Solved Sample Paper Class 10 Hindi Mock Paper-1 2024-25 for CBSE Term 2

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CBSE प्रश्न पत्र (सेट-1)

कक्षा 10 हिन्दी (अ)

I. हिर्ाारित समय : 3 घण्टे


II. अहर्कतम अंक : 80
III. सामान्य हिदेशः
IV. इस प्रश्न-पत्र में चाि खंड िैं- क, ख, ग औि घ।
V. चािों खंडों के प्रश्नों के उत्ति देिा अहिवाया िै।
VI. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्ति क्रमश: दीहिए।

खंड क

1.हिम्नहिहखत गद्ांश को ध्यािपूवाक पढिए औि पूछे गए प्रश्नों के उत्ति हिहखए -

िाढकि सािब िे हिंदी सीखिे के हिए अपिे सामिे गांर्ी िी का आदशा िखा था। अपिे एक भाषण में
उन्िोंिे किा था, "उि कामों में िो मिात्मा िे अपिी दूिदृहि से िमािे देश के हिए, एक हिंदी प्रचाि का
काम ििीं था। हिंदी गांर्ी िी की मातृभाषा ििीं थी ढिि भी उसे इसहिए िै िािा चािा था ढक उिके
हवचाि में दो बातें साफ़ थीं। एक तो यि ढक देश में िो एकता अंग्रेिी भाषा के द्वािा ढदखाई देती िैं वि उस
वक्त तक चि िी सकती िै, िब तक ढक थोड़े से िोग पढ़िा-हिखिा सीखते िैं औि उसके िरिए अपिे को
औिों से ऊँचा किके उिसे अिग-थिग एक हवदेशी का िीवि हबताते िैं। िब देश आिाद िोगा औि िि
बच्चा हिखिा-पढ़िा सीखेगा तो वि हिखिा-पढ़िा हवदेशी भाषा में ििीं िो सकता। देश की हभन्न-हभन्न
भाषाओँ में िोगा औि िोिा भी चाहिए। गांर्ी िी िे अिग-अिग भाषाएँ बोििे वािों को हमिािे के हिए
हिंदी िबाि को चुिा औि ढिि इिादा ढकया ढक इसे िै िाएँगे। वे हिंदी अच्छी ििीं बोिते थे, पि हिंदी िी
बोिी, औि इसके माध्यम से िोगों के ढदिों के अंदि बस गए।"

13 मई, 1967 को िाष्ट्रपहत का पद सँभािते हुए उन्िोंिे किा था, "सािा भाित मेिा घि िै, मैं सच्ची
िगि से इस घि को मिबूत औि सुंदि बिािे की कोहशश करँगा ताढक वि मेिे मिाि देशवाहसयों का
उपयुक्त घि िो हिसमें इंसाि औि खुशिािी का अपिा स्थाि िो।"

1. ज़ाढकि सािब िे हिंदी सीखिे के हिए ढकसे अपिा आदशा बिाया?

उत्ति- ज़ाढकि सािब िे हिंदी सीखिे के हिए गांर्ी िी को अपिा आदशा बिाया क्योंढक वे गांर्ी िी के
हवचािों से अत्यहर्क प्रभाहवत थे। अतः उिके अर्ूिे कायों को पूिा कििा चािते थे।

2. हवदेशी भाषा में देश की एकता कब तक चि सकती िै? क्यों?

उत्ति- हवदेशी भाषा में देश ढक एकता तब तक चि सकती िै, िब तक ढक थोड़े से िोग पढ़िा-हिखिा
सीखते िैं औि उसके िरिए स्वयं को औिों से ऊँचा किके उिसे अिग-थिग एक हवदेशी का िीवि हबताते
िैं, क्योंढक देश का प्रत्येक बच्चा हवदेशी भाषा में हशक्षा ग्रिण ििीं कि सकता।

1
3. गांर्ी िी का हिंदी प्रेम ढकस प्रकाि हसद्ध कि सकते िैं?

उत्ति- गांर्ी िी का हिंदी प्रेम इस बात से स्वतः हसद्ध िोता िै ढक वे गुििाती भाषी िोते हुए हिंदी बोिते
थे औि उसी के प्रचाि-प्रसाि के हिए उन्िोंिे ताउम्र मेिित की।

4. ज़ाढकि सािब िे िाष्ट्रपहत बििे के बाद िो वक्तव्य ढदया उससे क्या पता चिता िै?

उत्ति- ज़ाढकि सािब िे िाष्ट्रपहत बििे के बाद िो वक्तव्य ढदया उससे पता चिता िै ढक ज़ाढकि सािब
एक सच्चे देशभक्त थे औि िमेशा भाित की भिाई के बािे में सोचते थे।

5. ‘अहवस्मिणीय’ तथा ‘हवचाि’ शब्द का एक-एक पयाायवाची हिहखए।

उत्ति- उल्िेखिीय तथा दृहिकोण।

िाष्ट्रपहत के पद को स्वीकािते हुए ज़ाढकि हुसैि िे क्या संकल्प हिया था?

उत्ति- िाष्ट्रपहत पद को स्वीकािते हुए ज़ाढकि हुसैि िे सािे भाित को अपिा घि मािकि सच्ची िगि से
इसे मज़बूत औि सुंदि बिाकि उसमें इंसाि औि खुशिािी सुहिहित कििे का संकल्प हिया।

2.हिम्नहिहखत काव्यांश को ध्यािपूवाक पढढ़ए औि पूछे गए प्रश्नों के उत्ति हिहखए-

िब गीतकाि मि गया, चाँद िोिे आया,

चाँदिी मचििे िगी कफ़ि बि िािे को।

मियाहिि िे शव को कं र्ो पि उठा हिया,

वि िे भेिे चंदि-श्रीखंड ििािे को।

सूिि बोिा, यि बड़ी िोशिीवािा था,

मैं भी ि हिसे भि सका कभी उहियािी से,

िँ ग ढदया आदमी के भीति की दुहिया को

इस गायक िे अपिे गीतों ढक िािी से !

बोिा बूढ़ा आकाश ध्याि िब यि र्िता,

मुझ में यौवि का िया वेग िग िाता था।

इसके हचंति में डु बकी एक िगाते िी,

ति कौि किे, मि भी मेिा िँग िाता था।

2
देवों िे किा, बड़ा सुख थे इसके मि की

गििाई में डू बिे औि उतिािे में।

माया बोिी, मैं कई बाि थी भूि गई

अपिे को गोपि भेद इसे बतिािे में।

योगी था, बोिा सत्य, भागता मैं ढििता,

यि िाि बढ़ाए हुए दौड़ता चिता था।

िब-िब िेता यि पकड़ औि िँसिे िगता,

र्ोखा देकि मैं अपिा रप बदिता था।

मदों को आयी याद बाँकपि की बातें,

बोिे, िो िो, आदमी बड़ा अिबेिा था।

हिसके आगे तूफ़ाि अदब से झुकते िैं,

उसको भी इसिे अिंकाि से झेिा था।

1. चंदि औि श्रीखंड की क्या हवशेषता िै?

उत्ति- चंदि औि श्रीखंड हवशेष प्रकाि की सुगंहर्त िकड़ी िै। इसका उपयोग र्ार्माक कायों में ढकया िाता
िै।

2. गीतकाि की याद आिे पि आकाश में िोिे वािे परिवताि को हिखें।

उत्ति- गीतकाि के याद आिे पि आकाश िवाि िो िाता िै। वि बािि औि भीति से उिाावाि मिसूस
कििे िगता िै।

3. गीतकाि की मृत्यु पि मदों की क्या प्रहतढक्रया थी?

उत्ति- गीतकाि की मृत्यु पि मदों िे गीतकाि की प्रशंसा की। उन्िोंिे गीतकाि को अिबेिा बाँका, दबंग
औि स्वाहभमािी बताया।

4. कहव िे प्रस्तुत कहवता के माध्यम से क्या संदश


े ढदया िै?

उत्ति- इस कहवता के माध्यम से गीतकाि के आकषाण व्यहक्तत्व पि प्रकाश डािा गया िै। गीतकाि चाँद की
भाँहत सबको शीति प्रकाश देता िै। उसके गीतों के प्रभाव से वाताविण अिुिागमय िो िाता िै। देवता औि
योगी तक उससे प्रभाहवत िैं। ढिि अिबेिे पुरुष तो गीतकाि की भविाओं में िं गकि मदमस्त िो िाते िैं।
कहव िे प्रश्नोक्त पंहक्तयों के माध्यम से अिंकाि, सहृदयता एव सद्व्यविाि को महिमामंहडत कि उसे अपिािे
का संदश
े ढदया िै।

3
खंड ‘ख’

3.हिदेशािुसाि ढकन्िीं तीि के उत्ति हिहखए -

1.बच्चा दौड़ कि मेिे पास आया। वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदहिए।

उत्ति- बच्चा दौड़ा औि मेिे पास आया।

2.िाहुि आया औि चिा गया। वाक्य को सिि वाक्य में बदहिए।

उत्ति- िाहुि आकि चिा गया।

3.कमािे वािा खाएगा। वाक्य को हमश्र वाक्य में बदहिए।

उत्ति- िो कमाएगा, वि खाएगा।

4.िब मिदूिों िे गड्ढा खोद हिया तब वे चिे गए। वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदहिए।

उत्ति- मिदूिों िे गड्ढा खोदा औि वे चिे गए।

4.सिि वाक्य से हमश्र वाक्य में बदिें।

1. मोहित िे शादी के हिए काडा छपवाए।

उत्ति- मोहित िे िो काडा छपवाए, वे शादी के हिए थे।

2. िीिी साड़ी वािी बहु को बुिाओ।

उत्ति- उस बहु को बुिाओं हिसिे िीिी साड़ी पििी िै।

5.हिम्नहिहखत वाक्यों में से ढकन्िीं चाि िे खांढकत पदों का पद-परिचय हिहखए-

I. िािी िी चाय बिाती िैं । वतामाि काि


II. मोहित कि ििीं आया था। हिषेर्ात्मक वाक्य
III. आप कब आये ? प्रश्नवाचक वाक्य
IV. िहव िोि सवेिे दौड़ता िै। वतामाि काि

6.हिम्नहिहखत काव्य पंहक्तयों में हिहित िस पिचाि कि हिहखए –

1. िार्ा कृ ष्ण का प्रेम पुिे िग में प्रहसद्द िै। श्रंगाि िस

2. गिीबो पि दया कििी चाहिए। वीि िस

3.िाय ! ढकतिा सुंदि पंक्षी िै । अदभुत िस

4
7.प्रश्नों के उत्ति दीहिये –

1.िस ढकसे किते िै ?

उत्ति - िस का शाहब्दक अथा िोता िै – आिन्द। काव्य को पढ़ते या सुिते समय िो आिन्द हमिता िै उसे
िस किते िैं।

2.हवभाव िस ढकसे किते िै ?

उत्ति - िो व्यहक्त , पदाथा, अन्य व्यहक्त के ह्रदय के भावों को िगाते िैं उन्िें हवभाव किते िैं।

3. संचािी भाव ढकसे किते िै ?

उत्ति - िो स्थािीय भावों के साथ संचिण किते िैं वे संचािी भाव किते िैं।

4.िस के ढकतिे भेद िोते िै ?

उत्ति - िस के अंग :-

1. हवभाव

2. अिुभाव

3. संचािी भाव

4. स्थायीभाव

खंड 'ग'

8.हिम्नहिहखत गद्ांश को ध्यािपूवाक पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के उत्ति हिहखए -

अभी 26 ििविी को िी िमिे अपिे सवाप्रभुत्व-संपन्न िोकतंत्र िाज्य के स्थापिा-ढदवस की वषागाँठ


मिाई। उस ढदि की, हिस ढदि भाित िे स्वतंत्र िोिे की दृढ़ प्रहतज्ञा की औि हिस ढदि भाित िे अपिे
सवाप्रभुत्व-संपन्न िोकतंत्र िाज्य िोिे ढक घोषणा की। औि, ढिि चाि िी ढदि बाद िमिे अपिे बापू की
बिसी मिाई, उस बापू की हिसिे िमें स्वतंत्रता की शपथ हिवाई, हिसिे िमें स्वतंत्रता ढदिाई \ आि िम
िैं, िमािी स्वतंत्रता भी िै, ककं तु िमािे बापू ििीं िैं ............... 30 ििविी ढक मिहूस
संध्या को मैं बिािस स्टेशि पि िे ि से उतिा िी था ढक विीं बापू के हिर्ि का समाचाि हमिा। वि
समाचाि था ढक िंगि ढक आग थी - दिकती, ििकती चािों ओि बढ़ी चिी िा ििी थी। िो िोग इक्कों,
ताँगों औि रिक्शों पि बैठ चुके थे, वे सभी इक्के, ताँगे औि रिक्शे छोड़-छोड़ कि पैदि चििे िगे। सामान्य
िोगों का हिर्ि िोता िै तो उिके संबंर्ी िी िोते िैं। बापू का हिर्ि हुआ तो उिके संबंर्ी-असंबंर्ी सभी
िोए। देवदास गांर्ी से भी अहर्क ऐसे िोग िोए, हिन्िोंिे कभी बापू को देखा तक ििीं था। औि िोगों का
हिर्ि िोता िै तो उिके प्रशंसक िी िोते िैं, बापू का हिर्ि हुआ तो उिके आिोचक िी ििीं हिंदक भी िोए।
औि िोगों का हिर्ि िोता िै तो उिके अपिे र्मा वािे िी िोते िैं, बापू का हिर्ि हुआ तो हिन्दू-मुसिमाि

5
सभी िोए, छाती पीट-पीट कि िोए। औि िोगों का हिर्ि िोता िै तो उिके देशवािे िी िोते िैं, बापू का
हिर्ि हुआ तो अंग्रेज़ भी िोए, हििकी सिकाि को बापू िे ‘शैतािी सिकाि’ किा था।

ये सभी क्यों िोए? औि इतिा अहर्क क्यों िोए? क्योंढक ‘बापू’ मािवता के र्िी थे। िि दो िाथ, दो पैि
वािे पशु को िम आदमी समझिे की गिती किते िैं - ‘मािव’ माि िेते िैं। िि दो िाथ, दो पैि वािा पशु
मािव ििीं िोता। स्वामी िामतीथा िे आदहमयों के चाि प्रकाि बताए िैं - 1. िड़-मािव, 2.
विस्पहत-मािव, 3. पशु-मािव औि 4. मािव-मािव। िो व्यहक्त के वि अपिी िी हचंता किता िै,
अपिे से बािि कु छ सोच िी ििीं सकता, वि ‘िड़-मािव’ िै। िो अपिे साथ अपिे परिवाि वािों, अपिे
िगिवािों की भी हचंता किता िै, वि ‘विस्पहत-मािव’ िै। िो अपिे साथ अपिे परिवाि औि िगि के
िोगों तथा अपिे देश के साथ-साथ ‘मािवमात्र’ ढक िी ििीं ‘प्राहणमात्र’ की भी हचंता किता िै, विी
मािव-मािव िै। मौिािा िािी का शेि िै -

िरिश्ते से बेिति िै इंसाि बििा,

मगि उसमें पड़ती िै मेिित ज़्यादा।

िो िोग बापू ढक िाििीहत से सिमत ििीं ििे अथवा मेिी तिि िो िाििीहत को हवशेष समझते भी ििीं
ििे, वैसे िोगों पि भी बापू ढक ‘शािीिता’ बापू ढक ‘मािवता’ िादू-सा असि किती थी। मेिी िी एक ढदि
ढक आपबीती सुहिए -6 ढदसंबि सि् 1945 ढक शाम को मैं बापू की व्यस्तता का ख्याि कि उिकी
कु रटया के भीति पैि िखिे में हिचढकचा ििा था। आवाज़ सुिाई दी- "आइए, आइए !" मैं भीति चिा
गया।

"अब आप यिाँ िििे के हिए आए िैं। एक मिीिा, दो मिीिे, चाि मिीिे, हितिा िि सकें ।" "िाँ बापू,
हितिे ढदि वर्ाा में िहूँगा, यिीं िििे की कोहशश करँगा।" दो-चाि औि बातें कििे के अिंति बापू बोिे,
"अच्छा तो भोिि की घंटी बि गई िै। पििे िाकि भोिि कि िीहिए।" सेवाग्राम में भोिि के समय
भोिि कििे पि दूसिे ढदि तक उसी प्रकाि इंतज़ाि कििा पड़ता था, िैसे िे िगाड़ी छु ट िािे पि ढिि दूसिी
गाड़ी का। "भोिि तो मैं ििीं करँगा बापू, थोड़ा दूर् पी िूँगा।" श्रीमन्नािायण िी को इशािा िो गया औि
मुझे उिके साथ वैसे िी िािा पड़ा िैसे ढकसी कै दी को हसपािी के साथ। यि थी प्रेम ढक कै द। िौटा तो बापू
को बुिी तिि व्यस्त पाया। एक के बाद दूसिी समस्या हिबटाई िा ििी थी। आपसी बात कििे का आग्रि
िखिे में अपिा िी मि संकोच मािता था। तब डॉ. सुशीिा िय्यि िे र्ीिे से सिाि दी, "बापू िी, अब
िैसे भी िो मौि िे िें।" "ििीं, वि तो ििीं िो सकता।" "बापू ! स्रेि बढ़ िाएगा।" "हििको समय
ढदया िा चुका िै, उिको समय देिा तो र्मा िै, वि कै से तोड़ा िा सकता िै?"

1.उपयुाक्त गद्ांश का उपयुक्त शीषाक हिहखए।

उत्ति- उपयुाक्त गद्ांश का शीषाक - बापू की यादें।

2.बापू के हिर्ि का समाचाि कब औि किाँ हमिा?

उत्ति- 30 ििविी 1948 ढक मिहूस संध्या को बिािस के िेिवे स्टेशि पि िेखक को बापू के हिर्ि का
समाचाि हमिा।

6
3.बापू के हिर्ि का उि िोगों पि क्या प्रभाव पड़ा िो इक्कों, ताँगों औि रिक्शों में बैठ चुके थे?

उत्ति- बापू के हिर्ि का इक्कों, ताँगों औि रिक्शों में बैठ चुके िोगों पि यि प्रभाव पड़ा ढक वे सभी िोग
इक्कों, ताँगों औि रिक्शों से उति कि पैदि चििे िगे।

4.मािव-मािव ढकसे किा गया िै?

उत्ति- िो मािव अपिे साथ परिवाि औि िगि के िोगों तथा अपिे देश के साथ-साथ ‘मािव -मात्र की
िी ििीं ‘प्राणी मात्र’ की भी हचंता किता िै, विीं मािव-मािव िै।

5.6 ढदसंबि सि् 1945 ढक शाम िेखक बापू की कु रटया के भीति पैि िखिे में क्यों हिचढकचा ििा था?

उत्ति- 6 ढदसंबि सि् 1945 की शाम को िेखक बापू की व्यस्तता का ख्याि कि उिकी कु रटया के
भीति पैि िखिे में हिचढकचा ििा था।

6.सेवाग्राम में समय पि बोिि ि कििे का क्या परिणाम िोता था?

उत्ति- सेवाग्राम में भोिि के समय पि भोिि ि कििे का परिणाम यि था ढक भोिि के हिए दूसिे ढदि
तक उसी प्रकाि इंतज़ाि कििा पड़ता था, िैसे िे िगाड़ी छु ट िािे पि ढिि दूसिी गाड़ी का इंतज़ाि कििा
पड़ता िै।

9. हिम्नहिहखत काव्यांश को ध्यािपूवाक पढ़कि पूछे गए प्रश्नों के उत्ति हिहखए -

िब गीतकाि मि गया, चाँद िोिे आया,

चाँदिी मचििे िगी कफ़ि बि िािे को।

मियाहिि िे शव को कं र्ो पि उठा हिया,

वि िे भेिे चंदि-श्रीखंड ििािे को।

सूिि बोिा, यि बड़ी िोशिीवािा था,

मैं भी ि हिसे भि सका कभी उहियािी से,

िँ ग ढदया आदमी के भीति की दुहिया को

इस गायक िे अपिे गीतों ढक िािी से !

बोिा बूढ़ा आकाश ध्याि िब यि र्िता,

मुझ में यौवि का िया वेग िग िाता था।

इसके हचंति में डु बकी एक िगाते िी,

ति कौि किे, मि भी मेिा िँग िाता था।

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देवों िे किा, बड़ा सुख थे इसके मि की

गििाई में डू बिे औि उतिािे में।

माया बोिी, मैं कई बाि थी भूि गई

अपिे को गोपि भेद इसे बतिािे में।

योगी था, बोिा सत्य, भागता मैं ढििता,

यि िाि बढ़ाए हुए दौड़ता चिता था।

िब-िब िेता यि पकड़ औि िँसिे िगता,

र्ोखा देकि मैं अपिा रप बदिता था।

मदों को आयी याद बाँकपि की बातें,

बोिे, िो िो, आदमी बड़ा अिबेिा था।

हिसके आगे तूफ़ाि अदब से झुकते िैं,

उसको भी इसिे अिंकाि से झेिा था।

1.चंदि औि श्रीखंड की क्या हवशेषता िै?

उत्ति- चंदि औि श्रीखंड हवशेष प्रकाि की सुगंहर्त िकड़ी िै। इसका उपयोग र्ार्माक कायों में ढकया िाता
िै।

2.गीतकाि की याद आिे पि आकाश में िोिे वािे परिवताि को हिखें।

उत्ति- गीतकाि के याद आिे पि आकाश िवाि िो िाता िै। वि बािि औि भीति से उिाावाि मिसूस
कििे िगता िै।

3.गीतकाि की मृत्यु पि मदों की क्या प्रहतढक्रया थी?

उत्ति- गीतकाि की मृत्यु पि मदों िे गीतकाि की प्रशंसा की। उन्िोंिे गीतकाि को अिबेिा बाँका, दबंग
औि स्वाहभमािी बताया।

4.कहव िे प्रस्तुत कहवता के माध्यम से क्या संदश


े ढदया िै?

उत्ति- इस कहवता के माध्यम से गीतकाि के आकषाण व्यहक्तत्व पि प्रकाश डािा गया िै। गीतकाि चाँद की
भाँहत सबको शीति प्रकाश देता िै। उसके गीतों के प्रभाव से वाताविण अिुिागमय िो िाता िै। देवता औि
योगी तक उससे प्रभाहवत िैं। ढिि अिबेिे पुरुष तो गीतकाि की भविाओं में िं गकि मदमस्त िो िाते िैं।
कहव िे प्रश्नोक्त पंहक्तयों के माध्यम से अिंकाि, सहृदयता एव सद्व्यविाि को महिमामंहडत कि उसे अपिािे
का संदश
े ढदया िै।

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10. हिम्नहिहखत में से ढकन्िीं चाि प्रश्नों के उत्ति संक्षेप में हिहखए।

1. छोटे भाई िे अपिी पढ़ाई का टाइम-टेहबि बिाते समय क्या-क्या सोचा औि ढिि उसका पािि क्यों
ििीं कि पाया?

उत्ति: छोटे भाई िे बड़े भाई की िताड़ सुिकि अपिी पिाई का टाइम टेहबि बिाते यि सोचा ढक वि मि
िगाकि पढ़ाई किे गा औि अपिे बड़े भाई सािब को हशकायत का कोई मौका ि देगा पिन्तु अपिे स्वच्छंद
स्वभाव के कािण वि अपिे िी टाइम-टेहबि का पािि ििीं कि पाया क्योंढक पढ़ाई के समय उसे खेि के
ििे -भिे मैदाि, िु टबॉि, बॉिीबॉि औि हमत्रों की टोहियाँ अपिी ओि खींच िेते थे ।

2. र्मातल्िे के मोड़ पि आकि िुिस


ू क्यों टूट गया?

उत्ति:- पुहिस की ििता पि िारठयाँ बिसािे, िोगों के घायि िोिे औि सुभाष बाबू की हगिफ्तािी के
कािण र्मातल्िे के मोड़ पि आकि िुिस
ू टूट गया।

3. ठाकु िबािी के प्रहत गाँव वािों के मि में अपाि श्रद्धा के िो भाव िैं उससे उिकी ढकस मिोवृहत्त का
पता चिता िै?

उत्ति:- ठाकु िबािी के प्रहत गाँववािों के मि में िो अपाि श्रद्धा के भाव थे उिसे गाँववािों की ठाकु ििी
के प्रहत अगार् हवश्वास, भहक्त-भाविा ईश्वि में आहस्तकता, औि एक प्रकाि की अंर्श्रद्धा िैसी मिोवृहतयों
का पता चिता िै। क्योंढक गाँव वािे अपिी िि छोटी-बड़ी सििता का श्रेय ठाकु िबािी को िी देते थे।

4. कं पिी के वकीि का कत्ि कििे के बाद वज़ीि अिी िे अपिी हििाित कै से की?

उत्ति:- कं पिी के वकीि का कत्ि कििे के बाद वज़ीि अिी आिमगढ़ भाग गया औि विाँ के िवाब से
सिायता पाकि सुिहक्षत घाघिा पहुँच गया औि तब से वि िंगिों में ििकि अपिी शहक्त बढ़ािे िगा ।

11.चाकिी में दिसण पास्यूँ, सुमिण पास्यूँ खिची।

भाव भगती िागीिी पास्यूँ, तीिूं बाताँ सिसी।

प्रस्तुत पंहक्तयों का अथा बताइए ।

उत्ति: प्रस्तुत पंहक्तयाँ ' मीिाबाई' के पद से िी गई िैं।कवहयत्री मीिाबाई िे कृ ष्ण को हप्रयतम के रप में
देखा िै। वे बाि-बाि कृ ष्ण के दशाि कििा चािती िैं ।वे कृ ष्ण को पािे के हिए अिेक काया कििे को तैयाि
िैं। मीिा अपिे हप्रय भगवाि कृ ष्ण से किती िै - िे श्याम ! मुझे अपिी दासी बिा िो। मैं तुम्िािी
सेहवका के रप में िहूँगी औि तुम्िािे हिए बाग-बगीचे िगाऊँगी,हिसमें तुम हविाि कि सको। इसी बिािे
मैं िोि सुबि तुम्िािे दशाि कि सकूँ गी। मैं वृंदावि के कुं िों में औि गहियों में कृ ष्ण की िीिा के गािे
गाऊँगी। इस सेवा के बदिे में मुझे प्रभु-दशाि का अवसि हमिेगा। िाम-स्मिण रपी िेब-खचा प्राप्त िोगा,
भावपूणा भहक्त की िागीि प्राप्त िोगी। इस प्रकाि मीिा दासी बिकि श्री कृ ष्ण के दशाि, िाम स्मिण रपी
िेब-खचा औि भहक्त रपी िागीि तीिों प्राप्त कि अपिा िीवि सिि बिािा चािती िैं।!''

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अथवा

‘तोप’ किािी का सािांश हिहखए ।

खंड 'घ'

12. हिम्नहिहखत में से ढकसी एक हवषय पि िगभग 200 से 250 शब्दों में हिबंर् हिहखए

I. कािे र्ि पि हिबंर्


II. भाित में आतंकवाद पि हिबंर्
III. हवश्व पयााविण ढदवस पि हिबंर्

13. हििा उपायुक्त को पत्र हिहखए हिसमें हवद्ार्थायों की पढ़ाई में िोिे वािी िाहि के संदभा में शिि के
हसिेमाघिों में प्रातःकािीि शो को बंद कििे का हिवेदि ढकया गया िो।

अथवा

हििा उपायुक्त को पत्र हिहखए हिसमें हवद्ार्थायों की पढ़ाई में िोिे वािी िाहि के संदभा में शिि के
हसिेमाघिों में प्रातःकािीि शो को बंद कििे का हिवेदि ढकया गया िो।

14. मोहित औि श्रवण आठवीं के छात्र िैं। ढदसंबि की पिीक्षाएँ चि ििी िैं। इर्ि भाित-पाढकस्ताि की
एक ढदवसीय ढक्रके ट मैच-शृंखिा का अंहतम मैच िै। दोिों मैच देखिा चािते िैं, पिं तु पढ़ाई के दवाब से भी
डिते िैं उिमें हुई बातचीत की कल्पिा कीहिए। “संवाद हिहखए ।

अथवा

यात्री औि बस चािक के बीच हुआ संवाद।

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