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जन्तु_और_पादप_जगत_वर्गीकरण_TCS_imp_Fact_&example
जन्तु_और_पादप_जगत_वर्गीकरण_TCS_imp_Fact_&example
जन्तु_और_पादप_जगत_वर्गीकरण_TCS_imp_Fact_&example
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● इस टॉपपक का डीटे ल्ड वीडडयो दे खने के शलए
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- https://youtu.be/ST-2V0wg-Rw ( Click Here )
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★ जीवों के नामकरण और वगीकरण के पवज्ञान को वर्गनकी (टै क्सोनॉमी) कहा जाता है ।
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★जीवों के वगीकरण के वैज्ञाननक मानदं डों का उपयोग सवनप्रथम अरस्तू ने ककया था।
था।
●जबकक उन्होंने प्राणणयों का वगीकरण लाल रक्त की उपस्स्थनत अथवा अनुपस्स्थनत के आधार पर ककया
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था।
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●अरस्तू ने जानवरों को तीन श्रेणणयों वायवीय, जलीय और स्थलीय में पवभास्जत ककया।
★ जैव पवकास की अवधारणा को सबसे पहले चाल्सन डापवनन ने 1859 में अपनी पुस्तक "दद ओररस्जन ऑफ
-- जैव पवकास: हम स्जतने भी जीवों को दे खते हैं वे सभी ननरं तर होने वाले पररवतननों की उस प्रकिया के
★ - द्पवनामपद्धनत सबसे पहले केरोलस लीननयस द्वारा अठारहवीं िताब्दी में िुरू की गई ।
लीननयस के काल में सभी पादपों और प्राणणयों के वगीकरण के शलए एक द्पवजगत पद्धनत पवकशसत की
गई थी,
स्जसमें उन्हें िमि: पलांटी (पादप) एवं एननमैशलया (प्राणण) जगत में वगीकृत ककया गया था।
- इस पद्धनत के अनुसार यूकैररयोटी एवं प्रोकैररयोटी ,एक कोशिक एवं बहुकोशिक तथा प्रकाि संश्लेषी
(हररत िैवाल)
एवं अप्रकाि संश्लेषी (कवक) के बीच पवभेद स्थापपत करना संभव नहीं था।
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● अन्सनट हेकेल (1894), राबटन स्हहटे कर (1969), और कालन वोस (1977) नामक जैव वैज्ञाननकों ने
सारे सजीवों को जगत (Kingdom) नामक बडे वगों में पवभास्जत करने का प्रयास ककया है ।
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● पवशभन्न स्तर पर जीवो को उप समूह में वगीकृत ककया गया है --
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1● मोनेरा- जीवों में न तो संगदठत केंद्रक और कोशिकांग होते हैं और न ही उनके िरीर बहुकोशिक
होते हैं।
➢ -- इस वगन के कुछ जीवों में गमन के शलए सीशलया, फ्लैजेला, नामक संरचनाएाँ पाई जाती हैं।
➢ - ये स्वपोषी और पवषमपोषी दोनों तरह के होते हैं।
3● फंजाई- पवषमपोषी यक
ू ै ररयोटी जीव हैं।
➢ -मत
ृ जीवी - इनमें से कुछ पोषण के शलए सडे गले काबनननक पदाथों पर ननभनर रहते हैं)
➢ परजीवी- कई अन्य आनतथेय जीव के जीपवत जीवद्रहय पर भोजन के शलए आर्श्रत होते हैं।
➢ - फजाई ( कवक )n में काइदटन नामक जदटल िकनरा की बनी हुई कोशिका शभपि पाई जाती है ।
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- उदाहरणाथन: यीस्ट, मोल्ड, मिरूम , सैिोमाइसीज़ (यीस्ट), पेननसीशलयम, एगेररकस
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★सहजीपवता- जब दो पौधे अथवा जीवधारी साथ-साथ रहते हैं तथा एक-दस
ू रे को लाभ पहुंचाते हैं तो
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उन्हें सहजीवी तथा इस प्रकार के सम्बन्ध को सहजीवन कहते हैं।
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-- पौधों का यह गुण सहजीपवता कहलाता है।
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◆ सहजीपवता के उदाहरण – लाइकेन तथा लैग्यूशमनेसी कुल के पौधों की जडों की ग्रस्न्थयों में पाये जाने
वाले
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नाइट्रीकरण जीवाणु
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4★ पलांटी- इस वगन में कोशिका शभपि वाले बहुकोशिक यूकैररयोटी जीव आते हैं।
★ पलांटी का वगीकरण -
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● थैलोफाइटा -
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इन पौधों की िारीररक संरचना में पवभेदीकरण नहीं पाया जाता है ।
● ब्रायोफाइटा-
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● टे ररडोफाइटा-
- इस वगन के पौधों का िरीर जड, तना तथा पिी में पवभास्जत होता है।
- इनमें िरीर के एक भाग से दस
ू रे भाग तक जल तथा अन्य पदाथों के संवहन के शलए
संवहन ऊतक भी पाए जाते हैं।
●फैनरोगैम- वे पौधे स्जनमें जनन अंग पूणन पवकशसत एवं पवभेददत होते हैं तथा जनन प्रकिया
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- बीज के अंदर भ्रूण के साथ संर्चत खाद्य पदाथन होता है, स्जसका उपयोग भ्रूण के प्रारं शभक पवकास
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एवं अंकुरण के समय होता है ।
● बीज की अवस्था के आधार पर फैनरोगैम वगन के पौधों को पुनः दो वगों में पवभक्त ककया
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1) स्जम्नोस्पमनः नग्न बीज उत्पन्न करने वाले पौधे
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2) एंस्जयोस्पमनः फल के अंदर (बंद) बीज उत्पन्न करने वाले पौधे।
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●अनावत
ृ बीजी ( नग्नबीजी) या स्जम्नोस्पमन- स्जम्नो का अथन है नग्न तथा स्पमान का अथन है बीज
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अथानत बीज फूलों में और फलों में बंद होने की बजाए छोटी टहननयों या िंकुओं में खुली अवस्था में होते
हैं।
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- उदाहरण - कोणधारी पादप जैसे चीड (पाइनस), ताशलसपत्र (यू), प्रसरल (स्प्रूस), सनोबर (फर) , दे वदार
(सीडर)
Note- एकबीजपत्री पौधों की जडें गुच्छे दार होती हैं जबकक द्पवबीजपत्री पौधे की जडें मूसला होती हैं।
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( : जब शिराएं एक नेटवकन बनाती हैं, तो शिरापवन्यास को जाशलकावत कहा जाता है।)
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● एकबीजपत्री के उदाहरण -मक्का, चावल, गन्ना, गेहूं, पयाज, नाररयल, घास, अदरक और केला।
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➢ ग्रेशमनी (Graminae)- गेहूाँ , मक्का , धान , गन्ना, बाजरा , बााँस , जौ, जई
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➢ शलशलएसी (Liliaceae)- लहसुन , पयाज
➢ पाल्मी (Palmae) - नाररयल , ताड , सुपारी कत्था, खजूर
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➢ म्यज
ू ेसी (Musaceae)- केला
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● द्पवबीजपत्री के उदाहरण: आलू, मटर, सूरजमुखी, गुलाब, नीम, सेब, बरगद ,बीन्स, टमाटर , दालें,
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मंग
ू फली & ओक
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5★ एननमेशलया का वगीकरण-
• - इस वगन में यक
ू ै ररयोटी, बहुकोशिक और पवषमपोषी जीवों को रखा गया है।
• - इनमे कोशिका शभपि नहीं पाई जाती।
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2. सीलेंटरे टा-
िरीर द्पवपाश्वनसमशमत होता है अथानत ् िरीर के दाएाँ और बाएाँ भाग की संरचना समान होती है ।
िरीर त्रत्रकोरक (Triploblastic) होता है अथानत ् इनका ऊतक पवभेदन तीन कोशिकीय स्तरों से
हुआ है।
इनमें वास्तपवक दे हगुहा का अभाव होता है स्जसमें सुपवकशसत अंग हयवस्स्थत हो सकें।
इनका िरीर पष्ृ ठधारीय एवं चपटा होता है। इसशलए इन्हें चपटे कृशम भी कहा जाता है ।
4. ननमेटोडा-
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➢ - त्रत्रकोरक जंतु हैं तथा द्पवपाश्वन समशमनत पाई जाती है
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➢ - इनका िरीर चपटा ना होकर बेलनाकार होता है।
➢ - इनके दे हगुहा को कूटसीलोम कहते हैं।
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➢ -इसमें ऊतक पाए जाते हैं परं तु अंगतंत्र पूणन पवकशसत नहीं होते हैं।
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➢ - ये परजीवी के तौर पर ये दस
ू रे जंतओ
ु ं में रोग उत्पन्न करते हैं।
- उदाहरण : गोल कृशम( एस्केररस) , फाइलेररया कृशम, पपन कृशम & वुचेरेररया
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5.एनीशलडा
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6. आिोपोडा-
उदाहरण - पैशलमॉन (झींगा), नततली, मक्खी, एरे ननया (मकडी), पैलेस्म्नयस (त्रबच्छू) ,केकडे
7. मोलस्का-
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- उदाहरण: घोंघा, सीप, काइटॉन, ऑक्टोपस, यूननयो
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8. इकाइनोडमेटा -
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- इन जंतुओं की त्वचा कााँटों से आच्छाददत होती है।
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• - ये मुक्तजीवी दे हगुहायुक्त त्रत्रकोररक समुद्री जंतु हैं।
- इनमे पवशिष्ट जल संवहन नाल तंत्र पाया जाता है
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• - इनमें कैस्ल्सयम काबोनेट का कंकाल एवं कााँटे पाए जाते हैं।
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उदाहरण- ऐस्टीररऐस (तारा मछली), एंटेडॉन (पंखतारा), इकाइनॉस (समुद्री अर्चनन), होलोथूररया (समुद्री
खीरा)
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9. प्रोटोकॉडेटा
(i) सायक्लोस्टोमेटा-
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उदाहरणः पेट्रोमाइजॉन (लैम्प्रे) एवं शमक्जीन (हैग मछली)
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(ii) मत्स्य-
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❖ - ये मछशलयााँ जो समुद्र और मीठे जल दोनों जगहों पर पाई जाती हैं।
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❖ - इनकी त्वचा िल्क (scales) अथवा पलेटों से ढकी होती है
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❖ - इनमें श्वसन किया के शलए क्लोम पाए जाते हैं, जो जल में पवलीन ऑक्सीजन का उपयोग
करते हैं।
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❖ & अन्य प्रकार की मछशलयों में कंकाल अस्स्थ का बना होता है; जैसे ट्युना, रोहू
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उदाहरण: शसनककरोपस स्पलेंडडडस (मैन्डाररन कफि), पवद्युत-रे (तॉरपीडो), टे रोइस वोशलटं स (लॉयन कफि)
स्स्टं ग-रे (दं ि-रे ), कालोफाइरीन जोरडानी (ऐंग्लर कफि) &स्कॉशलयोडॉन (डॉग कफि), लेत्रबयो रोदहता
(iv) सरीसप
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- उदाहरण: कछुआ, सााँप, नछपकली, मगरमच्छ , टटनल, कैमेशलयॉन, उडन नछपकली (ड्रैको)
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ककं ग कोबरा, घरे लू नछपकली (हेशमडैक्टाइलस)
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(v) पक्षी (एवीज) ng
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❖ - पक्षी समतापी प्राणी & इनका हृदय चार कक्षीय होता है।
❖ - इनके दो जोडी पैर होते है स्जसमे आगे वाले दो पैर उडने के शलए पंखों में पररवनतनत हो जाते हैं।
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उदाहरण- सभी पक्षी - सफेद स्टोकन (शसकोननया शसकोननया,नर गुच्छे दार बिख (आयर्थया फ्यशु लगुला)
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(vi) स्तनपायी