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Std6 Sulabh Hindi
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नहंदी
सुलभभतार्ी
छठी कक्ता
क्र. पताठ कता नताम पृष्ठ क्र. क्र. पताठ कता नताम पृष्ठ क्र.
पुनरताव््यन -१ २
पिचतानो और ब्ताओ ः
¯ मेलता
सिताय्ता कक्
िमकल
सुरक्ता - चौकी
बूँि बचताओ
-ब
ँूि प ।
तानी
कड़ता ितान
q अधयतापन सं के ् ः नवद््यान्मि्यों से नचत्रों का निरीषिण कराकर प्रशि पूछें । उिसे मेले का पूवामििुभव कहलवाएँ ्त्ा नदए गए वाक्य काे
समझाएँ । पररनच्त फेरीवाला, सबजीवाली आनद व्यवसान्य्यों के सुख-दख को समझकर उिसे बा्तची्त करिे के नलए प्रेरर्त करें ।
1
िेखो, समझो और ब्ताओ ः
१. सरैर
अतापकी य
बस सथतानक तात्रता सुखि
िो ।
लताट क्र. २ लताट क्र. ३ सवचछ्तागृि
लताट क्र. १
पीने कता पतानी
रताष्ट्ीय संपष्त्, िमतारी संपष्त्
बंिरगताि
ार्त ।
सवचछ भभार्त ।
सवस् ें ।
कच रता न डताल
पतानी में
q नचत्रों में क्या-क्या नदखाई दे रहा है, उिपर चचामि करें । नवद््यान्मि्यों से अपिी ्यात्रा का कोई प्रसंग सुिािे के नलए कहें । उिसे
आवागमि के साधिों का जल, ्ल, वा्यु मागमि के अिुसार वगथीकरण कराकर नचत्रों सनह्त नवस्तृ्त जािकारी का संग्ह कराऍं ।
2
पिली इकताई
िवताई अड्डता
अ्ं रर ता
ताष्ट्ीय िवताई अड्ड
रेल सथतानक
दटकट घर अतारक्ण
रखें ।
धयतान
न कता
े सतामता
अपन
q नवद््यान्मि्यों से अावागमि के साधिों का महत्व कहलवाऍं । नदए गए वाक्यों को समझाकर उिसे इसी प्रकार के अ ्य वाक्यों का
संग्ह कराऍं । सावमिजनिक स्लों की सवचछ्ता पर उिसे चचामि करें । ्यात्रा में मनहलाओं एवं वृद्धों की सहा्य्ता के नलए प्रेरर्त करें ।
3
सुनो और गताओ ः
२. बसं्ी िवता
- दार ा वाल
जनम : १ अप्रैल १ ११, मृतयु : २२ जूि २००० रचनताऍं : ‘देश-देश की कनव्ताऍं’, ‘अपूवामि’, ‘आग का आईिा’, ‘पंख और प्तवार’,
‘पु पदीप’ आनद । पररचय : आप छा्यावादी ्युग के प्रगन्तशील कनव मािे जा्ते हैं ।
प्रस्तु्त कनव्ता ‘बसं्ती हवा’ में मस्ती भरे शबदों द्वारा हवा की अठखेनल्यों का नववरण नद्या है ।
सवयं अधययन
(१) नीचे दिए गए दचत्रचों की सिताय्ता से प्रताकृद्क संंुिर्ता िशता्यने वतालता एक दचत्र बनताकर उसमें रंग भरो ।
(२) अपने दचत्र के बतारे में बोलो ।
4
जरता सोचो .......... ब्ताओ
्यनद प्रकृन्त में संुदर - सुंदर रंग िहीं हो्ते ्तो ..........
पहर दो पहर क्या,
अिेकों पहर ्तक
इसी में रही मैं
खड़ी देख अलसी
नलए शीश कलसी
मुझे खूब सुझी-
नहला्या-झुला्या
नगरी पर ि कलसी
इसी हार को पा,
नहलाई ि सरसों,
झुलाई ि सरसों,
हवा हूं , हवा मैं,
बसं्ती हवा हूं ।
मैंने समझता
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औओ ए उईइआअ
ँ अअ
अ ं
ण डठट झजछच घगखक
म भ ब फ प ि ध द ् ्त ढ़ ड़
श्र ज् त्र षि ळ ह स ष श व ल र ्य
6
सुनो और िोिरताओ :
३. उपितार
प्रस्तु्त कहािी में ब्ता्या ग्या है नक ल ्य प्राष्प्त के नलए रुनच और लगि आवश्यक है ।
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एक गाँव में ष्तवक िाम का लड़का रह्ता ्ा । होकर उस परी से पूछा, ‘‘्तुम कौि हो ’’ वह बोली,
वह बहु्त गरीब ्ा । गाँव के पास ‘पुस्तक मेला’ लगा ‘‘मैं परी ँ लेनकि ्तुम ्यहाँ उदास क्यों बैठे हो ’’
्ा । उसिे मां से कहा,‘‘मैं भी मेला देखिे जा गा ।’’ परी का प्रशि सुिकर ष्तवक की आँखों मंे आँसू
उसकी माँ बोली,‘‘देखो, घर में कोई बड़ा िहीं है, ्तुम आ गए । वह बोला, ‘‘मैं अपिे दोस्तों के सा् पुस्तक
अकेले कसे जाओगे इ्तिी दर बेटा, मेला देखिे की मेला देखिा और पुस्तक खरीदिा चाह्ता हँू । ’’ ्यह
नजद छोड़ दो । चलो दध पी लो ।’’ अपिी माँ की बा्त कहकर ष्तवक खामोश हो ग्या । ्तब परी बोली,
सुिकर ष्तवक उदास हो ग्या और एक पेड़ के िीचे ‘‘इसमें दख की क्या बा्त है ्यह समझ लो, ्तुमहारी
जा बैठा । मदद करिे के नलए ही मैं आई ँ । सा मैं ्तभी करूँगी,
अचािक उसकी दृष्ष् दर पेड़ों के पीछे गई, जहाँ जब ्तुम मेरी परीषिा में उत्तीणमि हो जाओगे ।’’
बहु्त ्तेज रोशिी ्ी । वह उठकर वहाँ ग्या । वहाँ ‘‘कौि-सी परीषिा है ’’ ष्तवक िे पूछा । परी
सुिहरे पंखों वाली एक परी खड़ी ्ी । ष्तवक िे हैराि िे कहा, ‘‘ब्ता नद्या ्तो परीषिा कसी ’’
q कहािी में आए संज्ा शबदों (परी, ष्तवक, ढ़ेर, ईमािदारी, दध) को श्यामपट्ट पर नलखें । संज्ा के भेदों को सरल प्र्योगों द्वारा
समझाएँ । उपरोति कृन्त करवािे के पशचा्त नवद््यान्मि्यों से इस प्रकार के अ ्य शबद कहलवाऍं । उिसे दृढ़ीकरण भी कराऍं ।
7
दवचतार मंथन
।। ईमािदारी चररत्र निमामिण की िींव है ।।
‘‘ठीक है,’’ सा कहकर ष्तवक वहॉं से चला परी के दोिों हा् पीछे ्े । परी िे पूछा, ‘‘ कसे हो ’’
ग्या । अभी वह कुछ दर ही ग्या ्ा नक उसे रास्ते में ‘‘ठीक ँ ’’ ष्तवक िे जवाब नद्या । ्तभी परी िे
नगरी हुई एक पोटली नमली । ष्तवक को ्यह नवशवास कहा, ‘‘अपिी आँखें बंद करो मैं ्तुमहें इिाम दँगी । ’’
हो ग्या नक लाल रंग की इस मखमली पोटली में कोई ‘‘नकस बा्त का ’’ ष्तवक िे पूछा ।
कीम्ती चीज होगी । उसिे उसे खोलिा चाहा नफर ‘‘्तुम उत्तीणमि हो गए इसनलए ।’’ परी बोली ।
सोचिे लगा । जब ्यह मेरी िहीं है ्तो इसे खोलिे का परी की बा्त ष्तवक की समझ में िहीं आ रही
मुझे हक िहीं है । ष्तवक िे पोटली िहीं खोली । ्तभी ्ी । उसिे आँखें बंद कर लीं । परी िे उसके हा्ों में
नकसी की आवाज उसके कािांे में पड़ी । ‘‘बेटा, मेरी एक मखमली ्ैली पकड़ा दी । ष्तवक िे देखा ्तो
पोटली नगर गई है, रास्ते में । क्या ्तुमिे देखी है ’’ हैराि रह ग्या । ्यह ्तो वही पोटली ्ी, जो उसिे
ष्तवक िे पूछा, ‘‘नकस रंग की ्ी ’’ ‘‘लाल राहगीर को दी ्ी । परी िे कहा, ‘‘कल मैंिे ही ्तुमहारी
रंग की ,’’ राहगीर िे ब्ता्या । ‘‘और कोई पहचाि ईमािदारी की परीषिा ली ्ी । वह राहगीर भी मैं ही ्ी
ब्ताओ ।’’ ष्तवक िे राहगीर से कहा । ‘‘उसपर एक इसनलए मैं ्तुमहें ्यह इिाम दे रही ँ । ’’
परी का सुिहरे रंग में नचत्र बिा है । ’’ राहगीर का जवाब परी िे ष्तवक को समझा्या, ‘‘ईमािदार व्यष्ति
्ा । ष्तवक िे अपिी ्ैली से जब वह पोटली के जीवि में नकसी वस्तु की कमी िहीं हो्ती। जाओ
निकाली ्तो उसपर छपा परी का नचत्र चमकिे लगा । अब ्तुमहें मिचाही वस्तु नमलेगी । ’’
ष्तवक िे वह पोटली राहगीर को दे दी । ष्तवक के पास शबद िहीं ्े नजिसे वह परी काे
सुबह उठकर वह वहीं पहुँचा, जहाँ उसे परी नमली ध ्यवाद दे्ता । खुशी से उसकी आंखें भर आ ।
्ी । देखा ्तो वहाँ कोई िहीं ्ा । वह बैठ ग्या। उसकी लाल मखमली पोटली ष्तवक िे अपिी मांँ को
आँखों के सामिे वही लाल रंग की पोटली नदखाई देिे दी । उसकी समझ में ्यह िहीं आ्या नक उसका बेटा उसे
लगी । ्तभी ्तेज प्रकाश फला । सामिे परी खड़ी ्ी । क्या दे रहा है । जब मॉं वह पोटली खोलिे लगी ्तब
q नवद््यान्मि्यांे को प्रशिोत्तर के माध्यम से कहािी सुिाऍं । उिसे कहािी का मुखर वाचि करवाकर िए शबदों का अिुलेखि करवाऍं ।
उ हें वाचि की आवश्यक्ता, महत्व ब्ताऍं । अपिे नवद््याल्य और पररसर के वाचिाल्य की जािकारी प्राप्त करिे के नलए कहें ।
88
खोजबीन
गृह उद््याेगों की जािकारी प्राप्त करो और इसपर चचामि करो ।
पोटली कई गुिा बड़ी हो गई । उसमें से सुंदर-सुंदर
पुस्तक बाहर निकल आ । पुस्तकों का ेर देखकर मॉं
चनक्त रह गई । माँ के पूछिे पर ष्तवक िे सब कुछ
ब्ता नद्या ।
अब ष्तवक िे नमत्रों के नलए अपिी बहि
कृन्तका की सहा्य्ता से पुस्तकाल्य खोला । वहॉं
सभी बच्े आकर अपिी मिपसंद पुस्तक पढ़िे लगे ।
उिको पूरा गॉंव ‘पुस्तक नमत्र’ के िाम से जाििे लगा ।
बी्तिे लगा । एक नदि पुस्तक पढ़्ते-पढ़्ते ष्तवक की
ष्तवक िे पुस्तकाल्य को ही अपिे जीवि का
आँख लग गई । देख्ता क्या है नक पुस्तक उससे बा्तें
ध्ये्य बिा नल्या । उसका सारा सम्य पुस्तकों के बीच
करिे लगीं । उससे एक पुस्तक िे पूछा, ‘‘ ष्तवक,
अगर ्तुम अपिे जीवि में बड़े आदमी बिाेगे ्ताे क्या
्तुम हमारा सा् छोड़ दोगे हमें भूल जाओगे ’’
ष्तवक िे कहा, ‘‘िहीं-िहीं, अब ्तो ्तुम ही मेरी
सा्ी हो, नमत्र हो ।’’ ्तभी नकसी िे दरवाजे की घंटी
बजाई और उसकी िींद टटी । जागिे पर देर ्तक सोच्ता
रहा नक आगे चलकर वह बड़ा-सा पुस्तक भंडार
खोलेगा ।
मैंने समझता
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सुनो ्ो जरता ब्ताओ ्ो सिी
काटमिि क्ा सुिकर उसे हाव-भाव सनह्त सुिाओ । बड़े होकर क्या बििा चाह्ते हो
अधययन कौशल
नकसी पररनच्त अ ्य कहािी लेखि के नलए मुददे् ्तै्यार करो ।
सवयं अधययन
नदए गए नचत्रों के आधार पर उनच्त और आकषमिक नवज्ापि ्तै्यार करो ।
10
प ो, समझो आरैर दलखो :
4. जोकर
प्रस्तु्त पाठ में मुहावरों अौर कहाव्तों के द्वारा अपिी बा्त को कम-से-कम शबदों में व्यति करिे के नलए प्रेरर्त नक्या ग्या है ।
अधययन कौशल
दकनि पॉंच मुितावरचों किताव्चों के सतांकेद्क दचत्र बनताओ : जरैसे-
5. एक बच्े को
अपिी िकल कर्ते ६. जोकर शोर मचािे
देखकर जोकर वाले बच्ों को आँखें
िंग रि गयता। दिखता रिता थता ।
समझो िमें
दचत्र की सिताय्ता से बतारिखड़ी के शबि बनताकर दलखो ।
अनु. दचत्र कता वण्य दचत्र कता अंद्म शबि अनु. दचत्र कता वण्य दचत्र कता अंद्म शबि
पिलता अक्र अक्र पिलता अक्र अक्र
१. ल कलम . - .......
२. - ....... 8. क .......
३. सा ....... . ला .......
12
आकलन :
5.(अ) आओ, आयु ब्तानता सीखो
(१) अपिे नमत्र को उसकी व्तमिमाि आ्यु में अगले वषमि की आ्यु जोड़िे के नलए कहें । (२) उसे इस ्योगफल को
5 से गुणा करिे के नलए कहें । (३) प्राप्त गुणिफल में उसे अपिे ज मवषमि का इकाई अंक जोड़िे के नलए
कहें । (4) प्राप्त ्योगफल में से 5 घटा दें । (5) घटािे के बाद जो सं ्या प्राप्त होगी, उसकी बा ओर के
दो अंक ्तुमहारे नमत्र की आ्यु है । इस सूत्र को उदाहरण से समझ्ते हैं ।
माि लो, ्तुमहारे नमत्र की आ्यु १० वषमि और ज म वषमि २००4 है ्तो-
(१) १० (व्तमिमाि आ्यु) (अगले ११ वषमि की आ्यु) २१ (२) २१ 5 १०5
(३) १०5 4 १० (4) १० - 5 १०4
१०4 की बा ओर के दो अंक अ्ामि्त १० वषमि ्तुमहारे नमत्र की आ्यु है । इसी आधार पर अपिे पररजिों,
पररनच्तों, अ ्य नमत्रों को उिकी आ्यु ब्ताकर आशच्यमि चनक्त कर सक्ते हो । प्रत्यषि करके देखो ।
q नवद््यान्मि्यों की जोनड़्यॉं बिाकर आ्यु ब्तािे का खेल खेलवाऍं और उ हें मजेदार पहेनल्यॉं बूझिे के नलए दें । उ हें इसी प्रकार के
अ ्य नवष्यों के भी खेल खेलिे के नलए कहें । उिसे पहेनल्यों और खेलों का नचत्रों सनह्त नलष्ख्त संग्ह करवाऍं अौर खेलवाऍं ।
अं्र ब्ताओ :
(ब) मितारताष्ट् की बेटी
q नवद््यान्मि्यों से दोिों नचत्रों काे देखकर उिमें अं्तर ँूढ़कर ब्तािे के नलए कहें । भार्त के नवनभ राज्यों के खािपाि, पहिावा,
आभूषण जैसे अ ्य नवष्यों पर चचामि कराऍं । उिमें समाि्ता और नवनवध्ता ब्ता्ते हुए लाेगों के आपसी संबंधों को सपष् करें ।
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सुनो और समझो ः
6. मेरता अिोभतागय
- ं ु शवदयालं ार
जनम : १ ०६ रचनताऍं : ‘संदेह’, ‘मेरा बचपि’, ‘ ्या्य की रा्त’, ‘मेरा मासटर साहेब’, ‘चं कला’,‘पगली’, ‘्तीि नदि’, ‘भ्य का राज्य’,
‘देव और मािव’ आनद । पररचय : आपिे सानहत्य एवं पत्रकारर्ता के षिेत्र में उ ेखिी्य का्यमि नक्या है ।
प्रस्तु्त पाठ में लेखक िे गुरुदेव रवीं िा् ठाकुर जी से हुई भेंट से संबंनध्त संसमरण ब्ता्या है ।
नताम ्ुमितारे
दचत्र िेखकर उदच् सव्यनताम में दलखो : (्ू, मैं, वि, यि, यता, जरैसता-वरैसता, अपने-आप)
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फरवरी १ ३६ में मुझे शांन्त निके्ति जािा ्ा। के सघि उपवि के बीचोबीच बिा्या ग्या ्ा । बहु्त ही
वहॉं एक सानहष्त्यक का्यमिक्रम होिे वाला ्ा । मैं बहु्त सुंदर, बड़ी और अचछी इमार्त ्ी वह जैसा सोचा ्ा
ही उ नस्त ्ा क्योंनक उस का्यमिक्रम की अध्यषि्ता वैसा ही पा्या । पर की मंनजल के एक कमरे में हमें
सव्यं गुरुदेव रवीं िा् जी करिे वाले ्े । ठहरा्या ग्या । कमरे के बाहर एक नवस्तृ्त बरामदा ्ा ।
निष्शच्त नदि कोलका्ता से हम बहु्त सारे लोग बरामदे में खड़े होकर अगर बाहर देखा जाए ्तो सामिे
शांन्त निके्ति के नलए रवािा हुए । लगभग एक दजमिि ही सघि बकुल वृषि नदखाई दे्ते ्े ।
नहंदीवालों का ्यह दल शांन्त निके्ति के सुंदर अन्तन्- दसरे नदि प्रा्त काल ही हमंे ब्ता्या ग्या नक
भवि में ठहरा्या ग्या । ्यह अन्तन् भवि अशोक वृषिों गुरुदेव का सवास ्य ठीक िहीं है, अ्त का्यमिक्रम की
बैठक में वे िहीं आ पाऍंगे । मैं बहु्त निराश हो ग्या
्त्ानप हमें जब ्यह मालूम पड़ा नक उिके डॉकटर िे हम
शांन्त निके्ति लोगों काे केवल पं ह नमिटों का सम्य नद्या है, नजसमें
गुरुदेव के दशमिि ्त्ा उिके सा् संनषिप्त वा्तामिलाप भी
हो सक्ता है ्तब हमारी खुशी का नठकािा ि रहा । हम
बेस ी से उस षिण का इं्तजार करिे लगे ।
मध्याह्ि के बाद गुरुदेव की भेंट हुई । करीब चार
बजे होंगे । गुरुदेव की धारणा ्ी नक कुछ दो-्तीि
आदमी ही होंगे । पर जब उ होंिे हम चौदह जिों को
q संसमरण में आए सवमििाम शबदों को (मैं, वह, कुछ, जैसा-वैसा, अपिे-अाप) श्यामपट्ट पर नलखें । इिके भेदों को प्र्याेग द्वारा
समझाऍं और अ ्य शबद कहलाऍं । नवद््यान्मि्यों से कृन्त करवािे के पशचा्त उिका वाक्यों में प्र्योग करवाकर दृढ़ीकरण कराऍं ।
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14
अधययन कौशल
पाठ््यपुस्तक में अाए हुए कनठि शबदों के अ्मि वणमिक्रमािुसार शबदकोश में देखो ।
देखा ्तो मजाक में उ होंिे कहा, ‘‘अब मेरी षिम्ता गुरुदेव बोले, ‘‘वह कहािी कलपिा की सृष्ष् है ।
दरबार लगािे की िहीं रही । इस मकाि में जगह की भी एक काबुलीवाला ्ा, वह हमारे ्यहॉं आ्ता ्ा और
कमी है ।’’ नफर हम सबकाे गुरुदेव से पररच्य करा्या हम सब उससे बहु्त पररनच्त हो गए ्े । मैंिे सोचा,
ग्या । बाद में वा्तामिलाप शुरू हुआ । उसकी भी एक छोटी लड़की होगी और नजसकी वह
चचामि के दौराि गुरुदेव िे कहा, ‘‘अब से पचास ्याद नक्या कर्ता होगा । ’’
बरस पहले जब मैंिे कहानि्यॉं नलखिा शुरू नक्या ्ा इसी ्तरह वा्तामिलाप हो्ता रहा । हम सबके
्तो इस षिेत्र में एक आध ही आदमी ्ा । मेरी प्रारंनभक नलए ्यह एक मािनसक खाद््य ्ा । आशच्यमि की बा्त
कहानि्यों में ग्ामीण जीवि के संसगमि का ही वणमिि है । ्यह नक पं ह नमिट के बजा्य चालीस नमिट हो चुके
उसके पहले इस ्तरह की कोई चीज बांगला भाषा में िहीं ्े । अब गुरुदेव उठे, चल पड़ें । जा्ते-जा्ते उ होंिे
्ी । मेरी कहानि्यों में ग्ामीण जि्ता की मिाेवृष्त्त के कहा, ‘‘ जब मैं से नकसी वा्तामिलाप के नलए कम सम्य
दशमिि हाे्ते ्े । उि कहानि्यों में कुछ सी चीज है जो दे्ता ँ ्तब मेरी वह बा्त सचमुच ठीक ि मानिएगा
संसार के नकसी भी देश के आदमी को भा सक्ती है क्योंनक मुझे सव्यं लोगों से बा्तची्त करिे में आिंद
क्योंंनक मिु ्य सवभाव ्तो दनि्या में हर जगह एक-सा आ्ता है । ’’
ही है । ’’ हम सबिे गुरुदेव को ध ्यवाद नद्या और नवदा
गुरुदेव कुछ सम्य के नलए रुके ्तभी अपिे आप ली । मैं अन्तन् गृह के मेरे कमरे मेंे वापस आ्या ।
मेरे मुँह से निकल पड़ा, ‘‘गुरुदेव अापके मि में गुरुदेव के सा् हुए वा्तामिलाप से मुझे एक असाधारण
‘काबुलीवाला’ इस कहािी का नवचार कसे आ्या उ ास की अिुभून्त हो रही ्ी । पर जब मुझे प्ता
्यह लोकनप्र्य कहािी देश के सभी भाषाओं के सभी चला नक नजस कमरेे में मुझे ठहरा्या ग्या ्ा, उसी
बच्ों को बहु्त ही प्यारी लग्ती है ।’’ कमरे में सव्यं गुरुदेव काफी सम्य ्तक रह चुके ्े ्तब
q पाठ पढ़कर सुिाऍं और दोहरवाऍं । नवद््यान्मि्यों को अपिा कोई संसमरण सुिािे के नलए कहें । उ हें िए शबदों से पररनच्त कराकर
अ्मि समझाऍं और इि शबदों का वाक्यों में प्र्योग कराऍं । उिसे गुरुदेव रवीं िा् ठाकुर जी की रचिाऍं पूछें और उिपर चचामि करें ।
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जरता सोचो .......... ब्ताओ
्यनद मैं पुस्तक हो्ता/हो्ती ्तो ......
्तो मेरी खुनश्यों का नठकािा ि रहा । आेहो मुझे ्तो ्ा । मैं सचमुच भाव नवभोर हो उठा । क्या ्यह सच
्यह भी ब्ता्या ग्या नक गुरुदेव िे ‘गी्तांजली’ का है मेरा अहोभाग्य ्ा नक मैं उसी कमरे में ठहरा ्ा
अनधकांश भाग इसी कमरे के बरामदे में बैठकर नलखा नजसमें िोबल पुरसकार प्राप्त ‘गी्तांजली’ रची गई ्ी ।
मैंने समझता
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दवचतार मंथन
।। हे नवशवनच माझे घर ।।
खोजबीन िेखें ( . . )
नीचे दिए गए नोबल पुरसकतार प्रताप्त दवभूद्यचों के दचत्र दचपकताओ । उनिें यि पुरसकतार दकसदलए प्रताप्त हुआ िरै, ब्ताओ ।
१. गुरुिेव रव नताथ टरैगोर २. सर चं शेखर वेंकटरमन ३. डॉ. िरगोदबंि खुरतानता 4. मिर टेरेसता
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गताओ आरैर समझो ः
. निी किे पर
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
जनम : 4 अगस्त १ 44, धरमपुरा, दमोह (मध्यप्रदेश) रचनताऍं : बुंदेली लघुक्ाऍं, लोकगी्त, दैनिक भासकर,
िवभार्त में बालगी्त अानद । पररचय : आप नवग्त दो दशकों से कहािी, कनव्ताऍं, व्यंग्य, लघुक्ाऍं, गजल
आनद नलख्ते हैं ।
प्रस्तु्त कनव्ता में कालपनिक प्र्तीकों के द्वारा िदी के प्रन्त बाल मिोभावों को व्यति नक्या हैं ।
q नवद््यान्मि्यों से एकल एवं सामूनहक कनव्ता पाठ कराऍं । प्रशिोत्तर के माध्यम से िदी को अपिे कधों पर ले आिे की कलपिा को सपष्
करें । उ हें बाल जग्त से संबनं ध्त अ ्य नकसी कलपिा के प्रन्त बाल मिोभाव व्यति करके प्रस्तु्त करिे के नलए प्रोतसानह्त करें ।
१8
18
सुनो, समझो और प ो ः
8. जनमदिन
-प्रेमसवरूप श्रीवास्तव
जनम : ११ माचमि १ २ , खरौिा, जौिपुर (उ.प्र.) रचनताऍं : नवनवध बालकहानि्यॉं, बालिाटक, लेख, रूपक आनद ।
पररचय : आप नपछले छह दशकों से सानहत्य सृजि से संल हैं ।
प्रस्तु्त कहािी में पािी के महत्व को ब्ताकर उसकी बच्त की ओर ध्याि आकनषमि्त नक्या है ।
मैं कौन ूँ
सूचनता, दनिदेश, अतािेश, अनुरोि, दवन्ी के वता य दवरतामदचि्न सदि् प ो और समझो :
गरमी पड़िे लगी ्ी । धीरे-धीरे उसके ्तेवर ्तीखे रह्ता । सकफूल में भी उसे अपिी इस आद्त के कारण
हो चले । सूरज आग बरसािे लगा । मगर इि सबसे डॉंट खािी पड़्ती । वह वहॉं के िल की टोंटी भी अकसर
बेखबर बबलू अपिे में ही मस्त ्ा । उसे बा्रूम में खुली छोड़ दे्ता ।
घुसे आधा घंटा हो चुका ्ा । शावर के िीचे उसकी एक पािी की ही बा्त िहीं ्ी । नबजली के सा्
धमा-चौकड़ी मची हुई ्ी । कभी ्तो वह शावर के भी ्यही हो्ता । वह कमरे में ि हो ्तब भी पंखा खुला
सा् िल की टोंटी भी खोल दे्ता । अं्त में मॉं को ही रह्ता ्तो कभी कफूलर बंद करिा भूल जा्ता । कभी वह
नच ािा पड़ा, ‘‘बबलू, क्यों इस ्तरह पािी बरबाद पढ़्ते-पढ़्ते सो जा्ता ्तब भी बलब जल्ता रह्ता । मॉं
कर रहे हो ’’ ‘‘मॉं, मैं सा कुछ भी िहीं कर रहा हूं । को ही बुझािा पड़्ता ।
मैं ्तो बस िहा रहा हूं । इस गरमी में मेरा मि ्तो कर्ता पािी हो ्या नबजली ्यािी नक जामि, दोिों का
है नक घंटों िहा्ता र ँ । ’’ बबलू बोला । भंडार सीनम्त है । दनि्या के सभी लोग सा करिे लगे
बबलू की इस आद्त से उसके मा्ता-नप्ता दोिों ्तो क्या होगा िहािा-वहािा ्तो दर, लोग एक घूँट
परेशाि ्े । वह मंजि कर्ते सम्य देर ्तक पािी बहा्ता पािी के नलए ्तरसेंगे ।
q ‘चलो, म्त रुको । चलो म्त, रुको ।’ इसी प्रकार के अ ्य वाक्य श्यामपट्ट पर नलखवाएँ । उिमें नवरामनचह्िों का उप्योग करवाएँ।
िए नवरामनचह्िों (- ्योजक नचह्ि, निददेशक नचह्ि,‘ ’ इकहरा अव्तरण नचह्ि ,‘‘ ’’ दोहरा अव्तरण नचह्ि) का प्र्योग समझाऍं ।
19
जरता सोचो ....... कताट्यन बनताओ
्यनद पािी की टोंटी बाेलिे लगी........
लेनकि ्यह बा्त बबलू की समझ में नबलकुल ि नफर पूजा की मॉं िे आर्ती उ्तारी और नमठाइ्यॉं
आ्ती । माँ और पापा दोिों ही उसमें सुधार लािा चाह्ते बॉंटी । ‘हैपपी ब्मि डे’ के बोल सभी के मुँह से निकल
्े पर उ हें कोई उपा्य िहीं सूझ रहा ्ा । पड़े । धमा-चौकड़ी के बीच बच्ों िे गुबबारे फोड़े ।
उस नदि शीला मौसी की बेटी पूजा का ज मनदि सभी गुबबारे और टॉनफ्यों पर टट पड़े । कुछ देर के नलए
्ा । उ होंिे सबको खािे पर बुला्या ्ा । शाम को सब सब गरमी की परेशािी भी भूल गए ।
उिके ्यहॉं पहँुच गए पर बबलू को वहॉं पसरा स ाटा कुछ देर बाद शीला मौसी बाेलीं, ‘‘अचछा बच्ो,
देख बड़ा आशच्यमि हुआ । मेज पर भोजि लगा हुआ अब धमा-चौकड़ी बंद करो । सबका खािा लग ग्या
्ा । गुबबारे और रंगीि झालर भी सजे हुए ्े पर कमरे है । आआे, जलदी करो ।’’ सब खािे की मेज पर पहुँच
में नबजली की रोशिी िहीं ्ी । कफूलर और पंखा भी गए । इस बीच बबलू को बहु्त जोरों से प्यास लग गई ।
िहीं चल रहे ्े । केवल दो-एक मोमबष्त्त्यों का धीमा मगर शा्यद पािी ि होिे से सभी के नगलास आधे ही भरे
प्रकाश फला हुआ ्ा । सब गरमी से परेशाि िजर आ हुए ्े । बबलू एक घूँट में ही सारा पािी गटक ग्या पर
रहे ्े । इससे उसकी प्यास िहीं बुझी । नफर भी वह खािे में
शीला मौसी िे ब्ता्या, ‘‘गरमी बढ़ जािे से बाहर जुट ग्या । दो-चार कौर भी्तर जा्ते ही उसकी प्यास
और भड़क उठी । वह प्यास से बैचेि हो उठा । गरमी
कपिी िे अपिे ्यहॉं भी आज से कटौ्ती शुरू कर दी है । अलग परेशाि कर रही ्ी । वह पािी-पािी नच ािे
आज कॉलोिी के इस बलॉक में कटौ्ती हुई है । नफर लगा । लेनकि पािी का जग खाली पड़ा ्ा ।
बारी-बारी दसरे बलॉकों में कटौ्ती करेंग,े इससे क्या शीला मौसी मुँह बिाकर बोलीं, ‘‘क्या ब्ता
हम पूजा का ज मनदि ्तो हँसी-खुशी से मिाऍंगे ही । ’’ बेटे, इस बलॉक की पािी की टंकी की सफाई हो रही
q उनच्त आरोह-अवरोह के सा् कहािी का वाचि करें और नवद््यान्मि्यों से कराऍं । कहािी में आए जीवि मूल्यों पर चचामि करें । सव्यं
के दो गुण और दो दोष ब्तािे के नलए कहें । कहािी के पात्रों के सवभाव के बारे में उिको बारी-बारी से ब्तािे के नलए प्रेरर्त करें ।
20
दवचतार मंथन
।। सौर जामि, अषि्य जामि ।।
है । कोई बा्त िहीं बच्ो, अचछा-बुरा ्तो हो्ता ही
रह्ता है ्तुम लोग खािा खाओ । अड़ोस-पड़ोस में
देख्ते हैं, कहीं-ि-कहीं से पािी ्तो नमल ही जाएगा ।’’
लेनकि इस आशवासि से बबलू को कोई राह्त
िहीं नमली । प्यास से उसका गला सूखा जा रहा ्ा ।
खािे का एक कौर भी गले से िीचे िहीं उ्तर रहा ्ा । घर पहुँचिे पर मॉं को बबलू नकसी सोच में डबा
वह प्यास से छटपटािे लगा । आज पहली बार प्यास नदखाई पड़ा । बबलू कुछ िहीं बोला । शीला मौसी के
का अिुभव करिे से ्तो उसे पािी नमलिे वाला िहीं ्ा । ्यहॉं जो घटिा हुई, वह अब भी उसकी आँखों के आगे
जैसे आज पािी को ्तो बबलू से अपिी बरबादी घूम रही ्ी । अपिे आँगि की गौरै्या की प्यास से
का जी भरकर बदला जो लेिा ्ा । अब ्तो बबलू क्या खुली चोंच । बाहर सड़क की िाली में जीभ निकाले
्तमाम बच्ों का धै्यमि जवाब देिे लगा ्ा । हॉंफ्ता हुआ टॉमी । शीला मौसी के ्यहॉं प्यास से
्तभी एक चमतकार हाे ग्या । अचािक नबजली आ सूख्ता उसका गला । पंखा-कफूलर जरा देर के नलए बंद
गई । कफूलर-पंखे चलिे लगे । कमरा नबजली की रोशिी रहिे पर बह्ता पसीिा । बहु्त कुछ । िहीं, अब वह सा
से जगमगा उठा । सभी बच्े खुशी से नच ा उठे । कुछ भी िहीं करेगा ।
मगर नबजली आिे भर से ्तो प्यास बुझिे वाली ‘‘मॉं, कल से मुझे आँगि में नकसी बर्ति में पािी
िहीं ्ी । अंकल को भी अचािक कुछ ्याद हो आ्या । भरकर रखिा है ।’’ मॉं हँसकर बोली, ‘‘्तेरे कारण पािी
वे खुशी से बोल उठे, ‘‘ अरे बच्ो, मैं ्तो भूल ही ग्या बरबाद होिे से बचे ्तब ि रखें। ’’
्ा नक बड़े वाले पािी के कफूलर में पािी भरा हुआ है ।’’ ‘‘मॉं, अब पािी की एक बँूद भी बरबाद िहीं
अगले ही पल वहॉं का दृश्य बदल ग्या । कमरा होगी,’’ बबलू आतमनवशवास से भरकर बोला ।
ठंडी हवा से भर उठा । बच्े-बड़े सब ठंडे पािी के मगर बबलू कभी ्यह िहीं जाि पा्या नक शीला
सा् चटपटे भोजि का सवाद लेिे लगे । बबलू की ्तो मौसी के ्यहॉं ज मनदि की पाटथी में जो कुछ हुआ, वह
बॉंछें ष्खल उठीं । चलिे से पहले शीला मौसी और मॉं एक िाटक मात्र ्ा । उसे सबक नसखािे के नलए । मॉं
एक-दसरे को देख कुछ मुसकुराए । इस मुसकुराहट के िे चलिे से पहले शीला मौसी को फोि पर बबलू की
पीछे नछपा रहस्य बबलू िहीं समझ पा्या । इस आद्त के बारे में ब्ता नद्या ्ा । शीला मौसी िे भी
कुछ करिे का भरोसा नद्या ्ा । उ होंिे ्यही िाटक
नक्या जो नक पूरी ्तरह काम्याब रहा ।
अब ्तो बबलू खुद भी अपिे दोस्तों को समझा्ता
है नक पािी और नबजली अिमोल हैं । इ हें भनव ्य के
नलए बचाकर रखो ।
q प्रशिोत्तर के माध्यम से नवद््यान्मि्यों से पािी, नबजली आनद का उनच्त उप्योग करािे हे्तु चचामि करें । उ हें इिकी बच्त करिे के
नलए प्रोतसानह्त करें । दैनिक जीवि में सौर जामि का महत्व और आवश्यक्ता समझाकर उसका उप्योग करिे के नलए प्रेरर्त करें ।
21
मैंने समझता
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22
सुनो, प ो और गताओ ः
९. सोई मेरी छौनता रे
- डॉ. श्रीप्रसाद
जनम : 5 जिवरी १ ३२, पारिा, अागरा (उ.प्र.) रचनताऍं : ‘ष्खड़की से सूरज’, ‘आ री’, ‘को्यल’, ‘गुनड़्या की शादी’, आनद ।
पररचय : आपिे नवपुल मात्रा में बाल सानहत्य का सृजि नक्या है ।
प्रस्तु्त कनव्ता में लोरी के माध्यम से मॉं का वातसल्य भाव प्रकट नक्या ग्या है ।
q नवद््यान्मि्यों से लोरी गवाऍं और उसका अ्मि पूछें । इसमें आए संदभमि समझाऍं अौर उसपर चचामि करें । मा्ता-नप्ता जी का महत्व
पूछें और उ हें अपिे दादी जी/ िािी जी के गुणों को उजागर करिे वाली कोई घटिा ब्तािे के नलए कहें । अ ्य लोरी सुिाएँ और गवाऍं ।
23
खोजबीन
नवनभ षिेत्रों की ‘प्र्म भार्ती्य मनहलाओं’ की सनचत्र जािकारी कापी में नचपकाओ ।
मैंने समझता
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भताषता की ओर
नहंदी-मराठी के समोच्ारर्त शबदों की अ्मि नभ ्ता ब्ताओ और नलखो ।
अधययन कौशल
अपिे पररवार का वंश वृषि ्तै्यार करो और ररश्ते-िा्तों के िाम नलखो ।
जोड़ो िमें
पेड़ के पत्चों पर दिए गए वण से संयु ताक्रयु शबि बनताओ : (आिे िताेकर, पताई िटताकर, िल लगताकर, ‘र’ के प्रकतार )
(क, फ, ग, ्त, ्, घ, ष, व, द, म, ह, ठ, ड, ट, प, र)
् म
क ्त ड प
ग व घ ट
ह ठ
द
ट ष
फ
इं िनुष
दगि्ि
लकड़बगघता ेदमंगो
टट्ट
मुगता्य
डट्म
जतानवरचों की डॉ टर कत्ता
२5
25
सवयं अधययन-१
सत
्ीस स उनित ्र
ी
उन् ताईस अड़स ्र
अट्ठ ताईस बीस सड़स ठ
सत् बीस दछयता ठ
उन्नीस स
छब ीस पैंसठ ठ
पच् ीस अठतारि चौंस
चौब स सत्रि द्रस ठ
्ेई सोलि बतासठ ठ
बताईस ीस पं ि
इकस
ठ
इ
चौिि
ीस ्ेरि अस
ता ल
च तालीस उनता सी
उन् ड़्ीस बतारि अठ सी
अ ैं्ीस गयतारि स्ि ित्र
स ्ीस दछि त्र
छत ैं्ीस पच त्र
ता
पच तास
स प ्ीस िस चौि ित्र न
चौं ैं्ीस द्ि त्र नवता बबे
उनच तालीस नौ अठ सी
अड़्ैं्तालीस
् ्ीस बित त्र स्ता तासी
बत ्ीस आठ इक ्र
स तालीस इक ित् दछय सी
दछय तालीस सता् र पचता तासी
पैं् तालीस छि चौरता सी
चव तालीस द्रता सी
्ैं् तालीस पताँच बयता सी
बय ्तालीस चतार इ य सी
इक तासी
्ीन
िो
स एक
उनस ताठ सौ नवे
ता
अट ठ दननय ठतानवे
सत् ्ठतावन अ तानवे
छ प तावन स् तानवे
पच न दछय तानवे
चौव पन पच रतानवे
द्रप न चौ रतानवे
ब न द् तानवे
इ य तावन ब तानवे
तावन इ य
26
पुनरताव््यन - १
१. वण्यमतालता सुनताअो और दवशेष वण के उच्तारण पर धयतान िो । लचों के नताम लचों के नताम
१. १.
२. दवि्यतालय के सनेि सममेलन कता वण्यन करो । २. २.
३. ३.
4. 4.
३. पसंिीिता दवषय पर दवज्तापन बनताकर उसको प ो । 5. 5.
६. ६.
4. ल- लचोंे के िस-िस नताम दलखो । . .
8. 8.
. .
5. अक्र समूि में से ष्खलतादड़यचों के नताम ब्ताओ और दलखो । १०. १०.
इ ह िा सा ल वा िे
ध्या द चं ि
व शा ध जा बा खा
ह लखा नसं नम
म री का मे
नि नम सा जामि ्या
ि र स ल ड ्तें क नच
कृद् उपक्रम
27
िेखो, समझो आरैर चचता्य करो ः
१. उपयोग िमतारे
डताकघर
सूचनता िम आपकी
बच् आपकी, आव्यक्ता
समझ्े िैं ।
प्रगद् िेश की ।
रदजसटट्ी दटकट
म नीआड्यर
ता
ब च् खता्
कड़ता ितान
q नवद््यान्मि्यों से नचत्रों का निरीषिण कराकर उिको प्रशि पूछिे के नलए कहें । बड़ों की सहा्य्ता से उ हें डाकघर में जाकर नटकट खरीदिे
्त्ा बैंक में बाल-बच्त खा्ता खुलवािे और पररनच्त डानकए, बैंक कममिचारी, िसमि, हवलदार से बा्तची्त करिे की सूचिा दें ।
२288
Xÿgar BH$mB©
बैंक
मरैनेजर
. . .
सूचनता
कदशयर
बच् खता
्ता
पूछ्ताछ
q उपरोति स्ािों की का्यमि प्रनक्र्या संबंधी जािकारी देकर चचामि करें । प्रत्यषि जाकर नवद््यान्मि्यों को वहॉं की सूचिा पढ़िे के नलए
कहें । उिसे अपिे गॉंव/शहर के महततवपूणमि स्ािों के दरधवनि क्रमांकों की सूची बिवाऍं आैर सहा्य्ता लेिे की सूचिा दें ।
29
सुनो, समझो और गताओ ः
२. ्ू तानचों से यता डरनता
- शिखा िरामा
पररचय : नशखा शमामि प्रनसद्ध कवन्यत्री मािी जा्ती हैं ।
प्रस्तु्त कनव्ता मंे मिु ्य की जुझारू वृष्त्त को दशामि्या ग्या है ।
सवयं अधययन
दचत्र िेखकर िताव-भताव की नकल करो ।
नवद््याल्य
q नवद््यान्मि्यों का ध्याि ल्यातमक्ता की ओर आकनषमि्त कर्ते हुए कनव्ता शी ्ता से कहलवाऍं । उिसे मुखर वाचि, मौि
वाचि करिे के नलए कहें, नफर िए शबदों के अ्मि पूछें । कनव्ता में आए जीवि मूल्यों पर गहि नवशलेषणातमक चचामि कराऍं ।
30
खोजबीन
भार्ती्य स्ािी्य सम्य के अिुसार देश-नवदेश के सम्य की ्तानलका बिाओ ।
धूप-छाँव जीवि का नहससा, कभी उजाला, कभी अँधरे ा,
रा्त हो चाहे नज्तिी लंबी, उसका भी है अं्त सवेरा ।
सम्य एक-सा कभी ि रह्ता, ्ोड़ा धीरज धरिा जी,
्तूफाँ ्तो आ्ते रह्ते हैं, इिसे भी क्या डरिा जी ।
मैंने समझता
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31
सुनो ्ो जरता ब्ताओ ्ो सिी
रेनड्यो पर एकाग््ता से भजि सुिो अौर दोहराओ । ‘साषिर्ता अनभ्याि’ के बारे में जािकारी ब्ताओ ।
अधययन कौशल
समाज सेवी मनहला की जीविी पढ़कर प्रेरणादा्यी अंश चुिाे और ब्ताओ ।
समझो िमें
पंचमताक्र ( , ,ण,न,म) के अनुसतार प्ंगचों में उदच् शबिचों की जोदड़यॉं दमलताओ ।
जैसे-कगिा
चंचल, जंजाल
कगिा, संघनमत्रा
पंछी, झंझा
पंख, ककाल प फ
कठ, डंडा
च छ ब भ
क ख पं री, घंटा
गंधवमि, अंदर
ग घ अंन्तम, मं्ि ज झ
म
ट ठ
्त ्
चंबल, इंफाल
ड अचंभा, चंपारि
द ध
ण
ि
32
प ो, समझो और दलखो ः
3. कठपु्ली
प्रस्तु्त कहािी द्वारा जीवि में वैज्ानिक दृष्ष्कोण को अपिा्ते हुए अंधनवशवास से दर रहिे का संदेश नद्या ग्या है ।
दवशेष्ता िमतारी
दचत्र िेखकर दवशेषणयु शबि ब्ताओ और उनकता वता यचों में प्रयोग करो ।
िि
१ली. १
३ २
शहर मेें आिंद महोतसव का आ्योजि नक्या ग्या देखिे आई ्ी । आईसक्रीम का आिंद ले्ते हुए वह
्ा । नजसमें नवनभ राज्यों की संसकृन्त एवं नशलपकला कठपु्तली के िृत्य की दकाि के सामिे सूत्रधार की
की ्त्ा अ ्य दकािें सजी हुई ्ीं । इिमें नवनवध आवाज सुिकर रुकी । वह कह रहा ्ा-
कलाओं की नवशेष्ताओं के दशमिि, खेल, प्रदशमििी, मौ्त ‘‘आओ, आओ सारे बहि-भाई
का कुआँ, छोटे-बड़े झूले, कठपु्तली का िृत्य और शकुि-अपशकुि की है लड़ाई
खािे-पीिे की दकािें आकनषमि्त कर रही ्ीं । प्रीन्त नदखाओ इसमें ्तुम च्तुराई
अपिे नमत्र ्तेजस, प्रस ा और मृ म्यी के सा् महोतसव कर लो आज मोटी कमाई । ’’
q श्यामपट्ट पर कहािी में आए नवशेषणों (काली, बहु्त, एक, ्ये ) की सूची बिाएँ और उ हें भेदों सनह्त समझाऍं । इि
शबदों का वाक्य में प्र्योग कराऍं । कहािी में आए िए शबदों के अ्मि ब्ताकर उिसे अपिे शबदों में कहािी नलखवाऍं ।
33
जरता सोचो ......... दलखो
्यनद ्तुमहें अलादीि का नचराग नमल जाए ्तो...
प्रीन्त िे देखा-बाजू में एक बोडमि रखा ्ा, नजस पर खोलकर शाम को उसमें से मोगरे ्या चमेली की कनल्यॉं
नलखा ्ा- अंदर पहँुचाई जा्ती हैं । प्र्योग के सम्य ्तक वे ष्खलकर
‘‘आइए, आइए, हमें गल्त सानब्त करके, हजार फफूल बि जा्ती हैं नजसे लोग अंधश्रद्धा समझ्ते हैं, से
रुपए ले जाइए ।’’ प्रीन्त िे सोचा ्यह कौि-सा बड़ा ही बाल आनद का प्र्योग कर लोगों को डरा्ते हैं ।’’
काम है चलो, आज आजमा्ते हैं । प्रीन्त अपिे नमत्राें के इ्तिा कह्ते ही सभी कठपु्तनल्याँ कमर मटका्ती हुई
सा् अंदर गई ्तो देख्ती क्या है, कुछ कठपु्तनल्यॉं गािे लगीं-
रंग-नबरंगे पहिावे पहिकर आँखें मटका्ती हुई इधर से ‘‘देखो, देखो सारे बहि-भाई
उधर आ जा रही ्ीं । लोगों का सवाग्त कर्ती हुई शकुि-अपशकुि की है लड़ाई
सूत्रधार के वाक्य को दोहरा रही ्ीं । आवाज ्तो िारर्यल िे जो खूबी नदखाई,
नवद््यान्मि्यों की है पर लग्ता है नक कठपु्तनल्यॉं बोल देखो सभी के सामिे आई । ’’
रही हैं । ्तभी एक काली नब ी इि कठपु्तनल्यों के
्तभी एक कठपु्तली हा् में एक िारर्यल लेकर सामिे से भागी और सारी कठपु्तनल्यॉं नठठककर खड़ी
आई और कहिे लगी -‘‘बहिो और भाइ्यो ्त्ा सा् हो ग । उिमें से एक मुंह पर हा् रखकर बोली-
में आई भानभ्यो, िमसकार, प्रणाम, वेलकम नकसी ‘‘हा्य, हा्य लो, अब ्तो हो ग्या का्यमिक्रम का
भी िए का्यमि का प्रारंभ िारर्यल फाेड़कर नक्या जा्ता बंटाधार ।’’ दसरी कठपु्तली बोली-‘‘क्यों, क्या हुआ
है । आइए, हम भी अपिे का्यमिक्रम का प्रारंभ िारर्यल बहिा ।’’ पहली कठपु्तली बोली-‘‘अरे, देखा िहीं,
फोड़कर कर्ते हैं ’’ उसिे जाेर से िारर्यल को जमीि पर काली नब ी िे रास्ता काटा ।’’ ्तभी सूत्रधार िे प्रवेश
पटका । अरे ्ये क्या िारर्यल में से फफूल आशच्यमि कर ब्ता्या, ‘‘देखाे, नब ी को वहॉं उसका नप्र्य
चनक्त होकर कठपु्तली बोली-‘‘देखो, देखो खाद््य चूहा नदखा । नजसे देख नब ी उसे पकड़िे को
अंधनवशवास ,िारर्यल से फफूल निकले ।’’ इसपर लपकी । उसिे जाि-बूझकर ्तुमहारा रास्ता िहीं काटा
सूत्रधार बोला-‘‘देखाे नमत्रो, ्यह है हा् की सफाई । है ।’’ सूत्रधार के इ्तिा कह्ते ही कठपु्तनल्यॉं आकर
सूत्रधार िे ब्ता्या नक िारर्यल में ्तीि छेद (आँखें) हो्ते गािे लगीं -
हैं, उिमें से नकसी एक छेद को सलाई की सहा्य्ता से ‘‘देखो, देखो, सारे बहि-भाई
शकुि-अपशकुि की है लड़ाई
नब ी मौसी जब सामिे आई,
भगदड़ सबिे खूब मचाई । ’’
सारे दशमिक ्तानल्यॉं बजािे लगे । ्तभी एक
कठपु्तली आ छीं, आ छीं कर छींक्ते हुए आई ।
एक बार नफर िाच्ती हुई सारी कठपु्तनल्यॉं डरकर रुक
ग । ्तभी दसरी बोली-‘‘अरे रे नफर अपशकुि हो
ग्या। आज ्तो सचमुच ही हमारा का्यमिक्रम िहीं होगा ।
q नवद््यान्मि्यों से कहािी पढ़वाऍं और प्रशि बिाकर एक-दसरे से पूछिे के नलए कहें । उिसे अंधनवशवास पर चचामि कराऍं । इ हें
दर करिे के उपा्यों को खोजकर उसपर अमल करिे के नलए कहें । कोई का्यमि पूरा होिे ्या ि होिे के कारणों पर चचामि करें ।
३4
34
सवयं अधययन
उपलबध सामग्ी से कठपु्तली बिाओ और नकसी का्यमिक्रम में उसका मंचि करो ।
चलो, चलो ।’’ ्तभी सूत्रधार उ हें रोक्ते हुए बोला- ‘‘देखो, देखो, सारे बहि-भाई
‘‘दोस्तो, हम भी ्यही कर्ते हैं और अपिे का्यमि को शकुि-अपशकुि की है लड़ाई ।
सम्य पर करिे की बजा्य ्या ्तो उसे नवलंब से कर्ते हैं छींकों िे जब होड़ मचाई,
्या कर्ते ही िहीं । पररणाम का्यमि की अपूणमि्ता और िाम काम की गन्त क्यों हमिे रुकाई ’’
शकुि-अपशकुि का ।’’ सूत्रधार अभी बा्त ही कर रहा अब दशमिक भरपूर मजा लेिे लगे । सूत्रधार बोला-
्ा नक वह कठपु्तली नफर से छींकी- आ छीं । सूत्रधार ‘‘नमत्राे, आपिे देखा, हर घटिा के पीछे कोई-ि-कोई
िे उस कठपु्तली से पूछा-‘‘बहिा, कहॉं से आ रही वैज्ानिक ्या व्यावहाररक कारण हो्ता है, नजसे हम
हो ’’ कठपु्तली बोली-‘‘भै्या, पासवाली ल ि शकुि-अपशकुि का िाम देकर सम्य पर अपिा काम
च ी की गली से । ’’ ्तब सूत्रधार हँस्ते हुए बोला, िहीं कर्ते हैं । नजसका असर हमारे काम पर पड़्ता है ।
‘‘आज ल ि की च ी पर हररनकशिदास के ्यहॉं उनच्त फल हमें िहीं नमल्ता है । अ्त अापसे प्रा्मििा है
की शादी की नमरची नपसाई जा रही है । जो भी उस गली नक कृप्या कुप्र्ा से बचें ।’’ अं्त में सभी कठपु्तनल्यॉं
से गुजर्ता है, से ही छींक्ता हुआ आ रहा है ।’’ एक सा् मंच पर आकर गािे लगीं-
इधर सूत्रधार बा्त कर ही रहा ्ा नक ्तभी दसरी ‘‘देखो-देखो सारे बहि-भाई
कठपु्तली भी छींक्ती हुई बड़बड़ा्ती हुई आई, ‘‘आज करो शकुि-अपशकुि की खतम लड़ाई
प्ता िहीं ल ि क्या पीस रहा है सारा मोह ा ही घर-घर नवज्ाि िे रोशिी फलाई
छींक रहा है ।’’ इ्तिा सुििा ्ा नक सारी कठपु्तनल्यॉं जि-जि के मि से अंधश्रद्धा भगाई ।’’
िाचकर गािे लगी - इस मजेदार बा्त को लेकर प्रीन्त बड़ी ही खुश
हुई । वह अब घर जाकर बुआ से ब्ताएगी, ‘‘नवशवास
करो, अंधनवशवास िहीं ।’’
मैंने समझता
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दवचतार मंथन
।। नवज्ाि का फलाओगे प्रकाश ्तो होगा अंधनवशवास का िाश ।।
नीचे िी गई संज्ताओं कता वता यचों में प्रयोग करो । नीचे दिए सव्यनतामचों के दचत्र िेखो, पिचतानो और वता यचों
में प्रयोग करो । (्ुम, कोई, िम, आप)
36
सुनो, समझो और प ो ः
4. सोनता और लोिता
- रारेशवरदयाल दुबे
जनम : २१ जूि १ ०8 उ. प्र. मृतयु २4 जिवरी २०११ रचनताऍं : ‘अनभलाषा’, ‘चलो-चले’, ‘डाल-डाल के पंछी’,‘ मॉं ्यह कौि’,
‘फफूल और काँटा’ आनद । पररचय : आप प्रनसद्ध बाल सानहत्यकार हैं ।
प्रस्तु्त संवाद में रूप-रंग की अपेषिा सद्गुणों के महत्व पर जोर नद्या ग्या है ।
अधययन कौशल
नवनभ धा्तुओं के िाम और उिसे बििे वाली वस्तुऍं नलखो ।
सोनता ः मैं सवणमि, मैं सोिा, मेरी भी क्या शाि है नजसे देखो, मुझे चाह्ता है मेरे गुण ही से हैं ।
लोिता ः िमस्ते क्या कह रहे ्े - मेरा रूप ही सा है, मेरे गुण ही से हैं
सोनता ः मैं क्या झूठ बोल रहा हँू मेरा चमक्ता पीला रंग देख संसार में मैं सबसे संुदर ं ।
लोिता ः सोिे, पहले ्यह ्तो ब्ता नक ्तू न्तजोरी से बाहर क्यों आ्या लाख बार कहा नक ्तेरा बाहर आिा
ख्तरे से खाली िहीं, मगर ्तू माि्ता ही िहीं । ्तेरी रषिा का भार मुझपर है।
सोनता ः राजा की रषिा उसके िौकर-चाकर कर्ते ही हैं ।
लोिता ः अचछा, ्तू राजा और मैं िौकर मेरे एक चाँटे से ्तेरा रूप बदल जाएगा । चल भी्तर ।
सोनता ः भले ही ्तुम मुझसे बड़े हो, मगर मुझे डाँटिे का ्तुमहें कोई अनधकार िहीं । मेरे दस ग्ाम का मूल्य
पच्ीस हजार ्तो ्तुम पच्ीस-्तीस रुप्यों में नकलो के हो ।
लोिता ः रुप्यों में नकसी वस्तु का मूल्य लगािा व्य्मि है । देखिा ्यह चानहए नक कौि नक्तिा उप्योगी है ।
सोिे से पेट िहीं भर्ता । मैं सबका हा् बँटा्ता ँ ।
सोनता ः अरे, लोहे से कसे पेट भर्ता है
लोिता ः मैं अगर ि रहँू, ्तो नकससे बिेगा फावड़ा, कुदाल, खुरपी मकाि बिािा हो, ्तो लोहा चानहए ।
्युद्ध में लोहे के ही असत्र-शसत्र काम दे्ते हैं । कोई बड़ा काम करिा हो, लोहे के नबिा हो ही िहीं
सक्ता । रोनट्याँ भी लोहे के ्तवे पर ही सेंकी जा्ती हैं । सभी कुछ लोहे से बि्ता है ।
सोनता ः अँगूठी, माला, बाली लोहे से िहीं बि्ते । उसके नलए मेरी ही ्तलाश हो्ती है । मैं राजा-
महाराजाआें, धनिकों का प्यारा हँू । मैं ची जगह रह्ता हँू , िीचे िहीं उ्तर्ता ।
q संवाद का आदशमि वाचि करें । मुखर वाचि करवाऍं । नमत्र के कौि-से गुण आपको अचछे लग्ते हैं पूछें । खेल भाविा के अिुसार अचछे
गुण सवीकार करिे और दोषों को दर करिे के नलए कहें । संवाद में आए कारकों का वाक्य प्र्योग कराऍं ।
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दवचतार मंथन
।। आराम हराम है ।।
लोिता ः ्तू राजाओं-धनिकों का प्यारा है, मैं नकसािों-मजदरों का प्यारा हँू । गरीबों की सेवा करिे में मुझे
सुख नमल्ता है । राजाओं के नदि लद गए अब ्तो श्रनमकों के नदि हैं ।
सोनता ः मुझसे ्तो मेहि्त िहीं हो्ती । मैं ्तो आराम से रह्ता आ्या हँू और रहिा चाहँूगा ।
लोिता ः आराम हराम है । श्रम में ही जीवि की सफल्ता है, ्तुमिे देखा है, मैं नक्तिा काम कर्ता हँू । मैं
कल-कारखािों में नदि-रा्त काम कर्ता हँू । जो काम करेंगे, उ हीं का सममाि होगा ।
सोनता ः ्तो मेरा अब क्या होगा, दादा, मुझे घबराहट हो रही है ।
लोिता ः ्तू डाल-डाल मैं पा्त-पा्त, डर म्त सोिे मैं सदा ्तेरी रषिा कर्ता आ्या हँू, आगे भी करूँगा,
मगर अब ्तू घमंड करिा छोड़ दे ।
सोनता ः छोड़ दँूगा भै्या, मगर मेरी रषिा करिा ।
लोिता ः अचछा, अचछा ्तू मेरा छोटा भाई है ि । चल भी्तर चल, नबिा पूछे बाहर म्त आिा।
मैंने समझता
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सुनो ्ो जरता ब्ताओ ्ो सिी
बस/ रेल स्ािक की सूचिाऍं ध्यािपूवमिक सुिकर सुिाओ । ्मामिमीटर में नकस धा्तु का प्र्योग हो्ता है, ब्ताओ ।
दनमनदलष्ख् शबिचों कता रोमन दलदप में दल यं्रण करो । दनमनदलष्ख् कतारकचों कता अपने वता यचों में प्रयोग करो ।
धिुष
िेवला िे ---------------------
महल
---------------------
को
---------------------
से
हा्ी नलप्यं्तरण कुसथी
को ---------------------
से ---------------------
अरे ---------------------
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समझो और ब्ताओ ः
5.(अ) यता ्ुम जतान्े िो
१. भार्त में सबसे अनधक जिसं ्या वाला शहर ६. भार्त का राष्ट्री्य मािक सम्य नकस शहर में
कौि-सा है मािा जा्ता है
२. नवशव का प्र्म नवशवनवद््याल्य कौि-सा है . भूभाग की दृष्ष् से भार्त का सबसे बड़ा और
३. अं्तरराष्ट्री्य मनहला नदवस कब मिा्या सबसे छोटा राज्य कौि-सा है
जा्ता है 8. भार्त का संनवधाि बिािे में नक्तिा सम्य लगा
4. नवशव का सबसे बड़ा जीव कौि-सा है . भार्त में नक्तिे राज्य और नक्तिे क शानस्त
5. नकस ग्ह को ‘‘भोर का ्तारा’’ कह्ते हैं प्रदेश हैं
१०. नवशव में सबसे चाई पर कौि-सी सड़क है
q नवद््यान्मि्यों से उपरोति जािकारी पर चचामि करें । उिसे सी अ ्य जािकारर्यों का संग्ह कराऍं ।
आवश्यक्तािुसार अ ्य नवष्य नशषिकों की सहा्य्ता लें । उ हें प्रशि मंच का आ्योजि करिे के नलए कहें ।
(ब) पिेदलयॉं
जल में, ्ल में रह्ता,
वषामि ्तु का गा्यक ।
कहो कौि टरमि-टरमि कर्ता,
इधर-उधर फुदक-फुदक ।
अधमिचक्र और स्तरंगी,
िभ में बादल का संगी ।
कहो कौि, जो शां्त मिोहर,
रंग एक है, नजसमें िारंगी ।
q नवद््यान्मि्यों से पहेनल्यों का मुखर और मौि वाचि करवाऍं। उपरोति पहेनल्यॉं बूझिे एवं उिके हल चौखट में नलखिे के नलए कहें ।
कषिा में अ ्य पहेनल्यॉं सुिाऍं और बुझवाऍं । उ हंे अ ्य पहेनल्याँ ँूढ़िे के नलए प्रेरर्त करें ्त्ा उिका संग्ह करवाऍं ।
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प ो और समझो ः
६. सवतास य संपिता
- र ा रा ां री
जनम : २ अतिूबर १8६ , पोरबंदर, गुजरा्त, मृतयु : ३० जिवरी १ 48 पररचय : आप ‘राष्ट्रनप्ता’ की उपानध से जािे जा्ते हैं ।
प्रस्तु्त पत्र में ्यह ब्ता्या ग्या है नक खुली हवा में नि्यनम्त रूप से व्या्याम ्त्ा सम्य पर नक्या ग्या सं्तुनल्त भोजि ही सवस्
जीवि की पूँजी है ।
कताय्य िमतारता
दचत्र िेखकर दक्रयतायु शबिचों से वता य बनताओ ।
्येरवडा मंनदर
8-११-३२
नच. जमिालाल,
्तुमहारा पत्र अभी मेरे हा् लगा, सुिा और उसका जवाब नलख रहा ँ । ्तुम चाह्ते हो वे सब अाशीवामिद
टोकरर्यों में भर ्तुमहारे ज मनदवस पर ्तुमहें नमलें । ्तुमहारे सवास ्य के संबंध में सब कुछ जाििे के बाद भी जो नवचार
मैंिे ब्ताए हैं, उिपर मैं सव्यं दृढ़ ँ । ्तुमको अपिे खचमि से भोजि प्राप्त करिे की छट्टी नमल सके ्तो उसे प्राप्त करिे
में कोई दोष िहीं समझ्ता । शरीर को एक अमाि्त समझकर ्य्ासंभव उसकी रषिा करिा रषिक का धममि है । मौज-
मजे के नलए गुड़ की एक डली भी िा माँगो, ि लो परं्तु औषनध के ्तौर पर महँगे-से-महँगे अंगूर भी नमल सक
्तो प्राप्त करिे में कोई बुराई िहीं नदखाई दे्ती । इसनलए एेसे भोजि को ग्हण करिे में उद्वेग की आवश्यक्ता
q पत्र में आए हुए नक्र्या शबदों (नप्यो, हो्ते हैं, नमल सक, ्े, खा्या, ष्खला्या, ष्खलवा्या) को श्यामपट्ट पर नलखकर नवद््यान्मि्यों
से इसी प्रकार के अ ्य शबद कहलवाऍं । उ हें नक्र्या के भेद प्र्योग द्वारा समझाएँ । दृढ़ीकरण होिे ्तक अभ्यास करवाऍं ।
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सवयं अधययन
डाक नटकटोें का संकलि करके प्रदशमििी का आ्योजि करो ।
िहीं । सी ही ष्स्न्त में दसरों को भी सा खािा ष्खला्या जा सके ्तो ष्खलािा चानहए । मेरी दृष्ष् में नज्तिे गे ँ
नमल्ते हैं, उ्तिे खािे की जरूर्त िहीं । गुड़ को नबलकुल छोड़ देिा उनच्त माि्ता ँ । ्तुमहारे शरीर को गुड़ की जरा
भी आवश्यक्ता िहीं । इसके बदले निद ष, शुदध् शहद लेिा अनधक अचछा है परं्तु जब ्तक मीठे फल नमल सक्ते
हैं, उसकी भी जरूर्त िहीं । दध की मात्रा बढ़ािा अचछा है ।
जै्तूि के ्तेल की जगह मकखि ले्ते हो, ्यह ठीक ही है । मकखि में जो नवटानमि हाे्ते हैं, वे जै्तूि के ्तेल में
िहीं हो्ते । साग में हरी सबजी होिी चानहए । आलू वगैरह लगभग रोटी का स्ाि ले्ते हैं । इिमें सटाचमि हाे्ता है ।
्तुमको सटाचमि की कम-से-कम जरूर्त है और नज्तिी होगी, वह सब गे ँ से पूरी हो जाएगी । मकखि, दध काफी
है । इसके घटािे-बढ़ािे का आधार वजि के पर है। वजि के ष्स्र हो जािे ्तक और हजम हो्ता रहे, ्तब ्तक
मकखि की अ्वा दध की ्या दोिों की मात्रा बढ़ा्ते जािा चानहए । ्तरकारर्यों में लौकी ्त्ा नभ -नभ प्रकार
की सष्बज्याँ, फफूलगोभी, पत्तागोभी, नबिा बीज की सेम, बैंगि इि सबकी नगि्ती अचछी, हरी सष्बज्यों में हो्ती है ।
गे ँ का आटा चोकर नमला हुआ होिा चानहए । ्यनद गे ँ नबलकुल साफ करके पीसा ग्या हो ्तो उसका कोई भी
अंश िहीं फकिा चानहए ।
फल में ्ताजे अंगूर, मौसंबी, सं्तरा, अिार, सेब, अि ास लेिे ्योग्य हैं । आजकल जो प्र्योग अमेररका में हो
रहे हैं, उससे मालूम हो्ता है नक एक ही सा् बहु्त-सी चीजें िहीं नमला देिी चानहए । फल अकेला ही खािे से
उसके गुण बढ़्ते हैं । भूखे पेट खािा ्तो सव त्तम है । अंग्ेजी में कहाव्त भी है नक सुबह का फल सोिा है और
दोपहर का चॉंदी है, इसनलए पहला खािा अकेले फल का होिा चानहए । क्या ्तुम सुबह गममि पािी पी्ते हो सुबह
गममि पािी नप्यो ्तो हजमि िहीं । ्तुमको चौबीसों घंटे खुली हवा में रहिे की इजाज्त नमल सक्ती हो ्तो लेिी
q इस अिौपचाररक पत्र के नकसी एक पररचछेद का उनच्त उच्ारण के सा् आदशमि वाचि करके मुखर वाचि कराऍं । िए शबदों का
श्रु्तलेखि करवाएँ । उ हें पत्र लेखि नवनध की जािकारी दें और उसके प्रकारों को समझाऍं । अ ्य औपचाररक पत्र पढ़िे के नलए दें ।
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जरता सोचो .....दलखो
्यनद भोजि से िमक गा्यब हो जाए ्तो...
चानहए । खुली हवा में रोज धीरे-धीरे प्राणा्याम कर सको ्तो अचछा है ।
रा्त की सदथी से डरिे की नबलकुल जरूर्त िहीं । कबल गले ्तक अचछी ्तरह ओढ़ नल्या हो और नसर ्त्ा
काि पर कपड़ा लपेट लो ्तो नफर कोई हानि िहीं । चौबीसों घंटे शुद्ध-से-शुद्ध हवा शवास के नलए फेफड़ों में
जाए, ्यह अन्त अावश्यक है । सुबह की धूप सहि हो सके ्तो इस ्तरह शरीर को खुली हवा में नज्तिा खुला रख
सको, उ्तिा रखिा चानहए ।
माधव जी की गाड़ी ्तो ठीक चल ही रही है । वहाँ जो सा्ी रह्ते हों अौर जो आवें सो हम ्तीिों का ्य्ा्योग्य
आशीवामिद पावें ।
बापू के आशीवामिद
मैंने समझता
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सुनो ्ो जरता ब्ताओ ्ो सिी
दरदशमिि और रेनड्यो के का्यमिक्रम देखाे, सुिो और सुिाओ । सं्तुनल्त आहार पर पॉंच वाक्य बोलो ।
भताषता की ओर
निमि नवशेषण शबदों के अपिे वाक्यों में प्र्योग करके उिके प्रकार नलखो ।
पॉंच ्यही
कुछ मीठी
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सीखो, बनताओ और उपयोग करो :
7. कतागज की थरैली
- रा श्री भय
सतामग्री- पुरािा समाचार पत्र, कची, गोंद, सकेल, पेष् सल
दवदि - १. सवमिप्र्म पुरािे समाचारपत्र का एक प ा लो ।
२. उसके लंबाईवाले भाग की ओर से उसे दो इंच में मोड़ो ।
३. उसी प े को चौड़ाईवाले भाग की ओर से एक इंच मोड़ो ।
4. ्तै्यार प े को दो बराबर भागों में मोड़कर नवभानज्त करो ।
5. नवभानज्त प ों को नफर चार भागों में पुिनवमिभानज्त करो ।
६. अब आखरी दोिों ओर के भागों से एक इंच दाऍं और एक इंच बाँए रेखा खींचो ्त्ा उसे
नवपरी्त नदशा में मोड़ो ।
. अब िीचे से मोड़कर उसे नचपकाओ ्त्ा उसे लेस, मो्ती, रंगीि कॉंच से सजाआे ।
सकेच पेि से उसपर अपिी पसंद के अिुसार नचत्र बिाकर रँगो ।
8. अं्त में दोिों ओर डोरी डालकर आकषमिक बिाओ ।
२ इंच
१ इंच
१ २ ३
बाँए १ इंच
5 ६
4
8
मोड़कर नचपकाओ
q नवद््यान्मि्यों से कृन्त पढ़वाऍं और चचामि कराऍं । उिसे कृन्त करवाऍं । इसी प्रकार की अ ्य कोई उप्योगी वस्तुएँ बिािे और उसकी
नवनध नलखिे के नलए कहें । उ हें दैनिक व्यवहार में कागज की ्ैली का उप्योग करिे के नलए प्रोतसानह्त करें ।
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प ो, समझो और दलखो ः
8. टीट और दचंकी
- डॉ. शवरला भंडाररी
पररचय : आप संवेदिा से कहािीकार, मि से बाल सानहत्यकार और सनक्र्य्ता से सामानजक का्यमिक्तामि है ।
प्रस्तु्त कहािी में ्यह ब्ता्या ग्या है नक हमें सदैव नमलजुलकर रहिा चानहए ्त्ा संकट के सम्य एक दसरे का सा् देिा चानहए ।
मैं कौन
दचत्रचों के आितार पर वता य बनताओ :
टीट नगलहरी और नचंकी नचनड़्या दोिों पड़ोनसि भला हम जूठे फल क्यों खाएँ जबनक पेड़ हमारा है ।’’
्ीं । टीट का घर पेड़ की खोखल में ्ा और नचंकी का टीट के बच्े नमंट िे कहा । ‘‘्तुम कसे कह सक्ते हो
घोंसला पेड़ की शाखाओं पर। नचंकी जब दािा चुगिे नक ्यह पेड़ ्तुमहारा है ’’ नचंकी के बच्े ररंकी िे प्रशि
जा्ती ्तब टीट सभी बच्ों का ध्याि रख्ती । एक नदि नक्या ।
बच्े आपस में झगड़िे लगे। टीट के बच्ों का कहिा ‘‘हम पेड़ के ्तिे में रह्ते हैं । हमारा ज म इसी
्ा नक पेड़ उिका है । नचंकी के बच्े भी ्यही बा्त खोखल में हुआ । पेड़ का ्तिा हमारा ्तो शाखाऍं भी
दोहरा रहे ्े नक पेड़ उिका है । लड़्ते-लड़्ते बच्ों में हमारी । शाखाऍं हमारी ्तो फल भी हमारे ।’’ टीट के
झगड़ा बढ़ ग्या। ‘‘हम पड़ोसी हैं । हमें नमल जुलकर बच्ों िे जवाब नद्या। ्यह सुि नचंकी के बच्े फफूरमि
रहिा चानहए...’’ टीट उ हें समझािे लगी ‘‘नक्तु माँ से उड़कर शाखाओं पर जा बैठे अौर कहिे लगे ‘‘पेड़
नचंकी नचनड़्या के बच्े फलों को जूठा कर दे्ते हैं । हमारा है । इसकी टहनि्यों पर हमारा बसेरा है । इसपर
q नवद््यान्मि्यों से नचत्राें के अाधार पर प्रशि पूछें । वाक्य बिािे की प्रनक्र्या एवं रचिा के आधार पर वाक्यों के प्रकार (सरल, सं्यति
ु ,
नमश्र वाक्य) उदाहरण सनह्त समझाऍं । कहािी से इस प्रकार के वाक्य ँढ़कर नलखवाऍं, ्त्ा दृढ़ीकरण होिे ्तक अभ्यास करवाऍं ।
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खोजबीन
नवलुप्त हो्ते हुए प्रानण्यों ्त्ा पनषि्यों की जािकारी प्राप्त करके सूची बिाओ ।
हमारा िीड़ बिा हुआ है नजसमें हमिे आँखें खोलीं। हम को ँक नद्या । जैसे-्तैसे रा्त बी्ती । सुबह पौ फटिे
्तुमहें टहनि्यों ्तक िहीं आिे देंगे और ि ही इसके फल के बाद हमिे राह्त की सॉंस ली । ्तब से अब ्तक हम
खािे देंगे ।’’ टीट नगलहरी ्यह सुि बड़ी परेशाि हुई । अचछे पड़ोनस्यों की ्तरह आपस में मदद कर्ते आए
बच्े लड़ाई पर उ्तारू ्े और एक-दसरे को पेड़ से हैं । ्तब हमिे समझ नल्या नक अकेला चिा भाड़ िहीं
भगािा चाह्ते ्े । फोड़ सक्ता ।’’
टीट नगलहरी उ हें समझािे लगी-‘‘बच्ो, बा्त बच्े कहिे लगे, ‘‘नचंकी नचनड़्या को ्यह पेड़
उस सम्य की है जब ्तुम लोगों का ज म हुआ ही ्ा छोड़िा होगा । अपिे बच्ों के सा् कहीं ओर चली
और नचंकी िे अंडे नदए अभी एक नदि भी िहीं गुजरा जाए ।’’ नचंकी के बच्े भी ्यही बा्त अपिी मॉं के
्ा नक आसमाि में अँधेरा छा ग्या । ्तेज हवाऍं चलिे सामिे दोहरा रहे ्े। दोिों की मा्ताऍं समझा-समझाकर
लगी । डर के मारे नचंकी शोर मचािे लगी। उसे डर ्ा ्क ग पर बच्े िहीं मािे । अपिी-अपिी नजद पर
नक शाखाऍं नहलिे से उसका घोंसला िीचे नगर जाएगा । अड़े रहे। अं्त में टीट और नचंकी दोिों िे पेड़ छोड़िे
नफर उसमें रखे अंडें भी नगरकर फफूट जाऍंगे । ्तब मैंिे का मि में नवचार बिा नल्या । उधर नबल में नछपा सॉंप
और नचंकी िे नमलकर अंडों को खोखल में सुरनषि्त रख कब से ्यह ्तमाशा देख रहा ्ा । आज उनच्त माैका
नद्या । अभी कुछ देर हुई ्ी नक पािी बरसिे लगा । देखकर वह बाहर निकला और पेड़ पर चढ़िे लगा ।
पािी इ्तिा बरसा नक िीचे बह्ता हुआ पािी उसिे सोचा, पहले नगलहरी के बच्ों को निगलेगा ।
हमारे घर ्तक पहुँचिे लगा। हमें नफर नचं्ता होिे लगी । ्तभी नचनड़्या िे देख नल्या । वह जोर से नच ाई,
हमारा घर डब ग्या ्तो ्यह पािी बच्ों, अंडाें को बहा ‘‘सावधाि टीट बहि, सॉंप पर आ रहा है । अपिे
ले जाएगा । ्तब मैंिे और नचंकी िे नमलकर सभी को बच्ों को बचािा । उ हें मेरे घोंसले में नछपा दो ।’’
घोंसले में पहुँचा्या नफर हम दोिों िे पत्तों से घोंसले कहिे के बाद वह पेड़ के ्तिे पर चोंच मारिे लगी ।
q नवद््यान्मि्यों संंे कहािी का मुखर वाचि करवाऍं । कहािी के पात्रों के बारे में पूछ,ें चचामि करें । उिसंंे अपिे शबदों में कहािी कहलवाऍं
्त्ा कहािी से प्राप्त होिे वाली सीख ब्तािे के नलए कहें । उ हें अभ्यार ्य की जािकारी दें ्त्ा उिसे अभ्यार ्यों की सूची बिवाऍं ।
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दवचतार मंथन
।। जीवद्या ही भू्तद्या है ।।
लगी । जहॉं-जहॉं नचंकी की चोंच लगी पेड़ से गाढ़ा ्क-हारकर सॉंप वापस नबल में लौट ग्या ।
नचपनचपा दध बहिे लगा। नचपनचपे गोंद के कारण टीट और नचंकी के बच्ों िे एक्ता की ्ताक्त
सॉंप का पेड़ पर चढ़िा मुष्शकल होिे लगा । इधर टीट को देख नल्या ्ा और सा् ही में पड़ोसी धममि को
िे एक-एक कर सभी बच्ों को नचंकी के घोंसले में भी समझ नल्या ्ा । अब उ हें मॉं के समझािे की
पहुँचा नद्या । नचंकी के सा् उसके बच्े भी मदद जरूर्त िहीं ्ी । वे जाि गए नक एक और एक ग्यारह
कर रहे ्े । हालाँनक अभी उिकी चोंचें िरम ्ीं । हो्ते हैं ।
मैंने समझता
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सवयं अधययन
‘दरदशमिि चैिल’ पर नदखाए जािे वाले नकसी अिोखे जीव की जािकारी प्राप्त करो ।
अधययन कौशल
दचत्रचों को पिचतानकर जलचर, नभचर, थलचर और उभयचर प्रतादणयचों में वगथीकरण करो ।
........................
........................
........................
जलचर
........................
........................
........................
........................
........................
........................
उभ्यचर
्लचर
प्राणी
िभचर
........................
........................
........................
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प ो, समझो आरैर गताओ ः
९. वि िेश कौन-सता िरै
- रार रेि श ा री
जनम : 4 माचमि १88 मृतयु : १६ जिवरी १ ६२ रचनताऍं : ‘नमलि’, ‘सवपि’, ‘पन्क’, ‘मािसी’ आनद कृन्त्यों के अन्तररति आपिे
बालोप्योगी सानहत्य भी नलखा है । पररचय : आप राष्ट्री्य-सांसकृन्तक काव्यधारा के प्रमुख कनव हैं ।
प्रस्तु्त कनव्ता में भार्त की मनहमा एवं उसकी सुंदर्ता काे ब्ता्या ग्या है ।
q नवद््यान्मि्यों से कनव्ता को हाव-भाव के सा् सामूनहक गवाऍं । भावा्मि समझाकर अ्मि पूछें । उिमें देशप्रेम की भाविा को नवकनस्त
करें । कनव्ता में आए काल (्ा, है, रहेगा) समझाऍं । काल के भेदों सनह्त अ ्य वाक्य कहलवाऍं और दृढ़ीकरण करवाऍं ।
5०
50
जरता सोचो ..... ब्ताओ
्यनद नहमाल्य की बफ नपघलिा बंद हो जाए ्तो .....
मैंने समझता
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सुनो ्ो जरता ब्ताओ ्ो सिी
देशभष्ति पर आधारर्त कनव्ता सुिो और सुिाओ । अपिे पररवेश में शांन्त नकस प्रकार स्ानप्त की जा सक्ती है ।
सवयं अधययन
िमें जतानो
मताग्य पर चल्े हुए ्ुमने कछ यता्तायता् संके् िेखे िचोंगे । इन सतांकेद्क दचि्नचों कता यता अथ्य िरै, दलखो :
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सवयं अधययन-२
दचत्रवताचन करके अपने शबिचों में कितानी दलखो और उदच् शीष्यक ब्ताओ :
q नवद््यान्मि्यों से पर नदए गए नचत्रों का क्रमािुसार निरीषिण कराऍं । नचत्र मेें कौि-कौि-सी घटिाऍं घटी होंगी, उ हें सोचिे के नलए
कहंे । उ हें अ ्य नचत्रों एवं घटिाओं के आधार पर कहािी नलखिे के नलए प्रेरर्त करें और उनच्त शीषमिक देिे के नलए कहें ।
5३
53
* nwZamdV©Z - 2 *
१. शताक (पत्चोंवताली) और सष्बजयचों के पताँच-पताँच नताम सुनो और सुनताओ ।
मी भा हो भा
िी से ज नभ र
मं बं जू स ल
सक रा ्यमि भा चा
जे. क म ला ए. पी.
जा अ ि मम की ल
िा व क ला चा लप
कृद् उपक्रम
अपने बतारे में इस वष्य ्ुम सप्तताि में एक दिन प ी हुई सतामग्री की
भताई बिन कौन-सता दवशेष कताय्य कितादनयॉं दव्लेषणतातमक
से सुनो । करोगे, ब्ताओ । प ो। प्रस्ुद् करो ।
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िो शबि
्यह पाठ््यपुस्तक नवद््यान्मि्यों के पूवमि ज्ाि को दृष्ष् में रख्ते हुए भाषा के िवीि एवं व्यावहाररक
प्र्योगों ्त्ा नवनवध मिोरंजक नवष्यों के सा् आपके सममुख प्रस्तु्त है । पाठ््यपुस्तक को स्तरी्य
(ग्ेडेड) बिािे हे्तु दो भागों में नवभानज्त कर्ते हुए उसका ‘सरल से कनठि की ओर’ क्रम रखा ग्या है ।
्यहाँ नवद््यान्मि्यों के पूवमि अिुभव, घर-पररवार, पररसर को आधार बिाकर श्रवण, भाषण-संभाषण,
वाचि, लेखि के भाषाई मूल कौशलों के सा् भाषा अध्य्यि और अध्य्यि कौशल पर नवशेष बल
नद्या ग्या है । इसमें सव्यं अध्य्यि एवं चचामि को प्रेरर्त करिे वाली रंजक, आकषमिक, सहज और सरल
भाषा का प्र्योग नक्या ग्या है ।
पाठ््यपुस्तक में आए शबदों और वाक्यों की रचिा नहंदी की व्यावहाररक्ता को ध्याि में रखकर की
गई है । इसमें क्रनमक एवं श्रेणीबद्ध कौशलानधष्ठि्त अध्य्यि सामग्ी, अध्यापि संके्त, अभ्यास और
उपक्रम भी नदए गए हैं । नवद््यान्मि्यों के नलए ल्यातमक कनव्ता, बालगी्त, कहािी, संवाद, पत्र आनद
नवष्यों का समावेश हैं । सव्यं की अनभव्यष्ति, कलपिाशील्ता के सा्-सा् वैनवध्यपूणमि सवाध्या्य के
रूप में ‘जरा सोचो...., ‘खोजबीि’, ‘मैंिे क्या समझा’, ‘अध्य्यि कौशल’ आनद का्यामितमक कृन्त्यॉं
भी दी गई हैं । सृजिशील गन्तनवनध्यों को बढ़ावा देिे वाले अभ्यास ‘मेरी कलम से’ ‘वाचि जग्त से’,
‘ब्ताओ ्तो सही’, ‘सुिो ्तो जरा’, ‘सव्यं अध्य्यि’ ्त्ा ‘नवचार मं्ि’ आनद का समावेश नक्या ग्या
है । इि कृन्त्यों में एक दृष्ष्कोण रखिे का प्र्यास नक्या है नजसे समझकर नवद््यान्मि्यों ्तक पहँुचािा
और उिसे करवािा है ।
दशक्कचों एवं अदभभतावकचों से यि अपेक्ता िरै दक अधययन-अनुभव िेने से पिले पताठ्यपुस्क में
दिए गए अधयतापन संके् एवं दिशता दनिदेशचों को अचछी ्रि समझ लें । सभी कृन्त्यों का नवद््यान्मि्यों
से अभ्यास करवाऍं । सवाध्या्य में नदए गए निददेशों के अिुसार पाठ््यसामग्ी उपलबध करा्ते हुए उनच्त
मागमिदशमिि करें ्त्ा आवश्यक गन्तनवनध्याँ सव्यं करवाऍं । व्याकरण (भाषा अध्य्यि) को समझिे हे्तु
‘भाषा की ओर’के अं्तगमि्त नचत्रों ्त्ा भाषाई खेलों को नद्या ग्या है ्तानक पुिराव्तमिि और िए व्याकरण
का ज्ाि हो । पारंपररक पद्धन्त से व्याकरण पढ़ािा अपेनषि्त िहीं है ।
आवश्यक्तािुसार पाठ््ये्तर कृन्त्यों, खेलों, संदभभों, प्रसंगों का समावेश करें । नशषिक एवं
अनभभावक पाठ््यपुस्तक के माध्यम से जीवि मूल्यों, जीवि कौशलों, मूलभू्त ्तत्वों के नवकास का
अवसर नवद््यान्मि्यों को प्रदाि करें । पाठ््यसामग्ी का मूल्यांकि निरं्तर होिे वाली प्रनक्र्या है इससे
नवद््या्थी परीषिा के ्तिाव से मुति रहेंगे । पाठ््यपुस्तक में अं्तनिमिनह्त सभी षिम्ताओं-श्रवण, भाषण-
संभाषण, वाचि, लेखि, भाषा अध्य्यि (व्याकरण) और अध्य्यि कौशल का स्त्त मूल्यांकि
अपेनषि्त है ।
नवशवास है नक आप सब अध्य्यि-अध्यापि में पाठ््यपुस्तक का उप्योग कुशल्तापूवमिक करेंगे
और नहंदी नवष्य के प्रन्त नवद््यान्मि्यों में अनभरुनच और आतमी्य्ता की भाविा जागृ्त कर्ते हुए उिके
सवाांगीण नवकास में सह्योग देंगे ।