Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 203

भारतीय नागररक सुरक्षा संहहता 2023 तुलनात्मक ताहलका

 भारतीय नागररक सरु क्षा संहहता में कुल 09 नइ धाराऐ ं जोडी गयी, कुल 10 धाराऐ ं एवं 05 ईपधाराऐ ं हटायी गयी ।
 कुल 39 नइ ईप-धाराऐ ं/खण्ड जोडे गये ।
 कुल 44 नए प्रावधान एवं स्पष्टीकरण जोडे गये तथा 177 प्रावधान संशोहधत हकये गये ।
 कुल 35 स्थानों पर ऑहडयो-वीहडयो, आलेक्ट्राहनक/वीहडयोग्राफी साधन शरूु हकये गये है ।
 त्वररत न्याय प्रदान करने के हलए कुल 35 स्थानों पर समय सीमा शरूु की गयी है ।
भारतीय नागररक सरु क्षा संहहता -2023 दण्ड प्रहिया संहहता 1873
ऄध्याय -1 प्रारहभभक ऄध्याय – 1
धारा - 1 संहक्षप्त नाम, हिस्तार और प्रारभभ - (1) आस ऄहधहनयम का संहक्षप्त नाम धारा-1 संहक्षप्त नाम, हिस्तार और प्रारभभ - (1) आस ऄहधहनयम का संहक्षप्त नाम
भारतीय नागररक सुरक्षा संहहता, 2023 है । दण्ड प्रहिया संहहता, 1973 है ।
(2) आस संहहता के ऄध्याय 9, 11 और 12 से संबहं धत ईपबंधों से हभन्न, (2) आस संहहता के ऄध्याय 8, 10 और 11 से संबहं धत ईपबंधों से हभन्न,
ईपबंध - ईपबंध -
(क) नागालैंड राज्य को; (क) नागालैंड राज्य को;
(ख) जनजाहत क्षेत्रों को, (ख) जनजाहत क्षेत्रों को,
लागू नहीं होंगे, हकं तु संबद्ध राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, ऐसे ईपबंधो या लागू नहीं होंगे, हकं तु संबद्ध राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, ऐसे ईपबंधो
ईनमें से हकसी को, यथाहस्थहत, संपूणण नागालैंड राज्य या ऐसे जनजाहत क्षेत्र या ईनमें से हकसी को, यथाहस्थहत, संपूणण नागालैंड राज्य या ऐसे जनजाहत
या ईनके हकसी भाग पर, ऐसे ऄनपु ूरक, अनषु हं गक या पाररणाहमक क्षेत्र या ईनके हकसी भाग पर, ऐसे ऄनपु ूरक, अनषु हं गक या पाररणाहमक
ईपान्तरों सहहत, लागू कर सके गी, जैसा ऄहधसूचना में हवहनहदण ष्ट हकया जाए ईपान्तरों सहहत, लागू कर सके गी, जैसा ऄहधसूचना में हवहनहदण ष्ट हकया जाए
। ।
स्पष्टीकरण- आस धारा में, "जनजाहत क्षेत्र" से वे राज्यक्षेत्र ऄहभप्रेत हैं, जो 21 स्पष्टीकरण- आस धारा में, "जनजाहत क्षेत्र" से वे राज्यक्षेत्र ऄहभप्रेत हैं, जो
जनवरी, 1972 के ठीक पहले, संहवधान की छठी ऄनस ु ूची के पैरा 20 में 21 जनवरी, 1972 के ठीक पहले, संहवधान की छठी ऄनस ु ूची के पैरा 20
यथाहनहदण ष्ट ऄसम के जनजाहत क्षेत्रों में सहममहलत थे और जो हशलांग में यथाहनहदण ष्ट ऄसम के जनजाहत क्षेत्रों में सहममहलत थे और जो हशलांग
नगरपाहलका की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों से हभन्न हैं। नगरपाहलका की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों से हभन्न हैं।
(3) यह ऐसी तारीख से प्रवृत्त होगा, हजसे भारत सरकार, राजपत्र में (3) यह 1974 के ऄप्रैल के प्रथम हदन प्रवृत्त होगा ।
ऄहधसूचना द्वारा, हनयत करें ।
धारा – 2 पररभाषाएं - (1) आस संहहता में, जब तक हक संदभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न धारा-2 पररभाषाएं - (1) आस संहहता में, जब तक हक संदभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न
हो, - हो, -
(क) "श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक" से ऄहभप्रेत है और आसके ऄन्तगगत
िीहडयो कांफ्रेहसंग के प्रयोजनों के हलए, पहचान की अदेहिकाओं को
ऄहभहलहखत करना, तलािी और ऄहभग्रहण या साक्ष्य, आलैक्ट्राहनक
संसूचना का पारेषण और ऐसे ऄन्य प्रयोजनों के हलए हकसी संसूचना
युहि का प्रयोग और ऐसे ऄन्य साधन भी हैं, हजसे राज्य सरकार हनयमों
द्वारा ईपबंहधत करे;
(ख) "जमानत" से हकसी ऄहधकारी या न्यायालय द्वारा ऄहधरोहपत
कहतपय ितों पर हकसी ऄपराध के काररत हकए जाने के ऄहभयुि या
संहदग्ध व्यहि द्वारा हकसी बंधपत्र या जमानतपत्र के हनष्पादन पर हिहध
की ऄहभरक्षा से ऐसे व्यहि का छोडा जाना ऄहभप्रेत है;
(ग) "जमानतीय ऄपराध" से ऐसा ऄपराध ऄहभप्रेत है जो प्रथम ऄनस ु ूची में धारा-2-क (क) "जमानतीय ऄपराध" से ऐसा ऄपराध ऄहभप्रेत है जो प्रथम ऄनस ु ू ची
जमानतीय के रूप में हदखाया गया है या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध में जमानतीय के रूप में हदखाया गया है या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य
द्वारा जमानतीय बनाया गया है और "ऄजमानतीय ऄपराध" से कोइ ऄन्य हवहध द्वारा जमानतीय बनाया गया है और "ऄजमानतीय ऄपराध" से कोइ
ऄपराध ऄहभप्रेत है; ऄन्य ऄपराध ऄहभप्रेत है;
(घ) "जमानतपत्र" से प्रहतभूहत के साथ छोडे जाने के हलए कोइ
िचनबंध ऄहभप्रेत है;
(ङ) "बंधपत्र" से प्रहतभूहत के हबना छोडे जाने के हलए कोइ िैयहिक
बंधपत्र या िचनबंध ऄहभप्रेत है;
(च) "अरोप" के ऄंतगण त, जब अरोप में एक से ऄहधक शीषण हों, अरोप का धारा-2-ख (ख) "अरोप" के ऄंतगण त, जब अरोप में एक से ऄहधक शीषण हों, अरोप का
कोइ भी शीषण है; कोइ भी शीषण है;
(छ) "संज्ञेय ऄपराध" से ऐसा ऄपराध ऄहभप्रेत है हजसके हलए और "संज्ञेय धारा-2-ग (ग) "संज्ञेय ऄपराध" से ऐसा ऄपराध ऄहभप्रेत है हजसके हलए और "संज्ञेय
मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है हजसमें, कोइ पहु लस ऄहधकारी प्रथम मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है हजसमें, कोइ पहु लस ऄहधकारी प्रथम
ऄनस ु ूची के या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄनस ु ार वारण्ट के हबना ऄनस ु ूची के या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄनस ु ार वारण्ट के
हगरफ्तार कर सकता है; हबना हगरफ्तार कर सकता है;
(ज) "पररवाद" से आस संहहता के ऄधीन महजस्रेट द्वारा कारण वाइ हकए जाने धारा-2-घ (घ) "पररवाद" से आस संहहता के ऄधीन महजस्रेट द्वारा कारण वाइ हकए जाने
की दृहष्ट से मौहखक या हलहखत रूप में ईससे हकया गया यह ऄहभकथन की दृहष्ट से मौहखक या हलहखत रूप में ईससे हकया गया यह ऄहभकथन
ऄहभप्रेत है हक हकसी व्यहि ने, चाहे वह ज्ञात हो या ऄज्ञात, ऄपराध हकया ऄहभप्रेत है हक हकसी व्यहि ने, चाहे वह ज्ञात हो या ऄज्ञात, ऄपराध हकया
है, हकं तु आसमें पहु लस ररपोटण सहममहलत नहीं है। है, हकं तु आसमें पहु लस ररपोटण सहममहलत नहीं है।
स्पष्टीकरण-ऐसे हकसी मामले में, जो ऄन्वेषण के पश्चात् हकसी ऄसंज्ञेय स्पष्टीकरण- ऐसे हकसी मामले में, जो ऄन्वेषण के पश्चात् हकसी ऄसंज्ञेय
ऄपराध का हकया जाना प्रकट करता है, पहु लस ऄहधकारी द्वारा की गइ ऄपराध का हकया जाना प्रकट करता है, पहु लस ऄहधकारी द्वारा की गइ
ररपोटण पररवाद समझी जाएगी और वह पहु लस ऄहधकारी हजसके द्वारा ऐसी ररपोटण पररवाद समझी जाएगी और वह पहु लस ऄहधकारी हजसके द्वारा ऐसी
ररपोटण की गइ है, पररवादी समझा जाएगा; ररपोटण की गइ है, पररवादी समझा जाएगा;
(झ) "आलैक्ट्राहनक संसूचना" से हकसी आलैक्ट्राहनक युहि, हजसके
ऄंतगगत टेलीफोन, मोबाआल फोन या ऄन्य बेतार दूरसंचार युहि या
कभ्यूटर या श्रव्य दृश्य ्लेयर या कै मरा या कोइ ऄन्य आलैक्ट्राहनक
यहु ि या आलेक्ट्राहनक प्ररूप, जो के न्रीय सरकार द्वारा ऄहधसूचना द्वारा
हिहनहदगष्ट हकया जाए, सहभमहलत है, द्वारा हकसी हलहखत, मौहखक,
सहचत्र सूचना या िीहडयो ऄंतिगस्तु की संसूचना ऄहभप्रेत है, हजसे (चाहे
हकसी एक व्यहि से ऄन्य व्यहि को या एक युहि से हकसी ऄन्य युहि
को या हकसी व्यहि से हकसी युहि को या हकसी युहि से हकसी व्यहि
को) पारेहषत या ऄंतररत हकया जाता है; धारा-2-ङ (ङ) "ईच्च न्यायालय" से ऄहभप्रेत है, -
(ञ) "ईच्च न्यायालय" से ऄहभप्रेत है, - (i) हकसी राज्य के संबधं में, ईस राज्य का ईच्च न्यायालय;
(i) हकसी राज्य के संबधं में, ईस राज्य का ईच्च न्यायालय; (ii) हकसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के संबधं में, हजस पर हकसी राज्य के ईच्च
(ii) हकसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के संबधं में, हजस पर हकसी राज्य के ईच्च न्यायालय की ऄहधकाररता का हवस्तार हवहध द्वारा हकया गया है, वह ईच्च
न्यायालय की ऄहधकाररता का हवस्तार हवहध द्वारा हकया गया है, वह ईच्च न्यायालय;
न्यायालय; (iii) हकसी ऄन्य संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, भारत के ईच्चतम न्यायालय
(iii) हकसी ऄन्य संघ राज्यक्षेत्र के संबधं में, भारत के ईच्चतम न्यायालय से से हभन्न, ईस संघ राज्यक्षेत्र के हलए दाहण्डक ऄपील का सवोच्च
हभन्न, ईस संघ राज्यक्षेत्र के हलए दाहण्डक ऄपील का सवोच्च न्यायालय; न्यायालय;
(च) "भारत" से वे राज्यक्षेत्र ऄहभप्रेत है हजन पर आस संहहता का हवस्तार है;
(ट) "जांच" से, हवचारण से हभन्न, ऐसी प्रत्येक जांच ऄहभप्रेत है जो आस धारा-2-छ (छ) "जांच" से, हवचारण से हभन्न, ऐसी प्रत्येक जांच ऄहभप्रेत है जो आस
संहहता के ऄधीन हकसी महजस्रेट या न्यायालय द्वारा की जाए; संहहता के ऄधीन हकसी महजस्रेट या न्यायालय द्वारा की जाए;
(ठ) "ऄन्वेषण" के ऄन्तगण त वे सब कायण वाहहयां हैं जो आस संहहता के ऄधीन धारा-2-ज (ज) "ऄन्वेषण" के ऄन्तगण त वे सब कायण वाहहयां हैं जो आस संहहता के ऄधीन
हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा या हकसी भी ऐसे व्यहि (महजस्रेट से हभन्न) हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा या हकसी भी ऐसे व्यहि (महजस्रेट से हभन्न)
द्वारा जो महजस्रेट द्वारा आस हनहमत्त प्राहधकृ त हकया गया है, साक्ष्य एकत्र द्वारा जो महजस्रेट द्वारा आस हनहमत्त प्राहधकृ त हकया गया है, साक्ष्य एकत्र
करने के हलए की जाएं; करने के हलए की जाएं;
स्पष्टीकरण- जहां हकसी हििेष ऄहधहनयम के ईपबंधों में से कोइ भी आस
संहहता के ईपबंधों से ऄसंगत है, िहां हििेष ऄहधहनयम के ईपबंध
ऄहभभािी होंगे;
(ड) "न्याहयक कायण वाही" के ऄंतगण त कोइ ऐसी कायण वाही है हजसके ऄनि ु म धारा-2-झ (झ) "न्याहयक कायण वाही" के ऄंतगण त कोइ ऐसी कायण वाही है हजसके ऄनि ु म
में साक्ष्य, वैध रूप से शपथ पर हलया जाता है या हलया जा सके गा; में साक्ष्य, वैध रूप से शपथ पर हलया जाता है या हलया जा सके गा;
(ढ) हकसी न्यायालय या महजस्रेट के संबधं में "स्थानीय ऄहधकाररता" से धारा-2-ञ (ञ) हकसी न्यायालय या महजस्रेट के संबधं में "स्थानीय ऄहधकाररता" से
वह स्थानीय क्षेत्र ऄहभप्रेत है हजसके भीतर ऐसा न्यायालय या महजस्रेट आस वह स्थानीय क्षेत्र ऄहभप्रेत है हजसके भीतर ऐसा न्यायालय या महजस्रेट
संहहता के ऄधीन ऄपनी सभी या हकन्हीं शहियों का प्रयोग कर सके गा और आस संहहता के ऄधीन ऄपनी सभी या हकन्हीं शहियों का प्रयोग कर सके गा
ऐसे स्थानीय क्षेत्र में संपणू ण राज्य या राज्य का कोइ भाग समाहवष्ट हो सके गा और ऐसे स्थानीय क्षेत्र में संपणू ण राज्य या राज्य का कोइ भाग समाहवष्ट हो
जो राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे; सके गा जो राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे;
(ट) "महानगर क्षेत्र" से वह क्षेत्र ऄहभप्रेत है जो धारा 8 के ऄधीन महानगर
क्षेत्र घोहषत हकया गया है या घोहषत समझा गया है;
(ण) "ऄसंज्ञेय ऄपराध" से ऐसा ऄपराध ऄहभप्रेत है हजसके हलए और धारा-2-ठ (ठ) "ऄसंज्ञेय ऄपराध" से ऐसा ऄपराध ऄहभप्रेत है हजसके हलए और
"ऄसंज्ञेय मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है हजसमें पहु लस ऄहधकारी को "ऄसंज्ञेय मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है हजसमें पहु लस ऄहधकारी को
वारण्ट के हबना हगरफ्तारी करने का प्राहधकार नहीं होता है; वारण्ट के हबना हगरफ्तारी करने का प्राहधकार नहीं होता है;
(त) "ऄहधसूचना" से राजपत्र में प्रकाहशत ऄहधसूचना ऄहभप्रेत है; धारा-2-ड (ड) "ऄहधसूचना" से राजपत्र में प्रकाहशत ऄहधसूचना ऄहभप्रेत है;
(थ) "ऄपराध" से कोइ ऐसा कायण या लोप ऄहभप्रेत है जो तत्समय प्रवृत्त धारा-2-ढ (ढ) "ऄपराध" से कोइ ऐसा कायण या लोप ऄहभप्रेत है जो तत्समय प्रवृत्त
हकसी हवहध द्वारा दण्डनीय बनाया गया है और आसके ऄंतगण त कोइ ऐसा कायण हकसी हवहध द्वारा दण्डनीय बनाया गया है और आसके ऄंतगण त कोइ ऐसा
भी है हजसके संबधं में पशु ऄहतचार ऄहधहनयम, 1871 (1871 का 1) की कायण भी है हजसके संबधं में पशु ऄहतचार ऄहधहनयम, 1871 (1871 का 1)
धारा 20 के ऄधीन कोइ पररवाद हकया जा सके गा; की धारा 20 के ऄधीन कोइ पररवाद हकया जा सके गा;
(द) "पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी" के ऄंतगण त, जब पहु लस थाने धारा-2-ण (ण) "पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी" के ऄंतगण त, जब पहु लस थाने
का भारसाधक ऄहधकारी थाने से ऄनपु हस्थत है या बीमारी या ऄन्य कारण का भारसाधक ऄहधकारी थाने से ऄनपु हस्थत है या बीमारी या ऄन्य कारण
से ऄपने कतण व्यों का पालन करने में ऄसमथण है, तब थाने में ईपहस्थत ऐसा से ऄपने कतण व्यों का पालन करने में ऄसमथण है, तब थाने में ईपहस्थत ऐसा
पहु लस ऄहधकारी है, जो ऐसे ऄहधकारी से पंहि में ठीक नीचे है और पहु लस ऄहधकारी है, जो ऐसे ऄहधकारी से पंहि में ठीक नीचे है और
कान्स्टेबल की पंहि से उपर है, या जब राज्य सरकार ऐसा हनदेश दे तब, कान्स्टेबल की पंहि से उपर है, या जब राज्य सरकार ऐसा हनदेश दे तब,
आस प्रकार ईपहस्थत कोइ ऄन्य पहु लस ऄहधकारी भी है; आस प्रकार ईपहस्थत कोइ ऄन्य पहु लस ऄहधकारी भी है;
(घ) "स्थान" के ऄंतगण त गृह, भवन, तमबू, यान और जलयान भी हैं; धारा-2-त (त) "स्थान" के ऄंतगण त गृह, भवन, तमब,ू यान और जलयान भी हैं;
(थ) हकसी न्यायालय में हकसी कायण वाही के बारे में प्रयोग हकए जाने पर
"प्लीडर" से, ऐसे न्यायालय में तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध द्वारा या ईसके
ऄधीन हवहध-व्यवसाय करने के हलए प्राहधकृ त व्यहि ऄहभप्रेत है, और
आसके ऄन्तगण त कोइ भी ऄन्य व्यहि है, जो ऐसी कायण वाही मे कायण करने के
हलए न्यायालय की ऄनज्ञ ु ा से हनयि ु हकया गया है:
(न) "पहु लस ररपोटण " से हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा धारा 193 की धारा-2-द (द) "पहु लस ररपोटण " से हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा धारा 173 की
ईपधारा (3) के ऄधीन महजस्रेट को भेजी गइ ररपोटण ऄहभप्रेत है; ईपधारा (2) के ऄधीन महजस्रेट को भेजी गइ ररपोटण ऄहभप्रेत है;
(प) "पहु लस थाना" से कोइ भी चौकी या स्थान ऄहभप्रेत है हजसे राज्य धारा-2-ध (ध) "पहु लस थाना" से कोइ भी चौकी या स्थान ऄहभप्रेत है हजसे राज्य
सरकार द्वारा साधारणतया या हवशेषतया पहु लस थाना घोहषत हकया गया है सरकार द्वारा साधारणतया या हवशेषतया पहु लस थाना घोहषत हकया गया है
और आसके ऄंतगण त राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट कोइ स्थानीय और आसके ऄंतगण त राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट कोइ स्थानीय
क्षेत्र भी है; क्षेत्र भी है;
(न) "हवहहत" से आस संहहता के ऄधीन बनाए गए हनयमों द्वारा हवहहत
ऄहभप्रेत है;
धारा-2-प (प) "लोक ऄहभयोजक" से धारा 24 के ऄधीन हनयि ु कोइ व्यहि ऄहभप्रेत
(फ) "लोक ऄहभयोजक" से धारा 18 के ऄधीन हनयि ु कोइ व्यहि ऄहभप्रे त है और आसके ऄंतगण त लोक ऄहभयोजक के हनदेशों के ऄधीन कायण करने
है और आसके ऄंतगण त लोक ऄहभयोजक के हनदेशों के ऄधीन कायण करने वाला कोइ व्यहि भी है;
वाला कोइ व्यहि भी है; धारा-2-फ (फ) "ईपखण्ड" से हकसी हजले का कोइ ईपखण्ड ऄहभप्रेत है;
(ब) "ईपखण्ड" से हकसी हजले का कोइ ईपखण्ड ऄहभप्रेत है; धारा-2-ब (ब) "समन-मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है जो हकसी ऄपराध से
(भ) "समन-मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है जो हकसी ऄपराध से संबहं धत है और जो वारण्ट- मामला नहीं है;
संबहं धत है और जो वारण्ट- मामला नहीं है; धारा-2-बक (बक) "पीह़ित" से ऐसा व्यहि ऄहभप्रेत है हजसे ईस कायण या लोप के कारण
(म) "पीह़ित" से ऐसा व्यहि ऄहभप्रेत है हजसे ईस कायण या लोप के कारण कोइ हाहन या क्षहत काररत हुइ है हजसके हलए ऄहभयि ु व्यहि पर अरोप
कोइ हाहन या क्षहत काररत हुइ है और आसके ऄन्तगण त ऐसे पीह़ित का लगाया गया है और ―पीहडत‖ पद के ऄन्तगण त ईसका संरक्षक या हवहधक
संरक्षक या हवहधक वाररस भी है; वाररस भी है;
धारा-2-भ (भ) "वारण्ट-मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है जो मृत्य,ु अजीवन
(य) "वारण्ट-मामला" से ऐसा मामला ऄहभप्रेत है जो मृत्य,ु अजीवन कारावास या दो वषण से ऄहधक की ऄवहध के कारावास से दण्डनीय हकसी
कारावास या दो वषण से ऄहधक की ऄवहध के कारावास से दण्डनीय हकसी ऄपराध से संबहं धत है।
ऄपराध से संबहं धत है। धारा-2-म (म) ईन शब्दों और पदों के , जो आसमें प्रयि ु हैं और पररभाहषत नहीं हैं,
(2) ईन शब्दों और पदों के , जो आसमें प्रयि
ु हैं और पररभाहषत नहीं हैं, हकं तु हकं तु भारतीय दण्ड संहहता, 1860 में पररभाहषत हैं, वही ऄथण होंगे, जो
सूचना प्रौद्योहगकी ऄहधहनयम, 2000 (2000 का 2) और भारतीय न्याय ईनके ईस संहहता में हैं।
संहहता, 2023 में पररभाहषत हैं, वही ऄथण होंगे, जो ईनके ईस ऄहधहनयम
और संहहता में हैं।

धारा – 3 हनदेिों का ऄथग लगाना- (1) जब तक संदभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो, धारा-3 हनदेिों का ऄथग लगाना - (1) आस संहहता में-
हकसी हवहध में, हकसी क्षेत्र के समबन्ध में, हकसी महजस्रेट, हबना हकसी (क) हवशेषक शब्दों के हबना महजस्रेट के प्रहत हनदेश का ऄथण , जब तक हक
हवशेषक शब्दों के , प्रथम वगण महजस्रे ट या हद्वतीय वगण महजस्रेट के प्रहत सन्दभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो,-
हकसी हनदेश का, ऐसे क्षेत्र में ऄहधकाररता का प्रयोग करने वाले, (i) महानगर क्षेत्र के बाहर हकसी क्षेत्र के समबन्ध में न्याहयक महजस्रेट के
यथाहस्थहत, न्याहयक महजस्रेट प्रथम वगण या न्याहयक महजस्रेट हद्वतीय वगण प्रहत हनदेश के रूप में लगाया जाएगा;
के प्रहतहनदेश के रूप में ऄथण लगाया जाएगा। (ii) महानगर क्षेत्र के समबन्ध में महानगर महजस्रेट के प्रहत हनदेश के रूप में
लगाया जाएगा:
(ख) हद्वतीय वगण महजस्रेट के प्रहत हनदेश का महानगर क्षेत्र के बाहर हकसी
क्षेत्र के समबन्ध में यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह हद्वतीय वगण न्याहयक
महजस्रेट के प्रहत और महानगर क्षेत्र के समबन्ध में महानगर महजस्रेट के
प्रहत हनदेश है;
(ग) प्रथम वगण महजस्रेट के प्रहत हनदेश का, -
(i) हकसी महानगर क्षेत्र के समबन्ध में यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह ईस
क्षेत्र में ऄहधकाररता का प्रयोग करने वाले महानगर महजस्रेट के प्रहत हनदेश
है;
(ii) हकसी ऄन्य क्षेत्र के समबन्ध में यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह ईस क्षेत्र
में ऄहधकाररता का प्रयोग करने वाले प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट के प्रहत
हनदेश है;
(घ) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के प्रहत हनदेश का हकसी महानगर क्षेत्र के
समबन्ध में यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह ईस क्षेत्र में ऄहधकाररता का
प्रयोग करने वाले मख्ु य महानगर महजस्रेट के प्रहत हनदेश है।
(2) आस संहहता में जब तक हक संदभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो, न्याहयक
महजस्रेट के न्यायालय के प्रहत हनदेश का, महानगर क्षेत्र के समबन्ध में यह
ऄथण लगाया जाएगा हक वह ईस क्षेत्र के महानगर महजस्रेट के न्यायालय के
प्रहत हनदेश है।
(3) जब तक हक संदभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो, आस संहहता के प्रारमभ के
पूवण पाररत हकसी ऄहधहनयहमहत में, -
(क) प्रथम वगण महजस्रेट के प्रहत हनदेश का यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह
प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट के प्रहत हनदेश है।
(ख) हद्वतीय वगण महजस्रेट या तृतीय वगण महजस्रेट के प्रहत हनदेश का यह
ऄथण लगाया जाएगा हक वह हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेट के प्रहत हनदेश है:
(ग) प्रेहसडेंसी महजस्रेट या मख्ु य प्रेहसडेंसी महजस्रेट के प्रहत हनदेश का यह
ऄथण लगाया जाएगा हक वह िमशः महानगर महजस्रेट या मख्ु य महानगर
महजस्रेट के प्रहत हनदेश है;
(घ) महानगर क्षेत्र में सहममहलत हकसी क्षेत्र के प्रहत हनदेश का यह ऄथण
लगाया जाएगा हक वह ऐसे महानगर क्षेत्र के प्रहत हनदेश है, और प्रथम वगण
या हद्वतीय वगण महजस्रेट के प्रहत हनदेश का ऐसे क्षेत्र के समबन्ध में यह ऄथण
लगाया जाएगा हक वह ईस क्षेत्र में ऄहधकाररता का प्रयोग करने वाले
महानगर महजस्रेट के प्रहत हनदेश है।
(2) जहां, आस संहहता से हभन्न हकसी हवहध के ऄधीन, हकसी महजस्रेट द्वारा धारा-3(4) (4) जहााँ आस सहहता से हभन्न हकसी हवहध के ऄधीन, हकसी महजस्रेट द्वारा
हकए जा सकने वाले कृ त्य ऐसे मामलों से संबहं धत हैं, - हकए जा सकने वाले कृ त्य ऐसे मामलों से समबहन्धत है, -
(क) हजनमें साक्ष्य का मलू यांकन या छानबीन या कोइ ऐसा हवहनश्चय करना धारा-3(4)(क) (क) हजनमें साक्ष्य का ऄहधमलू यन ऄथवा सूक्ष्म परीक्षण या कोइ ऐसा
ऄंतवण हलत है हजससे हकसी व्यहि को हकसी दंड या शाहस्त की या ऄन्वेषण, हवहनश्चय करना ऄन्तवण हलत है हजससे हकसी व्यहि को हकसी दण्ड या
जांच या हवचारण लंहबत रहने तक ऄहभरक्षा में हनरोध की अशंका में शाहस्त की ऄथवा ऄन्चेषण, जााँच या हवचारण होने तक ऄहभरक्षा में हनरोध
डालता हो या हजसका प्रभाव ईसे हकसी न्यायालय के समक्ष हवचारण के की संभावना हो सकती है या हजसका प्रभाव ईसे हकसी न्यायालय के
हलए भेजना होगा, वहां वे कृ त्य आस संहहता के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए समक्ष हवचारण के हलए भेजना होगा, वहााँ वे कृ त्य आस संहहता के ईपबंधों के
न्याहयक महजस्रेट द्वारा हकए जायेंगे; या धारा- ऄधीन रहते हुए न्याहयक महजस्रेट द्वारा हकए जा सकते हैं, या
(ख) जो प्रशासहनक या कायण पालक प्रकार के हैं जैसे ऄनज्ञ ु हप्त का ऄनदु ान, 3(4)(ख) (ख) जो प्रशासहनक या कायण पालक प्रकार के है जैसे ऄनज्ञ ु हप्त का ऄनदु ान,
ऄनज्ञ ु हप्त का हनलं बन या रद्द हकया जाना, ऄहभयोजन की मं
ज र
ू ी या ऄन ज्ञ
ु हप्त का हनलमबन या रद्द हकया जाना, ऄहभयोजन की मंजूरी या
ऄहभयोजन वापस लेना, वहां वे खण्ड (क) के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, ऄहभयोजन वापस लेना, वहीं वे यथापूवोि के ऄधीन रहते हुए, कायण पालक
कायण पालक महजस्रेट द्वारा हकए जाएंगे। महजस्रेट द्वारा हकए जा सकते हैं।
धारा – 4 भारतीय न्याय संहहता, 2023 और ऄन्य हिहधयों के ऄधीन ऄपराधों का धारा-4
हिचारण-
(1) भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄधीन सभी ऄपराधों का ऄन्वेषण,
जांच, हवचारण और ईनके संबधं में ऄन्य कायण वाही, आसमें आसके पश्चात्
ऄन्तहवण ष्ट ईपबंधों के ऄनस
ु ार की जाएगी।
(2) हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन सभी ऄपराधों का ऄन्वेषण, जांच, हवचारण
और ईनके संबधं में ऄन्य कायण वाही आन्हीं ईपबंधों के ऄनस ु ार हकं तु ऐसे
ऄपराधों के ऄन्वेषण, जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही की रीहत या स्थान
का हवहनयमन करने वाली तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄहधहनयहमहत के ऄधीन
रहते हुए, की जाएगी।
धारा – 5 व्यािहृ ि - प्रहतकूल हकसी हवहनहदण ष्ट ईपबंध के ऄभाव में, आस संहहता की धारा-5 कोइ पररवतण न नहीं ।
कोइ बात, तत्समय प्रवृत्त हकसी हवशेष या स्थानीय हवहध पर, या तत्समय
प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध द्वारा प्रदत्त हकसी हवशेष ऄहधकाररता या शहि या
हवहहत प्रहिया के हकसी हवशेष प्ररूप पर प्रभाव नहीं डालेगी।
ऄध्याय -2 दंड न्यायालयों और कायागलयों का गठन
धारा – 6 दंड न्यायालयों के िगग- ईच्च न्यायालयों और आस संहहता से हभन्न हकसी धारा-6 कोइ पररवतण न नहीं ।
हवहध के ऄधीन गहठत न्यायालयों के ऄहतररि, प्रत्येक राज्य में
हनमनहलहखत वगों के दंड न्यायालय होंगे, ऄथाण त्-
(1) सेशन न्यायालय;
(ii) प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट;
(iii) हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेट; और
(iv) कायण पालक महजस्रेट।
धारा – 7 प्रादेहिक खंड - (1) प्रत्येक राज्य एक सेशन खंड होगा या सेशन खंडों से धारा-7 प्रादेहिक खंड - (1) प्रत्येक राज्य एक सेशन खंड होगा या सेशन खंडों से
हमलकर बनेगा और प्रत्येक सेशन खंड आस संहहता के प्रयोजनों के हलए एक हमलकर बनेगा और प्रत्येक सेशन खंड आस संहहता के प्रयोजनों के हलए एक
हजला होगा या हजलों से हमलकर बनेगा। हजला होगा या हजलों से हमलकर बनेगा।
परन्तु प्रत्येक महानगर क्षेत्र ईि प्रयोजन के हलए एक पृथक खण्ड और
हजला होगा ।
(2) राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, ऐसे खंडों और (2) राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, ऐसे खंडों और
हजलों की सीमाओं या संख्या में पररवतण न कर सके गी। हजलों की सीमाओं या संख्या में पररवतण न कर सके गी।
(3) राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, हकसी हजले को (3) राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, हकसी हजले को
ईपखंडों में हवभाहजत कर सके गी और ऐसे ईपखंडों की सीमाओं या संख्या ईपखंडों में हवभाहजत कर सके गी और ऐसे ईपखंडों की सीमाओं या संख्या
में पररवतण न कर सके गी। में पररवतण न कर सके गी।
(4) हकसी राज्य में, आस संहहता के प्रारंभ के समय हवद्यमान सेशन खंड, (4) हकसी राज्य में, आस संहहता के प्रारंभ के समय हवद्यमान सेशन खंड,
हजले और ईपखंड आस धारा के ऄधीन बनाए गए समझे जाएंगे। हजले और ईपखंड आस धारा के ऄधीन बनाए गए समझे जाएंगे।
धारा 8 - महानगर क्षेत्र - (1) राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, घोहषत कर
सकती है हक ईस तारीख से, जो ऄहधसूचना में हवहनहदण ष्ट की जाए, राज्य
का कोइ क्षेत्र हजसमें ऐसा नगर या नगरी समाहवष्ट है हजसकी जनसंख्या दस
लाख से ऄहधक है, आस संहहता के प्रयोजनों के हलए महानगर क्षेत्र होगा।
(2) आस संहहता के प्रारंभ से, ममु बइ, कलकत्ता और मद्रास प्रेसीडेन्सी नगरों
में से प्रत्येक और ऄहमदाबाद नगर, ईपधारा (1) के ऄधीन महानगर क्षेत्र
घोहषत हकए गए समझे जाएाँगे।
(3) राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, महानगर क्षेत्र की सीमाओं को बढा
सकती है, कम कर सकती है या पररवहतण त कर सकती है, हकन्तु ऐसी कमी
या पररवतण न आस प्रकार नहीं हकया जाएगा हक ईस क्षेत्र की जनसंख्या दस
लाख से कम रह जाए।
(4) जहााँ हकसी क्षेत्र के महानगर क्षेत्र घोहषत हकए जाने या घोहषत समझे
जाने के पश्चात् ऐसेक्षेत्र की जनसंख्या दस लाख से कम हो जाती है वहााँ
ऐसा क्षेत्र, ऐसी तारीख को और ईससे, जो राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा
आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे, महानगर क्षेत्र नहीं रहेगा; हकन्तु महानगर क्षेत्र न
रहने पर मी ऐसी जााँच, हवचारण या ऄपील जो ऐसे न रहने के ठीक पहले
ऐसे क्षेत्र में हकसी न्यायालय या महजस्रेट के समक्ष लंहबत थी, आस संहहता
के ऄधीन आस प्रकार हनपटाइ जाएगी मानो वह महानगर क्षेत्र हो।
(5) जहााँ राज्य सरकार ईपधारा (3) के ऄधीन, हकसी महानगर क्षेत्र की
सीमाओं को कम करती है या पररवहतण त करती है यहााँ ऐसी जााँच, हवचारण
या ऄपील पर जो ऐसे कम करने या पररवतण न के ठीक पहले हकसी
न्यायालय या महजस्रेट के समक्ष लहमबत थी ऐसे कम करने या पररवतण न
का कोइ प्रभाव नहीं होगा और ऐसी प्रत्येक जााँच, हवचारण या ऄपील आस
संहहता के ऄधीन ईसी प्रकार हनपटाइ जाएगी मानो ऐसी कमी या पररवतण न
न हुअ हो।
स्पष्टीकरण- आस धारा में, "जनसंख्या" पद से नवीनतम पवू ण वती जनगणना
में यथा ऄहभहनहश्चत वह जनसख्या ऄहभप्रेत है हजसके सस ु गत अक़िे
प्रकाहशत हो चक ु े हैं।
धारा – 8 सेिन न्यायालय - (1) राज्य सरकार, प्रत्येक सेशन खंड के हलए एक धारा-9 सेिन न्यायालय - (1) राज्य सरकार, प्रत्येक सेशन खंड के हलए एक
सेशन न्यायालय स्थाहपत करेगी। सेशन न्यायालय स्थाहपत करेगी।
(2) प्रत्येक सेशन न्यायालय में एक न्यायाधीश पीठासीन होगा, जो ईच्च (2) प्रत्येक सेशन न्यायालय में एक न्यायाधीश पीठासीन होगा, जो ईच्च
न्यायालय द्वारा हनयिु हकया जाएगा। न्यायालय द्वारा हनयि ु हकया जाएगा।
(3) ईच्च न्यायालय, ऄपर सेशन न्यायाधीशों को भी सेशन न्यायालय में (3) ईच्च न्यायालय, ऄपर सेशन न्यायाधीशों और सहायक सेशन
ऄहधकाररता का प्रयोग करने के हलए हनयि ु कर सकता है। न्यायाधीशों को भी सेशन न्यायालय में ऄहधकाररता का प्रयोग करने के
हलए हनयि ु कर सकता है।
(4) ईच्च न्यायालय द्वारा एक सेशन खंड के सेशन न्यायाधीश को दूसरे (4) ईच्च न्यायालय द्वारा एक सेशन खंड के सेशन न्यायाधीश को दूसरे
खंड का ऄपर सेशन न्यायाधीश भी हनयि ु हकया जा सके गा और ऐसी दशा खंड का ऄपर सेशन न्यायाधीश भी हनयि ु हकया जा सके गा और ऐसी दशा
में, वह मामलों को हनपटाने के हलए दूसरे खंड के ऐसे स्थान या स्थानों में में, वह मामलों को हनपटाने के हलए दूसरे खंड के ऐसे स्थान या स्थानों में
बैठ सके गा, जो ईच्च न्यायालय हनदेश दे। बैठ सके गा, जो ईच्च न्यायालय हनदेश दे।
(5) जहां हकसी सेशन न्यायाधीश का पद ररि होता है वहां ईच्च न्यायालय (5) जहां हकसी सेशन न्यायाधीश का पद ररि होता है वहां ईच्च न्यायालय
हकसी ऄहत-अवश्यक अवेदन के , जो ऐसे सेशन न्यायालय के समक्ष हकया हकसी ऄहत-अवश्यक अवेदन के , जो ऐसे सेशन न्यायालय के समक्ष हकया
जाता है या लंहबत है, हकसी ऄपर सेशन न्यायाधीश द्वारा या यहद ऄपर जाता है या लंहबत है, हकसी ऄपर या सहायक सेशन न्यायाधीश द्वारा या
सेशन न्यायाधीश नहीं है तो सेशन खंड के मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा यहद ऄपर या सहायक सेशन न्यायाधीश नहीं है तो सेशन खंड के मख्ु य
हनपटाए जाने के हलए व्यवस्था कर सके गा और ऐसे प्रत्येक न्यायाधीश या न्याहयक महजस्रेट द्वारा हनपटाए जाने के हलए व्यवस्था कर सके गा और
महजस्रेट को ऐसे अवेदन पर कायण वाही करने की ऄहधकाररता होगी। ऐसे प्रत्येक न्यायाधीश या महजस्रेट को ऐसे अवेदन पर कायण वाही करने
की ऄहधकाररता होगी।
(6) सेशन न्यायालय सामान्यतः ऄपनी बैठक ऐसे स्थान या स्थानों पर (6) सेशन न्यायालय सामान्यतः ऄपनी बैठक ऐसे स्थान या स्थानों पर
करेगा जो ईच्च न्यायालय ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे; हकं तु यहद हकसी करेगा जो ईच्च न्यायालय ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे; हकं तु यहद हकसी
हवशेष मामले में, सेशन न्यायालय की यह राय है हक सेशन खंड में हकसी हवशेष मामले में, सेशन न्यायालय की यह राय है हक सेशन खंड में हकसी
ऄन्य स्थान में बैठक करने से पक्षकारों और साहक्षयों को सहु वधा होगी तो ऄन्य स्थान में बैठक करने से पक्षकारों और साहक्षयों को सहु वधा होगी तो
वह, ऄहभयोजन और ऄहभयि ु की सहमहत से ईस मामले को हनपटाने के वह, ऄहभयोजन और ऄहभयि ु की सहमहत से ईस मामले को हनपटाने के
हलए या ईसमें साक्षी या साहक्षयों की परीक्षा करने के हलए ईस स्थान पर हलए या ईसमें साक्षी या साहक्षयों की परीक्षा करने के हलए ईस स्थान पर
बैठक कर सके गा। बैठक कर सके गा।
(7) सेिन न्यायाधीि समय-समय पर ऐसे ऄपर सेिन न्यायाधीिों के
बीच कायग के हितरण के संबधं में आस संहहता से संगत अदेि दे सके गा।
(8) सेिन न्यायाधीि, ऄपनी ऄनुपहस्थहत में या कायग करने में
ऄसमथगता की हस्थहत में, हकसी ऄहत- अिश्यक अिेदन का ऄपर
सेिन न्यायाधीि द्वारा या यहद कोइ ऄपर सेिन न्यायाधीि न हो तो,
मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा हनपटाए जाने के हलए भी व्यिस्था कर
सकता है; और यह समझा जाएगा हक ऐसे न्यायाधीि या महजस्रेट को
ऐसे अिेदन पर कायगिाही करने की ऄहधकाररता है। स्पष्टीकरण-आस संहहता के प्रयोजनों के हलए "हनयहु ि" के ऄंतगण त सरकार
स्पष्टीकरण-आस संहहता के प्रयोजनों के हलए "हनयहु ि" के ऄंतगण त सरकार द्वारा संघ या हकसी राज्य के कायण कलापों के संबधं में हकसी सेवा या पद पर
द्वारा संघ या हकसी राज्य के कायण कलापों के संबधं में हकसी सेवा या पद पर हकसी व्यहि की प्रथम हनयहु ि, तैनाती या प्रोन्नहत नहीं है, जहां हकसी
हकसी व्यहि की प्रथम हनयहु ि, तैनाती या प्रोन्नहत नहीं है, जहां हकसी हवहध हवहध के ऄधीन ऐसी हनयहु ि, तैनाती या प्रोन्नहत सरकार द्वारा हकए जाने
के ऄधीन ऐसी हनयहु ि, तैनाती या प्रोन्नहत सरकार द्वारा हकए जाने के हलए के हलए अपेहक्षत है।
अपेहक्षत है।
धारा 10 - सहायक सेिन न्यायाधीिों का ऄधीनस्थ होना - (1) सब
सहायक सेशन न्यायाधीश ईस सेशन न्यायाधीश के ऄधीनस्थ होंगे हजसके
न्यायालय में वे ऄहधकाररता का प्रयोग करते हैं।
(2) सेशन न्यायाधीश ऐसे सहायक सेशन न्यायाधीशों में कायण के हवतरण
के बारे में आस संहहता के संगत हनयम, समय-समय पर बना सकता है।
(3) सेशन न्यायाधीश, ऄपनी ऄनपु हस्थहत में या कायण करने में ऄसमथण ता
की हस्थहत में, हकसी ऄजेण्ट अवेदन के ऄपर या सहायक सेशन
न्यायाधीश द्वारा, या यहद कोइ ऄपर या सहायक सेशन न्यायाधीश न हो
तो, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा हनपटाए जाने के हलए मी व्यवस्था कर
सकता है, और यह समझा जाएगा हक ऐसे प्रत्येक न्यायाधीश या महजस्रेट
को ऐसे अवेदन पर कायण वाही करने की ऄहधकाररता है।
धारा – 9 न्याहयक महजस्रेटों के न्यायालय - (1) प्रत्येक हजले में प्रथम वगण और धारा-11 न्याहयक महजस्रेटों के न्यायालय - (1) प्रत्येक हजले में (जो महानगर क्षेत्र
हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेटों के आतने न्यायालय और ऐसे स्थानों में नहीं है) प्रथम वगण और हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेटों के आतने न्यायालय
स्थाहपत हकए जाएंगे हजतने और जो राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से और ऐसे स्थानों में स्थाहपत हकए जाएंगे हजतने और जो राज्य सरकार,
परामशण के पश्चात्, ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे : ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे :
परंतु राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, हकसी परंतु राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, हकसी
स्थानीय क्षेत्र के हलए प्रथम वगण या हद्वतीय वगण के न्याहयक महजस्रेटों के एक स्थानीय क्षेत्र के हलए प्रथम वगण या हद्वतीय वगण के न्याहयक महजस्रेटों के
या ऄहधक हवशेष न्यायालय, हकसी हवशेष मामले या हवशेष वगण के मामलों एक या ऄहधक हवशेष न्यायालय, हकसी हवशेष मामले या हवशेष वगण के
का हवचारण करने के हलए स्थाहपत कर सके गी और जहां कोइ ऐसा हवशेष मामलों का हवचारण करने के हलए स्थाहपत कर सके गी और जहां कोइ ऐसा
न्यायालय स्थाहपत हकया जाता है ईस स्थानीय क्षेत्र में महजस्रेट के हकसी हवशेष न्यायालय स्थाहपत हकया जाता है ईस स्थानीय क्षेत्र में महजस्रेट के
ऄन्य न्यायालय को हकसी ऐसे मामले या ऐसे वगण के मामलों का हवचारण हकसी ऄन्य न्यायालय को हकसी ऐसे मामले या ऐसे वगण के मामलों का
करने की ऄहधकाररता नहीं होगी, हजनके हवचारण के हलए न्याहयक हवचारण करने की ऄहधकाररता नहीं होगी, हजनके हवचारण के हलए
महजस्रेट का ऐसा हवशेष न्यायालय स्थाहपत हकया गया है। न्याहयक महजस्रेट का ऐसा हवशेष न्यायालय स्थाहपत हकया गया है।
(2) ऐसे न्यायालयों के पीठासीन ऄहधकारी ईच्च न्यायालय द्वारा हनयि ु (2) ऐसे न्यायालयों के पीठासीन ऄहधकारी ईच्च न्यायालय द्वारा हनयि ु
हकए जाएंगे। हकए जाएंगे।
(3) ईच्च न्यायालय, जब कभी ईसे यह समीचीन या अवश्यक प्रतीत हो, (3) ईच्च न्यायालय, जब कभी ईसे यह समीचीन या अवश्यक प्रतीत हो,
हकसी हसहवल न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कायण रत राज्य की न्याहयक हकसी हसहवल न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कायण रत राज्य की
सेवा के हकसी सदस्य को प्रथम वगण या हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेट की न्याहयक सेवा के हकसी सदस्य को प्रथम वगण या हद्वतीय वगण न्याहयक
शहियां प्रदान कर सके गा। महजस्रेट की शहियां प्रदान कर सके गा।
धारा – 10 मख्ु य न्याहयक महजस्रेट और ऄपर मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, अहद - धारा-12 मख्ु य न्याहयक महजस्रेट और ऄपर मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, अहद -
(1) ईच्च न्यायालय, प्रत्येक हजले में हकसी प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट को (1) ईच्च न्यायालय, प्रत्येक हजले में (जो महानगर क्षेत्र नहीं है) हकसी प्रथम
मख्ु य न्याहयक महजस्रेट हनयि ु करेगा। वगण न्याहयक महजस्रेट को मख्ु य न्याहयक महजस्रेट हनयि ु करेगा।
(2) ईच्च न्यायालय हकसी प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट को ऄपर मख्ु य (2) ईच्च न्यायालय हकसी प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट को ऄपर मख्ु य
न्याहयक महजस्रेट हनयि ु कर सके गा और ऐसे महजस्रेट को आस संहहता के न्याहयक महजस्रेट हनयि ु कर सके गा और ऐसे महजस्रेट को आस संहहता के
ऄधीन या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन मख्ु य न्याहयक ऄधीन या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन मख्ु य न्याहयक
महजस्रेट की सभी या कोइ शहियां होंगी, हजसका ईच्च न्यायालय हनदेश दे महजस्रेट की सभी या कोइ शहियां होंगी, हजसका ईच्च न्यायालय हनदेश
। दे ।
(3) ईच्च न्यायालय, जैसा ऄवसर ऄपेहक्षत करे, हकसी ईपखंड में हकसी (3) ईच्च न्यायालय, जैसा ऄवसर ऄपेहक्षत करे, हकसी ईपखंड में हकसी
प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट को ईपखंड न्याहयक महजस्रेट के रूप में प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट को ईपखंड न्याहयक महजस्रेट के रूप में
पदाहभहहत कर सके गा और ईसे आस धारा में हवहनहदण ष्ट ईत्तरदाहयत्वों से मिु पदाहभहहत कर सके गा और ईसे आस धारा में हवहनहदण ष्ट ईत्तरदाहयत्वों से
कर सके गा। मि ु कर सके गा।
(4) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के साधारण हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए (4) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के साधारण हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए
प्रत्येक ईपखण्ड न्याहयक महजस्रेट को ईपखंड में न्याहयक महजस्रेटों प्रत्येक ईपखण्ड न्याहयक महजस्रेट को ईपखंड में न्याहयक महजस्रेटों
(ऄपर मख्ु य न्याहयक महजस्रेटों से हभन्न) के काम पर पयण वेक्षण और (ऄपर मख्ु य न्याहयक महजस्रेटों से हभन्न) के काम पर पयण वेक्षण और
हनयंत्रण की ऐसी शहियां भी होंगी और वह ईनका प्रयोग करेगा, जो ईच्च हनयंत्रण की ऐसी शहियां भी होंगी और वह ईनका प्रयोग करेगा, जो ईच्च
न्यायालय साधारण या हवशेष अदेश द्वारा आस हनहमत हवहनहदण ष्ट करे। न्यायालय साधारण या हवशेष अदेश द्वारा आस हनहमत हवहनहदण ष्ट करे।
धारा – 11 हििेष न्याहयक महजस्रेट - (1) यहद कें न्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा ईच्च धारा-13 हििेष न्याहयक महजस्रेट - (1) यहद कें न्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा ईच्च
न्यायालय से ऐसा करने के हलए ऄनरु ोध हकया जाता है तो वह हकसी व्यहि न्यायालय से ऐसा करने के हलए ऄनरु ोध हकया जाता है तो वह हकसी
को जो सरकार के ऄधीन कोइ पद धारण करता है या हजसने कोइ पद व्यहि को जो सरकार के ऄधीन कोइ पद धारण करता है या हजसने कोइ
धारण हकया है, हकसी स्थानीय क्षेत्र में, हवहशष्ट मामलों या हवहशष्ट वगण के पद धारण हकया है, हकसी स्थानीय क्षेत्र में, हवहशष्ट मामलों या हवहशष्ट वगण के
मामलों के संबधं में प्रथम वगण या हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेट को आस मामलों के संबधं में प्रथम वगण या हद्वतीय वगण न्याहयक महजस्रेट को आस
संहहता द्वारा या आसके ऄधीन प्रदत्त की गइ या प्रदत्त की जा सकने वाली संहहता द्वारा या आसके ऄधीन प्रदत्त की गइ या प्रदत्त की जा सकने वाली
सभी या कोइ शहियां प्रदत्त कर सके गा : सभी या कोइ शहियां प्रदत्त कर सके गा :
परंतु ऐसी कोइ शहि ऐसे हकसी व्यहि को प्रदत्त नहीं की जाएगी जब तक परंतु ऐसी कोइ शहि ऐसे हकसी व्यहि को प्रदत्त नहीं की जाएगी जब तक
ईसके पास हवहधक मामलों के संबधं में ऐसी ऄहण ता या ऄनभु व नहीं है जो ईसके पास हवहधक मामलों के संबधं में ऐसी ऄहण ता या ऄनभु व नहीं है जो
ईच्च न्यायालय, हनयमों द्वारा हवहनहदण ष्ट करे। ईच्च न्यायालय, हनयमों द्वारा हवहनहदण ष्ट करे।
(2) ऐसे महजस्रेट हवशेष न्याहयक महजस्रेट कहलाएंगे और एक समय में (2) ऐसे महजस्रेट हवशेष न्याहयक महजस्रेट कहलाएंगे और एक समय में
एक वषण से ऄनहधक की आतनी ऄवहध के हलए हनयि ु हकए जाएंगे जो ईच्च एक वषण से ऄनहधक की आतनी ऄवहध के हलए हनयि ु हकए जाएंगे जो ईच्च
न्यायालय, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा हनदेश दे। न्यायालय, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा हनदेश दे ।
(3) ईच्च न्यायालय हकसी हवशेष न्याहयक महजस्रेट को ऄपनी स्थानीय
ऄहधकाररता के बाहर के हकसी महानगर क्षेत्र के संबधं में महानगर महजस्रेट
की शहियों का प्रयोग करने के हलए सशि कर सकता है ।
धारा – 12 न्याहयक महजस्रेटों की स्थानीय ऄहधकाररता - (1) ईच्च न्यायालय के धारा-14 न्याहयक महजस्रेटों की स्थानीय ऄहधकाररता - (1) ईच्च न्यायालय के
हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, समय-समय पर ईन हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, समय-समय पर ईन
क्षेत्रों की स्थानीय सीमाएं पररहनहश्चत कर सके गा हजनके भीतर धारा 9 या क्षेत्रों की स्थानीय सीमाएं पररहनहश्चत कर सके गा हजनके भीतर धारा 11 या
धारा 11 के ऄधीन हनयि ु महजस्रेट ईन सभी शहियों का या ईनमें से धारा 13 के ऄधीन हनयि ु महजस्रेट ईन सभी शहियों का या ईनमें से
हकन्हीं का प्रयोग कर सकें गे, जो आस संहहता के ऄधीन िमशः ईनमें हकन्हीं का प्रयोग कर सकें गे, जो आस संहहता के ऄधीन िमशः ईनमें
हवहनहहत की जाएं : हवहनहहत की जाएं :
परंतु हवशेष न्याहयक महजस्रेट का न्यायालय ईस स्थानीय क्षेत्र के भीतर, परंतु हवशेष न्याहयक महजस्रेट का न्यायालय ईस स्थानीय क्षेत्र के भीतर,
हजसके हलए वह स्थाहपत हकया गया है, हकसी स्थान में ऄपनी बैठक कर हजसके हलए वह स्थाहपत हकया गया है, हकसी स्थान में ऄपनी बैठक कर
सके गा। सके गा।
(2) ऐसे पररहनश्चय द्वारा, जैसा ईपबंहधत है ईसके हसवाय, प्रत्येक ऐसे (2) ऐसे पररहनश्चय द्वारा, जैसा ईपबंहधत है ईसके हसवाय, प्रत्येक ऐसे
महजस्रेट की ऄहधकाररता और शहियों का हवस्तार हजले में सवण त्र होगा। महजस्रेट की ऄहधकाररता और शहियों का हवस्तार हजले में सवण त्र होगा।
(3) जहां धारा 9 या धारा 11 के ऄधीन हनयि ु हकसी महजस्रेट की (3) जहां धारा 11 या धारा 13 या धारा 18 के ऄधीन हनयि ु हकसी
स्थानीय ऄहधकाररता का हवस्तार हकसी ईस हजले के , हजसमें वह मामूली महजस्रेट की स्थानीय ऄहधकाररता का हवस्तार हकसी ईस हजले के ,
तौर पर न्यायालय की बैठकें करता है, बाहर हकसी क्षेत्र तक हैं वहां आस हजसमें वह मामूली तौर पर न्यायालय की बैठकें करता है, बाहर हकसी क्षेत्र
संहहता में सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के प्रहत हकसी तक हैं वहां आस संहहता में सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के
हनदेश का ऐसे महजस्रेट के संबधं में, जब तक हक संदभण से ऄन्यथा प्रहत हकसी हनदेश का ऐसे महजस्रेट के संबधं में, जब तक हक संदभण से
ऄपेहक्षत न हो, यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह ऄपनी स्थानीय ऄहधकाररता ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो, यह ऄथण लगाया जाएगा हक वह ऄपनी स्थानीय
के भीतर संपूणण क्षेत्र में ईि हजला के संबधं में ऄहधकाररता का प्रयोग करने ऄहधकाररता के भीतर संपूणण क्षेत्र में ईि हजला के संबधं में ऄहधकाररता का
वाले, यथाहस्थहत, सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के प्रहत प्रयोग करने वाले, यथाहस्थहत, सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक
हनदेश है। महजस्रेट के प्रहत हनदेश है।
धारा – 13 न्याहयक महजस्रेटों का ऄधीनस्थ होना - (1) प्रत्येक मख्ु य न्याहयक धारा-15 कोइ पररवतण न नहीं ।
महजस्रेट, सेशन न्यायाधीश के ऄधीनस्थ होगा और प्रत्येक ऄन्य न्याहयक
महजस्रेट, सेशन न्यायाधीश के साधारण हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए, मख्ु य
न्याहयक महजस्रेट के ऄधीनस्थ होगा।
(2) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, समय-समय पर, ऄपने ऄधीनस्थ न्याहयक
महजस्रेटों के बीच कायण के हवतरण के बारे में, आस संहहता से संगत हनयम
बना सके गा या हवशेष अदेश दे सके गा।
धारा 16 - महानगर महजस्रेटों के न्यायालय - (1) प्रत्येक महानगर क्षेत्र
में महानगर महजस्रेटों के आतने न्यायालय, ऐसे स्थानों में स्थाहपत हकए
जाएाँगे हजतने और जो राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्,
ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करे।
(2) ऐसे न्यायालयों के पीठासीन ऄहधकारी ईच्च न्यायालय द्वारा हनयि ु
हकए जाएाँगे।
(3) प्रत्येक महानगर महजस्रेट की ऄहधकाररता और शहियों का हवस्तार
महानगर क्षेत्र में सवण त्र होगा।
धारा 17 - मख्ु य महानगर महजस्रेट और ऄपर मख्ु य महानगर
महजस्रेट - (1) ईच्च न्यायालय ऄपनी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर
प्रत्येक महानगर क्षेत्र के समबन्ध में एक महानगर महजस्रेट को ऐसे महानगर
क्षेत्र का मख्ु य महानगर महजस्रेट हनयि ु करेगा।
(2) ईच्च न्यायालय हकसी महानगर महजस्रेट को ऄपर मख्ु य महानगर
महजस्रेट हनयि ु कर सकता है, और ऐसे महजस्रेट को, आस संहहता के
ऄधीन या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन मख्ु य महानगर
महजस्रेट की सब या कोइ शहियााँ, हजनका ईच्च न्यायालय हनदेश दे,
होंगी।
धारा 18 - हििेष महानगर महजस्रेट - (1) यहद के न्द्रीय या राज्य सरकार
ईच्च न्यायालय से ऐसा करने के हलए ऄनरु ोध करती है तो ईच्च न्यायालय
हकसी व्यहि को जो सरकार के ऄधीन कोइ पद धारण करता है या हजसने
कोइ पद धारण हकया है, ऄपनी स्थानीय ऄहधकाररता के मीतर हकसी
महानगर क्षेत्र में हवशेष मामलों के या हवशेष वगण के मामलों के समबन्ध में
महानगर महजस्रेट को आस सहहता द्वारा या ईसके ऄधीन प्रदत्त या प्रदत्त
की जा सकने वाली सभी या कोइ शहियााँ प्रदत्त कर सकता है:
परन्तु ऐसी कोइ शहि हकसी व्यहि को प्रदान नहीं की जाएगी जब तक
ईसके पास हवहधक मामलों के समबन्ध में ऐसी ऄहण ता या ऄनभु व नहीं है जो
ईच्च न्यायालय, हनयमों द्वारा हवहनहदणष्ट करे। (2) ऐसे महजस्रेट हवशेष
महानगर महजस्रेट कहलाएाँगे और एक समय में एक वषण से ऄनहधक की
आतनी ऄवहध के हलए हनयि ु हकए जाएाँगे हजतनी ईच्च न्यायालय, साधारण
या हवशेष अदेश द्वारा, हनहदण ष्ट करे।
[(3) यथाहस्थहत, ईच्च न्यायालय या राज्य सरकार हकसी महानगर
महजस्रेट को, महानगर क्षेत्र के बाहर हकसी स्थानीय क्षेत्र में प्रथम वगण के
न्याहयक महजस्रेट की शहियों का प्रयोग करने के हलए सशि कर सकती
है।।
धारा 19 - महानगर महजस्रेटों का ऄधीनस्थ होना - (1) मख्ु य महानगर
महजस्रेट और प्रत्येक ऄपर मख्ु य महानगर महजस्रेट सेशन न्यायाधीश के
ऄधीनस्थ होगा और प्रत्येक ऄन्य महानगर महजस्रेट सेशन न्यायाधीश के
साधारण हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए मख्ु य महानगर महजस्रेट के
ऄधीनस्थ होगा।
(2) ईच्च न्यायालय, आस संहहता के प्रयोजनों के हलए पररहनहश्चत कर
सके गा हक ऄपर मख्ु य महानगर महजस्रेट हकस हवस्तार तक, यहद कोइ हो,
मख्ु य महानगर महजस्रेट के ऄधीनस्थ होगा।
(3) मख्ु य महानगर महजस्रेट महानगर महजस्रेटों में कायण के हवतरण के बारे
में और ऄपर मख्ु य महानगर महजस्रेट को कायण के अबटन के बारे में,
समय-समय पर, आस संहहता से संगत हनयम बना सके गा या हवशेष अदेश
दे सके गा।
धारा – 14 कायगपालक महजस्रेट (1) राज्य सरकार, प्रत्येक हजले में ईतने व्यहियों धारा-20 कायगपालक महजस्रेट (1) राज्य सरकार, प्रत्येक हजले और महानगर क्षेत्र
को, हजतने वह ईहचत समझे, कायण पालक महजस्रेट हनयि ु कर सके गी और में ईतने व्यहियों को, हजतने वह ईहचत समझे, कायण पालक महजस्रेट
ईनमें से एक को हजला महजस्रेट हनयि ु करेगी। हनयि ु कर सके गी और ईनमें से एक को हजला महजस्रेट हनयि ु करेगी।
(2) राज्य सरकार, हकसी कायण पालक महजस्रेट को ऄपर हजला महजस्रेट (2) राज्य सरकार, हकसी कायण पालक महजस्रेट को ऄपर हजला महजस्रेट
हनयिु कर सके गी, और ऐसे महजस्रेट को आस संहहता के ऄधीन या हनयि ु कर सके गी, और ऐसे महजस्रेट को आस संहहता के ऄधीन या
तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन हजला महजस्रेट की ऐसी तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन हजला महजस्रेट की ऐसी
शहियां होंगी, जो राज्य सरकार हनहदण ष्ट करे। शहियां होंगी, जो राज्य सरकार हनहदण ष्ट करे।
(3) जब कभी, हकसी हजला महजस्रेट के पद की ररहि के पररणामस्वरूप, (3) जब कभी, हकसी हजला महजस्रेट के पद की ररहि के पररणामस्वरूप,
कोइ ऄहधकारी ईस हजले के कायण पालक प्रशासन के हलए ऄस्थायी रूप से कोइ ऄहधकारी ईस हजले के कायण पालक प्रशासन के हलए ऄस्थायी रूप से
ईत्तरवती होता है तो ऐसा ऄहधकारी, राज्य सरकार द्वारा अदेश हदए जाने ईत्तरवती होता है तो ऐसा ऄहधकारी, राज्य सरकार द्वारा अदेश हदए जाने
तक, िमशः ईन सभी शहियों का प्रयोग और ईन सभी कतण व्यों का पालन तक, िमशः ईन सभी शहियों का प्रयोग और ईन सभी कतण व्यों का पालन
करेगा जो आस संहहता द्वारा हजला महजस्रेट को प्रदत्त और ऄहधरोहपत की करेगा जो आस संहहता द्वारा हजला महजस्रेट को प्रदत्त और ऄहधरोहपत की
जाए। जाए।
(4) राज्य सरकार, जैसा ऄवसर ऄपेहक्षत करे, हकसी कायण पालक महजस्रेट (4) राज्य सरकार, जैसा ऄवसर ऄपेहक्षत करे, हकसी कायण पालक महजस्रेट
को ईपखंड का भारसाधक बना सके गी और ईसको भारसाधन से मि ु कर को ईपखंड का भारसाधक बना सके गी और ईसको भारसाधन से मि ु कर
सके गी तथा आस प्रकार हकसी ईपखंड का भारसाधक बनाया गया महजस्रेट, सके गी तथा आस प्रकार हकसी ईपखंड का भारसाधक बनाया गया
ईपखंड महजस्रेट कहलाएगा। महजस्रेट, ईपखंड महजस्रेट कहलाएगा।
(5) राज्य सरकार, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा तथा ऐसे हनयंत्रण और धारा - (4क) राज्य सरकार, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा तथा ऐसे हनयंत्रण
हनदेशों के ऄधीन रहते हुए, जो वह ऄहधरोहपत करना ठीक समझे, ईपधारा 20(4)क और हदशा हनदेशों के ऄधीन रहते हुए, हजन्हे वह ईपधारा (4) के ऄन्तगण त
(4) के ऄधीन ऄपनी शहियां, हजला महजस्रेट को प्रत्यायोहजत कर सके गी। ऄहधरोहपत करना ईहचत समझे, हजला महजस्रेट को शहियां प्रत्यायोहजत
कर सके गी।
(6) आस धारा को कोइ बात, तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध के ऄधीन, धारा -20(5) (5) आस धारा को कोइ बात, तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध के ऄधीन,
कायण पालक महजस्रेट की सभी शहियां या ईनमें से कोइ शहि पहु लस महानगर क्षेत्र के संबधं में कायण पालक महजस्रेट की सभी शहियां या ईनमें
अयि ु को प्रदत्त करने से राज्य सरकार को प्रवाररत नहीं करेगी। से कोइ शहि पहु लस अयि ु को प्रदत्त करने से राज्य सरकार को प्रवाररत
नहीं करेगी।
धारा – 15 हििेष कायगपालक महजस्रेट - राज्य सरकार, हवहशष्ट क्षेत्रों के हलए या धारा-21
हवहशष्ट कृ त्यों का पालन करने के हलए कायण पालक महजस्रेट या ऐसे हकसी
पुहलस ऄहधकारी को, जो पुहलस ऄधीक्षक की पंहि से नीचे का न हो या
समतुल्य को, जो हवशेष कायण पालक महजस्रेट के रूप में ज्ञात होंगे, आतनी
ऄवहध के हलए हजतनी वह ईहचत समझें, हनयि ु कर सके गी और आस
संहहता के ऄधीन कायण पालक महजस्रेटों को प्रदत्त की जा सकने वाली
शहियों में से ऐसी शहियां, हजन्हें वह ईहचत समझे, आन हवशेष कायण पालक
महजस्रेटों को प्रदत्त कर सके गी ।
धारा – 16 कायगपालक महजस्रेटों की स्थानीय ऄहधकाररता - (1) राज्य सरकार के धारा-22 कोइ पररवतण न नहीं ।
हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए हजला महजस्रेट, समय-समय पर, ईन क्षेत्रों की
स्थानीय सीमाएं पररहनहश्चत कर सके गा हजनके भीतर कायण पालक महजस्रेट
ईन सभी शहियों का या ईनमें से हकन्हीं का प्रयोग कर सकें गे, जो आस
संहहता के ऄधीन ईनमें हवहनहहत की जाएं।
(2) ऐसे पररहनश्चय द्वारा, जैसा ईपबंहधत है ईनके हसवाय, प्रत्येक ऐसे
महजस्रेट की ऄहधकाररता और शहियों का हवस्तार हजले में सवण त्र होगा।
धारा – 17 कायगपालक महजस्रेटों का ऄधीनस्थ होना - (1) सभी कायण पालक धारा-23 कायगपालक महजस्रेटों का ऄधीनस्थ होना - (1) ऄपर हजला महजस्रेटो
महजस्रेट, हजला महजस्रेट के ऄधीनस्थ होंगे और हकसी ईपखण्ड में से हभन्न सभी कायण पालक महजस्रेट, हजला महजस्रेट के ऄधीनस्थ होंगे
शहियों का प्रयोग करने वाला प्रत्येक कायण पालक महजस्रेट (ईपखण्ड और (ईपखण्ड महजस्रेट से हभन्न) प्रत्येक कायण पालक महजस्रेट जो
महजस्रेट से हभन्न), हजला महजस्रेट के साधारण हनयंत्रण के ऄधीन रहते ईपखण्ड में शहि का प्रयोग कर रहा है, हजला महजस्रेट के साधारण
हुए, ईपखण्ड महजस्रेट के भी ऄधीनस्थ होगा। हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए, ईपखण्ड महजस्रेट के भी ऄधीनस्थ होगा।
(2) हजला महजस्रेट, समय-समय पर, ऄपने ऄधीनस्थ कायण पालक (2) हजला महजस्रेट, ऄपने ऄधीनस्थ कायण पालक महजस्रेटों के बीच कायण
महजस्रेटों के बीच कायण के हवतरण या अबंटन के बारे में आस संहहता से के हवतरण या अबंटन के बारे में समय-समय पर, आस संहहता से संगत
संगत हनयम बना सके गा या हवशेष अदेश दे सके गा। हनयम बना सके गा या हवशेष अदेश दे सके गा।
धारा – 18 लोक ऄहभयोजक - (1) प्रत्येक ईच्च न्यायालय के हलए, कें द्रीय सरकार या धारा-24 लोक ऄहभयोजक - (1) प्रत्येक ईच्च न्यायालय के हलए, कें द्रीय सरकार
राज्य सरकार ईस ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, यथाहस्थहत, या राज्य सरकार ईस ईच्च न्यायालय से परामशण के पश्चात्, यथाहस्थहत,
कें न्द्रीय या राज्य सरकार की ओर से ऐसे न्यायालय में हकसी ऄहभयोजन, कें न्द्रीय या राज्य सरकार की ओर से ऐसे न्यायालय में हकसी ऄहभयोजन,
ऄपील या ऄन्य कायण वाही के संचालन के हलए एक लोक ऄहभयोजक ऄपील या ऄन्य कायण वाही के संचालन के हलए एक लोक ऄहभयोजक
हनयि ु करेगी और एक या ऄहधक ऄपर लोक ऄहभयोजक भी हनयहु ि कर हनयि ु करेगी और एक या ऄहधक ऄपर लोक ऄहभयोजक भी हनयहु ि कर
सके गी : सके गी :
परंतु राष्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र हदल्ली के संबधं में, कें रीय सरकार
हदल्ली ईच्च न्यायालय से परामिग के पश्चात्, आस ईपधारा के प्रयोजनों
के हलए लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजकों की हनयुहि
करेगी।
(2) कें द्रीय सरकार हकसी हजले या स्थानीय क्षेत्र में हकसी मामले का (2) कें द्रीय सरकार हकसी हजले या स्थानीय क्षेत्र में हकसी मामले या हकसी
संचालन करने के प्रयोजनों के हलए एक या ऄहधक लोक ऄहभयोजक हनयि ु वगण के मामलों का संचालन करने के प्रयोजनों के हलए एक या ऄहधक लोक
कर सके गी। ऄहभयोजक हनयि ु कर सके गी।
(3) राज्य सरकार, प्रत्येक हजले के हलए, एक लोक ऄहभयोजक हनयि ु (3) राज्य सरकार, प्रत्येक हजले के हलए, एक लोक ऄहभयोजक हनयि ु
करेगी और हजले के हलए एक या ऄहधक ऄपर लोक ऄहभयोजक भी हनयि ु करेगी और हजले के हलए एक या ऄहधक ऄपर लोक ऄहभयोजक भी हनयि ु
कर सके गी : कर सके गी :
परंतु एक हजले के हलए हनयि ु हकया गया लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक परंतु एक हजले के हलए हनयि ु हकया गया लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक
ऄहभयोजक, हकसी ऄन्य हजले के हलए भी, यथाहस्थहत, लोक ऄहभयोजक ऄहभयोजक, हकसी ऄन्य हजले के हलए भी, यथाहस्थहत, लोक ऄहभयोजक
या ऄपर लोक ऄहभयोजक हनयि ु हकया जा सके गा। या ऄपर लोक ऄहभयोजक हनयि ु हकया जा सके गा।
(4) हजला महजस्रेट, सेशन न्यायाधीश के परामशण से, ऐसे व्यहियों के नामों (4) हजला महजस्रेट, सेशन न्यायाधीश के परामशण से, ऐसे व्यहियों के
का एक पैनल तैयार करेगा जो ईसकी राय में, ईस हजले के हलए लोक नामों का एक पैनल तैयार करेगा जो ईसकी राय में, ईस हजले के हलए लोक
ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक हनयि ु हकए जाने के योग्य हैं। ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक हनयि ु हकए जाने के योग्य हैं।
(5) कोइ व्यहि, राज्य सरकार द्वारा हजले के हलए लोक ऄहभयोजक या (5) कोइ व्यहि, राज्य सरकार द्वारा हजले के हलए लोक ऄहभयोजक या
ऄपर लोक ऄहभयोजक तब तक हनयि ु नहीं हकया जाएगा जब तक हक ऄपर लोक ऄहभयोजक तब तक हनयि ु नहीं हकया जाएगा जब तक हक
ईसका नाम ईपधारा (4) के ऄधीन हजला महजस्रेट द्वारा तैयार हकए गए ईसका नाम ईपधारा (4) के ऄधीन हजला महजस्रेट द्वारा तैयार हकए गए
नामों के पैनल में न हो। नामों के पैनल में न हो।
(6) ईपधारा (5) में हकसी बात के होते हुए भी, जहां हकसी राज्य में (6) ईपधारा (5) में हकसी बात के होते हुए भी, जहां हकसी राज्य में
ऄहभयोजन ऄहधकाररयों का हनयहमत काडर है वहां राज्य सरकार, ऐसा ऄहभयोजन ऄहधकाररयों का हनयहमत काडर है वहां राज्य सरकार, ऐसा
काडर गहठत करने वाले व्यहियों में से ही लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक काडर गहठत करने वाले व्यहियों में से ही लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक
ऄहभयोजक हनयि ु करेगी : ऄहभयोजक हनयि ु करेगी :
परंतु जहां, राज्य सरकार की राय में ऐसे काडर में से कोइ ईपयि ु व्यहि परंतु जहां, राज्य सरकार की राय में ऐसे काडर में से कोइ ईपयि ु व्यहि
ऐसी हनयहु ि के हलए ईपलब्ध नहीं है वहां वह सरकार ईपधारा (4) के ऐसी हनयहु ि के हलए ईपलब्ध नहीं है वहां वह सरकार ईपधारा (4) के
ऄधीन हजला महजस्रेट द्वारा तैयार हकए गए नामों के पैनल में से, ऄधीन हजला महजस्रेट द्वारा तैयार हकए गए नामों के पैनल में से,
यथाहस्थहत, लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक के रूप में हकसी यथाहस्थहत, लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक के रूप में हकसी
व्यहि को हनयिु कर सके गी। व्यहि को हनयिु कर सके गी।
स्पष्टीकरण- आस ईपधारा के प्रयोजनों के हलए, - स्पष्टीकरण- आस ईपधारा के प्रयोजनों के हलए, -
(क) "ऄहभयोजन ऄहधकाररयों का हनयहमत काडर" से ऄहभयोजन (क) "ऄहभयोजन ऄहधकाररयों का हनयहमत काडर" से ऄहभयोजन
ऄहधकाररयों का वह काडर ऄहभप्रेत है, हजसमें लोक ऄहभयोजक का पद ऄहधकाररयों का वह काडर ऄहभप्रेत है, हजसमें लोक ऄहभयोजक का पद
सहममहलत है, चाहे वह हकसी भी नाम से ज्ञात हो, और हजसमें सहायक सहममहलत है, चाहे वह हकसी भी नाम से ज्ञात हो, और हजसमें सहायक
लोक ऄहभयोजक का ईस पद पर प्रोन्नहत के हलए ईपबंध करता है, चाहे लोक ऄहभयोजक का ईस पद पर प्रोन्नहत के हलए ईपबंध करता है, चाहे
वह हकसी भी नाम से ज्ञात हो; वह हकसी भी नाम से ज्ञात हो;
(ख) "ऄहभयोजन ऄहधकारी" से आस संहहता के ऄधीन लोक ऄहभयोजक,
(ख) "ऄहभयोजन ऄहधकारी" से आस संहहता के ऄधीन लोक ऄहभयोजक, ऄपर लोक ऄहभयोजक या सहायक लोक ऄहभयोजक के कृ त्यों का पालन
हििेष लोक ऄहभयोजक, ऄपर लोक ऄहभयोजक या सहायक लोक करने के हलए हनयिु हकया गया व्यहि ऄहभप्रेत है, चाहे वह हकसी भी नाम
ऄहभयोजक के कृ त्यों का पालन करने के हलए हनयि ु हकया गया व्यहि से ज्ञात हो।
ऄहभप्रेत है, चाहे वह हकसी भी नाम से ज्ञात हो।
(7) कोइ व्यहि ईपधारा (1) या ईपधारा (2) या ईपधारा (३) या ईपधारा (7) कोइ व्यहि ईपधारा (1) या ईपधारा (2) या ईपधारा (३) या ईपधारा
(6) के ऄधीन लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक हनयि ु हकए (6) के ऄधीन लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक हनयि ु हकए
जाने का पात्र तभी होगा जब वह कम से कम सात वषण तक ऄहधविा के रूप जाने का पात्र तभी होगा जब वह कम से कम सात वषण तक ऄहधविा के
में हवहध व्यवसाय करता रहा हो। रूप में हवहध व्यवसाय करता रहा हो।
(8) कें द्रीय सरकार या राज्य सरकार हकसी मामले या हकसी वगण के मामलों (8) कें द्रीय सरकार या राज्य सरकार हकसी मामले या हकसी वगण के मामलों
के प्रयोजनों के हलए हकसी व्यहि को, जो ऄहधविा के रूप में कम से कम के प्रयोजनों के हलए हकसी व्यहि को, जो ऄहधविा के रूप में कम से कम
दस वषण तक हवहध व्यवसाय करता रहा हो, हवशेष लोक ऄहभयोजक हनयि ु दस वषण तक हवहध व्यवसाय करता रहा हो, हवशेष लोक ऄहभयोजक हनयि ु
कर सके गी: कर सके गी:
परंतु न्यायालय आस ईपधारा के ऄधीन पीह़ित को, ऄहभयोजन की सहायता परंतु न्यायालय आस ईपधारा के ऄधीन पीह़ित को, ऄहभयोजन की
करने के हलए ऄपनी पसंद का ऄहधविा रखने के हलए ऄनज्ञ ु ात कर सके गा। सहायता करने के हलए ऄपनी पसंद का ऄहधविा रखने के हलए ऄनज्ञ ु ात
कर सके गा।
(9) ईपधारा (7) और ईपधारा (8) के प्रयोजनों के हलए, वह ऄवहध, हजसके (9) ईपधारा (7) और ईपधारा (8) के प्रयोजनों के हलए, वह ऄवहध,
दौरान हकसी व्यहि ने ऄहधविा के रूप में हवहध व्यवसाय हकया है या लोक हजसके दौरान हकसी व्यहि ने ऄहधविा के रूप में हवहध व्यवसाय हकया है
ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक या सहायक लोक ऄहभयोजक या या लोक ऄहभयोजक या ऄपर लोक ऄहभयोजक या सहायक लोक
ऄन्य ऄहभयोजन ऄहधकारी के रूप में, चाहे वह हकसी भी नाम से ज्ञात हो, ऄहभयोजक या ऄन्य ऄहभयोजन ऄहधकारी के रूप में, चाहे वह हकसी भी
सेवा हकया है (चाहे आस संहहता के प्रारंभ के पहले या पश्चात्) यह समझा नाम से ज्ञात हो, सेवा हकया है (चाहे आस संहहता के प्रारंभ के पहले या
जाएगा हक वह ऐसी ऄवहध है हजसके दौरान ऐसे व्यहि ने ऄहधविा के रूप पश्चात्) यह समझा जाएगा हक वह ऐसी ऄवहध है हजसके दौरान ऐसे व्यहि
में हवहध व्यवसाय हकया है। ने ऄहधविा के रूप में हवहध व्यवसाय हकया है।
धारा – 19 सहायक लोक ऄहभयोजक - (1) राज्य सरकार, प्रत्येक हजले में महजस्रेटों धारा-25 सहायक लोक ऄहभयोजक - (1) राज्य सरकार, प्रत्येक हजले में
के न्यायालयों में ऄहभयोजन का संचालन करने के हलए एक या ऄहधक महजस्रेटों के न्यायालयों में ऄहभयोजन का संचालन करने के हलए एक या
सहायक लोक ऄहभयोजक हनयि ु करेगी। ऄहधक सहायक लोक ऄहभयोजक हनयि ु करेगी।
(2) कें द्रीय सरकार, महजस्रेटों के न्यायालयों में हकसी मामले या मामलों के धारा - (1क) कें द्रीय सरकार, महजस्रेटों के न्यायालयों में हकसी मामले या मामलों
वगण के संचालन के प्रयोजनों के हलए एक या ऄहधक सहायक लोक 25(1क) के वगण के संचालन के प्रयोजनों के हलए एक या ऄहधक सहायक लोक
ऄहभयोजक हनयि ु कर सके गी। ऄहभयोजक हनयि ु कर सके गी।
(2) जैसा ईपधारा (3) में ईपबंहधत है ईसके हसवाय कोइ पहु लस ऄहधकारी
सहायक लोक ऄहभयोजक हनयि ु होने का पात्र नहीं होगा ।
(3) ईपधारा (1) और ईपधारा (2) में ऄंतहिगष्ट ईपबंधों पर प्रहतकूल (3) जहां कोइ सहायक लोक ऄहभयोजक हकसी हवहशष्ट मामले के प्रयोजनों
प्रभाि डाले हबना, जहां कोइ सहायक लोक ऄहभयोजक हकसी हवहशष्ट के हलए ईपलब्ध नहीं है, वहां हजला महजस्रेट, हकसी ऄन्य व्यहि को ईस
मामले के प्रयोजनों के हलए ईपलब्ध नहीं है, वहां हजला महजस्रेट, राज्य मामले का भारसाधक सहायक लोक ऄहभयोजक हनयि ु कर सकता है:
सरकार को चौदह हदन की सूचना देने के पश्चात्, हकसी ऄन्य व्यहि को परंतु कोइ पहु लस ऄहधकारी, आस प्रकार हनयि ु नहीं हकया जायेगा -
ईस मामले का भारसाधक सहायक लोक ऄहभयोजक हनयि ु कर सकता है: (क) यहद ईसने ईस ऄपराध के ऄन्वेषण में कोइ भाग हलया है, हजसके
परंतु कोइ पहु लस ऄहधकारी, सहायक लोक ऄहभयोजक के रूप में हनयुि समबन्ध में ऄहभयि ु ऄहभयोहजत हकया जा रहा है, या
हकए जाने के हलए पात्र नहीं होगा,- (ख) यहद वह हनरीक्षक की पंहि से नीचे का है।
(क) यहद ईसने ईस ऄपराध के ऄन्वेषण में कोइ भाग हलया है, हजसके
समबन्ध में ऄहभयि ु ऄहभयोहजत हकया जा रहा है, या
(ख) यहद वह हनरीक्षक की पंहि से नीचे का है।
धारा – 20 ऄहभयोजन हनदेिालय – (1) राज्य सरकार- धारा-25-क ऄहभयोजन हनदेिालय – (1) राज्य सरकार एक ऄहभयोजन हनदेशालय
(क) राज्य में एक ऄहभयोजन हनदेशालय स्थाहपत कर सके गी, हजसमें एक स्थाहपत कर सके गी, हजसमें एक ऄहभयोजन हनदेशक और ईतने
ऄहभयोजन हनदेशक और ईतने ऄहभयोजन ईपहनदेशक हो सकें गे, जैसा वह ऄहभयोजन ईपहनदेशक हो सकें गे, जैसा वह ठीक समझे; और
ठीक समझे; और
(ख) प्रत्येक हजले के हजला ऄहभयोजन हनदेिालय में ईतने ऄहभयोजन
ईप-हनदेिक और ऄहभयोजन सहायक हनदेिक हो सकें गे, जैसा िह
ठीक समझे।
(2) कोइ व्यहि- (2) ऐसा कोइ व्यहि ऄहभयोजन हनदेशक या ऄहभयोजन ईप-हनदेशक के
(क) ऄहभयोजन हनदेशक या ऄहभयोजन ईप-हनदेशक के रूप में हनयहु ि के रूप में हनयहु ि के हलए तभी पात्र होगा यहद वह ऄहधविा के रूप में कम-से-
हलए तभी पात्र होगा यहद वह ऄहधविा के रूप में कम-से-कम पंरह िषग तक कम दस वषण तक व्यवसाय में रहा है और ऐसी हनयहु ि ईच्च न्यायालय के
व्यवसाय में रहा है सेशन न्यायाधीश है या रहा है; और मख्ु य न्यायाधीश की सहमहत से की जायेगी;
(ख) ऄहभयोजन सहायक हनदेिक के रूप में हनयुहि के हलए तभी पात्र
होगा यहद िह ऄहधििा के रूप में कम से कम सात िषग तक व्यिसाय में
रहा हो या प्रथम िगग महजस्रेट रहा हो।
(3) ऄहभयोजन हनदेशालय का प्रधान ऄहभयोजन हनदेशक होगा, जो राज्य (3) ऄहभयोजन हनदेशालय का ऄध्यक्ष ऄहभयोजन हनदेशक होगा, जो
में गृह हवभाग के प्रशासहनक हनयंत्रण के ऄधीन कृ त्य करेगा। राज्य में गृह हवभाग के प्रशासहनक हनयंत्रण के ऄधीन कृ त्य करेगा।
(4) प्रत्येक ऄहभयोजन ईप-हनदेशक या ऄहभयोजन सहायक हनदेशक, (4) प्रत्येक ऄहभयोजन ईप-हनदेशक या ऄहभयोजन सहायक हनदेशक,
ऄहभयोजन हनदेशक के ऄधीनस्थ होगा; और प्रत्येक ऄहभयोजन सहायक ऄहभयोजन हनदेशक के ऄधीनस्थ होगा;
हनदेिक, ऄहभयोजन ईप-हनदेिक के ऄधीनस्थ होगा।
(5) ईच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के हलए, धारा 18 की (5) राज्य सरकार द्वारा ईपधारा (1) के ऄन्तगण त हनयि ु प्रत्येक लोक
ईपधारा (1) या ईपधारा (8) के ऄधीन राज्य सरकार द्वारा हनयि ु प्रत्येक ऄहभयोजक, ऄहतररि लोक ऄहभयोजक और हवशेष लोक ऄहभयोजक या
लोक ऄहभयोजक, ऄपर लोक ऄहभयोजक और हवशेष लोक ऄहधयोजक, जैसा भी मामला हो धारा 24 की ईपधारा (8) के ऄन्तगण त ईच्च न्यायालय
ऄहभयोजन हनदेशक के ऄधीनस्थ होंगे। में वाद चलाने के हलए ऄहभयोजन हनदेशक के ऄधीनस्थ होंगे।
(6) धारा 18 की ईपधारा (3) या ईपधारा (8) के ऄधीन हजला (6) ईपधारा (3) के ऄन्तगण त राज्य सरकार द्वारा हनयि ु प्रत्येक लोक
न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के हलए राज्य सरकार द्वारा हनयि ु ऄहभयोजक, ऄहतररि लोक ऄहभयोजक और हवशेष लोक ऄहभयोजक या
प्रत्येक लोक ऄहभयोजक, ऄपर लोक ऄहभयोजक और हवशेष लोक जैसा भी मामला हो, धारा 24 की ईपधारा (8) के ऄन्तगण त हजला
ऄहभयोजक, और धारा 19 की ईपधारा (1) के ऄधीन हनयि ु प्रत्येक न्यायालयों में वाद चलानें के हलए एवं धारा 25 की ईपधारा (1) के ऄन्तगण त
सहायक लोक ऄहभयोजक, ऄहभयोजन ईप-हनदेशक, ऄहभयोजन सहायक हनयि ु प्रत्येक सहायक लोक ऄहभयोजक, ऄहभयोजन ईप-हनदेशक के
हनदेशक के ऄधीनस्थ होंगे। ऄधीनस्थ होंगे।
(7) ऄहभयोजन हनदेिक की िहियां तथा कृत्य ऐसे मामलों का (7) ऄहभयोजन हनदेशक तथा ऄहभयोजन ईप-हनदेशक की शहियां तथा
कायगिाहहयों के िीघ्र हनपटारे और ऄपील फाआल करने पर राय देने के कायण तथा वे क्षेत्र हजनके हलए प्रत्येक ईपहनदेशक की हनयहु ि की गयी है,
हलए मानीटर करना होगा, हजसमें ऄपराध दस िषग या ईससे ऄहधक या ऐसे होंगे, जैसा राज्य सरकार ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट करें ।
अजीिन कारािास या मत्ृ यु से दण्डनीय है।
(8) ऄहभयोजन ईप-हनदेिक को िहियां और कृत्य ऐसे मामलों में (8) आस धारा के प्रावधान राज्य के महाहधविा पर लागू नहीं होंगे, जब वह
हजनमें ऄपराध सात िषग या ईससे ऄहधक के हलए दंडनीय है, हकं तु दस लोक ऄहभयोिा के कायों का हनष्पादन कर रहा हो ।
िषग कम हो, ईनके त्िररत हनपटान को सुहनहश्चत करने के हलए पुहलस
ररपोटग की परीक्षा करना और संिीक्षा करना तथा मानीटर करना होगा।
(9) ऄहभयोजन सहायक हनदेिक के कृत्य ऐसे मामलों का मानीटर
करना होगा, हजनमें कोइ ऄपराध सात िषग से कम के हलए दंडनीय है।
(10) ईपधारा (7), ईपधारा (8) और ईपधारा (१) में ऄंतहिगष्ट हकसी
बात के होते हुए भी, ऄहभयोजन का हनदेिक, ईप-हनदेिक या सहायक
हनदेिक आस संहहता के ऄधीन सभी कारगिाआयों के हलए संव्यिहार करने
की िहि होगी और ईसके हलए दायी होंगे।
(11) ऄहभयोजन हनदेिक, ऄहभयोजन ईप-हनदेिक या ऄहभयोजन
सहायक हनदेिक की ऄन्य िहियां तथा कृत्य और िह क्षेत्र, हजसके
हलए प्रत्येक ऄहभयोजन ईप-हनदेिक या ऄहभयोजन सहायक हनदेिक
हनयुि हकया गया है, िह होगा, हजसे राज्य सरकार, ऄहधसूचना द्वारा,
हनहदगष्ट करे।
(12) आस धारा के ईपबंध, लोक ऄहभयोजक के कृत्यों का पालन करते
समय, राज्य के महाहधििा पर लागू नहीं होंगे।
ऄध्याय 3 न्यायालयों की िहि
धारा – 21 न्यायालय, हजनके द्वारा ऄपराध हिचारणीय है- आस संहहता के ऄन्य ईपबंधों धारा-26 न्यायालय, हजनके द्वारा ऄपराध हिचारणीय है- आस संहहता के ऄन्य
के ऄधीन रहते हुए- ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए-
(क) भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄधीन हकसी ऄपराध का हवचारण (क) भारतीय दण्ड संहहता, 1860 का 45 के ऄधीन हकसी ऄपराध का
हनमनहलहखत के द्वारा हकया जा सके गा- हवचारण हनमनहलहखत के द्वारा हकया जा सके गा-
(1) ईच्च न्यायालय, या (1) ईच्च न्यायालय, या
(ii) सेशन न्यायालय, या (ii) सेशन न्यायालय, या
(iii) हकसी ऄन्य न्यायालय, हजसके द्वारा ऐसे ऄपराध का हवचारणीय होना (iii) हकसी ऄन्य न्यायालय, हजसके द्वारा ऐसे ऄपराध का हवचारणीय होना
प्रथम ऄनस ु ूची में दशाण या गया है : प्रथम ऄनस ु ूची में दशाण या गया है :
परन्तु भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65, धारा 66, परन्तु भारतीय दण्ड संहहता की धारा 376, धारा 376क, धारा 376कख,
धारा 67, धारा 68, धारा 69, धारा 70 या धारा 71 के ऄधीन हकसी धारा 376ख, धारा 376ग, धारा 376घ, धारा 376घक, या धारा
ऄपराध का हवचारण यथासाध्य ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जाएगा, हजसमें 376घक, धारा 376ङ के ऄधीन हकसी ऄपराध का हवचारण यथासाध्य
महहला पीठासीन हो : ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जाएगा, हजसमें महहला पीठासीन हो :
(ख) हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन हकसी ऄपराध का हवचारण, जब ऐसी हवहध (ख) हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन हकसी ऄपराध का हवचारण, जब ऐसी
में आस हनहमत्त कोइ न्यायालय ईहललहखत है, तब ऐसे न्यायालय द्वारा हकया हवहध में आस हनहमत्त कोइ न्यायालय ईहललहखत है, तब ऐसे न्यायालय द्वारा
जाएगा और जब कोइ न्यायालय आस प्रकार ईहललहखत नहीं है तब ईसका हकया जाएगा और जब कोइ न्यायालय आस प्रकार ईहललहखत नहीं है तब –
हिचारण हनभनहलहखत द्वारा हकया जा सके गा- (i) ईच्च न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, या
(i) ईच्च न्यायालय, या (ii) हकसी ऐसा ऄन्य न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसके द्वारा
(ii) कोइ ऄन्य न्यायालय, हजसके द्वारा ऐसे ऄपराध का हवचारणीय होना प्रथम ईसका हवचारणीय होना प्रथम ऄनस ु ूची में दहशण त हकया गया है।
ऄनस ु ूची में दशाण या गया है।
धारा 27 - हकिोरों के मामलों में ऄहधकाररता - हकसी ऐसे ऄपराध का
हिचारण, जो मत्ृ यु या अजीिन कारािास से दण्डनीय नहीं है और जो
ऐसे व्यहि द्वारा हकया गया है, हजसकी अयु ईस तारीख को, जब िह
न्यायालय के समक्ष हाहजर हो या लाया जाए, सोलह िषग (ऄब ऄठारह
िषग) से कम है, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के न्यायालय द्वारा या हकसी
ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है हजसे बालक ऄहधहनयम, 1960
(1960 का 60) [ऄब हकिोर न्याय (बालको की देखरेख और संरक्षण)
ऄहधहनयम, 2015) या हकिोर ऄपराहधयों के ईपचार, प्रहिक्षण और
पुनिागस के हलए ईपबन्ध करने िाली तत्समय प्रिि ृ हकसी ऄन्य हिहध
के ऄधीन हििेष रूप से सिि हकया गया है।
धारा – 22 दंडादेि, जो ईच्च न्यायालय और सेिन न्यायाधीि दे सकें गे - (1) ईच्च धारा-28 दंडादेि, जो ईच्च न्यायालय और सेिन न्यायाधीि दे सकें गे - (1)
न्यायालय, हवहध द्वारा प्राहधकृ त कोइ दंडादेश दे सके गा। ईच्च न्यायालय, हवहध द्वारा प्राहधकृ त कोइ दंडादेश दे सके गा।
(2) सेशन न्यायाधीश या ऄपर सेशन न्यायाधीश, हवहध द्वारा प्राहधकृ त कोइ (2) सेशन न्यायाधीश या ऄपर सेशन न्यायाधीश, हवहध द्वारा प्राहधकृ त कोइ
भी दंडादेश दे सके गा; हकं तु ऐसे हकसी न्यायाधीश द्वारा हदया गया मृत्यु भी दंडादेश दे सके गा; हकं तु ऐसे हकसी न्यायाधीश द्वारा हदया गया मृत्यु
दंडादेश, ईच्च न्यायालय द्वारा पष्टु हकए जाने के ऄध्यधीन होगा। दंडादेश, ईच्च न्यायालय द्वारा पष्टु हकए जाने के ऄध्यधीन होगा।
(3) सहायक सेशन न्यायाधीश मृत्यु या अजीवन कारावास या दस वषण से
ऄहधक की ऄवहध के हलए कारावास के दण्डादेश के हसवाय कोइ ऐसा
दण्डादेश दे सकता है जो हवहध द्वारा प्राहधकृ त है ।
धारा – 23 दंडादेि, जो महजस्रेट दे सकें गे - (1) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट का धारा-29
न्यायालय, मृत्यु या अजीवन कारावास या सात वषण से ऄहधक की ऄवहध के
हलए कारावास के दंडादेश के हसवाय हवहध द्वारा प्राहधकृ त कोइ ऐसा दंडादेश दे
सके गा।
(2) प्रथम वगण महजस्रेट का न्यायालय, तीन वषण से ऄनहधक ऄवहध के हलए
कारावास का या पचास हजार रुपए से ऄनहधक जहु न का, या दोनों का, या
सामदु ाहयक सेिा का दंडादेश दे सके गा।
(3) हद्वतीय वगण महजस्रेट का न्यायालय, एक वषण से ऄनहधक ऄवहध के हलए
कारावास का या दस हजार रुपए से ऄनहधक जमु ाण ने का, या दोनों का, या
सामदु ाहयक सेिा का, दंडादेश दे सके गा।
स्पष्टीकरण "सामदु ाहयक सेिा" से ऐसा कायग ऄहभप्रेत है, हजसको हकसी
दोषहसद्ध व्यहि को दण्ड के ऐसे रूप में, जो समदु ाय के लाभ के हलए हो,
करने के हलए न्यायालय अदेि करे, हजसके हलए िह हकसी पाररश्रहमक
का हकदार नहीं होगा।
धारा – 24 जुमागना देने में व्यहतिम होने पर कारािास का दंडादेि (1) हकसी महजस्रेट धारा-30
का न्यायालय जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर आतनी ऄवहध का कारावास
ऄहधहनणीत कर सके गा, जो हवहध द्वारा प्राहधकृ त है:
परंतु वह ऄवहध-
(क) धारा 23 के ऄधीन महजस्रेट की शहि से ऄहधक की न हो;
(ख) जहां कारावास मख्ु य दंडादेश के भाग के रूप में ऄहधहनणीत हकया गया
है, वहां वह ईस कारावास की ऄवहध के चौथाइ से ऄहधक की नहीं होगी
हजसको महजस्रेट, जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर दण्डादेश के रूप में से
ऄन्यथा ईस ऄपराध के हलए ऄहधरोहपत करने के हलए सक्षम है।
(2) आस धारा के ऄधीन ऄहधहनणीत कारावास, धारा 23 के ऄधीन महजस्रेटों
द्वारा ऄहधहनणीत की जा सकने वाली ऄहधकतम ऄवहध के कारावास के मख्ु य
दंडादेश के ऄहतररि हो सके गा।
धारा – 25 एक ही हिचारण में कइ ऄपराधों के हलए दोषहसद्ध होने के मामलों में धारा-31
दंडादेि (1) जब कोइ व्यहि एक हो हवचारण में दो या ऄहधक ऄपराधों के
हलए दोषहसद्ध हकया जाता है तब, न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, 2023
की धारा 9 के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, ईसे ऐसे ऄपराधों के हलए हवहहत
हवहभन्न दण्डों में से ईन दण्डों के हलए, हजन्हें देने के हलए ऐसा न्यायालय
सक्षम है, दण्डादेश दे सके गा; और न्यायालय, ऄपराधों की गमभीरता पर
हवचार करते हुए, ऐसे दण्डादेश साथ-साथ या िमवती रूप से जंगमने का
अदेश देगा।
(2) दंडादेशों के िमवती होने की दशा में, के वल आस कारण से हक कइ
ऄपराधों के हलए संकहलत दंड ईस दंड से ऄहधक है जो वह न्यायालय एक
ऄपराध के हलए दोषहसहद्ध पर देने के हलए सक्षम है, न्यायालय के हलए यह
अवश्यक नहीं होगा हक ऄपराधी को ईच्चतर न्यायालय के समक्ष हवचारण के
हलए भेजे :
परंत-ु
(क) हकसी भी दशा में, ऐसा व्यहि बीस िषग से ऄहधक की ऄवहध के
कारावास के हलए दंडाहदष्ट नहीं हकया जाएगा;
(ख) संकहलत दंड, ईस दंड की मात्रा के दगु ने से ऄहधक नहीं होगा हजसे एक
ऄपराध के हलए देने के हलए वह न्यायालय सक्षम है।
(3) हकसी हसद्धदोष व्यहि द्वारा ऄपील के प्रयोजन के हलए, ईन िमवती
दंडादेशों का योग, जो आस धारा के ऄधीन ईसके हवरुद्ध हदए गए हैं, एक
दंडादेश समझा जाएगा।
धारा – 26 िहियां प्रदान करने का ढंग - (1) आस संहहता के ऄधीन शहियां प्रदान करने धारा-32 कोइ पररवतण न नहीं ।
में, यथाहस्थहत, ईच्ब न्यायालय या राज्य सरकार अदेश द्वारा, व्यहियों को
हवशेषतया नाम से या ईनके पद के अधार पर या पदधाररयों के वगों को
साधारणतया ईनके पदीय ऄहभधानों से, सशि कर सके गी।
(2) ऐसा प्रत्येक अदेश ईस तारीख से प्रभावी होगा जबसे वह ऐसे सशि हकए
गए व्यहि को संसूहचत हकया जाता है।
धारा – 27 हनयुि ऄहधकाररयों की िहियां - सरकार की सेवा में पद धारण करने वाला धारा-33 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऐसा व्यहि, जो ईच्च्च न्यायालय या राज्य सरकार द्वारा, आस संहहता के
ऄधीन कोइ शहि हकसी समग्र स्थानीय क्षेत्र के हलए हवहनहहत की गइ है, जब
कभी ईसी प्रकार के समान या ईच्चतर पद पर ईसी राज्य सरकार के ऄधीन
वैसे ही स्थानीय क्षेत्र के भीतर हनयि ु हकया जाता है, तब वह, जब तक,
यथाहस्थहत, ईच्च न्यायालय या राज्य सरकार ऄन्यथा हनदेश न दे या न दे
चक ु ी हो, ईस स्थानीय क्षेत्र में, हजसमें वह ऐसे हनयि
ु हकया गया है, ईन्हीं
शहियों का प्रयोग करेगा।
धारा – 28 िहियों को िापस लेना (1) यथाहस्थहत, ईच्च न्यायालय या राज्य सरकार, धारा-34 कोइ पररवतण न नहीं ।
ईन सब शहियों को या ईनमें से हकसी को वापस ले सके गी जो ईसने या
ईसके ऄधीनस्थ हकसी ऄहधकारी ने हकसी व्यहि को आस संहहता के ऄधीन
प्रदान की है।
(2) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या हजला महजस्रेट द्वारा प्रदत्त हकन्हीं शहियों
को समबहन्धत महजस्रेट द्वारा वापस हलया जा सके गा हजसके द्वारा वे शहियां
प्रदान की गइ थी।
धारा – 29 न्यायाधीिों और महजस्रेटों की िहियों का ईनके पद-ईिरिहतगयों द्वारा धारा-35 न्यायाधीिों और महजस्रेटों की िहियों का ईनके पद-ईिरिहतगयों
प्रयोग हकया जा सकना - (1) आस संहहता के ऄन्य ईपबंधों के ऄधीन रहते द्वारा प्रयोग हकया जा सकना - (1) आस संहहता के ऄन्य ईपबंधों के ऄधीन
हुए, हकसी न्यायाधीश या महजस्रेट की शहियों का प्रयोग और कतण व्यों का रहते हुए, हकसी न्यायाधीश या महजस्रेट की शहियों का प्रयोग और
पालन ईसके पद-ईत्तरवती द्वारा हकया जा सके गा। कतण व्यों का पालन ईसके पद-ईत्तरवती द्वारा हकया जा सके गा ।
(2) जब आस बारे में कोइ शंका है हक पद-ईत्तरवती कौन है तब सेशन (2) जब आस बारे में कोइ शंका है हक हकसी ऄपर या सहायक सेशन
न्यायाधीश हलहखत अदेश द्वारा यह ऄवधाररत करेगा हक कौन सा न्यायाधीश, न्यायाधीश का पद-ईत्तरवती कौन है तब सेशन न्यायाधीश हलहखत अदेश
आस संहहता के या आसके ऄधीन हकन्हीं कायण वाहहयों या अदेशों के प्रयोजनों के द्वारा यह ऄवधाररत करेगा हक कौन सा न्यायाधीश, आस संहहता के या
हलए पद-ईत्तरवती समझा जाएगा। आसके ऄधीन हकन्हीं कायण वाहहयों या अदेशों के प्रयोजनों के हलए ऄपर या
(3) जब आस बारे में कोइ शंका है हक हकसी महजस्रेट का पद-ईत्तरवती कौन है सहायक सेशन न्यायाधीश का पद-ईत्तरवती समझा जाएगा।
तब, यथाहस्थहत, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या हजला महजस्रेट हलहखत अदेश (3) जब आस बारे में कोइ शंका है हक हकसी महजस्रेट का पद-ईत्तरवती
द्वारा यह ऄवधाररत करेगा हक कौन सा महजस्रेट आस संहहता के , या आसके कौन है तब, यथाहस्थहत, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या हजला महजस्रेट
ऄधीन हकन्हीं कायण वाहहयों या अदेशों के प्रयोजनों के हलए ऐसे महजस्रेट का हलहखत अदेश द्वारा यह ऄवधाररत करेगा हक कौन सा महजस्रेट आस
पद-ईत्तरवती समझा जाएगा। संहहता के , या आसके ऄधीन हकन्हीं कायण वाहहयों या अदेशों के प्रयोजनों के
हलए ऐसे महजस्रेट का पद-ईत्तरवती समझा जाएगा।
ऄध्याय 4 - िररष्ठ पुहलस ऄहधकाररयों की िहियां और महजस्रेट तथा पुहलस
को सहायता
धारा – 30 िररष्ठ पुहलस ऄहधकाररयों की िहियां - पहु लस थाने के भारसाधक धारा-36 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकारी से पंहि में बररष्ठ पहु लस ऄहधकारी सवण त्र स्थानीय क्षेत्र में, हजसमें वे
हनयिु हैं, ईन शहियों का प्रयोग कर सकें गे हजनका प्रयोग ऄपने थाने की
सीमाओं के भीतर ऐसे ऄहधकारी करा हकया जा सके गा।
धारा – 31 31. जनता कब महजस्रेट और पुहलस की सहायता करेगी - प्रत्येक व्यहि, धारा-37 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऐसे महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी की सहायता करने के हलए अबद्ध है, जो
हनमनहलहखत कायों में ईहचत रूप से ईसको महायता मांगता है,- (क) हकसी
ऄन्य ऐसे व्यहि को, हजसे ऐसा महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी हगरफ्तार करने
के हलए प्राहधकृ त है, पक़िना या ईसका हनकल भागने से रोकना; या
(ख) शाहन्त भंग का हनवारण या दमन; या
(ग) हकसी लोक संपहत्त को क्षहत पहुंचाने के प्रयत्न का हनवारण।
धारा – 32 पुहलस ऄहधकारी से हभन्न ऐसे व्यहि को सहायता जो िारंट का हनष्पादन धारा-38 कोइ पररवतण न नहीं ।
कर रहा है-जब कोइ वांरट, पहु लस ऄहधकारी से हभन्न हकसी व्यहि को हनहदष्ट
है तब कोइ भी ऄन्य व्यहि ईस वारंट के हनष्पादन में सहायता कर सके गा
यहद वह व्यहि, हजसे वारंट हनहदष्ट है, पास में है और वारंट के हनष्पादन में
कायण कर रहा है।
धारा – 33 कुछ ऄपराधों की सूचना जनता द्वारा हदया जाना (1) प्रत्येक व्यहि, जो धारा-39
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की हनमनहलहखत धाराओं में से हकसी के
ऄधीन दंडनीय हकसी ऄपराध के हकए जाने से या हकसी ऄन्य व्यहि द्वारा
करने के अशय से ऄवगत है, ऄथाण त्-
(i) धारा 103 से धारा 105 (दोनों सहहत);
(ii) धारा 111 से धारा 113 (दोनों सहहत);
(iii) धारा 140 से धारा 144 (दोनों सहहत);
(iv) धारा 147 से धारा 154 (दोनों सहहत) और धारा 158;
(v) धारा 178 से धारा 182 (दोनों सहहत);
(vi) धारा 189 और धारा 191;
(vii) धारा 274 से धारा 280 (दोनों सहहत);
(viii) धारा 307;
(ix) धारा 309 से धारा 312 (दोनों सहहत);
(x) धारा 316 की ईपधारा (5);
(xi) धारा 326 से धारा 328 (दोनों सहहत); और
(xii) धारा 331 और धारा 332,
ईहचत प्रहतहेतु के ऄभाव में, हजसे साहबत करने का भार आस प्रकार ऄवगत
व्यहि पर होगा, ऐसे हकए जाने या अशय की सूचना तरु न्त हनकटतम
महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी को देगा।
(2) आस धारा के प्रयोजनों के हलए "ऄपराध" पद के ऄंतगण त भारत के बाहर
हकसी स्थान में हकया गया कोइ ऐसा कायण भी है जो यहद भारत में हकया जाता
तो ऄपराध होता।
धारा – 34 34. ग्राम के मामलों के संबधं में हनयोहजत ऄहधकाररयों का कहतपय ररपोटग धारा-40
करने का कतगव्य- (1) हकसी ग्राम के मामलों के संबधं में हनयोहजत प्रत्येक
ऄहधकारी और ग्राम में हनवास करने वाला प्रत्येक व्यहि, हनकटतम महजस्रेट
को या हनकटतम पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को, जो भी हनकटतर
हो, कोइ भी जानकारी जो ईसके पास हनमनहलहखत के बारे में हो, तत्काल
संसूहचत करेगा, -
(क) ऐसे ग्राम में या ऐसे ग्राम के पास हकसी ऐसे व्यहि का, जो चरु ाइ हुइ
संपहत्त का कुख्यात प्रापक या हविे ता है, स्थायी या ऄस्थायी हनवास;
(ख) हकसी व्यहि का, हजसका वह, लटु ेरा, हनकल भागा हसद्धदोष या ईद्घोहषत
ऄपराधी होना जानता है या हजसके ऐसा होने का ईहचत रूप से संदेह करता
है, ऐसे ग्राम के हकसी भी स्थान में अना-जाना या ईसमें से हो कर जाना;
(ग) ऐसे ग्राम में या ईसके हनकट कोइ ऄजमानतीय ऄपराध या भारतीय
न्याय संहहता, 2023 की धारा 189 और धारा 191 के ऄधीन दंडनीय कोइ
ऄपराध हकया जाना या करने का अशय;
(घ) ऐसे ग्राम में या ईसके हनकट कोइ अकहस्मक या ऄप्राकृ हतक मृत्यु होना,
या सन्देहजनक पररहस्थहतयों में कोइ मृत्यु होना, या ऐसे ग्राम में या ईसके
हनकट हकसी शव का, या शव के ऄंग का ऐसी पररहस्थहतयों में, हजनसे ईहचत
रूप से संदेह पैदा होता है हक ऐसी मृत्यु हुइ, पाया जाना, या ऐसे ग्राम से हकसी
व्यहि का, ऐसी पररहस्थहतयों में हजनसे ईहचत रूप से संदेह पैदा होता है हक
ऐसे व्यहि के संबधं में ऄजमानतीय ऄपराध हकया गया है, गायब हो जाना;
(ङ) ऐसे ग्राम के हनकट, भारत के बाहर हकसी स्थान में ऐसा कोइ कायण हकया
जाना या करने का अशय जो यहद भारत में हकया जाता तो भारतीय न्याय
संहहता, 2023 की आन हनभनहलहखत धाराओं, ऄथागत् - धारा 103, धारा
105, धारा 111, धारा 112, धारा 113, धारा 178 से धारा 181 (दोनों
सहहत), धारा 305, धारा 307, धारा 309 से धारा 312 (दोनों सहहत),
धारा 326 के खण्ड (च) और खण्ड (छ), धारा 331 या धारा 332 में से
हकसी के ऄधीन दण्डनीय ऄपराध होता;
(च) व्यवस्था बनाए रखने या ऄपराध के हनवारण या व्यहि या संपहत्त की
सरु क्षा पर संभाव्यता प्रभाव डालने वाला कोइ हवषय हजसके संबधं में हजला
महजस्रेट ने राज्य सरकार की पूवण मंजूरी से हकए गए साधारण या हवशेष
अदेश द्वारा ईसे हनदेश हदया है हक वह ईस हवषय पर जानकारी संसूहचत करे।
(2) आस धारा में,-
(1) "ग्राम" के ऄंतगण त ग्राम-भहू मयां भी हैं;
(ii) "ईद्घोहषत ऄपराधी" पद के ऄंतगण त ऐसा व्यहि भी है, हजसे भारत के
हकसी ऐसे राज्यक्षेत्र में, हजस पर आस संहहता का हवस्तार नहीं है, हकसी
न्यायालय या प्राहधकारी ने हकसी ऐसे कायण के बारे में, ऄपराधी ईद्घोहषत हकया
है, जो यहद ईन राज्यक्षेत्रों में, हजन पर आस संहहता का हवस्तार है, हकया जाता
तो भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄधीन दस िषग या ईससे ऄहधक के
कारािास या अजीिन कारािास या मत्ृ यु से दंडनीय होगा;
(iii) "ग्राम के मामलों के संबधं में हनयोहजत ऄहधकारी" शब्दों से ग्राम पंचायत
का कोइ सदस्य ऄहभप्रेत है और आसके ऄंतगण त महु खया और प्रत्येक ऐसा
ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि भी है, जो ग्राम के प्रशासन के संबधं में हकसी कृ त्य
का पालन करने के हलए हनयि ु हकया गया है।
ऄध्याय 5 - व्यहियों की हगरफ्तारी
धारा – 35 पुहलस िारंट के हबना कब हगरफ्तार कर सके गी- (1) कोइ पहु लस ऄहधकारी, धारा-41
महजस्रेट के अदेश के हबना और वारंट के हबना हकसी ऐसे व्यहि को
हगरफ्तार कर सके गा-
(क) जो पहु लस ऄहधकारी को ईपहस्थहत में संज्ञेय ऄपराध करता है; या
(ख) हजसके हवरुद्ध आस बारे में ईहचत पररवाद हकया जा चक ु ा है या हवश्वसनीय
सूचना प्राप्त हो चक
ु ी है या ईहचत संदेह हवद्यमान है हक ईसने कारावास से,
हजसकी ऄवहध सात वषण से कम की हो सके गी या हजसकी ऄवहध सात वषण की
हो सके गी, चाहे वह जमु ाण ने सहहत हो या जमु ाण ने के हबना, दंडनीय संज्ञेय
ऄपराध हकया है, यहद हनमनहलहखत शतें पूरी कर दी जाती हैं, ऄथाण त:् -
(i) पहु लस ऄहधकारी के पास ऐसे पररवाद, सूचना या संदेह के अधार पर यह
हवश्वास करने का कारण है हक ईस व्यहि ने ईि ऄपराध हकया है;
(ii) पहु लस ऄहधकारी का यह समाधान हो गया है हक ऐसी हगरफ्तारी
हनमनहलहखत के हलए अवश्यक है-
(क) ऐसे व्यहि को कोइ और ऄपराध करने से रोकने के हलए; या
(ख) ऄपराध के समहु चत ऄन्वेषण के हलए; या
(ग) ऐसे व्यहि को ऐसे ऄपराध के साक्ष्य को गायब करने या ऐसे साक्ष्य के
साथ हकसी भी रीहत में छे ़िछा़ि करने से रोकने के हलए; या
(घ) ईस व्यहि को, हकसी ऐसे व्यहि को, जो मामले के तथ्यों से पररहचत है,
ईत्प्रेररत करने, ईसे धमकी देने या ईससे वायदा करने से हजससे ईसे
न्यायालय या पहु लस ऄहधकारी को ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के हलए
मनाया जा सके , रोकने के हलए;
(ङ) जब तक ऐसे व्यहि को हगरफ्तार नहीं कर हलया जाता है, न्यायालय में
ईसकी ईपहस्थहत, जब भी ऄपेहक्षत हो, सहु नहश्चत नहीं की जा सकती, और
पहु लस ऄहधकारी ऐसे हगरफ्तारी करते समय ऄपने कारणों को लेखबद्ध करेगा
:
परंतु कोइ पहु लस ऄहधकारी, ऐसे सभी मामलों में, जहां हकसी व्यहि की
हगरफ्तारी आस ईपधारा के ईपबंधी के ऄधीन ऄपेहक्षत नहीं है, हगरफ्तारी न
करने के कारणों को लेखबद्ध करेगा; या
(ग) हजसके हवरुद्ध हवश्वसनीय सूचना प्राप्त हो चक ु ी है हक ईसने कारावास से,
हजसको ऄवहध सात वषण से ऄहधक की हो सके गी, चाहे वह जमु ाण ने सहहत हो
या जमु ाण ने के हबना, या मृत्यु दंडादेश से दंडनीय संज्ञेय ऄपराध हकया है और
पहु लस ऄहधकारी के पास ईस सूचना के अधार पर यह हवश्वास करने का
कारण है हक ईस व्यहि ने ईि ऄपराध हकया है; या
(घ) जो या तो आस संहहता के ऄधीन या राज्य सरकार के अदेश द्वारा
ऄपराधी ईद्घोहषत हकया जा चक ु ा है; या
(ड) हजसके कब्जे में कोइ ऐसी चीज पाइ जाती है हजसके चरु ाइ हुइ संपहत्त
होने का ईहचत रूप से संदेह हकया जा सकता है और हजस पर ऐसी चीज के
बारे में ऄपराध करने का ईहचत रूप से संदेह हकया जा सकता है; या
(च) जो पहु लस ऄहधकारी को ईस समय बाधा पहुंचाता है जब वह ऄपना
कतण व्य कर रहा है, या जो हवहधपूणण ऄहभरक्षा से हनकल भागा है या हनकल
भागने का प्रयत्न करता है; या
(छ) हजस पर संघ के सशस्त्र बलों में से हकसी से ऄहभत्याजक होने का ईहचत
संदहे है; या
(ज) जो भारत से बाहर हकसी स्थान में हकसी ऐसे कायण हकए जाने से, जो यहद
भारत में हकया गया होता तो ऄपराध के रूप में दंडनीय होता, और हजसके
हलए वह प्रत्यपण ण संबधं ी हकसी हवहध के ऄधीन या ऄन्यथा भारत में पक़िे
जाने का या ऄहभरक्षा में हनरुद्ध हकए जाने का भागी है, संबद्ध रह चक ु ा है या
हजसके हवरुद्ध आस बारे में ईहचत पररवाद हकया जा चक ु ा है या हवश्वसनीय
सूचना प्राप्त हो चकु ी है या ईहचत संदेह हवद्यमान है हक वह ऐसे संबद्ध रह चक ु ा
है; या
(झ) जो छो़िा गया हसद्धदोष होते हुए धारा 394 की ईपधारा (5) के ऄधीन
बनाए गए हकसी हनयम को भंग करता है; या
(1) हजसकी हगरफ्तारी के हलए हकसी ऄन्य पहु लस ऄहधकारी से हलहखत या
मौहखक ऄध्यपेक्षा प्राप्त हो चक ु ी है, परंतु यह तब जब ऄध्यपेक्षा में ईस व्यहि
का, हजसे हगरफ्तार हकया जाना है, और ईस ऄपराध का या ऄन्य कारण का,
हजसके हलए हगरफ्तारी की जानी है, हवहनदेश है और ईससे यह दहशण त होता है
हक ऄध्यपेक्षा जारी करने वाले ऄहधकारी द्वारा वारंट के हबना वह व्यहि
हवहधपवू ण क हगरफ्तार हकया जा सकता था।
(2) धारा 39 के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, ऐसे हकसी व्यहि को, जो हकसी
ऄसंज्ञेय ऄपराध से संबद्ध है या हजसके हवरुद्ध कोइ पररवाद हकया जा चक ु ा है
या हवश्वसनीय सूचना प्राप्त हो चक ु ी है या ईहचत संदेश हवद्यमान है हक वह ऐसे
संबद्ध रह चक ु ा है, महजस्रेट के वारंट या अदेश के हसवाय, हगरफ्तार नहीं
हकया जाएगा।
(3) पहु लस ऄहधकारी, ऐसे सभी मामलों में हजनमें ईपधारा (1) के ऄधीन
हकसी व्यहि की हगरफ्तारी ऄपेहक्षत नहीं है ईस व्यहि को हजसके हवरुद्ध आस
बारे में ईहचत पररवाद हकया जा चक ु ा है या हवश्वसनीय सूबना प्राप्त हो चकु ी है
या ईहचत संदेह हवद्यमान है हक ईसने संज्ञेय ऄपराध हकया है, ईसके समक्ष या
ऐसे ऄन्य स्थान पर, जो सूचना में हवहनहदण ष्ट हकया जाए ईपसंजात होने के हलए
हनदेश देते हुए सूचना जारी करेगा।
(4) जहां ऐसी सूचना हकसी व्यहि को जारी की जाती है, वहां ईस व्यहि का धारा- 41क. पुहलस ऄहधकारी के समक्ष हाहजर होने की सूचना - पहु लस
यह कतण व्य होगा हक वह सूचना के हनबन्धनों का ऄनपु ालन करे। 41(क) ऄहधकारी, ऐसे सभी मामलो में हजनमें धारा 41(1) के ईपबंधों के ऄधीन
(5) जहां ऐसा व्यहि सूचना का ऄनपु ालन करता है और ऄनपु ालन करता हकसी व्यहि की हगरफ्तारी ऄपेहक्षत नहीं है, ईस व्यहि को हजसके हवरुद्ध
रहता है वहां ईसे सूचना में हनहदण ष्ट ऄपराध के संबधं में तब तक हगरफ्तार नहीं एक यहु ियि ु पररवाद हकया गया है या हवश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुइ है या
हकया जाएगा जब तक लेखबद्ध हकए जाने वाले कारणों से पहु लस ऄहधकारी यहु ियिु संदेह हवद्यमान है हक ईसने संज्ञेय ऄपराध काररत हकया है,
की यह राय न हो हक ईसे हगरफ्तार कर लेना चाहहए। ईसके समक्ष या ऐसे ऄन्य स्थान पर जो सूचना में हवहनहदण ष्ट हकया जाए,
(6) जहां ऐसा व्यहि, हकसी भी समय सूचना के हनबंधनों का ऄनपु ालन करने ईपसजात होने के हलए हनदेश देते हुए सचू ना जारी करेगा।"
में ऄसफल रहता है या ऄपनी पहचान कराने का ऄहनच्छुक है वहां पहु लस (2) जहााँ ऐसी सूचना हकसी व्यहि को जारी की जाती है, बहााँ ईस व्यहि
ऄहधकारी, ऐसे अदेशों के ऄधीन रहते हुए, जो आस हनहमत्त हकसी सक्षम का यह कतण व्य होगा हक यह सूचना के हनबन्धनों का ऄनपु ालन करे।
न्यायालय द्वारा पाररत हकए गए हों, सूचना में िहणगत ऄपराध के हलए ईसे (3) जहााँ ऐसा व्यहि सूचना का ऄनपु ालन करता है और ऄनपु ालन करता
हगरफ्तार कर सके गा। रहता है वहााँ ईसे सूचना में हनहदण ष्ट ऄपराध के समबन्ध में तब तक हगरफ्तार
(7) कोइ भी हगरफ्तारी, ऐसे ऄपराध के मामले में जो तीन िषग से कम के नहीं हकया जाएगा, जब तक लेखबद्ध हकए जाने वाले कारणों से पहु लस की
कारािास से दंडनीय है और ऐसा व्यहि जो गंभीर बीमारी से पीहडत है या यह राय न हो हक ईसे हगरफ्तार कर लेना चाहहए।
साठ िषग से ऄहधक की ईम्र का है, ऐसे ऄहधकारी की, जो पुहलस (4) जहााँ ऐसा व्यहि, हकसी भी समय सचू ना के हनबन्धनों का ऄनपु ालन
ईपहनरीक्षक से नीचे की पंहि का न हो, की पूिग ऄनमु हत के हबना नहीं की करने में ऄसफल रहता है, ऄथवा ऄपनी पहचान बताने का आच्छुक नहीं
जाएगी। है, वहााँ पहु लस ऄहधकारी के हलए यह हवहधपूणण होगा हक वह ईसे, ऐसे
अदेशों के ऄधीन रहते हुए जो आस हनहमत्त सक्षम न्यायालय द्वारा पाररत
हकए गए हों, सूचना में वहणण त ऄपराध के हलए हगरफ्तार करे।
धारा – 36 हगरफ्तारी की प्रहिया और हगरफ्तारी करने िाले ऄहधकारी के कतगव्य - धारा-41ख कोइ पररवतण न नहीं ।
प्रत्येक पहु लस ऄहधकारी, हगरफ्तारी करते समय, -
(क) ऄपने नाम की सही, दृश्यमान और स्पष्ट पहचान धारण करेगा, हजससे
ईसकी असानी से पहचान हो सके ,
(ख) हगरफ्तारी का एक ज्ञापन तैयार करेगा, जो-
(i) कम से कम एक साक्षी द्वारा ऄनप्रु माहणत हकया जाएगा, जो हगरफ्तार हकए
गए, व्यहि के कुटुंब का सदस्य है या ईस पररक्षेत्र का, जहां हगरफ्तारी की गइ
है, प्रहतहष्ठत सदस्य है;
(ii) हगरफ्तार हकए गए व्यहि द्वारा प्रहतहस्ताक्षररत हकया जायेगा; और
(ग) जब तक ईसके कुटुंब के हकसी सदस्य द्वारा ज्ञापन को ऄनप्रु माहणत न कर
हदया गया हो, हगरफ्तार हकए गए व्यहि को यह सूचना देगा हक ईसे यह
ऄहधकार है हक ईसके हकसी नातेदार या हमत्र को, हजसका वह नाम दे, ईसकी
हगरफ्तारी की सूचना दी जाए।
धारा – 37 पदाहभहहत पुहलस ऄहधकारी - (1) राज्य सरकार, - धारा -41ग हजले में हनयन्त्रण कक्ष – राज्य सरकार –
(क) प्रत्येक हजला तथा राज्य स्तर पर एक पहु लस हनयंत्रण कक्ष की स्थापना (क) प्रत्येक हजले में
करेगी; (ख) राज्य स्तर पर
(ख) प्रत्येक हजले और प्रत्येक थाना में एक पुहलस ऄहधकारी पदाहभहहत पहु लस हनयन्त्रण कक्ष की स्थापना करेगी ।
करेगी, जो सहायक पुहलस ईपहनरीक्षक की पंहि से नीचे का नहीं होगा, (2) राज्य सरकार प्रत्येक हजले के हनयन्त्रण कक्ष के बाहर रखे गये सूचना
िह हगरफ्तार हकए गए व्यहियों का नाम और पता के बारे में जानकारी पट पर हगरफ्तार हकये गये व्यहियों के नाम और पते तथा ईन पहु लस
रखने के हलए ईिरदायी होगा, ऄपराध की प्रकृहत, हजसके साथ िह ऄहधकाररयों का नाम और पद नाम हजन्होने हगरफ्ताररयां की है, संप्रदहशण त
अरोहपत हकया गया है, प्रत्येक थाना और हजला मख्ु यालय पर प्रमख ु रूप करायेंगी ।
से हजसके ऄन्तगगत हडजीटल मोड भी है, प्रदहिगत हकया जाएगा। (3) राज्य स्तर पर पहु लस मख्ु यालयों में हनयन्त्रण कक्ष, समय समय पर
हगरफ्तार हकये गये व्यहियों, ईस ऄपराध की प्रकृ हत हजसका ईन पर
अरोप लगा है, के बारे में ब्यौरे संग्रहहत करेगा और अम जनता की
जानकारी के हलए डाटाबेस रखेगा ।
धारा – 38 हगरफ्तार हकए गए व्यहि का पूछताछ के दौरान ऄपनी पसंद के ऄहधििा धारा -41घ कोइ पररवतण न नहीं ।
से हमलने का ऄहधकार- जब हकसी व्यहि को हगरफ्तार हकया जाता है और
पहु लस द्वारा पछ
ू ताछ की जाती है, तब हगरफ्तार व्यहि पछ
ू ताछ के दौरान
ऄपनी पसंद के ऄहधविा से हमलने का हकदार होगा हकं तु संपूणण पूछताछ के
दौरान नहीं।
धारा – 39 नाम और हनिास बताने से आंकार करने पर हगरफ्तारी - (1) जब कोइ व्यहि धारा – 42
हजसने पहु लस ऄहधकारी की ईपहस्थहत में ऄसंज्ञेय ऄपराध हकया है या हजस
पर पहु लस ऄहधकारी की ईपहस्थहत में ऄसंज्ञेय ऄपराध करने का ऄहभयोग
लगाया गया है, ईस ऄहधकारी की मांग पर ऄपना नाम और हनवास बताने से
आंकार करता है या ऐसा नाम या हनवास बताता है, हजसके बारे में ईस
ऄहधकारी को यह हवश्वास करने का कारण है हक वह हमथ्या है, तब वह ऐसे
ऄहधकारी द्वारा आसहलए हगरफ्तार हकया जा सकता है हक ईसका नाम और
हनवास ऄहभहनहश्चत हकया जा सके ।
(2) जब ऐसे व्यहि का सही नाम और हनवास ऄहभहनहश्चत कर हलया जाता है,
तब वह आस बंधपत्र या जमानतपत्र पर छो़ि हदया जाएगा हक यहद ईससे
महजस्रेट के समक्ष हाहजर होने की ऄपेक्षा की गइ तो वह ईसके समक्ष हाहजर
होगा :
परंतु यहद ऐसा व्यहि भारत में हनवासी नहीं है तो वह जमानतपत्र भारत में
हनवासी प्रहतभू या प्रहतभओु ं द्वारा प्रहतभतू हकया जाएगा।
(3) यहद हगरफ्तारी के समय से चौबीस घंटों के ऄंदर ऐसे व्यहि का सही नाम
और हनवास ऄहभहनहश्चत नहीं हकया जा सकता है या वह बंधपत्र या
जमानतपत्र हनष्पाहदत करने में या ऄपेहक्षत हकए जाने पर पयाण प्त प्रहतभू देने में
ऄसफल रहता है तो वह ऄहधकाररता रखने वाले हनकटतम महजस्रेट के पास
तत्काल भेज हदया जाएगा।
धारा – 40 प्राआिेट व्यहि द्वारा हगरफ्तारी और ऐसी हगरफ्तारी पर प्रहिया - (1) कोइ धारा – 43
प्राआवेट व्यहि हकसी ऐसे व्यहि को जो ईसकी ईपहस्थहत में ऄजमानतीय और
संज्ञेय ऄपराध करता है, या हकसी ईद्घोहषत ऄपराधी को हगरफ्तार कर सकता
है या हगरफ्तार करवा सकता है और ऐसे हगरफ्तार हकए गए व्यहि को
ऄनािश्यक हिलंब के हबना, छह घंटे के भीतर, पहु लस ऄहधकारी के हवाले
कर देगा या हवाले करवा देगा या पहु लस ऄहधकारी की ऄनपु हस्थहत में ऐसे
व्यहि को ऄहभरक्षा में हनकटतम पहु लस थाने ले जाएगा या हभजवाएगा।
(2) यहद यह हवश्वास करने का कारण है हक ऐसा व्यहि धारा 35 की ईपधारा
(1) के ईपबंधों के ऄधीन अता है तो पहु लस ऄहधकारी ईसे ऄहभरक्षा में लेगा।
(3) यहद यह हवश्वास करने का कारण है हक ईसने ऄसंज्ञेय ऄपराध हकया है
और वह पहु लस ऄहधकारी की मांग पर ऄपना नाम और हनवास बताने से
आंकार करता है, या ऐसा नाम या हनवास बताता है, हजसके बारे में ऐसे
ऄहधकारी को यह हवश्वास करने का कारण है हक वह हमथ्या है, तो ईसके
हवषय में धारा 39 के ईपबंधों के ऄधीन कायण वाही की जाएगी; हकं तु यहद यह
हवश्वास करने का कोइ पयाण प्त कारण नहीं है। हक ईसने कोइ ऄपराध हकया है
तो वह तरु तं छो़ि हदया जाएगा।
धारा – 41 महजस्रेट द्वारा हगरफ्तारी - (1) जब कायण पालक या न्याहयक महजस्रेट की धारा – 44
ईपहस्थहत में ईसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर कोइ ऄपराध हकया जाता
है तब यह ऄपराधी को स्वयं हगरफ्तार कर सकता है या हगरफ्तार करने के
हलए हकसी व्यहि को अदेश दे सकता है और तब जमानत के बारे में आसमें
ऄंतहषण ष्ट ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, ऄपराधी को ऄहभरक्षा के हलए सपु दु ण कर
सकता है।
(2) कोइ कायण पालक या न्याहयक महजस्रेट हकसी भी समय ऄपनी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर हकसी ऐसे व्यहि को हगरफ्तार कर सकता है, या ऄपनी
ईपहस्थहत में ईसकी हगरफ्तारी का हनदेश दे सकता है, हजसकी हगरफ्तारी के
हलए वह ईस समय और ईन पररहस्थहतयों में वारंट जारी करने के हलए सक्षम
है।
धारा – 42 सिस्त्र बलों के सदस्यों का हगरफ्तारी से संरक्षण- (1) धारा 35 और धारा धारा – 45
39 से धारा 41 तक की धाराओं में (दोनों सहहत) हकसी बात के होते हुए भी,
संघ के सशस्त्र बलों का कोइ भी सदस्य ऄपने पदीय कतण व्यों का हनवण हन करने
में ऄपने द्वारा की गइ या की जाने के हलए तात्पयण त हकसी बात के हलए तब
तक हगरफ्तार नहीं हकया जाएगा, जब तक कें द्रीय सरकार की सहमहत नहीं ले
ली जाती।
(2) राज्य सरकार ऄहधसूचना द्वारा हनदेश दे सकती है हक ईसमें यथाहवहनहदण ष्ट
बल के ऐसे वगण या
प्रवगण के सदस्यों को, हजन्हें लोक व्यवस्था बनाए रखने का कायण भार सौंपा गया
है, जहां कहीं वे सेवा कर रहे हो, ईपधारा (1) के ईपबंध लागू होंगे और तब
ईस ईपधारा के ईपबंध आस प्रकार लागू होंगे मानो ईसमें अने वाले "कें न्द्रीय
सरकार" पद के स्थान पर " राज्य सरकार" पद रख हदया गया हो।

धारा – 43 हगरफ्तारी कै से की जाएगी - (1) हगरफ्तारी करने में पहु लस ऄहधकारी या धारा – 46
ऄन्य व्यहि, जो हगरफ्तारी कर रहा है, हगरफ्तार हकए जाने वाले व्यहि के
शरीर को वस्ततु ः छुएगा या परररुद्ध करेगा, जब तक ईसने वचन या कमण द्वारा
ऄपने को ऄहभरक्षा में समहपण त न कर हदया हो।
परंतु जहां हकसी महहला को हगरफ्तार हकया जाना है वहां जब तक हक
पररहस्थहतयों से आसके हवपरीत ईपदहशण त न हो, हगरफ्तारी की मौहखक आहत्तला
पर ऄहभरक्षा में ईसके समपण ण कर देने की ईपधारणा की जाएगी और जब तक
हक पररहस्थहतयों में ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो या जब तक पहु लस ऄहधकारी
महहला न हो, तब तक पहु लस ऄहधकारी महहला को हगरफ्तार करने के हलए
ईसके शरीर को नहीं छुएगा।
(2) यहद ऐसा व्यहि ऄपने हगरफ्तार हकए जाने के प्रयास का बलात् प्रहतरोध
करता है या हगरफ्तारी से बचने का प्रयत्न करता है तो ऐसा पहु लस ऄहधकारी
या ऄन्य व्यहि हगरफ्तारी करने के हलए अवश्यक सब साधनों को ईपयोग में
ले सकता है।
(3) पुहलस ऄहधकारी, ऄपराध की प्रकृहत और गभभीरता को ध्यान में
रखते हुए, हकसी ऐसे व्यहि की हगरफ्तारी करते समय या न्यायालय के
समक्ष ऐसे व्यहि को पेि करते समय हथकडी का प्रयोग कर सकता है,
जो ऄभ्याहसक या अदतन ऄपराधी है या ऄहभरक्षा से हनकल भागा है, या
हजसने संगहठत ऄपराध, अतंकिादी कृत्य, औषध सभबन्धी ऄपराध,
ऄस्त्र और िस्त्र पर ऄिैध कब्जे, हत्या, बलात्संग, ऄभल हमला, हसक्ट्कों
और करेंसी नोट का कूटकरण, मानि दव्यापार, बच्चों के हिरुद्ध लैंहगक
ऄपराध या राज्य के हिरुद्ध ऄसाथ को काररत हकया है।
(4) आस धारा को कोइ बात ऐसे वाहि की, हजस पर मृत्यु या अजीवन
कारावास से दंडनीय ऄपराध का ऄहभयोग नहीं है, मृत्यु काररत करने का
ऄहधकार नहीं देती है।
(5) ऄसाधारण पररहस्थहतयों के हसवाय, कोइ महहला सूयाण स्त के पश्चात् और
सूयोदय से पहले हगरफ्तार नहीं की जायेगी और जहां ऐसी ऄसाधारण
पररहस्थहतयां हवद्यमान है, वहां महहला पहु लस ऄहधकारी हलहखत में ररपोटण
करके , ईस प्रथम श्रेणी के महजस्रेट की पूवण ऄनज्ञ
ु ा ऄहभप्राप्त करेगी, हजसकी
स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऄपराध हकया गया है या हगरफ्तारी की जानी
है।
धारा – 44 ईस स्थान की तलािी हजसमें ऐसा व्यहि प्रहिष्ट हुअ है हजसकी धारा – 47 कोइ पररवतण न नहीं ।
हगरफ्तारी की जानी है- (1) यहद हगरफ्तारी के वारंट के ऄधीन कायण करने
वाले हकसी व्यहि को, या हगरफ्तारी करने के हलए इहपकत हकसी पहु लस
ऄहधकारी को, यह हवश्वास करने का कारण है हक वह व्यहि हजसे हगरफ्तार
हकया है, हकसी स्थान में प्रहवष्ट हुअ है, या ईसके ऄंदर है तो ऐसे स्थान में
हनवास करने वाला, या ईस स्थान का भालपक कोइ भी व्यहि, पूवोि रूप में
कायण करने वाले व्यहि द्वारा या ऐसे पहु लस ऄहधकारी द्वारा मांग को जाने पर
ईसमें ईसे ऄबाध प्रवेश करने देगा और ईसके ऄंदर तलाशी लेने के हलए सब
ईहचत सहु वधाएं देगा।
(2) पहद ऐसे स्थान में प्रवेश ईपधारा (1) के ऄधीन नहीं हो सकता तो हकसी
भी मामले में ईस अहि के हलए, जो वारंट के ऄधीन कायण कर रहा है, और
हकसी ऐसे मामले में, हजसमें वारंट हनकाला जा सकता है हकं तु हगरफ्तार हकए
जाने वाले व्यहि को भाग जाने का ऄवसर हदए हबना प्राप्त नहीं हकया जा
सकता, पहु लस ऄहधकारी के हलए यह हवहधपूणण होगा हक वह ऐसे स्थान में
प्रवेश करे और वहां तलाशी ले और ऐसे स्थान में प्रवेश कर पाने के हलए हकसी
गृह या स्थान के , चाहे वह ईस व्यहि का हो हजसे हगरफ्तार हकया जाना है, या
हकसी ऄन्य व्यहि का हो, हकसी बाहरी या भीतरी द्वार या हख़िकी को तो़िकर
खोल से यहद ऄपने प्राहधकार और प्रयोजन की सूचना देने के तथा प्रवेश करने
की समयक् रूप से मांग करने के सचात् वह ऄन्यथा प्रवेश प्राप्त नहीं कर
सकता है:
परंतु यहद ऐसा कोइ स्थान ऐसा कमरा है जो (हगरफ्तार हकए जाने वाले व्यहि
से हभन्न) ऐसी महहला के आस्तहवक ऄहधभोग में है जो रुहढ के ऄनस ु ार लोगों
के सामने नहीं अती है तो ऐसा व्यहि या पहु लस ऄहधकारी ईस कमरे में प्रवेश
करने के पवू ण ईस महहला को सूचना देगा हक वह वहां से हट जाने के हलए
स्वतंत्र है और हट जाने के हलए ईसे प्रत्येक ईहचत सहु वधा देगा और तब कमरे
को तो़िकर खोल सकता है और ईसमें प्रवेश कर सकता है।
(3) कोइ पहु लस ऄहधकारी या हगरफ्तार करने के हलए प्राहधकृ त ऄन्य व्यहि
हकसी गृह या स्थान का कांगें बहरी या भीतरी द्वार या हख़िकी ऄपने को या
हकसी ऄन्य व्यहि को जो हगरफ्तार करने के प्रयोजन से हवहधपूवणक प्रवेश
करने के पश्चात् वहां हनरुद्ध है, मि
ु करने के हलए तो़िकर खोल सकता है।
धारा – 45 ऄन्य ऄहधकाररताओं में ऄपराहधयों का पीछा करना- पहु लस ऄहधकारी ऐसे धारा – 48 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी व्यहि को हजसे हगरफ्तार करने के हलए वह प्राहधकृ त है, वारंट के हबना
हगरफ्तार करने के प्रयोजन से भारत के हकसी स्थान में ईस व्यहि का पीछा
कर सकता है।
धारा – 46 ऄनािश्यक ऄिरोध न करना- हगरफ्तार हकए गए व्यहि को ईससे ऄहधक धारा – 49 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄवरुद्ध न हकया बाएगा हजतना ईसको हनकल भागने से रोकने के हलए
अवश्यक है।
धारा – 47 हगरफ्तार हकए गए व्यहि को हगरफ्तारी के अधारों और जमानत के धारा – 50 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकार की सूचना हदया जाना - (1) हकसी व्यहि को बारंट के हबना
हगरफ्तार करने वाला प्रत्येक पहु लस ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि ईस व्यहि को
ईस ऄपराध की, हजसके हलए, यह हगरफ्तार हकया गया है, पणू ण हवहशहष्टयां या
ऐसी हगरफ्तारी के ऄन्य अधार तरु तं संसूहचत करेगा।
(2) जहां कोइ पहु लस ऄहधकारी ऄजमानतीय ऄपराध के ऄहभयि ु व्यहि से
हभन्न हकसी व्यहि को अरेट के हबना हगरफ्तार करता है वहां यह हगरफ्तार
हकए गए व्यहि को सूचना देगा हक वह जमानत पर छो़िे अने का हकदार है
और वह ऄपनी ओर से प्रहतभओ ु ं का आंतजाम करे।
धारा – 48 हगरफ्तारी करने िाले व्यहि की, हगरफ्तारी अहद के बारे में, नातेदार या धारा –
हमत्र को जानकारी देने की बाध्यता- (1) आस संहहता के ऄधीन कोइ 50क
हगरफ्तारी करने वाला प्रत्येक पहु लस ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि, ऐसी
हगरफ्तारी और ईस स्थान के बारे में, जहां हगरफ्तार हकया गया व्यहि रखा जा
रहा है, जानकारी, ईसके हमत्रों, नातेदारों या ऐसे ऄन्य व्यहि को जो हगरफ्तार
हकए गए व्यहि द्वारा ऐसी जानकारी देने के प्रयोजन के हलए प्रकट या
नामहनहदण ष्ट हकया जाए तथा हजले में पदाहभहहत पुहलस ऄहधकारी को भी
तरु तं देगा।
(2) पहु लस ऄहधकारी हगरफ्तार हकए गए व्यहि को, जैसे ही वह पहु लस थाने में
लाया जाता है, ईपधारा (1) के ऄधीन ईसके ऄहधकारों के बारे में सूहचत
करेगा।
(3) आस तथ्य की प्रहवहष्ट हक ऐसे व्यहि की हगरफ्तारी की आहत्तला हकसे दी गइ
है, पहु लस थाने में रखी जाने वाली पस्ु तक में ऐसे प्ररूप में, जो राज्य सरकार
द्वारा आस हनहमत्त हवहहत हकया जाए, की जाएगी।
(4) ईस महजस्रेट का, हजसके समक्ष ऐसे हगरफ्तार हकया गया व्यहि, पेश
हकया जाता है, यह कतण व्य होगा हक वह ऄपना समाधान करे हक ईपधारा (2)
और ईपधारा (3) की ऄपेक्षाओं का ऐसे हगरफ्तार हकए गए व्यहि के संबधं में
ऄनपु ालन हकया गया है।
धारा – 49 हगरफ्तार हकए गए व्यहि की तलािी - (1) जब कभी, - धारा – 51 कोइ पररवतण न नहीं ।
(1) पहु लस ऄहधकारी द्वारा ऐसे वारंट के ऄधीन, जो जमानत हलए जाने का
ईपबंध नहीं करता है या ऐसे वारंट के ऄधीन, जो जमानत हलए जाने का
ईपबंध करता है हकं तु हगरफ्तार हकया गया व्यहि जमानत नहीं दे सकता है,
कोइ व्यहि हगरफ्तार हकया जाता है; तथा
(ii) जब कभी कोइ व्यहि वारंट के हबना या प्राआवेट व्यहि द्वारा वारंट के
ऄधीन हगरफ्तार हकया जाता है और वैध रूप से ईसकी जमानत नहीं ली जा
सकती है या वह जमानत देने में ऄसमथण है,
तब हगरफ्तारी करने वाला ऄहधकारी, या जब हगरफ्तारी प्राआवेट व्यहि द्वारा
की जाती है तब वह पहु लस ऄहधकारी, हजसे वह व्यहि हगरफ्तार हकए गए
व्यहि को सााँपता है, ईस व्यहि की तलाशी ले सकता है और पहनने के
अवश्यक वस्त्रों को छो़िकर ईसके पास पाइ गइ सब वस्तओ ु ं को सरु हक्षत
ऄहभरक्षा में रख सकता है और जहां हगरफ्तार हकए गए व्यहि से कोइ वस्तु
ऄहभगृहीत की जाती है वहां ऐसे व्यहि को एक रसीद दी जाएगी हजसमें पहु लस
ऄहधकारी द्वारा कब्जे में की गइ वस्तु दहशण त होगी।
(2) जब कभी हकसी महहला की तलाशी करना अवश्यक हो तब ऐसी तलाशी
हशष्टता का पूरा ध्यान रखते हुए ऄन्य महहला द्वारा की जाएगी।
धारा – 50 अिामक अयुधों का ऄहधग्रहण करने की िहि- वह ऄहधकारी या ऄन्य धारा – 52
व्यहि, जो आस संहहता के ऄधीन हगरफ्तारी करता है हगरफ्तारी के तुरन्त
बाद हगरफ्तार हकए गए व्यहि से कोइ अिामक अयधु , जो ईसके शरीर पर
हो, ले सकता है और ऐसे हलए गए सब अयधु ईस न्यायालय या ऄहधकारी
को पररदत्त करेगा, हजसके समक्ष वह ऄहधकारी या हगरफतार करने वाला
व्यहि हगरफ्तार हकए गए व्यहि को पेश करने के हलए आस संहहता एद्वारा
ऄपेहक्षत है।
धारा – 51 पुहलस ऄहधकारी की प्राथगना पर हचहकत्सा-व्यिसायी द्वारा ऄहभयि ु की धारा – 53
परीक्षा-
(1) जब कोइ ऄहक्ट्क ऐसा ऄपराध करने के अरोप में हगरफ्तार हकया जाता है
जो ऐसी प्रकृ हत का है और हजसका देशी पररहस्थहतयों में हकया जाना
ऄहभकहथत है हक यह हवश्वास करने के ईहचत अधार हैं हक ईसकी शरीररक
परीक्षा ऐसा ऄपराध हकए जाने के बारे में साक्ष्य प्रदान करेगी, तो ऐसे पहु लस
ऄहधकारी को, जो ईप हनरीक्षक की पानी से नीचे का न हो। प्राथण ना पर कायण
करने में रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी के हलए और सदभावपवू ण क ईसकी
सहायता करने में और ईसके हनदेशाधीन कायण करने में हकसी व्यहि के हलए
यह हवहधपूणण होगा हक वह हगरफ्तार हकए गए व्यहि की ऐसी परीक्षा करे जो
ईन तथ्यों को, जो ऐसा साक्ष्य प्रदान कर सकें , ऄहभहनहश्चत करने के हलए
ईहचत रूप से अवश्यक है और ईतना बल प्रयोग करे हजतना ईस प्रयोजन के
हलए ईहचत रूप से अवश्यक है।
(2) जब कभी आस धारा के ऄधीन हकसी महहला की शारीररक परीक्षा को जानी
है तो ऐसी परीक्षा के वल हकसी महहला द्वारा जो रहजस्रोकृ त हचहकत्सा-
व्यवसायी है या ईसके पयण वेक्षण में की जाएगी।
(3) रहजस्रीकृत हचहकत्सा-व्यिसायी देर हकए हबना ऄन्िेषण ऄहधकारी
को परीक्षा ररपोटग तुरतं भेजेगा।
स्पष्टीकरण- आस धारा में और धारा 52 और धारा 53 में- (क) 'परीक्षा' में
खून, खून के धब्बों, सीमन, लैंहगक ऄपराधों की दशा में स्वाब, थूक और स्वेद,
बाल के नमूनों और ईंगली के नाखून की कतरनों की अधहु नक और िैधाहनक
तकनीकों के , हजनके ऄंतगण त डी० एन० ए० प्रोफाआल करना भी है, प्रयोग
द्वारा परीक्षा और ऐसे ऄन्य परीक्षण, हजन्हें रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी
हकसी हवहशष्ट मामले में अवश्यक समझता है, सहममहलत होंगे;
(ख) "रहजस्रोकृ त हचहकत्सा व्यवसायो" से वह हचहकत्सा व्यवसायी ऄहभप्रेत
है, हजसके पास राष्रीय हचहकत्सा अयोग ऄहधहनयम, 2019 के ऄधीन
मान्यताप्राप्त कोइ हचहकत्सीय ऄहंता है और हजसका नाम राष्रीय हचहकत्सा
रहजस्टर या राज्य हचहकत्सा रहजस्टर में प्रहवष्ट हकया गया है ।
धारा – 52 बलात्संग के ऄपराधी व्यहि की हचहकत्सा व्यिसायी द्वारा परीक्षा - (1) धारा -53क कोइ पररवतण न नहीं ।
जब हकसी व्यहि को बलात्संग या बलात्संग का प्रयत्न करने का ऄपराध करने
के अरोप में हगरफ्तार हकया जाता है और यह हवश्वास करने के ईहचत अधार
हैं हक ईस व्यहि की परीक्षा से ऐसा ऄपराध करने के बारे में साक्ष्य प्राप्त होगा
तो सरकार द्वारा या हकसो स्थानीय प्राहधकारी द्वारा चलाए जा रहे ऄस्पताल में
हनयोहजत हकसी रहजस्रीकृ त हचहकत्सा-व्यवसायी के हलए और ईस स्थान से
जहां ऄपराध हकया गया है, सोलह हकलोमीटर को पररहध के भीतर ऐसे
हचहकत्सा व्यवसायी की ऄनपु हस्थहत में ऐसे पहु लस ऄहधकारी के हनवेदन पर,
जो ईप हनरीक्षक की पंहि से नीचे का न हो, हकसी ऄन्य रहजस्रीकृ त
हचहकत्सा-व्यवसायी के हलए, तथा सद्भावपवू ण क ईसकी सहायता के हलए तथा
ईसके हनदेश के ऄधीन कायण कर रहे हकसी व्यहि के हलए, ऐसे हगरफ्तार
व्यहि की ऐसी परीक्षा करना और ईस प्रयोजन के हलए ईतनी शहि का प्रयोग
करना हजतनी यहु ियि ु रूप से अवश्यक हो, हवहधपूणण होगा।
(2) ऐसी परीक्षा करने वाला रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी ऐसे व्यहि की
हबना हकसी हवलंब के परीक्षा करेगा और ईसकी परीक्षा की एक ररपोटण तैयार
करेगा, हजसमें हनमनहलहखत हवहशहष्टयां दी जाएंगी, ऄथाण त-्
(i) ऄहभयि ु और ईस व्यहि का, जो ईसे लाया है, नाम और पता;
(ii) ऄहभयि ु की अयःु
(iii) ऄहभयि ु के शरीर पर क्षहत के हनशान, यहद कोइ हों।
(iv) डी० एन० ए० प्रोफाआल करने के हलए ऄहभयि ु के शरीर से ली गइ
सामग्री का वणण न; और
(V) ईहचत ब्यरर सहहत, ऄन्य ताहत्वक हवहशहष्टयां।
(3) ररपोटण में संक्षेप में वे कारण ऄहभकहथत हकए जाएंगे, हजनसे प्रत्येक हनष्कषण
हनकाला गया
(4) परोक्षा प्रारंभ और समाहप्त करने का सही समय भी ररपोटण में ऄंहकत हकया
जाएगा।
(5) रहजस्रीकृ त हचहकत्सा-व्यवसायी, हबना हकसी हवलंब के ऄन्वेषण
ऄहधकारी को ररपोटण भेजेगा, जो ईसे धारा 193 में हनहदण ष्ट महजस्रेट को ईस
धारा की ईपधारा (6) के खंड (क) में हनहदण ष्ट दस्तावेजों के भागरूप में भेजेगा।
धारा – 53 हगरफ्तार व्यहि की हचहकत्सा ऄहधकारी द्वारा परीक्षा - (1) जब कोइ व्यहि धारा – 54
हगरफ्तार हकया जाता है तब हगरफ्तार हकए जाने के तरु तं पश्चात् ईसकी कें द्रीय
सरकार या राज्य सरकार के सेवाधीन हचहकत्सा ऄहधकारी द्वारा और जहां
हचहकत्सा ऄहधकारी ईपलब्ध नहीं है, वहां रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी
दद्वारा परीक्षा की जाएगी :
परन्तु यहद हचहकत्सा ऄहधकारी या रहजस्रीकृत हचहकत्सा व्यिसायी की
यह राय है हक ऐसे व्यहि की एक और परीक्षा की जानी अिश्यक है, तो
िह ऐसा कर सके गा :
परंतु यह और हक जहााँ हगरफ्तार हकया गया व्यहि महहला है, वहां ईसके शरीर
की परीक्षा के वल महहला हचहकत्सा ऄहधकारी और जहां महहला हचहकत्सा
ऄहधकारी ईपलब्ध नहीं है, वहां रहजस्रीकृ त महहला हचहकत्सा व्यवसायी द्वारा
या ईसके पयण वेक्षणाधीन की जाएगी।
(2) हगरफ्तार हकए गए व्यहि की आस प्रकार परीक्षा करने वाला हचहकत्सा
ऄहधकारी या रहजस्रीकृ त हवहकत्सा व्यवसायी ऐसी परीक्षा का ऄहभलेख
तैयार करेगा हजसमें हगरफ्तार हकए गए व्यहि के शरीर पर हकन्हीं क्षहतयों या
हहंसा के हचन्हों तथा ऄनमु ाहनत समय का वणण न करेगा जब ऐसी क्षहत या हचन्ह
पहुंचाए गए होंगे।
(3) जहां ईपधारा (1) के ऄधीन परीक्षा की जाती है वहां ऐसी परीक्षा की
ररपोटण की एक प्रहत, यथाहस्थहत, हचहकत्सा ऄहधकारी या रहजस्रीकृ त
हचहकत्सा व्यवसायी द्वारा हगरफ्तार हकए गए व्यहि या ऐसे हगरफ्तार हकए गए
व्यहि द्वारा नामहनहदण ष्ट व्यहि को दी जाएगी।
धारा – 54 हगरफ्तार व्यहि की हिनाख्त जहां कोइ व्यहि हकसी ऄपराध को करने के धारा -54क कोइ पररवतण न नहीं ।
अरोप पर हगरफ्तार हकया जाता है और ईसकी हशनाख्त हकसी ऄन्य व्यहि
या व्यहियों द्वारा ऐसे ऄपराधों के ऄन्वेषण के हलए अवश्यक समझी जाती है
तो वहां वह न्यायालय, हजसकी ऄहधकाररता है, पहु लस थाने के भारसाधक
ऄहधकारी के हनवेदन पर, हगरफ्तार हकए गए व्यहि की, ऐसी रीहत से जो
न्यायालय ठीक समझता है, हकसी ऄन्य व्यहि या हकन्हीं ऄन्य व्यहियों द्वारा
हशनाख्त कराने का अदेश दे सके गा :
परंतु वााँद हगरफ्तार हकए गए व्यहि की शनाख्त करने वाला व्यहि मानहसक
या शारीररक रूप से हनः शि है, तो शनाख्त करने की ऐसी प्रहिया महजस्रेट
के पयण वेक्षण के ऄधीन होगी जो यह सहु नहश्चत करने के हलए समहु चत कदम
ईठाएगा हक ईस व्यहि द्वारा हगरफ्तार हकए गए व्यहि की ईन पद्धहतयों का
प्रयोग करते हुए शनाख्त की जाए, जो ईस व्यहि के हलए सहु वधापूणण हों और
शनाख्त प्रहिया हकसी श्रव्य-दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों द्वारा ऄहभहलहखत की
जाएगी।
धारा – 55 जब पुहलस ऄहधकारी िारंट के हबना हगरफ्तार करने के हलए ऄपने धारा – 55
ऄधीनस्थ को प्रहतहनयुि करता है तब प्रहिया - (1) जब ऄध्याय 13 के
ऄधीन ऄन्वेषण करता हुअ कोइ पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी, या
कोइ पहु लस ऄहधकारी, ऄपने ऄधीनस्थ हकसी ऄहधकारी से हकसी ऐसे व्यहि
को जो वारंट के हबना हवहधपूवणक हगरफ्तार हकया जा सकता है, वारंट के हबना
(ऄपनी ईपहस्थहत में नहीं, ऄन्यथा) हगरफ्तार करने की ऄपेक्षा करता है, तब
वह ईस व्यहि का हजसे हगरफ्तार हकया जाना है और ईस ऄपराध का या
ऄन्य कारण का, हजसके हलए हगरफ्तारी की जानी है, हवहनदेश करते हुए
हलहखत अदेश ईस ऄहधकारी को पररदत्त करेगा हजससे यह ऄपेक्षा है हक वह
हगरफ्तारी करे और आस प्रकार ऄपेहक्षत ऄहधकारी ईस व्यहि को, हजसे
हगरफ्तार करना है, ईस अदेश का सार हगरफ्तारी करने के पूवण सूहचत करेगा
और यहद बह व्यहि ऄपेक्षा करे तो ईसे वह अदेश हदखा देगा। (2) ईपधारा
(1) की कोइ बात हकसी पहु लस ऄहधकारी की धारा 35 के ऄधीन हकसी
व्यहि को हगरफ्तार करने की शहि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
धारा – 56 हगरफ्तार हकए गए व्यहि का स्िास््य और सुरक्षा ऄहभयि ु को ऄहभरक्षा में धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
रखने वाले व्यहि का यह कतण व्य होगा हक वह ऄहभयि ु के स्वास्थ्य और 55क
सरु क्षा की ईहचत देखभाल करे।
धारा – 57 हगरफ्तार हकए गए व्यहि का महजस्रेट या पुहलस थाने के भारसाधक धारा – 56 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकारी के समक्ष ले जाया जाना- वारंट के हबना हगरफ्तारी करने वाला
पहु लस ऄहधकारी ऄनावश्यक हवलंब के हबना और जमानत के संबधं में आसमें
ऄंतहवण ष्ट ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, ईस व्यहि को, जो हगरफ्तार हकया गया
है, ईस मामले में ऄहधकाररता रखने वाले महजस्रेट के समक्ष या हकसी पहु लस
थाने के भारसाधक ऄहधकारी के समक्ष ले जाएगा या भेजेगा।
धारा – 58 हगरफ्तार हकए गए व्यहि का चौबीस घंटे से ऄहधक हनरुद्ध न हकया जाना धारा – 57 कोइ पररवतण न नहीं ।
कोइ पहु लस ऄहधकारी वारंट के हबना हगरफ्तार हगए गए व्यहि को ईससे
ऄहधक ऄवहध के हलए ऄहभरक्षा में हनरुद्ध नहीं रखेगा जो ईस मामले की सब
पररहस्थहतयों में ईहचत है तथा ऐसी ऄवहध, महजस्रेट के धारा 187 के ऄधीन
हवशेष अदेश के ऄभाव में हगरफ्तारी के स्थान से महजस्रेट के न्यायालय तक
यात्रा के हलए अवश्यक समय को छो़िकर, चौबीस घंटे से ऄहधक की नहीं
होगी, चाहे ईसकी ऄहधकाररता है या नहीं।
धारा – 59 पुहलस का हगरफ्ताररयों की ररपोटग करना पहु लस थानों के भारसाधक धारा – 58 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकारी हजला महजस्रेट को, या ईसके ऐसा हनदेश देने पर, ईपखंड
महजस्रेट को, ऄपने-ऄपने थानों की सीमाओं के ऄंदर वारंट के हबना हगरफ्तार
हकए गए सब व्यहियों के मामलों की ररपोटण करेंगे, चाहे ईन व्यहियों की
जमानत ले ली गइ हो या नहीं।
धारा – 60 पकडे गए व्यहि का ईन्मोचन- पहु लस ऄहधकारी द्वारा हगरफ्तार हकए गए धारा – 59 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी व्यहि का ईन्मोचन ईसी के बंधपत्र या जमानतपत्र पर या महजस्रेट के
हवशेष अदेश के ऄधीन ही हकया जाएगा, ऄन्यथा नहीं।
धारा – 61 हनकल भागने पर पीछा करने और हफर पकड लेने की िहि (1) यहद कोइ धारा – 60
व्यहि हवहधपूणण ऄहभरक्षा में से हनकल भागता है या छु़िा हलया जाता है तो वह
व्यहि, हजसकी ऄहभरक्षा से वह हनकल भागा है, छु़िाया गया है, ईसका तरु तं
पीछा कर सकता है और भारत के हकसी स्थान में ईसे हगरफ्तार कर सकता
है।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन हगरफ्ताररयों को धारा 44 के ईपबंध लागू होंगे
भले ही ऐसी हगरफ्तारी करने अला ऄहजत वारंट के ऄधीन कायण न कर रहा
हो और हगरफ्तारी करने का प्राहधकार रखने वाला पहु लस ऄहधकारी न हो।
धारा – 62 हगरफ्तारी का सिगथा संहहता के ऄनुसार ही हकया जाना- कोइ हगरफ्तारी धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
आस संहहता या हशरपतारी के हलए ईपबंध करने वाली तत्समय प्रवृत्त हकसी 60क
ऄन्य हवहध के ईपबंधों के ऄनस ु ार ही को जाएगी।
ऄध्याय 6 - हाहजर होने को हििि करने के हलए अदेहिकाएं
क-समन
धारा – 63 समन का प्ररूप - न्यायालय द्वारा आस संहहता के ऄधीन जारी हकया गया धारा – 61
प्रत्येक समन, - (i) हलहखत रूप में और दो प्रहतयों में, ईस न्यायालय के
पौठासीन ऄहधकारी द्वारा या ऄन्य ऐसे ऄहधकारी द्वारा, हजसे ईच्च न्यायालय
हनयम द्वारा समय-समय पर हनहदष्ट करे, हस्ताक्षररत होगा और ईस पर ईस
न्यायालय की मद्रु ा लगी होगी; या
(ii) हकसी गढ़ू लेहखत या आलैक्ट्राहनक संसूचना के हकसी ऄन्य प्ररूप में
होगा और हजस पर न्यायालय की मुरा लगी होगी या हडहजटल हस्ताक्षर
होंगे।
धारा – 64 समन की तामील कै से की जाए- (1) प्रत्येक समन की तामील पहु लस धारा – 62
ऄहधकारी द्वारा या ऐसे हनयमों के ऄधीन जो राज्य सरकार आस हनहमत्त बनाए,
ईस न्यायालय के , हजसने वह समन जारी हकया, हकसी ऄहधकारी द्वारा या
ऄन्य लोक सेवक द्वारा की जाएगी : परंतु पहु लस थाना या न्यायालय का
रहजस्रार पता, इ-मेल पता, फोन नमबर और ऐसे ऄन्य ब्यौरें हजन्हें राज्य
सरकार हनयमों द्वारा ईपबंहधत करें की प्रहवहष्ट के हलए एक रहजस्टर रखेगा।
(2) यहद साध्य हो तो समन हकए गए व्यहि पर समन की तामील ईसे ईस
समन को दो प्रहतयों में से एक का पररदान या हनहवदान करके वैयहिक रूप से
की जाएगी :
परंतु न्यायालय की मरु ा लगा हुअ समन ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीहत में
जो राज्य सरकार हनयमों द्वारा ईपबंहधत करें, आलैक्ट्राहनक संसूचना द्वारा
तामील हकया जा सके गा।
(3) प्रत्येक व्यहि, हजस पर समन को ऐसे तामील की गइ है, यहद तामील
करने वाले ऄहधकारी द्वारा ऐसी ऄपेक्षा की जाती है तो, दूसरी प्रहत के पृष्ठ भाग
पर ईसके हलए रसीद हस्ताक्षररत करेगा।
धारा – 65 हनगहमत हनकायों, फमों और सोसाआहटयों पर समन की तामील - (1) हकसी धारा – 63
कं पनी या हनगम पर समन की तामील कं पनी या हनगम के हनदेशक, प्रबंधक,
सहचव या ऄन्य ऄहधकारी पर तामील करके की जा सकती है या भारत में
कं पनी या हनगम के हनदेशक, प्रबंधक, सहचव या ऄन्य ऄहधकारी के पते पर
रहजस्रीकृ त डाक द्वारा भेजे गए पत्र द्वारा की जा सकती है, ईस दशा में तामील
तब हुइ समझी जाएगी जब डाक से साधारण रूप से वह पत्र पहुंचता।
स्पष्टीकरण-आस धारा में "कं पनी" से कोइ हनगहमत हनकाय ऄहभप्रेत है और
"हनगम" से कं पनी ऄहधहनयम, 2013 (2013 का 18) के ऄधीन रहजस्रीकृ त
कोइ हनगहमत कं पनी या ऄन्य हनगहमत हनकाय या सोसाआटी रहजस्रीकरण
ऄहधहनयम, 1860 (1860 का 21) के ऄधीन कोइ रहजस्रीकृ त सोसाआटी
ऄहभप्रेत है ।
(2) हकसी फमग या व्यहष्टयों के ऄन्य संगम पर समन को सामील ऐसे फमग या
संगम के हकसी भागीदार पर आसे तामील करके की जा सकती है या ऐसे
भागीदार के पते पर रहजस्रीकृत हाक दुिारा भेजे गए पत्र द्वारा की जा
सकती है, ईस दिा में तामील तच हुइ समझी जाएगी, जब डाक से
साधारण रूप से यह पत्र पहुचं ेगा।
धारा – 66 जब समन हकए गए व्यहि न हमल सकें तब तामील- जहां समन हकया गया धारा – 64 कोइ पररवतण न नहीं ।
व्यहि संमयक् उत्परता बरतने पर भी न हमल सके वहां समन की तामील दो
प्रहतयों में से एक को ईसके कुटुंब के ईसके साथ रहने वाले हकसी वयस्क
परुु ष सदस्य के पास ईस व्यहि के हलए छो़िकर की जा सकती है और यहद
तामील करने वाले ऄहधकारी द्वारा ऐसी ऄपेक्षा की जाती है तो, हजस व्यहि के
पास समन ऐसे छो़िा जाता है. वह दूसरी प्रहत के पृष्ठ भाग पर ईसके हलए
रसीद हस्ताक्षररत करेगा।
स्पष्टीकरण - सेवक, आस धारा के ऄथण में कुटुमब का सदस्य नहीं है।
धारा – 67 जब पूिग ईपबंहधत प्रकार से तामील न की जा सके तब प्रहिया - यहद धारा धारा – 65
64, धारा 65 था. 66 में ईपबंहधत रूप से तामोल समयक् तत्परता बरतने पर
भी न की जा सके तो तामील करने बाला बंहधकारी समन की दो प्रहतयों में से
एक को ईस गृह या वासस्थान के , हजसमें समन हकया गया व्यहि जमती तौर
पर हनवास करता है, हकसी सहजदृश्य भाग में लगाएगा, और तब न्यायालय
ऐस। जांच करने के एक जैसी वह ठीक समझे या तो यह घोहषत कर सकता है
हक समन की समयक् तामील हो गइ है या बह ऐभी रोहत से नइ तामील का
अदेश दे सकता है हजसे वह ईहचत समझे ।
धारा – 68 सरकारी सेिक पर तामील - (1) जहां समन हकया गया व्यहि सरकार की धारा – 66
सहिय सेवा में है दहा समन जारी करने वाला न्यायालय मामूली तौर पर ऐसा
समन दो प्रहतयों में ईस कायाण लय के प्रधान को भेजेगा हजसमें वह व्यहि सेवक
है और तब वह प्रधान, धारा 64 में ईपबंहधत प्रकार से समन की तामील
कराएगा और ईस धारा द्वारा ऄपेहक्षत पृष्ठांकन सहहत ईस पर ऄपने हस्ताक्षर
करके ईसे न्यायालय को लौटा देगा।
(2) ऐसा हस्ताक्षर समयक् तामील का साक्ष्य होगा।
धारा – 69 स्थानीय सीमाओं के बाहर समन की तामील - जब न्यायालय यह चाहता है धारा – 67 कोइ पररवतण न नहीं ।
हक ईसके दवारा जारी हकए गए समन को तामील ईसको स्थानीय
ऄहधकाररता के बाहर हकसी स्थान में की जाए तब वह मामूली तौर पर ऐसा
समन दो प्रहतयों में ईस महजस्रेट को भेजेगा हजसको स्थानीय ऄहधकाररता के
भीतर ईसकी तामील की जानी है या समन हकया गया व्यहि हनवास करता है।
धारा – 70 ऐसे मामलों में और जब तामील करने िाला ऄहधकारी ईपहस्थत न हो तब धारा – 68
तामील का सबतू - (1) जब न्यायालय द्वारा जारी हकए गए समन को तामील
ईसकी स्थानीय ऄहधकाररता के बाहर की गइ है तब और ऐसे हकसी मामले में
हजसमें वह ऄहधकारी हजसने समन की तामील की है. मामले की सनु वाइ के
समय ईपहस्थत नहीं है, महजस्रेट के समक्ष हकया गया तात्पहथण त पह शपथपत्र
हक ऐसे समन को तामील हो गइ है और समन की दूसरी प्रहत हजसका ईस
व्यहि द्वारा हजसको समन पररदत्त या हनहवदत्त हकया गया था, या हजसके पास
वह छो़िा गया था । धारा 64 या धारा 66 में ईपबंहधत प्रकार से) पृष्ठांहकत
होना तात्पहथण त हैं, साक्ष्य में ग्राहय होगी और जब तक तत्प्रहतकूल साहधत न
हकया जाए, ईसमें हकए गए कथन सही माने जाएंगे।
(2) आस धारा में वहणण त शपथपत्र समन की दूसरी प्रहत से संलग्न हकया जा
सकता है और ईस न्यायालय को भेजा जा सकता है।
(3) धारा 64 से धारा 71 (दोनों सहहत) के ऄधीन आलेक्ट्राहनक संसूचना के
माध्यम से तामील हकए गए सभी समन सभयक् रूप से तामील हकए गए
समझे जायेंगे और ऐसे समन की एक प्रहत प्रमाहणत की जाएगी और समन
की तामील के सबूत के रूप में रखी जाएगी ।
धारा – 71 साक्षी पर समन की तामील - (1) आस ऄध्याय को पवू ण वती धाराओं में हकसी धारा – 69
बात के होते हुए भी साक्षी के हलए समन जारी करने वाला न्यायालय, ऐसा
समन जारी करने के ऄहतररि और ईसके साथ साथ हनदेश दे सकता है हक
ईस समन की एक प्रहत की तामील साक्षी पर, आलैक्ट्राहनक संसूचना द्वारा या
ईस स्थान के पते पर, जहां वह मामूली तौर पर हनवास करता है या कारबार
करता है या ऄहभलाभाथण स्वयं काम करता है रहजस्रीकृ त डाक द्वारा की जाए।
(2) जब साक्षी द्वारा हस्ताक्षर की गइ तात्पहथण त ऄहभस्वीकृ हत या डाक
कमण चारी द्वारा हकया गया तात्पहयण त यह पृष्ठांकन हक साक्षी ने समन लेने से
आंकार कर हदया है, प्राप्त हो जाता है या न्यायालय का समाधान आलैक्ट्राहनक
संसूचना द्वारा धारा 70 की ईपधारा (3) के ऄधीन समन के पररदान के
सबूत पर, हो जाता है तो समन जारी करने वाला न्यायालय यह घोहषत कर
सकता है हक समन की तामील समयक् रूप से कर दी गइ है।
ख-हगरफ्तारी का वारंट
धारा – 72 हगरफ्तारी के िारंट का प्ररूप और ऄिहध - (1) न्यायालय द्वारा आस संहहता धारा – 70 कोइ पररवतण न नहीं ।
के ऄधीन जारी हकया गया हगरफ्तारी का प्रत्येक वारंट हलहखत रूप में और
ऐसे न्यायालय के पीठासीन ऄहधकारी द्वारा हस्ताक्षररत होगा और ईस पर ईस
न्यायालय की मद्रु ा लगी होगी।
(2) ऐसा प्रत्येक वारंट तब तक प्रवतण न में रहेगा जब तक वह ईसे जारी करने
वाले न्यायालय द्वारा रद्द नहीं कर हदया जाता है या जब तक वह हनष्पाहदत
नहीं कर हदया जाता है।
धारा – 73 प्रहतभूहत हलए जाने का हनदेि देने की िहि - (1) हकसी व्यहि की धारा – 71 कोइ पररवतण न नहीं ।
हगरफ्तारी के हलए वारंट जारी करने वाला कोइ न्यायालय वारंट पर पृष्ठांकन
द्वारा स्वहववेकानस ु ार यह हनदेश दे सकता है हक यहद वह व्यहि न्यायालय के
समक्ष हवहनहदण ष्ट समय पर और तत्पश्चात् जब तक न्यायालय द्वारा ऄन्यथा
हनदेश नहीं हदया जाता है तब तक ऄपनी हाहजरी के हलए पयाण प्त प्रहतभओ ु ं
सहहत बंधपत्र हनष्पाहदत करता है तो वह ऄहधकारी हजसे वारंट हनहदष्ट हकया
गया है, ऐसी प्रहतभूहत लेगा और ईस व्यहि को ऄहभरक्षा से छो़ि देगा।
(2) पृष्ठांकन में हनमनहलहखत बातें कहथत होंगी-
(क) प्रहतभओ ु ं की संख्या;
(ख) वह रकम, हजसके हलए िमशः प्रहतभू और वह व्यहि, हजसकी हगरफ्तारी
के हलए वारंट जारी हकया गया है, अबद्ध होने हैं;
(ग) वह समय जब न्यायालय के समक्ष ईसे हाहजर होना है।
(3) जब कभी आस धारा के ऄधीन प्रहतभूहत ली जाती है तब वह ऄहधकारी
हजसे वारंट हनहदष्ट है बंधपत्र न्यायालय के पास भेज देगा।
धारा – 74 िारंट हकसको हनहदष्ट होंगे - (1) हगरफ्तारी का वारंट मामूली तौर पर एक या धारा – 72 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधक पहु लस ऄहधकाररयों को हनहदष्ट होगा; हकं तु यहद ऐसे वारंट का तरु तं
हनष्पादन अवश्यक है और कोइ पहु लस ऄहधकारी तरु तं न हमल सके तो वारंट
जारी करने वाला न्यायालय हकसी ऄन्य व्यहि या व्यहियों को ईसे हनहदष्ट
कर सकता है और ऐसा व्यहि या ऐसे व्यहि ईसका हनष्पादन करेंगे।
(2) जब वारंट एक से ऄहधक ऄहधकाररयों या व्यहियों को हनहदष्ट है तब
ईसका हनष्पादन ईन सबके द्वारा या ईनमें से हकसी एक या ऄहधक के द्वारा
हकया जा सकता है।
धारा – 75 िारंट हकसी भी व्यहि को हनहदष्ट हो सकें गे - (1) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट धारा – 73
या प्रथम वगण महजस्रेट हकसी हनकल भागे हसद्धदोष, ईद्घोहषत ऄपराधी या
हकसी ऐसे व्यहि की जो हकसी ऄजमानतीय ऄपराध के हलए ऄहभयि ु है और
हगरफ्तारी से बच रहा है, हगरफ्तारी करने के हलए वारंट ऄपनी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर के हकसी भी व्यहि को हनहदष्ट कर सकता है।
(2) ऐसा व्यहि वारंट की प्राहप्त को हलहखत रूप से ऄहभस्वीकार करेगा और
यहद वह व्यहि, हजसकी हगरफ्तारी के हलए वह वारंट जारी हकया गया है,
ईसके भारसाधन के ऄधीन हकसी भूहम या ऄन्य संपहत्त में है या प्रवेश करता
है तो वह ईस वारंट का हनष्पादन करेगा।
(3) जब वह व्यहि, हजसके हवरुद्ध ऐसा वारंट जारी हकया गया है, हगरफ्तार
कर हलया जाता है, तब वह वारंट सहहत हनकटतम पहु लस ऄहधकारी के हवाले
कर हदया जाएगा, जो, यहद धारा 73 के ऄधीन प्रहतभूहत नहीं ली गइ है तो,
ईसे ईस मामले में ऄहधकाररता रखने वाले महजस्रेट के समक्ष हभजवाएगा।
धारा – 76 पुहलस ऄहधकारी को हनहदष्ट िारंट - हकसी पहु लस ऄहधकारी को हनहदष्ट धारा – 74 कोइ पररवतण न नहीं ।
वारंट का हनष्पादन हकसी ऄन्य ऐसे पहु लस ऄहधकारी द्वारा भी हकया जा
सकता है हजसका नाम वारंट पर ईस ऄहधकारी द्वारा पृष्ठांहकत हकया जाता है
हजसे वह हनहदष्ट या पृष्ठांहकत है।
धारा – 77 िारंट के सार की सूचना - पहु लस ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि, जो हगरफ्तारी के धारा – 75 कोइ पररवतण न नहीं ।
वारंट का हनष्पादन का रहा है, ईस व्यहि को, हजसे हगरफ्तार करना है,
ईसका सार सूहचत करेगा और यहद ऐसी ऄपेक्षा की जाती है तो वारंट ईस
व्यहि को हदखा देगा।
धारा – 78 हगरफ्तार हकए गए व्यहि का न्यायालय के समक्ष ऄहिलभब लाया जाना - धारा – 76
पहु लस ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि, जो हगरफ्तारी के वारंट का हनष्पादन करता
है, हगरफ्तार हकए गए व्यहि को (धारा 73 के प्रहतभूहत संबधं ी ईपबंधों के
ऄधीन रहते हुए) ऄनावश्यक हवलंब के हबना ईस न्यायालय के समक्ष लाएगा,
हजसके समक्ष ईस व्यहि को पेश करने के हलए वह हवहध द्वारा ऄपेहक्षत है:
परंतु ऐसा हवलंब हकसी भी दशा में हगरफ्तारी के स्थान से महजस्रेट के
न्यायालय तक यात्रा के हलए अवश्यक समय को छो़िकर चौबीस घंटे से
ऄहधक नहीं होगा।
धारा – 79 िारंट कहां हनष्पाहदत हकया जा सकता है - हगरफ्तारी का वारंट भारत के धारा – 77 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी भी स्थान में हनष्पाहदत हकया जा सकता है।
धारा – 80 ऄहधकाररता के बाहर हनष्पादन के हलए भेजा गया िारंट - (1) जब वारंट धारा – 78
का हनष्पादन ईसे जारी करने वाले न्यायालय की स्थानीय ऄहधकाररता के
बाहर हकया जाना है तब वह न्यायालय, ऐसा वारंट ऄपनी ऄहधकाररता के
भीतर हकसी पहु लस ऄहधकारी को हनहदष्ट करने के बजाय ईसे डाक द्वारा या
ऄन्यथा हकसी ऐसे कायण पालक महजस्रेट या हजला पहु लस ऄधीक्षक या पहु लस
अयि ु को भेज सकता है हजसकी ऄहधकाररता का स्थानीय सीमाओं के ऄंदर
ईसका हनष्पादन हकया जाना है, और वह कायण पालक महजस्रेट या हजला
ऄधीक्षक या अयि ु ईस पर ऄपना नाम पृष्ठांहकत करेगा और यहद साध्य है
तो ईसका हनष्पादन आसमें आसके पूवण ईपबंहधत रीहत से कराएगा।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन वारंट जारी करने वाला न्यायालय हगरफ्तार हकए
जाने वाले व्यहि के हवरुद्ध ऐसी जानकारी का सार ऐसी दस्तावेजों सहहत,
यहद कोइ हों, जो धारा 83 के ऄधीन कारण वाइ करने वाले न्यायालय को, यह
हवहनहश्चत करने में हक ईस व्यहि की जमानत मंजूर की जाए या नहीं समथण
बनाने के हलए पयाण प्त हैं, वारंट के साथ भेजगे ा।
धारा – 81 ऄहधकाररता के बाहर हनष्पादन के हलए पुहलस ऄहधकारी को हनहदष्ट िारंट धारा – 79 कोइ पररवतण न नहीं ।
- (1) जब पहु लस ऄहधकारी को हनहदष्ट वारंट का हनष्पादन ईसे जारी करने
वाले न्यायालय की स्थानीय ऄहधकाररता के बाहर हकया जाना है तब वह
पहु लस ऄहधकारी ईसे पृष्ठांकन के हलए मामूली तौर पर ऐसे
कायण पालकमहजस्रेट के पास, या पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी से
ऄहनमन पंहि के पहु लस ऄहधकारी के पास, हजसकी ऄहधकाररता की स्थानीय
सीमाओं के ऄंदर ईस वारंट का हनष्पादन हकया जाना है, ले जाएगा।
(2) ऐसा महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी ईस पर ऄपना नाम पृष्ठांहकत करेगा
और ऐसा पृष्ठांकन ईस पहु लस ऄहधकारी के हलए, हजसको वह वारंट हनहदष्ट
हकया गया है, ईसका हनष्पादन करने के हलए पयाण प्त प्राहधकार होगा और
स्थानीय पहु लस यहद ऐसी ऄपेक्षा की जाती है तो ऐसे ऄहधकारी की ऐसे वारंट
का हनष्पादन करने में सहायता करेगी।
(3) जब कभी यह हवश्वास करने का कारण हो हक ईस महजस्रेट या पहु लस
ऄहधकारी का, हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर वह वारंट हनष्पाहदत
हकया जाना है, पृष्ठांकन प्राप्त करने में होने वाले हवलंब से ऐसा हनष्पादन न हो
पाएगा, तब वह पहु लस ऄहधकारी, हजसे वह हनहदष्ट हकया गया है, ईसका
हनष्पादन ईस न्यायालय की हजसने ईसे जारी हकया है, स्थानीय ऄहधकाररता
से परे हकसी स्थान में ऐसे पृष्ठांकन के हबना कर सकता है।
धारा – 82 हजस व्यहि के हिरुद्ध िारंट जारी हकया गया है, ईसके हगरफ्तार होने पर धारा – 80
प्रहिया - (1) जब हगरफ्तारी के वारंट का हनष्पादन ईस हजले से बाहर हकया
जाता है हजसमें वह जारी हकया गया था, तब हगरफ्तार हकए गए व्यहि को,
ईस दशा के हसवाय हजसमें वह न्यायालय हजसने वह वारंट जारी हकया
हगरफ्तारी के स्थान से तीस हकलोमीटर के ऄंदर है या ईस कायण पालक
महजस्रेट या हजला पहु लस ऄधीक्षक या पहु लस अयि ु से, हजसकी
ऄहधकाररता की स्थानीय सीमाओं के ऄंदर हगरफ्तारी की गइ थी, ऄहधक
हनकट है, या धारा 73 के ऄधीन प्रहतभूहत ले ली गइ है, ऐसे महजस्रेट या
हजला ऄधीक्षक या अयि ु के समक्ष ले जाया जाएगा।
(2) ईपधारा (1) में हनहदगष्ट हकसी व्यहि की हगरफ्तारी पर, पुहलस
ऄहधकारी ऐसी हगरफ्तारी के संबधं में और िह स्थान जहां हगरफ्तार हकया
गया व्यहि रखा गया है, हजले में पदाहभहहत पुहलस ऄहधकारी तथा ऄन्य
हजले का ऐसा पहु लस ऄहधकारी जहां हगरफ्तार हकया गया व्यहि
साधारणतया हनिास करता है, को तरु तं जानकारी देगा।
धारा – 83 ईस महजस्रेट द्वारा प्रहिया हजसके समक्ष ऐसे हगरफ्तार हकया गया व्यहि धारा – 81
लाया जाए - (1) यहद हगरफ्तार हकया गया व्यहि वही व्यहि प्रतीत होता है
जो वारंट जारी करने वाले न्यायालय द्वारा अशहयत है तो ऐसा कायण पालक
महजस्रेट या हजला पहु लस ऄधीक्षक या पहु लस अयि ु ईस न्यायालय के पास
ईसे ऄहभरक्षा में भेजने का हनदेश देगा;
परंतु यहद ऄपराध जमानतीय है और ऐसा व्यहि ऐसी जमानतपत्र देने के हलए
तैयार और रजामंद है हजससे ऐसे महजस्रेट, हजला ऄधीक्षक या अयि ु का
समाधान हो जाए या वारंट पर धारा 73 के ऄधीन हनदेश पृष्ठांहकत है और
ऐसा व्यहि ऐसे हनदेश द्वारा ऄपेहक्षत प्रहतभूहत देने के हलए तैयार और रजामंद
है तो वह महजस्रेट, हजला ऄधीक्षक या अयि ु , यथाहस्थहत, ऐसी जमानतपत्र
या प्रहतभूहत लेगा और बंधपत्र ईस न्यायालय को भेज देगा हजसने वारंट जारी
हकया था;
परंतु यह और हक यहद ऄपराध ऄजमानतीय है तो (धारा 480 के ईपबंधों के
ऄधीन रहते हुए) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के हलए, या ईस हजले के हजसमें
हगरफ्तारी की गइ है सेशन न्यायाधीश के हलए धारा 80 की ईपधारा (2) में
हनहदण ष्ट जानकारी और दस्तावेजों पर हवचार करने के पश्चात् ऐसे व्यहि को
छो़ि देना हवहधपूणण होगा।
(2) आस धारा की कोइ बात पहु लस ऄहधकारी को धारा 73 के ऄधीन प्रहतभूहत
लेने से रोकने वाली न समझी जाएगी।
ग- ईद्घोषणा और कुकी
धारा – 84 84. फरार व्यहि के हलए ईद्घोषणा - (1) यहद हकसी न्यायालय को (चाहे धारा – 82
साक्ष्य लेने के पश्चात् या हलए हबना) यह हवश्वास करने का कारण है हक कोइ
व्यहि हजसके हवरुद्ध ईसने वारंट जारी हकया है, फरार हो गया है, या ऄपने
को हछपा रहा है हजससे ऐसे वारंट का हनष्पादन नहीं हकया जा सकता तो ऐसा
न्यायालय ईससे यह ऄपेक्षा करने वाली हलहखत ईद्घोषणा प्रकाहशत कर
सकता है हक वह व्यहि हवहनहदण ष्ट स्थान में और हवहनहदण ष्ट समय पर, जो ईस ई
द्घोषणा के प्रकाशन की तारीख से कम से कम तीस हदन पश्चात् का होगा,
हाहजर हो।
(2) ईद्घोषणा हनमनहलहखत रूप से प्रकाहशत की जाएगी-
(i) (क) वह ईस नगर या ग्राम के , हजसमें ऐसा व्यहि मामल ू ी तौर पर हनवास
करता है, हकसी सहजदृश्य स्थान में सावण जहनक रूप से पढी जाएगी;
(ख) वह ईस गृह या वासस्थान के , हजसमें ऐसा व्यहि मामूली तौर पर हनवास
करता है, हकसी सहजदृश्य भाग पर या ऐसे नगर या ग्राम के हकसी सहजदृश्य
स्थान पर लगाइ जाएगी;
(ग) ईसकी एक प्रहत ईस न्याय सदन के हकसी सहजदृश्य भाग पर लगाइ
जाएगी;
(ii) यहद न्यायालय ठीक समझता है तो वह हनदेश भी दे सकता है हक
ईद्घोषणा की एक प्रहत ईस स्थान में, पररचाहलत हकसी दैहनक समाचारपत्र में
प्रकाहशत की जाए जहां ऐसा व्यहि मामूली तौर पर हनवास करता है।
(3) ईद्घोषणा जारी करने वाले न्यायालय द्वारा यह हलहखत कथन हक ईद्घोषणा
हवहनहदण ष्ट हदन ईपधारा (2) के खंड (i) में हवहनहदण ष्ट रीहत से समयक् रूप से
प्रकाहशत कर दी गइ है, आस बात का हनश्चायक साक्ष्य होगा हक आस धारा की
ऄपेक्षाओं का ऄनपु ालन कर हदया गया है और ईद्घोषणा ईस हदन प्रकाहशत
कर दी गइ थी।
(4) जहां ईपधारा (1) के ऄधीन प्रकाहशत की गइ ईद्घोषणा ऐसे ऄपराध के
ऄहभयि ु व्यहि के संबधं हजसे भारतीय न्याय संहहता, 2023 या तत्समय
प्रििृ हकसी ऄन्य हिहध के ऄधीन दस िषग या ऄहधक के कारािास से या
अजीिन कारािास या मत्ृ यु दण्ड से दण्डनीय बनाया गया है और ऐसा
व्यहि ईद्घोषणा में ऄपेहक्षत हवहनहदण ष्ट स्थान और समय पर ईपहस्थत होने में
ऄसफल रहता है तो न्यायालय, तब ऐसी जांच करने के पश्चात् जैसी वह ठीक
समझता है, ईसे ईद्घोहषत ऄपराधी प्रकट कर सके गा और ईस प्रभाव की
घोषणा कर सके गा।
(5) ईपधारा (2) और ईपधारा (3) के ईपबंध न्यायालय द्वारा ईपधारा (4) के
ऄधीन की गइ घोषणा को ईसी प्रकार लागू होंगे, जैसे वे ईपधारा (1) के
ऄधीन प्रकाहशत ईद्घोषणा को लागू होते हैं।
धारा – 85 फरार व्यहि की संपहि की कुकी - (1) धारा 84 के ऄधीन ईद्घोषणा जारी धारा – 83 कोइ पररवतण न नहीं ।
करने वाला न्यायालय, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, ईद्घोषणा
जारी हकए जाने के पश्चात् हकसी भी समय, ईद्घोहषत व्यहि की जंगम या
स्थावर, या दोनों प्रकार की, हकसी भी संपहत्त की कुकी का अदेश दे सकता
है:
परंतु यहद ईद्घोषणा जारी करते समय न्यायालय का शपथपत्र द्वारा या ऄन्यथा
यह समाधान हो जाता है हक वह व्यहि हजसके संबधं में ईद्घोषणा हनकाली
जानी है-
(क) ऄपनी समस्त संपहत्त या ईसके हकसी भाग का व्ययन करने वाला है, या
(ख) ऄपनी समस्त संपहत्त या ईसके हकसी भाग को ईस न्यायालय की
स्थानीय ऄहधकाररता से हटाने वाला है,
तो वह ईद्घोषणा जारी करने के साथ ही साथ संपहत्त की कुकी का अदेश दे
सकता है।
(2) ऐसा अदेश ईस हजले में, हजसमें वह हदया गया है, ईस व्यहि की हकसी
भी संपहत्त की कुकी प्राहधकृ त करेगा और ईस हजले के बाहर की ईस व्यहि
की हकसी संपहत्त की कुकी तब प्राहधकृ त करेगा जब वह ईस हजला महजस्रेट
द्वारा, हजसके हजले में ऐसी संपहत्त हस्थत है, पृष्ठांहकत कर हदया जाए।
(3) यहद वह संपहत्त हजसको कुकण करने का अदेश हदया गया है, ऊण या ऄन्य
जंगम संपहत्त हो, तो आस धारा के ऄधीन कुकी-
(क) ऄहभग्रहण द्वारा की जाएगी; या
(ख) ररसीवर की हनयहु ि द्वारा की जाएगी; या
(ग) ईद्घोहषत व्यहि को या ईसके हनहमत्त हकसी को भी ईस संपहत्त का
पररदान करने का प्रहतषेध करने वाले हलहखत अदेश द्वारा की जाएगी; या
(घ) आन रीहतयों में से सब या हकन्हीं दो से की जाएगी, जैसा न्यायालय ठीक
समझे।
(4) यहद वह संपहत्त हजसको कुकण करने का अदेश हदया गया है, स्थावर है तो
आस धारा के ऄधीन कुकी राज्य सरकार को राजस्व देने वाली भूहम की दशा में
ईस हजले के कलक्ट्टर के माध्यम से की जाएगी हजसमें वह भहू म हस्थत हैं और
ऄन्य सब दशाओं में, -
(क) कब्जा लेकर की जाएगी; या
(ख) ररसीवर की हनयहु ि द्वारा की जाएगी; या
(ग) ईद्घोहषत व्यहि को या ईसके हनहमत्त हकसी को भी संपहत्त का हकराया देने
या ईस संपहत्त का पररदान करने का प्रहतषेध करने वाले हलहखत अदेश द्वारा
की जाएगी; या
(घ) आन रीहतयों में से सब या हकन्हीं दो से की जाएगी, जैसा न्यायालय ठीक
समझे।
(5) यहद वह संपहत्त हजसको कुकण करने का अदेश हदया गया है, जीवधन है या
हवनश्वर प्रकृ हत की है तो, यहद न्यायालय समीचीन समझता है तो वह ईसके
तरु तं हविय का अदेश दे सकता है और ऐसी दशा में हविय के अगम
न्यायालय के अदेश के ऄधीन रहेंगे।
(6) ईस धारा के ऄधीन हनयि ु ररसीवर की शहियां, कतण व्य और दाहयत्व वे
ही होंगे जो हसहवल प्रहिया संहहता, 1908 (1908 का 5) के ऄधीन हनयि ु
ररसीवर के होते हैं।
धारा – 86 ईद्घोहषत व्यहि के संपहि की पहचान और कुकी - न्यायालय, पुहलस नया जोडा गया
ऄधीक्षक या पुहलस अयुि की पंहि या आससे उपर के हकसी पुहलस
ऄहधकारी से हलहखत ऄनुरोध प्राप्त होने पर ऄध्याय 8 में ईपबंहधत प्रहिया
के ऄनस ु ार हकसी ईद्घोहषत व्यहि से संबहं धत संपहि की पहचान, कुकी
और जब्ती के हलए हकसी न्यायालय या संबहं धत राज्य के हकसी प्राहधकारी
से सहायता का ऄनुरोध करने की प्रहिया का अरंभ करेगी।
धारा – 87 कुकी के बारे में दािे और अपहियां - (1) यहद धारा 85 के ऄधीन कुकण की धारा – 84 कोइ पररवतण न नहीं ।
गइ हकसी संपहत्त के बारे में ईस कुकी की तारीख से छह मास के भीतर कोइ
व्यहि, जो ईद्घोहषत व्यहि से हभन्न है, आस अधार पर दावा या ईसके कुकण
हकए जाने पर अपहत्त करता है हक दावेदार या अपहत्तकताण का ईस संपहत्त में
कोइ हहत है और ऐसा हहत धारा 85 के ऄधीन कुकण नहीं हकया जा सकता तो
ईस दावे या अपहत की अंच की जाएगी, और ईसे पूणणतः या भागतः मंजूर या
नामंजूर हकया जा सकता है :
परंतु आस ईपधारा द्वारा ऄनज्ञ ु ात ऄवहध के ऄंदर हकए गए, हकसी दावे या
अपहत्त को दावेदार या अपहत्तकताण की मृत्यु हो जाने की दशा में ईसके
हवहधक प्रहतहनहध द्वारा चालू रखा जा सकता है।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन दावे या अपहत्तयां ईस न्यायालय में, हजसके द्वारा
कुकी का अदेश जारी हकया गया है, या यहद दावा या अपहत्त ऐसी संपहत्त के
बारे में है जो धारा 85 की ईपधारा (2) के ऄधीन पृष्ठांहकत अदेश के ऄधीन
कुकण की गइ है तो, ईस हजले के , हजसमें कुकी की जाती है मख्ु य न्याहयक
महजस्रेट के न्यायालय में की जा सकती है।
(3) प्रत्येक ऐसे दावे या अपहत्त की जांच ईस न्यायालय द्वारा की जाएगी
हजसमें वह हकया गया या की गइ है :
परंतु यहद वह मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के न्यायालय में हकया गया या की गइ
है तो वह ईसे हनपटारे के हलए ऄपने ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट को दे सकता
है।
(4) कोइ व्यहि, हजसके दावे या अपहत्त को ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश
द्वारा पूणणतः या भागतः नामंजूर कर हदया गया है, ऐसे अदेश की तारीख से
एक वषण की ऄवहध के भीतर, ईस ऄहधकार को हसद्ध करने के हलए, हजसका
दावा वह हववादग्रस्त संपहत्त के बारे में करता है, वाद संहस्थत कर सकता है;
हकं तु वह अदेश ऐसे वाद के , यहद कोइ हो, पररणाम के ऄधीन रहते हुए
हनश्चायक होगा।
धारा – 88 कुकग की हुइ संपहि को हनमगि ु करना, हििय और िापस करना - (1) यहद धारा – 85
ईदद्घ् ोहषत व्यहि ईद्घोषणा में हवहनहदण ष्ट समय के ऄंदर हाहजर हो जाता है तो
न्यायालय संपहत्त को कुकी से हनमण ि ु करने का अदेश देगा।
(2) यहद ईद्घोहषत व्यहि ईद्घोषणा में हवहनहदण ष्ट समय के ऄंदर हाहजर नहीं
होता है तो कुकण संपहत्त, राज्य सरकार के व्ययनाधीन रहेगी, और, ईसका
हविय कुकी की तारीख से छह मास का ऄवसान हो जाने पर तथा धारा 87
के ऄधीन हकए गए हकसी दावे या अपहत्त का ईस धारा के ऄधीन हनपटारा हो
जाने पर ही हकया जा सकता है हकं तु यहद वह शीघ्रतया और प्रकृ त्या क्षयशील
है या न्यायालय के हवचार में हविय करना स्वामी के फायदे के हलए होगा तो
आन दोनों दशाओं में से हकसी में भी न्यायालय, जब कभी ठीक समझे, ईसका
हविय करा सकता है।
(3) यहद कुकी की तारीख से दो वषण के ऄंदर कोइ व्यहि, हजसकी संपहत्त
ईपधारा (2) के ऄधीन राज्य सरकार के व्ययनाधीन है या रही है, ईस
न्यायालय के समक्ष, हजसके अदेश से वह संपहत्त कुकण की गइ थी या ईस
न्यायालय के समक्ष, हजसके ऐसा न्यायालय ऄधीनस्थ है, स्वेच्छा से हाहजर
हो जाता है या पक़ि कर लाया जाता है और ईस न्यायालय को समाधानप्रद
रूप में यह साहबत कर देता है हक वह वारंट के हनष्पादन से बचने के प्रयोजन
से फरार नहीं हुअ या नहीं हछपा और यह हक ईसे ईद्घोषणा की ऐसी सूचना
नहीं हमली थी हजससे वह ईसमें हवहनहदण ष्ट समय के ऄंदर हाहजर हो सकता तो
ऐसी संपहत्त का, या यहद वह हविय कर दी गइ है तो हविय के शद्ध ु अगमों
का, या यहद ईसका के वल कुछ भाग हविय हकया गया है तो ऐसे हविय के
शद्ध
ु अगमों और ऄवहशष्ट संपहत्त का, कुकी के पररणामस्मरूप ईपगत सब
खची को ईसमें से चक ु ा कर, ईसे पररदान कर हदया जाएगा।
धारा – 89 कुकग संपहि की िापसी के हलए अिेदन नामंजूर करने िाले अदेि से धारा – 86
ऄपील - धारा 88 की ईपधारा (3) में हनहदण ष्ट कोइ व्यहि, जो संपहत्त या
ईसके हविय के अगमों के पररदान के आंकार से व्यहथत है, ईस न्यायालय से
ऄपील कर सकता है हजसमें प्रथम ईहललहखत न्यायालय के दंडादेशों से
सामान्यता ऄपीलें होती हैं।
घ- अदेहशकाओं संबधं ी ऄन्य हनयम
धारा – 90 समन के स्थान पर या ईसके ऄहतररि िारंट का जारी हकया जाना- धारा – 87 कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायालय हकसी भी ऐसे मामले में, हजसमें वह हकसी व्यहि की हाहजरी के
हलए समन जारी करने के हलए आस संहहता द्वारा सशि हकया गया है, ऄपने
कारणों को ऄहभहलहखत करने के पश्चात्, ईसकी हगरफ्तारी के हलए वारंट जारी
कर सकता है-
(क) यहद या तो ऐसा समन जारी हकए जाने के पूवण या पश्चात् हकं तु ईसकी
हाहजरी के हलए हनयत समय के पूवण न्यायालय को यह हवश्वास करने का कारण
हदखाइ प़िता है हक वह फरार हो गया है या समन का पालन न करेगा; या
(ख) यहद वह ऐसे समय पर हाहजर होने में ऄसफल रहता है और यह साहबत
कर हदया जाता है हक ईस पर समन की तामील समयक् रूप से ऐसे समय में
कर दी गइ थी हक ईसके तद्नस ु ार हाहजर होने के हलए ऄवसर था और ऐसी
ऄसफलता के हलए कोइ ईहचत प्रहतहेतु नहीं हदया जाता है।
धारा – 91 हाहजरी के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र लेने की िहि- जब कोइ व्यहि, धारा – 88 कोइ पररवतण न नहीं ।
हजसकी हाहजरी या हगरफ्तारी के हलए हकसी न्यायालय का पीठासीन
ऄहधकारी समन या वारंट जारी करने के हलए सशि है, ऐसे न्यायालय में
ईपहस्थत है तब वह ऄहधकारी ईस व्यहि से ऄपेक्षा कर सकता है हक वह ईस
न्यायालय में या हकसी ऄन्य न्यायालय में, हजसको मामला हवचारण के हलए
ऄंतररत हकया जाता है, ऄपनी हाहजरी के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र
हनष्पाहदत करे।
धारा – 92 हाहजरी का बंधपत्र या जमानतपत्र भंग करने पर हगरफ्तारी - जब कोइ धारा – 89 कोइ पररवतण न नहीं ।
व्यहि, जो आस संहहता के ऄधीन हलए गए हकसी बंधपत्र या जमानतपत्र द्वारा
न्यायालय के समक्ष हाहजर होने के हलए अबद्ध है, हाहजर नहीं होता है तब
ईस न्यायालय का पीठासीन ऄहधकारी यह हनदेश देते हुए वारंट जारी कर
सकता है हक वह व्यहि हगरफ्तार हकया जाए और ईसके समक्ष पेश हकया
जाए।
धारा – 93 आस ऄध्याय के ईपबंधो का साधारणतया समनों और हगरफ्तारी के िारंटों धारा – 90 कोइ पररवतण न नहीं ।
को लागू होना-समन और वारंट तथा ईन्हें जारी करने, ईनकी तामील और
ईनके हनष्पादन संबधं ी जो ईपबंध आस ऄध्याय में हैं वे आस संहहता के ऄधीन
जारी हकए गए प्रत्येक समन और हगरफ्तारी के प्रत्येक वारंट को, यथाशक्ट्य
लागू होंगे।
ऄध्याय 7 – चीजें पेि करने को हििि करने के हलए अदेहिकाएं
क-पेि करने के हलए समन
धारा – 94 दस्तािेज या ऄन्य चीज पेि करने के हलए समन - (1) जब कभी कोइ धारा – 91
न्यायालय या पहु लस थाने का कोइ भारसाधक ऄहधकारी यह समझता है हक
हकसी दस्तावेज, आलेक्ट्राहनक संचार, संचार ईपकरणों सहहत, हजसमें
हडजीटल साक्ष्य या ऄन्य चीजे शाहमल होने की समभावना है, का ईत्पादन
अवश्यक या वांछनीय है, आस संहहता के तहत कोइ भी जांच, पूछताछ,
परीक्षण या ऄन्य कायण वाही ऐसे न्यायालय या ऄहधकारी द्वारा ईसके समक्ष
ऐसा न्यायालय समन जारी कर सकता है, या ऐसा ऄहधकारी हलहखत अदेश
द्वारा या तो भौहतक रूप में या आलेक्ट्राहनक रूप में, ईस व्यहि से ऄपेक्षा कर
सकता है, हजस व्यहि या शहि के कब्जे चीज होने का हवश्वास है ईसके नाम
ऐसा न्यायालय समन या पैशा ऄहधकारी एक हलहखत अदेश ईससे यह ऄपेक्षा
करते हुए जारी कर सकता है हक ईस समन या अदेश में ईहललहखत समय
और स्थान पर ईसे पेश करे या हाहजर हो और ईसे पेश करे।
(2) यहद कोइ व्यहि, हजससे आस धारा के ऄधीन दस्तावेज या ऄन्य चीज पेश
करने की ही ऄपेक्षा की गइ हैं, ईसे पेश करने के हलए स्वयं हाहजर होने के
बजाय ईस दस्तावेज या चीज को पेश करवा दें तो यह समझा जाएगा हक
ईसने ईस ऄपेक्षा का ऄनपु ालन कर हदया है।
(3) आस धारा की कोइ बात-
(क) भारतीय साक्ष्य ऄहधहनयम, 2023 की धारा 129 और धारा 130 या
बैंककार बही साक्ष्य ऄहधहनयम, 1891 (1891 का 13) पर प्रभाव डालने
वाली नहीं समझी जाएगी; या
(ख) डाक या तार प्राहधकारी की ऄहभरक्षा में हकसी पत्र, पोस्टकाडण , तार या
ऄन्य दस्तावेज या हकसी पासण ल या चीज को लागू होने वाली नहीं समझी
जाएगी।
धारा – 95 पत्रों के संबधं में प्रहिया - (1) यहद हकसी हजला महजस्रेट मख्ु य न्याहयक धारा – 92 पत्रों और तारो के संबधं में प्रहिया - (1) यहद हकसी हजला महजस्रेट
महजस्रेट, सेशन न्यायालय या ईच्च न्यायालय की राय में हकसी डाक मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, सेशन न्यायालय या ईच्च न्यायालय की राय में
प्राहधकारी की ऄहभरक्षा की कोइ दस्तावेज, पासण ल या चोज आस संहहता के हकसी डाक या तार प्राहधकारी की ऄहभरक्षा की कोइ दस्तावेज, पासण ल या
ऄधीन हकसी ऄन्वेषण, जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही के प्रयोजन के हलए चोज आस संहहता के ऄधीन हकसी ऄन्वेषण, जांच, हवचारण या ऄन्य
चाहहए तो ऐसा महजस्रेट या न्यायालय, यथाहस्थहत, डाक प्राहधकारी से यह कायण वाही के प्रयोजन के हलए चाहहए तो ऐसा महजस्रेट या न्यायालय,
ऄपेक्षा कर सकता है हक ईस दस्तावेज, पासण ल या चीज का पररदान ईस यथाहस्थहत, डाक या तार प्राहधकारी से यह ऄपेक्षा कर सकता है हक ईस
व्यहि को, हजसका वह महजस्रेट या न्यायालय हनदेश दे, कर हदया जाए। दस्तावेज, पासण ल या चीज का पररदान ईस व्यहि को, हजसका वह
(2) यहद हकसी ऄन्य महजस्रेट की, चाहे वह कायण पालक हैं या न्याहयक, या महजस्रेट या न्यायालय हनदेश दे, कर हदया जाए।
हकसी पहु लस अयि ु या हजला पहु लस ऄधीक्षक की राय में ऐसी कोइ (2) यहद हकसी ऄन्य महजस्रेट की, चाहे वह कायण पालक हैं या न्याहयक, या
दस्तावेज, पासण ल या चीज ऐसे हकसी प्रयोजन के हलए चाहहए तो बह, हकसी पहु लस अयि ु या हजला पहु लस ऄधीक्षक की राय में ऐसी कोइ
यथाहस्थहत, डाक प्राहधकारी से ऄपेक्षा कर सकता है हक वह ऐसी दस्तावेज, दस्तावेज, पासण ल या चीज ऐसे हकसी प्रयोजन के हलए चाहहए तो बह,
पासण ल या चीज के हलए तलाशी कराए और ईसे ईपधारा (1) के ऄधीन हजला यथाहस्थहत, डाक या तार प्राहधकारी से ऄपेक्षा कर सकता है हक वह ऐसी
महजस्रेट, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या न्यायालय के अदेशों के हमलने तक दस्तावेज, पासण ल या चीज के हलए तलाशी कराए और ईसे ईपधारा (1) के
हनरुद्ध रखे। ऄधीन हजला महजस्रेट, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या न्यायालय के अदेशों
के हमलने तक हनरुद्ध रखे।
ख-तलाशी-वारंट
धारा – 96 तलािी-िारंट कब जारी हकया जा सकता है- (1) जहां- धारा – 93 तलािी-िारंट कब जारी हकया जा सकता है- (1) जहां-
(क) हकसी न्यायालय को यह हवश्वास करने का कारण है हक वह व्यहि, (क) हकसी न्यायालय को यह हवश्वास करने का कारण है हक वह व्यहि,
हजसको धारा 94 के ऄधीन समन या अदेश या धारा 95 को ईपधारा (1) के हजसको धारा 91 के ऄधीन समन या अदेश या धारा 92 की ईपधारा (1)
ऄधीन ऄपेक्षा संबोहधत की गइ है या की जाती है, ऐसे समन या ऄपेक्षा द्वारा के ऄधीन ऄपेक्षा संबोहधत की गइ है या की जाती है, ऐसे समन या ऄपेक्षा
यथा ऄपेहक्षत दस्तावेज या चीज पेश नहीं करेगा या हो सकता है हक पेश न द्वारा यथा ऄपेहक्षत दस्तावेज या चीज पेश नहीं करेगा या हो सकता है हक
करे; या पेश न करे; या
(ख) ऐसी दस्तावेज या चीज के बारे में न्यायालय को यह ज्ञात नहीं है हक वह (ख) ऐसी दस्तावेज या चीज के बारे में न्यायालय को यह ज्ञात नहीं है हक
हकसी व्यहि के कब्जे में है; या वह हकसी व्यहि के कब्जे में है; या
(ग) न्यायालय यह समझता है हक आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण (ग) न्यायालय यह समझता है हक आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच,
या ऄन्य कायण वाही के प्रयोजनों की पूहतण साधारण तलाशी या हनरीक्षण से होगी, हवचारण या ऄन्य कायण वाही के प्रयोजनों की पूहतण साधारण तलाशी या
वहां वह तलाशी वारंट जारी कर सकता है; और वह व्यहि, हजसे ऐसा वारंट हनरीक्षण से होगी,
हनहदष्ट है, ईसके ऄनसु ार और आसमें आसके पश्चात् ऄंतहवण ष्ट ईपबंधों के ऄनस
ु ार वहां वह तलाशी वारंट जारी कर सकता है; और वह व्यहि, हजसे ऐसा
तलाशी ले सकता है या हनरीक्षण कर सकता है। वारंट हनहदष्ट है, ईसके ऄनस ु ार और आसमें आसके पश्चात् ऄंतहवण ष्ट ईपबंधों
(2) यहद, न्यायालय ठीक समझता है, तो वह वारंट में ईस हवहशष्ट स्थान या के ऄनस ु ार तलाशी ले सकता है या हनरीक्षण कर सकता है।
ईसके भाग को हवहनहदण ष्ट कर सकता है और के वल ईसी स्थान या भाग की (2) यहद, न्यायालय ठीक समझता है, तो वह वारंट में ईस हवहशष्ट स्थान या
तलाशी या हनरीक्षण होगा; तथा वह व्यहि, हजसकी ऐसे वारंट के हनष्पादन का ईसके भाग को हवहनहदण ष्ट कर सकता है और के वल ईसी स्थान या भाग की
भार सौंपा जाता है, के वल ईसी स्थान या भाग की तलाशी लेगा या हनरीक्षण तलाशी या हनरीक्षण होगा; तथा वह व्यहि, हजसकी ऐसे वारंट के हनष्पादन
करेगा, जो ऐसे हवहनहदण ष्ट है। का भार सौंपा जाता है, के वल ईसी स्थान या भाग की तलाशी लेगा या
(3) आस धारा की कोइ बात हजला महजस्रेट या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट से हनरीक्षण करेगा, जो ऐसे हवहनहदण ष्ट है।
हभन्न हकसी महजस्रेट को डाक प्राहधकारी की ऄहभरक्षा में हकसी दस्तावेज, (3) आस धारा की कोइ बात हजला महजस्रेट या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट से
पासण ल या ऄन्य चीज की तलाशी के हलए वारंट जारी करने के हलए प्राहधकृ त हभन्न हकसी महजस्रेट को डाक या तार प्राहधकारी की ऄहभरक्षा में हकसी
नहीं करेगी। दस्तावेज, पासण ल या ऄन्य चीज की तलाशी के हलए वारंट जारी करने के
हलए प्राहधकृ त नहीं करेगी ।
धारा – 97 ईस स्थान की तलािी, हजसमें चुराइ हुइ संपहि, कूटरहचत दस्तािेज धारा – 94 ईस स्थान की तलािी, हजसमें चुराइ हुइ संपहि, कूटरहचत दस्तािेज
अहद होने का संदेह -(1) यहद हजला महजस्रेट, ईपखंड महजस्रेट या प्रथम अहद होने का संदेह -(1) यहद हजला महजस्रेट, ईपखंड महजस्रेट या
वगण महजस्रेट को आहत्तला हमलने पर और ऐसी जांच के पश्चात् जैसी वह प्रथम वगण महजस्रेट को आहत्तला हमलने पर और ऐसी जांच के पश्चात् जैसी
अवश्यक समझे, यह हवश्वास करने का कारण है हक कोइ स्थान चरु ाइ हुइ वह अवश्यक समझे, यह हवश्वास करने का कारण है हक कोइ स्थान चरु ाइ
संपहत्त के हनक्षेप या हविय के हलए या हकसी ऐसी अपहत्तजनक वस्तु के , हुइ संपहत्त के हनक्षेप या हविय के हलए या हकसी ऐसी अपहत्तजनक वस्तु
हजसको यह धारा लागू होती है, हनक्षेप, हविय या ईत्पादन के हलए ईपयोग में के , हजसको यह धारा लागू होती है, हनक्षेप, हविय या ईत्पादन के हलए
लाया जाता है, या कोइ ऐसी अपहत्तजनक वस्तु हकसी स्थान में हनहक्षप्त है, तो ईपयोग में लाया जाता है, या कोइ ऐसी अपहत्तजनक वस्तु हकसी स्थान में
वह कांस्टेबल की पंहि से उपर के हकसी पहु लस ऄहधकारी को वारंट द्वारा यह हनहक्षप्त है, तो वह कांस्टेबल की पंहि से उपर के हकसी पहु लस ऄहधकारी
प्राहधकार दे सकता है हक वह- को वारंट द्वारा यह प्राहधकार दे सकता है हक वह-
(क) ईस स्थान में ऐसी सहायता के साथ, जैसी अवश्यक हो, प्रवेश करे; (क) ईस स्थान में ऐसी सहायता के साथ, जैसी अवश्यक हो, प्रवेश करे;
(ख) वारंट में हवहनहदण ष्ट रीहत से ईसकी तलाशी ले; (ख) वारंट में हवहनहदण ष्ट रीहत से ईसकी तलाशी ले;
(ग) वहां पाइ गइ हकसी भी संपहत्त या वस्तु को, हजसके चरु ाइ हुइ संपहत्त या (ग) वहां पाइ गइ हकसी भी संपहत्त या वस्तु को, हजसके चरु ाइ हुइ संपहत्त
ऐसी अपहत्तजनक वस्त,ु हजसको यह धारा लागू होती है, होने का ईसे ईहचत या ऐसी अपहत्तजनक वस्त,ु हजसको यह धारा लागू होती है, होने का ईसे
संदेह है, कब्जे में ले; ईहचत संदेह है, कब्जे में ले;
(घ) ऐसी संपहत्त या वस्तु को महजस्रेट के पास ले जाए या ऄपराधी को (घ) ऐसी संपहत्त या वस्तु को महजस्रेट के पास ले जाए या ऄपराधी को
महजस्रेट के समक्ष ले जाने तक ईसको ईसी स्थान पर पहरे में रखे या महजस्रेट के समक्ष ले जाने तक ईसको ईसी स्थान पर पहरे में रखे या
ऄन्यथा ईसे हकसी सरु हक्षत स्थान में रखे; ऄन्यथा ईसे हकसी सरु हक्षत स्थान में रखे;
(ङ) ऐसे स्थान में पाए गए ऐसे प्रत्येक व्यहि को ऄहभरक्षा में ले और महजस्रेट (ङ) ऐसे स्थान में पाए गए ऐसे प्रत्येक व्यहि को ऄहभरक्षा में ले और
के समक्ष ले जाए, हजसके बारे में प्रतीत हो हक वह हकसी ऐसी संपहत्त या वस्तु महजस्रेट के समक्ष ले जाए, हजसके बारे में प्रतीत हो हक वह हकसी ऐसी
के हनक्षेप, हविय या ईत्पादन में यह जानते हुए या संदेह करने का ईहचत संपहत्त या वस्तु के हनक्षेप, हविय या ईत्पादन में यह जानते हुए या संदेह
कारण रखते हुए संसगी रहा है हक, यथाहस्थहत, वह चरु ाइ हुइ संपहत्त है या करने का ईहचत कारण रखते हुए संसगी रहा है हक, यथाहस्थहत, वह चरु ाइ
एसी अपहत्तजनक वस्तु है, हजसको यह धारा लागू होती है। हुइ संपहत्त है या एसी अपहत्तजनक वस्तु है, हजसको यह धारा लागू होती
(2) वे अपहत्तजनक वस्तएु ,ं हजनको यह धारा लागू होती है, हनमनहलहखत हैं- है।
(क) कूटकृ त हसक्ट्का; (2) वे अपहत्तजनक वस्तएु ,ं हजनको यह धारा लागू होती है, हनमनहलहखत
(ख) हसक्ट्का हनमागण ऄहधहनयम, 2011 (2011 का 11) के ईललंघन में हैं-
बनाए गए या सीमाशलु क ऄहधहनयम, 1962 (1962 का 52) की धारा 11 के (क) कूटकृ त हसक्ट्का;
ऄधीन तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄहधसूचना के ईललंघन में भारत में लाए गए (ख) धातु टोकन ऄहधहनयम 1889 (1889 का 1) के ईललंघन में बनाए गए
धात-ु खंड; या सीमाशलु क ऄहधहनयम, 1962 (1962 का 52) की धारा 11 के ऄधीन
(ग) कूटकृ त करेंसी नोट; कूटकृ त स्टामप; तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄहधसूचना के ईललंघन में भारत में लाए गए धात-ु
(घ) कूटरहचत दस्तावेज; खंड;
(ड) नकली मद्रु ाएं: (ग) कूटकृ त करेंसी नोट; कूटकृ त स्टामप;
(च) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 294 में हनहदण ष्ट ऄश्लील वस्तएु ;ं (घ) कूटरहचत दस्तावेज;
(छ) खंड (क) से (च) तक के खंडों में ईहललहखत वस्तओ ु ं में से हकसी के (ड) नकली मद्रु ाएं:
ईत्पादन के हलए प्रयिु ईपकरण या सामग्री। (च) भारतीय दण्ड संहहता, 1860 की धारा 292 में हनहदण ष्ट ऄश्लील वस्तएु ;ं
(छ) खंड (क) से (च) तक के खंडों में ईहललहखत वस्तओ ु ं में से हकसी के
ईत्पादन के हलए प्रयिु ईपकरण या सामग्री।
धारा – 98 98. कुछ प्रकािनों के समपहत होने की घोषणा करने और ईनके हलए धारा – 95
तलािी-िारंट जारी करने की िहि - (1) जहां, राज्य सरकार को प्रतीत
होता है हक—
(क) हकसी समाचारपत्र या पस्ु तक में; या
(ख) हकसी दस्तावेज में;
चाहे वह कहीं भी महु दत हुइ हो, कोइ ऐसी बात ऄंतहवण ष्ट है हजसका प्रकाशन
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 152 या धारा 196 या धारा 197
या धारा 294 या धारा 295 या धारा 299 के ऄधीन दंडनीय है, वहां राज्य
सरकार ऐसी बात ऄंतहवण ष्ट करने वाले समाचारपत्र के ऄंक की प्रत्येक प्रहत का
और ऐसी पस्ु तक या ऄन्य दस्तावेज की प्रत्येक प्रहत का सरकार के पक्ष में
समपहरण कर हलए जाने की घोषणा, ऄपनी राय के अधारों का कथन करते
हुए, ऄहधसूचना द्वारा कर सकती है और तब भारत में, जहां भी वह हमले, कोइ
भी पहु लस ऄहधकारी ईसे ऄहभगृहीत कर सकता है और कोइ महजस्रेट, ईप-
हनरीक्षक से ऄहनमन पंहि के हकसी पहु लस ऄहधकारी को, हकसी ऐसे पररसर
में, जहां ऐसे हकसी ऄंक की कोइ प्रहत या ऐसी कोइ पस्ु तक या ऄन्य दस्तावेज
है या ईसके होने का ईहचत संदेह है, प्रवेश करने और ईसके हलए तलाशी लेने
के हलए वारंट द्वारा प्राहधकृ त कर सकता है।
(2) आस धारा में और धारा 99 में-
(क) "समाचारपत्र" और "पस्ु तक" के वे ही ऄथण होंगे, जो प्रेस और पस्ु तक
रहजस्रीकरण ऄहधहनयम, 1867 (1867 का 25) में हैं,
(ख) "दस्तावेज" के ऄंतगण त रंगहचत्र, रेखाहचत्र या फोटोहचत्र या ऄन्य
दृश्यरूपण भी हैं।
(3) आस धारा के ऄधीन पाररत हकसी अदेश या की गइ हकसी कारणवाइ को
हकसी न्यायालय में धारा 99 के ईपबंधों के ऄनस ु ार ही प्रश्नगत हकया जाएगा
ऄन्यथा नहीं।
धारा – 99 99. समपहरण की घोषणा को ऄपास्त करने के हलए ईच्च न्यायालय में धारा – 96
अिेदन- (1) हकसी ऐसे समाचारपत्र, पस्ु तक या ऄन्य दस्तावेज में, हजसके
बारे में धारा 98 के ऄधीन समपहरण की घोषणा की गइ है, कोइ हहत रखने
वाला कोइ व्यहि ईस घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से दो मास के
भीतर ईस घोषणा को आस अधार पर ऄपास्त कराने के हलए ईच्च न्यायालय
में अवेदन कर सकता है हक समाचारपत्र के ईस ऄंक या ईस पस्ु तक या ऄन्य
दस्तावेज में, हजसके बारे में वह घोषणा की गइ थी, कोइ ऐसी बात ऄंतहवण ष्ट
नहीं है, जो धारा 98 की ईपधारा (1) हनहदण ष्ट है।
(2) जहां ईच्च न्यायालय में तीन या ऄहधक न्यायाधीश हैं, वहां ऐसा प्रत्येक
अवेदन ईच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों से बनी हवशेष न्यायपीठ द्वारा
सनु ा और ऄवधाररत हकया जाएगा और जहां ईच्च न्यायालय में तीन से कम
न्यायाधीश हैं वहां ऐसी हवशेष न्यायपीठ में ईस ईच्च न्यायालय के सब
न्यायाधीश होंगे।
(3) हकसी समाचारपत्र के संबधं में ऐसे हकसी अवेदन की सनु वाइ में, ईस
समाचारपत्र में, हजसकी बाबत समपहरण की घोषणा की गइ थी, ऄंतहवण ष्ट
शब्दों, हचह्नों या दृश्यरूपणों की प्रकृ हत या प्रवृहत्त के सबूत में सहायता के हलए
ईस समाचारपत्र की कोइ प्रहत साक्ष्य में दी जा सकती है।
(4) यहद ईच्च न्यायालय का आस बारे में समाधान नहीं होता है हक समाचारपत्र
के ईस ऄंक में या ईस पस्ु तक या ऄन्य दस्तावेज में, हजसके बारे में वह
अवेदन हकया गया है, कोइ ऐसी बात ऄंतहवण ष्ट है जो धारा 98 की ईपधारा (1)
में हनहदण ष्ट है, तो वह समपहरण की घोषणा को ऄपास्त कर देगा।
(5) जहां ईन न्यायाधीशों में, हजनसे हवशेष न्यायपीठ बनी है, मतभेद है वहां
हवहनश्चय ईन न्यायाधीशों की बहुसंख्या की राय के ऄनस ु ार होगा।
धारा – 100 सदोष परररुद्ध व्यहियों के हलए तलािी - यहद हकसी हजला महजस्रेट, धारा – 97 कोइ पररवतण न नहीं ।
ईपखंड महजस्रेट वा प्रथम वगण महजस्रेट को यह हवश्वास करने का कारण है
हक कोइ व्यहि ऐसी पररहस्थहतयों में परररुद्ध है, हजनमें वह परररोध ऄपराध
की कोहट में अता है, तो वह तलाशी वारंट जारी कर सकता है और वह व्यहि,
हजसको ऐसा वारंट हनहदष्ट हकया जाता है, ऐसे परररुद्ध व्यहि के हलए तलाशी
ले सकता है, और ऐसी तलाशी तद्नस ु ार ही ली जाएगी और यहद वह व्यहि
हमल जाए, तो ईसे तरु तं महजस्रेट के समक्ष ले जाया अएगा जो ऐसा अदेश
करेगा जैसा ईस मामले की पररहस्थहतयों में ईहचत प्रतीत हो।
धारा – 101 ऄपरृत हस्त्रयों को िापस करने के हलए हििि करने की िहि-हकसी महहला धारा – 98 ऄपरृत हस्त्रयों को िापस करने के हलए हििि करने की िहि- हकसी
या हकसी बाहलका के हकसी हवहधहवरुद्ध प्रयोजन के हलए ऄपरृत हकए जाने महहला या 18 िषग से कम अयु की हकसी बाहलका के हकसी हवहधहवरुद्ध
या हवहधहवरुद्ध हनरुद्ध रखे जाने का शपथ पर पररवाद हकए जाने की दशा में प्रयोजन के हलए ऄपरृत हकए जाने या हवहधहवरुद्ध हनरुद्ध रखे जाने का
हजला महजस्रेट, ईपखंड महजस्रेट या प्रथम वगण महजस्रेट यह अदेश कर शपथ पर पररवाद हकए जाने की दशा में हजला महजस्रेट, ईपखंड महजस्रेट
सकता है हक ईस महहला को तरु तं स्वतंत्र हकया जाए या वह बाहलका ईसके या प्रथम वगण महजस्रेट यह अदेश कर सकता है हक ईस महहला को तरु तं
माता-हपता, संरक्षक या ऄन्य व्यहि को, जो ईस बाहलका का हवहधपूणण स्वतंत्र हकया जाए या वह बाहलका, ईसके पहत, ईसके माता-हपता, संरक्षक
भारसाधक है, तरु तं वापस कर दी जाए और ऐसे अदेश का ऄनपु ालन ऐसे या ऄन्य व्यहि को, जो ईस बाहलका का हवहधपूणण भारसाधक है, तरु तं
बल के प्रयोग द्वारा, जैसा अवश्यक हो, करा सकता है। वापस कर दी जाए और ऐसे अदेश का ऄनपु ालन ऐसे बल के प्रयोग द्वारा,
जैसा अवश्यक हो, करा सकता है।
ग- तलाशी समबन्धी साधारण ईपबंध
धारा – 102 तलािी-िारंटों का हनदेिन अहद- धारा 32, धारा 72, धारा 74, धारा 76, धारा – 99
धारा 79, धारा 80 और धारा 81 के ईपबंध, जहां तक हो सके , ईन सब
तलािी िारंटों को लागू होंगे जो धारा 96, धारा 97, धारा 98 या धारा
100 के ऄधीन जारी हकए जाते हैं।
धारा – 103 बंद स्थान के भारसाधक व्यहि तलािी लेने देंग-े (1) जब कभी आस ऄध्याय धारा –
के ऄधीन तलाशी हलए जाने या हनरीक्षण हकए जाने वाला कोइ स्थान बंद है 100
तब ईस स्थान में हनवास करने वाला या ईसका भारसाधक व्यहि ईस
ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि की, जो वारंट का हनष्पादन कर रहा है, मांग पर
और वारंट के पेश हकए जाने पर ईसे ईसमें ऄबाध प्रवेश करने देगा और वहां
तलाशी लेने के हलए सब ईहचत सहु वधाएं देगा।
(2) यहद ईस स्थान में आस प्रकार प्रवेश प्राप्त नहीं हो सकता है तो वह
ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि, जो वारंट का हनष्पादन कर रहा है धारा 44 को
ईपधारा (2) द्वारा ईपबंहधत रीहत से कायण वाही कर सके गा।
(3) जहां हकसी ऐसे व्यहि के बारे में, जो ऐसे स्थान में या ईसके असपास है,
ईहचत रूप से यह संदेह हकया जाता है हक वह ऄपने शरीर पर कोइ ऐसी वस्तु
हछपाए हुए है हजसके हलए तलाशी ली जानी चाहहए तो ईस व्यहि की तलाशी
ली जा सकती है और यहद वह व्यहि महहला है, तो तलाशी हशष्टता का पूणण
ध्यान रखते हुए ऄन्य महहला द्वारा ली जाएगी।
(4) आस ऄध्याय के ऄधीन तलाशी लेने के पवू ण ऐसा ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि,
जब तलाशी लेने ही वाला हो, तलाशी में हाहजर रहने और ईसके साक्षी बनने
के हलए ईस महु लले के , हजसमें तलाशी हलया जाने वाला स्थान है, दो या
ऄहधक स्वतंत्र और प्रहतहष्ठत हनवाहसयों को या यहद ईि महु लले का ऐसा कोइ
हनवासी नहीं हमलता है या ईस तलाशी का साक्षी होने के हलए रजामंद नहीं है
तो हकसी ऄन्य महु लले के ऐसे हनवाहसयों को बल ु ाएगा और ईनको या ईनमें से
हकसी को ऐसा करने के हलए हलहखत अदेश जारी कर सके गा।
(5) तलाशी ईनकी ईपहस्थहत में ली जाएगी और ऐसे तलाशी के ऄनि ु म में
ऄहभगृहीत सब चीजों की और हजन-हजन स्थानों में वे पाइ गइ हैं ईनकी सूची
ऐसे ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि द्वारा तैयार की जाएगी और ऐसे साहक्षयों द्वारा
ईस पर हस्ताक्षर हकए जाएंग,े हकं तु आस धारा के ऄधीन तलाशी के साक्षी बनने
वाले हकसी व्यहि से, तलाशी के साक्षी के रूप में न्यायालय में हाहजर होने की
ऄपेक्षा ईस दशा में ही की जाएगी जब वह न्यायालय द्वारा हवशेष रूप से समन
हकया गया हो।
(6) तलाशी हलए जाने वाले स्थान के ऄहधभोगी को या ईसकी ओर से हकसी
व्यहि को तलाशी के दौरान हाहजर रहने की ऄनज्ञ ु ा प्रत्येक दशा में दी जाएगी
और आस धारा के ऄधीन तैयार की गइ ईि साहक्षयों द्वारा हस्ताक्षररत सूची की
एक प्रहतहलहप ऐसे ऄहधभोगी या ऐसे व्यहि को पररदत्त की जाएगी।
(7) जब हकसी व्यहि की तलाशी ईपधारा (3) के ऄधीन ली जाती है तब
कब्जे में ली गइ सब चीजों सूची तैयार की जाएगी और ईसकी एक प्रहतहलहप
ऐसे व्यहि को पररदत्त की जाएगी।
(8) कोइ व्यहि जो आस धारा के ऄधीन तलाशी में हाहजर रहने और साक्षी
बनने के हलए ऐसे हलहखत अदेश द्वारा, जो ईसे पररदत्त या हनहवदत्त हकया
गया है, बल ु ाए जाने पर, ऐसा करने से ईहचत कारण के हबना आंकार या ईसमें
ईपेक्षा करेगा, ईसके बारे में यह समझा जाएगा हक ईसने भारतीय न्याय
संहहता, 2023 की धारा 222 के ऄधीन ऄपराध हकया है।
धारा – 104 ऄहधकाररता के परे तलािी में पाइ गइ चीजों का व्ययन-जब तलाशी वारंट धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
को हकसी ऐसे स्थान में हनष्पाहदत करने में, जो ईस न्यायालय की हजसने ईसे 101
जारी हकया है, स्थानीय ऄहधकाररता से परे है, ईन चीजों में से, हजनके हलए
तलाशी ली गइ है, कोइ चीजे पाइ जाएं तब वे चीजें, आसमें आसके पश्चात्
ऄंतहवण ष्ट ईपबंधों के ऄधीन तैयार की गइ, ईनकी सूची के सहहत ईस
न्यायालय के समक्ष, हजसने वारंट जारी हकया था तरु तं ले जाइ जाएंगी हकं तु
यहद वह स्थान ऐसे न्यायालय की ऄपेक्षा ईस महजस्रेट के ऄहधक समीप है,
जो वहां ऄहधकाररता रखता है, तो सूची और चीजें ईस महजस्रेट के समक्ष
तरु तं ले जाइ जाएंगी और जब तक तत्प्रहतकूल ऄच्छा कारण न हो, वह
महजस्रेट ईन्हें ऐसे न्यायालय के पास ले जाने के हलए प्राहधकृ त करने का
अदेश देगा।
घ-प्रकीणण
धारा – 105 श्रव्य-दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से तलािी और ऄहभग्रहण का नया जोडा गया ।
ऄहभलेख करना - आस ऄध्याय या धारा 185 के ऄधीन हकसी संपहि, िस्तु
या चीज के स्थान की तलािी करने या कब्जे में लेने की प्रहिया हजसके
ऄन्तगगत ऐसे तलािी और ऄहभग्रहण के ऄनुिम में सभी ऄहभगहृ ीत
िस्तुओ ं की सूची तैयार करना और साहक्षयों द्वारा ऐसी सूची पर हस्ताक्षर
करना हकसी श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से मोबाआल फोन
को िरीयता देते हुए ऄहभहलहखत हकया जाएगा और पुहलस ऄहधकारी देर
हकए हबना यथाहस्थहत हजला महजस्रेट, ईपखंड महजस्रेट या प्रथम िगग
न्याहयक महजस्रेट को ऐसे ऄहभलेखन को भेजेगा।
धारा – 106 कुछ संपहि को ऄहभगहृ ीत करने की पुहलस ऄहधकारी की िहि (1) कोइ धारा –
पहु लस ऄहधकारी हकसी ऐसी संपहत्त को, ऄहभगृहीत कर सकता है हजसके बारे 102
में यह ऄहभकथन या संदेह है हक वह चरु ाइ हुइ है या जो ऐसी पररहस्थहतयों में
पाइ जाती है, हजनसे हकसी ऄपराध के हकए जाने का संदेह हो।
(2) यहद ऐसा पहु लस ऄहधकारी पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी के
ऄधीनस्थ है तो वह ईस ऄहधग्रहण की ररपोटण ईस ऄहधकारी को तत्काल देगा।
(3) ईपधारा (1) के ऄधीन कायण करने वाला प्रत्येक पहु लस ऄहधकारी
ऄहधकाररता रखने वाले महजस्रेट को ऄहभग्रहण की ररपोटण तरु तं देगा और
जहां ऄहभगृहीत संपहत्त ऐसी है हक वह सगु मता से व्यायालय में नहीं लाइ जा
सकती है या जहां ऐसी संपहत्त की ऄहभरक्षा के हलए ईहचत स्थान प्राप्त करने में
कहठनाइ है, या जहां ऄन्वेषण के प्रयोजन के हलए संपहत्त को पहु लस ऄहभरक्षा
में हनरंतर रखा जाना अवश्यक नहीं समझा जाता है वहां वह ईस संपहत्त को
हकसी ऐसे व्यहि की ऄहभरक्षा में देगा जो यह वचनबंध करते हुए बंधपत्र
हनष्पाहदत करे हक वह संपहत्त को जब कभी ऄपेक्षा की जाए तब न्यायालय के
समक्ष पेश करेगा और ईसके व्ययन की बाबत न्यायालय के ऄहतररि अदेशों
का पालन करेगा :
परंतु जहां ईपधारा (1) के ऄधीन ऄहभगृहीत की गइ संपहत्त शीघ्रतया और
प्रकृ त्या क्षयशील हो और यहद ऐसी संपहत्त के कब्जे का हकदार व्यहि ऄज्ञात
है या ऄनपु हस्थत है और ऐसी संपहत्त का मूलय पांच सौ रुपए से कम है, तो
ईसका पहु लस ऄधीक्षक के अदेश से तत्काल नीलामी द्वारा हविय हकया जा
सके गा धारा 503 और धारा 504 के ईपबंध, यथासाध्य हनकटतम रूप में,
ऐसे हविय के शद्ध ु अगमों को लागू होंगे।
धारा – 107 संपहि की कुकी, जब्ती या िापसी - (1) जहां कोइ पुहलस ऄहधकारी को नया जोडा गया ।
ऄन्िेषण करते समय यह हिश्वास करने का कारण है हक कोइ संपहि
प्रत्यक्षतः या ऄप्रत्यक्षतः हकसी ऄपराधी हियाकलाप के पररणामस्िरूप
या हकसी ऄपराध के काररत करने से व्युत्पन्न होती है या प्राप्त की जाती है
तो िह, यथाहस्थहत, पुहलस ऄधीक्षक या पुहलस अयुि के ऄनुमोदन से
ऐसी संपहि की कुकी के हलए मामले का हिचारण करने के हलए ऄपराध
का संज्ञान करने या सुपुदग करने के हलए ऄहधकाररता का प्रयोग करने िाले
न्यायालय या महजस्रेट को, अिेदन दे सके गा।
(2) यहद न्यायालय या महजस्रेट को साक्ष्य लेने के पूिग या पश्चात् यह
हिश्वास करने का कारण है हक सभी या ऐसी संपहियों में से कोइ ऄपराध
के हलए प्रयुि की जाती है तो न्यायालय या महजस्रेट ऐसे व्यहि को चौदह
हदनों के भीतर कारण दहिगत करने के हलए नोहटस जारी कर सके गा हक
क्ट्यों न कुकी का अदेि की जाए।
(3) जहां ईपधारा (2) के ऄधीन हकसी व्यहि को जारी हकया गया नोहटस
हकसी सभपहि को हिहनहदगष्ट करता है जो हक हकसी ऐसे व्यहि के हनहमि
हकसी ऄन्य व्यहि द्वारा धाररत की जा रही है तो ऐसे नोहटस की एक प्रहत
ऐसे ऄन्य व्यहि को भी तामील की जा सके गी।
(4) न्यायालय या महजस्रेट, स्पष्टीकरण, यहद कोइ हो, पर हिचार करने के
पश्चात् ईपधारा (2) के ऄधीन कारण बताओ नोहटस जारी कर सके गा और
ऐसे न्यायालय या महजस्रेट के समक्ष ईपलब्ध ताहत्िक त्य को तथा ऐसे
व्यहि या व्यहियों को युहियुि सुनिाइ का ऄिसर देने के पश्चात् ऐसी
संपहियों के संबधं में, जो ऄपराध का अगम होना पाइ जाती है, कुकी का
अदेि पाररत कर सके गा :
परंतु यहद ऐसा व्यहि कारण बताओ नोहटस में हिहनहदगष्ट चौदह हदनों की
ऄिहध के भीतर न्यायालय या महजस्रेट के समक्ष ईपहस्थत नहीं होता है
या न्यायालय या महजस्रेट एकपक्षीय अदेि पाररत कर सके गा।
(5) ईपधारा (2) ऄंतहिगष्ट हकसी बात के होते हुए भी, यहद न्यायालय या
महजस्रेट की यह राय है हक ईि ईपधारा के ऄधीन नोहटस के जारी होने
से कुकी या ऄहधग्रहण का ईद्देश्य हिफल हो जाएगा तो नयायालय या
महजस्रेट ऐसी संपहि की सीधे कुकी या ऄहधग्रहण का एक पक्षीय ऄंतररम
अदेि पाररत कर सके गा और ऐसा अदेि ईपधारा (6) के ऄधीन अदेि
पाररत करने तक प्रिि ृ रहेगा।
(6) यहद न्यायालय या महजस्रेट यह पाता है हक कुकी या ऄहभगहृ ीत
संपहि ऄपराध का अगम है तो न्यायालय या महजस्रेट अदेि द्वारा
हजला महजस्रेट को ऐसे व्यहियों को, जो ऐसे नहीं समझा जाता है िहां
िह ईस संपहत को हकसी ऐसे व्यहि की ऄहभरक्षा में देगा जो यह िचनबंध
करते हुए बंधपत्र हनष्पाहदत करे हक िह संपहि को जब कभी ऄपेक्षा की
जाए तब न्यायालय के समक्ष पेि करेगा और ईसके व्ययन की बाबत
न्यायालय के ऄहतररि अदेिों का पालन करेगा :
परंतु जहां ईपधारा (1) के ऄधीन ऄहभगहृ ीत की गइ संपहि िीघ्रतया और
प्रकृत्या स्ियिील हो और यहद ऐसी संपहि के कब्जे का हकदार व्यहि
ऄज्ञात है या ऄनुपहस्थत है और ऐसी संपहि का मूल्य पांच सौ रुपए से
कम है, तो ईसका पुहलस ऄधीक्षक के अदेि से तत्काल नीलामी द्वारा
हििय हकया जा सके गा धारा 503 और धारा 504 के ईपबंध, यथासाध्य
हनकटतम रूप में, ऐसे हििय के िुद्ध अगमों को लागू होंगे।
धारा – 108 महजस्रेट ऄपनी ईपहस्थहत में तलािी ली जाने का हनदेि दे सकता है- धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
कोइ महजस्रेट हकसी स्थान की, हजसकी तलाशी के हलए वह तलाशी वारंट 103
जारी करने के हलए सक्षम है, ऄपनी ईपहस्थहत में तलाशी ली जाने का हनदेश
दे सकता है।
धारा – 109 पेि की गइ दस्तािेज अहद, को पररबद्ध करने की िहि- यहद कोइ धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायालय ठीक समझता है, तो वह हकसी दस्तावेज या चीज को, जो आस 104
संहहता के ऄधीन ईसके समक्ष पेश की गइ है, पररबद्ध कर सकता है।
धारा – 110 अदेहिकाओं के बारे में व्यहतकारी व्यिस्था (1) जहां ईन राज्यक्षेत्रों का धारा –
कोइ न्यायालय, हजन पर आस संहहता का हवस्तार है (हजन्हें आसके पश्चात् आस 105
धारा में ईि राज्यक्षेत्र कहा गया है) यह चाहता है हक-
(क) हकसी ऄहभयि ु व्यहि के नाम हकसी समन की; या
(ख) हकसी ऄहभयि ु व्यहि की हगरफ्तारी के हलए हकसी वारंट की; या
(ग) हकसी व्यहि के नाम यह ऄपेक्षा करने वाले ऐसे हकसी समन की हक वह
हकसी दस्तावेज या ऄन्य चीज को पेश करे, या हाहजर हो और ईसे पेश करे;
या
( घ) हकसी तलाशी वारंट की,
जो ईस न्यायालय द्वारा जारी हकया गया है, तामील या हनष्पादन हकसी ऐसे
स्थान में हकया जाए जो-
(i) ईि राज्यक्षेत्रों के बाहर भारत में हकसी राज्य या क्षेत्र के न्यायालय की
स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर है, वहां वह ऐसे समन या वारंट की तामील या
हनष्पादन के हलए, दो प्रहतयों में, ईस न्यायालय के पीठासीन ऄहधकारी के
पास डाक द्वारा या ऄन्यथा भेज सकता है; और जहां खंड (क) या खंड (ग) में
हनहदण ष्ट हकसी समन की तामील आस प्रकार कर दी गइ है वहां धारा 70 के
ईपबंध ईस समन के संबधं में ऐसे लागू होंगे, मानो हजस न्यायालय को वह
भेजा गया है ईसका पीठासीन ऄहधकारी ईि राज्यक्षेत्रों में महजस्रेट है;
(ii) भारत के बाहर हकसी ऐसे देश या स्थान में है, हजसकी बाबत कें द्रीय
सरकार द्वारा, दांहडक मामलों के संबधं में समन या वारंट की तामील या
हनष्पादन के हलए ऐसे देश या स्थान की सरकार के (हजसे आस धारा में आसके
पश्चात् संहवदाकारी राज्य कहा गया है) साथ व्यवस्था की गइ है, वहां वह ऐसे
न्यायालय, न्यायाधीश या महजस्रेट को हनहदण ष्ट ऐसे समन या वारंट को, दो
प्रहतयों में, ऐसे प्ररूप में और पारेषण के हलए ऐसे प्राहधकारी को भेजेगा, जो
कें द्रीय सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे।
(2) जहां ईि राज्यक्षेत्रों के न्यायालय को-
(क) हकसी ऄहभयि ु व्यहि के नाम कोइ समन; या
(ख) हकसी ऄहभयि ु व्यहि की हगरफ्तारी के हलए कोइ वारंट; या
(ग) हकसी व्यहि से यह ऄपेक्षा करने वाला ऐसा कोइ समन हक वह कोइ
दस्तावेज या ऄन्य चीज पेश करे ऄथवा हाहजर हो और ईसे पेश करे; या
(घ) कोइ तलाशी-वारंट,
जो हनमनहलहखत में से हकसी के द्वारा जारी हकया गया है :-
(i) ईि राज्यक्षेत्रों के बाहर भारत में हकसी राज्य या क्षेत्र के न्यायालयः
(ii) हकसी संहवदाकारी राज्य का कोइ न्यायालय, न्यायाधीश या महजस्रेट,
तामील या हनष्पादन के हलए प्राप्त होता है, वहां वह ईसकी तामील या
हनष्पादन ऐसे कराएगा मानो वह ऐसा समन वा वारंट है जो ईसे ईि राज्यक्षेत्रों
के हकसी ऄन्य न्यायालय से ऄपनी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर तामोल या
हनष्पादन के हलए प्राप्त हुअ है; और जहां-
(i) हगरफ्तारी का वारंट हनष्पाहदत कर हदया जाता है, वहां हगरफ्तार हकए गए
व्यहि के बारे में कायण वाही यथासंभव धारा 82 और धारा 83 द्वारा हवहहत
प्रहिया के ऄनस ु ार की जाएगी;
(ii) तलाशी वारंट हनष्पाहदत कर हदया जाता है वहां तलाशी में पाइ गइ चीजों
के बारे में कायण वाही
यथासंभव धारा 104 में हवहहत प्रहिया के ऄनस ु ार की जाएगी :
परंतु ईस मामले में, जहां संहवदाकारी राज्य से प्राप्त समन या तलाशी वारंट
का हनष्पादन कर हदया गया है, तलाशी में पेश हकए गए दस्तावेज या चीजें या
पाइ गइ चीजें, समन या तलाशी वारंट जारी करने वाले न्यायालय की, ऐसे
प्राहधकारी की माफणत ऄग्रेहषत की जाएंगी जो कें द्रीय सरकार, ऄहधसूचना,
द्वारा, आस हनहमत हवहनहदण ष्ट करे।
ऄध्याय 8 - कुछ मामलों में सहायता के हलए व्यहतकारी व्यिस्था तथा संपहि
की कुकी और समपहरण के हलए प्रहिया
धारा – 111 पररभाषाएं - आस ऄध्याय में, जब तक हक संदभण से ऄन्यथा ऄपेहक्षत न हो,- धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
(क) "संहवदाकारी राज्य" से भारत के बाहर कोइ देश या स्थान ऄहभप्रेत है 105क,
हजसके संबधं में कें द्रीय सरकार द्वारा संहध के माध्यम से या ऄन्यथा ऐसे देश
की सरकार के साथ कोइ व्यवस्था की गइ
(ख) "पहचान करना" के ऄंतगण त यह सबूत स्थाहपत करना है हक संपहत्त हकसी
ऄपराध के हकए जाने से व्यत्ु पन्न हुइ है या ईसमें ईपयोग की गइ है; 105ख,
(ग) "ऄपराध के अगम" से अपराहधक हियाकलापों के (हजनके ऄंतगण त मद्रु ा
ऄंतरणों को ऄंतवण हलत करने वाले ऄपराध हैं) पररणामस्वरूप हकसी व्यहि 105ग,
द्वारा प्रत्यक्ष या ऄप्रत्यक्ष रूप से व्यत्ु पन्न या ऄहभप्राप्त कोइ संपहत्त या ऐसी
हकसी संपहत्त का मलू य ऄहभप्रेत है;
(घ) "संपहत्त" से भौहतक या ऄभौहतक, जंगम या स्थावर, मूतण या ऄमूतण हर
प्रकार की संपहत्त और अहस्त तथा ऐसी संपहत्त या अहस्त में हक या हहत को 105घ
साहक्ष्यत करने वाला हवलेख और हलखत ऄहभप्रेत है जो हकसी ऄपराध के
हकए जाने से व्यत्ु पन्न होती है या ईसमें ईपयोग की जाती है और आसके
ऄंतगण त ऄपराध के अगम के माध्यम से ऄहभप्राप्त संपहत्त है;
(ङ) "पता लगाना" से हकसी संपहत्त की प्रकृ हत, ईसका स्रोत, व्ययन,
संजगं मन, हक या स्वाहमत्व का ऄवधारण करना ऄहभप्रेत है। 105ङ
धारा – 112 भारत के बाहर हकसी देि या स्थान में ऄन्िेषण के हलए सक्षम प्राहधकारी धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
को ऄनुरोध- पत्र- (1) यहद हकसी ऄपराध के ऄन्वेषण के ऄनि ु म में ऄन्वेषण 166क
ऄहधकारी या ऄन्वेषण ऄहधकारी की पंहि से वररष्ठ कोइ ऄहधकारी यह
अवेदन करता है हक भारत के बाहर हकसी देश या स्थान में साक्ष्य ईपलभ्य
हो सकता है तो कोइ दांहडक न्यायालय ऄनरु ोधपत्र भेजकर ईस देश या स्थान
के ऐसे न्यायालय या प्राहधकारी से, जो ऐसे ऄनरु ोधपत्र पर कारणवाइ करने के
हलए सक्षम है, यह ऄनरु ोध कर सके गा हक वह हकसी ऐसे व्यहि की मौहखक
परीक्षा करे, हजसके बारे में यह ऄनमु ान है हक वह मामले के तथ्यों और
पररहस्थहतयों से ऄवगत है, और ऐसी परीक्षा के ऄनि ु म में हकए गए ईसके
कथन को ऄहभहलहखत करे और ऐसे व्यहि या हकसी ऄन्य व्यहि से ईस
मामले से संबहं धत ऐसे दस्तावेज या चीज को पेश करने की ऄपेक्षा करे जो
ईसके कब्जे में है और आस प्रकार हलए गए या संगहृ ीत सभी साक्ष्य या ईसकी
ऄहधप्रमाहणत प्रहतहलहप वा आस प्रकार संगहृ ीत चीज को ऐसा पत्र भेजने वाले
न्यायालय को ऄग्रेहषत करे।
(2) ऄनरु ोधपत्र ऐसी रोहत में पारेहषत हकया जाएगा जो कें द्रीय सरकार आस
हनहमत हवहनहदण ष्ट करे।
(3) ईपधारा (1) के ऄधीन ऄहभहलहखत प्रत्येक कथन या प्राप्त प्रत्येक
दस्तावेज या चीज आस संहहता के ऄधीन ऄन्वेषण के दौरान संगहृ ीत साक्ष्य
समझा जाएगा।
धारा – 113 भारत के बाहर के हकसी देि या स्थान से भारत में ऄन्िेषण के हलए हकसी धारा – भारत के बाहर के हकसी देि या स्थान से भारत में ऄन्िेषण के हलए
न्यायालय या प्राहधकारी को ऄनुरोध-पत्र - (1) भारत के बाहर के हकसी देश 166ख हकसी न्यायालय या प्राहधकारी को ऄनुरोध-पत्र - (1) भारत के बाहर के
या स्थान के ऐसे न्यायालय या प्राहधकारी से, जो ईस देश या स्थान में हकसी देश या स्थान के ऐसे न्यायालय या प्राहधकारी से, जो ईस देश या
ऄन्वेषणाधीन हकसी ऄपराध के संबधं में हकसी व्यहि की परीक्षा करने के हलए स्थान में ऄन्वेषणाधीन हकसी ऄपराध के संबधं में हकसी व्यहि की परीक्षा
या हकसी दस्तावेज या चीज को पेश कराने के हलए ईस देश या स्थान में ऐसा करने के हलए या हकसी दस्तावेज या चीज को पेश कराने के हलए ईस देश
पत्र भेजने के हलए सक्षम है, ऄनरु ोधपत्र की प्राहप्त पर, कें द्रीय सरकार यहद वह या स्थान में ऐसा पत्र भेजने के हलए सक्षम है, ऄनरु ोधपत्र की प्राहप्त पर,
ईहचत समझे तो,- कें द्रीय सरकार यहद वह ईहचत समझे तो,-
(i) ईसे मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या न्याहयक महजस्रेट को, हजसे वह आस (i) ईसे मख्ु य महानगर महजस्रेट या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या ऐसे
हनहमत्त हनयि ु करे, ऄग्रेहषत कर सके गी जो तब ईस व्यहि को ऄपने समक्ष महानगर महजस्रेट या न्याहयक महजस्रेट को, हजसे वह आस हनहमत्त हनयि ु
समन करेगा तथा ईसके कथन को ऄहभहलहखत करेगा या दस्तावेज या चोज करे, ऄग्रेहषत कर सके गी जो तब ईस व्यहि को ऄपने समक्ष समन करेगा
को पेश करवाएगा; या तथा ईसके कथन को ऄहभहलहखत करेगा या दस्तावेज या चोज को पेश
(ii) ईस पत्र को ऄन्वेषण के हलए हकसी पहु लस ऄहधकारी को भेज सके गा जो करवाएगा; या
तब ईसी रीहत में ऄपराध का ऄन्वेषण करेगा: (ii) ईस पत्र को ऄन्वेषण के हलए हकसी पहु लस ऄहधकारी को भेज सके गा
मानों वह ऄपराध भारत के भीतर हकया गया हो। जो तब ईसी रीहत में ऄपराध का ऄन्वेषण करेगा:
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन हलए गए या संगहृ ीत सभी साक्ष्य, ईसकी मानों वह ऄपराध भारत के भीतर हकया गया हो।
ऄहधप्रमाहणत प्रहतहलहपयां या आस प्रकार संगहृ ीत चीज, यथाहस्थहत, महजस्रेट (2) ईपधारा (1) के ऄधीन हलए गए या संगहृ ीत सभी साक्ष्य, ईसकी
या पहु लस ऄहधकारी द्वारा ईस न्यायालय या प्राहधकारी को, हजसने ऄहधप्रमाहणत प्रहतहलहपयां या आस प्रकार संगहृ ीत चीज, यथाहस्थहत,
ऄनरु ोधपत्र भेजा था, पारेहषत करने के हलए कें द्रीय सरकार को ऐसी रीहत में, महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी द्वारा ईस न्यायालय या प्राहधकारी को,
हजसे कें द्रीय सरकार ईहचत समझे, ऄग्रेहषत करेगा। हजसने ऄनरु ोधपत्र भेजा था, पारेहषत करने के हलए कें द्रीय सरकार को ऐसी
रीहत में, हजसे कें द्रीय सरकार ईहचत समझे, ऄग्रेहषत करेगा।
धारा – 114 व्यहियों का ऄंतरण सुहनहश्चत करने में सहायता - (1) जहां भारत का कोइ धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायालय, हकसी अपराहधक मामले के संबधं में यह चाहता है हक हाहजर होने 105ख
या हकसी दस्तावेज या ऄन्य चीज को पेश करने के हलए, हकसी व्यहि की
हगरफ्तारी के हलए हकसी वांरट का, जो ईस न्यायालय द्वारा जारी हकया गया
है, हनष्पादन हकसी संहवदाकारी राज्य के हकसी स्थान में हकया जाए वहां वह
ऐसे वारंट को दो प्रहतयों में और ऐसे प्ररूप में ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या
महजस्रेट को, ऐसे प्राहधकारी के माध्यम से भेजेगा, जो कें द्रीय सरकार,
ऄहधसूचना द्वारा, आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे, और, यथाहस्थहत, वह न्यायालय,
न्यायाधीश या महजस्रेट ईसका हनष्पादन कराएगा।
(2) यहद, हकसी ऄपराध के हकसी ऄन्वेषण या हकसी जांच के दौरान ऄन्वेषण
ऄहधकारी या ऄन्वेषण ऄहधकारी से पंहि में वररष्ठ हकसी ऄहधकारी द्वारा यह
अवेदन हकया जाता है हक हकसी ऐसे व्यहिका भी हकसी संहवदाकारी राज्य के
हकसी स्थान में है, ऐसे ऄन्वेषण या जांच के संबधं में हाहजरी ऄपेहक्षत है और
शायालय का यह समाधान हो जाता है हक ऐसी हाहजरी अपेहक्षत है तो वह
ईि व्यहि के हवरुद्ध ऐसे समन या वारंट को तामील और हनष्पादन कराने के
हलए, दो प्रहतयों में, ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या महजस्रेट को ऐसे प्ररूप में
जारी करेगा, जो कें द्रीय सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे।
(3) जहां भारत के हकसी न्यायालय को, हकसी अपराहधक मामले के संबधं में,
हकसी संहवदाकारी राज्य के हकसी न्यायालय, न्यायाधीश या महजस्रेट द्वारा
जारी हकया गया कोइ वारंट हकसी व्यहि की हगरफ्तारी के हलए प्राप्त होता है
हजसमें ऐसे व्यहि से ईस न्यायालय में या हकसी ऄन्य ऄन्वेषण ऄहभकरण के
समक्ष हाहजर होने ऄथवा हाहजर होने और कोइ दस्तावेज या ऄन्य चीज पेश
करने की ऄपेक्षा की गइ है वहां वह ईसका हनष्पादन आस प्रकार कराएगा मानो
यह ऐसा वारंट हो जो ईसे भारत के हकसी ऄन्य न्यायालय से ऄपनी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर हनष्पादन के हलए प्राप्त हुअ है।
(4) जहां ईपधारा (3) के ऄनस ु रण में हकसी संहवदाकारी राज्य को ऄंतररत
कोइ व्यहि भातर में बंदी है वहां भारत का न्यायालय या कें द्रीय सरकार ऐसी
शतें ऄहधरोहपत कर सके गी जो वह न्यायालय या सरकार ठीक समझे।
(5) जहां ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के ऄनस ु रण में भारत को ऄंतररत कोइ
व्यहि हकसी संहवदाकारी राज्य में बंदी है वहां भारत का न्यायालय यह
सहु नहश्चत करेगा हक ईन शतों का, हजनके ऄधीन बंदी भारत को ऄंतररत हकया
जाता है, ऄनपु ालन हकया जाए और ऐसे बंदी को ऐसी शतों के ऄधीन
ऄहभरक्षा में रखा जाएगा, जो कें द्रीय सरकार हलहखत रूप में हनहदण ष्ट करे।
धारा – 115 संपहि की कुकी या समपहरण के अदेिों के संबधं में सहायता (1) जहां धारा –
भारत के हकसी न्यायालय के पास यह हवश्वास करने के यहु ियि ु अधार हैं हक 105ग
हकसी व्यहि द्वारा ऄहभप्राप्त कोइ संपहत्त ऐसे व्यहि को हकसी ऄपराध के हकए
जाने से प्रत्यक्ष या ऄप्रत्यक्ष रूप से व्यत्ु पन्न या ऄहभप्राप्त हुइ है वहां वह ऐसी
संपहत्त की कुकी या समपहरण का कोइ अदेश दे सके गा जो वह धारा 116 से
धारा 122 (दोनों संहहत) के ईपबंधों के ऄधीन ठीक समझे।
(2) जहां न्यायालय ने ईपधारा (1) के ऄधीन हकसी संपहत्त की कुकी या
समपहरण का कोइ अदेश हदया है और ऐसी संपहत्त के हकसी संहवदाकारी
राज्य में होने का संदेह है वहां न्यायालय, संहवदाकारी राज्य के न्यायालय या
प्राहधकारी को ऐसे अदेश के हनष्पादन के हलए ऄनरु ोधपत्र जारी कर सके गा।
(3) जहां के न्द्रीय सरकार को हकसी संहवदाकारी राज्य के हकसी न्यायालय या
हकसी प्राहधकारी से ऄनरु ोधपत्र प्राप्त होता है हजसमें हकसी ऐसी संपहत्त की
भारत में कुकी या समपहरण करने का ऄनरु ोध हकया गया है जो हकसी व्यहि
द्वारा हकसी ऐसे ऄपराध के हकए जाने से प्रत्यक्ष या ऄप्रत्यक्ष रूप से व्यत्ु पन्न
या ऄहभप्राप्त की गइ है जो ईस संहवदाकारी राज्य में हकया गया है वहां कें द्रीय
सरकार, ऐसा ऄनरु ोधपत्र ऐसे हकसी न्यायालय को, हजसे वह ठीक समझे,
यथाहस्थहत, धारा 116 से धारा 122 (दोनों सहहत) के या तत्समय प्रवृत्त
हकसी ऄन्य हवहध के ईपबंधों के ऄनस ु ार हनष्पादन के हलए ऄग्रेहषत कर
सके गी।
धारा – 116 हिहधहिरुद्धतया ऄहजगत संपहि की पहचान करना - (1) न्यायालय, धारा धारा –
115 की ईपधारा (1) के ऄधीन या ईसकी ईपधारा (3) के ऄधीन ऄनरु ोधपत्र 105घ
प्राप्त होने पर पहु लस ईप-हनरीक्षक से ऄहनमन पंहि के हकसी पहु लस ऄहधकारी
को ऐसी संपहत्त का पता लगाने और पहचान करने के हलए सभी अवश्यक
कारणवाइ करने के हलए हनदेश देगा।
(2) ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट कारण वाइ के ऄंतगण त, हकसी व्यहि, स्थान, संपहत्त,
अहस्त, दस्तावेश, हकती बैंक या सावण जहनक हवतीय संस्था की लेखाबही या
हकसी ऄन्य सस ु ंगत हवषय की बाबत योग, ऄन्वेषण या सवेक्षण भी हो सके गा।
(3) ईपधारा (2) में हनहदण ष्ट कोइ जांच, ऄन्वेषण या सवेक्षण, ईि न्यायालय
द्वारा आस हनहमत हदए गाए हवदेशों के ऄनस ु ार ईपधारा (1) में ईहललहखत
ऄहधकारी द्वारा हकया जाएगा।
धारा – 117 सभपहि का ऄहभग्रहण या कुकी - (1) जहां धारा 116 के ऄधीन जांच या धारा –
ऄन्वेषण करने हाले हकसी ऄहधकारी के पास यह हवश्वास करने का कारण है 105ङ
हक हकसी संपहत्त के , हजसके संबधं में ऐसी जब या ऄन्वेषण हकया जा रहा है,
हछपाए जाने, ऄंतररत हकए जाने या ईसके हवषय में हकसी रीहत से बहार हकए
जाने की संभावना है हजसका पररणाम ऐसी संपहत्त का व्ययन होगा वहां वह
ईि संपहत्त का ऄहधग्रहण करने का अदेश कर सके गा और जहां ऐसी संपहत्त
का ऄहभग्रहण करना साध्य नहीं है वहां वह कुकीं का अदेश यह हनदेश देते हुए
कर सके गा हक ऐसे संपहत्त ऐसा अदेश करने वाले ऄहधकारी की पवू ण ऄनज्ञ ु ा के
हबना ऄंतररत नहीं की जाएगी या ईसके हवषय में ऄन्यथा व्यवहार नहीं हकया
जाएगा और ऐसे अदेश की एक प्रहत की तामील संबहं धत व्यहि पर की
जाएगी।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन हकए गए हकसी अदेश का तब तक कोइ प्रभाव
नहीं होगा, जब तक ईि ऄदेत की, ईसके हकए जाने से तीस हदन की ऄवहध
के भीतर ईि न्यायालय के अदेश द्वारा पहु ष्ट नहीं कर दो जाती है।
धारा – 118 आस ऄध्याय के ऄधीन ऄहभगहृ ीत या समपरृत संपहि का प्रबंध (1) धारा –
न्यायालय ईस क्षेत्र के . जहां संपहत्त हस्थत है, हजला महजस्रेट को, या ऄन्य 105च
हकसी ऄहधकारी को, जो हजला महजस्रेट द्वारा नामहनदेहशत हकए जाए, ऐसी
संपहत्त के प्रशासक के कृ त्यों का पालन करने के हलए हनयि ु कर सके गा।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन हनयि ु हकया गया प्रशासक, ईस संपहत्त को,
हजसके संबधं में धारा 117 को ईपधारा (1) के ऄधीन या धारा 120 के
ऄधीन अदेश हकया गया है, ऐसी रीहत से और ऐसी शतों के ऄधीन रहते हुए,
जो कें द्रीय सरकार द्वारा हवहनहदण ष्ट की जाएं, प्राप्त करेगा और ईसका प्रबंध
करेगा।
(3) प्रशासक, कें द्रीय सरकार को समपहत संपहत्त के व्ययन के हलए ऐसे ईपाय
भी करेगा, जो कें द्रीय सरकार हनहदष्ट करे।
धारा – 119 संपहि के समपहरण की सूचना (1) यहद, धारा 116 के ऄधीन जांच, धारा –
ऄन्वेषण या सवेक्षण के पररणामस्वरूप, न्यायालय के पास यह हवश्वास करने 105छ
का कारण है हक सभी या कोइ संपहत्त, ऄपराध का अगम है तो वह ऐसे व्यहि
पर (हजसे आसमें आसके पश्चात् प्रभाहवत व्यहि कहा गया है) ऐसी सूचना की
तामील कर सके गा, हजसमें ईससे यह ऄपेक्षा की गइ हो हक वह ईस सूचना में
हवहनहदण ष्ट तीस हदन की ऄवहध के भीतर ईस अय, ईपाजण न या अहस्तयों के वे
स्रोत, हजनसे या हजनके द्वारा ईसने ऐसी संपहत्त ऄहजण त की है, वह साक्ष्य
हजस पर वह हनभण र करता है तथा ऄन्य सस ु ंगत जानकारी और हवहशहष्टयां
ईपदहशण त करे और यह कारण बताए हक, यथाहस्थहत, ऐसी सभी या हकसी
संपहत्त को ऄपराध का अगम क्ट्यों न घोहषत हकया जाए और ईसे कें द्रीय
सरकार को क्ट्यों न समपरृत कर हलया जाए।
(2) जहां हकसी व्यहि को ईपधारा (1) के ऄधीन सूचना में यह हवहनहदण ष्ट हकया
जाता है हक कोइ संपहत्त ऐसे व्यहि की ओर से हकसी ऄन्य व्यहि दद्वारा
धाररत है वहां सूचना की एक प्रहत की ऐसे ऄन्य व्यहि पर भी तामील की
जाएगी।
धारा – 120 कहतपय मामलों में संपहि का समपहरण - (1) न्यायालय, धारा 119 के धारा –
ऄधीन जारी की गइ कारण बताओं सूचना के स्पष्टीकरण पर, यहद कोइ हो, 105ज
और ईसके समक्ष ईपलब्ध सामहग्रयों पर हवचार करने के पश्चात् तथा प्रभाहवत
व्यहि को (और ऐसे मामले में जहां प्रभाहवत व्यहि सूचना में हवहनहदण ष्ट कोइ
संपहत्त हकसी ऄन्य व्यहि के माध्यम से धाररत करता है वहां ऐसे ऄन्य व्यहि
को भी) सनु वाइ का यहु ियि ु ऄवसर देने के पश्चात्, अदेश द्वारा, ऄपना यह
हनष्कषण ऄहभहलहखत करेगा हक प्रश्नगत सभी या कोइ संपहत्त ऄपराध का
अगम है या नहीं:
परंतु यहद प्रभाहवत व्यहि (और मामले में जहां प्रभाहवत व्यहि सूचना में
हवहनहदण ष्ट कोइ संपहत्त हकसी ऄन्य व्यहि के माध्यम से धाररत करता है वहां
ऐसा ऄन्य व्यहि भी) न्यायालय के समक्ष हाहजर नहीं होता है या कारण
बताओं सूचना में हवहनहदण ष्ट तीस हदन की ऄवहध के भीतर ईसके समक्ष ऄपना
मामला ऄभ्यावेहदत नहीं करता है तो न्यायालय, ऄपने समक्ष ईपलब्ध साक्ष्य
के अधार पर आस ईपधारा के ऄधीन एकपक्षीय हनष्कषण ऄहभहलहखत करने के
हलए ऄग्रसर हो सके गा।
(2) जहां न्यायालय का यह समाधान हो जाता है हक कारण बताओ सूचना में
हनहदण ष्ट संपहत्त में से कुछ ऄपराध का अगम है हकं तु ऐसी संपहत्त की हवहनहदण ष्ट
रूप से पहचान करना संभव नहीं है वहां न्यायालय के हलए ऐसी संपहत्त को
हवहनहदण ष्ट करना जो ईसके सवोत्तम हनणण य में ऄपराध का अगम है और
तदनस ु ार ईपधारा (1) के ऄधीन हनष्कषण ऄहभहलहखत करना हवहधपूणण होगा।
(3) जहां न्यायालय आस धारा के ऄधीन आस अशय का हनष्कषण ऄहभहलहखत
करता है हक कोइ संपहत्त ऄपराध का अगम है वहां ऐसी संपहत्त सभी
हवललंगमों से मि ु होकर कें द्रीय सरकार को समपडत हो जाएगी।
(4) जहां हकसी कं पनी के कोइ शेयर आस धारा के ऄधीन कें द्रीय सरकार को
समपरृत हो जाते हैं वहां कं पनी ऄहधहनयम, 2013 (2013 का 18) में या
कं पनी के संगम-ऄनच्ु छे द में हकसी बात के होते हुए भी, कं पनी कें द्रीय सरकार
को ऐसे शेयरों के ऄंतररती के रूप में तरु तं रहजस्टर करेगी।
धारा – 121 समपहरण के बदले जुमागना - (1) जहां न्यायालय यह घोषणा करता है हक धारा –
कोइ संपहत्त धारा 120 के ऄधीन कें द्रीय सरकार को समपरृत हो गइ है और 105झ
यह ऐसा मामला है जहां ऐसी संपहत्त के के वल कुछ भाग का स्रोत न्यायालय
को समाधानप्रद रूप में साहबत नहीं हकया गया है वहां वह प्रभाहवत व्यहि को,
समपहरण के बदले में ऐसे भाग के बाजार मूलय के बराबर जमु ाण ने का संदाय
करने का हवकलप देते हुए, अदेश देगा।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन जमु ाण ना ऄहधरोहपत करने का अदेश देने के पूवण,
प्रभाहवत व्यहि को सनु वाइ का यहु ियि ु ऄवसर हदया जाएगा।
(3) जहां प्रभाहवत व्यहि, ईपधारा (1) के ऄधीन देय जमु ाण ने का ऐसे समय के
भीतर, जो ईस हनहमत्त ऄनज्ञ ु ात हकया जाए, संदाय कर देता है वहां
न्यायालय, अदेश द्वारा, धारा 120 के ऄधीन की गइ समपहरण की घोषणा
का प्रहतसंहरण कर सके गा और तब ऐसी संपहत्त हनमण ि ु हो जाएगी।
धारा – 122 कुछ ऄंतरणों का ऄकृत और िून्य होना - जहााँ धारा 117 की ईपधारा (1) धारा –
के ऄधीन कोइ अदेश करने या धारा 119 के ऄधीन कोइ सूचना जारी करने 105ञ
के पश्चात्, ईि अदेश या सूचना में हनहदण ष्ट कोइ संपहत्त हकसी भी रीहत से
ऄंतररत कर दी जाती है वहां आस ऄध्याय के ऄधीन कायण वाहहयों के प्रयोजनों
के हलए, ऐसे ऄंतरणों पर ध्यान नहीं हदया जाएगा और यहद ऐसी संपहत्त बाद में
धारा 120 के ऄधीन कें द्रीय सरकार को समपहत हो जाती है तो ऐसी संपहत्त
का ऄंतरण ऄकृ त और शून्य समझा जाएगा।
धारा – 123 ऄनरु ोधपत्र की बाबत प्रहिया - आस ऄध्याय के ऄधीन कें द्रीय सरकार को धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी संहवदाकारी राज्य से प्राप्त प्रत्येक ऄनरु ोधपत्र, समन या वारंट और 105ट
हकसी संहवदाकारी राज्य को पारेहषत हकया जाने वाली प्रत्येक ऄनरु ोधपत्र,
समन या वारंट कें द्रीय सरकार द्वारा, ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीहत से जो कें द्रीय
सरकार, ऄहधसूचना दद्वारा, आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे, यथाहस्थहत,
संहवदाकारी राज्य को पारेहषत हकया जाएगा या भारत के संबहं धत न्यायालय
को भेजा जाएगा।
धारा – 124 आस ऄध्याय का लागू होना-कें द्रीय सरकार, राजपत्र में ऄहधसूचना द्वारा, यह धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
हनदेश दे सके गी हक ऐसे संहवदाकारी राज्य के संबधं में, हजसके साथ 105ठ
व्यहतकारी व्यवस्था की गइ है, आस ऄध्याय का लागू होना ऐसी शतों, ऄपवादों
या ऄहण ताओं के ऄधीन होगा जो ईि ऄहधसूचना में हवहनहदण ष्ट की जाएं।
ऄध्याय 9 - पररिांहत कायम रखने के हलए और सदाचार के हलए प्रहतभूहत
धारा – 125 दोषहसहद्ध पर पररिांहत कायम रखने के हलए प्रहतभूहत - (1) जब सेशन धारा –
न्यायालय या प्रथम वगण महजस्रेट का न्यायालय हकसी व्यहि को ईपधारा (2) 106
में हवहनहदण ष्ट ऄपराधों में से हकसी ऄपराध के हलए या हकसी ऐसे ऄपराध के
दष्ु प्रेरण के हलए हसद्धदोष ठहराता है और ईसकी यह राय है हक यह अवश्यक
है हक पररशांहत कायम रखने के हलए ऐसे व्यहि से प्रहतभूहत ली जाए, तब
न्यायालय ऐसे व्यहि को दंडादेश देते समय ईसे अदेश दे सके गा हक वह तीन
वषण से ऄनहधक आतनी ऄवहध के हलए, हजतनी वह ठगेक समझे, पररशांहत
कायम रखने के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करे।
(2) ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट ऄपराध हनमनहलहखत हैं:-
(क) भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄध्याय 11 के ऄधीन दंडनीय कोइ
ऄपराध, जो धारा 193 की ईपधारा (1) या धारा 196 या धारा 197 के
ऄधीन दंडनीय ऄपराध से हभन्न है;
(ख) कोइ ऐसा ऄपराध जो, या हजसके ऄंतगण त, हमला या अपराहधक बल का
प्रयोग या ररहष्ट करना है;
(ग) अपराहधक ऄहभत्रास का कोइ ऄपराध;
(घ) कोइ ऄन्य ऄपराध, हजससे पररशांहत भंग हुइ है या हजससे पररशांहत भंग
अशहयत है, या हजसके बारे में ज्ञात था हक ईससे पररशांहत भंग संभाव्य है।
(3) यहद दोषहसहद्ध ऄपील पर या ऄन्यथा ऄपास्त कर दी जाती है तो बंधपत्र
या जमानतपत्र जो ऐसे हनष्पाहदत हकया गया था, शून्य हो जाएगा।
(4) आस धारा के ऄधीन अदेश ऄपील न्यायालय द्वारा या हकसी न्यायालय
द्वारा भी जब वह पनु रीक्षण की ऄपनी शहियों का प्रयोग कर रहा हो, हकया जा
सके गा।
धारा – 126 ऄन्य दिाओं में पररिांहत कायम रखने के हलए प्रहतभूहत - (1) जब हकसी धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
कायण पालक महजस्रेट को आहत्तला हमलती है हक संभाव्य है हक कोइ व्यहि 107
पररशांहत भंग करेगा या लोक प्रशांहत हवक्षब्ु ध करेगा या कोइ ऐसा सदोष कायण
करेगा हजससे संभाव्यतः पररशांहत भंग हो जाएगी या लोक प्रशांहत हवक्षब्ु ध हो
जाएगी तब यहद ईसकी राय में कायण वाही करने के हलए पयाण प्त अधार है तो
वह, ऐसे व्यहि से आसमें आसके पश्चात् ईपबंहधत रीहत से ऄपेक्षा कर सकता है
हक वह कारण दहशण त करे हक एक वषण से ऄनहधक की आतनी ऄवहध के हलए,
हजतनी महजस्रेट हनयत करना ठीक समझे, पररशांहत कायम रखने के हलए
बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करने के हलए अदेश क्ट्यों न हदया जाए।
(2) आस धारा के ऄधीन कायण वाही हकसी कायण पालक महजस्रेट के समक्ष तब
की जा सकती है जब या तो वह स्थान जहां पररशांहत भंग या हवक्षोभ की
अशंका है, ईसकी स्थानीय ऄहधकाररता के ऄंदर है या ऐसी ऄहधकाररता के
भीतर कोइ ऐसा व्यहि है, जो ऐसी ऄहधकाररता के परे संभाव्यतः पररशांहत
भंग करेगा या लोक प्रशांहत हवक्षब्ु ध करेगा या यथापूवोि कोइ सदोष कायण
करेगा।
धारा – 127 कहतपय मामलों को फैलाने िाले व्यहियों से सदाचार के हलए प्रहतभूहत - धारा –
(1) जब हकसी कायण पालक महजस्रेट को आहत्तला हमलती है हक ईसकी 108
स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर कोइ ऐसा व्यहि है जो ऐसी ऄहधकाररता के
भीतर या बाहर-
(i) या तो मौहखक रूप से या हलहखत रूप से या हकसी ऄन्य रूप से
हनमनहलहखत बातें साशय फै लाता है या फै लाने का प्रयत्न करता है या फै लाने
का दष्ु प्रेरण करता है, ऄथाण त् : -
(क) कोइ ऐसी बात, हजसका प्रकाशन भारतीय न्याय संहहता, 2023 की
धारा 152 या धारा 196 या धारा 197 या धारा 299 के ऄधीन दंडनीय है;
या
(छ) हकसी न्यायाधीश से, जो ऄपने पदीय कतण व्यों के हनवण हन में कायण कर रहा
है या कायण करने का तात्पयण रखता है, संबद्ध कोइ बात जो भारतीय न्याय
संहहता, 2023 के ऄधीन अपराहधक ऄहभत्रास या मानहाहन की कोहट में
अती है; या
(ii) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 294 में यथाहनहदण ष्ट कोइ ऄश्लील
वस्तु हविय के हलए बनाता, ईत्पाहदत करता, प्रकाहशत करता या रखता है,
अयात करता है, हनयाण त करता है, प्रवहण करता है, हविय करता है, भा़िे पर
देता है, हवतररत करता है, सावण जहनक रूप से प्रदहशण त करता है या हकसी ऄन्य
प्रकार से पररचाहलत करता है,
और ईस महजस्रेट की राय में कायण वाही करने के हलए पयाण प्त अधार है, तब
ऐसा महजस्रेट, ऐसे व्यहि से आसमें आसके पश्चात् ईपबंहधत रीहत से ऄपेक्षा कर
सकता है हक वह कारण दहशण त करे हक एक वषण से ऄनहधक की आतनी ऄवहध
के हलए, हजतनी वह महजस्रेट ठीक समझे, ईसे ऄपने सदाचार के हलए बंधपत्र
या जमानतपत्र हनष्पाहदत करने के हलए अदेश क्ट्यों न हदया जाए।
(2) प्रेस और पस्ु तक रहजस्रीकरण ऄहधहनयम, 1867 (1867 का 25) में हदए
गए हनयमों के ऄधीन रहजस्रीकृ त, और ईसके ऄनरू ु प संपाहदत, महु द्रत और
प्रकाहशत हकसी प्रकाशन में ऄंतहवण ष्ट हकसी बात के बारे में कोइ कायण वाही ऐसे
प्रकाशन के संपादक, स्वतत्वधारी, मद्रु क या प्रकाशक के हवरुद्ध राज्य सरकार
के , या राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त सशि हकए गए हकसी ऄहधकारी के
अदेश से या ईसके प्राहधकार के ऄधीन ही की जाएगी, ऄन्यथा नहीं।
धारा – 128 संहदग्ध व्यहियों से सदाचार के हलए प्रहतभूहत - जब हकसी कायण पालक धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
महजस्रेट को आहत्तला हमलती है हक कोइ व्यहि ईसकी स्थानीय ऄहधकाररता 109
के भीतर ऄपनी ईपहस्थहत हछपाने के हलए पूवाण वधाहनयां बरत रहा है और यह
हवश्वास करने का कारण है हक वह कोइ संज्ञेय ऄपराध करने की दृहष्ट से जसा
कर रहा है, तब वह महजस्रेट ऐसे व्यहि से आसमें आसके पश्चात् ईपबंहधत रीहत
से ऄपेक्षा कर सकता - हक वह कारण दहशण त करे हक एक वषण से ऄनहधक की
आतनी ऄवहध के हलए, हजतनी वह महजस्रेट ठीक समझे, ईसे ऄपने सदाचार
के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करने के हलए अदेश क्ट्यों न हदया
जाए।
धारा – 129 अभ्याहसक ऄपराहधयों से सदाचार के हलए प्रहतभूहत - जब हकसी धारा –
कायण पालक महजस्रेट को यह आहत्तला हमलती है हक ईसकी स्थानीय 110
ऄहधकाररता के भीतर कोइ ऐसा व्यहि है, जो-
(क) ऄभ्यासतः लटु ेरा, गृहभेदक, चोर या कूटरचहयता है; या
(ख) चरु ाइ हुइ संपहत्त का, ईसे चरु ाइ हुइ जानते हुए, ऄभ्यासतः प्रापक है; या
(ग) ऄभ्यासतः चोरों की संरक्षा करता है या चोरों को संश्रय देता है या चरु ाइ
हुइ संपहत्त को हछपाने या ईसके व्ययन में सहायता देता है; या
(घ) व्यपहरण, ऄपहरण, ईद्दापन, छल या ररहष्ट का ऄपराध या भारतीय न्याय
संहहता, 2023 के ऄध्याय 10 के ऄधीन या ईस संहहता की धारा 178,
धारा 179, धारा 180 या धारा 181 के ऄधीन दंडनीय कोइ ऄपराध
ऄभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दष्ु प्रेरण करता
है; या
(ङ) ऐसे ऄपराध ऄभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने
का दष्ु प्रेरण करता है, हजनमें पररशांहत भंग समाहहत है; या
(च) कोइ ऐसा ऄपराध ऄभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या
करने का दष्ु प्रेरण करता है जो-
(i) हनमनहलहखत ऄहधहनयमों में से एक या ऄहधक के ऄधीन कोइ ऄपराध है,
ऄथाण त्-
(क) ओषहध और प्रसाधन सामग्री ऄहधहनयम, 1940 (1940 का 23)
(ख) हवदेहशयों हवषयक ऄहधहनयम, 1946 (1946 का 31); धारा –
(ग) कमण चारी भहवष्य हनहध और प्रकीणण ईपबंध ऄहधहनयम, 1952 (1952 का 110(ज)
19);
(घ) अवश्यक वस्तु ऄहधहनयम, 1955 (1955 का 10);
(ङ) हसहिल ऄहधकार संरक्षण ऄहधहनयम, 1955 (1955 का 22);
(च) सीमाशलु क ऄहधहनयम, 1962 (1962 का 52);
(छ) खाद्य सुरक्षा और मानक ऄहधहनयम, 2006 (2006 का 34); या
(ii) जमाखोरी या मनु ाफाखोरी या खाद्य या ओषहध के ऄपहमश्रण या भ्रष्टाचार
के हनवारण के हलए ईपबंध करने वाली हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन दंडनीय
कोइ ऄपराध है; या
(छ) ऐसा दःु साहहसक और भयंकर है हक ईसका प्रहतभूहत के हबना स्वछन्द
रहना समाज के हलए पररसंकटमय है
तब ऐसा महजस्रेट, ऐसे व्यहि से, आसमें आसके पश्चात् ईपबंहधत रीहत से ऄपेक्षा
कर सकता है हक वह कारण दहशण त करे हक तीन वषण से ऄनहधक की आतनी
ऄवहध के हलए, हजतनी वह महजस्रेट ठीक समझता है, ईसे ऄपने सदाचार के
हलए जमानतपत्र हनष्पाहदत करने का अदेश क्ट्यों न हदया जाए।
धारा – 130 अदेि का हदया जाना - जब कोइ महजस्रेट, जो धारा 126, धारा 127, धारा –
धारा 128 या धारा 129 के ऄधीन कायण कर रहा है, यह अवश्यक समझता 111
है हक हकसी व्यहि से ऄपेक्षा की जाए हक वह ईस धारा के ऄधीन कारण
दहशण त करे तब वह महजस्रेट प्राप्त आहत्तला का सार, ईस बंधपत्र की रकम, जो
हनष्पाहदत हकया जाना है, वह ऄवहध हजसके हलए वह प्रवतण न में रहेगा और
प्रहतभुओ ं की पयागप्तता और ईपयुिता पर हिचार करने के पश्चात् प्रहतभुओ ं
की संख्या का हलहखत अदेि देगा।
धारा – 131 न्यायालय में ईपहस्थत व्यहि के बारे में प्रहिया - यहद वह व्यहि, हजसके धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
बारे में ऐसा अदेश हदया जाता है, न्यायालय में ईपहस्थत है तो वह ईसे पढकर 112
सनु ाया जाएगा या यहद वह ऐसा चाहे तो ईसका सार ईसे समझाया जाएगा।
धारा – 132 ऐसे व्यहि के बारे में समन या िारंट जो ईपहस्थत नहीं है- यहद ऐसा व्यहि धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायालय में ईपहस्थत नहीं है तो महजस्रेट ईससे हाहजर होने की ऄपेक्षा 113
करते हुए समन, या जब ऐसा व्यहि ऄहभरक्षा में है तब हजस ऄहधकारी की
ऄहभरक्षा में वह है ईस ऄहधकारी को ईसे न्यायालय के समक्ष लाने का हनदेश
देते हुए वारंट, जारी करेगा :
परंतु जब कभी ऐसे महजस्रेट को पहु लस ऄहधकारी की ररपोटण पर या ऄन्य
आहत्तला पर (हजस ररपोटण या आहत्तला का सार महजस्रेट द्वारा ऄहभहलहखत
हकया जाएगा), यह प्रतीत होता है हक पररशांहत भंग होने के डर के हलए कारण
है और ऐसे व्यहि की तरु तं हगरफ्तारी के हबना ऐसे पररशांहत भंग करने का
हनवारण नहीं हकया जा सकता है तब वह महजस्रेट ईसकी हगरफ्तारी के हलए
हकसी समय वारंट जारी कर सके गा।
धारा – 133 समन या िारंट के साथ अदेि की प्रहत होगी- धारा 132 के ऄधीन जारी धारा –
हकए गए प्रत्येक प्समन या वारंट के साथ धारा 130 के ऄधीन हदए गए अदेश 114
की प्रहत होगी और ईस समन या वारंट की तामील या हनष्पादन करने वाला
ऄहधकारी वह प्रहत ईस व्यहि को पररदत्त करेगा हजस पर ईसकी तामील की
गइ है या जो ईसके ऄधीन हगरफ्तार हकया गया है।
धारा – 134 िैयहिक हाहजरी से ऄहभमहु ि देने की िहि- यहद महजस्रेट को पयाण प्त धारा – िैयहिक हाहजरी से ऄहभमहु ि देने की िहि- यहद महजस्रेट को पयाण प्त
कारण हदखाइ देता है तो वह ऐसे हकसी व्यहि को, हजससे आस बात का कारण 115 कारण हदखाइ देता है तो वह ऐसे हकसी व्यहि को, हजससे आस बात का
दहशण त करने की ऄपेक्षा की गइ है हक ईसे पररशांहत कायम रखने या सदाचार कारण दहशण त करने की ऄपेक्षा की गइ है हक ईसे पररशांहत कायम रखने या
के हलए बंधपत्र हनष्पाहदत करने के हलए अदेश क्ट्यों न हदया जाए, वैयहिक सदाचार के हलए बंधपत्र हनष्पाहदत करने के हलए अदेश क्ट्यों न हदया जाए,
हाहजरी से ऄहभमहु ि दे सकता है और ऄहधििा द्वारा हाहजर होने की ऄनज्ञ ु ा वैयहिक हाहजरी से ऄहभमहु ि दे सकता है और प्लीडर द्वारा हाहजर होने
दे सके गा। की ऄनज्ञ
ु ा दे सके गा।
धारा – 135 आहिला की सच्चाइ के बारे में जांच - (1) जब धारा 130 के ऄधीन अदेश धारा –
हकसी व्यहि को, जो न्यायालय में ईपहस्थत है, धारा 131 के ऄधीन पढकर 116
सनु ा या समझा हदया गया है या, जब कोइ व्यहि धारा 132 के ऄधीन जारी
हकए गए समन या वारंट के ऄनपु ालन या हनष्पादन में महजस्रेट के समक्ष
हाहजर है या लाया जाता है तब महजस्रेट ईस आहत्तला की सच्चाइ के बारे में
जांच करने के हलए ऄग्रसर होगा हजसके अधार पर वह कारणवाइ की गइ है
और ऐसा ऄहतररि साक्ष्य ले सकता है जो ईसे अवश्यक प्रतीत हो।
(2) ऐसी जांच यथासाध्य, ईस रीहत से की जाएगी जो समन-मामलों के
हवचारण और साक्ष्य के ऄहभलेखन के हलए आसमें आसके पश्चात् हवहहत है।
(3) ईपधारा (1) के ऄधीन जांच प्रारंभ होने के पश्चात् और ईसकी समाहप्त से
पूवण यहद महजस्रेट समझता है हक पररशांहत भंग का या लोक प्रशांहत हवक्षब्ु ध
होने का या हकसी ऄपराध के हकए जाने का हनवारण करने के हलए, या लोक
सरु क्षा के हलए तरु तं ईपाय करने अवश्यक हैं, तो वह ऐसे कारणों से, हजन्हें
लेखबद्ध हकया जाएगा, ईस व्यहि को, हजसके बारे में धारा 130 के ऄधीन
अदेश हदया गया है, हनदेश दे सकता है हक वह जांच समाप्त होने तक पररशांहत
कायम रखने और सदाचारी बने रहने के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र
हनष्पाहदत करे और जब तक ऐसा बंधपत्र हनष्पाहदत नहीं कर हदया जाता है,
या हनष्पादन में व्यहतिम होने की दशा में जब तक जांच समाप्त नहीं हो जाती
है, ईसे ऄहभरक्षा में हनरुद्ध रख सकता है:-
परंत-ु
(क) हकसी ऐसे व्यहि को, हजसके हिरुद्ध धारा 127, धारा 128 या धारा
129 के ऄधीन कायण वाही नहीं की जा रही है, सदाचारी बने रहने के हलए
बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करने के हलए हनदेश नहीं हदया जाएगा;
(ख) ऐसे बंधपत्र की शते, चाहे वे ईसकी रकम के बारे में हों या प्रहतभू ईपलब्ध
करने के या ईनकी संख्या के , या ईनके दाहयत्व की धन संबधं ी सीमा के बारे
में हो, ईनसे ऄहधक दभु ण र न होंगी जो धारा 130 के ऄधीन अदेश में हवहनहदण ष्ट
हैं।
(4) आस धारा के प्रयोजनों के हलए यह तथ्य हक कोइ व्यहि अभ्याहसक
ऄपराधी है या ऐसा : साहहसक और भयंकर है हक ईसका प्रहतभूहत के हबना
स्वच्छन्द रहना समाज के हलए पररसंकटमय है, साधारण ख्याहत के साक्ष्य से
या ऄन्यथा साहबत हकया जा सकता है।
(5) जहां दो या ऄहधक व्यहि जांच के ऄधीन हवषय में सहयि ु रहे हैं वहां
महजस्रेट एक ही जांच या पृथक् जांचों में, जैसा वह न्यायसंगत समझे, ईनके
बारे में कायण वाही कर सकता है।
(6) आस धारा के ऄधीन जांच ईसके अरंभ की तारीख से छह मास की ऄवहध
के ऄंदर पूरी की जाएगी, और यहद जांच आस प्रकार पूरी नहीं की जाती है तो
आस ऄध्याय के ऄधीन कायण वाही ईि ऄवहध की समाहप्त पर, पयण वहसत हो
जाएगी जब तक हवशेष कारणों के अधार पर, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे,
महजस्रेट ऄन्यथा हनदेश नहीं करता है:
परंतु जहां कोइ व्यहि, ऐसी जांच के लंहबत रहने के दौरान हनरुद्ध रखा गया है
वहां ईस व्यहि के हवरुद्ध कायण वाही, यहद पहले ही पयण वहसत नहीं हो जाती है
तो ऐसे हनरोध के छह मास की ऄवहध की समाहप्त पर पयण वहसत हो जाएगी।
(7) जहां कायण वाहहयों को चालू रखने की ऄनज्ञ ु ा देते हुए ईपधारा (6) के
ऄधीन हनदेश हकया जाता है, वहां सेशन न्यायाधीश व्यहथत पक्षकार द्वारा ईसे
हकए गए अवेदन पर ऐसे हनदेश को रद्द कर सकता है, यहद ईसका समाधान
हो जाता है हक वह हकसी हवशेष कारण पर अधाररत नहीं था या ऄनहु चत था।
धारा – 136 प्रहतभूहत देने का अदेि- यहद ऐसी जांच से यह साहबत हो जाता है हक, धारा –
यथाहस्थहत, पररशांहत कायम रखने के हलए या सदाचार बनाए रखने के हलए 117
यह अवश्यक है हक वह व्यहि, हजसके बारे में वह जांच की गइ है, बंधपत्र या
जमानतपत्र हनष्पाहदत करे तो महजस्रेट तद्नस ु ार अदेश देगा :-
परंत-ु
(क) हकसी व्यहि को ईस प्रकार से हभन्न प्रकार की या ईस रकम से ऄहधक
रकम की या ईस ऄवहध से दीघण तर ऄवहध के हलए प्रहतभूहत देने के हलए
अहदष्ट न हकया जाएगा, जो धारा 130 के ऄधीन हदए गए अदेश में हवहनहदण ष्ट
है;
(ख) प्रत्येक बंधपत्र या जमानतपत्र की रकम मामले की पररहस्थहतयों का
समयक् ध्यान रख कर हनयत की जाएगी और ऄत्यहधक न होगी;
(ग) जब वह व्यहि, हजसके बारे में जांच की जाती है, बालक है, तब बंधपत्र
के वल ईसके प्रहतभओ ु ं द्वारा हनष्पाहदत हकया जाएगा।
धारा – 137 ईस व्यहि का ईन्मोचन हजसके हिरुद्ध आहिला दी गइ है- यहद धारा 135 धारा –
के ऄधीन जांच पर यह साहबत नहीं होता है हक, यथाहस्थहत, पररशांहत कायम 118
रखने के हलए या सदाचार बनाए रखने के हलए यह अवश्यक है हक वह व्यहि,
हजसके बारे में जांच की गइ है, बंधपत्र हनष्पाहदत करे तो महजस्रेट ईस
ऄहभलेख में ईस भाव की प्रहवहष्ट करेगा और यहद ऐसा व्यहि के वल ईस जांच
के प्रयोजनों के हलए ही ऄहभरक्षा में है तो ईसे छो़ि देगा या यहद ऐसा व्यहि
ऄहभरक्षा में नहीं है तो ईसे ईन्मोहचत कर देगा।
धारा – 138 हजस ऄिहध के हलए प्रहतभूहत ऄपेहक्षत की गइ है ईसका प्रारंभ - (1) यहद धारा –
कोइ व्यहि, हजसके बारे में प्रहतभूहत की ऄपेक्षा करने वाला अदेश धारा 125 119
या धारा 136 के ऄधीन हदया गया है, ऐसा अदेश हदए जाने के समय
कारावास के हलए दंडाहदष्ट है या दंडादेश भगु त रहा है तो वह ऄवहध, हजसके
हलए ऐसी प्रहतभूहत की ऄपेक्षा की गइ है, ऐसे दंडादेश के ऄवसान पर प्रारंभ
होगी।
(2) ऄन्य दशाओं में ऐसी ऄवहध, ऐसे अदेश की तारीख से प्रारंभ होगी, जब
तक हक महजस्रेट पयाण प्त कारण से कोइ बाद की तारीख हनयत न करे।
धारा – 139 बंधपत्र की ऄंतिगस्तुएं - ऐसे हकसी व्यहि द्वारा हनष्पाहदत हकया जाने वाला धारा –
बंधपत्र या जमानतपत्र ईसे, यथाहस्थहत, पररशांहत कायम रखने या सदाचारी 120
रहने के हलए अबद्ध करेगा और बाद की दशा में कारावास से दंडनीय कोइ
ऄपराध करना या करने का प्रयत्न या दष्ु प्रेरण करना चाहे, वह कहीं भी हकया
जाए, बंधपत्र या जमानतपत्र का भंग है।

धारा – 140 प्रहतभओ ु ं को ऄस्िीकार करने की िहि (1) महजस्रेट हकसी पेश हकए गए धारा –
प्रहतभू को स्वीकार करने से आंकार कर सकता है या ऄपने द्वारा, या ऄपने 121
पूवणवती द्वारा, आस ऄध्याय के ऄधीन पहले स्वीकार हकए गए हकसी प्रहतभू को
आस अधार पर ऄस्वीकार कर सकता है हक ऐसा प्रहतभू जमानतपत्र के
प्रयोजनों के हलए ऄनपु यि ु व्यहि है :
परंतु हकसी ऐसे प्रहतभू को आस प्रकार स्वीकार करने से आंकार करने या ईसे
ऄस्वीकार करने के पहले वह प्रहतभू की ईपयि ु ता के बारे में या तो स्वयं
शपथ पर जांच करेगा या ऄपने ऄधीनस्थ महजस्रेट से ऐसी जांच और ईसके
बारे में ररपोटण करवाएगा।
(2) ऐसा महजस्रेट जांच करने के पहले प्रहतभू को और ऐसे व्यहि को, हजसने
वह प्रहतभू पेश हकया है, ईहचत सूचना देगा और जांच करने में ऄपने सामने
हदए गए साक्ष्य के सार को ऄहभहलहखत करेगा।
(3) यहद महजस्रेट को ऄपने समक्ष या ईपधारा (1) के ऄधीन प्रहतहनयि ु
महजस्रेट के समक्ष ऐसे हदए गए साक्ष्य पर और ऐसे महजस्रेट की ररपोटण पर
(यहद कोइ हो), हवचार करने के पश्चात् समाधान हो जाता है हक वह प्रहतभू
के प्रयोजनों के हलए ऄनपु यि
ु व्यहि है तो वह ईस प्रहतभू को,
यथाहस्थहत, स्वीकार करने से आंकार करने का या ईसे ऄस्वीकार करने का
अदेश करेगा और ऐसा करने के हलए ऄपने कारण ऄहभहलहखत करेगा :
परंतु हकसी प्रहतभू को, जो पहले स्वीकार हकया जा चक ु ा है, ऄस्वीकार करने
का अदेश देने के पहले महजस्रेट ऄपना समन या वारंट, हजसे वह ठीक
समझे, जारी करेगा और ईस व्यहि को, हजसके हलए प्रहतभू अबद्ध है, ऄपने
समक्ष हाहजर कराएगा या बल ु वाएगा।
धारा – 141 प्रहतभूहत देने में व्यहतिम होने पर कारािास- (1) (क) यहद कोइ व्यहि, धारा –
हजसे के ऄधीन प्रहतभूहत देने के हलए अदेश हदया 122
गया है, ऐसी प्रहतभूहत ईस तारीख को या ईस तारीख के पूवण, हजसको वह
ऄवहध, हजसके हलए ऐसी प्रहतभूहत दी जानी है, प्रारंभ होती है, नहीं देता है, तो
वह आसमें आसके पश्चात् ठीक अगे वहणण त दशा के हसवाय कारागार में भेज हदया
जाएगा या यहद वह पहले से ही कारागार में है तो वह कारागार में तब तक
हनरुद्ध रखा जाएगा जब तक ऐसी ऄवहध समाप्त न हो जाए या जब तक ऐसी
ऄवहध के भीतर वह ईस न्यायालय या महजस्रेट को प्रहतभूहत न दे दे हजसने
ईसकी ऄपेक्षा करने वाला अदेश हदया था।
(ख) यहद हकसी व्यहि द्वारा के ऄधीन महजस्रेट के अदेश के
ऄनस ु रण में पररशांहत बनाए रखने के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत
कर हदए जाने के पश्चात्, ईसके बारे में ऐसे महजस्रेट या ईसके पद-ईत्तरवती
को समाधानप्रद रूप में यह साहबत कर हदया जाता है हक ईसने बंधपत्र या
जमानतपत्र का भंग हकया है तो ऐसा महजस्रेट या पद-ईतरवतों, ऐसे सबूत के
अधारों को लेखबद्ध करने के पश्चात्, अदेश कर सकता है हक ईस व्यहि को
हगरफ्तार हकया जाए और बंधपत्र या जमानतपत्र की ऄवहध की समाहप्त तक
कारागार में हनरुद्ध रखा जाए तथा ऐसा अदेश ऐसे हकसी ऄन्य दंड या
समपहरण पर प्रहतकूल प्रभाव नहीं डालेगा हजससे हक ईि हवहध के ऄनस ु ार
दाहयत्वाधीन हो।
(2) जब ऐसे व्यहि को एक वषण से ऄहधक की ऄवहध के हलए प्रहतभूहत देने का
अदेश महजस्रेट आद्वारा हदया गया है, तब यहद ऐसा व्यहि यथापूवोि प्रहतभूहत
नहीं देता है तो वह महजस्रेट यह हनदेश देते हुए वारंट जारी करेगा हक सेशन
न्यायालय का अदेश होने तक, वह व्यहि कारागार में हनरुद्ध रखा जाए और
वह कायण वाही सहु वधानस ु ार शीघ्र ऐसे न्यायालय के समक्ष रखी जाएगी।
(3) ऐसा न्यायालय ऐसी कायण वाही की परीक्षा करने के और ईस महजस्रेट से
हकसी और आहत्तला या साक्ष्य की, हजसे वह अवश्यक समझे, ऄपेक्षा करने के
पश्चात् और संबद्ध व्यहि को सनु े जाने का ईहचत ऄवसर देने के पश्चात् मामले
में ऐसे अदेश पाररत कर सकता है जो वह ठीक समझे :
परंतु वह ऄवहध (यहद कोइ हो) हजसके हलए कोइ व्यहि प्रहतभूहत देने में
ऄसफल रहने के कारण काएवाहसत हकया जाता है, तीन वषण से ऄहधक की न
होगी।
(4) यहद एक ही कायण वाही में ऐसे दो या ऄहधक व्यहियों से प्रहतभहू त की
ऄपेक्षा की गइ है, हजनमें से हकसी एक के बारे में कायण वाही सेशन न्यायालय
को ईपधारा (2) के ऄधीन हनदेहशत की गइ है, तो ऐसे हनदेश में ऐसे व्यहियों
में से हकसी ऄन्य व्यहि का भी, हजसे प्रहतभूहत देने के हलए अदेश हदया गया
है, मामला शाहमल हकया जाएगा और ईपधारा (2) और ईपधारा (3) के
ईपबंध ईस दशा में, ऐसे ऄन्य व्यहि के मामले को भी, आस बात के हसवाय
लागू होंगे हक वह ऄवहध (यहद कोइ हो) हजसके हलए वह कारावाहसत हकया जा
सकता है, ईस ऄवहध से ऄहधक न होगी, हजसके हलए प्रहतभहू त देने के हलए
ईसे अदेश हदया गया था।
(5) सेशन न्यायाधीश ईपधारा (2) या ईपधारा (4) के ऄधीन ईसके समक्ष
रखी गइ हकसी कायण वाही को स्वहववेकानस ु ार ऄपर सेशन न्यायाधीश को
ऄंतररत कर सकता है और ऐसे ऄंतरण पर ऐसा ऄपर सेशन न्यायाधीश ऐसी
कायण वाही के बारे में आस धारा के ऄधीन सेशन न्यायाधीश की शहियों का
प्रयोग कर सकता है।
(6) यहद प्रहतभहू त जेल के भारसाधक ऄहधकारी को हनहवदत्त की जाती है तो
वह ईस मामले को ईस न्यायालय या महजस्रेट को, हजसने अदेश हकया,
तत्काल हनदेहशत करेगा और ऐसे न्यायालय या महजस्रेट के अदेशों की
प्रतीक्षा करेगा।
(7) पररशांहत कायम रखने के हलए प्रहतभूहत देने में ऄसफलता के कारण
कारावास सादा होगा।
(8) सदाचार के हलए प्रहतभूहत देने में ऄसफलता के कारण कारावास, जहां
कायगिाही धारा 127 के ऄधीन की गइ है, वहां सादा होगा और, जहां
कायण वाही धारा 128 या धारा 129 के ऄधीन की गइ है वहां, जैसा प्रत्येक
मामले में न्यायालय या महजस्रेट हनदेश दे, कहठन या सादा होगा।
धारा – 142 प्रहतभूहत देने में ऄसफलता के कारण कारािाहसत व्यहियों को छोडने की धारा –
िहि - (1) जब कभी धारा 136 के ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट द्वारा 123
पाररत हकसी अदेश के मामले में हजला महजस्रेट या हकसी ऄन्य मामले में
मख्ु य न्याहयक महजस्रेट की यह राय है हक कोइ व्यहि जो आस ऄध्याय के
ऄधीन प्रहतभूहत देने में ऄसफल रहने के कारण कारावाहसत है, समाज या
हकसी ऄन्य व्यहि को पररसंकट मैं डाले हबना छो़िा जा सकता है तब वह ऐसे
व्यहि के ईन्मोहचत हकए जाने का अदेश दे सकता है।
(2) जब कभी कोइ व्यहि आस ऄध्याय के ऄधीन प्रहतभूहत देने में ऄसफल
रहने के कारण कारावाहसत हकया गया हो तब ईच्च न्यायालय या सेशन
न्यायालय या जहां अदेश हकसी ऄन्य न्यायालय द्वारा हकया गया है िहां धारा
136 के ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट द्वारा पाररत हकसी अदेश के
मामले में हजला महजस्रेट या हकसी ऄन्य मामले में मख्ु य न्याहयक महजस्रेट
प्रहतभूहत की रकम को या प्रहतभओ ु ं की संख्या को या ईस समय को, हजसके
हलए प्रहतभूहत की ऄपेक्षा की गइ है, कम करते हुए अदेश दे सकता है।
(3) ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश ऐसे व्यहि का ईन्मोचन या तो शतों के
हबना या ऐसी शतों पर, हजन्हें वह व्यहि स्वीकार करे, हनहदष्ट कर सकता है:
परंतु ऄहधरोहपत की गइ कोइ शतण ईस ऄवहध की समाहप्त पर, प्रवृत्त न रहेगी
हजसके हलए प्रहतभूहत देने का अदेश हदया गया है।
(4) राज्य सरकार हनयमों द्वारा ईन शतों को हवहहत कर सके गी हजन पर सशतण
ईन्मोचन हकया जा सकता है।
(5) यहद कोइ शतण , हजस पर ऐसा कोइ व्यहि ईन्मोहचत हकया गया है, धारा
136 के ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट द्वारा पाररत हकसी अदेश के
मामले में हजला महजस्रेट या हकसी ऄन्य मामले में मख्ु य न्याहयक महजस्रेट
की राय में, हजसने ईन्मोचन का अदेश हदया था या ईसके ईत्तरवती की राय
में पूरी नहीं की गइ है, तो वह ईस अदेश को रद्द कर सकता है।
(6) जब ईन्मोचन का सशतण अदेश ईपधारा (5) के ऄधीन रद्द कर हदया जाता
है तब ऐसा व्यहि हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा वारंट के हबना हगरफ्तार हकया
जा सके गा और हफर धारा 136 के ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट द्वारा
पाररत हकसी अदेश के मामले में हजला महजस्रेट या हकसी ऄन्य मामले में
मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के समक्ष पेश हकया जाएगा।
(7) ईस दशा के हसवाय हजसमें ऐसा व्यहि मल ू अदेश के हनबंधनों के
ऄनस ु ार ईस ऄवहध के शेष भाग के हलए, हजसके हलए ईसे प्रथम बार कारागार
सपु दु ण हकया गया था या हनरुद्ध हकए जाने का अदेश हदया गया था (और ऐसा
भाग ईस ऄवहध के बराबर समझा जाएगा, जो ईन्मोचन की शतों के भंग होने
की तारीख और ईस तारीख के बीच की है हजसको यह ऐसे सशतण ईन्मोचन के
ऄभाव में छो़िे जाने का हकदार होता) प्रहतभूहत दे देता है, धारा 136 के
ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट द्वारा पाररत हकसी अदेश के मामले में
हजला महजस्रेट या हकसी ऄन्य मामले में मख्ु य न्याहयक महजस्रेट ईस व्यहि
को ऐसा शेष भाग भगु तने के हलए कारागार भेज सकता है।
(8) ईपधारा (7) के ऄधीन कारागार भेजा गया व्यहि, ऐसे न्यायालय या
महजस्रेट को, हजसने ऐसा अदेश हकया था या ईसके ईत्तवती को, पूवोि शेष
भाग के हलए मूल अदेश के हनबंधनों के ऄनस ु ार प्रहतभूहत देने पर, धारा 141
के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, हकसी भी समय छो़िा जा सकता है।
(9) ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय पररशांहत कायम रखने के हलए या
सदाचार के हलए बंधपत्र को, जो ईसके द्वारा हकए गए हकसी अदेश से आस
ऄध्याय के ऄधीन हनष्पाहदत हकया गया है, पयाण प्त कारणों से, जो ऄहभहलहखत
हकए जाएंग,े हकसी समय भी रद्द कर सकता है और जहां ऐसा बंधपत्र धारा
136 के ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट द्वारा पाररत हकसी अदेश के
मामले में हजला महजस्रेट या हकसी ऄन्य मामले में मख्ु य न्याहयक महजस्रेट
के या ईसके हजले के हकसी न्यायालय के अदेश के ऄधीन हनष्पाहदत हकया
गया है वहां वह ईसे ऐसे रद्द कर सकता है।
(10) कोइ प्रहतभू जो हकसी ऄन्य व्यहि के शांहतमय अचरण या सदाचार के
हलए आस ऄध्याय के ऄधीन बंधपत्र के हनष्पाहदत करने के हलए अहदष्ट है, ऐसा
अदेश करने वाले न्यायालय से बंधपत्र को रद्द करने के हलए हकसी भी समय
अवेदन कर सकता है और ऐसा अवेदन हकए जाने पर न्यायालय यह ऄपेक्षा
करते हुए हक वह व्यहि, हजसके हलए ऐसा प्रहतभू अबद्ध है, हाहजर हो या
ईसके समक्ष लाया जाए, समन या वारंट, जो भी वह ठीक समझे, जारी करेगा।
धारा – 143 बंधपत्र की िेष ऄिहध के हलए प्रहतभूहत - (1) जब वह व्यहि, हजसको धारा –
हाहजरी के हलए धारा 140 की ईपधारा (3) के परंतक ु के ऄधीन या धारा 124
142 की ईपधारा (10) के ऄधीन समन या वारंट जारी हकया गया है,
महजस्रेट या न्यायालय के समक्ष हाहजर होता है या लाया जाता है तब वह
महजस्रेट या न्यायालय ऐसे व्यहि द्वारा हनष्पाहदत बंधपत्र या जमानतपत्र को
रद्द कर देगा और ईस व्यहि को ऐसे बंधपत्र की ऄवहध के शेष भाग के हलए
ईसी भांहत की, जैसी मल ू प्रहतभहू त थी, नइ प्रहतभहू त देने के हलए अदेश देगा।
(2) ऐसा प्रत्येक अदेश धारा 139 से धारा 142 तक की धाराओं के (हजसके
ऄंतगण त ये दोनों धाराएं भी हैं) प्रयोजनों के हलए, यथाहस्थहत, धारा 125 या
धारा 136 के ऄधीन हदया गया अदेश समझा जाएगा।
ऄध्याय 10 - पत्नी, संतान और माता-हपता के भरणपोषण के हलए अदेि
धारा – 144 पत्नी, संतान और माता-हपता के भरणपोषण के हलए अदेि- (1) यहद धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
पयाण प्त साधनों वाला कोइ व्यहि- 125
(क) ऄपनी पत्नी का, जो ऄपना भरणपोषण करने में ऄसमथण है; या
(ख) ऄपनी धमण ज या ऄधमण ज बालक संतान का चाहे हववाहहत हो या न हो,
जो ऄपना भरणपोषण करने में ऄसमथण है; या
(ग) ऄपनी धमण ज या ऄधमण ज संतान का (जो हववाहहत पत्रु ी नहीं है), हजसने
वयस्कता प्राप्त कर ली है, जहां ऐसी संतान हकसी शारीररक या मानहसक
ऄसामान्यता या क्षहत के कारण ऄपना भरणपोषण करने में ऄसमथण है; या
(घ) ऄपने हपता या माता का, जो ऄपना भरणपोषण करने में ऄसमथण है,
भरणपोषण करने में ईपेक्षा करता है या भरणपोषण करने से आंकार करता है तो
प्रथम वगण महजस्रेट, ऐसी ईपेक्षा या आंकार के साहबत हो जाने पर, ऐसे व्यहि
को यह हनदेश दे सकता है हक वह ऄपनी पत्नी या ऐसी संतान, हपता या माता
के भरणपोषण के हलए ऐसी माहसक दर पर, हजसे महजस्रेट ठीक समझे,
माहसक भत्ता दे और ईस भत्ते का संदाय ऐसे व्यहि को करे हजसको संदाय
करने का महजस्रेट समय-समय पर हनदेश दे :
परंतु महजस्रेट खंड (ख) में हनहदण ष्ट पत्रु ी के हपता को हनदेश दे सकता है हक वह
ईस समय तक ऐसा भत्ता दे जब तक वह वयस्क नहीं हो जाती है यहद
महजस्रेट का समाधान हो जाता है हक ऐसी पत्रु ी के , यहद वह हववाहहत हो, पहत
के पास पयाण प्त साधन नहीं है :
परंतु यह और हक महजस्रेट, आस ईपधारा के ऄधीन भरणपोषण के हलए
माहसक भत्ते के संबधं में कायण वाही के लंहबत रहने के दौरान, ऐसे व्यहि को यह
अदेश दे सकता है हक वह ऄपनी पत्नी या ऐसी संतान, हपता या माता के
ऄंतररम भरणपोषण के हलए माहसक भत्ता और ऐसी कायण वाही का व्यय दे हजसे
महजस्रेट ईहचत समझे और ऐसे व्यहि को ईसका संदाय करे, हजसको संदाय
करने का महजस्रेट, समय-समय हनदेश दे :
परंतु यह भी हक दूसरे परंतक ु के ऄधीन ऄंतररम भरणपोषण के हलए माहसक
भत्ते और कायण वाही के व्ययों का कोइ अवेदन, यथासंभव, ऐसे व्यहि पर
अवेदन की सूचना की तामील की तारीख से साठ हदन के भीतर हनपटाया
जाएगा।
स्पष्टीकरण- आस ऄध्याय के प्रयोजनों के हलए "पत्नी" के ऄन्तगण त ऐसी महहला
भी है, हजसके पहत ने ईससे हववाह-हवच्छे द कर हलया है या हजसने ऄपने पहत
से हववाह हवच्छे द कर हलया है और हजसने पनु हवण वाह नहीं हकया है।
(2) भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण के हलए ऐसा कोइ भत्ता और कायण वाही
के हलए व्यय, अदेश की तारीख से, या, यहद ऐसा अदेश हदया जाता है तो,
यथाहस्थहत, भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण और कायण वाही के व्ययों के
हलए अवेदन की तारीख से संदेय होंगे।
(3) यहद कोइ व्यहि हजसे अदेश हदया गया हो, ईस अदेश का ऄनपु ालन
करने में पयाण प्त कारण के हबना ऄसफल रहता है तो ईस अदेश के प्रत्येक भंग
के हलए ऐसा कोइ महजस्रेट देय रकम के ऐसी रीहत से ईदग् हु ीत हकए जाने के
हलए वारंट जारी कर सकता है जैसी रीहत जमु ाण ने ईद्गहृ ीत करने के हलए
ईपबंहधत है, और ईस वारंट के हनष्पादन के पश्चात् प्रत्येक मास के न चक ु ाए
गए यथाहस्थहत, भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण के हलए पूरे भत्ते और
कायण वाही के व्यय या ईसके हकसी भाग के हलए ऐसे व्यहि को एक मास तक
की ऄवहध के हलए, या यहद वह ईससे पूवण चक ु ा हदया जाता है तो चक
ु ा देने के
समय तक के हलए, कारावास का दंडादेश दे सकता है:
परंतु आस धारा के ऄधीन देय हकसी रकम की वसूली के हलए कोइ वारंट तब
तक जारी न हकया जाएगा जब तक ईस रकम को ईदग् हृ ीत करने के हलए, ईस
तारीख से हजसको वह देय हुइ एक वषण की ऄवहध के ऄंदर न्यायालय से
अवेदन नहीं हकया गया है :
परंतु यह और हक यहद ऐसा व्यहि आस शतण पर भरणपोषण करने की प्रस्थापना
करता है हक ईसकी पत्नी ईसके साथ रहे और वह पहत के साथ रहने से आंकार
करती है तो ऐसा महजस्रेट ईसके द्वारा कहथत आंकार के हकन्हीं अधारों पर
हवचार कर सकता है और ऐसी प्रस्थापना के हकए जाने पर भी वह आस धारा के
ऄधीन अदेश दे सकता है यहद ईसका समाधान हो जाता है हक ऐसा अदेश
देने के हलए न्यायसंगत अधार है।
स्पष्टीकरण-यहद पहत ने ऄन्य महहला से हववाह कर हलया है या वह रखेल
रखता है तो यह ईसकी पत्नी द्वारा ईसके साथ रहने से आंकार का न्यायसंगत
अधार माना जाएगा।
(4) कोइ पत्नी ऄपने पहत से आस अधार के ऄधीन यथाहस्थहत, भरणपोषण
या ऄंतररम भरणपोषण के हलए भत्ता और कायण वाही के व्यय प्राप्त करने की
हकदार न होगी, यहद वह जारता की दशा में रह रही है या यहद वह पयाण प्त
कारण के हबना ऄपने पहत के साथ रहने से आंकार करती है या यहद वे
पारस्पररक सममहत से पृथक् रह रहे हैं।
(5) महजस्रेट यह साहबत होने पर अदेश को रद्द कर सकता है हक कोइ पत्नी,
हजसके पक्ष में आस धारा के ऄधीन अदेश हदया गया है जारता की दशा में रह
रही है या पयाण प्त कारण के हबना ऄपने पहत के साथ रहने से आंकार करती है या
वे पारस्पररक सममहत से पृथक् रह रहे हैं।
धारा – 145 प्रहिया - (1) हकसी व्यहि के हिरुद्ध धारा 144 के ऄधीन कायण वाही हकसी धारा –
ऐसे हजले में की जा सकती है- 126
(क) जहां वह है, या
(ख) जहां वह या ईसकी पत्नी हनवास करती है, या
(ग) जहां ईसने ऄंहतम बार, यथाहस्थहत, ऄपनी पत्नी के साथ या ऄधमण ज
संतान की माता के साथ हनवास हकया है; या
(घ) जहां ईसका हपता हनिास करता है या ईसकी माता हनिास करती है।
(2) ऐसी कायण वाही में सब साक्ष्य, ऐसे व्यहि की ईपहस्थहत में, हजसके हवरुद्ध
भरणपोषण के हलए संदाय का अदेश देने की प्रस्थापना है, या जब ईसकी
वैयहिक हाहजरी से ऄहभमहु ि दे दी गइ है तब ईसके ऄहधविा की ईपहस्थहत
में हलया जाएगा और ईस रीहत से ऄहभहलहखत हकया जाएगा जो समन-मामलों
के हलए हवहहत है :
परंतु यहद महजस्रेट का समाधान हो जाए हक ऐसा व्यहि हजसके हवरुद्ध
भरणपोषण के हलए संदाय का अदेश देने की प्रस्थापना है, तामील से
जानबूझकर बच रहा है या न्यायालय में हाहजर होने में जानबूझकर ईपेक्षा कर
रहा है तो महजस्रेट मामले को एकपक्षीय रूप में सनु ने और ऄवधारण करने के
हलए ऄग्रसर हो सकता है और ऐसे हदया गया कोइ अदेश ईसकी तारीख से
तीन मास के ऄंदर हकए गए अवेदन पर दहशण त ऄच्छे कारण से ऐसे हनबंधनों
के ऄधीन हजनके ऄंतगण त हवरोधी पक्षकार को खचे के संदाय के बारे में ऐसे
हनबंधन भी हैं जो महजस्रेट न्यायोहचत और ईहचत समझे, ऄपास्त हकया जा
सकता है।
(3) धारा 144 के ऄधीन अवेदनों पर कायण वाही करने में न्यायालय को शहि
होगी हक वह खचों के बारे में ऐसा अदेश दे जो न्यायसंगत है।
धारा – 146 भिे में पररितगन (1) धारा 144 के ऄधीन भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण धारा –
के हलए माहसक भत्ता पाने वाले या, यथाहस्थहत, ऄपनी पत्नी, संतान, हपता या 127
माता को भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण के हलए माहसक भत्ता देने के हलए
ईसी धारा के ऄधीन अहदष्ट हकसी व्यहि की पररहस्थहतयों में तब्दीली साहबत
हो जाने पर महजस्रेट, यथाहस्थहत, भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण के हलए
भत्ते में ऐसा पररवतण न कर सकता है जो वह ठीक समझे।
(2) जहां महजस्रेट को यह प्रतीत होता है हक धारा 144 के ऄधीन हदया गया
कोइ अदेश हकसी सक्षम हसहवल न्यायालय के हकसी हवहनश्चय के
पररणामस्वरूप रद्द या पररवहतण त हकया जाना चाहहए, वहां वह, यथाहस्थहत,
ईस अदेश को तद्नस ु ार रद्द कर देगा या पररवहतण त कर देगा।
(3) जहां धारा 144 के ऄधीन कोइ अदेश ऐसी महहला के पक्ष में हदया गया है
हजसके पहत ने ईससे हववाह-हवच्छे द कर हलया है या हजसने ऄपने पहत से
हववाह हवच्छे द प्राप्त कर हलया है वहां यहद महजस्रेट का समाधान हो जाता है
हक-
(क) ईस महहला ने ऐसे हववाह हवच्छे द की तारीख के पश्चात् पनु ः हववाह कर
हलया है, तो वह ऐसे अदेश को ईसके पनु हवण वाह की तारीख से रद्द कर देगा;
(ख) ईस महहला के पहत ने ईससे हववाह हवच्छे द कर हलया है और ईस
महहला ने ईि अदेश के पूवण या पश्चात् वह पूरी धनराहश प्राप्त कर ली है जो
पक्षकारों को लागू हकसी रुहदजन्य या स्वीय हवहध के ऄधीन ऐसे हववाह
हवच्छे द पर देय थी तो वह ऐसे अदेश को, -
(1) ईस दशा में हजसमें ऐसी धनराहश ऐसे अदेश से पूवण दे दी गइ थी ईस
अदेश के हदए जाने की तारीख से रद्द कर देगा;
(ii) हकसी ऄन्य दशा में ईस ऄवहध की, यहद कोइ हो, हजसके हलए पहत द्वारा
ईस महहला को वास्तव में भरणपोषण हदया गया है, समाहप्त की तारीख से रद्द
कर देगा;
(ग) ईस महहला ने ऄपने पहत से हववाह हवच्छे द प्राप्त कर हलया है और ईसने
ऄपने हववाह- हवच्छे द के पश्चात् ऄपने, यथाहस्थहत, भरणपोषण या ऄंतररम
भरणपोषण के अधारों का स्वेच्छा से ऄभ्यपण ण कर हदया था, तो वह अदेश
को ईसकी तारीख से रद्द कर देगा।
(4) हकसी भरणपोषण या दहेज की, हकसी ऐसे व्यहि द्वारा, हजसे धारा 144
के ऄधीन भरणपोषण और ऄंतररम भरणपोषण या ईनमें से हकसी के हलए कोइ
माहसक भत्ता संदाय हकए जाने का अदेश हदया गया है, वसूली के हलए हडिी
करने के समय हसहवल न्यायालय ईस राहश की भी गणना करेगा जो ऐसे
अदेश के ऄनस ु रण में, यथाहस्थहत, भरणपोषण या ऄंतररम भरणपोषण या
ईनमें से हकसी के हलए माहसक भत्ते के रूप में ईस व्यहि को संदाय की जा
चक ु ी है या ईस व्यहि द्वारा वसूल की जा चक ु ी है।
धारा – 147 भरणपोषण के अदेि का प्रितगन - यथाहस्थहत, भरणपोषण या ऄंतररम धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
भरणपोषण और कायण वाहहयों के व्ययों के अदेश की प्रहत, ईस व्यहि को, 128
हजसके पक्ष में वह हदया गया है या ईसके संरक्षक को यहद कोइ हो, या ईस
व्यहि को, हजसे यथाहस्थहत, भरणपोषण के हलए भत्ता या ऄंतररम भरणपोषण
के हलए भत्ता और कायण वाही के हलए व्यय हदया जाना है हनःशलु क दी जाएगी
और ऐसे अदेश का प्रवतण न हकसी ऐसे स्थान में, जहां वह व्यहि है, हजसके
हवरुद्ध वह अदेश हदया गया था, हकसी महजस्रेट द्वारा पक्षकारों को पहचान के
बारे में और, यथाहस्थहत, देय भत्ते या व्ययों के न हदए जाने के बारे में ऐसे
महजस्रेट का समाधान हो जाने पर हकया जा सकता है।
ऄध्याय 11 - लोक व्यिस्था और प्रिांहत बनाए रखना
क-हिहधहिरुद्ध जमाि
धारा – 148 हसहिल बल के प्रयोग द्वारा जमाि को हततर-हबतर करना - (1) कोइ धारा –
कायण पालक महजस्रेट या पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी या ऐसे 129
भारसाधक ऄहधकारी की ऄनपु हस्थहत में ईप हनरीक्षक की पंहि से ऄहनमन
कोइ पहु लस ऄहधकारी हकसी हवहधहवरुद्ध जमाव को, या पांच या ऄहधक
व्यहियों के हकसी ऐसे जमाव को, हजससे लोकशांहत हवक्षब्ु ध होने की
संभाव्यता है, हततर-हबतर होने का समादेश दे सकता है और तब ऐसे जमाव
के सदस्यों का यह कतण व्य होगा हक वे तद्नस
ु ार हततर-हबतर हो जाएं।
(2) यहद ऐसा समादेश हदए जाने पर ऐसा कोइ जमाव हततर-हबतर नहीं होता है
या यहद ऐसे समाहदष्ट हुए हबना वह आस प्रकार से अचरण करता है, हजससे
ईसका हततर-हबतर न होने का हनश्चय दहशण त होता है, तो ईपधारा (1) में
हनहदण ष्ट कोइ कायण पालक महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी ईस जमाव को बल
द्वारा हततर- हबतर करने की कायण वाही कर सकता है और हकसी भी व्यहि से
जो सशस्त्र बल का ऄहधकारी या सदस्य नहीं है और ईस नाते कायण नहीं कर
रहा है, ऐसे जमाव को हततर-हबतर करने के प्रयोजन के हलए और यहद
अवश्यक हो तो ईन व्यहियों को, जो ईसमें सहममहलत हैं, आसहलए हगरफ्तार
करने और परररुद्ध करने के हलए हक ऐसा जमाव हततर-हबतर हकया जा सके
या ईन्हें हवहध के ऄनस ु ार दंड हदया जा सके , सहायता की ऄपेक्षा कर सकता
है।
धारा – 149 जमाि को हततर-हबतर करने के हलए सिस्त्र बल का प्रयोग (1) धारा 148 धारा –
की ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट यहद कोइ ऐसा जमाव ऄन्यथा हततर-हबतर नहीं 130
हकया जा सकता है और यहद लोक सरु क्षा के हलए यह अवश्यक है हक ईसको
हततर-हबतर हकया जाए तो हजला महजस्रेट या ईसके द्वारा प्राहधकृत कोइ
ऄन्य कायण पालक महजस्रेट, जो ईपहस्थत हो, सशस्त्र बल द्वारा ईसे हततर-
हबतर करा सकता है।
(2) ऐसा महजस्रेट हकसी ऐसे ऄहधकारी से, जो सशस्त्र बल के व्यहियों की
हकसी टुक़िी का समादेशन कर रहा है, यह ऄपेक्षा कर सकता है हक वह ऄपने
समादेशाधीन सशस्त्र बल की मदद से जमाव को हतर-हबतर कर दे और ईसमें
सहममहलत ऐसे व्यहियों को, हजनकी बाबत महजस्रेट हनदेश दे या हजन्हें
जमाव को हततर-हबतर करने या हवहध के ऄनस ु ार दंड देने के हलए हगरफ्तार
और परररुद्ध करना अवश्यक है, हगरफ्तार और परररुद्ध करे।
(3) सशस्त्र बल का प्रत्येक ऐसा ऄहधकारी ऐसी ऄध्यपेक्षा का पालन ऐसी
रीहत से करेगा जैसी वह ठीक समझे, हकं तु ऐसा करने में के वल आतने ही बल
का प्रयोग करेगा और शरीर और संपहत्त को के वल आतनी ही हाहन पहुंचाएगा
हजतनी ईस जमाव को हततर-हबतर करने और ऐसे व्यहियों को हगरफ्तार और
हनरुद्ध करने के हलए अवश्यक है।
धारा – 150 जमाि को हततर-हबतर करने की सिस्त्र बल के कहतपय ऄहधकाररयों की धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
िहि – जब कोइ ऐसा जमाव लोक सरु क्षा को स्पष्टतया संकटापन्न कर देता 131
है और हकसी कायण पालक महजस्रेट से संपकण नहीं हकया जा सकता है तब
सशस्त्र बल का कोइ अयि ु या राजपहत्रत ऄहधकारी ऐसे जमाव को ऄपने
समादेशाधीन सशस्त्र बल की मदद से हततर-हबतर कर सकता है और ऐसे
हकन्हीं व्यहियों को, जो ईसमें सहममहलत हों, ऐसे जमाव को हततर-हबतर करने
के हलए या आसहलए हक ईन्हें हवहध के ऄनस ु ार दंड हदया जा सके , हगरफ्तार
और परररुद्ध कर सकता है, हकं तु यहद ईस समय, जब वह आस धारा के ऄधीन
कायण कर रहा है, कायण पालक महजस्रेट से संपकण करना ईसके हलए साध्य हो
जाता है तो वह ऐसा करेगा और तदनन्तर आस बारे में हक वह ऐसी कायण वाही
चालू रखे या न रखे, महजस्रेट के ऄनदु ेशों का पालन करेगा।
धारा – 151 धारा 148, धारा 149 तथा धारा 150 के ऄधीन हकए गए कायों के हलए धारा –
ऄहभयोजन से संरक्षण- (1) हकसी कायण के हलए, जो धारा 148, धारा 149 132
या धारा 150 के ऄधीन हकया गया तात्पहथण त है, हकसी व्यहि के हवरुदध कोइ
ऄहभयोजन हकसी दंड न्यायालय में- (क) जहां ऐसा व्यहि सशस्त्र बल का
कोइ ऄहधकारी या सदस्य है, वहां कें द्रीय सरकार की मंजूरी के हबना संहस्थत
नहीं हकया जाएगा;
(ख) हकसी ऄन्य मामले में राज्य सरकार की मंजूरी के हबना संहस्थत नहीं
हकया जाएगा।
(2) (क) ईि धाराओं में से हकसी के ऄधीन सद्भावपवू ण क कायण करने वाले
हकसी कायण पालक महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी के बारे में;
(ख) धारा 148 या धारा 149 के ऄधीन ऄपेक्षा के ऄनपु ालन में सद्भावपूवणक
कायण करने वाले हकसी व्यहि के बारे में;
(ग) धारा 150 के ऄधीन सद्भावपूवणक कायण करने वाले सशस्त्र बल के हकसी
ऄहधकारी के बारे
(घ) सशस्त्र बल का कोइ सदस्य हजस अदेश का पालन करने के हलए अबद्ध
हो ईसके पालन में हकए गए हकसी कायण के हलए ईस सदस्य के बारे में, माना
जाएगा हक ईसने कोइ ऄपराध हकया है।
(3) आस धारा में और आस ऄध्याय की पूवणवती धाराओं में-
(क) "सशस्त्र बल" पद से भूहम बल के रूप में हियाशील सेना, नौसेना और
वायसु ेना ऄहभप्रेत हैं और आसके ऄंतगण त आस प्रकार हियाशील संघ के ऄन्य
सशस्त्र बल भी हैं:
(ख) सशस्त्र बल के संबधं में "ऄहधकारी" से सशस्त्र बल के अहफसर के रूप में
अयि ु , राजपहत्रत या वेतनभोगी व्यहि ऄहभप्रेत है और आसके ऄंतगण त कहनष्ठ
अयि ु अहफसर, वारंट अहफसर, पेटी अहफसर, ऄनायि ु अहफसर तथा
ऄराजपहत्रत अहफसर भी हैं; (ग) सशस्त्र बल के संबधं में "सदस्य" से सशस्त्र
बल के ऄहधकारी से हभन्न ईसका कोइ सदस्य ऄहभप्रेत है।
ख-लोक न्यूसन्े स
धारा – 152 न्यूसेन्स हटाने के हलए सितग अदेि (1) जब हकसी हजला महजस्रेट या धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
ईपखंड महजस्रेट का या राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त हवशेषतया सशि 133
हकसी ऄन्य कायण पालक महजस्रेट का हकसी पहु लस ऄहधकारी से ररपोटण या
ऄन्य आहत्तला प्राप्त होने पर और ऐसा साक्ष्य (यहद कोइ हो) लेने पर, जैसा वह
ठीक समझे, यह हवचार है हक-
(क) हकसी लोक स्थान या हकसी मागण , नदी या जलसरणी से, जो जनता द्वारा
हवहधपूवणक ईपयोग में लाइ जाती है या लाइ जा सकती है, कोइ हवहधहवरुद्ध
बाधा या न्यूसेन्स हटाया जाना चाहहए; या
(ख) हकसी व्यापार या ईपजीहवका को चलाना या हकसी माल या पण्य वस्तु
को रखना समाज के स्वास्थ्य या शारीररक सख ु के हलए हाहनकर है और
पररणामतः ऐसा व्यापार या ईपजीहवका प्रहतहषद्ध या हवहनयहमत की जानी
चाहहए या ऐसा माल या पण्य वस्तु हटा दी जानी चाहहए या ईसको रखना
हवहनयहमत हकया जाना चाहहए; या
(ग) हकसी भवन का हनमाण ण या हकसी पदाथण का व्ययन, हजससे समभाव्य है हक
ऄहग्नकांड या हवस्फोट हो जाए, रोक हदया या बंद कर हदया जाना चाहहए, या
(घ) कोइ भवन, तंबू, संरचना या कोइ वृक्ष ऐसी दशा में है हक संभाव्य है हक वह
हगर जाए और प़िोस में रहने या कारबार करने वाले या पास से हनकलने वाले
व्यहियों को ईससे हाहन हो, और पररणामतः ऐसे भवन, तमबू या संरचना को
हटाना, या ईसकी मरममत करना या ईसमें अलंब लगाना, या ऐसे वृक्ष को
हटाना या ईसमें अलंब लगाना अवश्यक है;
(ङ) ऐसे हकसी मागण या लोक स्थान के पाश्वण स्थ हकसी तालाब, कुएं या ईत्खात
को आस प्रकार से बा़ि लगा दी जानी चाहहए हक जनता को होने वाले खतरे का
हनवारण हो सके ; या
(च) हकसी भयानक जीवजंतु को नष्ट, परररुद्ध या ईसका ऄन्यथा व्ययन हकया
जाना चाहहए,
तब ऐसा महजस्रेट ऐसी बाधा या न्यूसेंस पैदा करने वाले या ऐसा व्यापार या
ईपजीहवका चलाने वाले या हकसी ऐसे माल या पण्य वस्तु को रखने वाले या
ऐसे भवन, तंब,ू संरचना, पदाथण , तालाब, कुएं या ईत्खात का स्वाहमत्व या
कब्जा या हनयंत्रण रखने वाले या ऐसे जीवजंतु या वृक्ष का स्वाहमत्व या कब्जा
रखने वाले व्यहि से यह ऄपेक्षा करते हुए सशतण अदेश दे सकता है हक ईतने
समय के ऄंदर, हजतना ईस अदेश में हनयत हकया जाएगा, वह-
(i) ऐसी बाधा या न्यूसेन्स को हटा दे; या
(ii) ऐसा व्यापार या ईपजीहवका चलाना छो़ि दे या ईसे ऐसी रौहत से बंद कर
दे या हवहनयहमत करे, जैसी हनहदष्ट की जाए या ऐसे मामले या पण्य वस्तु को
हटाए या ईसको रखना ऐसी रीहत से हवहनयहमत करे जैसी हनहदष्ट की जाए; या
(iii) ऐसे भवन का हनमाण ण रोके या बंद करे, या ऐसे पदाथण के व्ययन में पररवतण न
करे; या
(iv) ऐसे भवन, तंबू या संरचना को हटाए, ईसकी मरममत कराए या ईसमें
अलमब लगाए या ऐसे वृक्षों को हटाए या ईनमें अलंब लगाए; या
(v) ऐसे तालाब, कुएं या ईत्खात को बाढ लगाए; या
(vi) ऐसे भयानक जीवजंतु को ईस रीहत से नष्ट करे, परररुद्ध करे या ईसका
व्ययन करे, जो ईस अदेश में ईपबंहधत है,
या यहद वह ऐसा करने में अपहत्त करता है तो वह स्वयं ईसके समक्ष या ईसके
ऄधीनस्थ हकसी ऄन्य कायण पालक महजस्रेट के समक्ष ईस समय और स्थान
पर, जो ईस अदेश द्वारा हनयत हकया जाएगा, हाहजर हो और आसमें आसके
पश्चात् ईपबंहधत प्रकार से कारण दहशण त करे हक ईस अदेशों को ऄंहतम क्ट्यों न
कर हदया जाए।
(2) महजस्रेट द्वारा आस धारा के ऄधीन समयक् रूप से हदए गए हकसी भी
अदेश को हकसी हसहवल न्यायालय में प्रश्नगत नहीं हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण "लोक स्थान" के ऄंतगण त राज्य की संपहत्त, प़िाव के मैदान और
स्वच्छता या अमोद- प्रमोद के प्रयोजन के हलए खाली छो़िे गए मैदान भी हैं।
धारा – 153 अदेि की तामील या ऄहधसूचना (1) अदेश की तामील ईस व्यहि पर, धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
हजसके हवरुद्ध वह हकया गया है, यहद साध्य हो तो, ईस रीहत से की जाएगी, 134
जो समनों की तामील के हलए आसमें ईपबंहधत है।
(2) यहद ऐसे अदेश की तामील आस प्रकार नहीं की जा सकती है तो ईसकी
ऄहधसूचना ऐसी रीहत से प्रकाहशत ईद्घोषणा द्वारा की जाएगी, जैसी राज्य
सरकार हनयम द्वारा हनदेश करे और ईसकी एक प्रहत ऐसे स्थान या स्थानों पर
हचपका दी जाएगी, जो ईस व्यहि को आहत्तला पहुंचाने के हलए सबसे ऄहधक
ईपयि ु हैं।

धारा – 154 हजस व्यहि को अदेि संबोहधत हैं िह ईसका पालन करे या कारण दहिगत धारा –
करे - वह व्यहि हजसके हवरुद्ध ऐसा अदेश हदया गया है- 135
(क) ईस अदेश द्वारा हनहदष्ट कायण ईस समय के ऄंदर और ईस रीहत से करेगा
जो अदेश में हवहनहदण ष्ट है, या
(ख) ईस अदेश के ऄनस ु ार हाहजर होगा और ईसके हवरुद्ध कारण दहशण त
करेगा और ऐसी हाहजरी या िचगऄ ु ल सुनिाइ श्रव्य दृश्य संगोष्ठी के माध्यम
से ऄनज्ञ ु ात की जा सके गी।
धारा – 155 धारा 154 का ऄनुपालन करने में ऄसफलता के हलए िाहस्त- यहद व्यहि धारा –
हजसके हिरुद्ध धारा 154 के ऄधीन कोइ अदेश हदया गया है ऐसे कायण को 136
नहीं करता है या हाहजर होकर कारण दहशण त नहीं करता है, तो िह भारतीय
न्याय संहहता, 2023 की धारा 223 में ईस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट शाहस्त का दायी
होगा और अदेश ऄंहतम कर हदया जाएगा।
धारा – 156 जहां लोक ऄहधकार के ऄहस्तत्ि से आंकार हकया जाता है िहां प्रहिया (1) धारा –
जहां हकसी मागण , नदी, जलसरणी या स्थान के ईपयोग में जनता को होने वाली 137
बाधा, न्यूसेन्स या खतरे का हनवारण करने के प्रयोजन के हलए कोइ अदेश
धारा 152 के ऄधीन हकया जाता है वहां महजस्रेट ईस व्यहि के हजसके
हवरुद्ध वह अदेश हकया गया है ऄपने समक्ष हाहजर होने पर, ईससे प्रश्न करेगा
हक क्ट्या वह ईस मागण , नदी, जलसरणी या स्थान के बारे में हकसी लोक
ऄहधकार के ऄहस्तत्व से आंकार करता है और यहद वह ऐसा करता है तो
महजस्रेट धारा 157 के ऄधीन कायण वाही करने के पहले ईस बात की जांच
करेगा।
(2) यहद ऐसी जांच में महजस्रेट आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऐसे आंकार के
समथण न में कोइ हवश्वसनीय साक्ष्य है तो वह कायण वाही को तब तक के हलए रोक
देगा जब तक ऐसे ऄहधकार के ऄहस्तत्व का मामला सक्षम न्यायालय द्वारा
हवहनहश्चत नहीं कर हदया जाता है; और यहद वह आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक
ऐसा कोइ साक्ष्य नहीं है तो िह धारा 157 के ऄनस ु ार कायण वाही करेगा।
(3) महजस्रेट द्वारा ईपधारा (1) के ऄधीन प्रश्न हकए जाने पर, जो व्यहि ईसमें
हनहदण ष्ट प्रकार के लोक ऄहधकार के ऄहस्तत्व से आंकार नहीं करने में ऄसफल
रहता है या ऐसा आंकार करने पर ईसके समथण न में हवश्वसनीय साक्ष्य देने में
ऄसफल रहता है ईसे पश्चात्वती कायण वाहहयों में ऐसा कोइ आंकार नहीं करने
हदया जाएगा।
धारा – 157 व्यहि हजसके हिरुद्ध धारा 152 के ऄधीन कोइ अदेि हदया गया है िहां धारा –
कारण दहिगत करने के हलए प्रहिया (1) यहद वह व्यहि, हजसके हवरुद्ध धारा 138
152 के ऄधीन अदेश हदया गया है, हाहजर है और अदेश के हवरुद्ध कारण
दहशण त करता है तो महजस्रेट ईस मामले में ईस प्रकार साक्ष्य लेगा जैसे समन
मामले में हलया जाता है।
(2) यहद महजस्रेट का यह समाधान हो जाता है हक अदेश या तो जैसा मूलतः
हकया गया था ईस रूप में या ऐसे पररवतण न के साथ, हजसे वह अवश्यक
समझे, यहु ियि ु और ईहचत है तो वह अदेश, यथाहस्थहत, पररवतण न के हबना
या ऐसे पररवतण न के सहहत ऄंहतम कर हदया जाएगा।
(3) यहद महजस्रेट का ऐसा समाधान नहीं होता है तो ईस मामले में अगे कोइ
कायण वाही नहीं की जाएगी :
परंतु आस धारा के ऄधीन प्रहियाएं नब्बे हदनों की ऄिहध के भीतर
यथािीघ्र पूरी होगी, जो हलहखत के कारणों को लेखबद्ध करते हुए एक सौ
बीस हदनों तक हिस्ताररत की जा सके गी।
धारा – 158 स्थानीय ऄन्िेषण के हलए हनदेि देने और हििेषज्ञ की परीक्षा करने की धारा –
महजस्रेट की िहि- महजस्रेट धारा 156 या धारा 157 के ऄधीन हकसी 139
जांच के प्रयोजनों के हलए, -
(क) ऐसे व्यहि द्वारा, हजसे वह ठीक समझे, स्थानीय ऄन्वेषण हकए जाने के
हलए हनदेश दे सकता है; या
(ख) हकसी हवशेषज्ञ को समन कर सकता है और ईसकी परीक्षा कर सकता है।
धारा – 159 महजस्रेट की हलहखत ऄनुदेि अहद देने की िहि - (1) जहां महजस्रेट धारा –
धारा 158 के ऄधीन हकसी व्यहि द्वारा स्थानीय ऄन्वेषण हकए जाने के हलए 140
हनदेश देता है वहां महजस्रेट -
(क) ईस व्यहि को ऐसे हलहखत ऄनदु ेश दे सकता है जो ईसके मागण दशण न के
हलए अवश्यक प्रतीत हो,
(ख) यह घोहषत कर सकता है हक स्थानीय ऄन्वेषण का सब अवश्यक व्यय,
या ईसका कोइ भाग, हजसके द्वारा हदया जाएगा।
(2) ऐसे व्यहि की ररपोटण को मामले में साक्ष्य के रूप में पढा जा सकता है।
(3) जहां महजस्रेट धारा 158 के ऄधीन हकसी हवशेषज्ञ को समन करता है
और ईसकी परीक्षा करता है वहां महजस्रेट हनदेश दे सकता है हक ऐसे समन
करने और परीक्षा करने के खचे हकसके द्वारा हदए जाएंगे।
धारा – 160 अदेि ऄंहतम कर हदए जाने पर प्रहिया और ईसकी ऄिज्ञा के पररणाम - धारा –
(1) जब धारा 155 या धारा 157 के ऄधीन अदेश ऄंहतम कर हदया जाता है 141
तब महजस्रेट ईस व्यहि को, हजसके हवरुद्ध वह अदेश हदया गया है, ईसकी
सूचना देगा और ईससे यह भी ऄपेक्षा करेगा हक वह ईस अदेश दवु ारा हनहदष्ट
कायण आतने समय के ऄंदर करे, हजतना सूचना में हनयत हकया जाएगा और ईसे
आहत्तला देगा हक ऄवज्ञा करने पर िह भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा
223 द्वारा ईपबंहधत शाहस्त का भागी होगा।
(2) यहद ऐसा कायण हनयत समय के ऄंदर नहीं हकया जाता है तो महजस्रेट ईसे
करा सकता है और ईसके हकए जाने में हुए खचचों को हकसी भवन, माल या
ऄन्य संपहत्त के , जो ईसके अदेश द्वारा हटाइ गइ है, हविय द्वारा ऄथवा ऐसे
महजस्रेट की स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर या बाहर हस्थत ईस व्यहि की
ऄन्य जंगम संपहत्त के करस्थम् और हविय द्वारा वसूल कर सकता है और
यहद ऐसी ऄन्य संपहत्त ऐसी ऄहधकाररता के बाहर है तो ईस अदेश से ऐसी
कुकी और हविय तब प्राहधकृ त होगा जब वह ईस महजस्रेट द्वारा पृष्ठांहकत
कर हदया जाता है हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर कुकण की जाने वाली
संपहत्त पाइ जाती है।
(3) आस धारा के ऄधीन सद्भावपूवणक की गइ हकसी बात के बारे में कोइ वाद न
होगा।
धारा – 161 जांच के लंहबत रहने तक व्यादेि - (1) यहद धारा 152 के ऄधीन अदेश देने धारा –
वाला महजस्रेट यह समझता है हक जनता को असन्न खतरे या गंभीर हकस्म 142
की हाहन का हनवारण करने के हलए तरु तं ईपाय हकए जाने चाहहए तो वह, ईस
व्यहि को, हजसके हवरुद्ध अदेश हदया गया था, ऐसा व्यादेश देगा जैसा ईस
खतरे या हाहन को, मामले का ऄवधारण होने तक, दूर या हनवाररत करने के
हलए ऄपेहक्षत है।
(2) यहद ऐसे व्यादेश के तत्काल पालन में ईस व्यहि द्वारा व्यहतिम हकया
जाता है तो महजस्रेट स्वयं ऐसे साधनों का ईपयोग कर सकता है या करवा
सकता है जो वह ईस खतरे को दूर करने या हाहन का हनवारण करने के हलए
ठीक समझे।
(3) महजस्रेट द्वारा आस धारा के ऄधीन सद्भावपूवणक की गइ हकसी बात के बारे
में कोइ वाद न होगा।
धारा – 162 महजस्रेट लोक न्यूसेंस की पुनरािहृ ि या ईसे चालू रखने का प्रहतषेध कर धारा –
सकता है- कोइ हजला महजस्रेट या ईपखंड महजस्रेट या राज्य सरकार या 143
हजला महजस्रेट द्वारा आस हनहमत्त सशि हकया गया कोइ ऄन्य कायण पालक
महजस्रेट या पुहलस अयुि हकसी व्यहि को अदेश दे सकता है हक वह
भारतीय न्याय संहहता, 2023 में या हकसी ऄन्य हवशेष या स्थानीय हवहध में
यथापररभाहषत लोक न्यूसेंस की न तो पनु रावृहत करे और न ईसे चालू रखे।
ग- न्यूसेंस या अशंहकत खतरे के ऄजेंट मामले
धारा – 163 न्यूसेंस या अिंहकत खतरे के ऄजेंट मामलों में अदेि जारी करने की धारा –
िहि - (1) ईन मामलों में, हजनमें हजला महजस्रेट या ईपखंड महजस्रेट या 144
राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त हवशेषतया सशि हकए गए हकसी ऄन्य
कायण पालक महजस्रेट की राय में आस धारा के ऄधीन कायण वाही करने के हलए
पयाण प्त अधार है और तरु तं हनवारण या शीघ्र ईपचार करना वांछनीय है, वह
महजस्रेट ऐसे हलहखत अदेश द्वारा, हजसमें मामले के ताहत्वक तथ्यों का
कथन होगा और हजसकी तामील धारा 153 द्वारा ईपबंहधत रीहत से कराइ
जाएगी, हकसी व्यहि को कायण -हवशेष न करने या ऄपने कब्जे की या ऄपने
प्रबंधाधीन हकसी हवहशष्ट संपहत्त की कोइ हवहशष्ट व्यवस्था करने का हनदेश ईस
दशा में दे सकता है हजसमें ऐसा महजस्रेट समझता है हक ऐसे हनदेश से यह
संभाव्य है, या ऐसे हनदेश की यह प्रवृहत्त है हक हवहधपवू ण क हनयोहजत हकसी
व्यहि को बाधा, क्षोभ या क्षहत का, या मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को
खतरे का, या लोक प्रशांहत हवक्षब्ु ध होने का, या बलवे या दंगे का हनवारण हो
जाएगा।
(2) आस धारा के ऄधीन अदेश, अपात की दशाओं में या ईन दशाओं में जब
पररहस्थहतयां ऐसी हैं हक ईस व्यहि पर, हजसके हवरुद्ध वह अदेश हनहदष्ट है,
सूचना की तामील समयक् समय में करने की गंज ु ाआश न हो, एक पक्षीय रूप में
पाररत हकया जा सकता है।
(3) आस धारा के ऄधीन अदेश हकसी हवहशष्ट व्यहि को, या हकसी हवशेष
स्थान या क्षेत्र में हनवास करने वाले व्यहियों को या अम जनता को, जब वे
हकसी हवशेष स्थान या क्षेत्र में जाते रहते हैं या जाएं, हनहदष्ट हकया जा सकता
है।
(4) आस धारा के ऄधीन कोइ अदेश ईस अदेि के हदए जाने की तारीख से
दो मास से अगे प्रवृत्त न रहेगा:
परंतु यहद राज्य सरकार मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को खतरे का हनवारण
करने के हलए या बलवे या हकसी दंगे का हनवारण करने के हलए ऐसा करना
अवश्यक समझती है तो वह ऄहधसूचना द्वारा यह हनदेश दे सकती है हक
महजस्रेट द्वारा आस धारा के ऄधीन हकया गया कोइ अदेश ईतनी ऄहतररि
ऄवहध के हलए, हजतनी वह ईि ऄहधसूचना में हवहनहदण ष्ट करे, प्रवृत्त रहेगा;
हकं तु वह ऄहतररि ऄवहध ईस तारीख से छह मास से ऄहधक की न होगी
हजसको महजस्रेट द्वारा हदया गया अदेश ऐसे हनदेश के ऄभाव में समाप्त हो
गया होता।
(5) कोइ महजस्रेट या तो स्वप्रेरणा से या हकसी व्यहथत व्यहि के अवेदन पर
हकसी ऐसे अदेश को हवखंहडत या पररवहतण त कर सकता है जो स्वयं ईसने या
ईसके ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट ने या ईसके पद- पूवणवती ने आस धारा के
ऄधीन हदया है।
(6) राज्य सरकार ईपधारा (4) के परंतुक के ऄधीन ऄपने द्वारा हदए गए हकसी
अदेश को या तो स्वप्रेरणा से या हकसी व्यहथत व्यहि के अवेदन पर
हवखंहडत या पररवहतण त कर सकती है।
(7) जहां ईपधारा (5) या ईपधारा (6) के ऄधीन अवेदन प्राप्त होता है वहां,
यथाहस्थहत, महजस्रेट या राज्य सरकार अवेदक को या तो स्वयं या
ऄहधविा द्वारा ईसके समक्ष हाहजर होने और अदेश के हवरुद्ध कारण दहशण त
करने का शीघ्र ऄवसर देगी; और यहद, यथाहस्थहत, महजस्रेट या राज्य
सरकार अवेदन को पूणणतः या ऄंशतः नामंजूर कर दे तो वह ऐसा करने के
ऄपने कारणों को लेखबद्ध करेगी।
धारा 144क – अयधु सहहत जल
ु ूस या सामूहहक कवायद या सामूहहक
प्रहशक्षण के प्रहतशेध की शहि - (1) हजला महजस्रेट, जब भी वह लोक
शांहत, लोक सरु क्षा या लोक व्यवस्था बनाए रखने के हलए ऐसा करना
अवश्यक समझता है, लोक सूचना या अदेश द्वारा, ऄपनी ऄहधकाररता
की स्थानीय सीमाओं के भीतर हकसी जल ु ूस में अयधु ले जाने या हकसी
लोक स्थान में अयधु सहहत कोइ सामूहहक कवायद या सामूहहक प्रहशक्षण
संगहठत या अयोहजत करने या ईसमें भाग लेने का प्रहतषेध कर सकता है।
(2) आस धारा के ऄधीन जारी की गइ लोक सूचना या हकया गया अदेश
हकसी हवहशष्ट व्यहि या हकसी समदु ाय, दल या संगठन के व्यहियों के प्रहत,
संबोहधत हो सकती है या हो सकता है।
(3) आस धारा के ऄधीन जारी की गइ लोक सूचना या हकया गया अदेश,
जारी हकए जाने या बनाए जाने की तारीख से तीन मास से ऄहधक के हलए
प्रवृत्त नहीं रहेगी या रहेगा।
(4) राज्य सरकार, यहद लोक शाहत या लोक सरु क्षा या लोक व्यवस्था
बनाए रखने के हलए ऐसा करना अवश्यक समझती है, तो ऄहधसूचना
द्वारा, हनदेश दे सकती है हक आस धारा के ऄधीन हजला महजस्रेट द्वारा
हनकाली गइ लोक सूचना या हकया गया अदेश, ईस तारीख से, हजसको
हजला महजस्रेट द्वारा ऐसी लोक सूचना हनकाली गइ थी या अदेश हकया
गया था, ऐसे हनदेश के होने के दशा में समाप्त हो जाती या हो जाता, ऐसी
ऄहतररि ऄवहध के हलए लागू रहेगी या रहेगा जो ईि ऄहधसूचना में
हवहनहदण ष्ट की जाए।
(5) राज्य सरकार, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा, ईपधारा (4) के ऄधीन
ऄपनी शहियााँ हजला महजस्रेट को, ऐसे हनयंत्रणों और हनदेशों के ऄधीन
रहते हुए हजन्हें ऄहधरोहपत करना वह ठीक समझे, प्रत्यायोहजत कर सकती
है।
घ- स्थावर संपहत्त के बारे में हववाद
धारा – 164 जहां भूहम या जल से संबद्ध हििादों से पररिांहत भंग होना संभाव्य है िहां धारा –
प्रहिया - (1) जब कभी हकसी कायण पालक महजस्रेट का, पहु लस ऄहधकारी की 145
ररपोटण से या ऄन्य आहत्तला पर समाधान हो जाता है हक ईसकी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर हकसी भूहम या जल या ईसकी सीमाओं से संबद्ध ऐसा
हववाद हवद्यमान है, हजससे पररशांहत भंग होना संभाव्य है, तब वह ऄपना ऐसा
समाधान होने के अधारों का कथन करते हुए और ऐसे हववाद से संबद्ध
पक्षकारों से यह ऄपेक्षा करते हुए हलहखत अदेश देगा हक वे हवहनहदण ष्ट तारीख
और समय पर स्वयं या ऄहधविा द्वारा ईसके न्यायालय में हाहजर हों और
हववाद की हवषयवस्तु पर वास्तहवक कब्जे के तथ्य के बारे में ऄपने-ऄपने
दावों का हलहखत कथन पेश करें।
(2) आस धारा के प्रयोजनों के हलए "भूहम या जल" पद के ऄंतगण त भवन,
बाजार, मीनक्षेत्र, फसलें, भूहम को ऄन्य ईपज और ऐसी हकसी संपहत्त के
भाटक या लाभ भी हैं।
(3) आस अदेश की एक प्रहत की ताभील आस संहहता द्वारा समनों की तामील
के हलए ईपबंहधत रीहत से ऐसे व्यहि या व्यहियों पर की जाएगी, हजन्हें
महजस्रेट हनहदष्ट करे और कम से कम एक प्रहत हववाद की हवषयवस्तु पर या
ईसके हनकट हकसी सहजदृश्य स्थान पर लगाकर प्रकाहशत की जाएगी।
(4) महजस्रेट तब हववाद को हवषयवस्तु को पक्षकारों में से हकसी के भी कब्जे
में रखने के ऄहधकार के गणु ागणु या दावे के प्रहत हनदेश हकए हबना ईन कथनों
का, जो ऐसे पेश हकए गए हैं, पररशीलन करेगा, पक्षकारों को सनु ेगा और ऐसा
सभी साक्ष्य लेगा जो ईनके द्वारा प्रस्ततु हकया जाए, ऐसा ऄहतररि साक्ष्य,
यहद कोइ हो; लेगा जैसा वह अवश्यक समझे और यहद संभव हो तो यह
हवहनहश्चत करेगा हक क्ट्या ईन पक्षकारों में से कोइ ईपधारा (1) के ऄधीन
ईसके द्वारा हदए गए अदेश की तारीख पर हववाद की हवषयवस्तु पर कब्जा
रखता था और यहद रखता था तो वह कौन सा पक्षकार था :
परंतु यहद महजस्रेट को यह प्रतीत होता है हक कोइ पक्षकार ईस तारीख के ,
हजसको पहु लस ऄहधकारी की ररपोटण या ऄन्य आहत्तला महजस्रेट को प्राप्त हुइ,
ठीक पूवण दो मास के ऄंदर या ईस तारीख के पश्चात् और ईपधारा (1) के
ऄधीन ईसके अदेश की तारीख के पूवण बलात् और सदोष रूप से बेकब्जा
हकया गया है तो वह यह मान सके गा हक ईस प्रकार बेकब्जा हकया गया
पक्षकार ईपधारा (1) के ऄधीन ईसके अदेश को तारीख को कब्जा रखता
था।
(5) आस धारा की कोइ बात, हाहजर होने के हलए ऐसे ऄपेहक्षत हकसी पक्षकार
को या हकसी ऄन्य हहतबद्ध व्यहि को यह दहशण त करने से नहीं रोके गी हक कोइ
पूवोि प्रकार का हववाद वतण मान नहीं है या नहीं रहा है और ऐसी दशा में
महजस्रेट ऄपने ईि अदेश को रद्द कर देगा और ईस पर अगे की सब
कायण वाहहयां रोक दी जाएंगी हकं तु ईपधारा (1) के ऄधीन महजस्रेट का अदेश
ऐसे रद्दकरण के ऄधीन रहते हुए ऄंहतम होगा।
(6)(क) यहद महजस्रेट यह हवहनश्चय करता है हक पक्षकारों में से एक का ईि
हवषयवस्तु का हववाद पर ऐसा कब्जा था या ईपधारा (4) के परंतक ु के ऄधीन
ऐसा कब्जा माना जाना चाहहए, तो वह यह घोषणा करने वाला हक ऐसा
पक्षकार ईस पर तब तक कब्जा रखने का हकदार है जब तक ईसे हवहध के
समयक् ऄनि ु म में बेदखल न कर हदया जाए और यह हनषेध करने वाला हक
जब तक ऐसी बेदखली न कर दी जाए तब तक ऐसे कब्जे में कोइ हवघ्न न
डाला जाए, अदेश जारी करेगा; और जब वह ईपधारा (4) के परंतक ु के
ऄधीन कायण वाही करता है तब ईस पक्षकार को, जो बलात् और सदोष बेकब्जा
हकया गया है, कब्जा लौटा सकता है।
(ख) आस ईपधारा के ऄधीन हदया गया अदेश ईपधारा (3) में ऄहधकहथत
रीहत से तामील और प्रकाहशत हकया जाएगा।
(7) जब हकसी ऐसी कायण वाही के पक्षकार की मृत्यु हो जाती है तब महजस्रेट
मृत पक्षकार के हवहधक प्रहतहनहध को कायण वाही का पक्षकार बनवा सके गा और
हफर जांच चालू रखेगा और यहद आस बारे में कोइ प्रश्न ईत्पन्न होता है हक मृत
पक्षकार का ऐसी कायण वाही के प्रयोजन के हलए हवहधक प्रहतहनहध कौन है तो
मृत पक्षकार का प्रहतहनहध होने का दावा करने वाले सब व्यहियों को ईस
कायण वाही का पक्षकार बना हलया जाएगा।
(8) यहद महजस्रेट की यह राय है हक ईस संपहत्त की, जो आस धारा के ऄधीन
ईसके समक्ष लंहबत कायण वाही में हववाद की हवषयवस्तु है, कोइ फसल या
ऄन्य ईपज शीघ्रतया और प्रकृ त्या क्षयशील है तो वह ऐसी संपहत्त की ईहचत
ऄहभरक्षा या हविय के हलए अदेश दे सकता है और जांच के समाप्त होने पर
ऐसी संपहत्त के या ईसके हविय के अगमों के व्ययन के हलए ऐसा अदेश दे
सकता है जो वह ठीक समझे।
(9) यहद महजस्रेट ठीक समझे तो वह आस धारा के ऄधीन कायण वाहहयों के
हकसी प्रिम में पक्षकारों में से हकसी के अवेदन पर हकसी साक्षी के नाम समन
यह हनदेश देते हुए जारी कर सकता है हक वह हाहजर हो या कोइ दस्तावेज या
चीज पेश करे।
(10) आस धारा की कोइ बात धारा 126 के ऄधीन कायण वाही करने की
महजस्रेट की शहियों का ऄलपीकरण करने वाली नहीं समझी जाएगी।
धारा – 165 हििाद की हिषयिस्तु का कुकग करने की और ररसीिर हनयुि करने की धारा –
िहि - (1) यहद धारा 164 की ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश करने के पश्चात् 146
हकसी समय महजस्रेट मामले को अपाहतक समझता है या यहद वह हवहनश्चय
करता है हक पक्षकारों में से हकसी का धारा 164 में यथाहनहदण ष्ट कब्जा ईस
समय नहीं था, या यहद वह ऄपना समाधान नहीं कर पाता है हक ईस समय
ईनमें से हकसका ऐसा कब्जा हववाद की हवषयवस्तु पर था तो वह हववाद की
हवषयवस्तु को तब तक के हलए कुकण कर सकता है जब तक कोइ सक्षम
न्यायालय ईसके कब्जे का हकदार व्यहि होने के बारे में ईसके पक्षकारों के
ऄहधकारों का ऄवधारण नहीं कर देता है:
परंतु यहद ऐसे महजस्रेट का समाधान हो जाता है हक हववाद की हवषयवस्तु के
बारे में पररशांहत भंग होने की कोइ संभाव्यता नहीं रही तो वह हकसी समय भी
कुकी वापस ले सकता है।
(2) जब महजस्रेट हववाद की हवषयवस्तु को कुकण करता है तब यहद ऐसी
हववाद की हवषयवस्तु के संबधं में कोइ ररसीवर हकसी हसहवल न्यायालय द्वारा
हनयि ु नहीं हकया गया है तो, वह ईसके हलए ऐसा आंतजाम कर सकता है जो
वह ईस संपहत्त की देखभाल के हलए ईहचत समझता है या यहद वह ठीक
समझता है तो, ईसके हलए ररसीवर हनयि ु कर सकता है हजसको महजस्रेट के
हनयंत्रण के ऄधीन रहते हुए वे सब शहियां प्राप्त होंगी जो हसहवल प्रहिया
संहहता, 1908 (1908 का 5) के ऄधीन ररसीवर की होती हैं :
परंतु यहद हववाद की हवषयवस्तु के संबधं में कोइ ररसीवर हकसी हसहवल
न्यायालय द्वारा बाद में हनयिु कर हदया जाता है तो महजस्रेट -
(क) ऄपने द्वारा हनयि ु ररसीवर को अदेश देगा हक वह हववाद की हवषयवस्तु
का कब्जा हसहवल न्यायालय द्वारा हनयि ु ररसीवर को दे दे और तत्पश्चात् वह
ऄपने द्वारा हनयि ु ररसीवर को ईन्मोहचत कर देगा;
(ख) ऐसे ऄन्य अनषु हं गक या पाररणाहमक अदेश कर सके गा, जो न्यायसंगत
हैं।
धारा – 166 भूहम या जल के ईपयोग के ऄहधकार से संबद्ध हििाद - (1) जब हकसी धारा –
कायण पालक महजस्रेट का, पहु लस ऄहधकारी की ररपोटण से या ऄन्य आहत्तला 147
पर, समाधान हो जाता है हक ईसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर हकसी
भूहम या जल के ईपयोग के हकसी ऄहभकहथत ऄहधकार के बारे में, चाहे ऐसे
ऄहधकार का दावा सख ु ाचार के रूप में हकया गया हो या ऄन्यथा, हववाद
वतण मान है हजससे पररशांहत भंग होनी संभाव्य है, तब वह ऄपना ऐसा समाधान
होने के अधारों का कथन करते हुए और हववाद से संबद्ध पक्षकारों से यह
ऄपेक्षा करते हुए हलहखत अदेश दे सकता है हक वे हवहनहदण ष्ट तारीख और
समय पर स्वयं या ऄहधविा द्वारा ईसके न्यायालय में हाहजर हों और ऄपने-
ऄपने दावों का हलहखत कथन पेश करें।
स्पष्टीकरण-आस ईपधारा के प्रयोजनों के हलए "भूहम या जल" पद का वही ऄथण
होगा, जो धारा 164 की ईपधारा (2) में हदया गया है।
(2) महजस्रेट तब आस प्रकार पेश हकए गए कथनों का पररशीलन करेगा,
पक्षकारों को सनु ेगा, ऐसा सब साक्ष्य लेगा जो ईनके द्वारा पेश हकया जाए, ऐसे
साक्ष्य के प्रभाव पर हवचार करेगा, ऐसा ऄहतररि साक्ष्य, यहद कोइ हो, लेगा
जो वह अवश्यक समझे और, यहद संभव हो तो हवहनश्चय करेगा हक क्ट्या ऐसा
ऄहधकार वतण मान है; और ऐसी जांच के मामले में धारा 164 के ईपबंध
यथाशाक्ट्य लागू होंगे।
(3) यहद ईस महजस्रेट को यह प्रतीत होता है हक ऐसे ऄहधकार वतण मान हैं तो
वह ऐसे ऄहधकार के प्रयोग में हकसी भी हस्तक्षेप का प्रहतषेध करने का और
यथोहचत मामले में ऐसे हकसी ऄहधकार के प्रयोग में हकसी बाधा को हटाने का
भी अदेश दे सकता है :
परंतु जहां ऐसे ऄहधकार का प्रयोग वषण में हर समय हकया जा सकता है वहां
जब तक ऐसे ऄहधकार का प्रयोग ईपधारा (1) के ऄधीन पहु लस ऄहधकारी की
ररपोटण या ऄन्य आहत्तला की, हजसके पररणामस्वरूप जांच संहस्थत की गइ है,
प्राहप्त के ठीक पहले तीन मास के ऄंदर नहीं हकया गया है या जहां ऐसे
ऄहधकार का प्रयोग हवहशष्ट मौसम में हो या हवहशष्ट ऄवसरों पर ही हकया जा
सकता है, वहां जब तक ऐसे ऄहधकार का प्रयोग ऐसी प्राहप्त के पूवण के ऐसे
मौसमों में से ऄंहतम मौसम के दौरान या ऐसे ऄवसरों में से ऄंहतम ऄवसर पर
नहीं हकया गया है, ऐसा कोइ अदेश नहीं हदया जाएगा।
(4) जब धारा 164 की ईपधारा (1) के ऄधीन प्रारंभ की गइ हकसी कायण वाही
में महजस्रेट को यह मालूम प़िता है हक हववाद भूहम या जल के ईपयोग के
हकसी ऄहभकहथत ऄहधकार के बारे में है, तो वह, ऄपने कारण ऄहभहलहखत
करने के पश्चात् कायण वाही को ऐसे चालू रख सकता है, मानो वह ईपधारा (1)
के ऄधीन प्रारंभ की गइ हो और जब ईपधारा (1) के ऄधीन प्रारंभ की गइ
हकसी कायण वाही में महजस्रेट को यह मालूम प़िता है हक हववाद के संबधं में
धारा 164 के ऄधीन कायण वाही की जानी चाहहए तो वह ऄपने कारण
ऄहभहलहखत करने के पश्चात् कायण वाही को ऐसे चालू रख सकता है, मानो वह
धारा 164 को ईपधारा (1) के ऄधीन प्रारंभ की गइ हो।
धारा – 167 स्थानीय जांच - (1) जब कभी धारा 164, धारा 165 या धारा 166 के धारा –
प्रयोजनों के हलए स्थानीय जांच अवश्यक हो, तब कोइ हजला महजस्रेट या 148
ईपखंड महजस्रेट ऄपने ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट को जांच करने के हलए
प्रहतहनयि ु कर सकता है और ईसे ऐसे हलहखत ऄनदु ेश दे सकता है जो ईसके
मागण दशण न के हलए अवश्यक प्रतीत हों और घोहषत कर सकता है हक जांच के
सब अवश्यक व्यय या ईसका कोइ भाग, हकसके द्वारा हदया जाएगा।
(2) ऐसे प्रहतहनयि ु व्यहि की ररपोटण को मामले में साक्ष्य के रूप में पढा जा
सकता है।
(3) जब धारा 164, धारा 165 या धारा 166 के ऄधीन कायण वाही के हकसी
पक्षकार द्वारा कोइ खचे हकए गए हैं तब हवहनश्चय करने वाला महजस्रेट यह
हनदेश दे सकता है हक ऐसे खचण हकसके द्वारा हदए जाएंगे, ऐसे पक्षकार द्वारा
हदए जाएंगे या कायण वाही के हकसी ऄन्य पक्षकार द्वारा और पूरे के पूरे हदए
जाएंगे या भाग या ऄनपु ात में; और ऐसे खचों के ऄंतगण त साहक्षयों के और
ऄहधविाओं की फीस के बारे में वे व्यय भी हो सकते हैं, हजन्हें न्यायालय
ईहचत समझे।
ऄध्याय 12 - पुहलस का हनिारक कायग
धारा – 168 पहु लस का संज्ञेय ऄपराधों का हनिारण करना- प्रत्येक पहु लस ऄहधकारी धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी संज्ञेय ऄपराध के हकए जाने का हनवारण करने के प्रयोजन से ऄन्तःक्षेप 149
कर सके गा और ऄपनी पूरी सामथ्यण से ईसे हनवाररत करेगा।
धारा – 169 संज्ञेय ऄपराधों के हकए जाने की पररकल्पना की आहिला - प्रत्येक पहु लस धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकारी, हजसे हकसी संज्ञेय ऄपराध को करने की पररकलपना की आहत्तला 150
प्राप्त होती है, ऐसी आहत्तला की संसूचना ईस पहु लस ऄहधकारी को, हजसके वह
ऄधीनस्थ है, और हकसी ऐसे ऄन्य ऄहधकारी को देगा हजसका कतण व्य हकसी
ऐसे ऄपराध के हकए जाने का हनवारण या संज्ञान करना है।
धारा – 170 संज्ञेय ऄपराधों का हकया जाना रोकने के हलए हगरफ्तारी (1) कोइ पहु लस धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकारी हजसे कोइ संज्ञेय ऄपराध करने की पररकलपना का पता है, ऐसी 151
पररकलपना करने वाले व्यहि को महजस्रेट के अदेशों के हबना और वारंट के
हबना ईस दशा में हगरफ्तार कर सकता है हजसमें ऐसे ऄहधकारी को प्रतीत
होता है हक ईस ऄपराध का हकया जाना ऄन्यथा नहीं रोका जा सकता।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन हगरफ्तार हकए गए हकसी व्यहि को ईसकी
हगरफ्तारी के समय से चौबीस घंटे की ऄवहध से ऄहधक के हलए ऄहभरक्षा में
ईस दशा के हसवाय हनरुद्ध नहीं रखा जाएगा हजसमें ईसका और अगे हनरुद्ध
रखा जाना आस संहहता के या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के हकन्हीं ऄन्य
ईपबंधों के ऄधीन ऄपेहक्षत या प्राहधकृ त है।
धारा – 171 लोक संपहि की हाहन का हनिारण - हकसी पहु लस ऄहधकारी की धारा – कोइ पररवतण न नहीं ।
दृहष्टगोचरता में हकसी भी जंगम या स्थावर लोक संपहत्त को हाहन पहुंचाने का 152
प्रयत्न हकए जाने पर वह ईसका, या हकसी लोक भूहम- हचन्ह या बोया या
नौपररवहन के हलए प्रयि ु ऄन्य हचन्ह के हटाए जाने या ईसे हाहन पहुंचाए जाने
का, हनवारण करने के हलए ऄपने ही प्राहधकार से ऄंतःक्षेप कर सकता है।
धारा – 172 व्यहियों का पुहलस के युहियुि हनदेिों के ऄनुरूप बाध्य होना - (1) सभी नया जोडा गया ।
व्यहि आस ऄध्याय के ऄधीन ईनके हकसी कतगव्यों को पूरा करने में हदए
गए पुहलस ऄहधकारी के युहियुि हनदेिों के ऄनुरूप बाध्य होंगे।
(2) कोइ पुहलस ऄहधकारी ईपधारा (1) के ऄधीन ईसके द्वारा हदए गए
हनदेिों के ऄनरू ु प हकसी व्यहि को प्रहतरोध करने, आन्कार करने, ऄिज्ञा
करने या ऄहिेलना करने के हलए हनरुद्ध कर सके गा या हटा सके गा और
या तो ऐसे व्यहि को महजस्रेट के समक्ष ले जाएगा या छोटे मामलों में ईसे
यथासंभि िीघ्रता से चौबीस घंटे की ऄिहध के भीतर मि ु कर सके गा।
धारा 153 – बाटों और मापों का हनरीक्षण - (1) जब हकसी पहु लस थाने
के प्रबन्धक ऄहधकारी को यह हवश्वास करने का कारण है हक ईसके थाने
की सीमाओं के ऄन्दर हकसी स्थान में कोइ व्यहि ऐसे बाट, माप या माप
तौल के ईपकरण रखता है जो खोटे या नकली है, तब ऐसा प्रबन्धक
ऄहधकारी वहां पर रखे हुए या प्रयि ु बाटों, मापों या माप तौल के ईपकरणों
का हनरीक्षण करने या तलाशी लेने के प्रयोजन के हलए ईस स्थान में हबना
वारन्ट प्रवेश कर सकता है।
(2) यहद वह ऐसे स्थान में खोटे बाट या माप पाता है तो ईन्हें ऄपने कब्जे
में लेगा और कब्जे में लेने की सूचना आलाका महजस्रेट को तरु न्त भेजेगा।
नोट-खोटे मापों और बाटों के आस्तेमाल समबन्धी ऄपराध भारतीय दण्ड
संहहता की धारा 264 से 267 के ऄधीन दण्डनीय है। आसमें के वल धारा
267 में दशाण या गया ऄपराध संज्ञेय है। बाकी ऄपराध ऄसंज्ञेय हैं।
ऄध्याय 13 - पुहलस को आहिला और ईनकी ऄन्िेषण करने की िहियां
धारा – 173 संज्ञेय मामलों में आहिला - (1) संज्ञेय ऄपराध के हकए जाने से संबहं धत धारा –
प्रत्येक आहत्तला, ईस क्षेत्र पर हवचार हकए हबना जहां ऄपराध हकया गया है, 154
मौहखक रूप से या आलैक्ट्राहनक संसूचना द्वारा पहु लस थाने के भारसाधक
ऄहधकारी को दी जा सके गी और यहद, -
(i) मौहखक रूप से दी गइ है, तो ईसके द्वारा या ईसके हनदेशों लेखबद्ध कर ली
जाएगी और आहत्तला देने वाले को पढकर सनु ाइ जाएगी और प्रत्येक ऐसी
आहत्तला पर, चाहे वह हलहखत रूप में दी गइ हो या पूवोि रूप में लेखबद्ध की
गइ हो, ईस व्यहि द्वारा हस्ताक्षर हकए जाएंगे;
(ii) यहद आलैक्ट्राहनक संसूचना द्वारा दी गइ है, तो ईसे देने िाले व्यहि द्वारा
तीन हदनों के भीतर हस्ताक्षररत हकए जाने पर ईसके द्वारा लेखबद्ध की
जाएगी,
और ईसका सार ऐसी पुस्तक में, जो ईस ऄहधकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी
जाएगी, हजसे राज्य सरकार, आस हनहमि हनयमों द्वारा हिहहत करे, प्रहिष्ट
हकया जाएगा:
परंतु यहद हकसी महहला द्वारा, हजसके हवरुद्ध भारतीय न्याय संहहता, 2023
की धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 69, धारा 70,
धारा 71, धारा 74, धारा 75, धारा 76, धारा 77, धारा 78, धारा 79 या
धारा 124 के ऄधीन हकसी ऄपराध के हकए जाने या हकए जाने का प्रयत्न
हकए जाने का ऄहभकथन हकया गया है, कोइ आहत्तला दी जाती है तो ऐसी
आहत्तला हकसी महहला पहु लस ऄहधकारी या हकसी महहला ऄहधकारी द्वारा
ऄहभहलहखत की जाएगी :
परंतु यह और हक-
(क) यहद वह व्यहि, हजसके हवरुद्ध भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा
64, धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 69, धारा 70, धारा 71,
धारा 74, धारा 75, धारा 76, धारा 77, धारा 78, धारा 79 या धारा 124
के ऄधीन हकसी ऄपराध के हकए जाने का या हकए जाने का प्रयत्न हकए जाने
का ऄहभकथन हकया गया है, ऄस्थायी या स्थायी रूप से मानहसक या
शारीररक रूप से हनःशि है, तो ऐसी आहत्तला हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा
ईस व्यहि के , जो ऐसे ऄपराध की ररपोटण करने की इप्सा करता है, हनवास
स्थान पर या ईस व्यहि के हवकलप के हकसी सगु म स्थान पर, यथाहस्थहत,
हकसी हद्वभाहषए या हकसी हवशेष प्रबोधक की ईपहस्थहत में ऄहभहलहखत की
जाएगी;
(ख) ऐसी आहत्तला के ऄहभलेखन की वीहडयो हफलम तैयार की जाएगी;
(ग) पहु लस ऄहधकारी धारा 183 की ईपधारा (6) के खंड (क) के ऄधीन
हकसी महजस्रेट द्वारा ईस व्यहि का कथन यथासंभवशीघ्र ऄहभहलहखत
कराएगा।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन ऄहभहलहखत आहत्तला की प्रहतहलहप, आहत्तला देने
वाले या पीहडत को तुरन्त हनःशलु क दी जाएगी।
(3) धारा 175 में ऄंतहिगष्ट ईपबंधों पर प्रहतकूल प्रभाि डाले हबना, ऐसे
हकसी संज्ञेय ऄपराध को करने से संबहं धत आहिला की प्राहप्त पर हजसमें
तीन िषग या ईससे ऄहधक का दंड है हकन्तु सात िषग से ऄहधक नहीं है,
धाने का भारसाधक ऄहधकारी, -
(i) यह सुहनहश्चत करने के हलए हक क्ट्या चौदह हदनों की ऄिहध के भीतर
मामले में कायगिाही करने के हलए प्रथमष्ट्याः हिद्यमान प्रारंहभक जांच
संचाहलत करने के हलए; या
(ii) ऄन्िेषण की कायगिाही करने के हलए जब प्रथमदृष्ट्याः मामला हिद्यमान
है, धारा –
ऐसी रैंक के ऄहधकारी, जो ईप पुहलस ऄहधक्षक की पंहि के नीचे का न 154(3)
हो, की पूिग ऄनुमहत से ऐसे ऄपराधों की प्रकृहत और गंभीरता पर हिचार
कर सके गा।
(4) कोइ व्यहि, जो हकसी पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी के ईपधारा
(1) में हनहदण ष्ट आहत्तला को ऄहभहलहखत करने से आंकार करने से व्यहथत है ऐसी
आहत्तला का सार हलहखत रूप में और डाक द्वारा संबद्ध पहु लस ऄधीक्षक को
भेज सकता है जो, यहद ईसका यह समाधान हो जाता है हक ऐसी आहत्तला से
हकसी संज्ञेय ऄपराध का हकया जाना प्रकट होता है तो, या तो स्वयं मामले का
ऄन्वेषण करेगा या ऄपने ऄधीनस्थ हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा आस संहहता
द्वारा ईपबंहधत रीहत में ऄन्वेषण हकए जाने का हनदेश देगा और ईस ऄहधकारी
को ईस ऄपराध के संबधं में पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी की सभी
शहियां होंगी, हजसके न हो सकने पर, ऐसा व्यहथत व्यहि, महजस्रेट को
अिेदन कर सके गा।
धारा – 174 ऄसंज्ञेय मामलों के बारे में आहिला और ऐसे मामलों का ऄन्िेषण - (1) जब धारा –
पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को ईस थाने की सीमाओं के ऄंदर 155
ऄसंज्ञेय ऄपराध के हकए जाने की आहत्तला दी जाती है तब वह ऐसी आहत्तला का
सार, ऐसी पस्ु तक में, जो ऐसे ऄहधकारी द्वारा ऐसे प्ररूप में रखी जाएगी, जो
राज्य सरकार, आस हनहमत्त हनयमों द्वारा हवहहत करे, प्रहवष्ट करेगा या प्रहवष्ट
करवाएगा और-
(i) आहत्तला देने वाले को महजस्रेट के पास जाने को हनदेहशत करेगा।
(ii) सभी ऐसे मामलों की पाहक्षक दैहनक डायरी ररपोटग महजस्रेट को
भेजगे ा।
(2) कोइ पहु लस ऄहधकारी हकसी ऄसंज्ञेय मामले का ऄन्वेषण ऐसे महजस्रेट
के अदेश के हबना नहीं। करेगा हजसे ऐसे मामले का हवचारण करने की या
मामले को हवचारणाथण सपु दु ण करने की शहि है।
(3) कोइ पहु लस ऄहधकारी ऐसा अदेश हमलने पर (वारंट के हबना हगरफ्तारी
करने की शहि के हसवाय) ऄन्वेषण के बारे में वैसी ही शहियों का प्रयोग कर
सकता है जैसी पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी संज्ञेय मामले में कर
सकता है।
(4) जहां मामले का संबधं ऐसे दो या ऄहधक ऄपराधों से है, हजनमें से कम से
कम एक संज्ञेय है, वहां आस बात के होते हुए भी हक ऄन्य ऄपराध ऄसंज्ञेय हैं,
वह मामला संज्ञेय मामला समझा जाएगा।
धारा – 175 संज्ञेय मामलों का ऄन्िेषण करने की पुहलस ऄहधकारी की िहि - (1) कोइ धारा –
पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी, महजस्रेट के अदेश के हबना हकसी ऐसे 156
संज्ञेय मामले का ऄन्वेषण कर सकता है, हजसकी जांच या हवचारण करने की
शहि ईस थाने की सीमाओं के ऄंदर के स्थानीय क्षेत्र पर ऄहधकाररता रखने
वाले न्यायालय को ऄध्याय 14 के ईपबंधों के ऄधीन है :
परन्तु संज्ञेय ऄपराध की प्रकृहत और गंभीरता पर हिचार करते हुए, पहु लस
ऄधीक्षक ईप पुहलस ऄधीक्षक से मामले का ऄन्िेषण करने के हलए
ऄपेहक्षत कर सके गा।
(2) ऐसे हकसी मामले में पहु लस ऄहधकारी की हकसी कायण वाही को हकसी भी
प्रिम में आस अधार पर प्रश्नगत न हकया जाएगा हक वह मामला ऐसा था हजसमें
ऐसा ऄहधकारी आस धारा के ऄधीन ऄन्वेषण करने के हलए सशि न था।
(3) धारा 210 के ऄधीन सशि कोइ महजस्रेट, धारा 173 की ईपधारा (4)
के ऄधीन हकए गए िपथपत्र द्वारा समहथगत अिेदन पर हिचार करने के
पश्चात् और ऐसी जांच, जो िह अिश्यक समझे, हकए जाने के पश्चात् तथा
आस समबन्ध में हकए गए हनवेदन पर पूवोि प्रकार के ऐसे ऄन्वेषण का अदेश
कर सकता है।
(4) धारा 210 के ऄधीन, सिि कोइ महजस्रेट लोक सेिक के हिरुद्ध
पररिाद की प्राहप्त पर जो ऄपने िासकीय कतगव्यों के दौरान ईत्पन्न हुअ
हो, हनभन के ऄध्यधीन-
(क) ईसके िररष्ठ ऄहधकारी से घटना के त्यों और पररहस्थहतयों को
ऄंतहिगष्ट करने िाली ररपोटग की प्राहप्त, और
(ख) लोक सेिक द्वारा हकए गए प्रख्यानों जो ऐसी हस्थहत के बारे में है
हजससे यह घटना ऄहभकहथत हुइ, पर हिचार करने के पश्चात्, ऄन्िेषण
का अदेि कर सके गा।
धारा – 176 ऄन्िेषण के हलए प्रहिया - (1) यहद पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी धारा –
को, आहत्तला प्राप्त होने पर या ऄन्यथा, यह संदेह करने का कारण है हक ऐसा 157
ऄपराध हकया गया है हजसका ऄन्वेषण करने के हलए धारा 175 के ऄधीन वह
सशि है तो वह ईस ऄपराध की ररपोटण ईस महजस्रेट को तत्काल भेजेगा जो
ऐसे ऄपराध का पहु लस ररपोटण पर संज्ञान करने के हलए सशि है और मामले
के तथ्यों और पररहस्थहतयों का ऄन्वेषण करने के हलए, और यहद अवश्यक
हो तो ऄपराधी का पता चलाने और ईसकी हगरफ्तारी के ईपाय करने के हलए,
ईस स्थान पर या तो स्वयं जाएगा या ऄपने ऄधीनस्थ ऄहधकाररयों में से एक
को भेजेगा जो ऐसी पंहि से हनमनतर पंहि का न होगा हजसे राज्य सरकार
साधारण या हवशेष अदेश द्वारा आस हनहमत्त हवहहत करे :
परंत-ु
(क) जब ऐसे ऄपराध के हकए जाने की कोइ आहत्तला हकसी व्यहि के हवरुद्ध
ईसका नाम देकर की गइ है और मामला गंभीर प्रकार का नहीं है तब यह
अवश्यक न होगा हक पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी ईस स्थान पर
ऄन्वेषण करने के हलए स्वयं जाए या ऄधीनस्थ ऄहधकारी को भेजे;
(ख) यहद पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को यह प्रतीत होता है हक
ऄन्वेषण करने के हलए पयाण प्त अधार नहीं है तो वह ईस मामले का ऄन्वेषण न
करेगा :
परंतु यह और हक बलात्संग के ऄपराध के संबधं में, पीह़ित का कथन, पीह़ित
के हनवास पर या ईसकी पसंद के स्थान पर और यथासाध्य, हकसी महहला
पहु लस ऄहधकारी द्वारा ईसके माता-हपता या संरक्षक या नजदीकी नातेदार या
पररक्षेत्र के सामाहजक कायण कताण की ईपहस्थहत में ऄहभहलहखत हकया जाएगा
और ऐसा कथन हकसी श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों, हजसके ऄंतगगत
मोबाआल फोन भी है, के माध्यम से ऄहभहलहखत हकया जा सके गा।
(2) ईपधारा (1) के पहले परंतक ु के खंड (क) और (ख) में वहणण त दशाओं में
से प्रत्येक दशा में पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी ऄपनी ररपोटण में
ईसके द्वारा ईस ईपधारा की ऄपेक्षाओं का पणू ण तया ऄनपु ालन न करने के
ऄपने कारणों का कथन करेगा और महजस्रेट को पाहक्षक दैहनक डायरी
ररपोटग भेजेगा, ईि परंतक ु के खंड (ख) में वहणण त दशा में, ऄहधकारी, सूचना
को, यहद कोइ हो, ऐसी रीहत से, जो राज्य सरकार द्वारा बनाए गए हनयमों द्वारा
हवहहत की जाए, भी तत्काल ऄहधसूहचत करेगा।
(3) हकसी ऐसे ऄपराध के जो सात िषग या ऄहधक के हलए दंडनीय बनाया
गया है, के होने से संबहं धत प्रत्येक आहिला की प्राहप्त पर पुहलस थाने का
भारसाधक ऄहधकारी ऐसी तारीख से जो आस संबधं में पांच िषों की ऄिहध
की भीतर राज्य सरकार द्वारा ऄहधसूहचत की जाए, ऄपराध में न्याय
सभबन्धी साक्ष्य संग्रहण करने के हलए न्याय संबधं ी दल को ऄपराध स्थल
पर भेज सके गा और मोबाआल फोन या हकसी ऄन्य आलैक्ट्राहनक युहि पर
प्रहिया की िीहडयोग्राफी बनिाएगा ।
परन्तु जहां ऐसे हकसी ऄपराध के संबधं में न्याय संबधं ी सुहिधा ईपलब्ध
नहीं है िहां राज्य सरकार जब तक ईस मामले के संबधं में सुहिधा
हनयोहजत नहीं हो जाती या राज्य द्वारा नहीं की जाती, ऄन्य राज्य
सरकार से ऐसी सहु िधा के ईपयोग को ऄहधसूहचत कर सके गी ।
धारा – 177 ररपोटग कै से दी जाएंगी - (1) धारा 176 के ऄधीन महजस्रेट को भेजी जाने धारा –
वाली प्रत्येक ररपोटण , यहद राज्य सरकार ऐसा हनदेश देती है, तो पहु लस के ऐसे 158
वररष्ठ ऄहधकारी के माध्यम से दी जाएगी, हजसे राज्य सरकार साधारण या
हवशेष अदेश द्वारा आस हनहमत्त हनयत करे।
(2) ऐसा वररष्ठ ऄहधकारी पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को ऐसे
ऄनदु ेश दे सकता है जो वह ठीक समझे और ईस ररपोटण पर ईन ऄनदु ेशों को
ऄहभहलहखत करने के पश्चात् ईसे ऄहवलंब महजस्रेट के पास भेज देगा।
धारा – 178 ऄन्िेषण या प्रारंहभक जांच करने की िहि - महजस्रेट कोइ ररपोटण प्राप्त होने धारा –
पर धारा 176 के ऄधीन ऄन्वेषण के हलए, अदेश दे सकता है, या यहद वह 159
ठीक समझे तो वह आस संहहता में ईपबंहधत रीहत से मामले की प्रारंहभक जांच
करने के हलए या ईसको ऄन्यथा हनपटाने के हलए तरु तं कायण वाही कर सकता
है, या ऄपने ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट को कायण वाही करने के हलए
प्रहतहनयि ु कर सकता है।
धारा – 179 साहक्षयों की हाहजरी की ऄपेक्षा करने की पुहलस ऄहधकारी की िहि- (1) धारा –
कोइ पहु लस ऄहधकारी, जो आस ऄध्याय के ऄधीन ऄन्वेषण कर रहा है, ऄपने 160
थाने की या हकसी पास के थाने की सीमाओं के ऄंदर हवद्यमान हकसी ऐसे
व्यहि से, हजसका दी गइ आहत्तला से या ऄन्यथा ईस मामले के तथ्यों और
पररहस्थहतयों से पररहचत होना प्रतीत होता है, ऄपने समक्ष हाहजर होने की
ऄपेक्षा हलहखत अदेश द्वारा • कर सकता है और वह व्यहि ऄपेक्षानस ु ार
हाहजर होगा :
परंतु हकसी परुु ष से जो पंद्रह वषण से कम अयु का या साठ वषण से ऄहधक अयु
का है या हकसी महहला से या हकसी मानहसक या शारीररक रूप से हनःशि
व्यहि या ऐसा व्यहि या गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यहि से ऐसे स्थान से
हजसमें ऐसा परुु ष या महहला हनवास करती है, हभन्न हकसी स्थान पर हाहजर
होने की ऄपेक्षा नहीं की जाएगी।
परन्तु और यह हक यहद ऐसा व्यहि पुहलस थाने पर हाहजर होने के हलए
सहमत है तो ऐसे व्यहि को ऐसा करने के हलए ऄनुज्ञात हकया जा सके गा।
(2) ऄपने हनवास स्थान से हभन्न हकसी स्थान पर ईपधारा (1) के ऄधीन
हाहजर होने के हलए प्रत्येक व्यहि के ईहचत खच्चों का पहु लस ऄहधकारी द्वारा
संदाय कराने के हलए राज्य सरकार आस हनहमत्त बनाए गए हनयमों द्वारा ईपबंध
कर सकती है।
धारा – 180 पुहलस द्वारा साहक्षयों की परीक्षा (1) कोइ पहु लस ऄहधकारी, जो आस ऄध्याय धारा –
के ऄधीन ऄन्वेषण कर रहा है या ऐसे ऄहधकारी की ऄपेक्षा पर कायण करने 161
वाला पहु लस ऄहधकारी, जो ऐसी पंहि से हनमनतर पंहि का नहीं है हजसे राज्य
सरकार साधारण या हवशेष अदेश द्वारा आस हनहमत्त हवहहत करे, मामले के
तथ्यों और पररहस्थहतयों से पररहचत समझे जाने वाले हकसी व्यहि की
मौहखक परीक्षा कर सकता है।
(2) ऐसा व्यहि ईन प्रश्नों के हसवाय, हजनके ईत्तरों की प्रवृहत्त ईसे अपराहधक
अरोप या शाहस्त या समपहरण की अशंका में डालने की है, ऐसे मामले से
संबहं धत ईन सब प्रश्नों का सही-सही ईत्तर देने के हलए अबद्ध होगा जो ऐसा
ऄहधकारी ईससे पछ ू ता है।
(3) पहु लस ऄहधकारी आस धारा के ऄधीन परीक्षा के दौरान ईसके समक्ष हकए
गए हकसी भी कथन को लेखबद्ध कर सके गा और यहद वह ऐसा करता है, तो
वह प्रत्येक ऐसे व्यहि के कथन का पृथक् और सही ऄहभलेख बनाएगा,
हजसका कथन वह ऄहभहलहखत करता है :
परंतु आस ईपधारा के ऄधीन हकया गया कथन श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों
द्वारा भी ऄहभहलहखत हकया जा सके गा :
परंतु यह और हक हकसी ऐसी महहला का कथन, हजसके हवरुद्ध भारतीय
न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68,
धारा 69, धारा 70, धारा 71, धारा 74, धारा 75, धारा 76, धारा 77, धारा
78, धारा 79 या धारा 124 के ऄधीन हकसी ऄपराध के हकए जाने या हकए
जाने का प्रयत्न हकए जाने का ऄहधकथन हकया गया है, हकसी महहला पहु लस
ऄहधकारी या हकसी महहला ऄहधकारी द्वारा ऄहभहलहखत हकया जाएगा।
धारा – 181 पुहलस को हकया गया कथन और ईसका ईपयोग - (1) हकसी व्यहि द्वारा धारा –
हकसी पहु लस ऄहधकारी से आस ऄध्याय के ऄधीन ऄन्वेषण के दौरान हकया 162
गया कोइ कथन, यहद लेखबद्ध हकया जाता है तो कथन करने वाले व्यहि द्वारा
हस्ताक्षररत नहीं हकया जाएगा, और न ऐसा कोइ कथन या ईसका कोइ
ऄहभलेख, चाहे वह पहु लस डायरी में हो या न हो, और न ऐसे कथन या
ऄहभलेख का कोइ भाग ऐसे हकसी ऄपराध की, जो ऐसा कथन हकए जाने के
समय ऄन्वेषणाधीन था, हकसी जांच या हवचारण में, आसमें आसके पश्चात्
यथाईपबंहधत के हसवाय, हकसी भी प्रयोजन के हलए ईपयोग में लाया जाएगा :
परंतु जब कोइ ऐसा साक्षी, हजसका कथन ईपयण ि ु रूप में लेखबद्ध कर हलया
गया है, ऐसी जांच या हवचारण में ऄहभयोजन की ओर से बल ु ाया जाता है तब
यहद ईसके कथन का कोइ भाग, समयक् रूप से साहबत कर हदया गया है तो,
ऄहभयि ु द्वारा और न्यायालय की ऄनज्ञ ु ा से ऄहभयोजन द्वारा ईसका ईपयोग
ऐसे साक्षी का खंडन करने के हलए भारतीय साक्ष्य संहहता, 2023 की धारा
148 द्वारा ईपबंहधत रीहत से हकया जा सकता है और जब ऐसे कथन का कोइ
भाग आस प्रकार ईपयोग में लाया जाता है तब ईसका कोइ भाग ऐसे साक्षी की
पनु ः परीक्षा में भी, हकं तु ईसकी प्रहतपरीक्षा में हनहदण ष्ट हकसी बात का
स्पष्टीकरण करने के प्रयोजन से ही, ईपयोग में लाया जा सकता है।
(2) आस धारा की हकसी बात के बारे में यह नहीं समझा जाएगा हक वह
भारतीय साक्ष्य संहहता, 2023 की धारा 26 के खंड (क) के ईपबंधों के
भीतर अने वाले हकसी कथन को लागू होती है या ईस ऄहधहनयम की धारा
23 की ईपधारा (2) के परंतक ु के ईपबंधों पर प्रभाव डालती है।
स्पष्टीकरण-ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट कथन में हकसी तथ्य या पररहस्थहत के
कथन का लोप, खंडन हो सकता है यहद वह ईस संदभण को ध्यान में रखते हुए,
हजसमें ऐसा लोप हकया गया है महत्वपूणण और ऄन्यथा संगत प्रतीत होता है
और कोइ लोप हकसी हवहशष्ट संदभण में खंडन है या नहीं यह तथ्य का प्रश्न होगा।
धारा – 182 कोइ ईत्प्रेरणा न हदया जाना (1) कोइ पहु लस ऄहधकारी या प्राहधकार वाला धारा –
ऄन्य व्यहि, भारतीय साक्ष्य संहहता, 2023 की धारा 22 में यथावहणणत कोइ 163
ईत्प्रेरणा, धमकी या वचन न तो देगा और न करेगा तथा न हदलवाएगा और न
करवाएगा।
(2) हकं तु कोइ पहु लस ऄहधकारी या ऄन्य व्यहि आस ऄध्याय के ऄधीन हकसी
ऄन्वेषण के दौरान हकसी व्यहि को कोइ कथन करने से, जो वह ऄपनी स्वतंत्र
आच्छा से करना चाहे, हकसी चेतावनी द्वारा या ऄन्यथा हनवाररत न करेगा:
परंतु आस धारा की कोइ बात धारा 183 की ईपधारा (4) के ईपबंधों पर प्रभाव
न डालेगी।
धारा – 183 संस्िीकृहतयों और कथनों को ऄहभहलहखत करना - (1) ईस हजले का कोइ धारा –
महजस्रेट, हजसमें हकसी ऄपराध के हकए जाने के बारे में आहत्तला रहजस्रीकृ त 164
की गइ है, चाहे ईसे मामले में ऄहधकाररता हो या न हो, आस ऄध्याय के ऄधीन
या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन हकसी ऄन्वेषण के दौरान या
तत्पश्चात् जांच या हवचारण प्रारंभ होने के पूवण हकसी समय ऄपने से की गइ
हकसी संस्वीकृ हत या कथन को ऄहभहलहखत कर सकता है :
परंतु आस ईपधारा के ऄधीन की गइ कोइ संस्वीकृ हत या कथन ऄपराध के
ऄहभयि ु व्यहि के ऄहधविा की ईपहस्थहत में श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों
के माध्यम से भी ऄहभहलहखत हकया जा सके गा :
परंतु यह और हक हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा, हजसे तत्समय प्रवृत्त हकसी
हवहध के ऄधीन महजस्रेट की कोइ शहि प्रदत्त की गइ है, कोइ संस्वीकृ हत
ऄहभहलहखत नहीं की जाएगी।
(2) महजस्रेट हकसी ऐसी संस्वीकृ हत को ऄहभहलहखत करने के पूवण ईस व्यहि
को, जो संस्वीकृ हत कर रहा है, यह समझाएगा हक वह ऐसी संस्वीकृ हत करने के
हलए अबद्ध नहीं है और यहद वह ईसे करेगा तो वह ईसके हवरुद्ध साक्ष्य में
ईपयोग में लाइ जा सकती है; और महजस्रेट कोइ ऐसी संस्वीकृ हत तब तक
ऄहभहलहखत न करेगा जब तक ईसे करने वाले व्यहि से प्रश्न करने पर ईसको
यह हवश्वास करने का कारण न हो हक वह स्वेच्छा से की जा रही है।
(3) संस्वीकृ हत ऄहभहलहखत हकए जाने से पूवण यहद महजस्रेट के समक्ष हाहजर
होने वाला व्यहि यह कथन करता है हक वह संस्वीकृ हत करने के हलए आच्छुक
नहीं है तो महजस्रेट ऐसे व्यहि के पहु लस की ऄहभरक्षा में हनरोध को प्राहधकृ त
नहीं करेगा।
(4) ऐसी संस्वीकृ हत हकसी ऄहभयि ु व्यहि की परीक्षा को ऄहभहलहखत करने
के हलए धारा 316 में ईपबंहधत रीहत से ऄहभहलहखत की जाएगी और
संस्वीकृ हत करने वाले व्यहि द्वारा ईस पर हस्ताक्षर हकए जाएंगे; और
महजस्रेट ऐसे ऄहभलेख के नीचे हनमनहलहखत भाव का एक ज्ञापन हलखेगा :
"मैंने............ (नाम) को यह समझा हदया है हक वह संस्वीकृ हत करने के हलए
अबद्ध नहीं है और यहद वह ऐसा करता है तो कोइ संस्वीकृ हत, जो वह करेगा,
ईसके हवरुद्ध साक्ष्य में ईपयोग में लाइ जा सकती है और मझ ु े हवश्वास है हक
यह संस्वीकृ हत स्वेच्छा से की गइ है। यह मेरी ईपहस्थहत में और मेरे सनु ते हुए
हलखी गइ है और हजस व्यहि ने यह संस्वीकृ हत की है ईसे यह पढकर सनु ा दी
गइ है और ईसने ईसका सही होना स्वीकार हकया है और ईसके द्वारा हकए गए
कथन का पूरा और सही वृत्तांत आसमें है।
(हस्ताक्षर) क, ख
महजस्रेट।"
(5) ईपधारा (1) के ऄधीन हकया गया (संस्वीकृ हत से हभन्न) कोइ कथन
साक्ष्य ऄहभहलहखत करने के हलए आसमें आसके पश्चात् ईपबंहधत ऐसी रीहत से
ऄहभहलहखत हकया जाएगा जो महजस्रेट की राय में, मामले की पररहस्थहतयों में
सवाण हधक ईपयि ु हो; तथा महजस्रेट को ईस व्यहि को शपथ हदलाने की
शहि होगी हजसका कथन आस प्रकार ऄहभहलहखत हकया जाता है।
(6) (क) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65, धारा 66,
धारा 67, धारा 68, धारा 69, धारा 70, धारा 71, धारा 74, धारा 75, धारा
76, धारा 77, धारा 78, धारा 79 या धारा 124 के ऄधीन दंडनीय मामलों में
महजस्रेट ईस व्यहि का, हजसके हवरुद्ध ईपधारा (5) में हवहनहदण ष्ट रीहत में ऐसा
ऄपराध हकया गया है, कथन जैसे ही ऄपराध का हकया जाना पहु लस की
जानकारी में लाया जाता है, ऄहभहलहखत करेगा;
परन्तु ऐसा कथन जहां तक साध्य हो, महहला महजस्रेट द्वारा और ईसकी
ऄनुपहस्थहत में पुरुष महजस्रेट द्वारा महहला की ईपहस्थहत में ऄहभहलहखत
हकया जा सके गा;
परन्तु यह और हक ऐसे ऄपराध से संबहं धत मामले में जो दस िषग या ईससे
ऄहधक कारािास से या अजीिन या मत्ृ युदंड से दंडनीय है, महजस्रेट
पुहलस ऄहधकारी द्वारा ईसके समक्ष लाए गए साक्ष्य के कथन को
ऄहभहलहखत करेगा :
परन्तु यहद कथन करने वाला व्यहि ऄस्थायी या स्थायी रूप से मानहसक या
शारीररक रूप से हनःशि है, तो महजस्रेट कथन ऄहभहलहखत करने में हकसी
हद्वभाहषए या हवशेष प्रबोधक की सहायता लेगा :
परन्तु यह और हक यहद कथन करने वाला व्यहि ऄस्थायी या स्थायी रूप से
मानहसक या शारीररक रूप से हनःशि है तो हकसी हद्वभाहषए या हवशेष
प्रबोधक की सहायता से ईस व्यहि द्वारा हकए गए कथन, श्रव्य-दृश्य
आलैक्ट्राहनक साधनों, ऄहधमानतः मोबाआल फोन के माध्यम से ऄहभहलहखत
हकया जाएगा।
(ख) ऐसे हकसी व्यहि के , जो ऄस्थायी या स्थायी रूप से मानहसक या
शारीररक रूप से हनःशि है, खंड (क) के ऄधीन ऄहभहलहखत कथन को
भारतीय साक्ष्य ऄहधहनयम, 2023 की धारा 142 में यथाहवहनहदण ष्ट मख्ु य
परीक्षा के स्थान पर एक कथन समझा जाएगा और ऐसा कथन करने वाले की,
हवचारण के समय ईसको ऄहभहलहखत करने की अवश्यकता के हबना, ऐसे
कथन पर प्रहतपरीक्षा की जा सके गी।
(7) आस धारा के ऄधीन हकसी संस्वीकृ हत या कथन को ऄहभहलहखत करने
वाला महजस्रेट, ईसे ईस महजस्रेट के पास भेजेगा, हजसके द्वारा मामले की
जांच या हवचारण हकया जाना है।
धारा – 184 बलात्संग के पीहडत व्यहि की हचहकत्सीय परीक्षा - (1) जहां, ऐसे प्रिम के धारा –
दौरान जब बलात्संग या बलात्संग करने का प्रयत्न करने के ऄपराध का 164क
ऄन्वेषण हकया जा रहा है ईस महहला के शरीर की, हजसके साथ बलात्संग
हकया जाना या करने का प्रयत्न करना ऄहभकहथत है, हकसी हचहकत्सा
हवशेषज्ञ से परीक्षा कराना प्रस्थाहपत है वहां ऐसी परीक्षा, सरकार या हकसी
स्थानीय प्राहधकारी द्वारा चलाए जा रहे हकसी ऄस्पताल में हनयोहजत
रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी द्वारा, और ऐसे व्यवसायी की ऄनपु हस्थहत में
हकसी ऄन्य रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी द्वारा, ऐसी महहला की सहमहत
से या ईसकी ओर से ऐसी सहमहत देने के हलए सक्षम व्यहि की सहमहत से की
जाएगी और ऐसी महहला को, ऐसा ऄपराध हकए जाने से संबहं धत आहत्तला प्राप्त
होने के समय से चौबीस घंटे के भीतर ऐसे रहजस्रीकृ त हचहकत्सा-व्यवसायी के
पास भेजा जाएगा।
(2) वह रहजस्रीकृ त हचहकत्सा व्यवसायी, हजसके पास ऐसी महहला भेजी
जाती है, हबना हकसी हवलंब के , ईसके शरीर की परीक्षा करेगा और एक परीक्षा
ररपोटण तैयार करेगा हजसमें हनमनहलहखत ब्यौरे हदए जाएंगे, ऄथाण त्-
(i) महहला का, और ईस व्यहि का, जो ईसे लाया है, नाम और पता;
(ii) महहला की अयःु
(iii) डी० एन० ए० प्रोफाआल करने के हलए महहला के शरीर से ली गइ सामग्री
का वणण नः
(iv) महहला के शरीर पर क्षहत के , यहद कोइ हैं, हचह्न;
(v) महहला की साधारण मानहसक दशा; और
(vi) ईहचत ब्यौरे सहहत ऄन्य ताहत्वक हवहशहष्टयां।
(3) ररपोटण में संक्षेप में वे कारण ऄहभहलहखत हकए जाएंगे हजनसे प्रत्येक
हनष्कषण हनकाला गया है।
(4) ररपोटण में हवहनहदण ष्ट रूप से यह ऄहभहलहखत हकया जाएगा हक ऐसी परीक्षा
के हलए महहला की सहमहत या ईसकी ओर से ऐसी सहमहत देने के हलए सक्षम
व्यहि की सहमहत, ऄहभप्राप्त कर ली गइ है।
(5) ररपोटण में परीक्षा प्रारंभ और समाप्त करने का सही समय भी ऄंहकत हकया
जाएगा।
(6) रहजस्रीकृ त हचहकत्सा-व्यवसायी, सात हदनों की ऄिहध के भीतर ररपोटण
ऄन्वेषण ऄहधकारी को भेजेगा जो ईसे धारा 193 में हनहदण ष्ट महजस्रेट को,
ईस धारा की ईपधारा (6) के खंड (क) में हनहदण ष्ट दस्तावेजों के भागरूप में
भेजेगा।
(7) आस धारा को हकसी बात का यह ऄथण नहीं लगाया जाएगा हक वह महहला
की सहमहत के हबना या ईसकी ओर से ऐसी सहमहत देने के हलए सक्षम हकसी
व्यहि की सहमहत के हबना हकसी परीक्षा को हवहधमान्य बनाती है।
स्पष्टीकरण-आस धारा के प्रयोजनों के हलए 'परीक्षा' और "रहजस्रीकृ त हचहकत्सा
व्यवसायी" के वही ऄथण हैं, जो धारा 51 में ईनके हलए िमशः हनयत है।
धारा – 185 पुहलस ऄहधकारी द्वारा तलािी - (1) जब कभी पहु लस थाने के भारसाधक धारा 165
ऄहधकारी या ऄन्वेषण करने वाले पहु लस ऄहधकारी के पास यह हवश्वास करने
के ईहचत अधार हैं हक हकसी ऐसे ऄपराध के ऄन्वेषण के प्रयोजनों के हलए,
हजसका ऄन्वेषण करने के हलए वह प्राहधकृ त है, अवश्यक कोइ चीज ईस
पहु लस थाने की, हजसका वह भारसाधक है या हजससे वह संलग्न है, सीमाओं
के ऄंदर हकसी स्थान में पाइ जा सकती है और ईसकी राय में ऐसी चीज
ऄनहु चत हवलंब के हबना तलाशी से ऄन्यथा ऄहभप्राप्त नहीं की जा सकती, तब
ऐसा ऄहधकारी के स डायरी में ऄपने हवश्वास के अधारों को लेखबद्ध करने,
और यथासंभव ईस चीज को, हजसके हलए तलाशी ली जानी है, ऐसे लेख में
हवहनहदण ष्ट करने के पश्चात् ईस थाने की सीमाओं के ऄंदर हकसी स्थान में ऐसी
चीज के हलए तलाशी ले सकता है या तलाशी करवा सकता है।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन कायण वाही करने वाला पहु लस ऄहधकारी, यहद
साध्य है तो, तलाशी स्वयं लेगा।
परन्तु आस धारा के ऄधीन संचाहलत की गइ तलािी ऄहधमानतयाः
मोबाआल फोन श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से ऄहभहलहखत
की जा सके गी।
(3) यहद वह तलाशी स्वयं लेने में ऄसमथण है और कोइ ऄन्य ऐसा व्यहि, जो
तलाशी लेने के हलए सक्षम है, ईस समय ईपहस्थत नहीं है तो वह, ऐसा करने
के ऄपने कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात्, ऄपने ऄधीनस्थ हकसी
ऄहधकारी से ऄपेक्षा कर सकता है हक वह तलाशी ले और ऐसे ऄधीनस्थ
ऄहधकारी को ऐसा हलहखत अदेश देगा हजसमें ईस स्थान को हजसकी तलाशी
ली जानी है, और यथासंभव ईस चीज को, हजसके हलए तलाशी ली जानी है,
हवहनहदण ष्ट हकया जाएगा और तब ऐसा ऄधीनस्थ ऄहधकारी ईस चीज के हलए
तलाशी ईस स्थान में ले सके गा।
(4) तलाशी वारंटों के बारे में आस संहहता के ईपबंध और तलाहशयों के बारे में
धारा 103 के साधरण ईपबंध आस धारा के ऄधीन ली जाने वाली तलाशी को,
जहां तक हो सके , लागू होंगे।
(5) ईपधारा (1) या ईपधारा (3) के ऄधीन बनाए गए हकसी भी ऄहभलेख की
प्रहतयां तत्काल, हकन्तु ऄडतालीस घंटों के पश्चात् न हो, ऐसे हनकटतम
महजस्रेट के पास भेज दी जाएंगी जो ईस ऄपराध का संज्ञान करने के हलए
सशि है और हजस स्थान की तलाशी ली गइ है, ईसके स्वामी या ऄहधभोगी
को, ईसके अवेदन पर, ईसकी एक प्रहतहलहप महजस्रेट द्वारा हनःशलु क दी
जाएगी।
धारा – 186 पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी कब हकसी ऄन्य ऄहधकारी से धारा 166
तलािी िारंट जारी करने की ऄपेक्षा कर सकता है- (1) पहु लस थाने का
भारसाधक ऄहधकारी या ईपहनरीक्षक से ऄहनमन पंहि का पहु लस ऄहधकारी,
जो ऄन्वेषण कर रहा है, हकसी दूसरे पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी से,
चाहे वह ईस हजले में हो या दूसरे हजले में हो, हकसी स्थान में ऐसे मामले में
तलाशी करवाने की ऄपेक्षा कर सकता है हजसमें पूवणकहथत ऄहधकारी स्वयं
ऄपने थाने की सीमाओं के ऄंदर ऐसी तलाशी करवा सकता है।
(2) ऐसा ऄहधकारी ऐसी ऄपेक्षा हकए जाने पर धारा 185 के ईपबंधों के
ऄनस ु ार कायण वाही करेगा और यहद कोइ चीज हमले तो ईसे ईस ऄहधकारी के
पास भेजेगा, हजसकी ऄपेक्षा पर तलाशी ली गइ है।
(3) जब कभी यह हवश्वास करने का कारण है हक दूसरे पहु लस थाने के
भारसाधक ऄहधकारी से ईपधारा (1) के ऄधीन तलाशी करवाने की ऄपेक्षा
करने में जो हवलंब होगा ईसका पररणाम यह हो सकता है हक ऄपराध हकए
जाने का साक्ष्य हछपा हदया जाए या नष्ट कर हदया जाए, तब पहु लस थाने के
भारसाधक ऄहधकारी के हलए या ईस ऄहधकारी के हलए, जो आस ऄध्याय के
ऄधीन ऄन्वेषण कर रहा है, यह हवहधपणू ण होगा हक वह दस ू रे पहु लस थाने की
स्थानीय सीमाओं के ऄंदर हकसी स्थान की धारा 185 के ईपबंधों के ऄनस ु ार
ऐसी तलाशी ले या तलाशी करवाए मानो ऐसा स्थान ईसके ऄपने थाने की
सीमाओं के भीतर हो।
(4) कोइ ऄहधकारी, जो ईपधारा (3) के ऄधीन तलाशी संचाहलत कर रहा है,
ईस पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को, हजसकी सीमाओं के भीतर ऐसा
स्थान है, तलाशी की सूचना तत्काल भेजेगा और ऐसी सूचना के साथ धारा
103 के ऄधीन तैयार की गइ सूची की (यहद कोइ हो) प्रहतहलहप भी भेजेगा
और ईस ऄपराध का संज्ञान करने के हलए सशि हनकटतम महजस्रेट को
धारा 185 की ईपधारा (1) और ईपधारा (3) में हनहदण ष्ट ऄहभलेखों की
प्रहतहलहपयां भी भेजेगा।
(5) हजस स्थान की तलाशी ली गइ है, ईसके स्वामी या ऄहधभोगी को,
अवेदन करने पर ईस ऄहभलेख की, जो महजस्रेट को ईपधारा (4) के ऄधीन
भेजा जाए, प्रहतहलहप हनःशलु क दी जाएगी।
धारा - 187 जब चौबीस घण्टे के ऄंदर ऄन्िेषण पूरा न हकया जा सके , तब प्रहकया- धारा 167
(1) जब कभी कोइ व्यहि हगरफ्तार हकया गया है और ऄहभरक्षा में हनरुद्ध है
और यह प्रतीत हो हक ऄन्वेषण धारा 58 द्वारा हनयत चौबीस घंटे की ऄवहध
के ऄंदर परू ा नहीं हकया जा सकता और यह हवश्वास करने के हलए अधार है
हक ऄहभयोग या आहत्तला दृढ अधार पर है तब पहु लस थाने का भारसाधक
ऄहधकारी या यहद ऄन्वेषण करने वाला पहु लस ऄहधकारी ईपहनरीक्षक से
हनमनतर पंहि का नहीं है तो वह, हनकटतम महजस्रेट को आसमें आसके पश्चात्
हवहहत डायरी की मामले में संबहं धत प्रहवहष्टयों की एक प्रहतहलहप भेजेगा और
साथ ही ऄहभयि ु व्यहि को भी ईस महजस्रेट के पास भेजेगा।
(2) वह महजस्रेट, हजसके पास ऄहभयि ु व्यहि आस धारा के ऄधीन भेजा
जाता है, यह हवचार हकए हबना चाहे ईस मामले के हवचारण की ईसे
ऄहधकाररता हो या न हो, ऄहभयुि व्यहि पर हिचार करने के पश्चात् हक
क्ट्या िह जमानत पर नहीं छोडा गया है या ईसकी जमानत रद्द कर दी गयी
है, ऄहभयि ु का ऐसी ऄहभरक्षा में, जैसी वह महजस्रेट ठीक समझे आतनी
ऄवहध के हलए, जो कुल हमलाकर पूणणतः या भागतः पंद्रह हदन से ऄहधक न
होगी, ईपधारा (3) में यथा ईपबंहधत यथाहस्थहत, साठ हदनों या नब्बे हदनों
की ईसकी हनरुद्ध ऄिहध में से पहले चालीस हदन या साठ हदन में से पहले
चालीस हदन या साठ हदन के दौरान हकसी भी समय हनरुद्ध हकया जाना
समय-समय पर प्राहधकृत कर सकता है तथा यहद ईसे मामले के हवचारण
की या हवचारण के हलए सपु दु ण करने की ऄहधकाररता नहीं है और ऄहधक
हनरुद्ध रखना ईसके हवचार में ऄनावश्यक है तो वह ऄहभयि ु को ऐसे
महजस्रेट के पास, हजसे ऐसी ऄहधकाररता है, हभजवाने के हलए अदेश दे
सकता है:
(3) महजस्रेट ऄहभयि ु व्यहि का पहु लस ऄहभरक्षा से ऄन्यथा हनरोध पंद्रह
हदन की ऄवहध से अगे के हलए ईस दशा में प्राहधकृ त कर सकता है हजसमें
ईसका समाधान हो जाता है हक ऐसा करने के हलए पयाण प्त अधार हवद्यमान है,
हकं तु कोइ भी महजस्रेट ऄहभयि ु व्यहि का आस ईपधारा के ऄधीन ऄहभरक्षा
में हनरोध, -
(i) कुल हमलाकर नब्बे हदन से ऄहधक की ऄवहध के हलए प्राहधकृ त नहीं करेगा
जहां ऄन्वेषण ऐसे ऄपराध के संबधं में है जो मृत्य,ु अजीवन कारावास या दस
वषण की ऄवहध या ऄहधक के हलए कारावास से दंडनीय है;
(ii) कुल हमलाकर साठ हदन से ऄहधक की ऄवहध के हलए प्राहधकृ त नहीं
करेगा जहां ऄन्वेषण हकसी ऄन्य ऄपराध के संबधं में है,
और, यथाहस्थहत, नब्बे हदन या साठ हदन की ईि ऄवहध की समाहप्त पर यहद
ऄहभयि ु व्यहि जमानत देने के हलए तैयार है और दे देता है तो ईसे जमानत
पर छो़ि हदया जाएगा और यह समझा जाएगा हक आस ईपधारा के ऄधीन
जमानत पर छो़िा गया प्रत्येक व्यहि ऄध्याय 35 के प्रयोजनों के हलए ईस
ऄध्याय के ईपबंधों के ऄधीन छो़िा गया है,
(4) कोइ महजस्रेट आस धारा के ऄधीन हकसी ऄहभयि ु का पहु लस ऄहभरक्षा में
हनरोध तब तक प्राहधकृ त नहीं करेगा जब तक हक ऄहभयि ु ईसके समक्ष
पहली बार और तत्पश्चात् हर बार, जब तक ऄहभयि ु पहु लस की ऄहभरक्षा में
रहता है, व्यहिगत रूप से पेश नहीं हकया जाता है हकं तु महजस्रेट ऄहभयि ु के
या तो व्यहिगत रूप से या श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों द्वारा पेश हकए
जाने पर न्याहयक ऄहभरक्षा में हनरोध को और बढा सके गा;
(5) कोइ हद्वतीय वगण महजस्रेट, जो ईच्च न्यायालय द्वारा आस हनहमत्त
हवशेषतया सशि नहीं हकया गया है, पहु लस की ऄहभरक्षा में हनरोध प्राहधकृ त
न करेगा ।
स्पष्टीकरण 1- शंकाएं दूर करने के हलए आसके द्वारा यह घोहषत हकया जाता है
हक ईपधारा (3) में हवहनहदण ष्ट ऄवहध समाप्त हो जाने पर भी ऄहभयि ु -व्यहि तब
तक ऄहभरक्षा में हनरुद्ध रखा जाएगा जब तक हक वह जमानत नहीं दे देता है।
स्पष्टीकरण 2- यहद यह प्रश्न ईठता है हक क्ट्या कोइ ऄहभयि ु व्यहि महजस्रेट
के समक्ष पेश हकया गया था, जैसा हक ईपधारा (4) के ऄधीन ऄपेहक्षत है, तो
ऄहभयि ु व्यहि की पेशी को, यथाहस्थहत, हनरोध प्राहधकृ त करने वाले अदेश
पर ईसके हस्ताक्षर से या महजस्रेट द्वारा ऄहभयि ु व्यहि की श्रव्य-दृश्य
आलैक्ट्राहनक साधनों द्वारा पेशी के बारे में प्रमाहणत अदेश द्वारा साहबत हकया
जा सकता है :
परंतु ऄठारह वषण से कम अयु की महहला की दशा में, हकसी प्रहतप्रेषण गृह या
मान्यताप्राप्त सामाहजक संस्था की ऄहभरक्षा में हनरोध हकए जाने को प्राहधकृ त
हकया जाएगा :
परंतु यह और हक हकसी व्यहि को के न्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा
न्याहयक ऄहभरक्षा या जेल के रूप में घोहषत स्थान के ऄधीन पहु लस ऄहभरक्षा
या जेल में पहु लस थाने से हभन्न स्थान पर ऄहभरक्षा में नहीं रखा जाएगा।
(6) ईपधारा (1) या ईपधारा (5) में हकसी बात के होते हुए भी, पहु लस थाने
का भारसाधक ऄहधकारी या ऄन्वेषण करने वाला पहु लस ऄहधकारी, यहद
ईपहनरीक्षक से हनमनतर पंहि का नहीं है तो, जहां न्याहयक महजस्रेट न हमल
सकता हो, वहां कायण पालक महजस्रेट को हजसको महजस्रेट की शहियां प्रदान
की गइ हैं, आसमें आसके पश्चात् हवहहत डायरी की मामले से संबहं धत प्रहवहष्टयों
की एक प्रहतहलहप भेजेगा और साथ ही ऄहभयि ु व्यहि को भी ईस
कायण पालक महजस्रेट के पास भेजेगा और तब ऐसा कायण पालक महजस्रेट
लेखबद्ध हकए जाने वाले कारणों से हकसी ऄहभयि ु -व्यहि का ऐसी ऄहभरक्षा में
हनरोध, जैसा वह ठीक समझे, ऐसी ऄवहध के हलए प्राहधकृ त कर सकता है जो
कुल हमलाकर सात हदन से ऄहधक नहीं हो और ऐसे प्राहधकृ त हनरोध की
ऄवहध की समाहप्त पर ईसे जमानत पर छो़ि हदया जाएगा, हकं तु ईस दशा में
नहीं हजसमें ऄहभयि ु व्यहि के अगे और हनरोध के हलए अदेश ऐसे महजस्रेट
द्वारा हकया गया है जो ऐसा अदेश करने के हलए सक्षम है और जहां ऐसे अगे
और हनरोध के हलए अदेश हकया जाता है वहां वह ऄवहध, हजसके दौरान
ऄहभयि ु -व्यहि आस ईपधारा के ऄधीन हकसी कायण पालक महजस्रेट के
अदेशों के ऄधीन ऄहभरक्षा में हनरुद्ध हकया गया था, ईपधारा (3) में हवहनहदण ष्ट
ऄवहध की संगणना करने में हहसाब में ली जाएगी:
परंतु ईि ऄवहध की समाहप्त के पूवण कायण पालक महजस्रेट, मामले के
ऄहभलेख, मामले से संबहं धत डायरी की प्रहवहष्टयों के सहहत जो, यथाहस्थहत,
पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी या ऄन्वेषण करने वाले ऄहधकारी द्वारा
ईसे भेजी गइ थी, हनकटतम न्याहयक महजस्रेट को भेजेगा।
(7) आस धारा के ऄधीन पहु लस ऄहभरक्षा में हनरोध प्राहधकृ त करने वाला
महजस्रेट ऐसा करने के ऄपने कारण ऄहभहलहखत करेगा।
(8) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट से हभन्न कोइ महजस्रेट जो ऐसा अदेश दे ऄपने
अदेश की एक प्रहतहलहप अदेश देने के ऄपने कारणों के सहहत मख्ु य न्याहयक
महजस्रेट को भेजेगा।
(9) यहद समन मामले के रूप में महजस्रेट द्वारा हवचारणीय हकसी मामले में
ऄन्वेषण, ऄहभयि ु के हगरफ्तार हकए जाने की तारीख से छह मास की ऄवहध
के भीतर समाप्त नहीं होता है तो महजस्रेट ऄपराध में अगे और ऄन्वेषण को
रोकने के हलए अदेश करेगा जब तक ऄन्वेषण करने वाला ऄहधकारी
महजस्रेट का समाधान नहीं कर देता है हक हवशेष कारणों से और न्याय के
हहत में छह मास की ऄवहध के अगे ऄन्वेषण जारी रखना अवश्यक है।
(10) जहां ईपधारा (9) के ऄधीन हकसी ऄपराध का अगे और ऄन्वेषण
रोकने के हलए अदेश हदया गया है वहां यहद सेशन न्यायाधीश का ईसे
अवेदन हदए जाने पर या ऄन्यथा, समाधान हो जाता है हक ईस ऄपराध का
अगे और ऄन्वेषण हकया जाना चाहहए तो वह ईपधारा (१) के ऄधीन हकए गए
अदेश को रद्द कर सकता है और यह हनदेश दे सकता है हक जमानत और
ऄन्य मामलों के बारे में ऐसे हनदेशों के ऄधीन रहते हुए जो वह हवहनहदण ष्ट करे,
ऄपराध का अगे और ऄन्वेषण हकया जाए।
धारा – 188 ऄधीनस्थ पुहलस ऄहधकारी द्वारा ऄन्िेषण की ररपोटग - जब कोइ ऄधीनस्थ धारा 168 कोइ पररवतण न नहीं ।
पहु लस ऄहधकारी आस ऄध्याय के ऄधीन कोइ ऄन्वेषण करता है तब वह ईस
ऄन्वेषण के पररणाम की ररपोटण पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को
करेगा।
धारा – 189 जब साक्ष्य ऄपयागप्त हो तब ऄहभयि ु का छोडा जाना- यहद आस ऄध्याय के धारा 169
ऄधीन ऄन्वेषण पर पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को प्रतीत होता है
हक ऐसा पयाण प्त साक्ष्य या संदेह का ईहचत अधार नहीं है, हजससे ऄहभयि ु को
महजस्रेट के पास भेजना न्यायानमु त है तो ऐसा ऄहधकारी ईस दशा में, हजसमें
वह व्यहि ऄहभरक्षा में है, ईसके द्वारा, जैसा ऐसा ऄहधकारी हनहदण ष्ट करे, यह
बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करने पर ईसे छो़ि देगा हक यहद और जब
ऄपेक्षा की जाए, तो और तब वह ऐसे महजस्रेट के समक्ष हाहजर होगा जो
पहु लस ररपोटण पर ऐसे ऄपराध का संज्ञान करने के हलए, और ऄहभयि ु का
हवचारण करने या ईसे हवचारणाथण सपु दु ण करने के हलए सशि है।
धारा – 190 जब साक्ष्य पयागप्त है तब मामलों का महजस्रेट के पास भेज हदया जाना (1) धारा 170
यहद आस ऄध्याय के ऄधीन ऄन्वेषण करने पर पहु लस थाने के भारसाधक
ऄहधकारी को प्रतीत होता है हक यथापूवोि पयाण प्त साक्ष्य या ईहचत अधार है,
तो वह ऄहधकारी पहु लस ररपोटण पर ईस ऄपराध का संज्ञान करने के हलए और
ऄहभयि ु का हवचारण करने या ईसे हवचारणाथण सपु दु ण करने के हलए सशि
महजस्रेट के पास ऄहभयि ु को ऄहभरक्षा में भेजेगा या यहद ऄपराध जमानतीय
है और ऄहभयि ु प्रहतभह
ू त देने के हलए समथण हैं तो ऐसे महजस्रेट के समक्ष
हनयत हदन ईसके हाहजर होने के हलए और ऐसे महजस्रेट के समक्ष, जब तक
ऄन्यथा हनदेश न हदया जाए तब तक, हदन-प्रहतहदन ईसको हाहजरी के हलए
प्रहतभूहत लेगा।
परन्तु यहद ऄहभयुि ऄहभरक्षा में नहीं है, पुहलस ऄहधकारी महजस्रेट के
समक्ष ईसकी ईपहस्थहत के हलए ऐसे व्यहि से प्रहतभूहत ले सके गा और
ऐसा महजस्रेट हजसको ऐसी ररपोटग भेजी गइ है, आस अधार पर हक
ऄहभयुि को ऄहभरक्षा में नहीं भेजा गया है, ईसे स्िीकृत करने से आन्कार
नहीं करेगा।
(2) जब पहु लस थाने का भारसाधक ऄहधकारी ऄहभयि ु को आस धारा के
ऄधीन महजस्रेट के पास भेजता है या ऐसे महजस्रेट के समक्ष ईसके हाहजर
होने के हलए प्रहतभूहत लेता है तब ईस महजस्रेट के पास वह ऐसा कोइ अयधु
या ऄन्य वस्तु जो ईसके समक्ष पेश करना अवश्यक हो, भेजेगा और यहद कोइ
पररवादी हो, तो ईससे और ऐसे ऄहधकारी को मामले के तथ्यों और
पररहस्थहतयों से पररहचत प्रतीत होने वाले ईतने व्यहियों से, हजतने वह
अवश्यक समझे महजस्रेट के समक्ष हनहदष्ट प्रकार से हाहजर होने के हलए और
(यथाहस्थहत) ऄहभयोजन करने के हलए या ऄहभयि ु के हवरुद्ध अरोप के
हवषय में साक्ष्य देने के हलए बंधपत्र हनष्पाहदत करने की ऄपेक्षा करेगा।
(3) यहद बंधपत्र में मख्ु य न्याहयक महजस्रेट का न्यायालय ईहललहखत है तो
ईस न्यायालय के ऄंतगण त कोइ ऐसा न्यायालय भी समझा जाएगा हजसे ऐसा
महजस्रेट मामले की जांच या हवचारण के हलए हनदेहशत करता है, परंतु यह तब
जब ऐसे हनदेश की ईहचत सूचना ईस पररवादी या ईन व्यहियों को दे दी गइ
है।
(4) वह ऄहधकारी, हजसकी ईपहस्थहत में बंधपत्र हनष्पाहदत हकया जाता है,
ईस बंधपत्र की एक प्रहतहलहप ईन व्यहियों में से एक को पररदत्त करेगा जो
ईसे हनष्पाहदत करता है और तब मूल बंधपत्र को ऄपनी ररपोटण के साथ
महजस्रेट के पास भेजेगा।
धारा – 191 पररिादी और साहक्षयों से पुहलस ऄहधकारी के साथ जाने की ऄपेक्षा न धारा 171
हकया जाना और ईनका ऄिरुद्ध न हकया जाना- हकसी पररवादी या साक्षी
से, जो हकसी न्यायालय में जा रहा है, पहु लस ऄहधकारी के साथ जाने की
ऄपेक्षा न की जाएगी, और न तो ईसे ऄनावश्यक रूप से ऄवरुद्ध हकया जाएगा
या ऄसहु वधा पहुचं ाइ जाएगी और न ईससे ऄपनी हाहजरी के हलए ईसके ऄपने
बंधपत्र से हभन्न कोइ प्रहतभहू त देने की ऄपेक्षा की जाएगी :
परंतु यहद कोइ पररवादी या साक्षी हाहजर होने से, या धारा 190 में हनहदण ष्ट
प्रकार का बंधपत्र हनष्पाहदत करने से, आंकार करता है तो पहु लस थाने का
भारसाधक ऄहधकारी ईसे महजस्रेट के पास ऄहभरक्षा में भेज सकता है, जो
ईसे तब तक ऄहभरक्षा में हनरुद्ध रख सकता है जब तक वह ऐसा बंधपत्र
हनष्पाहदत नहीं कर देता है या जब तक मामले की सनु वाइ समाप्त नहीं हो
जाती है।
धारा – 192 ऄन्िेषण में कायगिाहहयों की डायरी - (1) प्रत्येक पहु लस ऄहधकारी, जो आस धारा 172
ऄध्याय के ऄधीन ऄन्वेषण करता है, ऄन्वेषण में की गइ ऄपनी कायण वाही को
हदन-प्रहतहदन एक डायरी में हलखेगा, हजसमें वह समय जब ईसे आहत्तला हमली,
वह समय जब ईसने ऄन्वेषण अरंभ हकया और जब समाप्त हकया, वह स्थान
या वे स्थान जहां वह गया और ऄन्वेषण द्वारा ऄहभहनहश्चत पररहस्थहतयों का
हववरण होगा।
(2) धारा 180 के ऄधीन ऄन्वेषण के दौरान ऄहभहलहखत हकए गए साहक्षयों के
कथन के स डायरी में ऄंत:स्थाहपत हकए जाएंगे।
(3) ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट डायरी हजलद रूप में होगी और ईसके पृष्ठ समयक्
रूप से संख्यांहकत होंगे।
(4) कोइ दंड न्यायालय ऐसे न्यायालय में जांच या हवचारण के ऄधीन मामले
की पहु लस डायररयों को मंगा सकता है और ऐसी डायररयों को मामले में साक्ष्य
के रूप में तो नहीं हकं तु ऐसी जांच या हवचारण में ऄपनी सहायता के हलए
ईपयोग में ला सकता है।
(5) न तो ऄहभयि ु और न ईसके ऄहभकताण , ऐसी डायररयों को मंगाने के
हकदार होंगे और न वह या वे के वल आस कारण ईन्हें देखने के हकदार होंगे हक
वे न्यायालय द्वारा देखी गइ हैं, हकं तु यहद वे ईस पहु लस ऄहधकारी द्वारा,
हजसने ईन्हें हलखा है, ऄपनी स्मृहत को ताजा करने के हलए ईपयोग में लाइ
जाती है, या यहद न्यायालय ईन्हें ऐसे पहु लस ऄहधकारी की बातों का खंडन
करने के प्रयोजन के हलए ईपयोग में लाता है तो भारतीय साक्ष्य संहहता,
2023 की, यथाहस्थहत, धारा 148 या धारा 164 के ईपबंध लागू होंगे।
धारा – 193 ऄन्िेषण के समाप्त हो जाने पर पुहलस ऄहधकारी की ररपोटग- धारा 173
(1) आस ऄध्याय के ऄधीन हकया जाने वाला प्रत्येक ऄन्वेषण ऄनावश्यक
हवलंब के हबना पूरा हकया जाएगा।
(2) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा
67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 या लैंहगक ऄपराधों से बालकों का
संरक्षण ऄहधहनयम, 2012 (2012 का 32) की धारा 4, धारा 6, धारा 8 या
धारा 10 के ऄधीन हकसी ऄपराध के संबधं में ऄन्वेषण ईस तरीख से,
हजसको पहु लस धाने के भारसाधक ऄहधकारी द्वारा आहत्तला ऄहभहलहखत की
गइ थी, दो मास के भीतर पूरा हकया जा सके गा।
(3) (1) जैसे ही जांच पूरी होती है, वैसे ही पहु लस थाने का भारसाधक
ऄहधकारी, पहु लस ररपोटण पर ईस ऄपराध का संज्ञान करने के हलए सशि
महजस्रेट को, राज्य सरकार द्वारा हवहहत प्ररूप में, हजसमें आलैक्ट्राहनक
संसूचना का माध्यम भी है, एक ररपोटण भेजेगा, हजसमें हनमनहलहखत बातें
कहथत होंगी :
(क) पक्षकारों के नाम;
(ख) आहत्तला का स्वरूप;
(ग) मामले की पररहस्थहतयों से पररहचत प्रतीत होने वाले व्यहियों के नामः
(घ) क्ट्या कोइ ऄपराध हकया गया प्रतीत होता है और यहद हकया गया प्रतीत
होता है, तो हकसके द्वारा;
(ङ) क्ट्या ऄहभयि ु हगरफ्तार कर हलया गया है;
(च) क्ट्या ऄहभयिु ऄपने बंधपत्र या जमानतपत्र पर छो़ि हदया गया है;
(छ) क्ट्या ऄहभयि ु धारा 190 के ऄधीन ऄहभरक्षा में भेजा जा चक
ु ा है;
(ज) जहां ऄन्वेषण भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65,
धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 के ऄधीन हकसी
ऄपराध के संबधं में है, वहां क्ट्या महहला की हचहकत्सा परीक्षा की ररपोटण
संलग्न की गइ है।
(i) आलैक्ट्राहनक युहि की दिा में ऄहभरक्षा का ऄनुिम;
(ii) पुहलस ऄहधकारी नब्बे हदनों की ऄिहध के भीतर ऄन्िेषण की प्रगहत
की सूचना, हकन्हीं साधनों द्वारा, हजसके ऄंतगगत आलैक्ट्राहनक संसूचना के
माध्यम से भी, सूचना देने िाले या पीहडत को देगा।
(iii) वह ऄहधकारी ऄपने द्वारा की गइ कायण वाही की संसूचना, ईस व्यहि को,
यहद कोइ हो, हजसने ऄपराध हकए जाने के संबधं में सवण प्रथम आहत्तला दी, ईस
रीहत से देगा, जो राज्य सरकार हनयमों द्वारा ईपबंहधत करे।
(4) जहां धारा 177 के ऄधीन कोइ वररष्ठ पहु लस ऄहधकारी हनयि ु हकया गया
है वहां ऐसे हकसी मामले में, हजसमें राज्य सरकार साधारण या हवशेष अदेश
द्वारा ऐसा हनदेश देती है, वह ररपोटण ईस ऄहधकारी के माध्यम से दी जाएगी
और वह, महजस्रेट का अदेश होने तक के हलए, पहु लस थाने के भारसाधक
ऄहधकारी को यह हनदेश दे सकता है हक वह अगे और ऄन्वेषण करे।
(5) जब कभी आस धारा के ऄधीन भेजी गइ ररपोटण से यह प्रतीत होता है हक
ऄहभयि ु को ईसके बंधपत्र या जमानतपत्र पर छो़ि हदया गया है, तब
महजस्रेट ईस बंधपत्र या जमानतपत्र के ईन्मोचन के हलए या ऄन्यथा ऐसा
अदेश करेगा, जैसा वह ठीक समझे।
(6) जब ऐसी ररपोटण का संबधं ऐसे मामले से है, हजसको धारा 190 लागू होती
है, तब पहु लस ऄहधकारी महजस्रेट को ररपोटण के साथ-साथ हनमनहलहखत भी
भेजेगा-
(क) वे सब दस्तावेज या ईनके सस ु ंगत ईद्धरण, हजन पर हनभण र करने का
ऄहभयोजन का हवचार है और जो ईनसे हभन्न हैं हजन्हें ऄन्वेषण के दौरान
महजस्रेट को पहले ही भेज हदया गया है;
(ख) ईन सब व्यहियों के , हजनकी साहक्षयों के रूप में परीक्षा करने का
ऄहभयोजन का हवचार है, धारा 180 के ऄधीन ऄहभहलहखत कथन।
(7) यहद पहु लस ऄहधकारी की यह राय है हक ऐसे हकसी कथन का कोइ भाग
कायण वाही की हवषयवस्तु से सस ु ंगत नहीं है या ईसे ऄहभयि ु को प्रकट करना
न्याय के हहत में अवश्यक नहीं है और लोकहहत के हलए ऄसमीचीन है तो वह
कथन के ईस भाग को ईपदहशण त करेगा और ऄहभयि ु को दी जाने वाली
प्रहतहलहप में से ईस भाग को हनकाल देने के हलए हनवेदन करते हुए और ऐसा
हनवेदन करने के ऄपने कारणों का कथन करते हुए एक नोट महजस्रेट को
भेजेगा।
(8) ईपधारा (7) में ऄंतहवण ष्ट ईपबंधों के ऄधीन जहां मामले का ऄन्वेषण करने
वाला पहु लस ऄहधकारी धारा 230 के ऄधीन यथा ऄपेहक्षत ऄहभयि ु को
प्रदान करने के हलए महजस्रेट को समयक् रूप से सूचीबद्ध ऄन्य दस्तावेजों के
साथ पहु लस ररपोटण की ईतनी संख्या में प्रहतयां जो ऄपेहक्षत की जाएं, भी
प्रस्ततु करेगा :
परंतु आलैक्ट्राहनक संसूचना द्वारा ररपोटग या ऄन्य दस्तािेजों के प्रदाय को
सभयक् रूप से तामील हुअ माना जायेगा।
(9) आस धारा की कोइ बात हकसी ऄपराध के बारे में ईपधारा (3) के ऄधीन
महजस्रेट को ररपोटण भेज दी जाने के पश्चात् अगे और ऄन्वेषण को प्रवाररत
करने वाली नहीं समझी जाएगी तथा जहां ऐसे ऄन्वेषण पर पहु लस थाने के
भारसाधक ऄहधकारी को कोइ ऄहतररि मौहखक या दस्तावेजी साक्ष्य हमले
वहां वह ऐसे साक्ष्य के संबधं में ऄहतररि ररपोटण या ररपोटै महजस्रेट को हवहहत
प्ररूप में भेजेगा, और ईपधारा (3) से ईपधारा (8) तक के ईपबंध ऐसी ररपोटण
या ररपोटों के बारे में, जहां तक हो सके , ऐसे लागू होंगे, जैसे वे ईपधारा (3) के
ऄधीन भेजी गइ ररपोटण के संबधं में लागू होते हैं :
परन्तु हिचारण के दौरान और ऄन्िेषण मामले का हिचार करने िाले
न्यायालय की ऄनुज्ञा से संचाहलत हकया जा सके गा और जो नब्बे हदनों की
ऄिहध के भीतर पूरा हकया जाएगा हजसका हिस्तार न्यायालय की ऄनुज्ञा
से हकया जा सके गा
धारा – 194 अत्महत्या, अहद पर पुहलस का जांच करना और ररपोटग देना - (1) जब धारा 174
पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी, या राज्य सरकार द्वारा ईस हनहमत्त
हवशेषतया सशि हकए गए हकसी ऄन्य पहु लस ऄहधकारी को यह आहत्तला
हमलती है हक हकसी व्यहि ने अत्महत्या कर ली है या कोइ व्यहि हकसी ऄन्य
व्यहि द्वारा या जीव-जंतु द्वारा या हकसी यंत्र द्वारा या दघु ण टना द्वारा मारा गया
है, या कोइ व्यहि ऐसी पररहस्थहतयों में मरा है हजनसे ईहचत रूप से यह संदेह
होता है हक हकसी ऄन्य व्यहि ने कोइ ऄपराध हकया है तो वह मृत्यु समीक्षाएं
करने के हलए सशि हनकटतम कायण पालक महजस्रेट को तरु तं ईसको सूचना
देगा और जब तक राज्य सरकार द्वारा हवहहत हकसी हनयम द्वारा या हजला या
ईपखंड महजस्रेट के हकसी प्राधारण या हवशेष अदेश द्वारा ऄन्यथा हनहदष्ट न
हो वह ईस स्थान को जाएगा जहां ऐसे मृत व्यहि का शरीर है और वहां प़िोस
के दो या ऄहधक प्रहतहष्ठत हनवाहसयों की ईपहस्थहत में ऄन्वेषण करेगा और
मृत्यु के दृश्यमान कारण की ररपोटण तैयार करेगा हजसमें ऐसे घावों, ऄहस्थभंगों,
नीलों और क्षहत के ऄन्य हचन्हों का जो शरीर पर पाए जाएं, वणण न होगा और
यह कथन होगा हक ऐसे हचन्ह हकस प्रकार से और हकसी अयधु या ईपकरण
द्वारा (यहद कोइ हो) हकए गए प्रतीत होते हैं।
(2) ईस ररपोटण पर ऐसे पहु लस ऄहधकारी और ऄन्य व्यहियों द्वारा, या ईनमें
से आतनों द्वारा जो ईससे सहमत है, हस्ताक्षर हकए जाएंगे और वह हजला
महजस्रेट या ईपखंड महजस्रेट को चौबीस घंटों के भीतर तत्काल भेज दी
जाएगी।
(3) जब-
(i) मामले में हकसी महहला द्वारा ईसके हववाह की तारीख से सात वषण के भीतर
अत्महत्या ऄंतवण हलत है; या
(ii) मामला हकसी महहला की ईसके हववाह के सात वषण के भीतर ऐसी
पररहस्थहतयों में मृत्यु से संबहं धत है जो यह यहु ियि
ु संदेह ईत्पन्न करती है
हक हकसी ऄन्य व्यहि ने ऐसी महहला के संबधं में कोइ ऄपराध हकया है; या
(iii) मामला हकसी महहला की ईसके हववाह के सात वषण के भीतर मृत्यु से
संबहं धत है और ईस महहला के हकसी नातेदार ने ईस हनहमत्त हनवेदन हकया है;
या
(iv) मृत्यु के कारण की बाबत कोइ संदेह है; या
(v) हकसी ऄन्य कारण पहु लस ऄहधकारी ऐसा करना समीचीन समझता है, तब
ऐसे हनयमों के ऄधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त हवहहत
हकए जाएं, वह ऄहधकारी यहद मौसम ऐसा है और दूरी आतनी है हक रास्ते में
शरीर के ऐसे स़िने की जोहखम के हबना, हजससे ईसको परीक्षा व्यथण हो जाए,
ईसे हभजवाया जा सकता है तो शरीर को ईसकी परीक्षा की दृहष्ट से, हनकटतम
हसहवल सजण न के पास या राज्य सरकार द्वारा आस हनहमत्त हनयि ु व्यहि ऄन्य
ऄहहण त हचहकत्सक के पास
भेजेगा।
(4) हनमनहलहखत महजस्रेट मृत्य-ु समीक्षा करने के हलए सशि हैं, ऄथाण त् कोइ
हजला महजस्रेट या ईपखंड महजस्रेट और राज्य सरकार द्वारा या हजला
महजस्रेट द्वारा आस हनहमत्त हवशेषतया सशि हकया गया कोइ ऄन्य
कायण पालक महजस्रेट।
धारा – 195 व्यहियों को समन करने की िहि - (1) धारा 194 के ऄधीन कायण वाही धारा 175
करने वाला पहु लस ऄहधकारी यथापवू ोि दो या ऄहधक व्यहियों को ईि
ऄन्वेषण के प्रयोजन से और हकसी ऄन्य ऐसे व्यहि को, जो मामले के तथ्यों
से पररहचत प्रतीत होता है, हलहखत अदेश द्वारा समन कर सकता है तथा ऐसे
समन हकया गया प्रत्येक व्यहि हाहजर होने के हलए और ईन प्रश्नों के हसवाय,
हजनके ईत्तरों की प्रवृहत्त ईसे अपराहधक अरोप या शाहस्त या समपहरण की
अशंका में डालने की है, सब प्रश्नों का सही-सही ईत्तर देने के हलए अबद्ध
होगा :
परन्तु पंरह िषग से कम की अयु या साठ िषग की अयु से उपर के हकसी
व्यहि या महहला या मानहसक या िारीररक रूप से हदव्यांग व्यहि या
गंभीर बीमारी से ग्रस्त कोइ व्यहि से, ईस स्थान के हसिाय जहां ऐसा
व्यहि रहता है, हकसी स्थान पर हाहजर होने की ऄपेक्षा नहीं की जाएगी :
परन्तु और हक यहद ऐसा व्यहि पुहलस थाने पर हाहजर होने और ईिर देने
के हलए सहमत न हो तो ऐसे व्यहि को ऐसा करने के हलए ऄनुज्ञात हकया
जा सके गा।
(2) यहद तथ्यों से ऐसा कोइ संज्ञेय ऄपराध, हजसे धारा 190 लागू है, प्रकट
नहीं होता है तो पहु लस ऄहधकारी ऐसे व्यहि से महजस्रेट के न्यायालय में
हाहजर होने की ऄपेक्षा न करेगा।
धारा – 196 मत्ृ यु के कारण की महजस्रेट द्वारा जांच - (1) जब मामला धारा 194 की धारा 176 मृत्यु के कारण की महजस्रेट द्वारा जांच - (1) जब मामला धारा 174 की
ईपधारा (3) के खंड (i) या खंड (ii) में हनहदण ष्ट प्रकृ हत का है, तब मृत्यु के ईपधारा (3) के खंड (i) या खंड (ii) में हनहदण ष्ट प्रकृ हत का है, तब मृत्यु के
कारण की जांच, पहु लस ऄहधकारी द्वारा हकए जाने वाले ऄन्वेषण के बजाय या कारण की जांच, पहु लस ऄहधकारी द्वारा हकए जाने वाले ऄन्वेषण के बजाय
ईसके ऄहतररि, वह हनकटतम महजस्रेट करेगा जो मृत्य-ु समीक्षा करने के या ईसके ऄहतररि, वह हनकटतम महजस्रेट करेगा जो मृत्य-ु समीक्षा करने
हलए सशि है और धारा 194 की ईपधारा (1) में वहणण त हकसी ऄन्य दशा में के हलए सशि है और धारा 174 की ईपधारा (1) में वहणण त हकसी ऄन्य
आस प्रकार सशि हकया गया कोइ भी महजस्रेट कर सके गा; और यहद वह ऐसा दशा में आस प्रकार सशि हकया गया कोइ भी महजस्रेट कर सके गा; और
करता है तो ईसे ऐसी जांच करने में वे सब शहियां होंगी, जो ईसे हकसी यहद वह ऐसा करता है तो ईसे ऐसी जांच करने में वे सब शहियां होंगी, जो
ऄपराध की जांच करने में होतीं। ईसे हकसी ऄपराध की जांच करने में होतीं।
(2) जहां, - (2) जहां, -
(क) कोइ व्यहि मर जाता है या गायब हो जाता है, या (क) कोइ व्यहि मर जाता है या गायब हो जाता है, या
(ख) हकसी महहला के साथ बलात्संग हकया गया ऄहभकहथत है, (ख) हकसी महहला के साथ बलात्संग हकया गया ऄहभकहथत है,
तो ईस दशा में जब हक ऐसा व्यहि या महहला पहु लस ऄहभरक्षा या आस संहहता तो ईस दशा में जब हक ऐसा व्यहि या महहला पहु लस ऄहभरक्षा या आस
के ऄधीन महजस्रेट या न्यायालय द्वारा प्राहधकृ त हकसी ऄन्य ऄहभरक्षा में है, संहहता के ऄधीन महजस्रेट या न्यायालय द्वारा प्राहधकृ त हकसी ऄन्य
वहां पहु लस द्वारा की गइ जांच या हकए गए ऄन्वेषण के ऄहतररि, ऐसे ऄहभरक्षा में है, वहां पहु लस द्वारा की गइ जांच या हकए गए ऄन्वेषण या जांच
महजस्रेट द्वारा, हजसकी ऄहधकाररता की स्थानीय सीमाओं के भीतर ऄपराध के साथ साथ न्याहयक महजस्रेट या महानगर महजस्रेट जैसा भी मामला है
हकया गया है, जांच की जाएगी। हजसकी ऄहधकाररता की स्थानीय सीमाओं के भीतर ऄपराध हकया गया है,
(3) ऐसी जांच करने वाला महजस्रेट ईसके संबधं में हलए गए साक्ष्य को आसमें जांच की जाएगी।
आसके पश्चात् हवहहत हकसी प्रकार से, मामले की पररहस्थहतयों के ऄनस ु ार (3) ऐसी जांच करने वाला महजस्रेट ईसके संबधं में हलए गए साक्ष्य को
ऄहभहलहखत करेगा। आसमें आसके पश्चात् हवहहत हकसी प्रकार से, मामले की पररहस्थहतयों के
(4) जब कभी ऐसे महजस्रेट के हवचार में यह समीचीन है हक हकसी व्यहि के , ऄनस ु ार ऄहभहलहखत करेगा।
जो पहले ही गा़ि हदया गया है, मृत शरीर की आसहलए परीक्षा की जाए हक (4) जब कभी ऐसे महजस्रेट के हवचार में यह समीचीन है हक हकसी व्यहि
ईसकी मृत्यु के कारण का पता चले तब महजस्रेट ईस शरीर को हनकलवा के , जो पहले ही गा़ि हदया गया है, मृत शरीर की आसहलए परीक्षा की जाए
सकता है और ईसकी परीक्षा करा सकता है। हक ईसकी मृत्यु के कारण का पता चले तब महजस्रेट ईस शरीर को
(5) जहां कोइ जांच आस धारा के ऄधीन की जानी है, वहां महजस्रेट, जहां कहीं हनकलवा सकता है और ईसकी परीक्षा करा सकता है।
साध्य है, सूतक के ईन नातेदारों को, हजनके नाम और पते ज्ञात हैं, आहत्तला (5) जहां कोइ जांच आस धारा के ऄधीन की जानी है, वहां महजस्रेट, जहां
देगा और ईन्हें जांच के समय ईपहस्थत रहने की ऄनज्ञ ु ा देगा। कहीं साध्य है, सूतक के ईन नातेदारों को, हजनके नाम और पते ज्ञात हैं,
(6) ईपधारा (2) के ऄधीन कोइ, जांच या ऄन्वेषण करने वाला महजस्रेट या आहत्तला देगा और ईन्हें जांच के समय ईपहस्थत रहने की ऄनज्ञ ु ा देगा।
कायण पालक महजस्रेट या पहु लस ऄहधकारी, हकसी व्यहि की मृत्यु के चौबीस (6) ईपधारा (2) के ऄधीन कोइ, जांच या ऄन्वेषण करने वाला न्याहयक
घंटे के भीतर ईसकी परीक्षा हकए जाने की दृहष्ट से शरीर को हनकटतम हसहवल महजस्रेट या महानगर महजस्रेट या कायण पालक महजस्रेट या पहु लस
सजण न या ऄन्य ऄहहण त हचहकत्सक को, जो आस हनहमत्त राज्य सरकार द्वारा ऄहधकारी, हकसी व्यहि की मृत्यु के चौबीस घंटे के भीतर ईसकी परीक्षा
हनयि ु हकया गया हो, भेजेगा जब तक हक लेखबद्ध हकए जाने वाले कारणों से हकए जाने की दृहष्ट से शरीर को हनकटतम हसहवल सजण न या ऄन्य ऄहहण त
ऐसा करना संभव न हो। स्पष्टीकरण-आस धारा में "नातेदार" पद से माता-हपता, हचहकत्सक को, जो आस हनहमत्त राज्य सरकार द्वारा हनयि ु हकया गया हो,
संतान, भाइ, बहन और पहत या पत्नी ऄहभप्रेत हैं। भेजेगा जब तक हक लेखबद्ध हकए जाने वाले कारणों से ऐसा करना संभव न
हो। स्पष्टीकरण-आस धारा में "नातेदार" पद से माता-हपता, संतान, भाइ,
बहन और पहत या पत्नी ऄहभप्रेत हैं।
ऄध्याय 14 - जांचों और हिचारणों में दंड न्यायालयों की ऄहधकाररता
धारा – 197 जांच और हिचारण का मामल ू ी स्थान - प्रत्येक ऄपराध की जांच और धारा 177 कोइ पररवतण न नहीं ।
हवचारण मामूली तौर पर ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जाएगा हजसकी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर वह ऄपराध हकया गया है।
धारा – 198 जांच या हिचारण का स्थान- (क) जहां यह ऄहनहश्चत है हक कइ स्थानीय धारा 178 कोइ पररवतण न नहीं ।
क्षेत्रों में से हकसमें ऄपराध हकया गया है; या
(ख) जहां ऄपराध ऄंशत: एक स्थानीय क्षेत्र में और ऄंशत: हकसी दूसरे में
हकया गया है; या
(ग) जहां ऄपराध चालू रहने वाला है और ईसका हकया जाना एक से ऄहधक
स्थानीय क्षेत्रों में चालू रहता है; या
(घ) जहां वह हवहभन्न स्थानीय क्षेत्रों में हकए गए कइ कायों से हमलकर बनता
है, वहां ईसकी जांच या हवचारण ऐसे स्थानीय क्षेत्रों में से हकसी पर
ऄहधकाररता रखने वाले न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है।
धारा – 199 ऄपराध िहां हिचारणीय होगा जहां कायग हकया गया या जहां पररणाम धारा 179 कोइ पररवतण न नहीं ।
हनकला - जब कोइ कायण हकसी की गइ बात के और हकसी हनकले हुए पररणाम
के कारण ऄपराध है तब ऐसे ऄपराध की जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा
हकया जा सकता है, हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऐसी बात की गइ
या ऐसा पररणाम हनकला।
धारा – 200 जहां कायग ऄन्य ऄपराध से सभबहन्धत होने के कारण ऄपराध है, िहां धारा 180 कोइ पररवतण न नहीं ।
हिचारण का स्थान- जब कोइ कायण हकसी ऐसे ऄन्य कायण से समबहन्धत होने
के कारण ऄपराध है, जो स्वयं भी ऄपराध है या ऄपराध होता यहद कताण
ऄपराध करने के हलए समथण होता, तब प्रथम वहणण त ऄपराध की जांच या
हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है हजसकी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर ईन दोनों में से कोइ भी कायण हकया गया है।
धारा – 201 कुछ ऄपराधों की दिा में हिचारण का स्थान- (1) डकै ती के , हत्या सहहत धारा 181 कुछ ऄपराधों की दिा में हिचारण का स्थान- (1) ठग होने के , या ठग
डकै ती के , डकै तों की टोली का होने के , या ऄहभरक्षा से हनकल भागने के द्वारा हत्या के , डकै ती के , हत्या सहहत डकै ती के , डकै तों की टोली का होने
हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, के , या ऄहभरक्षा से हनकल भागने के हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण
हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऄपराध हकया गया है या ऄहभयि ु ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के
व्यहि हमला है। भीतर ऄपराध हकया गया है या ऄहभयि ु व्यहि हमला है।
(2) हकसी व्यहि के व्यपहरण या ऄपहरण के हकसी ऄपराध की जांच या (2) हकसी व्यहि के व्यपहरण या ऄपहरण के हकसी ऄपराध की जांच या
हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसकी स्थानीय हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसकी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर वह व्यहि व्यपरृत या ऄपरृत हकया गया या ले जाया ऄहधकाररता के भीतर वह व्यहि व्यपरृत या ऄपरृत हकया गया या ले जाया
गया या हछपाया गया या हनरुद्ध हकया गया है। गया या हछपाया गया या हनरुद्ध हकया गया है।
(3) चोरी, ईद्दापन या लूट के हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण, ऐसे (3) चोरी, ईद्दापन या लूट के हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण, ऐसे
न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है. हजसको स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है. हजसको स्थानीय ऄहधकाररता के
ऐसा ऄपराध हकया गया है या चरु ाइ हुइ समपहत्त को, जो हक ऄपराध का हवषय भीतर ऐसा ऄपराध हकया गया है या चरु ाइ हुइ समपहत्त को, जो हक ऄपराध
है, ईसे करने वाले व्यहि द्वारा या हकसी ऐसे व्यहि द्वारा कब्जे में रखी गइ है, का हवषय है, ईसे करने वाले व्यहि द्वारा या हकसी ऐसे व्यहि द्वारा कब्जे में
हजसने ईस समपहत्त को चरु ाइ हुइ समपहत्त जानते हुए या हवश्वास करने का रखी गइ है, हजसने ईस समपहत्त को चरु ाइ हुइ समपहत्त जानते हुए या
कारण रखते हुए प्राप्त हकया या रखे रखा। हवश्वास करने का कारण रखते हुए प्राप्त हकया या रखे रखा।
(4) अपराहधक दहु बण हनयोग या अपराहधक न्यासभंग के हकसी ऄपराध की (4) अपराहधक दहु बण हनयोग या अपराहधक न्यासभंग के हकसी ऄपराध की
जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है हजसकी स्थानीय जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है हजसकी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर ऄपराध हकया गया है या ईस समपहत्त का, जो ऄपराध ऄहधकाररता के भीतर ऄपराध हकया गया है या ईस समपहत्त का, जो
का हवषय है, कोइ भाग ऄहभयि ु व्यहि द्वारा प्राप्त हकया गया या रखा गया है ऄपराध का हवषय है, कोइ भाग ऄहभयि ु व्यहि द्वारा प्राप्त हकया गया या
या ईसका लौटाया जाना या लेखा हदया जाना ऄपेहक्षत है। रखा गया है या ईसका लौटाया जाना या लेखा हदया जाना ऄपेहक्षत है।
(5) हकसी ऐसे ऄपराध की, हजसमें चरु ाइ हुइ समपहत्त का कब्जा भी है, जांच (5) हकसी ऐसे ऄपराध की, हजसमें चरु ाइ हुइ समपहत्त का कब्जा भी है,
या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसकी स्थानीय जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसकी
ऄहधकाररता के भीतर ऐसा ऄपराध हकया गया है या चरु ाइ हुइ समपहत्त हकसी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऐसा ऄपराध हकया गया है या चरु ाइ हुइ
ऐसे व्यहि द्वारा कब्जे में रखी गइ है, हजसने ईसे चरु ाइ हुइ जानते हुए या समपहत्त हकसी ऐसे व्यहि द्वारा कब्जे में रखी गइ है, हजसने ईसे चरु ाइ हुइ
हवश्वास करने का कारण होते हुए प्राप्त हकया या रखे रखा। जानते हुए या हवश्वास करने का कारण होते हुए प्राप्त हकया या रखे रखा।
धारा – 202 आलैक्ट्राहनक संसूचना के साधनों, पत्रों, अहद द्वारा हकए गए ऄपराध - (1) धारा 182
हकसी ऐसे ऄपराध की, हजसमें छल करना भी है, जांच या ईनका हवचारण,
ईस दशा में, हजसमें ऐसी प्रबंचना, आलैक्ट्राहनक संसूचना या पत्रों या दरू संचार
संदेशों के माध्यम से की गइ है, ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है,
हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऐसी आलैक्ट्राहनक संसूचना ऐसे पत्र
या संदेश भेजे गए हैं या प्राप्त हकए गए हैं तथा छल करने और बेइमानी से
समपहत्त का पररदान ईत्प्रेररत करने वाले हकसी ऄपराध की जांच या ईनका
हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है, हजसकी स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर समपहत्त, प्रवंहचत व्यहि द्वारा पररदत्त की गइ है या
ऄहभयि ु व्यहि द्वारा प्राप्त की गइ है।
(2) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 82 के ऄधीन दण्डनीय हकसी
ऄपराध की जांच या ईनका हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है,
हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऄपराध हकया गया है या ऄपराधी ने
प्रथम हववाह की ऄपनी पत्नी या पहत के साथ ऄहन्तम बार हनवास हकया है या
प्रथम हववाह की पत्नी ऄपराध के हकए जाने के पश्चात् स्थायी रूप से हनवास
करती है।
धारा – 203 यात्रा या जलयात्रा में हकया गया ऄपराध - यहद कोइ ऄपराध ईस समय धारा 183 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकया गया है जब बह व्यहि, हजसके द्वारा, या वह व्यहि हजसके हवरुद्ध, या
वह चीज हजसके बारे में वह ऄपराध हकया गया, हकसी यात्रा या जलयात्रा पर
है, तो ईसकी जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है,
हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता में होकर या ईसके भीतर वह व्यहि या चीज
ईस यात्रा या जलयात्रा के दौरान गइ है।
धारा – 204 एक साथ हिचारणीय ऄपराधों के हलए हिचारण का स्थान-जहां- धारा 184
(क) हकसी व्यहि द्वारा हकए गए ऄपराध ऐसे हैं हक प्रत्येक ऐसे ऄपराध के हलए
धारा 242, धारा 243 या धारा 244 के ईपबन्धों के अधार पर एक ही
हवचारण में ईस पर अरोप लगाया जा सकता है और ईसका हवचारण हकया
जा सकता है; या
(ख) कइ व्यहियों द्वारा हकया गया ऄपराध या हकए गए ऄपराध ऐसे हैं हक
ईनके हलए ईन पर धारा 246 के ईपबन्धों के अधार पर एक साथ अरोप
लगाया जा सकता है और हवचारण हकया जा सकता है,
वहां ऄपराध की जांच या हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है जो
ईन ऄपराधों में से हकसी की जांच या हवचारण करने के हलए सक्षम है।
धारा – 205 हिहभन्न सेिन खण्डों में मामलों के हिचारण का अदेि देने की िहि- आस धारा 185 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄध्याय के पूवणवती ईपबन्धों में हकसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार
हनदेश दे सकती है हक ऐसे हकन्हीं मामलों का या हकसी वगण के मामलों का
हवचारण, जो हकसी हजले में हवचारणाथण सपु दु ण हो चक ु े हैं, हकसी भी सेशन
खण्ड में हकया जा सकता है:
परन्तु यह तब जब हक ऐसा हनदेश ईच्च्च न्यायालय या ईच्चतम न्यायालय
द्वारा संहवधान के ऄधीन या आस संहहता के या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य
हवहध के ऄधीन पहले ही जारी हकए गए हकसी हनदेश के हवरुद्ध नहीं है।
धारा – 206 सन्देह की दिा में ईच्च्च न्यायालय का िह हजला हिहनहश्चत करना, हजसमें धारा 186 कोइ पररवतण न नहीं ।
जांच या हिचारण होगा - जहां दो या ऄहधक न्यायालय एक ही ऄपराध का
संज्ञान कर लेते हैं और यह प्रश्न ईठता है हक ईनमें से हकसे ईस ऄपराध की
जांच या हवचारण करना चाहहए, वहां वह प्रश्न-
(क) यहद वे न्यायालय एक ही ईच्च न्यायालय के ऄधीनस्थ हैं तो ईस ईच्च
न्यायालय द्वारा;
(ख)यहद वे न्यायालय एक ही ईच्च न्यायालय के ऄधीनस्थ नहीं हैं, तो ईस
ईच्च न्यायालय द्वारा हजसकी ऄपीली दाहण्डक ऄहधकाररता की स्थानीय
सीमाओं के ऄन्दर कायण वाही पहले प्रारमभ की गइ है,
हवहनहश्चत हकया जाएगा, और तब ईस ऄपराध के संबधं में ऄन्य सब
कायण वाहहयां बन्द कर दी जाएंगी।
धारा – 207 स्थानीय ऄहधकाररता के परे हकए गए ऄपराध के हलए समन या िारण्ट धारा 187
जारी करने की िहि- (1) जब हकसी प्रथम वगण महजस्रेट को यह हवश्वास
करने का कारण हदखाइ देता है हक ईसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर के
हकसी व्यहि ने ऐसी ऄहधकाररता के बाहर, (चाहे भारत के भीतर या बाहर)
ऐसा ऄपराध हकया है, हजसकी जांच या हिचारण 197 से 205 (हजनके
ऄन्तगण त ये दोनों धाराएं भी हैं) के ईपबन्धों के ऄधीन या तत्समय प्रवृत्त हकसी
ऄन्य हवहध के ऄधीन ऐसी ऄहधकाररता के भीतर नहीं हकया जा सकता है
हकन्तु जो तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध के ऄधीन भारत में हवचारणीय है तब
ऐसा महजस्रेट ईस ऄपराध की जांच ऐसे कर सकता है मानो वह ऐसी
स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर हकया गया है और ऐसे व्यहि को ऄपने समक्ष
हाहजर होने के हलए आसमें आसके पूवण ईपबहन्धत प्रकार से हववश कर सकता है
और ऐसे व्यहि को ऐसे ऄपराध की जांच या हवचारण करने की ऄहधकाररता
वाले महजस्रेट के पास भेज सकता है या यहद ऐसा ऄपराध मृत्यु से या
अजीवन कारावास से दण्डनीय नहीं है और ऐसा व्यहि आस धारा के ऄधीन
कारणवाइ करने वाले महजस्रेट को समाधानप्रद रूप में जमानत देने के हलए
तैयार और आच्छुक है तो ऐसी ऄहधकाररता वाले महजस्रेट के समक्ष ईसकी
हाहजरी के हलए बन्धपत्र या जमानतपत्र ले सकता है।
(2) जब ऐसी ऄहधकाररता वाले महजस्रेट एक से ऄहधक हैं और आस धारा के
ऄधीन कायण करने वाला महजस्रेट ऄपना समाधान नहीं कर पाता है हक हकस
महजस्रेट के पास या समक्ष ऐसा व्यहि भेजा जाए या हाहजर होने के हलए
अबद्ध हकया जाए, तो मामले की ररपोटण ईच्च न्यायालय के अदेश के हलए की
जाएगी।
धारा – 208 भारत से बाहर हकया गया ऄपराध- जब कोइ ऄपराध भारत से बाहर- धारा 188
(क) भारत के हकसी नागररक द्वारा चाहे खल ु े समद्रु पर या ऄन्यत्र; या
(ख) हकसी व्यहि द्वारा, जो भारत का नागररक नहीं है, भारत में रहजस्रीकृ त
हकसी पोत या हवमान पर हकया जाता है, तब ईस ऄपराध के बारे में ईसके
हवरुद्ध ऐसी कायण वाही की जा सकती है मानो वह ऄपराध भारत के भीतर ईस
स्थान में हकया गया है, जहां वह पाया गया है या जहां ऄपराध भारत में
रहजस्रीकृत है :
परन्तु आस ऄध्याय की पवू ण वती धाराओं में से हकसी बात के होते हुए भी, ऐसे
हकसी ऄपराध की भारत में जांच या ईसका हवचारण के न्द्रीय सरकार की पवू ण
मंजूरी के हबना नहीं हकया जाएगा।
धारा – 209 भारत के बाहर हकए गए ऄपराधों के बारे में साक्ष्य लेना - जब हकसी ऐसे धारा 189
ऄपराध की, हजसका भारत से बाहर हकसी क्षेत्र में हकया जाना ऄहभकहथत है,
जांच या हवचारण धारा 208 के ईपबन्धों के ऄधीन हकया जा रहा है तब, यहद
के न्द्रीय सरकार ईहचत समझे तो यह हनदेश दे सकती है हक ईस क्षेत्र में या
ईस क्षेत्र के हलए या तो िास्तहिक प्ररूप में या आलैक्ट्राहनक प्ररूप में
न्याहयक ऄहधकारी के समक्ष या ईस क्षेत्र पैया ईस क्षेत्र के हलए भारत के
राजनहयक या कााँसलीय प्रहतहनहध के समक्ष हदए गए ऄहभसाक्ष्यों की या पेश
हकए गए प्रदशों की प्रहतयों को ऐसी जांच या हवचारण करने वाले न्यायालय
द्वारा हकसी ऐसे मामले में साक्ष्य के रूप में हलया जाएगा हजसमें ऐसा न्यायालय
ऐसी हकन्हीं बातों के बारे में, हजनसे ऐसे ऄहभसाक्ष्य या प्रदशण समबहन्धत हैं
साक्ष्य लेने के हलए कमीशन जारी कर सकता है।
ऄध्याय 15 - कायगिाहहयां िरू
ु करने के हलए ऄपेहक्षत ितें
धारा – 210 महजस्रेटों द्वारा ऄपराधों का संज्ञान (1) आस ऄध्याय के ईपबन्धों के ऄधीन धारा 190
रहते हुए, कोइ प्रथम वगण महजस्रेट और ईपधारा (2) के ऄधीन हवशेषतया
सशि हकया गया कोइ हद्वतीय वगण महजस्रेट, हकसी भी ऄपराध का संज्ञान
हनमनहलहखत दशाओं में कर सकता है :-
(क) ईन तथ्यों का, हजसमें हकसी हििेष हिहध के ऄधीन प्राहधकृत हकए गए
हकसी व्यहि द्वारा दाहखल हकया गया कोइ पररिाद िाहमल है, हजनसे ऐसा
ऄपराध बनता है, पररवाद प्राप्त होने पर:
(ख) ऐसे तथ्यों के बारे में (आलैक्ट्राहनक रीहत सहहत हकसी रीहत में प्रस्ततु )
पहु लस ररपोटण पर;
(ग) पहु लस ऄहधकारी से हभन्न हकसी व्यहि से प्राप्त आस आहत्तला पर या स्वयं
ऄपनी आस जानकारी पर हक ऐसा ऄपराध हकया गया है।
(2) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट हकसी हद्वतीय वगण महजस्रेट को ऐसे ऄपराधों का,
हजनकी जांच या हवचारण करना ईसकी क्षमता के भीतर है, ईपधारा (1) के
ऄधीन संज्ञान करने के हलए सशि कर सकता है।
धारा – 211 ऄहभयुि के अिेदन पर ऄन्तरण - जब महजस्रेट हकसी ऄपराध का संज्ञान धारा 191
धारा 210 की ईपधारा (1) के खण्ड (ग) के ऄधीन करता है तब ऄहभयि ु
को, कोइ साक्ष्य लेने से पहले, आहत्तला दी जाएगी हक वह मामले की हकसी
ऄन्य महजस्रेट से जांच या हवचारण कराने का हकदार है और यहद ऄहभयि ु ,
या यहद एक से ऄहधक ऄहभयि ु हैं तो ईनमें से कोइ, संज्ञान करने वाले
महजस्रेट के समक्ष अगे कायण वाही हकए जाने पर अपहत्त करता है तो मामला
ईस ऄन्य महजस्रेट को ऄन्तररत कर हदया जाएगा जो मख्ु य न्याहयक
महजस्रेट द्वारा आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट हकया जाए।
धारा – 212 मामले महजस्रेटों के हिाले करना (1) कोइ मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, धारा 192 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄपराध का संज्ञान करने के पश्चात् मामले को जांच या हवचारण के हलए ऄपने
ऄधीनस्थ हकसी सक्षम महजस्रेट के हवाले कर सकता है।
(2) मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा आस हनहमत्त सशि हकया गया कोइ प्रथम
वगण महजस्रेट, ऄपराध का संज्ञान करने के पश्चात्, मामले को जांच या हवचारण
के हलए ऄपने ऄधीनस्थ हकसी ऐसे सक्षम महजस्रेट के हवाले कर सकता है
हजसे मख्ु य न्याहयक महजस्रेट साधारण या हवशेष अदेश द्वारा हवहनहदण ष्ट करे,
और तब ऐसा महजस्रेट जांच या हवचारण कर सकता है।
धारा – 213 ऄपराधों का सेिन न्यायालयों द्वारा संज्ञान - आस संहहता द्वारा या तत्समय धारा 193 कोइ पररवतण न नहीं ।
प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध द्वारा ऄहभव्यि रूप से जैसा ईपबहन्धत है ईसके
हसवाय, कोइ सेशन न्यायालय अरहमभक ऄहधकाररता वाले न्यायालय के रूप
में हकसी ऄपराध का संज्ञान तब तक नहीं करेगा जब तक मामला आस संहहता
के ऄधीन महजस्रेट द्वारा ईसके सपु दु ण नहीं कर हदया गया है।

धारा – 214 ऄपर सेिन न्यायाधीिों को हिाले हकए गए मामलों पर ईनके द्वारा धारा 194 ऄपर और सहायक सेिन न्यायाधीिों को हिाले हकए गए मामलों पर
हिचारण- ऄपर सेशन न्यायाधीश ऐसे मामलों का हवचारण करेगा, हजन्हें ईनके द्वारा हिचारण- ऄपर सेशन न्यायाधीश या सहायक सेशन
हवचारण के हलए ईस खण्ड का सेशन न्यायाधीश साधारण या हवशेष अदेश न्यायाधीश ऐसे मामलों का हवचारण करेगा, हजन्हें हवचारण के हलए ईस
द्वारा ईसके हवाले करता है या हजनका हवचारण करने के हलए ईच्च न्यायालय खण्ड का सेशन न्यायाधीश साधारण या हवशेष अदेश द्वारा ईसके हवाले
हवशेष अदेश द्वारा ईसे हनदेश देता है। करता है या हजनका हवचारण करने के हलए ईच्च न्यायालय हवशेष अदेश
द्वारा ईसे हनदेश देता है।
धारा – 215 लोक न्याय के हिरुद्ध ऄपराधों के हलए और साक्ष्य में हदए गए दस्तािेजों धारा - लोक न्याय के हिरुद्ध ऄपराधों के हलए और साक्ष्य में हदए गए
से सभबहन्धत ऄपराधों के हलए लोक सेिकों के हिहधपूणग प्राहधकार के 195 दस्तािेजों से सभबहन्धत ऄपराधों के हलए लोक सेिकों के हिहधपूणग
ऄिमान के हलए ऄहभयोजन - (1) कोइ न्यायालय, - प्राहधकार के ऄिमान के हलए ऄहभयोजन - (1) कोइ न्यायालय, -
(क) (1) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 206 से धारा 223 (क) (1) भारतीय दण्ड संहहता, 1860 की धारा 172 से धारा 188 तक की
(हजनके ऄन्तगगत 209 के हसवाय ये दोनों धाराएं भी हैं) के ऄधीन दण्डनीय धाराओं के ऄधीन (हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएं भी हैं) के ऄधीन
हकसी ऄपराध का; या दण्डनीय हकसी ऄपराध का; या
(ii) ऐसे ऄपराध के हकसी दष्ु प्ररेण या ऐसा ऄपराध करने के प्रयत्न का; या (ii) ऐसे ऄपराध के हकसी दष्ु प्ररेण या ऐसा ऄपराध करने के प्रयत्न का; या
(iii) ऐसा ऄपराध करने के हलए हकसी अपराहधक षड् यत्रं का, (iii) ऐसा ऄपराध करने के हलए हकसी अपराहधक षड् यत्रं का,
संज्ञान समबद्ध लोक सेवक के , या हकसी ऄन्य ऐसे लोक सेवक के , हजसके वह संज्ञान समबद्ध लोक सेवक के , या हकसी ऄन्य ऐसे लोक सेवक के , हजसके
प्रशासहनक तौर पर ऄधीनस्थ है या कोइ ऄन्य लोक सेिक जो संबद्ध लोक वह प्रशासहनक तौर पर ऄधीनस्थ है, हलहखत पररवाद पर ही करेगा,
सेिक द्वारा ऐसा करने के हलए प्राहधकृत है, हलहखत पररवाद पर ही करेगा, ऄन्यथा नहीं;
ऄन्यथा नहीं; (ख) (i) भारतीय दण्ड संहहता, 1860 (1860 का 45) की हनमनहलहखत
(ख) (i) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की हनभनहलहखत धाराओं ऄथागत् धाराओं ऄथाण त् धारा 193 से धारा 196 (हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएाँ
धारा 229 से धारा 233 (हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएाँ भी हैं), धारा 236, भी हैं), धारा 199, धारा 200, धारा 205 से धारा 211 (हजनके ऄन्तगण त ये
धारा 237, धारा 242 से धारा 248 (हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएं भी हैं) दोनों धाराएं भी हैं) और धारा 228 से हकन्हीं के ऄधीन दण्डनीय हकसी
और धारा 267 से हकन्हीं के ऄधीन दण्डनीय हकसी ऄपराध का, जब ऐसे ऄपराध का, जब ऐसे ऄपराध के बारे में यह ऄहभकहथत है हक वह हकसी
ऄपराध के बारे में यह ऄहभकहथत है हक वह हकसी न्यायालय में की कायण वाही न्यायालय में की कायण वाही में या ईसके समबन्ध में हकया गया है; या
में या ईसके समबन्ध में हकया गया है; या (ii) ईि संहहता की धारा 463 में वहणणत या धारा 471 या धारा 475 या
(ii) ईि संहहता की धारा 336 की ईपधारा (1) में वहणण त या धारा 340 की धारा 476 के ऄधीन दण्डनीय ऄपराध का, जब ऐसे ऄपराध के बारे में यह
ईपधारा (2) या धारा 342 के ऄधीन दण्डनीय ऄपराध का, जब ऐसे ऄपराध ऄहभकहथत है हक वह हकसी न्यायालय में की कायण वाही में पेश हकए गए या
के बारे में यह ऄहभकहथत है हक वह हकसी न्यायालय में की कायण वाही में पेश साक्ष्य में हदए गए हकसी दस्तावेज के बारे में हकया गया है; या
हकए गए या साक्ष्य में हदए गए हकसी दस्तावेज के बारे में हकया गया है; या (iii) ईपखण्ड (i) या ईपखण्ड (ii) में हवहनहदण ष्ट हकसी ऄपराध को करने के
(iii) ईपखण्ड (i) या ईपखण्ड (ii) में हवहनहदण ष्ट हकसी ऄपराध को करने के हलए हलए अपराहधक षड् यंत्र या ईसे करने के प्रयत्न या ईसके दष्ु प्रेरण के
अपराहधक षड् यंत्र या ईसे करने के प्रयत्न या ईसके दष्ु प्रेरण के ऄपराध का, ऄपराध का,
संज्ञान ऐसे न्यायालय के , या न्यायालय के ऐसे ऄहधकारी के , हजसे वह संज्ञान ऐसे न्यायालय के , या न्यायालय के ऐसे ऄहधकारी के , हजसे वह
न्यायालय आस हनहमत्त हलहखत रूप में प्राहधकृ त करे या हकसी ऄन्य न्यायालय न्यायालय आस हनहमत्त हलहखत रूप में प्राहधकृ त करे या हकसी ऄन्य
के , हजसके वह न्यायालय ऄधीनस्थ है हलहखत पररवाद पर ही करेगा ऄन्यथा न्यायालय के , हजसके वह न्यायालय ऄधीनस्थ है हलहखत पररवाद पर ही
नहीं। करेगा ऄन्यथा नहीं।
(2) जहााँ हकसी लोक सेवक द्वारा या हकसी ऄन्य लोक सेिक द्वारा जो (2) जहााँ हकसी लोक सेवक द्वारा जो ईपधारा (1) के खण्ड (क) के ऄधीन
ईपधारा (1) के खण्ड (क) के ऄधीन ईसके द्वारा ऐसा करने के हलए प्राहधकृ त ईसके द्वारा ऐसा करने के हलए प्राहधकृ त है, कोइ पररवाद हकया गया है वहां
है, कोइ पररवाद हकया गया है वहां ऐसा कोइ प्राहधकारी, हजसके वह ऐसा कोइ प्राहधकारी, हजसके वह प्रशासहनक तौर पर ऄधीनस्थ है, ईस
प्रशासहनक तौर पर ऄधीनस्थ है, या हजसने ऐसे लोक सेिक को ऄहधकृत पररवाद को वापस लेने का अदेश दे सकता है और ऐसे अदेश की प्रहत
हकया है वह ईस पररवाद को वापस लेने का अदेश दे सकता है और ऐसे न्यायालय को भेजेगा, और न्यायालय द्वारा ईसकी प्राहप्त पर ईस पररवाद
अदेश की प्रहत न्यायालय को भेजेगा, और न्यायालय द्वारा ईसकी प्राहप्त पर के समबन्ध में अगे कोइ कायण वाही नहीं की जाएगी :
ईस पररवाद के समबन्ध में अगे कोइ कायण वाही नहीं की जाएगी : परन्तु ऐसे वापस लेने का कोइ अदेश ईस दशा में नहीं हदया जाएगा हजसमें
परन्तु ऐसे वापस लेने का कोइ अदेश ईस दशा में नहीं हदया जाएगा हजसमें हवचारण प्रथम बार के न्यायालय में समाप्त हो चक ु ा है।
हवचारण प्रथम बार के न्यायालय में समाप्त हो चक ु ा है। (3) ईपधारा (1) के खण्ड (ख) में "न्यायालय" शब्द से कोइ हसहवल,
(3) ईपधारा (1) के खण्ड (ख) में "न्यायालय" शब्द से कोइ हसहवल, राजस्व राजस्व या दण्ड न्यायालय ऄहभप्रेत है और ईसके ऄन्तगण त हकसी के न्द्रीय
या दण्ड न्यायालय ऄहभप्रेत है और ईसके ऄन्तगण त हकसी के न्द्रीय या राज्य प्रान्तीय या राज्य ऄहधहनयम द्वारा या ईसके ऄधीन गहठत कोइ ऄहधकरण
ऄहधहनयम द्वारा या ईसके ऄधीन गहठत कोइ ऄहधकरण भी है, यहद वह ईस भी है, यहद वह ईस ऄहधहनयम द्वारा आस धारा के प्रयोजनाथण न्यायालय
ऄहधहनयम द्वारा आस धारा के प्रयोजनाथण न्यायालय घोहषत हकया गया है। घोहषत हकया गया है।
(4) ईपधारा (1) के खण्ड (ख) के प्रयोजनों के हलए, कोइ न्यायालय, ईस (4) ईपधारा (1) के खण्ड (ख) के प्रयोजनों के हलए, कोइ न्यायालय, ईस
न्यायालय के , हजसमें ऐसे पूवणकहधत न्यायालय की ऄपील योग्य हडहियों या न्यायालय के , हजसमें ऐसे पूवणकहधत न्यायालय की ऄपील योग्य हडहियों
दण्डादेशों की साधारणतया ऄपील होती है, ऄधीनस्थ समझा जाएगा या ऐसा या दण्डादेशों की साधारणतया ऄपील होती है, ऄधीनस्थ समझा जाएगा
हसहवल न्यायालय, हजसकी हडहियों की साधारणतया कोइ ऄपील नहीं होती या ऐसा हसहवल न्यायालय, हजसकी हडहियों की साधारणतया कोइ ऄपील
है, ईस मामूली अरहमभक हसहवल ऄहधकाररता वाले प्रधान न्यायालय के नहीं होती है, ईस मामूली अरहमभक हसहवल ऄहधकाररता वाले प्रधान
ऄधीनस्थ समझा जाएगा हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर ऐसा हसहवल न्यायालय के ऄधीनस्थ समझा जाएगा हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के
न्यायालय हस्थत है : भीतर ऐसा हसहवल न्यायालय हस्थत है :
परन्त-ु परन्त-ु
(क) जहााँ ऄपीलें एक से ऄहधक न्यायालय में होती हैं वहााँ ऄवर ऄहधकाररता (क) जहााँ ऄपीलें एक से ऄहधक न्यायालय में होती हैं वहााँ ऄवर
वाला ऄपील न्यायालय वह न्यायालय होगा हजसके ऄधीनस्थ ऐसा न्यायालय ऄहधकाररता वाला ऄपील न्यायालय वह न्यायालय होगा हजसके ऄधीनस्थ
समझा जाएगा; ऐसा न्यायालय समझा जाएगा;
(ख) जहााँ ऄपीलें हसहवल न्यायालय में और राजस्व न्यायालय में भी होती हैं, (ख) जहााँ ऄपीलें हसहवल न्यायालय में और राजस्व न्यायालय में भी होती
वहााँ ऐसा न्यायालय ईस मामले या कायण वाही के स्वरूप के ऄनस ु ार, हजसके हैं, वहााँ ऐसा न्यायालय ईस मामले या कायण वाही के स्वरूप के ऄनस ु ार,
समबन्ध में ईस ऄपराध का हकया जाना ऄहभकहथत है, हसहवल या राजस्व हजसके समबन्ध में ईस ऄपराध का हकया जाना ऄहभकहथत है, हसहवल या
न्यायालय के ऄधीनस्थ समझा जाएगा। राजस्व न्यायालय के ऄधीनस्थ समझा जाएगा।
धारा – 216 धमकी देने अहद की दिा में साहक्षयों के हलए प्रहिया - कोइ साक्षी या कोइ धारा 195-
ऄन्य व्यहि भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 232 के ऄधीन ऄपराध क
के संबधं में पररवाद फाआल कर सके गा।
धारा – 217 राज्य के हिरुद्ध ऄपराधों के हलए और ऐसे ऄपराध करने के हलए धारा 196
अपराहधक षड् यंत्र के हलए ऄहभयोजन - (1) कोइ न्यायालय, -
(क) भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄध्याय 7 के ऄधीन या धारा 196,
धारा 299 या धारा 353 की ईपधारा (1) के ऄधीन दण्डनीय हकसी ऄपराध
का; या
(ख) ऐसा ऄपराध करने के हलए अपराहधक षड् यंत्र का; या
(ग) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 47 में यथावहणण त हकसी दष्ु प्रेरण
का,
संज्ञान, के न्द्रीय सरकार या राज्य सरकार की पूवण मंजूरी से ही करेगा, ऄन्यथा
नहीं।
(2) कोइ न्यायालय, -
(क) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 197 या धारा 353 की
ईपधारा (2) या ईपधारा (3) के ऄधीन दण्डनीय हकसी ऄपराध का, या
(ख) ऐसा ऄपराध करने के हलए अपराहधक षड् यंत्र का,
संज्ञान के न्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या हजला महजस्रेट की पूवण मंजूरी
से ही करेगा, ऄन्यथा नहीं।
(3) कोइ न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 61 की ईपधारा
(2) के ऄधीन दण्डनीय हकसी अपराहधक षड् यंत्र के हकसी ऐसे ऄपराध का,
जो मृत्य,ु अजीवन कारावास या दो वषण या ईससे ऄहधक की ऄवहध के कठोर
कारावास से दण्डनीय ऄपराध करने के अपराहधक षड् यंत्र से हभन्न है, संज्ञान
तब तक नहीं करेगा, जब तक राज्य सरकार या हजला महजस्रेट ने कायण वाही
शरू ु करने के हलए हलहखत सममहत नहीं दे दी है: परन्तु जहां अपराहधक
षड् यंत्र ऐसा है, हजसे धारा 215 के ईपबन्ध लागू हैं, वहां ऐसी कोइ सममहत
अवश्यक नहीं होगी। (4) के न्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, ईपधारा (1) या
ईपधारा (2) के ऄधीन मंजरू ी देने के पूवण और हजला महजस्रेट, ईपधारा (2)
के ऄधीन मंजरू ी देने से पवू ण , और राज्य सरकार या हजला महजस्रेट, ईपधारा
(3) के ऄधीन सममहत देने के पूवण, ऐसे पहु लस ऄहधकारी द्वारा जो हनरीक्षक की
पंहि से नीचे का नहीं है, प्रारहमभक ऄन्वेषण हकए जाने का अदेश दे सकता है
और ईस दशा में ऐसे पहु लस ऄहधकारी की वे शहियां होंगी, जो धारा 174 की
ईपधारा (3) में हनहदण ष्ट हैं।
धारा – 218 न्यायाधीिों और लोक सेिकों का ऄहभयोजन - (1) जब हकसी व्यहि पर, धारा 197
जो न्यायाधीश या महजस्रेट या ऐसा लोक सेवक है या था हजसे सरकार द्वारा
या ईसकी मंजूरी से ही ईसके पद से हटाया जा सकता है, ऄन्यथा नहीं, हकसी
ऐसे ऄपराध का ऄहभयोग है, हजसके बारे में यह ऄहभकहथत है हक वह ईसके
द्वारा तब हकया गया था, जब वह ऄपने पदीय कत्तण व्य के हनवण हन में कायण कर
रहा था या जब ईसका ऐसे कायण करना तात्पहथण त था, तब कोइ भी न्यायालय,
ऐसे ऄपराध का संज्ञान, जैसा लोकपाल और लोकायि ु ऄहधहनयम, 2013
(2014 का 1) में ऄन्यथा ईपबहन्धत है, और हसवाय-
(क) ऐसे व्यहि की दशा में, जो संघ के कायण कलाप के समबन्ध में, यथाहस्थहत,
हनयोहजत है या ऄहभकहथत ऄपराध के हकए जाने के समय हनयोहजत था,
के न्द्रीय सरकार की;
(ख) ऐसे व्यहि की दशा में, जो हकसी राज्य के कायण कलाप के समबन्ध में,
यथाहस्थहत, हनयोहजत है या ऄहभकहथत ऄपराध के हकए जाने के समय
हनयोहजत था, ईस राज्य सरकार की, पूवण मंजूरी से ही करेगा, ऄन्यथा नहीं :
परन्तु जहां ऄहभकहथत ऄपराध, खण्ड (ख) में हनहदण ष्ट हकसी व्यहि द्वारा ईस
ऄवहध के दौरान हकया गया था, जब राज्य में संहवधान के ऄनच्ु छे द 356 के
खण्ड (1) के ऄधीन की गइ ईद्घोषणा प्रवृत्त थी, वहां खण्ड (ख) आस प्रकार
लागू होगा, मानो ईसमें अने वाले "राज्य सरकार" पद के स्थान पर "के न्द्रीय
सरकार" पद रख हदया गया है :
परन्तु यह और हक ऐसी सरकार मंजूरी के हलए ऄनुरोध की प्राहप्त की
तारीख से एक सौ बीस हदनों की ऄिहध के भीतर हनणगय करेगी और ईस
ऄिस्था में यहद िह ऐसा करने में ऄसफल हो जाती है, तो मंजूरी, ऐसी
सरकार द्वारा दी गइ समझी जाएगी :
परन्तु यह और हक ऐसे हकसी लोक सेवक की दशा में, हजसके बारे में यह
ऄहभकथन हकया गया है हक ईसने भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा
64, धारा 65, धारा 66, धारा 68, धारा 69, धारा 70, धारा 71, धारा 74,
धारा 75, धारा 76, धारा 77, धारा 78, धारा 79, धारा 143, धारा 199 या
धारा 200 के ऄधीन कोइ ऄपराध हकया है, कोइ पवू ण मंजरू ी ऄपेहक्षत नहीं
होगी।
(2) कोइ भी न्यायालय संघ के सशस्त्र बल के हकसी सदस्य द्वारा हकए गए
हकसी ऄपराध का संज्ञान, हजसके बारे में यह ऄहभकहथत है हक वह ईसके
द्वारा तब हकया गया था, जब वह ऄपने पदीय कत्तण व्य के हनवण हन में कायण कर
रहा था या जब ईसका ऐसे कायण करना तात्पहथण त था, के न्द्रीय सरकार की पूवण
मंजूरी से ही करेगा, ऄन्यथा नहीं।
(3) राज्य सरकार ऄहधसूचना द्वारा हनदेश दे सकती है हक ईसमें यथाहवहनहदण ष्ट
बल के ऐसे वगण या प्रवगण के सदस्यों को, हजन्हें लोक व्यवस्था बनाए रखने का
कायण -भार सौंपा गया है, जहां कहीं भी वे सेवा कर रहे हों, ईपधारा (2) के
ईपबन्ध लागू होंगे और तब ईस ईपधारा के ईपबन्ध आस प्रकार लागू होंगे,
मानो ईसमें अने वाले "के न्द्रीय सरकार" पद के स्थान पर, "राज्य सरकार"
पद रख हदया गया है।
(4) ईपधारा (3) में हकसी बात के होते हुए भी कोइ भी न्यायालय ऐसे बलों के
हकसी सदस्य द्वारा, हजसे राज्य में लोक व्यवस्था बनाए रखने का कायण -भार
सौंपा गया है, हकए गए हकसी ऐसे ऄपराध का संज्ञान, हजसके बारे में यह
ऄहभकहथत है हक वह ईसके द्वारा तब हकया गया था जब वह, ईस राज्य में
संहवधान के ऄनच्ु छे द 356 के खंड (1) के ऄधीन की गइ ईद्घोषणा के प्रवृत्त
रहने के दौरान, ऄपने पदीय कतण व्य के हनवण हन में कायण कर रहा था या जब
ईसका ऐसे कायण करना तात्पयण त था, कें न्द्रीय सरकार की पूवण मंजूरी से ही
करेगा, ऄन्यथा नहीं।
(5) कें द्रीय सरकार या राज्य सरकार ईस व्यहि का हजसके द्वारा और ईस
रीहत का हजससे वह ऄपराध या वे ऄपराध, हजसके या हजनके हलए ऐसे
न्यायाधीश, महजस्रेट या लोक सेवक का ऄहभयोजन हकया जाना है,
ऄवधारण कर सकती है और वह न्यायालय हवहनहदण ष्ट कर सकती है, हजसके
समक्ष हवचारण हकया जाना है।
धारा – 219 हििाह के हिरुद्ध ऄपराधों के हलए ऄहभयोजन - (1) कोइ न्यायालय धारा 198 हििाह के हिरुद्ध ऄपराधों के हलए ऄहभयोजन - (1) कोइ न्यायालय
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 81 से धारा 84 (दोनों सहहत) के भारतीय दण्ड संहहता, (1860 का 45) की ऄध्याय 20 के ऄधीन दण्डनीय
ऄधीन दण्डनीय ऄपराध का संज्ञान ऐसे ऄपराध से व्यहथत हकसी व्यहि द्वारा ऄपराध का संज्ञान ऐसे ऄपराध से व्यहथत हकसी व्यहि द्वारा हकए गए
हकए गए पररवाद पर ही करेगा, ऄन्यथा नहीं : पररवाद पर ही करेगा, ऄन्यथा नहीं :
परन्त-ु परन्त-ु
(क) जहां ऐसा व्यहि बालक है या हिकृत हचि है या बौहद्धक रूप से (क) जहां ऐसा व्यहि 18 वषण से कम अयु का है ऄथवा जड या पागल है
हदव्यांग ऐसा व्यहि है, हजसे ईच्चतर सहायता की अवश्यकता है या रोग या ऄथवा रोग या ऄंग शैहथलय के कारण पररवाद करने के हलए ऄसमथण है या
ऄंग-शैहथलय के कारण पररवाद करने के हलए ऄसमथण है, या ऐसी महहला है, ऐसी महहला है, जो स्थानीय रुहढयों और रीहतयों के ऄनस ु ार लोगों के
जो स्थानीय रुहढयों और रीहतयों के ऄनस ु ार लोगों के सामने अने के हलए सामने अने के हलए हववश नहीं की जानी चाहहए, वहां ईसकी ओर से कोइ
हववश नहीं की जानी चाहहए, वहां ईसकी ओर से कोइ ऄन्य व्यहि न्यायालय ऄन्य व्यहि न्यायालय की आजाजत से पररवाद कर सकता है;
की आजाजत से पररवाद कर सकता है; (ख) जहां ऐसा व्यहि पहत है, और संघ के सशस्त्र बलों में से हकसी में से
(ख) जहां ऐसा व्यहि पहत है, और संघ के सशस्त्र बलों में से हकसी में से ऐसी ऐसी पररहस्थहतयों में सेवा कर रहा है, हजनके बारे में ईसके कमान
पररहस्थहतयों में सेवा कर रहा है, हजनके बारे में ईसके कमान अहफसर ने यह अहफसर ने यह प्रमाहणत हकया है हक ईनके कारण ईसे पररवाद कर सकने
प्रमाहणत हकया है हक ईनके कारण ईसे पररवाद कर सकने के हलए के हलए ऄनपु हस्थहत छुट्टी प्राप्त नहीं हो सकती, वहां ईपधारा (4) के
ऄनपु हस्थहत छुट्टी प्राप्त नहीं हो सकती, वहां ईपधारा (4) के ईपबन्धों के ईपबन्धों के ऄनसु ार पहत द्वारा प्राहधकृ त कोइ ऄन्य व्यहि ईसकी ओर से
ऄनस ु ार पहत द्वारा प्राहधकृ त कोइ ऄन्य व्यहि ईसकी ओर से पररवाद कर पररवाद कर सकता है:
सकता है: (ग) जहां भारतीय दण्ड संहहता, 1860 की धारा 494 या 495 के ऄधीन
(ग) जहां भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 82 के ऄधीन दण्डनीय दण्डनीय ऄपराध से व्यहथत व्यहि पत्नी है वहां ईसकी ओर से ईसके
ऄपराध से व्यहथत व्यहि पत्नी है वहां ईसकी ओर से ईसके हपता, माता, हपता, माता, भाइ, बहन, पत्रु या पत्रु ी या ईसके हपता या माता के भाइ या
भाइ, बहन, पत्रु या पत्रु ी या ईसके हपता या माता के भाइ या बहन द्वारा या बहन द्वारा या न्यायालय की आजाजत से, हकसी ऐसे ऄन्य व्यहि द्वारा, जो
न्यायालय की आजाजत से, हकसी ऐसे ऄन्य व्यहि द्वारा, जो ईससे रि, हववाह ईससे रि, हववाह या दत्तक द्वारा समबहन्धत है, पररवाद हकया जा सकता
या दत्तक द्वारा समबहन्धत है, पररवाद हकया जा सकता है। है।
(2) ईपधारा (1) के प्रयोजनों के हलए, महहला के पहत से हभन्न कोइ व्यहि, (2) ईपधारा (1) के प्रयोजनों के हलए, महहला के पहत से हभन्न कोइ व्यहि,
ईि भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 84 के ऄधीन दण्डनीय हकसी ईि भारतीय दण्ड संहहता, 1860 की धारा 497 या 498 के ऄधीन
ऄपराध से व्यहथत नहीं समझा जाएगा : दण्डनीय हकसी ऄपराध से व्यहथत नहीं समझा जाएगा :
(3) जब ईपधारा (1) के परन्तक ु के खण्ड (क) के ऄधीन अने वाले हकसी (3) जब ईपधारा (1) के परन्तक ु के खण्ड (क) के ऄधीन अने वाले हकसी
मामले में बालक या हवकृ त हचत्त व्यहि की ओर से हकसी ऐसे व्यहि द्वारा मामले में बालक या हवकृ त हचत्त व्यहि की ओर से हकसी ऐसे व्यहि द्वारा
पररवाद हकया जाना है, जो सक्षम प्राहधकारी द्वारा बालक या हवकृ त हचत्त पररवाद हकया जाना है, जो सक्षम प्राहधकारी द्वारा बालक या हवकृ त हचत्त
व्यहि के शरीर का संरक्षक हनयि ु या घोहषत नहीं हकया गया है, और व्यहि के शरीर का संरक्षक हनयि ु या घोहषत नहीं हकया गया है, और
न्यायालय का समाधान हो जाता है हक ऐसा कोइ संरक्षक जो ऐसे हनयि ु या न्यायालय का समाधान हो जाता है हक ऐसा कोइ संरक्षक जो ऐसे हनयि ु
घोहषत हकया गया है तब न्यायालय आजाजत के हलए अवेदन मंजूर करने के या घोहषत हकया गया है तब न्यायालय आजाजत के हलए अवेदन मंजूर
पूवण, ऐसे संरक्षक को सूचना हदलवाएगा और सनु वाइ का ईहचत ऄवसर देगा। करने के पूवण, ऐसे संरक्षक को सूचना हदलवाएगा और सनु वाइ का ईहचत
(4) ईपधारा (1) के परन्तक ु के खण्ड (ख) में हनहदण ष्ट प्राहधकार हलहखत रूप में ऄवसर देगा।
हदया जाएगा और, वह पहत द्वारा हस्ताक्षररत या ऄन्यथा ऄनप्रु माहणत होगा, (4) ईपधारा (1) के परन्तक ु के खण्ड (ख) में हनहदण ष्ट प्राहधकार हलहखत
ईसमें आस भाव का कथन होगा हक ईसे ईन ऄहभकधनों की जानकारी दे दी रूप में हदया जाएगा और, वह पहत द्वारा हस्ताक्षररत या ऄन्यथा
गइ है हजनके अधार पर पररवाद हकया जाना है और वह ईसके कमान ऄनप्रु माहणत होगा, ईसमें आस भाव का कथन होगा हक ईसे ईन ऄहभकधनों
अहफसर द्वारा प्रहतहस्ताक्षररत होगा, तथा ईसके साथ ईस अहफसर द्वारा की जानकारी दे दी गइ है हजनके अधार पर पररवाद हकया जाना है और
हस्ताक्षररत आस भाव का प्रमाणपत्र होगा हक पहत को स्वयं पररवाद करने के वह ईसके कमान अहफसर द्वारा प्रहतहस्ताक्षररत होगा, तथा ईसके साथ
प्रयोजन के हलए ऄनपु हस्थहत छुट्टी ईस समय नहीं दी जा सकती है। ईस अहफसर द्वारा हस्ताक्षररत आस भाव का प्रमाणपत्र होगा हक पहत को
(5) हकसी दस्तावेज के बारे में, हजसका ऐसा प्राहधकार होना तात्पहयण त है और स्वयं पररवाद करने के प्रयोजन के हलए ऄनपु हस्थहत छुट्टी ईस समय नहीं
हजससे ईपधारा (4) के ईपबन्धों की पूहतण होती है और हकसी दस्तावेज के बारे दी जा सकती है।
में, हजसका ईस ईपधारा द्वारा ऄपेहक्षत प्रमाणपत्र होना तात्पहयंत है, जब तक (5) हकसी दस्तावेज के बारे में, हजसका ऐसा प्राहधकार होना तात्पहयण त है
प्रहतकूल साहबत न कर हदया जाए, यह ईपधारणा की जाएगी हक वह ऄसली है और हजससे ईपधारा (4) के ईपबन्धों की पहू तण होती है और हकसी
और ईसे साक्ष्य में ग्रहण हकया जाएगा। दस्तावेज के बारे में, हजसका ईस ईपधारा द्वारा ऄपेहक्षत प्रमाणपत्र होना
(6) कोइ न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64 के ऄधीन तात्पहयंत है, जब तक प्रहतकूल साहबत न कर हदया जाए, यह ईपधारणा
ऄपराध का संज्ञान, जहां ऐसा ऄपराध हकसी परुु ष द्वारा ऄट्ठारह वषण से कम की जाएगी हक वह ऄसली है और ईसे साक्ष्य में ग्रहण हकया जाएगा।
अयु की ऄपनी ही पत्नी के साथ मैथुन करता है, ईस दशा में न करेगा जब (6) कोइ न्यायालय भारतीय दण्ड संहहता, 1860 की धारा 376 के ऄधीन
ईस ऄपराध के हकए जाने की तारीख से एक वषण से ऄहधक व्यतीत हो चक ु ा ऄपराध का संज्ञान, जहां ऐसा ऄपराध हकसी परुु ष द्वारा ऄट्ठारह वषण से
है। कम अयु की ऄपनी ही पत्नी के साथ मैथनु करता है, ईस दशा में न करेगा
(7) आस धारा के ईपबन्ध हकसी ऄपराध के दष्ु प्ररेण या ऄपराध करने के जब ईस ऄपराध के हकए जाने की तारीख से एक वषण से ऄहधक व्यतीत हो
प्रयत्न को ऐसे लागू होंगे, जैसे वे ऄपराध को लागू होते हैं। चक ु ा है।
(7) आस धारा के ईपबन्ध हकसी ऄपराध के दष्ु प्ररेण या ऄपराध करने के
प्रयत्न को ऐसे लागू होंगे, जैसे वे ऄपराध को लागू होते हैं।
धारा – 220 भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 85 के ऄधीन ऄपराधों का धारा 198-
ऄहभयोजन - कोइ न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 85 के क-
ऄधीन दण्डनीय ऄपराध का संज्ञान ऐसे ऄपराध को गहठत करने वाले तथ्यों
की पहु लस ररपोटण पर या ऄपराध से व्यहथत व्यहि द्वारा या ईसके हपता, माता,
भाइ, बहन द्वारा या ईसके हपता या माता के भाइ या बहन द्वारा हकए गए
पररवाद पर या रि, हववाह या दत्तक ग्रहण द्वारा ईससे समबहन्धत हकसी ऄन्य
व्यहि द्वारा न्यायालय की आजाजत से हकए गए पररवाद पर ही करेगा ऄन्यथा
नहीं।
धारा – 221 ऄपराध का संज्ञान - कोइ भी न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 198-
धारा 67 के ऄधीन दण्डनीय हकसी ऄपराध का, जहां व्यहियों में वैवाहहक ख
समबन्ध हैं, ईन तथ्यों का, हजनसे पत्नी द्वारा पहत के हवरुद्ध पररवाद फाआल
हकए जाने या हकए जाने पर ऄपराध गहठत होता है, प्रथमदृष्ट्या समाधान होने
के हसवाय संज्ञान नहीं करेगा।
धारा – 222 मानहाहन के हलए ऄहभयोजन - (1) कोइ न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, धारा 199
2023 की धारा 356 के ऄधीन दण्डनीय ऄपराध का संज्ञान ऐसे ऄपराध से
व्यहथत हकसी व्यहि द्वारा हकए गए पररवाद पर ही करेगा, ऄन्यथा नहीं :
परन्तु जहां ऐसा व्यहि बालक है या हवकृ त हचत्त है या बौहद्धक रूप से हदव्यांग
है या रोग या ऄंग- शैहथलय के कारण पररवाद करने के हलए ऄसमथण है, या
ऐसी महहला है, जो स्थानीय रूहढयों और रीहतयों के ऄनस ु ार लोगों के सामने
अने के हलए हववश नहीं की जानी चाहहए, वहां ईसकी ओर से कोइ ऄन्य
व्यहि न्यायालय की आजाजत से पररवाद कर सकता है।
(2) आस संहहता में हकसी बात के होते हुए भी, जब भारतीय न्याय संहहता,
2023 की धारा 356 के ऄधीन अने वाले हकसी ऄपराध के बारे में यह
ऄहभकहथत है हक वह ऐसे व्यहि के हवरुद्ध, जो ऐसा ऄपराध हकए जाने के
समय भारत का राष्रपहत, या भारत का ईपराष्रपहत या हकसी राज्य का
राज्यपाल या हकसी संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासक या संघ या हकसी राज्य का या
हकसी संघ राज्यक्षेत्र का मंत्री या संघ या हकसी राज्य के कायण कलापों के
समबन्ध में हनयोहजत ऄन्य लोक सेवक था, ईसके लोक कृ त्यों के हनवण हन में
ईसके अचरण के समबन्ध में हकया गया है तब सेशन न्यायालय, ऐसे ऄपराध
का संज्ञान, ईसको मामला सपु दु ण हुए हबना, लोक ऄहभयोजक द्वारा हकए गए
हलहखत पररवाद पर कर सकता है।
(3) ईपधारा (2) में हनहदण ष्ट ऐसे प्रत्येक पररवाद में वे तथ्य, हजनसे ऄहभकहथत
ऄपराध बनता है, ऐसे ऄपराध का स्वरूप और ऐसी ऄन्य हवहशहष्टयां वहणण त
होंगी जो ऄहभयि ु को ईसके द्वारा हकए गए ऄहभकहथत ऄपराध की सूचना देने
के हलए ईहचत रूप से पयाण प्त है।
(4) ईपधारा (2) के ऄधीन लोक ऄहभयोजक द्वारा कोइ पररवाद पूवण मंजूरी से
ही हकया जाएगा, ऄन्यथा नहीं-
(क) राज्य सरकार की-
(i) हकसी ऐसे व्यहि की दशा में, जो हकसी राज्य का राज्यपाल है या रहा है या
हकसी राज्य की सरकार का मंत्री है या रहा है;
(ii) हकसी राज्य के कायण कलापों के समबन्ध में हनयोहजत हकसी ऄन्य लोक
सेवक की दशा में;
(ख) हकसी ऄन्य दशा में, के न्द्रीय सरकार की,
(5) कोइ सेशन न्यायालय, ईपधारा (2) के ऄधीन हकसी ऄपराध का संज्ञान
तभी करेगा जब पररवाद ईस तारीख से छह मास के ऄन्दर कर हदया जाता है,
हजसको ईस ऄपराध का हकया जाना ऄहभकहथत है।
(6) आस धारा की कोइ बात हकसी ऐसे व्यहि के , हजसके हवरुद्ध ऄपराध का
हकया जाना ऄहभकहथत है, ईस ऄपराध की बाबत ऄहधकाररता वाले हकसी
महजस्रेट के समक्ष पररवाद करने के ऄहधकार पर या ऐसे पररवाद पर ऄपराध
का संज्ञान करने की ऐसे महजस्रेट की शहि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
ऄध्याय 16 - महजस्रेटों से पररिाद
धारा – 223 पररिादी की परीक्षा - (1) जब ऄहधकाररता रखने वाला महजस्रेट पररवाद पर धारा 200
हकसी ऄपराध का संज्ञान करेगा तब पररवादी की और यहद कोइ साक्षी
ईपहस्थत हैं तो ईनकी शपथ पर परीक्षा करेगा और ऐसी परीक्षा का सारांश
लेखबद्ध हकया जाएगा और पररवादी और साहक्षयों द्वारा तथा महजस्रेट द्वारा
भी हस्ताक्षररत हकया जाएगा:
परन्तु हकसी ऄपराध का संज्ञान महजस्रेट द्वारा ऄहभयुि को सुनिाइ का
ऄिसर हदए हबना नहीं हकया जाएगा:
परंतु यह और हक जब पररवादी हलख कर हकया जाता है तब महजस्रेट के हलए
पररवादी या साहक्षयों की परीक्षा करना अवश्यक न होगा-
(क) यहद पररवाद ऄपने पदीय कतण व्यों के हनवण हन में कायण करने वाले या कायण
करने का तात्पयण रखने वाले लोक सेवक द्वारा या न्यायालय द्वारा हकया गया
है; या
(ख) यहद महजस्रेट जांच या हवचारण के हलए मामले को धारा 212 के ऄधीन
हकसी ऄन्य महजस्रेट के हवाले कर देता है:
परन्तु यह भी हक यहद महजस्रेट पररवादी या साहक्षयों की परीक्षा करने के
पश्चात् मामले को धारा 212 के ऄधीन हकसी ऄन्य महजस्रेट के हवाले करता
है तो बाद वाले महजस्रेट के हलए ईनकी हफर से परीक्षा करना अवश्यक न
होगा;
(2) कोइ महजस्रेट हकसी लोक सेिक के हिरुद्ध ईसके िासकीय कृत्यों या
कतगव्यों के हनिगहन के दौरान काररत हकया जाना ऄहभकहथत हकए गए
हकसी ऄपराध के हलए पररिाद पर संज्ञान नहीं लेगा, यहद-
(क) ऐसे लोक सेिक को ईस पररहस्थहत के बारे में प्राख्यान करने का
ऄिसर नहीं हदया जाता है, हजसके कारण ऄहभकहथत घटना घहटत हुइ;
और
(ख) ऐसे लोक सेिक के िररष्ठ ऄहधकारी से घटना के त्यों और
पररहस्थहतयों के ऄंतहिगष्ट करने िाली ररपोटग प्राप्त नहीं होती है।
धारा – 224 ऐसे महजस्रेट द्वारा प्रहिया जो मामले का संज्ञान करने के हलए सक्षम नहीं धारा 201 कोइ पररवतण न नहीं ।
है - यहद पररवाद ऐसे महजस्रेट को हकया जाता है, जो ईस ऄपराध का संज्ञान
करने के हलए सक्षम नहीं है, तो-
(क) यहद पररवाद हलहखत है तो वह ईसको समहु चत न्यायालय में पेश करने के
हलए, ईस भाव के पृष्ठांकन सहहत, लौटा देगा;
(ख) यहद पररवाद हलहखत नहीं है तो वह पररवादी को ईहचत न्यायालय में
जाने का हनदेश देगा।
धारा – 225 अदेहिका के जारी हकए जाने को मल्ु तिी करना - (1) यहद कोइ महजस्रेट धारा 202
ऐसे ऄपराध का पररवाद प्राप्त करने पर, हजसका संज्ञान करने के हलए वह
प्राहधकृ त है या जो धारा 212 के ऄधीन ईसके हवाले हकया गया है, ठीक
समझता है तो और ऐसे मामले में जहााँ ऄहभयि ु ऐसे हकसी स्थान में हनवास
कर रहा है जो ईस क्षेत्र से परे है हजसमें वह ऄपनी ऄहधकाररता का प्रयोग
करता है ऄहभयि ु के हवरुद्ध अदेहशका का जारी हकया जाना मलु तवी कर
सकता है और यह हवहनहश्चत करने के प्रयोजन से हक कायण वाही करने के हलए
पयाण प्त अधार है या नहीं, या तो स्वयं ही मामले की जांच कर सकता है या
हकसी पहु लस ऄहधकारी द्वारा या ऄन्य ऐसे व्यहि द्वारा, हजसको वह ठीक
समझे ऄन्वेषण हकए जाने के हलए हनदेश दे सकता है :
परन्तु ऄन्वेषण के हलए ऐसा कोइ हनदेश वहां नहीं हदया जाएगा-
(क) जहां महजस्रेट को यह प्रतीत होता है हक वह ऄपराध हजसका पररवाद
हकया गया है ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय है; या
(ख) जहां पररवाद हकसी न्यायालय द्वारा नहीं हकया गया है जब तक हक
पररवादी की या ईपहस्थत साहक्षयों की (यहद कोइ हो) धारा 223 के ऄधीन
शपथ पर परीक्षा नहीं कर ली जाती है।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन हकसी जांच में यहद महजस्रेट, ठीक समझता है तो
साहक्षयों का शपथ पर साक्ष्य ले सकता है :
परन्तु यहद महजस्रेट को यह प्रतीत होता है हक वह ऄपराध हजसका पररवाद
हकया गया है ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय है तो वह पररवादी से
ऄपने सब साहक्षयों को पेश करने की ऄपेक्षा करेगा और ईनकी शपथ पर
परीक्षा करेगा।
(3) यहद ईपधारा (1) के ऄधीन ऄन्वेषण हकसी ऐसे व्यहि द्वारा हकया जाता है
जो पहु लस ऄहधकारी नहीं है तो ईस ऄन्वेषण के हलए ईसे वारण्ट के हबना
हगरफ्तार करने की शहि के हसवाय पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी को
आस संहहता द्वारा प्रदत्त सभी शहियां होंगी।
धारा – 226 पररिाद का खाररज हकया जाना - यहद पररवादी के और साहक्षयों के शपथ धारा 203
पर हकए गए कथन पर (यहद कोइ हो), और धारा 225 के ऄधीन जांच या
ऄन्वेषण के (यहद कोइ हो) पररणाम पर, हवचार करने के पश्चात्, महजस्रेट को
यह राय है हक कायण वाही करने के हलए पयाण प्त अधार नहीं है तो वह पररवाद को
खाररज कर देगा और ऐसे प्रत्येक मामले में वह ऐसा करने के ऄपने कारणों को
संक्षेप में ऄहभहलहखत करेगा।
ऄध्याय 17 - महजस्रेट के समक्ष कायगिाही का प्रारभभ हकया जाना
धारा – 227 अदेहिका का जारी हकया जाना (1) यहद हकसी ऄपराध का संज्ञान करने धारा 204
वाले महजस्रेट की राय में कायण वाही करने के हलए पयाण प्त अधार हैं, और-
(क) मामला समन-मामला प्रतीत होता है तो वह ईसकी हाहजरी के हलए
ऄहभयि ु समन जारी करेगा; या
(ख) मामला वारण्ट-मामला प्रतीत होता है तो वह ऄपने या (यहद ईसकी
ऄपनी ऄहधकाररता नहीं है तो) ऄहधकाररता वाले हकसी ऄन्य महजस्रेट के
समक्ष ऄहभयि ु के हनहश्चत समय पर लाए जाने या हाहजर होने के हलए वारंट,
या यहद ठीक समझता है समन, जारी कर सकता है।
परन्तु समन या िारंट, आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से भी जारी हकए
जा सकें गे।
(2) ऄहभयि ु के हवरुद्ध ईपधारा (1) के ऄधीन तब तक कोइ समन या वारंट
जारी नहीं हकया जाएगा जब तक ऄहभयोजन के साहक्षयों की सूची फाआल नहीं
कर दी जाती है।
(3) हलहखत पररवाद पर संहस्थत कायण वाही में ईपधारा (1) के ऄधीन जारी
हकए गए प्रत्येक समन या वारण्ट के साथ ईस पररवाद की एक प्रहतहलहप होगी।
(4) जब तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध के ऄधीन कोइ अदेहशका फीस या ऄन्य
फीस संदेय है तब कोइ अदेहशका तब तक जारी नहीं की जाएगी जब तक
फीस नहीं दे दी जाती है और यहद ऐसी फीस ईहचत समय के ऄन्दर नहीं दी
जाती है तो महजस्रेट पररवाद को खाररज कर सकता है।
(5) आस धारा की कोइ बात धारा 90 के ईपबन्धों पर प्रभाव डालने वाली नहीं
समझी जाएगी।
धारा – 228 महजस्रेट का ऄहभयुि को िैयहिक हाहजरी से ऄहभमहु ि दे सकना - (1) धारा 205 कोइ पररवतण न नहीं ।
जब कभी कोइ महजस्रेट समन जारी करता है तब यहद ईसे ऐसा करने का
कारण प्रतीत होता है तो वह ऄहभयि ु को वैयहिक हाहजरी से ऄहभमि ु कर
सकता है और ऄपने ऄहधविा द्वारा हाहजर होने की ऄनज्ञ ु ा दे सकता है।
(2) हकन्तु मामले की जांच या हवचारण करने वाला महजस्रेट,
स्वहववेकानस ु ार, कायण वाही के हकसी प्रिम में ऄहभयि
ु की वैयहिक हाहजरी
का हनदेश दे सकता है और यहद अवश्यक हो तो ईसे आस प्रकार हाहजर होने
के हलए आसमें आसके पूवण ईपबहन्धत रीहत से हववश कर सकता है ।
धारा – 229 छोटे ऄपराधों के मामले में हििेष समन- (1) यहद हकसी छोटे ऄपराध का धारा -
संज्ञान करने वाले महजस्रेट की राय में, मामले को धारा 283 या धारा 284 206
के ऄधीन संक्षेपतः हनपटाया जा सकता है तो वह महजस्रेट, ईस दशा के
हसवाय, जहां ईन कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, ईसकी प्रहतकूल राय है,
ऄहभयि ु से यह ऄपेक्षा करते हुए ईसके हलए समन जारी करेगा हक वह
हवहनहदण ष्ट तारीख को महजस्रेट के समक्ष या तो स्वयं या ऄहधविा द्वारा हाहजर
हो या यहद वह महजस्रेट के समक्ष हाहजर हुए हबना अरोप का दोषी होने का
ऄहभवचन करना चाहता है तो हलहखत रूप में ईि ऄहभवाक् और समन में
हवहनहदण ष्ट जमु ाण ने को रकम डाक या संदेशवाहक द्वारा हवहनहदण ष्ट तारीख के पूवण
भेज दे या यहद वह ऄहधविा द्वारा हाहजर होना चाहता है और ऐसे ऄहधविा
द्वारा ईस अरोप के दोषी होने का ऄहभवचन करना चाहता है तो ऄहधविा को
ऄपनी ओर से अरोप के दोषी होने का ऄहभवचन करने के हलए हलखकर
प्राहधकृ त करे और ऐसे ऄहधविा की माफणत जमु ाण ने का संदाय करे :
परन्तु ऐसे समन में हवहनहदण ष्ट जमु ाण ने की रकम पांच हजार रुपए से ऄहधक न
होगी।
(2) आस धारा के प्रयोजनों के हलए "छोटे ऄपराध" से कोइ ऐसा ऄपराध
ऄहभप्रेत है, जो के िल पांच हजार रुपये से ऄनहधक जुमागने से दण्डनीय है
हकन्तु आसके ऄन्तगण त कोइ ऐसा ऄपराध नहीं है जो मोटर यान ऄहधहनयम,
1988 (1988 का 59) के ऄधीन या हकसी ऄन्य ऐसी हवहध के ऄधीन, हजसमें
दोषी होने के ऄहभवाक् पर ऄहभयि ु की ऄनपु हस्थहत में ईसको दोषहसद्ध करने
के हलए ईपबन्ध है, आस प्रकार दण्डनीय है।
(3) राज्य सरकार, हकसी महजस्रेट को ईपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शहियों का
प्रयोग हकसी ऐसे ऄपराध के समबन्ध में करने के हलए, जो धारा 359 के
ऄधीन शमनीय है, या जो कारावास से, हजसकी ऄवहध तीन मास से ऄहधक
नहीं है या जमु ाण ने से या दोनों से दण्डनीय है ऄहधसूचना द्वारा हवशेष रूप से
वहां सशि कर सकती है, जहां मामले के तथ्यों और पररहस्थहतयों का ध्यान
रखते हुए महजस्रेट की राय है हक के वल जमु ाण ना ऄहधरोहपत करने से न्याय के
ईद्देश्य पूरे हो जाएंगे।
धारा – 230 ऄहभयुि को पुहलस ररपोटग या ऄन्य दस्तािेजों की प्रहतहलहप देना - हकसी धारा 207
ऐसे मामले में जहां कायण वाही पहु लस ररपोटण के अधार पर संहस्थत की गइ है,
वहां महजस्रेट हबना हकसी देरी के और मामले में ऄहभयुि को ईपहस्थत
करने या ईसके ईपहस्थत होने की तारीख से चौदह हदनों की ऄिहध से
ऄहधक न हो, हनमनहलहखत में से प्रत्येक की एक प्रहतहलहप ऄहभयि ु और
पीह़ित को (यहद ईसका प्रहतहनहधत्व ऄहधविा द्वारा हकया गया हो) ऄहवलमब
हनःशलु क देगा :-
(i) पहु लस ररपोटण ;
(ii) धारा 173 के ऄधीन लेखबद्ध की गइ प्रथम आहत्तला ररपोटण ;
(iii) धारा 180 की ईपधारा (3) के ऄधीन ऄहभहलहखत ईन सभी व्यहियों के
कथन, हजनकी ऄपने साहक्षयों के रूप में परीक्षा करने का ऄहभयोजन का
हवचार है, ईनमें से हकसी ऐसे भाग को छो़िकर हजनको ऐसे छो़िने के हलए
हनवेदन धारा 193 की ईपधारा (7) के ऄधीन पहु लस ऄहधकारी द्वारा हकया
गया है;
(iv) धारा 183 के ऄधीन लेखबद्ध की गइ संस्वीकृ हतयां या कथन, यहद कोइ
हो;
(v) कोइ ऄन्य दस्तावेज या ईसका सस ु ंगत ईद्धरण, जो धारा 193 की
ईपधारा (6) के ऄधीन पहु लस ररपोटण के साथ महजस्रेट को भेजी गइ है :
परन्तु महजस्रेट खण्ड (iii) में हनहदण ष्ट कथन के हकसी ऐसे भाग का पररशीलन
करने और ऐसे हनवेदन के हलए पहु लस ऄहधकारी द्वारा हदए गए कारणों पर
हवचार करने के पश्चात् यह हनदेश दे सकता है हक कथन के ईस भाग की या
ईसके ऐसे प्रभाग की, जैसा महजस्रेट ठीक समझे, एक प्रहतहलहप ऄहभयि ु को
दी जाए:
परन्तु यह और हक यहद महजस्रेट का समाधान हो जाता है हक कोइ दस्तावेज
हवशालकाय है तो वह ऄहभयि ु और पीह़ित (यहद ईसका प्रहतहनहधत्व
ऄहधविा द्वारा हकया गया है) को ईसकी प्रहतहलहप देने के बजाय
आलैक्ट्राहनक साधन के माध्यम से प्रहत को हदया जा सके गा या यह हनदेश
देगा हक ईसे स्वयं या ऄहधविा द्वारा न्यायालय में ईसका हनरीक्षण ही करने
हदया जाएगा :
परन्तु यह भी हक आलैक्ट्राहनक प्ररूप में ईन दस्तािेजों को प्रदाय करने के
हलए हिचार हकया जाएगा जो सभयक् रूप से प्रस्ततु हकए गए हैं।
धारा – 231 सेिन न्यायालय द्वारा हिचारणीय ऄन्य मामलों में ऄहभयुि को कथनों धारा 208
और दस्तािेजों की प्रहतहलहपयां देना - जहां पहु लस ररपोटण से हभन्न अधार
पर संहस्थत हकसी मामले में, धारा 227 के ऄधीन अदेहशका जारी करने वाले
महजस्रेट को यह प्रतीत होता है हक ऄपराध ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा
हवचारणीय है, वहां महजस्रेट हनमनहलहखत में से प्रत्येक की एक प्रहतहलहप
ऄहभयि ु को तत्काल हनःशलु क देगा:-
(i) ईन सभी व्यहियों के , हजनकी महजस्रेट द्वारा परीक्षा की जा चक ु ी है, धारा
223 या धारा 225 के ऄधीन लेखबद्ध हकए गए कथन;
(ii) धारा 180 या धारा 183 के ऄधीन लेखबद्ध हकए गए कथन, और
संस्वीकृ हतयां, यहद कोइ हों;
(iii) महजस्रेट के समक्ष पेश की गइ कोइ दस्तावेजें, हजन पर हनभण र रहने का
ऄहभयोजन का हवचार है:
परन्तु यहद महजस्रेट का समाधान हो जाता है हक ऐसी कोइ दस्तावेज
हवशालकाय है, तो वह ऄहभयि ु को ईसकी प्रहतहलहप देने के बजाय यह हनदेश
देगा हक ईसे स्वयं या ऄहधविा द्वारा न्यायालय में ईसका हनरीक्षण ही करने
हदया जाएगा :
परन्तु यह भी हक आलैक्ट्राहनक प्ररूप में ईन दस्तािेजों को प्रदाय करने के
हलए हिचार हकया जाएगा जो सभयक् रूप से प्रस्तुत हकए गए हैं।
धारा – 232 जब ऄपराध ऄनन्यतः सेिन न्यायालय द्वारा हिचारणीय है तब मामला धारा 209
ईसे सुपुदग करना- जब पहु लस ररपोटण पर या ऄन्यथा संहस्थत हकसी मामले में
ऄहभयि ु महजस्रेट के समक्ष हाहजर होता है या लाया जाता है और महजस्रेट
को यह प्रतीत होता है हक ऄपराध ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय
है तो वह-
(क) धारा 230 या धारा 231 के ईपबंधों का ऄनपु ालन करने के पश्चात्
मामला सेशन न्यायालय को सपु दु ण करेगा और जमानत से संबहं धत आस संहहता
के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए ऄहभयि ु व्यहि को ऄहभरक्षा में तब तक के
हलए प्रहतप्रेहषत करेगा जब तक ऐसी सपु दु ण गी नहीं कर दी जाती है;
(ख) जमानत से समबहन्धत आस संहहता के ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए
हवचारण के दौरान और समाप्त होने तक ऄहभयि ु को ऄहभरक्षा में प्रहतप्रेहषत
करेगा;
(ग) मामले का ऄहभलेख तथा दस्तावेजें और वस्तएु ,ं यहद कोइ हों, हजन्हें
साक्ष्य में पेश हकया जाना है, ईस न्यायालय को भेजेगा;
(घ) मामले के सेशन न्यायालय को सपु दु ण हकए जाने की लोक ऄहभयोजक को
सूचना देगा :
परन्तु आस धारा के ऄधीन प्रहियाएं संज्ञान लेने की तारीख से नब्बे हदनों
की ऄिहध के भीतर पूरी की जाएंगी और महजस्रेट द्वारा कारणों को
ऄहभहलहखत करते हुए ऐसी ऄिहध के हलए हिस्ताररत की जा सके गी जो
एक सौ ऄस्सी हदनों की ऄिहध से ऄहधक न हो :
परन्तु यह और हक जहां कोइ अिेदन सेिन न्यायालय द्वारा हिचारणीय
हकसी मामले में ऄहभयुि या पीहडत या ऐसे व्यहि द्वारा प्राहधकृत हकए गए
हकसी व्यहि द्वारा महजस्रेट के समक्ष दाहखल हकया गया है तो मामले को
सुपुदग करने के हलए सेिन न्यायालय को भेजा जाएगा।
धारा – 233 पररिाद िाले मामले में ऄनुसरण की जाने िाली प्रहिया और ईसी ऄपराध धारा 210
के बारे में पुहलस ऄन्िेषण - (1) जब पहु लस ररपोटण से हभन्न अधार पर
संहस्थत हकसी मामले में (हजसे आसमें आसके पश्चात् पररवाद वाला मामला कहा
गया है) महजस्रेट द्वारा की जाने वाली जांच या हवचारण के दौरान ईसके
समक्ष यह प्रकट हकया जाता है हक ईस ऄपराध के बारे में जो ईसके द्वारा की
जाने वाली जांच या हवचारण का हवषय है पहु लस द्वारा ऄन्वेषण हो रहा है, तब
महजस्रेट ऐसी जांच या हवचारण की कायण वाहहयों को रोक देगा और ऄन्वेषण
करने वाले पहु लस ऄहधकारी से ईस मामले की ररपोटण मांगेगा।
(2) यहद ऄन्वेषण करने वाले पहु लस ऄहधकारी द्वारा धारा 193 के ऄधीन
ररपोटण की जाती है और ऐसी ररपोटण पर महजस्रेट द्वारा ऐसे व्यहि के हवरुद्ध
हकसी ऄपराध का संज्ञान हकया जाता है जो पररवाद वाले मामले में ऄहभयि ु
है तो, महजस्रेट पररवाद वाले मामले की और पहु लस ररपोटण से पैदा होने वाले
मामले की जांच या हवचारण साथ-साथ ऐसे करेगा मानो दोनों मामले पहु लस
ररपोटण पर संहस्थत हकए गए हैं।
(3) यहद पहु लस ररपोटण पररवाद वाले मामले में हकसी ऄहभयि ु से समबहन्धत
नहीं है या यहद महजस्रेट पहु लस ररपोटण पर हकसी ऄपराध का संज्ञान नहीं
करता है तो वह ईस जांच या हवचारण में जो ईसके द्वारा रोक ली गइ थी, आस
संहहता के ईपबन्धों के ऄनसु ार कायण वाही करेगा।
ऄध्याय 18 - अरोप
क- अरोपों का प्ररूप
धारा – 234 अरोप की ऄन्तिगस्तु - (1) आस संहहता के ऄधीन प्रत्येक अरोप में ईस धारा 211
ऄपराध का कथन होगा, हजसका ऄहभयि ु पर अरोप है।
(2) यहद ईस ऄपराध का सृजन करने वाली हवहध द्वारा ईसे कोइ हवहनहदण ष्ट
नाम हदया गया है तो अरोप में ईसी नाम से ईस ऄपराध का वणण न हकया
जायेगा।
(3) यहद ईस ऄपराध का सृजन करने वाली हवहध द्वारा ईसे कोइ हवहनहदण ष्ट
नाम नहीं हदया गया है तो ऄपराध की आतनी पररभाषा देनी होगी हजतनी से
ऄहभयि ु को ईस बात की सूचना हो जाए हजसका ईस पर अरोप है।
(4) वह हवहध और हवहध की वह धारा, हजसके हवरुद्ध ऄपराध हकया जाना
कहथत है, अरोप में ईहललहखत होगी।
(5) यह तथ्य हक अरोप लगा हदया गया है आस कथन के समतलु य है हक हवहध
द्वारा ऄपेहक्षत प्रत्येक शतं हजससे अरोहपत ऄपराध बनता है ईस हवहशष्ट
मामले में पूरी हो गइ है।
(6) अरोप न्यायालय की भाषा में हलखा जाएगा।
(7) यहद ऄहभयि ु हकसी ऄपराध के हलए पहले दोषहसद्ध हकए जाने पर हकसी
पश्चात्वती ऄपराध के हलए ऐसी पूवण दोषहसहद्ध के कारण वहधण त दण्ड का या
हभन्न प्रकार के दण्ड का भागी है और यह अशहयत है हक ऐसी पवू ण दोषहसहद्ध
ईस दण्ड को प्रभाहवत करने के प्रयोजन के हलए साहबत की जाए हजसे
न्यायालय पश्चात्वती ऄपराध के हलए देना ठीक समझे तो पूवण दोषहसहद्ध का
तथ्य, तारीख और स्थान अरोप में कहथत होंगे; और यहद ऐसा कथन रह गया
है तो न्यायालय दण्डादेश देने के पूवण हकसी समय भी ईसे जो़ि सके गा।
दृष्टान्त
(क) क पर ख की हत्या का अरोप है। यह बात आस कथन के समतलु य है हक
क का कायण भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 100 और 101 में दी
गइ हत्या की पररभाषा के भीतर अता है और वह ईसी संहहता के साधारण
ऄपवादों में से हकसी के भीतर नहीं अता और वह धारा 101 के पांच ऄपवादों
में से हकसी के भीतर भी नहीं अता, या यहद वह ऄपवाद 1 के भीतर अता है
तो ईस ऄपवाद के तीन परन्तक ु ों में से कोइ न कोइ परन्तक
ु ईसे लागू होता है।
(ख) क पर ऄसन के ईपकरण द्वारा ख को स्वेच्छया घोर ईपहहत काररत करने
के हलए भारतीय दण्ड संहहता, 2023 की धारा 118 को ईपधारा (2) के
ऄधीन अरोप है। यह आस कथन के समतलु य है हक ईस मामले के हलए
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 122 की ईपधारा (2) द्वारा ईपबन्ध
नहीं हकया गया है और साधारण ऄपवाद ईसको लागू नहीं होते हैं।
(ग) क पर हत्या, छल, चोरी, ईद्दापन, जारकमण या अपराहधक ऄहभत्रास या
हमथ्या समपहत्त हचह्न को ईपयोग में लाने का ऄहभयोग है। अरोप में ईन
ऄपराधों की भारतीय न्याय संहहता, 2023 में दी गइ पररभाषाओं के हनदेश
के हबना यह कथन हो सकता है हक क ने हत्या या छल या चोरी या ईद्दापन या
जारकमण या अपराहधक ऄहभत्रास हकया है या यह हक ईसने हमथ्या समपहत्त
हचह्न का ईपयोग हकया है; हकन्तु प्रत्येक दशा में वे धाराएं, हजनके ऄधीन
ऄपराध दण्डनीय है, अरोप में हनहदण ष्ट करनी प़िेंगी।
(घ) क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 219 के ऄधीन यह
अरोप है हक ईसने लोक सेवक के हवहधपूणण प्राहधकार द्वारा हविय के हलए
प्रस्थाहपत समपहत्त के हविय में साशय बाधा डाली है। अरोप ईन शब्दों में ही
होना चाहहए।
धारा – 235 समय, स्थान और व्यहि के बारे में हिहिहष्टयां - (1) ऄहभकहथत ऄपराध के धारा 212
समय और स्थान के बारे में और हजस व्यहि के (यहद कोइ हो) हवरुद्ध या हजस
वस्तु के (यहद कोइ हो) हवषय में वह ऄपराध हकया गया ईस व्यहि या वस्तु के
बारे में ऐसी हवहशहष्टयां, जैसी ऄहभयि ु को ईस बात की, हजसका ईस पर
अरोप है, सूचना देने के हलए ईहचत रूप से पयाण प्त है, अरोप में ऄन्तहवण ष्ट
होंगी।
(2) जब ऄहभयि ु पर अपराहधक न्यासभंग या बेइमानी से धन या ऄन्य जंगम
समपहत्त के दहु वण हनयोग का अरोप है तब आतना ही पयाण प्त होगा हक हवहशष्ट मदों
का हजनके हवषय में ऄपराध हकया जाना ऄहभकहथत है, या ऄपराध करने की
ठीक-ठीक तारीखों का हवहनदेश हकए हबना, ईस सकल राहश का हवहनदेश या
ईस जंगम समपहत्त का वणण न कर हदया जाता है हजसके हवषय में ऄपराध हकया
जाना ऄहभकहथत है, और ईन तारीखों का, हजनके बीच में ऄपराध का हकया
जाना ऄहभकहथत है, हवहनदेश कर हदया जाता है और ऐसे हवरहचत अरोप
धारा 242 के ऄथण में एक ही ऄपराध का अरोप समझा जाएगा:
परन्तु ऐसी तारीखों में से पहली और ऄहन्तम के बीच का समय एक वषण से
ऄहधक का न होगा।
धारा – 236 कब ऄपराध हकए जाने की रीहत कहथत की जानी चाहहए- जब मामला आस धारा 213
प्रकार का है हक धारा 234 और 235 में वहणण त हवहशहष्टयां ऄहभयि ु को ईस
बात की, हजसका ईस पर अरोप है, पयाण प्त सूचना नहीं देती तब ईस रीहत की,
हजसमें ऄहभकहथत ऄपराध हकया गया, ऐसी हवहशहष्टयां भी, जैसी ईत प्रयोजन
के हलए पयाण प्त हैं, अरोप में ऄन्तहवण ष्ट होंगी।
दृष्टान्त
(क) क पर वस्त-ु हवशेष की हवशेष समय और स्थान में चोरी करने का
ऄहभयोग है। यह अवश्यक नहीं है हक अरोप में वह रीहत ईपवहणण त हो हजससे
चोरी की गइ।
(ख) क पर ख के साथ कहथत समय पर और कहथत स्थान में छल करने का
ऄहभयोग है। अरोप में वह रोहत, हजससे क ने ख के साथ छल हकया,
ईपवहणण त करनी होगी।
(ग) क पर कहथत समय पर और कहथत स्थान में हमथ्या साक्ष्य देने का
ऄहभयोग है। अरोप में क द्वारा हकए गए साक्ष्य का वह भाग ईपवहणण त करना
होगा हजसका हमथ्या होना ऄहभकहथत है।
(घ) क पर लोक सेवक ख को ईसके लोक कृ त्यों के हनवण हन में कहथत समय
पर और कहथत स्थान में बाहधत करने का ऄहभयोग है। अरोप में वह रीहत
ईपवहणण त करनी होगी हजससे क ने ख को ईसके कृ त्यों के हनवण हन में बाहधत
हकया।
(ङ) क पर कहथत समय पर और कहथत स्थान में ख की हत्या करने का
ऄहभयोग है। यह अवश्यक नहीं है हक अरोप में वह रीहत कहथत हो हजससे क
ने ख की हत्या की।
(च) क पर ख को दण्ड से बचाने के अशय से हवहध के हनदेश की ऄवज्ञा करने
का ऄहभयोग है। अरोहपत ऄवज्ञा और ऄहतलंहधत हवहध का ईपवणण न अरोप
में करना होगा।
धारा – 237 अरोप के िब्दों का िह ऄथग हलया जाएगा जो ईनका ईस हिहध में है धारा 214 कोइ पररवतण न नहीं ।
हजसके ऄधीन िहऄपराध दण्डनीय है - प्रत्येक अरोप में ऄपराध का वणण न
करने में ईपयोग में लाए गए शब्दों को ईस ऄथण में ईपयोग में लाया गया समझा
जाएगा, जो ऄथण ईन्हें ईस हवहध द्वारा हदया गया है हजसके ऄधीन ऐसा ऄपराध
दण्डनीय है।
धारा – 238 गलहतयों का प्रभाि - ऄपराध के या ईन हवहशहष्टयों के , हजनका अरोप में धारा 215
कथन होना ऄपेहक्षत है, कथन करने में हकसी गलती को और ईस ऄपराध या
ईन हवहशहष्टयों के कथन करने में हकसी लोप को मामले के हकसी प्रिम में तब
ही ताहववक माना जायेगा जब ऐसी गलती या लोप से ऄहभयि ु वास्तव में
भल ु ावे में प़ि गया है और ईसके कारण न्याय नहीं हो पाया है, ऄन्यथा नहीं।
दृष्टान्त
(क) क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 180 के ऄधीन यह
अरोप है हक "ईसने कब्जे में ऐसा कूटकृ त हसक्ट्का रखा है हजसे वह ईस
समय, जब वह हसक्ट्का ईसके कब्जे में अया था, जानता था हक वह कृ टकृ त
है" और अरोप में "कपटपूवणक" शब्द छूट गया है। जब तक यह प्रतीत नहीं
होता है हक क वास्तव में आस लोप से भल ु ावे में प़ि गया, आस गलती को
ताहववक नहीं समझा जाएगा।
(ख) क पर ख से छल करने का अरोप है और हजस रीहत से ईसने ख के साथ
छल हकया है, वह अरोप में ईपवहणण त नहीं है या ऄशद्ध ु रूप में ईपवहणण त है। क
ऄपनी प्रहतरक्षा करता है, साहक्षयों को पेश करता है और संव्यवहार का स्वयं
ऄपना हववरण देता है। न्यायालय आससे ऄनमु ान कर सकता है हक छल करने
की रौहत के ईपवणण न का लोप ताहववक नहीं है।
(ग) क पर ख से छल करने का अरोप है और हजस रीहत से ईसने ख से छल
हकया है वह अरोप में ईपवहणण त नहीं है। क और ख के बीच ऄनेक संव्यवहार
हुए हैं और क के पास यह जानने का हक अरोप का हनदेश ईनमें से हकसके
प्रहत है कोइ साधन नहीं था और ईसने ऄपनी कोइ प्रहतरक्षा नहीं की।
न्यायालय ऐसे तथ्यों से यह ऄनमु ान कर सकता है हक छल करने की रीहत के
ईपवणण न का लोप ईस मामले में ताहत्वक गलती थी।
(घ) क पर 21 जनवरी, 2023 को खदु ाबख्श की हत्या करने का अरोप है।
वास्तव में मृत व्यहि का नाम हैदरबख्खा था और हत्या की तारीख 20
जनवरी, 2023 थी। क पर कभी भी एक हत्या के ऄहतररि दस ू री हकसी हत्या
का अरोप नहीं लगाया गया और ईसने महजस्रेट के समक्ष हुइ जांच को सनु ा
था, हजसमें हैदरबख्श के मामले का ही ऄनन्य रूप से हनदेश हकया गया था।
न्यायालय आन तथ्यों से यह ऄनमु ान कर सकता है हक क ईससे भल ु ावे में नहीं
प़िा था और अरोप में यह गलती ताहववक नहीं थी।
(ङ) क पर 20 जनवरी, 2023 को हैदरबख्श की हत्या और 21 जनवरी,
2023 को खदु ाबख्श की (हजसने ईसे ईस हत्या के हलए हगरफ्तार करने का
प्रयास हकया था) हत्या करने का अरोप है। जब वह हैदरबख्श की हत्या के
हलए अरोहपत हुअ, तब ईसका हवचारण खदु ाबख्श की हत्या के हलए हुअ।
ईसकी प्रहतरक्षा में ईपहस्थत साक्षी हैदरबख्श वाले मामले में साक्षी थे।
न्यायालय आससे ऄनमु ान कर सकता है हक क भल ु ावे में प़ि गया था और यह
गलती ताहववक थी।
धारा – 239 न्यायालय अरोप पररिहतगत कर सकता है- (1) कोइ भी न्यायालय हनणण य धारा 216 कोइ पररवतण न नहीं ।
सनु ाए जाने के पूवण हकसी समय हकसी भी अरोप में पररवतण न या पररवधण न कर
सकता है।
(2) ऐसा प्रत्येक पररवतण न या पररवधण न ऄहभयि ु को पढकर सनु ाया और
समझाया जाएगा।
(3) यहद अरोप में हकया गया पररवतण न या पररवधण न ऐसा है हक न्यायालय की
राय में हवचारण को तरु न्त अगे चलाने से ऄहभयि ु पर ऄपनी प्रहतरक्षा करने
में या ऄहभयोजक पर मामले के संचालन में कोइ प्रहतकूल प्रभाव प़िने की
संभावना नहीं है, तो न्यायालय ऐसे पररवतण न या पररवधण न के पश्चात्
स्वहववेकानस ु ार हवचारण को ऐसे अगे चला सकता है मानो पररवहतण त या
पररवहधण त अरोप ही मूल अरोप है।
(4) यहद पररवतण न या पररवधण न ऐसा है हक न्यायालय की राय में हवचारण को
तरु न्त अगे चलाने से आस बात की संभावना है हक ऄहभयि ु या ऄहभयोजक
पर पवू ोि रूप से प्रहतकूल प्रभाव प़िेगा तो न्यायालय या तो नये हवचारण का
हनदेश दे सकता है या हवचारण को आतनी ऄवहध के हलए, हजतनी अवश्यक
हो, स्थहगत कर सकता है।
(5) यहद पररवहतण त या पररवहधण त अरोप में कहथत ऄपराध ऐसा है, हजसके
ऄहभयोजन के हलए पूवण मंजूरी की अवश्यकता है, तो ईस मामले में ऐसी
मंजूरी ऄहभप्राप्त हकए हबना कोइ कायण वाही नहीं की जाएगी जब तक हक ईन्हीं
तथ्यों के अधार पर, हजन पर पररवहतण त या पररवहधण त अरोप अधाररत हैं,
ऄहभयोजन के हलए मंजरू ी पहले ही ऄहभप्राप्त नहीं कर ली गइ है।
धारा – 240 जब अरोप पररिहतगत हकया जाता है तब साहक्षयों का पनु ः बल ु ाया जाना- धारा 217 कोइ पररवतण न नहीं ।
जब कभी हवचारण प्रारमभ होने के पश्चात् न्यायालय द्वारा अरोप पररवहतण त या
पररवहधण त हकया जाता है, तब ऄहभयोजक और ऄहभयि ु को-
(क) हकसी ऐसे साक्षी को, हजसकी परीक्षा की जा चक ु ी है, पनु ः बलु ाने की या
पनु ः समन करने को और ईसकी ऐसे पररवतण न या पररवधण न के बारे में परीक्षा
करने की ऄनज्ञ ु ा दी जाएगी जब तक न्यायालय का ऐसे कारणों से, जो
लेखबद्ध हकए जाएंगे, यह हवचार नहीं है हक, ऄहभयोजक या ऄहभयि ु तंग
करने के या हवलमब करने के या न्याय के ईद्देश्यों को हवफल करने के प्रयोजन
से ऐसे साक्षी को पनु ः बल
ु ाना या ईसकी पनु ः परीक्षा करना चाहता है;
(ख) हकसी ऄन्य ऐसे साथी को भी, हजसे न्यायालय अवश्यक समझे, बल ु ाने
की ऄनज्ञ ु ा दी जाएगी।
ख-अरोपों का संयोजन
धारा – 241 सुहभन्न ऄपराधों के हलए पृथक् अरोप- (1) प्रत्येक सहु भन्न ऄपराध के धारा -
हलए, हजसका हकसी व्यहि पर ऄहभयोग है, पृथक् अरोप होगा और ऐसे 218
प्रत्येक अरोप का हवचारण पृथि हकया जाएगा : परन्तु जहां ऄहभयि ु व्यहि,
हलहखत अवेदन द्वारा, ऐसा चाहता है और महजस्रेट की राय है हक ईससे ऐसे
व्यहि पर प्रहतकूल प्रभाव नहीं प़िेगा वहां महजस्रेट ईस व्यहि के हवरुद्ध
हवरहचत सभी या हकन्हीं का हवचारण एक साथ कर सके गा।
अरोपों (2) ईपधारा (1) की कोइ बात धारा 242, धारा 243, धारा 244
और धारा 246 के ईपबन्धों के प्रवतण न पर प्रभाव नहीं डालेगी।
दृष्टान्त
क पर एक ऄवसर पर चोरी करने और दूसरे हकसी ऄवसर पर घोर ईपहहत
काररत करने का ऄहभयोग है। चोरी के हलए और घोर ईपहहत काररत करने के
हलए क पर पृथक् पृथक् अरोप लगाने होंगे और ईनका हवचारण पृथिः करना
होगा।
धारा – 242 एक ही िषग में हकए गए एक हकस्म के ऄपराधों का अरोप एक साथ लगाया धारा 219
जा सके - (1) जब हकसी व्यहि पर एक ही हकस्म के ऐसे एक से ऄहधक
ऄपराधों का ऄहभयोग है, ऐसे ऄपराधों में से पहले ऄपराध से लेकर ऄहन्तम
ऄपराध, बारह मास के ऄन्दर ही हकए गए हैं, चाहे वे एक ही व्यहि के बारे में
हकए गए हों या नहीं, तब ईस पर ईनमें से पांच से ऄनहधक हकतने ही
ऄपराधों के हलए एक ही हवचारण में अरोप लगाया और हवचारण हकया जा
सकता है।
(2) ऄपराध एक ही हकस्म के तब होते हैं जब वे भारतीय न्याय संहहता,
2023 या हकसी हवशेष या स्थानीय हवहध की एक ही धारा के ऄधीन समान
दण्ड से दण्डनीय होते हैं :
परन्तु आस धारा के प्रयोजनों के हलए यह समझा जाएगा हक भारतीय न्याय
संहहता, 2023 की धारा 301 की ईपधारा (2) के ऄधीन दण्डनीय ऄपराध
ईसी हकस्म का ऄपराध है हजस हकस्म का ईि संहहता की धारा 305 के
ऄधीन दण्डनीय ऄपराध है, और भारतीय न्याय संहहता, 2023 या हकसी
हवशेष या स्थानीय हवहध की हकसी धारा के ऄधीन दण्डनीय ऄपराध ईसी
हकस्म का ऄपराध है हजस हकस्म का ऐसे ऄपराध करने का प्रयत्न है, जब
ऐसा प्रयत्न ही ऄपराध हो।
धारा – 243 एक से ऄहधक ऄपराधों के हलए हिचारण- (1) यहद परस्पर समबद्ध ऐसे कायों धारा 220.
के , हजनसे एक ही संव्यवहार बनता है, एक िम में एक से ऄहधक ऄपराध एक
ही व्यहि द्वारा हकए गए हैं तो ऐसे प्रत्येक ऄपराध के हलए एक ही हवचारण में
ईस पर अरोप लगाया जा सकता है और ईसका हवचारण हकया जा सकता है।
(2) जब धारा 235 की ईपधारा (2) में या धारा 242 की ईपधारा (1) में
ईपबहन्धत रूप में, अपराहधक न्यासभंग या बेइमानी से समपहत्त के दहु वण हनयोग
के एक या ऄहधक ऄपराधों से अरोहपत हकसी व्यहि पर ईस ऄपराध या
ऄपराधों के हकए जाने को सक ु र बनाने या हछपाने के प्रयोजन से लेखाओं के
हमध्याकरण के एक या ऄहधक ऄपराधों का ऄहभयोग है, तब ईस पर ऐसे
प्रत्येक ऄपराध के हलए एक ही हवचारण में अरोप लगाया जा सकता है और
हवचारण हकया जा सकता है।
(3) यहद ऄहभकहथत कायों से तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध की, हजससे ऄपराध
पररभाहषत या दण्डनीय हााँ, दो या ऄहधक पृथक् पररभाषाओं में अने वाले
ऄपराध बनते हैं तो हजस व्यहि पर ईन्हें करने का ऄहभयोग है ईस पर ऐसे
ऄपराधों में से प्रत्येक के हलए एक ही हवचारण में अरोप लगाया जा सकता है
और हवचारण हकया जा सकता है।
(4) यहद कइ कायण , हजनमें से एक से या एक से ऄहधक से स्वयं ऄपराध बनते
हैं, हमलकर हभप्र ऄपराध बनते हैं तो ऐसे कायों से हमलकर बने ऄपराध के
हलए और ऐसे कायों में से हकसी एक या ऄहधक द्वारा बने हकसी ऄपराध के
हलए ऄहभयि ु व्यहि पर एक ही हवचारण में अरोप लगाया जा सकता है और
हवधारण हकया जा सकता है।
(5) आस धारा की कोइ बात भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 9 पर
प्रभाव नहीं डालेगी।
ईपधारा (1) के दृष्टान्त
(क) क एक व्यहि ख को, जो हवहधपणू ण ऄहभरक्षा में है, छु़िाता है और ऐसा
करने में कांस्टेबल ग को. हजसकी ऄहभरक्षा में ख है, घोर ईपहहत काररत
करता है। क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 121 को ईपधारा
(2) और धारा 263 के ऄधीन ऄपराधों के हलए अरोप लगाया जा सके गा
और वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(ख) क हदन में गृहभेदन आस अशय से करता है हक बलात्संग करे और ऐसे
प्रवेश हकए गए गृह में ख की पत्नी से जारकमण करता है। क पर भारतीय न्याय
संहहता, 2023 की धारा 64 और धारा 3 की ईपधारा (3) के ऄधीन अरोपों
के हलए पृथिः अरोप लगाया जा सके गा और वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(ग) क के कब्जे में कइ मद्रु ाएं हैं हजन्हें वह जानता है हक वे कूटकृ त हैं और
हजनके समबन्ध में वह यह अशय रखता है हक भारतीय न्याय संहहता, 2023
की धारा 337 के ऄधीन दण्डनीय कइ कूट रचनाएाँ करने के प्रयोजन से ईन्हें
ईपयोग में लाए। क पर प्रत्येक मद्रु ा पर कब्जे के हलए भारतीय न्याय संहहता,
2023 की धारा 341 की ईपधारा (2) के ऄधीन पृथिः अरोप लगाया जा
सके गा और वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(घ) ख को क्षहत काररत करने के अशय से क ईसके हवरुद्ध दाहण्डक
कायण वाही यह जानते हुए संहस्थत करता है हक ऐसी कायण वाही के हलए कोइ
न्यायसंगत या हवहधपूणण अधार नहीं है और ख पर ऄपराध करने का हमथ्या
ऄहभयोग, यह जानते हुए लगाता है हक ऐसे अरोप के हलए कोइ न्यायसंगत या
हवहधपणू ण अधार नहीं है। क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 248
के ऄधीन दण्डनीय दो ऄपराधों के हलए पृथिः अरोप लगाया जा सके गा और
वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(ङ) ख को क्षहत काररत करने के अशय से क ईस पर एक ऄपराध करने का
ऄहभयोग यह जानते हुए लगाता है हक ऐसे अरोप के हलए कोइ न्यायसंगत या
हवहधपूणण अधार नहीं है। हवचारण में ख के हवरुद्ध क आस अशय से हमथ्या
साक्ष्य देता है हक ईसके द्वारा ख को मृत्यु से दण्डनीय ऄपराध के हलए
दोषहसद्ध करवाए। क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 230 और
धारा 248 के ऄधीन ऄपराधों के हलए पृथि: अरोप लगाया जा सके गा और
वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(च) क छह ऄन्य व्यहियों के सहहत बलवा करने, घोर ईपहहत करने और ऐसे
लोक सेवक पर, जो ऐसे बलवे को दबाने का प्रयास ऐसे लोक सेवक के नाते
ऄपने कतण व्य का हनवण हन करने में कर रहा है, हमला करने का ऄपराध करता
है। क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 117 की ईपधारा (2),
धारा 191 की ईपधारा (2) और धारा 195 के ऄधीन ऄपराधों के हलए
पृथिः अरोप लगाया जा सके गा और वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(छ) ख, ग और घ के शरीर को क्षहत की धमकी क आस अशय से एक ही समय
देता है हक ईन्हें संत्रास काररत हकया जाए। क पर भारतीय न्याय संहहता,
2023 की धारा 351 को ईपधारा (2) और ईपधारा (3) के ऄधीन तीनों
ऄपराधों में से प्रत्येक के हलए पृथि: अरोप लगाया जा सके गा और वह
दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
दृष्टान्त (क) से लेकर (छ) तक में िमशः हनहदण ष्ट पृथक् अरोपों का हवचारण
एक ही समय हकया जा सके गा।
ईपधारा (3) के दृष्टान्त
(ज) क बेंत से ख पर सदोष अघात करता है। क पर भारतीय न्याय संहहता,
2023 की धारा 115 की ईपधारा (2) और धारा 131 के ऄधीन ऄपराधों के
हलए पृथिः अरोप लगाया जा सके गा और वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(झ) चरु ाए हुए धान्य के कइ बोरे क और ख को, जो यह जानते हैं हक वे चरु ाइ
हुइ समपहत्त है, आस प्रयोजन से दे हदए जाते हैं हक वे ईन्हें हछपा दें। तब क और
ख ईन बोरों को ऄनाज की खेती के तले में हछपाने में स्वेच्छया एक दूसरे की
मदद करते हैं। क और ख पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 317
की ईपधारा (2) और ईपधारा (5) के ऄधीन ऄपराधों के हलए पृथिः अरोप
लगाया जा सके गा और वे दोषहसद्ध हकए जा सकें गे।
(ञ) क ऄपने बालक को यह जानते हुए ऄरहक्षत डाल देती है हक यह संभाव्य
है हक ईससे वह ईसकी मृत्यु काररत कर दे। बालक ऐसे ऄरहक्षत डाले जाने के
पररणामस्वरूप मर जाता है। क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा
93 और धारा 105 के ऄधीन ऄपराधों के हलए पृथिः अरोप लगाया जा
सके गा और वह दोषहसद्ध की जा सके गी।
(ट) क कूटरहचत दस्तावेज को बेइमानी से ऄसली साक्ष्य के रूप में आसहलए
ईपयोग में लाता है हक एक लोक सेवक ख को भारतीय न्याय संहहता, 2023
की धारा 201 के ऄधीन ऄपराध के हलए दोषहसद्ध करे। क पर ईस संहहता की
(धारा 337 के साथ पहठत) धारा 233 और धारा 340 की ईपधारा (2) के
ऄधीन ऄपराधों के हलए पृथिः अरोप लगाया जा सके गा और वह दोषहसद्ध
हकया जा सके गा।
ईपधारा (4) का दृष्टान्त
(ठ) ख को क लूटता है और ऐसा करने में ईसे स्वेच्छया ईपहहत काररत करता
है। क पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 115 की ईपधारा (2)
और धारा 309 की ईपधारा (2) और ईपधारा (4) के ऄधीन ऄपराधों के
हलए पृथिः अरोप लगाया जा सके गा और वह दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
धारा – 244 जहां आस बारे में संदेह है हक कौन सा ऄपराध हकया गया है- (1) यहद कोइ धारा 221 कोइ पररवतण न नहीं ।
एक कायण या कायों का िम आस प्रकृ हत का है हक यह संदेह है हक ईन तथ्यों
से, जो हसद्ध हकए जा सकते हैं, कइ ऄपराधों में से कौन सा ऄपराध बनेगा तो
ऄहभयि ु पर ऐसे सब ऄपराध या ईनमें से कोइ करने का अरोप लगाया जा
सके गा और ऐसे अरोपों में से हकतनों पर एक साथ हवचारण हकया जा सके गा;
या ईस पर ईि ऄपराधों में से हकसी एक को करने का ऄनक ु लपतः अरोप
लगाया जा सके गा।
(2) यहद ऐसे मामले में ऄहभयि ु पर एक ऄपराध का अरोप लगाया गया है
और साक्ष्य से यह प्रतीत होता है हक ईसने हभन्न ऄपराध हकया है, हजसके
हलए ईस पर ईपधारा (1) के ईपबन्धों के ऄधीन अरोप लगाया जा सकता
था, तो वह ईस ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकया जा सके गा हजसका ईसके
द्वारा हकया जाना दहशण त है, यद्यहप ईसके हलए ईस पर अरोप नहीं लगाया गया
था।
दृष्टान्त
(क) क पर ऐसे कायण का ऄहभयोग है जो चोरी की, या चरु ाइ गइ समपहत्त प्राप्त
करने की, या अपराहधक न्यासभंग की, या छल की कोहट में अ सकता है।
ईस पर चोरी करने, चरु ाइ हुइ समपहत्त प्राप्त करने, अपराहधक न्यासभंग करने
और छल करने का अरोप लगाया जा सके गा या ईस पर चोरी करने का या
चोरी की समपहत्त प्राप्त करने का या अपराहधक न्यास-भंग करने का या छल
करने का अरोप लगाया जा सके गा।
(ख) उपर वहणण त मामले में क पर के वल चोरी का अरोप है। यह प्रतीत होता है
हक ईसने अपराहधक न्यास-भंग का या चरु ाइ हुइ समपहत्त प्राप्त करने का
ऄपराध हकया है। यह (यथाहस्थहत) अपराहधक न्यास-भंग या चरु ाइ हुइ
समपहत्त प्राप्त करने के हलए दोषहसद्ध हकया जा सके गा, यद्यहप ईस पर ईस
ऄपराध का अरोप नहीं लगाया गया था।
(ग) क महजस्रेट के समक्ष शपथ पर कहता है हक ईसने देखा हक ख ने ग को
लाठी मारी। सेशन न्यायालय के समक्ष क शपथ पर कहता है हक ख ने ग को
कभी नहीं मारा। यद्यहप यह साहबत नहीं हकया जा सकता हक आन दो परस्पर
हवरुद्ध कथनों में से कौन सा हमथ्या है तथाहप क पर साशय हमथ्या साक्ष्य देने
के हलए ऄनक ु लपतः अरोप लगाया जा सके गा और वह दोषहसद्ध हकया जा
सके गा।
धारा – 245 जब िह ऄपराध, जो साहबत हुअ है, अरोहपत ऄपराध के ऄन्तगगत है- (1) धारा 222
जब हकसी व्यहि पर ऐसे ऄपराध का अरोप है हजसमें कइ हवहशहष्टयां हैं,
हजनमें से के वल कुछ के संयोग से एक पूरा छोटा ऄपराध बनता है और ऐसा
संयोग साहबत हो जाता है हकन्तु शेष हवहशहष्टयां साहबत नहीं होती हैं तब वह
ईस छोटे ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकया जा सकता है यद्यहप ईस पर ईसका
अरोप नहीं था।
(2) जब हकसी व्यहि पर हकसी ऄपराध का अरोप लगाया गया है और ऐसे
तथ्य साहबत कर हदए जाते हैं जो ईसे घटाकर छोटा ऄपराध कर देते हैं तब
वह छोटे ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकया जा सकता है यद्यहप ईस पर ईसका
अरोप नहीं था।
(3) जब हकसी व्यहि पर हकसी ऄपराध का अरोप है तब वह ईस ऄपराध को
करने के प्रयत्न के हलए दोषहसद्ध हकया जा सकता है यद्यहप प्रयत्न के हलए
पृथक् अरोप न लगाया गया हो।
(4) आस धारा की कोइ बात हकसी छोटे ऄपराध के हलए, ईस दशा में
दोषहसहद्ध प्राहधकृ त करने वाली न समझी जाएगी हजसमें ऐसे छोटे ऄपराध के
बारे में कायण वाही शरू
ु करने के हलए ऄपेहक्षत शतें परू ी नहीं हुइ हैं।
दृष्टान्त
(क) क पर ईस समपहत्त के बारे में, जो वाहक के नाते ईसके पास न्यस्त है,
अपराहधक न्यासभंग के हलए भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 316
की ईपधारा (3) के ऄधीन अरोप लगाया गया है। यह प्रतीत होता है हक ईस
समपहत्त के बारे में धारा 316 को ईपधारा (2) के ऄधीन ईसने अपराहधक
न्यास-भंग तो हकया है हकन्तु वह ईसे वाहक के रूप में न्यस्त नहीं की गइ थी।
वह धारा 316 की ईपधारा (2) के ऄधीन अपराहधक न्यासभंग के हलए
दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
(ख) क पर घोर ईपहहत काररत करने के हलए भारतीय न्याय संहहता, 2023
की धारा 117 की ईपधारा (2) के ऄधीन अरोप है। वह साहबत कर देता है
हक ईसने घोर और अकहस्मक प्रकोपन पर कायण हकया था। वह ईस संहहता
की धारा 122 की ईपधारा (2) के ऄधीन दोषहसद्ध हकया जा सके गा।
धारा – 246 हकन व्यहियों पर संयुि रूप से अरोप लगाया जा सके गा - हनमनहलहखत धारा 223
व्यहियों पर एक साथ अरोप लगाया जा सके गा और ईनका एक साथ
हवचारण हकया जा सके गा, ऄथाण त् :-
(क) वे व्यहि, हजन पर एक ही संव्यवहार के ऄनि ु म में हकए गए एक ही
ऄपराध का ऄहभयोग
(ख) वे व्यहि, हजन पर हकसी ऄपराध का ऄहभयोग है और वे व्यहि, हजन पर
ऐसे ऄपराध का दष्ु प्रेरण या प्रयत्न करने का ऄहभयोग है;
(ग) वे व्यहि, हजन पर बारह मास की ऄवहध के भीतर संयि ु रूप में ईनके
द्वारा हकए गए धारा 242 के ऄथाण तगण त एक ही हकस्म के एक से ऄहधक
ऄपराधों का ऄहभयोग है;
(घ) वे व्यहि, हजन पर एक ही संव्यवहार के ऄनि ु म में हदए गए हभन्न ऄपराधों
का ऄहभयोग है:
(ड) वे व्यहि, हजन पर ऐसे ऄपराध का, हजसके ऄन्तगण त चोरी, ईद्दीपन, छल
या अपराहधक दहु बंहनयोग भी है, ऄहभयोग है और वे व्यहि, हजन पर ऐसी
समपहत्त को, हजसका कब्जा प्रथम नाहमत व्यहियों द्वारा हकए गए हकसी ऐसे
ऄपराध द्वारा ऄन्तररत हकया जाना ऄहभकहथत है, प्राप्त करने या रखे रखने या
ईसके व्ययन या हछपाने में सहायता करने का या हकसी ऐसे ऄहन्तम नाहमत
ऄपराध का दष्ु प्रेरण या प्रयत्न करने का ऄहभयोग है;
(च) वे व्यहि, हजन पर ऐसी चरु ाइ हुइ समपहत्त के बारे में, हजसका कब्जा एक
ही ऄपराध द्वारा ऄन्तररत हकया गया है, भारतीय न्याय संहहता, 2023 की
धारा 317 की ईपधारा (2) और ईपधारा (5) के , या ईन धाराओं में से हकसी
के ऄधीन ऄपराधों का ऄहभयोग है;
(छ) वे व्यहि, हजन पर भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄध्याय 10 के
ऄधीन कूटकृ त हसक्ट्के के समबन्ध में हकसी ऄपराध का ऄहभयोग है और वे
व्यहि हजन पर ईसी हसक्ट्के के संबधं में ईि ऄध्याय के ऄधीन हकसी भी
ऄन्य ऄपराध का या हकसी ऐसे ऄपराध का दष्ु प्रेरण या प्रयत्न करने का
ऄहभयोग है; और आस ऄध्याय के पूवणवती भाग के ईपबन्ध सब ऐसे अरोपों को
यथाशक्ट्य लागू होंगे:
परन्तु जहां ऄनेक व्यहियों पर पृथक् ऄपराधों का अरोप लगाया जाता है
और वे व्यहि आस धारा में हवहनहदण ष्ट कोहटयों में से हकसी में नहीं अते हैं वहां
महजस्रेट या सेशन न्यायालय ऐसे सब व्यहियों का हवचारण एक साथ कर
सकता है यहद ऐसे व्यहि हलहखत अवेदन द्वारा ऐसा चाहते हैं और महजस्रेट
या सेशन न्यायालय का समाधान हो जाता है हक ईससे ऐसे व्यहियों पर
प्रहतकूल प्रभाव नहीं प़िेगा और ऐसा करना समीचीन है।
धारा – 247 कइ अरोपों में से एक के हलए दोषहसहद्ध पर िेष अरोपों को िापस लेना- धारा - कोइ पररवतण न नहीं ।
जब एक ही व्यहि के हवरुद्ध ऐसा अरोप हवरहचत हकया जाता है हजसमें एक से 224
ऄहधक शीषण हैं और, जब ईनमें से एक या ऄहधक के हलए, दोषहसहद्ध कर दी
जाती है तब पररवादी, या ऄहभयोजन का संचालन करने वाला ऄहधकारी
न्यायालय की सममहत से शेष अरोप या अरोपों को वापस ले सकता है या
न्यायालय ऐसे अरोप या अरोपों की जांच या हवचारण स्वप्रेरणा से रोक
सकता है और ऐसे वापस लेने का प्रभाव ऐसे अरोप या अरोपों से दोषमहु ि
होगा; हकन्तु यहद दोषहसहद्ध ऄपास्त कर दी जाती है तो ईि न्यायालय
(दोषहसहद्ध ऄपास्त करने वाले न्यायालय के अदेश के ऄधीन रहते हुए) ऐसे
वापस हलए गए अरोप या अरोपों की जांच या हवचारण में अगे कायण वाही कर
सकता है।
ऄध्याय 19 - सेिन न्यायालय के समक्ष हिचारण
धारा – 248 हिचारण का संचालन लोक ऄहभयोजक द्वारा हकया जाना- सेशन न्यायालय कोइ पररवतण न नहीं ।
के समक्ष प्रत्येक हवचारण में, ऄहभयोजन का संचालन लोक ऄहभयोजक द्वारा धारा 225
हकया जाएगा।
धारा – 249 ऄहभयोजन के मामले के कथन का अरभभ - जब ऄहभयि ु धारा 232 के धारा 226
ऄधीन मामले की सपु दु ण गी के ऄनस ु रण में या ईस समय लागू हकसी ऄन्य
कानून के तहत अरोपी न्यायालय के समक्ष हाहजर होता है या लाया जाता है
तब ऄहभयोजक ऄपने मामले का कथन, ऄहभयि ु के हवरुद्ध लगाए गए अरोप
का वणण न करते हुए और यह बताते हुए अरमभ करेगा हक वह ऄहभयि ु के दोष
को हकस साक्ष्य से साहबत करने की प्रस्थापना करता है।
धारा – 250 ईन्मोचन - (1) यहद ऄहभयुि, धारा 232 के ऄधीन िाद की सुपुदगगी की धारा 227
तारीख से साठ हदन की ऄिहध के भीतर ईन्मोचन के हलए अिेदन कर
सके गा।
(2) यहद मामले के ऄहभलेख और ईसके साथ दी गइ दस्तावेजों पर हवचार
कर लेने पर, और आस हनहमत्त ऄहभयि ु और ऄहभयोजन के हनवेदन की
सनु वाइ कर लेने के पश्चात् न्यायाधीश यह समझता है हक ऄहभयि ु के हवरुद्ध
कायण वाही करने के हलए पयाण प्त अधार नहीं है तो वह ऄहभयि ु को ईन्मोहचत
कर देगा और ऐसा करने के ऄपने कारणों को लेखबद्ध करेगा।
धारा – 251 अरोप हिरहचत करना - (1) यहद पूवोि रूप से हवचार और सनु वाइ के धारा 228
पश्चात् न्यायाधीश की यह राय है हक ऐसी ईपधारणा करने का अधार है हक
ऄहभयि ु ने ऐसा ऄपराध हकया है, जो-
(क) ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय नहीं है तो वह, ऄहभयि ु के
हवरुद्ध अरोप हवरहचत कर सकता है और अदेश द्वारा, मामले को हवचारण के
हलए मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को ऄन्तररत कर सकता है या कोइ ऄन्य प्रथम
वगण न्याहयक महजस्रेट, ऐसी तारीख को जो वह ठीक समझे, ऄहभयि ु को
मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या प्रथम वगण न्याहयक महजस्रेट के समक्ष हाहजर होने
का हनदेश दे सके गा, और तब ऐसा महजस्रेट ईस मामले का हवचारण पहु लस
ररपोटण पर संहस्थत वारण्ट मामलों के हवचारण के हलए प्रहिया के ऄनस ु ार
करेगा;
(ख) ऄनन्यतः ईस न्यायालय द्वारा हवचारणीय है तो वह, ऄहभयि ु के हवरुद्ध
अरोप पर सुनिाइ की पहली तारीख से साठ हदन की ऄिहध के भीतर
अरोप हलहखत रूप में हवरहचत करेगा।
(2) जहां न्यायाधीश ईपधारा (1) के खण्ड (ख) के ऄधीन कोइ अरोप
हवरहचत करता है, वहां वह अरोप या तो शारीररक रूप से या श्रव्य दृश्य
आलैक्ट्राहनक साधनों से ईपहस्थत ऄहभयि ु को पढकर सनु ाया और समझाया
जाएगा और ऄहभयि ु से यह प छ
ू ा जाएगा हक क्ट्या वह ईस ऄपराध का,
हजसका अरोप लगाया गया है, दोषी होने का ऄहभवचन करता है या हवचारण
हकए जाने का दावा करता है।
धारा – 252 दोषी होने के ऄहभिचन - यहद ऄहभयि ु दोषी होने का ऄहभवचन करता है तो धारा 229 कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायाधीश ईस ऄहभवाक् को लेखबद्ध करेगा और ईसके अधार पर ईसे,
स्वहववेकानस ु ार, दोषहसद्ध कर सकता है।
धारा – 253 ऄहभयोजन साक्ष्य के हलए तारीख - यहद ऄहभयि ु ऄहभवचन करने से धारा 230
आन्कार करता है या ऄहभवचन नहीं करता है या हवचारण हकए जाने का दावा
करता है या धारा 252 के ऄधीन हसद्धदोष नहीं हकया जाता है तो न्यायाधीश
साहक्षयों की परीक्षा करने के हलए तारीख हनयत करेगा और ऄहभयोजन के
अवेदन पर हकसी साक्षी को हाहजर होने या कोइ दस्तावेज या ऄन्य चीज पेश
करने को हववश करने के हलए कोइ अदेहशका जारी कर सकता है।
धारा – 254 ऄहभयोजन के हलए साक्ष्य - (1) ऐसे हनयत तारीख पर न्यायाधीश, ऐसा सब धारा 231
साक्ष्य लेने के हलए ऄग्रसर होगा जो ऄहभयोजन के समथण न में पेश हकया जाए :
परन्तु आस ईपधारा के ऄधीन साक्षी का साक्ष्य, श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक
साधनों से ऄहभहलहखत हकया जा सकता है।
(2) हकसी लोक सेिक का श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से
साक्ष्य का ऄहभसाक्ष्य हलया जा सके गा।
(3) न्यायाधीश, स्वहववेकानस ु ार, हकसी साक्षी की प्रहतपरीक्षा तब तक के हलए,
जब तक हकसी ऄन्य साक्षी या साहक्षयों की परीक्षा न कर ली जाए, अस्थहगत
करने की ऄनज्ञ ु ा दे सकता है या हकसी साक्षी को ऄहतररि प्रहतपरीक्षा के हलए
पनु ः बलु ा सकता है।
धारा – 255 दोषमहु ि - यहद समबद्ध हवषय के बारे में ऄहभयोजन का साक्ष्य लेने, ऄहभयि ु धारा 232 कोइ पररवतण न नहीं ।
की परीक्षा करने और ऄहभयोजन और प्रहतरक्षा को सनु ने के पश्चात् न्यायाधीश
का यह हवचार है हक आस बात का साक्ष्य नहीं है हक ऄहभयि ु ने ऄपराध हकया
है तो न्यायाधीश दोषमहु ि का अदेश ऄहभहलहखत करेगा।
धारा – 256 प्रहतरक्षा अरभभ करना - (1) जहां ऄहभयि ु धारा 255 के ऄधीन दोषमि ु धारा 233
नहीं हकया जाता है जहां ईससे ऄपेक्षा की जाएगी हक ऄपनी प्रहतरक्षा अरमभ
करे और कोइ भी साक्ष्य जो ईसके समथण न में ईसके पास हो पेश करे।
(2) यहद ऄहभयि ु कोइ हलहखत कथन देता है तो न्यायाधीश ईसे ऄहभलेख में
फाआल करेगा।
(3) यहद ऄहभयि ु हकसी साक्षी को हाहजर होने या कोइ दस्तावेज या चीज पेश
करने को हववश करने के हलए कोइ अदेहशका जारी करने के हलए अवेदन
करता है तो न्यायाधीश ऐसी अदेहशका जारी करेगा जब तक ईसका ऐसे
कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, यह हवचार न हो हक अवेदन आस अधार
पर नामंजूर कर हदया जाना चाहहए हक वह तंग करने या हवलमब करने या न्याय
के ईद्देश्यों को हवफल करने के प्रयोजन से हकया गया है।
धारा – 257 बहस- जब प्रहतरक्षा के साहक्षयों की (यहद कोइ हो) परीक्षा समाप्त हो जाती है, धारा 234 कोइ पररवतण न नहीं ।
तो ऄहभयोजक ऄपने मामले का ईपसंहार करेगा और ऄहभयि ु या ईसका
ऄहधविा ईत्तर देने का हकदार होगा:
परन्तु जहां ऄहभयि ु या ईसका ऄहधविा कोइ हवहध-प्रश्न ईठाता है, वहां
ऄहभयोजन न्यायाधीश की ऄनज्ञ ु ा से, ऐसे हवहध-प्रश्नों पर ऄपना हनवेदन कर
सकता है।
धारा – 258 दोषमहु ि या दोषहसहद्ध का हनणगय (1) बहस और हवहध-प्रश्न (यहद कोइ हो) धारा 235
सनु ने के पश्चात् न्यायाधीश यथािीघ्र बहस पूणग होने की तारीख से तीस
हदन की ऄिहध के भीतर मामले में हनणगय देगा, हजसे ईन कारणों से
लेखबद्ध करते हुए पैंतालीस हदन की ऄिहध तक बढ़ाया जा सके गा।
(2) यहद ऄहभयि ु दोषहसद्ध हकया जाता है तो न्यायाधीश, ईस दशा के हसवाय
हजसमें वह धारा 401 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार कायण वाही करता है, दण्ड के
प्रश्न पर ऄहभयि ु को सनु ेगा और तब हवहध के ऄनस ु ार ईसके बारे में दण्डादेश
देगा।
धारा – 259 पूिग दोषहसहद्ध - ऐसे मामले में, हजसमें धारा 234 की ईपधारा (7) के धारा 236
ईपबन्धों के ऄधीन पूवण दोषहसहद्ध का अरोप लगाया गया है और ऄहभयि ु यह
स्वीकार नहीं करता है हक अरोप में हकए गए ऄहभकथन के ऄनस ु ार ईसे पहले
दोषहसद्ध हकया गया था, न्यायाधीश ईि ऄहभयि ु को धारा 252 या धारा
258 के ऄधीन दोषहसद्ध करने के पश्चात् ऄहभकहथत पूवण दोषहसहद्ध के बारे में
साक्ष्य ले सके गा और ईस पर हनष्कषण ऄहभहलहखत करेगा :
परन्तु जब तक ऄहभयि ु धारा 252 या धारा 258 के ऄधीन दोषहसद्ध नहीं
कर हदया जाता है, तब तक न तो ऐसा अरोप न्यायाधीश द्वारा पढकर सनु ाया
जाएगा, न ऄहभयि ु से ईस पर ऄहभवचन करने को कहा जाएगा, और न पूवण
दोषहसहद्ध का हनदेश ऄहभयोजन द्वारा, या ईसके द्वारा हदए गए हकसी साक्ष्य में,
हकया जाएगा।
धारा – 260 धारा 222 की ईपधारा (2) के ऄधीन संहस्थत मामलों में प्रहिया - (1) धारा 237
धारा 222 को ईपधारा (2) के ऄधीन ऄपराध का संज्ञान करने वाला सेशन
न्यायालय मामले का हवचारण, महजस्रे ट के न्यायालय के समक्ष पहु लस ररपोटण
से हभत्र अधार पर संहस्थत हकए गए, वारण्ट मामलों के हवचारण की प्रहिया के
ऄनस ु ार, करेगा : ऄपरन्तु जब तक सेशन न्यायालय ईन कारणों से, जो
लेखबद्ध हकए जाएंगे, ऄन्यथा हनदेश नहीं देता है ईस व्यहि की, हजसके
हवरुद्ध ऄपराध का हकया जाना ऄहभकहथत है, ऄहभयोजन के साक्षी के रूप में
परीक्षा को जाएगी।
(2) यहद हवचारण के दोनों पक्षकारों में से कोइ ऐसी वांछा करता है या यहद
न्यायालय ऐसा करना ठीक समझता है तो आस धारा के ऄधीन प्रत्येक हवचारण
बन्द कमरे में हकया जाएगा।
(3) यहद ऐसे हकसी मामले में न्यायालय सब ऄहभयि ु ों को या ईनमें से हकसी
को ईन्मोहचत या दोषमि ु करता है और ईसकी यह राय है हक ईनके या ईनमें
से हकसी के हवरुद्ध ऄहभयोग लगाने का ईहचत कारण नहीं था तो वह ईन्मोचन
या दोषमहु ि के ऄपने अदेश द्वारा (राष्रपहत या ईपराष्रपहत या हकसी राज्य
के राज्यपाल या हकसी संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक से हभन्न) ईस व्यहि को,
हजसके हवरुद्ध ऄपराध का हकया जाना ऄहभकहथत हकया गया था यह हनदेश
दे सके गा हक वह कारण दहशण त करे हक वह ईस ऄहभयि ु को या जब ऐसे
ऄहभयि ु एक से ऄहधक हैं तब ईनमें से प्रत्येक को या हकसी को प्रहतकर क्ट्यों
न दे।
(4) न्यायालय आस प्रकार हनहदष्ट व्यहि द्वारा दहशण त हकसी कारण को लेखबद्ध
करेगा और ईस पर हवचार करेगा और यहद ईसका समाधान हो जाता है हक
ऄहभयोग लगाने का कोइ ईहचत कारण नहीं था, तो वह पांच हजार रुपये से
ऄनहधक आतनी रकम का, हजतनी वह ऄवधाररत करे, प्रहतकर ईस व्यहि
द्वारा ऄहभयि ु को या, ईनमें से प्रत्येक को या हकसी को, हदए जाने का अदेश,
ईन कारणों से जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, दे सके गा।
(5) ईपधारा (4) के ऄधीन ऄहधहनणीत प्रहतकर ऐसे वसूल हकया जाएगा मानो
वह महजस्रेट द्वारा ऄहधरोहपत हकया गया जमु ाण ना हो।
(6) ईपधारा (4) के ऄधीन प्रहतकर देने के हलए हजस व्यहि को अदेश हदया
जाता है ईसे ऐसे अदेश के कारण आस धारा के ऄधीन हकए गए पररवाद के बारे
में हकसी हसहवल या दाहण्डक दाहयत्व से छूट नहीं दी जाएगी :
परन्तु ऄहभयि ु व्यहि को आस धारा के ऄधीन दी गइ कोइ रकम, ईसी मामले
से समबहन्धत हकसी पश्चात्वती हसहवल वाद में ईस व्यहि के हलए प्रहतकर
ऄहधहनणीत करते समय हहसाब में ली जाएगी।
(7) ईपधारा (4) के ऄधीन प्रहतकर देने के हलए हजस व्यहि को अदेश हदया
जाता है वह ईस अदेश की ऄपील, जहां तक वह प्रहतकर के संदाय के
समबन्ध में है, ईच्च न्यायालय में कर सकता है।
(8) जब हकसी ऄहभयि ु व्यहि को प्रहतकर हदए जाने का अदेश हकया जाता
है, तब ईसे ऐसा प्रहतकर, ऄपील पेश करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध के बीत
जाने के पवू ण , या यहद ऄपील पेश कर दी गइ है तो ऄपील के हवहनहश्चत कर हदए
जाने के पूवण, नहीं हदया जाएगा।
ऄध्याय 20 - महजस्रेटों द्वारा िारण्ट-मामलों का हिचारण
क- पुहलस ररपोटग पर संहस्थत मामले
धारा – 261 धारा 230 का ऄनुपालन - जब पहु लस ररपोटण पर संहस्थत हकसी वारण्ट- धारा 238
मामले में ऄहभयि ु हवचारण के प्रारमभ में महजस्रेट के समक्ष हाहजर होता है या
लाया जाता है तब महजस्रेट ऄपना यह समाधान कर लेगा हक ईसने धारा
230 के ईपबन्धों का ऄनपु ालन कर हलया है।
धारा – 262 जब ऄहभयुि का ईन्मोचन हकया जाएगा - (1) यहद ऄहभयुि, धारा 230 धारा 239
के ऄधीन दस्तािेजों की प्रहतयां देने की तारीख से साठ हदन की ऄिहध के
भीतर ईन्मोचन के हलए अिेदन कर सके गा।
(2) यहद धारा 193 के ऄधीन पहु लस ररपोटण और ईसके साथ भेजी गइ
दस्तावेजों पर हवचार कर लेने पर और ऄहभयि ु की , या तो व्यहिगत रूप से
या श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों द्वारा, ऐसी परीक्षा, यहद कोइ हो जैसी
महजस्रेट अवश्यक समझे कर लेने पर और ऄहभयोजन और ऄहभयि ु को
सनु वाइ का ऄवसर देने के पश्चात् महजस्रेट ऄहभयि ु के हवरुद्ध अरोप को
हनराधार समझता है तो वह ईसे ईन्मोहचत कर देगा और ऐसा करने के ऄपने
कारण लेखबद्ध करेगा।
धारा – 263 अरोप हिरहचत करना - (1) यहद ऐसे हवचार, परीक्षा, यहद कोइ हो, और धारा 240
सनु वाइ कर लेने पर महजस्रेट की यह राय है हक ऐसी ईपधारणा करने का
अधार है हक ऄहभयि ु ने आस ऄध्याय के ऄधीन हवचारणीय ऐसा ऄपराध
हकया है हजसका हवचारण करने के हलए, वह महजस्रेट सक्षम है और जो
ईसकी राय में ईसके द्वारा पयाण प्त रूप से दहण्डत हकया जा सकता है तो वह
ऄहभयि ु के हवरुद्ध अरोप की पहली सुनिाइ की तारीख से साठ हदन की
ऄिहध के भीतर हलहखत रूप में हिरहचत करेगा।
(2) तब वह अरोप ऄहभयि ु को पढकर सनु ाया और समझाया जाएगा और
ईससे यह पूछा जाएगा हक क्ट्या वह ईस ऄपराध का, हजसका अरोप लगाया
गया है दोषी होने का ऄहभवाक् करता है या हवचारण हकए जाने का दावा करता
है।
धारा – 264 दोषी होने के ऄहभिाक् पर दोषहसहद्ध - यहद ऄहभयि ु दोषी होने का धारा 241 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहभवाक् करता है तो महजस्रेट ईस ऄहभवाक् को लेखबद्ध करेगा और ईसके
अधार पर ईसे, स्वहववेकानस ु ार, दोषहसद्ध कर सके गा।
धारा – 265 ऄहभयोजन के हलए साक्ष्य (1) यहद ऄहभयि ु ऄहभवाक् करने से आन्कार धारा 242
करता है या ऄहभवाक् नहीं करता है या हवचारण हकए जाने का दावा करता है
या महजस्रेट ऄहभयि ु को धारा 264 के ऄधीन दोषहसद्ध नहीं करता है तो वह
महजस्रेट साहक्षयों की परीक्षा के हलए तारीख हनयत करेगा : परन्तु महजस्रेट
ऄहभयि ु को पहु लस द्वारा ऄन्वेषण के दौरान ऄहभहलहखत हकए गए साहक्षयों के
कथन ऄहग्रम रूप से प्रदाय करेगा। (2) महजस्रेट, ऄहभयोजन के अवेदन पर
ईसके साहक्षयों में से हकसी को हाहजर होने या कोइ दस्तावेज या ऄन्य चीज
पेश करने का हनदेश देने वाला समन जारी कर सकता है।
(3) ऐसी हनयत तारीख पर महजस्रेट ऐसा सब साक्ष्य लेने के हलए ऄग्रसर
होगा जो ऄहभयोजन के समथण न में पेश हकया जाता है :
परन्तु महजस्रेट हकसी साक्षी की प्रहतपरीक्षा तब तक के हलए, जब तक हकसी
ऄन्य साक्षी या साहक्षयों की परीक्षा नहीं कर ली जाती है, स्थहगत करने की
ऄनज्ञु ा दे सके गा या हकसी साक्षी को ऄहतररि प्रहतपरीक्षा के हलए पनु ः बल ु ा
सके गा :
परन्तु यह और हक आस ईपधारा के ऄधीन हकसी साक्षी की परीक्षा, राज्य
सरकार द्वारा ऄहधसूहचत हकए जाने िाले ऄहभहहत स्थान पर श्रव्य दृश्य
आलैक्ट्राहनक साधनों से की जा सके गी।
धारा – 266 प्रहतरक्षा का साक्ष्य - (1) तब ऄहभयि ु से ऄपेक्षा की जाएगी हक वह ऄपनी धारा 243
प्रहतरक्षा अरमभ करे और ऄपना साक्ष्य पेश करें; और यहद ऄहभयि ु कोइ
हलहखत कथन देता है तो महजस्रेट ईसे ऄहभलेख में फाआल करेगा।
(2) यहद ऄहभयि ु ऄपनी प्रहतरक्षा अरमभ करने के पश्चात् महजस्रेट से
अवेदन करता है हक वह परीक्षा या प्रहतपरीक्षा के , या कोइ दस्तावेज या ऄन्य
चीज पेश करने के प्रयोजन से हाहजर होने के हलए हकसी साथी को हववश
करने के सा जो बदलने आस जारी करे तो, महजस्रेट ऐसी अदेहशका जारी
करेगा जब 12 ईसका यह चाहहए हक करेगा जब तक या हवलमब करने के या
न्याय के ईद्देश्यों को हवफल करने के प्रयोजन से हकया गया है, और ऐसा
कारण ईसके द्वारा लेखबद्ध हकया जाएगा:
परन्तु जब ऄपनी प्रहतरक्षा अरमभ करने के पूवण ऄहभयि ु ने हकसी साक्षी की
प्रहतपरीक्षा कर ली है या ईसे प्रहतपरीक्षा करने का ऄवसर हमल चक ु ा है तब
ऐसे साक्षी को हाहजर होने के हलए आस धारा के ऄधीन तब तक हववश नहीं
हकया जाएगा जब तक महजस्रेट का यह समाधान नहीं हो जाता है हक ऐसा
करना न्याय के प्रयोजनों के हलए अवश्यक है :
परन्तु यह और हक आस ईपधारा के ऄधीन हकसी साक्षी की परीक्षा राज्य
सरकार द्वारा ऄहधसूहचत हकए जाने िाले हकसी ऄहभहहत स्थान पर श्रव्य-
दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों द्वारा की जा सके गी
(3) महजस्रेट ईपधारा (2) के ऄधीन हकसी अवेदन पर हकसी साक्षी को समन
करने के पूवण यह ऄपेक्षा कर सकता है हक हवचारण के प्रयोजन के हलए हाहजर
होने में ईस साक्षी द्वारा हकए जाने वाले ईहचत व्यय न्यायालय में जमा कर हदए
जाएं।
ख-पहु लस ररपोटण से हभन्न अधार पर संहस्थत मामले
धारा – 267 ऄहभयोजन का साक्ष्य - (1) जब पहु लस ररपोटण से हभन्न अधार पर संहस्थत धारा 244 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी वारण्ट- मामले में महजस्रेट के समक्ष ऄहभयि ु हाहजर होता है या लाया
जाता है तब महजस्रेट ऄहभयोजन को सनु ने के हलए और ऐसा सब साक्ष्य लेने
के हलए ऄग्रसर होगा जो ऄहभयोजन के समथण न में पेश हकया जाए।
(2) महजस्रेट, ऄहभयोजन के अवेदन पर, ईसके साहक्षयों में से हकसी को
हाहजर होने या कोइ दस्तावेज या ऄन्य चीज पेश करने का हनदेश देने वाला
समन जारी कर सकता है।
धारा – 268 ऄहभयुि को कब ईन्मोहचत हकया जाएगा - (1) यहद धारा 267 में हनहदण ष्ट धारा 245
सब साक्ष्य लेने पर महजस्रेट का, ईन कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, यह
हवचार है हक ऄहभयि ु के हवरुद्ध ऐसा कोइ मामला हसद्ध नहीं हुअ है जो
ऄखहण्डत रहने पर ईसकी दोषहसहद्ध के हलए समहु चत अधार हो तो महजस्रेट
ईसको ईन्मोहचत कर देगा।
(2) आस धारा की कोइ बात महजस्रेट को मामले के हकसी पूवणतन प्रिम में
ऄहभयि ु को ईस दशा में ईन्मोहचत करने से हनवाररत करने वाली न समझी
जाएगी हजसमें ऐसा महजस्रेट ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, यह
हवचार करता है हक अरोप हनराधार है।
धारा – 269 प्रहिया, जहां ऄहभयुि ईन्मोहचत नहीं हकया जाता - (1) यहद ऐसा साक्ष्य धारा 246
ले हलए जाने पर या मामले के हकसी पूवणतन प्रिम में महजस्रेट की यह राय है
हक ऐसी ईपधारणा करने का अधार है हक ऄहभयि ु ने आस ऄध्याय के ऄधीन
हवचारणीय ऐसा ऄपराध हकया है हजसका हवचारण करने के हलए वह महजस्रेट
सक्षम है और जो ईसकी राय में ईसके द्वारा पयाण प्त रूप से दहण्डत हकया जा
सकता है तो वह ऄहभयि ु के हवरुद्ध अरोप हलहखत रूप में हवरहचत करेगा।
(2) तब वह अरोप ऄहभयि ु को पढकर सनु ाया और समझाया जाएगा और
ईससे पूछा जाएगा हक क्ट्या वह दोषी होने का ऄहभवाक् करता है ऄथवा
प्रहतरक्षा करना चाहता है।
(3) यहद ऄहभयि ु दोषी होने का ऄहभवाक् करता है, तो महजस्रेट ईस
ऄहभवाक् को लेखबद्ध करेगा और ईसके अधार पर ईसे, स्वहववेकानस ु ार,
दोषहसद्ध कर सके गा।
(4) यहद ऄहभयि ु ऄहभवाक् करने से आन्कार करता है या ऄहभवाक् नहीं
करता है या हवचारण हकए जाने का दावा करता है या यहद ऄहभयि ु को
ईपधारा (3) के ऄधीन दोषहसद्ध नहीं हकया जाता है तो ईससे ऄपेक्षा की
जाएगी हक वह मामले की ऄगली सनु वाइ के प्रारमभ में, या, यहद महजस्रेट ईन
कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, ऐसा ठीक समझता है तो, तत्काल बताए
हक क्ट्या वह ऄहभयोजन के ईन साहक्षयों में में, हजनका साक्ष्य हलया जा चक ु ा
है, हकसी की प्रहतपरीक्षा करना चाहता है और, यहद करना चाहता है तो हकस
की।
(5) यहद वह कहता है हक वह ऐसा चाहता है तो ईसके द्वारा नाहमत साहक्षयों
को पनु ः बल ु ाया जाएगा और प्रहतपरीक्षा के और पनु :परीक्षा (यहद कोइ हो) के
पश्चात् वे ईन्मोहचत कर हदए जाएंगे।
(6) हफर ऄहभयोजन के हकन्हीं शेष साहक्षयों का साक्ष्य हलया जाएगा और
प्रहतपरीक्षा के और पनु ःपरीक्षा (यहद कोइ हो) के पश्चात् वे भी ईन्मोहचत कर
हदए जाएंगे।
(7) जहां आस संहहता के ऄधीन ऄहभयोजन को ऄिसर हदए जाने के
बािजूद और सभी युहियुि ईपाय हकए जाने के पश्चात्, यहद ईपधारा (5)
और ईपधारा (6) के ऄधीन ऄहभयोजन साहक्षयों की ईपहस्थहत
प्रहतपरीक्षा के हलए सुहनहश्चत नहीं की जा सकती है, तो यह माना जाएगा
हक ऐसा साक्षी परीक्षा हकए जाने के हलए ईपलब्ध नहीं हुअ है, और
महजस्रेट ऐसे कारणों से जो ऄहभहलहखत हकए जाएं ऄहभयोजन साक्ष्य को
बंद कर सके गा और ऄहभलेख पर की सामहग्रयों के अधार पर मामले में
कायगिाही कर सके गा।
धारा – 270 प्रहतरक्षा का साक्ष्य - तब ऄहभयि ु से ऄपेक्षा की जाएगी हक वह ऄपनी धारा 247
प्रहतरक्षा अरमभ करे और ऄपना साक्ष्य पेश करे और मामले को धारा 266 के
ईपबन्ध लागू होंगे।
ग-हवचारण की समाहप्त
धारा – 271 दोषमहु ि या दोषहसहद्ध- (1) यहद आस ऄध्याय के ऄधीन हकसी मामले में, धारा 248
हजसमें अरोप हवरहचत हकया गया है, महजस्रेट आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक
ऄहभयि ु दोषी नहीं है तो वह दोषमहु ि का अदेश ऄहभहलहखत करेगा।
(2) जहां आस ऄध्याय के ऄधीन हकसी मामले में महजस्रेट आस हनष्कषण पर
पहुंचता है हक ऄहभयि ु दोषी है हकन्तु वह धारा 364 या धारा 401 के
ईपबन्धों के ऄनस ु ार कायण वाही नहीं करता है वहां वह दण्ड के प्रश्न पर
ऄहभयि ु को सनु ने के पश्चात् हवहध के ऄनसु ार ईसके बारे में दण्डादेश दे
सकता है।
(3) जहां आस ऄध्याय के ऄधीन हकसी मामले में धारा 234 की ईपधारा (7)
के ईपबन्धों के ऄधीन पूवण दोषहसहद्ध का अरोप लगाया गया है और ऄहभयि ु
यह स्वीकार नहीं करता है हक अरोप में हकए गए ऄहभकथन के ऄनस ु ार ईसे
पहले दोषहसद्ध हकया गया था वहां महजस्रेट ईि ऄहभयि ु को दोषहसद्ध करने
के पश्चात् ऄहभकहथत पूवण दोषहसहद्ध के बारे में साक्ष्य ले सके गा और ईस पर
हनष्कषण ऄहभहलहखत करेगा:
परन्तु जब तक ऄहभयि ु ईपधारा (2) के ऄधीन दोषहसद्ध नहीं कर हदया जाता
है तब तक न तो ऐसा अरोप महजस्रेट द्वारा पढकर सनु ाया जाएगा, न
ऄहभयि ु से ईस पर ऄहभवचन करने को कहा जाएगा, और न पूवण दोषहसहद्ध
का हनदेश ऄहभयोजन द्वारा, या ईसके द्वारा हदए गए हकसी साक्ष्य में, हकया
जाएगा।
धारा – 272 पररिादी की ऄनुपहस्थहत - जब कायण वाही पररवाद पर संहस्थत की जाती है धारा 249
और मामले की सनु वाइ के हलए हनयत हकसी हदन पररवादी ऄनपु हस्थत है और
ऄपराध का हवहधपूवणक शमन हकया जा सकता है या वह संज्ञेय ऄपराध नहीं है
तब महजस्रेट 30 हदन का समय दे सकता है, आसमें आसके पूवण हकसी बात के
होते हुए भी, अरोप के हवरहचत हकए जाने के पूवण हकसी भी समय ऄहभयि ु
को, स्वहववेकानस ु ार, ईन्मोहचत कर संकेगा।
धारा – 273 ईहचत कारण के हबना ऄहभयोग के हलए प्रहतकर- (1) यहद पररवाद पर या धारा 250
पहु लस ऄहधकारी या महजस्रेट को दी गइ आहत्तला पर संहस्थत हकसी मामले में
महजस्रेट के समक्ष एक या ऄहधक व्यहियों पर महजस्रेट द्वारा हवचारणीय
हकसी ऄपराध का ऄहभयोग है और वह महजस्रेट हजसके द्वारा मामले की
सनु वाइ होती है, सब ऄहभयि ु ों को या ईनमें से हकसी को ईन्मोहचत या
दोषमि ु कर देता है और ईसकी यह राय है हक ईनके या ईनमें से हकसी के
हवरुद्ध ऄहभयोग लगाने का कोइ ईहचत कारण नहीं था तो वह महजस्रेट
ईन्मोचन या दोषमहु ि के ऄपने अदेश द्वारा, यहद वह व्यहि हजसके पररवाद
या आहत्तला पर ऄहभयोग लगाया गया था ईपहस्थत है तो ईससे ऄपेक्षा कर
सके गा हक वह तत्काल कारण दहशण त करे हक वह ईस ऄहभयि ु को, या जब
ऐसे ऄहभयि ु एक से ऄहधक हैं तो ईनमें से प्रत्येक को या हकसी को प्रहतकर
क्ट्यों न दे या यहद ऐसा व्यहि ईपहस्थत नहीं है तो हाहजर होने और ईपयण ि ु
रूप से कारण दहशण त करने के हलए ईसके नाम समन जारी हकए जाने का
हनदेश दे सके गा।
(2) महजस्रेट ऐसा कोइ कारण, जो ऐसा पररवादी या आहत्तला देने वाला दहशण त
करता है, ऄहभहलहखत करेगा और ईस पर हवचार करेगा और यहद ईसका
समाधान हो जाता है हक ऄहभयोग लगाने का कोइ ईहचत कारण नहीं था तो
हजतनी रकम का जमु ाण ना करने के हलए वह सशि है, ईससे ऄनहधक आतनी
रकम का, हजतनी वह ऄवधाररत करे, प्रहतकर ऐसे पररवादी या आहत्तला देने
वाले द्वारा ऄहभयि ु को या ईनमें से प्रत्येक को या हकसी को हदए जाने का
अदेश, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, दे सके गा।
(3) महजस्रेट ईपधारा (2) के ऄधीन प्रहतकर हदए जाने का हनदेश देने वाले
अदेश द्वारा यह ऄहतररि अदेश दे सके गा हक वह व्यहि, जो ऐसा प्रहतकर
देने के हलए अहदष्ट हकया गया है, संदाय में व्यहतिम होने पर तीस हदन से
ऄनहधक की ऄवहध के हलए सादा कारावास भोगेगा।
(4) जब हकसी व्यहि को ईपधारा (3) के ऄधीन कारावास हदया जाता है तब
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 8 की ईपधारा (6) के ईपबन्ध, जहां
तक हो सके , लागू होंगे।
(5) आस धारा के ऄधीन प्रहतकर देने के हलए हजस व्यहि को अदेश हदया
जाता है, ऐसे अदेश के कारण ईसे ऄपने द्वारा हकए गए हकसी पररवाद या दी
गइ हकसी आहत्तला के बारे में हकसी हसहवल या दाहण्डक दाहयत्व से छूट नहीं दी
जाएगी :
परन्तु ऄहभयि ु व्यहि को आस धारा के ऄधीन दी गइ कोइ रकम ईसी मामले
से समबहन्धत हकसी पश्चात्वती हसहवल वाद में ईस व्यहि के हलए प्रहतकर
ऄहधहनणीत करते समय हहसाब में ली जाएगी।
(6) कोइ पररवादी या आहत्तला देने वाला, जो हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा
ईपधारा (2) के ऄधीन दो हजार रुपये से ऄहधक प्रहतकर देने के हलए अहदष्ट
हकया गया है, ईस अदेश की ऄपील ऐसे कर सके गा मानो वह पररवादी या
आहत्तला देने वाला ऐसे महजस्रेट द्वारा हकए गए हवचारण में दोषहसद्ध हकया गया
है।
(7) जब हकसी ऄहभयि ु व्यहि को ऐसे मामले में, जो ईपधारा (6) के ऄधीन
ऄपीलनीय है, प्रहतकर हदए जाने का अदेश हकया जाता है तब ईसे ऐसा
प्रहतकर, ऄपील पेश करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध के बीत जाने के पूवण या
यहद ऄपील पेश कर दी गइ है तो ऄपील के हवहनहश्चत कर हदए जाने के पूवण न
हदया जाएगा और जहां ऐसा अदेश ऐसे मामले में हुअ है, जो ऐसे ऄपीलनीय
नहीं है, वहां ऐसा प्रहतकर अदेश की तारीख से एक मास की समाहप्त के पूवण
नहीं हदया जाएगा।
(8) आस धारा के ईपबन्ध समन-मामलों तथा वारण्ट-मामलों दोनों को लागू
होंगे।
धारा – 274 ऄहभयोग का सारांि बताया जाना- जब समन-मामले में ऄहभयि ु महजस्रेट धारा 251
के समक्ष हाहजर होता है या लाया जाता है, तब ईसे ईस ऄपराध की
हवहशहष्टयां बताइ जाएंगी हजसका ईस पर ऄहभयोग है, और ईससे पूछा जाएगा
हक क्ट्या वह दोषी होने का ऄहभवाक् करता है या प्रहतरक्षा करना चाहता है;
हकन्तु यथा रीहत अरोप हवरहचत करना अवश्यक न होगा :
परन्तु महजस्रेट ऄहभयोग को, अधारहीन समझता है, तो िह ऐसे कारणों
से जो ऄहभहलहखत हकए जाएं, ऄहभयुि को हनमगि ु करेगा और ऐसी
हनमगहु ि का प्रभाि ईन्मोचन होगा।
धारा – 275 दोषी होने के ऄहभिाक् पर दोषहसहद्ध - यहद ऄहभयि ु दोषी होने का धारा 252
ऄहभवाक् करता है तो महजस्रेट ऄहभयि ु का ऄहभवाक् यथासमभव ईन्हीं
शब्दों में लेखबद्ध करेगा हजनका ऄहभयि ु ने प्रयोग हकया है और ईसके अधार
पर ईसे, स्वहववेकानस ु ार, दोषहसद्ध कर सके गा।
धारा – 276 छोटे मामलों में ऄहभयुि की ऄनुपहस्थहत में दोषी होने के ऄहभिाक् पर धारा 253
दोषहसहद्ध - (1) जहां धारा 229 के ऄधीन समन जारी हकया जाता है और
ऄहभयि ु महजस्रेट के समक्ष हाहजर हुए हबना अरोप का दोषी होने का
ऄहभवाक् करना चाहता है, वहां वह ऄपना ऄहभवाक् ऄन्तहवण ष्ट करने वाला एक
पत्र और समन में हवहनहदण ष्ट जमु ाण ने की रकम डाक या संदेशवाहक द्वारा
महजस्रेट को भेजेगा।
(2) तब महजस्रेट, स्वहववेकानस ु ार, ऄहभयि ु को ईसके दोषी होने के
ऄहभवाक् के अधार पर ईसकी ऄनपु हस्थहत में दोषहसद्ध करेगा और समन में
हवहनहदण ष्ट जमु ाण ना देने के हलए दण्डादेश देगा और ऄहभयि ु द्वारा भेजी गइ रकम
ईस जमु ाण ने में समायोहजत की जाएगी या जहां ऄहभयि ु द्वारा आस हनहमत्त
प्राहधकृ त ऄहधविा ऄहभयि ु की ओर से ईसके दोषी होने का ऄहभवाक् करता
है वहां महजस्रेट यथासमभव ऄहधविा द्वारा प्रयि ु हकए गए शब्दों में ऄहभवाक्
को लेखबद्ध करेगा और स्वहववेकानस ु ार ईस ऄहभयि ु को ऐसे ऄहभवाक् पर
दोषहसद्ध कर सके गा और ईसे यथापूवोि दण्डादेश दे सके गा।
धारा – 277 प्रहिया जब दोषहसद्ध न हकया जाए- (1) यहद महजस्रेट ऄहभयि ु को धारा धारा 254
275 या धारा 276 के ऄधीन दोषहसद्ध नहीं करता है तो वह ऄहभयोजन को
सनु ने के हलए और सब ऐसा साक्ष्य, जो ऄहभयोजन के समथण न में पेश हकया
जाए, लेने के हलए और ऄहभयि ु को भी सनु ने के हलए और सब ऐसा साक्ष्य,
जो वह ऄपनी प्रहतरक्षा में पेश करे, लेने के हलए, ऄग्रसर होगा।
(2) यहद महजस्रेट ऄहभयोजन या ऄहभयि ु के अवेदन पर ठीक समझता है,
तो वह हकसी साक्षी को हाहजर होने या कोइ दस्तावेज या ऄन्य चीज पेश करने
का हनदेश देने वाला समन जारी कर सकता है।
(3) महजस्रेट ऐसे अवेदन पर हकसी साक्षी को समन करने के पूवण यह ऄपेक्षा
कर सकता है हक हवचारण के प्रयोजनों के हलए हाहजर होने में हकए जाने वाले
ईसके ईहचत व्यय न्यायालय में जमा कर हदए जाएं।
धारा – 278 दोषमहु ि या दोषहसहद्ध- (1) यहद महजस्रेट धारा 277 में हनहदण ष्ट साक्ष्य और धारा 255
ऐसा ऄहतररि साक्ष्य, यहद कोइ हो, जो वह स्वप्रेरणा से पेश करवाए, लेने पर
आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयि ु दोषी नहीं है तो वह दोषमहु ि का
अदेश ऄहभहलहखत करेगा।
(2) जहां महजस्रेट धारा 364 या धारा 401 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार
कायण वाही नहीं करता है, वहां यहद वह आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयि ु
दोषी है तो वह हवहध के ऄनस ु ार ईसके बारे में दण्डादेश दे सके गा।
(3) कोइ महजस्रेट, धारा 275 या धारा 278 के ऄधीन, हकसी ऄहभयि ु को,
चाहे पररवाद या समन हकसी भी प्रकार का रहा हो, आस ऄध्याय के ऄधीन
हवचारणीय हकसी भी ऐसे ऄपराध के हलए, जो स्वीकृ त या साहबत तथ्यों से
ईसके द्वारा हकया गया प्रतीत होता है, दोषहसद्ध कर सकता है यहद महजस्रेट
का समाधान हो जाता है हक ईससे ऄहभयि ु पर कोइ प्रहतकूल प्रभाव नहीं
प़िेगा।
धारा – 279 पररिादी का हाहजर न होना या ईसकी मत्ृ यु - (1) यहद पररवाद पर समन धारा 256
जारी कर हदया गया हो और ऄहभयि ु की हाहजरी के हलए हनयत हदन, या
ईसके पश्चात्वती हकसी हदन, हजसके हलए सनु वाइ स्थहगत की जाती है,
पररवादी हाहजर नहीं होता है तो, महजस्रेट पररिादी को ईपहस्थत होने के
हलए तीस हदन का समय देने के पश्चात् आसमें आसके पूवण हकसी बात के होते
हुए भी, ऄहभयि ु को दोषमि ु कर देगा जब तक हक वह हकन्हीं कारणों से
हकसी ऄन्य हदन के हलए मामले की सनु वाइ स्थहगत करना ठीक न समझे:
परन्तु जहां पररवादी का प्रहतहनहधत्व ऄहधविा द्वारा या ऄहभयोजन का
संचालन करने वाले ऄहधकारी द्वारा हकया जाता है या जहां महजस्रेट की यह
राय है हक पररवादी की वैयहिक हाहजरी अवश्यक नहीं है वहां महजस्रेट
ईसकी हाहजरी से ईसे ऄहभमहु ि दे सकता है और मामले में कायण वाही कर
सकता है।
(2) ईपधारा (1) के ईपबन्ध, जहां तक हो सके , ईन मामलों को भी लागू होंगे,
जहां पररवादी के हाहजर न होने का कारण ईसकी मृत्यु है।
धारा – 280 पररिाद को िापस लेना - यहद पररवादी हकसी मामले में आस ऄध्याय के धारा 257 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄधीन ऄहन्तम अदेश पाररत हकए जाने के पूवण हकसी समय महजस्रेट का
समाधान कर देता है हक ऄहभयि ु के हवरुद्ध, या जहां एक से ऄहधक ऄहभयि ु
हैं वहां ईन सब या ईनमें से हकसी के हवरुद्ध ईसका पररवाद वापस लेने की
ईसे ऄनज्ञ ु ा देने के हलए पयाण प्त अधार है तो महजस्रेट ईसे पररवाद वापस लेने
की ऄनज्ञ ु ा दे सके गा और तब ईस ऄहभयि ु को, हजसके हवरुद्ध पररवाद आस
प्रकार वापस हलया जाता है, दोषमि ु कर देगा।
धारा – 281 कहतपय मामलों में कायगिाही रोक देने की िहि-पररवाद से हभन्न अधार धारा 258 कोइ पररवतण न नहीं ।
पर संहस्थत हकसी समन-मामले में कोइ प्रथम वगण महजस्रेट, या मख्ु य
न्याहयक महजस्रेट की पूवण मंजूरी से कोइ ऄन्य न्याहयक महजस्रेट ऐसे कारणों
से, जो ईसके द्वारा लेखबद्ध हकए जायेंगे, कायण वाही को हकसी भी प्रिम में कोइ
हनणण य सनु ाए हबना रोक सकता है और जहां मख्ु य साहक्षयों के साक्ष्य को
ऄहभहलहखत हकए जाने के पश्चात् आस प्रकार कायण वाहहयां रोकी जाती हैं, वहां
दोषमहु ि का हनणण य सनु ा सकता है और हकसी ऄन्य दशा में ऄहभयि ु को छो़ि
सकता है और ऐसे छो़िने का प्रभाव ईन्मोचन होगा।
धारा – 282 समन-मामलों को िारण्ट मामलों में संपररिहतगत करने की न्यायालय की धारा 259 कोइ पररवतण न नहीं ।
िहि - जब हकसी ऐसे ऄपराध से समबहन्धत समन-मामले के हवचारण के
दौरान जो छह मास से ऄहधक ऄवहध के कारावास से दण्डनीय है, महजस्रेट
को यह प्रतीत होता है हक न्याय के हहत में ईस ऄपराध का हवचारण बारष्ट-
मामलों के हवचारण की प्रहिया के ऄनस ु ार हकया जाना चाहहए तो ऐसा
महजस्रेट वारण्ट-मामलों के हववारण के हलए आस संहहता द्वारा ईपबहन्धत रीहत
से ईस मामले की पनु ः सनु वाइ कर सकता है और ऐसे साहक्षयों को पनु ः बल ु ा
सकता है हजनकी परीक्षा की जा चक ु ी है।
ऄध्याय 22- संहक्षप्त हिचारण
धारा – 283 संहक्षप्त हिचारण करने की िहि - (1) आस संहहता में हकसी बात के होते हुए धारा 260
भी यहद, -
(क) कोइ मख्ु य न्याहयक महजस्रेट;
(ख) कोइ प्रथम वगण महजस्रेट;
तो वह हनमनहलहखत सब ऄपराधों का या ईनमें से हकसी का संक्षेपतः हवचारण
कर सकता है, -
(1) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 303 की ईपधारा (2), धारा
305 या धारा 306 के ऄधीन चोरी, जहां चरु ाइ हुइ समपहत्त का मूल्य बीस
हजार रुपए से ऄहधक नहीं है;
(ii) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 317 की ईपधारा (2) के ऄधीन
चोरी की समपहत्त को प्राप्त करना या रखे रखना, जहां ऐसी समपहत्त का मलू य
बीस हजार रुपये से ऄहधक नहीं है;
(iii) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 317 की ईपधारा (5) के
ऄधीन चरु ाइ हुइ समपहत्त को हछपाने या ईसका व्ययन करने में सहायता
करना, जहां ऐसी समपहत्त का मूल्य बीस हजार रुपये से ऄहधक नहीं है;
(iv) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 331 की ईपधारा (2) और
ईपधारा (3) के ऄधीन ऄपराध;
(v) भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 352 के ऄधीन लोकशांहत भंग
कराने को प्रकोहपत करने के अशय से ऄपमान और धारा 351 की ईपधारा
(2) और ईपधारा (3) के ऄधीन अपराहधक ऄहभत्रास;
(vi) पूवणवती ऄपराधों में से हकसी का दष्ु प्रेरण;
(vii) पूवणवती ऄपराधों में से हकसी को करने का प्रयत्न, जब ऐसा प्रयत्न,
ऄपराध है;
(viii) ऐसे कायण से होने वाला कोइ ऄपराध, हजसकी बाबत पशु ऄहतचार
ऄहधहनयम, 1871 (1871 का 1) की धारा 20 के ऄधीन पररवाद हकया जा
सकता है।
(2) महजस्रेट ऄहभयुि को सुनिाइ को युहियुि ऄिसर प्रदान हकए जाने
के पश्चात्, ऐसे कारणों से जो ऄहभहलहखत हकए जाएं, ऐसे सभी या हकन्हीं
ऄपराधों, जो मत्ृ यु, अजीिन कारािास या तीन िषग से ऄहधक की ऄिहध
के हलए कारािास से दण्डनीय नहीं हैं, का संहक्षप्त हिचारण कर सके गा :
परन्तु आस ईपधारा के ऄधीन हकसी मामले का संहक्षप्त हिचारण करने के
हलए हकसी महजस्रेट के हिहनश्चय के हिरुद्ध कोइ ऄपील नहीं होगी।
(3) जब संहक्षप्त हवचारण के दौरान महजस्रेट को प्रतीत होता है हक मामला आस
प्रकार का है हक ईसका हवचारण संक्षेपतः हकया जाना ऄवांछनीय है तो वह
महजस्रेट हकन्हीं साहक्षयों को, हजनकी परीक्षा की जा चक ु ी है, पनु ः बल
ु ाएगा
और मामले को आस संहहता द्वारा ईपबहन्धत रीहत से पनु ः सनु ने के हलए
ऄग्रसर होगा।
धारा – 284 हद्वतीय िगग के महजस्रेटों द्वारा संहक्षप्त हिचारण- ईच्च न्यायालय हकसी ऐसे धारा 261 कोइ पररवतण न नहीं ।
महजस्रेट को, हजसमें हद्वतीय वगण महजस्रेट की शहियां हनहहत हैं, हकसी ऐसे
ऄपराध का, जो के वल जमु ाण ने से या जमु ाण न सहहत या रहहत छह माह से
ऄनहधक के कारावास से दण्डनीय है और ऐसे हकसी ऄपराध के दष्ु प्रेरण या
ऐसे हकसी ऄपराध को करने के प्रयत्न का संक्षपे तः हवचारण करने की शहि
प्रदान कर सकता है।

धारा – 285 संहक्षप्त हिचारण की प्रहिया - (1) आस ऄध्याय के ऄधीन हवचारणों में आसके धारा 262 कोइ पररवतण न नहीं ।
पश्चात् आसमें जैसा वहणण त है ईसके हसवाय, आस संहहता में समन-मामलों के
हवचारण के हलए हवहनहदण ष्ट प्रहिया का ऄनस ु रण हकया जाएगा।
(2) तीन मास से ऄहधक की ऄवहध के हलए कारावास का कोइ दण्डादेश आस
ऄध्याय के ऄधीन हकसी दोषहसहद्ध के मामले में न हदया जाएगा।
धारा – 286 संहक्षप्त हिचारणों में ऄहभलेख - संक्षेपतः हवचाररत प्रत्येक मामले में महजस्रेट धारा 263
ऐसे प्ररूप में, जैसा राज्य सरकार हनहदष्ट करे, हनमनहलहखत हवहशहष्टयां प्रहवष्ट
करेगा, ऄथाण त:् -
(क) मामले का िम संख्यांक;
(ख) ऄपराध हकए जाने की तारीख;
(ग) ररपोटण या पररवाद की तारीख:
(घ) पररवादी का (यहद कोइ हो) नाम;
(ङ) ऄहभयि ु का नाम, ईसके माता-हपता का नाम और ईसका हनवास;
(च) वह ऄपराध हजसका पररवाद हकया गया है और वह ऄपराध जो साहबत
हुअ है (यहद कोइ हो), और धारा 283 की ईपधारा (1) के खण्ड (i), खण्ड
(ii) या खण्ड (iii) के ऄधीन अने वाले मामलों में ईस समपहत्त का मूलय
हजसके बारे में ऄपराध हकया गया है;
(छ) ऄहभयि ु का ऄहभवाक् और ईसकी परीक्षा (यहद कोइ हो);
(ज) हनष्कषण ;
(झ) दण्डादेश या ऄन्य ऄहन्तम अदेश;
(ञ) कायण वाही समाप्त होने की तारीख।
धारा – 287 संक्षपे तः हिचाररत मामलों में हनणगय - संक्षेपतः हवचाररत प्रत्येक ऐसे मामले धारा 264 कोइ पररवतण न नहीं ।
में, हजसमें ऄहभयिु दोषी होने का ऄहभवाक् नहीं करता है, महजस्रेट साक्ष्य
का सारांश और हनष्कषण के कारणों का संहक्षप्त कथन देते हुए हनणण य
ऄहभहलहखत करेगा।
धारा – 288 ऄहभलेख और हनणगय की भाषा - (1) ऐसा प्रत्येक ऄहभलेख और हनणण य धारा 265 कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायालय की भाषा में हलखा जाएगा।
(2) ईच्च न्यायालय संक्षेपतः हवचारण करने के हलए सशि हकए गए हकसी
महजस्रेट को प्राहधकृ त कर सकता है हक वह पूवोि ऄहभलेख या हनणण य या
दोनों ईस ऄहधकारी से तैयार कराए जो मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा आस
हनहमत्त हनयि ु हकया गया है और आस प्रकार तैयार हकया गया ऄहभलेख या
हनणण य ऐसे महजस्रेट द्वारा हस्ताक्षररत हकया जाएगा।
ऄध्याय 23 - सौदा ऄहभिाक्
धारा – 289 ऄध्याय का लागू होना - (1) यह ऄध्याय ऐसे ऄहभयि ु के संबधं में लागू धारा 265-
होगा, हजसके हवरुद्ध- क
(क) पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी द्वारा धारा 193 के ऄधीन यह
ऄहभकहथत करते हुए ररपोटण ऄग्रेहषत की गइ है हक ईसके द्वारा ऐसे ऄपराध से
हभन्न कोइ ऄपराध हकया गया प्रतीत होता है, हजसके हलए तत्समय प्रवृत्त
हवहध के ऄधीन मृत्यु या अजीवन या सात वषण से ऄहधक की ऄवहध के
कारावास के दण्ड का ईपबंध है; या
(ख) महजस्रेट ने पररवाद पर ईस ऄपराध का, संज्ञान ले हलया है जो ईस
ऄपराध से हभन्न है, हजसके हलए तत्समय प्रवृत्त हवहध के ऄधीन मृत्यु या
अजीवन कारावास या सात वषण से ऄहधक ऄवहध के कारावास की दण्ड का
ईपबंध के है और धारा 223 के ऄधीन पररवादी और साक्षी की परीक्षा करने
के बाद धारा 227 के ऄधीन अदेहशका जारी की है,
हकन्तु यह ऄध्याय वहााँ लागू नहीं होगा, जहााँ ऐसा ऄपराध देश की सामाहजक-
अहथण क दशा को प्रभाहवत करता है या हकसी महहला या बालक के हवरुद्ध
काररत हकया गया है।
(2) ईपधारा (1) के प्रयोजनों के हलए, के न्द्रीय सरकार, ऄहधसूचना द्वारा,
तत्समय प्रवृत्त हवहध के ऄभीन वे ऄपराध ऄवधाररत करेगी, जो देश की
सामाहजक-अहथण क दशा को प्रभाहवत करते हैं।
धारा – 290 सौदा ऄहभिाक् के हलए अिेदन- (1) हकसी ऄपराध का ऄहभयि ु , अरोप धारा 265-
की हिरचना हकए जाने की तारीख से तीस हदन की ऄिहध के भीतर व्यहि, ख
सौदा ऄहभवाक् के हलए ईस न्यायालय में अवेदन फाआल कर सके गा हजसमें
ऐसे ऄपराध का हवचारण लंहबत है।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन अवेदन में ईस मामले का संहक्षप्त वणण न होगा
हजसके समबन्ध में अवेदन फाआल हकया गया है, और ईसमें ईस ऄपराध का
वणण न भी होगा हजससे वह मामला समबहन्धत है तथा ईसके साथ ऄहभयि ु का
शपथ-पत्र होगा हजसमें यह कहथत होगा हक ईसने हवहध के ऄधीन ईस ऄपराध
के हलए ईपबंहधत दण्ड की प्रकृ हत और सीमा को समझने के पश्चात् ऄपने
मामले में स्वेच्छा से सौदा ऄहभवाक् दाहखल हकया है और यह हक हजसमें ईसे
हकसी न्यायालय द्वारा आससे पूवण ईसी ऄपराध में अरोहपत ठहराया गया था,
हसद्धदोष नहीं ठहराया गया है।
(3) न्यायालय ईपधारा (1) के ऄधीन अवेदन प्राप्त करने के पश्चात् लोक
ऄहभयोजक या पररवादी को और साथ ही ऄहभयि ु को मामले में हनयत
तारीख को हाहजर होने के हलए सूचना जारी करेगा।
(4) जहां ईपधारा (3) के ऄधीन हनयत तारीख को लोक ऄहभयोजक या
मामले का पररवादी और ऄहभयि ु हाहजर होते हैं, वहां न्यायालय ऄपना
समाधान करने के हलए हक ऄहभयि ु ने अवेदन स्वेच्छा से दाहखल हकया है,
ऄहभयि ु की बं
द कमरे में परीक्षा करेगा, जहां मामले का दस ू रा पक्षकार
ईपहस्थत नहीं होगा और जहां-
(क) न्यायालय का यह समाधान हो जाता है हक वह अवेदन ऄहभयि ु द्वारा
स्वेच्छा से फाआल हकया गया है, वहां वह लोक ऄहभयोजक या पररवादी और
ऄहभयुि को मामले के पारस्पररक संतोषप्रद हनपटारे के हलए साठ हदन से
ऄनहधक का समय देगा हजसमें ऄहभयि ु द्वारा पीह़ित व्यहि को मामले के
दौरान प्रहतकर और ऄन्य खचण देना सहममहलत है और तत्पश्चात् मामले की
अगे की सनु वाइ के हलए तारीख हनयत करेगा;
(ख) न्यायालय को यह पता जंगमता है हक अवेदन ऄहभयि ु द्वारा स्वेच्छा से
फाआल नहीं हकया गया है, या ईसे हकसी न्यायालय द्वारा हकसी मामले में
हजसमें ईस पर ईसी ऄपराध का अरोप था, हसद्धदोष ठहराया गया है तो वह
आस संहहता के ईपबंधों के ऄनस ु ार, ईस प्रिम से जहां ईपधारा (1) के ऄधीन
ऐसा अवेदन फाआल हकया गया है, अगे कायण वाही करेगा।
धारा – 291 पारस्पररक संतोषप्रद हनपटारे के हलए मागगदिी हसद्धान्त - धारा 290 को धारा 265-
ईपधारा (4) के खण्ड (क) के ऄधीन पारस्पररक संतोषप्रद हनपटारे के हलए, ग
न्यायालय हनमनहलहखत प्रहिया ऄपनायेगा, ऄथाण त् :-
(क) पहु लस ररपोटण पर संहस्थत हकसी मामले में, न्यायालय लोक ऄहभयोजक,
पहु लस ऄहधकारी, हजसने मामले का ऄन्वेषण हकया है, ऄहभयि ु और मामले
में पीह़ित व्यहि को, ईस मामले का संतोषप्रद हनपटारा करने के हलए बैठक में
भाग लेने के हलए सूचना जारी करेगा :
परन्तु मामले के संतोषप्रद हनपटारे की ऐसी समपूणण प्रहिया के दौरान
न्यायालय का यह कतण व्य होगा हक वह सहु नहश्चत करे हक सारी प्रहिया बैठक में
भाग लेने वाले पक्षकारों द्वारा स्वेच्छा से पणू ण की गइ है:
पान्तु यह और हक ऄहभयि ु , यहद ऐसी वांछा करते तो, मामले में लगाए गए
ऄपने ऄहभविा, यहद कोइ हो, के साथ आस बैठक में भाग ले सके गा;
(ख) पहु लस ररपोटण से ऄन्यथा संहस्थत मामले में, न्यायालय, ऄहभयि ु और
ईस मामले में पीह़ित व्यहि को मामले के संतोषप्रद हनपटारे के हलए की जाने
वाली बैठक में भाग लेने के हलए सूचना जारी करेगा :
परन्तु न्यायालय का यह कतण व्य होगा हक वह मामले का संतोषप्रद हनपटारा
करने की समपूणण प्रहिया के दौरान यह सहु नहश्चत करे हक ईसे बैठक में भाग
लेने वाले पक्षकारों द्वारा स्वेच्छा से परू ा हकया गया है:
परन्तु यह और हक यहद मामले में, पीह़ित व्यहि या ऄहभयि ु , यहद ऐसी वांछा
करे, तो वह ईस मामले में लगाए गए ऄपने ऄहधविा के साथ ईस बैठक में
भाग ले सके गा।
धारा – 292 पारस्पररक संतोषप्रद हनपटारे की ररपोटग का न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत धारा 265-
हकया जाना - जहााँ धारा 291 के ऄधीन बैठक में मामले को कोइ संतोषप्रद घ
हनपटारा तैयार हकया गया है, वहां न्यायालय ऐसे हनपटारे की ररपोटण तैयार
करेगा हजस पर न्यायालय के पीठासीन ऄहधकारी और ऄन्य सभी व्यहियों के
हस्ताक्षर होंगे हजन्होंने बैठक में भाग हलया था और यहद ऐसा कोइ हनपटारा
तैयार नहीं हकया जा सका है तो न्यायालय ऐसा संप्रेक्षण लेखबद्ध करेगा और
आस संहहता के ईपबंधों के ऄनस ु ार ईस प्रिम से अगे कायण वाही करेगा, जहां
से ईस मामले में धारा 290 की ईपधारा (1) के ऄधीन अवेदन फाआल हकया
गया है।
धारा – 293 मामले का हनपटारा - जहााँ धारा 292 के ऄधीन मामले का कोइ संतोषप्रद धारा 265-
हनपटारा तैयार हकया गया है वहां न्यायालय मामले का हनपटारा हनमनहलहखत ङ
रीहत से करेगा, ऄथाण त् :
(क) न्यायालय, पीह़ित व्यहि को धारा 292 के ऄधीन हनपटारे के ऄनस ु ार
प्रहतकर देगा और दण्ड की मात्रा, ऄहभयि ु को सदाचार की पररवीक्षा पर या
धारा 401 के ऄधीन भत्सण ना के पश्चात्, छो़िने या ऄपराधी पररवीक्षा
ऄहधहनयम, 1958 (1958 का 20) या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के
ईपबन्धों के ऄधीन ऄहभयि ु के समबन्ध में कारण वाइ करने के हवषय में पक्षकारों
की सनु वाइ करेगा और ऄहभयि ु पर दण्ड ऄहधरोहपत करने के हलए पश्चात्वती
खण्डों में हवहनहदण ष्ट प्रहिया का पालन करेगा;
(ख) खण्ड (क) के ऄधीन पक्षकारों की सनु ने के पश्चात्, यहद न्यायालय का
मत हो हक धारा 401 या ऄपराधी पररवीक्षा ऄहधहनयम, 1958 (1958 का
20) या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ईपबंध ऄहभयि ु के मामले में
अकहषण त होते हैं, तो वह ऄहभयि ु को पररवीक्षा पर छो़ि सके गा या ऐसी हकसी
हवहध का लाभ दे सके गा;
(ग) खण्ड (ख) के ऄधीन पक्षकारों को सनु ने के पश्चात्, यहद न्यायालय की यह
पता जंगमता है हक ऄहभयि ु द्वारा हकए गए ऄपराध के हलए हवहध में न्यूनतम
दण्ड ईपबंहधत हकया गया है तो वह ऄहभयि ु को ऐसे न्यूनतम दण्ड के अधे
का दण्ड दे सके गा और जहां ऄहभयि ु प्रथम ऄपराधी है और पूिग में हकसी
ऄपराध के हलए दोषहसद्ध नहीं ठहराया गया है, िह ऄहभयि ु को ऐसे
न्यूनतम दण्ड के एक चौथाइ का दण्ड दे सके गा;
(घ) खण्ड (ख) के ऄधीन पक्षकारों को सनु ने के पश्चात्, यहद न्यायालय को
पता जंगमता है हक ऄहभयि ु द्वारा हकया गया ऄपराध खण्ड (ख) या खण्ड (ग)
के ऄन्तगण त नहीं अता है तो वह ऄहभयि ु को ऐसे ऄपराध के हलए ईपबंहधत
या बढाए जा सकने वाले दण्ड के एक- चौथाइ का दण्ड दे सके गा और जहां
ऄहभयुि प्रथम ऄपराधी है और पूिग में हकसी ऄपराध के हलए दोषहसद्ध
नहीं ठहराया गया है, िह ऄहभयि ु को ऐसे ऄपराध के हलए ईपबंहधत या
हिस्तारणीय दण्ड के 1/6 का दण्ड दे सके गा।
धारा – 294 न्यायालय का हनणगय - न्यायालय, ऄपना हनणण य, धारा 293 के हनबन्धनों के धारा 265-
ऄनस ु ार, खल ु े नायालय में देगा और ईस पर न्यायालय के पीठासीन ऄहधकारी च
के हस्ताक्षर होंगे।
धारा – 295 हनणगय का ऄहन्तम होना- न्यायालय द्वारा आस धारा के ऄधीन हदया गया धारा 265- कोइ पररवतण न नहीं ।
हनणण य ऄहन्तम होगा और ईससे कोइ ऄपील (संहवधान के ऄनच्ु छे द 136 के छ
ऄधीन हवशेष आजाजत याहचका और ऄनच्ु छे द 226 और ऄनच्ु छे द 227 के
ऄधीन ररट याहचका के हसवाय) ऐसे हनणण य के हवरुद्ध हकसी न्यायालय में नहीं
होगी।
धारा – 296 सौदा ऄहभिाक् में न्यायालय की िहि-न्यायालय के पास, आस ऄध्याय के धारा 265- कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄधीन ऄपने कृ त्यों का हनवण हन करने के प्रयोजन के हलए जमानत, ऄपराधों के ज
हवचारण और आस संहहता के ऄधीन ऐसे न्यायालय में हकसी मामले के हनपटारे
से समबहन्धत ऄन्य हवषयों के बारे में हनहहत सभी शहियां होगी।
धारा – 297 ऄहभयुि द्वारा भोगी गयी हनरोध की ऄिहध का कारािास के दण्डादेि के धारा 265-
हिरुद्ध मज ु रा हकया जाना- आस ऄध्याय के ऄधीन ऄहधरोहपत कारावास के झ
दण्डादेश के हवरुद्ध ऄहभयि ु द्वारा भोगी गइ हनरोध की ऄवहध का मज ु रा हकए
जाने के हलए धारा 468 के ईपबंध ईसी रीहत से लागू होंगे जैसे हक वे आस
संहहता के हकन्हीं ऄन्य ईपबंधों के ऄधीन कारावास के समबन्ध में लागू होते
हैं।
धारा – 298 व्यािहृ ि - आस ऄध्याय के ईपबंध आस संहहता के हकन्हीं ऄन्य ईपबंधों में धारा 265-
ऄन्तहवण ष्ट ईनसे ऄसंगत हकसी बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे और ऐसे ऄन्य ञ
ईपबंधों में हकसी बात का यह ऄथण नहीं लगाया जाएगा हक वह आस ऄध्याय के
हकसी ईपबंध के ऄथण को सीहमत करती है।
स्पष्टीकरण-आस ऄध्याय के प्रयोजनों के हलए, "लोक ऄहभयोजक" पद का वही
ऄथण होगा जो धारा 2 के खण्ड (फ) के ऄधीन ईसका है और आसमें धारा 19
के ऄधीन हनयि ु सहायक लोक ऄहभयोजक सहममहलत है।
धारा – 299 ऄहभयुि के कथनों का ईपयोग न हकया जाना - तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध धारा 265-
में ऄन्तहवण ष्ट हकसी बात के होते हुए भी, हकसी ऄहभयि
ु द्वारा धारा 290 के ट
ऄधीन फाआल हकए गए सौदा ऄहभवाक् के हलए अवेदन में कहथत कथनों या
तथ्यों का, आस ऄध्याय के प्रयोजन के हसवाय हकसी ऄन्य प्रयोजन के हलए
ईपयोग नहीं हकया जाएगा।
धारा – 300 ऄध्याय का लागू न होना- आस ऄध्याय की कोइ बात, हकिोर न्याय धारा 265-
(बालकों की देखरेख और संरक्षण) ऄहधहनयम, 2015 (2016 का 2) की ठ
धारा 2 में यथापररभाहषत हकसी हकशोर या बालक को लागू नहीं होगी।
ऄध्याय 24 - कारागारों में परररुद्ध या हनरुद्ध व्यहियों की हाहजरी
धारा – 301 पररभाषाएं - आस ऄध्याय में, - (क) "हनरुद्ध" के ऄन्तगण त हनवारक हनरोध के धारा 266- कोइ पररवतण न नहीं ।
हलए ईपबन्ध करने वाली हकसी हवहध के ऄधीन हनरुद्ध भी है: क,
(ख) "कारागार" के ऄन्तगण त हनमनहलहखत भी हैं, - धारा 266-
(i) कोइ ऐसा स्थान हजसे राज्य सरकार ने, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा, ख
ऄहतररि जेल घोहषत हकया है;
(ii) कोइ सधु ारालय, बोस्टण ल-संस्था या आसी प्रकार की ऄन्य संस्था।
धारा – 302 बहन्दयों को हाहजर कराने की ऄपेक्षा करने की िहि - (1) जब कभी आस धारा 267 कोइ पररवतण न नहीं ।
संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही के दौरान हकसी
दण्ड न्यायालय को यह प्रतीत होता है
(क) कारागार में परररुद्ध या हनरुद्ध व्यहि को हकसी ऄपराध के अरोप का
ईत्तर देने के हलए या ईसके हवरुद्ध हकन्हीं कायण वाहहयों के प्रयोजन के हलए
न्यायालय के समक्ष लाया जाना चाहहए; या
(ख) न्याय के ईद्देश्यों के हलए यह अवश्यक है हक ऐसे व्यहि की साक्षी के रूप
में परीक्षा की जाए, तब वह न्यायालय, कारागार के भारसाधक ऄहधकारी से
यह ऄपेक्षा करने वाला अदेश दे सकता है हक वह ऐसे व्यहि को अरोप का
ईत्तर देने के हलए या ऐसी कायण वाहहयों के प्रयोजन के हलए या साक्ष्य देने के
हलए न्यायालय के समक्ष पेश करे।
(2) जहां ईपधारा (1) के ऄधीन कोइ अदेश हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा हदया
जाता है, वहां वह कारागार के भारसाधक ऄहधकारी को तब तक भेजा नहीं
जाएगा या ईसके द्वारा ईस पर तब तक कोइ कायण वाही नहीं की जाएगी जब
तक वह ऐसे मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा प्रहतहस्ताक्षररत न हो, हजसके
ऄधीनस्थ वह महजस्रेट है।
(3) ईपधारा (2) के ऄधीन प्रहतहस्ताक्षर के हलए पेश हकए गए प्रत्येक अदेश
के साथ ऐसे तथ्यों का, हजनसे महजस्रे ट की राय में अदेश अवश्यक हो गया
है, एक हववरण होगा और वह मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, हजसके समक्ष वह पेश
हकया गया है ईस हववरण पर हवचार करने के पश्चात् अदेश पर प्रहतहस्ताक्षर
करने से आन्कार कर सकता है।
धारा – 303 धारा 302 के प्रितगन से कहतपय व्यहियों को ऄपिहजगत करने की राज्य धारा 268
सरकार या के न्रीय सरकार की िहि - (1) राज्य सरकार या के न्रीय
सरकार, ईपधारा (2) में हवहनहदण ष्ट बातों को ध्यान में रखते हुए, हकसी समय,
साधारण या हवशेष अदेश द्वारा, यह हनदेश दे सकती है हक हकसी व्यहि को
या हकसी वगण के व्यहियों को ईस कारागार से नहीं हटाया जाएगा हजसमें ईसे
या ईन्हें परररुद्ध या हनरुद्ध हकया गया है, और तब, जब तक ऐसा अदेश प्रवृत्त
रहे, धारा 302 के ऄधीन हदया गया कोइ अदेश, चाहे वह राज्य सरकार या
के न्रीय सरकार के अदेश के पूवण हकया गया हो या ईसके पश्चात्, ऐसे व्यहि
या ऐसे वगण के व्यहियों के बारे में प्रभावी न होगा।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन कोइ अदेश देने के पवू ण , यथाहसथहत राज्य सरकार
या जब मामला ईसके के न्रीय ऄहभकरण द्वारा संहस्थत है, तो के न्रीय
सरकार हनमनहलहखत बातों का ध्यान रखेगी, ऄथाण त् :-
(क) ईस ऄपराध का स्वरूप हजसके हलए, या वे अधार, हजन पर, ईस व्यहि
को या ईस वगण के व्यहियों को कारागार में परररुद्ध या हनरुद्ध करने का अदेश
हदया गया है;
(ख) यहद ईस व्यहि को या ईस वगण के व्यहियों को कारागार से हटाने की
ऄनज्ञु ा दी जाए तो लोक-व्यवस्था में हवघ्न की समभाव्यता;
(ग) लोक हहत, साधारणतः।
धारा – 304 कारागार के भारसाधक ऄहधकारी का कहतपय अकहस्मकताओं में अदेि धारा 269
को कायागहन्ित न करना - जहां वह व्यहि, हजसके बारे में धारा 302 के
ऄधीन कोइ अदेश हदया गया है-
(क) बीमारी या ऄंग-शैहथलय के कारण कारागार से हटाये जाने के योग्य नहीं
है; या
(ख) हवचारण के हलए सपु दु ण गी के ऄधीन है या हवचारण के लहमबत रहने तक के
हलए या प्रारहमभक ऄन्वेषण तक के हलए प्रहतप्रेषणाधीन है; या
(ग) आतनी ऄवहध के हलए ऄहभरक्षा में है हजतनी अदेश का ऄनपु ालन करने के
हलए और ईस कारागार में हजसमें वह परररुद्ध या हनरुद्ध है, ईसे वापस ले
अने के हलए ऄपेहक्षत समय के समाप्त होने के पूवण समाप्त होती है; या
(घ) ऐसा व्यहि है हजसे धारा 303 के ऄधीन राज्य सरकार या के न्द्रीय
सरकार द्वारा हदया गया कोइ अदेश लागू होता है, जहां कारागार का
भारसाधक ऄहधकारी न्यायालय के अदेश को कायाण हन्वत नहीं करेगा और
ऐसा न करने के कारणों का हववरण न्यायालय को भेजगे ा :
परन्तु जहां ऐसे व्यहि से हकसी ऐसे स्थान पर, जो कारागार से पच्चीस
हकलोमीटर से ऄहधक दूर नहीं है, साक्ष्य देने के हलए हाहजर होने की
ऄपेक्षा की जाती है, िहां कारागार के भारसाधक ऄहधकारी के ऐसा न
करने का कारण खण्ड (ख) में िहणगत कारण नहीं होगा।
धारा – 305 बन्दी का न्यायालय में ऄहभरक्षा में लाया जाना- धारा 304 के ईपबन्धों के धारा 270
ऄधीन रहते हुए, कारागार का भारसाधक ऄहधकारी, धारा 302 की ईपधारा
(1) के ऄधीन हदए गए और जहां अवश्यक है, वहां ईसकी ईपधारा (2) के
ऄधीन समयक् रूप से प्रहतहस्ताक्षररत अदेश के पररदान पर, अदेश में नाहमत
व्यहि को ऐसे न्यायालय में, हजसमें ईसकी हाहजरी ऄपेहक्षत है, हभजवाएगा
हजससे वह अदेश में ईहललहखत समय पर वहां ईपहस्थत हो सके , और ईसे
न्यायालय में या ईसके पास ऄहभरक्षा में तब तक रखवाएगा जब तक ईसकी
परीक्षा न कर ली जाए या जब तक न्यायालय ईसे ईस कारागार को, हजसमें
वह परररुद्ध या हनरुद्ध था, वापस ले जाए जाने के हलए प्राहधकृ त न करे।
धारा – 306 कारागार में साक्षी की परीक्षा के हलए कमीिन जारी करने की िहि- धारा 271
कारागार में परररुद्ध या हनरुद्ध हकसी व्यहि को साक्षी के रूप में परीक्षा के हलए
धारा 319 के ऄधीन कमीशन जारी करने की न्यायालय की शहि पर आस
ऄध्याय के ईपबन्धों का कोइ प्रहतकूल प्रभाव नहीं प़िेगा; और ऄध्याय 25 के
भाग ख के ईपबन्ध कारागार में ऐसे हकसी व्यहि की कमीशन पर परीक्षा के
समबन्ध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे हकसी ऄन्य व्यहि की कमीशन पर परीक्षा
के समबन्ध में लागू होते हैं।
ऄध्याय 25 - जांचों और हिचारणों में साक्ष्य
क- साक्ष्य लेने और ऄहभहलहखत करने का ढंग
धारा – 307 न्यायालयों की भाषा - राज्य सरकार यह ऄवधाररत कर सकती है हक आस धारा 272 कोइ पररवतण न नहीं ।
संहहता के प्रयोजनों के हलए राज्य के ऄन्दर ईच्च न्यायालय से हभन्न प्रत्येक
न्यायालय की कौन सी भाषा होगी।
धारा – 308 साक्ष्य का ऄहभयुि की ईपहस्थहत में हलया जाना - ऄहभव्यि रूप से जैसा धारा 273
ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, हवचारण या ऄन्य कायण वाही के ऄनि ु म में हलया
गया सब साक्ष्य ऄहधविा की ईपहस्थहत में हलया जाएगा हजसके ऄन्तगण त
राज्य सरकार द्वारा ऄहधसूहचत हकए जाने िाले ऄहभहहत स्थान पर श्रव्य-
दृश्य आलैक्ट्राहनक साधन से हलया गया साध्य भी है :
परन्तु जहां ऄट्ठारह वषण से कम अयु की महहला का, हजससे बलात्संग या
हकसी ऄन्य लैंहगक ऄपराध के हकये जाने का ऄहभकथन हकया गया है, साक्ष्य
ऄहभहलहखत हकया जाना है, वहां न्यायालय यह सहु नहश्चत करने के हलये हक
ऐसी महहला का ऄहभयि ु से सामना न हो और साथ ही ऄहभयि ु की
प्रहतपरीक्षा के ऄहधकार को सहु नहश्चत करते हुये समहु चत ईपाय कर सके गा।
स्पष्टीकरण- आस धारा में "ऄहभयि ु " के ऄन्तगण त ऐसा व्यहि भी है हजसकी
बाबत ऄध्याय 9 के ऄधीन कोइ कायण वाही आस संहहता के ऄधीन प्रारमभ की
जा चक ु ी है।
धारा – 309 समन-मामलों और जांचों में ऄहभलेख - (1) महजस्रेट के समक्ष हवचाररत धारा 274
सब समन-मामलों में, धारा 164 से धारा 167 तक की धाराओं के ऄधीन
(हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएं भी हैं) सब जांचों में, और हवचारण के ऄनि ु म
की कायण वाहहयों से हभन्न धारा 491 के ऄधीन सब कायण वाहहयों में, महजस्रेट
जैसे- जैसे प्रत्येक साक्षी की परीक्षा होती जाती है, वैसे-वैसे ईसके साक्ष्य के
सारांश का ज्ञापन न्यायालय की भाषा में तैयार करेगा :
परन्तु यहद महजस्रेट ऐसा ज्ञापन स्वयं तैयार करने में ऄसमथण है तो वह ऄपनी
ऄसमथण ता के कारणों को ऄहभहलहखत करने के पश्चात् ऐसे ज्ञापन को खल ु े
न्यायालय में स्वयं बोलकर हलहखत रूप में तैयार कराएगा।
(2) ऐसे ज्ञापन पर महजस्रेट हस्ताक्षर करेगा और वह ऄहभलेख का भाग होगा।
धारा – 310 िारण्ट-मामलों में ऄहभलेख - (1) महजस्रेट के समक्ष हवचाररत सब वारण्ट- धारा 275 कोइ पररवतण न नहीं ।
मामलों में प्रत्येक साक्षी का साक्ष्य जैसे-जैसे ईसकी परीक्षा होती जाती है,
वैसे-वैसे या तो स्वयं महजस्रेट द्वारा हलखा जाएगा या खल ु े न्यायालय में ईसके
द्वारा बोलकर हलखवाया जाएगा या जहां वह हकसी शारीररक या ऄन्य
ऄसमथण ता के कारण ऐसा करने में ऄसमथण है, वहां ईसके द्वारा आस हनहमत्त
हनयि ु न्यायालय के हकसी ऄहधकारी द्वारा ईसके हनदेशन और ऄधीक्षण में
हलखा जाएगा :
परन्तु आस ईपधारा के ऄधीन साक्षी का साक्ष्य ईस ऄपराध के ऄहभयि ु
व्यहि के ऄहधविा की ईपहस्थहत में श्रव्य दृश्य आलेक्ट्राहनक साधनों द्वारा भी
ऄहभहलहखत हकया जा सके गा।
(2) जहां महजस्रेट साक्ष्य हलखवाए वहां वह यह प्रमाणपत्र ऄहभहलहखत करेगा
हक साक्ष्य ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट कारणों से स्वयं ईसके द्वारा नहीं हलखा जा
सका।
(3) ऐसा साक्ष्य मामल ू ी तौर पर वृत्तान्त के रूप में ऄहभहलहखत हकया जाएगा
हकन्तु महजस्रेट स्वहववेकानस ु ार, ऐसे साक्ष्य के हकसी भाग को प्रश्नोत्तर के रूप
में हलख या हलखवा सकता है।
(4) ऐसे हलखे गये साक्ष्य पर महजस्रेट हस्ताक्षर करेगा और वह ऄहभलेख का
भाग होगा।
धारा – 311 सेिन न्यायालय के समक्ष हिचारण में ऄहभलेख - (1) सेशन न्यायालय के धारा 276 कोइ पररवतण न नहीं ।
समक्ष सब हवचारणों में प्रत्येक साक्षी का साक्ष्य, जैसे-जैसे ईसकी परीक्षा होती
जाती है, वैसे-वैसे या तो स्वयं पीठासीन न्यायाधीश द्वारा हलखा जाएगा या
खल ु े न्यायालय में ईसके द्वारा बोलकर हलखवाया जाएगा ईसके द्वारा आस
हनहमत्त हनयि ु न्यायालय के हकसी ऄहधकारी द्वारा ईसके हनदेशन और
ऄधीक्षण में हलखा जाएगा।
(2) ऐसा साक्ष्य मामूली तौर पर वृत्तान्त के रूप में हलखा जाएगा हकन्तु
पीठासीन न्यायाधीश स्वहववेकापस ु ार ऐसे साक्ष्य के हकसी भाग को प्रश्नोत्तर के
रूप में हलख सकता है या हलखवा सकता है।"
(3) ऐसे हलखे गये साक्ष्य पर पीठासीन न्यायाधीश हस्ताक्षर करेगा और वह
ऄहभलेख का भाग होगा।
धारा – 312 साक्ष्य के ऄहभलेख की भाषा - प्रत्येक मामले में जहां साक्ष्य धारा 310 या धारा 277
धारा 311 के ऄधीन हलखा जाता है, वहां-
(क) यहद साक्षी न्यायालय की भाषा में साक्ष्य देता है तो ईसे ईसी भाषा में
हलखा जाएगा;
(ख) यहद वह हकसी ऄन्य भाषा में साक्ष्य देता है तो ईसे, यहद व्यवहायण हो तो,
ईसी भाषा में हलखा जायेगा और यहद ऐसा करना व्यवहायण न हो तो जैसे-जैसे
साक्षी की परीक्षा होती जाती है, वैसे-वैसे साक्ष्य का न्यायालय की भाषा में
सही ऄनवु ाद तैयार हकया जाएगा, ईस पर महजस्रेट या पीठासीन न्यायाधीश
द्वारा हस्ताक्षर हकए जाएंगे और वह ऄहभलेख का भाग होगा;
(ग) ईस दशा में, हजसमें साक्ष्य खण्ड (ख) के ऄधीन न्यायालय की भाषा से
हभन्न हकसी भाषा में हलखा जाए तो, न्यायालय की भाषा में ईसका सही
ऄनवु ाद यथासाध्य शीघ्र तैयार हकया जाएगा, ईस पर महजस्रेट या पीठासीन
न्यायाधीश हस्ताक्षर करेगा और वह ऄहभलेख का भाग होगा :
परन्तु जब खण्ड (ख) के ऄधीन साक्ष्य ऄंग्रेजी में हलखा जाता है और
न्यायालय की भाषा में ईसके ऄनवु ाद की हकसी पक्षकार द्वारा ऄपेक्षा नहीं की
जाती है तो न्यायालय ऐसे ऄनवु ाद से ऄहभमहु ि दे सकता है।
धारा – 313 ऐसे साक्ष्य के पूरा होने पर ईसके सभबन्ध में प्रहिया (1) धारा 310 या धारा 278
धारा 311 के ऄधीन जैसे-जैसे प्रत्येक साक्षी का साक्ष्य परू ा हो जाता है, तो
यहद ऄहभयि ु हाहजर हो तो ईसकी, या यहद यह ऄहधििा द्वारा हाहजर हो, तो
ईसके ऄहधविा की ईपहस्थहत में साक्षी को पढकर सनु ाया जाएगा और यहद
अवश्यक हो तो सही हकया जाएगा।
(2) यहद साक्षी साक्ष्य के हकसी भाग के सही होने से ईस समय आन्कार करता
है जब वह ईसे पढकर सनु ाया जाता है तो महजस्रेट या पीठासीन न्यायाधीश
साक्ष्य को ठीक करने के स्थान पर ईस पर साक्षी द्वारा ईस बाबत की गइ
अपहत्त का ज्ञापन हलख सकता है और ईसमें ऐसी हटप्पहणयां जो़ि देगा जैसा
वह अवश्यक समझे।
(3) यहद साक्ष्य का ऄहभलेख ईस भाषा से हभन्न भाषा में है हजसमें वह हदया
गया है और साक्षी ईस भाषा को नहीं समझता है तो, ईसे ऐसे ऄहभलेख का
हनवण चन ईस भाषा में हजसमें वह हदया गया था या ईस भाषा में हजसे वह
समझता हो, सनु ाया जाएगा।
धारा – 314 ऄहभयुि या ईसके ऄहधििा को साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जाना-(1) धारा 279 कोइ पररवतण न नहीं ।
जब कभी कोइ साक्ष्य ऐसी भाषा में हदया जाए, हजसे ऄहभयि ु नहीं समझता है
और वह न्यायालय में स्वयं ईपहस्थत है, तब खल ु े न्यायालय में ईसे ईस भाषा
में ईसका भाषान्तर सनु ाया जाएगा, हजसे वह समझता है।
(2) यहद वह ऄहधविा द्वारा हाहजर हो और साक्ष्य न्यायालय की भाषा से
हभन्न और ऄहधविा द्वारा न समझी जाने वाली भाषा में हदया जाता है तो
ईसका भाषान्तर ऐसे ऄहधविा को न्यायालय की भाषा में सनु ाया जाएगा।
(3) जब दस्तावेज, यथारीहत सबूत के प्रयोजन के हलए पेश हकए जाते हैं तब
यह न्यायालय के स्वहववेक पर हनभणर करेगा हक वह ईनमें से ईतने का
भाषान्तर सनु ाए हजतना अवश्यक प्रतीत हो।
धारा – 315 साक्षी की भािभंगी के बारे में हट्पहणयां - जब पीठासीन न्यायाधीश या धारा 280 कोइ पररवतण न नहीं ।
महजस्रेट साक्षी का साक्ष्य ऄहभहलहखत कर लेता है तब वह ईस साक्षी की
परीक्षा हकए जाते समय ईसकी भावभंगी के बारे में ऐसी हटप्पहणयां भी
ऄहभहलहखत करेगा (यहद कोइ हो), जो वह ताहत्वक समझता है।
धारा – 316 ऄहभयुि की परीक्षा का ऄहभलेख - (1) जब कभी ऄहभयि ु की परीक्षा धारा 281
हकसी महजस्रेट या सेशन न्यायालय द्वारा की जाती है तब ईससे पूछे गए
प्रत्येक प्रश्न और ईसके द्वारा हदए गए प्रत्येक ईत्तर सहहत ऐसी सब परीक्षा
स्वयं पीठासीन न्यायाधीश या महजस्रेट द्वारा या जहां वह हकसी शारीररक या
ऄन्य ऄसमथण ता के कारण ऐसा करने में ऄसमथण है, वहां ईसके द्वारा आस
हनहमत्त हनयि ु न्यायालय के हकसी ऄहधकारी द्वारा ईसके हनदेशन और
ऄधीक्षण में परू े तौर पर ऄहभहलहखत की जाएगी।
(2) ऄहभलेख, यहद साध्य हो तो, ईस भाषा में होगा हजसमें ऄहभयि ु की
परीक्षा की जाती है या यहद यह साध्य न हो तो न्यायालय की भाषा में होगा।
(3) ऄहभलेख ऄहभयि ु को हदखा हदया जायेगा या ईसे पढकर सनु ा हदया
जाएगा या यहद वह भाषा को नहीं समझता है हजसमें वह हलखा गया है तो
ईसका भाषान्तर ईसे ईस भाषा में, हजसे वह समझता है, सनु ाया जाएगा और
वह ऄपने ईत्तरों का स्पष्टीकरण करने या ईनमें कोइ बात जो़िने के हलए
स्वतन्त्र होगा।
(4) तब ईस पर ऄहभयि ु और महजस्रेट या पीठासीन न्यायाधीश हस्ताक्षर
करेंगे और महजस्रेट या पीठासीन न्यायाधीश ऄपने हस्ताक्षर से प्रमाहणत
करेगा हक परीक्षा ईसकी ईपहस्थहत में की गइ थी और ईसने ईसे सनु ा था और
ऄहभलेख में ऄहभयि ु द्वारा हकए गए कथन का पूणण और सही वणण न है :
परन्तु हक जहााँ ऄहभयुि ऄहभरक्षा में है तथा आलैक्ट्राहनक माध्यम से
ईसका परीक्षण हकया जाता है, तो ऐसा परीक्षण से बहिर घंटे के भीतर
ईसके हस्ताक्षर हलए जाएंग।े
(5) आस धारा की कोइ बात संहक्षप्त हवचारण के ऄनि ु म में ऄहभयि ु की परीक्षा
को लागू होने वाली न समझी जाएगी।
धारा – 317 दुभाहषया ठीक-ठीक भाषान्तर करने के हलए अबद्ध होगा- जब हकसी धारा 282 कोइ पररवतण न नहीं ।
साक्ष्य या कथन के भानान्तर के हलए दभु ाहषए की सेवा की हकसी दण्ड
न्यायालय द्वारा ऄपेक्षा की जाती है तब वह दभु ाहषया ऐसे साक्ष्य या कथन का
ठीक भाषान्तर करने के हलए अबद्ध होगा।
धारा – 318 ईच्च न्यायालय में ऄहभलेख - प्रत्येक ईच्च न्यायालय, साधारण हनयम द्वारा धारा 283 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऐसी रीहत हवहहत कर सकता है हजससे ईन मामलों में साहक्षयों के साक्ष्य को
और ऄहभयि ु की परीक्षा को हलखा जाएगा जो ईसके समक्ष अते हैं, और ऐसे
साक्ष्य और परीक्षा को ऐसे हनयम के ऄनस ु ार हलखा जाएगा।
ख-साहक्षयों की परीक्षा के हलए कमीशन
धारा – 319 साहक्षयों को जब हाहजर होने से ऄहभमहु ि दी जाए और कमीिन जारी धारा 284 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकया जाएगा - (1) जब कभी आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या
ऄन्य कायण वाही के ऄनि ु म में, न्यायालय या महजस्रेट को प्रतीत होता है हक
न्याय के ईद्देश्यों के हलए यह अवश्यक है हक हकसी साक्षी की परीक्षा की जाए
और ऐसे साक्षी की हाहजरी आतने हवलाब, व्यय या ऄसहु वधा के हबना, हजतनी
मामले की पररहस्थहतयों में ऄनहु चत होगी, नहीं कराइ जा सकती है तब
न्यायालय या महजस्रेट ऐसी हाहजरी से ऄहभमहु ि दे सकता है और साक्षी की
परीक्षा की जाने के हलए आस ऄध्याय के ईपबन्धों के ऄनस ु ार कमीशन जारी
कर सकता है:
परन्तु जहां न्याय के ईद्देश्यों के हलए भारत के राष्रपहत या ईपराष्रपहत या
हकसी राज्य के राज्यपाल या हकसी संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक की साक्षी के
रूप में परीक्षा करना अवश्यक है वहां ऐसे साक्षी की परीक्षा करने के हलए
कमीशन जारी हकया जाएगा।
(2) न्यायालय ऄहभयोजन के हकसी साक्षी की परीक्षा के हलए कमीशन जारी
करते समय यह हनदेश दे सकता है हक ऄहधविा की फीस सहहत ऐसी रकम
जो न्यायालय ऄहभयि ु के व्ययों की पूहतण के हलए ईहचत समझे, ऄहभयोजन
द्वारा दी जाए।
धारा – 320 कमीिन हकसको जारी हकया जाएगा - (1) यहद साक्षी ईन राज्यक्षेत्रों के धारा 285 कमीिन हकसको जारी हकया जाएगा - (1) यहद साक्षी ईन राज्यक्षेत्रों के
भीतर है, हजन पर आस संहहता का हवस्तार है, तो कमीशन, ईस मख्ु य न्याहयक भीतर है, हजन पर आस संहहता का हवस्तार है, तो कमीशन, ईस महानगर
महजस्रेट को हनहदष्ट होगा, हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के ऄन्दर ऐसा महजस्रेट या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को हनहदष्ट होगा, हजसकी स्थानीय
साक्षी हमल सकता है। ऄहधकाररता के ऄन्दर ऐसा साक्षी हमल सकता है।
(2) यहद साक्षी भारत में है, हकन्तु ऐसे राज्य या ऐसे हकसी क्षेत्र में है, हजस पर (2) यहद साक्षी भारत में है, हकन्तु ऐसे राज्य या ऐसे हकसी क्षेत्र में है, हजस
आस संहहता का हवस्तार नहीं है तो कमीशन ऐसे न्यायालय या ऄहधकारी को पर आस संहहता का हवस्तार नहीं है तो कमीशन ऐसे न्यायालय या ऄहधकारी
हनहदष्ट होगा हजसे के न्द्रीय सरकार ऄहधसूचना द्वारा आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे। को हनहदष्ट होगा, हजसे के न्द्रीय सरकार ऄहधसूचना द्वारा आस हनहमत्त
(3) यहद साक्षी भारत से बाहर के देश या स्थान में है और ऐसे देश या स्थान हवहनहदण ष्ट करे।
की सरकार से के न्द्रीय सरकार ने अपराहधक मामलों के संबधं में साहक्षयों का (3) यहद साक्षी भारत से बाहर के देश या स्थान में है और ऐसे देश या
साक्ष्य लेने के हलए ठहराव कर रखे हैं तो कमीशन ऐसे प्ररूप में जारी हकया स्थान की सरकार से के न्द्रीय सरकार ने अपराहधक मामलों के संबधं में
जायेगा, ऐसे न्यायालय या ऄहधकारी को हनहदष्ट होगा और पारेहषत हकए जाने साहक्षयों का साक्ष्य लेने के हलए ठहराव कर रखे हैं तो कमीशन ऐसे प्ररूप में
के हलए ऐसे प्राहधकारी को भेजा जाएगा जो के न्द्रीय सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, जारी हकया जायेगा, ऐसे न्यायालय या ऄहधकारी को हनहदष्ट होगा और
आस हनहमत्त हवहहत करे। पारेहषत हकए जाने के हलए ऐसे प्राहधकारी को भेजा जाएगा जो के न्द्रीय
सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, आस हनहमत्त हवहहत करे।
धारा – 321 कमीिनों का हनष्पादन - कमीशन प्राप्त होने पर मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या धारा 286 कमीिनों का हनष्पादन - कमीशन प्राप्त होने पर मख्ु य महानगर महजस्रेट
ऐसा महजस्रेट हजसे वह आस हनहमत्त हनयि ु करे, साक्षी को ऄपने समक्ष अने या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट या ऐसा महानगर महजस्रेट या न्याहयक
के हलए समन करेगा ऄथवा ईस स्थान को जाएगा जहां साक्षी है और ईसका महजस्रेट हजसे वह आस हनहमत्त हनयि ु करे, साक्षी को ऄपने समक्ष अने के
साक्ष्य ईसी रीहत से हलखेगा और आस प्रयोजन के हलए ईन्हीं शहियों का हलए समन करेगा ऄथवा ईस स्थान को जाएगा जहां साक्षी है और ईसका
प्रयोग कर सके गा जो आस संहहता के ऄधीन वारण्ट मामलों के हवचारण के हलए साक्ष्य ईसी रीहत से हलखेगा और आस प्रयोजन के हलए ईन्हीं शहियों का
हैं। प्रयोग कर सके गा जो आस संहहता के ऄधीन वारण्ट मामलों के हवचारण के
हलए हैं।
धारा – 322 पक्षकार साहक्षयों की परीक्षा कर सकें गे - (1) आस संहहता के ऄधीन हकसी धारा 287 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऐसी कायण वाही के पक्षकार, हजसमें कमीशन जारी हकया गया है, ऄपने-ऄपने
ऐसे हलहखत पररप्रश्न भेज सकते हैं हजन्हें कमीशन का हनदेश देने वाला
न्यायालय या महजस्रेट हववाद्यक से सस ु ंगत समझता है और ईस महजस्रेट,
न्यायालय या ऄहधकारी के हलए, हजसे कमीशन हनहदष्ट हकया जाता है या हजसे
ईसके हनष्पादन का कतण व्य प्रत्यायोहजत हकया जाता है, यह हवहधपणू ण होगा हक
वह ऐसे पररप्रश्नों के अधार पर साक्षी की परीक्षा करे।
(2) कोइ ऐसा पक्षकार ऐसे महजस्रेट, न्यायालय या ऄहधकारी के समक्ष
ऄहधविा द्वारा, या यहद ऄहभरक्षा में नहीं है तो स्वयं हाहजर हो सकता है और
ईि साक्षी की परीक्षा, प्रहतपरीक्षा और पनु ः परीक्षा कर सकता है।
धारा – 323 कमीिन का लौटाया जाना - (1) धारा 319 के ऄधीन जारी हकए गए हकसी धारा 288
कमीशन के समयक् रूप से हनष्पाहदत हकए जाने के पश्चात् वह ईसके ऄधीन
परीहक्षत साहक्षयों के ऄहभसाक्ष्य सहहत ईसे अशापालय या महजस्रेट को,
हजसने कमीशन जारी हकया था, लौटाया जाएगा, और वह कमीशन, ईससे
समबद्ध हववरणी और ऄहभसाक्ष्य सब ईहचत समयों पर पक्षकारों के हनरीक्षण
के हलए प्राप्य होंगे, और सब अायसंगत ऄपवादों के ऄधीन रहते हुए, हकसी
पक्षकार द्वारा मामले में साक्ष्य में पढे जा सकें गे और ऄहभलेख का भाग होंगे।
(2) यहद ऐसे हलया गया कोइ ऄहभसाक्ष्य, भारतीय साक्ष्य ऄहधहनयम, 2023
की धारा 27 द्वारा हवहहत शारों को पूरा करता है, तो वह हकसी ऄन्य
न्यायालय के समक्ष भी मामले के हकसी पश्चात्वती प्रिम में साक्ष्य में हलया जा
सके गा।
धारा – 324 कायगिाही का स्थगन - प्रत्येक मामले में, हजसमें धारा 319 के ऄधीन धारा 289
कमीशन जारी हकया एया है, जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही ऐसे हवहनहदण ष्ट
समय तक के हलए, जो कमीशन के हनष्पादन और लौटाए जाने के हलए ईहचत
रूप से पयाण प्त है, स्थहगत की जा सकती है।
धारा – 325 हिदेिी कमीिनों का हनष्पादन - (1) धारा 321 के ईपबन्ध और धारा 322 धारा 290
और धारा 323 के ईतने भाग के ईपबन्ध, हजतना कमीशन का हनष्पादन हकए
जाने और ईसके लौटाए जाने से समबहन्धत है, आसमें आसके पश्चात् वहणण त
हकन्हीं न्यायालयों, न्यायाधीशों या महजस्रेटों द्वारा जारी हकए गए कमीशनों के
बारे में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे धारा 319 के ऄधीन जारी हकए गए कमीशनों
को लागू होते हैं।
(2) ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट न्यायालय, न्यायाधीश और महजस्रेट हनमनहलहखत
हैं- (क) भारत के ऐसे क्षेत्र के भीतर, हजस पर आस संहहता का हवस्तार नहीं है,
ऄहधकाररता का प्रयोग करने वाला ऐसा न्यायालय, न्यायाधीश या महजस्रेट
हजसे के न्द्रीय सरकार, ऄहधसूचना द्वारा, आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे;
(ख) भारत से बाहर के हकसी ऐसे देश या स्थान में, हजसे के न्द्रीय सरकार,
ऄहधसूचना द्वारा, आस हनहमत्त हवहनहदण ष्ट करे, ऄहधकाररता का प्रयोग करने
वाला और ईस देश या स्थान में प्रवृत्त हवहध के ऄधीन अपराहधक मामलों के
समबन्ध में साहक्षयों की परीक्षा के हलए कमीशन जारी करने का प्राहधकार रखने
वाला न्यायालय, न्यायाधीश या महजस्रेट।
धारा – 326 हचहकत्सीय साक्षी का ऄहभसाक्ष्य - (1) ऄहभयि ु की ईपहस्थहत में महजस्रेट धारा 291 कोइ पररवतण न नहीं ।
द्वारा हलया गया और ऄनप्रु माहणत हकया गया या आस ऄध्याय के ऄधीन
कमीशन पर हलया गया, हकसी हसहवल सजण न या ऄन्य हचहकत्सीय साक्षी का
ऄहभसाक्ष्य आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही में
साक्ष्य में हदया जा सके गा, यद्यहप ऄहभसाक्षी को साक्षी के तौर पर नहीं बलु ाया
गया है।
(2) यहद न्यायालय ठीक समझता है तो वह ऐसे हकसी ऄहभसाक्षी को समन
कर सकता है और ईसके ऄहभसाक्ष्य की हवषय-वस्तु के बारे में ईसकी परीक्षा
कर सकता है और ऄहभयोजन या ऄहभयि ु के अवेदन पर वैसा करेगा।
धारा – 327 महजस्रेट की हिनाख्त ररपोटग - (1) कोइ दस्तावेज, हजसका हकसी व्यहि या धारा 291-
समपहत्त के रामयन्ध में हकसी कायण पालक महजस्रेट की स्वहस्ताक्षररत क
हशनाख्त ररपोटण होनी तात्पहथण त हैं, आस संहहता के ऄधीन हकसी जााँच,
हवचारण या ऄन्य कायण वाही में साक्ष्य के रूप में ईपयोग में लाया जा सके गा,
यद्यहप ऐसे महजस्रेट को साक्षी के तौर पर नहीं बल ु ाया गया है :
परन्तु जहााँ ऐसी ररपोटण में ऐसे हकसी संहदग्ध व्यहि या साक्षी का हििरण है,
हजसे भारतीय साक्ष्य ऄहधहनयम, 2023 की धारा 19, धारा 26, धारा 27,
धारा 158 या धारा 160 के ईपबंध लागू होते हैं, िहााँ, ऐसा हििरण आस
ईपधारा के ऄधीन, ईन धाराओं के ईपबंधों के ऄनुसार के हसिाय, प्रयोग
में नहीं लाया जायेगा।
(2) न्यायालय, यहद वह ठीक समझता है तो ऄहभयोजन या ऄहभयि ु के
अवेदन पर ऐसे महजस्रेट को समन कर सके गा और ईि ररपोटण की हवषय
वस्तु के बारे में ईसकी परीक्षा कर सके गा और करेगा।
धारा – 328 टकसाल के ऄहधकाररयों का साक्ष्य - (1) कोइ दस्तावेज, जो हकसी धारा 292
टकसाल या नोट छपाइ मद्दु ाणालय के या हसक्ट्यरु रटी हप्रहटंग प्रेस के (हजसके
ऄन्तगण त स्टामप और लेखन सामग्री हनयन्त्रक का कायाण लय भी है) या न्याय
समबन्धी हवभाग या न्यायालहयक प्रयोगशाला प्रभाग के हकसी राजपहत्रत
ऄहधकारी की या प्रश्नगत दस्तावेजों के सरकारी परीक्षक या प्रश्नगत दस्तावेजों
के राज्य परीक्षक की हजसे के न्द्रीय सरकार ऄहधसूचना द्वारा आस हनहमत्त
हवहनहदण ष्ट करे, आस संहहता के ऄधीन हकसी कायण वाही के दौरान परीक्षा और
ररपोटण के हलए समयक् रूप से ईसे भेजी गइ हकसी सामग्री या चीज के बारे में
स्वहस्ताक्षररत ररपोटण होनी तात्पहथण त है, आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच,
हवचारण या ऄन्य कायण वाही में साक्ष्य के तौर पर ईपयोग में लाइ जा सके गी,
यद्यहप ऐसे ऄहधकारी को साक्षी के तौर पर नहीं बल ु ाया गया है।
(2) यहद न्यायालय ठीक समझता है तो वह ऐसे ऄहधकारी को समन कर
सकता है और ईसकी ररपोटण की हवषय-वस्तु के बारे में ईसकी परीक्षा कर
सकता है :
परन्तु ऐसा कोइ ऄहधकारी हकन्हीं ऐसे ऄहभलेखों को पेश करने के हलए समन
नहीं हकया जाएगा हजन पर ररपोटण अधाररत है।
(3) भारतीय साक्ष्य ऄहधहनयम, 2023 की धारा 129 और धारा 130 के
ईपबन्धों पर प्रहतकूल प्रभाव डाले हबना, ऐसा कोइ ऄहधकारी, हकसी टकसाल
या नोट छपाइ मद्रु णालय या हसक्ट्योररटी हप्रंहटंग प्रेस या न्याय समबन्धी हवभाग
के महाप्रबंधक या हकसी ऄन्य भारसाधक ऄहधकारी या न्यायालहयक
प्रयोगशाला के भारसाधक हकसी ऄहधकारी या प्रश्नगत दस्तावेज संगठन के
सरकारी परीक्षक या प्रश्नगत दस्तावेज संगठन के राज्य परीक्षक की ऄनज्ञ ु ा के
हबना, -
(क) ऐसे ऄप्रकाहशत शासकीय ऄहभलेखों से, हजन पर ररपोटण अधाररत है,
प्राप्त कोइ साक्ष्य देने के हलए ऄनज्ञ
ु ात नहीं हकया जाएगा; या
(ख) हकसी सामग्री या चीज की परीक्षा के दौरान ईसके द्वारा हकए गए परीक्षण
के स्वरूप या हवहशहष्टयों को प्रकट करने के हलए ऄनज्ञ ु ात नहीं हकया जाएगा।
धारा – 329 कहतपय सरकारी िैज्ञाहनक हििेषज्ञों की ररपोटग (1) कोइ दस्तावेज, जो धारा 293 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी सरकारी वैज्ञाहनक हवशेषज्ञ की, हजसे यह धारा लागू होती है, आस
संहहता के ऄधीन हकसी कायण वाही के दौरान परीक्षा या हवश्लेषण और ररपोटण के
हलए समयक् रूप से ईसे भेजी गइ हकसी सामग्री या चीज के बारे में स्व-
हस्ताक्षररत ररपोटण होनी तात्पहथण त है, आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच,
हवचारण या ऄन्य कायण वाही में साक्ष्य के तौर पर ईपयोग में लाइ जा सके गी।
(2) यहद न्यायालय ठीक समझता है तो वह ऐसे हवशेषज्ञ को समन कर सकता
है और ईसकी ररपोटण की हवषयवस्तु के बारे में ईसकी परीक्षा कर सके गा।
(3) जहां ऐसे हकसी हवशेषज्ञ को न्यायालय द्वारा समन हकया जाता है और वह
स्वयं हाहजर होने में ऄसमथण है वहां, ईस दशा के हसवाय हजसमें न्यायालय ने
ईसे स्वयं हाहजर होने के हलए स्पष्ट रूप से हनदेश हदया है, वह ऄपने साथ
काम करने वाले हकसी हजममेदार ऄहधकारी को न्यायालय में हाहजर होने के
हलए प्रहतहनयि ु कर सकता है यहद वह ऄहधकारी मामले के तथ्यों से ऄवगत
है तथा न्यायालय में ईसकी ओर से समाधानप्रद रूप में ऄहभसाक्ष्य दे सकता
है।
(4) यह धारा हनमनहलहखत सरकारी वैज्ञाहनक हवशेषज्ञों को लागू होती है,
ऄथाण त्:-
(क) सरकार का कोइ रासायहनक परीक्षक या सहायक रासायहनक परीक्षक;
(ख) मख्ु य हवस्फोटक हनयंत्रक;
(ग) हनदेशक ऄंगल ु ी-छाप ब्यूरो;
(घ) हनदेशक, हाफकीन संस्थान, ममु बइ;
(ङ) हकसी के न्द्रीय न्यायालहयक प्रयोगशाला या हकसी राज्य न्यायालहयक
प्रयोगशाला का हनदेशक, ईप-हनदेशक या सहायक हनदेशक;
(च) सरकारी सीरम हवज्ञानी;
(छ) कोइ ऄन्य सरकारी वैज्ञाहनक हवशेषज्ञ, जो आस प्रयोजन के हलए राज्य
सरकार या के न्द्रीय सरकार द्वारा, ऄहधसूचना द्वारा हवहनहदण ष्ट हकया गया हो।
धारा – 330 कुछ दस्तािेजों का औपचाररक सबूत अिश्यक न होना - (1) जहां धारा 294
ऄहभयोजन या ऄहभयि ु द्वारा हकसी न्यायालय के समक्ष कोइ दस्तावेज
फाआल हकया गया है, वहां ऐसी प्रत्येक दस्तावेज की हवहशहष्टयां एक सूची में
सहममहलत हकया जायेगा और ऄहभयोजन या ऄहभयि ु या ऄहभयोजन या
ऄहभयि ु के ऄहधििा से, यहद कोइ हों, ऐसे दस्तावेजों की पूहतग करने के
िीघ्र पश्चात् हकसी भी दिा में ऐसी पूहतग के पश्चात् तीस हदन के ऄपश्चात्,
ऐसे प्रत्येक दस्तावेज का ऄसली होना स्वीकार या आंकार करने की ऄपेक्षा की
जाएगी :
परन्तु न्यायालय ऄपने हििेक से ऐसे कारणों से जो ऄहभहलहखत हकए
जाएं, समय सीमा को हिहथल कर सके गा :
परन्तु यह और हक हकसी हििेषज्ञ को न्यायालय के समक्ष ईपहस्थत होने
के हलए जब तक नहीं बल ु ाया जाएगा तब तक ऐसे हििेषज्ञ की ररपोटग पर
हिचारण के हकसी पक्षकार द्वारा हििाद नहीं हकया जाता है।
(2) दस्तावेजों की सूची ऐसे प्ररूप में होगी जो राज्य सरकार हनयमों द्वारा
ईपबंहधत हकया जा सके ।
(3) जहां हकसी दस्तावेज का ऄसली होना हववादग्रस्त नहीं है वहां ऐसा
दस्तावेज ईस व्यहि के हजसके द्वारा ईसका हस्ताक्षररत होना तात्पहयण त है,
हस्ताक्षर के सबूत के हबना आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या
ऄन्य कायण वाही में साक्ष्य में पढा जा सके गा :
परन्तु न्यायालय, स्वहववेकानस ु ार, यह ऄपेक्षा कर सकता है हक ऐसे हस्ताक्षर
साहबत हकए जाएं ।
धारा – 331 लोक सेिकों के अचरण के सबूत के बारे में िपथपत्र-जब हकसी न्यायालय धारा 295 कोइ पररवतण न नहीं ।
में आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही के दौरान
कोइ अवेदन हकया जाता है और ईसमें हकसी लोक सेवक के बारे में
ऄहभकथन हकए जाते हैं तब अवेदक अवेदन में ऄहभकहथत तथ्यों का
शपथपत्र द्वारा साक्ष्य दे सकता है और यहद न्यायालय ठीक समझे तो वह
अदेश दे सकता है हक ऐसे तथ्यों से समबहन्धत साक्ष्य आस प्रकार हदया जाए।
धारा – 332 िपथपत्र पर औपचाररक साक्ष्य - (1) हकसी भी व्यहि का ऐसा साक्ष्य जो धारा 296 कोइ पररवतण न नहीं ।
औपचाररक है शपथपत्र द्वारा हदया जा सकता है और, सब न्यायसंगत ऄपवादों
के ऄधीन रहते हुए, आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या ऄन्य
कायण वाही में साक्ष्य में पढा जा सकता है।
(2) यहद न्यायालय ठीक समझे तो वह हकसी व्यहि को समन कर सकता है
और ईसके शपथपत्र में ऄतहवत तथ्यों के बारे में ईसकी परीक्षा कर सकता है
हकन्तु ऄहभयोजन या ऄहभयि ु के अवेदन पर ऐसा करेगा।
धारा – 333 प्राहधकारी हजनके समक्ष िपथपत्रों पर िपथ ग्रहण हकया जा सके गा - (1) धारा 297
आस संहहता के ऄधीन हकसी न्यायालय के समक्ष ईपयोग में लाए जाने वाले
शपथपत्रों पर शपथ ग्रहण या प्रहतज्ञान हनमनहलहखत के समक्ष हकया जा सकता
है-
(क) कोइ न्यायाधीश या कोइ न्याहयक या कायण पालक महजस्रेट; या
(ख) ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा हनयि ु कोइ शपथ अयि ु ः या
(ग) नोटरी ऄहधहनयम, 1952 (1952 का 53) के ऄधीन हनयि ु कोइ नोटरी।
(2) शपथपत्र ऐसे तथ्यों तक, हजन्हें ऄहभसाक्षी स्वयं ऄपनी जानकारी से
साहबत करने के हलए समथण है और ऐसे तथ्यों तक हजनके सत्य होने का
हवश्वास करने के हलए ईसके पास ईहचत अधार है, सीहमत होंगे और ईनमें
ईनका कथन ऄलग-ऄलग होगा तथा हवश्वास के अधारों की दशा में
ऄहभसाक्षी ऐसे हवश्वास के अधारों का स्पष्ट कथन करेगा।
(3) न्यायालय शपथपत्र में हकसी कलंकात्मक और हवसंगत बात के काटे जाने
या संशोहधत हकए जाने का अदेश दे सके गा।
धारा – 334 पूिग दोषहसहद्ध या दोषमहु ि कै से साहबत की जाए- पवू ण दोषहसहद्ध या दोषमहु ि धारा 298 कोइ पररवतण न नहीं ।
को, आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही में, हकसी
ऄन्य ऐसे ढंग के ऄहतररि, जो तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध द्वारा ईपबहन्धत है,
-
(क) ऐसे ईद्धरण द्वारा, हजसका ईस न्यायालय के , हजसमें ऐसी दोषहसहद्ध या
दोषमहु ि हुइ, ऄहभलेखों को ऄहभरक्षा में रखने वाले ऄहधकारी के हस्ताक्षर
द्वारा प्रमाहणत ईस दण्डादेश या अदेश की प्रहतहलहप होना है; या
(ख) दोषहसहद्ध की दशा में, या तो ऐसे प्रमाणपत्र द्वारा, जो ईस जेल के
भारसाधक ऄहधकारी द्वारा हस्ताक्षररत है हजसमें दण्ड या ईसका कोइ भाग
भोगा गया या सपु दु ण गी के ईस वारण्ट को पेश करके , हजनके ऄधीन दण्ड भोगा
गया था,
और आन दशाओं में से प्रत्येक में आस बात के साक्ष्य के साथ हक ऄहभयि ु
व्यहि वही व्यहि है जो ऐसे दोषहसद्ध या दोषमि ु हकया गया, साहबत हकया जा
सके गा।
धारा – 335 ऄहभयुि की ऄनुपहस्थहत में साक्ष्य का ऄहभलेख - (1) यहद यह साहबत कर धारा 299 कोइ पररवतण न नहीं ।
हदया जाता है हक ऄहभयि ु व्यहि फरार हो गया है और ईसके तरु न्त हगरफ्तार
हकये जाने की कोइ समभावना नहीं है तो ईस ऄपराध के हलए, हजसका
पररवाद हकया गया है, ईस व्यहि का हवचारण करने के हलए या हवचारण के
हलए सपु दु ण करने के हलए सक्षम न्यायालय ऄहभयोजन की ओर से पेश हकए गए
साहक्षयों की (यहद कोइ हो), ईसकी ऄनपु हस्थहत में परीक्षा कर सकता है और
ईनका ऄहभसाक्ष्य ऄहभहलहखत कर सकता है और ऐसा कोइ ऄहभसाक्ष्य ईस
व्यहि के हगरफ्तार होने पर, ईस ऄपराध की जांच या हवचारण में, हजसका
ईस पर अरोप है, ईसके हवरुद्ध साक्ष्य में हदया जा सकता है यहद ऄहभसाक्षी
मर गया है, या साक्ष्य देने के हलए ऄसमथण है, या हमल नहीं सकता है या
ईसकी हाहजरी आतने हवलमब, व्यय या ऄसहु वधा के हबना, हजतनी हक मामले
की पररहस्थहतयों में ऄनहु चत होगी, नहीं कराइ जा सकती है।
(2) यहद यह प्रतीत होता है हक मृत्यु या अजीवन कारावास से दण्डनीय कोइ
ऄपराध हकसी ऄज्ञात व्यहि या हकन्हीं ऄज्ञात व्यहियों द्वारा हकया गया है तो
ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश हनदेश दे सकता है हक कोइ प्रथम वगण
महजस्रेट जांच करे और हकन्हीं साहक्षयों की जो ऄपराध के बारे में साक्ष्य दे
सकते हों, परोक्षा करे और ऐसे हलया गया कोइ ऄहभसाक्ष्य, हकसी ऐसे व्यहि
के हवरुद्ध हजस पर ऄपराध का सत्पश्चात् ऄहभयोग लगाया जाता है, साक्ष्य में
हदया जा सकता है यहद ऄहभसाक्षी मर जाता है या साक्ष्य देने के हलए ऄसमथण
हो जाता है या भारत की सीमाओं से परे है।
धारा – 336 कहतपय मामलों में लोक सेिकों, हििेषज्ञों, पुहलस ऄहधकाररयों का साक्ष्य नया जोडा गया ।
- जहां लोक सेिक, िैज्ञाहनक हििेषज्ञ या हचहकत्सा ऄहधकारी द्वारा तैयार
हकया गया कोइ दस्तािेज या ररपोटग, आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच,
हिचारण या हकसी ऄन्य कायगिाही में साक्ष्य के रूप में प्रयुि हकए जाने के
हलए तात्पहथगत है, और-
(i) ऐसा लोक सेिक, हििेषज्ञ या ऄहधकारी, या तो स्थानान्तररत,
सेिाहनिि ृ हो जाता है या मर जाता है; या
(ii) ऐसा लोक सेिक, हििेषज्ञ या ऄहधकारी, पाया नहीं जा सकता है या
ऄहभसाक्ष्य देने के हलए ऄसमथग है; या
(iii) ऐसे लोक सेिक, हििेषज्ञ या ऄहधकारी जो जांच, हिचारण या ऄन्य
कायगिाही करने में देरी करते हैं की संरक्षा;
तो न्यायालय, ऐसे दस्तािेज या ररपोटग पर ऄहभसाक्ष्य देने के हलए ऐसे
ऄहधकारी, हििेषज्ञ या लोक सेिक के ईिरजीिी ऄहधकारी जो ऐसे
ऄहभसाक्ष्य के समय पर धारण हकए हुए हैं, को सहु नहश्चत करेगा :
परन्तु हकसी भी लोक सेिक, िैज्ञाहनक हििेषज्ञ या हचहकत्सा ऄहधकारी
को न्यायालय के समक्ष हाहजर होने के हलए तब तक नहीं कहा जाएगा जब
तक हक ऐसे लोक सेिक, िैज्ञाहनक हििेषज्ञ या हचहकत्सा ऄहधकारी की
ररपोटग पर हिचारण या ऄन्य कायगिाहहयों के पक्षकारों में से हकसी के द्वारा
ईस पर हििाद नहीं हकया गया है:
परन्तु यह और हक ऐसे ईिरिती लोक सेिक, हििेषज्ञ या ऄहधकारी के
ऄहभसाक्ष्य को श्रव्य-दृव्य आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से भी ऄनज्ञ
ु ात
हकया जा सके गा।
ऄध्याय 26 - जांचों तथा हिचारणों के बारे में साधारण ईपबन्ध
धारा – 337 एक बार दोषहसद्ध या दोषमि ु हकए गए व्यहि का ईसी ऄपराध के हलए धारा 300
हिचारण न हकया जाना - (1) हजस व्यहि का हकसी ऄपराध के हलए सक्षम
ऄहधकाररता वाले न्यायालय द्वारा एक बार हवचारण हकया जा चक ु ा है और जो
ऐसे ऄपराध के हलए दोषहसद्ध या दोषमि ु हकया जा चकु ा है, वह पनु ः जब तक
ऐसी दोषहसहद्ध या दोषमहु ि प्रवृत्त रहती है तब तक न तो ईसी ऄपराध के हलए
हवचारण का भागी होगा और न ईन्हीं तथ्यों पर हकसी ऐसे ऄन्य ऄपराध के
हलए हवचारण का भागी होगा हजसके हलए ईसके हवरुद्ध लगाए गए अरोप से
हभन्न अरोप धारा 244 की ईपधारा (1) के ऄधीन लगाया जा सकता था या
हजसके हलए वह ईसकी ईपधारा (2) के ऄधीन दोषहसद्ध हकया जा सकता था।
(2) हकसी ऄपराध के हलए दोषमि ु या दोषहसद्ध हकए गए हकसी व्यहि का
हवचारण, तत्पश्चात् राज्य सरकार की सममहत से हकसी ऐसे हभन्न ऄपराध के
हलए हकया जा सकता है हजसके हलए पूवणगामी हवचारण में ईसके हवरुद्ध धारा
243 की ईपधारा (1) के ऄधीन पृथक् अरोप लगाया जा सकता था।
(3) जो व्यहि हकसी ऐसे कायण से बनने वाले हकसी ऄपराध के हलए दोषहसद्ध
हकया गया है, जो ऐसे पररणाम पैदा करता है जो ईस कायण से हमलकर ईस
ऄपराध से, हजसके हलए वह हसद्धदोष हुअ, हभन्न कोइ ऄपराध बनाते हैं,
ईसका ऐसे ऄहन्तम वहणण त ऄपराध के हलए तत्पश्चात् हवचारण हकया जा सकता
है, यहद ईस समय जब वह दोषहसद्ध हकया गया था वे पररणाम हुए नहीं थे या
ईनका होना न्यायालय को ज्ञात नहीं था।
(4) जो व्यहि हकन्हीं कायों से बनने वाले हकसी ऄपराध के हलए दोषमि ु या
दोषहसद्ध हकया गया है, ईस पर ऐसी दोषमहु ि या दोषहसहद्ध के होने पर भी,
ईन्हीं काययों से बनने वाले और ईसके द्वारा हकए गए हकसी ऄन्य ऄपराध के
हलए तत्पश्चात् अरोप लगाया जा सकता है और ईसका हवचारण हकया जा
सकता है, यहद वह न्यायालय, हजसके द्वारा पहले ईसका हवचारण हकया गया
था, ईस ऄपराध के हवचारण के हलए सक्षम नहीं था हजसके हलए बाद में ईस
पर अरोप लगाया जाता है।
(5) धारा 281 के ऄधीन ईन्मोहचत हकए गए व्यहि का ईसी ऄपराध के हलए
पनु ः हवचारण ईस अपलय की, हजसके द्वारा वह ईन्मोहचत हकया गया था, या
ऄन्य हकसी ऐसे न्यायालय की, हजसके प्रथम ऄहत न्यायालय ऄधीनस्थ है,
सममहत के हबना नहीं हकया जाएगा।
(6) आस धारा की कोइ बात साधारण खण्ड ऄहधहनयम, 1897 (1897 का
10) की धारा 26 के या आस संहहता की धारा 208 के ईपबन्धों पर प्रभाव नहीं
डालेगी।
स्पष्टीकरण-पररवाद का खाररज हकया जाना या ऄहभयि ु का ईन्मोचन आस
धारा के प्रयोजन के हलए दोषमहु ि नहीं है।
दृष्टान्त
(क) क का हवचारण सेवक की हैहसयत में चोरी करने के अरोप पर हकया
जाता है और वह दोषमि ु कर हदया जाता है। जब तक दोषमहु ि प्रवृत्त रहे, ईस
पर सेवक के रूप में चोरी के हलए या ईन्हीं तथ्यों पर के वल चोरी के हलए या
अपराहधक न्यास-भंग के हलए बाद में अरोप नहीं लगाया जा सकता।
(ख) घोर ईपहहत काररत करने के हलए क का हवचारण हकया जाता है और वह
दोषहसद्ध हकया जाता है। क्षत व्यहि तत्पश्चात् मर जाता है। अपराहधक
मानववध के हलए क का पनु ः हवचारण हकया जा सके गा।
(ग) ख के अपराहधक मानववध के हलए क पर सेशन न्यायालय के समक्ष
अरोप लगाया जाता है और वह दोषहसद्ध हकया जाता है। ख की हत्या के हलए
क का ईन्हीं तथ्यों पर तत्पश्चात् हवचारण नहीं हकया जा सके गा।
(घ) ख को स्वेच्छा से ईपहहत काररत करने के हलए क पर प्रथम वगण महजस्रेट
द्वारा अरोप लगाया जाता है और वह दोषहसद्ध हकया जाता है। ख को स्वेच्छा
से घोर ईपहहत काररत करने के हलए क का ईन्हीं ईथ्यों पर तत्पश्चात् हवचारण
नहीं हकया जा सके गा जब तक हक मामला आस धारा की ईपधारा (3) के भीतर
न अए।
(ङ) ख के शरीर से समपहत्त की चोरी करने के हलए क पर हद्वतीय वगण महजस्रेट
द्वारा अरोप लगाया जाता है और वह दोषहसद्ध हकया जाता है। ईन्हीं तथ्यों पर
तत्पश्चात् क पर लूट का अरोप लगाया जा सके गा और ईसका हवचारण हकया
जा सके गा।
(च) घ को लूटने के हलए क, ख और ग पर प्रथम वगण महजस्रेट द्वारा अरोप
लगाया जाता है और के दोषहसद्ध हकए जाते हैं। डकै ती के हलए ईन्हीं तथ्यों पर
तत्पश्चात् क, ख और ग पर अरोप लगाया हा सके गा और ईनका हवचारण
हकया जा सके गा।
धारा – 338 लोक ऄहभयोजकों द्वारा हाहजरी - (1) हकसी मामले का भारसाधक लोक धारा 301 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहभयोजक सहायक लोक ऄहभयोजक हकसी न्यायालय में, हजसमें वह मामला
जांच, हवचारण या ऄपील के ऄधीन है. हकसी हलहखत प्राहधकार के हबना
हाहजर हो सकता है और ऄहभवचन कर सकता है।
(2) हकसी ऐसे मामले में यहद कोइ प्राआवेट व्यहि हकसी न्यायालय में हकसी
व्यहि को ऄहभयोहज करने के हलए, हकसी ऄहधविा को ऄनदु ेश देता है तो
मामले का भारसाधक लोक ऄहभयोजक या सा लोक ऄहभयोजक ऄहभयोजन
का संचालन करेगा और ऐसे ऄनहु दष्ट ऄहधविा ईसमें लोक ऄहभयोजक
सहायक लोक ऄहभयोजक के हनदेश के ऄधीन कायण करेगा और न्यायालय की
ऄनज्ञु ा से ईस मामले में की समाहप्त पर हलहखत रूप में तकण पेश कर सके गा।
धारा – 339 ऄहभयोजन का संचालन करने की ऄनुज्ञा- (1) हकसी मामले की जांच या धारा 302 कोइ पररवतण न नहीं ।
हवचा वाला कोइ महजस्रेट हनरीक्षक की पंहि से नीचे के पहु लस ऄहधकारी से
हभत्र हकसी भी व्यहि द्वारा ऄहभयोजन के संचाहलत हकए जाने की ऄनज्ञ ु ा दे
सकता है; हकन्तु महाहधविा या सरकारी ऄहधविा या लोक ऄहभयोजक या
सहायक लोक ऄहभयोजक से हभन्न कोइ व्यहि ऐसी ऄनज्ञ ु ा के हबना ऐसा
करने का हकदार न होगा:
परन्तु यहद पहु लस के हकसी ऄहधकारी ने ईस ऄपराध के ऄन्वेषण में, हजसके
बारे में ऄहभयि ु का ऄहभयोजन हकया जा रहा है, भाग हलया है तो ऄहभयोजन
का संचालन करने की ईसे ऄनज्ञ ु ा न दी जाएगी।
(2) ऄहभयोजन का संचालन करने वाला कोइ व्यहि स्वयं या ऄहधविा द्वारा
ऐसा कर सकता है।
धारा – 340 हजस व्यहि के हिरुद्ध कायगिाही संहस्थत की गइ है ईसका प्रहतरक्षा कराने धारा 303 कोइ पररवतण न नहीं ।
का ऄहधकार-जो व्यहि दण्ड न्यायालय के समक्ष ऄपराध के हलए ऄहभयि ु है
या हजसके हवरुद्ध आस संहहता के ऄधीन कायण वाहहयां संहस्थत की गइ हैं,
ईसका यह ऄहधकार होगा हक ईसकी पसन्द के ऄहधविा द्वारा ईसकी
प्रहतरक्षा की जाए।
धारा – 341 कुछ मामलों में ऄहभयुि को राज्य के व्यय पर हिहधक सहायता- (1) जहां धारा 304
न्यायालय के समक्ष हकसी हवचारण या ऄपील में, ऄहभयि ु का प्रहतहनहधत्व
हकसी ऄहधविा द्वारा नहीं हकया जाता है और जहां न्यायालय को यह प्रतीत
होता है हक ऄहभयि ु के पास हकसी ऄहधविा को हनयि ु करने के हलए पयाण प्त
साधन नहीं है, वहां न्यायालय ईसकी प्रहतरक्षा के हलए राज्य के व्यय पर
ऄहधविा हनयत करेगा।
(2) राज्य सरकार के पवू ण ऄनमु ोदन से ईच्च न्यायालय-
(क) ईपधारा (1) के ऄधीन प्रहतरक्षा के हलए ऄहधििाओं के चयन के ढंग
का;
(ख) ऐसे ऄहधििाओं को न्यायालयों द्वारा दी जाने वाली सहु वधाओं का;
(ग) ऐसे ऄहधििाओं को सरकार द्वारा संदेय फीसों का और साधारणतः
ईपधारा (1) के प्रयोजनों को कायाण हन्वत करने के हलए, ईपबन्ध करने वाले
हनयम बना सकता है।
(3) राज्य सरकार ऄहधसूचना द्वारा यह हनदेश दे सकती है हक ईस तारीख से,
जो ऄहधसूचना में हवहनहदण ष्ट की जाए, ईपधारा (1) और (2) के ईपबन्ध राज्य
के ऄन्य न्यायालयों के समक्ष हकसी वगण के हवचारणों के समबन्ध में वैसे ही लागू
होंगे जैसे वे सेशन न्यायालय के समक्ष हवचारणों के समबन्ध में लागू होते हैं।
धारा – 342 प्रहिया, जब हनगम या रहजस्रीकृत सोसाआटी ऄहभयुि है- (1) आस धारा में, धारा 305 कोइ पररवतण न नहीं ।
"हनगम" से कोइ हनगहमत कमपनी या ऄन्य हनगहमत हनकाय ऄहभप्रेत है, और
आसके ऄन्तगण त सोसाआटी रहजस्रीकरण ऄहधहनयम, 1860 (1860 का 21) के
ऄधीन रहजस्रीकृ त सोसाआटी भी है।
(2) जहां कोइ हनगम हकसी जांच या हवचारण में ऄहभयि ु व्यहि या ऄहभयि ु
व्यहियों में से एक है वहां वह ऐसी जांच या हवचारण के प्रयोजनाथण एक
प्रहतहनहध हनयि ु कर सकता है और ऐसी हनयहु ि हनगम की मद्रु ा के ऄधीन
करना अवश्यक नहीं होगा।
(3) जहां हनगम का कोइ प्रहतहनहध हाहजर होता है, वहां आस संहहता की आस
ऄपेक्षा का हक कोइ बात ऄहभयि ु की हाहजरी में की जाएगी या ऄहभयि ु को
पढकर सनु ाइ जाएगी या बताइ जाएगी या समझाइ जाएगी, आस ऄपेक्षा के रूप
में ऄथण लगाया जाएगा हक वह, बात प्रहतहनहध की हाहजरी में की जाएगी,
प्रहतहनहध को पढकर सनु ाइ जाएगी या बताइ जाएगी या समझाइ जाएगी और
हकसी ऐसी ऄपेक्षा का हक ऄहभयि ु की परीक्षा की जाएगी, आस ऄपेक्षा के रूप
में ऄथण लगाया जाएगा हक प्रहतहनहध की परीक्षा की जाएगी।
(4) जहां हनगम का कोइ प्रहतहनहध हाहजर नहीं होता है, वहां कोइ ऐसी ऄपेक्षा,
जो ईपधारा (3) में हनहदण ष्ट है, लागू नहीं होगी।
(5) जहां हनगम के प्रबन्ध हनदेशक द्वारा ययाण हकसी ऐसे व्यहि द्वारा (वह चाहे
हजस नाम से पक ु ारा जाता हो) जो हनगम के कायण कलाप का प्रबन्ध करता है या
प्रबन्ध करने वाले व्यहियों में से एक है, हस्ताक्षर हकया गया तात्पहथण त आस
भाव का हलहखत कथन फाआल हकया जाता है हक कथन में नाहमत व्यहि को
आस धारा के प्रयोजनों के हलए हनगम के प्रहतहनहध के रूप में हनयि ु हकया गया
है, वहां न्यायालय, जब तक आसके प्रहतकूल साहबत नहीं हकया जाता है, यह
ईपधारणा करेगा हक ऐसा व्यहि आस प्रकार हनयि ु हकया गया है।
(6) यहद यह प्रश्न ईठता है हक न्यायालय के समक्ष हकसी जांच या हवचारण में
हनगम के प्रहतहनहध के रूप में हाहजर होने वाला कोइ व्यहि ऐसा प्रहतहनहध है
या नहीं, तो ईस प्रश्न का ऄवधारण न्यायालय द्वारा हकया जाएगा।
धारा – 343 सह-ऄपराधी को क्षमा-दान (1) हकसी ऐसे ऄपराध से, हजसे यह धारा लागू धारा 306 सह-ऄपराधी को क्षमा-दान (1) हकसी ऐसे ऄपराध से, हजसे यह धारा
होती है, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में समबद्ध या संसहगण त समझे जाने वाले हकसी लागू होती है, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में समबद्ध या संसहगण त समझे जाने वाले
व्यहि का साक्ष्य ऄहभप्राप्त करने की दृहष्ट से. मख्ु य न्याहयक महजस्रेट ऄपराध हकसी व्यहि का साक्ष्य ऄहभप्राप्त करने की दृहष्ट से. मख्ु य न्याहयक
के ऄन्वेषण या जांच या हवचारण के हकसी प्रिम में, और ऄपराध की जांच या महजस्रेट ऄपराध के ऄन्वेषण या जांच या हवचारण के हकसी प्रिम में, और
हवचारण करने वाला प्रथम वगण महजस्रे ट जांच या हवचारण के हकसी प्रिम में ऄपराध की जांच या हवचारण करने वाला प्रथम वगण महजस्रेट जांच या
ईस व्यहि को आस शतण पर क्षमा-दान कर सकता है हक वह ऄपराध के समबन्ध हवचारण के हकसी प्रिम में ईस व्यहि को आस शतण पर क्षमा-दान कर
में और ईसके हकए जाने में चाहे कताण या दष्ु प्रेरक के रूप में समबद्ध प्रत्येक सकता है हक वह ऄपराध के समबन्ध में और ईसके हकए जाने में चाहे कताण
ऄन्य व्यहि के समबन्ध में सब पररहस्थहतयों का, हजनकी ईसे जानकारी हो, या दष्ु प्रेरक के रूप में समबद्ध प्रत्येक ऄन्य व्यहि के समबन्ध में सब
पूणण और सत्य प्रकटन कर दे। पररहस्थहतयों का, हजनकी ईसे जानकारी हो, पूणण और सत्य प्रकटन कर दे।
(2) यह धारा हनमनहलहखत को लागू होती है :- (2) यह धारा हनमनहलहखत को लागू होती है :-
(क) ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा या तत्समय प्रिि ृ हकसी ऄन्य हिहध के (क) ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा या दण्ड हवहध संशोधन ऄहधहनयम
ऄधीन हनयि ु हवशेष न्यायाधीश के न्यायालय द्वारा हवचारणीय कोइ ऄपराध; 1952 (1952 का 46) के ऄधीन हनयि ु हवशेष न्यायाधीश के न्यायालय
(ख) ऐसे कारावास से, हजसकी ऄवहध सात वषण तक की हो या ऄहधक कठोर द्वारा हवचारणीय कोइ ऄपराध;
दण्ड से दण्डनीय कोइ ऄपराध। (ख) ऐसे कारावास से, हजसकी ऄवहध सात वषण तक की हो या ऄहधक
(3) प्रत्येक महजस्रेट जो, ईपधारा (1) के ऄधीन क्षमा-दान करता है, - कठोर दण्ड से दण्डनीय कोइ ऄपराध।
(क) ऐसा करने के ऄपने कारणों को ऄहभहलहखत करेगा; (3) प्रत्येक महजस्रेट जो, ईपधारा (1) के ऄधीन क्षमा-दान करता है, -
(ख) यह ऄहभहलहखत करेगा हक क्षमा-दान ईस व्यहि द्वारा, हजसको हक वह (क) ऐसा करने के ऄपने कारणों को ऄहभहलहखत करेगा;
हकया गया था स्वीकार कर हलया गया था या नहीं, और ऄहभयि ु द्वारा (ख) यह ऄहभहलहखत करेगा हक क्षमा-दान ईस व्यहि द्वारा, हजसको हक
अवेदन हकए जाने पर ईसे ऐसे ऄहभलेख की प्रहतहलहप हनःशलु क देगा। वह हकया गया था स्वीकार कर हलया गया था या नहीं, और ऄहभयि ु द्वारा
(4) ईपधारा (1) के ऄधीन क्षमा-दान स्वीकार करने वाले- अवेदन हकए जाने पर ईसे ऐसे ऄहभलेख की प्रहतहलहप हनःशलु क देगा।
(क) प्रत्येक व्यहि की ऄपराध का संज्ञान करने वाले महजस्रेट के न्यायालय (4) ईपधारा (1) के ऄधीन क्षमा-दान स्वीकार करने वाले-
में और पश्चात्वती हवचारण में यहद कोइ हो, साक्षी के रूप में परीक्षा की जाएगी; (क) प्रत्येक व्यहि की ऄपराध का संज्ञान करने वाले महजस्रेट के
(ख) प्रत्येक व्यहि को, जब तक हक वह पहले से ही जमानत पर न हो, न्यायालय में और पश्चात्वती हवचारण में यहद कोइ हो, साक्षी के रूप में
हवचारण खत्म होने तक ऄहभरक्षा में हनरुद्ध रखा जाएगा। परीक्षा की जाएगी;
(5) जहां हकसी व्यहि ने ईपधारा (1) के ऄधीन हकया गया क्षमा-दान स्वीकार (ख) प्रत्येक व्यहि को, जब तक हक वह पहले से ही जमानत पर न हो,
कर हलया है और ईसकी ईपधारा (4) के ऄधीन परीक्षा की जा चक ु ी है, वहां हवचारण खत्म होने तक ऄहभरक्षा में हनरुद्ध रखा जाएगा।
ऄपराध का संज्ञान करने वाला महजस्रे ट, मामले में कोइ ऄहतररि जांच हकए (5) जहां हकसी व्यहि ने ईपधारा (1) के ऄधीन हकया गया क्षमा-दान
हबना, - स्वीकार कर हलया है और ईसकी ईपधारा (4) के ऄधीन परीक्षा की जा
(क) मामले को- चक ु ी है, वहां ऄपराध का संज्ञान करने वाला महजस्रेट, मामले में कोइ
(i) यहद ऄपराध ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय है या यहद संज्ञान ऄहतररि जांच हकए हबना, -
करने वाला महजस्रेट मख्ु य न्याहयक महजस्रेट है तो, ईस न्यायालय को सपु दु ण (क) मामले को-
कर देगा; (i) यहद ऄपराध ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय है या यहद
(ii) यहद ऄपराध ऄनन्यतः तत्समय प्रिि ृ ऄन्य हिहध के ऄधीन हनयि ु संज्ञान करने वाला महजस्रेट मख्ु य न्याहयक महजस्रेट है तो, ईस
हवशेष न्यायाधीश के न्यायालय द्वारा हवचारणीय है तो ईस न्यायालय को सपु दु ण न्यायालय को सपु दु ण कर देगा;
कर देगा; (ii) यहद ऄपराध ऄनन्यतः दण्ड हवहध संशोधन ऄहधहनयम 1952 (1952
(ख) हकसी ऄन्य दशा में, मामला मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के हवाले करेगा जो का 46) के ऄधीन हनयि ु हवशेष न्यायाधीश के न्यायालय द्वारा हवचारणीय
ईसका हवचारण स्वयं करेगा। है तो ईस न्यायालय को सपु दु ण कर देगा;
(ख) हकसी ऄन्य दशा में, मामला मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के हवाले करेगा
जो ईसका हवचारण स्वयं करेगा।
धारा – 344 क्षमा-दान का हनदेि देने की िहि- मामले की सपु दु ण गी के पश्चात् हकसी समय धारा 307 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकन्तु हनणण य हदए जाने के पूवण वह न्यायालय हजसे मामला सपु दु ण हकया जाता है
हकसी ऐसे ऄपराध से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में समबद्ध या संसहगण त समझे जाने
वाले हकसी व्यहि का साक्ष्य हवचारण में ऄहभप्राप्त करने की दृहष्ट से ईस व्यहि
को ईसी शतण पर क्षमा-दान कर सकता है।
धारा – 345 क्षमा की ितों का पालन न करने िाले व्यहि का हिचारण- (1) जहां ऐसे धारा 308
व्यहि के बारे में हजसने धारा 343 या धारा 344 के ऄधीन क्षमा-दान स्वीकार
कर हलया है, लोक ऄहभयोजक प्रमाहणत करता है हक ईसकी राय में ऐसे व्यहि
ने या तो हकसी ऄत्यावश्यक बात को जानबूझकर हछपा कर या हमथ्या साक्ष्य
देकर ईस शतण का पालन नहीं हकया है हजस पर क्षमा-दान हकया गया था वहां
ऐसे व्यहि का हवचारण ईस ऄपराध के हलए, हजसके बारे में ऐसे क्षमा-दान
हकया गया था या हकसी ऄन्य ऄपराध के हलए, हजसका वह ईस हवषय के
समबन्ध में दोषी प्रतीत होता है, और हमथ्या साक्ष्य के भी ऄपराध के हलए भी
हवचारण हकया जा सकता है:
परन्तु ऐसे व्यहि का हवचारण ऄन्य ऄहभयि ु ों में से हकसी के साथ संयि ु तः
नहीं हकया जाएगा :
परन्तु यह और हक हमथ्या साक्ष्य देने के ऄपराध के हलए ऐसे व्यहि का
हवचारण ईच्च न्यायालय को मंजूरी के हबना नहीं हकया जाएगा और धारा 215
या धारा 379 की कोइ बात ईस ऄपराध को लागू न होगी।
(2) क्षमा-दान स्वीकार करने वाले ऐसे व्यहि द्वारा हकया गया और धारा 183
के ऄधीन हकसी महजस्रेट द्वारा या धारा 343 की ईपधारा (4) के ऄधीन
हकसी न्यायालय द्वारा ऄहभहलहखत कोइ कथन ऐसे हवचारण में ईसके हवरुद्ध
साक्ष्य में हदया जा सकता है।
(3) ऐसे हवचारण में ऄहभयि ु यह ऄहभवचन करने का हकदार होगा हक ईसने
ईन शतों का पालन कर हदया है हजन पर ईसे क्षमा-दान हदया गया था, और
तब यह साहबत करना ऄहभयोजन का काम होगा हक ऐसी शतों का पालन नहीं
हकया गया है।
(4) ऐसे हवचारण के समय न्यायालय-
(क) यहद वह सेशन न्यायालय है तो अरोप ऄहभयि ु को पढकर सनु ाए जाने
और समझाए जाने के पूवण;
(ख) यहद वह महजस्रेट का न्यायालय है तो ऄहभयोजन के साहक्षयों का साक्ष्य
हलए जाने के पवू ण , ऄहभयि ु से पछ
ू े गा हक क्ट्या वह यह ऄहभवचन करता है हक
ईसने ईन शतों का पालन हकया है हजन पर ईसे क्षमा-दान हदया गया था।
(5) यहद ऄहभयि ु ऐसा ऄहभवचन करता है तो न्यायालय ईस ऄहभवाक् को
ऄहभहलहखत करेगा और हववारण के हलए ऄग्रसर होगा और वह मामले में
हनणण य देने के पूवण आस हवषय में हनष्कषण हनकालेगा हक ऄहभयि ु ने क्षमा की
शतों का पालन हकया है या नहीं; और यहद यह हनष्कषण हनकलता है हक ईसने
ऐसा पालन हकया है तो वह आस संहहता में हकसी बात के होते हुए भी, दोषमहु ि
का हनणण य देगा।
धारा – 346 कायगिाही को मल्ु तिी या स्थहगत करने की िहि (1) प्रत्येक जांच या धारा 309
हवचारण में, कायण वाहहयां सभी हाहजर साहक्षयों की परीक्षा हो जाने तक हदन-
प्रहतहदन जारी रखी जाएंगी, जब तक हक ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध हकये
जायेंगे, न्यायालय ईन्हें ऄगले हदन से परे स्थहगत करना अवश्यक न समझे :
परन्तु जब जांच या हवचारण भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64,
धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 के ऄधीन
हकसी ऄपराध से समबहन्धत है, तब जांच या हवचारण, यथासंभव अरोप-पत्र
फाआल हकये जाने की तारीख से दो मास की ऄवहध के भीतर परू ा हकया
जायेगा।
(2) यहद न्यायालय हकसी ऄपराध का संज्ञान करने या हवचारण के प्रारमभ होने
के पश्चात् यह अवश्यक या ईहचत समझता है हक हकसी जांच या हवचारण का
प्रारमभ करना मलु तवी कर हदया जाए या ईसे स्थहगत कर हदया जाए तो वह
समय-समय पर, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, ऐसे हनबन्धनों पर,
जैसे वह ठीक समझे, ईतने समय के हलए हजतना वह ईहचत समझे ईसे
मलु तवी या स्थहगत कर सकता है और यहद ऄहभयि ु ऄहभरक्षा में है तो ईसे
वारण्ट द्वारा प्रहतप्रेहषत कर सकता है :
परन्तु कोइ न्यायालय हकसी ऄहभयि ु को आस धारा के ऄधीन एक समय में
पन्द्रह हदन से ऄहधक की ऄवहध के हलए ऄहभरक्षा में प्रहतप्रेहषत न करेगा :
परन्तु यह और हक जब साक्षी हाहजर हों तब ईनकी परीक्षा हकए हबना स्थगन
या मलु तवी करने की मंजूरी हवशेष कारणों के हबना, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे,
नहीं दी जाएगी:
परन्तु यह भी हक कोइ स्थगन के वल आस प्रयोजन के हलए नहीं मंजूर हकया
जाएगा हक वह ऄहभयि ु व्यहि को ईस पर ऄहधरोहपत हकए जाने के हलए
प्रस्थाहपत दण्डादेश के हवरुद्ध हेतक ु दहशण त करने में समथण बनाए :
परन्तु यह भी हक-
(क) कोइ भी स्थगन हकसी पक्षकार के ऄनरु ोध पर तभी मंजूर हकया जाएगा,
जब पररहस्थहतयां ईस पक्षकार के हनयंत्रण से परे हों;
(ख) जहां पररहस्थहतयां पक्षकार के हनयंत्रण से बाहर है, न्यायालय द्वारा
ऄन्य पक्षकारों के अक्षेपों की सुनिाइ के पश्चात् और ऐसे कारणों से जो
ऄहभहलहखत हकए जाएं, दो से ऄनहधक स्थगन प्रदान हकया जा सके गा;
(ग) यह तथ्य हक पक्षकार का ऄहधििा हकसी ऄन्य न्यायालय में व्यस्त है,
स्थगन के हलए कोइ अधार नहीं होगा;
(घ) जहां साक्षी न्यायालय में हाहजर है हकन्तु पक्षकार या ईसका ऄहधििा
हाहजर नहीं है या पक्षकार या ईसका ऄहधििा न्यायालय में हाहजर तो है,
हकन्तु साक्षी को परीक्षा या प्रहतपरीक्षा करने के हलए तैयार नहीं है वहां यहद
न्यायालय ठीक समझता है तो वह साक्षी का कथन ऄहभहलहखत कर सके गा
और ऐसे अदेश पाररत कर सके गा, जो यथाहस्थहत, साक्षी की मख्ु य परीक्षा या
प्रहतपरीक्षा से छूट देने के हलए ठीक समझे।
स्पष्टीकरण 1- यहद यह सन्देह करने के हलए पयाण प्त साक्ष्य प्राप्त कर हलया गया
है हक हो सकता है हक ऄहभयि ु ने ऄपराध हकया है और यह समभाव्य प्रतीत
होता है हक प्रहतप्रेषण करने पर ऄहतररि साक्ष्य प्राप्त हकया जा सकता है तो
यह प्रहतप्रेषण के हलए एक ईहचत कारण होगा।
स्पष्टीकरण 2- हजन हनबन्धनों पर कोइ स्थगन या मलु तवी करना मंजूर हकया
जा सकता है, ईनके ऄन्तगण त समहु चत मामलों में ऄहभयोजन या ऄहभयि ु द्वारा
खचााँ का हदया जाना भी है।
धारा – 347 स्थानीय हनरीक्षण - (1) कोइ न्यायाधीश या महजस्रेट हकसी जांच, हवचारण धारा 310 कोइ पररवतण न नहीं ।
या ऄन्य कायण वाही के हकसी प्रिम में, पक्षकारों को समयक् सूचना देने के
पश्चात् हकसी स्थान में, हजसमें ऄपराध का हकया जाना ऄहभकहथत है, या
हकसी ऄन्य स्थान में जा सके गा और ईसका हनरीक्षण कर सकता है, हजसके
बारे में ईसकी राय है हक ईसका ऄवलोकन ऐसी जांच या हवचारण में हदए गये
साक्ष्य का ईहचत हववेचन करने के प्रयोजन से अवश्यक है और ऐसे हनरीक्षण
में देखे गए हकन्हीं सस ु ंगत तथ्यों का ज्ञापन, ऄनावश्यक हवलमब के हबना,
लेखबद्ध करेगा।
(2) ऐसा ज्ञापन मामले के ऄहभलेख का भाग होगा और यहद ऄहभयोजक,
पररवादी या ऄहभयि ु या मामले का ऄन्य कोइ पक्षकार ऐसा चाहे तो ईसे
ज्ञापन की प्रहतहलहप हनःशलु क दी जाएगी।
धारा – 348 अिश्यक साक्षी को समन करने या ईपहस्थत व्यहि की परीक्षा करने की धारा 311 कोइ पररवतण न नहीं ।
िहि- कोइ न्यायालय आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच, हवचारण या ऄन्य
कायण वाही के हकसी प्रिम में हकसी व्यहि को साक्षी के तौर पर समन कर
सकता है या हकसी ऐसे व्यहि की, जो हाहजर हो, यद्यहप वह साक्षी के रूप में
समन न हकया गया हो, परीक्षा कर सकता है, हकसी व्यहि को, हजसकी पहले
परीक्षा की जा चक ु ी है पनु ः बल
ु ा सकता है और ईसकी पनु ः परीक्षा कर सकता
है; और यहद न्यायालय को मामले के न्यायसंगत हवहनश्चय के हलए हकसी ऐसे
व्यहि का साक्ष्य अवश्यक प्रतीत होता है तो वह ऐसे व्यहि को समन करेगा
और ईसकी परीक्षा करेगा या ईसे पनु ः बल ु ाएगा और ईसकी पनु ः परीक्षा
करेगा।
धारा – 349 नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने के हलये हकसी व्यहि को अदेि देने की धारा 311-
महजस्रेट की िहि - यहद प्रथम वगण महजस्रेट का यह समाधान हो जाता है क
हक आस संहहता के ऄधीन हकसी ऄन्वेषण या कायण वाही के प्रयोजनों के हलये,
हकसी व्यहि को, हजसके ऄन्तगण त ऄहभयि ु व्यहि भी है, नमूना हस्ताक्षर या
ऄंगल ु ी के हनिान या हस्तलेख या अिाज का सैंपल देने के हलए हनदेश देना
समीचीन है, तो वह ईस अशय का अदेश कर सके गा और ईस दशा में, वह
व्यहि, हजससे अदेश संबहं धत है, ऐसे अदेश में हवहनहदण ष्ट समय और स्थान
पर पेश हकया जायेगा या वहां ईपहस्थत होगा और ऄपने नमूना हस्ताक्षर या
ऄंगल ु ी के हनिान या हस्तलेख या अिाज का प्रहतदिग देगा:
परन्तु आस धारा के ऄधीन कोइ अदेश तब तक नहीं हकया जाएगा जब तक
ईस व्यहि को ऐसे ऄन्वेषण या कायण वाही के संबधं में हकसी समय हगरफ्तार न
हकया गया हो।
परन्तु यह और हक महजस्रेट ऐसे कारणों से जो ऄहभहलहखत हकए जाएं,
हकसी ऄन्य व्यहि को हगरफ्तार हकए हबना ऐसा नमूना या प्रहतदिग देने के
हलए अदेि कर सके गा :
धारा – 350 पररिाहदयों और साहक्षयों के व्यय - राज्य सरकार द्वारा बनाए गये हकन्हीं धारा 312 कोइ पररवतण न नहीं ।
हनयमों के ऄधीन रहते हुए, यहद कोइ दण्ड न्यायालय ठीक समझता है तो वह
ऐसे न्यायालय के समक्ष आस संहहता के ऄधीन हकसी अंच, हवचारण या ऄन्य
कायण वाही के प्रयोजन से हाहजर होने वाले हकसी पररवादी या साक्षी के ईहचत
ब्ययों के राज्य सरकार द्वारा हदए जाने के हलए अदेश दे सकता है।
धारा – 351 ऄहभयुि की परीक्षा करने की िहि - (1) प्रत्येक जांच या हवचारण में, आस धारा 313 कोइ पररवतण न नहीं ।
प्रयोजन से हक ऄहभयि ु ऄपने हवरुद्ध साक्ष्य में प्रकट होने वाली हकन्हीं
पररहस्थहतयों का स्वयं स्पष्टीकरण कर सके ,
न्यायालय-
(क) हकसी प्रिम में, ऄहभयि ु को पहले से चेतावनी हदए हबना, ईससे ऐसे प्रश्न
कर सकता है जो न्यायालय अवश्यक समझे;
(ख) ऄहभयोजन के साहक्षयों की परीक्षा हकए जाने के पश्चात् और ऄहभयि ु से
ऄपनी प्रहतरक्षा करने की ऄपेक्षा हकए जाने के पूवण ईस मामले के बारे में ईससे
साधारणतया प्रश्न करेगा :
परन्तु हकसी रागन गागले में, जहां न्यायालय ने ऄहभयि ु को वैयहिक हाहजरी
से ऄहभमहु ि दे दी है, वहां वह खण्ड (ख) के ऄधीन ईसकी परीक्षा से भी
ऄहभमहु ि दे सकता है।
(2) जब ऄहभयि ु को ईपधारा (1) के ऄधीन परीक्षा की जाती है तब ईसे कोइ
शपथ न हदलाइ जाएगी।
(3) ऄहभयि ु ऐसे प्रश्नों के ईत्तर देने से आन्कार करने से या ईसके हमथ्या ईत्तर
देने से दण्डनीय न हो जाएगा।
(4) ऄहभयि ु द्वारा हदए गए ईत्तरों पर ईस जांच या हवचारण में हवचार हकया
जा सकता है और हकसी ऄन्य ऐसे ऄपराध की, हजसका ईसके द्वारा हकया
जाना दशाण ने की ईन ईत्तरों की प्रवृहत्त हो, हकसी ऄन्य जांच या हवचारण में ऐसे
ईत्तरों को ईसके पक्ष में या ईसके हवरुद्ध साक्ष्य के तौर पर रखा जा सकता है।
(5) न्यायालय ऐसे सस ु ंगत प्रश्न तैयार करने में, जो ऄहभयिु से पूछे जाने हैं,
ऄहभयोजक और प्रहतरक्षा काईंसेल की सहायता ले सके गा और न्यायालय
आस धारा के पयाण प्त ऄनपु ालन के रूप में ऄहभयि ु द्वारा हलहखत कथन फाआल
करने की ऄनज्ञ ु ा दे सके गा।
धारा – 352 मौहखक बहस और बहस का ज्ञापन - (1) कायण वाही का कोइ पक्षकार, ऄपने धारा 314 कोइ पररवतण न नहीं ।
साक्ष्य की समाहप्त के पश्चात् यथाशक्ट्य शीघ्र संहक्षप्त मौहखक बहस कर सकता
है और ऄपनी मौहखक बहस, यहद कोइ हो, परू ी करने के पवू ण , न्यायालय को
एक ज्ञापन दे सकता है हजसमें ईसके पक्ष के समथण न में तकण संक्षेप में और
सहु भन्न शीषण कों में हदए जाएंगे, और ऐसा प्रत्येक ज्ञापन ऄहभलेख का भाग
होगा।
(2) ऐसे प्रत्येक ज्ञापन की एक प्रहतहलहप ईसी समय हवरोधी पक्षकार को दी
जाएगी।
(3) कायण वाही का कोइ स्थगन हलहखत बहस फाआल करने के प्रयोजन के हलए
तब तक नहीं हदया जाएगा जब तक न्यायालय ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध
हकए जाएंगे, ऐसा स्थगन मंजूर करना अवश्यक न समझे।
(4) यहद न्यायालय की यह राय है हक मौहखक बहस संहक्षप्त या सस ु ंगत नहीं है
तो वह ऐसी बहसों को हवहनयहमत कर सकता है।
धारा – 353 ऄहभयुि व्यहि का सक्षम साक्षी होना - (1) कोइ व्यहि, जो हकसी ऄपराध धारा 315
के हलए हकसी दण्ड न्यायालय के समक्ष ऄहभयि ु है, प्रहतरक्षा के हलए सक्षम
साक्षी होगा और ऄपने हवरुद्ध या ईसी हवचारण में ईसके साथ अरोहपत हकसी
व्यहि के हवरुद्ध लगाए गए अरोपों को नासाहबत करने के हलए शपथ पर
साक्ष्य दे सकता है:
परन्त-ु
(क) वह स्वयं ऄपनी हलहखत प्राथण ना के हबना साक्षी के रूप में न बल ु ाया
जाएगा,
(ख) ईसका स्वयं साक्ष्य न देना पक्षकारों में से हकसी के द्वारा या न्यायालय
द्वारा हकसी टीका-हटप्पणी का हवषय नहीं बनाया जाएगा और न ही ईसे ईसके ,
या ईसी हवचारण में ईसके साथ अरोहपत हकसी व्यहि के हवरुद्ध कोइ
ईपधारणा ही की जाएगी।
(2) कोइ व्यहि हजसके हवरुद्ध हकसी दण्ड न्यायालय में धारा 101 या धारा
126 या धारा 127 या धारा 128 या धारा 129 के ऄधीन या ऄध्याय 10 के
ऄधीन या ऄध्याय 11 के भाग ख, भाग ग, भाग घ के ऄधीन कायण वाहहयां
संहस्थत की जाती हैं, ऐसी कायण वाहहयों में ऄपने अपको साक्षी के रूप में पेश
कर सकता है:
परन्तु धारा 127, धारा 128 या धारा 129 के ऄधीन कायण वाहहयों में ऐसे
व्यहि द्वारा साक्ष्य न देना पक्षकारों में से हकसी के द्वारा या न्यायालय द्वारा
हकसी टीका हटप्पणी का हवषय नहीं बनाया जाएगा और न ईससे ईसके या
हकसी ऄन्य व्यहि के हवरुद्ध हजसके हवरुद्ध ईसी जांच में ऐसे व्यहि के साथ
कायण वाही की गइ है, कोइ ईपधारणा ही की जाएगी।
धारा – 354 प्रकटन ईत्प्रेररत करने के हलए हकसी प्रभाि का काम में न लाया जाना- धारा 316
धारा 343 और 344 में जैसा ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, हकसी वचन या
धमकी द्वारा या ऄन्यथा कोइ प्रभाव ऄहभयि ु व्यहि पर आस ईद्देश्य से नहीं
डाला जाएगा हक ईसे ऄपनी जानकारी की हकसी बात को प्रकट करने या न
करने के हलए ईत्प्रेररत हकया जाए।
धारा – 355 कुछ मामलों में ऄहभयुि की ऄनुपहस्थहत में जांच और हिचारण हकए जाने धारा 317
के हलए ईपबन्ध - (1) आस संहहता के ऄधीन जांच या हवचारण के हकसी प्रिम
में यहद न्यायाधीश या महजस्रेट का ईन कारणों से, जो ऄहभहलहखत हकए
जाएंगे, समाधान हो जाता है हक न्यायालय के समक्ष ऄहभयि ु ' की वैयहिक
हाहजरी न्याय के हहत में अवश्यक नहीं है या ऄहभयि ु न्यायालय की
कायण वाही में बार-बार हवघ्न डालता है तो, ऐसे ऄहभयि ु का प्रहतहनहधत्व
ऄहधविा द्वारा हकए जाने की दशा में, वह न्यायाधीश या महजस्रेट ईसकी
हाहजरी से ईसे ऄहभमहु ि दे सकता है और ईसकी ऄनपु हस्थहत में ऐसी जांच
या हवचारण करने के हलए ऄग्रसर हो सकता है और कायण वाही के हकसी
पश्चात्वती प्रिम में ऐसे ऄहभयिु की वैयहिक हाहजरी का हनदेश दे सकता है।
(2) यहद ऐसे हकसी मामले में ऄहभयि ु का प्रहतहनहधत्व ऄहधविा द्वारा नहीं
हकया जा रहा है या यहद न्यायाधीश या महजस्रेट का यह हवचार है हक
ऄहभयि ु की वैयहिक हाहजरी अवश्यक है तो, यहद वह ठीक समझे तो, ईन
कारणों से, जो ईसके द्वारा लेखबद्ध हकए जाएंगे, वह या तो ऐसी जांच या
हवचारण स्थहगत कर सकता है या अदेश दे सकता है हक ऐसे ऄहभयि ु का
मामला ऄलग से हलया जाए या हवचाररत हकया जाए ।
स्पष्टीकरण-आस धारा के प्रयोजनों के हलए ऄहभयि ु की िैयहिक
ईपहस्थहत में श्रव्य दृश्य साधनों के माध्यम से ईपहस्थहत भी सहभमहलत है।
धारा – 356 ईद्घोहषत ऄपराधी की ऄनुपहस्थहत में जांच, हिचारण और हनणगय - (1) आस नया जोडा गया ।
संहहता या तत्समय प्रिि ृ हकसी ऄन्य हिहध में ऄन्तहिगष्ट हकसी बात के
होते हुए भी, जब हकसी व्यहि को ईद्घोहषत ऄपराधी घोहषत हकया जाता
है, चाहे ईस पर संयुि रूप से अरोप लगाया गया हो या नहीं, हिचारण की
िंचना करने के हलए करार है और ईसे हगरफ्तार करने का कोइ ऄव्यिहहत
पूिेक्षण नहीं है, आसे ऐसे व्यहि के ईपहस्थत होने और िैयहिक हिचारण के
ऄहधकार के ऄहभत्याग के रूप में प्रिहतगत होना समझा जाएगा और
न्यायालय ऐसे कारणों से जो ऄहभहलहखत हकए जाएं न्याय हहत में ऐसी
रीहत में और ऐसे प्रभाि के साथ, जैसे हक िह ईपहस्थत था, आस संहहता के
ऄधीन हिचारण के हलए ऄग्रसर होगा और हनणगय सुनाएगा
परन्तु न्यायालय जब तक हिचारण प्रारभभ नहीं करेगा, तब तक हक अरोप
की हिरचना की तारीख से नब्बे हदन की ऄिहध की समाहप्त नहीं हो जाती
है।
(2) न्यायालय यह सहु नहश्चत करेगा हक अगामी प्रहिया का ईपधारा (1) के
ऄधीन कायगिाहहयों से पहले ऄनुपालन हकया गया है, ऄथागत् : -
(i) कम से कम तीस हदन के ऄंतराल पर लगातार दो हगरफ्तारी िारंटों को
जारी करना;
(ii) ईद्घोहषत ऄपराधी से हिचारण के हलए न्यायालय के समक्ष ईपहस्थत
होने की ऄपेक्षा करते हुए और ईसे सूचना देते हुए हक यहद िह ऐसे
प्रकािन की तारीख से तीस हदन के भीतर प्रस्तुत होने में ऄसफल रहता
है, तो ईसकी ऄनपु हस्थहत में हिचारण हकया जाएगा, ईसके ऄहन्तम ज्ञात
हनिास स्थान पर पररचाहलत राष्रीय या स्थानीय दैहनक समाचार में
प्रकािन;
(iii) ईसके नातेदार या हमत्र को हिचारण के प्रारभभ होने के बारे में सूचना,
यहद कोइ हो; और
(iv) ईस गहृ या िास स्थान, हजसमें ऐसा व्यहि मामूली तौर पर हनिास
करता है के हकसी सहजदृश्य स्थान पर हिचारण के प्रारभभ होने के बारे में
सूचना हचपकाना और ईसके ऄहन्तम ज्ञात हनिास के हजले के पहु लस
स्टेिन में प्रदिगन।
(3) जहां ईद्घोहषत ऄपराधी का हकसी ऄहधििा द्वारा प्रहतहनहधत्ि नहीं
हकया जाता है, तो ईसके हलए राज्य के व्यय पर ऄपनी प्रहतरक्षा के हलए
एक ऄहधििा का प्रबन्ध हकया जाएगा।
(4) जहां मामले का हिचारण करने या हिचारण के हलए सुपुदगगी के हलए
सक्षम न्यायालय ने ऄहभयोजन के हलए हकन्हीं साहक्षयों की परीक्षा की है
और ईनके ऄहभसाक्ष्यों को ऄहभहलहखत हकया है, ऐसे ऄहभसाक्ष्य, ऐसे
ऄपराध हजसके हलए ईद्घोहषत ऄपराधी को अरोहपत हकया गया है, की
जांच या हिचारण में ईसके हिरुद्ध साक्ष्य में हदए जाएंगे :
परन्तु यहद ईद्घोहषत ऄपराधी ऐसे हिचारण के दौरान हगरफ्तार हकया
जाता है या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हकया जाता है या ईपहस्थत होता
है, न्यायालय न्याय हहत में ईसे हकसी ऐसे साक्ष्य, जो ईसकी ऄनुपहस्थहत
में हलया जाता है, की परीक्षा करने के हलए ऄनुज्ञात कर सके गा।
(5) जहां हिचारण आस धारा के ऄधीन व्यहि से सभबहन्धत है, तो साहक्षयों
का ऄहभसाक्ष्य और परीक्षा जहां तक व्यिहायग हो, श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक
साधनों, ऄहधमानतः मोबाआल द्वारा ऄहभहलहखत की जा सके गी और ऐसी
ररकाहडगग ऐसी रीहत में रखी जाएगी, जो न्यायालय हनदेि दे।
(6) आस संहहता के ऄधीन ऄपराधों के ऄहभयोजन में, ईपधारा (1) के
ऄधीन हिचारण प्रारभभ होने के पश्चात्, ऄहभयुि की स्िेच्छया
ऄनुपहस्थहत, हिचारण हजसके ऄन्तगगत हनणगय सुनाया जाना भी है, जारी
रहने को नहीं रोके गी, यद्यहप िह ऐसे हिचारण की समाहप्त पर हगरफ्तार
और प्रस्तुत हकया जाता है या ईपहस्थत होता है।
(7) आस धारा के ऄधीन हकए गए हनणगय के हिरुद्ध तब तक ऄपील नहीं
होगी जब तक ईद्घोहषत ऄपराधी स्ियं को ऄपीलीय न्यायालय के समक्ष
स्ियं को ईपहस्थत नहीं कर देता : परन्तु दोषहसहद्ध के हिरुद्ध कोइ ऄपील
हनणगय की तारीख से तीन िषग के ऄिसान के पश्चात् नहीं
होगी।
(8) राज्य ऄहधसूचना द्वारा धारा 84 की ईपधारा (1) में ईहल्लहखत हकसी
फरार व्यहि पर आस धारा के ईपबन्धों का हिस्तार कर सके गी।
धारा – 357 प्रहिया जहां ऄहभयुि कायगिाहहयों को नहीं समझता है- यहद ऄहभयि ु धारा 318 कोइ पररवतण न नहीं ।
हवकृ त-हचत्त व्यहि न होने पर भी ऐसा है हक ईसे कायण वाहहयां समझाइ नहीं जा
सकतीं तो न्यायालय जांच या हवचारण में ऄग्रसर हो सकता है, और ईच्च
न्यायालय से हभन्न न्यायालय की दशा में, यहद ऐसी कायण वाही का पररणाम
दोषहसहद्ध है, तो कायण वाही को मामले की पररहस्थहतयों की ररपोटण के साथ
ईच्च न्यायालय भेज हदया जाएगा और ईच्च न्यायालय ईस पर ऐसा अदेश
देगा जैसा वह ठीक समझे।
धारा – 358 ऄपराध के दोषी प्रतीत होने िाले ऄन्य व्यहियों के हिरुद्ध कायगिाही करने धारा 319 कोइ पररवतण न नहीं ।
की िहि - (1) जहााँ हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण के दौरान साक्ष्य से
यह प्रतीत होता है हक हकसी व्यहि ने, जो ऄहभयि ु नहीं है, कोइ ऐसा ऄपराध
हकया है हजसके हलए ऐसे व्यहि का ऄहभयि ु के साथ हवचारण हकया जा
सकता है, वहााँ न्यायालय ईस व्यहि के हवरुद्ध ईस ऄपराध के हलए हजसका
ईसके द्वारा हकया जाना प्रतीत होता है, कायण वाही कर सकता है।
(2) जहााँ ऐसा व्यहि न्यायालय में हाहजर नहीं है वहााँ पूवोि प्रयोजन के हलए
ईसे मामले की पररहस्थहतयों की ऄपेक्षानस ु ार, हगरफ्तार या समन हकया जा
सकता है।
(3) कोइ व्यहि जो हगरफ्तार या समन न हकए जाने पर भी न्यायालय में
हाहजर है, ऐसे न्यायालय द्वारा ईस ऄपराध के हलए, हजसका ईसके द्वारा हकया
जाना प्रतीत होता है, जांच या हवचारण के प्रयोजन के हलए हनरुद्ध हकया जा
सकता है।
(4) जहााँ न्यायालय हकसी व्यहि के हवरुद्ध ईपधारा (1) के ऄधीन कायण वाही
करता है, वहां-
(क) ईस व्यहि के बारे में कायण वाही हफर से प्रारमभ की जाएंगी और साहक्षयों
को हफर से सनु ा जाएगा;
(ख) खण्ड (क) के ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए, मामले में ऐसे कायण वाही की
जा सकती है, मानो वह व्यहि ईस समय ऄहभयि ु व्यहि था जब न्यायालय ने
ईस ऄपराध का संज्ञान हकया था, हजस पर जांच या हवचारण प्रारमभ हकया
गया था।
धारा – 359 ऄपराधों का िमन - (1) नीचे दी गइ सारणी के प्रथम दो स्तमभों में हवहनहदण ष्ट धारा 320
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धाराओं के ऄधीन दण्डनीय ऄपराधों का
शमन ईस सारणी के तृतीय स्तमभ में ईहललहखत व्यहियों द्वारा हकया जा
सकता है –
सारणी
ऄपराध भा0न्या0सं
02 िह व्यहि हजसके द्वारा
023 की धारा
जो लागू होती ऄपराध का िमन हकया
है। जा सके गा ।
हकसी हववाहहत महहला को 84 महहला का पहत और महहला
अपराहधक दरू ाशय से फु सलाकर
ले जाना या ले जाना या हनरुद्ध
रखना।
स्वेच्छया ईपहहत काररत करना। 115 (2) वह व्यहि हजसे ईपहहत काररत
की गइ है।
प्रकोपन पर स्वेच्छया ईपहहत 122(1) वह व्यहि हजसे ईपहहत काररत
काररत करना। की गइ है।
गमभीर और ऄचानक प्रकोपन पर 122(2) वह व्यहि हजसे ईपहहत काररत
स्वेच्छया धोर ईपहहत काररत की गइ है।
करना।
हकसी व्यहि का सदोष ऄवरोध या 126(2) वह व्यहि जो ऄवरुद्ध या
परररोध। 127(2) परररूद्ध हकया गया है ।
हकसी व्यहि का तीन या ऄहधक 127 (3) परररुद्ध व्यहि
हदनों के हलए सदोष परररोध
हकसी व्यहि का दस या ऄहधक 127 (4) परररुद्ध व्यहि
हदनों के हलए सदोष परररोध।
हकसी व्यहि का गुप्त स्थान में 127 (6) परररुद्ध व्यहि।
सदोष परररोध।
हमला या अपराहधक बल का 131, 133, वह व्यहि हजस पर हमला या
प्रयोग। 136 अपराहधक बल का प्रयोग
हकया गया है।
हकसी व्यहि की धाहमण क भावनाओं 302 वह व्यहि हजसकी धाहमण क
को ठेस पहुंचाने के हवमहशण त अशय भावनाओं को ठेस पहुंचना
से शब्द ईच्चाररत करना, अहद। अशहयत है।
चोरी। 303(2) चुराइ हुइ समपहत्त का स्वामी।
समपहत्त का बेइमानी से दहु बंहनयोग। 314 दहु वण हनयोहजत समपहत्त का
स्वामी।
वाहक, घाटवाल अहद द्वारा 316(3) ईस समपहत्त का स्वामी,
अपराहधक न्यासभंग। हजसके समबन्ध में न्यासभंग
हकया गया है।
चुराइ हुइ समपहत्त को, ईसे चुराइ 317(2) चुराइ हुइ समपहत्त का स्वामी।
हुइ जानते हुए बेइमानी से प्राप्त
करना।
चुराइ हुइ समपहत्त को, यह जानते 317 (5) चुराइ हुइ समपहत्त का स्वामी।
हुए हक वह चुराइ गइ है, हछपाने में
या व्ययहनत करने में सहायता
करना
छल 318 (2) वह व्यहि हजससे छल हकया
गया है।
प्रहतरूपण द्वारा छल। 319 (2) वह व्यहि हजससे छल हकया
गया है।
लेनदारों में हवतरण हनवाररत करने 320 ईससे प्रभाहवत लेनदार।
के हलए समपहत्त अहद का
कपटपूवणक ऄपसारण या हछपाना।
ऄपराधो का ऄपने को शोध्य ऊण 321 ईससे प्रभाहवत लेनदार।
या मांग का लेनदारों के हलए
ईपलब्ध हकया जाना कपटपूवणक
हनवाररत करना।
ऄन्तरण के ऐसे हवलेख का, हजसमें 322 ईससे प्रभाहवत व्यहि।
प्रहतफल के समबन्ध में हमथ्या
कथन ऄन्तहवण ष्ट है, कपटपूवणक
हनष्पादन ।
समपहत्त का कपटपूणण ऄपसारण या 323 ईससे प्रभाहवत व्यहि।
हछपाया जाना।
ररहष्ट, जब काररत हाहन या नुकसान 324(2), वह व्यहि, हजसे हाहन या
के वल प्राआवेट व्यहि को हुइ हाहन 324(4) नुकसान हुअ है।
या नुकसान है।
जीवजन्तु का वध करने या ईसे 325 जीवजन्तु का स्वामी।
हवकलांग करने के द्वारा ररहष्ट।
हसंचन संकमण को क्षहत करने या 326 (क) वह व्यहि, हजसे हाहन या
जल को दोषपूवणक मो़िने के द्वारा नुकसान हुअ है।
ररहष्ट, जब ईससे काररत हाहन या
नुकसान के वल प्राआवेट व्यहि को
हुइ हाहन या नुकसान है।
अपराहधक ऄहतचार। 329 (3) वह व्यहि हजसके कब्जे में ऐसी
समपहत्त है हजस पर ऄहतचार
हकया गया है।
गृह-ऄहतचार। 329 (4) वह व्यहि हजसके कब्जे में ऐसी
समपहत्त है हजस पर ऄहतचार
हकया गया है।
कारावास से दंडनीय ऄपराध को 332 (ग) वह व्यहि हजसका ईस गृह पर
(जो चोरी से हभन्न) करने के हलए कब्जा है हजस पर ऄहतचार
गृह-ऄहतचार। हकया गया है।
हमध्या व्यापार या समपहत्त हचह्न का 345 (3) वह व्यहि, हजसे ऐसे ईपयोग से
ईपयोग। हाहन या क्षहत काररत हुइ है।
ऄन्य व्यहि द्वारा ईपयोग में लाए 347 (1) वह व्यहि, हजसे ऐसे ईपयोग से
गए समपहत्त हचह्न का कूटकरण। हाहन या क्षहत काररत हुइ है।
कूटकृ त समपहत्त हचह्न के साथ 349 वह व्यहि, हजसे ऐसे ईपयोग से
हचहन्हत माल का हविय। हाहन या क्षहत काररत हुइ है।
ऄपराहधक ऄहभत्रास। 351(2), ऄहभत्रस्त व्यहि ।
351(3)
लोक-शांहत भंग कराने को प्रकोहपत 352 ऄपमाहनत व्यहि
करने के अशय से ऄपमान।
हकसी व्यहि को यह हवश्वास करने 354 वह व्यहि हजसे ईत्प्रेररत हकया
के हलए ईत्प्रेररत करके हक वह दैवी गया।
ऄप्रसाद का भाजन होगा, कराया
गया कायण ।
ईपधारा (2) के ऄधीन सारणी के 356(2) वह व्यहि हजसकी मानहाहन की
स्तमभ (1) में भारतीय न्याय गइ है।
संहहता, 2023 की धारा 356(2)
के सामने यथाहवहनहदण ष्ट ऐसे मामलों
के हसवाय, मानहाहन
मानहाहनकारक जानी हुइ बात को 356(3) वह व्यहि, हजसे ऐसे ईपयोग से
मुहद्रत या ईत्कीणण करना। हाहन या क्षहत काररत हुइ है।
मानहाहनकारक हवषय रखने वाले 356(4) वह व्यहि, हजसे ऐसे ईपयोग से
मुहद्रत या ईत्कीणण पदाथण को यह हाहन या क्षहत काररत हुइ है।
जानते हुए बेचना हक ईसमें ऐसा
हवषय ऄन्तहवण ष्ट है।
सेवा संहवदा का अपराहधक भंग 357 वह व्यहि हजसकी साथ
ऄपराधी ने संहवदा की है।
(2) नीचे दी गइ सारणी के प्रथम दो स्तमभों में हवहनहदण ष्ट भारतीय न्याय
संहहता, 2023 की धाराओं के ऄधीन दण्डनीय ऄपराधों का शमन ईस
ु ा से, हजसके समक्ष ऐसे ऄपराध के हलए कोइ ऄहभयोजन
न्यायालय की ऄनज्ञ
लहमबत है, ईस सारणी के तृतीय स्तमभ में हलहखत व्यहियों द्वारा हकया जा
सकता है:-
सारणी
ऄपराध भा0न्या0सं02 िह व्यहि हजसके द्वारा
023 की धारा
जो लागू होती ऄपराध का िमन हकया
है। जा सके गा ।
शब्द, ऄंगहवक्षेप या कायण , जो हकसी 79 वह महहला हजसका ऄनादर
महहला को लज्जा का ऄनादर करना अशहयत था या हजसकी
करने के हलए अशहयत है। एकांतता का ऄहतिमण हकया
गया था।
पहत या पत्नी के जीवनकाल में पुनः 82 (1) ऐसे हववाह करने वाले व्यहि
हववाह करना। का पहत या पत्नी।
गभण पात काररत करना। 88 यह महहला हजसका गभण पात
हकया गया है।
स्वेच्छया घोर ईपहहत काररत 117 (2) वह व्यहि हजसे ईपहहत काररत
करना। की गइ है।
ईतावलेपन और ईपेक्षा से हकसी 125 (क) वह व्यहि हजसे ईपहहत काररत
कायण द्वारा ईपहहत काररत करना की गइ है।
हजससे मानव जीवन या दूसरों का
वैयहिक क्षेम संकटापन्न हो जाए।
ईतावलेपन और ईपेक्षा से हकसी 125 (ख) वह व्यहि हजसे ईपहहत काररत
कायण द्वारा घोर ईपहहत काररत की गइ है।
करना हजससे मानव जीवन या
दूसरों का वैयहिक क्षेम संकटापन्न
हो जाए।
हकसी व्यहि का सदोष परररोध 135 वह व्यहि हजस पर हमला
करने के प्रयत्न में हमला या हकया गया है या हजस पर बल
अपराहधक बल का प्रयोग। प्रयोग हकया गया था।
हलहपक या सेवक द्वारा स्वामी के 306 चुराइ हुयी समपहत्त का स्वामी।
कब्जे की समपहत्त की चोरी।
अपराहधक न्यास-भंग। 316 (2) ईस समपहत्त का स्वामी,
हजसके समबन्ध में न्यास-भंग
हकया गया है।
हलहपक या सेवक द्वारा अपराहधक 316 (4) ईस संपहत्त का स्वामी, हजसके
न्यास- भंग। संबंध में न्यास-भंग हकया गया
है।
ऐसे व्यहि के साथ छल करना 318 (3) वह व्यहि, हजससे छल हकया
हजसका हहत हरहक्षत रखने के हलए गया है।
ऄपराधी या तो हवहध द्वारा या वैध
संहवदा द्वारा अबद्ध था।
छल करना या समपहत्त पररदत्त 318 (4) वह व्यहि, हजससे छल हकया
करने या मूलयवान प्रहतभूहत की गया है।
रचना करने या ईसे पररवहतण त या
नष्ट करने के हलए बेइमानी से
ईत्प्रेररत करना।
राष्रपहत या ईपराष्रपहत या राज्य 356 (2) वह व्यहि हजसकी मानहाहन की
के राज्यपाल ऄथवा संघ राज्यक्षेत्र गइ है।
के प्रशासक या हकसी मंत्री के
हवरुद्ध ईसके लोक कृ त्यों के संबंध
में मानहाहन, जब लोक ऄहभयोजक
द्वारा हकए गए पररवाद पर संहस्थत
की जाए।

(3) जब कोइ ऄपराध आस धारा के ऄधीन शमनीय है, तब ऐसे ऄपराध के


दष्ु प्रेरण का, या ऐसे ऄपराध को करने के प्रयत्न का (जब ऐसा प्रयत्न स्वयं
ऄपराध हो) या जहााँ ऄहभयि ु भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 3 की
ईपधारा (5) या धारा 190 के ऄधीन दायी हो, शमन ईसी प्रकार से हकया जा
सकता है।
(4) (क) जब वह व्यहि, जो आस धारा के ऄधीन ऄपराध का शमन करने के
हलए ऄन्यथा सक्षम होता, बालक है या हिकृत हचि है, तब कोइ व्यहि जो
ईसकी ओर से संहवदा करने के हलए सक्षम हो, न्यायालय की ऄनज्ञ ु ा से, ऐसे
ऄपराध का शमन कर सकता है।
(ख) जब वह व्यहि, जो आस धारा के ऄधीन ऄपराध का शमन करने के हलए
ऄन्यथा सक्षम होता, मर जाता है तब ऐसे व्यहि का, हसहवल प्रहिया संहहता,
1908 (1908 का 5) में यथापररभाहषत, हवहधक प्रहतहनहध, न्यायालय की
सममहत से, ऐसे ऄपराध का शमन कर सकता है।
(5) जब ऄहभयि ु हवचारणाथण सपु दु ण कर हदया जाता है या जब वह दोषहसद्ध
कर हदया जाता है और ऄपील लहमबत है, तब ऄपराध का शमन, यथाहस्थहत,
ईस न्यायालय की आजाजत के हबना ऄनज्ञ ु ात न हकया जाएगा हजसे वह सपु दु ण
हकया गया है, या हजसके समक्ष ऄपील सनु ी जानी है।
(6) धारा 442 के ऄधीन पनु रीक्षण की ऄपनी शहियों के प्रयोग में कायण करते
हुए ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय हकसी व्यहि को हकसी ऐसे ऄपराध
का शमन करने की ऄनज्ञ ु ा दे सकता है हजसका शमन करने के हलए वह व्यहि
आस धारा के ऄधीन सक्षम है।
(7) यहद ऄहभयि ु पूवण दोषहसहद्ध के कारण हकसी ऄपराध के हलए या तो वहधण त
दण्ड से या हभन्न हकस्म के दण्ड से दण्डनीय है तो ऐसे ऄपराध का शमन न
हकया जाएगा।
(8) ऄपराध के आस धारा के ऄधीन शमन का प्रभाव ईस ऄहभयि ु की
दोषमहु ि होगा हजससे ऄपराध का शमन हकया गया है।
(9) ऄपराध का शमन आस धारा के ईपबन्धों के ऄनस ु ार ही हकया जाएगा,
ऄन्यथा नहीं।
धारा – 360 ऄहभयोजन िापस लेना- हकसी मामले का भारसाधक कोइ लोक ऄहभयोजक धारा 321
या सहायक लोक ऄहभयोजक हनणण य सनु ाये जाने के पवू ण हकसी समय हकसी
व्यहि के ऄहभयोजन को या तो साधारणतः या ईन ऄपराधों में से हकसी एक
या ऄहधक के बारे में, हजनके हलए ईस व्यहि का हवचारण हकया जा रहा है,
न्यायालय की सममहत से वापस ले सकता है और ऐसे वापस हलए जाने पर-
(क) यहद य अरोप हवरहचत हकए जाने के पहले हकया जाता है तो ऄहभयि ु
ऐसे ऄपराध या ऄपराधों के बारे में ईन्मोहचत कर हदया जाएगा;
(ख) यहद वह अरोप हवरहचत हकए जाने के पश्चात् या जब आस संहहता द्वारा
कोइ अरोप ऄपेहक्षत नहीं है, तब हकया जाता है तो वह ऐसे ऄपराध या
ऄपराधों के बारे में दोषमि
ु कर हदया जाएगा;
परन्तु जहां-
(i) ऐसा ऄपराध हकसी ऐसी बात से समबहन्धत हकसी हवहध के हवरुद्ध है हजस
पर संघ की कायण पाहलका शहि का हवस्तार है, या
(ii) ऐसे ऄपराध का ऄन्वेषण हकसी के न्रीय ऄहधहनयम के ऄधीन हकया गया
है, या
(iii) ऐसे ऄपराध में के न्द्रीय सरकार को हकसी समपहत्त का दहु वण हनयोग, नाश या
नक ु सान ऄन्तग्रणस्त है, या
(iv) ऐसा ऄपराध के न्द्रीय सरकार की सेवा में हकसी व्यहि द्वारा हकया गया है,
जब वह ऄपने पदीय कत्तण व्यों के हनवण हन में कायण कर रहा है या कायण करना
तात्पहथण त है, और मामले का भारसाधक ऄहभयोजक के न्द्रीय सरकार द्वारा
हनयि ु नहीं हकया गया है, तो वह जब तक के न्द्रीय सरकार द्वारा ईसे ऐसा
करने की ऄनज्ञ ु ा नहीं दी जाती है, ऄहभयोजन को वापस लेने के हलए
न्यायालय से ईसकी सममहत के हलए हनवेदन नहीं करेगा तथा न्यायालय
ऄपनी सममहत देने के पूवण, ऄहभयोजक को यह हनदेश देगा हक वह ऄहभयोजन
को वापस लेने के हलए के न्द्रीय सरकार द्वारा दी गइ
ऄनज्ञ ु ा ईसके समक्ष पेश करे :
परन्तु यह और हक कोइ न्यायालय ईस मामले में पीहडत को सुनिाइ का
ऄिसर हदए हबना ऐसी िापसी ऄनुज्ञात नहीं करेगा।
धारा – 361 हजन मामलों का हनपटारा महजस्रेट नहीं कर सकता, ईनमें प्रहिया - (1) धारा 322 कोइ पररवतण न नहीं ।
यहद हकसी हजले में हकसी महजस्रेट के समक्ष ऄपराध की हकसी जांच या
हवचारण के दौरान ईसे ऐसा साक्ष्य प्रतीत होता है हक ईसके अधार पर यह
ईपधारणा की जा सकती है, हक-
(क) ईसे मामले का हवचारण करने या हवचारणाथण सपु दु ण करने की ऄहधकाररता
नहीं है, या
(ख) मामला ऐसा है जो हजले के हकसी ऄन्य महजस्रेट द्वारा हवचाररत या
हवचारणाथण सपु दु ण हकया जाना चाहहए, या
(ग) मामले का हवचारण मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा हकया जाना चाहहए,
तो वह कायण वाही को रोक देगा और मामले की ऐसी संहक्षप्त ररपोटण सहहत,
हजसमें मामले का स्वरूप स्पष्ट हकया गया है, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को या
ऄहधकाररता वाले ऄन्य ऐसे महजस्रेट को, हजसे मख्ु य न्याहयक महजस्रेट
हनहदण ष्ट करे, भेज देगा।
(2) यहद वह महजस्रेट, हजसे मामला भेजा गया है, ऐसा करने के हलए सशि
है, तो वह ईस मामले का हवचारण स्वयं कर सकता है या ईसे ऄपने ऄधीनस्थ
ऄहधकाररता वाले महजस्रेट को हनदेहशत कर सकता है या ऄहभयि ु को
हवचारणाथण सपु दु ण कर सकता है।
धारा – 362 प्रहिया जब जांच या हिचारण के प्रारभभ के पश्चात् महजस्रेट को पता धारा 323
चलता है हक मामला सुपुदग हकया जाना चाहहए - यहद हकसी महजस्रेट के
समक्ष ऄपराध की हकसी जांच या हवचारण में हनणण य पर हस्ताक्षर करने के पूवण
कायण वाही के हकसी प्रिम में ईसे यह प्रतीत होता है हक मामला ऐसा है,
हजसका हवचारण सेशन न्यायालय द्वारा हकया जाना चाहहए, तो वह ईसे आसमें
आसके पूवण ऄन्तहवण ष्ट ईपबन्धों के ऄधीन ईस न्यायालय को सपु दु ण कर देगा और
तब ऄध्याय 19 के ईपबन्ध ऐसी सपु दु ण गी को लागू होंगे।
धारा – 363 हसक्ट्के , स्टाभप हिहध या सभपहि के हिरुद्ध ऄपराधों के हलए पूिग में धारा 324
दोषहसद्ध व्यहियों हा हिचारण- (1) जहां कोइ व्यहि भारतीय न्याय
संहहता, 2023 के ऄध्याय 10 या ऄध्याय 17 के ऄधीन तीन वषण या ऄहधक
की ऄवहध के हलए कारावास से दण्डनीय ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकए जा
चक ु ने पर ईन ऄध्यायों में से हकसी के ऄधीन तीन वषण या ऄहधक की ऄवहध
के हलए कारावास से दण्डनीय हकसी ऄपराध के हलए पनु ः ऄहभयि ु है, और
ईस महजस्रेट का, हजसके समक्ष मामला लहमबत है, समाधान हो जाता है हक
यह ईपधारणा करने के हलए अधार है हक ऐसे व्यहि ने ऄपराध हकया है तो
वह ईस दशा के हसवाय हवचारण के हलए मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को भेजा
जाएगा या सेशन न्यायालय के सपु दु ण हकया जाएगा, जब महजस्रेट मामले का
हवचारण करने के हलए सक्षम है और ईसकी यह राय है हक यहद ऄहभयि ु
दोषहसद्ध हकया गया तो वह स्वयं ईसे पयाण प्त दण्ड का अदेश दे सकताहै।
(2) जब ईपधारा (1) के ऄधीन कोइ व्यहि हवचारण के हलए मख्ु य न्याहयक
महजस्रेट को भेजा जाता है या सेशन न्यायालय को सपु दु ण हकया जाता है तब
कोइ ऄन्य व्यहि, जो ईसी जांच या हवचारण में ईसके साथ संयि ु तः
ऄहभयि ु है, वैसे ही भेजा जाएगा या सपु दु ण हकया जाएगा जब तक ऐसे ऄन्य
व्यहि को महजस्रेट, यथाहस्थहत, धारा 262 या धारा 268 के ऄधीन
ईन्मोहचत न कर दे।
धारा – 364 प्रहिया, जब महजस्रेट पयागप्त कठोर दण्ड का अदेि नहीं दे सकता- (1) धारा 325
जब कभी ऄहभयोजन और ऄहभयि ु का साक्ष्य सनु ने के पश्चात् महजस्रेट की
यह राय है हक ऄहभयि ु दोषी है और ईसे ईस प्रकार के दण्ड से हभन्न प्रकार
का दण्ड या ईस दण्ड से ऄहधक कठोर दण्ड, जो वह महजस्रेट देने के हलए
सशि है, हदया जाना चाहहए या हद्वतीय वगण महजस्रेट होते हुए ईसकी यह राय
है हक ऄहभयि ु से धारा 125 के ऄधीन बन्धपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत
करने की ऄपेक्षा की जानी चाहहए तब वह ऄपनी राय ऄहभहलहखत कर सकता
है और कायण वाहहयों तथा ऄहभयि ु को मख्ु य न्याहयक महजस्रेट की, हजसके
वह ऄधीनस्थ हो, भेज सकता है।
(2) जब एक से ऄहधक ऄहभयि ु व्यहियों का हवचारण एक साथ हकया जा रहा
है और महजस्रेट ऐसे ऄहभयि ु ों में से हकसी के बारे में ईपधारा (1) के ऄधीन
कायण वाही करना अवश्यक समझता है तब वह ईन सभी ऄहभयि ु ों को, जो
ईसकी राय में दोषी हैं, मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को भेज देगा।
(3) यहद मख्ु य न्याहयक महजस्रेट, हजसके पास कायण वाही भेजी जाती है, ठीक
समझता है तो पक्षकारों की परीक्षा कर सकता है और हकसी साक्षी को, जो
पहले ही मामले में साक्ष्य दे चक ु ा है, पनु ः बल
ु ा सकता है और ईसकी परीक्षा
कर सकता है और कोइ ऄहतररि साक्ष्य मांग सकता है और ले सकता है और
मामले में ऐसा हनणण य, दण्डादेश या अदेश देगा, जो वह ठीक समझता है और
जो हवहध के ऄनस ु ार है।
धारा – 365 भागतः एक न्यायाधीि या महजस्रेट द्वारा और भागतः दूसरे न्यायाधीि धारा 326
या महजस्रेट द्वारा ऄहभहलहखत साक्ष्य पर दोषहसहद्ध या सुपुदगगी - (1) जब
कभी हकसी जांच या हवचारण में साक्ष्य को पूणणतः या भागतः सनु ने और
ऄहभहलहखत करने के पश्चात् कोइ न्यायाधीश या महजस्रेट ईसमें ऄहधकाररता
का प्रयोग नहीं कर सकता है और कोइ ऄन्य न्यायाधीश या महजस्रेट, हजसे
ऐसी ऄहधकाररता है और जो ईसका प्रयोग करता है, ईसका ईत्तरवती हो
जाता है, तो ऐसा ईत्तरवती न्यायाधीश या महजस्रेट ऄपने पूवणवती द्वारा ऐसे
ऄहभहलहखत या भागतः ऄपने पूवणवती द्वारा ऄहभहलहखत और भागतः ऄपने
द्वारा ऄहभहलहखत साक्ष्य पर कायण कर सकता है:
परन्तु यहद ईत्तरवती न्यायाधीश या महजस्रेट की यह राय है हक साहक्षयों में से
हकसी की हजसका साक्ष्य पहले ही ऄहभहलहखत हकया जा चक ु ा है, ऄहतररि
परीक्षा करना न्याय के हहत में अवश्यक है तो वह हकसी भी ऐसे साक्षी को पनु ः
समन कर सकता है और ऐसी ऄहतररि परीक्षा, प्रहतपरीक्षा और पनु :परीक्षा के ,
यहद कोइ हो, जैसी वह ऄनज्ञ ु ात करे, पश्चात् वह साक्षी ईन्मोहचत कर हदया
जाएगा।
(2) जब कोइ मामला एक न्यायाधीश से दूसरे न्यायाधीश को या एक महजस्रेट
से दूसरे महजस्रेट को आस संहहता के ईपबन्धों के ऄधीन ऄन्तररत हकया जाता
है तब ईपधारा (1) के ऄथण में पूवणकहथत महजस्रेट के बारे में समझा जाएगा हक
वह ईसमें ऄहधकाररता का प्रयोग नहीं कर सकता है और पश्चात्कहथत
महजस्रेट ईसका ईत्तरवती हो गया है।
(3) आस धारा की कोइ बात संहक्षप्त हवचारणों को या ईन मामलों को लागू नहीं
होती है हजनमें कायण वाहहयां धारा 361 के ऄधीन रोक दी गइ हैं या हजनमें
कायण वाहहयां वररष्ठ महजस्रेट को धारा 364 के ऄधीन भेज दी गइ हैं।
धारा – 366 न्यायालयों का खुला होना - (1) वह स्थान, हजसमें कोइ दण्ड न्यायालय धारा 327
हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण के प्रयोजन से बैठता है, खल ु ा न्यायालय
समझा जाएगा, हजसमें जनता साधारणतः प्रवेश कर सके गी जहां तक हक
सहु वधापूवणक वे ईसमें समा सकें :
परन्तु यहद पीठासीन न्यायाधीश या महजस्रेट ठीक समझता है तो वह हकसी
हवहशष्ट मामले की जांच या हवचारण के हकसी प्रिम में अदेश दे सकता है हक
जनसाधारण या कोइ हवशेष व्यहि ईस कमरे में या भवन में, जो न्यायालय
द्वारा ईपयोग में लाया जा रहा है, न तो प्रवेश करेगा, न होगा और न रहेगा।
(2) ईपधारा (1) में हकसी बात के होते हुए भी, भारतीय न्याय संहहता, 2023
की धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71
के ऄधीन बलात्संग या हकसी ऄपराध या लैंहगक ऄपराधों से बालकों का
संरक्षण ऄहधहनयम, 2012 (2012 का 32) की धारा 4, धारा 6, धारा 8 या
धारा 10 के ऄधीन ऄपराधों की जााँच या ईसका हवचारण बंद कमरे में हकया
जाएगा :
परन्तु पीठासीन न्यायाधीश, यहद वह ठीक समझता है तो, या दोनों में से हकसी
पक्षकार द्वारा अवेदन हकए जाने पर, हकसी हवहशष्ट व्यहि को, ईस कमरे में या
भवन में, जो न्यायालय द्वारा ईपयोग में लाया जा रहा है, प्रवेश करने, होने या
रहने की ऄनज्ञ ु ा दे सकता है।
परन्तु यह और हक बंद कमरे में हवचारण यथासाध्य हकसी महहला न्यायाधीश
या महजस्रेट द्वारा हकया जाएगा।
(3) जहां ईपधारा (2) के ऄधीन कोइ कायण वाही की जाती है वहां हकसी व्यहि
के हलए हकसी ऐसी कायण वाही के समबन्ध में हकसी बात को न्यायालय की पूवण
ऄनज्ञु ा के हबना, महु द्रत या प्रकाहशत करना हवहधपूणण नहीं होगा।
परन्तु बलात्संग के ऄपराध के समबन्ध में हवचारण कायण वाहहयों के मद्रु ण या
प्रकाशन पर पाबंदी, पक्षकारों के नाम और पते की गोपनीयता बनाए रखने के
ऄध्यधीन हटाइ जा सके गी।
ऄध्याय 27 हिकृत हचि ऄहभयुि व्यहियों के बारे में ईपबन्ध
धारा – 367 ऄहभयुि के हिकृत हचि व्यहि होने की दिा में प्रहिया - (1) जब जांच धारा 328 ऄहभयुि के हिकृत हचि व्यहि होने की दिा में प्रहिया - (1) जब जांच
करने वाले महजस्रेट को यह हवश्वास करने का कारण है हक वह व्यहि हजसके करने वाले महजस्रेट को यह हवश्वास करने का कारण है हक वह व्यहि
हवरुद्ध जांच की जा रही है हवकृ त हचत्त है और पररणामतः ऄपनी प्रहतरक्षा हजसके हवरुद्ध जांच की जा रही है हवकृ त हचत्त है और पररणामतः ऄपनी
करने में ऄसमथण है तब महजस्रेट ऐसी हचत्त-हवकृ हत के तथ्य की जांच करेगा प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण है तब महजस्रेट ऐसी हचत्त-हवकृ हत के तथ्य की
और ऐसे व्यहि की परीक्षा ईस हजले के हसहवल सजण न या ऄन्य ऐसे हचहकत्सा जांच करेगा और ऐसे व्यहि की परीक्षा ईस हजले के हसहवल सजण न या ऄन्य
ऄहधकारी द्वारा कराएगा, हजसे राज्य सरकार हनहदण ष्ट करे, और हफर ऐसे ऐसे हचहकत्सा ऄहधकारी द्वारा कराएगा, हजसे राज्य सरकार हनहदण ष्ट करे,
हसहवल सजण न या ऄन्य हचहकत्सा ऄहधकारी की साक्षी के रूप में परीक्षा करेगा और हफर ऐसे हसहवल सजण न या ऄन्य हचहकत्सा ऄहधकारी की साक्षी के
और ईस परीक्षा को लेखबद्ध करेगा। रूप में परीक्षा करेगा और ईस परीक्षा को लेखबद्ध करेगा।
(2) यहद हसहवल सजण न आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयि ु हवकृ त हचत्त है (2) यहद हसहवल सजण न आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयि ु हवकृ त
तो वह ऐसे व्यहि को देखभाल, ईपचार और ऄवस्था के पूवाण नमु ान के हलए हचत्त है तो वह ऐसे व्यहि को देखभाल, ईपचार और ऄवस्था के पूवाण नमु ान
सरकारी ऄस्पताल या सरकारी अयहु वण ज्ञान महाहवद्यालय के मनहश्चहकत्सक या के हलए सरकारी ऄस्पताल या सरकारी अयहु वण ज्ञान महाहवद्यालय के
रोग हवषयक मनोहवज्ञानी को हनहदण ष्ट करेगा और, यथाहस्थहत, मनहश्चहकत्सक मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी को हनहदण ष्ट करेगा और,
या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी महजस्रेट को सूहचत करेगा हक ऄहभयि ु हचत्त- यथाहस्थहत, मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी महजस्रेट को
हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता से ग्रस्त है या नहीं: सूहचत करेगा हक ऄहभयि ु हचत्त-हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता से ग्रस्त है
परन्तु यहद ऄहभयि ु यथाहस्थहत, मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी या नहीं:
द्वारा महजस्रेट को दी गयो सूचना से व्यहथत तो वह हचहकत्सा बोडण के समक्ष, परन्तु यहद ऄहभयि ु यथाहस्थहत, मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक
ऄपील कर सके गा जो हनमनहलहखत से हमलकर बनेगा, - मनोहवज्ञानी द्वारा महजस्रेट को दी गयो सूचना से व्यहथत तो वह हचहकत्सा
(क) हनकटतम सरकारी ऄस्पताल में मनहश्चहकत्सा एकक प्रमख ु ; और बोडण के समक्ष, ऄपील कर सके गा जो हनमनहलहखत से हमलकर बनेगा, -
(ख) हनकटतम सरकारी अयहु वण ज्ञान महाहवद्यालय में मनहश्चहकत्सा संकाय का (क) हनकटतम सरकारी ऄस्पताल में मनहश्चहकत्सा एकक प्रमख ु ; और
सदस्य। (ख) हनकटतम सरकारी अयहु वण ज्ञान महाहवद्यालय में मनहश्चहकत्सा संकाय
(3) ऐसी परीक्षा और जांच लहमबत रहने तक महजस्रेट ऐसे व्यहि के बारे में का सदस्य।
धारा 369 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार कायण वाही कर सकता है। (3) ऐसी परीक्षा और जांच लहमबत रहने तक महजस्रेट ऐसे व्यहि के बारे में
(4) यहद महजस्रेट को यह सूचना दी जाती है हक ईपधारा (2) में हनहदण ष्ट व्यहि धारा 330 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार कायण वाही कर सकता है।
हवकृ त हचत्त व्यहि है तो महजस्रेट अगे यह ऄवधाररत करेगा हक क्ट्या हचत्त (4) यहद महजस्रेट को यह सूचना दी जाती है हक ईपधारा (2) में हनहदण ष्ट
हवकृ हत ऄहभयि ु को प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण बनाती है और यहद ऄहभयक ु त व्यहि हवकृ त हचत्त व्यहि है तो महजस्रेट अगे यह ऄवधाररत करेगा हक
आस प्रकार ऄसमथण पाया जाता है तो महजस्रेट ईस अशय का हनष्कषण क्ट्या हचत्त हवकृ हत ऄहभयि ु को प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण बनाती है और
ऄहभहलहखत करेगा और ऄहभयोजन द्वारा पेश हकए गए साक्ष्य के ऄहभलेख की यहद ऄहभयक ु त आस प्रकार ऄसमथण पाया जाता है तो महजस्रेट ईस अशय
परीक्षा करेगा तथा ऄहभयि ु के ऄहधविा को सनु ने के पश्चात् हकन्तु ऄहभयि ु का हनष्कषण ऄहभहलहखत करेगा और ऄहभयोजन द्वारा पेश हकए गए साक्ष्य
से प्रश्न हकए हबना, यहद वह आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयक ु त के हवरुद्ध के ऄहभलेख की परीक्षा करेगा तथा ऄहभयि ु के ऄहधविा को सनु ने के
प्रथमदृष्ट्या मामला नहीं बनता है तो वह जांच को मलु तवी करने की बजाय पश्चात् हकन्तु ऄहभयि ु से प्रश्न हकए हबना, यहद वह आस हनष्कषण पर पहुंचता
ऄहभयि ु को ईन्मोहचत कर देगा और ईसके संबधं में धारा 369 के ऄधीन है हक ऄहभयक ु त के हवरुद्ध प्रथमदृष्ट्या मामला नहीं बनता है तो वह जांच
ईपबंहधत रीहत में कायण वाही करेगा : को मलु तवी करने की बजाय ऄहभयि ु को ईन्मोहचत कर देगा और ईसके
परन्तु यहद महजस्रेट आस हनष्कषण पर पहुचाँ ता है हक ईस ऄहभयि ु के हवरुद्ध संबधं में धारा 330 के ऄधीन ईपबंहधत रीहत में कायण वाही करेगा :
प्रथमदृष्ट्या मामला बनता है हजसके समबन्ध में हचत्त हवकृ हत होने का हनष्कषण परन्तु यहद महजस्रेट आस हनष्कषण पर पहुचाँ ता है हक ईस ऄहभयि ु के
हनकाला गया है तो वह कायण वाही को ऐसी ऄवहध के हलये मलु तवी कर देगा जो हवरुद्ध प्रथमदृष्ट्या मामला बनता है हजसके समबन्ध में हचत्त हवकृ हत होने
मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक् मनोहवज्ञानी की राय में ऄहभयि ु के ईपचार के का हनष्कषण हनकाला गया है तो वह कायण वाही को ऐसी ऄवहध के हलये
हलये ऄपेहक्षत है और यह अदेश देगा हक ऄहभयि ु के साथ धारा 369 के मलु तवी कर देगा जो मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक् मनोहवज्ञानी की राय में
ऄधीन ईपबंहधत रूप में कायण वाही की जाये। ऄहभयि ु के ईपचार के हलये ऄपेहक्षत है और यह अदेश देगा हक ऄहभयि ु
(5) यहद ऐसे महजस्रेट को यह सूचना दी जाती है हक ईपधारा (2) में हनहदण ष्ट के साथ धारा 330 के ऄधीन ईपबंहधत रूप में कायण वाही की जाये।
व्यहि बौहद्धक हदव्यांगता से ग्रस्त व्यहि है तो महजस्रेट अगे आस बारे में (5) यहद ऐसे महजस्रेट को यह सूचना दी जाती है हक ईपधारा (2) में
ऄवधाररत करेगा हक बौहद्धक हदव्यांगता के कारण ऄहभयि ु व्यहि ऄपनी हनहदण ष्ट व्यहि मानहसक मंदता का व्यहि है तो महजस्रेट अगे आस बारे में
प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण बनाती है और यहद ऄहभयि ु आस प्रकार ऄसमथण ऄवधाररत करेगा हक बौहद्धक हदव्यांगता के कारण ऄहभयि ु व्यहि ऄपनी
पाया जाता है, तो महजस्रेट जााँच बंद करने का अदेश देगा और ऄहभयि ु के प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण बनाती है और यहद ऄहभयि ु आस प्रकार ऄसमथण
समबन्ध में धारा 369 के ऄधीन ईपबहन्धत रौहत में कायण वाही करेगा। पाया जाता है, तो महजस्रेट जााँच बंद करने का अदेश देगा और ऄहभयि ु
के समबन्ध में धारा 330 के ऄधीन ईपबहन्धत रौहत में कायण वाही करेगा।
धारा – 368 न्यायालय के समक्ष हिचाररत व्यहि के हिकृत हचि होने की दिा में धारा 329
प्रहिया- (1) यहद हकसी महजस्रेट या सेशन न्यायालय के समक्ष हकसी व्यहि
के हवचारण के समय ईस महजस्रेट या न्यायालय को वह व्यहि हवकृ त हचत्त
और पररणामस्वरूप ऄपनी प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण प्रतीत होता है, तो वह
महजस्रेट या न्यायालय, प्रथमतः ऐसी हचत्त-हवकृ हत और ऄसमथण ता के तथ्य
का हवचारण करेगा और यहद ईस महजस्रेट या न्यायालय का ऐसे हचहकत्सीय
या ऄन्य साक्ष्य पर, जो ईसके समक्ष पेश हकया जाता है, हवचार करने के पश्चात्
ईस तथ्य के बारे में समाधान हो जाता है तो वह ईस भाव का हनष्कषण
ऄहभहलहखत करेगा और मामले में अगे की कायण वाही मलु तवी कर देगा।
(2) यहद महजस्रेट या सेशन न्यायालय हवचारण के दौरान आस हनष्कषण पर
पहुंचता है हक ऄहभयि ु हवकृ त हचत्त है तो वह ऐसे व्यहि को देखभाल और
ईपचार के हलए मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी को हनदेहशत करेगा
और, यथाहस्थहत, मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी महजस्रेट या
न्यायालय को ररपोटण करेगा हक ऄहभयि ु हचत्त हवकृ हत से ग्रस्त है या नहीं:
परन्तु यहद ऄहभयि ु , यथाहस्थहत, मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोहवज्ञानी
द्वारा महजस्रेट को दी गइ सूचना से व्यहथत है तो वह हचहकत्सा बोडण के समक्ष,
ऄपील कर सके गा, जो हनमनहलहखत से हमलकर बनेगा, -
(क) हनकटतम सरकारी ऄस्पताल में मनहश्चहकत्सा एकक प्रमख ु ; और
(ख) हनकटतम सरकारी अयहु वण ज्ञान महाहवद्यालय में मनहश्चहकत्सा संकाय का
सदस्य।
(3) यहद ऐसे महजस्रेट या न्यायालय को सूचना दी जाती है हक ईपधारा (2) में
हनहदण ष्ट व्यहि हवकृ त हचत्त व्यहि है, तो महजस्रेट या न्यायालय अगे
ऄवधाररत करेगा हक हचत्त-हवकृ हत के कारण ऄहभयि ु व्यहि ऄपनी प्रहतरक्षा
करने में ऄसमथण है और यहद ऄहभयि ु आस प्रकार ऄसमथण पाया जाता है तो
महजस्रेट या न्यायालय ईस अशय का हनष्कषण ऄहभहलहखत करेगा और
ऄहभयोजन द्वारा प्रस्ततु साक्ष्य के ऄहभलेख की परीक्षा करेगा और ऄहभयि ु
के ऄहधविा को सनु ने के पश्चात् हकन्तु ऄहभयि ु से प्रश्न पूछे हबना, यहद
महजस्रेट या न्यायालय आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयि ु के हवरुद्ध कोइ
प्रथमदृष्टया मामला नहीं बनता है, तो वह हवचारण को स्थहगत करने की बजाय
ऄहभयि ु को ईन्मोहचत कर देगा और ईसके समबन्ध में धारा 369 के ऄधीन
ईपबंहधत रीहत में कायण वाही करेगा :
परंतु यहद महजस्रेट या न्यायालय आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ईस ऄहभयि ु
के हवरुद्ध प्रथमदृष्ट्या मामला बनता है हजसके संबधं में हचत्त-हवकृ हत होने का
हनष्कषण हनकाला गया है तो वह हवचारण को ऐसी ऄवहध के हलये मलु तवी कर
देगा जो मनहश्चहकत्सक या रोग हवषयक मनोवैज्ञानी की राय में ऄहभयि ु के
ईपचार के हलए ऄपेहक्षत है।
(4) यहद महजस्रेट या न्यायालय आस हनष्कषण पर पहुंचता है हक ऄहभयि ु के
हवरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला बनता है और वह बौहद्धक हदव्यांगता के कारण
ऄपनी प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण है तो महजस्रेट या न्यायालय हवचारण नहीं
करेगा और यह अदेश देगा हक ऄहभयि ु के संबधं में धारा 369 के ऄनस ु ार
कायण वाही की जाए।
धारा – 369 ऄन्िेषण या हिचारण के लहभबत रहने तक हिकृत हचि व्यहि का छोडा धारा 330 ऄन्िेषण या हिचारण के लहभबत रहने तक हिकृत हचि व्यहि का छोडा
जाना - (1) जब कभी कोइ व्यहि धारा 367 या धारा 368 के ऄधीन हचत्त- जाना - (1) जब कभी कोइ व्यहि धारा 328 या धारा 329 के ऄधीन
हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता के कारण ऄपनी प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण पाया हचत्त-हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता के कारण ऄपनी प्रहतरक्षा करने में
जाता है तब, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय, चाहे मामला ऐसा हो हजसमें ऄसमथण पाया जाता है तब, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय, चाहे
जमानत ली जा सकती है या ऐसा न हो, ऐसे व्यहि को जमानत पर छो़िे जाने मामला ऐसा हो हजसमें जमानत ली जा सकती है या ऐसा न हो, ऐसे व्यहि
का अदेश देगा: को जमानत पर छो़िे जाने का अदेश देगा:
परन्तु ऄहभयि ु ऐसी हचत्त-हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता से ग्रस्त है जो ऄंतरंग परन्तु ऄहभयि ु ऐसी हचत्त-हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता से ग्रस्त है जो
रोगी ईपचार के हलए समादेहशत नहीं करती हो और कोइ हमत्र या नातेदार ऄंतरंग रोगी ईपचार के हलए समादेहशत नहीं करती हो और कोइ हमत्र या
हकसी हनकटतम हचहकत्सा सहु वधा से हनयहमत बाह्य रोगी मनः हचहकत्सा नातेदार हकसी हनकटतम हचहकत्सा सहु वधा से हनयहमत बाह्य रोगी मनः
ईपचार कराने और ईसे ऄपने अपको या हकसी ऄन्य व्यहि को क्षहत पहुंचाने हचहकत्सा ईपचार कराने और ईसे ऄपने अपको या हकसी ऄन्य व्यहि को
से हनवाररत रखने का वचन देता है। क्षहत पहुंचाने से हनवाररत रखने का वचन देता है।
(2) यहद मामला ऐसा है हजसमें, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय की राय (2) यहद मामला ऐसा है हजसमें, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय की
में, जमानत नहीं दी जा सकती या यहद कोइ समहु चत वचनबंध नहीं हदया गया राय में, जमानत नहीं दी जा सकती या यहद कोइ समहु चत वचनबंध नहीं
है तो वह ऄहभयि ु को ऐसे स्थान में रखे जाने का अदेश देगा, जहां हनयहमत हदया गया है तो वह ऄहभयि ु को ऐसे स्थान में रखे जाने का अदेश देगा,
मनः हचहकत्सा ईपचार कराया जा सकता है और की गइ कारण वाइ की ररपोटण जहां हनयहमत मनः हचहकत्सा ईपचार कराया जा सकता है और की गइ
राज्य सरकार को देगा : कारणवाइ की ररपोटण राज्य सरकार को देगा :
परंतु लोक मानहसक स्िास््य स्थापन में ऄहभयुि को हनरूद्ध हकए जाने के परंतु पागलखाने में ऄहभयि ु को हनरूद्ध हकए जाने के हलए कोइ अदेश
हलए कोइ अदेश राज्य सरकार द्वारा मानहसक स्िास््य देख-रेख राज्य सरकार द्वारा मानहसक स्वास्थ्य ऄहधहनयम, 1987 (1987 का 14)
ऄहधहनयम, 2017 (2017 का 10) के ऄधीन बनाए गए हनयमों के ऄनस ु ार ही के ऄधीन बनाए गए हनयमों के ऄनस ु ार ही हकया जाएगा, ऄन्यथा नहीं।
हकया जाएगा, ऄन्यथा नहीं। (3) जब कभी कोइ व्यहि धारा 328 या धारा 329 के ऄधीन हचत्त-हवकृ हत
(3) जब कभी कोइ व्यहि धारा 367 या धारा 368 के ऄधीन हचत्त-हवकृ हत या या मानहसक मंदता के कारण ऄपनी प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण पाया जाता
बौहद्धक हदव्यांगता के कारण ऄपनी प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण पाया जाता है है तब, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय काररत हकए गए कायण की
तब, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय काररत हकए गए कायण की प्रकृ हत और प्रकृ हत और हचत्त-हवकृ हत या मानहसक मंदता की सीमा को ध्यान में रखते
हचत्त-हवकृ हत या बौहद्धक हदव्यांगता की सीमा को ध्यान में रखते हुए अगे यह हुए अगे यह ऄवधाररत करेगा हक क्ट्या ऄहभयि ु को छो़िने का अदेश
ऄवधाररत करेगा हक क्ट्या ऄहभयि ु को छो़िने का अदेश हदया जा सकता है : हदया जा सकता है :
परन्तु यह है हक- परन्तु यह है हक-
(क) यहद हचहकत्सा राय या हकसी हवशेषज्ञ की राय के अधार पर, यथाहस्थहत, (क) यहद हचहकत्सा राय या हकसी हवशेषज्ञ की राय के अधार पर,
महजस्रेट या न्यायालय धारा 367 या धारा 368 के ऄधीन ईपबंहधत रीहत में यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय धारा 328 या धारा 329 के ऄधीन
ऄहभयि ु के ईन्मोचन का अदेश करने का हवहनश्चय करता है तो ऐसे छो़िे जाने ईपबंहधत रीहत में ऄहभयि ु के ईन्मोचन का अदेश करने का हवहनश्चय
का अदेश हकया जा सके गा, यहद पयाण प्त प्रहतभूहत दी जाती है हक ऄहभयि ु को करता है तो ऐसे छो़िे जाने का अदेश हकया जा सके गा, यहद पयाण प्त
ऄपने अपको या हकसी ऄन्य व्यहि को क्षहत पहुंचाने से हनवाररत हकया प्रहतभूहत दी जाती है हक ऄहभयि ु को ऄपने अपको या हकसी ऄन्य व्यहि
जाएगा; को क्षहत पहुंचाने से हनवाररत हकया जाएगा;
(ख) यहद, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय की यह राय है हक ऄहभयि ु के (ख) यहद, यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय की यह राय है हक ऄहभयि ु
ईन्मोचन का अदेश नहीं हदया जा सकता है तो ऄहभयि ु को हचत्त-हवकृ हत या के ईन्मोचन का अदेश नहीं हदया जा सकता है तो ऄहभयि ु को हचत्त-
बौहद्धक हदव्यांगता के व्यहियों के हलए अवासीय सहु वधा में ऄन्तररत करने हवकृ हत या मानहसक मंदता के व्यहियों के हलए अवासीय सहु वधा में
का अदेश हदया जा सकता है जहााँ ऄहभयि ु की देखभाल की जा सके और ऄन्तररत करने का अदेश हदया जा सकता है जहााँ ऄहभयि ु की देखभाल
समहु चत हशक्षा और प्रहशक्षण हदया जा सके । की जा सके और समहु चत हशक्षा और प्रहशक्षण हदया जा सके ।
धारा – 370 जांच या हिचारण को पुनः चालू करना - (1) जब कभी जांच या हवचारण को धारा 331
धारा 367 या धारा 368 के ऄधीन मलु तवी हकया गया है, तब, यथाहस्थहत,
महजस्रेट या न्यायालय जांच या हवचारण को संबद्ध व्यहि के हवकृ त हचत्त न
रहने पर हकसी भी समय पनु ः चालू कर सकता है और ऐसे महजस्रेट या
न्यायालय के समक्ष ऄहभयि ु के हाहजर होने या लाये जाने की ऄपेक्षा कर
सकता है।
(2) जब ऄहभयि ु धारा 369 के ऄधीन छो़ि हदया गया है और ईसकी हाहजरी
के हलए प्रहतभू ईसे ईस ऄहधकारी के समक्ष पेश करते हैं, हजसे महजस्रेट या
न्यायालय ने आस हनहमत्त हनयि ु हकया है, तब ऐसे ऄहधकारी का यह प्रमाणपत्र
हक ऄहभयि ु ऄपनी प्रहतरक्षा करने में समथण है, साक्ष्य में हलए जाने योग्य होगा।
धारा – 371 महजस्रेट या न्यायालय के समक्ष ऄहभयि ु के हाहजर होने पर प्रहिया - (1) धारा 332
जब ऄहभयि ु , यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय के समक्ष हाहजर होता है
या पनु ः लाया जाता है, तब यहद महजस्रेट या न्यायालय का यह हवचार है हक
वह ऄपनी प्रहतरक्षा करने में समथण है तो, जांच या हवचारण अगे चलेगा।
(2) यहद महजस्रेट या न्यायालय का यह हवचार है हक ऄहभयि ु ऄभी ऄपनी
प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण है तो महजस्रेट या न्यायालय, यथाहस्थहत, धारा
367 या धारा 368 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार कायण वाही करेगा और यहद
ऄहभयि ु हवकृ त हचत्त पाया जाता है और पररणामस्वरूप ऄपनी प्रहतरक्षा करने
में ऄसमथण पाया जाता है तो ऐसे ऄहभयि ु के बारे में वह धारा 369 के
ईपबन्धों के ऄनस ु ार कायण वाही करेगा।
धारा – 372 जब यह प्रतीत हो हक ऄहभयुि स्िस्थ-हचि रहा है- जब ऄहभयि ु जांच या धारा 333 कोइ पररवतण न नहीं ।
हवचारण के समय स्वस्थहचत्त प्रतीत होता है और महजस्रेट का ऄपने समक्ष
हदए गए साक्ष्य से समाधान हो जाता है हक यह हवश्वास करने का कारण है हक
ऄहभयि ु ने ऐसा कायण हकया है, जो यहद वह स्वस्थहचत्त होता तो ऄपराध होता
और यह हक वह ईस समय जब वह कायण हकया गया था हचत्त-हवकृ हत के कारण
ईस कायण का स्वरूप या यह जानने में ऄसमथण था, हक यह दोषपूणण या हवहध के
प्रहतकूल है, तब महजस्रेट मामले में अगे कायण वाही करेगा और यहद ऄहभयि ु
का हवचारण सेशन न्यायालय द्वारा हकया जाना चाहहए तो ईसे सेशन
न्यायालय के समक्ष हवचारण के हलए सपु दु ण करेगा।
धारा – 373 हचि-हिकृहत के अधार पर दोषमहु ि का हनणगय - जब कभी कोइ व्यहि आस धारा 334 कोइ पररवतण न नहीं ।
अधार पर दोषमि ु हकया जाता है हक ईस समय जब यह ऄहभकहधत है हक
ईसने ऄपराध हकया वह हचत्त-हवकृ हत के कारण ईस कायण का स्वरूप, हजसका
ऄपराध होना ऄहभकहथत है, या यह हक वह दोषपूणण या हवहध के प्रहतकूल है
जानने में ऄसमथण था, तब हनष्कषण में यह हवहनहदण ष्टतः कहथत होगा हक ईसने
वह कायण हकया या नहीं हकया।
धारा – 374 हचि-हिकृहत के अधार पर दोषमि ु हकए गए व्यहि का सरु हक्षत ऄहभरक्षा धारा 335
में हनरुद्ध हकया जाना- (1) जब कभी हनष्कषण में यह कहथत है हक ऄहभयि ु
व्यहि ने ऄहभकहथत कायण हकया है तब वह महजस्रेट या न्यायालय, हजसके
समक्ष हवचारण हकया गया है, ईस दशा में जब ऐसा कायण ईस ऄसमथण ता के न
होने पर, जो पाइ गइ, ऄपराध होता, -
(क) ईस व्यहि को ऐसे स्थान में और ऐसी रीहत से, हजसे ऐसा महजस्रेट या
न्यायालय ठीक समझे, सरु हक्षत ऄहभरक्षा में हनरुद्ध करने का अदेश देगा; या
(ख) ईस व्यहि को ईसके हकसी नातेदार या हमत्र को सौंपने का अदेश देगा।
(2) लोक मानहसक स्िास््य स्थापन में ऄहभयि ु को हनरुद्ध करने का
ईपधारा (1) के खण्ड (क) के ऄधीन कोइ अदेश राज्य सरकार द्वारा
मानहसक स्िास््य देख-रेख ऄहधहनयम, 2017 (2017 का 10) के ऄधीन
बनाये गये हनयमों के ऄनस ु ार ही हकया जाएगा ऄन्यथा नहीं।
(3) ऄहभयि ु को ईसके हकसी नातेदार या हमत्र को सौंपने का ईपधारा (1) के
खण्ड (ख) के ऄधीन कोइ अदेश ईसके ऐसे नातेदार या हमत्र के अवेदन पर
और ईसके द्वारा हनमनहलहखत बातों की बाबत महजस्रेट या न्यायालय के
समाधानप्रद प्रहतभहू त देने पर ही हकया जाएगा, ऄन्यथा नहीं-
(क) सौंपे गए व्यहि को समहु चत देख-रेख की जाएगी और वह ऄपने अपको
या हकसी ऄन्य व्यहि को क्षहत पहुंचाने से हनवाररत रखा जाएगा;
(ख) सौंपा गया व्यहि ऐसे ऄहधकारी के समक्ष और ऐसे समय और स्थानों पर,
जो राज्य सरकार द्वारा हनहदण ष्ट हकए जाएं, हनरीक्षण के हलए पेश हकया जाएगा।
(4) महजस्रेट या न्यायालय ईपधारा (1) के ऄधीन की गइ कायण वाही की
ररपोटण राज्य सरकार को देगा।
धारा – 375 भारसाधक ऄहधकारी को कृत्यों का हनिगहन करने के हलए सिि करने की धारा 336
राज्य सरकार की िहि- राज्य सरकार ईस जेल के भारसाधक ऄहधकारी
को, हजसमें कोइ व्यहि धारा 369 या धारा 374 के ईपबन्धों के ऄधीन
परररुद्ध है, धारा 376 या धारा 377 के ऄधीन कारागारों के महाहनरीक्षक के
सब कृ त्यों का या ईनमें से हकसी का हनवण हन करने के हलए सशि कर सकती
है।
धारा – 376 जहां यह ररपोटग की जाती है हक हिकृत हचि बन्दी ऄपनी प्रहतरक्षा करने में धारा 337
समथग है, िहां प्रहिया - यहद कोइ व्यहि धारा 369 को ईपधारा (2) के
ईपबन्धों के ऄधीन हनरुद्ध हकया जाता है और, जेल में हनरुद्ध व्यहि की दशा
में कारागारों का महाहनरीक्षक या लोक मानहसक स्वास्थ्य स्थापन में हनरुद्ध
व्यहि की दशा में, मानहसक स्िास््य देख-रेख ऄहधहनयम, 2017 (2017
का 10) के ऄधीन गहठत मानहसक स्िास््य समीक्षा बोडग, प्रमाहणत करें हक
ईसकी या ईनकी राय में वह व्यहि ऄपनी प्रहतरक्षा करने में समथण है तो वह,
यथाहस्थहत, महजस्रेट या न्यायालय के समक्ष ईस समय, हजसे वह महजस्रेट
या न्यायालय हनयत करे, लाया जाएगा और वह महजस्रेट या न्यायालय ईस
व्यहि के बारे में धारा 371 के ईपबंधों के ऄधीन कायण वाही करेगा, और पूवोि
महाहनरीक्षक या पररदशण कों का प्रमाणपत्र साक्ष्य के तौर पर ग्रहण हकया जा
सके गा।
धारा – 377 जहां हनरुद्ध हिकृत हचि व्यहि छोडे जाने के योग्य घोहषत कर हदया जाता धारा 338
है, िहां प्रहिया - (1) यहद कोइ व्यहि धारा 369 की ईपधारा (2) या धारा
374 के ईपबन्धों के ऄधीन हनरुद्ध है और ऐसा महाहनरीक्षक या ऐसे पररदशण क
प्रमाहणत करते हैं हक ईसके या ईनके हवचार में वह ऄपने को या हकसी ऄन्य
व्यहि को क्षहत पहुंचाने के खतरे के हबना छो़िा जा सकता है तो राज्य सरकार
तब ईसके छो़िे जाने का या ऄहभरक्षा में हनरुद्ध रखे जाने का या, यहद वह
पहले ही लोक मानहसक स्िास््य स्थापन नहीं भेज हदया गया है तो ऐसे
स्थापन को ऄन्तररत हकए जाने का अदेि दे सकती है और यहद िह ईसे
लोक मानहसक स्िास््य स्थापन को ऄन्तररत करने का अदेश देती है तो वह
एक न्याहयक और दो हचहकत्सा ऄहधकाररयों का एक अयोग हनयि ु कर
सकती है।
(2) ऐसा अयोग ऐसा साक्ष्य लेकर, जो अवश्यक हो, ऐसे व्यहि के हचत्त को
दशा को वचारीहत जांच करेगा और राज्य सरकार को ररपोटण देगा, जो ईसके
छो़िे जाने या हनरुद्ध रखे जाने का जैसा वह ठीक समझे,अदेश दे सकती है।
धारा – 378 नातेदार या हमत्र की देख-रेख के हलए हिकृत हचि व्यहि का सौंपा जाना - धारा 339 नातेदार या हमत्र की देख-रेख के हलए पागल व्यहि का सौंपा जाना -
(1) जब कभी धारा 369 या धारा 374 के ईपबन्धों के ऄधीन हनरुद्ध हकसी
व्यहि का कोइ नातेदार या हमत्र यह चाहता है हक वह व्यहि ईसकी देख-रेख
और ऄहभरक्षा में रखे जाने के हलए सौंप हदया जाए जब राज्य सरकार ईस
नातेदार या हमत्र के अवेदन पर और ईसके द्वारा ऐसी राज्य सरकार को
समाधानप्रद प्रहतभूहत आस बाबत हदए जाने पर हक-
(क) सौंपे गए व्यहि की समहु चत देख-रेख की जाएगी और वह ऄपने अपको
या हकसी ऄन्य व्यहि को क्षहत पहुचं ाने से हनवाररत रखा जाएगा;
(ख) सौंपा गया व्यहि ऐसे ऄहधकारी के समक्ष और ऐसे समय और स्थानों पर,
जो राज्य सरकार द्वारा हनहदण ष्ट हकए जाएं, हनरीक्षण के हलए पेश हकया जाएगा:
(ग) सौंपा गया व्यहि, ईस दशा में हजसमें वह धारा 369 की ईपधारा (2) के
ऄधीन हनरुद्ध व्यहि है, ऄपेक्षा हकए जाने पर ऐसे महजस्रेट या न्यायालय के
समक्ष पेश हकया जाएगा,
ऐसे व्यहि को ऐसे नातेदार या हमत्र को सौंपने का अदेश दे सके गी।
(2) यहद ऐसे सौंपा गया व्यहि हकसी ऐसे ऄपराध के हलए ऄहभयि ु है, हजसका
हवचारण ईसके हवकृ त हचत्त होने और ऄपनी प्रहतरक्षा करने में ऄसमथण होने के
कारण मलु तवी हकया गया है और ईपधारा (1) के खण्ड (ख) में हनहदण ष्ट हनरीक्षण
ऄहधकारी हकसी समय महजस्रेट या न्यायालय के समक्ष यह प्रमाहणत करता है
हक ऐसा व्यहि ऄपनी प्रहतरक्षा करने में समथण है तो ऐसा महजस्रेट या
न्यायालय ईस नातेदार या हमत्र से, हजसे ऐसा ऄहभयि ु सौंपा गया है, ऄपेक्षा
करेगा हक वह ईसे ईस महजस्रेट या न्यायालय के समक्ष पेश करे और ऐसे पेश
हकए जाने पर वह महजस्रेट या न्यायालय धारा 371 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार
कायण वाही करेगा और हनरीक्षण ऄहधकारी का प्रमाणपत्र साक्ष्य के तौर पर ग्रहण
हकया जा सकता है।
ऄध्याय 28 - न्याय-प्रिासन पर प्रभाि डालने िाले ऄपराधों के बारे में
ईपबन्ध
धारा – 379 धारा 215 में िहणगत मामलों में प्रहिया - (1) जब हकसी न्यायालय की, ईससे धारा 340
आस हनहमत हकए गए अवेदन पर या ऄन्यथा, यह राय है हक न्याय के हहत में
यह समीचीन है हक धारा 215 की ईपधारा (1) के खण्ड (ख) में हनहदण ष्ट हकसी
ऄपराध की, जो ईसे, यथाहस्थहत, ईस न्यायालय की कायण वाही में या ईसके
संबधं में या ईस न्यायालय की कायण वाही में पेश की गइ या साक्ष्य में दी गइ
दस्तावेज के बारे में हकया हुअ प्रतीत होता है, जांच की जानी चाहहए तब ऐसा
न्यायालय ऐसी प्रारहमभक जांच के पश्चात् यहद कोइ हो, जैसी वह अवश्यक
समझे, -
(क) ईस भाव का हनष्कषण ऄहभहलहखत कर सकता है;
(ख) ईसका हलहखत पररवाद कर सकता है;
(ग) ईसे ऄहधकाररता रखने वाले. प्रथम वगण महजस्रेट को भेज सकता है;
(घ) ऐसे महजस्रेट के समक्ष ऄहभयि ु के हाहजर होने के हलए पयाण प्त प्रहतभूहत
ले सकता है ऄथवा यहद ऄहभकहथत ऄपराध ऄजमानतीय है और न्यायालय
ऐसा करना अवश्यक समझता है तो, ऄहभयि ु को ऐसे महजस्रेट के पास
ऄहभरक्षा में भेज सकता है; और
(ङ) ऐसे महजस्रेट के समक्ष हाहजर होने और साक्ष्य देने के हलए हकसी व्यहि
को अबद्ध कर सकता है।
(2) हकसी ऄपराध के बारे में न्यायालय को ईपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शहि का
प्रयोग, ऐसे मामले में हजसमें ईस न्यायालय ने ईपधारा (1) के ऄधीन ईस
ऄपराध के बारे में न तो पररवाद हकया है और न ऐसे पररवाद के हकए जाने के
हलए अवेदन को नामंजरू हकया है, ईस न्यायालय द्वारा हकया जा सकता है
हजसके ऐसा पूवणकहथत न्यायालय धारा 215 की ईपधारा (4) के ऄथण में
ऄधीनस्थ है।
(3) आस धारा के ऄधीन हकए गए पररवाद पर हस्ताक्षर, -
(क) जहां पररवाद करने वाला न्यायालय ईच्च न्यायालय है वहां ईस
न्यायालय के ऐसे ऄहधकारी द्वारा हकए जाएंगे, हजसे वह न्यायालय हनयि ु करे;
(ख) हकसी ऄन्य मामले में, न्यायालय के पीठासीन ऄहधकारी द्वारा या
न्यायालय के ऐसे ऄहधकारी द्वारा, हजसे न्यायालय आस हनहमत्त हलहखत में
प्राहधकृ त करे, हकये जायेंगे।
(4) आस धारा में "न्यायालय" का वही ऄथण है जो धारा 215 में है।
धारा – 380 ऄपील- (1) कोइ व्यहि, हजसके अवेदन पर ईच्च न्यायालय से हभन्न हकसी धारा 341
न्यायालय ने धारा 379 की ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के ऄधीन पररवाद
करने से आन्कार कर हदया है या हजसके हवरुद्ध ऐसा पररवाद ऐसे न्यायालय
द्वारा हकया गया है, ईस न्यायालय में ऄपील कर सकता है, हजसके ऐसा
पूवणकहथत न्यायालय धारा 215 की ईपधारा (4) के ऄथण में ऄधीनस्थ है, और
तब वररष्ठ न्यायालय संबद्ध पक्षकारों को सूचना देने के पश्चात्, यथाहस्थहत,
ईस पररवाद को वापस लेने का या वह पररवाद करने का हजसे ऐसा पवू ण कहथत
न्यायालय धारा 379 के ऄधीन कर सकता था, हनदेश दे सके गा और यहद वह
ऐसा पररवाद करता है तो ईस धारा के ईपबन्ध तदनस ु ार लागू होंगे।
(2) आस धारा के ऄधीन अदेश, और ऐसे अदेश के ऄधीन रहते हुए धारा
379 के ऄधीन अदेश, ऄहन्तम होगा और ईसका पनु रीक्षण नहीं हकया जा
सके गा।
धारा – 381 खचग का अदेि देने की िहि- धारा 379 के ऄधीन पररवाद फाआल करने के धारा 342
हलए हकए गए हकसी अवेदन या धारा 380 के ऄधीन ऄपील के समबन्ध में
कायण वाही करने वाले हकसी भी न्यायालय को खचण के बारे में ऐसा अदेश देने
की शहि होगी, जो न्यायसंगत हो।
धारा – 382 जहां महजस्रेट संज्ञान करे, िहां प्रहिया - (1) वह महजस्रेट, हजससे कोइ धारा 343
पररवाद धारा 379 या धारा 380 के ऄधीन हकया जाता है, ऄध्याय 16 में
हकसी बात के होते हुए भी, जहां तक हो सके मामले में आस प्रकार कायण वाही
करने के हलए ऄग्रसर होगा, मानो वह पहु लस ररपोटण पर संहस्थत है।
(2) जहां ऐसे महजस्रेट के या हकसी ऄन्य महजस्रेट के , हजसे मामला
ऄन्तररत हकया गया है, ध्यान में यह बात लाइ जाती है हक ईस न्याहयक
कायण वाही में, हजससे वह मामला ईत्पन्न हुअ है, हकए गए हवहनश्चय के हवरुद्ध
ऄपील लहमबत है वहां वह, यहद ठीक समझता है तो, मामले की सनु वाइ को
हकसी भी प्रिम पर तब तक के हलए स्थहगत कर सकता है जब तक ऐसी
ऄपील हवहनहश्चत न हो जाए।
धारा – 383 हमध्या साक्ष्य देने पर हिचारण के हलए संहक्षप्त प्रहिया - (1) यहद हकसी धारा 344
न्याहयक कायण वाही को हनपटाते हुए हनणण य या ऄहन्तम अदेश देते समय कोइ
सेशन न्यायालय या प्रथम वगण महजस्रेट यह राय व्यि करता है हक ऐसी
कायण वाही में ईपहस्थत होने वाले हकसी साक्षी ने जानते हुए या जानबूझकर
हमध्या साक्ष्य हदया है या आस अशय से हमथ्या साक्ष्य गढा है हक ऐसा साक्ष्य
ऐसी कायण वाही में प्रयिु हकया जाए तो यहद ईसका समाधान हो जाता है हक
न्याय के हहत में यह अवश्यक और समीचीन है हक साक्षी का, यथाहस्थहत,
हमथ्या साक्ष्य देने या गढने के हलए संक्षेपतः हवचारण हकया जाना चाहहए तो
वह ऐसे ऄपराध का संज्ञान कर सके गा और ऄपराधी को ऐसा कारण दहशण त
करने का हक क्ट्यों न ईसे ऐसे ऄपराध के हलए दहण्डत हकया जाए, ईहचत
ऄवसर देने के पश्चात्, ऐसे ऄपराधी का संक्षेपतः हवचारण कर सके गा और ईसे
कारावास से हजसकी ऄवहध तीन मास तक की हो सके गी या जमु ागने से जो
एक हजार रुपये तक का हो सके गा या दोनों से, दहण्डत कर सके गा।
(2) ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय संहक्षप्त हवचारणों के हलए हवहहत प्रहिया
का यथासाध्य ऄनस ु रण करेगा।
(3) जहां न्यायालय आस धारा के ऄधीन कायण वाही करने के हलए ऄग्रसर नहीं
होता है वहां आस धारा की कोइ बात, ऄपराध के हलए धारा 379 के ऄधीन
पररवाद करने की ईस न्यायालय की शहि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
(4) जहां, ईपधारा (1) के ऄधीन हकसी कायण वाही के प्रारमभ हकए जाने के
पश्चात्, सेशन न्यायालय या प्रथम वगण महजस्रेट को यह प्रतीत कराया जाता है
हक ईस हनणण य या अदेश के हवरुद्ध हजसमें ईस ईपधारा में हनहदण ष्ट राय
ऄहभव्यि की गइ है ऄपील या पनु रीक्षण के हलए अवेदन हकया गया है वहां
वह, यथाहस्थहत, ऄपील या पनु रीक्षण के अवेदन के हनपटाए जाने तक अगे
हवचारण की कायण वाहहयों को रोक देगा और तब अगे हवचारण की कायण वाहहयां
ऄपील या पनु रीक्षण के अवेदन के पररणामों के ऄनस ु ार होंगी।
धारा – 384 ऄिमान के कुछ मामलों में प्रहिया - (1) जब कोइ ऐसा ऄपराध, जैसा धारा 345
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 210, धारा 213, धारा 214, धारा
215 या धारा 267 में वहणण त है, हकसी हसहवल, दण्ड या राजस्व न्यायालय की
दृहष्टगोचरता या ईपहस्थहत में हकया जाता है तब न्यायालय ऄहभयि ु को
ऄहभरक्षा में हनरुद्ध करा सकता है और ईसी हदन न्यायालय के ईठने के पूवण
हकसी समय, ऄपराध का संज्ञान कर सकता है और ऄपराधी को ऐसा कारण
दहशण त करने का, हक क्ट्यों न ईसे आस धारा के ऄधीन दहण्डत हकया जाए,
ईहचत ऄवसर देने के पश्चात् ऄपराधी को एक हजार रुपये से ऄनहधक जमु ाण ने
का और जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर एक मास तक की ऄवहध के हलए,
जब तक हक ऐसा जमु ाण ना ईससे पवू ण तर न दे हदया जाए, सादा कारावास का
दण्डादेश दे सकता है।
(2) ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय वे तथ्य हजनसे ऄपराध बनता है, ऄपराधी
द्वारा हकए गए कथन के (यहद कोइ हो) सहहत, तथा हनष्कषण और दण्डादेश भी
ऄहभहलहखत करेगा।
(3) यहद ऄपराध भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 267 के ऄधीन है
तो ऄहभलेख में यह दहशण त होगा हक हजस न्यायालय के कायण में हवघ्न डाला
गया था या हजसका ऄपमान हकया गया था, ईसकी बैठक हकस प्रकार की
न्याहयक कायण वाही के समबन्ध में और ईसके हकस प्रिम पर हो रही थी और
हकस प्रकार का हवघ्न डाला गया या ऄपमान हकया गया था।
धारा – 385 जहां न्यायालय का हिचार है हक मामले में धारा 384 के ऄधीन कायगिाही धारा 346
नहीं की जानी चाहहए, िहां प्रहिया - (1) यहद हकसी मामले में न्यायालय का
यह हवचार है हक धारा 384 में हनहदण ष्ट और ईसकी दृहष्टगोचरता या ईपहस्थहत
में हकए गए ऄपराधों में से हकसी के हलए ऄहभयि ु व्यहि जमु ाण ना देने में
व्यहतिम करने से ऄन्यथा कारावाहसत हकया जाना चाहहए या ईस पर दो सौ
रुपये से ऄहधक जमु ाण ना ऄहधरोहपत हकया जाना चाहहए या हकसी ऄन्य कारण
से ईस न्यायालय की यह राय है हक मामला धारा 384 के ऄधीन नहीं
हनपटाया जाना चाहहए तो वह न्यायालय ईन तथ्यों को हजनसे ऄपराध बनता
है और ऄहभयि ु के कथन को आसमें आसके पूवण ईपबहन्धत प्रकार से
ऄहभहलहखत करने के पश्चात्, मामला ईसका हवचारण करने की ऄहधकाररता
रखने वाले महजस्रेट को भेज सके गा और ऐसे महजस्रेट के समक्ष ऐसे व्यहि
की हाहजरी के हलए प्रहतभूहत दी जाने की ऄपेक्षा कर सके गा, या यहद पयाण प्त
प्रहतभूहत न दी जाए तो ऐसे व्यहि को ऄहभरक्षा में ऐसे महजस्रेट के पास
भेजेगा।
(2) वह महजस्रेट, हजसे कोइ मामला आस धारा के ऄधीन भेजा जाता है, जहां
तक हो सके आस प्रकार कायण वाही करने के हलए ऄग्रसर होगा मानो वह मामला
पहु लस ररपोटण पर संहस्थत है।
धारा – 386 रहजस्रार या ईप-रहजस्रार कब हसहिल न्यायालय समझा जाएगा- जब धारा 347
राज्य सरकार ऐसा हनदेश दे तब कोइ भी रहजस्रार या कोइ भी ईप-रहजस्रार,
जो रहजस्रीकरण ऄहधहनयम, 1908 (1908 का 16) के ऄधीन हनयि ु है,
धारा 384 और 385 के ऄथण में हसहवल न्यायालय समझा जाएगा।
धारा – 387 माफी मांगने पर ऄपराधी का ईन्मोचन- जब हकसी न्यायालय ने हकसी धारा 348
ऄपराधी को कोइ बात, हजसे करने की ईससे हवहधपूवणक ऄपेक्षा की गइ थी,
करने से आन्कार करने या ईसे न करने के हलए या साशय कोइ ऄपमान करने
या हवघ्न डालने के हलए धारा 384 के ऄधीन दहण्डत हकए जाने के हलए
न्यायहनणीत हकया है या धारा 385 के ऄधीन हवचारण के हलए महजस्रेट के
पास भेजा है, तब वह न्यायालय ऄपने अदेश या ऄपेक्षा के ईसके द्वारा मान
हलए जाने पर या ईसके द्वारा ऐसे माफी मांगे जाने पर, हजससे न्यायालय का
समाधान हो जाए, स्वहववेकानस ु ार ऄहभयि ु को ईन्मोहचत कर सकता है या
दण्ड का पररहार कर सकता है।
धारा – 388 ईिर देने या दस्तािेज पेि करने से आन्कार करने िाले व्यहि को धारा 349
कारािास या ईसकी सपु दु गगी- यहद दण्ड न्यायालय के समक्ष कोइ साक्षी या
कोइ व्यहि, जो हकसी दस्तावेज या चीज को पेश करने के हलए बल ु ाया गया है,
ईन प्रश्नों का, जो ईससे हकए जाएं, ईत्तर देने से या ऄपने कब्जे या शहि में की
हकसी दस्तावेज या चीज को, हजसे पेश करने की न्यायालय ईससे ऄपेक्षा करे,
पेश करने से आन्कार करता है और ऐसे आन्कार के हलए कोइ ईहचत कारण पेश
करने के हलए यहु ियि ु ऄवसर हदए जाने पर ऐसा नहीं करता है तो ऐसा
न्यायालय ईन कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे, ईसे सात हदन से ऄनहधक
की हकसी ऄवहध के हलए सादा कारावास का दण्डादेश दे सके गा या पीठासीन
महजस्रेट या न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षररत वारण्ट द्वारा न्यायालय के हकसी
ऄहधकारी की ऄहभरक्षा के हलए सपु दु ण कर सके गा, जब तक हक ईस बीच ऐसा
व्यहि ऄपनी परीक्षा की जाने और ईत्तर देने के हलए या दस्तावेज या चीज
पेश करने के हलए सहमत नहीं हो जाता है और ईसके आन्कार पर डटे रहने की
दशा में ईसके बारे में धारा 384 या धारा 385 के ईपबन्धों के ऄनस ु ार
कायण वाही की जा सके गी।
धारा – 389 समन के पालन में साक्षी के हाहजर न होने पर ईसे दहण्डत करने के हलए धारा 350 कोइ पररवतण न नहीं ।
संहक्षप्त प्रहिया - (1) यहद हकसी दण्ड न्यायालय के समक्ष हाहजर होने के हलए
समन हकए जाने पर कोइ साक्षी समन के पालन में हकसी हनहश्चत स्थान और
समय पर हाहजर होने के हलए हवहधमान्य रूप से अबद्ध है और न्यायसंगत
कारण के हबना, ईस स्थान या समय पर हाहजर होने में ईपेक्षा या हाहजर होने
से आन्कार करता है या ईस स्थान से, जहां ईसे हाहजर होना है, ईस समय से
पहले चला जाता है हजस समय चला जाना ईसके हलए हवहधपूणण है और हजस
न्यायालय के समक्ष ईस साक्षी को हाहजर होना है ईसका समाधान हो जाता है
हक न्याय के हहत में यह समीचीन है हक ऐसे साक्षी का संक्षेपतः हवचारण हकया
जाए तो वह न्यायालय ईस ऄपराध का संज्ञान कर सकता है और ऄपराधी
को आस बात का कारण दहशण त करने का हक क्ट्यों न ईसे आस धारा के ऄधीन
दहण्डत हकया जाए ऄवसर देने के पश्चात् ईसे पांच सौ रुपये से ऄनहधक
जमु ाण ने का दण्डादेश दे सकता है।
(2) ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय ईस प्रहिया का यथासाध्य ऄनस ु रण
करेगा जो संहक्षप्त हवचारणों के हलए हवहहत है।
धारा – 390 धारा 383, धारा 384, धारा 388 और धारा 389 के ऄधीन दोषहसहद्धयों से धारा 351
ऄपीलें - (1) ईच्च न्यायालय से हभन्न हकसी न्यायालय द्वारा धारा 383,
धारा 384, धारा 388 या धारा 389 के ऄधीन दण्डाहदष्ट कोइ व्यहि, आस
संहहता में हकसी बात के होते हुए भी, ईस न्यायालय में ऄपील कर सकता है
हजसमें ऐसे न्यायालय द्वारा दी गइ हडहियों या अदेशों की ऄपील मामूली तौर
पर होती है।
(2) ऄध्याय 31 के ईपबन्ध, जहां तक वे लागू हो सकते हैं, आस धारा के
ऄधीन ऄपीलों को लागू होंगे, और ऄपील न्यायालय हनष्कषण को पररवहतण त कर
सकता है या ईलट सकता है या ईस दण्ड को, हजसके हवरुद्ध ऄपील की गइ
है, कम कर सकता है या ईलट सकता है।
(3) लघवु ाद न्यायालय द्वारा की गइ ऐसी दोषहसहद्ध की ऄपील ईस सेशन खंड
के सेशन न्यायालय में होगी हजस खंड में वह न्यायालय हस्थत है।
(4) धारा 386 के ऄधीन जारी हकए गए हनदेश के अधार पर हसहवल
न्यायालय समझे गये हकसी रहजस्रार या ईप-रहजस्रार द्वारा की गइ ऐसी
दोषहसहद्ध से ऄपील ईस सेशन खंड के सेशन न्यायालय में होगी हजस खंड में
ऐसे रहजस्रार या ईप-रहजस्रार का कायाण लय हस्थत है।
धारा – 391 कुछ न्यायाधीिों और महजस्रेटों के समक्ष हकए गए ऄपराधों का ईनके धारा 352
द्वारा हिचारण न हकया जाना- धारा 383, धारा 384, धारा 388 और धारा
389 में जैसा ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, (ईच्च न्यायालय के न्यायाधीश से
हभन्न) दण्ड न्यायालय का कोइ भी न्यायाधीश या महजस्रेट धारा 215 में
हनहदण ष्ट हकसी ऄपराध के हलए हकसी व्यहि का हवचारण ईस दशा में नहीं
करेगा, जब वह ऄपराध ईसके समक्ष या ईसके प्राहधकार का ऄवमान करके
हकया गया है या हकसी न्याहयक कायण वाही के दौरान ऐसे न्यायाधीश या
महजस्रेट को हैहसयत में ईसके ध्यान में लाया गया है।
ऄध्याय 29 - हनणगय
धारा – 392 हनणगय - (1) अरहमभक ऄहधकाररता के दण्ड न्यायालय में होने वाले प्रत्येक धारा 353
हवचारण में हनणण य पीठासीन ऄहधकारी द्वारा खल ु े न्यायालय में या तो हवचारण
के खत्म होने के पश्चात् तरु न्त या बाद में पैतालीस हदन से ऄनहधक हकसी
समय, हजसको सूचना पक्षकारों या ईनके ऄहधििाओं को दी जाएगी, -
(क) समपूणण हनणण य देकर सनु ाया जाएगा; या
(ख) समपूणण हनणण य पढकर सनु ाया जाएगा; या
(ग) ऄहभयि ु या ईसके ऄहधविा द्वारा समझी जाने वाली भाषा में हनणण य का
प्रवतण नशील भाग पढकर और हनणण य का सार समझाकर सनु ाया जाएगा।
(2) जहां ईपधारा (1) के खण्ड (क) के ऄधीन हनणण य हदया जाता है, वहां
पीठासीन ऄहधकारी ईसे अशहु लहप में हलखवाएगा और जैसे ही ऄनहु लहप
तैयार हो जाती है वैसे ही खल ु े न्यायालय में ईस पर और ईसके प्रत्येक पृष्ठ पर
हस्ताक्षर करेगा, और ईस पर हनणण य हदए जाने की तारीख डालेगा।
(3) जहां हनणण य या ईसका प्रवतण नशील भाग, यथाहस्थहत, ईपधारा (1) के
खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के ऄधीन पढकर सनु ाया जाता है, वहां पीठासीन
ऄहधकारी द्वारा खल ु े न्यायालय में ईस पर तारीख डालो जाएगी और हस्ताक्षर
हकए जाएंगे और यहद वह ईसके द्वारा स्वयं ऄपने हाथ से नहीं हलखा गया है तो
हनणण य के प्रत्येक पृष्ठ पर ईसके द्वारा हस्ताक्षर हकए जाएंगे।
(4) जहां हनणण य ईपधारा (1) के खण्ड (ग) में हवहनहदण ष्ट रीहत से सनु ाया जाता
है, वहां समपूणण हनणण य या ईसकी एक प्रहतहलहप पक्षकारों या ईनके
ऄहधविाओं के पररशीलन के हलए तरु न्त हनःशलु क ईपलब्ध कराइ जाएगी :
परन्तु यह हक न्यायालय जहां तक सभभि हो हनणगय की तारीख से सात
हदन की ऄिहध के भीतर ऄपने पोटग ल पर हनणगय की प्रहत ऄपलोड करेगा।
(5) यहद ऄहभयि ु ऄहभरक्षा में है तो हनणण य सनु ने के हलए या तो ईसे
व्यहिगत रूप से या श्रव्य-दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से, लाया
जाएगा।
(6) यहद ऄहभयि ु ऄहभरक्षा में नहीं है तो ईससे न्यायालय द्वारा सनु ाए जाने
वाले हनणण य को सनु ने के हलए हाहजर होने की ऄपेक्षा की जाएगी, हकन्तु ईस
दशा में नहीं की जाएगी हजसमें हवचारण के दौरान ईसकी वैयहिक हाहजरी से
ईसे ऄहभमहु ि दे दी गइ है और दण्डादेश के वल जमु ाण ने का है या ईसे दोषमि ु
हकया गया है:
परन्तु जहां एक से ऄहधक ऄहभयि ु हैं और ईनमें से एक या एक से ऄहधक
ईस तारीख को न्यायालय में हाहजर नहीं हैं हजसको हनणण य सनु ाया जाने वाला
है तो पीठासीन ऄहधकारी ईस मामले को हनपटाने में ऄनहु चत हवलमब से बचने
के हलए ईनकी ऄनपु हस्थहत में भी हनणण य सनु ा सकता है।
(7) हकसी भी दण्ड न्यायालय द्वारा सनु ाया गया कोइ हनणण य के वल आस कारण
हवहधतः ऄमान्य न समझा जाएगा हक ईसके सनु ाए जाने के हलए सूहचत हदन
को या स्थान में कोइ पक्षकार या ईसका ऄहधविा ऄनपु हस्थत था या
पक्षकारों पर या ईनके ऄहधविाओं पर या ईनमें से हकसी पर ऐसे हदन और
स्थान की सूचना की तामील करने में कोइ लोप या त्रहु ट हुइ थी।
(8) आस धारा की हकसी बात का यह ऄथण नहीं लगाया जाएगा हक वह धारा
511 के ईपबन्धों के हवस्तार को हकसी प्रकार से पररसीहमत करती है।
धारा – 393 हनणगय की भाषा और ऄन्तिगस्तु - (1) आस संहहता द्वारा ऄहभव्यि रूप से धारा 354
ऄन्यथा ईपबहन्धत के हसवाय, धारा 392 में हनहदण ष्ट प्रत्येक हनणण य-
(क) न्यायालय की भाषा में हलखा जाएगा;
(ख) ऄवधारण के हलए प्रश्न, ईस प्रश्न या ईन प्रश्नों पर हवहनश्चय और हवहनश्चय
के कारण ऄन्तहवण ष्ट करेगा;
(ग) वह ऄपराध (यहद कोइ हो) हजसके हलए और भारतीय न्याय संहहता,
2023 या ऄन्य हवहध की वह धारा, हजसके ऄधीन ऄहभयि ु दोषहसद्ध हकया
गया है, और वह दण्ड हजसके हलए वह दण्डाहदष्ट है, हवहनहदण ष्ट करेगा;
(घ) यहद हनणण य दोषमहु ि का है तो, ईस ऄपराध का कथन करेगा हजससे
ऄहभयि ु दोषमि ु हकया गया है और हनदेश देगा हक वह स्वतन्त्र कर हदया
जाए।
(2) जब दोषहसहद्ध भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄधीन है और यह संदेह
है हक ऄपराध ईस संहहता की दो धाराओं में से हकसके ऄधीन या एक ही धारा
के दो भागों में से हकसके ऄधीन अता है तो न्यायालय आस बात को स्पष्ट रूप
से ऄहभव्यि करेगा और ऄनक ु लपतः हनणण य देगा।
(3) जब दोषहसहद्ध, मृत्यु से ऄथवा ऄनक ु लपतः अजीवन कारावास से या कइ
वषों की ऄवहध के कारावास से दण्डनीय हकसी ऄपराध के हलए है, तब हनणण य
में, हदए गए दण्डादेश के कारणों का और मृत्यु के दण्डादेश की दशा में ऐसे
दण्डादेश के हलए हवशेष कारणों का, कथन होगा।
(4) जब दोषहसहद्ध एक वषण या ईससे ऄहधक की ऄवहध के कारावास से
दण्डनीय ऄपराध के हलए है हकन्तु न्यायालय तीन मास से कम ऄवहध के
कारावास का दण्ड ऄहधरोहपत करता है, तब वह ऐसा दण्ड देने के ऄपने
कारणों को लेखबद्ध करेगा ईस दशा के हसवाय जब वह दण्डादेश न्यायालय के
ईठने तक के हलए कारावास का नहीं है या वह मामला आस संहहता के ईपबन्धों
के ऄधीन संक्षेपतः हवचाररत नहीं हकया गया है।
(5) जब हकसी व्यहि को मृत्यु का दण्डादेश हदया गया है तो वह दण्डादेश यह
हनदेश देगा हक ईसे गदण न में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक
ईसकी मृत्यु न हो जाए।
(6) धारा 136 के ऄधीन या धारा 157 की ईपधारा (2) के ऄधीन प्रत्येक
अदेश में और धारा 144, धारा 164 या धारा 166 के ऄधीन हकए गए
प्रत्येक ऄहन्तम अदेश में, ऄवधारण के हलए प्रश्न, ईस प्रश्न या ईन प्रश्नों पर
हवहनश्चय और हवहनश्चय के कारण ऄन्तहवण ष्ट होंगे।
धारा 355 – महानगर महजस्रेट का हनणगय - महानगर महजस्रेट हनणण य
को आसमें आसके पूवण ईपबहन्धत रीहत से हलखने के बजाय हनमनहलहखत
हववरणों को हलखेगा; ऄथाण त्-
(क) मामले की िम संख्या;
(ख) ऄपराध हकए जाने की तारीखः
(ग) यहद कोइ पररवादी हो तो ईसका नाम;
(घ) ऄहभयि ु व्यहि का नाम और ईसके माता-हपता का नाम और हनवास
स्थान;
(ङ) ऄपराध हजसका पररवाद हकया गया है या जो साहबत हुअ है;
(च) ऄहभयि ु की ऄहभवाक (कथन) और ईसकी परीक्षा (यहद कोइ हो);
(छ) ऄहन्तम अदेश;
(ज) ऐसे अदेश की तारीख;
(झ) ईन सब मामलों में हजनमें धारा 373 के ऄधीन या धारा 374 की
ईपधारा (3) के ऄधीन ऄहन्तम अदेश के हवरूद्ध ऄपील होती हो, हनणण य
के कारणों का संहक्षप्त ब्यौरा।
धारा – 394 पूिगतन हसद्धदोष ऄपराधी को ऄपने पते की सूचना देने का अदेि - (1) धारा 356
जब कोइ व्यहि, हजसे भारत में हकसी न्यायालय ने तीन िषग या ईससे
ऄहधक की ऄिहध के हलए कारािास से दण्डनीय हकसी ऄपराध के हलए
दोषहसद्ध हकया है, हकसी ऄपराध के हलए, जो तीन वषण या ईससे ऄहधक की
ऄवहध के हलए कारावास से दण्डनीय है, हद्वतीय वगण महजस्रेट के न्यायालय से
हभन्न हकसी न्यायालय द्वारा पनु ः दोषहसद्ध हकया जाता है तब, यहद ऐसा
न्यायालय ठीक समझे तो वह ईस व्यहि को कारावास का दण्डादेश देते समय
यह अदेश भी कर सकता है हक छो़िे जाने के पश्चात् ईसके हनवास स्थान की
और ऐसे हनवास- स्थान को हकसी तब्दीली की या ईससे ईसकी ऄनपु हस्थहत
की आसमें आसके पश्चात् ईपबहन्धत रीहत से सूचना ऐसे दण्डादेश की समाहप्त की
तारीख से पांच वषण से ऄनहधक ऄवहध तक दी जाएगी।
(2) ईपधारा (1) के ईपवन्ध, ईन ऄपराधों को करने के अपराहधक षड् यन्त्रों
और ईन ऄपराधों के दष्ु प्रेरण तथा ईन्हें करने के प्रयत्नों को भी लागू होते हैं।
(3) यहद ऐसी दोषहसहद्ध ऄपील में या ऄन्यथा ऄपाप्त कर दो जाती है तो ऐसा
अदेश शून्य हो जाएगा।
(4) आस धारा के ऄधीन अदेश ऄपील न्यायालय द्वारा, या ईच्च न्यायालय या
सेशन न्यायालय द्वारा भी जब वह ऄपनी पनु रीक्षण की शहियों का प्रयोग कर
रहा है, हकया जा सकता है।
(5) राज्य सरकार, छो़िे गए हसद्धदोषों के हनवास स्थान की या हनवास स्थान
की तब्दीली की या ईससे ईनको ऄनपु हस्थहत की सूचना से समबहन्धत आस
धारा के ईपबन्धों को हियाहन्वत करने के हलए हनयम ऄहधसूचना द्वारा बना
सकती है।
(6) ऐसे हनयम ईनके भंग हकए जाने के हलए दण्ड का ईपबन्ध कर सकते हैं
और हजस व्यहि पर ऐसे हकसी हनयम को भंग करने का अरोप है ईसका
हवचारण ईस हजले में सक्षम ऄहधकाररता वाले महजस्रेट द्वारा हकया जा
सकता है हजसमें ईस व्यहि द्वारा ऄपने हनवास स्थान के रूप में ऄन्त में
सूहचत स्थान है।
धारा – 395 प्रहतकर देने का अदेि - (1) जब कोइ न्यायालय जमु ाण ने का दण्डादेश देता है धारा 357 कोइ पररवतण न नहीं ।
या कोइ ऐसा दण्डादेश (हजसके ऄन्तगण त मृत्यु दण्डादेश भी है) देता है हजसका
भाग जमु ाण ना भी है, तब हनणण य देते समय वह न्यायालय यह अदेश दे सकता है
हक वसूल हकए गए सब जमु ाण ने या ईसके हकसी भाग का ईपयोजन-
(क) ऄहभयोजन में ईहचत रूप से ईपगत व्ययों को चक ु ाने में हकया जाए;
(ख) हकसी व्यहि को ईस ऄपराध द्वारा हुइ हकसी हाहन या क्षहत का प्रहतकर
देने में हकया जाए, यहद न्यायालय की राय में ऐसे व्यहि द्वारा प्रहतकर हसहवल
न्यायालय में वसूल हकया जा सकता है;
(ग) ईस दशा में, जब कोइ व्यहि हकसी ऄन्य व्यहि की मृत्यु काररत करने के ,
या ऐसे ऄपराध के , हकए जाने का दष्ु प्रेरण करने के हलए दोषहसद्ध हकया जाता
है, ईन व्यहियों को, जो ऐसी मृत्यु से ऄपने को हुइ हाहन के हलए दण्डाहदष्ट
व्यहि से नक ु सानी वसूल करने के हलए घातक दघु ण टना ऄहधहनयम, 1855
(1855 का 13) के ऄधीन हकदार है, प्रहतकर देने में हकया जाए;
(घ) जब कोइ व्यहि, हकसी ऄपराध के हलए, हजसके ऄन्तगण त चोरी,
अपराहधक दहु वण हनयोग, अपराहधक न्यासभंग या छल भी है, या चरु ाइ हुइ
समपहत्त को ईस दशा में जब वह यह जानता है या ईसको यह हवश्वास करने का
कारण है हक वह चरु ाइ हुइ है, बेइमानी से प्राप्त करने या रखे रखने के हलए या
ईसके व्ययन में स्वेच्छया या सहायता करने के हलए, दोषहसद्ध हकया जाए, तब
ऐसी समपहत्त के सद्भावपणू ण िे ता की, ऐसी समपहत्त ईसके हकदार व्यहि के
कब्जे में लौटा दी जाने की दशा में ईसकी हाहन के हलए, प्रहतकर देने में हकया
जाए।
(2) यहद जमु ाण ना ऐसे मामले में हकया जाता है जो ऄपीलनीय है तो ऐसा कोइ
संदाय, ऄपील ईपहस्थत करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध के बीत जाने से पहले,
या यहद ऄपील ईपहस्थत की जाती है ती ईसके हवहनश्चय के पूवण, नहीं हकया
जाएगा।
(3) जब न्यायालय ऐसा दण्ड ऄहधरोहपत करता है हजसका भाग जमु ाण ना नहीं है
तब न्यायालय हनणण य पाररत करते समय, ऄहभयि ु व्यहि को यह अदेश दे
सकता है हक ईस कायण के कारण हजसके हलए ईसे ऐसा दण्डादेश हदया गया
है, हजस व्यहि को कोइ हाहन या क्षहत ईठानी प़िी है, ईसे यह प्रहतकर के रूप
में आतनी रकम दे हजतनी अदेश में हवहनहदण ष्ट है।
(4) आस धारा के ऄधीन अदेश, ऄपील न्यायालय द्वारा या ईच्च न्यायालय या
सेशन न्यायालय द्वारा भी हकया जा सके गा जब वह ऄपनी पनु रीक्षण की
शहियों का प्रयोग कर रहा हो।
(5) ईसी मामले से समबहन्धत हकसी पश्चात्वतीं हसहवल याद में प्रहतकर
ऄहधहनणीत करते समय न्यायालय ऐसी हकसी राहश को, जो आस धारा के
ऄधीन प्रहतकर के रूप में दी गइ है या वसूल की गइ है, हहसाब में लेगा।
धारा – 396 पीहडत प्रहतकर स्कीम - (1) प्रत्येक राज्य सरकार के न्द्रीय सरकार के धारा 357-
सहयोग से ऐसे पीह़ित या ईसके अहश्रतों को, हजन्हें ऄपराध के क
पररणामस्वरूप हाहन या क्षहत हुइ है और हजन्हें पनु वाण स की अवश्यकता है,
प्रहतकर के प्रयोजन के हलए हनहधयां ईपलब्ध कराने के हलए एक स्कीम तैयार
करेगी।
(2) जब कभी भी न्यायालय द्वारा प्रहतकर के हलए हसफाररश की जाती है, तब,
यथाहस्थहत, हजला हवहधक सेवा प्राहधकरण या राज्य हवहधक सेवा प्राहधकरण
ईपधारा (1) में हनहदण ष्ट स्कीम के ऄधीन हदए जाने वाले प्रहतकर की मात्रा का
हवहनश्चय करेगा।
(3) यहद हवचारण न्यायालय का, हवचारण की समाहप्त पर, यह समाधान हो
जाता है हक धारा 395 के ऄधीन ऄहधहनणीत प्रहतकर ऐसे पनु वाण स के हलए
पयाण प्त नहीं है या जहां मामले दोषमहु ि या ईन्मोचन में समाप्त होते हैं और
पीह़ित को पनु वाण हसत करना है, वहां वह प्रहतकर के हलए हसफाररश कर
सके गा।
(4) जहां ऄपराधी का पता नहीं लग पाता है या ईसकी पहचान नहीं हो पाती है
हकन्तु पीह़ित की पहचान हो जाती है और जहां कोइ हवचारण नहीं होता है,
वहां पीह़ित या ईसके अहश्रत प्रहतकर हदए जाने के हलए राज्य या हजला
हवहधक सेवा प्राहधकरण को अवेदन कर सकें गे।
(5) ईपधारा (4) की ऄधीन ऐसी हसफाररशें या अवेदन प्राप्त होने पर, राज्य
या हजला हवहधक सेवा प्राहधकरण, समयक् जांच करने के पश्चात्, दो मास के
भीतर जांच परू ी करके पयाण प्त प्रहतकर ऄहधहनणीत करेगा।
(6) यथाहस्थहत, राज्य या हजला हवहधक सेवा प्राहधकरण पीह़ित की यातना
को कम करने के हलए, पहु लस थाने के भारसाधक से ऄन्यून पंहि के पहु लस
ऄहधकारी या संबद्ध क्षेत्र के महजस्रेट के प्रमाणपत्र पर मानहसक हचहकत्सा
सहु वधा या हचहकत्सा प्रसहु वधाएं ईपलब्ध कराने या कोइ ऄन्य ऄंतररम
ऄनतु ोष हदलाने, हजसे समहु चत प्राहधकरण ठीक समझे, के हलए तरु तं अदेश
कर सके गा।
(7) आस धारा के ऄधीन राज्य द्वारा संदये प्रहतकर भारतीय न्याय संहहता,
2023 की धारा 65, धारा 70 या धारा 124 की ईपधारा (1) के ऄधीन
पीह़िता को जमु ाण ने का संदाय हकए जाने के ऄहतररि होगा।
धारा – 397 पीहडतों का ईपचार- सभी लोक या प्राआवेट ऄस्पताल, चाहे वे के न्द्रीय धारा 357-
सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय हनकायों या हकसी ऄन्य व्यहि द्वारा चलाये ग
जा रहे हों, भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65, धारा 66,
धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 या धारा 124 की ईपधारा (1) के
ऄधीन लैंहगक ऄपराधों से बालकों का संरक्षण ऄहधहनयम, 2012 (2012
का 32) की धारा 4, धारा 6, धारा 8 या धारा 10 के ऄधीन अने वाले
हकसी ऄपराध के पीह़ितों को तरु न्त हनःशलु क प्राथहमक य। हचहकत्सीय
ईपचार ईपलब्ध कराएंगे और ऐसी घटना की पहु लस को तरु न्त सूचना देंगे।
धारा – 398 साक्षी संरक्षण स्कीम - प्रत्येक राज्य सरकार, साहक्षयों की सुरक्षा सुहनहश्चत नया जोडा गया ।
करने को ध्यान में रखते हुए राज्य के हलए साक्षी सुरक्षा स्कीम तैयार
करेगी और ऄहधसूहचत करेगी ।
धारा – 399 हनराधार हगरफ्तार करिाए गए व्यहियों को प्रहतकर - (1) जब कभी कोइ धारा 358 कोइ पररवतण न नहीं ।
व्यहि हकसी ऄन्य व्यहि को पहु लस ऄहधकारी से हगरफ्तार कराता है, तब
यहद ईस महजस्रेट को, हजसके द्वारा वह मामला सनु ा जाता है, यह प्रतीत
होता है हक ऐसी हगरफ्तारी कराने के हलए कोइ पयाण प्त अधार नहीं था तो, वह
महजस्रेट ऄहधहनणण य दे सकता है हक ऐसे हगरफ्तार हकए गए व्यहि को आस
समबन्ध में ईसके समय की हाहन और व्यय के हलए एक हजार रुपये से
ऄनहधक आतना प्रहतकर, हजतना महजस्रेट ठीक समझे, हगरफ्तार कराने वाले
व्यहि द्वारा हदया जाएगा।
(2) ऐसे मामलों में यहद एक से ऄहधक व्यहि हगरफ्तार हकए जाते हैं तो
महजस्रेट ईनमें से प्रत्येक के हलए ईसी रीहत से एक हजार रुपये से ऄनहधक
ईतना प्रहतकर ऄहधहनणीत कर सके गा, हजतना ऐसा महजस्रेट ठीक समझे।
(3) आस धारा के ऄधीन ऄहधहनणीत समस्त प्रहतकर ऐसे वसूल हकया जा
सकता है मानो वह जमु ाण ना है और यहद वह ऐसे वसूल नहीं हकया जा सकता
तो ईस व्यहि को, हजसके द्वारा वह संदेय है, तीस हदन से ऄनहधक की आतनी
ऄवहध के हलए, हजतनी महजस्रेट हनहदण ष्ट करें, सादे कारावास का दण्डादेश
हदया जाएगा जब तक हक ऐसी राहश ईससे पहले न दे दी जाए।
धारा – 400 ऄसंज्ञेय मामलों में खचाग देने के हलए अदेि- (1) जब कभी हकसी ऄसंज्ञेय धारा 359 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄपराध का कोइ पररवाद न्यायालय में हकया जाता है तब, यहद न्यायालय
ऄहभयि ु को दोषहसद्ध कर देता है तो, वह ऄहभयि ु पर ऄहधरोहपत शाहस्त के
ऄहतररि ईसे यह अदेश दे सकता है हक वह पररवादी को ऄहभयोजन में
ईसके द्वारा हकए गए खचे पणू ण तः या ऄंशतः दे और यह ऄहतररि अदेश दे
सकता है हक ईसे देने में व्यहतिम करने पर ऄहभयि ु तौस हदन से ऄनहधक
की ऄवहध के हलए सादा कारावास भोगेगा और ऐसे खचााँ के ऄन्तगण त
अदेहशका फीस, साहक्षयों और ऄहधविाओं की फीस की बाबत हकए गए कोइ
व्यय भी हो सकें गे हजन्हें न्यायालय ईहचत समझे।
(2) आस धारा के ऄधीन अदेश हकसी ऄपील न्यायालय द्वारा, या ईच्च
न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा भी हकया जा सके गा जब वह ऄपनी
पनु रीक्षण शहियों का प्रयोग कर रहा हो।
धारा – 401 सदाचरण की पररिीक्षा पर या भत्सगना के पश्चात् छोड देने का अदेि - (1) धारा 360
जब कोइ व्यहि जो आक्ट्कीस वषण से कम अयु का नहीं है के वल जमु ाण ने से या
सात वषण या ईससे कम ऄवहध के कारावास से दण्डनीय ऄपराध के हलए
दोषहसद्ध हकया जाता है या जब कोइ व्यहि जो आक्ट्कीस वषण से कम अयु का
है या कोइ महहला ऐसे ऄपराध के हलए, जो मृत्यु या अजीवन कारावास से
दण्डनीय नहीं है, दोषहसद्ध की जाती है और ऄपराधी के हवरुद्ध कोइ पूवण
दोषहसहद्ध साहबत नहीं की गइ है तब, यहद ईस न्यायालय को, हजसके समक्ष
ईसे दोषहसद्ध हकया गया है, ऄपराधी की अय,ु शील या पवू ण वत्त
ृ को और ईन
पररहस्थहतयों को, हजनमें ऄपराध हकया गया, ध्यान में रखते हुए यह प्रतीत
होता है हक ऄपराधी को सदाचरण की पररवीक्षा पर छो़ि देना समीचीन है तो
न्यायालय ईसे तरु न्त कोइ दण्डादेश देने के बजाय हनदेश दे सकता है हक ईसे
ईसके द्वारा यह बन्धपत्र या जमानतपत्र हलख देने पर छो़ि हदया जाए हक वह
(तीन वषण से ऄनहधक) आतनी ऄवहध के दौरान, हजतनी न्यायालय हनहदण ष्ट करे,
बल ु ाए जाने पर हाहजर होगा और दण्डादेश पाएगा और आस बीच पररशांहत
कायम रखेगा और सदाचारी बना रहेगा :
परन्तु जहााँ कोइ प्रथम ऄपराधी हकसी हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा, जो ईच्च
न्यायालय द्वारा हवशेषतया सशि नहीं हकया गया है, दोषहसद्ध हकया जाता है
और महजस्रेट की यह राय है हक आस धारा द्वारा प्रदत्त शहियों का प्रयोग
हकया जाना चाहहए वहााँ वह ईस भाव की ऄपनी राय ऄहभहलहखत करेगा और
प्रथम वगण महजस्रेट को वह कायण वाही हनवेहदत करेगा और ईस ऄहभयि ु को
ईस महजस्रेट के पास भेजेगा या ईसकी ईस महजस्रेट के समक्ष हाहजरी के
हलए जमानत लेगा और वह महजस्रेट ईस मामले का हनपटारा ईपधारा (2)
द्वारा ईपबहन्धत रीहत से करेगा।
(2) जहााँ कोइ कायण वाही प्रथम वगण महजस्रेट को ईपधारा (1) द्वारा ईपबहन्धत
रूप में हनवेहदत की गइ है, वहााँ ऐसा महजस्रेट ईस पर ऐसा दण्डादेश या
अदेश दे सकता है जैसा यहद मामला मूलतः ईसके द्वारा सनु ा गया होता तो
वह दे सकता और यहद वह हकसी प्रश्न पर ऄहतररि जांच या ऄहतररि साक्ष्य
अवश्यक समझता है तो वह स्वयं ऐसी जांच कर सकता है या ऐसा साक्ष्य ले
सकता है या ऐसी जांच हकए जाने या ऐसा साक्ष्य हलए जाने का हनदेश दे
सकता है।
(3) हकसी ऐसी दशा में, हजसमें कोइ व्यहि चोरी, हकसी भवन में चोरी,
बेइमानी से दहु वण हनयोग, छल या भारतीय न्याय संहहता, 2023 के ऄधीन दो
वषण से ऄनहधक के कारावास से दण्डनीय हकसी ऄपराध के हलए या के वल
जमु ाण ने से दण्डनीय हकसी ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकया जाता है और ईसके
हवरुद्ध कोइ पूवण दोषहसहद्ध साहबत नहीं की गइ है, यहद वह न्यायालय, हजसके
समक्ष वह ऐसे दोषहसद्ध हकया गया है, ठीक समझे, तो वह ऄपराधी की अय,ु
शील, पूवणवत्त ृ या शारीररक या मानहसक दशा को और ऄपराध की तच्ु छ
प्रकृ हत को, या हकन्हीं पररशमनकारी पररहस्थहतयों को, हजनमें ऄपराध हकया
गया था, ध्यान में रखते हुए ईसे कोइ दण्डादेश देने के बजाय समयक् भत्सण ना
के पश्चात् छो़ि सकता है।
(4) आस धारा के ऄधीन अदेश हकसी ऄपील न्यायालय द्वारा या ईच्च
न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा भी हकया जा सके गा जब वह ऄपनी
पनु रीक्षण शहियों का प्रयोग कर रहा हो।
(5) जब हकसी ऄपराधी के बारे में आस धारा के ऄधीन अदेश हदया गया है तब
ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय, ईस दशा में जब ईस न्यायालय में
ऄपील करने का ऄहधकार है, ऄपील हकए जाने पर, या ऄपनी पनु रीक्षण
शहियों का प्रयोग करते हुए, ऐसे अदेश को ऄपास्त कर सकता है और ऐसे
ऄपराधी को ईसके बदले में हवहध के ऄनस ु ार दण्डादेश दे सकता है :
परन्तु ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय आस ईपधारा के ऄधीन ईस दण्ड
से ऄहधक दण्ड न देगा जो ईस न्यायालय द्वारा हदया जा सकता था हजसके
द्वारा ऄपराधी दोषहसद्ध हकया गया था।
(6) धारा 140, धारा 143 और धारा 414 के ईपबन्ध आस धारा के ईपबन्धों
के ऄनस ु रण में पेश हकए गए प्रहतभओ
ु ं के बारे में जहााँ तक हो सके , लागू होंगे।
(7) हकसी ऄपराधी के ईपधारा (1) के ऄधीन छो़िे जाने का हनदेश देने के पवू ण
न्यायालय ऄपना समाधान कर लेगा हक ईस ऄपराधी का, या ईसके प्रहतभू
का (यहद कोइ हो) कोइ हनयत वास स्थान या हनयहमत ईपजीहवका ईस स्थान
में है हजसके समबन्ध में वह न्यायालय कायण करता है या हजसमें ऄपराधी के
ईस ऄवहध के दौरान रहने की समभाव्यता है, जो शतों के पालन के हलए
ईहललहखत की गइ है।
(8) यहद ईस न्यायालय का, हजसने ऄपराधी को दोषहसद्ध हकया है, या ईस
न्यायालय का, जो ऄपराधी के संबधं में ईसके मल ू ऄपराध के बारे में
कायण वाही कर सकता था, समाधान हो जाता है हक ऄपराधी ऄपने मज ंु गमके
की शतों में से हकसी का पालन करने में ऄसफल रहा है तो वह ईसके पक़िे
जाने के हलए वारण्ट जारी कर सकता है।
(9) जब कोइ ऄपराधी ऐसे हकसी वारण्ट पर पक़िा जाता है तब वह वारण्ट
जारी करने वाले महजस्रेट के समक्ष तत्काल लाया जाएगा और वह न्यायालय
या तो तब तक के हलए ईसे ऄहभरक्षा में रखे जाने के हलए प्रहतप्रेहषत कर
सकता है जब तक मामले में सनु वाइ न हो, या आस शतण पर हक वह दण्डादेश के
हलए हाहजर होगा, पयाण प्त प्रहतभूहत लेकर जमानत मंजूर कर सकता है और
ऐसा न्यायालय मामले की सनु वाइ के पश्चात् दण्डादेश दे सकता है।
(10) आस धारा की कोइ बात, ऄपराधी पररवीक्षा ऄहधहनयम, 1958 (1958
का 20) या हकशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) ऄहधहनयम,
2015 (2016 का 2) या हकशोर ऄपराहधयों के ईपचार, प्रहशक्षण या सधु ार से
समबहन्धत तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध के ईपबन्धों पर प्रभाव न डालेगी।
धारा – 402 कुछ मामलों में हििेष कारणों का ऄहभहलहखत हकया जाना - जहााँ हकसी धारा 361
मामले में न्यायालय, -
(क) हकसी ऄहभयि ु व्यहि के समबन्ध में कायण वाही धारा 401 के ऄधीन या
ऄपराधी पररवीक्षा ऄहधहनयम, 1958 (1958 का 20) के ईपबन्धों के ऄधीन
कर सकता था; या
(ख) हकसी हकशोर ऄपराधी के समबन्ध में कायण वाही, हकशोर न्याय (बालकों
की देखरेख और संरक्षण) ऄहधहनयम, 2015 (2016 का 2) के ऄधीन या
हकशोर ऄपराहधयों के ईपचार, प्रहशक्षण या सधु ार से संबहं धत तत्समय प्रवृत्त
हकसी ऄन्य हवहध के ऄधीन कर सकता था, हकन्तु ईसने ऐसा नहीं हकया है
वहााँ वह ऐसा न करने के हवशेष कारण ऄपने हनणण य में ऄहभहलहखत करेगा।
धारा – 403 न्यायालय का ऄपने हनणगय में पररितगन न करना - आस संहहता या तत्समय धारा 362 कोइ पररवतण न नहीं ।
प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध द्वारा जैसा ईपबहन्धत है ईसके हसवाय कोइ न्यायालय
जब ईसने हकसी मामले को हनपटाने के हलए ऄपने हनणण य या ऄहन्तम अदेश
पर हस्ताक्षर कर हदए हैं तब हलहपकीय या गहणतीय भूल को ठीक करने के
हसवाय ईसमें कोइ पररवतण न नहीं करेगा या ईसका पनु हवण लोकन नहीं करेगा।
धारा – 404 ऄहभयुि और ऄन्य व्यहियों को हनणगय की प्रहत का हदया जाना- (1) जब धारा 363
ऄहभयि ु को कारावास का दण्डादेश हदया जाता है तब हनणण य के सनु ाए जाने
के पश्चात् हनणण य की एक प्रहत ईसे हनः शलु क तरु न्त दी जाएगी।
(2) ऄहभयि ु के अवेदन पर, हनणण य की एक प्रमाहणत प्रहत या जब वह चाहे
तब, यहद समभव है तो ईसकी भाषा में या न्यायालय की भाषा में ईसका
ऄनवु ाद, ऄहवलंब ईसे हदया जाएगा और जहााँ हनणण य की ऄहभयि ु द्वारा
ऄपील हो सकती है वहााँ प्रत्येक दशा में ऐसी प्रहत हनःशलु क दी जाएगी :
परन्तु जहााँ मृत्यु का दण्डादेश ईच्च न्यायालय द्वारा पाररत या पष्टु हकया जाता
है वहााँ हनणण य की प्रमाहणत प्रहत ऄहभयि ु को तरु न्त हनःशलु क दी जाएगी चाहे
वह ईसके हलए अवेदन करे या न करे।
(3) ईपधारा (2) के ईपबन्ध धारा 136 के ऄधीन अदेश के समबन्ध में ईसी
प्रकार लागू होंगे जैसे वे ईस हनणण य के समबन्ध में लागू होते हैं हजसकी
ऄहभयि ु ऄपील कर सकता है।
(4) जब ऄहभयि ु को हकसी न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश हदया जाता है और
ऐसे हनणण य से साहधकार ऄपील होती है तो न्यायालय ईसे ईस ऄवहध की
जानकारी देगा हजसके भीतर यहद वह चाहे तो ऄपील कर सकता है।
(5) ईपधारा (2) में जैसा ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, हकसी दाहण्डक
न्यायालय द्वारा पाररत हनणण य या अदेश द्वारा प्रभाहवत व्यहि को, आस हनहमत्त
अवेदन करने पर और हवहहत प्रभार देने पर ऐसे हनणण य या अदेश की या
हकसी ऄहभसाक्ष्य की या ऄहभलेख के ऄन्य भाग की प्रहत दी जाएगी :
परन्तु यहद न्यायालय हकन्हीं हवशेष कारणों से ठीक समझता है तो ईसे वह
हनःशलु क भी दे सकता है :
परन्तु यह और हक न्यायालय राज्य सरकार को ऄहभयोजन ऄहधकारी
द्वारा आस हनहमत हकए गए अिेदन पर ऐसे हनणगय, अदेि, ऄहभसाक्ष्य या
ऄहभलेख की हिहहत पृष्ठांकन सहहत, सत्याहपत प्रहत हनःिल्ु क ईपलब्ध
कराएगा।
(6) ईच्च न्यायालय हनयमों द्वारा ईपबन्ध कर सकता है हक हकसी दाहण्डक
न्यायालय के हकसी हनणण य या अदेश की प्रहतयां ऐसे व्यहि को, जो हनणण य या
अदेश द्वारा प्रभाहवत न हों ईस व्यहि द्वारा ऐसी फीस हदए जाने पर और ऐसी
शतों के ऄधीन दे दी जाएं जो ईच्च न्यायालय ऐसे हनयमों द्वारा ईपबहन्धत
करे।
धारा – 405 हनणगय का ऄनुिाद कब हकया जाएगा- मूल हनणण य कायण वाही के ऄहभलेख में धारा 364
फाआल हकया जाएगा और जहााँ मूल हनणण य ऐसी भाषा में ऄहभहलहखत हकया
गया है जो न्यायालय की भाषा से हभन्न है और यहद दोनों में से कोइ एक
पक्षकार ऄपेक्षा करता है तो न्यायालय की भाषा में ईसका ऄनवु ाद ऄहभलेख
में जो़ि हदया जाएगा।
धारा – 406 सेिन न्यायालय द्वारा हनष्कषग और दण्डादेि की प्रहत हजला महजस्रेट को धारा 365 कोइ पररवतण न नहीं ।
भेजना - ऐसे मामलों में, हजनका हवचारण सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक
महजस्रेट द्वारा हकया गया है, यथाहस्थहत, न्यायालय या महजस्रेट ऄपने
हनष्कषण और दण्डादेश की (यहद कोइ हो) एक प्रहत ईस हजला महजस्रेट को
भेजेगा हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर हवचारण हकया गया है।
ऄध्याय 30 - मत्ृ यु दण्डादेिों की पहु ष्ट के हलए प्रस्ततु हकया जाना
धारा – 407 सेिन न्यायालय द्वारा मत्ृ यु दण्डादेि का पुहष्ट के हलए प्रस्तुत हकया जाना- धारा 366 कोइ पररवतण न नहीं ।
(1) जब सेशन न्यायालय मृत्यु दण्डादेश देता है तब कायण वाही ईच्च न्यायालय
को तरु न्त प्रस्ततु की जाएगी और दण्डादेश तब तक हनष्पाहदत न हकया
जाएगा जब तक वह ईच्च न्यायालय द्वारा पष्टु न कर हदया जाए।
(2) दण्डादेश पाररत करने वाला न्यायालय वारण्ट के ऄधीन दोषहसद्ध व्यहि
को जेल की ऄहभरक्षा के हलए सपु दु ण करेगा।
धारा – 408 ऄहतररि जांच हकए जाने के हलए या ऄहतररि साक्ष्य हलए जाने के हलए धारा 367 कोइ पररवतण न नहीं ।
हनदेि देने की िहि - (1) यहद ऐसी कायण वाही के प्रस्ततु हकए जाने पर ईच्च
न्यायालय यह ठीक समझता है हक दोषहसद्ध व्यहि को दोषी या हनदोष होने से
संबहं धत हकसी प्रश्न पर ऄहतररि जांच की जाए या ऄहतररि साक्ष्य हलया जाए
तो वह स्वयं ऐसी जांच कर सकता है या ऐसा साक्ष्य ले सकता है या सेशन
न्यायालय द्वारा ईसके हकए जाने या हलए जाने का हनदेश दे सकता है।
(2) जब तक ईच्च न्यायालय ऄन्यथा हनदेश न दे, दोषहसद्ध व्यहि को, जांच
हकए जाने या साक्ष्य हलए जाने के समय ईपहस्थत होने से, ऄहभमहु ि दी जा
सकती है।
(3) जब जांच या साक्ष्य (यहद कोइ हो) ईच्च न्यायालय द्वारा नहीं की गइ है या
नहीं हलया गया है तब ऐसी जांच या साक्ष्य का पररणाम प्रमाहणत करके ईस
न्यायालय को भेजा जाएगा।
धारा – 409 दण्डादेि को पष्टु करने या दोषहसहद्ध को बाहतल करने की ईच्च न्यायालय धारा 368
की िहि - ईच्व न्यायालय धारा 407 के ऄधीन प्रस्ततु हकसी मामले में, -
(क) दण्डादेश की पहु ष्ट कर सकता है या हवहध द्वारा समहथण त कोइ ऄन्य
दण्डादेश दे सकता है; या
(ख) दोषहसहद्ध को बाहतल कर सकता है और ऄहभयि ु को हकसी ऐसे ऄपराध
के हलए दोषहसद्ध कर सकता है हजसके हलए सेशन न्यायालय ईसे दोषहसद्ध
कर सकता था, या ईसी या संशोहधत अरोप पर नए हवचारण का अदेश दे
सकता है; या
(ग) ऄहभयि ु व्यहि को दोषमि
ु कर सकता है :
परन्तु पहु ष्ट का कोइ अदेश आस धारा के ऄधीन तब तक नहीं हदया जाएगा जब
तक ऄपील करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध समाप्त न हो गइ हो या यहद ऐसी
ऄवहध के ऄन्दर ऄपील पेश कर दी गइ है तो जब तक ईस ऄपील का
हनपटारा न हो गया हो।
धारा – 410 दण्डादेि की पुहष्ट या नए दण्डादेि का दो न्यायाधीिों द्वारा हस्ताक्षररत धारा 369 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकया जाना- आस प्रकार प्रस्ततु प्रत्येक मामले में ईच्च न्यायालय द्वारा
दण्डादेश का पहु ष्टकरण या ईसके द्वारा पाररत कोइ नया दण्डादेश, या अदेश,
यहद ऐसे न्यायालय में दो या ऄहधक न्यायाधीश हों तो, ईनमें से कम से कम दो
न्यायाधीशों द्वारा हकया जाएगा, पाररत और हस्ताक्षररत हकया जाएगा।
धारा – 411 मतभेद की दिा में प्रहिया- जहााँ कोइ ऐसा मामला न्यायाधीशों के न्यायपीठ धारा 370
के समक्ष सनु ा जाता है और ऐसे न्यायाधीश राय के बारे में समान रूप से
हवभाहजत हैं वहााँ मामला धारा 433 द्वारा ईपबहन्धत रोहत से हवहनहश्चत हकया
जाएगा।
धारा – 412 ईच्च न्यायालय की पुहष्ट के हलए प्रस्तुत मामलों में प्रहिया - मृत्यु दण्डादेश धारा 371
की पहु ष्ट के हलए ईच्च न्यायालय को सेशन न्यायालय द्वारा प्रस्ततु मामलों में
ईच्च न्यायालय द्वारा पहु ष्ट के अदेश या ऄन्य अदेश के हदए जाने के पश्चात्
ईच्च न्यायालय का समहु चत ऄहधकारी हवलमब के हबना, अदेश की प्रहतहलहप
या तो भौहतक रूप से या आलैक्ट्राहनक साधनों के माध्यम से ईच्च
न्यायालय की मद्रु ा लगाकर और ऄपने पदीय हस्ताक्षरों से ऄनप्रु माहणत करके
सेशन न्यायालय को भेजेगा।
ऄध्याय 31 - ऄपीलें
धारा – 413 जब तक ऄन्यथा ईपबहन्धत न हो हकसी ऄपील का न होना- दण्ड धारा 372 कोइ पररवतण न नहीं ।
न्यायालय के हकसी हनणण य या अदेश से कोइ ऄपील आस संहहता द्वारा या
तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध द्वारा जैसा ईपबहन्धत हो ईसके हसवाय न
होगी :
परंतु पीह़ित को न्यायालय द्वारा हकसी ऄहभयिु को दोषमि ु करने वाले हकसी
अदेश या कम ऄपराध के हलए दोषहसद्ध करने वाले या ऄपयाण प्त प्रहतकर
ऄहधरोहपत करने वाले अदेश के हवरुद्ध ऄपील करने का ऄहधकार होगा और
ऐसी ऄपील ईस न्यायालय में होगी हजसमें ऐसे न्यायालय की दोषहसहद्ध के
अदेश के हवरुद्ध मामल ू ी तौर पर ऄपील होती है।
धारा – 414 पररिाहन्त कायम रखने या सदाचार के हलए प्रहतभूहत ऄपेहक्षत करने िाले धारा 373
या प्रहतभू स्िीकार करने से आन्कार करने िाले या ऄस्िीकार करने िाले
अदेि से ऄपील- कोइ व्यहि –
(1) हजसे पररशाहन्त कायम रखने या सटाचार के हलए प्रहतभूहत देने के हलए
धारा 136 के ऄधीन अदेश हदया गया है, या
(ii) जो धारा 140 के ऄधीन प्रहतभू स्वीकार करने से आन्कार करने या ईसे
ऄस्वीकार करने वाले हकसी अदेश से व्यहथत है,सेशन न्यायालय में ऐसे
अदेश के हवरुद्ध ऄपील कर सकता है:
परन्तु आस धारा की कोइ बात ईन व्यहियों को लागू नहीं होगी हजनके हवरुद्ध
कायण वाही सेशन न्यायाधीश के समक्ष धारा 141 को ईपधारा (2) या ईपधारा
(4) के ईपबन्धों के ऄनस ु ार रखी गइ है।
धारा – 415 दोषहसहद्ध से ऄपील - (1) कोइ व्यहि जो ईच्च न्यायालय द्वारा ऄसाधारण धारा 374 दोषहसहद्ध से ऄपील - (1) कोइ व्यहि जो ईच्च न्यायालय द्वारा
अरहमभक दाहण्डक ऄहधकाररता के प्रयोग में हकए गए हवचारण में दोषहसद्ध ऄसाधारण अरहमभक दाहण्डक ऄहधकाररता के प्रयोग में हकए गए हवचारण
हकया गया है, ईच्चतम न्यायालय में ऄपील कर सकता है। में दोषहसद्ध हकया गया है, ईच्चतम न्यायालय में ऄपील कर सकता है।
(2) कोइ व्यहि जो सेशन न्यायाधीश या ऄपर सेशन न्यायाधीश द्वारा हकए गए (2) कोइ व्यहि जो सेशन न्यायाधीश या ऄपर सेशन न्यायाधीश द्वारा हकए
हवचारण में या हकसी ऄन्य न्यायालय द्वारा हकए गए हवचारण में दोषहसद्ध हकया गए हवचारण में या हकसी ऄन्य न्यायालय द्वारा हकए गए हवचारण में
गया है, हजसमें सात वषण से ऄहधक के कारावास का दण्डादेश ईसके हवरुद्ध या दोषहसद्ध हकया गया है, हजसमें सात वषण से ऄहधक के कारावास का
ईसी हवचारण में दोषहसद्ध हकए गए हकसी ऄन्य व्यहि के हवरुद्ध हदया गया है दण्डादेश ईसके हवरुद्ध या ईसी हवचारण में दोषहसद्ध हकए गए हकसी ऄन्य
ईच्च न्यायालय में ऄपील कर सकता है। व्यहि के हवरुद्ध हदया गया है ईच्च न्यायालय में ऄपील कर सकता है।
(3) ईपधारा (2) में जैसा ईपबंहधत है ईसके हसवाय, कोइ व्यहि, - (3) ईपधारा (2) में जैसा ईपबंहधत है ईसके हसवाय, कोइ व्यहि, -
(क) प्रथम वगण महजस्रेट या हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा हकए गए हवचारण में (क) जो महानगर महजस्रेट या सहायक सेशन न्यायाधीश या प्रथम वगण
दोषहसद्ध हकया गया है; या महजस्रेट या हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा हकए गए हवचारण में दोषहसद्ध हकया
(ख) जो धारा 364 के ऄधीन दण्डाहदष्ट हकया गया है, या गया है; या
(ग) हजसके बारे में हकसी महजस्रेट द्वारा धारा 401 के ऄधीन अदेश हदया (ख) जो धारा 325 के ऄधीन दण्डाहदष्ट हकया गया है, या
गया है या दण्डादेश पाररत हकया गया है, सेशन न्यायालय में ऄपील कर (ग) हजसके बारे में हकसी महजस्रेट द्वारा धारा 360 के ऄधीन अदेश हदया
सकता है। गया है या दण्डादेश पाररत हकया गया है, सेशन न्यायालय में ऄपील कर
(4) जब कोइ ऄपील, भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65, सकता है।
धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 के ऄधीन पाररत हकसी (4) जब कोइ ऄपील, भारतीय दण्ड संहहता, 1860 की धारा 376, धारा
कारावास के हवरुद्ध फाइल की गयी है, तो ऄपील फाइल करने की तारीख से 376क, धारा 376कख, धारा 376ख, धारा 376ग, धारा 376घ या धारा
छह मास की ऄवहध के भीतर ऐसी ऄपील का हनपटान हकया जायेगा। 376घक, धारा 376घख, धारा 376ङ के ऄधीन पाररत हकसी कारावास
के हवरुद्ध फाइल की गयी है, तो ऄपील फाइल करने की तारीख से छह
मास की ऄवहध के भीतर ऐसी ऄपील का हनपटान हकया जायेगा।
धारा – 416 कुछ मामलों में जब ऄहभयि ु दोषी होने का ऄहभिचन करे, ऄपील न होना धारा 375
- धारा 415 में हकसी बात के होते हुए भी, जहााँ ऄहभयि ु व्यहि ने दोषी होने
का ऄहभवचन हकया है, और ऐसे ऄहभवचन पर वह दोषहसद्ध हकया गया है
वहााँ, -
(1) यहद दोषहसहद्ध ईच्च न्यायालय द्वारा की गइ है, तो कोइ ऄपील नहीं होगी;
या
(ii) यहद दोषहसहद्ध सेशन न्यायालय या प्रथम वगण महजस्रेट या हद्वतीय वगण
महजस्रेट द्वारा की गइ है तो ऄपील, दण्ड के पररमाण या ईसकी वैधता के बारे
में ही हो सके गी, ऄन्यथा नहीं।
धारा – 417 छोटे मामलों में ऄपील न होना- धारा 415 में हकसी बात के होते हुए भी, धारा 376
दोषहसद्ध व्यहि द्वारा कोइ ऄपील हनमनहलहखत में से हकसी मामले में न होगी,
ऄथाण त:् -
(क) जहााँ ईच्च न्यायालय के िल तीन मास से ऄनहधक की ऄवहध के
कारावास का या एक हजार रुपए से ऄनहधक जमु ाण ने का या ऐसे कारावास
और जमु ाण ने दोनों का, दण्डादेश पाररत करता है;
(ख) जहााँ सेशन न्यायालय के वल तीन मास से ऄनहधक की ऄवहध के
कारावास का या दो सौ रुपए से ऄनहधक जमु ाण ने का ऄथवा ऐसे कारावास
और जमु ाण ने दोनों का, दण्डादेश पाररत करता है;
(ग) जहााँ प्रथम वगण महजस्रेट के वल एक सौ रुपए से ऄनहधक जमु ाण ने का
दण्डादेश पाररत करता है; या
(घ) जहााँ संक्षेपतः हवचाररत हकसी मामले में, धारा 283 के ऄधीन कायण करने
के हलए सशि महजस्रेट के वल दो सौ रुपए से ऄनहधक जमु ाण ने का दण्डादेश
पाररत करता है :
परन्तु यहद ऐसे हकसी दण्डादेश के साथ कोइ ऄन्य दण्ड हमला हदया गया है तो
ऐसे हकसी दण्डादेश के हवरुद्ध ऄपील की जा सकती है हकन्तु वह के वल आस
अधार पर ऄपीलनीय न हो जाएगा हक-
(1) दोषहसद्ध व्यहि को पररशाहन्त कायम रखने के हलए प्रहतभूहत देने का
अदेश हदया गया है; या
(ii) जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर कारावास के हनदेश को दण्डादेश में
सहममहलत हकया गया है; या
(iii) ईस मामले में जमु ाण ने का एक से ऄहधक दण्डादेश पाररत हकया गया है,
यहद ऄहधरोहपत जमु ाण ने को कुल रकम ईस मामले की बाबत आसमें आसके पूवण
हवहनहदण ष्ट रकम से ऄहधक नहीं है।
धारा – 418 राज्य सरकार द्वारा दण्डादेि के हिरुद्ध ऄपील- (1) ईपधारा (2) में जैसा धारा 377
ईपबहन्धत है ईसके हसवाय राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से हभन्न हकसी
न्यायालय द्वारा हकए गए हवचारण में दोषहसहद्ध के हकसी मामले में लोक
ऄहभयोजक को दण्डादेश की ऄपयाण प्तता के अधार पर ईसके हवरुद्ध-
(क) सेशन न्यायालय में, यहद दंडादेश हकसी महजस्रेट द्वारा पाररत हकया
जाता है; और
(ख) ईच्च न्यायालय में यहद दंडादेश हकसी ऄन्य न्यायालय द्वारा पाररत हकया
जाता है,
ऄपील प्रस्ततु करने का हनदेश दे सकती है।
(2) यहद ऐसी दोषहसहद्ध हकसी ऐसे मामले में है हजसमें ऄपराध का ऄन्वेषण
आस संहहता से हभन्न हकसी के न्रीय ऄहधहनयम के ऄधीन ऄपराध का
ऄन्वेषण करने के हलए सशि हकसी ऄन्य ऄहभकरण द्वारा हकया गया है तो
के न्द्रीय सरकार भी लोक ऄहभयोजक को दण्डादेश की ऄपयाण प्तता के अधार
पर ईसके हवरुद्ध-
(क) सेशन न्यायालय में, यहद दंडादेश हकसी महजस्रेट द्वारा पाररत हकया
जाता है; और
(ख) ईच्च न्यायालय में, यहद दंडादेश हकसी ऄन्य न्यायालय द्वारा पाररत
हकया जाता है,
ऄपील प्रस्ततु करने का हनदेश दे सकती है।
(3) जब दण्डादेश के हवरुद्ध ऄपयाण प्तता के अधार पर ऄपील की गइ है तब
यथाहस्थहत, सेशन न्यायालय या ईच्च न्यायालय ईस दण्डादेश में वृहद्ध तब
तक नहीं करेगा जब तक हक ऄहभयि ु को ऐसी वृहद्ध के हवरुद्ध कारण दहशण त
करने का यहु ियि ु ऄवसर नहीं दे हदया गया है और कारण दहशण त करते समय
ऄहभयि ु ऄपनी दोषमहु ि के हलए या दण्डादेश में कमी करने के हलए
ऄहभवचन कर सकता है।
(4) जब कोइ ऄपील, भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 64, धारा 65,
धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 के ऄधीन पाररत हकसी
कारावास के हवरुद्ध फाइल की गइ है, तो ऄपील फाइल करने की तारीख से
छह मास की ऄवहध के भीतर ऐसी ऄपील का हनपटान हकया जायेगा।
धारा – 419 दोषमहु ि की दिा में ऄपील- (1) ईपधारा (2) में जैसा ईपबंहधत है ईसके धारा – दोषमहु ि की दिा में ऄपील- (1) ईपधारा (2) में जैसा ईपबंहधत है ईसके
हसवाय और ईपधारा (३) और ईपधारा (5) के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुये, - 378 हसवाय और ईपधारा (३) और ईपधारा (5) के ईपबंधों के ऄधीन रहते
(क) हजला महजस्रेट, हकसी मामले में लोक ऄहभयोजक को हकसी संज्ञेय और हुये, -
ऄजमानतीय ऄपराध की बाबत हकसी महजस्रेट द्वारा पाररत दोषमहु ि के (क) हजला महजस्रेट, हकसी मामले में लोक ऄहभयोजक को हकसी संज्ञेय
अदेश से सेशन न्यायालय में ऄपील प्रस्ततु करने का हनदेश दे सके गा; और ऄजमानतीय ऄपराध की बाबत हकसी महजस्रेट द्वारा पाररत दोषमहु ि
(ख) राज्य सरकार, हकसी मामले में लोक ऄहभयोजक को ईच्च न्यायालय से के अदेश से सेशन न्यायालय में ऄपील प्रस्ततु करने का हनदेश दे सके गा;
हभन्न हकसी न्यायालय द्वारा पाररत दोषमहु ि के मल ू या ऄपीली अदेश से जो (ख) राज्य सरकार, हकसी मामले में लोक ऄहभयोजक को ईच्च न्यायालय
खंड (क) के ऄधीन अदेश नहीं है या पनु रीक्षण में सेशन न्यायालय द्वारा से हभन्न हकसी न्यायालय द्वारा पाररत दोषमहु ि के मल ू या ऄपीली अदेश
पाररत दोषमहु ि के अदेश से ईच्च न्यायालय में, ऄपील प्रस्ततु करने का से जो खंड (क) के ऄधीन अदेश नहीं है या पनु रीक्षण में सेशन न्यायालय
हनदेश दे सके गी। द्वारा पाररत दोषमहु ि के अदेश से ईच्च न्यायालय में, ऄपील प्रस्ततु करने
(2) यहद ऐसा दोषमहु ि का अदेश हकसी ऐसे मामले में पाररत हकया जाता है का हनदेश दे सके गी।
हजसमें ऄपराध का आस संहहता से हभन्न हकसी के न्द्रीय ऄहधहनयम के ऄधीन (2) यहद ऐसा दोषमहु ि का अदेश हकसी ऐसे मामले में पाररत हकया जाता
ऄपराध का ऄन्वेषण करने के हलए, सशि हकसी ऄन्य ऄहभकरण द्वारा हकया है हजसमें ऄपराध का ऄन्वेषण हदलली हवशेष पहु लस स्थापना ऄहधहनयम
गया है तो के न्द्रीय सरकार ईपधारा (3) के ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुये, लोक 1946 (1946 का 25) के ऄधीन गहठत हदलली हवशेष पहु लस स्थापन द्वारा
ऄहभयोजक को- या आस संहहता से हभन्न हकसी के न्द्रीय ऄहधहनयम के ऄधीन ऄपरा का
(क) दोषमहु ि के ऐसे अदेश से जो, संज्ञेय और ऄजमानतीय ऄपराध की ऄन्वेषण करने के हलए, सशि हकसी ऄन्य ऄहभकरण द्वारा हकया गया है
बाबत हकसी महजस्रेट द्वारा पाररत हकया गया है सेशन न्यायालय में; तो के न्द्रीय सरकार ईपधारा (3) के ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुय,े लोक
(ख) दोषमहु ि के ऐसे मूल या ऄपीली अदेश से, जो हकसी ईच्च न्यायालय से ऄहभयोजक को-
हभन्न हकसी न्यायालय द्वारा पाररत हकया गया है जो खण्ड (क) के ऄधीन (क) दोषमहु ि के ऐसे अदेश से जो, संज्ञेय और ऄजमानतीय ऄपराध की
अदेश नहीं है या दोषमहु ि के ऐसे अदेश से, जो पनु रीक्षण में सेशन न्यायालय बाबत हकसी महजस्रेट द्वारा पाररत हकया गया है सेशन न्यायालय में;
द्वारा पाररत हकया गया है, ईच्च न्यायालय में, हनदेश दे सकती है। (ख) दोषमहु ि के ऐसे मूल या ऄपीली अदेश से, जो हकसी ईच्च न्यायालय
(3)ऄपील प्रस्ततु करने का (3) ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के ऄधीन ईच्च से हभन्न हकसी न्यायालय द्वारा पाररत हकया गया है जो खण्ड (क) के
न्यायालय को कोइ ऄपील ईच्च न्यायालय की आजाजत के हबना ग्रहण नहीं की ऄधीन अदेश नहीं है या दोषमहु ि के ऐसे अदेश से, जो पनु रीक्षण में सेशन
जाएगी। न्यायालय द्वारा पाररत हकया गया है, ईच्च न्यायालय में, हनदेश दे सकती
(4) यहद दोषमहु ि का ऐसा अदेश पररवाद पर संहस्थत हकसी मामले में पाररत है।
हकया गया है और ईच्च न्यायालय, पररवादी द्वारा ईससे आस हनहमत्त अवेदन (3)ऄपील प्रस्ततु करने का (3) ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के ऄधीन
हकए जाने पर, दोषमहु ि के अदेश की ऄपील करने की हवशेष आजाजत देता है ईच्च न्यायालय को कोइ ऄपील ईच्च न्यायालय की आजाजत के हबना
तो पररवादी ऐसी ऄपील ईच्च न्यायालय में ईपहस्थत कर सकता है। ग्रहण नहीं की जाएगी।
(5) दोषमहु ि के अदेश से ऄपील करने की हवशेष आजाजत हदए जाने के हलए (4) यहद दोषमहु ि का ऐसा अदेश पररवाद पर संहस्थत हकसी मामले में
ईपधारा (4) के ऄधीन कोइ अवेदन ईच्च न्यायालय द्वारा, ईस दशा में पाररत हकया गया है और ईच्च न्यायालय, पररवादी द्वारा ईससे आस हनहमत्त
हजसमें पररवादी लोक सेवक है ईस दोषमहु ि के अदेश की तारीख से अवेदन हकए जाने पर, दोषमहु ि के अदेश की ऄपील करने की हवशेष
संगहणत, छह मास की समाहप्त के पश्चात् और प्रत्येक ऄन्य दशा में ऐसे संगहणत आजाजत देता है तो पररवादी ऐसी ऄपील ईच्च न्यायालय में ईपहस्थत कर
साठ हदन की समाहप्त के पश्चात् ग्रहण नहीं हकया जाएगा। सकता है।
(6) यहद हकसी मामले में दोषमहु ि के अदेश से ऄपील करने की हवशेष (5) दोषमहु ि के अदेश से ऄपील करने की हवशेष आजाजत हदए जाने के
आजाजत हदए जाने के हलए ईपधारा (4) के ऄधीन कोइ अवेदन नामंजूर हकया हलए ईपधारा (4) के ऄधीन कोइ अवेदन ईच्च न्यायालय द्वारा, ईस दशा
जाता है तो ईस दोषमहु ि के अदेश से ईपधारा (1) के ऄधीन या ईपधारा (2) में हजसमें पररवादी लोक सेवक है ईस दोषमहु ि के अदेश की तारीख से
के ऄधीन कोइ ऄपील नहीं होगी। संगहणत, छह मास की समाहप्त के पश्चात् और प्रत्येक ऄन्य दशा में ऐसे
संगहणत साठ हदन की समाहप्त के पश्चात् ग्रहण नहीं हकया जाएगा।
(6) यहद हकसी मामले में दोषमहु ि के अदेश से ऄपील करने की हवशेष
आजाजत हदए जाने के हलए ईपधारा (4) के ऄधीन कोइ अवेदन नामंजूर
हकया जाता है तो ईस दोषमहु ि के अदेश से ईपधारा (1) के ऄधीन या
ईपधारा (2) के ऄधीन कोइ ऄपील नहीं होगी।
धारा – 420 कुछ मामलों में ईच्च न्यायालय द्वारा दोषहसद्ध हकए जाने के हिरुद्ध ऄपील- धारा 379 कोइ पररवतण न नहीं ।
यहद ईच्च न्यायालय ने ऄहभयि ु व्यहि की दोषमहु ि के अदेश को ऄपील में
ईलट हदया है और ईसे दोषहसद्ध हकया है तथा ईसे मृत्यु या अजीवन
कारावास या दस वषण या ऄहधक की ऄवहध के कारावास का दण्ड हदया है तो
वह ईच्चतम न्यायालय में ऄपील कर सकता है।
धारा – 421 कुछ मामलों में ऄपील करने का हििेष ऄहधकार - आस ऄध्याय में हकसी धारा 380 कोइ पररवतण न नहीं ।
बात के होते हुए भी, जब एक से ऄहधक व्यहि एक ही हवचारण में दोषहसद्ध
हकए जाते हैं, और ऐसे व्यहियों में से हकसी के बारे में ऄपीलनीय हनणण य या
अदेश पाररत हकया गया है, तब ऐसे हवचारण में दोषहसद्ध हकए गए सब
व्यहियों को या ईनमें से हकसी को भी ऄपील का ऄहधकार होगा।
धारा – 422 सेिन न्यायालय में की गइ ऄपीलें कै से सुनी जाएंगी- (1) ईपधारा (2) के धारा 381 सेिन न्यायालय में की गइ ऄपीलें कै से सुनी जाएंगी- (1) ईपधारा (2)
ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए, सेशन न्यायालय में या सेशन न्यायाधीश को की के ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए, सेशन न्यायालय में या सेशन न्यायाधीश
गइ ऄपील सेशन न्यायाधीश या ऄपर सेशन न्यायाधीश द्वारा सनु ी जाएगी : को की गइ ऄपील सेशन न्यायाधीश या ऄपर सेशन न्यायाधीश द्वारा सनु ी
परन्तु हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा हकए गए हवचारण में दोषहसहद्ध के हवरुद्ध जाएगी :
ऄपील मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा सनु ी जा सके गी और हनपटायी जा परन्तु हद्वतीय वगण महजस्रेट द्वारा हकए गए हवचारण में दोषहसहद्ध के हवरुद्ध
सके गी। ऄपील मख्ु य न्याहयक महजस्रेट द्वारा सनु ी जा सके गी और हनपटायी जा
(2) ऄपर सेशन न्यायाधीश या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के वल ऐसी ऄपीलें सके गी।
सनु ेगा हजन्हें खंड का सेशन न्यायाधीश, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा, (2) ऄपर सेशन न्यायाधीश या सहायक सेशन न्यायाधीश या मख्ु य
ईसके हवाले करे या हजन्हें सनु ने के हलए ईच्च न्यायालय, हवशेष अदेश द्वारा, न्याहयक महजस्रेट के वल ऐसी ऄपीलें सनु ेगा हजन्हें खंड का सेशन
ईसे हनदेश दे। न्यायाधीश, साधारण या हवशेष अदेश द्वारा, ईसके हवाले करे या हजन्हें
सनु ने के हलए ईच्च न्यायालय, हवशेष अदेश द्वारा, ईसे हनदेश दे ।
धारा – 423 ऄपील की ऄजी - प्रत्येक ऄपील, ऄपीलाथी या ईसके ऄहधविा द्वारा धारा 382 कोइ पररवतण न नहीं ।
ईपहस्थत की गइ हलहखत ऄजी के रूप में की जाएगी, और प्रत्येक ऐसी ऄजी
के साथ (जब तक वह न्यायालय हजसमें वह ईपहस्थत की जाए ऄन्यथा हनदेश
न दे) ईस हनणण य या अदेश की प्रहतहलहप होगी हजसके हवरुद्ध ऄपील की जा
रही है।
धारा – 424 जब ऄपीलाथी जेल में है तब प्रहिया - यहद ऄपीलाथी जेल में है तो वह धारा 383 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄपनी ऄपील की ऄजी और ईसके साथ वाली प्रहतहलहपयों को जेल के
भारसाधक ऄहधकारी को दे सकता है, जो तब ऐसी ऄजी और प्रहतहलहपयां
समहु चत ऄपीली न्यायालय को भेजगे ा।
धारा – 425 ऄपील का संक्षपे तः खाररज हकया जाना- (1) यहद धारा 423 या धारा 424 धारा 384
के ऄधीन प्राप्त ऄपील की ऄजी और हनणण य की प्रहतहलहप की परीक्षा करने पर
ऄपीलीय न्यायालय का यह हवचार है हक हस्तक्षेप करने का कोइ पयाण प्त
अधार नहीं है तो वह ऄपील को संक्षेपतः खाररज कर सकता है :
परन्त-ु
(क) धारा 423 के ऄधीन ईपहस्थत की गइ कोइ ऄपील तब तक खाररज न
की जाएगी जब तक ऄपीलाथी या ईसके ऄहधविा को ईसके समथण न में सनु े
जाने का ईहचत ऄवसर न हमल चक ु ा हो;
(ख) धारा 424 के ऄधीन कोइ ऄपील ईसके समथण न में ऄपीलाथी को
सनु वाइ का ईहचत ऄवसर हदए हबना खाररज नहीं की जाएगी, जब तक ऄपीली
न्यायालय का यह हवचार न हो हक ऄपील तच्ु छ है या न्यायालय के समक्ष
ऄहभयि ु को ऄहभरक्षा में पेश करने से मामले की पररहस्थहतयों के ऄनपु ात में
कहीं ऄहधक ऄसहु वधा होगी;
(ग) धारा 424 के ऄधीन ईपहस्थत की गइ कोइ ऄपील तब तक संक्षेपत:
खाररज न की जाएगी जब तक ऐसी ऄपील करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध का
ऄवसान न हो चक ु ा हो।
(2) हकसी ऄपील को आस धारा के ऄधीन खाररज करने के पूवण न्यायालय
मामले के ऄहभलेख मंगा सकता है।
(3) जहााँ आस धारा के ऄधीन ऄपील खाररज करने वाला ऄपीली न्यायालय,
सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट का न्यायालय है वहााँ वह ऐसा
करने के ऄपने कारण ऄहभहलहखत करेगा।
(4) जहााँ धारा 424 के ऄधीन ईपहस्थत की गइ कोइ ऄपील आस धारा के
ऄधीन संक्षेपतः खाररज कर दी जाती है और ऄपीलीय न्यायालय का यह
हनष्कषण है हक ईसी ऄपीलाथी की ओर से धारा 423 के ऄधीन समयक् रूप से
ईपहस्थत की गइ ऄपील की ऄन्य ऄजी पर ईसके द्वारा हवचार नहीं हकया गया
है वहााँ, धारा 434 में हकसी बात के होते हुए भी, यहद ईस न्यायालय का यह
समाधान हो जाता है हक ऐसा करना न्याय के हहत में अवश्यक है तो वह ऐसी
ऄपील हवहध के ऄनस ु ार सनु सकता है और ईसका हनपटारा कर सकता है।
धारा – 426 संक्षपे तः खाररज न की गइ ऄपीलों की सनु िाइ के हलए प्रहिया- (1) यहद धारा 385
ऄपीली न्यायालय ऄपील को संक्षेपतः खाररज नहीं करता है तो वह ईस समय
और स्थान की, जब और जहााँ ऐसी ऄपील सनु ी जाएगी, सूचना-
(i) ऄपीलाथी या ईसके ऄहधविा को;
(ii) ऐसे ऄहधकारी को, हजसे राज्य सरकार आस हनहमत्त हनयि ु करे:
(iii) यहद पररवाद पर संहस्थत मामले में दोषहसहद्ध के हनणण य के हवरुद्ध ऄपील
की गइ है, तो पररवादी को;
(iv) यहद ऄपील धारा 418 या 419 के ऄधीन की गइ है तो ऄहभयि ु को
हदलवाएगा और ऐसे ऄहधकारी, पररवादी और ऄहभयि ु को ऄपील के अधारों
की प्रहतहलहप भी देगा।
(2) यहद ऄपीलीय न्यायालय में मामले का ऄहभलेख, पहले से ही ईपलभ्य
नहीं है तो वह न्यायालय ऐसा ऄहभलेख मंगाएगा और पक्षकारों को सनु ेगा :
परन्तु यहद ऄपील के वल दण्ड के पररमाण या ईसकी वैधता के बारे में है तो
न्यायालय ऄहभलेख मंगाए हबना हो ऄपील का हनपटारा कर सकता है।
(3) जहााँ दोषहसहद्ध के हवरुद्ध ऄपील का अधार के वल दण्डादेश की
ऄहभकहथत कठोरता है वहााँ ऄपीलाथी न्यायालय की आजाजत के हबना ऄन्य
हकसी अधार के समथण न में न तो कहेगा और न ईसे ईसके समथण न में सनु ा ही
जाएगा।
धारा – 427 ऄपीलीय न्यायालय की िहियााँ - ऐसे ऄहभलेख के पररशीलन और यहद धारा 386
ऄपीलाथी या ईसका ऄहधविा हाहजर है तो ईसे तथा यहद लोक ऄहभयोजक
हाहजर है तो ईसे और धारा 418 या धारा 419 के ऄधीन ऄपील की दशा में
यहद ऄहभयि ु हाहजर है तो ईसे सनु ने के पश्चात्, ऄपीलीय न्यायालय ईस दशा
में हजसमें ईसका यह हवचार है हक हस्तक्षेप करने का पयाण प्त अधार नहीं है
ऄपील को खाररज कर सकता है, या,-
(क) दोषमहु ि के अदेश से ऄपील में ऐसे अदेश को ईलट सकता है और
हनदेश दे सकता है हक ऄहतररि जांच की जाए या ऄहभयि ु , यथाहस्थहत, पनु ः
हवचाररत हकया जाए या हवचाराथण सपु दु ण हकया जाए, या ईसे दोषी ठहरा सकता
है और ईसे हवहध के ऄनस ु ार दण्डादेश दे सकता है: , -
(ख) दोषहसहद्ध से ऄपील में (1) हनष्कषण और दण्डादेश को ईलट सकता है
और ऄहभयि ु को दोषमि ु या ईन्मोहचत कर सकता है या ऐसे ऄपीली
न्यायालय के ऄधीनस्थ सक्षम ऄहधकाररता वाले न्यायालय द्वारा ईसके पनु ः
हवचाररत हकए जाने का या हवचारणाथण सपु दु ण हकए जाने का अदेश दे सकता है;
या
(ii) दण्डादेश को कायम रखते हुए हनष्कषण में पररवतण न कर सकता है; या
(iii) हनष्कषण में पररवतण न करके या हकए हबना दण्ड के स्वरूप या पररमाण में या
स्वरूप और पररमाण में पररवतण न कर सकता है, हकन्तु आस प्रकार नहीं हक
ईससे दण्ड में वृहद्ध हो जाए:
(ग) दण्डादेश की वृहद्ध के हलए ऄपील में, - (i) हनष्कषण और दण्डादेश को
ईलट सकता है और ऄहभयि ु को दोषमि ु या ईन्मोहचत कर सकता है या ऐसे
ऄपराध का हवचारण करने के हलए सक्षम न्यायालय द्वारा ईसका पनु हवण चारण
करने का अदेश दे सकता है, या
(ii) दण्डादेश को कायम रखते हुए हनष्कषण में पररवतण न कर सकता है; या
(iii) हनष्कषण में पररवतण न करके या हकए हबना, दण्ड के स्वरूप या पररमाण में
या स्वरूप और पररमाण में पररवतण न कर सकता है हजससे ईसमें वृहद्ध या कमी
हो जाए:
(घ) हकसी ऄन्य अदेश से ऄपील में ऐसे अदेश को पररवहतण त कर सकता है
या ईलट सकता है;
(ङ) कोइ संशोधन या कोइ पाररणाहमक या अनषु हं गक अदेश, जो न्यायसंगत
या ईहचत हो, कर सकता है:
परन्तु दण्ड में तब तक वृहद्ध नहीं की जाएगी जब तक ऄहभयि ु को ऐसी वृहद्ध
के हवरुद्ध कारण दहशण त करने का ऄवसर न हमल चक ु ा हो :
परन्तु यह और हक ऄपीलीय न्यायालय ईस ऄपराध के हलए, हजसे ईसकी
राय में ऄहभयि ु ने हकया है ईससे ऄहधक दण्ड नहीं देगा, जो ऄपीलाधीन
अदेश या दण्डादेश पाररत करने वाले न्यायालय द्वारा ऐसे ऄपराध के हलए
हदया जा सकता था।
धारा – 428 ऄधीनस्थ ऄपीलीय न्यायालय के हनणगय - अरहमभक ऄहधकाररता वाले धारा 387
दण्ड न्यायालय के हनणण य के बारे में ऄध्याय 29 में ऄन्तहवण ष्ट हनयम, जहााँ तक
साध्य हो, सेशन न्यायालय या मख्ु य न्याहयक महजस्रेट के न्यायालय के ऄपी
में हदए गए हनणण य को लागू होंगे :
परन्तु हनणण य हदया जाना सनु ने के हलए ऄहभयि ु न तो लाया जाएगा और न
ईससे हाहजर होने की ऄपेक्षा की जाएगी जब तक हक ऄपीलीय न्यायालय
ऄन्यथा हनदेश न दे।
धारा – 429 ऄपील में ईच्च न्यायालय के अदेि का प्रमाहणत करके हनचले न्यायालय धारा 388 कोइ पररवतण न नहीं ।
को भेजा जाना- (1) जब कभी ऄपील में कोइ मामला ईच्च न्यायालय द्वारा
आस ऄध्याय के ऄधीन हवहनहश्चत हकया जाता है तब वह ऄपना हनणण य या
अदेश प्रमाहणत करके ईस न्यायालय को भेजेगा हजसके द्वारा वह हनष्कषण ,
दण्डादेश या अदेश, हजसके हवरुद्ध ऄपील की गइ थी ऄहभहलहखत हकया गया
या पाररत हकया गया था और यहद ऐसा न्यायालय मख्ु य न्याहयक महजस्रेट से
हभन्न न्याहयक महजस्रेट का हैं तो ईच्च न्यायालय का हनणण य या अदेश मख्ु य
न्याहयक महजस्रेट के माफणत भेजा जाएगा; और यहद ऐसा न्यायालय
कायण पालक महजस्रेट का है तो ईच्च न्यायालय का हनणण य या अदेश हजला
महजस्रेट की माफणत भेजा जाएगा।
(2) तब वह न्यायालय, हजसे ईच्च न्यायालय ऄपना हनणण य या अदेश
प्रमाहणत करके भेजे ऐसे अदेश करेगा जो ईच्च न्यायालय के हनणण य या
अदेश के ऄनरू ु प हों; और यहद अवश्यक हो तो ऄहभलेख में तदनस ु ार
संशोधन कर हदया जाएगा।
धारा – 430 ऄपील लहभबत रहने तक दण्डादेि का हनलभबन, ऄपीलाथी का जमानत धारा 389
पर छोडा जाना- (1) ऄपीली न्यायालय, ऐसे कारणों से, जो ईसके द्वारा
ऄहभहलहखत हकए जाएंगे, अदेश दे सकता है हक ईस दण्डादेश या अदेश का
हनष्पादन, हजसके हवरुद्ध ऄपील की गइ है, दोषहसद्ध व्यहि द्वारा की गइ
ऄपील के लहमबत रहने तक हनलहमबत हकया जाए और यहद वह व्यहि परररोध
में है तो यह भी अदेश दे सकता है हक ईसे जमानत पर या ईसके ऄपने
बन्धपत्र पर छो़ि हदया जाए :
परन्तु ऄपीली न्यायालय ऐसे दोषहसद्ध व्यहि को, जो मृत्यु या अजीवन
कारावास या दस वषण से ऄन्यून ऄवहध के कारावास से दण्डनीय हकसी
ऄपराध के हलये दोषहसद्ध हकया गया है, ईसके ऄपने बन्धपत्र या जमानत
पत्र पर छो़िने से पूवण, लोक ऄहभयोजक को ऐसे छो़िने के हवरुद्ध हलहखत में
कारण दशाण ने का ऄवसर देगा :
परन्तु यह और हक ऐसे मामलों में, जहां हकसी दोषहसद्ध व्यहि को जमानत पर
छो़िा जाता है वहां लोक ऄहभयोजक जमानत रद्द हकये जाने के हलए अवेदन
फाआल कर सके गा।
(2) ऄपौली न्यायालय को आस धारा द्वारा प्रदत्त शहि का प्रयोग ईच्च
न्यायालय भी हकसी ऐसी ऄपील के मामले में कर सकता है जो हकसी
दोषहसद्ध व्यहि द्वारा ईसके ऄधीनस्थ न्यायालय में की गइ है।
(3) जहााँ दोषहसद्ध व्यहि ऐसे न्यायालय का हजसके द्वारा वह दोषहसद्ध हकया
गया है यह समाधान कर - देता है हक वह ऄपील प्रस्ततु करना चाहता है वहां
वह न्यायालय, -
(1) ईस दशा में जब ऐसा व्यहि, जमानत पर होते हुए, तीन वषण से ऄनहधक
की ऄवहध के हलए, कारावास से दण्डाहदष्ट हकया गया है, या
(i) ईस दशा में जब वह ऄपराध, हजसके हलए ऐसा व्यहि दोषहसद्ध हकया गया
है, जमानतीय है और वह जमानत पर है,
यह अदेश देगा हक दोषहसद्ध व्यहि को आतनी ऄवहध के हलए हजतनी से
ऄपील प्रस्ततु करने और ईपधारा (1) के ऄधीन ऄपीलीय न्यायालय के
अदेश प्राप्त करने के हलए पयाण प्त समय हमल जाएगा जमानत पर छो़ि हदया
जाए जब तक हक ऄमानत से आन्कार करने के हवशेष कारण न हों और जब
तक वह ऐसे जमानत पर छूटा रहता है तब तक कारावास का दण्डादेश
हनलहमबत समझा जाएगा।
(4) जब ऄंततोगत्वा ऄपीलाथी को हकसी ऄवहध के कारावास या अजीवन
कारावास का दण्डादेश हदया जाता है. तब वह समय, हजसके दौरान बह ऐसे
छूटा रहता है, ईस भवहध की संगणना करने में, हजसके हलए ईसे ऐसा
दण्डादेश हदया गया है, हहसाब में नहीं हलया जाएगा।
धारा – 431 दोषमहु ि से ऄपील में ऄहभयुि की हगरफ्तारी - जब धारा 419 के ऄधीन धारा 390
ऄपील ईपहस्थत की जाती है तब ईच्च न्यायालय वारण्ट जारी कर सकता है
हजसमें यह हनदेश होगा हक ऄहभयि ु हगरफ्तार हकया जाए और ईसके या
हकसी ऄधीनस्थ न्यायालय के समक्ष लाया जाए, और वह न्यायालय हजसके
समक्ष ऄहभयि ु लाया जाता है, ऄपील का हनपटारा होने तक ईसे कारागार को
सपु दु ण कर सकता है या ईसकी जमानत ले सकता है।
धारा – 432 ऄपीलीय न्यायालय ऄहतररि साक्ष्य ले सके गा या ईसके हलए जाने का धारा 391
हनदेि दे सके गा- (1) आस ऄध्याय के ऄधीन हकसी ऄपील पर हवचार करने
में, यहद ऄपीलो न्यायालय ऄहतररि साक्ष्य अवश्यक समझता है तो वह
ऄपने कारणों को ऄहभहलहखत करेगा और ऐसा साक्ष्य या तो स्वयं ले सकता
है या महजस्रेट द्वारा, या जब ऄपीलीय न्यायालय ईच्च न्यायालय है तब
सेशन न्यायालय या महजस्रेट द्वारा, हलए जाने का हनदेश दे सकता है।
(2) जब ऄहतररि साक्ष्य सेशन न्यायालय या महजस्रेट द्वारा ले हलया जाता है
तब वह ऐसा साक्ष्य प्रमाहणत करके ऄपीली न्यायालय को भेजेगा और तब
ऐसा न्यायालय ऄपील हनपटाने के हलए ऄग्रसर होगा।
(3) ऄहभयि ु या ईसके ऄहधविा को ईस समय ईपहस्थत होने का ऄहधकार
होगा जब ऄहतररि साक्ष्य हलया जाता है।
(4) आस धारा के ऄधीन साक्ष्य का हलया जाना ऄध्याय 25 के ईपबन्धों के
ऄधीन होगा मानो वह कोइ जांच हो।
धारा – 433 जहााँ ऄपीली न्यायालय के न्यायाधीि की राय के बारे में समान रूप में धारा 392 कोइ पररवतण न नहीं ।
हिभाहजत हों, िहााँ प्रहिया- जब आस ऄध्याय के ऄधीन ऄपील ईच्च
न्यायालय द्वारा ईसके न्यायाधीशों के न्यायपीठ के समक्ष सनु ी जाती है और वे
राय में समान रूप से हवभाहजत हैं तब ऄपील ईनकी रायों के सहहत ईसी
न्यायालय के हकसी ऄन्य न्यायाधीश के समक्ष रखी जाएगी और ऐसा
न्यायाधीश, ऐसी सनु वाइ के पश्चात्, जैसी वह ठीक समझे, ऄपनी राय देगा
और हनणण य या अदेश ऐसी राय के ऄनस ु ार होगा :
परन्तु यहद न्यायपीठ गहठत करने वाले न्यायाधीशों में से कोइ एक न्यायाधीश
या जहााँ ऄपील आस धारा के ऄधीन हकसी ऄन्य न्यायाधीश के समक्ष रखी
जाती है वहााँ वह न्यायाधीश ऄपेक्षा करे तो ऄपील, न्यायाधीशों के वृहत्तर
न्यायपीठ द्वारा पनु ः सनु ी जाएगी और हवहनहश्चत की जाएगी।
धारा – 434 ऄपील पर अदेिों और हनणगयों का ऄहन्तम होना- ऄपील में ऄपीली धारा 393
न्यायालय द्वारा पाररत हनणण य या अदेश धारा 418, धारा 419, धारा 425
की ईपधारा (4) या ऄध्याय 32 में ईपबहन्धत दशाओं के हसवाय ऄहन्तम
होंगे:
परन्तु हकसी मामले में दोषहसहद्ध के हवरुद्ध ऄपील का ऄहन्तम हनपटारा हो
जाने पर भी, ऄपीलीय न्यायालय-
(क) धारा 419 के ऄधीन दोषमहु ि के हवरुद्ध ईसी मामले से पैदा होने वाली
ऄपील को; या
(ख) धारा 418 के ऄधीन दण्डादेश में वृहद्ध के हलए ईसी मामले से पैदा होने
वाली ऄपील को, सनु सकता है और गणु ागणु के अधार पर ईसका हनपटारा
कर सकता है।
धारा – 435 ऄपीलों का ईपिमन - (1) धारा 418 या धारा 419 के ऄधीन प्रत्येक धारा 394
ऄपील का ऄहभयि ु की मृत्यु पर ऄहन्तम रूप से ईपशमन हो जाएगा।
(2) आस ऄध्याय के ऄधीन (जमु ाण ने के दण्डादेश की ऄपील के हसवाय) प्रत्येक
ऄन्य ऄपील का ऄपीलाथी की मृत्यु पर ऄहन्तम रूप से ईपशमन हो जाएगा :
परन्तु जहााँ ऄपील, दोषहसहद्ध और मृत्यु के या कारावास के दण्डादेश के
हवरुद्ध है और ऄपील के लहमबत रहने के दौरान ऄपीलाथी की मृत्यु हो जाती
है वहााँ ईसका कोइ भी हनकट नातेदार, ऄपीलाथी की मृत्यु के तीस हदन के
ऄन्दर ऄपील जारी रखने की आजाजत के हलए ऄपीलीय न्यायालय में अवेदन
कर सकता है; और यहद आजाजत दे दी जाती है तो ऄपील का ईपशमन न
होगा।
स्पष्टीकरण- आस धारा में "हनकट नातेदार" से माता-हपता, पहत या पत्नी,
पारमपररक वंशज, भाइ या बहन ऄहभप्रेत है।
ऄध्याय 32 - हनदेि और पनु रीक्षण
धारा – 436 ईच्च न्यायालय को हनदेि- (1) जहााँ हकसी न्यायालय का समाधान हो जाता धारा 395 ईच्च न्यायालय को हनदेि- (1) जहााँ हकसी न्यायालय का समाधान हो
है हक ईसके समक्ष लहमबत मामले में हकसी ऄहधहनयम, ऄध्यादेश या हवहनयम जाता है हक ईसके समक्ष लहमबत मामले में हकसी ऄहधहनयम, ऄध्यादेश या
की या हकसी ऄहधहनयम, ऄध्यादेश या हवहनयम में ऄन्तहवण ष्ट हकसी ईपबन्ध हवहनयम की या हकसी ऄहधहनयम, ऄध्यादेश या हवहनयम में ऄन्तहवण ष्ट
की हवहधमान्यता के बारे में ऐसा प्रश्न ऄन्तग्रणस्त है, हजसका ऄवधारण ईस हकसी ईपबन्ध की हवहधमान्यता के बारे में ऐसा प्रश्न ऄन्तग्रणस्त है, हजसका
मामले को हनपटाने के हलए अवश्यक है, और ईसकी यह राय है हक ऐसा ऄवधारण ईस मामले को हनपटाने के हलए अवश्यक है, और ईसकी यह
ऄहधहनयम, ऄध्यादेश, हवहनयम या ईपबन्ध ऄहवहधमान्य या ऄप्रवतण नशील है राय है हक ऐसा ऄहधहनयम, ऄध्यादेश, हवहनयम या ईपबन्ध ऄहवहधमान्य
हकन्तु ईस ईच्च न्यायालय द्वारा, हजसके वह न्यायालय ऄधीनस्थ है, या या ऄप्रवतण नशील है हकन्तु ईस ईच्च न्यायालय द्वारा, हजसके वह
ईच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसा घोहषत नहीं हकया गया है वहााँ न्यायालय ऄपनी न्यायालय ऄधीनस्थ है, या ईच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसा घोहषत नहीं
राय और ईसके कारणों को ईहललहखत करते हुए मामले का कथन तैयार हकया गया है वहााँ न्यायालय ऄपनी राय और ईसके कारणों को ईहललहखत
करेगा और ईसे ईच्च न्यायालय के हवहनश्चय के हलए हनदेहशत करेगा। करते हुए मामले का कथन तैयार करेगा और ईसे ईच्च न्यायालय के
स्पष्टीकरण-आस धारा में "हवहनयम" से साधारण खंड ऄहधहनयम, 1897 हवहनश्चय के हलए हनदेहशत करेगा।
(1897 का 10) में या हकसी राज्य के साधारण खंड ऄहधहनयम में स्पष्टीकरण-आस धारा में "हवहनयम" से साधारण खंड ऄहधहनयम, 1897
यथापररभाहषत कोइ हवहनयम ऄहभप्रेत है। (1897 का 10) में या हकसी राज्य के साधारण खंड ऄहधहनयम में
(2) यहद सेशन न्यायालय ऄपने समक्ष लहमबत हकसी मामले में, हजसे ईपधारा यथापररभाहषत कोइ हवहनयम ऄहभप्रेत है।
(1) के ईपबन्ध लागू नहीं होते हैं, ठीक समझता है तो वह, ऐसे मामले की (2) यहद सेशन न्यायालय या महानगर महजस्रेट ऄपने समक्ष लहमबत
सनु वाइ में ईठने वाले हकसी हवहध-प्रश्न को ईच्च न्यायालय के हवहनश्चय के हलए हकसी मामले में, हजसे ईपधारा (1) के ईपबन्ध लागू नहीं होते हैं, ठीक
हनदेहशत कर सकता है। समझता है तो वह, ऐसे मामले की सनु वाइ में ईठने वाले हकसी हवहध-प्रश्न
(3) कोइ न्यायालय, जो ईच्च न्यायालय को ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के को ईच्च न्यायालय के हवहनश्चय के हलए हनदेहशत कर सकता है।
ऄधीन हनदेश करता है, ईस पर ईच्च न्यायालय का हवहनश्चय होने तक, (3) कोइ न्यायालय, जो ईच्च न्यायालय को ईपधारा (1) या ईपधारा (2)
ऄहभयि ु को जेल को सपु दु ण कर सकता है या ऄपेक्षा हकए जाने पर हाहजर होने के ऄधीन हनदेश करता है, ईस पर ईच्च न्यायालय का हवहनश्चय होने तक,
के हलए जमानत पर छो़ि सकता है। ऄहभयि ु को जेल को सपु दु ण कर सकता है या ऄपेक्षा हकए जाने पर हाहजर
होने के हलए जमानत पर छो़ि सकता है ।
धारा – 437 ईच्च न्यायालय के हिहनश्चय के ऄनुसार मामले का हनपटारा - (1) जब कोइ धारा 396 कोइ पररवतण न नहीं ।
प्रश्न ऐसे हनदेहशत हकया जाता है तब ईच्च न्यायालय ईस पर ऐसा अदेश
पाररत करेगा जैसा वह ठीक समझे और ईस अदेश की प्रहतहलहप ईस
न्यायालय को हभजवाएगा हजसके द्वारा वह हनदेश हकया गया था और वह
न्यायालय ईस मामले को ईि अदेश के ऄनरू ु प हनपटाएगा।
(2) ईच्च न्यायालय हनदेश दे सकता है हक ऐसे हनदेश का खचाण कौन देगा।
धारा – 438 पुनरीक्षण की िहियों का प्रयोग करने के हलए ऄहभलेख मंगाना- (1) ईच्च धारा 397
न्यायालय या कोइ सेशन न्यायाधीश ऄपनी स्थानीय ऄहधकाररता के ऄन्दर
हस्थत हकसी ऄवर दण्ड न्यायालय के समक्ष की हकसी कायण वाही के ऄहभलेख
को, हकसी ऄहभहलहखत या पाररत हकए गए हनष्कषण , दण्डादेश या अदेश की
शद्धु ता, वैधता या औहचत्य के बारे में और ऐसे ऄवर न्यायालय को हकन्हीं
कायण वाहहयों की हनयहमतता के बारे में ऄपना समाधान करने के प्रयोजन से,
मंगा सकता है और ईसकी परीक्षा कर सकता है और ऐसा ऄहभलेख मंगाते
समय हनदेश दे सकता है हक ऄहभलेख की परीक्षा लहमबत रहने तक हकसी
दण्डादेश का हनष्पादन हनलहमबत हकया जाए और यहद ऄहभयि ु परररोध में है
तो ईसे ईसके बन्धपत्र या जमानतपत्र पर छो़ि हदया जाए।
स्पष्टीकरण-सभी महजस्रेट, चाहे वे कायण पालक हों या न्याहयक और चाहे वे
अरहमभक ऄहधकाररता का प्रयोग कर रहे हों, या ऄपीलीय ऄहधकाररता का,
आस ईपधारा के और धारा 439 के प्रयोजनों के हलए सेशन न्यायाधीश से
ऄवर समझे जाएंगे।
(2) ईपधारा (1) द्वारा प्रदत्त पनु रीक्षण की शहियों का प्रयोग हकसी ऄपील,
जांच हवचारण या ऄन्य कायण वाही में पाररत हकसी ऄन्तवण ती अदेश की बाबत
नहीं हकया जाएगा।
(3) यहद हकसी व्यहि द्वारा आस धारा के ऄधीन अवेदन या तो ईच्च
न्यायालय को या सेशन न्यायाधीश को हकया गया है तो ईसी व्यहि द्वारा कोइ
और अवेदन ईनमें से दूसरे के द्वारा ग्रहण नहीं हकया जाएगा।
धारा – 439 जांच करने का अदेि देने की िहि- हकसी ऄहभलेख की धारा 438 के धारा 398
ऄधीन परीक्षा करने पर या ऄन्यथा ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश,
मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को हनदेश दे सकता है हक वह, ऐसे हकसी पररवाद
की, जो धारा 226 या धारा 227 को ईपधारा (4) के ऄधीन खाररज कर
हदया गया है, या हकसी ऄपराध के ऄहभयि ु ऐसे व्यहि के मामले की, जो
ईन्मोहचत कर हदया गया है, ऄहतररि जांच स्वयं करे या ऄपने ऄधीनस्थ
महजस्रेटों में से हकसी के द्वारा कराए तथा मख्ु य न्याहयक महजस्रेट ऐसी
ऄहतररि जांच स्वयं कर सकता है या ईसे करने के हलए ऄपने हकसी
ऄधीनस्थ महजस्रेट को हनदेश दे सकता है:
परन्तु कोइ न्यायालय हकसी ऐसे व्यहि के मामले में, जो ईन्मोहचत कर हदया
गया है, आस धारा के ऄधीन जांच करने का कोइ हनदेश तभी देगा जब आस बात
का कारण दहशण त करने के हलए हक ऐसा हनदेश क्ट्यों नहीं हदया जाना चाहहए,
ऐसे व्यहि को ऄवसर हमल चक ु ा हो।
धारा – 440 सेिन न्यायाधीि की पुनरीक्षण की िहियााँ - (1) ऐसी हकसी कायण वाही के धारा –
मामले में हजसका ऄहभलेख सेशन न्यायाधीश ने स्वयं मंगवाया है, वह ईन 399
सभी या हकन्हीं शहियों का प्रयोग कर सकता है हजनका प्रयोग धारा 442 की
ईपधारा (1) के ऄधीन ईच्च न्यायालय कर सकता है।
(2) जहााँ सेशन न्यायाधीश के समक्ष पनु रीक्षण के रूप में कोइ कायण वाही
ईपधारा (1) के ऄधीन प्रारमभ की गइ है वहााँ धारा 442 की ईपधारा (2),
ईपधारा (३), ईपधारा (4) और ईपधारा (5) के ईपबन्ध, जहााँ तक हो सके ,
ऐसी कायण वाही को लागू होंगे और ईि ईपधाराओं में ईच्च न्यायालय के प्रहत
हनदेशों का यह ऄथण लगाया जाएगा हक वे सेशन न्यायाधीश के प्रहत हनदेश हैं।
(3) जहााँ हकसी व्यहि द्वारा या ईसकी ओर से पनु रीक्षण के हलए अवेदन
सेशन न्यायाधीश के समक्ष हकया जाता है वहााँ ऐसे व्यहि के समबन्ध में ईस
बाबत सेशन न्यायाधीश का हवहनश्चय ऄहन्तम होगा और ऐसे व्यहि की प्रेरणा
पर पनु रीक्षण के रूप में और कायण वाही ईच्च न्यायालय या हकसी ऄन्य
न्यायालय द्वारा ग्रहण नहीं की जाएगी।
धारा – 441 ऄपर सेिन न्यायाधीि की िहि- ऄपर सेशन न्यायाधीश को हकसी ऐसे धारा 400 कोइ पररवतण न नहीं ।
मामले के बारे में, जो सेशन न्यायाधीश का हकसी साधारण या हवशेष अदेश के
द्वारा या ऄधीन ईसे ऄन्तररत हकया जाता है. सेशन न्यायाधीश को आस
ऄध्याय के ऄधीन सब शहियााँ प्राप्त होंगी और वह ईनका प्रयोग कर सकता
है।
धारा – 442 ईच्च न्यायालय की पनु रीक्षण की िहियााँ- (1) ऐसी हकसी कायण वाही के धारा 401
मामले में, हजसका ऄहभलेख ईच्च न्यायालय ने स्वयं मंगवाया है या हजसकी
ईसे ऄन्यथा जानकारी हुइ है, िह धारा 427, धारा 430, धारा 431 और
धारा 432 द्वारा ऄपीलीय न्यायालय को या धारा 344 द्वारा सेशन न्यायालय
को प्रदत्त शहियों में से हकसी का स्वहववेकानस ु ार प्रयोग कर सके गा और जब
ईन न्यायाधीशों, जो पनु रीक्षण न्यायालय में पीठासीन हैं, की राय समान रूप
से हवभाहजत हो, तब मामले का हनपटारा धारा 433 द्वारा ईपबहन्धत रीहत से
हकया जाएगा।
(2) आस धारा के ऄधीन कोइ अदेश, जो ऄहभयि ु या ऄन्य व्यहि पर
प्रहतकूल प्रभाव डालता है, तब तक नहीं हकया जाएगा, जब तक ईसे ऄपनी
प्रहतरक्षा में या तो स्वयं या ऄहधविा द्वारा सनु े जाने का ऄवसर न हमल चक ु ा
हो।
(3) आस धारा की कोइ बात, ईच्च न्यायालय को दोषमहु ि के हनष्कषण को
दोषहसहद्ध के हनष्कषण में संपररवहतण त करने के हलए प्राहधकृ त करने वाली नहीं
समझी जाएगी।
(4) जहााँ आस संहहता के ऄधीन कोइ ऄपील होती है, हकन्तु कोइ ऄपील की
नहीं जाती है, वहााँ ईस पक्षकार की प्रेरणा पर, जो ऄपील कर सकता था,
पनु रीक्षण की कोइ कायण वाही ग्रहण न की जाएगी।
(5) जहााँ आस संहहता के ऄधीन कोइ ऄपील होती है, हकन्तु ईच्च न्यायालय
को हकसी व्यहि द्वारा पनु रीक्षण के हलए अवेदन हकया गया है और ईच्च
न्यायालय का यह समाधान हो जाता है हक ऐसा अवेदन आस गलत हवश्वास के
अधार पर हकया गया था हक ईससे कोइ ऄपील नहीं होती है और न्याय के
हहत में ऐसा करना अवश्यक है तो ईच्च न्यायालय पनु रीक्षण के हलए अवेदन
को ऄपील की भाहवका मान सके गा और ईस पर तदनस ु ार कायण वाही कर
सके गा।
धारा – 443 ईच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को िापस लेने या ऄन्तररत करने धारा 402 कोइ पररवतण न नहीं ।
की िहि- (1) जब एक ही हवचारण में दोषहसद्ध एक या ऄहधक व्यहि
पनु रीक्षण के हलए अवेदन ईच्च न्यायालय को करते हैं और ईसी हवचारण में
दोषहसद्ध कोइ ऄन्य व्यहि पनु रीक्षण के हलए अवेदन सेशन न्यायाधीश को
करता है तब ईच्च न्यायालय, पक्षकारों की सहु वधा और ऄन्तग्रणस्त प्रश्नों के
महत्व को ध्यान में रखते हुए यह हवहनश्चय करेगा हक ईन दोनों में से कौन सा
न्यायालय पनु रीक्षण के हलए अवेदनों को ऄहन्तम रूप से हनपटाएगा और जब
ईच्च न्यायालय यह हवहनश्चय करता है हक पनु रीक्षण के हलए सभी अवेदन
ईसी के द्वारा हनपटाए जाने चाहहए तब ईच्च न्यायालय यह हनदेश देगा हक
सेशन न्यायाधीश के समक्ष लहमबत पनु रीक्षण के हलए अवेदन ईसे ऄन्तररत
कर हदए जाएं और जहााँ ईच्च न्यायालय यह हवहनश्चय करता है हक पनु रीक्षण
के अवेदन ईसके द्वारा हनपटाए जाने अवश्यक नहीं हैं वहााँ वह यह हनदेश देगा
हक ईसे हकए गए पनु रीक्षण के हलए अवेदन सेशन न्यायाधीश को ऄन्तररत
हकए जाएं।
(2) जब कभी पनु रीक्षण के हलए अवेदन ईच्च न्यायालय को ऄन्तररत हकया
जाता है तब वह न्यायालय ईसे आस प्रकार हनपटाएगा, मानो वह ईसके समक्ष
समयक रूप से हकया गया अवेदन है।
(3) जब कभी पनु रीक्षण के हलए अवेदन सेशन न्यायाधीश को ऄन्तररत हकया
जाता है तब वह न्यायाधीश ईसे आस प्रकार हनपटाएगा, मानो वह ईसके समक्ष
समयक् रूप से हकया गया अवेदन है।
(4) जहााँ पनु रीक्षण के हलए अवेदन ईच्च न्यायालय द्वारा सेशन न्यायाधीश
को ऄन्तररत हकया जाता है वहााँ ईस व्यहि या ईन व्यहियों की प्रेरणा पर
हजनके पनु रीक्षण के हलए अवेदन सेशन न्यायाधीश द्वारा हनपटाए गए हैं
पनु रीक्षण के हलए कोइ और अवेदन ईच्च न्यायालय या हकसी ऄन्य
न्यायालय में नहीं होगा।
धारा – 444 पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का हिकल्प- आस संहहता में ऄहभव्यि रूप धारा 403 कोइ पररवतण न नहीं ।
से जैसा ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, जो न्यायालय ऄपनी पनु रीक्षण की
शहियों का प्रयोग कर रहा है ईसके समक्ष स्वयं या ऄहधविा द्वारा सनु े जाने
का ऄहधकार हकसी भी पक्षकार को नहीं है; हकन्तु यहद न्यायालय ठीक
समझता है तो वह ऐसी शहियों का प्रयोग करते समय हकसी पक्षकार को स्वयं
या ईसके ऄहधविा द्वारा सनु सके गा।
धारा 404 – महानगर महजस्रेट के हिहनश्चय के अधारों के कथन पर
ईच्च न्यायालय द्वारा हिचार हकया जाना - महानगर महजस्रेट के
हवहनश्चय के अधारों के कथन पर ईच्च न्यायालय द्वारा हवचार हकया जाना-
जब ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा हकसी महानगर महजस्रेट
का ररकाडण धारा 397 के ऄधीन मंगाया जाये, तब महजस्रेट ररकाडण के
साथ ऄपने हवहनश्चय (हनणण य) या अदेशों के अधारों और हकन्हीं ऐसे तथ्यों
का, हजन्हें वह हववाद्यक के हलए ताहत्वक समझता हो, वणण न करने वाला
बयान भेज सके गा और न्यायालय ईि हवहनश्चय या अदेश को ईलटने या
रद्द करने से पहले ऐसे बयान पर हवचार करेगा।
धारा – 445 ईच्च न्यायालय के अदेि को प्रमाहणत करके हनचले न्यायालय को भेजा धारा 405
जाना- जब ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश द्वारा कोइ मामला आस
ऄध्याय के ऄधीन पनु रीहक्षत हकया जाता है तब वह धारा 429 द्वारा
ईपबहन्धत रीहत से ऄपना हवहनश्चय या अदेश प्रमाहणत करके ईस न्यायालय
को भेजेगा, हजसके द्वारा पनु रीहक्षत हनष्कषण , दण्डादेश या अदेश ऄहभहलहखत
हकया गया या पाररत हकया गया था, और तब वह न्यायालय, हजसे हवहनश्चय या
अदेश ऐसे प्रमाहणत करके भेजा गया है ऐसे अदेश करेगा, जो ऐसे प्रमाहणत
हवहनश्चय के ऄनरू
ु प है और यहद अवश्यक हो तो ऄहभलेख में तद्नस ु ार
संशोधन कर हदया जाएगा।
ऄध्याय 33 - अपराहधक मामलों का ऄन्तरण
धारा – 446 मामलों और ऄपीलों को ऄन्तररत करने की ईच्चतम न्यायालय की िहि- धारा 406 कोइ पररवतण न नहीं ।
(1) जबकभी ईच्चतम न्यायालय को यह प्रतीत कराया जाता है हक न्याय के
ईद्देश्यों के हलए यह समीचीन है हक आस धारा के ऄधीन कोइ अदेश हकया
जाए, तब वह हनदेश दे सके गा हक कोइ हवहशष्ट मामला या ऄपील एक ईच्च
न्यायालय से दूसरे ईच्च न्यायालय को या एक ईच्च न्यायालय के ऄधीनस्थ
दण्ड न्यायालय से दूसरे ईच्च न्यायालय के ऄधीनस्थ समान या वररष्ठ
ऄहधकाररता वाले दूसरे दण्ड न्यायालय को ऄन्तररत कर दी जाए।
(2) ईच्चतम न्यायालय भारत के महान्यायवादी या हहतबद्ध पक्षकार के
अवेदन पर ही आस धारा के ऄधीन कायण कर सकता है और ऐसा प्रत्येक
अवेदन समावेदन द्वारा हकया जाएगा जो ईस दशा के हसवाय, जब हक
अवेदक भारत का महान्यायवादी या राज्य का महाहधविा है, शपथपत्र या
प्रहतज्ञान द्वारा समहथण त होगा।
(3) जहााँ आस धारा द्वारा प्रदत्त शहियों का प्रयोग करने के हलए कोइ अवेदन
खाररज कर हदया जाता है वहााँ, यहद ईच्चतम न्यायालय की यह राय है हक
अवेदन तच्ु छ या तंग करने वाला था तो वह अवेदक को अदेश दे सकता है
हक वह आतनी राहश, हजतनी वह न्यायालय ईस मामले की पररहस्थहतयों में
समहु चत समझे, प्रहतकर के तौर पर ईस व्यहि को दे, हजसने अवेदन का
हवरोध हकया था।
धारा – 447 मामलों और ऄपीलों को ऄन्तररत करने की ईच्च न्यायालय की िहि- (1) धारा 407 मामलों और ऄपीलों को ऄन्तररत करने की ईच्च न्यायालय की िहि-
जब कभी ईच्च न्यायालय को यह प्रतीत कराया जाता है हक- (1) जब कभी ईच्च न्यायालय को यह प्रतीत कराया जाता है हक-
(क) ईसके ऄधीनस्थ हकसी दण्ड न्यायालय में ऊजु और पक्षपातरहहत जांच (क) ईसके ऄधीनस्थ हकसी दण्ड न्यायालय में ऊजु और पक्षपातरहहत
या हवचारण नहीं हो सके गा; या जांच या हवचारण नहीं हो सके गा; या
(ख) हकसी ऄसाधारणतः कहठन हवहधप्रश्न के ईठने की समभाव्यता है; या (ख) हकसी ऄसाधारणतः कहठन हवहधप्रश्न के ईठने की समभाव्यता है; या
(ग) आस धारा के ऄधीन अदेश आस संहहता के हकसी ईपबन्ध द्वारा ऄपेहक्षत है, (ग) आस धारा के ऄधीन अदेश आस संहहता के हकसी ईपबन्ध द्वारा ऄपेहक्षत
या पक्षकारों या साहक्षयों के हलए साधारणतः सहु वधाप्रद होगा, या न्याय के है, या पक्षकारों या साहक्षयों के हलए साधारणतः सहु वधाप्रद होगा, या न्याय
ईद्देश्यों के हलए समीचीन है, के ईद्देश्यों के हलए समीचीन है,
तब वह अदेश दे सके गा हक- तब वह अदेश दे सके गा हक-
(i) हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण ऐसे हकसी न्यायालय द्वारा हकया जाए (i) हकसी ऄपराध की जांच या हवचारण ऐसे हकसी न्यायालय द्वारा हकया
जो धारा 197 से धारा 205 तक के (हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएं भी हैं) जाए जो धारा 177 से धारा 185 तक के (हजनके ऄन्तगण त ये दोनों धाराएं
ऄधीन तो ऄहहण त नहीं है हकन्तु ऐसे ऄपराध की जांच या हवचारण करने के भी हैं) ऄधीन तो ऄहहण त नहीं है हकन्तु ऐसे ऄपराध की जांच या हवचारण
हलए ऄन्यथा सक्षम है; करने के हलए ऄन्यथा सक्षम है;
(ii) कोइ हवहशष्ट मामला या ऄपील या मामलों या ऄपीलों का वगण ईसके (ii) कोइ हवहशष्ट मामला या ऄपील या मामलों या ऄपीलों का वगण ईसके
प्राहधकार के ऄधीनस्थ हकसी दण्ड न्यायालय से ऐसे समान वररष्ठ प्राहधकार के ऄधीनस्थ हकसी दण्ड न्यायालय से ऐसे समान वररष्ठ
ऄहधकाररता वाले हकसी ऄन्य दण्ड न्यायालय को ऄन्तररत कर हदया जाए; ऄहधकाररता वाले हकसी ऄन्य दण्ड न्यायालय को ऄन्तररत कर हदया
(iii) कोइ हवहशष्ट मामला सेशन न्यायालय को हवचारणाथण सपु दु ण कर हदया जाए; जाए;
या (iii) कोइ हवहशष्ट मामला सेशन न्यायालय को हवचारणाथण सपु दु ण कर हदया
(iv) कोइ हवहशष्ट मामला या ऄपील स्वयं ईसको ऄन्तररत कर दी जाए, और जाए; या
ईसका हवचारण ईसके समक्ष हकया जाए। (iv) कोइ हवहशष्ट मामला या ऄपील स्वयं ईसको ऄन्तररत कर दी जाए,
(2) ईच्च न्यायालय हनचले न्यायालय की ररपोटण पर, या हहतबद्ध पक्षकार के और ईसका हवचारण ईसके समक्ष हकया जाए।
अवेदन पर या स्वप्रेरणा पर कायण वाही कर सके गा है: (2) ईच्च न्यायालय हनचले न्यायालय की ररपोटण पर, या हहतबद्ध पक्षकार
परन्तु हकसी मामले को एक ही सेशन खंड के एक दण्ड न्यायालय से दूसरे के अवेदन पर या स्वप्रेरणा पर कायण वाही कर सके गा है:
दण्ड न्यायालय को ऄन्तररत करने के हलए अवेदन ईच्च न्यायालय से तभी परन्तु हकसी मामले को एक ही सेशन खंड के एक दण्ड न्यायालय से दस ू रे
हकया जाएगा जब ऐसा ऄन्तरण करने के हलए अवेदन सेशन न्यायाधीश को दण्ड न्यायालय को ऄन्तररत करने के हलए अवेदन ईच्च न्यायालय से
कर हदया गया है और ईसके द्वारा नामंजूर कर हदया गया है। तभी हकया जाएगा जब ऐसा ऄन्तरण करने के हलए अवेदन सेशन
(3) ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश के हलए प्रत्येक अवेदन समावेदन द्वारा न्यायाधीश को कर हदया गया है और ईसके द्वारा नामंजूर कर हदया गया है।
हकया जाएगा, जो ईस दशा के हसवाय, जब अवेदक राज्य का महाहधविा हो, (3) ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश के हलए प्रत्येक अवेदन समावेदन द्वारा
शपथपत्र या प्रहतज्ञान द्वारा समहथण त होगा। हकया जाएगा, जो ईस दशा के हसवाय, जब अवेदक राज्य का महाहधविा
(4) जब ऐसा अवेदन कोइ ऄहभयि ु व्यहि करता है, तब ईच्च न्यायालय ईसे हो, शपथपत्र या प्रहतज्ञान द्वारा समहथण त होगा।
हनदेश दे सके गा है हक वह हकसी प्रहतकर के संदाय के हलए, जो ईच्च (4) जब ऐसा अवेदन कोइ ऄहभयि ु व्यहि करता है, तब ईच्च न्यायालय
न्यायालय ईपधारा (7) के ऄधीन ऄहधहनणीत करे, बन्धपत्र या जमानतपत्र ईसे हनदेश दे सके गा है हक वह हकसी प्रहतकर के संदाय के हलए, जो ईच्च
हनष्पाहदत करे। न्यायालय ईपधारा (7) के ऄधीन ऄहधहनणीत करे, बन्धपत्र या जमानतपत्र
(5) ऐसा अवेदन करने वाला प्रत्येक ऄहभयि ु व्यहि, लोक ऄहभयोजक को हनष्पाहदत करे।
अवेदन की हलहखत सूचना ईन अधारों की प्रहतहलहप के सहहत देगा हजन पर (5) ऐसा अवेदन करने वाला प्रत्येक ऄहभयि ु व्यहि, लोक ऄहभयोजक
वह हकया गया है, और अवेदन के गणु ागणु पर तब तक कोइ अदेश न हकया को अवेदन की हलहखत सूचना ईन अधारों की प्रहतहलहप के सहहत देगा
जाएगा, जब तक ऐसी सूचना के हलए हदये जाने और अवेदन की सनु वाइ के हजन पर वह हकया गया है, और अवेदन के गणु ागणु पर तब तक कोइ
बीच कम से कम चौबीस घण्टे न बीत गए हों। अदेश न हकया जाएगा, जब तक ऐसी सूचना के हलए हदये जाने और
(6) जहााँ अवेदन हकसी ऄधीनस्थ न्यायालय से कोइ मामला या ऄपील अवेदन की सनु वाइ के बीच कम से कम चौबीस घण्टे न बीत गए हों।
ऄन्तररत करने के हलए है, वहााँ यहद ईच्च न्यायालय का समाधान हो जाता है (6) जहााँ अवेदन हकसी ऄधीनस्थ न्यायालय से कोइ मामला या ऄपील
हक ऐसा करना न्याय के हहत में अवश्यक है, तो वह अदेश दे सके गा हक जब ऄन्तररत करने के हलए है, वहााँ यहद ईच्च न्यायालय का समाधान हो जाता
तक अवेदन का हनपटारा न हो जाए, तब तक के हलए ऄधीनस्थ न्यायालय है हक ऐसा करना न्याय के हहत में अवश्यक है, तो वह अदेश दे सके गा हक
की कायण वाहहयााँ, ऐसे हनबन्धनों पर, हजन्हें ऄहधरोहपत करना ईच्च न्यायालय जब तक अवेदन का हनपटारा न हो जाए, तब तक के हलए ऄधीनस्थ
ठीक समझे, रोक दी जाएंगी : न्यायालय की कायण वाहहयााँ, ऐसे हनबन्धनों पर, हजन्हें ऄहधरोहपत करना
परन्तु ऐसी रोक धारा 346 के ऄधीन प्रहतप्रेषण की ऄधीनस्थ न्यायालयों की ईच्च न्यायालय ठीक समझे, रोक दी जाएंगी :
शहि पर प्रभाव नहीं डालेगी। परन्तु ऐसी रोक धारा 309 के ऄधीन प्रहतप्रेषण की ऄधीनस्थ न्यायालयों
(7) जहााँ ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश देने के हलए अवेदन खाररज कर हदया की शहि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
जाता है वहााँ, यहद ईच्च न्यायालय की यह राय है हक अवेदन तच्ु छ या तंग (7) जहााँ ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश देने के हलए अवेदन खाररज कर
करने वाला था तो, वह अवेदक को अदेश दे सके गा हक ऐसी राहश, जो ईस हदया जाता है वहााँ, यहद ईच्च न्यायालय की यह राय है हक अवेदन तच्ु छ
मामले की पररहस्थहतयों में समहु चत समझे, प्रहतकर के तौर पर ईस व्यहि को या तंग करने वाला था तो, वह अवेदक को अदेश दे सके गा हक वह एक
दे, हजसने अवेदन का हवरोध हकया था। हजार रूपये से ऄनाहधक आतनी राहश , जो ईस मामले की पररहस्थहतयों में
(8) जब ईच्च न्यायालय हकसी न्यायालय से हकसी मामले का ऄन्तरण ऄपने समहु चत समझे, प्रहतकर के तौर पर ईस व्यहि को दे, हजसने अवेदन का
समक्ष हवचारण के हलए करने का ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश देता है तब वह हवरोध हकया था।
ऐसे हवचारण में ईसी प्रहिया का ऄनपु ालन करेगा, हजसका मामले का ऐसा (8) जब ईच्च न्यायालय हकसी न्यायालय से हकसी मामले का ऄन्तरण
ऄन्तरण न हकए जाने की दशा में वह न्यायालय करता। ऄपने समक्ष हवचारण के हलए करने का ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश देता
(9) आस धारा की कोइ बात धारा 218 के ऄधीन सरकार के हकसी अदेश पर है तब वह ऐसे हवचारण में ईसी प्रहिया का ऄनपु ालन करेगा, हजसका
प्रभाव डालने वाली न समझी जाएगी। मामले का ऐसा ऄन्तरण न हकए जाने की दशा में वह न्यायालय करता।
(9) आस धारा की कोइ बात धारा 197 के ऄधीन सरकार के हकसी अदेश
पर प्रभाव डालने वाली न समझी जाएगी।
धारा – 448 मामलों और ऄपीलों को ऄन्तररत करने की सेिन न्यायाधीि की िहि- धारा 408
(1) जब कभी सेशन न्यायाधीश को यह प्रतीत कराया जाता है हक न्याय के
ईद्देश्यों के हलए यह समीचीन है हक आस ईपधारा के ऄधीन अदेश हदया जाए,
तब वह अदेश दे सकता है हक कोइ हवहशष्ट मामला ईसके सेशन खंड में एक
दण्ड न्यायालय से दस ू रे दण्ड न्यायालय को ऄन्तररत कर हदया जाए।
(2) सेशन न्यायाधीश हनचले न्यायालय की ररपोटण पर या हकसी हहतबद्ध
पक्षकार के अवेदन पर या स्वप्रेरणा पर कारण वाइ कर सके गा।
(3) धारा 447 की ईपधारा (3), ईपधारा (4), ईपधारा (5), ईपधारा (6)
ईपधारा (7) और ईपधारा (9) के ईपबन्ध ईपधारा (1) के ऄधीन हकसी
अदेश के हलए सेशन न्यायाधीश को अवेदन के संबधं में वैसे ही लागू होंगे,
जैसे वे धारा 447 की ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश के हलए ईच्च न्यायालय
को अवेदन के संबधं में लागू होते हैं, हसवाय आसके हक ईस धारा की ईपधारा
(7) आस प्रकार लागू होगी, मानो ईसमें अने वाली "राहश" शब्द के स्थान पर
"दस हजार रुपए से ऄनहधक की राहि" शब्द रख हदए गए हैं।
धारा – 449 सेिन न्यायाधीिों द्वारा मामलों और ऄपीलों का िापस हलया जाना - (1) धारा 409 कोइ पररवतण न नहीं ।
सेशन न्यायाधीश ऄपने ऄधीनस्थ हकसी मख्ु य न्याहयक महजस्रेट से कोइ
मामला या ऄपील वापस ले सके गा या कोइ मामला या ऄपील, हजसे ईसने
ईसके हवाले हकया हो, वापस मंगा सके गा है।
(2) ऄपर सेशन न्यायाधीश के समक्ष मामले का हवचारण या ऄपील की
सनु वाइ प्रारमभ होने से पवू ण हकसी समय सेशन न्यायाधीश हकसी मामले या
ऄपील को, हजसे ईसने ऄपर सेशन न्यायाधीश के हवाले हकया है, वापस मंगा
सके गा।
(3) जहााँ सेशन न्यायाधीश, ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के ऄधीन कोइ
मामला या ऄपील वापस मंगाता है या वापस लेता है, वहााँ वह, यथाहस्थहत, या
तो ईस मामले का ऄपने न्यायालय में हवचारण कर सके गा या ईस ऄपील को
स्वयं सनु सके गा या ईसे हवचारण या सनु वाइ के हलए आस संहहता के ईपबन्धों
के ऄनस ु ार दसू रे न्यायालय के हवाले कर सके गा।
धारा – 450 न्याहयक महजस्रेटों द्वारा मामलों का िापस हलया जाना- (1) कोइ मख्ु य धारा 410
न्याहयक महजस्रेट, ऄपने ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट से हकसी मामले को
वापस ले सके गा या हकसी मामले को, हजसे ईसने ऐसे महजस्रेट के हवाले
हकया है, वापस मंगा सके गा और मामले की जांच या हवचारण स्वयं कर सके गा
या ईसे जांच या हवचारण के हलए हकसी ऄन्य ऐसे महजस्रेट को हनदेहशत कर
सके गा, जो ईसकी जांच या हवचारण करने के हलए सक्षम है।
(2) कोइ न्याहयक महजस्रेट हकसी मामले को, जो ईसने धारा 212 की
ईपधारा (2) के ऄधीन हकसी ऄन्य महजस्रेट के हवाले हकया है, वापस मंगा
सके गा और ऐसे मामले की जांच या हवचारण स्वयं कर सके गा।
धारा – 451 कायगपालक महजस्रेटों द्वारा मामलों का हिाले हकया जाना या िापस हलया धारा 411
जाना- कोइ हजला महजस्रेट या ईपखण्ड महजस्रेट-
(क) हकसी ऐसी कायण वाही को, जो ईसके समक्ष अरमभ हो चक ु ी है, हनपटाने
के हलए ऄपने ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट के हवाले कर सके गा;
(ख) ऄपने ऄधीनस्थ हकसी महजस्रेट से हकसी मामले को वापस ले सके गा या
हकसी मामले को, हजसे ईसने ऐसे महजस्रेट के हवाले हकया हो, वापस मंगा
सके गा और ऐसी कायण वाही को स्वयं हनपटा सके गा या ईसे हनपटाने के हलए
हकसी ऄन्य महजस्रेट को हनदेहशत कर सके गा।
धारा – 452 कारणों का ऄहभहलहखत हकया जाना- धारा 448, धारा 449, धारा 450 या धारा 412
धारा 451 के ऄधीन अदेश करने वाला सेशन न्यायाधीश या महजस्रेट ऐसा
अदेश करने के ऄपने कारणों को ऄहभहलहखत करेगा।
ऄध्याय 34 - दण्डादेिों का हनष्पादन, हनलभबन, पररहार और लघक
ु रण
क-मत्ृ यु दण्डादेि
धारा – 453 धारा 409 के ऄधीन हदए गए अदेि का हनष्पादन- जब मृत्यु दण्डादेश की धारा 413
पहु ष्ट के हलए ईच्च न्यायालय को प्रस्ततु हकसी मामले में, सेशन न्यायालय को
ईस पर ईच्च न्यायालय द्वारा पहु ष्ट का अदेश या ऄन्य अदेश प्राप्त होता है, तो
वह वारण्ट जारी करके या ऄन्य ऐसे कदम ईठाकर, जो अवश्यक हों, ईस
अदेश को हियाहन्वत कराएगा।
धारा – 454 ईच्च न्यायालय द्वारा हदए गए मत्ृ यु दण्डादेि का हनष्पादन- जब ऄपील में धारा 414 कोइ पररवतण न नहीं ।
या पनु रीक्षण में ईच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश हदया जाता है, तब सेशन
न्यायालय, ईच्च न्यायालय का अदेश प्राप्त होने पर वारण्ट जारी करके
दण्डादेश को हियाहन्वत कराएगा।
धारा – 455 ईच्चतम न्यायालय को ऄपील की दिा में मत्ृ यु दण्डादेि के हनष्पादन का धारा 415 कोइ पररवतण न नहीं ।
मल्ु तिी हकया जाना- (1) जहााँ हकसी व्यहि को ईच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु
दण्डादेश हदया गया है और ईसके हनणण य के हवरुद्ध कोइ ऄपील संहवधान के
ऄनच्ु छे द 134 के खण्ड (1) के ईपखण्ड (क) या ईपखण्ड (ख) के ऄधीन
ईच्चतम न्यायालय को होती है, वहााँ ईच्च न्यायालय दण्डादेश का हनष्पादन
तब तक के हलए मलु तवी हकए जाने का अदेश देगा, जब तक ऐसी ऄपील
करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध समाप्त नहीं हो जाती है या यहद ईस ऄवहध के
भीतर कोइ ऄपील की गइ है, तो जब तक ईस ऄपील का हनपटारा नहीं हो
जाता है।
(2) जहााँ ईच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश हदया गया है या ईसकी पहु ष्ट की
गइ है, और दण्डाहदष्ट व्यहि, संहवधान के ऄनच्ु छे द 132 के ऄधीन या
ऄनच्ु छे द 134 के खण्ड (1) के ईपखण्ड (ग) के ऄधीन प्रमाणपत्र हदए जाने के
हलए ईच्च न्यायालय से अवेदन करता है, तो ईच्च न्यायालय, दण्डादेश का
हनष्पादन तब तक के हलए मलु तवी हकए जाने का अदेश देगा, जब तक ईस
अवेदन का ईच्च न्यायालय द्वारा हनपटारा नहीं हो जाता है या यहद ऐसे
अवेदन पर कोइ प्रमाणपत्र हदया गया है, तो जब तक ईस प्रमाणपत्र पर
ईच्चतम न्यायालय को ऄपील करने के हलए ऄनज्ञ ु ात ऄवहध समाप्त नहीं हो
जाती है।
(3) जहााँ ईच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश हदया गया है या ईसकी पहु ष्ट की
गइ है और ईच्च न्यायालय का यह समाधान हो जाता है हक दण्डाहदष्ट व्यहि
संहवधान के ऄनच्ु छे द 136 के ऄधीन ऄपील के हलए हवशेष आजाजत हदए जाने
के हलए ईच्चतम न्यायालय में याहचका पेश करना चाहता है, वहााँ ईच्च
न्यायालय दण्डादेश का हनष्पादन आतनी ऄवहध तक के हलए, हजतनी वह ऐसी
ऄजी पेश करने के हलए पयाण प्त समझे, मलु तवी हकए जाने का अदेश देगा।
धारा – 456 गभगिती महहला को मत्ृ यु दण्ड का लघुकरण हकया जाना- यहद वह स्त्री, धारा 416
हजसे मृत्यु दण्डादेश हदया गया है, गभण वती पाइ जाती है तो ईच्च न्यायालय
दण्डादेश को अजीवन कारावास के रूप में लघुकरण कर देगा।
ख-कारािास
धारा – 457 कारािास का स्थान हनयत करने की िहि - (1) तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध धारा 417 कोइ पररवतण न नहीं ।
द्वारा जैसा ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, राज्य सरकार हनदेश दे सके गी हक
हकसी व्यहि को, हजसे आस संहहता के ऄधीन कारावाहसत हकये जाने या
ऄहभरक्षा के हलए सपु दु ण हकये जाने के हलए दायी है, हकस स्थान में परररुद्ध
हकया जएगा।
(2) यहद कोइ व्यहि, हजसे आस संहहता के ऄधीन कारावाहसत हकये जाने या
ऄहभरक्षा के हलए सपु दु ण हकये जाने के हलए दायी है, हसहवल जेल में परररुद्ध है
तो कारावास या सपु दु ण गी के हलए अदेश देने वाला न्यायालय या महजस्रेट ईस
व्यहि को दाहण्डक जेल में भेजे जाने का हनदेश दे सके गा।
(3) जब कोइ व्यहि ईपधारा (2) के ऄधीन दाहण्डक जेल में भेजा जाता है
तब, वहााँ से छो़ि हदए जाने पर ईसे हसहवल जेल को लौटाया जाएगा जब तक
हक ईसे या तो-
(क) दाहण्डक जेल में ईसके भेजे जाने से तीन वषण बीत गए हैं, हजस दशा में वह
हसहवल प्रहिया संहहता, 1908 (1908 का 5) की धारा 58 के ऄधीन हसहवल
जेल से छो़िा गया समझा जाएगा; या
(ख) हसहवल जेल में ईसके कारावास का अदेश देने वाले न्यायालय द्वारा
दाहण्डक जेल के भारसाधक ऄहधकारी को यह प्रमाहणत करके भेज हदया गया
है हक वह हसहवल प्रहिया संहहता, 1908 (1908 का 5) की धारा 58 के
ऄधीन छो़िे जाने का हकदार है।
धारा – 458 कारािास के दण्डादेि का हनष्पादन- (1) जहां धारा 453 द्वारा ईपबंहधत धारा 418
ईन मामलों से हभन्न मामलों में ऄहभयि ु अजीवन कारावास या हकसी ऄवहध
के कारवास के हलए दण्डाहदष्ट हकया गया है, वहां दण्डादेश देने वाला
न्यायालय ईस जेल या ऄन्य स्थान को, हजसमें वह परररुद्ध है या ईसे परररुद्ध
हकया जाना है तत्काल वारण्ट भेजेगा और यहद ऄहभयि ु पहले से ही ईस जेल
या ऄन्य स्थान में परररुद्ध नहीं है तो वारंट के साथ ईसे ऐसी जेल या ऄन्य
स्थान को हभजवाएगा :
परन्तु जहााँ ऄहभयि ु को न्यायालय के ईठने तक के हलए कारावास का
दण्डादेश हदया गया है, वहााँ वारण्ट तैयार करना या वारण्ट जेल को भेजना
अवश्यक नहीं होगा और ऄहभयि ु को ऐसे स्थान में, जो न्यायालय हनहदण ष्ट
करें, परररुद्ध हकया जा सके गा।
(2) जहााँ ऄहभयि ु न्यायालय में ईस समय ईपहस्थत नहीं है, जब ईसे ऐसे
कारावास का दण्डादेश हदया गया है, जैसा ईपधारा (1) में ईहललहखत है, वहााँ
न्यायालय ईसे जेल या ऐसे ऄन्य स्थान में, जहााँ ईसे परररुद्ध हकया जाना है,
भेजने के प्रयोजन से ईसकी हगरफ्तारी के हलए वारण्ट जारी करेगा; और ऐसे
मामले में दण्डादेश ईसकी हगरफ्तारी की तारीख से प्रारमभ होगा।
धारा – 459 हनष्पादन के हलए िारण्ट का हनदेिन- कारावास के दण्डादेश के हनष्पादन धारा 419 कोइ पररवतण न नहीं ।
के हलए प्रत्येक वारण्ट ईस जेल या ऄन्य स्थान के भारसाधक ऄहधकारी को
हनहदष्ट होगा, हजसमें बन्दी परररुद्ध है या परररुद्ध हकया जाना है।
धारा – 460 िारण्ट हकसको सौंपा जाएगा- जब बन्दी जेल में परररुद्ध हकया जाना है, तब धारा 420 कोइ पररवतण न नहीं ।
वारण्ट जेलर को सौंपा जाएगा।
ग- जमु हन का ईदग्र् हण
धारा – 461 जमु ागना ईदग् हृ ीत करने के हलए बारण्ट- (1) जब हकसी ऄपराधी को जमु ाण ने धारा 421
का संदाय करने के हलए हदया गया है, हकन्तु ऐसा संदाय नहीं हकया गया है,
तब दण्डादेश देने वाला न्यायालय हनमनहलहखत में से हकसी एक या दोनों
प्रकार से जमु ाण ने की वसूली के हलए कायण वाही कर सके गा, ऄथाण त् वह-
(क) ऄपराधी की हकसी जंगम समपहत्त की कुकी और हविय द्वारा रकम को
ईद्गहु ीत करने के हलए वारण्ट जारी कर सके गा,
(ख) व्यहतिमी की जंगम या स्थावर समपहत्त या दोनों से भू-राजस्व की बकाया
के रूप में रकम को ईद्गहु ीत करने के हलए हजले के कलेक्ट्टर को प्राहधकृ त
करते हुए ईसे वारण्ट जारी कर सके गा :
परन्तु यहद दण्डादेश हनहदण ष्ट करता है हक जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर
ऄपराधी कारावाहसत हकया जाएगा और यहद ऄपराधी ने व्यहतिम के बदले में
ऐसा पूरा कारावास भगु त हलया है तो कोइ न्यायालय ऐसा वारण्ट तब तक न
जारी करेगा जब तक वह हवशेष कारण जो ऄहभहलहखत हकए जाएं, ऐसा करना
अवश्यक न समन्ने या जब तक ईसने जमु ाण ने में से व्यय या प्रहतकर के संदाय
के हलए धारा 395 के ऄधीन अदेश न हकया हो।
(2) राज्य सरकार, ईस रीहत को हवहनयहमत करने के हलए, हजससे ईपधारा
(1) के खंड (क) के ऄधीन वारण्ट हनष्पाहदत हकए जाने हैं और ऐसे वारण्ट के
हनष्पादन में कुकण की गइ हकसी समपहत्त के बारे में ऄपराधी से हभन्न हकसी
व्यहि द्वारा हकए गए हकन्हीं दावों के संहक्षप्त ऄवधारण के हलए, हनयम बना
सके गी।
(3) जहााँ न्यायालय, कलक्ट्टर को ईपधारा (1) के खण्ड (ख) के ऄधीन
वारण्ट जारी करता है वहााँ कलक्ट्टर ईस रकम को भू-राजस्व की बकाया की
वसूली से संबहं धत हवहध के ऄनस ु ार वसूल करेगा मानो ऐसा वारण्ट ऐसी हवहध
के ऄधीन जारी हकया गया प्रमाणपत्र हो:
परन्तु ऐसा कोइ वारण्ट ऄपराधी की हगरफ्तारी या कारावास में हनरोध द्वारा
हनष्पाहदत नहीं हकया जाएगा।
धारा – 462 ऐसे िारण्ट का प्रभाि- हकसी न्यायालय द्वारा धारा 461 की ईपधारा (1) के धारा 422
खण्ड (क) के ऄधीन जारी हकया गया कोइ वारण्ट ईस न्यायालय की स्थानीय
ऄहधकाररता के भीतर हनष्पाहदत हकया जा सके गा और वह ऐसी ऄहधकाररता
के बाहर की हकसी ऐसी समपहत्त की कुकी और हविय ईस दशा में प्राहधकृ त
करेगा जब वह ईस हजला महजस्रेट द्वारा हजसकी स्थानीय ऄहधकाररता के
ऄन्दर ऐसी समपहत्त पाइ जाए, पृष्ठांहकत कर हदया गया है।
धारा – 463 जुमागने के ईद्ग्रहण के हलए हकसी ऐसे राज्यक्षेत्र के न्यायालय द्वारा, हजस धारा 423
पर आस संहहता का हिस्तार नहीं है, जारी हकया गया िारण्ट - आस संहहता
में या तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध में हकसी बात के होते हुए भी, जब
हकसी ऄपराधी को हकसी ऐसे राज्यक्षेत्र में, हजस पर आस संहहता का हवस्तार
नहीं है, हकसी दण्ड न्यायालय द्वारा जमु ाण ना देने का दण्डादेश हदया गया है और
दण्डादेश देने वाला न्यायालय ऐसी रकम को भू-र भू-राजस्व की बकाया के
तौर पर ईदग् हृ ीत करने के हलए, ईन राज्यक्षेत्रों के , हजन पर आस संहहता का
हवस्तार है, हकसी हजले के कलक्ट्टर को प्राहधकृ त करते हुए वारण्ट जारी
करता है, तब ऐसा वारण्ट ईन राज्यक्षेत्रों के , हजन पर आस संहहता का हवस्तार
है, हकसी न्यायालय द्वारा धारा 461 की ईपधारा (1) के खंड (ख) के ऄधीन
जारी हकया गया वारण्ट समझा जाएगा और तदनस ु ार ऐसे वारण्ट के हनष्पादन
के बारे में ईि धारा की ईपधारा (3) के ईपबन्ध लागू होंगे।
धारा – 464 कारािास के दण्डादेि के हनष्पादन का हनलभबन- (1) जब ऄपराधी को धारा 424
के वल जमु हन का और जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर कारावास का दण्डादेश
हदया गया है और जमु ाण ना तत्काल नहीं हदया जाता है, तब न्यायालय-
(क) अदेश दे सकता है हक जमु ाण ना या तो ऐसी तारीख को या ईससे पहले,
जो ईस अदेश की तारीख से तीस हदन के पश्चात् की नहीं होगी, पणू ण तः संदये
होगा, या दो या तीन हकस्तों में संदेय होगा हजनमें से पहली हकस्त ऐसी तारीख
को या ईससे पहले संदेय होगी, जो अदेश की तारीख से तीस हदन के पश्चात्
की नहीं होगी और, ऄन्य हकस्त या हकस्तें, यथाहस्थहत, तीस हदन से ऄहधक
के ऄन्तराल या ऄन्तरालों पर संदेय होगी या होंगी;
(ख) कारावास के दण्डादेश का हनष्पादन हनलहमबत कर सकता है और
ऄपराधी द्वारा, जैसा न्यायालय ठीक समझे, आस शतण का बन्धपत्र या
जमानतपत्र हनष्पाहदत हकए जाने पर हक, यथाहस्थहत, जमु ाण ना या ईसकी
हकस्तें देने की तारीख या तारीखों को वह न्यायालय के समक्ष हाहजर होगा,
ऄपराधी को छो़ि सके गा, और यहद, यथाहस्थहत, जमु ाण ने की या हकसी हकस्त
की रकम ईस ऄहन्तम तारीख को या ईसके पूवण हजसको वह अदेश के ऄधीन
संदेय हो, प्राप्त न हो तो न्यायालय कारावास के दण्डादेश के तरु न्त हनष्पाहदत
हकए जाने का हनदश दे सके गा।
(2) ईपधारा (1) के ईपबन्ध हकसी ऐसे मामले में भी लागू होंगे हजसमें ऐसे धन
के संदाय के हलए अदेश हकया गया है हजसके वसूल न होने पर कारावास
ऄहधहनणीत हकया जा सके गा है और धन तरु न्त नहीं हदया गया है, और यहद
वह व्यहि हजसके हवरुद्ध अदेश हदया गया है ईस ईपधारा में हनहदण ष्ट बन्धपत्र
हलखने की ऄपेक्षा हकए जाने पर ऐसा करने में ऄसफल रहता है तो न्यायालय
कारावास का दण्डादेश तरु न्त पाररत कर सके गा।
घ-हनष्पादन के बारे में साधारण ईपबन्ध
धारा – 465 िारण्ट कौन जारी कर सके गा- हकसी दण्डादेश के हनष्पादन के हलए प्रत्येक धारा 425 कोइ पररवतण न नहीं ।
वारण्ट या तो ईस न्यायाधीश या महजस्रेट द्वारा, हजसने दण्डादेश पाररत
हकया है या ईसके पद-ईत्तरवती द्वारा जारी हकया जा सके गा।
धारा – 466 हनकल भागे हसद्धदोष पर दण्डादेि कब प्रभाििील होगा- (1) जब हनकल धारा 426 कोइ पररवतण न नहीं ।
भागे हसद्धदोष को आस संहहता के ऄधीन मृत्य,ु अजीवन कारावास या जमु ाण ने
का दण्डादेश हदया जाता है तब ऐसा दण्डादेश आसमें आसके पूवण ऄन्तहवण ष्ट
ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए तरु न्त प्रभावी हो जाएगा।
(2) जब हनकल भागे हसद्धदोष को आस संहहता के ऄधीन हकसी ऄवहध के
कारावास का दण्डादेश हदया जाता है, तब, -
(क) यहद ऐसा दण्डादेश ईस दण्डादेश से कठोरतर हकस्म का हो हजसे ऐसा
हसद्धदोष, जब वह हनकल भागा था, तब भोग रहा था तो नया दण्डादेश तरु न्त
प्रभावी हो जाएगा;
(ख) यहद ऐसा दण्डादेश ईस दण्डादेश से कठोरतर हकस्म का न हो हजसे ऐसा
हसद्धदोष, जब वह हनकल भागा था तब, भोग रहा था, तो नया दण्डादेश,
ईसके द्वारा ईस ऄहतररि ऄवहध के हलए कारावास भोग हलए जाने के पश्चात्
प्रभावी होगा, जो ईसके हनकल भागने के समय ईसके पूवणवती दण्डादेश की
शेष ऄवहध के बराबर है।
(3) ईपधारा (2) के प्रयोजनों के हलए, कठोर कारावास का दण्डादेश सादा
कारावास के दण्डादेश से कठोरतर हकस्म का समझा जाएगा।
धारा – 467 ऐसे ऄपराधी को दण्डादेि जो ऄन्य ऄपराध के हलए पहले से दण्डाहदष्ट धारा 427
है- (1) जब कारावास का दण्डादेश पहले से ही भोगने वाले व्यहि को
पश्चात्वती-दोषहसहद्ध पर कारावास या अजीवन कारावास का दण्डादेश हदया
जाता है तब जब तक न्यायालय यह हनदेश न दे हक पश्चात्वती दण्डादेश ऐसे
पूवण दण्डादेश के साथ-साथ भोगा जाएगा, ऐसा कारावास या अजीवन
कारावास ईस कारावास की समाहप्त पर, हजसके हलए वह पहले दण्डादेश हुअ
था, प्रारमभ होगा :
परन्त,ु जहााँ ईस व्यहि को, हजसे प्रहतभहू त देने में व्यहतिम करने पर धारा
141 के ऄधीन अदेश द्वारा कारावास का दण्डादेश हदया गया है ऐसा
दण्डादेश भोगने के दौरान ऐसे अदेश के हदए जाने के पूवण हकए गए ऄपराध के
हलए कारावास का दण्डादेश हदया जाता है, वहााँ पश्चात्कहथत दण्डादेश तरु न्त
प्रारमभ हो जाएगा।
(2) जब हकसी व्यहि को, जो अजीवन कारावास का दण्डादेश पहले से ही
भोग रहा है, पश्चात्वती दोषहसहद्ध पर हकसी ऄवहध के कारावास या अजीवन
कारावास का दण्डादेश हदया जाता है तब पश्चात्वती दण्डादेश पवू ण दण्डादेश के
साथ-साथ भोगा जाएगा।
धारा – 468 ऄहभयि ु द्वारा भोगी गइ हनरोध की ऄिहध का कारािास के दण्डादेि के धारा 428
हिरुद्ध मजु रा हकया जाना- जहााँ ऄहभयि ु व्यहि दोषहसहद्ध पर हकसी ऄवहध
के हलए कारावास से दण्डाहदष्ट हकया गया है, जो जमु ाण ने के संदाय में व्यहतिम
के हलए कारावास नहीं है वहााँ ईसी मामले के ऄन्वेषण, जांच या हवचारण के
दौरान और ऐसी दोषहसहद्ध की तारीख से पहले ईसके द्वारा भोगे गए, यहद कोइ
हो, हनरोध की ऄवहध का, ऐसी दोषहसहद्ध पर ईस पर ऄहधरोहपत कारावास
की ऄवहध के हवरुद्ध मज ु रा हकया जाएगा और ऐसी दोषहसहद्ध पर ईस व्यहि
का कारावास में जाने का दाहयत्व ईस पर ऄहधरोहपत कारावास की ऄवहध के
शेष भाग तक, यहद कोइ हो, हनबण हन्धत हकया जाएगा :
परन्तु धारा 475 में हनहदण ष्ट मामलों में हनरोध की ऐसी ऄवहध का ईस धारा में
हनहदण ष्ट चौदह वषण की ऄवहध के हवरुद्ध मज ु रा हकया जायेगा।
धारा – 469 व्यािहृ ि - (1) धारा 466 या धारा 467 की कोइ बात हकसी व्यहि को ईस धारा 429
दण्ड के हकसी भाग से क्षमय करने वाली न समझी जाएगी हजसका वह ऄपनी
पूवण या पश्चात्वती दोषहसहद्ध पर दायी है।
(2) जब जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर कारावास का ऄहधहनणण य कारावास
के मख्ु य दण्डादेश के साथ ईपाबद्ध है और दण्डादेश भोगने वाले व्यहि को
ईसके हनष्पादन के पश्चात् कारावास के ऄहतररि मख्ु य दण्डादेश या ऄहतररि
मख्ु य दण्डादेशों को भोगना है, तब जमु ाण ना देने में व्यहतिम होने पर कारावास
का ऄहधहनणण य तब तक हियाहन्वत न हकया जाएगा, जब तक वह व्यहि
ऄहतररि दण्डादेश या दण्डादेशों को भगु त नहीं चक ु ा हो।
धारा – 470 दण्डादेि के हनष्पादन पर िारण्ट का लौटाया जाना- जब दण्डादेश पूणणतया धारा 430 कोइ पररवतण न नहीं ।
हनष्पाहदत हकया जा चक ु ा है तब ईसका हनष्पादन करने वाला ऄहधकारी
वारण्ट को, स्व-हस्ताक्षर सहहत पृष्ठांकन द्वारा ईस रीहत को प्रमाहणत करते
हुए, हजससे दण्डादेश का हनष्पादन हकया गया था, ईस न्यायालय को, हजसने
ईसे जारी हकया था, लौटा देगा।
धारा – 471 हजस धन का संदाय करने का अदेि हदया गया है ईसका जुमागने के रूप में धारा 431
िसूल हकया जा सकना- कोइ धन (जो जमु ाण ने से हभन्न है), जो आस संहहता के
ऄधीन हदए गए हकसी अदेश के अधार पर संदेष है और हजसकी वसूली का
ढंग ऄहभव्यि रूप से ऄन्यथा ईपबहन्धत नहीं है, ऐसे वसूल हकया जाएगा,
मानो वह जमु ाण ना है:
परन्तु आस धारा के अधार पर, धारा 400 के ऄधीन हकसी अदेश को लागू
होने में धारा 461 का ऄथण आस प्रकार लगाया जाएगा, मानो धारा 461 की
ईपधारा (1) के परन्तक ु में "धारा 395 के ऄधीन अदेश" शब्दों और ऄंकों के
पश्वात्, "या धारा 400 के ऄधीन खच्चों के संदाय के हलए अदेश" शब्द और
ऄंक ऄन्तःस्थाहपत कर हदए गए हैं।
ङ- दण्डादेश का हनलंबन, पररहार और लघक ु रण
धारा – 472 मत्ृ यु दण्डादेि मामलों में दया याहचका - (1) मत्ृ यु दण्डादेि के ऄधीन नया जोडा गया ।
हसद्धदोष ठहराया गया कोइ व्यहि या ईसका हिहधक ईिराहधकारी या
कोइ ऄन्य संबधं ी, यहद ईसने पहले से दया याहचका प्रस्तुत नहीं की है, तो
िह संहिधान के ऄनुच्छेद 72 के ऄधीन भारत के राष्रपहत या ऄनुच्छे द
161 के ऄधीन राज्य के राज्यपाल के समक्ष दया याहचका फाआल कर
सके गा, जो ऐसी तारीख से तीस हदन की ऄिहध के भीतर, हजसको जेल
ऄधीक्षक-
(1) ईच्चतम न्यायालय द्वारा ऄपील, पुनहिगलोकन या हििेष आजाजत
ऄपील के हनरस्त करने के बारे में ईसे सूहचत करता है; या
(ii) ईच्च न्यायालय द्वारा मत्ृ यु दण्डादेि की पुहष्ट की तारीख के बारे में
और ईच्चतम न्यायालय में कोइ ऄपील या हििेष आजाजत फाआल करना
की ऄनुज्ञात समाप्त हो गइ है, सूहचत करता है।
(2) ईपधारा (1) के ऄधीन याहचका अरभभ में राज्यपाल को की जा
सके गी और राज्यपाल द्वारा ईसके हनरस्त करने या हनपटाए हकए जाने
पर, ऐसी याहचका के हनरस्त या हनपटारा हकये जाने करने की तारीख से
साठ हदन की ऄिहध के भीतर राष्रपहत को की जाएगी।
(3) जेल ऄधीक्षक या जेल प्रभारी सुहनहश्चत करेगा हक प्रत्येक हसद्धदोष,
एक से ऄहधक हसद्धदोष होने को दिा में साठ हदन की ऄिहध के भीतर
दया याहचका प्रस्तुत करे और ऄन्य हसद्धदोषों से ऐसी याहचका प्राप्त न
होने की दिा में, जेल का ऄधीक्षक, नाम, पता, मामले के ऄहभलेख की
प्रहत और मामले के सभी ऄन्य ब्यौरे ईि दया याहचका साथ हिचार के
हलए के न्रीय सरकार या राज्य सरकार को भेजेगा।
(4) के न्रीय सरकार, दया याहचका की प्राहप्त पर राज्य सरकार से
हट्पहणयां मांगगे ी और मामले के ऄहभलेख सहहत याहचका पर हिचार
करेगी तथा राज्य सरकारी की हट्पहणयों और जेल ऄधीक्षक से
ऄहभलेखों की प्राहप्त की तारीख से साठ हदन की ऄिहध के भीतर यथा
संभििीघ्र आस हनहमि राष्रपहत को हसफाररि करेगी।
(5) राष्रपहत, दया याहचका पर हिचार, हिहनश्चय और हनपटान कर सके गा
तथा हकसी मामले में यहद एक से ऄहधक हसद्धदोष हैं तो, याहचकाएं
न्यायहहत में एक साथ राष्रपहत द्वारा हिहनहश्चत की जाएंगी।
(6) के न्रीय सरकार, दया याहचका पर राष्रपहत के अदेि की प्राहप्त पर,
राज्य के गहृ हिभाग और जेल ऄधीक्षक या जेल के प्रभारी को ईसे
ऄडतालीस घण्टे के भीतर संसूहचत करेगी।
(7) संहिधान के ऄनुच्छेद 72 या ऄनुच्छे द 161 के ऄधीन राष्रपहत या
राज्यपाल के अदेि के हिरुद्ध हकसी न्यायालय में कोइ ऄपील नहीं होगी
और यह ऄंहतम होगा तथा राष्रपहत या राज्यपाल द्वारा हिहनश्चय पर
पहुचं ने के हकसी प्रश्न पर हकसी न्यायालय में कोइ जांच नहीं की जाएगी।
धारा – 473 दण्डादेिों का हनलभबन या पररहार करने की िहि- (1) जब हकसी व्यहि धारा 432
को हकसी ऄपराध के हलए दण्डादेश हदया जाता है, तब समहु चत सरकार,
हकसी समय, शतों के हबना या ऐसी शतों पर, हजन्हें दण्डाहदष्ट व्यहि स्वीकार
करता है, ईसके दण्डादेश के हनष्पादन का हनलमबन कर सके गी या जो
दण्डादेश ईसे हदया गया है, ईस समपणू ण दण्डादेश का या ईसके हकसी भाग का
पररहार कर सके गी।
(2) जब कभी समहु चत सरकार से दण्डादेश के हनलमबन या पररहार के हलए
अवेदन हकया जाता है, तब समहु चत सरकार ईस न्यायालय के पीठासीन
न्यायाधीश से, हजसके समक्ष या हजसके द्वारा दोषहसहद्ध हुइ थी या हजसके
द्वारा ईसकी पहु ष्ट की गइ थी, ऄपेक्षा कर सके गी हक वह आस बारे में हक अवेदन
मंजूर हकया अए या नामंजूर हकया जाए, ऐसी राय के हलए ऄपने कारणों
सहहत कहथत करें और ऄपनी राय के कथन के साथ हवचारण के ऄहभलेख की
या ईसके ऐसे ऄहभलेख की, जैसा हवद्यमान हो, प्रमाहणत प्रहतहलहप भी भेजे।
(3) यहद कोइ शतण , हजस पर दण्डादेश का हनलमबन या पररहार हकया गया है,
समहु चत सरकार की राय में पूरी नहीं हुइ है तो समहु चत सरकार हनलमबन या
पररहार को रद्द कर सके गी और तब, यहद वह व्यहि, हजसके पक्ष में दण्डादेश
का हनलमबन या पररहार हकया गया था, मि ु है तो वह हकसी पहु लस ऄहधकारी
द्वारा वारण्ट के हबना हगरफ्तार हकया जा सकता है और दण्डादेश के ऄसमाप्त
भाग को भोगने के हलए प्रहतप्रेहषत हकया जा सके गा।
(4) वह शतण , हजस पर आस धारा के ऄधीन दण्डादेश का हनलमबन या पररहार
हकया जाए, ऐसी हो सके गी, जो ईस व्यहि द्वारा, हजसके पक्ष में दण्डादेश का
हनलमबन या पररहार हकया जाए, पूरी की जाने वाली हो या ऐसी हो सके गी, जो
ईसकी आच्छा पर अहश्रत न हो।
(5) समहु चत सरकार, दण्डादेशों के हनलमबन के बारे में, और ईन शतों के बारे
में, हजन पर याहचकायें ईपहस्थत की जानी चाहहए और हनपटाइ जानी चाहहए,
साधारण हनयमों या हवशेष अदेशों द्वारा हनदेश दे सके गी :
परन्तु ऄठारह वषण से ऄहधक की अयु के हकसी परुु ष के हवरुद्ध हकसी
दण्डादेश की दशा में (जो जमु हन के दण्डादेश से हभन्न है), दण्डाहदष्ट व्यहि
द्वारा या ईसकी ओर से हकसी ऄन्य व्यहि द्वारा दी गइ कोइ ऐसी याहचका तब
तक ग्रहण नहीं की जाएगी, जब तक दण्डाहदष्ट व्यहि जेल में न हो, और-
(क) जहााँ ऐसी याहचका दण्डाहदष्ट व्यहि द्वारा दी जाती है, वहााँ जब तक वह
जेल के भारसाधक ऄहधकारी की माध्यम से ईपहस्थत न की जाए; या
(ख) जहााँ ऐसी याहचका हकसी ऄन्य व्यहि द्वारा दी जाती है वहााँ जब तक
ईसमें यह घोषणा न हो हक दण्डाहदष्ट व्यहि जेल में है।
(6) उपर की ईपधाराओं के ईपबन्ध, आस संहहता की या हकसी ऄन्य हवहध
की हकसी धारा के ऄधीन दण्ड न्यायालय द्वारा पाररत ऐसे अदेश को भी लागू
होंगे, जो हकसी व्यहि की स्वतन्त्रता को हनबण हन्धत करता है या ईस पर या
ईसकी समपहत्त पर कोइ दाहयत्व ऄहधरोहपत करता है।
(7) आस धारा में और धारा 474 में "समहु चत सरकार" पद से, -
(क) ईन मामलों में, जहां दण्डादेश ऐसे हवषय से समबहन्धत हकसी हवहध के
हवरुद्ध ऄपराध है, या ईपधारा (6) में हनहदण ष्ट पाररत अदेश हकसी हवहध के
ऄधीन है, हजससे समबहन्धत हवषय पर संघ की कायण पाहलका शहि का हवस्तार
के न्द्रीय सरकार तक है, ऄहभप्रेत है;
(ख) ऄन्य मामलों में, ईस राज्य की सरकार ऄहभप्रेत है, हजसमें भीतर
ऄपराधी दण्डाहदष्ट हकया गया है या ईि अदेश पाररत हकया गया है।
धारा – 474 दण्डादेि लघुकरण करने की िहि- समहु चत सरकार दण्डादेश प्राप्त व्यहि धारा 433 दण्डादेि लघुकरण करने की िहि- समहु चत सरकार दण्डाहदष्ट व्यहि
की सममहत के हबना,- की सममहत के हबना,-
(क) मृत्यु दण्डादेश को अजीिन कारािास के हलए; (क) मृत्यु दण्डादेश का भारतीय दण्ड संहहता 1860 का 45 द्वारा
(ख) अजीवन कारावास के दण्डादेश को सात िषग से ऄन्यून की ऄवहध के ईपबहन्धत हकसी ऄन्य दण्ड के रूप में लघक ु रण कर सकती है ।
कारावास के हलए; (ख) अजीवन कारावास के दण्डादेश को चौदह वषण से ऄनहधक ऄवहध के
(ग) सात िषग या ऄहधक के हलए कारािास के दण्डादेि को, कारािास की कारावास या जमु ाण ने के रूप में लघक
ु रण कर सकती है;
ऐसी ऄिहध के हलए, जो तीन िषग से कम न हो; (ग) कहठन कारावास के दण्डादेश हकसी ऐसी ऄवहध के सादा कारावास में
(घ) सात िषग से कम के कारािास के दण्डादेि के हलए जमु ागने का; हजसके हलए वह व्यहि दण्डाहदष्ट हकया जा सकता है या जमु ाण ने के रूप में
(ङ) कठोर कारावास के दण्डादेश का हकसी ऐसी ऄवहध के साधारण लघक ु रण कर सकती है;
कारावास में, हजसके हलए वह व्यहि दण्डाहदष्ट हकया जा सकता है। (घ) सादा कारावास के दण्डादेश का जमु ाण ने के रूप में लघक
ु रण कर सकती
लघक ु रण कर सके गी। है;
धारा – 475 कुछ मामलों में छू ट या लघुकरण की िहियों पर हनबगन्धन - धारा 473 में धारा 433-
ऄन्तहवण ष्ट हकसी बात के होते हुए भी, जहााँ हकसी व्यहि को ऐसे ऄपराध के क
हलए, हजसके हलए मृत्यु दण्ड हवहध द्वारा ईपबहन्धत दण्डों में से एक है,
अजीवन कारावास का दण्डादेश हदया गया है या धारा 474 के ऄधीन हकसी
व्यहि को हदए गए मृत्यु दण्डादेश का अजीवन कारावास के रूप में लघक ु रण
हकया गया है, वहााँ ऐसा व्यहि कारावास से तब तक नहीं छो़िा जाएगा, जब
तक हक ईसने चौदह वषण का कारावास पूरा न कर हलया हो।
धारा – 476 मत्ृ यु दण्डादेिों की दिा में के न्रीय सरकार की समिती िहि- राज्य धारा 434
सरकार को धारा 473 और 474 द्वारा प्रदत्त शहियााँ, मृत्यु दण्डादेशों की
दशा में, के न्द्रीय सरकार द्वारा भी प्रयि
ु की जा सके गी।
धारा – 477 कहतपय मामलों में राज्य सरकार का के न्रीय सरकार से सहमहत के पश्चात् धारा 435 कहतपय मामलों में राज्य सरकार का के न्रीय सरकार से परामिग करने
कायग करना- (1) हकसी दण्डादेश का पररहार करने या ईसके लघक ु रण के के पश्चात् कायग करना-
बारे में धारा 473 और 474 द्वारा राज्य सरकार को प्रदत्त शहियों का प्रयोग
ईस दशा में, जब दण्डादेश हकसी ऐसे ऄपराध के हलए है, -
(क) जो आस संहहता से हभन्न हकसी के न्द्रीय ऄहधहनयम के ऄधीन ऄपराध का
ऄन्वेषण करने के हलए सशि हकसी ऄन्य ऄहभकरण द्वारा हकया गया है; या
(ख) हजसमें के न्द्रीय सरकार की हकसी समपहत्त का दहु वण हनयोग या नाश या
नकु सान ऄन्तग्रणस्त है; या
(ग) जो के न्द्रीय सरकार की सेवा में हकसी व्यहि द्वारा तब हकया गया था, जब
वह ऄपने पदीय कतण व्यों के हनवण हन में कायण कर रहा था या ईसका ऐसे कायण
करना तात्पहथण त था,
के न्द्रीय सरकार की सहमहत के हसवाय राज्य सरकार द्वारा प्रयोग नहीं हकया
जाएगा।
(2) हजस व्यहि को ऐसे ऄपराधों के हलए दोषहसद्ध हकया गया है, हजनमें से
कुछ ईन हवषयों से संबहं धत हैं, हजन पर संघ की कायण पाहलका शहि का
हवस्तार हैं, और हजसे पृथक् पृथक् ऄवहध के कारावास का जो साथ-साथ
भोगी जानी है, दण्डादेश हदया गया है, ईसके संबधं में दण्डादेश के हनलमबन,
पररहार या लघक ु रण का राज्य सरकार द्वारा पाररत कोइ अदेश प्रभावी तभी
होगा, जब ऐसे हवषयों के बारे में, हजन पर संघ की कायण पाहलका शहि का
हवस्तार है, ईस व्यहि द्वारा हकए गए ऄपराधों के समबन्ध में ऐसे दण्डादेशों के
यथाहस्थहत, पररहार, हनलमबन या लघक ु रण का अदेश, के न्द्रीय सरकार की
ऄनमु हत के हसवाय, द्वारा भी कर हदया गया है।
ऄध्याय 35 - जमानत और बन्धपत्रों के बारे में ईपबन्ध
धारा – 478 हकन मामलों में जमानत ली जाएगी - (1) जब ऄजमानतीय ऄपराध के धारा 436
ऄहभयि ु व्यहि से हभन्न कोइ व्यहि पहु लस थाने के भारसाधक ऄहधकारी
द्वारा वारण्ट के हबना हगरफ्तार या हनरुद्ध हकया जाता है या न्यायालय के
समक्ष हाहजर होता है या लाया जाता है और जब वह ऐसे ऄहधकारी की
ऄहभरक्षा में है ईस बीच हकसी समय, या ऐसे न्यायालय के समक्ष कायण वाहहयों
के हकसी प्रिम में, जमानत देने के हलए तैयार है तब ऐसा व्यहि जमानत पर
छो़ि हदया जाएगा :
परन्तु यहद ऐसा ऄहधकारी या न्यायालय ठीक समझता है तो वह ऐसे व्यहि से
जमानत लेने के बजाय ईसे आसमें आसके पश्चात् ईपबहन्धत प्रकार से ऄपने
हाहजर होने के हलये प्रहतभओ ु ं रहहत बन्धपत्र हनष्पाहदत करने पर ईसे
ईन्मोहचत कर सके गा और यहद ऐसा व्यहि हनधण न है और जमानत देने में
ऄसमथण है, तो ईसे ऐसे ईन्मोहचत करेगा।
स्पष्टीकरण-जहां कोइ व्यहि ऄपनी हगरफ्तारी की तारीख के एक सप्ताह के
भीतर जमानत देने में ऄसमथण है वहां ऄहधकारी या न्यायालय के हलये यह
ईपधारणा करने का पयाण प्त अधार होगा हक वह आस परन्तक ु के प्रयोजनों के
हलये हनधण न व्यहि है :
परन्तु यह और हक आस धारा की कोइ बात धारा 135 की ईपधारा (३) या
धारा 492 के ईपबन्धों पर प्रभाव डालने वाली न समझी जाएगी।
(2) ईपधारा (1) में हकसी बात के होते हुए भी, जहााँ कोइ व्यहि, हाहजरी के
समय और स्थान के बारे में बंधपत्र या जमानतपत्र की शतों का ऄनपु ालन
करने में ऄसफल रहता है वहााँ न्यायालय ईसे, जब वह ईसी मामले में हकसी
पश्चात्वती ऄवसर पर न्यायालय के समक्ष हाहजर होता है या ऄहभरक्षा में लाया
जाता है, जमानत पर छो़िने से आन्कार कर सकता है और ऐसी हकसी आन्कारी
का, ऐसे बंधपत्र या जमानतपत्र से अबद्ध हकसी व्यहि से धारा 491 के ऄधीन
ईसको शाहस्त देने की ऄपेक्षा करने की न्यायालय की शहियों पर कोइ
प्रहतकूल प्रभाव नहीं प़िेगा।
धारा – 479 ऄहधकतम ऄिहध, हजसके हलये हिचाराधीन कै दी हनरुद्ध हकया जा सकता धारा 436-
है- (1) जहां कोइ व्यहि, हकसी हवहध के ऄधीन हकसी ऄपराध के हलए आस क
संहहता के ऄधीन (जो ऐसा ऄपराध नहीं है हजसके हलये ईस हवहध के ऄधीन
मृत्यु दण्ड या अजीिन कारािास एक दण्ड के रूप में हवहनहदण ष्ट हकया गया
है) ऄन्वेषण, जांच या हवचारण की ऄवहध के दौरान कारावास की ईस
ऄहधकतम ऄवहध के , जो ईस हवहध के ऄधीन ईस ऄपराध के हलये हवहनहदण ष्ट
की गयी है, अधे से ऄहधक की ऄवहध के हलये हनरोध भोग चक ु ा है, वहां वह
न्यायालय द्वारा जमानत पर छो़ि हदया जायेगा :
परन्तु ऐसा व्यहि प्रथम बार का ऄपराधी है और (ऄतीत में हकसी ऄपराध
के हलए दोषहसद्ध नहीं हकया गया है) तो िह न्यायालय द्वारा बंधपत्र पर
छोड हदया जाएगा यहद िह ईस हिहध के ऄधीन ऐसे ऄपराध के हलए
हिहनहदगष्ट कारािास की ऄहधकतम ऄिहध की एक-हतहाइ हिस्तार की
ऄिहध तक हनरोध रह चुका है:
परन्तु यह और हक न्यायालय, लोक ऄहभयोजक की सनु वाइ के पश्चात् और
ईन कारणों से जो ईस द्वारा लेखबद्ध हकये जायेंगे, ऐसे व्यहि के ईि अधी
ऄवहध से दीघण तर ऄवहध के हलये हनरोध को जारी रखने का अदेश कर सके गा
या ईसके बन्धपत्र के बजाय जमानतपत्र पर ईसे छो़ि देगा :
परन्तु यह थी हक कोइ भी ऐसा व्यहि ऄन्वेषण, जांच या हवचारण की ऄवहध
के दौरान ईस हवहध के ऄधीन ईका ऄपराध के हलये ईपबहन्धत कारावास की
ऄहधकतम ऄवहध से ऄहधक के हलए, हकसी भी मामले में हनरुद्ध नहीं रखा
जाएगा।
स्पष्टीकरण-जमानत मंजूर करने के हलये आस धारा के ऄधीन हनरोध की ऄवहध
की गणना करने में ऄहभयि ु द्वारा कायण वाही में हकये गये हवलमब के कारण भोगी
गयी हनरोध की ऄवहध को ऄपवहजण त हकया जायेगा। या
(2) ईपधारा (1) में हकसी बात के होते हुए भी, तथा ईसके तीसरे परन्तुक
के ऄधीन रहते हुए, जहां हकसी व्यहि के हिरुद्ध या एक से ऄहधक ऄपराध
या बहु मामले ऄन्िेषण, जांच या हिचारण के हलए लंहबत हैं तो ईसे
न्यायालय द्वारा जमानत पर नहीं छोडा जाएगा।
(3) जेल का ऄधीक्षक, जहां ऄहभयुि व्यहि हनरुद्ध है, यथाहस्थहत,
ईपधारा (1) में ईहल्लहखत ऄिहध का अधा या एक-हतहाइ पूणग होने पर,
ऐसे व्यहि को जमानत पर हनमगि ु करने के हलए ईपधारा (1) के ऄधीन
न्यायालय को कायगिाही करने के हलए तुरन्त हलहखत में अिेदन करेगा।
धारा – 480 ऄजमानतीय ऄपराध की दिा में कब जमानत ली जा सके गी- (1) जब धारा 437
कोइ व्यहि, हजस पर ऄजमानतीय ऄपराध का ऄहभयोग है या हजस पर यह
सन्देह है हक ईसने ऄजमानतीय ऄपराध हकया है, पहु लस थाने के भारसाधक
ऄहधकारी द्वारा वारण्ट के हबना हगरफ्तार या हनरुद्ध हकया जाता है या ईच्च
न्यायालय या सेशन न्यायालय से हभन्न न्यायालय के समक्ष हाहजर होता है या
लाया जाता है तब वह जमानत पर छो़िा जा सकता है, हकन्त-ु
(1) यहद यह हवश्वास करने के हलए ईहचत अधार प्रतीत होते हैं हक ऐसा व्यहि
मृत्यु या अजीवन कारावास से दण्डनीय ऄपराध का दोषी है तो वह आस
प्रकार नहीं छो़िा जाएगा;
(ii) यहद ऐसा ऄपराध कोइ संज्ञेय ऄपराध है और ऐसा व्यहि मृत्य,ु अजीवन
कारावास या सात वषण या ईससे ऄहधक के कारावास से दण्डनीय हकसी
ऄपराध के हलए पहले दोषहसद्ध हकया गया है, या वह तीन वषण या ईससे
ऄहधक के , हकन्तु सात वषण से ऄनहधक की ऄवहध के कारावास से दण्डनीय
हकसी संज्ञेय ऄपराध के हलए दो या ऄहधक ऄवसरों पर पहले दोषहसद्ध हकया
गया है तो वह आस प्रकार नहीं छो़िा जाएगा :
परन्तु न्यायालय यह हनदेश दे सके गा हक खण्ड (i) या खण्ड (ii) में हनहदण ष्ट
व्यहि जमानत पर छो़ि हदया जाए यहद ऐसा व्यहि, बालक है या कोइ महहला
या कोइ रोगी या हशहथलांग व्यहि है :
परन्तु यह और हक न्यायालय यह भी हनदेश दे सके गा हक खण्ड (ii) में हनहदण ष्ट
व्यहि जमानत पर छो़ि हदया जाए, यहद ईसका यह समाधान हो जाता है हक
हकसी ऄन्य हवशेष कारण से ऐसा करना न्यायोहचत तथा ठीक है :
परन्तु यह और भी हक के वल यह बात हक ऄहभयि ु की अवश्यकता, ऄन्वेषण
में साहक्षयों द्वारा पहचाने जाने के हलए या प्रथम पन्रह हदन से ऄहधक की
पहु लस ऄहभरक्षा के हलए हो सकती है, जमानत मंजरू करने से आंकार करने
के हलए पयाण प्त अधार नहीं होगी, यहद वह ऄन्यथा जमानत पर छो़ि हदए जाने
के हलए हकदार है और वह वचन देता है हक वह ऐसे हनदेशों का, जो न्यायालय
द्वारा हदए जाएं, ऄनपु ालन करेगा :
परन्तु यह भी हक हकसी भी व्यहि को, यहद ईस द्वारा हकया गया ऄहभकहथत
ऄपराध मृत्य,ु अजीवन कारावास या सात वषण या ईससे ऄहधक के कारावास
से दण्डनीय है तो लोक ऄहभयोजक को सनु वाइ का कोइ ऄवसर हदये हबना
आस ईपधारा के ऄधीन न्यायालय द्वारा जमानत पर नहीं छो़िा जायेगा।
(2) यहद ऐसे ऄहधकारी या न्यायालय को, यथाहस्थहत, ऄन्वेषण, जांच या
हवचारण के हकसी प्रिम में यह प्रतीत होता है हक यह हवश्वास करने के हलए
ईहचत अधार नहीं हैं हक ऄहभयि ु ने ऄजमानतीय ऄपराध हकया है हकन्तु
ईसके दोषी होने के बारे में और जांच करने के हलए पयाण प्त अधार हैं तो
ऄहभयि ु धारा 494 के ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए और ऐसी जांच लहमबत
रहने तक जमानत पर, या ऐसे ऄहधकारी या भगायालय के स्वहववेकानस ु ार,
आसमें आसके पश्चात् ईपबहन्धत प्रकार से ऄपने हाहजर होने के हलए बन्धपत्र
हनष्पाहदत करने पर, छो़ि हदया जाएगा।
(3) जब कोइ व्यहि, हजस पर ऐसे कारावास से हजसकी ऄवहध सात वषण तक
की या ईससे ऄहधक की है. दण्डनीय कोइ ऄपराध या भारतीय न्याय
संहहता, 2023 के ऄध्याय 6, ऄध्याय 7 या ऄध्याय 17 के ऄधीन कोइ
ऄपराध करने या ऐसे हकसी ऄपराध का दष्ु प्रेरण या षड् यंत्र या प्रयत्न करने
का ऄहभयोग या संदेह है, ईपधारा (1) के ऄधीन जमानत पर छो़िा जाता है
तो न्यायालय यह शतण ऄहधरोहपत करेगा :-
(क) हक ऐसा व्यहि आस ऄध्याय के ऄधीन हनष्पाहदत बन्धपत्र की शतों के
ऄनस ु ार हाहजर होगा;
(ख) हक ऐसा व्यहि ईस ऄपराध जैसा, हजसको करने का ईस पर ऄहभयोग
या सन्देह है, कोइ ऄपराध नहीं करेगा; और
(ग) हक ऐसा व्यहि ईस मामले के तथ्यों से ऄवगत हकसी व्यहि को न्यायालय
या हकसी पहु लस ऄहधकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के हलये
मनाने के वास्ते प्रत्यक्षतः या ऄप्रत्यक्षतः ईसे कोइ ईत्प्रेरणा, धमकी या वचन
नहीं देगा या साक्ष्य को नहीं हबगा़िेगा, और न्याय के हहत में ऐसी ऄन्य शतें,
हजसे वह ठीक समझे, भी ऄहधरोहपत कर सके गा।
(4) ईपधारा (1) या ईपधारा (2) के ऄधीन जमानत पर हकसी व्यहि को
छो़िने वाला ऄहधकारी या न्यायालय ऐसा करने के ऄपने कारणों या हवशेष
कारणों को लेखबद्ध करेगा।
(5) यहद कोइ न्यायालय, हजसने हकसी व्यहि को ईपधारा (1) या ईपधारा
(2) के ऄधीन जमानत पर छो़िा है, ऐसा करना अवश्यक समझता है तो, ऐसे
व्यहि को हगरफ्तार करने का हनदेश दे सकता है और ईसे ऄहभरक्षा के हलए
सपु दु ण कर सकता है।
(6) यहद महजस्रेट द्वारा हवचारणीय हकसी मामले में ऐसे व्यहि का हवचारण,
जो हकसी ऄजमानतीय ऄपराध का ऄहभयि ु है, ईस मामले में साक्ष्य देने के
हलए हनयत प्रथम तारीख से साठ हदन की ऄवहध के ऄन्दर पूरा नहीं हो जाता
है तो, यहद ऐसा व्यहि ईि समपूणण ऄवहध के दौरान ऄहभरक्षा में रहा है तो,
जब तक ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध हकए जाएंगे महजस्रेट ऄन्यथा हनदेश न दे
वह महजस्रेट की समाधानप्रद जमानत पर छो़ि हदया जाएगा।
(7) यहद ऄजमानतीय ऄपराध के ऄहभयि ु व्यहि के हवचारण के समाप्त हो
जाने के पश्चात् और हनणण य हदए जाने के पूवण हकसी समय न्यायालय की यह
राय है हक यह हवश्वास करने के ईहचत अधार हैं हक ऄहभयि ु हकसी ऐसे
ऄपराध का दोषी नहीं है और ऄहभयि ु ऄहभरक्षा में है तो वह ऄहभयि ु को,
हनणण य सनु ने के हलए ऄपने हाहजर होने के हलए बंधपत्र ईसके द्वारा हनष्पाहदत
हकए जाने पर छो़ि देगा।
धारा – 481 ऄहभयुि को ऄगले ऄपील न्यायालय के समक्ष ईपसंजात होने की ऄपेक्षा धारा 437-
के हलए जमानत- (1) हवचारण के समाप्त होने से पूवण और ऄपील के हनपटान क
से पूवण, यथाहस्थहत, ऄपराध का हवचारण करने वाला न्यायालय या ऄपील
न्यायालय ऄहभयि ु से यह ऄपेक्षा कर सके गा हक जब ईच्चतर हवद्यालय
संबहं धत न्यायालय के हनणण य के हवरुद्ध फाआल की गइ हकसी ऄपील या
याहचका की बाबत सूचना जारी करे, तो वह ईच्चतर न्यायालय के समक्ष
ईपसंजात होने के हलए बंधपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करे और ऐसे
बंधपत्र छह मास तक प्रभावी रहेंगे।
(2) यहद ऐसा ऄहभयि ु ईपसंजात होने में ऄसफल रहता है तो बंधपत्र
समपरृत हो जाएगा और धारा 291 के ऄधीन प्रहिया लागू होगी।

धारा – 482 हगरफ्तारी की अिंका करने िाले व्यहि की जमानत मंजूर करने के हलए धारा 438
हनदेि –
(1) जब हकसी व्यहि को यह हवश्वास करने का कारण है हक हो सकता है
ईसको हकसी ऄजमानतीय ऄपराध के हकये जाने के ऄहभयोग में हगरफ्तार
हकया जा सकता है, तो वह आस धारा के ऄधीन हनदेश के हलये ईच्च
न्यायालय या सेशन न्यायालय को अवेदन कर सकता है; और यहद वह
न्यायालय ठीक समझे तो वह हनदेश दे सकता है हक ऐसी हगरफ्तारी की
हस्थहत में ईसको जमानत पर छो़ि हदया जाये।
(2) जब ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय ईपधारा (1) के ऄधीन हनदेश
देता है तब वह ईस हवहशष्ट मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ईन हनदेशों
में ऐसी शतें, जो वह ठीक समझे, सहममहलत कर सकता है हजनके ऄंतगण त
हनमनहलहखत भी हैं, -
(1) यह शतण हक वह व्यहि पहु लस ऄहधकारी द्वारा पूछे जाने वाले पररप्रश्नों का
ईत्तर देने के हलए जैसे और जब ऄपेहक्षत हो, ईपलब्ध होगा;
(ii) यह शतण हक वह व्यहि ईस मामले के तथ्यों से ऄवगत हकसी व्यहि को
न्यायालय या हकसी पहु लस ऄहधकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने
के हलए मनाने के वास्ते प्रत्यक्षतः या ऄप्रत्यक्षतः ईसे कोइ ईत्प्रेरणा, धमकी
या वचन नहीं देगा;
(iii) यह शतण हक वह व्यहि न्यायालय की पूवण ऄनज्ञ ु ा के हबना भारत नहीं
छो़िेगा;
(iv) ऐसी ऄन्य शतें जो धारा 480 की ईपधारा (3) के ऄधीन ऐसे ऄहधरोहपत
की जा सकती हैं मानो ईस धारा के ऄधीन जमानत मंजूर की गइ हो।
(3) यहद तत्पश्चात् ऐसे व्यहि को ऐसे ऄहभयोग पर पहु लस थाने के भारसाधक
ऄहधकारी द्वारा वारण्ट के हबना हगरफ्तार हकया जाता है और वह या तो
हगरफ्तारी के समय या जब वह ऐसे ऄहधकारो की ऄहभरक्षा में है तब हकसी
समय जमानत देने के हलए तैयार है, तो ईसे जमानत पर छो़ि हदया जाएगा;
तथा यहद ऐसे ऄपराध का संज्ञान करने वाला महजस्रेट यह हवहनश्चय करता है
हक ईस व्यहि के हवरुद्ध प्रथम बार ही वारण्ट जारी हकया जाना चाहहए, तो वह
ईपधारा (1) के ऄधीन न्यायालय के हनदेश के ऄनरू ु प जमानतीय वारण्ट
जारी करेगा।
(4) आस धारा की कोइ बात भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 65 या
धारा 70 की ईपधारा (2) के ऄधीन हकसी ऄपराध को काररत करने के
ऄहभयोग पर हकसी व्यहि की हगरफ्तारी ऄन्तवण हलत करने वाले हकसी मामले
में लागू नहीं होगी।
धारा – 483 जमानत के बारे में ईच्च न्यायालय या सेिन न्यायालय की हििेष िहियां धारा 439
- (1) ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय यह हनदेश दे सकता है हक, -
(क) हकसी ऐसे व्यहि को, हजस पर हकसी ऄपराध का ऄहभयोग हैं और जो
ऄहभरक्षा में है, जमानत पर छो़ि हदया जाए और यहद ऄपराध धारा 480 की
ईपधारा (3) में हवहनहदण ष्ट प्रकार का है, तो वह ऐसी कोइ शतं, हजसे वह ईस
ईपधारा में वहणण त प्रयोजनों के हलए अवश्यक समझे, ऄहधरोहपत कर सकता
है।
(ख) हकसी व्यहि को जमानत पर छो़िने के समय महजस्रेट द्वारा ऄहधरोहपत
कोइ शतण ऄपास्त या ईपान्तररत कर दी जाए:
परन्तु ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय हकसी ऐसे व्यहि की, जो ऐसे
ऄपराध का ऄहभयि ु है जो ऄनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा हवचारणीय है, या
जो यद्यहप आस प्रकार हवचारणीय नहीं है, अजीवन कारावास से दण्डनीय है,
जमानत लेने के पूवण जमानत के हलए अवेदन की सूचना लोक ऄहभयोजक को
ईस दशा के हसवाय देगा जब ईसकी, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध हकए जाएंगे,
यह राय है हक ऐसी सूचना देना साध्य नहीं है।
परन्तु यह और हक ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय हकसी ऐसे व्यहि को
जमानत देने से पूवण जो, भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 65 या धारा
70 की ईपधारा (2) के ऄधीन हवचारणीय योग्य हकसी ऄपराध का ऄहभयि ु
है, ऐसे अवेदन की सूचना की प्राहप्त की तारीख से पन्द्रह हदन की ऄवहध के
भीतर लोक ऄहभयोजक को जमानत के हलए अवेदन की सूचना देगा।
(2) सूचना देने वाले या ईसके द्वारा प्राहधकृ त हकसी व्यहि की ईपहस्थहत
भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 65 या धारा 70 की ईपधारा (2) के
ऄधीन हकसी व्यहि को जमानत के हलए अवेदन की सनु वाइ करते समय
बाध्यकारी होगी। (३) ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय, हकसी ऐसे व्यहि
को, हजसे आस ऄध्याय के ऄधीन जमानत पर छो़िा जा चक ु ा है, हगरफ्तार
करने का हनदेश दे सकता है और ईसे ऄहभरक्षा के हलए सपु दु ण कर सकता है।
धारा – 484 बन्धपत्र की रकम और ईसे घटाना- (1) आस ऄध्याय के ऄधीन हनष्पाहदत धारा 440 कोइ पररवतण न नहीं ।
प्रत्येक बन्धपत्र की रकम मामले की पररहस्थहतयों का समयक् ध्यान रख कर
हनयत की जाएगी और ऄत्यहधक नहीं होगी।
(2) ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय यह हनदेश दे सकता है हक पहु लस
ऄहधकारी या महजस्रेट द्वारा ऄपेहक्षत जमानत घटाइ जाए।
धारा – 485 ऄहभयुि और प्रहतभुओ ं का बन्धपत्र- (1) हकसी व्यहि को बंधपत्र पर या धारा 441
जमानतपत्र पर छो़िे जाने के पूवण ईस व्यहि द्वारा, आतनी धनराहश के हलए
हजतनी, यथाहस्थहत, पहु लस ऄहधकारी या न्यायालय पयाण प्त समझे, बंधपत्र
हनष्पाहदत हकया जाएगा और जब ईसे बंधपत्र या जमानतपत्र पर छो़िा
जाएगा तो एक या ऄहधक पयाण प्त प्रहतभूओ ं द्वारा यह सशतण माना जाएगा हक
ऐसा व्यहि बंधपत्र में वहणण त समय और स्थान पर हाहजर होगा और जब तक,
यथाहस्थहत, पहु लस ऄहधकारी या न्यायालय द्वारा ऄन्यथा हनदेश नहीं हदया
जाता है आस प्रकार बराबर हाहजर होता रहेगा।
(2) जहां हकसी व्यहि को जमानत पर छो़िने के हलए कोइ शतण ऄहधरोहपत की
गइ है, वहां बन्धपत्र या जमानतपत्र में वह शतण भी ऄन्तहवण ष्ट होगी।
(3) यहद मामले से ऐसा ऄपेहक्षत है तो बन्धपत्र या जमानतपत्र द्वारा, जमानत
पर छो़िे गये व्यहि को ऄपेक्षा हकए जाने पर अरोप का ईत्तर देने के हलए
ईच्च न्यायालय, सेशन न्यायालय या ऄन्य न्यायालय में हाहजर होने के हलए
भी अबद्ध हकया जाएगा।
(4) यह ऄवधाररत करने के प्रयोजन के हलए हक क्ट्या प्रहतभू ईपयि ु या पयाण प्त
है या नहीं, न्यायालय शपथपत्रों को, प्रहतभओ ु ं के पयाण प्त या ईपय ि
ु होने के
बारे में ईनमें ऄन्तहवण ष्ट बातों के सबूत के रूप में, स्वीकार कर सकता है या यहद
न्यायालय अवश्यक समझे तो वह ऐसे पयाण प्त या ईपयि ु होने के बारे में या तो
स्वयं जांच कर सकता है या ऄपने ऄधीनस्थ हकती महजस्रेट से जांच करवा
सकता है ।
धारा – 486 प्रहतभुओ ं द्वारा घोषणा – ऐसा प्रत्येक व्यहि, जो जमानत पर ऄहभयि ु व्यहि धारा 441- कोइ पररवतण न नहीं ।
के छो़िे जाने के हलये ईसका प्रहतभू है, न्यायालय के समक्ष ऐसे व्यहियों की क
संख्या के बारे में घोषणा करेगा, हजनके हलये ईसने प्रहतभूहत दी है हजसके
ऄन्तगण त ऄहभयि ु भी है और ईसमें सभी सस ु ंगत हवहशहष्टयां दी जायेंगी।
धारा – 487 ऄहभरक्षा से ईन्मोचन- (1) ज्यों ही बन्धपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत कर धारा 442
हदया जाता है त्यों ही वह व्यहि, हजसकी हाहजरी के हलए, वह हनष्पाहदत हकया
गया है, छो़ि हदया जाएगा और जब वह जेल में हो तब ईसकी जमानत मंजूर
करने वाला न्यायालय जेल के भारसाधक ऄहधकारी को ईसके छो़िे जाने के
हलए अदेश जारी करेगा और वह ऄहधकारी अदेश की प्राहप्त पर ईसे छो़ि
देगा।
(2) आस धारा की या धारा 478 या धारा 480 की कोइ भी बात हकसी ऐसे
व्यहि के छो़िे जाने की ऄपेक्षा करने वाली न समझी जाएगी जो ऐसी बात के
हलए हनरुद्ध हकए जाने का भागी है जो ईस बात से हभन्न है हजसके बारे में
बन्धपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत हकया गया है।
धारा – 488 जब पहले ली गइ जमानत ऄपयागप्त है तब पयागप्त जमानत के हलए अदेि धारा 443 कोइ पररवतण न नहीं ।
देने की िहि- यहद भूल या कपट के कारण या ऄन्यथा ऄपयाण प्त प्रहतभू
स्वीकार कर हलए गए हैं या यहद वे बाद में ऄपयाण प्त हो जाते हैं तो न्यायालय
यह हनदेश देते हुए हगरफ्तारी का वारण्ट जारी कर सकता है हक जमानत पर
छो़िे गये व्यहि को ईसके समक्ष लाया जाए और ईसे पयाण प्त प्रहतभू देने का
अदेश दे सकता है और ईसके ऐसा करने में ऄसफल रहने पर ईसे जेल के
सपु दु ण कर सकता है।
धारा – 489 प्रहतभुओ ं का ईन्मोचन- (1) जमानत पर छो़िे गये व्यहि की हाहजरी और धारा 444 कोइ पररवतण न नहीं ।
ईपहस्थहत के हलए प्रहतभओ ु ं में से सब या कोइ बन्धपत्र के या तो पूणणतया या
वहां तक, जहां तक वह अवेदकों से संबहं धत है, प्रभावोन्मि ु हकए जाने के
हलए हकसी समय महजस्रेट से अवेदन कर सकते हैं।
(2) ऐसा अवेदन हकए जाने पर महजस्रेट यह हनदेश देते हुए हगरफ्तारी का
वारण्ट जारी करेगा हक ऐसे छो़िे गये व्यहि को ईसके समक्ष लाया जाए।
(3) वारण्ट के ऄनस ु रण में ऐसे व्यहि के हाहजर होने पर या ईसके स्वेच्छया
ऄभ्यपण ण करने पर महजस्रेट बन्धपत्र के या तो पणू ण तया या, वहां तक, जहां
तक हक वह अवेदकों से समबहन्धत है, प्रभावोन्मि ु हकए जाने का हनदेश देगा
और ऐसे व्यहि से ऄपेक्षा करेगा हक वह ऄन्य पयाण प्त प्रहतभू दे और यहद वह
ऐसा करने में ऄसफल रहता है तो ईसे जेल सपु दु ण कर सकता है।
धारा – 490 मचु लके के बजाय हनक्षेप - जब हकसी व्यहि से हकसी न्यायालय या धारा 445
ऄहधकारी द्वारा बन्धपत्र या जमानतपत्र हनष्पाहदत करने की ऄपेक्षा की जाती
है तब वह न्यायालय या ऄहधकारी, ईस दशा में जब वह बन्धपत्र सदाचार के
हलए नहीं है ईसे ऐसे बन्धपत्र के हनष्पादन के बदले में आतनी धनराहश या आतनी
रकम के सरकारी वचन पत्र, हजतनी वह न्यायालय या ऄहधकारी हनयत करे,
हनहक्षप्त करने की ऄनज्ञ ु ा दे सकता है।
धारा – 491 प्रहिया, जब बन्धपत्र समपरृत कर हलया जाता है- (1) जहां- धारा 446
(क) आस संहहता के ऄधीन कोइ बन्धपत्र हकसी न्यायालय के समक्ष हाहजर
होने या समपहत्त पेश करने के हलए है और ईस न्यायालय या हकसी ऐसे
न्यायालय को, हजसे तत्पश्चात् मामला ऄन्तररत हकया गया है, समाधानप्रद
रूप में यह साहबत कर हदया जाता है हक बन्धपत्र समपहत हो चक ु ा है; या
(ख) आस संहहता के ऄधीन हकसी ऄन्य बन्धपत्र की बाबत ईस न्यायालय को,
हजसके द्वारा बन्धपत्र हलया गया था, या ऐसे हकसी न्यायालय को, हजसे
तत्पश्चात् मामला ऄन्तररत हकया गया है, या
प्रथम वगण महजस्रेट के हकसी न्यायालय को, समाधानप्रद रूप में यह साहबत
कर हदया जाता है हक बन्धपत्र समपद्धत हो चक ु ा है, वहां न्यायालय ऐसे सबूत
के अधारों को ऄहभहलहखत करेगा और ऐसे बन्धपत्र से अबद्ध हकसी व्यहि से
ऄपेक्षा कर सके गा हक वह ईसकी शाहस्त दे या कारण दहशण त करे हक वह क्ट्यों
नहीं दी जानी चाहहए।
स्पष्टीकरण-न्यायालय के समक्ष हाहजर होने या समपहत्त पेश करने के हलए
बन्धपत्र को हकसी शतण का यह ऄथण लगाया जाएगा हक ईसके ऄन्तगण त ऐसे
न्यायालय के समक्ष, हजसको तत्पश्चात् मामला ऄन्तररत हकया जाता है,
यथाहस्थहत, हाहजर होने या समपहत्त पेश करने की शतण भी है।
(2) यहद पयाण प्त कारण दहशण त नहीं हकया जाता है और शाहस्त नहीं दी जाती है
तो न्यायालय ईसकी वसूली के हलए ऄग्रसर हो सके गा मानो वह शाहस्त आस
संहहता के ऄधीन ईसके द्वारा ऄहधरोहपत जमु ाण ना हो :
परन्तु जहां ऐसी शाहस्त नहीं दी जाती है और वह पूवोि रूप में वसूल नहीं की
जा सकती है वहां, प्रहतभू के रूप में आस प्रकार अबद्ध व्यहि, ईस न्यायालय
के अदेश से, जो शाहस्त की वसूली का अदेश करता है, हसहवल कारागार में
कारावास से, हजसकी ऄवहध छह मास तक की हो सके गी, दण्डनीय होगा।
(3) न्यायालय ऐसा करने के ऄपने कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात्
ईहललहखत शाहस्त के हकसी प्रभाग का पररहार और के वल भाग के संदाय का
प्रवतण न कर सकता है।
(4) जहां बन्धपत्र के हलए कोइ प्रहतभू बन्धपत्र का समपहरण होने के पूवण मर
जाता है, वहां ईसकी समपदा, बन्धपत्र के बारे में सारे दाहयत्व से ईन्मोहचत हो
जाएगी।
(5) जहां कोइ व्यहि, हजसने धारा 125 या धारा 136 या धारा 401 के
ऄधीन प्रहतभूहत दी है, हकसी ऐसे ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकया जाता है,
हजसे करना ईसके बन्धपत्र की या ईसके बन्धपत्र के बदले में धारा 494 के
ऄधीन हनष्पाहदत बन्धपत्र की शतों का भंग होता है, वहां ईस न्यायालय के
हनणण य की, हजसके द्वारा वह ऐसे ऄपराध के हलए दोषहसद्ध हकया गया था,
प्रमाहणत प्रहतहलहप ईसके प्रहतभू या प्रहतभओ ु ं के हवरुद्ध आस धारा के ऄधीन
सब कायण वाहहयों में साक्ष्य के रूप में ईपयोग में लाइ जा सकती है और यहद
ऐसी प्रमाहणत प्रहतहलहप आस प्रकार ईपयोग में लाइ जाती है तो, जब तक
प्रहतकूल साहबत नहीं कर हदया जाता है, न्यायालय यह ईपधारणा करेगा हक
ऐसा ऄपराध ईसके द्वारा हकया गया था।
धारा – 492 बन्धपत्र और जमानतपत्र का रद्दकरण - धारा 491 के ईपबन्धों पर प्रहतकूल धारा 446-
प्रभाव डाले हबना, जहां आस संहहता के ऄधीन कोइ बन्धपत्र या जमानतपत्र क
हकसी मामले में हाहजर होने के हलए है और ईसकी हकसी शतण के भंग होने के
कारण ईसका समपहरण हो जाता है वहां-
(क) ऐसे व्यहि द्वारा हनष्पाहदत बन्धपत्र तथा ईस मामले में ईसके प्रहतभओ ु ं
द्वारा हनष्पाहदत एक या ऄहधक बन्धपत्र भी यहद कोइ हों, रद्द हो जाएंगे; और
(ख) तत्पश्चात् ऐसा कोइ व्यहि, ईस मामले में के वल ऄपने ही बन्धपत्र पर
छो़िा नहीं जाएगा यहद, यथाहस्थहत, पहु लस ऄहधकारी या न्यायालय का,
हजसके समक्ष हाहजर होने के हलये बन्धपत्र हनष्पाहदत हकया गया था, यह
समाधान हो जाता है हक बन्धपत्र की शतण का ऄनपु ालन करने में ऄसफल रहने
के हलए बन्धपत्र से अबद्ध व्यहि के पास कोइ पयाण प्त कारण नहीं था :
परन्तु आस संहहता के हकसी ऄन्य ईपबन्ध के ऄधीन रहते हुये, ईसे ईस
मामले में ईस दशा में छो़िा जा सकता है जब वह ऐसी धनराहश के हलए कोइ
नया व्यहिगत बन्धपत्र हनष्पाहदत कर दे और ऐसे एक या ऄहधक प्रहतभओ ु ं से
बन्धपत्र हनष्पाहदत करा दे जो, यथाहस्थहत, पहु लस ऄहधकारी या न्यायालय
पयाण प्त समझे।
धारा – 493 प्रहतभू के हदिाहलया हो जाने या ईसकी मत्ृ यु हो जाने या बन्धपत्र का धारा 447
समपहरण हो जाने की दिा में प्रहिया- जब आस संहहता के ऄधीन
जमानतपत्र का कोइ प्रहतभू हदवाहलया हो जाता है या मर जाता है या जब
हकसी बन्धपत्र का धारा 491 के ईपबन्धों के ऄधीन समपहरण हो जाता है तब
वह न्यायालय, हजसके अदेश से ऐसा बन्धपत्र हलया गया था या प्रथम वगण
महजस्रेट, ईस व्यहि को, हजससे ऐसी प्रहतभूहत मांगी गइ थी, यह अदेश दे
सकता है हक वह मूल अदेश के हनदेशों के ऄनस ु ार नइ प्रहतभूहत दे और यहद
ऐसी प्रहतभूहत न दी जाए तो वह न्यायालय या महजस्रेट ऐसे कायण वाही कर
सकता है मानो ईस मूल अदेश के ऄनपु ालन में व्यहतिम हकया गया है।
धारा – 494 बालक से ऄपेहक्षत बन्धपत्र - यहद बन्धपत्र हनष्पाहदत करने के हलए हकसी धारा 448
न्यायालय या ऄहधकारी द्वार, ऄपेहक्षत व्यहि बालक है तो वह न्यायालय या
ऄहधकारी ईसके बदले में के वल प्रहतभू या प्रहतभओु ं द्वारा हनष्पाहदत बन्धपत्र
स्वीकार कर सकता है।
धारा – 495 धारा 491 के ऄधीन अदेिों से ऄपील- धारा 491 के ऄधीन हकए गए सभी धारा 449
अदेशों की हनमनहलहखत को ऄपील होगी, ऄथाण त् :-
(1) हकसी महजस्रेट द्वारा हकए गए अदेश की दशा में सेशन न्यायाधीश;
(ii) सेशन न्यायालय द्वारा हकए गए अदेश की दशा में वह न्यायालय हजसे ऐसे
न्यायालय द्वारा हकए गए अदेश की ऄपील होती है।
धारा – 496 कहतपय मचु लकों पर देय रकम का ईग्रहण करने का हनदेि देने की िहि- धारा 450 कोइ पररवतण न नहीं ।
ईच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय हकसी महजस्रेट को हनदेश दे सकता है
हक वह ईस रकम को ईदग् हृ ीत करे जो ऐसे ईच्च न्यायालय या सेशन
न्यायालय में हाहजर और ईपहस्थत होने के हलए हकसी बन्धपत्र पर देय है।
ऄध्याय 36 - सभपहि का व्ययन
धारा – 497 कहतपय मामलों में हिचारण लहभबत रहने तक सभपहि की ऄहभरक्षा और धारा 451
व्ययन के हलए अदेि- (1) जब कोइ समपहत्त, हकसी दण्ड न्यायालय या
हवचारण के हलए मामले का संज्ञान या सुपुदग करने हेतु सिि महजस्रेट के
समक्ष हकसी ऄन्िेषण, जांच या हवचारण के दौरान पेश की जाती है तब वह
न्यायालय या महजस्रेट ईस ऄन्िेषण, जांच या हवचारण के समाप्त होने तक
ऐसी समपहत्त की ईहचत ऄहभरक्षा के हलए ऐसा अदेश, जैसा वह ठीक समझे,
कर सकता है और यहद वह समपहत्त शीघ्रतया या प्रकृ त्या क्षयशील है या यहद
ऐसा करना ऄन्यथा समीचीन है तो वह न्यायालय या महजस्रेट ऐसा साक्ष्य
ऄहभहलहखत करने के पश्चात् जैसा वह अवश्यक समझे, ईसके हविय या
ईसका ऄन्यथा व्ययन हकए जाने के हलए अदेश कर सकता है।
स्पष्टीकरण- आस धारा के प्रयोजन के हलए "समपहत्त" के ऄन्तगण त हनमनहलहखत
है, -
(क) हकसी भी हकस्म की समपहत्त या दस्तावेज जो न्यायालय के समक्ष पेश की
जाती है या जो ईसकी ऄहभरक्षा में है;
(ख) कोइ भी समपहत्त हजसके बारे में कोइ ऄपराध हकया गया प्रतीत होता है
या जो हकसी ऄपराध के करने में प्रयिु की गइ प्रतीत होती है।
(2) न्यायालय या महजस्रेट ईपधारा (1) में हनहदगष्ट सभपहि को ईसके
समक्ष प्रस्तुत करने से चौदह हदन की ऄिहध के भीतर ऐसी सभपहि के
ब्यौरे ऄंतहिगष्ट करने िाला हििरण ऐसे प्ररूप और ऐसी रीहत में, जो राज्य
सरकार हनयमों द्वारा ईपबंहधत करे, तैयार करेगा।
(3) न्यायालय या महजस्रेट ईपधारा (1) में हनहदगष्ट सभपहि का, फोटो
हखंचिाएगा, यहद अिश्यक हो, तो मोबाआल फोन या हकसी ऄन्य
आलैक्ट्राहनक मीहडया पर िीहडयो बनिाएगा।
(4) ईपधारा (2) के ऄधीन तैयार हििरण और ईपधारा (3) के ऄधीन हलए
गए फोटो या िीहडयोग्राफी आस संहहता के ऄधीन हकसो जांच, हिचारण या
ऄन्य कायगिाही में साध्य के रूप में ईपयोग हकए जाएंग।े
(5) न्यायालय या महजस्रेट ईपधारा (2) के ऄधीन तैयार हकए गए हििरण
और ईपधारा (3) के ऄधीन हलए गए फोटो या िीहडयोग्राफी हलए जाने के
तीस हदन की ऄिहध के भीतर सभपहि के हनपटान, नष्ट, ऄहधित या
पररदान करने का अदेि ऐसी रीहत में, जो आसमें आसके पश्चात् हिहनहदगष्ट है,
करेगा।
धारा – 498 हिचारण की समाहप्त पर सभपहि के व्ययन के हलए अदेि- (1) जब हकसी धारा 452
अपराहधक मामले में ऄन्वेषण, जांच या हवचारण समाप्त हो जाता है तब
न्यायालय या महजस्रेट ईस समपहत्त या दस्तावेज को, जो ईसके समक्ष पेश
की गइ है, या ईसकी ऄहभरक्षा में है या हजसके बारे में कोइ ऄपराध हकया गया
प्रतीत होता है या जो हकसी ऄपराध के करने में प्रयि ु की गइ है, नष्ट करके ,
ऄहधक्षत करके या हकसी ऐसे व्यहि को पररदान करके , जो ईस पर कब्जा
करने का हकदार होने का दावा करता है, या हकसी ऄन्य प्रकार से ईसका
व्ययन करने के हलए अदेश दे सके गा जैसा वह ठीक समझे।
(2) हकसी समपहत्त के कब्जे का हकदार होने का दावा करने वाले हकसी व्यहि
को ईस समपहत्त के पररदान के हलए ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश हकसी शतण
के हबना या आस शतण पर हदया जा सकता है हक वह न्यायालय या महजस्रेट को
सपाधानप्रद रूप में यह वचनबन्ध करते हुए प्रहतभओ ु ं सहहत या रहहत बन्धपत्र
हनष्पाहदत करें हक यहद ईपधारा (1) के ऄधीन हकया गया अदेश ऄंधील या
पनु रीक्षण में ईपान्तररत यां ऄपास्त कर हदया गया तो वह ईस समपहत्त को ऐसे
न्यायालय को वापस कर देगा।
(3) ईपधारा (1) के ऄधीन स्वयं अदेश देने के बदले सेशन न्यायालय समपहत्त
को मख्ु य न्याहयक महजस्रेट को पररदत्त हकए जाने का हनदेश दे सकता है, जो
तब ईस समपहत्त के हवषय में धारा 503, धारा 504 और धारा 505 में
ईपबहन्धत रीहत से कायण वाही करेगा।
(4) ईस दशा के हसवाय, जब समपहत्त पशधु न है या शीघ्रतया और प्रकृ त्या
क्षयशील है या जब ईपधारा (2) के ऄनस ु रण में बन्धपत्र हनष्पाहदत हकया गया
है, ईपधारा (1) के ऄधीन हदया गया अदेश दो मास तक या जहां ऄपील
ईपहस्थत की गइ है वहां जब तक ईस ऄपील का हनपटारा न हो जाए,
कायाण हन्वत न हकया जायेगा।
(5) ईस समपहत्त की दशा में, हजसके बारे में ऄपराध हकया गया प्रतीत होता है,
आस धारा में "समपहत्त" पद के ऄन्तगण त न के वल ऐसी समपहत्त है जो मल ू तः
हकसी पक्षकार के कब्जे या हनयन्त्रण में रह चक ु ी है वरन् ऐसी कोइ समपहत्त
हजसमें या हजसके हलए ईस समपहत्त का समपररवतण न या हवहनमय हकया गया है
और ऐसे संपररवतण न या हवहनमय से, चाहे ऄव्यवहहत रूप से चाहे ऄन्यथा,
ऄहजण त कोइ चीज भी है।
धारा – 499 ऄहभयुि के पास हमले धन का हनदोष िे ता को संदाय - जब कोइ व्यहि धारा 453 कोइ पररवतण न नहीं ।
हकसी ऄपराध के हलए, हजसके ऄन्तगण त चोरी या चरु ाइ हुइ समपहत्त को प्राप्त
करना है या जो चोरी या चरु ाइ हुइ समपहत्त प्राप्त करने की कोहट में अता है,
दोषहसद्ध हकया, जाता है और यह साहबत कर हदया जाता है हक हकसी ऄन्य
व्यहि ने चरु ाइ हुइ समपहत्त को, यह जाने हबना या ऄपने पास यह हवश्वास
करने का कारण हुए हबना हक वह चरु ाइ हुइ है, ईससे िय हकया है और
हसद्धदोष व्यहि की हगरफ्तारी पर ईसके कब्जे में से कोइ धन हनकाला गया
था तब न्यायालय ऐसे िे ता के अवेदन पर और चरु ाइ हुइ समपहत्त पर कब्जे
के हकदार व्यहि को ईस समपहत्त के वापस कर हदये जाने पर अदेश छह मास
की ऄवहध के भीतर दे सकता है हक ऐसे िे ता द्वारा हदए गए मूलय से ऄनहधक
राहश ऐसे थन में ईसे पररदत्त की जाए।
धारा – 500 धारा 498 या धारा 499 के ऄधीन अदेिों के हिरुद्ध ऄपील- (1) धारा धारा 454
498 या धारा 499 के ऄधीन हकसी न्यायालय या महजस्रेट द्वारा हदए गए
अदेश से व्यहथत कोइ व्यहि ईसके हवरुद्ध ऄपील ईस न्यायालय में कर
सकता है हजसमें मामूली तौर पर पूवणकहथत न्यायालय द्वारा की गइ दोषहसहद्ध
के हवरुद्ध ऄपीलें होती हैं।
(2) ऐसी ऄपील पर, ऄपील न्यायालय यह हनदेश दे सकता है हक ऄपील का
हनपटारा होने तक अदेश रोक हदया जाए या वह ऐसे अदेश को ईपान्तररत,
पररवहतण त या रए कर सकता है और कोइ ऄहतररि अदेश, जो न्यायसंगत हो,
कर सकता है।
(1) में हनहदण ष्ट अदेश हदया गया है, हनपटाते समय
(3) हकसी ऐसे मामले को, हजसमें ईपधारा ऄपील, पष्टु ीकरण या पनु रीक्षण
न्यायालय भी ईपधारा (2) में हनहदण ष्ट शहियों का प्रयोग कर सकता है।
धारा – 501 ऄपमानलेखीय और ऄन्य सामग्री का नष्ट हकया जाना- (1) भारतीय न्याय धारा 455
संहहता, 2023 को धारा 294, धारा 295, धारा 356 की ईपधारा (३) और
ईपधारा (4) के ऄधीन दोषहसहद्ध पर न्यायालय ईस चीज की सब प्रहतयों के ,
हजसके बारे में दोषहसहद्ध हुइ है और जो न्यायालय की ऄहभरक्षा में है, या
हमद्धदोष व्यहि के कब्जे या शहि में है, नष्ट हकए जाने के हलए अदेश दे
सकता है।
(2) न्यायालय भारतीय न्याय संहहता, 2023 की धारा 274, धारा 275,
धारा 276 या धारा 277 के ऄधीन दोषहसहद्ध पर ईस खाद्य, पेय, ओषहध या
भेषजीय हनहमण हत के , हजसके बारे में दोषहसहद्ध हुइ है, नष्ट हकए जाने का ईसी
प्रकार से अदेश दे सकता है।
धारा – 502 स्थािर सभपहि का कब्जा लौटाने की िहि- (1) जब अपराहधक बल धारा 456
प्रयोग या बल- प्रदशण न या अपराहधक ऄहभत्रास से यि ु हकसी ऄपराध के हलए
कोइ व्यहि दोषहसद्ध हकया जाता है और न्यायालय को यह प्रतीत होता है हक
ऐसे बल प्रयोग या बल-प्रदशण न या ऄहभत्रास से कोइ व्यहि हकसी स्थावर
समपहत्त से बेकब्जा हकया गया है तब, यहद न्यायालय ठीक समझे तो, अदेश
दे सकता है हक हकसी ऐसे व्यहि को, हजसका ईस समपहत्त पर कब्जा है, यहद
अवश्यक हो तो, बल द्वारा बेदखल करने के पश्चात,ु ईस व्यहि को ईसका
कब्जा लौटा हदया जाए:
परन्तु न्यायालय द्वारा ऐसा कोइ अदेश दोषहसहद्ध की तारीख से एक मास के
पश्चात् नहीं हदया जाएगा।
(2) जहां ऄपराध का हवचारण करने वाले न्यायालय ने ईपधारा (1) के ऄधीन
कोइ अदेश नहीं हदया है, वहां ऄपील, पहु ष्टकरण या पनु रीक्षण न्यायालय, यहद
ठीक समझे तो, यथाहस्थहत, ऄपील, हनदेश या पनु रीक्षण को हनपटाते समय
ऐसा अदेश दे सकता है।
(3) जहां ईपधारा (1) के ऄधीन अदेश हदया गया है, वहां धारा 500 के
ईपबन्ध ईसके समबन्ध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे धारा 499 के ऄधीन हदए
गए हकसी अदेश के समबन्ध में लागू होते हैं।
(4) आस धारा के ऄधीन हदया गया कोइ अदेश ऐसी स्थावर समपहत्त पर हकसी
ऐसे ऄहधकार या ईसमें हकसी ऐसे हहत पर प्रहतकूल प्रभाव न डालेगा हजसे
कोइ व्यहि हसहवल वाद में हसद्ध करने में सफल हो जाता है।
धारा – 503 सभपहि के ऄहभग्रहण पर पहु लस द्वारा प्रहिया- (1) जब कभी हकसी पहु लस धारा 457 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऄहधकारी द्वारा हकसी समपहत्त के ऄहभग्रहण की ररपोटण आस संहहता के
ईपबन्धों के ऄधीन महजस्रेट को की जाती है और जांच या हवचारण के दौरान
ऐसी समपहत्त दण्ड न्यायालय के समक्ष पेश नहीं की जाती है तो महजस्रेट ऐसी
समपहत्त के व्ययन के , या ईस पर कब्जा करने के हकदार व्यहि को ऐसी
समपहत्त का पररदान हकए जाने के बारे में या यहद ऐसा व्यहि ऄहभहनहश्चत नहीं
हकया जा सकता है तो ऐसी समपहत्त की ऄहभरक्षा और पेश हकए जाने के बारे
में ऐसा अदेश कर सकता है जो वह ठीक समझे।
(2) यहद ऐसा हकदार व्यहि ज्ञात है, तो महजस्रेट वह समपहत्त ईसे ईन शतों
पर (यहद कोइ हो), जो महजस्रेट ठीक समझे, पररदत्त हकए जाने का अदेश दे
सकता है और यहद ऐसा व्यहि ऄज्ञात है तो महजस्रेट ईस समपहत्त को हनरुद्ध
कर सकता है और ऐसी दशा में एक ईद्घोषणा जारी करेगा, हजसमें ईस समपहत्त
की ऄंगभूत वस्तओ ु ं का हवहनदेश हो, और हजसमें हकसी व्यहि से, हजसका
ईसके उपर दावा है, यह ऄपेक्षा की गइ हो हक वह ईसके समक्ष हाहजर हो
और ऐसी ईद्घोषणा की तारीख से छह मास के ऄन्दर ऄपने दावे को हसद्ध करे।
धारा – 504 जहां छह मास के ऄन्दर कोइ दािेदार हाहजर न हो िहां प्रहिया- (1) यहद धारा 458 कोइ पररवतण न नहीं ।
ऐसी ऄवहध के ऄन्दर कोइ व्यहि समपहत्त पर ऄपना दावा हसद्ध न करे और
वह व्यहि हजसके कब्जे में ऐसी समपहत्त पाइ गइ थी, यह दहशण त करने में
ऄसमथण है हक वह ईसके द्वारा वैध रूप से ऄहजण त की गइ थी तो महजस्रेट
अदेश द्वारा हनदेश दे सकता है हक ऐसी समपहत्त राज्य सरकार के व्ययनाधीन
होगी तथा ईस सरकार द्वारा हविय की जा सके गी और ऐसे हविय के अगमों
के संबधं में ऐसी रीहत से कायण वाही की जा सके गी जो राज्य सरकार हनयमों
द्वारा ईपबंहधत करें।
(2) हकसी ऐसे अदेश के हवरुद्ध ऄपील ईस न्यायालय में होगी हजसमें मामूली
तौर पर महजस्रेट द्वारा की गइ दोषहसहद्ध के हवरुद्ध ऄपीलें होती हैं।
धारा – 505 हिनश्वर सभपहि को बेचने की िहि- यहद ऐसी समपहत्त पर कब्जे का हकदार धारा 459
व्यहि ऄज्ञात या ऄनपु हस्थत है और समपहत्त शीघ्रतया और प्रकृ त्या क्षयशील
है या यहद ईस महजस्रेट की, हजसे ईसके ऄहभग्रहण की ररपोटण की गइ है, यह
राय है हक ईसका हविय स्वामी के फायदे के हलए होगा या ऐसी समपहत्त का
मूल्य दस हजार रुपये से कम है तो महजस्रेट हकसी समय भी ईसके हविय
का हनदेश दे सकता है और ऐसे हविय के शद्ध ु अगमों को धारा 503 और
504 के ईपबन्ध यथासाध्य हनकटतम रूप से लागू होंगे।
ऄध्याय 37 - ऄहनयहमत कायगिाहहयां
धारा – 506 िे ऄहनयहमतताएं जो कायगिाही को दूहषत नहीं करतीं - यहद कोइ महजस्रेट, धारा 460
जो हनमनहलहखत बातों में से हकसी को करने के हलए हवहध द्वारा सशि नहीं है,
गलती से सद्भावपूवणक ईस बात को करता है तो ईसकी कायण वाही को के वल
आस अधार पर हक वह ऐसे सशि नहीं था ऄपास्त नहीं हकया जाएगा, ऄथाण त्
:-
(क) धारा 97 के ऄधीन तलाशी वारण्ट जारी करना;
(ख) हकसी ऄपराध का ऄन्वेषण करने के हलए पहु लस को धारा 174 के
ऄधीन अदेश देना:
(ग) धारा 196 के ऄधीन मृत्य-ु समीक्षा करना;
(घ) ऄपनी स्थानीय ऄहधकाररता के भीतर के ईस व्यहि को, हजसने ऐसी
ऄहधकाररता की सीमाओं के बाहर ऄपराध हकया है, पक़िने के हलए धारा
207 के ऄधीन अदेहशका जारी करना;
(ङ) हकसी ऄपराध का धारा 210 की ईपधारा (1) के खण्ड (क) या खण्ड
(ख) के ऄधीन संज्ञान करना;
(च) हकसी मामले को धारा 212 की ईपधारा (2) के ऄधीन हवाले करना;
(छ) धारा 343 के ऄधीन क्षमादान करना;
(ज) धारा 450 के ऄधीन मामले को वापस मंगाना और ईसका स्वयं हवचारण
करना; या
(ज) धारा 504 या धारा 505 के ऄधीन समपहत्त का हविय।
धारा – 507 िे ऄहनयहमतताएं जो कायगिाही को दूहषत करती हैं- यहद कोइ महजस्रेट, जो धारा 461 िे ऄहनयहमतताएं जो कायगिाही को दूहषत करती हैं- यहद कोइ महजस्रेट,
हनमनहलहखत बातों में से कोइ बात हवहध द्वारा आस हनहमत्त सशि न होते हुए, जो हनमनहलहखत बातों में से कोइ बात हवहध द्वारा आस हनहमत्त सशि न होते
करता है तो ईसकी कायण वाही शून्य होगी, ऄथाण त:् - हुए, करता है तो ईसकी कायण वाही शून्य होगी, ऄथाण त:् -
(क) समपहत्त को धारा 85 दे ऄधीन कुकण करना और ईसका हविय; (क) समपहत्त को धारा 83 के ऄधीन कुकण करना और ईसका हविय;
(ख) हकसी डाक प्राहधकारी की ऄहभरक्षा में की हकसी दस्तावेज, पासण ल या (ख) हकसी डाक या तार प्राहधकारी की ऄहभरक्षा में की हकसी दस्तावेज,
ऄन्य चीज के हलए तलाशी-वारण्ट जारी करना; पासण ल या ऄन्य चीज के हलए तलाशी-वारण्ट जारी करना;
(ग) पररक्षाहन्त कायम रखने के हलए प्रहतभूहत की मांग करना; (ग) पररक्षाहन्त कायम रखने के हलए प्रहतभूहत की मांग करना;
(घ) सदाचार के हलए प्रहतभूहत की मांग करना; (घ) सदाचार के हलए प्रहतभूहत की मांग करना;
(ङ) सदाचारी बने रहने के हलए हवहधपूवणक अबद्ध व्यहि को ईन्मोहचत करना; (ङ) सदाचारी बने रहने के हलए हवहधपूवणक अबद्ध व्यहि को ईन्मोहचत
(च) पररशाहन्त कायम रखने के बन्धपत्र को रद्द करना; करना;
(छ) भरणपोषण के हलए अदेश देना; (च) पररशाहन्त कायम रखने के बन्धपत्र को रद्द करना;
(ज) स्थानीय न्यूसेन्स के बारे में धारा 152 के ऄधीन अदेश देना; (छ) भरणपोषण के हलए अदेश देना;
(झ) लोक न्यूसेन्स की पनु रावृहत्त या ईसे चालू रखने की धारा 162 के ऄधीन (ज) स्थानीय न्यूसेन्स के बारे में धारा 133 के ऄधीन अदेश देना;
प्रहतषेध करना; (झ) लोक न्यूसेन्स की पनु रावृहत्त या ईसे चालू रखने की धारा 143 के
(ज) ऄध्याय 11 के भाग गया भाग व के ऄधीन अदेश देना; ऄधीन प्रहतषेध करना;
(ट) हकसी ऄपराध का धारा 210 की ईपधारा (1) के खण्ड (ग) के ऄधीन (ज) ऄध्याय 10 के भाग ग या भाग घ के ऄधीन अदेश देना;
संज्ञान करना; (ट) हकसी ऄपराध का धारा 190 की ईपधारा (1) के खण्ड (ग) के ऄधीन
(ठ) हकसी ऄपराधी का हवचारण करना; संज्ञान करना;
(ड) हकसी ऄपराधी का संक्षेपतः हवचारण करना; (ठ) हकसी ऄपराधी का हवचारण करना;
(ढ) हकसी ऄन्य महजस्रेट द्वारा ऄहभहलहखत कायण वाही पर धारा 364 के (ड) हकसी ऄपराधी का संक्षेपतः हवचारण करना;
ऄधीन दण्डादेश पाररत करना; (ढ) हकसी ऄन्य महजस्रेट द्वारा ऄहभहलहखत कायण वाही पर धारा 325 के
(ण) ऄपील का हवहनश्चय करना; ऄधीन दण्डादेश पाररत करना;
(त) कायण वाही को धारा 438 के ऄधीन मंगाना; या (ण) ऄपील का हवहनश्चय करना;
(थ) धारा 491 के ऄधीन पाररत अदेश का पनु रीक्षण करना। (त) कायण वाही को धारा 397 के ऄधीन मंगाना; या
(थ) धारा 446 के ऄधीन पाररत अदेश का पनु रीक्षण करना।
धारा – 508 गलत स्थान में कायगिाही- हकसो दण्ड न्यायालय का कोइ हनष्कषण , दण्डादेश धारा 462 कोइ पररवतण न नहीं ।
या अदेश के वल आस अधार पर हक वह जांच, हवचारण या ऄन्य कायण वाही
हजसके ऄनि ु म में ईत्स हनष्कष पर पहुंचा गया था या वह दण्डादेश या अदेश
पाररत हकया गया था, गलत सेशन खंड, हजला, ईपखंड या ऄन्य स्थानीय क्षेत्र
में हुइ थी ईस दशा में ही ऄपास्त हकया जाएगा जब यह प्रतीत होता है हक ऐसी
गलती के कारण वस्ततु ः न्याय नहीं हो पाया है।
धारा – 509 धारा 183 या धारा 316 के ईपबन्धों का ऄननुपालन- (1) यहद कोइ धारा 463
न्यायालय, हजसके समक्ष ऄहभयि ु व्यहि की संस्वीकृ हत या ऄन्य कथन, जो
धारा 183 या धारा 316 के ऄधीन ऄहभहलहखत है या ऄहभहलहखत होना
तात्पहयण त है, साक्ष्य में हदया जाता है या हलया जाता है, आस हनष्कषण पर
पहुंचता है हक कथन ऄहभहलहखत करने वाले महजस्रेट द्वारा आन धाराओं में से
हकसी धारा के हकसी ईपबन्ध का ऄनपु ालन नहीं हकया गया है तो वह,
भारतीय साक्ष्य ऄहधहनयम, 2023 की धारा 94 में हकसी बात के होते हुए
भी, ऐसे ऄननपु ालन के बारे में साक्ष्य ले सकता है और यहद ईसका यह
समाधान हो जाता है हक ऐसे ऄननपु ालन से ऄहभयि ु की, गणु ागणु हवषयक
बातों पर ऄपनी प्रहतरक्षा करने में कोइ हाहन नहीं हुइ है और ईसने
ऄहभहलहखत कथन समयक् रूप से हकया था, तो ऐसे कथन को ग्रहण कर
सकता है।
(2) आस धारा के ईपबन्ध ऄपील, हनदेश और पनु रीक्षण न्यायाहायों को लागू
होते हैं।
धारा – 510 अरोप हिरहचत न करने या ईसके ऄभाि या ईसमें गलती का प्रभाि- धारा 464 कोइ पररवतण न नहीं ।
(1) हकसी सक्षम ऄहधकाररता वाले न्यायालय का कोइ हनष्कषण , दण्डादेश या
अदेश के वल आस अधार पर हक कोइ अरोप हवरहचत नहीं हकया गया या आस
अधार पर हक अरोप में कोइ गलती, लोप था ऄहनयहमतता थी, हजसके
ऄसगण त अरोपों का कुसंयोजन भी है, ईस दशा में ही ऄहवहधमान्य समझा जाए
गा जब ऄपील, पहु ष्टकरण या पनु रीक्षण न्यायालय की राय में ईसके कारण
वस्ततु : न्याय नहीं हो पाया है।
(2) यहद ऄपील, पहु ष्टकरण या पनु रीक्षण न्यायालय की यह राय है हक वस्ततु ः
न्याय नहीं हो पाया है तो वह-
(क) अरोप हवरहचत न हकए जाने वाली दशा में यह अदेश कर सकता है हक
अरोप हवरहचत हकया जाए और अरोप की हवरचना के ठीक पश्चात् से हवचारण
पनु ः प्रारमभ हकया जाए;
(ख) अरोप में हकसी गलती, लोप या ऄहनयहमतता वाली दशा में यह हनदेश दे
सकता है हक हकसी ऐसी रीहत से, हजसे वह ठीक समझे, हवरहचत अरोप पर
नया हवचारण हकया जाए :
परन्तु यहद न्यायालय की यह राय है हक मामले के तथ्य ऐसे हैं हक साहबत
तथ्यों की बाबत ऄहभयि ु के हवरुद्ध कोइ हवहधमान्य अरोप नहीं लगाया जा
सकता तो वह दोषहसहद्ध को ऄहभखंहडत कर देगा।
धारा – 511 हनष्कषग या दण्डादेि कब गलती, लोप या ऄहनयहमतता के कारण ईलटने धारा 465 कोइ पररवतण न नहीं ।
योग्य होगा- (1) आसमें आसके पवू ण ऄन्तहवंष्ट ईपबन्धों के ऄधीन रहते हुए,
सक्षम ऄहधकाररता वाले न्यायालय द्वारा पाररत कोइ हनष्कषण , दण्डादेशं या
अदेश, हवचारण के पूवण या दौरान पररवाद, समन, बारण्ट, ईद्घोषणा, अदेश,
हनणण य या ऄन्य कायण वाहो में हुइ या आस संहहता के ऄधीन हकसी जांच या ऄन्य
कायण वाही में हुइ हकसी गलती, लोप या ऄहनयहमतता या ऄहभयोजन के हलए
मंजूरी में हुइ हकसी गलती या ऄहनयहमतता के कारण ऄपील, पहु ष्टकरण का
पनु रीक्षण न्यायालय द्वारा तब तक न तो ईलटा जाएगा और न पररवहतण त हकया
जाएगा जब तक न्यायालय की यह राय नहीं है हक ईसके कारण वस्ततु ः न्याय
नहीं हो पाया है।
(2) यह ऄवधाररत करने में हक क्ट्या आस संहहता के ऄधीन हकसी कायण वाही में
हकसी गलती, लोप या ऄहनयहमतता या ऄहभयोजन के हलए मंजूरी में हुइ हकसी
गलती या ऄहनयहमतता के कारण न्याय नहीं हो पाया है न्यायालय आस बात
को ध्यान में रखेगा हक क्ट्या वह अपहत्त कायण वाही के हकसी पूवणतर प्रिम में
ईठायी जा सकती थी और ईठायी जानी चाहहए थी।
धारा – 512 त्रुहट या गलती के कारण कुकी का ऄिैध न होना - आस संहहता के ऄधीन की धारा 466 कोइ पररवतण न नहीं ।
गइ कोइ कुकको ऐसो हकसी त्रहु ट के कारण या प्ररूप के ऄभाव के कारण
हवहधहवरुद्ध न समझी जाएगी जो समन, दोषहसहद्ध, कुकीं की ररट या
तत्समबन्धी ऄन्य कायण वाही में हुइ है और न ईसे करने वाला कोइ व्यहि
ऄहतचारी समझा जाएगा।
ऄध्याय 38 - कुछ ऄपराधों का संज्ञान करने के हलए पररसीमा
धारा – 513 पररभाषा - आस ऄध्याय के प्रयोजनों के हलए, जब तक सन्दभण में ऄन्यथा धारा 467
ऄपेहक्षत न हो, "पररसीमा-काल" से हकसी ऄपराध का संज्ञान करने के हलए
धारा 514 में हवहनहदण ष्ट ऄवहध ऄहभप्रेत
धारा – 514 पररसीमा- काल की समाहप्त के पश्चात् संज्ञान का िजाग- (1) आस संहहता में धारा 468
ऄन्यत्र जैसा ऄन्वनी ईपबहन्धत है ईसके हसवाय, कोइ न्यायालय ईपधारा (2)
में हवहनहदण ष्ट प्रवगण के हकसी ऄपराध का संज्ञान पररसीमा-काल की समाहप्त के
पश्चात् नहीं करेगा।
(2) पररसीमा-काल, -
(क) छह मास होगा, यहद ऄपराध के वल जमु ाण ने से दण्डनीय है,
(ख) एक वषण होगा, यहद ऄपराध एक वषण से ऄनहधक की ऄवहध के हलए
कारावास से दण्डनीय है:
(ग) तीन वषण होगा, यहद ऄपराध एक वषण से ऄहधक हकन्तु तीन वषण से
ऄनहधक की ऄधहध के हलए कारावास से दण्डनीय है।
(3) आस धारा के प्रयोजनों के हलए ईन ऄपराधों के समबन्ध में, हजनका एक
साथ हवचारण हकया जा सकता है, पररसीमा-काल ईस ऄपराध के प्रहतहनदेश
से ऄवधाररत हकया जाएगा जो, यथाहस्थहत, कठोरतर या कठोरतम दण्ड से
दण्डनीय है।
स्पष्टीकरण-पररसीमा की ऄिहध संगहणत करने के प्रयोजन के हलए,
सुसंगत तारीख धारा 223 के ऄधीन हिकायत प्रस्तुत करने की तारीख या
धारा 173 के सूचना ऄहभहलहखत करने को तारीख होगी।
धारा – 515 पररसीमा-काल का प्रारभभ- (1) हकसी ऄपराधी के समबन्ध में पररसीमा- धारा 469 कोइ पररवतण न नहीं ।
काल, -
(क) ऄपराध की तारीख को प्रारमभ होगा; या
(ख) जहां ऄपराध के हकए जाने की जानकारी ऄपराध द्वारा व्यहथत व्यहि को
या हकसी पहु लस ऄहधकारी को नहीं है वहां ईस हदन प्रारमभ होगा हजस हदन
प्रथम बार ऐसे ऄपराध की जानकारी ऐसे व्यहि या ऐसे पहु लस ऄहधकारी को
होती है, आनमें से जो भी पहले हो; या
(ग) जहां यह ज्ञात नहीं है हक ऄपराध हकसने हकया है, वहां ईस हदन प्रारमभ
होगा हजस हदन प्रथम बार ऄपराधी का पता ऄपराध द्वारा व्यहथत व्यहि को
या ऄपराध का ऄन्वेषण करने वाले पहु लस ऄहधकारी को जंगमता है, आनमें से
जो भी पहले हो।
(2) ईि ऄवहध की संगणना करने में, ईस हदन को छो़ि हदया जाएगा हजस
हदन ऐसी ऄवहध की संगणना की जानी है।
धारा – 516 कहतपय मामलों में समय का ऄपिजगन- (1) पररसीमा-काल की संगणना धारा 470 कोइ पररवतण न नहीं ।
करने में, ईस समय का ऄपवजण न हकया जाएगा, हजसके दौरान कोइ व्यहि
चाहे प्रथम बार के न्यायालय में या ऄपील या पनु रीक्षण न्यायालय में ऄपराधी
के हवरुद्ध ऄन्य ऄहभयोजन समयक् तत्परता से चला रहा है :
परन्तु ऐसा ऄपवजण न तब तक नहीं हकया जाएगा जब तक ऄहभयोजन ईन्हीं
तथ्यों से समबहन्धत न हो और ऐसे न्यायालय में सद्भावपूवणक न हकया गया हो
जो ऄहधकाररता में दोष या आसी प्रकार के ऄन्य कारण से ईसे ग्रहण करने में
ऄसमथण हो।
(2) जहां हकसी ऄपराध की बाबत ऄहभयोजन का संहस्थत हकया जाना हकसी
व्यादेश या अदेश द्वारा रोक हदया गया है वहां पररसीमा-काल की संगणना
करने में व्यादेश या अदेश के बने रहने की ऄवहध को, ईस हदन को, हजसको
वह जारी हकया गया था या हदया गया था और ईस हदन को, हजस हदन ईसे
वापस हलया गया था, ऄपवहजण त हकया जाएगा।
(3) जहां हकसी ऄपराध के ऄहभयोजन के हलए सूचना दी गइ है, या जहां
तत्समय प्रवृत्त हकसी हवहध के ऄधीन सरकार या हकसी ऄन्य प्राहधकारी की
पवू ण ऄनमु हत या मंजूरी हकसी ऄपराध की बाबत ऄहभयोजन संहस्थत करने के
हलए ऄपेहक्षत है वहां पररसीमा-काल की संगणना करने में, ऐसी सूचना की
ऄवहध, या, यथाहस्थहत, ऐसी ऄनमु हत या मंजूरी प्राप्त करने के हलए अवश्यक
समय ऄपवहजण त हकया जाएगा।
स्पष्टीकरण-सरकार या हकसी ऄन्य प्राहधकारी की ऄनमु हत या मंजूरी प्राप्त
करने के हलए अवश्यक समय की संगणना करने में ईस तारीख का हजसको
ऄनमु हत या मंजूरी प्राप्त करने के हलए अवेदन हदया गया था और ईस तारीख
का हजसको सरकार या ऄन्य प्राहधकारी का अदेश प्राप्त हुअ, दोनों का,
ऄपवजण न हकया जाएगा।
(4) पररसीमा-काल की संगणना करने में, वह समय ऄपवहजण त हकया जाएगा
हजसके दौरान ऄपराधी, -
(क) भारत से या भारत से बाहर हकसी राज्यक्षेत्र से, जो के न्द्रीय सरकार के
प्रशासन के ऄधीन है, ऄनपु हस्थत रहा है, या
(ख) फरार होकर या ऄपने को हछपाकर हगरफ्तारी से बचता है।
धारा – 517 हजस तारीख को न्यायालय बन्द हो ईस तारीख का ऄपिजगन- यहद धारा 471 कोइ पररवतण न नहीं ।
पररसीमा-काल ईस हदन समाप्त होता है जब न्यायालय बन्द है तो न्यायालय
ईस हदन संज्ञान कर सकता है हजस हदन न्यायालय पनु ः खल ु ता है।
स्पष्टीकरण-न्यायालय ईस हदन आस धारा के ऄथाण न्तगण त बन्द समझा जाएगा
हजस हदन ऄपने सामान्य काम के घण्टों में वह बन्द रहता है।
धारा – 518 चालू रहने िाला ऄपराध-हकसी चालू रहने वाले ऄपराध की दशा में नया धारा 472 कोइ पररवतण न नहीं ।
पररसीमा-काल ईस सभव के प्रत्येक क्षण से प्रारमभ होगा हजसके दौरान
ऄपराध चालू रहता है।
धारा – 519 कहतपय मामलों में पररसीमा-काल का हिस्तारण- आस ऄध्याय के पूवणवती धारा 473 कोइ पररवतण न नहीं ।
ईपबन्धों में ऄंतहवण ष्ट हकसी बात के होते हुए भी, कोइ भी न्यायालय हकसी
ऄपराध का संज्ञान पररसीमा-काल के ऄवसान के पश्चात् कर सकता है यहद
मामले के तथ्यों या पररहस्थहतयों से ईसका समाधान हो जाता है हक हवलमब
का ईहचत रूप से स्पष्टीकरण कर हदया गया है या न्याय के हहत में ऐसा करना
अवश्यक है।
ऄध्याय 39 - प्रकीणग
धारा – 520 ईच्च न्यायालयों के समक्ष हिचारण- जब हकसी ऄपराध का हवचारण ईच्च धारा 474
न्यायालय द्वारा धारा 447 के ऄधीन न करके ऄन्यथा हकया जाता है तब वह
ऄपराध के हवचारण में वैसी ही प्रहिया का ऄनपु ालन करेगा, हजसका सेशन
न्यायालय ऄनपु ालन करता यहद ईसके द्वारा ईस मामले का हवचारण हकया
जाता।
धारा – 521 सेना न्यायालय द्वारा हिचारणीय व्यहियों का कमान अहफसरों को सौंपा धारा 475 कोइ पररवतण न नहीं ।
जाना- (1) के न्द्रीय सरकार आस संहहता से और वायस ु ेना ऄहधहनयम, 1950
(1950 का 45), सेना ऄहधहनयम, 1950 (1950 का 46) और नौसेना
ऄहधहनयम, 1957 (1957 का 62) और संघ के सशस्त्र बल से संबहं धत
तत्समय प्रवृत्त हकसी ऄन्य हवहध से संगत हनयम ऐसे मामलों के हलए बना
सके गी हजनमें सेना, नौसेना या वायसु ेना समबन्धी हवहध या ऄन्य ऐसी हवहध
के ऄधीन होने वाले व्यहियों का हवचारण ऐसे न्यायालय द्वारा, हजसको यह
संहहता लागू होती है, या सेना न्यायालय द्वारा हकया जायेगा; तथा जब कोइ
व्यहि हकसी महजस्रेट के समक्ष लाया जाता है और ऐसे ऄपराध के हलए
अरोहपत हकया जाता है, हजसके हलए ईसका हवचारण या तो ईस न्यायालय
द्वारा हजसको यह संहहता लागू होती है, या सेना न्यायालय द्वारा हकया जा
सकता है तब ऐसा महजस्रेट ऐसे हनयमों को ध्यान में रखेगा और ईहचत
मामलों में ईसे ईस ऄपराध के कचन सहहत, हजसका ईस पर ऄहभयोग है,
ईस यूहनट के हजसका वह हो, कमान अहफसर को या, यथाहस्थहत,
हचकटतम सेना, नौसेना या वायस ु ेना स्टेशन के कमान अहफसर को सेना
न्यायालय द्वारा ईसका हवचारण हकए जाने के प्रयोजन से सौंप देगा।
स्पष्टीकरण- आस धारा में,-
(क) "यूहनट" के ऄन्तगण त रेहजमेंट, कोर, पोत, टुक़िी, ग्रपु , बटाहलयन या
कमपनी भी है:
(ख) "सेना न्यायालय" के ऄन्तगण त ऐसा कोइ ऄहधकरण भी है हजसकी वैसी
ही शहियां हैं जैसी संघ के सशस्त्र बल को लागू सस ु ंगत हवहध के ऄधीन
गहठत हकसी सेना न्यायालय की होती हैं।
(2) प्रत्येक महजस्रेट ऐसे ऄपराध के हलए ऄहभयि ु व्यहि को पक़िने और
सरु हक्षत रखने के हलए ऄपनी ओर से ऄहधकतम प्रयास करेगा जब ईसे
हकसी ऐसे स्थान में अहस्थत या हनयोहजत सैहनकों, नाहवकों या वायस ु ैहनकों
के हकसी यूहनट या हनकाय के कमान अहफसर से ईस प्रयोजन के हलए
हलहखत अवेदन प्राप्त होता है।
(3) ईच्च न्यायालय, यहद ठीक समझे तो, यह हनदेश दे सकता है हक राज्य
के ऄन्दर हस्थत हकसी जेल में हनरुद्ध हकसी बन्दी को सेना न्यायालय के
समक्ष लहमबत हकसी मामले के बारे में हवचारण के हलए या परीक्षा हकए जाने
के हलए सेना न्यायालय के समक्ष लाया जाए।
धारा – 522 प्ररूप - संहवधान के ऄनच्ु छे द 227 द्वारा प्रदत्त शहियों के ऄधीन रहते हुए, धारा 476 कोइ पररवतण न नहीं ।
हद्वतीय ऄनस ु ूची में हदए गए प्ररूप ऐसे पररवतण नों सहहत, जैसे प्रत्येक मामले
की पररहस्थहतयों से ऄपेहक्षत हों, ईसमें वहणण त समबद्ध प्रयोजनों के हलए
ईपयोग में लाए जा सकते हैं और यहद ईपयोग में लाए जाते हैं तो पयाण प्त होंगे।
धारा – 523 ईच्च न्यायालय की हनयम बनाने की िहि- (1) प्रत्येक ईच्च न्यायालय धारा 477 कोइ पररवतण न नहीं ।
राज्य सरकार की पूवण मंजूरी से हनमनहलहखत के बारे में हनयम बना सके गा :-
(क) वे व्यहि जो ईसके ऄधीनस्थ दण्ड न्यायालयों में ऄजी लेखकों के रूप
में काम करने के हलए ऄनज्ञ ु ात हकए जा सकें गे;
(ख) ऐसे व्यहियों को ऄनज्ञ ु हप्त हदए जाने, ईनके द्वारा काम काज करने और
ईनके द्वारा ली जाने वाली फीसों के मापमान का हवहनयमन;
(ग) आस प्रकार बनाए गए हनयमों में से हकसी के ईललंघन के हलए शाहस्त
ईपबहन्धत करना और वह प्राहधकारी, हजसके द्वारा ऐसे ईललंघन का
ऄन्वेषण हकया जा सके गा और शाहस्तयां ऄहधरोहपत की जा सकें गी,
ऄवधाररत करना;
(घ) कोइ ऄन्य हवषय हजसका सरकार द्वारा बनाए गए हनयमों द्वारा ईपबंहधत
हकया जाना ऄपेहक्षत है या हकया जाए।
(2) आस धारा के ऄधीन बनाए गए सब हनयम राजपत्र में प्रकाहशत हकए
जाएंगे।
धारा – 524 कहतपय मामलों में कायगपालक महजस्रेटों को सौंपे गए कृत्यों को धारा 478
पररिहतगत करने की िहि - यहद हकसी राज्य का हवधान मण्डल संकलप
द्वारा ऐसी ऄनज्ञु ा देता है तो राज्य सरकार, ईच्च न्यायालय से परामशण करने
के पश्चात्, ऄहधसूचना द्वारा यह हनदेश दे सके गी हक धारा 127, धारा 128,
धारा 129, धारा 164 और धारा 166 में हकसी कायण पालक महजस्रेट के
प्रहत हनदेश का ऄथण यह लगाया जाएगा हक वह हकसी प्रथम वगण न्याहयक
महजस्रेट के प्रहत हनदेश है।
धारा – 525 िे मामले हजनमें न्यायाधीि या महजस्रेट िैयहिक रूप से हहतबद्ध है- धारा 479 कोइ पररवतण न नहीं ।
कोइ न्यायाधीश या महजस्रेट हकसी ऐसे मामले का, हजसमें वह पक्षकार है,
या वैयहिक रूप से हहतबद्ध है, ईस न्यायालय की ऄनज्ञ ु ा के हबना, हजसमें
ईसके न्यायालय से ऄपील होती है, न तो हवचारण करेगा और न ईसे
हवचारणाथण सपु दु ण करेगा और न कोइ न्यायाधीश या महजस्रेट ऄपने द्वारा
पाररत या हकए गए हकसी हनणण य या अदेश की ऄपील ही सनु ेगा।
स्पष्टीकरण-कोइ न्यायाधीश या महजस्रेट हकसी मामले में के वल आस कारण
से हक वह ईससे सावण जहनक हैहसयत में समबद्ध है या के वल आस कारण से
हक ईसने ईस स्थान का, हजसमें ऄपराध का होना ऄहभकहथत है, या हकसी
ऄन्य स्थान का, हजसमें मामले के हलए महत्वपूणण हकसी ऄन्य संव्यवहार का
होना ऄहभकहथत है, ऄवलोकन हकया है और ईस मामले के संबधं में जांच
की है आस धारा के ऄथण में पक्षकार या वैयहिक रूप से हहतबद्ध न समझा
जाएगा।
धारा – 526 हिहध-व्यिसाय करने िाले ऄहधििा का कुच्छ न्यायालयों के महजस्रेट धारा 480 कोइ पररवतण न नहीं ।
के तौर पर न बैठना- कोइ ऄहधविा, जो हकसी महजस्रेट के न्यायालय में
हवहध-व्यवसाय करता है, ईस न्यायालय में या ईस न्यायालय की स्थानीय
ऄहधकाररता के ऄन्दर हकसी न्यायालय में महजस्रेट के तौर पर न बैठेगा।
धारा – 527 हििय से सभबद्ध लोक सेिक का सभपहि का िय न करना और ईसके धारा 481 कोइ पररवतण न नहीं ।
हलए बोली न लगाना- कोइ लोक सेवक, हजसे आस संहहता के ऄधीन
समपहत्त के हविय के बारे में हकसी कतण व्य का पालन करना है, ईस समपहत्त
का न तो िय करेगा और न ईसके हलए बोली लगाएगा।
धारा – 528 ईच्च न्यायालय की ऄन्तहनगहहत िहियों की व्यािहृ ि- आस संहहता की धारा 482 कोइ पररवतण न नहीं ।
कोइ बात ईच्च न्यायालय की ऐसे अदेश देने की ऄन्तहनण हहत शहि को
सीहमत या प्रभाहवत करने वाली न समझी जाएगी जैसे आस संहहता के ऄधीन
हकसी अदेश को प्रभावी करने के हलए या हकसी न्यायालय की कायण वाही का
दरुु पयोग हनवाररत करने के हलए या हकसी ऄन्य प्रकार से न्याय के ईद्देश्यों
की प्राहप्त सहु नहश्चत करने के हलए अवश्यक हों।
धारा – 529 न्यायालयों पर ऄधीक्षण का हनरन्तर प्रयोग करने का ईच्च न्यायालय का धारा 483 कोइ पररवतण न नहीं ।
किगव्य- प्रत्येक ईच्च न्यायालय ऄपने ऄधीनस्थ सेशन न्यायालयों और
न्याहयक महजस्रेटों के न्यायालयों पर ऄपने ऄधीक्षण का प्रयोग आस प्रकार
करेगा हजससे यह सहु नहश्चत हो जाए हक ऐसे न्यायाधीशों और महजस्रेटों द्वारा
मामलों का हनपटारा शीघ्र और ईहचत रूप से हकया जाता है।
धारा – 530 आलैक्ट्राहनक पद्धहत में हिचारण और कायगिाहहयों का हकया जाना- आस नया जोडा गया ।
संहहता के ऄधीन सभी हिचारण और कायगिाहहयां, हजसके ऄन्तगगत--
(1) समन और िारंट, को जारी करना, तामील करना और हनष्पादन
करना;
(ii) हिकायतकताग और साहक्षयों की परीक्षा;
(iii) जांच और हिचारणों में साक्ष्य ऄहभहलहखत करना; और
(iv) सभी ऄपीलीय कायगिाहहयों या कोइ ऄन्य कायगिाही,
आलैक्ट्राहनक संसूचना के ईपयोग या श्रव्य दृश्य आलैक्ट्राहनक साधनों के
ईपयोग द्वारा आलैक्ट्राहनक पद्धहत में की जा सकें गी।
धारा – 531 हनरसन और व्यािहृ ियााँ - (1) दण्ड प्रहिया संहहता, 1973 (1974 का 2) धारा 484
आसके द्वारा हनरहसत की जाती है।
(2) ऐसे हनरसन के होते हुए भी यह है हक, -
(क) यहद ईस तारीख के हजसको यह संहहता प्रवृत्त हो, ठीक पूवण कोइ
ऄपील, अवेदन, हवचारण, जांच या ऄन्वेषण लहमबत हो तो ऐसी ऄपील,
अवेदन, हवचारण, जांच या ऄन्वेषण को ऐसे प्रारमभ के ठीक पूवण यथा प्रिि ृ
दण्ड प्रहिया संहहता, 1973 (1974 का 2) के (हजसे आसमें आसके पश्चात्
ईि संहहता कहा गया है) ईपबन्धों के ऄनस ु ार, यथाहस्थहत, ऐसे हनपटाया
जाएगा, चालू रखा जाएगा या हकया जाएगा मानो यह संहहता प्रवृत्त न हुइ हो:
(ख) ईि संहहता के ऄधीन प्रकाहशत सभी ऄहधसूचनाएं, जारी की गइ सभी
ईद्घोषणाएं, प्रदत्त सभी शहियााँ, हनयमों द्वारा ईपबहन्धत प्ररूप, पररहनहश्चत
सभी स्थानीय ऄहधकाररताएं, हदए गए सभी दण्डादेश, हकए गए सभी अदेश,
हनयम और ऐसी हनयहु ियााँ, जो हवशेष महजस्रेटों के रूप में हनयहु ियााँ नहीं हैं
और जो आस संहहता के प्रारमभ के तरु न्त पवू ण प्रवतण न में हैं, िमशः आस संहहता
के तत्स्थानी ईपबन्धों के ऄधीन प्रकाहशत ऄहधसूचनाएं, जारी की गइ
ईद्घोषणाएं, प्रदत्त शहियााँ, हवहहत प्ररूप, पररहनहश्चत स्थानीय ऄहधकाररताएं,
हदए गए दण्डादेश और हकए गए अदेश, हनयम और हनयहु ियााँ समझी
जाएंगी;
(ग) ईि संहहता के ऄधीन दी गइ हकसी ऐसी मंजूरी या सममहत के बारे में,
हजसके ऄनस ु रण में ईस संहहता के ऄधीन कोइ कायण वाही प्रारमभ न की गइ
हो, यह समझा जाएगा हक वह आस संहहता के तत्स्थानी ईपबन्धों के ऄधीन
दी गइ है और ऐसी मंजूरी या सममहत के ऄनस ु रण में आस संहहता के ऄधीन
कायण वाहहयााँ की जा सकें गी;
(3) जहााँ ईि संहहता के ऄधीन हकसी अवेदन या ऄन्य कायण वाही के हलए
हवहहत ऄवहध आस संहहता के प्रारमभ पर या ईसके पूवण समाप्त हो गइ हो, वहााँ
आस संहहता की हकसी बात का यह ऄथण नहीं लगाया जाएगा हक वह आस
संहहता के ऄधीन ऐसे अवेदन के हकए जाने या कायण वाही के प्रारमभ हकए
जाने के हलए के वल आस कारण समथण करती है हक ईसके हलए आस संहहता
द्वारा दीघण तर ऄवहध हवहनहदण ष्ट की गइ है या आस संहहता में समय बढाने के
हलए ईपबन्ध हकया गया है।

You might also like