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कक्षा छठीं अध्ययन सामग्री द्वितीय सत्र HINDI
कक्षा छठीं अध्ययन सामग्री द्वितीय सत्र HINDI
Class- VI
Hindi
के न्द्रीय विद्यालय संगठन
देहरादून
1
वहंदी
अध्ययन सामग्री
सश्र
ु ी मीनाक्षी जैन उपायक्
ु त
केंद्रीय विद्यालय संगठन
दे हरादन
ू संभाग
श्रीमती सक
ु ृ नत रै िानी श्री डी.एस. नेगी
सहायक आयक्
ु त सहायक आयक्
ु त
विषयिस्तु ननमााणकर्त्ाा
• 1. श्रीमती पूनम उननयाल प्र. स्ना . शि. (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय ओ.एल.एफ. दे हरादन
ू
• 2. श्रीमती कविता िमाा प्र. स्ना. शि. (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय आई.टी.बी.पी. प्रथम पाली
• 3. श्री पंकज नतिारी प्र. स्ना . शि. (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय कािीपुर
• 4. श्री पी. के. शसंह प्र. स्ना . शि. (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय बनबसा कैंट
• 5. श्रीमती सररता प्र. स्ना . शि. (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय आई.आई.पी. दे हरादन
ू
समीक्षकगण
• 1 श्री िैलेष कुमार गप्ु त स्नातकोर्त्र शिक्षक (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय वपथौरागढ़
• 2 श्री चन्द्द्रिेखर पाण्डेय प्र. स्ना .शिक्षक (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय वपथौरागढ़
• 3 श्री प्रबोध कुमार िुक्ल प्र. स्ना .शिक्षक (हहंदी) केंद्रीय विद्यालय वपथौरागढ़
• 4 सुश्री पूजा बाशलयान प्र. स्ना .शिक्षक्षका (संस्कृत) केंद्रीय विद्यालय वपथौरागढ़
2
छात्रों के लिए
प्रिय प्रिद्यार्थियो,
िर्िमान शैक्षणिक सत्र कई मायनों में ऐतर्हालसक रहा है । महामारी ने न केिि भौतर्क कक्षाओं
को बार्िर् ककया बल्कक आभासी लशक्षि के माध्यम से लशक्षकों के मार्िदशिन में कक्षा र्तर्प्रिर्ियों,
प्रिशेष रूप से िेखन और इसके त्िररर् सुिार को ितर्स्थाप्रपर् करने के लिए बाध्य ककया है |
ल्िससे परीक्षा के र्ौर-र्रीकों से िेकर परू ी लशक्षि व्यिस्था में क्ांतर्कारी बदिाि आया । िश्नों
के तनमािि से िेकर उनके मूकयांकन और परीक्षाओं की संख्या और परीक्षा की अिर्ि र्क -
पररिर्िन से कुछ भी अछूर्ा नहीं रहा है । यह िह समय है िब हम इन पररिर्िनों को अपनाने
के लिए खद
ु को र्ैयार करर्े हैं िैसा कक हमने आभासी कक्षाओं के मामिे में , परीक्षा के पररदृश्य
में ककया है और महामारी के कारि हमारे सामने आने िािी चन
ु ौतर्यों में छुपी संभािनाओं का
पर्ा िर्ाया है ।
नई लशक्षा नीतर् भी हमारे ज्ञान पररदृश्य में बडे पैमाने पर सकारात्मक पररिर्िन का एक माध्यम
है । आइए, हम इन सभी पररिर्िनों का स्िार्र् करें और पररिर्िन के आह्िान का उत्तर दे ने िािे
िथम व्यल्तर् होने पर स्ियं को र्ौरिाल्विर् महसूस करें ।
नई लशक्षा नीतर् के आिोक में केवरीय प्रिद्यािय संर्ठन द्िारा कक्षा छठ ं से आठिीं की कक्षा
के प्रिद्यार्थियों के लिए मूकयांकन की नई संरचना िस्र्ाप्रिर् की र्ई है । सम्पूिि शैक्षणिक सत्र में
प्रिद्यार्थियों का दो सत्रों (प्रथम सत्र - अिैि से लसर्ंबर और द्वितीय सत्र - अतटूबर से माचि) में
समग्र मूकयांकन हे र्ु कई मूकयांकन प्रिर्ियों का अनुियोर् ककया िार्ा है । ल्िसके अंर्र्िर् ित्येक
सत्र में प्रिषय समद्
ृ र्ि र्तर्प्रिर्ि (SEA), नोट बुक िस्र्ुतर् (NB), आिर्िक परीक्षाएं (PT), बहु
प्रिषयक पररयोिनाएं (MDP), लशक्षार्थियों की डायरी (LD), और प्रििेचनात्मक और रचनात्मक
र्चंर्न (CCT) मूकयांकन विधधयााँ शालमि हैं। यह आकिन ित्येक सत्र में तनयलमर् रूप से
और िर्ार्ार ककया िाना चाहहए। यह आकिन कोप्रिड-19 महामारी एसओपी की ल्स्थतर् के
हदशा-तनदे शानुसार आभासी/भौतर्क माध्यम से ककया िाएर्ा। प्रिद्यार्थियों को सिाह दी िार्ी है
कक िे नई लशक्षा नीतर्-2020 के अनस
ु ार शरू
ु की र्ई सीखने और मक
ू यांकन िकक्या / प्रिर्ियों को
भिी- भााँनत समझें और प्रिद्िान प्रिषय लशक्षकों के उर्चर् मार्िदशिन के साथ सभी िकार के िश्नों
को हि करने का ियास करें ।
अर्ः पाठ को ध्यान से पढ़ना और उसे अच्छ र्रह समझना अत्यर्िक महत्िपूिि है । इसलिए
कृपया पाठ्यिस्र्ु को पढ़ने और लिखने के अभ्यास को अपनी सभी शैक्षणिक र्तर्प्रिर्ियों का केंर
बनाएं। अपनी एनसीईआरटी पस्
ु र्कों को अपनी मख्
ु य पस्
ु र्कों के रूप में िाथलमकर्ा दें और
3
समप्रपिर् लशक्षकों की एक टीम द्िारा र्ैयार की र्ई अध्ययन सामग्री का भी अििोकन अिश्य
करें , ल्िवहोंने हमारे सभी प्रिय प्रिद्यार्थियों की आिश्यकर्ाओं को समझकर उसके अनुरूप सामग्री
को प्रिकलसर् करने में पयािप्र् समय हदया है । ित्येक प्रिषय एिं पाठ की िासंर्र्कर्ा और
संक्षक्षप्र्र्ा पर ध्यान हदया र्या है - यह सामग्री आपकी एनसीईआरटी पुस्र्कों की पूरक है और
ककसी भी र्रह से इसे इसके प्रिककप के रूप में नहीं लिया िाए |
मझ
ु े यकीन है कक इस अध्ययन सामग्री में आपको द्प्रिर्ीय सत्र के लिए आिश्यक सभी
इकाइयााँ / अध्याय एक साथ उपिब्ि होंर्े, माइंड मैप, टे बि, नमूना परीक्षि सामग्री आहद आपके
लिए उपयोर्ी लसद्ि होंर्े । यह िरूरी है कक आप स्ियं को अद्यर्न रखें और अध्ययन सामग्री
को िाप्र् करने के उपरांर् भी भप्रिष्य में होने िािे ककसी भी अवय बदिाि के लिए सीबीएसई की
िेबसाइट का तनयलमर् रूप से अििोकन करर्े रहें । आशा है कक लशक्षकों के अथक ियास से
तनलमिर् यह अध्ययन सामग्री आपको अपने दस
ू रे सत्र की परीक्षा में श्रेष्ठ िदशिन करने में सहायक
लसद्ि होर्ी ।
शभ
ु कामनाएाँ |
*******************************************
4
अनक्र
ु मणणका
क्रम संख्या पाठ का नाम पष्ृ ठ संख्या
1. अपहठत बोध (गद्यांि) 6-9
2. पहठत बोध (कावयांि) 9-12
3. संिाद लेखन 12-16
4. अनुच्छे द लेखन 16-19
5. पत्र लेखन 19-26
पाठ्य पुस्तक (िसंत – भाग – 1)
6. जो दे खकर नहीं दे खते 26-34
7. संसार पस्
ु तक है 34-39
8. मैं सबसे छोटी होऊाँ 39-45
9. लोकगीत 45-50
10. नौकर 50-56
11. िन के मागा में 56-59
12. सााँस-सााँस में बााँस 60-68
बाल राम कथा
13. सोने का हहरण 68-71
14. सीता की खोज 72-75
15. राम और सुग्रीि 75-78
16. लंका में हनुमान 78-84
17. लंका विजय 84-86
18. राम का राज्याशभषेक 87-89
19. भाषा एिं वयाकरण 89-101
20. प्रनतदिा प्रश्न-पत्र 102-118
5
अपहठत गद्यांि
ककसी भी समाचार पत्र का सिाप्रथम उद्दे श्य जनता को संसार के ककस कोने में , कहााँ
क्या हो रहा है , इसका सही-सही ज्ञान कराना होना चाहहए । जो समाचारपत्र अपने ककसी ननजश्चत
संकुधचत उद्दे श्य की पनू ता के शलए भ्रामक बातों का प्रचार करके जनता को पथभ्रष्ट करते हैं , िे
विश्िासघाती हैं । क्या ऐसे समाचारपत्रों को दे िद्रोही कहना अनधु चत होगा ? समाचारपत्रों का अपने
बशलष्ठ वयजक्तत्ि का अच्छी प्रकार से ज्ञान होना चाहहए। स्ियं राष्र के जीिन में समाचारपत्रों
का विशिष्ट स्थान है क्योंकक जनता और सरकार के बीच में समाचारपत्र ही तो दभ
ु ावषए के रूप
में है । िे सरकार की उधचत-अनुधचत कायािाहहयों की आलोचना करके जनता िगा का पथ प्रिस्त
करते हैं, जनता के मनोभािों का सही विश्लेषण उपजस्थत कर सरकार को तदनुसार काम करने के
शलए बाध्य करते हैं। समाचारपत्रों के द्िारा ही जनता राजनीनतक िजक्त एिं चेतना में िद्
ृ धध होती
है ।
उर्त्र 1. समाचार का पहला उद्दे श्य यह है कक संसार में कहााँ क्या-क्या घटनाएाँ हो रही हैं,
इसकी सही-सही जानकारी दे ना |
उर्त्र 2. कुछ समाचार पत्र ककसी ननजश्चत संकुधचत उद्दे श्य को पूरा करने के शलए भ्रामक बातों
का प्रचार करते हैं, इससे जनता भ्रशमत होती है |
उर्त्र 3. समाचार पत्र आम जनता की आिाज़ को सरकार तक पहुाँचाते हैं तथा सरकार के
अनुधचत कायों का विरोध कर आम जनता का पक्ष मजबूत करते हैं |
उर्त्र – 4. समाचार पत्र के माध्यम से जनता को दे ि-विदे ि की तथा सरकार की अनेक
कायािाहहयों तथा योजनाओं की जानकारी शमलती है | इस प्रकार उसकी चेतना में िद्
ृ धध होती है |
संकुधचत - विस्तत
ृ
6
दे िद्रोही - दे िभक्त/दे िप्रेमी
आयाभट्ट दक्षक्षणापथ में गोदािरी तटक्षेत्र के अश्मक जनपद में पैदा हए थे। इसशलए बाद में
िे आश्मकाचाया के नाम से प्रशसद्ध हए । बचपन से ही िे तेज़ बुद्धध के थे। गणणत एिं ज्योनतष
के अध्ययन में उनकी गहरी रूधच थी । विषयों का गहन अध्ययन करने के शलए ही िे अपने
अश्मक जनपद से इतनी दरू पाटशलपुत्र पहुाँचे थे ।
आयाभट्ट आाँख मंद
ू कर परु ानी गलत बातें मानने को तैयार नहीं थे और अपने विचार बेहहचक
प्रस्तत
ु कर दे ते थे। ग्रहणों के बारे में ही नहीं, आकाि की दस
ू री अनेक घटनाओं के बारे में भी
उनके अपने स्ितंत्र विचार थे। उस ज़माने के प्राय: सभी लोग, ज्योनतषी भी, यही समझते थे कक
हमारी पथ्
ृ िी आकाि में जस्थर है और सैकडों िषों से यही बात मानते आ रहे थे। ककसी ज्योनतषी
के मन में इस सिाल को लेकर कोई नई बात उठी भी होगी तो भी धमाग्रंथों के िचनों के णखलाफ़
आिाज़ उठाने का साहस उनमें नहीं था।
उर्त्र – (क) आश्मकाचाया नाम से आयाभट्ट प्रशसद्द हुए, क्योंकक िे अश्मक जनपद में पैदा हुए
थे |
(ख) आयाभट्ट गणणत एिं ज्योनतष के गहन अध्ययनाथा अपने जनपद अश्मक से पाहटलपुत्र गए
थे |
(ग) आयाभट्ट तेज़ बद्
ु धध के थे | िे परु ानी गलत बातें आाँख मंद
ू कर नहीं मानते थे | िे अपनी
बातें ननिःसंकोच कह दे ते थे |
(घ) उस जमाने में ज्योनतषी यह मानते थे कक पथ्ृ िी आकाि में जस्थर है जबकक आज के
मतानुसार पथ्
ृ िी सूया का चक्कर लगाती है |
(ड.) उस समय ज्योनतष गण उन बातों को कहने का साहस नहीं रखते थे, जो उनके धमा ग्रन्द्थ
के विरुद्ध हों |
7
खजांधचयों की वििाल अट्टाशलका को जाने िाले मागा पर सौभाग्य के धचरसंगी दभ
ु ााग्य की तरह
अनेक छोटी-छोटी, अंधेरी और बदबद ू ार कोठररयााँ बनी हुई थीं। उन्द्हीं में से एक में विधचत्र वयजक्त
रहता था जजसे संस्कृत पढ़े -शलखे लोग अष्टािक्र कहा करते थे। उसके पैर कवि की नानयका की
तरह बल खाते थे और उसका िरीर हहंडोले की तरह झल
ू ता था । बोलने में िह साधारण आदमी
के अनप
ु ात से नतगन
ु ा समय लेता । िणा श्याम, नयन ननरीह, िरीर एक िाश्ित खाज से पण
ू ,ा
मख
ु लंबा और िक्र, िस्त्र कीच से धचकटे , यह था उसका वयजक्तत्ि |
आज से करीब डेढ़ हज़ार साल पहले की बात है । उस ज़माने में आज के पटना िहर को पाटशलपुत्र
कहते थे। बहुत बडा नगर था। नगर में बहुत से बाग-बगीचे थे। उनमें बडी तादाद में णखलने िाले
फूलों के कारण इस नगर को कई लोग कुसुमपुर भी कहते थे। पाटशलपुत्र नगर नंद, मौया और
गुप्त सम्राटों की राजधानी रहा है । दरू -दरू तक इस नगर की कीनता फैली हुई थी। राजधानी होने
से दे िभर के प्रनतजष्ठत पंडडत यहााँ एकत्र होते थे। प्रख्यात नालंदा विश्िविद्यालय भी पटना से
ज्यादा दरू नहीं था। दे ि के ही नहीं, दस
ू रे दे िों के विद्याथी भी वििेष अध्ययन के शलए नालंदा
और पाटशलपुत्र पहुाँचते थे। उस समय पाटलीपुत्र नगर ज्योनतष के अध्ययन के शलए मिहूर था।
प्रश्न (ख) गद्यांि में िणणात नगर को कुसुमपुर क्यों कहा जाता था ?
8
प्रश्न (ग) इस नगर की प्रशसद्धध का क्या कारण था ?
(ख) पाहटलपुत्र नगर में बहुत से बाग़-बगीचे थे जजनमें बहुत से फूल णखलते रहते थे, इस कारण
इसे कुसम
ु परु भी कहा जाता था
(ग) पाहटलपुत्र नगर नन्द्द और गप्ु त सम्राटों की राजधानी थी, जहााँ विद्िान एकत्र हुआ करते थे,
यही इसकी प्रशसद्धध का कारण था |
(घ) नालंदा विश्िविद्यालय शिक्षा का प्रशसद्ध केंद्र था जहााँ दे ि के ही नहीं अन्द्य दे िों के यात्री
अध्ययन के शलए आया करते थे |
तादाद संख्या
प्रख्यात प्रशसद्ध
पहठत कावयांि
प्रश्न 1. ननम्नशलणखत पहठत कावयांि को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्र दीजजए |
9
प्रश्न (ख) छोटी बच्ची क्या छोडने के शलए तैयार नहीं है ?
प्रश्न (ड.) बच्चे के बडे हो जाने पर मााँ क्या काया नहीं करती है ?
उर्त्र – (क) छोटी बच्ची हमेिा अपनी मााँ की गोद में सोना चाहती है |
(ख) छोटी बच्ची अपनी मााँ का हाथ कभी नहीं छोडना चाहती है |
(ग) कवि – सुशमत्रानंदन पन्द्त कविता – मैं सबसे छोटी होऊाँ
(घ) मााँ बच्चों को बडा बनाकर उन्द्हें छलती है |
(ड.) बच्चे के बडे हो जाने पर मााँ हाथ नहीं पकडती और सदा साथ-साथ नहीं घूमा करती है |
10
प्रश्न (ड.) छोटी बच्ची क्या दे खना चाहती है ?
उर्त्र (क) बडे होने पर मााँ पहले की तरह पररयों की बात नहीं सुनाती है |
(ख) मााँ का स्नेह खो जाने के डर से बच्ची बडी नहीं होना चाहती है |
(ग) बडा हो जाने पर मााँ उन्द्हें पररयों की सुन्द्दर कहाननयााँ नहीं सुनाती है |
(घ) छोटी बच्ची अपनी मााँ की गोद में नछपना चाहती है |
(ड.) छोटी बच्ची मााँ के हदखाने पर आसमान में चन्द्द्रमा को दे खना चाहती है |
"जल को गए लक्खनु हैं लररका पररखौ, वपय! छााँह घरीक ह्िै ठाढ़े ।
पोंनछ पसेउ बयारर करौं, अरु पायाँ पखाररहौं भभ
ू रु र-डाढ़े ॥"
तल
ु सी रघब
ु ीर वप्रया श्रम जानन कै बैहठ बबलंब लौ कंटक काढ़े ।
जानकी नाह को नेह लख्यौ, पल
ु को तन,ु बारर बबलोचन बाढ़े ॥”
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(ख) जल लेने के शलए कौन गया था ?
(ग) सीताजी ने राम को छाया में खडे होने के शलए क्यों कहा था?
संिाद लेखन
12
3. संिाद लेखन में िब्द सीमा का ध्यान रखना चाहहए |
4. विराम धचह्नों का सािधानी से प्रयोग करना चाहहए, विराम धचह्न यथास्थान प्रयोग न होने
से अथा का अनथा हो जाता है |
5. संिाद की भाषा िैली सरल होनी चाहहए ।
6. िाक्य छोटे ि रुधचकर होने चाहहए।
7. संिाद पात्रों के अनक
ु ू ल होने चाहहए।
8. संिादों की स्िाभाविकता का वििेष ध्यान रखना चाहहए।
9. संिाद जीिंत होने चाहहए।
10. संिाद विषय अनुकूल होने से रोचकता बनी रहती है ।
प्रश्न 1. महहला और सब्ज़ीिाले के मध्य होने िाले िाताालाप को संिाद के रूप में शलणखए |
प्रश्न 2. रे लिे स्टे िन पर खडे दो वयजक्तयों के बीच होने िाले संिाद को शलणखए –
उर्त्र -: एक वयजक्त दस
ू रे वयजक्त से – भाई साहब दे हरादन
ू से हदल्ली जाने िाली राजधानी
एक्सप्रेस कब तक आएगी |
दस
ू रा वयजक्त – समय तो हो चक
ु ा है | लगता है कक आज गाडी विलम्ब से आएगी |
13
पहला वयजक्त – क्या आजकल गाडी प्रनतहदन विलम्ब से आती है ?
दस
ू रा वयजक्त – हााँ, वपछले 5-6 हदन से यही हाल है | रे लिे लाइन पर मरम्मत का काया चल
रहा है जजसके कारण यह समस्या आ रही है |
पहला वयजक्त – धन्द्यिाद भाई साहब ! चशलए गाडी आने का समय हो चक
ु ा है |
प्रश्न 3. वपथौरागढ़ के बस अड्डे के पूछताछ-अधधकारी से फोन करके पूनछए कक दे हरादन
ू के
शलए आणखरी बस िहााँ से कब ननकलती है ?
यात्री – हे लो ! बस अड्डा वपथौरागढ़ ?
कमी – जी हााँ बोल रहे हैं |
यात्री – मुझे यह पता करना है कक वपथौरागढ़ से दे हरादन
ू के शलए आणखरी बस ककतने बजे
ननकलती है ?
कमी – दोपहर 01:30 पर
यात्री – यह बस रद्द होने की संभािना तो नहीं है ?
कमी – जी नहीं,
यात्री – धन्द्यिाद
प्रश्न 3. दो दोस्तों के बीच पढ़ाई को लेकर संिाद लेखन कीजजए |
राम – कैसे हो दोस्त ?
रमेि – मैं ठीक हूाँ, तम
ु कैसे हो ?
राम – मैं भी ठीक हूाँ | पढ़ाई कैसी चल रही है ?
रमेि – मेरी पढ़ाई तो बहुत बहढ़या हो रही है ! तम्
ु हारी पढ़ाई कैसी हो रही है ?
राम – मेरी भी पढ़ाई ठीक चल रही है , बस कुछ विषय में हदक्कत है !
रमेि – ककस विषय में हदक्कत है ?
राम – अथािास्त्र में चक्रिद्
ृ धध ब्याज समझ नहीं आ रहा।
रमेि – िह तो बहुत आसान है छोटा सा हरक है ।
राम – क्या तम
ु मझ
ु े समझा सकते हो ?
रमेि – क्यों नहीं तुम जो मेरे शमत्र हो।
राम – कब समय दे सकते हो।
रमेि – िाम को मेरे घर आ जाना मैं फ्री रहता हूाँ |
राम – धन्द्यिाद शमत्र िाम को शमलते हैं।
14
वपता – पढ़ाई कैसी चल रही है बेटा ?
पुत्र – जी वपता जी पढ़ाई बबल्कुल बहढ़या चल रही है ।
वपता – ककसी विषय में कोई समस्या तो नहीं ?
पुत्र – नहीं वपताजी सभी विषय समझ आ रहा है ।
वपता – परीक्षा में अच्छे अंक आ जाएाँगे ?
पत्र
ु – हााँ वपताजी उम्मीद है बहुत अच्छे अंक आएाँगे |
वपता – परीक्षा के बाद क्या करने का सोचा है ?
पत्र
ु – परीक्षा होने के बाद कंप्यट
ू र का कोसा करने के शलए सोच रहा हूाँ ?
वपता – कंप्यूटर का कोसा क्यों ?
पुत्र – क्योंकक कंप्यूटर आज की आिश्यकता है कंप्यूटर की जानकारी नौकरी के शलए भी चाहहए।
वपता – कफर तो अच्छा है ।
पुत्र – जी वपताजी। कंप्यूटर कोसा के बाद मुझे लैपटॉप हदला दे ना।
वपता – ठीक है मन लगाकर पढ़ाई करो हदला दें गे।
पुत्र – जी वपता जी धन्द्यिाद।
प्रश्न 5. कोरोना महामारी पर दो सहे ली के बीच होने िाली बातचीत को संिाद के रूप में शलणखए
|
राधा – कैसी हो सीता ?
सीता – मैं ठीक हूाँ तुम कैसी हो ?
राधा – मैं भी ठीक हूाँ आजकल बीमारी से बहुत डर लग रहा है ।
सीता – हााँ बीमारी भी तो बहुत फैली हुई है ।
राधा – तुम्हें पता है यह बीमारी कहााँ से उत्पन्द्न हुई ?
सीता – िैज्ञाननकों का मानना है कोरोना महामारी चाइना (चीन) से उत्पन्द्न हुई है ।
राधा – इसकी कोई दिाई या िैक्सीन ननकली है ?
सीता – हााँ सन
ु ने में आया है कई कंपननयों ने िैक्सीन बना ली है ।
राधा – भगिान करे जल्दी से िैक्सीन सभी को लग जाए और लोगों की जान बच सके।
सीता – िैक्सीन लगाने के बाद भी सतकाता तो जरूरी है ।
राधा – हााँ सतकाता तो बहुत जरूरी है ।
राधा – चलो ठीक है घर पर रहकर सभी अपना ध्यान रखो।
सीता – तम
ु भी घर पर रहो और अपने स्िास्थ्य का ध्यान रखो।
15
राधा – हााँ ! अच्छा धन्द्यिाद
सीता – धन्द्यिाद।
प्रश्न 6. ग्रामीण और िहरी युिक के बीच िाताालाप का संिाद लेखन कीजजए -
रमेि – सुप्रभात शमत्र कैसे हो ?
महे ि – सुप्रभात, मैं ठीक हूाँ तुम कैसे हो ?
रमेि – मैं ठीक हूाँ बस गााँि के लोगों की याद आ रही है ।
महे ि – गााँि में तुम्हारे घर में कौन-कौन है ?
रमेि – मााँ-वपताजी, दादा-दादी, चाचा-चाची परू ा संयक्
ु त पररिार है हम लोग एक साथ रहते हैं।
महे ि – अरे िाह यह सब तो गााँि में ही दे खने को शमलता है , िहर में तो सभी अलग-अलग
रहते हैं।
रमेि – हााँ शमत्र तभी मुझे यहााँ का िातािरण सहज नहीं लगता।
महे ि – मैं कभी गााँि नहीं गया क्या तुम मुझे अपने गााँि ले चलोगे?
रमेि – हााँ शमत्र जब तम
ु चाहो मेरे गााँि चल सकते हो। हमारे शलए तो अनतधथ भगिान होते
हैं।
महे ि – कफर ठीक है मैं तम्
ु हारे गााँि साथ चलाँ ग
ू ा उससे पहले तम्
ु हें एक िता माननी पडेगी।
रमेि – कहो शमत्र क्या िता है ?
महे ि – तम्
ु हें मेरे साथ एक हदन िहर की खास जगहों पर घम
ू ना पडेगा।
रमेि – हााँ, ठीक है शमत्र तुम्हारी जैसी इच्छा
महे ि – ठीक है कफर रवििार को साथ शमलकर घूमने चलते हैं।
रमेि – अच्छा शमत्र रवििार को मैं आपके साथ घूमने चलाँ ग
ू ा |
महे ि – धन्द्यिाद दोस्त
रमेि – इसके शलए आपका धन्द्यिाद ।
अनच्
ु छे द लेखन –
ककसी एक भाि या विचार को वयक्त करने के शलए शलखे गये सम्बद्ध और लघु िाक्य-समूह को
अनुच्छे द-लेखन कहते हैं।
'अनुच्छे द' िब्द अंग्रेजी भाषा के 'Paragraph' िब्द का हहंदी पयााय है । अनुच्छे द 'ननबंध' का
संक्षक्षप्त रूप होता है । इसमें ककसी विषय के ककसी एक पक्ष पर 80 से 100 िब्दों में अपने विचार
वयक्त ककए जाते हैं।
16
इसका मुख्य काया ककसी एक विचार को इस तरह शलखना होता है , जजसके सभी िाक्य एक-दस
ू रे
से बंधे होते हैं। एक भी िाक्य अनािश्यक और बेकार नहीं होना चाहहए।
काया- अनच्
ु छे द अपने-आप में स्ितन्द्त्र और पण
ू ा होते हैं। अनच्
ु छे द का मख्
ु य विचार या भाि की
कंु जी या तो आरम्भ में रहती है या अन्द्त में । उच्च कोहट के अनच्
ु छे द-लेखन में मख्
ु य विचार
अन्द्त में हदया जाता है ।
अनच्
ु छे द शलखते समय ननम्नशलणखत बातों को ध्यान में रखना चाहहए :
1. अनच्
ु छे द शलखने से पहले रूपरे खा, संकेत-बबंद ु आहद बनानी चाहहए।
2. अनच्
ु छे द में विषय के ककसी एक ही पक्ष का िणान करें ।
3. भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभाििाली होनी चाहहए।
4. एक ही बात को बार-बार न दोहराएाँ।
5. अनािश्यक विस्तार से बचें , लेककन विषय से न हटें ।
6. िब्द-सीमा को ध्यान में रखकर ही अनच्
ु छे द शलखें ।
अनच्
ु छे द की प्रमख
ु वििेषताएाँ ननम्नशलणखत है -
(1) अनच्
ु छे द ककसी एक भाि या विचार या तथ्य को एक बार, एक ही स्थान पर वयक्त करता
है । इसमें अन्द्य विचार नहीं रहते।
(2) अनच्
ु छे द के िाक्य-समह
ू में उद्देश्य की एकता रहती है । अप्रासंधगक बातों को हटा हदया जाता
है ।
(3) अनच्
ु छे द के सभी िाक्य एक-दस
ू रे से गहठत और सम्बद्ध होते हैं ।
(4) अनच्
ु छे द एक स्ितन्द्त्र और पण
ू ा रचना है , जजसका कोई भी िाक्य अनािश्यक नहीं होता।
(5) उच्च कोहट के अनुच्छे द-लेखन में विचारों को इस क्रम में रखा जाता है कक उनका आरम्भ,
मध्य और अन्द्त आसानी से वयक्त हो जाय।
(6) अनुच्छे द सामान्द्यतिः छोटा होता है , ककन्द्तु इसकी लघुता या विस्तार विषयिस्तु पर ननभार
करता है ।
(7) अनुच्छे द की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहहए।
1. विद्याथी जीिन
विद्याथी जीिन बडा कठोर और दिःु खदायी होता है , ऐसा प्रायिः समझा जाता है । परं तु िास्ति में
यहद दे खा जाए तो जीिन का सिोर्त्म भाग विद्याथी जीिन ही है । जजन विद्याधथायों के संरक्षक
धनसंपन्द्न होते हैं उनका जीिन सुखमय होता है परं तु जजन विद्याधथायों को अपने संरक्षकों से
उधचत सहायता नहीं शमलती है , उन्द्हें अनेक प्रकार के कष्टमय संघषों का सामना करना पडता है ।
लेककन जो संघषा से डरता नहीं िही जीिन की परीक्षा में सफल होता है । सम्पूणा सुख तो काशलदास
के अनुसार ककसी को भी प्राप्त नहीं है , क्योंकक सुख नाम की िस्तु विद्याथी जीिन में आकाि
17
कुसुम एिं गूलर के फूल के समान है । विलासपूणा सुखमय जीिन वयतीत करने िाले को विदया
प्राप्त नहीं होती है और जो विद्याथी है उसे विद्याथी जीिन में सख
ु कहााँ? जो विद्याथी सादा
जीिन एिं उच्च विचार अपने अंदर धारण करता है िह ननश्चयरूपेण परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त
करता है और आगे चलकर िह जीिन में सख
ु एिं आनंद प्राप्त करता है ।
पराधीनता दिःु ख की खान है । यह जीिन का सबसे बडा अशभिाप है । पराधीन मानि का जीिन
मरण से भी बदतर और नरक से भी हे य है । पराधीन मानि के बोलने, उठने, बैठने, खाने-पीने
आहद पर प्रनतबंध होता है । अत: उसे हर क्षेत्र में हानन उठानी पडती है । इतना ही नहीं पराधीनता
का सबसे भयंकर प्रभाि पराधीन दे ि की शिक्षा, संस्कृनत और सभ्यता पर पडता है । इससे सुख-
िांनत और समद्
ृ धध का ह्रास होता है । सच पूछो तो पराधीन मानि का जीिन पिुित होता है ।
उसका जीिन पराधश्रत होता है । इसशलए पराधीनता को छोटे से छोटा प्राणी भी ककसी मूल्य पर
स्िीकार नहीं करता। ककसी ने सच ही कहा है |
3. हहमालय
नगराज, तम
ु प्रत्यक्ष, अनत संद
ु र और गौरि से विराट हो । तम
ु िजक्त की ज्िालाओं का एकबत्रत
समह
ू रूप मिाल हो। तम
ु भारतमाता के मस्तक पर हहमककरीट हो । तम
ु युग-यग
ु ांतरों से अपराजजत
रहे हो। तम
ु भारत की सीमाओं के एकमात्र प्रहरी हो। तम
ु ने ही भारतिाशसयों को सचेत ककया है ।
तम
ु ने ही भारतीयों को धैय,ा सहनिीलता, परोपकार, तप, त्याग और दे ि की रक्षा का पाठ पढ़ाया
है । तम
ु परम पवित्र हो। तम्
ु हारी विराटता पर भारतिाशसयों को गिा है । तम्
ु हारे ही कारण आज िे
आत्माशभमान से शसर ऊाँचा ककए हुए हैं। तुमने ही हमारे आत्मगौरि को बढ़ाया है । तुम्हारी भवयता
ि विराटता हमें सदै ि आगे बढ़ने की प्रेरणा दे ती है । हहमालय तुम धन्द्य हो।
अभ्यास ऐसी कसौटी है जजस पर नघस कर मूखा भी विद्िान बन जाता है । इसी का संबल पाकर
िज्र मूखा काशलदास महाकवि बन गया। भीलराज का पुत्र एकलवय धनुविाद्या में अजुन
ा से भी आगे
ननकल गया। अनाथ बालक रामबोला दर-दर की ठोकरें खाकर मानस जैसे महाकावय को रचने में
समथािान हो सका। यह सब अभ्यास के ही बलबत ू े पर हुआ। आज के यग ु की हर विद्या, हर
कला इसी अभ्यास पर हटकी हुई है । चाहे कोई साहहत्यकार हो, चाहे कोई िैज्ञाननक हो, चाहे कोई
खगोलिास्त्री हो, चाहे कोई संगीतज्ञ हो और चाहे कोई गणणतज्ञ, जजसने इसे अंगीकार ककया िह
सफलता के सोपान पर चढ़ गया।
18
िास्ति में अभ्यास ही पररपक्िता की सीढ़ी है । ककसी ने सच ही कहा है
पत्र लेखन
पत्र लेखन एक कला है और यह समाज के अन्द्य वयजक्तयों से संपका करने का, बातचीत करने का
अच्छा, सुगम तथा सस्ता साधन है |
पत्रों का हमारे जीिन में वििेष ,महत्त्ि है | पत्रों के माध्यम से हम अपने भािों, विचारों एिं
समस्याओं को एक दस
ू रे तक पहुाँचाते हैं |
* इसके अंतगात कायाालयी पत्र /आिेदन पत्र, * इसके अंतगात िैयजक्तक एिं ननमंत्रण-पत्र, बधाई पत्र,
शिकायती पत्र, सम्पादक को पत्र, वयिसानयक िुभकामना पत्र, धन्द्यिाद पत्र आहद िाशमल होते हैं |
पत्र आहद आते हैं | * अनौपचाररक पत्रों में प्रेम, स्नेह एिं आत्मीयता की
* इसमें विषय के रूप में पत्र शलखने का उद्दे श्य झलक हदखनी चाहहए |
स्पष्ट रूप से शलखना आिश्यक है | * इस प्रकार के पत्रों में यथोधचत अशभिादन एिं कुिल
* संबोधन के अंतगात सन्द्दभा के अनुसार क्षेम आहद का महत्िपूणा स्थान होता है |
महोदय, महोदय, मान्द्यिर आहद शलखा जाना * संबोधन में अशभिादन के अनुसार भाषा में शिष्टता
चाहहए | एिं गररमा होनी चाहहए |
* पत्र समाप्त करने के बाद अशभननिेदन में * पत्र समाप्त करने के बाद संबोधन के अनुसार
भिदीय/भिदीया ........... शलखकर अपना नाम अशभननिेदन में ‘आपका......’ शलखना आिश्यक है |
शलखें | उसके नीचे अपने नाम का प्रमुख अंि शलखकर पत्र
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समाप्त करना चाहहए |
1. बीमारी के कारण अिकाि के शलए प्राथाना-पत्र।
सेिा में
मख्
ु याध्यावपका,
केंद्रीय विद्यालय,
अबस नगर
हदनांक - xx/xx/xxxx
महोदया,
सेिा में ,
प्राचाया
डी.ए.िी. उच्च विद्यालय
अ ब स नगर
हदनांक - xx/xx/xxxx
विषय - िल्
ु क माफ़ करिाने हे तु प्राथाना - पत्र।
महोदय,
सविनय ननिेदन है कक मैं आपके विदयालय में कक्षा सातिीं आपके विद्यालय में कक्षा
सातिीं 'अ' में पढ़ता हूाँ। मैं एक मध्यमिगीय पररिार से संबंध रखता हूाँ। मेरे वपताजी एक स्थानीय
कायाालय में केिल पााँच हजार रुपये माशसक पर काया करते हैं । हम पररिार में छिः सदस्य हैं।
इस महाँ गाई के समय में इतने कम िेतन में ननिााह होना अनत कहठन है। ऐसी जस्थनत में मेरे
20
वपताजी मेरा िुल्क अदा करने में असमथा हैं। मेरी पढ़ाई में वििेष रुधच है । मैं सदा अपनी कक्षा
में प्रथम रहता आया हूाँ। मैं स्कल की हॉकी टीम का कप्तान भी हूाँ | मेरे सभी अध्यापक मझसे
सिाथा संतष्ु ट हैं। अतिः आपसे मेरी विनम्र प्राथाना है कक आप मेरा िल्
ु क माफ़ कर मझ
ु े आगे पढ़ने
का सअ
ु िसर प्रदान करने की कृपा करें । मैं आपका सदा आभारी रहूाँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
कखग
कक्षा : छठीं
3. अपने मुख्याध्यापक को विद्यालय छोडने का प्रमाण-पत्र प्रदान करने के शलए प्राथाना पत्र
शलणखए |
सेिा में
मुख्याध्यापक,
केंद्रीय उच्च विद्यालय,
अ ब स नगर
हदनांक – xx/xx/xxxx
मान्द्यिर,
कखग
कक्षा : छठी
परीक्षा भिन
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सेिा में ,
............................
........................................)
हदनांक :.......................................
श्रीमान,
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
धन्द्यिाद।
भिदीय
क.ख.ग., दे हरादन
ू
5.िहर में महहलाओं के प्रनत बढ़ते अपराधों को रोकने के शलए पशु लस अधीक्षक को पत्र शलणखए।
परीक्षा भिन
सेिा में ,
पशु लस अधीक्षक ,
.......................................
हदनांक : .........................
महोदय ,
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
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.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
........................................................................
धन्द्यिाद।
क.ख.ग.,
6. अपने शमत्र/सहे ली को एक पत्र शलखो जजसमें यह िणान करो कक आपके स्कूल में 15 अगस्त
का हदन कैसे मनाया गया।
कखग नगर
18 अगस्त, 20.....
सप्रेम नमस्ते।
बहुत हदनों से तुम्हारा पत्र नहीं शमला । क्या कारण है ? मैं तुम्हें दो पत्र भेज चुकी हूाँ पर उर्त्र
एक का भी नहीं शमला। कोई नाराज़गी तो नहीं। अगर ऐसी-िैसी कोई बात हो तो क्षमा कर दे ना।
हााँ, इस बार हमारे स्कूल में 15 अगस्त का हदन बडी धम
ू धाम से मनाया गया। इसकी थोडी-सी
झलक मैं पत्र द्िारा तम्
ु हें हदखा रही हूाँ | 15 अगस्त मनाने की तैयाररयााँ एक महीना पहले ही
िरू
ु कर दी गई थीं। स्कूल में सफ़ेदी कर दी गई थी। लडककयों को सामहू हक नत्ृ य की रे ननंग दे ना
कई हदन पहले ही िरू
ु कर दी गई थी । हमें हमारे अमर िहीद' एकांकी नाटक की अभ्यास भी
कई बार करिाया गया । ननजश्चत हदन को ठीक सुबह सात बजे 15 अगस्त का समारोह िरू
ु हो
गया। सबसे पहले नतरं गा झंडा फहराने की रस्म क्षेत्र के जाने-माने समाज सेिक चौधरी रामलाल
जी ने अदा की । इसके बाद स्कूल की छात्राओं ने रं गारं ग कायाक्रम पेि करने िुरू कर हदए।
धगद्धा नाच ने सबका मन मोह शलया। इसके बाद दे ि-प्रेम के गीत गाए गए। मैंने भी एक गीत
गाया था। मैंने सामूहहक गायन में भी भाग शलया। इसके बाद एकांकी 'हमारे अमर िहीद' का
मंचन हुआ। इसके हर सीन पर ताशलयााँ बजती थीं। समारोह के अंत में मुख्य अनतधथ और हमारी
बडी बहन जी ने भाषण हदए, जजसमें दे ि-भजक्त की प्रेरणा थी।
15 अगस्त का यह समारोह मुझे हमेिा याद रहे गा, क्योंकक मुझे इसमें दो खब
ू सूरत इनाम शमले
हैं। पूज्य माताजी और भाभी जी को प्रणाम । इस बार पत्र का उर्त्र जरूर दे ना |
तम्
ु हारी अनन्द्य सखी,
23
िनताका
7. परीक्षा में उर्त्ीणा होने की सूचना दे ते हुए अपने वपता जी को पत्र शलणखए |
परीक्षा भिन,
क ख ग
5 मई, 20....
पज्
ू य वपताजी,
सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर हषा होगा कक हमारा परीक्षा पररणाम ननकल आया है । मैं 580 अंक लेकर
प्रथम श्रेणी में उर्त्ीणा हो गया हूाँ। अपनी कक्षा में मेरा दस
ू रा स्थान है । मुझे स्ियं इस बात का
दिःु ख है कक मैं प्रथम स्थान प्राप्त न कर सका। इसका कारण यह है कक मैं हदसंबर मास में बीमार
हो गया था और लगभग 20-25 हदन विद्यालय न जा सका। यहद मैं बीमार न हुआ होता तो
संभि था कक छात्रिवृ र्त् प्राप्त करता। अब मैं सातिीं कक्षा में अधधक अंक प्राप्त करने का प्रयत्न
करूाँगा । अब मुझे सातिीं कक्षा की नई पुस्तकें आहद खरीदनी हैं। कुछ शमत्र मेरी इस सफलता
पर पाटी भी मााँग रहे हैं। अतिः आप मझ
ु े 2500 रुपये यथािीघ्र भेजने की कृपा करें ।
राघि
नई हदल्ली।
5 जून, 20....
प्रातिः 7 बजे हिन यज्ञ होगा । पूणााहुनत के बाद विद्िानों के धाशमाक प्रिचन होंगे । इसके बाद
प्रीनतभोज होगा । मेरी सारी शमत्र-मंडली इस अिसर पर मौजूद होगी । उस समय एक स्टे ज भी
बनाया गया होगा, जहााँ से रं गारं ग कायाक्रम पेि ककए जाएंगे । महे ि ने एक एकांकी के अशभनय
की योजना बनाई है । मेरी छोटी बहन मधु और उसकी सहे शलयााँ गीत पेि करें गी । यह सारा
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कायाक्रम बडा रोचक होगा। इसके बाद िाम को चाय पाटी होगी जो लगभग 6 बजे तक जारी
रहे गी । इस अिसर पर एक रे डडयो कलाकार अपना कायाक्रम पेि करे गा । अतिः मैं तम्
ु हारी 9 जन
ू
को प्रतीक्षा करूाँगा। पज्
ू य माताजी और वपताजी को चरण-िंदना ।
तुम्हारा शमत्र,
पल्लि कुमार।
9. अच्छी संगनत का महत्ि बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र शलणखए |
परीक्षा भिन
...................
......................
सस्नेह आिीिााद।
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
..........................................................
क.ख.ग
10.गशमायों की छुट्हटयों में ककसी कारणिि छात्रािास से घर ना जा सकने के शलए मााँ को पत्र
शलणखए ।
परीक्षा भिन
............................
.................................
पूजनीय माता जी ,
25
सादर प्रणाम
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.....................................................................
क.ख.ग
िसंत भाग – 1
पाठ का सार
प्रस्तुत पाठ की लेणखका हे लन केलर दे ख और सुन नहीं सकती थीं | बचपन में एक बीमारी के
कारण उनकी सन
ु ने और दे खने की िजक्त चली गई प्रस्तत
ु पाठ उनके द्िारा शलखा गया एक प्रेरक
लेख है |
लेणखका जब कभी जंगल घूमने जाती तो िह भोजपत्र पेड की धचकनी छाल और चीड की खरु दरी
छाल को स्पिा से पहचान लेती है | उसे फूलों की पंखडु डयों की मखमली सर्त्ह छूने और उनकी
घुमािदार बनािट महसूस करने में आनंद शमलता है | टहनी पर हाथ रखते ही ककसी धचडडया के
मधरु स्िर कानों में गूंजने लगते हैं | उसे चीड की फैली पवर्त्यााँ या घास का मैदान ककसी भी
कीमती कालीन से अधधक वप्रय है | यहद इन्द्हें छूने से इतना आनंद शमलता है तो इनकी सुंदरता
दे खकर मन ककतना मग्ु ध हो जाएगा, यह सोचकर कभी-कभी लेणखका का मन प्रकृनत की संद
ु रता
को दे खने के शलए मचल उठता | लेककन जब कभी भी िह अपने उन शमत्रों से जजनकी आंखें है
और जो जंगल घम
ू कर आए है यह पछ
ू ती कक- तम
ु ने जंगल में क्या दे खा? तो सामान्द्यतिः उनका
उर्त्र होता कुछ खास नहीं?
अक्सर यही जिाब सुनते सुनते लेणखका को अब यह विश्िास हो चला है कक जजनकी आंखें होती
है िह बहुत कम दे खते हैं|
26
लेणखका का मानना है कक मनुष्य कभी भी अपनी क्षमताओं की कदर नहीं करता यह बडे दख
ु की
बात है कक दृजष्ट का आिीिााद प्राप्त वयजक्त इसे एक साधारण चीज समझता है जबकक इसके
द्िारा िह अपनी और दस
ू रों की जजंदगी को खशु ियों के इंद्रधनष
ु ी रं गों से हरा -भरा कर सकता|
भाषा की बात (वयाकरण)
प्रश्न 1.पाठ में स्पिा से संबंधधत कई िब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और िब्द हदए गए हैं।
बताओ कक ककन चीज़ों का स्पिा ऐसा होता है ?
1. धचकना ……
2. धचपधचपा ……
3. मुलायम ……
4. खरु दरा ……
5. सख्त ……
6. भुरभुरा ……
उर्त्र –:
6. भुरभुरा रे त और शमट्टी का ढे र
प्रश्न 2. अगर मझ
ु े इन चीज़ों को छूने भर से इतनी खि
ु ी शमलती है , तो उनकी संद
ु रता दे खकर
तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा । ऊपर रे खांककत संज्ञाएाँ क्रमििः ककसी भाि और ककसी की
वििेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएाँ भाििाचक कहलाती हैं। गुण और भाि के अलािा
भाििाचक संज्ञाओं का संबंध ककसी की दिा और ककसी काया से भी होता है ।भाििाचक संज्ञा की
पहचान यह है कक इससे जुडे िब्दों को हम शसफा महसूस कर सकते हैं, दे ख या छू नहीं सकते।
आगे शलखी भाििाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें ये कुछ िब्द संज्ञा और कुछ कक्रया से
बने हैं। उन्द्हें भी पहचानकर शलणखए -
उर्त्र
27
शमठास – वििेषण िब्द ‘मीठा’ से बना है ।
बढ़
ु ापा – वििेषण िब्द “बढ़
ू ा’ से बना है ।
ताज़गी – वििेषण िब्द ‘ताजा’ से बना है ।
भख
ू – वििेषण िब्द ‘भख
ू ा’ से बना है ।
घबराहट – कक्रया िब्द ‘घबराना’ से बना है ।
क्रोध – यह एक भाि िाचक संज्ञा िब्द है ।
िांनत – यह वििेषण िब्द ‘िांत’ से बना है ।
बहना – यह कक्रया िब्द ‘बहाि’ से बना है ।
मजदरू ी – यह जानतिाचक संज्ञा िब्द ‘मजदरू ’ से बना है ।
भोलापन – यह वििेषण िब्द “भोला’ से बना है ।
फुती – यह एक भाििाचक संज्ञा िब्द है जो
‘फुता’ – या ‘फुतीला’ वििेषण िब्द से बनी
अहसास – यह भी एक भाििाचक संज्ञा िब्द है ।
ऊपर शलखे िाक्यों में रे खांककत िब्द दे खने में शमलते -जु ल ते हैं , पर उनके अथा शभन्द्न हैं ।
नीचे ऐसे कु छ और समरूपी िब्द हदए गए हैं । िाक्य बनाकर उनका अथा स्पष्ट करो –
अिधध – अिधी ओर – और
उर्त्र-
28
(ii) अिधध (समय) – इस काया को करने की अिधध समाप्त हो चक
ु ी है ।
दीन (गरीब, दिःु खी) – दीन – दिःु णखयों की सहायता करनी चाहहए।
पाठ के प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1.‘जजन लोगों के पास आाँखें हैं , िे सचमुच बहुत कम दे खते हैं - हे लेन केलर को ऐसा क्यों
लगता था ? .
उर्त्र - जजन लोगों के पास आाँखें हैं, िे सचमच
ु बहुत कम दे खते हैं। हे लेन केलर को ऐसा इसशलए
लगता था क्योंकक अकसर आाँखों िाले लोग उनसे कहा करते थे कक उन्द्होंने कुछ खास नहीं दे खा।
प्रकृनत की जो संुदरता आाँखें न होते हुए भी िह महसस ू कर लेती थी, जजस जाद ू के स्पिा से िह
रोमांधचत हो जाती थी, उस खब ू सरू ती को उनके दृजष्ट संपन्द्न दोस्त दे ख ही नहीं पाते थे। प्रकृनत
का जाद ू हर िक्त उनकी आाँखों के सामने होते हुए भी उनके हृदय में कोई रोमांच पैदा नहीं कर
पाता था। इसशलए लेणखका को लगता था कक ‘जजन लोगों के पास आाँखें हैं, िे सचमुच बहुत कम
दे खते हैं |
29
प्रश्न-2.”प्रकृनत का जाद”ू ककसे कहा गया है ?
उर्त्र- यहााँ पर प्रकृ नत का जाद ू प्रकृ नत के सौन्द्दया तथा उसमें हो रहे ननरन्द्तर बदलाि को
कहा गया है , जो हमें हदन-प्रनतहदन अपनी ओर आकवषात करता है ।
प्रश्न 3.‘कुछ खास तो नहीं-हे लेन की शमत्र ने यह जिाब ककस मौके पर हदया और यह सुनकर
हे लेन को आश्चया क्यों नहीं
हुआ ? .
उर्त्र- हे लेन की शमत्र जब जंगल की सैर से िापस लौटी तो हे लेन ने उससे पूछा कक उसने जंगल
में क्या दे खा । इस पर उनका जिाब था-कुछ खास तो नहीं। हे लेन को यह सुनकर आश्चया नहीं
हुआ क्योंकक िह इस तरह के जिाबों की आदी हो चक
ु ी थीं । अक्सर लोग यह कहा करते थे कक
उन्द्हें प्रकृनत में कुछ खास नजर नहीं आया।
प्रश्न 4. हे लेन केलर प्रकृनत की ककन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ के
आधार पर इसका उर्त्र शलखो | .
उर्त्र- हे लेन केलर भोज-पत्र के पेड की धचकनी छाल और चीड की खरु दरी छाल को छूकर पहचान
लेती थीं | िह कशलयों और फूलों को उनकी मखमली सतह और घुमािदार बनािट के आधार पर
पहचान लेती थीं । धचडडया के मधरु स्िर सुनकर भी िह पहचान लेती थीं ।
रचनात्मक ि सज
ृ नात्मक कौिल पर आधाररत प्रश्न
उर्त्र -इस तसिीर को दे खने से हमारी पहली नज़र इसकी तंग और पतली गली पर जाती
है ।
30
प्रश्न -गली में क्या-क्या चीज़ें हैं ?
उर्त्र -गली में कु छ बच्चे हैं , ऊपर बबजली के तार हैं , एक वयजक्त साईककल के साथ जा रहा
है आहद।
प्रश्न - कौन-कौन-सी चीज़ें हैं , जो तु म्हारा ध्यान अपनी ओर खीं च रही हैं ?
उर्त्र - इस गली में मकान, खेलते बच्चे, वयजक्त तथा घरों की दीिारें हमारा ध्यान अपनी
ओर आकवषात करती हैं ।
उर्त्र - इस गली में लोगों के बातचीत करने की आिाज़, साईककल की घं टी की आिाज़ तथा
बच्चों के खेल ने की आिाज़ें सु नाई दें गी|
31
प्रश्न -हम अपनी पााँचों इं हद्रयों में से आाँ खों का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा करते हैं । ऐसी चीज़ों
के अहसासों की ताशलका बनाओ जो तु म बाकी चार इं हद्रयों से महसू स करते हो-
प्रश्न – मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता | िह हमेिा उस चीज की आस
लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है | लेणखका के इस विचार से क्या आप सहमत हैं | उर्त्र
दीजजए |
उर्त्र – ईश्िर ने मनुष्य को बहुत कुछ हदया हैं| दे खने, सुनने, सूंघने आहद की िजक्त और क्षमताएाँ
बहुत महत्िपण
ू ा हैं | हम ईश्िर द्िारा दी गई इन क्षमताओं का महत्ि नहीं समझते हैं | हमें ईश्िर
ने जो कुछ हदया हैं, उसे भूल जाते हैं, उसका आनंद नहीं लेते | हमारे पास जो चीज नहीं हैं,
उसकी उम्मीद लगाए रहते |यह जीिन की सच्चाई हैं|यहद ऐसा ना हो तो मनुष्य सदा प्रसन्द्न रहे
|
प्रश्न –जो दे खकर भी नहीं दे खते पाठ से हमें क्या संदेि शमलता हैं?
उर्त्र – हमें जीिन जीने के शलए जो साधन शमलते हैं उनसे संतुष्ट रहना चाहहए | जीिन में
ककसी चीज की कमी हो तो दख
ु ी नहीं होना चाहहए |
बहुविकल्पीय प्रश्नोर्त्र
32
(क) “जो दे खकर भी नहीं दे खते’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(i) प्रेमचंद (ii) संद
ु रा स्िामी
(iii) जया वििेक (iv) हे लेन केलर
उर्त्र
(क) (iv) (ख) (iii) (ग) (iii) (घ) (iv) (ङ) (ii)
प्रश्न 1.लेणखका के कानों में ककसके मधरु स्िर गूंजने लगते थे?
उर्त्र-लेणखका के कानों में धचडडयों के मधरु स्िर गूंजने लगते थे।
33
प्रश्न 5. लेणखका को झरने का पानी कब आनंहदत करता है ?
उर्त्र- लेणखका जब झरने के पानी में अाँगशु लयााँ डालकर उसके बहाि को महसस
ू करती है , तब
िह आनंहदत हो उठती है।
संसार पुस्तक है
(पाठ का सारांि)
'संसार पुस्तक है ' यह पाठ जिाहरलाल नेहरू द्िारा अपनी पुत्री इंहदरा गांधी को शलखा गया एक
पत्र है | इंहदरा जब 10 िषा की थी और मसूरी में रह रही थी तब उनके वपता जिाहरलाल नेहरू उन्द्हें
पत्रों के माध्यम से दे ि दनु नया की जानकारी हदया करते थे| अपने इस पत्र में िह शलखते हैं कक
हमारा भारत या इंग्लैंड इस पूरी दनु नया का बस एक छोटा सा हहस्सा है , अगर तुम दनु नया के बारे
में जानना चाहती हो तो तम्
ु हें सब दे िों का और उन सभी जानतयों का ध्यान रखना पडेगा जो इस
में बसी हुई है | अपने पत्र में िह आगे बताते हैं कक हमारी लाखों करोडों िषा पुरानी धरती पर बहुत
हदनों तक कोई आदमी नहीं था| पहले यहां बस जानिर थे | उनसे भी पहले यह धरती इतनी गमा
थी कक इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी | ऐसे समय के बारे में पता लगाना जब धरती
पर कुछ भी नहीं था, बेहद मुजश्कल काया है | कुछ समय की जानकारी हमें ककताबों में भी नहीं शमल
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सकती क्योंकक तब ककताबें कौन शलखता ? जमाने का हाल पहाड, समुद्र, शसतारे , नहदयााँ, जंगल और
जानिरों की पुरानी हड्डडयों से शमल सकता है ,यहद हम संसार रूपी पुस्तक को पढ़ना सीख लें |यहद
हमें प्रकृनत के अक्षर पढ़ना आ जाए, तो सडक पर पडा एक कंकड संसार की पुस्तक का एक पष्ृ ठ
हो सकता है । यह चमकीला गोल कंकड स्ियं हमें अपनी कहानी बता सकता है कक िह इतना
धचकना कैसे हो गया | कुछ समय पहले िह एक चट्टान का खरु दरा नुकीला टुकडा था और कहीं
पहाड के ककनारे पडा हुआ था | बाररि के पानी में बह कर िह छोटी घाटी तक गया िहााँ एक पहाडी
नाले ने धकेल कर उसे छोटे से दररया में पहुाँचा हदया । लुढ़कते-लुढ़कते उसके ककनारे नघस गए और
िह धचकना और चमकदार हो गया। यहद िह और आगे जाता तो नघस कर रे त कण बन जाता और
समुद्र ककनारे पहुाँच जाता | पंडडत नेहरू कहते हैं कक यह छोटा सा कंकड जब इतनी बातें बता सकता
है तो हमारे चारों तरफ ऐसी हजारों चीजें हो सकती हैं जो हमें दनु नया का हाल बता सकती हैं|
प्रश्न 1 इस बीच िह दररया में लुढ़कता रहा नीचे शलखी कक्रयाएाँ पढ़ो क्या इनमे और लुढ़कना में
तम्
ु हें कोई समानता नजर आती है ?
(उर्त्र) इन चारों कक्रया िब्दों के अथा में बहुत अंतर है , इसशलए हमें इसमें समानता नजर नहीं
आती है |
प्रश्न 2 चमकीला रोडा वििेषण संज्ञा में इला प्रत्यय जोडने पर बना है ननम्नशलणखत िब्दों में
सही प्रत्यय जोडकर वििेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएाँ शलखो|
पत्थर, कांटा, रस, जहर
उर्त्र -
(क) पथरीला रास्ता (ख) काँटीला पौधा
(ग) रसीला आम (घ) जहरीला सााँप
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प्रश्न 3 'जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत सी बातें पूछा करती हो |'
यह िाक्य दो िाक्यों को शमलाकर बना है इन दोनों बातों को जोडने का काम जब- तो कर रहे हैं
इसशलए इन्द्हें योजक कहते हैं | योजक के रूप में कभी कोई बदलाि नहीं आता इसशलए यह
अवयय का एक प्रकार होते हैं | नीचे िाक्यों को जोडने िाले कुछ और अवयय हदए गए हैं उन्द्हें
ररक्त स्थानों में शलखो | इन िब्दों से तम
ु भी एक-एक िाक्य बनाओ ।
(क) कृष्ण कफल्म दे खना चाहता है ___ मैं मेले में जाना चाहती हूाँ|
(ख) मुननया ने सपना दे खा ___िह चंद्रमा पर बैठी है |
(ग) छुट्हटयों में हम सब दग
ु ाापरु जाएंगे __जालंधर ।
(घ) सब्जी कटिा कर रखना __घर आते ही मैं खाना बना लाँ ू |
(ङ)__मुझे पता होता कक िमीना बुरा मान जाएगी __मैं यह बात ना कहती |
(च) इस िषा फसल अच्छी नहीं हुई है __ अनाज महं गा है |
(छ)विमल जमान सीख रहा है __ फ्रेंच
उर्त्र (क)कृष्ण कफल्म दे खना चाहता है परं तु मैं मेले में जाना चाहती हूाँ|
(ख) मुननया ने सपना दे खा कक िह चंद्रमा पर बैठी है |
(ग) छुट्हटयों में हम सब या तो दग
ु ाापरु जाएाँगे या जालंधर |
(घ) सब्जी कटिा कर रखना ताकक घर आते ही मैं खाना बना लूं |
(ङ) यहद मझ
ु े पता होता कक िमीना बरु ा मान जाएगी तो मैं यह बात न कहती |
(च) इस िषा फसल अच्छी नहीं हुई है इसशलए अनाज महं गा है |
(छ) विमल जमान सीख रहा है न कक फ्रेंच |
(क) बजल्क - मोहन ने इनकार नहीं ककया बजल्क िह तो घूमने जाना चाहता था |
(ख) इसशलए - मेरे शसर में ददा था इसशलए मैं स्कूल नहीं आ सकी |
(ग) परं तु - मोहन घूमने जाना चाहता था परं तु उसके वपता ने मना कर हदया |
(घ) कक - मैं जानती थी कक िह नहीं आ सकेगा |
(ङ) यहद - यहद उसके वपता ने अनुमनत दी होती तो िह जरूर आता|
(च) तो -िह होता तो और भी आनंद आता
(छ) न कक - मैंने उसे काम पूरा करने को कहा न कक जाने से रोका
(ज) या - नेहा या नूपुर इस काया को कर सकती हैं|
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(झ) ताकक - मैंने उसे रोका ताकक िह काम पूरा कर सके|
प्रश्न अभ्यास पाठ्य पुस्तक से
(3) दनु नया का परु ाना हाल ककन चीजों से जाना जाता है ? कुछ चीजों के नाम शलखो |
उर्त्र- दनु नया का पुराना हाल समुद्र, नहदयों, चट्टानों, पत्थर के टुकडों और जानिरों की हड्डडयों
से जाना जाता है |
(5) गोल चमकीले रोडे को यहद दररया और आगे ले जाता, तो क्या होता? विस्तार से उर्त्र शलखो
|
उर्त्र- गोल चमकीले रोडे को यहद दररया और आगे ले जाता तो िह छोटा होते-होते अंत में बालू
का एक कण बन जाता और समुद्र के ककनारे पहुाँचकर अपने जैसे ही रे त के अन्द्य कणों से शमल
जाता | इस प्रकार समद्र
ु के ककनारे संद
ु र बालू का ककनारा बनता है, जहााँ छोटे -छोटे बच्चे खेलते
और बालू के घरौंदे बनाते |
(6 ) नेहरू जी ने इस बात का हल्का सा संकेत हदया है कक दनु नया कैसे िुरू हुई होगी | उन्द्होंने
क्या बताया है ? पाठ के आधार पर शलखो।
(उर्त्र) नेहरू जी ने बताया है कक लाखों करोडों िषा पहले जब इस धरती का जन्द्म हुआ था, तब
यह इतनी गमा थी कक इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी| धीरे धीरे बहुत बाद में इस
पर पेड पौधे और जानिरों का अजस्तत्ि िुरू हुआ और उसके कई हजार साल बाद मनुष्य की
उत्पवर्त् हुई |
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पत्र से आगे
(1) लगभग हर जगह दनु नया की िुरुआत को समझाते हुई कहाननयााँ प्रचशलत हैं| तुम्हारे यहां कौन
सी कहानी प्रचशलत है ?
उर्त्र - हमारी दनु नया में यह कहानी प्रचशलत है कक संपूणा सजृ ष्ट के रचनयता ईश्िर है और प्रत्येक
प्राणी उनकी ही दे न है |
(1) ककसी चीज के ननमााण की कहानी अपने िब्दों में शलणखए| (छात्र स्ियं करें गें।)
(2) इस पाठ में आपको ऐसा क्या लगा जजसे आप अपने जीिन में अपनाना चाहें गे? (छात्र स्ियं
करें गें।)
(2) पुराने जमाने की बात यहद हम बैठे-बैठे सोचने लगे, तो क्या होगा?
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उर्त्र - पुराने जमाने की बात यहद हम बैठे-बैठे सोचने लगे तो कोई न कोई मनगढ़ं त कहानी जरूर
बन जाएगी |हमें जो अच्छा लगेगा हम िही सोच लेंगे |हो सकता है हम सुंदर पररयों और भयानक
राक्षसों की कथा सोच लें| परं तु बबना दे खे जाने ऐसे बात की कल्पना करना गलत होता है क्योंकक
ऐसी बातों का ना कोई तथ्य होता है न ही आधार|
(1) पंडडत जिाहरलाल नेहरू इंहदरा गााँधी को पत्र क्यों शलखा करते थे?
उर्त्र - पंडडत जिाहरलाल नेहरू अपनी पुत्री इंहदरा को पत्रों के माध्यम से दे ि और दनु नया की
थोडी जानकारी दे ना चाहते थे इसशलए िह उन्द्हें पत्र शलखा करते थे|
(2) धरती के िुरुआती समय के बारे में हमें ककस से जानकारी शमलती है ?
उर्त्र - पहाडों और जानिरों की हड्डडयों से हमें धरती के िुरुआती समय की जानकारी शमलती है |
(3) कोई भी भाषा सीखने के शलए सबसे पहले क्या करना होता है ?
उर्त्र - ककसी भी भाषा को सीखने के शलए सबसे पहले उस भाषा के अक्षरों को सीखना होता है |
(5) इलाहाबाद और मसूरी प्रांत भारत के ककन िहरों में जस्थत हैं?
उर्त्र -इलाहाबाद उर्त्र प्रदे ि प्रांत का तथा मसरू ी उर्त्राखंड प्रांत के िहर में जस्थत हैं|
पाठ का सार
मैं सबसे छोटी होउाँ िीषाक कविता एक बालगीत है | इस कविता में कवि सुशमत्रानंदन पंत एक
छोटी बच्ची का िणान कर रहे हैं जो अपनी मााँ की सबसे छोटी संतान बनने की कामना करती
है | िह अपनी मााँ की सबसे छोटी बेटी बनकर अपनी मााँ का लंबे समय तक साथ चाहती है |
िह छोटी रहकर अपनी मााँ की गोद में सोना जाती है | मााँ का आंचल पकडकर िह हमेिा उसके
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साथ साथ रहना चाहती है | िह बडी होकर अपनी मााँ से अलग नहीं होना चाहती, उसे डर है कक
बडे हो जाने पर मााँ उसके साथ नही रहे गी तथा अपने हाथों से नहीं णखलाएगी, ना ही उसे हाथ
मुंह धो कर सजाएगी िह उसे पररयों की कहानी नहीं सुनाएगी और ना ही उसे णखलौने दे गी | िह
बडी होकर मााँ का स्नेह खोना नहीं चाहती | िह मााँ के आाँचल में रह कर अपने को पूरी तरह
सुरक्षक्षत महसूस करती है |
भाषा की बात
प्रश्न 1. नीचे हदए गए िब्दों में अंतर बताओ, उनमें क्या फ़का है ?
उर्त्र - स्नेह (छोटे के शलए प्रेम)- मााँ अपने बच्चे से स्नेह करती है ।
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• भला-बुरा- हमें भला-बुरा सोचकर ही काया की योजना बनानी चाहहए |
प्रश्न 2.कविता में ‘ऐसी बडी न होऊाँ मैं’ क्यों कहा गया है ? क्या तुम भी हमेिा छोटे बने रहना
पसंद करोगे ? .
उर्त्र- इस कविता में एक बच्ची छोटी रह कर मााँ के साथ रहना पसंद करती है । िह ऐसी बडी
बनना पसंद नहीं करती जजससे िह मााँ का प्यार दल
ु ार न पा सके। बडी बनकर िह मााँ के प्यार
को खोना नहीं चाहती। इसशलए इस कविता में ‘ऐसी बडी न होऊाँ मैं’ की कामना की गई है । हााँ,
मैं भी हमेिा छोटे बने रहना पसंद करूंगी।
प्रश्न 3.आिय स्पष्ट करो-
हाथ पकड कफर सदा हमारे
साथ नहीं कफरती हदन-रात !
उर्त्र- बच्ची का मानना है कक बडे हो जाने पर बच्चे का साथ मााँ से छूट जाता है । जजस तरह
छोटे रहने पर मााँ हमेिा बच्ची के साथ रहकर समय तथा प्यार दे ती थी, िैसा बडे होने पर
नहीं करती है । िह हमेिा मााँ का साथ चाहती है ।
प्रश्न 4 - अपने छुटपन में बच्चे अपनी मााँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नज़दीकी की
कौन-कौन सी जस्थनतयााँ बताई गई हैं?
उर्त्र- मााँ की गोदी में सोना और पररयों की कहानी सुनना, उसका आाँचल पकड कर चलना,
उसके हाथों खाना तथा उसके हाथों सजना-साँिरना आहद इस कविता में नजदीकी की जस्थनतयााँ
बताई गई हैं।
रचनात्मक ि सज
ृ नात्मक कौिल पर आधाररत प्रश्न -
प्रश्न -इस कविता के अंत में कवि मााँ से चंद्रोदय हदखा दे ने की बात क्यों कर रहा है ? चााँद के
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उहदत होने की कल्पना करो और अपनी कक्षा में बताओ।
उर्त्र-बच्चों को चााँद को उहदत होते दे खना अत्यंत रोचक लगता है । िे अकसर माता-वपता से
चााँद को दे खने या उसे हाथ में लेने की जजद करते हैं इसशलए कविता में कवि ने चंद्रोदय हदखाने
की बात कही है | चंद्रोदय का दृश्य अत्यंत सह ु ाना लगता है । चााँदनी रात बहुत ही िीतल लगती
है जो आाँखों और हृदय को ठं डक पहुाँचाती है ।
प्रश्न 2. इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी मााँ का धचत्र तुम्हारे मन में उभरता
है । िह बच्ची और क्या-क्या कहती होगी ? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।
उर्त्र- िह बच्ची हदन भर मााँ के साथ उसके आगे-पीछे घूमती होगी। िह मााँ के साथ रसोई में ,
बैठक में , ियनागार में और छत पर जाती होगी । िह एक शमनट भी चप
ु नहीं रहती होगी। कई
तरह के सिाल उसे मााँ से पूछने होते हैं। मााँ तुम क्या कर रही हो? मााँ तम
ु क्या बना रही हो?
मााँ ये क्या है ? मााँ यह कैसे होता है ? रसोई में जाकर िह मााँ से जजद करती होगी कक िह भी
रोटी बेलेगी । बैठक में जाकर िह कहती होगी कक िही टी.िी. चलाएगी।
ियनागार में िह गंदे पैर बबस्तर पर चढ़ जाती होगी और चादर समेट दे ती होगी। घर भर में
उसके णखलौने बबखरे पडे रहते होंगे। छत पर जाकर िह दरू कहीं पतंग उडते दे ख मााँ से उसे
लाने की जजद करती होगी। रात में िह तब तक नहीं सोती होगी जब तक मााँ उसके पास लेट
कर उसे पररयों की कहानी न सन
ु ाए। इस प्रकार िह सारा हदन मााँ को अपने में ही उलझाए
रखती होगी।
प्रश्न 1. तम्
ु हारी मााँ तम
ु लोगों के शलए क्या-क्या काम करती है ?
उर्त्र- हमारी मााँ हमारे शलए ननम्नशलणखत काया करती है -
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प्रश्न 2. यह क्यों कहा गया है कक बडा बनाकर मााँ बच्चे को छलती है ?
उर्त्र- मााँ जब बच्चों को बडा बना दे ती है तब उसका साथ छोडकर अपने कामों में लग जाती है ।
तब िह उसे न तो नहलाती धल
ु ाती है और न अपने हाथ से खाना णखलाती है , न पररयों की
कहानी सन
ु ाती है । उसे खेलने के शलए णखलौने नहीं दे ती है । तब बच्चों को लगता है कक बडा होने
पर मााँ उसे छलती है ।
प्रश्न 3. उन कक्रयाओं को धगनाओ जो इसे कविता में मााँ अपनी बच्ची या बच्चे के शलए करती
है ।
उर्त्र- मााँ अपने बच्चे को गोदी में सुलाती है , आाँचल पकडिाकर साथ-साथ रखती है , खाना
णखलाती है । नहलाती-धल
ु ाती है , सजाती-साँिारती है , णखलौने दे ती है , स्कूल भेजती है , पररयों की
कहाननयााँ सुनाती है । अच्छी-अच्छी बातें शसखाती और पढ़ाती है ।
प्रश्न 4. मााँ अपना एक हदन कैसे गुज़ारती है ? कुछ मौकों पर उसकी हदनचयाा बदल जाया करती
है , जैसे-मेहमानों के आ जाने पर, घर में ककसी के बीमार पड जाने पर या त्योहार के हदन। इन
अिसरों पर मााँ की हदनचयाा पर क्या फ़का पडता है ? सोचो और शलखो।
उर्त्र- मााँ अपना एक हदन प्रातिः काल उठकर राबत्र सोने तक घर के कामों को पूरा करने में गुजारती
है । िह प्रातिः चाय बनाती है , कफर खाना बनाती है , बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती है । घर की
सफ़ाई करती है तथा कपडे धोती है । कफर िाम का खाना बनाती है । कुछ वििेष मौकों पर
मेहमानों के आ जाने पर उसके शलए वििेष भोजन तैयार करना पडता है । मेहमान के विश्राम का
भी प्रबंध करना पडता है । इसी प्रकार ककसी के बीमार होने पर भी पहली प्राथशमकता उस बीमार
सदस्य की दे खरे ख पर ध्यान दे ती है । त्योहार के हदनों में भी त्योहार की तैयारी पूरी ननष्ठा से
करती है । पूजा ि वििेष भोजन का भी प्रबंध करना पडता है । इस तरह वििेष अिसरों पर मााँ
की हदनचयाा में पररितान आ जाता है ।
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बहुविकल्पीय प्रश्नोर्त्र
(ग) बच्ची ककसके साथ रहने के शलए बडी नहीं होना चाहती?
(i) मााँ (ii) वपता
(iii) दादा-दादी (iv) दोस्त
उर्त्र-
(क) (iv) (ख) (ii) (ग) (i) (घ) (i) (ङ) (i)
प्रश्न 3. कविता में ‘ऐसी बडी न होऊाँ मैं’ क्यों कहा गया है ?
उर्त्र- ऐसा इसशलए कहा गया है क्योंकक बडी बनकर िह मााँ का प्यार नहीं खोना चाहती । ऐसे
बडे बनने से क्या लाभ जजसमें मााँ अपने हाथों से न णखलाए न नहला कर तैयार करे ।
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प्रश्न 4. मााँ बच्चों को ककस प्रकार छलती है ?
उर्त्र-मााँ जब बच्ची को बडी बना दे ती है तब उसका साथ छोडकर अपने कामों में लग जाती है
और कभी-कभी िह बच्चों को णखलौने हाथ में पकडाकर अपने काम में लग जाती है । उसके साथ
समय नहीं दे ती है । इस प्रकार मााँ बच्चों को छलती है ।
प्रश्न 1. बचपन सह
ु ाना क्यों होता है ?
उर्त्र- बचपन में मााँ का प्यार और साननध्य शमलता है । सारी धचंताएाँ मााँ पर छोडकर बच्चे
मस्ती में रहा करते हैं । छोटी होकर ही मााँ का हाथ पकड कर उनके साथ घूमते हैं । मााँ के
हाथ से खाना, माँह
ु धल
ु िाना, धल ू पोंछिाना, छोटी होते हुए संभि होता है । मााँ का आाँचल पकड
कर बच्चे घूमा करते हैं, मााँ की गोदी में सोते हैं । बच्चों को सुखद पररयों की कथा सुनने का
मौका शमलता है । मााँ बच्चों का हाथ कभी नहीं छोडती । इसशलए बचपन सुहाना होता है ।
प्रश्न 3. मााँ के आाँचल की छाया दनु नया की सबसे सुरक्षक्षत स्थान है । कैसे?
उर्त्र-मााँ के आाँचल की छाया संसार की सबसे सुरक्षक्षत स्थान है । यहााँ हम बबना ककसी डर, धचंता
और कफ्रक के रहते हैं। यहााँ हमें ककसी प्रकार का खतरा महसूस नहीं होता। मााँ हमें हर
परे िाननयों एिं खतरों से दरू रखती है । िह हमें लोगों की बुरी संगत और नज़र से बचाती है ।
िह हमारे स्िास्थ्य और सफ़ाई पर भी ध्यान रखती है । इसशलए मााँ का आाँचल दनु नया का
सबसे सुरक्षक्षत स्थान है ।
लोकगीत
पाठ का सारांि
संगीत से अलग लोकगीत सीधे आम जनता का संगीत है, जो बबना ककसी साधना के त्योहारों पर
वििेष अिसरों पर गाए जाते हैं| इनकी रचना ग्रामीण जनों ने ही की है | यह केिल ढोलक, झांझ
करताल आहद की मदद से गाए जाते हैं | लोकगीत कई प्रकार के होते हैं उनमें सबसे मख्
ु य है
आहदिासी गीत| पहाडडयों द्िारा गाए जाने िाला गीत जो पहाडी कहलाता है | चैता, कजरी ,बारहमासा
,सािन आहद शमजाापरु ,बनारस और पि
ू ी उर्त्र प्रदे ि तथा पजश्चम विहार में गाए जाते हैं| बाउल और
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भनतयाली बंगाल के लोकगीत है तो माहहया पंजाब का| लोकगीतों का विषय रोजमराा के जीिन का
होता है इसशलए िे सीधे ममा को छू लेते हैं| ग्रामीण बोशलयों में गाए जाने िाले ये गीत बडे
आनंददायक होते हैं | आसानी से समझ में आने िाली भाषा और आकषाक राग इनकी लोकवप्रयता
का कारण है |
हमारे दे ि में अनंत संख्या जस्त्रयों द्िारा गाए जाने िाले गीतों की है | त्योहारों पर नहदयों में
नहाते समय के, नहाने जाते हुए, राह के, वििाह के मटकोड, ज्यौनार आहद अिसरों की अलग-
अलग गीत जस्त्रयों द्िारा गाए जाते हैं | जस्त्रयााँ अपने गीत दल बााँधकर गाती हैं | परू ब की बोशलयों
में अधधकतर विद्यापनत के गीत गाए जाते हैं, पर अलग-अलग क्षेत्रों के अपने-अपने विद्यापनत हैं
| गुजरात का एक प्रकार का दलीय गायन गरबा है , जो अब दस
ू रे प्रांतों में भी लोकवप्रय हो चला
है | इसी प्रकार होली में ब्रज में रशसया चलता है |
1. लोक िब्द में कुछ जोडकर जजतने िब्द तुम सोच सकते हो, उनकी सूची बनाओ | इन िब्दों
को ध्यान से दे खो और समझो कक इनमें अथा की दृजष्ट से क्या समानता है ? इन िब्दों से िाक्य
भी बनाओ |
(2) बारहमासा गीत में साल के 12 महीनों का िणान होता है अगले पष्ृ ठ पर विशभन्द्न अंगों से
जुडे कुछ िब्द हदए गए हैं इन्द्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कक इनका क्या अथा है और िह अथा
क्यो है ? इस सूची में तुम अपने मन से सोच कर भी िब्द जोड सकते हो |
इकतारा, सरपंच, चारपाई, सप्त ऋवष, अठन्द्नी, नतराहा, दोपहर, छमाही, निरात्र, चौराहा
उर्त्र(क) इकतारा- यह एक िाद्य यंत्र है | इसमें एक तार होता है इसीशलए इसे इकतारा कहते हैं|
(ख) नतराहा -िह स्थान जहां तीन राहें शमलती है , नतराहा कहलाता है |
(ग) सरपंच- पंचों में जो मख्
ु य हो, उसे सरपंच कहते हैं |
(घ) दोपहर -हदन का दस
ू रा पहर दोपहर कहलाता है |
(ङ) चारपाई- चार पैर होने के कारण खाट को चारपाई कहते हैं|
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(च) सप्त ऋवष- सात ऋवषयों का समूह सप्त ऋवष कहलाता है |
(छ) निरात्र - नि राबत्रयों का समह
ू निरात्र कहलाता है
(ज) अठन्द्नी - आठ आने अठन्द्नी कहलाते हैं |
(झ) चौराहा- जहााँ चार राहें शमलती है , उसे चौराहा कहते हैं|
ऐसे ही कुछ अन्द्य िब्द हैं चिन्द्नी , बत्रदे ि ,बत्रलोक आहद|
नीचे मंजरी जोिी की पुस्तक भारतीय संगीत की परं परा से भारत के एक लोकिाद्य का िणान
ककया गया है | इसे पढ़ो और ररक्त स्थानों में उधचत िब्द शलखो |
तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचशलत है | यह दे खने में अंग्रेजी के एम या सी अक्षर की तरह होती
है |भारत के विशभन्द्न प्रांतों में पीतल या कांसे का बना यह िाद्य अलग-अलग नामों से जाना
जाता है | धातु की नली को घुमा कर एस का आकार इस तरह से हदया जाता है कक उसका एक
शसरा संकरा रहे और दस
ू रा शसरा घंटीनुमा चौडा रहे | फाँू क मारने को एक छोटी नली अलग से जोडी
जाती है | राजस्थान में इसे बगूा कहते हैं| उर्त्र प्रदे ि में यह तूरी मध्य प्रदे ि और गुजरात में
रणशसंघा और हहमाचल प्रदे ि में नरशसंघा के नाम से जानी जाती है | राजस्थान और गुजरात में
इसे काकडशसंघी भी कहते हैं|
ननबंध से
(1) ननबंध में लोकगीतों के ककन पक्षों की चचाा की गई है ? बबंद ु के रूप में उन्द्हें शलणखए|
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(ख) गायन िैली
(ग) रचनाकार
(घ) सहायक िाद्य यंत्र
(ङ) राग
(च) गायक समह
ू
(छ) गायन अिसर
(ज) लोकगीतों की भाषा
(झ) लोक गीतों के साथ चलने िाले नत्ृ य
(ञ) लोक गीतों के प्रकार
(ट) लोक गीतों की लोकवप्रयता
(उर्त्र) हमारे दे ि में जस्त्रयों के अनेक प्रकार के गीत हैं, जो उनके कायों से जुडे हैं और िे उन्द्हें
गाती हैं|
त्योहारों पर, नहदयों में नहाते समय, नहाने जाते हुए रास्ते में , वििाह के, मटकोड, ज्यौनार के,
संबंधधयों के शलए प्रेम यक्
ु त गाली के, जन्द्म आहद सभी अिसरों के अलग-अलग गीत है , जो जस्त्रयों
द्िारा गाए जाते हैं|
(3 ) ननबंध के आधार पर और अपने अनुभि के आधार पर यहद तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके
शमले हैं, तो तुम लोकगीतों की कौन सी वििेषताएं बता सकते हो ?
(उर्त्र) लोकगीत आम जनता के गीत होते हैं | इनमें लचीलापन और ताजगी होती है | इन्द्हें गाने
के शलए ककसी साधना की आिश्यकता नहीं होती है | यह त्योहारों तथा वििेष अिसरों पर गाए
जाते हैं| लोकगीत बाजों की मदद के बबना ही गाए जाते हैं िैस:े साधारण ढोलक, झांझ, करताल,
बांसुरी बजाकर भी गाया जाता है | इनकी रचना गांि दे हात के लोग ही करते हैं |लोकगीत वििेषतिः
समूह में गाए जाते हैं | इससे जन जीिन का वििेष उत्साह प्रकट होता है |
(4) पर सारे दे ि के-------------- अपने-अपने विद्यापनत हैं, इस िाक्य का क्या अथा है ? पाठ पढ़
कर मालूम करो और शलखो|
(उर्त्र) विद्यापनत बबहार के मैधथली भाषा के प्रशसद्ध कवि हैं |शमधथला के घर-घर में उनके गाने
गाए जाते हैं | उन्द्हें मैधथल कोककल कहा जाता है | परं तु सारे दे ि के अपने अपने विद्यापनत हैं -
इस कथन का अथा यह है कक दे ि के विशभन्द्न क्षेत्रों में अनेक ऐसे कवि हैं जजनके गीत उस इलाके
में प्रचशलत है | िे सब अपने क्षेत्र के विद्यापनत हैं अथाात िह सब अपने क्षेत्र के महान और प्रशसद्ध
कवि हैं|
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उच्च धचंतन कौिल आधाररत प्रश्न
(उर्त्र) चैता, कजरी, बारहमासा और सािन आहद गीत दे हात में गाए जाते हैं|
िाक्य प्रयोग- सीमा की लाटरी लगने पर उसने पूरे िहर मे ढोल पीट हदया|
िाक्य प्रयोग-अपने पठन कौिल के कारण रवि पूरे िहर में लोकवप्रय हो गया|
(1) आपके गााँि में लोकगीतों के शलए कौन से िाद्य यंत्र प्रयोग ककए जाते हैं ?
(उर्त्र) हमारे गााँि में लोकगीतों के शलए ढोलक, झांझ, करताल, बांसुरी आहद िाद्य यंत्र प्रयोग
ककए जाते हैं|
(2) तुम्हे लोकगीत कैसे लगते है और क्यों?
(उर्त्र) हमें लोकगीत बहुत अच्छे लगते हैं क्योंकक इनके शलए ककसी वििेष प्रयास की आिश्यकता
नही होती तथा सरलता से समझने योग्य होते हैं | इन गीतो के द्िारा कायाक्रम बहुत रोचक बन
जाते हैं|
(2) होली के अिसर पर ब्रज में कौन से लोकगीत गाए जाते हैं?
(उर्त्र) होली के अिसर पर ब्रज मे 'फाग' गाए जाते हैं|
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(5) लोकगीत ककन अिसरों पर गाए जाते हैं?
(उर्त्र) जन्द्महदिस तथा वििाह आहद वििेष अिसरों पर लोकगीत गाए जाते हैं|
(क) नौकरों द्िारा ककए िाने िािे कायो को र्ांिी िी का स्ियं काम करना उनकी ककस सोच
को दशािर्ा है ?
उत्तर- र्ांिी िी ककसी काम को छोटा नही समझर्े थे |
(ख) बैररस्टर रहर्े हुए गााँधी िी िार्ः कौन-से काम ककया करर्े थे ?
उत्तर-आटा पीसने का काम |
(र्) कस्र्ूरबा और उनके िडके चतकी चिाने में ककसकी मदद ककया करर्े थे ?
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उत्तर- गााँधी िी की |
(घ) गााँधी िी ने साबरमती आश्रम में कौन सा काया जारी रखा ?
उत्तर- गााँधी िी ने साबरमती आश्रम में वपसाई का काया जारी रखा |
(ड.) महीन शब्द का अथि बर्ाइए |
उत्तर- बारीक पीसा हुआ |
िहााँ उवहे भारर्ीय छात्रों ने एक शाकाहारी भोि में ननमंबत्रत ककया | छात्रों ने इस अिसर पर स्ियं
ही शाकाहारी भोिन तैयार करने का तनश्चय ककया था | र्ीसरे पहर दो बिे एक दब
ु िा-पर्िा और
छरहरा आदमी आकर उनमे शालमि हो र्या और र्श्र्ररयााँ िोने, सब्ज़ी साफ़ करने और अवय
छुटपुट काम करने में उनकी मदद करने िर्ा | बाद में छात्रों का नेर्ा िहााँ आया र्ो तया दे खर्ा
है कक िह दब
ु िा-पर्िा और कोई नही, उस शाम को भोि में तनमंबत्रर् उनके सम्मातनर् अतर्र्थ
गााँधी िी थे |
उत्तर- भारर्ीय छात्रों ने गााँधी जी को एक शाकाहारी भोि में में शालमि होने के लिए आमंबत्रर्
ककया था |
(ख) भारर्ीय छात्रों ने शाकाहारी भोिन र्ैयार करने का तनश्चय क्यों ककया ?
उत्तर-भारर्ीय छात्रों ने गााँधी िी को भोि में तनमंबत्रर् ककया था गााँधी िी शाकाहारी थे इसलिए
उवहोने शाकाहारी भोिन बनाने का तनश्चय ककया |
िश्न 1. आश्रम में कॉिेि के छात्रों से गााँधी िी ने कौन-सा काम करिाया और तयों ?
उत्तर -आश्रम में गााँधी िी छात्रों से र्ें हू बीनने का काम करिाया । िास्र्ि में िे उन छात्रों का
घमंड र्ोडकर उवहे समझाना चाहर्े थे कक कोई कायि छोटा या बडा नही होर्ा ।
िश्न 2. आश्रम में गााँधी िी कई ऐसे काम भी करर्े थे, ल्िवहे आमर्ौर पर नौकर-चाकर करर्े
हैं। पाठ से र्ीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो िो इस बार् का िमाि हो ।
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2. गााँधी िी अपने बर्िन स्ियं साफ़ करर्े थे ।
3.िे आश्रम में अपने हाथों से सल्ब्ियााँ छ िर्े थे ।
िश्न 3. िंदन में भोि पर बि
ु ाए िाने पर गााँधी िी ने तया ककया ?
उत्तर- िंदन में गााँधी िी को छात्रों ने भोि पर बि
ु ाया । छात्रों ने इस अिसर पर स्ियं ही शाकाहारी
भोिन बनाने का तनश्चय ककया । गााँधी िी भी दोपहर को िहााँ पहुाँच र्ए और र्श्र्ररयााँ घोने,
सब्ज़ी साफ करने और छोटे –मोटे काम करने में छात्रों की सहायर्ा करने िर्े ।
िश्न 4. गााँधी िी ने श्रीमर्ी पोिक के बच्चों का दि
ू कैसे छुडिाया ?
उत्तर- श्रीमर्ी पोिक का बच्चा रार् को भी दि
ू पीने के लिए अपनी मााँ िर्ाए रखर्ा था । यह
दे ख गााँधी िी ने बच्चे की दे खभाि का ल्ज़म्मा िे लिया । िे रार् को घर दे र से पहुाँचने पर भी
श्रीमर्ी पोिक के बबस्र्र से बच्चे को उठाकर अपने बबस्र्र पर लिटा दे र्े थे । उसे पानी प्रपिाने
के लिए एक बर्िन में पानी भरकर भी रख िेर्े थे । बच्चे को पंरह हदन र्क उवहोने अपने साथ
बबस्र्र पर सुिाया । अपनी मााँ से पंरह हदन अिर् सोने पर बच्चे ने अपनी मााँ का दि
ू छोड
हदया ।
िश्न 5. आश्रम में काम करने या करिाने का कौन-सा र्रीका गााँधी िी अपनार्े थे ? इसे पाठ
पढ़कर लिखो ।
उत्तर- आश्रम का तनयम था कक ित्येक व्यल्तर् को अपना काम स्ियं करना है । इस तनयम के
अनुसार ित्येक व्यल्तर् अपना अपना काम स्ियं करर्ा था । गााँधी िी अपना काम स्ियं करर्े
थे । उनको काम करर्ा दे ख और िोर् भी इसका अनुकरि करर्े थे । इस िकार गााँधी िी दस
ू रों
को काम करने के लिए आदे श न दे कर स्ियं उनके सामने काम करने का उदहारि पेश करर्े थे
।
िश्न 6. आपके घर पर ककये िाने िािे कायों की र्ालिका नीचे दी र्ई है । बर्ाये इन कायों को
कौन-कौन करर्ा है ? ✓का तनशान िर्ायें। र्था पर्ा िर्ाइए कक घर के कायों में कौन सबसे
ज्यादा सहयोर् करर्ा है ?
1. घर का सामान
िाना।
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2. घर की सफाई
करना।
3. बबस्र्र रखना।
4. खाना बनाना।
5. कपडे िोना।
भाषा की बार्
िश्न 1. “प्रपसाई” संज्ञा है ‘पीसना’ शब्द से ‘ना’ तनकाि दे ने पर ‘पीस’ घार्ु रह िार्ी है | पीस
घार्ु में आई ित्यय िोडने पर प्रपसाई शब्द बनर्ा है | ककसी ककसी कक्या में ित्यय िोडकर उसे
संज्ञा बनने के बाद उसके रूप में बदिाि आ िार्ा है , िैसे ढोना से ढुिाई, बोना से बुआई |
मूि शब्द के अंर् में िुडकर नया शब्द बनाने िािे शब्दांश को ित्यय कहर्े है |
नीचे कुछ संज्ञा शब्द हदए िा रहे है ।बर्ाओ ये ककन कक्याओ से बनी हैं ?
लसंचाई..........कटाई...............राँ र्ाई.........
उत्तर-
संज्ञा कक्या
रोपाई रोपना
कर्ाई कार्ना
लसिाई लसिना
लसंचाई सींचना
कटाई काटना
राँर्ाई रं र्ना
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उत्तर- स्त्रीलिंर् पुलिंर्
कालिख पर्ीिा
भराई
चतकी
रोशनी
सेिा
र्चत्र 1.
उत्तर-.................................................................
र्चत्र 2.
उत्तर-.................................................................
र्चत्र 3.
54
उत्तर-...................................................................
र्चत्र 4.
उत्तर-.....................................................................
िश्न 1. मह
ु ािरा “आडे हाथों िेना” का तया अथि है ?
(क) अत्यर्िक डांटना डपटना। (ख) अपनी बार् मनिाना
(र्) समझाना। (घ) उपरोतर् में से कोई नहीं।
उत्तर-(क) अत्यर्िक डांटना डपटना।
िश्न 2. कौपीनिारी शब्द है ?
(क) संज्ञा (ख) कक्या
(र्) प्रिशेषि (घ) सििनाम
उत्तर- (र्) प्रिशेषि
िश्न 3- एक आश्रम िासी को हािमा कमिोर होने के कारि र्ांिीिी ने उसको खाने में तया
हदया ?
(क) आिू (ख) नीबू
(र्) सेब (घ) चकर्त्े पडे केिे।
उत्तर- (घ) चकर्त्े पडे केिे
िश्न 4. कस्र्ूरबा कौन थी?
(क) गााँधी जी के बचपन की लमत्र। (ख) र्ांिीिी की पत्नी।
(र्) आश्रम की कायिकर्ी। (घ) उपरोतर् में से कोई नहीं।
उत्तर-(ख) र्ांिीिी की पत्नी
िश्न 5. साबरमर्ी आश्रम ककस राज्य में है ?
(क) बबहार (ख) बंर्ाि
(र्) र्ुिरार् (घ) ओडडशा
उत्तर-(र्) र्ुिरार्
पाठ आिाररर् अतर् िघुउत्तरीय िश्न -
िश्न 1. गााँधी िी द्िारा भोिन परोसने के कारि आश्रमिालसयों को तया सहना पडर्ा था?
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उत्तर- उनको बेस्िाद भोिन खाकर ही रहना पडर्ा था।
िश्न 2. बोअर-यद्
ु ि के दौरान गााँधी िी ने तया ककया?
उत्तर- बोअर-यद्
ु ि के दौरान गााँधी िी ने घायिों को स्रे चर पर ढोया था।
िश्न 3. गााँधी िी घर के लिए आटा कैसे र्ैयार करर्े थे?
उत्तर- गााँधी िी ज़रूरर् का महीन या मोटा आटा सब
ु ह-शाम चतकी से पीसकर र्ैयार कर िेर्े
थे।
िश्न 4. गााँधी िी लिखर्े समय ककस बार् का ध्यान रखर्े थे?
उत्तर- गााँधी िी रार् को िािटे न की रोशनी में पत्र लिखर्े थे। िब र्ेि खत्म हो िार्ा र्ब िे
चंरमा की रोशनी में पत्र पूरा करर्े थे।
पाठ का सार-
िस्र्ुर् पाठ र्ुिसीदास रधचत अयोध्या कांड से लिया र्या है । ल्िसमें र्ुिसीदास िी द्िारा रामचंर
िी के िनिास के समय मार्ि की कहठनाई ि सीर्ा मार्ा को होने िािे कष्टों को व्यापक रुप से
उद्घाहटर् ककया र्या है । यह मार्ि काटों से भरा हुआ है र्था इस पर बहुर् संभिकर चिना पड
रहा है । रहने के लिए कोई उर्चर् स्थान भी नहीं है । रास्र्े में खाने की िस्र्ए
ु ं भी नही हैं। पानी
लमिना भी कहठन है । चारों ओर सन
ु सान र्था िंर्िी िानिरों का िकोप भी बना हुआ है । श्री
राम सीर्ा के थक िाने पर उनके पैरों के कांटे तनकािर्े हैं, सीर्ा राम का अपने ितर् िेम
दे ख कर पि
ु ककर् हो िार्ी है । पतर् का पत्नी के ितर् िेम र्था आकषिि को र्ि
ु सीदास िी ने
मानिीय संिेदनाओं द्िारा िीिंर् रूप िदान ककया है ।िे व्याकुिर्ा से श्री राम से पछ
ू र्ी हैं कक
अभी ककर्ना चिना है । पणाकुटी कहााँ बनाएंर्े? आलंकाररक शब्दों द्िारा ि अििी भाषा का
चमत्कृर् ियोर् ककया र्या है । कविता, िन के िीिन ि सामावय िीिन के अवर्र को स्पष्ट करने
में पूिि रूप से सफि है ।
पुर र्े तनकसी रघुबीर बि,ू िरर िीर दए मर् में डर् द्िै
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उत्तर- श्री रामचंद को िनिास लमिने पर सीर्ा और िक्ष्मि के साथ िब िे िनों की ओर बढ़
रहे थे।
(ख) नगर से तनकिर्े ही सीर्ा की तया दशा हो र्ई ?
उत्तर-िह थक र्ई उसके माथे पर पसीने की बंद
ू े झिकने िर्ी।
(र्) सीर्ा ने राम से तया पछ
ू ा ?
उत्तर- ककर्ना चिना है ? पणाकुटी कहााँ बनाएाँर्े ?
(घ) प्रियर्म की आाँखों से आाँसू तयों बहने िर्े ?
उत्तर- क्योंकक पत्नी की दद
ु ि शा और वयाकुलता सहन नही कर पाए ?
िश्न अभ्यास
िश्न 1. नर्र से बाहर तनकिकर दो पर् चिने के बाद सीर्ा की तया दशा हुई ?
उत्तर) मार्ि में दो कदम चिर्े ही
1-सीर्ा के माथे पर पसीने की बाँद
ू ें झिकने िगीं
2-उनके होंठ सूख र्ए।
3-िे शीघ्र थक गईं ।
िश्न2. अब और ककर्नी दरू चिना है , पििकुटी कहााँ बनाएाँर्े – ककसने, ककससे पूछा और तयों ?
उत्तर- ये िश्न सीर्ा ने श्रीराम से पूछा क्योंकक िे बहुर् थक र्ई थीं । अब उनमें और चिने की
हहम्मर् नही बची थी ।
िश्न 3. राम ने थकी हुई सीर्ा की तया सहायर्ा की ?
उत्तर- राम ने थकी हुई सीर्ा के पास थोडी दे र के लिए बैठे और उनके पााँिो से कााँटे तनकािे
र्ाकक उवहे थोडी राहर् महसूस हो ।
िश्न 4. दोनों सिैये के िसंर्ो में अंर्र स्पष्ट कील्िए ।
उत्तर- पहिे िसंर् में यह दशािया र्या है कक महिों में रहने िािी सीर्ा थोडे से श्रम से ही थक
िार्ी है क्योंकक उन्द्हें कहठन िीिन िीने की आदर् नही है ।
दस
ू रे िसंर् में श्रीराम ि सीर्ा के िेम को दशािया र्या है कक कैसे श्रीराम सीर्ा के थक िाने पर
उनके पैरो के कााँटे तनकिर्े है और सीर्ािी श्रीराम का अपने ितर् िेम दे खकर पुिककर् हो िार्ी
है ।
िश्न 5. पाठ के आिार पर िन के मार्ि का िििन अपने शब्दो में करो ।
57
खाने पीने की िस्तुओं का अभाि था ।
पीने के पानी का िबंि करना भी मल्ु श्कि था ।
भाषा की बार्
िश्न1. िब हम ककसी बार् को कप्रिर्ा में कहर्े है र्ो िातय के शब्द के क्म में बदिाि आर्ा
है , िैसे - छााँह घरीक ह्िै ठाढ़े को र्द्य में ऐसे लिखा िा सकर्ा है छाया में एक घडी खडा होकर
उदाहरि के आिार पर नीचे दी र्ई कप्रिर्ा की पंल्तर्यो को र्द्य के शब्दक्म में लिखो ।
उत्तर...........…....................................................................................................................
.......................................................................................................................................
................................................................................................….....................................
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.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
...........................................................................................................….....…...................
िश्न 1. िस्र्र्
ु सिैया ककसके द्िारा रर्चर् है ?
(क) िेद व्यास (ख) र्ि
ु सीदास
(र्) सूरदास (घ) भग
ृ ु ऋप्रष
उत्तर-(ख) र्ुिसीदास
िश्न 2. सीर्ा के दख
ु से रप्रिर् होकर श्री राम तया उपाय करर्े हैं ?
(क) सीर्ा को भोिन करार्े हैं। (ख) सीर्ा को चिने से मना करर्े हैं।
(र्) सीर्ा के पैरों से कााँटे तनकािर्े हैं। (घ) उपरोतर् में से कोई नहीं।
उत्तर-(र्) सीर्ा के पैरों से कााँटे तनकािर्े हैं।
िश्न 3. पुट का तया अथि है ?
(क) मस्र्क (ख) होंठ
(र्) नर्र (घ) पत्नी
उत्तर-(ख) होंठ
िश्न 4. पनिकुटी ककन-ककन चीि से बनर्ी है ?
(क) पत्थर से (ख) पानी से
(र्) पत्तों से (घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(र्) पत्तों से
पाठ आिाररर् अतर् िघुउत्तरीय िश्न
िश्न 1. िथम सिैया में कप्रि ने राम-सीर्ा के ककस िसंर् का िििन ककया है ?
उत्तर- िथम सिैया में कप्रि ने श्रीराम ि सीर्ा के अयोध्या से तनकिकर िन र्मन का िििन
ककया है ।
िश्न 2. राम और सीर्ा कहााँ िाने के लिए तनकिे थे?
उत्तर- राम और सीर्ा िन िाने के लिए तनकिे थे।
िश्न 3. राम ने रुककर तया ककया?
उत्तर- राम ने रुककर थोडा प्रिश्राम ककया और पैरों में चभ
ु े कााँटों को दे र र्क तनकािर्े रहे ।
िश्न 4. पनिकुटी ककस चीज़ से बनर्ी है ?
उत्तर- पनिकुटी पत्तों से बनर्ी है ।
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पाठ 17- सााँस – सााँस में बााँस
(एिेतस एम॰ िॉिि)
पाठ का सार-
व्यल्तर् के िीिन में बााँस का तया महत्ि है ? िेखक एिेतस एम॰ िॉिि ने बााँस को पाठकों की
ल्िज्ञासा का केवर बबवद ु बनाया है । बााँस की बन
ु ाई भारर् के इतर्हास में कब से आरम्भ हुई होर्ी
? मनष्ु य के हाथ बााँस की बनु ाई की किा बया के घोंसिे की बनािट से िर्ी होर्ी। ऐसा िान
पडर्ा है र्ब से इंसान ने हाथ से किात्मक चीिें बनानी आरम्भ की और पहिे मानि घम
ू -घम
ू
कर भोिन एकत्र ककया करर्ा था। भारर् के उत्तर पूिी क्षेत्रों के सार्ो राज्यों में बााँस बहुर्ायर् से
पाया िार्ा है । ल्िवहें भारर् की सार् बहनों के नाम से संबोर्िर् ककया िार्ा है । पूिा में भारर् के
राज्य प्रिशेषकर नार्ािैंड की बार् की र्ई है। बााँस की चटाइयां टोप्रपयां टोकररयां, बर्िन, अवय
सामान बैिर्ाडडया,फनीचर सिािटी सामान, मकान, बााँस के पुि ि णखिौने बनाए िार्े हैं। असम
में बााँस के िाि िकाई से मछिी पकडर्े हैं। इस िकार बााँस व्यल्तर् के िीिन के ित्येक क्षेत्र से
िुडा हुआ है। बााँस की बुनाई के लिए हाथों की किाकारी ि इस किा में महारर् हालसि होना
आिश्यक है । िेखक ने अपने िवम ्,अपने अथोपाििन र्था मत्ृ यु के पश्चार् भी बााँस की उपयोर्र्र्ा
को बर्ाकर इस िकार पाठ का केवर बबवद ु बााँस को बना हदया है ।
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उत्तर- डलियानुमा ।
(र्) मनष्ु य के हाथ बन
ु ाई की किा ककस पक्षी के घोंसिे से िर्ी होर्ी ?
उत्तर- बया के घोंसिे से िर्ी होर्ी ।
(घ) मनष्ु य ने र्चडडया के घोंसिे की बन
ु ािट के अिािा और तया लिया होर्ा ?
उत्तर- आकार ।
(ड.) बन
ु ािट ककस िकार का शब्द है ?
उत्तर- भाििाचक संज्ञा ।
असम में ऐसे ही एक िाि, िकाई से मछिी पकडर्े हैं | छोटी मछशलयों को पकडने के
लिए पानी की सर्ह पर रखा िार्ा है या कफर िीरे -िीरे खींचा िार्ा है । बााँस की खपल्च्चयों को
इस को इस र्रह बांधा िार्ा है कक िे एक शंकु का आकार िे िें । इस शंकु का ऊपरी लशरा
अंडाकार होर्ा है । तनचिे नुकीिे लसरे पर खपजच्चयााँ एक दस
ू रे में गाँथ
ु ी हुई होर्ी हैं ।
(क) इस र्दयांश में कौन से िदे श की बार् की र्ई है ?
उत्तर- असम िदे श की । (पि
ू ोत्तर भारर् की)
(ख) िकाई शब्द से आप तया समझर्े हैं ?
उत्तर- मछिी पकडने का िाि ।
(र्) िकाई का उपयोर् कैसे ककया िार्ा है ?
उत्तर- पानी के र्ि पर रख कर उसे िीरे -िीरे खींचा िार्ा है ।
(घ) खपल्च्चयों को ककस र्रह बााँधा िार्ा है ?
उत्तर- शंकु के आकार में बााँधा िार्ा है ।
(ड.) िकाई कैसे बनाया िार्ा है ?
उत्तर- बााँस की खपल्च्चयों को शंकु के आकार में बााँधकर, शंकु का ऊपरी हहस्सा अंडाकार
बनाकर,नुकीिे लसरे पर खपल्च्चयों को एक दस
ू रे से र्ाँथ
ू कर।
भाषा की बार्
िश्न 1. इन िातयांशों को िातयों में ियोर् कील्िए ।
1.हाथों की किाकारी
उत्तर- बााँस से अत्यर्िक िस्र्ुओं का तनमािि हाथों की किाकारी से ही संभि हो पाया है ।
2. घनघोर बाररश
उत्तर- कि रार् हुई घनघोर बाररश से शहर में िि भराि हो र्या ।
3. बुनाई का सफर
61
उत्तर- बााँस की बुनाई का सफर युर्ों से तनरं र्र चिर्ा आ रहा है ।
4. आडा-तर्रछा
उत्तर- बााँस को आडा-तर्रछा करके ही िस्र्ओ
ु ं का तनमािि ककया िार्ा है ।
5. डलियानम
ु ा
उत्तर- डलियानम
ु ा टोकररयााँ प्रिलभवन िकार के सामान डािने के लिए उपयोर्ी होर्ी है ।
6. कहे मर्
ु ाबबक
उत्तर- राम ने लशक्षक के कहे मर्
ु ाबबक पररश्रम ककया और सफिर्ा िाप्र् की ।
उत्तर-चार –पााँच िषि की आयु िािे बााँस को बूढ़ा बााँस कहा िा सकर्ा है । बूढ़े बााँस की यह
प्रिशेषर्ा है कक िे सख्र् होर्े हैं । इसके कारि िह िकदी टूट िार्े हैं, िबकक युिा बााँस नरम
और िचीिे होर्े हैं, उवहे ककसी भी िकार का सामान बनाने के लिए ियोर् में िाया िा सकर्ा
है ।
िश्न 2. बााँस से बनाई िाने िािी चीज़ों में सबसे आश्चयििनक चीज़ र्म्
ु हें कौन सी िर्ी और
तयों ?
उत्तर- बााँस की चीज़ों मेँ सबसे आश्चयििनक चीज़ हमें मकान लगे तयोकक पर्िे बााँसो के सहारे
बडे-बडे मकानों का तनमािि करना िास्र्ि मेँ ही किात्मक है ।
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िश्न 3. बााँस की बुनाई मानि के इतर्हास में कब आरं भ हुई होर्ी ?
उत्तर- आहद मानि सभ्यर्ा मेँ िब नदी घाहटयों मेँ मानि का बसेरा हुआ र्ो सिििथम बााँस की
झोपडडयााँ ही उसने बनाईं । र्त्पश्चार् आिश्यकर्ानस
ु ार बााँस की किात्मक िस्तए
ु ाँ तनलमिर् होर्ी
र्ईं । िैसे – िस्त्र, चटाई, बर्िन, णखिौने, मकान, सिािटी सामान, पि
ु ि बैिर्ाडडयााँ आहद ।
िश्न4. बााँस के प्रिलभवन उपयोर्ों से संबंर्िर् िानकारी दे श के ककस भू-भार् के संदभि में दी
र्ई है ? एटिस में दे खो।
उत्तर - बााँस भारर् के उत्तर-पूिी क्षेत्र के सार् राज्यों अरुिाचि िदे श, असम, मेघािय, नार्ािैण्ड,
मणिपुर, लमिोरम, ि बत्रपुरा में बहुर् पैदा होर्ा है।
िश्न 5. बॉस के कई उपयोर् इस पाठ में बर्ाए र्ए हैं। िेककन उसके उपयोर् का दायरा बहुर्
बडा है । नीचे हदए शब्दों की मदद से र्ुम इस दायरे को पहचान सकर्े हो –संर्ीर्, मच्छर,
फनीचर, िकाशन, एक नया संदभि उत्तर- संर्ीर् – बााँसुरी मच्छर – बााँस की पप्रत्तयााँ फनीचर – घर
का सिािटी सामान िकाशन – कार्ि बनाना एक नया संदभि – अचार, मकान, औज़ार आहद।
िश्न 6. इस िेख में दै तनक उपयोर् की चीज़ें बनाने के लिए बााँस का उकिेख िाकृतर्क संसािन
के रूप में हुआ है । नीचे हदए र्ए िाकृतर्क संसािन से दै तनक उपयोर् की कौन-कौन सी चीज़ें
बनाई िार्ी है – चमडा, घास के तर्नके, पेड की छाि, र्ोबर, लमट्टी।
उत्तर:-
भाषा की बार्
63
िश्न 7. “बुनािट” शब्द “बुन” कक्या में “आिट” ित्यय िोडने से बनर्ा है । इसी िकार नुकीिा,
दिाब, तघसाई भी मि
ू शब्द में प्रिलभवन ित्यय िोडने से बने हैं। इन चारों शब्दों में ित्ययों को
पहचानो और उनसे र्ीन-र्ीन शब्द और बनाओ। इन शब्दों का िातय में भी ियोर् करो –
बन
ु ािट, नक
ु ीिा, दबाि, तघसाई। उत्तर:-
बन
ु ािट बन
ु आिट 1. सिािट-सीर्ा के घर की सिािट बहढ़या है ।
2. िडाई-र्म्
ु हें इस र्रह िडाई करना शोभा नहीं दे र्ा है ।
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(र्) मसिन आसन िैसी छोटी चीिें बनाने के लिए बााँस को हरे क र्ठान से काटा िार्ा है ।
(घ) खपल्च्चयों से र्रह-र्रह की टोप्रपयााँ भी बनाई िार्ी हैं। रे खांककर् शब्दों को ध्यान में रखर्े
हुए इन बार्ों को अिर् ढं र् से लिखो।
उत्तर- (क) िहााँ बााँस की चीिें बनाने की परम्परा रही है ।
(ख) हम यहााँ बााँस की एक-दो चीिों के बारे में ही बर्ा पाए हैं।
(र्) उदहारि आसन िैसी छोटी चीि के लिए भी बााँस की ित्येक र्ााँठ से काटा िार्ा है ।
(घ) खपल्च्चयों से प्रिलभवन िकार की टोप्रपयााँ बनाई िार्ी हैं।
िश्न 1. तनम्न र्चत्रों को पहचान कर छ: से सार् िातयों में उसका िििन करें ।
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उत्तर-
...........................…..........................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
........................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
.......................................................................................................................................
................................................,......................................................................................
िश्न 1. बााँस भारर् में बहुर्ायर् से ककस क्षेत्र में पाया िार्ा है ?
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(क) दक्षक्षि पल्श्चम (ख) पूिोत्तर भारर्
(र्) पल्श्चम भारर् (घ) उपयुाक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(ख) पि
ू ोत्तर भारर्।
िश्न 4. असम में मछिी पकडने िािे िाि को तया कहा िार्ा है ?
(क) शंकु (ख) िािी
(र्) टोकरी (घ) िकाई
उत्तर-(घ) िकाई
िश्न 2. बढ़
ू े बााँस की तया पहचान है ?
उत्तर- र्ीन साि से अर्िक आयु का बााँस बूढ़ा माना िार्ा है । बूढ़ा बााँस सख्र् होर्ा है ल्िसके
कारि बहुर् िकदी टूट िार्ा है ।
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उत्तर- खपल्च्चयााँ ऐसे बााँसों से बनायी िार्ी हैं िो सख्र् न हों, तयोंकक सख्र् बााँस टूट िार्े हैं।
बूढ़े बााँस सख्र् होर्े हैं। एक से र्ीन िषि की उम्र िािे बााँस िचीिे होर्े हैं। ऐसे बााँस खपल्च्चयााँ
बनाने के लिए बहुर् उपयोर्ी होर्े हैं।
पाठ का सारांि
धरती पर धगरते ही िह राम की आिाज में धचल्लाया - हे सीते ! हे लक्ष्मण ! बाण का प्रहार गहरा
होने से मारीच कुछ दे र छटपटाता रहा, कफर उसकी मत्ृ यु हो गई ।
सीता हरण
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लक्ष्मण राम की आज्ञा का उल्लंघन करके सीता को प्रणाम करके राम की खोज में ननकल पडे ।
लक्ष्मण के जाते ही रािण ने तपस्िी का रूप धारण ककया सीता ने साधु समझ कर उसका स्िागत
ककया । रािण ने सीता के रूप संस्कार और साहस की प्रिंसा करते हुए अपना पररचय हदया - मैं
लंकापनत रािण हूाँ। राक्षसों का राजा । तुम मेरी रानी बनकर लंका चलो । रािण की यह बातें
सन
ु कर सीता क्रोधधत हो गई और कहा मैं राम की पत्नी हूाँ, िे महाबलिाली है तम
ु चले जाओ
नहीं तो तुम्हारा सिानाि हो जाएगा । रािण ने सीता की बात न सुनी और रथ पर बैठा शलया ।
सीता विलाप करने लगी - हे राम! हे लक्ष्मण!
जटायु से भें ट
रािण का रथ लंका की ओर जा रहा था । मागा में सीता पेड-पौधों पिु-पक्षक्षयों पिात नहदयों से
कहती जा रही थी कक कोई राम को बता दें कक रािण ने उनका हरण कर शलया है ।धगद्धराज
जटायु ने सीता का विलाप सुना । उसने ऊंची उडान भरकर रािण के रथ पर हमला कर हदया ।
बूढ़े धगद्धराज जटायु ने रािण के रथ को क्षत-विक्षत कर डाला और रािण को भी घायल कर
हदया । रािण ने क्रोध में आकर जटायु के पंख काट हदए। पंखहीन जटायु धरती पर आ धगरा
रािण का रथ टूट चक
ु ा था । िह सीता को जबरदस्ती लेकर दक्षक्षण हदिा की ओर उड चला ।
रािण द्िारा सीता को प्रभावित करने का प्रयास
रािण लंका पहुंचकर अपने धन िैभि से सीता को प्रभावित करना चाहता था । उसने सीता
राक्षशसयों की ननगरानी में अंत: पुर में रखा ।
सीता बार-बार रािण को धधक्कारती रही। राम के गुणगान में लगी रही। राम के विषय में सुन
कर रािण को क्रोध आ गया ।
सीता पर कडा पहरा
रािण ने अपनी योजना में पररितान ककया। सीता को अंत:पुर से ननकालकर अिोक िाहटका में
बंदी बनाया । रािण का सीता पर कडा पहरा रहता था। सीता का मन नहीं बदला । िे राम का
ही नाम लेती रहती थी । सीता िहााँ पर रो - रोकर हदन काटती रही ।केिल राम ही उन्द्हें यहााँ से
बचा सकते थे ।
पाठ के प्रश्नोर्त्र
प्रश्न-1- राम को कुटी से ननकलते दे खकर कौन कुलाचें भरने लगा ?
उर्त्र – राम को कुटी से ननकलते दे खकर मायािी हहरण कुलाचें भरने लगा
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प्रश्न-2- सीता के बार - बार अनुरोध करने पर राम की खोज में कौन ननकल पडा ?
उर्त्र - सीता के बार - बार अनुरोध करने पर राम की खोज में लक्ष्मण ननकल पडे |
प्रश्न- 3 - लक्ष्मण के जाते ही कौन तपस्िी के िेि में कुटी के सामने आ गया ?
उर्त्र - लक्ष्मण के जाते ही रािण तपस्िी के िेि में कुटी के सामने आ गया |
प्रश्न -1- राम को कुटी से ननकलते दे खकर मायािी हहरण ने क्या ककया ?
उर्त्र - राम के कुटी से ननकलते ही मायािी हहरण कुलाचें भरने लगा । िह झाडडयों में लुकता -
नछपता रहा। िह राम को कुहटया से बहुत दरू ले गया । जैसे ही राम उसे पकडने का प्रयास
करते, िह कूदकर दरू भाग जाता ।
प्रश्न - 2 - जटायु कौन था ? उसने रािण पर आक्रमण क्यों ककया ?
उर्त्र - धगद्धराज जटायु राम के वपता दसरथ के शमत्र थे उन्द्होंने जब सीता का विलाप सुना ।
बूढ़े धगद्धराज जटायु ने ऊाँची उडान भरकर रािण के रथ पर हमला कर हदया और रािण के रथ
को क्षत-विक्षत कर डाला और रािण को भी घायल कर हदया ।
प्रश्न- 3 - जीवित हहरण को पकड न पाने पर राम ने क्या ककया?
उर्त्र - राम ने उस हहरण को जीवित पकडने का विचार छोड हदया । राम ने धनष
ु उठाकर एक
बाण हहरण पर छोडा ।बाण लगते ही हहरण धगर पडा और मारीच अपने असली रूप में आ गया
।
दीघा उर्त्रीय प्रश्न
उर्त्र - रािण लंका पहुंचकर अपने धन िैभि से सीता को प्रभावित करना चाहता था । उसने
सीता को राक्षशसयों की ननगरानी में अंत:पुर में रखा ।
70
उर्त्र - रािण ने अिोक िाहटका में राक्षस-राक्षशसयों को ननदे ि हदया कक ककसी भी तरह सीता
को वििाह के शलए तैयार ककया जाए |
परीक्षा उपयोगी प्रश्न
प्रश्न-1- राम को कुहटया से दरू ले जाने के शलए मायािी हहरण ने क्या ककया ?
उर्त्र - राम के कुटी से ननकलते ही मायािी हहरण कुलाचें भरने लगा । िह झाडडयों में लुकता-
नछपता रहा । िह राम को कुहटया से बहुत दरू ले गया । जैसे ही राम उसे पकडने का प्रयास
करते, िह कूदकर दरू भाग जाता ।
प्रश्न- 2- लंका के राजा रािण ने सीता के साथ बलपि
ू क
ा वििाह न करके 1 िषा का समय क्यों
हदया ?
उर्त्र - रािण लंका पहुंचकर अपने धन िैभि से सीता को प्रभावित करना चाहता था । िह सीता
से बलपूिक
ा वििाह नहीं करना चाहता था बजल्क सीता की इच्छानुसार वििाह करना चाहता था
इसशलए उसने सीता को एक िषा का समय हदया |
बहुविकल्पीय प्रश्न
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सीता की खोज
पाठ का सारांि
अननष्ट की आिंका
मारीच की माया दे खकर राम के मन में अनेक आिंकाएाँ उठी । मायािी हहरण उन्द्हें छल से बहुत
दरू ले आया था । िे सोच रहे थे कक मारीच की आिाज सीता तक नहीं पहुाँची हो, इसशलए िे
जल्दी से जल्दी कुहटया पहुाँचना चाहते थे । मागा में उन्द्होंने पगडंडी पर लक्ष्मण को आते हुए दे खा
। अननष्ट की आिंका और बढ़ गई । राम को लक्ष्मण पर कुहटया में सीता को अकेले छोड आने
पर क्रोध आया । लक्ष्मण ने राम को बताया कक मेरे मन में आप की सरु क्षा के शलए धचंता नहीं
थी परं तु सीता के कटाक्ष और उलाहने न सुन सका । राम लक्ष्मण दोनों िीघ्रतापूिक
ा कुटी में
पहुाँचना चाहते थे । कुहटया दरू से ही हदखाई दे रही थी राम ने दरू से ही सीता को पुकारा- सीते,
तुम कहााँ हो ? कोई उर्त्र न पाकर उनकी बेचन
ै ी बढ़ गई। राम भागते हुए आश्रम पहुाँच,े िोक से
राम वयाकुल हो गए । सीता से बबछडना उनके शलए असहनीय था ।
राम द्िारा सीता की खोज में भटकना
राम सीता को पेडों झाडडयों के पीछे खोजते - खोजते गोदािरी नदी के तट पर पहुचाँ गए। पंचिटी
के एक-एक िक्ष
ृ के पास गए । इतना ही नहीं िे प्रकृनत की हर िस्तु से सीता का पता पछ
ू ते
रहे । िे भूल गए कक प्रकृनत बात नहीं कर सकती । राम सीता के िोक में संतप्त थे ।उनकी
मानशसक जस्थनत भी विक्षक्षप्त जैसी थी । एक बार उन्द्हें सीता के िहााँ होने का भ्रम हुआ I लक्ष्मण
से राम का दख
ु दे खा नहीं जाता था, राम विलाप कर रहे थे कक मैं सीता के बबना अयोध्या िापस
नहीं लौट सकता I मैं िहां नहीं जाऊंगा । मुझे तुम छोड दो ।
72
िन में ही उन्द्हें टूटे हुए रथ के टुकडे हदखाई हदए ऐसा लग रहा था कक कुछ दे र पहले यहााँ संघषा
हुआ है । सीता की िेणी में गाँथ
ु ी पुष्पमाला िहीं शमली । राम को लगा सीता राक्षसों के चग
ुं ल में
फंस गई है । संघषा के समय माला टूट कर धगरी होगी । थोडी दरू जाने पर उन्द्हें पक्षीराज जटायु
हदखाई हदया। उसके पंख कटे हुए थे । िह खन
ू से लथपथ था। जटायु ने राम को बताया सीता को
रािण उठा ले गया है सीता को रािण से नहीं बचा सकेI इतना कहकर जटायु ने अपने प्राण त्याग
हदएI राम जटायु का अंनतम संस्कार कर आगे बढ़े I तब उन्द्हें कबंध राक्षस शमलाI उसके द्िारा
आक्रमण करने पर राम लक्ष्मण ने तलिार का िार करके उसके हाथ काट हदएI तब उसने राम
लक्ष्मण के बारे में जानकर अपनी इच्छा प्रकट की कक राम उसका अंनतम संस्कार करें I कबंध ने
उन्द्हें बताया कक ऋष्यमक
ू पिात पर बानर राज सुग्रीि रहता है I िहााँ िह ननिााशसत जीिन वयतीत
कर रहा है I उसने यह भी बताया कक सग्र
ु ीि के पास िानरों की सेना है I िह अिश्य सीता को खोज
ननकालेंगेI उसमें िहां जाने से पहले मतंग ऋवष के आश्रम में रहने िाली सबरी से शमलने के शलए
भी कहाI उसने प्राण त्याग हदया और राम ने िचन अनुसार उसका अंनतम संस्कार खद
ु ककयाI
िहां से िे दोनों िबरी से जाकर शमले िबरी ने भी उन्द्हें सुग्रीि की सहायता से सीता की खोज
करने के शलए कहा िबरी से शमलकर िे ऋष्यमूक पिात की ओर ननकल पडेI
उर्त्र - सीता को कुहटया में न पाकर राम िोक से वयाकुल हो कर रोने लगे । सीता से बबछुडना
उनके शलए असहनीय आघात था । िे सुध-बुध खो बैठे थे ।
उर्त्र - विरह में राम ने सीता का पता गोदािरी नदी, पंचिटी के एक-एक िक्ष
ृ , हाथी, िेर, फूलों,
पत्थरों और चट्टानों से पूछा ।
उर्त्र - राम की मानशसक जस्थनत विक्षक्षप्त जैसी थी । एक बार उन्द्हें लगा कक सीता िहीं कुहटया
के पास है और उन्द्हें णखझाने के शलए पेड के पीछे नछप गई है ।
i. “दे िी सीता ने मझ
ु े वििि कर हदया, भ्राते! उनके कटु िचन मैं सहन नहीं कर सका।”
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ii. “यह तुमने अच्छा नहीं ककया। तुम्हें मेरी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना चाहहए था।”
iv. “हे राजकुमार! सीता को रािण उठा ले गया है मेरे पंख उसी ने काटे हैं।”
प्रश्न-1 हहरणों ने ककस प्रकार सीताजी के बारे में राम जी को संकेत हदया ?
उर्त्र- हहरणों ने शसर उठाकर आसमान की ओर दे खा और दक्षक्षण हदिा की ओर भाग गए। राम
जी हहरणों का संकेत समझ गए।
प्रश्न-2 सीता को िन में ढूाँढ़ते हुए राम क्या दे ख कर असमंजस में पड गए?
उर्त्र - राम ने टूटे हुए रथ से थोडी दरू ी पर पक्षक्षराज जटायु को लहूलुहान अिस्था में दे खा जजनके
पंख कटे हुए थे और िह अपनी अंनतम सााँसें धगन रहे थे।
प्रश्न 1. दक्षक्षण हदिा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भें ट का िणान
कीजजए |
उर्त्र: सीता की खोज में राम और लक्ष्मण दोनों भाई दक्षक्षण हदिा की ओर बढ़ते जा रहे थे।
मागा काफ़ी कहठन था। एक हदन यात्रा से पहले ही कबंध नामक एक वििालकाय और भयानक
राक्षस ने उन पर हमला कर हदया। उसने अपने एक -एक हाथ से दोनों भाइयों को उठा शलया।
राम-लक्ष्मण ने अपनी तलिार से एक झटके में उसके हाथ काट हदए। उनकी िजक्त और बुद्धध
पर आश्चयाचककत कबंध ने उनका पररचय पूछा। राम का पररचय जानकर िह बहुत खि ु हुआ।
उसने राम से कहा कक िह सीता के विषय में वििेष कुछ जानता है । यहद राम मेरा अंनतम संस्कार
74
करना स्िीकार करें तो मैं सहायता का उपाय बता सकता हूाँ। राम ने उसकी िता को स्िीकार ककया
और िचन हदया कक िह उसका अंनतम संस्कार करें गे। राम की सहमनत के बाद कबंध ने कहा कक
ऋष्यमक
ू पिात पर ननिााशसत जीिन जी रहे िानर राज सग्र
ु ीि सीता को ढूाँढ़ने में आपकी सहायता
कर सकते हैं।
प्रश्न 2. राम और िबरी के बीच िाताालाप का िणान अपने िब्दों में करो।
उर्त्र: िबरी मतंग ऋवष की शिष्या थी। िह पंपा सरोिर के पास मतंग ऋवष के आश्रम में रहती
थी। उसकी आयु बहुत हो गई थी। उसका िरीर जजार था, लेककन आाँखें ठीक थीं। िह हर पल राम
की ही प्रतीक्षा करती रहती थी। एक हदन अचानक आश्रम में राम को दे खकर िह बहुत प्रसन्द्न
हुई। उसने राम-लक्ष्मण का बहुत स्िागत ककया। उसने उन्द्हें स्ियं चख-चखकर राम को मीठे बेर
णखलाए और रहने के शलए जगह दी। उसने कहा कक आप सुग्रीि से शमत्रता कीजजए। सीता को
खोजने में िह आपकी मदद करे गा। उसके पास वििाल िानर सेना है ।
बहुविकल्पीय प्रश्न
राम और सुग्रीि
पाठ का सार
राम और लक्ष्मण ऋष्यमूक पिात पर पहुाँचे | सुग्रीि िहााँ रहते थे | कबंध और िबरी ने उन्द्हें कहा
था कक िे सीता की खोज में उनके शलए सहायक शसद्ध होंगे | सग्र ु ीि का मूल स्थान ऋष्यमूक
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पिात न होकर ककजष्कंधा था | ऋष्यमूक में िे ननिाासन में समय बबता रहे थे | िे ककजष्कंधा के
िानरराज के छोटे पत्र
ु थे | वपता के न रहने पर ज्येष्ठ पत्र
ु बाली राजा बन गया| राजकाज के
ककसी बात को लेकर इतना गंभीर मनमट ु ाि हुआ कक सग्र
ु ीि अपनी जान बचाकर ऋष्यमक ू पिात
पर रहने लगा | एक हदन सग्र
ु ीि पहाडी पर खडे थे| दो यि ु कों को उस ओर आते दे ख उन्द्हें लगा
कक ये बाली के गप्ु तचर होंगे पर हनम
ु ान इस बात से सहमत नहीं थे| हनम
ु ान भेस बदलकर उनके
आने का कारण पछ
ू ा | राम के िहााँ आने का कारण बताने पर हनम
ु ान ने उन्द्हें सग्र
ु ीि से शमलिाया
| राम और सग्र
ु ीि दोनों ने एक दस
ू रे को शमत्रता का िचन हदया| िचनानस
ु ार राम ने अपनी शमत्रता
ननभाई और सुग्रीि का राज्याशभषेक हुआ और बाली के पुत्र को युिराज का पद हदया गया लेककन
सुग्रीि अपना िचन भूल गए | लक्ष्मण ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो उसकी टं कार से सग्र
ु ीि
कााँप गए और राम को हदया िचन पुनिः याद आ गया |उसने हनुमान को िानर सेना एकत्र करने
का ननदे ि हदया और स्ियं लक्ष्मण के पीछे -पीछे चल पडे | राम के सामने जाकर उनसे क्षमा
याचना की |
इसके बाद लंकारोहण की योजना बनाई गई | िानर सेना अपनी-अपनी ननधााररत हदिाओं की ओर
चल पडी | राम ने अपनी अाँगूठी हनुमान को यह कहते हुए दे दी कक जब सीता से भें ट हो तो यह
अाँगूठी उन्द्हें दे दे ना | िे इसे पहचान जाएाँगी और समझ जाएाँगी कक तम
ु मेरे दत
ू हो | अंगद और
हनुमान दक्षक्षण की ओर चल पडे रास्ते में वििाल समुद्र था जजसे पार करना कहठन था | संपानत
के द्िारा सीता–हरण ि उस तक पहुाँचने का मागा बताया गया | िानर दल असमंजस में पड गए|
जामिंत जानते थे कक यह काया हनुमान कर सकता है | हनुमान की सोई हुई िजक्त को जगाते
हुए जामिंत ने कहा कक “हनुमान! आपको जाना होगा |यह काया केिल आप ही कर सकते हैं |”
प्रश्न 5. सग्र
ु ीि के प्रमुख साथी कौन थे ?
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उर्त्र.सुग्रीि के प्रमुख साथी हनुमान थे |
प्रश्न 4.हनुमान ने राम-लक्ष्मण की मुलाकात सुग्रीि से कैसे कराई? सुग्रीि से शमलकर राम को
क्या पता चला ?
उर्त्र.राम-लक्ष्मण को अपनी ओर आते दे ख सुग्रीि यह सोच के धचंनतत हो गए कक कहीं ये दोनों
बाली के गुप्तचर तो नहीं, ककन्द्तु हनुमान इस बात से सहमत नहीं थे|उनका पररचय जानने हनुमान
भेस बदलकर उनके पास गए | शिष्टतापूिक
ा उन्द्हें प्रणाम कर उनका पररचय पूछा | राम ने कहा
कक िे सुग्रीि से शमलना चाहते हैं | उन्द्हें उनकी मदद की आिश्यकता है | इसके बाद हनुमान
अपने मूल रूप में आ गए और दोनों भाइयों को कंधे पर बबठाकर सुग्रीि के पास ले आए | सग्र
ु ीि
ने राम को बताया कक कुछ हदन पहले िानरों ने उन्द्हें एक स्त्री के हरण की बात बताई थी | िह
संभितिः सीता रही होंगी | रािण उन्द्हें ऋष्यमूक के ऊपर से ही ले गया था | सीता स्ियं को उसके
चंगुल से छुडाने का प्रयत्न कर रहीं थी | िानरों को दे खकर उन्द्होंने अपने कुछ आभूषण फेंक हदए
थे | सग्र
ु ीि ने आभष
ू ण की िह पोटली हदखाकर राम से जानना चाहा कक क्या िह सीता के ही हैं
|
प्रश्न 5.दक्षक्षण हदिा में जाने िाले िानर दल की यात्रा का िणान करें |
77
उर्त्र.दक्षक्षण हदिा में जाने िाली टोली के आगे-आगे अंगद और हनुमान चल रहे थे | चलते-चलते
िे एक ऐसे स्थान पर पहुाँचे जजसके आगे भशू म नहीं थी | िहााँ से वििाल समद्र
ु िरू
ु होता था |
समद्र
ु को दे खकर सबका साहस जिाब दे गया | उसी समय पहाडी के पीछे से एक वििाल धगद्ध
ननकला | िह जटायु का भाई संपानत था | उसने बताया कक सीता लंका में हैं | उन तक पहुाँचने
के शलए समद्र
ु पार करना ही होगा | सीता की सूचना पाकर प्रसन्द्न िानर –दल वििाल समद्र
ु को
दे खकर कफर ननराि हो गया | लक्ष्य सामने था परन्द्तु कहठन था | आणखर समद्र
ु पार कैसे ककया
जाए | दल में सबसे बुद्धधमान जामिंत थे पर इस सिाल का जिाब उनके पास भी नहीं था |
तभी उनकी दृजष्ट हनुमान पर पडी | हनुमान की सोई हुई िजक्त को जगाते हुए जामिंत ने कहा
कक | यह काया उन्द्हें ही करना है |
बहुविकल्पीय प्रश्न
उर्त्र . ककजष्कंधा
उर्त्र. संपानत
उर्त्र. अंगद
लंका में हनुमान
पाठ का सारांि
मागा में समुद्र दे खकर िानर दल असमंजस में पड गए। इस दल में सबसे बुद्धधमान जामिंत थे।
िे जानते थे कक समुद्र पार करना हनुमान के बस की बात है और यह काम हनुमान ही कर सकते
हैं। जामिंत ने हनुमान से कहा कक यह काम आप कर सकते हैं। तब हनम
ु ान उठे और धरती को
प्रणाम कर एक ही छलांग में महें द्र पिात पर पहुाँच गए। िहााँ से उन्द्होंने विराट समुद्र की ओर
78
दे खा। हनुमान ने िहााँ पि
ू ा हदिा की ओर दे खकर अपने वपता को प्रणाम ककया। हनुमान ने पिात
पर झक
ु कर उसे हाथ-पैर से कसकर दबाया और छलााँग लगा दी। अगले पल िे आकाि में थे।
हनम
ु ान के छलााँग से पिात दरक गया, िक्ष
ृ कााँपने लगे, पि-ु पक्षी चीत्कार करने लगे चट्टान आग
के गोला की तरह दहक उठे । हनम
ु ान इन सब बातों से बेखबर-िायु गनत से आगे बढ़ते गए। उनकी
परछाई समद्र
ु में नाि की तरह हदखाई दे ती थी। समद्र
ु के अंदर एक पिात ‘मैनाक’ था। िह जलराशि
को चीरकर ऊपर उठा। मैनाक चाहता था कक हनम
ु ान यहााँ रुककर कुछ दे र विश्राम कर लें लेककन
हनम
ु ान राम के कायों में लीन थे। उनको रास्ते में कई बाधाएाँ आईं। सरु सा राक्षसी उन्द्हें खा जाना
चाहती थी। उस राक्षसी का िरीर वििाल था। हनुमान उसके माँह
ु में घुसकर ननकल आए। आगे
शसंहहका राक्षसी शमली। शसंहहका राक्षसी ने हनुमान की छाया पकड ली। क्रोधधत होकर हनुमान ने
उसे भी मार हदया।
अब लंका दरू नहीं थी। िह दरू क्षक्षनतज पर हदखाई पडने लगी थी। लंका नगरी दे खने के शलए
हनुमान एक पहाडी पर चढ़ गए। सोने की लंका दरू से ही जगमगा रही थी। उन्द्होंने ऐसा नगर
पहले कभी नहीं दे खा था। हनुमान समुद्र के ककनारे उतर गए। िह अब लंका को और ननकट से
दे ख पा रहे थे। इतनी लंबी यात्रा करने के बाद भी हनुमान बबलकुल भी नहीं थके थे। िे राक्षस
नगरी की सुंदरता को दे खकर चककत हो गए। अब हनुमान के सामने सीता को ढूाँढ़ने की समस्या
थी। हदन के समय लंका में प्रिेि करना हनुमान को उपयुक्त नहीं लगा। िाम ढलने पर उन्द्होंने
नगरी में प्रिेि ककया। िे चारों ओर सीता की खोज करने लगे। सीता महल में कहीं नज़र नहीं
आई तब हनुमान महल से बाहर ननकल आए।
79
तक एक-एक कर राक्षशसयााँ चली गईं। अब सीता िाहटका में अकेली थीं। हनुमान ने पेड पर-बैठे-
बैठे राम कथा िरू
ु कर दी। राम का गन
ु गान सन
ु कर सीता चौंक उठीं। उन्द्होंने ऊपर दे खकर पछ
ू ा,
“तम
ु कौन हो?” हनम
ु ान नीचे उतर आए। सीता को प्रणाम कर राम की अंगठ
ू ी उन्द्हें दी। उन्द्होंने
स्ियं को श्रीराम का दास बताया। श्रीराम ने मझ
ु े यहााँ भेजा है । सीता ने राम का कुिल-क्षेम पछ
ू ा।
हनुमान को लेकर सीता के मन में अभी भी िंका थी। हनुमान ने पिात पर फेंके आभूषणों की
याद हदलाकर उनकी िंका दरू कर दी। हनुमान सीता को कंधे पर बबठाकर राम के पास ले जाना
चाहते थे ककंतु सीता ने इनकार कर हदया। उन्द्होंने कहा ऐसा करना उधचत नहीं होगा। हनुमान ने
सीता से विदा ली। िे पूरी सूचना लेकर तत्काल राम तक पहुाँचना चाहते थे। उन्द्होंने विश्िास हदया
कक-ननराि न हो, माते! श्रीराम यहााँ दो माह में अिश्य पहुाँच जाएाँगे। हनुमान ने जाने से पहले
रािण का उपिन तहस-नहस कर हदया। अिोक िाहटका उजाड दी। विरोध करने िाले सभी राक्षसों
को मार डाला। रािण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। चलते समय सीता ने अपना एक
आभूषण चड
ू ामणण हनुमान को हदया।
राक्षसों ने इसकी सूचना रािण को दी। रािण के क्रोध का हठकाना न रहा। उसने मेघनाद को
भेजा। मेघनाद ने हनुमान से भीषण युद्ध ककया। िह इंद्रजीत था। अंततिः उसने हनुमान को बााँध
शलया। राक्षस उन्द्हें खींचते हुए रािण के दरबार में ले आए। रािण के प्रश्नों का उर्त्र ननभीकतापूिक
ा
दे ते हुए हनम ु ान ने कहा-मैं श्रीराम का दास हूाँ। मैं सीता की खोज में आया था। उनसे मैं शमल
चक ु ा हूाँ। आपके दिान करने के शलए मुझे इतना उत्पात करना पडा। क्रोध में रािण हनुमान को
मारने उठा ककंतु विभीषण ने यह कहकर रोक हदया कक दत
ू का िध ननषेध है । आप इसे कोई
दस
ू रा दं ड दें । हनम
ु ान ने पुनिः रािण से ननिेदन ककया कक आप सीता को सम्मान के साथ लौटा
दें । रािण ने हनुमान की पाँछ
ू में आग लगा दे ने की आज्ञा दी। राक्षसों ने उनके पाँछ
ू में आग लगा
दी। हनुमान ने एक से दस
ू री अटारी पर कूदते हुए सारे भिन को जला हदया। चारों ओर हाहाकार
मच गया। सीता सकुिल पेड के नीचे बैठी हुई थीं। उन्द्होंने दे खा सीता पेड के नीचे सकुिल बैठी
थीं। हनुमान ने सकुिल दे खा और प्रणाम करके राम के पास चल पडे।
दस
ू रे तट पर अंगद, जामिंत आहद उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। हनुमान ने संक्षेप में लंका का हाल
सुनाया। सभी िानर खि
ु हो गए। िे सभी ककजष्कंधा पहुाँच गए। हनुमान ने राम को सीता द्िारा
हदया गया चड
ू ामणण उतारकर दे हदया। राम की आाँखों में आाँसू आ गए। उन्द्होंने हनुमान को गले
लगा शलया। समय कम था। लंका पर आक्रमण करना था। िानर-सेना इसके शलए तैयार थी। सुग्रीि
ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना पर विचार ककया। योग्यता और उपयोधगता के आधार
पर भूशमकाएाँ ननजश्चत कर दी गईं। समुद्र को पार करने के तरीके पर भी विचार हुआ। हनुमान,
अंगद, जामिंत, नल और नील को आगे रखा गया।
80
उच्च स्तरीय िैचाररक प्रश्न
प्रश्न 2. हनुमान के छलााँग लगाने पर महें द्र पिात पर आए पररितान को अपने िब्दों में
शलणखए।
उर्त्र - हनम
ु ान के छलााँग से पिात दरक गया, िक्ष
ृ कााँपने लगे, पि-ु पक्षी चीत्कार करने लगे चट्टान आग
के गोला की तरह दहक उठे ।
हनम
ु ान को लेकर सीता के मन में अभी भी िंका थी। हनम
ु ान ने पिात पर फेंके आभष
ू णों की याद
हदलाकर उनकी िंका दरू कर दी।
81
प्रश्न 2. हनुमान के छलााँग लगाने पर महें द्र पिात पर आए पररितान को अपने िब्दों में शलणखए।
उर्त्र:- जब जामिंत ने हनम
ु ान से कहा कक सीता की खोज शसफा आप ही कर सकते हैं। तब
हनम
ु ान उठे और धरती को प्रणाम कर एक ही छलााँग में महें द्र पिात पर पहुाँच गए। हनम ु ान के
छलााँग से पिात दरक गया, िक्ष
ृ कााँपने लगे, पि-ु पक्षी चीत्कार करने लगे, चट्टानें आग के गोलों
की तरह दहक उठीं। हनम
ु ान इन सब बातों से बेखबर-िायु गनत से आगे बढ़ते गए। कई स्थानों
पर जल के झरने फूट पडे। कहीं धआ
ु ाँ उठने लगा।
प्रश्न 3- हनम
ु ान ने लंका में सीता की खोज ककस प्रकार की?
उर्त्र:- लंका पहुाँचकर हनम
ु ान ने िाम ढलने पर नगरी में प्रिेि ककया। हनुमान ने रात के अंधेरे
में रािण के महल का कोना-कोना छान मारा, परं तु सीता जैसी कोई स्त्री िहााँ नहीं शमली। कफर
उन्द्होंने सभी राक्षसों के घर छान शलए। पिुिालाएाँ भी दे ख लीं। अंत में उन्द्हें िाहटका हदखाई दी,
जजसमें अिोक के बडे-बडे िक्ष
ृ लगे थे। िह दीिार लााँघकर िाहटका में पहुाँच।े िे एक िक्ष
ृ पर चढ़कर
बैठ गए। उन्द्हें एक िक्ष
ृ के नीचे राक्षशसयों का झुंड हदखाई हदया। उन्द्हें राक्षशसयों के बीच बैठी एक
स्त्री हदखाई दी। उनका चेहरा मुरझाया हुआ और दयनीय था। िे दे खते ही पहचान गए कक यह
सीता हैं। इस तरह हनुमान सीता को खोजने में सफल हो गए।
प्रश्न 4.रािण ने सीता को अपने िि में करने के शलए क्या-क्या प्रयास ककया?
उर्त्र:-रािण ने अपने िि में करने के शलए सीता को हर तरह से डराया, लालच हदया। सीता कााँप
रही थीं। उन्द्होंने रािण का नतरस्कार ककया। रािण ने सीता से कहा-‘सुमुखी’। मैं तुम्हें स्पिा नहीं
करूाँगा, जब तक स्ियं ऐसा नहीं चाहोगी मैं तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूाँ। मेरी बात मान
लो तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूाँ। मेरी बात मान लो और सुख भोग का आनंद लो।
82
शसंहहका को मार डाला। अब उन्द्हें चमकती सोने की लंका हदखाई पडने लगी। दस
ू रे हदन िाम ढलने
पर िे लंका में प्रिेि कर गए।
प्रश्न 2. हनम
ु ान-सीता भें ट का िणान कीजजए ।
उर्त्र:- हनम
ु ान को अंततिः सीता अिोक िाहटका में शमल गईं। पहले पेड पर उन्द्होंने बैठे-बैठे राम
कथा िरू
ु कर दी। राम का गन
ु गान सन
ु कर सीता ने पछ
ू ा, ‘तम
ु कौन हो?’ कफर हनम
ु ान पेड से
नीचे उतरे और सीता को बताया मैं श्रीराम का दास हूाँ। उन्द्होंने मझ
ु े यहााँ आपका समाचार लेने के
शलए भेजा है । सीता ने राम का कुिल-क्षेम पूछा। हनुमान सीता को अपने कंधे पर बबठाकर राम
तक ले जाना चाहते थे। पर सीता ने इस प्रकार के प्रस्ताि को अस्िीकार कर हदया। यह काया
उन्द्हें अनुधचत लगा। कफर हनुमान ने सीता से विदा ली चलते समय सीता ने अपना एक आभूषण
चड
ू ामणण हनुमान को हदया। हनुमान ने सीता को विश्िास हदलाया-‘ननराि न हो, माते! श्रीराम दो
माह में यहााँ अिश्य पहुाँच जाएाँगे।’ इसके बाद चलते समय हनुमान ने अिोक िाहटका को तहस-
नहस कर डाला।
प्रश्न 3. बत्रजटा कौन थी? उसने रात में क्या सपना दे खा ?
उर्त्र: बत्रजटा लंका की एक राक्षसी थी। िह अन्द्य राक्षशसयों से बबलकुल अलग थी। िह सीता को
डराती-धमकाती नहीं थी। िह सीता से अपनत्ि जताते हुए बात करती थी। एक हदन उसने सीता
से कहा कक उसने एक सपना दे खा है । पूरी लंका समुद्र में डूब गई है । सब कुछ बबााद हो गया
है । यह सपना अच्छा नहीं है । िह सोच में पड गई कक कहीं यह सपना सीता के दख
ु से जुडा तो
नहीं है ।
बहुविकल्पीय प्रश्न
2. हनम
ु ान से लडते हुए कौन मारा गया?
3. समद्र
ु के अंदर कौन सा पिात था ?
83
(क) महें द्र (ख) मैनाक
(ग) ऋष्यमूक (घ) हहमालय
उर्त्र - (ख) मैनाक
लंका विजय
पाठ का सार
लंका कूच करने की तैयाररयााँ रात भर चलती रहीं | सेना ककजष्कंधा से दहाडती हुई रिाना हुई |
हदन-रात चलकर सेना ने महें द्र पिात पर डेरा डाला | उधर लंका में खलबली मच गई | राम की
िजक्त से िे भयभीत हो रहे थे | विभीषण के समझाने पर रािण ने क्रोधधत होकर उसे लंका से
ननकाल हदया | िह राम के शिविर में गया और अपना पररचय दे ते हुए सारी बात बताई | राम ने
उनका सत्कार ककया और सहायता करने का िचन भी हदया | जल्दी ही िे राम के विश्िासपात्र
बन गए |
राम की सेना के शलए समद्र
ु पार करना चन
ु ौती थी | राम के तीन हदन तक समद्र
ु से रास्ता दे ने
की विनती करने पर भी रास्ता न दे ने पर राम क्रोधधत हो गए | राम के क्रोध को दे खकर समद्र
ु
ने बताया कक नल नामक िानर पल
ु बना सकता है | नल की सहायता से पााँच हदन में पल
ु बनकर
तैयार हो गया | सल
ु ह के शलए राम ने अंगद को रािण के पास भेजा पर िह तैयार न हुआ |
राम का आदे ि पाते ही िानर सेना ने लंका पर चढ़ाई कर दी | कुम्भकणा, मेघनाद सहहत सारे
महाबली मारे गए | अब रािण के पास कोई विकल्प नहीं था िह अकेला ही युद्ध का नाद करता
हुआ बाहर ननकला | विभीषण को राम की सेना में दे ख रािण क्रोध से उबल पडा | उसने विभीषण
पर ननिाना लगाया पर लक्ष्मण ने उसे बचा शलया | दस ू रा घातक बाण लक्ष्मण को लगा जजससे
िह अचेत हो गए | िैद्य सुषेण के परामिा से हनुमान संजीिनी बूटी लेकर आए जजसके प्रभाि
से लक्ष्मण पूरी तरह स्िस्थ हो गए | राम लक्ष्मण के स्िस्थ होने की सूचना पाते ही शसंह की
भााँनत रािण पर टूट पडे | दोनों में भयंकर युद्ध हुआ | अंत में राम का एक बाण रािण के पार
ननकल गया | उसके हाथ से धनुष छूट गया, िह पथ् ृ िी पर धगर पडा और मारा गया | लंका विजय
अशभयान पूरा हुआ | राम की जय -जयकार होने लगी | विलाप करते हुए विभीषण को राम ने
समझाया और लक्ष्मण को राज्याशभषेक की तैयारी करने को कहा| राज्याशभषेक के बाद िह लंका
के राजा बन गए | हनुमान ने अिोक िाहटका में जाकर माता सीता को लंका विजय का समाचार
सुनाया और पूरे सम्मान के साथ िे राम के शिविर में लाई गईं |
उच्चस्तरीय िैचाररक प्रश्न
प्रश्न 1. लक्ष्मण के धचककत्सा हे तु कौन सी बूटी मंगिाई गई ?
84
उ. लंका विजय के बाद रािण की अंत्येजष्ट तथा विभीषण के राजनतलक का काया संपन्द्न ककया
गया ?
विचारात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. क्या होता यहद रािण ने विभीषण और अंगद का सुझाि माना होता और युद्ध का
फैसला न शलया होता ?
उ.यहद रािण ने विभीषण और अंगद का सुझाि मानकर युद्ध का फैसला न शलया होता, तो सीता
को लौटा हदया जाता कफर न तो राम के द्िारा रािण का िध होता और न ही लंका नगरी
जजसे सोने की लंका कहा जाता है उसका विनाि होता | इसके साथ ही राम और सीता का जीिन
भी सुखमय होता |
85
उ. राम-रािण के बीच में भयंकर युद्ध हुआ | दोनों योद्धा अपने पूरे ताकत के साथ लड रहे थे
| िस्त्रों की गनत से कंपा दे ने िाली ध्िननयााँ ननकल रही थीं | परू ा िातािरण अंधकारमय हो चक
ु ा
था | सबकी नज़रें राम-रािण पर थीं | रािण का एक बाण राम को लगा और उनके रथ की ध्िजा
कटकर धगर पडी | इसके बाद राम का एक बाण रािण के मस्तक में लगा जजससे खन
ू की धारा
बहने लगी | राम के बाणों ने रािण के रथ का माँह
ु मोड हदया| यह पराजय का संकेत था | रािण
हहम्मत हारने लगा |जब तक िह रथ घम
ु ाता, राम का एक और बाण उसके पार ननकल गया |
उसके हाथों से धनष
ु छूट गया िह पथ्
ृ िी पर धगर पडा और राम के हाथों मारा गया |
प्रश्न 2. रणक्षेत्र में लक्ष्मण कैसे अचेत हुए तथा उनका इलाज कैसे ककया गया ?
उ. लक्ष्मण और रािण में युद्ध हो रहा था तभी िहााँ राम और विभीषण भी आ गए | राम की
सेना के साथ विभीषण को दे खकर रािण क्रुद्ध हो उठा | िह विभीषण को दे िद्रोही मानता था |
उसने उस पर ननिाना लगाया पर लक्ष्मण ने उसके बाण को बीच में ही काट हदया | रािण के
दस
ू रे घातक बाण के सामने लक्ष्मण आ गए और उन्द्होंने विभीषण को बचा शलया | बाण लगते
ही लक्ष्मण अचेत हो गए | हनुमान उन्द्हें रणक्षेत्र से दरू ले गए | िैद्य सुषेण की राय से हनुमान
संजीिनी बूटी ले आए जजसके चमत्कारी प्रभाि से लक्ष्मण िीघ्र स्िस्थ हो गए |
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. लंका पहुाँचने के शलए राम की सेना को पुल बनाने में ककतना समय लगा ?
राम का राज्याशभषेक
पाठ का सार
86
विभीषण चाहते थे कक राम कुछ हदन लंका में रुक जाएाँ | िनिास के चौदह िषा पूणा हो चक
ु े थे
इसशलए राम तत्काल अयोध्या लौट जाना चाहते थे | भरत िहााँ उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे|
विभीषण राम ने सभी को आमंबत्रत ककय | हनम
ु ान,सग्र
ु ीि विभीषण का पष्ु पक विमान राम को
ले जाने के शलए तैयार खडा था | रास्ते में राम सीता को प्रमख
ु स्थानों के नाम बताते जा रहे
थे ऋवष भारद्िाज के आश्रम के पास विमान उतरा | राम हनम
ु ान को अयोध्या भेजकर भरत की
प्रनतकक्रया जानना चाहते थे | हनम
ु ान राम के आने का समाचार लेकर नंदीग्राम गए | भरत से
कहा कक राम िनिास की अिधध परू ी करके लौट रहे हैं| भरत की प्रसन्द्नता का हठकाना नहीं रहा
| भरत से विदा लेकर हनुमान राम के पास आश्रम लौट आए| अयोध्या में उत्सि की तैयाररयााँ होने
लगीं| विमान उतरते ही राम का नंदीग्राम में स्िागत हुआ | राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में तपस्िी
बाना उतार हदया| उन्द्होंने राजसी िस्त्र धारण कर शलए | माताएाँ,मुननगण,नगरिासी सभी प्रसन्द्न थे|
इसके बाद राम अयोध्या के महल पहुाँचे | अगले हदन मुनन ने राम का राजनतलक ककया| मंगलाचार
हुआ | सीता ने अपने गले का हार भजक्त और पराक्रम के शलए हनुमान को भें ट ककया | राम ने
लंबे समय तक अयोध्या पर राज ककया | उनके राज्य में सभी सुखी थे | राम न्द्यायवप्रय थे |
भेदभाि नहीं करते थे | कोई बीमार नहीं पडता था पेड फलों से लदे रहते थे | हरे -भरे खेत थे|
उनका राज्य राम राज्य था |
उच्चस्तरीय िैचाररक प्रश्न
प्रश्न 1. गंगा-यमन
ु ा के संगम पर ककसका आश्रम था ?
उर्त्र. गंगा–यमन
ु ा के संगम पर ऋवष भारद्िाज का आश्रम था |
प्रश्न 2. पष्ु पक विमान ककसका था और ककसने इसे बलपि
ू ाक छीन शलया था?
उर्त्र. पष्ु पक विमान कुबेर का था और रािण ने इसे बलपि
ू क
ा छीन शलया था |
न्द्यूनस्तरीय अधधगम प्रश्न
प्रश्न 3. रािण की मत्ृ यु के बाद लंका का राजा कौन बना ?
उर्त्र. रािण की मत्ृ यु के बाद लंका का राजा विभीषण बने |
प्रश्न 4. भरत ने ककतने िषों तक अयोध्या का राजकाज साँभाला ?
उर्त्र. भरत ने चौदह िषों तक अयोध्या का राजकाज साँभाला |
लघु उर्त्रीय प्रश्न
प्रश्न 1. विभीषण राम को कुछ हदन लंका में क्यों रोकना चाहते थे ?
उर्त्र. विभीषण चाहते थे कक राम लंका में युद्ध की थकान शमटा लें साथ ही िे राम का साजन्द्नध्य
और उनसे रीनत-नीनत सीखने का अिसर भी प्राप्त करना चाहते थे |
प्रश्न 2. राम ने हनुमान को अयोध्या क्यों भेजा ?
87
उर्त्र. राम ने हनुमान को अयोध्या भेजा क्योंकक िे सीधे अयोध्या नहीं जाना चाहते थे | उनके
मन में एक प्रश्न बार-बार उठता था | िे चौदह िषा िन में रहे | यह बहुत लंबा समय था | इस
बीच भरत को सर्त्ा का मोह तो नहीं हो गया ? यही जानने के शलए उन्द्होंने हनम
ु ान को अयोध्या
भेजा |
प्रश्न 3. हनम
ु ान से राम के िापस आने का समाचार सन
ु कर भरत की क्या प्रनतकक्रया थी ?
उर्त्र. हनम
ु ान से राम के िापस आने का समाचार सन
ु कर भरत की प्रसन्द्नता का हठकाना ना रहा
| उनकी आाँखों में खि
ु ी के आाँसू आ गए | िे बार-बार इस िभ
ु सच
ू ना के शलए हनम
ु ान को धन्द्यिाद
दे रहे थे |
दीघा उर्त्रीय प्रश्न
प्रश्न 1.नंदीग्राम में राम का स्िागत ककस प्रकार हुआ ?
उर्त्र. राम का विमान नंदीग्राम पहुाँचा, िहााँ उनका भवय स्िागत हुआ| पूरा आकाि राम के जयघोष
से गाँूज उठा | विमान से उतर कर राम ने भरत को गले लगाया | माताओं को प्रणाम ककया |
भरत भागते हुए आश्रम के भीतर गए और राम की खडाऊाँ उठा लाए | राम के िनिास की अिधध
में भरत ने इन्द्हें शसहांसन पर रखकर चौदह िषा राजकाज चलाया था | भरत ने खडाऊाँ अपने हाथों
से राम को पहनाई | राम-भरत शमलन का दृश्य दे खकर िहााँ उपजस्थत सभी की आाँखें नम हो गईं
|
प्रश्न 2.राम राज्य क्यों प्रशसद्ध है ?
उर्त्र . चौदह िषा के िनिास से लौटने पर राम का राज्याशभषेक ककया गया | िे अयोध्या के राजा
बने और लंबे समय तक अयोध्या पर राज ककया | उनके राज्य में कोई दीन-दख
ु ी न था | ककसी
को कोई कष्ट नहीं था | सभी सुखी थे | कोई ककसी से भेदभाि नहीं करता था | कोई बीमार नहीं
पडता था | चारों ओर फसलें लहलहाती थीं और िक्ष
ृ फलों से लदे रहते थे | राम न्द्यायवप्रय राजा
थे | सबके साथ न्द्याय करते थे इसशलए राम राज्य प्रशसद्ध है |
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.नल और नील के द्िारा बनाए गए पुल का नाम क्या था ?
(क) सेतु (ख) नल-नील पुल
(ग) राम पुल (घ) सेतुबंध
उ. सेतब
ु ंध
प्रश्न 2.राम का विमान कहााँ उतरा?
(क) ककजष्कंधा (ख) नंदीग्राम
(ग) अयोध्या (घ) लंका
उ. नंदीग्राम
प्रश्न 3.राम का राज्याशभषेक ककसने ककया ?
88
(क) अगस्त्य (ख) अबत्र
(ग) िशिष्ठ (घ) िाल्मीकक
उ. मनु न िशिष्ठ
भाषा और वयाकरण
भाषा- भाषा िह साधन है जजसके द्िारा मनुष्य अपने विचार या भाि दस
ू रों के सामने प्रकट
करता है और दस
ू रों के विचार या भाि समझता है ।
भाषा के दो रूप हैं - मौणखक शलणखत
मौणखक भाषा - मौणखक भाषा के माध्यम से बोलकर विचारों और भािों का आदान-प्रदान होता
है ।
शलणखत भाषा - शलणखत भाषा द्िारा शलखकर विचारों और भािों का आदान-प्रदान होता है ।
भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती है । जैसे- हहन्द्दी, संस्कृत, पंजाबी, उदा , कश्मीरी, बंगला,
उडडया, तेलग
ु ,ू असमी, शसन्द्धी गजराती, मराठी, मलयालम, कन्द्नड, तशमल।
संस्कृत भाषा से ही हहन्द्दी भाषा का जन्द्म हुआ है । 14 शसतम्बर, 1949 को हहन्द्दी संविधान में
भारत की राजभाषा स्िीकार की गई। भारत के अधधकांि हहस्सों में यह भाषा बोली और समझी
जाती है । हहन्द्दी मानक भाषा की पााँच उपभाषाएाँ तथा अठारह बोशलयााँ हैं।
उपभाषा बोली
• बोली- बोली भाषा का क्षेत्रीय रूप होती है । भाषा वयाकरण पर आधाररत होती है परं तु बोली नहीं।
भाषा उच्च शिक्षा का माध्यम होती है परन्द्तु बोली लोक साहहत्य, लोक गीत एिं बोल-चाल तक
सीशमत रहती है ।
• शलवप- भाषा को शलखने के शलए ननधााररत ककए गए धचह्न शलवप कहलाते हैं। हहन्द्दी भाषा की
शलवप दे िनागरी है ।
िब्द-विचार
89
िब्द- एक या एक से अधधक िणों के साथाक ध्िनन समूह को िब्द कहते हैं । जैसे-मदन,
कमल, रतन, मोहन इत्याहद ।
साथाक िब्द - जजन िब्दों का का कोई अथा ननकलता है उसे साथाक िब्द कहते हैं।
ननरथाक िब्द - जजन िब्दों का कोई अथा नहीं ननकलता है उसे ननरथाक िब्द कहते हैं।
जैसे - रोना- ओना , पढ़ना-िढना में ओना और िढना ननरथाक िब्द हैं |
विकार के आधार पर-विकार के आधार पर िब्द के दो भेद होते हैं – 1. विकारी िब्द 2.
अविकारी िब्द
िब्द-जजन िब्दों का शलंग, रूप, िचन, कारक काल के कारण बदल जाता है उसे विकारी िब्द
कहते हैं। विकारी िब्द के चार भेद होते हैं- (क) संज्ञा (ख) सिानाम
(ग) वििेषण (घ) कक्रया
- अविकारी िब्द-जजन िब्दों का रूप, शलंग, िचन, कारक काल के कारण नहीं बदलता है उसे
अविकारी िब्द करते है । अविकारी को अवयय िब्द भी कहते हैं। अविकारी िब्द भी चार प्रकार
के होते हैं।
उत्पवर्त् के आधार पर
तत्सम िब्द-संस्कृत भाषा के िे िब्द जो हहन्द्दी में बबना ककसी पररितान के प्रयोग ककए जाते हैं
उसे तत्सम िब्द कहते हैं जैसे-छात्र, मनुष्य, पत्नी, नर, नेत्र इत्याहद।
तद्भि िब्द - संस्कृत भाषा के िे िब्द जजसका रूप बदलकर हहन्द्दी में प्रयोग ककया जाता है
उन्द्हें तद्भि िब्द कहते है । जैसे - बन्द्दर (िानर) खेत (क्षेत्र) पूत (पुत्र) हाथी (हजस्तन ्) इत्याहद।
दे िज िब्द - िे िब्द जो स्थानीय बोशलयों से हहन्द्दी भाषा में प्रयोग ककए जाते हैं उसे दे िज िब्द
कहते हैं जैसे लोटा दाल, णखडकी, थैला, धचडडया, ककताब इत्याहद।
90
विदे िी िब्द – जो िब्द विदे िी भाषाओं से आकर हहन्द्दी में शमल गए हैं उन्द्हें विदे िी िब्द कहते
हैं |
रूढ़ िब्द – ऐसे िब्द जो स्ितन्द्त्र होते है तथा ककसी ननजश्चत अथा के शलए प्रयोग ककए जाते
हैं, उन्द्हें रूढ़ िब्द कहते हैं जैसे – घोडा, रोटी, पुस्तक, घर आहद
यौधगक िब्द – जजन िब्दों के दोनों खंड साथाक हों उसे यौधगक िब्द कहते हैं जैसे – विद्यालय,
पाठिाला, डाकघर आहद
योगरूढ़ िब्द – िे िब्द जो सामान्द्य अथा को प्रकट न करके ककसी वििेष अथा के शलए प्रयुक्त
हों उन्द्हें योगरूढ़ िब्द कहते हैं जैसे – पंकज – पंक +ज = कमल
संज्ञा
संज्ञा -ककसी वयजक्त ,िस्तु ,स्थान ,भाि दिा आहद के नाम को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा के भेद -:
वयजक्तिाचक संज्ञा -ककसी वयजक्त वििेष,िस्तु ,प्राणी अथिा स्थान आहद के नाम को
वयजक्तिाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण -राम ,हदल्ली ,लालककला ,िसंत आहद
जानतिाचक संज्ञा – जजस िब्द से पूरी जानत वििेष,िगा या समुदाय का बोध हो ,उसे जानतिाचक
संज्ञा कहते हैं | उदाहरण –लडका, नगर, दे ि, फूल, फल आहद |
भाििाचक संज्ञा – जजस िब्द से ककसी िस्तु अथिा प्राणी के गुण, धमा, दिा, अिस्था अथिा भाि
का बोध होता है , उसे भाििाचक संज्ञा कहते हैं | उदाहरण सुंदरता, अपनापन, हररयाली आहद
संज्ञा एक विकारी िब्द है । सज्ञा में विकार या पररितान तीन कारणों से होता है - (1) शलंग (2)
िचन (3) कारक
शलंग- िब्द के जजस रूप से उसके स्त्री या पुरुष जानत के होने की पहचान हो, उसे शलंग कहते
है ।
91
शलंग के भेद - पुजल्लंग स्त्रीशलंग
पुजल्लंग - पुरुष जानत की पहचान कराने िाले को पुजल्लंग कहते हैं। जैसे-िेर, घोडा, लडका
आहद।
स्त्रीशलंग- स्त्री जानत की पहचान कराने िाले िब्द को स्त्रीशलंग कहते हैं। जैसे-िेरनी, घोडी,
लडकी आहद।
पुजल्लंग िब्दों की पहचान- कुछ िब्द प्रायिः पुजल्लंग होते हैं। जैसे -
दे िों के नाम = चीन, भारत, बब्रटे न
पेडों के नाम = आम, केला, अंगूर
पिात के नाम = हहमालय, अरािली
सागर के नाम हहन्द्द महासागर, प्रिांत महासागर
हदनों के नाम रवििार, सोमिार, मंगलिार
महीनों के नाम माचा, जून, अगस्त
धातुओं के नाम = लोहा, सोना, हीरा
िरीर के अंग = बाल, शसर, कान
भाििाचक संज्ञा = बुढ़ापा, प्रेम, क्रोध
अकारान्द्त िब्द = कदम, पिात, उपिन
अपिादस्िरूप इमली, अरहर, पथ्
ृ िी, चााँदी, ऊंगली, जीभ आहद िब्द स्त्रीशलंग हैं।
• स्त्रीशलंग िब्दों की पहचान-कुछ िब्द प्रायिः स्त्रीशलंग होते हैं। जैसे-
भाषा/बोली के नाम = हहन्द्दी, भोजपरु ी, मैधथली
नहदयों के नाम = गंगा, यमन
ु ा, सरस्िती
नतधथ के नाम = द्वितीया, एकादिी, अमािस्या
इंकारान्द्त िब्द = खि
ु ी, लाठी, रोटी
आकारान्द्त िब्द = कामना, प्राथाना, भािना
उकारान्द्त िब्द = आयु, ऋतु
सिानाम
सिानाम – संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने िाले िब्दों को सिानाम कहते हैं |
सिानाम के भेद –
पुरुषिाचक- बोलने िाले, सुनने िाले अथिा जजसके बारे में कुछ कहा जाए| उदाहरण - मैं, तुम,
िह
उर्त्म पुरुष –बात को कहने िाले का बोध हो –उदा॰ मैं, हम, मुझ,े मेरा, हमारा
मध्यम पुरुष –जजससे सुनने िाले का बोध हो – उदा॰ - तुम, आप, तुम्हारा
92
अन्द्य पुरुष –जजससे ककसी अन्द्य वयजक्त के बारे में बात की जा रही हो | उदा . िह ,िे ,यह, ये
उनका, उसका
ननश्चयिाचक – जो सिानाम ककसी ननजश्चत वयजक्त, िस्तु आहद का बोध करिाए, उसे ननश्चय
िाचक कहते हैं | जैसे – िह मेरा घर है , िे सब खेल रहे हैं |
अननश्चय िाचक– जो सिानाम ककसी ननजश्चत वयजक्त,िस्तु आहद का बोध न करिाए, उसे
अननश्चय िाचक कहते हैं | जैसे – कोई बाहर खडा है , दाल में कुछ पड गया है |
संबंधिाचक– जजस सिानाम का प्रयोग संबंध प्रकट करने के शलए ककया जाता है ,उसे संबंधिाचक
कहते हैं | जैसे –जजसकी लाठी उसकी भैंस
प्रश्निाचक–जजस सिानाम से ककसी प्रश्न का बोध हो, उसे प्रश्निाचक कहते हैं |जैसे –आप कहााँ जा
रहे हो ?तुम कैसे हो ? कौन आया है ?
ननजिाचक– ननज अथाात अपना | जो सिानाम स्ियं के शलए प्रयुक्त होते हैं, उसे ननजिाचक
सिानाम कहते हैं | जैस-े मैं स्ियं काम कर लाँ ग
ू ा | िह अपने आप चला जाएगा |
वििेषण
वििेषण -संज्ञा और सिानाम िब्दों की वििेषता बताने िाले िब्दों को वििेषण कहते हैं।
वििेष्य– जजन संज्ञा या सिानाम िब्दों की वििेषता बताई जाती है , िे िब्द वििेष्य कहते हैं ।
जैसे – सफ़ेद कमीज़, अच्छी लडकी ।
वििेषण के भेद –
(क)गुणिाचक–गुण, दोष, रं ग, आकार आहद का बोध करिाने िाले िब्दों को गुणिाचक वििेषण
कहते हैं |
(गुण) –सुंदर (दोष)-बुरा (रं ग )-काला (दे ि)-जापानी (हदिा)-उर्त्री (आकार)-गोल (दिा)-
स्िस्थ(स्थान)-भीतरी(स्िाद)-मीठा
(ख) पररमाणिाचक–जजन वििेषण िब्दों से संज्ञा या सिानाम िब्दों के माप –तोल का बोध हो
,उन्द्हें पररमाणिाचक वििेषण कहते हैं |दो ककलो सेब ,दो मीटर कपडा ,तीन लीटर दध
ू
(अ) ननजश्चत पररमाणिाचक- जजन वििेषण िब्दों से ननजश्चत माप –तोल का बोध हो|
जैसे – चार ककलो गाजर ,पााँच मीटर साडी, तीन लीटर तेल ,एक एकड ज़मीन दस ग्राम सौंफ़
(ब) अननजश्चत पररमाणिाचक- जजन वििेषण िब्दों से ननजश्चत माप –तोल का बोध न हो| जैस-े
कुछ फल,बहुत गमी ,थोडा पानी
(ग)संख्यािाचक वििेषण– जजन वििेषण िब्दों से संज्ञा या सिानाम िब्दो की संख्या का बोध हो
उसे संख्या िाचक वििेषण कहते हैं | जैसे – चार लडके, छठीं कक्षा ।
(अ)ननजश्चतसंख्यािाचक - जजन वििेषण िब्दो से संज्ञा या सिानाम िब्दों की ननजश्चत संख्या
का बोध हो उसे संख्या िाचक वििेषण कहते हैं जैसे – पााँच पस्
ु तकें, दो पें शसल ।
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(ब)अननजश्चत संख्यािाचक - जजन वििेषण िब्दों से संज्ञा या सिानाम िब्दो की अननजश्चत
संख्या का बोध हो उसे संख्या िाचक वििेषण कहते हैं जैसे – कुछ लोग, कुछ कुशसायााँ ।
(घ)सािानाशमक(संकेतिाचक) वििेषण– जो सिानाम िब्द संज्ञा के साथ जड
ु कर वििेषण का काम
करते हैं उन्द्हे संकेतिाचक वििेषण कहते हैं । जैसे – िह विद्यालय, यह पस्
ु तक, मेरी मााँ ।
कक्रया
कक्रया -जजस िब्द से ककसी काम के करने या होने का बोध हो उसे कक्रया कहते हैं ।
जैसे :- हमें प्रनतहदन पढ़ना चाहहए।
बच्चे विद्यालय जाते हैं ।
स्िमूल्यांकन -
1) ननम्नशलणखत कक्रया िब्दों से िाक्य बनाइए।
बोलना ..................................................
शलखना ..................................................
दौडना ..................................................
हाँसना .................................................
चलना ..................................................
भागना ...................................................
2) ररक्त स्थानों में उधचत कक्रया पद भररए।
1. हाथी चल रहा है । (उदाहरण)
2. गाय घास ........................... रही है ।
3. मछली नदी में ................................ रही है ।
4. सााँप ज़मीन पर ................................. है।
5. मोर ..................................... रहा है ।
6. मााँ खाना ........................... रही है ।
94
5. ............................................................................
शलंग
शलंग – िब्द के जजस रूप से उसके स्त्री या पुरुष जानत के होने की पहचान हो,उसे शलंग कहते
हैं |
स्िमूल्यांकन -
प्रश्न 1: नीचे शलखे िाक्यों में कोष्ठक से चन
ु कर उधचत िब्द शलणखए।
1) आज मेरे ............................... की िादी है । (बहन/भाई)
2) मैं अपने ................................. से बातें कर रहा था। (नानतन/नाती)
3).................... कविता सुना रही है । (कवि/किनयत्री)
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प्रश्न 5 : नीचे शलखे िाक्यों में मोटे काले अक्षरों में शलखे िब्दों की संज्ञाओं के शलंग बताइए।
(कोष्ठक में से सही उर्त्र चन
ु ें )
1.) मुधगायााँ रोज़ अंडे दे ती थीं। (पुजल्लंग/स्त्रीशलंग)
2.) मैं बहुत लंबी यात्रा से आ रहा हूाँ। (पुजल्लंग/स्त्रीशलंग)
3.) मक
ु े ि की अपनी संतान नहीं है । (पजु ल्लंग/स्त्रीशलंग)
4.) ककरण खल
ु ी छत पर हिा खा रही थी। (पुजल्लंग/स्त्रीशलंग)
5.) राकेि गहरी नींद में था। (पजु ल्लंग/स्त्रीशलंग)
िचन
िचन –िब्द के जजस रूप से उसके एक या अनेक होने का पता चले, उसे िचन कहते हैं |
भेद –
एकिचन -िब्द के एक होने का बोध जैसे-लडका , लडकी
बहुिचन–िब्द के जजस रूप से अनेक होने का बोध हो | जैस-े लडके, पंखे
स्िमूल्यांकन -
1) कोष्ठक में हदए गए िब्दों के सही रूप से िाक्यों के खाली स्थानों को भररए।
क) सागर की छाती पर उसकी ............ नाच रही हैं। (लहरें /ककरणें)
ख) ................. को दक्षक्षणा दो। (ब्राह्मणों /शभखारी)
ग) लंदन जैसी जगह को तीन............में नहीं दे खा जा सकता। (हदनों/िषों)
घ) इब्राहहम गादी.................. का सेनापनत था। (मराठों/अंग्रेज़ों)
ङ) कमरे में ..................... करीने से रखी हुईं थी। (कुशसायााँ/मुधगायााँ)
2) ननम्नशलणखत िाक्यों में मोटे छपे िब्दों को बहुिचन में बदलकर िाक्य में पुन: शलणखए।
क) धचडडया उड रही है। ......................................................
ख) आम पक गया । ......................................................
ग) मझ
ु े पुस्तक ला दो। ......................................................
घ) मोर नाच रहा है । ......................................................
ङ) फूल णखलता है । .......................................................
2) नीचे हदए गए िब्दों में से एकिचन ि बहुिचन िब्द चन ु कर शलणखए।
धचडडया, बेहटयााँ, मैं, कविताएाँ, आाँखें, बेटा, दिान, आाँसू, छात्र, हम, िह,िे, तुम, पुस्तक, णखडकी।
4) िचन बदशलए–
टोकरी, कपडा, अंडा, धचडडया, हाथ, आाँख, गमी ।
कक्रयावििेषण
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कक्रयावििेषण-कक्रया की वििेषता बताने िाले िब्दों को कक्रयावििेषण कहते हैं |
1कालिाचक – कक्रया के समय का पता चलता है | (कब?) वपताजी कल आएाँगे |
2स्थानिाचक – कक्रया के होने के स्थान या हदिा का पता चले|(कहााँ ?)मााँ उधर बैठी हैं |
3रीनतिाचक - कक्रया के होने की विधध या तरीके का पता चलता है |(कैसे ?)घोडा तेज़ भागता है |
4पररमाणिाचक – कक्रया की मात्रा या नाप –तौल का पता चलता है |(ककतना?)थोडा खाओ |
सम्बन्द्ध बोधक – ऐसे िब्द जो संज्ञा या सिानाम के बाद आते हैं और उनका सम्बन्द्ध िाक्य के
अन्द्य िब्दों के साथ जोडते हैं, उन्द्हें सम्बन्द्ध बोधक कहते हैं |
समुच्चय बोधक – दो िब्दों, िाक्यांिों या िाक्यों को जोडने िाले िब्द योजक या समुच्चय
बोधक कहलाते हैं |
जैसे – सब
ु ह हुई और िह चला गया |
तम
ु स्ियं जाओ या ककसी और को भेजो |
97
कारक
संज्ञा या सिानाम के जजस रूप से िाक्य के अन्द्य िब्दों के साथ उसके संबंध का बोध होता है ,
उसे कारक कहते हैं।
कारक के विशभन्द्न धचह्न
करण से, द्िारा जजसके द्िारा कताा काम करें मााँ ने चाकू से सब्ज़ी काटी |
सम्प्रदान को,के शलए जजसके शलए कक्रया की जाए वपताजी के शलए दिाई लाओ |
शभखारी को भोजन दो |
अपादान से (अलग होना) जजससे अलगाि हो पेड से पर्त्े धगरते हैं |
संबंध का, की, के, ना, का री, रे अन्द्य पदों से संबंध यह मेरे वपताजी की गाडी है |
नी, ने; रा,
अधधकरण में ,पर कक्रया का आधार पेड पर पक्षी बैठे हैं |
उपसगा
िे िब्दांि जो ककसी िब्द के आरं भ में लगते हैं और उनके अथा में वििेषता ला दे ते हैं या उसके
अथा को बदल दे ते हैं, उपसगा कहलाते हैं |
जैसे - स्िदे ि, प्रयोग इत्याहद । स्िदे ि में स्ि उपसगा है । प्रयोग में प्र उपसगा है ।
हहन्द्दी भाषा में तीन तरह के उपसगा प्रचशलत हैं –
(i) संस्कृत के उपसगा – जैसे – अि, अय, कु, सु आहद
(ii) हहन्द्दी के उपसगा जैसे – अन, भर, स आहद
(iii) उदा -ू फ़ारसी के उपसगा जैसे – बद, बे, कम आहद
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1. संस्कृत भाषा के उपसगा, उनके अथा तथा उपसगा से बने िब्द
उपसगा अथा उपसगा से बने िब्द
अ - कमी असमथा, अधमा, अगम, अज्ञान
अि - हीन, बरु ा अिमानना, अिरोध, अिननत
अप बरु ा अपमान, अपिब्द, अपयि
उत ् श्रेष्ठ उत्कषा, उत्सि, उत्पवर्त्
स्ि अपना स्िदे ि, स्िराज, स्िचाशलत
प्रनत हर एक , उल्टा प्रनतहदन, प्रनतकूल, प्रनतरोध
सम ् अच्छा सम्मान, संगनत, संभि
अनु समान, पीछे अनुकूल, अनुगमन, अनुभि
आ तक, लेकर आजीिन, आमरण, आजन्द्म
सु सुन्द्दर सुपुत्र, सुअिसर, सुगम
कु खराब, बुरा कुपुत्र, कुपात्र, कुपंथ
दरु ् बुरा, कहठन दब
ु ल
ा , दग
ु म
ा , दहु दा न
2. हहंदी के उपसगा
भर पूरा भरपूर, भरपेट, भरसक
अन अभाि, ननषेध अनबन, अनचाहा, अनपढ़
अध आधा अधपका, अधजला, अधभरा
सह साथ सहकाररता, सहचर, सहोदर
बहु अधधक बहुमत, बहुमुखी
3. उदा -ू फ़ारसी के उपसगा
बे बुरा, कमी बेिफा, बेईमान, बेिमा
हम साथ हमसफ़र, हमराज, हमदम
बद बुरा बदसूरत, बदब,ू बदनाम
ना नहीं, अभाि नादान, नालायक, नापसंद
हर प्रत्येक हरहदन, हरिक्त, हरसमय
कम थोडा कमजोर, कमशसन, कमअक्ल
खि
ु अच्छा खि
ु ब,ू खि
ु हाल, खि
ु नसीब
ग़ैर शभन्द्न ग़ैरहाजज़र, ग़ैरजरूरी, ग़ैरजजम्मेदार
99
प्रत्यय
जो िब्दांि िब्दों के अंत में लगकर उनके अथा को बदल दे ते हैं , िे प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे - अपनापन , बरु ाई इत्याहद । अपना में ‘पन’ प्रत्यय लगा है । ‘बरु ा’ में ‘आई’ प्रत्यय ।
प्रत्यय मख्
ु यतिः दो प्रकार के होते हैं –
(i) कृत प्रत्यय – िे प्रत्यय जो कक्रया के मूल रूप (धातु) के अंत में जुडकर संज्ञा और वििेषण
िब्द बनाते हैं | उन्द्हें कृत प्रत्यय कहते हैं |
जैसे – पढ़ +आई = पढ़ाई
शलख +आिट = शलखािट
(ii) तद्धधत प्रत्यय – िे प्रत्यय जो संज्ञा, सिानाम और वििेषण िब्दों के अंत में जुडकर नया
िब्द बनाते हैं, उन्द्हें तद्धधत प्रत्यय कहते हैं |
जैसे – दक
ु ान +दार = दक
ु ानदार
फल +िाला = फलिाला
कृत प्रत्यय से बने अन्द्य उदहारण –
आ - दे खा, चला, सोचा, शलखा
ई – हाँसी, उदासी, खि
ु ी
अक्कड - घुमक्कड वपयक्कड
ना - चलना, रुकना, पढ़ना, बोलना
आहत – मुस्कराहट, घबराहट, धचल्लाहट
इयल – अडडयल, सडडयल
तद्धधत प्रत्यय से बने िब्दों के अन्द्य उदाहरण –
संज्ञा से संज्ञा –
इया - डडबबया, खहटया
ई - बेटी, पहाडी, रस्सी
गर - जादग
ू र, बाजीगर
कार - धचत्रकार, पत्रकार, साहहत्यकार
दार - चौकीदार, दक
ु ानदार, ककराएदार
त्ि - दे ित्ि, प्रभत्ु ि
पन - लडकपन, बचपन, बालपन
वििेषण से संज्ञा –
आई – अच्छाई, भलाई, बरु ाई, लडाई
ता/त्ि - लघुता, लघुत्ि, महत्त्ि, िुधचता
100
आस - शमठास, खटास
पा - बढ़
ु ापा, मोटापा
संज्ञा से वििेषण –
ईला – चमकीला, रं गीला, रसीला
ऊ - बाजारू, पेटू, झगडालू
ईय - भारतीय, आदरणीय, पठनीय
ईन – नमकीन, कुलीन, रं गीन
इक - धाशमाक, साप्ताहहक, माशसक
इत - विकशसत, मोहहत, आनंहदत
िान - बलिान, गुणिान, धनिान
िाला - फलिाला, अखबारिाला, सब्जीिाला
मान - बुद्धधमान, श्रीमान
*****************************************
101
नील पत्रक (िावषाक परीक्षा)(VI-VIII)
क्र.सं िगीकरण अनत लघु लघु उर्त्रीय दीघा कुल अंक
. उर्त्रीय प्रश्न प्रश्न उर्त्रीय
(VSA) (1M) SA(2M) प्रश्न
VLA(5M)
3 वयाकरण
1x10 ----------- 10
पत्र लेखन
संिाद लेखन
कुल अंक 25 10 5 40
102
द्वितीय सत्र परीक्षा
प्रनतदिा प्रश्न पत्र 2021 -22
कक्षा – छठी
विषय –हहन्द्दी
समय – 90 शमनट पूणाांक- 40
सामान्द्य ननदे ि :
(क) सभी प्रश्नों के उर्त्र दे ने अननिाया हैं, उर्त्र यथा संभि क्रमानुसार दें |
(ख) लेख संद
ु र एिं सुस्पष्ट हो, ितानी का उधचत ध्यान रखें |
1. ननम्नशलणखत अपहठत गद्यांि को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्र शलणखए 1x5=5
िरीर को स्िस्थ या नीरोग रखने में वयायाम का ककतना महत्त्ि है , इस पर कुछ
कहने की आिश्यकता नहीं है । आज की भाग-दौड से भरी जजंदगी ने मनुष्य को
इतना वयस्त कर हदया है कक िह यह भी भूल गया है कक इस सारी भाग-दौड का
िह तभी तक हहस्सेदार है जब तक कक उसका िरीर भी स्िस्थ है । जो वयजक्त अपने
िरीर की उपेक्षा करता है िह अपने शलए रोग, बढ़
ु ापे तथा मत्ृ यु का दरिाजा खोलता
है । िैसे तो अच्छे स्िास्थ्य के शलए संतुशलत भोजन, स्िच्छ जल तथा िुद्ध िायु
संयम तथा ननयशमत जीिन सभी कुछ आिश्यक है ककंतु इन सबमें वयायाम करने
िाले वयजक्त में कुछ ऐसी अद्भत
ु िजक्त आ जाती है कक अपने सारे िरीर पर उसका
अधधकार हो जाता है ।
(क) वयायाम का क्या महत्त्ि है ?
(ड.) 'िद्
ु ध' िब्द का विलोम शलणखए।
103
तू पीछे छलती है मात!
अपने कर से णखला, धल
ु ा मुख
धल
ू पोंछ, सजज्जत कर गात
(क) प्रस्तत
ु पद्यांि ककस कविता से शलया गया है ? 1
वयािहाररक वयाकरण
104
प्रश्न ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र शलणखए | 1x10
4. =10
(क) 'आकाि' का विलोम िब्द शलणखए | 1
(ख) ‘फूल’ का कोई एक पयाायिाची िब्द शलणखए | 1
(ग) 'जो सप्ताह में एक बार हो' इस िाक्यांि के शलए एक िब्द शलणखए- 1
(घ) “चमक” िब्द में ईला प्रत्यय जोडकर नया िब्द बनाइए | 1
(ड.) ‘अपररधचत’ िब्द से उपसगा और मूल िब्द अलग करके शलणखए | 1
(च) मोहन धीरे - धीरे चल रहा था | इस िाक्य में कक्रया-वििेषण िब्द कौन सा है ? 1
(छ) रोपाई संज्ञा ककस कक्रया से बनी है ? 1
(ज) शसलाई संज्ञा ककस कक्रया से बनी है ? 1
(झ) “पीठ ठोकना” मुहािरे का अथा शलखकर अपने िाक्य में प्रयोग कीजजए | 1
(ञ) अिधध-अिधी िब्दों का अथा शलणखए | 1
(रचनात्मक लेखन)
प्रश्न अपने विद्यालय के प्राचाया को चार हदनों के अिकाि हे तु पत्र शलणखए | (5x1=5)
5. अथिा
ननम्नशलणखत में से ककसी एक विषय पर अनच्
ु छे द शलणखए-
(क) पुस्तकों का महत्ि
(ख) प्रदष
ू ण की समस्या
(ितानी िुद्धधकरण)
प्रश्न ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र शलणखए | (1x5=5)
6.
(क) ननम्न में से कौन-सा िब्द अिुद्ध है ? 1
(अ) पूज्य
(ब) हहंद ु
(स) परीक्षा
(द) पुरुष
(ख) ननम्न में से ितानी की दृजष्ट से अिुद्ध िब्द है - 1
(अ) धचंगारी
(ब) विधाथी
(स) विद्यालय
105
(द) लब्धप्रनतष्ठ
(ग) ननम्न में से ितानी की दृजष्ट से िुद्ध िब्द है 1
(अ) कियत्री
(ब) कवियत्री
(स) किनयत्री
(द) किीयबत्र
(घ) ननम्न में से ितानी की दृजष्ट से िुद्ध िब्द है - 1
(अ)सामाजीक
(ब) सामजजक
(स) समाजजक
(द) सामाजजक
(ड) ननम्न में से ितानी की दृजष्ट से िुद्ध िब्द है - 1
(अ) दीनााँक
(ब) हदनांक
(स) हदनाकाँ
(द) हदनाकं
अंक योजना
द्वितीय सत्र परीक्षा
द्विषय- द्व दं ी
कक्षा -छठिीं
प्रश्न 1. ननम्नशलणखत अपहठत गद्यांि को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्र 1x5=5
शलणखए
(क) शरीर को स्िस्थ ि नीरोग रखना। 1
(ख) इस सारी भार् दौड का िह र्भी र्क हहस्सेदार है िब र्क कक उसका शरीर 1
स्िस्थ है l
(र्) िह अपने लिए रोर् बढ़
ु ापे र्था मत्ृ यु का दरिािा खि
ु र्ा है । 1
(घ) स्िस्थ स्िास््य के लिए संर्लु िर् भोिन स्िच्छ िि र्था शद्
ु ि िायु आहद 1
आिश्यक है l
(ड.) अशुद्ि 1
प्रश्न 2. ननम्नशलणखत पहठत पद्यांि को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्रों 1x5=5
शलणखए:
106
(क) ‘मैं सबसे छोटी होऊाँ कप्रिर्ा से लिया र्या है | 1
(ख) सुलमत्रानंदन पंर् । 1
(र्) मार्ा बच्चों को बडा बना कर उनसे छि करर्ी है | 1
(घ) बच्चों के बडा होने पर मार्ा सदा बच्चों के साथ नहीं रहर्ी| 1
(ड) द:ु खद 1
प्रश्न 3. ननम्नशलणखत प्रश्नों में से ककही पााँच के उर्त्र दीजजए– 2x5= 10
(क) हे िन केिर का प्रिचार है कक ल्िनकी आंखें होर्ी हैं, िह आस पास के 2
िार्ािरि की ओर ध्यान नहीं दे र्े| िकृतर् की िस्र्ओ
ु ं को छूने से बहुर्
आनंद लमिर्ा है | िोर्ों को र्ो दे खकर ही िकृतर् की संद
ु रर्ा पर मग्ु ि हो
िाना चाहहए| परं र्ु िोर् िकृतर् के संद
ु र रं र्ों को नहीं दे ख पार्े।
(ख) पुत्री से दरू होने के कारि नेहरु िी ने इरादा ककया कक िे अपनी पुत्री को 2
दतु नया के छोटे - बडे दे शों की कथाएं लिखा करें र्े।
(र्) िास्र्प्रिक िोकर्ीर् दे श के र्ांि और दे हार्ों में हैं इसका संबंि दे हार् की 2
िनर्ा से है ।
(घ) र्ांिीिी के अनुसार सजब्जयों को काटने से पूिि िो िेना चाहहए| 2
(ड.) कुहटया में सीर्ा को न पाकर राम पार्ि-से हो र्ए और आिाि िर्ाने िर्े 2
कक सीर्े र्ुम कहााँ हो? पर उनकी आिाि पेडों से टकराकर िायु में प्रििीन
हो र्ई|
(च) हनम
ु ान ने रािि से कहा कक िह श्री राम का दास है | उसका नाम हनम
ु ान है 2
िह यहााँ सीर्ा की खोि में आया है र्था उससे लमि भी चक
ु ा है |
(छ) राम ने प्रिभीषि से कहा कक हे लमत्र! मैं अब िंका नर्री में नहीं रुक 2
सकर्ा|मेरे िनिास के चौदह िषि पूरे हो चक
ु े हैं| अर्ः मैं र्त्काि अयोध्या
िाना चाहर्ा हूं|भरर् मेरी िर्ीक्षा कर रहे होंर्े| यहद मेरे िाने में दे री हुई र्ो
भरर् अपने िाि दे दें र्े| भरर् ने ऐसी ितर्ज्ञा की है | मैं उसकी ितर्ज्ञा से
बंिा हूाँ|
प्रश्न 4. ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र शलणखए | 1x10=10
(क) पार्ाि। 1
(ख) कुसुम, सुमन आहद। 1
(र्) साप्र्ाहहक। 1
(घ) चमकीला 1
(ड.) अ उपसर्ि, पररर्चर् मि
ू शब्द 1
107
(च) िीरे -िीरे 1
(छ) रोपना 1
(ि) शसलना 1
(झ) िाबासी दे ना (सही िाक्य प्रयोग पर अंक प्रदान ककए जाएाँ ) 1
(ि) समय – भाषा 1
प्रश्न 5. (रचनात्मक लेखन) (5x1=5)
प्रिद्याथी अपनी रचनात्मक क्षमर्ा के अनस
ु ार लिखेंर्े | 5
प्रश्न 6. ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र शलणखए | (1x5=5)
(क) (ब) हहंद ु 1
108
प्रदिान का बोलबाला है । आज लोगों में ननस्िाथा रूप से समाज-सेिा का भाि होना बहुत
आिश्यक है समाज सेिक कथनी और करनी में एक होने चाहहए। मन, िाणी और कमा
में संतल
ु न होना चाहहए।
(क) उपरोक्त गद्यांि का उधचत िीषाक शलणखए ? 1
(ङ) कवि ने यहााँ पर ऐसा क्यों कहा है —“ बडा बनाकर पहले हमको,तू पीछे छलती है मात” 1
प्र०3- पाठ्यपस्
ु तक के आधार पर ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र दें | 2x5=10
(क) आश्रम में काम करने या करिाने का कौन-सा तरीका गांधीजी अपनाते थे? 2
109
(ग) जजन लोगों के पास आाँखे नहीं हैं, िे सचमच
ु बहुत कम दे खते है ’- हे लेन केलर को ऐसा 2
क्यों लगता था ?
(च) नगर से बाहर ननकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दिा हुई? 2
प्र०4- ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र शलणखए | 1x10=10)
(क) खाली जगह में गण
ु िाचक वििेषण शलणखए - 1
..........................रोडा
(ख) कक्रयावििेषण िब्द छााँटकर शलणखए- 1
सोनाली जल्दी-जल्दी माँह
ु में लड्डू ठूाँसने लगी | ........
(ग) ज़हर िब्द में ईला प्रत्यय जोडकर नया िब्द बनाइए | 1
(घ) ननम्नशलणखत िब्द का पयाायिाची िब्द शलणखए | 1
सूया -.....................
(ड.) विलोम िब्द शलखो 1
हदन – ............
(च) बन
ु ािट िब्द से प्रत्यय अलग करके शलणखए | 1
(छ) वििेषण और वििेष्य अलग करके शलखो- सुन्द्दर महहला 1
.......................... ......................
(ज) गह
ृ – ग्रह िब्दों के अथा शलणखए | 1
(झ) ननम्नशलणखत िब्दों के अथा 1
शलणखए।
(क) गात (ख) मुख
(ट) रोपाई संज्ञा ककस कक्रया से बनी है ? 1
प्र०5 ननम्नशलणखत में से ककसी एक विषय पर अन्द्नुछेद शलणखए- 5
110
(क) सजािट िब्द में प्रयक्
ु त प्रत्यय है ............................ 1
1) आिट 2) िट
3) बन
ु 4) इनमें से कोई नहीं
(ख) ननम्नशलणखत में कौन सा िब्द पुजल्लंग है ? 1
1) काशलख 2) चक्की
3) रोिनी 4) पतीला
(ग) कााँटा िब्द में ईला प्रत्यय जोडने पर नया िब्द बनेगा .................. 1
1) कााँटाईला 2) कीटला
3) काँटीला 3) इनमें से कोई नहीं
(घ) संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने िाले िब्दों को कहतें हैं - 1
1) वििेषण 2) कक्रया
3) सिानाम 4) कारक
(ड.) ननम्नशलणखत में से कौन सा िब्द अिद्
ु ध है .................... 1
1) पवित्र 2) बधू
3) पण्
ु य 4) अशभनय
अंक योजना
द्वितीय सत्र परीक्षा
द्विषय- द्व दं ी
कक्षा -छठिीं
प्रश्न 1. ननम्नशलणखत अपहठत गद्यांि को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्र दीजजए। 1x5=5
(क) िीषाक समाज सेिा 1
(ड.) अनािश्यक | 1
111
कवि का नाम:- सशु मत्रानंदन पंत
(ख) यहााँ पर ‘एक छोटी बच्ची’ छोटा बना रहने की कामना कर रही है 1
(र्) यहााँ पर सदा अपनी ‘मााँ’ के साथ रहने के शलए ऐसी कामना की गई है I 1
(घ) छोटे बच्चों को मााँ अपनी गोद में सुलाती है और बच्चे उसका आाँचल 1
पकडकर उसके साथ-साथ घूमा करते हैं।
(ड) यहााँ पर उसे यह लगता है कक मााँ पहले पाल-पोसकर बडा करती है कफर 1
साथ छोड दे ती है I
प्रश्न 3. पाठ्यपस्
ु तक के आधार पर ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र दें | 2x5= 10
(क) क- गााँधी जी आश्रम में सभी काम स्ियं करते थे। उनको काम करते दे खकर 2
सभी लोग खि
ु ी-खि
ु ी उनका अनक
ु रण करते थे। गााँधी जी दस
ू रों से काम
करिाने के शलए अपना उदाहरण दस
ू रों के सामने काम करके रखते थे। जजससे
अन्द्य लोग काम करने के शलए प्रेररत होते थे।
(ख) ख. लेखक ने प्रकृनत के अक्षर पेड, समुद्र, शसतारे , नहदयााँ तथा जानिरों की 2
पुरानी हड्डडयों आहद को कहा है |
(र्) ग- हे लन केलर का विचार है कक जजनकी आंखें होती हैं , िह आस पास के 2
िातािरण
की ओर ध्यान नहीं दे ते| प्रकृनत की िस्तुओं को छूने से बहुत आनंद शमलता
है | लोगों को तो
दे खकर ही प्रकृनत की सुंदरता पर मुग्ध हो जाना चाहहए| परं तु लोग प्रकृनत
के सुंदर रं गों को
नहीं दे ख पाते।
(घ) घ- मेघनाथ रािण का पुत्र था| िह बहुत पराक्रमी था, उसने एक बार इंद्र को 2
परास्त भी ककया था, और इसशलए इंद्रजीत कहलाया।,
(ड.) ङ- मारीच एक मायािी राक्षस था। उसने सोने के हहरण का रूप धारण 2
ककया। रामको कुटीसे ननकलते दे खकर मायािी हहरण कुलाचे भरने लगा। राम
उसे पकडने लगा तो िह भाग गया । इस प्रकार हहरण राम को कुटी से
बहुत दरू ले गया।
(च) च. नगर से ननकलते ही सीता थक गई तथा उनके माथे पर पसीने की बाँूदे 2
हदखाई दे ने लगी तथा उनके होठ सूख गए |
प्रश्न 4. ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र शलणखए | 1x10=10
(क) चमकीला आहद उपयुक्त उर्त्र 1
112
(ख) जल्दी-जल्दी 1
(र्) ज़हरीला 1
(घ) भानु अन्द्य उपयुक्त उर्त्र पर अंक प्रदान ककए जाएाँ 1
(ड.) रात 1
(च) बुन +आिट 1
(छ) वििेषण-सुन्द्दर, वििेष्य-महहला 1
(ि) घर – नक्षत्र 1
(झ) गात-िरीर, मख
ु -माँह
ु 1
(ि) रोपना 1
प्रश्न 5. ननम्नशलणखत में से ककसी एक विषय पर अन्द्नुछेद शलणखए- (5x1=5)
विद्याथी अपनी रचनात्मक क्षमता के अनुसार शलखें गे | 5
प्रश्न 6. ननम्नशलणखत प्रश्नों के सही विकल्प चन
ु कर शलणखए- (1x5=5)
(क) 3. आिट 1
(ख) 1. पतीला 1
(र्) 2. काँटीला 1
(घ) 3. सिानाम 1
(ड.) 4. बधू 1
हमारे क्षेत्र में एक सरकारी अस्पताल है , जजसमे आस-पास के कई गााँिों के मरीज़ आते
हैं | अस्पताल में दो डॉक्टर और दो नसें हैं | गााँि के लोगों के रहन-सहन में सफाई
की ओर ध्यान न दे ने से कई बीमाररयों का प्रकोप अकसर होता रहता है | सुबह-सुबह
113
अस्पताल के बाहर काफ़ी भीड जमा रहती है | दो डॉक्टरों द्िारा गााँि के सभी मरीज़ों
का इलाज करना संभि नहीं है | अस्पताल में दिाइयों का भी अभाि है | सरकारी खचा
पर शमलने िाली दिाइयााँ न जाने कहााँ चली जाती है | इस संबंध में जजलाधधकारी को
कई बार शिकायतें भेजी जा चक
ु ी है | जन-प्रनतननधध भी इस ओर कोई ध्यान नही दे त,े
केिल आश्िासन दे कर चले जाते हैं|
(क) गााँि के मरीज़ों का इलाज कहााँ होता है ? 1
(ख) गााँि में अकसर बीमाररयााँ क्यों फैलती हैं ? 1
(ग) अस्पताल में ककसका अभाि है ? 1
(घ) गााँि के सभी मरीज़ों का इलाज कर पाना संभि क्यों नही है ? 1
(ड.) आश्िासन दे कर कौन चले जाते हैं ? 1
प्रश्न 2 ननम्नशलणखत में से ककसी एक पहठत कावयांि को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का उर्त्र शलखें 1X5=5
114
(क) बढ़
ू ा’ िब्द की भाििाचक संज्ञा बनाओ। 1
(ख) रस िब्द में ईला िब्द जोडकर नया िब्द बनाइए | 1
(ग) ननम्नशलणखत िब्दों के िाक्य बनाकर अथा स्पष्ट कीजजए - 1
मेल - मैल
घ) ‘आिट ’ प्रत्यय जोडकर नया िब्द बनाइए | 1
(ड) ‘पुण्य’ िब्द का विलोम िब्द शलणखए। 1
(च) ननधन – ननधान िब्दों के अथा शलणखए | 1
(छ) ‘कटाई’ िब्द में से मल
ू िब्द तथा प्रत्यय छांट कर शलणखए । 1
(ज) ररक्त स्थान पर उधचत वििेषण का प्रयोग कर िाक्य पूरा कीजजए | 1
.............मोरों िाला बाग।
(झ) ‘हाथ साफ़ करना’ मुहािरे का िाक्य में प्रयोग कर अथा स्पष्ट कीजजए | 1
(य) ‘धरती’ का पयाायिाची शलणखए। 1
प्रश्न 5 परीक्षा खत्म होने के पश्चात दो शमत्रों के बीच होने िाले संिाद को पूरा कीजजये 1X5=5
रोहन: है लो ! सोहन 5
सोहन: ..................................
रोहन: तम्
ु हारी परीक्षाएाँ कैसी रहीं?
सोहन: ....................................................................................................
रोहन: छुट्हटयों में तम
ु कहााँ जा रहे हो?
सोहन: ........................................................................................................
रोहन: मैं भी अपने गााँि जा रहा हूाँ।
सोहन: तुम्हारा गााँि तो बहुत दरू है ।
रोहन:..................................................................................................................
सोहन: चलो ठीक है छुट्हटयों के बाद शमलते हैं।
रोहन:..................................................................................................................
अथिा
विषय: ...............................................................................
115
महोदय,
सविनय ननिेदन है कक मैं इस विद्यालय की छठी की......... हूाँ। कल
विद्यालय से िापस आने के बाद से.................................................. । डॉक्टर
ने दिाएाँ दे कर दो हदन आराम करने की सलाह दी है । इस कारण मैं हदनांक 10
एिं 11 माचा 2021 तक विद्यालय में उपजस्थत होने में असमथा हूाँ।
अतिः आपसे अनुरोध है कक दो हदनों का अिकाि स्िीकृत करने की कृपा
करें ।
सधन्द्यिाद
आपकी आज्ञाकारी शिष्या/शिष्य
...........................................
प्रश्न 5. 1X5=5
(क) शलखािट िब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है ............................ 1
(1) आिट (2) िट
(3) बुन (4) इनमें से कोई नहीं
(ख) ननम्नशलणखत में कौन सा िब्द पजु ल्लंग है ? 1
(1) काशलख (2) सेिा
(3) रोिनी (4) पतीला
(ग) ‘बबचार’ िब्द का िुद्ध रूप शलणखए 1
(घ) ननम्न िाक्य को पूरा कीजजए- 1
‘मेहनत करने िालों की कभी.................... नहीं होती।’ (जीत/हार)
(ड.) ‘परकार’ िब्द का िुद्ध रूप शलणखए 1
अंक योजना
द्वितीय सत्र परीक्षा
द्विषय- द्व दं ी
कक्षा -छठिीं
प्रश्न 1. ननम्नशलणखत अपहठत गद्यांि को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्र दीजजए। 1x5=5
(क) गााँि के मरीज़ों का इलाज सरकारी अस्पताल में होता है । 1
116
(ख) गााँि में अकसर बीमाररयााँ गााँि के लोगों के रहन-सहन में सफाई की ओर 1
ध्यान न दे ने के कारण बीमाररयााँ फैलती हैं।
(र्) अस्पताल में दिाइयों का अभाि है । 1
(घ) गााँि के डॉक्टरों की कमी होने के कारण तथा केिल दो ही डॉक्टर होने के 1
कारण गााँि के मरीज़ों का इलाज करना संभि नहीं है ।
(ड.) जन-प्रनतननधध केिल आश्िासन दे कर चले जाते हैं । 1
प्रश्न 2. ननम्नशलणखत पद्यांि को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उर्त्र दीजजए। 1x5=5
(क) कवि-तल
ु सीदास, कविता-िन के मागा में । 1
(ख) नगर से बाहर ननकलने पर सीताजी थक गईं और उनके माथे पर पसीने की 1
बद
ू ें छलक आईं।
(र्) सीताजी ने राम से पूछा कक अभी ककतनी दरू चलना है | हम अपनी कुहटया 1
कहााँ बनाएाँगे |
(घ) सीताजी की वयाकुलता को दे खकर राम की आाँखों में आाँसू आ गए थे । 1
(ड) रघुिीर िधू सीताजी के शलए प्रयोग ककया गया है । 1
प्रश्न 3. पाठ्यपस्
ु तक के आधार पर ननम्नशलणखत प्रश्नों के उर्त्र दें | 2x5= 10
(क) जजन लोगों के पास आाँखें हैं , िे सचमुच बहुत कम दे खते हैं। हे लेन केलर को 2
ऐसा इसशलए लगता था क्योंकक अकसर आाँखों िाले लोग उनसे कहा करते थे
कक उन्द्होंने कुछ खास नहीं दे खा। प्रकृनत की जो सुंदरता आाँखें न होते हुए भी
िह महसूस कर लेती थी, जजस जाद ू के स्पिा से िह रोमांधचत हो जाती थी,
उस खब
ू सूरती को उनके दृजष्ट संपन्द्न दोस्त दे ख ही नहीं पाते थे। प्रकृनत का
जाद ू हर िक्त उनकी आाँखों के सामने होते हुए भी उनके हृदय में कोई रोमांच
पैदा नहीं कर पाता था। इसशलए लेणखका को लगता था कक ‘जजन लोगों के
पास आाँखें हैं, िे सचमुच बहुत कम दे खते हैं |
(ख) आश्रम में गााँधी िी छात्रों से र्ें हू बीनने का काम करिाया । िास्र्ि में िे 2
उन छात्रों का घमंड र्ोडकर उवहे समझाना चाहर्े थे कक कोई कायि छोटा या
बडा नही होर्ा ।
(र्) चार –पााँच िषि की आयु िािे बााँस को बूढ़ा बााँस कहा िा सकर्ा है । बूढ़े 2
बााँस की यह प्रिशेषर्ा है कक िे सख्र् होर्े हैं । इसके कारि िह िकदी टूट
िार्े है िबकक युिा बााँस नरम और िचीिे होर्े हैं, उवहे ककसी भी िकार का
सामान बनाने के लिए ियोर् में िाया िा सकर्ा है ।
117
(घ) लोकगीत अपनी सोच, ताजगी तथा लोकवप्रयता की दृजष्ट से िास्त्रीय संगीत 2
से शभन्द्न है । इस गीत को गाने के शलए िास्त्रीय संगीत जैसी साधना की
ज़रूरत नहीं होती है।
118