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सगुण भक्ति और निर्गुण भक्ति, दोनों ही भक्ति धाराएँ भगवान की प्राप्ति के लिए अपनायी जाती हैं,

लेकिन इनमें अंतर है। सगुण भक्ति में भक्त भगवान को सगुण रूप में पूजता है, जबकि निर्गुण
भक्ति में भक्त भगवान को निर्गुण रूप में पूजता है, अर्थात भगवान को गुणों से परे मानता है। यहां
कु छ इस परंपरा के प्रमुख कवियों का परिचय है:

सगुण भक्ति के कवि:

1. सूरदास:
o प्रसिद्ध पद: "मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई।"
o स्मरण: सूरदास के पदों में भगवान कृ ष्ण के साथ गोपियों की प्रेम भावना का
सुंदर वर्णन है।
2. मीराबाई:
o प्रसिद्ध पद: "मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई।"
o स्मरण: मीराबाई की कविताएँ भगवान कृ ष्ण के प्रति अद्वितीय प्रेम को व्यक्त
करती हैं।
3. तुलसीदास:
o प्रसिद्ध पद: "राम नाम तिहारो आरती, सब जग जानि त्रास।"
o स्मरण: तुलसीदास ने रामचरितमानस के माध्यम से भगवान राम की महिमा
को व्यक्त किया।

निर्गुण भक्ति के कवि:

1. कबीरदास:
o प्रसिद्ध दोहा: "कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर। ना काहू से दोस्ती, ना
काहू से बैर।"
o स्मरण: कबीरदास की कविताएँ निर्गुण ब्रह्म की अद्वितीयता और मानवता के
लिए प्रेम को व्यक्त करती हैं।
2. गोस्वामी तुलसीदास:
o प्रसिद्ध दोहा: "साधु संत कहावत सुनिये, लोक भये उद्धार।"
o स्मरण: तुलसीदास ने निर्गुण ब्रह्म की महिमा को उनकी कविताओं के माध्यम
से प्रस्तुत किया।
3. संत कबीर:
o प्रसिद्ध दोहा: "जो तो चाहे सो करे, जो मर्महि वही उतरे।"
o स्मरण: संत कबीर की कविताएँ मानवता, धर्म, और ईश्वर के प्रति अपने
अनुष्ठान के माध्यम से ज्ञान और प्रेम का संदेश देती हैं।
अरुणाचल प्रदेश एक अत्यंत सुंदर और विविधतापूर्ण प्राकृ तिक सौंदर्य से भरा हुआ है। यहां की
संस्कृ ति, परंपराएँ, और लोक संस्कृ ति उसकी विशेषता हैं। यहां के निवासियों की परंपरागत पोशाक,
व्यवसाय, दर्शनीय स्थल, जलवायु, और उनकी विशेष वेशभूषा इस रंगीनता और सच्चाई को और भी
आकर्षक बनाती है

 परंपरागत पोशाक:
o महिलाएं पर्ण से बनी लंगोतियाँ और रिहाया पहनती हैं, जो उनकी स्थानीय
पहचान को दर्शाती है।
o पुरुष धोती-कु र्ता या लंगोती-कु र्ता पहनते हैं, जो उनकी परंपरागतता का प्रतीक
है।
 व्यवसाय:
o कृ षि, खेती, और पशुपालन प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में से हैं।
o लकड़ी कारोबार भी लोकप्रिय है, जिससे लोग रोजगार के स्रोत के रूप में इसे
अपनाते हैं।
 दर्शनीय स्थल:
o तावांग मोनास्टेरी, गोंगेस्वर वाटरफॉल, और जियोर्ज नेहरू म्यूजियम जैसे स्थल
पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
o ये स्थल प्राकृ तिक सौंदर्य और स्थानीय ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ
धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
 जलवायु:
o अरुणाचल प्रदेश का मौसम विभिन्न बारिशील, सुखद, और ठंडा होता है, जो इसे
एक अत्यधिक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाता है।
o प्राकृ तिक सौंदर्य और शांति का अनुभव करने के लिए अरुणाचल प्रदेश एक
आदर्श स्थल है।
 वेशभूषा:
o स्थानीय निवासियों की परंपरागत पोशाक उनकी भौगोलिक और सांस्कृ तिक
पहचान को दर्शाती है।
o विविध और रंगीन वस्त्र व्यक्तिगत स्वाद और स्थानीय पहचान का प्रतीक है।

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