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Ch - Upsarg , Pratyay tatha samaaa (8) NEW (1)
Ch - Upsarg , Pratyay tatha samaaa (8) NEW (1)
उपसर्ग
हहिं दी भाषा में शब्दिं की रचना कई प्रकार से की जाती है । इन्ीिं में से एक हिहि है -शब्दिं के आरिं भ
या अिंत में कुछ शब्ािं श जदड़कर नए शब् बनाना। इस तरह से प्राप्त नए शब् के अर्थ में निीनता
दे खी जा सकती है ; जै से-‘हार’ शब् में ‘आ’, ‘प्र’, ‘हि’ सम् जदड़ने पर हमें क्रमशः आहार, प्रहार और
हिहार शब् प्राप्त हदते हैं , जद अपने मूल शब् हार के अर्थ से पूरी तरह अलग अर्थ रखते हैं; जै से-
हार (पराजय, फूलदिं की माला)
आ + हार = आहार – भदजन
प्र + हार = प्रहार – चदट
हि + हार = हिहार – भ्रमण करना
जो शब्ांश शब् से पहले लर्कर उसका अर्ग बदल दे ते हैं या उनके अर्ग में ववशेषता ला दे ते
हैं ,वे उपसर्ग कहलाते हैं ।
उपसर्ग के भेद
हहिं दी के उपसगथ
संस्कृत के उपसर्ग
वहं दी के उपसर्ग
उदद ग - फ़ारसी के उपसर्ग
अंग्रेज़ी के उपसर्ग
सब नीचे , अिीन सब- जज , सब - इिं स्पेक्टर , सब - कमेटी
प्रत्यय
िे शब्ािं श, जद शब्दिं के अिंत में जुडकर शब् के अर्थ में हिशे षता या बदलाि ला दे ते हैं , उन्ें प्रत्यय
कहते हैं ; जै से-
पिथत (पहाड़) + ईय = पिथतीय (पिथत सिंबिंिी)
कीमत (मूल्य) + ती – कीमती (मूल्यिान)
ले ख (हलखा हुआ गद्य) + इत = हलद्धखत (हलखा हुआ)
प्रहतभा (बुद्धि) + िान = प्रहतभािान (प्रहतभा से सिंपन्न)
प्रत्यय के भेद-प्रत्यय मुख्यतया दद प्रकार के हदते हैं -
कृत् प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातु ओ ं के अंत में जुड़कर नए शब्ों का वनमागण करते हैं , कृत् प्रत्यय कहलाते हैं
l
र र
कारणवाचक कृत् प्रत्यय भाववाच्य कृत् प्रत्यय
(क) कतृथ िाचक कृत प्रत्यय जद कृत प्रत्यय िातु कताथ अर्ाथ त् हक्रया के करने िाले की ओर सिंकेत
करते हैं उन्ें कतथ िाचक कृत प्रत्यय कहते हैं । कुछ उदाहरण दे द्धखए-
प्रत्यय – उदाहरण
दार – दे नदार, ले नदार, िारदार।
हार – हदनहार, पालनहार, उतारनहार, खेिनहार।
िाला – बचानेिाला, खानेिाला, रखिाला।
आलू – झगड़ालू, कृपालू, लज्जालू।
ऐया – बजैया, खिैया, बचैया।
आऊ – हबकाऊ, हटकाऊ, टकराऊ, कमाऊ।
अक्कड़ – भुलक्कड़, घुमक्कड़, हपयक्कड़।
अक – िािक, चालक, पालक, िारक, मारक।
आक – तै राक, चालाक।
(ख) कमथिाचक कृत प्रत्यय जद कृत प्रत्यय कमथिाचक शब्दिं की रचना में सहायक हदते हैं , उन्ें
कमथिाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
प्रत्यय – उदाहरण
ना – पालना, ओढ़ना, नाना, पढ़ना, तै रना, बुलाना।
नी – ओढ़नी, हबछौनी, सुिंघनी, कहानी।
औना – हबछौना, द्धखलौना।
न – झाड़न, बेलन, कतरन।
(ग) भाििाचक कृत प्रत्यय िे कृत प्रत्यय जद भाििाचक सिंज्ञाओिं की रचना करते हैं , भाििाचक कृत
प्रत्यय कहलाते हैं ; जै से-
प्रत्यय – उदाहरण
आई – हलखाई, हसखलाई, हसलाई, कढ़ाई, पढ़ाई, लड़ाई आहद।
आहट – घबराहट, हचल्लाहट, जगमगाहट, गमाथ हट आहद।
आि – चढ़ाि, उतराि, बनाि, बचाि आहद।
आिा – बुलािा, चढ़ािा, पहनािा आहद।
आन – र्कान, उड़ान, उठान आहद।
आस – हिश्वास, प्यास, हास आहद।
(घ) हक्रयािाचक कृत प्रत्यय-जद प्रत्यय हक्रया शब् बनाते हैं, उन्ें हक्रयािाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ;
जै से-
ता, ते, ती – आता, जाता, जाते, आते, खाती।
आ, ए, या – उठा, चला, गया, आया, गए आहद।
ई – गायी, खाई, पी, गई आहद।
ड.) करण िाचक कृत प्रत्यय -जद कृत प्रत्यय शब्दिं के अिंत में जुड़कर करणिाचक सिंज्ञा शब्दिं की
रचना करते हैं , िे करणिाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं l
आ ठे ल, दे ख , रदक ठे ला , दे खा , रदका
न बिंि , झाड़ , बेल , ढक बिंिन , झाड़न , बेलन , ढक्कन
नी सूूँघ, चट, मर्, रच सूूँघनी, चटनी , मर्नी , रचनी
ई रे त रे ती
2. तद्धित प्रत्यय-हक्रया की िातु ओिं के अलािा सिंज्ञा, सिथनाम, हिशे षण आहद शब्दिं के सार् जुड़कर
नए शब् बनाने िाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं l
(1) भाििाचक तद्धित प्रत्यय-हजन प्रत्ययदिं से भाििाचक सिंज्ञा शब्दिं का हनमाथ ण हदता है , उन्ें
भाििाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
प्रत्यय – उदाहरण
ता – मनुष्यता, मूखथता, सरलता, लघुता, प्रभुता आहद।
त्व – गुरुत्व, महत्व, पुरुषत्व, अपनत्व आहद।
पन – बचपन, लड़कपन, पतलापन, पीलापन, बड़प्पन आहद।
आहट – हचकनाहट, हचल्लाहट, गमाथ हट आहद।
(2) कतृथ िाचक तद्धित प्रत्यय-हजन प्रत्ययदिं के सहयदग से कताथ की ओर सिंकेत करने िाले शब् का
हनमाथ ण हद, उन्ें कतृथ िाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
दार – ईमानदार, कजथ दार, समझदार आहद।
आर – सुनार, लु हार, चमार आहद।
आरी – हभखारी, पुजारी, जु आरी, पिंसारी आहद।
िाहा – चरिाहा, हलिाहा आहद।
ई – सिंयमी, ज्ञानी, तेली, कामी आहद।
कार – नाटककार, स्वणथ कार, साहहत्यकार, पत्रकार, कहानीकार आहद।
अक – अध्यापक, हशक्षक, पाठक, ले खक।
(3) स्त्रीहलिं गिाचक तद्धित प्रत्यय-हजन प्रत्ययदिं के प्रयदग से स्त्रीहलिं ग शब्दिं की रचना की जाती है , उन्ें
स्त्रीहलिं गिाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
आ – छात्रा, हशष्या, दु हहता, अध्याहपका, बाला आहद।
ई – दे िी, नारी, चाची, नानी, बेटी।
आनी – दे िरानी, नौकरानी, जे ठानी, इन्द्राणी आहद।
नी – पत्नी, शे रनी, मदरनी, हसिंहनी, राजपूतनी आहद।
षी – हिदु षी, महहषी।
मती – श्रीमती, बुद्धिमती, िीमती आहद।
इन – िदहबन, लु हाररन, सुहाहगन आहद ।
(4). गुणिाचक तद्धित प्रत्यय-हजन तद्धित प्रत्ययदिं के यदग से गुणिाचक हिशे षण शब्दिं की रचना की
जाती है , उन्ें गुणिाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
(5) बहुिचनिाचक तद्धित प्रत्यय-हजन प्रत्ययदिं के प्रयदग से एकिचन शब् बहुिचन में बदल जाता है ,
उसे बहुिचन तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
6) लघुतािाचक तद्धित प्रत्यय-हजन तद्धित प्रत्ययदिं के प्रयदग से शब् में लघुता का बदि हदने लगे, उन्ें
लघुतािाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
(7) क्रमिाचक तद्धित प्रत्यय-हजन तद्धित प्रत्ययदिं के प्रयदग से शब्दिं में क्रम का ज्ञान हद, उन्ें क्रम
बदि तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जै से-
समास
शब्ों के समदह को संविप्त कर नया शब् बनाने की प्रविया को समास कहते हैं । इससे भाषा
में स ंदयग आता है l
1.तत्पुरुष समास
जहाूँ सामाहसक उिर पद प्रिान हदता है तर्ा पूिथपद गौण। इस समास की रचना में दद पददिं के बीच
में आनेिाले कारक हचह्दिं (परसदिं) का लदप हद जाता है । (कताथ , सिंबदिन के परसगों कद छदड़कर) जै से
–
समस्तपद समास-हिग्रह
पुस्तकालय पुस्तक के हलए आलय
अकालपीहड़त अकाल से पीहड़त
घुड़दौड़ घदड़दिं की दौड़
गृहप्रिेश गृह में प्रिेश
िनगमन िन कद गमन
पर्भ्रष्ट् पर् से भ्रष्ट्
कमग तत्पुरुष
कमथ कारक का परसगथ ' कद ' हदता है l समस्तपद बनाते समय ' कद ' परसगथ लु प्त हद जाता है ; जै से
-
समस्तपद समास-हिग्रह
यशप्राप्त यश कद प्राप्त
ग्रामगत ग्राम कद गया हुआ
गगनचुिंबी गगन कद चूमने िाला
स्वगथप्राप्त स्वगथ कद प्राप्त
िनगमन िन कद गमन
करण तत्पुरुष
करण कारक का परसगथ ' से ' तर्ा ' के द्वारा ' हदता है l इस समास में इन परसगों का लदप हद जाता
है ; जै से –
समस्तपद समास-हिग्रह
तु लसीकृत तु लसी के द्वारा कृत
जन्मािं ि जन्म से अिंिा / अिंिी
शदकाकुल शदक से आकुल
बाढ़पीहड़त बाढ़ से पीहड़त
मनचाहा मन से चाहा
भयाकुल भय से आकुल ( व्याकुल )
हस्तहलद्धखत हस्त से हलद्धखत
संप्रदान तत्पुरुष
सिंप्रदान कारक का परसगथ ' के हलए ' ( हकसी कद कुछ दे ने के अर्थ में ) हदता है l इस समास में '
के हलए ' परसगों का लदप हद जाता है ; जै से -
समस्तपद समास-हिग्रह
मालगाड़ी माल के हलए गाड़ी
रसदईघर रसदई के हलए घर
हिद्यालय हिदया के हलए आलय
सत्याग्रह सत्य के हलए आग्रह
राहखचथ राह के हलए खचथ
स्नानघर स्नान के हलए घर
दे शभद्धि दे श के हलए भद्धि
गौशाला गौ ( गाय) के हलए शाला
अपादान तत्पुरुष
अपादान कारक का परसगथ ' से ' ( अलग हदने , तु लना करने , डरने , लजाने के हलए ) हदता है l
इस समास में ' से ' परसगों का लदप हद जाता है ; जै से -
समस्तपद समास-हिग्रह
रदगमुि रदग से मुि
दे शहनकाला दे श से हनकाला
प्रदू षणरहहत प्रदू षण से रहहत
गुणहीन गुण से हीन
बिंिनमुि बिंिन से मुि
ऋणमुि ऋण से मुि
संबंध तत्पुरुष
सिंबिंि कारक का परसगथ ' का , के , की ' आहद हदते हैं l इस समास की रचना के दौरान ये परसगथ
लु प्त हद जाते हैं ; जै से -
समस्तपद समास-हिग्रह
सेनापहत सेना का पहत
राजाज्ञा राजा की आज्ञा
पिनपुत्र पिन का पुत्र
राजपुत्री राजा की पुत्री
प्रेमसागर प्रेम का सागर
हररभद्धि हरर की भद्धि
गिंगाजल गिंगा का जल
घुड़दौड़ घदड़दिं की दौड़
दे शप्रेमी दे श का प्रेमी
भारतरत्न भारत का रत्न
अवधकरण तत्पुरुष
अहिकरण कारक के परसगथ ' में , पर ' हदते हैं l इस समास की रचना के दौरान इन परसगों का
लदप हद जाता है ; जै से –
समस्तपद समास-हिग्रह
घुड़सिार घदड़े पर सिार
प्रेममग्न प्रेम में मग्न
दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा
हसरददथ हसर में ददथ
आपबीती आप पर बीती
शरणागत शरण में आगत
जलमग्न जल में मग्न
कलाहनपुण कला में हनपुण
2. द्वं दव समास – वजन समस्तपदों के दोनों पर प्रधान हों तर्ा एक – दद सरे के ववपरीत अर्ग दे ते
हों और ववग्रह करने पर ‘और,एवं , अर्वा या ‘आवद लर्ें ,उन्हें द्वं दव समास कहते हैं ।
3. वद्वर्ु समास – वजन समस्तपदों में पद वगपद संख्यावाची ववशेषण हो और समस्तपद समदह का
बोध कराए, उन्हें वद्वर्ु समास कहते हैं ।
समस्तपद समास-हिग्रह
पीतािं बर पीला है जद अिंबर
महात्मा महान है जद आत्मा
घनश्याम घन के समान श्याम
चिंद्रमुख चिंद्र के समान मुख
भलामानस भला है जद मानस
5. बहुव्रीवह समास – वजन समस्तपदों को कोई भी पद प्रधान नही ं होता,बद्धि वे वकसी अन्य
का बोध कराते हैं , उन्हें बहुव्रीवह समास कहते हैं ।
6. अव्ययीभाव समास – वजन समस्तपदों में पद वगपद अव्यय हों तर्ा उनके योर् से समस्तपद
भी अव्यय बन जाएाँ ,उन्हें अव्ययीभाव समास कहते हैं ।
समस्तपद समास-हिग्रह
सादर आदर सहहत
अनजाने हबना जाने
हदर्दिंहार् हार्-ही-हार् में
आजीिन जीिन भर
प्रहतिषथ प्रत्येक िषथ
कायगपविका : उपसर्ग , प्रत्यय एवं समास
नाम - _____________________ वदनांक - ______________
ख) परर -
ग) अि -
घ) हन -
ड.) गैर -
च) हाफ -
छ) खुश -
ज) अि
झ) अहभ
ञ) परा
ख) ता -
ग) ईला -
घ) आई -
ड.) गर -
च) त्व -
कायगपविका : शब् रचना : उपसर्ग , प्रत्यय एवं समास
नाम - _____________________ वदनांक - ______________
प्रश्न 1) वदए र्ए शब्ों से उपसर्ग व मदल शब् अलर् - अलर् कीवजए -
क) पराक्रम
ख) सम्मान
ग) सुगिंि
घ) लाजिाब
ड.) नाखुश
च) अिद्धखला
छ) बेलगाम
ज) प्रहतहक्रया
झ) हमशक्ल
ञ) सहपाठी
प्रश्न 2) वदए र्ए शब्ों से प्रत्यय व मदल शब् अलर् - अलर् कीवजए -
क) कुशलता
ख) हमठास
ग) गरीबी
घ) चमकीला
ड.) बलिान
च) उपजाऊ
छ) गरमाहट
ज) समझदार
झ) जमाखदर
ञ) चतु राई
कायगपविका : शब् रचना : उपसर्ग , प्रत्यय एवं समास
नाम - _____________________ वदनांक - ______________
छ) चौराहा
प्रश्न 1) वनम्नवलद्धित वाक्ों में रे िांवकत समास - ववग्रहों के समस्तपद बनाकर वाक् पु नः
वलद्धिए –
प्रश्न 2) वनम्नवलद्धित वाक्ों में रे िांवकत समस्तपदों का ववग्रह करके वाक् पु नः वलद्धिए –
क) यर्ाशीघ्र घर पहुूँ चद l
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