ ÌuÉOûÍqÉlÉ AÉæU mÉëÉåOûÏlÉ ’ zoSÉåÇ MüÉ ÌuÉcÉÉU MüWûÉð WûÉå UWûÉ Wæû ?
15) rÉzÉÉåSÉ YrÉÉåÇ ZÉÑzÉ WûÉåiÉÏ Wæû ?
16) mÉëåqÉcÉÇS eÉÏ cÉÉæMü qÉåÇ YrÉÉåÇ aÉrÉå jÉå ?
17) ÌaÉssÉÔ xÉÑUÉD mÉU YrÉÉåÇ sÉåOû eÉÉiÉÉ jÉÉ ?
18) rÉzÉÉåSÉ ÌMüxÉMüÐ MüxÉqÉ ZÉÉiÉÏ Wæû ?.
19) mÉÉPû Måü AlÉÑxÉÉU xÉoÉxÉå mÉWûsÉå AÉSqÉÏ MüWûÉð UWûiÉÉ jÉÉ ?
20) UÉqÉ lÉÉqÉ eÉmÉlÉå xÉå qÉÉlÉuÉ MüÉå YrÉÉ sÉÉpÉ ÍqÉsÉiÉÏ Wæû ?
21) iÉÑsÉxÉÏSÉxÉ eÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU qÉÑÎZÉrÉÉ MæüxÉå WûÉlÉÏ cÉÉÌWûL ?
22) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ ÌMüxÉMüÐ fÉsÉMü ÌSZÉÉrÉÏ SåiÉÏ Wæû ?
23) pÉÉUiÉ qÉÉð ‘ AqÉUÉåÇ MüÐ eÉlÉlÉÏ ’ YrÉÉåÇ MüWûsÉÉiÉÏ Wæû ?
24) MüÌuÉ pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ MüÉå mÉëhÉÉqÉ YrÉÉåÇ MüWû UWåû Wæû ?
25) MüÌuÉ iÉÑsÉxÉÏ Måü AlÉÑxÉÉU xÉÇiÉ MüÉå MæüxÉå WûÉålÉÉ cÉÉÌWûL ?
26) ÌMÇüSÕ sÉÉÍsÉqÉÉ AÉæU ÌMÇücÉÉ sÉÉÍsÉSÉqÉ lÉå YrÉÉ iÉrÉ ÌMürÉÉ ?
27) ÌoÉNåûSìÏ MüÉælÉ –MüÉælÉ-xÉå mÉÑUxMüÉU SåMüU xÉqqÉÉlÉ ÌMürÉÉ ?
28) ÌuÉkrÉÉ ,ÌuÉlÉrÉ iÉjÉÉ ÌuÉuÉåMü ÌMüxÉMåü xÉÉjÉÏ Wæû ?
29) MüÌuÉ pÉaÉuÉÌiÉcÉUhÉ uÉqÉÉï pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ xÉå YrÉÉ ÌlÉuÉåSlÉ MüU UWåû Wæû ?
30) mÉzÉÑ mÉͤÉrÉÉåÇ lÉå AÉSqÉÏ MüÉå YrÉÉ oÉlÉÉlÉÉ ÍxÉZÉÉrÉÉ ?
31) SÉålÉÉåÇ SÉåxiÉ eÉÉlÉuÉÉUÉåÇ xÉå ÍqÉsÉlÉå YrÉÉ aÉrÉå ?
32) qÉÉiÉ×pÉÔÍqÉ MüÌuÉiÉÉ qÉåÇ ÌMüxÉMüÐ fÉsÉMü ÌSZÉÉrÉÏ SåiÉÏ Wæû ?
33) WûÉjÉÏ qÉMüÉlÉ -oÉlÉÉlÉå Måü oÉÉUå qÉåÇ SÉålÉÉåÇ SÉåxiÉÉåÇ MüÉå SrÉÉ oÉÉåsÉÉ ?
34) WÇûxÉ ÃmÉÏ xÉÉkÉÑ sÉÉåaÉ YrÉÉ AmÉlÉÉiÉå Wæû ?
35) zÉUÏU Måü xÉÉUå AÇaÉÉåÇ MüÉå mÉÉsÉlÉ – mÉÉåwÉhÉ MüÉælÉ MüUiÉÉ Wæû ?
36) MüÌuÉ pÉÉUiÉ qÉÉiÉÉ MüÉå mÉëhÉÉqÉ YrÉÉåÇ MüU UWåû Wæû ?
37) ÌMÇüSÕ sÉÉÍsÉqÉÉ AÉæU ÌMÇücÉÉ sÉÉÍsÉSÉqÉ eÉÇaÉsÉ MüÐ AÉåU YrÉÉåÇ cÉsÉ mÉÄQåû ?
38) aÉÉåqÉOåûµÉU MüÐ qÉÔÌiÉï ÌuÉµÉ MüÉå YrÉÉ xÉÇSåzÉ Så UWûÏ Wæû ?
39) xÉoÉxÉå mÉWûsÉå AÉSqÉÏ MüÉå qÉMüÉlÉ oÉlÉÉlÉÉ ÌMüxÉlÉå ÍxÉZÉÉrÉÉ ?
40) AoSÒsÉ MüsÉÉqÉ MüÉå eÉsÉÉsÉÑ̬lÉ ÌMüxÉ lÉÉ xÉå mÉÑMüÉUiÉå jÉå ?

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KREIS Third Language Hindi

RESOURCE PERSONS
• Basavaraja Bhooti, Hindi Teacher
KRCRS(481) Shahapur Dist- Yadagiri. Mo. No – 9900804567

• Dr. Devaraj, Hindi Teacher


MDRS(02) Chamrajpet, Bangalore. – 18 Mo. No – 9449214660

• Ravindrakumar, Hindi Teacher


KRCRS (704) Nitturu, Dist - Bidar Mo. No – 9845306630

• Ramesh Alur, Hindi Teacher


MDRS(288) Hebballi, Dist- Haveri Mo. 9591391316

• Rahammunnisha, Hindi Teacher


KRCRS Yerrenalli, Molakalumuru, Dist – Chitradurga Mo. No – 9731197033

• Ananada H, Hindi Teacher


MDRS(611) Hampasagar Hagari Bommanahalli, Dist- Vijayanagar Mo. No – 9481304722

• Praveen Shiragur, Hindi Teacher


MDRS(231) Kallolli, Mudulagi Dist- Belagavi Mo. No – 9449670696

• Madhusudhana C S, Hindi Teacher


KRCRS Belagola, Shrirangapattana Dist – Mondya Mob - 9880794125

• Javid Karishabu, Hindi Teacher


MDRS(224) Yadavad Dist Belaganvi Mo. No – 9482169513

• Mubeen Taj R , Hindi Teacher


KRCRS Manichendur Dis. Tumkur Mo. No – 9535033406

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