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Indian Geography

● भारत का सामा प रचय


● भारत की भूगिभक संरचना
● भारत का भौितक िवभाजन
● भारत का अपवाह तं
● भारत की जलवायु
● भारत की मृदा

E
● भारत की वन ित
● भारत की मुख झील & मुख बां ध
● िविवध

IV
भारत
KL
M
E
IV
KL
M

भारत के नाम
आयवृ
ाचीन धािमक ंथों म आय के आधार पर आयवृ
जंबू ीप
ाचीन काल म उ र भारत का त ािलक भाग जंबू ीप कहलाता था, िजसका उ ेख
कई पौरािणक धािमक ंथों म िमलता है
िह दु ान
● पिशया (आधुिनक ईरान) के लोग सव थम िसंधु घाटी से वेश िकया।
● वे िसंधु का अप ंश प िह दू का योग यहां के िनवािसयों के िलए करते थे।
● िहं दुओं के दे श को िहं दु ान नाम िदया गया। िहं दु ान श का उ ेख सव थम
262 ई. के सासानी अिभलेख म

E
भारत
● सव थम उ ेख ाचीन वायु पुराण म
● राजा दु ंत की प ी शकुंतला के पु भरत के नाम पर

IV
● सव थम ामािणक उ
इं िडया
● जे अले डर ⇒ िहं दू
ेख हाथी गु फा अिभलेख

ान का ‘ह’ हटाकर इं दू नाम से संबोिधत िकया;


● बाद म इं दू बदलकर इं िडया कर िदया गया
KL
भारत अथात् इं िडया
संवैधािनक नाम
अनु े द 1 : भारत अथात् इं िडया रा ों का संघ
M
E
IV
KL
FACTS
● 8°4' से 37°6' उ री अ ां श तथा 68°7' से 97°25' पूव दे शां तर के म
● 82½° पूव दे शां तर भारत के लगभग म से ⇒ यागराज के िनकट नैनी से
● 82½° पूव दे शां तर ⇒ उ र दे श, म दे श, छ ीसगढ़, ओिडशा, आ दे श
M

● भारत का मानक समय ीनिवच समय से 5 घंटा 30 िमनट से आगे


E
IV
KL
कक रे खा
● कक रे खा भारत के लगभग म भाग से एवं 8 रा ों से गुजरती है - गुजरात,
राज थान, म दे श, छ ीसगढ़, झारखंड, पि म बंगाल, ि पुरा तथा िमजोरम
● कक रे खा भारत को उ तथा उपो किटबंधों म बाँ टती है , िकंतु इसके बावजूद
M

भारत को मानसूनी जलवायु के े के अंतगत


E
IV
● भौगोिलक े फल 32,87,263 वग िकमी.
● िव के कुल े फल का 2.43%
● े फल के ि कोण से िव का 7 सबसे बड़ा दे श
KL
● जनसं ा की ि से िव का दू सरा सबसे बड़ा दे श
● िव की कुल जनसं ा का 17.5% भाग
M
E
IV
KL
M

● भारत म सबसे ल ी समु ी सीमा वाला रा : गुजरात (1215 km)


● भारत म सबसे कम जलीय सीमा वाला रा : गोवा (101 KM)
● भारत म सवािधक ल ी जलीय सीमा वाला क शािसत दे श : अंडमान-िनकोबार
(1962 km)
● भारत म सबसे कम ल ी जलीय सीमा वाला क शािसत दे श दे श : दमन ीप
(51 KM)
● भारत की जलीय या समु ी सीमा को छूने वाले रा : गुजरात, आं दे श,
तिमलनाडु , महारा , केरल, ओिडशा, कनाटक, पि म बंगाल, गोवा

E
IV
KL
● पवतीय े का िव ार ⇒ 10.7 ितशत
M

● पहाड़ी े का िव ार ⇒ 18.6 ितशत


● पठारी े का िव ार ⇒ 27.7 ितशत
● मैदानी े का िव ार ⇒ 43.0 ितशत
● उ री िबंदु ⇒ इं िदरा कॉल (ल ाख)
● दि णी िबंदु ⇒ इं िदरा ाइं ट ( ेट िनकोबार)
● पूव िबंदु ⇒ िकिबथू (अ णाचल दे श)
● पि मी िबंदु ⇒ गौहर माथा (गुजरात)
● रा ीय पशु : बाघ
● रा ीय िवरासत पशु : हाथी
● रा ीय प ी : मोर
● रा ीय वृ : बरगद
● रा ीय पु : कमल
● रा ीय गान : जन-गण-मन
● रा ीय गीत : वंदे मातरम्
● रा ीय िच : अशोक ंभ

E
● राजभाषा ⇒ िह ी
● रा ीय वा ⇒ स मेव जयते
● रा ीय ज ⇒ ितरं गा

IV
● रा ीय नदी ⇒ गंगा
● रा ीय जलीय जीव ⇒ डॉ
● रा ीय खेल ⇒ हॉकी
भारत का समु ी े

KL
● आधार रे खा : टे ढ़े-मेढ़े तट को िमलाने वाली क त सीधी रे खा
● आं त रक जल : थलीय भाग एवं आधार रे खा के म थत सागरीय जल
● भारत की ' ादे िशक े या े ीय िव ार सागर' की आधार रे खा से 12 समु ी मील
(नॉिटकल मील) की दू री तक
M

● 'अिव मंडल या संल े ' (Contiguous Zone) की दू री आधार रे खा से 24


समु ी मील
● दे श का 'अन आिथक े ' (Exclusive Economic Zone) आधार रे खा से 200
समु ी मील तक है
● इसके बाद 'उ सागर' (High Sea) का िव ार है , जहां सभी रा ों को समान
अिधकार ह।
E
IV
KL
M

जनसां कीय पृ भूिम


● कुल जनसं ा ⇒ 121 करोड़ लगभग
● वष 2021 तक भारत की जनसं ा 1363 िमिलयन
● वष 2036 तक 1522 िमिलयन होने का अनुमान
● िव की कुल जनसं ा का 17.5 ितशत
● पु ष जनसं ा ⇒ 62,31,21,843
● मिहला जनसं ा ⇒ 58,74,47,730
● ामीण जनसं ा ⇒ 83.34 करोड़ (68.8 ितशत)
● शहरी जनसं ा ⇒ 37.71 करोड़ (31.2 ितशत)
● दशकीय जनसं ा वृ दर ⇒ 17.7 ितशत (2001-2011)
● िलंगानुपात ⇒ 943 ित हजार पु षों पर
● जनसं ा घन ⇒ 382 /वग िकमी.
● कुल सा रता ⇒ 74.04 ितशत
● पु ष सा रता ⇒ 82.14 ितशत
● मिहला सा रता ⇒ 65.46 ितशत
● अनुसूिचत जाित जनसं ा ⇒ 20,13,78,086 (कुल जनसं ा का 16.6 ितशत)

E
● अनुसूिचत जनजाित जनसं ा ⇒ 10,42,81,034 (कुल जनसं ा का 8.6
ितशत)
सवािधक े फल वाले रा

IV
1. राज थान : 3,42,239 वग िकमी.
2. म

सवािधक जनसं
दे श : 3,08,000 वग िकमी.
3. महारा : 3,07,713 वग िकमी
ा वाले रा
KL
1. उ र दे श : 20 करोड़
2. महारा : 11.23 करोड़
3. िबहार : 10.40 करोड़
ूनतम े फल वाले भारत के रा
M

1. गोवा 3,702 वग िकमी.


2. िस म : 7,096 वग िकमी.
3. ि पुरा : 10,486 वग िकमी.
ूनतम जनसं ा वाले रा
1. िस म : 6.10 लाख
2. िमजोरम : 10.97 लाख
3. अ णाचल दे श : 13.83 लाख
सवािधक दशकीय वृ वाले रा
1. मेघालय : 27.95%
2. अ णाचल दे श : 26.03%
3. िबहार : 25.24%
ूनतम दशकीय वृ वाले 4 रा
1. नागालड : 0.58%
2. केरल : 4.91%
3. गोवा : 8.23%

E
सवािधक जनघन वाले रा
1. िबहार : 1102
2. पि म बंगाल : 1028

IV
3. केरल : 860
ूनतम जनघन वाले रा
1. अ णाचल दे श : 17
2. िमजोरम : 52
KL
3. िस म : 86
सवािधक िलंगानुपात वाले रा
1. केरल : 1084
2. तिमलनाडु : 996
M

3. आं दे श : 993
ूनतम िलंगानुपात वाले रा
1. ह रयाणा : 879
2. िस म : 890
3. पंजाब : 895
सवािधक सा रता वाले रा
1. केरल : 94%
2. िमजोरम : 91.3%
3. गोवा : 88.7%
ूनतम सा रता वाले रा
1. िबहार : 61.8%
2. अ णाचल दे श : 65.4%
3. राज थान : 66.1%
सवािधक मिहला सा रता वाले रा
1. केरल : 92.1%
2. िमजोरम : 89.3%

E
3. गोवा : 84.7%
ूनतम मिहला सा रता वाले रा
1. िबहार : 51.5%

IV
2. राज थान : 52.1%
3. झारखंड : 55.4%
अिधक नगरीय जनसं
1. िद ी : 97.5%
ा वाले रा
KL
2. चंडीगढ़ : 97.3%
3. ल ीप : 78.1%
ूनतम नगरीय जनसं ा वाले रा
1. िहमाचल दे श : 10%
M

2. िबहार : 13%
3. असम : 14.1%
● िजलों की सं ा : 640
● तहसीलों की सं ा : 5,924
● क ों की सं ा : 7,936
● गां वों की सं ा : 6,40,867
भारत के पड़ोसी दे श
M
KL
IV
E
भूगिभक संरचना
● भारत के उ री और तटीय मैदान भौगोिलक ि से सबसे नई संरचना है , जबिक
पठारी भाग भौगोिलक ि से सबसे ाचीन संरचना है ।
● भू-गिभक संरचना की ि से भारत को तीन भागों म बां टते ह
1. दि ण का ाय ीपीय पठार
2. उ र की िवशाल पवतमाला
3. उ र भारत का िवशाल मैदानी भाग

E
IV
KL
M
E
IV
KL
M

1. आिकयन म की च ान
ये अ िधक ाचीन ाथिमक च ान ह। बुंदेलखंड नीस एवं बे ारी नीस इनम सबसे
ाचीन है । बंगाल नीस एवं नीलिग र नीस इन च ानों के उदाहरण ह।
2. धारवाड़ म की च ान
● ये आिकयन म की ाथिमक च ानों के अपरदन एवं िन ेपण से बनी परतदार
च ान ह। ये अ िधक पां त रक हो चुके ह एवं इसम जीवा नहीं िमलते ह।
● कनाटक के धारवाड़ एवं बे ारी से िमली ह। अरावली ेणी, बालाघाट, रीवा, छोटा
नागपुर आिद े ों म ये च ान िमलती ह।
● भारत के सवािधक खिनज भंडार इसी म की च ानों म िमलते ह। लौह-अय ,

E
तां बा एवं ण इन च ानों म पाए जाने वाले मह पूण खिनज ह।
3. कुड ा म की च ान
● इनका िनमाण धारवाड़ म की च ानों के अपरदन एवं िन ेपण से आ है ।

IV
● इनम भी जीवा
● मु
4. िव
● कुड ा

प से आं
म की च ान
नहीं िमलते ह।
दे श के कुड़ ा िजले म थत ह।

म की च ानों के बाद ये च ान िनिमत ई ह। इनका िव ार राज थान के


KL
िच ौड़गढ़ से िबहार के सासाराम े तक है ।
● िव न म की परतदार च ानों म बलुआ प र िमलता है । इन च ानों का एक
बड़ा भाग द न टै प से ढका है ।
5. गोंडवाना म की च ान
M

● ऊपरी काब नीफेरस युग से लेकर जुरैिसक युग तक इन च ानों का िनमाण आ है ।


● ये च ान कोयले के िलए िवशेष मह पूण है ।
● भारत का 98% कोयला गोंडवाना म की च ानों म िमलता है ।
● ये परतदार च ान ह एवं इनम मछिलयों एवं रगने वाले जीवों के अवशेष िमले ह।
● दामोदर, महानदी और गोदावरी एवं उसकी सहायक निदयों म इन च ानों का
सव म प िमलता है ।
● जंगल ⇒ कोयला & जीव-जंतु ⇒ पेटोिलयम
6. द न टै प
● इसका िनमाण मेसोजोइक महाक के ि टे िशयस क म आ था। इस समय
िवदभ े म ालामुखी दरारी उ ार उ े दन से लावा का वृहद उ ार आ एवं
लगभग 5 लाख वग िकमी. का े इससे आ ािदत हो गया।
● इस े म 600 से 1500 मीटर एवं कहीं-कहीं तो 3000 मीटर की मोटाई तक
बैसा क लावा का जमाव िमलता है । यह दे श द न टै प कहलाता है ।
● राजमहल टै प का िनमाण इससे भी पहले जुरैिसक क म हो गया था।
● छोटा नागपुर पठार को भारत का र दे श कहा जाता है , ोंिक यहां खिनज
संसाधनों का िवपुल भंडार है ।

E
भारत का भौितक िवभाजन

IV
KL
M

● उ री पवतीय दे श
● ाय ीपीय पठारी दे श
● तटवत मैदानी दे श
● म वत मैदान दे श
● ीपीय दे श
उ री पवतीय दे श
● प रचय
● उ ि
● िवशेषताएं
● वग करण
● मह
● मुख त

E
IV
KL
M
प रचय
● नवीन भूआकृितक संरचना
● िनमाण भारतीय ेट और यूरेिशयन ेट के टकराने से
● भारत और एिशया का महान िवभाजक
● जलवायु िवभाजक, सां ृ ितक िवभाजक एवं जल िवभाजक
● चापाकार अथवा धनुषाकार आकृित
● नवीन विलत पवत ंखला
● िव की सव पवत ंखला

E
उ ि
● उ ि अंितम ि टे िशयस काल से टिशयरी काल तक दीघकािलक िववतिनकी
ि याओं के प रणाम प

IV● टिशयरी पवत अथवा अ


समय ही यूरोप म आ

● उ ि अ
ाइन पवत भी कहते ह,
स पवत की भी उ ि
ोंिक िहमालय की उ ि

● उ ि टे िथस सागर म मलवों के िन ेप व अवसादीकरण के साथ ारं भ


ाइन भूसंचलन के फल प
के
KL
● अंितम ि टे िशयस काल म लगभग 13.5 करोड़ वष पूव िहमालय म उ ान ारं भ
तथा टिशयरी काल म अपने वतमान प म आया
4. िहमालय का िनमाण
● कोबर का भूस ित िस ां त
M

● ेट िववतिनकी िस ां त
मु कारक :- टे िथस के अवसाद

1. टां स िहमालय
2. बृहद या महान िहमालय
3. लघु िहमालय
4. िशवािलक िहमालय
कोबर का भूस ित िस ांत
● प रभाषा : भूस ितयाँ ल े, संकरे तथा उथले जलीय भाग होती ह, िजनम
तलछटीय िन ेप के साथ-साथ तली म धंसाव होता है
● उदाहरण : रॉकी भूस ित, टे थीस भूस ितयाँ आिद
● मह : विलत पवतों का मुख िनमाणकारी कारक
● कोबर ने इसे पवतों का पालना कहा
● कोबर ने िहमालय के िनमाण की ा ा करने के िलए भूस ित के िस ां त को
ुत िकया
● कोबर के भूस ित िस ां त के अनुसार आज से लगभग 7 करोड वष पूव िहमालय के

E
थान पर टे थीस नामक भूस ित थी जो अंगारालड और गोंडवाना लड को पृथक
करती थी
● इसम लगातार अवसादो का िन ेपण होता गया, िजसके प रणाम प संल

IV
भारतीय
थल खंडो म संपीडना क बल उ

● भारतीय
ेट की गित
ेट भूगिभक
आ तथा िहमालय का िनमाण आ

प से गोंडवाना लड का िह
● लगभग 20 करोड़ वष पूव, गोंडवाना लड से िवखंिडत होकर भारतीय
ा था
ेट लगातार
KL
उ र-पूव िदशा म गित कर रही है जो िन िल खत है
● ेट टे ोिनक िस ां त के अनुसार :- काब नीफेरस काल म भारतीय ेट की
थित अ ीका, अंटाकिटका, ऑ े िलयाई और दि ण अमे रकी ेट के साथ थी
● लगभग 12 करोड़ वष पूव भारतीय ेट ने िवषुवत रे खा को पार िकया | इसी समय
M

भारतीय ेट हॉट ॉट के ऊपर से गुजरी िजससे अनेक शां त ालामुखी उ े दन


ए प रणाम पद न का पठार बनेगा
● लगभग 8.5 करोड़ वष पूव भारतीय ेट यूरेिशयन ेट के करीब आई परं तु म
भाग म अवसादों से प रपूण टे िथस सागर आया
M
KL
IV
E
िवशेषताएं
● े फल - 5.3 लाख वग िकलोमीटर (िसंधु से पु नदी)
● चौड़ाई - 500 से 200 िकलोमीटर (िहमालय की चौड़ाई पि म म पूव से ादा है )
● औसत ऊंचाई - 6000 मीटर
● च ान :- अवसादी
● दे श : भारत, पािक ान, चीन, नेपाल, भूटान
● भारतीय रा : िहमाचल दे श, उ राखंड, िस म, अ णाचल दे श, मिणपुर,
िमजोरम, ि पुरा, मेघालय, असम व पि म बंगाल

E
● क शािसत दे श : ज ू क ीर एवं ल ाख

IV
KL
M
िहमालय के अ संघीय मोड़ (Syntaxial bend)
● िहमालय के पि मी तथा पूव छोरों पर अचानक ती प रवतन आ जाता है , इस तरह
के मोड़ को अ संघ (syntaxes) कहा जाता है ।
● इसका िनमाण दो टकराती ई ेटों के िकनारों के िनकट आ है ।
● उ र पि मी अ संघीय मोड़ नंगा पवत के िनकट है जहाँ िसंधु महाख या गॉज
थत है । इसकी तुलना हे यर-िपन से की जा सकती है ।
● िहमालय के उ र-पूव छोर पर िदहां ग गॉज (अ णाचल दे श) िमलता है । इसे भी
हे यर-िपन मोड़ कहा जाता है , जहाँ िहमालय पवत अचानक ती मोड़ बनाते ए पूव

E
िदशा म मुड़ जाता है । इसी थान पर पु नदी गॉज बनाते ए िहमालय को पार
करती है ।
जब िहमालय का उ र से दि ण की ओर अ यन िकया जाता है तो बीच म एक सूचर

IV
जोन तथा तीन ंश मौजूद ह :-
1. इं डस सां गपो सूचर जोन (ITSZ) : टां स िहमालय और वृहद िहमालय के म
एक टे

ोिनक िसवनी, िजसका िनमाण भारतीय
र के प रणाम प आ
ेट और यूरेिशयन
थत
ेट के म
KL
2. मैन सटल (MCT) : वृहद िहमालय एवं लघु िहमालय के म थत एक
भूगिभक दरार
3. मैन बाउं डी (MBT) : लघु िहमालय एवं िशवािलक िहमालय के म थत
भूगिभक दरार
M

4. िहमालयन ं टल फॉ (HFF) : िशवािलक िहमालय और उ र के मैदानी भागों


को अलग करने वाली भूगिभक दरार
E
A suture is a joining together along a major fault zone, of separate terranes,
tectonic units that have different plate tectonic.

IV
Syntaxial Bends
● The western syntaxial bend occurs near the Nanga Parbat
● The eastern syntaxial bend occurs near the Namche Barwa.
KL
M
िहमालय का पवत ंखला अथवा समय के आधार पर वग करण
● टां स िहमालय
● महान िहमालय
● लघु िहमालय
● िशवािलक

E
IV
KL
M
E
IV
टांस िहमालय
KL
M

कराकोरम िहमालय
● िहमालय की उ रवत पवतीय ेणी
● उ ि मु िहमालय के साथ ही अ ाइन भूसंचलन से
● सव चोटी माउं ट के-2 / गाॅ डिवन ऑ न
● भारत की सव चोटी लेिकन वतमान म पाक अिधकृत क ीर म
● मुख चोिटयां : मासेर ूम, ासेर ूम, हरमोश, सािसर व एिलंग कंगरी
● काराकोरम े म िसयािचन व सासायनी िहमनद
● िसयािचन भारत व पािक ान के बीच िववादा द िब दु
● ेन हे डन ⇒ काराकोरम पवत ेणी ⇒ ‘उ एिशया की रीढ़’
ल ाख िहमालय
● टां स िहमालय म थत

E
● वृहद िहमालय के उ र व काराकोरम िहमालय के दि ण म थत
● औसत ऊँचाई 6000 मीटर
● सव चोटी गुरला मां धता

जा
IV● अवसादी शैलों से िनिमत
● ल ाख िहमालय के उ र म ल ाख का पठार ⇒ िस ु नदी वािहत होती है
● शीत किटबंधीय जलवायिवक दशाओं के कारण वन
र िहमालय
ित का पूणतः अभाव
KL
● ल ाख ेणी के दि ण म
● मु तः भारत और चीन के सीमावत े म
● जा र एवं ल ाख ेणी के म िस ु नदी वािहत होती है ।
कैलाश िहमालय
M

● मूल नाम : गंग रपोचे (ित ती)


● अ ापद, गणपवत और रजतिग र भी कहते ह
● ित त म थत
● इसके पि म तथा दि ण म मानसरोवर तथा रा सताल झील
● कई मह पूण निदयां िनकलतीं ह - पु , िस ु, सतलुज इ ािद
िहमालय का पवत ंखला अथवा समय के आधार पर वग करण
● टां स िहमालय
● महान िहमालय
● लघु िहमालय
● िशवािलक

E
IV
KL
M
महान िहमालय

E
IV
● पि म से पूव की ओर लगभग 2400 िकलोमीटर की ल ाई म धनुषाकार
● िव ार पि म म नंगा पवत से पूव की ओर नामचा बरवा तक
KL
● अिधकां श भाग लगभग वषभर िहमा ािदत ⇒ ‘िहमाि ’
● औसत ऊँचाई 6000 मीटर, लेिकन कई चोिटयाँ 8000 मीटर से भी ऊँची
● सव चोटी माउं ट एवरे (नेपाल)
● भारत म थत सव चोटी : कंचनजंगा
● मुख चोिटयाँ : नंदा दे वी, केदारनाथ, ब ीनाथ, धौलािगरी, कंचनजंगा, नंगापवत,
M

गोंसईनाथ, कंनजंगा, मकालू, अ पूणा, मनसालू, हरामोश


● माउं ट एवरे - 8,848 मीटर ⇒ Sagarmatha in Nepal & Chomlungma in
Tibet
● कंचनजंगा - 8,598 मीटर
● मकालू - 8,481 मीटर
● धौलािगरी - 8,172 मीटर
● नंगा पवत - 8,126 मीटर
● अ पूणा - 8,078 मीटर
● नंदा दे वी - 7,817 मीटर
● नामचा बरवा - 7,756 मीटर
िहमालय का पवत ंखला अथवा समय के आधार पर वग करण
● टां स िहमालय
● महान िहमालय
● लघु िहमालय
● िशवािलक

E
म िहमालय

IV
KL
M

● औसत ऊँचाई : 1500 से 4500 मीटर


● मु िहमालय से ारा ेट बाउं डी फा अलग
● मुख चोिटयाँ : महाभारत ेणी, मंसूरी ेणी (पहाड़ों की रानी), नागिट ा, धौलाधर,
पीरपंजाल
● िहल े शन : मंसूरी, िशमला, कु ू-मनाली, नैनीताल, रानीखेत, अ ोड़ा,
डलहौजी, दािजिलंग (म िहमालय के िनचले भाग म थत)
● कोणधारी वन और ढ़ालों पर छोटे -छोटे घास के मैदान ⇒ क ीर म ’मग’ तथा
उ राखंड म ‘बु ाल’ और ‘पयार’
● वृहद िहमालय व म िहमालय के म ज ू -क ीर की घाटी, िहमाचल दे श म
ला ल- ीित की घाटी, उ राखंड म पु -घाटी तथा नेपाल म काठमां डू की घाटी

E
IV
िहमालय का पवत ंखला अथवा समय के आधार पर वग करण
● टां स िहमालय
● महान िहमालय
KL
● लघु िहमालय
● िशवािलक
िशवािलक िहमालय
M
● िहमालय का सबसे नवीन भाग
● औसत ऊँचाई 600 से 1500 मीटर
● ‘बा िहमालय’ या ‘दि णी िहमालय’ भी कहते ह
● म िहमालय से एक गहरी घाटी ारा अलग, िजसे पि मी भाग म ‘दू न’ तथा पूव की
ओर ‘दु आर’ घाटी कहते ह।
● जैसे- दे हरादू न, चु ीदू न, िकयादू न, कोटलीदू न, ह र ार व अलीपुरदु आर (पि म
बंगाल-असम) इ ािद।
िशवािलक िहमालय के िविभ नाम

E
● गोरखपुर के पास डूंडवा
● पूव की ओर चू रया और मू रया
● ज ू म ज ू पहाड़ी

IV
● अ णाचल दे श म डु ला, िमरी एवं िमशमी पहाड़ी
● म िहमालय एवं िशवािलक के म कु ू-मनाली की घाटी (िहमाचल दे श), दू न
की घाटी (उ राखंड) तथा पूव की ओर दु आर की घाटी (पि म बंगाल व असम)
KL
M
िसडनी गेरा बराड → िहमालय का नदी के आधार पर िवभाजन
● पंजाब िहमालय / क ीर िहमालय
● कुमायूं िहमालय
● नेपाल िहमालय
● असम िहमालय

E
IV
KL
M
िसडनी गेरा बराड → िहमालय का नदी के आधार पर िवभाजन
● पंजाब िहमालय / क ीर िहमालय
● कुमायूं िहमालय
● नेपाल िहमालय
● असम िहमालय
1. पंजाब िहमालय / क ीर िहमालय
● िसंधु नदी के गाॅ ज से सतलुज नदी के गाॅ ज तक
● ल ाई ⇒ लगभग 560 िकलोमीटर

E
● ज ू -क ीर, ल ाख, पंजाब और िहमाचल दे श
● िहमालय की सवािधक चौड़ाई इसी भाग म
● वै ो दे वी का मंिदर, अमरनाथ की गुफा तथा िचरार-ए-शरीफ पंजाब िहमालय के

IVअंतगत ही
● मह पूण ेिणयां : काराकोरम, ल ाख, जा
● घास के मैदान, गुलमग, सोनमग
● डल और वुलर जैसी पानी की झील
र, पीरपंजाल, धौलाधर
KL
● पैगोंग े तथा सोमुरीरी नामक लवणीय झील
● क ीर िहमायल करे वा के िलए िस , जहां पर केसर की खेती
● क ीरी भाषा म करे वा को वु कहते ह
िसडनी गेरा बराड → िहमालय का नदी के आधार पर िवभाजन
M

● पंजाब िहमालय / क ीर िहमालय


● कुमायूं िहमालय
● नेपाल िहमालय
● असम िहमालय
2. कुमायूं िहमालय
● सतलुज नदी के गाॅ ज से काली नदी के गाॅ ज तक
● ल ाई ⇒ लगभग 320 िकलोमीटर
● मु िव ार ⇒ उ राखंड व िहमाचल दे श
● पि मी भाग को गढ़वाल तथा पूव भाग को कुमाऊं िहमालय कहते ह
● पंच याग : दे व याग, याग, कण याग, िव ु याग, नंद याग
● मुख चोिटयाँ ⇒ नंदा दे वी, कामेत, ि शूल, ब ीनाथ, केदारनाथ, बंदरपूंछ
● माना एवं नीित दर ारा यह भाग ित त से जुड़ा आ है ।
● झील : नैनीताल, भूिमताल, सातताल
दर
● िहमाचल दे श : िशपकीला, बड़ालाचा, रोहतां ग
● उ राखंड : माना दरा, नीित दरा, िलपुलेख दरा

E
िसडनी गेरा बराड → िहमालय का नदी के आधार पर िवभाजन
● पंजाब िहमालय / क ीर िहमालय
● कुमायूं िहमालय

IV● नेपाल िहमालय


● असम िहमालय
3. नेपाल िहमालय
● काली नदी से ित ा नदी तक, ल ाई ⇒ लगभग 800 िकलोमीटर
KL
● अ नाम ⇒ िस म म िस म िहमालय, पि म बंगाल म दािजिलंग िहमालय
तथा भूटान म भूटान िहमालय
● नेपाल िहमालय म िहमालय की मुख ऊँची चोिटयाँ का पि म से पूव की ओर म
⇒ धौलािगरी, अ पूणा, एवरे , मकालू, कंचनजंगा
M

● कोणधारी वन ⇒ दे वदार, ूस, फर, चीड़


● गंगा की सहायक निदयों म घाघरा, गंडक, कोसी निदयों का उ म
िसडनी गेरा बराड → िहमालय का नदी के आधार पर िवभाजन
● पंजाब िहमालय / क ीर िहमालय
● कुमायूं िहमालय
● नेपाल िहमालय
● असम िहमालय
4. असम िहमालय
● ित ा नदी से पु नदी (िदहां ग) तक
● लगभग 720 िकलोमीटर े म िव ृत
● मु िव ार ⇒ असम, अ णाचल दे श, िमजोरम म
● जनजाितयां : डफला, अबोर, िम ी, मोनापा आिद
● सम ा : झूम कृिष, मृदा अपरदन
असम िहमालय को असम म रहने वाली अनेक जनजाितयों के आधार पर कई उप-भागों म
बाँ टा गया है -
● आका पहािड़याँ , धनसीरी, दफला पहािड़याँ , िमशमी पहािड़याँ , कोिहमा पहािड़याँ ,

E
उ री कछार पहािड़याँ , िमजो पहािड़याँ , खासी, जयंितया, िमिकर इ ािद िजनम
आका, दफला, मीरी और िमशमी जैसी जनजाितयाँ िनवास करती ह।
पूव र की पहािड़याँ

IV
KL
M
E
IV
KL
● टाइगर िहल : पि म बंगाल
● अ णाचल दे श : : डु ला, िमरी, अबोर, िमशमी (जनजाितयों के नाम पर)
● पटकोई बूम : अ णाचल दे श (पूव म)
● नगा पहािड़याँ : नागालड
M

● लैमाटोल : मिणपुर
● िमजो : िमजोरम
● बराईल : असम
● रगमा और िमिकर : असम
● गारो, खासी, जयंितया : मेघालय (िहमालय की िह ा नहीं)
● खासी पहाड़ी पर ही मेघालय की राजधानी िशलां ग और चेरापूँजी
● पूरा का पूरा मेघालय पठारी े
● मेघालय म मैदान नहीं ⇒ मेघालय का पठार या िशलां ग का पठार कहते ह
● िशलां ग पठार म हीं गारो, खासी व जयंितया पहािड़याँ थत

E
IV
KL
M
िहमालय की मुख चोिटयां

E
IV
KL
M

उ राखंड
● केदारनाथ
● ब ीनाथ
● कामेथ
● नीलकंठ
● ि शूल
● नंदा दे वी
नेपाल
● धौलािगरी
● अ पूणा
● माउं ट एवरे ( सागरमाथा) :- नेपाल-ित त सीमा पर थत िव की सबसे ऊंची
चोटी (8850 मीटर)

E
● माउं ट मकालु
िस म
● कंचनजंगा :- भारत की दू सरी सबसे ऊंची चोटी (8586 मीटर)

IV
अ णाचल दे श
● नामचा बरवा
KL
M
E
IV
KL
M

िहमालय के दर
M
KL
IV
E
E
IV
KL
िहमालय का मह
● िहमालय भारतीय उपमहा ीप की ाकृितक एवं राजनीितक सीमा बनाता है । इसकी
M

भौगोिलक प र थितयों के कारण ही भारतीय उपमहा ीप का शेष एिशया से अलग


अ बन सका है ।
● िहमालय भारत की जलवायु का िवभाजक है । शीत ऋतु म आने वाली ुवीय हवाओं
को भारतीय भू-भाग पर आने से रोकना, िजसके फल प भारत इन ुवीय
हवाओं के कोप से बच जाता है ।
● उदाहरण के िलए सतलज, यमुना, गंगा आिद निदयों से िनकाले गए नहरों को दे खा
जा सकता है । िहमालय निदयों को वषवािहनी भी बनाए रखता है , ोंिक िहमालय
के िहम के िपघलने से निदयों म जल की आपूित वषभर होती रहती है ।
● इसी कार वषा काल म िहमालय, मानसूनी हवाओं को रोककर भारतीय भू-भाग म
पया वषा कराता है , िजस पर हमारी कृिष िनभर है । िहमालय की निदयां अपने
साथ बडी मा ा म अवसाद भी लाती है , िजनसे उपजाऊ जलोढ मैदानों का िनमाण
होता है ।
● िहमालय िविध संसाधनों के िवकास का संभािवत दे श है । यहां Co, Ni, एं टीमनी,

E
तां बा जैसे धा क खिनज ह। इसकी जिटल भू-गिभक संरचना के कारण धा क
खिनजों का खनन अभी संभव नहीं हो पाया है ।
िहमालय का िव ार

IV
● रा : िहमाचल दे श, उ राखंड, िस
ि पुरा, मेघालय, असम व पि म बंगाल
● क शािसत दे श : ज ू क ीर एवं ल ाख
म, अ णाचल दे श, मिणपुर, िमजोरम,

● िहमालय सात दे शों की सीमाओं को छूता है : पािक ान, अफगािन ान,


KL
तजािक ान, चीन, भारत, नेपाल और ां मार
● िहमालय पर ितवष बफ के प म जो वषा होती है , उसका केवल 18 ितशत ही
निदयों को िमल पाता है , शेष 82 ितशत वा ीकरण की ि या ारा उड़ जाता है ।
● िहमालय से िनकलने वाली निदयों को िदसंबर से जून तक 60 ितशत जल िहमनदों
M

से ा होता है ।
● जुलाई से नव र तक 35 ितशत और शेष जल िनचले ढ़ालों पर होने वाली वषा से
ा होता है ।
मैदान

M
KL
IV
E
प रचय
● ाय ीपीय पठार एवं िहमालय पवतीय े के म थत
● जलोढ़ िनिमत संरचना
● भारत का नवीनतम भौितक दे श
● भौगोिलक िव ार लगभग 7.5 लाख वग िकलोमीटर
● औसत ऊँचाई 50 से 300 मीटर
उ ि
● भारतीय ेट एवं यूरेिशयन ेट के अिभसरण से िहमालय के दि ण म बने गत म

E
िहमालय व ाय ीपीय पठार की निदयों ारा लाए गए जलोढ़कों के िन ेप से उ ि
● एक िन ेिपत मैदान
● इसी कारण तुलना क प से कम ऊँचे तथा ूनतम उ ावच िवषमता का दे श

IV
● वतमान म भी भारतीय ेट उ र की ओर गितशील, िजस कारण िहमालय की
निदयाँ युवाव था म अथात् ती वेग वाली बनी ई है ।
● इसी कारण निदयों ारा िहमालय का अपरदन भी ती गित से
● अतः वतमान म भी म वत मैदान िनमाण की अव था म
KL
भौितक िवशेषताएं
● भौितक ि कोण से म वत मैदानी दे श िन ऊँचाई व िन उ ावच िवषमता
का जलोढ़ िनिमत दे श है ।
● अतः भौितक ि कोण से सामा तः एक पता पाई जाती है ।
M

● लेिकन जलोढ़ संरचना के अंतगत ही जलोढ़कों के कणों की मोटाई, उ ि , काल व


ऊँचाई के आधार पर े ीय िभ ता अव पाई जाती है ।
● ी ोसीन काल म मैदान की पुरानी जलोढ़ संरचना के े ों का िनमाण आ है ।
● भाबर, तराई, बां गर जैसी संरचना ी ोसीन काल म बनी है ।
● खादर व डे ाई संरचना मु तः होलोसीन काल म बनी है ।
ादे िशक िवभाजन
On the basis of river system
● Rajasthan plain
● Indus plain
● Gangetic plain
● Brahmaputra plain
on the basis of soil area
● Bhanwar
● Terai
● Bangra
● Khadar

E
IV
KL
M
E
IV
1. राज थान का मैदान
● राज थान के पि मी भाग म अरावली से भारत-पािक
● लंबाई : 640 िकमी.
● औसत चौड़ाई : 300 मीटर
ान सीमा तक िव ार
KL
● े फल : 1.75 लाख वग िकमी.
राज थान का म थली मैदान
● बालू के टीलों की अिधकता
● कहीं-कहीं पर धरातल के ऊपर नीस, िश तथा ेनाइट च ान
● वािषक वषा 25 सेमी. से कम
M

● जहां िसंचाई की सुिवधा, वहां गे ं , ार, बाजरे की कृिष


राज थान का बांगर मैदान
● राज थान के मैदान का उ री तथा पूव भाग
● उ दे श
● लूनी मुख नदी
● कई थानों पर उपजाऊ िम ी
● ब त कम टीले
2. िस ु का मैदान
िस ु एवं सहायक निदयों के ारा ाचीन जलोढ़ संरचना वाले बां गर े का िवकास पंजाब
व ह रयाण के मैदानी भागों म आ है ।

E
IV
KL
M
E

IV
● उ री राज थान भी िस ु मैदान का ही;
निदयाँ वािहत होती थी।
● औसत ऊँचाई 250 से 300 मीटर
े फल : 1.75 लाख वग िकमी.
ोंिक यहाँ अतीत म सर ती व घ र
KL
● ायः बाढ़मु े ⇒ अिधक ऊँचाई
● दो निदयों के बीच का े दोआब
● ास एवं सतलुज : िब -जालंधर दोआब
● ास एवं रावी : बारी दोआब
● रावी एवं िचनाब : रे चना दोआब
M

● िचनाव एवं झेलम : चाज दोआब


● झेलम-िचनाब एवं िसंधु के बीच: िसंध सागर दोआब
E
IV
KL
M

● िवभाजन के फल प इस मैदान का कुछ भाग पािक ान म


● वतमान म सतलुज, ास एवं रावी निदयों का मैदानी भाग ही इसम स िलत
● सतलुज नदी के दि ण की ओर थत भू-भाग : मालवा का मैदान
● यमुना नदी इस मैदान की पूव सीमा बनाती है । अतः सतलुज एवं यमुना निदयों के
बीच का भाग भी पंजाब के मैदान म ही स िलत है ।
● घाघरा तथा यमुना निदयों के बीच का मैदानी भाग ह रयाणा म आता है ।
● यह भाग सतलुज तथा यमुना निदयों के बीच जल-िवभाजक के प म है ।
3. गंगा का मैदान
● गंगा का मैदान उ र दे श, िबहार तथा पि म बंगाल म िव ृत
● यह मैदान िहमालय से िनकलने वाली गंगा तथा इसकी सहायक निदयों- यमुना,
गोमती, घाघरा, गंडक तथा कोसी के िन ेपण से िनिमत

E
IV
KL
M
E
IV
दि ण पठार म बहने वाली निदयों- चंबल, बेतवा, केन तथा सोन नदी की भी इस मैदान के
िनमाण म भूिमका
गंगा का मैदान तीन भागों म िवभ
● ऊपरी गंगा का मैदान
KL
● म गंगा का मैदान
● िन गंगा का मैदान
ऊपरी गंगा का मैदान
● उ री सीमा िशवािलक की पहािड़यां
M

● दि णी सीमा ाय ीपीय पठार


● पि म सीमा यमुना नदी
● उ र दे श के दो-ितहाई भाग म िव ृत
● लंबाई 550 िकमी.
● चौड़ाई 380 िकमी.
● े फल 1.49 लाख वग िकमी.
● गंगा तथा उसकी सहायक निदयों ारा िनिमत
म गंगा का मैदान
● उ र दे श के पूव भाग तथा िबहार म िव ृत
● े फल 1.45 लाख वग िकमी.
● लंबाई 600 िकमी.
● चौड़ाई 330 िकमी.
● नवीन जलोढ़ वाली खादर संरचना से िनिमत
● उ री सीमा िहमालय का िग रपद भाग
● दि णी सीमा ाय ीपीय पठार का उ री भाग
● यह मैदान काफी नीचा है , कोई भी भाग 150 मीटर से अिधक ऊंचा नहीं

E
● घाघरा, गंडक तथा कोसी मुख निदयां
● दि ण भारत की मुख सोन नदी भी
● यहां पर बहने वाली सभी निदयां वषभग माग प रवतन करती है , इसिलए बाढ़ का

IV खतरा बना रहता है ।


● कोसी : िबहार का शोक
िन गंगा का मैदान
● असम तथा पि म बंगाल म
KL
● लंबाई 580 िकमी.
● चौड़ाई 200 िकमी
● राजमहल तथा बां ादे श की सीमा के बीच यह मैदान संकरा होकर 16 िकमी.
चौड़ा रह जाता है
M

● नवीन जलोढ़ वाली खादर संरचना से िनिमत


● इस मैदान का उ री भाग ित ा जैसी निदयों ारा लाए जलोढ़को के िन ेप से
िनिमत
● डे ाई भाग म गंगा यं को कई धाराओं म िवभकत कर लेती है
● यहां पर भूिम का ढलान ब त ही मंद
● दे श का दो-ितहाई भाग 30 मीटर से भी कम ऊंचा; अतः इसके अिधकां श भाग म
दलदल
4. पु का मैदान
● अ नाम : पु की घाटी
● लगभग सम भाग असम म, अतः इसे असम का मैदान भी कहते ह
● एक संकरी खादर संरचना का े

E
IV
KL
M
E
● लंबाई लगभग 800 िकमी.


IV
● चौड़ाई लगभग 75 िकमी.
े फल 56 हजार वग िकमी
● भारत का सवािधक बाढ़ े
● तीन आरे से पवतों तथा पहािड़यों से िघरा आ मैदान
KL
● उ र म िहमालय, पूव म पटकाई एवं नागा तथा दि ण म गारो, खासी तथा जयंितयां
पहािड़यां
● पि म म भरत-बां ादे श की अंतरा ीय सीमा तथा िन गंगा का मैदान इसकी सीमा
का िनधारण करते ह
M
E
IV
ादे िशक िवभाजन
KL
M

भावर
● कंकड़-प र यु संरचना का दे श
● िसंधु से लेकर ित ा नदी तक
● ल ी जड़ों वाले बड़े -बड़े वृ अव िक ु छोटे पौधों, खेतों तथा जनसं ा का
ायः अभाव
तराई
● भावर दे श के दि ण म
● लगभग 10 से 15 िकलोमीटर की संकरी प ी म
● दलदलयु संरचना का दे श
● कृिष के िलए अिधक उपयु नहीं
● कुशल जल- बंधन एवं मृदा- बंधन ारा चावल व जूट की खेती
● ऊँची घास (कां स, हाथी घास, भाबर घास)
● मले रया के कारण जनसं ा अिधक नहीं
बांगर
● म वत मैदान के पि मी भागों म पुराने जलोढ़ के मैदान

E
● औसत ऊँचाई 100 से 300 मीटर
● सामा तः बाढ़मु े
● भारत का ह रत- ां ित का दे श

IV
खादर
● भारत का सवािधक िसंिचत दे श
● पंजाब, ह रयाणा तथा पि मी यूपी म
मैदान म िव ार
मशः िस ु के मैदान एवं ऊपरी गंगा के
KL
● औसत ऊँचाई 35 से 100 मीटर
● ेक वष बाढ़
● ेक वष नवीन जलोढ़कों का िन ेप
● उपजाऊ े
M

● म एवं िन गंगा के मैदान तथा पु के मैदान के प म खादर का िव ार


पूव यूपी, िबहार, असम व पि म बंगाल म
● बां गर का िव ार यूपी म अिधक जबिक खादर का िबहार और पि म बंगाल म
डे ाई दे श
● भारत म थत गंगा- पु का डे ा िव का सबसे बड़ा डे ा
● आकृित चापाकार
● डे ा का एक बड़ा भाग बां ादे श म
● डे ा का ऊँचा उठा आ भाग चार तथा जलयु गहरा भाग बील
● चार म मानव ब यां जबिक बील म मछलीपालन
● जूट व चावल की कृिष के िलए भी भूिम मह पूण
दोआब
● निदयों का म वत े
● मु तः मु नदी व सहायक निदयों के िमलन े से पहले उ ि
● कृिष के िलए मह पूण
● िस ु व सहायक निदयों का दोआब िस
खोल

E
● बां गर और खादर को अलग करने वाली उ भूिम
● पि मी और पूव यूपी मशः बां गर व खादर के े , िज 100 मीटर की कंटू र
लाइन अलग करती है ।

IV
चो व चोस
● िशवािलक के दि णी ढ़ालों पर उतरती ई बरसाती निदयों को ‘चो’ कहते ह।
● ऐसी निदयों ारा िशवािलक की ढ़ाल पर ऊबड़-खाबड़ भूिम बन जाती है , िजसे
‘चोस भूिम’ कहते ह।
KL
भूड़
● बां गर मृदा के े म अप य की ि या ारा महीन िम ी के कण िव थािपत हो जाते
ह।
● फलतः मोटे कणों वाली बालू के ढ़े र कहीं-कहीं िदखाई दे ते ह, िज भूड़ कहते ह।
M

धांड
िसंधु के डे ाई दे श म पाई जाने वाली झील ह, जो निदयों के जल के एकि त होने से
िवकिसत ई ह।
रे ह या क र
● ह रत ां ित के े ों म िवकिसत लवणीय मृदा के े
● उ ि जल-जमाव एवं वा ीकरण के कारण मृदा म लवणों की मा ा म वृ होने
से
● बां गर मृदा के े म नमक यु सफेद परत वाले े
E
म वत मैदान का मह

IV
● िव का सबसे अिधक उपजाऊ और घनी जनसं
● दे श की लगभग 47 ितशत जनसं
● िहमालय पवत का उपहार
● जलोढ़ िम ी
ा िनवास
ा वाला मैदान
KL
● भारत का मुख कृिष े
● समतल भूिम ⇒ रे लमाग , जलमाग व निदयों का जाल ⇒ ापा रक और
औ ोिगक मह
● खिनज तेल एवं ाकृितक गैस की ापक संभावना
M

ाय ीपीय पठार
M
KL
IV
E
प रचय
● तीन ओर जल से िघरा भूभाग ाय ीप कहलाता है ।
● ाय ीपीय भारत का पठार गोंडवानालड का िह ा है ।
उ ि
● भारत का ाय ीपीय पठार ब त पहले यह भाग अ ीका से सटा आ था।
● इसके उ र-पूव िदशा की ओर वाह से टे िथस सागर म िन ेिपत मलबों म वलन से
िहमालय की उ ि ई।
● यह वाह अभी भी जारी है और इसी कारण िहमालय का उ ान भी जारी है ।

E
● पठार के इसी जारी वाह के कारण िहमालय म भूकंप की घटनाएं घिटत होती ह।
● हालां िक ाय ीपीय पठार िववतिनकी ि से पूरी तरह से थर है । यही कारण है
िक दि ण भारत म सामा तः ब त कम भूकंप आते ह।

IV
● पठार के दोनों तरफ यानी पि मी घाट और पूव घाट के िकनारों पर समतल मैदान
पाए जाते ह िजनका िनमाण अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी म िगरने वाली निदयों
ारा जलोढ़कों के िन ेप से आ है ।
ाय ीपीय पठार की संरचनाएँ
KL
M
● Aravalli Mountains
● Vindhya Mountains
● Satpura mountain
● Western Ghat Mountains
● Eastern Ghat Mountains
● Nilgiri Hills
● Annamalai Hill
● Cardamom hill

E
● Malwa Plateau
● Chota Nagpur Plateau
● Deccan Plateau

IV
● plateau of chhattisgarh
● shillong plateau
● Dandakaranya Plateau
KL
● Bastar plateau
M
E
IV
KL
M

अरावली
● ाय ीपीय पठार के उ र-पि मी िसरे पर िव ार
● िव का सबसे ाचीनतम विलत पवत
● गुजरात के पालमपुर से िद ी म मजनू के टीला तक िव ृत
E
IV
KL
● ल ाई लगभग 800 िकमी. & अिधकतम ल ाई राज थान म
● राज थान म अरावली : जरघा की पहािड़यां & िद ी म : िद ी रज
● बनास नदी अरावली को पि म से पूव िदशा म पार करती है ।
● सव िशखर : गु िशखर (राज थान के माउं ट आबू म; िदलवाड़ा जैन मंिदर भी)
M

िव यन पवत ेणी
● मालवा पठार के दि ण म
● िव ार पूरी तरह से म दे श म
● पूव म भां डेर पहाड़ी और कैमूर पहाड़ी के नाम से जाना जाता है
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IV
KL
● दि ण म नमदा ंश घाटी; नमदा ंश घाटी के दि ण म सतपुड़ा पहाड़ी
● सतपुड़ा पहाड़ी के दि ण म तापी ंश घाटी
सतपुड़ा पवत ेणी
M

● भारत म एकमा ाॅ क पवत का उदाहरण


● सतपुड़ा के उ र म नमदा ंश घाटी है जबिक दि ण म तापी ंश घाटी
E
IV
KL
● सतपुड़ा पि म से पूव की ओर तीन पहािड़यों के प म िव ृत : राजपीपला,
महादे व, मैकाल
● सबसे ऊँची चोटी : धूपगढ़
● पंचमढ़ी िहल े शन या पंचमढ़ी बायो ीयर रजव (MP)
● मैकाल पहाड़ी म दे श और छ सीगढ़ की सीमा बनाती है ।
M

● मैकाल पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी अमरकंटक है ।


● अमरकंटक चोटी के पास से ही नमदा और सोन निदयाँ िनकलती ह।
● नमदा नदी पि म म अपनी ंश घाटी म बहती ई खंभात की खाड़ी म िगरती है
तथा सोन नदी गंगा म िमल जाती है ।
● सतपुड़ा पहाड़ी का िव ार गुजरात, महारा और ादातर भाग म दे श म
पि मी घाट / स ा ी
● व ुतः पवत न होकर एक कगार
● उ ि अ ीकी भूखंड से टू टने से
● पि मी घाट पवत माण िक अ ीकन ेट और भारतीय ेट म अलगाव

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KL
● तापी नदी के मुहाने से दि ण म केप कैमो रन (क ाकुमारी) तक
● िहमालय के बाद भारत म दू सरा सबसे ल ा पवत & भारत म थत भारत का
सबसे ल ा पवत ⇒ लंबाई : 1600 िकलोमीटर
M

● सबसे ऊँची चोटी : अनायमुढ़ी


● उ री स ाि की सबसे ऊंची चोटी: क ुबाई (महारा )
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IV
पि मी घाट के दर
● थाल घाट : महारा म, (मुंबई से नागपुर)
KL
● भोर घाट : महारा म, (मुंबई से पुणे); (NH-4 : मुंबई-पुणे-चे ई)
नीलिगरी
● पि मी घाट पवत; पूव घाट पवत से नीलिगरी पवत के मा म से जुड़ जाता है ।
● कनाटक, केरल एवं तिमलनाडु रा ों के िमलन थल पर थत
● िव ार : तिमलनाडु , केरल और कनाटक म
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IV
KL
● सबसे ऊँची चोटी : दोदाबेटा (दि ण भारत की दू सरी सबसे ऊँची चोटी)
● िस पयटक थल : ऊटी या ऊटकमंडल (तिमलनाडु )
● केरल का िस सदाबहार वन साइलट वैली भी नीलिगरी पहािड़यों पर
● नीलिगरी पवत के दि ण म एक पवतीय गैप ⇒ पालघाट दरा / पल ड गैप
● पालघाट गैप से होकर ही रे लमाग और सड़क माग ारा केरल और तिमलनाडु को
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आपस म जोड़ िदया गया है ।


● पालघाट दर के दि ण म एक और पवतीय गाँ ठ है िजसका नाम अनायमुढ़ी पवतीय
गाँ ठ है ।
● अनायमुढ़ी गाँ ठ म तीन पहािड़यों का िमलन- थल ⇒ उ र की ओर अनामलाई,
दि ण की ओर काडमम तथा उ र-पूव की ओर पालनी पहाड़ी
● अनामलाई पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी : अनायमुढ़ी
● काडमम पहाड़ी को दो अ नामों से भी जाना जाता है - इलायची पहाड़ी या
इलामलाय पहाड़ी।
● काडमम पहाड़ी भारत की सबसे दि णतम पहाड़ी
पूव घाट
● पूव घाट पवत पि मी घाट पवत की तरह मब और िनरं तर नहीं;
● ब ढ़ाल का अनुसरण करते ए बंगाल की खाड़ी म िगरने वाली निदयों ारा
जगह-जगह से काटा आ है ।
● यही कारण पूव घाट पवत को अलग-अलग रा ों म अलग-अलग नामों से जाना

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जाता है ।

IV
KL
M

● आं दे श : न ामलाई, पालकोंडा, वेिलकोंडा


● तेलंगाना : शेषाचलम पहाड़ी
● तिमलनाडु : जावादी, शेवाराय, पंचामलाई, िस मलाई (चाक नाइट च ान से
िनिमत)
● नीलिगरी सिहत तिमलनाडु की पहािड़यों पर चंदन और सागवान के वृ ब त
अिधक पाए जाते ह।
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िशलांग पठार
KL
M
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IV
● िशलां ग पठार िहमालय का िह

ा नहीं;
ाय ीपीय पठार की च ानों से मेल खाती ह।
ोंिक च ान िहमालय से मेल नहीं खाती
KL
● असम की रगमा और िमिकर पहािड़याँ भी िहमालय का िह ा नहीं, दोनों भी
िशलां ग पठार ( ाय ीपीय पठार) का िह ा
● छोटा नागपुर पठार से पूव िदशा म पि म बंगाल म ⇒ राजमहल पहाड़ी
● ाचीनकाल म राजमहल पहाड़ी मेघालय तक िव ृत
● िशलां ग पठार छोटानागुपर और राजमहल पहाड़ी का ही मेघालय म पूव िव ार,
M

लेिकन बीच वाले िह े म गैप ⇒ राजमहल-गारो गैप / मालदा गैप


● गंगा और पु निदयों ने इसे काट िदया और बीच वाले भूभाग म िम ी से भर
िदया, जहां आज बां ादे श है ।
● इसी कारण बां ादे श पूरा का पूरा मैदानी दे श है , यहाँ कोई पठार नहीं
मालवा पठार

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IV
KL
M
● अरावली और िव न पवतों के बीच थत
● िनमाण ालामुखी लावा से आ ⇒ बेसा च ानों का े
● यही कारण है मालवा पठार पर काली िम ी पाई जाती है ।
● ढ़ाल उ र की तरफ ⇒ मालवा पठार से िनकलने वाली च ल, बेतवा और
कालीिसंध निदयाँ उ र की ओर वािहत होती ह।
● च ल और उसकी सहायक निदयों ने मालवा पठार को अपरिदत कर िदया है । यह
अपरदन अवनािलका या ख कार का है ।

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● इसी अपरिदत भूिम का उ ात भूिम या बीहड़ (उबड़-खाबड़) कहते ह।
द न पठार

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KL
M
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IV
● सतपुड़ा पवत, पि मी घाट पवत और पूव घाट पवत के म
● मु प से द न टै प की च ानों से िनिमत
KL
● द न के पठार के अंतगत स िलत संरचनाएं : ह र ं पहाड़ी, बालाघाट पहाड़ी
अजंता पहाड़ी, गिवलगढ़ पहाड़ी
● चारों पहािड़याँ महारा म थत
● द न पठार के अंतगत ही दं डकार का पठार
M

● छ ीसगढ़ और ओिडशा म
● दं डकार पठार के अंतगत ही ब र का पठार
● भारत म िटन का एकमा भंडार ब र पठार के अंतगत
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IV
छोटा नागपुर का पठार
KL
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IV
● झारखंड और पि म बंगाल म
● दो मुख निदयाँ दामोदर और ण रे खा िनकलती ह
KL
● दामोदर नदी छोटा नागपुर पठार को दो भागों म बां टती है ⇒ उ र म
हजारीबाग पठार और दि ण म रां ची पठार।
● रां ची पठार भारत म सम ाय मैदान का उदाहरण है यानी पठार का एक ऐसा मैदान
िजसम च ान या िशखर नहीं पाए जाते ह।
M

● छोटा नागपुर का पठार भारत म खिनजों की ि से मह पूण


● कोयला, लोहा और यूरेिनयम ⇒ इसिलए छोटा नागपुर पठार को भारत का र
दे श
● र और राइन निदयों के बीच का े जमनी म र दे श कहलाता है जो खिनजों
की ि से िव म अ ंत समृ माना जाता है ।
● छोटा नागपुर पठार के उ र-पूव म राजमहल की पहाड़ी है ।
● इसकी अव थित मु प से झारखंड म है ।
तटवत मैदान

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IV
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● तटवत मैदान भारत के तटीय े ों म संकरी पेटी म थत जलोढ़ िनिमत संरचना है ,
िजसकी उ ि ी ोसीन से होलोसीन काल तक निदयों ारा लाए गए जलोढ़कों
के िन ेप से ई है ।
● साथ ही समु ी तरं गों ारा अपरदन की ि या एवं िन ेपण का भी इनके िवकास म
योगदान है ।

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IV
KL
पि मी तटीय मैदान
M
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IV
● गुजरात से लेकर क ाकुमारी तक
KL
● औसत चौड़ाई 30 से 40 िकलोमीटर
● सबसे अिधक चौड़ाई नमदा तथा तापी नदी के मुहाने पर
● नमदा व ता ी के मुहाने के पास तथा गुजरात के कािठयावाड़ मैदान म 80 से 100
िकलोमीटर तक चौड़ा
● इसका कारण नमदा व ता ी ारा अपे ाकृत अिधक मलवों का िन ेप करना तथा
M

कािठयावाड़ के तटीय े म पवत का तट से दू र थत होना है ।


● पि मी तटीय मैदान की चैड़ाई के कम होने का मुख कारण यहाँ छोटी निदयों का
िगरना है ।
● पि मी घाट के पि म से िनकलने वाली निदयाँ अपे ाकृत छोटी एवं ती वेग वाली
ह जो ए ुयरी का िनमाण करती ह।
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IV
● फल प यहाँ अिधक मलवों का िन ेप नहीं हो पाता है ।
● पि मी घाट पवतीय े तट के िकनारे ती ढ़ाल वाला े है ।
KL
● इस कारण भी पि मी तटवत मैदानों की चैड़ाई कम है ।
● कोकण तट : गुजरात से लेकर गोवा तक
● क ड़ तट : गोवा से लेकर कनाटक के मंगलौर तक
● मालाबार तट : मंगलौर से लेकर क ाकुमारी तक
● मालाबार तट का अिधकां श िह ा केरल के अंतगत आता है , अतः मालाबार तट को
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केरल तट भी कहते ह।
● मालाबार तट पर अनेक लैगून झीले पाई जाती ह।
● उदाहरण के िलए केरल म बे ानाड झील, अ मुदी झील आिद।
● केरल म लैगून झीलों को थानीय प से कयाल कहते ह। को का बंदरगाह ऐसे
ही अनूप पर थत है ।
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IV
● पि मी घाट का पि मी भाग कगारनुमा अथात् ती ढ़ाल वाला
● इसिलए पि मी तट पर बहने वाली निदयाँ अपने ती वेग के कारण अरब सागर म
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िगरते समय डे ा का िनमाण नहीं ब ए ुयरी का िनमाण करती ह।
● गुजरात म नमदा और तापी नदी, गोवा म मां डवी, जुआरी, कनाटक शरावती नदी,
केरल म भरतपूझा व पे रयार डे ा का िनमाण न करके ारनदमुख का िनमाण
करती है ।
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IV
पूव तटीय मैदान
गली नदी के मुहाने से लेकर क ाकुमारी तक िव ार
KL
● औसत चौड़ाई 80 से 100 िकलोमीटर; सवािधक चौड़ाई तिमलनाडु म
● ओिडशा : उ ल तट
● आं दे श : उ री सरकार
● तिमलनाडु : कोरोमंडल तट
M
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IV
● पूव तटीय मैदान पर भी कुछ लैगून झीले ह- ओिडशा म िच ा झील और
KL
आं दे श म पुलीकट झील।
● पुलीकट झील तिमलनाडु और आं दे श की सीमा पर थत है ।
● इसी झील के -बीच आं दे श म ीह रकोटा ीप थत है ।
● जहाँ पि मी तटीय मैदान की निदयाँ ए ुअरी का िनमाण करती ह, वहीं पूव तटीय
M

मैदान की निदयाँ डे ा का िनमाण करती ह।


● जैसे- महानदी, गोदावरी, कृ ा और कावेरी।
● ोंिक पूव तटीय मैदान की ढ़ाल ब त ही कम है ।
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IV
● पूव की ओर बहकर बंगाल की खाड़ी म िगरने वाली निदयों ने पूव घाट को
जगह-जगह से काट िदया है और अपनी घाटी म कम वेग से बहती ह।
KL
● मंद ढ़ाल के कारण ही पूव की निदयों का वेग तट पर प ँ चते-प ँ चते अनेक धाराओं
म बँट जाती ह।
● अतः निदयाँ अपने जलोढ़कों को समु म प ँ चाने से पहले ही तट पर िन ेिपत कर
दे ती ह िजससे डे ा का िनमाण होता है ।
● डे ा की िवशेषता होती है िक धीरे -धीरे समु की ओर बढ़ता है ।
M

● इस कार पूव तट का िनमाण कई निदयों के डे ा े ों से िमलकर आ है ।


इसिलए जलोढ़ िन ेप का े है ।
● इस जलोढ़ िन ेप म निदयाँ ितवष उपजाऊ िमि याँ बहाकर लाती ह।
● यही कारण है िक पूव तटीय मैदान ब त ही उपजाऊ है ।
● पूव तटीय मैदान का िव ार अिधक होने एवं कृिष हे तु उपयु होने के कारण यहाँ
पि मी तट की तुलना म अिधक जनसं ा िमलती है ।
● तिमलनाडु के कोरोमंडल तट को ‘दि ण भारत का अ का भंडार’ कहते ह।
● पूव तटीय मैदान की औसत चौड़ाई 80 से 100 िकलोमीटर है ।
● पूव तटीय मैदान की अिधक चौड़ाई का कारण ाय ीपीय पठार की बड़ी निदयों
का वािहत होना तथा डे ा बनाना है ।
● महानदी, गोदावरी, कृ ा, कावेरी जैसी बड़ी निदयाँ अपने साथ बड़ी मा ा म मलवा
लाती ह िजनके िन ेप से पूव तटीय मैदान के प म चौड़े िव ृत मैदान की उ ि
ई है ।
● इसके अलावा ाय ीपीय पठार का ढ़ाल दि ण-पूव की ओर है ।
● इस कारण पि मी घाट के पि मी भाग तथा सतपुड़ा के महादे व व मैकाल पहािड़यों
से िनकलने वाली निदयों का वाह भी पूव की ओर है ।

E
● पूव घाट की ओर ढ़ाल अपे ाकृत मंद है , िजस कारण निदयाँ ापक पैमाने पर
मलवों का िन ेप करती ह। फल प पूव तटीय मैदान अपे ाकृत अिधक चौड़ा
है ।

IV
● इसके अलावा पूव घाट तट से थोड़ी दू री पर एक अपरिदत पवत है अथात् पूव घाट
का ती अपरदन आ है , जो इसकी चौड़ाई म वृ का मुख कारण है ।
● इस कार पूव तटीय मैदान की चौड़ाई कई कारकों से िनधा रत होती है ।
KL
importance of the coastal plain
M

● पूव तथा पि मी तट पर उपजाऊ व चौड़े मैदानों म चावल, ग ा व ना रयल की


खेती ापक प से की जाती है ।
● तटों पर ना रयल, काजू, सुपारी, रबर, गरम मसाले, अि व लेमन घास, उ
किटबंधीय फल तथा ताड़ के कुंज पाए जाते ह।
● ना रयल की जटाओं से िविभ कार की व ुएँ बनाना इन तटों पर मु उ ोग है ।
● तट से घाट की ओर ढ़ाल पर कहवा, चाय व गरम मसालों की खेती की जाती है ।
● मालाबार तट तथा पूव निदयों के डे ाई े ों म म न िकया जाता है ।
● मछिलयों के िलवर से तेल ा करना, मछिलयों को नमक म सुखाकर िड ों म
बंद करना, मोती िनकालना और नमक तैयार करना तटों के अ मुख उ ोग है ।
● इ ीं तटों पर भारत के मुख बंदरगाह थत ह।
● पूव और पि मी तटों पर नमक बनाया जाता है ।
● दोनों तटों के सहारे िपछली शता यों म आने वाले अरब, पुतगाली, डच, ापा रयों

E
ने अपनी अपनी कोिठयाँ थािपत की।
● मदु रै, थंजावुर, कां चीपुरम, रामे रम, धनुषकोडी इ ािद ाचीन भारतीय सं ृ ित के
िच भवनों के प म िमलते ह।

IV ा की ि से एवं पयटन की ि से भी तट अ ंत िस
पि मी तथा पूव घाट म अंतर
ह।
KL
M
E
IV
पि मी घाट
● पि मी तट के समानां तर
KL
● तापी नदी से क ाकुमारी तक
● औसत ऊँचाई 900 से 1100 मीटर
● औसत चौड़ाई 50 से 80 िकमी.
● कगारनुमा, केवल दर के मा म से ही पार
● ाय ीपीय पठार म बहने वाली बड़ी निदयों का ोत
M

● अरब सागर से आने वाली दि णी-पि मी मानसून पवनों के लगभग लंबवत्, िजससे
पि मी तटीय मैदान म भारी वषा
पूव घाट
● पूव तट के समानां तर
● ओिडशा से नीलिग र की पहािड़यों तक
● औसत ऊँचाई 600 मीटर
● औसत चौड़ाई 100 से 200 मीटर
● बड़ी निदयों ारा कई भागों म िवभ
● िकसी नदी का उ म नहीं
● बंगाल की खाड़ी से आने वाली दि ण-पि मी मानसून के लगभग समानां तर,
इसिलए अिधक वषा नहीं
पि मी तथा पूव तटीय मैदान म अंतर

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IV
KL
M
पि मी तटीय मैदान
● पि मी घाट तथा अरब सागर के तट के म थत
● एक संकरा मैदान, िजसकी औसत चौड़ाई 64 िकमी.
● कई छोटी एवं ती गामी निदयां , जो डे ा बनाने म असमथ
● दि ण भाग म अनेक लैगून झील
● अिधक कटा-फटा, अतः अिधक बंदरगाह
पूव तटीय मैदान
● पूव घाट तथा बंगाल की खाड़ी के म थत

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● अपे ाकृत चौड़ा मैदान, औसत चौड़ाई 80 से 100 िकमी.
● महानदी, गोदावरी, कृ ा, कावेरी जैसी बड़ी निदयों के डे ा
● कम लैगून

IV
● कम कटा-फटा, अतः कम बंदरगाह
भारतीय ीप
● भारत म मु
● कुल 247 ीप
थल के अित र िहं द महासागर म ब त से ीप
KL
● 204 ीप बंगाल की खाड़ी म
● 43 ीप अरब सागर म
● बंगाल की खाड़ी के ीप अराकान योमा का ही जल के ऊपर उठा आ भाग
● जबिक अरब सागर के ीप ाचीन भूखंड के अविश और वाल िभि यों ारा
M

िनिमत
Andaman & Nicobar Islands
अंडमान एवं िनकोबार ीप समूह अराकान योमा का ही बंगाल की खाड़ी म िव ार है ।
अराकान योमा के जब हम दि ण की ओर बढ़ते ह तो ीपों का िन िल खत म ा
होता है -
● कोको ीप
● उ री अंडमान
● म अंडमान
● दि णी अंडमान
● िलिटल अंडमान
● 10 Degree Channel
● कार िनकोबार
● ेट िनकोबार

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IV
KL
M
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IV
KL
● अंडमान-िनकोबार की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक (उ री अंडमान)
● अंडमान-िनकोबार का सबसे बड़ा ीप म अंडमान
● 10 िड ी चैनल : िलिटल अंडमान और कार िनकोबार के बीच
● भारत का दि णतम िबंदु : इं िदरा ाइं ट (िप ेिलयन ाइं ट) - ेट िनकोबार पर
M

थत
● 10° उ री अ ां श के उ र म थत ीप : अंडमान ीप समूह
● 10° उ री अ ां श के दि ण म थत ीप : िनकोबार ीप समूह
● अंडमान के ीप समूहों म महा अंडमानी, ओंगे, जरवा और सटीनली नाम की चार
िन ेटो जाितयां ह
● िनकोबार ीपसमूह म िनकोबारी तथा शोमपेन नाम की दो मंगोलायड जाितयां ह।

ीप

M
KL
IV
E
● ल ीप भारत का सबसे छोटा क शािसत दे श
● एक वाल ीप
वाल ीप

E
IV
KL
● ल ीप का सबसे बड़ा ीप ⇒ एं डोत
● 9 िड ी चैनल ⇒ ल ीप और िमिनकॉय के बीच
भारत की मु भूिम के िनकटवत ीप
● गंगा सागर और ू मूर ीप : ी नदी
M

● ीलर ीप : ओिडशा म ा णी नदी


● ीह रकोटा ीप : आं दे श के तट पर : इसरो का लां िचंग पैड
● म ार की खाड़ी की थित तिमलनाडु और ीलंका के म है ।
E

IV
न ीप
KL
● म ार की खाड़ी म थत
● प न ीप पर ही रामे रम थत है ।
● सबसे पूव िह ा ⇒ धनुषकोडी ⇒ रामसेतु का ारं भ
M
E
IV
KL
M

अिलयाबेट ीप
● गुजरात म ख ात की खाड़ी म नमदा नदी के मुहाने
● पेटोिलयम के भंडार की खोज ⇒ दोहन शु नहीं
● एिलफटा ीप ⇒ मुंबई के पास थत
भारत का अपवाह तं
अपवाह तं
● िनि त वािहकाओं के मा म से हो रहे जल वाह को अपवाह कहते ह।
● इन वािहकाओं के जाल को अपवाह तं कहा जाता है ।

E
IV
KL
M
नदी का उ म ोत
● जहाँ से नदी िनकलती है ।
संगम
● वह थान जहाँ दो या दो से अिधक निदयाँ िमलती है ।
िवत रका नदी
● मु नदी से िनकलने वाली छोटी नदी जो िफर कभी इससे नहीं िमलती है ।
● इसके कारण मु नदी के पानी की मा ा म कमी आ जाती है ।
सहायक नदी

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एक छोटी नदी या धारा जब िकसी बड़ी नदी से िमलकर इसके जल की मा ा को बढाती है
तो उसे सहायक नदी कहते है ।
नदी मुहाना

IV
वह थान जहाँ नदी का वाह ख़ होता है या यह समु से िमलती है ।
KL
M

नदी परे खा
● यह नदी ोत से मुहाने तक िविभ िबंदुओं पर नदी की गहराई का ितिनिध
करता है ।
● ाय ीपीय निदयाँ लगभग अपने अपरदन के िन र तक प ँ च चुकी ह।
िवसजन
● समय के साथ नदी म बहने वाले जल की मापी गयी मा ा।
● इसे ूसेक ( ूिबक फीट ित सेकंड) या ूमे ( ूिबक मीटर ित सेकंड) म
मापा जाता है ।

E
IV
KL
अपवाह प
● एक े म धाराओं की ािमतीय व था को अपवाह प कहा जाता है ।
● एक े म अपवाह पैटन को िनयंि त करने वाले कारक िन ह:
थलाकृित
M

िकसी े की ाकृितक और कृि म आकृित िकसी अपवाह तं को अ िधक भािवत


करती है ।
वणता/ढाल
नदी के वाह की िदशा आमतौर पर वणता ारा िनदिशत होती है ोंिक पानी का वाह
गु ाकषण बल ारा िनयंि त होता है ।
संरचना क िनयं ण
● नदी के माग म पड़ने वाले च ानो के परतों की व था, नदी की िदशा को भािवत
कर सकती है ।
● वाह की सामा िदशा होने के बावजूद एक उभरी ई च ान के कारण नदी
अपनी िदशा बदल सकती है ।
च ानों की कृित
● जैसे-जैसे नदी अपने माग का अपरदन करती जाती है , नदी के माग की गहराई को
िनधा रत करने म आधार की कृित मह पूण होती जाती है ।
● यिद नदी अपने रा े म अिधक ितरोधी च ानों से टकराती है , तो ढाल के साथ होने
के बावजूद नदी को अपनी िदशा बदलनी पड़ सकती है ।
िववतिनकी गितिविधयाँ

E
िववतिनकी हलचल नदी के आकार, जलीय गितिविधयों , इनके बनने और िन ेपण को
भािवत करते ह।
भारत म अपवाह तं के ित प

IV
वृ ाकार/डिडिटक ित
● यह अपवाह तं

पेड़ की शाखाओं की तरह िदखता है , इस िलये इसे वृ ाकार /
डिडिटक अपवाह तं के प म जाना जाता है ।
● उदाहरण के िलए उ र भारत के मैदानी भाग की निदयां ।
KL
M
अरीय अपवाह ित प
● ये तब बनते ह जब निदयाँ एक पहाड़ी से िनकलकर सभी िदशाओं म वािहत होती
ह।
● उदाहरण के िलए अमरकंटक से िनकलने वाली निदयाँ ।

E
IV
KL
क ािभमुखी
● क ािभमुखी अपवाह प तब बनता है जब ब त सी निदयाँ अपने जल को सभी
िदशाओं से हण कर एक झील या एक तालाब म छोड़ दे ती ह।
● उदाहरण के िलए, मिणपुर म लोकटक झील।
M

जालीनुमा ित प
जाल प जल अपवाह तं तब बनता है जब मु निदयों की ाथिमक सहायक निदयाँ
एक दू सरे के समानां तर बहती ह और ि तीयक सहायक निदयाँ उ समकोण पर िमलती
ह।
E
IV
आयताकार ित प
● आयताकार अपवाह तं म, मु धारा और इसकी सहायक निदयाँ दोनों समकोण
KL
पर काटती ह।
● एक आयताकार अपवाह ित प अ िधक कठोर च ानों म िमलता है । उदाहरण
के िलए भारत के िवं पवत म िमलने वाली धाराएँ ।
M
वलयाकार ित प
● वृ ाकार पैटन भी कहा जाता है
● िनमाण तब जब मु अनुवत धाराओं को एक च के प म िवकिसत िकया
जाता है ।
● इस तरह के पैटन को एक प रप और िव े िदत गुंबद वाले पवत पर िवकिसत,
िजसम किठन और नरम च ानी तलों के वैक क तल की एक ृंखला होती है ।

E
IV
KL
M

● नरम और कठोर च ान तल के िवभेदक रण के प रणाम प तल को अपरिदत


कर िदया जाता है जो वलयाकार संरचना का िनमाण करता है जहां अपे ाकृत
अवरोधक तल बाहर की ओर िनकल जाता ह जबिक नरम तल वृताकार ी का
िनमाण करते ह।
E
अपवाह तं के ित प के कार
नदी के ित प के आकार और िनमाण के आधार पर िविभ जल अपवाह तं ित प

IV
िमलते ह।
ितकूल अपवाह तं
अपवाह का एक ऐसा तं जो े की थलाकृित और भूिव ान के संगत नहीं होता है । ये
KL
दो कार के होते है -
1. पूवगामी असंगत अपवाह तं
2. अ ारोिपत अपवाह तं
पूवगामी असंगत अपवाह तं
● नदी के लगातार अपरदन से, नदी की सतह कम होने की बजाय इस थलाकृित के
M

उ ान के कारण अपनी पूव थित पर बनी रहती है ।


● िसंधु, सतलुज, गंगा और पु महान िहमालय के ऊपर से िनकलती ह।
अ ारोिपत अपवाह तं
● नदी के लगातार अपरदन के कारण थल की कमजोर च ान अपरिदत हो जाती है
और नदी कठोर च ानों पर तं प से बहने लगती है ।
● दामोदर, सुबणरे खा, चंबल, बनास अ ारोिपत अपवाह तं के ह।
अनुकूल अपवाह तं
अपवाह का एक ऐसा तं जो े की थलाकृित और भूिव ान के संगत नहीं होता है । ये
दो कार के होते है -
1. पूवगामी असंगत अपवाह तं
2. अ ारोिपत अपवाह तं
● अपवाह का एक ऐसा पैटन है , जो े की थलाकृित और भूिव ान के संगत होता
है ।
अनुवत निदयां
वह निदयां िजसकी वाह-िदशा भूिम के मूल ढाल के अनु प रहती है ।

E
परवत निदयां
अ अपरदना क ितरोध िवकिसत होने वाली सहायक नदी जो े ीय संरचना के साथ
समायोिजत होती है ।

IV
ानुवत निदयां
वह नदी जो शैल-समूह की नित की िवपरीत िदशा म और मूल अनुवत नदी के बहाव की
भी िवपरीत िदशा म बहती है ।
नवानुवत निदयां
KL
वह नदी जो िकसी मूल अनुवत नदी की िदशा म बहती है , पर ु उसका िवकास बाद म
होता है और वह ायः िकसी परवत स रता (subsequent river) की सहायक बन जाती है

भारत की निदयाँ
M

● िहमालय की निदयाँ
● ाय ीपीय भारत की निदयाँ
● भारत के अपवाह तं का िनयं ण मु तः भौगोिलक आकृितयों के ारा
● िव न पवत उ र और दि ण भारत की निदयों के बीच जल-िवभाजक
● ाय ीपीय निदयां चौड़ी, उथली तथा लगभग संतुिलत घािटयों वाली
● िहमालय की निदयों की तुलना म अिधक पुरानी
● ौढ़ अव था
● अनुवत वाह
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IV
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● कुछ ंश े ों को छोड़कर निदयों की ढाल- वणता ब त मंद
● पि मी घाट जल-िवभाजक
● अिधकां श निदयाँ पि म से पूव िदशा म
● नमदा तथा तापी निदयाँ अपवाद, पूव से पि म म भंश घािटयों म
● निदयों का माग लगभग िनि त
● यू आकार की घाटी
● उ म से लेकर मुहाने तक कठोर च ानों पर वािहत
● सदानीरा न होकर अिधकतर मौसमी निदयां

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दि ण भारत की बंगाल की खाड़ी म िगरने वाली निदयाँ
दामोदर, णरे खा, वैतरणी, ा णी, महानदी, गोदावरी, कृ ा, पे ार, कावेरी, वैगाई,
ता पण

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दि ण भारत की अरब सागर म िगरने वाली निदयाँ
लूनी, साबरमती, माही, नमदा, तापी, मा वी, जुआरी, ावती, गंगावेली, पे रयार,
भरतपूझा

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दामोदर नदी
● झारख के छोटा नागपुर े से
● छोटा नागपुर पठार के बीचोबीच ंश घाटी म पूव की ओर वािहत
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● लंबाई 592 िकमी.


● गली नदी की एक सहायक नदी
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● प से बंगाल की खाड़ी म न िगरकर ी नदी के मा म से बंगाल की
खाड़ी म िगराती है
● नदी का आधा िह ा झारखंड म तथा आधा पि म बंगाल म है ।
● सहायक निदयाँ : बाराकर, कोनार, बोकारो, हाहारो, जामुिनया, घारी, गुईया,
खिड़या और भीरा
M

● भारत के मुख कोयला एवं अ क े दामोदर घाटी म


● बंगाल का शोक
● झारखंड म दे वनद के नाम से जाना जाता ह।
● दामोदर घाटी प रयोजना : तं भारत की पहली ब उ े शीय नदी घाटी प रयोजना
(1948)
● दामोदर नदी पर चार ब उ े शीय बां धों का िनमाण : ितलैया, मैथन, कोनार, और
पंचेट
णरे खा
● झारखंड की राजधानी राँ ची के पास से िनकलती है
● ओिडशा के तट पर अपना मुहाना बनाती है ।
● झारखंड, ओिडशा और पि म बंगाल म वािहत
● झारखंड का जमशेदपुर इसी नदी के मुहाने पर थत है ।
● ल ाई : 395 िकमी.

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● छोटा नागपुर पठार एक औ ोिगक े ⇒ औ ोिगक इकाईयों से िनकले
रसायिनक अपिश ों को ण रे खा नदी म िगराए जाने के कारण ण रे खा दू िषत
⇒ ण रे खा नदी म जलीय जीव-जंतु नहीं ⇒ ’जैिवक म थल’

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वैतरणी
● ओिड़शा रा म
M

● के दु झर िज़ले की गु गंगा पहािड़यों म गोनािसका से


● ल ाई 360 िकमी
● ा णी नदी के साथ िमलकर बाले र िज़ले म धामरा के पास बंगाल की खाड़ी म
● ओिडशा की सबसे पिव नदी ⇒ ओिडशा की गंगा
ा णी
● ओिड़शा रा म
● एक ऋतु-िनभर नदी
महानदी
● छ ीसगढ़ म अमरकंटक ेणी (ड कार पठार)
● ल ाई 857 िकलोमीटर
● मुख सहायक निदयाँ - िशवनाथ, जोंक, हसदे ओ, मड, इब, ओंग, तेल

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● छ ीसगढ़, म दे श, झारखंड, ओिडशा तथा महारा म वािहत
● महानदी पर हीराकुंड बाँ ध
● वाह दि ण से उ र की तरफ
● 'छ ीसगढ़ रा की गंगा'
● छ ीसगढ़ ⇒ महानदी घाटी ⇒ छ ीसगढ़ बेिसन ⇒ धान का कटोरा
गोदावरी
● महारा म पि मी घाट पहाड़ी पर थत नािसक के य क नामक थान से
● दि ण भारत की सबसे ल ी नदी

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● 1465 िकलोमीटर
● ‘बूढ़ी गंगा’ भी कहते ह

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● मंजीरा गोदावरी की एकमा ऐसी सहायक नदी है जो दि ण से बहकर आती है ।
● शेष सभी सहायक निदयाँ उ र से बहकर आती ह।
● वेनगंगा गोदावरी की सबसे ल ी सहायक नदी
● इ ावती नदी ओिडशा से िनकलती है और छ ीसगढ़ म ब र के पठार पर बहती
ई तेलंगाना म आकर गोदावरी नदी म िमल जाती है ।
कृ ा नदी
● दि ण भारत की दू सरी सबसे ल ी नदी

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● महारा म पि मी घाट पर महाबले र चोटी से
● ल ाई : 1400 िकलोमीटर

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● महारा , कनाटक, तेलंगाना, आं दे श म बहती ई बंगाल की खाड़ी म
● कृ ा नदी के िकनारे िवजयवाड़ा (आं दे श)
● िवजयवाड़ा के समीप अपना डे ा बनाती है ।
● सहायक निदयाँ ⇒ तुंगभ ा, घाट भा, दू धगंगा, पंचगंगा, भीमा, कोयना, मूसी
● भीमा (महारा ) पर उजैनी बां ध
● आं दे श तट पर कृ ा & गोदावरी निदयों का डे ा आपस म िमल गया है ।

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● इ ीं डे ाओं के म आं दे श तट पर कोले झील
● नौका यो नहीं
● कावेरी नदी जल िववाद : महारा कनाटक और आं दे श के बीच

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● दो जल पात : िशवसमु म & ीरं गप नम
पे ार
● पे ार नदी कनाटक के कोलार से िनकलती है और आ
● कृ ा और कावेरी निदयों के म थत
दे श म मुहाना
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कावेरी
● कनाटक म पि मी घाट पर िगरी या पु िगरी चोटी से
● कनाटक और तिमलनाडु म वािहत
● दि ण भारत की गंगा या दि ण गंगा भी कहते है ।

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● कावेरी नदी जल िववाद : तिमलनाडु , कनाटक, केरल, आ दे श, तेलंगाना
● कावेरी दि ण भारत की एकमा नदी है िजसम वषभर जल की पया मा ा
● सहायक नदी : हे मावती, िश ा, अकावती, कािबनी, भवानी, नो ल, अमरावती
● दि ण भारत की शेष निदयाँ ायः दि णी-पि मी मानसून से ही जल ा करती
ह।
● कावेरी नदी की घाटी धान उ ादन के िलए िस : इसिलए कावेरी नदी की घाटी
को 'दि ण भारत का धान का कटोरा' कहते ह।
● कावेरी नदी के िकनारे ित िचराप ी (तिमलनाडु ) : िह दु ओं का िस तीथ थान

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● कावेरी नदी पर तिमलनाडु म होगेन ल जल पात
● कनाटक म भारचु ी और बालमुरी जल पात
दि ण भारत की अरब सागर म िगरने वाली निदयाँ

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● लूनी, साबरमती, माही, नमदा, तापी, मा
भरतपूझा
वी, जुआरी, ावती, गंगावेली, पे रयार,
KL
M
M
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लूनी नदी
● अरावली के िनकट अजमेर िजले के नाग पहाड़ (snake mount) से, जहाँ इसे
सागरमती के नाम से जाना जाता है ।
● समु तट तक प ँ चने से पहले ही क के रण म िवलीन हो जाती है ।
● ाचीन नाम : लव ती

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● मौसमी नदी
● राज थान और गुजरात म वािहत
● लूनी नदी पर राज थान म िपिचयाक बां ध
● ल ाई : 495 िकमी.
● सहायक निदयां : जोजडी, मीठडी, लीलडी, बा ी, सुकड़ी, जवाई, खारी, सागी,
गुिहया
साबरमती

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● राज थान के उदयपुर िजले म (झाड़़ौल की पहािड़या) अरावली पवतमाला म धेबार
झील से
● ख ात की खाड़ी म

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● राज थान और गुजरात म वािहत
● लंबाई : 371 Km.
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● सहायक निदयां : वकाल, सेइ, हरनाव, हाथमती, वातरक, मधुमती
● गुजरात का अहमदाबाद एवं गां धीनगर इसी नदी के िकनारे थत
माही नदी
● म दे श के धार िजला के समीप िम ा ाम की िवं ाचल पवत ेणी से उ म
● म दे श, गुजरात, राज थान म वािहत
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● खंभात की खाड़ी ारा अरब सागर म िगरती है


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● माही नदी राज थान म कक रे खा को दो बार काटती है ।
● सहायक निदयां : सोम, जाखम, चाप, अनास, मोरे न, इ
● गुजरात के महीसागर िज़ले कदाणा बाँ ध
● माही नदी के उपनाम
● वागड़ व कंठाल की गंगा
● दि ण राज थान की सवण रे खा
नमदा और तापी

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● ंश घाटी म वािहत होती ह
● नमदा ंश घाटी सतपुड़ा पहाड़ी के उ र म जबिक तापी ंश घाटी सतपुड़ा के
दि ण म

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नमदा और तापी निदयाँ ाय ीपीय पठार के सामा ढ़ाल के िवपरीत अपनी ंश घािटयों
म पि म की ओर वािहत होती ह, ख ात की खाड़ी म अपना जल िगराती ह।
नमदा
● रे वा के नाम से भी जाना जाता है
● मैकाल पवत पर अमरकंटक चोटी म नमदा कुंड से
● अरब सागर म जल िगराने वाली ाय ीपीय भारत की सबसे ल ी नदी
● म दे श और गुजरात रा म
● लंबाई : 1,312 िकमी.

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● भारतीय उपमहा ीप की पां चवीं सबसे लंबी नदी
● गोदावरी और कृ ा निदयों के बाद ाय ीपीय भारत की तीसरी सबसे ल ी नदी
● ‘म दे श की जीवन रे खा’ भी कहा जाता है ।

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● किपलधारा & धुआँधार जल पात
● सहायक निदयां : बरनार, बंजर, शेर, श

तापी
र, दू धी, तवा, गंजाल, छोटी तवा, कु ी,
दे व, गोई, िहरन, ित ोली, बरना, च केशर, कानर, मान, ऊटी, हथनी
KL
● म दे श म महादे व पहाड़ी से सटे ए बैतूल के पठार के मु ाई से
● सूरत के समीप ख ात की खाड़ी म अपना जल िगराती है ।
● अरब सागर म जल िगराने वाली ाय ीपीय भारत की दू सरी सबसे ल ी नदी
● म दे श, महारा , गुजरात म वािहत
M

● ल ाई : 724 िकमी.
● सहायक निदयां : िम ोला, िगरना, प ज़ारा, वाघूर, बोरी एवं आनेर
● सूरत ब रगाह इसी नदी के मुहाने पर
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● थाईलड की तापी नदी का नाम भी अग 1915 म भारत की इसीनदी के नाम पर


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पि मी घाट अथात् सहयाि से िनकलकर अरब सागर म िगरने वाली निदयों की मुख
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िवशेषताएँ
● वेग ब त अिधक
● ब त ही छोटी निदयाँ
● पि मी घाट से िनकलकर अरब सागर म िगरने वाली निदयाँ पि मी घाट के कगार
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के ती ढ़ाल के सहारे वािहत होती ह।


● इस कारण ये निदयाँ जल- पातों का िनमाण करती ह।
पि मी घाट (सहयाि ) से िनकलकर अरब सागर म जल िगराने वाली निदयाँ
● गुजरात : शतरं जी नदी और मादर नदी
● गोवा : मां डवी और जुआरी
M
KL
IV
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अंतरा ीय नदी जल िववाद
भारतीय संिवधान का अनु े द 262 संसद को श दान करता है िक वह रा ों के म
उ होने वाले नदी जल संबंधी िववादों के िनपटारे के िलए व था कर सकती है ।
अंतरा ीय नदी जल िववाद अिधिनयम, 1956
● इस अिधिनयम के अनुसार िविभ रा ों के म उ ए नदी जल संबंधी िववादों
के िनपटारे के िलए ायालय को सुनवाई या िनणय दे ने का अिधकार नहीं होगा।
● इस अिधिनयम के तहत यह व था की गई िक अंतरा ीय नदी जल िववादों के
समाधान के िलए क ािधकरण का गठन कर सकता है जो इस कार के मामलों

E
की सुनवाई करे गा।
● ािधकरण की संरचना के संबंध म व था की गई िक इस कार के ािधकरण म
एक अ तथा दो अ सद होंगे िजनकी िनयु सु ीम कोट के मु

IV
● अ
ायाधीश ारा की जाएगी।
एवं सद
िनधा रत िकया गया।
● अिधिनयम म
ों की यो ता का र सु ीम कोट के ायाधीश के सम

व था की गई िक ािधकरण ारा िदए गए िनणय को सभी प ों के


KL
िलए मानना बा कारी नहीं होगा।
अंतररा ीय नदी जल िववाद (संशोधन) अिधिनयम, 2019
● इसका उ े अतंरा ीय नदी जल िववादों के ाियक िनणय को सरल और
कारगर बनाना और मौजूदा सं थागत ढाँ चे को मज़बूत बनाना है ।
M

● इससे अलग-अलग रा ों के नदी जल-िववाद के िलए अलग-अलग ािधकरणों के


गठन की व था को ख िकया जा सकेगा और एक ही ािधकरण के मा म से
सभी प ों के म सुलह का यास िकया जाएगा।
● अिधिनयम के अंतगत अगर रा िकसी जल िववाद के संबंध म अनुरोध करता है
तो क सरकार उस िववाद को सौहादपूण तरीके से हल करने के िलए िववाद
िनवारण कमेटी की थापना कर सकती है ।
● िववाद िनवारण कमेटी म एक अ और, एक उपा और अिधकतम छह
सद होंगे।
● िवशेष ों को संबंिधत े ों म कम से कम 15 वष का अनुभव ा होना चािहए
और उ क सरकार ारा नािमत िकया जाएगा।
● किमटी म उन रा ों के एक-एक सद होगा जो िववाद का प ह।
● इन सद ों को भी क सरकार ारा नािमत िकया जाएगा।
● िववाद िनवारण कमेटी एक साल के अंदर िववादों को हल करने का यास करे गी
(इस अविध को छह महीने तक और बढ़ाया जा सकता है ) और क सरकार को
अपनी रपोट सौंपेगी।
● अगर कमेटी ारा िववाद का िनपटारा नहीं होता तो क सरकार इस मामले को

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अंतररा ीय नदी िववाद ािधकरण को भेज सकती है ।
● ायािधकरण को 2 साल के िनि त समय म िववाद को सुलझाना होगा।
● ायािधकरण म 1 अ , 1 उपा और 6 सद होंगे िजनको भारत के मु

IV ायाधीश नािमत करगे।


मुख नदी जल िववाद
● रिव एवं ास नदी को लेकर पंजाब ह रयाणा और राज थान म िववाद
● नमदा नदी के जल के िलए म दे श, गुजरात, महारा और राज थान म िववाद
KL
● कृ ा नदी के जल के िलए महारा , आं दे श, कनाटक और तेलंगाना म िववाद
● कावेरी नदी के िलए केरला कनाटक, तिमलनाडु और पुद्दु चेरी म िववाद
● गोदावरी के जल को लेकर महारा , आं दे श ,कनाटक, म दे श और
ओिडशा म िववाद
M

● महानदी को लेकर छ ीसगढ़ और ओिडशा म िववाद


● पे रयार नदी को लेकर तिमलनाडु और केरला म िववाद
● महदायी को लेकर गोवा, महारा , और कनाटक म िववाद
भारत की मुख ब उ े शीय प रयोजनाएं
● निदयों की घािटयो पर बडे -बडे बाँ ध बनाकर ऊजा, िसंचाई, पयटन थलों की
सुिवधाएं ा की जातीं ह।
● इसीिलए इ ब े शीय नदी घाटी प रयोजना कहते ह।
● नदी घाटी योजना का ाथिमक उ े होता है िकसी नदीघाटी के अंतगत जल और
थल का मानव िहत म पूण उपयोग।
● भारत के पहले धानमं ी पंिडत जवाहर लाल नेह ने ब -उ े शीय नदी घाटी
प रयोजनाओं को ‘आधुिनक भारत का मंिदर’ कहा था।
ब उ े शीय नदी घाटी प रयोजनाओं के मुख लाभ
● बाढ़ों की रोकथाम
● निदयों ारा जलमाग की सुिवधा पया कराना
● बड़े बाँ धों का िनमाण तथा उनके ारा िबजली का उ ादन

E
● वन सं रण
● िसंचाई का बंध
● म पालन

IV
KL
M
दामोदर प रयोजना
● दामोदर नदी ⇒ पि म बंगाल का शोक
● झारखंड और पि म बंगाल
● तं भारत की थम नदी घाटी प रयोजना
● बाढ़ की सम ा समाधान के िलए अमे रका की टे नेसी घाटी प रयोजना के आधार
पर 1948 म दामोदर घाटी िनगम की थापना की गई।
● बाढ़ की सम ा को रोकने के िलए कोनार, मेथान, ितलैया और पंचेतिहल आिद
बां धों का िनमाण

E
भाखड़ा नांगल प रयोजना
● सतलुज नदी ⇒ भाखड़ा नां गल बां ध
● लाभा त रा : पंजाब, ह रयाणा, िहमाचल दे श, राज थान

IV
● बां ध के िनमाण से बां ध के पीछे जो जल जमा ⇒ गोिव सागर झील या गोिवंद सागर
जलाशय कहते ह।
● इस प रयोजना म दो बां ध बनाए गए ह ⇒ भाखड़ा (िहमाचल दे श) तथा नां गल
(पंजाब)
KL
● िव का सबसे ऊंचा गु ीय बां ध
M
E
IV
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रह प रयोजना
● ओबरा प रयोजना भी कहते ह
● रह नदी (सोन नदी की सहायक नदी)
M

● उ र दे श तथा म दे श
● इस प रयोजना के साथ गोिवंद ब भ पंत सागर नामक झील का िनमाण भी
● गोिवंद ब भ पंत सागर झील ⇒ म दे श तथा उ र दे श की सीमा पर
● भारत की सबसे बड़ी कृि म
E
IV
KL
हीराकंु ड प रयोजना
● ओिडशा
● महानदी
● िव का सबसे ल ा बां ध ल ाई 4.8 िकमी
M

कोसी प रयोजना
● िबहार म कोसी नदी (िबहार का शोक) के ारा बाढ़ लाने के कारण इस नदी पर इस
बां ध का िनमाण
● िबहार म कोसी नदी से उ सम ा समाधान के िलए हनुमान नगर नामक थान
पर एक बां ध बनाया गया है , िजसे हनुमान नगर बैराज कहते ह।
सरदार सरोवर प रयोजना
● महारा , गुजरात, म दे श और राज थान की संयु प रयोजना
● नमदा नदी
● प रयोजना से सबसे अिधक लाभ गुजरात तथा सबसे अिधक नुकसान म दे श का
ोंिक बां ध के पीछे जल र ऊंचा उठने के कारण बाढ़ ⇒ जीव ज ु, वन ितयां
तथा जनधन की ित
● इस प रयोजना के िवरोध म ही नमदा बचाओ आं दोलन की शु आत
िटहरी बांध प रयोजना
● ओिडशा
● महानदी
● िव का सबसे ल ा बां ध ल ाई 4.8 िकमी

E
● भागीरथी तथा भीलां गना नदी के संगम पर
Par-Tapi Narmada Link Project
Gujarat & Maharashtra

IV
Kalisindh Multipurpose Irrigation Project
Rajasthan
Eastern Rajasthan Canal Project
KL
Rajasthan
Chambal River
केन-बेतवा िलंक प रयोजना
चचा म ों ?
हाल ही म नई िद ी म केन-बेतवा िलंक प रयोजना की संचालन सिमित बैठक आयोिजत
M

की गई।
मुख िबंदु
इस बैठक की अ ता जल श मं ालय के जल संसाधन, नदी िवकास और गंगा
संर ण िवभाग के सिचव ारा की गई। बैठक म म दे श और उ र दे श रा ों के
ितिनिधयों तथा नीित आयोग के अिधका रयों ने िह ा िलया।
केन-बेतवा िलंक प रयोजना
● रा ीय नदी जोड़ो प रयोजना के तहत केन-बेतवा िलंक दे श की पहली रा ीय
प रयोजना है । इस प रयोजना हे तु म दे श, उ र दे श व भारत सरकार के बीच
वष 2005 म ह ा र ए थे।
● केन-बेतवा िलंक प रयोजना को उ र दे श और म दे श म िव ृत बुंदेलखंड म
काया त िकया जाना है , जो एक सूखा- वण े है ।
● इस प रयोजना से लगभग 60 लाख हे े यर े की वािषक िसंचाई, 60 लाख लोगों
को पेयजल आपूित और 100 मेगावाट जल िवद् युत उ ादन होगा। साथ ही इससे
दे श म अ नदी-जोड़ो प रयोजनाओं का माग श होगा, िजससे दे श म जल

E
संसाधन का समुिचत िवतरण सुिनि त िकया जाएगा।
तनाव का िबंदु
प रयोजना से म दे श म प ा टाइगर रजव के कोर े का एक बड़ा िह ा जलम हो

IV
जाएगा िजससे बाघ और इसकी मुख िशकार जाितयों जैसे चीतल और सां भर लु
सकती है ।
केन नदी
● उ म: िवं ाचल पवत से
हो
KL
● म दे श और उ र दे श म वािहत
● लंबाई : 427 िकमी.
● बाँ दा (UP) म यमुना से संगम
बेतवा नदी
M

● ाचीन नाम वे वती


● म दे श के रायसेन िजले के कु ारगां व के समीप से िनकलती है
● म दे श और उ र दे श रा ों म वािहत
● यमुना की सहायक नदी
● बुंदेलख पठार की सबसे ल ी नदी
● लंबाई : 480 िकमी.
● हमीरपुर के िनकट यमुना म संगम
● सहायक नदी : बीना
● ऐितहािसक शहर सां ची इसी नदी के तट पर

E
IV
KL
M
सतलुज-यमुना िलंक (SYL) िववाद
चचा म ों ?
िपछले कुछ दशकों से ह रयाणा और पंजाब के म सतलुज-यमुना िलंक (SYL) को लेकर
िववाद चल रहा है । हाल ही म दोनों रा ों ने इस मु े का सुलझाने का पुनः एक िवफल
यास िकया।
सतलुज-यमुना िलंक (SYL) िववाद ा है ?
● SYL ह रयाणा और पंजाब के बीच रावी और ास निदयों के जल को साझा करने
के िलए प रक त 214 िकलोमीटर लंबी नहर है । इस नहर को बनाने की योजना

E
पंजाब से ह रयाणा के अलग होने के बाद वष 1966 म बनाई गई थी ।
● उस समय SYL नहर का 122 िकलोमीटर िह ा पंजाब म और 92 िकलोमीटर
िह ा ह रयाणा म िनिमत होना तय आ था। ह रयाणा ने वष 1980 म SYL नहर

IV के अपने िह
िववाद का
े का िनमाण काय पूरा कर िलया।
ा कारण है ?
● पंजाब रपे रयन िस ां त (Riparian Principles) और जल की अनुपल ता का
हवाला दे कर अपने िह े के िनमाण काय को िनरं तर लंिबत करता रहा।
KL
उ ेखनीय है िक रपे रयन िस ां त के अनुसार िकसी जल िनकाय से संल भूिम के
ामी को ही उस िनकाय के जल के उपयोग का अिधकार है ।
● इसके अलावा पंजाब का यह भी तक है िक भू-जल के अ िधक दोहन के कारण
वष 2029 के बाद पंजाब के कई े सूखे के भाव म आ सकते ह।
M

● वहीं ह रयाणा का तक है िक उसके दि णी िह े को भू-जल र म िगरावट के


कारण जल की कमी की सम ा का सामना करना पड़ रहा है ।
अनु े द 262
● भारतीय संिवधान का अनु े द 262 िविभ रा ों के म उ होने वाले
नदी-जल िववादों के संबंध म ावधान करता है । अनु े द 262 संसद को श
दान करता है िक वह रा ों के म उ होने वाले नदी जल संबंधी िववादों के
िनपटारे के िलए व था कर सकता है ।
● अनु े द 262 यह भी ावधान करता है िक यिद कानून बनाकर यह ावधान कर
सकती है िक रा ों के बीच नदी के जल के िवभाजन को लेकर उ होने वाले
िववादों के संबंध म भारत का कोई ायालय िनणय नहीं दे गा।
अंतरा ीय नदी जल िववाद का एक प यह के
नदी जल को रा सूची म रखा गया है , जबिक नदी घाटी के िनयमन और िवकास को संघ
सूची म थान िदया गया है । इसी कारण ायः यह उठता है िक नदी जल िववाद म क
का िनयम मा होगा या रा का? कुछ जानकार इसे भी नदी जल िववाद का एक कारण
मानते ह।

E
ा िकया जाना चािहए ?
● निदयों को रा ीय संपि घोिषत िकया जाना चािहए तथा संबंिधत रा ों के कमां ड
े के िवकास के िलए रा ीय योजनाएं आरं भ की जानी चािहए।

IV● नदी जल िववादों से िनपटने के िलए


अनुगमन िकया जा सकता है ।
का दािय
ां स की ‘जल संसद’ व था के मॉडल का
ां स म ‘जल संसद’ को दे श की निदयों के बंधन
सौंपा गया है और इस संसद म गैर-सरकारी और पयावरण से संबंिधत
संगठनों के िलए कुछ सीट आरि त की गई ह।
KL
● इसके अलावा नदी प रषद अिधिनयम के अंतगत नदी बेिसन संगठन की थापना
कर रा ों के बीच म थता एवं शां ित वाता के मा म से िववादों का समाधान
िकया जा सकता है ।
िव ेषण
M

● य िप क को अंतरा ीय नदी जल संबंधी मामलों के िनपटारे के िलए सश


करना एक सकारा क आदश था तथा रा ों से इस िवषय पर सहयोग की अपे ा
की गई थी, िकंतु िवगत् वष के अनुभव दशाते ह िक निदयों के जल के िवभाजन का
मामला ाकृितक संसाधनों के िवतरण एवं जनक ाण के बजाय राजनीितक े ष से
े रत रहा है ।
● इसका एक मुख कारण यह रहा िक क ने िविभ रा ों के म नदी जल संबंधी
िववादों के िनपटारे के िलए एक ही ािधकरण का गठन करने के बजाय लगभग
ेक मामले म अलग-अलग ािधकरणों का गठन िकया।
● साथ ही इन ािधकरणों को पया प से श याँ एवं अिधकार नहीं दान िकए
जाने के कारण ये ािधकरण अपनी भावी भूिमका का िनवहन करने म स म नहीं
हो पाए।
● वतमान म अंतररा ीय जल िववादों के िलए बनाए गए ािधकरणों के संबंध म
िववादों को िनपटाने हे तु कोई तािकक, एक प और सामा ि या नहीं है ।
● उपयु सम ाओं के समाधान हे तु शासिनक र के साथ ही राजनीितक र
पर भी एवं सकारा क मानिसकता की अपे ा है । इस हे तु एक कि त एवं
ापक क ाणकारी ि कोण अपनाने की अपे ा है िजसम रा िहत एवं अिधकतम

E
जनक ाण का पुट िनिहत हो।
● क के साथ ही रा सरकारों को इस ि कोण को अपनाने की आव कता है िक
नदी तथा जल जैसे िवषय श -िवभाजन के मामले न होकर ाकृितक धरोहर ह

IV
िजनका अिधकतम जनक

की सम
ाण के िलए सदु पयोग िकया जाना चािहए।
● इस कार के िवषयों पर िवलंब एवं संकीण राजनीितक न केवल िनकट भिव
ा को और अिधक िवकट बना दे गी ब
अंतराल बढ़ता जाएगा।
समाधान के
जल
र पर भी िनरं तर
KL
भारत की मुख झील
M
M
KL
IV
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M
KL
IV
E
E
IV
KL
िववतिनक झील
● धरातल के बड़े भाग के धसने या उठने से िनमाण
● वूलर झील (झेलम नदी पर)
● भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील
M

लैगून अथवा अनूप झील


● तटीय समु ी जल का कुछ भाग बालू या वाल िभि ारा मु भूिम से अलग
झीलनुमा आकृित बना लेता है । इसे ही लैगून झील कहते ह।
● लैगून झील का मुहाना संकरा होता है और लैगून झील के पानी का संपक हमेशा
समु ी पानी से बना रहता है ।
● कभी-कभी लैगून झील का संकरा मुख समु ी अवसाद से ढ़क जाता है , ऐसी थित
म लैगून झील का मुख अव हो जाता है ।
● तब समु के पानी से लैगून झील का संपक समा हो जाता है , िक ु िफर भी लैगून
झील का पानी खारी ही बना रहता है ।
● उदाहरण के िलए आं दे श म गोदावरी और कृ ा निदयों के डे ा के बीच म
थत कोले झील कभी समु तट पर थत थी, िक ु आज यह लैगून झील समु ी
तट पर थत नहीं है ।
● िच ा (ओिडशा) सबसे बड़ी लैगून झील है । यह सबसे बड़ी तटीय झील भी है ।
यहां नौ-सेना का िश ण के भी है ।
● पुलीकट झील (आं दे श व तिमलनाडु ); बे नाद (केरल); अ ामुडी(केरल);

E
कोले झील (आ दे श)
● कोले झील कृ ा और गोदावरी निदयों के डे ा के बीच थत है । जबिक
पुिलकट आं दे श और तिमलनाडु की सीमा पर थत है ।

IV● पुिलकट झील म ही


● बे
थािपत है ।
ीह रकोटा

● केरल की लैगून झीलों को थानीय


ानाड झील के म
ीप है , िजस पर इसरो का सतीश धवन अंत र

प से 'कयाल' कहा जाता है ।


म एक ीप है िजसका नाम वेिलंगटन ीप है ।
KL
● वेिलंगटन ीप पर नौकायन ितयोिगता आयोिजत होती है ।
िहमानी िनिमत झील
िहमानी या िहमनद के अपरदन से बनी झीले
नैनीताल, भीमताल, समताल (उ राखंड)
M

वायु िनिमत झील


● हवा ारा सतह की िम ी को उड़ाकर ले जाने से ऐसी झीलों का िनमाण; इ ाया
झील भी कहते ह।
● राज थान की सां भर, डीडवाना, पंचभ ा
डे ाई झील
● डे ाई दे शों म कई िवत रकाओं के म छोटी-बड़ी झीलों के प म िनमाण, जो
ायः मीठे जल की होती ह।
● कोले झील (आं दे श)
े टर झील
● ालामुखी ि या ारा िनिमत झीलों को े टर झील कहते ह।
● महारा की लोनार झील एक े टर झील है ।
मानव-िनिमत झील
● च ल नदी का पानी रोककर तीन मानव-िनिमत झील बनाई गई ह-
● म दे श म गाँ धीसागर झील & राज थान म जवाहर सागर तथा राणा ताप सागर
झील
● भारत की सबसे बड़ी मानव-िनिमत झील गोिवंद-सागर

E
● गोिवंदसागर झील सतलुज नदी पर िहमाचल दे श म थत है , िजसका िनमाण
पंजाब म िनिमत भाखड़ा-नां गल बाँ ध बनाने से आ है ।
● तेलंगाना म दो मानव-िनिमत झील ह : िनजाम सागर & नागाजुन सागर

IV
● नागाजुन सागर कृ ा नदी का पानी रोककर तथा िनजाम सागर झील मंजरा/मंजीरा
का पानी रोककर बनाई गई है ।
● उ र दे श म गोिवंदव भ पंत नामक मानव-िनिमत झील रे हं द नदी का पानी
रोककर बनाई गई है । रे हं द नदी सोन की सहायक नदी है ।
KL
● तिमलनाडु म कावेरी नदी का पानी रोककर मानव-िनिमत े नल झील का िनमाण
िकया गया है ।
● भारत की सबसे बड़ी तटीय झील : िच ा (ओिडशा)
● भारत की सबसे अिधक खारे पानी की झील : सां भर (राज थान)
M

● भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील : वूलर झील (ज ू-क ीर)
● भारत की सबसे बड़ी मानव िनिमत झील : गोिबंद ब भ पंत सागर (UP)
● भारत की सबसे ऊंचाई पर िनिमत झील : चो- ामु झील (िस म)
● पूव र भारत की सबसे बड़ी झील : लोकटक ⇒ केबुललाम जाओ (मिणपुर)
E
IV
KL
● राज थान की अिधकतर झीले लवणीय ह।
● हालाँ िक राज थान की झीले पवनों ारा िनिमत ह, लेिकन राज थान की झीले
लवणीय है , जो इस बात का माण है िक कभी इस े म टे िथस सागर का अ
था।
M

● राज थान की खारी झील टे िथस सागर का बचा आ अवशेष ह, इसिलए इनका
पानी खारा है ।
मानसून
मानसून ा है ?
● मानसून वायुदाब वणता की थित के कारण उ मौसमी पवन ह, िजनकी िदशा
म वष म दो बार प रवतन होता है ।
● मानसूनी पवन वायुदाब वणता म उ मण से उ होती ह।
● ी काल म लगभग 6 माह मानसून पवनों की िदशा दि ण-पि म से उ र-पूव की
ओर होती है , िजसे दि णी-पि मी मानसून कहते ह, जबिक शीतकाल म इनकी
िदशा उ र-पूव से दि ण-पि म की ओर होती है , िजसे उ री-पूव मानसून कहते
ह।

E
IV
● िव म मानसूनी पवन आदश प म भारतीय उपमहा ीप म
मानसून की खोज मूलतः अरब भूगोलवे ाओं एवं
वािहत होती ह।
ापा रयों ने की थी। मानसून की
KL
खोज करने का ेय अलमसूदी को जाता है ।
What is monsoon climate?
M
E
IV
Where is the monsoon climate found?
KL
M
E
IV
मानसून की ि या को समझने हे तु कुछ मह पूण त
KL
(a) थल तथा जल के गम एवं ठं डे होने की िवभेदी ि या के कारण भारत के थल भाग
पर िन दाब का े उ होता है , जबिक इसके आस-पास के समु ों के ऊपर उ दाब
का े बनता है ।
(b) ी ऋतु के िदनों म अंतः उ किटबंधीय अिभसरण े (ITCZ) की थित गंगा के
M

मैदान की ओर खसक जाती है (यह िवषुवतीय गत है , जो ायः िवषुवत् वृ से 5° उ र म


थत होता है । इसे मानसून ऋतु म मानसून गत के नाम से भी जाना जाता है ।)
(c) िहं द महासागर म मेडागा र के पूव लगभग 20° दि ण अ ां श के ऊपर उ दाब
वाला े होता है । इस उ दाब वाले े की थित एवं ती ता भारतीय मानसून को
भािवत करती है ।
(d) ी ऋतु म, ित त का पठार ब त अिधक गम हो जाता है , िजसके प रणाम प
पठार के ऊपर समु तल से लगभग 9 िक०मी० की ऊँचाई पर ती ऊ ाधर वायु धाराओं
एवं उ दाब का िनमाण होता है ।
(e) ी ऋतु म िहमालय के उ र-पि मी जेट धाराओं का तथा भारतीय ाय ीप के ऊपर
उ किटबंधीय पूव जेट धाराओं का भाव होता है ।
Origin of Monsoon : Theories
तापीय संक ना का िस ांत
● है ली ने 1686 म एिशयाई मानसून की उ ि की ा ा के संदभ
● ै ने इस िस ां त के िवकास म मह पूण योगदान िदया

E
IV
KL
M
िवषुवतीय पछु वा पवन की संक ना (ITCZ)
ारा ितपािदत

E
IV
KL
M
E
जेट
IV ीम की संक ना
कोटे रम् ने भारतीय मानसून की उ ि की ा ा के संदभ
KL
पछु वा और पूव जेट ीम की वृि यों और मानसून के अ स ंधों को िकया
M
E
MISSION MONEX

IV
● उप ह आधा रत MONEX (Monsoon Experiment) अिभयान
● 1973 म भारत और पूव सोिवयत संघ ने मानसून की उ ि
समझने के िलए
● िजस वष पूव जेट ीम अिधक सि य होती है तो मानसून अ
एवं वृि यों को

ा होता है ; लेिकन
KL
पूव जेट की सि यता म प रवतनशीलता
M
Monsoon Burst

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IV
Monsoon arrival and distribution
KL
M
M
KL
IV
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Returning of monsoon

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IV
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पि मी िव ोभ
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IV
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KL
मानसून को भािवत करने वाले कारक
M
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IV
E
M
KL
IV
E
एलनीनो
एलनीनो एक गम जलधारा है , िजसकी उ ि शां त महासागर म पे तट के पास
ी काल म 25 िदस र के आस-पास होती है । इसके भाव से पे तट पर पया वषा
होती है ।

E
IV
KL
M
जब कभी यह अिधक गम होती है तो यह शां त महासागर को गम करते ए िह
महासागर म वेश कर जाती है । इस समय सूय के उ रायण के कारण भारत म मानसून
की उ ि की दशाएँ िवकिसत होने लगती ह।
भाव
● अल-नीनो समु ी हवाओं के िदशा बदलने, कमजोर पड़ने तथा समु के सतही जल
के ताप म वृ म िवशेष भूिमका िनभाती है ।
● अल-नीनो का एक भाव यह होता है िक इससे वषा के मुख े बदल जाते ह।
● प रणाम प िव के ादा वषा वाले े ों म कम वषा और कम वषा वाले े ों

E
म ादा वषा होने लगती है ।
● पे के तट पर ठं डी पे िवयन धारा की वजह से आमतौर पर सतह का पानी ठं डा
होता है , लेिकन एल नीनो इसे गम कर दे ता है ।

IV
● जब पानी गम हो जाता है , तो पूव से पि म की ओर चलने वाली हवाएं , या तो अपनी
िदशा को उलट दे ती ह।
● इस गम पानी के कारण, हवा बढ़ जाती है और पूव
दाब नीचे आ जाता है ।
शां त के ऊपर सतह पर वायु
KL
● दू सरी ओर, पि मी शां त और एिशया म पानी ठं डा हो जाता है इससे िहं द
महासागर, इं डोनेिशया और ऑ े िलया म सतह के दबाव म वृ होती है ।
M
● चूंिक अब पे के तट पर दबाव गम समु के पानी की वजह से कम हो जाता है ,
इसिलए आ हवाओं का वाह पि मी शां त (उ री ऑ े िलया और दि ण-पूव
एिशया के आसपास के े ों) से पे िवयन तटों की ओर िनदिशत हो जाता है ।

E
IV
KL
● इसिलए, अब आ हवाय िज भारतीय तट की ओर बढ़ना चािहए था, पे के तट
की ओर बढ़ती ह।
● गम पानी की सतह के कारण उस े म ब त सारे बादल बनते ह, िजससे एल नीनो
के दौरान पे के रे िग ान म भारी बा रश होती है ।
● यही मानसून की बा रश के प म भारतीय उपमहा ीप बरसने वाला पानी होता है ।
M

● तापमान और दबाव म िजतना अिधक अंतर होगा, भारत म बा रश म कमी भी


उतनी ही ादा होगी।
● एलनीनो जलधारा भारतीय मानसून की उ ि म मुख बाधक का काय करती है ।
चूंिक यह एक गम जलधारा है , अतः इसके भाव से म दि ण िह महासागर म
िन वायुदाब का िवकास हो जाता है ।
● फलतः अरब सागर म िवकिसत उ वायुदाब े से पवन िह महासागर के िन
वायुदाब के े की ओर वािहत होने लगती है । ऐसे म, मानसूनी पवन िवभािजत हो
जाती ह और भारतीय मानसून कमजोर हो जाता है ।
● मानसून के कमजोर होने, सूखा, अ सूखा इ ािद की ा ा एलनीना के भाव के
संदभ म की जाती है । एलनीनो जलधारा पे तट के सहारे सामा तः वषभर
वािहत होने वाली शीतल पी या ह ो धारा को अपद थ कर दे ती है ।
● सामा दशाओं म पूव शां त का जल ठं डा एवं पि मी शां त का जल अपे ाकृत
गम होता है । इससे दि णी-पि मी मानसून सश रहता है ।

E
● पर ु एलनीनो के भाव से यह मउ जाता है , िजससे दि णी-पि मी मानसून
कमजोर हो जाता है तथा भारत म वषा की कमी से सूखे एवं अ सूखे की संभावनाएँ
बढ़ जाती है , इसे ही ‘एलनीनो भाव’ कहते ह।

IV
लािनना भाव
जब एलनीनो जलधारा ठं डी हो जाती है तब इसे लािनना भाव कहते ह। जब एलनीनो का
भाव नहीं होता है तब लािनना का भाव उ होता है ।
KL
M
E
● इसके कारण शां त महासागर एवं िह महासागर के जल का तापमान कम हो
जाता है , िजससे उ वायुदाब अिधक िवकिसत हो जाता है , जोिक मानसून के िलए

IVआदश होता है अथात् मानसून मजबूत होता है ।


KL
M

भारतीय प र म एल-िननो, ला-नीना और सूखे का सहसंबंध


● 1950 से एल िननो और भारतीय सूखे के बीच संबंधों को दे खते ए, यह दे खा जाता
है िक भारत को 13 अकालों का सामना करना पड़ा और इनम से 10 एल नीनो वष
म और एक ला नीना वष म थे।
● इं िडयन काउं िसल फॉर रसच ऑन इं टरनेशनल इकोनॉिमक रलेशंस का कहना है
िक एल िननो और भारतीय सूखे के बीच कोई थायी संपक नहीं हो सकता, यह
कभी आता है , कभी नहीं आता।
ENSO
● ITCZ की सूय के उ रायण के साथ िवषुवत् रे खा के उ र म थित को उ री
दोलन जबिक सूय के दि णायन के साथ दि ण म थित को दि णी दोलन कहते
ह।
● दि णी दोलन की थित म एलनीनो गम जलधारा की उ ि होती है । जब दि णी

E
दोलन अिधक िवकिसत होता है तो एलनीनो अिधक गम हो जाती है । इस घटना को
‘एलनीनो दि णी दोलन’ कहते ह।
दि णी दोलन सूचकांक और भारतीय मानसून

IV
SO पूव शां त और पि मी शां त के बीच मौसम संबंधी प रवतनों का एक पैटन है । जब
भूम रे खीय पूव
था।
वॉकर च
शां त पर दबाव अिधक था, तो यह भूम रे खीय पि मी शां त पर कम
KL
● िन और उ दबाव का पैटन, भूम रे खा के साथ लंबवत प रसंचरण को ज
दे ता है , जो कम दबाव वाले े पर अपने बढ़ते अंग और उ दबाव े पर
अवरोही अंग होता है । इसे वॉकर च के नाम से जाना जाता है ।
● पि मी शां त पर कम दबाव भारत म अ ी मानसून वषा के िलए अ ा संकेत
M

माना जाता है । इसकी सामा थित से पूव की ओर थानां तरण, जैसे िक अल नीनो
वष म, भारत म मानसून की वषा को कम करता है
M
KL
IV
E
E
IV
KL
● सामा तः ऐसा दे खा गया है िक जब शां त महासागर म उ वायुदाब होता है तो
िह महासागर म अपे ाकृत िन वायुदाब होता है ।
● इसके िवपरीत, जब शां त महासागर म िन वायुदाब होता है तो िह महासागर म
अपे ाकृत उ वायुदाब की थित होती है ।
M

● ऐसे म, शां त महासागर और िह महासागर के म वायु के वाह का एक च ीय


म िवकिसत होता है , िजसे ‘वाकर-च ’ कहते ह।
● एल नीनो (EN) और दि णी दोलन (SO) के बीच घिन संबंध के कारण दोनों को
संयु प से ENSO घटना के प म जाना जाता है ।
● SO की अविध तय नहीं है , इसकी अविध दो से पां च साल तक होती है ।
● दि णी दोलन सूचकां क (Southern Oscillation Index:SOD) का उपयोग
दि णी दोलन की ती ता को मापने के िलए िकया जाता है ।
● यह च पोिलनेिशया (म शां त) म तािहती, म शां त महासागर और पोट
डािवन के बीच दबाव म अंतर है , जो उ री ऑ े िलया म पूव शां त महासागर का
ितिनिध करता है ।
अल नीनो मोडु की
अल नीनो मोडु की उ किटबंधीय शां त म एक महासागरीय एवं वायुमंडलीय घटना है ।
यह उ किटबंधीय शां त े म एक और यु त घटना- अल नीनो से अलग है ।

E
IV
KL
● पारं प रक अल नीनो पूव िवषुवतीय शां त े म मजबूत िवषम उ िवशेषता है ।
● जबिक, अल नीनो मोडु की म उ किटबंधीय शां त म मजबूत िवषम और पूव
और पि मी उ किटबंधीय शां त म ठं ड के साथ जुड़ा आ है ।
M
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IV
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● अल नीनो मोडु की म पे के तट तथा आ े िलया के पूव तट पर सामा थित है ,
लेिकन म सागरीय िह े म तापमान उ हो गया है ।
● िजसके कारण दो वाकर सेल का एक साथ िनमाण होता है । यह घटना अल नीनो
M

मोडु की कहलाती है , िजसकी खोज जापानी वै ािनक ने की थी।


E
IV
KL
िहं द महासागर का Dipole भाव
य िप भारत म कई िपछले सूखे को समझाने म ENSO सां कीय प से भावी था,
हाल के दशकों म ENSO- मानसून संबंध भारतीय उपमहा ीप म कमजोर पड़ने लगा था।
1997 म, मजबूत ENSO भारत म सूखे का कारण बना।
M
M
KL
IV
E
E
IV
● हालाँ िक, बाद म यह पता चला िक िजस तरह ENSO शां त महासागर म एक
घटना थी, उसी तरह िहं द महासागर म भी महासागर-वायुमंडल णाली दे खी गई
थी। इसे 1999 म खोजा गया और इसका नाम िहं द महासागर ि ुवीय (Indian
KL
Ocean Dipole : IOD) रखा गया।
● िहं द महासागर ि ुवीय (IOD) को दो े ों (या ुवों) के बीच समु की सतह के
तापमान म अंतर से प रभािषत िकया गया है - अरब सागर म एक पि मी ुव
(पि मी िहं द महासागर) और पूव िहं द महासागर म एक पूव ुव इं डोनेिशया
M

● IOD अ ैल से मई तक िहं द महासागर के भूम रे खीय े म िवकिसत होता है जो


अ ू बर म चरम पर होता है ।
M
KL
IV
E
● पूव से पि म (बंगाल की खाड़ी से अरब सागर की ओर) तक िहं द महासागर म
सकारा क IOD हवाएँ चलती ह।
● इसके प रणाम प अरब सागर (अ ीकी तट के िनकट पि मी िहं द महासागर)
इं डोनेिशया के आसपास अिधक गम और पूव िहं द महासागर म ठं डा और शु
जात है ।
● नकारा क ि ुवीय वष (Negative IOD) रवस इं डोनेिशया को ब त गम और
बा रश वाला बनाता है ।
● यह आया िक एक सकारा क IOD सूचकां क ने अ र ENSO के भाव को

E
नकार िदया, िजसके प रणाम प 1983, 1994 और 1997 जैसे कई ENSO
वष म मानसून की बा रश म वृ ई।
● इसके अलावा, यह िदखा िक IOD के दो ुव - पूव ुव (इं डोनेिशया के आसपास)

IVऔर पि मी ुव (अ ीकी तट से दू र) तं प से और संचयी


उपमहा ीप म मानसून की बा रश की मा ा को भािवत कर रहे थे।
● ENSO के समान, IOD के वायुमंडलीय घटक को बाद म खोजा गया और इसे
इ े टो रयल िहं द महासागर के प म नाम िदया गया [EQUINOO]
प से भारतीय
KL
● बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के बीच गम पानी और वायुमंडलीय दबाव का
दोलन
उ री िहं द महासागर म Cyclogenesis पर IOD पर भाव
● सकारा क IOD (बंगाल की खाड़ी की तुलना म अरब सागर) अरब सागर म
M

सामा से अिधक च वात आते ह।


● बंगाल की खाड़ी म सामा साइ ोनोजेनेिसस (उ किटबंधीय च वातों का
गठन) की तुलना म नकारा क IOD अिधक मजबूत है ।
● अरब सागर म साइ ोनोजेनेिसस को दबा िदया गया है ।
भारत की मृदा
मृदा-िनमाण को भािवत करने वाले कारक
● पैतृक शैल
● जलवायु
● वन ित
● भूिमगत जल
● सू जीव

● पैतृक शैल मृदा िनमाण के िलए आधारभूत खिनज और पोषक त दान करती है ।
पैतृक शैल मृदा िनमाण की आधारभूत इकाई है ।
● जलवायु िम ी की रासायिनक ि या और सू जैिवक ि या को िनयंि त करती है ।
● वन ित मृदा म ह्यूमस (वन ितयों और जीवों के अंश) की मा ा का िनधा रत

E
करती है । ह्यूमस को जैिवक त या काबिनक पदाथ भी कहते ह। पवतीय े ों म
वन ितयाँ अिधक होने के कारण मृदा म ह्यूमस की मा ा भी अिधक होती है ।
जैिवक त (ह्यूमस) मृदा की उपजाऊ मता को बढ़ाते ह।

IV
● भूिमगत जल मृदा को नमी दान करता है । सू जीव मृदा म वन
जीवों के अवशेषों को अपघिटत कर खिनजों और जैिवक पदाथ को अलग करते ह
और ह्यूमस का िनमाण करते ह।
ितयों और
KL
M
जलोढ़ िम ी
● निदयों ारा लाए गए जलोढ़कों के िन ेप से उ ि
● काॅ प िम ी या कछारी िम ी भी कहते ह।
● ह्यूमस, नाइटोजन और फाॅ ोरस की कमी, िक ु चूना एवं पोटाश पया मा ा म
● जलोढ़कों के महीन कण होने के कारण इस मृदा म नमी धारण करने की पया
मता
● जलोढ़ मृदा म वही िवशेषताएँ पाई जाती है जो स, उ री अमे रका, दि णी
अमे रका और अ ीका के ै पी दे शों की िवशेष उपजाऊ िम ी म

E
● भारत म सवािधक 43 ितशत े फल पर िव ृत
● भारत के म वत मैदान एवं तटवत मैदान म जलोढ़ मृदा का िव ार
● मु प से भारत म दो े ों म पाई जाती है : उ र भारत के मैदान और तटीय

IV े ों म
● उ र भारत के मैदान म जलोढ़ िम ी सतलज के मैदान से लेकर पूव म हा्रपु के
मैदान (असम) तक
● तटीय मैदान म महानदी, गोदावारी, कृ ा और कावेरी निदयों के डे ा े ों म और
KL
पि मी तटीय मैदान के अंतगत केरल और गुजरात म
लाल िम ी
● भारत का दू सरा सबसे बड़ा मृदा वग
● ह्यूमस, नाइटोजन और फाॅ ोरस की कमी पाई
M

● िक ु ए ुिनयम, लोहा व कै शयम पया मा ा म


● लोह आ ाइड के कारण इस मृदा का रं ग लाल
● कहीं-कहीं फेल ार एवं आलीिवन जैसे खिनज त ों के कारण इस मृदा का रं ग
चाॅ कलेटी अथवा काला भी
● लगभग 18 ितशत े फल पर िव ृत
● मु तः ाय ीपीय पठारी भारत म पृ ी की ारं िभक आिकयन च ानों के
दीघकािलक अप य से िवकिसत
● दि ण भारत (पठारी भारत) म सबसे अिधक े फल म लाल िम ी ही पाई जाती
है ।
● पठारी भारत के पूव भागों म और दि ण भारत म पाई जाती है ।
● तिमलनाडु , तेलंगाना, आं दे श, छ ीसगढ़, ओिडशा, पूव म दे श और झारखंड
म िव ार
● पूव र भारत के भी अिधकां श भाग म लाल िम ी
● सवािधक े फल तिमलनाडु म
● केरल म लाल िम ी नहीं पाई जाती

E
IV
KL
M
काली िम ी
● ाय ीपीय पठारी भारत के द न लावा दे श म ालामुखी च ानों के अप य से
काली मृदा का िवकास
● अंतरा ीय र पर काली िम ी को चरनोजम कहा जाता है
● चूंिक काली िम ी का िनमाण द न टै प की लावा च ानों के अप य से आ है ,
इसिलए इसे लावा िम ी कहते ह।
● द न टै प के अित र काली िम ी मालवा पठार के े म भी पाई जाती है ।
● भौगोिलक िव ार उ री कनाटक, महारा , पि मी म दे श, दि णी-पूव

E
राज थान और गुजरात तक
● सवािधक िव ार महारा म
● गुजरात के कािठयावाड़ पठार, म दे श के मालवा पठार, आं दे श के तेलंगाना

IV पठार तथा सीिमत प से कनाटक व तिमलनाडु म भी काली मृदा का िव


● काली िम ी म पोटाश व चूने की मा ा अिधक होती है ।
● नाइटोजन, फाॅ ोरस व ह्यूमस की कमी पाई जाती है ।
● काली मृदा म घुलनशील त ों की अिधकता होती है । जलधारण करने की सवािधक
ार है ।
KL
मता होती है ।
M
M
KL
IV
E
लैटेराइट िम ी
● लाल मृदा के े ों म जहाँ अिधक आ जलवायु पाई जाती है , वहाँ मृदा की ऊपरी
सतह से उवर त घुलकर नीचे चले जाते ह तथा ऊपरी सतह अनुवर रह जाती है ।
इस ि या को 'लीिचंग' कहते ह।
● लैट
ै े राइट िम ी का िनमाण दो प र थितयों म होता है : 200 सेमी से अिधक वािषक
वषा और अिधक तापमान।
● अिधक वषा और अिधक तापमान की उपयु दोनों प र थितयाँ भारत म पि मी
घाट, ओिडशा तट और िशलां ग पठार म पाई जाती ह।

E
● यही कारण है िक भारत म इन े ों म लैटेराइट िम ी का िवकास आ है ।
● भारत म लैटेराइट िम ी का सवािधक िव ार केरल तथा महारा म पाया जाता है ।

IV
KL
M

● इसके अलावा पि मी घाट, तिमलनाडु की शेवाराय पहाड़ी, ओिडशा का तट,


झारखंड की राजमहल पहािड़याँ , मेघालय का िशलां ग पठार और असम की िमिकर
और रगमा पहािड़यों पर भी लैटेराइट िम ी पाई जाती है ।
● इस िम ी की उवर मता लाल मृदा से भी कम होती है ।
● इस िम ी म ह्यूमस, नाइटोजन, फाॅ ोरस और पोटाश की कमी पाई जाती है ।
म थलीय िम ी
● िनमाण पि मी भारत के शु े ों म
● िव ार दि णी पंजाब, दि णी ह रयाणा, राज थान और गुजरात के क े म
● खा ा ों की खेती के िलए पूणतः अनुपयु
● िक ु इस मृदा म ार, बाजरा, मोटे अनाज और सरसों की खेती की जाती है ।
● बालू और लवण के कारण कृिष हे तु यह अिधक मह पूण नहीं

E
● लेिकन कई जगह म थलीय मृदा के नीचे जलोढ़ मृदा पाई जाती है , जहाँ बेहतर
जल एवं भूिम बंधन ारा कृिष काय िकया जा रहा है ।
● उदाहरण के िलए राज थान के गंगानगर िजले म

IV
KL
M
पवतीय िम ी
● िव ार से ज ू-क ीर, िहमाचल दे श, उ राखंड, िस म और अ णाचल
दे श तक
● मु तः वन दे शों की मृदा है । इसिलए इसे 'वनीय िम ी' भी कहते ह।
● िहमालय की पवतीय की िम ी म ह्यूमस की अिधकता
● िक ु ये जीवां श अिधकां शतः अनापघिटत होते ह फल प ह्यूिमक अ का
िनमाण होता है , िजस कारण यह मृदा अ ीय हो जाती है ।
● ढ़ालों पर थत होने के कारण यह िम ी बागानी फसलों की खेती हे तु उपयु

E
● िहमालय पवतीय दे श, ाय ीपीय पठार के पवतीय दे श म चाय, कहवा, सेब
जैसी फसलों की कृिष
● पवतीय ढ़ालों पर िवकिसत होने के कारण इस िम ी की परत अपे ाकृत पतली

IVहोती है ।
● पतली परत होने के कारण मृदा अपरदन की सम ा पाई जाती है ।
KL
M
पीट एवं दलदली िम ी
● पीट िम ी केरल और तिमलनाडु तट के अिधक वषा वाले े म पाई जाती है ।
● व ुतः केरल और तिमलनाडु के अिधक वषा वाले तटीय े ों म जल-जमाव से पीट
िम ी का िवकास आ है ।
● पीट िम ी का िनमाण मु प से गीली िम ी म वन ितयों के सड़ने से होता है ।
● पीट िम ी म ह्यूमस की मा ा अपे ाकृत अिधक होती है ।
● दलदली िम ी म पीट िम ी से अिधक गीली होती है ।
● दलदली िम ी पि म बंगाल म सुंदरवन तट और ओिडशा तट के अिधक वषा वाले

E
े ों म पाई जाती है । भारत म दलदली िम ी म सवािधक ह्यूमस की मा ा पाई
जाती है (लगभग 50 ितशत तक)।
● दलदली िम ी मु तः ऐसे तटीय े ों म पाई जाती है , जहाँ पर समु का ारीय

IVजल वेश कर जाता है ।


● गंगा, महानदी, गोदावरी, कृ
जाती है ।
● कृिष हे तु यह मृदा अनुपयु
ा व कावेरी निदयों के डे ाई भागों म पीट मृदा पाई

होती है , िक ु मै ोव अथवा सु री वनों हे तु यह िम ी


KL
सवािधक उपयु िम ी है ।
M
E
IV
KL
लवणीय और ारीय मृदा
● पंजाब, ह रयाणा, उ री राज थान और पि मी उ र दे श म नहरी िसंचाई वाले े ों
म अिधक िसंचाई के कारण लवणीय और ारीय मृदा का िनमाण आ है ।
M

● व ुतः इस मृदा का िनमाण सामा तः शु एवं अ शु िक ु अिधक िसंिचत


े ों जल-जमाव के कारण होता है ।
● इन े ों जल वा ीकृत हो जाता है जबिक लवण िम ी की ऊपरी सतह पर एकि त
हो जाते ह।
● फल प िम ी म लवणों की मा ा बढ़ जाती है और लवण एक सफेद परत के
प म भूिम की ऊपरी परत पर िदखाइ दे ने लगते ह। इस ि या को
कै शिफकेशन कहते ह।
E
IV
KL
● ह रत ां ित के नहर िसंिचत े ों म भी जल-जमाव एवं वा ीकरण के कारण
लवणीय मृदा का िवकास आ है , िजसे रे ह या क र कहते ह।
● इस िम ी म सोिडयम, कै शयम और मैि िशयम लवणों की मा ा अिधक होने से ये
M

िमि याँ ायः अनु ादक हो जाती ह।


● कृिष काय हे तु पूणतः अनुपयु होती है तथा साथ ही मृदा दू षण का भी एक प
है ।
● कै शयम एवं नाइटोजन का अभाव पाया जाता है ।
इन िमि यों म नमक की मा ा तीन कार से प ँ चती है -
● पहला, िहमालय की निदयों ारा जोिक अनेक कार के खिनज अपने साथ बहा के
लाती है और नमक के कणों का िनरं तर जमाव करती रहती ह
● दू सरा, दि ण-पि म मानसूनी पवन क के रन से अपने साथ नमक के कण उड़ा
लाती ह। ये कण धरातल पर जमा होते रहते ह तथा वषा ऋतु म जल म घुलकर िन
े ों म जमा हो जाते ह। तीसरा, समु तटीय े ों म ारीय जल ारा भी लवण
भूिम म प ँ च जाते ह।

E
IV
KL
M

● भारत की सभी िमि यों म तीन त ों की कमी पाई जाती है - ह्यूमस, नाइटोजन,
फॉ ोरस
● यही कारण है िक भारत म, िवशेषकर उ र भारत म मृदा म इन त ों की कमी की
पूित के िलए िकसानों ारा खेत म यू रया का िछड़काव िकया जाता है । यू रया म
नाइटोजन, फॉ ोरस और पोटाश मशः 4: 2: 1 के अनुपात म होता है ।
‘मृदा सं र’
● यिद हम भूिम पर एक ग ा खोद और मृदा को दे ख तो वहाँ मृदा की तीन परत
िदखाई दे ती ह, िज सं र कहा जाता है ।
● 'क' सं र सबसे ऊपरी खंड होता है , जहाँ पौधों की वृ के िलए अिनवाय जैव
पदाथ का खिनज पदाथ, पोषक त ों तथा जल से संयोग होता है ।
● 'ख' सं र 'क' सं र तथा 'ग' सं र के बीच सं मण खंड होता है िजसे नीचे व
ऊपर दोनों से पदाथ ा होते ह। इसम कुछ जैव पदाथ होते ह तथािप खिनज
पदाथ का अप य नजर आता है ।
● 'ग' सं र की रचना ढीली जनक साम ी से होता है । यह परत मृदा िनमाण की

E
ि या म थम अव था होती है और अंततः ऊपर की दो परत इसी से बनती ह।
परतों की इस व था को मृदा प र े िदका कहा जाता है ।

IV
KL
M
● इन तीन सं रों के नीचे एक च ान होती है िजसे जनक च ान अथवा आधारी च ान
कहा जाता है । मृदा, िजसका एक जिटल तथा िभ अ है , सदै व मृदा वै ािनकों
को आकिषत करती रही है ।
● इसके मह को समझने के िलए आव क है िक मृदा का वै ािनक अ यन िकया
जाए।
● मृदा का वग करण इसी ल को ा करने का एक यास है ।
पेडोजेिनक या िम ी बनाने की ि या
● भूगभ य अप य अप ियत च ान साम ी यानी मूल साम ी का उ ादन करता है

E
और आनुवंिशक कारक िम ी के िवकास के िलए चरण िनधा रत करते ह।
● पेडोजेिनक ि याएं बेहद जिटल और गितशील ह िजनम कई रासायिनक और
जैिवक िति याएं िकसी े म एक साथ काम करती ह; शािमल ह।

IV
● एक ि या दू सरे का िवरोध कर सकती है , या एक ही प रणाम ा
दो अ
ह्यूिमिफ़केशन
ि याएं एक साथ काम कर सकती ह।

● ह्यूिमिफ़केशन क े काबिनक पदाथ का 'ह्यूमस' म प रवतन (अपघटन) की


करने के िलए
KL
ि या है । यह एक अ ंत जिटल ि या है िजसम िविभ जीव जैसे बै ी रया,
कवक, ए नोमाइसेट्स, कचुआ और दीमक शािमल ह।
● काबिनक पदाथ का अपघटन दो चरणों म होता है - खिनजकरण और आ करण।
● खिनजकरण िम ी के सू जीवों ारा मृत पौधों के ऊतकों को सरल संरिचत
M

घुलनशील काबिनक का उ ादन करने के िलए पदाथ, खिनज यौिगक, धातु के


धनायन और गैस (CO2) का जैव रासायिनक िवघटन है
● दू सरे चरण म घुलनशील काबिनक पदाथ यं को बड़े अणुओं म पुनसमूिहत करते
ह तथा पोलीमराइजेशन ारा अ िधक िवघिटत घुलनशील हो जाते ह।
मोर
यह अ ीय कूड़े और ह्यूमस के तहत िवकिसत सतही िम ी के ि ितज को संदिभत करता
है , जहां शंकुधारी और हीथ वन ित, कवक गितिविध बल होती है ।
Mull
● वन मृदा ि ितज के प म नािमत (A1) घिन प से िमि त खिनज पदाथ का
अनाकार ह्यूमस है ।
● यह थोड़ा अ ीय होता है और आधार समृ कूड़े के तहत सबसे अ ा िवकिसत
होता है , जहां जीवाणु गितिविध बल होती है ।
Orterde
Orterde is a humus rich B horizon in podzols.
एलुिवएशन

E
मृदा की ऊपरी सतह से उवर त घुलकर नीचे चले जाते ह तथा ऊपरी सतह अनुवर रह
जाती है । इस ि या को 'लीिचंग' भी कहते ह।
इ ूिवएशन

IV
िनचली परत म िम ी के पदाथ के िन ेपण की ि या को "इ
कै शिफकेशन
शु एवं अ शु िक ु अिधक िसंिचत
ूिवएशन" कहा जाता है ।

े ों जल-जमाव के कारण जल वा ीकृत हो


जाता है जबिक लवण िम ी की ऊपरी सतह पर एकि त हो जाते ह। फल प िम ी म
KL
लवणों की मा ा बढ़ जाती है और लवण एक सफेद परत के प म भूिम की ऊपरी परत
पर िदखाइ दे ने लगते ह। इस ि या को कै शिफकेशन कहते ह।
िडकै शिफकेशन
यह कै िफकेशन की ि या के िवपरीत है िजसम भूिमगत जल के मा म से आं त रक
M

लवण मृदा की ऊपरी सतह म थानां त रत हो जाते ह। जैसे- CaCO3 or calcium ions
मृदा रण
मृदा रण वह ि या है िजससे ाकृितक कारकों ारा भूिम की ऊपर उपजाऊ परत अपने
थान से हट जाती है । पहले अप य िफर रण या अपरदन होता है ।
भारत की एक चौथाई भूिम रण से है । रण से भूिम की उपजाऊ परत अपिदत हो
जाती है या बढ़कर अ चले जाने से उसके साथ मृदा के पोषक त भी बढ़ जाते ह।
इससे भू प िबगड़ जाता है । इसे वै ािनकों ने रगती ई मृ ु कहकर पुकारा है ।
ाकृितक कारण
● निदयों ारा
● मूसलाधार वषा
● ार भाटा एवं ती समु ी लहर
● ती वायु वाह
मानवीय कारण
● वनों का कटाव
● खेतों की अवै ािनक जुताई
● भूिम उपयोग का अवै ािनक ढं ग

E
● अित पशुचारण
● ती औ ोगीकरण एवं नगरीकरण
उपाय

IV
● मृदा की उवरा श
● फसल च
के हास को रोकना
को सही कार से अपनाना
● िम ी के जैिवक तथा रासायिनक त ों के संतुलन को बनाए रखना
● भूिम के ढलान को समा कर भूिम को समतल करना
KL
● अिधक ढालू भूिम पर सीढ़ीनुमा खेत बनाकर खेती करना
● अिधक पशुचारण पर िनयं ण
● वनों के काटने पर ितबंध & वृ ारोपण
मृदा ा काड
M

● 2015 को राज थान के ीगंगानगर िज़ले के सूरतगढ़ म शु


● मु उ े : दे श भर के िकसानों को मृदा ा काड दान िकये जाने म रा ों
का सहयोग करना
● योजना की थीम : थ धरा, खेत हरा
● योजना के अंतगत ामीण युवा एवं िकसान िजनकी आयु 40 वष तक है , मृदा
परी ण योगशाला की थापना एवं नमूना परी ण कर सकते ह।
भारत की ाकृितक वन ित
वन की प रभाषा
● वतमान म ‘वन’ की कोई प रभाषा नहीं है िजसे रा ीय र पर ीकार िकया
गया हो।
● रा ों को वनों की अपनी प रभाषा िनधा रत करने के िलये अिधकार िदया गया है ।
● वष 1996 से भूिम को वन के प म प रभािषत करने का िवशेषािधकार रा का
रहा है और इसकी उ ि उ तम ायालय के आदे श, िजसे टी.एन. गोडावरमन
िथ मु पाद बनाम भारतीय संघ (T.N. Godavarman Thirumulkpad vs the
Union of India) िनणय के नाम से जाना जाता है , से ई है ।
● इस िनणय म सु ीम कोट ने कहा िक ‘वन’ श को इसके ‘श कोश के अथ’ के

E
अनुसार समझा जाना चािहये।
● इसम सभी वैधािनक प से मा ता ा वन शािमल ह, चाहे उ आरि त,
संरि त या अवग कृत ेणी के प म रखा गया हो।

IV
संवैधािनक ावधान
● जंगल' या 'वन' (Forests) भारतीय संिवधान की सातवीं अनूसूची म विणत 'समवत
सूची’ म सूचीब ह। 42व संशोधन अिधिनयम, 1976 के मा म से वन और
व जीवों और पि यों के संर ण को रा सूची से समवत सूची म थानां त रत कर
KL
िदया गया।
● संिवधान के अनु े द 51 क (जी) म कहा गया है िक वनों और व जीवों सिहत
ाकृितक पयावरण की र ा एवं संव न करना ेक नाग रक का मौिलक कत
होगा।
M

● रा के नीित िनदशक िस ां त के अनु े द 48क म यह कहा गया है िक रा ,


दे श के पयावरण का संर ण तथा संव न के साथ-साथ वन तथा व जीवों की र ा
करने का यास करे गा।
वनों का वग करण : शासिनक आधार पर
E
IV
वनों का वग करण : कानूनी थित के आधार पर
KL
M

वनों का वग करण : ावसाियकता के आधार पर


E
ाकृितक वन ित

IV
किटबंधीय सदाबहार वन
KL
M
E
IV
KL
आ उ किटबंधीय वन
● े : पि मी घाट, अंडमान-िनकोबार ीप समूह और उ र-पूव े के साथ
दि णी भारत म
● जलवायु : 200 सेमी. से अिधक वािषक वषा और 22 िड ी से यस से अिधक
औसत वािषक तापमान वाले गम और आ े ों म
M

● इन वनों म 60 मीटर या उससे अिधक ऊँचाई वाले वृ पाए जाते ह।


● इस कार के वनों म वृ ों से प ों के िगरने, फूल और फल लगने का कोई िनि त
समय नहीं है ; ये वन वष भर हरे -भरे रहते ह।
● इन वनों म पाई जाने वाली जाितयों म रोजवुड, महोगनी, ऐनी, इबोनी आिद
● सुपारी, जामुन, आम और होलक
E
IV
KL
अ -सदाबहार वन
● े : इस कार के वन उस े की कम वषा वाले भागों म पाए जाते ह जहाँ
आ -सदाबहार वन पाए जाते ह
M

● जैसे- पि मी घाट, अंडमान और िनकोबार ीप समूह तथा पूव िहमालय।


● इन वनों म आ सदाबहार तथा आ पणपाती वृ ों का िम ण पाया जाता है ।
● ून पवतारोहण गितिविधयाँ इन वनों को सदाबहार च र दान करती ह।
● इन वनों की मु जाितयाँ सफेद दे वदार, होलॉक और कैल ह।
E
IV
KL
शु -सदाबहार वन
● े : इस कार के वन उ र िदशा म िशवािलक पहािड़यों और िहमालय की
तलहटी म 1000 मी. की ऊँचाई तक पाए जाते ह।
M

● ये दि ण म आं दे श और कनाटक के तटीय े ों म पाए जाते ह।


● जलवायु : इस े म सामा तौर पर दीघकालीन ी ऋतु और शु मानसून
तथा भीषण ठं ड पड़ती है ।
● वृ : मु तः सुगंिधत फूलों के साथ कठोर प ों वाले सदाबहार वृ ह, साथ ही
कुछ पणपाती वृ भी
E
IV
KL
● यहाँ के वृ पािलशदार (varnished) होते है ।
● अनार, जैतून और ओिलयंडर
उ किटबंधीय पणपाती वन (मानसून वन)
M
E
IV
KL
नम पणपाती वन
● े : उ र-पूव रा ों के साथ-साथ िहमालय की तलहटी, पि मी घाट के पूव
ढलानों और ओिडशा म
M

● वषा : 100-200 सेमी. के बीच


● इसम ऊँचे वृ ों के साथ िव ृत शाखाओं के आवरण पाए जाते ह।
● इन वनों म कुछ ऊँचे वृ शु मौसम म अपने प े िगरा दे ते ह।
● सागौन, साल, शीशम, रा, म आ, आँ वला, सेमूल, कुसुम और चंदन आिद इन वनों
की मुख जाितयाँ ह।
E
IV
KL
शु पणपाती वन
● े : दे श के पूरे उ री भाग (उ र-पूव े को छोड़कर)
● म दे श , गुजरात, आं दे श, कनाटक और तिमलनाडु म भी
M

● वषा : 70-100 सेमी. के बीच


● नमी वाले े ों म आ पणपाती जबिक शु े ों पर कां टेदार वन
● वृ : शु मौसम की शु आत म वृ अपने प े पूरी तरह से िगरा दे ते है और वन
एक िवशाल घास के मैदान की तरह िदखाई दे ता है िजसके चारों ओर न पेड़ होते
ह।
● तदू , पलास, अमलतास, बेल, खैर, धावा (Axle-wood) आिद वृ इन वनों म
सामा तौर पर पाए जाते ह।
E
IV
KL
कांटेदार वन
● े : काली िम ी वाले े ों म जैसे- उ र, पि म, म और दि ण भारत
● दि ण-पि मी पंजाब, ह रयाणा, राज थान, गुजरात, म दे श और उ र दे श के
अ -शु े
M

● वषा : वािषक वषा 50 सेमी. से कम


● वृ : यहाँ के वृ ों की ऊँचाई 10 मीटर से अिधक नहीं होती है और इसम िविभ
कार की घास और झािड़याँ पाई जाती ह।
● इस े म आमतौर पर रे ज, कापर और कै स पाए जाते ह।
● इन वनों म पौधे लगभग पूरे वष पणरिहत रहते ह।
E
IV
KL
● इनम पाई जाने वाली मु जाितयाँ बबूल, को ोस, बेर, खजूर, खैर, नीम,
खेजड़ी और पलास इ ािद
पवतीय वन
पवतीय आ समशीतो वन
● े : उ री और दि णी भारत म
M

● उ र भारत म यह नेपाल के पूव े ों से लेकर अ णाचल दे श तक


● 1800-3000 मीटर की ऊँचाई पर
● 200 सेमी. की ूनतम वषा ा करने वाले े म
E
IV
KL
● दि ण भारत म नीलिग र पहािड़यों के कुछ िह ों म तथा केरल के ऊँचाई वाले
े ों म
● वृ : उ री े के वनों की तुलना म दि णी े के वन सवािधक घने
M

Note
● दि ण भारत म पवतीय वन मु प से नीलिगरी, अ ामलाई और पालनी
पहािड़यों पर पवतीय वन पाए जाते ह।
● इन तीनों पहािड़यों के कुछ-कुछ े ों म शीतो वन पाए जाते ह, िज दि ण
भारत म ‘शोला’ कहते ह।
● इसका मुख कारण यह है िक समय के साथ मूल वृ ों की जगह यूकेिल स जैसी
तेजी से बढ़ने वाली जाितयों ने थान ले िलया है ।
● रोडोडडोन, चंपा और िविभ कार के ाउं ड ोरा
पवतीय उपो किटबंधीय वन
● े : उ र-पि मी िहमालय (ल ाख और क ीर को छोड़कर), िहमाचल दे श,
उ राखंड, िस म और अ णाचल दे श म
● जलवायु : सत वषा 100-200 सेमी. और तापमान 15 िड ी से यस से 22 िड ी
से यस के म

E
IV
KL
M

● वृ : चीड़ (pine) इस वन का मु वृ है इसके अित र ओक, जामुन और


रोडोडडोन भी इन वनों म पाए जाते ह।
िहमालयी आ वन
● े : ज ू और क ीर, िहमाचल दे श, उ राखंड
● ऊँचाई : ऊँचाई 1000-2000 मीटर के म
● वृ : इन वनों म ओक, चे नट, चीड़, साल, झािड़याँ और पौि क घास आिद पाए
जाते ह।

E
IV
KL
िहमालयी शु शीतो
M

● े : ज ू -क ीर, चंबा, लाहौल और िक ौर िज़ले (िहमाचल दे श) तथा


िस मम
● वृ : मु प से शंकुधारी; दे वदार, ओक, िचलगोजा, मेपल, जैतून, शहतूत और
िवलो आिद
E
IV
KL
अ ाइन और अ -अ ाइन वन
● ऊँचाई: ये वन ऊँचाई वाले े ों, अ ाइन वनों और 2,500-4,000 मीटर की
ऊँचाई पर थत चरागाह े ों म पाए जाते ह।
M

● अ -अ ाइन वन क ीर से अ णाचल दे श तक 2900 से 3500 मीटर की


ऊँचाई के म िव ृत ह।
E
IV
KL
● वृ : इन वनों म पि मी िहमालय की वन ित म मु प से जुिनफर,
रोडोडडोन, िवलो और काली िकशिमश
● पूव िहमालय की मुख वन ितयों म लाल दे वदार, काला जुिनफर, भूज (Birch)
M

और लाच
तटीय/दलदली वन
● े : ये वन अंडमान-िनकोबार ीप समूह, गंगा और पु के डे ाई े ों म पाए
जाते ह।
● अ मह पूण े ों म महानदी, गोदावरी और कृ ा डे ा ह।
● वृ : इनम से कुछ वन घने और अभे ह। इन सदाबहार वनों म सीिमत सं ाम
ही पौधे पाए जाते ह।
● उनकी जड़ मुलायम ऊतक से बनी होती ह तािक पौधे पानी म साॅ स ले सक।
● इसम मु प से खोखले पाइन, म ोव खजूर, ताड़ और बुलेटवुड शािमल ह।
भारत म म ोव वन

E
IV
KL
● भारत म तटीय े ों म जहाँ निदयों ने अपना डे ा बनाया है
M

● गंगा- पु का डे ा, महानदी का डे ा, गोदावरी-कृ ा का डे ा व कावेरी नदी


के डे ाई े ों म डे ाई वन पाए जाते ह।
● ारीय वन पूव तट पर अिधक पाए जाते ह।
● हालाँ िक पि म म तट के साथ-साथ गुजरात म भी ारीय वन पाए जाते ह।
● लेिकन गुजरात के ारीय वन नदी के डे ाई े म नहीं ब तट के सहारे पाए
जाते ह।
● निदयों के डे ा े म तट काफी नीचे (समु तल के बराबर) होता है , िजसके
प रणाम प समु का खारा जल डे ा े ों म वेश कर जाता है ।
● इसके चलते डे ा े ों की वन ितयाँ समु के खारे जल म डूबी ई होती है ।
● समु के खारे पानी म डूबे होने के कारण ही ारीय वनों की छाल ारीय होती है ,
जोिक इन वनों की मुख िवशेषता है ।
● इन वनों की लकड़ी काफी कठोर होती है और जड़े जल की सतह से बाहर भी
िदखाई दे ती ह।
● इन वनों म 'म ोवा' नामक वन ित की ब लता होती है , इसिलए इ 'म ोव वन'
भी कहते ह।
● ारीय वन की मुख वन ितयाँ इस कार ह- म ोवा, सुंदरी, कैसूरीना, फाॅ िन ।

E
भारत म म ोव वनों ( ारीय वन) के मुख प से 5 े
1. गुजरात तट
2. गंगा- पु डे ा

IV
3. महानदी डे
4. गोदावरी और कृ

5. कावेरी नदी का डे
ा का डे


KL
M
भारत म वन थित रपोट, 2021
● क ीय वन, पयावरण एवं जलवायु प रवतन मं ालय के त ावधान म भारतीय वन
सव ण ारा कािशत
● ि वािषक रपोट
● पहली रपोट वष 1987 म कािशत
● वतमान म 17वां काशन जारी
रपोट की मुख बात
रपोट म वनों की तीन ेिणयों का सव ण िकया गया है -

E
1. अ िधक सघन वन (70% से अिधक घन ) / Highly dense forest (density
above 70%)
2. म म सघन वन (40-70%) / Medium dense forest (40-70%)

IV
3. खुले वन (10-40%) / Open Forest (10-40%)
● दे श का कुल वन
24.62 ितशत है ।
े 80.9 िमिलयन हे

● वष 2019 की तुलना म दे श के कुल वन


े यर है जो दे श के कुल भौगोिलक े का

े म 2,261 वग िकमी की बढ़ोतरी दज


KL
की गई है ।
वनों म वृ & कमी
● वनावरण म सबसे अिधक वृ दशाने वाले रा ों म तेलंगाना (3.07%), आं दे श
(2.22%) और ओिडशा (1.04%)
M

● वनावरण म सबसे अिधक कमी पूव र के पाँ च रा ों- अ णाचल दे श, मिणपुर,


मेघालय, िमज़ोरम और नगालड म
उ तम वन े वाले रा
● े फल की ि से म दे श म दे श का सबसे बड़ा वन े ; इसके बाद
अ णाचल दे श, छ ीसगढ़, ओिडशा और महारा
● कुल भौगोिलक े के ितशत के प म वन आवरण के मामले म शीष पां च रा
िमजोरम (84.53%), अ णाचल दे श (79.33%), मेघालय (76.00%), मिणपुर
(74.34%) और नागालड (73.90%) ह।
● 'वन े ' '(Forest Area) सरकारी रकॉड के अनुसार भूिम की कानूनी थित को
दशाता है ,
● जबिक 'वन आवरण' (Forest Cover) श िकसी भी भूिम पर पेड़ों की उप थित
को दशाता है ।
म ोव & बाँस
● 2019 के आकलन की तुलना म म ोव े म 17 वग िकलोमीटर की वृ
● भारत का कुल म ोव आवरण अब 4,992 वग िकमी.
● म ोव े म वृ िदखाने वाले शीष 3 रा ओिडशा (8 वग िकमी), इसके बाद

E
महारा (4 वग िकमी) और कनाटक (3 वग िकमी)
● वष 2019 म वनों म मौजूद बाँ स की सं ा 13,882 िमिलयन से बढ़कर वष 2021
म 53,336 िमिलयन

IV
वन और जलवायु प रवतन
● 35.46% वन े जंगल की आग से है ।
● वष 2030 तक भारत म 45-64% वन जलवायु प रवतन और बढ़ते तापमान से
भािवत होंगे।
KL
● सभी रा ों (असम, मेघालय, ि पुरा और नागालड को छोड़कर) म वन अ िधक
संवेदनशील जलवायु वाले हॉट ॉट होंगे।
● ल ाख के सबसे अिधक भािवत होने की संभावना है ।
काबन ॉक
M

● दे श के जंगलों म कुल काबन ॉक 7,204 िमिलयन टन होने का अनुमान है ,


िजसम वष 2019 से 79.4 िमिलयन टन की वृ ई है ।
● काबन ॉक म वािषक वृ 39.7 िमिलयन टन है ।
ाकृितक वनों म िगरावट
● म म घने जंगलों या ‘ ाकृितक वन’ म 1,582 वग िकलोमीटर की िगरावट
● साथ ही झाड़ी े म 5,320 वग िकलोमीटर की वृ ई है , जो इस े म वनों के
रण को दशाता है ।
पूव र े के वन आवरण म िगरावट
● पूव र े म वन आवरण म कुल िमलाकर 1,020 वग िकलोमीटर की िगरावट
दे खी गई है ।
● पूव र रा ों के कुल भौगोिलक े का 7.98% िह ा है लेिकन कुल वन े का
23.75% िह ा है ।
पूव र रा ों म िगरावट का कारण
● ाकृितक आपदा : िवशेष प से भू लन और भारी बा रश
● मानवजिनत गितिविध : कृिष को थानां त रत करना, िवकासा क गितिविधयों का
दबाव और पेड़ों की कटाई

E
फसल
चावल
● खरीफ की फसल

IV ● चीन के बाद दू सरा सबसे बड़ा चावल उ ादक


● उ तापमान (25° से
वषा) की आव कता
यस से ऊपर) और अिधक आ ता (100 सेमी. से अिधक

● उ र और उ र-पूव मैदानों, तटीय े ों और डे ाई दे शों म


KL
● पंजाब, ह रयाणा, पि मी उ र दे श और राज थान के कुछ कम वषा वाले े ों म
भी ⇒ िसंचाई के फल प
गे ँ
● रबी की फसल
M

● 50 से 75 सेमी. वािषक वषा


● दे श म गे ँ उगाने वाले दो मु े : उ र-पि म म गंगा-सतलुज का मैदान &
द न का काली िम ी वाला दे श
● पंजाब, ह रयाणा, उ र दे श, म दे श, िबहार, और राज थान के कुछ भाग गे ँ
पैदा करने वाले मु रा ह।
ार
● े फल और उ ादन की ि से ार दे श की तीसरी मह पूण खा ा फसल
● वषा पर िनभर फसल
● मुख उ ादक रा महारा , कनाटक, आं दे श और म दे श
बाजरा
● राज थान, उ र दे श, महारा , गुजरात और ह रयाणा इसके मु उ ादक रा
● कनाटक, िहमाचल दे श, उ राख , िस म, झारखंड और अ णाचल दे श
म ा
● यह एक ऐसी फसल है जो खा ा व चारा दोनों प म योग होती है ।
● यह एक खरीफ फसल है जो 21° से यस से 27° से यस तापमान म और
पुरानी जलोढ़ िम ी पर अ ी कार से उगायी जाती है ।

E
● िबहार जैसे कुछ रा ों म म ा रबी की ऋतु म भी उगाई जाती है ।
दाल
● भारत िव म दालों का सबसे बड़ा उ ादक तथा उपभो ा दे श है ।

IV
● शाकाहारी खाने म दाल सबसे अिधक ोटीन दायक होती ह।
● तुर (अरहर), उड़द, मूंग, मसूर, मटर और चना भारत की मु
● दालों को कम नमी की आव
उगाया जा सकता है ।
कता होती है और इ शु
दलहनी फसले ह।
प र थितयों म भी
KL
● फलीदार फसल होने के नाते अरहर को छोड़कर अ सभी दाल वायु से नाइटोजन
लेकर भूिम की उवरता को बनाए रखती ह।
● अतः इन फसलों को आमतौर पर अ फसलों के आवतन (rotating) म बोया जाता
है ।
M

● भारत म म दे श, राज थान, महारा , उ र दे श, और कनाटक दाल के मु


उ ादक रा ह।
ग ा
● ग ा एक उ और उपो किटबंधीय फसल है ।
● यह फसल 21° से यस से 27° से यसतापमान और 75 सेमी. से 100 सेमी.
वािषक वषा वाली उ और आ जलवायु म बोई जाती है ।
● कम वषा वाले दे शों म िसंचाई की आव कता होती है ।
● इसे अनेक िमि यों म उगाया जा सकता है तथा इसके िलए बुआई से लेकर कटाई
तक काफी शारी रक म की आव कता होती है ।
● ाजील के बाद भारत ग े का दू सरा सबसे बड़ा उ ादक दे श है ।
● यह चीनी, गुड़, खां डसारी और शीरा बनाने के काम आता है ।
● उ र दे श, महारा , कनाटक, तिमलनाडु , आं दे श, तेलंगाणा, िबहार, पंजाब
और ह रयाणा ग ा के मु उ ादक रा ह।
कपास
● भारत को कपास के पौधे का मूल थान माना जाता है ।

E
● कपास उ ादन म भारत का िव म तृतीय थान
● द न पठार के शु तर भागों म काली िम ी कपास उ ादन के िलए उपयु
मानी जाती है ।

IV● इस फसल को उगाने के िलए उ


रिहत िदन और खली धूप की आव

● महारा , गुजरात, म
तापमान, ह
कता होती है ।
ी वषा या िसंचाई, 210 पाला

● यह खरीफ की फसल है और इसे पककर तैयार होने म 6 से 8 महीने लगते ह।


दे श, कनाटक, आं दे श, तेलंगाणा, तिमलनाडु , पंजाब,
KL
ह रयाणा और उ र दे श कपास के मु उ ादक रा ह।
खिनज
● भारत का ाय ीपीय े लौह तथा अलौह जैसे धा क खिनजों से स है ।
● व ुतः इस े म धा क खिनजों का संके ण च ानों की संरचना तथा
M

खिनजीकरण की ि या का ितफल है ।
धा क खिनजों का संके ण के िलये उ रदायी कारक
● ाय ीपीय पठार गोंडवाना लड का भाग है जो आ ेय च ानों से िनिमत है । ये पृ ी
की ाचीनतम च ान ह िजसम रवेदार धा क खिनजों का िनमाण आ।
● इस े म धारवाड़ तं की संरचना म ाथिमक अवसादी च ानों का िवकास आ
जो ल े काल म म उ ताप एवं दाब के प रणाम प पा रत च ानों म
प रवितत हो गई। इन च ानों म सोना, लोहा, ोिमयम, तां बा आिद धा क खिनजों
का संके ण है ।
● काब िनफेरस काल म दरारी ालामुखी उदभेदन के प रणाम प सतह पर
लावा की एक मोटी परत जम गई जो धा क खिनज म संप थी।
भारत म खिनज की तीन मु पि याँ ह
1. दि ण-पि मी पठारी े ⇒ यह प ी कनाटक, गोवा, तिमलनाडु के सीिमत े
और केरल म िव ृत है । यह प ी लौह धातुओं तथा बॉ ाइट म समृ है ।
2. उ री पूव पठारी े ⇒ इस प ी के अ गत छोटानागपुर, ओिडशा का पठार, प.
बंगाल तथा छ ीसगढ़ के कुछ भाग आते ह। यहाँ लौह-अय , कोयला, मगनीज,
बॉ ाइट और अ क आिद पाए जाते ह।

E
3. उ र पि मी े ⇒ यह प ी राज थान म अरावली और गुजरात के कुछ भाग पर
िव ृत है । यहाँ के खिनज धारवाड़ म की शैलों से संब ह। यहाँ तां बा, िजंक
आिद मुख खिनज पाए जाते ह।

IV
KL
M
E
IV
KL
मै ेटाइट
भारत के कुल मै ेटाइट भंडार का 97 ितशत 4 रा ों म पाया जाता है -
M

● कनाटक 73 ितशत
● आं दे श 14 ितशत
● राज थान 5 ितशत
● तिमलनाडु 5 ितशत
लौह अय
● भारत चीन के बाद िव का दू सरा सबसे बड़ा आयातक
● भारत का सबसे बड़ा लौह-अय उ ादक रा ओिडशा 51 ितशत
● भारत का दू सरा सबसे बड़ा लौह-अय उ ादक रा छ ीसगढ 18 ितशत

E
IV
मगनीज
KL
● धारवाड़ म की अवसादी च ानों म पाया जाता है
● पाइरोलूसाइट, मगनाइट तथा रोडो ोसाइट जैसी च ानों म भी पाया जाता है
● सवािधक उ ादक रा मशः म दे श (33%) एवं महारा (25%)
● सवािधक भंडारक रा मशः ओिडशा (44%) एवं कनाटक (22%)
M
E
IV
KL
तांबा
● आ ेय, अवसादी एवं कायां त रत च ानों म ा
● सवािधक उ ादक रा मशः म दे श (53%) एवं राज थान (42%)
M

● सवािधक भंडारक रा मशः राज थान (54%) एवं झारखंड (20%)


E
IV
KL
बाॅ ाइट
● बाॅ ाइट अय से ए ुिमिनयम की ा
● सवािधक उ ादक रा मशः ओिडशा (76%) एवं गुजरात (7.3%)
M

● सवािधक भंडारक रा मशः ओिडशा (51%) एवं आं दे श (16%)



● आ ेय एवं कायां त रत च ानों म ा
● दे श के कुल ण का 98 ितशत िह ा कनाटक की कोलार तथा ह ी की खानों से
● आं दे श के रामिगरी की खानों म भी सोने की ा
● दे श म ण का पहला प रशोधन कारखाना महारा के िसरपुर (धुले) म
E
IV
KL
चांदी
● सवािधक उ ादक रा मशः राज थान एवं कनाटक
● सवािधक भंडारक रा मशः राज थान (87%) एवं झारखंड (5%)
M

● भारत म चां दी का सवािधक उ ादन िहं दू ान िजंक िलिमटे ड ारा


ोमाइट
● ोमाइट लोहे एवं ोिमयम का स ण होता है
● सवािधक उ ादन मशः ओिडशा के ोंझर एवं कटक म
िटन
भारत म िटन का उ ादन केवल छ ीसगढ़ म
सीसा
● मु तः गैलेना नामक खिनज से ा होता है
● ापा रक र पर सीसे की मुख खान राज थान के उदयपुर िजले के जावर म
थत जहां से िहं दु ान िजंक िलिमटे ड ारा इसे िनकालने का भी काय िकया जाता
है ।
● राज थान के भीलवाड़ा िजले के दरीबा-राजपुरा से भी सीसे के नए िन ेप ा
● सवािधक भंडारक रा मशः राज थान (90%) एवं आं दे श (3%)
ेफाइट
● कायां त रत शैलों म ा

E
● काला सीसा अथवा गो भी कहते ह
● भारत म इसके मुख उ ादक रउा झारखंड, ओिडशा तथा आं दे श
● जबिक भंडारक रा मशः अ णाचल दे श

IV
KL
M

थो रयम
● इसकी ा मु तः मोनाजाइट बालुका िन ेपों से िजनका िनमाण ी-कै यन
काल की च ानों के न होकर चूण बनने से आ है ।
● यह मोनाजाइट िन ेप मु तः केरल के तटवत भागों म पाए जाते ह।
E
IV
यूरेिनयम
● धारवाड़ च ानों म
● झारखंड के िसंहभूम कॉपर बे (Singhbhum Copper Belt) के अलावा
KL
राज थान के उदयपुर, अलवर और झुंझुनू िज़ले, छ ीसगढ़ के दु ग िज़ले, महारा के
भंडारा िज़ले तथा िहमाचल दे श के कु ू िज़ले म भी यूरािनयम के भंडार
● हाल ही म आं दे श और तेलंगाना के शेषचलम वन (Seshachalam Forest)
और ीशैलम (आं के दि णी छोर से तेलंगाना के दि णी छोर) के म मह पूण
यूरेिनयम भंडार का पता चला है ।
M
E
IV
KL
● राज थान के सीकर िज़ले की खंडेला तहसील के रोिहल म े म यूरेिनयम के
भंडार िमले ह।
● वैि क र पर सवािधक यूरेिनयम का उ ादन कज़ाख ान, कनाडा और
ऑ े िलया म होता है ।
● स, नामीिबया, उ बेिक ान, यूएसए व यू े न म भी यूरेिनयम खिनज िमला है ।
M

कोयला
● भारत के लगभग 98% कोयला भंडार और कुल कोयला उ ादन का 99%
गोंडवाना े ों से ा होता है ।
● भारत के धातुकम ेड के साथ-साथ बेहतर गुणव ा वाला कोयला गोंडवाना े से
ा होता है ।
● दामोदर (झारखंड-पि म बंगाल), महानदी (छ ीसगढ़-ओिडशा), गोदावरी
(महारा ) और नमदा घािटयों म पाया जाता है ।
● टिशयरी कोयला े म काबन की मा ा ब त कम लेिकन नमी और स र की
मा ा भरपूर होती है ।
● टिशयरी कोयला े मु प से अित र ाय ीपीय े ों तक ही सीिमत है ।
● मह पूण े ों म असम, मेघालय, नगालड, अ णाचल दे श, ज ू-क ीर, पि म
बंगाल म दािजिलंग िहमालय की तलहटी, राज थान, उ र दे श और केरल शािमल
ह।
● ए ेसाइट (80-95% काबन साम ी) ज ू-क ीर म कम मा ा म पाया जाता है ।
● िबटु िमनस (60-80% काबन साम ी) झारखंड, पि म बंगाल, ओिडशा, छ ीसगढ़

E
तथा म दे श म पाया जाता है ।
● िल ाइट (40-55% काबन साम ी, उ नमी साम ी) राज थान, लखीमपुर (असम)
एवं तिमलनाडु म पाया जाता है ।

IV
● पीट [इसम 40% से कम काबन साम ी और काबिनक पदाथ (लकड़ी) से कोयले म
प रवतन के पहले चरण म ा होता है ]।
KL
M
पेटोिलयम
● पेटोिलयम मु तः टिशयरी काल की अवसादी च ानों म पाया जाता है ।
● ये च ान भारत के लगभग 40% भागों म
● इसके अलावा िवशाल समु तट का होना भी पेटोिलयम संसाधनों की ि से
मह पूण
● असम तथा अ पूव र रा ों के पु घाटी का दे श पेटोिलयम संसाधनों की
ि से मह पूण
● 1950 तक असम का िडगबोई े पेटोिलयम का एकमा मुख उ ादक े

E
● इसके अलावा असम के नाहरकिटया तथा मोरन े भी पेटोिलयम के मह पूण
उ ादक ह।
● पि मी तट पर गुजरात म अंकले र, कालोल, मेहसाणा नवागां व तथा कोसंबा

IV
● मुंबई से 107 िकलोमीटर दू र अव थत मुंबई हाई का अपतटीय
बाद पेटोिलयम पदाथ के मुख उ ादक थल के
● पूव तट पर कृ
की ि से मह पूण
प म उभरा है ।
े भी 1976 के

ा, गोदावरी कथा कावेरी निदयों के बेिसन भी पेटोिलयम पदाथ


KL
M
E
IV
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ाकृितक गैस
● दे श म ाकृितक गैस का सबसे बड़ा भ ार कृ ा-गोदावरी घाटी म अनुमािनत है ।
● इस े को D6 ाक नाम िदया गया है ।
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● भारतीय पेटोिलयम सं थान दे हरादू न(उ राख ) म थत है ।


● राजीव गाँ धी पेटोिलयम तकनीक सं थान िसबसागर (असम) म थत है ।
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भारत के मुख औ ोिगक े
● अ संसाधनों की तरह उ ोग भी भारत म समान प से िवत रत नहीं ह।
● यह एक िनि त े पर कि त है जहाँ इनकी लागत कम और लाभ ादा होता ह।
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औ ोिगक े की पहचान के िलए कुछ मह पूण सूचकां क


● औ ोिगक इकाइयों की सं ा
● औ ोिगक िमकों की सं ा
● यु श की मा ा
● औ ोिगक उ ादन
● औ ोिगक सं रण के दौरान मू वधन
● उपरो मापदं डों पर उ औ ोिगक एका ता के आधार पर, भारत म 8 मुख
औ ोिगक े , 13 लघु औ ोिगक े और 15 औ ोिगक िजले ह।
भारत के आठ मुख औ ोिगक े
1. गली औ ोिगक े
2. गुड़गां व-िद ी-मेरठ औ ोिगक े
3. गुजरात औ ोिगक े
4. मुंबई-पुणे औ ोिगक े
5. छोटानागपुर औ ोिगक े

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6. िवशाखाप नम-गुंटूर औ ोिगक े
7. बगलु -तिमलनाडु औ ोिगक े
8. को म-ि वनंतपुरम औ ोिगक े

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13 लघु औ ोिगक े
1. ह रयाणा-पंजाब म अंबाला-अमृतसर
2. उ र दे श म सहारनपुर-मुज रनगर-िबजनौर
3. म दे श म इं दौर-दे वास-उ ैन
4. राज थान म जयपुर-अजमेर
5. महारा -कनाटक म को ापुर-दि ण क ड़
6. केरल म उ री मालाबार
7. केरल म म मालाबार
8. आं दे श म आिदलाबाद-िनजामाबाद
9. उ र दे श म इलाहाबाद-वाराणसी-िमजापुर
10. िबहार म भोजपुर-मुंगेर
11. छ ीसगढ़ म दु ग-रायपुर

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12. छ ीसगढ़ म िबलासपुर-कोरबा
13. असम म पु घाटी
औ ोिगक िजले

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कानपुर, है दराबाद, आगरा, नागपुर, ािलयर, भोपाल, लखनऊ, जलपाईगुड़ी, कटक,
गोरखपुर, अलीगढ़, कोटा, पूिमया, जबलपुर, बरे ली
भारत के नदी िकनारे बसे मुख शहर
ह र ार
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उ राखंड म गंगा नदी के िकनारे
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यागराज
तीन निदयों गंगा, यमुना और सर ती के संगम पर बसा आ है ।
यहां ेक छह वष पर कुंभ और 12 वष पर महाकुंभ का आयोजन होता है ।

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बनारस
गंगा तट पर
बनारस को माया और मु का शहर कहा जाता है ।
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आगरा
यमुना नदी िकनारे

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कोलकाता
गली नदी के िकनारे
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लखनऊ
गोमती नदी के िकनारे

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कोटा
राज थान का कोटा शहर चंबल नदी के िकनारे थत है ।
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अहमदाबाद
साबरमती नदी के िकनारे ,
महा ा गां धी ने इसी नदी के तट पर साबरमती आ म की थापना की थी।
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गुवाहाटी
असम का मुख शहर गुवाहाटी पु नदी के िकनारे थत है । गुवाहाटी को "नॉथ ई
इं िडया की सेवन िस स" का वेश ार भी कहते ह।
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राज थान
भारत का सबसे बड़ा रा ( े फल)

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गोवा
भारत का सबसे छोटा रा ( े फल)
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उ र दे श
भारत का सबसे बड़ा रा (जनसं ा)

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िस म
भारत का सबसे छोटा रा (जनसं ा)
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अंडमान िनकोबार ीप समूह
भारत का सबसे बड़ा क शािसत दे श ( े फल)

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ीप
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भारत का सबसे छोटा क शािसत दे श ( े फल)
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िद ी
भारत का सबसे बड़ा क शािसत दे श (जनसं ा)

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IVीप
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भारत का सबसे छोटा क शािसत दे श (जनसं ा)
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बगलु
भारत का सबसे बडा शहर

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नई िद ी
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भारत की सबसे बड़ी राजधानी
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कवर ी (ल ीप)
भारत की सबसे छोटी राजधानी

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िच IVा झील (ओिडशा)
भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील
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वुलर झील (क ीर)
भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील

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िच
IVा झील (ओिडशा)
भारत की सबसे बड़ी लगून झील
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िच ा झील (ओिडशा)
भारत की सबसे बड़ी तटीय झील

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भारत की सबसे बड़ी कृि म झील गोिवंद सागर झील
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िटहरी बांध
(भागीरथी नदी, उ राखंड)
भारत का सबसे बड़ा बां ध

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िटहरी बांध
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(भागीरथी नदी, उ राखंड)
भारत का सबसे ऊंचा बां ध
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भाखड़ा
सबसे ऊँचा गु ीय बाँ ध

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IVदे श
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भारत का सबसे अिधक वनों वाला रा
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मािसनराम
सबसे अिधक वषा वाला थान

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गंगा नदी
भारत की सबसे लंबी नदी
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गोदावरी
दि णी भारत की सवािधक लंबी नदी

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यमुना नदी
भारत की सबसे बड़ी सहायक नदी
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जनसं ा के आधार पर भारत के तीन सबसे बड़े शहर

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1. मुंबई
2. िद ी
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3. बगलु
े फल के आधार पर भारत के तीन सबसे बड़े शहर
1. िद ी
2. बगलु
3. पुणे
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