Vidyapati_PurushPariksha_PrityThakur-1-40

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विद्यापविक पुरुष परीक्षा

प्रीवि ठाकुर

विदेह- प्रथम मैवथली पावक्षक ई-पविका (विदेह www.videha.co.in ) पेटारसँ

ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर।

विदेह मैवथली सावहत्य आन्द्दोलन: मानुषीवमह संस्कृिाम्

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ऐ पोथीक सिाविकार सुरवक्षि अवि। काॅपीराइट (©) िारकक वलविि अनुमविक विना पोथीक कोनो अंशक
िाया प्रविएिं वरकॉव ंग सवहि इलेक्‍टरॉवनक अथिा यांविक, कोनो माध्यमस,, अथिा ्ानक सं्रहह िा पुनप्रप्रययोगक
प्र ाली द्वारा कोनो रूपमे पुनरुत्पावदि अथिा संचावरि-प्रसावरि नै कएल जा सकैि अवि।
(c) २०००- २०२२। सर्वाधिकार सुरधित। धर्वदेहमे प्रकाधित सभटा रचना आ आकाइर्वक सर्वाधिकार
रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छधहह। भालसधरक गाछ जे सन २००० सँ याहूधसटीजपर छल
http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html ,
http://www.geocities.com/ggajendra आधद धलंकपर आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट
http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html (धकछु धदन लेल
http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html धलंकपर, स्रोत wayback machine of
https://web.archive.org/web/*/videha 258 capture(s) from 2004 to 2016-
http://videha.com/ भालसधरक गाछ-प्रथम मैधथली ब्लॉग / मैधथली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे
इहटरनेटपर मैधथलीक प्राचीनतम उपधस्थतक रूपमे धर्वद्यमान अधछ। ई मैधथलीक पधहल इंटरनेट पधिका धथक
जकर नाम बादमे १ जनर्वरी २००८ सँ "धर्वदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैधथलीक प्रथम उपधस्थधतक यािा धर्वदेह -
प्रथम मैधथली पाधिक ई पधिका िधर पहुँचल अधछ,जे http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाधित होइत
अधछ। आब “भालसधरक गाछ” जालर्वृर्त्त 'धर्वदेह' ई-पधिकाक प्रर्वक्ताक संग मैधथली भाषाक जालर्वृर्त्तक
एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अधछ। धर्वदेह ई-पधिका ISSN 2229-547X VIDEHA
(c)२०००- २०२२। सर्वाधिकार लेखकािीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अधछ ततऽ संपादकािीन। धर्वदेह -
प्रथम मैधथली पाधिक ई-पधिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेहर ठाकुर। Editor:
Gajendra Thakur.
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सम्पादक 'धर्वदेह' प्रथम मैधथली पाधिक ई पधिका ऐ ई-पधिकामे ई-प्रकाधित/ प्रथम प्रकाधित रचनाक धप्रंट-र्वेब
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(पाधिक) ई पधिकाकेँ देल जा रहल अधछ। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभर्व िीघ्र ( सात धदनक भीतर)
एकर प्रकािनक अंकक सूचना देल जायत। एधह ई पधिकाकेँ मासक ०१ आ १५ धतधथकेँ ई प्रकाधित
कएल जाइत अधछ। ISSN: 2229-547X

“Vipdyapatik Purusha Pariksha- Children Illustrated Book” by Preeti Thakur (in


Maithili) 2012, 2022 from Videha www.videha.co.in Archive.
महाकवि विद्यापवि ठाकुर 1350-1435 (मैविलीक आवि कवि
ज्योविरीश्वर-पूिव विद्यापविसँ विन्न, संस्कृि आ अिहट्ठमे लेखन)

विद्यापवि ठक्कुरः 1350-1435 विषएिार विस्फी-काश्यप (राजा वििवसंहक िरिारी) आ संस्कृि आ अिहट्ठ
लेखक। कीविवलिा, कीविवपिाका, पुरुष परीक्षा, गोरक्षविजय, वलखनािली आवि ग्रंि समेि विपुल संख्यामे
कालजयी रचना। ई मैविलीक आविकवि विद्यापवि (ज्योविरीश्वर पूि)व सँ विन्न छवि। (वचत्रक आधार वमविला
सांस्कृविक पवरषि, कोलकािा द्वारा कोनो कलाकारसँ िनिाओल , कलाकारक नाम ६०-७० सालसँ अज्ञाि
कारणसँ गुप्ि राखल गेल अवछ।)
मैविलीक आविकवि विद्यापवि (ज्योविरीश्वर पूि)व

मैविलीक आविकवि विद्यापवि ( विद्यापविक वचत्र: वििेह वचत्रकला सम्मानसँ पुरस्कृि पनकलाल मण्डल द्वारा)

किीश्वर ज्योविरीश्वर(लगिग १२७५-१३५०)सँ पूिव (कारण ज्योविरीश्वरक ग्रन्िमे वहनक चचव अवछ), मैविलीक
आवि कवि। संस्कृि आ अिहट्ठक विद्यापवि ठक्कुरःसँ विन्न। सम्िििः विस्फी गामक िािवर कास्टक श्री महेि
ठाकुरक पुत्र। समानान्िर परम्पराक वििापि नाचमे विद्यापवि पिािलीक (ज्योविरीश्वरसँ पूिवसँ) नृत्य-अविनय
होइि अवछ।ज्योविरीश्वर पूिव विद्यापवि:- कश्मीरक अविनि गुप्ि (ििम ििाब्िीक अन्ि आ एगारहम ििाब्िीक
प्रारम्ि)- ग्रन्ि ईश्वर प्रत्याविज्ञा- वििवषवणी मे विद्यापविक उल्लेख करै छवि। श्रीधर िासक सिुवतिकणामृि,
(रचना ११ फरिरी १२०६, मध्यकालीन वमविला, वि.कु. ठाकुर)- श्रीधर िास विद्यापविक पाँच टा पि उद्धृि
केने छवि जे विद्यापविक पिािलीक िाषा छी।जाि न मालिो कर परगास, िािे न िावह मधुकर विलास। आ
मुन्िला मुकुल किय मकरन्ि ज्योविरीश्वर (१२७५-१३५०) षष्ठः कल्लोल- ॥अि विद्यािन्ि िणवना॥ अष्टमः
कल्लोलः- ॥अि राज्य िणवना॥ मे उल्लेख।
िवापितक पु ष परी ा
िवापितक पु ष परी ा

ीित ठाकुर

ुित काशन, नई िदली


Vidyapatik Purush Pariksha by Preeti Thakur, Ist published in 2012, by M/s Shruti Publications, India

Price: Rs. 100

सविधकार © preeti Thaakura

पिहल सं करण : 2012

ISBN : 978-93-80538-49-5

Preeti Thakur asserts the moral right to be identified as the author of this work.

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ुित काशन :रिज टड ऑिफस: ८/२१, भूतल, यू राजे नगर, नई िदली -११०००८.दूरभाष-(०११) २५८८९६५६-५८ फै स- (०११)२५८८९६५७

Website:http://www.shruti-publication.com

e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com

Printed at: Ajay Arts, Delhi-110002

Distributor : Pallavi Distributors, Ward no- 6, Nirmali (Supaul), मो.- 9572450405, 9931654742

Vidyapatik Purush Pariksha: Illustrated Maithili Children Short Stories by Preeti Thakur
विद्यापतिक पुरुष परीक्षा कथाक आरम्भसँ पूिव मं गलाचरण अति।

मं गला चरण: चन्द्रतापा नग्रक राजा पारावार द्वारा मुनन सुबुद्धिसँ प्रश्न जे राजा पारावारक सववगुण सम्पन्द्न पुत्रीक ले ल
योग्य वरक की लक्षण हे बाक चाही। मुननक उत्तर रहन्न्द्ह पुरुषक लक्षण भे ल वीरता, सुबुद्धि, सद्वद्वद्या आ पुरुषार्व।

पविल पररच्छे द (िीर कथा)

दानिीर विक्रमाददत्य, युद्धिीर कणावट राजकु मार मल्लदे ि, दयािीर रणथम्भौर नरे श िम्मीर दे ि आ सत्यिीर
चौिान िं शक नरे श चातचकदे िक कथा।

दोसर पररच्छे द (सुबद्धु द्ध कथा)

प्रतिभासम्पन्न विशाख, मे धासम्पन्न कोक पण्डिि आ कणावट नरे श िरससिंिदे िक सुबद्धु द्ध सम्पन्न मन्री
गणे श्वर(’सुगतिसोपान’ पोथीक ले खक जइमे तमतथलाक सां िैधावनक इतििासक िणवन अति) क कथा।

िे सर पररच्छे द (सविद्य कथा)

धारा नग्रक ससिंघल नाम्ना क्षद्धरय धनुधवर, शास्त्रक िे त्ता ज्योतिवषशास्त्री िराितमविर, आयुिेदज्ञ िररश्चन्र आ
दशवन शास्त्री मीमां सक शबर स्त्िामीक कथा ।

चाररम पररच्छे द (धमव कथा)

चाररम पररच्छे दमे धमव, अर्व, काम आ मोक्ष (पुरुषार्व चतुष्टय) सम्बन्द्धी कर्ा सभ अछि। धमव सम्बन्द्धी कर्ामे तत्त्वज्ञानी
बोछध कायस्र्क, तमोगुण धार्मिक श्रीकण्ठ ब्राह्मणक आ पापकमव ले ल पश्चातापस्वरूप पुण्य अर्जित केननहार राजकुमार
रतनाां गदक कर्ा अछि। अर्व सम्बन्द्धी कर्ामे न्द्यायोछचत उपार्जित धनक दान आ भोगमे खचव केननहार धननकक कर्ा,
तृष्णाग्रस्त माद्धलक कर्ा आद्वद अछि। काम कर्ामे अनुकूल नायक शूरक, गौडनरे श, लक्ष्मण से न, महाराज नवक्रमाद्वदतय,
धूतव नायक शद्धश, नवद्या-बुद्धिसम्पन्द्न मुदा पटरानी शुभदे वीक प्रेममे वशीभूत राज्य आ प्राण गमा दइबला महाराज
जयचन्द्दक कर्ा अछि। मोक्ष कर्ामे भतृवहरर, नववे कशमाव, मुमुक्ष कृष्ण चै तन्द्य आ लब्धद्धसि मुमुक्षक कर्ा अछि।

पविल पररच्छे द (िीर कथा)

दानवीर कर्ा

दयावीर कर्ा

युिवीर कर्ा
सतयवीर कर्ा

प्रत्युदािरण कथा

कृपण कर्ा

अलस कर्ा

भीरु कर्ा

चौर कर्ा

दोसर पररच्छे द (सुबद्धु द्ध कथा)

मे धावी कर्ा

सुबुद्धि कर्ा

प्रत्युदािरण कथा

वां चक कर्ा

नपशुन कर्ा

जन्द्मबबवर कर्ा

सां सगव बबवर कर्ा

िे सर पररच्छे द (सविद्य कथा)

शस्त्रनवद्य कर्ा

शास्त्रनवद्य कर्ा

लोकनवद्य कर्ा (कायस्र् शकटार आ चाणक्यक कर्ा)

उभयनवद्य कर्ा (चाणक्य, चन्द्रगुप्त आ मां त्री राक्षसक कर्ा)

छचत्रनवद्य कर्ा

गीतनवद्य कर्ा

नृतयनवद्य कर्ा

इन्द्रजालनवद्य कर्ा

हासनवद्य कर्ा

पूजजतनवद्य कर्ा
प्रत्युदािरण कथा

अवसन्द्ननवद्य कर्ा

अनवद्य कर्ा

खण्ण्डतनवद्य कर्ा

चाररम पररच्छे द (धमव कथा)

धमव कथा

सात्तवक कर्ा

तामस कर्ा

अनुशयी कर्ा

अथव कथा

महे च्छ कर्ा

मूढ़ कर्ा

बह्वाश कर्ा

प्रत्युदािरण कथा

सावधान कर्ा

काम कथा

अनुकूल कर्ा

दजक्षण कर्ा

घस्मर कर्ा

मोक्ष कथा

ननबवन्न्द्ध कर्ा

ननस्पृह कर्ा

लब्धद्धसद्धि कर्ा

मूल कथा सभ ले ल जाउ चन्रकान्ि पाठकक १९२७ मे प्रकाद्धशि पुरुष परीक्षा ओपन सोसवबक

बौआ-बुच्ची सभ।

ऊपर दे ल सलिंकसँ खखस्त्सा पवि कऽ अिाँ केँ नीचाँ तचर बनाओल कथा सभकेँ तचन्िबाक अति, ऊपर दे ल कथा
सभमे सँ २५ टा कथाक रे खातचर नीचाँ दे ल गे ल अति। एकर सभक शीषवक ददअ, फोटो सभमे िायलॉग ले ल
स्त्थान राखख शे ष स्त्थलमे रङ भरू।
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