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वै दक ग णत

सबसे सरल ग णत

लेखक — गौरव चौधरी


0
अनु मा णका
1. वै दक सू और उपसू 4
2. तावना 7
3. पाई (π) का भारतीय इ तहास 8
4. भारतीय काल गणना - समय क माप 11
5. संकलन (जोड़ना) 17
6. वकलन (घटाना) 19
7. गुणा 23
8. भाग 48
9. उ र जाँचने क व धयाँ ( बीजांक )
10. वग
11. वगमूल
12. घन
13. घनमूल
14. वे न सां या ( वभाजनीयता परी ण)
15. मह म समापव क (म. स. प.)

1
16. लघु म समापव य (ल. स. प.)
17. प रमेय सं या ( भ ) का जोड़ - घटाव
18. प रमेय सं या का गुणा
19. प रमेय सं या का भाग
20. साधारण याज
21. च वृ याज
22. बीजग णतीय संकलन - वकलन
23. बीजग णतीय गुणा
24. बीजग णतीय भाग
25. बीजग णतीय मह म समापव क (म. स. प.)
26. सरल समीकरण
27. सरल समीकरण के हल
28. गुणनखंडन
29. गुणनखंडन – ||
30. गुणनखंडन – |||
31. वभाजनीयता तथा सरल आ षे क
32. वभाजनीयता तथा ज टल आ षे क

2
33. वग का योग
34. वग का अंतर
35. पाइथागोरस मेय
36. सं या 9 का नवीन चम कार
37. भारत के ग णताचाय

3
वै दक ग णत के सू और
उनके अथ
1. एका धके न पूवण - पहले से एक अ धक के ारा।
2. न खलं नवत रमं दशतः - सभी नौ म से परंतु अं तम दस म
से।
3. ऊ व तय याम् - सीधे ( खड़े ) और तरछे दोन कार से।
4. पराव य योजयेत् - प ांतरण कर उपयोग कर।
5. शू यं सा यसमु ये - समु य समान होने पर शू य होता है।
6. आनु ये शू यम यत् - अनु पता होने पर सरा शू य होता है।
7. संकलन वकलना याम् - जोड़कर और घटाकर।
8. पूरणापूरणा याम् - अपूण को पूण करके ।
9. चलनकलना याम् - चलन - कलन के ारा।
10. याव नम् - जतना कम है अथात् वचलन।
11. सम ः - एक को पूण और पूण को एक मानते ए।
12. शेषा यङ् के न चरमेण - अं तम अंक से अवशेष को।
4
13. सोपा य यम यम् - अं तम और उपा तम का गुना।
14. एक यूनेन पूवण - पहले से एक कम के ारा।
15. गु णतसमु यः - गु णत का समु य।
16. गुणकसमु यः - गुणक का समु य।

उपसू और उनके अथ
1. आनु येण - अनु पता के ारा।
2. श यते शेषसं ः - बचे ए को शेष कहते ह।
3. आ मा ने ा यम येन - पहले को पहले से, अं तम को अं तम
से।
4. के वलैः स तकं गु यात् - ' क ' , ' व ' , ' ल ' से 7 का गुणा कर।
5. वे नम् - वभाजनीयता परी ण क एक व श या का नाम।
6. याव नम् ताव नम् - जतना कम उतना और कम।
7. याव नं ताव नीकृ य वग च योजयेत् - जतना कम उतना और
कम करके वग क योजना भी कर।
5
8. अ ययोदशके ऽ प - अं तम अंक का योग दस।
9. अ ययोरेव - के वल अं तम ारा।
10. समु यगु णतः - सव गुणन।
11. लोपन ापना याम् - वलोपन एवं ापना ारा।
12. वलोकनम् - अवलोकन ारा।
13. गु णतसमुयः समु यगु णतः - गुणांक के समूह का
गुणनफल और गुणनफल के गुणांक का योग समान होगा।

अ य व श संक पनाएं
1. ं योग - या मक पद।
2. शु - शो धत रा श।
3. वजांक - घात के ान का अंक।

6
तावना
यह वै दक ग णत क पु तक ग णत म च रखने वाल
और तयोगी परी ा क तैयारी करने वाल के लए लखी गई है।
इसम ग णत क सभी सं या और अनेक या के लए
ब त ही सरल सू और व धयाँ द गई है। तयोगी परी ा क
तैयारी करने वाल के लए यह पु तक ब त ही आव यक है। इसम
दये गए सू क सहायता से ग णत के कसी भी का हल ब त
ही कम समय म और कु छ ही पं य म नकाला जा सकता है। इन
सू के अ यास से ग णत के क ठनतम भी सरलता से कए जा
सकते ह।
वतमान म हम ग णत के को हल करने के लए जन
व धय का योग करते ह वे सभी इसी वै दक ग णत से नकली ह,
ले कन उनम बदलाव करके उ ह और क ठन और लंबी बना दया
गया है। ाचीन समय म ग णत के को करने के लए जन
व धय का योग करते थे, वे आज क व धय से तो ब त ही
आसान थी।इस पु तक म उ ही व धय को संक लत कया गया है।
म आशा करता ं क आपको ये पु तक ब त ही सरलता
से समझ आ जाएगी और आप भी ग णत म ब त ही उ कृ दशन
करने लगगे। ग णत म आपक च भी बढ़े गी और आप ग णत म
ब त ही तेज़ हो जाएंग।े — लेखक( गौरव चौधरी )

7
पाई (π) का भारतीय इ तहास
पाई (π) का मान —
1. बौधायन शु वसू म कहा गया है क यूप के लए खोदे गए
एक पद ास के वृ ाकार ग े क प र म त तीन पद होती है। इस
उदाहरण म पाई (π) का स कट मान 3 लया गया है।
पदप रणाहानी यूपोपराणी त।।
इनको दे खकर ौतसू काल म भारतीय या म त
(भू म त) वषयक ान क उ त अव ा का प रचय ा त होता है।
2. भारतीय जैन ग णत य तवृषभ ने अपने थ
ं " तलोय प ण त
" म पाई (π) का मान √10 लया है।
3.आयभ (476 ई. - 550 ई.) पहले ग णत थे ज ह ने प र ध
और ास के अनुपात अथात् (π) का लगभग प र मत मान नकाला
था
चतुर धकम् शतम गुणम् ाष तथा सह ाणाम्।
अयुत य व क यास ो वृ प रणाहः।।
अथात् , सौ म चार जोड़कर उसे 8 से गुणा कर और 62000 जोड़।
यह योगफल 20,000 ास के वृ क प र ध होगी।
अतः π = प र ध/ ास = 62832 / 20000 = 3.1416

8
इस कार आयभ के अनुसार π = 3.1416 है, जो आज भी
दशमलव के 4 ान तक शु है।
4. गु त (598 ई.) ने पाई (π) का मान √10 दया है।
5. महावीराचाय ( 850 ई.) ने (π) के दो मान दए ह। एक मान 3
तथा सरा मान √10 है।
6. आयभ तीय (950 ई.) ने π का मान 22/7 दया है।
7. भा कराचाय (1114 – 1193 ई.) ने अपने थ
ं लीलावती म
पाई (π) का सू म एवं ल
ू मान न नवत् ोक के ारा दया है।
ासे भन दा नहते वभ खबाणसूयः प र ध तु सू मः।
ा वश त ने व तेऽथ शैलैः ल
ू ोऽथवा या वहारयो यः।।
अथात् , ास को 3927 से गुणा कर 1250 से भाग दे ने पर सू म
प र ध होती है अथवा ास को 22 से गुणा कर 7 से भाग दे ने पर
वहार के यो य प र ध का ल
ू मान ा त होता है। अथात्
π = 3927 / 1250 .......( सू ममान )
π = 22/7 ........( ल
ू मान )
8. माधव (1340 - 1425 ई.) ने π का मान दशमलव के यारह
ान तक नकाला है।
π = 3.141592653592
9. ी नवास रामानुजन ( 1887 - 1920 ई.) – रामानुजन का
9
यूरोप म जो पहला शोध नब का शत आ उसका शीषक था -
त पक समीकरण और π के स कट मान (मो ेलर इ वेशन
एंड ए ो समेशन टू π )
उ ह ने π के स कट मान के लए कई सू क खोज क ।
10. ग णत वामी भारतीकृ ण तीथ (1884 - 1960 ) ने पाई/10
का मान न नवत् बताया है —
गोपी भा य मधु ात– ृं गशोद धसं धग।
खलजी वतखाताव–गलहालारसंधर।।
वामी जी के अनुसार इस ोक के तीन उपयु अथ नकाले जा
सकते ह। थम अथ म भगवान ीकृ ण क तु त तथा तीय अथ
म भगवान शंकर क तु त का भाव कट करता है वह तीसरे अथ म
π/10 का मान दशमलव के ब ीस ान तक दान करता है -
π/10 = 0.31415926535897932384626433832792

10
भारतीय काल गणना – समय क माप
लोक वहार, संगीत तथा सा ह य म हम पल दो पल,
घड़ी दो घड़ी, युग - युग तक नमेष, क प– आ द श द सुनने तथा
पढ़ने म आते रहते ह। ये श द भारतीय काल गणना क इकाईयां ह।
पव , पंचांग तथा खगोलीय घटना के अ ययन म भारतीय काल
गणना क जानकारी होना आव यक एवं उपयोगी है।
इस अ याय म हम भारतीय काल गणना क सू म तथा
द घ इकाईय को जानकारी ा त करगे।

समय क माप
समय क सबसे छोट माप है परमाणु
2 परमाणु = 1 अणु
3 अणु = 1 सरेणु
3 सरेणु = 1 ुट
कमल क पंखुड़ी को सुई से छे द करने म जतना समय लगता है,
उतने समय को ु ट कहते ह।

11
100 ुट = 1 वेध
3 वेध = 1 लव
3 लव = 1 नमेष
3 नमेष = 1 ण
पलक झपकने को नमेष और उ मेष कहते ह।आंख ब द करके
खोलने को पलक झपकना कहते ह। नमेष का अथ है आंख ब द
होना और उ मेष का अथ है आंख खुलना।
पलक झपकने म आंख ब द होने म जतना समय लगता है, उतने
समय को नमेष कहते ह। तीन नमेष का एक ण होता है।
' ण ' श द से हम प र चत ह।

5 ण = 1 का ा
15 का ा = 1 लघु
15 लघु = 1 घट
एक घनाकार तांबे का बतन जसम 1 सेर पानी आ सके ल। बीस
गुज
ं ा भार क चार अंगल
ु ल बी सोने क स क से उस पा म छे द
कर। एक बड़े पा म पानी भर कर उसम यह छे द वाला पा रख।
जतने समय म यह पा पानी से भरकर डू ब जाएगा उतने समय को
एक घट या घ टका कहते ह।
वशेष यान द : 1 घट = 24 मनट
12
2 घट = 1 मु त
7½ घट = 1 हर
1 हर = 3घ टे
8 हर = 1 दन - रात
1 हर = 2 चौघ ड़ये
16 चौघ ड़ये = 1 दन - रात

1 घट = 24 मनट
60 घट = 24 घंटे
1 चौघ ड़या = 96 मनट = 1½ घ टा
1 पल = 24 सैक ड 2½ वपल = 1 सैक ड
1 सैक ड = 33,750 ुट 4 सैक ड = 1 असु
24 घ टा = 1 दन
15 दन = 1 पखवाड़ा 2 पखवाड़े = 1 मास
2 मास = 1 ऋतु 3 ऋतु = 1 अयन
2 अयन = 1 वष
वष को संव सर भी कहते ह।
1 मास के 30 दन और 1 वष के 12 मास भी कह सकते ह।
13
दो पखवाड़ के नाम – कृ ण प , शु ल प
बारह मास के नाम – चै , वैशाख , ये , आषाढ़ ,
ावण , भा पद , आ न , का तक , मागशीष , पौष , माघ और
फा गुन।
छह ऋतु के नाम – ी म , वषा , शरद , हेमंत , श शर
और बसंत
दो अयन के नाम – उ रायण और द णायन

 ( चार लाख ब ीस हजार ) 4,32,000 वष = 1 क लयुग


 ( आठ लाख चौसठ हजार ) 8,64,000 वष = 1 ापरयुग
(2 क लयुग = 1 ापरयुग)
 ( बारह लाख छयानबे हजार ) 12,96,000 वष = 1 ते ायुग
(3 क लयुग = 1 त
े ायुग )
 ( स ह लाख अ ाईस हजार ) 17,28,000 वष = 1 स ययुग
( 4 क लयुग = 1 स ययुग )
 432 सह ा द = 1 क लयुग 2 क लयुग = 1 ापरयुग
3 क लयुग = 1 ते ायुग 4 क लयुग = 1 स ययुग
स ययुग + ते ायुग + ापरयुग + क लयुग = महायुग
महायुग = 43,20,000 वष
महायुग को चतु14युगी भी कहते ह।
71 महायुग अथवा चतुयुगी = 1म व तर
म व तर = मनु + अ तर
एक मनु से सरे मनु के बीच समय क को अव ध है उसे म व तर
कहते ह।
1म व तर = 43,20,000 × 71
= 30,67,20,000 वष ( तीस
करोड़ सड़सठ लाख बीस
हजार ) वष
कु ल 14 म व तर ह। इनके नाम इस कार ह।
1. वाय ुव 2. वारो चष 3. औष म ( औ म)
4. तामस 5. रैवत 6. च षु
7. वैव वत 8. साव णक 9. द साव णक
10. साव णक 11. धमसाव णक 12. साव णक
13. दे वसाव णक 14. इ साव णक
वतमान म वैव वत म व तर चल रहा है।
14 म व तर का 1 क प होता है।

15
30 क प के नाम
1. ेत 2. नीललो हत 3. वामदे व
4. रथंतर 5. रौरव 6. दे व
7. बृहत् 8. कं दप 9. प
10. ईशान 11. तम 12. सार वत
13. उदान 14. ग ड़ 15. कौम
16. नार सह 17. समान 18. आ ये
19. सोम 20. मानव 21. त पु ष
22. वैकुंठ 23. ल मी 24. सा व ी
25. घोर 26. ेतवाराह 27. वैराज
28. गौरी 29. माहे र 30. पतृ
वतमान म ेतवाराह क प चल रहा है।

एक क प अथात् ा का एक दन उतनी ही बड़ी उनक रा ,


360 महाक प का ा का एक वष होता है। इस कार 100 वष
तक एक ा क आयु और यह काल भगवान व णु का एक नमेष
होता है और व णु के बाद का काल आरंभ होता है, जो वयं
काल प ह और अनंत ह, इसी लए कहा जाता है क काल अनंत है।

16
संकलन या
संकलन ( जोड़ना ) के लए वै दक ग णत म सू एका धके न पूवण
का योग कया जाता है। इस सू म हम येक अंक का आधार दस
मानगे और उसी आधार पर हा सल भी लगेगी।
उदाहरण :– व ध :–
3 4 6 8 2 इकाई अंक म 2 + 8 = 10 अतः
5 4 2 7 8 8 के पहले के अंक 7 पर एका धक
+ 0 4 2 7 9 5 ब लगाया। इसी कार आगे भी
1 3 1 6 5 5 कया और अंत म उ र 131755
ा त आ।
उदाहरण :–
5 1 3 7 8 1 6 4 ात :— जहाँ पर अंक का योग

+0 6 1 5 7 6 1 8 4 10 होता है, उसी अंक के आगे वाले


1 1 2 9 5 4 3 4 8 अंक पर एका धक च लगाए।

17
—: अ यासमाला :—
सू एका धके न पूवण ारा न न सं या का योगफल ात
क जए।
(i) 1543 + 5127 + 6457
(ii) 51375143 + 61246185
(iii) 542 + 154 + 642 + 724 + 642
(iv) 5431675191 + 3246181275
(v) 5427 + 5137 + 1542 + 6427 + 6427 + 6137

18
वकलन या
वकलन अथात् घटाना। वै दक ग णत म वकलन के लए दो
व धयाँ ह। दोन व धय के नाम इस कार है :–
1. सू एका धके न पूवण + परम म अंक
2. सू एक यूनेन पूवण + परम म अंक
सबसे पहले हम परम म अंक के बारे म बात करगे। कसी अंक का
परम म अंक उसे कहते ह जसे इस अंक म जोड़ने पर योगफल
10 आता है।
0 का परम म अंक = 10
1 का परम म अंक = 9
2 का परम म अंक = 8
3 का परम म अंक = 7
4 का परम म अंक = 6
5 का परम म अंक = 5
6 का परम म अंक = 4
7 का परम म अंक = 3
8 का परम म अंक = 2

19
9 का परम म अंक = 1
10 का परम म अंक = 0
के वल 10 तक के अंक के ही परम म अंक होते ह। अब हम
दोन व धय क बात करते ह।
1. सू एका धके न पूवण + परम म अंक :—
इस व ध म नीचे वाली सं या के अंक पर एका धक च लगाया
जाता है।
उदाहरण :- 7542 - 4861
7 5 4 2

- 4 8 6 1
2 6 8 1
संकेत :-
(1) 2 - 1 = 1
(2) 4 म से 6 घटता नह अतः 6 का परम म अंक = 4
(3) ऊपर वाले 4 म परम म अंक 4 को जो ड़ए। 4 + 4 = 8
(4) 6 के पहले वाले अंक 8 पर एका धक च लगाया।

(5) 5 - 8 = 5 - 9

20
=>5 म से 9 घटता नह अतः 9 का परम म अंक = 1
(6) ऊपर के 5 म 9 का परम म अंक 1 जोड़ा, 5 + 1 = 6
(7) 8 के पहले के अंक 4 पर एका धक च लगाया।
(8) 7 - 4 => 7 - 5 = 2
अतः शेषफल आ 2681
एक और उदाहरण लेते ह। उदाहरण :- 94212 - 45303
9 4 2 1 2

- 4 5 3 0 3
4 8 9 0 9 शेषफल = 48909
—: अ यासमाला:—
सू एका धके न पूवण ारा न न सं या का वकलन क जए।
(i) 8421 - 4530
(ii) 721 - 433
(iii) 945213 - 854335
(iv) 5413 - 3537
( v) 94513 - 75428

21
2. सू एक यूनेन पूवण + परम म अंक :–
जस कार वकलन म सू एका धके न पूवण का योग आ था
ठ क उसी कार सू एक यूनेन पूवण का योग होगा। इस व ध म
ऊपर के अंक पर एक यून का च लगेगा।
उदाहरण :- 824 - 535
8 2 4 संकेत :-
- 5 3 5 (1) 4 म से 5 घटता नह अतः 5 का परम
2 8 9 म अंक = 5 जोड़ा 4 म, 4 + 5 = 9
(2) 2 - 3 => 1 - 3
(3) 1 म से 3 घटता नह अतः 3 का परम
म अंक = 7 जोड़ा 1 म, 1 + 7 = 8
8 - 5 => 7 - 5 = 2
शेषफल = 289
—: अ यासमाला :—
सू एक यूनेन पूवण ारा न न के शेषफल ात क जए।
(i) 8754 - 5765 (ii) 94525 - 75436 (iii) 942 - 853
(iv) 875413 - 776504 (v) 94572 - 85673

22
गुणन सं या ( गुणा )
गुणा क च लत व ध से हम सभी भली - भां त प र चत
ह। गुणा क च लत व ध से गुणा करने म ब त सारा समय भी खच
होता है और ब त सारा कागज़ भी।
वै दक ग णत म गुणा करने क ब त ही रोचक व धयाँ ह।
वै दक ग णत के सू से गुणा के अनेक का हल कु छ ही पं य
म नकाला जा सकता है और क का तो बना कसी कागज़
और कलम के मौ खक हल नकाला जा सकता है।
वै दक ग णत क व धय से गुणा के कु छ का हल तो
के वल एक पं म नकल सकता है।
गुणा करने क वै दक व धयाँ —
1. उपसू वलोकनम्
2. सू एक यूनेन पूवण
3. सू एका धके न पूवण + उपसू अ ययोदशके ऽ प
4. सू न खलं नवत रमं दशतः( न खलम् )
5. सू ऊ व तय याम्

23
1.उपसू वलोकनम् :—
यह ब त मह वपूण सू है। इससे अनेक के हल मा दे खकर
ही बताए जा सकते ह। जैसे -
उदाहरण - 1 कसी सं या म 10, 100, 1000...... आ द का
गुणा करना हो तो मा सं या म दाय ओर उतने
ही शू य रख द, जतने 10 या 100 इ या द म ह।
37 × 10 = 370, 454 × 100 = 45400 आ द।
उदाहरण - 2 कसी सं या म 5 का गुणा करना है तब सं या के
दाय एक शू य रखकर उसका आधा कर के उ र
ा त हो जाता है।
86 × 5 = 860 / 2 = 430
उदाहरण - 3 50 का गुणा करना है तो सं या के दाएं दो शू य
रखकर उसका आधा करने से उ र ा त हो जाता
है। जैसे -
248 × 50 = 24800/2 = 12400

24
—: अ यासमाला :—
सू वलोकनम् का योग कर न न के गुणनफल ात क जए।
(i) 542 × 1000 (ii) 542 × 50
(iii) 52761 × 500 (iv) 3629936 × 10000
(v) 62926 × 50000 (vi) 628 × 10
(vii) 7292 × 100 (viii) 937 × 5
(ix) 73926 × 5000 (x) 648 × 50

2. सू एक यूनेन पूवण :—
जब दो सं याएँ द गई हो और उनम से एक सं या के सभी अंक 9
ह तब इस सू का उपयोग करके हम का हल सीधे एक पं म
नकाल सकते ह।
त - 1 गु य और गुणक म अंक क सं या समान हो।
उदाहरण - 1 54 × 99 संकेत :-
हल : 54 - 1 / 99 - 53 हमने दो ख ड बनाए। बाएं ख ड
=> 53 / 46 म 54 - 1 = 53 लखा। दा हने
=> 5346 ख ड म 99 - 53 = 46 लखा।
उ र = 5346
25
उदाहरण - 2 5426 × 9999 उदाहरण - 3
हल : 5426 - 1 / 9999 - 5425 => 5427 × 9999
=> 5425 / 4574 => 54264573
=> 54254574
त - 2 य द 9 के अंक अ धक हो।
उदाहरण - 1 37 × 999 उदाहरण - 2 465 × 9999
हल : 37 - 1 / 999 - 36 हल : 4649535
=> 36 / 963
=> 36963
संकेत :-
जब 9 से बनी सं या के अंक अ धक हो तब जतने 9 अ धक ह
उतने 9 वैसे ही लख द और बाद म ऊपर वाले उदाहरण क तरह
कर।
त - 3 य द 9 के अंक कम हो।
उदाहरण - 1 37 × 9 संकेत - 37 - 1 = 36 के आगे 9
हल : 37 - 1 = 369 - 36 रखा। सं या ई 369, अब 369
=> 333 म से 36 को घटा दया।

26
उदाहरण - 2 5421 × 99 संकेत - 5421 - 1 = 5420 के
हल : 5421 - 1 = 5420 आगे 99 रखा। सं या ई 542099,
=> 542099 - 5420 अब 542099 म से 5420 घटाया।
=> 536679 उ र = 536679

—: अ यासमाला :—
सू एक यूनेन पूवण के योग से न न सं या का गुणनफल ात
क जए।
(i) 848 × 999 (ii) 382 × 99
(iii) 5134 × 99999 (iv) 39 × 999
(v) 7490 × 99 (vi) 820271 × 9999
(vii) 2891 × 999 (viii) 291 × 999
(ix) 345 × 999999 (x) 999 × 999
(xi) 17897 × 99999 (xii) 88 × 999

27
3. सू एका धके न पूवण + उपसू अ ययोदशके ऽ प :—
गुणा करने म इस सू का उपयोग तब करते ह जब दो सं याएँ हो
तथा दोन सं या के इकाई अथवा इकाई + दहाई अंक का योग
10 और अ य अंक समान ह ।
या व ध न नवत् क जाती है —
1. बाया भाग = दहाई × दहाई का एका धक
2. दायाँ भाग = इकाइय का गुणनफल
3. आधार म जतने शू य होते ह उ र के दाय भाग म उससे दोगुने
अंक होने चा हए।
उदाहरण - 1 12 × 18
हल : 1 × 1 का एका धक / 2 × 8
=> 1 × 2 / 16
=> 216
संकेत :-
1. उ र का बाया भाग = दहाई × दहाई का एका धक
= 1×2=2
2. इकाइय का गुणनफल = 2 × 8 = 16
अतः उ र = 216

28
उदाहरण - 2 31 × 39 ात - आधार 10 म एक
हल : 3×4/1×9 शू य है इस लए दाय भाग म
=> 12 / 09 भी एक के दोगुने अंक ह गे।
=> 1209 अतः 9 का 09 होगा।
उदाहरण - 3 102 × 198
हल : 1 × 2 / 98 × 2
=> 2 / 0196
=> 20196

—: अ यासमाला :—
सू एका धके न पूवण के उपयोग से न न सं या के गुणनफल
ात क जए।
(i) 46 × 44 (ii) 55 × 55 (iii) 102 × 108
(iv)117 ×113 (v) 194 × 106 (vi) 292 × 298
(vii) 295 × 205 (viii) 81 ×89 (ix) 204 × 206
(x) 304 × 306 (xi) 489 × 411 (xii) 77 × 73

29
4. सू न खलम् :—
इस सू के योग से हम तब गुणा करते ह जब गुणा और गुणक क
सं याएँ आधार या उपाधार क नकट ह । यहाँ आधार, उपाधार तथा
सं या का इनसे वचलन के संबध ं म जानकारी ा त करना
आव यक है।
आधार - दस या दस क कसी भी घात से ा त सं या को आधार
कहते ह। जैसे - 10, 100, 1000 .... आ द।
उपाधार - आधार के गुणज उपाधार कहलाते ह। जैसे - 20, 30,
200, 300 ..... आ द।
वचलन - कोई सं या आधार या उपाधार से कतने कम या अ धक है
यही उसका उस आधार / उपधार से वचलन कहलाता है।
सं या आधार उपाधार वचलन
9 10 – -1
12 10 – +2
23 10 20 +3
98 100 – -02
104 100 – +04
989 1000 – -011
307 100 300 +7

30
ात - य द सं या आधार/ उपाधार से कम है तो वचलन
ऋणा मक ( negative ) होगा और य द अ धक है तो वचलन
धना मक ( positive ) होगा।
इस सू म हम दो कार के सवाल पढ़गे। पहले जनम सं याएँ
आधार के नकट होगी और सरे जनम सं याएँ उपाधार के नकट
होगी।
(1) न खलम् - आधार
गुणा क या व ध न नवत् क जाती है –
1. सव थम आधार ात कया जाता है।
2. उ र का दायां भाग = वचलन का गुणनफल
3. उ र का बायां भाग = एक सं या + सरी का वचलन
4.आधार म जतने शू य ह , उ र के दाय भाग म उतने अंक ह गे।
उदाहरण - 1 12 × 14 संकेत :- आधार = 10
हल : 12 +2 उ र का दायां भाग = 2 × 4 = 8
14 +4 उ र का बायां भाग = 12 + 4 = 16
=> 12 + 4 / 2 × 4 आधार = 10 म एक शू य अतः दाय
=> 16 / 8 प म एक अंक 8 रहेगा।
=> 168 उ र = 168

31
उदाहरण - 2 8 × 13
हल : 8 -2
13 +3
=> 13 - 2 / 3 × (-2)
=> 11 / -6
=> 10 / 10 - 6
=> 104
संकेत :-
आधार = 10 , 8 का वचलन = - 2 और 13 का + 3
उ र का दायां भाग = 3 × (-2) = -6
उ र का बायां भाग = 13 + (-2) = 13 - 2 = 11
उ र के दाय भाग म एक ऋणा मक अंक है अतः बाएं भाग म से एक
अंक आधार से गुना करके दाय भाग म भेजा।
दायां भाग = 10 - 6 = 4 और बायां भाग = 11 -1 = 10
अतः उ र = 104

32
उदाहरण - 3 97 × 88 आधार = 100
हल : 97 -03 97 का वचलन = -3
88 -12 88 का वचलन= -12
=> 88 - 03 / (-03) × (-12) आधार म दो शू य
=> 85 / 36 ह अतः दाएं भाग म दो
=> 8536 अंक ह गे।

उदाहरण - 4 98 × 123 आधार = 100


हल : 98 -2
123 +23
=> 123 - 2 / 23 × (-2)
=> 121 / -46
=> 120 / 100 - 46
=> 12054

33
—: अ यासमाला :—
सू न खलम् का योग करके न न के गुणनफल ात क जए।
(i) 11 × 13 (ii) 12 × 13 (iii) 8 × 12
(iv) 104 × 105 (v) 122 × 102 (vi) 101 × 167
(vii) 97 × 98 (viii) 98 × 78 (ix) 103 × 87
(x) 997 × 986 (xi) 1004 × 1112 (xii) 998 × 1231

(2) न खलम् - उपाधार


सू से आधार के नकट क सं या का तो गुणनफल
नकाला जा सकता है परंतु य द कोई सं या जैसे 45 या 76 आधार
से ब त ही र है। ऐसी त म न खलम् सू क उपाधार व ध क
सहायता से गुणनफल ात कया जाता है। इसम सं या का उपाधार
से वचलन ात करते ह।
उदाहरण - 1 22 × 23 आधार = 10 और उपाधार = 20
हल : 22 +2 अतःबाएं भाग म 20/10= 2 से
23 +3 गुणा करगे। बाक व ध पहले
=> 2 ( 22 + 3 ) / 2 × 3 जैसी ही रहेगी।
=> 506

34
उ र का बायां भाग ात करने के लए —
( एक सं या + सरी सं या का वचलन ) × उपाधार / आधार
उदाहरण - 2 52 × 47
हल : 52 +2
47 -3
=> 5 × ( 52 - 3 ) / 2 × ( -3 )
=> 5 × 49 / - 6
=> 245 / - 6
=> 2444
संकेत :- आधार = 10 और उपाधार = 50
उ र का बायां भाग = 50 / 10 × ( 52 - 3 )
= 5 × 49 = 245
उ र का दायां भाग = 2 × ( -3 ) = -6
उ र के दाएं भाग म एक ऋणा मक सं या है अतः बाएं भाग से 1
अंक को आधार से गुणा करके दाएं भाग म भेजा।
दायां भाग = 10 - 6 = 4 और बायां भाग = 245 - 1 = 244
उ र = 2444

35
उदाहरण - 3 504 × 512 आधार = 100
हल : 504 + 04 उपाधार = 500
512 + 12
=> 5 × ( 504 + 12 ) / 04 × 12
=> 5 × 516 / 48
=> 258048
—: अ यासमाला :—
सू न खलम् का योग करके न न सं या के गुणनफल ात
क जए।
(i) 35 × 38 (ii) 56 × 59 (iii) 213 × 206
(iv) 315 × 303 (v) 73 × 77 (vi) 723 × 705
(vii) 68 × 64 (viii) 804 × 813 (ix) 5007 × 5023

36
तीन सं या का गुणा न खलम् व ध से
सू न खलम् के योग से आधार के नकट क तीन
सं या का गुणा ब त ही सरल तरीके से कया जा सकता है।

या व ध –
1. सव थम आधार ात करके वचलन ात करते ह।
2. उ र के तीन भाग होते ह। बायां / म य / दायां भाग
दायां भाग = तीन वचलन का गुणनफल
म य भाग = दो - दो वचलन के गुणनफल का योग + अ त र
अंक
बायां भाग = एक सं या + दो अ य सं या के वचलन का
योगफल + अ त र अंक
3. बायां भाग / म य भाग / दायां भाग लखकर उ र ा त करते
ह।
4. दाएं भाग एवं म य भाग म उतने ही अंक होते ह जतने आधार म
शू य होते ह।

37
उदाहरण - 1 11 × 12 × 13
हल : 11 +1 (1) यहाँ पर आधार 10 है।
12 +2 (2) वचलन च स हत लखगे।
13 +3 (3) उ र के तीन भाग ह गे।
=> 11+2+3 / 11 / 6 दायां / म य / बायां भाग
=> 16 / 11 / 6 (4) दाएं भाग तथा म य भाग म
=> 17 / 1 / 6 उतने ही एक रहगे जतने आधार
=> 1716 म शू य ह।
(5) उ र का दायां भाग = तीन वचलन का गुणनफल
=1×2×3 = 6
(6) उ र का म य भाग = दो - दो वचलन का गुणनफल कर उन
गुणनफल का योग
= (1 × 2 ) + ( 2 × 3 ) + ( 3 × 1)
= 2+6+3
= 11
उ र के म य भाग म आधार 10 होने के कारण एक अंक
रहेगा, 1 हा सल अ त र अंक है जो उ र के बाएं भाग म जुड़ेगा।

38
(7) उ र का बायां भाग = (एक सं या + दो अ य सं या के
वचलन का योग ) + अ त र अंक
= ( 11 + 2 + 3 ) + 1 = 17
उ र = 1716

उदाहरण - 2 102 × 103 × 105


हल : 102 + 02 आधार = 100
103 + 03
105 + 05
=> 102 + 03 + 05 / 31 / 30
=> 110 / 31 / 30
=> 1103130
दायां भाग = 02 × 03 × 05 = 30
म य भाग = ( 02 × 03 ) + ( 03 × 05 ) + ( 05 × 02 )
= 6 + 15 + 10 = 31
बायां भाग = 102 + 03 + 05 = 110

39
—: अ यासमाला :—
सू न खलम् का योग करके न न के गुणनफल ात क जए।
(i) 11×11×11 (ii) 12×11×12 (iii) 11×13×13
(iv) 9×12×11 (v) 101×102×102 (vi)102×102×102
(vii) 97×98×99 (viii)105×102×102 (ix)95×105×101

5. सू ऊ व तय याम् :—
जहाँ एक ओर गुणा करने क अ य सू म कोई न कोई शत है,
वह इस सू म ऐसी कोई शत नह है। इस सू का योग करके
कतनी भी बड़ी और कै सी भी सं या का गुणनफल के वल एक
पं म ात कर सकते ह। येक सू का कोई कोई अथ होता है,
वैसे ही इस सू का भी एक अथ है —
अथ – ऊ व = खड़ा = ( ऊपर - नीचे )

तयक = तरछा =

40
उदाहरण - 1 21 × 13
हल : 2 1
× 1 3
273
समूह रचना एवं संकेत :–
2 2 1 1

1 1 3 3
गुणनफल 2×1 (2 × 3) + (1×1) 1×3
= 2 =6+1=7 =3
उ र = 273

ात : इस सू म आधार 10 है अथात् येक समूह के गुणनफल


म के वल एक अंक ही होगा। एक से यादा अंक होने पर इकाई अंक
को छोड़कर शेष अंक को हा सल के प म अगले समूह के
गुणांफल म जोड़ दगे।

41
उदाहरण - 2 23 × 54
हल : 2 3 2 2 3 3
× 5 4
10 / 23 / 12 5 5 4 4
= 1242

उदाहरण - 3 123 × 211


हल : 1 2 3 1 1 2 1 2 3 2 3 3
× 2 1 1
25953 2 2 1 2 1 1 1 1 1

उदाहरण - 4 1232 × 2121


हल : 1 2 3 2 1 12 123 1232 232 32 2
×2121
2613072 2 21 212 2121 121 21 1

42
—: अ यासमाला :—
सू ऊ व तय याम् का उपयोग कर न न सं या के गुणनफल
ात क जए।
(i) 14 × 23 (ii) 31 × 46 (iii) 234 × 531
(iv) 201 × 437 (v) 1423 × 1215 (vi) 2301 × 4526

ऊ व तय याम् ारा तीन सं या का गुणा


जस कार हम सू ऊ व तय याम् से दो सं या का
गुणा कर सकते ह, ठ क वैसे ही हम तीन सं या का भी गुणा इसी
सू से कर सकते ह। ज ह ने इस सू का उपयोग पहले नह कया,
उ ह तीन सं या के गुणा म थोड़ी परेशानी होगी परंतु बाद म वे भी
इसम तेज़ हो जाएंग।े
इस सू ारा हम दो अंक क तीन सं या का गुणा
करना सीखगे। हम बीजीय सं याएँ लेकर इस सू को समझगे।
माना तीन सं याएँ AB, CD और XY ह। इन तीन के गुणा म
चार खंड बनगे।
थम खंड = A×C×X
तीय खंड = ( A × C × Y ) + ( A × D × X ) + ( B × C × X )
तृतीय खंड। = ( A × D × Y ) + ( B × C × Y ) + ( B × D × X )

43
चतुथ खंड = B × D × Y
A B
C D
× X Y
=> ACX / ACY + ADX + BCX /
ADY + BCY + BDX / BDY

अब हम सं याएँ लेकर दे खते ह।


उदाहरण - 1 12 × 23 × 21
हल : 1 2
2 3
× 2 1
=> 4 / 2 + 6 + 8 / 12 + 4 + 3 / 6
=> 4 / 16 / 19 / 6
=> 5796

44
1 2

2 3

2 1
थम खंड चतुथ खंड

1 2 1 2 1 2 1 2 1 2 1 2

2 3 + 2 3 + 2 3 2 3 + 2 3 + 2 3

2 1 2 1 2 1 2 1 2 1 2 1
तीय खंड तृतीय खंड

45
थम खंड = 1 × 2 × 2 => 4
तीय खंड = (1 × 2 × 1) + (1 × 3 × 2) + (2 × 2 × 2)
= 2 + 6 + 8 => 16
तृतीय खंड = (2 × 3 × 2) + (2 × 2 × 1) + (1 × 3 × 1)
= 12 + 4 + 3 => 19
चतुथ खंड = 2 × 3 × 1 => 6
ात :- थम खंड को छोड़कर शेष सभी खंड म एक ही अंक
रहेगा। एक से अ धक अंक होने पर इकाई अंक को छोड़कर शेष
अंक अगले खंड म भेज दए जाएंग।े

उदाहरण - 2 13 × 34 × 32
हल : 1 3
3 4
× 3 2
=> 9 / 6 + 12 + 27 / 8 + 18 + 36 / 24
=> 9 / 45 / 62 / 24
=> 14144

46
उदाहरण - 3 34 × 56 × 87
हल : 3 4
5 6
× 8 7
=> 120 / 409 / 458 / 168
=> 165648

—: अ यासमाला :—
सू ऊ व तय याम् का योग कर न न सं या के गुणनफल ात
क जए।
(i) 35 × 12 × 64 (ii) 45 × 73 × 23
(iii) 12 × 14 × 19 (iv) 93 × 34 × 64
(v) 43 × 34 × 54 (vi) 87 × 46 ×56

47
भाजन सं या( भाग )
वतमान म भाग दे ने क जो व ध है, उससे भाग दे ने म
ब त समय लगता है और उसम ब त कागज़ भी खच हो जाता है।
भाग दे ने क जो व धयाँ वै दक ग णत म ह, उनके इ तेमाल से व
भी कम खच होता है और कागज़ भी।
वै दक ग णत क व धय से भाग दे ने म लगभग 1 से 1½
मनट ही लगाते ह। अगर इन व धय का अ ा अ यास हो जाए, तो
उ र के वल 20 सेकड् स से आधे मनट म नकाला जा सकता है।
भाग दे ने क वै दक व धयाँ —
1. वजांक व ध + सू ऊ व तय याम्
2. सू पराव य योजयेत्

48
1. वजांक व ध + सू ऊ व तय याम् :—
भाग सं या का येक इस व ध के ारा सरलता से हल
कया जा सकता है। भाग सं या ारंभ करने से पूव लखते
समय न नवत् सावधा नयाँ रखनी चा हए।
1. सव थम भाजक को इ ानुसार दो भाग म वभा जत
करते ह। भाजक के सबसे बाएं अंक को मु यांक कहते
ह और इकाई यु भाग को वजांक कहते ह। मु यांक
संशो धत भाजक होता है।
2. इस व ध म भाग सं या के नधा रत ान को तीन
खंड म वभा जत करते ह। थम खंड म भाजक के दो
भाग लखते ह - संशो धत भाजक अथात् मु यांक को
नीचे अथात् आधार ान पर तथा वजांक को उसके
ऊपर अथात् घात अंक के ान पर।
3. वजांक म जतने अंक ह, भा य के उतने ही अं तम
अंक ( इकाई से लेकर ) तीसरे खंड म तथा भा य के
शेष अंक म य खंड म लखते ह।
4. मु यांक ारा ही भाग क मु य या पूरी होती है।

49
वजांक भा य भा य के वजांक
मु यांक जतने अंक
भागफल शेषफल

उदाहरण - 1 4922 ÷ 23 का मान ात क जए।


भाजक 23 के दो भाग, मु यांक = 2 , वजांक = 3

3 4 9 2 2
2 0 1 1
2 1 4 0

भागफल = 214
शेषफल = 0

50
संकेत :—
भाजक 23 के दो भाग - मु यांक = 2 और वजांक = 3, इसे
(I)
थम खंड म लखते ह।
(II) वजांक म एक ही अंक है इस लए 4922 का एक अं तम अंक
2 तृतीय खंड म लखगे। म य खंड म भा य का शेष भाग 492
लखगे।
(III) 4 ÷ 2 = 2 लखा ै तज रेखा के नीचे और शेषफल = 0 लखा
9 के नीचे तरछा।
(IV) नया भा य = 09 परंतु हम संशो धत भा य ात करगे।
संशो धत भा य = 09–(3×2) = 9 – 6 = 3 होगा।
(V) 3 ÷ 2 = 1 लखा ै तज रेखा के नीचे और शेषफल = 1 लखा
2 के नीचे तरछा।
(VI) नया भा य = 12, संशो धत भा य = 12–(3×1) = 12 – 3 =
9 होगा।

51

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