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ारत म ऊजा सस
ं ाधन

ऊजा संसाधन
ऊजा (शि त) संसाधन कसी दे श के सवागीण वकास क मह वपण ू कड़ी होते ह। मानव स यता और उसका
आ थक वकास ऊजा संसाधन के उपयोग से जड़ ु ा हुआ है । कसी भी दे श के औ यो गक वकास हे तु ऊजा या
शि त के संसाधन एक आव यक त व है । आधु नक औ यो गक यग ु म शि त के साधन ह कसी भी दे श क
आ थक ग त का सच ू क और आधार है ।

भारत म पर परागत ऊजा ोत म कोयला, पे ोल, ाकृ तक गैस, ताप ऊजा, परमाणु ऊजा और जल व यत

का योग कया जाता है ।

कोयला
टे न म हुई औ यो गक ाि त के आधार कोयले को उ योग क जननी, काला सोना और शि त का तीक
कहा जाता है ।
दे श म आज भी कोयला शि त का सबसे मह वपणू साधन है ।
वतमान कोयला खनन उ योग का वकास 1774 म आर भ हुआ, जब अं ेज वारा रानीगंज म कोयले का
पता लगाया गया।
भारत व व म कोयला उ पादन क ि ट से चीन व अमे रका के बाद तीसरे थान पर है ।
भारत व व का 4.7 तशत कोयला उ पा दत करता है ।
भारत क ऊजा का लगभग 60.0 तशत भाग कोयले से ा त होता है ।

काबन क मा ा के आधार पर व व तर पर कोयले को चार कार म वभािजत कया जाता है ।


(1) ए ेसाइट : काबन क मा ा 80 से 90 तशत तक।
(2) बटु मनस : काबन क मा ा 75 से 80 तशत तक ।
(3) ल नाइट : काबन क मा ा 50 तशत तक।
(4) पीट : काबन क मा ा 50 तशत से कम।

भारत म उपल ध कोयला दो भ-ू वै ा नक काल ख ड (अ) ग डवाना यग


ु ीन, (ब) टशयर काल से स बि धत
है ।

(अ) ग डवाना यग
ु ीन
उ पादन व उपभोग क ि ट से ग डवाना यग
ु ीन कोयले का सवा धक मह व है ।
भारत वष म इस कार का कोयला व भ न न दय क घा टय म पाया जाता है ।

(i) गोदावर घाट े


आ दे श रा य म व तत
ृ गोदावर नद क घाट म दे श के लगभग 7.5 तशत कोयले के भ डार ह ।
आ दलाबाद, कर मनगर, ख माम, वारं गल और पि चमी गोदावर मु य उ पादक िजले ह।
गोदावर और त दरू न दय के बीच के 250 वग कमी े म स ध कोयला े फैला हुआ है ।
रा य म संगरे नी कोयले का बड़ा उ पादक े है ।
यहाँ बाराकर ेणी क च टान 54 वग कमी म फैल हुई है ।
यहाँ कोयले क परत दो मीटर से भी अ धक मोट है ।
आ दे श का वा षक कोयला उ पादन 332 लाख टन है ।

(ii) महानद घाट े


उड़ीसा रा य म दे श के लगभग 25 तशत कोयले के भ डार मलते ह।
कुल उ पादन का 15.3 तशत भाग यहाँ से ा त होता है ।
रा य म ढकनाल िजले म तालचर कोयला े 548 वग कमी म फैला है ।
यहाँ का कोयला व यत ु उ पादन, उवरक तथा गैस उ पादन म यु त होता है ।
उड़ीसा तवष 523 लाख टन कोयले का उ पादन करता है ।

(ब) टशयर काल


भारत का 2 तशत कोयला टशयर काल क एवं मेसोजाइक काल क च टान म ा त होता है ।
इस कार के कोयले के 225 करोड़ टन के भ डार आंक लत कये गये ह।
इन ेणी के कोयले के ाि त के मु य े म असम, मेघालय, ज म-ू क मीर, त मलनाडू, राज थान,
अ णाचल दे श और पि चमी बंगाल रा य है ।
पि चमी बंगाल म पनकाबाड़ी मख ु कोयला उ पादक े है , यहाँ का कोयला बनावट म ग डवाना यग
ु ीन
कोयले से मलता है ।
अ णाचल दे श म डफाला पहा ड़य म डीगरॉक मख ु कोयला उ पादक े है ।
असम रा य म लखीमपरु , शवसागर िजल म माकूम े 80 कमी ल बाई म फैला है ।
यहाँ का कोयला गैस बनाने के लये अ धक उपयोगी है ।
मेघालय रा य म गारोखाासी जयि तयां पहा ड़य म टशयर काल के कोयले के भ डार है ।

(स) लगनाइट कोयला


हालां क काबन क मा ा के अनस ु ार लगनाइट कोयला घ टया माना जाता है पर तु ताप व यत
ु क ि ट से
यह कोयला भी मह वपण ू है ।
इस कार के कोयले के भ डार त मलनाडु म त वनालोर व वे लोर िजले म फैला नवेल लगनाइट कोयला
भ डार स ध है ।
जहाँ 330 करोड़ टन लगनाइट कोयले के भ डार है ।
यहाँ पर 1956 से नवेल लगनाइट ल मटे ड वारा कोयला खनन कया जा रहा है ।
राज थान के बीकानेर िजले म पलाना नामक थान पर लगनाइट क म का कोयला मलता है ।
बाड़मेर िजले म भी वष 2003 म लगनाइट के भ डार का पता लगा है ।
यहाँ पर बीकानेर म ि थत तापीय व यत ु गह
ृ म इस कोयले का योग कया जाता है ।

यापार
घरे लू माँग क पू त के बाद भारत वारा कोयले का नयात अपने पड़ोसी दे श बाँ लादे श, नेपाल, भट
ू ान,
यानमार एवं ीलंका को कया जाता है ।
वष 2010 म 521 करोड़ पये के कोयले का नयात कया गया।
भारत म उ च को ट का को कंग कोयला आ े लया, कनाड़ा व अ य यरू ोपीय दे श से आयात कया जाता है ।
वष 2012- 13 म 83,998.35 करोड़ पये के कोयले का आयात कया गया है ।

पे ो लयम
भारत म लगभग 30 लाख वष परु ानी अवसाद च टान म इसके भ डार उपल ध है ।
एक अनमु ान के अनस
ु ार भारत म व व का कुल सं चत तेल का 0.5 तशत ख नज तेल उपल ध है ।
भारत म तेल क ाि त अक मात हुई है । जब 1860 म असम रे लवे क पनी ने रे लवे लाइन बछाने के लए
माग रटा े म खद ु ाई क जा रह थी।
व धवत प से तेल के कँु ओं क खद
ु ाई आसाम रा य म ह 1866 म माकूम नामक थान पर 36 मीटर क
गहराई पर तेल ा त कया गया है ।
1890 म डगबोई म 202 मीटर क गहराई पर तेल ा त हुआ।
1899 म असम ऑयल क पनी का गठन कया गया।
1915 म बमा ऑयल क पनी ने सलचर के नकट सरू मा घाट म तेल खनन का काय ार भ कया।
1938 म नाहरक टया े म तेल क खोज हुई।
1956 म शवसागर िजले म तेल उपल ध हुआ।
1959 म बमा ऑयल क पनी और भारत सरकार के सांझे म ऑयल इि डया ल मटे ड क थापना हुई।
तेल एवं ाकृ त गैस आयोग (ONGC​) : 1953 से भारतीय भू वै ा नक सव ण वभाग ने दे श के व भ न
ह स म ाकृ तक तेल क खोज का काय ार भ कया।
1956 म तेल एवं ाकृ तक गैस आयोग का गठन कया गया।
यह आयोग समु के भीतर एवं थल भाग पर ख नज तेल क खोज का काय करता है ।
भारत पे ो लयम कारोशन : जनवर 1976 से भारत सरकार ने बमा शैल रफाइनर और बमा शैल ऑयल
क पनी पर अ धकार करके भारत पे ो लयम कारोशन बनाया गया।

ऑयल इि डया ल मटे ड : ख नज तेल एवं ाकृ तक गैस क खोज, खद


ु ाई और उ पादन करके उ ह तेल शोधन
कारखान और उपभो ताओं तक पहुँचाने का काय ऑयल इि डया ल मटे ड करता है ।

उ पादन एवं यापार


वतमान म दे श के न न ल खत े म ख नज तेल का खनन कया जा रहा है ।

(1) आसाम
रा य म डगबोई, सरु मा घाट और नवीन े म ख नज तेल के भ डार उपल ध है ।
लखीमपरु िजले म डगबोई, बधापग ंु , हं सापग
ंु थान पर ख नज तेल क ाि त 2000 मीटर क गहराई पर
होती है ।
यहाँ पर डगबोई म तेल शोधन कारखाना था पत है ।
जो वष म लगभग 4.0 मै क टन तेल का शोधन करता है ।
आसाम के सरु मा घाट े म बदरपरु , मशीनपरु और पथ रया थान पर 1971 से तेल का खनन कया जा
रहा है ।
मपु घाट के नवीन तेल े म नहरक टया, हुगर जन और मोरन थान पर 1953 से उ पादन ार भ
हुआ।
त वष लगभग 25 लाख मै क टन ख नज तेल ा त कया जा रहा है ।
यहाँ पर सागर, लकवा, गालेक , अमगर म तेल का खनन कया जाता है ।
इन े का तेल नन ू मती व बरौनी क तेल शोधन शालाओं म शु ध कया जाता है ।

(2) गजु रात


रा य म लगभग 15,500 वग कमी े म क छ क खाड़ी, सरू त, बड़ौदा, भडूचं , मेहसाना और खेड़ा िजल म
तेल के भ डार है ।
यहाँ पर अकले वर े म 1200 मीटर क गहराई पर ख नज तेल ा त होता है ।
यहाँ का वा षक उ पादन 30 लाख टन है ।
अंकले वर का पे ोल ा बे और कोयल शोधन शालाओं म भेजा जाता है ।
गज ु रात म ख भात क खाड़ी म 15 लाख टन तेल और 5 लाख घन मीटर गैस त वष ा त हो रह है ।
अहमदाबाद के पि चम म कलोल के नकट नवगांव, मेहसाणा, सान द, कोथाना थान पर भी तेल ा त हुआ
है ।

(3) उ र े
पंजाब के लु धयाना, हो शयारपरु और दासज
ू ा े , हमाचल दे श के वालामख
ु ी, धमशाला और नरू परु तथा
ज मू क मीर के मस ु लगढ़ म ख नज तेल ाि त क भरपरू संभावनाएं है ।
अभी इन थान पर ाकृ तक गैस ा त हुई है ।

तेल शोधन शालाएँ


दे श म कुल 22 तेल शोधन कारखाने कायरत है ।
इनम से 17 सावज नक े म 2 संयु त े तथा 3 नजी े म कायरत है ।
मख
ु तेल शोधन शालाओं क सं त जानकार सारणी नचे म द गई है ।

तेल शोधक कारखाने शोधन का थान वतमान मता

1 इि डयन ऑयल काप . ल. गह


ु ावट 1.00

2 इि डयन ऑयल काप . ल. बरौनी 6.00

3 इि डयन ऑयल काप . ल. कोयल 13.70

4 इि डयन ऑयल काप . ल. हि दया 7.50

5 इि डयन ऑयल काप . ल. मथरु ा 8.00

6 इि डयन ऑयल काप . ल. डगबोई 0.65

7 इि डयन ऑयल काप . ल. पानीपत 15.00

8 इि डयन ऑयल काप . ल. ब गाई गांव 2.35

9 ह द ु तान पे ो लयम काप . ल. मु बई 6.50

10 ह द ु तान पे ो लयम काप . ल. वशाखाप टम 8.30

पाइप लाइन (Pipe Lines)


भारत म अशु ध तेल को शोधनशाला तक एवं पे ो लयम पदाथ को उपभो ताओं तक पहुँचाने के लए पाइप
लाइन का इ तेमाल कया जा रहा है ।
भारत क मख ु पाइप लाइन इस कार ह -
.सं. पाइप लाइन ल बाई ( क.मी)

1. नाहरक टया-नन
ू मती-बरौनी 1152

2. ब बई हाई-मु बई-अंकले वर कोयल 210

3 सलाया-कोयल -मथरु ा 1075

4 मथरु ा- द ल -अ बाला-जाल धर 513

5 हजीरा- वजयपरु -जगद शपरु (HBJ) (यह कावस (गज


ु रात), 1750
अ ता (राज थान) तथा औरे या (उ र दे श) के तीन व यत

टे शन तथा वजयपरु , सवाई माधोपरु , जगद शपरु ,
शाहजहाँपरु , आँवला तथा बबराला के छ: उवरक संयं को
ाकृ तक गैस दान करती है ।)

6 काँदला-भ ट डा पाइप लाइन 1331

जल व यत

ऊजा के सभी प म व यत ु शि त सबसे यापक और सहज है ।
इसक माँग दे श के उ योग, प रवहन, कृ ष एवं घरे लू े म तेजी से बढ़ रह है ।
व यत ु शि त के अनेक व श ट गण ु है ।
इस लये इसक मांग भी अ धक है ।
वकास भारत म जल व यत ु शि त का वकास 1897 म दाज लंग म व यत ु आपू त के साथ ार भ हुआ।
बाद म कनाटन म शव समु म म जल व यत ु शि त गह ृ क थापना क गई।
1947 तक दे श म जल व यत ु शि त का वशेष वकास नह ं हुआ, पर तु पंचवष य योजना के दौरान तेजी से
व यत ु का वकास हुआ।
इसके लए दे श के व भ न ह स म जल व यत ु योजनाओं म भार पँज ू ी का नवेश कया गया।
दे श म सन ् 2010 म व यत ु उ पादन 163.6 हजार मेगावाट था।
व यत ु के वकास के लये के य व यत ु ा धकरण क थापना क गई।
1975 म जल व यत ु के वकास के लये रा य जल व यत ु शि त नगम क थापना क गई।
वतमान म 18 रा य म रा य व यत ु बोड था पत है ।
दे श म लघु जल व यत ु प रयोजनाओं क कुल अनम ु ा नत मता 15000 मेगावाट है ।
31 दस बर 2007 तक 611 जल व यत ु क प रयोजनाएँ परू कर ल गई है तथा 225 प रयोजनाएँ
नमाणाधीन है ।

व भ न रा य क मख ु जल व यत ु प रयोजनाएँ इस कार है -
आ दे श : नागाजन ु सागर, सले , ीशैलम, मचकु ड, तग ंु दा तथा नजाम सागर |
हमाचल दे श : बैरा सउल, नापचा, झाखड़ी, रामपरु , लह ु र , खा य, चमेरा, परावती, चर च द-च बा।
पंजाब : दे हर ( यास), भाखड़ा, प ग, गंगवान, कोटला, सनाम, भो का।
उ राख ड : खट मा, टहर , दे वसार , व णग ु ाद पपलकोट ।
झारख ड : सव ु णरे खा, मैथान।
राज थान : राणा ताप सागर, जवाहर सागर, माह बजाज सागर।
उड़ीसा : ह राकु ड, बाल मेला ।
महारा : जल व यत ु उ पादन म अ णी है ।
यहाँ जल व यत ु के वकास क उ म भौगो लक दशाएँ मौजद ू है ।
टाटा जल व यत ु (तीन शि त गहृ ), भवप र
ु , खोपोल , मीरा, कोयना, पण
ू ा, वेतरणा, भटनागर-बीड़ मु य जल
व यत ु के है ।
कनाटक : व यत ु शि त का उ पादन सव थम इसी रा य म हुआ था।
कावेर पर शवसमु म, शमला, जोग, तग ंु दा, भ ा, शराव त, आ द मख ु जल व यत ु योजनाएँ ह।

आण वक ऊजा
दे श म ऊजा क बढ़ती हुई माँग और सी मत संसाधन को दे खते हुए परमाणु ऊजा का वकास कया गया है ।
यह ऊजा रे डयोधम परमाणओ ु ं के वख डन से ा त क जाती है ।
ाकृ तक वख डन ज टल एवं खच ला होता है ।
पर तु इससे ा त व यत ु पया त स ती पड़ती है ।
इसका कारण है क एक कलो ाम यरू े नयम से िजतनी व यत ु पैदा क जा सकती है उसने के लये 20 से 25
लाख कलो ाम कोयले क आव यकता होती है ।
भारत म परमाणु ऊजा का वकास अ य दे श क तल ु ना म अभी कम है ।
यहाँ दे श के कुल ऊजा का तीन तशत भाग परमाणु ऊजा से स बि धत है ।
दे श म परमाणु ऊजा के वकास करने के लये 1954 म परमाणु ऊजा वभाग था पत कया गया है ।

परमाणु शि त के ोत
परमाणु शि त के लये रे डयोध मता यु त व श ट कार के ख नज , यरू े नयम, थो रयम, बेरे लयम,
ऐ मेनाइट, िजरकन, ेफाइट और ए ट मनी का योग कया जाता है ।
भारत म इस कार के ख नज क उपलि ध का सं त ववरण इस कार है ।

​ व यत
ु गह
ृ ार भ होने का मता (MW) समय

1 तारापरु (महारा ) 1969, 1970 160 x 2

2 रावतभाटा-I (राज थान) 1973, 1981 200 x 2

3 कलप कम (त मलनाडु) 1984, 1986 235 x 2

4 नरौरा (उ र दे श) 1991, 1992 235 x 2

5 काकरापार (गज
ु रात) 1993, 1995 235 x 2

6 कैगा (कनाटक) 2000, 2000 235 x 2

रावतभाटा-II (राज थान) 2000, 2000 235 x 2

8 तारापरु (महारा ) 2006, 2006 500 x 2


9 कैगा (कनाटक) 2007 235 x 4

10 रावतभाटा-III (राज थान) 2008 500 x 4

11 कुदानकुलम (त मलनाडु) 2007, 2008 1000 x 2

12 कलप कम (त मलनाडु) 2010 500

(1) यरू े नयम


बहार के संहभम
ू और राज थान क धारवाड़ एवं आ कयन च टान , उ र बहार, आ दे श के नै लौर,
राज थान के अ क के े म पै मेटाइट च टान म, केरल के समु तट य भाग म मोनोजाइट न ेप म,
हमाचल दे श के कु ल,ु चमोल िजल क च टान म यरू े नयम ा त कया जाता है ।

(2) थो रयम
केरल क समु तट य रे त म 8-10 तशत तथा बहार के रे त म 10 तशत तक मोनोजाइट ख नज ा त
होता है । िजससे थो रयम ा त कया जाता है ।

(3) इ मेनाइट
भारत के पि चमी तट पर कुमार अ तर प, नबदा नद के ए चरू , महानद क रे त से ा त कया जाता है ।
केरल क रे त म इ मेनाइट के 93 तशत भ डार उपल ध है ।

(4) बे र लयम
राज थान, बहार, आ दे श, त मलनाडू के अ क खनन े से बे र लयम ा त कया जाता है ।

(5 ेफाइट
उड़ीसा म कालाहा डी, गंजाम, कोरापट ु िजल , आ दे श म वारं गल, वशाखाप टनम, पि चमी गोदावर ,
त मलनाडु म ती नवेल , कनाटक म मैसरू , राज थान म जयपरु , अजमेर, म य दे श म बेतल ू , बहार म
भागलपरु , सि कम म सच ंू ता ग िजल से ा त कया जाता है ।
ेफाइट के कुल उ पादन का 50 तशत उड़ीसा, 20 तशत बहार, 18 तशत आ दे श से ा त होता
है ।

परमाणु शि त का वकास
भारत म परमाणु काय म के शभ ु ार भ कता डॉ. होमी अँहागीर भाभा थे।
1948 म परमाणु ऊजा आयोग क थापना हुई।
1954 म परमाणु ऊजा सं थान ॉ बे म था पत कया गया।
िजसे 1967 म भाभा अनस
ु ध
ं ान के नाम दया गया। 1987 म भारतीय परमाणु व यत
ु नगम क थापना
क गई।
िजसके अधीन दस परमाणु शि त गह ृ है ।
िजनक कुल था पत व यत ु मता 2770 मेगावाट है ।
वतमान म दे श म 17 परमाणु रये टर संचा लत हो रहे है िजनक कुल व यत
ु उ पादन मता 4800
मेगावाट है ।
भारत म था पत परमाणु ऊजा के का ववरण इस कार है -

गैर प परागत ऊजा संसाधन


पर परागत ऊजा के सभी संसाधन सी मत और समा त ाय है ।
पयावरण क ि ट से भी वे अ धक दष ू णकार होते ह।
इस लए स पण ू व व और भारत म ऊजा के न यकरणीय और गैर पर परागत संसाधन के उपयोग पर बल
दया जा रहा है ।
1982 म ऊजा मं ालय के अधीन गैर पर परागत ऊजा वभाग था पत कया गया।
1987 म व व बक क सहायता से भारतीय न यकरणीय वकास एजे सी (IRDA​) क थापना क गई है ।
इस सं था वारा भारत म सौर ऊजा, पवन ऊजा, जै वक ऊजा, महासागर य ऊजा, हाइ ोजन ऊजा के वकास,
उपयोग पर जोर दया जा रहा है ।

1. पवन ऊजा
भारत जैसे वशाल दे श म पवन ऊजा क कुल मता 45000 मेगावाट है ।
ए शया महा वीप क वशालतम पवन ऊजा वारा व यत ु उ पादन क 150 मेगावाट उ पादन मता क
प रयोजना मु पडाल, त मलनाडु म ि थत है ।
दे श म पवन ऊजा के उ पादन के े म त मलनाडू रा य का थान थम है ।

.सं. रा य उ पादन मेगावाट

1 त मलनाडु 6007

2 महारा 2310

3 गज
ु रात 2884

4 कनाटक 1730

5 राज थान 1524

2. सौर ऊजा
भारत एक उ ण क टबंधीय दे श है ।
जहाँ पर सौर ऊजा के उ पादन क अपार संभावनाएँ उपल ध है ।
दे श के अ धकाँश भाग म 300 से भी अ धक दन खल ु और व छ धप ू ा त होती है ।
यहाँ त वष 5000 लयन कलोवाट/ त घ टा सय ू व करण ा त होता है ।
सौर ऊजा से पानी गरम करने, फसल पकान, भोजन बनाने, व यत ु प प चलाने जैसे एवं औ यो गक एवं
घरे लू व यतु उ पादन का काय कया जाने लगा है ।
ऊजा मं ालय वारा रा य तर पर सौर तापीय ऊजा काय म एवं सौर फोटोवो ट क काय म चलाये जा रहे
ह।
भारत म आं दे श के त प त बालाजी दे व थान वारा व व क सबसे बड़ी सौर ऊजा संचा लत भोजन
बनाने क णाल अ टूबर 2002 म शु क गई।
िजसम 15000 लोग का त दन भोजन तैयार कया जा रहा है ।
इसी कार राज थान म बडला इ टूट ऑफ टे नोलॉजी ए ड साइ स पलानी म राज थान का सबसे बड़ा सौर
ऊजा वाटर ह टर लगाया गया है । जहाँ 55 हजार ल टर पानी को गम कया जा रहा है ।
सौर ऊजा का अब वा णि यक तर पर भी योग कया जाने लगा है ।
वष 2010 तक दे श म 15 लाख वग मीटर सौर ऊजा सं ाहक े था पत कया जा चक ु ा है ।
िजसक 66.5 मेगावाट मता क 10,38,000 से अ धक फोटोवोि टक णा लयाँ वक सत क गई है ।
दे श म 6 लाख घरे लू काश उपकरण, 8 लाख सोलर लालटे न, 90 हजार सौर ऊजा क संचा लत सड़क लाइट
और 141 सौलर पावर पेक था पत कये जा चक ु े ह।
वतमान म दे श म 60 शहर को सौर ऊजा नगर के प म वक सत करने क योजना है ।
इस योजना के तहत 50 हजार से 5 लाख तक क जनसं या वाले नगर को सि म लत कया गया है ।
दे श म सौर ऊजा के वकास के लये 11 जनवर , 2010 को जवाहर लाल नेह सोलर मशन ार भ कया
गया ।
इस मशन म 13वीं पंचवष य योजना के तहत 2022 तक 20000 मेगावाट सौर ऊजा के उ पादन का ल य
रखा गया है ।
दे श म सौर ऊजा उ पादन को सारणी सं या 17.7 म दशाया गया है ।

3. जै वक ऊजा
जै वक ऊजा के वकास के लये रा य काय म संचा लत कया जा रहा है ।
िजसका उ दे य व भ न कार क बायोमास साम ी का अ धकतम उपयोग करना है ।
इसम वन और कृ ष अप श ट से ऊजा उ पादन सि म लत है ।
भारत सरकार ने 2015 तक 16.5 म लयन हे टर पर जे ोफा नामक फसल के रोपण का ल य रखा गया है ।
िजससे बायो डीजल बनाने क मह वाकां ी प रयोजना संचा लत हो सकेगी।
11वीं पंचवष य योजना के अ तगत 620 मेगावाट बायोमास ऊजा वक सत करने का ल य रखा गया है ।
अ टूबर 2013 तक 1248 मेगावाट व यत ु मता ा त क गई है ।
ामीण े म गोबर, कूड़ा-करकट और मानव मल से बायोगैस का वकास कया गया है ।
इसका उ दे य गांव म स ते एवं वैकि पक ऊजा ोत उपल ध कराना है ।
नगर एवं उ योग से नकलने वाले कूड़े-कचरे का उपयोग ऊजा के उ पादन म कया जाने लगा है ।
महानगर म इस काय म को संचा लत कर पयावरण क र ा के साथ साथ ऊजा के वैकि पक साधन का भी
वकास कया जा रहा है ।
इस कार के संयं तानक ू ू (आं दे श), फैजाबाद (उ र दे श), अंकले वर (गज
ु रात), मु तसर (पंजाब),
बेलगाम (कनाटक) म था पत कये गये ह।
बायोगैस बजल उ पादन के लये कचरे से ऊजा ा त करने क 20 प रयोजनाएँ ार भ क गई है ।
िजनक कुल था पत मता 25.27 मेगावाट है ।
नगर नगम के वारा ठोस कचरे से ऊजा ा त करने के लये है दराबाद, वजयवाड़ा और लखनऊ म 17.6
मेगवाट मता वाल तीन प रयोजनाएँ था पत क गई है ।
लु धयाना म पशओ ु ं के अप श ट पर आधा रत प रयोजना, सरू त म ग दे जल क सफाई संयं म बायोगैस से
ऊजा उ पादन, वजयवाड़ा म स जी बाजार के कचरे से 150 कलोवाट का संयं था पत कया गया है ।
चे नई म 250 कलोवाट क मता वाला संयं स जी बाजार के कचरे का उपयोग कर रहा है ।

मह वपण
ू ब दू
1. कसी भी दे श के औ यो गक वकास हे तु शि त के संसाधन एक आव यक त व है ।
2. ऊजा के सभी साधन को पर परागत और गैर– पर परागत संसाधन म वग कृत कया जाता है ।
3. काबन क मा ा के आधार पर कोयला ए धेसाइट, बटु मनस, ल नाइट व पीट म वभािजत कया जाता
है ।
4. भारत म कोयला दो कालख ड - ग डवाना और टर शयर काल का पाया जाता है ।
5. गो डवानायग ु ीन कोयला दामोदर, मरानद , सोन, गोदावर न दय क घाट म पाया जाता है ।
6. भारत म व व के कुल 0.5 तशत पे ोल के भ डार उपल ध
7. ाकृ तक तेल क खोज के लए 1956 म ONGC​ क थापना क गई है ।
8. भारत म कुल 22 तेल शोधन कारखाने कायरत है ।
9. दे श म पहल पाइन लाइन असम म नाहरक टया से बरौनी तक 1152 कमी. ल बी बछाई गयी है ।
10. भारत म जल व यत ु का ार भ 1897 म दाज लग से ार भ हुआ।
11. आण वक ऊजा के मु य ख नज यरू े नयम, थो रयम, िजरकन, ेफाइट, इलोनाइट है ।
12. भारत म 17 परमाणु रए टर संचा लत है िजनक उ पादन मता 4800 मेगावाट है ।
13. ऊजा के गैर पर परागत साधन म सौर ऊजा, पवन ऊजा, भत ू ापीय ऊजा, वार य ऊजा और जै वक ऊजा
सि म लत होते ह।
14. 13 वीं पंचवष य योजना म 2022 तक 20 हजार मेगावाट और ऊजा के उ पादन का ल य रखा गया है ।

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