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CLASS 8 HINDI GRAMMAR

1. संबंधबोधक
संबंधबोधक (Preposition) जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य में दस
ू रे शब्दों
से उसका संबंध बताते हैं , उन्हें ‘संबंधबोधक’ या ‘परसर्ग’ कहते हैं; जैसे :

सीता घर के भीतर बैठी है।


शीत के कारण गरीब का बुरा हाल था।
यहाँ हम पाते हैं कि इन वाक्यों में के भीतर’ तथा ‘के कारण’ शब्द संबंधबोधक अव्यय हैं। इन्हें परसर्गीय
शब्द भी कहा जा सकता है , लेकिन संबंधबोधक अव्यय परसर्ग रहित भी होते हैं; जैसे-मैं रातभर जागता
रहा। इस प्रकार संबंधबोधक अव्यय के दो रूप हमारे सामने आते हैं :
(क) परसर्ग सहित-के बारे , के समान, के सिवा।
(ख) परसर्ग रहित-भर, बिना, पहले, मात्र, अपेक्षा।

इस प्रकार-पहले, सामने, आगे, पास, परे , द्वारा, बिना, ऊपर, नीचे, भीतर, अंदर, ओर, मध्य, बीच में, बाद,
निकट, कारण, साथ, समेत, विरुद्ध, पश्चात्, सरीखा, तक, सदृश, प्रतिकूल, मात्र, अपेक्षा, मार्फ त आदि
संबंधबोधक अव्यय की कोटि में आते हैं।

संबंधबोधक अव्यय के भेद


अर्थ के अनुसार संबंधबोधक अव्यय के कुल आठ भेद हैं :

1. कालबोधक अव्यय,
2. स्थानबोधक अव्यय,
3. दिशाबोधक अव्यय,
4. साधनबोधक अव्यय,
5. विषयबोधक अव्यय,
6. सादृश्यबोधक अव्यय,
7. मित्रताबोधक अव्यय,
8. विरोधबोधक अव्यय।

1. कालबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से काल का बोध हो, वे ‘कालबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे-से
पहले, के लगभग, के पश्चात्।

● ट्र न
े समय से पहले आ गई।
● उसके जाने के लगभग एक घंटे बाद जाऊँगा।
2. स्थानबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से स्थान का बोध हो, वे ‘स्थानबोधक अव्यय’ कहलाते हैं;
जैसे-के पास, के किनारे , से दरू ।

● स्कूल के पास ही राजू का घर है।


● तालाब के किनारे ही बगीचा है।
3. दिशाबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से दिशा का बोध हो, उसे ‘दिशाबोधक अव्यय’ कहते हैं; जैसे-की
ओर, के आस-पास।

● आग की ओर मत जाना।
● घर के आस-पास ही रहना।
4. साधनबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से साधन का बोध हो, उन्हें ‘साधनबोधक अव्यय’ कहते हैं;
जैसे-के द्वारा, के जरिए , के मार्फ त।
● आपके आने की सूचना श्याम के द्वारा मिली।
● उसके जरिए यह काम होगा।
5. विषयबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से विषय की जानकारी प्राप्त हो, वे ‘विषयबोधक अव्यय’
कहलाते हैं; जैसे-के बारे , की बाबत आदि।

● गांधी जी के बारे में बहुत कहा गया है।


● मोहन की बाबत बात करने आया हूँ।
6. सादृशबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से सादृश्यता का बोध हो, वे सादृशबोधक अव्यय’ कहलाते हैं;
जैसे के समान, की भाँति, के योग्य, की तरह, के अनुरूप आदि।

● गांधी जी के समान सत्यवादी बनो।


● सीता, सावित्री की भाँति जीवन जियो।
7. मित्रताबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से मित्रता का बोध प्रकट हो, वे ‘मित्रताबोधक अव्यय’ कहलाते
हैं; जैसे-के अलावा, के सिवा, के अतिरिक्त, के बिना आदि।

● मोहन के सिवा मेरा कौन है।


● रामू के बिना मैं नहीं जाऊँगा।
8. विरोधबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से विरोध व्यक्त होता है , वे ‘विरोधबोधक अव्यय’ कहलाते हैं;
जैसे के विरुद्ध, के खिलाफ़, के उलटा।

● उसके विरुद्ध मत बोलो।


● मेरे खिलाफ़ कोई चुनाव नहीं लड़ेगा।
2. समुच्चयबोधक
वे शब्द जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दस
ू रे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दस
ू रे वाक्य से
जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।

जैसे: और, बल्कि, तथा, अथवा, यदि, किं तु, अन्यथा, हालांकि, लेकिन, इसलिए आदि|
उदाहरण:
‘अमित और देव सो रहे हैं।’
इस वाक्य में अमित, देव को एक दस
ू रे से जोड़ा गया है। इन्हे जोड़ने के लिए और शब्द का प्रयोग किया
गया है।
‘वह प्यासा था, इसलिए उसने पानी पिया।’
इस वाक्य में दो वाक्यों को इसलिए शब्द से जोड़ा गया है। यह समुच्चय बोधक शब्द है।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक
व्यधिकरणसमुच्चयबोधक

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
जो समुच्चयबोधक अव्यय दो स्वतंत्र वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं , उन्हें समानाधिकरण
सममुच्चबोधक अव्यय कहा जाता है।

जैसे: परंतु, अन्यथा, अत:, किं तु, और, या, बल्कि, इसलिए, व, एवं, लेकिन आदि।
उदाहरण:- ‘विराट और रोहित भाई है।’

इस वाक्य में विराट, रोहित दो स्वतंत्र शब्दों को और शब्द से जोड़ा गया है , जो समानाधिकरण समुच्चय
बोधक शब्द है।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय चार प्रकार के होते हैं -


क) संयोजक
ख) विकल्पसूचक
ग) विरोधसूचक
घ) परिमाणसूचक

1. संयोजक:– जिन शब्दों से दो शब्दों या दो वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं तथा इसमें शब्दों के द्वारा वाक्यों
और वाक्यांशो को इकट्ठा करते हैं। उसे संयोजक सम्मुच्यबोधक कहते है।
वे शब्द जिनके द्वारा शब्दों और वाक्यों को इक्कठा किया जाता है , वे है –: तथा, जोकि, अर्थात्, और,
एवं शब्द संयोजक कहलाते हैं।

उदाहरण:-‘राहुल और अंजली वहां खड़े है |’


इस वाक्य में राहुल, अंजली को जोड़ने के लिए और शब्द का प्रयोग किया गया है , जोकि संयोजक शब्द है।

2. विकल्पसूचक: जिन शब्दों के द्वारा वाक्य में विकल्प, दो या दो अधिक का चयन दिया जाता है , उसे
विकल्प सूचक कहते है। इन शब्दों से विकल्प का पता चलता है।
जैसे–: या, वरना, अथवा, वा, चाहे शब्द विकल्पसूचक कहलाते हैं।

उदाहरण:- “मोहन यहां सो सकता है अन्यथा श्याम सो जाएगा|’


इस वाक्य में मोहन के सोने के साथ साथ श्याम के सोने का भी विकल्प दिया गया है। इस अन्यथा शब्द से
जोड़ा गया है जो विकल्पसूचक शब्द है।

3. विरोध सूचक: यह शब्द दो वाक्यों या दो विरोध करने वाले कथनों को आपस में जोड़ते है। इन वाक्यों में
आपस में विरोध दिखाई देता है।
किं तु, लेकिन, परंतु, पर, बल्कि, अपितु शब्द विरोध सूचक कहलाते हैं।
उदाहरण:- ‘वह अमीर है परंतु बेईमान है।’
इस वाक्य में दो विरोधाभास वाक्य है। फला की वह अमीर है और दस
ू रा की वह बेईमान है। इन शब्दों की
परंतु शब्द से जोड़ा गया है जो विरोध सूचक शब्द है।

4. परिमाणसूचक:- जिन शब्दों से वाक्य में किसी के परिमाण का पता चले तथा जो शब्द परिमाण दर्शाने
वाले वाक्यों को जोड़ते हैं , उसे परिमाण सूचक कहते है।
जैसे: इसलिए, ताकि, अतः, अन्यथा, नहीं तो शब्द परिणामदर्शक कहलाते हैं।

उदाहरण:- ‘उसने अपना कार्य पूरा किया ताकि उसको डांट न पड़े।’
इस वाक्य में डांट न पड़े वाक्य को उसने कार्य पूरा किया से ताकि के द्वारा जोड़ा गया है। यह परिमाण
सूचक शब्द है |

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक
जो शब्द एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते हैं , उन्हें व्यधिकरण
समुच्चयबोधक कहते हैं। इसमें एक प्रधान और दस
ू रा आश्रित वाक्य होता है।
जैसे: यदि तो, क्योंकि, ताकि, कि, यद्यपि तथापि आदि।

उदाहरण:- ‘मां ने कहा कि तुम अपना काम करो।’


इस वाक्य में मां ने कहा वाक्य तुम अपना काम करो पर आश्रित है , जिसे कि शब्द से जोड़ा गया है। यह
व्यधि कारण बोधक शब्द है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न


1.समुच्चय बोधक किसे कहते है।
उत्तर:वे शब्द जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दस
ू रे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दस
ू रे
वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।
2.समुच्चय बोधक के कितने भेद है ?
उत्तर:समुच्चयबोधक के निम्नलिखित दो भेद होते हैं -
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
व्यधिकरणसमुच्चयबोधक

3. तुम जाना चाहो तो जाओ वरना रोहन चला जायेगा। इस वाक्य में कौनसा का समुच्चय बोधक है ?

उत्तर: इस वाक्य में विकल्प समुच्चय बोधक है। क्योंकि उसके जाने के साथ साथ रोहन के जाने का भी
विकल्प दिया गया है और वरना शब्द का बोध किया गया है को विकल्प बोधक शब्द है।

4.समानाधिकरण समुच्चयबोधक के कितने भेद है ?

उत्तर: समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय चार प्रकार के होते हैं -


क)संयोजक
ख)विकल्पसूचक
ग)विरोधसूचक
घ)परिमाणसूचक

3. विस्मयादिबोधक
विस्मयादिबोधक का उपयोग भावनाओ ं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है , विस्मयादिबोधक के अन्त
में (!) चिह्न को लगाया जाता है। जैसे –
अरे !, हाय!, शाबाश!, बहुत अच्छा!, वाह! वाह!, ओह!, छी! छी!, क्या! इत्यादि।
व्याकरण में इन शब्दों का विशेष महत्व नहीं होता, और इनका प्रयोग केवल वहीं होता है जहाँ वाक्य के
अर्थ की अपेक्षा वाक्य के भावों को अधिक तीव्र रूप से सूचित करने की आवश्यकता होती है। जैसे “मैं
अब क्या करूँ।” इस वाक्य से स्पष्ट है कि इस वाक्य में शोक पाया गया है , परंतु यदि शोक की अधिक
तीव्र रूप से प्रदर्शित करना हो तो इसके साथ “हाय” जोड़ देंगे; जैसे, “हाय! अब मैं क्या करूँ।” इस तरह
वाक्य में दःु ख और अधिक तीव्रता से प्रदर्शित हो रहा है।

विस्मयादिबोधक की परिभाषा
ऐसे शब्द जो वाक्य में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि भाव व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होते हैं , उन्हें
विस्मयादिबोधक कहा जाता हैं। ऐसे शब्दों के साथ विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे: अरे !, ओह!, शाबाश!, काश! आदि।

विस्मयादिबोधक के कुछ उदाहरण


● अरे ! तुम कब आए?
● हाय! मुझे देर हो गई।
● शाबाश! तुमने बहुत अच्छा किया।
● अच्छा! तो हम जाते हैं।
● वाह! वाह! वह कितना अच्छा गाती है।
● ओह! मुझे बहुत बुरा लग रहा है।
● छी! छी! कितनी गंदगी फैली है।
● क्या! यह सब कब हुआ ?

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