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भारत के पवत

भारत म अनेक पवत ंख ृ लाएं ह।


पवत भौगो लक व वधता के साथ-साथ अतल ु नीय जैव व वधता के भी मह वपण ू ोत ह।
भारत व व के 12 महा वंशाणु के का ह सा तो है ह , इसके अलावा संसार के जैव व वधता के 25 मह वपण

थान म से 2 अ त मह वपण ू थान भारत म ह ह जैसे ‘पव ू हमालय तथा पि चमी घाट’।
भारत के पवत औषधीय पेड़-पौध व ख नज क असी मत मा ा के भंडार ह।
इसके अ त र त यह पवत दे श क जलवायु को भी नधा रत करते ह।
भारत म उ र सरे पर दो पवत ंख ृ लाएं ह, काराकोरम पवत ंख ृ लाएं और हमालय।
भारत के म य भाग म व यांचल क पहा डयां ़ ह िज ह ने भारत को दो भाग म वभािजत कया है ।
भारत के द णी तट पर दो पवत ंख ृ लाएं है िज ह भारत के पवू घाट व पि चमी घाट कहते ह।

हमालय
भारत म ि थत एक ाचीन पवत ंख ृ ला है ।
हमालय को पवतराज भी कहते ह िजसका अथ है पवत का राजा।
का लदास तो हमालय को प ृ वी का मानदं ड मानते ह।
हमालय क पवत ंखलाएँ शवा लक कहलाती ह। स दय से हमालय क क दराओं (गफ ु ाओं) म ऋ ष-मु नय का
वास रहा है और वे यहाँ समा ध थ होकर तप या करते ह।
हमालय आ या म चेतना का व ु क है ।
उ राखंड को ेय जाता है इस " हमालयानाम ् नगा धराजः पवतः" का दय कहाने का।
ई वर अपने सारे ऐ वय- खब ू सरू ती के साथ वहाँ व यमान है ।
' हमालय अनेक र न का ज मदाता है ( अन तर न भव य य य), उसक पवत- ंखलाओं म जीवन औष धयाँ
उ प न होती ह ( भवि त य ौषधयो रज याय तैल परु त सरु त द पः), वह प ृ वी म रहकर भी वग है ।(
भू म दव भ वा ढं )।
हमालय एक पवत त है जो भारतीय उपमहा वीप को म य ए शया और त बत से अलग करता है ।
यह पवत त मु य प से तीन समानांतर े णयां- महान हमालय, म य हमालय और शवा लक से मलकर
बना है जो पि चम से पव ू क ओर एक चाप क आकृ त म लगभग 2400 क॰मी॰ क ल बाई म फैल ह।
इस चाप का उभार द ण क ओर अथात उ र भारत के मैदान क ओर है और के त बत के पठार क ओर है ।
इन तीन मु य े णय के आलावा चौथी और सबसे उ र ेणी को परा हमालय या ांस हमालय कहा जाता है
िजसम कराकोरम तथा कैलाश े णयाँ शा मल है । हमालय पवत 7 दे श क सीमाओं म फैला ह।
ये दे श ह-
पा क तान,अफगा न तान , भारत, नेपाल, भट ू ान, चीन और यांमार।

संसार क अ धकांश ऊँची पवत चो टयाँ हमालय म ह ि थत ह।


व व के 100 सव च शखर म हमालय क अनेक चो टयाँ ह।
व व का सव च शखर माउं ट एवरे ट हमालय का ह एक शखर है ।
हमालय म 100 से यादा पवत शखर ह जो 7200 मीटर से ऊँचे ह। हमालय के कुछ मख ु शखर म सबसे
मह वपण ू सागरमाथा हमाल, अ नपण ू ा, शवशंकर, गणेय, लांगतंग, मानसल,ू रॊलवा लंग, जग
ु ल, गौर शंकर,
कंु भ,ू धौला गर और कंचनजंघा है ।
हमालय ेणी म 15 हजार से यादा हमनद ह जो 12 हजार वग कलॊमीटर म फैले हुए ह।
72 कलोमीटर लंबा सया चन हमनद व व का दस ू रा सबसे लंबा हमनद है ।
हमालय क कुछ मख ु न दय म शा मल ह - संध,ु गंगा, मपु और यांगतेज।
भ-ू नमाण के स धांत के अनस ु ार यह भारत-आ े लया लेट से ए शयाई लेट को टकराने से बना है ।
हमालय का नमाण
हमालय के नमाण म थम उ थान 650 लाख वष पव ू हुआ था और म य हमालय का उ थान 450 लाख वष
पवू हमालय म कुछ मह वपण ू धा मक थल भी है ।
इनम ह र वार, ब नाथ, केदारनाथ, गोमखु , दे व याग, ऋ षकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ,शाक भर
मखु ह।
भारतीय ंथ गीता म भी इसका उ लेख मलता है ।
जहाँ आज हमालय है वहां कभी टे थस नाम का सागर लहराता था।
यह एक ल बा और उथला सागर था।
यह दो वशाल भू - ख डो से घरा हुआ था।
इसके उ र म अंगारालै ड और द ण म गो वानालै ड नाम के दो भू - ख ड थे ।
लाख वष इन दोन भू - ख डो का अपरदन होता रहा और अपर दत पदाथ ( म ट , क कड, बजर , गाद आ द)
टे थस सागर म जमा होने लगे ।
ये दो वशाल भू - ख ड एक - दस
ु रे क ओर खसकते भी रहे ।
दो वरोधी दशाओ म पड़ने वाले दबाव के कारण सागर म जमी म ट आ द क परतो म मोड़ (वलय) पड़ने लगे।
ये वलय वीप क एक ंख ृ ला के प म पानी क सत से ऊपर आ गए।
यह या नरं तर चलती रह और कला तर म वशाल व लत पवत े णयो के नमाण हुआ िज हे आज हम
हमालय के नाम से जाना जाता ह।

हमालय क उ प
हमालय क उ प क या या कोबर के भस ू न त स धांत और लेट ववत नक स धांत वारा क जाती है ।
पहले भारतीय लेट और इस पर ि थत भारतीय भख ू ड ग डवानालै ड नामक वशाल महा वीप का ह सा था
और अ का से सटा हुआ था िजसके वभाजन के बाद भारतीय लेट क ग त के प रणाम व प भारतीय
ाय वीपीय पठार का भख
ू ड उ र क ओर बढ़ा।
ऊपर टै शयस काल म (840 लाख वष पवू ) भारतीय लेट ने तेजी से उ र क ओर ग त ारं भ क और
तकर बन 6000 क॰मी॰ क दरू तय क ।
यरू े शयाई और भारतीय लेट के बीच यह टकराव समु लेट के नमि जत हो जाने के बाद यह समद
ु -समु
टकराव अब महा वीपीय-महा वीपीय टकराव म बदल गया और (650 लाख वष पव ू ) के य हमालय क रचना
हुई।
तब से लेकर अब तक तकर बन 2500 कमी क भप ू पट य लघक ु रण क घटना हो चकु है ।
साथ ह भारतीय लेट का उ र पव ू ह सा 45 अंश के आसपास घड़ी क सइ ु य के वपर त दशा म घम ू चक
ु ा है ।
इस टकराव के कारण हमालय क तीन े णय क रचना अलग-अलग काल म हुई िजसका म उ र से द ण
क ओर है । अथात पहले महान हमालय, फर म य हमालय और सबसे अंत म शवा लक क रचना हुई।

हमालय पवत त को तीन मु य े णय के प म वभािजत कया जाता है जो पा क तान म स धु नद के


मोड़ से लेकर अ णाचल के मपु के मोड़ तक एक दस ू रे के समानांतर पायी जाती ह।
चौथी गौड़ ेणी असतत है और परू ल बाई तक नह ं पायी जाती है ।

​ े चार े णयाँ ह-
(क) परा- हमालय,
(ख) महान हमालय
(ग) म य हमालय
(घ) शवा लक।

परा हमालय
इसे ांस हमालय या टे थीज हमालय भी कहते ह, यह हमालय क सबसे ाचीन ेणी है ।
यह कराकोरम ेणी, ल दाख ेणी और कैलाश ेणी के प म हमालय क मु य े णय और त बत के बीच
ि थत है ।
इसका नमाण टे थीज सागर के अवसाद से हुआ है ।
इसक औसत चौड़ाई लगभग 40 कमी है ।
यह ेणी इ डस-सांप-ू शटर-ज़ोन नामक शं वारा त बत के पठार से अलग है ।

महान हमालय
इसे हमा भी कहा जाता है हमालय क सबसे ऊँची ेणी है । इसके ोड म आ नेय शैल पायी जाती है जो ेनाइट
तथा गै ो नामक च टान के प म ह।
पा व और शखर पर अवसाद शैल का व तार है ।
क मीर क जां कर ेणी भी इसी का ह सा मानी जाती है ।
हमालय क सव च चो टयाँ मकाल,ू कंचनजंघा, एवरे ट, अ नपण ू और नामचा बरवा इ या द इसी ेणी का
ह सा ह।
यह ेणी मु य के य ेप वारा म य हमालय से अलग है ।
हालां क पव
ू नेपाल म हमालय क तीन े णयाँ एक दस ू रे से सट हुई ह।

म य हमालय
यह हमालय के द ण म ि थत है ।
महान हमालय और म य हमालय के बीच दो बड़ी और खल ु घा टयाँ पायी जाती है - पि चम म का मीर घाट
और पव ू म काठमा डू घाट ।
ज म-ू क मीर म इसे पीर पंजाल, हमाचल म धौलाधार,उ राखंड म म सोर या नाग ट बा तथा नेपाल म
महाभारत ेणी के प म जाना जाता है ।

शवा लक ेणी
शवा लक ेणी को बा य हमालय या उप हमालय भी कहते ह।
यहाँ सबसे नयी और कम ऊँची चोट है ।
पि चम बंगाल और भट ू ान के बीच यह वलु त है बाक परू े हमालय के साथ समानांतर पायी जाती है ।
अ णाचल म मर , म मी और अभोर पहा ड़यां शवा लक का ह प ह।
शवा लक और म य हमालय के बीच दन ू घा टयाँ पायी जाती ह।

अरावल पवत ंख ृ ला
इसक सीमा गज ु रात से शु होकर राज थान, ह रयाणा होकर द ल तक जाती है ।
भारत क नह ं परू े व व क ाचीनतम पवत ंख ृ लाओं म से एक है ।
अरावल पवत ंख ृ ला क ल बाई 692 क0मी0 है ।
अरावल पवत ंख ृ ला क औसत ऊँचाई 920 मी0 है ।
चौड़ाई गजु रात क तरफ अ धक एवं द ल क तरफ घटती है ।
इसका उ चतम शखर गु शखर िजसक ऊँचाई 1722 मी0 है , राज थान के सरोह िजले म माउं ट आबू के पास
ि थत है ।
उदयपरु म अरावल पहा ड़य को ज गा पहा ड़य के नाम से जानी जाती है ।
अलवर के पास इ हे हषनाथ क पहा ड़य के नाम से जाना जाता है ।
द ल म द ल पहा ड़य के नाम से जाना जाता है ।
द ल म रा प त भवन रायशेला पहा ड़य पर है । यह पहाड़ीयां भी अरावल पहा ड़य का ह अंग है ।
कई कार के ख नज पाये जाते है । जैसे शीशा, तांबा एवं ज ता ।
इस पवत ंख ृ ला क अ य मह वपण ू चो टयां है ।
सेर – 1597 मी0, माउं ट आबू के पास सरोह िजले म ।
रघनु ाथ गढ़ – 1055 मी0, सीकर राज थान म ।
अचलगढ़ – 1380 मी0, सरोह िजले म ।
दलवाड़ा – 1442 मी0, सरोह िजले म, यह ं पर एक जैन मं दर भी है ।

वं याचल पहा ड़यां


वं याचल पहा ड़य क भौगो लक ि थ त इस कार है –
मालवा के पठार के द ण म ।
सोन नद के उ र म ।
गज ु रात तथा राज थान क सीमा के पव ू म।
गज ु रात से शु होकर म य दे श, उ र दे श, तथा बहार तक जाती है । इसी पवत ंखृ ला को तीन भाग म बाँटा
जा सकता है ।
भारनेर क पहा ड़यां- म य दे श म ।
केमरू - उ र दे श, बहार तथा म य दे श म ।
पारसनाथ- झारख ड म ।
वं याचल पवत ंख ृ ला क कुल ल बाई 1050 क0मी0(कैमरू पहा ड़य को मलाकर) है ।
वं याचल पवत ंख ृ ला क औसत ऊँचाई 300-600 मी0 है ।
वं यांचल पवत ंख ृ ला का सबसे उ चतम ब द ु सदभावना शखर है । म य दे श म भारनेर पहा ड़य का ह सा
है ।

सतपड़ ु ा पहा ड़यां


सतपड़ ु ा पहा ड़य के उ र म नरमदा नद बहती है , तथा द ण म तापती नद बहती है । दोन ह श
ं घा टय म
बहती है ।
सतपड़ ु ा क पहा ड़य को तीन भाग म बाँटा जाता है ।
राज पीपला पहा ड़यां ।
महादे व क पहा ड़यां ।
सतपड़ ु ा क पहा ड़य का सबसे उ चतम बंद ू धप
ू गढ़ इसी का ह सा है ।
धपू गढ़ क चोट पंचमड़ी नगर के पास ि थत है ।
तापती नद का ोत भी महादे व क पहा ड़यां ह ह ।
मैकाल क पहा ड़यां।
अमरकंटक जहां से नमदा एवं सोन नाम क दो न दयां नकलती है , इसी मैकाल क पहा ड़य क ह सा है ।
अमरकंटक ह मैकाल क पहा ड़य का उ चतम बंद ू भी है इसक ऊंचाई 1036 मीo है ।

पवू र क पहा डयां


ये पहा ड़यां हमालय पवत का ह ह सा है ।
ये पहा ड़यां मु यतः पांच रा य म बट हुयीं ह – मेघालय, असम, नागालै ड, म णपरु एवं मजोरम ।
मेघालय म है – गारो, खासी और जय ती ।
जय ती पहा ड़य का कुछ भाग असम म भी आता है ।
पटकायी बम ू - असम, नागालै ड, म णपरु एवं मजोरम म फैल हुयी है ।
पटकायी बम ू पवत े णय को अलग-अलग रा य म अलग-अलग नाम से जाना जाता है ।
नागालै ड म नागा पहा ड़यां ।
मजोरम म लश ु ाई पहा ड़यां ।
हमालय पहा ड़य के यांमार म पड़ने वाले ह से को अराकान योमा कहा जाता है ।

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