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समान्य अध्ययन 2
समान्य अध्ययन 2
समान्य अध्ययन 2
0 भारतीय राजव्यवस्था
1
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
तिषय िूची
1. ऐतिहातिक पृष्ठभूति ..........................................................................................................................................9
भारिीय िंतिधान का तिकाि: प्रिुख अतधतनयि ं और िुधार ं के िाध्यि िे प्रतिया की शुरुआि................................................ 9
भारि की िंतिधान िभा .................................................................................................................................................. 12
िंतिधान का अतधतनयिन एिं प्रिितन ................................................................................................................................ 12
भारिीय िंतिधान का व्यापक अिल कन ........................................................................................................................... 12
भारिीय िंतिधान की आल चना ....................................................................................................................................... 13
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
11. िंिद और राज्य तिधानिंडल - िंरचना, प्रतिया और कायत िंचालन तनयि, शद्धियां एिं तिशेषातधकार, िथा इनिे
िंबंतधि अन्य तिषय ..................................................................................................................................... 65
िंिैधातनक उपबंध: िंिद ................................................................................................................................................ 65
िंिैधातनक उपबंध: राज्य तिधानिंडल .............................................................................................................................. 65
िंिदीय शािन व्यिस्था की तिशेषिाएाँ एिं उिे अपनाने के कारर् ....................................................................................... 65
िंिदीय बनाि अध्यक्षीय प्रर्ाली ...................................................................................................................................... 66
िंिद के कायत ................................................................................................................................................................. 66
भारिीय तिधातयका िे िंबंतधि िुद्दे ................................................................................................................................... 66
िंिदीय िुधार ं पर िुझाि ............................................................................................................................................... 66
उपाध्यक्ष ........................................................................................................................................................................ 67
िंिद की भागीदारी ........................................................................................................................................................ 68
राज्य िभा की घटिी भागीदारी ........................................................................................................................................ 69
िंिदीय तिशेषातधकार .................................................................................................................................................... 70
तिपक्ष की भूतिका ........................................................................................................................................................... 71
तिधातयका के अंग के रूप िें राष्टरपति और राज्यपाल की भूतिका .......................................................................................... 72
िंिद की िािातजक-आतथतक रूपरे खा ............................................................................................................................. 73
राजनीति िें ितहलाओं की कि भागीदारी .......................................................................................................................... 74
तिगि वर्षों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ....................................................................................................................................... 75
दल-बदल तिर धी कानून ................................................................................................................................................. 76
ववगत वर्षों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा): ...................................................................................................................................... 78
पीठािीन अतधकारी की भूतिका ....................................................................................................................................... 78
राजद्र ह ......................................................................................................................................................................... 80
िंिदीय िंिीक्षा .............................................................................................................................................................. 82
राज्य तिधानिंडल और उििे िंबंतधि िुद्दे ......................................................................................................................... 84
16. राष्ट्रीय अनुसूवित जावत आयोग(एनसीएससी), राष्ट्रीय अनुसूवित जनजावत आयोग(एनसीएसटी ) एवं राष्ट्रीय वपछडा
वगा आयोग(एनसीबीसी) ............................................................................................................................ 129
एनिीएििी /एनिीएिटी /एनिीबीिी के िािान्य कायत .................................................................................................. 129
एनिीएिटी के तितशष्ट कायत: .......................................................................................................................................... 129
एनिीएििी और एनिीएिटी का प्रदशतन िूल्ांकन: ........................................................................................................ 130
17. संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी ) एवं राज्य लोक सेवा आयोग(एसपीएससी) ............................................... 132
िंिैधातनक प्रािधान ...................................................................................................................................................... 132
यूपीएििी बनाि एिपीएििी........................................................................................................................................ 132
आय ग की स्विंत्रिा ...................................................................................................................................................... 132
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
31. दबाि ििूह एं व औपचाररक/अनौपचाररक िंघ और राजनीति िें उनकी भूतिका ............................................ 186
दबाि ििूह ं की िूल तिशेषिाएं : ..................................................................................................................................... 186
दबाि ििूह ं के प्रकार: .................................................................................................................................................. 186
दबाि ििूह केिरीके: .................................................................................................................................................... 187
दबाि ििूह ं की भूतिका और लाभ: ................................................................................................................................ 187
दबाि ििूह ं के िुद्दे और उनके िहत्वपूर्त िूल्ांकन: ......................................................................................................... 188
भारि िें गैर िरकारी िंगठन ं का तितनयिन:................................................................................................................... 188
ववगत वर्षों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा): .................................................................................................................................... 189
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1. ऐतिहातिक पृ ष्ठ भू त ि
भारतीय संविधान 26 जनिरी,1950 को अपनाया गया, यह भारत के एक औपवनिेविक क्षेत्र से संप्रभु गणराज्य बनने के स्थायी विजयी का प्रतीक
है । यह एक जीिंत दस्तािेज़ है , जो दु वनया के दू सरे सबसे अवधक आबादी िाले दे ि की लोकतांवत्रक काययप्रणाली को िावसत करता है तथा साथ
ही एक समािेिी दृविकोण को व्यक्त करता है । यह दे ि में मौजूद व्यापक विविधता को एक सामान्य उद्दे श्य की ओर अग्रसर करता है ।
िंतिधान की आधारभू ि तिशेषिाएं
• तितिधिा का ििािेश
o भारतीय संविधान भारत की बहुआयामी विविधता का एक जीिंत आधार है ।
o भाषाओं, धमों, परं पराओं और संस्कृवतयों की अद् भुत विविधता के बािजूद, इसने रािर को एक साथ बां धने िाली एक एकीकृत िक्तक्त
के रूप में कायय वकया है ।
• अतधकार ं और स्विं त्रिा की रक्षा
o भारतीय संविधान के प्रमुख वसद्ांतों में से एक यह है वक यह नागररकों के अवधकारों को सुरक्षा प्रदान करता है ।
o यह मौवलक अवधकारों की गारं टी दे ता है तथा यह वकसी भी सरकार की िक्तक्त अथिा कायाय िली को अवधक महत्व वदए वबना सभी
के वलए स्वतंत्रता, न्याय एिं वनष्पक्षता की रक्षा के संदभय में स्पि सीमाएँ वनधाय ररत करता है ।
• िंतिधान का िूल
o भारतीय संविधान, हालां वक उत्तर-औपवनिेविक समय की रचना है , लेवकन उद्भि की प्रविया विवटि औपवनिेविक िासन काल में
ही िुरू हो गई थी।
o इस दौरान हुए विधायी विकास ने व्यापक दस्तािेज़ के वलए आधार तैयार वकया, जो बाद में भारतीय संविधान बना।
• ल किांतत्रक अतधकार ं की उत्पतत्त
o िाितभौतिक िुरक्षा: भारतीय संविधान गैर-भारतीय नागररकों सवहत सभी मनुष्ों को लोकतां वत्रक अवधकार प्रदान करता है ।
o ल किांतत्रक तिकाि: औपवनिेविक काल के दौरान िुरू की गई लोकतां वत्रक संस्थाओं और मूल्ों ने भारतीय रािरीय आं दोलन द्वारा
समवथयत लोकतां वत्रक िासन के वसद्ां तों की नीिं रखी।
भारिीय िं त िधान का तिकाि: प्रिु ख अतधतनयि ं और िु धार ं के िाध्यि िे प्रतिया की शु रु आि
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िहत्व: अवधवनयम ने भारत के विवटि अवधकृत क्षेत्रों में एक केंद्रीकृत सरकार की स्थापना की वदिा में महत्त्वपूणय भूवमका वनभाई।
1853 का चाटत र अतधतनयि
• शद्धिय ं का पृथक्करर्: इसने गिनयर-जनरल की पररषद के विधायी और प्रिासवनक कायों को अलग कर वदया।
• तितिल िेिा के तलए खुली प्रतिय तगिा: इसने वसविल सेिकों की भती एिं चयन हे तु खुली प्रवतयोवगता का िुभारं भ वकया।
• स्थानीय प्रतितनतधत्व: इसने प्रथम बार भारतीय केंद्रीय विधान पररषद में स्थानीय प्रवतवनवधत्व प्रारं भ वकया।
• िहत्व
o विधावयका को पहली बार सरकार के एक वििेष कायय के रूप में जाना गया, वजसके वलए वििेष मिीनरी एिं प्रविया की आिश्यकता
होती थी।
o वसविल सेिा भारतीयों के वलए खोल दी गई, वजसके पररणामस्वरूप 1854 में मैकाले सवमवत की स्थापना हुई।
भारि िरकार अतधतनयि 1858
• कंपनी के शािन का अंि: इसने ईस्ट इं वडया कंपनी के िासन को समाप्त कर वदया, तथा गिनयरी, क्षेत्रों एिं राजस्व संबंधी िक्तक्तयों को
विवटि ताज को हस्तां तररत कर वदया।
• भारि के राज्य ितचि: ताज के नाम पर भारत पर िासन करने के वलए, एक नए पद, भारत के राज्य सवचि, का सृजन वकया गया।
• भारि का िायिराय: इस अवधवनयम ने गिनयर-जनरल के पदनाम को बदलकर भारत का िायसराय कर वदया।
• भारिीय पररषद: भारत सवचि की सहायता के वलए 15 सदस्यीय पररषद का गठन वकया गया।
• िहत्व: यद्यवप इस अवधवनयम के माध्यम से कंपनी से ताज को सत्ता का औपचाररक हस्तां तरण वकया गया था, लेवकन इसने 1857 के विद्रोह
से पहले की भारतीय प्रिासवनक व्यिस्था में कोई वििेष बदलाि नही ं वकया।
1858 के बाद का तिकाि
• राजनीतिक चेिना का तिकाि: 1857 के विद्रोह से भारतीयों में राजनीवतक चेतना का प्रसार हुआ तथा प्रिासन में भारतीयों के अवधक
प्रवतवनवधत्व की मां ग वदन - प्रवतवदन बढ़ती गई।
• िहय ग की नीति: बेहतर प्रिासन के वलए भारतीयों का सहयोग सुवनवित करने और 1857 के विद्रोह जैसी क्तस्थवतयों से बचने के वलए
1861, 1892 और 1909 में विवटि संसद द्वारा तीन अवधवनयम बनाए गए थे। ये अवधवनयम भारतीय संविधान के विकास की वदिा में एक
महत्वपूणय कदम थे।
भारिीय पररषद अतधतनयि, 1861
• भारिीय ं का नािांकन: िायसराय कुछ भारतीयों को अपनी विस्ताररत पररषद में गैर-सरकारी सदस्यों के रूप में नामां वकत कर सकता
था।
• तिधायी शद्धिय ं की बहाली: इस अवधवनयम ने बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडें वसयों को विधायी िक्तक्तयां पुनः दे कर विकेंद्रीकरण की प्रविया
िुरू की।
• अध्यादे श जारी करना: आपातकाल के दौरान िायसराय को विधान पररषद की सहमवत के वबना अध्यादे ि जारी करने का अवधकार वदया
गया।
• प टत फ तलय प्रर्ाली: 1859 में लॉडय कैवनंग द्वारा िुरू की गई 'पोटय फोवलयो' प्रणाली को इस अवधवनयम के माध्यम से आवधकाररक मान्यता
प्राप्त हुई।
• िहत्व
o इस अवधवनयम ने विधायी प्रविया में भारतीयों को िावमल करके प्रवतवनवध संस्थानों की स्थापना की िुरुआत की।
o विधायी विकास की नीवत के कारण अंततः 1937 में प्रां तों को लगभग पूणय आं तररक स्वायत्तता प्राप्त हुई।
भारिीय पररषद् अतधतनयि, 1892
• िदस्यिा िें िृद्धद्: इसके माध्यम से केंद्रीय और प्रां तीय विधान पररषदों में अवतररक्त (गैर-सरकारी) सदस्यों की संख्या बढाई गई।
• बजट पर बहि: विधान पररषदों को बजट पर बहस करने की िक्तक्त दी गई।
• अप्रत्यक्ष चुनाि: यद्यवप 'चुनाि' िब्द का स्पि रूप से उपयोग नही ं वकया गया था, वफर भी अवधवनयम ने कुछ गैर-सरकारी सीटों को
अप्रत्यक्ष चु नािों के माध्यम से भरने का मागय प्रिस्त वकया।
• िहत्व: अवधवनयम ने केंद्रीय और प्रां तीय विधान पररषदों में कुछ गैर-सरकारी सीटों को चुनाि के माध्यम से भरने का सीवमत प्रािधान
वकया।
भारिीय पररषद अतधतनयि, 1909/िॉले-तिंट िुधार
• पररषद के आकार िें िृद्धद्: इसने केंद्रीय और प्रां तीय विधान पररषदों के आकार में िृक्तद् की।
• भारिीय ं का ििािेश: इसमें पहली बार वकसी भारतीय को िायसराय और गिनयर की काययपररषद के साथ एसोवसएिन बनाने का प्रािधान
वकया गया।
• पृथक तनिातचन क्षेत्र: अवधवनयम ने 'पृथक वनिाय चन ' के आधार पर मुसलमानों के वलए सां प्रदावयक प्रवतवनवधत्व का प्रािधान वकया।
• िहत्व:
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o इस अवधवनयम से भारतीय राजनीवत में सां प्रदावयक प्रवतवनवधत्व की अिधारणा की िुरुआत हुई।
o पहली बार, इसने साां प्रदायिक आधार पर यिभायित प्रयतबांयधत और गैर -प्रयतयनयधत्व िाले मतदाताओां के माध्यम से केंद्रीि और प्राां तीि
स्तरोां पर शासन में भारतीिोां को शायमल यकिा।
भारि शािन अतधतनयि, 1919/ मोंटेग्यू-चेम्सफ डत िुधार
• कायतकारी पररषद िें भारिीय िदस्य: इसके अनुसार िायसराय की काययकारी पररषद के छः सदस्यों में से तीन सदस्यों का भारतीय होना
आिश्यक था।
• तद्विदनीय तिधानिंडल: वद्वसदनीय विधानमंडल - विधान सभा ि राज्यों की पररषद की स्थापना की गई।
• तिकेंद्रीकरर्: इस अवधवनयम द्वारा केंद्रीय ि प्रां तीय विषयों की सूची की पहचान कर एिं उन्ें पृथक कर प्रां तों पर केंद्रीय वनयंत्रण कम
कर वदया गया।
• प्रांि ं िें द्वै ध शािन: प्रां तीय स्तर पर द्वै ध िासन लागू वकया गया, वजसमें प्रां तीय विषयों को दो भागों हस्तां तररत और आरवक्षत में विभावजत
वकया गया।
• केंद्रीय ल क िेिा आय ग: इसमें एक लोक सेिा आयोग के गठन का प्रािधान वकया गया, वजससे 1926 में केंद्रीय लोक सेिा आयोग की
स्थापना हुई।
• िहत्व: इस अवधवनयम ने प्रां तों पर केंद्रीय वनयंत्रण को कम कर वदया, जो भारत में संसदीय लोकतंत्र के विकास में एक महत्वपूणय कदम
था।
िाइिन किीशन
• िंिदीय उत्तरदातयत्व की अस्वीकृति: आयोग ने केंद्र में संसदीय उत्तरदावयत्व के विचार को अस्वीकार कर वदया।
• प्रांि ं िें प्रतितनतध िरकार: आयोग ने प्रां तों में एक प्रवतवनवध सरकार की स्थापना का प्रस्ताि रखा।
• पृथक िांप्रदातयक तनिातचन क्षे त्र: इसने वसफाररि की वक अलग सां प्रदावयक वनिाय चन व्यिस्था को बनाए रखा जाए।
• िंघीय िरकार की आिश्यकिा: आयोग ने दे ि की विविधता को ध्यान में रखते हुए अपनी वसफाररि में कहा वक भारत सरकार को
अंवतम रूप से संघीय स्वरूप का होना चावहए।
• प्रतितिया: साइमन कमीिन को कई राजनीवतक दलों के भारी विरोध का सामना करना पडा, जो भारतीयों के बीच बढ़ती राजनीवतक
जागरूकता और िासन में अवधक प्रवतवनवधत्व की बढ़ती मां ग को प्रदवियत करता है ।
नेहरू ररप टत
• सन 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में गवठत सवमवत द्वारा नेहरू ररपोटय , प्रस्तुत की गई, जो भारतीयों द्वारा भारत के वलए एक पूणय
संविधान बनाने का पहला गंभीर प्रयास था।
• इस ररपोटय ने पूणय राजनीवतक स्वतंत्रता की मां ग का आधार तैयार वकया।
• नेहरू ररप टत की िुख्य तिशेषिाएं :
o ड तितनयन स्टे टि की िांग: ररपोटय में विवटि साम्राज्य के भीतर भारत के वलए डोवमवनयन स्टे टस की मां ग की गई, जैसा वक
ऑस्टर े वलया और कनाडा को प्राप्त था।
o उत्तरदायी िरकार: ररपोटय में केंद्र और प्रां तों में एक उत्तरदायी सरकार की मां ग की गई।
o िाितभौतिक ियस्क ििातधकार: ररपोटय ने सभी ियस्कों के वलए मतदान के अवधकार के विचार का समथयन वकया।
o िौतलक अतधकार ं की िूची: ररपोटय में नागररक ि अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता की गारं टी दे ने िाले मौवलक अवधकारों की एक सूची भी
प्रस्तावित की गई।
भारि शािन अतधतनयि 1935
• भारत िासन अवधवनयम 1935 भारत में संिैधावनक तंत्र स्थावपत करने की वदिा में एक महत्वपूणय कदम था।
• अतधतनयि की िुख्य तिशेषिाएं
o अद्धखल भारिीय िंघ: अवधवनयम में विवटि भारत ि ररयासतों को वमलाकर एक संघ बनाने का प्रस्ताि रखा गया।
o तद्विदनीय व्यिस्था: अवधवनयम में वद्वसदनीय संघीय विधावयका का प्रस्ताि रखा गया।
o उत्तरदायी िरकार: इस अवधवनयम ने प्रां तों में उत्तरदायी सरकारों की िुरुआत की, जो विकेंद्रीकरण की वदिा में एक महत्वपूणय
कदम था।
o िंघीय न्यायालय: अवधवनयम में मूल और अपीलीय क्षेत्रावधकार दोनों के साथ एक संघीय न्यायालय की स्थापना का प्रािधान वकया
गया।
o ल क िेिा आय ग: अवधवनयम ने एक संघीय लोक सेिा आयोग तथा प्रां तों में लोक सेिा आयोग की स्थापना की।
• अतधतनयि का िहत्व: यह अवधवनयम भारत के िासन के वलए विवटि संसद द्वारा अवधवनयवमत सबसे विस्तृत कानून था। कुछ सीमाओं
के बािजूद, यह भारत में एक पूणय उत्तरदायी सरकार की वदिा में एक मील का पत्थर सावबत हुआ तथा इससे भारतीयों को िासन का
व्यािहाररक अनुभि भी प्राप्त हुआ।
भारिीय स्विंत्रिा अतधतनयि 1947
• भारतीय स्वतंत्रता अवधवनयम 1947 द्वारा भारत से विवटि िासन समाप्त कर भारत ि पावकस्तान को स्वतंत्र घोवषत वकया गया।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िौतलक अतधकार
o भारतीय संविधान द्वारा गारं टीकृत मौवलक अवधकार नागररकों के जीिन, स्वतंत्रता और संपवत्त की आधारविला के रूप में कायय करते
हैं ।
• राज्य के नीति तनदे शक तिद्ां ि
o राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त (DPSPs), सामावजक एिं आवथयक लोकतंत्र सुवनवित करने के वलए सरकार का मागयदियन करते हैं,
जो भारतीय संविधान की एक अनूठी वििेषता है ।
• िौतलक कितव्य
o 42िें संिोधन अवधवनयम 1976 द्वारा स्थावपत, कतयव्य नागररकों को यह याद वदलाते है वक उन्ें समाज ,दे ि ि अन्य नागररकों के प्रवत
कुछ वजम्मेदाररयों का वनिाय ह भी करना हैं ।
• एकात्मकिा की ओर झुकाि के िाथ िंघीय व्यिस्था
o भारतीय संविधान सरकार की संघीय प्रणाली की व्यिस्था करता है , लेवकन यह एक अवद्वतीय संतुलन के साथ एकात्मक वििेषता भी
बनाए रखता है ।
• िाितभौतिक ियस्क ििातधकार
o भारतीय संविधान साियभौवमक ियस्क मतावधकार की गारं टी दे ता है , वजससे 18 िषय से अवधक आयु के प्रत्येक नागररक को मत दे ने
का अवधकार वमलता है ।
• एकल नागररकिा
o अपनी संघीय प्रकृवत के बािजूद, भारतीय संविधान एकल नागररकता - (भारतीि नागररकता) - का प्रािधान करता है ।
• आपािकालीन प्रािधान
o संविधान, रािरीय, राज्य और वित्तीय तीन प्रकार की आपातकालीन पररक्तस्थवतयों का उपबंध करता है , जो रािरपवत को असाधारण
पररक्तस्थवतयों से वनपटने में सक्षम बनाता है ।
• धिततनरपे क्ष राज्य
o भारतीय संविधान एक धमयवनरपेक्ष राज्य की स्थापना पर बल दे ता है , वजसमें वकसी विविि धमय को राज्य धमय के रूप में मान्यता नही ं
दी जा सकती है ।
भारिीय िं त िधान की आल चना
• उधार का िंतिधान:
o आल चना: आलोचक प्रािः भारतीय संविधान को 'उधार वलया हुआ संविधान' या 'उधार का थैला' करार दे ते हैं , उनके अनुसार, इसमें
मौवलकता का अभाि है ।
o प्रतििाद: विवभन्न विश्व संविधानों से कुछ अिधारणाओं और प्रािधानों को ग्रहण करने के बािजूद, वनमाय ताओं ने समझदारी से इन्ें
भारत की पररक्तस्थवतयों और आिश्यकताओं के अनुसार अनुकूवलत वकया। जैसा वक डॉ. बी.आर अंबेडकर ने ठीक ही कहा था,
आलोचना संविधान की अपयाय प्त समझ पर आधाररत है ।
• 1935 के अतधतनयि की काबत न कॉपी:
आल चना: विवटि संिैधावनक वििेषज्ञ सर आइिर जेवनंग्स ने दािा वकया वक भारतीय संविधान काफी हद तक भारत सरकार अवधवनयम, 1935
से वलया गया है , वजसमें से कुछ प्रािधान पूणय रूप से कॉपी वकए गए हैं ।
o प्रतििाद: डॉ. बीआर अंबेडकर ने यह स्पि करते हुए इसका खंडन वकया वक उधार वलए गए प्रािधान मुख्य रूप से प्रिासवनक
वििरण से संबंवधत है । संविधान अभी भी एक स्वतंत्र भारत के दृविकोण को समावहत करता है , वजसमें मौवलक अवधकार, राज्य नीवत
के वनदे िक वसद्ां त ि अन्य वििेषताएं 1935 के अवधवनयम से अलग हैं ।
• अत्यतधक लंबा ि तिस्तृि:
o आल चना: आलोचकों का तकय है वक भारतीय संविधान अत्यवधक लंबा ि विस्तृत है , जो इसे बोवझल बनाता है ।
o प्रतििाद: व्यापक वििरण जानबूझकर वदया गया है , जो संविधान को एक व्यापक दस्तािेज़ बनाता है । व्यापक वििरण िासन के हर
पहलू पर विस्तार से चचाय करता है , वजससे अस्पिता कम होती है । लंबाई संविधान की समग्रता और संपूणयता का प्रमाण है ।
• िकील ं का स्वगत:
o आल चना: संविधान में प्रयुक्त कानूनी भाषा को जवटल करार वदया गया है , वजसके कारण सर आइिर जेवनंग्स ने इसे "िकीलों का
स्वगय" कहा है ।
o प्रतििाद: संभावित गलत व्याख्याओं और दु रुपयोग से बचने के वलए कानू नी सटीकता आिश्यक थी। इसका अथय यह है वक यह लोगोां
का दस्तािेज़ होने के साथ - साथ एक ऐसा दस्तािेज भी है , जो अदालत में भी जीिंत रह सके।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
हाल ही के तिकाि
• 104 िां िंिैधातनक िं श धन अतधतनयि, 2020 , लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूवचत जावत तथा अनुसूवचत
जनजावत के वलए सीटों के आरक्षण का विस्तार करता है , जो एक महत्वपूणय विकास था।
• 103 िां िंिैधातनक िं श धन अतधतनयि, 2019 , नागररकों के आवथयक रूप से कमजोर िगों (ईडब्ल्यू एस) को अवधकतम 10%
आरक्षण प्रदान करता है ।
• 2019 में जम्मू-कश्मीर को वििेष दजाय दे ने िाले अनुच्छेद 370 के उन्मू लन से एक बडा संिैधावनक पररितयन हुआ।
• नागररकता संिोधन अवधवनयम, 2019 पर बहस और वििादों ने कानूनों और नीवतयों की संिैधावनकता पर सिाल उठाए हैं ।
• 2020 के कृवष कानून विधेयकों के कायाय न्वयन और उसके बाद के विरोध प्रदियनों ने संघिाद, राज्य और केंद्र की भूवमका और सहकारी
संघिाद के महत्व पर चचाय की।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• सिोच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने फैसले की समीक्षा के वलए दायर केंद्र की यावचका वक नौकररयों और विक्षा में कोटा दे ने के वलए
सामावजक और िैवक्षक रूप से वपछडे िगों (एसईबीसी) की पहचान वििेष रूप से केंद्र सरकार करे गी, न वक राज्यों की सरकार, को
खाररज कर वदया।
• इसके जिाब में, केंद्र सामावजक और िैवक्षक रूप से वपछडे िगों (एसईबीसी) की पहचान करने और उन्ें वनवदय ि करने के राज्य सरकारों
के अवधकार को बहाल करने के वलए एक संिैधावनक संिोधन पर विचार कर रहा है ।
• संविधान (104िां संिोधन) अवधवनयम, 2020 ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूवचत जावत और अनुसूवचत जनजावत के
वलए सीटों के आरक्षण को तो बढ़ा वदया, लेवकन एं ग्लो-इं वडयन के वलए आरक्षण नही ं बढ़ाया गया।
िं ि ै ध ातनक िं श धन की प्रतिया
• तिधेयक का पररचय: संसद के वकसी भी सदन में (राज्य विधानसभाओं में नही)ं एक विधेयक पुनः स्थावपत करके संिोधन की प्रविया
िुरू की जा सकती है । विधेयक को रािरपवत की पूिय अनुमवत के वबना वकसी मंत्री या गैर-सरकारी सदस्य द्वारा पुनः स्थावपत वकया जा
सकता है ।
• तिधेयक पाररि करना: विधेयक को प्रत्येक सदन में वििेष बहुमत (कुल सदस्यता का बहुमत और उपक्तस्थत ि मतदान करने िाले सदस्यों
का दो-वतहाई बहुमत) द्वारा पाररत वकया जाना चावहए। असहमवत की क्तस्थवत में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का कोई प्रािधान नहीं है ।
• राज्य तिधानिंडल ं द्वारा अनुििथतन: यवद विधेयक संविधान की संघीय व्यिस्था के संिोधन के मुद्दे पर हो तो इसे आधे राज्यों के
विधानमंडलों से भी सामान्य बहुमत से पाररत होना चावहए।
• राष्टरपति की िहिति: एक बार दोनों सदनों द्वारा पाररत होने और आिश्यक राज्य विधानमंडलों द्वारा अनुमोवदत होने के बाद, विधेयक
रािरपवत की सहमवत हे तु भेजा जाता है , उन्ें अपनी सहमवत दे नी होती है । रािरपवत सहमवत के वलए मना नही ं सकते और न ही विधेयक को
पुनवियचार हे तु लौटा सकते हैं । रािरपवत की सहमवत के बाद, विधेयक एक अवधवनयम बन जाता है , और संविधान संिोधन की प्रविया पूणय
हो जाती है ।
िं श धन के प्रकार
• िंिद के िाधारर् बहुिि द्वारा िंश धन: इसमें नए राज्यों के प्रिेि या स्थापना, मौजूदा राज्यों की सीमाओं में पररितयन, राज्यों में विधान
पररषदों के गठन या उन्मू लन आवद से संबंवधत संिोधन िावमल हैं ।
• िंिद के तिशेष बहुिि द्वारा िंश धन (अनुच्छेद 368 के िहि): इसमें
मौवलक अवधकारों, राज्य नीवत के वनदे िक वसद्ां तों तथा िे सभी उपबंध, जो
प्रथम और तृतीय श्ेवणयों से संबद् नही ं हैं , से संबंवधत संिोधन िावमल हैं ।
• िंिद के तिशेष बहुिि एिं राज्य तिधानिंडल ं की स्वीकृति द्वारा
िंश धन (अनुच्छेद 368 के िहि): इसमें रािरपवत का वनिाय चन, केंद्र और
राज्य काययकाररणी िक्तक्तयों का विस्तार, सिोच्च न्यायालय और उच्च
न्यायालयों, केंद्र और राज्यों के बीच विधायी िक्तक्तयों का विभाजन, संसद में
राज्यों का प्रवतवनवधत्व, संविधान का संिोधन करने की संसद की िक्तक्त और
इसके वलए प्रविया से संबंवधत संिोधन िावमल हैं ।
अनौपचाररक िं श धन
• न्यातयक तनर्तय: केििानंद भारती मामला (1973), वमनिाय वमल्स मामला (1980), और बेरुबारी मामला (1960) जैसे ऐवतहावसक मामलों
के कारण संविधान में महत्वपूणय बदलाि हुए।
• कन्वें शन: कुछ अवलक्तखत वनयमों को कानून की िक्तक्त के रूप में स्वीकार वकया गया है तथा उन्ोंने अप्रत्यक्ष रूप से संिैधावनक पररितयनों
को प्रभावित वकया है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िं ि ै ध ातनक िं श धन ं की आिश्यकिा
• िािातजक तिकाि:
o सामावजक मूल् और मानदं ड, समय के साथ पररिवतयत होते हैं ।
o उदाहरर् के तलए, 'थडत जेंडर' क िान्यिा ि उनके अवधकारों की सुरक्षा सुवनवित करने के वलए संिैधावनक संिोधन की
आिश्यकता है ।
• िकनीकी प्रगति:
o प्रौद्योवगकी में तेजी से हो रहे बदलािों के वलए संिोधन की आिश्यकता होती है ।
उदाहरण के वलए, इं टरनेट और डे टा ग पनीयिा की तचंिा के इि यु ग िें, प्रासंवगक संिैधावनक सुरक्षा उपायों को स्थावपत करने की
आिश्यकता हो सकती है ।
• िािातजक अनुबंध ं क पूरा करना: उदाहरर् के तलए, 73िां और 74िां िंतिधान िंश धन, महात्मा गां धी द्वारा पररकक्तित 'ग्राम
स्वराज' के सपने को साकार करने के वलए प्रस्तुत वकया गया था।
• प्रतितनतधत्व बढाना: समाज के सभी िगों, जैिे तिधानिभाओं िें अनु िूतचि जाति और अनुिूतचि जनजाति के तलए आरक्षर् का
उवचत प्रवतवनवधत्व सुवनवित करने के वलए संिोधन की आिश्यकता होती है ।
• नीतिय ं क कानूनी ििथत न: नीवतगत पररितयनों के साथ तालमेल स्थावपत करने के वलए एक संिैधावनक संिोधन की आिश्यकता होती
है , जैसे- जीएसटी को लागू करने के वलए।
• िंरचनात्मक ििाय जन: आवथय क समायोजन के वलए मौवलक अवधकारों में संिोधन आिश्यक थे, जैसे- संपवत्त के अवधकार को मूल
अवधकार की श्ेणी से हटाना।
िं ि ै ध ातनक िं श धन की हातनयां
• अत्यतधक िं श धन: बार-बार होने िाले संिोधन संविधान की पवित्रता को नि कर सकते हैं , वजससे यह क्षवणक राजनीवतक बहुमत का
क्तखलौना बन सकता है ।
• शद्धि का स्थानांिरर्: अत्यवधक संिोधनों से संसद एिं न्यायपावलका, केंद्र एिं राज्यों जैसे विवभन्न संस्थानों के बीच िक्तक्त का सं तुलन
बदल सकता है , वजससे अक्तस्थरता पैदा हो सकती है ।
• अस्पष्टिा:
o बार-बार संिोधन से जवटलता और अस्पिता पैदा हो सकती है ।
o उदाहरण के वलए, नौिी ं अनु िूची न्यायपावलका और विधावयका के बीच वििाद का विषय बन गई है ।
• अतधकार ं का अतिििर्: संिोधन से मूल संरचना या मौवलक अवधकारों का उल्लंघन हो सकता है , वजससे संघषय की क्तस्थवत बन सकती
है ।
• बुतनयादी िंरचना क किज र करना: केििानंद भारती मामले में पेि वकया गया 'बुवनयादी या मूल संरचना' वसद्ां त बेतरतीब संिोधनों
के माध्यम से कमजोर हो सकता है ।
िं श धन प्रतिया की आल चना
• स्पष्टिा का अभाि: संविधान में पालन की जाने िाली विविि प्रविया के बारे में अस्पिता है , वजससे विवभन्न व्याख्याएं एि संभावित भ्रम की
क्तस्थवत बन सकती है ।
• केंद्रीकृि शद्धि: आलोचकों का तकय है वक संिोधन की िक्तक्त मुख्य रूप से संसद में केंवद्रत है , वजससे संघीय ढां चे की उपेक्षा होती है ।
• क ई तिशेष तनकाय नही ं: कुछ दे िों के विपरीत, भारत में संिोधन प्रस्तावित करने के वलए संिैधावनक सम्मे लन जैसे वकसी वििेष वनकाय
का प्रािधान नही ं है ।
• जन भागीदारी के तलए िीतिि दायरा: संिोधन प्रविया में जनमत संग्रह या प्रत्यक्ष जन भागीदारी के प्रािधान िावमल नही ं हैं , जो संिोधनों
की लोकतां वत्रक प्रकृवत को बढ़ा सकते हैं ।
आगे की राह
• एक िंयुि िं िदीय ितिति का गठन: प्रस्तावित संिोधनों पर गहन विचार-विमिय और सभी दलों के बीच आम सहमवत बनाना सुवनवित
करना।
• एक अलग ितिति/तनकाय बनाना: इसे संविधान में संिोधनों पर विचार करने के वलए समवपयत वकया जा सकता है , जो बेहतर जां च प्रदान
कर सकता है , वजससे जल्दबाजी में संिोधन से बचा जा सकता है ।
• नागररक ििाज क शातिल करना: प्रमुख संिैधावनक संिोधनों पर जन भािना और राय जानने के वलए साियजवनक परामिय आयोवजत
वकया जा सकता है ।
• िंश धन प्रतिया क पररभातषि करना: स्पि प्रवियात्मक वदिावनदे ि संिोधन प्रािधान के भ्रम और संभावित दु रुपयोग को कम करने
में मदद कर सकते हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• राज्य तिधानिंडल ं क शातिल करना: संिोधन प्रविया में उनकी सविय भागीदारी एक संतुवलत संघीय ढां चे को बनाए रखना सु वनवित
कर सकती है ।
संिैधावनक संिोधन यह सुवनवित करने के वलए एक आिश्यक उपकरण हैं वक हमारा संविधान बदलते समय के साथ प्रासंवगक और अनुकूलनीय
बना रहे , लेवकन यह भी महत्वपूणय है वक हमारे मौवलक कानून की अखंडता और क्तस्थरता को बनाए रखने के वलए उनका उपयोग वििेकपूणय और
संयवमत तरीके से वकया जाए।
िहत्वपू र्त िं श धन
एक िं श धन , तिकाि और बदलिे ििय के िाथ अनुकूलन करने की राष्टर की क्षििा का प्रिीक है।
प्रथि िंतिधान िंश धन, 1951
• कुछ न्यावयक फैसलों, जैसे मद्रास राज्य बनाम चंपकम दोराईराजन और रोमेि थापर बनाम मद्रास राज्य, से उत्पन्न चुनौवतयों का समाधान
करने के वलए अवधवनयवमत, प्रथम संविधान संिोधन ने भारतीय संविधान में महत्त्वपूणय बदलाि वकए।
• िंश धन:
o अनुच्छेद 15: सामावजक और आवथयक रूप से वपछडे िगों का विकास करने हे तु राज्य को सिक्त बनाने के वलए संिोवधत वकया
गया।
o अनुच्छेद 31ए और 31बी: नौिी ं अनुसूची के साथ नए रूप में पेि वकए गए, ये प्रािधान संपवत्त अवधग्रहण से संबंवधत कानूनों के वलए
सुरक्षा उपाय प्रदान करते हैं ।
o अनुच्छेद 19: भाषण एिं अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता पर युक्तक्तयुक्त वनबंधन लागू करने के वलए तीन अवतररक्त आधारों: लोक व्यिस्था,
विदे िी राज्यों के साथ मैत्रीपूणय संबंध, और अपराध उद्दीपन को िावमल करने के वलए संिोधन वकया गया। इसमें यह भी वनधाय ररत
वकया गया वक राज्य द्वारा वकसी व्यापार या व्यिसाय का रािरीयकरण व्यापार या व्यिसाय के अवधकार का उल्लंघन करने के आधार
पर अमान्य नही ं माना जाएगा।
• पहले िंश धन का प्रभाि:
o भाषर् एिं अतभव्यद्धि की स्विंत्रिा पर प्रतिबंध: संिोधन ने लोक व्यिस्था, राज्य सुरक्षा और विदे िी राज्यों के साथ मैत्रीपूणय संबंध
बनाए रखने के वहत में और अवधक कडे वनयंत्रण पेि वकए।
o जाति-आधाररि आरक्षर्: संिोधन ने वपछडे िगों की उन्नवत के वलए सरकारी प्रािधानों पर अनुच्छेद 15 की प्रयोज्यता को सीवमत
करके जावत-आधाररत आरक्षण की सुविधा प्रदान की।
o िंपतत्त अतधकार: इसने संपवत्त के अवधकार को सीवमत कर वदया और राज्य को उवचत मुआिजे की पेिकि के वबना संपवत्त हावसल
करने में सक्षम बनाकर जमीद ं ारी उन्मू लन को िैध बना वदया।
o िंिद और न्यायपातलका के बीच परस्पर तिया: इस संिोधन ने सरकारी नीवतयों और काययिमों में बाधा डालने िाले न्यावयक
वनणययों को दरवकनार करने के वलए संविधान में संिोधन की एक वमसाल कायम की।
o िािातजक न्याय: इसने जमीद ं ारी उन्मू लन और गरीबों के बीच भूवम के पुनवियतरण का समथयन वकया, वजससे कृवष सुधार उपायों की
संिैधावनक िैधता सुवनवित हुई।
o न्यातयक ििीक्षा: नौिी ं अनुसूची के िावमल होने से इस अनुसूची के तहत सूचीबद् कानूनों को न्यावयक जां च से बचाकर न्यावयक
समीक्षा का दायरा सीवमत कर वदया गया।
42िां िंिैधातनक िंश धन, 1976
• सबसे वििादास्पद संिैधावनक संिोधनों में से एक के रूप में जाना जाने िाला 42िां संिोधन आं तररक आपातकाल के दौरान लागू वकया
गया था। वकए गए पररितयनों के पैमाने और महत्व को दे खते हुए, इसे अक्सर 'लघु िंतिधान' के रूप िें िंदतभति तकया जािा है।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
ल किभा और लोकसभा और राज्य विधान सभा चुनािों के इसने जनसंख्या वनयंत्रण उपायों के महत्व को रे खां वकत वकया, जो
तिधानिभा वलए वनिाय चन क्षेत्रों का पररसीमन 2001 की िवमक सरकारों के वलए एक प्रमु ख वचंता का विषय है ।
जनगणना के बाद तक रोक वदया गया था।
रािरपवत को मंवत्रमंडल की सलाह मानने के इसने संसद की िक्तक्त में उल्लेखनीय िृक्तद् की और सरकार के अन्य
िंिद वलए बाध्य वकया गया। संसद को न्यावयक अंगों पर अपनी सिोच्चता कायम की।
समीक्षा के वबना संविधान के वकसी भी भाग
में संिोधन करने की अवनयंवत्रत िक्तक्त दी
गई।
सिोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की इन पररितयनों ने न्यायपावलका की िक्तक्त और अवधकार क्षेत्र को
न्यावयक समीक्षा और ररट क्षेत्रावधकार की कमज़ोर कर वदया, वजससे न्यावयक समीक्षा का दायरा सीवमत हो
िक्तक्तयों में कटौती कर दी गई। वकसी भी गया।
न्यायिंत्र संिैधावनक संिोधन पर वकसी भी अदालत
में सिाल नही ं उठाया जा सकता था। लाभ
का पद क्ा होता है यह वनधाय ररत करने की
अदालतों की िक्तक्त भी रद्द कर दी गई।
पां च विषयों: विक्षा, िन, नाप और तौल , िन इन पररितयनों ने भारत के संघीय ढां चे को चुनौती दे ते हुए राज्य
,िन्यजीि और पवक्षयों का संरक्षण, ि न्याय सरकारों से अवधक िक्तक्तयाँ केंद्र सरकार को हस्तां तररत कर दीं।
िंघिाद प्रिासन को राज्य सूची से समिती सूची में
स्थानां तररत वकया गया। इसने कानून-
व्यिस्था की समस्याओं से वनपटने के वलए
वकसी भी राज्य में केंद्रीय सिस्त्र बलों के
उपयोग को भी अवधकृत वकया।
भारत के क्षेत्र के एक भाग में रािरीय इन संिोधनों से लोकतांवत्रक अवधकारों में कटौती हुई और केंद्र-राज्य
आपातकाल की घोषणा की सुविधा प्रदान संबंधों में तनाि आने की संभािना थी। इससे अनुच्छेद 356 के
आपािकालीन की गई। वकसी राज्य में रािरपवत िासन की दु रुपयोग के प्रवत राज्यों की संिेदनिीलता भी बढ़ गई।
प्रािधान एक बार की अिवध को 6 महीने से बढ़ाकर
एक िषय कर वदया गया।
िंतिधान (86िां िं श धन) राज्य 6 से 14 िषय (एफआर) की आयु के विक्षा को प्रत्येक बच्चे का मौवलक अवधकार माना गया। इसने
अतधतनयि, 2002 सभी बच्चों के वलए वन:िु ल्क एिं विक्षा को समािेिी बनाया तथा प्राथवमक और माध्यवमक
अवनिायय विक्षा प्रदान करे गा। विक्षा में कमजोर िगों के सकल नामां कन अनुपात में िृक्तद्
की।
िंतिधान (101िां िं श धन) 1 जुलाई 2017 से िस्तु एिं से िा कर िस्तु एिं सेिा कर ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए
अतधतनयि, 2017 (जीएसटी) लागू वकया गया। कई करों का स्थान ले वलया। इसने दे ि में एक रािर एक कर
व्यिस्था स्थावपत करने के वलए अप्रत्यक्ष करों के एकीकरण
और सरलीकरण का प्रािधान वकया।
िंतिधान (102िां िं श धन) रािरीय वपछडा िगय आयोग को सामावजक और िैक्षवणक रूप से वपछडे िगों के संबंध में
अतधतनयि, 2018 संिैधावनक दजाय वदया। विकायतों और कल्ाणकारी उपायों की जां च करने के वलए
रािरीय वपछडा िगय आयोग को अवधकार वदया गया।
अनारवक्षत िगय के वलए आरक्षण प्रदान यह अवधवनयम अनुसूवचत जावत, अनुसूवचत जनजावत और
िंतिधान (103िां िं श धन) करने के वलए संविधान में अनु च्छेद 15 एसईबीसी के वलए 50% आरक्षण नीवत के दायरे में नही ं आने
अतधतनयि, 2019 (6) और अनुच्छेद 16 (6) िावमल वकया िाले गरीबों के कल्ाण को बढ़ािा दे ता है । यह सामान्य िगय
गया। के आवथयक रूप से कमजोर िगों (ईडब्ल्यूएस) के वलए
अवधकतम 10% आरक्षण प्रदान करता है ।
जैसा वक डॉ. बाबािाहेब अम्बेडकर ने कहा था , वक भारतीय संविधान एक जीवित दस्तािेज है, और इसे बदलते समय, चुनौवतयों और रािर
की आकां क्षाओं के साथ विकवसत होना चावहए। यवद इसे बदलने की अनुमवत नही ं दी गई तो यह रािर के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता
है । संविधान में प्रदत्त संिोधन प्रविया इसकी वनरं तर प्रासंवगकता सुवनवित करने के वलए एक आिश्यक प्रािधान है ।
पृ थ क्करर्ीयिा का तिद्ां ि और िं ि ै ध ातनक िं श धन
पृथक्करर्ीयिा का तिद्ांि: िहकारी ितितिय ं का िािला और िंिैधातनक िं श धन
• 97िें संविधान संिोधन 2012 ने सहकारी सवमवतयों को चलाने की ितों को रे खांवकत करते हुए भाग IXB को संविधान में िावमल वकया।
• यह संिोधन राज्य विधानसभाओं के अनुसमथयन के वबना पाररत हो गया, यह कारय िाई संविधान द्वारा आिश्यक समझी गई।
• भाग IXB आकार, काययकाल और आिश्यक वििेषज्ञता सवहत सोसायटी की सदस्यता के वलए मानदं ड वनधाय ररत करता है ।
• इसके बािजूद, सिोच्च न्यायालय ने बहु राज्य सहकारी सवमवतयों पर केंद्र के अवधकार क्षेत्र को सही माना।
• न्यायालय ने वनष्कषय वनकाला वक सहकारी सवमवतयाँ राज्य विधानमंडलों की "वििेष विधायी िक्तक्त" के अंतगयत आती हैं ।
• भाग IXB (अनुच्छेद 243ZH - 243ZT), ने राज्य सूची की प्रविवि 32 के तहत सहकारी क्षेत्र पर राज्य विधानसभाओं की वििेष िक्तक्त को
महत्वपूणय रूप से प्रभावित वकया है ।
• न्यायालय ने राज्य के अनुसमथयन के वबना संिोधन पाररत करने को अस्वीकार कर वदया।
• वफर भी, न्यायालय ने अनुसमथय न की कमी के कारण 'बहु-राज्य सहकारी सवमवतयों' से संबंवधत भाग IXB की धाराओं को अमान्य नही ं
वकया।
• न्यायालय ने घोवषत वकया वक संविधान का भाग IXB केिल तभी तक लागू है , जब तक यह बहु-राज्य सहकारी सवमवतयों से संबंवधत है ।
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हाल का प्रिंग
• संविधान के मूल ढां चे के वसद्ां त को रे खां वकत करने िाले 1973 के ऐवतहावसक फैसले के सुप्रीम कोटय में यावचकाकताय केििानंद भारती
का 2020 में वनधन हो गया।
• सिोच्च न्यायालय ने केििानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामलें में फैसला सुनाया वक संविधान की मूल संरचना अनु ल्लंघनीय है तथा
इसे संसद द्वारा संिोवधत नही ं वकया जा सकता है ।
• यह सिोच्च न्यायालय के इवतहास में अब तक की सबसे बडी पीठ थी, वजसमें 13 सदस्य थे।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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o िंिैधातनकिा िुतनतिि करना: फैसले ने इस अिधारणा को मजबूत वकया वक संिोधन की िक्तक्त सवहत संविधान का कोई भी
भाग न्यावयक समीक्षा के दायरे से परे नही ं है । यह कानू नों की संिैधावनकता को बनाए रखता है तथा मनमाने विधायी या काययकारी
कायों के क्तखलाफ सुरक्षा के रूप में कायय करता है ।
o िूल िंरचना का िंरक्षर्: फैसले में यह भी संकेत वदया गया वक कोई भी संिैधावनक संिोधन जो संविधान की मूल संरचना का
उल्लं घन करता है िह अमान्य होगा। इस प्रकार इसने संविधान में सवन्नवहत मूल मूल्ों और वसद्ां तों को संरवक्षत करने के महत्व
को सुदृढ़ वकया।
मूल संरचना वसद्ां त, भारत से वनकली एक निीन न्यावयक अिधारणा, ने भारतीय संविधान के वसद्ांतों को मनमाने संिोधनों से सुरवक्षत रखने में
महत्वपूणय भूवमका वनभाई है । संिैधावनक वसद्ां त में इसके महत्वपू णय योगदान को कई अन्य दे िों द्वारा मान्यता दी गई है और इसे अपनाया भी
गया है , जो इसकी िैवश्वक प्रासंवगकता को वचक्तन्त करता है ।
1. "संविधान में संिोधन करने की संसद की िक्तक्त एक पररसीवमत िक्तक्त है और इसे आत्यंवतक िक्तक्त के रूप में विस्ताररत नही ं वकया जा
सकता है "। इस कथन के आलोक में व्याख्या कीवजए, वक क्ा संसद संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतगयत अपनी संिोधन की िक्तक्त का
वििदीकरण करके संविधान के मूल ढां चे को नि कर सकती है ? (2019)
2. कोवहलों केस में क्ा अवभवनधाय ररत वकया गया था? इस संदभय में, क्ा आप कह सकते हैं वक न्यावयक पुनवियलोकन संविधान के बुवनयादी
अवभलक्षणों में प्रमुख महत्त्व का है ? (2016)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o संविधान के संरक्षक के रूप में न्यायपावलका की भूवमका, वििेष रूप से न्यावयक अवतरे क पर चचाय के दौरान, इस प्रािधान के महत्व
पर प्रकाि डालती है ।
प्रस्तािना
संविधान की प्रस्तािना, इसके मागयदियक वसद्ां तों एिं उद्दे श्यों को वनधाय ररत करती है । यह, भारत के लोगों को संविधान के अवधकार का स्रोत के
रूप में स्थावपत करती है । िेंगावलल कृष्णन कृष्ण मे नन द्वारा तैयार वकया गया यह खंड, भारतीय राज्य की वििेषताओं और संविधान के उद्दे श्यों
को रे खां वकत करता है । इि प्रस्तािना िें िुख्य शब्द इि प्रकार िे हैं:
िंप्रभु
• 'संप्रभु' िब्द, वकसी राज्य के स्वतंत्र अवधकार का प्रतीक है ।
• आं तररक रूप से इसका तात्पयय- वकसी भी विषय पर कानून वनवमय त करने की राज्य की पूणय िक्तक्त से है ।
• बाह्य रूप से यह सुवनवित करता है वक, राज्य वकसी बाहरी िक्तक्त के वनयंत्रण के अधीन नही ं है ।
• वडवजटल संप्रभुता, सोिल मीवडया के युग में संप्रभुता का एक उभरता हुआ आयाम है , जो वक वडवजटल संसाधनों और साइबर सुरक्षा के
िासन पर केंवद्रत है ।
• िैवश्वक अंतरवनभयरता के युग में, भारत की संप्रभुता का अनुकूलन जारी है ।
• साइबर सुरक्षा, डे टा गोपनीयता और सीमा वििाद जैसे मुद्दे, ितयमान विश्व में संप्रभुता बनाए रखने की जवटलता को रे खां वकत करते हैं ।
ििाजिादी
• 'समाजिादी' अपने नागररकों के वलए सामावजक, आवथयक एिं राजनीवतक न्याय प्राप्त करने की, राज्य की प्रवतबद्ता को दिाय ता है ।
• 42िें संिोधन अवधवनयम, 1976 द्वारा, संविधान में िावमल यह एक ऐसी 'वमवश्त अथयव्यिस्था' की किना करता है , जहां साियजवनक एिं
वनजी क्षेत्र सह-अक्तस्तत्व में हों।
• उदारीकरण, वनजीकरण और िैश्वीकरण (LPG) के युग में, समाजिाद की अिधारणा ने नये आयाम ग्रहण वकये हैं ।
• इस उद्दे श्य को आगे बढ़ाने में बाजार की िक्तक्तयों के साथ, साियजवनक कल्ाण को संतुवलत करना एक महत्वपूणय चुनौती है ।
धिततनरपे क्ष
• एक 'धमयवनरपेक्ष' राज्य भारत, वकसी भी धमय को राज्य धमय के रूप में मान्यता नही ं प्रदान करता है ।
• इसके स्थान पर, यह धमयवनरपेक्षता के पविमी मॉडल के विपरीत, जहां राज्य और धमय कोई संबंध साझा नही ं करते हैं , सभी धमों की समान
सुरक्षा को सुवनवित करता है ।
• ितयमान सामावजक-राजनीवतक पररदृश्य में, भारत का धमयवनरपेक्ष ढां चा तीव्रता से जां च के दायरे में है ।
• सां प्रदावयक राजनीवत, घृणा अपराध और धावमयक असवहष्णुता का उदय, भारत के धमयवनरपेक्ष लोकाचार के वलए चुनौवतयां उत्पन्न करता है ।
धिततनरपे क्षिा के प्रति भारिीय िंतिधान के दृतष्टक र् िे, फ्ांि के तलए िीख
• ििािेशी धिततनरपेक्षिा: भारतीय संविधान सभी धमों के प्रवत सम्मान पर आधाररत, धमयवनरपेक्षता को प्रोत्साहन प्रदान करता है । चचय एिं
राज्य को पृथक करने िाली फ्ां सीसी लाईसीटे के विपरीत, भारतीय धमयवनरपेक्षता विवभन्न धमों के सह-अक्तस्तत्व को बनाए रखती है । यह
दृविकोण, फ्ां स के विविधतापूणय समाज में धावमयक सद्भाि को बढ़ािा दे ने में सहायता प्रदान कर सकता है ।
• धातितक स्विंत्रिा: भारतीय संविधान सभी धमों के साथ समान व्यिहार करते हुए, धमय एिं अंतः करण की स्वतंत्रता को बनाये रखता है ।
यह फ्ां स को अपनी धावमयक विविधता को प्रबंवधत करने के वलए, एक मॉडल प्रदान कर सकता है ।
• अंिरधातितक िंिाद: भारत का दृविकोण, विवभन्न धावमयक समुदायों के मध्य संिाद को प्रोत्सावहत करता है तथा समझ एिं सद्भाि को
प्रोत्साहन प्रदान करता है । धावमयक टकराि के मुद्दों को संबोवधत करने हे तु, फ्ां स इस दृविकोण का लाभ उठा सकता है ।
• िंिुतलि दृतष्टक र्: भारतीय संविधान का धमयवनरपेक्ष दृविकोण, व्यक्तक्तयों के अवधकारों को सामावजक सद्भाि की आिश्यकता के साथ
संतुवलत करता है । फ्ां स इस सं तुलन से, धावमयक अवतिाद और सामावजक एकीकरण के साथ अपनी चु नौवतयों का समाधान करने वक
सीख प्राप्त कर सकता है ।
ल किांतत्रक
• 'लोकतां वत्रक' सरकार के ऐसे स्वरूप को दिाय ता है , जो लोगों की इच्छा द्वारा अपने अवधकार प्राप्त करती है ।
• प्रस्तािना में, इसका उपयोग राजनीवतक, आवथयक एिं सामावजक लोकतंत्र को रे खां वकत करने के वलए वकया जाता है ।
• भारत का लोकतंत्र- चु नािी सुधारों, राजनीवत में धन और बाहुबल, राजनीवत के अपराधीकरण एिं सीमां त समुदायों का प्रवतवनवधत्व सुवनवित
करने जैसे मुद्दों के साथ, महत्वपूणय परीक्षणों से गुजर रहा है , जो वक चचाय के ज्वलंत विषय हैं ।
गर्िंत्र
• 'गणतंत्र' का अथय है वक, राज्य का प्रमुख रािरपवत, जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है ।
• यह लोगों में वनवहत राजनीवतक संप्रभुता को उजागर करता है , जो वक राजिाही के विपरीत है , जहां राज्य के प्रमुख को पद विरासत में
प्राप्त होता है ।
24
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• भारत एक गणतंत्र के रूप में, बढ़ती हुई सामावजक-आवथयक असमानताओं के समक्ष अपनी समतािादी प्रवतज्ञा को बनाए रखने के वलए,
संघषयरत है ।
• मौवलक समानता प्राप्त करने का लक्ष्य, एक प्रमु ख मुद्दा बना हुआ है ।
न्याय
• प्रस्तािना में न्याय का तात्पयय- सामावजक, आवथयक एिं राजनीवतक न्याय से है ।
• िािातजक न्याय: सभी के वलए समाज में समान क्तस्थवत सुवनवित करना।
o हातलया िंदभत: मद्रास उच्च न्यायालय के वनदे िों के अनुसार LGBTQIA+ (लेक्तियन, गे, बायसेक्सुअल, टर ां सजें डर, क्वीर/प्रश्न करने
िाला, इं टरसेक्स, अलैंवगक) समुदाय का समािेि तथा स्वीकृवत।
• आतथतक न्याय: संपवत्त का न्यायसंगत वितरण सुवनवित करना।
o हातलया िंदभत: मवहलाओं और अनुसूवचत जावत/अनुसूवचत जनजावत (SC/ST) समुदायों के मध्य उद्यवमता को प्रोत्साहन प्रदान करने
के वलए, स्टैं ड-अप इं वडया योजना, खाद्य सुरक्षा, लैंवगक समानता प्राप्त करने एिं समािेिी औद्योवगकीकरण को बढ़ािा दे ने में आने
िाली चुनौवतयों के कारण, सतत विकास लक्ष्य (SDG) सूचकां क में भारत की रैं वकंग में वगरािट आई है ।
• राजनीतिक न्याय: सभी नागररकों को समान राजनीवतक अवधकार प्रदान करना।
o हातलया िंदभत: अनुच्छेद 21 के अंतगयत गारं टीकृत "न्याय तक पहुं च का अवधकार" में, लाइि अदालती काययिाही तक पहुं च का
अवधकार िावमल है , वजस पर महामारी के दौरान बल वदया गया था।
स्विंत्रिा
• स्वतंत्रता से तात्पयय- विचार, अवभव्यक्तक्त, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता से है ।
• हातलया िंदभत: अनुच्छेद 21 की व्याख्याओं ने व्यक्तक्तगत स्वतंत्रता तथा सामावजक मानदं डों के मध्य संतुलन पर प्रकाि डाला है , वजसमें
वििावहत नाबावलगों और वलि-इन जोडों के अवधकारों के सन्दभय में होने िाला तकय भी िावमल है ।
ििानिा
• समानता का तात्पयय- समाज के वकसी भी िगय के विरुद् कोई भेदभाि या वििेषावधकार सुवनवित करना है ।
• हातलया िंदभत: 2020-21 सतत विकास लक्ष्य (SDG) इं वडया इं डेक्स ने लैंवगक असमानता में खराब प्रदियन का संकेत दे ते हुए बेहतर
उपायों की आिश्यकता की ओर इिारा वकया है । ऑक्सफैम की ररपोटय में बढ़ती हुई आवथयक असमानता पर प्रकाि डाला गया है ।
LGBTQIA+ (लेक्तियन, गे, बायसेक्सुअल, टर ां सजें डर, क्वीर/प्रश्न करने िाला, इं टरसेक्स, अलैंवगक) समुदाय तथा जनजातीय अवधकारों के
वलए कानूनी मान्यता और सुरक्षा, सामावजक समानता में योगदान करती है ।
बंधुत्व
• बंधुत्व, भाईचारे की भािना को दिाय ता है , जो वक व्यक्तक्त की गररमा एिं रािर की एकता तथा अखंडता को सुवनवित करता है ।
• हातलया िंदभत: महामारी ने एकता और भाईचारे की भािना की आिश्यकता पर प्रकाि डाला है, जैसा वक िैक्सीन वितरण तथा कुछ
समुदायों के विरुद् भेदभाि के सन्दभय में तकय-वितकय में दे खा गया है ।
प्रस्तािना का िहत्व
• प्रस्तािना, संविधान के स्रोत, दियन और मौवलक मूल्ों का प्रतीक है ।
• यह संविधान को वदिा और उद्दे श्य प्रदान करता है , स्वतंत्रता संग्राम के मूल्ों को प्रवतवबंवबत करता है एिं कानून वनमाय ताओं के वलए वनरं तर
अनुस्मारक के रूप में कायय करता है ।
• यद्यवप प्रस्तािना प्रत्यक्ष रूप से न्यायलय में लागू वकये जाने योग्य नही ं है , वफर भी प्रस्तािना संविधान के अनुच्छेदों में अस्पि भाषा की
व्याख्या करने में सहायता करती है ।
प्रस्तािना की िं श धनशीलिा
• प्रस्तािना में संिोधन वकया जा सकता है या नही,ं इस प्रश्न पर कई ऐवतहावसक मामलों पर चचाय की गई है ।
• प्रारं भ में, बेरुबाडी मामले (1960) में, सिोच्च न्यायालय ने कहा वक, प्रस्तािना संविधान का वहस्सा नही ं है तथा इसमें संिोधन नही ं वकया
जा सकता है ।
• यद्यवप, केििानंद भारती मामले (1973) में सिोच्च न्यायालय ने कहा वक, प्रस्तािना संविधान का एक वहस्सा है तथा इसमें संिोधन वकया
जा सकता है , वकन्तु ितय यह है वक, संविधान की मूल संरचना से समझौता न वकया जाए।
• हाल के प्रस्तािों में, प्रस्तािना में "समाजिादी" िब्द को "न्यायसंगत" से पररिवतयत वकये जाने का कदम भी िावमल वकया गया है ।
नेहरू एिं प्रस्तािना
जिाहरलाल नेहरू ने मत के अथय को साथयक बनाने के वलए, आवथयक लोकतंत्र एिं असमानताओं को दू र करने के महत्व पर प्रकाि डाला।
उन्ोंने इस बात की भी वहमायत की वक, राजनीवतक लोकतंत्र का उपयोग आवथयक लोकतंत्र को तीव्रता से प्राप्त करने के वलए वकया जाना
चावहए।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
प्रस्तािना उन मूल्ों का प्रतीक है, वजन्ोंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मागयदियन वकया तथा दे ि की लोकतांवत्रक संरचना की नींि के रूप में
कायय वकया। ये मूल्, दे ि की प्रगवत तथा न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की प्राक्तप्त के वलए महत्वपूणय हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
भारतीय संविधान के भाग III में सवन्नवहत मौवलक अवधकार; व्यक्तक्तगत स्वतंत्रता, लोकतां वत्रक वसद्ां तों तथा सामावजक न्याय की आधारविला
वनवमयत करते हैं , जो वक सत्तािादी िासन को प्रवतबंवधत करते हुए एक समतापूणय समाज को आकार प्रदान करते हैं ।
िौतलक अतधकार ं का िगीकरर्
• भारि का िंतिधान छह िौतलक अतधकार प्रदान करिा है, ज तक इि प्रकार िे हैं:
1. समानता का अवधकार (अनुच्छेद 14 - 18)
2. स्वतंत्रता का अवधकार (अनुच्छेद 19 - 22)
3. िोषण के विरुद् अवधकार (अनुच्छेद 23 - 24)
4. धावमयक स्वतंत्रता का अवधकार (अनु च्छेद 25 - 28)
5. सां स्कृवतक एिं िैक्षवणक अवधकार (अनुच्छेद 29 – 30)
6. संिैधावनक उपचारों का अवधकार (अनु च्छेद 32)
िौतलक अतधकार क् ं आिश्यक हैं ?
• राजनीवतक लोकतंत्र को बढ़ािा दे ना।
• राज्य के अवतिमण के विरुद् व्यक्तक्तगत स्वतंत्रता की रक्षा करना।
• व्यक्तक्तयों और दे ि के सिां गीण विकास को बढ़ािा दे ना।
• सत्तािादी एिं तानािाही िासन को प्रवतबंवधत करना।
• काययपावलका के अत्याचार और विधावयका के मनमाने कानूनों के विरुद् एक सुरक्षा किच के रूप में कायय करना।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
अनु च्छे द 13
• अनु च्छेद 13 उपबंध करता है वक, िे सभी कानून जो वकसी भी मौवलक अवधकार के साथ असंगत हैं अथिा उनका अनादर करते हैं , िे िून्य
होंगे। इस प्रकार, यह स्पि रूप से न्यावयक समीक्षा के वसद्ां त का प्रािधान करता है ।
• न्यावयक समीक्षा की िक्तक्त सिोच्च न्यायालय (अनु च्छेद 32) तथा उच्च न्यायालयों (अनु च्छेद 226) को प्रदान की गई है , जो वकसी भी मौवलक
अवधकार के उल्लंघन के आधार पर वकसी भी कानून को असंिैधावनक एिं अमान्य घोवषत कर सकते है ।
• 'कानून' िब्द का एक व्यापक अथय होता है और वनम्नवलक्तखत में से वकसी को भी मौवलक अवधकार के उल्लंघन के रूप में न्यायालयों में
चुनौती दी जा सकती है तथा इसवलए इसे िू न्य घोवषत वकया जा सकता है ।
o संसद या राज्य विधानमण्डलों द्वारा अवधवनयवमत स्थायी कानून।
o रािरपवत या राज्य के राज्यपालों द्वारा जारी वकए गए अध्यादे ि जैसे- अस्थायी कानून।
o आदे ि, उप-कानून, वनयम, विवनयमन या अवधसूचना जैसे प्रत्यायोवजत यिधािन (काययकारी विधान) की प्रकृवत में िैधावनक उपकरण।
o कानून के गैर-विधायी स्रोत जैसे- प्रथा अथिा प्रयोग, वजसमें कानून का बल हो।
• संिैधावनक संिोधन, एक कानून नही ं है तथा इसवलए इसे चु नौती नही ं दी जा सकती है ।
• यद्यवप, सुप्रीम कोटय ने केििानंद भारती मामले (1973) में कहा वक, संिैधावनक संिोधन को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है वक,
यह मौवलक अवधकार का उल्लंघन करता हो, जो वक संविधान की 'मूल संरचना' का एक वहस्सा है ।
अनुच्छेद 13 के अंिगति व्यद्धिगि कानू न ं का ििािेश
• AIMPLB's का रुख: ऑल-इं वडया मुक्तिम पसयनल लॉ बोडय (AIMPLB) का तकय है वक, सुप्रीम कोटय व्यक्तक्तगत कानून के प्रािधानों
को रद्द नही ं कर सकता है ।
• िुधार का आह्वान: मुक्तिम मवहलाओं सवहत विवभन्न संस्थाओं द्वारा, अदालत से तीन तलाक तथा बहुवििाह को "गैर-इिामी" करार
दे ने का आग्रह वकया है ।
• बॉम्बे उच्च न्यायालय (HC) का तनर्तय: 1951 के बॉम्बे उच्च न्यायालय (HC) के वनणयय (बॉम्बे राज्य बनाम नरसु अप्पा माली) ने यह
वनधाय ररत वकया वक, व्यक्तक्तगत कानून अनुच्छेद 13 के अंतगयत 'कानून' नही ं है ।
• िुप्रीि क टत का रुख: 1997 के एक मामले में सुप्रीम कोटय ने तलाक और बहुवििाह को, अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन नही ं माना
तथा इसका वनणयय विधावयका पर छोड वदया।
• शायरा बान केि (2017) तनर्तय: सुप्रीम कोटय ने वनणयय वदया वक, िरीयत अवधवनयम पूिय-संिैधावनक कानून है , जो वक अनुच्छेद
13(3)(b) के अनुसार "प्रिृत्त कानूनों" के अंतगयत आता है और संविधान के भाग III के साथ असंगत होने पर, अनुच्छेद 13(1) के द्वारा
इसे समाप्त वकया जा सकता है ।
• िंिदीय तिशेषातधकार: सां सदों और राज्य विधानसभा सदस्यों को ििशः अनुच्छेद 105 और 194 के अंिगति, वििेषावधकार एिं
उन्मुक्तक्तयां प्राप्त हैं ।
अनुच्छेद 15: भेदभाि का तनषे ध
• राज्य एिं व्यक्तक्त धमय, मूलिंि, जावत, वलंग, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाि नही ं कर सकते।
o अपिाद: मवहलाओं और बच्चों, अनुसूवचत जावत तथा अनुसूवचत जनजावत एिं नागररकों के सामावजक ि िैवक्षक रूप से वपछडे िगों
के वलए वििेष प्रािधान।
• आरक्षर् नीति:
o िितिान आरक्षर्: SC(अनुसूवचत जावत) (15%), ST(अनुसूवचत जनजावत) (7.5%), OBC(अन्य वपछडा िगय) (27%), वदव्यां ग (3%)
और EWS(आवथयक रूप से कमजोर िगय) (10%)
o आरक्षर् िे िंबंतधि िु प्रीि क टत के िािले: चंपकम दोरायराजन केस (1951), इं द्रा साहनी केस (1992), एम. नागराज केस
(2006), जरनैल वसंह केस (2018)।
अनुच्छेद 16: िाितजतनक र जगार िें अििर की ििानिा
• धमय, मूलिंि, जावत, वलंग, िंि, जन्म स्थान या वनिास के आधार पर, राज्य के अंतगयत वकसी भी रोजगार या कायाय लय के वलए कोई अयोग्य
नही होगा तथा वकसी भी प्रकार का भेदभाि नही ं वकया जाएगा।
• अपिाद:
o संसद, रोजगार में वनिास की ितय को वनधाय ररत कर सकती है ।
o राज्य सेिाओं में वपछडे िगों के वलए आरक्षण का पयाय प्त प्रवतवनवधत्व न होना।
o कुछ धावमयक या सां प्रदावयक संस्थानों के सदस्यों को, उस वििेष धमय या संप्रदाय से संबंवधत होना आिश्यक हो सकता है ।
• हाल के घटनािि:
o वनजी क्षेत्र की नौकररयों में स्थानीय आरक्षण की माँ ग
o सुप्रीम कोटय ने उस आदे ि को रद्द कर वदया, वजसने हररयाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदिारों के रोजगार अवधवनयम 2020 के संचालन
पर रोक लगा दी थी।
o पदोन्नवत में अनुसूवचत जावत/अनु सूवचत जनजावत के वलए िीमी लेयर मानदं ड: जरनैल वसंह मामले की समीक्षा
o प्रमोिन में आरक्षण मौवलक अवधकार नही:ं सुप्रीम कोटय का वनणयय
o जन्म स्थान के आधार पर आरक्षण: मध्य प्रदे ि कानून
अनुच्छेद 17: अस्पृश्यिा का उन्मूलन
• वकसी भी रूप में अस्पृश्यता का उन्मू लन।
• नागररक अवधकार संरक्षण अवधवनयम, 1955
• अनुसूवचत जावत तथा जनजावत (अत्याचार वनिारण) अवधवनयम, 1989: इसका मुख्य उद्दे श्य, वनगरानी बढ़ाकर अनुसूवचत जावत तथा
अनुसूवचत जनजावत पर होने िाले अत्याचारों को प्रवतबंवधत करना है ।
• हाल के घटनािि:
o सुभाष कािीनाथ महाजन केस (2018) और SC तथा ST (अत्याचार वनिारण) संिोधन अवधवनयम 2018 के माध्यम से इसका
संिोधन।
o पृथ्वी राज चौहान केस (2020)
o सामावजक बवहष्कार के विरुद् महारािर का कानून
अनुच्छेद 18: उपातधय ं का उन्मूलन
• राज्य द्वारा सैन्य या अकादवमक विवििता से पृथक कोई भी अन्य उपावध प्रदान नही ं की जाएगी।
• औपवनिेविक राज्यों द्वारा प्रदत्त कुलीनता की िंिानुगत उपावधयों का उन्मूलन
• हाल के घटनािि: बालाजी राघिन केस (1994) ने राज्य को भारत रत्न तथा पद्म पुरस्कार प्रदान करने की अनुमवत दी, वकन्तु इन्ें एक
उपावध के रूप में उपयोग नही ं वकया जा सका।
अनु च्छे द 19
• भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1) भारत के सभी नागररकों के वलए, गारं टीकृत छह अवधकारों की रूपरे खा को प्रस्तुत करता है ।
• अनु च्छेद 19(1) के अंतगयत अवधकार, राज्य की कारय िाई से सुरवक्षत हैं तथा नागररकों एिं कंपनी के िेयरधारकों के वलए उपलब्ध हैं , वकन्तु
ये अवधकार विदे वियों या कानूनी व्यक्तक्तयों जैसे- कंपवनयों या वनगमों के वलए उपलब्ध नही ं हैं ।
अनुच्छेद 19(1) के अंिगत ि अतधकार:
• भाषर् और अतभव्यद्धि की स्विंत्रिा: प्रवतिोध, सेंसरविप या कानूनी स्वीकृवत के भय के वबना, वकसी व्यक्तक्त का अपने विचारों एिं राय
को व्यक्त करने का मौवलक अवधकार।
• तबना हतथयार के शांतिपूितक िरीके िे इकट्ठा ह ने का अतधकार: एक साथ एकवत्रत होने और सामूवहक रूप से साझा वहतों को व्यक्त
करने, प्रोत्सावहत करने, आगे बढ़ाने एिं रक्षा करने का अवधकार।
29
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िंघ या यूतनयन [या िहकारी ितितियां] बनाने का अतधकार: सामूवहक रूप से व्यक्त करने, प्रोत्सावहत करने, आगे बढ़ाने और आम
वहतों की रक्षा करने के वलए दू सरों के साथ जुडने का अवधकार।
• भारि के क्षेत्र िें स्विंत्र रूप िे घूिने का अतधकार: यह नागररकों को भारत के क्षेत्र के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमवत दे ता है,
यद्यवप यह अवधकार आम जनता या अनुसूवचत जनजावतयों के वहत में प्रवतबंवधत भी वकया जा सकता है ।
• भारि के क्षेत्र के तकिी भी भाग िें रहने और बिने का अतधकार: भारत के क्षेत्र के वकसी भी भाग में रहने और बसने का अवधकार।
• तकिी भी पेशे क अपनाने, या तकिी व्यििाय, व्यापार या कार बार क जारी रखने का अतधकार: वकसी भी िैध पेिे को संचावलत
करने या वकसी व्यिसाय, व्यापार या कारोबार को जारी रखने का अवधकार।
• अनु च्छेद 19(2) राज्य को, अनुच्छेद में उक्तल्लक्तखत आधारों के आधार पर, इन अवधकारों पर 'उवचत प्रवतबंध' लगाने की अनुमवत प्रदान करता
है ।
30
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• हाल ही में स्वयिल वत्रपाठी केस 2018 ने अनु च्छेद 21 के अंतगयत न्याय तक पहुं च के अवधकार को बनाए रखा।
31
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• श्रि कानून िुद्दे: कोविड-19 के दौरान श्म कानूनों में संिोधन ने, श्वमकों के अवधकारों के संबंध में वचंताएं बढ़ा दी हैं । वनयोक्ताओं की
अवनयंवत्रत आवथयक िक्तक्त के कारण श्वमकों का िोषण बढ़ सकता है , वजसके पररणामस्वरूप कायाय िवध लंबी होंगी तथा पाररश्वमक कम
होगा।
32
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• राज्य, िैक्षवणक संस्थानों को सहायता प्रदान करते समय, वकसी भी िैक्षवणक संस्थान के विरुद् इस आधार पर भेदभाि नही ं करे गा, वक
यह वकसी अिसंख्यक के प्रबंधन के अधीन है , वफर चाहे िह धमय या भाषा पर आधाररत क्ों न हो।
• अनुच्छेद 30(1A), अिसंख्यक समूहों द्वारा स्थावपत वकसी िैक्षवणक संस्थान की संपवत्त के अवधग्रहण के वलए रावि के वनधाय रण से संबंवधत
है ।
इि भाग द्वारा प्रदत्त अतधकार ं के प्रिित न के तलए उपाय (अनु च्छे द 32)
• संविधान में मौवलक अवधकारों की मात्र घोषणा, उनके प्रितयन के वलए एक प्रभािी तंत्र प्रदान वकए वबना अथयहीन, अनुपयोगी तथा बेकार है,
यवद उनका उल्लं घन होता है ।
• इसवलए, अनु च्छेद 32 एक पीवडत नागररक के मौवलक अवधकारों के प्रितयन के वलए, उपचार का अवधकार प्रदान करता है । सुप्रीम कोटय ने
वनणयय वदया है वक, अनुच्छेद 32 संविधान की मूल वििेषता है ।
• इसीवलए डॉ. अम्बे डकर ने अनु च्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्वपूणय अनु च्छेद कहा, 'एक ऐसा अनुच्छेद, वजसके वबना यह सं विधान
वनरथयक होगा।' यह संविधान की आत्मा तथा इसका हृदय है ।'
• संसद, वकसी अन्य न्यायालय को सभी प्रकार के वनदे ि, आदे ि और ररट जारी करने का अवधकार प्रदान कर सकती है ।
• संविधान में यह प्रािधान है वक, रािरपवत रािरीय आपातकाल (अनुच्छेद 359) के दौरान मौवलक अवधकारों को लागू करने के वलए, वकसी भी
न्यायालय में जाने के अवधकार को वनलंवबत कर सकते हैं ।
• हाल ही में, सुप्रीम कोटय ने कहा था वक, अनुच्छेद 32 के अंतगयत सुप्रीम कोटय जाने का अवधकार अपने आप में एक मौवलक अवधकार है और
"इसमें कोई संदेह नही ं है वक, यवद भारत के वकसी नागररक को भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतगयत अपने अवधकार का प्रयोग
करते हुए इस न्यायालय का दरिाजा खटखटाने से वकसी भी मामले में रोका जाता है , तो यह दे ि के न्याय प्रिासन में एक गंभीर एिं प्रत्यक्ष
हस्तक्षेप होगा।"
ररट अतधकार
मौवलक अवधकारों के प्रितयन के सन्दभय में, सिोच्च न्यायालय का क्षेत्रावधकार मौवलक है वकन्तु विविि नही ं है । यह अनु च्छेद 226 के अंतगयत उच्च
न्यायालय के क्षेत्रावधकार के साथ समिती है ।
● बन्दी प्रत्यक्षीकरर्:
o यह न्यायालय द्वारा उस व्यक्तक्त को जारी वकया गया एक आदे ि है , वजसने वकसी अन्य
व्यक्तक्त को वहरासत में वलया है , तावक िह उसके िरीर को उसके समक्ष प्रस्तुत कर
सके।
o इसके बाद न्यायालय, वहरासत के कारण तथा िैधता की जां च करती है ।
o इसे साियजवनक प्रावधकरणों के साथ-साथ, वनजी व्यक्तक्तयों दोनों के विरुद् जारी वकया
जा सकता है ।
● परिादे श:
o यह न्यायालय द्वारा एक साियजवनक अवधकारी को जारी वकया गया एक आदे ि है , वजसमें उसे अपने उन आवधकाररक कतयव्यों का
पालन करने के वलए कहा जाता है , वजसे िह पूरा करने में विफल रहा है अथिा वजसे पूरा करने से उसने इनकार कर वदया है ।
o इसे इसी उद्दे श्य के वलए वकसी साियजवनक वनकाय, वनगम, वनचली अदालत, न्यायावधकरण या सरकार के विरुद् भी इस आदे ि को
जारी वकया जा सकता है ।
● तनषेध:
o इसे, उच्च न्यायालय द्वारा वनचली अदालत या न्यायावधकरण को अपने अवधकार क्षेत्र से आगे बढ़ने अथिा उस अवधकार क्षेत्र को
अवधकृत करने से रोकने के वलए जारी वकया जाता है , जो उसके पास नही ं है ।
• उत्प्रेषर्
o इसे उच्च न्यायालय द्वारा वनचली अदालत या न्यायावधकरण को, या तो वनचली अदालत अथिा न्यायावधकरण में लंवबत मामले को
अपने पास स्थानां तररत करने के वलए या वफर वकसी मामले में उसके आदे ि को रद्द करने के वलए जारी वकया जाता है ।
o यह अवधकार क्षेत्र की अवधकता अथिा अवधकार क्षेत्र के आभाि या कानून की त्रुवट के आधार पर जारी वकया जाता है ।
• अतधकार पृच्छा
o यह वकसी भी व्यक्तक्त के साियजवनक पद पर दािे की िैधता की जांच करने के वलए, न्यायालय द्वारा जारी वकया जाता है ।
o अतः , यह वकसी व्यक्तक्त द्वारा साियजवनक पद पर अिैध रूप से अवधग्रहण वकये जाने को प्रवतबंवधत करता है ।
िशस्त्र बल एिं िौतलक अतधकार
• अनु च्छेद 33, संसद को सिस्त्र बलों, अधय-सैन्य बलों, पुवलस बलों, खुवफया एजेंवसयों और समान बलों के सदस्यों के मौवलक अवधकारों को
प्रवतबंवधत करने या वनरस्त करने का अवधकार प्रदान करता है ।
• इस प्रािधान का उद्दे श्य, उनके कतयव्यों के उवचत वनियहन को सुवनवित करना तथा उनके मध्य अनुिासन को बनाए रखना है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• ग लकनाथ केि 1967: सुप्रीम कोटय ने अपने पहले के रुख को उलट वदया और वनणयय वदया वक, मौवलक अवधकारों को 'पारलौवकक तथा
अपररितयनीय' क्तस्थवत प्रदान वक गई है एिं इसवलए, संसद इनमें से वकसी भी अवधकार को कम नही ं कर सकती या िापस नही ं ले सकती।
• केशिानंद भारिी िािला 1973: सुप्रीम कोटय ने वनणयय वदया वक, संसद को वकसी भी मौवलक अवधकार को कम करने या िापस लेने का
अवधकार है । साथ ही, इसने 'िूल िंरचना' का एक नया तिद्ांि भी वनधाय ररत वकया।
o इसने वनणयय वदया वक, अनुच्छेद 368 के अंतगयत संसद की िक्तक्त, उसे संविधान की 'मू ल संरचना' को पररिवतयत करने में सक्षम नही ं
बनाती है ।
o इसका तात्पयय यह है वक, िंिद तकिी िौतलक अतधकार क कि नही कर िकिी या िापि नही ं ले िकिी है, ज िंतिधान
की 'िूल िंरचना' का तहस्सा है।
िौतलक अतधकार ं का िहत्व
• ल ग ं के तहि ं की रक्षा करना: मौवलक अवधकार बहुत महत्वपूणय हैं , क्ोंवक िे दे ि की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं । िे लोगों के वहतों
की सुरक्षा के वलए आिश्यक हैं ।
• बौद्धद्क कल्ार्: मौवलक अवधकार एक महत्वपूणय भूवमका वनभाते हैं , क्ोंवक िे वकसी व्यक्तक्त की पूणय बौक्तद्क, नैवतक तथा आध्याक्तत्मक
क्तस्थवत की प्राक्तप्त के वलए सबसे आिश्यक होते हैं ।
• व्यद्धिगि गररिा: मौवलक अवधकारों को संविधान में िावमल वकया गया है क्ोंवक, उन्ें प्रत्येक व्यक्तक्त के व्यक्तक्तत्व के विकास एिं मानिीय
गररमा को संरवक्षत करने के वलए आिश्यक माना गया था।
• ल किंत्र और िौतलक अतधकार: संविधान के लेखकों ने यह माना वक, लोकतंत्र का कोई लाभ नही ं है , यवद नागररक स्वतंत्रता, जैसे वक-
भाषण एिं धमय की स्वतंत्रता को राज्य द्वारा मान्यता प्रदान न वक गई हो एिं संरवक्षत न वकया गया हो।
• िानिातधकार ं के रक्षक: मौवलक अवधकार न केिल सुरक्षा में सहायता करते हैं , बक्तल्क मानिावधकारों के घोर उल्लंघन को रोकने में भी
मदद करते हैं ।
• भेदभाि के तबना ििानिा: िे सभी नागररकों की पृष्ठभूवम की वचंता वकए वबना, समान सुविधाओं तक पहुं च और उपयोग की गारं टी प्रदान
कर, भारत की मौवलक एकता पर बल दे ते हैं ।
• व्यद्धिय ं के तिरुद् भी िुरक्षा: मौवलक अवधकार मुख्य रूप से व्यक्तक्तयों की राज्य की वकसी भी मनमानी कारय िाई से रक्षा करते हैं ,
लेवकन कुछ अवधकार व्यक्तक्तयों के विरुद् भी लागू वकए जा सकते हैं । उदाहरर्: अस्पृश्यता और बेगार।
िौतलक अतधकार ं के कायाा न्व यन िे िं बं त धि िु द्दे एिं चु न ौतियााँ :
• व्याख्या का िुद्दा: मौवलक अवधकार, न्यावयक व्याख्या के िीषय पर रहे हैं । जैसे- अनुच्छेद 19 और 21 की विकवसत होती व्याख्या।
• तनलंबन: रािरीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 20 और 21 को छ डकर मौवलक अवधकारों को वनलंवबत वकया जा सकता है ।
• उन्मुद्धियााँ: अनुच्छेद 361 के अंतगयत रािरपवत और राज्यपाल को प्राप्त कुछ वििेषावधकार/ उन्मुक्तक्तयाँ । उदाहरर् के तलए - रािरपवत
या राज्यपाल अपने कायाय लय की िक्तक्तयों तथा कतयव्यों के प्रयोग के वलए, वकसी भी न्यायालय के प्रवत उत्तरदायी नही ं होते हैं ।
• तिशेषातधकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 और अनु च्छेद 194 िमिः - संसद सदस्यों (सां सदों) और राज्य विधानसभाओं की
शद्धिय ,ं तिशेषातधकार ं और उन्मुद्धिय ं का वनधाय रण करते हैं।
• अनुच्छेद 31C एक अपिाद है: अनु च्छेद 39(B) और 39(C) को लागू करने के वलए बनाए गए कानूनों को इस आधार पर चुनौती नही ं दी
जा सकती है , वक िे अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं ।
• कायातन्वयन की गलि भािना: बैकडोर तंत्र, वजसके माध्यम से मौवलक अवधकारों का उल्लंघन वकया जाता है । जैसे- वनजता का अवधकार,
एक मौवलक अवधकार है , लेवकन राज्य की वनगरानी के माध्यम से इसे कमजोर कर वदया गया है ।
• क्षैतिज कायात न्वयन का अभाि: वनजी क्षेत्र में होने िाली िृक्तद् के कारण, उनके विरुद् मौवलक अवधकार लागू करने का आभाि हो गया
है । (ऊर्ध्ाय धर कायाय न्वयन सरकार से संबंवधत है )
• तिलंतबि न्यातयक ििाधान: सभी न्यायालयों में लंवबत मामलों की संख्या 4.4 करोड से अवधक हो गई है , इस प्रकार से विलंवबत न्याय के
कारण, न्यायप्राक्तप्त नही हो पाती है ।
तनष्कषत
राज्य के साथ-साथ सामावजक बहुमत के विरुद्, व्यक्तक्तयों की गररमा एिं समानता सुवनवित वकए वबना, िास्तविक लोकतंत्र अक्तस्तत्व में नही ं रह
सकता। ऐसा केिल मौवलक अवधकारों के साथ ही था, वक क ई व्यद्धि तिषय की द्धस्थति िे ऊपर उठकर, 'नागररक' की द्धस्थति िक आ
िकिा है।
तिगि िषों के प्रश्न (मु ख्य परीक्षा):
1. “भारत के सम्पूणय क्षेत्र में आिा-गमन एिं वनिास का अवधकार, भारतीय नागररकों के वलए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है , लेवकन ये अवधकार
पूणय नही ं हैं । “वटप्पणी कीवजये। (2022)
2. वनजता के अवधकार पर सिोच्च न्यायालय के निीनतम वनणयय के आलोक में, मौवलक अवधकारों के दायरे की जाँ च कीवजये। (2017)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
3. क्ा पयाय िरण को स्वच्छ करने का अवधकार वदिाली के दौरान पटाखे जलाने पर कानूनी वनयमों को लागू करता है ? इस संबंध में भारतीय
संविधान के अनुच्छेद 21 तथा सिोच्च न्यायालय के वनणययों के आलोक में चचाय कीवजये। (2015)
4. "भाषण और अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता" की अिधारणा से आप क्ा समझते हैं ? क्ा इसमें घृणास्पद भाषण भी िावमल है ? भारत में व़िल्में,
अवभव्यक्तक्त के अन्य रूपों से थोडी वभन्न धरातल पर क्ों वदखाई दे ती हैं ? चचाय कीवजये। (2014)
5. IT अवधवनयम की धारा 66A पर संविधान के अनुच्छेद 19 के कवथत उल्लं घन के संदभय में चचाय कीवजये। (2013)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त (DPSP) को आयरलैंड के िंतिधान िे तलया गया है। ये 'तनदे श ं का एक िाधन' है , जो भारत सरकार
अवधवनयम, 1935 में सूचीबद् हैं ।
• राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त के पीछे की अिधारणा एक 'कल्ार्कारी राज्य' बनाना है। ये दे ि में आतथतक और िािातजक ल किंत्र
स्थातपि करना चाहिे हैं।
• डॉ. भीमराि अंबेडकर के अनुसार, ये वसद्ां त संविधान की 'निीन तिशेषिाएाँ ' हैं।
• राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त ऐसे आदिय हैं , वजन्ें राज्य द्वारा नीवतयां बनाते और कानून बनाते समय ध्यान में रखा जाना चावहए। लेवकन
राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त अपने उल्लं घन के वलए न्यायालयों द्वारा कानूनी रूप िे लागू करने य ग्य नही ं हैं।
राज्य के नीति तनदे शक तिद्ां ि के तलए िं ि ै धातनक प्रािधान
• अनुच्छेद 36 "राज्य" िब्द को पररभावषत करता है , वजसे दे ि के वलए कोई भी नीवत या कानून बनाने से पहले सभी राज्य के नीवत वनदे िक
वसद्ां त को ध्यान में रखना होता है ।
• अनुच्छेद 37 िें राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त की प्रकृवत को पररभावषत वकया गया है यानी राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त गैर-न्यायसंगत
हैं ।
• अनुच्छेद 38 िे 51 में सभी विवभन्न राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त िावमल हैं ।
38 यह राज्य को लोगों के कल्ाण को बढ़ािा दे ने के वलए 44 समान नागररक संवहता।
एक सामावजक व्यिस्था सुरवक्षत करने के वलए अवधकृत
करता है ।
39 राज्य द्वारा पालन की जाने िाली नीवतयों के कुछ 45 छह िषय से कम उम्र के बच्चों के वलए प्रारं वभक बचपन की
वसद्ां त। दे खभाल और विक्षा का प्रािधान।
39A वनः िुल्क समान न्याय और वनः िुल्क कानूनी सहायता। 46 अनुसूवचत जावत, अनुसूवचत जनजावत और अन्य कमजोर िगों
की विक्षा एिं आवथयक वहतों को बढ़ािा दे ना।
40 ग्राम पंचायतों का संगठन। 47 पोषण स्तर और जीिन स्तर को ऊपर उठाना तथा साियजवनक
स्वास्थ्य में सुधार करना राज्य का कतयव्य है ।
41 कुछ मामलों में काम, विक्षा ि साियजवनक सहायता का 48 कृवष एिं पिुपालन का संगठन।
अवधकार।
42 न्यायोवचत एिं मानिीय कायय और प्रसूवत सहायता 48ए पयाय िरण की सुरक्षा एिं सुधार तथा िनों एिं िन्य जीिों की
सुवनवित करना। सुरक्षा।
43 उवचत मजदू री और एक सम्मानिनक िीिन स्तर। 49 रािरीय महत्व के स्मारकों ि स्थानों और िस्तुओं का संरक्षण।
43 A प्रबंधन में श्वमकों की भागीदारी। 50 न्यायपावलका को काययपावलका से अलग होना चावहए।
43 B सहकाररता को बढ़ािा दे ना। 51 राज्य अंतररािरीय िां वत और सुरक्षा को बढ़ािा दे गा।
• सिोच्च न्यायालय ने माना वक अनुच्छेद 37 स्पि रूप से कहता है वक, वनदे िक वसद्ां त अदालत द्वारा लागू नही ं
चंपकि वकए जा सकते हैं । सिोच्च न्यायालय ने आदे ि वदया वक संविधान में मौवलक अवधकारों पर अध्याय पवित्र है तथा
द राइराजन िाद वनदे िक वसद्ां तों को मौवलक अवधकारों पर अध्याय के अनुरूप और सहायक होना चावहए।
1951 • इसका तात्पयय यह है वक िौतलक अतधकार ं क तनदे शक तिद्ांि ं पर श्रेष्ठिा दी गई थी।
ग लकनाथ िाद • इस मामले में न्यायालय ने कहा वक वनदे िक वसद्ां तों को लागू करने के वलए िौतलक अतधकार ं क
1967 कि/किज र नही ं तकया जा िकिा।
केशिानंद भारिी • सिोच्च न्यायालय ने वनणयय सुनाया वक संसद िौतलक अतधकार ं सवहत संविधान के वकसी भी वहस्से में िंश धन
िाद 1973 कर िकिी है लेवकन िह संविधान की िूल िंरचना क नष्ट नही ं कर िकिी।
• सिोच्च न्यायालय ने माना वक संविधान भाग III और भाग IV के िंिुलन पर िौजूद है। एक को दू सरे पर पूणय
तिनिात तिल्स िाद प्रधानता दे ना संविधान के सामंजस्य को वबगाड दे गा। संविधान पीठ ने माना था वक मौवलक अवधकार तथा
1980 वनदे िक वसद्ां त समतािादी सामावजक व्यिस्था की स्थापना में रथ के दो पवहये हैं ।
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• तिनिात तिल्स िाद के बाद, सिोच्च न्यायालय ने माना वक मौवलक अवधकारों और राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां त के मध्य कोई टकराि
नही ं है और िे एक-दू सरे के पूरक हैं । एक के वलए दू सरे की बवल चढ़ाने की कोई जरूरत नही ं थी।
• यवद कोई वििाद हो तो जहां तक संभि हो उसे टालना चावहए। यवद सामावजक व्यिस्था कायम करनी है तथा लोगों को सिक्त बनाना है
तो मौवलक अवधकारों ि राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां तों को संतुवलत और सामंजस्यपूणय बनाने की आिश्यकता है ।
राज्य के नीति तनदे शक तिद्ां ि का कायात न्वयन
• 1950 के बाद से नीवत वनदे िक वसद्ां तों को प्रभािी बनाने के वलए विवभन्न काययिम लागू वकए गए हैं ।
• जो इस प्रकार हैं :
अनुच्छेद 40 तीसरे स्तर यानी ग्राम पंचायत के वलए 73िां संिोधन अवधवनयम
अनुच्छेद 42 सामावजक सुरक्षा संवहता, 2020- मातृत्व अिकाि का प्रािधान करती है ।
अनुच्छेद 45 वनः िुल्क और अवनिायय बाल विक्षा का अवधकार अवधवनयम, 2009, जो 6 से 14 िषय की आयु के बच्चों को अवनिायय
विक्षा प्रदान करता है ।
अनुच्छेद 43 गारं टीकृत मजदू री के माध्यम से समािेिी विकास को बढ़ािा दे ने के वलए महात्मा गां धी रािरीय ग्रामीण रोजगार गारं टी
अवधवनयम।
अनुच्छेद 44 समान नागररक संवहता के कायाय न्वयन पर विवध आयोग आवद वनकायों से विवभन्न चचाय एँ हुई हैं । गोिा में यह पहले से ही
लागू है ।
अनुच्छेद 47 गुजरात और वबहार ने अपने राज्यों में िराब की वबिी और खपत पर प्रवतबंध लगा वदया है
• िरला िुद्गल िाद (1995): वििाह के मामलों पर वद्ववििाह और व्यक्तक्तगत कानूनों के बीच संघषय के मुद्दे को संबोवधत वकया।
• शायरा बान बनाि भारिीय िं घ िाद (2017): तीन तलाक की प्रथा को चुनौती दी और इसे असंिैधावनक घोवषत वकया।
ििान नागररक िंतहिा की आिश्यकिा:
• ििानिा िुतनतिि करना: समान नागररक संवहता व्यक्तक्तगत कानूनों में धावमयक पूिाय ग्रहों को खत्म करे गा, सभी नागररकों के वलए समान
अवधकार और वििेषावधकार सुवनवित करे गा।
• कानू न ं का िरलीकरर्: समान नागररक संवहता विविध ि जवटल व्यक्तक्तगत कानूनों को एकीकृत और सरल बनाएगा।
• लैंतगक न्याय क बढािा दे ना: मौजूदा व्यक्तक्तगत कानूनों को खत्म करके, समान नागररक संवहता लैंवगक पूिाय ग्रहों को खत्म कर दे गा।
• पिंद की स्विंत्रिा: एक धमय-तटस्थ व्यक्तक्तगत कानून अंतर-जातीय तथा अंतर-धावमयक वििाहों की रक्षा करे गा।
• किज र िगों क िु रक्षा: समान नागररक संवहता मवहलाओं और धावमयक अिसंख्यकों के अवधकारों की रक्षा करे गा।
• धिततनरपे क्षिा का पालन: एक धमयवनरपेक्ष गणराज्य के वलए अपने सभी नागररकों के वलए एक समान कानून प्रदान करने के वलए एक
समान नागररक संवहता आिश्यक है ।
• राष्टरीय एकिा: समान नागररक संवहता धमय को सामावजक संबंधों से अलग करे गा, समाज में एकता और सद्भाि को बढ़ािा दे गा।
• एक प्रगतिशील राष्टर का िंकेि: समान नागररक संवहता को लागू करना यह संकेत दे ता है वक एक दे ि जावत और धावमयक राजनीवत से
परे सामावजक विकास की ओर बढ़ गया है ।
चुनौतियााँ और िुद्दे:
• व्यद्धिगि िािल ं िें हस्तक्षेप: समान नागररक संवहता को धमय की स्वतंत्रता के दायरे में कमी के रूप में दे खा जा सकता है ।
• बहुलिा और तितिधिा क ख़िरा: एकरूपता थोपने से सां स्कृवतक और धावमयक विविधता ख़तरे में पड सकती है ।
• भारिीय धिततनरपे क्षिा का तिर धाभाि: समान नागररक संवहता विविध पहचानों को पोवषत करने िाली भारतीय धमयवनरपेक्षता की भािना
के अनुरूप नही ं हो सकता है ।
• ििान नागररक िंतहिा का ििौदा िैयार करने का िुद्दा: एक साियभौवमक रूप से स्वीकायय कोड का मसौदा तैयार करने की चुनौती।
• अििंख्यक ं की तचंिाएाँ : बहुसंख्यकिादी दृविकोण को बढािा दे ने से पहचान ख़त्म होने का डर।
• तितध आय ग द्वारा िितथति नही ं (2018): आयोग ने पूणय समान नागररक संवहता के बजाय व्यक्तक्तगत कानूनों को संवहताबद् करने का
सुझाि वदया।
• राजनीतिक िंिेदनशीलिा: समान नागररक संवहता के मुद्दे का राजनीवतकरण कर वदया गया है , वजससे समुदायों के बीच मतभेद उत्पन्न
हो गए हैं ।
• िंिैधातनक बाधा: समानता के वसद्ां त (अनुच्छेद 14) तथा वकसी भी धमय का पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) के
बीच संभावित संघषय।
आगे की राह:
• दृतष्टक र्: समान नागररक संवहता का िवमक पररचय।
• भेदभाि का उन्मूलन: संवहताकरण की प्रविया में समता और समानता को प्राथवमकता दें ।
• ििािेशी दृतष्टक र्: समान नागररक संवहता की प्रगवतिील सोच और समझ को प्रोत्सावहत करना।
• व्यद्धिगि कानू न ं पर िाितजतनक बहि: संवहताबद् व्यक्तक्तगत कानूनों पर जां च और चचाय को आमंवत्रत करना।
• तिशेषज् ं के िाथ परािशत: सुवनवित करें वक मसौदा तैयार करने की प्रविया में सभी समुदायों का सम्मान हो।
• व्यद्धिगि कानू न ं का िंतहिाकरर्: समानता सुवनवित करने के वलए साियभौवमक वसद्ां त स्थावपत करना।
• नागररक ं के बीच जागरूकिा: समान नागररक संवहता की समझ और स्वीकृवत को बढ़ािा दे ना।
• ििुदाय ं िक पहुंच: सुधारों के वलए आम सहमवत बनाने के वलए परामिय में संलग्न रहना।
समान नागररक संवहता लागू करना भारत में अवधक समािेिी, समान और धमयवनरपेक्ष समाज की स्थापना की यदशा में एक महत्वपूणय मील का
पत्थर दिाय ता है । हालाँ वक, इसके कायाय न्वयन के वलए संिेदनिीलता, व्यापक परामिय और दे ि के विविध सां स्कृवतक ताने-बाने का सम्मान करने
की प्रवतबद्ता की आिश्यकता है । इसवलए, इस एकरूपता के वलए प्रयास करते समय, यह आिश्यक है वक यह प्रविया भारतीय रािर के
बहुलिादी चररत्र को कमजोर न करे तथा यह सुवनवित करे वक प्रत्येक नागररक दे खा, सुना और सम्मावनत महसूस करे ।
स्वास्थ्य का अतधकार
• अनु च्छेद 38, 39, 42, 43, और 47 स्वास्थ्य के अवधकार की प्रभािी प्राक्तप्त सुवनवित करने के वलए राज्य पर दावयत्व डालते हैं ।
हाल के तदन ं िें स्वास्थ्य के अतधकार की तदशा िें प्रयाि:
• हाल ही में, राजस्थान के मुख्यमंत्री ने साियजवनक स्वास्थ्य के राजस्थान मॉडल के कायाय न्वयन की घोषणा की वजसमें स्वास्थ्य के अवधकार
के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा पररकक्तित वनिारक, प्राथवमक और उपचारात्मक दे खभाल के उपाय भी िावमल होंगे।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
वनदे िों का साधन; लोक वहतकारी राज्य; आवथयक लोकतंत्र; सामावजक लोकतंत्र.
1. उन सं भावित कारकों पर चचाय कीवजए, जो भारत को अपने नागररकों के वलए एक समान नागररक संवहता लागू करने से रोकते हैं , जैसा वक
राज्य के नीवत वनदे िक वसद्ां तों में प्रदान वकया गया है । (2015)
40
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• भारत, एक लोकतां वत्रक गणराज्य है , जो भारतीय संविधान के माध्यम से अपने लोकतां वत्रक ढां चे को सुरवक्षत करता है तथा अपने नागररकों
को कुछ मौवलक अवधकार और साथ ही, उन्ें कुछ मौवलक कतयव्य भी प्रदान करता है ।
• भारिीय िंतिधान के अनुच्छेद 51 A िें ितन्नतहि, मौवलक कतयव्य नागररकों को रािर, समाज ि स्वयं के प्रवत उनके दावयत्वों पर मागयदियन
करने िाले एक नैवतक तथा नैवतक वदिा-वनदे ि के रूप में कायय करते हैं ।
• आं तररक आपातकाल की अिवध के दौरान स्वर्त तिंह ितिति की तिफाररश ं पर िौतलक कताव्यों क भारिीय िंतिधान िें शातिल
तकया गया था।
• िंिैधातनक प्रािधान:
o 1976 के 42िें संिोधन अवधवनयम के माध्यम से प्रस्तुत, मौवलक कतयव्य दस कतयव्यों का एक समूह था, जो केिल भारत के नागररकों
के वलए वनदे वित थे।
o 86िें संिोधन अवधवनयम, 2002 द्वारा एक पररणामी पररिधयन करके 11िां कतयव्य जोडा गया, वजसमें माता-वपता को अपने बच्चे को
विक्षा के अिसर प्रदान करने के कतयव्य पर जोर वदया गया।
िौतलक कित व्य (अनु च्छे द 51A)
1. संविधान का पालन करना ि उसके आदिों एिं संस्थानों, रािरीय र्ध्ज और रािरगान का सम्मान करना।
2. उन महान आदिों को संजोना और उनका पालन करना वजन्ोंने स्वतंत्रता के वलए हमारे रािरीय संघषय को प्रेररत वकया।
3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और उसकी रक्षा करना।
4. दे ि की रक्षा करना और ऐसा करने के वलए बुलाए जाने पर रािरीय सेिा प्रदान करना।
5. भारत के सभी लोगों के बीच धावमयक, भाषाई एिं क्षेत्रीय या अनु भागीय विविधताओं के बीच सद्भाि और सामान्य भाईचारे की भािना को
बढ़ािा दे ना; मवहलाओं के सम्मान के वलए अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करना।
6. हमारी समग्र संस्कृवत की समृद् विरासत को महत्व दे ना और संरवक्षत करना।
7. िनों, झीलों, नवदयों एिं िन्य जीिन सवहत प्राकृवतक पयाय िरण की रक्षा और सुधार करना तथा जीवित प्रावणयों के प्रवत दया भाि रखना।
8. िैज्ञावनक दृविकोण, मानितािाद तथा वजज्ञासा एिं सुधार की भािना का विकास करना।
9. साियजवनक संपवत्त की रक्षा करना और वहं सा का त्याग करना।
10. व्यक्तक्तगत ि सामूवहक गवतविवध के सभी क्षेत्रों में उत्कृिता की वदिा में प्रयास करना तावक रािर लगातार प्रयास और उपलक्तब्ध के उच्च स्तर
तक पहुं च सके।
11. 6 से 14 िषय के बच्चों को विक्षा के अिसर प्रदान करना, और माता-वपता या अवभभािक के रूप में यह सुवनवित करना वक उनके बच्चे को
ऐसे अिसर प्रदान वकए जा रहे हैं । (86िें िंश धन अतधतनयि, 2002 द्वारा ज डा गया)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• ििोच्च न्यायालय के रं गनाथ तिश्रा तनर्तय (2003) िें कानूनी और सामावजक प्रवतबंधों दोनों के माध्यम से मौवलक कतयव्यों को लागू
करने का तकय वदया गया।
अतधकार ं और कितव्य ं क ििद्धन्वि करने के लाभ
• संतुवलत सामावजक अनुबंध सुवनवित करते हुए अवधकार और कतयव्य एक दू सरे के पूरक हैं ।
• कतयव्य अवधकारों का आनंद लेते हुए वजम्मेदाररयों की याद वदलाते हैं ।
• कतयव्य व्यक्तक्तगत स्वतंत्रता को प्रवतरवक्षत करते हैं और सामावजक पूंजी को संतुवलत करते हैं ।
• कतयव्य राज्य को लक्ष्य प्राप्त करने और स्वैक्तच्छक सेिा को बढ़ािा दे ने में सहायता करते हैं ।
• ये समाज में िां वत और सद्भाि सुवनवित करते हैं ।
अतधकार ं और कितव्य ं क िं िुतलि करने िें चुनौतियााँ
• कानू नी द्धस्थति िें अंिर: अवधकार न्यायिंगि हैं, जबवक कतयव्य न्यायसंगत नही ं हैं ।
• अवधकारों एिं कतयव्यों की प्रकृवत और दायरा अलग-अलग और कभी-कभी परस्पर विरोधी होते हैं ।
• कुछ कतयव्यों की अस्पिता और व्यक्तक्तपरकता धावमयक वसद्ां तों या सामावजक मानदं डों के साथ टकराि का कारण बन सकती है ।
• कुछ अवधकारों की पूवतय कतयव्यों के पालन के वलए पूिय ितय हो सकती है ।
सामावजक संतुलन बनाए रखने तथा रािरीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के वलए अवधकारों ि कतयव्यों का सामंजस्य आिश्यक है । अवधकारों
और कतयव्यों दोनों पर ध्यान केंवद्रत करने से संविधान की प्रस्तािना एिं अनुच्छेद 51A के तहत ,वनवहत मूल्ों को साकार वकया जा सकेगा, वजससे
एक िास्तविक लोकतां वत्रक समाज का वनमाय ण हो सकेगा।
PW - ONLYIAS EDGE : मुख्य परीक्षा के वलए प्रमुख वाक्ांश
सामावजक और राजनीवतक जीिन; सामंजस्यपूणय समाज; न्यावयक व्याख्याएँ ; लोकतां वत्रक समाज
भारतीय संविधान में वनवहत नागररकों के मौवलक कतयव्य, हालां वक लागू नही ं वकए जा सकते, सभी नागररकों के वलए एक नैवतक दावयत्व हैं । ये
कतयव्य एक वनरं तर अनुस्मारक के रूप में कायय करते हैं वक वजन अवधकारों का हम आनंद लेते हैं , िे संबद् वजम्मेदाररयों के साथ आते हैं ।
कोविड-19 महामारी द्वारा लाए गए परीक्षणों तथा संकटों के सामने, हमारे मौवलक अवधकारों के आनंद के साथ-साथ हमारे मौवलक कतयव्यों की
प्राक्तप्त और प्रदियन पहले से कही ं अवधक महत्वपूणय हो गया है ।
1. भारतीय संविधान रािर की एकता और अखंडता को बनाए रखने के वलए केंद्रीकरण की प्रिृवत्त प्रदवियत करता है । महामारी रोग अवधवनयम,
1897, आपदा प्रबंधन अवधवनयम, 2005 और हाल ही में पाररत फामय अवधवनयमों के पररप्रेक्ष्य में स्पि कीवजए। (2020)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
नागररकता की अिधारणा एक लोकतां वत्रक रािर के कामकाज के वलए महत्वपूणय है ,क्ोंवक यह एक व्यक्तक्त और राज्य के बीच संबंधों को रे खां वकत
करती है , उन अवधकारों, वििेषावधकारों ि कतयव्यों को पररभावषत करती है , जो एक व्यक्तक्त को प्राप्त होते हैं या रािर के प्रवत दे य होते हैं । भारि
का िंतिधान, भाग II और अनु च्छेद 5-11 के िहि, विस्तृत खं ड प्रदान करता है , जो नागररकता के विषय से संबंवधत है । संविधान की िुरुआत
में, नागररकता के स्वत: प्रदान वकए जाने, इसे प्राप्त करने तथा त्यागने के तरीकों और इस मामले पर कानून बनाने की संसद की िक्तक्त को
रे खां वकत वकया।
िं ि ै ध ातनक प्रािधान
● अनुच्छेद 5: संविधान के प्रारं भ में नागररकता।
● अनुच्छेद 6: पावकस्तान से भारत आए कुछ व्यक्तक्तयों के नागररकता के अवधकार।
● अनुच्छेद 7: पावकस्तान से आए कुछ प्रिावसयों की नागररकता का अवधकार।
● अनुच्छेद 8: भारत के बाहर रहने िाले भारतीय मूल के कुछ व्यक्तक्तयों के नागररकता के अवधकार।
● अनुच्छेद 9: स्वेच्छा से वकसी विदे िी राज्य की नागररकता प्राप्त करने िाले व्यक्तक्त नागररक नही ं होंगे।
● अनुच्छेद 10: नागररकता के अवधकारों की वनरं तरता.
● अनुच्छेद 11: संसद कानून द्वारा नागररकता के अवधकार को विवनयवमत करे गी।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
● जनजािीय िथा भूति: जनजातीय लोग एक क्षेत्र िे जु डे ह िे हैं और आजीविका तथा अपने आिास के वलए उन पर वनभयर होते हैं । िे
उत्साहपूियक अपनी भूवम की रक्षा करते हैं । आवदिावसयों की अपनी िासन प्रणाली एिं वििाद वनिारण तंत्र भी हैं ।
● भूति अतिििर्: आवदिावसयों ि अन्य लोगों (अंग्रेजों सवहत) के बीच उनकी भूवम पर अवतिमण को लेकर कई ऐवतहावसक टकराि हुए
हैं ।
● आतदिातिय ं का तहि: संविधान वनमाय ता आवदिावसयों के वहतों की रक्षा की वििेष आिश्यकता के प्रवत सचेत थे और इसवलए िोषण के
सभी स्रोतों से उनकी समग्र सामावजक-राजनीवतक सुरक्षा के वलए विविि प्रािधान प्रदान वकए।
● 5 िी ं और 6 िी ं अनुिूची: ये द अनु िूतचयां (पांचिी ं और छठी) मुख्य भूवम में कुछ 'अनु िूतचि क्षेत्र ं ' िथा उत्तर-पूिी भारत में कुछ
'आतदिािी क्षेत्र 'ं के वलए िैकक्तिक या वििेष िासन तंत्र प्रदान करती हैं ।
पां च िी अनु िू च ी
• अनुच्छेद 244 (1): पांचिी ं अनुिूची के प्रािधान • जनजािीय िलाहकार पररषद: अवधकतम 20 सदस्य वजसमें ¾
असम, मेघालय, वत्रपुरा और वमजोरम राज्यों के अनुसूवचत जनजावत विधायक होते है । यह राज्य विधानमंडल का वनमाय ण है
अलािा वकसी भी राज्य में अनुसूवचत क्षेत्रों तथा और इसमें सलाहकार िक्तक्त है ।
अनुसूवचत जनजावतयों के प्रिासन ि वनयंत्रण पर • राष्टरपति की शद्धियााँ: राष्टरपति क तकिी क्षेत्र को अनुसूवचत क्षेत्र घोवषत
लागू होंगे। करने का अवधकार है । िह संबंवधत राज्य के राज्यपाल के परामिय से इसके
• िितिान िें पांचिी ं अनुिूची के राज्य (10) है: आं ध्र क्षेत्र को बढ़ा या घटा सकता है , इसकी सीमा रे खाओं को बदल सकता है ,
प्रदे ि, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, वहमाचल प्रदे ि, वकसी क्षेत्र पर इस तरह के पुन: पदनाम के वलए नए आदे ि दे सकता है ।
झारखंड, मध्य प्रदे ि, महारािर, ओवडिा और • रािरपवत वकसी भी समय, इस संविधान के प्रारं भ से दस िषय की समाक्तप्त पर,
राजस्थान। आदे ि द्वारा राज्यों में अनुसूवचत क्षेत्रों के प्रिासन और इस अनुसूवचत
• राज्यपाल की शद्धि तकिी भी कानून को लागू न जनजावतयों के कल्ाण पर ररपोटय करने के वलए एक आय ग तनयुि कर
होने िाली घोवषत कर सकती है । िकिे हैं (अनुच्छेद 339)
• अनु िूतचि क्षेत्र ं िें पंचायि तिस्तार अतधतनयि • पां चिी और छठी अनुसूची दोनों के वलए अनुच्छेद 368 को लागू वकए वबना
(PESA) की प्रय ज्यिा: पंचायत के प्रािधान कोई भी िंश धन तकया जा िकिा है।
(अनुसूवचत क्षेत्रों तक विस्तार) अवधवनयम, 1996
पांचिी ं अनुिूची क्षेत्र ं िें लागू है ।
• अनु िूतचि क्षेत्र ं िें पंचायि तिस्तार अतधतनयि (PESA), 1996: पंचायत प्रािधान (अनुसूवचत क्षेत्रों तक विस्तार) अवधवनयम, 1996
पां चिी ं अनुसूची क्षेत्रों में लागू है ।
• आय ग की तनयुद्धि: रािरपवत वकसी भी समय और इस संविधान के प्रारं भ से दस िषय की समाक्तप्त पर आदे ि द्वारा राज्यों में अनुसूवचत
क्षेत्रों के प्रिासन तथा इस अनुसूवचत जनजावत के कल्ाण पर ररपोटय करने के वलए एक आय ग तनयुि कर िकिे हैं ( अनुच्छेद 339 )
• 5िी ं और 6िी ं अनुिूची िें िंश धन: पां चिी और छठी अनुसूची दोनों के वलए अनुच्छेद 368 को लागू वकए वबना कोई भी संिोधन वकया
जा सकता है ।
तकिी क्षे त्र क अनु िू त चि क्षे त्र घ तषि करने के िानदं ड (िं त िधान िें उद्धिद्धखि नही )ं
• जनजातीय आबादी की प्रधानता;
• क्षेत्र की सघनता और उवचत आकार;
• क्षेत्र की अविकवसत प्रकृवत; और
• लोगों के आवथयक स्तर में उल्लेखनीय असमानता।
पंचायि के प्रािधान (अनुिूतचि क्षेत्र ं िक तिस्तार) अतधतनयि, 1996
• अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) ने कुछ संिोधनों के साथ पंचायतों से संबंवधत संविधान के भाग IX के प्रािधानों को
अनुसूवचत क्षेत्रों तक बढ़ा वदया।
• िषय 2021 में अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) की 25िी ं िषयगाँ ठ मनाई गई है ।
अनु िूतचि क्षेत्र ं िें पंचायि तिस्तार अतधतनयि (PESA) के उद्दे श्य:
• जनजातीय आबादी के बडे वहस्से को स्व-िासन प्रदान करना।
• सहभागी लोकतंत्र के साथ ग्राम प्रिासन स्थावपत करना और ग्राम सभा को सभी गवतविवधयों का केंद्र बनाना।
• पारं पररक प्रथाओं के अनुरूप एक उपयुक्त प्रिासवनक ढां चा विकवसत करना।
• जनजातीय समुदायों की परं पराओं ि रीवत-ररिाजों की सुरक्षा और संरक्षण करना।
• जनजातीय आिश्यकताओं के अनुकूल विविि िक्तक्तयों के साथ उवचत स्तरों पर पंचायतों को सिक्त बनाना।
• उच्च स्तर पर पंचायतों को ग्राम सभा के वनचले स्तर पर पंचायतों की िक्तक्तयों और अवधकारों को संभालने से रोकना।
अतधतनयि के प्रािधान
• पंचायि ं पर राज्य कानून: यह प्रथागत कानून, सामावजक और धावमयक प्रथाओं और सामुदावयक संसाधनों के पारं पररक प्रबंधन प्रथाओं
के अनुरूप होगा।
• आतदिािी पहचान और िंस्कृति की रक्षा करना: प्रत्येक गां ि में एक ग्राि िभा होगी और यह लोगों की परं पराओं और रीवत-ररिाजों,
उनकी सां स्कृवतक पहचान, सामुदावयक संसाधनों और वििाद समाधान के पारं पररक तरीके की सुरक्षा तथा संरक्षण करने में सक्षम होगी।
• िािातजक-आतथतक तिकाि: ग्राम सभा सामावजक ि आवथयक विकास के वलए योजनाओं, काययिमों और पररयोजनाओं को ग्राम स्तर पर
पंचायत द्वारा कायाय न्वयन के वलए िुरू करने से पहले मं जूरी दे गी तथा गरीबी उन्मूलन और अन्य काययिमों के तहत लाभावथययों की पहचान
के वलए वजम्मेदार होगी।
• अनु िूतचि जनजाति के तलए आरक्षर्: अनुसूवचत जनजावत के वलए आरक्षण कुल सीटों की संख्या के आधे से कम नही ं होगा। इसके
अलािा, सभी स्तरों पर पंचायतों के अध्यक्ष ं की सभी सीटें अनुसूवचत जनजावतयों के वलए आरतक्षि की जाएं गी
• भूति अतधग्रहर् के तलए परािशत: विकास पररयोजनाओं के वलए अनुसूवचत क्षेत्रों में भूवम अवधग्रहण करने से पहले उवचत स्तर पर ग्राम
सभा या पंचायतों से परामिय वकया जाएगा।
• खतनज िं िाधन ं का द हन - नीलामी द्वारा गौण खवनजों के दोहन के वलए ररयायत दे ने के वलए उवचत स्तर पर ग्राम सभा या पंचायतों की
पूिय अनुिंसा अवनिायय होगी।
अनु िूतचि क्षेत्र ं िें पंचायि तिस्तार अतधतनयि (PESA) के कायातन्वयन िे िंबंतधि िुद्दे
• ख़राब कायातन्वयन - अनु सूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) अिक्त बना हुआ है , क्ोंवक इसके दायरे में आने िाले 40%
राज्य इसके अक्तस्तत्व के 25 िषों के बाद भी इसके कायाय न्वयन के वलए अपने वनयम नही ं बना पाए हैं । छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदे ि और
ओवडिा ने अभी तक वनयम भी नही ं बनाए हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• राज्य ं के कानून अनुिूतचि क्षे त्र ं िें पंचायि तिस्तार अतधतनयि (PESA) के िाथ अिं गि - अनुसूवचत क्षेत्रों िाले सभी 10 राज्यों ने
अपने राज्य अवधवनयमों को अवधवनयवमत या संिोवधत वकया है , लेवकन केंद्रीय अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) के
अक्षरिः और भािना के अनुरूप नही ं हैं ।
• 3 Fs की अनुपद्धस्थति - 3 Fs, यानी फंड-क ष, फंक्शन-कायत और फंक्शनरी-पदातधकारी के हस्तां तरण के अभाि में अनुसूवचत क्षेत्रों
में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) को संचालन में लाना बहुत मुक्तिल होगा।
• ग्राि िभा की िहिति के तबना भूति अतधग्रहर् - छत्तीसगढ़ के कोरबा वजले में सरकार कोल वबयररं ग/िहन अवधवनयम 1957 का
उपयोग कर जमीन अवधग्रहण कर रही है , खूंटी वजले में वजनकी जमीन अवधग्रवहत की गयी, उनमें से 65 फीसदी लोगों ने कहा वक उनसे
इसके बारे में पूछा तक नही ं गया।
• अतधकाररय ं का रिैया - यह अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) के कायाय न्वयन में एक और बाधा रही है । यहां तक
वक जब ग्राम सभाएं आयोवजत की जाती हैं , तब भी अवधकाररयों का दबदबा रहता है और िे ही अंवतम वनणयय सुनाते हैं ।
• आि ल ग ं िें जागरूकिा - ग्राम सभा की बैठकों में प्रायः सरपंच तथा अन्य प्रभाििाली ग्राम पंचायत सदस्यों का दबदबा रहता है और
िे बहुत कम उपक्तस्थत होते हैं । आम लोगों को इसकी काययप्रणाली के बारे में बहुत कम जानकारी है ।
• तनिाततचि प्रतितनतधय ं िें जागरूकिा: पंचायती राज सांस्थाओां (PRI)के बडी संख्या में वनिाय वचत प्रवतवनवध अधय-साक्षर या साक्षर हैं तथा
अपनी भूवमकाओं और वजम्मेदाररयों, काययिमों, प्रवियाओं, प्रणावलयों के बारे में बहुत कम जानते हैं ।
• ख़राब बुतनयादी ढााँचा: दे ि में बडी संख्या में ग्राम पंचायतों में पूणयकावलक सवचि तक नही ं है । लगभग 25 प्रवतित ग्राम पंचायतों में
बुवनयादी कायाय लय भिन नही ं हैं ।
• अन्य कानू न ं का अतधतनयिन: अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) को अवधवनयवमत करने के बाद, केंद्र सरकार कई
अन्य कानून लेकर आई और अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) के कई प्रािधानों को इन कानूनों में िावमल वकया।
उदाहरण के वलए, भूवम अवधग्रहण अवधवनयम, 2013 ने ग्राम सभाओं को अत्यवधक सिक्त बनाया। इसी प्रकार, िन अवधकार अवधवनयम,
2006 में अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अवधवनयम (PESA) के प्रािधान हैं ।
िुझाि
• पयातप्त प्रतशक्षर् प्रदान वकया जाए।
• ग्राम सभा के प्रभािी कामकाज के वलए सभी प्राथवमक वहतधारकों के बीच कानूनी जागरूकिा प्रदान की जानी चातहए। ग्राम सभा में
वनणयय लेने की प्रविया में मवहलाओं की भूवमका सुवनवित की जानी चावहए।
• दे ि की जनजातीय आबादी के अवधकारों की रक्षा के वलए नागररक ििाज क अतधकार आधाररि दृतष्टक र् पर अतधक ितियिा िे
काि करना ह गा।
• केंद्र िरकार क राज्य ं क मौजूदा कानूनों में संिोधन की प्रविया तेज करने का वनदे ि दे ना चावहए तावक िे अनुसूवचत क्षेत्रों में पंचायत
विस्तार अवधवनयम (PESA) के प्रािधानों का अक्षरि: पालन कर सकें।
• भारिीय िन अतधतनयि, भूति अतधग्रहर् अतधतनयि और अन्य संबंवधत अवधवनयमों में संिोधन करें तावक लघु िन उपज, जल वनकायों
और भूवम संसाधनों पर स्वावमत्व स्पि रूप से अनुसूवचत क्षेत्रों में पं चायत विस्तार अवधवनयम (PESA) क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को सौंप वदया
जाए।
ििथा तनर्तय (1997)
• आतदिािी भूति की खरीद पर र क: सिोच्च न्यायालय ने वनणयय सुनाया वक पांचिी ं अनुिूची राज्यपालों को वकसी भी ऐसी संस्था द्वारा
खनन गवतविवध के वलए आवदिासी भूवम की खरीद पर रोक लगाने का आदे ि दे ती है , जो राज्य के स्वावमत्व में नही ं है ।
• तनर्तय का तिर ध: हालाँ वक, इस वनणयय के कारण खान िंत्रालय की ओर िे तिपरीि प्रतितिया हुई, तथा बाद में आं ध्र प्रदे ि सरकार
की ओर से अपील की गई, वजसमें दािा वकया गया वक समथा का न केिल खनन क्षेत्र पर बक्तल्क गैर-कृवष गवतविवधयों, वििेषकर औद्योवगक
गवतविवधयों पर भी प्रवतकूल प्रभाि पडे गा। और इसका पूरे दे ि में आवथयक विकास पर असर पडे गा।
• जनजािीय स्वायत्तिा क किज र तकया गया: जिाब में, राज्यपालों को अनुसूवचत जनजावत की भूवम को सरकार को हस्तां तररत करने
और गैर-आवदिावसयों को आिांयित करने का वनरं कुि अवधकार वदया गया, वजससे िक्तक्त संतुलन बदल गया और जनजातीय स्वायत्तता के
घोवषत लक्ष्य को कमजोर कर वदया गया।
िरकारी पहल
• िन अतधकार अतधतनयि, 2006: इस अवधवनयम का उद्दे श्य िनों में रहने िाली अनुसूवचत जनजावतयों के िन अवधकारों को, मान्यता दे ना
और उनमें वनवहत करना है ।
• िनबंधु कल्ार् य जना: यह कल्ाणकारी योजना आवदिासी लोगों के उत्थान और आवदिासी छात्रों की विक्षा की गुणित्ता में सुधार
करना चाहती है ।
छठी अनु िू च ी
छठी अनुसूची में चार उत्तर-पूिी राज्यों अिि, िेघालय, तत्रपुरा और तिज रि िें आतदिािी क्षेत्र ं के प्रशािन के तलए तिशेष प्रािधान हैं।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िंिैधातनक प्रािधान:
• अनुच्छेद 244(2): छठी अनुिूची के प्रािधान अिि, िेघालय, तत्रपुरा और तिज रि राज्य ं के आतदिािी क्षेत्र ं के प्रशािन पर लागू
होंगे।
• अनुच्छेद 244A अिि में कुछ आवदिासी क्षेत्रों को वमलाकर एक स्वायत्त राज्य के गठन और एक स्थानीय विधावयका या मंवत्रपररषद या
दोनों के वनमाय ण से संबंवधत है ।
• इसमें यिफ़ॉल्ट रूप से केंद्रीि और राज्य कानून लागू नही ां होते हैं , और उन्हें स्पष्ट रूप से लागू करने की आिश्कता होती है । इसमें
स्वाित्त यिलोां (यिला पररर्द) और स्वाित्त क्षेत्रोां (क्षेत्रीि पररर्द) के प्रािधान हैं ।
• तजला पररषद: 26 वनिाय वचत सदस्य + 4 राज्यपाल द्वारा मनोनीत। यह संविधान का एक उत्पाद है तथा इसमें बजट तैयार करने की वित्तीय
िक्तक्त है ।
इन 4 राज्य ं िे अलग-अलग व्यिहार क् ं तकया गया ?
• जनजावतयों ने इन राज्यों में अन्य लोगों के जीिन और तौर-तरीकों को अवधक आत्मसात नही ं वकया है जबवक भारत के अन्य वहस्सों में
जनजातीय लोगों ने उन बहुसंख्यक लोगों की संस्कृवत को अपनाया है , वजनके बीच िे रहते हैं ।
• असम, मेघालय, वत्रपुरा और वमजोरम में जनजावतयों की जडें अभी भी अपनी संस्कृवत, रीवत-ररिाजों और सभ्यता में हैं । इसवलए, इन क्षेत्रों
के साथ संविधान द्वारा अलग व्यिहार वकया जाता है तथा इन लोगों को स्व-िासन के वलए बडी मात्रा में स्वायत्तता दी गई है ।
छठिी ं अनु िूची क्षेत्र ं िें प्रशािन की तिशेषिाएं :
• स्वायत्त तजले: इन राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त वजलों के रूप में गवठत वकया गया है , वजनमें से प्रत्येक में एक स्वायत्त वजला पररषद
है और प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक अलग क्षेत्रीय पररषद है , वजसमें 30 सदस्य होते हैं (26 सदस्य 5 िषय के काययकाल के वलए चुने जाते हैं
और 4 राज्यपाल द्वारा नावमत होते हैं ) ितयमान में, ऐसी 10 पररषदें हैं ।
• तिधायी शद्धि: वजला और क्षेत्रीय पररषदें राज्यपाल की सहमवत से भूवम, िन, नहर का जल, झूम खेती, ग्राम प्रिासन, संपवत्त की विरासत,
वििाह और तलाक, सामावजक रीवत-ररिाजों जैसे कुछ वनवदय ि मामलों पर कानून बना सकती हैं ।
• न्यातयक शद्धि: पररषदें जनजावतयों के बीच मुकदमों ि मामलों की सुनिाई के वलए ग्राम पररषदों या अदालतों का गठन कर सकती हैं
जहां इन मुकदमों और मामलों पर उच्च न्यायालय का क्षेत्रावधकार राज्यपाल द्वारा वनवदय ि वकया गया है ।
• तनयािक शद्धि: वजला, में प्राथवमक विद्यालयों, औषधालयों, बाजारों आवद की स्थापना, वनमायण या प्रबंधन कर सकती है । यह गैर-
आवदिावसयों द्वारा धन उधार दे ने और व्यापार पर वनयंत्रण के वलए वनयम भी बना सकता है । लेवकन ऐसे वनयमों के वलए राज्यपाल की
सहमवत की आिश्यकता होती है।
• कराधान शद्धि: वजला और क्षेत्रीय पररषदों को भूवम राजस्व का आकलन और संग्रह करने और कुछ वनवदय ि कर लगाने का अवधकार
वदया गया है ।
• िंिद या राज्य तिधानिंडल के अतधतनयि स्वायत्त वजलों एिं स्वायत्त क्षेत्रों पर लागू नही ं होते हैं या वनवदय ि संिोधनों और अपिादों के
साथ लागू होते हैं ।
• आय ग की तनयुद्धि - राज्यपाल स्वायत्त वजलों या क्षेत्रों के प्रिासन से संबंवधत वकसी भी मामले की जां च और ररपोटय करने के वलए एक
आयोग वनयुक्त कर सकता है । िह आयोग की वस़िाररि पर वकसी वजला या क्षेत्रीय पररषद को भंग कर सकता है ।
छठी अनु िूची क्षेत्र ं िें िुद्दे और चुनौतियााँ
• तित्तीय स्वायत्तिा का अभाि: छठी अनुसूची की गंभीर सीमाओं में से एक यह तथ्य है वक कानून बनाने और विकास काययिमों को लागू
करने के वलए पररषदों को दी गई िक्तक्तयां इसका पालन करने के वलए वित्तीय स्वायत्तता के साथ मेल नही ं खाती हैं ।
• राज्यपाल ं क आिश्यकिा िे अतधक शद्धियााँ: छठी अनुसूची क्षेत्रों में भी राज्यपाल को अयधक िक्तक्तयाँ सौंपी गई हैं , जो स्वायत्त वजला
पररषदों के स्वायत्त कामकाज में बाधा डाल सकती हैं ।
• िौंपे गए कायों िें तभन्निा: विवभन्न स्वायत्त पररषदों को सौंपे गए कायों में काफी वभन्नता है ।
o उदाहरर् के तलए , बोडोलैंड प्रादे विक पररषद के पास पूिोत्तर की अन्य स्वायत्त पररषदों की तुलना में अवधक िक्तक्तयाँ और विभाग
हैं , हालाँ वक बाद िाले कई दिकों से अक्तस्तत्व में हैं । इस क्तस्थवत के पररणामस्वरूप अन्य क्षेत्र अवधक िक्तक्तयों और स्वायत्तता की मां ग
करने लगे हैं ।
• अतनतिि काल के तलए स्थतगि चुनाि: स्वायत्त वजला पररषदों के भंग होने के बाद इसके पुनगयठन के वलए कोई अवनिायय समय सीमा
नही ं है , और इसवलए चु नाि अवनवित काल के वलए स्थवगत कर वदया गया है ।
• तिभाग ं का गैर-स्थानांिरर्: स्वायत्त पररषदों को विभागों का गैर-स्थानां तरण का मुद्दा।
• ितहलाओं और छ टी जनजातिय ं की भागीदारी: पररषदों में मवहलाओं ि छोटे जनजातीय समूहों की भागीदारी के प्रािधान का अभाि।
आगे की राह
• ितहला आरक्षर्: इन राजनीवतक संस्थानों से मवहलाओं के बवहष्कार को समाप्त करने के वलए स्वायत्त वजला पररषदों में मवहला प्रवतवनवधयों
के वलए एक वनवित संख्या में सीटों का आरक्षण अवनिायय वकया जाना चावहए।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• फंतडं ग/अनुदान: स्वायत्त वजला पररषदों को राज्य वित्त आयोग के अंतगयत िावमल वकया जाना चावहए। अनुदान को राज्य सरकारों के
मनमाने वििेक पर नही ं छोडा जाना चावहए।
• ििय पर चुनाि: स्वायत्त वजला पररषदों को उसके विघटन के छह महीने के भीतर पुनगयवठत वकया जाना चावहए।
• छ टे जनजािीय ििूह ं क आरक्षर्: स्वायत्त वजला पररषदों और अन्य राजनीवतक संस्थानों में छोटे जनजातीय समूहों के वलए आरक्षण
का प्रािधान होना चावहए।
• पारं पररक राजनीतिक िंस्थाएाँ : गाँ ि/टोला स्तर पर राज्य द्वारा औपचाररक रूप से मान्यता प्राप्त होनी चावहए।
जबवक संविधान की पां चिी ं और छठी अनुसूची का उद्दे श्य आवदिासी अवधकारों को सुरवक्षत करना तथा उनके कल्ाण को बढ़ािा दे ना है , लेवकन
जमीनी िास्तविकता एक विपरीत तस्वीर पेि करती है । भूवम हस्तां तरण, विस्थापन और कल्ाणकारी योजनाओं के खराब कायाय न्वयन जैसे
कारक क्तस्थवत में सुधार के वलए सविय उपायों की आिश्यकता को रे खां वकत करते हैं । इसके अलािा, इन संिैधावनक प्रािधानों का सार न केिल
आवदिासी भूवम की रक्षा करना है बक्तल्क उनकी अनूठी संस्कृवत और पहचान को संरवक्षत करना भी है । सरकार, न्यायपावलका और नागररक
समाज को इस उद्दे श्य की वदिा में सहयोगात्मक रूप से काम करना चावहए, वजससे यह सुवनवित हो सके वक भारत की सां स्कृवतक विरासत
फलती-फूलती रहे ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
भारत की संघीय संरचना दे ि की राजनीवत का एक वदलचस्प और जवटल पहलू है । यह न केिल हमारे लोकतंत्र का आधार है बक्तल्क केंद्र एिं
राज्यों के बीच संबंधों को भी वनयंवत्रत करता है । भारत के संघीय ढांचे में मुद्दों तथा चुनौवतयों की खोज में भारतीय संघिाद की गहन जां च, िैवश्वक
मॉडलों के साथ इसकी तुलना और इसकी चुनौवतयों एिं समकालीन वनवहताथों पर विचार िावमल है ।
िंघिाद िे िंबंतधि उपय गी उद्रर्
• संघिाद अब केंद्र-राज्य संबंधों की दोष रे खा नही ं , बक्तल्क टीम इं वडया की नई साझेदारी की पररभाषा है । - नरें द्र ि दी
• संघिाद सभी समूहों का वमलन वबंदु होना चावहए। -द्धखल राज रे ग्मी
• संघिाद को सभी के बीच एकता बनाए रखने में सक्षम होना चावहए। लेवकन इसका मतलब यह नही ं है वक हमें क्षेत्रीय आिाज़ों और
जातीय समूहों की आिाज़ों का बवहष्कार करना चावहए। -द्धखल राज रे ग्मी
• संघिाद भारतीय संविधान की मूल संरचना का वहस्सा है । – भारि का ििोच्च न्यायालय
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हालााँतक ये तिशेषिाएाँ एक िजबूि केंद्र की ओर झुकिी हैं, लेतकन यह भी िच है तक भारिीय िंतिधान िहकारी िंघिाद का प्रािधान
करिा है, जो केंद्र और राज्यों को रािरीय प्रगवत के वलए वमलकर काम करने के वलए प्रोत्सावहत करता है । िस्तु एिं िेिा कर पररषद, (िहकारी
िंघिाद का एक उदाहरर्) एक िंिैधातनक तनकाय है जो िस्तु एिं सेिा कर दरों पर वसफाररिें करती है , और इसमें केंद्र और सभी राज्यों
के प्रवतवनवध िावमल होते हैं ।
भारिीय िं घ िाद के ििक्ष चु न ौतियााँ
• राज्य िभा िें प्रतितनतधत्व: राज्यों की जनसंख्या के आधार पर राज्य सभा की संरचना, समान प्रवतवनवधत्व, आदिय संघिाद के वसद्ां त के
वलए एक चु नौती प्रस्तुत करती है ।
• आपािकालीन शद्धियां और स्वायत्तिा: केंद्र की आपातकालीन िक्तक्तयां ऐसी पररक्तस्थवतयों के दौरान राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर
करती हैं । यह संघिाद की भािना के विपरीत है ।
• राज्यपाल की भूतिका और राज्य ं की स्वायत्तिा: केंद्र के प्रवतवनवध के रूप में राज्यपाल की भूवमका, राज्यों की स्वायत्तता के वलए
चुनौवतयाँ पैदा करती है ।
• नए राज्य का गठन: राज्य के क्षेत्रोां और नामों को बदलने की संसद की िक्तक्त केंद्रीय प्रभुत्व को रे खां वकत करती है ।
• अद्धखल भारिीय िेिाएाँ और राज्य स्वायत्तिा: प्रिासवनक एकरूपता की पेिकि के बािजूद, भारतीय प्रिासवनक सेिा और भारतीय
पुवलस सेिा जैसी अक्तखल भारतीय सेिाएँ राज्यों की काययकारी िक्तक्तयों के वलए चुनौवतयाँ पेि करती हैं ।
• एकीकृि िशीनरी और स्वायत्तिा: एकीकृत चुनाि मिीनरी और ऑवडट मिीनरी, साथ ही राज्य विधेयकों पर िीटो भी केंद्रीय प्रभुत्व
और राज्य स्वायत्तता के बीच तनाि को दिाय ता है ।
• राज्य ं क िििु ल् शद्धिय ं का अभाि: अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र के समान राज्यों को समतुल् िक्तक्तयों का अभाि सं घीय ढां चे में
िक्तक्त असंतुलन को रे खां वकत करता है ।
हाल के घटनािि और उनके तनतहिाथत
• िहकारी िंघिाद केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक सहयोगी संबंध को संदवभयत करता है , जहां सरकार के दोनों स्तर वनणयय लेने की
प्रविया में एक साथ काम करते हैं और रािरीय विकास के वलए वजम्मेदाररयां साझा करते हैं । हाल के िषों में, समािेिी विकास सुवनवित
करने और रािर के सामने आने िाली विवभन्न चुनौवतयों का समाधान करने के वलए भारत में सहकारी संघिाद पर जोर बढ़ा है ।
• हाल के िषों में, सहकारी संघिाद केंद्र-राज्य संबंधों के वलए एक मॉडल के रूप में उभरा है , जो आपसी सहयोग और आम सहमवत पर
केंवद्रत है । हालाँ वक, इसे राज्यों को िस्तु एिं सेिा कर मुआिजे के मुद्दे और केंद्र प्रायोवजत योजनाओं के कायाय न्वयन जैसी चुनौवतयों का
सामना करना पडता है ।
• अंिर-राज्यीय तििाद: सीमाओं, संसाधनों और भाषा को लेकर कई अंतर-राज्यीय वििाद हुए हैं , जो संघषों में मध्यस्थता करने की संघीय
संरचना की क्षमता को चुनौती दे ते हैं ।
• राष्टरीय जनिंख्या रतजस्टर तििाद: इस वििाद ने केंद्र और राज्य की िक्तक्तयों के बीच तनाि की क्तस्थवत उत्पन्न की है ।
िौजूदा िंरचना िें कतियां:
• तित्तीय िंिाधन ं का अिंिुलन: केंद्र सरकार के पास राज्यों की तुलना में वित्तीय संसाधनों का बडा वहस्सा है , वजससे केंद्रीय अनुदान पर
वनभयरता और राज्यों के बीच वित्तीय असंतुलन पैदा होता है ।
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• अतिव्यापी क्षे त्रातधकार: संविधान में सू चीबद् समिती विषय, जै से विक्षा और िन, अक्सर केंद्र और राज्यों के बीच अवतव्यापी क्षेत्रावधकार
और वििादों का कारण बनते हैं ।
• केंद्रीकृि य जना: ऐवतहावसक रूप से, केंद्रीकृत योजना ने राज्यों और क्षेत्रों की विविि आिश्यकताओं की उपेक्षा की है , वजससे उनके
विकास में बाधा उत्पन्न हुई है ।
• अप्रभािी ििन्वय: नीवतयों और काययिमों को लागू करने में केंद्र और राज्यों के बीच खराब समन्वय के कारण प्रयासों में अक्षमता और
दोहराि हुआ है ।
• िुद्द ं का राजनीतिकरर्: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजनीवतक मतभेद सहयोग में बाधा डाल सकते हैं और नीवत कायायन्वयन पर
प्रवतकूल प्रभाि डाल सकते हैं ।
असमान प्रवतवनवधत्व और सीवमत स्वायत्तता जैसे मुद्दों के बािजूद, संघीय और एकात्मक तत्वों को संतुवलत करते हुए भारत की संघीय संरचना
अनुकूलनीय सावबत हुई है । ितयमान रुझान सहकारी संघिाद की ओर बदलाि का सुझाि दे ते हैं , वजसके वलए केंद्र-राज्य सहयोग की आिश्यकता
है । इसे िास्ति में प्रभािी बनाने के वलए, िक्तक्त असंतुलन को दू र करना और न्यायसंगत िक्तक्त वितरण की मां ग करना महत्वपूणय है । राजनीवतक
क्तस्थरता और जीिंत लोकतंत्र बनाए रखने के वलए एक मजबूत, उत्तरदायी संघीय प्रणाली आिश्यक है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• चरर् 4 (1989 िे आगे): केंद्र में गठबंधन सरकारों के आगमन ने संघीकरण प्रविया को आगे बढ़ाया है , वजसमें क्षेत्रीय दल वनणाय यक
भूवमका वनभा रहे हैं ।
कुछ चुनौवतयाँ हैं , भारत में केंद्र-राज्य संबंध गवतिील और विकासिील है । यह वनरं तर संिाद, संिैधावनक प्रािधानों के प्रवत सम्मान और साझा
वजम्मेदाररयों की समझ पर आधाररत हैं । इसीवलए एक स्वस्थ, सहकारी एिं प्रवतस्पधी संघिाद को बढ़ािा दे ना है , जो संविधान की भािना को
कायम रखता है तथा अपने विविध नागररकों की आकां क्षाओं को पूरा करता है । भारत की संघीय व्यिस्था में भविष् के सुधारों का लक्ष्य एक
मजबूत केंद्र की आिश्यकता और राज्यों की स्वायत्तता के सम्मान के बीच संतुलन बनाना होना चावहए।
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तिधायी तचंिाएाँ
• केंद्र द्वारा हाल ही में लागू वकए गए कृवष कानू नों, जैसे वकसान उपज व्यापार और िावणज्य अवधवनयम, को कुछ लोग राज्य की स्वायत्तता
के उल्लं घन के रूप में दे खते हैं ।
िहय ग और िंकट प्रबं धन
• केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग की कमी के कारण अक्सर तदिी के अस्पिाल ं िें ऑक्सीजन की किी जै िे िंकट का सामना
करना पडा।
• सरकारी स्तरों के बीच खराब समन्वय के कारण बढ़े प्रिासी संकट ने लाखों प्रिावसयों को अपने काययस्थल छोडने के वलए मजबूर वकया।
लोकतां वत्रक विकिों और िासन की गुणित्ता को बढ़ाने के वलए सहकारी संघिाद महत्वपूणय है । इसवलए, केंद्र और राज्य सरकारों को इस
महामारी से वनपटने के वलए आम योजनाएं और रणनीवत तैयार करने के वलए अंतर-राज्य पररषदों जैसे मंचों का उपयोग करके वमलकर काम
करना चावहए।
PW - ONLYIAS EDGE : मुख्य परीक्षा के वलए प्रमुख वाक्ांश
ऐतिहातिक तिकाि; िहकारी िंघिाद; प्रतिस्पधी िंघिाद; अिितिि िंघिाद; तित्तीय िंिाधन ं का आिंटन
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• आज, नीवत वनमाय ण प्रविया में राज्यों की सिीयता पहले से कही ं अवधक होने के कारण, इन आयोगों की विवभन्न वसफाररिों को लागू
करने की तत्काल आिश्यकता है ।
• स्वास्थ्य, विक्षा और पयाय िरण जैसे क्षेत्रों में राज्यों की बढ़ती भूवमका के वलए वििुद् रूप से केंद्र-संचावलत दृविकोण से अवधक सहकारी
संघिाद दृविकोण की ओर बदलाि की आिश्यकता है ।
• िस्तु एिं सेिा कर पररषद के कामकाज, विवभन्न रैं वकंग और सूचकां कों के माध्यम से प्रवतस्पधी संघिाद को अपनाने और कोविड-19
महामारी जैसे संकट के दौरान केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग में यह बदलाि धीरे -धीरे स्पि हो रहा है ।
तनष्कषत: केंद्र-राज्य संबंधों का बेहतर प्रबंधन रािर के समग्र विकास और प्रगवत के वलए महत्वपूणय है । जैसा वक डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने ठीक ही
कहा था, "यद्यवप दे ि और लोगों को प्रिासन की सुविधा के वलए अलग-अलग राज्यों में विभावजत वकया जा सकता है , लेवकन दे ि एक अवभन्न
अंग है , इसके लोग एक ही स्रोत से प्राप्त एक साम्राज्य के तहत रहने िाले एकल लोग हैं ।"
नीति आय ग - िहकारी िं घिाद क बढािा दे ने का एक उपकरर्
2015 में स्थावपत नेिनल इं स्टीट्यूिन फॉर टर ां सफॉवमंग इं वडया (नीवत) आयोग, एक महत्वपूणय संस्था है वजसका उद्दे श्य सहकारी संघिाद को
बढ़ािा दे ना और पूरे दे ि में सतत विकास सुवनवित करना है । यह केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल बनाने का प्रयास करता है तथा भारत की
नीवत-वनमाय ण प्रविया को चलाने में महत्वपूणय है । आयोग राज्यों के बीच आवथयक और सामावजक असमानताओं को दू र करने एिं समग्र विकास
के वलए एक मंच प्रदान करने में सहायक है ।
नीति आय ग की उत्पतत्त
• इसने योजना आयोग का स्थान वलया, वजसकी राज्यों की विवििता के वलए सीवमत स्थान प्रदान करने िाली ऊपर से नीचे दृविकोण और
“सभी के वलए एक आकार नीवत” के वलए आलोचना की गई थी।
• संघिाद की भािना का उल्लंघन करते हुए धन के आिंटन पर वनयंत्रण के वलए योजना आयोग की भी आलोचना की गई।
प्रभािी शािन के िाि स्तंभ
• नीवत आयोग प्रभािी िासन के सात स्तंभों पर खडा है : जन-समथयक, सवियता, भागीदारी, सिक्तक्तकरण, समािेिन, समानता और
पारदवियता।
नीति आय ग का िहत्व
• नीवत आयोग राज्यों के बेहतर प्रवतवनवधत्व और मंत्रालयों के साथ अवधक सीधे संपकय के साथ सहकारी संघिाद का प्रतीक है ।
• यह समग्र जल प्रबंधन सूचकां क जैसी ररपोटय प्रकावित करके प्रवतस्पधी संघिाद को बढ़ािा दे ता है ।
• यह विकास वनगरानी और मूल्ां कन कायाय लय के माध्यम से विवभन्न मंत्रालयों के प्रदियन का मूल्ां कन करता है एिं जिाबदे ही स्थावपत
करता है ।
• यह रणनीवतक, दीघयकावलक नीवतयों और काययिम रूपरे खाओं का सुझाि दे कर नीवत वनमाय ण में सहायता करता है । यह तीन िषीय कायय
एजें डा, पंद्रह िषीय विजन तथा सात िषीय रणनीवत के वनमाय ण में िावमल है ।
• यह निाचार और उद्यमिीलता सहायता प्रणाली उत्पन्न करता है तथा िासन में सिोत्तम प्रथाओं के स्रोत के रूप में कायय करता है ।
• एक सलाहकार वनकाय होने के बािजूद, यह विवभन्न क्षेत्रों और राज्यों के सामने आने िाले समान मुद्दों को हल करने में मदद करता है ।
नीति आय ग िे जुडे िुद्दे
• नीवत आयोग को राज्यों को धन आिंटन और प्रितयनीयता िक्तक्त में वििेक की कमी के वलए आलोचना का सामना करना पडता है ।
• इस पर अक्सर सरकारी और वनजी क्षेत्र की पररयोजनाओं के प्रवत पक्षपात का आरोप लगाया जाता है ।
• आयोग को अभी भी ग्रामीण स्तर पर विश्वसनीय योजना के वलए तंत्र विकवसत करने का अपना लक्ष्य हावसल करना बाकी है ।
नीति आय ग की पहल
• नीवत आयोग ने कई पहल की हैं , वजनमें निाचार पाररक्तस्थवतकी तंत्र में सुधार, अवधक जिाबदे ही सुवनवित करना, अविकवसत क्षेत्रों में विकास
को बढ़ािा दे ना, कृवष और वचवकत्सा विक्षा में सुधारों को लागू करना और वडवजटल भुगतान को प्रोत्सावहत करना िावमल है ।
• अन्य पहलों में आकां क्षी वजला काययिम, रणनीवतक विवनिेि वसफाररिें, पोषण अवभयान और नीवतयों एिं अवधवनयमों को तैयार करने में
सहायता िावमल है ।
• यह सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकां क, अटल इनोिेिन वमिन (एआईएम) और दपयण पोटय ल की भी दे खरे ख करता है ।
आगे की राह
• नीवत आयोग और वित्त आयोग की भूवमकाओं में संतुलन बनाने की जरूरत है । आयोग को राज्यों के बीच विकास संबंधी असमानताओं को
दू र करने के वलए वित्त पोषण की िक्तक्त दी जानी चावहए।
• इसे नौकरिाही के भीतर जिाबदे ही बढ़ाने और नीवत-वनमाय ण में वहतधारकों की एक विस्तृत श्ृंखला को िावमल करने पर भी ध्यान केंवद्रत
करना चावहए।
नीवत आयोग भारत की नीवत-वनमाय ण मिीनरी का एक आिश्यक अंग है । यह समािेिी विकास और सतत विकास की वििेषता िाले 'नि भारत'
के दृविकोण को प्राप्त करने का अवभन्न अंग है । इसे सुवनवित करने के वलए, इसे अपनी चुनौवतयों का समाधान करने और राज्यों एिं क्षेत्रों की
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
विविध आकांक्षाओं को प्रवतवबंवबत करते हुए अवधक नीचे से ऊपर दृविकोण के साथ विकवसत होने की आिश्यकता है । भारत को बदलने में
इसकी भूवमका को कम करके आं का नही ं जा सकता है और भारत को अवधक समृद् भविष् की वदिा में मागयदियन करने में इसकी प्रभािकाररता
तथा प्रभाि को और बढ़ाने के वलए इसे आिश्यक समथयन वदया जाना चावहए।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
● वििादों को वनपटाने के वलए कोई वनधाय ररत समय सीमा नही ं है , वजससे काफी दे री होती है ।
● न्यायावधकरण के वनणययों में प्रितयन तंत्र का अभाि है ।
● वटर ब्यूनल के फैसलों के क्तखलाफ अपील से वनपटान में और दे री हो सकती है ।
िंरचनात्मक और प्रवियात्मक द न ं पहलुओ ं िें िंभातिि अपयातप्तिाएाँ
िंरचनात्मक अपयातप्तिाएाँ :
• ये प्रणाली के भीतर अंतवनयवहत सीमाएँ हैं , जो वििादों को प्रभािी ढं ग से संबोवधत करने और हल करने की इसकी क्षमता को प्रवतबंवधत
करती हैं ।
• एक संरचनात्मक मुद्दा संविधान में ही वनवहत है , जो पानी को राज्य सूची में रखता है , वजससे राज्य की सीमाओं को पार करने िाले जल
संसाधनों पर संघषय होता है ।
• उदाहरण के वलए, इस संरचनात्मक मुद्दे के कारण कनाय टक और तवमलनाडु के बीच कािेरी जल वििाद लंबा क्तखंच गया है , वजससे
सामावजक अिां वत तथा आवथयक नुकसान हुआ है ।
प्रवियात्मक अपयातप्तिाएाँ :
• ये वििाद समाधान तंत्र के कायायन्वयन और संचालन से संबंवधत मुद्दे हैं ।
• अंतर-राज्य जल वििाद अवधवनयम, 1956, वििादों को सुलझाने के वलए एक न्यायावधकरण के वनमायण का आदे ि दे ता है ।
• हालाँ वक, इस प्रविया के धीमे होने और अक्सर अपने स्वयं के आदे िों को लागू करने में विफल रहने के वलए आलोचना की गई है ।
• उदाहरण के वलए, 1986 में स्थावपत रािी-ब्यास जल न्यायावधकरण का समाधान अभी भी लंवबत है ।
आगे की राह
• िजबूि िंत्र: वटर ब्यूनल के आदे िों को लागू करने के वलए एक मजबूत तंत्र की आिश्यकता है ।
• तिशेषज् ििथतन: न्यायावधकरण को विषय िस्तु वििेषज्ञों द्वारा समवथयत होना चावहए।
• डे टा पर तिचार: नदी बेवसन डे टा के साथ-साथ, िषाय , जलिायु पररितयन और राज्यों की ज़रूरतों जैसे अन्य कारकों पर भी विचार वकया
जाना चावहए।
• िहय ग: वटर ब्यूनल के फैसले के बाद सुप्रीम कोटय में अपील की संभािना को दे खते हुए, केंद्र-राज्य एिं राज्य-राज्य सहयोग बढ़ाना आिश्यक
है ।
• िंरक्षर्: पाररक्तस्थवतक बहाली, जलीय जैि विविधता संरक्षण और मानि उपयोग के वलए जल आपूवतय -मां ग को संतुवलत करने को द्रोणी
योजना प्रबंधन में िावमल वकया जाना चावहए।
• नदी द्र र्ी िुद्द ं का ििाधान: नदी द्रोवणयों के प्रमुख मुद्दों एिं जोक्तखमों से वनपटने के वलए लघु तथा दीघयकावलक रणनीवतयों की
आिश्यकता है ।
• िंकट िाझा करने का फॉिूतला: सुप्रीम कोटय को सूखे के मौसम के वलए व्यािहाररक संकट-साझाकरण फॉमूयले पर राज्यों के समझौते
को सुविधाजनक बनाने की आिश्यकता है ।
• िंस्थागि िंत्र: सिोच्च न्यायालय को न्यायावधकरण आदे िों को लागू करने के वलए आिश्यक तंत्र के बारे में कानूनी प्रश्नों को स्पि करना
चावहए।
• अ-राजनीतिकरर्: राजनीवतक बातचीत का विकि तैयार करना नदी जल वििादों का एकमात्र वटकाऊ, दीघयकावलक समाधान है ।
भारत में अंतरराज्यीय नदी वििाद, जो आजीविका को प्रभावित कर रहे हैं , के वलए बहुआयामी समझ और वटकाऊ समाधान की आिश्यकता है ।
जल को समिती सूची में िावमल करने से स्पिता आ सकती है , जबवक नदी बेवसन संगठन नवदयों का प्रबंधन कर सकते हैं । पानी को सीवमत
मानना और कुिल उपयोग को बढ़ािा दे ना, जैसे वक वडर प वसंचाई, महत्वपूणय है । जल प्रिासन के वलए एक सहयोगात्मक दृविकोण की तत्काल
आिश्यकता है ।
िं घ ीय गतिशीलिा की ििीक्षा: छ टे राज्य ं की िां ग और दू िरे राज्य पु नगत ठन आय ग की आिश्यकिा
भारत में संघिाद पर चचाय अक्सर राज्य की स्वायत्तता को रािरीय एकता के साथ संतुवलत करती है । इससे क्षेत्रीय आकांक्षाओं, सां स्कृवतक विवििता,
प्रिासवनक दक्षता और समान विकास के कारण विदभय और पूिांचल जैसे छोटे राज्यों की मां ग बढ़ रही है । ये कारक भारत में संघीय पुनगयठन
पर बातचीत को आकार दे रहे हैं।
छ टे राज्य ं की िााँग ं की उत्पतत्त
• कि राजनीतिक प्रतितनतधत्व: कुछ क्षेत्रों से मुख्य धारा की राजनीवतक भागीदारी और वनणयय लेने की कमी अक्सर छोटे राज्यों की मांग
को बढ़ािा दे ती है ।
• िांस्कृतिक तितशष्टिा: वकसी राज्य के एक वििेष क्षेत्र में भाषा, जनजावत आवद पर आधाररत अवद्वतीय सां स्कृवतक पहचान अक्सर राज्य
के दजे के वलए एक सम्मोहक मामला बनाती है । पविम बंगाल से गोरखालैंड की मां ग इसका उदाहरण है ।
• प्रशाितनक उपे क्षा: कवथत प्रिासवनक अक्षमता और राज्य के सत्ता केंद्रों से उत्पन्न अलगाि की भािना ऐसी मां गों को बढ़ाती है ।
• ि ट बैंक की राजनीति: राजनीवतक दल कभी-कभी चु नािी लाभ के वलए क्षेत्रिाद और अलगाििाद की आग भडकाते हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• क्षेत्रीय अििानिा: आवथयक वपछडापन, अभाि और भेदभाि अक्सर अलग राज्यों की मां ग को रे खां वकत करते हैं , जैसा वक उत्तर प्रदे ि में
बुन्देलखण्ड और पूिां चल के मामले में स्पि है ।
छ टे राज्य ं के लाभ
• प्रशाितनक दक्षिा: छोटे राज्य संभावित रूप से प्रिासवनक दक्षता बढ़ाते हैं , वजससे बेहतर संसाधन उपयोग सुवनवित होता है ।
• बेहिर राजक षीय प्रबंधन: ये राज्य एक केंवद्रत िासन प्रणाली के कारण बेहतर राजकोषीय प्रबंधन सक्षम कर सकते हैं ।
• क्षेत्रीय आिश्यकिाओं क िंब तधि करना: िे अपने क्षेत्रों की अनूठी मां गों, जरूरतों और समस्याओं को कुिलतापूियक पूरा कर सकते
हैं ।
• तिकािात्मक प्रतिस्पधात क बढािा दे ना: छोटे राज्य बेहतर विकास पररणामों के वलए एक-दू सरे के बीच प्रवतस्पधाय को बढ़ािा दे सकते
हैं ।
• इष्टिि िंिाधन आिंटन: एक छोटा राज्य प्रिासवनक खचों में महत्वपूणय िृक्तद् नही ं कर सकता है , इसके बजाय संसाधनों को विकास
कायों की ओर ले जा सकता है ।
• िििािादी तिकाि: ऐसे राज्य क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने और समािेिी विकास को बढ़ािा दे ने में योगदान दे सकते हैं ।
• अििंख्यक ं क िशि बनाना: जैसा वक डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने सुझाि वदया, अिसंख्यकों को छोटे राज्यों में राजनीवतक सत्ता और
िासन तक बेहतर पहुं च वमल सकती है ।
छ टे राज्य ं िे जुडी चुनौतियााँ
• अिंि षजनक प्रदशत न: उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखं ड और ते लंगाना जैसे निगवठत राज्यों का प्रदियन कई विकासात्मक संकेतकों पर
पूरी तरह से संतोषजनक नही ं रहा है ।
• नेिृत्व की किी: निगवठत राज्यों में पररपक्व नेतृत्व की कमी के पररणामस्वरूप अक्सर िासन की कमी होती है ।
• राजक षीय दबाि: नई प्रिासवनक मिीनरी और संस्थानों का वनमाय ण राजकोषीय संसाधनों पर महत्वपूणय दबाि डालता है ।
• केंद्र पर तनभतरिा: छोटे राज्य अक्सर वित्तीय सहायता के वलए केंद्र सरकार पर काफी हद तक वनभयर रहते हैं ।
• आधारभूि िंरचना की किी: निगवठत राज्यों को आिश्यक बुवनयादी ढां चे की कमी का सामना करना पड सकता है , वजससे विकास
के वलए काफी समय, धन और प्रयास की आिश्यकता होगी।
भारत की विकवसत हो रही संघीय संरचना को बदलती िास्तविकताओं के अनुकूल होना चावहए, क्षेत्रीय आकां क्षाओं को प्रवतवबंवबत करना चावहए
और आवथयक व्यिहाययता पर विचार करते हुए प्रिासवनक दक्षता के वलए प्रयास करना चावहए। छोटे राज्यों की बढ़ती मां ग आवथयक व्यिहाययता
और साियजवनक आकां क्षाओं दोनों को ध्यान में रखते हुए भारत के संघीय मानवचत्र को वफर से वनवमयत करने के वलए दू सरे राज्य पुनगयठन आयोग
की आिश्यकता को रे खां वकत करती है ।
PW - ONLYIAS EDGE : मुख्य परीक्षा के वलए प्रमुख वाक्ांश
संघीय गवतिीलता; कम राजनीवतक प्रवतवनवधत्व; प्रिासवनक दक्षता; िोट बैंक की राजनीवत; क्षेत्रीय असमानता; राजकोषीय प्रबंधन; केंद्रीकरण;
राज्य की स्वायत्तता
• वििेष श्ेणी का दजाय प्राप्त राज्यों ने उन क्षेत्रों में कोई उल्लेखनीय सुधार नही ं वदखाया है जहां उन्ें कर प्रोत्साहन प्राप्त हुआ था।
• कुछ राज्यों को दजाय दे ने से अन्य राज्यों द्वारा इसी तरह की मां ग तेज हो सकती है ।
रघुराि राजन ितिति द्वारा सुझाई गई 'अि तिकतिि राज्य 'ं की अिधारणा, वििेष श्ेणी की क्तस्थवत का एक विकि हो सकती है । इस तरह
के पुनवनयदेिन से समकालीन चु नौवतयों का समाधान करने और राज्यों में संसाधनों के अवधक न्यायसंगत वितरण को बढ़ािा दे ने में मदद वमल
सकती है ।
अनु च्छे द 370
अनु च्छेद 370 भारत के संविधान में एक वििेष वनयम था, वजसने जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र को अपने स्वयं के कानू न, एक अवद्वतीय र्ध्ज और
कई चीजों पर वनयंत्रण वदया। यह ऐसा था जैसे जम्मू और कश्मीर को भारत के अन्य क्षेत्रों की तुलना में कुछ वििेष वििेषावधकार प्राप्त थे। 5
अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने इस वििेष वनयम को रद्द करने का वनणयय वलया। उसके बाद, जम्मू और कश्मीर अब एक राज्य नही ं रहा,
बक्तल्क केंद्र सरकार द्वारा सीधे िावसत दो क्षेत्रों में विभावजत हो गया। इन्ें केंद्र िावसत प्रदे ि कहा जाता है और दो नए क्षेत्र का नाम जम्मू-कश्मीर
और लद्दाख रखा गया है ।
अनुच्छेद 370 क रद्द करने के तनतहिाथत
• अलग िंतिधान की ििाद्धप्त: जम्मू-कश्मीर में अब अलग संविधान, र्ध्ज और रािरगान नही ं रहे गा।
• एकल नागररकिा: जम्मू -कश्मीर में दोहरी नागररकता प्रणाली का अक्तस्तत्व समाप्त हो जाएगा, वजससे एकल नागररकता प्रणाली को रास्ता
वमलेगा।
• कानू न ं की एक ििान प्रय ज्यिा: सूचना का अवधकार अवधवनयम सवहत भारतीय संसद द्वारा अवधवनयवमत सभी कानून, जम्मू-कश्मीर
पर लागू होंगे।
• रर्बीर दं ड िंतहिा का अतधििर्: क्षेत्र की मौजूदा दं ड संवहता, रणबीर दं ड संवहता, को भारतीय दं ड संवहता द्वारा प्रवतस्थावपत वकया
जाएगा।
• अनुच्छेद 35ए क रद्द करना: अनु च्छेद 35ए, जो पहले राज्य के स्थायी वनिावसयों को वििेष अवधकार और वििेषावधकार प्रदान करता
था, को अमान्य कर वदया गया है ।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शातिि प्रदे श ं की नई द्धस्थति
• िंिदीय प्रतितनतधत्व: जम्मू -कश्मीर में अब पां च लोकसभा सीटें होंगी, जबवक लद्दाख में एक होगी।
• प्रशाितनक पररिित न: जम्मू -कश्मीर का प्रिासन अब राज्यपाल के बजाय उपराज्यपाल द्वारा वकया जाएगा।
• तिधायी शद्धि: केंद्र िावसत प्रदे ि जम्मू-कश्मीर में पां च साल की अिवध िाली एक विधान सभा होगी। यह विधानसभा साियजवनक व्यिस्था
और पुवलस को छोडकर राज्य एिं समिती सूची में उक्तल्लक्तखत विषयों पर कानून बना सकती है ।
अनुच्छेद 370 क हटाने के पीछे िकत
• अनुच्छेद 370 की क्षतर्क प्रकृति: अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी और संिमणकालीन प्रािधान के रूप में संविधान में एकीकृत वकया
गया था।
• ल किांतत्रक घाटा: सूचना का अवधकार अवधवनयम और विक्षा का अवधकार अवधवनयम सवहत कई प्रगवतिील कानून पहले जम्मू-कश्मीर
पर लागू नही ं थे।
• शािन और तिद्र ह: इस क्षेत्र में कुिासन और विद्रोह का अनुभि हुआ जो 1990 के दिक की िुरुआत में िुरू हुआ।
• अंिरातष्टरीय घटनाएाँ : अफगावनस्तान में तावलबान के पुनरुत्थान और अमेररका तथा पावकस्तान के मेल-वमलाप के कारण जम्मू -कश्मीर में
मुद्दों का समाधान आिश्यक हो गया।
• अलगाि और पु निाति: क्षेत्र की विविि क्तस्थवत के कारण लद्दाख के लोगों का सामावजक-आवथयक पतन हुआ और कश्मीरी पंवडतों के
पुनिाय स में बाधा उत्पन्न हुई।
• आतथतक तिकाि िें बाधा: अवद्वतीय भूवम कानूनों ने क्षेत्र में भूवम की कीमतों में िृक्तद् को रोक वदया, वजससे आवथयक विकास में बाधा उत्पन्न
हुई।
तिशेष दजात रद्द करने के लाभ
• िुख्यधारा: समान कानून और नीवतयां जम्मू-कश्मीर एिं लद्दाख के लोगों को िेष भारत के साथ एकीकृत करें गी।
• ल किंत्र क िजबूि बनाना: सूचना का अवधकार, विक्षा का अवधकार, अनुसूवचत जावत और अनुसूवचत जनजावत (अत्याचार वनिारण)
अवधवनयम जैसे प्रगवतिील कानून क्षेत्र में लागू होंगे।
• ििािेशी तिकाि: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को विकास के अवधक अिसर वमलेंगे।
• आतथतक तिकाि: वनिेि के बढ़ते अिसरों के साथ, दोनों केंद्रिावसत प्रदे िों में आवथयक गवतविवधयों में िृक्तद् का अनुमान है ।
• बेहिर प्रशािन: बेहतर वचवकत्सा और विक्षा सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं , और भ्रिाचार पर अवधक प्रभािी ढं ग से अंकुि लगाया जा
सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
1. जबवक भारत में रािरीय राजनीवतक दल केंद्रीकरण के पक्ष में हैं , क्षेत्रीय दल राज्य की स्वायत्तता के पक्ष में हैं । वटप्पणी। (2022)
2. आप कहां तक सोचते हैं वक सहयोग, प्रवतस्पधाय और टकराि ने भारत में संघ की प्रकृवत को आकार वदया है ? अपने उत्तर की पुवि के वलए
कुछ हावलया उदाहरण उद् धृत करें । (2020)
3. न्यायालयों द्वारा विधायी िक्तक्तयों के वितरण से संबंवधत वििादास्पद मुद्दों के समाधान से, 'संघीय सिोच्चता का वसद्ां त' और 'सामंजस्यपूणय
वनमाय ण' सामने आया है । व्याख्या करें । (2019)
4. हाल के िषों में सहकारी संघिाद की अिधारणा पर तेजी से जोर वदया गया है । मौजूदा तंत्र में कवमयों पर प्रकाि डालें और वकस हद तक
सहकारी संघिाद कवमयों का समाधान कर पाएगा। (2015)
5. यद्यवप हमारे संविधान में संघीय वसद्ां त प्रमुख है और यह वसद्ां त इसकी बुवनयादी वििेषताओं में से एक है , लेवकन यह भी उतना ही सच
है वक भारतीय संविधान के तहत संघिाद एक मजबूत केंद्र के पक्ष में झुकता है , एक ऐसी वििेषता जो मजबूत संघिाद की अिधारणा के
क्तखलाफ है । चचाय करें । (2014)
6. अंतरराज्यीय जल वििादों को हल करने के वलए संिैधावनक तंत्र समस्याओं को संबोवधत करने और हल करने में विफल रहे हैं । क्ा
विफलता संरचनात्मक या प्रविया अपयाय प्तता या दोनों के कारण है? चचाय करें । (2013)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
मोंटेस्क्ू द्वारा िुरू की गई िक्तक्तयों के पृथक्करण की अिधारणा आधुवनक लोकतां वत्रक िासन के वलए एक मजबूत स्तम्भ के रूप में कायय
करती है । यह िासन के तीन अंगों: विधायी, काययकारी और न्यावयक की िकालत करता है , इसका उद्दे श्य िक्तक्तयों के केन्द्रीकरण को रोकना
तथा वनयंत्रण एिं संतुलन की क्तस्थवत प्रदान करना है । हालाँ वक भारतीय संविधान स्पि रूप से इस वसद्ां त का समथयन नही ं करता है , लेवकन इस
संरचना पर ही आधाररत है वजससे एक जवटल परस्पर विया और तीनों अंगों के मध्य कभी-कभी कायाय त्मक अवतव्यापन की क्तस्थवत दे खने को
वमलती है ।
िं ि ै ध ातनक उपबं ध और शद्धिय ं का पृ थ क्करर्
• अंितनततहि तिद्ांि: भारतीय संविधान िक्तक्तयों के पृथक्करण के वसद्ां त को अनुच्छेद 50, 122, और 212 में अंतवनयवहत रूप में िावमल
करता है । तथा तीनों अंगों के मध्य संतुलन बनाए रखने मे योगदान करता हैं ।
• अनुच्छेद 50: यह राज्य से न्यायपावलका और काययपावलका के बीच स्पि विच्छे द के वलए प्रयास करने का आग्रह करता है ।
• अनुच्छेद 122 और 212: ये अदालतों को संसदीय और विधायी काययिावहयों में दखल से रोकते हैं , वजससे न्यावयक और विधायी क्षेत्र प्रभािी
रूप से अलग हो जाते हैं ।
शद्धिय ं के पृ थक्करर् के तितभन्न िॉडल
• दे श ं िें तभन्निा: रािर अपनी अनू ठी िासन प्रणावलयों के अनुसार िक्तक्तयों के पृथक्करण के वसद्ांत को लागू करते हैं ।
• यूएि िॉडल: संयुक्त राज्य अमेररका िक्तक्तयों के पृथक्करण मॉडल का सख्त रूप से पालन करता है , जो तीन िाखाओं के कायों को स्पि
रूप से सीमां वकत करता है ।
• यूके और भारि िॉडल: ये दे ि अवधक सामान्य दृविकोण अपनाते हैं , वजसमें व्यािहाररक िासन सुवनवित करने के वलए कायाय त्मक और
कावमयक दोनों को अवतव्यापन करने की अनुमवत वमलती है ।
कायत प ातलका और तिधातयका के बीच कायात त्मक अतिव्यापन
• कायतपातलका-तिधातयका िें परस्पर तिया: वसद्ां त के बािजूद, कायों में पयाय प्त
अवतव्यापन है , जैसे वक काययपावलका और विधावयका दोनों के प्रमुख के रूप में
रािरपवत की दोहरी भूवमका।
• अध्यादे श प्रख्यातपि करना: अध्यादे ि प्रख्यावपत करने का रािरपवत का अवधकार,
मुख्य रूप से एक विधायी कायय होने के बािजूद, विवभन्न अंगों के बीच कायाय त्मक
अवतव्यापन को इं वगत करता है ।
अध्यादे श प्रख्यापन का िुद्दा:
• आपािकालीन प्रािधान: अध्यादे ि प्रख्यापन, वजसे मूल रूप से एक
आपातकालीन प्रािधान के रूप में माना गया था, ने काययकारी और विधायी िक्तक्तयों
के बीच की रे खाओं को तेजी से धुंधला कर वदया है ।
• िंतिधान िभा की बहि: सभा ने इस बात पर प्रकाि डाला वक विधायी समथयन
की कमी के समाधान के वलए अध्यादे ि की िक्तक्त का उपयोग नही ं वकया जाना
चावहए।
• िुप्रीि क टत के फैिले: कई मामलों में, सुप्रीम कोटय ने विधायी कायों के प्रवतस्थापन के रूप में नही,ं बक्तल्क वजम्मेदारी से अध्यादे ि िक्तक्त
का उपयोग करने की आिश्यकता पर बल वदया है ।
अध्यादे श ं क प्रख्यातपि करने की शद्धि क उतचि ठहराने िाले िकत:
• आपािकालीन द्धस्थतियााँ: अध्यादे ि जारी करने की िक्तक्त तब आिश्यक होती है , जब अत्यािश्यक मामलों या आपात क्तस्थवतयों के
समाधान हे तु तत्काल विधायी कारय िाई की आिश्यकता है , जबवक संसद या राज्य विधानमंडल सत्र में नही ं है ।
• िाितजतनक व्यिस्था और तहि क बनाए रखना: विधायी कारय िाई के अभाि में साियजवनक व्यिस्था बनाए रखने, साियजवनक सुरक्षा
सुवनवित करने या नागररकों के अवधकारों और वहतों की रक्षा के वलए अध्यादे ि प्रख्यावपत वकए जा सकते हैं ।
• त्वररि कानून तनिातर्: अध्यादे ि लंबी विधायी प्रवियाओं को दरवकनार करने के वलए एक तंत्र प्रदान करते हैं तथा आिश्यक कानून तुरांत
लागू करना सुवनवित करते हैं ।
इि िुद्दे पर िुप्रीि क टत के फैिले:
• ए.के. रॉय बनाि भारि िंघ (1982) के िािले िें, सुप्रीम कोटय ने अध्यादे ि जारी करने की िक्तक्त की संिैधावनकता को बरकरार रखा
और कहा वक रािरपवत की संतुवि न्यावयक समीक्षा के अधीन है ।
• डी.िी. िाधिा बनाि तबहार राज्य (1987) के िािले िें, सुप्रीम कोटय ने अध्यादे िों के अत्यवधक उपयोग की आलोचना करते हुए कहा
वक यह संिैधावनक व्यिस्था का अवतिमण है और इसका उपयोग केिल असाधारण पररक्तस्थवतयों में वकया जाना चावहए।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• के.आर. लक्ष्मर्न बनाि ितिलनाडु राज्य (1996) के िािले िें, सुप्रीम कोटय ने दोहराया वक अध्यादे ि केिल तभी जारी वकया जाना
चावहए जब तत्काल कारय िाई की आिश्यकता हो।
• कृष्ण कुिार तिंह बनाि तबहार राज्य (2017) के िािले िें, सुप्रीम कोटय ने फैसला सुनाया वक अध्यादे िों को दोबारा लागू करना संविधान
के साथ धोखाधडी है , तथा यह भी कहाँ वक अध्यादे ि जारी करने के कारणों को विधावयका के समक्ष रखा जाना चावहए।
िंिैधातनक तनष्पक्षिा का तिद्ांि:
• न्यायिूतित चंद्रचूड के तिचार: एनसीटी बनाम यूओआई मामले में, उन्ोंने विधावयका और काययपावलका की परस्पर विया को संतुवलत
करने के मूल वसद्ां त के रूप में "संिैधावनक वनष्पक्षता" पर बल वदया।
• पूर्त शद्धि का खंडन: संिैधावनक वनष्पक्षता यह सुवनवित करने में मदद करती है वक प्रत्येक िासन का अंग अपने वनवदय ि क्षेत्र के भीतर
कायय करें , वजससे िक्तक्त के पूणय संचय को रोका जा सकता है ।
• न्यायपावलका और विधावयका के बीच कायाय त्मक अवतव्यापन
िंतिधान िें िं श धन करने की िंिद की शद्धि:
• अनुच्छेद 368 के िहि िं िद क संविधान में संिोधन करने की िक्तक्त प्राप्त है ।
हालााँतक, संविधान संसद को संविधान की मूल संरचना या ढां चे को बदलने की अनुमवत नही ं दे ता है ।
• यह वसद्ां त िंतिधान िें स्पष्ट रूप िे उपबंतधि नही ं था, लेतकन केशिानंद भारिी बनाि केरल राज्य (1973) के ऐवतहावसक मामले
में सिोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपातदि तकया गया था।
ििोच्च न्यायालय की भूतिका:
• संविधान की पवित्रता बनाए रखने में सिोच्च न्यायालय की महत्वपूणय भूवमका है ।
• यह सुवनवित करता है वक संविधान में संिोधन करने की संसद की िक्तक्त का उपयोग मनमाने ढं ग से या संविधान की मूल संरचना को
बदलने के वलए नही ं वकया जाए।
• मूल संरचना वसद्ां त, जैसा वक केििानंद भारती मामले में स्थावपत वकया गया है , एक न्यावयक वसद्ां त है वजसमे भारतीय संविधान की कुछ
मूल वििेषताएं िावमल हैं वजन्ें संसद द्वारा संिोधनों के माध्यम से बदला या नि नही ं वकया जा सकता है ।
ििोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के उदाहरर्:
• सुप्रीम कोटय ने कई मौकों पर उन संिैधावनक संिोधनों को रद्द कर वदया है ,जो संविधान की मूल संरचना का उल्लं घन करते थे।
उदाहरण के वलए, तिनिात तिल्स िािले (1980) िें, सुप्रीम कोटय ने 42िें संिोधन द्वारा जोडे गए अनु च्छेद 368 के खंड (4) और (5) को यह
कहते हुए रद्द कर वदया वक "सीवमत संिोधन की िक्तक्त" स्वयं संविधान। की एक मूल वििेषता है ।
• इसी प्रकार, इं तदरा नेहरू गांधी बनाि राज नारायर् िािले (1975) िें, सुप्रीम कोटय ने 39िें संिोधन द्वारा जोडे गए अनुच्छेद 329ए के
खंड (4) को इस आधार पर असं िैधावनक और िून्य घोवषत कर वदया वक यह संसद की संिोधन िक्तक्त से परे था। तथा यह संविधान की
मूल वििेषता को नि करता है ।
न्यायपातलका और कायत प ातलका के बीच कायात त्मक अतिव्यापन
• क्षिादान शद्धियां: रािरपवत और राज्यपाल, काययकारी सदस्यों के रूप में, कायाय त्मक अवतव्यापन को रे खां वकत करते हुए, क्षमा दे ने की
िक्तक्त का उपयोग करते हैं , जो आम तौर पर एक न्यावयक कायय है ।
• न्यायातधकरर् प्रर्ाली: वििादों का समाधान न्यावयक और काययकारी दोनों सदस्यों िाली पीठों द्वारा वकया जाता है , जो अवतव्यापन को
और अवधक स्पि करता है ।
न्यातयक अतिरे क और इिके तनतहिाथत :
• न्यायपातलका-तिधानिंडल अतिव्यापन: ऐसे अिसर जहां न्यायपावलका विधायी क्षेत्र में दखल रखती है , वजससे 'न्यावयक अवतरे क' को
बढ़ािा वमलता है , तथा संभावित अवतिमण भूवमका के बारे में बहस वछड जाती है ।
• न्यायपातलका द्वारा तनतिति कानून: कुछ ऐवतहावसक मामलों में न्यायपावलका को प्रासंवगक कानूनों की अनुपक्तस्थवत में वदिावनदे ि बनाने
के वलए कदम उठाते हुए दे खा गया है , वजससे विधायी और न्यावयक कायों के बीच की रे खाएं धुंधली हो गई हैं ।
हातलया तिकाि और चुनौतियााँ:
• िेंटरल तिस्टा पररय जना: सेंटरल विस्टा पररयोजना पर "उन्नत" न्यावयक समीक्षा के वलए विचार करने से सुप्रीम कोटय का इनकार काययकारी
वनणययों में हस्तक्षेप करने में अदालत के संयम को दिाय ता है ।
• आं ध्र प्रदे श उच्च न्यायालय िािला: आं ध्र प्रदे ि में वनिाय वचत सरकार और न्यायपावलका के बीच हावलया खींचतान विवभन्न अंगों द्वारा
संभावित अवतिमण के बारे में गंभीर सिाल उठाता है ।
तिधातयका, कायत प ातलका एिं न्यायपातलका के बीच िािं ज स्यपू र्त ििन्वय
• 80िां अद्धखल भारिीय पीठािीन अतधकारी िम्मेलन: गुजरात के केिवडया में दो वदिसीय काययिम में तीनों अंगों के बीच सामंजस्यपूणय
समन्वय के महत्व पर जोर वदया गया।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• प्रिुख ििा और उनके तिचार: प्रधानमांत्री ने सीमाओं के पालन, िक्तक्तयों के पृथक्करण और वनयंत्रण और संतुलन पर जोर
वदया। उपरािरपवत ने काययपावलका और विधावयका की "भूवमका" के बारे में बात की, जबवक रािरपवत ने विपक्ष की भूवमका और सत्ता पक्ष
के साथ साथयक विचार-विमिय पर प्रकाि डाला।
ल किंत्र के आदशों क प्राप्त करने िें न्यातयक ितियिा द्वारा तनभाई गई भूतिका:
• िौतलक अतधकार ं का िंरक्षर्:
उदाहरण के वलए, अनुच्छेद 21, जो जीिन और व्यक्तक्तगत स्वतंत्रता के अवधकार की गारं टी दे ता है , की व्यापक रूप से व्याख्या की गई है । मेनका
गां धी बनाम भारत संघ मामले (1978) में, अदालत ने फैसला सुनाया वक जीिन के अवधकार में सम्मान के साथ जीने का अवधकार भी िावमल
है ।
o न्यायिूतित केएि पुट्टास्वािी (िेिातनिृत्त) और अन्य बनाि भारि िंघ िािले (2017), में सुप्रीम कोटय ने न्यावयक सवियता
वदखाते हुए, अनु च्छेद 21 के तहत वनजता के अवधकार को मौवलक अवधकार के रूप में मान्यता दी।
• जनतहि यातचका (पीआईएल):
o जनवहत यावचकाएँ भारत में न्यावयक सवियता के वलए एक िक्तक्तिाली उपकरण रही हैं ।
o िुप्रीि क टत ने एिपी गुप्ता बनाि भारि िंघ (1981) िें अपने फैिले िें(relaxed the traditional rule of locus
standi), भारत के वकसी भी नागररक को साियजवनक वहत के मामलों में कानू नी उपचार के वलए अदालत से संपकय करने की अनुमवत
दी।
• पयातिरर् की रक्षा:
o न्यायपावलका ने पयातिरर् की रक्षा में सविय भूवमका वनभाई है , अक्सर इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीिन के अवधकार से जोडा
जाता है ।
o एििी िेहिा बनाि भारि िंघ (1986) िािले िें िुप्रीि क टत के फैिल ं के कारण वदल्ली में प्रदू षण फैलाने िाले कई उद्योगों
को बंद करना पडा, जो न्यायपावलका की सविय भूवमका को दिाय ता है ।
• धिततनरपे क्षिा और िािातजक न्याय की रक्षा करना:
o न्यायपावलका ने भारतीय संविधान की धमयवनरपेक्ष प्रकृवत को बरकरार रखा है , जैिा तक एिआर ब म्मई बनाि भारि िंघ (1994)
िें दे खा गया था।
o न्यायालयों ने सरकारों को सामावजक न्याय सुवनवित करने का भी वनदे ि वदया है , जैसे तक तिशाखा बनाि राजस्थान राज्य
(1997), के मामले में कायय स्थल पर यौन उत्पीडन से सुरक्षा के वलए वदिावनदे ि तैयार करना।
• तनयंत्रर् और िंिुलन:
o न्यावयक समीक्षा के माध्यम से, न्यायपावलका ने सरकार की विधायी और काययकारी िाखाओं पर वनयंत्रण बनाकर िक्तक्त के दु रुपयोग
की संभािना को रोका है तथा विवध के िासन को सुवनवित वकया है , ये दोनों प्रमुख लोकतां वत्रक वसद्ां त हैं ।
हालााँतक, यह ध्यान दे ने य ग्य है तक भारि िें न्यायपातलका द्वारा न्यातयक ितियिा के िाध्यि िे िीिाओं क लांघने तथा विधायी और
काययकारी िाखाओं के क्षेत्र का उल्लं घन करने के वलए आलोचना भी की गई है । इससे दे ि में न्यावयक सवियता और न्यावयक संयम के बीच
संतुलन की आिश्यकता पर बहस वछड गई है ।
तनयं त्र र् और िं िु ल न का तिद्ां ि
• तिद्ांि का उद्दे श्य: इस वसद्ां त का उद्दे श्य िक्तक्त के केन्द्रीकरण या दु रुपयोग को रोककर नागररकों को मनमानी और अत्याचारी राज्य
िक्तक्तयों से बचाना है ।
• भारिीय िंतिधान िें प्रािधान: इनमें न्यायपावलका की न्यावयक समीक्षा करने की िक्तक्त (अनुच्छेद 13), विवध द्वारा स्थावपत प्रविया द्वारा
न्यायपावलका को बाध्य करना (अनु च्छेद 21), काययकारी प्रमुख द्वारा न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त और वनष्कासन, और सरकार का संसदीय
स्वरूप िावमल हैं ।.
• भारिीय िंतिधान िें तनयंत्रर् और िंिुलन के कुछ उदाहरर् ं िें शातिल हैं:
o तिधातयका और कायतपातलका:
✓ भारत के रािरपवत के पास संसद सत्र को बुलाने (अनुच्छेद 85), सत्रािसान करने और संसद को भंग करने (अनु च्छेद 85(2)(बी))
की िक्तक्त है ।
✓ संविधान के अवतिमण के आधार पर संसद रािरपवत पर महावभयोग चला सकती है (अनुच्छेद 61)।
o कायतपातलका और न्यायपातलका:
✓ काययकारी िाखा, रािरपवत की भागीदारी के साथ, सिोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 124) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 217) में
न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त करती है।
✓ न्यायपावलका न्यावयक समीक्षा के माध्यम से काययपावलका के कायों की समीक्षा कर सकती है , जैसा वक केििानंद भारती बनाम
केरल राज्य (1973) और वमनिाय वमल्स बनाम भारत संघ (1980) जै से ऐवतहावसक मामलों में स्थावपत वकया गया था।
o तिधातयका और न्यायपातलका:
✓ संसद उच्चतम न्यायालय (अनु च्छेद 124(4)) और उच्च न्यायालयों (अनु च्छेद 217(1)(बी)) के न्यायाधीिों को वसद् दु व्ययिहार या
अक्षमता के आधार पर महावभयोग के माध्यम से हटा सकती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
✓ न्यायपावलका संसद द्वारा पाररत असंिैधावनक कानूनों को अमान्य कर सकती है , जैसा वक न्यावयक समीक्षा की िक्तक्त से प्रदवियत
होता है , वजसकी पुवि केििानंद भारती मामले में की गई थी।
तनयंत्रर् और िंिुलन के उदाहरर्:
• ग लकनाथ केि 1967: 17िें संिैधावनक संिोधन अवधवनयम, 1964, वजसने मौवलक अवधकारों का उल्लंघन वकया था, को चुनौती दी
गई। न्यायालय ने वकसी भी मौवलक अवधकार में संिोधन करने की विधावयका की िक्तक्त को 'अवधकार से परे ' करार वदया।
• केशिानंद भारिी केि 1973: इस मामले में सिाल उठाया गया वक क्ा मौवलक अवधकार अनुच्छेद 368 के तहत, संसद द्वारा संिोधन
योग्य हैं । सुप्रीम कोटय ने 'मूल संरचना वसद्ां त' पेि वकया, वजसमें िक्तक्तयों का पृथक्करण िावमल है ।
• इं तदरा गांधी बनाि राज नारायर् िािला 1975: प्रधानमांत्री इं वदरा गां धी के चुनाि को वनयवमत करने के वलए लाए गए 39िें संिैधावनक
संिोधन अवधवनयम, 1975 को सुप्रीम कोटय ने 'लोकतंत्र की मूल वििेषताओं', 'कानून का िासन और समानता' का हिाला दे ते हुए रद्द कर
वदया था। '.
िक्तक्तयों के पृथक्करण के वसद्ां त का उद्दे श्य न केिल िक्तक्त के केन्द्रीकरण और दु रुपयोग को रोकना है , बक्तल्क प्रत्येक अंग को अपने विविि
कायय में वििेषज्ञता प्रदान करके िासन की दक्षता में सुधार करना भी है । पररणामस्वरूप, "िक्तक्तयों का पृथक्करण और संतुलन" िाक्ां ि का
प्रयोग अक्सर वकया जाता है । यह अलगाि लोकतंत्र के वलए महत्वपूणय है , क्ोंवक यह वनयंत्रण और संतुलन की एक प्रणाली बनाए रखता है , जो
वकसी एक अंग को बहुत िक्तक्तिाली बनने या नागररकों के अवधकारों का उल्लंघन करने से रोकता है ।
वनयंत्रण और संतुलन; संिैधावनक वनष्पक्षता; काययकारी, विधायी और न्यावयक अवतव्यापन; न्यावयक अवतरे क; सामंजस्यपूणय समन्वय; अवधवनणययन
का वसद्ां त; अल्ट्र ा िायसय' (िक्तक्तयों से परे ); विवध का िासन और समानता
1. न्यावयक विधान भारतीय संविधान में पररकक्तित शक्तििोां के पृथक्करण के यसद्ाां त के यिपरीत है । इस संदभय में कािषकारी अयधकाररिोां को
वदिावनदे ि िारी करने की प्राथयना करने संबंधी, बडी संख्या में दायर होने िाली लोक वहत िायिकाएां न्यािोयित हैं ? वसद् कीवजये। (2020)
2. क्ा आपके विचार में भारत का संविधान िक्तक्तयों के कठोर पृथक्करण के वसद्ां त को स्वीकार नही ं करता है , बक्तल्क यह 'वनयंत्रण और
संतुलन' के वसद्ां त पर आधाररत है ? व्याख्या कीवजए। (2019)
3. अध्यादे िों का आश्य ले ने ने हमे िा ही िक्तक्तयों के पृथक्करण वसद्ां त की भािना के उल्लंघन पर वचंता जागृत की है । अध्यादे िों को लागू
करने की िक्तक्त के तकाय धार को नोट करते हुए विश्ले षण कीवजए वक क्ा इस मुद्दे पर सुप्रीम कोटय के फैसलों ने इस िक्तक्त का आश्य लेने
को और सुगम बना वदया है । क्ा अध्यादे िों को लागू करने की िक्तक्त का वनरसन कर वदया जाना चावहए? (2015)
4. 'बुयनिादी सांरिना' यसद्ाां त का आयिष्कार करने से लेकर, न्यािपायलका ने िह सुयनयित करने में अत्ययधक सयिि भूयमका यनभाई है यक
भारत एक सांपन्न लोकतांत्र के रूप में यिकयसत हो । कथन के आलोक में , लोकतांत्र के आदशष को प्राप्त करने में न्यायिक सयििता िारा
यनभाई गई भूयमका का मूल्ाां कन करें । (2014)
5. भारत का सिोच्च न्यायालय संविधान में संिोधन करने की संसद की मनमानी िक्तक्त पर वनयंत्रण रखता है । आलोचनात्मक चचाय
कीयिए। (2013)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
वकसी भी लोकतां वत्रक राजनीवतक व्यिस्था की ताकत और प्रभाििीलता काफी हद तक उसके विधायी वनकायों की कायाय त्मक प्रभाििीलता
पर वनभयर करती है । भारत में, लोकतंत्र की पहचान के रूप में संसद और राज्य विधानमंडल क्तस्थत है । दु वनया के सबसे बडे लोकतंत्र के संस्थागत
स्तंभों के रूप में, ये संिैधावनकता को बनाए रखने, कानून बनाने, काययपावलका को जिाबदे ह बनाए रखने तथा लोगों की इच्छा का प्रवतवनवधत्व
करने में सहायक हैं ।
िं ि ै ध ातनक उपबं ध: िं िद
अनुच्छेद उपबंध
अनुच्छेद 79 संघ के वलए एक वद्वसदनीय संसद की स्थापना करता है , वजसमें रािरपवत, राज्य पररषद (राज्य सभा), ि जनता का सदन
(लोकसभा) िावमल होते हैं ।
अनुच्छेद 80 आनुपावतक प्रवतवनवधत्व की एकल संिमणीय मत प्रणाली से राज्यसभा के गठन का िणयन करता है ।
अनुच्छेद 74 रािरपवत को सहायता एिं सलाह के वलए प्रधानमांत्री की अध्यक्षता में मंवत्रपररषद का उपबंध।
अनुच्छेद 75 संसद, वििेषकर लोकसभा के प्रवत मंवत्रपररषद का सामूवहक उत्तरदावयत्व।
अनुच्छेद 93 लोकसभा सदस्यों में से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का वनिाय चन।
अनुच्छेद 102 संसद सदस्यता के वलए वनयोग्यता मानदं ड।
अनुच्छेद 368 संसद को संविधान में संिोधन करने का अवधकार दे ता है तथा उसके वलए प्रविया वनधाय ररत करता है ।
िं िद के कायत
• कानू न बनाना: संसद नए कानू न बनाने, मौजूदा कानूनों में संिोधन करने और यहां तक वक संविधान में बदलाि करने के वलए वजम्मेदार
है । यह एक महत्वपूणय कायय है ,क्ोंवक यह दे ि के कानूनी और नीवतगत पररदृश्य को आकार दे ता है ।
• कायतपातलका पर तनयंत्रर्: मंवत्रपररषद सामूवहक रूप से वनम्न सदन, लोकसभा के प्रवत उत्तरदायी है । संसद अविश्वास प्रस्ताि, वनंदा प्रस्ताि
और प्रश्नकाल जैसे विवभन्न तंत्रों का उपयोग करके काययपावलका को जिाबदे ह बनाती है ।
• न्यातयक कायत: संसद अधय-न्यावयक िक्तक्तयों का प्रयोग करती है । इसमें जां च सवमवतयों का गठन, रािरपवत पर महावभयोग की प्रविया, उच्च
न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीिों को हटाना और संसदीय वििेषावधकारों को बरकरार रखना िावमल है ।
• चुनािी प्रतिया : संसद रािरपवत और उपरािरपवत के चुनाि में भाग लेती है ।आं तररक रूप से, यह प्रत्येक सदन के अध्यक्ष और विवभन्न
संसदीय सवमवतयों के प्रमुखों का भी वनिाय चन करती है ।
• तित्त प्रबंधन: काययपावलका संसद की अनुमवत के वबना भारत की संवचत वनवध से धन वनकासी या उपयोग नही ं कर सकती। बजट संसद
के समक्ष प्रस्तुत वकया जाता है तथा लोक लेखा सवमवत और प्राक्कलन सवमवत जैसी सवमवतयों द्वारा इसकी जां च की जाती है ।
भारिीय तिधातयका िे िं ब ं तधि िु द्दे
• बैठक ं की िंख्या िें तगरािट: 16िी ं लोकसभा ने कुल 1,615 घंटे कायय वकया , जो सभी पूणयकावलक लोकसभा के औसत से काफी कम
है ।
• अनु शािन और ियातदा: व्यिधान और सदस्यों द्वारा अनुिासनहीनता के कारण संसद का बहुमूल् समय बबाय द होता है ।
• िंिदीय बहि ं की गुर्ित्ता िें तगरािट: महत्वपूणय रािरीय मुद्दों पर ध्यान केंवद्रत करने के बजाय, संसदीय ििाष एां तेजी से स्थानीय मुद्दों या
राजनीवतक प्रवतद्वं वद्वता पर केंवद्रत हो गई हैं ।
• ितहलाओं का कि प्रतितनतधत्व: वपछले कुछ िषों में लोकसभा में मवहलाओं के प्रवतवनवधत्व में िृक्तद् के बािजूद, यह अभी भी अन्य
लोकतंत्रों की तुलना में कम है ।
• अपयातप्त चचात: विधेयकों को अक्सर न्यू नतम चचाय के बाद या र्ध्वन मत से पाररत वकया जाता है , वजससे पारदवियता और बहस में कमी
आती है ।
• िंिदीय ितितिय ं द्वारा जांच िें किी: कम विधेयकों को विस्तृत जां च के वलए संसदीय सवमवतयों को भेजा जा रहा है ।
• अध्यादे श ं के िाध्यि िे कानू न बनाना: सामान्य विधायी प्रविया को दरवकनार करते हुए अध्यादे िों के माध्यम से पाररत वकये जाने िाले
कानूनों की संख्या में िृक्तद् हुई है ।
• अिंतहिाबद् िं िदीय तिशेषातधकार: संसदीय वििेषावधकारों पर संवहताबद् वनयमों की कमी के कारण उनके दु रुपयोग पर वचंताएं
पैदा हो गई हैं ।
• धन तिधे यक का िहारा: : कई यिधेिक धन विधेयक की श्ेणी मे नही ं आते हैं ,उन्ें राज्यसभा में वबना जां च और बहस के पाररत वकया
जाता है ।
िं िदीय िु धार ं पर िु झाि
• बैठक ं की न्यूनिि िंख्या िय करना : लोकसभा के वलए 120 और राज्यसभा के वलए 100, बैठकों की न्यूनतम संख्या सुवनवित करना
,वजससे संसद के कामकाज के अवधक अच्छे पररणाम वमलेगें।
• िंिदीय तिशेषातधकार ं क िं तहिाबद् करना : संसदीय वििेषावधकारों को स्पि रूप से संवहताबद् करने से उनके दु रुपयोग और
अस्पिता को रोका जा सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• तिभागीय ितितिय ं की जिाबदे तहिा क बढाना : विभागीय सवमवतयों की काययक्षमता में सुधार से सरकार के कामकाज में मूल्िान
अंतदृयवि वमल सकती है , वजससे जिाबदे ही बढ़े गी।
• तिधान की गुर्ित्ता िें िुधार: विवध आयोग के बेहतर उपयोग के साथ-साथ विधायी कायों को सुव्यिक्तस्थत करने से कानूनों की गुणित्ता
में िृक्तद् हो सकती है ।
• िदस्य ं के तलए िूचना आपूतित िें िृद्धद्: संसद सदस्यों को संसदीय क्षेत्रों में हुए विकास के साथ अद्यतन रखने से सांसदीि यिांता, बहस
और वनणयय लेने की गुणित्ता में सुधार हो सकता है ।
• व्यय कि करना : संसदीय व्यय पर सख्त वनयंत्रण लागू करने से संस्था अवधक लागत प्रभािी बन सकती है ।
• िदस्य ं की गुर्ित्ता िें िु धार: सदस्यों, वििेषकर महत्वपूणय सं सदीय सवमवतयों के सदस्यों के वलए एक सख्त आचार संवहता वनधाय ररत
करने से उनकी गुणित्ता और प्रदियन में सुधार हो सकता है ।
• िंिद की छति िें िुधार करना : जनता की राय तक पहुं च और जनता के साथ बेहतर संबंध को बढ़ािा दे ने से संसद की छवि में सुधार
हो सकता है ।
• िदस्य ं के तलए प्रतशक्षर्: निवनिाय वचत/नामां वकत सदस्यों को पेिेिर प्रविक्षण प्रदान करने से उनकी प्रभाििीलता बढ़ सकती है ।
• आभािी बैठक ं के तलए प्रौद्य तगकी का उपय ग: आभासी बैठकों के वलए प्रौद्योवगकी का लाभ उठाकर यह सुवनवित वकया जा सकता
है वक कोविड-19 महामारी जैसे संकट के दौरान भी विधायी कायय जारी रहते है ।
• तिधायी प्रभाि आकलन का पररचय: विधायी प्रभाि आकलन िुरू करने से प्रस्तावित कानूनों के बारे में जागरूकता और कानूनी
मूल्ां कन में सुधार होता है ।
• छाया िंतत्रिंडल का गठन: यह विपक्ष की भूवमका को मजबूत करता है , तथा लोकतांवत्रक कायय को बढ़ाता है ।
तनष्कषत के िौर पर , हमारे लोकतंत्र की आधारविला, भारतीय संसद को कई चुनौवतयों का सामना करना पडता है , जो इसकी प्रभाििीलता को
ख़राब करती हैं । इनमें प्रवियात्मक बाधाओं से लेकर बहस की गुणित्ता में वगरािट जैसे महत्वपूणय मुद्दे िावमल हैं । यह सुवनवित करने के वलए
वक संसद अपने संिैधावनक जनादे ि को प्रभािी ढं ग से पूरा कर सके, व्यापक सुधारों की एक श्ृंखला को लागू करना आिश्यक है । एक मजबूत
और उत्तरदायी विधायी प्रणाली की ओर जाने के वलए वनरं तर प्रयासों, रचनात्मक संिाद और लोकतां वत्रक मूल्ों के प्रवत अटू ट प्रवतबद्ता की
आिश्यकता होती है ।
उपाध्यक्ष
भारत जैसे लोकतंत्र में विधायी कामकाज में उपाध्यक्ष की महत्वपूणय भूवमका होती है । यह भूवमका संसदीय मयाय दा बनाए रखने, विधायी प्रवियाओं
को सुविधाजनक बनाने और अध्यक्ष की अनुपक्तस्थवत के दौरान ने तृत्व प्रदान करने में अवभन्न है । उपाध्यक्ष का पद भारतीय संविधान में लोकसभा
के वलए अनु च्छेद 93 और राज्य विधानसभाओं के वलए अनु च्छेद 178 में वनवहत है , इस भूवमका का चुनाि 'वजतनी जल्दी हो सके' करना अवनिायय
है । विधायी मिीनरी के सुचारू कामकाज के वलए इस भूवमका की तटस्थता और महत्व सिोपरर है ।
उपाध्यक्ष के तलए िंिैधातनक उपबंध
• अनुच्छेद 93: लोकसभा के वलए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाि को अवधदे वित करता है तथा वकसी भी ररक्तक्त को भरने के वलए वदिावनदे ि
प्रदान करता है ।
• अनुच्छेद 178: वकसी राज्य की विधान सभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भूवमका स्थावपत करता है ।
उपाध्यक्ष (तडप्टी स्पीकर) की जरूरि
• िंिद की कायत क्षििा बढाना: उपाध्यक्ष सदन के सुचारू संचालन में सहायता करता है , वजससे कायय क्षमता बढ़ती है ।
• िंिदीय ितितिय ं क िुतिधा प्रदान करना: ऐसी सवमवतयों के संभावित अध्यक्ष के रूप में, उपाध्यक्ष एक महत्वपूणय भूवमका वनभाता
है ।
• तनबातध कायतिाही िुतनतिि करना: िे अध्यक्ष की अनुपक्तस्थवत के दौरान सदन के कामकाज में वनरं तरता सुवनवित करते हैं ।
• तिपक्ष का प्रतितनतधत्व करना: परं परागत रूप से विपक्ष से चुना गया उपाध्यक्ष सामूवहक विपक्षी आिाज़ का प्रवतवनवधत्व करता है ।
चुनाि प्रतिया
• अध्यक्ष के चु नाि के बाद उपाध्यक्ष का चुनाि लोकसभा सदस्यों द्वारा वकया जाता है ।
• चुनाि की तारीख अध्यक्ष द्वारा वनधाय ररत की जाती है ।
• चुनाि प्रविया लोकसभा में प्रविया और कायय संचालन वनयमों के वनयम 8 द्वारा विवनयवमत होती है।
• अनु च्छेद 93 या अनुच्छेद 178 में उपाध्यक्ष की वनयुक्तक्त के वलए कोई विविि समयसीमा का उल्लेख नही ं वकया गया है ।
कायातलय की अितध
• उपाध्यक्ष आमतौर पर लोकसभा के जीिनकाल (5 िषय) तक पद पर बना रहता है ।
• उनका काययकाल पद से इस्तीफा , लोकसभा द्वारा पाररत प्रस्ताि द्वारा हटाए जाने या लोकसभा सदस्य नही ं रहने पर 5 िषय से पूिय समाप्त
हो जाता है ।
• िे पुनः वनिाय वचत हो सकते हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
उत्तरदातयत्त्व
• अनु च्छेद 95 के अनुसार, उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपक्तस्थवत में उनके कतयव्यों को संभालता है ।
• िे स्वतः ही वकसी भी संसदीय सवमवत के अध्यक्ष बन जाते हैं , वजसमें उन्ें वनयुक्त वकया जाता है ।
• जब अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताि पर चचाय चल रही हो तो िे सदन की काययिाही की अध्यक्षता करते हैं ।
दल-बदल तिर धी उपबंध
• दसिीं अनुसूची के पैरा 5 के अनुसार, उपसभापवत अपनी पाटी से इस्तीफा दे सकते हैं तथा काययकाल पूणय होने पर वफर से इसमें िावमल
हो सकते हैं ।
पद िे िंबंतधि िुद्दे
• उपाध्यक्ष की वनयुक्तक्त के वलए कोई वनवदय ि समयसीमा नही ं है ।
• संभावित पाटी संबद्ता और दबाि के कारण तटस्थता के प्रश्न बने रहते हैं ।
• पुनः वनिाय चन हे तु राजनीवतक दल पर वनभयरता उपसभापवत की वनष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है ।
• विपक्षी दलों की कम होती ताकत का असर उपसभापवत के चयन पर पड रहा है ।
उपाध्यक्ष का पद संसदीय लोकतंत्र का एक स्तंभ है , जो संतुलन, वनरं तरता और प्रवतवनवधत्व सुवनवित करता है । वनयुक्तक्त के वलए वनवदय ि समयसीमा
की कमी और तटस्थता के मुद्दों जैसी चुनौवतयों के बािजूद, सदन के सुचारू कामकाज के वलए इनकी भूवमका अपररहायय है । इन मुद्दों का
समाधान करना तथा एक कायायत्मक और प्रभािी विधायी प्रणाली सुवनवित करने के वलए संविधान की भािना को बनाए रखना आिश्यक है ।
िं िद की भागीदारी
संसद वकसी भी दे ि में सिोपरर लोकतां वत्रक मंच के रूप में कायय करती है , जो बहस, विचार-विमिय और वनणयय ले ने के माध्यम से अपने लक्ष्य
का वनधाय रण करती है । जन प्रवतवनवध जिाबदे ही सुवनवित करने, अपने मतदाताओं की आकां क्षाओं को आिाज दे ने तथा दे ि के भविष् को आगे
बढ़ाने से संबंवधत वनणयय लेने के वलए यहां एकवत्रत होते हैं । हालाँ वक, भारतीय संसद की घटती उत्पादकता जो हाल के सत्रों में स्पि है , इस
महत्वपूणय लोकतां वत्रक संस्था की प्रभाििीलता के बारे में यिांताएां बढ़ाती है ।
कि भागीदारी के कारर्:
• बढिा व्यिधान: पेगासस वििाद, कृवष वबल, मुद्रास्फीवत संबंधी वचंताएं और विवभन्न विधेयकों पर असहमवत जैसे वििादास्पद मुद्दों ने हाल
के सत्रों को बावधत वकया है ।
• िंस्थागि तगरािट: संिैधावनक आिश्यकताओं के बािजूद, लोकसभा के उपाध्यक्ष ि विपक्ष के ने ता जैसे प्रमुख पद भरे नही ं गए हैं ।
• तिपक्ष के तलए अपयातप्त ििय: विपक्षी सदस्य विकायतों को व्यक्त करने के वलए अपयाय प्त समय पर असंतोष व्यक्त करते हैं ।
• िरकार का गै र-तजम्मेदार रिै या: 2जी घोटाले पर संयुक्त संसदीय सवमवत बनाने से इनकार करने जैसे उदाहरणों ने व्यिधान पैदा वकया
है ।
• िंिदीय िानदं ड ं का उिंघन: सदस्यों के बीच अनु िासनहीनता, जैसे आं ध्र प्रदे ि विभाजन के दौरान अवनयंवत्रत व्यिहार, एक वचंता का
विषय है ।
• त्वररि अनु शािनात्मक कारत िाई का अभाि: स्पि वनयमों का अभाि तथा व्यिधान उत्पन्न करने िालों के क्तखलाफ त्वररत कारय िाई न
होना अव्यिक्तस्थत आचरण को बढ़ािा दे ता है ।
• अिूचीबद् चचात के तलए अपयात प्त ििय: असूचीबद् प्रश्नों और आपवत्तयों के वलए सीवमत समय भी व्यिधान उत्पन्न करता है ।
िंिद के कािकाज िे िंबंतधि िुद्दे:
• कायतिाही के घंट िें किी: संसद के कामकाजी घंटे कम हो रहे हैं , वजससे इसकी उत्पादकता प्रभावित हो रही है ।
• िंिैधातनक अतधकार ं का उिंघन: प्रश्नकाल में कटौती, काययपावलका पर संसदीय वनगरानी के वसद्ां त को कमजोर करता है।
• बार-बार स्थगन: वनयवमत स्थगन से संसद की सुचारू काययप्रणाली बावधत होती है ।
• धन तिधेयक िागत का दु रुपय ग: धन विधेयक श्ेणी में वफट नहीं होने िाले कानू न अक्सर राज्यसभा को दरवकनार करते हुए पाररत कर
वदए जाते हैं ।
• तििादास्पद िुद्द ं पर अपयातप्त बहि: कई वििादास्पद मुद्दोां पर उवचत बहस नही ं होती हैं ,तथा कई विधेयक वबना गहन जां च के पाररत
हो जाते हैं ।
आगे की राह:
• बैठने के तदन बढाएाँ : संसद और राज्य विधानसभाओं की बैठकें अवधक बार होनी चावहए, जैसा वक 2001 में वसफाररि की गई थी।
• िांिद ं के तलए प्रतशक्षर्: वनयवमत प्रविक्षण सत्र आचरण में सुधार कर सकते हैं वजससे गुणित्तापूणय चचाय ओं को बढ़ािा वमल सकता हैं ।
• िंिदीय तिशेषातधकार ं का िंतहिाकरर्: स्पि, संवहताबद् वििेषावधकार जिाबदे ही सुवनवित कर सकते हैं ।
• िंिदीय ितिति प्रर्ाली क िजबूि करना: इससे विधायी और नीवतगत मामलों की विस्तृत जां च सुवनवित होगी।
• आचार िंतहिा का प्रिितन: आचार संवहता का कडाई से पालन व्यिधानों को सीवमत कर सकता है ।
• दल-बदल तिर धी अतधतनयि िें िंश धन: यह तभी लागू होना चावहए जब सरकार का अक्तस्तत्व खतरे में हो।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• तनजी िदस्य तिधेयक ं का िम्मान करना: इससे जमीनी स्तर से विवभन्न प्रकार के विचारों को बढ़ािा वमलेगा।
• टे तलिाइज ितिति की कायतिाही: इससे संसदीय प्रविया में पारदवियता बढ़े गी।
• तहि ं के टकराि िें पारदतशतिा: वहतों की अवभव्यक्तक्त की प्रविया पारदिी होनी चावहए।
• एक िूचकांक तिकतिि करना: एक व्यिधान सूचकां क व्यिधानों की वनगरानी कर सकता है तथा विधावयकाओं में अनुिासनहीनता की
जाँ च कर सकता है ।
भारत के लोकतां वत्रक लोकाचार को संरवक्षत करने के वलए एक सविय और कुिल संसद की आिश्यकता है , जो कानून, जां च और सत्रों में
सविय रूप से िावमल हो। संसद की उत्पादकता बढ़ाने के वलए राजनीवतक, आवथयक, न्यावयक और चुनािी सुधारों के प्रवत समग्र दृविकोण
आिश्यक है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िैतिक अनु भि: विटे न, अमेररका और ऑस्टर े वलया जैसे दे िों ने या तो इन वििेषावधकारों को सीवमत कर वदया है या उन्ें संवहताबद् कर
वदया है ।
अतभव्यद्धि की स्विंत्रिा और िंिदीय तिशेषातधकार ं क िं िुतलि करना:
• तिर धाभाि: संसद के स्वतंत्र कामकाज के वलए आिश्यक वििेषावधकार, अक्सर बोलने की स्वतंत्रता के साथ टकराि में आते हैं , वजसके
पररणामस्वरूप विरोधाभासी क्तस्थवत पैदा होती है ।
• न्यातयक रुख: सुप्रीम कोटय ने एमएसएम िमाय (1958) मामले में अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता पर वििेषावधकारों को प्राथवमकता दी, लेवकन
1967 में अपने वनणयय पर पुनवियचार वकया था।
आगे की राह:
• िंतहिाकरर्: वििेषावधकारों का संवहताकरण विधावयकाओं की जिाबदे ही को बढ़ाएगा और उन्ें न्यावयक जां च के दायरे में रखेगा।
• िैतिक उदाहरर् ं िे िीखना: ऑस्टर े वलया, अमेररका, न्यूजीलैं ड और कनाडा द्वारा अपनाई गई संवहताकरण भारत के वलए सं भावित मॉडल
के रूप में काम कर सकती है ।
संसदीय वििेषावधकार हमारी लोकतां वत्रक प्रवियाओं के सुचारू कामकाज के वलए महत्वपूणय हैं , लेवकन इन वििेषावधकारों की अवनयंवत्रत और
अपररभावषत प्रकृवत संभावित दु रुपयोग और नागररकों के अवधकारों के उल्लंघन का कारण बन सकती है । संविधान समीक्षा आयोग ने वसफाररि
की है वक संसदीय वििेषावधकारों और मौवलक अवधकारों के बीच संतुलन को वफर से पररभावषत करना जरूरी है ।
PW - ONLYIAS EDGE : मुख्य परीक्षा के वलए प्रमुख वाक्ांश
व्यिधान; संस्थागत वगरािट; संसदीय मानदं ड; दल-बदल विरोधी अवधवनयम; पारदवियता; संसदीय व्यिधान सूचकां क
तिपक्ष की भू त िका
एक जीिंत लोकतंत्र का सार विविध दृविकोणों को अपनाने में वनवहत है , वजसमें विपक्ष एक महत्वपूणय भूवमका वनभाता है । एक मजबूत विपक्ष
सत्तारूढ़ दल को आिश्यक संतुलन में रखने के वलए जरुरी होता है यह विवभन्न पक्षों की आिाज बनता है तथा लोकतां वत्रक वसद्ां तों को कायम
रखने में सहयोग करता है ।
भारिीय ल किंत्र िें तिपक्ष की भूतिका:
• आि जन की आिाज या पक्ष के रूप िें कायत करना : लोगों के विचारों को कायम रखते हुए, विपक्ष अनसु ने लोगों की आिाज के रूप
में कायय करता है , जैसा वक रािरीय लॉकडाउन के दौरान पीएम-गरीब कल्ाण अन्न योजना के विस्तार के दौरान दे खा गया था।
• जिाबदे ही िुतनतिि करना: विपक्ष सरकार को अपने कायों और अपने घोषणापत्र के पालन के वलए जिाबदे ह ठहराता है , जैसे 2012 में
भ्रिाचार के क्तखलाफ विपक्षी दलों के संयुक्त प्रयास से लोकपाल का वनमाय ण हुआ था।
भारि िें तिपक्ष के िुद्दे:
• चुनािी िाकि: विपक्षी दलों, वििेष रूप से भारतीय रािरीय कां ग्रेस (आईएनसी) के पास अक्सर सत्तारूढ़ दल को प्रभािी ढं ग से चुनौती
दे ने के वलए संख्यात्मक ताकत का अभाि होता है ।
• िंयुि प्रयाि: यिपक्ष, पाटी और क्षेत्रीय वहतों के बीच बंटा हुआ है , वजनमें से कई अपने क्षेत्र से बाहर के मुद्दों पर चुप रहते हैं ।
• दलबदल: रािरीय वहत पर स्ववहत को प्राथवमकता दे ने से राजनीवतक दलबदल होता है , वजससे विपक्ष की भूवमका कमजोर होती है , जैसा
वक 2019 के रािरीय चुनािों में दे खा गया।
किज र तिपक्ष का प्रभाि:
• ििाज की ल किांतत्रक प्रकृति: एक कमजोर यिपक्ष, समाज की लोकतां वत्रक प्रकृवत को प्रभावित करता है , जैसा वक ईआईयू के लोकतंत्र
सूचकां क में भारत को एक त्रुवटपूणय लोकतंत्र के रूप में टै ग वकया गया है ।
• िंतत्रिंडल का अत्याचार: इवतहास गिाह है वक जैसे-जैसे विपक्ष कमजोर होता है , मंवत्रमंडल मजबूत होता जाता है , वजससे छात्र विरोध,
नागररकता संिोधन अवधवनयम विरोध और वकसानों के विद्रोह जैसे विरोध प्रदियन में िृक्तद् होती है ।
• शािन पर प्रभाि: अलोकवप्रय विधेयकों और कृत्यों के कारण जनता में असांतोर्, प्रिासन के प्रवत असंिेदनिीलता पैदा कर सकता है ,
वजससे िासन बावधत हो सकता है ।
आिश्यक िुधार:
• कानू नी िुधार: ऐसी क्तस्थवत में जहां विपक्ष में कोई भी दल 55 या अवधक सीटें हावसल नही ं करता है , विपक्ष में संख्यात्मक रूप से सबसे
बडी पाटी को अध्यक्ष द्वारा विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी जानी चावहए।
• द्धस्थति िें िुधार: 10% का सूत्रीकरण 'संसद में विपक्ष के नेताओं के िेतन और भत्ता अवधवनयम, 1977' से असंगत है , जो बताता है वक
सबसे बडे विपक्षी दल को पद वमलना चावहए।
• राष्टरीय तहि: विपक्ष को रािरीय या संिैधावनक महत्व के मुद्दों पर पाटी लाइनों से ऊपर उठकर एकजुट होना चावहए।
• दल-बदल तिर धी कानून क िजबूि बनाना: दल-बदल विरोधी कानूनों पर दोबारा विचार करने से राजनीवतक दल-बदल पर अंकुि
लगाने और विपक्ष की भूवमका को मजबूत करने में मदद वमल सकती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
भारत में संसदीय लोकतंत्र के प्रभािी कामकाज के वलए एक मजबूत विपक्ष महत्वपूणय है । वपछले कुछ दिकों में एक सुसंगत और व्यिहायय
रािरीय विपक्ष काफी हद तक अनुपक्तस्थत रहा है । यूके की िैडो कैवबनेट जैसी सिोत्तम प्रथाओं को ग्रहण कर लेना संभावित रूप से भारतीय
विपक्ष को मजबूत कर सकता है , जो एक संपन्न लोकतंत्र के वलए महत्वपूणय है ।
PW - ONLYIAS EDGE : मुख्य परीक्षा के वलए प्रमुख वाक्ांश
लोकतंत्र; जिाबदे ही; चुनािी ताकत; समाज की लोकतां वत्रक प्रकृवत; मंवत्रमंडल का अत्याचार; कानूनी सुधार।
72
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
विधावयका में रािरपवत और राज्यपाल की भूवमकाएँ भारत के संसदीय लोकतंत्र की आधारविला हैं । कानून बनाने में सीधे तौर पर भूवमका न होने
के बािजूद, उनका प्रभाि महत्वपूणय है हालाँ वक लोकतां वत्रक मूल्ों को बनाए रखने के वलए इसका वििेकपूणय तरीके से इस्तेमाल वकया जाना
चावहए।
िं िद की िािातजक-आतथत क रूपरे खा
वजस प्रकार एक दपयण वकसी व्यक्तक्त की छवि को प्रवतवबंवबत करता है , उसी प्रकार वकसी दे ि की संसद उसके समाज के सामूवहक लोकाचार
और आकां क्षाओं का प्रतीक होती है । संसद की सामावजक-आवथयक रूपरे खा सामावजक पररितयनों में व्यापक भलाई के वलए आिश्यक पररितयनों
में अमूल् अंतदृयवि प्रदान करती है ।
प्रथि चरर् (1947-1967):
• संसद में मुख्य रूप से िाह्मण, अन्य वपछडा िगय (ओबीसी) और मवहलाओं का काफी कम प्रवतवनवधत्व था।
• इसमें मुख्य रूप से विदे िी विश्वविद्यालय के स्नातक िावमल थे, वजनमें अवधकतर िकील और उसके बाद कृषक थे।
दू िरा चरर् (1967-1989):
• इसे "लोकतां वत्रक उभार" के रूप में जाना जाता है , इसमें ओबीसी का एकीकरण दे खा गया।
• ओबीसी का प्रवतवनवधत्व बढ़ा, कृषक और सामावजक काययकताय बहुसंख्यक पेिे के रूप में उभरे ।
िीिरा चरर् (1989-िितिान):
• इसे "प्लेबीयनाइजेिन चरण" कहा जाता है , इसे ओबीसी प्रभुत्व और राजनीवत में व्यािसावयक हक्तस्तयों के आगमन द्वारा वचवित वकया गया
है ।
• व्यािसावयक पेिे से जुडे व्यक्तक्तयों की संख्या में िृक्तद्, 2020में 23% से बढ़कर 2022में 29% हो गई।
• इि चरर् िें राजनीति का अपराधीकरर् भी दे खा गया।
17िी ं ल किभा की िािातजक-आतथतक रूपरे खा
• 38% सां सद कृषक, 39% सामावजक काययकताय और 29% व्यापाररक हक्तस्तयाँ हैं ।
• 27% सां सद 12िी ं पास हैं , 72% ग्रेजुएट हैं और 29% के पास स्नातकोत्तर वडग्री है ।
• धमय, जावत, व्यिसाय , वलंग के आधार पर पहली बार सां सदों की संख्या के संदभय में पररितयन दे खे गए।
• 17िी ं लोकसभा में 90.4% सां सद वहं दू, 5.2% मुक्तिम और बाकी वसख और ईसाई हैं ।
राजनीति का अपराधीकरर्
• राजनीवत में आपरावधक तत्वों की भागीदारी और उसके बाद प्रवतवनवधयों के रूप में उनका वनिाय चन ही राजनीवत का अपराधीकरण कहलाता
है ।
• एसोवसएिन फॉर डे मोिेवटक ररफॉर्म्य (एडीआर) के अनुसार, राज्यसभा के 24% सदस्यों पर आपरावधक मामले चल रहे हैं ।
• इस घटना में योगदान दे ने िाले कारकों में राजनीवतक इच्छािक्तक्त की कमी, प्रितयन संबंधी मुद्दे, मतदाता का स्वाथय, पैसा-बाहुबल-पु रुष
(एमएमएम) गठजोड, कानू नी खावमयां , आदिय आचार संवहता का उल्लं घन, सीवमत जागरूकता, िासन की कमी और भ्रिाचार िावमल हैं ।
• अपराधीकरण स्वतंत्र और वनष्पक्ष चुनाि, सुिासन, लोक सेिकों की अखंडता, न्यायपावलका में जनता के विश्वास और सामावजक सद्भाि
को प्रभावित करता है और रािर की खराब छवि प्रस्तुत करता है ।
िुधार के उपाय
• पारदवियता सुवनवित करना
• नागररक जागरूकता को बढ़ािा दे ना
• आदिय आचार संवहता को िैधावनक दजाय प्रदान करना
• भारत के चुनाि आयोग को सिक्त बनाना
• अपरावधयों का समथयन करने िाली पावटय यों की मान्यता ख़त्म करना
• फास्ट टर ै क कोटय की स्थापना
• अपराधी-राजनेता गठजोड को तोडना
• राजनीवतक इच्छािक्तक्त का प्रदियन.
संसद की संरचना में हो रहे सामावजक पररितयन हमारे समाज की छवि को इं वगत करते हैं । हालां वक यह समय के साथ विकवसत हुआ है , ितयमान
पररदृश्य में आपरावधक तत्वों को खत्म करने और मवहला प्रवतवनवधत्व में सुधार करने के वलए कठोर उपायों की आिश्यकता है , वजससे हमारी
लोकतां वत्रक मिीनरी की पवित्रता बनी रहे ।
73
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िाग्रेट थैचर
“राजनीवत में, यवद आप कुछ कहना चाहते हैं , तो वकसी आदमी से पूछें। यवद आप कुछ भी करना चाहते हैं , तो वकसी मवहला से पूछें।"
विवभन्न क्षेत्रों में मवहलाओं के योगदान की वनरं तर प्रगवत और मान्यता के बािजूद, भारत में उनका राजनीवतक प्रवतवनवधत्व आिययजनक रूप से
कम है ।
ितहलाओं की भागीदारी की द्धस्थति और प्रािंतगक डे टा
• अंिर-िं िदीय िंघ (आईपीयू) के अनुिार 190 दे श ं िें भारि की रैं तकंग 153िी ं है, वजसमें संसद के वनचले सदन में मवहलाओं की
वहस्सेदारी केिल 15% है ।
• राज्य तिधानिभाएं ििान रूप िे तनराशाजनक िस्वीर पे श करिी हैं, जहां औििन केिल 9% ितहला प्रतितनतधत्व है। तबहार
और राजस्थान 14% प्रवतवनवधत्व के साथ अन्य राज्यों से थोडा बेहतर प्रदियन करते हैं ।
िंिद िें ितहलाओं की भागीदारी िें बाधा उत्पन्न करने िाली चुनौतियााँ
• राजनीतिक उदािीनिा: लंबे समय से लंवबत मवहला आरक्षण विधेयक, वजसमें मवहलाओं के वलए 33% आरक्षण का िादा वकया गया है ,
राजनीवतक इच्छा िक्तक्त की कमी का प्रतीक है । हालाँ वक यह अवधकां ि पावटय यों के घोषणापत्रों का वहस्सा है , लेवकन इसका प्रभािी
कायाय न्वयन एक दू र का सपना बना हुआ है ।
• तपिृित्तात्मक प्रभाि: वनणयय लेने में पुरुष सदस्यों का व्यापक प्रभाि मवहलाओं की िक्तक्त पर भारी पडता है , जो 'सरपंच पवत' की घटना
के माध्यम से पंचायती राज प्रणाली में महत्वपूणय रूप से वदखाई दे ता है ।
• पहचान तछपाना: मवहला उम्मीदिार अक्सर अपनी राजनीवतक पाटी से संबद्ता या पाररिाररक पृष्ठभूवम के आधार पर चुनाि जीतती हैं ,
वजससे उनकी व्यक्तक्तगत पहचान वछप जाती है ।
• व्यिहार िंबंधी बाधाएाँ : प्रचवलत लैंवगक मान्यताएँ मवहलाओं की क्षमताओं को कमजोर करती हैं , इसका उदाहरण उन उदाहरणों से
वमलता है जहाँ मवहला विधायकों को अपने कतयव्यों को पूरा करने के वलए अपमावनत वकया गया है ।
• कि जागरूकिा स्तर: भारत में मवहला साक्षरता पुरुषों की तुलना में 65% बनाम 82% से पीछे है , वजससे मवहलाओं की सामान्य
जागरूकता और आत्मविश्वास में बाधा आती है ।
• कायत-जीिन िंिुलन: मवहलाओं की घरे लू वज़म्मेदाररयाँ और सामावजक अपेक्षाएँ अक्सर उनकी राजनीवतक आकां क्षाओं को बावधत करती
हैं ।
• तित्तीय बाधाएं : आवथयक वनभयरता और संसाधनों तक सीवमत पहुं च मवहलाओं की राजनीवतक भागीदारी में बडी बाधा के रूप में कायय करती
है ।
तनर्तय ले ने िाली िंस्थाओं िें ितहलाओं का िहत्व
• शािन िें दक्षिा: जमय नी और न्यूजीलैंड जैसे मवहलाओं के नेतृत्व िाले दे िों ने प्रभािी महामारी प्रबंधन सवहत सराहनीय दक्षता का प्रदियन
वकया है ।
• तलंग-िंिेदनशील दृतष्टक र्: मवहला विधायक अक्सर मवहला-केंवद्रत मुद्दों पर अवधक ध्यान केंवद्रत करती हैं , जो भारत में स्वच्छता, स्वयं
सहायता समूहों आवद जैसे मामलों को संबोवधत करने िाली मवहला प्रधानों के काम से स्पि है ।
• अंिरातष्टरीय िंबंध: यूके की वििेष दू त सुश्ी रोपर के अनुसार, संघषय समाधान में मवहलाओं की सविय भागीदारी के पररणामस्वरूप अवधक
वटकाऊ िां वत वमलती है ।
• बढी हुई जिाबदे ही: मवहला नेता मवहलाओं के क्तखलाफ अपराधों पर त्वररत कारय िाई सवहत िंवचत समूहों की जरूरतों के प्रवत अवधक
संिेदनिील सावबत हुई हैं ।
• चि क ि डना: अवधक मवहलाओं को राजनीवत में भाग लेने के वलए प्रोत्सावहत करने से मवहलाओं को होने िाले सामावजक-आवथयक
नुकसान के चि को तोडने में मदद वमल सकती है ।
ितहलाओं क अतधक प्रतितनतधत्व िे बढािा तिलेगा:
• दृतष्टक र् की तितिधिा: चूंवक मवहलाएं अक्सर भेदभाि और सामावजक चुनौवतयों के विवभन्न रूपों का अनुभि करती हैं , इसवलए उनकी
उपक्तस्थवत वलंग-संबंधी मामलों के प्रवत बेहतर संिेदनिीलता और सामावजक मुद्दों की व्यापक समझ में योगदान कर सकती है ।
• ििानिा और ििािेतशिा: मवहलाओं को राजनीवत में प्रिेि करने और आगे बढ़ने के समान अिसर सुवनवित करने से उन बाधाओं और
रूवढ़यों को तोडने में मदद वमलेगी, जो परं परागत रूप से कानूनी क्षेत्र में उनकी प्रगवत को सीवमत करती हैं ।
• अंिरातष्टरीय प्रतिबद्िाएाँ और ििोत्ति प्रथाएाँ : मवहलाओं का अवधक से अवधक प्रवतवनवधत्व प्राप्त करना अंतराय िरीय प्रवतबद्ताओं के
अनुरूप है , जैसे वक संयुक्त रािर सतत विकास लक्ष्य 5, वजसका उद्दे श्य लैंवगक समानता हावसल करना और सभी मवहलाओं और लडवकयों
को सिक्त बनाना है ।
74
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
स्थानीय स्वशािन की िंस्थाओं िें ितहलाओं के तलए िीट ं के आरक्षर् का कई िायन ं िें िकारात्मक प्रभाि पडा है:
• बढा हुआ प्रतितनतधत्व: इस नीवत ने स्थानीय िासन में मवहलाओं की संख्या में उल्ले खनीय िृक्तद् की है , वजससे वनणयय लेने में लैंवगक
विविधता को बढ़ािा वमला है ।
• िशद्धिकरर्: वजन मवहलाओं ने स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों में भाग वलया है , उनमें आत्मविश्वास आया है और नेतृत्व कौिल विकवसत
हुआ है ।
• तनर्तय लेना: स्थानीय िासन में मवहलाओं की उपक्तस्थवत ने स्वास्थ्य, विक्षा और स्वच्छता जैसे मवहला-केंवद्रत मुद्दों पर अवधक ध्यान केंवद्रत
वकया है ।
• िंयुि राष्टर ितहला (2012) ररप टत : यह ररपोटय पूरे भारत में पंचायती राज संस्थानों में मवहला नेताओं की सफलता की कहावनयों पर
प्रकाि डालती है । यह दिाय ता है वक कैसे आरक्षण नीवत ने मवहलाओं को नेतृत्व की भूवमका वनभाने और विक्षा, स्वास्थ्य और मवहला सुरक्षा
जैसे मुद्दों पर ध्यान केंवद्रत करके अपने समुदायों पर सकारात्मक प्रभाि डालने के वलए सिक्त बनाया है ।
हालााँतक, आरक्षर् नीति क भारिीय राजनीतिक प्रतिया के तपिृित्तात्मक चररत्र क िंब तधि करने िें िीिाओं का िािना करना पडा
है:
• प्रतितनतध उम्मीदिार: कुछ मामलों में, वनिाय वचत मवहलाएं अपने पुरुष ररश्तेदारों के वलए प्रवतवनवध उम्मीदिार के रूप में काम करती हैं ,
जो आरक्षण नीवतयों के िास्तविक उद्दे श्य को कमजोर करती हैं ।
• िंिाधन ं और प्रतशक्षर् की किी: कई वनिाय वचत मवहला प्रवतवनवधयों के पास राजनीवतक प्रविया में प्रभािी ढं ग से भाग लेने के वलए
आिश्यक संसाधनों, प्रविक्षण और समथयन की कमी है , वजससे िासन पर उनका प्रभाि सीवमत हो जाता है ।
• स्थातपि लैंतगक रूतढयााँ: वपतृसत्तात्मक मानदं ड और लैंवगक रूवढ़याँ राजनीवत में मवहलाओं के प्रवत सामावजक दृविकोण को प्रभावित
करना जारी रखती हैं , जो अक्सर नेताओं के रूप में उनके अवधकार और प्रभाििीलता को कम करती हैं ।
• बान और राि (2008) अध्ययन: इस अध्ययन ने कनाय टक में मवहला आरक्षण के प्रभाि की जां च की। िोधकताय ओं ने पाया वक जहां
आरक्षण से स्थानीय िासन में मवहलाओं का प्रवतवनवधत्व बढ़ा, िही ं कई मवहला नेताओं के पास राजनीवतक प्रविया में प्रभािी ढं ग से भाग
लेने के वलए आिश्यक संसाधनों, प्रविक्षण और समथयन की कमी थी, वजससे सिक्तक्तकरण और प्रभाि सीवमत हो गया।
राजनीवत में लैंवगक समानता की वदिा में यात्रा कवठन बनी हुई है । लेवकन जैसा वक एलेनोर रूज़िेल्ट् ने एक बार कहा था, "एक मवहला एक टी
बैग की तरह होती है - आप यह नही ं बता सकते वक िह वकतनी मजबूत है जब तक आप उसे गमय पानी में नही ं डालते।" हमें राजनीवतक 'गमय
पानी' में मवहलाओं के अनूठे दृविकोण और नेतृत्व का लाभ उठाने के वलए और अवधक 'टी बैग्' की आिश्यकता है ।
1. राज्यपाल द्वारा विधायी िक्तक्तयों के प्रयोग के वलए आिश्यक ितों का वििेचन कीवजए। विधावयका के समक्ष रखे वबना राज्यपाल द्वारा
अध्यादे िों को पुनः प्रख्यापन की िैधता पर वििेचना कीवजए। (2022)
2. विविधता, समानता और समािेिन सुवनवित करने के वलए उच्च न्यायपावलका में मवहलाओं के वलए अवधक प्रवतवनवधत्व की िां छनीयता पर
चचाय करें । (2021)
3. वपछले कुछ दिकों में राज्यसभा एक 'बेकार स्टे पनी टायर' से सबसे उपयोगी सहायक अंग में तब्दील हो गई है । उन कारकों के साथ-साथ
उन क्षेत्रों पर भी प्रकाि डालें वजनमें िे पररितयन वदखाई दे सकते हैं । (2020)
4. "स्थानीय स्विासन की सं स्थाओं में मवहलाओं के वलए सीटों के आरक्षण का भारतीय राजनीवतक प्रविया के वपतृसत्तात्मक चररत्र पर सीवमत
प्रभाि पडा है ।" वटप्पणी कीवजए। (2019)
5. रािरीय कानून वनमाय ता के रूप में व्यक्तक्तगत सां सदों की भूवमका में वगरािट आ रही है , वजसके पररणामस्वरूप चचाय की गुणित्ता और उनके
पररणामों पर प्रवतकूल प्रभाि पडा है । वििेचना कीवजए। (2019)
6. रािरपवत द्वारा हाल ही में घोवषत अध्यादे ि के माध्यम से मध्यस्थता और सुलह अवधवनयम, 1996 में क्ा प्रमुख बदलाि लाए गए हैं? इससे
भारत के वििाद समाधान तंत्र में वकतना सुधार होगा? वििेचना कीवजए। (2015)
7. संविधान के अनुच्छेद 105 में पररकक्तित 'संसद और उसके सदस्यों की िक्तक्तयां , वििेषावधकार और प्रवतरक्षाएं ' बडी संख्या में असंवहताबद्
और अगवणत वििेषावधकारों को जारी रखने की गुंजाइि छोडती हैं ।' संसदीय वििेषावधकारों के कानूनी संवहताकरण के अभाि के कारणों
का आकलन कीवजए। इस समस्या का समाधान कैसे वकया जा सकता है ? (2014)
75
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
8. भारतीय संसदीय प्रणाली की संघीय व्यिस्था में दू सरे सदन के रूप में राज्य सभा की प्रासंवगकता स्पि कीवजए। (2003)
9. ितयमान के बदलते राजनीवतक पररदृश्य में राज्यसभा से वकस प्रकार वििेष भूवमका वनभाने की अपे क्षा की जाती है ? (1999)
76
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िम्पूर्त दल-बदल के तलए क ई बाधा नही ं: यह कानून खुदरा दल-बदल पर रोक लगाता है लेवकन विधावयकाओं के सम्पूणय दल-बदल
के मामले में इतना प्रभािी नही ं है ।
• तिलय प्रािधान ं के िुद्दे: दोष यह प्रतीत होता है वक अपिाद सदस्ोां की सांख्या ( ियद सांबांयधत यिधािक दल के कम से कम दो- यतहाई
सदस् सहमत हैं ) पर आधाररत है , न यक दल- बदल के कारणोां पर।
भारिीय ल किंत्र पर दलबदल की राजनीति का प्रभाि
• चुनािी ल किंत्र क किज र करिा है और िाितजतनक जनादे श के िाथ तििािघाि करिा है: जनता द्वारा नही ं चुने गए सदस्य मंत्री
बन सकते हैं ।
o उदाहरर्: जब कनाय टक के विधायक, वजन्ोंने पाटी से इस्तीफा दे वदया था और चुनाि के बाद वफर से विजयी हुए, जनता और
नेताओं दोनों के बीच लोकतां वत्रक लोकाचार में वगरािट की क्तस्थवत को दिाय ते हैं ।
• खरीद-फर ख्त के िाध्यि िे भ्रष्टाचार क बढािा दे ना: दलबदलुओं की मदद से वकसी भी बहुमत िाली सरकार को अिमत सरकार
में बदला जा सकता है या वगराया जा सकता है । इससे सरकार की क्तस्थरता बावधत होती है ।
o उदाहरर्: महारािर राज्य चुनािों के बाद रािरपवत िासन लागू होना और संवदग्ध समय में इसकी िसूली इस तथ्य की ओर इिारा
करती है यक पावटय यों द्वारा खरीद-फरोख्त को िैध बना वदया गया है।
• संिैधावनक और लोकतां वत्रक मानदं डों या व्यिहार के विरुद् अनैतिक गतितितधय ं क बढािा दे ता है ।
• िंिैधातनक िशीनरी िे ििझौिा: बीआर अंबेडकर ने संविधान के वनमाय ण के तुरंत बाद बताया यक प्रत्येक संिैधावनक पाठ को विकृत
वकया जा सकता है यवद वजन पर सरकारी कामकाज चलाने का आरोप है , अगर िे ऐसा करने के इच्छु क हैं तो। वचंता के कुछ मुद्दे हैं :
o राज्यपाल की भूतिका: राज्यपाल ऐसे मामलों में केंद्र के एजेंट के रूप में कायय करता है और ऐसे मामलों पर केंद्र सरकार का पक्ष
लेने की कोविि करता है । उदाहरण के वलए: चुनाि के बाद गठबंधन के पास पयाय प्त संख्या होने के बािजूद कनाय टक के पूिय मुख्यमंत्री
को सरकार बनाने के वलए नही ं बु लाया गया।
o 10िी ं अनुिूची िें कतिय ं की व्यापकिा: विधायकों के इस्तीफे के बाद उन्ें चुनाि लडने की अनुमवत दी जाती है क्ोंवक इसे दल-
बदल नही ं माना जाता है । इससे राज्य सरकारों में अक्तस्थरता बढ़ गई है ।
o न्यायपातलका: हालाँ वक चुनािों में खरीद-फरोख्त गैरकानूनी है , लेवकन खु लेआम दल-बदल और कई मीवडया ररपोटों के बािजूद
न्यायपावलका चुवनंदा तरीके से काम करती वदख रही है , जैसा वक कनाय टक मामले में दे खा गया था जब विधायकों को दोषी नही ं
ठहराया गया था।
आगे की राह:
• सुप्रीम कोटय ने सुझाि वदया है वक दल-बदल के मामलों पर तेजी से और वनष्पक्षता से वनणयय लेने के वलए संसद को उच्च न्यायपावलका के
एक सेिावनिृत्त न्यायाधीि की अध्यक्षता में एक स्विंत्र न्यायातधकरर् का गठन करना चावहए।
• स्पीकरों के वलए वनणयय लेने के वलए ििय िीिा तय की जानी चावहए।
• दसिीं अनुसूची के तहत वनणयय चुनाि आयोग की बाध्यकारी सलाह पर रािरपवत/राज्यपाल द्वारा वकये जाने चावहए।
• दलबदलुओं या अपनी सीट से इस्तीफा दे ने िाले विधायकों को पयाय प्त समय के वलए चुनाि लडने से रोकना जैसे बदलाि करने चावहए।
• चुनािी बां ड के प्रािधानों पर दोबारा गौर करके भी पैसे की भूवमका पर अंकुि लगाया जा सकता है।
दल-बदल पर तदनेश ग स्वािी ितिति की ररप टत
• अयोग्यता उन मामलों तक सीवमत होनी चावहए जहां कोई सदस्य स्वेच्छा से अपने राजनीवतक दल की सदस्यता छोड दे ता है , (b) कोई
सदस्य मतदान से अनुपक्तस्थत रहता है , या विश्वास मत या अविश्वास प्रस्ताि में पाटी क्तिप के विपरीत मतदान करता है ।
• अयोग्यता के मुद्दे पर चुनाि आयुक्त की सलाह पर रािरपवत/राज्यपाल द्वारा वनणयय वलया जाना चावहए।
अंिरातष्टरीय अभ्याि:
• दल-बदल विरोधी कानून न केिल भारत में प्रचवलत है बक्तल्क यह बां ग्लादे ि, केन्या, दवक्षण अफ्ीका आवद कई अन्य दे िों में भी प्रचवलत
है ।
• बां ग्लादे ि के संविधान के अनुच्छेद 70 में कहा गया है वक यवद कोई सदस्य अपनी पाटी से इस्तीफा दे ता है या अपनी पाटी द्वारा वदए गए
वनदे िों के क्तखलाफ िोट करता है तो उसे अपनी सीट खाली कर दे नी होगी। वकसी प्रकार के वििाद को अध्यक्ष द्वारा चुनाि आयोग को भेजा
जाता है ।
• केन्याई संविधान की धारा 40 में कहा गया है वक जो सदस्य अपनी पाटी से इस्तीफा दे ता है उसे अपनी सीट खाली करनी होती है। यह
वनणयय अध्यक्ष द्वारा वलया जाता है और सदस्य उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है ।
• वसंगापुर के संविधान का अनुच्छेद 46 कहता है वक यवद कोई सदस्य इस्तीफा दे दे ता है या अपनी पाटी से वनष्कावसत कर वदया जाता है ,
तो उसे अपनी सीट खाली करनी होगी। अनुच्छेद 48 में कहा गया है वक सांसद सदस्यों की अयोग्यता से संबंवधत वकसी भी प्रश्न पर वनणयय
लेती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
1. वपछले कुछ िषों में व्यक्तक्तगत सांसदों (संसद सदस्यों) की भूवमका कम हो गई है और पररणामस्वरूप, नीवतगत मुद्दों पर स्वस्थ रचनात्मक
चचाय आमतौर पर नही ं दे खी जाती है । इसे कहां तक दल-बदल विरोधी कानून के वलए वजम्मेदार ठहराया जा सकता है , जो कानून तो बनाया
गया था लेवकन एक अलग इरादे से? (2013)
2. वकसी संसद सदस्य को वकसी भी सदन से अयोग्य ठहराए जाने के क्ा आधार हैं ? अपने उत्तर में प्रासंवगक प्रािधान उद् धृत कीवजए।
(2010)
3. वकस आधार पर वकसी सदस्य को संसद के वकसी भी सदन से अयोग्य ठहराया जा सकता है ? (2006)
4. दल-बदल विरोधी कानून की मुख्य वििेषताओं का िणयन कीवजए। (1995)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• तनष्पक्षिा: संसदीय लोकतंत्र में स्पीकर का पद वनष्पक्ष होना चावहए, लेवकन िे आमतौर पर वकसी राजनीवतक दल के वटकट पर सदन के
वलए चु ने जाते हैं । विटे न में, स्पीकर पूरी तरह से एक गैर-पाटी व्यक्तक्त होता है । हाल के वदनों में सदस्यों को समय आिंटन या वदन का
एजें डा तय करने के मामले में स्पीकर के फैसले को पक्षपात के चश्मे से दे खा जाने लगा है ।
हमारे संविधान वनमाय ता ने पद से सत्यवनष्ठा और वनष्पक्षता की पररकिना की थी। लेवकन धीरे -धीरे राजनीवतक वहतों ने इसे ग्रहण कर वलया है
और सत्तारूढ़ दल की जरूरतों के अधीन बना वदया है ।
कीशि िेघचंद्र तिंह बनाि भारि िंघ
• कानू नी द्धस्थति: दल-बदल विरोधी वनणयय स्वतंत्र रूप से संचावलत होता है और लोकसभा या राज्य विधान सभा के अनुमोदन के अधीन
नही ं है ।
• स्पीकर की शद्धियां: दल-बदल विरोधी पर स्पीकर के वनणयय की न्यावयक समीक्षा की जा सकती है और छूट केिल अपनाई जाने िाली
प्रवियाओं पर है ।
• प्रािधान: संिैधावनक आदे िों के उल्लंघन, दु भाय िना, प्राकृवतक न्याय के वनयमों का अनुपालन न करने और विकृवतयों पर आधाररत
कमजोररयों के आधार पर न्यावयक समीक्षा की अनुमवत दी जाती है ।
• भूतिकाएाँ : संविधान की दसिी ं अनुसूची के तहत दल-बदल विरोधी मामलों का वनणयय करते समय अध्यक्ष/स्पीकर अधय-न्यावयक
प्रावधकारी के रूप में कायय करते हैं ।
• ििय अितध: कोई भी वनणयय उवचत समय अिवध के भीतर वलया जाना चावहए - वकहोटो होलोहन वनणयय के अनुसार 3 महीने के भीतर।
• फैिले का कायात न्वयन: ऐसे व्यक्तक्त जो अयोग्यता का सामना कर चुके हैं , िे एक वदन के वलए भी सां सद/विधायक बनने के लायक नही ं
हैं (जैसा वक राजेंद्र वसंह राणा मामले में दे खा गया है )।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
तथा स्वतंत्र सोच को बढ़ािा वमल सके जैसा वक दु वनया के अय दे ि जैसे अमेररका, विटे न, ऑस्टर े वलया, आवद के अन्य लोकतंत्रों में अनुमवत
है ।
• हाल के िषों में, आं ध्र प्रदे श और िेलंगाना जैसे कुछ राज्यों में विपक्षी विधायक सत्तारूढ़ दल में िावमल होने के वलए धीरे -धीरे छोटे समूहों
में टू ट गए हैं । इनमें से कुछ िािल ं िें, द -तिहाई िे अतधक तिपक्ष ित्तारूढ दल िें शातिल ह गए हैं ।
• इन पररदृश्यों में, छोटे समूहों में सत्तारूढ़ दल में िावमल होने पर विधायक अयोग्यता के अधीन थे। हालाँ वक, यह स्पि नही ं है वक यवद
विपक्ष के दो-वतहाई से अवधक सदस्यों के सत्तारूढ़ दल में चले जाने के बाद भी पीठासीन अवधकारी कोई वनणयय लेता है , तो उन्हें अय ग्यिा
का िािना करना पडे गा या नही ं।
• माचय 2016 में िेलंगाना अध्यक्ष ने सत्तारूढ़ टीआरएस के साथ तेलंगाना में टीडीपी विधायक दल के विलय की अनुमवत दी, यह हिाला
दे ते हुए वक वनणयय लेने के समय टीडीपी के कुल 80% विधायक (15 में से 12) टीआरएस में िावमल हो गए थे।
राजद्र ह
महात्मा गां धी ने धारा 124ए को "नागररकों की स्वतंत्रता को दबाने के वलए बनाई गई आईपीसी की राजनीवतक धाराओं में से एक राजकुमार"
कहा।
• सरकार के क्तखलाफ असहमवत व्यक्त करना। यह राजद्रोह नही ं है : िुप्रीि क टत
• सुप्रीम कोटय ने कहा, अब राजद्रोह की सीमाएं पररभावषत करने का समय आ गया है ।
• सुप्रीम कोटय का कहना है वक पत्रकार राजद्रोह के क्तखलाफ सुरक्षा के हकदार हैं (कोटय ने पत्रकार तिन द दु आ के क्तखलाफ राजद्रोह का
मामला रद्द कर वदया)।
पृष्ठभूति
• केदार नाथ तिंह बनाि तबहार राज्य (1962) में, सुप्रीम कोटय ने राजद्रोह की संिैधावनक िैधता को बरकरार रखा और इसे संविधान के
अनु च्छेद 19 (2) में वदए गए मुक्त भाषण पर एक उवचत प्रवतबं ध के रूप में नोट वकया।
• इसने स्पि कर वदया वक एक नागररक को आलोचना या वटप्पवणयों के माध्यम से सरकार या उसके उपायों के बारे में जो कुछ भी पसं द हो,
कहने या वलखने का अवधकार है , जब तक वक िह लोगों को कानून द्वारा स्थावपत सरकार के क्तखलाफ वहं सा के वलए या साियजवनक अव्यिस्था
पैदा करने के इरादे से उकसाता नही ं है ।
• अब सिाल यह है वक भारत के नागररकों के मन में डर पैदा करने के वलए सरकार द्वारा राजद्रोह को एक हवथयार के रूप में प्रयोग वकया
जाता है ।
राजद्र ह का इतिहाि
• 17िी ं िताब्दी में इं ग्लैंड में राजद्रोह कानून बनाए गए थे, जब कानून वनमाय ताओं का मानना था वक सरकार की केिल अच्छी राय ही जीवित
रहनी चावहए, क्ोंवक बुरी राय सरकार और राजिाही के वलए हावनकारक थी। इस भािना एिं कानून को िहां से वलया गया तथा 1870 में
भारतीय दं ड संवहता में डाला गया।
• मैकाले के डर ाफ्ट दं ड िंतहिा की धारा 113 राजद्रोह पर भारतीय दं ड संवहता की ितयमान धारा 124ए से मेल खाती है । प्रस्तावित सज़ा
आजीिन कारािास थी। राजद्रोह का अपराध भारतीय दं ड संवहता, 1860 (आईपीसी) की धारा 124ए के तहत प्रदान वकया गया है ।
• यहां तक वक संविधान सभा में भी अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता पर रोक लगाने के वलए राजद्रोह को िावमल करने का प्रयास वकया गया था
वजसका जिाहरलाल नेहरू ने विरोध वकया था।
• बाल गंगाधर वतलक, एनी बेसेंट, अली बंधुओ,ं मौलाना आज़ाद, गां धी और कई अन्य लोगों को इस कानून के तहत कारािास का सामना
करना पडा।
जिाहरलाल नेहरू ने कहा तक यह प्रािधान "अतप्रय" और "अत्यतधक आपतत्तजनक" था, और "तजिनी जल्दी हि इििे छु टकारा पा
लेंगे उिना बेहिर ह गा"।
भारिीय दं ड िंतहिा की धारा 124ए के िहि राजद्र ह क पररभातषि तकया गया है
जो कोई बोले गए या वलखे हुए िब्दों से, या संकेतों द्वारा, या दृश्य प्रवतवनवधत्व द्वारा, या अन्यथा, कानून द्वारा स्थावपत सरकार के प्रवत घृणा या
अिमानना लाता है या लाने का प्रयास करता है , या असंतोष भडकाता है या भडकाने का प्रयास करता है , आजीिन कारािास से दं वडत वकया
जाएगा, वजसमें जुमाय ना जोडा जा सकता है , या कारािास से, वजसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है , वजसमें जुमाय ना जोडा जा सकता है , या
केिल िुमाष ने से दं वडत वकया जाएगा।
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• केदारनाथ तिंह बनाि तबहार राज्य, 1962 - संविधान पीठ ने भारतीय दं ड संवहता की धारा 124ए (दे िद्रोह) की संिैधावनक िैधता के
पक्ष में फैसला सुनाया था। न्यायालय ने माना वक वकसी व्यक्तक्त पर केिल राजद्रोह का मुकदमा चलाया जा सकता है - यवद उसके कृत्यों से
"वहं सा भडकती हो या साियजवनक अव्यिस्था पैदा करने की मंिा या प्रिृवत्त पैदा हुई हो या साियजवनक िां वत में बाधा उत्पन्न हुई हो"। जब
तक वकसी व्यक्तक्त का कोई कृत्य वहं सा भडकाने िाला या साियजवनक व्यिस्था में खलल डालने िाला न हो, उस पर राजद्रोह की खतरनाक
धारा के तहत मामला दजय नही ं वकया जा सकता।
राजद्र ह पर तितध आय ग के तिचार:
• असहमवत और सरकार की आलोचना एक जीिंत लोकतंत्र में एक मजबूत साियजवनक चचाय के आिश्यक तत्व हैं । इस प्रकार, यवद दे ि
सकारात्मक आलोचना के वलए खुला नही ं है , तो स्वतंत्रता से पहले और बाद के युग के बीच बहुत कम अंतर है ।
• अपने स्वयं के इवतहास की आलोचना करने का अवधकार और अपमान करने का अवधकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत स्वतंत्र भाषण
के तहत संरवक्षत अवधकार हैं । हालाँ वक यह रािरीय अखंडता की रक्षा के वलए आिश्यक है , लेवकन इसका दु रुपयोग मुक्त भाषण पर अंकुि
लगाने के उपकरण के रूप में नही ं वकया जाना चावहए।
• अनुवचत प्रवतबंधों से बचने के वलए स्वतंत्र भाषण और अवभव्यक्तक्त पर प्रत्येक प्रवतबंध की सािधानीपूियक जां च की जानी चावहए
• आयोग ने यह भी पूछा वक क्ा धारा 124ए का नाम बदलना और राजद्र ह िब्द का उपयुक्त विकि ढू ं ढना उवचत होगा।
आगे की राह:
• जिीनी स्तर पर पुतलि और ितजस्टरे ट ं क िंिेदनशील बनाना: जो अक्सर छोटे -मोटे अपराध करने िाले लोगों पर इस कठोर कानून
का इस्तेमाल करते हैं या वजनके वलए अन्य कानू न उपलब्ध हैं ।
• धारा 124A के दायरे क िीतिि करना: यह अवधवनयम क्षेत्रीय अखंडता और दे ि की संप्रभुता को प्रभावित करने िाले मुद्दों के साथ-
साथ भारत और भारत के वहतों के क्तखलाफ आतंकिादी गवतविवध तक सीवमत रहे गा।
• राजद्र ह कानून पर पु नतितचार: अगस्त 2018 में, भारत के विवध आयोग ने एक परामिय पत्र प्रकावित वकया वजसमें वसफाररि की गई वक
राजद्रोह से संबंवधत भारतीय दं ड संवहता की धारा 124 ए पर वफर से विचार करने या वनरस्त करने का समय आ गया है ।
तनष्कषत
• भारत, दु वनया का सबसे बडा लोकतंत्र होने के नाते, स्वतंत्र भाषण और अवभव्यक्तक्त की अपनी आिश्यक सामग्री को सुवनवित करना है ।
जो अवभव्यक्तक्त या विचार तत्कालीन सरकार की नीवत के अनुरूप न हो उसे राजद्रोह नही ं माना जाना चावहए। रािरीय अखंडता की रक्षा के
वलए भी यह आिश्यक है । कानूनी राय और कानून के पक्ष में सरकार की राय को दे खते हुए यह संभािना नही ं है वक धारा 124ए को जल्द
ही खत्म कर वदया जाएगा। हालाँ वक, मुक्त भाषण पर अंकुि लगाने के एक उपकरण के रूप में इसका दु रुपयोग नही ं वकया जाना चावहए।
िं िदीय िं ि ीक्षा
• संसदीय जां च सरकारी नीवतयों, कायों और व्ययों की संिीक्षा करती है , जो संसद के वनम्न और उच्च सदनों और उनकी सवमवतयों द्वारा की
जाती है ।
िरकार की िंिदीय जााँच की तितभन्न तितधयााँ
• चचात/बहि: विधेयकों पर चचाय /बहस के दौरान संसद विधानमंडलों में साियजवनक या रािरीय वहत के मामले सामने आ सकते हैं ।
• प्रश्नकाल: प्रश्नकाल के दौरान सदस्य प्रिासन और सरकारी गवतविवध के हर पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं ।
• िंिदीय ितितियााँ: संसद ने सरकार द्वारा उसके समक्ष लाए जाने िाले विधेयकों की जां च के वलए सवमवतयों की बडी मिीनरी स्थावपत
की है ।
• तित्त ितितियााँ: प्राक्कलन सवमवत वनयामकों के बजटीय अनुमानों की समीक्षा करती है । वनयामकों के खातों पर िावषयक अंकेक्षण ररपोटय
संसद के समक्ष रखी जाती है और लोक लेखा सवमवत (पीएसी) द्वारा समीक्षा की जाती है । लोक लेखा सवमवत को वनयामक के अवधकाररयों
को सवमवत के समक्ष पेि होने की आिश्यकता हो सकती है ।
• िदथत ितितियााँ: संसद तदथय सवमवतयाँ स्थावपत कर सकती है , जो वनयामकों के कामकाज की जाँ च कर सकती हैं ।
अप्रभािी िंिदीय जांच के कारर्:
• ित्र ं की िंख्या िें किी: उदाहरण के वलए, हाल ही में संसद के िीतकालीन सत्र को COVID-19 महामारी के कारण छोटा कर वदया
गया था।
• प्रश्नकाल के दौरान व्यिधान: 16िी ं लोकसभा लोकसभा में प्रश्नकाल वनधाय ररत समय के 77% समय तक चला, जबवक राज्यसभा में यह
47% समय तक चला।
• तबल ं क िंिदीय ितितिय ं क न भेजना: 14िी ं लोकसभा में 60% और 15िी ं लोकसभा में 71% विधेयकों की संसदीय सवमवतयों द्वारा
जां च की गई थी, िबयक 16िी ां लोकसभा में यह अनुपात घटकर 27% हो गया।
• तिपक्ष का क ई प्रभािी ने िा नही ं
प्रश्नकाल का िहत्व
प्रत्येक संसदीय बैठक का पहला घंटा इसके वलए आरवक्षत होता है। इस दौरान सदस्य सिाल पूछते हैं और मंत्री आमतौर पर जिाब दे ते हैं। प्रश्न
तीन प्रकार के होते हैं - तारां वकत, अतारां वकत और अि सूचना।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• जिाबदे ही और पारदतशतिा िुतनतिि करिा है: प्रश्नकाल संसद को पारदिी और जिाबदे ह बनाता है क्ोंवक यह घरे लू और विदे िी,
सरकारी गवतविवध के हर पहलू को सक्तम्मवलत करता है ।
• िरकार क जिाबदे ह बनािा है: तत्कालीन सरकार रािर की नब्ज को पहचानती है और जनता को प्रदियन के बारे में जानकारी दे ती है ।
• प्रश्न ं का ििाधान: वदए गए उत्तरों की विश्वसनीयता अत्यंत महत्वपूणय है और वनयम संबंवधत मंत्री द्वारा गलवतयों को सुधारने की अनुमवत
दे ते हैं ।
• व्यापक बहि तनकालें: प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए प्रश्न सामान्य रूप से मु द्दे पर आधाररत होते हैं और मुद्दे पर बहुत सटीक होते हैं । समय-
समय पर वदए गए उत्तरों ने सरकार के प्रदियन पर व्यापक चचाय और पूछताछ को जन्म वदया है ।
• िरकार क अपना रुख पररभातषि करने िें िदद करिा है: प्रश्नकाल सरकार को वकसी भी मुद्दे पर संबंवधत सदस्य और आम जनता
दोनों को अपनी क्तस्थवत बताने में मदद करता है ।
आगे की राह:
• महामारी की क्तस्थवत में सुधार होने पर प्रश्नकाल और िून्यकाल को तुरंत िापस वकया जाना चावहए।
• ििय-ििय पर जांच: संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के वलए रािरीय आयोग (एनसीआरडब्ल्यूसी) के अनुसार, विभाग-संबंवधत
स्थायी सवमवतयाँ की समय-समय पर जां च की जानी चावहए तावक वजन सवमवतयों की उपयोवगता समाप्त हो गई है , उन्ें नए वसरे से
प्रवतस्थावपत वकया जा सके।
• नई िं िदीय ितितियााँ: चूंवक अथयव्यिस्था और तकनीकी प्रगवत के मामलों में जवटलता बढ़ रही है , इसवलए नई संसदीय सवमवतयों के
गठन की आिश्यकता है ।
• सभी सवमवतयों की प्रमुख ररपोटों पर संसद में चचाय होनी चावहए, खासकर उन मामलों में जहां वकसी सवमवत और सरकार के बीच असहमवत
हो।
• तिपक्ष क िरकार से सिाल पू छने में सविय रहना चावहए।
• दू िरा प्रशाितनक िुधार आय ग यह भी वसफाररि करता है वक वनयामकों द्वारा संसद को सौंपी जाने िाली िावषयक ररपोटय में पूिय-सहमत
मूल्ां कन मापदं डों पर प्रगवत िावमल होनी चावहए और संसदीय सवमवत में इस पर चचाय की जानी चावहए।
• सां सदों को तिशेषज् िहायिा प्रदान की जानी चावहए क्ोंवक प्रभािी जां च उनके कौिल और संसाधनों पर वनभयर करती है ।
• तजम्मेदारी के िाथ कायत करना और तनयि ं िें िंश धन करना: अध्यक्ष या सभापवत द्वारा ईमानदारी के साथ कायय करने के अलािा,
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में प्रविया के वनयमों में संिोधन करने की आिश्यकता है , तावक सभी प्रमुख विधेयकों को विभाग-संबंवधत
स्थायी सवमवतयाँ को भेजा जाना चावहए।
िंिदीय वनयंत्रण का क्षरर्
• िंिद चार प्रिुख कायत करिी है: नागररकों का प्रवतवनवधत्व, कानून बनाना, काययपावलका की वनगरानी और बजट की जां च।
• अपने वनरीक्षण कायय के माध्यम से, संसद सरकार को जिाबदे ह बनाती है और यह सुवनवित करती है वक नीवतयां कुिल और नागररकों की
जरूरतों के अनुरूप हों।
• इसके अलािा, सरकार की मनमानी और असंिैधावनक कारय िाई को रोकने के वलए संसदीय वनगरानी आिश्यक है ।
• िंिदीय तनरीक्षर् के द प्रिुख िंत्र हैं:
1. सदन के पटल पर प्रश्न और बहस, और
2. संसदीय सवमवतयाँ जो सरकारी नीवतयों की जाँ च करती हैं ।
कायतपातलका पर िंिदीय वनयं त्रण के तलए िंत्र
• प्रश्नकाल: इस दौरान सदस्य प्रश्न पूछते हैं और मंत्री आमतौर पर जिाब दे ते हैं ।
• िाद-तििाद और प्रस्ताि: सामान्य साियजवनक महत्व के वकसी मामले पर पीठासीन अवधकारी की सहमवत से वकए गए प्रस्ताि के
अलािा कोई चचाय नही ं हो सकती है । सदन विवभन्न वचंताओं पर अपने वनणययों या विचारों को मंवत्रयों या वनजी सदस्यों द्वारा उठाए गए
प्रस्तािों को अपनाने या अस्वीकार करने के माध्यम से संप्रेवषत करता है ।
• शून्यकाल: यह संसद के सदस्यों को वबना वकसी पूिय सूचना के मामले उठाने के वलए उपलब्ध एक अनौपचाररक उपकरण है
• संसदीय सवमवतयाँ जो सरकारी नीवतयों की जाँ च करती हैं
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िंिदीय कायतिाही िें व्यिधान एक ऐसा मॉडल बन गया है ,जो संसदीय वनरीक्षण को और भी कम कर दे ता है क्ोंवक इससे चचाय का
समय कम हो जाता है ।
िंिदीय वनयंत्रण के क्षरर् के कारर्:
• क तिड 19: सरकार द्वारा िून्यकाल को समाप्त करने का कारण कोविड-19 महामारी बताया गया।
• सुधारों को प्राप्त करने के वलए तिधेयक ं क पाररि करने की शीघ्रिा वगलोवटन बंदी को आमंवत्रत करती है । उदाहरर्: कृवष विधेयक,
अनु च्छेद 370 को वनरस्त करना।
• नेता प्रवतपक्ष एिं सिक्त विपक्ष का अभाि
• लोकसभा में एकदलीय प्रभुत्व
िंिदीय तनरीक्षर् क कैिे िजबूि करें :
• िंिद ित्र क स्वयं बुलाने की अनुिति दे ना: आम तौर पर यह रािरपवत (मंवत्रपररषद) होता है ,जो संसद सत्र को बुलाता है और इस
प्रकार िे अपने एजेंडे के अनु रूप समय को समायोवजत करता है । इस प्रकार एक वनधाय ररत मयायदा िाली संसद को राजनीवतक उद्दे श्यों के
बजाय रािर वहत पर अपनी बैठक आयोवजत करने में सक्षम होना चावहए।
• तिपक्ष क िजबूि करना: भारत को यूके और अमरीका मॉडल अपनाना चावहए, जहां विपक्ष को िमिः 20 और 22 वदनों के वलए संसद
का एजेंडा तय करने की अनुमवत है । 13िें ऑल क्तिप कॉफ्ेंस ने भी इसकी वसफाररि की थी।
• जिाबदे ही िुतनतिि करना: प्रत्येक सदन के वनयमों को अलग से संिोवधत वकया जा सकता है, इसवलए जिाबदे ही सुवनवित करने के
वलए ऐसे कई प्रािधानों की वफर से जां च करनी होगी।
o प्रश्नकाल: अकेले प्रधानमंत्री को उनके वलए आिंवटत मंत्रालयों से संबंवधत प्रश्नों का उत्तर दे ना होता है , हालाँ वक विटे न में प्रधानमंत्री
सरकारी नीवतयों से संबंवधत प्रश्नकाल के सभी प्रश्नों का उत्तर दे ते हैं ।
o चचातओ ं क िुदृढ बनाना: ितयमान में सभापवत वकसी चचाय या प्रस्ताि को स्वीकार करने के प्रश्न और उसकी प्रकृवत पर वनणयय लेता
है । इसे मतदान में बदलना होगा, क्ोंवक अक्सर प्रकृवत पर असहमवत उत्पन्न हो जाती है ।
o ररप टों की जांच: संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के वलए रािरीय आयोग ने वसफाररि की है वक सभी सवमवत ररपोटों पर
संसद में चचाय की जानी चावहए।
• ितिति प्रर्ाली िें िुधार: सवमवत प्रणाली में कुछ सुधार करने होंगे वजनका उल्ले ख नीचे वकया गया है ।
o सवमवत की बैठकों की िीवडयो ररकॉवडं ग जैसी सिोत्तम प्रथाओं को अपनाकर पारदतशत िा बढाना, जैसा वक अमेररका और विटे न में
दे खा गया है ।
o वििेष रूप से विभाग संबंवधत स्थायी सवमवतयों में व्यापक जनभागीदारी िुतनतिि की जानी चावहए।
• तनयािक ं की तनगरानी: भारतीय ररजिय बैंक और भारतीय दू रसंचार वनयामक प्रावधकरण जैसे वनयामकों को संसद से िक्तक्तयां प्राप्त हैं ।
इस प्रकार उन्हें िह सुयनयित करना िायहए यक अपनी नीवतयों को समझाने के वलए पां च साल में कम से कम एक बार विविि संसदीय
सवमवत के समक्ष उपक्तस्थत होना।
• खुतफया एजेंतिय ं की तनगरानी: आसूचना ब्यूरो और अनुसंधान एिं विश्ले षण विंग जैसी खुवफया एजेंवसयों के पास स्पि कारणों से सीवमत
वनगरानी है , लेवकन वििेष रूप से मानिावधकारों और कानून के िासन के उल्लं घन के मामलों में कुछ स्तर की वनगरानी को संसद या
इसकी सवमवतयों के ध्यान में लाया जाना चावहए। यहां तक वक संयुक्त राज्य अमेररका, विटे न और जमयनी जैसे दे ि भी वनरीक्षण के समान
वनयमों का पालन करते हैं ।
आगे की राह:
• महामारी की क्तस्थवत में सुधार होने पर प्रश्नकाल और िून्यकाल को तुरंत िापस वकया जाना चावहए।
• ििय-ििय पर जांच: संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के वलए रािरीय आयोग (एनसीआरडब्ल्यूसी) के अनुसार, विभाग-संबंवधत
स्थायी सवमवतयाँ की समय-समय पर जां च की जानी चावहए तावक वजन सवमवतयों की उपयोवगता समाप्त हो गई है , उन्ें नए वसरे से
प्रवतस्थावपत वकया जा सके।
• नई िंिदीय ितितियााँ: चूंवक अथयव्यिस्था और तकनीकी प्रगवत के मामलों में जवटलता बढ़ रही है , इसवलए नई िंिदीय ितितिय ं के
गठन की आिश्यकता है ।
• सभी सवमवतयों की प्रमुख ररपोटों पर संसद में चचाय होनी चावहए, खासकर उन मामलों में जहां वकसी सवमवत और सरकार के बीच असहमवत
हो।
• विपक्ष को सरकार से सिाल पूछने में सविय रहना चावहए।
• मीवडया को प्रासंवगक तथ्यों और आं कडों के साथ सरकार से सिाल पूछना िायहए।
राज्य तिधानिं ड ल और उििे िं ब ं त धि िु द्दे
भारत एक संघीय राज्य है , वजसमें संघ और राज्य स्तर पर विधावयकाओं से बनी सरकार का संसदीय स्वरूप है । संविधान के भाग VI में अनुच्छेद
168 से 212 राज्य विधानमंडल के संगठन, संरचना, अिवध, अवधकाररयों, प्रवियाओं, वििेषावधकारों, िक्तक्तयों आवद का प्रबंधन करते हैं ।
राज्य तिधान पररषद के िंदभत िें:
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• यह वद्वसदनीय राज्य विधानमंडल में उच्च सदन है और वनम्न सदन राज्य विधान सभा है ।
• विधान पररषद का वनमाय ण या समाक्तप्त
o संविधान का अनु च्छेद 169 भारत की संसद को राज्य विधान पररषद बनाने या समाप्त करने का अवधकार दे ता है , यवद वकसी राज्य
की विधावयका इसके वलए एक प्रस्ताि पाररत करती है ।
o इसे विधानसभा की कुल सदस्यता के बहुमत से और विधानसभा में उपक्तस्थत और मतदान करने िाले सदस्यों के कम से कम दो-
वतहाई बहुमत से पाररत वकया जाना आिश्यक है ।
• राज्य विधान पररषद का आकार राज्य विधान सभा की सदस्यता के एक वतहाई से अवधक नही ं हो सकता है । हालाँ वक, इसका आकार 40
सदस्यों से कम नही ं हो सकता।
राज्य ं िें तद्विीय िदन की उपय तगिा:
• जााँच और िंिुलन: यह संिोधन और विचार का प्रािधान करके विधानसभा द्वारा बनाए गए जल्दबाजी, दोषपूणय, लापरिाह और गैर-
विचाररत कानून की जाँ च करता है ।
• तिशेषज् की राय: यह उन प्रवतवष्ठत पेिेिरों और वििेषज्ञों के प्रवतवनवधत्व को सुविधा प्रदान करता है जो सीधे चुनाि का सामना नही ं कर
सकते। राज्यपाल ऐसे लोगों को प्रवतवनवधत्व प्रदान करने के वलए पररषद के एक-छठे सदस्यों को नावमत करता है ।
• िाझा ब झ: यह काययभार को साझा करके विधान सभा के काययभार को कम करता है , वजससे यह अवधक महत्व के मुद्दों या मामलों पर
ध्यान केंवद्रत करने में सक्षम होता है ।
• परािशत प्रतिया का तिस्तार: उच्च सदन परामिय की प्रविया को अवधक व्यापक बनाता हैं यक वजसके पररणामस्वरूप कानून अवधक
प्रभािी हो सकते हैं और संिोधन की संभािना कम हो सकती है ।
• बेहिर कानून: यह अवििेकी, दोषपूणय या लापरिाह कानू न को रोकता है और विधायी प्रविया को कुछ विधायकों की सनक और पसंद से
बचाता है ।
राज्य ं िें तद्विीय िदन की आल चना:
• अनािश्यक और अिर धक भूतिका तनभािा है: यवद उच्च सदन में अवधकां ि सदस्य एक ही पाटी के हैं , तो उच्च सदन मात्र एक नकल
कक्ष बन जाएगा।
• पयातप्त जााँच नही ं: विधान पररषदों की िक्तक्तयाँ इस हद तक सीवमत हैं , यक िे विधानसभाओं पर िायद ही कोई उपयोगी वनयंत्रण लगा
सकें।
• तनतहि स्वाथों का केंद्र: यह वनवहत स्वाथों के केंद्र के रूप में कायय करता है , वजनसे प्रगवतिील कानून का समथय न करने की उम्मीद नही ं
की जाती है ।
• परातजि िदस्य ं का तपछले दरिाजे िे प्रिे श: इसका उपयोग अप्रवतवष्ठत पाटी-नेता को िावमल करने के वलए वकया जाता है , जो लोकवप्रय
िोटों के माध्यम से विधानसभाओं में लौटने में सक्षम नही ं हो सकते हैं ।
• िहाँगा िंस्थान: यह राज्य के खजाने पर एक बडा बोझ है ।
• िीतिि शद्धियााँ: िे न तो राज्य सरकार बना सकते हैं या भंग कर सकते हैं और धन विधेयक पाररत करने में भी उनकी कोई भूवमका नही ं
है । यह सभी प्रकार से विधान सभा के अधीन है ।
• तनतहि स्वाथत: विधान पररषद केिल उन लोगों के वनवहत स्वाथों के गढ़ के रूप में कायय करती है , जो कानून में रुवच नही ं रखते हैं । इसके
बजाय, िे लोकवप्रय रूप से वनिाय वचत विधान सभा द्वारा िुरू वकए गए ऐसे कानू न को रोक सकते हैं।
विधान सभा की तुलना में विधान पररषद की क्तस्थवत कमजोर और िक्तक्तहीन है और इसवलए पररषद को वद्वतीयक सदन या महंगी सजािटी
विलावसता के रूप में िवणयत वकया गया है । समय की मां ग है वक विधान पररषदों को और अवधक िक्तक्तिाली बनाकर उन्ें उत्तरदायी बनाया
जाए, तावक िे विधान सभाओं के समान विकास और अन्य महत्वपूणय मुद्दों को उठा सकें।
वद्वतीय प्रिासवनक सुधार आयोग ने सुझाि वदया वक विधान पररषद को पंचायती राज संस्थानों के प्रवतवनवधयों के रूप में काम करना चावहए और
स्थानीय िासन को मजबूत करने के वलए पररषद को आिश्यक िक्तक्तयां दे ने के वलए संविधान में उपयुक्त संिोधन वकया जा सकता है ।
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• तिधायी कायत: 2015 के आं कडों के आधार पर प्रवत िषय पाररत वबलों की औसत संख्या 19 है और उत्तर पूिी राज्यों के वलए यह 10 से भी
कम है । सालाना तीन सत्रों को दे खते हुए ये परे िान करने िाले आं कडे हैं ।
• बजट की जांच: अवधकां ि राज्यों को बजट पर संसद की तरह समय नही ं वमलता। िे महत्वपूणय मं त्रालयों पर चचाय करते हैं और बाकी को
अलग कर दे ते है ।
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भारि-अिेररका
न्यातयक व्यिस्था भारि अिेररका
न्यायपावलका एकीकृत प्रणाली: न्यायालयों का पदानुिम न्यायालयों की दोहरी व्यिस्था: संघीय कानूनों के वलए
अथाय त सिोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और संघीय न्यायपावलका और राज्य कानूनों के वलए राज्य
अधीनस्थ न्यायालय। न्यायपावलका।
जूरी प्रणाली अक्तस्तत्व में नही ं है । अनुमत।
न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त कोलेवजयम प्रणाली वनयुक्तक्त में न्यायपावलका न्यायाधीिों को रािरपवत द्वारा नावमत वकया जाता है तथा
की महत्वपूणय भूवमका होती है । सीनेट द्वारा इसकी पुवि की जाती है , अथाय त वनिाय वचत
प्रवतवनवधयों की भूवमका अवधक होती है ।
न्यायाधीिों के वलए सेिावनिृवत्त की सुप्रीम कोटय : 65 िषय न्यायाधीि आजीिन सेिा करते हैं।
आयु उच्च न्यायालय और अन्य अधीनस्थ न्यायालय:
62 िषय
सिोच्च न्यायालय का मूल संघीय मामलों तक ही सीवमत संघीय मामले + नौसेना बलों, समुद्री गवतविवधयों,
क्षेत्रावधकार राजदू तों इत्यावद से संबंवधत मामले।
सिोच्च न्यायालय का अपीलीय संिैधावनक, दीिानी और फौजदारी मामले। केिल संिैधावनक मामले
क्षेत्रावधकार
मामलों का वनणयय करना भारतीय न्यायाधीि 3 से 5 न्यायाधीिों की कई सभी अमेररकी न्यायाधीि वनणयय लेने के वलए एक साथ
पीठों में बैठते हैं और यवद आिश्यक हो तो बैठते हैं ।
न्यायाधीिों वक यह संख्या अवधक भी होती हैं ।
सिोच्च न्यायालय का सलाहकार हाँ नही ां
क्षेत्रावधकार
क्षेत्रावधकार में पररितयन संसद द्वारा विस्तार वकया जा सकता है । िक्तक्तयाँ , संविधान द्वारा प्रदत्त िक्तक्तयों तक ही सीवमत
हैं ।
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अधीनस्थ न्यायालयों पर वनयंत्रण एकीकृत न्यावयक प्रणाली: उच्च न्यायालयों पर दोहरी (या पृथक) न्यावयक व्यिस्था-> ऐसी कोई िक्तक्त
न्यावयक अधीक्षण की िक्तक्त। नही ं है ।
भारि-तिटे न
विचलन भारत विटे न
जूरी प्रणाली उपक्तस्थत नही ं उपक्तस्थत
न्यावयक समीक्षा मूलतः कानून द्वारा स्थावपत प्रयििा। िेनका गांधी िािले कानू न की उतचि प्रतिया-> संसद सिोच्च है और
के बाद: 'कानून की उवचत प्रविया'। इस प्रकार, इसकी न्यायालय कानून की वनष्पक्षता की जाँ च नही ं करता है ।
न्यावयक समीक्षा का दायरा विस्तृत कर वदया गया है ।
न्यावयक वनयुक्तक्त कॉलेतजयि प्रर्ाली: न्यायपावलका की अवधक भूवमका, न्यातयक तनयुद्धि आय ग-> संसद को सिोच्चता-> अवधक
वजसके पररणामस्वरूप कम पारदवियता होती है । पारदवियता।
अतभिरर्:
• न्यायपातलका की स्विंत्रिा: यह दोनों दे िों में िक्तक्त पृथक्करण के वसद्ां त के माध्यम से सुवनवित की गई है ।
o उदाहरर् के तलए- विटे न ने 1973 के केििानंद भारती मामले के समान, लॉडय चां सलर के कायाय लय से न्यावयक कायय को हटा वदया।
• िैकद्धिक तििाद ििाधान: दोनों दे ि न्याय वितरण में सुधार के वलए ADR (िैकक्तिक वििाद समाधान) तंत्र की खोज कर रहे हैं ।
o उदाहरर् के तलए- विटे न ने 2007 में न्याय मंत्रालय की स्थापना की। इसी प्रकार, भारत ने न्याय वितरण और कानूनी सुधार के वलए
एक रािरीय वमिन की िुरूआत की है ।
• जिाबदे ही: भारत, NJAC (रािरीय न्यावयक वनयुक्त आयोग) जैसे उपायों के माध्यम से, न्यावयक वनयुक्तक्तयों में पारदवियता को सुवनवित करने
की विवधयाँ खोज रहा है ।
न्यायपातलका द्वारा तनभाई जाने िाली तितभन्न िहत्वपू र्त भू त िकाएाँ
िौतलक अतधकार ं के िंरक्षक के रूप िें न्यायपातलका:
• न्यायपावलका को व्यक्तक्तयों के अवधकारों की सुरक्षा करने का कायय सौंपा गया है । संविधान दो तरीके प्रदान करता है , वजसमें सिोच्च
न्यायालय अवधकारों के उल्लंघन का समाधान कर सकता है ।
o िितप्रथि, यह बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादे ि आवद (अनुच्छेद-32) की ररट जारी करके, मौवलक अवधकारों को पुनः स्थावपत कर सकता
है । उच्च न्यायालयों के पास भी ऐसी ररट जारी करने की िक्तक्त होती है (अनुच्छेद 226)।
o दू िरे , सिोच्च न्यायालय, संबंवधत कानून को असंिैधावनक घोवषत कर सकता है (अनुच्छेद 13)।
• संविधान के ये दोनों प्रािधान एक साथ वमलकर, सिोच्च न्यायालय को एक ओर नागररकों के मौवलक अवधकारों के संरक्षक तथा दू सरी ओर
संविधान के व्याख्याकार के रूप में स्थावपत करते हैं ।
िंतिधान के िंरक्षक और िरकार/राज्य की िनिानी िे रक्षा करने िाली न्यायपातलका:
• भारतीय न्यायपावलका वनम्नवलक्तखत प्रािधानों का उपयोग करते हुए, संविधान के संरक्षक के रूप में कायय करती है :
o संिैधावनक संिोधनों, संसद एिं राज्य विधानसभाओं के कानून, अधीनस्थ कानू न तथा संघ एिं राज्य अवधकाररयों की प्रिासवनक
कारय िाई की न्यावयक समीक्षा।
o िंतिधान की व्याख्या: केििानंद भारती मामले में यह कहा गया यक, मूल संरचना का वसद्ां त न्यायपावलका को संिैधावनक वसद्ां तों
की तुलना में, विधावयका तथा काययपावलका की कारय िाई को मान्य करने में सक्षम बनाता है ।
o अनु च्छेद 142, सिोच्च न्यायालय को अपने अवधकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए ऐसी वडिी पाररत करने या ऐसा आदे ि दे ने की अनुमवत
दे ता है , जो पूणय न्याय के वलए आिश्यक हो। उदाहरण के वलए- भोपाल गैस त्रासदी मामले में अदालत ने पीवडतों को "पूणय न्याय" दे ने
के वलए, 470 वमवलयन डॉलर का मुआिजा वदया था।
इसवलए, संविधान वनमाय ताओं ने न्यावयक समीक्षा के प्रािधानों को संविधान में ही िावमल वकया। यह न्यायपावलका को संघिाद का संतुलन बनाए
रखने, नागररकों के मौवलक अवधकारों एिं मौवलक स्वतंत्रता की रक्षा करने में सक्षम बनाता है । यह समय की नई पररक्तस्थवतयों और आिश्यकताओं
को पूरा करने के वलए, संविधान को समायोवजत करता है ।
िहत्वपू र्त न्यातयक अिधारर्ाएाँ
• शद्धिय ं के पृथक्करर् का तिद्ांि: राज्यों के तीन अंग हैं और सभी स्वतंत्र रूप से दू सरे के कायय में अवतिमण वकए वबना कायय करें गे।
• जााँच एिं िंिुलन: न्यायपावलका -> यह जाँ च करने के वलए एक वनगरानी संस्था, वक काययपावलका और विधावयका अपनी संिैधावनक िक्तक्त
की सीमाओं के भीतर कायय कर रहे हैं एिं एक दू सरे के कामकाज में हस्तक्षेप नही ं कर रहे हैं ।
• िंिैधातनक आधार: अनु च्छेद 21 - विवध द्वारा स्थावपत प्रवियाओं के अवतररक्त, वकसी भी व्यक्तक्त को उसके प्राण या दै वहक स्वतंत्रता से
िंवचत नही ं वकया जाएगा।
• िेनका गांधी बनाि भारि िरकार, 1978 िािले िें ििोच्च न्यायालय: अनुच्छेद 21 में प्राकृवतक न्याय के वसद्ां तों को िावमल करके,
विवध की उवचत प्रविया का वसद्ां त िावमल वकया गया है ।
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तितध द्वारा स्थातपि प्रतिया एिं तितध की तनयि प्रतिया के िध्य अं िर:
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• अकुशल पररचालन प्रबंधन: न्यायालयी संचालन में सुधार करने, मामले की आिाजाही एिं न्यावयक अिवध को अनुकूवलत करने में सहायता
के वलए, न्यायालय प्रबंधकों के वलए समवपयत पद कई न्यायालयों में ररक्त हैं ।
• कठ र प्रतियात्मक आिश्यकिाएाँ : प्रत्येक मामले पर अनेकों कागजी कारय िाई करने की आिश्यकता होती है , जो कभी-कभी अनािश्यक
विलंब उत्पन्न करती है । उदाहरण के वलए- हाल ही िें तिष्णु तििारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने झूठे बलात्कार के आरोप से बरी
कर वदया था। उनकी अपील 16 िषों तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लंवबत थी। इसके पीछे का कारण, दस्तािेजों का गायब
होना या मामले को सूचीबद् करने के वलए गलत प्रारूप में दस्तािेज होना था।
• िकील ं का अनुतचि आचरर्: िे कभी-कभी मामले को खींचने के वलए, वििेषकर अधीनस्थ स्तरों पर, वमलीभगत कर भ्रिाचार में वलप्त
पाए जाते हैं । इसके अवतररक्त, िकील गैर-िैध कारणों से बारं बार स्थगन की भी मां ग करते हैं ।
• तिलंतबि जांच: आधुवनक एिं िैज्ञावनक उपकरणों के आभाि के पररणामस्वरूप, पुवलस जां च में बाधा उत्पन्न हुई है ।
• िही जागरूकिा िें िृद्धद्-> मामलों की ररपोवटं ग में िृक्तद् हुई है ।
लंतबि िािल ं क कि करने के तलए उठाये गए कदि
o अवग्रम संचय को रोकने के वलए, 100% मामले का वनस्तारण।
o िािल ं के तनस्तारर् के तलए तनतिि ििय िीिा: अधीनस्थ न्यायपावलका तथा उच्च न्यायालयों के वलए, िावषयक लक्ष्य और कायय
योजनाएँ वनधाय ररत करना।
o अमेररका ि विटे न की भां वत, भारतीय न्यायावधकरण एिं न्यायालयी सेिाओं की स्थापना करना।
• 120िां तितध आय ग: कुिल एिं अनुभिी न्यायाधीिों को, तदथय न्यायाधीि के रूप में वनयुक्त करना (अनु च्छेद 128 एिं अनुच्छेद 224A)
• उपरािरपवत द्वारा सिोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय पीठों की स्थापना की वसफाररि की गई।
• ििंथा िािले िें तितध आय ग और ििोच्च न्यायालय: अपीलीय न्यायालय तथा संिैधावनक न्यायालय में अलग-अलग सिोच्च न्यायालय
कायय करते हैं ।
• आिश्यकिा और कारक ं क ध्यान िें रखिे हुए न्यायाधीश ं का आिंटन:
o आपरावधक मामलों का बैकलॉग 2.5 गुना अवधक है ।
o विलंब के कारण विविि चरण अथाय त- प्रवियात्मक अक्षमता/मानि संसाधन की कमी की पहचान करने के वलए, जीिन चि
विश्लेषण। जैसे- वदल्ली उच्च न्यायलय का िून्य लंवबत मामला।
o राज्य-िार मामला वनस्तारण दर: गुजरात में 100% मामला वनस्तारण दर है और वबहार में 55.8% मामला वनस्तारण दर है ।
● न्यायालयी उत्पादकिा िें िृद्धद्:
o कायय वदिसों की संख्या में िृक्तद्।
o कतयव्यों के पयाय प्त वनष्पादन को सुवनवित करने के वलए, न्यावयक अवधकाररयों हे तु सख्त आचार संवहता।
o व्यािसावयक प्रविया पुनरय चना।
o आधुवनक प्रौद्योवगकी का पररवनयोजन: e-कोटय के अंतगयत NJDG (नेिनल ज्यूवडवियल डे टा वग्रड) मामलों का वबग डे टा विश्लेषण।
o मामलों को ऑनलाइन दाक्तखल करना।
• न्यायिूतित रिर् द्वारा अनुशंतिि तत्र-आयािी दृतष्टक र्:
o e-प्ले टफॉमय के उपयोग तथा अवधक न्यायालयों की स्थापना के माध्यम से, न्यावयक अिसंरचना में सुधार करना
o परामिय के माध्यम से मुकदमेबाजी-पूिय चरण में वििादों का वनस्तारण।
o मौजूदा िैकक्तिक वििाद समाधान (ADR) तंत्र को सुदृढ़ करना
• िेिातनिृत्त न्यायाधीश ं की तनयुद्धि करना: लंवबत मामलों के वनस्तारण के वलए, अस्थायी अिवध हे तु उच्च न्यायालयों के सेिावनिृत्त
न्यायाधीिों को उच्च न्यायालयों में वनयुक्त करने के वलए अनुच्छेद 224A लागू करना। यद्यवप यह वनयुक्तक्त, वनयवमत न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त
के मूल् पर नही ं होगी।
• िािल ं का ििूहीकरर्: अवधक लंवबत विविि प्रकार के मामलों की पहचान की जाएगी और उसके वलए एक वििेष सवमवत वनयुक्त की
जाएगी। जैसे- हाल ही में न्यायालय ने चेक बाउं स मामलों, जो वक टर ायल कोटय में लगभग 30% से 40% हैं , के वनस्तारण के वलए एक पैनल
की वसफाररि की है ।
• कानू नी िूचना प्रबंधन और िीतफंग तिस्टि (LIMBS), कानून और न्याय मंत्रालय के अंतगयत कानूनी मामलों के विभाग द्वारा सृवजत
वकया गया एक िेब-आधाररत एक्तप्लकेिन है , वजसका कायय कानूनी डे टा को एक ही वबंदु पर उपलब्ध कराना तथा भारत संघ की ओर से
संचावलत मुकदमेबाजी मामलों की प्रविया को सुव्यिक्तस्थत करना है ।
• िुकदिेबाजी की दक्षिा िें िुधार:
o िैकक्तिक वििाद समाधान (ADR) को प्रोत्साहन प्रदान करना: मुकदमेबाजी-पूिय मध्यस्थता
o गां िों में लोक अदालतों तथा ग्राम न्यायालयों का वनयवमत संचालन
o मुकदमों को अवधक प्रभािी बनाने के वलए गां िों में उच्च न्यायपावलका द्वारा कानूनी दे खभाल एिं सहायता केंद्रों को बढ़ािा वदया गया
o राजनीवतक आपरावधकता जैसे मामलों की महत्वपूणय श्ेवणयों के वलए फास्ट टर ै क न्यायालय और वििेष न्यायालय।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• न्यायाधीिों द्वारा मध्यस्थता, सुलह, लोक अदालत आवद जैसे िैकक्तिक वििाद समाधान तंत्रों को बढ़ािा वदया जाना चावहए। इसके
अवतररक्त- NALSA (नेिनल लीगल सवियस अथॉररटी), SALSA (स्टे ट लीगल सवियस अथॉररटी, DALSA (वडक्तस्टरक्ट लीगल सवियस अथॉररटी)
और TALSA जैसे विवधक सेिा प्रावधकरण, जागरूकता उत्पन्न कर सकते हैं ।
• िीतडया की भूतिका: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में मीवडया को लंवबत मामलों पर समय-समय पर तथा रचनात्मक ररपोवटं ग करनी
चावहए। इससे दोहरा लाभ प्राप्त होगा। न्यायाधीिों पर बेहतर उत्तरदावयत्व स्थावपत करना तथा लंवबत मामलों को साियजवनक क्षेत्र में लाना।
कानून के िासन की संस्कृवत बनी रहनी चावहए, क्ोंवक सरकार को अलग-थलग रखकर सुधार नही ं वकया जा सकता है । सुव्यिक्तस्थत, सुलभ,
वकफायती तथा त्वररत न्याय वितरण आवथयक एिं सामावजक गुणक के रूप में कायय करता है । वनष्पक्ष एिं त्वररत सुनिाई का अवधकार सभी
पररक्तस्थवतयों में बनाए रखा जाना चावहए, क्ोंवक यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतगयत गररमापूणय जीिन का एक महत्वपू णय घटक है ।
इसके अवतररक्त, मामलों की लंवबतता अन्य सुधारों जैसे- जेल सुधार, पुवलस सुधार आवद पर भी वनभयर करती है । सरकार को उन सुधारों को भी
सुवनवित करना होगा।
न्यातयक तनयु द्ध ियााँ
तनयुद्धिय ं िे िम्बंतधि िंिैधातनक प्रािधान
• अनुच्छेद 124(2): सिोच्च न्यायालय के न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त
o CJI (भारि के िुख्य न्यायाधीश)- रािरपवत द्वारा, सिोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीिों से परामिय करने के बाद,
वजन्ें रािरपवत आिश्यक समझे।
o अन्य न्यायाधीश- रािरपवत द्वारा CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) तथा सिोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीिों से
परामिय के बाद, जैसा िह आिश्यक समझे।
• अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त
o उच्च न्यायालय के िुख्य न्यायाधीश: CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) और संबंवधत राज्य के राज्यपाल से परामिय के बाद, रािरपवत
द्वारा।
o अन्य न्यायाधीश: CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) और संबंवधत राज्य के राज्यपाल तथा संबंवधत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीि
के परामिय के बाद, रािरपवत द्वारा।
• कॉलेतजयि प्रर्ाली: भारत के मुख्य न्यायाधीि तथा सुप्रीम कोटय के चार िररष्ठ न्यायाधीिों की एक सवमवत, सिोच्च न्यायालयों एिं उच्च
न्यायालयों में न्यायाधीिों की वनयुक्तक्तयों तथा स्थानां तरण से संबंवधत वनणयय लेती है ।
िीन-न्यायाधीश ं के िािले
• प्रथि न्यायाधीश िािला (एि. पी. गुप्ता िािला) 1981 - CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) के साथ परामिय का अथय सहमवत नही ं है
तथा इसका तात्पयय केिल विचारों का आदान-प्रदान है । काययपावलका को अवधक स्वतंत्रता प्राप्त थी।
• दू िरा न्यायाधीश िािला, 1993: CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) के साथ परामिय का अथय सहमवत है , अथाय त CJI (भारत के मुख्य
न्यायाधीि) द्वारा दी गई सलाह, रािरपवत के वलए बाध्यकारी है । यद्यवप, CJI को दो िररष्ठतम न्यायाधीिों से परामिय करने की भी आिश्यकता
होती है । वनयुक्तक्त पर काययपावलका द्वारा उठाई गई आपवत्तयों पर, कॉलेवजयम अपनी वस़िाररि को पररिवतयत भी कर सकता है तथा नही ं
भी कर सकता है , जो वक काययपावलका के वलए बाध्यकारी है ।
• िीिरा न्यायाधीश िािला, 1998: CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) को अपनी राय बनाने के वलए, सुप्रीम कोटय के चार िररष्ठतम न्यायाधीिों
से परामिय करना चावहए।
कॉलेतजयि प्रर्ाली िें कतियााँ:
• िंतिधान िभा के तिचार ं के तिरुद्: वनयुक्तक्तयों पर CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) को िीटो िक्तक्त प्रदान करने के प्रस्ताि को खाररज
कर वदया।
• तनरं कुश: यह कोई संिैधावनक सं स्था नही ं है । न्यायपावलका में वनयु क्तक्तयों और स्थानां तरण को वनयंवत्रत करने के वलए कॉलेवजयम के गठन
को, न्यायपावलका के एक अवधवनयम के रूप में माना जा सकता है
• अपारदतशतिा: काययप्रणाली में पारदवियता का अभाि -> अलोकतां वत्रक।
• य ग्यिा बनाि िररष्ठिा: िररष्ठता के वनयम के कारण बेहतर योग्यता तथा बेहतर टर ै क ररकॉडय िाले व्यक्तक्तयों की उपेक्षा कर दी जाती है ,
तावक वकसी अयोग्य व्यक्तक्त के वलए मागय बनाया जा सके।
• जााँच और िं िुलन की क ई व्यिस्था नही ं: अन्य न्यायाधीिों के सन्दभय में CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) की वस़िाररि को रािरपवत के
वलए बाध्यकारी बना वदया गया-> काययपावलका को िस्तुतः कोई अवधकार नही ं है ।
• तनयुद्धि िें तिफलिा: कॉलेवजयम, ररक्तक्तयों के अनुरूप न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त करने में विफल रहा है ।
• तितध आय ग (230िी ं ररप टत ):
o कॉलेवजयम प्रणाली (अंकल जजे ज वसंडरोम) की काययप्रणाली में भाई-भतीजािाद, भ्रिाचार तथा व्यक्तक्तगत संरक्षण प्रचवलत हैं ।
o अनुच्छेद 74 का उिंघन: रािरपवत को मंवत्रपररषद की सहायता तथा सलाह पर कायय करना होगा।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
एक स्वतंत्र एिं वनष्पक्ष न्यायपावलका, लोकतां वत्रक राज्य का महत्वपूणय अंग है । न्यायाधीिों का स्थानां तरण मनमाने ढं ग से नही ं होना चावहए तथा
स्थानां तरण के कारणों का उल्लेख करना, जनता को स्पि तस्वीर प्रदान करने की वदिा में एक कदम हो सकता है । न्यायपावलका में नागररकों
का विश्वास बनाए रखा जाना चावहए।
न्यातयक उत्तरदातयत्व
न्यावयक उत्तरदावयत्व इस दृविकोण का िणयन करती है , वक न्यायाधीिों को उनके कायय के वलए वकसी भी प्रकार से उत्तरदायी ठहराया जाना
चावहए। यह साियजवनक उत्तरदावयत्व हो सकता है अथाय त् चुनाि में मतदाताओं से अनुमोदन प्राप्त करना या राज्यपाल अथिा विधानमंडल जैसे
वकसी अन्य राजनीवतक वनकाय के प्रवत उत्तरदावयत्व।
न्यातयक उत्तरदातयत्व की आिश्यकिा:
• िंिैधातनक कितव्य: कानून के िासन तथा लोगों के अवधकारों को बनाए रखने के वलए न्यायपावलका की भूवमका-संरक्षक, रक्षक तथा
प्रहरी की होती है ।
• िंिैधातनकिा के तिरुद्: जाँ च एिं संतुलन का वसद्ां त यह सुवनवित करता है यक राज्य का कोई भी अंग अपनी िक्तक्त का दु रुपयोग न
करे ।
• िाितजतनक तििाि क बनाए रखना: हाल की वटप्पवणयाँ जैसे वक- बलात्कार पीवडता को बलात्कारी से वििाह करने के वलए कहना,
सुनिाई के वलए कुछ लोगों के मामलों को प्राथवमकता दे ना तथा दू सरों के मामलों में विलंब करना न्यायपावलका में विश्वास को कम करता
है ।
• न्यातयक स्विंत्रिा: उत्तरदावयत्व के वबना, न्यावयक स्वतंत्रता का उपयोग न्यायाधीिों के वनजी लाभ के वलए वकया जा सकता है , न वक
कानून के िासन एिं नागररकों के अवधकारों की सुरक्षा के वलए।
• प्राकृतिक न्याय का तिद्ांि: CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) वकसी मामले में स्वयं को एक पक्षकार होने के बाद भी, मास्टर ऑफ रोल्स
का वनणयय करते हैं । जैसे- CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) के विरुद् चार िररष्ठतम न्यायाधीिों की हावलया प्रेस कॉफ्ेंस।
• बढिा कायतकारी प्रभाि: विवभन्न न्यायावधकरणों तथा वनकायों में सेिावनिृवत्त के बाद के पदों के कारण।
िे क्षेत्र जहां न्यातयक उत्तरदातयत्व का अभाि है:
• न्यातयक तनयुद्धि: कॉलेवजयम प्रणाली के पररणामस्वरूप न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त होती है , वजसमें िस्तुतः काययपावलका और विधावयका
की कोई भूवमका नही ं होती है ।
• तनष्कािन: अनुच्छेद 124(1) और 217(1) के अंतगयत, प्रविया लंबी तथा कवठन होती है ।
• न्यायाधीश ं का आचरर्: हाल ही में जक्तस्टस रामास्वामी पर भ्रिाचार के आरोप, जक्तस्टस रं जन गोगोई पर यौन उत्पीडन का आरोप CJI
(भारत के मुख्य न्यायाधीि) के चररत्र पर सिाल उठाते है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िंचालन िें अस्पष्टिा: न्यावयक स्वतंत्रता की आड में न्यायपावलका भ्रिाचार के मामलों की जांच में बाहरी वनकाय की भागीदारी को
प्रवतबंवधत करती है और आं तररक तंत्र स्थावपत करती है ।
• िूचना तिषििा: िस्तुतः RTI (सूचना का अवधकार) के बाहर - सुप्रीम कोटय के वनयम, सूचना प्रदान करने में विलंब के वलए समय सीमा,
अपील तंत्र तथा दं ड का प्रािधान नही ं करते हैं ।
• न्यायालय की अििानना: इसका उपयोग सही समीक्षा के वलए भी वकया जा रहा है । उदा. कुणाल कामरा और प्रिां त भूषण के विरुद्
हाल ही में अिमानना की काययिाही।
• न्यातयक अतिरे क: नागररक विकायतों के प्रवत सवियता ने अवतरे क की सीमा का अवतिमण कर वलया है । जैसे रािरगान मामला, हाईिे
पर िराबबंदी।
• न्यायाधीश ं द्वारा िंपतत्त की घ षर्ा न करना।
न्यातयक उत्तरदातयत्व िुतनतिि करने हे िु उठाए गए कदि:
• 1997 में सिोच्च न्यायालय द्वारा 'न्यातयक जीिन के िूल् ं का पु नकतथन' तथा 2002 िें न्यातयक आचरर् के बैंगल र वसद्ां तों के चाटय र
को अपनाना।
• न्यातयक िानक एिं उत्तरदातयत्व तिधेयक, 2010 - रािरीय न्यावयक वनरीक्षण सवमवत की स्थापना करता है -> न्यायाधीिों को सलाह या
चेतािनी जारी कर सकता है और रािरपवत को उनकी पदच्युवत की वसफाररि भी कर सकता है ।
• ििोच्च न्यायालय (SC) ने न्यायालयी काययिाही की लाइि-स्टर ीवमंग को स्वीकृवत प्रदान की।
• प्रतिया ज्ापन का प्रारूप, 2016:
o न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त के वलए "योग्यता एिं सत्यवनष्ठा" को "प्रमुख मानदं ड" के रूप में िावमल करना।
o उच्च न्यायालय के न्यायाधीिों के ररकॉडय बनाए रखने के वलए, सिोच्च न्यायालय में स्थायी सयििालि।
• ििोच्च न्यायालय बनाि िुभाष चंद्र अग्रिाल िािला: CJI (भारत के मुख्य न्यायाधीि) को RTI (सूचना का अवधकार) अवधवनयम के
अंतगयत, एक साियजवनक प्रावधकारी घोवषत वकया गया है ।
आिश्यक कदि:
• मीवडया इस वनणयय का अध्ययन करे गा। इस पर सैद्ां वतक रूप से वटप्पणी करें , तावक न्यायाधीिों को यह पता चले वक उन पर नजर रखी
जा रही है । उत्तरदावयत्व सुवनवित करने वक यही विवध है - अरुर् शौरी
• न्यायाधीिों के विरुद् विकायत के वलये स्विंत्र न्यातयक ल कपाल।
• न्यायाधीिों के वलए व्यापक आचार िंतहिा
• द -स्तरीय न्यातयक अनु शािन िॉडल - पहला स्तर: जुमाय ना/वनलंबन; दू सरा स्तर: वनष्कासन।
• वनयुक्त व्यक्तक्तयों की दे ि की विविधता के प्रवत जागरूकिा एिं िंिेदनशीलिा - वनयुक्तक्त में मानदं ड
भारत जैसे स्वस्थ, जीिंत, काययिील लोकतंत्र के वलए एक स्वतंत्र न्यािपायलका, प्राथवमक ितय है तथा इसकी न्यावयक स्वतंत्रता को नि करने का
कोई भी प्रयास आत्मघाती है , वकन्तु साथ ही, न्यावयक उत्तरदावयत्व भी समान महत्व का है ।
न्यायपातलका िें भ्रष्टाचार िथा ििकत िा प्रभाग की आिश्यकिा
आं ध्र प्रदे ि के मुख्यमंत्री द्वारा सिोच्च न्यायालय के ितयमान न्यायाधीि के विरुद् भ्रिाचार के आरोप तथा इन भ्रिाचार के मामलों की जां च पर
रोक लगाने के वलए, उच्च न्यायालय की काययप्रणाली में हस्तक्षेप भी वकया गया। मद्रास उच्च न्यायालय ने भ्रि गवतविवधयों को समाप्त करने के
वलए, न्यायपावलका को अपने सतकयता प्रभाग को मजबूत करने की वहमायत की है । लंवबत मामलों की व्यापक संख्या तथा विवभन्न राज्यों में
न्यायाधीिों के ररक्त पदों की बडी संख्या के पररणामस्वरूप, विलंब एिं अक्षमता उत्पन्न होती है । वबचौवलयों के प्रिेि के वलए यह एक आदिय
क्तस्थवत वनवमयत करती है ।
न्यातयक भ्रष्टाचार के कारर्:
• दु गतििा: न्यावयक प्रणाली अत्यवधक विलंवबत है तथा आम नागररकों को वनिारण प्राप्त करने में कवठनाई होती है , क्ोंवक मुकदमा लडना
महं गा है एिं न्यावयक प्रणाली को गवत दे ने के वलए प्रायः अवतररक्त धन की आिश्यकता होती है ।
• ित्ता का दु रुपय ग: न्यायाधीिों द्वारा अनुकूल वनणयय वदए जाने के बदले में ररश्वत, यौन संबंध की मांग करने के उदाहरण वमलते हैं । वकसी
मौजूदा न्यायाधीि के विरुद् भ्रिाचार का आरोप लगाने िाले व्यक्तक्त को, न्यायालय की अिमानना के वलए दं वडत वकया जा सकता है । यह
इस प्रकार के अन्य मामलों को भी सामने आने से रोकेगा।
• कतठन िहातभय ग प्रतिया: सिोच्च न्यायालय के वनणयय के अनुसार, CJI (भारत के मु ख्य न्यायाधीि) की पूिय स्वीकृवत के वबना, वकसी भी
न्यायाधीि के विरुद् कोई भी FIR (प्रथम सूचना ररपोटय ) दजय नही ं की जा सकती। उनकी प्रवतरक्षा को बोवझल महावभयोग प्रविया द्वारा सुदृढ़
वकया जाता है , जो वक राजनीवतक प्रभाि के प्रवत भी संिेदनिील है ।
• धीिी एिं अकुशल: अपयाय प्त न्यावयक कमयचाररयों के साथ जवटल तथा अकुिल न्यावयक प्रवियाएँ , मामलों को िषों तक खींचती हैं । वनणयय
को आगे बढ़ाने या उसे नई वदिा दे ने के वलए ररश्वत दी जाती है ।
• भ्रष्टाचार के आर प ं की जांच की आं िररक प्रतिया (1997): न्यायालय ने वनणयय वदया वक ऐसे मामलों को गोपनीय रखा जाएगा। इसके
पररणामस्वरूप, प्रायः कई विश्वसनीय मामलों की अनदे खी हो जाती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
न्यायपावलका में नागररकों का विश्वास उत्पन्न करना, न्यायपावलका का संिैधावनक दावयत्व है । यवद न्यायालय न्यायपावलका के साथ-साथ, न्यायालय
पररसर में बढ़ती भ्रि प्रथाओं का उल्ले ख करने में विफल रहता है , तो न्यायालय का अन्तः करण इसकी अनुमवत नही ं दे गा। न्याय के वलए, सभी
नागररकों के साथ समान व्यिहार तथा न्याय वितरण में वनरं तरता की आिश्यकता होती है ।
न्यायपातलका िें पारदतशत िा का अभाि - िस्तु िः RTI (िू च ना का अतधकार) के बाहर
RTI (सूचना का अवधकार) की धारा 2(h) में, सिोच्च न्यायालय को एक साियजवनक प्रावधकरण के रूप में िावमल वकया गया है । यद्यवप, विवध
सेंटर के अध्ययन में पाया गया है यक RTI अवधवनयम पर न्यायपावलका की घोषणाओं एिं उच्च न्यायालयों द्वारा इसे वकस प्रकार लागू वकया जा
रहा है , के मध्य एक "गंभीर अंतर" है ।
• RTI (िूचना का अतधकार) के अनुच्छेद 225 और धारा 28 का अनुतचि उपय ग: उच्च न्यायालय, RTI (सूचना का अवधकार) की धारा
22 के विरुद् वनणयय दे ते हैं, जो वक RTI अवधवनयम को अन्य सभी अवधवनयमों से आगे कर दे ता है । साथ ही, उच्च न्यायालयों के वनयम
सूचना के प्रकटीकरण के वलए उवचत कारण प्रदवियत करने की मां ग करते हैं , जबवक इसके विपरीत RTI (सूचना का अवधकार), कारण
नही ं पूछता है ।
• धारा 4(1)(b) के अंिगति स्वैद्धच्छक प्रकटीकरर्: कई उच्च न्यायालयों द्वारा अपनी िेबसाइटों पर वकये जाने िाले खराब गुणित्ता िाले
सविय प्रकटीकरण, िैधावनक दावयत्व का वनियहन करने में उच्च न्यायालयों की विफलता को दिाय ते हैं ।
• तित्तीय पारदतशतिा: अवधकां ि उच्च न्यायालय, अपने बजट का वििरण सविय रूप से प्रकावित नही ं करते हैं । कुछ उच्च न्यायालय RTI
(सूचना का अवधकार) अवधवनयम के अंतगयत अपने बजट और ले खापरीक्षा ररपोटय की प्रवतयां उपलब्ध कराने के इच्छु क हैं ।
• धारा 8: RTI (सूचना का अवधकार) अवधवनयम की धारा 8, सूचना प्रदान करने से इनकार करने के वलए, आधारों की संख्या को प्रवतबंवधत
करती है । लेवकन कई उच्च न्यायालयों के RTI वनयमों में, सूचना को अस्वीकार करने के वलए अवतररक्त आधार िावमल वकए गए हैं ।
• ब तझल प्रतिया: पोस्टल ऑडय र जैसे भुगतान के तरीकों को अस्वीकार करना, स्वीकृत भुगतान मोड के रूप में केिल न्यायालय िुल्क
वटकटों की मां ग करना, जो वक केिल कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध हैं ।
• िातकतक चुनौतियााँ: अवधकां ि उच्च न्यायालयों और सिोच्च न्यायालयों को रवजस्टर ी में आिेदन को भौवतक रूप से दाक्तखल करने की तथा
न्यायाधीि के समक्ष सुनिाई की आिश्यकता होती है , तावक यह वनधाय ररत वकया जा सके वक ररकॉडय वदया जाना चावहए अथिा नही।ं
न्यातयक ितियिा और न्यातयक अतिरे क
• न्यातयक ितियिा: यह काययपावलका तथा विधावयका को नागररकों के अवधकारों को बनाए रखने के वलए, अपने संिैधावनक कतयव्यों का
पालन करने हे तु बाध्य करने के वलए, न्यायपावलका द्वारा वनभाई गई सविय एिं मुखर भूवमका है । उदा.- सूखे से वनपटने के वलए नई नीवत
बनाने का वनदे ि दे ना, बैड लोन पैनल का गठन करना, कश्मीर में इं टरनेट पु नः स्थावपत करने का आदे ि दे ना आवद।
• न्यातयक अतिरे क: न्यावयक सवियता का चरम स्वरुप, जहां न्यायपावलका द्वारा विधावयका या काययपावलका के क्षेत्र में मनमाने तथा अनुवचत
हस्तक्षेप वकए जाते हैं । उदाहरण के वलए:
o कॉलेवजयम के गठन से एक अवतररक्त-संिैधावनक वनकाय द्वारा, न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त में काययपावलका को अपनी भूवमका से िंवचत
कर वदया गया।
o उच्च न्यायपावलका में पारदवियता तथा उत्तरदावयत्व सुवनवित करने के वलए, रािरीय न्यावयक वनयुक्तक्त आयोग अवधवनयम, 2014 को
अमान्य करना।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• जनतहि यातचका: यावचका दायर करने िाले व्यक्तक्त का मुकदमे में कोई व्यक्तक्तगत वहत नही ं होना चावहए, यह यावचका न्यायालय द्वारा
तभी स्वीकार की जाती है , जब इसमें व्यापक पैमाने पर जनता का वहत िावमल हो।
• संिैधावनक व्याख्या
• संिैधावनक अवधकारों को सुवनवित करने हे तु अंतराय िरीय कानून तक पहुं च
• वनचली अदालतों पर उच्च न्यायालयों की पययिेक्षी िक्तक्त
न्यातयक ितियिा के लाभ:
• जााँच एिं िं िुलन: समाधान के रूप में निोन्मे र् को सामने लाने की रिनात्मकता। ताि महल के आसपास के क्षेत्र में प्रदू र्ण फैलाने िाले
उद्योग पर प्रयतबांध लगाने का आदे श दे ते हुए, यिसके पररणामस्वरूप यिरासत की बहाली हुई है ।
• न्यायाधीश ं की बुद्धद्: उदाहरण के वलए- काययस्थल पर यौन उत्पीडन को रोकने के वलए वििाखा वदिावनदे ि लागू करना।
• िंिैधातनक दातयत्व: व्यक्तक्तयों के अवधकारों की रक्षा करना।
• िुद्दे की अंिदृततष्ट: तकय एिं चचाय - लोग मुद्दे के पक्ष तथा विपक्ष दोनों को जानते हैं ।
• दु रुपय ग क र कना: कई बार साियजवनक िक्तक्त लोगों को हावन पहुँ चाती है ।
• न्याय का पूर्त तििरर्: विचाराधीन कैवदयों को ररहा करने तथा भोपाल गैस त्रासदी के पीवडतों को 420 वमवलयन अमेररकी डॉलर का
मुआिजा दे ने के वलए, अनुच्छेद 142 का आह्वान।
• त्वररि ििाधान: विधानमंडल बहुमत के मुद्दे पर फंस जाता है । उदाहरर् के तलए- तदिी िें पुराने िाहन ं पर प्रतिबं ध।
न्यातयक ितियिा िे िम्बंतधि िुद्दे:
• अतिररि शद्धि: संविधान के अनुसार, न्यायाधीिों से अपेक्षा की जाती है वक िे कानून की व्याख्या करते समय वनणयय लें। लेवकन कभी-
कभी ऐसा प्रतीत होता है वक िे न्यायालय के समक्ष मामलों का वनणयय करने में अपनी िक्तक्त से आगे वनकल जाते हैं ।
• िंतिधान की भािना क बातधि करना: यह संविधान की भािना को नि कर दे ता है , क्ोंवक लोकतंत्र विवभन्न अंगों के मध्य िक्तक्तयों के
पृथक्करण पर आधाररत है ।
• अतनिाततचि ल ग ं का अत्याचार: इसके पररणामस्वरूप अवनिाय वचत लोगों का अत्याचार होता है , क्ोंवक न्यायाधीि वदन-प्रवतवदन वनणयय
लेने में केंद्रीय भूवमका वनभाते हैं ।
• व्यद्धिगि एजेंडा: न्यावयक सवियता ऐसे न्यावयक वनणययों का िणयन करती है , वजनके मौजूदा कानू न के स्थान पर व्यक्तक्तगत या राजनीवतक
विचारों पर आधाररत होने का संदेह वकया जाता है ।
• तििाि की किी: इससे साियजवनक संस्थानों में लोगों का विश्वास कम हो जाता है , जो लोकतंत्र के वलए खतरनाक हो सकता है ।
• वकसी भी मामले के वलए एक बार ली गई न्यायाधीिों की न्यावयक राय, अन्य मामलों पर वनणयय के वलए मानक बन जाती है ।
• तिशेषज्िा का आभाि: न्यायपावलका के पास कानून बनाने के वलए समय तथा संसाधन दोनों का अभाि है । कभी-कभी ऐसे अवधवनयमों
की व्यािहाररक कवठनाइयों की जानकारी न्यायालयों को नही ं होती। उदाहरण: अप्रैल 2020 से BS-IV िाहनों पर लगा प्रवतबंध, वजसे कई
बार बढ़ाना पडा।
• न्यायपातलका पर अत्यतधक ब झ: सभी जनवहत यावचकाओं पर विचार करने से न्यायपावलका पर अत्यवधक बोझ पडता है , वजसका
उपयोग अन्य अदालतों के समक्ष लंवबत मामलों के वनस्तारण के वलए वकया जा सकता है ।
न्यातयक ितियिा और न्यातयक अतिरे क के कारर्:
• शद्धि की तिषििा: सिोच्च न्यायालय का वनणयय, काययपावलका और विधावयका पर बाध्यकारी है तथा उनके कायों और कानूनों को रद्द
कर सकता है ।
• जनतहि यातचका: 'लोकस स्टैं डी' (प्रभावित व्यक्तक्त के अवतररक्त कोई भी व्यक्तक्त, न्यायालय का दरिाजा नही ं खटखटा सकता) के वसद्ां त
को समाप्त कर वदया। इससे प्रिासन में सुधार के वलए न्यावयक हस्तक्षेप की मां ग उठने लगी।
• अन्य िंस्थाओं का उदािीन दृतष्टक र्: - िासन में भ्रिाचार, विलंब, गैर-उत्तरदावयत्व अथिा अक्षमता। इससे िासन में एक िून्यता
उत्पन्न हो जाती है , वजसे न्यायपावलका पूरा करती है । जैसे वििाखा वदिावनदे ि (1997) मामले को संबोवधत करने में, विधावयका की अक्षमता
का पररणाम है ।
• अन्य कारक:
o व्यक्तक्तयों में अपने अवधकारों के प्रवत जागरूकता बढ़ाना
o िैश्वीकरण
o सविय मीवडया एिं नागररक समाज संगठन
o पयाय िरण के प्रवत वचंता
• तिधातयका और कायतपातलका के ििक्ष आने िाली चुनौतिय ं की लापरिाही: विधावयका और काययपावलका के कायय 4F अथाय त- फंड,
़िंक्शन, फ्ेमिकय और फंक्शनरी पर वनभयर करते हैं । इन 4F पर पडने िाले समग्र प्रभाि पर विचार वकए वबना ही वदए जाने िाले न्यावयक
आदे ि, अथयव्यिस्था को हावन पहुं चा सकते है , जैसे- कोयला िॉक आिंटन और स्पेक्टरम आिंटन रद्द करने से वित्तीय संस्थानों को अत्यवधक
हावन हुई|
• न्यायपातलका के उत्तरदातयत्व का अभाि: न्यायपावलका जनता के प्रवत उत्तरदायी नही ं है । 'न्यायालय की अिमानना' की िक्तक्त अपने
कई कायों के वलए, साियजवनक आलोचना से बच जाती है ।
• न्यायाधीिों के स्वाथी उद्दे श्य, जो वक साियजवनक वहत को हावन पहुं चा सकते हैं । उदा.- जॉली LLB में सविय सेंसरविप
• कानू न ं िें अतनतिििा – उदा.- दू रसंचार लाइसेंस रद्द करना
• तबना ि चे-ििझे प्रतितिया: पू णय न्याय करने की वचंता में, वकन्तु व्यापक पररणामों के िोध पर विचार वकए वबना वलए गए वनणयय, अवधक
हावन पहुं चाते हैं । उदा.- रािरीय और राज्य राजमागों से 500 मीटर की दू री पर िराबबंदी के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए। हालाँ वक
निे में गाडी चलाने के कारण होने िाली आकक्तस्मक मौतें केिल 4.2% थी,ं जबवक तेज़ गवत से गाडी चलाने के कारण 44.2% मौतें होती
थी।ं
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
न्यायालय की अििानना
न्यायालय अििानना अतधतनयि, 1971 न्यायालय की अििानना क पररभावषत करता है , तितिल अििानना वकसी न्यायालय के वकसी
वनणयय, वडिी, वनदे ि, आदे ि, ररट या अन्य प्रवियाओं की जानबूझकर अिज्ञा करना या न्यायालय को वदए गए िचन का जानबूझकर उल्लंघन
करना।
आपरातधक अििानना: वकसी भी मामले का प्रकािन या कोई कायय करना जो-
• वकसी भी न्यायालय के प्रावधकार को बदनाि करिा ह ।
• वकसी भी न्यावयक काययिाही में हस्तक्षेप करना।
• वकसी अन्य तरीके से न्याय प्रिासन में बाधा डालना।
िंिैधातनक प्रािधान:
• अनुच्छेद 129 और 215: सिोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को अवभलेख न्यायालय के रूप में िक्तक्तयाँ , वजनमें स्वयं की अिमानना
के वलए दं वडत करने की िक्तक्त भी िावमल है ।
• अनुच्छेद 142(2): सिोच्च न्यायालय को अपनी अिमानना के वलए वकसी भी व्यक्तक्त की जां च करने और दं वडत करने में सक्षम बनाता है ।
अििानना शद्धि की आिश्यकिा:
• न्यायालय का िम्मान बरकरार रखना: न्यायपावलका लोगों के भरोसे पर वटकी है । प्रीिि लाल बनाि िध्य प्रदे श उच्च न्यायालय िें
सिोच्च न्यायालय ने माना वक यह न्यायालय का कतयव्य है वक िह अपनी गररमा बनाए रखने के वलए अिमानना अवधवनयम को दं वडत करे ।
• कानू न का शािन: न्यायालय के आदे ि की अिज्ञा कानून के िासन के वसद्ां त का उल्लंघन करती है । इसवलए अिमानना िक्तक्त संविधान
की मूल संरचना को एक साथ रखती है ।
• कानू न के ििक्ष ििानिा: अदालत के आदे िों के अनुपालन के वलए बाध्य करके अमीरों और िक्तक्तिाली लोगों के विरुद् उपकरण।
• न्यायपातलका की स्विंत्रिा: जनता की राय और मीवडया परीक्षणों से सुरक्षा।
• न्यायपातलका की तिििनीयिा और दक्षिा: जैसे अपमानजनक व्यिहार के वलए न्यायमूवतय कणयन के विरुद् अिमानना की काययिाही।
• उतचि प्रतिबंध: संविधान का अनुच्छेद 19(1) बोलने और अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता पर अंकुि लगाने के वलए न्यायालय की अिमानना को
एक उवचत प्रवतबंध के रूप में प्रदान करता है ।
• तितध आय ग (274िी ं ररप टत ): इसके दु रुपयोग से बचाने के वलए कई अंतवनयवहत सुरक्षा उपाय। जै िे न्यायालय की अिमानना अवधवनयम,
1971 की धारा 13: यवद क्षवत की मात्रा मामूली और नोवटस के तहत है , तो अदालत अिमानना के वलए दं वडत नही ं करे गी।
• न्याय प्रशािन िें हस्तक्षेप: िह्म प्रकाश शिात बनाि उत्तर प्रदे श राज्य-> अदालत की अिमानना मामले में यह वििेष रूप से प्रमावणत
करना आिश्यक नही ं है वक न्याय प्रिासन में िास्तविक हस्तक्षेप वकया गया है ।
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• अििानना शद्धि का स्र ि: इसका स्रोत अवधवनयम केिल अिमानना के वलए जां च और सजा की प्रविया की रूपरे खा बताता है । अत:
विलोपन का कोई प्रभाि नही ं पडे गा।
• अधीनस्थ न्यायालय ं पर प्रभाि: अधीनस्थ न्यायालयों की अिमानना पर उच्च न्यायालय दं वडत करे गा। यवद अिमानना की पररभाषा को
संकुवचत कर वदया गया तो अधीनस्थ न्यायालयों को नुकसान होगा क्ोंवक कोई उपाय नही ं बचेगा।
• अदालि की शद्धि क प्रतिबंतधि करना: 1971 अवधवनयम -> प्रविया वनधाय ररत करना, अिमानना िक्तक्तयों का उपयोग करने में
न्यायालयों के वििेषावधकार को प्रवतबंवधत करता है । अिमानना की पररभाषा में संिोधन से अस्पिता आएगी।
• अंिरातष्टरीय िुलना:
o विटे न में न्यायालय को बदनाम करने का आक्तखरी अपराध 1931 में हुआ था। जबवक भारत में आपरावधक अिमानना के मामले बडी
संख्या में जारी हैं ।
o न्यायालय को बदनाम करने का अपराध -> यूनाइटे ड वकंगडम में अन्य कानू नों के तहत दां िनीि है ।
आगे की राह:
• तििेकातधकार क कि करना: अिमानना िक्तक्त को अवधक दृढ़ और सैद्ां वतक बनाया जाए।
• न्यायालय की अिमानना और न्यायाधीि की अिमानना के मध्य अं िर पहचानना।
• आनुपातिक िजा: अिमानना के वलए सजा अपयाय प्त है और पयाय प्त वनिारक नही ं है । न्याय वितरण में हस्तक्षेप से वनपटने के वलए इसे
पयाय प्त रूप से बढ़ाया जाना चावहए।
• िजा अंतिि उपाय ह गा
• अवधवनयम में 'िेन्स री' (आपरातधक प्रय जन या बुरे तिचार क दशातने िाली कानूनी अिधारर्ा) के ित्व ं क शातिल तकया जा
िकिा है। वकसी आपरावधक मुकदमे में अपराध वसद् करने के वलए अपराधी का 'आपरावधक अपराध' स्थावपत करना सामान्य तौर पर
आिश्यक होता है ।
• ििोच्च न्यायालय: बरदा नाथ तिश्रा बनाि उडीिा उच्च न्यायालय के रतजस्टर ार -> न्यायालय को वकसी न्यायाधीि की व्यक्तक्तगत
श्ेणी या आवधकाररक क्षमता में वनंदा की जां च करने की आिश्यकता है । यवद पहले से न्यायालय के पास अिमानना करने की कोई िक्तक्त
नही ं है तो न्यायाधीि वनजी उपचारों पर विचार करे गा।
एक स्वतंत्र समाज में साियजवनक संस्थानों को अपनी योग्यताओं के आधार पर खडा होना चावहए। यवद उनका आचरण समुदाय के विश्वास को
प्राप्त नही ं करता है तो िे विरोध नही ं कर सकते। यवद उनका आचरण वकसी समुदाय के सम्मान को उवचत ठहराता है तो उन्ें अिमानना वनयमों
के तहत सुरक्षा की आिश्यकता नही ं है ।
न्यायपातलका िें ितहलाओ ं के प्रतितनतधत्व की किी
● 71 िषय में सिोच्च न्यायालय में वसफय 11 मवहला न्यायाधीि, इनमें से तीन की वनयुक्तक्त 2021 में हुई।
● मध्य प्रदे ि उच्च न्यायालय के न्यायाधीि ने यौन उत्पीडन के आरोपी को राखी बंधिाने की ितय के साथ जमानत दे दी।
● भारत के मुख्य न्यायाधीि ने बलात्कार के आरोपी को बलात्कार पीवडता से िादी करने के वलए कहा और परोक्ष रूप से िैिावहक बलात्कार
को उवचत ठहराने का प्रयास वकया।
तिचार
• "मैं वकसी समुदाय की प्रगवत को मवहलाओं द्वारा प्राप्त की गई प्रगवत से मापता ूं " - बाबा िाहेब अम्बेडकर
• "अगर न्यावयक पीठ में लैंवगक विविधता पाई गई तो न्याय वमलेगा" - न्यायिूतित इं दु िल्ह त्रा
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• न्यातयक िकत िें िृद्धद्: न्यावयक विविधता में िृक्तद् विवभन्न सामावजक संदभों तथा अनुभिों को िावमल करने और प्रवतविया दे ने के वलए
न्यावयक तकय की क्षमता को समृद् और मजबूत करती है । इससे मवहलाओं एिं हाविए पर रहने िाले समूहों की जरूरतों के प्रवत न्याय क्षेत्र
की प्रवतवियाओं में सुधार हो सकता है ।
भागीदारी िें िुधार की चुनौतियााँ
• अपारदशी कॉलेतजयि प्रर्ाली: आरक्षण और अधीनस्थ न्यायपावलका में प्रिेि परीक्षाओं के विपरीत पूिाय ग्रह को प्रवतवबंवबत करती है ।
• खराब अदालिी बुतनयादी ढांचा: अदालत पररसर में खराब स्वच्छता, सिैतवनक मातृत्व अिकाि और वििु गृह की कमी -> युिा
मवहलाओं के वलए काम करना मुक्तिल।
o विवध सेंटर फॉर लीगल पॉवलसी की 2019 की एक ररपोटय के अनुसार, भारत में लगभग 15 प्रवतित अदालतों में मवहला िौचालय
नही ं है ।
o विवध सेंटर की एक अन्य ररपोटय से पता चला है यक भारत में 555 वजला अदालतों में से केिल 40 प्रवतित में ही कायाय त्मक मवहला
िौचालय हैं , जबवक 100 वजलों में मवहलाओं के वलए िौचालय की सुविधा नही ं है ।
• नौकरी की अिु रक्षा और अतनयतिििा: काम करने की कोई वनवित क्तस्थवत नही,ं गारं टीकृत आय का अभाि -> मुकदमेबाजी की नौकरी
छोडने की प्रिृवत्त।
o बार-बार स्थानांिरर्: हर तीन िषय में मवजस्टर े टों का स्थानां तरण वकया जाता है । इसे न्यावयक प्रणाली में वलंग अंतर को भरने की एक
और चुनौती के रूप में दे खा जा सकता है , क्ोंवक भारतीय समाज में पररभावषत वलंग भूवमकाएं मवहलाओं के वलए अपने कररयर के
वलए अपने घरों से दू र रहना मुक्तिल बना दे ती हैं ।
• ररकॉडत /अतभलेख की किी: न्यायावधकरणों या वनचली अदालतों में मवहलाओं की संख्या पर कोई डे टा केंद्रीय रूप से नही ं रखा जाता है
-> वकसी भी समय पर साक्ष्य-आधाररत पाठ्यिम सुधार को सीवमत करता है ।
• तपिृित्तात्मक ििाज: इं टरनेिनल कमीिन ऑफ ज्यूररस्ट् स (आईसीजे) के एक अध्ययन के अनुसार न्यायपावलका में मवहलाओं का कम
प्रवतवनवधत्व अक्सर लैंवगक रूवढ़िावदता के कारण होता है ।
अतग्रि िुझाि:
• प्रभािी दीघतकातलक य जना: वनचली न्यायपावलका में संभावित मवहला उम्मीदिारों के डे टा का संकलन, हाविये पर पडे िगय की मवहलाओं
का प्रवतवनवधत्व सुवनवित करने के वलए वनयुक्तक्त मानदं डों पर वफर से विचार करना।
• कॉलेतजयि िें पारदतशतिा: उच्च न्यायपावलका में सकारात्मक भेदभाि के माध्यम से सक्षम उच्च न्यायालय के िकीलों को उच्च न्यायालय
और सिोच्च न्यायालय में न्यायाधीि बनाया जाएगा।
• तलंग िंिेदीकरर्: "ओल्ड स्कूल" और "तपिृित्तात्मक" दृविकोण िाले न्यायाधीिों को संिेदनिील मामलों में मवहलाओं को
आपवत्तजनक आदे ि पाररत करने िे र कने के तलए िंिेदनशील बनाया जाना चातहए।
• भारि के िहान्यायिादी: न्यायपावलका और पुवलस बलों के वलए वलंग संिेदीकरण पर पाठ्यिम।
• तजला न्यायाधीश िें भिी के तलए न्यूनिि आयु हटाने िे युिा मवहला अवधिक्ताओं को अन्य सेिाओं या कॉपोरे ट नौकररयों के पक्ष में
प्रैक्तक्टस छोडने से बचने में मदद वमल सकती है ।
• पेशे िें ितहलाओं क बनाए रखना: सरकारों को वनचली न्यायपावलका के िेतन एिं भत्तों को तकयसंगत बनाना चावहए और अवनवितता
को कम करने के वलए मवहला िकीलों को आय की सुरक्षा प्रदान करनी चावहए।
• िािातजक िानतिकिा: न्यायाधीिों और िकीलों का मूल्ां कन योग्यता के आधार पर वकया जाएगा न वक वलंग के आधार पर।
• न्यातयक जिाबदे ही: संिेदनिील मामलों में अदालत के वििेक को कम करना तथा न्यायाधीिों द्वारा अपमानजनक वटप्पवणयों को जिाबदे ह
बनाने के वलए न्यावयक मानक और कोड बनाना।
• आरक्षर्: उच्च न्यायपावलका में भी योग्यता को कम वकए वबना अधीनस्थ न्यायपावलका की तरह मवहलाओं के वलए क्षैवतज आरक्षण होना
चावहए।
न्यायपावलका को यह महसूस करना चावहए वक मवहलाएं सफलता के वलए एक लंबा रास्ता तय करती हैं ,जो प्रायः प्रसि और बच्चे की दे खभाल
से बावधत होता है । उनमें न्यावयक उत्तरदावयत्व की भी भूख है , लेवकन संस्थान को उन्ें अपने साथ लाने के वलए हर संभि प्रयास करने की जरूरत
है ।
संयुक्त राज्य अमेररका के सिोच्च न्यायालय के पूिय न्यायाधीि ने यह भी कहा यक मवहलाएँ उन सभी स्थानों पर हैं , जहाँ वनणयय वलए जा रहे हैं ,
ऐसा नही ं होना चावहए वक मवहलाएँ अपिाद हैं ।
िास्ति में विविधतापूणय होने के वलए, भारतीय न्यायपावलका को न केिल टर ां स और गैर-बाइनरी सवहत विवभन्न वलंग पहचान िाले न्यायाधीिों के
प्रवतवनवधत्व की आिश्यकता होगी, बक्तल्क विवभन्न जावत, सामावजक आवथयक, धावमयक एिं क्षेत्रीय पृष्ठभूवम से भी न्यायाधीिों के प्रवतवनवधत्व की
आिश्यकता होगी। इसका तात्पयय यह भी होगा वक परस्पर विरोधी आिाजों के प्रवतवनवधत्व के वलए दोगुने हाविए िाले िगों से न्यायाधीिों की
वनयुक्तक्त की जाएगी, जैसे वक सिोच्च न्यायालय में कोई दवलत या आवदिासी मवहला न्यायाधीि नही ं हैं ।
आभािी न्यायालय (िचु त अ ल क टत ) की ओर बढिे कदि
सिोच्च न्यायालय ने अनु च्छेद 142 के तहत अपनी िक्तक्त का इस्तेमाल वकया और दे ि भर की सभी अदालतों को न्यावयक काययिाही के वलए
िीवडयो-कॉफ्ेंवसंग का बडे पैमाने पर उपयोग करने का वनदे ि वदया।
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फास्ट टर ै क क टत के लाभ:
• लंतबि िािल ं क कि करना: ़िास्ट टर ै क कोटय ने अन्य अदालतों पर बोझ को कम करने के वलए लाखों मामलों का समाधान वकया है ।
• न्यातयक प्रभािकाररिा: सरलीकृत प्रविया-> उच्च मामले की वनपटान दर और त्वररत सुनिाई दर -> न्यावयक प्रभािकाररता को बढ़ाती
है ।
• तिशेषज्िा क बढािा दे ना: विविि प्रकार के मामलों को संभालने के वलए ़िास्ट टर ै क कोटय की स्थापना की जाती है । यह उस क्षेत्र के
वििेषज्ञों को न्यायाधीि के रूप में वनयुक्त करने में सक्षम बनाता है ।
• द्धस्थरिा और पूिातनुिेयिा: ़िास्ट टर ै क कोटय की प्रदियन दरें उच्च है और ये क्तस्थर और स्थािी हैं। यह उच्च सटीकता के साथ न्याय प्रदान
करता है ।
• एक तनिारक के रूप िें कायत करना: त्वररत न्याय समाज में अपराध को कम करने में एक प्रभािी वनिारक के रूप में कायय करता है ।
• प्रभािशीलिा िें िृद्धद्: त्वररत न्याय के पररणामस्वरूप हमारी न्यावयक प्रणाली की दक्षता और प्रभाििीलता में िृक्तद् होती है , वजससे भारत
में न्याय वितरण तंत्र में लोगों का विश्वास बढ़ता है ।
इिके िम्मुख आए हुए िुद्दे:
• प्रर्ालीगि िुद्दे:
o संभाले जाने िाले मामलों की तुलना में ़िास्ट टर ै क कोटय और न्यायाधीिों की अपयाय प्त संख्या। उदाहरण के वलए वदल्ली एफटीसी में
केिल एक या दो न्यायाधीि होते हैं ।
o िदथतिाद: लंवबत मामलों को संबोवधत करने के वलए स्थावपत करने के बजाय, विविि घटनाओं के आधार पर स्थावपत वकया गया।
• भारी कायतभार: न्यायाधीिों की संख्या में िृक्तद् के वबना सौंपे गए मामलों में िृक्तद् -> ़िास्ट टर ै क कोटय में लंवबत मामलों में िृक्तद्, पीआरएस
डे टा के अनुसार 581 पररचालन ़िास्ट टर ै क कोटय में 5.9 लाख लंवबत मामले (माचय-19)
• क ई तिशेष या त्वररि प्रतिया नही ं: वनयवमत अदालतों की तरह सामान्य दे री होती है । राष्टर ीय अपराध ररकॉडय ब्यूरो (2018): ़िास्ट टर ै क
कोटय में वकए गए 28,000 परीक्षणों में से 78% को पूरा होने में एक िषय से अवधक समय लगा।
• बुतनयादी ढांचे की किी: प्रायः विद्यमान न्यायालय में रखे जाते हैं और पीवडतों की िीवडयो और ऑवडयो ररकॉवडं ग करने के वलए आिश्यक
विवभन्न उपकरणों की कमी होती है -> प्रभाििीलता कम हो जाती है
• तित्तीय बाधाएं : बृज ि हन लाल िािले में सिोच्च न्यायालय: ़िास्ट टर ै क कोटय की वनरं तरता उनके फंड/कोष के साथ राज्य के डोमेन में
है । उदाहरण के वलए पीआरएस के अनुसार 56% राज्यों और केंद्रिावसत प्रदे िों में कोई ़िास्ट टर ै क कोटय नही ं था।
• ििन्वय का अभाि: न्यायावधकरण -> विवभन्न मंत्रालयों द्वारा प्रबंवधत। फास्ट-टर ै क अदालतें और वििेष अदालतें -> विवभन्न न्यावयक
वनकायों के अंतगयत, वजनके बीच बहुत कम समन्वय या एकरूपता है ।
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अतग्रि िुझाि:
• क्षििा तनिातर् और बुतनयादी ढांचे िें िुधार: अवतररक्त न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त, ़िास्ट टर ै क कोटय को स्थायी बनाना, समवपयत अदालत
कक्ष, तकनीकी सुविधाएं आवद प्राथवमकता होगी।
o सिोच्च न्यायालय का सुझाि, तदथय न्यायाधीिों और सहायक कमयचाररयों को स्थायी वनयुक्तक्तयाँ दी जानी चावहए, यह प्राथवमकता
होगी।
• आधुतनक प्रौद्य तगतकयााँ: मामलों का बेहतर समूहीकरण सुवनवित करने और प्राथवमकता तय करने के वलए बडे डे टा विश्लेषण, कृवत्रम
बुक्तद्मत्ता जैसे उपकरणों का उपयोग वकया जाएगा।
• राज्य िरकार ं क िंिेदनशील बनाना: मुख्यमंवत्रयों और मुख्य न्यायाधीिों का सम्मेलन, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीिों के परामिय
से राज्य -> उपयुक्त संख्या में ़िास्ट टर ै क कोटय स्थावपत करें और पयाय प्त धन उपलब्ध कराएं ।
• िहय ग: राज्यों को विवभन्न वजलों में अदालतों के सामने आने िाले मुद्दों की जानकारी प्राप्त करने के वलए िररष्ठ वजला न्यायाधीिों के साथ
जुडना चावहए।
• ििन्वय: ़िास्ट टर ै क कोटय और वििेष अदालतें -> थोडे समन्वय के साथ विवभन्न न्यावयक वनकायों के तहत -> न्यायालयों के कामकाज
को व्यिक्तस्थत रूप से सुव्यिक्तस्थत करने के वलए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्थावपत की जाने िाली एक प्रमुख एजेंसी है ।
• ििग्र दृतष्टक र्: जां च में सुधार के वलए पुवलस सुधार, मामलों के िीघ्र वनपटान के वलए वििे ष प्रविया।
ििोच्च न्यायालय की क्षे त्र ीय पीठ
िंिैधातनक प्रािधान: अनुच्छेद 130 - रािरपवत की पूिय अनुमवत से भारत के मुख्य न्यायाधीि के आदे ि पर सिोच्च न्यायालय वदल्ली के अलािा
अन्य स्थानों पर भी बैठ सकता है । वकसी संिैधावनक संिोधन की आिश्यकता नही ं होगी।
क्षेत्रीय न्याय पीठ ं की आिश्यकिा:
• ििािेशी न्याय तििरर्: अनु च्छेद 39A राज्यों को यह सुवनवित करने के वलए प्रािधान करने का वनदे ि दे ता है यक कोई भी व्यक्तक्त न्याय
पाने से िंवचत नही ं रहे गा।
• पहुंच: गरीबों और उत्तर-पूिय जैसे दू रदराज के क्षेत्रों में रहने िाले लोगों के वलए वदल्ली में सिोच्च न्यायालय पीठ तक पहुं च कम है ।
• उच्च लंतबििा: रािरीय न्यावयक डे टा वग्रड (NJDG) के अनुसार लगभग 65,000 मामले सिोच्च न्यायालय में लंवबत हैं और अपीलों के
वनपटान में कई िषय लग जाते हैं ।
• िंिैधातनक न्यायालय: संिैधावनक पीठों (यानी 5+ न्यायाधीिों) द्वारा तय वकए गए मामले लगभग 15% (1950 के दिक) से घटकर
0.12% (वपछले दिक) हो गए हैं । क्षेत्रीय पीठों के साथ, वदल्ली में सिोच्च न्यायालय केिल संिैधावनक कानून के मामलों की सुनिाई कर
सकता है ।
• आतथतक तिकाि: अवधक समृद् राज्यों में नागररक मुकदमेबाजी दर अवधक है । लेवकन न्यावयक बैकलॉग/संचय ने वसविल केस फाइवलंग
को हतोत्सावहत वकया -> क्षेत्रीय बेंच/पीठ सही वदिा में एक कदम है ।
• तितभन्न ितितिय ं द्वारा अनुशंतिि:
o िंिदीय स्थायी ितितिय ं ने भी यही वसफाररि की थी।
o तितध आय ग: 229िी ं ररपोटय : संिैधावनक और संबद् मुद्दों के वलए वदल्ली में संविधान पीठ और सभी अपीलीय कायों के वलए वदल्ली,
चेन्नई/है दराबाद, कोलकाता और मुंबई में चार अपीलीय पीठ की स्थापना।
o ििोच्च न्यायालय (1986): चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में क्षेत्रीय पीठों के साथ रािरीय अपील न्यायालय की स्थापना।
o िी. ििंि कुिार िाद, 2016 िें सिोच्च न्यायालय ने नेिनल कोटय ऑफ अपील पर वनणयय के वलए मामले को संिैधावनक पीठ के
पास भेज वदया।
तचंिाएाँ :
• ििोच्च न्यायालय ं के तनर्तय ं की श्रेष्ठिा किज र ह िकिी है: सिोच्च न्यायालय के चररत्र और िीषय अदालत के रूप में इसकी आभा
में मौवलक पररितयन। इसके वलए अनुच्छेद 130 में संिोधन की आिश्यकता होगी, जो बुवनयादी ढां चे में खडा नही ं हो सकता है ।
• एकीकृि न्यायपातलका प्रर्ाली पर प्रभाि: 2010 में, भारत के मुख्य न्यायाधीि और 27 न्यायाधीिों ने इस कारण का हिाला दे ते हुए
क्षेत्रीय पीठों के वलए कानून आयोग की वसफाररिों को वनरस्त कर वदया था।
अद्धखल भारिीय न्यातयक िे ि ाएं (AIJS)
संविधान का अनुच्छेद 312 अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा (AIJS) की स्थापना का प्रािधान करता है, वजसमें वजला न्यायाधीि से कमतर कोई भी
पद िावमल नही ं होगा। संिैधावनक प्रािधान वजला न्यायाधीि स्तर पर अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा के वनमाय ण को सक्षम बनाता है। सरकार के
विचार में, समग्र न्याय वितरण प्रणाली को मजबूत करने के वलए एक उवचत रूप से तैयार की गई अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा महत्वपूणय है ।
यह एक उवचत अक्तखल भारतीय योग्यता चयन प्रणाली के माध्यम से चयवनत उपयुक्त रूप से योग्य नई कानू नी प्रवतभा को िावमल करने का
अिसर दे गा तथा साथ ही समाज के हाविए पर और िंवचत िगों को उपयुक्त प्रवतवनवधत्व सक्षम करके सामावजक समािेिन के मुद्दे को संबोवधत
करे गा।
अद्धखल भारिीय न्यातयक िेिा की आिश्यकिा:
• न्याय की गुर्ित्ता क ििृद् करें : उवचत प्रविक्षण-> कायय में निीनता-> अपील को कम करता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• दक्षिा बढे गी: एक सुव्यिक्तस्थत न्यावयक सेिा-> योग्यता की पहचान-> प्रवतभा को आकवषयत कर सकती है । अवतररक्त वजला न्यायाधीि
जैसे सुविज्ञ न्यावयक अवधकारी बदलाि ला सकते हैं ।
• न्यातयक लम्बन क िंब तधि करना: लगभग 3.5 करोड मामलों में से 87% मामले वनचली अदालतों में लंवबत हैं ।
• ररद्धियां: अधीनस्थ न्यायालयों में 5000 से अवधक ररक्तक्तयां (लगभग 24%) -> सुव्यिक्तस्थत और िस्तुवनष्ठ भती प्रविया -> ररक्त पदों के
वलए अच्छी गुणित्ता िाले न्यावयक अवधकारी।
• पारदशी तनयुद्धि: भाई-भतीजािाद को कम करता है और सक्षम लोगों की वनयुक्तक्त सुवनवित करता है ।
• न्यायाधीश ं की गुर्ित्ता: न्यायमूवतय कणयन द्वारा मध्य प्रदे ि उच्च न्यायालय द्वारा बलात्कार के आरोवपयों को पीवडता से राखी बंधिाने के
वलए कहने जैसी घटनाओं से बचने के वलए पदोन्नवत के माध्यम से उच्च गुणित्ता िाले न्यायाधीिों को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय
में पदोन्नत वकया गया।
• आरक्षर्: इससे समाज के सभी िगों का प्रवतवनवधत्व सुवनवित होगा।
• बुतनयादी ढााँचे की बाधाएाँ : वनणयय एक वििेषज्ञता है वजसके वलए अत्याधुवनक प्रविक्षण संस्थानों की आिश्यकता होती है -> विविि राज्य
प्रविक्षण संस्थानों की कमी प्रविक्षुओं को इस तरह के अनुभि से िंवचत कर सकती है ।
• िहकारी िंघिाद: एक एकीकृत न्यायपावलका + समान कानून + एक अक्तखल भारतीय न्यायपावलका = सहकारी संघिाद के विचार को
संस्थागत बनाना। वद्वतीय प्रिासवनक सुधार आयोग, संविधान के कामकाज की समीक्षा के वलए रािरीय आयोग (NCRWC) और नीवत आयोग
द्वारा अनुिंवसत।
चुनौतियााँ:
• न्यायपातलका की स्विंत्रिा क किज र करना: अनुच्छेद 233 उच्च न्यायालय को वजला न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त करने में सक्षम बनाता
है । अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा यह िक्तक्त काययपावलका को हस्तां तररत करे गी।
• शद्धिय ं का तिभाजन: ितयमान में वजला न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त में केंद्र का कोई अवधकार नही ं है । अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा से
वनयंत्रण में दोहरापन आ जाएगा।
• बढी हुई लागि: कानून और व्यिस्था राज्य का विषय है और प्रत्येक राज्य के अपने आपरावधक और नागररक कानून हैं -> प्रविक्षण की
लागत में िृक्तद्।
• भाषा बाधा: वसविल प्रविया संवहता और दं ड प्रविया संवहता राज्य सरकार द्वारा वनधाय ररत भाषा में दीिानी और आपरावधक अदालती
काययिाही प्रदान करते हैं ।
• नौकरशाहीकरर्: न्यायपावलका के नौकरिाहीकरण और केंद्रीकरण को बढ़ािा।
• पद न्नति: वनचले स्तर के न्यायाधीिों की कररयर संभािनाएं प्रभावित होती हैं । यह कायय क्षेत्र के माध्यम से न्यायाधीिों के अनुभि को
कमजोर करता है ।
• किज र िगों के तलए चुनौतियााँ: रािरीय परीक्षाओं में उन कमजोर िगों के वलए न्यावयक सेिाओं से बाहर होने का खतरा उत्पन्न हो जाता
है जो कोवचंग का खचय िहन नही ं कर सकते।
अतग्रि िुझाि:
• तितध आय ग (116िी ं ररप टत ): प्रस्तावित रािरीय न्यावयक सेिा आयोग द्वारा अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा में वनयुक्तक्तयां , पोक्तस्टंग और
पदोन्नवत, वजसमें सिोच्च न्यायालय सेिावनिृत्त और मौजूदा न्यायाधीि, बार के सदस्य और कानूनी विक्षाविद् िावमल होंगे।
• िस्तु एिं सेिा कर पररषद की तजय पर सभी राज्यों और उच्च न्यायालयों के मध्य सहयोग।
• वजस राज्य में उन्ें आिंवटत वकया गया है , उस राज्य की एक और भाषा सीखने के वलए रं गरूटों का गहन प्रविक्षण।
• अक्तखल भारतीय न्यावयक सेिा सभी न्यावयक मुद्दों के वलए रामबाण नही ं है और समय की मां ग न्यावयक काययिाही में सुधार, िैकक्तिक
वििाद वनिारण (ADR) को बढ़ािा दे ना और समय पर न्यावयक वनयुक्तक्तयां हैं ।
राष्टर ीय कानू नी िे ि ा प्रातधकरर् (NALSA)
• कानूनी सहायता काययिमों के कायाय न्वयन की वनगरानी और मूल्ां कन करने तथा अवधवनयम के तहत कानूनी सेिाएं उपलब्ध कराने के
वलए नीवतयां और वसद्ां त वनधाय ररत करने के वलए कानूनी िेिा प्रातधकरर् अतधतनयि, 1987 के तहत रािरीय कानूनी सेिा प्रावधकरण
(NALSA) का गठन वकया गया है।
• िंिैधातनक आधार: अनुच्छेद 39A समाज के गरीबों एिं कमजोर िगों को वनः िुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है तथा सभी के वलए
न्याय सुवनवित करता है । अनुच्छेद 14 और 22(1) राज्य के वलए कानून के समक्ष समानता सुवनवित करना और एक कानूनी प्रणाली
सुवनवित करना अवनिायय बनाते हैं जो सभी के वलए समान अिसर के आधार पर न्याय को बढ़ािा दे ती है ।
• िुख्य कायत: राज्य विवधक सेिा प्रावधकरण, वजला विवधक सेिा प्रावधकरण, तालुका विवधक सेिा सवमवतयाँ वनयवमत आधार पर वनम्नवलक्तखत
मुख्य कायय करती हैं -
o पात्र व्यक्तक्तयों को वनः िुल्क एिं सक्षम कानूनी सेिाएँ प्रदान करना।
o वििादों के सौहादय पूणय वनपटारे के वलए लोक अदालतों का आयोजन करना।
o ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी जागरूकता विविर आयोवजत करना।
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o अवधक स्पि रूप से, 26 प्रतिशि वजला अदालतों में मवहला िौचालयों में बहता जल नही ं है , केिल 11 प्रवतित िौचालय विकलां ग
नागररकों के वलए सुलभ हैं ।
o केिल 2 प्रवतित अदालतें दृविबावधत लोगों के वलए स्पिय मागय प्रदान करती हैं , जबवक केिल 20 प्रवतित के पास गाइड मैप हैं और
45 प्रवतित न्यायालयों में सहायता केंद्र हैं ।
o कम से कम 68 प्रतिशि वनचली अदालतों में अलग ररकॉडय रूम नही ं हैं और उनमें से लगभग आधे के पास पुस्तकालय नही ं है ।
भारि िें खराब न्यातयक बुतनयादी ढांचे के कारर्:
• कि बजटीय आिंटन: भारत न्यावयक बुवनयादी ढां चे को बनाए रखने के वलए अपने सकल घरे लू उत्पाद का केिल 0.09% खचय करता है ।
दे ि की वनचली अदालतों की बुवनयादी ढां चे की क्तस्थवत बेहद खराब है , वजसके कारण िे गुणित्तापूणय वनणयय दे ने में विफल रहती हैं । ििोच्च
न्यायालय द्वारा प्रकातशि 2016 की एक ररप टत िे पिा चला है तक िौजूदा बुतनयादी ढांचा 20,558 की अद्धखल भारिीय स्वीकृि
शद्धि के िुकाबले केिल 15,540 न्यातयक अतधकाररय ं क ििाय तजि कर िकिा है।
• य जना की किी: भारत मु ख्य न्यायाधीि रमन्ना के अनुसार, भारत में अदालतों के वलए न्यावयक बुवनयादी ढां चे पर हमेिा से विचार वकया
जाता रहा है । इसके कारण, बुवनयादी ढां चे पर अत्यवधक बोझ पड जाता है ,क्ोंवक वनमाय ण के दौरान ही भविष् की जरूरतों को पयाय प्त
रूप से संबोवधत नही ं वकया जाता है ।
• जतटल तित्तप षर्: न्यावयक बुवनयादी ढां चे के वित्तपोषण के वलए वजला कलेक्टरे ट, लोक वनमाय ण विभाग तथा वित्त मंत्रालय सवहत राज्य
सरकार के विवभन्न विभागों के मध्य समन्वय की आिश्यकता होती है । इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मध्य समन्वय भी िावमल
है ।
• िंिाधन ं का तिलंब और कि उपय ग: अधीनस्थ न्यायपावलका के वलए बुवनयादी ढां चे के विकास की प्राथवमक वजम्मेदारी राज्य सरकारों
की है । केंद्र सरकार केंद्रीय योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता जारी करके राज्य सरकारों के संसाधनों को बढ़ाती है । हालाँ वक, कुछ
राज्य या तो इस प्रविया में दे री कर रहे हैं या अंिदान के रूप में अपने वहस्से का पैसा नही ं दे रहे हैं । पररणामतः , बुवनयादी ढां चा योजनाएं
समय पर िुरू नही ं हो पा रही हैं।
• न्यायपातलका की कायतपातलका पर तनभतरिा: यह एक बडी चुनौती है वजसका न्यायपावलका को आज सामना करना पड रहा है , क्ोंवक
इसकी पूरी वनभयरता काययपावलका पर है । बुवनयादी ढां चे की पररयोजना वडजाइन, वनगरानी और वनष्पादन, मुख्य रूप से भिन बुवनयादी
ढां चे का एकमात्र वििेषावधकार लोक वनमाय ण विभाग (पीडब्ल्यूडी) का है ।
न्यातयक बुतनयादी ढांचे िें िुधार की आिश्यकिा:
• उच्च लंतबि िािले: 2.7 करोड से अवधक लंवबत मामलों का एक बडा बैकलॉग/संचय है । वित्त मं त्रालय के एक अध्ययन में पाया गया वक
िंपतत्त िे िंबंतधि तििाद क िुलझाने िें औसतन लगभग 20 िषय लगते हैं और वनपटान की ितयमान दर पर िितिान बैकलॉग क
तनपटाने िें 324 िषत लगेंगे।
• अनुबंध ं क लागू करने के िुद्दे: भारत में व्यापार करने में आसानी, अनुबंधों या कानूनों को लागू करने में असमथयता, लंबी एिं महं गी
मुकदमेबाजी और मध्यस्थता प्रवियाओं ि पुराने कानूनों के कारण गंभीर रूप से बावधत है ।
• न्यायपातलका का तडतजटलीकरर्: कोविड-19 महामारी तथा वडवजटल मोड की ओर बदलाि की पृष्ठभूवम में, दे ि में न्यावयक बुवनयादी
ढां चे के आधुवनकीकरण को सुवनवित करना और भी महत्वपूणय है । ितयमान में, 73% अदालि कक्ष ं िें कोई िीवडयो-कॉफ्ेंवसंग सुविधा
नही ं है ।
• जिाबदे ही का अभाि: न्यावयक बुवनयादी ढां चे को बढ़ाने के उद्दे श्य से एक समवपयत वििेष प्रयोजन िाहन या वनकाय की अनुपक्तस्थवत में,
कोई भी बुवनयादी ढां चा पररयोजनाओं को वनष्पावदत करने की वजम्मेदारी लेने को तैयार नही ं है ।
• धन का कि उपय ग: कुछ राज्य धन का कुछ वहस्सा गैर-न्यावयक उद्दे श्यों के वलए हस्तां तररत करते हैं । केंद्रीय सवचिालय सेिा के तहत
2019-20 में स्वीकृत कुल ₹981.98 करोड में से केिल ₹84.9 करोड का उपयोग पां च राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से वकया गया, वजससे िेष
91.36% धनरावि अप्रयुक्त हो गई।
इिके अतिररि, न्यातयक बुतनयादी ढांचे क बढाने के तलए तनम्नतलद्धखि िुधार ं की आिश्यकिा है:
• ई-न्यायालय और केस प्रबंधन के वलए न्यायालयी प्रविया स्वचालन और इन्फॉमेिन टे क्नोलॉजी सक्षमता को प्राथवमकता दे ना वजसमें
अदालती काययिमों का इलेक्टरॉवनक प्रबंधन और सभी न्यायालयों को एकीकृत रािरीय न्यायालय एक्तप्लकेिन सॉफ्टिेयर में स्थानां तररत करना
िावमल है ।
• अंतररािरीय सिोत्तम प्रथाओं के बारे में कौिल, नैवतकता, ज्ञान एिं जागरूकता के तिकाि क िुतनतिि करने के तलए तनरं िर प्रतशक्षर्
शुरू तकया जा िकिा है।
• न्यायालय ं िें भीड कि करने के तलए कायतभार के कुछ िगों क तनयतिि अदालि प्रणाली से बाहर िावणक्तज्यक न्यायालयों, िावणक्तज्यक
वििादों के वलए उच्च न्यायालयों के िावणक्तज्यक प्रभाग तथा िावणक्तज्यक अपीलीय प्रभाग तथा कम से कम महानगरीय क्षेत्रों में आपरावधक
मामलों के वलए आपरावधक न्यावयक मवजस्टर े ट में स्थानां तररत करना।
• न्याय तक िीघ्र पहुं च में सहायता करने और तावकयक मुद्दों को कम करने के वलए िीतडय कॉन्फ्फ्ेंतिंग िुतिधाओं की उपलििा और
उपय ग क िुतिधाजनक बनाना। ितयमान में उपलब्ध िीवडयो कॉफ्ेंवसंग सुविधाओं का भी समुवचत उपयोग नही ं हो पा रहा है ।
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न्याय प्रदान करते समय अपनी वजम्मेदाररयों को कुिलतापूियक वनभाने के वलए न्यायाधीिों, िकीलों तथा न्यावयक अवधकाररयों के वलए पयाय प्त
एिं गुणित्तापूणय न्यावयक बुवनयादी ढाँ चा बुवनयादी ितय है । अत्याधुवनक न्यावयक बुवनयादी ढां चे को बढ़ाने ि बनाने के वलए तंत्र को संस्थागत बनाने
से मात्रात्मक तथा गुणात्मक न्याय दे ने में मदद वमलेगी और यह सुवनवित होगा वक िंवचतों और िंवचतों के दरिािोां पर न्याय की घंटी बजेगी।
1. भारत और विटे न में न्यावयक प्रणावलयाँ हाल के वदनों में अयभसाररत होने के साथ-साथ पररिवतयत भी होती वदख रही हैं । अपनी न्यावयक
प्रथाओं के संदभय में दोनों दे िों के मध्य अवभसरण और विचलन के प्रमुख वबंदुओं पर प्रकाि डालें। (2020)
2. न्यावयक विधान भारतीय संविधान में पररकक्तित िक्तक्तयों के पृथक्करण के वसद्ां त के विपरीत है । इस संदभय में काययकारी अवधकाररयों को
वदिा वनदे ि जारी करने की प्राथयना करते हुए बडी संख्या में जनवहत यावचकाएं दायर करना उवचत है । (2020)
3. भारत में उच्च न्यायपावलका के न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त के संदभय में 'रािरीय न्यावयक वनयुक्तक्त आयोग अवधवनयम, 2014' पर सिोच्च न्यायालय
के वनणयय का आलोचनात्मक परीक्षण कीवजए। (2017)
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पररचय
• तििाद तनिारर् िंत्र एक िं रतचि प्रतिया है ,जो व्यापार, कानूनी या सामावजक
संबंधों में लगे दो या दो से अवधक पक्षों के मध्य उत्पन्न होने िाले वििादों या
विकायतों का समाधान करती है।
• वििाद वनिारण तंत्र का उपयोग वििाद समाधान में वकया जाता है और इसमें
सुलह, संघषय समाधान, मध्यस्थता और बातचीत िावमल हो सकती है ।
• वििाद वनिारण तंत्र आि िौर पर प्रकृति िें गैर-न्यातयक ह िे हैं , वजसका अथय
है वक उनका समाधान अदालत के अंदर नही ं वकया जाता है ।
o तितभन्न िंत्र: भारत में ग्राम सभा, न्याय पंचायत, लोक अदालत, पाररिाररक न्यायालय, परामिय केंद्र, जां च आयोग, न्यायावधकरण,
उपभोक्ता न्यायालय, एडीआर पर भारतीय विधान आवद का गठन वकया गया है ।
o िुख्य फ कि: यह तंत्र सभी को विजेता मान लेने के बजाय मध्यस्थता पर ध्यान केंवद्रत करता है ,न्याय तक पहुं च बढ़ाना और
काययकुिलता में सुधार तथा अदालती दे री को कम करता है ।
िैकद्धिक तििाद ििाधान
• एडीआर का अथय वििाद के पक्षों द्वारा सहमत वकसी भी प्रविया से है , वजसमें िे वकसी समझौते पर पहुं चने और मुकदमेबाजी से बचने में
सहायता के वलए तटस्थ पक्ष की सेिाओं का उपयोग करते हैं ।
• संिैधावनक आधार:
o अनु च्छेद 14: विवध के समक्ष समानता
o अनु च्छेद 32: संिैधावनक उपचारों का अवधकार) – लोगों को न्याय पाने का अवधकार।
o अनु च्छेद 39A: इसके तहत समान न्याय और वनः िुल्क विवधक सहायता।
एडीआर के लाभ
• तितध आय ग: विवध आयोग की ररपोटय – 222 (न्याय वितरण की आिश्यकता) के अनुसार एडीआर हैं -
o कि िहाँगा।
o कि ििय ले ने िाला: कोई अपील नही ं – िीघ्र वििाद समाधान।
o िकनीतकय ं िे िुि: यह इसमें िावमल लोगों की व्यक्तक्तगत आिश्यकताओं के प्रवत अवधक लचीला और उत्तरदायी है
o पक्ष ं की स्विंत्रिा: अदालत के समक्ष प्रकटीकरण के डर के वबना अपने मतभेदों पर चचाय करने के वलए।
• तनरं िर िंबंध: पक्षों के बीच जीत और हार की कोई भािना नही ं और विकायतों का वनिारण हो – सद्भािना बनाए रखने की अवधक
संभािना।
• बेहिर प्रिितन: विश्व बैंक की कायय करने में आसानी के अनुसार (Ease of doing business) अनु बंधों को लागू करने के वलए औसत वदन
– एडीआर इसे बेहतर बनाने में मदद कर सकता है ।
• अतधक अनुपालन: प्रविया में पक्षों की भागीदारी पररणाम के प्रवत अवधक प्रवतबद्ता पैदा करती है तावक अनुपालन की अवधक संभािना
हो।
• तिदे शी िुद्रा भंडार की बचि: वसंगापुर जैसे दे िों में मध्यस्थता के कारण बडी मात्रा में विदे िी मुद्रा खपत हो जाती है ।
एडीआर की िीिाएं
• जागरूकिा की किी: लोग, िकील और न्यावयक अवधकारी मामलों को मध्यस्थता और सुलह के वलए स्थानां तररत करने के िासनादे ि
से अनवभज्ञ हैं ।
• पक्ष ं का तििाि: एडीआर की सफलता के वलए यह आिश्यक है । एडीआर में सफल होने में अनवभज्ञ पावटय याँ घाटे में रहती हैं
• प्रतिया और पररर्ाि के बारे िें िंदेह: कई मुकदमेबाज संतुि नही ं होते हैं एिं खुद को अलग कर लेते हैं और औपचाररक अदालतों में
चले जाते हैं ।
• गरीब लोगों और मवहलाओं पर फैसले थोपे जाते हैं ।
• स्वैद्धच्छक प्रतिया: पारस्पररक रूप से हस्ताक्षररत समझौते के वबना पक्षों को एडीआर द्वारा अपने वििादों को हल करने के वलए मजबूर
नही ं वकया जा सकता है । सभी पक्षों को मध्यस्थता समझौते पर सहमत कराना एक कवठन कायय है ।
• जबरन स्थानांिरर्: न्यायपावलका द्वारा न्यावयक प्रिृवत्तयों को समाप्त करना।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िटस्थ िध्यस्थ: असंतुि पक्ष हमे िा मध्यस्थ पर पूिाय ग्रह और गैर-वनष्पक्षता का आरोप लगाता है ।
• तििाद ं का ििाधान न ह ना: मध्यस्थता (एक बाध्यकारी वनणयय) को छोडकर, एडीआर प्रविया हमेिा कोई समाधान नही ं दे सकती है ।
इसका उपयोग केिल रोकने की रणनीवत के रूप में वकया जा सकता है ।
• िीतिि दायरा: एडीआर केिल धन या नागररक वििादों के मुद्दों को हल करता है और इसकी काययिाही के पररणामस्वरूप वनषेधाज्ञा
आदे ि (पावटय यों को कुछ करने या न करने का आदे ि दे ना) नही ं होगा।
• क ई अपील नही ं: उन अदालतों के विपरीत जहां उच्च न्यायालय में अपील उपलब्ध है , एक तटस्थ मध्यस्थ के वनणयय के क्तखलाफ अपील
नही ं की जा सकती है ।
आगे की राह
• त्वररि और िफल एडीआर: ई-लोक अदालत जैसे उपकरणों को िावमल करना, मुकदमेबाजी पूिय दायरा बढ़ाना – िावदयों में विश्वास
पैदा करना और उन्ें एडीआर तंत्र का विकि चुनने के वलए प्रेररत करना ।
• एक कैररयर के रूप िें प्रचाररि करना: प्रविवक्षत पंचों और मध्यस्थों का वनमाय ण करके, गुणित्ता वनयंत्रण, नैवतक मानकों और मध्यस्थों
की जिाबदे ही के वलए प्रवियाएं वनधाय ररत करना।
• न्यातयक लंतबि िािल ं क कि करना: 46% लंवबत मामलों में सरकारें िादी होती हैं – एडीआर तंत्र को चुनने से अदालतों पर बोझ कम
हो सकता है और एडीआर की संस्कृवत का वनमाय ण हो सकता है ।
• ििद्धन्वि प्रयाि: न्यायपावलका, िकीलों, सरकार और िादकाररयों द्वारा मध्यस्थता के वलए एक अनुकूल पाररक्तस्थवतकी तंत्र बनाना।
• क्षेत्र तिस्तार: गैर-व्यािसावयक वििादों के वलए मध्यस्थता और मध्यस्थता केंद्र स्थावपत करें ।
• दृतष्टक र् िें बदलाि: लोगों को आत्मविश्वास और विश्वास के साथ एडीआर तंत्र चुनने की आिश्यकता है ।
• अन्य उपाय: एडीआर के वलए अिसंरचना, एडीआर में िकीलों का कौिल, आिश्यक जनिक्तक्त प्रदान करना।
• िध्यस्थिा और िुलह (िंश धन) तिधे यक: विधायी कवमयों को भरने के वलए मध्यस्थता और सुलह (संिोधन) विधेयक, 2018 लागू
करना।
o भारिीय िध्यस्थिा पररषद: SC/HC द्वारा मध्यस्थ की वनयुक्तक्त; मध्यस्थ पुरस्कारों की इलेक्टरॉवनक वडपॉवजटरी।
o अच्छे विश्वास में वकए गए कायय के वलए मध्यस्थ को कानूनी काययिाही से सुरवक्षत रखना।
एडीआर िकनीक
• पंचाट (ARBITRATION):
o न्यातयक िैकद्धिक तििाद ििाधान: पंचाट को एक न्यावयक िैकक्तिक वििाद समाधान तंत्र माना जाता है वजसमें मध्यस्थ के रूप
में जाना जाने िाला तटस्थ तीसरा पक्ष गुण-दोष के आधार पर वििाद का फैसला करे गा।
o िितिान द्धस्थति: पंचाट ितयमान में पारं पररक अदालती काययिाही के वलए एकमात्र कानूनी रूप से लागू करने योग्य और बाध्यकारी
विकि है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o िंबंतधि िैधातनक प्रािधान: पंचाट और सुलह अवधवनयम 1996 ने घरे लू पंचाट, अंतराय िरीय िावणक्तज्यक पंचाट और विदे िी पंचाट
पुरस्कारों के प्रितयन से संबंवधत कानून को समेवकत वकया है ।
✓ इसने न्यावयक हस्तक्षेप को कम कर वदया है और पंचाट को हटाने और प्रवतस्थापन के वलए तंत्र प्रदान वकया है ।
o तििाद ं का शीघ्र तनपटान: पंचाट न्यायावधकरणों द्वारा वििादों का िीघ्र वनपटान सुवनवित करने, सं स्थागत पंचाट को प्रोत्सावहत करने
और मध्यस्थ काययिाही में वनष्पक्षता सुवनवित करने के वलए 1996 के अवधवनयम में 2015, 2019 में अवतररक्त संिोधन वकया गया।
• िुलह (CONCILIATION):
o िुलह: यह गैर-वनणययात्मक िैकक्तिक वििाद समाधान तंत्र है , वजसमें एक तटस्थ तृतीय पक्ष वििावदत पक्षों को उनके वििादों को
सौहादय पूणय ढं ग से हल करने में मदद करता है ।
o िुलहकिात की भूतिका: सुलह में, सुलहकताय वििादों के समाधान के वलए पक्षों को अपने विचार और सुझाि दे सकता है । सुलह में
सुलहकताय सविय भूवमका वनभाता है ।
o िंबंतधि प्रािधान: 1980 में, UNCITRAL ने दु वनया भर में समान रूप से सुलह के माध्यम से अं तररािरीय िावणक्तज्यक वििादों को
हल करने के वलए सु लह वनयम बनाए।
✓ इन आदिय वनयमों को 1980 में संयुक्त रािर महासभा द्वारा अपनाया गया था। भारत इन वनयमों पर हस्ताक्षर करने िालों में से
एक है । इसवलए, इसे अपने घरे लू कानून में िावमल करना उसका दावयत्व है ।
केि स्टडी
वहमाचल प्रदे ि उच्च न्यायालय ने पूरे वहमाचल प्रदे ि राज्य में एक "सुलह न्यायालय" पायलट पररयोजना िुरू की थी और दीिानी पक्ष की
टर ायल अदालतों को मुकदमा िुरू होने से पहले सभी मामलों को सुलह अदालतों में भेजने के वलए कहा था। यह एक बडी सफलता थी.
• मध्यस्थता (MEDIATION):
o िध्यस्थिा: इसे तीसरे पक्ष द्वारा सुगम बातचीत के रूप में जाना जाता है , वजसमें तटस्थ तीसरा पक्ष वििादकताय ओं को सौहादय पूणय
समाधान वनकालने में मदद करे गा।
✓ मध्यस्थता में मध्यस्थ एक वनक्तिय भूवमका वनभाता है ।
o िध्यस्थ की भूतिका: मध्यस्थता को सहायतापूणय बातचीत कहा जा सकता है , वजसमें मध्यस्थ अपने प्रभाि के आधार पर दोनो पक्षों
की बातचीत करिाता है और उनके वििादों के वनपटारे में सहायता करता है ।
✓ िध्यस्थ की िुलना िें अतधक व्यापक शद्धियााँ: भारत में, एक सुलहकताय के पास मध्यस्थ की तुलना में अवधक व्यापक
िक्तक्तयाँ होती हैं । सुलहकताय समाधान के वलए एक प्रस्ताि बना सकता है और िह वििाद के वनपटारे की ितों को तैयार और
सुधार सकता है जबवक मध्यस्थ पक्षों को समझौता करने की सुविधा प्रदान करता है ।
o िितिान द्धस्थति: अदालत से जु डे मध्यस्थता केंद्र इलाहाबाद, लखनऊ, चंडीगढ़, अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर और सूरत सवहत
दे ि भर की कई टर ायल अदालतों में काम कर रहे हैं ।
o िैधातनक प्रािधान: ऐसे कुछ अवधवनयम हैं जो अदालतों को वििादों की आगे की सुनिाई से पहले उनके वििादों को
सुलझाने/मध्यस्थता करने का आदे ि दे ते हैं । उदाहरर् -
✓ वहं दू वििाह अवधवनयम यह आदे ि दे ता है वक, टर ायल कोटय को अपनी सुनिाई से पहले वििादकतायओं के बीच सुलह का प्रयास
करना चावहए, तावक उनके वििाद को सौहादय पूणय ढं ग से हल वकया जा सके।
✓ पाररिाररक न्यायालय अवधवनयम भी सुलह और मध्यस्थता के माध्यम से िैिावहक वििाद के समाधान को प्रोत्सावहत करता है ।
• बािचीि ( NEGOTIATION) :
o बािचीि काफी हद िक िध्यस्थिा िे तिलिी-जुलिी है: हालाँ वक, इसे अक्सर एक ऐसी पद्वत के रूप में संदवभयत वकया जाता है
वजसमें वििाद के पक्षकार स्वयं अपने वििादों का वनपटारा करते हैं ।
o िीतिि भूतिका: भले ही कोई तीसरा पक्ष िाताय कार बातचीत की प्रविया में िावमल हो, उसकी भूवमका पक्षों को बातचीत की प्रविया
के वलए प्रेररत करने तक ही सीवमत होगी।
o िध्यस्थिा और बािचीि: यह कुछ प्रकार के वििादों जैसे पाररिाररक वििाद, पडोवसयों के साथ वििाद, िैिावहक वििाद, औद्योवगक
वििाद और कई छोटे वििादों का बेहतर और अवधक संतोषजनक समाधान प्रदान करता है ।
ल क अदालि
• दशतन: लोक अदालत भारत में विकवसत एक अनूठी प्रणाली है । इसका अथय है लोगों की अदालत और यह गां धीिादी वसद्ां तों पर आधाररत
है ।
o इसमें पक्षों के बीच वििादों को वनपटाने के वलए बातचीत, मध्यस्थता और सुलह को उपकरण के रूप में िावमल वकया गया है ।
o आज़ादी के बाद पहला लोक अदालत विविर 1982 में गुजरात में आयोवजत वकया गया था।
• क्षेत्रातधकार: िे मामले (या वििाद) जो वकसी अदालत में लंवबत हैं या जो मुकदमे-पूिय चरण में हैं (अभी तक अदालत के समक्ष नही ं लाए
गए हैं )।
o लोक अदालतों में उठाए गए कुछ मामले िैिावहक/पाररिाररक वििाद, आपरावधक (समझौते योग्य अपराध) मामले, भूवम अवधग्रहण
मामले आवद हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o ऐसे अपराध ,जो वकसी भी कानून के तहत गैर-िमनयोग्य (गंभीर प्रकृवत के) हैं , लोक अदालतों के दायरे से बाहर होते हैं ।
• िितिान द्धस्थति: लोक अदालतों की संस्था को कानूनी सेिा प्रावधकरण अवधवनयम 1987 के तहत िैधावनक दजाय वदया गया है ।
• आय जन प्रातधकरर्: राज्य/वजला कानूनी सेिा प्रावधकरण या SC/HC/तालुक कानूनी सेिा सवमवत लोक अदालतों का आयोजन कर
सकते हैं ।
• िदस्य: लोक अदालत के सदस्यों में एक न्यावयक अवधकारी (अध्यक्ष), एक िकील (अवधिक्ता) और एक सामावजक काययकताय िावमल होते
हैं ।
• तितिल न्यायालय की शद्धियााँ:
o लोक अदालतों को िही िक्तक्तयाँ प्राप्त हैं , जो वसविल प्रविया संवहता (1908) और दं ड प्रविया संवहता (1973) के तहत वसविल
न्यायालयों को प्राप्त हैं ।
o लोक अदालत के फैसले के क्तखलाफ वकसी भी अदालत में कोई अपील नही ं की जाएगी।
o लोक अदालत का एक लाभ यह है वक विवभन्न पक्षों के बीच के कई वििादों को वबना ज्यादा समय बबाय द वकए एक ही बार में वनपटाया
जा सकता है ।
• चतलि (Mobile) ल क अदालि प्रर्ातलयााँ: जरूरतमंदों और गरीबों के दरिाजे तक न्याय पहुंचाने के वलए मोबाइल लोक अदालत
प्रणावलयों की िुरुआत के साथ लोक अदालतों के प्रिासन में भी िां वतकारी पररितयन हो रहे हैं ।
आगे का रास्ता
• ििद्धन्वि प्रयाि ं की आिश्यकिा: मध्यस्थता के वलए न्यायपावलका, िकीलों, सरकार और िादकाररयों द्वाराएक अनुकूल पाररतंत्र का
वनमाय ण करें ।
• दायरा बढाएं : गैर-व्यािसावयक वििादों के वलए सुलह और मध्यस्थता केंद्र स्थावपत करें ।
• दृतष्टक र् िें बदलाि: लोगों को आत्मविश्वास और विश्वास के साथ एडीआर तंत्र चुनने की आिश्यकता है ।
• त्वररि और िफल एडीआर: ई-लोक अदालत जैसे उपकरणों को िावमल करना, प्रीवलवटगेिन में दायरा बढ़ाना - िावदयों में विश्वास पैदा
करता है और उन्ें एडीआर तंत्र का विकि चुनने के वलए प्रेररत करता है ।
• एक कैररयर के रूप िें प्रचार करें : प्रविवक्षत पंचों और मध्यस्थों का वनमाय ण करके, गुणित्ता वनयंत्रण, नैवतक मानकों और मध्यस्थों की
जिाबदे ही के वलए प्रवियाएं वनधायररत करना।
• न्यातयक लंतबि िािल ं क कि करना: 46% लंवबत मामलों में सरकारें िादी होती हैं । एडीआर तंत्र को चुनने से अदालतों पर बोझ कम
हो सकता है और एडीआर की संस्कृवत का वनमाय ण हो सकता है ।
• अन्य उपाय:
o एडीआर के वलए अिसंरचना, एडीआर में िकीलों का कौिल, आिश्यक जनिक्तक्त प्रदान करना।
o विधायी कवमयों को भरने के वलए मध्यस्थता और सुलह (संिोधन) विधेयक, 2018 अवधवनयवमत करें ।
o भारतीय मध्यस्थता पररषद: SC/HC द्वारा मध्यस्थ की वनयुक्तक्त; मध्यस्थ पुरस्कारों की इलेक्टरॉवनक वडपॉवजटरी।
o अच्छे विश्वास में वकए गए कायय के वलए मध्यस्थ को कानूनी काययिाही से सुरवक्षत रखें।
ग्राि न्यायालय
ग्राि न्यायालय ं का तिकाि
• तितध आय ग ने 114िी ं ररप टत िें इन्हें तनम्नतलद्धखि उद्दे श्य िे स्थातपि करने की तिफाररश की:
o सबसे हाविए पर मौजूद िगों को अवधक मानिीय और सुलभ न्याय वितरण
o अधीनस्थ न्यायालयों में लंवबत मामलों में लगभग 50% की कमी लाना
o न्यायपावलका के उच्च स्तरों पर काययभार कम करें ।
● ग्राि न्यायालय अतधतनयि, 2008: 5000 ग्राम न्यायालय स्थावपत करने की उम्मीद थी और केंद्र सरकार ने राज्यों/केंद्रिावसत प्रदे िों को
सहायता के रूप में लगभग 1400 करोड रुपये आिंवटत वकए।
● ग्राि न्यायालय ं की तितशष्टिा:
o ि बाइल अदालिें: न्यायावधकारी (प्रथम श्ेणी के न्यावयक मवजस्टर े ट के समकक्ष न्यावयक अवधकारी) की अध्यक्षता में।
o तनयुद्धि: राज्य सरकारों द्वारा अपने उच्च न्यायालय के परामिय से
o शद्धियााँ: आपरावधक और दीिानी दोनों अदालतों की और उनकी न्यावयक क्षमता अवधवनयम की पहली तीन अनुसूवचयों में वनवदय ि
वििादों तक सीवमत होना।
o उद्दे श्य: सुलह का उपयोग करके वििादों का वनपटारा करना।
o िाक्ष्य के तनयि ं िे बाध्य नही ं: 1872 के भारतीय साक्ष्य अवधवनयम के तहत, लेवकन संबंवधत HCs द्वारा बनाए गए वनयमों के अधीन
और प्राकृवतक न्याय के वसद्ां तों द्वारा वनदे वित।
o अपील: दीिानी मामलों में वजला न्यायालय और आपरावधक मामलों में सत्र न्यायालय में।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o स्थापना: मध्यिती स्तर पर प्रत्ये क पंचायत के मुख्यालय पर या वकसी वजले में सवन्नवहत पंचायत के समूह में जहां मध्यिती स्तर पर
कोई पंचायत नही ं है
ग्राि न्यायालय की ख़राब कायत प्रर्ाली का कारर्
• ओिरलैतपंग क्षेत्रातधकार: िषों से कई राज्यों ने तालुका स्तर पर वनयवमत अदालतें स्थावपत की हैं, वजससे ग्राम न्यायालय की अवतररक्त
संस्था की आिश्यकता कम हो गई है ।
• दे ख–भाल की किी: केंद्र सरकार द्वारा 1400 करोड रुपये के आिंटन के बािजूद अवधकां ि राज्य सरकारों द्वारा ग्राम न्यायालयों को
नीवतगत प्राथवमकताओं के िम में दरवकनार कर वदया गया है ।
• तनतध: ग्राम न्यायालयों की स्थापना के वलए राज्यों से प्रस्तािों की कमी के कारण योजना के तहत धन के उपयोग की धीमी गवत।
• िानि िंिाधन ं की किी: ग्राम न्यायावधकारी पद के वलए न्यावयक अवधकाररयों की कमी, नोटरी, स्टां प वििेताओं आवद की अनुपलब्धता
ने प्रगवत में बाधा उत्पन्न की है ।
• स्पष्टिा का अभाि: क्ा ग्राम न्यायालय त्वररत वििाद समाधान के वलए अवतररक्त विकि दे ता है या नही,ं यह संवदग्ध है क्ोंवक श्म
न्यायालय और पाररिाररक न्यायालय जैसे िैकक्तिक मंच पहले से ही उपलब्ध हैं ।
• ििन्वय की किी: उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी के पररणामस्वरूप ग्राम न्यायालय मौजूदा न्यायालय में
िावमल होने के बजाय अंिकावलक आधार पर (साप्तावहक एक या दो बार) काम कर रहे हैं ।
• जागरूकिा की किी: आम तौर पर मामले के समाधान में िावमल सभी वहतधारकों यानी िावदयों, िकीलों और पुवलस अवधकाररयों के
बीच जागरूकता बेहद सीवमत रहती है ।
आगे की राह
• जन जागरूकिा अतभयान: न्याय प्राप्त करने के वलए ऐसे मंच की उपयोवगता और लाभों पर वहतधारकों को संिेदनिील बनाना।
• स्थायी ग्राि न्यायालय की स्थापना: प्रत्येक पंचायत में और नए न्यावयक अवधकाररयों को इसमें सेिा दे ना अवनिायय करना, ग्राम
न्यायावधकाररयों को प्रविवक्षत करना।
• ग्राि न्यायातधकारी का एक कैडर: कानून के साथ-साथ सामावजक कायय में वडग्री िाले व्यक्तक्तयों को इस सेिा में भती वकया जाएगा।
• कायतप्रर्ाली िें बदलाि: ग्राम न्यायालयों की स्थापना के वलए न्यावयक, राजनीवतक और काययपावलका का पूरी तरह से अभाि होना। इसे
सबसे पहले और महत्वपूणय रूप से बदलने की जरूरत है ।
• अतधदे श ं पर स्पष्टिा: यह हमें उवचत संसाधन लगाने और उसे हावसल करने के वलए सही साधन चुनने में सक्षम बनाएगा।
• अन्य उपाय: आिश्यक बुवनयादी ढां चे का वनमाय ण, जैसे, अलग भिन, न्यायावधकाररयों की भती के वलए स्थानीय भाषा प्रविक्षण, आवद।
तनष्कषत
• संसदीय स्थायी सवमवत ने कानून के िासन के वलए अदालतों के काययभार के अनुरूप अदालतों के वनमाय ण पर जोर वदया। यह सुवनवित
वकया गया वक अवतररक्त स्तर के वनमाय ण के बजाय अवधक न्यायालयों के वनमाय ण से न्यायालय का बोझ कम होगा। जैसी वक संविधान में
किना की गई है , ग्राम न्यायालयों में न्याय को अवधक सुलभ, वकफायती और प्राप्य बनाकर इसे हावसल करने की क्षमता है ।
न्यायातधकरर् (भाग XIV-A; अनु च्छे द 323A, 323B)
• पररभाषा: वटर ब्यूनल एक अधय-न्यावयक संस्था है वजसका गठन प्रिासवनक या कर-संबंधी वििादों जैसे विवभन्न मामलों में त्वररत, सस्ते और
विकेंद्रीकृत वििाद समाधान के उद्दे श्य से वकया गया है ।
• िंिैधातनक प्रािधान: 42िें संिोधन अवधवनयम, 1976 द्वारा (स्वणय वसंह सवमवत)
न्यायातधकरर् ं के लाभ
• लचीलापन: वसविल प्रविया संवहता और भारतीय साक्ष्य अवधवनयम के तहत कठोर वनयमों द्वारा वनयंवत्रत नही ं और प्राकृवतक न्याय के
वसद्ां तों का पालन करना।
• कि खचीला: पारं पररक अदालत की तुलना में वििादों को सुलझाने का कम औपचाररक और तेज़ तरीका।
• िकनीकी तिशेषज्िा: तकनीकी वििेषज्ञता की मां ग िाले मामलों के वनणयय में महत्वपूणय भूवमका वनभाने िाले वििेषज्ञ सदस्यों की वनयुक्तक्त
का प्रािधान।
• कानू नी रूप िे बाध्यकारी तनर्तय: वसविल कोटय के समान िक्तक्तयां , जैसे समन जारी करना और गिाहों को साक्ष्य दे ने की अनुमवत दे ना।
इसके वनणयय पक्षों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं , अपील के अधीन हैं ।
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o सुप्रीम कोटय के अनुसार, भारत में अब 16 वटर ब्यूनल हैं , वजनमें रािरीय हररत वटर ब्यूनल, सिस्त्र बल अपीलीय वटर ब्यूनल और ऋण िसूली
वटर ब्यूनल िावमल हैं , वजनमें से सभी में अत्यवधक ररक्तक्तयां हैं ।
तिशेषिाएाँ
• तित्त अतधतनयि 2017 िं श धन: 2017 के वित्त अवधवनयम ने क्षेत्र के आधार पर न्यायावधकरणों का विलय कर वदया।
• इसने संघीय सरकार को खोज और चयन सवमवतयों की संरचना को वनयंवत्रत करने िाले वनयम जारी करने का भी अवधकार वदया।
• तटर ब्यूनल िदस्य ं की य ग्यिाएाँ : उनकी सेिा ितें (जैसे वनष्कासन और िेतन)।
• ख ज और चयन ितितियााँ: न्यायावधकरणों के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन खोज-सह-चयन सवमवत की वसफाररिों के आधार पर केंद्र
सरकार द्वारा वकया जाएगा।
o राज्य प्रशाितनक न्यायातधकरर् ं के अपने स्वयं के ख ज और चयन पैनल ह ग ं े।
o केंद्र सरकार जल्द से जल्द चयन सवमवतयों की वसफाररिों पर कारय िाई करे गी, अवधमानतः (preferably) वसफाररि की तारीख के
तीन महीने के भीतर।
• पात्रिा और कायातलय की अितध: अवधवनयम वटर ब्यूनल सदस्यों के वलए चार साल का काययकाल स्थावपत करता है । इसमें अध्यक्ष के वलए
अवधकतम आयु 70 िषय और अन्य सदस्यों के वलए 67 िषय वनधाय ररत की गई है ।
o वनयुक्तक्तयों के वलए न्यू नतम आयु 50 िषय है ।
• ििान िुआिजा और तनयि: कानून सभी न्यायावधकरणों में खोज और चयन सवमवतयों के वलए समान िेतन और वनयम स्थावपत करता
है ।
• यह तटर ब्यूनल िदस्य ं क हटाने की भी अनुिति दे िा है। इसमें प्रािधान है वक केंद्र सरकार खोज-सह-चयन सवमवत के सुझाि पर वकसी
भी अध्यक्ष या सदस्य को पद से हटा सकती है ।
• िेिन और भत्ते: कानून वनवदय ि करता है वक भंग वकए जा रहे वटर ब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्य पद पर बने रहना बंद कर दें गे और समय
से पहले बखाय स्तगी के वलए तीन महीने के िेतन और भत्ते के बराबर मुआिजे के हकदार होंगे।
इन िु धार ं िे िंबंतधि ििस्याएं
• वटर ब्यूनल ररफॉर्म्य (तकयसंगतीकरण और सेिा की ितें) अध्यादे ि 2021 को लोकसभा में अवधवनयम पेि वकए जाने से दो वदन पहले सुप्रीम
कोटय ने खाररज कर वदया था।
o इस अवधवनयम ने अध्यादे ि के उन प्रािधानों को बहाल कर वदया वजन्ें उच्चतम न्यायालय ने पलट वदया था।
o यह सब सुप्रीम कोटय के फैसले के आधार को हटाए वबना वकया गया।
• न्यायपातलका की स्विंत्रिा क किज र करिा है: 2021 अवधवनयम नौ महत्वपूणय न्यायावधकरणों को समाप्त कर दे ता है और सरकार
को प्रमुख न्यायावधकरणों के सदस्यों के चयन, सेिा ितों, िेतन आवद पर व्यापक अवधकार प्रदान करके न्यावयक स्वतंत्रता के वलए एक
गंभीर खतरा पैदा करता है ।
न्याय का न्यायातधकरर्:
• पररभाषा: इसका अथय है मामले को पूणय रूप से पारं पररक अदालतों से वििेष अदालतों में स्थानां तररत करना।
लाभ
• त्वररि, लागि िहनीय और उपय गकिात-अनु कूल: ये त्वररत, लागत िहनीय और उपयोगकताय -अनुकूल न्याय प्रणावलयाँ प्रदान करते हैं ।
इसके विपरीत, भारतीय साक्ष्य अवधवनयम पर आधाररत वसविल न्यायालय में समय लगता है ।
• दलील तिस्फ ट: ये 'दलील विस्फोट' से वनपटने में मदद करते हैं । दलील विस्फोट की अिधारणा भी एक संकेत है , जो यह दिाय ती है वक
भारतीय नागररक दे ि की न्यावयक प्रणाली में विश्वास रखते हैं और न्याय की तलाि में अदालतों का दरिाजा खटखटा रहे हैं । िे न्यायवनणययन
का बहुत उच्च मानक प्रदान करते हैं ।
• िािातजक कल्ार् कानू न: ये सामावजक कल्ाण कानून के वलए सबसे उपयुक्त हैं , जहां बडी सं ख्या में छोटे दािे दायर वकए जाते हैं ।
हातनयााँ
• किज र प्रदशतन: न्यायावधकरणों ने अच्छा प्रदियन नही ं वकया है , क्ोंवक इनमें स्वतंत्रता की कमी है , ये प्रायोजक विभाग या मंत्रालय के
वनयंत्रण में हैं , जो इसके फंड के साथ-साथ वनयुक्तक्त को भी वनयंवत्रत करता है ।
• िकनीकी िदस्य: कभी-कभी अवधकरण तकनीकी सदस्यों के वबना भी कायय करते हैं ।
o हाल ही में, प्रवतभूवत अपीलीय न्यायावधकरण (SAT) ने न्यायपीठ में तकनीकी सदस्य की अनुपक्तस्थवत में मामलों की सुनिाई की। इस
पर सेबी ने आपवत्त जताई थी।
o जिाब में, SAT ने सेबी को बताया वक न्यायावधकरण संिैधावनक अदालतों की सहायता के वलए स्थावपत वकए गए हैं और तकनीकी
सदस्यों को िावमल करने का उद्दे श्य केिल वििेषज्ञता लाना है , लेवकन इसका मतलब यह नही ं है वक यह न्यावयक सदस्य का स्थान
ले सकता है और न ही इसका मतलब यह हो सकता है वक न्यावयक सदस्य वििेष ज्ञान नही ं रखते।
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िुधार ं की आिश्यकिा
• ििोच्च न्यायालय ने न्यायातधकरर् ं िें िुधार के तलए तनम्नतलद्धखि तदशातनदे श तनधातररि तकये:
o सभी न्यायावधकरणों को प्रिावसत करने के वलए एकल नोडल मंत्रालय होना चावहए।
o न्यायावधकरणों की प्रिासवनक आिश्यकताओं की दे खभाल के वलए एक स्वतंत्र पययिेक्षी वनकाय की स्थापना करना। इसमें फंड
आिंटन और वनयुक्तक्त का तरीका स्पि रूप से बताया जाना चावहए।
• राष्टरीय न्यायातधकरर् आय ग का तनिातर्: संसदीय स्थायी सवमवत की 74िी ं ररपोटय में रािरीय न्यायावधकरण आयोग के वनमाय ण की
वसफाररि की गई है ।
o यह विचार पहली बार एल. चंद्र कुमार मामले (1997) में सामने आया था, लेवकन यह अभी भी प्रकाि में नही ं आया है ।
o NTC सभी न्यायावधकरणों में समान प्रिासन का समथयन करे गा। NTC विवभन्न न्यायावधकरणों द्वारा वकए जाने िाले प्रिासवनक और
न्यावयक कायों को अलग करने का मागय प्रिस्त कर सकता है ।
• ररद्धियााँ: न्यायावधकरणों की प्रभािकाररता को प्रभावित करने िाली एक और गं भीर समस्या बडी संख्या में ररक्तक्तयाँ हैं ,जो लंबे समय तक
नही ं भरी जाती हैं । विवध आयोग की वसफाररि है वक ररक्तक्तयों को भरने की प्रविया सीटें खाली होने से छह महीने पहले िुरू हो जाएं ।
सुधारों के अभाि में, न्यायावधकरण नौकरिाही बोडय बन जाएं गे और अपराधीकरण से भारत में 'न्याय प्रर्ाली का िुच्छीकरर्' हो जाएगा।
अं िरात ज्यीय जल तििाद:
• अवधकां ि भारतीय नवदयों की वििाल लंबाई को दे खते हुए, यह अपररहायय है वक ये नवदयाँ अक्सर दो या दो से अवधक राज्यों से होकर
गुजरती हैं और बहती हैं ।
• यह स्वचावलत रूप से पानी के उपय ग और प्रबंधन और इस संदभय में राज्यों के अवधकारों के संबंध में जवटल समस्याएं खडी करता है ।
िंिैधातनक प्रािधान
• अनुच्छेद 262: इि अनुच्छेद के अनु िार, जल िे िंबंतधि तििाद ं के िािले िें:
o संसद कानून द्वारा वकसी अंतर-राज्यीय नदी या नदी घाटी के पानी के उपयोग, वितरण या वनयंत्रण के संबंध में वकसी भी वििाद या
विकायत के वनणयय का प्रािधान कर सकती है ।
o संसद कानून द्वारा यह प्रािधान कर सकती है वक न तो सिोच्च न्यायालय और न ही कोई अन्य अदालत ऊपर उक्तल्लक्तखत ऐसे वकसी
भी वििाद या विकायत के संबंध में क्षेत्रावधकार का प्रयोग करे गी।
• अनुच्छेद 246: संविधान की 7िी ं अनुसूची में अंतर स्पि करता है ।
o एक राज्य के भीतर जल का उपय ग [राज्य सूची] और
o अंतरराज्यीय जल को तितनयतिि करने का उद्दे श्य [संघ सूची]
• िंिद ने द कानून बनाये हैं
o नदी ब डत अतधतनयि, 1956: संबंवधत राज्य सरकारों के अनुरोध पर उन्ें सलाह दे ने के वलए केंद्र िरकार द्वारा एक नदी बोडय की
स्थापना की जाती है ।
o अंिर-राज्यीय जल तििाद अतधतनयि, 1956: अंतर-राज्यीय नवदयों और नदी घावटयों के जल से संबंवधत वििादों के न्यायवनणययन
का प्रािधान करने िाला एक अवधवनयम।
अंिर-राज्य जल तििाद अतधतनयि (आईएिडब्ल्यूडी), 1956
• िदथत न्यायातधकरर्: अवधवनयम केंद्र सरकार को एक तदथय न्यायावधकरण स्थावपत करने का अवधकार दे ता है ,यवद कोई राज्य सरकार
वकसी जल वििाद के संबंध में अनुरोध करती है और केंद्र सरकार की राय है वक जल वििाद को बातचीत से नही ं सुलझाया जा सकता है ।
• पररभाषा: "जल वििाद" का अथय है दो या दो से अवधक राज्य सरकारों के बीच कोई वििाद या मतभेद-
o वकसी अंतराय ज्यीय नदी या नदी घाटी के जल का उपयोग, वितरण या वनयंत्रण; या
o ऐसे जल के उपयोग, वितरण या वनयंत्रण या ऐसे समझौते के कायायन्वयन से संबंवधत वकसी भी समझौते की ितों की व्याख्या; या
o धारा 7 में वनवहत वनषेध के उल्लं घन में वकसी भी जल दर की िसूली।"
• 1956 अतधतनयि क 2002 िें िं श तधि तकया गया था, इितलए इिे अं िर-राज्य नदी जल तििाद अतधतनयि (ISRWD) कहा
गया।
o अनुरोध के एक िषय के भीतर वटर ब्यूनल का गठन करना होगा।
o वटर ब्यूनल को 3 साल के भीतर और कुछ असाधारण मामलों में 5 साल के भीतर फैसला दे ना चावहए।
o यवद पुरस्कार तुरंत लागू नही ं वकया जाता है , तो संबंवधत पक्ष तीन महीने के भीतर स्पिीकरण मां ग सकते हैं ।
• िुप्रीि क टत के आदे श का दबाि: वटर ब्यूनल के फैसले में सुप्रीम कोटय के आदे ि या वडिी के समान ही बल होगा। यह दं ड अंवतम और
SC के अवधकार क्षेत्र से ऊपर है ।
o हालाँ वक, राज्य अभी भी अनुच्छेद 136 (वििेष अनुमवत यावचका) के माध्यम से SC से संपकय कर सकते हैं ।
o वनजी व्यक्तक्त अनुच्छेद 21 (जीिन का अवधकार) के उल्लंघन के तहत SC से संपकय कर सकते हैं ।
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तिि भर िे उदाहरर्
• वसंगापुर, एक छोटा सा दे ि, ने 1990 के दिक में वसंगापुर अंतराय िरीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना की, जब भारत िैवश्वक वनिेि के वलए
खुल रहा था।
• तब से, यह एक िैवश्वक मध्यस्थता पािरहाउस के रूप में विकवसत हुआ है , जैसा वक 'एनफोवसंग कॉन्ट्रैक्ट्स' में इसकी नंबर एक रैं वकंग
से प्रमावणत है ।
• विडं बना यह है वक भारतीय व्यिसाय इसके सबसे महत्वपूणय ग्राहकों में से हैं ।
1. केन्द्रीय प्रिासवनक अवधकरण, वजसकी स्थापना केन्द्रीय सरकार के कमयचाररयों द्वारा या उनके विरूद् विकायतों एिं पररिादों के वनिारण
हे तु की गयी थी, आजकल एक स्वतंत्र न्यावयक प्रावधकरण के रूप में अपनी िक्तक्तयों का प्रयोग कर रहा है । व्याख्या कीवजए। (2019)
2. आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैं वक अवधकरण सामान्य न्यायालयों की अवधकाररता को कम करते हैं ? उपयुयक्त को दृविगत रखते हुए
भारत में अवधकरणों की संिैधावनक िैधता तथा सक्षमता की वििेचना कीवजए। (2018)
3. अधय-न्यावयक वनकाय से क्ा तात्पयय है ? ठोस उदहारणों की सहायता से स्पि कीवजए। (2016)
4. रािरपवत द्वारा हाल में प्रख्यावपत अध्यादे ि के द्वारा माध्यस्थ और सुलह अवधवनयम, 1996 में क्ा प्रमुख पररितयन वकए गए हैं ? यह भारत के
वििाद समाधान यां वत्रकत्व को वकस सीमा तक सुधारे गा? चचाय कीवजए। (2015)
5. अन्तर-राज्य जल वििादों का समाधान करने में सां विधावनक प्रवियाएँ समस्याओं को सम्बोवधत करने ि हल करने में असफल रही है । क्ा
यह असफलता संरचनात्मक अथिा प्रवियात्मक अपयाय प्तता अथिा दोनों के कारण हुई है ? वििेचना कीवजए। (2013)
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भारत में स्थानीय स्विासन स्थानीय वनकायों को अपने अवधकार क्षेत्र पर िासन करने, लोकतां वत्रक मूल्ों और जमीनी स्तर के विकास को बढ़ािा
दे ने का अवधकार दे ता है । यह प्रभािी िासन, नागररक भागीदारी और स्थानीय स्तर पर आिश्यक सेिाओं की आपूवतय सुवनवित करता है ।
पं च ायिें :
तितटश शािन के दौरान पंचायिी राज का तिकाि आजादी के बाद पंचायिी राज का तिकाि
• िेय के िं कि (1870) ने स्थानीय संस्थानों के विकास को आिश्यक • बलिंि राय िेहिा (1957): अनुिंवसत 3-स्तरीय
प्रोत्साहन वदया। प्रणाली: ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, िॉक स्तर पर
• ररपन िं कि (1882) किों पर केंवद्रत था, इसवलए ग्रामीण पंचायत सवमवत और वजला स्तर पर वजला पररषद।
विकेंद्रीकरण एक उपेवक्षत क्षेत्र बना रहा। • अश क िेहिा ितिति (1977): अनुिंवसत 2-स्तरीय
• तिकेंद्रीकरर् पर रॉयल किीशन (1907) ने ग्रामीण स्तर पर पंचायतों प्रणाली: वजला स्तर पर वजला पररषद और मंडल
के महत्व को मान्यता दी। पंचायत।
• िांटेग्यू-चेम्सफ डत िुधार (1919) ने प्रां तीय रूप से हस्तां तररत विषय • अन्य ितितियााँ: जीिीके राि सवमवत (1985), एलएम
के रूप में प्रां तों में भारतीय मंवत्रयों को स्थानीय स्विासन सौंपा। वसंघिी सवमवत (1986), थुंगन सवमवत (1988),
संगठनात्मक और वित्तीय बाधाओं के कारण सुधार पंचायत संस्थाओं को गाडवगल सवमवत (1988)
िास्ति में लोकतां वत्रक बनाने में असमथय था।
• भारि िरकार अतधतनयि, 1935 प्रां तीय स्वायत्तता ने भारत में
पंचायतों के विकास को वचवित वकया। लेवकन जमीनी स्तर पर वजम्मेदार
सरकार की व्यिस्था सबसे कम वजम्मेदार थी।
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• पीआरआई की क्षििा तनिातर्: पीआरआई की क्षमताओं को विकवसत करने और मजबूत करने के वलए 1 अप्रैल, 2018 को रािरीय ग्राम
स्वराज अवभयान (आरजीएसए) की एक नई योजना िुरू की गई थी।
• िान्यिाएाँ : सेिाओं की योजना और वितरण में सुधार के वलए उनके अच्छे काम को मान्यता दे ने के वलए पंचायतों को पुरस्कार और वित्तीय
प्रोत्साहन के माध्यम से भी प्रोत्सावहत वकया जा रहा है ।
• िंपतत्त के अतधकार िुतनतिि करना: मंत्रालय ने डर ोन सिेक्षण तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण लोगों के घरों की संपवत्त का ररकॉडय
तैयार करने के वलए 'स्वावमत्व' नामक एक योजना िुरू की है ।
• पंचायि ं क प्र त्साहन: अब इसे एक स्वतंत्र योजना के तहत वित्त पोवषत वकया जाता है - 2016-17 से रािरीय ग्राम स्वराज अवभयान के
केंद्रीय घटक के रूप में पंचायतों को प्रोत्साहन।
आगे की राह
• िच्ची भािना िें राजक षीय िं घिाद: दू सरे ARC ने वसफाररि की थी वक ,सरकार के प्रत्येक स्तर के कायों का स्पि सीमां कन होना
चावहए। पंद्रहिें वित्त आयोग (XV FC) ने 2020-21 के वलए अपनी अंतररम ररपोटय और 2021-2026 के वलए अंवतम ररपोटय में तीनों स्तरों
की पंचायतों के वलए िमिः 60750 करोड रुपये और 236805 करोड रुपये की वसफाररि की।
• लेखापरीक्षा ितितियााँ: इन्ें वित्तीय डे टा की सटीकता, आं तररक वनयंत्रण की प्रभाििीलता, प्रासंवगक कानून के पालन और स्थानीय
वनकायों के प्रत्येक सदस्य के नैवतक चररत्र की वनगरानी के वलए राज्य सरकारों द्वारा वजला स्तर पर स्थावपत वकया जा सकता है ।
• तित्तीय िशद्धिकरर्: पंचायतों को अपने राजस्व के स्रोत को बढ़ाने के वलए अन्य गवतविवधयों के साथ-साथ कर, टोल, उपयोगकताय िुल्क,
िुल्क इत्यावद लगाने और एकत्र करने के वलए सिक्त बनाने की आिश्यकता है ।
• प्र त्साहन: 3Fs - कायों, वित्त, पदावधकाररयों की पंचायतों को प्रभािी हस्तां तरण को प्रोत्सावहत करने के वलए राज्यों को वित्तीय प्रोत्साहन।
• तजला स्तरीय य जना: ग्राम और िाडय सभाओं में लोगों की भागीदारी के माध्यम से गां ि, मध्यिती और वजला स्तर से प्राप्त जमीनी स्तर के
इनपुट के आधार पर वजला योजना।
• अलग कैडर: पंचायत अवधकाररयों का एक अलग कैडर स्थावपत करें , जो वनिाय वचत प्रावधकारी के अधीन होंगे, उन पर प्रभुत्व स्थावपत नही ं
करें गे
• उदाहरर्: तवमलनाडु में कोयंबटू र वजले की ओडं थुराई ग्राम पंचायत ने पिन ऊजाय का उपयोग करके और वग्रड को बेचकर और उवचत
इरादे से काम करने पर सालाना 19 लाख रुपये की कमाई करके अग्रणी प्रयास वदखाया है ।
तडतजटल पंचायिें: ई-ग्रािस्वराज पीएफएिएि इं टरफेि
• पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-गिनेंस को मजबूत करने के वलए, ईग्रामस्वराज विकवसत वकया गया है । यह पंचायती राज के
वलए एक सरलीकृत कायय-आधाररत लेखां कन अनुप्रयोग है ।
• ई-ग्रािस्वराज (ईजीएि, कायत आधाररि लेखांकन िॉफ्टिेयर): ईजीएस पीआरआई के वलए एक कायय-आधाररत लेखां कन
सॉफ्टिेयर है , यह पंचायत कामकाज (वनगरानी, पररसंपवत्त प्रबंधन) के विवभन्न अन्य पहलुओं सवहत सभी योजना और लेखां कन
आिश्यकताओं के वलए एक एकल मंच प्रदान करता है ।
• ई-ग्रािस्वराज-PFMS इं टरफेि (eGSPI): इसे पारदवियता और जिाबदे ही बडाने के वलए 2018 में लॉन्च वकया गया था। केंद्रीय वित्त
आयोग द्वारा वकए गए खचों के वलए पंचायतों द्वारा ऑनलाइन भुगतान की सुविधा के वलए, ईजीएस के लेखां कन मॉड्यू ल और साियजवनक
वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को एकीकृत वकया गया था।
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• तशक्षा िानदं ड प्रािंतगक हैं: अदालत ने कहा वक यह o दू िरी गलिी यह मान लेना वक साक्षरता आिश्यक रूप से वनरक्षर
केिल विक्षा ही है जो इं सान को सही और गलत, अच्छे की तुलना में उच्च स्तर की बुक्तद्मत्ता या ज्ञान लाती है ।
और बुरे के बीच भेदभाि करने की िक्तक्त दे ती है ।
इसवलए, पंचायतों के बेहतर प्रिासन के वलए िैक्षवणक
योग्यता का वनधाय रण अप्रासंवगक नही ं है ।
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तनष्कषत:
• इस प्रणाली को िास्ति में समझने के वलए, अभी भी प्रभािी पारं पररक विचार प्रणाली को धीरे -धीरे समाज से समाप्त करना होगा। पहली
प्राथवमकता उन मुद्दों को स्वीकार करना होनी चावहए जो समाज में मौजूद हैं । पंचायत में मवहलाओं की भूवमका को स्वीकार वकया जाना
चावहए और इसे पररिार के पुरुष सदस्यों द्वारा नही ं वलया जाना चावहए।
नगर पातलकाएाँ :
भारत की स्थानीय िासन संरचना में नगर पावलकाएँ महत्वपूणय भूवमका वनभाती हैं । िे िहरी स्थानीय वनकाय हैं जो िहरों और किों के प्रबंधन
और प्रिासन के वलए वजम्मेदार हैं । इन संस्थानों को िहरी वनयोजन, बुवनयादी सेिाओं का प्रािधान, बुवनयादी ढां चे के विकास और साियजवनक
सुविधाओं के रखरखाि सवहत विवभन्न कायय सौंपे गए हैं ।
● अनुच्छेद 243Q: प्रत्येक राज्य में नगर पंचायत, नगर पावलका और ● अनुच्छेद 243-X: नगर पावलकाओं द्वारा और उनकी वनवधयों
नगर वनगम का गठन वकया जाएगा। पर कर लगाने की िक्तक्त।
● अनुच्छेद 243-R: नगर पावलकाओं की संरचना: सदस्य: सीधे ● अनुच्छेद 243-Y: अनु च्छेद 243-I के तहत गवठत राज्य वित्त
वनिाय वचत; अध्यक्ष: राज्य विधावयका चुनाि का तरीका प्रदान कर आयोग नगर पावलकाओं की वित्तीय क्तस्थवत की भी समीक्षा
सकती है । करे गा।
● अनुच्छेद 243-T: एससी, एसटी और मवहलाओं के वलए सीटों का ● अनुच्छेद 243Z: नगर पावलकाओं के खातों की लेखापरीक्षा।
आरक्षण; अध्यक्षों का आरक्षण: राज्य विधानमंडल द्वारा तय वकया ● अनुच्छेद 243-ZB: केंद्र िावसत प्रदे िों पर लागू।
गया; वपछडे िगों के वलए आरक्षण: राज्य विधानमंडल द्वारा तय ● अनुच्छेद 243-ZG: चु नािी मामलों में अदालतों के हस्तक्षेप
वकया गया पर रोक।
● अनुच्छेद 243-V: सदस्यता के वलए अयोग्यताएँ ।
● अनुच्छेद 243-W: नगर पावलकाओं की िक्तक्तयां , अवधकार और
वजम्मेदाररयां , आवद। बारहिी ं अनुसूची (18 विषय) में सूचीबद्
मामलों के संबंध में उन्ें सौंपे गए कायों का प्रदियन और योजनाओं
का कायायन्वयन।
नगरपातलकाओं िें िुद्दे
• यूएलबी की कि कायातत्मक स्वायत्तिा: 74िें CAA की 12िी ं अनुसूची में 18 कायों को सूचीबद् वकया गया है , वजन्ें यूएलबी (Urban
Local Bodies) द्वारा वनष्पावदत वकया जाना आिश्यक है , लेवकन कई राज्यों में यूएलबी को सभी कायय आिंवटत नही ं वकए गए हैं । तवमलनाडु ,
कनाय टक और केरल जैसे कई राज्यों में, यहां तक वक जल आपूवतय , वजसे एक प्रमुख िहरी कायय माना जाता है , भी संबंवधत राज्य सरकार
या पैरास्टे टल एजेंवसयों द्वारा जारी रखी जाती है ।
• अतिररि तजम्मेदाररयााँ: केरल में, अपविि प्रबंधन और जमीनी स्तर पर विवभन्न सरकारी काययिमों के कायायन्वयन की पारं पररक
भूवमकाओं के अलािा, स्थानीय वनकायों को उत्पादन और रोजगार क्षेत्रों में और अवधक काम करने के वलए भी प्रेररत वकया जा रहा है ।
• शद्धि का िं केंद्रर्: 73िें संिोधन के विपरीत, जो पंचायतों के तीन स्तरों (ग्राम, तालुक और वजला स्तर) का प्रािधान करता है , िहरी
वनकायों में िक्तक्त को एक ही नगर वनकाय (चाहे िह नगर वनगम, नगर पररषद, या नगर पंचायत) में समेवकत वकया गया है ।
• कि राजस्व: चुंगी की समाक्तप्त के बाद, संपवत्त कर यूएलबी के वलए स्वयं के राजस्व का सबसे बडा स्रोत है । हालाँ वक, व्यापक छूट, संपवत्त
के कम मूल्ां कन और अपूणय भूवम रवजस्टरों के कारण कर संग्रह कम है ।
• शहरी नागररक ं के िाथ खराब िंबंध: िहरी क्षेत्रों में नागररकों को िायद ही कभी वनणयय लेने में िावमल वकया जाता है । वििेष रूप से
समाज के हाविए पर रहने िाले और कमजोर िगय जो िास्ति में िहरीकरण के उभरते संकट से सबसे अवधक प्रभावित होते हैं ।
नगर पातलका का तित्त
• अनुदान: केंद्र (अनु च्छेद 280) और राज्य सरकार द्वारा
• हस्तांिरर्: राज्य एफसी पर आधाररत राज्य सरकार से।
• ऋर्: राज्य सरकार के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों से (राज्य सरकार की अनुमवत से)
• आं तररक संसाधन सृजन (कर और गैर-कर राजस्व)
• केंद्र प्रायोवजत योजनाओं और अवतररक्त केंद्रीय सहायता के तहत काययिम विविि आिंटन।
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आगे की राह
• शहर की अथतव्यिस्था का लाभ उठाना: प्रत्येक िहर को अथय व्यिस्था की एक विविि इकाई के रूप में मान्यता दी जानी चावहए। बडे
िहरों में, वसटी इकोनॉवमक काउं वसल विविि पररयोजनाओं की प्रगवत में तेजी लाने, व्यिसाय करने में आसानी में सुधार करने और िहर
में वनिेि को उत्प्रेररत करने के वलए व्यिसायों और सरकारों के बीच एक क्लीयररं ग हाउस के रूप में काम कर सकते हैं ।
• तिकेंद्रीकरर् और िहानगरीय शािन: भारत के िहरों में परस्पर विरोधी जनादे ि और वबखरे हुए कतयव्यों िाली बडी संख्या में एजेंवसयां
हो सकती हैं । इसके कारण पररयोजना कायाय न्वयन में दे री होती है और अप्रभािी सेिा वितरण होता है ।
• 3Fs के हस्तांिरर् क प्र त्सातहि करें : राज्य सरकारों को 12िीं अनुसूची के फंड, कायों और पदावधकाररयों को यूएलबी में स्थानां तररत
करने के वलए प्रोत्सावहत वकया जा सकता है ।
• डाउनस्टर ीि जिाबदे ही: डाउनस्टर ीम जिाबदे ही तंत्र को बढ़ाने के वलए िासन को िाडय और क्षेत्र स्तरों पर स्थानां तररत वकया जाना चावहए।
• यूएलबी और नागररक एजेंतिय ं के तित्त क िजबूि करना: इसमें बाजार-उन्मुख राजस्व मॉडल, मू ल् कैप्चर तकनीक, राजकोषीय
विकेंद्रीकरण, मध्यम अिवध की राजकोषीय योजनाएं , िहरी बुवनयादी ढां चे और सेिाओं में पीपीपी, और लेखापरीवक्षत बैलेंस िीट और
प्रदियन एमआईएस ररपोटय के माध्यम से वित्तीय जिाबदे ही िावमल है । इसमें पररसंपवत्तयों, वििेष रूप से भूवम और इमारतों पर ररटनय को
अनुकूवलत करना भी िावमल है ।
o नगरपातलका बांड जारी करना: नगरपावलका बां ड िहरी स्थानीय वनकायों (यूएलबी) को राजस्व जुटाने में मदद कर सकते हैं ।
• नागररक भागीदारी: नागररकों और सरकारों के बीच अवधक विश्वास, बेहतर क्तस्थरता, बेहतर सेिा वितरण और जिाबदे ही के वलए बढ़ी हुई
नागररक भागीदारी की आिश्यकता है ।
o िाडय सवमवतयों और क्षेत्र सभाओं को प्रौद्योवगकी-सक्षम 'ओपन वसटीज़ फ्ेमिकय' और फीडबैक और ररपोवटं ग के वलए वडवजटल
उपकरणों के उपयोग के साथ सविय वकया जाना चावहए।
िफलिा की कहातनयााँ
• इिातहिपुर, िेलंगाना: ग्राम पंचायत में खराब बुवनयादी ढां चा था और स्वास्थ्य, स्वच्छता, पेयजल आवद जैसे क्षेत्रों में कोई महत्वपूणय
विकास नही ं हुआ था। हालां वक, व्यापक जागरूकता सृजन के साथ-साथ युिाओं, मवहला एसएचजी और सविय ग्राम सभाओं की गहन
सामुदावयक भागीदारी के साथ, इिावहमपुर सतत विकास के वलए एक आदिय गां ि में तब्दील हो गया।
• क तिड के दौरान: कोविड-19 संकट के दौरान पंचायती राज संस्थानों द्वारा आईईसी (सूचना, विक्षा, संचार) गवतविवधयों के माध्यम से
साियजवनक जागरूकता पैदा करना। महामारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी वदिावनदे िों, वनदे िों और सामावजक
स्वास्थ्य उपायों को वितररत करने के वलए पंचायतों ने थोक एसएमएस और सोिल मीवडया समूहों का भी उपयोग वकया।
तनष्कषत:
1. भारत में नगर पावलकाएँ स्थानीय िासन की महत्वपूणय इकाइयों के रूप में कायय करती हैं , जो िहरी क्षेत्रों के प्रिासन और विकास के वलए
वजम्मेदार हैं । िे िहरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ िहरों और किों के सामने आने िाली अनूठी चु नौवतयों का समाधान
करने में महत्वपूणय भूवमका वनभाते हैं । भारत में वटकाऊ और समािेिी िहरी विकास सुवनवित करने के वलए नगरपावलका प्रिासन की
प्रभाििीलता और दक्षता बढ़ाने के वलए वनरं तर प्रयासों की आिश्यकता है ।
स्थानीय स्वशािन का प्रभाि
भारत में स्थानीय स्विासन की िुरूआत ने कई मुद्दों और चु नौवतयों के बािजूद, जमीनी स्तर पर िासन पर कई महत्वपूणय प्रभाि डाले हैं ।
उदाहरण सवहत कुछ प्रमुख प्रभाि इस प्रकार हैं :
• ित्ता का तिकेंद्रीकरर्: स्थानीय स्विासन ने स्थानीय समुदायों को वनणयय ले ने और ऐसी नीवतयां लागू करने का अवधकार वदया है जो सीधे
उनके क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं।
• िािुदातयक भागीदारी: स्थानीय स्विासन वनणयय लेने की प्रवियाओं में नागररकों की सविय भागीदारी को प्रोत्सावहत करता है । उदाहरण
के वलए, िहरी क्षेत्रों में िाडय सवमवतयाँ वनिावसयों को अपनी वचंताओं को व्यक्त करने, सुधार का सुझाि दे ने और स्थानीय पहल की योजना
और कायाय न्वयन में सविय रूप से भाग लेने के वलए एक मंच प्रदान करती हैं ।
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• प्रभािी िेिा तििरर्: स्थानीय स्विासन के साथ, स्थानीय स्तर पर कुिल और प्रभािी सेिा वितरण पर जोर वदया गया है । उदाहरण के
वलए, ग्राम पंचायतें अपने समुदायों को जल आपूवतय, स्वच्छता और प्राथवमक विक्षा जैसी आिश्यक सेिाएं प्रदान करने और स्थानीय जरूरतों
के प्रवत बेहतर प्रवतविया सुवनवित करने के वलए वजम्मेदार हैं ।
• जिीनी स्तर पर तिकाि: स्थानीय स्विासन ने स्थानीय वनकायों को अपने क्षेत्रों की विविि विकास संबंधी चुनौवतयों की पहचान करने और
उनका समाधान करने में सक्षम बनाकर जमीनी स्तर के विकास को सुविधाजनक बनाया है । उदाहरण के वलए, वजला योजना सवमवतयाँ
वजला-स्तरीय विकास योजनाएँ तैयार करने में महत्वपूणय भूवमका वनभाती हैं जो स्थानीय आबादी की विविि आिश्यकताओं और
प्राथवमकताओं को संबोवधत करती हैं ।
• हातशए पर रहने िाले ििुदाय ं का िशद्धिकरर्: स्थानीय स्विासन ने हाविए पर रहने िाले समुदायों के प्रवतवनवधत्व और सिक्तक्तकरण
के वलए एक मंच प्रदान वकया है । उदाहरण के वलए, स्थानीय वनकायों में अनुसूवचत जावत, अनुसूवचत जनजावत और मवहलाओं के वलए सीटों
का आरक्षण वनणयय लेने की प्रवियाओं में उनकी सविय भागीदारी सुवनवित करता है और उन्ें अपनी वचंताओं को व्यक्त करने की अनुमवत
दे ता है ।
इन प्रभािों ने स्थानीय समुदायों को सिक्त बनाने, सेिा वितरण को बढ़ाने, जमीनी स्तर के विकास को बढ़ािा दे ने और वनणयय लेने की प्रवियाओं
में अवधक समािेविता सुवनवित करके भारतीय िासन में सकारात्मक बदलाि लाए हैं ।
1. आपकी राय में, भारत में िक्तक्त के विकेन्द्रीकरण ने जमीनी-स्तर पर िासन-पररद्रश्य को वकस सीमा तक पररिवतयत वकया है ? (2022)
2. भारत में स्थानीय वनकायों की सुदृढता एिं संपोवषता 'प्रकायय, काययकताय ि कोष' की अपनी रचनात्मक प्रािस्था से 'प्रकायाय त्मकता' की
समकावलक अिस्था की ओर स्थानान्तररत हुई है । हाल के समय में प्रकायाय त्मकता की दृवि से स्थानीय वनकायों द्वारा सामना की जा रही
अहम् चुनौवतयों को आलोवकत कीवजए। (2020)
3. " स्थानीय स्विासन की संस्थाओं में मवहलाओं के वलए सीटों के आरक्षण का भारत के राजनीवतक प्रिम के वपतृत्रा अवभलक्षण पर एक
सीवमत प्रभाि पडा है । वटप्पणी कीवजए। (2019)
4. भारत में स्थानीय िासन के एक भाग के रूप में पंचायत प्रणाली के महत्व का आकलन कीवजए। विकास पररयोजनाओं के वित्तीयन के वलए
पंचायतें सरकारी अनुदानों के अलािा और वकन स्रोतों को खोज सकती हैं ? (2018)
5. "भारत में स्थानीय स्विासन पद्वत, िासन का प्रभािी साधन सावबत नही ं हुई है ।" इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीवजए तथा
क्तस्थवत में सुधार के वलए अपने विचार प्रस्तुत कीवजए। (2017)
6. सुविवक्षत और व्यिक्तस्थत स्थानीय स्तर िासन-व्यिस्था की अनुपक्तस्थवत में ‘पंचायतें’ और ‘सवमवतयाँ ’ मुख्यतः राजनीवतक संस्थाएँ बनी रही हैं
न वक िासन के प्रभािी उपकरण। समालोचनापूियक चचाय कीवजए। (2015)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• भारत की संवचत वनवध, भारत की आकक्तस्मकता वनवध और • अनुच्छेद 148: मोटे तौर पर सीएजी की वनयुक्तक्त, िपथ और सेिा
भारत के लोक लेखा से केंद्र सरकार का व्यय। की ितों से संबंवधत है ।
• राज्य सरकार और केंद्रिावसत प्रदे ि (विधानसभा के साथ) • अनुच्छेद 149: सीएजी ऐसे कतयव्यों का पालन करे गा और ऐसी
राज्य की समेवकत वनवध, राज्य की आकक्तस्मकता वनवध और िक्तक्तयों का प्रयोग करे गा जो संसद द्वारा या कानून के तहत
राज्य के लोक लेखा से व्यय का लेखा परीक्षा करते हैं । वनधाय ररत की जा सकती हैं ।
• केंद्र और राज्य सरकार के विभाग: सभी व्यापार, विवनमाय ण, • अनुच्छेद 150: यह रािरपवत को उस प्रपत्र के वनधाय रण के बारे में
लाभ और हावन खाते, बैलेंस िीट और अन्य सहायक खाते। सलाह दे ता है , वजसमें संघ और राज्यों के खाते रखे जाएं गे।
• वनकायों को केंद्र या राज्य के राजस्व से पयाय प्त रूप से • अनुच्छेद 151: संघ के खातों से संबंवधत सीएजी की ररपोटय रािरपवत
वित्तपोवषत वकया जाता है । को सौंपी जाएगी, जो उन्ें सं सद के प्रत्येक सदन के समक्ष
रखिाएगा।
• सरकारी कंपवनयाँ ।
• इसी प्रकार, राज्यों से संबंवधत सीएजी की ररपोटय राज्य के राज्यपाल
को सौंपी जाएगी, जो राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाएगी।
• अनुच्छेद 279: वकसी भी कर या िुल्क की "िुद् आय" का पता
लगाता है और प्रमावणत करता है तथा िह प्रमाणपत्र अंवतम होता
है ।
• राज्य सरकारों के खातों का िंकलन और रखरखाि करता है ।
• संसद की लोक लेखा सवमवत के िागतदशतक, तित्र और दाशततनक
के रूप में कायय करता है ।
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• तनयुद्धि: सीएजी की वनयुक्तक्त काययपावलका का पूणय • ज द्धखि लेने क हि त्सातहि करना: CAG नीवत की 'बुक्तद्मत्ता,
वििेकावधकार है , जो काययपावलका को जिाबदे ह बनाए वनष्ठा, वमतव्यवयता' को दे खते हुए, प्रिासन की व्यािहाररक समस्याओं
रखने की उसकी भूवमका को सीवमत करता है । पर विचार नही ं कर सकता है ।
• िहालेखा परीक्षक और तनयंत्रक नही ं: इसकी ररपोटय • स्विंत्रिा: वहतों का टकराि तब पैदा होता है जब पूिय सवचिों
कायोत्तर होती है , यानी यह व्ययों का ऑवडट तभी कर (आमतौर पर आईएएस) को सीएजी के रूप में वनयुक्त वकया जाता
सकता है जब िे पूरे हो जाएं । है , जो संस्था की स्वतंत्रता से समझौता करता है ।
• िीतिि उपय तगिा: ऑवडटर जानते हैं वक ऑवडवटं ग • व्यय: सीएजी कुछ मामलों में व्यय का वििरण नही ं मां ग सकता है
क्ा है , प्रिासन नही;ं यह एक सं कीणय पररप्रेक्ष्य और बहुत और उसे सक्षम प्रिासवनक प्रावधकारी से प्रमाण पत्र स्वीकार करना
सीवमत उपयोवगता िाला एक अत्यवधक जवटल कायय है । पडता है ।
• छ टा कायतकाल: 65 िषय की आयु सीमा संस्था के • ऑतडट िें जानबूझकर बाधा डालना: ऑवडटरों को महत्वपूणय
समुवचत कामकाज को प्रभावित करती है । दस्तािेजों की आपूवतय में दे री करना और कभी-कभी तो उससे भी
• अतधदे श िे अतधक: कभी-कभी अतधदे श से अवधक इनकार कर वदया जाता है ।
होने के वलए इसकी आलोचना की गई है । उदाहरण के • पुनः ितिय िूल् तनधातरर्: राफेल खरीद ऑवडट के मामले में,
सरकार ने सुरक्षा वचंताओं का हिाला दे ते हुए पूणय िावणक्तज्यक वििरण
वलए 2जी और कोयला िॉक आिंटन पर ररपोटय में घाटे
रोक वदया।
या भ्रिाचार के विवचत्र या सनसनीखेज आं कडे थे।
• तनयुद्धि के तलए क ई िानदं ड नही ं: न तो संविधान में, न ही वकसी
• िीतिि िंिाधन: जनिक्तक्त की कमी और वजम्मेदारी में कानून में; सीएजी की वनयुक्तक्त के वलए प्रािधान वकया गया है ।
िृक्तद् के पररणामस्वरूप िास्ति में बहुत कम खातों का • िैधातनक िान्यिा का अभाि: भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा
सालाना ऑवडट वकया जाता है । विभाग के अवधकाररयों और कमयचाररयों के वलए।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
आगे की राह
• तनयुद्धि: यह लोकपाल या एनएचआरसी की तजय पर एक बहु-सदस्यीय वनकाय द्वारा होनी चावहए।
• िूचना िक ििय पर पहुंच: आरटीआई अवधवनयम की तरह, लेखा परीक्षकों को सात वदनों के भीतर ररकॉडय तक प्राथवमकता पहुं च प्रदान
की जानी चावहए, अन्यथा विभाग प्रमुख जहां से जानकारी मां गी गई है ,उन्े दे री के वलए पररक्तस्थवतयों को स्पि करने की आिश्यक है।
• िंिद और राज्य तिधानिभाओं के पीएिी का अद्धखल भारिीय िम्मेलन: यूके और ऑस्टर े वलया की तरह, सीएजी को पीएसी का वहस्सा
बनाकर पूणय स्वतंत्रता।
• आधुतनक उपकरर्: ऑवडवटं ग कायों की बढ़ती जवटलता के कारण, ऑवडवटं ग में एआई, वबग डे टा एनावलवटक्स जैसी आधुवनक तकनीक
को िावमल करना समय की मां ग है ।
• IA&AD क िैधातनक दजात: इससे ऑवडट की गुणित्ता में सुधार होगा और IA&AD के अवधकाररयों और कमयचाररयों द्वारा वकए गए कायों
को विश्वसनीयता वमलेगी, वजससे अवधक प्रभाि और बेहतर पररणाम वमलेंगे।
• सीएजी वत्र-स्तरीय पीआरआई का ऑवडट करके वजला स्तर तक अपना दायरा बढ़ाने की योजना बना रहा है ।
CAG के पास साियजवनक जिाबदे ही, पारदवियता, प्रभािी सेिा वितरण और सुिासन सुवनवित करने का संिैधावनक और िैधावनक जनादे ि और
वजम्मेदारी है । इसने हाल ही में संयुक्त रािर मुख्यालय का ऑवडट वकया, जो संस्था की विश्वसनीयता को दिाय ता है ।
तिगि िषों के प्रश्न (मु ख्य परीक्षा):
1. "वनयंत्रक और महालेखापरीक्षक (सी० ए० जी०) को एक अत्यािश्यक भूवमका वनभानी होती है ।" व्याख्या कीवजए वक यह वकस प्रकार उसकी
वनयुक्तक्त की विवध और ितों और साथ ही साथ उन अवधकारों के विस्तार से पररलवक्षत होती है , वजनका प्रयोग िह कर सकता है । (2018)
2. संघ और राज्यों के लेखाओं के संबध में, वनयंत्रक और महालेखापरीक्षक की िक्तक्तओं का प्रयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 149 से
व्युत्पन्न है । चचाय कीवजए वक क्ा सरकार की नीवत कायाय न्वयन की लेखापरीक्षा करना अपने स्वयं (वनयंत्रक और महालेखापरीक्षक) की
अवधकाररता का अवतिमण करना होगा या वक नही।ं
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
16. राष्ट्रीय अनु सू वित जावत आयोग(एनसीएससी), राष्ट्रीय अनु सू वित जनजावत
आयोग(एनसीएसटी ) एवं राष्ट्रीय वपछडा वगा आयोग(एनसीबीसी)
● संरचना: अध्यक्ष + उपाध्यक्ष + 3 सदस्य = रािरपवत द्वारा वनयुक्त।
अनुच्छेद प्रािधान
338 एनसीएससी की स्थापना और इसके कायय
338A एनसीएसटी की स्थापना और इसके कायय (89िां संिैधावनक संिोधन)
338B एनसीबीसी की स्थापना और इसके कायय (102िां संिैधावनक संिोधन)
• कानू न कायात न्वयन: ये आयोग एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के कल्ाण और सुरक्षा के वलए लागू विवभन्न कानूनी प्रािधानों के
कायाय न्वयन की वनगरानी करते हैं।
एनिीएिटी के तितशष्ट कायत :
• िन क्षेत्रों में रहने िाली अनुसूवचत जनजावत को लघु िन उपज (एमएफपी) का स्वातित्व अतधकार प्रदान करना।
• आतदिातिय ं के तिकाि के उपाय और अवधक व्यिहायय आजीविका रणनीवतयों के वलए काम करना।
• िनों की सुरक्षा और सामावजक िनीकरण में आवदिावसयों का िहय ग और भागीदारी िलाशना।
• PESA का पूणय कायाय न्वयन सुवनवित करने के वलए उपाय करें ,
• कानून के अनुसार विवभन्न संसाधनों जैसे- जल संसाधन, खवनज संसाधन आवद पर आवदिासी समुदायों के अतधकार ं की रक्षा करना।
• विकास पररयोजनाओं से विस्थावपत आवदिावसयों के वलए वकए गए पुनिाय स उपायों की प्रभािशीलिा िें िुधार करना।
• आवदिावसयों द्वारा झूम खेती की प्रथा को कम करने और अंततः समाप्त करने के वलए उपाय करना।
किज र िगों की िुरक्षा के तलए िंिैधातनक तनकाय ं की िीिाएाँ :
● बुवनयादी ढां चे, जनिक्तक्त और संसाधनों की कमी।
● इन समुदायों के प्रवत संस्थानों की क्षमता की कमी और असंिेदनिीलता।
● आयोग की वस़िाररिें बाध्यकारी नही ं हैं ।
● इन समुदायों के वपछडे पन को दे खते हुए अकुिल काययप्रणाली के कारण वनयुक्तक्त में बाधा बहुत अवधक है ।
● अस्पि चयन और वनयुक्तक्त प्रविया, अत्यवधक बजट।
102िां िंिैधातनक िं श धन अतधतनयि
• इििें एक नया अनुच्छेद 338-B ज डा गया, वजसने एनसीबीसी को संिैधावनक दजाय प्रदान वकया।
• इसने सामावजक और िैवक्षक रूप से वपछडे िगों के वहतों की अवधक प्रभािी ढं ग से रक्षा करने के वलए एनसीबीसी के कायों को बढ़ाया।
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130
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• क्षेत्रीय स्तर की बैठक आय तजि करना: ; एनसीएसटी पहुं च बढ़ाने के वलए क्षेत्रीय स्तर की बैठकें आयोवजत करे गा।
• िंस्थागि प्रतितिया: सभी केंद्रीय मंत्रालयों और साियजवनक क्षेत्र के उद्यमों में संपकय अवधकाररयों और वििेष एससी और एसटी सै ल की
एक प्रणाली एक स्वागत योग्य कदम है ।
• िािातजक तिकाि: दोनों वनकाय साक्षरता और संबंवधत विकास में सुधार सुवनवित करते हैं एिं मवहला साक्षरता दर में वििेष रुवच ली है ।
• आतथतक िशिीकरर्: आवदिावसयों के भूवम हस्तां तरण को रोकने के वलए भूवम सीमा, अवधिेष भू वम का पुनवियतरण, वकरायेदारी सुधार
और अन्य उपायों की वसफाररि करके।
ऐिा प्रिीि ह िा है तक ििुदाय ं के िास्ततिक िुद्द ं का पूरी िरह िे ििाधान नही ं तकया गया है।
• बढे हुए अत्याचार: एनसीएससी को प्राप्त 16000 विकायतों में से 60% साियजवनक स्थानों पर अत्याचार से संबंवधत थी।ं (एनसीआरबी
डे टा)। जैिे, हररयार्ा िें जाति-िंबंधी िम्मान हत्याएाँ ।
• उच्च लंतबििा: 20,000 से अवधक विकायतें वनपटान के वलए लंवबत हैं ।
• तिलंतबि तनयुद्धि: सदस्य और अध्यक्ष वनकायों के कागजी प्रविया तक ही सीवमत हैं , जो उनकी प्रासंवगकता खो रहे हैं , इस प्रकार उन्ें
गैर-कायाय त्मक बना रहे हैं ।
• पूछिाछ िें दे री: आम धारणा यह है वक आयोग ज्यादातर मामलों में सरकार की क्तस्थवत और वनणयय दे ने मे दे री करता है ।
• अतनयतिििा: आयोगों द्वारा तैयार की गई िावषयक ररपोटय अक्सर रािरपवत को सौंपे जाने के दो या अवधक िषों के बाद पेि की जाती है ।
यहां तक वक जब उन्ें संसद में पेि वकया जाता है , तब भी उन पर अक्सर चचाय नही ं की जाती है ।
• प्रिार: संस्थाओं के दोहराि और गुणन ने और अवधक भ्रम पैदा कर वदया है ।
• िािातजक रिैया: र तहि िेिुला जैसे मामले जावत-संबंधी भेदभाि का एक उदाहरण हैं ,जो इन मामलों को संबोवधत करने के वलए एक
वनकाय होने के बािजूद अभी भी प्रचवलत है ।
• न्यातयक उदािीनिा: अत्याचार अवधवनयम के तहत अपरावधयों को अवग्रम जमानत दे ने का सु प्रीम कोटय का आदे ि दिाय ता है वक
एससी/एसटी मुद्दों को िीषय अदालत द्वारा भी अवतरं वजत माना जाता है ।
• जनजािीय बेदखली: एनसीएसटी विकास पररयोजनाओं के कारण एसटी की बेदखली को रोकने में अप्रभािी रही है ।
o उदा. 5 लाख से अवधक आवदिावसयों का दािा खाररज।
• आतथतक अभाि: एफआरए, 2006 की भािना को बनाए रखने में विफलता और "संरवक्षत िन" के नाम पर लघु िन उपज तक पहुं च से
िंवचत करना वदखाई दे ता है ।
• लुप्त ह िी िांस्कृतिक पहचान: लगभग 250 जनजातीय भाषाएँ लुप्त हो गई हैं (पीपुल्स वलंक्तिक्तस्टक सिे ऑफ इं वडया की ररपोटय )।
• एनसीएससी, एनसीएसटी और एनसीबीसी समाज के कमजोर िगय के अवधकारों और उनके उत्थान के वलए महत्वपूणय हैं । उनके पास बडी
वज़म्मेदारी है और इन्ें पूरा करने के वलए इन्ें और मजबूत करने की जरूरत है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
अनुच्छेद 312 • संसद को संघ और राज्यों के वलये एक या एक से अवधक अक्तखल भारतीय सेिाएँ (एक अक्तखल भारतीय न्यावयक
सेिा सवहत) बनाने का अवधकार प्राप्त है ।
• यूपीएससी और एसपीएससी की वनयुक्तक्त, संरचना, वनष्कासन और िक्तक्तयों और कायों से संबंवधत प्रािधान।
अनुच्छेद 315 िे • संघ एिं राज्यों के वलए लोक सेिा आयोग का गठन, वनयुक्तक्त एिं वनष्कासन तथा िक्तक्तयों एिं कायों से संबंवधत
323 िक प्रािधान।
• िंरचना: इसमें भारत के रािरपवत द्वारा वनयुक्त एक • िंरचना: इसमें राज्य के राज्यपाल द्वारा वनयुक्त एक अध्यक्ष और अन्य
अध्यक्ष और अन्य सदस्य िावमल होते हैं । सदस्य होते हैं ।
• िदस्य िंख्या: रािरपवत का वििेक। आमतौर पर 9 से • िदस्य िंख्या: संबंवधत राज्य के राज्यपाल का वििेक।
11। • सदस्यता के वलए क ई य ग्यिा तनधातररि नही ं है , वसिाय इसके वक
• सदस्यता के वलए क ई य ग्यिा तनधातररि नही ं है, वसिाय 50% सदस्यों को भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से
इसके वक 50% सदस्यों को भारत सरकार या राज्य कम दस िषों तक पद पर रहना चावहए।
सरकार के अधीन कम से कम दस िषों तक पद पर • कायतकाल: छह िषय/62 िषय की आयु; जो भी पहले हो
रहना चावहए। • तनष्कािन: रािरपवत सदस्यों और अध्यक्ष को उसी आधार पर और उसी
• कायतकाल: 6 िषय/ 65 िषय की आयु; जो भी पहले हो तरीके से हटा सकता है जैसे िह यूपीएससी के अध्यक्ष या सदस्य को
• तनष्कािन: रािरपवत द्वारा वदिावलया घोवषत करने के हटा सकता है ।
आधार पर, कतयव्यों के बाहर िेतनभोगी रोजगार,
मानवसक या िरीर की कमजोरी के कारण अयोग्य।
• दु व्यतिहार के तलए - सिोच्च न्यायालय की जाँ च पर
रािरपवत द्वारा।
आय ग की स्विं त्रिा
• कायतकाल की िु रक्षा: अध्यक्ष और सदस्यों को केिल संविधान में वनवदय ि आधार पर रािरपवत के आदे ि से हटाया जा सकता है ।
• िेिा की शिें: रािरपवत द्वारा वनधाय ररत (एसपीएससी के वलए राज्यपाल द्वारा) और उनकी वनयुक्तक्त के बाद सदस्यों का अलाभकारी बदलाि
नही ं वकया जा सकता है ।
• व्यय: िेतन, भत्ते और पेंिन भारत की संवचत वनवध पर भाररत होते हैं एिं संसद के िोट के अधीन नही ं होते हैं ।
• िेिातनिृतत्त के बाद: यूपीएससी का अध्यक्ष भारत सरकार या वकसी राज्य की सरकार के अधीन वकसी अन्य पद पर रोज़गार हे तु अपात्र
होगा।
o एसपीएससी अध्यक्ष को यूपीएससी का अध्यक्ष/सदस्य या यूपीएससी का सदस्य वनयुक्त वकया जा सकता है ,लेवकन वकसी अन्य रोजगार
के वलए पात्र नही ं हैं ।
o यूपीएससी का सदस्य (अध्यक्ष के अलािा) वकसी भी एसपीएससी या यूपीएससी के अध्यक्ष के रूप में वनयुक्त होने के वलए पात्र है ।
कायत और िीिाएाँ
यूपीएििी के कायत िीिाएाँ
• य ग्यिा प्रर्ाली का प्रहरी: यह अक्तखल भारतीय सेिाओं और केंद्रीय • ििोच्च न्यायालय के तनर्तय: चूं वक उनके पास कानून
सेिाओं में वनयुक्तक्तयों के वलए परीक्षा आयोवजत करता है । की िक्तक्त है ; यूपीएससी या एसपीएससी को सीवमत कर
• वकसी भी सेिा के वलए संयुक्त भती की योजनाएं तैयार करने और सकता है ।
संचावलत करने में राज्य ं की िहायिा करता है वजसके वलए वििेष
योग्यता रखने िाले उम्मीदिारों की आिश्यकता होती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• राज्य की जरूरि ं क पूरा करिा है: राज्यपाल के अनुरोध पर और • गैर-बाध्यकारी प्रािधान: सरकार यूपीएससी के
रािरपवत की मंजूरी के साथ। परामिय के वबना कायय कर सकती है और पीवडत लोक
• कातितक प्रबंधन के तनम्नतलद्धखि िािल ं के तलए परािशत तदया गया: सेिक के पास अदालत में कोई उपाय नही ं है ।
o वसविल सेिा और तितिल पद ं पर भिी, पदोन्नवत और स्थानां तरण • यूपीएससी द्वारा चयन उम्मीदिार को पद का कोई
के तरीके। अवधकार प्रदान नही ं करता है । अनुिंवसत नाम केिल
एक अनुिंसा है ।
o भारत सरकार के अधीन नागररक क्षमता में सेिारत वकसी व्यक्तक्त
• तनम्नतलद्धखि िािल ं पर यूपीएििी िे परािशत नही ं
को प्रभावित करने िाले िभी अनुशािनात्मक िािले। तकया जािा है:
o एक वसविल सेिक द्वारा अपने कतयव्यों के वनष्पादन में वकए गए o वनयुक्तक्तयों में वकसी वपछडे िगय के वलए आरक्षर्
कायों के संबंध में कानूनी काययिाही का बचाि करने में वकए गए दे ना।
कानूनी खचों की प्रतिपूतित का दािा। o सेिाओं और पदों पर वनयुक्तक्तयाँ करने में SC/ST
o 1 िषय से अवधक की अस्थायी तनयुद्धियााँ और वनयुक्तक्तयों के के दािों पर विचार करना।
वनयवमतीकरण पर। o आयोगों या न्यायावधकरणों की अध्यक्षता या
o कुछ सेिावनिृत्त वसविल सेिकों को िेिा तिस्तार और पुनवनययुक्तक्त सदस्यता, उच्चतम राजनवयक प्रकृवत के पदों और
प्रदान करना। समूह सी और समूह डी सेिाओं के वलए चयन के
वनयुक्तक्त के वलए वनयम बनाते समय राज्यपाल द्वारा एसपीएससी o अस्थायी वनयुक्तक्त के वलए, यवद वकसी व्यक्तक्त के
से परामिय वकया जाता है । एक िषय से अवधक समय तक पद पर बने रहने की
संभािना नही ं है ।
o िेिाओं का िगीकरर्, िेतन और सेिा ितें,
कैडर प्रबंधन, प्रविक्षण, आवद।
आगे की राह
• आय ग को वसविल सेिाओं से संबंवधत मुद्दों और तेजी से बदलते समाज में उनकी भूवमका का जिाब दे ने के वलए उम्मीदिारों की भती की
भूवमका से परे जाकर कवमययों के िुद्द ं पर एक तथंक-टैं क के रूप िें काि करना चातहए।
• अनु िंधान िंस्थान ं के िाथ िं बंध बनाएं : यूपीएससी और एसपीएससी को प्रिासन के वलए वििेष रूप से वडजाइन वकए गए पाठ्यिम
संचावलत करने और सेिाओं को बदलते समाज के साथ संपकय में रखने के वलए ऐसा करना आिश्यक।
• तिकेंद्रीकरर् की आिश्यकिा: प्रवत िषय लाखों आिेदनों के वनपटान और जां च से लेकर नामों की अनुिंसा तक की प्रविया में िावमल
होने के कारण।
• बदलिे ििय के िाथ िालिेल बनाए रखें: अब तक यूपीएससी और एसपीएससी ने उल्लेखनीय क्षमता, वनष्पक्षता और सत्यवनष्ठा के साथ
काम वकया है । लेवकन उन्ें नए और तेजी से बदलते समाज के साथ तालमेल वबठाने की जरूरत है ।
तनष्कषत
अब तक एसपीएससी और यूपीएससी ने ईमानदारी के साथ अपने कतयव्यों का पालन वकया है और हर साल लाखों उम्मीदिारों के विश्वास पर
आयोग खरा उतरता है । लेवकन बदलते समय के अनुसार, यूपीएससी और एसपीएससी को उच्चतम ईमानदारी िाले लोगों की वनयुक्तक्त सुवनवित
करने के वलए साइकोमेवटर क परीक्षण जैसे नए तरीकों को िावमल करने की आिश्यकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
पररचय
• भारत के चुनाि आयोग (ईसीआई) को भारत में स्वतंत्र और वनष्पक्ष चुनाि कराने की वजम्मेदारी सौंपी गई है । एक स्वतंत्र संिैधावनक वनकाय
के रूप में स्थावपत, ईसीआई चुनािी प्रविया की अखंडता सुवनवित करता है और विधायी वनकाय में साियजवनक विश्वास को बढ़ािा दे ता है।
अनु च्छेद 324 में उक्तल्लक्तखत इसके अवधकार में चुनािों का अधीक्षण, वनदे िन और वनयंत्रण िावमल है , जो रािर के लोकतां वत्रक कामकाज
में पारदवियता और समािेविता सुवनवित करता है ।
सं वै धावनक प्रावधान
भारि तनिात चन आय ग
• शद्धि: भारि के चु नाि आयोग (ईसीआई) की िक्तक्त भारत के रािरपवत द्वारा वनधाय ररत की जाती है । रािरपवत के पास मुख्य चुनाि आयुक्त
(सीईसी) के साथ-साथ अन्य चुनाि आयुक्तों को वनयुक्त करने का अवधकार है ।
o भारत के चुनाि आयोग (ईसीआई) में एक मुख्य चु नाि आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाि आयुक्त िावमल हैं ।
o ईसीआई की ताकत रािरपवत के वनणयय के आधार पर वभन्न हो सकती है , सीईसी के अलािा एक से अवधक चुनाि आयुक्त होने की
संभािना के साथ। हालां वक, ईसीआई अकेले सीईसी के साथ भी काम कर सकता है ।
• कायतकाल: मुख्य चु नाि आयुक्त 6 साल की अिवध के वलए या 65 िषय की आयु तक, जो भी पहले हो, पद धारण करता है ।
o अन्य चु नाि आयुक्तों का काययकाल भारत के रािरपवत द्वारा वनधाय ररत वकया जाता है , जो उन्ें वनयुक्त करता है ।
o सामान्य तौर पर, चुनाि आयुक्तों का काययकाल मुख्य चुनाि आयु क्त के काययकाल के साथ संरेक्तखत होने की उम्मीद है ।
• िदस्य िंख्या: मुख्य चुनाि आयुक्त और दो अन्य चुनाि आयुक्तों के पास समान िक्तक्तयां हैं और समान िेतन, भत्ते और अन्य अनुलाभ
प्राप्त करते हैं , जो सिोच्च न्यायालय के न्यायाधीि के बराबर हैं ।
शद्धियां और कायत
• प्रशाितनक:
1. पररिीिन: संसद के पररसीमन आयोग अवधवनयम के आधार पर
पूरे दे ि में क्षेत्रीय वनिाय चन क्षेत्रों का वनधाय रण करें ।
2. ििदािा िूची: सभी पात्र मतदाताओं की मतदाता सूची तैयार करें
और समय-समय पर संिोवधत करें ।
3. चुनाि ं का िंचालन: चुनािों की तारीखों और काययिमों को
अवधसूवचत करें और नामां कन पत्रों की जां च करें ।
4. पंजीकरर्: राजनीवतक दलों का पंजीकरण और उन्ें रािरीय या
राज्य पाटी का दजाय दे ना और उन्ें चुनाि वचि आिंवटत करना।
5. आचार िंतहिा: चुनाि के समय पावटय यों और उम्मीदिारों द्वारा
पालन वकया जाना
• िलाहकार: संसद और राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता से संबंवधत मामलों पर रािरपवत और राज्यपाल को सलाह दें ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• अधत-न्यातयक: राजनीवतक दलों को मान्यता दे ने और उन्ें चुनाि वचि के आिंटन से संबंवधत वििादों को वनपटाने के वलए एक अदालत के
रूप में कायय करना।
स्वाधीनिा
• कायतकाल की िुरक्षा: मुख्य चुनाि आयुक्त को सुप्रीम कोटय के न्यायाधीि के समान तरीके से और उसी आधार पर उनके कायाय लय से
हटाया जा सकता है ।
o मुख्य चुनाि आयुक्त की वसफाररि के अलािा अन्य चु नाि आयुक्तों को हटाया नही ं जा सकता है।
• िेिा की शित: मु ख्य चु नाि आयुक्त की सेिा ितों को उनकी वनयुक्तक्त के बाद कम नही ं वकया जा सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• ितिय प्रिित न: जावत और धमय-आधाररत प्रचार के क्तखलाफ सविय कारय िाई करने के वलए ईसीआई को सिक्त बनाना।
• आं िररक-पाटी ल किंत्र और तित्तीय तितनयिन: राजनीवतक दलों के भीतर पारदवियता और जिाबदे ही लागू करने के वलए सुधारों को
बढ़ािा दे ना।
• िेिातनिृतत्त के बाद र जगार प्रतिबंध: वहतों के टकराि को रोकने के वलए सेिावनिृवत्त के बाद रोजगार पर प्रवतबंध लागू करें ।
• पारदतशतिा और जिाबदे ही: चुनाि आयुक्तों की वनयुक्तक्त प्रविया में पारदवियता बढ़ाएँ ।
• ईिीएि िुरक्षा और तििाि-तनिातर्: ईिीएम सुरक्षा उपायों में सुधार करें और विश्वास बनाने के वलए वहतधारकों को िावमल करें ।
• कानूनी सुधार: चुनौवतयों का समाधान करने, प्रवियाओं को सरल बनाने और राजनीवत के अपराधीकरण से वनपटने के वलए चु नािी कानूनों
की समीक्षा और अद्यतन करें ।
राज्य तनिात च न आय ग:
• राज्य चुनाि आयोग (एसईसी) अनुच्छेद 243K के तहत एक स्वतंत्र संिैधावनक प्रावधकरण है जो राज्य स्तर पर स्थानीय वनकायों के चुनाि
कराने के वलए वजम्मेदार है । यह वनष्पक्ष और पारदिी चुनाि सुवनवित करता है , लोकतांवत्रक िासन को बढ़ािा दे ता है और स्थानीय िासन
में नागररकों की भागीदारी को प्रोत्सावहत करता है । इसका काययकाल संविधान द्वारा वनधाय ररत 5 िषय का है ।
राज्य चुनाि आय ग ं के िािने आने िाले िुद्दे:
• राजनीतिक हस्तक्षेप: एसईसी को सत्तारूढ़ दलों के हस्तक्षेप का सामना करना पडता है , वजससे उनकी स्वतंत्रता से समझौता होता है ।
o उदाहरर्: सत्तारूढ़ दल एसईसी पर चुनाि में दे री करने या मतदाता पंजीकरण में अपने पक्ष में हे रफेर करने का दबाि डाल रहा
हो।
• िंिाधन ं की किी: अपयाय प्त धन और कमयचारी प्रभािी चुनाि प्रबंधन में बाधा डालते हैं ।
o उदाहरण: अपयाय प्त बजट आिंटन के कारण मतदान केंद्रों और चुनाि अवधकाररयों की कमी हो जाती है , वजससे दे री और तावकयक
चुनौवतयाँ होती हैं ।
• िुरक्षा िंबंधी तचंिाएाँ : मतदाताओं और मतदान केंद्रों की सुरक्षा सुवनवित करना चुनौतीपूणय है , खासकर अक्तस्थर क्षेत्रों में।
o उदाहरर्: चुनाि के दौरान राजनीवतक समूहों द्वारा वहं सा और धमकी की घटनाएं , वजससे मतदाताओं और चुनाि कवमययों की सुरक्षा
खतरे में पड जाती है ।
• अपयातप्त ििदािा जागरूकिा: एसईसी मतदाताओं को विवक्षत करने और संलग्न करने के वलए संघषय करते हैं , वििेष रूप से हाविए
पर रहने िाले समुदायों में।
o उदाहरर्: दू रदराज के गां िों में मतदाता विक्षा अवभयानों की कमी के पररणामस्वरूप कम मतदान हुआ और मतदान प्रवियाओं के
बारे में जागरूकता सीवमत हुई।
• अतनयतिििाएं और कदाचार: चुनािी धोखाधडी और हे रफेर चुनािों की अखंडता को कमजोर करते हैं ।
o उदाहरर्: स्थानीय वनकाय चुनािों के दौरान बूथ कैप्चररं ग, मतदाता प्रवतरूपण और मतपेवटयों के साथ छे डछाड के मामले सामने
आए हैं ।
• कानू नी जतटलिाएाँ : जवटल कानून और प्रवियाएँ भ्रम पैदा करती हैं और कुिल कायाय न्वयन में बाधा डालती हैं ।
o उदाहरर्: चुनािी कानूनों की व्याख्या और लागू करने में चुनौवतयों के कारण चुनािी प्रविया में वििाद और दे री होती है ।
• तिलंतबि तििाद ििाधान: लंवबत मामले और धीमी न्यावयक प्रवियाएँ चुनािी वििादों के समाधान में दे री करती हैं ।
• उदाहरर्: चुनाि संबंधी वििाद िषों से अदालतों में लंवबत हैं , वजसके कारण समापन की कमी और अवनवितता है ।
• िकनीकी चुनौतियााँ: नई प्रौद्योवगवकयों को अपनाने के वलए वििेषज्ञता और संसाधनों की आिश्यकता होती है , वजससे एसईसी के वलए
कवठनाइयाँ पैदा होती हैं ।
• उदाहरर्: इलेक्टरॉवनक िोवटं ग मिीनों (ईिीएम) को लागू करने के वलए अपयाय प्त प्रविक्षण और तकनीकी सहायता, वजसके पररणामस्वरूप
मतदाताओं में तकनीकी गडबवडयाँ और संदेह पैदा होता है ।
इन िुद्द ं के ििाधान के तलए आिश्यक कदि:
• स्विंत्रिा की रक्षा करें : एसईसी को राजनीवतक हस्तक्षेप से बचाने के वलए उपाय लागू करें , जैसे चु नािों की वनगरानी के वलए एक स्वायत्त
वनकाय की स्थापना करना।
o उदाहरर्: गैर-पक्षपातपूणय वनणयय लेने को सुवनवित करने के वलए प्रवतवष्ठत व्यक्तक्तयों को िावमल करते हुए एक चुनाि आयोग वनगरानी
सवमवत की स्थापना करना।
• पयातप्त िंिाधन आिंतटि करें : कुिल चुनाि प्रबंधन के वलए फंवडं ग बढ़ाएं और एसईसी को पयाय प्त कमयचारी उपलब्ध कराएं ।
o उदाहरर्: अवतररक्त चुनाि अवधकाररयों को वनयुक्त करने और आिश्यक उपकरण खरीदने के वलए एसईसी के वलए एक विविि
बजट आिंवटत करना।
• िुरक्षा उपाय बढाएाँ : संिेदनिील मतदान केंद्रों पर पुवलस की उपक्तस्थवत और कवमययों की तैनाती बढ़ाकर सुरक्षा व्यिस्था को मजबूत करें ।
o उदाहरर्: वहं सा को रोकने और िां वतपूणय चुनाि माहौल बनाए रखने के वलए सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल और वनगरानी प्रणाली लागू
करना।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• ध खाधडी-र धी उपाय ं क िजबूि करें : अवनयवमतताओं और चुनािी कदाचार को रोकने के वलए कडे उपाय लागू करें , वजसमें कानूनों
को सख्ती से लागू करना और सविय वनगरानी िावमल है ।
o उदाहरर्: एकावधक मतदान या मतपेवटयों के साथ छे डछाड जैसी विसंगवतयों का पता लगाने के वलए िास्तविक समय वनगरानी
प्रणाली लागू करना।
• शीघ्र तििाद ििाधान: चुनाि संबंधी वििादों के समाधान में तेजी लाने के वलए फास्ट-टर ै क अदालतें या समवपयत चुनाि न्यायावधकरण
स्थावपत करें ।
• उदाहरर्: चुनािी वििादों से वनपटने, समय पर और प्रभािी समाधान सुवनवित करने पर वििेष ध्यान दे ने के साथ वििेष अदालतों की
स्थापना करना।
तनष्कषत:
• राज्य चुनाि आयोग भारत में स्थानीय िासन के लोकतां वत्रक कामकाज को सुवनवित करने में महत्वपूणय भूवमका वनभाता है । चुनौवतयों के
बािजूद, आयोग वनष्पक्ष और पारदिी चुनाि के वलए प्रयासरत है । राज्य चुनाि आयोग एक मजबूत लोकतंत्र को बढ़ािा दे सकता है ,
नागररकों को सिक्त बना सकता है और जमीनी स्तर पर चुनािी प्रविया की अखंडता को बनाए रख सकता है ।
राजनीतिक दल और भारि का चु न ाि आय ग
भारत का चुनाि आयोग (ईसीआई) लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में कायय करता है और दे ि में राजनीवतक दलों को विवनयवमत करने में महत्वपूणय
भूवमका वनभाता है । यह एक प्रहरी के रूप में कायय करता है , पाटी के वित्त की वनगरानी करता है , चुनािों की वनगरानी करता है और सभी
राजनीवतक संस्थाओं के वलए समान अिसर बनाए रखने के उपाय करता है ।
राजनीतिक दल ं क तितनयतिि करने िें भारि के चुनाि आय ग की भूतिका:
• पंजीकरर् और िान्यिा: राजनीवतक दलों को पंजीकृत करने का ईसीआई का अवधकार चुनाि आचरण वनयमों का समान अनुपालन
सुवनवित करता है ।
• प्रिीक ं का आिंटन: ईसीआई मान्यता प्राप्त पावटय यों को वििेष प्रतीकों की अनुमवत दे ता है और गैर-मान्यता प्राप्त पावटय यों के वलए मुफ्त
प्रतीकों की एक सूची प्रदान करता है ।
• आदशत आचार िंतहिा: यह संवहता चुनाि के दौरान सत्ताधारी पाटी को अनुवचत लाभ प्राप्त करने से रोकती है , जो चुनाि की तारीख की
घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है ।
• चुनाि व्यय पर िीिा: ईसीआई अनुवचत प्रभाि को रोकने के वलए व्यय की सीमा वनधाय ररत करता है , अलग-अलग खाते अवनिायय करता
है , और ररपोवटं ग न करने पर अयोग्यता घोवषत करता है ।
• तित्तीय पारदतशतिा: कर-मुक्त दान के दु रुपयोग को रोकने के वलए पंजीकृत पावटय यों को RPA, 1951 की धारा 29C के तहत ऑवडट ररपोटय
प्रस्तुत करनी होगी।
• पयतिेक्षक ं की तनयुद्धि: स्वतंत्र और वनष्पक्ष चुनािी प्रविया सुवनवित करने के वलए ईसीआई सामान्य और व्यय पययिेक्षकों की वनयु क्तक्त
करता है ।
137
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• ईिीआई की स्विंत्रिा: सभी तीन चुनाि आयुक्तों के वलए काययकाल की संिैधावनक सुरक्षा सुवनवित करना और ईसीआई में काययकारी
हस्तक्षेप को कम करने के वलए सेिावनिृवत्त के बाद के पदों से िंवचत करना।
तनष्कषत:
• भारत के बहुदलीय लोकतंत्र में, वनष्पक्ष प्रवतस्पधाय सुवनवित करने, ररयायतों के दु रुपयोग को रोकने और चुनािी अखंडता को बनाए रखने
के वलए चुनाि आयोग द्वारा राजनीवतक दलों का प्रभािी विवनयमन आिश्यक है ।
एक िाथ चु न ाि - एक राष्टर , एक चु न ाि:
• प्रधानमांत्री और नीवत आयोग सवहत वििेषज्ञों ने एक साथ चु नाि की िकालत की है , वजसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के वलए
एक साथ चुनाि िावमल होंगे।
o नीवत आयोग के मुतावबक भारत लगातार चुनािी मोड में है । दो आम चुनािों के बीच हर साल 5 से 7 विधानसभा चुनाि होते हैं । इसके
अलािा उपचु नाि और स्थानीय वनकाय चुनाि भी होते हैं ।
o चुनाि आयोग ने प्रधानमांत्री द्वारा प्रचाररत "एक रािर, एक चुनाि" की अिधारणा के अनुरूप ऐसे चु नाि कराने की तत्परता व्यक्त की
है ।
िुख्य तबंदु
• 'एक राष्टर एक चुनाि' का दायरा: संिैधावनक संस्थानों के सभी स्तरों के वलए चुनािों का समन्वयन।
• िीिरे स्तर के िंस्थान ं के िाथ चुनौिी: राज्य चुनाि आयोग (एसईसी) द्वारा िावसत तीसरे स्तर के संस्थानों में चुनािों को िावमल करना।
• पूर्त िंरेखर् की अव्यिहाररकिा: लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनािों के साथ तीसरे स्तर के चुनाि काययिम को वसंिनाइज़ करने
में कवठनाई।
• 'एक राष्टर एक चुनाि' की पररभाषा: प्रभािी कायायन्वयन के वलए लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनािों के समन्वय पर ध्यान केंवद्रत
करना।
िषत िहत्वपूर्त घटना
1983 • भारत के चुनाि आयोग की पहली िावषयक ररपोटय में यह विचार आया।
1999 • विवध आयोग की ररपोटय संख्या 170 ने इसे आगे बढ़ाया।
•
2015 • संसदीय स्थायी आयोग के 79िें प्रवतिेदन में इसका उल्ले ख वकया गया है ।
2017 • नीवत आयोग द्वारा "एक साथ चुनािों का विश्लेषण: क्ा और कैसे" िीषयक से एक कायय पत्र तैयार वकया गया था।
आिश्यकिा:
• व्यय: व्यय सीमा के अभाि के कारण चुनाि में अवधक खचय होता है ।
• नीतिगि पंगुिा: आदिय आचार संवहता का बार-बार लागू होना सरकारी कायों और नागररक जीिन को बावधत करता है ।
• िंिाधन की बचि: दोनों चुनािों के वलए एक ही मतदाता और बूथ का उपयोग करने के संभावित लाभ।
• िािातजक ििरििा: चुनाि के दौरान सां प्रदावयकता और जावतिाद का बढ़ना।
• ििि तिकाि: चुनािों की बारं बारता के कारण अिकावलक सुधारों पर ध्यान दें ।
• िैतिक अनु भि: दवक्षण अफ्ीका और स्वीडन जैसे दे िों में एक साथ चुनाि का कायायन्वयन।
• अदृश्य िािातजक-आतथतक लागि: चु नाि कतयव्यों के दौरान विक्षा, कल्ाण योजनाओं और संसाधन आिंटन पर अवनधाय ररत प्रभाि।
• िुरक्षा बल ं की तनयुद्धि: सिस्त्र पुवलस बलों को अन्य आं तररक सुरक्षा वजम्मेदाररयों से अलग करना।
एक िाथ चुनाि के तिरुद् िकत:
• व्यािहाररक कतठनाइयााँ: विधानसभा ितों में समायोजन के कारण राजनीवतक दलों का विरोध।
• िंिैधातनक बाधाएाँ : लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के वलए वनवित काययकाल का अभाि।
• िंघ-तिर धी: राज्य चुनािों पर रािरीय मुद्दों का प्रभाि और इसके विपरीत।
• जिाबदे ही कि ह जािी है: बार-बार होने िाले चुनाि राजनेताओं को मतदाताओं से जोडे रखते हैं ।
• जिीनी स्तर की अथत व्यिस्था: चुनाि के दौरान रोजगार सृजन और आवथयक िृक्तद्।
• एििीिी िे िंबंतधि गलि िकत: नई योजनाओं पर प्रवतबंध के बारे में गलत धारणाएं ।
• बहुदलीय ल किंत्र के तिरुद्: राज्य और रािरीय चुनािों के बीच धुंधला अंतर।
• िेस्टतिंस्टर ल किंत्र और िंघिाद के िाथ अिं गि: सरकारों के विघटन और राजनीवतक बदलािों पर प्रभाि।
• क्षेत्रीय पातटत य ं क नु किान: रािरीय पावटय यों का दबदबा और क्षेत्रीय पावटय यों को नुकसान।
• िैकद्धिक िुधार: व्यय सीमा, राज्य वित्त पोषण, कम मतदान अिवध, और उन्नत सुरक्षा उपाय।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
आगे की राह:
• बाधाओं के ििाधान के तलए तितध आय ग की तिफाररशें:
o िंतिधान और आरपीए, 1951 िें िंश धन करें : मध्यािवध चु नाि के बाद िेष काययकाल के वलए नई लोकसभा और विधानसभा,
और अविश्वास प्रस्ताि को अविश्वास के रचनात्मक िोट से बदलें।
o पीएि/िीएि का पूर्त िदन चुनाि: लोकसभा अध्यक्ष के समान उनका चु नाि करके क्तस्थरता प्रदान करें ।
o दल-बदल तिर धी कानून क किज र करें : वत्रिंकु संसद के दौरान विधानसभा में गवतरोध को रोकने के वलए अपिाद बनाएं ।
o द चरर् के चुनाि: लोकसभा चु नाि और मध्यािवध अंतराल के अनुरूप, दो चरणों में समकावलक चुनाि आयोवजत करें ।
o तनधातररि उप-चुनाि: सभी ररक्त सीटों पर पूिय-वनधाय ररत समय अिवध के दौरान चुनाि कराना।
• चुनाि आय ग की तिफाररशें:
o लोकसभा के वलए:
✓ अविश्वास प्रस्ताि में भािी प्रधानमांत्री के रूप में नावमत व्यक्तक्त के वलए विश्वास प्रस्ताि िावमल होना चावहए।
✓ अपररहायय विघटन की क्तस्थवत में, रािरपवत अगले सदन के गठन तक वनयुक्त मंवत्रपररषद के साथ दे ि का प्रिासन कर सकते हैं ,
या िेष काययकाल के वलए नए चु नाि करा सकते हैं ।
o तिधान िभा के तलए:
✓ िैकक्तिक सरकार बनाने के वलए अविश्वास प्रस्ताि के साथ-साथ अवनिायय विश्वास प्रस्ताि, समयपूिय विघटन को कम करना।
✓ यवद विधानसभा को समय से पहले भंग करना पडता है तो राज्यपाल को वनयुक्त मंवत्रपररषद के साथ राज्य का प्रिासन करने
या काययकाल समाप्त होने तक रािरपवत िासन लगाने का प्रािधान।
एक साथ चु नाि पर बहस, वजसे 'एक रािर एक चुनाि' के नाम से जाना जाता है , सािधानीपूियक विचार और सियसम्मवत की मां ग करती है । क्षेत्रीय
गवतिीलता और लोकतां वत्रक वसद्ां तों के साथ िासन दक्षता जैसे लाभों को संतुवलत करना महत्वपू णय है । विचारिील सुधारों के साथ, एक साथ
चुनाि चुनािी प्रविया और नागररक सहभावगता को बढ़ा सकते हैं ।
ईिीएि और िं ब ं त धि िु द्दे :
• इलेक्टरॉवनक िोवटं ग मिीन (ईिीएम) एक माइिोकंटर ोलर द्वारा संचावलत पोटे बल वडिाइस है , जो चुनाि प्रविया में िां वतकारी बदलाि लाती
है । इसमें एक मतदान अवधकारी द्वारा संचावलत एक वनयंत्रण इकाई और मतदान वडब्बे के अंदर एक मतदान इकाई िावमल होती है , जो
मतदाता के गोपनीय िोट को सुवनवित करती है । भारत में, ईिीएम का उत्पादन इलेक्टरॉवनक्स कॉपोरे िन ऑफ इं वडया वलवमटे ड और भारत
इलेक्टरॉवनक्स वलवमटे ड द्वारा वकया जाता है ।
• कानू नी प्रािधान: जन प्रवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951 की धारा 61A आयोग को िोवटं ग मिीनों का उपयोग करने का अवधकार दे ती है ।
(यह संिोधन 1988 में वकया गया था).
कागजी ििपत्र की िुलना िें ईिीएि के लाभ:
• िटीकिा: ईिीएम सटीक और त्रुवट रवहत िोटों की वगनती सुवनवित करती हैं , वजससे मैन्युअल वगनती की त्रुवटयों और विसंगवतयों की
संभािना कम हो जाती है ।
• दक्षिा: ईिीएम िोट डालने और वगनती के वलए आिश्यक समय को कम करके मतदान प्रविया को तेज करती है , वजससे पररणाम जल्दी
घोवषत हो जाते हैं ।
• पारदतशतिा: ईिीएम चु नाि प्रविया में पारदवियता प्रदान करते हैं क्ोंवक िे डाले गए कुल िोटों और व्यक्तक्तगत पाटी-िार िोटों की संख्या
को प्रदवियत करते हैं , वजससे चुनािी प्रणाली की अखंडता सुवनवित होती है ।
• चुनाि की अखंडिा: ईिीएम मतदाता की पसंद की गोपनीयता बनाए रखती है क्ोंवक मतदान एक वनजी वडब्बे में वकया जाता है , वजससे
वकसी भी प्रभाि या जबरदस्ती को रोका जा सकता है ।
• लागि प्रभािी: ईिीएम बडी मात्रा में कागजी मतपत्रों की आिश्यकता को समाप्त करते हैं , मुद्रण और पररिहन से जु डी लागत और
पयाय िरणीय प्रभाि को कम करते हैं ।
• बूथ कैप्चररं ग क र कना: ईिीएम अपने छे डछाड-रोधी वडज़ाइन और तकनीकी सुरक्षा उपायों के उपयोग के कारण बूथ कैप्चररं ग और
फजी मतदान को और अवधक कवठन बना दे ते हैं ।
• भंडारर् और पररिहन: ईिीएम कॉम्पैक्ट और पोटे बल हैं , वजससे उनका भंडारण, पररिहन और दू रदराज के क्षेत्रों में तैनाती आसान और
अवधक कुिल हो जाती है ।
• िानिीय त्रुतट िें किी: ईिीएम के साथ, मानिीय त्रुवटयों की संभािना, जैसे वक अमान्य या गलत तरीके से वचवित मतपत्र, काफी कम हो
जाती है , वजससे अवधक सटीक चुनािी प्रविया सुवनवित होती है ।
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न टा (NOTA):
• 2013 में भारत में उपरोक्त में से कोई नही ं (एनओटीए) विकि की िुरूआत पीपुल्स यूवनयन फॉर वसविल वलबटीज (पीयूसीएल) बनाम
यूवनयन ऑफ इं वडया मामले में सु प्रीम कोटय के फैसले के पररणामस्वरूप हुई। सुप्रीम कोटय ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के प्रत्यक्ष
चुनािों में नोटा के इस्तेमाल को अवनिायय कर वदया है ।
• इसके कायाय न्वयन के बाद से, NOTA ने भारतीय मतदाताओं के बीच महत्वपूणय लोकवप्रयता हावसल की है और यहां तक वक कुछ चुनािों
में इसे जीत के अंतर से भी अवधक िोट प्राप्त हुए हैं ।
• 2019 के भारतीय आम चु नाि में, लगभग 1.04 प्रवतित मतदाताओं ने नोटा का विकि चु ना, वजसमें वबहार और असम 2.08 प्रवतित नोटा
मतदाताओं के साथ अग्रणी रहे ।
• नोटा विकि का उपयोग पहली बार 2013 के चार राज्यों (छत्तीसगढ़, वमजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदे ि) और केंद्र िावसत प्रदे ि वदल्ली
के विधानसभा चुनािों के दौरान दे खा गया था। नोटा मतदाताओं को उपलब्ध उम्मीदिारों के प्रवत अपना असंतोष व्यक्त करने का अिसर
प्रदान करता है ।
अस्वीकार करने के अतधकार के पक्ष िें न टा/िकत का िहत्व:
• अिंि ष की अतभव्यद्धि: नोटा मतदाताओं को सभी उम्मीदिारों को अस्वीकार करके अपना असंतोष व्यक्त करने की अनुमवत दे ता है
यवद िे उन्ें पद के वलए अनु पयुक्त पाते हैं ।
• बेहिर उम्मीदिार ं क प्र त्सातहि करना: नोटा राजनीवतक दलों के वलए बेहतर उम्मीदिारों को मैदान में उतारने के वलए एक उत्प्रेरक
के रूप में कायय करता है जो अवधक सक्षम और साफ छवि िाले हों, क्ोंवक पावटय यों का लक्ष्य असंतुि मतदाताओं से िोट खोने से बचना
है ।
• ििदािा भागीदारी िें िृद्धद्: नोटा उन मतदाताओं के वलए एक विकि प्रदान करके मतदाता भागीदारी को बढ़ािा दे सकता है जो पहले
अयोग्य उम्मीदिारों को िोट दे ने में रुवच नही ं रखते थे या मजबूर महसूस करते थे। यह उन्ें चु नाि में भाग लेने का एक साथयक विकि दे ता
है ।
• प्रॉक्सी ि तटं ग की र कथाि: नोटा अिैध प्रॉक्सी िोवटं ग को रोकने में मदद करता है । अपनी ओर से वकसी और को िोट दे ने के वलए
अवधकृत करने के बजाय, असंतुि मतदाता उम्मीदिारों में विश्वास की कमी को व्यक्त करने के वलए कानूनी साधन के रूप में NOTA का
उपयोग कर सकते हैं ।
• िौतलक अतधकार: नोटा लोगों को उम्मीदिारों के प्रवत सहमवत या असंतोष व्यक्त करके अपनी अवभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता
के अवधकार का प्रयोग करने की अनुमवत दे ता है ।
• चुनाि की तिििनीयिा: नोटा अवधकतम मतदाता मतदान और सविय भागीदारी के माध्यम से चुनाि की विश्वसनीयता बढ़ाता है।
• नैतिक दबाि: नोटा मतदाताओं को अनुपयुक्त उम्मीदिारों के प्रवत अपना असंतोष व्यक्त करने में सक्षम बनाता है , वजससे राजनीवतक
दलों पर बेहतर उम्मीदिार खडा करने का नैवतक दबाि पडता है ।
• िुप्रीि क टत का दृतष्टक र्: नोटा में प्रणालीगत पररितयन लाने की क्षमता है , जो राजनीवतक दलों को स्वच्छ उम्मीदिारों को पेि करने के
वलए मजबूर करे गा, जैसा वक सुप्रीम कोटय ने मान्यता दी है ।
अस्वीकार करने के अतधकार के तिरुद् िकत:
• चुनािी प्रभाि के तबना प्रिीकात्मक िं केि: नोटा को चुनािी मूल् के वबना एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में दे खा जाता है , क्ोंवक
सबसे अवधक िोट पाने िाले उम्मीदिार को नोटा िोटों की परिाह वकए वबना विजेता घोवषत वकया जाता है ।
• ििदािा अिंि ष का िीतिि ििाधान: नोटा मतदाता असंतोष के मूल कारण को संबोवधत करने में विफल रहता है , जो अच्छे उम्मीदिारों
की कमी में वनवहत है , समस्या का समाधान वकए वबना केिल अस्वीकृवत विकि की पेिकि करता है ।
• ििदािा उदािीनिा की िंभािना: नोटा मतदाताओं को कोई उपयुक्त उम्मीदिार न वमलने पर मतदान से दू र रहने की अनु मवत दे कर
मतदाताओं की उदासीनता में योगदान कर सकता है , वजससे संभावित रूप से मतदाताओं की भागीदारी कम हो सकती है और लोकतंत्र
कमजोर हो सकता है ।
• दु रुपय ग की आशं का: कमजोर उम्मीदिारों को मैदान में उतारकर और समथयकों को नोटा के वलए िोट करने के वलए प्रोत्सावहत करके
चुनाि पररणामों को प्रभावित करने के वलए राजनीवतक दलों द्वारा नोटा का उपयोग वकया जा सकता है , वजससे सं भावित रूप से विपक्षी
िोटों का विभाजन हो सकता है ।
• िंिाधन ं की बबातदी: नोटा में मतपत्रों और वगनती प्रवियाओं के वलए अवतररक्त संसाधनों की आिश्यकता होती है , वजससे संभावित रूप
से चुनाि के वलए आिश्यक लागत और समय में िृक्तद् होती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• स्पष्टिा: कानूनी प्रितयनीयता इस बात में स्पिता लाएगी वक संवहता का उल्लंघन क्ा है , वजससे इसके प्रितयन में आसानी होगी।
• िंगति: कानू नी प्रितयनीयता संवहता के लगातार प्रितयन को बढ़ािा दे गी, इसके अनुप्रयोग में असमानताओं को दू र करे गी।
• कानू न के शािन क कायि रखना: संवहता को कानूनी रूप से लागू करने योग्य बनाने से कानून के िासन को कायम रखा जा सकेगा,
वजससे राजनीवतक दलों और उम्मीदिारों द्वारा सत्ता के दु रुपयोग को रोका जा सकेगा।
आगे की राह:
• दं ड क िजबूि करना: भारत का चुनाि आयोग (ईसीआई) आदिय आचार संवहता के उल्लंघन के वलए दं ड को मजबूत करने पर विचार
कर सकता है ।
o उदाहरण के वलए, 2019 के लोकसभा चु नािों में, ECI ने धमय के नाम पर िोट मां गकर संवहता का उल्लंघन करने के वलए एक
उम्मीदिार को तीन साल के वलए अयोग्य घोवषत कर वदया।
• बेहिर तनगरानी: ईसीआई आदिय आचार संवहता के उल्लंघन का पता लगाने के वलए अपने वनगरानी तंत्र में सुधार कर सकता है ।
o उदाहरण के वलए, 2019 के लोकसभा चुनािों में, ECI ने चु नाि अवभयानों की वनगरानी करने और संवहता के उल्लंघन का पता लगाने
के वलए मोबाइल ऐप का उपयोग वकया।
• खातिय ं क दू र करना: ईसीआई चुनाि अवभयानों में धमय या जावत के उपयोग पर प्रवतबंध को िावमल करने के प्रािधानों को अद्यतन
करके आदिय आचार संवहता की खावमयों को दू र कर सकता है ।
o उदाहरण के वलए, 2019 के लोकसभा चुनािों में, ECI ने राजनीवतक दलों को राजनीवतक प्रचार के वलए सिस्त्र बलों का उपयोग
करने से परहे ज करने के वलए वदिावनदे ि जारी वकए।
• जागरूकिा अतभयान: ईसीआई मतदाताओं और राजनीवतक दलों को आदिय आचार संवहता और उसके प्रािधानों के बारे में विवक्षत
करने के वलए जागरूकता अवभयान िुरू कर सकता है ।
o उदाहरण के वलए, 2019 के लोकसभा चु नािों में, ECI ने मतदाताओं की भागीदारी को प्रोत्सावहत करने और नैवतक मतदान को बढ़ािा
दे ने के वलए "SVEEP" नामक एक मतदाता जागरूकता अवभयान िुरू वकया।
• नागररक ििाज के िाथ िहय ग: ईसीआई चुनाि अवभयानों की वनगरानी करने और आदिय आचार संवहता के उल्लंघन की ररपोटय करने
के वलए नागररक समाज संगठनों के साथ सहयोग कर सकता है ।
o उदाहरण के वलए, 2019 के लोकसभा चुनािों में, ECI ने चु नाि अवभयानों की वनगरानी करने और संवहता के उल्लंघन की ररपोटय करने
के वलए नेिनल इलेक्शन िॉच के साथ सहयोग वकया।
चु न ाि फं तडं ग
• पररभाषा: िह प्रविया वजसके द्वारा राजनीवतक दल मतदाताओं तक पहुं चने सवहत अपने अवभयानों और गवतविवधयों के वलए धन जुटाते
हैं , चुनािी फंवडं ग के रूप में जानी जाती है । आतंकिाद का समथयन करने या वहं सक विरोध प्रदियन भडकाने जैसे उद्दे श्यों के वलए चुनािी
बां ड के माध्यम से प्राप्त धन के संभावित दु रुपयोग के बारे में सुप्रीम कोटय ने वचंता जताई है ।
• फंतडं ग के स्र ि: भारत में राजनीवतक दल विवभन्न स्रोतों से धन जुटाते हैं , वजसमें व्यक्तक्तयों, कंपवनयों और अन्य संगठनों से दान िावमल है ।
उन्ें चुनाि संबंधी खचों के वलए सरकार से धन भी वमलता है ।
• िाितजतनक धन: सरकार राजनीवतक दलों को चुनाि से संबंवधत खचों के वलए धन प्रदान करती है । साियजवनक वनवध में दो प्रकार की वनवध
होती है , अथाय त्:
o डायरे क्ट फंतडं ग: इसमें सरकार सीधे तौर पर राजनीवतक पावटय यों को फंवडं ग करती है । भारत में कर के माध्यम से प्रत्यक्ष वनिेि
प्रवतबंवधत है ।
o अप्रत्यक्ष फंतडं ग: इसमें सरकार राजनीवतक दलों को राज्य के स्वावमत्व िाले मीवडया पर मुफ्त एयरटाइम जैसी सुविधाएं प्रदान करती
है ।
RPA (आरपीए) के प्रािधान
• धारा 29बी: पावटय यों को सरकारी कंपनी को छोडकर वकसी भी व्यक्तक्त/कंपनी से स्वैक्तच्छक योगदान स्वीकार करना होगा।
• धारा 29िी: राजनीवतक दल ईसीआई को एक ररपोटय सौंपकर 20,000 रुपये से अवधक के दान की घोषणा करते हैं । ऐसा करने में
विफलता आयकर अवधवनयम, 1961 के तहत कर राहत के वलए अयोग्य है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• पारदतशतिा चुनौतियााँ: भारतीय राजनीवतक फंवडं ग प्रणाली में पारदवियता का अभाि है , वजससे पावटय यों और उम्मीदिारों को जिाबदे ह
बनाए रखना चु नौतीपूणय हो गया है । दान की उत्पवत्त को लेकर अवनवितता बनी हुई है , कई योगदान गुमनाम रूप से वकए गए हैं ।
• बढिा अतभयान खचत: भारत में चुनाि महं गे हैं , वजससे राजनीवतक दलों और उम्मीदिारों को प्रचार के वलए पयाय प्त धन इकट्ठा करने की
आिश्यकता होती है । इसके पररणामस्वरूप संपन्न दानदाताओं का प्रभाि बढ़ सकता है और राजनीवतक गवतविवधयों को वित्तपोवषत करने
के वलए गैरकानूनी साधन अपनाए जा सकते हैं ।
• िीतिि िाितजतनक फंतडं ग: हालाँ वक सरकार चुनाि-संबंधी खचों के वलए कुछ फंवडं ग प्रदान करती है , लेवकन उपलब्ध साियजवनक फंवडं ग
की मात्रा सीवमत है । नतीजतन, राजनीवतक दल और उम्मीदिार वनजी दान पर भरोसा करते हैं , वजससे संभावित रूप से धनी दानदाताओं
का प्रभाि बढ़ जाता है ।
आगे की राह:
• तडतजटल लेनदे न: पारदवियता बढ़ाने और अिैध फंवडं ग के प्रभाि को कम करने के वलए राजनीवतक चंदे के वलए वडवजटल लेनदे न में पूणय
बदलाि लागू करना।
• गुिनाि दान क िीतिि करना: संभावित कॉपोरे ट-राजनीवतक सां ठगां ठ पर अंकुि लगाने के वलए गुमनाम दान को अवधकतम 20%
तक सीवमत करना।
• आरटीआई के िाध्यि िे पारदतशतिा: राजनीवतक दलों को उनके कामकाज में पारदवियता सुवनवित करने के वलए, भूटान और जमयनी
की प्रथाओं के समान, सूचना का अवधकार (आरटीआई) अवधवनयम के दायरे में लाना।
• राष्टरीय चुनािी क ष: एक रािरीय चुनािी कोष की स्थापना करना जहां दानकताय योगदान करते हैं , और वपछले चुनािों में उनके प्रदियन के
आधार पर पावटय यों के बीच धन वितररत वकया जाता है ।
• चुनाि ं का राज्य तित्त प षर्: इसमें िावमल उच्च लागतों को ध्यान में रखते हुए, चु नािों के राज्य वित्त पोषण के वलए दू सरे प्रिासवनक
सुधार आयोग (वद्वतीय एआरसी) की वसफाररि की खोज करना।
• राजनीतिक दल ं पर व्यय िीिा: राजनीवतक दलों के व्यय पर सीमा लगाना, व्यक्तक्तगत उम्मीदिारों के वलए अवधकतम वनधाय ररत सीमा के
आधे और मैदान में उतारे गए उम्मीदिारों की कुल संख्या के गुणन के रूप में गणना की जाती है ।
चु न ाि कानू न (िं श धन) अतधतनयि, 2021
• आधार (ADHAAR) क ििदािा पहचान पत्र के िाथ अद्यिन करना: वनिाय चक पंजीकरण अवधकारी "मतदाता सूची प्रविवियों के
प्रमाणीकरण के प्रयोजनों के वलए पहले से ही मतदाता सूची में िावमल व्यक्तक्तयों" से आधार संख्या का अनुरोध करें गे।
o इसके अलािा, एक ही वनिाय चन क्षेत्र की मतदाता सूची में एक ही व्यक्तक्त का नाम एक से अवधक या एक ही वनिाय चन क्षेत्र में कई बार
दजय होने की पहचान करना।
• आधार डे टा क स्वेच्छा िे ििदािा िूची िे तलंक करें : संिोधन कानून में कहा गया है वक मतदाता सूची में नाम िावमल करने के वलए
वकसी भी आिेदन को अस्वीकार नही ं वकया जाएगा, और यवद कोई व्यक्तक्त मतदाता सूची दे ने या सूवचत करने में असमथय है , तो मतदाता
सूची में कोई भी प्रविवि नही ं वमटाई जाएगी। आधार संख्या ऐसे पयाय प्त कारण से, जो वनधायररत वकया जा सकता है ।
o ऐसे व्यक्तक्तयों को कोई भी अवतररक्त दस्तािेज़ प्रदान करने की अनुमवत होगी वजसकी आिश्यकता हो सकती है ।
• जन प्रतितनतधत्व अतधतनयि, 1950 और 1951 िें िंश धन: जन प्रवतवनवधत्व अवधवनयम, 1950 और 1951 में कई पहलुओं में बदलाि
वकया जाएगा।
o "विवभन्न स्थानों में एक ही व्यक्तक्त के कई नामां कन के खतरे को रोकने" के वलए आधार पाररक्तस्थवतकी तंत्र के साथ चुनािी रवजस्टर
डे टा के कनेक्शन की अनुमवत दे ने के वलए आरपी अवधवनयम 1950 की धारा 23 में बदलाि वकया जाएगा।
o आरपी अवधवनयम 1950 की धारा 14 पात्र मतदाताओं को मतदाता के रूप में पं जीकृत होने के वलए चार "योग्य" वदनों का प्रािधान
करती है ।
अतधतनयि का िहत्व
• आधार को मतदाता सूची से जोडने से चुनािी डे टाबेस प्रिासन में सबसे बडी चुनौवतयों में से एक कम हो जाएगी, जो विवभन्न स्थानों पर एक
ही व्यक्तक्त का एकावधक नामां कन है ।
o ऐसा मतदाताओं के बार-बार पते बदलने और वपछले नामां कन को हटाए वबना नए स्थान पर नामां कन करने के कारण हो सकता है ।
• तदखािटी ििदान क र कना: सरकार का लक्ष्य अिैध मतदान को रोकना है ।
• ििदािा िूची क िाफ करें : यह मतदाता सूची को साफ करने और उस स्थान पर मतदाता पंजीकरण की सुविधा प्रदान करने में सहायता
करे गा जहां िे "आमतौर पर रहते हैं ।"
• क ई द हराि नही ं है: वजन मतदाताओं के नाम एक से अवधक मतदाता सूची में या एक से अवधक बार एक ही मतदाता सूची में हैं , उन्ें
हटाया जा सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o ि ट-खरीदना: मतदाताओं की हे राफेरी के प्रवत संिेदनिीलता और िोट खरीदने की प्रथा लोकतां वत्रक प्रविया को कमजोर करती
है । उदाहरण: ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां राजनेता चु नाि की अखंडता से समझौता करते हुए मतदाताओं की पसंद को प्रभावित
करने के वलए धन, उपहार या अन्य प्रोत्साहन वितररत करते हैं ।
• तनिातचन आय ग:
• तििाि की किी: सत्ताधारी पाटी के उम्मीदिारों के क्तखलाफ विलंवबत कारय िाई और आदिय आचार संवहता का खुला उल्लंघन, भारत के
चुनाि आयोग (ईसीआई) में जनता के विश्वास को कम करता है । उदाहरण: जब ईसीआई संवहता का उल्लंघन करने िाले राजनेताओं के
क्तखलाफ त्वररत और वनणाय यक कारय िाई करने में विफल रहता है , तो यह संस्था की विश्वसनीयता को कमजोर करता है और इसकी
प्रभाििीलता पर सिाल उठाता है ।
• बुतनयादी ढांचे की किी: अपयायप्त संसाधन और बुवनयादी ढां चे चुनािी वनयमों की प्रभािी ढं ग से वनगरानी और अनुपालन सुवनवित करने
की ईसीआई की क्षमता में बाधा डालते हैं । उदाहरण: सीवमत जनिक्तक्त, तकनीकी संसाधन और लॉवजक्तस्टक चुनौवतयाँ ईसीआई के वलए
अवभयान गवतविवधयों की व्यापक वनगरानी करना और चुनाि वनयमों को लागू करना मुक्तिल बना सकती हैं ।
• िीतिि शद्धियााँ: लोक प्रवतवनवधत्व अवधवनयम की धारा 8 के तहत, ईसीआई के पास दोषवसक्तद् से पहले उम्मीदिारों को अयोग्य घोवषत
करने की िक्तक्त का अभाि है । उदाहरण: भले ही वकसी उम्मीदिार के क्तखलाफ सबूत हों या आपरावधक कदाचार के आरोप हों, ईसीआई
के पास दोष वसद् होने तक उन्ें चुनाि लडने से अयोग्य घोवषत करने का अवधकार नही ं हो सकता है ।
• कि िजा दर: सां सदों और विधायकों के क्तखलाफ आपरावधक मामलों में कम सजा दर दण्ड से मुक्तक्त की धारणा पैदा करती है और
राजनीवत में आपरावधक पृष्ठभूवम िाले व्यक्तक्तयों के प्रिेि को प्रोत्सावहत करती है । उदाहरण: केंद्र सरकार के आं कडों से पता चलता है वक
सां सदों और विधायकों के क्तखलाफ आपरावधक मामलों में सजा की दर केिल 6% है , जो भारतीय दं ड संवहता के तहत रािरीय औसत सजा
दर 46% से काफी कम है ।
राजनीति के अपराधीकरर् के पररर्ाि:
• िंिद की तिििनीयिा कि हुई: आपरावधक कानून वनमाय ता विधायी गुणित्ता को कमजोर करते हैं और संस्थानों में जनता का विश्वास
कम करते हैं ।
• िीतिि ििदािा तिकि: आपरावधक उम्मीदिार स्वतंत्र और वनष्पक्ष चुनािों के विपरीत, विकिों को प्रवतबंवधत करते हैं ।
• भ्रष्टाचार का प्रजनन स्थल: धन का प्रिाह वित्तीय और बाहुबल के प्रभुत्व िाले कलंवकत लोकतंत्र को बढ़ािा दे ता है ।
• खराब शािन प्रभाि: घवटया कानून, बवहष्करणीय नीवतयां और भ्रिाचार साियजवनक सेिा वितरण में बाधा डालते हैं ।
• िािातजक िद्भाि क तबगाडना: आपरावधक राजनेता वहं सा की संस्कृवत को बढ़ािा दे कर नकारात्मक भूवमका मॉडल स्थावपत करते हैं ।
• न्यातयक आस्था ििाल ं के घेरे िें: राजनीवतक हे रफेर वनष्पक्ष न्यायपावलका की स्वतंत्रता पर संदेह पैदा करता है ।
िुप्रीि क टत द्वारा उठाए गए कदि:
तनर्तय िहत्त्व
1997 का फैसला • पीओसीए, 1988 के तहत दोषी ठहराए जाने और कारािास की सजा सुनाए जाने पर अपील
पर वकसी व्यक्तक्त की दोषवसक्तद् को वनलंवबत नही ं करना।
एडीआर बनाम यूओआई, 2002 • चुनाि लडने िाले उम्मीदिार को लंवबत आपरावधक दोषवसक्तद् का खुलासा करना होगा
वलली थॉमस बनाम यूओआई, 2013 • 2 साल की जेल की सजा पर दोषी ठहराए जाने पर सां सद और विधायक की स्वत:
अयोग्यता।
पीपुल्स यूवनयन फॉर वसविल वलबटीज • राजनीवतक दलों पर नैवतक दबाि डालने के वलए नकारात्मक िोट यानी नोटा का अवधकार
बनाम यूओआई मामला, 2014
जनवहत फाउं डेिन बनाम यूओआई, • सां सद और विधायक मामलों की लंवबत सुनिाई 1 िषय के भीतर पूरी करें
2014
लोक प्रहरी बनाम यूओआई मामला 2018 • राजनीवतक उम्मीदिारों के साथ-साथ उनके आवश्तों और सहयोवगयों की आय के स्रोत का
अवनिायय खुलासा।
जनवहत फाउं डेिन केस 2018 • चुनाि आयोग और राजनीवतक दलों के माध्यम से उम्मीदिारों के क्तखलाफ लंवबत
आपरावधक मामलों का खुलासा करें और विवभन्न मीवडया के माध्यम से इसका प्रचार करें ।
पक्तिक इं टरे स्ट फाउं डेिन और अन्य। • राजनीवतक दलों के वलए उम्मीदिारों के क्तखलाफ लंवबत आपरावधक मामलों का वििरण
बनाम भारत संघ एिं अन्य. 2020 और उन्ें दू सरों के मुकाबले चुनने के कारणों को प्रकावित करना अवनिायय है
चुनाि आय ग द्वारा उठाए गए कदि:
उठाए गए कदि िहत्त्व
1997: ररटवनंग अवधकारी नामांकन पत्र दाक्तखल करने के वदन मतदाता जागरूकता अवभयान स्वीप जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं और
दोषी पाए गए उम्मीदिारों के नामां कन को अस्वीकार कर दें गे, अपना िोट न बेचने का संदेि फैलाने के वलए मिूर हक्तस्तयों का उपयोग
भले ही उनकी सजा वनलंवबत कर दी गई हो। करते हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
चुनाि के दौरान काला धन पकडने के वलए उडनदस्ते उम्मीदिारों को एक हलफनामा दे ना होगा वजसमें आपरावधक पृष्ठभूवम,
उनकी संपवत्त, दे नदाररयां और िैवक्षक योग्यता के बारे में जानकारी होगी।
आगे की राह:
• तितध आय ग: आरपीए, 1951 की वनम्नवलक्तखत धाराओं में संिोधन:
o अय ग्यिा का आधार: धारा 125A - धारा 8(1) के तहत अयोग्यता के आधार के रूप में दोषवसक्तद्।
o झूठा हलफनािा: धारा 125A - झूठा हलफनामा दाक्तखल करने पर न्यूनतम दो साल की सजा।
o भ्रष्ट आचरर्: धारा 123 - झूठा हलफनामा दायर करना भ्रि आचरण के रूप में िावमल करें ।
• चुनाि लडने पर र क: पां च साल से अवधक की सजा िाले अपराधों के आरोपी व्यक्तक्तयों को चुनाि लडने से रोकना।
• ििय पर परीक्षर् और अय ग्यिा: एक िषय के भीतर परीक्षण पूरा करें और एक िषय के बाद स्वचावलत अयोग्यता।
• राज्य तित्त प षर्: वदनेि गोस्वामी और इं द्रजीत सवमवत की वसफाररि के अनुसार, चुनािों के वलए राज्य वित्त पोषण का कायाय न्वयन।
• िापि बुलाने का अतधकार: मतदाताओं को काम न करने िाले वनिाय वचत प्रवतवनवधयों को िापस बुलाने की िक्तक्त प्रदान करना।
• ईिीआई क िजबूि बनाना: ईसीआई को जां च के वलए मामलों को संदवभयत करने, आरपीए के तहत अवभयोजन िक्तक्त का प्रयोग करने
और आरपीए अपराधों के वलए वििेष अदालतें वनयुक्त करने के वलए सिक्त बनाना।
िापि बु ल ाने का अतधकार:
• यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक उपकरण है वजसके तहत मतदाताओं के पास वनिाय वचत अवधकाररयों को उनके काययकाल की समाक्तप्त से पहले
हटाने की िक्तक्त होती है ।
• प्रतिया: मतदाताओं के वििेष प्रवतित (आमतौर पर 50%) को वलक्तखत में दे ना होगा वक उन्ें काययिाही िुरू करनी है । इसके बाद गुप्त
मतदान होता है । यवद इसे एक वनवदय ि सीमा (आमतौर पर 2/3 िोट) प्राप्त होती है तो व्यक्तक्त को उसके पद से हटा वदया जाता है ।
लाभ:
• ल किंत्र क िजबू ि करें : स्वतं त्र और वनष्पक्ष चुनाि नागररक का अवधकार है । यवद कोई प्रवतवनवध वकसी भी कारण से जनता का समथयन
खो दे ता है तो उसे हटा दे ना चावहए।
• जिाबदे ही बढिी है: इससे प्रवतवनवधयों की अवधक जिाबदे ही भी सुवनवित होगी जो लोकतंत्र की सच्ची इमारत है ।
• राजनीति के अपराधीकरर् पर र क: िापस बुलाने का अवधकार भ्रिाचार पर एक महत्वपूणय रोक के रूप में कायय करे गा और आपरावधक
उम्मीदिारों को चुनाि लडने से हतोत्सावहत करे गा।
• चुनाि खचत कि करिा है: नैवतक रूप से कमजोर उम्मीदिार िापस बुलाए जाने के डर से अवभयान खचय सीवमत कर दें गे।
• िेिाओं की बेहिर पहुाँच: गैर-प्रदियन िापस बुलाने के अवधकार का उपयोग करने का प्राथवमक मानदं ड है , चु नािी िादे प्रवतवनवध द्वारा
पूरे वकए जाएं गे।
चुनौतियााँ:
• अस्पष्ट िानदं ड: उम्मीदिार के प्रदियन से मतदाताओं का असंतोष जैसे मानदं ड अस्पि हैं और िास्तविक उम्मीदिार के क्तखलाफ
राजनीवतक दु रुपयोग के वलए मानदं ड प्रदान करते हैं ।
• अद्धस्थर िरकार: इससे लगातार राजनीवतक उथल-पुथल की क्तस्थवत पैदा हो सकती है और राजनेता लोगों के वलए काम करने के बजाय
सीटें बचाने पर ध्यान केंवद्रत करें गे।
• बार-बार चुनाि: इससे अत्यवधक खचय हो सकता है और मतदाताओं में थकान पैदा हो सकती है, वजससे मतदान प्रवतित कम हो सकता
है ।
• अलाभकारी तनर्तय: लगातार जाँ च उसे कठोर और अलोकवप्रय वनणयय लेने से रोकेगी। साथ ही, काययकाल की सुरक्षा की कमी से
दीघयकावलक सुधारों की तुलना में अिकावलक योजनाओं को बढ़ािा वमलेगा।
• व्यिहायतिा: हस्ताक्षरों की प्रामावणकता का सत्यापन और यह जां चना वक क्ा िे हस्ताक्षर स्वतंत्र सहमवत से वदए गए थे या दबाि के तहत
वदए गए थे, एक बहुत मुक्तिल काम है ।
• िंिाधन ं की बबातदी: चुनाि आयोग पर अवतररक्त बोझ और जनिक्तक्त, समय, धन आवद जैसे संसाधनों पर अनुवचत दबाि।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
पातटत य ं की ल किांतत्रक कायतप्रर्ाली की किी िुख्य रूप िे द िूलभूि पहलुओ ं िें प्रकट ह िी है:
1. खुली और ििािेशी प्रतिया नही ं: पावटय यों के नेतृत्व और संरचना को वनधाय ररत करने की प्रविया पूरी तरह से खुली और समािेिी नही ं
है । यह सभी नागररकों के राजनीवत में भाग लेने और चुनाि लडने के समान राजनीवतक अिसर के संिैधावनक अवधकार पर प्रवतकूल प्रभाि
डालता है ।
2. कािकाज का केंद्रीकृि िरीका: राजनीवतक दलों के कामकाज का केंद्रीकृत तरीका और 1985 का सख्त दल-बदल विरोधी कानून पाटी
विधायकों को उनकी व्यक्तक्तगत प्राथवमकताओं के अनुसार रािरीय और राज्य विधानसभाओं में मतदान करने से रोकता है ।
राजनीतिक दल ं िें ल किंत्र की आिश्यकिा:
• प्रतितनतधत्व: अंतर-पाटी लोकतंत्र की अनुपक्तस्थवत ने राजनीवतक दलों को बंद वनरं कुि संरचना बनने में योगदान वदया है । यह सभी
नागररकों के राजनीवत में भाग लेने और चुनाि लडने के समान राजनीवतक अिसर के संिैधावनक अवधकार पर प्रवतकूल प्रभाि डालता है ।
• पारदतशतिा: पारदिी प्रवियाओं के साथ एक पारदिी पाटी संरचना उवचत वटकट वितरण और उम्मीदिार चयन की अनुमवत दे गी। चयन
पाटी के कुछ िक्तक्तिाली नेताओं की इच्छा पर आधाररत नही ं होगा बक्तल्क बडी पाटी की पसंद का प्रवतवनवधत्व करे गा।
• जिाबदे ही: एक डे मोिेवटक पाटी अपने पाटी सदस्यों के प्रवत जिाबदे ह होगी, क्ोंवक िे अपनी कवमयों के कारण अगले चि में चुनाि हार
जाएं गे।
• ित्ता का तिकेंद्रीकरर्: प्रत्येक राजनीवतक दल के पास राज्य और स्थानीय वनकाय इकाइयाँ होती हैं, प्रत्येक स्तर पर चुनाि होने से विवभन्न
स्तरों पर सत्ता केंद्रों का वनमाय ण हो सकेगा। इससे सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सकेगा और वनणयय जमीनी स्तर पर होंगे।
• राजनीति का अपराधीकरर्: चूंवक चुनाि से पहले उम्मीदिारों को वटकट वितरण के वलए कोई अच्छी तरह से पररभावषत प्रविया नही ं है ,
इसवलए जीतने की क्षमता की अस्पि अिधारणा पर उम्मीदिारों को वटकट वदए जाते हैं । इससे चुनाि लडने िाले आपरावधक पृष्ठभूवम िाले
उम्मीदिारों के वलए एक अवतररक्त समस्या पैदा हो गई है ।
ल किंत्र की किी के कारर्:
• िंशिाद की राजनीति: अंतर-पाटी लोकतंत्र की कमी ने भी राजनीवतक दलों में बढ़ते भाई-भतीजािाद में योगदान वदया है । पाटी के िररष्ठ
नेताओं द्वारा अपने ररश्तेदारों को चुनाि में उतारने के साथ, "पाररिाररक" वनिाय चन क्षेत्रों के वलए उत्तरावधकार की योजनाएँ बनाई जा रही
हैं ।
• राजनीतिक दल ं की केंद्रीकृि िंरचना: राजनीवतक दलों के कामकाज का केंद्रीकृत तरीका और 1985 का सख्त दल-बदल विरोधी
कानून पाटी विधायकों को उनकी व्यक्तक्तगत प्राथवमकताओं के अनुसार रािरीय और राज्य विधानसभाओं में मतदान करने से रोकता है।
• कानू न का अभाि: ितयमान में, भारत में राजनीवतक दलों के आं तररक लोकतांवत्रक विवनयमन के वलए कोई स्पि प्रािधान नही ं है और
एकमात्र िासी कानून जन प्रवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951 की धारा 29 A द्वारा प्रदान वकया गया है जो राजनीवतक दलों के पंजीकरण का
प्रािधान करता है । हालाँ वक, वकसी भी दं डात्मक प्रािधान के अभाि में पावटय यों को पदावधकाररयों और उम्मीदिारों के चयन के वलए वनयवमत
आं तररक चुनाि कराने की ईसीआई की िक्तक्त से समझौता वकया जाता है ।
• व्यद्धित्व पंथ: लोगों में नायक पू जा की प्रिृवत्त होती है और कई बार एक नेता पाटी पर कब्जा कर लेता है और अपनी मंडली बना ले ता है ,
वजससे सभी प्रकार के अंतर-पाटी लोकतंत्र समाप्त हो जाते हैं । उदाहरण के वलए, माओत्से तुंग ने पीपुल्स ररपक्तिक ऑफ चाइना आवद पर
कब्जा कर वलया।
• आं िररक चुनाि ं क नष्ट करना आिान: सत्ता को मजबूत करने और यथाक्तस्थवत बनाए रखने के वलए आं तररक संस्थागत प्रवियाओं को
नि करने के वलए िक्तक्त के मौजूदा भंडार की क्षमता वनवियिाद है ।
अनु शंिाएाँ :
• तदनेश ग स्वािी ितिति: वदनेि गोस्वामी सवमवत, तारकुंडे सवमवत और इं द्रजीत गुप्ता सवमवत जैसी सवमवतयों ने दे ि में राजनीवतक दलों
के अवधक पारदिी कामकाज के वलए दृढ़ता से तकय वदया है ।
• 1999 तितध आय ग की ररप टत : राजनीवतक दलों की आं तररक संरचनाओं और आं तररक पाटी लोकतंत्र को वनयंवत्रत करने के वलए एक
वनयामक ढां चे की िुरुआत की वसफाररि की गई।
• राजनीतिक दल (पंजीकरर् और िािल ं का तितनयिन) अतधतनयि, 2011 का ििौदा: इसे केंद्रीय कानून मंत्रालय को प्रस्तुत वकया
गया था। मसौदे में प्रत्येक राजनीवतक दल के वलए एक काययकारी सवमवत के वनमाय ण की पररकिना की गई थी वजसके सदस्यों का चुनाि
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
पाटी की राज्य इकाइयों की स्थानीय सवमवतयों के सदस्यों द्वारा वकया जाएगा। बदले में, बाद िाला कोई नामां कन स्वीकार वकए वबना, अपने
बीच से पाटी के पदावधकाररयों का चुनाि करे गा।
• दू िरी ARC ररप टत : प्रिासवनक सुधार आयोग (एआरसी) की 2008 की नैवतकता और िासन ररपोटय में बताया गया है वक भ्रिाचार अवत-
केंद्रीकरण के कारण होता है क्ोंवक लोगों द्वारा वजतनी अवधक दू रस्थ िक्तक्त का प्रयोग वकया जाता है , अवधकार और जिाबदे ही के बीच
की दू री उतनी ही अवधक होती है।
• NCRWC ररप टत : संविधान के कामकाज की समीक्षा के वलए रािरीय आयोग का कहना है वक भारत में राजनीवतक दलों या पावटय यों के
गठबंधन के पंजीकरण और कामकाज को विवनयवमत करने के वलए व्यापक कानून होना चावहए।
आगे की राह:
• दल-बदल तिर धी कानून िें िंश धन करके तिधायक ं के तलए स्विंत्रिा: 1985 के दल-बदल विरोधी अवधवनयम के तहत पाटी
विधायकों को पाटी क्तिप के अनुसार कायय करने की आिश्यकता होती है जो सिोच्च पाटी नेतृत्व के वनदे िों द्वारा तय वकया जाता है ।
राजनीवतक दलों को लोकतां वत्रक बनाने का एक तरीका अंतर-पाटी असंतोष को बढ़ािा दे ना है । दल-बदल विरोधी कानून केिल सदस्यों
की अयोग्यता तक सीवमत हो सकता है यवद िे अविश्वास प्रस्ताि जैसी महत्वपूणय घटनाओं के दौरान अपनी पाटी के क्तिप के क्तखलाफ
मतदान करते हैं ।
• तित्तीय पारदतशतिा: सभी राजनीवतक दलों के वलए वनधाय ररत समय सीमा के भीतर अपने व्यय का वििरण ईसीआई को प्रस्तुत करना
अवनिायय बनाया जाना चावहए।
• प्रतितनतधत्व: मवहलाओं और अन्य वपछडे िगों के वलए आरक्षण दे कर प्रवतवनवधत्व बढ़ाया जा सकता है ।
• भारि के चुनाि आय ग (ईिीआई) क िशि बनाना: ईसीआई चुनाि की आिश्यकता िाले वकसी भी प्रािधान के गैर-अनुपालन के
आरोपों की जां च करने में सक्षम होगा।
• गैर-अनुपालन के तलए दं ड: ईसीआई के पास वकसी पाटी का पंजीकरण रद्द करने की दं डात्मक िक्तक्त होनी चावहए जब तक वक पाटी में
स्वतंत्र और वनष्पक्ष चुनाि नही ं हो जाते।
तनष्कषत:
• राजनीवतक दल लोकतंत्र में िासन के लीिर को वनयंवत्रत करते हैं । इसवलए आं तररक-पाटी लोकतंत्र के वलए अकाट्य चु नािी मां गों से उत्पन्न
होने िाली मजबूत राजनीवतक इच्छािक्तक्त ही भारत को अपने राजनीवतक दलों को लोकतां वत्रक बनाने की प्रविया की ओर ले जा सकती
है । वित्तीय और चुनािी जिाबदे ही को बढ़ािा दे ने, भ्रिाचार को कम करने और पूरे दे ि की लोकतां वत्रक काययप्रणाली में सुधार करने के वलए
राजनीवतक दलों के भीतर आं तररक लोकतंत्र और पारदवियता का पररचय दे ना महत्वपूणय है ।
1. इलेक्टरॉवनक िोवटं ग मिीनों (ईिीएम) के उपयोग के संबंध में हावलया वििाद के आलोक में, भारत में चुनािों की विश्वसनीयता सुवनवित करने
के वलए भारतीय चुनाि आयोग के सामने क्ा चुनौवतयाँ हैं ? (2018)
2. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाि से चुनाि प्रचार में खचय होने िाले समय और धन की मात्रा सीवमत हो जाएगी लेवकन
इससे लोगों के प्रवत सरकार की जिाबदे ही कम हो जाएगी। (2017)
3. भारत में लोकतंत्र की गुणित्ता बढ़ाने के वलए भारत के चुनाि आयोग ने 2016 में चु नाि सुधारों का प्रस्ताि रखा है । सुझाए गए सुधार क्ा
हैं और िे लोकतंत्र को सफल बनाने के वलए वकतने महत्वपूणय हैं ? (2016)
149
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
19. पररिीिन आय ग
पृ ष्ठ भू त ि
• भारत में पररसीमन आयोग एक िैधावनक वनकाय है , जो चुनाि के उद्दे श्य से दे ि में विवभन्न वनिाय चन क्षेत्रों की सीमाओं का वनधाय रण करने
के वलए वजम्मेदार है ।
• विवभन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच उवचत प्रवतवनवधत्व और राजनीवतक िक्तक्त का समान वितरण सुवनवित करने के वलए आयोग का गठन
वकया गया है ।
• पररसीमन आयोग भारत के रािरपवत द्वारा वनयुक्त वकया जाता है और 2002 के पररसीमन अवधवनयम के तहत संचावलत होता है ।
• आयोग का प्राथवमक उद्दे श्य जनसंख्या पररितयन के आधार पर संसदीय और विधानसभा वनिाय चन क्षेत्रों की सीमाओं को वफर से वनधाय ररत
करना है ।
िं ि ै ध ातनक प्रािधान
• अनुच्छेद 81: प्रत्येक राज्य और केंद्रिावसत प्रदे ि को लोकसभा में सीटें इस तरह आिंवटत की जाएं गी वक सभी राज्यों में जनसंख्या और
सीटों का अनुपात यथासंभि बराबर हो।
• अनुच्छेद 82: पररसीमन आयोग अवधवनयम के तहत भारत सरकार द्वारा स्थावपत पररसीमन आयोग द्वारा प्रत्येक जनगणना के बाद संसदीय
वनिाय चन क्षेत्रों का पररसीमन वकया जाता है ।
• अनुच्छेद 170: प्रत्येक जनगणना के बाद पररसीमन अवधवनयम के अनुसार राज्य क्षेत्रीय वनिाय चन क्षेत्रों में विभावजत हो जाते हैं ।
• 84िां िंिैधातनक िंश धन अतधतनयि: 2026 तक पररसीमन पर रोक।
o कारर्: पररिार वनयोजन और जनसंख्या क्तस्थरीकरण उद्दे श्य।
o तनतहिाथत: वनिाय चन क्षेत्रों में असमान प्रवतवनवधत्व के कारण अनुच्छेद 81 का उल्लंघन।
पररिीिन आय ग
• तनयुद्धि: भारत में पररसीमन आयोग की वनयुक्तक्त रािरपवत द्वारा की जाती है और यह भारत के चुनाि आयोग (ईसीआई) के सहयोग से
काम करता है ।
• िंरचना: इसमें एक सेिावनिृ त्त सुप्रीम कोटय का न्यायाधीि, मुख्य चुनाि आयुक्त और संबंवधत राज्य चुनाि आयुक्त िावमल हैं ।
• अतिररि िदस्य: सहयोगी सदस्यों द्वारा सहायता प्राप्त, जो संबंवधत राज्यों की संसदों और विधानसभाओं के प्रवतवनवध हैं वजनके वलए
आयोग की स्थापना की गई थी।
• प्रातधकरर्: यह एक उच्च िक्तक्त प्राप्त वनकाय है वजसके आदे िों में कानून का बल है और इसे अदालत में चुनौती नही ं दी जा सकती है ।
• ररप तटं ग: आयोग के आदे ि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के समक्ष प्रस्तुत वकए जाते हैं , लेवकन संिोधन की अनुमवत नही ं है ।
पररिीिन आय ग के कायत
• िीिा तनधातरर्: वनिाय चन क्षेत्रों की सीमा और संख्या वनधाय ररत करता है , वजससे उनके बीच जनसं ख्या समानता सुवनवित होती है ।
• क्षेत्रीय तनिातचन क्षेत्र ं के प्रतितनतधत्व क पु नः ििाय तजि करना: निीनतम जनसं ख्या जनगणना आं कडों के आधार पर लोकसभा
(लोगों का सदन) और विधान सभाओं में क्षेत्रीय वनिाय चन क्षेत्रों के प्रवतवनवधत्व को पुनः समायोवजत करना।
• एििी/एिटी के तलए िीट आिंटन: महत्वपूणय एससी/एसटी आबादी िाले क्षेत्रों में अनुसूवचत जावत (एससी) और अनुसूवचत जनजावत
(एसटी) के वलए सीटों के आिंटन पर वनणयय लेता है (अनुच्छेद 330 और 332 के अनुसार)।
• बहुिि तनर्तय: आयोग के सदस्यों के बीच असहमवत के मामले में बहुमत वनणयय को अपनाता है ।
• तिफाररशें और िाितजतनक भागीदारी: भारत के राजपत्र, राज्य राजपत्रों और क्षेत्रीय मीवडया में मसौदा वसफाररिों को प्रकावित करता
है । आिश्यकतानुसार संिोधनों को िावमल करते हुए, जनता की राय पर विचार करने के वलए साियजवनक सुनिाई आयोवजत करता है ।
84 िां िं त िधान िं श धन अतधतनयि (2002)
• पररिीिन पर र क: 84िें संिोधन ने 2026 के बाद पहली जनगणना तक लोकसभा और राज्य विधानसभा सीटों के पररसीमन को रोक
वदया।
• उद्दे श्य एिं कारर्:
150
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o जनिंख्या द्धस्थरीकरर् के तलए: दे ि के विवभन्न वहस्सों में पररिार वनयोजन काययिमों की प्रगवत को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने
रािरीय जनसंख्या नीवत रणनीवत के वहस्से के रूप में, एक प्रेरक के रूप में नए वसरे से पररसीमन करने पर रोक को िषय 2026 तक
बढ़ाने का वनणयय वलया। राज्य सरकार को जनसंख्या क्तस्थरीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाने के उपाय।
o अिंिुलन दू र करने के तलए: विवभन्न वनिाय चन क्षेत्रों में जनसंख्या/मतदाताओं की असमान िृक्तद् के कारण उत्पन्न असंतुलन को दू र
करना।
o िषय 1991 की जनगणना में सुवनवित की गई जनसंख्या के आधार पर लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूवचत जावतयों
और अनुसूवचत जनजावतयों के वलए आरवक्षत सीटों की संख्या को वफर से तय करना।
पररिीिन आय ग का िहत्व
• ििोच्च प्रातधकारी: पररसीमन आयोग के वनणयय और वनदे ि अंवतम हैं और कानून या अदालतों द्वारा चुनौती योग्य नही ं हैं ।
• ििान प्रतितनतधत्व के तलए तजम्मेदार: आयोग लगभग समान जनसं ख्या वितरण सुवनवित करने के वलए वनिाय चन क्षेत्र की सीमाएँ और
संख्याएँ वनधाय ररत करता है । यह वनष्पक्ष प्रवतवनवधत्व सुवनवित करता है ।
• यह "एक िोट, एक मूल्" के वसद्ां त को कायम रखता है ।
• तनष्पक्ष क्षेत्रीय तििरर्: यह चु नाि में एक राजनीवतक दल को दू सरों से बेहतर प्रदियन करने से रोकने के वलए वनष्पक्ष क्षेत्रीय वितरण
सुवनवित करता है ।
• आरतक्षि िीट ं की पहचान करना: पररसीमन आयोग उन सीटों की पहचान करता है जो उन क्षेत्रों में अनुसूवचत जावत (एससी) और
अनुसूवचत जनजावत (एसटी) के वलए आरवक्षत हैं जहां इन समुदायों की महत्वपूणय आबादी है । इससे उनका पयाय प्त राजनीवतक प्रवतवनवधत्व
सुवनवित होता है ।
चु न ौतियां और िं श धन
• दतक्षर्ी राज्य ं की तचंिाएाँ : सफल जनसं ख्या वनयंत्रण उपायों और उच्च प्रवत व्यक्तक्त राजस्व सृजन के साथ दवक्षणी राज्यों को उत्तरी राज्यों
की तुलना में साथयक राजनीवतक प्रवतवनवधत्व खोने का डर था।
• ििातधकार िे िंतचि और आतथतक य गदान: केिल जनसं ख्या के आधार पर पररसीमन से आवथयक रूप से विकवसत दवक्षणी राज्य
राजनीवतक रूप से िंवचत हो जाएं गे, जबवक केंद्र सरकार को उनके आवथयक योगदान से लाभ वमलता रहे गा।
• िंश धन और स्थगन: इन वचंताओं को दू र करने के वलए, 1976 में आपातकालीन िासन के दौरान संविधान में संिोधन वकया गया, 2001
तक पररसीमन को वनलंवबत कर वदया गया। इसके बाद, एक समान जनसं ख्या vraddhi दर प्राप्त करने की आिा के साथ एक और
संिोधन ने इसे 2026 तक के वलए स्थवगत कर वदया,
• पररिीिन के अगले दौर िें आने िाली चुनौतियााँ:
o लोकसभा में सां सदों की संख्या के संबंध में राज्यों के बीच असमानता। ितयमान जनसां क्तख्यकी के अनुसार, उत्तर प्रदे ि जैसे राज्य में
तीन अंकों का प्रवतवनवधत्व होगा, जबवक पूिोत्तर के अवधकां ि राज्यों के वलए, संख्या एकिचन में होगी।
o एससी और एसटी के िहरी क्षेत्रों में बडे पैमाने पर प्रिास का मुद्दा, जहां उनकी संख्या इतनी वबखरी हुई है वक उनके वलए वनिाय चन
क्षेत्र आरवक्षत करना मुक्तिल हो जाता है ।
o इसमें प्रिासी मतदाताओं की बहुत बडी संख्या और िहरी और ग्रामीण वनिाय चन क्षेत्रों के बीच कुछ समानता को भी ध्यान में रखना
होगा।
पररिीिन आय ग की आल चना
• जनिंख्या तनयंत्रर् पूिात ग्रह: पररिार वनयोजन को बढ़ािा दे ने िाले राज्यों की सीटें कम होने का खतरा है , जबवक जनसंख्या वनयंत्रण पर
कम जोर दे ने िाले राज्यों को अवधक सीटें वमल सकती हैं ।
• पुराना िीट आिंटन: 2008 में वकया गया पररसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर वकया गया था, लेवकन सीटों की कुल सं ख्या 1971
के बाद से अपररिवतयत रही, वजससे जनसंख्या िृक्तद् और प्रवतवनवधत्व के बीच असमानता पैदा हो गई।
• िंिैधातनक िीट िीिाएाँ : क्ोंवक कम सीटें उपलब्ध हैं (लोकसभा के वलए 550 और राज्यसभा के वलए 250), कम प्रवतवनवध प्रभािी रूप
से बडी आबादी का प्रवतवनवधत्व कर सकते हैं ।
151
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• अििान प्रतितनतधत्व: वनवित सीट आिंटन और जनसं ख्या िृक्तद् से असमान प्रवतवनवधत्व होता है , वजससे बढ़ती आबादी की आिाज और
प्रभाि प्रभावित होता है ।
जम्मू - कश्मीर िें पररिीिन
• एकल केंद्र शातिि प्रदे श: पररसीमन आयोग ने पररसीमन प्रविया के वलए जम्मू और कश्मीर क्षे त्र को एकल केंद्र िावसत प्रदे ि के रूप
में माना।
• िंिदीय तनिातचन क्षेत्र का तनिातर्: पररणामस्वरूप, एक नया संसदीय वनिाय चन क्षेत्र बनाया गया।
• तिधायी ढांचा: जम्मू और कश्मीर पुनगयठन अवधवनयम, 2019 और पररसीमन अवधवनयम, 2002 ने पररसीमन प्रविया के वलए रूपरे खा
प्रदान की।
• ििािेलन और नई िीट: आयोग ने जम्मू सं भाग से राजौरी और पुंछ को कश्मीर क्षेत्र में अनंतनाग वनिाय चन क्षेत्र के साथ वमला वदया,
वजसके पररणामस्वरूप वकश्तिार-राजौरी नामक एक नई सीट का वनमाय ण हुआ।
• तिधानिभा िीटें : जम्मू और कश्मीर को दो वडिीजनों में विभावजत वकया गया है , वजसमें जम्मू में 37 विधानसभा सीटें और कश्मीर में 46
सीटें हैं । आयोग के अंवतम मसौदे में जम्मू के वलए अवतररक्त 6 सीटें (संिोवधत 43) और कश्मीर के वलए एक सीट आिंवटत की गई है ।
(संिोवधत 47).
आगे की राह
• राष्टरीय आि िहिति का तनिातर्: वहतधारकों के बीच रचनात्मक बातचीत के माध्यम से 2026 से पहले मुद्दों को संबोवधत करने के वलए
एक आम सहमवत अभ्यास िुरू करें ।
• एफिी अनु शंिा िें िेटेज कि करना: अवधक न्यायसंगत प्रवतवनवधत्व के वलए वित्त आयोग की गणना में जनसंख्या के िेटेज को 10% या
5% तक कम करने पर विचार करें ।
• तनिातचन क्षेत्र ं की िीिाओं का पुनतनतधातरर्: सीमाओं को वफर से वनधाय ररत करने, लोकसभा सीटों को 888 और राज्यसभा सीटों को
384 तक बढ़ाने, जनसंख्या िृक्तद् को समायोवजत करने और बेहतर प्रवतवनवधत्व सुवनवित करने के वलए 2011 की जनगणना के आं कडों
का उपयोग करें ।
तनष्कषत
• भारत का पररसीमन आयोग जनसंख्या डे टा के आधार पर चुनािी सीमाओं को वफर से पररभावषत करने में महत्वपूणय भूवमका वनभाता है ।
• हालाँ वक, सीट सीमा हटाने को 2026 तक स्थवगत करने से समान प्रवतवनवधत्व को लेकर वचंताएँ बढ़ गई हैं ।
• आिा है वक आयोग का भविष् का कायय इन वचंताओं को दू र करे गा और भारत में वनष्पक्ष और समािेिी राजनीवतक प्रवतवनवधत्व सुवनवित
करे गा।
152
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
कायत
• जांच: भाषाई अिसंख्यकों को प्रदान वकए गए सुरक्षा उपायों से संबंवधत मामलों की जां च करना।
• तशकायि तनिारर्: भाषाई अिसंख्यकों के वलए सुरक्षा उपायों से संबंवधत विकायतों के वलए अभ्यािेदन को संबोवधत करना।
• ररप तटं ग: भाषाई अिसंख्यकों के वलए संिैधावनक और रािरीय स्तर पर सहमत सुरक्षा उपायों के कायाय न्वयन की क्तस्थवत पर रािरपवत को
ररपोटय करें ।
• कायातन्वयन: संविधान और अन्य सहमत उपायों में भाषाई अिसंख्यकों के वलए प्रदान वकए गए सुरक्षा उपायों का प्रभािी कायायन्वयन
सुवनवित करें ।
• तनगरानी: कायाय न्वयन की वनगरानी के वलए प्रश्नािली, दौरे , सम्मेलन, सेवमनार, बैठकें और समीक्षा तंत्र का संचालन करें ।
• ििान अििर: भाषाई अिसं ख्यकों को समािेिी विकास और रािरीय एकता के वलए समान अिसर प्रदान करें ।
• जागरूकिा: भाषाई अिसंख्यकों के बीच उनके वलए उपलब्ध सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता फैलाना।
तनष्कषत
1. भाषाई अिसं ख्यकों के वलए वििेष अवधकारी भाषाई अिसं ख्यकों के अवधकारों की रक्षा करने, समािेविता को बढ़ािा दे ने और भारत
में रािरीय एकीकरण को बढ़ािा दे ने में महत्वपूणय भूवमका वनभाता है ।
153
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
पररचय
1. भारत के अटॉनी जनरल (एजीआई) भारत सरकार के सिोच्च कानूनी अवधकारी और मुख्य सलाहकार हैं ।
2. भारत के रािरपवत द्वारा वनयुक्त, अटॉनी जनरल कानू नी मामलों में सरकार का प्रवतवनवधत्व करता है , कानूनी सलाह प्रदान करता है , और
भारत के सिोच्च न्यायालय में सरकार का प्रवतवनवधत्व करता है ।
• एजी को सिोच्च न्यायालय के न्यायाधीि के रूप में वनयुक्त होने के वलए योग्य होना चावहए।
• उम्मीदिार को भारत का नागररक होना चावहए।
पात्रता
• उन्ें कम से कम पां च साल तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीि के रूप में कायय करना चावहए था, या
• उन्ें कम से कम दस िषों तक उच्च न्यायालय में िकील के रूप में अभ्यास करना चावहए, या
• रािरपवत की राय में उन्ें एक प्रख्यात न्यायविद् होना चावहए।
• भारतीय संविधान अटॉनी जनरल के कायाय लय के वलए कोई वनवित काययकाल वनवदय ि नही ं करता है ।
कायाय लय का काययकाल • एजी रािरपवत की इच्छा पर कायय करते हैं , वजसका अथय है वक उन्ें रािरपवत द्वारा वकसी भी समय पद से
हटाया जा सकता है ।
• संविधान अटॉनी जनरल को हटाने के वलए विविि प्रविया या आधार प्रदान नही ं करता है ।
वनष्कासन • चूंवक एजी रािरपवत की इच्छा पर पद धारण करते हैं , इसवलए उन्ें रािरपवत के वििेक पर उनके पद से
हटाया जा सकता है ।
संविधान में स्पि नही ं है • कायाय लय की अिवध
• उसे हटाने की प्रविया और आधार
• कायाय लय का पाररश्वमक
• िरकार क िलाह दे ना: एजी रािरपवत द्वारा संदवभयत मामलों पर भारत सरकार को कानूनी सलाह प्रदान करता है । िे विवभन्न कानूनी मुद्दों
पर अपनी वििेषज्ञता और मागयदियन प्रदान करते हैं ।
• िौंपे गए कानूनी कित व्य ं का पालन करना: एजी रािरपवत द्वारा उन्ें सौंपे गए अन्य कानूनी कतयव्यों का पालन करता है । ये कतयव्य अलग-
अलग हो सकते हैं और इसमें कानूनी राय प्रदान करना, कानूनी दस्तािेजों का मसौदा तैयार करना और कानूनी मामलों में सरकार का
प्रवतवनवधत्व करना िावमल हो सकता है ।
• िंिैधातनक और कानूनी कायों का तनितहन: एजी संविधान या वकसी अन्य कानून द्वारा उन्ें प्रदत्त कायों को वनष्पावदत करता है । इसमें
दे ि के कानूनी ढां चे को कायम रखना और उसकी सुरक्षा करना िावमल है ।
• ििोच्च न्यायालय िें प्रतितनतधत्व: एजी सिोच्च न्यायालय के समक्ष सभी मामलों में भारत सरकार का प्रवतवनवधत्व करता है ,जहां सरकार
एक पक्ष है । िे तकय प्रस्तुत करते हैं और सरकार की क्तस्थवत की िकालत करते हैं ।
• राष्टरपति िंदभत िें प्रतितनतधत्व: एजी संविधान के अनु च्छेद 143 के तहत, रािरपवत द्वारा सिोच्च न्यायालय में वकए गए वकसी भी संदभय में
भारत सरकार का प्रवतवनवधत्व करता है । यह उन मामलों को संदवभयत करता है ,जहां रािरपवत कुछ संिैधावनक या कानूनी मामलों पर सिोच्च
न्यायालय की राय मां गते हैं ।
• उच्च न्यायालय ं िें प्रतितनतधत्व: जब भारत सरकार द्वारा आिश्यक होता है , तो एजी उन मामलों में सरकार का प्रवतवनवधत्व करने के वलए
उच्च न्यायालयों में उपक्तस्थत होता है , जहां सरकार िावमल होती है।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
155
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
पररचय
1. एनएचआरसी एक िैधावनक वनकाय है , वजसकी स्थापना 1993 िें कानून, िानिातधकार िंरक्षर् अतधतनयि, 1993 के िहि की गई
थी।
2. यह दे ि में िानिातधकार ं का प्रहरी है । यह मानिावधकारों के प्रचार और संरक्षण के वलए अपनाए गए पेररस वसद्ां तों (1991) के
अनुरूप स्थावपत वकया गया था।
आय ग के कायत
• वकसी लोक सेिक द्वारा मानिावधकारों के वकसी भी उल्लं घन/लापरिाही की जां च, या तो स्वत: संज्ञान से या उसके समक्ष प्रस्तुत यावचका
पर या अदालत के आदे ि पर।
• अदालत के समक्ष लंवबत मानिावधकारों के उल्लंघन के आरोप से जुडी वकसी भी काययिाही में हस्तक्षेप करें
• मानिावधकारों की सुरक्षा के वलए संिैधावनक और अन्य कानू नी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करें और उनके प्रभािी कायाय न्वयन के वलए उपायों
की वसफाररि करें ।
• मानिावधकारों पर संवधयों और अन्य अंतररािरीय उपकरणों का अध्ययन करें और उनके प्रभािी कायाय न्वयन के वलए वसफाररिें करें
• मानिावधकार के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ािा दे ना और लोगों के बीच मानिावधकार साक्षरता फैलाना
• कैवदयों की रहने की क्तस्थवत का अध्ययन करने के वलए जे लों और वहरासत स्थानों का दौरा करें ।
• आतंकिाद के कृत्य सवहत मानि अवधकारों के आनंद को बावधत करने िाले कारकों की समीक्षा करें और उपचारात्मक उपायों की
वसफाररि करें ।
• मानिावधकार के क्षेत्र में काम करने िाले गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों को प्रोत्सावहत करें ।
• जांच िंत्र का अभाि: मानि अवधकार उल्लंघन के मामलों की जां च के वलए यह केंद्र और संबंवधत राज्य सरकारों पर वनभयर है ।
• गैर-बाध्यकारी आदे श: एनएचआरसी के पास अपने वनणययों को लागू करने की कोई िक्तक्त नही ं है । सरकार अक्सर एनएचआरसी की
वस़िाररिों को वसरे से ख़ाररज कर दे ती है ।
• धन की किी: इससे एनएचआरसी की जां च की स्वतंत्रता और गुणित्ता से समझौता हुआ है ।
• बुतनयादी ढांचे की किी: 1995-2005 के बीच मामलों में 1450% की िृक्तद् के बािजूद, इसकी िक्तक्त में 16% की कमी आई है । यह
NHRC द्वारा संभाले जाने िाले मामलों को सीवमत करता है ।
• लंतबििा और दे री: एनएचआरसी पर मामलों का अत्यवधक बोझ है वजसके पररणामस्वरूप उसके पास 10000 से अवधक मामले लंवबत
हैं ।
• स्टाफ िे िंबंतधि िुद्दा: इसका अवधकतम स्टाफ प्रवतवनयुक्तक्त पर है । कई बार जां च अवधकारी आरोपी सेिा से संबंवधत होते हैं वजसके
पररणामस्वरूप वहतों का टकराि होता है ।
• संयुक्त रािर द्वारा मान्यता प्राप्त रािरीय मानिावधकार संस्थानों के िैवश्वक गठबंधन (जीएएनएचआरआई) ने वनम्नवलक्तखत आपवत्तयों का हिाला
दे ते हुए रािरीय मानिावधकार आयोग, भारत (एनएचआरसी-भारत) की मान्यता को स्थवगत कर वदया:
o वनयुक्तक्तयों में राजनीवतक हस्तक्षेप।
o मानिावधकार उल्लंघनों की जां च में पुवलस को िावमल करना।
o नागररक समाज के साथ ख़राब सहयोग।
o कमयचाररयों और नेतृत्व में विविधता का अभाि।
o हाविए पर मौजूद समूहों की सुरक्षा के वलए अपयाय प्त कारय िाई।
156
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िीिाएाँ :
o एनएचआरसी घटना के एक साल बाद दजय की गई विकायतों की जां च नही ं कर सकता।
o सिस्त्र बलों और अधयसैवनक बलों को इसके दायरे से बाहर करना।
o एनएचआरसी मामलों को केिल मीवडया ररपोटों के आधार पर लेता है न वक अपने ऑन-फील्ड कायय के माध्यम से।
o यह पसयनल लॉ को चुनौती नही ं दे सकता: सुप्रीम कोटय ने मुक्तिम पसयनल लॉ मामले में एनएचआरसी, एनसीडब्ल्यू को पक्षकार बनाया।
• िंघटन:
o SC के न्यायाधीि को भी अध्यक्ष वनयुक्त वकया जा सकता है ।
o कम से कम एक मवहला के साथ मानिावधकार की जानकारी रखने िाले लोगों की संख्या तीन तक बढ़ा दी गई।
o एनसीबीसी के अध्यक्ष, रािरीय बाल अवधकार संरक्षण आयोग और विकलां ग व्यक्तक्तयों के वलए मुख्य आयुक्त को पदे न सदस्यों के रूप
में िावमल वकया गया है ।
• कायातलय का कायतकाल: कायायलय का काययकाल 5 िषय से घटाकर 3 िषय कर वदया गया।
• केंद्र शातिि प्रदे श: केंद्र सरकार UTs के मानिावधकार मामलों से संबंवधत कायों को नजदीकी एसएचआरसी को सौंप सकती है ।
• िहत्व:
o मानिावधकारों की प्रभािी ढं ग से रक्षा और बढ़ािा दे ने के वलए पेररस वसद्ां तों यानी स्वायत्तता, स्वतंत्रता और बहुलिाद का प्रभािी
अनुपालन।
o नागररक समाज में प्रवतवनवधत्व बढ़ाने की सुविधा प्रदान की गई।
o केंद्र िावसत प्रदे िों के नागररकों के वलए मानिावधकार न्यायालय तक पहुं च में िृक्तद्।
o कम आयु सीमा से ररक्तक्तयों को समय पर भरना सुवनवित होगा।
• इसने वनम्नवलक्तखत वदिावनदे ि जारी वकए हैं : जेल सुधार, वहरासत में मौत की 48 घंटे के भीतर ररपोटय करना, हाथ से मैला ढोने की प्रथा से
वनपटने के वलए साियजवनक अवधकाररयों को वसफाररि।
• मानिावधकारों के उल्लंघन के वलए दु रुपयोग की संभावित गुंजाइि िाले पोटा (POTA) और टाडा (DATA) जैसे कानूनों की आलोचना की।
• ओवडिा के कालाहां डी में गरीबी और भुखमरी जैसे लोगों के सामावजक-आवथयक अवधकारों की रक्षा के वलए िारीररक मानि अवधकार
उल्लं घन से परे जाना।
एनएचआरिी के आल चक
• ि ली ि राबजी की तटप्पर्ी: "पीवडत पक्ष को कोई भी व्यािहाररक राहत प्रदान करने में असमथयता के कारण भारत का भ्रम पैदा हो गया
है "।
• ििोच्च न्यायालय की तटप्पर्ी: यह एक "दं तहीन बाघ" है ।
आगे की राह
• अहिदी आय ग की तिफाररशें : एनएचआरसी द्वारा मामलों को लेने के वलए एक िषय की सीमा को हटा दें । साथ ही, सिस्त्र बल के िब्द
में अधयसैवनक बल िावमल नही ं होंगे।
• स्विंत्र कितचारी: और मामलों का समय पर वनपटान सुवनवित करने के वलए समवपयत जां च दल।
• ििन्वय िंत्र: एनएचआरसी और एसएचआरसी के बीच समन्वय तंत्र स्थावपत करने की आिश्यकता।
157
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• एनएचआरिी की भूतिका िें तितिधिा लाना: एलजीबीटी के अवधकार, उद्योगों और मानिावधकारों, मानिावधकारों पर पयाय िरणीय प्रभाि
आवद जैसी नई उभरती वचंताओं के प्रवत।
तनष्कषत
1. एनएचआरसी ने अपनी स्थापना के बाद से कई मामलों में महत्वपूणय भूवमका वनभाई है । 15 लाख से अवधक मामलों का वनपटान और
पीवडतों के मुआिजे के रूप में 100 करोड से अवधक का वनपटान इसकी सफलता को दिाय ता है ।
2. कमजोर िगों के क्तखलाफ बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए, यह भारतीय संविधान में वनवहत मौवलक अवधकारों को सुवनवित करने के
वलए सभी क्षेत्रों में आयोग को मजबूत करने का उवचत समय है ।
158
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
1. सीआईसी कायाय लयों, वित्तीय संस्थानों, साियजवनक उपिमों आवद के बारे में की गई विकायतों की जां च करने के वलए केंद्र सरकार और
केंद्र िावसत प्रदे िों के अधीन एक उच्चावधकार प्राप्त स्वतंत्र और िैधावनक वनकाय है ।
2. संसद ने आरटीआई अवधवनयम, 2005 में एक संिोधन पाररत वकया वजसने सूचना आयुक्तों की सेिा ितों और सीआईसी और एसआईसी
से संबंवधत प्रािधानों को बदल वदया है ।
िीआईिी का कायत
• शद्धि:
o स्वि: िंज्ान शद्धि: उवचत आधार होने पर यह वकसी भी मामले की जां च का आदे ि दे सकता है
o पूछताछ करते समय वसविल न्यायालय की िक्तक्तयाँ ।
o तकिी भी ररकॉडत की जांच करें : जां च के दौरान सभी साियजवनक ररकॉडय जां च के वलए सीआईसी को वदए जाने चावहए।
o साियजवनक प्रावधकरण से अपने वनणययों का अनुपालन सुवनवित करना।
• आरटीआई क िजबूि करें : सीआईसी और एसआईसी द्वारा लागू वकए वबना आरटीआई अवधवनयम वसफय एक पाठ बनकर रह जाएगा।
• िुशािन क बढािा दे ना: सीआईसी िासन में नागररकों की भागीदारी को बढ़ािा दे ता है और िासन में पारदवियता और जिाबदे ही को
बढ़ािा दे ता है ।
िीआईिी/एिआईिी के िािने आने िाली चुनौतियां:
• हाल के संिोधनों द्वारा लाए गए पररितयनों के पररणामस्वरूप स्वतंत्रता में कमी आई:
o वनवित अिवध को हटाना: पहले 5 िषों के बजाय अब सीआईसी, आईसी और एसआईसी की ितें केंद्र सरकार द्वारा तय की जाएं गी।
o मुख्य चुनाि आयुक्त (सीआईसी के मामले में) और चुनाि आयुक्त (आईसी के मामले में) के साथ समानता की पूिय क्तस्थवत के बजाय
केंद्र सरकार द्वारा िेतन का वनधायरण।
• तिलंतबि तनयुद्धियााँ: आरटीआई के अनुसार, 2014 से सीआईसी 400 से अवधक वदनों तक मुख्य सूचना आयुक्त के वबना काम कर रहा
था और 4 साल से अवधक समय से पूरी क्षमता से काम नही ं कर रहा है ।
• नौकरशाहीकरर्: विवभन्न क्षेत्रों के वििेषज्ञों की वनयुक्तक्त के वलए आरटीआई प्रािधान के बािजूद, सीआईसी और आईसी पर सेिावनिृत्त
नौकरिाहों का कब्जा है ।
• लंतबि: सतकय नागररक संगठन की ररपोटय के अनुसार, केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों (आईसी) में 2.2 लाख से अवधक आरटीआई मामले
लंवबत हैं ।
• िािले के तनपटान िें दे री: सतकय नागररक संगठन की ररपोटय के अनुसार सीआईसी को आयोग के समक्ष मामला दायर होने की तारीख
से मामले को वनपटाने में औसतन 388 वदन लगते हैं ।
• ख़राब तनर्तय: केिल 2.2% मामलों में सरकारी अवधकाररयों को कानून का उल्लं घन करने के वलए वकसी सज़ा का सामना करना पडता
है , जबवक विवभन्न विश्लेषणों से पता चलता है वक उल्लंघन की दर लगभग 59% है
o क तिड-19 िहािारी के दौरान लापिा: कुल अध्ययन वकए गए 29 में से 21 आईसी, कोई सुनिाई नही ं कर रहे थे
o केंद्रीय या राज्य स्तर पर आरटीआई आिेदकों के केंद्रीकृत डे टाबेस की अनुपक्तस्थवत के कारण िावषयक आरटीआई ररपोटय और
विश्लेषण गलत हो जाते हैं ।
o क ई पयातप्त अतधकार नही ं: अवधवनयम ने आईसी को अपने वनणय यों को लागू करने के वलए पयाय प्त अवधकार नही ं वदया।
o अपयातप्त प्रतशतक्षि पीआईओ और प्रथि अपीलीय प्रातधकारी: इसके पररणामस्वरूप जानकारी प्रदान करने के वलए 30 वदनों
की समयसीमा टू ट जाती है क्ोंवक उवचत प्रविक्षण की कमी के कारण पीआईओ समयबद् तरीके से जानकारी प्रदान करने में सक्षम
नही ं होते हैं ।
o क ई दं ड नही ं: सरकारी अवधकाररयों को अपने कतयव्य की कमी या अनुवचत व्यिहार के वलए वकसी दं ड का सामना नही ं करना
पडता है ।
तनष्कषत
1. आरटीआई को भारत के लोकतांवत्रक इवतहास में ऐवतहावसक कानून कहा गया है । आरटीआई को बढ़ािा दे ने के वलए हमें मजबू त
सीआईसी और एसआईसी की जरूरत है । इसवलए सरकार के कामकाज में पारदवियता और खुलापन सुवनवित करने के वलए सभी
सुधार वकए जाने चावहए।
160
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
1. केंद्रीय सतकयता आयोग (सीिीसी) भारत में एक िीषय सरकारी वनकाय है जो भ्रिाचार से संबंवधत मुद्दों को संबोवधत करने और साियजवनक
प्रिासन में पारदवियता और अखंडता को बढ़ािा दे ने के वलए वजम्मेदार है ।
पृ ष्ठ भू त ि
1. सीिीसी की स्थापना 1964 में संथानम सवमवत की वसफाररि पर एक काययकारी प्रस्ताि द्वारा की गई थी।
2. 2003 में, संसद ने सीिीसी को एक िैधावनक दजाय प्रदान वकया। यह केंद्र सरकार में भ्रिाचार को रोकने के वलए मुख्य एजेंसी है ।
3. िंरचना: केंद्रीय सतकयता आयुक्त + अवधकतम दो सतकयता आयुक्त।
• तनयुद्धि: तीन सदस्यीय सवमवत (प्रधानमंत्री+गृह मंत्री+लोकसभा में विपक्ष के नेता) की वसफाररि पर रािरपवत द्वारा।
• तनतिि कायतकाल: 4 िषय/ 65 िषय जो भी पहले हो और केंद्र या राज्य सरकार के तहत आगे रोजगार के वलए अयोग्य है ।
• तनतिि िेिन, भत्ते और िेिा शिें: यह यूपीएससी के अध्यक्ष (मुख्य सतकयता आयुक्त के मामले में) के समान और यूपीएससी के सदस्य
(सतकयता आयुक्त के मामले में) के समान है ।
• स्विंत्र कितचारी: सीिीसी का अपना सवचिालय, मुख्य तकनीकी परीक्षक विंग और विभागीय जां च के वलए आयुक्तों का एक विंग है।
CVC के कायत
• भ्रिाचार वनिारण अवधवनयम, 1988 (पीओसीए) के तहत अपराध के वलए केंद्र सरकार के एक कवथत कमयचारी के क्तखलाफ पूछताछ या
जां च।
• सीबीआई के कामकाज पर वनगरानी रखना और पीओसीए के तहत अपराधों की जां च से संबंवधत सीबीआई को वनदे ि दे ना।
• तनयुद्धि: सीिीसी उस सवमवत के अध्यक्ष के रूप में कायय करता है , वजसने सीबीआई में प्रितय न वनदे िक और अवभयोजन वनदे िालय की
वनयुक्तक्त के वलए परामिय वकया था।
• धन िोधन वनिारण अवधवनयम, 2002 के तहत संवदग्ध लेनदे न पर जानकारी प्राप्त करने के वलए एक विविि प्रावधकारी के रूप में
अवधसूवचत।
• समूह ए, बी, सी और डी के अवधकाररयों के संबंध में लोकपाल द्वारा संदवभयत विकायतों की प्रारं वभक जां च करना।
• िक्षि प्रातधकारी के रूप िें कायत करना: भ्रिाचार पर साियजवनक वहत का खुलासा करने के वलए वकसी व्यक्तक्त के वलए क्तिवसल-िोअर
संरक्षण अवधवनयम, 2014 के तहत सक्षम प्रावधकारी।
• नागररक ं क िंिेदनशील बनाना: सतकयता सप्ताह और सत्यवनष्ठा प्रवतज्ञा जैसे कदम भ्रिाचार के दु ष्प्रभािों के बारे में जागरूकता पैदा
करने में मदद करते हैं ।
चु न ौतियां
• कायतकारी तनभतरिा: सीईसी की वनयुक्तक्त अप्रत्यक्ष रूप से केिल काययपावलका के अधीन है , वजससे इसके स्वतंत्र कामकाज में बाधा आती
है ।
• िािले तनपटाने िें दे री: सीिीसी वजन मामलों को सं भालती है उनमें भारी दे री होती है , इसवलए यह प्रभािी वनिारक के रूप में कायय नही ं
करता है ।
161
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• िीिीिी पर िीिा: उपरोक्त संयुक्त सवचि स्तर के अवधकाररयों के वलए मंत्रालयों की पूिय सहमवत की आिश्यकता और वनजी व्यक्तक्तयों
को छूट भ्रिाचार की चुनौती को समग्र रूप से संबोवधत करने में इसकी भूवमका को सीवमत करती है ।
• लंतबि िािले: धन और मानि संसाधनों की कमी के कारण बडी संख्या में मामले लंवबत हैं ।
आगे की राह
• सीिीसी और िीसीएस की समय पर वनयुक्तक्त और आयोग की संरचना में विविधता सुवनवित करना।
• पयातप्त फंतडं ग: कुिल कामकाज के वलए आधुवनक बुवनयादी ढां चे को सुवनवित करने के वलए पयाय प्त फंड होंगे।
• AI, Big DATA जैसी आधुवनक तकनीक को अपनाना और कामकाज का वडवजटलीकरण करना।
• भूवमका में स्पिता सुवनवित करके लोकपाल और सीबीआई जैसी विवभन्न एजेंवसयों के क्षेत्रावधकारों को ओिरलैप करने से बचना।
तनष्कषत
• भ्रिाचार समािेिी विकास के वलए सबसे बडा खतरा है , इसवलए पीओसीए को अक्षरि: लागू करना सुवनवित करने के वलए सीिीसी,
सीबीआई और लोकपाल जैसे वनकायों को मजबूत करने के वलए कदम उठाए जाने चावहए।
• इन वनकायों के वलए संिैधावनक क्तस्थवत का तात्पयय है वक दे ि की लोकतांवत्रक क्तस्थवत में उनकी बडी भूवमका और वजम्मेदारी है , और
संिैधावनक सुरक्षा सुवनवित करती है वक िे सरकार की दया पर वनभयर नही ं हैं ।
162
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
प्रस्तािना
• सरकार का िह अंग जो मुख्यतः कायाय न्वयन और प्रिासन संबंधी कायों के वलए वजम्मेदार होता है , ‘काययपावलका’ कहलाता है ।
• हालाँ वक सरकार के प्रमुख और उनके मंत्री जो , सरकारी नीवतयों की समग्र वजम्मेदारी से जुडे हुए होते हैं उन्ें ‘राजनीवतक काययपावलका’
कहा जाता है ,परन्तु जो वदन-प्रवतवदन के प्रिासन के वलए वजम्मेदार होते हैं उन्ें ‘स्थायी काययपावलका’ कहा जाता है ।
कायतपातलका के प्रिुख कायत
• ये विधावयका द्वारा बनाये गए कानूनों और नीवतयों के कायाय न्वयन के वलए वजम्मेदार हैं ।
• काययपावलका प्रायः नीवत वनधाय रण प्रविया में िावमल होती है ।
िंघ की कायतपातलका और राज्य की कायतपातलका की िुलना:
संघ की काययपावलका में रािरपवत, उपरािरपवत, प्रधानमंत्री, मंवत्रपररषद राज्य की काययपावलका में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंवत्रपररषद और
और भारत के महान्यायिादी िावमल होते हैं । राज्य के महावधिक्ता िावमल होते हैं ।
रािरपवत, नाममात्र का काययकारी प्रमुख होता है जबवक प्रधानमंत्री राज्यपाल, राज्य का मुख्य काययकारी प्रमुख होता है । लेवकन, रािरपवत
िास्तविक काययकारी प्रमुख होता है । की तरह, िह नाममात्र का काययकारी प्रमुख (नाममात्र या संिैधावनक
प्रमुख) होता है । मुख्यमंत्री, िास्तविक काययकारी प्रमुख होता है ।
अनु च्छेद 53 के अनुसार, संघ की काययकारी िक्तक्त रािरपवत में वनवहत अनु च्छेद 154 के अनुसार, राज्य की काययकारी िक्तक्त राज्यपाल में
है , और इसका प्रयोग िह संविधान के अनुसार प्रत्यक्ष तौर पर या अपने वनवहत है और इसका प्रयोग िह इस संविधान के अनुसार प्रत्यक्ष तौर
अधीनस्थ अवधकाररयों के माध्यम से करता है । पर या अपने अधीनस्थ अवधकाररयों के माध्यम से करता है ।
अनु च्छेद 74 के अनुसार, रािरपवत को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता िाली अनु च्छेद 163 के अनुसार ,राज्यपाल को अपने वििेकाधीन कायों को
मंवत्रपररषद की सहायता और सलाह के अनुसार कायय करना होता है । छोडकर, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता िाली मंवत्रपररषद की सहायता और
सलाह के अनुसार कायय करना होता है ।
163
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
राष्टरपति के पद की आल चना
• रािरपवत को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता िाली मंवत्रपररषद की सहायता और सलाह के अनुसार कायय करना होता है।
• संविधान के अनुच्छेद 352, 356 और 360 के तहत ,रािरपवत को आपातकाल की घोषणा करने की िक्तक्त है , और आपातकाल की घोषणा
करने की इस तथाकवथत िक्तक्त का अवधकतर दु रुपयोग या उल्लंघन वकया गया है ।
• क्षिादान शद्धि का दु रुपय ग: पूिय रािरपवत श्ीमती प्रवतभा पावटल द्वारा वदए गए 30 क्षमादानों में से 22 मामले एक से अवधक िूर हत्याओं,
िूर बलात्कार, बच्चों और नाबावलगों पर वकए गए जघन्य अपराधों आवद से संबंवधत थे।
• अध्यादे श जारी करने/लाने की शद्धि का दु रुपय ग:
o अध्यादे ि के सम्बन्ध में एक प्रमु ख मुद्दा यह रहा है वक रािरपवत आमतौर पर इसे जारी करते समय विधायी वििेक का प्रयोग नही ं
करते हैं , िे केिल उन्ें जारी करते हैं बक्तल्क मंत्रीपररषद ही िास्ति में वनणयय लेती है वक अध्यादे ि आिश्यक है या नही।ं मंवत्रयों का
यह प्रभाि कभी-कभी मनमानी का कारण बन सकता है ।
o संविधान के अनुच्छेदों में रािरपवत अध्यादे िों को पाररत करने के वलए कोई अवधकतम समय सीमा वनवदय ि नही ं की गई है । विवििताओं
की इस कमी के कारण रािरपवत को ‘जब संसद सत्र में नही ं है ’ और तत्काल कारय िाई की आिश्यकता पूरी हो गई हो, वकतने भी
अध्यादे ि पाररत करने पड सकते हैं ।
o अध्यादे िों से संबंवधत प्रमुख मुद्दा या समस्या अध्यादे िों को दोबारा जारी करने से संबंवधत है , उन्ें कानूनी या असंिैधावनक होना
चावहए या नही,ं इस सिाल पर भी काफी समय से वििाद चल रहा है ।
164
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• ितयमान भाजपा सरकार के तहत भारत के रािरपवत का पद केिल ‘सां केवतक’ बनकर रह गया है : विपक्षी दल के अध्यक्ष।
भारि के राष्टरपति क नए िंिद भिन का उद् घाटन क् ं करना चातहए?
• संसद, राज्य का विधायी अंग है और रािरपवत अनुच्छेद 79 के अनुसार, संसद की संिैधावनक रूप से वनधाय ररत पररभाषा का वहस्सा है ।
• रािरपवत, दे ि का प्रथम नागररक होता है ।
• रािरपवत, राज्य और गणतंत्र के प्रमुख के रूप में, प्रधानमंत्री के पद से कही ं अवधक ऊंचे पद पर आसीन होता है । प्रधानमंत्री, केिल
काययपावलका का प्रमुख होता है , वजसका दायरा केिल राज्य तक ही सीवमत होता है ।
• रािरपवत अकेले ही सरकार, विपक्ष और प्रत्येक नागररक का एक साथ प्रवतवनवधत्व करता है ।
• विधायी क्षेत्र में, रािरपवत और संसद संविधान में वनवहत विस्तृत प्रािधानों द्वारा एक साथ घवनष्ठ रूप से जुडे हुए हैं ।
o अनुच्छेद 86: सदनों को संबोवधत करने और आूत करने का रािरपवत का अवधकार
o अनुच्छेद 87: रािरपवत द्वारा वििेष अवभभाषण
o अनुच्छेद 111: विधेयकों को मंजूरी
• रािरपवत, प्रधानमंत्री के विपरीत, संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और रक्षा करने और सभी पक्षपातपूणय विचारों से ऊपर रहने की िपथ लेता है
और गणतंत्र और संिैधावनक मूल्ों की रक्षा के वलए सभी राजनीवतक दल, चाहे िे सत्तारूढ़ या विपक्षी खेमे के हों, हमेिा उसके विचारों
को तरजीह दे ते हैं ।
• चूँवक प्रधानमंत्री ने 10 वदसंबर, 2020 को नए संसद भिन का विलान्यास वकया और भूवम पूजन समारोह में भाग वलया, इसके उद् घाटन में
उनकी भागीदारी का अथय यह होगा वक िह दोनों काययिमों को करके सम्मान पाना चाहते हैं । यह औवचत्यपूणय नही ं है और आनुपावतकता
के मानदं डों के विपरीत है ।
भारि का उपराष्टर पति:
● उपरािरपवत, दे ि का दू सरा सिोच्च पद होता है ।
● यह पद अमेररकी उपरािरपवत की तजय पर बनाया गया है ।
िंिैधातनक प्रािधान
अनुच्छेद तिषय
63 भारि का उपराष्टरपति: भारत का एक उपरािरपवत होगा।
उपराष्टरपति राज्य िभा पदे न अध्यक्ष ह गा
64 : उपरािरपवत राज्य सभा का पदे न अध्यक्ष होगा और लाभ का कोई अन्य पद धारण नही ं करे गा।
165
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o िंतिधान और तनयि ं की व्याख्या करने का िभापति का अतधकार: जहाँ तक सदन में या उससे संबंवधत मामलों का सिाल है ,
संविधान और वनयमों की व्याख्या करना सभापवत का अवधकार है , और कोई भी ऐसी व्याख्या पर सभापवत के साथ वकसी भी प्रकार
की बहस या वििाद नही ं कर सकता है ।
o िदन िें शांति व्यिस्था बनाए रखना: सदन में िां वत व्यिस्था बनाए रखना सभापवत का मौवलक कतयव्य है और इस उद्दे श्य के वलए
वनयमों के तहत उसे सभी आिश्यक अनुिासनात्मक िक्तक्तयां प्रदान की गई हैं ।
o िभापति द्वारा िन्दभत: संयुक्त रािर द्वारा मानिावधकारों की साियभौम घोषणा की िषयगां ठ, िहीद वदिस, भारत छोडो वदिस,
वहरोविमा, नागासाकी पर बमबारी की िषयगां ठ आवद जैसे महत्वपूणय अिसरों पर सभापवत द्वारा सदन में उवचत सन्दभय दे ने की प्रथा
है ।
o राज्यिभा िें पाररि तिधे यक ं िे िंबंतधि शद्धियां: वनयमों के तहत सभापवत को सदन द्वारा पाररत होने के बाद वकसी विधेयक
में पेटेंट त्रुवटयों को ठीक करने और सदन द्वारा स्वीकार वकए गए संिोधनों के पररणामस्वरूप विधेयक में ऐसे अन्य बदलाि करने
का अवधकार है ।
o राज्य िभा ितचिालय और राज्य िभा के पररिर िे िंबंतधि शद्धियााँ: राज्य सभा सवचिालय सभापवत के वनयंत्रण और वनदे िन
में कायय करता है । प्रेस गैलरी सवहत विवभन्न दीघाय ओं में प्रिेि को सभापवत के वनदे िन में वनयंवत्रत वकया जाता है ।
o अध्यक्ष/िभापति क िौंपे गए कित व्य: कुछ कानू न अध्यक्ष को भी कतयव्य प्रदान करते हैं । उदाहरण के वलए, संसद सदस्यों के
िेतन, भत्ते और पेंिन अवधवनयम, 1954 के तहत बनाए गए वनयम तब तक प्रभािी नही ं होते, जब तक वक उनकी सभापवत और
अध्यक्ष द्वारा अनुमोवदत और पुवि नही ं कर दी जाती।
• कायतिाहक राष्टरपति:
o िह तब रािरपवत के रूप में कायय करता है , जब त्यागपत्र, वनष्कासन, मृत्यु या वकसी अन्य कारण से रािरपवत का पद ररक्त हो जाता है।
o िह अवधकतम छह महीने की अिवध के वलए ही रािरपवत के रूप में कायय कर सकता है वजसके भीतर एक नया रािरपवत चुना जाना
आिश्यक होता है ।
o इस अिवध के दौरान, उपरािरपवत के पास रािरपवत की सभी िक्तक्तयाँ , उन्मुक्तक्तयाँ और वििेषावधकार होते हैं और िह रािरपवत को दे य
िेतन और भत्ते प्राप्त करता है ।
राष्टर पति और उपराष्टर पति का चु न ाि:
• रािरपवत और उपरािरपवत दोनों का चुनाि आनुपावतक प्रवतवनवधत्व प्रणाली के अनुसार एकल संिमणीय मत पद्वत के माध्यम से अप्रत्यक्ष
तरीके(सीधे लोगों द्वारा नही)ं से वकया जाता है ।
• सिोच्च न्यायालय रािरपवत और उपरािरपवत के चु नाि से संबंवधत सभी प्रश्नों और असहमवतयों की जां च करता है और अंवतम वनणय य दे ता
है ।
राष्टरपति और उपराष्टरपति के चुनाि की िुलना:
राष्टरपति का चुनाि उपराष्टरपति का चुनाि
वनिाय चक मंडल में केिल लोकसभा + राज्यसभा + राज्यों की वनिाय चक मंडल में केिल लोकसभा + राज्यसभा से वनिाय वचत और मनोनीत
विधानसभाओं + केंद्र िावसत प्रदे िों की विधानसभाओं (केिल दोनों सदस्य िावमल होते हैं ।
वदल्ली और पुदुचेरी) के वनिायवचत सदस्य िावमल होते हैं ।
राज्य विधान सभाओं के वनिाय वचत सदस्य िावमल होते हैं । राज्य विधान सभाओं के सदस्य िावमल नही ं होते हैं ।
● रािरपवत, राज्य का प्रमुख होता है और उसकी िक्तक्तयों का विस्तार केंद्र के साथ-साथ राज्यों के प्रिासन तक भी होता है । इस प्रकार, संसद
के सदस्य और राज्य विधानमंडल के सदस्य दोनों रािरपवत के वनिाय चक मंडल में िावमल होते हैं ।
● जबवक, उपरािरपवत का सामान्य कायय राज्यसभा की अध्यक्षता करना है । यह केिल दु लयभ मामलों में होता है , और िह भी अस्थायी अिवध
के वलए, जब उन्ें रािरपवत के कायों को करने के वलए कहा जाता है ।
राष्टरपति उपराष्टरपति
िह भारत का नागररक होना चावहए, 35 िषय की िह भारत का नागररक होना चावहए, 35 िषय की आयु पूरी कर चुका
य ग्यिा आयु पूरी कर चुका हो, लोकसभा सदस्य के रूप हो, राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुनाि के वलए योग्य हो।
में चुनाि के वलए योग्य हो
पद की शिें िह संसद के वकसी भी सदन या राज्य संसद के वकसी भी सदन या राज्य विधानमंडल के वकसी सदन का
विधानमंडल के वकसी सदन का सदस्य नही ं होना सदस्य नही ं होना चावहए
चावहए सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण नही ं करना चावहए।
सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण नही ं
करना चावहए।
कायतकाल 5 िषय 5 िषय
त्यागपत्र उपरािरपवत को रािरपवत को
तनष्कािन संविधान के उल्लंघन के वलए महावभयोग की उसे राज्यसभा में प्रभािी बहुमत और लोकसभा में साधारण बहुमत
प्रविया द्वारा। द्वारा पेि और पाररत वकए गए प्रस्ताि द्वारा हटाया जा सकता है ।
पुनतनतिातचन पुनवनयिाय चन के वलए पात्र पुनवनयिाय चन के वलए पात्र
राज्य का राज्यपाल:
• राज्य का प्रिुख राज्यपाल ह िा है और राज्य की कायतकारी शद्धि उिी िें तनतहि ह िी है।
• उसकी तनयुद्धि भारि के राष्टरपति द्वारा की जाती है ,जो राष्टरपति की इच्छापयंि पद पर बना रहिा है।
• सिोच्च न्यायालय ने 1979 में फैसला सुनाया वक तकिी राज्य का राज्यपाल केंद्र िरकार द्वारा तनयुि नही ं तकया जािा है। यह एक
संिैधावनक रूप से स्वतंत्र कायाय लय है जो केंद्र सरकार के अधीन नही ं है ।
• तनयुद्धि (अनुच्छेद 155): उनकी वनयुक्तक्त रािरपवत द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुद्रा सवहत अवधपत्र द्वारा की जाती है । एक तरह से िह केंद्र
सरकार द्वारा मनोनीत व्यक्तक्त हैं ।
िं ि ै ध ातनक प्रािधान:
अनुच्छेद तिषय
155 राज्यपाल की तनयुद्धि: राज्य के राज्यपाल को रािरपवत अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सवहत अवधपत्र द्वारा वनयुक्त करे गा।
राज्य के राज्यपाल की तकन्ही ं तनतिि िािल ं िें दं ड क क्षिा, उिका प्रतिलंबन, तिराि या पररहार करने की अथिा
161 दं डादे श िें तनलंबन, पररहार या लघुकरर् की शद्धि: वकसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय सं बंधी, जहाँ तक उस राज्य
की काययपावलका िक्तक्त का विस्तार है , वकसी विवध के विरुद् वकसी अपराध के वलए वसद्दोष ठहराए गए वकसी व्यक्तक्त के
दं ड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या पररहार करने की अथिा दं डादे ि में वनलंबन, पररहार या लघुकरण की िक्तक्त
होगी।
167 राज्यपाल क िूचना दे ने आतद के िंबंध िें िुख्यिंत्री के कित व्य: यह प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का कतयव्य होगा वक —
राज्य के मामलों के प्रिासन और कानून के प्रस्तािों से संबंवधत ऐसी जानकारी प्रस्तुत करे जो राज्यपाल उससे मां गे।
167
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
200 तिधेयक ं पर िहिति:जब कोई विधेयक वकसी राज्य की विधान सभा द्वारा पाररत कर वदया जाता है या, विधान पररषद िाले
राज्य के मामले में, राज्य के विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा पाररत कर वदया जाता है , तो इसे राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत
वकया जाएगा और राज्यपाल या तो घोषणा करे गा वक िह विधेयक पर सहमवत दे ता है या िह उस पर सहमवत रोकता है या
िह विधेयक को रािरपवत के विचार के वलए आरवक्षत रखता है ।
201 तिचाराथत आरतक्षि तिधेयक: जब वकसी विधेयक को राज्यपाल द्वारा रािरपवत के विचार के वलए आरवक्षत वकया जाता है , तो
रािरपवत या तो घोषणा करे गा वक िह विधेयक पर सहमवत दे ता है या िह उस पर सहमवत रोक दे ता है ।
तिधानिंडल के ित्राििान के दौरान अध्यादे श प्रख्यातपि करने की राज्यपाल की शद्धि: यवद वकसी भी समय, वसिाय
तब जब वकसी राज्य की विधान सभा सत्र में हो, या जहां राज्य में विधान पररषद हो, वसिाय जब विधानमंडल के दोनों सदन
213 सत्र में हों, राज्यपाल संतुि है वक ऐसी पररक्तस्थवतयाँ मौजूद हैं वजससे तत्काल कारय िाई करना आिश्यक हो गया है , िह ऐसे
अध्यादे िों को प्रख्यावपत कर सकता है वजनकी उसे आिश्यकता लगे।
िन नीि राज्यपाल के पक्ष िें िकत तनिाततचि राज्यपाल के पक्ष िें िकत
• राज्यपाल का प्रत्यक्ष चु नाि राज्यों में स्थावपत संसदीय • एक बाहरी व्यक्तक्त होने के कारण, िह राज्य की संस्कृवत, भाषा और
प्रणाली से असंगत है । विकास संबंधी मुद्दों से अिगत नही ं हो सकता है ।
• प्रत्यक्ष चुनाि करिाने से राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच • मनोनीत राज्यपालों के मामले में भी मनमुटाि की समान सं भािना
टकराि पैदा होने की अवधक संभािना है । रहती है ।
• राज्यपाल केिल एक संिैधावनक (नाममात्र) प्रमुख है , • मनोनीत राज्यपाल संघिाद की सच्ची भािना का उल्लंघन करते हैं ।
उसके चुनाि के वलए विस्तृत व्यिस्था करने और भारी • बडे पैमाने पर वनष्कासन से बचा जा सकता है ।
मात्रा में धन खचय करना आिश्यक नही ं है । • वनयुक्त राज्यपाल केंद्र के वनदे िों के तहत राज्य सरकारों को अक्तस्थर
करने का प्रयास कर सकते हैं ।
• एक वनिाय वचत राज्यपाल स्वाभाविक रूप से एक पाटी से
• राजभिन, पुनिाय स केंद्र बन गया है और अक्सर राजनीवतक आिास के
संबंवधत होगा और एक तटस्थ व्यक्तक्त और वनष्पक्ष प्रमुख
वलए उपयोग वकया जाता है ।
नही ं होगा।
• रािरपवत पद के नामां कन की प्रणाली केंद्र को राज्यों पर
अपना वनयंत्रण बनाए रखने में सक्षम बनाती है ।
168
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
कायतकारी शद्धियााँ:
राष्टरपति राज्यपाल
भारत सरकार की सभी काययकारी कारय िाईयां औपचाररक रूप वकसी राज्य की सरकार की सभी काययकारी कारय िाईयाँ औपचाररक रूप से
से उसके नाम पर की जाती हैं । उसके नाम पर की जाती हैं
िह प्रधानमंत्री और अन्य मंवत्रयों की वनयुक्तक्त करता है । िे िह मुख्यमंत्री तथा अन्य मंवत्रयों की वनयुक्तक्त करता है । िे उसकी इच्छानुसार
उसकी इच्छानुसार पद पर बने रहते हैं । पद पर भी बने रहते हैं । िह छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदे ि और ओवडिा
राज्यों में आवदिासी कल्ाण मंत्री की वनयुक्तक्त भी करता है ।
िह भारत के महान्यायिादी की वनयुक्तक्त करता है और उसका िह वकसी राज्य के महावधिक्ता की वनयुक्तक्त करता है और उसका पाररश्वमक
पाररश्वमक वनधाय ररत करता है । महान्यायिादी रािरपवत की वनधाय ररत करता है । महावधिक्ता राज्यपाल की इच्छापयंत पद धारण करता
इच्छापयंत पद धारण करता है । है
िह भारत के वनयंत्रक और लेखापरीक्षक, मुख्य चुनाि आयुक्त िह राज्य चुनाि आयुक्त की वनयुक्तक्त करता है और उसकी सेिा की ितें और
और अन्य चुनाि आयुक्तों, यूपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों, काययकाल वनधाय ररत करता है , िह राज्य लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष और
राज्यों के राज्यपालों, वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों आवद सदस्यों की वनयुक्तक्त करता है ।
की वनयुक्तक्त करता है ।
िह अनुसूवचत जावत, अनुसूवचत जनजावत और अन्य वपछडे िह रािरपवत को वकसी राज्य में संिैधावनक आपातकाल लगाने की वसफाररि
िगों की क्तस्थवतयों की जां च के वलए एक आयोग वनयुक्त कर कर सकता है ।
सकता है ।
िह केंद्र-राज्य और अंतरराज्यीय सहयोग को बढ़ािा दे ने के िह राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलावधपवत के रूप में कायय करता है । िह राज्य
वलए एक अंतर-राज्यीय पररषद का गठन कर सकता है । िह में विश्वविद्यालयों के कुलपवतयों की वनयुक्तक्त भी करता है ।
अपने द्वारा वनयुक्त प्रिासकों के माध्यम से सीधे केंद्र िावसत
प्रदे िों का प्रिासन संभालता है ।
उसे वकसी भी स्थान को अनुसूवचत क्षेत्र के रूप में नावमत करने पां चिी ं अनुसूची के तहत अनुसूवचत क्षेत्र में आवदिासी आबादी के संबंध में
और अनुसूवचत और जनजातीय दोनों क्षेत्रों के प्रिासन की राज्य के राज्यपाल की वििेष वजम्मेदाररयां हैं ।
दे खरे ख करने का अवधकार है ।
तिधायी शद्धियााँ
राष्टरपति राज्यपाल
िह संसद को आूत (आह्वान) कर सकता है या स्थवगत कर िह राज्य विधानमंडल को आूत (आह्वान) सकता है या स्थवगत कर सकता है
सकता है और लोकसभा को भंग कर सकता है । िह संसद के और राज्य विधान सभा को भंग कर सकता है ।
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी बुला सकता है ।
िह प्रत्येक आम चुनाि के बाद पहले सत्र की िुरुआत में और िह प्रत्येक आम चुनाि के बाद पहले सत्र और प्रत्येक िषय के पहले सत्र की
प्रत्येक िषय के पहले सत्र में संसद को संबोवधत करता है । िुरुआत में राज्य विधानमंडल को संबोवधत करता है ।
िह सावहत्य, विज्ञान, कला और समाज सेिा में वििेष ज्ञान या िह सावहत्य, विज्ञान, कला, सहकारी आं दोलन और समाज सेिा में वििेष ज्ञान
व्यािहाररक अनुभि रखने िाले व्यक्तक्तयों में से राज्य सभा के या व्यािहाररक अनुभि रखने िाले व्यक्तक्तयों में से राज्य विधान पररषद के 1/6
12 सदस्यों को मनोनीत करता है। सदस्यों को मनोनीत करता है ।
169
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िह आं ग्ल-भारतीय (एं ग्लो-इं वडयन) समुदाय से दो सदस्यों को िह राज्य विधान सभा के वलए एक आं ग्ल-भारतीय उम्मीदिार को मनोनीत
लोकसभा में मनोनीत कर सकता है (कृपया तावलका के नीचे कर सकता है । (कृपया तावलका के नीचे वदए गए नोट को दे खें)
वदए गए नोट को दे खें)।
िह चुनाि आयोग के परामिय से संसद सदस्यों की अयोग्यता िह राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता के प्रश्न पर चु नाि आयोग के
से संबंवधत प्रश्नों पर वनणयय लेता है। परामिय से वनणयय लेता है ।
संसद में कुछ प्रकार के विधेयक पेि करने के वलए उनकी पूिय िह विधानमंडल में लंवबत वकसी विधेयक या अन्य के संबंध में सदन या राज्य
अनुिंसा या अनुमवत की आिश्यकता होती है । विधानमंडल के सदनों को संदेि भे ज सकता है (उसे संसदीय विधेयक के
संबंध में रािरपवत के समान िक्तक्त प्राप्त है )।
िह अंडमान और वनकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा और जब राज्य विधानमंडल का सत्र नही ं चल रहा हो तो िह अध्यादे ि जारी कर
नगर हिेली और दमन और दीि की िां वत, प्रगवत और बेहतर सकता है । (जब संसद सत्र नही ं चल रहा हो तो रािरपवत भी अध्यादे ि जारी
सरकार के वलए वनयम बना सकता है । करते हैं )।
राज्य और केंद्रीय विधानों के संबंध में िीटो िक्तक्तयाँ । राज्य विधानों के संबंध में िीटो िक्तक्त।
िह वनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेिा आयोग, िह राज्य के खातों से संबंवधत राज्य वित्त आयोग, राज्य लोक सेिा आयोग और
वित्त आयोग और अन्य की ररपोटय संसद के समक्ष रखता है । वनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक की ररपोटय राज्य विधानमंडल के समक्ष रखता
है ।
न ट: जनिरी 2020 में, भारत की संसद और राज्य विधानमंडलों में एं ग्लो-इं वडयन आरवक्षत सीटों को 2019 के 126िें संिैधावनक संिोधन विधेयक
द्वारा समाप्त कर वदया गया, जब इसे 104िें संिैधावनक संिोधन अवधवनयम, 2019 के रूप में अवधवनयवमत वकया गया।
तित्तीय शद्धियााँ:
राष्टरपति राज्यपाल
धन विधेयक केिल उसकी पूिय अनुिंसा से ही संसद में पेि धन विधेयक केिल उसकी पूिय अनुिंसा से ही राज्य विधानमंडल में पेि वकया
वकया जा सकता है । जा सकता है ।
िह संसद के समक्ष िावषयक वित्तीय वििरण (केंद्रीय बजट) िह राज्य विधानमंडल के समक्ष िावषयक वित्तीय वििरण (राज्य बजट) रखिाता
रखिाता है । है ।
उसकी अनु िंसा के वबना लोकसभा में अनुदान की कोई मां ग उसकी अनुिंसा के वबना विधान सभा में अनुदान की कोई मां ग नही ं की जा
नही ं की जा सकती। सकती।
िह वकसी भी अप्रत्यावित व्यय को पूरा करने के वलए भारत िह वकसी भी अप्रत्यावित व्यय को पूरा करने के वलए राज्य की आकक्तस्मकता
की आकक्तस्मक वनवध से अवग्रम रावि ले सकता है । वनवध से अवग्रम रावि ले सकता है।
िह केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व के वितरण की वसफाररि िह पंचायतों और नगर पावलकाओं की वित्तीय क्तस्थवत की समीक्षा के वलए हर
करने के वलए हर पां च साल के बाद एक वित्त आयोग का पां च साल में एक वित्त आयोग का गठन करता है ।
गठन करता है ।
न्यातयक शद्धियााँ:
राष्टरपति राज्यपाल
िह मुख्य न्यायाधीि और सिोच्च न्यायालय तथा उच्च संबंवधत राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त करते समय
न्यायालयों के न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त करता है रािरपवत द्वारा उनसे परामिय वकया जाता है ।
िह वकसी भी अपराध के वलए दोषी ठहराए गए वकसी भी िह राज्य कानून के क्तखलाफ वकसी भी अपराध के वलए दोषी ठहराए गए वकसी
व्यक्तक्त की सजा को क्षमा कर सकता है , सजा से राहत दे भी व्यक्तक्त की सजा को माफ कर सकता है , राहत दे सकता है ,सजा से राहत
सकता है , कम कर सकता है या सजा को वनलंवबत कर दे सकता है , कम कर सकता है , या सजा को वनलंवबत कर सकता है ।
सकता है ।
170
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
राष्टर पति और उपराष्टर पति के तिशे ष ातधकार और भत्ते (अनु च्छे द 361)
• अनुच्छेद 361 (1): रािरपवत, या वकसी राज्य के राज्यपाल, अपने पद की िक्तक्तयों और कतयव्यों के प्रयोग और प्रदियन के वलए वकसी भी
न्यायालय के प्रवत जिाबदे ह नही ं होंगे, वसिाय इसके वक संसद ने अनुच्छेद 61 के तहत आरोप की जां च के वलए वकसी न्यायावधकरण,
अदालत या वनकाय को अवधकृत वकया हो।
• अनुच्छेद 361(2): पद पर रहते हुए रािरपवत या राज्यपाल के विरुद् कोई आपरावधक काययिाही िुरू नही ं की जा सकती या जारी नही ं
रखी जा सकती।
• अनुच्छेद 361 (3): पद पर रहते हुए रािरपवत या राज्यपाल की वगरफ्तारी या कारािास संबंधी कोई भी काययिाही वकसी भी न्यायालय द्वारा
नही ं की जाएगी।
• अनुच्छेद 361 (4): वकसी राज्यपाल या रािरपवत पर अपनी व्यक्तक्तगत क्षमता में वकए गए कायों के विरुद् वसविल काययिाही केिल 2 महीने
के नोवटस के साथ की जा सकती है ।
राष्टर पति और राज्यपाल की िीट शद्धि की िु ल ना
राष्टरपति राज्यपाल
• संसद के साधारण विधेयकों के संबंध में िह अपनी सहमवत • साधारण विधेयक के संबंध में, िह अपनी सहमवत दे सकता है /
दे सकता है /अपनी सहमवत रोक सकता है /विधेयक को अपनी सहमवत रोक सकता है / विधेयक को सदनों के पुनवियचार के
सदनों के पुनवियचार के वलए लौटा सकता है । वलए लौटा सकता है / विधेयक को रािरपवत के विचार के वलए
आरवक्षत कर सकता है ।
• जब कोई राज्य विधेयक रािरपवत के विचार के वलए राज्यपाल • जब राज्यपाल वकसी विधेयक को रािरपवत के विचार के वलए
द्वारा आरवक्षत वकया जाता है , तो िह अपनी सहमवत दे आरवक्षत रखता है , तो विधेयक के अवधवनयमन में उसकी कोई और
सकता है /अपनी सहमवत रोक सकता है /विधेयक को सदनों भूवमका नही ं होगी।
के पुनवियचार के वलए िापस कर सकता है । • यवद विधेयक को रािरपवत द्वारा सदन या सदनों के पुनवियचार के वलए
• पुनवियचार के वलए लौटने की क्तस्थवत में, यवद विधेयक संसद लौटा वदया जाता है और सदनों द्वारा उसे वफर से पाररत कर वदया
द्वारा पाररत कर वदया जाता है और रािरपवत की सहमवत के जाता है , तो विधेयक को केिल रािरपवत की सहमवत के वलए वफर से
वलए रािरपवत के समक्ष प्रस्तुत वकया जाता है , तो रािरपवत प्रस्तुत वकया जाना चावहए, अथायत, राज्यपाल की सहमवत की अब
विधेयक पर अपनी सहमवत दे ने के वलए बाध्य नही ं है । आिश्यकता नही ं है ।
• धन विधेयक के संबंध में, िह विधेयक पर अपनी सहमवत दे • धन विधेयक के संबंध में, िह विधेयक पर अपनी सहमवत दे सकता
सकता है / विधेयक पर अपनी सहमवत रोक सकता है , है /अपनी सहमवत रोक सकता है /रािरपवत के विचार के वलए विधेयक
लेवकन धन विधेयक को संसद के पुनवियचार के वलए लौटा को आरवक्षत कर सकता है , लेवकन विधानसभा के पु नवियचार के वलए
नही ं कर सकता है ।
धन विधेयक को लौटा नही ं सकता।
• जब राज्यपाल द्वारा धन विधेयक को रािरपवत के विचाराथय
आरवक्षत वकया जाता है , तो िह अपनी सहमवत दे सकता है • जब राज्यपाल वकसी धन विधेयक को रािरपवत के विचाराथय आरवक्षत
रखता है , तो विधेयक को लागू करने में उसकी कोई और भूवमका
171
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
लेवकन राज्य विधानमंडल के पुनवियचार के वलए धन विधेयक नही ं होगी। यवद रािरपवत विधेयक पर अपनी सहमवत दे दे ते हैं तो
को िापस नही ं कर सकता है । यह एक अवधवनयम बन जाता है ।
• संविधान संिोधन विधेयकों के संबंध में िह केिल • संविधान संिोधन विधेयक राज्य विधानमंडल में पेि नही ं वकये जा
अनुसमथय न ही कर सकता है । िह विधेयक को अस्वीकार सकते।
या लौटा नही ं सकता।
अध्यादे श की तिशेषिाएं :
• अध्यादे ि वकसी भी मौवलक अवधकार को कम या छीन नही ं सकता है ।
• वकसी भी अन्य कानून की तरह एक अध्यादे ि भी पूियव्यापी हो सकता है , यानी यह वपछली तारीख से लागू हो सकता है ।
• इन अध्यादे िों में संसद/राज्य के अवधवनयम के समान ही िक्तक्त और प्रभाि होता है , लेवकन ये प्रकृवत में अस्थायी कानून होते हैं ।
172
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• संसद/राज्य विधानमंडल द्वारा अनुमोदन न वमलने की क्तस्थवत में वकसी अध्यादे ि की अवधकतम समयािवध छह महीने और छह सप्ताह हो
सकती है क्ोंवक संसद/राज्य विधानमंडल के दो सत्रों के बीच अवधकतम 6 महीने का अंतर होता है ।
• अध्यादे ि वकसी कर कानून में बदलाि या संिोधन भी कर सकता है । परन्तु, इसे संविधान संिोधन के वलए जारी नही ं वकया जा सकता है।
अध्यादे श के िागत क अल किांतत्रक क् ं िाना जािा है?
• 2017 सिोच्च न्यायालय ने वनणयय वदया वक अध्यादे िों को पुनः जारी करना संविधान के साथ धोखाधडी और लोकतां वत्रक विधायी प्रविया
के साथ छे डछाड है ।
• प्राथवमक कानून बनाने की िक्तक्त विधावयका के पास है न वक काययपावलका के पास। अतः अध्यादे ि कानून बनाने का एक अलोकतां वत्रक
मागय है । काययपावलका को केिल वकसी आपात क्तस्थवत से वनपटने के वलए ही अध्यादे ि जारी करने की विधायी िक्तक्त दी गई है , इसवलए इस
िक्तक्त का दु रूपयोग नही ं वकया जाना चावहए।
• पुन:प्रख्यापन, विधायी प्रविया को खत्म करने के प्रयास को दिाय ता है जबवक विधावयका ही संसदीय लोकतंत्र में कानून बनाने का प्राथवमक
स्रोत है ।
• अध्यादे ि संसदीय जां च, बहस, चचाय आवद से बचने का दू सरा मागय (backdoor) है ।
अध्यादे श ं क पु नः प्रख्यातपि (पुनः जारी करना) करना: िंतिधान की भािना का उिंघन?
रािरीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में िायु गुणित्ता प्रबंधन के वलए आयोग अध्यादे ि, 2020 को पुनः लाने के केंद्र सरकार के वनणयय से
अध्यादे ि जारी करने की प्रथा के साथ-साथ अध्यादे िों की संिैधावनकता के संबंध में कई सिाल उठाए जा रहे हैं ।
• अध्यादे श ं के पुनः प्रख्यापन (Re-promulgation) िे िंबंतधि िािले हैं:
o डी. िी िाधिा बनाि तबहार राज्य: न्यायालय ने माना वक समान विषयिस्तु िाले विधेयकों को पाररत करने का प्रयास वकए वबना
अध्यादे िों को बार-बार जारी करना भारत के संविधान का उल्लंघन होगा।
o कृष्ण कुिार तिंह एिं अन्य बनाि तबहार राज्य: यह ऐवतहावसक वनणयय है वजसमें यह माना गया वक अध्यादे िों का पुन: प्रख्यापन
संविधान के साथ धोखाधडी है । इस मामले में 7िी ं पीठ की जूरी ने माना वक काययपावलका को दी गई िक्तक्त उसे समानां तर कानून
बनाने िाला प्रावधकरण नही ं बनाती है ।
• 1986 में सिोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया वक अध्यादे िों का पुन:प्रख्यापन संविधान के मूल वसद्ां तों के विपरीत है और लोकतां वत्रक
विधायी प्रवियाओं का विर्ध्ंस है , इस तंत्र का उपयोग विधावयका की अनदे खी करने के वलए कायय पावलका द्वारा िक्तक्त प्रयोग के रूप में
वकया जा सकता है ।
• िुद्दे:
o विधायी िक्तक्त का हनन।
o िक्तक्तयों के पृथक्करण के वसद्ांत को कमजोर कर वदया गया है ।
o यह संविधान की मौवलक संरचना का उल्लंघन करता है ।
आगे की राह:
● केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस वसद्ां त का उल्लंघन कर रही हैं , विधावयका और न्यायालयों को इस प्रथा की जाँ च करनी चावहए। िक्तक्तयों
के पृथक्करण और वनयंत्रण एिं संतुलन की अिधारणा का यही अथय है । इस प्रथा पर रोक न लगाकर अन्य दो अंग भी संविधान के प्रवत
अपनी वजम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं ।
राष्टर पति और राज्यपाल की क्षिादान की शद्धि:
• संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 भारत के रािरपवत और राज्यों के राज्यपालों को कुछ मामलों में क्षमा करने या प्रविलंबन करने, लघु करण
करने या विराम दे ने का अवधकार दे ते हैं ।
• रािरपवत/राज्यपाल की क्षमादान िक्तक्त न्यायपावलका से स्वतंत्र है ; यह एक काययकारी िक्तक्त है , जो कानून के संचालन में हुई वकसी भी प्रकार
की न्यावयक त्रुवटयों को ठीक करने और सजा से राहत दे ने के वलए प्रदान की गई है , वजसे रािरपवत/राज्यपाल अनुवचत रूप से कठोर मानते
हैं ।
• 1980 में मारू राम बनाम भारत संघ, और 1994 में धनंजय चटजी बनाम पविम बंगाल राज्य में सिोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया वक
रािरपवत को दया यावचकाओं पर वनणयय लेते समय मंवत्रपररषद की सलाह पर कायय करना होगा।
• ईपुरु िुधाकर और अन्य बनाि आं ध्र प्रदे श (2006)
o अनु च्छेद 72 और 161 के तहत रािरपवत या राज्यपाल की िक्तक्तयाँ न्यावयक समीक्षा के अधीन हैं ।
o उनके वनणयय को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है वक:
✓ इसे वबना बुक्तद्मत्ता के पाररत कर वदया गया
✓ यह दु भाय िनापूणय है
✓ इसे अप्रासंवगक या पूरी तरह से अप्रासंवगक विचारों पर पाररत वकया गया था
✓ प्रासंवगक सामवग्रयों पर विचार नही ं वकया गया है
✓ यह मनमानी पूणय है ।
173
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
तिराि यह केिल एक अस्थायी अिवध के वलए फां सी पर रोक लगाता है , या मृत्युदंड की सजा को स्थवगत करता है या कुछ समय
(Reprieve) के वलए सजा को िापस वलया जाता है ।
राष्टरपति राज्यपाल
िह केंद्रीय कानून के क्तखलाफ वकसी भी अपराध के वलए िह राज्य कानून के क्तखलाफ वकसी भी अपराध के वलए दोषी ठहराए गए वकसी
दोषी ठहराए गए वकसी भी व्यक्तक्त की सजा को माफ कर भी व्यक्तक्त की सजा को माफ कर सकता है , लघुकरण कर सकता है , प्रविलंबन
सकता है , उसका लघुकरण कर सकता है , प्रविलंबन कर कर सकता है या विराम दे सकता है ।
सकता है या विराम दे सकता है ।
िह मृत्युदंड को माफ कर सकता है , उसका लघुकरण कर िह मृत्युदंड को वनलंवबत कर सकता है , लघुकरण कर सकता है या विराम दे
सकता है , प्रविलंबन कर सकता है या विराम दे सकता है । सकता है लेवकन िह मृत्युदंड को माफ नही ं कर सकता।
उसके पास कोटय -मािय ल द्वारा वदए गए दं ड या सजा के संबंध उसके पास ऐसी कोई िक्तक्त नही ं है ।
में क्षमादान की िक्तक्त है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
175
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
78 रािरपवत को सूचना दे ने आवद के संबंध में 167 राज्यपाल को सूचना दे ने आवद के संबंध में मुख्यमंत्री के
प्रधानमंत्री के कतयव्य कतयव्य
• संविधान में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के चयन और वनयुक्तक्त के वलए कोई विविि प्रविया का उल्लेख नही ं है ।
• िंिैधातनक प्रािधान:
o अनुच्छेद 75 में यह प्रािधान है वक केिल प्रधानमंत्री की वनयुक्तक्त रािरपवत द्वारा की जाएगी।
o इसी प्रकार, अनुच्छेद 164 में केिल यह प्रािधान है वक केिल मुख्यमंत्री की वनयुक्तक्त राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
o हालाँ वक, रािरपवत/राज्यपाल वकसी भी व्यक्तक्त को प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री वनयुक्त करने के वलए स्वतंत्र नही ं हैं ।
• रािरपवत/राज्यपाल वनम्नवलक्तखत क्तस्थवतयों में प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री के चयन और वनयुक्तक्त में अपने व्यक्तक्तगत वििेक का प्रयोग कर सकते
हैं -
o जब वकसी भी दल को लोकसभा/राज्य विधानमंडल में स्पि बहुमत प्राप्त न हो।
✓ इस क्तस्थवत में, रािरपवत/राज्यपाल आमतौर पर लोकसभा/राज्य विधानसभा में सबसे बडे दल या गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री
/ मुख्यमंत्री वनयुक्त करते हैं और उनसे एक महीने के भीतर सदन में विश्वास मत हावसल करने के वलए कहते हैं ।
✓ उदाहरण - 1979 में, जब जनता पाटी की सरकार के विघटन के बाद नीलम संजीि रे ड्डी (तत्कालीन रािरपवत) ने चरण वसंह
(गठबंधन नेता) को प्रधानमंत्री वनयुक्त वकया।
o जब पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाती है और उसका कोई उत्तरावधकारी वनयुक्त नही ं होता है ।
✓ इस क्तस्थवत में, यवद सत्ताधारी दल मौजूदा प्रधानमंत्री की मृत्यु के बाद नए नेता का चुनाि करता है , तो रािरपवत के पास उसे
प्रधानमंत्री के रूप में वनयुक्त करने के अलािा कोई विकि नही ं होता है ।
✓ उदाहरण - रािरपवत जैल वसंह द्वारा पूिय नेता इं वदरा गां धी के वनधन के बाद 1984 में राजीि गांधी को प्रधानमंत्री नावमत वकया
गया था। बाद में कां ग्रेस संसदीय दल ने उन्ें सियसम्मवत से पाटी का प्रमुख चुना।
• िहत्त्वपूर्त तनर्तय:
o तदिी उच्च न्यायालय (1980): प्रधानमंत्री पद के उम्मीदिार के वलए लोकसभा में अपना बहुमत सावबत करने की अवनिाययता का
संविधान में उल्लेख नही ं है । रािरपवत यह अनुरोध करने से पहले वक िह वनवित समय के भीतर लोकसभा में अपना बहुमत सावबत
करें , उसे प्रधानमंत्री के रूप में नावमत कर सकता हैं । यही ितें राज्य विधानसभा के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री पर भी लागू होती हैं ।
o ििोच्च न्यायालय (1997): एक व्यक्तक्त जो संसद के वकसी भी सदन का सदस्य नही ं है , उसे छह महीने की अिवध के वलए प्रधानमंत्री
चुना जा सकता है , इस दौरान उसे अपना पद बनाए रखने के वलए संसद के वकसी भी सदन की सदस्यता लेनी होगी। यही ितें
मुख्यमंत्री पर भी लागू होती हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
प्रधानिंत्री िुख्यिंत्री
िपथ रािरपवत, पद एिं गोपनीयता की िपथ वदलाता है राज्यपाल, पद एिं गोपनीयता की िपथ वदलाता है
वनवित नही ं है । िह रािरपवत के प्रसादपयंत पद धारण वनवित नही ं है । िह राज्यपाल के प्रसादपयंत पद धारण करता है ।
काययकाल करता है । जब तक मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है ,
जब तक प्रधानमंत्री को लोकसभा में बहुमत प्राप्त होता राज्यपाल उसे पद से नही ं हटा सकता।
है , रािरपवत उसे पद से नही ं हटा सकता।
लोकसभा में विश्वास (बहुमत) खोने की क्तस्थवत में, विधानसभा में विश्वास (बहुमत) खोने की क्तस्थवत में, मुख्यमंत्री को
प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे ना होता है या रािरपवत उसे इस्तीफा दे ना होता है या राज्यपाल उसे बखाय स्त कर सकता है ।
बखाय स्त कर सकता है ।
िेतन संसद द्वारा वनधाय ररत राज्य विधानमंडल द्वारा वनधाय ररत
• मौजूदा प्रधानमंत्री के इस्तीफे या मृत्यु से मंवत्रपररषद स्वतः ही भंग हो जाती है और इस तरह एक िून्य उत्पन्न होता है ।
• दू सरी ओर, वकसी अन्य मंत्री द्वारा इस्तीफा वदए जाने या उसकी मृत्यु होने पर केिल एक पद ररक्त होता है , वजसे प्रधानमंत्री भर भी सकता
है और नही ं भी।
• िह उच्च-िक्तक्त प्राप्त वनकायों जैसे- नीवत आयोग, रािरीय एकता पररषद (NIC), अंतर-राज्य पररषद (ISC), रािरीय जल संसाधन पररषद
आवद का अध्यक्ष होता है ।
• उसे उच्च िक्तक्त प्राप्त वनकायों जैसे प्रधानमंत्री कायाय लय और कैवबनेट सवचिालय का समथयन प्राप्त होता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
राष्टरपति के िम्बि िें प्रधानिं त्री की शद्धियााँ और कायत राज्यपाल के िम्बि िें िुख्यिंत्री की शद्धियााँ और कायत
• प्रधानमंत्री, रािरपवत और मंवत्र-पररषद के बीच संचार का • मुख्यमंत्री, राज्यपाल और मंवत्र-पररषद के बीच संचार का प्रमुख माध्यम
प्रमुख माध्यम है (अनु च्छेद 78)। है (अनु च्छेद 167)।
• मंत्री-पररषद् के सभी वनणययों को रािरपवत को संसूवचत • मंत्री-पररषद् के सभी वनणययों को राज्यपाल को संसूवचत करे (अनुच्छेद
करे (अनुच्छेद 78)। 167)।
• रािरपवत द्वारा मां गे जाने पर प्रिासन और विधानों के • राज्यपाल द्वारा मां गे जाने पर प्रिासन और विधानों के प्रस्ताि से संबंवधत
प्रस्ताि से संबंवधत जानकारी उसे प्रस्तुत करे । जानकारी उसे प्रस्तुत करे ।
• यवद रािरपवत को आिश्यकता हो, तो मंत्री-पररषद के • यवद राज्यपाल को आिश्यकता हो, तो मंत्री-पररषद के विचार के वलए
विचार के वलए कोई भी मामला प्रस्तुत करना होगा वजस कोई भी मामला प्रस्तुत करना होगा वजस पर एक मंत्री द्वारा तो वनणयय
पर एक मंत्री द्वारा तो वनणयय वलया गया है लेवकन वजस वलया गया है लेवकन वजस पर पररषद द्वारा विचार नही ं वकया गया है
पर पररषद द्वारा विचार नही ं वकया गया है
• यूपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों, भारत के • महावधिक्ता, राज्य लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों, राज्य
महान्यायिादी, भारत के वनयंत्रक और महालेखा परीक्षक चुनाि आयुक्त और अन्य महत्वपू णय अवधकाररयों की वनयुक्तक्त के संबंध
आवद जैसे महत्वपूणय अवधकाररयों की वनयुक्तक्त के संबंध में मुख्यमंत्री, राज्यपाल को सलाह दे ता है ।
में प्रधानमंत्री, रािरपवत को वसफाररि करता है ।
िंिद के िम्बि िें प्रधानिंत्री की शद्धियााँ और कायत राज्य तिधानिंडल के िम्बि िें िुख्यिंत्री की शद्धियााँ और कायत
प्रधानमंत्री, वनम्न सदन (लोकसभा) का नेता होता है । मुख्यमंत्री, राज्य विधानसभा का नेता होता है ।
िह रािरपवत को संसद के सत्र को बुलाने और स्थवगत करने के िह राज्यपाल को राज्य विधानमंडल के सत्र को बु लाने और स्थवगत करने
संबंध में सलाह दे ता है । के संबंध में सलाह दे ता है ।
िह वकसी भी समय रािरपवत से लोकसभा को भंग करने की िह वकसी भी समय राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने की वसफाररि
वसफाररि कर सकता है । कर सकता है ।
िह सदन के समक्ष सरकारी नीवतयों की घोषणा करता है । िह सदन के समक्ष सरकारी नीवतयों की घोषणा करता है ।
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27. िं त त्रपररषद
• संविधान में संसदीय िासन प्रणाली के वसद्ां तों का विस्तृत वििरण नही ं वदया गया है ।
हालाँ वक, अनुच्छेद, 74 और 75 केंद्रीय मंवत्रपररषद से संबंवधत हैं और 163 और 164 राज्य मंवत्रपररषद से व्यापक, संवक्षप्त और सामान्य तरीके
से संबंवधत हैं ।
िं ि ै ध ातनक प्रािधान
• अनुच्छेद 74: रािरपवत को उनके कायों के वनष्पादन में • अनुच्छेद 163: राज्यपाल की वििेकाधीन िक्तक्त को छोडकर, राज्यपाल
सहायता और सलाह दे ने के वलए एक सीओएम होगा को उनके कायों के वनष्पादन में सहायता और सलाह दे ने के वलए सीएम
वजसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा। 42िें और 44िें के साथ एक COM होगा।
संिैधावनक संिोधन अवधवनयम ने सलाह को रािरपवत के • SC तनर्तय (1971): राज्य विधान सभा के विघटन या मंवत्रपररषद के
वलए बाध्यकारी बना वदया है । इस्तीफे के बाद भी, राज्यपाल को सलाह दे ने के वलए हमे िा एक
• िुप्रीि क टत का फैिला (1971): 'लोकसभा भंग होने मंवत्रपररषद मौजूद रहनी चावहए। इसवलए, मौजूदा मंत्रालय अपने
के बाद भी मंवत्रपररषद का पद बरकरार नही ं रहता। उत्तरावधकारी के काययभार संभालने तक कायाय लय में बना रह सकता है ।
अनु च्छेद 74 अवनिायय है और इसवलए, रािरपवत • िुप्रीि क टत का तनर्तय (1974): जहां भी संविधान में राज्यपाल की
मंवत्रपररषद की सहायता और सलाह के वबना काययकारी संतुवि की आिश्यकता होती है , िहां संतुवि राज्यपाल की व्यक्तक्तगत
िक्तक्त का प्रयोग नही ं कर सकता है । संतुवि नही ं होती है बक्तल्क यह मंवत्रपररषद की संतुवि होती है ।
• िुप्रीि क टत का तनर्तय (1974): 'जहां कही ं भी
संविधान को रािरपवत की संतुवि की आिश्यकता होती
है , िह संतुवि रािरपवत की व्यक्तक्तगत संतुवि नही ं है ,
बक्तल्क यह मंवत्रपररषद की संतुवि है ।
• अनुच्छेद 75: राज्यपाल मु ख्यमंत्री और अन्य मंवत्रयों की • अनुच्छेद 164: राज्यपाल मुख्यमं त्री की सलाह पर मुख्यमंत्री और अन्य
वनयुक्तक्त मुख्यमंत्री की सलाह पर करे गा। मंवत्रयों की वनयुक्तक्त करे गा।
• 2003 का 91िां िंश धन अतधतनयि : पीएम सवहत • 2003 का 91िां िंश धन अतधतनयि: सीएम सवहत COM का कुल
सीओएम की कुल भाग लोकसभा की कुल भाग के 15% भाग विधान सभा की कुल भाग के 15% से अवधक नही ं होगा और 12
से अवधक नही ं होगी।
से कम नही ं होगा।
• 2003 का 91िां िं श धन अतधतनयि : दलबदल के
आधार पर अयोग्य घोवषत एलएस/आरएस का सदस्य • 2003 का 91िां िंश धन अतधतनयि: दलबदल के आधार पर अयोग्य
भी मंत्री के रूप में वनयुक्त होने के वलए अयोग्य होगा। घोवषत राज्य विधानमंडल के वकसी भी सदन का सदस्य भी मंत्री के रूप
• कायतकाल: मंत्री रािरपवत की इच्छा तक पद पर बने में वनयुक्त होने के वलए अयोग्य होगा।
रहें गे। • कायतकाल: मंत्री राज्यपाल की इच्छा तक पद पर बने रहें गे।
• िािूतहक उत्तरदातयत्व : मंवत्रपररषद सामूवहक रूप से • सामूवहक उत्तरदावयत्व: मंवत्रपररषद सामूवहक रूप से राज्य विधान सभा
लोकसभा के प्रवत उत्तरदायी होगी। के प्रवत उत्तरदायी होगी।
• शपथ : रािरपवत वकसी मंत्री को पद और गोपनीयता की • शपथ: राज्यपाल वकसी मंत्री को पद और गोपनीयता की िपथ
िपथ वदलाएगा। वदलाएगा।
• अय ग्यिा : एक मंत्री जो लगातार छह महीने की वकसी • अय ग्यिा: एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अिवध के वलए राज्य
भी अिवध के वलए संसद (वकसी भी सदन) का सदस्य विधानमंडल का सदस्य नही ं है , िह मंत्री नही ं रहे गा।
नही ं है , िह मंत्री नही ं रहे गा। • मंवत्रयों के िेतन और भत्ते राज्य विधानमंडल द्वारा वनधाय ररत वकए जाएं गे।
• मंवत्रयों के िेतन और भत्ते संसद द्वारा वनधाय ररत वकये
जायेंगे।
• अनुच्छेद 88: प्रत्येक मंत्री को वकसी भी सदन, सदनों • अनुच्छेद 177: प्रत्येक मंत्री को विधानसभा/पररषद और राज्य
की वकसी भी संयुक्त बैठक और संसद की वकसी भी विधानमंडल की वकसी सवमवत, वजसका िह सदस्य है , की काययिाही में
सवमवत, वजसका िह सदस्य है , की काययिाही में बोलने बोलने और भाग ले ने का अवधकार है । लेवकन िह केिल उसी सदन में
और भाग ले ने का अवधकार है । लेवकन िह केिल उसी मतदान कर सकता है वजसका िह सदस्य है ।
सदन में मतदान कर सकता है वजसका िह सदस्य है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िं त त्रपररषद की िं र चना:
• संविधान केंद्र/राज्य मंवत्रपररषद के आकार या मंवत्रयों की रैं वकंग को वनवदय ि नही ं करता है । इनका वनधाय रण पीएम/सीएम द्वारा समय की
आिश्यकता और क्तस्थवत की आिश्यकताओं के अनुसार वकया जाता है ।
• मंवत्रपररषद में मंवत्रयों की तीन श्ेवणयां होती हैं - कैवबनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। उनके बीच का अंतर उनके संबंवधत रैं क,
पररलक्तब्धयों और राजनीवतक महत्व में वनवहत है ।
िंतत्रय ं की श्रेतर्यााँ:
कैतबनेट िंत्री राज्य िंत्री उप िंत्री
कैवबनेट मंत्री केंद्र/राज्य सरकार के राज्य मंवत्रयों को या तो विभागों का स्वतंत्र उन्ें विभागों का स्वतंत्र प्रभार नही ं वदया जाता है । िे
महत्वपूणय मंत्रालयों जैसे गृह, रक्षा, प्रभार वदया जा सकता है या उन्ें कैवबनेट कैवबनेट मंवत्रयों से जुडे होते हैं और उनके प्रिासवनक,
वित्त, विदे ि आवद का नेतृत्व करते हैं । मंवत्रयों के साथ जोडा जा सकता है । राजनीवतक और संसदीय कतयव्यों में उनकी सहायता
करते हैं ।
िे कैवबनेट के सदस्य होते हैं , इसकी िे कैवबनेट के सदस्य नही ं हैं और कैवबनेट िे कैवबनेट के सदस्य नही ं हैं और कैवबनेट की बैठकों में
बैठकों में भाग लेते हैं और नीवतयां तय की बैठकों में भाग नही ं लेते हैं जब तक िावमल नही ं होते हैं ।
करने में महत्वपूणय भूवमका वनभाते हैं । वक वििेष रूप से आमंवत्रत नही ं वकया
जाता है जब उनके विभागों से संबंवधत
वकसी चीज पर कैवबनेट द्वारा विचार वकया
जाता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• यह एक अनौपचाररक वनकाय है ,वजसमें प्रधानमांत्री और दो से चार प्रभाििाली सहयोगी िावमल होते हैं , वजन पर उनका विश्वास होता है
और वजनके साथ िह हर समस्या पर चचाय कर सकते हैं ।
• यह प्रधानमांत्री को महत्वपूणय राजनीवतक और प्रिासवनक मुद्दों पर सलाह दे ता है और महत्वपूणय वनणयय लेने में उनकी सहायता करता है ।
• इसमें न केिल कैवबनेट मंत्री बक्तल्क प्रधानमंत्री के वमत्र और पररिार के सदस्य जैसे बाहरी लोग भी िावमल होते हैं ।
गुर् और द ष:
छोटी इकाई के कारण, एक बडे कैवबनेट की तुलना में एक बहुत सिोच्च वनणयय लेने िाले वनकाय के रूप में कैवबनेट के अवधकार और क्तस्थवत
अवधक कुिल वनणयय लेने िाला वनकाय. को कम करता है ।
सदस्य अवधक बार वमल सकते हैं और व्यिसाय को अवधक तेज़ी बाहरी व्यक्तक्तयों को प्रभाििाली भूवमका वनभाने की अनुमवत दे कर कानूनी
से वनपटा सकते हैं । प्रविया को दरवकनार करता है ।
महत्वपूणय राजनीवतक मुद्दों पर वनणयय लेने में गोपनीयता बनाए मंवत्रमंडल के अन्य सदस्यों के बीच अविश्वास की भािना पैदा कर सकता है ।
रखने में मदद करता है ।
कै तबने ट ितितियां :
• कैवबनेट विवभन्न सवमवतयों के माध्यम से काम करती है , वजन्ें कैवबनेट सवमवतयाँ कहा जाता है । इन्ें समय की आिश्यकता और क्तस्थवत की
आिश्यकताओं के अनुसार पीएम/सीएम द्वारा स्थावपत वकया जाता है । अत: उनकी संख्या, नामकरण और रचना समय-समय पर बदलती
रहती है ।
• िे न केिल मुद्दों को सुलझाते हैं और कैवबनेट के विचार के वलए प्रस्ताि तैयार करते हैं बक्तल्क वनणयय भी लेते हैं । हालाँ वक, कैवबनेट अपने
फैसलों की समीक्षा कर सकती है।
कैतबनेट ितितिय ं की तिशेषिाएं :
• िे संविधानेतर हैं अथाय त संविधान में उक्तल्लक्तखत नही ं हैं । व्यिसाय के वनयम उनकी स्थापना का प्रािधान करते हैं ।
• िे दो प्रकार के होते हैं - स्थायी और तदथय। पहला स्थायी प्रकृवत का है जबवक दू सरा अस्थायी प्रकृवत का है ।
• इनकी सदस्यता तीन से आठ तक होती है । इनमें आमतौर पर केिल कैवबनेट मंत्री ही िावमल होते हैं । हालाँ वक, गैर-कैवबनेट मंवत्रयों को
उनकी सदस्यता से िंवचत नही ं वकया गया है ।
• इनमें न केिल उनके द्वारा किर वकए गए विषयों के प्रभारी मंत्री िावमल हैं , बक्तल्क अन्य िररष्ठ मंत्री भी िावमल हैं ।
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• इनका नेतृत्व अवधकतर पीएम/सीएम करते हैं । कभी-कभी अन्य कैवबनेट मंत्री, वििेषकर गृह मंत्री या वित्त मंत्री भी उनके अध्यक्ष के रूप
में कायय करते हैं । लेवकन, यवद पीएम/सीएम वकसी सवमवत का सदस्य है , तो िह अवनिायय रूप से इसकी अध्यक्षता करता है ।
कैतबनेट ितितिय ं के लाभ:
• िे मंवत्रमंडल के भारी काययभार को कम करने के वलए एक संगठनात्मक उपकरण हैं ।
• िे नीवतगत मुद्दों की गहन जां च और प्रभािी समन्वय की सुविधा भी प्रदान करते हैं ।
• सवमवतयाँ समय और मानि संसाधनों के कुिल उपयोग की सुविधा प्रदान करती हैं ।
• कैवबनेट का बहुमूल् समय बचाता है । छोटे आकार के कारण अवधक प्रभािी विचार-विमिय।
• यह मंवत्रयों के मनमाने कायों पर रोक लगाता है । िे सामूवहक वजम्मेदारी के वसद्ां त की सुरक्षा में मदद करते हैं ।
• यह मंवत्रस्तरीय वििेषज्ञता के उपयोग को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है ।
कैतबनेट ितितिय ं के नुकिान:
• िे सरकारी कामकाज के सभी महत्वपूणय क्षेत्रों को किर नही ं करते हैं ।
• िे वकसी मामले को तभी उठा सकते हैं जब इसे संबंवधत मंत्री या कैवबनेट द्वारा संदवभयत वकया गया हो।
• यवद जवटल समस्याओं पर वनरं तर ध्यान दे ना है और महत्वपूणय नीवतयों और काययिमों के कायाय न्वयन में प्रगवत की वनरं तर समीक्षा करनी है
तो िे वनयवमत रूप से नही ं वमलते हैं , जो वनतां त आिश्यक है ।
ववगत वर्षों के प्रश्न (मु ख्य परीक्षा):
1. राज्यसभा के सभापयत के रूप में भारत के उपराष्टरपयतिोां की भूयमका की ििाष कीयिए। (2022)
2. राज्यपाल िारा यिधािी शक्तििोां के प्रिोग के यलए आिश्क शतों पर ििाष कीयिए। राज्यपाल िारा अध्यादे शोां को यिधानमांिल के समक्ष
रखे यबना उन्हें यफर से िारी करने की िैधता पर ििाष करें । (2022)
3. मौत की सिा को कम करने में राष्टरपयत की दे री के उदाहरण न्याि से इनकार के रूप में सािषियनक बहस में आ गए हैं । क्ा ऐसी
िायिकाओां को स्वीकार/अस्वीकार करने के यलए राष्टरपयत के यलए कोई समि सीमा यनयदष ष्ट होनी िायहए? यिश्ले र्ण करें
(2014)
4. मांयत्रमांिल का आकार उतना बडा होना िायहए यितना सरकारी कािष उयित हो और उतना बडा यितना प्रधानमांत्री एक िीम के रूप में
प्रबांधन कर सकें। यकसी सरकार की प्रभािकाररता कैयबनेि के आकार से यकस हद तक यिपरीत रूप से सांबांयधत है ? ििाष करें
(2014)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
अनुच्छेद 74 रािरपवत की सहायता और सलाह दे ने के वलए मंवत्रपररषद। इस सलाह की वकसी भी अदालत में जां च नही ं की जाएगी।
िं िदीय ितचि:
1. िह एक सां सद हैं ,जो कतयव्यों के साथ एक िररष्ठ मंत्री की मदद करते हैं । उनके पास आमतौर पर राज्य मंत्री का दजाय होता है , समान
वििेषावधकार प्राप्त होते हैं , और उन्ें सरकारी एजेंसी के वलए कायय करने का काम सौंपा जाता है ।
िं िदीय ितचि ं की तनयु द्ध ि के कारर्:
• अनुच्छेद 75 और 164: अनुच्छेद 75 और 164 के अनुसार, संसदीय सवचि मंत्री नही ं हैं क्ोंवक उन्ें रािरपवत या राज्यपाल द्वारा वनयुक्त
नही ं वकया जाता है और न ही उन्ें पद और गोपनीयता की िपथ वदलाई जाती है ।
• िंिैधातनक शद्धि: विधावयका के पास वकसी भी पदावधकारी को छूट दे ने िाला कानून बनाने का अवधकार है ।
• बढा हुआ कायतभार: िे बढ़े हुए काययभार के बािजूद मंवत्रयों को सफलतापूियक कायय करने में सहायता करते हैं , कुछ ऐसा जो कई राज्यों
और संसद ने वकया है , और सुप्रीम कोटय ने यूसी रमन मामले में इसका समथयन वकया था।
• क ई स्विंत्र प्रभार नही ं: िे केिल अपने कतयव्यों को पूरा करने के वलए मंवत्रयों से बंधे होते हैं ; उन्ें कोई और अवधकार नही ं वदया गया है ।
िं िदीय ितचि ं की तनयु द्ध ि के तिपक्ष िें िकत
• शद्धिय ं के पृ थक्करर् के तिरुद्: यवद कोई विधायक काययकारी बन जाता है तो िह स्वतंत्र रूप से कायय नही ं कर सकता है ।
• िंिैधातनक भािना का उिंघन: इसे मंवत्रयों की पररभाषा से बाहर करके, संसदीय सवचि के कायाय लय का दु रुपयोग मंवत्रपररषद की
15% अवधकतम िक्तक्त को बावधत करने के वलए वकया जाता है । (वदल्ली के मामले में 10%).
• िाितजतनक तहि के तिरुद्: उन्ें गोपनीयता की िपथ नही ं वदलाई जाती। वफर भी उनके पास ऐसी जानकारी तक पहुं च है जो साियजवनक
वहत और रािरीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है और भ्रिाचार को बढ़ािा दे सकती है ।
• अनुच्छेद 102 का दु रुपय ग: यह संसद को कायाय लयों को लाभ के पद के प्रािधान से बाहर करने की अनुमवत दे ता है । संसदीय सवचिों
के बवहष्कार से बडे मंवत्रमंडल के कारण साियजवनक धन की बबाय दी होती है , और संिोधनों के मनमाने उपयोग के कारण राजनीवतक
अिसरिावदता होती है ।
• राजनीतिक उद्दे श्य: इनका दु रुपयोग उन सां सदों की राजनीवतक आकां क्षाओं को पूरा करने के वलए वकया जाता है वजन्ें मंत्री पद नही ं
वमल सका.
तनष्कषत
संसदीय सवचिों की बहस लाभ के पद से संबंवधत है । प्रत्येक राज्य द्वारा एक अलग प्रािधान का पालन करने के बजाय, यह सही समय है वक
सुप्रीम कोटय एक वनणयय दे , और यह सभी राज्यों और केंद्र सरकार पर लागू होगा।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
1. इसका अथय है एक सवमवत, जो सदन द्वारा चुनी जाती है या अध्यक्ष /सभापवत द्वारा नावमत की जाती है , अध्यक्ष/ सभापवत के अधीन
काम करती है और ररपोटय प्रस्तुत करती है , और लोकसभा / राज्यसभा द्वारा प्रदान वकया गया सवचिालय है ।
िं िदीय ितितिय ं की भू त िका:
• तितशष्ट कायत: स्थायी सवमवत वििेष कायय करती है और तदथय सवमवतयाँ विविि कायय करने के वलए गवठत की जाती हैं और उनके पूरा होने
पर अक्तस्तत्व समाप्त हो जाती हैं ।
• गहराई िे जांच: संसदीय सत्रों से परे काम करने से वबलों की गहराई से जां च करने में मदद वमलती है जो सां सद बढ़े हुए काम के बोझ के
कारण नही ं कर पाते हैं ।
• तहिधारक ं क शातिल करना: विषयों की समीक्षा के दौरान ये सवमवतयां गैर सरकारी संगठनों, वििेषज्ञों, नागररकों आवद से प्रवतविया
मां गती हैं । विमुद्रीकरण विषय पर वित्त सवमवत ने आरबीआई गिनयर को तलब वकया.
• जिाबदे ही: यह विधावयका को विवभन्न विभागों के वलए बजटीय आिंटन जैसे महत्वपूणय विषयों पर विस्तृत जां च और सूवचत संसदीय बहस
के माध्यम से काययपावलका को जिाबदे ह बनाने में सक्षम बनाता है ।
• तित्तीय तििेक: बजटीय आिंटन की समीक्षा इसे साियजवनक व्यय में वमतव्ययता और दक्षता सुवनवित करने में सक्षम बनाती है ।
• तिधेयक ं िें िुद्द ं का ििाधान: बहुस्तरीय पूिय-विधायी जां च के पररणामस्वरूप विधेयक में महत्वपूणय मुद्दों का समाधान हो जाता है। जैसे
दो संसदीय सवमवतयों द्वारा परीक्षण के बाद भ्रिाचार वनिारण संिोधन विधेयक में महत्वपूणय मुद्दों का वनिारण।
• िितिम्मति तनिातर् के तलए िंच: दलबदल विरोधी कानून इन सवमवतयों पर लागू नही ं होता है । यह महत्वपूणय मुद्दों पर आम सहमवत बनाने
के वलए पाटी लाइनों से परे वनष्पक्ष कामकाज को सक्षम बनाता है।
• तिशेषज्िा तिकतिि करना: इन सवमवतयों के वििाल सूचना भं डार सां सदों को खुद को जागरूक करने और संसदीय प्रणाली को मजबूत
करने और िासन में सुधार के वलए विचारों में योगदान करने के वलए उपलब्ध हैं ।
ितितिय ं द्वारा िािना तकए जाने िाले िु द्दे :
• िंदतभति तिधेयक ं की िंख्या िें तगरािट: आरटीआई संिोधन अवधवनयम (2019), और यूएपीए सं िोधन अवधवनयम (2019) को सं सदीय
सवमवत को संदवभयत वकए वबना पाररत वकया गया।
• िदस्य ं की अनुपद्धस्थति: सवमवत की बैठकों में 2014-15 से लगभग 50% की उपक्तस्थवत वचंता का कारण है ।
• लघु कायतकाल: इन सवमवतयों का एक िषय का काययकाल वििेषज्ञता के साथ-साथ जवटल विषयों की विस्तृत समीक्षा को पूरा करने के वलए
बहुत कम समय है ।
• उदाहरण- आईटी पै नल "नागररकों की सुरक्षा" अवधकारों और वडवजटल क्षेत्र में मवहलाओं की सुरक्षा पर वििेष जोर दे ने सवहत
सामावजक/ऑनलाइन समाचार मीवडया प्लेटफामों के दु रुपयोग की रोकथाम पर विचार-विमिय पूरा नही ं कर सका।
• तिशेषज्िा का अभाि: सवमवत के सदस्यों के पास लेखां कन और प्रिासवनक वसद्ां तों जैसे विषयों के विस्तृत विश्लेषण के वलए आिश्यक
तकनीकी वििेषज्ञता का अभाि है ।
• गैर-बाध्यकारी तिफाररशें: केिल कुछ बहसों में ही कुछ ररपोटों का संदभय वदया जाता है और इनमें से अवधकां ि ररपोटों को संसद सत्र
में चचाय के वलए नही ं वलया जाता है ।
• बैठक ं का राजनीतिकरर्: सदस्यों ने जनता का ध्यान आकवषयत करने िाले मुद्दों पर बै ठकों में सख्त पाटी लाइन अपनानी िु रू कर दी
है ।
आगे की राह
एनसीआरडब्ल्यूसी ने संसदीय सवमवतयों की प्रभाििीलता में सुधार के वलए वनम्नवलक्तखत कदमों की वसफाररि की है :
• कायतकाल िें िृद्धद्: हाल ही में राज्यसभा सवचिालय डीआरएससी के वलए 2 साल के काययकाल पर विचार कर रहा है तावक पैनल को
उनके द्वारा चुने गए विषयों पर काम करने के वलए पयाय प्त समय वमल सके।
• िंस्थागि अनुिंधान िहायिा: यह सवमवतयों को तकनीकी और जवटल नीवतगत मुद्दों की समग्र रूप से जां च करने की अनुमवत दे गा।
• ििोत्ति प्रथाओं क अपनाना: सरकार की नीवतयों को विस्तृत करने और उनका बचाि करने के वलए संबंवधत मंत्री का सवमवत के समक्ष
उपक्तस्थत होना, वकसी सवमवत को वबल भेजने के वलए िस्तुवनष्ठ मानदं ड आवद जैसी प्रथाओं को अपनाया जाएगा।
• अतिव्यापी कायों िे बचें: वित्तीय वनरीक्षण की वजम्मेदाररयां विभागीय संबंवधत स्थायी सवमवतयों को दी जा सकती हैं और मौजूदा वित्त
सवमवतयों को खत्म वकया जा सकता है ।
• आितधक ििीक्षा: सवमवत के प्रदियन के वनयवमत मूल्ां कन और आिश्यक नीवत सुधार के वलए िस्तुवनष्ठ मानदं ड।
तनष्कषत
संसद की 100-150 (1950) से 2021-22 में 60-70 तक लगातार घटती बैठकों को ध्यान में रखते हुए, सवमवत प्रणाली को मजबूत करने से तैयार
वकए गए कानूनों की गुणित्ता में सुधार और संभावित कायायन्वयन चुनौवतयों को कम करने में काफी मदद वमल सकती है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• परिार्ु तहि ििूह: यह दं गे, प्रदियन, हत्या, आपदा आवद जैसे समाज से राजनीवतक व्यिस्था में कमोबेि एक सहज सफलता है ।
उदाहरण- उल्फा, सलिा जु डूम, दल खालसा आवद।
• गैर-िहय गी तहि ििूह: ये ररश्तेदारी और िंि समूह और क्षेत्रीय और िगय समूह हैं जो व्यक्तक्तयों, पररिार और धावमयक प्रमुखों के आधार
पर वहतों को स्पि करते हैं ।
o इन समूहों की एक अनौपचाररक संरचना होती है और इनमें जावत समूह और भाषा समूह िावमल होते हैं ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o उदाहरण- SEWA और NCW ने घरे लू वहं सा से मवहलाओं की सुरक्षा अवधवनयम, 2005 के वलए अवभयान चलाया।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
1. दबाि समूह भारत में साियजवनक नीवत वनमाय ण को प्रभावित करने में महत्वपूणय भूवमका वनभाते हैं । बताएं वक व्यािसावयक संगठन साियजवनक
नीवतयों में वकस प्रकार योगदान करते हैं । (2021)
2. भारत में नीवत-वनमाय ताओं को प्रभावित करने के वलए वकसान संगठनों द्वारा कौन से तरीके अपनाए जाते हैं और ये तरीके वकतने प्रभािी हैं ?
(2019)
3. विदे िी अंिदान (विवनयमन) अवधवनयम (एफसीआरए), 1976 के तहत गैर सरकारी संगठनों की विदे िी फंवडं ग को वनयंवत्रत करने िाले
वनयमों में हाल के बदलािों की आलोचनात्मक जां च करें । (2015)
4. भारत में पयाय िरण संरक्षण से संबंवधत विकास कायों के वलए गैर सरकारी संगठनों की भूवमका को कैसे मजबूत वकया जा सकता है ? प्रमुख
बाधाओं पर प्रकाि डालते हुए चचाय करें ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• तनिातचक पंजीकरर् अतधकारी: मतदाता सूची तैयार करने और संिोवधत करने के वलए राज्य सरकार के परामिय से ईसीआई द्वारा
नावमत या नामां वकत।
• िहायक तनिातचन पं जीकरर् अतधकारी: वनिाय चन पंजीकरण अवधकाररयों की सहायता के वलए ईसीआई द्वारा वनयुक्त वकया जाता है और
यह वनिाय चन पंजीकरण अवधकारी के वनयंत्रण के अधीन होता है ।
• ररटतनंग अतधकारी: अवधवनयम और वनयमों या आदे िों द्वारा प्रदान वकए गए तरीके से प्रभािी ढं ग से चुनाि कराने के वलए राज्य सरकार
के परामिय से प्रत्येक वनिाय चन क्षेत्र के वलए ईसीआई द्वारा नावमत या नामां वकत।
• िहायक ररटतनंग अतधकारी: ररटवनंग अवधकारी की सहायता के वलए ईसीआई द्वारा वनयुक्त वकया जाता है और नामां कन की जां च को
छोडकर, ररटवनंग अवधकारी के सभी या कोई भी कायय कर सकता है ।
• पयतिेक्षक: वनिाय चन क्षेत्रों या वनिाय चन क्षेत्रों में चुनाि के संचालन पर नजर रखने के वलए ईसीआई द्वारा नावमत।
• पीठािीन अतधकारी: मतदान केंद्र पर व्यिस्था बनाए रखने और यह सुवनवित करने के वलए वक मतदान वनष्पक्ष रूप से हो, प्रत्येक मतदान
केंद्र के वलए वजला वनिाय चन अवधकारी द्वारा वनयुक्त वकया जाता है।
• ििदान अतधकारी: पीठासीन अवधकारी की सहायता के वलए प्रत्येक मतदान केंद्र के वलए वजला वनिाय चन अवधकारी द्वारा वनयुक्त वकया
जाता है ।
• चुनाि आय ग िें प्रतितनयुद्धि पर अतधकारी: चुनाि के वलए अवधसूचना की तारीख से पररणाम की घोषणा की तारीख तक, ररटवनंग
अवधकारी, सहायक ररटवनंग अवधकारी, पीठासीन अवधकारी, मतदान अवधकारी, और वकसी अन्य अवधकारी और वकसी भी पुवलस अवधकारी
को चुनाि आयोग में प्रवतवनयुक्तक्त पर माना जाता है ।
• अन्य अपराध:
o यवद वकसी व्यक्तक्त को वकसी अपराध के वलए दोषी ठहराया जाता है और दो या अवधक साल की जेल की सजा सुनाई जाती है , तो िह
अयोग्य है ।
o यवद कोई व्यक्तक्त भ्रि आचरण में वलप्त है ।
o यवद वकसी व्यक्तक्त को भ्रिाचार या विश्वासघात के कारण सरकारी पद से बखाय स्त कर वदया जाता है।
o यवद वकसी व्यक्तक्त का िावणज्य या व्यिसाय के दौरान सरकार के साथ कोई अनुबंध है या िह सरकार को सामान की आपूवतय करता
है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o यवद कोई व्यक्तक्त वकसी कंपनी या वनगम (सहकारी सवमवत के अलािा) का प्रबंध एजेंट, प्रबंधक या सवचि है , वजसमें सरकार की
वहस्सेदारी कम से कम 25% है ।
o यवद कोई व्यक्तक्त अपने चुनाि खचय का लेखा-जोखा समय पर दाक्तखल नही ं कर पाता है ।
अय ग्य व्यद्धिय ं के तलए उपलि उपाय:
• धारा 11 के िहि ईिीआई िे िंपकत: अयोग्य व्यक्तक्त अवधवनयम की धारा 11 के तहत अयोग्यता को हटाने के वलए चु नाि आयोग से
संपकय कर सकता है (भ्रि प्रथाओं के आधार पर अयोग्यता को छोडकर)।
• धारा 116 A के िहि एििी िे िंपकत: यवद अयोग्यता उच्च न्यायालय में दायर चुनाि यावचका के कारण हुई है , तो व्यक्तक्त धारा 116 A
के तहत अपील के वलए उच्चतम न्यायालय से संपकय कर सकता है।
ििदान के तलए अय ग्यिाएाँ :
• तकिी व्यद्धि क छह िाल की अितध के तलए तकिी भी चुनाि िें ििदान करने िे अय ग्य घ तषि कर तदया जािा है यतद उिे
द षी ठहराया जािा है:
o आईपीिी, 1860: चुनाि में ररश्वतखोरी और अनुवचत प्रभाि या वदखािा का अपराध
o आरपीए, 1951: चुनाि के संबंध में िगों के बीच ित्रुता को बढ़ािा दे ने का अपराध; मतदान केन्द्रों से मतपत्रों को हटाना; वकसी भी
नामां कन पत्र को धोखाधडी से विरूवपत करना या धोखाधडी से नि करना
तितध आय ग की 244िी ं ररप टत की वसफाररिों को लागू वकया जाना चावहए, यानी राजनीवत के अपराधीकरण पर अंकुि लगाने के वलए अन्य
कानूनी सुरक्षा उपायों के साथ-साथ आरोप तय करने के चरण में अयोग्यता।
राजनीतिक दल ं का पं जीकरर्:
भारि के चुनाि आय ग के िाथ राजनीतिक दल ं का पंजीकरर्:
• चुनाि आय ग राजनीतिक दल ं क इि प्रकार िूचीबद् करिा है-
o रािरीय दल,
o राज्य स्तरीय दल या
o पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दल।
• चुनाि वचि (आरक्षण और आिंटन) आदे ि, 1968 रािरीय या राज्य स्तरीय दल के रूप में िगीकृत होने के वलए आिश्यकताओं को वनवदय ि
करता है ।
• रािरीय या राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता के वलए, वकसी राजनीवतक दल को वनम्नवलक्तखत में से कोई भी ितय पूरी की हो:
राष्टरीय दल राज्य स्तरीय दल
4 या अवधक राज्यों में लोकसभा या विधान सभा चुनाि में राज्य में विधान सभा चुनाि में 6% िैध िोट + 2 विधान सभा सीटें
6% िैध िोट + 4 लोकसभा सीटें राज्य में लोकसभा चुनाि में 6% िैध िोट + 1 लोकसभा सीट
3 राज्यों से 2% लोकसभा सीटें 3% या 3 विधान सभा सीटें , जो भी अवधक हो
1/25 लोकसभा सीटें
4 राज्यों में राज्य स्तरीय दल वकसी राज्य में लोकसभा या विधान सभा चु नाि में 8% िैध िोट
चुनाि आय ग के िाथ पंजीकृि तनम्नतलद्धखि राजनीतिक दल ं क पंजीकृि गै र-िान्यिा प्राप्त दल िाना जािा है:
● गैर-मान्यता प्राप्त पावटय याँ नि पंजीकृत पावटय याँ हैं ,
● ऐसी पावटय याँ वजन्ें विधानसभा या आम चुनािों में राज्य पावटय याँ बनने के वलए पयाय प्त प्रवतित िोट नही ं वमले हैं , और
● िे पावटय याँ वजन्ोंने पंजीकृत होने के बाद से कभी चुनाि नही ं लडा है ।
िान्यिा प्राप्त राजनीतिक दल ं क लाभ:
• प्रस्तािक ं िे छूट: मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों के उम्मीदिारों को नामां कन दाक्तखल करने के समय दस प्रस्तािकों से सदस्यता की
आिश्यकता नही ं होती है ।
• आरतक्षि प्रिीक: पंजीकृत मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों के उम्मीदिारों को आरवक्षत वचन् वमलते हैं ।
• चुनाि ं का स्थगन: पंजीकृत मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों के उम्मीदिार की मृत्यु पर, ररटवनंग अवधकारी चुनािों को बाद की तारीख के
वलए स्थवगत कर दे ता है ।
● ििय के न्यायिं गि तहस्से का आिंटन: वपछले प्रदियन के आधार पर, पंजीकृत मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों को आम चुनािों के दौरान
आकाििाणी/दू रदियन पर प्रसारण सुविधाएं वमलती हैं ।
● स्टार प्रचारक ं के यात्रा व्यय: स्टार प्रचारकों के यात्रा व्यय को उनकी पाटी के उम्मीदिारों के चुनाि व्यय ररकॉडय में िावमल नही ं वकया
जाता है ।
● ििदािा िूची की प्रतिय ं की तनः शु ल्क आपूतित: मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों के उम्मीदिारों को।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
िू च ना का अतधकार:
िूचना का अतधकार: एक उम्मीदिार को अपने नामां कन पत्र में वनम्नवलक्तखत के बारे में जानकारी दे नी होगी, चाहे :
• िह दो साल या उससे अवधक के कारािास से दं डनीय वकसी भी अपराध का आरोपी है , जहां सक्षम अदालत द्वारा आरोप तय वकए गए हैं ;
• उसे वकसी अपराध के वलए दोषी ठहराया गया हो और एक िषय या उससे अवधक के कारािास की सजा दी गई हो।
ििदािाओं के िूचना के अतधकार पर ििोच्च न्यायालय का फैिला
िुकदिा ििोच्च न्यायालय का फैिला
एसोवसएिन फॉर डे मोिेवटक उम्मीदिार को वकसी आपरावधक इवतहास, िैक्षवणक योग्यता और संपवत्त के बारे में जानकारी दे नी होगी।
ररफॉर्म्य बनाम यूवनयन ऑफ
इं वडया, 2002
पीपुल्स यूवनयन फॉर वसविल मतदाताओं को उम्मीदिारों की प्रासंवगक योग्यताएं जानने का मौवलक अवधकार है , वजसमें उनकी आय
वलबटीज बनाम यूवनयन ऑफ और संपवत्त के बारे में जानकारी भी िावमल है ।
इं वडया, 2003 तदनुसार, आरपीए, 1951 की धारा 33B, वजसमें कहा गया था वक, उम्मीदिारों को अपने आपरावधक
ररकॉडय के अलािा अपने बारे में वकसी भी जानकारी का खुलासा करने के वलए मजबूर नही ं वकया जा
सकता है , को असंिैधावनक ठहराया गया था।
ररसजेंस इं वडया केस, 2013 ररटवनंग अवधकाररयों के वलए उन नामां कन पत्रों को अस्वीकार करना अवनिायय कर वदया गया वजनके
साथ अधूरा/खाली िपथ पत्र संलग्न है ।
कृष्णमूवतय बनाम वििकुमार एिं सुप्रीम कोटय ने फैसला सुनाया वक उम्मीदिार के आपरावधक इवतहास (वििेष रूप से गं भीर अपराध) का
अन्य, 2015 खुलासा नामां कन पत्र दाक्तखल करते समय वकया जाना चावहए, जैसा वक कानून द्वारा आिश्यक है ।
लोक प्रहरी बनाम चुनाि आयोग, सुप्रीम कोटय ने वनदे ि वदया वक केंद्र वदिावनदे िों के साथ-साथ उम्मीदिारों द्वारा उनके नामां कन पत्र के
2018 साथ प्रस्तुत वकए गए प्रकटीकरण फॉमय में भी बदलाि करे तावक उनके साथ-साथ उनके जीिनसाथी और
आवश्तों के वलए आय का स्रोत भी िावमल हो सके।
िंपतत्त और दे नदाररय ं की घ षर्ा: धारा 75A के अनुसार, संसद के वकसी सदन के वलए प्रत्ये क वनिाय वचत उम्मीदिार को िपथ लेने के 90
वदनों के भीतर अध्यक्ष/ सभापवत को वनम्नवलक्तखत जानकारी प्रदान करनी होगी:
o िह चल और अचल संपवत्त वजसके िह, उसकी पत्नी या उसके आवश्त बच्चे संयुक्त रूप से या अलग-अलग मावलक या लाभाथी हैं ;
o वकसी भी साियजवनक वित्तीय संस्थान, केंद्र या राज्य सरकार के प्रवत उसकी दे नदाररयां ।
• अध्यक्ष और िभापति के पाि तनयि बनाने की शद्धि है: सभापवत/अध्यक्ष इस संबंध में वनयम बना सकते हैं और वनयमों का जानबूझकर
उल्लं घन वििेषावधकार का उल्लंघन माना जा सकता है ।
• चुनाि खचत का लेखा: धारा 77 के तहत प्रत्येक उम्मीदिार को नामां कन की तारीख से लेकर पररणाम घोवषत होने की तारीख तक चुनाि
के संबंध में वकए गए सभी खचों का एक अलग और सही खाता रखना आिश्यक है । यह वहसाब वकसी भी प्रत्यािी को चुनाि के तीस वदन
के भीतर वजला वनिाय चन अवधकारी को दे ना होगा। इस संबंध में वकसी राजनीवतक दल के स्टार प्रचारकों द्वारा हिाई या अन्य तरीकों से
वकए गए यात्रा व्यय को उम्मीदिार द्वारा वकया गया व्यय नही ं माना जाता है ।
चु न ाि यातचका:
• संसद या राज्य विधानसभा वनिाय चन क्षेत्र में वकसी सीट के वलए उम्मीदिार के चुनाि पर वििादों को लोक प्रवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951
(आरपीए) की धारा 80 A के तहत संबंवधत उच्च न्यायालय (HC) (एकल पीठ) में दायर चुनाि यावचका द्वारा हल वकया जाना चावहए।
चुनाि यातचका का िािला
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इं वदरा गां धी बनाम राज नारायण मामले में एक राजपवत्रत अवधकारी को अपने चु नाि एजेंट के रूप में इस्तेमाल
करने के वलए धारा 123(7) के तहत "भ्रि आचरण" के आधार पर श्ीमती गां धी के चुनाि को अमान्य कर वदया।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• शत्रुिा या घृर्ा क बढािा दे ना: धमय, नि, जावत, समुदाय या भाषा के आधार पर भारतीय नागररकों के विवभन्न िगों के बीच ित्रुता या
घृणा को बढ़ािा दे ना।
• ििी प्रथा या इिका ितहिािंडन: सती प्रथा का प्रचार-प्रसार या सती प्रथा या इसका मवहमामंडन।
• गलि प्रकाशन: वकसी भी उम्मीदिार के व्यक्तक्तगत चररत्र या आचरण के संबंध में वकसी भी गलत तथ्य का प्रकािन।
• तकिी भी तनिातचक के तनः शु ल्क आिागिन के तलए तकिी िाहन या जहाज का उपय ग: (स्वयं उम्मीदिार, उसके पररिार के सदस्यों
या उसके एजेंट के अलािा) वकसी भी मतदान केंद्र तक या िहां से।
• व्यय क अतधकृि करने का उिंघन: आरपीए, 1951 की धारा 77 के तहत वनधाय ररत 'चुनािी खचों का लेखा और अवधकतम सीमा' के
उल्लं घन में व्यय करना या अवधकृत करना।
• तकिी भी िरकारी अतधकारी िे िहायिा प्राप्त करना: राजपवत्रत अवधकाररयों, िेतनभोगी न्यायाधीिों और मवजस्टर े टों, सिस्त्र बलों के
सदस्यों, उत्पाद िुल्क अवधकाररयों, राजस्व अवधकाररयों आवद से सहायता (मतदान के अलािा) प्राप्त करना।
• बूथ कैप्चररं ग: 2019 के आम चु नािों में, ़िरीदाबाद में एक पोवलंग एजेंट को 'बूथ कैप्चररं ग' के िीवडयो पर वगरफ्तार वकया गया था।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
चु न ािी अपराध:
आरपीए, 1951 िें िूचीबद् चुनािी अपराध: आरपीए, 1951 का अध्याय III तनम्नतलद्धखि चुनािी अपराध प्रदान करिा है -
• िगों के बीच नफरि क बढािा दे ना: धमय, नि, जावत, समुदाय या भाषा के आधार पर चुनािों के संबंध में िगय ित्रुता को बढ़ािा दे ना।
• गलि जानकारी दे ना: अपने नामां कन पत्र या िपथ पत्र में जानकारी वछपाना:
• अतधकृि ििय िे अतधक िाितजतनक बैठकें आय तजि करना: मतदान के समापन के वलए वनधाय ररत एक घंटे के साथ समाप्त होने
िाली अडतालीस घंटे की अिवध के दौरान
• िाितजतनक बैठक ं िें गडबडी: व्यिसाय के लेन-दे न को रोकने के उद्दे श्य से।
• एद्धिट प ल के निीज ं का प्रकाशन: चुनाि की िु रुआत से लेकर मतदान के आधे घंटे बाद तक एक्तिट पोल आवद के नतीजों का
प्रकािन और प्रसार
• िुद्रर् िािग्री: मुद्रक और प्रकािक के नाम और पते के वबना पैम्हफलेट, पोस्टर आवद का मुद्रण।
• मतदान की गोपनीयता बनाए रखने में विफलता।
• अवधकाररयों आवद को उम्मीदिारों के वलए प्रचार करने या िोटों को प्रभावित करने की अनुमवत नही ं है ।
• मतदान स्थलों से मतपत्रों को हटाना।
• बूथ कैप्चररं ग अपराध है ।
• वकसी ररटवनंग अवधकारी द्वारा या उसके प्रावधकार के अधीन वचपकाई गई वकसी सूची, नोवटस या अन्य दस्तािेज़ को विरूवपत करना,
क्षवतग्रस्त करना या हटाना आवद।
• अन्य अपराध:
o चुनाि के वदन मतदान स्थल पर या उसके आसपास प्रचार करना।
o चुनाि के वदन, मतदान स्थलों पर या उसके आस-पास गलत आचरण।
o मतदान केंद्र पर कदाचार.
o मतदान प्रविया का पालन करने में विफलता।
o चुनाि के संबंध में आवधकाररक कतयव्य का उल्लंघन।
o चुनाि एजें ट, पोवलंग एजेंट और वगनती एजेंट सरकारी कमयचारी हों।
o मतदान स्थल पर या उसके वनकट हवथयार लाना।
o चुनाि के वदन कमयचाररयों को सिैतवनक अिकाि नही ं वदया जाता है ।
o चुनाि के वदन कोई भी िराब नही ं बेच सकता, दे या वितररत नही ं कर सकता।
पे ड न्यू ज:
• नकद या िस्तु के रूप में मूल् पर मीवडया (वप्रंट और इलेक्टरॉवनक) में वदखाई जाने िाली कोई भी खबर या विश्लेषण। (प्रेस काउं वसल ऑफ
इं वडया)।
पेड न्यूज के नकारात्मक प्रभाि:
• राजनीवतक एजेंडा फैलाकर और समाचार चैनलों से जुडे लोगों को बढ़त दे कर स्विंत्र और तनष्पक्ष चुनाि क प्रभातिि करिा है ।
• ल ग ं की ि च और राय क प्रभातिि करिा है: उन्ें यह न बताकर वक समाचार िास्ति में एक विज्ञापन है और उन्ें सूचना के अवधकार
से िंवचत करता है ।
• िीतडया की स्विंत्रिा क प्रभातिि करिा है: यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और मीवडया में लोगों का विश्वास कम करता है ।
• धन शद्धि का प्रतितबंब: भुगतान ज्यादातर नकद या िस्तु के रूप में वकया जाता है और आयकर और चुनाि व्यय कानूनों का उल्लंघन
करता है ।
• ल किंत्र के तनचले स्तर पर आघाि: इस तरह की खबरों का मतदाताओं के मतदान व्यिहार पर बडा प्रभाि पडता है क्ोंवक दिय क को
उम्मीदिार के व्यक्तक्तत्व या प्रदियन की स्पि तस्वीर नही ं वमलती है और इसवलए िह यह वनधाय ररत नही ं कर पाता है वक वकसे िोट दे ना है ।
यह लोकतंत्र की बुवनयादी नीिं को कमजोर करता है ।
पेड न्यूज के चुनािी अपराध नही ं ह ने के तनतहिाथत:
• पेड न्यूज िें खातियां: जो उम्मीदिार पेड न्यूज का उपयोग करते हैं , उन्ें केिल उनके अवभयान खातों में िावमल खचों को िावमल करने
में विफल रहने के वलए दोषी ठहराया जा सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
o उम्मीदिार को प्रासंवगक समय पर खुद को पेड न्यूज से दू र रखने की आिश्यकता नही ं है और न ही पोस्ट फैक्टो से।
• पूिातग्रह और झूठी खबरें : जनता को राजनीवतक दल या उम्मीदिार की सही तस्वीर नही ं वमल पाती है , क्ोंवक उनके काम के सं बंध में
प्रकावित खबरें पक्षपातपूणय और झूठी होती हैं ।
तितध आय ग की तिफाररशें
विवध आयोग ने 'चुनािी सुधार' पर अपनी 255िी ं ररपोटय में, जो माचय 2015 में सरकार को दी थी, पेड न्यूज को चुनािी अपराध बनाने की
वसफाररि की थी।
आगे की राह:
• िूचना प्रौद्य तगकी पर तिभाग-िंबंतधि िं िदीय स्थायी ितिति के अनुिार:
o मीवडया घरानों के वित्तीय खातों, वििेष रूप से राजस्व स्रोतों को संवदग्ध पेड न्यूज के अधीन करना।
o वप्रंट और इलेक्टरॉवनक मीवडया दोनों के वलए एकल वनयामक प्रावधकरण की स्थापना।
• भारतीय प्रेस पररषद द्वारा मतदान किरे ज पर समाचार मीवडया के वलए कडे वदिावनदे ि तैयार करना।
• पेड न्यू ज में िावमल मीवडया घरानों का नामकरण और वनंदा।
• पेड राजनीवतक समाचार को पररभावषत करें तावक भारतीय प्रेस पररषद उपयुक्त वदिावनदे ि जारी कर सके।
• 'पेड न्यू ज' को चुनािी अपराध बनाने के वलए लोक प्रवतवनवधत्व अवधवनयम 1951 में संिोधन करना आिश्यक है ।
• राजनीवतक दलों और उम्मीदिारों को चुनाि आयोग की व्यय सीमा का बारीकी से पालन करना चावहए।
• लोगों में जागरूकता पैदा करके और राजनीवतक दलों और मीवडया सवहत सभी वहतधारकों के साथ साझेदारी करके संिेदनिील बनाया
जाना चावहए।
खासकर वडवजटल युग में पेड न्यू ज का मुद्दा एक नई चुनौती है । यह महत्वपूणय इसवलए है वक चुनाि स्वतंत्र और वनष्पक्ष हों यह सुवनवित करने के
वलए पेड न्यूज के मुद्दे से वनपटा जाए।
• आदशत आचार िंतहिा: विदे िी सरकारें मतदान से पहले चुप्पी बनाए रखने के वलए बाध्य नही ं हैं , इसवलए इस बात पर चचाय करनी होगी
वक एमसीसी का उल्लंघन कैसे न हो।
आगे की राह :
• लॉतजद्धस्टक चुनौतिय ं क िंब तधि करने की आिश्यकिा: विदे ि मंत्रालय के अनुसार, "वििाल लॉवजक्तस्टक चुनौवतयों" को संबोवधत
करने की आिश्यकता है और प्रस्ताि लागू होने से पहले "आिश्यकताओं का यथाथयिादी मूल्ां कन" करने की आिश्यकता है ।
• दू िािाि ं िें ििदान की िुतिधा अपयातप्त है: यवद दू तािास और िावणज्य दू तािास सभी मतदाताओं को समायोवजत करने के वलए
अपयाय प्त हैं तो िास्तविक मतदान सुविधा, मतदाता पहचान और मतदान स्थान अपयाय प्त हैं ।
• पेड न्यूज और जनिि ििे क्षर् ं पर अं कुश लगाना: यह एक मतदाता के सूवचत वनणयय को प्रभावित करता है और इसवलए इस सं बंध में
स्पि वदिावनदे िों के साथ इस पर अंकुि लगाया जाना चावहए।
• फंतडं ग के िुद्द ं िे तनपटना: यह सुवनवित करने के वलए एक रािरीय चुनािी कोष के वनमाय ण की वदिा में प्रयास वकए जाने चावहए वक
वपछले चुनाि में प्रदियन के आधार पर धन को पारदिी तरीके से वितररत वकया जाए।
• मतदाता सूची को आधार पाररक्तस्थवतकी तंत्र से जोडकर एकातधक नािांकन क हटाना।
• राजनीति के अपराधीकरर् पर अं कुश: अपराधीकरण की बढ़ती प्रिृवत्त और घृणास्पद भाषण पर अंकुि लगाया जाना चावहए और
ईसीआई को नागररक समाज के साथ जागरूकता अवभयान, मतदाता जानकारी बढ़ाना आवद जैसे कदम उठाने चावहए।
चुनाि वकसी भी लोकतंत्र की नी ंि हैं और इसवलए, यह महत्वपूणय है वक िे भारत के प्रत्येक नागररक की भागीदारी के साथ-साथ स्वतंत्र और
वनष्पक्ष रहें । भारतीय चुनािों की वनष्पक्षता को खतरे में डालने िाले मुद्दों का समाधान वकया जाना चावहए तावक भारतीय चुनाि भारत को एक
संपन्न लोकतंत्र बनाए रखें।
ऑनलाइन अतभयान:
• वडवजटल अवभयान में विटर, फेसबुक और इं स्टाग्राम जैसे सोिल मीवडया प्लेटफामों पर राजनीवतक और चुनािी अवभयान सामग्री को
बढ़ािा दे ना िावमल है , साथ ही छोटे िहरों से लेकर दू रदराज गांि तक ऑवडयो संदेि, फोन कॉल, िीवडयो और एलईडी स्क्रीन-माउं टेड
िैन के माध्यम से मतदाताओं तक पहुं चना िावमल है ।
• मतदाताओं से संिाद करने िाले अच्छे अवभयान अच्छे ढं ग से चलने िाले चुनािों के केंद्र में हैं । ऑनलाइन चुनाि प्रचार स्वस्थ लोकतंत्र के
वसद्ां तों यानी स्वतंत्र और वनष्पक्ष चुनाि प्रचार के अवधकार को सुविधाजनक बना रहा है ।
लाभ:
• व्यापक पहुंच: ऑनलाइन अवभयान इं टरनेट पहुं च िाले वकसी भी व्यक्तक्त तक पहुं च सकते हैं , वििेषकर युिा लोगों तक। अवभयान
िेबसाइटों, ईमेल न्यू ज़ले टसय, सोिल नेटिवकंग साइटों और िॉगों सवहत विवभन्न तरीकों से लोगों तक इलेक्टरॉवनक रूप से पहुं चा जा सकता
है ।
• िूचना की गति: एक ऑनलाइन अवभयान िेबसाइटों, ईमेल, टे क्स्ट, िॉग और सामावजक नेटिकय के माध्यम से जानकारी तक त्वररत पहुं च
सक्षम बनाता है ।
• लागि प्रभािशीलिा: एक ऑनलाइन अवभयान के साथ आप मु द्रण, कागज और प्रचार कमयचाररयों पर पैसा बचाते हैं । यह कािवनक
रूप से अवधक लोगों तक पहुं च सकता है और कम पैसे खचय होंगे।
• फीडबैक िंत्र क िुतिधाजनक बनाना: इसने चु नािों के बारे में जानकारी तक अभूतपूिय पहुं च प्रदान की है और मतदाताओं को अपनी
राय व्यक्त करने और नेताओं और घटकों के बीच सीधे संचार के माध्यम से खुली बातचीत को बढ़ािा दे ने में सक्षम बनाया है ।
• िैयद्धिकरर्: ऑनलाइन अवभयान लवक्षत दियकों को संभािनाओं के साथ बातचीत करने और यह समझने की अनुमवत दे कर िैयक्तक्तकरण
प्रदान करते हैं वक िे क्ा खोज रहे हैं ।
• लागि प्रभािी: सीवमत बजट िाली छोटी और नई पावटय यों के वलए वडवजटल प्रचार लागत प्रभािी और आसान है , जो इसे एक बवढ़या
विकि बनाता है ।
• क तिड 19 िंबंतधि प्र ट कॉल आिश्यकिा: यह स्क्रीन के माध्यम से साियजवनक बैठकों और रै वलयों की ऑनलाइन व्यिस्था करके
सामावजक दू री बनाए रखने की आिश्यकता को पूरा करता है ।
ऑनलाइन प्रचार िे जु डी ििस्याएं :
• प्रौद्य तगकी पर तनभत रिा: वडवजटल प्रचार पूरी तरह से प्रौद्योवगकी पर आधाररत है और इं टरनेट पर त्रुवटयों की संभािना रहती है ।
• ग्रािीर् इलाक ं िें ल ग ं िक पहुंचना िुद्धिल: ग्रामीण इलाकों में लोगों तक स्माटय फोन या ऑनलाइन मीवटं ग के जररए नही ं पहुं चा जा
सकता। मतदाता आधार बडे पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में केंवद्रत है , और बडी संख्या में मतदाता सोिल मीवडया का उपयोग नही ं कर सकते
हैं ।
• तिदे शी शािन का प्रभाि: विदे िी व्यक्तक्तयों या िासन के वलए दे ि में वकसी भी भौवतक उपक्तस्थवत के वबना मतदाताओं को ऑनलाइन
प्रभावित करने का प्रयास करना आसान हो सकता है । चुनाि के दौरान विदे िी साइबर जासूसी और व्यिधान अवभयानों के जोक्तखम भी हैं।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
• पूिातग्रह और प्रभाि की राय तनिातर् का ज द्धखि: वनजी या राज्य कताय ओं द्वारा सामावजक नेटिकय, इं टरनेट और वकसी भी वबना सेंसर
वकए नागररक अवभव्यक्तक्त मंच पर पूिाय ग्रह, हे रफेर, अपमानजनक वनगरानी और सत्तािादी वनयंत्रण का जोक्तखम है । संगठन या व्यक्तक्त
'नकली' सोिल मीवडया अकाउं ट स्थावपत कर सकते हैं ।
• डे टा िंग्रह का डर: व्यक्तक्तगत डे टा एकत्र करने की दौड, व्यक्तक्तयों की गोपनीयता के वलए गंभीर खतरा पैदा करती है । इसमें कई अन्य
अवधकारों के दमन को सक्षम करने की क्षमता है ।
• छ टी पातटत य ं क नुकिान: इस बात की अच्छी संभािना है वक धन की कमी के कारण कई राजनीवतक दलों के पास बेहतर ऑनलाइन
बुवनयादी ढां चे नही ं होंगे, वजससे वनष्पक्ष चु नाि कराने के मामले में उन्ें नुकसान होगा। नई पावटय याँ लोकवप्रयता हावसल करने के वलए संघषय
करें गी क्ोंवक उनके पास मजबूत संगठन की कमी हो सकती है ।
• बुजुगत ल ग पयातप्त उत्सातहि नही ं ह िकिे हैं: िहरी क्षेत्रों में भी अभी भी ऐसे लोग हैं जो सोिल मीवडया पर सविय नही ं हैं । आभासी
अवभयान का युिा मतदाताओं पर प्रभाि पडे गा लेवकन बु जुगय मतदाताओं के बारे में संदेह है ,जो बाहर आकर मतदान करने के वलए पयाय प्त
उत्सावहत नही ं होंगे।
• ििदािा और राजनीतिक दल आभािी िरीक ं िे पररतचि नही ं हैं: न तो उम्मीदिार और न ही ग्रामीण इलाकों के लोग जुडाि के ऐसे
तरीकों को अपना सकते हैं ।
• िचुतअल रै तलयां आय तजि करने के तलए बुतनयादी ढांचे की किी: कई पावटय यां ऐसी हैं , वजनके पास िचुयअल रै वलयां आयोवजत करने के
वलए कोई बुवनयादी ढां चा नही ं है । यह राजनीवतक दलों और उनके नेताओं को मतदाताओं तक पहुं चने और उन्ें िावमल करने के वलए
समान अिसर दे ने के विचार के अनुरूप नही ं है ।
आगे की राह
• तिपक्षी दल ं के तलए टीिी चैनल ं पर िुफ्त प्रिारर् ििय: सत्तारूढ़ दल के पास पहले से ही एक वििाल बुवनयादी ढां चा है और उसे
अवधकतम चुनािी बां ड भी वमलते हैं । चुनािी खचय करने में िे बाकी सभी पावटय यों से आगे हैं । चुनाि आयोग को टीिी चैनलों पर विपक्षी दलों
को अवधक समय दे कर सहयोग करना चावहए। विपक्षी दलों को इन चैनलों पर मुफ्त में प्रसारण का समय वमलना चावहए।'
• खुले स्थान ं िें छ टे ििूह की बैठकें: बडी रै वलयों और सभाओं के बजाय, सभी दलों को समान अिसर दे ने के मामले में खु ले स्थानों पर
घर-घर अवभयान और छोटे समूह की बैठकें अवधक प्रभािी हो सकती हैं ।
• तडतजटल िािग्री पर छाप: ऑनलाइन अवभयान सामग्री में मुवद्रत अवभयान सामग्री जैसी वचन् िावमल होनी चावहए। मतदाता इस पर
वचन् दे खकर जान सकते हैं वक यह सामग्री कौन बां ट रहा है ।
• घर-घर जाकर प्रचार करना: यह िुरुआत से ही मतदान का एक महत्वपूणय माध्यम रहा है । इस नए माहौल में पावटय यों और उम्मीदिारों
को चुनाि प्रचार के इस तरीके को मजबूत करना होगा।
• स्थानीय भाषाओं िें तडतजटल प्लेटफॉित: 2011 की जनगणना के अनुसार, केिल 10.4% भारतीय अंग्रेजी बोलते हैं , अवधकां ि अपनी
दू सरी, तीसरी या चौथी भाषा के रूप में बोलते हैं और केिल 0.02% भारतीय अपनी पहली भाषा के रूप में अंग्रेजी बोलते हैं । वडवजटल
प्लेट़िॉमय का विकास जैसे 'koo' भाषा की बाधाओं को दू र करने और दे ि के सुदूर इलाकों के लोगों तक पहुं चने में मदद करे गा।
तनष्कषत:
• ितयमान में, राजनीवतक दल वडवजटल प्रचार के प्रोटोकॉल का पालन करने पर सहमत हुए हैं । तकनीकी समाधान लोकतंत्र को बढ़ा या नि
कर सकता है , यह इस बात पर वनभयर करता है वक इसका उपयोग कैसे वकया जा रहा है और इस पर वकसका अवधकार है । यह कहा जा
सकता है वक अभी इस पर बहुत कम लोगों का वनयंत्रण है । जब सत्ता कुछ लोगों के हाथों में केंवद्रत हो जाती है , तो पररणाम कई लोगों के
वलए अच्छे नही ं होते हैं और यह लोकतंत्र के वलए भी अच्छा नही ं हो सकता है ।
1. लोक प्रवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951 के अंतगयत, संसद अथिा राज्य विधावयका के सदस्यों के चुनाि से उभरे वििादों के वनणयय की प्रविया
का वििेचन कीवजये। वकन आधारों पर वकसी वनिाय वचत घोवषत प्रत्यािी के वनिाय चन को िू न्य घोवषत वकया जा सकता है ? इस वनणयय के
विरुद् पीवडत पक्ष को कौन-सा उपचार उपलब्ध है ? िाद विवधयों का संदभय दीवजये।
(250 िब्दों में उत्तर दीवजये) (2022)
2. "लोक प्रवतवनवधत्व अवधवनयम के अन्तगयत भ्रि आचरण के दोषी व्यक्तक्तयों को अयोग्य ठहराने की प्रविया के सरलीकरण की आिश्यकता
है "। वटप्पणी कीवजए। (उत्तर 150 िब्दों में दीवजये) (2020)
3. वकन आधारों पर वकसी लोक प्रवतवनवध को, लोक प्रवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951 के अधीन वनरवहयत वकया जा सकता है ? उन उपचारों का
भी उल्लेख कीवजए जो ऐसे वनरवहय त व्यक्तक्त को अपनी वनरहय ता के विरुद् उपलब्ध हैं ।
(250 िब्द, 15 अंक) (2019)
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
● इसमें दो सदन होते हैं : प्रवतवनवध सभा ● प्रवतवनवध सभा और सीनेट काफी हद तक िमिः भारत की
और सीनेट। लोकसभा और राज्यसभा के समान हैं ।
● भारत में काययपावलका विधावयका से आती है और इसके दायरे
लोक - सभा: में आती है ।
● दु वनया के सबसे कमजोर वनचले सदनों ● रािरपवत संघ काययकाररणी का सदस्य होता है । हालाँ वक, चूँवक
में से एक। रािरपवत को मंवत्रपररषद के समथयन और सलाह के साथ कायय
● इसमें 435 सदस्य हैं । करना चावहए, प्रधानमांत्री और मंवत्रपररषद िास्तविक काययकारी
● अलग-अलग राज्यों में लोगों का का गठन करते हैं ।
प्रवतवनवधत्व संख्या में वभन्न हो सकता
है ।
तिधान िंडल िीनेट:
● वनकाय स्थाई है
● दु वनया का सबसे िक्तक्तिाली उच्च
सदन.
● साधारण विधेयक, संिोधन विधेयक
और धन विधेयक सभी इसके अवधकार
क्षेत्र में आते हैं ।
● सीनेटर छह साल का काययकाल पूरा
करते हैं । हर दो साल में एक वतहाई
सदस्य/सीनेटर चले जाते हैं ।
● विधावयका और काययपावलका दोनों की
ितें वनवित और एक दू सरे से स्वतंत्र
हैं ।
● काययपावलका का कोई सदस्य
विधानमंडल का सदस्य नही ं हो
सकता।
● संयुक्त राज्य अमेररका में "उवचत ● भारत में "कानून द्वारा स्थावपत प्रविया" के अनुसार वकसी
कानूनी प्रविया" के वबना वकसी का व्यक्तक्त का जीिन और स्वतंत्रता छीनी जा सकती है ।
जीिन या स्वतंत्रता नही ं छीनी जा ● िाक्ां ि "कानून द्वारा पररभावषत प्रविया" विधावयका को
सकती। स्वतंत्रता को सीवमत करने की व्यापक वििेकाधीन िक्तक्त दे ता
िौतलक अतधकार ● उवचत प्रविया इस आिश्यकता को है ।
संदवभयत करती है वक कानून का सार
और अभ्यास न्यायसंगत, समान और
साम्यपूणय हो, जैसा वक न्यायपावलका
द्वारा वनधाय ररत वकया गया है ।
● वकसी व्यक्तक्त की स्वतंत्रता छीनने की
विधायी िक्तक्त प्रवतबंवधत है तथा
न्यायपावलका इसकी जां च और
मूल्ां कन करती है ।
● िक्तक्तयों के पृथक्करण का वसद्ां त ● भारत में काययपावलका और विधावयका आपस में मजबूती से
तनयंत्रर् और िंिुलन अमेररकी संविधान में वनवहत है । जुडी हुई हैं और न्यायपावलका कुछ हद तक स्वतंत्र रूप से कायय
● काययकारी और विधायी कायों की कर रही है ।
न्यावयक वनगरानी के माध्यम से,
न्यायपावलका सरकार की अन्य
िाखाओं पर नज़र रखती है ।
● अमेररकी संविधान "आपातकाल" ● युद् या सिस्त्र विद्रोह होने पर भारत में आपातकाल की घोषणा
िब्द का उपयोग नही ं करता है , ले वकन की जा सकती है ।
आपािकाल यह बताता है वक विद्रोह या साियजवनक ● जीिन के अवधकार (अनुच्छेद 21) को छोडकर सभी मौवलक
सुरक्षा पर आिमण की क्तस्थवत में बंदी अवधकार आपात क्तस्थवत में वनलंवबत वकए जा सकते हैं ।
प्रत्यक्षीकरण की ररट को वनलंवबत
वकया जा सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
● न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त रािरपवत द्वारा ● दू सरी ओर, भारत उच्च न्यायपावलका में न्यायाधीिों की वनयुक्तक्त
की जाती है और सीनेट द्वारा उनकी के वलए कॉलेवजयम पद्वत का उपयोग करता है ।
पुवि की जाती है , और उन्ें कां ग्रेस और
न्यायपातलका रािरपवत द्वारा महावभयोग द्वारा हटा
वदया जाता है ।
● रािरपवत उनके िेतन और पररलक्तब्धयों
को वनयंवत्रत करते हैं ।
● सिोच्च न्यायालय के न्यायाधीिों की
वनयुक्तक्त वबना वकसी योग्यता के की
जाती है ।
िंतिधान िें िं श धन के द िरीके हैं: ● भारत की संिोधन प्रविया सरल एिं लचीली है ।
1. कां ग्रेस द्वारा प्रस्तावित और राज्यों द्वारा ● भारत में, केिल संसद को संिैधावनक संिोधनों की वसफाररि
अनुसमवथयत : करने का अवधकार है , और राज्यों को इस मामले में कोई
िंतिधान िें िं श धन ● संिोधन दोनों सदनों के 2/3 अवधकार नही ं है ।
बहुमत से पाररत वकया जाएगा। ● हालाँ वक कुछ अनुच्छेदों को साधारण बहुमत से संिोवधत वकया
● कम से कम 3/4 राज्यों के राज्य जा सकता है , अन्य को वििेष बहुमत की आिश्यकता होती है ,
विधानमंडलों द्वारा अनुसमवथयत और कुछ अनुच्छेदों को आधे से अवधक राज्यों द्वारा अनुसमथयन
होना। की आिश्यकता होती है ।
2. राज्यों द्वारा प्रस्तावित और राज्यों द्वारा
अनुसमवथयत :
● दो वतहाई राज्यों को इस आिय
का प्रस्ताि पाररत करना चावहए।
● िे कां ग्रेस से संिाद करें गे. कां ग्रेस
सम्मेलन बुलाएगी.
● सम्मेलन में इसे 3/4 राज्यों द्वारा
अनुमोवदत वकया जाना है ।
भारि और तिटे न:
प्रकृति ● विटे न में कोई औपचाररक वलक्तखत ● भारतीय संविधान को विवभन्न भागों और अनुसूवचयों में
संविधान नही ं है । विवटि संविधान का संवहताबद् वकया गया है ।
कोई औपचाररक या संवहताबद् ● इसके विपरीत, भारतीय संविधान लचीला और कठ र द न ं है।
संस्करण नही ं है । ● संघीय अथिा एकात्मक संविधान दो प्रकार के होते हैं ।
● इसे कभी भी वकसी संविधान सभा 1. एकात्मक प्रणाली में, सत्ता का केंद्र सरकार के सभी
द्वारा नही ं बनाया गया था। अवधकारों का उपयोग करता है , और राज्य इसके सहायक
● विवटि संविधान एक लचीली के रूप में कायय करते हैं ।
िंिैधातनक िंरचना है। 2. संघीय संविधान राज्यों और संघीय सरकार के बीच
● िाधारर् बहुिि (उपक्तस्थत और प्रावधकार का विभाजन स्थावपत करता है , वजनमें से प्रत्येक
मतदान करने िाले सदस्यों का 50%) अपने क्षेत्र में संप्रभु है ।
द्वारा पाररत, पररिवतयत या वनरस्त ● इस प्रकार भारतीय संविधान एकात्मक पहलुओं के साथ संघीय,
वकया जा सकता है । संघीय तत्वों के साथ एकात्मक और प्रकृवत में अधय-संघीय है ।
राज्य की प्रकृति ● विवटि संसद, एक िंप्रभु िंस्था, के ● संघीय प्रकृवत। शद्धियां रािरीय और राज्य सरकारों द्वारा साझा
पास सरकार की सभी िक्तक्तयाँ हैं । की जाती हैं ।
● दे ि में असीवमत विधायी अवधकार ● इस तथ्य के बािजूद वक राज्य विधानसभाएं मौजूद हैं , भारतीय
रखने िाली एकमात्र विधायी संस्था संसद की विधायी िक्तक्त लगभग विवटि संसद की तुलना में है ।
िंिद की िं प्रभु िा विवटि संसद है । इसके द्वारा कोई भी ● न्यायपावलका संसद पर प्रभािी ढं ग से वनयंत्रण रखती है और
कानून पाररत, संिोवधत या वनरस्त भारत में सत्ता के पृथक्करण का एक पूरा तंत्र मौजूद है ।
वकया जा सकता है ।
● विवटि संसद द्वारा अवधवनयवमत
कानून की िैधता का वनणयय अदालतों
द्वारा नही ं वकया जा सकता है ।
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प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
● यह वसविल सेिक वप्रिी काउं वसल, ● एक काययकारी तुलनीय है , लेवकन भारत में व्यक्तक्तगत कानू नी
मंवत्रपररषद के स्थायी काययकारी वजम्मेदारी मौजूद नही ं है ।
कायतपातलका (सीओएम), राजा और प्रधानमांत्री िे ● काययपावलका मंवत्रयों और नौकरिाहों से बनी होती है ।
बना है ।
● काययपावलका की व्यद्धिगि कानूनी
तजम्मेदारी है।
● एक संिैधावनक राजतंत्र जो लोकतंत्र ● रािरपवत राज्य का औपचाररक प्रमुख होता है तथा मंवत्रपररषद
के साथ असंगत नही ं है । की सहायता और सलाह के अनुसार कायय करता है ।
राज्य के िुद्धखया का ● राजा के पाि क ई तििेकाधीन ● यवद रािरपवत संविधान का उल्लंघन करता है तो उस पर
स्वभाि अतधकार नही ं है। उसे 'ग ल्डन महावभयोग चलाया जा सकता है ।
जीर ' कहा जािा है।
● कहा जाता है वक राजा को पूरी छूट है
और िह कोई भी गलत काम करने में
असमथय है ।
● कानून का िासन इस तथ्य से सुरवक्षत ● 'बुतनयादी ढांचे' के तिचार ने न्यायपावलका को एक िक्तक्तिाली
है वक न्यायाधीिों को केिल उपकरण वदया है वजसके साथ िह वकसी भी काययकारी या
कारणिि, गंभीर दु व्यतिहार के तलए विधायी गवतविवध को दबा सकती है वजसे िह संविधान की मूल
और विकवसत प्रोटोकॉल के अनु सार भािना के विपरीत मानती है ।
न्यायपातलका ही पद से बखाय स्त वकया जा सकता है । ● अन्य प्रािधान काफी हद तक यूके के मॉडल के समान हैं ।
● हटाने के तलए संसद के दोनों सदनों
की मंजूरी लेना जरूरी है ।
● तितटश िंिद क द िदन ं िें ● दोनों सदनों में वनवित सीटों िाली वद्वसदनीय विधावयका।
तिभातजि तकया गया है: हाउस ● हाउस ऑफ लॉड्य स काफी हद तक राज्यसभा के समान है और
ऑफ लॉड्य स, वजसका अवधकार हाउस ऑफ कॉमन्स लोकसभा के समान है ।
अपररिवतयत है , और हाउस ऑफ
तिधान िंडल कॉमन्स, वजसकी सदस्यता 650
वनधाय ररत है ।
● िंश धन: इन्ें हाउस ऑफ लॉड्य स
द्वारा प्रस्तुत और अनुमोवदत वकया जा
सकता है । हालाँवक, इसके पास केिल
थोडी मात्रा में िक्तक्त है ; यवद यह वकसी
विधेयक को अस्वीकार कर दे ता है , तो
यह केिल अवधकतम एक िषय के वलए
इसे अपनाने में दे री कर सकता है।।
स्पीकर ● यूनाइटे ड तकंगडि िें एक बार ● भारत में ऐसा कोई प्रािधान/सम्मेलन नही।ं स्पीकर के तलए
स्पीकर ह ने के बाद हिेशा स्पीकर अपनी पाटी से इस्तीफा दे ना जरूरी नही ं है ।
का तनयि ह िा है। यह दशातिा है
तक अध्यक्ष का स्थानीय तनिात चन
क्षेत्र तनतितर ध है।
● जब तकिी व्यद्धि क अध्यक्ष
तनयुि तकया जािा है, ि िह
औपचाररक रूप िे अपने
राजनीतिक दल िे इस्तीफा दे दे िा
है।
प्रधानिंत्री ● विटे न में, प्रधानमांत्री के वलए केिल ● प्रधानमंत्री संसद के वकसी भी सदन का सदस्य हो सकता है ।
हाउस ऑफ कॉमन्स का सदस्य होना
प्रथागत है ।
छाया िंतत्रिंडल ● विपक्षी दल के छाया मंवत्रमंडल ● छाया कैवबनेट का कोई प्रािधान नही।ं
सदस्यों के पास मंत्री के समान
पोटय फोवलयो होता है ।
202
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
भारि और फ्ां ि:
● फ्ां सीसी संसद वद्वसदनीय है , वजसमें दो सदन हैं : नेशनल अिेंबली ● लोकसभा की तुलना में राज्यसभा के
और िीनेट। पास सीवमत िक्तक्तयाँ हैं ।
● नेिनल असेंबली की सीनेट की तुलना में काफी अवधक िक्तक्तयां ● केिल संिैधावनक संिोधन के मामले में
िंिद फ्ां सीसी वद्वसदनीय प्रणाली को असमान बनाती हैं । राज्यसभा भारत में लोकसभा के
● िीनेट क भं ग नही ं तकया जा िकिा. बराबर है ।
● धिततनरपे क्षिा के कठ र तिद्ांि का पालन करिा है: राज्य ● भारतीय धमयवनरपेक्षता सभी धमों का
धावमयक गवतविवधयों का समथयन नही ं करता है लेवकन वनजी धावमयक समान रूप से सम्मान करती है और
प्रथाओं में हस्तक्षेप भी नही ं करता है । िकारात्मक धिततनरपे क्षिा का
● यह िाितजतनक स्थान ं पर तकिी भी दृश्यिान धातितक प्रिीक ं िबिे अच्छा उदाहरर् है।
धिततनरपे क्षिा
क प्रतिबंतधि करिा है। यह मॉडल राज्य समवथयत धावमयक सुधारों
के विचार के वलए कोई गुंजाइि नही ं छोडता है ।
● संसद के दोनों सदनों को 3/5 बहुमत से एक प्रस्ताि पाररत करना ● लचीले और कठोर का वमश्ण. जनमत
होता है । संग्रह आवद जैसे कोई प्रािधान नही ं है ।
िंश धन ● प्रकृवत में इतना कठोर है वक रािरपवत जनमत संग्रह द्वारा संिोधन
को लोगों के पास भेजने का विकि भी चुन सकते हैं ।
● रािरपवत को एक वनवित अिवध (5 िषय) के वलए चुना जाता है । ● भारि के राष्टरपति के िहातभय ग िें
रािरपवत का चुनाि मतदान के पूणय बहुमत (तद्विीय ििपत्र प्रर्ाली ऐिा क ई तनकाय िंिैधातनक
राष्टरपति ) द्वारा वकया जाएगा। प्रािधान ं का पालन नही ं करिा है
● उच्च न्यायालय रािरपवत के महावभयोग के कारणों की जाँ च करे गा। और िंिद ऐिा करने के तलए एक
तनकाय है।
● फ्ां सीसी प्रधानमांत्री रािरपवत (िहिाि की अिधारर्ा) के ● सरकार का िास्तविक मुक्तखया
िलाहकार हैं। प्रधानमंत्री होता है ।
● दोनों क्तस्थवतयों के बीच, िक्तक्त के विभाजन के बजाय कायों का
प्रधानिंत्री विभाजन होता है ।
● फ्ांिीिी राष्टरपति तिदे शी िािल ं और घरे लू िुद्द ं के प्रभारी हैं।
● दू सरी ओर, प्रधानमांत्री कंपनी के दै वनक कायों के प्रभारी हैं ।
● स्थानीय सरकार और घरे लू मामले
● उच्च न्याय पररषद न्यायाधीिों को नामां वकत करती है । ● उच्च न्यायपावलका उच्च न्यायपावलका
● न्यायपावलका के अध्यक्ष और सदस्य इस वनकाय के प्रभारी होते हैं । में न्यायाधीश ं की तनयुद्धि के तलए
न्यायपातलका ● रािरपवत को "न्यायपातलका का िंरक्षक" भी कहा जािा है। एक कॉलेतजयि (अतधशािी िंडल)
पद्ति का उपय ग करिी है।
● शपथ राष्टरपति द्वारा तदलाई जािी है
और महावभयोग की प्रविया संसद की
दे खरे ख में पूरी होती है ।
203
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
भारि और चीन
के वलए समान िेतन सवहत अन्य अवधकारों कतयव्यों (भाग 4 A) के साथ, यह ल किंत्र के तिचार
का आनंद लेने का कानूनी अवधकार है । क पूर्तिा प्रदान करिा है।
● िह प्रविया वजसके माध्यम से सं सद में दो-वतहाई िोट प्राप्त करने के बाद िं श धन ं क लागू
SA िंतिधान िे तलया गया है तकया जािा है।
● राज्यिभा के िदस्य ं क चुनने के वलए राज्य विधानमंडलों द्वारा तकयसंगत प्रवतवनवधत्व का
उपयोग वकया जाता है ।
205
प्रहार 3.0 भारतीय राजव्यवस्था
● िब्द "हम लोग" दोनों दे िों के संविधान की "प्रस्तािना" के पहले िब्द हैं , जो दिाय ते हैं वक लोग
संप्रभु हैं और संविधान उनसे अपनी िक्तक्त प्राप्त करता है ।
● भारतीय और दवक्षण अफ़्रीकी संविधानों के तहत, िमिः मौवलक अवधकार और अवधकारों का
विधेयक कानूनी प्रणाली और लोकतंत्र की आधारविला के रूप में कायय करते हैं ।
ििानिाएाँ ● दोनों राज्य को कमजोरों और हाविये पर पडे लोगों की क्तस्थवत में सु धार लाने के प्रयासों में कुछ छूट
दे ते हैं ।
● दवक्षण अफ़्रीकी संविधान के समान, भारतीय संविधान के कुछ प्रािधानों को संिोवधत करने के
वलए संसद में दो-वतहाई बहुमत की आिश्यकता होती है ।
● भारत में, िि दे ने का अतधकार , वजसका उल्ले ख वबल ऑफ राइट् स में वकया गया है , को केिल
िैधावनक/कानूनी अवधकार का दजाय प्राप्त है ; इसे मौवलक अवधकारों में से एक नही ं माना जाता है ।
● 44िें संिैधावनक संिोधन ने िंपतत्त के अतधकार क , जो अवधकारों के विधेयक में िावमल है ,
अन्तर संविधान के भाग III से अनुच्छेद 300A में स्थानां तररत कर वदया गया है , वजससे इसे कानूनी
अवधकार का दजाय वमल गया है ।
● अतधकार तिधे यक िें सूचना के अवधकार को िावमल करना भारत में वििेष रूप से एक विधायी
अवधकार है ।
1. संयुक्त राज्य अमेररका और भारत के संविधानों में समानता के अवधकार की धारणा की विविि वििेषताओं का विश्लेषण कीवजए। (2021)
2. धमयवनरपेक्षता के प्रवत भारतीय संविधान के दृविकोण से फ्ां स क्ा सीख सकता है ? (2019)
206
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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धवषय सूची
1. सरकार की नीतियााँ और तितिन्न क्षेत्रों में हस्तक्षेप ................................................................................. 4
अर्थ और भूमिका .............................................................................................................................................................................................................4
सार्थजमिक िीमि के प्रकार ..............................................................................................................................................................................................4
सार्थजमिक िीमि की प्रकृमि / मर्शेषिाएँ .......................................................................................................................................................................4
सार्थजमिक िीमि िें चु िौमिय ाँ .........................................................................................................................................................................................5
भारि िें सार्थजमिक िीमि: िीमि मििाथ ण की सािान्य प्रमिया .......................................................................................................................................5
भारि िें मर्कासात्मक योजिा का िर्-उदारर्ादी प्रमििाि (िॉडल)...........................................................................................................................8
िीमि आयोग और इसकी पृष्ठभूमि ..................................................................................................................................................................................9
भारि की सार्थजमिक िीमि िें खामियाँ ....................................................................................................................................................................... 11
आर्श्यक उपाय........................................................................................................................................................................................................... 11
िीमि की प्रभार्शीलिा का िूल्ाां कि .......................................................................................................................................................................... 12
आकाां क्षी मजला कायथिि.............................................................................................................................................................................................. 13
सार्थजमिक खरीद और पररयोजिा प्रबांधि ................................................................................................................................................................. 15
मर्गि र्षों के प्रश्न.......................................................................................................................................................................................................... 17
1
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
4. ई-गवनेंस ........................................................................................................................................46
ई - गवनेंस की पररभ र्ष ............................................................................................................................................................................................ 46
ई-गवनेंस को सुगि बन ने व िे क रक ................................................................................................................................................................... 46
ई-गवनेंस क िित्व.................................................................................................................................................................................................... 46
ई-गवनेंस की स्म र्ट मवशेर्षत एं .................................................................................................................................................................................. 47
ई-गवनेंस क िित्व.................................................................................................................................................................................................... 47
गवनटिेंर् र्ू मसमर्जन (G2C) ....................................................................................................................................................................................... 47
गवनटिेंर् र्ू मबजनेस (जी2बी):.................................................................................................................................................................................... 48
गवनटिेंर् र्ू गवनटिेंर् (G2G) ....................................................................................................................................................................................... 48
ई-गवनेंस को बढ व दे ने के मिए सरक र द्व र की गई पििें .............................................................................................................................. 48
ई-गवनेंस की चुनौमतय ं .............................................................................................................................................................................................. 49
आगे की राह ................................................................................................................................................................................................................. 51
ई-गवनेंस पर केस स्टडी ............................................................................................................................................................................................ 52
मनष्कर्षट .......................................................................................................................................................................................................................... 53
ई-गवनेंस से संबंमधत अन्य प्रिुख िुद्दे ...................................................................................................................................................................... 53
मडमजर्ि इं मडय पिि क मवश्लेर्षण ....................................................................................................................................................................... 56
मडमजर्ि संप्रभुत ........................................................................................................................................................................................................ 58
डे र् अस्वीकरण क प्रमतकूि प्रभ व........................................................................................................................................................................ 59
मवगत वर्षों के प्रश्न ........................................................................................................................................................................................................ 60
2
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
3
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● सारगतिटि नीतियााँ: ये र्े िीमियाँ हैं जो सिाज के सिग्र o जैि मट्र मिट्ी सरकारी सस्िडी के ररसार् को रोकिे
कल्ाण और मर्कास से सांबांमधि हैं , जैसे मक मशक्षा और के मलए भारिीयोां के जि धि खािोां, िोबाइल िांबरोां
रोजगार के अर्सर प्रदाि करिे र्ाले कायथिि, आमर्थक और आधार काडों को जोड़िे की भारि सरकार की
स्थर्रीकरण िर्ा कािूि और व्यर्थर्ा मियािक पयथर्ेक्षण। एक पहल है ।
उदा. तशक्षा का अतिकार अतितनयम। ● पूाँजीकरण नीति: इस िीमि के िहि सांघ सरकारें राज् और
o सांमर्धाि के अिुच्छेद 21A के अिुसार 6 से 14 िषट थर्ािीय सरकारोां को मर्त्तीय सहायिा प्रदाि करिी हैं।
की आयु के प्रत्येक बच्चे को मिः शुल्क और अमिर्ायथ उदाहरण के मलए प्रधाििांत्री िुद्रा योजिा (PMMY)।
मशक्षा का अमधकार है । इस अिुच्छेद को 86िें o पीएिएिव ई को गैर-कॉपोरे ट्, गैर-कृमष लघु या
सोंतििान सोंशरिन अतितनयम के िाध्यि से सूक्ष्म उद्यिोां को 10 लाख रुपये िक का ऋण प्रदाि
सांमर्धाि िें जोड़ा गया र्ा। इस सांशोधि को प्रभार्ी करिे के मलए सरकार द्वारा 2015 िें शुरू मकया गया
बिािे के मलए मशक्षा का अमधकार अमधमियि पाररि र्ा।
मकया गया। ● तनयामक नीति: ये व्यापार, व्यर्साय, सुरक्षा सार्धामियोां
o सरकारी स्कूल सभी बच्चोां को िुफ्त मशक्षा प्रदाि और सार्थजमिक उपयोमगिाओां के मियिि से सांबांमधि हैं। ये
करें गे और स्कूलोां का प्रबांधि स्कूल प्रबोंिन मियि सरकार की ओर से LIC और RBI जैसे सांगठिोां द्वारा
सतमतियरों (SMCs) द्वारा मकया जाएगा। मिजी स्कूल बिाए जािे हैं ।
अपिे स्कूलोां िें कम से कम 25% बच्रों कर तबना
तकसी शुल्क के प्रिेश दें गे। सािट ज तनक नीति की प्रकृ ति / तिशे ष िाएाँ
● तििरणात्मक नीतियााँ: ये सि ज के एक मवशेर्ष वगट के मिए ● जनतहि: िीमि-मििाथ ण की रणिीमि व्यापक जिमहि द्वारा
अमभप्रेत िैं जो वस्तुओ,ं स वटजमनक कल्य ण य स्व स्थ्य
मिदे मशि होिी है। उदा. मर्कलाांग व्यस्क्तयोां के कल्ाण के
दे खभ ि जैसी सेव ओं के प्र वध न से जुडी नीमतय ाँ िैं।
मलए सािामजक न्याय और अमधकाररिा िांत्रालय िे मर्कलाां ग
उदाहरण: भारि िें सार्थजमिक मर्िरण प्रणाली (PDS)।
व्यस्क्तयोां (PwD) पर राष्टरीय िीमि का िसौदा िैयार मकया।
o भारि िें सार्थजमिक मर्िरण प्रणाली (PDS) के
● लक्ष्यरन्मुखी: सार्थजमिक िीमियाँ आि लोगोां के लाभ के
िाध्यि से लाभामर्थयोां के बीच बुमियादी खाद्य र्स्तुओां
मलए सरकार द्वारा मिधाथ ररि उद्दे श्योां को प्राप्त करिे हेिु
जैसे गेहां, चार्ल आमद का मर्िरण मकया जािा है।
मर्कमसि और कायाथस्िि की जािी हैं।
PDS का उद्दे श्य दे श िें खाद्य सुरक्षा सुमिमिि करिा
4
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● सामूतहक कारट िाई: यह सरकारी अमधकाररयोां और • राजनीतिक गतिशीलिा: िीमिगि मिणथय राजिीमिक
महिधारकोां की सािूमहक कारथ र्ाई होिी है , ि मक उिके मर्चारोां, चुिार्ी चिोां और मिमहि स्वार्ों से प्रभामर्ि होिे हैं ,
अलग-अलग मिणथय। उदा. स्वच्छ भारि मिशि स्वच्छिा िें जो साक्ष्-आधाररि और दीघथकामलक सिाधािोां को
सुधार के मलए पूरे सिाज को प्रेररि कर रहा है । किजोर कर सकिे हैं ।
● िागीदारीपूणट और परामशी: मर्मभन्न महिधारक, सरकार • कायाटन्वयन अोंिराल: िीमिगि इरादोां को प्रभार्ी जिीिी
और मर्मभन्न सरकारी अांग सार्थजमिक िीमि मििाथ ण िें भाग कायाथ ियि िें बदलिा एक चुिौिी है , मजसका कारण
लेिे हैं और िीमि प्रमिया को प्रभामर्ि कर सकिे हैं । िौकरशाही की अक्षििा, भ्रष्टाचार और मर्मभन्न एजेंमसयोां के
● गतिशील: यह एक कभी ि खत्म होिे र्ाला िांत्र है मजसके बीच सििय की किी है ।
मलए दै मिक सांसाधिोां की आर्श्यकिा होिी है और यह • नीति मूल्ाोंकन: प्रभार्शीलिा का आकलि करिे के मलए
इिपुट् को प्रोत्सामहि करिा है। यह मिरन्तर मर्कमसि भी िीमि पररणािोां का मियमिि और कठोर िूल्ाां कि
होिा रहिा है । आर्श्यक है , लेमकि इसे अक्सर उपेमक्षि मकया जािा है ,
● ितिष्यरन्मुखी: िीमि मििाथ ण अस्पष्टिा और सांशयर्ाद को मजसके पररणािस्वरूप िीमियाां अप्रभार्ी या पुरािी हो
शामिल करिे हुए भमर्ष्य पर मिभथर करिा है । ये आर्श्यक जािी हैं ।
ित्व िामकथक मचांिि और पूर्ाथ िुिाि को बढार्ा दे िे हैं िर्ा • बजट् सार्थजमिक िीमि के सार का उदाहरण प्रस्तुि करिा
प्रभार्ी और लचीली िीमियोां को आकार दे िे हैं । है और िीमि के प्रिुख पहलुओां को शामिल करिा है । बजट्
● सरकार की तचोंिा कर प्रदतशटि करिा है: इसिें एक मििाथ ण के दौराि जिमहि को प्रार्मिकिा दी जािी है , जो
मर्मशष्ट िुद्दे की प्रमिमियास्वरूप सरकार की उि बजट् पूर्थ परािशों िें स्पष्ट है। इसकी गमिशील प्रकृमि
कारथ र्ाईयोां को शामिल मकया जािा है मजि पर िीमि भमर्ष्य के लक्ष्ोां की प्रत्याशा होिी है । इसके अलार्ा, बजट्
आधाररि होिी है । इसे कािूि और प्रामधकार का सिर्थि एक सािूमहक प्रयास का प्रमिमिमधत्व करिा है , जो मर्मभन्न
प्राप्त होिा है । प्रक र की कौशि श्रेमणयों पर आध ररत िै ।
सािट ज तनक नीति में चु न ौतियााँ िारि में सािट ज तनक नीति: नीति तनमाट ण की
सामान्य प्रतिया
• जतटल समस्याएों : सार्थजमिक िीमि बहुआयािी और
जमट्ल िुद्दोां जैसे गरीबी, स्वास्थ्य दे खभाल, मशक्षा और िारि ने तनम्नतलखखि प्रमुख लक्ष्यरों के सार् स्विोंत्िा के बाद
जलर्ायु पररर्िथि से सांबांमधि है , मजसके मलए व्यापक तनयरतजि आतर्टक तिकास कर चुना:
सिाधाि की आर्श्यकिा है । ● आतर्टक तिकास: जब भारि स्विांत्र हुआ िब भारिीय
• तहििारक प्रबोंिन: सरकार, मिजी क्षेत्र, िागररक सिाज अर्थव्यर्थर्ा कई सांकेिकोां पर मपछड़ हुई र्ी। 1950 िें
और सीिाां ि सिूहोां समहि मर्मभन्न महिधारकोां के महिोां को भारिीय सकल घरे लू उत्पाद लगभग 30 मबमलयि डॉलर
सांिुमलि करिा प्रमिस्पधी िाांगोां और परस्पर मर्रोधी र्ा। इसमलए, अर्थव्यर्थर्ा का उत्पादि बढािा भारि
प्रार्मिकिाओां के कारण चुिौिीपूणथ हो सकिा है । सरकार की सर्ोच्च प्रार्मिकिा र्ी।
• सीतमि सोंसािन: सार्थजमिक िीमि मििाथ ण और ● आिुतनकीकरण: भारि, एक कृमष-आधाररि सिाज होिे
कायाथ ियि अक्सर सीमिि मर्त्तीय और िािर् सांसाधिोां की के िािे, पुर ने कृमर्ष औज रों पर मनभटर थ ।। कृमष िें
सिस्या से ग्रस्त होिे हैं , मजससे सभी सािामजक आधुमिकीकरण और िशीिीकरण की ित्काल आवश्यकत
आर्श्यकिाओां को पयाथ प्त रूप से पूरा करिा िुस्िल हो ििसूस हुई। इसके सार् ही, भारि िें औद्योमगक क्षेत्र को
जािा है । और अमधक आधुमिक िशीिरी की आर्श्यकिा र्ी। इि
5
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
कारकोां को ध्याि िें रखिे हुए, आधुमिकीकरण को एक o व्यापक मियोजि का ध्येय 'सिार्ेशी मर्कास' हामसल
िहत्वपूणथ लक्ष् के रूप िें थर्ामपि मकया गया। करिा र्ा।
● आत्मतनिटरिा: उपमिर्ेशर्ाद के इमिहास को दे खिे हुए
भारिीय राष्टरर्ादी बाहरी दु मिया पर मिभथरिा कि करिे के
मलए भारि को सभी क्षेत्रोां िें एक आत्ममिभथर अर्थव्यर्थर्ा
बिािा चाहिे र्े, इसमलए आत्ममिभथरिा को लक्ष्ोां िें से एक
के रूप िें मिधाथररि मकया गया र्ा।
● समानिा: स्विांत्रिा के सिय भारि िें सािामजक, आमर्थक
और राजिीमिक असिाििा व्याप्त र्ी। ििीजिि, यह
मिधाथ ररि मकया गया र्ा मक आमर्थक मियोजि इस असिाििा
को दू र करिे के साधि के रूप िें काि करे गा। असिाििा
को कि करिे की यह प्रमिबद्िा आरक्षण, उद्योगोां की
थर्ापिा, और सािामजक क्षेत्र की नीमतयों िें स्पष्ट रूप से
पररलमक्षि िोती िै |
● िाचथ 1950 िें, दे श के सांसाधिोां के कुशल दोहि द्वारा लोगोां • लरकिाखिक तनयरजन: योजिा मििाथ ण के सार्-सार्
के जीर्ि स्तर िें त्वररि र्ृस्द् को बढार्ा दे िे के सरकार के मियाियि के स्तर पर भी भारि िे लोकिास्िक दृमष्टकोण
घोमषि उद्दे श्योां के अिुसरण िें, िारि सरकार के एक का अिुसरण मकया। योजिाएां बिािे सिय मर्मभन्न सांगठिोां
सोंकल्प द्वारा एक सलाहकार और तिशेष सोंस्र्ा के रूप और मर्शेषज्ोां की राय को ध्याि िें रखा जािा र्ा।
में यरजना आयरग की स्र्ापना की गई र्ी। o योजिाओां को लागू करिे सिय गाांर् और मजला स्तर
● यरजना आयरग िुख्य रूप से ऐसी िीमियाां बिािे और पर लोकिाांमत्रक मिकायोां की भागीदारी के सार्
दृमष्टकोण मर्कमसि करिे के मलए मजम्मेदार र्ा जो दे श की बॉट्ि-अप दृमष्टकोण का पालि मकया गया।
मदशा को आकार दे गा, इसी के सार् पांचर्षीय योजिाएँ • िािी और पररप्रेक्ष्य तनयरजन: भारिीय मियोजि िें र्ृस्द्
(FYP) सभी सरकारी िीमियोां का प्रार्मिक स्रोि बि गईां। और मर्कास के अल्पकामलक और दीघथकामलक दोिोां
िारिीय तनयरजन की तिशेषिाएों : कायथििोां को शामिल मकया गया। मर्कास प्रमिया की
• योजिा आयोग के सार् ही योजिा युग भी सिाप्त हो गया क्षििा का दोहि करिे के मलए दोिोां रणिीमियोां का
कुछ प्रिुख मर्शेषिाएां यहाां दी गई हैं । • तित्तीय तनयरजन: भारिीय मियोजि िें योजिा के भौमिक
• व्यापक तनयरजन: मियोजि का ध्याि ि केर्ल आमर्थक लक्ष्ोां को प्राप्त करिे के बजाय मर्मभन्न क्षेत्रोां और
िापदां डोां पर बस्ल्क र्ृस्द् और मर्कास के सािामजक गमिमर्मधयोां के मलए धि का आर्ांट्ि करिा शामिल है ।
o एक िरफ, इसिे मर्कास की गमि िें िेजी लािे पर शखक्तयरों का तनयमन: भले ही भारि िे मिमिि
ध्याि केंमद्रि मकया, दू सरी िरफ, इसिे ऊर्ध् ट धर और अर्थव्यर्थर्ा को अपिाया र्ा, लेमकि मफर भी इसिे मर्कास
क्षैमिज असिाििाओां को कि करिे पर ध्याि केंमद्रि प्रमिया िें सार्थजमिक क्षेत्र की अमधक भागीदारी को
6
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• तनजी क्षेत् पर तििायी प्रतिबोंिरों के माध्यम से धनयन्त्रण: बुमियादी और पूांजीगि र्स्तु उद्योगोां का मर्कास
एिआरर्ीपी अमधमियि का उद्दे श्य भारि िें एकामधकार हुआ।
को मियांमत्रि करिा, शस्क्त के सांकेन्द्रण को रोकिे के मलए
मिजी क्षेत्र को मर्मियमिि करिा, मिष्पक्ष प्रमिस्पधाथ को
बढार्ा दे िा और उपभोक्ता महिोां की रक्षा करिा र्ा।
• सार्थजमिक क्षेत्र व्यापक सार्थजमिक मर्िरण प्रणाली (PDS)
के िाध्यि से लोगोां को खाद्यान्न और आर्श्यक र्स्तुएँ
उपिब्ध कर त िै।
• 1990 के बाद से रणिीमि बदल गई है । अब मिजी क्षेत्र को
मर्कास प्रमिया िें भाग लेिे के मलए प्रोत्सामहि मकया जािा
है ।
• यह सोचा गया र्ा मक आमर्थक मर्कास से सािामजक और
• सामतजक तिकास:
राजिीमिक मर्कास होगा, मजसके पररण ि स्वरूप अंततः
o सामातजक बुतनयादी ढाोंचे में िृखि: भारि िें स्कूलोां
ि नव मवक स िोग । भारिीय मियोजि की कुछ
की सांख्या 1947 िें 1.40 लाख से बढकर 2020-21
उपलस्ियाँ भी हैं और कुछ असफलिाएँ भी।
िें 15.09 लाख हो गई।
िारि के तनयरतजि नीति-तनमाटण की उपलखियााँ:
o िेमडकल कॉलेजोां की सांख्या 1950-51 िें 28 से
• आतर्टक तिकास: बढकर 2021-2022 िें लगभग 500 हो गई।
o आतर्टक बुतनयादी ढााँ चे में िृखि: पांचर्षीय o सािामजक सांकेिकोां िें सुधार: उदाहरण के मलए
योजिाओां िे आमर्थक बुमियादी ढाँ चे के मर्कास की ✓ पुरुष और िमहला दोिोां की जीर्ि प्रत्याशा िें
िीांर् रखी, मजसिें पररर्हि, मबजली उत्पादि और काफी र्ृस्द् हुई है । जहाां जीर्ि प्रत्याशा 1947 िें
सांचार शामिल हैं। 32 र्षथ र्ी, र्हीां 2021 िें यह 70.8 र्षथ (मर्ि
o राष्ट्रीय और प्रति व्यखक्त आय में िृखि: पीपीपी के स्वास्थ्य साां स्ख्यकी 2021 के अिुसार) र्ी।
िािले िें भारि अब दु मिया की िीसरी सबसे बड़ी िमहलाओां िें जीर्ि प्रत्याशा पुरुषोां की िुलिा िें
अर्थव्यर्थर्ा है। इसके अलार्ा, मपछले दशकोां िें प्रमि 2.7 र्षथ अमधक र्ी।
व्यस्क्त आय िें िाट्कीय रूप से र्ृस्द् हुई है । ✓ मशशु िृत्यु दर 1951 िें 133 से घट्कर 2022 िें
o उच् आतर्टक तिकास दर: भारि मिम्न सांिुलि जाल िें 26 हो गई।
फांस गया र्ा। बाद िें, मर्कास दर िें िेजी आई, लेमकि ✓ िािृ िृत्यु दर (MMR) 1947 िें "2000 प्रमि
यह र्ैमिक औसि से िीचे रही, मजससे इसे "महांदू 100000 जन्म" से घट्कर 2023 िें "97 प्रमि
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• पररिहन और सोंचार का तिकास: योजिा अर्मध के अस्थर्रिा और बढिी कीििोां को आमर्थक मियोजि िें
दौराि, पररर्हि और सांचार के मर्कास पर बहुि ध्याि भारि की सबसे बड़ी मर्फलिा िािा गया है ।
मदया गया है । पहली दो योजिाओां िें पररर्हि और सांचार • जीिन स्तर: प्रमि व्यस्क्त आय स्थर्र बिी हुई है , जबमक
के मर्कास िें कुल पररव्यय का एक-चौर्ाई से अमधक िुद्रास्फीमि िे िध्यि और मिम्न र्गथ के जीर्ि को अर्थहीि
मिर्ेश मकया गया र्ा। बिा मदया है । शहरी क्षेत्रोां िें िमलि बस्स्तयोां की सांख्या िें
• तिज्ञान एिों प्रौद्यरतगकी का तिकास: मियोजि के युग िें र्ृस्द् हुई है , मजससे स्वच्छिा िर्ा िमहलाओां और बच्चोां के
भारि िे मर्ज्ाि एर्ां प्रौद्योमगकी के क्षेत्र िें काफी प्रगमि की स्खलाफ महां सा जैसी सिस्याएँ पैदा हुई हैं ।
है ।
िारि में तिकासात्मक यरजना का नि-
o मर्कास इििी िेजी से हुआ है मक भारि मर्ज्ाि एर्ां
प्रौद्योमगकी के क्षेत्र िें दु मिया िें िीसरे थर्ाि पर पहुँच उदारिादी प्रतिमान (मॉिल)
गया है । ● तिकासात्मक तनयरजन के नि-उदारिादी मॉिल िें
तनयरतजि तिकास में दरष: राजिीमिक, सािामजक और आमर्थक गमिशीलिा को ध्याि
• बेररजगारी: भारि िें "रोजगारमर्हीि मर्कास" के रूप िें िें रखिे हुए एक िीमि प्रमति न बन य गय ।
जािी जािे र्ाली एक घट्िा का अिुभर् मकया गया। र्षथ ● आतर्टक कारकरों के तनयोंत्ण कर सािटजतनक क्षेत् से
2022-23 के मलए दु मिया की सबसे िेजी से बढिी तनजी क्षेत् में स्थानान्तररत करना इसका िूलभूि मसद्ाां ि
अर्थव्यर्थर्ा करार मदए जािे के बार्जूद, भारि िें रोज़गार है , हालाां मक सार्थजमिक धि को कल्ाणकारी गमिमर्मधयोां के
की र्ृस्द् दर केर्ल 2% है । मलए उपयोग मकया जािा है ।
• असमानिा: भारि िें मर्ि स्तर पर अरबपमियोां की िीसरी नि-उदारिादी युग से सोंबोंतिि मुद्दे:
सबसे बड़ी सांख्या होिे का दार्ा मकया जािा है , इसके सार् • बढ़िी असमानिाएाँ : एक ररपोट्थ के अिुसार, भारि िें
ही दे श एक अभूिपूर्थ धि असिाििा से जूझ रहा है। साि असिाििाओां िें र्ृस्द् स्पष्ट हैं क्ोांमक 2021 िें 84%
दशकोां के लोकिाांमत्रक शासि के बार्जूद, 22% से अमधक पररर्ारोां की आय िें मगरार्ट् आई है , जबमक भारिीय
आबादी साधि मर्हीि दशाओां िें जीर्ि यापि कर रही है। अरबपमियोां की सांख्या 102 से बढकर 142 हो गई है।
• सभी योजिाओां िें कृतष उत्पादन को प्रार्मिकिा दे िी o िहािारी के दौराि भारिीय अरबपमियोां की सांपमत्त
चामहए र्ी, लेमकि ऐसा िहीां हो पाया। शहरी क्षेत्रोां िें पूांजी िें उल्लेखिीय र्ृस्द् दे खी गई, जो 23.14 लाख करोड़
प्रधाि उद्योगोां की िुलिा िें छोट्े पैिािे के ग्रािीण उद्योगोां रुपये से बढकर 53.16 लाख करोड़ रुपये हो गई।
को प्रार्मिकिा दी गई। आमर्थक सर्ेक्षण 2022-23 के o मर्ि स्तर पर अरबपमियोां की िीसरी सबसे बड़ी
अिुसार, भारिीय कृमष क्षेत्र मपछले 6 र्षों के दौराि 4.6 सांख्या भारि िें है , इस िािले िें भारि केर्ल चीि
प्रमिशि की औसि र्ामषथक र्ृस्द् दर से बढ रहा है । 2020- और सांयुक्त राज् अिेररका से पीछे है । मर्शेष रूप
21 िें 3.3 प्रमिशि की िुलिा िें 2021-22 िें इसिें 3.0 से, 2021 िें भारि िें अरबपमियोां की सांख्या िें 39%
प्रमिशि की र्ृस्द् हुई। की र्ृस्द् हुई र्ी।
• मूल् खस्र्रिा: सांपूणथ योजिा अर्मध के दौराि आमर्थक • एकातिकार का तनमाटण: बाजार प्रमिस्पधाथ के प्रमि अपिी
स्थर्रिा प्राप्त करिा आमर्थक मियोजि के प्रिुख उद्दे श्योां िें कमर्ि प्रमिबद्िा के बार्जूद िर्उदारर्ादी आमर्थक एजेंडे
से एक िािा गया है। दे श िूल् स्तर िें आमर्थक उिार- िे प्रमिस्पधाथ को कि कर मदया और अर्थव्यर्थर्ा के मर्शाल
चढार् और अस्थर्रिा की एक िृांखला से ग्रस्त रहा है। क्षेत्रोां िें एकामधकार शस्क्त का उदय हो गया।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o अच्छी मचमकत्सा दे खभाल का िौमलक अमधकार। की आकाां क्षाओां और आर्श्यकिाओां िें भी बदलार् आया
o िॉमडथ क दे शोां िे ट्ै क्स हेर्ि को भी बांद कर मदया है । है । भारि अिाि और उत्तरजीतििा के युग से सुरक्षा
• कॉपोरे ट क्षेत् के तलए नया मॉिल: एक िया प्रारूप और अतिशेष के युग िें प्रर्ेश कर चुका है ।
साििे आया है मजसके िहि कांपिी के प्रदशथि को चार • स्विांत्रिा के बाद से भारिीय अर्थव्यर्थर्ा का आकार भी
'Ps' के िाध्यि से िापा जािा है । सौ गुिा से अमधक बढ गया है। सेर्ा क्षेत्र िे सकल घरे लू
o 'P' - 'Profit' (लाि)। उत्पाद िें सबसे बड़े योगदािकिाथ के रूप िें कृमष क्षेत्र को
o 'P' - 'People' (जनिा): कांपिी के कायथ ि केर्ल प्रमिथर्ामपि कर मदया है ।
किथचाररयोां बस्ल्क सिाज को कैसे प्रभामर्ि करिे हैं ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• 1990 के LPG सुधारोां के बाद से सरकार और मिजी क्षेत्र िीमियोां िें मर्शेषज्िा और िर्ीि मर्चारोां को शामिल
की भूमिका िें भी बदलार् दे खा गया है । सरकार की बदली करे गा।
हुई भूमिका के सार्, योजिा आयोग की भूमिका पर भी
पुिमर्थचार करिे की आर्श्यकिा िहसूस की गई।
• मर्त्त सांबांधी थर्ायी समिमि (15र्ीां लोक सभा) द्वारा यह भी
दे खा गया मक "यरजना आयरग कर तिशेष रूप से गरीबरों
के तलए आतर्टक सुिाररों और उसके पररणामरों के सार्
यरजना प्रतिया कर सोंरेखखि करने के तलए खुद कर और
अतिक प्रासोंतगक और प्रिािी बनाने हेिु उिरिी हुई
सामातजक िास्ततिकिाओों कर समझना हरगा।"
• भारिीय लोगोां की जरूरिोां और आकाां क्षाओां को बेहिर
ढां ग से पूरा करिे के मलए ित्कालीि योजिा आयोग को
प्रमिथर्मपि करने िे तु िीमि (िेशिल इां स्टीट्यूशि फॉर • कायटिमरों की तनगरानी: िीमि मििाथ ण के सार्-सार्
ट्र ाां सफॉमिंग इां मडया) आयोग का गठि मकया गया र्ा। िीमि आयोग िीमियोां और कायथििोां के कायाथ ियि और प्रभार्
आयोग की थर्ापिा से पहले MyGov के िाध्यि से राज् की मिगरािी और िूल्ाां कि िें भी सांलग्न होगा।
• यरजना का तिकेंद्रीकरण: िीमि आयोग िें राज् सरकारोां इस दस्तार्ेज िें, आयोग िे 2022-23 िक 9-10% आमर्थक
मक अमधक समिय भूमिक िोती िै । मर्कास और 4 मट्र मलयि डॉलर की अर्थव्यर्थर्ा का लक्ष्
रखा है । अप्रत्यामशि कोमर्ड-19-सांबांमधि लॉकडाउि के
• तिशेषज्ञरों द्वारा तकए गए जमीनी स्तर के अध्ययन पर
कारण, लक्ष् निीं प्र प्त मकय ज सक ।
आिाररि साक्ष्य आिाररि राजनीति: द िॉलेज एां ड
इिोर्ेशि हब, यह सांथर्ा के मर्ांक ट्ैं क क्षििाओां का मििाथ ण • आकाोंक्षी तजला कायटिम: यह कायथिि 2018 िें उि
करिा है । मजलोां को रूपाां िररि करिे के मलए शुरू मकया गया र्ा
मजन्ोांिे प्रिुख सािामजक सांकेिकोां िें कि प्रगमि प्रदमशथि
• दीघटकातलक तिज़न: िीमि आयोग रणिीमिक और
की र्ी।
दीघथकामलक िीमि और कायथिि की रूपरे खा और पहल
पर ध्याि केंमद्रि करिा है िर्ा उिकी प्रगमि और • एसिीजी इों िेक्स इों तिया: इसे सिि मर्कास लक्ष्ोां पर
प्रभार्शीलिा की सिीक्षा करिा है । भारि की प्रगमि की मिगरािी के मलए 2018 िें लॉन्च मकया
o प्रगमिशील एजेंडे की उपलस्ि को गमि दे िे के मलए गया र्ा। प्रगमि का आकलि डे ट्ा-सांचामलि िूल्ाांकि पर
अांिर-क्षेत्रीय और अांिर-मर्भागीय िुद्दोां के सिाधाि आधाररि है। सूचकाांक िें 16 SDG पर लक्ष्-र्ार स्कोर
शामिल हैं और यह भारि िें राज्ोां को रैं क प्रदाि करिा
के मलए एक िांच प्रदाि करिा।
है ।
• मिणथय लेिे िें सहकारी सांघर्ाद और प्रमिस्पधी सांघर्ाद के
मर्चार को बढार्ा मदया जा रहा है । • अटल निाचार तमशन: िीमि आयोग िे भारि िें सांस्कृमि
और उद्यमििा को बढार्ा दे िे के मलए इस कायथिि की
• तिशेषज्ञ राय शातमल करना: िीमि आयोग राष्टरीय और
शुरुआि की है ।
अांिराथ ष्टरीय मर्शेषज्ोां के िेट्र्कथ के िाध्यि से सरकारी
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
नीति आयरग की सीमाएाँ /आलरचनाएाँ : के पास बाहरी इिपुट् प्राप्त करिे का कोई
• िीमि आयोग ज्ादािर सलाहकार की भूमिका मिभािा है औपचाररक साधि िहीां है।
और इसकी सलाह सरकार के मलए बाध्यकारी िहीां होिी ● नीति कायाटन्वयन में समस्याएाँ :
है । o जमीनी स्तर पर कमजरर प्रशासतनक िोंत्:
• यह मिजी मिर्ेश को प्रभामर्ि करिे िें मर्फल रहा है । भ्रष्टाचार िर्ा प्रशासि और मर्िरण फिों द्वारा
• इसके पास कोई मर्त्तीय अमधकार िहीां है और यह राज्ोां सार्थजमिक िीमि िें हे रफेर के कारण योजिाओां पर
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
✓ कैमबिेट् समचर्ालय द्वारा बिाई गई प्रदशथि व्यस्क्तपरक उपाख्यािोां (सुिी-सुिाई बािें) पर मिभथर रहिे
प्रयास के शासि के मलए िदर्थर्ाद की कला (Art of मििाथ ण और कायाथ ियि प्रमिया िें स्थर्रिा, मिरां िरिा और
o कानून और नीति तनमाटण से पहले कठरर कानूनी • तनयतमि अद्यिनीकरण (अपिे शन): िीमियोां की
और सोंिैिातनक सोंिीक्षा: न्यामयक समियिा के मियमिि रूप से सिीक्षा की जािी चामहए और उन्ें बदलिी
कारण, सरकारोां और मियािक मिकायोां द्वारा बिाई सािामजक आर्श्यकिाओां, उभरिी चुिौमियोां और उभरिी
गई िीमि, मियि और मर्मियिि िेजी से कठोर गमिशीलिा के अिुकूल बिािे के मलए अद्यिि (अपडे ट्)
कािूिी और सांर्ैधामिक सांर्ीक्षा के अधीि होिे जा रहे मकया जािा चामहए।
हैं । • प्रतितिया िोंत्: प्रभार्ी प्रमिमिया िांत्र थर्ामपि करिे से
o सरकारी एजेंतसयरों और शैक्षतणक सोंस्र्ानरों के िीमि के प्रभार् और प्रभार्शीलिा का आकलि करिे िें
बीच तलोंक का तनमाटण करना: क्षििा की अांिमिथमहि िदद मिलिी है , मजससे िीमि मििाथ िाओां को आर्श्यक
सीिाएँ , सिय और ध्याि की किी िौकरशाही सिायोजि और सुधार करिे िें िदद मिलिी है ।
प्रमियाओां के मर्शाल पररिाण से मिपट्िे के दौराि • संसािनों का कुशल उपयोग: सांसाधिोां का कुशल
कायथपामलका और मर्धामयका की सोच को सीमिि उपयोग सुमिमिि करिे, बबाथ दी को रोकिे और िीमिगि
कर दे िी है। पररणािोां को बढािे के प्रयास मकए जािे चामहए।
• बेहिर तियान्वयन के तलए: • भारि िें शासि का भमर्ष्य और अमधक जमट्ल होिा जा
o एक ठरस तििरण िोंत् का तनमाटण- मजसिें जिीिी रहा है, मजससे र्ृस्द् और मर्कास के मर्मभन्न दृमष्टकोणोां पर
स्तर पर लोगोां की प्रभार्ी भागीदारी शामिल हो। मर्र्ाद और असहिमि हो सकिी है । इि चुिौमियोां के
o यरजनाओों का अतिसरण: यह प्रशासमिक लागिोां जर्ाब िें, सार्थजमिक िीमि-आधाररि मर्श्लेषणोां की
को बचाएगा और सार् ही लाभामर्थयोां को प्रभार्ी ढां ग ित्काल आर्श्यकिा है मजसिें प्रत्येक महिधारक की
से चयि करिे के मलए सशक्त करे गा। आर्ाज शामिल हो और जहाां हर आर्ाज मर्कास के मर्िशथ
o लोगोां िें योजिाओां के मर्र्रण के सार्-सार् उिके िें आयाि और अर्थ जोड़िी हो। सुशासि प्राप्त करिे के
अमधकारोां के बारे िें जागरूकिा का सृजि करिा। मलए सार्थजमिक िीमि की प्रभार्शीलिा सुमिमिि करिा
o सािमजक अांकेक्षण के प्रार्धाि सुमिमिि मकए जाएां । आर्श्यक है ।
12
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
मर्िरणात्मक पूांजीकरण, सहभागी, परािशी, भमर्ष्योन्मुखी, अलग-अलग िांत्रालयोां िे मजला मर्कास के सांचालि की
उपकरण, आत्ममिभथरिा, सिाििा, अल्पकामलक और • पहल को प्रशामसि और ट्र ै क करिे के मलए, प्रत्येक राज् िे
दीघथकामलक कायथिि, मिमिि अर्थव्यर्थर्ा, सार्थजमिक अपिे सांबांमधि िुख्य समचर्ोां के िेिृत्व िें एक समिमि का
मर्िरण प्रणाली (PDS), महां दू मर्कास दर, दो अांकोां की र्ृस्द्, गठि मकया है ।
जीर्ि प्रत्याशा, असाध्य रोग, रोजगारमर्हीि मर्कास, स्थर्र,
एकामधकार, अभूिपूर्थ सांकेन्द्रण, र्ैमिक मर्त्तीय सांकट्, डे ट्ा-
सांचामलि िूल्ाां कि।
सिार्ेशी मर्कास को सुमिमिि करिा। सरकार के क्षैमिज और ऊर्ध्ाथधर स्तरोां को एकजुट् करिा
13
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
हातलया घटनािम: सार् जोड़िी है । उदाहरण के मलए, हररयाणा के िूांह मजले िें
● प्रमिस्पधाथ सांथर्ाि (IFC) और सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेमट्र् िे स्वास्थ्य सेर्ा, मशक्षा और बुमियादी ढाांचे िें केंमद्रि हस्तक्षेप
आकाां क्षी मजला कायथिि के मलए एक िूल्ाांकि ररपोट्थ के कारण मशशु िृत्यु दर िें उल्लेखिीय किी और स्कूल
िैयार की है । िािाां कि िें र्ृस्द् दे खी गई।
o क्षेत्रोां के बीच असिाििाएँ व्यापक हैं , स्वास्थ्य और पररणािस्वरूप थर्ािीय सरकारोां को अपिे प्रयासोां पर ध्याि
मशक्षा दो ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मजले अपिे लक्ष्ोां को पूरा केंमद्रि करिे और कायथिि के मिष्पादि और मडजाइि को
करिे के सबसे करीब हैं । बढािे के मलए प्रेररि मकया जािा है । गढमचरौली मजले की
o कृमष और मर्त्तीय सिार्ेशि मचांिा के प्रिुख क्षेत्र हैं , िरह एडीपी िें सािामजक-आमर्थक मर्कास और जिजािीय
मजििें अमधकाां श मजले अपिे लक्ष् से 40-90 प्रमिशि कल्ाण के उद्दे श्य से की गई पहलोां को प्रार्मिकिा दी गई।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• क्षििा मििाथ ण पर अमधक ध्याि दे िे की आर्श्यकिा र्ी, हैं जो सािान्य मियिोां के अिुरूप होां। उदाहरण के मलए
मजसिें सभी मजलोां िें सिमपथि कमिथयोां की मियुस्क्त शामिल रक्षा िांत्रालय, रे लर्े और अन्य सरकारी एजेंमसयाां अपिे
र्ी, जैसे आकाांक्षी मजला फेलो या िकिीकी सहायिा बजट् का आधे से अमधक महस्सा सार्थजमिक खरीद पर खचथ
कायथिि कायाथ ियि और मडजाइि के मलए मर्कास • चयन के तनयमरों कर रीसेट करना: सभी परािशी बोमलयोां
भागीदारोां के सार् सहयोग करिा। के मलए, खरीद के िीि िरीके पहले से ही अिुिि हैं और
सफलिा को बिाए रखिा िहत्वपूणथ है । िूल्ाां कि के o गुणर्त्ता और लागि आधाररि चयि (QCBS)
मिष्कषथ बिािे हैं मक कायथिि की सफलिा का मर्स्तार o न्यूििि लागि प्रणाली (LCS)
मकया जािा चामहए और अन्य क्षेत्रोां िें इसे दोहराया जािा o एकल स्रोि चयि (SSS)
चामहए। • न्यूनिम लागि ढाोंचे कर खत्म करना: अमधसूचिा ("कायथ
PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख और गैर-परािशथ सेर्ाएां ") QCBS िागथ द्वारा जारी की गई
15
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
मजससे ठे केदारोां को शीघ्र भुगिाि करिे और मर्र्ादोां को o आपूमिथकिाथ ओां का प्रमिस्पधाथ -मर्रोधी आचरण जैसे
कि करिे िें िदद मिलेगी। बाजार का बँट्र्ारा और काट्े ल का मििाथ ण, बोली िें
पररििटन की आिश्यकिा: हे राफेरी और कपट्पूणथ बोली, प्रभुत्व का दु रुपयोग,
आमद।
● सािटजतनक खरीद का बढ़िा तहस्सा: सकल घरे लू उत्पाद
o बार-बार लागि िें र्ृस्द्, पररयोजिा िें दे री और
के प्रमिशि के रूप िें सार्थजमिक खरीद का महस्सा 2019-
सांसाधिोां की बबाथदी के कारण, अिुिामिि लागि के
20 िें 500 अरब डॉलर को पार कर गया है।
भीिर और आर्श्यक गुणर्त्ता के सार् सार्थजमिक
o सार्थजमिक मिमधयोां के मर्र्ेकपूणथ उपयोग की गारां ट्ी
पररयोजिाओां को सिय पर पूरा करिा एक स्वप्न के
के मलए प्रमिस्पधी, पारदशी और कुशल सार्थजमिक
सिाि है ।
खरीद और पररयोजिा प्रबांधि िहत्वपूणथ हैं और जब
● अनुतचि व्यिहार और भ्रष्ट्ाचार: सिय-सिय पर
बड़ी िात्रा िें करदािाओां का पैसा या दे श के सांसाधि
अमिररक्त प्रमिबांध लगािे के बार्जूद, पारदमशथिा और
उि पर खचथ मकए जािे हैं िो सुशासि िहत्वपूणथ हो
जर्ाबदे ही किजोर रही है । ििीजिि, कई स्तरोां पर
जािा है । प्रमिस्पधाथ को सीमिि करिे के मलए अिुमचि िरीकोां और
● तििायी चुनौतियााँ: भारी िात्रा िें धि शामिल होिे और भ्रष्टाचार का इस्तेिाल मकया गया है ।
इसके कायथ के िहत्व के बार्जूद, भारि िें सार्थजमिक आगे की राह:
खरीद जैसे सांचालि को मियांमत्रि करिे र्ाले व्यापक ढाांचे
• पारदशी, मजम्मेदार और प्रमिस्पधी खरीद प्रणाली सुमिमिि
का अभार् है। करिे के मलए तििायी प्रातिकरण के सार् सामान्य
● जतटल तितनयामक ढाोंचा: कई िांत्रालयोां और उद्दे श्योां के तित्तीय तनयमरों का समर्टन करना। पररयोजिा के
सार् मत्रस्तरीय शासि, सार् ही िहत्वपूणथ सांख्या िें र्ैधामिक मर्िरण िें दे री के मलए दां ड को कािूिी आधार दे िा।
सांगठि, स्वायत्त सांथर्ाि, सार्थजमिक क्षेत्र के उपिि, और • पयाथ प्त खुलापि और समिय मिरीक्षण को बिाए रखिे हुए
अलग-अलग िाां गोां र्ाली अन्य सांथर्ाएां । मर्र्ेकाधीि उपयोग की अिुिमि दे िे के मलए िौजूदा
● सोंगठनात्मक मुद्दे: प्रमियाओां को सरल बिािा।
o कमज़रर तनणटय-तनमाटण: जमट्ल प्रमियाओां के o यह लक्ष् िीमि मििाथिाओां, खरीद अमधकाररयोां और
कारण िौकरशाही प्रमियाओां और जोस्खि िें र्ृस्द् अन्य महिधारकोां को सहयोग करिे के मलए एक सार्
हो गई है । लाकर पूरा मकया जा सकिा है ।
o खरीद (प्ररक्ररमेंट) तिशेषज्ञ: खरीद प्रमिया िें • उभरिे रुझािोां और सािान्यिः उपयोग मकए जािे र्ाले
शामिल सरकारी अमधकारी मर्शेषज् िहीां होिे हैं और दृमष्टकोणोां के आधार पर लचीलेपि और बेहिर सार्थजमिक
इस प्रकार पारदमशथिा की किी की आशांका होिी है । सेर्ा मर्िरण के मलए र्ैकस्ल्पक खरीद िांत्र की पहचाि
करिा।
● आपूतिटकिाटओों से सोंबोंतिि तचोंिाएाँ : मिजी सांथर्ाओां के बीच
o ई-खरीद दृमष्टकोण जैसे केंद्रीय सार्थजमिक खरीद
सूचिा मर्षििा, मर्शेष रूप से MSE स्तर पर।
पोट्थ ल और गर्िथिेंट् ई-िाकेमट्ां ग (GeM) पोट्थ ल।
● प्रतिस्पिाटत्मक तनष्पक्षिा का अिाि: सार्थजमिक
• जहाां भी सांभर् हो, सत्यमिष्ठा सिझौिे शामिल करिा और
प्रदािाओां के मलए र्रीयिा के कारण, अर्सर की सिाििा
अमिररक्त स्विांत्र बाहरी पररमर्क्षक मियुक्त करिा।
का अभार् है।
• क्षििा मििाथ ण के मलए, सरकार के कई स्तरोां पर मियमिि
o मर्िेिाओां के पूर्थ पांजीकरण की सांथर्ागि रूप से सार्थजमिक खरीद के सभी क्षेत्रोां िें खरीद
आर्श्यकिाएां आपूमिथकिाथओां को सीमिि करिी है । अमधकाररयोां को जागरूक और प्रमशमक्षि मकया जािा
o एक किज़ोर मशकायि मिर्ारण प्रमिया। चामहए।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• ये मदशामिदे श पररयोजिाओां के िेज, अमधक कुशल और 2. "भारि िें सार्थजमिक िीमि बिािे िें दबार् सिूह िहत्वपूणथ
पारदशी मिष्पादि के मलए और सार्थजमिक महि िें त्वररि भूमिका मिभािे हैं ।" सिझाइए की व्यार्सामयक सांघ
और अमधक कुशल मिणथय लेिे के मलए मिष्पादि एजेंमसयोां सार्थजमिक िीमियोां िें मकस प्रकार योगदाि करिे हैं।
को सशक्त बिािे हेिु भारि िें सार्थजमिक खरीद के क्षेत्र (150 शब्द, 10 अांक) [2021]
िें िर्ीि मियिोां को शामिल करिे का प्रयास करिे हैं । 3. 'मर्कास योजिा के िर्-उदारी प्रमििाि के सांदभथ िें, आशा
PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख की जािी है मक बहु-स्तरी योजिाकरण सांमियाओां को
िाक्ाोंश लागि प्रभार्ी बिा दे िे और अिेक मियाियि रुकार्ट्ोां
को हट्ा दे गा।' चचाथ कीमजए।
गुणर्त्ता और लागि-आधाररि चयि, एकल स्रोि चयि,
सांिोषजिक ढां ग से मर्ज्ामपि, सकल घरे लू उत्पाद, र्ृस्द्, (250 शब्द, 15 अांक) [2019]
प्रत्यामशि लागि, मर्धायी प्रामधकरण, गर्िथिेंट् ई-िाकेमट्ां ग 4. "र्ाां मछि उद्दे श्योां की प्रास्प्त के मलए यह सुमिमिि करिा
(GeM)। आर्श्यक है मक मर्मियािक सांथर्ाएँ स्विांत्र और स्वायत्त
बिी रहें ।" मपछले कुछ सिय िें हुए अिुभर्ोां के प्रकाश िें
छात् के नरट् स:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
मकया जा सकिा है , जो व्यस्क्तयोां को उिकी अांिमिथमहि िारि में तिकास से जुडी चुनौतियााँ
क्षििाओां को पररपूणथ करिे के मलए सशक्त बिािा है। • िूतम सुिाररों का दरषपूणट कायाटन्वयन: स्विांत्रिा के बाद
अित्यथ सेि का दृमष्टकोण मर्कास को एक राजिीमिक भूमि सुधार अपिे लक्ष् को प्राप्त करिे िें मर्फल रहे । इससे
प्रयास के रूप िें दे खिा है , मजसका उद्दे श्य उि बाधाओां ि केर्ल स्थर्र कृमष मर्कास हुआ बस्ल्क ऐमिहामसक
को दू र करिा है जो िागररकोां को उि िकथपूणथ साधि का असिाि सांसाधि मर्िरण िें भी र्ृस्द् हुई।
प्रयोग करिे से रोकिी हैं , मजिसे उिके मर्कल्पोां और
अर्सरोां का मर्स्तार होिा है ।
तिकास के आयाम
• मानि तिकास: अित्यथ सेि िे िािर् मर्कास के मलए िािर्
क्षििा दृमष्टकोण की र्कालि की। यह शीषथ पर रहिे र्ालोां
की दक्षिा के बजाय िीचे के लोगोां के कल्ाण पर ध्याि
केंमद्रि करिा है ।
• राजनीतिक तिकास: इसे मकसी सरकारी एजेंसी (या एक
मर्कास सांगठि) द्वारा दू सरोां के लाभ के मलए मकए गए
मकसी भी कायथ (उदाहरण के मलए एक मर्कासशील दे श िें
मकसाि) के रूप िें र्मणथि मकया जािा है । इसे एक
लोकिाां मत्रक िांत्र के रूप िें सांदमभथि मकया जािा है क्ोांमक
यह इस बारे िें मचांिा पैदा करिा है मक मजसके पास और • अोंिर-क्षेत्ीय तिषमिा: कृमष क्षेत्र की मर्फलिा और
मकसके मलए क्ा-क्ा करिे का अमधकार है। औद्योमगक मर्कास की योजिा िें खामियोां के कारण क्षेत्रीय
• आतर्टक तिकास: र्ह िांत्र मजसके द्वारा कोई दे श अपिे मर्षििा उत्पन्न हुई। इसकी पररणमि सािामजक अशाां मि िें
िागररकोां के आमर्थक, राजिीमिक और सािामजक कल्ाण हुई और प्रभार्शाली जामि द्वारा आरक्षण के मलए मर्रोध
का मर्कास करिा है । शुरू हो गया।
• सामातजक तिकास: लोगोां के सािामजक मर्कास के मलए • तशक्षा और स्वास्थ्य उपेतक्षि रहा: कायथबल उत्पादकिा
मिर्ेश करिा। बाधाओां का उन्मूलि आर्श्यकिा है िामक बढािे के मलए स्वास्थ्य और मशक्षा दो प्रिुख मिर्ेश हैं ,
सभी लोग आत्ममर्िास से और सम्मािपूर्थक अपिे सपिोां लेमकि खराब गुणर्त्ता र्ाली मशक्षा और भारि िें कुछ
को साकार कर सकें। बीिाररयोां का अपेक्षाकृि उच्च प्रसार दे श के भार्ी आमर्थक
• सिि तिकास: ब्रांट्लैंड ररपोट्थ सिि मर्कास को ऐसे मर्कास को जोस्खि िें डाल रहा है ।
मर्कास के रूप िें र्मणथि करिी है जो जो भार्ी पीमढयोां की o 1968 के बाद से प्रत्येक राष्टरीय मशक्षा िीमि (NEP) िें
स्वयां की पूमिथ करिे की क्षििा को खिरे िें डाले मबिा कहा गया है मक भारि को अपिे सकल घरे लू उत्पाद
र्िथिाि आर्श्यकिाओां को पूरा करे । सांयुक्त राष्टर िे सिि (GDP) का 6% मशक्षा पर खचथ करिे की आर्श्यकिा
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
है । बजट् 2023-24 िें, उस मसफाररश के 55 साल इि िकिीकोां का उपयोग करिे के मलए उच्च स्तर की
बाद भी, भारि िे अपिे सकल घरे लू उत्पाद का केर्ल क्षििा र्ाले िमिकोां की आर्श्यकिा होिी है ।
2.9% मशक्षा के मलए आर्ांमट्ि मकया है । • प्रशासतनक कतमयााँ: खराब शहरी मियोजि, भ्रष्टाचार,
• बुतनयादी सुतििाओों िक पहुोंच का अिाि: 2011 िें, सरकारी योजिाओां का खराब कायाथ ियि, सिाज के गरीब
भारि की जिगणिा के अिुसार, भारि की लगभग 7 र्गों के मलए सहािुभूमि की किी आमद िे मर्कास को
प्रमिशि आबादी ग्रािीण और झुग्गी-बस्ती र्ाले क्षेत्रोां िें बामधि करिे िें भूमिका मिभाई है ।
रहिी है। भारि िें 46.6 प्रमिशि पररर्ारोां को अपिे पररसर PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए महत्वपूणट
(घर) के भीिर पीिे के पािी की सुमर्धा उपलि है। िाक्ाोंश
• गरीबी: र्ैमिक बहुआयािी गरीबी सूचकाां क के अिुसार,
सािामजक मर्कास, सिि मर्कास, असिाि सांसाधि मर्िरण,
लगभग 22.8 करोड़ यािी 16.4% भारिीय आबादी गरीब
राष्टरीय मशक्षा िीमि, बहुआयािी गरीबी, बेरोजगारी, सर्ाथ इर्ल
है । यह मर्कास प्रमिया िें उिकी प्रभार्ी भागीदारी िें बाधा
ऑफ द ररचेस्ट।
डालिा है , और उिके पास उपयोग करिे के मलए सीमिि
मर्कल्प होिे हैं । तिगि िषों के प्रश्न
• बेररजगारी: अप्रैल 2023 िें भारि िें बेरोजगारी दर
1. मर्मभन्न सेर्ा क्षेत्रकोां के बीच सहयोग की आर्श्यकिा
8.11% र्ी, जो मसिांबर 2016 के बाद सबसे अमधक है ।
मर्कास प्रर्चि का एक अांिमिथमहि घट्क रहा है । साझेदारी
• आय और िन की असमानिा: हालाांमक भारि िय शस्क्त
क्षेत्रकोां के बीच पुल बिािी है । यह 'सहयोग' और 'ट्ीि
सिाििा के िािले िें िीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यर्थर्ा है,
भार्िा' की सांस्कृमि को गमि प्रदाि कर दे िी है । उपरोक्त
लेमकि धि और सांसाधिोां के मर्िरण के िािले िें इसिें
कर्िोां के प्रकाश िें भारि के मर्कास प्रिि का परीक्षण
उच्च असिाििा है ।
कीमजए। (2019)
o ऑक्सफैि की 2023 की ररपोट्थ , "सिाटइिल ऑफ
2. िध्याह्न भोजि की सांकल्पिा भारि िें लगभग एक शिाब्दी
द ररचेस्ट" शीषथक से पिा चला है मक भारि के शीषथ
पुरािी है मजसका आरम्भ स्विांत्रिा-पूर्थ भारि के िद्रास
5% के पास दे श की 60% से अमधक सांपमत्त है , जबमक
िहाप्रान्त (प्रेमसडें सी) िें मकया गया र्ा। मपछले दो दशकोां
िीचे की 50% आबादी के पास केर्ल 3% सांपमत्त है ।
से अमधकाां श राज्ोां िें इस योजिा को पुिः प्रोत्सामहि मकया
• उच् जनसोंख्या दबाि: 2011 की जिगणिा के अिुसार, जा रहा है । इसके दोहरे उद्दे श्योां, िर्ीििि आदे शोां और
भारि का जिसांख्या घित्व 382 प्रमि र्गथ मकलोिीट्र र्ा, सफलिा का सिालोचिात्मक परीक्षण कीमजए। (2013)
जबमक मर्ि का जिसांख्या घित्व 41 प्रमि र्गथ मकलोिीट्र
र्ा। सार् ही, अप्रैल 2023 िें भारि चीि को पीछे छोड़कर सामातजक पू ों ज ी सों ग ठनर ों की िू त मका
सबसे अमधक आबादी र्ाला दे श बि गया।
• सािामजक पूांजी लोगोां के एक सिूह को प्रभार्ी ढां ग से एक
• प्राकृतिक सोंसािनरों का कम उपयरग: भारि के पास
सार् काि करिे और एक सािान्य लक्ष् प्राप्त करिे की
भूमि, पािी, खमिज और ऊजाथ जैसे प्राकृमिक सांसाधि प्रचुर
अिुिमि दे िी है । यह एक सािामजक सांगठि, जैसे एक
िात्रा िें है । हालाँ मक, इि सांसाधिोां का आििौर पर दू रथर्
मिगि या एक गैर-लाभकारी सांगठि को मर्िास, साझा
थर्ािोां, पुरािि िकिीक और मर्त्त की किी जैसे िुद्दोां के
पहचाि, िािदां डोां, िूल्ोां और आपसी सांबांधोां के आधार पर
कारण कि उपयोग मकया जा रहा है ।
एक सार् कायथ करिे की अिुिमि दे िा है । आि िौर पर,
• तनम्न िकनीकी स्तर: हर मदि िई िकिीकोां का मर्कास ऐसे सांगठिोां को िागररक सिाज कहा जािा है।
होिा है । हालाांमक, र्े िहांगी होिी हैं और मर्मििाथ ण क्षेत्र िें
समाज के तलए नागररक समाज का कायाटत्मक यरगदान:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
िारि में सामातजक पूोंजी सोंगठनरों का िगीकरण तथा तद्विीय • नीति के अोंिगटि आने िाले स्वैखिक सोंगठनरों में मरटे
प्रशासतनक सुिार आयरग के अनुसार कानून और िौर पर तनम्नतलखखि तिशेषिाएों हरनी चातहए:
गतितितियरों के आिार पर नागररक समाज का िगीकरण: o र्े मिजी हैं , यािी सरकार से अलग हैं ।
• पांजीकृि सोसायट्ी मर्मशष्ट उद्दे श्योां के मलए बिाई जािी हैं । o र्े अपिे िामलकोां या मिदे शकोां को उत्पन्न िुिाफा
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o र्े पररभामषि लक्ष्ोां और उद्दे श्योां के सार् पांजीकृि गैर सरकारी सोंगठन की िूतमका और प्रिाि:
सांगठि या अिौपचाररक सिूह हैं ।
• नीति के उद्दे श्य:
o स्वैस्च्छक सांगठिोां के मलए एक सक्षि र्ािार्रण
बिािा जो उिकी पहचाि और स्वायत्तिा की रक्षा
करिे हुए उिकी प्रभार्शीलिा को बढार्ा दे ।
o स्वैस्च्छक सांगठि र्ैध रूप से भारि और अन्य जगहोां
से अपेमक्षि मर्त्तीय पूांजी जुट्ािे िें सक्षि होांगे।
o ऐसे िांत्र की पहचाि करिा मजसिें सरकार और
स्वैस्च्छक क्षेत्र सहयोग करें गे। ● कल्ाणकारी यरजना कायाटन्वयन: जििा से अपिी
o सुशासि को बढार्ा दे िे के मलए स्वैस्च्छक सांगठिोां मिकट्िा के कारण, गैर-सरकारी सांगठि सरकार और
को खुले और जर्ाबदे ह शासि और प्रबांधि अांमिि उपयोगकिाथओां के बीच एक कड़ी के रूप िें कायथ
प्रमियाओां को लागू करिे के मलए प्रोत्सामहि करिा करिे हैं । इस प्रकार, सरकारी कल्ाणकारी योजिाओां के
िहत्वपूणथ है । कायाथ ियि िें गैर-सरकारी सांगठि िोट्े िौर पर िीि
(कायाटन्वयनकिाट, उत्प्रेरक और सहयरगी की ) भूमिकाएँ
गै र सरकारी सों ग ठन (NGO)
मिभािे हैं ।
एिजीओ (NGO) को मर्ि बैंक द्वारा "एक गैर-लाभकारी सांगठि ● क्षमिा तनमाटण: र्े िीमि-मििाथ ण िें सहायिा के मलए
के रूप िें पररभामषि मकया गया है जो पीमड़िोां को राहि दे िे, अिुसांधाि करके, सांथर्ागि क्षििा मििाथ ण, िागररक सिाज
गरीबोां के महिोां को बढार्ा दे िे, पयाथ र्रण की रक्षा करिे, बुमियादी के सार् स्विांत्र सांर्ाद को बढार्ा दे कर और लोगोां को
सािामजक सेर्ाएां प्रदाि करिे या सािुदामयक मर्कास करिे अमधक मट्काऊ जीर्ि जीिे िें सहायिा करके अांिराल को
सांबांधी गमिमर्मधयोां को आगे बढािा है"। पाट्िे िें िहत्वपूणथ भूमिका मिभािे हैं ।
गैर सरकारी सोंगठन से सोंबोंतिि सोंिैिातनक प्राििान ● सामातजक बुराइयरों से लडना और मानि अतिकाररों की
अनुिेद 19(1)(C): सांघ बिािे के अमधकार की अिुिमि रक्षा करना: गैर-सरकारी सांगठिोां के प्रयासोां के कारण ही,
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● पूरक राज्य सेिाएाँ : मशक्षा और स्वास्थ्य दे खभाल दो प्रिुख • आपदा प्रबोंिन में िूतमका: गैर-सरकारी सांगठि
उदाहरण हैं जहाँ सरकार द्वारा सांचामलि स्कूल और आपदाओां के दौराि बचार् कायों िें सहायिा करिे हैं और
अस्पिाल कि िात्रा िें हैं , मर्शेषकर ग्रािीण क्षेत्रोां िें, पयाथप्त व्यार्सामयक प्रमशक्षण केंद्र भी प्रदाि करिे हैं । उदाहरण
सांसाधिोां की किी है। हालाां मक, इि कायथििोां को गैर- के मलए रै मपड ररस्पाां स एक पुरस्कार मर्जेिा गैर-सरकारी
सरकारी सांगठिोां द्वारा पूरक बिाया जािा है । सांगठि है , जो पूरे भारि िें आपदा प्रमिमिया और उसकी
िैयारी सांबांधी सेर्ाएां प्रदाि करिा है ।
• पयाटिरण प्रदू षण से लडना: गैर-सरकारी सांगठि र्ैमिक
िुद्दे उठा सकिे हैं , जैसे र्ैमिक स्तर पर खिरिाक अपमशष्ट
मियांत्रण, बारूदी सुरांग प्रमिबांध, और ग्रीिहाउस गैस और
प्रदू षण मियांत्रण से मिपट्िे के मलए सुधार।
o उदाहरण के तलए, मर्ज्ाि और पयाथर्रण केंद्र
प्रदू षण, भोजि और पेय पदार्ों िें मर्षाक्त पदार्ों,
और अन्य िहत्वपूणथ िुद्दोां पर एक प्रिुख आर्ाज रहा
है ।
• स्वास्थ्य और जीिन की रक्षा करना: भारि िें COVID-
19 िहािारी की पहली लहर के दौराि, एि इों तिया पहले
से ही कल्ाणकारी पहलोां पर काि कर रहा र्ा। हालाां मक,
इसके प्रयासोां िे दू सरी लहर के दौराि गमि पकड़ी। सांगठि
िे मर्शेष रूप से उि गाांर्ोां पर ध्याि केंमद्रि मकया जहाां
गैर सरकारी सोंगठनरों का प्रिाि: केस स्टिी
उसिे मशक्षा की पहल की र्ी। प्रत्येक गाँ र् िें पहले से ही
• तशक्षा प्रदान करने में: केरल शाि सामहत्य पररषद, एक सांगठि से जुड़े स्वयांसेर्कोां के अलार्ा, कई अन्य लोग भी
गैर सरकारी सांगठि है , जो राज् की 100 प्रमिशि साक्षरिा उिके कारण से जुड़ गए।
दर के मलए काफी हद िक मजम्मेदार है । • बाल अतिकार: बचपि बचाओ आां दोलि िे भारि िें
• गरीबरों के तहिरों कर सुरतक्षि करना: िुांबई जैसे शहरोां िें 90,000 से अतिक बच्रों को बाल िि, दासिा और
युव (YUVA) और स्प कट( SPARK) जैसे गैर-सरकारी िस्करी से िुस्क्त मदलाई है ।
सांगठिोां िे झोपमड़योां के मर्र्ध्ांस का लगािार मर्रोध मकया • गुि िीि इों टरनेशनल, गलीचा बिािे के उद्योग िें अर्ैध
है और सार् ही सार् मर्शाल झुग्गी बस्स्तयोां िें जीर्ि की बाल िि को सिाप्त करिे के मलए सिमपथि गैर-लािकारी
गुणर्त्ता िें सुधार के मलए काि मकया है । सोंगठनरों का एक नेटिकट है , जो दमक्षण एमशया िें बाल
िि के उपयोग के मबिा मिमिथि कालीिोां की पहली
• अल्पसोंख्यकरों के तलए आिाज उठाना: गैर-सरकारी
स्वैस्च्छक लेबमलांग, मिगरािी और प्रिाणि प्रदाि करिा है ।
सांगठिोां िे बहुराष्टरीय कांपमियोां द्वारा स्वदे शी लोगोां के
गैर सरकारी सोंगठन और करतिि-19 महामारी:
उत्पीड़ि के स्खलाफ भी आर्ाज उठाई, जैसा मक र्ेदाांि
● िहािारी के मलए सरकार की प्रमिमियाओां िे र्ैमिक स्तर
बिाि पोस्को िािले िें दे खा गया। इििें से कई गैर-
पर िागररक सिाज को बामधि कर मदया, मजसिें
सरकारी सांगठिोां िे ग्राि पांचायिोां के सार् सहयोग मकया
लॉकडाउि िे लोगोां को घर के अांदर िक सीमिि कर मदया
है िामक यह सुमिमिि मकया जा सके मक र्ि अमधकार
और शारीररक दू री के उपायोां िे बैठकोां को प्रमिबांमधि कर
अमधमियि और कैम्पा अमधमियि (CAMPA Act) जैसे
मदया। हालाँ मक, िागररक सिाज के कायथकिाथओां िे कई
कािूिोां को ठीक से लागू मकया जा सके। छोट्े और बड़े िरीकोां से िहािारी की चुिौिी का साििा
मकया।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
रखिे के मलए उिके सार् मिलकर काि मकया। सरकारी सांगठिोां के सिक्ष आने व िी प्रिुख चुिौमियोां िें
• पेरो आयुदा र्ेलफेयर फाउां डेशि िे आर्ारा पशुओां की से एक पेशेर्र रूप से प्रमशमक्षि कमिथयोां की किी है ।
िदद की। • ग्रामीण क्षेत्रों में असमानिा: ग्रािीण क्षेत्रोां की िुलिा िें
• हे िकुांट् फाउां डेशि िे जरूरििांद लोगोां के मलए शहरी क्षेत्रोां िें एिजीओ अमधक मर्कमसि हैं । ग्रािीण क्षेत्रोां
ऑक्सीजि, दर्ाओां और अस्पिाल िें बेड की व्यर्थर्ा िें गैर-सरकारी सांगठिोां के मपछड़े पि का कारण है -
की। o ग्रािीण लोगोां का मपछड़ापि और अज्ाििा।
गैर सरकारी सोंगठनरों से जुडी चुनौतियााँ: o बुमियादी सुमर्धाओां के अभार् िें सािामजक
• उनकी िैििा और जिाबदे ही से सोंबोंतिि तचोंिाएाँ : कायथकिाथओां के बीच काि करिे की इच्छा का
अभार्।
o सीबीआई के िुिामबक, प्रत्येक 600 भारिीय लोगोां
पर एक एिजीओ(NGO) है । हालाँ मक, भारि िें गैर- • युिाओों में स्वयोंसेिा/सामातजक कायट की कमी: युिाओों
में स्वयांसेर्ा के भार् िें किी आ रही है और दै मिक रूप से
सरकारी सांगठिोां के बीच पारदमशथिा की किी है और
अमधक पेशेर्र होिी जा रही है तथ स ि मजक क यों िें
केर्ल 10% गैर-सरकारी सांगठिोां िे र्ामषथक आय
स्न तक छ त्र इसे कैररयर के रूप िें दे खने िगे िैं ।
और व्यय का मर्र्रण दास्खल मकया हैं ।
o हजारोां गैर-लाभकारी सांथर्ाएां और स्वयांसेर्ी सिूह • िन की कमी: भारि िें अमधकाां श गैर-सरकारी सांगठि
कि बजट् पर काि कर रहे हैं । सरक र ,सि यत के रूप
सरकारी अिुदाि प्राप्त करिे हैं लेमकि यह मिमदथ ष्ट
िें 100% अनुद न निीं प्रद न करती िै और मर्मभन्न
करिे िें मर्फल रहिे हैं मक र्े उिका उपयोग कैसे
कायथििोां के मलए अिुदाि की स्वीकृमि िें दे री होिी है ।
करिे हैं।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
o एक अध्ययि िें, इां ट्ेमलजेंस ब्यूरो िे "मर्दे शी
मर्त्तपोमषि" गैर-सरकारी सांगठिोां पर परिाणु - ● भारि िें, गृह िांत्रालय (MHA) एफसीआरए(FCRA) के
िाध्यि से गैर सरक री तथ अन्य संगठनों को दाि मकए
मर्रोधी और कोयला-आधाररि मबजली सांयांत्रोां के
गए मर्दे शी धि की मिगरािी करिा है । कुछ गैर-सरकारी
मर्रोध प्रदशथिोां के सार्-सार् दु मिया भर िें GMO-
सांगठि मर्दे शी िुद्रा प्रबांधि अमधमियि (FEMA) के िहि
मर्रोधी प्रदशथिोां को मर्त्तपोमषि करिे का आरोप
पांजीकृि हैं और मर्त्त िांत्रालय द्वारा मर्मियमिि हैं । हाल ही
लगाया,उि पर "पमििी सरकारोां की मर्दे श िीमि के
िें शीषथ अदालि िे एफसीआरए िें मकए गए सांशोधि को
महिोां के साधि के रूप िें कायथ करिे" का आरोप
सही ठहराया है ।
लगाया। कहा जािा है मक एिजीओ सकल घरे लू
● हाल ही िें, तिजय कुमार सतमति की मसफाररशोां के आधार
उत्पाद की र्ृस्द् को 2-3% कि करिे के मलए
पर गैर-सरकारी सांगठिोां के मलए िए प्रत्यायि मदशामिदे श
थर्ािीय सांगठिोां के िेट्र्कथ के सार् सहयोग कर रहे
िैयार मकए गए र्े।
हैं ।
23
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● िीमि आयोग को सरकार से धि की िाांग करिे र्ाले गैर गैर सरकारी सोंगठनरों से सोंबोंतिि प्रमुख मुद्दे:
सरकारी सांगठिोां के पांजीकरण और िान्यिा के मलए िोडल ● तिदे शी अोंशदान (तितनयमन) अतितनयम, 2010
एजेंसी के रूप िें मियुक्त मकया गया है । (FCRA): हाल ही िें, सर्ोच्च न्यायालय िे मर्दे शी अांशदाि
आिश्यक उपाय: मर्मियिि सांशोधि अमधमियि, 2020 की र्ैधिा को
बरकरार रखा और कहा मक मर्दे शी दाि प्राप्त करिा
● प्रिािी तनगरानी: गैर-सरकारी सांगठिोां के मर्त्तीय
मिरपेक्ष अमधकार िहीां है । सार् ही, गृह िांत्रालय िे मर्दे शी
कुप्रबांधि की जाांच के मलए सरकार को जाां च आयोग या
अांशदाि मियिि सांशोधि मियि, 2022 अमधसूमचि मकया
समिमियोां की मियुस्क्त करिी चामहए। उदाहरण के मलए,
है ।
सरकार को 2017 के सुप्रीि कोट्थ के आदे श से सांकेि लेिा
चामहए, जहाां शीषथ अदालि िे सरकार को 30 लाख एिजीओ
को ऑमडट् करिे का आदे श मदया र्ा।
● एफसीआरए (FCRA) का प्रिािी कायाटन्वयन:
एफसीआरए को यह सुमिमिि करिे के मलए प्रभार्ी ढां ग से
लागू मकया जािा चामहए मक मर्दे शी योगदाि का उपयोग तिदे शी अोंशदान (तितनयमन) सोंशरिन तनयम, 2022:
अवैध गमतमवमधयों के मिए न मकय ज ए और स थ िी इस ● एफसीआरए के िहि भारिीयोां को मर्दे श िें अपिे
ररश्तेदारोां से सालािा 10 लाख रुपये िक प्राप्त करिे की
ब त क ध्य न रखन आवश्यक िै मक उनके क िक ज िें
अिुिमि दे िा है ।
ब ध न आए।
● इस सीिा से अमधक होिे पर व्यस्क्तयोां के पास सरकार को
● सहकारी दृतष्ट्करण: स्वयांसेर्ा िें शामिल युर्ा स्नािकोां के
सूमचि करिे के मलए 90 मदि का सिय होिा है ।
सार् कैंपस साक्षात्कार आयोमजि करिे के मलए
● पांजीकरण या मर्दे शी धि प्राप्त करिे की पूर्थ अिुिमि की
मर्िमर्द्यालय, कॉलेज और स्कूल, गैर-सरकारी सांगठिोां
सिय सीिा को बढाकर 45 मदि कर मदया गया है ।
(NGO) के सार् मिलकर काि कर सकिे हैं ।
● सिाशोधिीय अपराधोां की सूची 7 से बढकर 12 हो गई।
● दू रस्र् क्षेत्रों पर ध्यान केंतद्रि करना: भारि िें, ग्रािीण क्षेत्रोां
एफसीआरए( FCRA), 2010 के प्रमुख प्राििान (2020 के
िें आबादी का 65 प्रमिशि महस्सा है । पररणािस्वरूप, गैर-
सोंशरिन के बाद):
सरकारी सांगठिोां को ग्रािीण क्षेत्रोां िें अपिे कायों का
● िन लेने पर ररक: अमधमियि के िहि चुिार् उम्मीदर्ारोां,
मर्स्तार करिा चामहए िामक ग्रािीण मिर्ामसयोां के जीर्ि को
सिाचार पत्रोां के सांपादकोां और प्रकाशकोां, न्यायाधीशोां,
बेहिर बिािे िें उिकी िदद की ज सके। सरकारी किथचाररयोां, मकसी भी मर्धामयका के सदस्योां और
● प्रौद्यरतगकी हस्तक्षेप: एिजीओ धि जुट्ािे, आपसी लोक सेर्कोां को मर्दे शी योगदाि स्वीकार करिे से भी
गठजोड़ बिािे, अपिे सािाि का मर्ज्ापि करिे और योग्य प्रमिबांमधि मकया गया है ।
कमिथयोां को मियुक्त करिे के मलए इां ट्रिेट् और र्ेबसाइट्ोां ● मकसी अन्य व्यस्क्त को अांिराथ ष्टरीय अांशदाि दे िा अर्ैध है।
जैसी अत्याधुमिक िकिीकोां का उपयोग कर सकिे हैं । ● केिाईसी (KYC) मानदों ि: एिजीओ द्वारा मर्दे शी फांमडां ग
● एनजीओ के यरगदान की सराहना करके: कल्ाणकारी प्राप्त करिे के मलए पांजीकरण के मलए आधार, पासपोट्थ और
एजेंमसयोां के रूप िें, एिजीओ को उच्च स्तर की सेर्ा ओसीआई काडथ की आर्श्यकिा होिी है।
गुणर्त्ता बिाए रखिी चामहए। सरकार को भी ऐसे एिजीओ ● केंद्र सरकार द्वारा अमधसूमचि भारिीय स्टे ट् बैंक, िई मदल्ली
को पुरस्कार दे कर या अमिररक्त धि िुहैया कराकर की शाखा िें "FCRA खािे" के रूप िें बैंक द्वारा िामिि खािे
िें ही अांिराथ ष्टरीय योगदाि अमजथि मकया जािा चामहए।
सम्मामिि करिा चामहए।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● खचट की सीमा: सरकार ऐसे व्यस्क्तयोां के मलए अप्रयुक्त ● भ्रष्ट्ाचार कर कम करना: लोक सेर्कोां को इस िरह के
मर्दे शी योगदाि के उपयोग को सांमक्षप्त जाां च के आधार पर धि को स्वीकार करिे से रोककर यह भ्रष्टाचार और राज्
सीमिि कर सकिी है । के महिोां के स्खलाफ कारथ र्ाई को कि करिा चाहिा है ।
● प्रशासमिक व्यय के मलए अमधकिि 20% तनति का एफसीआरए (FCRA) के कारण चुनौतियाों:
उपयरग मकया जा सकिा है । ● राजनीतिक लक्ष्यीकरण: एफसीआरए के िहि गैर-
● प्रिाणपत्र को िर्ीिीकृि करिे से पहले, सरकार यह सरकारी सांगठिोां को लाइसेंस रद्द करके राजिीमिक और
सुमिमिि करिे के मलए जाँच कर सकिी है मक व्यस्क्त िे र्ैचाररक ििभेदोां के कारण मिशािा बिाया गया है ।
सभी आर्श्यकिाओां को पूरा मकया है । ● अन्वेषण पर प्रतिबोंि: प्रशासमिक व्यय पर प्रमिबांध
एफसीआरए का महत्व: मर्शेषज्ोां को काि पर रखिे, पयाथ प्त स्टाफ आमद होिे से
● तिकास का रखरखाि: आरोप हैं मक कुछ मर्दे शी उिकी अन्वेषण करिे की क्षििा को कि कर दे िा है।
मर्त्तपोमषि गैर सरकारी सांगठि जािबूझकर मर्कास ● छरटे एनजीओ के तलए मुखिल: धि के हस्ताांिरण पर
पररयोजिाओां का मर्रोध करिे हैं । उदाहरण के मलए, सीिाएां एिजीओ के बीच सहयोग को प्रमिबांमधि करिी हैं
ग्रीिपीस िे कुडिकुलि परिाणु सांयांत्र के स्खलाफ मर्रोध जहाां छोट्े एिजीओ मशक्षा, स्वास्थ्य आमद के मलए बड़े
मकया। एिजीओ से फांड प्राप्त करिे हैं।
● िारिीय समाज की सुरक्षा: सािामजक-साांस्कृमिक ● लरकिाोंतत्क मूल्रों के खखलाफ: यह दे श की मर्मर्धिा
गमिमर्मधयोां के मलए अक्सर मर्दे शी योगदाि का उपयोग और सिूहोां के बीच जागरूकिा को बढार्ा दे िे और उिके
मकया जािा है जो सिाज के सद्भार् को खिरे िें डालिा है। अमधकारोां की सुरक्षा िें गैर सरकारी सांगठिोां की भूमिका के
उदाहरण के मलए, कम्पैशि इां ट्रिेशिल को धिां िरण के स्खलाफ है ।
आरोपोां के कारण भारि िें गैर-सरकारी सांगठिोां को धि ● तनजिा के अतिकार के खखलाफ: पदामधकाररयोां के मलए
दे िे से रोक मदया गया र्ा। अमिर्ायथ आधार का प्रार्धाि, आधार पर सुप्रीि कोट्थ के
● सोंप्रिुिा कर खिरा: हाल ही िें सर्ोच्च न्यायालय िे फैसले के स्खलाफ है ।
स्वीकार मकया है मक मर्दे शी योगदाि का िुक्त और ● समाज कल्ाण: मर्दे शी धि प्राप्त करिे र्ाले कई सांगठि
अमियांमत्रि प्रर्ाह राष्टर की सांप्रभुिा और अखांडिा को सािामजक क्षेत्र िें कायथरि हैं ; इि िािदां डोां से फांड की किी
प्रभामर्ि कर सकिा है। हो सकिी है और उिकी कल्ाणकारी गमिमर्मधयोां िें बाधा
● राजनीतिक प्रिाि: सर्ोच्च न्यायालय िे भी िािा है मक आ सकिी है ।
मर्दे शी योगदाि दे श िें राजिीमिक मर्चारधारा को भी ● िौगरतलक सीमाएों : मियि, SBI मदल्ली िें एक खािा खोलिे
प्रभामर्ि कर सकिा है। की िाां ग करिे हैं , जो मक दू र के थर्ािोां िें काि करिे र्ाले
● पारदतशटिा: एफसीआरए के िाध्यि से मियिि एिजीओ गैर सरकारी सांगठिोां के मलए सांभर् िहीां है ।
को पारदशी बिािे और मर्त्तीय अमियमिििाओां की पहचाि ● मानिीय सहायिा में बािा: सांशोधि मर्दे शी दािदािाओां
करिे िें िदद करिा है । को मर्त्त पोषण करिे से हिोत्सामहि कर सकिा है और इस
● इखिि उपयरग: एफसीआरए मर्दे शी धि के इस्च्छि प्रकार भारि को प्राप्त मर्दे शी अिुदाि की िात्रा को कि
उपयोग को सुमिमिि करिा है , उदाहरण के मलए 2016 िें कर सकिा है ।
एिजीओ सबरां ग ट्र स्ट का एफसीआरए पांजीकरण कमर्ि ● व्यिसाय करने की उच् लागि: सांशोधिोां से भारि के
िौर पर मर्दे शी और थर्ािीय धि के मििण के मलए रद्द कर गैर-लाभकारी सांगठिोां के मलए व्यर्साय करिे की लागि िें
मदया गया र्ा। र्ृस्द् होगी, और र्े उत्पीड़ि के प्रमि सांर्ेदिशील होांगे।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o गैर-सरकारी सांगठिोां का मर्र्रण खोजे जािे योग्य ● नागररकरों िक सूचना की पहुोंच: चूांमक एिजीओ
डे ट्ाबेस सूचिा के रूप िें उपलि होिा चामहए। सार्थजमिक धि प्राप्त करिे हैं , इसमिए भ रतीय संमवध न के
o गैर-सरकारी सांगठिोां और सरकार के बीच मर्मभन्न अनुच्छेद 21 के तित आवश्यकत प़िने पर न गररकों को
इां ट्रफेस की मिगरािी के मलए एक िोडल मिकाय की इस ब त की ज नक री प्रदत्त करनी च मिए मक उन मनमधयों
मसफाररश पर िीमि आयोग को शस्क्त प्रदाि की को कैसे खचट मकय ज त िै।
जाएगी। ● एक सामातजक सेिा तििरण एजेंट के रूप में गैर
● दू सरा प्रशासतनक सुिार आयरग: एफसीआरए के िहि सरकारी सोंगठनरों की प्रिािशीलिा: कई मिकाय, जैसे
शस्क्तयोां का मर्केंद्रीकरण मकया जािा चामहए और राज् अस्पिाल और शैक्षमणक सांथर्ाि, अब "सार्थजमिक
सरकारोां या मजला प्रशासि को सौांप मदया जािा चामहए। प्रामधकरण" (आरट्ीआई अमधमियि की धारा 2 (H)) की
● उतचि अिसर: गैर-सरकारी सांगठिोां को मर्दे शी फांमडां ग से िेणी िें आएां गे, क्ोांमक र्े सरकारी स्वामित्व र्ाली सांपमत्त पर
अपांजीकृि करिे से पहले उिके मलए उमचि अर्सर प्रदाि स्थर्ि हैं ।
मकए जािे चामहए।
आगे की राह:
● प्रौद्यरतगकी का उपयरग: मर्दे शी धि प्राप्त करिे र्ाले गैर
● सरकार और गैर-सरकारी सोंगठनरों के बीच बेहिर
सरकारी सांगठिोां के अिुपालि को आसाि बिािे के मलए
सहयरग की आिश्यकिा है त मक स ि मजक कल्य ण
मडमजट्ल प्रौद्योमगकी का उपयोग मकया जा सकिा है । इसके
योजन ओं के क य टन्वयन िें ब ध ड िने के बज य उन्हें
मलए दपथण पोट्थ ल का मर्स्तार मकया जा सकिा है ।
प्रभ वी ढं ग से पूर मकय ज सके।
● उतचि अोंकेक्षण(Auditing): उमचि और सिय पर
● एिजीओ के मियािकोां को यह सुमिमिि करिा चामहए मक
अांकेक्षण सुमिमिि करिे से धि के दु रुपयोग को रोकिे िें
मियािक और एिजीओ दोिोां िें सार्थजमिक मर्िास बढािे
िदद मिल सकिी है ।
के मलए, राजिीमिक हस्तक्षेप से िुक्त, मिष्पक्ष, खुले और
सू च ना का अतिकार और गै र सरकारी सों ग ठन गैर-पक्षपािपूणथ िरीके से कािूिोां का पालि मकया जाए।
● गैर-सरकारी सांगठिोां द्वारा अिुपालि सुमिमिि करिे के
● सर्ोच्च न्यायालय के मिणथय के अिुसार, सरकारी धि प्राप्त
मलए, मशक्षामर्दोां, कायथकिाथओां और सेर्ामिर्ृत्त िौकरशाहोां
करिे र्ाले गैर-सरकारी सांगठि (NGO) अब सूचिा का
को श मिि करते हुए राष्ट्रीय प्रत्यायन पररषद का गठि
अमधकार (RTI) अमधमियि, 2005 के अधीि हैं।
मकया जािा चामहए।
● "सार्थजमिक प्रामधकरण" को आरट्ीआई अमधमियि की
धारा 2 (H) िें "मकसी भी प्रामधकरण, इकाई, या स्व-सरकार
तिगि िषों के प्रश्न
की सांथर्ा द्वारा मिमिथि या गमठि" के रूप िें र्मणथि मकया
गया है । 1. मर्दे शी अांशदाि (मर्मियिि) अमधमियि (FCRA), 1976 के
● अनुदान: आरट्ीआई अमधमियि िें पयाथप्त धि मिमदथ ष्ट िहीां िहि एिजीओ के मर्दे शी फांमडां ग को मियांमत्रि करिे र्ाले
है । अपिे फैसले िें, सुप्रीि कोट्थ िे िहत्वपूणथ मर्त्तपोषण की मियिोां िें हाल के पररर्िथिोां की सिालोचिात्मक परीक्षण
कीमजए। (2015)
अर्धारणा को व्यापक बिाया।
2. पयाथर्रण की सुरक्षा से सांबांमधि मर्कास कायों के मलए भारि
आरटीआई अतितनयम के िहि गैर सरकारी सोंगठनरों कर
िें गैर सरकारी सांगठिोां की भूमिका को कैसे िजबूि मकया
रखने के लाि:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
जा सकिा है ? प्रिुख बाधाओां पर प्रकाश डालिे हुए चचाथ डालिे हैं , क्ोांमक िीमि मििाथ िा अक्सर मिणथय लेिे सिय
कीमजए। (2015) प्रचमलि जि भार्िाओां पर मर्चार करिे हैं ।
3. "भारिीय शासि प्रणाली िें, गैर-राज् अमभकिाथ ओ(ां non- 3. पैरिी करने का प्रयास: दबार् सिूह, सिूह के महिोां पर
state actors) की भूमिका केर्ल सीिाांि रही है ।" इस उिके प्रारां मभक रुख की परर्ाह मकए मबिा, सार्थजमिक
कर्ि का सिालोचिात्मक परीक्षण कीमजए। (2016) अमधकाररयोां के सार् प्रत्यक्ष र्ािाथ और अिुिय िें सांलग्न होिे
हैं । पैरर्ी के िाध्यि से, दबार् सिूहोां का उद्दे श्य िीमि
दबाि समू ह मििाथ िाओां को उि िीमियोां को अपिािे और लागू करिे के
मलए राजी करिा है जो सिूह के एजेंडे के सार् सांरेस्खि होिी
● दबार् सिूहोां को महि अमभव्यस्क्त सिूहोां के रूप िें भी जािा
हैं , और अांििः उिके महिोां को लाभ पहुांचािी हैं ।
जािा है , क्ोांमक र्े अपिे लोगोां और सांगठिोां के महिोां को
दबाि समूहरों की तिशेषिाएों :
आगे बढािे िें िहत्वपूणथ भूमिका मिभािे हैं ।
● तितशष्ट् तहिरों के आसपास सोंगतठि: प्रत्येक दबार् सिूह
● दबाि समूह िीन प्रार्तमक िकनीकरों का उपयरग करिे
मर्मशष्ट महिोां के आसपास खुद को सांगमठि करिा है और
हुए अपने उद्दे श्यरों कर प्राप्त करने के तलए तितिन्न
उि महिोां को बढार्ा दे िे और उिकी रक्षा करिे के मलए
रणनीतियरों का प्रयरग करिे हैं:
राजिीमिक व्यर्थर्ा के भीिर शस्क्त सांरचिाओां को
अपिािा है ।
● आिुतनक और पारों पररक िरीकरों का उपयरग: दबार्
सिूह मर्मभन्न िकिीकोां का उपयोग करिे हैं , मजसिें
राजिीमिक दलोां को धि दे िा, चुिार् के दौराि उम्मीदर्ारोां
का सिर्थि करिा और िौकरशाही को सांिुष्ट रखिा शामिल
है । र्े अपिे उद्दे श्योां को आगे बढािे के मलए जामि, धिथ और
पांर् आधाररि भार्िाओां का शोषण करिे जैसे पारां पररक
िरीकोां का भी उपयोग करिे हैं।
● बढ़िे दबाि और सोंसािनरों की माोंग के कारण उत्पन्न:
1. चुनािी प्रिाि: दबार् सिूहोां का उद्दे श्य उि उम्मीदर्ारोां दबार् सिूह सिाज के मर्मभन्न र्गों से दु लथभ सांसाधिोां के
का सिर्थि और प्रचार करिा है जो उिके महिोां के सार् मलए प्रमिस्पधाथत्मक दार्ोां और प्रमिदार्ोां के पररणािस्वरूप
सांरेस्खि होिे हैं , मजससे सहािुभूमि रखिे र्ाले व्यस्क्तयोां के उभर कर साििे आिे हैं , मजससे दबार् और िाांगें बढ जािी
सार्थजमिक पद धारण करिे की सांभार्िा बढ जािी है । ऐसे हैं ।
उम्मीदर्ारोां के मलए सिर्थि और प्रचार करके, दबार् सिूह ● राजनीतिक दलरों की अपयाटप्तिा से उत्पन्न: दबार् सिूह
अपिे उद्दे श्य के अिुकूल िीमिगि पररणािोां को सुरमक्षि िुख्य रूप से मर्मशष्ट महिोां और िुद्दोां को सांबोमधि करिे के
करिे की कोमशश करिे हैं । मिये राजिीमिक दलोां की कमियोां और अक्षित ओं के
2. जनिा की राय कर आकार दे ना: दबार् सिूह लोकिाां मत्रक पररण िस्वरूप जन्म िेते िैं ।
सिाजोां िें जििा की राय के िहत्व को पहचाििे हैं। जि ● बदलिी चेिना कर प्रतितबोंतबि करना: खाद्य उत्पादि,
भार्िाओां को प्रभामर्ि करिे के मलए र्े िीमडया अमभयाि, औद्योमगक र्स्तुओ,ां या अन्य पहलुओां िें पररर्िथि व्यस्क्तयोां
जिीिी स्तर पर आयोजि और जि जागरूकिा पहल जैसे और सिूहोां के दृमष्टकोण को बदल सकिे हैं । उत्पादि बढिे
मर्मभन्न िाध्यिोां का उपयोग करिे हैं । जििि को आकार से अक्सर िाां ग, मर्रोध और िए दबार् सिूहोां का गठि होिा
दे कर, दबार् सिूह अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर प्रभार् है ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
िारि में स्वयों सहायिा समूहरों की उत्पतत्त: o दू सरी ओर ग्रािीण गरीबी और बेरोजगारी इस क्षेत्र िें
● स्वयां सहायिा सिूह (SHG) भारि िें गरीबी कर दू र करने बिी हुई है । यह िािला और भी गांभीर जा रहा है ,
और हातशए पर रहने िाले समुदायरों, तिशेष रूप से भारिीय अर्थव्यर्थर्ा पर उपलि िर्ीििि आां कड़ोां
के अिुसार, ग्रािीण गरीब दे श की कुल जिसांख्या का
मतहलाओों कर सशक्त बनाने के तलए एक जमीनी
लगभग 26% हैं ।
दृतष्ट्करण के रूप में उत्पन्न हुआ र्ा।
● मतहला सशखक्तकरण: िमहलाएां भारिीय अर्थव्यर्थर्ा िें
राष्टरीय और घरे लू दोिोां स्तरोां पर िहत्वपूणथ भूमिका मिभािी
हैं । र्े दे श के कायथबल का एक मिहाई महस्सा हैं ।
o भारिीय िमहलाएां अपिे पुरुष सिकक्षोां की िुलिा िें
पररर्ार के रखरखार् के मलए अपिी किाई का एक
बड़ा महस्सा खचथ करिी हैं , मजसके पररणािस्वरूप
िमहलाओां की किाई का गरीबी की घट्िाओां और
सुरक्षा पर सकारात्मक और ित्काल प्रभार् पड़िा है ।
● स्र्ानीय समर्टन: स्वयां सहायिा सिूह सहकारी
अर्धारणाओां पर आधाररि होिे हैं जो प्रमिभामगयोां को एक
दू सरे की सहायिा प्रदाि करिे के मलए एक िांच प्रदाि
करिा हैं । इसे सशस्क्तकरण का स्रोि िािा जािा है ।
● 1980 के दशक िें राष्टरीय कृमष और ग्रािीण मर्कास बैंक ● औपचाररक तित्तीय प्रणाली िक पहुोंच: स्वयां सहायिा
सिूह किजोर लोगोां को एक सार् लािी हैं मजिकी
(NABARD) की थर्ापिा के सार् इस अर्धारणा को गमि
औपचाररक मर्त्तीय प्रणाली िक पहुां च िहीां है। सिुदायोां िें
मिली।
आििौर पर पारदमशथिा और जर्ाबदे ही का अभार् होिा है ।
● MYRADA और PRADAN जैसे सांगठिोां िे सािूमहक
स्वयों सहायिा समूहरों के लाि:
कारथ र्ाई और स्वयां सहायिा की क्षििा को पहचाििे हुए
● आमर्थक आत्ममिभथरिा, ग्रािीण िािलोां िें भागीदारी और
स्वयां सहायिा सिूह (SHG) िॉडल को लोकमप्रय बिािे िें
मशक्षा साक्षरिा जैसे कुछ सािामजक-आमर्थक लाभ प्राप्त
िहत्वपूणथ भूमिका मिभाई। होिा हैं ।
िारि में स्वयों सहायिा समूह (SHG) की आिश्यकिा: ● मतहलाओों की खस्र्ति में सुिार: मियमिि सािूमहक बैठकोां
● गरीबी से तनपटना: गरीबी िें रहिे र्ाले लोगोां को से िमहलाओां की सािामजक पूांजी का मििाथण होिा है , मजससे
आशार्ादी और आत्ममिभथर बिािे के मलए स्वयां सहायिा पररर्ार और सिाज िें उिकी स्थर्मि िजबूि होिी है ।
सिूहोां की उपस्थर्मि बहुि िहत्वपूणथ है । ● स्वास्थ्य और जीिन स्तर में सुिार: एक NFHS-4 के
o स्वयां सहायिा सिूह (SHG) लोगोां की आय बढािे, अिुसार, जो िमहलाएां "सहभागी मशक्षा और हस्तक्षेप" िें
उिके जीर्ि स्तर को ऊपर उठािे और उिकी सांलग्न हैं , उििें िािृ िृत्यु दर और िर्जाि िृत्यु दर कि है ।
सािामजक स्थर्मि को ऊांचा करिे िें िदद करके उन्ें ● ग्रामीण क्षेत्रों की मतहलाओों कर सोंगतठि तकया जािा है:
सिाज की िुख्यधारा िें लािे के मलए एक िांत्र के रूप स्वयां सहायिा सिूह सांरचिा के अंतगटत िगभग 46
िें कायथ करिा हैं । मिमियन गरीब िमिि एं संगमठत िैं । ये सांगठि मर्शेष रूप
से बैंमकांग सेर्ा रमहि ग्रािीण िमहलाओां को मर्त्तीय
● सरकारी कायटिमरों कर लागू करना: भारि सरकार और
िध्यथर्िा सेर्ाएां प्रदाि करिे के िािले िें सफल सामबि
मर्मभन्न राज् सरकारोां द्वारा ग्रािीण उत्थाि के मलए मर्मभन्न
हुए हैं ।
कायथिि लागू मकए गए हैं ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
स्वयों सहायिा समूहरों की चुनौतियाों: ● गरीबोां का सशस्क्तकरण हुआ है,लेमकि ये आमर्थक लाभ
● ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयों सहायिा समू हरों की पैठ उिके जीर्ि िें गुणात्मक बदलार् लािे के मलए पयाथ प्त िहीां
o िाचथ 2021 िक, दमक्षणी राज्ोां,आां ध्र प्रदे श, किाथट्क, ● स्वयां सहायिा सिूहोां द्वारा की जािे र्ाली कई गमिमर्मधयाां
अभी भी आमदि कौशल पर मिभथर हैं , जैसे प्रमि किथचारी
केरल और िमिलिाडु िें स्वयों सहायिा समूहरों का
कि िूल्र्धथि और मर्शेष रूप से प्रार्मिक क्षेत्र िें मिर्ाथह
71% महस्सा र्ा।
िजदू री पर।
o खराब प्रदशथि करिे र्ाले राज्ोां िें उच्च गरीबी दर
● सिुदाय के सदस्योां को उिके कौशल को उन्नि करिे या
र्ाले राज् शामिल हैं , जैसे मक उत्तर प्रदे श और
िए कौशल सीखिे िें सहायिा करिे के मलए प्रमशमक्षि
मबहार।
कमिथयोां की किी। क्षििा मर्कास और क्षििा अमधग्रहण के
o ऐसे राज् मजसिें मपिृसत्तात्मकिा गहराई से सिाई
मलए सांथर्ागि ढाांचे का अभी भी अभार् है ।
हुई है और िमहलाओां की मर्त्तीय और सािामजक
● खराब लेखा पद्मियाां और मिमधयोां के दु रूपयोग के
भूमिकाएां प्रमिबांमधि हैं ।
उदाहरण।
o पाररर्ाररक दामयत्वोां के कारण अमधकाांश िमहला
● उिके पास ि िो पैसा है और ि ही अपिे उत्पादोां को बेचिे
सदस्य अपिा पूरा ध्याि अपिे व्यर्साय पर िहीां लगा
के साधि।
पािी हैं ।
स्वयों सहायिा समूहरों कर प्रिािी बनाने के उपाय:
● स्वयां सहायिा सिूह के सदस्योां के पास व्यर्हायथ और
● सरकार को एक सुतििा प्रदािा और प्रििटक होिा चामहए,
लाभदायक आजीमर्का मर्कल्पोां िे तु आर्श्यक मर्शेषज्िा
और स्वयां सहायिा सिूहोां की र्ृस्द् और मर्कास के मलए
और अमभमर्न्यास की किी है ।
एक अिुकूल िाहौल बिािा चामहए।
● खराब बुतनयादी ढााँचा: इििें से अमधकाांश स्वयां सहायिा
● दे श के ऋण की किी र्ाले क्षेत्रोां, जैसे िध्य प्रदे श, राजथर्ाि
सिूह ग्रािीण और दू रदराज के क्षेत्रोां िें हैं , जहाँ सड़क या
और उत्तर-पूर्ी राज्ोां िें स्वयां सहायिा सिूहोां की सांख्या
रे ल की सुमर्धा िहीां है । मबजली की सिस्या बिी रहिी है। बढािा चामहए।
● प्रतशक्षण और क्षमिा तनमाटण का अिाि: अमधकाांश स्वयां ● मर्त्तीय बुमियादी ढाांचे के िेजी से मर्स्तार के सार्-सार्
सहायिा सिूह अपिे दि पर काि करिे हैं , पेशेर्र मर्कास व्यापक आईट्ी-सक्षि किेस्क्टमर्ट्ी और क्षििा मििाथण
या क्षििा मििाथ ण के िािले िें सरकार से उन्े कोई सहायिा पहलोां पर ध्याि केंमद्रि करिा चामहए।
िहीां मिलिी है। ● शहरी/अधथ-शहरी क्षेत्रोां िें स्वयां-सहायिा सिूहोां का मर्स्तार
● राजनीतिकरण: स्वयां सहायिा सिूहोां िें, राजिीमिक इस िथ्य को दे खिे हुए मक बहुि से शहरी गरीब मर्त्तीय रूप
सांबद्िा और हस्तक्षेप प्रिुख िुद्दे बि गए हैं । से किजोर हैं , उिकी आय उत्पन्न करिे की क्षििा को
बढािे के प्रयास मकए जािे चामहए।
● करई सुरक्षा नही ों: स्वयां सहायिा सिूह सदस्य भरोसे और
● एक अलग स्वयां सहायिा सिूह िॉमिट्ररां ग सेल बिाया जािा
मर्िास पर कायथ करिे हैं । स्वयां सहायिा सिूहोां की जिा
चामहए जो िात्रात्मक और गुणात्मक दोिोां डे ट्ा एकत्र करिा
रामश स्थर्र या सुरमक्षि िहीां होिी है ।
हो।
स्वयों सहायिा समूहरों की कमजरररयााँ:
● र्ामणस्ज्क बैंक और िाबाडथ , राज् सरकार के सार्
● सिूह के सदस्य हिेशा एक ही सामातजक-आतर्टक साझेदारी िें, इि र्गों के मलए िए मर्त्तीय उत्पादोां को िया
पृष्ठिूतम से िहीां होिे हैं । रूप दे िा और मडजाइि करिा जारी रखिा चामहए।
30
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
नाबािट की ई-शखक्त पररयरजना o यह 1998 िें सािूमहक कारथ र्ाई के िाध्यि से गरीबी
को मिट्ािे के उद्दे श्य से केरल िें शुरू हुआ और यह
• ई-शस्क्त, या SHG मडमजट्ाइजेशि, िाबाडथ के िाइिो
िेमडट् एां ड इिोर्ेशि मडपाट्थ िेंट् की एक पररयोजिा है। दे श की सबसे बड़ी िमहला सशस्क्तकरण पहल है ।
• पररयोजिा का लक्ष् सभी स्वयां सहायिा सिूह (SHG) ● सामातजक पहल: िेट्र्कथ िे मशक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छिा और
खािोां का मडमजट्लीकरण करिा है । यह पहल स्वयां पयाथर्रण सांरक्षण जैसे सािामजक िुद्दोां को सांबोमधि करिे
सहायिा सिूह के सदस्योां को मर्त्तीय सिार्ेशि की के उद्दे श्य से मर्मभन्न सािामजक पहलोां की शुरुआि की है।
छत्रछाया िें लािे का प्रयास करिी है , मजससे उन्ें ● राजनीतिक प्रतितनतित्व: कुदु म्बिी के सदस्य थर्ािीय
मर्त्तीय सेर्ाओां की व्यापक रें ज िक पहुांच बिािे िें िदद सरकार के मिकायोां िें मिर्ाथमचि प्रमिमिमध बि गए हैं , मजससे
मिलिी है । इसके अमिररक्त, इसका उद्दे श्य उमचि
उन्ें अपिे सिुदायोां की मचांिाओां और जरूरिोां को आर्ाज
मडमजट्ल दस्तार्ेज़ीकरण और ररकॉडथ -रख-रखार्
दे िे का िांच मिल रहा है ।
सुमिमिि करके िेमडट् िूल्ाांकि और मलां केज िें बैंमकांग
● पररपकारी यरगदान: केरल िें भीषण बाढ के दौराि,
सुमर्धा को बढािा है ।
कुदु म्बिी के सदस्योां िे मिः स्वार्थ रूप से िुख्यिांत्री राहि
o उपलि िकिीक का उपयोग करके बैंमकांग
कोष िें 7 कररड रुपये का दान तदया, जो मक Google
सेर्ाओां की कुशल और आबाध मडलीर्री के मलए
स्वयां सहायिा सिूह के सदस्योां और बैंकोां के बीच जैसे िकिीकी मदग्गजोां के योगदाि से कहीां अमधक र्ा।
इां ट्रफेस की गुणर्त्ता िें सुधार करिा। ● सामुदातयक िािना: स्वयां बाढ के मशकार होिे के बार्जूद,
o आधार से जुड़ी पहचाि का उपयोग करके स्वयां कुदु म्बिी के कायथकिाथ ओां िे राहि प्रयासोां िें समिय रूप से
सहायिा सिूह के सार् मर्िरण प्रणाली के भाग लेकर और दू सरोां के कल्ाण िें योगदाि दे कर
अमभसरण की सुमर्धा प्रदाि करिा। सिुदाय और एकजुट्िा की एक िजबूि भार्िा प्रस्तुि की।
केस स्टिी: स्वयों सहायिा समूह
PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख
● महाराष्ट्र में मतहला आतर्टक तिकास महामोंिल िाक्ाोंश
(MAVIM):
गैर सरकारी सांगठि, मसमर्ल सोसाइट्ी, अमधर्क्ता,
o िमहला आमर्थक मर्कास िहािांडल (MAVIM) िे स्वयां सहकाररिा, स्व-मियािक मिकाय, सरकार के स्वामित्व र्ाली
सहायिा सिूहोां को मर्त्तीय और आजीमर्का सेर्ाएां सांपमत्त, जर्ाबदे ही, सार्थजमिक प्रामधकरण, लेखा परीक्षा,
प्रदाि करिे के मलए एक सिुदाय सांचामलि सांसाधि उमचि अर्सर, मर्केंद्रीकृि, भौगोमलक सीिाएां , पारदमशथिा,
केंद्र (CMRC) की थर्ापिा की है । भ्रष्टाचार, मर्दे शी योगदाि, एफसीआरए(FCRA) खािा,
o सिुदाय सांचामलि सांसाधि केंद्र (CMRC) स्वार्लांबी मर्दे शी योगदाि मर्मियिि, कल्ाणकारी एजेंमसयाां .
● केरल में कुदु म्बश्री: 1. स्वयां सहायिा सिूहोां (SHG) और उिके सांरक्षक, िाइिो-
o कुदु म्बिी एक सरकार द्वारा सांचामलि सांगठि है फाइिेंस सांगठिोां की र्ैधिा और जर्ाबदे ही के अर्धारणा
की मिरां िर सफलिा के मलए व्यर्स्थर्ि िूल्ाां कि और जाांच
मजसके बजट् और किथचाररयोां को सरकार द्वारा
की आर्श्यकिा है । चचाथ करें
भुगिाि मकया जािा है ।
31
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
2. मर्कास कायथििोां िें भागीदारी को बढार्ा दे िे के मलए ● इसका उद्दे श्य स्व-सहायिा और पारस्पररक सहायिा के
ग्रािीण क्षेत्रोां िें स्वयां सहायिा सिूहोां (SHG) की पैठ मसद्ाां ि के िाध्यि से सिाज के गरीब र्गों के महिोां की पूमिथ
सािामजक-साांस्कृमिक बाधाओां का साििा कर रही है । करिा है ।
परीक्षण करें । िारि में सहकाररिा का ऐतिहातसक तिकास
3. स्वयां सहायिा सिूह (SHG) बैंक मलांकेज प्रोग्राि (SBLP), ● कृतष और सोंबोंतिि क्षेत्रों से जुड़ा सहकाररिा आों दरलन:
जो भारि का अपिा िर्ाचार है , सबसे प्रभार्ी गरीबी o उन्नीसर्ीां शिाब्दी के अांि िें, ग्रािीण ऋणग्रस्तिा की
उन्मूलि और िमहला सशस्क्तकरण कायथििोां िें से एक सिस्याओां और मकसािोां की पररणािी स्थर्मियोां िे मचट्
सामबि हुआ है । व्याख्या कीमजए। फांड और सहकारी समिमियोां के मलए र्ािार्रण प्रदाि
4. सिकालीि सिय िें स्व-सहायिा सिूहोां (SHG) का उदय मकया।
मर्कासात्मक गमिमर्मधयोां िें राज् की धीिी लेमकि स्थर्र o मकसािोां िे सहकाररिा आां दोलि को अपिे सीमिि
र्ापसी की ओर इशारा करिा है ।" मर्कासात्मक सांसाधिोां को एकमत्रि कर ऋण, इिपुट् आपूमिथ और
गमिमर्मधयोां िें स्व-सहायिा सिूहोां (SHG) की भूमिका और कृमष उत्पाद मर्पणि जैसी सािान्य सिस्याओां के
स्व-सहायिा सिूहोां (SHG) को बढार्ा दे िे के मलए भारि सिाधाि के मलए एक उपकरण के रूप िें िािा।
सरकार द्वारा मकए गए उपायोां की जाां च करें । o 1904 और 1912 के सहकारी िेतिट सरसायटी
अतितनयम, 1919 िें सांर्ैधामिक सुधार और मब्रमट्श
5. "सूक्ष्म मर्त्त एक गरीबी-रोधी ट्ीका है जो भारि िें ग्रािीण
शासि के दौराि कृतष पर रॉयल कमीशन (1928),
गरीबोां की सांपमत्त मििाथण और आय सुरक्षा के मलए लमक्षि
और सहकारी यरजना सतमति (1945) जैसी मर्मभन्न
है । स्वयां सहायिा सिूहोां की भूमिका का िूल्ाांकि ग्रािीण
समिमियोां की मसफाररशोां िे भारि िें सहकारी
भारि िें िमहला सशस्क्तकरण के सार्-सार् दोहरे उद्दे श्योां
समिमियोां के सांगठिात्मक ढाां चे को आकार दे िे िें बहुि
के मलए कीमजए। (2020)
योगदाि मदया।
की प्राखप्त के तलए सार् आिे हैं। ● सांमर्धाि (97र्ाँ सांशोधि) अमधमियि, 2011
o सांमर्धाि के भाग III िें, " यूमियि" शब्द के बाद
"सहकारी समिमिय ं " शब्दोां को जोड़ा गया र्ा।
o भाग IVA िें, एक िया अिुच्छेद 43B जोड़ा गया
र्ा, जो कहिा है : 'राज् सहकारी समिमियोां के
स्वैस्च्छक गठि, स्वायत्त कािकाज, लोकिाां मत्रक
मियांत्रण और पेशेर्र प्रबांधि को बढार्ा दे िे का
प्रयास करे गा'।
o सांमर्धाि के भाग IXA, के बाद भाग IXB को राज्
बिाि केंद्र की भूमिकाओां को सिायोमजि करिे
के मलए सस्म्ममलि मकया गया र्ा।
32
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
सहकारी सतमतियरों पर राष्ट्रीय नीति, 2002: ● ररजगार: सहकारी क्षेत्र 17.8 मिमलयि से अमधक लोगोां को
● सहकाररिा के सांर्धथि और मर्कास के मलए सहायिा प्रदाि स्वरोजगार प्रदाि करिा है । सहकारी समिमियोां िे किजोर
करिा। र्गों की सािामजक-आमर्थक स्थर्मियोां को सुधारिे िें
● क्षेत्रीय असांिुलि को कि करिा। िहत्वपूणथ भूमिका मिभाई है ।
● सहकारी मशक्षा, प्रमशक्षण और िािर् सांसाधि मर्कास को • सहकाररिा का एक सिृद् इमिहास रहा है और इसिे
िजबूि करिा। भारि की मर्कास प्रमिया िें बड़े पैिािे पर योगदाि मदया
िारि के तिकास में सहकाररिा क्षेत् का यरगदान: है , हालाँ मक, हि कई िुद्दोां और चुिौमियोां के कारण हि
● ग्रामीण अर्टव्यिस्र्ा कर बढ़ािा: सहकारी समिमियाां सहकारी क्षेत्र की पूरी क्षििा का एहसास िहीां कर पाए हैं ।
लगभग 97% भारिीय गाांर्ोां को कर्र करिी हैं और लगभग
अमूल की सफलिा की कहानी
19% कृमष ऋण सहकारी समिमियोां द्वारा मर्िररि मकया
जािा है । अिूल िे एक शीषथ सहकारी सांगठि गुजराि को-ऑपरे मट्र्
● ईकरनातमक्स ऑफ स्केल: सहकारी क्षेत्र बड़े पैिािे की मिल्क िाकेमट्ां ग फेडरे शि मलमिट्े ड (GCMMF) के गठि से
अर्थव्यर्थर्ाओां को बढार्ा दे िे िें सक्षि है । उदाहरण के भारि िें डे यरी सहकारी आां दोलि शुरू मकया, जो गुजराि िें
मलए, डे यरी क्षेत्र िें लगभग 60 लाख सदस्योां र्ाली 45,000 लगभग 2.2 मिमलयि दू ध उत्पादकोां के सांयुक्त रूप से
से अमधक सहकारी समिमियाँ हैं। स्वामित्व िें है ।
● समािेशी तिकास: सहकारी क्षेत्र आमर्थक शस्क्त सांचय की अिूल की सफलिा के पीछे GCMMF के सांथर्ापक अध्यक्ष
रोकर्ाि िें िहत्वपूणथ भूमिका मिभािा रहा है और उत्पादक डॉ. र्गीज कुररयि का हार् है। अिूल िे भारि िें िेि िाां मि
पूांजी के स्वामित्व के व्यापक फैलार् के मलए प्रदाि मकया को गमि दी है , मजसिे भारि को दु मिया के सबसे बड़े दु ग्ध
गया है । उत्पादकोां िें से एक बिा मदया है ।
● उिटरक क्षेत्: भारिीय मकसाि उर्थरक सहकारी मलमिट्े ड
सहकाररिा क्षेत् के मुद्दे और चुनौतियााँ:
40,000 से अमधक सहकारी समिमियोां का एक सांगठि है।
अपिे मर्शाल िेट्र्कथ के सार्, यह 5.5 करोड़ से अमधक ● क्षेत्ीय असोंिुलनः सहकाररिा क्षेत्र दे श के पमििी और
मकसािोां िक पहुांचिे िें सक्षि है। दमक्षणी भागोां िें पूर्ी क्षेत्रोां जैसे पमिि बांगाल, ओमडशा,
● जैतिक खेिी कर बढ़ािा: तसतटतलोंगी जैतिक तकसान सोंघ मबहार और उत्तर-पूर्ी क्षेत्रोां की िुलिा िें अमधक मर्कमसि
जैमर्क खेिी और रागी, बाजरा आमद के प्रचार िें लगी एक है ।
सहकारी सांथर्ा है । यह उपज के मलए बाजार िूल् से 2 से ● सीतमि किरे ज: इि समिमियोां िें से अमधकाांश कुछ सदस्योां
3 रुपये प्रमि मकलोग्राि अमधक भुगिाि करके मकसािोां की िक ही सीमिि हैं और उिका सांचालि केर्ल एक या दो
आय िें सुधार कर रही है । गाां र्ोां िक ही सीमिि है । ििीजिि, उिके पास सीमिि
● निरन्मेष: सहकारी क्षेत्र ग्रािीण क्षेत्रोां िें िर्ोन्मेष िें सहायक सांसाधि हैं ।
रहा है । उदाहरण के मलए अिूल िे 102 िए उत्पाद लॉन्च
● तिशेषज्ञिा की कमी: सहकारी समिमियोां िें कुशल
मकए हैं , और इफको िे अपिे सदस्योां को डर ोि का उपयोग
किथचाररयोां की किी है और कुशल कमिथयोां को आकमषथि
करिे के मलए कठोर प्रमशक्षण का आयोजि कर रहा है।
करिे िें असिर्थिा का साििा करिा पड़ रहा है ।
● कल्ाण: सहकारी समिमियाँ अपिे सदस्योां को सौदे बाजी
● समय पर चुनाि का अिाि: सहकारी समिमियोां को शासी
की शस्क्तयाँ प्रदाि करिी हैं , उदाहरण के मलए सहकारी
किाई तमलरों और बुनकर सहकारी सतमतियरों िे लाखोां मिकायोां के मलए सिय पर चुिार् ि होिे के िुद्दे का साििा
बुिकरोां के शोषण को रोकिे िें िदद की है । करिा पड़िा है और अक्सर ये चुिार् उम्मीदर्ारोां की धि
शस्क्त से प्रभामर्ि होिे हैं ।
33
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● सहकारी बैंकरों का दरहरा तितनयमन: सहकारी बैंक अभी िक बहुउद्दे श्यीय सांगठिोां िें मर्कमसि िहीां हो पाई हैं
आरबीआई और राज् सरकार के दोहरे मर्मियिि के जो ऋण के अलार्ा भी कई प्रकार के कायथ करिे हैं ।
अधीि हैं जो उिकी जर्ाबदे ही को कि करिा है। जैसे, सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
पीएिसी बैंक सांकट् आमद। ● सहकाररिा मोंत्ालय: िांत्रालय की थर्ापिा 'सहकार से
● स्विः स्फूिटिा का अिाि:भारि िें सहकाररिा आन्दोलि सिृस्द्' (सहयोग के िाध्यि से सिृस्द्) के दृमष्टकोण को
िें स्विः स्फूिथिा का अभार् है क्ोांमक यह स्वयां लोगोां द्वारा साकार करिे के मलए की गई है।
िहीां आया है । र्े शायद ही कभी स्वेच्छा से अपिी पहल पर ● बैंतकोंग तितनयमन (सोंशरिन) अतितनयम, 2020: यह
सहकारी समिमियाँ बिािे के मलए िैयार होिे हैं । आरबीआई को सहकारी बैंकोां के बोडों को सुपरसाइड
● क्षैतिज और लोंबिि सोंबोंि: हालाांमक, सांरचिात्मक रूप से करिे की शस्क्त दे िा है और सहकारी बैंकोां को इस्िट्ी या
थर्ामपि होिे हुए भी, अभी िक पररचालि रूप से प्रभार्ी र्रीयिा शेयरोां के सार्थजमिक मिगथि और मिजी प्लेसिेंट् के
िहीां हुए हैं । िाध्यि से धि जुट्ािे की अिुिमि दे िा है ।
● दरषपूणट प्रबोंिन: सहकारी ऋण प्रणाली को दोषपूणथ कहा ● नेफेड: राष्टरीय कृमष सहकारी मर्पणि सांघ की थर्ापिा
गया है क्ोांमक यह ज्ादािर जिीांदारोां और बड़े मकसािोां राज्ोां िें मर्पणि सहकारी समिमियोां को उिके मर्पणि
द्वारा मियांमत्रि होिी है । ििीजिि, छोट्े और िध्यि आकार व्यर्साय को मर्कमसि करिे और उिके सदस्योां को बेहिर
के मकसािोां और सीिाांि र्गों को उिका उमचि महस्सा िहीां सेर्ाएां प्रदाि करिे िें िदद करिे के मलए की गई है ।
मिलिा है । उन्ें सहकारी समिमियोां की िदद से भी र्ांमचि ● एनसीिीसी (NCDC): सहकारी चीिी मिलोां, सहकारी
कर मदया जािा है । किाई और बुिाई मिलोां की शेयर पूांजी िें ऋण और सस्िडी
● राजनीतिक हस्तक्षेप: सुजािा पटे ल और िे तनयल र्ॉनटर के रूप िें मर्पणि, प्रसांस्करण, भांडारण और अभ्यास की
जैसे सिाजशास्ियोां के अिुसार, राजिीमिक हस्तक्षेप योजिाओां की सहायिा के मलए राष्टरीय सहकारी मर्कास
सहकारी आां दोलिोां के मर्कास िें एक मर्कट् बाधा है । सहयोग की थर्ापिा की गई है ।
ग्रािीण भारि िें सहकारी समिमियाां राजिीमि का केंद्र बि ● पीएसीएस (PACS) का कम्प्यूटरीकरण: कैमबिेट् िे
गई हैं । लाभार्ी अक्सर राजिीमिक कारणोां के आधार पर 63,000 कायाथ त्मक प्रार्मिक कृमष ऋण समिमियोां के
चुिे जािे हैं । कम्प्यूट्रीकरण को िांजूरी दी र्ी िामक पारदमशथिा दक्षिा
● समन्वय का अिाि: जिीिी स्तर पर, सांथर्ागि सांथर्ाओां और मर्िसिीयिा िें सुधार हो और पीएसीएस को पांचायि
के बीच सििय का अभार् रहा है । सहकारी बकाएदार स्तर पर िोडल मर्िरण सेर्ा केंद्र बििे िें िदद मिल सके।
अन्य एजेंमसयोां के मलए उधारकिाथ बि सकिे हैं । सििय ● GeM प्लेटफॉमट पर सहकारी सतमतियाों: कैमबिेट् िे
की किी के कारण इस िरह के दोहरे मर्त्त पोषण और सरकारी ई-िाकेट्प्लेस पर सहकारी समिमियोां के
ओर्रलैप का पिा चलिा है। पांजीकरण को 'खरीदार' के रूप िें िांजूरी दे दी है ।
कृतष में अतिकिर सहकाररिा से सोंबोंतिि मुद्दे: ● बहु-राज्य सहकारी सतमतियाों (सोंशरिन) तििेयक ,
● माोंग पहलू की उपेक्षा: सहकारी समिमियोां िे "आपूमिथ" के 2022: बहु-राज् सहकारी समिमियोां िें शासि को िजबूि
पररप्रेक्ष् से कृमष ऋण के िुद्दे पर सांपकथ मकया है । "िाांग" के करिे, पारदमशथिा बढािे, जर्ाबदे ही बढािे और चुिार्ी
ित्व को िजरअांदाज कर मदया गया है । प्रमिया िें सुधार आमद की दृमष्ट से एमएससीएस
● गैर-ऋण पहलुओों की उपेक्षा: अमधकाां श प्रार्मिक कृमष अतितनयम, 2002 िें सांशोधि करिे के मलए सांसद िें
सहकारी समिमियाँ केर्ल ऋण का मर्िरण करिी हैं और मर्धेयक पेश मकया गया है ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
अिार्श्यक रूप से हस्तक्षेप करिे की अिुिमि िहीां करिा है , को सर्ोच्च न्यायालय की िीि-न्यायाधीशोां की पीठ
● दू रदशी नेिृत्व: मत्रभुर्िदास पट्े ल (अिूल), मर्ठलरार् मर्खे ● सहकाररिा राज्य का तिषय है: दू सरी ओर, 97र्ाां सांशोधि
पामट्ल और र्ाथ्या सामहब कोरे जैसे िेिाओां िें आपदा को अमधमियि, सांमर्धाि की आर्श्यकिा के अिुसार, राज्
अर्सर िें बदलिे की क्षििा र्ी। सहकाररिा क्षेत्र को एक मर्धािसभाओां द्वारा अिुसिमर्थि मकए मबिा सांसद द्वारा
बार मफर ऐसे ही िेिृत्व की आर्श्यकिा है। अिुिोमदि मकया गया र्ा।
● किजोर और अक्षि सहकारी समिमियोां को या िो सिाप्त ● सुप्रीि कोट्थ िे फैसला सुिाया मक सांमर्धाि का भाग IXB
कर मदया जािा चामहए या िजबूि और कुशल सहकारी केर्ल कई राज्ोां और सांघ शामसि प्रदे शोां िें िल्टी-स्टे ट्
समिमियोां के सार् मर्लय कर मदया जािा चामहए। को-ऑपरे मट्व्स (MSCS) पर लागू होिा है।
● सांथर्ागि ऋण ि केर्ल छोट्े मकसािोां, काश्तकारोां और ● सुप्रीि कोट्थ िे फैसला सुिाया है मक सहकारी सिूहोां पर
बट्ाईदारोां के मलए बस्ल्क भूमिहीि िमिकोां और कारीगरोां राज् मर्धािसभाओां के पास "अिन्य मर्धायी शस्क्त" है ।
के मलए भी मिधाथ ररि मकया जािा चामहए।
फैसले का महत्व:
सहकाररिा क्षेत् में हाल के मुद्दे और तिकास:
● राज्यरों कर सशक्त बनाना: सहकारी समिमियाां राज्
1. सहकाररिा मोंत्ालय
मर्धाििांडलोां की "अिन्य मर्धायी शस्क्त" के अांिगथि आिी
● िर्गमठि सहकाररिा िांत्रालय का उद्दे श्य दे श िें सहकारी हैं ।
आां दोलि को िजबूि करिा है ।
35
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● यह मिणथय राज्ोां द्वारा व्यक्त की गई आशांकाओां की ● समामेलन और तििाजन: मर्धेयक उपस्थर्ि और ििदाि
पृष्ठभूमि िें िहत्वपूणथ हो सकिा है मक क्ा िया केंद्रीय करिे र्ाले दो-मिहाई सदस्योां के बहुिि से प्रस्तार् पाररि
करके राज् सहकारी समिमियोां को एक िौजूदा बहु-राज्
सहकाररिा िांत्रालय उन्ें शस्क्तहीि कर दे गा।
सहकारी समिमि िें मर्लय करिे की अिुिमि दे िा है ।
सहकाररिा आन्दोलि का मसद्ाां ि सबको एक करिा है ।
● बीमार सतमतियरों का पुनरुिार: यह बीिार बहु-राज्
सहकाररिा आां दोलि से लोगोां की सिस्याओां का सिाधाि हो
सहकारी समिमियोां के पुिरुद्ार के मलए सहकारी पुिर्ाथ स,
सकिा है । प्रौद्योमगकी की प्रगमि के सार् िए क्षेत्र उभर रहे हैं पुिमिथिाथ ण और मर्कास कोष की थर्ापिा का प्रार्धाि
और सहकारी समिमियाां उि क्षेत्रोां और प्रौद्योमगमकयोां से लोगोां को करिा है । लाभदायक बहु-राज् सहकारी समिमियोां द्वारा
पररमचि करािे िें िहत्वपूणथ भूमिका मिभा सकिी हैं । योगदाि के िाध्यि से इस कोष का मर्त्त पोषण मकया
जाएगा।
3. बहु राज्य सहकारी सतमतियाों (सोंशरिन) तििेयक,
● तनदे शक मोंिल की सोंरचना: मर्धेयक एक एससी या एसट्ी
2022
सदस्य और 2 िमहला सदस्योां को शामिल करिे के मलए बोडथ
● बहु-राज् सहकारी समिमियाां (सांशोधि) मर्धेयक , 2022 की सांरचिा िें सांशोधि करिा है ।
लोकसभा िें पेश मकया गया। ● अपरािरों के तलए दों ि: मर्धेयक कहिा है मक कोई भी ररट्िथ
तििेयक की आिश्यकिा: या सूचिा दास्खल करिे िें मर्फल रहिा भी एक अपराध
होगा और ऐसे अपराधोां के मलए जुिाथ िा 5,000 रुपये से
● नया मोंत्ालय: 2002 से, जब यह मर्षय कृमष िांत्रालय के
बढाकर 1 लाख रुपये मकया जाएगा।
अधीि र्ा िब सहकारी क्षेत्र िें कई बदलार् हुए हैं। हालाां मक,
● समििी ऑतिट: मर्धेयक एिएससीएस के मलए "सिर्िी
सरकार िे हाल ही िें अलग से सहकाररिा िांत्रालय बिाया
ऑमडट्" से सांबांमधि एक िई िारा 70A भी सस्म्ममलि
है । करिा है , मजसका र्ामषथक ट्िथओर्र या केंद्र सरकार द्वारा
● 97िाों सोंतििान सोंशरिन: इस एक्ट के जररए 2011 िें भाग मिधाथ ररि रामश से अमधक का जिा होिा है ।
IX-B को सांमर्धाि िें शामिल मकया गया। इसमलए भाग IX- तििेयक का महत्व:
लोकपाल मियुक्त करे गी। से बीिार सहकारी समिमियोां के महिधारकोां की रक्षा करिा
है ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● अनुशासन: मर्धेयक के िहि उच्च दां ड सहकारी समिमियोां िें िहत्वपूणथ भूमिका मिभािे हैं । इस प्रकार उन्ें मिशिरी उत्साह
के बीच अिुशासि को बढार्ा दे िे िें िदद करे गा। के सार् सांरमक्षि, प्रचाररि और मर्कमसि करिे की आर्श्यकिा
तििेयक से जुडी तचोंिाएों : है ।
● सोंघिाद के तलए खिरा: ऐसी मचांिाएां हैं मक मर्धेयक राज् PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख
सरकारोां के अमधकारोां को "छीि" लेिा चाहिा है और सांघीय िाक्ाोंश
ढाां चे को प्रभामर्ि कर रहा है ।
िौमलक अमधकार, भारि का मर्कास, कल्ाण, रोजगार,
● राज्य सहकारी सतमतियरों के अतिकार: आलोचकोां िे िकथ
जीईएि प्लेट्फॉिथ, मडमजट्लाइजेशि, शासि िें सुधार,
मदया है मक सहकारी समिमियोां के मर्लय के िािले िें केंद्र
व्यार्सामयकिा, जिीिी स्तर, क्षेत्रीय अमधकार क्षेत्र।
अप्रत्यक्ष रूप से राज् सहकारी समिमियोां के अमधकारोां का
अमिििण कर रहा है । सरसायटी
● अिी िरह से काम करने िाले एमएससीएस कर दों तिि ● सोसायट्ी साि या अमधक लोगोां का एक सिूह है जो
करना: मर्धेयक एिएससीएस पर अमिररक्त बोझ डालिा सामहत्य, लमलि कला, मर्ज्ाि और अन्य चीजोां को बढार्ा
है जो सहकारी पुिर्ाथ स, पुिमिथिाथ ण और मर्कास कोष िें दे िे के मलए एक सार् मिलकर कायथ करिे हैं ।
योगदाि के िाध्यि से मपछले िीि मर्त्तीय र्षों से लाभ िें ● 1860 का सरसायटी पोंजीकरण अतितनयम उिके
हैं । पांजीकरण को मियांमत्रि करिा है। यह मकसी भी सामहस्त्यक,
● सहकारी तसिाोंिरों के खखलाफ: मबल केंद्र की िांजूरी के मर्ज्ाि, या धिाथ र्थ कारण के सार्-सार् अमधमियि की िारा
मबिा एिएससीएस के शेयरोां के िोचि पर रोक लगािा है। 20 िें मिमदथ ष्ट मकसी अन्य उद्दे श्य के मलए सोसायट्ी की
स्खलाफ है ।
टर स्ट
आगे की राह:
● तितजटलीकरण: मर्धेयक िें पारदमशथिा और जर्ाबदे ही ● ट्र स्ट एक मर्मशष्ट प्रकार का सांगठि है जो एक र्सीयि से
को बढार्ा दे िे के मलए मर्शेष रूप से शासि, बैंमकांग और उत्पन्न होिा है। एक र्सीयि का मििाथ िा एक मर्मशष्ट कारण
व्यर्सायोां िें सहकारी समिमियोां के मडमजट्लीकरण का भी के मलए उपयोग की जािे र्ाली सांपमत्त पर अिन्य अमधकार
प्रार्धाि होिा चामहए। दे िा है ।
● बहुउद्दे शीय सतमतियाों: अपिे सदस्योां की जरूरिोां के बारे ● 1882 का िारिीय टर स्ट अतितनयम भारि िें प्रारां मभक
िें एक सांिुमलि और एकीकृि दृमष्टकोण रखिे के मलए कािूि र्ा जो िुख्य रूप से मिजी ट्र स्टोां को मर्मियमिि करिे
बहुउद्दे शीय समिमियोां को बढार्ा मदया जािा चामहए। पर केंमद्रि र्ा, जो मर्मशष्ट व्यस्क्तयोां की सहायिा के उद्दे श्य
● पारदतशटिा: सहकाररिाओां को आरट्ीआई के दायरे िें से थर्ामपि मकए गए हैं । दू सरी ओर, जब उद्दे श्य आि जििा
लाकर उििें पूणथ पारदमशथिा को बढार्ा मदया जा सकिा है । या सिाज को सिग्र रूप से लाभास्िि करिा होिा है, िो
● तिशेषज्ञिा: कायथबल को प्रमशक्षण और सहकारी समिमियोां इसे सार्थजमिक ट्र स्ट के रूप िें जािा जािा है ।
की मियमिि लेखापरीक्षा कुशल कायथप्रणाली प्रदाि कर ● टर स्ट और सरसाइटी के बीच अोंिर:
सकिी है और एिएससीएस के प्रबांधि िें मर्शेषज्िा को o सोसायट्ी पांजीकरण अमधमियि, 1860 के िहि मजि
बढार्ा दे सकिी है । मर्षयोां पर एक सोसायट्ी को पांजीकृि मकया जा सकिा
सहकाररिा सािूमहकिा और लोकिांत्र की भार्िा को बिाए है , र्े लगभग उि मर्षयोां के सिाि हैं मजि पर एक ट्र स्ट
रखिे का सबसे प्रभार्ी साधि है । र्े सािूमहकिा को प्रोत्सामहि थर्ामपि मकया जा सकिा है।
करिे और दे श की सािामजक पूांजी के आधार को बिाए रखिे
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o सोसायट्ी एक लोकिाां मत्रक मिकाय प्रिीि होिी है बांदोबस्ती के कािकाज की मिगरािी करिे का काि सौांपा गया
क्ोांमक इसके सभी सदस्योां (कि से कि साि) का र्ा। इस प्रकार, इस कािूि िे धिाथ र्थ सांगठिोां की मिगरािी िें
सांचालि िें सिाि अमधकार होिा है । जबमक एक ट्र स्ट सरकार की भागीदारी के प्रारां मभक चरण को मचस्न्ि मकया।
िें, सांपमत्त पर शस्क्त पूरी िरह से ट्र स्स्टयोां के हार्ोां िें
रहिी है , और इस िरह का प्रबांधि लांबे सिय िक िक़्फ़
र्सीयि की स्पष्टिा के आधार पर चलिा है । ● भारि िें िुस्िि शासि के िहि, र्क्फ का मर्चार आििौर
o केर्ल जब ट्र स्टी बदलिे हैं या ट्र स्ट िूल र्सीयि की पर कुराि िें दाि की भार्िा से जुड़ा हुआ सिझा जािा है।
शिों के अिुसार सांभालिे के मलए बहुि पुरािा हो जािा र्क्फ एक िुस्िि द्वारा भगर्ाि को सांपमत्त का उपहार दे िे
है , या जब कोई भ्रष्टाचार या मर्िास का उल्लांघि होिा के मलए सांदमभथि करिा है , चाहे िह चल हर या अचल हर ,
है , िो सरकार को हस्तक्षेप करिा चामहए। मूिट हर या अमूिट हर, केिल गरीबरों कर लाि पहुोंचाने का
इरादा रखिा हर। एक र्क्फ मर्लेख अपररर्िथिीय और
िातमट क तिन्यास
शािि है क्ोांमक इसिें सांपमत्त को भगर्ाि को सौांपिा
● धामिथक मर्न्यास और र्क्फ, धामिथक उद्दे श्योां के मलए शामिल है ।
थर्ामपि धामिथक ट्र स्ट हैं , जैसे महां दू और िुस्िि ईश्वर, दाि ● 1995 का िक्फ़ अतितनयम पूरे भारि िें 300,000 र्क़्फ़ोां
और धिों का सिर्थि करिा। के प्रशासि को मियांमत्रि करिा है । जम्मू -कश्मीर और
● सार्थजमिक ट्र स्टोां के मर्परीि, उन्ें पांजीकृि होिे की दरगाह ख्वाजा साहब, अजिेर को छोड़कर यह कािूि पूरी
आर्श्यकिा िहीां होिी है , और र्े दािा, ट्र स्टी और लाभार्ी दु मिया िें लागू है ।
के बीच मत्रकोणीय सांबांध पर अमधक जोर िहीां दे िे हैं । ● प्रत्येक राज् का र्क्फ बोडथ अमधमियि के प्रबांधि ढाांचे के
● िातमटक तिन्यास िब बनिे हैं जब सोंपतत्त िातमटक उद्दे श्यरों िहि शीषथ मिकाय के रूप िें कायथ करिा है और र्क्फ से
के तलए समतपटि हरिी है। सांबांमधि मर्र्ादोां को हल करिे के अमधकार के सार् न्यामयक
o र्क्फ का गठि िुस्िि सिुदाय की सिस्िि कारथ र्ाई मिकाय के रूप िें भी सहायिा करिा है । राष्टरीय स्तर पर,
तिन्यास अतितनयम अमिर्ायथ रूप से एक मिजी र्ा। सांशोमधि र्क्फ अमधमियि िें र्क्फ सांथर्ाि के
मर्न्यास कािूि र्ा जो पूर्थ मिधाथररि लाभामर्थयोां के एक सांचालि को बेहिर बिािे और सुव्यर्स्थर्ि करिे के
सिूह के मलए एक ट्र स्टी/ट्र स्स्टयोां की दे खभाल के िहि प्रार्धाि शामिल हैं ।
व्यापाररयोां िे मर्न्यास की थर्ापिा की, मजसके कारण अांििः कुछ ● केंद्रीय र्क्फ पररषद को राज् र्क्फ बोडों को उिके मर्त्तीय
सिझौिे अस्पष्ट हो गए और मर्मभन्न कािूिी मर्र्ादोां को जन्म पररणािोां, जिगणिा, र्क्फ मर्लेख, राजस्व ररकॉडथ और
मदया। इस िुद्दे को हल करिे के मलए, सरकार िे 1890 के र्क्फ सांपमत्तयोां पर अमिििण के सार्-सार् र्ामषथक ररपोट्थ
िमाटर्ट बोंदरबस्ती अतितनयम को अमधमियमिि मकया, मजसका और ऑमडट् ररपोट्थ का अिुरोध करिे के मलए मिदे श जारी
उद्दे श्य मिरीक्षण उपायोां को लागू करिा र्ा। इस कािूि िे प्रत्येक करिे का अमधकार मदया गया है।
राज् िें एक खजाांची पद को थर्ामपि मकया, मजसे धिाथ र्थ
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
● केंद्रीय र्क्फ पररषद के आदे श से उत्पन्न होिे र्ाले मकसी तिगि िषों के प्रश्न
भी मर्र्ाद को केंद्र सरकार द्वारा गमठि बोडथ ऑफ
एडजुडीकेशि को भेजा जािा है और इसकी अध्यक्षिा 1. गमि-शस्क्त योजिा को किेस्क्टमर्ट्ी के लक्ष् को प्राप्त
सर्ोच्च न्यायालय के सेर्ामिर्ृत्त न्यायाधीश या उच्च करिे के मलए सरकार और मिजी क्षेत्र के बीच
न्यायालय के सेर्ामिर्ृत्त िुख्य न्यायाधीश करिे हैं। सार्धािीपूर्थक सििय की आर्श्यकिा है । चचाथ कीमजए।
● र्क्फ सांपमत्तयोां को अलग-र्लग होिे से बचािे के मलए, 2. मर्मभन्न सेर्ा क्षेत्रोां के बीच सहयोग की आर्श्यकिा मर्कास
"मबिी," "उपहार," "बांधक," "मर्मििय," और "हस्ताांिरण" मर्िशथ का एक अांिमिथमहि घट्क रहा है । साझेदारी क्षेत्रोां के
शब्दोां पर प्रमिबांध लगा मदया गया है । बीच की खाई को पाट्िी है । यह 'सहयोग' और 'ट्ीि
भार्िा' की सांस्कृमि को गमि प्रदाि करिा है । उपरोक्त
● राज् सरकार के अिुिोदि से, र्ामणस्ज्क सांचालि, मशक्षा,
कर्िोां के आलोक िें भारि की मर्कास प्रमिया का परीक्षण
या स्वास्थ्य उद्दे श्योां के मलए पट्टे की अर्मध को सिाि रूप
कीमजए।
से 30 र्षथ िक बढा मदया गया है ।
3. सरकार की जििा के प्रमि जर्ाबदे ही थर्ामपि करिे िें
लोक लेखा समिमि की भूमिका की चचाथ कीमजए।
छात् के नरट् स:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
3. शासन से सु शासन
संयुक्त राष्ट्र धवकास कायिक्रम (यू.एन.डी.पी.), 1997 ने सेव ओं तक सि न पहुंच और सभी के मिए आमथटक
श सन को “सभी स्तरों पर दे श के ि ििों क प्रबंधन करने मवक स के ि भों को सुमनमित करने से संबंमधत िै ।
के मिए आमथटक, र जनीमतक और प्रश समनक प्र मधकरण को • शक्तक्त और अधिकार: श सन, िूल्यों, नीमतयों और
संस्थ ओं की एक प्रण िी िै मजसके द्व र एक सि ज अपने
प्रयोग के रूप िें पररभ मर्षत मकय । इसिें तंत्र, प्रमिय एं और
आमथटक, र जनीमतक और स ि मजक ि ििों को र ज्य,
संस्थ एं श मिि िैं , मजनके ि ध्यि से न गररक और सिूि
न गररक सि ज और मनजी क्षेत्र आपसी ब तचीत के ि ध्यि
अपने मितों को व्यक्त करते िैं , अपने क नूनी अमधक रों क
से प्रबंमधत करत िै ।
प्रयोग करते िैं , अपने द मयत्वों को पूर करते िैं और अपने
• कुशलता पूविक संसािन नीमतयों और मवमनयिों को तैय र
ितभेदों को दू र करते िैं ।”
करन , क य ट व्हन्वत करन और ि गू करन इस प्रक र,
अपने जन दे श को प्रभ वी ढं ग से पूर करने के मिए
सरकार और शासन के बीच सं बं ि
सरक र की स िर्थ्ट और क्षित को बढ व दे न ।
• सरक र, बुमनय दी ढ ं चे के रूप िें , सि न संस धन आवंर्न
के मिए नीमतय ं स्थ मपत करती िै , जबमक श सन शासन के धहतिारक
स ि मजक-आमथटक मवक स के मिए मनणटय िेने की प्रमिय
र ष्ट्रीय स्तर पर श सन के मितध रकों को मनम्नमिव्हखत व्य पक
िें न गररकों की भ गीद री सुमनमित करत िै ।
श्रेमणयों िें वगीकृत मकय ज सकत िै :
• सरक र एक मनक य िै मजसक एकि त्र उत्तरद मयत्व और
• राज्य: इसिें मवमभन्न सरक री अंग (मवध मयक ,
प्र मधक र क नूनों की स्थ पन करके मकसी भू -र जनीमतक
व्यवस्थ (जैसे र ज्य) िें ब ध्यक री मनणटय िेन िै। न्य यप मिक और क यटप मिक ) के स थ-स थ उनके
उपकरण, स्व यत्त जव बदे िी संरचन एं आमद श मिि िैं।
• श सन वि तरीक िै मजससे मनयि, ि नदं ड और क यट
संरमचत, मनरं तर, मवमनयमित और जव बदे ि ठिर ए ज ते इसिें मवमभन्न प्रक र के कत ट (मनव ट मचत अमधक री, सरक री
सरक र क औपमनवेमशक दृमष्ट्कोण 'मनयंत्रक' और 'श सक' • बाजार: इसिें संगमठत और अनौपच ररक मनजी क्षेत्र दोनों
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
िैं । िि त्म ग ं धी ने सुश सन के मसद् ं तों के आध र पर ज ते िैं और क नूनों और मवमनयिों द्व र उन्हें कैसे ि गू
मजसक अमनव यट रूप से ितिब भ रत को एक से पढने योग्य प्र रूपों िें आस नी से उपिब्ध िै और उन
कल्य णक री र ज्य के रूप िें दे खन थ जि ं दमितों की िोगों के मिए उपिब्ध िै जो इस तरि के मनणटयों और
उद्योगों के ि ध्यि से उनकी प्रगमत पिच न बन ज एगी। o उदाहरण के धलए आर.र्ी.आई. अमधमनयि
• जवाबदे ही: क यों, सेव ओं, मनणटयों और नीमतयों के मिए
उत्तरद मयत्व की स्वीकृमत और ध रण को जव बदे िी के
रूप िें ज न ज त िै । जव बदे िी च र तत्वों से बनी िै :
जव बदे िी, दं ड, ररसोसट और व्यवस्थ सुध र।
o उदाहरण: आर.र्ी.आई. अमधमनयि, मसर्ीजन च र्ट र,
ई-गवनेंस पिि, न गररक सि ज आं दोिन आमद
दू सरों के बीच जव बदे िी की सि यत के मिए कुछ
तंत्र िैं ।
• उत्तरदाधयत्व: संस्थ नों और प्रमिय ओं को सुश सन के
मिस्से के रूप िें उमचत सियरे ख के भीतर सभी
सुशासन की मुख्य धवशेषताएं : मितध रकों क प्रमतमनमधत्व करने क प्रय स करन च मिए।
संयुक्त र ष्ट्र मवक स क यटिि (यू.एन.डी.पी.) ने सुश सन की • प्रभावी और कुशल: सुश सन िें मसस्टि और संगठन ऐसे
आठ प्रिुख मवशेर्षत ओं को ि न्यत दी िै : पररण ि प्रद न करते िैं जो उनके मिए उपिब्ध संस धनों
• भागीदारी: िोग सिभ गी श सन के ि ध्यि से मनणटय िेने, क सवोत्ति उपयोग करते िैं । नतीजतन, यि प्र कृमतक
मनष्प दन और सरक री गमतमवमधयों की मनगर नी िें भ ग िे संस धनों और पय टवरण संरक्षण के उमचत उपयोग को भी
o उदाहरण के धलए MyGov सरक र द्व र मनणटय िेने • न्यायसंगत और समावेशी: िोगों को अपनी भि ई िें
िें न गररकों की भ गीद री सुमनमित करने के मिए सुध र करने य उसे बन ए रखने क िौक मदय ज न
शुरू मकय गय एक अमभनव िंच िै । च मिए। यि सभी सिूिों, मवशेर्ष रूप से सबसे किजोर
िोगों को अपनी भि ई को बढ ने य बन ए रखने के मिए
• सविसम्मधत उन्मुख: पूरे सिूि के मिए सबसे अच्छ क्य
अवसर प्रद न करने की आवश्यकत िै ।
िै , इस ब रे िें व्य पक सििमत प्र प्त करने के मिए सुश सन
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o पुरातन कानून: प रं पररक दृमष्ट्कोण आधुमनक • अधिक जवाबदे ही: सूचन तक न गररकों की पहुंच मजतनी
ब ज रोन्मुखी न गररकों को संतुष्ट् निीं कर सकत । अमधक िोगी, सिुद य की जरूरतों के प्रमत सरक र की
• संस्थागत बािाएं : प्रमतमिय उतनी िी अमधक िोगी।
o संस्थाएाँ क्षधत और क्षरण के अिीन हैं: क नूनी और • खुलेपन को बढावा: सूचन क अमधक र इसमिए सरक र
मनय िक संस्थ एाँ अभी तक इतनी िजबूत और कुशि को स वटजमनक ज ं च के मिए और अमधक खुि बन कर
निीं िैं मक वे आधुमनक चुनौमतयों क सिथटन कर सकें। प्रश सन िें खुिेपन, प रदमशटत और जव बदे िी को बढ व
स वटजमनक संस्थ न जैसे सी.बी.आई., सी.वी.सी. आमद दे त िै ।
व दे के अनुस र क ि करने और दे ने िें सक्षि निीं िैं । • ज नक री के मबन , आि आदिी अपने अमधक रों और
उनकी अक्षित सु-श सन प्र प्त करने िें ब ध िै । उत्तरद मयत्वों क पय ट प्त रूप से प्रयोग निीं कर सकत िै
o न्याधयक प्रणाली का आं तररक संगठन, अथ टत् मजस य सूमचत मवकल्प निीं बन सकत िै ।
तरीके से क नूनी क यटव िी संच मित की ज ती िै और • ई-गवनेंस: ई-गवनेंस प्रभ वी रूप से नई उभरती सूचन
वकीिों और न्य य धीशों को मशमक्षत मकय ज त िै , वि और संच र प्रौद्योमगमकयों (आई.सी.र्ी.) के युग िें बेितर
भी क फी िद तक अपररवमतटत रित िै , जैस मक प्रोग्र मिंग और सेव एं प्रद न करत िै , जो दु मनय भर िें तेजी
अमधक री वगट से स ि मजक और आमथटक पररवतटन के मिए नए अवसरों
o नागररकों के अधिकारों और कतिव्यों के बारे में की शुरुआत करत िै । (ई-गवनेंस अिग से कवर मकय
जागरूकता का धनम्न स्तर: अपने अमधक रों के ब रे गय िै - कृपय ई-गवनेंस मवर्षय दे खें)।
िें अपय ट प्त ज गरूकत न गररकों को दोर्षी सरक री • सुशासन के धलए राष्ट्रीय केंद्र: इसकी स्थ पन 2014 िें
अमधक ररयों को मजम्मेद र ठिर ने से रोकती िै। िर क मिटक, िोक मशक यत और पेंशन िंत्र िय के तित
स ि िोगों को ज गरूक करने के मिए केंद्रीय सतकटत स वटजमनक नीमत, श सन, सुध र और मसमवि सेवकों की
आयोग (सी.वी.सी) सरद र वल्लभभ ई पर्े ि के क्षित मनि ट ण के क्षेत्रों िें क ि करने के मिए की गई थी।
जन्ममदन (31 अक्टू बर) के सप्त ि के दौर न सतकटत
• धमशन कमियोगी: संस्थ गत और प्रमिय त्मक सुध रों के
ज गरूकत सप्त ि िन त िै । ि ध्यि से नौकरश िी िें क्षित मनि ट ण को बदिने के मिए
मसमवि सेव क्षित मनि ट ण के मिए र ष्ट्रीय क यटिि शुरू
सु शासन को बढावा दे ने के धलए प्रमु ख पहलें मकय गय िै ।
शासन में पारदधशिता और जवाबदे ही सुधनधित करने के धलए
• धवकेंद्रीकरण: स्थ नीय सरक रों को 73वें और 74वें
कुछ संस्थागत उपाय:
संवैध मनक संशोधनों द्व र िजबूत मकय गय िै जो • िोक सेव मवधेयक, न गररक च र्ट र, ई-गवनेंस, ई-भूमि, ई-
मनव ट मचत स्थ नीय सरक रों के रूप िें पंच यतों और नगर चौप ि, ई-प्रोक्योरिेंर्, डी.बी.र्ी. (प्रत्यक्ष ि भ िस्त ं तरण)
प मिक ओं की स्थ पन को अमनव यट करत िै । केंद्रीकृत िोक मशक यत मनव रण और मनगर नी प्रण िी
(सी.पी.जी.आर.ए.एि.एस.) इत्यामद उपाय होिे चामहये।
• सूचना का अधिकार: सूचन क अमधक र अमधमनयि,
(कृपय ई-गवनेंस दे खें)
2005 जो भ रतीय िोकतंत्र िें एक िित्वपूणट बदि व क
सुशासन की धदशा में उठाए गए कुछ अन्य कदम:
प्रतीक िै और भ रत िें आि आदिी के सशव्हक्तकरण के
• सुशासन सूचकांक: सभी र ज्यों और केंद्र श मसत प्रदे शों
एक नए युग की शुरुआत करत िै । िें श सन की व्हस्थमत की तुिन करने के मिए ि त्र त्मक
o इस अमधमनयि के ि ध्यि से यि सुमनमित करने के डे र् प्रद न करें , र ज्यों और केंद्र श मसत प्रदे शों के श सन
िें सुध र, उन्मुख दृमष्ट्कोण और प्रश सन के पररण ि िें
मिए मक ये स वटजमनक मित, सत्यमनष्ठ और न्य य के
बदि व के मिए उपयुक्त रणनीमत तैय र करने और ि गू
मसद् ं तों के अनुरूप िैं , सरक री क यों और मनणटयों करने िें सक्षि बन एं ।
की ज ंच, िेख परीक्ष , सिीक्ष और िूल्य ं कन कर • आपराधिक न्याय सुिार: केंद्र सरक र ने प रदमशटत ि ने
सकत िै । और दक्षत िें सुध र ि ने, ई-एफ.आई.आर. द व्हखि करने
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
आमद के उद्दे श्य से िगभग 1,500 अप्रचमित मनयिों और o समावेशी धवकास और गरीबी में कमी: मबि र िें
क नूनों को खत्म कर मदय िै । गरीब ग्र ि पंच यत ने स्थ नीय िोगों को श मिि करके
• व्यापार करने में आसानी: दे श के क रोब री ि िौि और और उन्हें क ि करने क अवसर प्रद न करके ग ं वों िें
नीमतगत प ररव्हस्थमतकी तंत्र िें सुध र के मिए व्य प र की बुमनय दी ढ ंचे िें सुध र मकय ।
o मधहला सशक्तक्तकरण: केरि की कुदु म्बश्री प्रण िी,
व्हस्थमत िें सुध र करन ।
जो िमिि ओं को स्वयं सि यत सिूि बन ने के मिए
• अन्य: एि.सी.ए.21, ऑनि इन इनकि र्ै क्स ररर्नट, प्रो-
प्रोत्स मित करती िै , पंच यतों के सियोग से एक
एव्हक्टव गवनेंस एं ड र् इििी इम्प्लीिेंर्ेशन (प्रगमत),
संगमठत न गररक सि ज के रूप िें क यट करती िै ।
मडमजर्ि इं मडय मिशन आमद को बढ व दे न ।
केस स्ट्डी
सु शासन लाने में पं चायती राज सं स्थाओं की • ओधडशा राज्य ने सरपंचों को ग्राम स्तर पर
भू धमका क्वारं टाइन लागू करने के धलए धजला कलेक्टर की
शक्तक्तयों के साथ प्रत्यायोधजत धकया।
महात्मा गांिी
• आं ध्र प्रदे श, ग्र ि स्वयंसेवी प्रण िी के स थ आय ।
"िोगों की आव ज भगव न की आव ज िै , पंच यत की आव ज उन्होंने र ज्य को मवदे शों िें य त्र इमति स व िे िोगों क
िोगों की आव ज िै ,"। पत िग ने और र ज्य िें COVID-19 संििण के प्रस र
पी.आर.आई. की भूधमका: को रोकने िें िदद करने के मिए एक सवेक्षण मकय िै ।
• सुश सन स्थ नीय संस्थ नों के प्रभ वी क िक ज पर मनभटर कोधवड प्रबंिन और पंचायती राज संस्थान:
करत िै । 2017 िें प्रिान मंत्री ने कि थ , “ग्र िीण भ रत • स्व स्थ्य िंत्र िय की 'कोरोन व यरस रोग (कोमवड-19) के
िें िोगों की आक ंक्ष ओं को पूर करने के मिए पंच यत स्थ नीय संचरण को रोकने के मिए सूक्ष्म योजन ' ने
प्रभ वी तरीके िैं। पंच यतों को स िुद मयक ि िबंदी बढ ने और समिय
• वे भ रत के पररवतटन िें एक िित्वपूणट भूमिक मनभ रिे िैं , मनगर नी सुमनमित करने िें सबसे आगे रख िै ।
और वे श सन क चेिर बदि रिे िैं । • नोडल समन्वय एजेंसी के रूप में पंचायत: कई र ज्यों ने
o सेवाओं को दहलीज़ पर लाना: दे श की 2.5 ि ख पंच यतों को स्व स्थ्य गमतमवमधयों को सुमनमित करने , सूचन
ग्र ि पंच यतों को ग ंवों िें बुमनय दी सेव एं प्रद न क प्रस र करने और यि मनध ट ररत करने के मिए मक सभी
करने और स्थ नीय आमथटक मवक स की योजन बन ने किजोर सिुद यों की ख द्य आपूमतट तक पहुंच िै , सिन्वय
क क ि सौंप गय िै । के मिए नोडि एजेंसी बन य िै।
o प्रत्यक्ष लोकतंत्र का अभ्यास: ग्र ि सभ सि ज के सुशासन सुधनधित करने के धलए अधिक तकिसंगत उपायों
कि मवशेर्ष मधक र प्र प्त वगट को श मिि करने और की आवश्यकता है:
ग्र िीण स्तर के श सन िें उनकी भ गीद री सुमनमित • इसिें क नून मनि ट त ओं और उनके घर्कों के बीच
करने और उनकी मवक स त्मक आक ं क्ष ओं को पूर मनयमित संच र, नौकरश िों के दृमष्ट्कोण िें बदि व,
करने के मिए एक चैनि िै । पेशेवर प्रश समनक नेतृत्व, र जनीमतक दिों की रचन त्मक
o संसािन दक्षता सुधनधित करना: िि र ष्ट्र र ज्य िें व्हस्थमत और इसे अमधक िोकत ं मत्रक और संवेदनशीि
मपंपरी गविी ने ग्र ि सभ की भ गीद री के स थ बन ने के मिए सरक र क प्रमतबंध श मिि िो सकत िै ।
व र्रशेड मवक स गमतमवमधयों के ि ध्यि से जि सुरक्ष • पारदशी धनणिय लेने की प्रणाली और खुलेपन को
ि मसि की। बढावा दे ना: श सन को "अमधकति" जैसे शब्ों से निीं,
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
बव्हि पररण िों और दक्षत के संकेतकों और जव बदे िी 1. आपकी र य िें, भ रत िें सत्त के मवकेंद्रीकरण ने जिीनी
के उप यों द्व र अच्छी तरि से ि प ज त िै । स्तर पर श सन के पररदृश्य को मकस िद तक बदि मदय
• आर.टी.आई. के उपयोग को प्रोत्साधहत करना: िै ? (150 शब्, 10 अंक)
आर.र्ी.आई. के तित िंमबत ि ििों को कि करके और 2. ख प पंच यतें गैर-संवैध मनक प्र मधकरणों के रूप िें क यट
सूचन आयुक्तों की मनयुव्हक्त िें दे री से बचन । करने के मिए खबरों िें रिी िैं, जो अक्सर ि नव मधक रों के
उल्लंघन की घोर्षण करती िैं । इस संबंध िें चीजों को ठीक
• उत्तरदायी होना: "िि ि री िें सुश सन प्रथ ओं पर मवच र
करने के मिए मवध मयक , क यटप मिक और न्य यप मिक
बॉक्स" िॉन्च मकय गय िै । यि जनत से सुश सन के मिए
द्व र की गई क रट व इयों की आिोचन त्मक चच ट करें ।
मवच र ि ं गेग ।
3. सरक र की दो सि न न्तर चिने व िी योजन एाँ , अथ टत
• सुशासन सुधनधित करने के धलए साविजधनक
आध र क डट और एन.पी.आर., एक स्वैव्हच्छक और दू सरी
जवाबदे ही महत्वपूणि: जव बदे िी ऊर्ध् ट धर और क्षैमतज
अमनव यट, ने र ष्ट्रीय स्तर पर बिस और िुकदिों को भी जन्म
दोनों िोती िै । सतकट भ रत सिृद् भ रत मवर्षय पर गोििेज
मदय िै। खूमबयों के आध र पर, चच ट करें मक क्य दोनों
चच ट हुई।
योजन ओं को एक स थ चि ने की आवश्यकत िै य निीं।
• धसटीजन चाटि र और सोशल ऑधडट के प्र वध नों को
मवक स ि भ और न्य यसंगत मवक स प्र प्त करने के मिए
अधनवायि रूप से लागू करना।
योजन ओं की क्षित क मवश्लेर्षण करें ।
PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य के धलए प्रमुख वाक्ांश 4. ग्र िीण क्षेत्रों िें शिरी सुमवध एं उपिब्ध कर ने क आध र
(पी.यू.आर.ए.) कनेव्हक्टमवर्ी स्थ मपत करने िें मनमित िै ।
भू-र जनीमतक प्रण िी, मनयंत्रक, जव बदे िी, जव बदे िी,
मर्प्पणी करें ।
ि िफीत श िी, ई-गवनेंस
धवद्याथी का नोट:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
4. ई-गवनें स
"ई-गवनेंस की सुंदरत यि िै मक कुछ छोर्े -छोर्े सुध र ि खों बीच, मडमजर्ि भुगत न की ि त्र 55.1 प्रमतशत की
चेिरों पर िुस्क न ि सकते िैं " –प्रिानमंत्री नरें द्र मोदी चिवृव्हद् व मर्षटक वृव्हद् दर से बढी िै ।
• आिुधनक समस्याएं : दु मनय मडमजर्िीकरण के नए युग
ई - गवनें स की पररभाषा की ओर बढ रिी िै , ऐसे िें सरक र के मिए यि आवश्यक
• मवश्व बैंक "ई-गवनेंस को सरकारी एजेंधसयों द्वारा सूचना िै मक वि आधुमनक सिय के नए खतरों जैसे स इबर
धोख ध़िी, फजी सि च र आमद से मनपर्ने के मिए श सन
प्रौद्योधगकी (जैसे व इड एररय नेर्वकट, इं र्रनेर् और
के आधुमनक तरीकों को अपन ए।
िोब इि कंप्यूमर्ं ग) के उपयोग के रूप िें पररभ मर्षत करत
िै , मजसिें न गररकों, व्यवस यों और सरक र के अन्य अंगों • COVID-19 और धडधजटलीकरण: उद्योग मनक य
NASSCOM और McKinsey ने कि मक COVID-19 ने
के स थ संबंधों को बदिने की क्षित िै"।
उद्योगों िें मडमजर्िीकरण की प्रमिय को तेज कर मदय िै ,
• ई-गवनेंस श सन की प्रमिय को आस न बन ने के मिए
और प्रौद्योमगकी सेव प्रद त ओं ने िि ि री के प्रकोप के
सरक र द्व र सूचन प्रौद्योमगकी की शव्हक्त क उपयोग िै ।
ब द से 30% मडमजर्ि पररवतटन को दे ख ।
तथ्य-वार
ई-गवनें स का महत्व
600 मिमियन इं र्रनेर् उपयोगकत ट ओं के स थ, भारत
दु धनया में दू सरे स्थान पर है, मजसिें सभी इं र्रनेर्
आं तररक रूप से बाह्य रूप से
उपयोगकत टओं क 12% से अमधक मिस्स िै सरक री
• डु लीकेशन से बच ती िै । • तेज सेव मवतरण
आं क़िों के अनुस र, भ रत की आधी आब दी के प स इं र्रनेर्
• िेनदे न ि गत को कि • अमधक प्रभ वक ररत
कनेव्हक्टमवर्ी की किी िै, और अगर ऐस िै भी, तो केवि
करन । • सेव उपयोग के
20% भ रतीय िी ज नते िैं मक मडमजर्ि सेव ओं क उपयोग
• नौकरश िी प्रमिय ओं को िचीिेपन िें वृव्हद्
कैसे मकय ज त िै ।
सरि बन न । • सेव मवतरण िें
• िि न दक्षत नव च र
ई-गवनें स को सु ग म बनाने वाले कारक • ग्रेर्र सिन्वय संच र • अमधक भ गीद री
• बेितर प रदमशटत • ग्रेर्र मसमर्जन
• बढती धडधजटल आबादी: मकफ यती स्म र्ट फोन और
• एजेंमसयों के बीच एम्प वरिेंर्
इं र्रनेर् की पहुंच ने अनुि मनत 750 मिमियन कनेक्शन
और एक संपन्न मवत्तीय प्रौद्योमगकी क्षेत्र के स थ भ रत को ज नक री स झ करन । • न गररक भ गीद री
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
ई-गवनें स की स्माटि धवशे ष ताएं • ई-गवनेंस िें गवनेंस को िौमिक रूप से गुड गवनेंस िें
बदिने की क्षित िै । पीएि िोदी को उद् धृत करने के मिए
ई-गवनेंस के क य ट न्वयन क उद्दे श्य प्रदशटन के स्तर को बढ न “ई-गवनेंस आस न श सन, प्रभ वी श सन और आमथटक
िै और यि सुमनमित करन िै मक इन सभी के मिए
श सन भी िै। ई-गवनेंस सुश सन क ि गट प्रशस्त करत
सेव ओं क उमचत मवतरण "स्म र्ट " किे ज ने व िे ई-गवनेंस की िै ।
प ं च िुख्य मवशेर्षत ओं के ि ध्यि से संभव िोग ।
• धद्वतीय ए.आर.सी. के अनुसार गवनेंस िें गवनटिेंर् र्ू
मसमर्जन (G2C), गवनटिेंर् र्ू गवनटिेंर् (G2G) मजसिें
गवनटिेंर् र्ू एम्प्लॉइज (G2E) और गवनटिेंर् र्ू मबजनेस
(G2B) स्तर श मिि िैं । इन अंतः मिय ओं पर ई-गवनेंस के
प्रभ व क मवश्लेर्षण करके ई-गवनेंस के िित्व को सिझ
ज सकत िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• चापलूस संगठन: आई.सी.र्ी. ने मनणटय िेने िें सभी स्तरों o उमंग: एकीकृत िोब इि एव्हलकेशन जो आध र,
की भ गीद री को बढ व मदय और इस प्रक र पद नुिि मडमजर्ि िॉकर, पैन, किटच री भमवष्य मनमध सेव ओं
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o मोबाइल सेवा: इसक उद्दे श्य िोब इि फोन और o रेंड् स (केरल): र ज्य सरक र को करों और अन्य
र्ै बिेर् के ि ध्यि से सरक री सेव एं प्रद न करन िै। मवत्तीय दे य र मशयों क भुगत न करने के मिए एकि-
एि-ऐप स्टोर िें 200 से अमधक ि इव एव्हलकेशन िैं व्हख़िकी सुमवध िै।
मजनक उपयोग मवमभन्न सरक री सेव ओं तक पहुंचने o लोकवाणी पररयोजना (उत्तर प्रदे श): मशक यतों के
के मिए मकय ज सकत िै । मनपर् न से संबंमधत एकि-व्हख़िकी सि ध न; भूमि
o भूधम अधभलेखों का कम्प्यूटरीकरण: यि सुमनमित ररकॉडट रखरख व और आवश्यक सेव ओं क मिश्रण
करत िै मक भूस्व मियों को उनकी संपमत्त से संबंमधत प्रद न करन ।
दस्त वेजों की मडमजर्ि और अद्यतन प्रमतय ं प्र प्त िों।
o धडजीसेवक: िंच सरक र के िंत्र ियों और एजेंमसयों ई-गवनें स की चु नौधतयां
द्व र मवमभन्न मडमजर्ि इं मडय गमतमवमधयों के मिए
• तकनीकी चुनौधतयााँ:
इच्छु क न गररकों को सरक र से जो़ित िै ।
o आई.सी.टी. का एकीकरण: केंद्रीय र ज्यों और
o ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओ.आर.एस.): एक
प्रश सन के अन्य स्तरों के बीच डे र् क एकीकरण
ऑनि इन पोर्ट ि जि ं आध र रखने व िे न गररक
भ रत के मवमभन्न र ज्यों और केंद्र श मसत प्रदे शों के िुख्य सिस् िै ।
अस्पत िों िें मनयुव्हक्त के मिए न ि ं कन कर सकते िैं । o गोपनीय सुरक्षा का अभाव: व्य पक डे र् संरक्षण
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
मवभ गों के सुच रू संच िन के मिए कई पिि की गई िैं । सिस् ओं के क रण भूख और कुपोर्षण से 20 िौतों को
दे ख गय िै।
• वेब-आध ररत लेर्फॉिट के ि ध्यि से ई-गवनेंस दे ने के
• अमनयमितत एं कई गुन िैं। र शन क डों को िर् ने से
मिए, मीसेवा पोटि ल वतटि न िें अपने लेर्फॉिट िें 550 से
िेकर र शन क डों को आध र से जो़िने िें आने व िी
अमधक सेव ओं क द व करत िै और यि दे श िें सबसे सिस् ओं तक, मसस्टि कई पररव रों को श मिि करने
व्य पक रूप से उपयोग मकए ज ने व िे ऑनि इन जी2सी के बज य उन्हें ब िर करके िि करने की तुिन िें
• टी वॉलेट, एक मडमजर्ि वॉिेर् िै मजसक उपयोग न गररक • झ रखंड िें पी.डी.एस. के ि ध्यि से ख द्य न्न और अन्य
आवश्यक वस्तुएं प्र प्त करने के मिए, एक ि भ थी को
सेव ओं क ि भ उठ ने के मिए सरक री और मनजी िेनदे न
कई ि नदं डों को पूर करन िोग । सबसे पििे पररव र
दोनों के मिए भुगत न करने के मिए कर सकते िैं ।
को र शन क डट च मिए। इसके ब द उनके प स आध र
• इं धडया एं टरप्राइज आधकिटे क्चर (IndEA): IndEA एक क डट िोन च मिए।
सिग्र आमकटर्े क्चर बन ने के मिए एक प्रमति न िै जो • इसके ब द, र शन क डट और आध र नंबर को मिंक
सरक र को एक एकि उद्यि के रूप िें य अमधक करन िोग । िेमकन यि वि ाँ सि प्त निीं िोत िै । र ज्य
की अमधक ं श र शन दु क नों िें मडिीवरी इिेक्टरॉमनक
व स्तमवक रूप से, क य टत्मक रूप से परस्पर जु़िे उद्यिों
पॉइं र् ऑफ़ सेि (EPOS) िशीन के ि ध्यि से िोती िै ।
के संग्रि के रूप िें ि नत िै ।
• यि इस िशीन के ि ध्यि से िै मक ि भ थी के
• मेघालय उद्यम वास्तुकला पररयोजना: मडमजर्ि ब योिेमर्र क्स, ज्य द तर अंगूठे के मनश न, दजट मकए ज ते
प्रौद्योमगमकयों की शव्हक्त क उपयोग करते हुए, पररयोजन िैं और सवटर डे र् बेस से सत्य मपत मकए ज ते िैं ।
• ई.पी.ओ.एस. िशीन तभी क ि करती िै जब वि इं र्रनेर्
िोगों के मिए सेव मवतरण और प्रश सन िें सुध र करने क
से जु़ि िो।
प्रय स करती िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
प्रौद्योमगकी अपने आप िें सभी सिस् ओं को िि करने के मिए गमतमवमधयों को बढ ने की क्षित रखने व िे तत्वों द्व र
र िब ण निीं िै और इससे अमधक ि भ प्र प्त करने के मिए डे र् सेव ओं के दु रुपयोग को रोकने के मिए इं र्रनेर्
ि नव संस धन प्रबंधन और संगठन के नेतृत्व के रूप िें सक्षि शर्ड उन भी िग य गय िै , उद िरण के मिए ि ि िी
करने व िों की आवश्यकत िै । अंतत: ई-गवनेंस पिि की िें ख मिस्त नी तत्वों पर क रट व ई के मिए पंज ब िें
आईसीर्ी पहुंच के ि ध्यि से सरक र के क िक ज िें िोगों की o परीक्षा: परीक्ष ओं के दौर न नकि रोकने के मिए
भ गीद री को मकतनी कुशित से बढ य िै और सरक री र ज्यों िें इं र्रनेर् भी बंद कर मदय गय िै ।
क िक ज िें उत्तरद मयत्व, प रदमशटत और जव बदे िी को बढ व • इं टरनेट शटडाउन का प्रभाव
दे ने और यि सुमनमित करने के मिए मक सरक र कि ि गत िें o आधथिक प्रभाव: संच र और सूचन प्रौद्योमगकी पर
बेितर क ि करती िै , सरक र को अपने न गररकों के करीब स्थ यी समिमत ने प य मक दू रसंच र ऑपरे र्रों को
ि ने व िी सेव एं प्रद न करती िैं । ये सुश सन और एक जीवंत प्रत्येक समकटि क्षेत्र िें जि ं शर्ड उन य थ्रॉर्मिंग िोती
िोकतंत्र के मिए अमनव यट शतट िैं । िै , प्रमत घंर्े 24.5 मिमियन रुपये क नुकस न िोत िै।
o मौधलक अधिकार: अनुच्छेद 19 के तित इं र्रनेर् तक
ई-गवनें स से सं बं धित अन्य प्रमु ख मु द्दे
पहुं च एक िौमिक अमधक र िै । इसके अि व इं र्रनेर्
इं टरनेट बंद और ई-गवनेंस शर्ड उन बोिने और अमभव्यव्हक्त के अमधक र,
• पल्स शर्ड उन र्र ै कर के अनुस र ज नबूझकर मकय ज ने व्य प र करने और र ज्य िें िोगों के आने -ज ने के
व ि इं र्रनेर् -आध ररत संच र क व्यवध न िै जो एक अमधक र को प्रभ मवत करत िै।
मनमित आब दी य क्षेत्र िें इं र्रनेर् सेव ओं को दु गटि बन त o धडधजटल इं धडया के क्तखलाफ: जबमक सरक र
िै । मडमजर्ि इं मडय को बढ व दे रिी िै , ब र-ब र इं र्रनेर्
• इं टरनेट बंद करने की आवश्यकता: बंद करन इसके व्हखि फ ज त िै , मजससे मडमजर्ि
o शांधत बनाए रखना: मबग़िती क नून व्यवस्थ की भुगत न पर प्रभ व प़ित िै , ख सकर स्टर ीर् वेंडसट के
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o गोपनीयता के धलए जोक्तखम: िोग अमवश्वसनीय के अमधक ररयों द्व र व्यव्हक्तपरक िूल्य ं कन पर मनभटर
वीपीएन के ि ध्यि से प्रमतबंधों से बचने क प्रय स करत िै ।
करते िैं जो उनकी गोपनीयत को खतरे िें ड िते िैं । o अन्य उद्दे श्यों के धलए उपयोग: मनयमित पुमिमसंग
o सामाधजक व्यविान: संच र के मिए इं र्रनेर् िोगों के और यि ं तक मक प्रश समनक उद्दे श्यों के मिए एक
दै मनक जीवन क मिस्स बन गय िै और इं र्रनेर् बंद उपकरण के रूप िें शर्ड उन क सि र मिय गय
िोने से िोगों की ज नक री स झ करने और स ि मजक िै , जैसे स्थ नीय अपर ध को कि करने के मिए परीक्ष
आं दोिनों िें भ ग िेने की क्षित प्रभ मवत िोती िै । िें नकि को रोकन ।
o राजनीधतक पारदधशिता को बाधित करता है: o इं टरनेट शटडाउन का कोई ररकॉडि नही:ं गृि
इं र्रनेर् शर्ड उन उन मडमजर्ि उपकरणों तक पहुंच िंत्र िय य दू रसंच र मवभ ग के प स कोई ररकॉडट निीं
को किजोर य सि प्त कर दे त िै जो अमभय न चि ने, िै मक मकतने र ज्यों ने इं र्रनेर् मनिंबन आदे श ज री
स वटजमनक चच ट ओं को बढ व दे ने आमद के मिए मकए िैं , मजसिें उनक मववरण, क रण आमद श मिि
िित्वपूणट िैं । िैं ।
o स्वास्थ्य पर प्रभाव: इं र्रनेर् शर्ड उन क स्व स्थ्य o िारा 144 का उपयोग: मनिंबन मनयि, 2017 के तित
प्रण मियों पर िित्वपूणट प्रभ व प़ित िै , मजसिें शर्ड उन के आदे श के मवपरीत, र ज्य सी.आर.पी.सी.
तत्क ि मचमकत्स दे खभ ि जुर् न , आवश्यक दव ओं की ध र 144 के तित शर्ड उन क आदे श दे ते रिे
के मवतरण िें ब ध ड िन और उपकरणों के िैं , ि ि ंमक, ध र 144 के तित इं र्रनेर् शर्ड उन
रखरख व, स्व स्थ्य सूचन ओं के आद न-प्रद न को सवोच्च न्य य िय द्व र असंवैध मनक रि िै।
सीमित करन आमद श मिि िैं ।
o मौधलक अधिकार प्रभाधवत होते हैं: अमधक ंश
o धशक्षा पर प्रभाव: इं र्रनेर् शर्ड उन शैमक्षक भ रतीय दै मनक गमतमवमधयों के मिए अपने िोब इि
गमतमवमधयों को ब मधत करत िै , मवशेर्ष रूप से फोन पर इं र्रनेर् क उपयोग करते िैं , और इं र्रनेर् के
मशक्षकों, स्कूि प्रश सकों और पररव रों के बीच संच र
मनिंबन क अनुच्छेद 19(1) (जी) के तित उनके
के स थ-स थ ऑनि इन मशक्ष ।
िौमिक अमधक र पर प्रभ व प़ित िै।
o पत्रकाररता पर प्रभाव: यि पत्रक रों द्व र जिीनी
o मनमानी कारि वाई और गैर-अनुपालन: अनुर ध
ररपोमर्ं ग को प्रमतबंमधत करत िै और स्थ नीय िुद्दों की
भसीन फैसिे के अनुस र, सरक र इं र्रनेर् बंद करने
कि ररपोमर्ं ग क क रण बनत िै ।
के आदे शों क प्रच र निीं करती िै ।
इं टरनेट शटडाउन से जुड़ी धचंताएाँ :
o अदालती समीक्षा से बचें: सरक र इं र्रनेर् एक्सेस के
• संचार और सूचना प्रौद्योधगकी पर स्थायी सधमधत: मनिंबन को प्रक मशत निीं करके न्य मयक सिीक्ष से
समिमत ने इं र्रनेर् शर्ड उन के मिए 2017 के मनयिों पर सुरमक्षत िै ।
मनम्नमिव्हखत मर्प्पमणय ं कीं। o इं र्रनेर् मनिंबन आदे शों के गैर-प्रक शन के
o अपयािप्त धनयम: इं र्रनेर् शर्ड उन िर् ने के मिए पररण िस्वरूप सवोच्च न्य य िय के फैसिे क
कोई उमचत प्रमिय निीं िै । अनुप िन निीं िोत िै , मजसके पररण िस्वरूप
o अपररभाधषत आिार: 1885 अमधमनयि य 2017 के अवि नन क िुकदि चि य ज त िै ।
मनयिों दोनों ने इं र्रनेर् शर्ड उन के दो आध रों, o प्रमुख सुप्रीमकोटि धनणियों की लोगों में समझ की
अथ ट त, 'स वटजमनक आप तक ि' और 'स वटजमनक कमी: िित्वपूणट एससी मनणटयों क अनुप िन न करने
सुरक्ष ' को पररभ मर्षत निीं मकय िै , जो मक मजि स्तर से केंद्र और र ज्य सरक र के कमिटयों के बीच
ज गरूकत की किी मवकमसत िोती िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• ई-साइन: यि न गररकों द्व र ऑनि इन प्रपत्रों/दस्त वेजों धडधजटल इं धडया धमशन से जुड़ी चुनौधतयााँ:
पर तुरंत िस्त क्षर करने की सुमवध प्रद न करत िै और • ग्रामीण-शहरी धडधजटल धवभाजन: अमवश्वसनीय मबजिी,
यू.आई.डी.ए.आई. की ओ.र्ी.पी. आध ररत प्रि णीकरण अविनीयत , स्थि कृमतक चुनौमतयों और बुमनय दी ढ ं चे की
सेव ओं क उपयोग करके मवमभन्न अनुप्रयोगों द्व र सेव क उच्च ि गत के क रण ग्र िीण भ रत को क य टत्मक इं र्रनेर्
ि भ उठ य गय िै । तक पहुं च की चुनौमतयों क स िन करन प़ित िै ।
• MyGov: 2.76 करो़ि से अमधक उपयोगकत ट इस • धडधजटल धनरक्षरता: केवि 20% भ रतीय िी ज नते िैं मक
मडमजर्ि सेव ओं क उपयोग कैसे मकय ज त िै ।
मसमर्जन एं गेजिेंर् लेर्फॉिट के स थ पंजीकृत िैं और
• स्थानीय भाषा सामग्री: मडमजर्ि सेव ओं िें स्थ नीय भ र्ष
लेर्फॉिट पर िोस्ट की ज ने व िी मवमभन्न गमतमवमधयों िें
स िग्री की किी भी एक प्रिुख सिस् िै ।
भ ग िे रिे िैं।
• धडधजटल लैंधगक असमानता: एन.एफ.एच.एस.-5 दश टत
• मेरी पहचान: यि नेशनि मसंगि स इन-ऑन
िै मक 57.1% पुरुर्ष आब दी की तुिन िें केवि 33.3%
(एन.एस.एस.ओ.) लेर्फॉिट सरक री पोर्ट िों तक आस नी
िमिि आब दी ने कभी इं र्रनेर् क उपयोग मकय िै ।
से पहुं च प्रद न करत िै । • साइबर सुरक्षा: मडमजर्ि कनेव्हक्टमवर्ी िें सुध र ने िोगों
• धडधजटल गांव: मडमजर्ि ग ं व प यिर् पररयोजन के तित, को स इबर सुरक्ष चुनौमतयों जैसे स इबर धोख ध़िी आमद
700 ग्र ि पंच यतों को कवर मकय गय और मडमजर्ि के प्रमत संवेदनशीि बन मदय िै ।
स्व स्थ्य सेव एं , मशक्ष सेव , मवत्तीय सेव आमद जैसी मडमजर्ि • डे टा सुरक्षा और गोपनीयता: भ रत िें अभी भी न गररकों
सेव ओं की पेशकश की गई। के डे र् और गोपनीयत की सुरक्ष के मिए व्य पक डे र्
• को-धवन: कोमवड-19 के मिए पंजीकरण, मनयुव्हक्त सिय- संरक्षण क नून व्यवस्थ निीं िै ।
• आयात पर धनभिरता: भ रत मडमजर्ि ि डट वेयर के आय त
मनध ट रण और र्ीक करण प्रि णपत्र के प्रबंधन के मिए इस
पर मनभटर िै ।
खुिे िंच ने 110 करो़ि से अमधक व्यव्हक्तयों को पंजीकृत
• ई-श सन क यटििों िें धनगरानी और मूल्यांकन का
मकय िै और र्ीक करण की 220 करो़ि खुर क के प्रश सन
अभाव िै ।
की सुमवध प्रद न की िै।
• एक एकीकृत डे टाबेस का अभाव: आमथटक सवेक्षण के
• नेशनल नॉलेज नेटवकि: इसके तित ि ई-स्पीड डे र्
अनुस र, एक एकि एकीकृत डे र् बेस की किी िै जो
कम्युमनकेशन नेर्वकट के 1752 मिंक को जो़ि गय िै । भ रतीय मनव मसयों के ब रे िें व्य पक और पूरी ज नक री दे
• यू.पी.आई.: इस मडमजर्ि भुगत न लेर्फॉिट के तित, 376 सके।
बैंकों को जो़ि गय िै और 11.9 ि ख करो़ि रुपए के 730 • कमजोर ई-गवनिमेंट रे डीनेस: र्े िीकम्युमनकेशन
करो़ि िेनदे न (transactions) की सुमवध प्रद न की गई। इं र स्टर क्चर और ि नव पूंजी की किी के क रण भ रत
• वैधिक रुधच में वृक्ति: प्रिुख तकनीकी कंपमनय ं अत्यमधक यू.एन. ई-गवनटिेंर् रे डीनेस इं डेक्स िें मनचिे प यद न पर िै।
प्रमतस्पधी मडमजर्ि ब ज र के क रण भ रत िें रुमच मदख इन चुनौधतयों पर काबू पाने के धलए सरकारी पहल:
रिी िैं । • इलेक्टरॉधनक धवधनमािण को बढावा: सरक र संशोमधत
• सामाधजक-आधथिक धवकास: स वटजमनक मवतरण प्रण िी मवशेर्ष प्रोत्स िन पैकेज, उत्प दन से जु़िी प्रोत्स िन योजन
के मिए डी.बी.र्ी., ऑनि इन और ओपन-सोसट मशक्ष जैसे आमद जैसी पििों के स थ दे श िें इिेक्टरॉमनक मवमनि ट ण को
बढ व दे रिी िै ।
मडमजर्ि स धनों के ि ध्यि से प्रद न की ज ने व िी सेव ओं
• डे टा संरक्षण कानून: सरक र डे र् संरक्षण क नून बन ने
की व्य पक मवमवधत ने सि ज के किजोर वगों के
की प्रमिय िें िै , मजसे ि नसून सत्र िें संसद के पर्ि पर
सशव्हक्तकरण िें िदद की िै ।
रखे ज ने की संभ वन िै ।
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• आई.टी. धनयम, 2021: सरक र ने सोशि िीमडय से फजी • तकनीकी समािान: िनरे ग जैसे क यटििों के मिए नकदी
खबरों को रोकने और यूजसट के मितों की रक्ष के मिए के मवतरण के मिए, सभी र ज्यों को एक िी सॉफ्टवेयर क
आई.र्ी. मनयि, 2021 अमधसूमचत मकय िै। उपयोग करन च मिए।
• पी.एम.जी.धदशा: सरक र ने पी.एि. ग्र िीण मडमजर्ि • कमजोर कौशल सेट: क्षित मनि ट ण और कौशि मवक स
स क्षरत अमभय न शुरू मकय िै मजसक उद्दे श्य मवशेर्ष पर ध्य न केंमद्रत करके सरक री कमिटयों की तकनीकी और
रूप से ग्र िीण भ रत िें मडमजर्ि स क्षरत की शुरुआत प्रबंधन क्षित ओं को िजबूत मकय ज न च मिए।
करन िै ।
मडमजर्ि इं मडय की सफित बढती स ि मजक और मवत्तीय
• इं धडयन टे लीग्राफ राइट ऑफ वे संशोिन धनयम,
सि वेशन, स वटजमनक भ गीद री, और श सन और सेव मवतरण
2022: सरक र ने ि ि िी िें दे श िें दू रसंच र नेर्वकट के
दक्षत और उत्तरद मयत्व के ि ध्यि से दे श की आमथटक वृव्हद् को
उन्नयन और मवस्त र के मिए र इर् ऑफ वे मनयिों िें
बढ व दे ने िें एक िित्वपूणट तत्व िोग ।
संशोधन मकय िै ।
• पी.एम.-वानी: इस पिि के तित एक्सेस प्व इं र् बन ए ज PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के धलए मुख्य
रिे िैं त मक ग्र िीण युव बेितर सेव ओं और मशक्ष के मिए वाक्ांश
ि ई-स्पीड इं र्रनेर् से जु़ि सकें। सेव मवतरण िें आस नी, रीयि र् इि गवनेंस, च पिूस
• धडधजटल इं धडया भाधशनी: यि भ रतीय भ र्ष ओं िें संगठन, आमथटक प्रभ व, गोपनीयत के मिए जोव्हखि,
इं र्रनेर् और मडमजर्ि सेव ओं तक आस न पहुंच को सक्षि मडमजर्ि स क्षरत , फेस सेमवंग, स ं मवमधक ढ ं च
करे ग ।
आगे का रास्ता: धडधजटल सं प्र भु ता
• कानूनी आिार: मडमजर्ि और ई-गवनेंस को सक्षि करने
के मिए िजबूत मवध यी आध र आवश्यक िै , उद िरण के
• अपने राष्ट्रीय धहतों की सेवा के धलए अपने नेटवकि का
o डे र् संरक्षण मवधेयक जैस मक न्यायमूधति बी एन से सबसे आवश्यक सुरक्ष , गोपनीयत और व मणज्य िैं , को
श्रीकृष्ण सधमधत द्व र सुझ य गय िै मडमजर्ि संप्रभुत के रूप िें ज न ज त िै ।
o धद्वतीय ए.आर.सी. द्व र सुझ ए गए व्य पक ई-गवनेंस • यि डे र् , ि डट वेयर और सॉफ़्र्वेयर समित अपने स्वयं के
क नून। मडमजर्ि मनयमत के प्रभ री िोने की शव्हक्त िै मजसक
• साइबर-सुरक्षा को प्राथधमकता दें : स इबर-ज सूसी और
उपयोग और मनि ट ण मकय ज त िै ।
स इबर-युद् जैसे खतरों के स थ इसे च िू रखने के मिए
धडधजटल संप्रभुता का महत्व:
र ष्ट्रीय स इबर-सुरक्ष नीमत िें संशोधन की आवश्यकत िै ।
• मडमजर्ि प्रय सों से ि भ व्हन्वत िोने के मिए, मवशेर्ष रूप से • तकनीकी धनभिरता को खत्म करें : मवदे शी डे र्
ग्र िीण क्षेत्रों िें, मनव मसयों के मिए इसे सरि बन ने के मिए, इं र स्टर क्चर पर मनभटरत की पिच न करें और कि करें ,
जागरूकता और संचार बढाने के स थ-स थ स्थ नीय मडमजर्ि ि केर्लेस िें अनुमचत प्रमतस्पध ट क िुक बि
भ र्ष ओं िें ज नक री मवकमसत करने पर ध्य न दें । करें , और 5जी और ए.आई. जैसी आग िी तकनीकों से
• सेव मवतरण िें सुध र के मिए ए.आई., आई.ओ.र्ी. और संबंमधत किजोररयों को दू र करें ।
ब्लॉकचैन जैसी प्रौद्योधगकी को गवनेंस मसस्टि िें शाधमल
• गारं टीड डे टा एक्सेस: र ष्ट्रीय र जनीमतक स्व यत्तत ,
करना।
व मणव्हज्यक नव च र और अनुसंध न संस्थ न की स्वतंत्रत
• धनजी क्षेत्र: दे श िें मडमजर्ि बुमनय दी ढ ंचे िें सुध र के मिए
के मिए भी मडमजर्ि संप्रभुत की आवश्यकत िोती िै
मनजी क्षेत्र को श मिि करन , मवशेर्ष रूप से ग्र िीण और
क्योंमक उपयुक्त तकनीक और डे र् को ग रं र्ीकृत एक्सेस
दू रदर ज के क्षेत्रों िें अंमति-िीि कनेव्हक्टमवर्ी प्रद न करन ।
के ि ध्यि से उपिब्ध कर य ज न च मिए।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• सरक र की सफित की कि मनयों के ब रे िें भ्र िक डे र् स वटजमनक रूप से उपिब्ध िो त मक श सन को ब़िे मित
र जनीमतक आख्य न बनत िै , ितद त ओं के चुन व मनणटयों िें चि य ज सके और संकीणट, तत्क ि मितों की सेव न की ज
को प्रभ मवत करत िै । सके।
• जव बदे िी और उत्तरद मयत्व से सरक री पररि र।
• नीधत और शासन प्रभाधवत होते हैं: झूठे आं क़िे नीमत और धवगत वषों के प्रश्न
श सन को जिीनी स्तर पर कमठन बन दे ते िैं।
1. प्रत्यक्ष ि भ अंतरण योजन के ि ध्यि से सरक री मवतरण
• नागररकों की अधभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता को प्रभाधवत प्रण िी िें सुध र एक प्रगमतशीि कदि िै , िेमकन इसकी
करता है: र ज्य और न गररकों के बीच ज्ञ न के बढते अंतर अपनी सीि एं भी िैं । मर्प्पणी करें ।
क न गररकों की अमभव्यव्हक्त की स्वतंत्रत पर प्रभ व प़ित
2. मवकि ं ग व्यव्हक्तयों के अमधक र अमधमनयि, 2016
िै । मवकि ं गत के संबंध िें सरक री अमधक ररयों और
• र ज्य से पय टप्त डे र् के मबन मनव मसयों से डे र् मनष्कर्षटण न गररकों की गिन संवेदनशीित के मबन केवि एक
के पररण िस्वरूप र ज्य और न गररकों के बीच एक शव्हक्त क नूनी दस्त वेज बनकर रि गय िै । मर्प्पणी करें । ।
मवर्षित उत्पन्न िोती िै , मजससे न गररक असुरमक्षत िो ज ते 3. मकर ए को मवमनयमित करने के मिए एक रे ि र्ै ररफ
िैं । प्र मधकरण की स्थ पन से भ रतीय रे िवे को गैर-ि भक री
• डे र् अस्वीकरण सरकार और संगठनों िें धनवेशकों के ि गों और सेव ओं को संच मित करने के द मयत्व के मिए
धविास को कम करता है। सव्हिडी की ि ंग करने के मिए िजबूर िोन प़िे ग ।
आगे की राह : मबजिी क्षेत्र िें अनुभव को ध्य न िें रखते हुए चच ट करें मक
• दीघिकाधलक प्रभाव को समझना: सरक रों और संगठनों क्य प्रस्त मवत सुध र से उपभोक्त ओं, भ रतीय रे िवे य
को अल्पक मिक िक्ष्यों पर ध्य न दे ने के बज य प्रमतष्ठ को मनजी कंर्े नर ऑपरे र्रों को ि भ िोने की उम्मीद िै ।
डे र् अस्वीकृत करने के दीघटक मिक नक र त्मक प्रभ व 4. मवत्तीय संस्थ नों और बीि कंपमनयों के उत्प द
मवमवधीकरण, मजसके पररण िस्वरूप उत्प दों और सेव ओं
को सिझन च मिए।
क ओवरिैमपंग िोत िै , सेबी और आई.आर.डी.ए. न िक
• डे टा संगठनों की स्वतंत्रता: डे र् संग्रि संगठनों जैसे
दो मनय िक एजेंमसयों के मविय के ि ििे को िजबूत
एनएसओ आमद को उनके क ि िें िस्तक्षेप को रोकने के
करत िै । मसद् करें |
मिए पय ट प्त स्व यत्तत प्रद न की ज नी च मिए।
5. क्य मडमजर्ि मनरक्षरत , मवशेर्ष रूप से ग्र िीण क्षेत्रों िें,
• वैिाधनक ढांचा: डे र् एकत्र करने व िे संगठनों को संसद सूचन और संच र प्रौद्योमगकी (आई.सी.र्ी.) की किी के
के प्रमत जव बदे िी के स थ वैध मनक सिथटन मदय ज न स थ मििकर स ि मजक-आमथटक मवक स िें ब ध उत्पन्न
च मिए। हुई िै ? औमचत्य समित ज ंच कीमजए।
• एकीकृत ढांचा: डे र् संग्रि को ए.आई., मबग डे र् आमद के 6. "चौथी औद्योमगक ि ं मत (मडमजर्ि ि ं मत) के उद्भव ने
उपयोग के स थ एकीकृत मकय ज न च मिए। बैंमकंग सरक र के अमभन्न अंग के रूप िें ई-गवनेंस की शुरुआत
की िै"। चच ट करें ।
नेर्वकट के स थ GSTN क एकीकरण।
7. भ रत िें नीमत-मनि टत ओं को प्रभ मवत करने के मिए कृर्षक
• डे टा का गधतशील संग्रह: स वटजमनक सेव मवतरण
संगठनों द्व र कौन से तरीके अपन ए ज ते िैं और ये तरीके
मबंदुओं के मडमजर्िीकरण के स थ डे र् संग्रि को गमतशीि
मकतने प्रभ वी िैं ?
बन य ज न च मिए, जैसे अस्पत ि जन्म दर आमद के ब रे
8. ई-गवनेंस न केवि नई प्रौद्योमगकी की शव्हक्त के उपयोग
िें डे र् एकत्र करने के मिए।
के ब रे िें िै , बव्हि सूचन के 'उपयोग िूल्य' के िित्वपूणट
डे र् अस्वीकरण डे र् और स क्ष्य-आध ररत श सन िें एक ब़िी
िित्व के ब रे िें भी िै । व्य ख्य कीमजए।
ब ध िै । इसमिए, यि सुमनमित करने की आवश्यकत िै मक
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
9. "भ रतीय श सन प्रण िी िें, गैर-र ज्य अमभकत ट ओं की स्व यत्त रिें ।" ि ि िी िें हुए अनुभवों के प्रक श िें चच ट
भूमिक केवि सीि ंत रिी िै ।" इस कथन क कीमजए।
सि िोचन त्मक परीक्षण कीमजए। 13. ि ि ंमक व्य प र प्रक शन और स ि न्य िनोरं जन चैनि
10. “मवमभन्न स्तरों पर सरक री प्रण िी की प्रभ वशीित और जैसे गैर-सि च र िीमडय िें पििे से िी 100 प्रमतशत
श सन प्रण िी िें िोगों की भ गीद री अन्योन्य मश्रत िैं” एफ.डी.आई. की अनुिमत िै , सरक र कुछ सिय से
भ रत के संदभट िें उनके संबंधों पर चच ट करें । सि च र िीमडय िें एफडीआई बढ ने के प्रस्त व पर मवच र
11. क्य भ रतीय सरक री तंत्र ने 1991 िें शुरू हुए कर रिी िै। एफ.डी.आई. िें वृव्हद् से क्य फकट प़िे ग ?
उद रीकरण, मनजीकरण और वैश्वीकरण की ि ं गों के मिए पेशेवरों और मवपक्षों क गंभीर रूप से िूल्य ंकन करें ।
पय ट प्त रूप से जव ब मदय िै ? इस िित्वपूणट पररवतटन के 14. एक र ष्ट्रीय िोकप ि, च िे वि मकतन िी शव्हक्तश िी क्यों
प्रमत उत्तरद यी िोने के मिए सरक र क्य कर सकती िै ? न िो, स वटजमनक ि ििों िें अनैमतकत की सिस् क
12. "व ं मछत उद्दे श्यों को प्र प्त करने के मिए, यि सुमनमित सि ध न निीं कर सकत ।' चच ट करें ।
करन आवश्यक िै मक मनय िक संस्थ न स्वतंत्र और
धवद्याथी का नोट् स:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• बेजुबान की आिाज: िीमडया सिाज िें किजोर र्गों के िीमडया घरािे कई बार अपरामधयोां और उिकी जीर्ि शैली
िुद्दोां, जैसे हार्रस की घट्िा, ट्र ाां सजेंडर सिुदाय के िुद्दोां का िमहिािांडि करिे हैं ।
आमद को उजागर करके उिकी भागीदारी सुमिमिि करिा • असोंिेदनशीलिा: िुांबई आिांकर्ादी हिले जैसे िहत्वपूणथ
है । िुद्दोां की कर्रे ज िें िीमडया भी असांर्ेदिशीलिा से ग्रस्त
• सािटजतनक सूचना: िीमडया जििा िक सूचिा के प्रसार रहा है ।
िें िदद करिा है । उदहारणस्वरुप कोमर्ड-19 िहािारी • तनजिा सोंबोंिी तचोंिाएों : िीमडया घरािोां द्वारा स्स्टां ग
के दौराि र्ायरस के बारे िें जािकारी फैलािे िें िीमडया
ऑपरे शि व्यस्क्तयोां की मिजिा का उल्लांघि करिे हैं ।
की िहत्वपूणथ भूमिका रही है ।
• यौन उत्पीडन: िीमडया िें शस्क्तशाली लोगोां द्वारा िमहला
• सफलिा की कहातनयाों: िीमडया इसरो की उपलस्ियाां
पत्रकारोां के उत्पीड़ि की कई मशकायिें मिली हैं ।
आमद जैसी जीर्ि के मर्मभन्न क्षेत्रोां की सफलिा की
मुख्य कदम:
कहामियोां को उजागर करिा है।
• सािटजतनक बहस के तलए मोंच: िीमडया दे श को परे शाि • िारिीय प्रेस पररषद: इसे प्रेस की स्विांत्रिा को बिाए
करिे र्ाले मर्मभन्न िुद्दोां पर सार्थजमिक बहस के मलए एक रखिे और भारि िें सिाचार पत्रोां और सिाचार एजेंमसयोां
िहत्वपूणथ िांच है। के िािकोां को बिाए रखिे और सुधारिे के मलए पीसीआई
• सनसनीखेज: िीमडया सिसिीखेज और 'ब्रेमकांग न्यूज' • न्यूज ब्रॉिकास्टसट एसरतसएशन: इसे सिाचार चैिलोां के
घट्िा के िुद्दे से ग्रस्त है । मलए एक स्व-मियािक मिकाय के रूप िें थर्ामपि मकया
• मीतिया टर ायल: िीमडया ट्र ायल एक गांभीर िुद्दा है जो गया है । इसिे ट्े लीमर्जि सािग्री को मर्मियमिि करिे के
आपरामधक कायथर्ाही को पूर्ाथग्रह से ग्रमसि करिा है । मलए एक सांमहिा िैयार की है।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• सरकारी सेंसरतशप: सरकारें अक्सर सूचिाओां के प्रर्ाह • ऑनलाइन उत्पीडन का किरे ज: पत्रकारोां को ि केर्ल
को मियांमत्रि करिी हैं और पत्रकारोां के स्खलाफ दे शद्रोह भौमिक दु मिया िें बस्ल्क सोशल िीमडया िांचोां पर भी
का आरोप लगाकर असहिमि को दबा दे िी हैं । प्रभार्ी मर्मियिि के सार् सांरमक्षि मकया जािा चामहए।
• लैंतगक अोंिराल: िीमडया सांगठिोां के स्वामित्व और • मीतिया साक्षरिा: िीमडया साक्षरिा कायथिि दशथकोां को
कायथबल दोिोां िें िमहलाओां का प्रमिमिमधत्व कि है । इसके यह सिझिे िें िदद कर सकिे हैं मक िीमडया कैसे काि
अलार्ा, लैंमगक र्ेिि अांिराल का िुद्दा है । करिा है , मर्िसिीय और अमर्िसिीय स्रोिोां के बीच अांिर
• पेि न्यूज: पेड न्यूज चुिार् के दौराि एक चुिौिी है जो र्ोट् कैसे करें और सूमचि सार्थजमिक सांर्ाद िें कैसे शामिल होां।
की शुद्िा जैसे लोकिाां मत्रक आदशों के िूल मसद्ाांिोां िें से
• कानूनी सुरक्षा: कािूि के िाध्यि से पत्रकारोां को मर्मभन्न
एक को िष्ट कर दे िी है ।
स्रोिोां से होिे र्ाले हिलोां और डरािे -धिकािे से बचाया
• कायटस्र्ल पर उत्पीडन: पीओएसएच (PoSH)
जािा चामहए।
अमधमियि, 2013 के लागू होिे के बार्जूद, आां िररक
• मीतिया नैतिकिा का पालन: िीमडया को पत्रकाररिा के
मशकायि समिमियोां के गठि की किी के कारण इसके
िूल मसद्ाां िोां जैसे सच्चाई और सट्ीकिा, मिष्पक्षिा,
कायाथ ियि िें किी है ।
स्विांत्रिा आमद पर मट्के रहिा चामहए।
• पत्काररों पर हमला: जम्मू-कश्मीर िें शुजाि बुखारी जैसे
पत्रकारोां पर उि लोगोां िे हिला मकया है मजिका उन्ोांिे PW-Only IAS EDGE : मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख
• अन्य चुनौतियााँ: इिके अलार्ा, िीमडया भी ट्ीआरपी के सिसिीखेज, कॉपोरे ट् प्रभार्, असांर्ेदिशीलिा, पीओएसएच
मलए िेज, िीमडया िैमिकिा की किी, युद्ोन्माद आमद की (PoSH) अमधमियि, प्रकट्ीकरण, िीमडया साक्षरिा, िीमडया
चुिौमियोां से ग्रस्त है । िैमिकिा।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• आिोंकिाद कर बढ़ािा दे ना: आिांकी सांगठिोां द्वारा अपिे o एक िामसक अिुपालि ररपोट्थ प्रकामशि करें ।
कैडर की कट्टरिा को बढार्ा दे िे, भिी और प्रमशक्षण के o सूचिा के पहले प्रर्िथक की पहचाि उपलि कराएां ।
मलए सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ का इस्तेिाल मकया गया है । • एक स्वैस्च्छक उपयोगकिाथ सत्यापि िांत्र प्रदाि करें ।
• फेक टर ें ि: कई सिूह अपिे मिमहि स्वार्थ के सार् सोशल • उपयोगकिाथओां को सुिे जािे का अर्सर दे िा।
िीमडया पर फेक ट्र ें ड को बढार्ा दे िे हैं , उदाहयण के िौर • अदालि, उमचि सरकार या उसकी एजेंमसयोां के आदे श के
पर मिकेट्र अशथदीप मसांह के स्खलाफ पामकस्ताि की आधार पर गैरकािूिी जािकारी को हट्ािा।
आईएसआई द्वारा फेक ट्र ें ड कराया गया।
आईटी तनयम, 2021 में सोंशरिन:
• अिद्र िाषा: अभद्र भाषा और अफर्ाहोां को बढार्ा दे िे के
• िध्यस्थों से अपेक्ष की ज ती िै मक वे भ रतीय संमवध न के
मलए सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ का उपयोग मकया गया है,
अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तित उपयोगकत ट ओं को मदए
मजसके कारण 2020 के मदल्ली दां गे जैसे दां गे हुए हैं ।
गए अमधक रों क सम्म न करें ।
• एल्गरररदम: सोशल िीमडया एल्गोररदि की जाांच िहीां की
• मशक यत अपीिीय समिमत, उपयोगकत ट ओं को
गई है और र्े "सोशल िीमडया प्रमिर्ध्मि कक्ष (इको-
उपयोगकत ट की मशक यतों पर िध्यस्थों की मनव्हियत य
चैम्बसथ)" को बढार्ा दे िे हैं ।
उनके द्व र मिए गए मनणटयों के व्हखि फ अपीि करने की
महत्वपूणि कदम:
अनुिमत दे ती िै ।
सोशल िीमडया को मर्मियमिि करिे के मलए, सरकार िे सूचिा
चुनौतियाों:
प्रौद्योमगकी (िध्यथर् मदशामिदे श और मडमजट्ल िीमडया आचार
• िाटा सोंरक्षण कानून का अिाि: दे श िें डे ट्ा सांरक्षण
सांमहिा) मियि, 2021 को अमधसूमचि मकया है । इसिें
कािूि का अभार् है जो सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ के मलए
मिम्नमलस्खि प्रार्धाि मकये गए हैं :
कािूिी दामयत्व प्रदाि कर सकिा है ।
• सोशल िीमडया िध्यस्थों द्वारा उमचि सार्धािी का पालि • मुक्त िाषण का गला घरटना : हालाांमक प्लेट्फॉर्म्थ के बीच
मकया जािा चामहए।
मजम्मेदारी को बढार्ा दे िे के मलए सोशल िीमडया के मियिोां
• तशकायि तनिारण: मशकायि मिर्ारण अमधकारी 24 घांट्े
को लागू मकया गया है , लेमकि मियिोां को िुक्त भाषण के
के भीिर मशकायि स्वीकार करे गा और 15 मदिोां के भीिर
स्खलाफ दे खा गया है ।
इसका सिाधाि करे गा।
• अतनिा: आईट्ी मियिोां द्वारा लगाए गए मियिोां का पालि
• उपयरगकिाटओों की ऑनलाइन सुरक्षा: उपयोगकिाथ ओ,ां
करिे के मलए सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ अमिच्छु क रहे हैं ।
मर्शेष रूप से िमहला उपयोगकिाथ ओां की ऑिलाइि सुरक्षा
इसे उदाहरणस्वरूप सरकार के सार् मिट्र की खीांचिाि
और गररिा सुमिमिि करें और अश्लील सािग्री की
के रूप िें दे खा जा सकिा है ।
मशकायि प्राप्त होिे के 24 घांट्े के भीिर पहुांच को हट्ा दें
• पुरािन कानून: आईट्ी अमधमियि, 2000 और अन्य
या अक्षि कर दें ।
कािूिी ढाांचे हाल के मदिोां िें मडमजट्ल दु मिया मजििी िेजी
• महत्वपूणट सरशल मीतिया मध्यस्र्: िहत्वपूणथ सािामजक
से मर्कमसि िहीां हुए हैं । गलि सूचिा को ऑिलाइि चलािे
िीमडया िध्यथर्ोां द्वारा अपिाई जािे र्ाली अमिररक्त
के मलए ठोस प्रयास मकए जा रहे हैं ।
सार्धािी। • िाटा स्र्ानीयकरण: मिजिा की सुरक्षा के मलए डाट्ा
o अमधमियि और मियिोां के अिुपालि के मलए िुख्य थर्ािीयकरण िें सिस्याएां रही हैं क्ोांमक दे श िें मडमजट्ल
अिुपालि अमधकारी मियुक्त करें । बुमियादी ढाांचा िजबूि िहीां है ।
o कािूि प्रर्िथि एजेंमसयोां के सार् 24x7 सििय के • तितजटल प्रतशक्षण का अिाि: दे श िें पुमलस अमधकाररयोां
मलए िोडल सांपकथ व्यस्क्त मियुक्त करें । के पास अभी भी मडमजट्ल प्रमशक्षण का अभार् है और र्े
o मशकायि मिर्ारण िांत्र के मलए मिर्ासी मशकायि सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ से खिरोां का पिा लगािे िें
अमधकारी मियुक्त करें । असिर्थ हैं ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• तितजटल तनरक्षरिा: दे श िें आबादी के बीच बड़े पैिािे ओट्ीट्ी प्लेट्फािों के िाध्यि से ििोरां जि उद्योग िें अपिे
पर मडमजट्ल मिरक्षरिा "सत्य के बाद" आमद जैसी प्रर्ृमत्तयोां पैर जिा रहे हैं।
को बढार्ा दे िी है । • छरटे उद्यरग कर बढ़ािा: ओट्ीट्ी प्लेट्फॉिथ िे मर्शेषकर
• िीप फेक: डीप फेक िे िकली र्ीमडयो और िस्वीरोां को क्षेत्रीय मसिेिा िें कि बजट् र्ाले छोट्े ििोरां जि उद्योगोां को
एक िए स्तर पर ले मलया है , जहाां सािान्य उपयोगकिाथ के बढार्ा मदया है।
मलए उििें अांिर करिा िुस्िल है । • अोंिराटष्ट्रीय पहुोंच: ओट्ीट्ी प्लेट्फािों िे भारिीय दशथकोां को
आगे की राह : ििी हाइस्ट इत्यामद जैसी िई और उच्च गुणर्त्ता र्ाली
• िाटा सुरक्षा कानून: सरकार को दे श िें डाट्ा सांरक्षण अांिराथ ष्टरीय सािग्री िक पहुांच प्रदाि की है ।
कािूि को भूलिे के अमधकार, डे ट्ा थर्ािीयकरण आमद जैसे • िहनीयिा : र्हिीय होिे के कारण ओट्ीट्ी प्लेट्फॉर्म्थ िे
प्रार्धािोां के सार् शीघ्रिा से लागू करिा चामहए। लोगोां के ििोरां जि का एक िया िरीका उपलि कराया है ।
• सरशल मीतिया की तजम्मेदारी: सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ • िाषा की बािाओों पर तनयोंत्ण पाना: ओट्ीट्ी प्लेट्फािों
को यह सुमिमिि करिे की मजम्मेदारी लेिी चामहए मक उिके िे भाषा की बाधाओां को िोड़ मदया है क्ोांमक अमधकाांश
प्लेट्फॉिथ का उपयोग उत्पादक उद्दे श्योां ि मक सिाज को प्लेट्फािों िें कई भाषाओां िें सीिा होिी है ।
िुकसाि पहुांचािे के मलए मकया जािा है । • एकातिक लाि: कई लाभोां की पेशकश करिे र्ाले ओर्र-
• स्व-तनयमन: सोशल िीमडया प्लेट्फािों को प्लेट्फािों को
द-ट्ॉप (ओट्ीट्ी) प्लेट्फािों की उपलििा, जैसे मक एक ही
मर्मियमिि करिा चामहए और बॉट्् स और उिके
सिमिप्शि के िाध्यि से सािग्री की एक मर्स्तृि िृांखला
मदशामिदे शोां का उल्लांघि करिे र्ाले अन्य उपयोगकिाथओां
िक पहुांच, व्यस्क्तयोां के कुछ पहलुओां के सार् सांरेस्खि होिी
के स्खलाफ सख्त कारथ र्ाई करिी चामहए।
है ।
• िकनीक का प्रयरग : सोशल िीमडया प्लेट्फॉिथ को अपिे
• मौतलक अतिकार:- मर्शेष रूप से, यह भाषण और
प्लेट्फॉिथ पर फजी खबरोां, रूपाां िररि सािग्री को मफल्टर
अमभव्यस्क्त की स्विांत्रिा के अमधकार से सांबांमधि है , जो
करिे के मलए एआई, िशीि लमिंग जैसी िकिीकोां का
भारिीय सांमर्धाि के अिुच्छेद 19(1)(ए) के िहि सांरमक्षि
प्रयोग करिा चामहए।
है ।
ओिर-द-टॉप प्ले ट फामट • तिज्ञापन-मुक्त अनुिि: ओट्ीट्ी प्लेट्फािों द्वारा पेश
मकया जािे र्ाला मर्ज्ापि-िुक्त अिुभर् भाषण और
ओर्र-द-ट्ॉप (ओट्ीट्ी) प्लेट्फॉिथ केबल, प्रसारण और उपग्रह
अमभव्यस्क्त की स्विांत्रिा के िौमलक अमधकार के सार्
ट्े लीमर्जि जैसे पारां पररक प्लेट्फािों की आर्श्यकिा को
सांरेस्खि होिा है । यह दशथकोां को दखल दे िे र्ाले मर्ज्ापि
छोड़कर इां ट्रिेट् के िाध्यि से ऑमडयो, र्ीमडयो और अन्य
के मबिा सािग्री का उपयोग करिे की अिुिमि दे िा है , और
िीमडया सािग्री प्रदाि करिे हैं । इसके उदाहरण िेट्स्िक्स,
अमधक सम्मोहक और र्ैयस्क्तकृि दे खिे के अिुभर् को
अिेज़़ॅि प्राइि आमद हैं । ये िाां ग आधाररि प्लेट्फॉिों पर
बढार्ा दे िा है। पसांद की यह स्विांत्रिा व्यस्क्तगि स्वायत्तिा
सिमिप्शि-आधाररि र्ीमडयो हैं जो उपभोक्ताओां को दु मिया
को बढािी है और अिार्श्यक हस्तक्षेप के मबिा सूचिा प्राप्त
भर से सािग्री की एक मर्स्तृि िृांखला िक पहुांचिे की अिुिमि
करिे और प्रदाि करिे के अमधकार का सिर्थि करिी है ।
दे िे हैं।
तितनयमन की आिश्यकिा :
ओटीटी का सकारात्मक प्रिाि:
• पहुोंच: ओट्ीट्ी प्लेट्फॉिथ मकसी भी सिय और मकसी भी • िीव्र तिकास: हाल के र्षों िें ओट्ीट्ी प्लेट्फॉिथ िेजी से बढे
थर्ाि से सािग्री दे खिे की स्विांत्रिा प्रदाि करिे हैं । हैं । उदाहरण के िौर पर 2022 के अांि िक, भारि का
• लरकिोंत्ीकरण: ओट्ीट्ी प्लेट्फािों िे ििोरां जि उद्योग का ओट्ीट्ी आधार 2021 िें 353 मिमलयि लोगोां से 20%
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• अश्लीलिा: कुछ ओट्ीट्ी प्लेट्फािों पर भाषा और सािग्री मर्मियिि अमधमियि के िहि कायथिि सांमहिा का पालि
अश्लीलिा को बढार्ा दे िी है , जो हिारे दे श के सािामजक करिा होगा। इस प्रकार ऑफलाइि (मप्रांट्, ट्ीर्ी) और
और िैमिक उत्थाि के मलए खिरा है । मडमजट्ल िीमडया के बीच एक सिाि अर्सर उपलि हो
• सेंसरतशप का अिाि: सेंसरमशप का अभार् है और सकेगा ।
इसमलए, सभी उम्र के लोगोां, मर्शेष रूप से बच्चोां को सभी • िीन स्तरीय तशकायि तनिारण िोंत्:
प्रकार की सािग्री से अर्गि कराया जािा है जो उिकी उम्र o स्तर-I: मशकायि मिर्ारण अमधकारी मियुक्त करके
के मलए उपयुक्त िहीां हो सकिा है । प्रकाशकोां द्वारा स्व-मियिि
• साइबर िाइम का खिरा: ओट्ीट्ी प्लेट्फॉिथ से साइबर o स्तर-II: सर्ोच्च न्यायालय के सेर्ामिर्ृत्त न्यायाधीश
िाइि का खिरा है , जहाां लोग अपिी गोपिीय जािकारी की अध्यक्षिा िें, एक उच्च न्यायालय या स्विांत्र
जैसे बैंक मर्र्रण, िेमडट् काडथ आमद साझा करिे हैं। प्रमिमष्ठि व्यस्क्त मजसिें छह से अमधक सदस्य िहीां
• सामातजक सद्भाि कर खिरा: कुछ ओट्ीट्ी प्लेट्फॉिों िे
होांगें के द्वारा प्रकाशकोां के स्व-मियािक मिकायोां द्वारा
साां प्रदामयक रूप से सांर्ेदिशील सािग्री को बढार्ा मदया है
स्व-मियिि
जो दे श िें सािामजक सद्भार् को बामधि कर सकिा है ।
o स्तर-III: तनरीक्षण िोंत् - सूचिा एर्ां प्रसारण िांत्रालय
• उपयरगकिाटओों का तििेक: ओट्ीट्ी प्लेट्फािों पर सािग्री
(एिओआईएण्डबी) अभ्यास सांमहिा समहि स्व-
को दे खिे को पूरी िरह से उपयोगकिाथ ओां के मर्र्ेक पर
मर्मियिि मिकायोां के मलए एक चाट्थ र प्रकामशि
िहीां छोड़ा जा सकिा है और इि प्लेट्फािों को
करे गा। यह मशकायिोां की सुिर्ाई के मलए एक
उपयोगकिाथओां के मलए सुरमक्षि बिािे के मलए राज् को
अांिर-मर्भागीय समिमि की थर्ापिा करे गा।
हस्तक्षेप करिे की आर्श्यकिा है ।
• तफल्म उद्यरग के सार् समानिा: ओट्ीट्ी प्लेट्फािों को चुनौतियाों:
मफल्म उद्योग के भीिर लािे के मलए मर्मियमिि करिे की • अतिव्यखक्त की स्विोंत्िा: ओट्ीट्ी प्लेट्फॉिों के मियिि
आर्श्यकिा है , मजसे केंद्रीय मफल्म प्रिाणि बोडथ द्वारा से लेखकोां/सांपादकोां/प्रकाशकोां की बोलिे और अमभव्यस्क्त
मियांमत्रि मकया जािा है । की स्विांत्रिा और कलात्मक अमभव्यस्क्त की मचांिाएां उत्पन्न
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
ओटीटी तितनयमन से जुडे मुद्दे- अमभव्यस्क्त की स्विांत्रिा पर PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख
मचांिा, कि अिुपालि, सािग्री मर्मियिि के आसपास अस्पष्टिा, िाक्ाोंश
क्षेत्रामधकार से सांबांमधि िुद्दे, व्यापकिा की किी। सांचार, प्रहरी, सिसिीखेज, र्ैधिा, पीसीआई अमधमियि,
आगे की राह: पीओएसएच अमधमियि, यौि उत्पीड़ि अमधमियि, लैंमगक
• िाटा सुरक्षा कानून: सरकार को उपयोगकिाथ ओां को र्ेिि अांिराल, ििदाि की शुद्िा, अस्पष्टिा, मडमजट्ल
उिकी गोपिीयिा के उल्लांघि से बचािे और उिके िीमडया िीमि
व्यस्क्तगि डाट्ा की सुरक्षा के मलए जल्द से जल्द डाट्ा
सुरक्षा कािूि बिािे की आर्श्यकिा है ।
• समय-समय पर अतियान: ओट्ीट्ी उद्योग सांघोां को
मशकायि मिर्ारण िांत्र के बारे िें मप्रांट् और इलेक्टरॉमिक
िीमडया िें सिय-सिय पर अमभयाि चलािे के मलए
अमिर्ायथ मकया जा सकिा है ।
• स्र्ानीय िाषा का तििरण: आयु रे मट्ां ग और सािग्री
र्णथिकिाथ (उदाहरण के मलए 'महां सा') की व्याख्या अांग्रेजी के
अलार्ा र्ीमडयो की सांबांमधि भाषाओां िें हो सकिे हैं । सांमहिा, डाट्ा सांरक्षण कािूि, सत्य के बाद, अमिच्छा
• आितिक लेखापरीक्षा: आर्मधक लेखापरीक्षा करिे के धवगत वषों के प्रश्न
मलए एक स्विांत्र मिकाय की थर्ापिा की जा सकिी है । 1. सूचिा और सांचार प्रौद्योमगकी (आईसीट्ी) आधाररि
• एकल िै शबरिट : िांत्रालय एक सिमपथि अिेला र्ेबसाइट् पररयोजिाओां/कायथििोां का कायाथ ियि आििौर पर कुछ
प्रदाि कर सकिा है मजसिें लागू मियिोां, सािग्री कोड, िहत्वपूणथ कारकोां के सांदभथ िें प्रभामर्ि होिा है । इि
सलाह, मशकायिोां/अपील आमद के मलए सांपकथ मर्र्रण का कारकोां की पहचाि कीमजये और उिके प्रभार्ी
मर्र्रण प्रकामशि मकया जािा है। कायाथ ियि के उपाय सुझाइये। (150 शब्द, 10 अांक)
• तसोंगापुर से सीख: सरकार मसांगापुर से सीख सकिी है
मजसके पास मर्मभन्न िीमडया के मलए एक सािान्य मियािक
है और सार्थजमिक मशक्षा के िाध्यि से िीमडया साक्षरिा को
बढार्ा दे िा है ।
छात् के नरट:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
खेल शासि उस प्रणाली को सांदमभथि करिा है मजसके द्वारा दे श सकारात्मक परीक्षण मकया गया । इस घट्िा िे
िें खेल सांगठि शामसि होिे हैं। यह मिरीक्षण और मिदे श की डोमपांग के िुद्दे और मिष्पक्ष प्रमिस्पधाथ पर इसके प्रभार्
प्रमिया को शामिल करिा है मजस पर एक खेल सांगठि िें मिणथय को उजागर मकया।
मकए जािे हैं और लागू मकए जािे हैं । o िेदिाि: स्खलामड़योां को क्षेत्र या मलांग के आधार पर
भेदभार् का साििा करिा पड़िा है । भारि िें
एिजीओ चाइल्ड राइट्् स एां ड यू (सीआरर्ाई) द्वारा
मकए गए एक अध्ययि के अिुसार, िमहला एर्लीट्ोां
को खेलोां िें भेदभार् का साििा करिा पड़िा है ।
केर्ल 5% लड़मकयोां के पास खेल सुमर्धाओां िक
पहुां च है । इसके अमिररक्त, कुछ क्षेत्रोां के एर्लीट्ोां को
आर्ांमट्ि मकए जािे र्ाले अमधकाां श धि और सिर्थि
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• राष्ट्रीय िरतपोंग ररिी अतितनयम, 2022: अमधमियि खेलोां मियांत्रण और सांिुलि के सार् खेल के प्रशासि और प्रबांधि
िें डोमपांग रोधी गमिमर्मधयोां को मर्मियमिि करिे के मलए भागोां को पृर्क करिा है ।
एक र्ैधामिक मिकाय के रूप िें राष्टरीय डोमपांग रोधी एजेंसी • यौन उत्पीडन: खेल मिकायोां िें यौि उत्पीड़ि रोकर्ाि
के गठि का प्रार्धाि करिा है । अमधमियि, 2013 को अक्षरशः लागू करिे की आर्श्यकिा
• सुशासन के तलए राष्ट्रीय सोंतहिा मसौदा: खेल िें सुशासि है ।
के मलए राष्टरीय सांमहिा, 2017 िसौदा भारि िें खेल मिकायोां • व्यािसातयकिा: खेल मिकायोां िें सदस्योां के चयि और
के प्रबांधि और प्रशासि के मलए मदशामिदे शोां का एक
अर्धारण पर योग्यिा जैसे िािलोां िें शस्क्त के दु रुपयोग
प्रस्तामर्ि सेट् है ।
को रोकिे के मलए पेशेर्र खेल शासि और प्रशासि की
खेल प्रशासन में चुनौतियाों:
आर्श्यकिा है ।
• शौक बनाम पेशा के रूप में खेल: कि सफलिा दर,
• सहयरग: शासि पर शैमक्षक सांसाधिोां को मर्कमसि करिे
शैक्षमणक दबार् और िौकरी की िलाश की िािमसकिा के
और सांसाधिोां के इष्टिि उपयोग के मलए सहयोग को बढार्ा
कारण खेलोां को शौक से एक पेशे के रूप िें बदलिे की
दे िे की आर्श्यकिा है ।
काफी चुिौिी है ।
• जिाबदे ही: प्रशासमिक मिणथयोां के मलए अमिर्ायथ
• िातमटक बािाएाँ : िैराकी और एर्लेमट्क्स जैसे कुछ खेलोां के
सार्थजमिक प्रकट्ीकरण, बयािोां को मियमिि रूप से जारी
मलए ऐसी पोशाक की आर्श्यकिा होिी है जो मकसी िमहला
के शरीर को पूरी िरह से ढके िहीां और यह कुछ धिों के करिे आमद जैसी जर्ाबदे ही और पारदमशथिा
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• ई-दाखखल परटट ल: केंद्र सरकार िे ई-दास्खल पोट्थ ल की • कायटकारी हस्तक्षेप: भ्रािक मर्ज्ापिोां, ट्े ली-िाकेमट्ां ग,
थर्ापिा की है , जो उपभोक्ताओां को सांबांमधि उपभोक्ता बहु-स्तरीय िाकेमट्ां ग आमद के मलए मदशामिदे शोां का
फोरि िक आसािी से पहुां चिे के मलए परे शािी िुक्त, िेज अिुपालि सुमिमिि करिे के मलए त्वररि कायथकारी हस्तक्षेप
और सस्ती सुमर्धा प्रदाि करिा है । की आर्श्यकिा है ।
• उपिरक्ता सोंरक्षण (ई-कॉमसट) तनयम, 2020: मियि • जागरुकिा: अपिे अमधकारोां के प्रमि िुखर होिे को
प्रदाि करिे हैं मक मर्िेिा सािाि र्ापस लेिे या सेर्ाओां को सुमिमिि करिे के मलए सोशल िीमडया, जागृमि शुभांकर
र्ापस लेिे या ररफांड से इिकार िहीां कर सकिे हैं , ई- आमद के िाध्यि से जििा को अपिे अमधकारोां के प्रमि
कॉिसथ कांपमियोां को सािाि की कीििोां िें हेरफेर करिे से जागरूक करिे की आर्श्यकिा है ।
रोक सकिे हैं आमद।
• हखस्तयरों के अनुमरदन के तलए तदशातनदे श: अस्वास्थ्यकर
• भ्रामक तिज्ञापनरों और भ्रामक तिज्ञापनरों के तलए
भोजि, शराब आमद के सांबांध िें हस्स्तयोां के मलए अलग-
अनुमरदन की ररकर्ाम पर तदशातनदे श, 2022:
अलग मदशामिदे शोां की आर्श्यकिा है ।
उपभोक्ताओां को भ्रािक मर्ज्ापिोां से बचािे और
• उपिरक्ताओों के किटव्य: अमधकारोां के सार्-सार्,
उपभोक्ताओां के अमधकारोां की रक्षा के मलए मदशामिदे श
उपभोक्ताओां को अपिे किथव्योां का भी पालि करिा चामहए
अमधसूमचि मकए गए हैं ।
जैसे मक मशकायिें दजथ करिा, क्लास एक्शि सूट्, समियिा
चुनौतियाों:
िें मलप्त होिा िामक यह सुमिमिि हो सके मक सांथर्ाएां उिके
• लखम्बि: र्िथिाि िें दे श िें 5.5 लाख से अमधक लांमबि
अमधकारोां की रक्षा करें । क्लास एक्शि सूट् एक सिूह द्वारा
उपभोक्ता िािले हैं , मजििें र्षथ 2000 से पहले दजथ मकए
अदालि िें लाया गया िािला है जो लोगोां के एक बड़े सिूह
गए 4,029 से अमधक लांमबि िािले भी शामिल हैं ।
का प्रमिमिमधत्व करिा है , अक्सर हजारोां िें, मजन्ें सिाि
• उत्पादकरों के तलए उपाय का अिाि: उत्पाद र्ापस लेिे
िुकसाि उठािा पड़ा है ।
के पीमड़िोां (उत्पादकोां) के मलए बहुि कि या कोई प्रार्धाि
िहीां है जो ि केर्ल ऐसी कांपमियोां की मर्त्तीय स्थर्मि को PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य पररक्षा के तलए प्रमुख
बीच इिकी प्रमिष्ठा को भी िुकसाि पहुांचािा है । कायथकारी हस्तक्षेप, ई-दास्खल पोट्थ ल, उपभोक्ता अमधकारोां
• तनयमरों का उल्लोंघन: भ्रािक मर्ज्ापिोां के स्खलाफ मदशा- का मर्स्तार, उपभोक्ता सांरक्षण।
मिदे शोां के बार्जूद, खासकर गेमिांग उद्योग जैसे मर्ांजो, प्रतियरतगिा
एिपीएल आमद िें उि मदशा-मिदे शोां का उल्लांघि हुआ है ।
प्रमियोमगिा का अर्थ है जहाां दो या दो से अमधक दल/सांगठि एक
• कमजरर पक्षरों की बाोंह मररडना: अमधमियि के कुछ
सािान्य लक्ष् के मलए प्रयास करिे हैं मजसे साझा िहीां मकया जा
प्रार्धाि जैसे मर्र्ाद सिाधाि के मलए िध्यथर्िा िजबूि
सकिा है और इस प्रमिया िें एक का लाभ दू सरे का िुकसाि
पक्षोां को किजोर पक्षोां पर दबार् बिािे का अर्सर प्रदाि
होिा है । इसका ििलब िुक्त और मिष्पक्ष बाजार प्रर्ाओां को
करिे हैं।
सुमिमिि करिा भी है ।
• ररखक्तयाों: मजला आयोगोां िें सदस्योां के मलए 250 से अमधक
सोंशरिनरों की आिश्यकिा:
ररस्क्तयाां हैं जो आयोगोां के कािकाज को बामधि करिी हैं ।
आगे की राह : • नए युग के बाजार में प्रतिस्पिाट: जैसे-जैसे िकिीकी
प्रगमि, कृमत्रि बुस्द्ित्ता और िूल् के अलार्ा अन्य कारकोां
• रैं तकोंग: मर्मभन्न मजला आयोगोां को उिके कािकाज िें
के बढिे िहत्व के कारण बाजार की गमिशीलिा िेजी से
प्रमिस्पधाथत्मकिा लािे के मलए मर्र्ाद सिाधाि िें उिके
प्रदशथि के आधार पर रैं क मकया जा सकिा है । बदलिी है , बाजार प्रमिस्पधाथ को बिाए रखिे और बढार्ा
दे िे के मलए सांशोधि आर्श्यक हो जािे हैं ।
72
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• अतिग्रहण का मुद्दा: अमधमियि की धारा 5 के अिुसार, • खुले बाजार से खरीदारी: यह खुले बाजार की खरीद और
मर्लय, अमधग्रहण या सिािेलि िें शामिल पक्षोां को केर्ल शेयर बाजार के लेिदे ि को आयोग को अमग्रि रूप से
सांपमत्त या ट्िथओर्र के आधार पर सांयोजि के बारे िें सूमचि करिे की आर्श्यकिा से छूट् दे िे का प्रस्तार् करिा
भारिीय प्रमिस्पधाथ आयोग को सूमचि करिे की आर्श्यकिा है ।
होिी है । • बढ़ा हुआ जुमाटना: उदाहरण के मलए, गलि बयाि दे िे या
• गन जोंतपोंग: यह िब होिा है जब आयोग के सांज्ाि िें लाए जािकारी प्रस्तुि करिे िें चूक करिे पर पूर्थ िें 1 करोड़ की
मबिा दो या दो से अमधक सांयोजि पक्ष अिुिोदि से पहले बजाय 5 करोड़ िक का जुिाथ िा लगाया जा सकिा है।
ही एक अमधसूमचि लेिदे ि को बांद कर दे िे हैं या एक ररपोट्थ • महातनदे शक की तनयुखक्त: सांशोधि सीसीआई को केंद्र
करिे योग्य लेिदे ि पूरा कर लेिे हैं ।
सरकार की पूर्थ स्वीकृमि के सार् िहामिदे शक की मियुस्क्त
• हब-एों ि-स्परक्स काटे ल: र्िथिाि अमधमियि मर्िरकोां और
करिे का अमधकार दे िा है ।
आपूमिथकिाथ ओां द्वारा लांबर्ि िृांखला के मर्मभन्न स्तरोां पर
अतितनयम से जुडी तचोंिाएाँ :
सांचामलि हब-एां ड-स्पोक काट्े ल की उपेक्षा करिा है,
• बरझ: अमधमियि सीसीआई के सार् मर्स्तृि कायथ करिे के
मजसके िहि लांबर्ि रूप से सांबांमधि स्खलाड़ी हब के रूप
मलए पक्षोां पर बोझ बढािा है ।
िें कायथ करिे हैं और आपूमिथकिाथओां या खुदरा मर्िेिाओां
पर क्षैमिज प्रमिबांध लगािे हैं । • समय का दबाि: अमधमियि पक्षोां के सार्-सार् सीसीआई
पर भी सिय का काफी दबार् डालिा है ।
सोंशरिन अतितनयम के प्राििान:
• अस्पष्ट्िा: अमधमियि भौमिक प्रभार्, लेिदे ि िूल् आमद
• सीसीआई के दायरे का तिस्तार करना : िए प्रार्धािोां िे
जैसी अर्धारणाओां की व्याख्या िें अस्पष्टिा लािा है।
मियािक की िांजूरी की आर्श्यकिा र्ाले 2000 करोड़
• तनम्न सीमा: अमधमियि के िहि मिम्न सीिा से सीसीआई
रुपये से अमधक के सौदोां को लाकर सीसीआई के मर्लय
को अमधसूमचि मकए जािे र्ाले अमिररक्त लेिदे ि की बाढ
मर्मियिि के दायरे का मर्स्तार मकया।
• हब-एों ि-स्परक काटे ल: सांशोधि उि सांथर्ाओां को पकड़िे की स्थर्मि पैदा हो सकिी है ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o उदाहरण के मलए मिप्टो करें सी का उद्भर् और मर्त्तीय PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य पररक्षा के तलए प्रमुख
क्षेत्र पर इसके प्रभार् को दू र करिे के मलए मियािक िाक्ाोंश
ढाां चे की आर्श्यकिा, डाट्ा गोपिीयिा के बारे िें खुले बाजार िें खरीदारी, प्रमिस्पधाथ -मर्रोधी सिझौिे,
बढिी मचांिाएां और अद्यिि डाट्ा सुरक्षा कािूिोां की िकिीकी प्रगमि, कृमत्रि बुस्द्ित्ता।
आर्श्यकिा और साइबर सुरक्षा िें उभरिी चुिौमियोां
के मलए साइबर खिरोां से सुरक्षा के मलए अद्यिि
मियिोां की आर्श्यकिा है ।
छात् के नरट:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• सांगठि के दृमष्टकोण और लक्ष् मर्र्रण मर्िरण की मिरां िरिा सुमिमिि करिे के मलए सेर्ा के
• मशकायि मिर्ारण िांत्र और इस िक कैसे पहुांचें का मर्र्रण • नागररकरों की तशकायिरों के तनिारण का प्राििान: उच्च
• 'िागररकोां' या 'ग्राहकोां' से अपेक्षाएां अमिररक्त प्रमिबद्िाएां गुणर्त्ता र्ाली सेर्ा प्रदाि करिे और मशकायिोां को प्रभार्ी
जैसे सेर्ा मर्िरण की मर्फलिा की स्थर्मि िें िुआर्जा ढां ग से प्रबांमधि करिे के बीच घमिष्ठ सांबांध है। मशकायिोां को
प्रोत्सामहि करिे और प्रमिमिया दे िे से मशकायि के कारणोां
नागररक चाटट र के तसिाों ि को कि मकया जा सकिा है । सेर्ा प्रदािा मशकायिोां के
सांबांध िें "प्रर्ृमत्तयोां" को पहचाि कर सांरचिात्मक और
1. गुणित्ता: सेर्ाओां की गुणर्त्ता िें सुधार
थर्ायी िुद्दोां का सिाधाि कर सकिा है ।
2. पसोंद: जहाां भी और जब भी सांभर् हो प्रस्तुि मकया जाए
o भारि िें मसट्ीजि चाट्थ र के कायाथ ियि की गांभीर
3. सेिा तििरण का मानक: स्पष्ट रूप से मिमदथ ष्ट करें मक
जाांच
क्ा अपेक्षा की जाए और यमद अपेक्षाएां पूरी िहीां होिी हैं
o भारि िें मसट्ीजि चाट्थ र आां दोलि की प्रगमि:
िो कैसे आगे बढें ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o इसे 1997 िें िुख्यिांमत्रयोां के सम्मेलि के दौराि पेश नागररक चाटट र की कतमयाों
मकया गया र्ा, जहाां िागररक चाट्थ र िैयार करिे का • खराब िरीके से िैयार की गई और सोंगठनात्मक
मिणथय मलया गया र्ा, मर्शेष रूप से उि क्षेत्रोां िें जहाां
अक्षमिा: िहत्वपूणथ जािकारी जैसे सेर्ा सियसीिा,
एक बड़ा सार्थजमिक अांिराफलक (इां ट्रफेस) है ।
मशकायि सिाधाि प्रमिया आमद का अभार् है ।
• तििायी कदम: 2011 िें भारि िें िागररक चाट्थ र को
• जन जागरूकिा में कमी: सार्थजमिक मशक्षा और सांचार
र्ैधामिक सिर्थि दे िे के मलए एक मर्धायी कदि उठाया
के प्रयास अप्रभार्ी रहे हैं।
गया र्ा।
• पयाटप्त जमीनी कायट: आां िररक प्रमियाओां िें िूल्ाां कि
o िागररक चाट्थ र मर्धेयक 2011 का उद्दे श्य िागररकोां
को र्स्तुओां और सेर्ाओां की सिय पर मडलीर्री और सुधार के सांदभथ िें, मसट्ीजि चाट्थ र के मििाथ ण और
सुमिमिि करिे के मलए एक रूपरे खा प्रदाि करिा सांशोधि िें किी है।
है । • अोंतिम उपयरगकिाट और नागररक समाज: जब चाट्थ र का
o यह अमिर्ायथ करिा है मक कोई भी सार्थजमिक िसौदा िैयार मकया जािा है िो महिधारकोां से परािशथ िहीां
प्रामधकरण अमधमियि के कायाथियि के 6 िहीिे के मकया जािा है।
भीिर एक िागररक चाट्थ र प्रकामशि करे , और ऐसा
• चाट्थ र का िसौदा िैयार करिे सिय बुजुगथ लोगोां और र्ांमचिोां
करिे िें मर्फल रहिे पर यह 50,000 रुपये िक का
के महिोां की अिदे खी की जािी है । सुधारोां का प्रमिरोध
जुिाथ िा लगािा है ।
एजेंसी और किथचाररयोां के व्यर्हार और िागररकोां के प्रमि
• सरकारी मोंच: भारि सरकार िे िागररकोां के चाट्थ र के मलए
दृमष्टकोण से उपजा है ।
एक मर्स्तृि िांच बिाया और लॉन्च मकया है , इसिें केंद्र
सरकार के मर्मभन्न िांत्रालयोां, मर्भागोां और सांगठिोां द्वारा • ज्ञान की कमी: सेर्ा प्रदािाओां के बीच दशथि, लक्ष्ोां और
जारी िागररक चाट्थ र शामिल हैं। चाट्थ र की िुख्य मर्शेषिाओां पर
• पांचायिी राज िांत्रालय िे एक आदशथ पांचायि िागररक चाट्थ र o मसट्ीजि चाट्थ र को अभी भी सभी िांत्रालयोां/मर्भागोां
जारी मकया। इसे थर्ािीय सिि मर्कास लक्ष्ोां (एसडीजी)
द्वारा िहीां अपिाया गया है ।
के सार् कायों को सांरेस्खि करिे हुए 29 क्षेत्रोां िें सेर्ाओां के
o सेर्ा प्रदािाओां द्वारा कई िािलोां िें िािकोां और
मर्िरण के मलए मर्कमसि मकया गया है ।
सेर्ाओां के मर्िरण पर प्रमिबद्िा और सट्ीकिा की
नागररक चाटट र- िागररकोां की सांिुमष्ट, उत्तरदायी र्ािार्रण के
मलए बािचीि और प्रमशक्षण, सहभागी सूत्रीकरण स्टाफ और किी है ।
उपयोगकिाथ , प्रमिमिया और प्रदशथि लेखा परीक्षा, प्रमिया और • कुशल और पयाटप्त तशकायि तनिारण िोंत्: एक पीमड़ि
लागि प्रदशथि, सरल और उपयोगी, उपयोगकिाथ ओां की पात्रिा, पक्ष को आि िौर पर थर्ािीय भाषा िें जािकारी उपलि
सेर्ाएां और िािक, सेर्ा का मर्र्रण
िहीां करायी जािी है ।
• रुतच की कमी: सांगठि अक्सर सीसी की प्रमिबद्िाओां को
पूरा करिे िें रुमच िहीां लेिे हैं क्ोांमक उन्ें अपिे कमिथयोां पर
र्ोपिे के मलए कोई प्रोत्साहि या इच्छा िहीां होिी है ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
तसटीजन चाटट र कर प्रिािी बनाने के उपाय सेर्ाओां की गुणर्त्ता बढािे के िािले िें आर्श्यक पररणाि
दे िे िें मर्फल रहा ।
• मानकीकरण: चाट्थ र िें बिाए गए िािकोां को पूरा करिे िें • सेर्ोत्ति िॉडल आां िररक प्रमियाओां की दक्षिा और सेर्ा
चूक होिे की स्थर्मि िें चाट्थ सथ को स्पष्ट रूप से मर्िरण गुणर्त्ता पर उिके प्रभार् का आकलि करिे के
उपाय/दां ड/िुआर्जे का उल्लेख करिा चामहए। मलए एक उपकरण के रूप िें कायथ करिा है ।
• तिस्तृि परामशट प्रतिया: सांगठि के भीिर और सांगठि • सेिरत्तम मॉिल का उद्दे श्य: कुशल शासि सुमिमिि करिे
और िागररक सिाज के बीच पयाथ प्त परािशथ के बाद के मलए, यह िागररक चाट्थ र को लागू करिे, मशकायि
िागररक चाट्थ र िैयार मकया जािा चामहए। मिर्ारण िांत्र थर्ामपि करिे एर्ां लागू करिे और िागररकोां
• पयाटप्त तशकायि तनिारण िोंत्: मडफॉल्ट के िािले िें, को आर्श्यक सेर्ाएां प्रदाि करिे के मलए िहत्वपूणथ है ।
िागररक चाट्थ र को स्पष्ट रूप से उस राहि को मिधाथ ररि सेिरत्तम मॉिल में 3 मॉड्यूल हैं:
करिा चामहए जो सांगठि प्रदाि करिे के मलए बाध्य है यमद 1. नागररक चाटट र: प्रभार्ी चाट्थ र कायाथियि की
यह मर्िरण के र्ादा मकए गए िािकोां पर चूक करिा है । आर्श्यकिा होिी है , जो लोगोां के मलए प्रमििया प्रदाि
• एक आकार सिी के तलए उपयुक्त नही ों है: सरकारी करिे के मलए एक िांत्र बिािा है मक सांगठि सेर्ा मर्िरण
सांगठिोां के बीच क्षििा और सांसाधि और उत्तरदामयत्व आर्श्यकिाओां को कैसे िय करिे हैं ।
सिाि िहीां हैं और दे श भर िें िागररक चाट्थ र को िहत्वपूणथ 2. लरक तशकायि तनिारण िोंत्: एक अच्छे मशकायि
रूप से लागू करिे की आर्श्यकिा है । मिर्ारण िांत्र की आर्श्यकिा है , जो अांमिि मिणथय की
• दृढ़ प्रतिबििाएों : िागररक चाट्थ र सट्ीक होिा चामहए और परर्ाह मकए मबिा, िागररकोां को इस बाि से अमधक सहज
जब भी सांभर् हो, िागररकोां के मलए सेर्ा मर्िरण िािकोां बिािा है मक सांगठि मशकायिोां से कैसे सांबांमधि है ।
की प्रमिबद्िाओां को िात्रात्मक शिों िें पूरा करिा चामहए। 3. सेिाएों प्रदान करने की क्षमिाएों : सांगठि के पास
• समय-समय पर मूल्ाोंकन: िागररक चाट्थ सथ की मियमिि अिुकरणीय सेर्ा मर्िरण दक्षिा िभी हो सकिी है जब र्ह
रूप से सिीक्षा और सांशोधि मकया जािा चामहए। सफल सेर्ा मर्िरण के मलए प्रिुख घट्कोां का अच्छी िरह
से प्रबांधि करे और मर्िरण को लगािार बढार्ा दे िे के मलए
अन्य उपाय
अपिी क्षििा का मििाथ ण करे ।
• िैिातनक गारों टी: िागररक चाट्थ र िें सेर्ाओां के मर्िरण के
सेिरत्तम मॉिल का महत्व:
अमधकार के मलए र्ैधामिक गारां ट्ी शामिल करिे की
• सेर्ोत्ति प्रणाली अप्रैल 2009 से जूि 2010 िक व्यापक
आर्श्यकिा है ।
सार्थजमिक इां ट्रफेस के सार् दस सरकारी मर्भागोां िें शुरू
• आईएफसी की स्र्ापना: मर्धेयक िें सेर्ाओां के कुशल
की गई र्ी। बाद िें, आईएस 15700: 2005 िािक
और प्रभार्ी मर्िरण और मशकायिोां के मिर्ारण के मलए
बीआईएस द्वारा मर्कमसि मकया गया र्ा, जो सार्थजमिक
प्रत्येक सार्थजमिक प्रामधकरण को सूचिा और सुमर्धा केंद्र
सेर्ा सांगठिोां को उत्कृष्टिा के सेर्ोत्ति प्रिीक से सम्मामिि
थर्ामपि करिे की आर्श्यकिा है ।
करिे की अिुिमि दे िा है , यमद र्े प्रबांधि प्रणामलयोां के सांग्रह
• "प्रत्येक मर्भाग िें एक िागररक चाट्थ र एक स्पष्ट सांदेश
के अिुपालि को अपिािे हैं और प्रदमशथि कर सकिे हैं।
भेजेगा मक सरकार भ्रष्टाचार को रोकिे और मियांमत्रि करिे
PW-Only IAS EDGE: मुख्य परीक्षा के तलए प्रमुख
के मलए प्रमिबद् है"।
िाक्ाोंश
हमें "सेिरत्तम (SEVOTTAM) मॉिल" कर अपनाना चातहए
सेर्ोत्ति िॉडल, र्ैधामिक गारां ट्ी, जिीिी स्तर पर जर्ाबदे ही,
• सेर्ोत्ति िॉडल का उद्दे श्य सार्थजमिक सेर्ा मर्िरण िें
पांचायिी राज, पारदमशथिा, जर्ाबदे ही
उत्कृष्टिा प्राप्त करिे के मलए एक सांरचिा के रूप िें कायथ
करिा है । सेर्ोत्ति िॉडल की आर्श्यकिा इसमलए उत्पन्न
हुयी क्ोांमक िागररक चाट्थ र अपिे बल पर सार्थजमिक
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
ग्राम पोंचायि स्तर पर नागररक चाटट र का महत्व िागररक चाट्थ र लोक प्रशासि के एक िहत्वपूणथ पहलू हैं क्ोांमक
• व्यािसातयकिा लाना : यह पांचायि के कािकाज िें सुधार र्े सेर्ा प्रदािाओां को बेहिर बिािे िें िदद करिे के मलए इिपुट्
करिा है और मबिा मकसी पूर्ाथग्रह के सिाज के सभी क्षेत्रोां प्रदाि करिे के सार्-सार् प्राप्त होिे र्ाली सेर्ाओां के बारे िें
िक पहुां चिे िें सहायिा करिा है । लोगोां को जागरूक करिे के सबसे अच्छे िरीके हैं ।
• सेिाओों के तििरण की उतचि तनगरानी: पांचायिोां की धवगत वषों के प्रश्न
प्रमिबद्िा सेर्ा प्रदशथि की मिगरािी और िूल्ाां कि के मलए 1. थर्ािीय सरकार के एक भाग के रूप िें भारि िें पांचायि
उत्कृष्ट िािक के रूप िें कायथ करिी है । प्रणाली के िहत्व का आकलि करें । मर्कास पररयोजिाओां
• जमीनी स्तर पर अतिक जिाबदे ही: एक ओर, यह के मर्त्तपोषण के मलए पांचायिें सरकारी अिुदािोां के
मिर्ामसयोां को उिके अमधकारोां को सिझिे िें सहायिा अलार्ा मकि स्रोिोां की िलाश कर सकिी हैं ?
करे गा और दू सरी ओर, यह पांचायिोां और उिके मिर्ाथ मचि 2. सिाज के किजोर र्गों के मलए मर्मभन्न आयोगोां की
प्रमिमिमधयोां को सीधे िौर पर लोगोां के प्रमि जर्ाबदे ह बहुलिा से अमिव्यापी अमधकार क्षेत्र और कायों के दोहरार्
बिाएगा। की सिस्या होिी है । क्ा सभी आयोगोां को एक अिेला
• यद्यमप, यह प्रगमि मबिा चुिौमियोां के िहीां रही है । मर्शेषज्ोां िािर्ामधकार आयोग िें मिला दे िा बेहिर है ? िकथ
के अिुसार, भारि िें िागररक चाट्थ र आां दोलि कई कमियोां कीमजये।
से ग्रस्त है। 3. िागररक चाट्थ र सांगठिात्मक पारदमशथिा और जर्ाबदे ही
का एक आदशथ साधि है , लेमकि इसकी अपिी सीिाएँ हैं।
सीिाओां की पहचाि कीमजए और िागररक चाट्थ र की
अमधक प्रभार्शीलिा के उपाय सुझाइये ।
छात् के नरट:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
9. पारदधशि ता और जवाबदे ही
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• िारा 2(एच): "लोक प्राधिकरण" क अथट संमवध न द्व र • मकसी भी इिेक्टरॉमनक रूप िें रखी गई मवच र , प्रेस
य उसके तित स्थ मपत य गमठत मकसी भी प्र मधकरण य मवज्ञव्हप्त, पररपत्र, िॉग बुक, अनुबंध, डे र् स िग्री और
मनक य य स्व-सरक र की संस्थ से िै : मकसी मनजी मनक य से संबंमधत ज नक री
o संसद/र ज्य मवध निंडि द्व र बन ए गए मकसी अन्य • उस सिय ि गू मकसी अन्य क नून के तित मकसी
क नून द्व र श मिि संस्थ । स वटजमनक प्र मधकरण द्व र इसे प्र प्त मकय ज सकत
o उपयुक्त सरक र द्व र ज री अमधसूचन य आदे श िै ।
द्व र , और इसिें स्व मित्व, मनयंत्रण य पय ट प्त रूप से
मवत्तपोमर्षत कोई भी मनक य श मिि िै । सू च ना अधिकार से सं बं धित मु द्दे और चु नौधतयां
o गैर-सरक री संगठन उपयुक्त सरक र द्व र प्रद न
• अनसुलझे धशकायतों की धवशाल संख्या से आरटीआई
की गई मनमधयों द्व र प्रत्यक्ष य अप्रत्यक्ष रूप से
पंगु हो गई है: सूचन क अमधक र (आरर्ीआई)
पय ट प्त रूप से मवत्तपोमर्षत िोते िैं ।
अमधमनयि ि गू िोने के सत्रि स ि ब द पूरे भ रत िें 26
• िारा 2 (जे): "सूचना का अधिकार" क अथट िै इस
सूचन आयोगों के प स िगभग 3.15 ि ख मशक यतें य
अमधमनयि के तित सुिभ सूचन क अमधक र जो मकसी
अपीिें िंमबत िैं।
स वटजमनक प्र मधकरण के प स य उसके मनयंत्रण िें िै ।
o सतकि नागररक संगठन की एक ररपोर्ट के अनुस र,
• िारा 4: आरर्ीआई अमधमनयि िें प्रत्येक स वटजमनक
िर स ि आयोगों िें अपीिों य मशक यतों क
प्र मधकरण द्व र सूचन के स्वत: प्रकर्ीकरण की
आवश्यकत िै । बैकिॉग िग त र बढ रि िै । िंमबत ि ििों और
• िारा 8 (1): आरर्ीआई अमधमनयि के तित सूचन प्रस्तुत अपीिों की सबसे अमधक संख्य व िे र ज्य िैं -
करने के व्हखि फ छूर् क उल्लेख। िि र ष्ट्र (99722), उत्तर प्रदे श, कन ट र्क, मबि र
80
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o मृतप्राय सूचना आयोग : झ रखंड और मत्रपुर िें खंडों िें से एक को ि गू न करें । इसिें प्रध न िंत्री क य ट िय
आईसी ििशः दो वर्षट और एक वर्षट से अमधक सिय द्व र 90% अस्वीकृमत श मिि िै ।
से पूरी तरि से मनव्हिय िैं । • सूचना दे ने से इनकार: ध र 8(1)(जे) व्यव्हक्तगत ज नक री
• सूचना आयुक्तों के ररक्त पद: र्र ं सपेरेंसी इं र्रनेशनि की तक पहुंच से इनक र करने की अनुिमत दे ती िै यमद
ररपोर्ट के अनुस र सूचन आयुक्त के एक-चौथ ई (कुि प्रकर्ीकरण क मकसी स वटजमनक गमतमवमध य स वटजमनक
165 िें से 42) पद ररक्त िैं । कुछ र ज्य सूचन आयुक्त के मित से कोई संबंध निीं िै य इससे संबंमधत व्यव्हक्त की
मबन क ि कर रिे िैं जैसे िमणपुर, तेिंग न , पमिि बंग ि गोपनीयत क अनुमचत आििण िोने की संभ वन िै ।
और आं ध्र प्रदे श। सभी स्वीक यट अस्वीकरणों िें से एक मति ई ने इस खंड को
• दं ड लगाने में अधनच्छा: सूचन प्रद न करने के मिए गित ि गू मकय ।
तरीके से इनक र करने के व्हखि फ एक मनव रक के रूप • जानकारी साझा करने से छूट: अमधमनयि की ध र 24
िें आरर्ीआई अमधमनयि िें स वटजमनक सूचन जो सुरक्ष और खुमफय संगठनों से सं बंमधत ज नक री को
अमधक ररयों (पीआईओ) पर 25,000 रुपये तक क जुि ट न छूर् दे ती िै (भ्रष्ट् च र और ि नव मधक रों के उल्लंघन के
िग ने के मिए सूचन आयोग (IC) को अमधक र दे त िै आरोपों को छो़िकर) उसक भी अक्सर उपयोग मकय
(आरर्ीआई अमधमनयि की ध र 20), “आईसी ने जुि ट न
ज त िै | यि इस श्रेणी के तित आने व िे प ंच अनुिेय
िग य उन ि ििों क एक बहुत छोर् अंश मजनिें दं ड
अस्वीकृमत िें से एक िै ।
िग य ज सकत थ ” और “आयोग PIO से क नून क
o कृमर्ष िंत्र िय ने कृमर्ष सुध र क नूनों पर पूवट-मवध यी
प िन न करने के मिए अपन औमचत्य बत ने के मिए भी
पर िशट पर मववरण के मिए सूचन के अमधक र
अमनच्छु क प्रतीत िोते िैं।
(आरर्ीआई) के अनुरोध को यि किते हुए अस्वीक र
o व स्तमवक दं ड केवि 3.8% ि ििों िें िग य गय थ
कर मदय िै मक यि ि िि न्य य धीन िै ।
जि ाँ वे िग ए ज सकते थे।
• आरटीआई कायिकतािओं की हत्या: आरर्ीआई
• पारदधशिता की कमी: अमधमनयि िें कि गय िै मक
अमधमनयि के ि गू िोने के ब द से , औसतन िगभग 28
िूल्य ंकन के मिस्से के रूप िें ि ं गी गई अमधक ं श
आरर्ीआई क यटकत ट ओं को िर स ि धिकी दी ज ती िै ,
ज नक री इन सूचन आयोगों को पैनिों की व मर्षटक ररपोर्ट
ििि मकय ज त िै य ि र मदय ज त िै। 100 से अमधक
िें उपिब्ध िोनी च मिए। 29 आईसी िें से 20 (69%) ने
आरर्ीआई क यटकत ट ि रे गए िैं , 182 पर ििि मकय
2020-21 के मिए अपनी व मर्षटक ररपोर्ट प्रक मशत निीं की
गय िै , और 188 को परे श न य धिकी दी गई िै ।
िै । इसके अि व , अमधक ंश सूचन आयोगों ने एक वर्षट िें
एक आयुक्त को मकतने ि ििों से मनपर्न च मिए, इसके • धनयुक्तक्तयों में धवधविता का अभाव: आरर्ीआई
ब रे िें कोई ि नदं ड निीं अपन य िै। अमधमनयि की ध र 12 (5) िें कि गय िै मक आयुक्तों
क चयन "स वटजमनक जीवन िें क नू न, मवज्ञ न और
• आरटीआई याधचका की अस्वीकृधत के धलए कोई वैि
प्रौद्योमगकी, सि ज सेव , प्रबंधन, पत्रक ररत , व्य पक ज्ञ न
कारण नही ं बताना : केंद्र ने 2019-20 िें सभी सूचन के
और अनुभव, ि स िीमडय य प्रश सन और श सन व िे
अमधक र (आरर्ीआई) अनुरोधों के केवि 4.3% को
प्रमतमष्ठत व्यव्हक्तयों" िें से मकय ज न च मिए। । िेमकन
ख ररज कर मदय िै। ि ि ं मक, इनिें से िगभग 40%
व स्तव िें, 84% CIC नौकरश िी पृष्ठभूमि से िैं , मजनिें
अस्वीकृमत िें कोई वैध क रण श मिि निीं थ , जैस मक
65% सेव मनवृत्त IAS अमधक री भी श मिि िैं ।
उन्होंने मकय थ । आरर्ीआई अमधमनयि िें अनुिेय छूर्
81
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• अधभलेखों के धनरीक्षण में आने वाली बािाएं : अमधमनयि प्रमिय एाँ और ररकॉडट उपिब्ध निी िैं और उन्हें अमधमनयि
के तित अनुरोमधत प्रपत्र िें ज नक री प्रद न की ज नी िै , की भ वन के अनुरूप बन ने के मिए कदि उठ न िोग ।
जब तक मक यि स वटजमनक प्र मधकरण के संस धनों को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) कायािलय की कमजोररयां
असंगत रूप से ब मधत न करे । पीआईओ और एपीआईओ • आरर्ीआई अमधमनयि (संशोधन) अमधमनयि, 2019 केंद्र
क अपय ट प्त प्रमशक्षण इस प्र वध न क प्रभ वी ढं ग से सरक र को केंद्रीय और र ज्य दोनों स्तरों पर सूचन
उपयोग करने िें ब ध पैद कर रि िै । आयुक्तों के मनयिों और सेव शतों को तय करने की शव्हक्त
• र्र ं सपेरेंसी इं र्रनेशनि की ररपोर्ट के अनुस र सूचन दे त िै ।
आयुक्त के एक-चौथ ई (कुि 165 िें से 42) पद ख िी िैं । o केंद्र सरक र के प स अत्यमधक शव्हक्तय ं मनमित
िमणपुर, तेिंग न , पमिि बंग ि और आं ध्र प्रदे श िें च र करके इस संशोधन ने सीआईसी की स्व यत्तत को
आईसी प्रिुख य प्रिुख के मबन िैं । ब मधत मकय िै ।
• आवेदन दाक्तखल करने में बािाओं : उपयोगकत ट के मिए o आरर्ीआई अमधमनयि सूचन आयोग को एक
ग इडि इन की अनुपिब्धत रिी िै । उपयोगकत ट संवैध मनक मनक य बन ने क प्रय स निीं करत िै ।
ग इडि इन की किी के पररण िस्वरूप सूचन च िने राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने जानकारी दे ने से इनकार करने के
व िों को आरर्ीआई अनुरोध जि करने की प्रमिय के हधथयार के रूप में आधिकाररक गोपनीयता अधिधनयम
ब रे िें ज नक री प्र प्त करने िें कमठन ई िोती िै । 1923 का उपयोग
• सूचना की खराब गुणवत्ता: आरर्ीआई अमधमनयि के • ि ि िी िें इिेक्टरॉमनक्स और सूचन प्रौद्योमगकी िंत्र िय
अनुप िन के मिए बुमनय दी ढ ंचे और पय ट प्त प्रमिय ओं ने यि किते हुए मिर्र को मदए गए नोमर्स पर प्रश्नों क
की किी के क रण प्रद न की गई ज नक री की गुणवत्त उत्तर दे ने से इनक र कर मदय मक आईर्ी अमधमनयि
बहुत ख़र ब िोती िै। प्रद न की गई ज नक री य तो अधूरी की ध र 69A और इसके ि ििे दे श की "र ष्ट्रीय सुरक्ष ,
िै य पय टप्त तर्थ्ों क अभ व िोत िै। संप्रभुत और अखंडत से संबंमधत िैं ", इसने आरर्ीआई
संस्थागत अथवा आपूधति पक्ष की चुनौधतयां: अमधमनयि के ध र 8 (1) (ए) के प्र वध नों की ओर ध्य न
• व्यवहाररक प्रधशक्षण का अभाव: आरर्ीआई एक खींच िै ।
उभरत हुआ क यट िै , मजसके पररण िस्वरूप मनयमित • भ रत िें सूचन क िुक्त प्रव ि मवध यी ढ ं चे द्व र गंभीर
रूप से नए आय ि जो़िे ज रिे िैं । इसमिए, आरर्ीआई रूप से प्रमतबंमधत रित िै , मजसिें आमधक ररक
पुनिय ट प्रमशक्षण य एक केंद्रीय ज्ञ न भंड र पीआईओ के गोपनीयत अमधमनयि, 1923 जैसे प्रमतबंध त्मक क नून
मिए उपिब्ध िोने की आवश्यकत िै । के कई प्र वध न श मिि िैं ।
• धनगरानी और समीक्षा तंत्र का अभाव: आरर्ीआई आरटीआई के 17 साल: महत्वपूणि धवश्लेषण
आवेदकों क कोई केंद्रीकृत डे र् बेस निीं िै । सूचन सूचन क अमधक र (आरर्ीआई) अमधमनयि ि गू िोने के सत्रि
अनुरोधों और सूचन प्रद त ओं से प्रमतमिय ओं के स थ स ि ब द, पूरे भ रत िें 26 सूचन आयोगों के प स िगभग 3.15
आवेदकों क एक केंद्रीकृत डे र् बेस सूचन अमधक री ि ख मशक यतें य अपीिें िंमबत िैं । बढत हुआ बैकिॉग इस
(पीआईओ) को ध र 25(1) के तित एक सर्ीक और तर्थ् से और पुष्ट् करत िै मक केंद्रीय सूचन आयोग (CIC) समित
सिय पर संकिन भेजने िें सक्षि िोन िोग । अमधक ं श आयोग कि क्षित पर क ि कर रिे िैं । सतकट
• सूचन आयोगों के प स मवमभन्न स वटजमनक प्र मधकरणों के न गररक संगठन और सेंर्र फॉर इव्हिर्ी स्टडीज की 15वीं
क िक ज की मनगर नी और सिीक्ष करने के मिए पय ट प्त वर्षटग ंठ के िौके पर ज री ररपोर्ट क डट िें प य गय मक:
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• भारी संख्या में लंधबत मामले :िंमबत ि ििों और अपीिों अमधक रों और िकों तक पहुं चने के मिए सशक्त बन य
की सबसे अमधक संख्य व िे र ज्य - िि र ष्ट्र) 99722), ज सके।
उत्तर प्रदे श, कन टर्क, मबि र आमद। सतकट न गररक • COVID-19 संकर् के दौर न भी, वेंमर्िेर्र और आईसीयू
संगठन की एक ररपोर्ट के अनुस र, िर स ि आयोगों िें बेड जैसी मचमकत्स सुमवध ओं की उपिब्धत के ब रे िें
अपीिों य मशक यतों क बैकिॉग िग त र बढ रि िै । ज नक री प्र प्त करने और प्रव सी श्रमिकों समित संकर् िें
वर्षट। प़िे िोगों के मिए ख द्य न्न और स ि मजक सुरक्ष ि भों के
मवतरण के मिए सरक री मवभ गों को जव बदे ि ठिर ने के
वषि बैकलॉग
मिए क नून क व्य पक रूप से उपयोग मकय गय िै ।
2019 2,18,347
• कोमवड-19 जैसे िि ि री के क रण दे श पर िंडर रिे
2020 2,33,384 संभ मवत संकर् को दे खते हुए अब सूचन आयोगों के
2021 3,14,323 क िक ज की ज ंच करने की आवश्यकत पििे से किीं
• जुमािना लगाया जाना: आयोग ने उन 95% ि ििों िें दं ड अमधक िै ।
निीं िग य जि ं दं ड संभ मवत रूप से िग य ज सकत • ऐसे सिय िें जब की गोपनीयत और मववेक धीन क यों की
थ। व्य पक ओिती िो , सूचन आयोगों की भूमिक यि
• लैंधगक असमानता: सूचन आयुक्तों के केवि 5% पदों सुमनमित करने के मिए िित्वपूणट िै मक िोग स्व स्थ्य
पर िमिि ओं क कब्ज िै । सुमवध ओं, स ि मजक सुरक्ष क यटििों और आवश्यक
• पीआईओ के ररक्त पद: र्र ं सपेरेंसी इं र्रनेशनि की ररपोर्ट वस्तुओं और सेव ओं के मवतरण के ब रे िें ज नक री प्र प्त
के अनुस र सूचन आयुक्त के एक-चौथ ई (कुि 165 िें से कर सकें ।
42) पद ररक्त िैं । कुछ र ज्य सूचन आयुक्त के मबन क ि • यमद स वटजमनक स्व स्थ्य आप तक ि से प्रभ मवत गरीब
कर रिे िैं जैसे िमणपुर, तेिंग न , पमिि बंग ि और आं ध्र और ि मशये पर रिने व िे िोगों को सरक री योजन ओं
प्रदे श। क ि भ प्र प्त करने की कोई उम्मीद िै , तो उनके प स
• मृतप्राय सूचना आयोग: झ रखंड और मत्रपुर िें आईसी प्र संमगक ज नक री तक पहुंच िोनी च मिए।
ििशः दो स ि और एक स ि से अमधक सिय से पूरी
• धवत्तीय अनुशासन: भ रत सरक र ने मदल्ली उच्च
तरि से मनव्हिय िैं ।
न्य य िय के सिक्ष तकट मदय मक PM केयसट फंड सरक री
• दजि केस : अब तक (2022) तक द यर आरर्ीआई के फंड निीं िै । यि मवत्तीय अमनयमितत ओं क क रण बन
ि ििे - 4.2 करो़ि आरर्ीआई और 26 ि ख दू सरी
सकत िै ।
अपीि दो स ि की औसत प्रतीक्ष अवमध के स थ दजट
पीएम-केयर फंड
केस।
• इसे मकसी भी प्रक र की आप तक िीन य संकर् की
सशक्त आरटीआई कानू न की आवश्यकता
व्हस्थमत से मनपर्ने के उद्दे श्य के स थ स्थ मपत मकय गय
• आरर्ीआई अमधमनयि के तित िर स ि िगभग छि िै , जैसे मक COVID-19 िि ि री से उत्पन्न व्हस्थमत और
मिमियन आवेदन द यर मकए ज ते िैं , मजससे यि दु मनय िें प्रभ मवतों को सि यत प्रद न करन ।
सबसे व्य पक रूप से इस्तेि ि मकय ज ने व ि
o पीएि केयर फंड को आरर्ीआई के तित आन
प रदमशटत क नून बन ज त िै ।
च मिए, ऐस मनम्नमिव्हखत क रणों से िै :
• इनिें से एक ब़ि मिस्स सबसे गरीब और सबसे ि मशये o पीएि केयर फंड को आरर्ीआई अमधमनयि की
पर रिने व िों द्व र द यर मकय गय िै , मजन्होंने क नून की
ध र 2(एच) के तित स वटजमनक प्र मधकरण के
जबरदस्त क्षित को सिझ िै त मक उन्हें अपने िूि
रूप िें ि न ज सकत िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o संस धन को जुर् ने के मिए सरक री तंत्र क मवध मयक की अवि नन के रूप िें ि न ज न च मिए,
उपयोग मकय गय जैसे दू त व सों िें इसके मिए जैस उमचत िो।
मनयुव्हक्तय ं की गयी। • ऑनलाइन आवेदन फाइधलंग के धलए तंत्र: केंद्र सरक र
o स वटजमनक क्षेत्रों ने कॉपोरे र् स ि मजक द्व र स्थ मपत वेब पोर्ट ि की तजट पर आईसी को उपयुक्त
उत्तरद मयत्व (सीएसआर) मनमध के ि ध्यि से सरक रों के सियोग से आरर्ीआई आवेदनों को ऑनि इन
िित्वपूणट र मश द न की िै
फ इि करने के मिए एक तंत्र स्थ मपत करन च मिए।
o इसे एफसीआरए अमधमनयि से छूर् दी गई िै और
• धनजता के अधिकार के साथ संतुलन: यि अमधक र
इसमिए प रदमशटत ि ने के मिए इसे आरर्ीआई
संमवध न के अनुच्छेद 21 की भ वन के अंतगटत प्रमतष्ठ मपत
अमधमनयि के तित ि य ज न च मिए।
िै । सूचन के अमधक र को क नून के ढ ं चे के भीतर मनजत
o इसिें द त ओं के मिए कर छूर् र ित क भी
के अमधक र के स थ संतुमित मकय ज न च मिए।
प्र वध न िै ।
• ओपन डाटा पॉधलसी: सरक री संस्थ नों को सभी खुि स
आगे की राह करने योग्य ज नक री अपनी संबंमधत वेबस इर्ों पर ड िनी
च मिए। इसके द्व र , य मचक कत ट को जो भी ज नक री
• आरटीआई का बेहतर कायािन्वयन सुधनधित हो : सतकट
च मिए, उसे तुरंत एक्सेस कर सकते िैं ।
न गररक संगठन (एसएनएस) और सेंर्र फॉर इव्हिर्ी
• धशक्षण एवं प्रधशक्षण : िोक सूचन आयुक्तों को सूचन
स्टडीज (सीईएस) द्व र ज री भ रत िें सूचन आयोगों के
च िने व िों के प्रमत पय ट प्त सियोग करने के मिए पय ट प्त
प्रदशटन पर ररपोर्ट क डट की मसफ ररशों को ि गू मकय
प्रमशक्षण मदय ज न च मिए। अमधमनयि के भीतर और
ज न च मिए।
ब िर अमधक ररयों को प्रमशमक्षत करने के मिए ब िरी
• शीघ्र और समय पर प्रधतधक्रया सुधनधित हो : सभी सूचन
एजेंमसयों को मनयुक्त मकय ज न च मिए।
आयोगों को उनके प स द यर सूचन अनुरोधों पर त्वररत
• प्रदशिन लेखापरीक्षा: यि सूचन के अमधक र अमधमनयि
और सिय पर प्रमतमिय सुमनमित करने के मिए आवश्यक
के क य ट न्वयन पर मनयंत्रक और िेख परीक्षक द्व र
तंत्र स्थ मपत करन च मिए।
प्रस्त मवत मकय गय िै ।
• आरर्ीआई आवेदनों को अमधमनयि के तित प्रद न की गई
• धवधि आयोग की धसफाररश: आयोग ने 275वीं ररपोर्ट िें
वैध मनक सिय सीि के भीतर पूरी और व्य पक ज नक री
मसफ ररश की िै मक बीसीसीआई के एक मधक र चररत्र के
के स थ मनपर् य ज न च मिए।
स थ-स थ इसके क यों और वर्षों से उपयुक्त सरक रों से
• आयोगों के ररपोटि का प्रदशिन : प्रत्येक सूचन आयोग को
'पय ट प्त मवत्तपोर्षण' के क रण, इसे िौजूद क नूनी ढ ंचे के
यि सुमनमित करन च मिए मक उसके क िक ज के ब रे िें
भीतर, एक कि ज सकत िै। 'स वटजमनक प्र मधकरण'
प्र संमगक ज नक री उसकी वेबस इर् पर प्रदमशटत िो।
और आरर्ीआई अमधमनयि के द यरे िें ि य ज ए।
इसिें अपीिों और मशक यतों की प्र व्हप्त और मनपर् न,
• 2005 क सूचन क अमधक र अमधमनयि एक ऐस स धन
िंमबत ि ििों की संख्य और आयोगों द्व र प ररत आदे शों
िै जो प्रभ वी रूप से भ्रष्ट् च र क िुक बि करत िै और
के ब रे िें ज नक री श मिि िोनी च मिए। सूचन को
जनत के मिए मवमभन्न सरक री मनक यों, एजेंमसयों और
व स्तमवक सिय िें अद्यतन मकय ज न च मिए।
मवभ गों की जव बदे िी सुमनमित करत िै । ऐस करके, यि
• वाधषिक ररपोटि प्रस्तुती: सूचन आयोगों को यि सुमनमित
र ज्य की िनि नी क रट व ई के मवरुद् एक सुरक्ष के रूप
करन च मिए मक क नूनी रूप से आवश्यक िोने पर, वे
िें क यट करत िै , इस प्रक र यि मजम्मेद र िोकतंत्र के स र
उमचत सिय िें संसद/र ज्य मवध नसभ ओं को अपनी
क प्रतीक िै ।
व मर्षटक ररपोर्ट प्रस्तुत करें । उल्लंघन को संसद य
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य परीक्षा के धलए प्रमुख आरटीआई और अधिकाररक गोपनीयता अधिधनयम
वाक्ांश • भ रत सरक र ने सुरक्ष और खुमफय संगठनों के
• िौमिक अमधक र, अनुच्छेद 19, र य तैय र करत िै , सेव मनवृत्त अमधक ररयों को भी सं गठन के प्रिुख से पूवट
मनणटय िेन , प रदमशटत , स्व-सरक र, स वटजमनक अनुिमत के मबन उनके क ि य संगठन के ब रे िें कुछ
प्र मधकरण, सतकट न गररक संगठन, आईसी, इव्हिर्ी भी प्रक मशत करने से प्रमतबंमधत कर मदय ।
अध्ययन केंद्र, ओपन डे र् नीमत, प्रदशटन िेख परीक्ष । o सेव रत मसमवि सेवकों को नीमतगत ि ििों पर अपनी
व्यव्हक्तगत र य व्यक्त करने और सरक र की
आरटीआई के दायरे में धनजी धविधवद्यालय आिोचन करने से रोक मदय ज त िै ।
o इसके ब द भी उनिें से कई स वटजमनक बिसों िें भ ग
• ओमडश के र ज्य सूचन आयोग (एसआईसी) ने सूचन के
िेते िैं और िि री ब तचीत को सिृद् करते िैं ।
अमधक र अमधमनयि, 2005 के तित एक मनजी डीम्प्ड
• आमधक ररक गोपनीयत अमधमनयि, 1923 की ज़िें
मवश्वमवद्य िय को "साविजधनक प्राधिकरण" घोमर्षत मकय
मब्रमर्श औपमनवेमशक युग िें िैं । इसक पूवटवती क नून द
िै क्योंमक कैग की ररपोर्ट के अनुस र इसे र ज्य सरक र से
इं धडयन ऑधफधशयल सीक्रेट् स एक्ट (ओएसए) 1904
िित्वपूणट मवत्तीय सि यत प्र प्त िोती िै ।
िै ।
• 2005 क आरर्ीआई अमधमनयि न गररकों को सरक री o 1923 िें आमधक ररक गोपनीयत अमधमनयि क एक
क यों िें खुि पन और जव बदे िी बढ ने के मिए नय संस्करण अमधसूमचत मकय गय थ और इसे दे श
स वटजमनक मनक यों द्व र रखी गई ज नक री तक पहुंच िें श सन िें गोपनीयत के सभी ि ििों तक
प्र प्त करने के अमधक र की ग रं र्ी दे त िै। मवस्त ररत मकय गय थ ।
o आरर्ीआई अमधमनयि, 2005 की ध र 2(एच) िोक o ओएसए, 1923 िोर्े तौर पर मनम्नमिव्हखत पििुओं से
संबंमधत िै :
प्र मधकरण शब् को पररभ मर्षत करती िै ।
o ज सूसी य ज सूसी के मिए दं ड।
o इस ध र के अनुस र, स वटजमनक प्र मधकरण शब् िें
o सरक र की अन्य गुप्त सूचन ओं क प्रकर्ीकरण।
इसके द यरे िें मकसी भी प्र मधकरण, मनक य य स्व-
o मनमर्षद् स्थ न से ज सूसी करन य ज नक री िीक
सरक र की संस्थ द्व र य उसके अधीन स्थ मपत य
करन भी ओएसए, 1923 के तित दं डनीय िै ।
गमठत श मिि िै ।
• RTI अधिधियम, 2005 के तीि प्राविाि स्पष्ट रूप से कुछ धस्िधतयों में
• संमवध न य संसद द्व र बन ए गए मकसी अन्य क नून के ऑधिधसयल सीक्रेट एक्ट( ओएसए )का अवहेलिा करते हैं:
तित य र ज्य मवध निंडि द्व र बन ए गए मकसी अन्य
1. आरर्ीआई अमधमनयि स्पष्ट् रूप से घोमर्षत करत िै
क नून, य उपयुक्त सरक र द्व र ज री अमधसूचन य मक ओएसए पर आरर्ीआई क "अधभभावी प्रभाव"
आदे श द्व र , "श मिि" शब् क उपयोग अमतररक्त ( ओवर र इमडं ग इफ़ेक्ट) िोग । उद . र फेि सौदे के
प्र वध नों, वस्तुओ,ं य ि ििों को श मिि करने के मिए ि ििे िें, सुप्रीि कोर्ट ने आरर्ीआई अमधमनयि को
मकय ज त िै। उव्हल्लव्हखत क नूनों क द यर । बढ व दे ने के मिए सि च र पत्र एजेंमसयों के पक्ष िें
फैसि सुन य और कि मक "जब भी दो क नूनों के
• एक गैर-सरक री संगठन को उमचत सरक र द्व र प्रद न
बीच मितों क र्कर व िोग , आरर्ीआई अमधमनयि
की गई मनमधयों द्व र स्व मित्व, मनयंमत्रत, य पय ट प्त रूप से
ओएसए क स्थ न िे िेग ।
मवत्तपोमर्षत ि न ज त िै, जब यि प्रत्यक्ष य अप्रत्यक्ष रूप
से ऐसे कोर्षों द्व र पय ट प्त रूप से मवत्तपोमर्षत िोत िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
2. यि ाँ तक मक सुरक्ष और खुमफ़य संगठनों को भी • 2019 िें, सुप्रीि कोर्ट ने एक ऐमति मसक फैसिे िें
भ्रष्ट् च र और ि नव मधक रों के उल्लंघन के ब रे िें फैसि सुन य मक सीजेआई क क य ट िय व स्तव िें
ज नक री प्रकर् करने के मिए ब ध्य मकय गय िै । एक स वटजमनक प्र मधकरण िै और आरर्ीआई
3. आरर्ीआई सरक र को सूचन क खुि स करने के अमधमनयि के तित ज ंच के मिए खुि िोन च मिए।
मिए िजबूर करत िै "यधद प्रकटीकरण में यि मनणटय प रदमशटत बढ ने और न्य यप मिक के
साविजधनक धहत संरधक्षत धहतों को नुकसान भीतर जव बदे िी सुमनमित करने की मदश िें एक
पहंचाता है" िित्वपूणट कदि िै ।
गोपनीयता पर कड़े मानदं डों के, कारण: अधिकाररक गोपनीयता अधिधनयम से जुड़ी धचंताएाँ :
• राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा हेतु : अमधकृत र ष्ट्रीय सुरक्ष क यों • संवेदनशीि डे र् को आग िी सरक रों की व्य ख्य ओं के
की सुरक्ष के मिए कुछ स्तर की गोपनीयत की
मिए छो़ि मदय गय िै ।
आवश्यकत िोती िै। ऐसी स िग्री के िीक िोने य प्रकर्
• गोपनीय फ इिों को अवगीकृत करने के अनुभव की
िोने पर िौजूद खुमफय सुरक्ष गमतमवमधयों को नुकस न
पहुं चत िै । किी।
• एक व्हस्थर सुरक्ष नीमत मवकमसत करन िुव्हिि िै क्योंमक • अमत-वगीकरण एक सिस् क रूप ग्रिण कर िेत िै।
र ष्ट्रीय सुरक्ष चुनौमतय ाँ प्रकृमत िें गमतशीि िैं और बदिती • आमधक ररक गोपनीय स िग्री और जनत के खुिेपन के
पररव्हस्थमतयों के स थ बदिती िैं। अमधक र के बीच एक स्पष्ट् रे ख खींचन िुव्हिि िै ।
• अधभव्यक्तक्त की स्वतंत्रता धनरपेक्ष नही ं : अमभव्यव्हक्त की
• सोशि िीमडय और इं र्रनेर् के क ि िें गोपनीय स िग्री
स्वतंत्रत क कोई पूणट अमधक र निीं िै , और कुछ मवशेर्ष
के अवगीकरण की अवध रण पर पुनमवटच र की
पररव्हस्थमतयों िें र ष्ट्रीय सुरक्ष मनमित थट व िे गुप्त
आवश्यकत िै ।
आमधक ररक क गज त के ब रे िें कुछ ज नक री ििेश
प्रमतबंमधत रिेगी। • शासकीय और नीधतगत मुद्दों को साविजधनक धकया
ऑधफधसयल सीक्रेट एक्ट एवं धद्वतीय प्रशासधनक जाना : पूवट नौकरश ि र ष्ट्रीय सुरक्ष के पििुओं के अि व
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o इं र्रऑपरे बि मिमिनि जव्हस्टस मसस्टि के ि ध्यि िोगों की प रदमशटत , जव बदे िी और समिय भ गीद री को
बढ व दे ने के मिए एक शव्हक्तश िी उपकरण के रूप िें
से क नून प्रवतटन एजेंमसयों और जेिों के अमधकृत
क यट करत िै जो उनके कल्य ण के मिए िैं ।
अमधक री एक सुरमक्षत नेर्वकट (ICJS) के ि ध्यि से
भारत में सामाधजक लेखापरीक्षा का उद्दधवकास:
मसस्टि तक पहुाँच सकते िैं ।
• सोशल ऑधडट का पहला उदाहरण: भ रत िें सोशि
• यि ऑनि इन मवमजर् अनुरोधों और मशक यतों के
ऑमडर् करने क पिि प्रय स र् र् आयरन एं ड स्टीि
सि ध न को भी आस न बन त िै ।
कंपनी मिमिर्े ड (मर्स्को) जिशेदपुर द्व र वर्षट 1979 िें
ई-जेल का महत्व : मकय गय ।
• समिय पुमिमसंग के मिए पुमिस और अन्य एजेंमसयों के • 1990 के दशक के िध्य िे िजदू र मकस न शव्हक्त संगठन
स थ समिय सूचन /िुकआउर् अिर्ट (एसएिएस/ईिेि) (एिकेएसएस) ने मवक स व्यय पर ग्र ि आध ररत
स झ करने िें सि यत करन । जनसुनव ई (जन सुनव ई) के स थ प्रयोग मकय और इसकी
• ररहाई के बाद टर ै धकंग: पैरोि, फरिो य जल्दी ररि ई के संकल्पन शुरू की।
आध र पर ररि मकए गए अपर मधयों की र्र ै मकंग िें • सोशल ऑधडट के एक रूप में आरटीआई: इससे सूचन
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
सामाधजक लेखापरीक्षा का महत्व: मिए, केवि 13 एसएयू ने मशक यतें दजट कीं और/य
अमनयमितत ओं क पत िग य । इनिें ₹281 करो़ि की
भ री िेर फेरी की पिच न की गई िै ।
• ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को बढावा: सोशि ऑमडर् ग्र ि
सभ के प्रभ व को बढ त िै , जो ग्र िीण श सन संरचन क
िुख्य आध र िै ।
• सहभागी और लोकतांधत्रक प्रधक्रया: यि व्यव्हक्तयों को
क यटिि क य ट न्वयन िें भ ग िेने के मिए प्रोत्स मित करती
िै और उन्हें स ि मजक मवक स के प्रय सों के मिए और
अमधक खुि बन ती िै ।
• कायािन्वयन अंतराल की पहचान : यि न गररक सि ज
को मकसी भी पिि, क यटिि य सेव के व ंमछत और
• जवाबदे ही और पारदधशिता: स वटजमनक ज ंच सरक र व स्तमवक प्रभ व के बीच असि नत को मनध टररत करने िें
और िोगों के बीच की ख ई को कि करती िै । स वटजमनक सक्षि बन त िै ।
रूप से उपिब्ध प्रश समनक डे र् मदसंबर 2015 से नवंबर • ग्राम सभा का सशक्तक्तकरण: यि ग्र ि सभ , ग्र िीण
2016 तक सोशि ऑमडर् फैमसमिर्े र्सट के स थ पंजीकृत सरक र की धुरी, एक आव ज और प्रभ वश िी शव्हक्त
45,448 मशक यतों की सिस् -सि ध न भूमिक के प्रद न करत िै । उद . छत्तीसगढ िें सोशि ऑमडर् से
प्रभ वों को दश ट त िै , 32 प्रमतशत स ि मजक ऑमडर् पंच यत स्तर पर क यटप्रण िी को िजबूती मििी िै । सोशि
प्रमिय के ि ध्यि से िि मकए गए थे। ऑमडर् प्रमिय िें सभी मितध रकों की समिय स िुद मयक
• व्यावसाधयकता में सुिार: यि स वटजमनक प्र मधकरणों को भ गीद री सुमनमित करने के मिए दीव र पर िस्टर रोि,
अपने ररकॉडट को व्यवव्हस्थत रूप से बन ए रखने और मबि और ि पने की मकत बें मिखी ज ती िैं ।
अद्यतन करने के मिए ब ध्य करत िै । इस प्रक र, • ग्रामीण अथिव्यवस्था के धलए मांग उत्पन्न करने में
व्य वस मयकत िें सुध र और कतटव्यपर यणत की भ वन शासन की कधमयों की पहचान : व स्तमवक िुद्दों की
को बढ व दे न । जैसे छत्तीसगढ की कुमली ग्राम- पिच न करके स ि मजक रूप से मजम्मेद र और जव बदे ि
पंचायत, जि ं सोशि ऑमडर् ने ग्र ि सभ प्रमिय िें तरीके से अपेक्ष एं बन कर प्रबंधन नीमतयों की स्थ पन के
व्य वस मयकत िें सुध र मकय िै , मवमभन्न मवक स क यों की मिए नींव के रूप िें क यट करत िै ।
प्रगमत के एजेंडे और मववरण को पढकर शुरू मकय गय
• सोशि ऑमडर् के ि ध्यि से वंमचत और किजोर सिूिों
थ।
को िजबूत मकय ज त िै और सुश सन की सुमवध प्रद न
• एक अमनव यट मनष्प दन िेख परीक्ष न केवि मकसी योजन की ज ती िै ।
की दक्षत और प्रभ वशीित को बढ ती िै , बव्हि श सन भारत में सामाधजक लेखापरीक्षा के लाभों को प्राप्त करने में
पर सक र त्मक प्रभ व भी पैद करती िै । बािाएाँ :
o तेिंग न िें, मपछिे नौ वर्षों िें िनरे ग के स ि मजक
• संस्थागत का अभाव: िनरे ग और र ष्ट्रीय ख द्य सुरक्ष
अंकेक्षण के स त चरणों िें, 50 करो़ि रुपये से अमधक
अमधमनयि िें वैध मनक आवश्यकत ओं क िव ि दे ते हुए
की वसूिी की गई िै ।
सवोच्च अद ित ने आदे श मदय मक CAG द्व र तैय र मकए
• यि स वटजमनक क्षेत्र िें अमनयमितत ओं और कद च रों को गए स ि मजक िेख परीक्ष ि नकों को सिी ि यने िें
उज गर करत िै और सरक री क िक ज पर मनगर नी स्वतंत्र र ज्य सिमथटत र ज्य स ि मजक िेख परीक्ष इक इयों
रखत िै । ि ि ं मक 2016-17 और 2017-18 की अवमध के की स्थ पन के मिए ि गू मकय ज ए।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o वतटि न िें भ रत िें सभी र ज्यों ने स्वतंत्र स ि मजक सामाधजक लेखापरीक्षा की सीमाएं :
िेख परीक्ष इक इयों क मनि ट ण निीं मकय िै क्योंमक • सोशि ऑमडर् अक्सर बहत िीमा और तदथि होते िैं और
स ि मजक िेख परीक्ष के संस्थ गतकरण के मिए उनकी पहाँच बहत सीधमत व् स्थानीय िोती िै | स थ िी
कोई ब ध्यत निीं िै । इसिें केवि कुछ चुमनंद पििू श मिि िोते िैं ।
• कठोर जुमािने का अभाव: स ि मजक अंकेक्षण मसद् ंतों • स ि मजक अंकेक्षण के पररण ि पूरे सिुद य पर ि गू निीं
और ि नदं डों क उल्लंघन करने पर कोई जुि ट न य मकए ज सकते क्योंमक मनगर नी अनौपच ररक और
असंस मधत िै ।
क नूनी क यटव िी निीं िोती िै जो इसे दं तिीन अभ्य स
बन ती िै । • सोशि ऑमडर् अक्सर अमनमित और अव्यवव्हस्थत िोते िैं ।
• अंतर-मजि स्तरीय तुिन के मिए सामाधजक लेखापरीक्षा ऑधडट एक्ट ने िेघ िय को सोशि ऑमडर् क नून बन ने
व ि दे श क पिि र ज्य बन मदय ।
तंत्र की कोई बेंचमाधकिंग नही ं िै ।
o मबन मकसी सुसंगत य पररभ मर्षत ि नदं ड के
• मेघालय के सोशल ऑधडट कानून की धवशेषता :
सरक री क यटििों के स ि मजक प्रभ व क आकिन o िेख परीक्ष ओं को चच ट के मिए व्हरंगबोडट के रूप िें
करन कमठन िै। तैय र मकय गय थ ।
• यि र ज्य के अमधक ररयों के मिए एक सिय िेने व िी o िोगों के अमधक रों के ब रे िें स वटजमनक ज गरूकत
प्रमिय िै इसमिए केवि स ि मजक िेख परीक्ष के मिए बढ ने के उद्दे श्य से ऑमडर् को मडज इन मकय गय
ग्र ि स्तर पर सिमपटत अमधक ररयों की आवश्यकत िै । थ।
इसिें वंमचत और किजोर सिूिों को िजबूत मकय ज त o प त्र ि भ मथटयों की पिच न करन ।
िै और स थ िी स थ सुश सन को सशक्त मकय ज त िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
की मशक यतें एकत्र करती िै और उन्हें ग्र ि सभ के सरपंच और • स ि मजक िेख क यटिि के िमक्षत ि भ मथटयों की समिय
समचव को भेजती िै । भ गीद री के स थ एक सरक री क यटिि के िेख परीक्षण
की एक मवमध िै ।
• स्वतंत्र सामाधजक लेखापरीक्षा इकाइयााँ : आं ध्र प्रदे श िें,
स ि मजक िेख परीक्ष , जव बदे िी और प रदमशटत के मिए • प्रमिय स वटजमनक सुनव ई के आयोजन के स थ सि प्त
सोस इर्ी की स्थ पन सरक री िस्तक्षेप से िुक्त एक स्वतंत्र िोती िै मजसिें मनष्कर्षों की सिीक्ष की ज ती िै और सेव
मनक य के रूप िें की गई थी। प्रद त ओं, अमधक ररयों और ि भ मथटयों के स िने
असि नत ओं क खुि स मकय ज त िै ।
• कैग (सीएजी) के उधचत ऑधडधटं ग को मजबूत करना
सामाधजक उत्तरदाधयत्व के प्रमुख धसिांत
और सोशि ऑमडमर्ं ग पर सीएजी के मदश मनदे शों को ि गू
करन जो स ि मजक ऑमडमर्ं ग के अभ्य स को संस्थ गत • ज नकरी (सूचन )
बन ते िैं। • भ गीद री (न गररकों की भ गीद री एवं सिभ मगत )
• स ि मजक अंकेक्षण, जव बदे िी, प रदमशटत , सियोग • जवाबदे हीता और पारदधशिता: स ि मजक जव बदे िी
की आवश्यकत , िनरे ग । प रं पररक िेख परीक्ष प्रमिय ओं को बढ ती िै । इस प्रक र,
यि धन आवंर्न और िेख परीक्ष िें पक्षप त को दू र
करे ग ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
अधभयान: इसकी सफित को िित्वपूणट मवत्तीय और व्हिसि ब्लोअर सुरक्ष के मिए उमचत प्रबंध िोने च मिए।
क य ट त्मक िस्त ंतरण के स थ-स थ भ गीद री के मिए • व्हिसि ब्लोइं ग कमथत ररश्वतखोरी, अक्षित , भ्रष्ट् च र,
संस्थ गत प्रोत्स िन के मिए मजम्मेद र ठिर य गय िै , धोख ध़िी, य स वटजमनक, मनजी, य तीसरे क्षेत्र के संगठनों
मजसके पररण िस्वरूप अनुसूमचत ज मत, अनुसूमचत के भीतर अनैमतक व्यवि र को एक प्र मधकरण व्यव्हक्त य
जनज मत और िमिि ओं जैसे पूवट िें ि मशए पर प़िे जनत द्व र उज गर करने क क यट िै ।
िोगों क प्रमतमनमधत्व बढ िै । क्तिसल िोअसि संरक्षण अधिधनयम 2014 एवं उद्द्धवकास
सामाधजक उत्तरदाधयत्व से जुड़ी चुनौधतयााँ: • 2001 िें मवमध आयोग ने मसफ ररश की मक भ्रष्ट् च र से
• धनधहत स्वाथि : ब़िे मनमित स्व थों से जबरदस्ती सिुद यों मनपर्ने के मिए िुखमबरों की सुरक्ष के मिए एक क नून
• धशकायतों का अप्रभावी धनवारण: स ि मजक जव बदे िी प्रोजेक्ट इं जीमनयर, सत्येंद्र दु बे ने मबि र िें स्वमणटि चतुभुटज
प्रण मियों के ि ध्यि से पररण िों पर सख्त और मनरं तर o नवंबर 2003 िें गय िें उनकी गोिी ि रकर ित्य
अनुवती क रट व ई पर मनभटर करती िै । कर दी गई थी। ित्य के मिए तीन िोगों को 2010 िें
आजीवन क र व स की सज सुन ई गई थी।
• सुिार का प्रधतरोि: यि िित्वपूणट ज नक री को रोकने य
o उनकी ित्य के िद्दे नजर िुखमबरों की सुरक्ष के मिए
अपय टप्त ज नक री प्रद न करने जैसे मक बजर् क गज त,
एक क नून की ि ंग की गई।
जो कई स ि मजक उत्तरद मयत्व क यटििों के सफि
क य ट न्वयन के मिए आवश्यक िैं , को रोकने के मिए मनमित • 2004 िें, भ रत के सवोच्च न्य य िय ने एक य मचक के
स्व थों को जन्म दे सकत िै । जव ब िें केंद्र सरक र को आदे श मदय मक "एक क नून
बनने से पििे िुखमबरों की मशक यतों पर क रट व ई करने
• नागररकों का आत्मसंतोष : यि आितौर पर तब िोत िै
के मिए प्रश समनक तंत्र स्थ मपत मकय ज ए।"
जब सिुद य के शव्हक्तश िी व्यव्हक्तयों को मसस्टि िें
श मिि कर मिय ज त िै , य जब भ्रष्ट् च र और गित o इसके जव ब िें, सरक र ने 2004 िें 'जनधहत
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• अंतर ट ष्ट्रीय संमधयों को सुध रने के मिए: 2005 िें, भ रत ने • व्हिसि ब्लोअसट अमधमनयि 1923 के आमधक ररक
भ्रष्ट् च र के व्हखि फ संयुक्त र ष्ट्र कन्वेंशन पर िस्त क्षर गोपनीयत अमधमनयि क अमधििण करत िै | एक
मकए, जो उन िोगों के मिए पय टप्त सुरक्ष और सुरक्ष प्रद न द वेद र को सक्षि अमधक ररयों को स वटजमनक मित के
करत िै जो मशक यत करते िैं और भ्रष्ट् िोक सेवकों की खुि से करने की अनुिमत दे त िै भिे िी वे ब द व िे
ररपोमर्ं ग की सुमवध प्रद न करते िैं । अमधमनयि क उल्लंघन करते िों िेमकन दे श की संप्रभुत
• व्हिसि ब्लोअसट संरक्षण मवधेयक 2011 िें पेश मकय गय को खतरे िें निीं ड िते िैं ।
थ और 2014 िें एक अमधमनयि बन गय । • पहचान प्रकट करने से सुरक्षा: सतकटत आयोग
अधिधनयम की मुख्य धवशेषताएं : आवश्यक सिझे ज ने पर मवभ ग प्रिुख के अि व
• क्तिसल-िोअसि की सुरक्षा: यि उन िोगों की सुरक्ष मशक यतकत ट की पिच न क खुि स निीं करे ग ।
करत िै जो दु व्यटवि र, ज नबूझकर अमधक र के अमधमनयि मकसी भी व्यव्हक्त को दं मडत करत िै मजसने
दु रुपयोग, य स वटजमनक अमधक री द्व र मकसी भी मशक यतकत ट की पिच न क खुि स मकय िै ।
अमधक र के िनि ने ढं ग से उपयोग करने की सूचन दे ते
• धशकायतकताि की पहचान: प्रत्येक मशक यत िें
िैं , स थ िी व्हिसि-ब्लोअर की पिच न को सुरमक्षत रखते
मशक यतकत ट की पिच न श मिि िोनी च मिए। 2013 के
िैं । इसके अि व , अमधमनयि प्रद न करत िै ऐसी
कंपनी अमधमनयि िें स वटजमनक रूप से सूचीबद् कंपमनयों
मशक यत दजट करने व िे व्यव्हक्त के उत्पी़िन के व्हखि फ
को व्हिसिब्लोअर के आरोपों की ज ं च के मिए एक ऑमडर्
पय ट प्त सुरक्ष ।
समिमत स्थ मपत करने की आवश्यकत िै ।
• धशकायत दजि करने के धलए सीधमत समय सीमा:
क्तिसल िोअसि प्रोटे क्शन एक्ट 2014 से संबंधित मुद्दे:
क नून गुिन ि आरोपों पर रोक िग त िै और स्पष्ट् रूप
से मनमदट ष्ट् करत िै मक जब तक व दी अपनी पिच न
• धक्रयान्वयन में दे री : व्हिसि ब्लोअर संरक्षण अमधमनयि
स्थ मपत निीं करत िै , तब तक सक्षि प्र मधक री द्व र कोई के क य ट न्वयन िें दे री हुई िै । नतीजतन, कुछ िोगों को
िें य दु भ टवन से मकसी व दी की पिच न क खुि स मशक यतों की अनुिमत निीं दे त िै जो अमधमनयि के िूि
करत िै , उसे तीन स ि तक की जेि की सज और उद्दे श्य को पर मजत कर रिी िैं । अमधक री की पिच न
• उच्च न्यायालय में अपील: सक्षि प्र मधक री के आदे श से मिए - सत्येंद्र दु बे।
व्यमथत कोई भी व्यव्हक्त संबंमधत उच्च न्य य िय िें अपीि • संगठनात्मक धनष्पादन अप्रभावी : कई उद्योगों िें
द यर करने के मिए आदे श की त रीख से साठ धदनों क व्हिसि ब्लोअर नीमत िैनुअि क उपयोग व्हिसिब्लोअर
िोत िै । क यटिि पर श्रमिकों को मनदे श दे ने के मिए निीं मकय
• अमधमनयि मवशेर्ष सुरक्ष सिूि (एसपीजी) के किटच ररयों ज त िै ।
और अमधक ररयों पर ि गू निीं िोत िै , मजसे मवशेर्ष सुरक्ष • व्हिसि ब्लोअसट को भ रत िें बहुत कि सुरक्ष प्र प्त िै और
सिूि अमधमनयि 1988 के तित गमठत मकय गय थ । इसमिए वे य तो मनय िक य अपने मनयोक्त ओं को
दस्त वेजी स क्ष्य भेजने से स वध न रिते िैं।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• मामले उत्तरोतर वृक्ति : नेशनि स्टॉक एक्सचेंज ऑफ o झूठे द वों, धोख ध़िी य भ्रष्ट् च र को उज गर करने
इं मडय के मनफ्टी इं डेक्स की 50 कंपमनयों िें से िगभग एक व िों की गोपनीयत और गुिन िी, कररयर िें
मति ई ने अपनी मपछिे मवत्तीय वर्षट की व मर्षटक ररपोर्ट िें उत्पी़िन से सुरक्ष , और श रीररक नुकस न और
कि मक उन्हें 2018 िें 3,508 व्हिसि-ब्लोअर मशक यतें उत्पी़िन को रोकने के मिए अन्य प्रश समनक उप यों
मििीं, जो मपछिे वर्षट 3,139 मशक यतें थीं। को सुमनमित करके संरमक्षत मकय ज न च मिए।
क्तिसल-िोअर संशोिन धविेयक 2015 से संबंधित मुद्दा: • क नून िें कॉपोरे ट मुखधबरों को श मिि मकय ज न
यि पििे के अमधमनयि के कई प्र वध नों को किजोर करत िै, च मिए जो ज नबूझकर चूक य किीशन के क यों से
उद िरण के मिए: धोख ध़िी य स वटजमनक मित को गंभीर नुकस न पहुंच ते
o अगर ओएसए के तित प्रमतबंमधत िै तो मबि के तित िैं ।
प्रकर्ीकरण निीं मकय ज सकत िै । o सेबी ने ि ि िी िें एक धटधपंग तंत्र की शुरुआत की
o र ष्ट्रीय सुरक्ष के िुद्दों को इसके द यरे से ब िर रखने िै । सेबी अंदरूनी व्य प ररयों के व्हखि फ सूचन और
के प्र वध नों को श मिि करत िै ।
सफि क रट व ई के मिए ₹1 करो़ि तक क पुरस्क र
• बहुत स री छूर्ें : यि मवमभन्न आध रों पर बहुत सी सूचन ओं दे ग । इसने एक "सहयोग और गोपनीयता" तंत्र भी
को जनत तक पहुं च से ब िर कर दे त िै , िेमकन यि बन य िै ।
मवधेयक र ज्यसभ िें मवफि िो गय और िई 2019 िें
सवोत्तम अंतरािष्ट्रीय प्रथाएाँ
16वीं िोकसभ भंग िोने पर यि सि प्त िो गय
1. कनाडा: ररपोर्ट प्र प्त करने और गोपनीयत बन ए रखने
केस स्ट्डी
व िे ि ििों की ज ंच करने के मिए कन ड ने
1. आईसीआईसीआई ऋण धोख ध़िी िें क यटकत ट अरमवंद
साविजधनक क्षेत्र में ईमानदारी के धलए आयुक्त की
गुप्त : उन्होंने चंद कोचर, जो उस सिय सीईओ थीं, और
स्थ पन की िै ।
उनके पररव र के बीच कमथत ऋण धोख ध़िी और िेन-
2. यूके: इसी तरि, यूके िें स वटजमनक क्षेत्र िें ईि नद री,
दे न क पद टफ श मकय । आरोपों के ब द, कोचर ने पद
अखंडत और मनष्पक्षत को बढ व दे ने के मिए एक
छो़ि मदय ।
मसमवि सेव क य ट िय िै।
2. गुिन ि किटच ररयों के एक सिूि से अनैमतक प्रबंधन
आचरण के ब रे िें व्हिसि-ब्लोअर की मशक यतों के 3. संयुक्त राज्य अमेररका: संयुक्त र ज्य अिेररक
स िने आने के ब द इं फोमसस को ₹50,000 करो़ि से पयटवेक्षी पर िशट ब्यूरो और मेररट धसस्ट्म प्रोटे क्शन
अमधक क ि केर् कैप नुकस न उठ न प़ि । बोडि (MSPB) द्व र मनणटयों क मनणटय करत िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
लोकपाल और लोकायु क्त अधिधनयम 2013 • अन्ना हजारे के "इं धडया अगेंस्ट् करप्शन" आं दोिन ने
केंद्र की सरक र पर दब व ड ि , मजसके पररण िस्वरूप
• 2011 िें एक स्वतंत्र एवं भ्रष्ट् च र मवरोधी िोकप ि की ि ंग िोकप ि और िोक युक्त मवधेयक, 2013 संसद के दोनों
को िेकर व्य पक जन अमभय न के पररण िस्वरूप सदनों द्व र प ररत मकय गय ।
िोकप ि क नून प ररत हुआ।
ओम्बड् समैन संस्थान की आवश्यकता:
• 2013 के लोकपाल और लोकायुक्त अधिधनयम ने संघ
• धनष्पक्ष जांच और अधभयोजन: िोकप ि और िोक युक्त
के धलए एक लोकपाल और राज्यों के धलए एक
अमधमनयि, 2013 की प्रस्त वन िें कि गय िै मक िोक
लोकायुक्त की स्थ पन की। ये संगठन वैध मनक संस्थ एं
सेवकों के व्हखि फ भ्रष्ट् च र के ि ििों िें त्वररत और
िैं मजनक कोई संवैध मनक दज ट निीं िै ।
मनष्पक्ष ज ं च और अमभयोजन सुमनमित करने के मिए
• वे एक "िोकप ि" क क यट करते िैं और कुछ स वटजमनक
क नून बन य गय िै ।
पद मधक ररयों के व्हखि फ भ्रष्ट् च र के आरोपों और
• कुप्रश सन एक दीिक की तरि िोत िै जो धीरे -धीरे र ष्ट्र
संबंमधत ि ििों की ज ंच करते िैं ।
की नींव को नष्ट् कर दे त िै और प्रश सन को अपन क यट
भारत में उद्दधवकास:
पूर करने से रोकत िै । भ्रष्ट् च र इस कुश सन की सिस्
• वैमश्वक स्तर पर िोकप ि (ओम्बड् सिैन) की पििी संस्थ
क ज़ि िै ।
(भ रत िें िोकप ि और िोक युक्त के सि न)
आमधक ररक तौर पर 1809 में स्वीडन िें स्थ मपत की गई • अमधक ं श भ्रष्ट् च र मवरोधी एजेंमसय ं िुव्हिि से िी स्वतंत्र
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• िोकप ि क अध्यक्ष य तो भ रत के पूवट िुख्य न्य य धीश • सधक्रय प्रकटीकरण: िोकप ि अमधमनयि के अनुस र
य सवोच्च न्य य िय के पूवट न्य य धीश य त्रुमर्िीन सभी मनव ट मचत अमधक ररयों को अपनी संपमत्त और
सत्यमनष्ठ और उत्कृष्ट् क्षित व ि एक प्रमतमष्ठत व्यव्हक्त दे नद ररयों के स थ-स थ अपने आमश्रतों की संपमत्त क
िोन च मिए, मजसके प स भ्रष्ट् च र मवरोधी ि ििों िें कि खुि स करन आवश्यक िै ।
से कि 25 वर्षों क मवशेर्ष ज्ञ न और मवशेर्षज्ञत िो नीमत,
• इसके अमधक र क्षेत्र िें कोई भी व्यव्हक्त श मिि िै जो
िोक प्रश सन, सतकटत , मवत्त समित बीि और बैंमकंग,
केंद्रीय अमधमनयि द्व र स्थ मपत मकसी/सोस यर्ी य केंद्र
क नून और प्रबंधन।
सरक र द्व र मवत्तपोमर्षत/मनयंमत्रत मकसी अन्य मनक य क
o अमधकति आठ सदस्ों िें से आधे न्य य धीश िोंगे,
प्रभ री (मनदे शक/प्रबंधक/समचव) िै य रि िै और
और कि से कि आधे सदस् अनुसूमचत
उकस ने के क यट िें श मिि कोई अन्य व्यव्हक्त, ररश्वत दे न
ज मत/अनुसूमचत जनज मत/अन्य मपछ़ि
य ररश्वत िेन ।
वगट/अल्पसंख्यक और िमिि सिूिों से िोंगे।
• इसके प स सीबीआई के क यों की मनगर नी और मनदे शन
o िोकप ि क न्य मयक सदस् य तो सवोच्च न्य य िय
करने क अमधक र िै ।
क पूवट न्य य धीश य उच्च न्य य िय क पूवट िुख्य
o जब िोकप ि मकसी ि ििे को सीबीआई को
न्य य धीश िोत िै ।
संदमभटत करत िै , तो ज ंच अमधक री को िोकप ि
• जांच और अधभयोजन में स्वायत्तता: िोकप ि को ज ंच
की अनुिमत के मबन स्थ न ं तररत निीं मकय ज
मनदे शक की अध्यक्षत िें एक ज ंच मवंग और अमभयोजन
सकत िै ।
मनदे शक की अध्यक्षत िें एक अमभयोजन श ख मनयुक्त
करनी िोगी।
• दीवानी अदालत की शक्तक्त: िोकप ि की पूछत छ श ख
को दीव नी अद ित क अमधक र मदय गय िै ।
• लोकपाल की धनयुक्तक्त: चयन समिमत द्व र मसफ ररश
मकए ज ने के ब द र ष्ट्रपमत सदस्ों की मनयुव्हक्त करत िै । o अस ध रण ि ििों िें, िोकप ि के प स भ्रष्ट् च र के
ि ध्यि से प्र प्त संपमत्तयों, प्र व्हप्तयों, प्र व्हप्तयों और
o अध्यक्ष और सदस्ों क चयन करने के मिए चयन
ि भों को जब्त करने क अमधक र िै ।
समिमत (प्रध निंत्री की अध्यक्षत िें) द्व र कि से कि
आठ िोगों क एक खोज पैनि बन य ज त िै । • सुधनधित तटस्थता : िोकप ि के प स भ्रष्ट् च र के
o िोकप ि के अध्यक्ष और सदस्ों क चयन एक चयन आरोपी िोक सेवक के स्थ न ं तरण य मनिंबन की
समिमत द्व र मकय ज त िै मजसिें प्रध न िंत्री, मसफ ररश करने क अमधक र िै ।
िोकसभ अध्यक्ष, मवपक्ष के नेत सीजेआई और • सबूतों की सुरक्षा : प्र रं मभक ज ं च के दौर न िोकप ि के
र ष्ट्रपमत श मिि िोते िैं । प स दस्त वेजों को नष्ट् िोने से बच ने के मिए आदे श ज री
o िोकप ि के अध्यक्ष और सदस् प ंच स ि य 70 वर्षट करने क अमधक र िै ।
की आयु तक सेव करते िैं ।
लोकपाल अधिधनयम से संबंधित मुद्दे
लोकपाल की शक्तक्तयााँ:
• संवैिाधनक समथिन का अभाव: िोकप ि के प स कोई
• अधिकार क्षेत्र: प्रध न िंत्री, िंत्री, संसद सदस्, सिूि ए,
बी, सी, और डी अमधक री और केंद्र सरक र के अमधक री संवैध मनक सिथटन निीं िै , और िोकप ि के मनणटयों को
सभी िोकप ि के अमधक र क्षेत्र के अधीन िैं । चुनौती दे ने के मिए कोई उपयुक्त तंत्र निीं िै।
o संसद िें किी गई मकसी ब त य वि ं हुए ितद न के • राजनीधत से प्रेररत धनयुक्तक्तयां : क यटक ररणी द्व र
ि ििे िें, िोकप ि क िंमत्रयों और स ं सदों पर कोई उम्मीदव रों की मसफ ररश करने के प्रमत मनमित पूव टग्रि,
अमधक र निीं िोत िै । सरक र द्व र सिमथटत।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
िै मक "प्रख्य त न्य यमवद" य "ईि नद र व्यव्हक्त" सिय सिूि ए और बी के तित आने व िे अमधक ररयों के
कौन िै , इसमिए िोकप ि की मनयुव्हक्त क दु रुपयोग ब रे िें एक ररपोर्ट भेजेग । जो ग्रुप सी और डी िें िैं ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
चयन समिमत क सदस् बनने िें सक्षि बन त िै । शक्तक्त: अमधमनयि िें िोक युक्त आदे शों की अवि नन के
मिए दं ड दे ने की शव्हक्त मनमित िोनी च मिए, जो अभी भी
के स स्ट्डी अमधमनयि के क नूनों के तित उपिब्ध निीं िै ।
• बढी हई प्रधतबिता: अमधमनयि के अनुस र िोक युक्त
गोव िोक युक्त से संबंमधत िुद्दे: ि ि िी िें गोव के सेव मनवृत्त
क न ि सेव मनवृत्त िुख्य न्य य धीश य सवोच्च न्य य िय
िोक युक्त ने र ज्य क य ट िय और क यटव िी से जु़िे िुद्दों पर
प्रक श ड ि िै। के सेव मनवृत्त न्य य धीश द्व र रख ज न च मिए। इसक
ितिब यि िै मक जो कोई आत िै और श मिि िोत िै ,
गोवा लोकायुक्त अधिधनयम:
उसने दो ब र शपथ िी िोगी, और िोक युक्त क य टिय िें
• िोकप ि और िोक युक्त अमधमनयि, 2013 के ि गू िोने
प्रवेश करन तीसरी शपथ िोगी, मजससे कुि प्रमतबद्त
से बहुत पििे िी कई र ज्यों ने पििे िी िोक युक्तों की
संस्थ स्थ मपत कर िी थी। तीन िो ज एगी।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• िुकदि चि ने क मनणटय संयोग पर निीं छो़ि ज न न्य य ियों के पूवट िुख्य न्य य धीशों को िी िोक युक्त के
च मिए, और यि ाँ "जरूरी" शब् क अथट िै मक िोक युक्त रूप िें मनयुक्त मकय ज सकत िै ।
की र य क प िन मकय ज न च मिए। िोक युक्त को गोव • इसके बज य, पररवतटन र ज्य सरक र को िोकप ि के पद
िोक युक्त अमधमनयि की ध र 17 के तित िुकदि के मिए मकसी भी सेव मनवृत्त न्य य धीश को चुनने क
चि ने की शव्हक्त दी ज नी च मिए। अमधक र दे त िै ।
प्रस्ताधवत संशोिन से संबंधित मुद्दे
के रल में लोकायु क्त के अधिकारों में कटौती
• अध्य दे श क तरीक मवध नसभ िें बिस और परीक्ष को
• केरि के र ज्यप ि ने िोक युक्त की शव्हक्तयों को कि सि प्त करत िै।
करने व िे संशोधन पर िस्त क्षर मकए। • सत्त रूढ प र्ी के सदस्, कैमबनेर् सदस् और सरक री
• केरि सरक र एक अध्य दे श के ि ध्यि से केरि िशीनरी से जु़िे वररष्ठ अमधक री इससे सुरमक्षत िो ज ते िैं ।
िोक युक्त अमधमनयि, 1999 िें संशोधन करन च िती िै • सरक री अमधक ररयों के मवरुद् चि रिी ज ं च को प्रभ मवत
मजसे अनुच्छेद 213 के तित र ज्यप ि द्व र अनुिोमदत िोगी।
ररपोर्ट की सिीक्ष करने के मिए सक्षि प्र मधक री भी धवगत वषि के प्रश्न
बन य िै । 1. 'एक र ष्ट्रीय िोकप ि, च िे वि मकतन िी शव्हक्तश िी क्यों
• मवधेयक र जनीमतक नेत ओं को अमधमनयि के द यरे से न िो, स वटजमनक ि ििों िें अनैमतकत की सिस् क
ब िर रखत िै । सि ध न निीं कर सकत ।' चच ट कीमजए। (2013)
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
o यि केंद्रीय सतकटत आयोग और िोकप ि को भी • सीधमत पहंच: संयुक्त समचव और उससे ऊपर के स्तर पर
सि यत प्रद न करत िै । केंद्र सरक र के किटच ररयों के व्हखि फ ज ंच य ज ंच शुरू
o यि भ रत िें नोडि पुमिस एजेंसी भी िै जो इं र्रपोि करने के मिए केंद्र सरक र से पूवट प्र मधकरण प्र प्त करन
सदस् दे शों की ओर से ज ंच क सिन्वय करती िै । सरक र के उच्चति स्तर पर भ्रष्ट् च र से मनपर्ने िें एक
सीबीआई के सामने चुनौधतयां: प्रिुख ब ध िै।
• अपने क यों िें अत्यमधक र जनीमतक िस्तक्षेप के क रण CBI में सुिार हेतु उपायों की आवश्यकता
भ रत के सवोच्च न्य य िय द्व र सीबीआई को "धपंजरे में • सीबीआई को सरकार के प्रशासधनक धनयंत्रण से मुक्तक्त
बंद तोता अपने माधलक की आवाज में बोलने वाला" : सीबीआई िें स्व यत्तत क अभ व िोग और यि तब तक
कर र मदय गय िै। स्वतंत्र रूप से ि ििों की ज ंच करने िें असिथट िोगी जब
• िौजूद प्रश सन द्व र अक्सर इसक उपयोग गित क िों तक मक वतटि न प्रश सन अपनी पसंद के व्यव्हक्तयों को
को मछप ने, गठबंधन के सियोमगयों को ि इन िें रखने और एजेंसी िें स्थ न ं तररत करने और पोस्ट करने की क्षित
र जनीमतक मवरोमधयों को दू र रखने के मिए मकय ज त िै । रखत िै ।
• धवलंधबत जांच: इस पर ज ंच पूरी करने िें भ री दे री क • संस्था को वैिाधनक दजाि प्रदान करना: मनयंत्रक एवं
आरोप िग य गय िै । उद िरण के मिए, [1990 के दशक िि िेख परीक्षक और चुन व आयोग को दी गई व्हस्थमत के
के] जैन िव ि ड यरी ि ििे िें उच्च गणि न्य िोगों के सि न, इसकी स्वतंत्रत को बन ए रखने िें सि यत करे ग ।
व्हखि फ इसकी ज ंच िें ज़ित । • क मिटक, िोक मशक यत, क नून और न्य य पर मवभ ग से
• धविसनीयता की कमी: एजेंसी की छमव िें सुध र करन संबंमधत संसदीय स्थ यी समिमत की चौबीसवीं ररपोर्ट िें
अब तक के सबसे कमठन िुद्दों िें से एक रि िै , क्योंमक सीबीआई के क िक ज क प्रस्त व मकय गय थ :
एजेंसी को मवमभन्न ि ई-प्रोफ इि ि ििों और बोफोसट और o उत्तरद मयत्व के सथ मवत्तीय संस धन और
िव ि क ं ड जैसे संवेदनशीि ि ििों को गित तरीके से प्रश समनक अमधक ररत िें वृव्हद्।
संभ िने के मिए दं मडत मकय गय िै । o अवसंरचन सुमवध ओं िें बेितर मनवेश
• जवाब दे यता का अभाव: सीबीआई को सूचन क o उत्तरद मयत्व के सथ मवत्तीय संस धन और
अमधक र अमधमनयि के प्र वध नों से छूर् प्र प्त िै , इस प्रश समनक अमधक ररत िें वृव्हद्।
प्रक र, इसिें स वटजमनक उत्तरद मयत्व क अभ व िै। o DSPE अमधमनयि को एक अिग क नून से बदिें
• काधमिकों की अत्यधिक कमी: किी क एक प्रिुख क रण मजसे "केंद्रीय खुमफय और ज ंच ब्यूरो अमधमनयि"
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• र ज्यों द्व र दी गई स ि न्य सििमत सीबीआई को भ्रष्ट् च र • िगभग सभी र ज्यों ने सीबीआई को आि सििमत दे दी
के आरोपों की स्वतंत्र रूप से ज ंच करने िें सक्षि बन ती िै । ि ि ाँ मक, 2015 के ब द से, कई र ज्यों ने अिग तरि से
िै , क्योंमक "पुधलस" संधविान की सातवी ं अनुसूची के क यट करन शुरू कर मदय िै ।
तित र ज्य सूची िें प्रवेश िै । o सििमत व पस िेने व ि पिि र ज्य 2015 िें
आध ररत ि न गय िै , जो एक र ज्य से संबंमधत पुमिस बि o िि र ष्ट्र, पंज ब, र जस्थ न, पमिि बंग ि, झ रखंड,
की शव्हक्तयों के मवस्त र को दू सरे र ज्य के मकसी भी क्षेत्र िें छत्तीसगढ, केरि और मिजोरि। मिजोरि और
िेघ िय को छो़िकर इन सभी र ज्यों िें भ जप
प्रद न करती िै , िेमकन इसकी अनुिमत के मबन निीं।
मवरोधी मवपक्ष क श सन िै ।
• एडव ं स इं श्योरें स कंपनी मिमिर्े ड ि ििे , 1970 िें, एक
o सििमत व पस िेने के सिय, सभी र ज्यों ने आरोप
संमवध न पीठ ने कि मक स ि न्य खंड अमधमनयि िें
िग य मक केंद्र सरक र मवपक्ष को गित तरीके से
मनमित "र ज्य" की पररभ र्ष िें केंद्र श मसत प्रदे श भी
मनश न बन ने के मिए सीबीआई क इस्तेि ि कर
श मिि िैं ।
रिी िै ।
• सीबीआई, 1946 के मदल्ली मवशेर्ष पुमिस प्रमतष्ठ न
सामान्य सहमधत वापस लेना:
अमधमनयि के तित ि न्यत प्र प्त केंद्र श मसत प्रदे शों के
• इसक ितिब िै मक सीबीआई र ज्य सरक र की सििमत
मिए गमठत एक बि िोने के न ते, र ज्यों के क्षेत्रों िें उनकी
के मबन केंद्र सरक र के अमधक ररयों य र ज्य िें मकसी
सििमत से िी ज ं च कर सकती िै ।
मनजी व्यव्हक्त से जु़िे मकसी भी नए ि ििे को दजट निीं कर
सहमधत के प्रकार प एगी।
• सीबीआई द्व र ज ंच के मिए सििमत दो प्रकार की िोती • “सीबीआई अमधक री र ज्य िें प्रवेश करते िी एक पुमिस
िै । अमधक री के सभी अमधक र खो दें गे, जब तक मक र ज्य
1. सामान्य सहमधत: जब कोई र ज्य मकसी ि ििे की सरक र ने उन्हें अनुिमत निीं दी िै ।
ज ंच के मिए सीबीआई को स ि न्य सििमत (मदल्ली लंधबत जांच पर प्रभाव:
मवशेर्ष पुमिस प्रमतष्ठ न अमधमनयि की ध र 6) दे त िै , • स ि न्य सििमत को व पस िेने क िंमबत ज ंच (काजी
तो एजेंसी को ज ं च के संबंध िें उस र ज्य िें प्रवेश लेंढुप दोरजी बनाम सीबीआई, 1994) य मकसी अन्य
करने पर िर ब र नई अनुिमत िेने की आवश्यकत र ज्य िें िंमबत ि ििों पर कोई असर निीं प़ित िै | जि ं
निीं िोती िै य िर ि ििे के मिए। भ्रष्ट् च र य मिं स ज ंच उस र ज्य के क्षेत्र िें ज ती िै मजसने स ि न्य सििमत
के ि ििे िें मनब ट ध ज ंच की सुमवध के मिए एक व पस िे िी िै , और न िी यि सीबीआई ज ंच क आदे श
स ि न्य सििमत दी ज ती िै । दे ने की कोर्ट की क्षित के अमधक र क्षेत्र को सीमित करत
2. धवधशष्ट् सहमधत: जब स ि न्य सििमत व पस िे िी िै ।
ज ती िै, तो सीबीआई को संबंमधत र ज्य सरक र से • धवनय धमश्रा बनाम सीबीआई िें, किकत्त उच्च न्य यिय
ज ंच के मिए केस-व र सििमत िेने की आवश्यकत ने इस स ि जुि ई िें फैसि सुन य मक भ्रष्ट् च र के
िोती िै । यमद मवमशष्ट् सििमत निीं दी ज ती िै , तो उस ि ििों को पूरे दे श िें सि न रूप से ि न ज न च मिए,
र ज्य िें प्रवेश करने पर सीबीआई अमधक ररयों के और केंद्र सरक र के एक किटच री को मसफट इसमिए
प स पुमिस कमिटयों की शव्हक्त निीं िोगी। यि ब ध "प्रमतमष्ठत" निीं मकय ज सकत क्योंमक उसक क य टिय
सीबीआई द्व र मनब टध ज ंच िें ब ध ड िती िै । एक ऐसे र ज्य िें व्हस्थत थ मजसने स ि न्य अनुिमत।
100
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
प्रवतिन धनदे शालय या एन्फोर्ि समेंट डाइरे क्टोरे ट (ED) ईडी की संरचना:
• भ रत सरक र के मवत्त िंत्र िय क र जस्व मवभ ग • प्रवतटन मनदे श िय क प्रिुख प्रवतटन मनदे शक िोत िै और
पीएिएिए (PMLA) के तित िनी िॉव्ह्रंग के अपर धों की इसक िुख्य िय नई मदल्ली िें िै ।
ज ंच के मिए मजम्मेद र िै। • प्रवतटन मनदे श िय के मवशेर्ष मनदे शकों की अध्यक्षत िें
• प्रवतिन धनदे शालय (ईडी) एक बहु-अनुश सन त्मक िुंबई, चेन्नई, चंडीगढ, कोिक त और मदल्ली िें प ंच क्षेत्रीय
संगठन िै जो िनी िॉव्ह्रंग के अपर धों और मवदे शी िुद्र क य ट िय िैं ।
क नूनों के उल्लंघन की ज ंच करत िै । • मनदे श िय के 10 क्षेत्रीय क य टिय िैं मजनिें से प्रत्येक क
प्र वध नों के तित धनशोधन के अपर धों की ज ंच प्रवतटन मजनिें से प्रत्येक क नेतृत्व एक सि यक मनदे शक द्व र
एक अनुसूमचत अपर ध से प्र प्त अपर ध की आय िै । का कायिकाल एक बार में सधमधत की धलक्तखत
धसफाररश पर एक वषि तक बढ य ज सकत िै।
• िनी िॉव्ह्रंग के अपर ध िें श मिि व्यव्हक्तयों पर िुकदि
• मवधेयक प्र रं मभक मनयुव्हक्त िें उव्हल्लव्हखत अवमध समित कुि
चि न ।
मिि कर 5 वर्षट की अमधकति अवमध तक क यटक ि क
ईडी धनम्नधलक्तखत कानूनों को लागू करता है:
मवस्त र करत िै ।
1. मवदे शी िुद्र प्रबंधन अमधमनयि, 1999 (फेि )
धदल्ली धवशेष पुधलस स्थापना (संशोिन) अधिधनयम 2021:
2. धन शोधन मनव रण अमधमनयि, 2002 (पीएिएिए)
• यि संशोधन प्र वध न करत िै मक स वटजमनक मित िें,
सीबीआई धनदे शक और ईडी धनदे शक के कायिकाल में वृक्ति सीबीआई के मनदे शक क कायिकाल एक बार में 1 वषि
• मवनीत न र यण ि ििे, मजसे जैन िव ि ि िि भी कि तक सधमधत की मिव्हखत मसफ ररश पर बढ य ज सकत
ज त िै , ने केंद्रीय सतकटत आयोग (सीवीसी) अमधमनयि िै । ध र 4ए के तित, सीबीआई के मनदे शक की मनयुव्हक्त
और मदल्ली मवशेर्ष पुमिस प्रमतष्ठ न (डीएसपीई) अमधमनयि प्रध निंत्री की अध्यक्षत व िी एक चयन समिमत द्व र की
िें संशोधन ि ने िें िित्वपूणट भूमिक मनभ ई। ज ती िै ।
• ि िि 1990 के दशक िें स िने आय और इसिें कई • संशोधन क यटक ि को प्र रं मभक मनयुव्हक्त िें उव्हल्लव्हखत
प्रिुख र जनेत ओं और नौकरश िों के व्हखि फ भ्रष्ट् च र अवमध समित कुि 5 वर्षट की अमधकति अवमध तक बढ त
और ररश्वतखोरी के आरोप श मिि थे। भ रत के सवोच्च िै ।
न्य य िय ने ि ििे क संज्ञ न मिय और सीबीआई जैसी उपयुिक्त संशोिनों से संबंधित मुद्दे:
ज ंच एजेंमसयों की स्व यत्तत और स्वतंत्रत सुमनमित करने • सीबीआई और प्रवतटन मनदे श िय की स्वतंत्रत को कि
के मनदे श ज री मकए। मकय िै ।
• 2021 िें पेश मकए गए संशोधनों ने प्रवतटन मनदे श िय • क यटप मिक द्व र स्व यत्त संस्थ नों क मनयंत्रण।
(ईडी) और सीबीआई के मनदे शक के क यटक ि को उनके • न जुक और िित्वपूणट ि ििों के पररण ि पर प्रभ व प़ित
नेतृत्व िें मनरं तरत और व्हस्थरत सुमनमित करने के मिए िै ।
बढ य , मजससे भ्रष्ट् च र और अन्य मवत्तीय अपर धों से • "स वटजमनक मित" शब् को उस संशोधन िें पररभ मर्षत
मनपर्ने िें उनकी प्रभ वशीित िें वृव्हद् हुई। निीं मकय गय िै जो मवस्त र की अनुिमत दे त िै ।
101
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• सीबीआई और ईडी मनदे शकों के क यटक ि को बढ ने के • सरक र और प्रवतटन मनदे श िय द्व र धन शोधन मनव रण
मिए एक अध्य दे श क उपयोग। अमधमनयि (पीएिएिए) की कमथत बदि वों की मशक यत
• र जनीमतक उद्दे श्यों के मिए सीबीआई और ईडी क य टियों करने व िे दे श भर के सभी क्षेत्रों के िोगों द्व र द यर
छात्र का नोट:
102
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
मसमवि सेव क यटप मिक क वि स्थ यी भ ग िै मजसिे o दू सरी ओर, मसमवि सेव एं वैध मनक िोती िैं और आि
व्यवस मयक रूप से योग्य व्यव्हक्त एक स्थ यी सरक री अमधक री तौर पर व्यव्हक्तयों की आवश्यकत ओं और ि ं गों से
के रूप िें िैं र ष्ट्रमित एवं जनमित िें स वटज मनक सेव के प्रमत असंबद् िोती िैं।
सिमपटत िोत िै | o उद . र जकोर्षीय घ र्े को कि करने के मिए िोगों
धसधवल सेवाओं से संबंधित संवैिाधनक प्राविान: की भुगत न करने की क्षित के ब वजूद करों को
• अनुच्छेद 53 और 154: संघ और र ज्यों की क यटक री बढ ने के मिए र जनीमतक प्रिुख को सि ि दे न ।
शव्हक्त र ष्ट्रपमत य र ज्यप ि िें सीधे य उनके अधीनस्थ o मसमवि सेव ओं को अक्सर सरक र के प रं पररक,
अमधक ररयों के ि ध्यि से मनमित िोती िै । नौकरश िी और कभी-कभी सत्त व दी रूपों के स थ
• ये अमधक री स्थ यी मसमवि सेव क गठन करते िैं और जो़ि ज त िै ।
संमवध न के भ ग XIV (अनुच्छेद 308-323) द्व र श मसत o जैसे , स वटजमनक स्थ नों की सुरक्ष और क नून के
िोते िैं। श सन को क यि रखने व िे अमतििणों को िर् न ।
• अनुच्छेद 309: यि संसद और र ज्य मवध निंडि को o जबमक, भ गीद री, आि सििमत मनि ट ण, और एक
ििशः संघ य मकसी र ज्य के ि ििों के संबंध िें िचीिी ि नमसकत सभी क नूनों और मवमनयिों की
स वटजमनक सेव ओं और पदों पर मनयुक्त व्यव्हक्तयों की भती अमधकत से मववश हुए मबन , िोकतंत्र की मवशेर्षत एं
और सेव की शतों को मवमनयमित करने क अमधक र दे त िैं ।
िै । o उद िरण के मिए . गरीबों की आजीमवक की सुरक्ष
• अनुच्छेद 310: कोई भी न गररक सेव से जु़ि कोई भी के मिए बुमनय दी सुमवध एं प्रद न करके अमतििणों
पद र ष्ट्रपमत य र ज्य के र ज्यप ि के प्रस दपयंत पद क वैधीकरण।
ध रण करत िै । लोकतंत्र और धसधवल सेवाओं के बीच पूरक संबंि:
• अनुच्छेद 311: संघ य र ज्य के तित न गररक क्षित ओं • वे दोनों कुशि और ग्रिणशीि श सन के मिए आवश्यक
िें मनयोमजत व्यव्हक्तयों की पदच्युमत, मनष्क सन य
िैं ।
पद वनमत।
• िोकत ं मत्रक श सन को जव बदे िी और व्हस्थरत और
• अनुच्छेद 312: अव्हखि भ रतीय सेव एं ।
तर्स्थत के बीच संतुिन बन न च मिए।
धसधवल सेवाओं और लोकतंत्र में अंतसिंबंि
• िोकतंत्र के सफि संच िन के मिए एक संमित बद्
िोकतंत्र एक सित व दी अवध रण िै मजसके तित श सन
नौकरश िी आवश्यक िै
करने व िे िोगों को खुद िोगों द्व र चुन ज त िै । क यटक री
श ख िें अस्थ यी क यटक री (िंत्री) और स्थ यी क यटक री
धसधवल से वा और सु शासन की जवाबदे धहता
(मसमवि सेवक) श मिि िैं ।
लोकतंत्र और नागररक सेवाओं के बीच धवरोिाभासी संबंि: • प्रश सन िें मनरं तरत और पररवतटन सुमनमित करने िें
मसमवि सेवकों ने ििेश िित्वपूणट भूमिक मनभ ई िै।
• िोकत ं मत्रक श सन श मसतों की स िूमिक इच्छ को
ि ि ाँमक, वे उन मनयिों और प्रमिय ओं द्व र मनध ट ररत िोते
दश टत िै।
िैं जो उनकी सि ि को ध्य न िें रखते हुए तैय र मकए ज ते
o उद िरण के मिए ,िोगों की भुगत न करने की क्षित
िैं ।
के आध र पर करों की दर बढ न य घर् न ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• यि 'िनुष्य के श सन' के बज य 'क नून क श सन' िै मजसे धसधवल सेवाओं में दक्षता और जवाब दे यता को बढावा दे ने
अक्सर सरक री अमधक ररयों के बीच सत्त के व्य पक के धलए हाल की पहलें:
दु रुपयोग और भ्रष्ट् च र के मिए दोर्षी ठिर य ज त िै । • मजबूत सतकिता तंत्र: भ्रष्ट् च र की रोकथ ि और पत
िग ने के मिए संस्थ गत तंत्र को िजबूत करन । इस प्रक र,
• ि ि के मदनों िें िीमडय के मवस्फोर् ने मसमवि सेवकों को
िौजूद सतकटत तंत्र की सिीक्ष करने की आवश्यकत िै।
ब िरी ज ंच के मिए खोि मदय िै और प्रमिय ओं के बज य
• एक केंद्रीकृत लोक धशकायत धनवारण और धनगरानी
पररण िों और पररण िों के ि ििे िें प रदशी जव बदे िी
प्रणाली (CPGRAMs) के क य टन्वयन को िजबूत करने की
तंत्र की ि ंग की िै ।
आवश्यकत िै ।
• मसमवि सेव सुध रों के संबंध िें सभी सं व दों के सेव • ई-ऑधफस का कायािन्वयन: सभी िंत्र ियों/मवभ गों िें ई-
मवतरण िें मसमवि सेवकों की जव बदे िी के िुद्दे सबसे आगे ऑमफस के क य ट न्वयन िें तेजी ि ई ज सकती िै ; सभी
आए िैं । मसमवि सेव की मवश्वसनीयत िोगों के मिए र ज्यों/केंद्र श मसत प्रदे शों को भी इसे अपन ने के मिए
सेव ओं के सुध र िें मनमित िै , मवशेर्ष रूप से अग्रणी व्हस्थमत प्रोत्स मित मकय ज सकत िै ।
िें। • ई-समीक्षा: िित्वपूणट सरक री क यटििों/पररयोजन ओं
के क य ट न्वयन के संबंध िें सरक र द्व र मिए गए मनणटयों
• मसमवि सेवक मवभ ग के प्रभ री िंत्री के प्रमत जव बदे ि िोते
की मनगर नी और अनुवती क रट व ई के मिए एक व स्तमवक
िैं , िेमकन व्यवि र िें, जव बदे िी अस्पष्ट् और स ि न्यीकृत
ऑनि इन प्रण िी।
प्रकृमत की िोती िै ।
• सेवाओं की शीघ्र प्रदयता (धडलीवरी): प्रत्येक मवभ ग को
• चूंमक उत्तरद मयत्व के पूवट-पूवट मवमनदे श की कोई प्रण िी
प्रश समनक दे री िें कर्ौती करने और कुशि सेव मवतरण
निीं िै , इसमिए िंत्री और मसमवि सेवकों के बीच संबंध के मिए भ गीद री प्रमतमिय तंत्र सुमनमित करने के मिए
केवि िुद्दों के प्रमत संवेदनशीि िै । अपनी प्रमिय ओं को सरि बन ने की कोमशश करनी
• जैसे िी सिस् यें स िने आती िैं , मसमवि सेवक, िंमत्रयों च मिए।
को अवगत कर ते िै । जव बदे िी संबंध व्य पक से िेकर • धमड-कैररयर प्रधशक्षण को बढावा : सीखने और ज्ञ न को
न्यून कुछ भी िो सकते िै और इसे िौजूद िंत्री पर बढ ने के मिए मिशन किटयोगी िॉन्च मकय गय िै ।
व्य ख्य करने के मिए छो़ि मदय ज त िै जो उनके मिए • लैटरल एं टर ी ररफॉमि: मनजी क्षेत्र के क मिटकों को सरक र
के एक प्रश समनक पद के मिए चुन ज त िै , भिे िी
सबसे सुमवध जनक िो।
उनक चयन नौकरश िी व्यवस्थ िें य उसक मिस्स न
जवाबदे ही की धवफलता के उदाहरण:
िोने के ब वजूद मकय ज त िै ।
• र जनीमतक पद नुिि और प्रश समनक तंत्र के बीच श सन
िें गंभीर ितभेद िै । धसधवल से वाओं की भू धमका
• 2जी ि िि , कोयि और खनन घोर् िों, और र ष्ट्रिंडि • नीधत धनमािण में सलाहकार की भूधमका: वे नीमत-मनि टण
खेिों ने स्पष्ट् रूप से प्रदमशटत मकय िै मक मपछिे दशक िें क्षेत्रों को पररभ मर्षत करने िें क यटप मिक की सि यत
मनष्पक्ष प्रमिय ओं क क फी क्षरण हुआ िै । करते िैं। वे नीमत प्रस्त व तैय र करते िैं , मवमभन्न मवकल्पों
• न्यू ओखि औद्योमगक मवक स प्र मधकरण की िुख्य और सि ध नों क िूल्य ं कन करते िैं , वतटि न नीमतयों के
क यटक री नीर य दव को नोएड िें 2002 के भूमि आवंर्न मिए क रट व ई क क यटिि मवकमसत करते िैं , स थ िी
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• जधटल प्रशासधनक स्वीकृधत: नीमत और प्रबंधन • योग्यता आिाररत पोक्तस्ट्ंग: पोव्हस्टंग पक्षप त के बज य
संरचन ओं िें अमत-केंद्रीकरण मजसके अंतगटत मसमवि सेव प्रदशटन और क्षित पर आध ररत िोनी च मिए।
क यट बहुत जमर्ि और अक्सर बहुत मववश करने व िे िोते • अनुधचत राजनीधतक हस्तक्षेप से धसधवल सेवकों को
िैं । अलग करना: मद्वतीय प्रश समनक सुध र आयोग ने सुझ व
• मूल्यों और नैधतकता में क्षरण: मजसके क रण ब़िे पैि ने मदय मक र जनीमतक तर्स्थत और मसमवि सेव ओं की
पर भ्रष्ट् च र और भ ई-भतीज व द हुआ िै । मनष्पक्षत की रक्ष करने की आवश्यकत िै।
• लालफीताशाही: मवकेंद्रीकरण और न गररक-केंमद्रतत o पोव्हस्टंग और स्थ न ं तरण के मिए एक मसमवि सेव
पर ध्य न दे ने के स थ श सन की श्रेष्ठत से प्रभ वी श सन िें बोडट की स्थ पन करन ।
बदि व की आवश्यकत िै ।
• कायिकाल और प्रधतस्पिाि की क्तस्थरता के साथ
• अधभजात वगि की प्रकृधत: मसमवि सेवकों को पररवतटन के व्यवसायीकरण सरक री-मसमवि सेवकों को ब द िें गैर
मिए प्रमतरोधी ि न ज त िै क्योंमक वे अपने ि भ और संगठनों िें ज ने के मिए प्रोत्स मित मकय ज न च मिए।
अवसरों से जु़िे िोते िैं ।
o सुररं दर नाथ सधमधत के अनुस र, प्रदशटन िूल्य ं कन
• गधतशीलता की कमी: यि बत य गय िै मक भ रत िें
क उपयोग िुख्य रूप से एक अमधक री के सिग्र
मसमवि सेव पररण िों की तुिन िें आं तररक प्रमिय ओं से
मवक स और एक ऐसे व त वरण िें मनयुव्हक्त के मिए
अमधक मचंमतत िै ।
मकय ज न च मिए जि ं उसकी प्रमतभ और क्षित
• लैटरल एं टर ी का धवरोि, जो मवक स प्रमिय िें ब धक िै । क सवोत्ति उपयोग मकय ज सके।
जैसे-जैसे अथटव्यवस्थ की जमर्ित बढती िै , नीमत मनि टण
• नागररक-केंधद्रत प्रशासन: 2004 िें, िोत समिमत ने
एक मवमशष्ट् गमतमवमध बन ज ती िै ।
मसफ ररश की थी मक प्रभ वी और जव बदे ि सेव प्रद न
• यि सरक री सेव िें पेशेवरों के प श्वट प्रवेश के मिए एक
करने के मिए सूचन और संच र प्रौद्योमगकी (आईसीर्ी) क
अंतमनटमित आवश्यकत पैद करत िै ।
उपयोग मकय ज न च मिए।
लोकतं त्र की सशक्तता हे तु नौकरशाही में • जवाब दे यता: ईि नद र मसमवि सेवकों को दु भ ट वन पूणट
अमभयोजन और दु व्यटवि र से बच ने के मिए, िोत समिमत
सु िार
ने भ्रष्ट् च र मनव रण अमधमनयि की ध र 13 (1) (डी) और
मसमवि सेव ओं िें सुध र एक सतत प्रमिय िै और वतटि न 19 के स थ-स थ दं ड प्रमिय संमित की ध र 197 िें
सरक र द्व र ि ि के वर्षों िें कई पिि की गई िैं । संशोधन की मसफ ररश की।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• आउटकम ओररएं टे शन: मसमवि समवटस ररफॉम्सट पर o सत्यमनष्ठ सुमनमित करने के मिए िौजूद सतकटत
‘’होता कमेटी’’ ने 2004 िें मसफ ररश की थी मक व मर्षटक संच िन मनयि विी और मनदे शों की सिीक्ष करन ।
गोपनीय ररपोर्ट (एसीआर) को एक प्रदशटन प्रबंधन ढ ंचे के o भती, मनयुव्हक्त और प्रमशक्षण िें पिि के ि ध्यि से
स थ बदि मदय ज ए जो क यट योजन ओं पर सिित िोने मनयुव्हक्त िें प रदमशटत िें सुध र।
o सत्यमनष्ठ के आध र पर अमधक ररयों के प्रदशटन की
के बज य उद्दे श्य िूल्य ंकन पर अमधक ध्य न केंमद्रत करत
सिीक्ष करन ।
िै ।
PW-ONLYIAS EDGE: मुख्य के धलए प्रमुख वाक्ांश
• भती और िेसमेंट प्रधक्रया में धनष्पक्षता: नौकरी के
मववरण और चयन ि नदं ड क व्य पक प्रच र-प्रस र करें ि िफीत श िी, प्रकृमत िें अमभज त वगट , प्रश समनक
और िनि नेपन के तत्वों को खत्म करें । स्वीकृमत, ई-सिीक्ष , क नून क श सन, िनुष्य क श सन।
• धवशेषज्ता को बढावा दे ना: मसमवि सेव ओं िें सुध र की मसमवि सेव से संबंमधत चमचटत िुद्दे
कुंजी अमधक ररयों को उनके कररयर की शुरुआत िें धसधवल सेवकों के धलए संवगि मुद्दा
उनकी मशक्ष और कौशि के आध र पर मवशेर्षज्ञत ि मसि • सुप्रीि कोर्ट ने कि मक सफि मसमवि सेव उम्मीदव रों को
करने के मिए प्रोत्स मित करन िै । अपनी पसंद य अपने गृि र ज्य क कैडर आवंमर्त करने
क कोई अमधक र निीं िै , और यि भी कि मक चयन से
• पुनधविन्यास प्रधशक्षण: नौकरी-पररण ि उन्मुख िक्ष्यों को
पििे वे 'आं खें खोिकर' दे श िें किीं भी सेव करने क
पूर करने के मिए प्रमशक्षण को नवीनति िुद्दों और
मवकल्प चुनते िैं , िेमकन ब द िें गृि संवगट के मिए दब व
चुनौमतयों (मडमजर्ि ज गरूकत , जैव प्रौद्योमगकी, भू-
ड िते िैं ।
सूचन मवज्ञ न) पर ध्य न केंमद्रत करने के मिए पुन: उन्मुख
• अक्तखल भारतीय सेवाओं के साथ पुधष्ट्: अव्हखि भ रतीय
मकय ज न च मिए।
सेव के उम्मीदव र के रूप िें आवेदक ने खुिी आाँ खों से
• भमवष्य की पोव्हस्टंग के िूल्य ंकन और मनणटय िेने के मिए दे श िें किीं भी सेव करने क मवकल्प चुन िै ।
मध्य-कैररयर परीक्षा/कौशल मूल्यांकन मकय ज आईएएस कैडर धनयमों में बदलाव
सकत िै ।
• केंद्रीय प्रमतमनयुव्हक्त (2011 िें 309 से 2021 िें 223) के
• वाधषिक गोपनीय ररपोटि (एसीआर) को मल्टी मिए चुनने व िे IAS अमधक ररयों की कुि संख्य िें वृव्हद्
स्ट्े कहोल्डर फीडबैक (एमएसएफ) से बदलने पर (2014 िें 621 से 2021 िें 1130 तक) के ब वजूद केंद्र
धवचार : एसीआर को एिएसएफ से बदि ज सकत िै । सरक र ने IAS कैडर मनयि, 1954 िें संशोधन को
प रदमशटत और जव बदे िी बन ए रखने के मिए MSF क अमनव यट कर मदय िै।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• केंद्र सरक र र ज्य सरक र की िंजूरी की आवश्यकत के केंद्र सरक र (य मकसी अन्य र ज्य य पीएसयू) िें
मबन केंद्र सरक र और िंत्र ियों को IAS/IPS और IFoS प्रमतमनयुक्त मकय ज सकत िै।
अमधक ररयों को सौंपने क अमधक र ि मसि करने के मिए • चार नए पररवतिन पेश धकए गए हैं:
संशोधनों क उपयोग करन च िती िै।
1. र ज्यों को केंद्रीय प्रमतमनयुव्हक्त ररजवट (सीडीआर) के
राज्यों का धवरोि:
मिस्से के रूप िें ऐसे अमधक ररयों के न ि केंद्र के
• राज्यों के साथ कोई परामशि नही ं: संशोधन के मिए र ज्य मिए सुिभ बन ने च मिए।
सरक र को प्रमतमनयुव्हक्त के मिए उतनी संख्य िें अमधक री
2. केंद्र और र ज्य के बीच असििमत की व्हस्थमत िें , केंद्र
उपिब्ध कर ने की आवश्यकत िै मजतनी केंद्रीय
द्व र मवर्षय क मनध ट रण मकय ज एग , और र ज्य
प्रमतमनयुव्हक्त ररजवट की आवश्यकत िै ।
"एक मनध ट ररत अवमध के भीतर" केंद्र के मनणटय को
• टकराववादी संघवाद: केंद्र और र ज्यों के बीच तन व
प्रभ वी करे ग । ि ि ंमक इस प्र वध न क कई र ज्यों
बढने से एकतरफ मवकल्प बन ने से सिक री संघव द पर
ने मवरोध मकय थ ।
प्रमतकूि प्रभ व प़ि सकत िै ।
3. र ज्य को कुछ मवशेर्ष ि ििों िें जि ं "जनमित" िें
• अक्तखल भारतीय सेवा अधिकाररयों के बीच धनम्न
संवगट अमधक ररयों की सेव एं आवश्यक िैं , केंद्र
मनोबल: प्रस्त मवत संशोधनों क IAS अमधक ररयों की
सरक र के मनणटयों को ि गू करन च मिए।
स्वतंत्रत , सुरक्ष और िनोबि पर गंभीर प्रभ व प़िे ग ।
"स वटजमनक मित" शब् क उपयोग अब व्हस्थमतयों की
• केंद्र में प्रधतधनयुक्तक्त: मपछिे अनुभव से पत चित िै मक
एक मवस्तृत श्रृंखि िें मकय ज सकत िै ।
यमद आईएएस अमधक री केंद्रीय प्रमतमनयुव्हक्त पर निीं
4. यमद र ज्य सरक र र ज्य संवगट के अमधक री को केंद्र
ज न च िते िैं तो उन्हें दं ड त्मक पदों के रूप िें केंद्र िें
िें तैन त करने िें दे री करती िै और मनध ट ररत अवमध
प्रमतमनयुक्त मकय ज सकत िै।
के भीतर केंद्र सरक र के मनणटय को ि गू करने िें
• राज्य आईएएस अधिकाररयों की संख्या कम कर
मवफि रिती िै , तो केंद्र सरक र द्व र बत ई गई मतमथ
सकते हैं: प्रत्येक वर्षट आईएएस सं वगट की नौकररयों की
के अनुस र अमधक री को संवगट से िर् मदय ज एग ।
संख्य और आईएएस अमधक ररयों की संख्य कि करें ।
अभी अमधक ररयों को र ज्य सरक र से िंजूरी िेनी
• राज्य की स्वायत्तता पर प्रभाव: प्रस्त मवत पररवतटन भ रत
िोती िै ।
की संघीय र जनीमत अवध रण और र ज्य की स्व यत्तत के
मवरुद् ज त िै । यि संशोधन र ज्यों को मसमवि सेव ओं िें • इन संशोिन के प्रभाव:
ि त्र उप ं ग बन त िै । o दीघिकाधलक क्षधत: अपेमक्षत पररवतटनों क आईएएस
• केंद्र द्वारा दु रुपयोग: "मवशेर्ष व्हस्थमतयों" िें और स वटजमनक अमधक ररयों की स्वतंत्रत , सुरक्ष और िनोबि पर
मित िें आईएएस अमधक ररयों को भेजने की र ज्यों की गंभीर प्रभ व प़ित िै।
क्षित क र जनीमतक उद्दे श्यों के मिए दु रुपयोग मकय ज o यमद र ज्य आईएएस अमधक ररयों की वफ द री पर
सकत िै। उद . एसएसबी के िि मनदे शक के रूप िें संदेि करन शुरू करते िैं , तो संभ वन िै मक वे
अचटन र िसुंदरि आईपीएस की मनयुव्हक्त। आईएएस संवगट के पदों की संख्य और आईएएस
केंद्र सरकार ने प्रधतधनयुक्तक्त से संबंधित आईएएस (कैडर) अमधक ररयों की व मर्षटक भती को भी कि कर दें गे।
धनयम, 1954 के धनयम 6(1) में चार संशोिन प्रस्ताधवत धकए o यि मसमवि सेवकों के अपने कैडर को बन ए रखने
हैं। के मिए र ज्य की स्व यत्तत पर भी गंभीर रूप से
• िौजूद मनयि 6(1) िें कि गय िै मक एक कैडर अमतििण करत िै । क उं र्ी की संघीय र जनीमत को
अमधक री को केवि संबंमधत र ज्य सरक र की सििमत से प्रभ मवत करने व िे र ज्यों की स्व यत्तत को कि कर
मदय गय िै ।
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प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
एक संघीय व्यवस्थ िें यि अपररि यट िै मक केंद्र और र ज्यों के पािि प्रवेश (लेटरल एं टर ी ) मुद्दा:
बीच ितभेद और मवव द उत्पन्न िोंगे। िेमकन इस तरि के सभी • पदोन्नमत द्व र प रं पररक मसमवि सेवकों को न ि ं मकत
झग़िों को सिक री संघव द की भ वन और व्य पक र ष्ट्रीय मित करने के बज य, प श्वट प्रमवमष्ट् प्रश समनक पद नुिि के िध्य
को ध्य न िें रखते हुए िि मकय ज न च मिए। य वररष्ठ स्तरों पर डोिेन मवशेर्षज्ञों की सीधी भती पर ि गू
िोती िै ।
मध्य कैररयर धनष्पादन मूल्यांकन
लेटरल एं टर ी के संबंि में धवधभन्न धवशेषज् समूहों/सधमधतयों
• मिड-कैररयर प्रदशटन िूल्य ं कन क ितिब सरक री
की धसफाररशें-
किटच री और ररपोमर्ं ग अमधक री के बीच एक संयुक्त
• प्रथि प्रश समनक सुध र आयोग:
अभ्य स िै , मवशेर्ष रूप से प्रदशटन पर ध्य न दे ने के मिए
o इसने मवशेर्षज्ञत की आवश्यकत को पिच न
प्रत्येक मनमित अवमध के ब द।
क्योंमक सरक र के क यट मवमवध िो गए थे।
• िक्ष्यों को मनध ट ररत करते सिय, क यट की प्रकृमत और क्षेत्र
o ARC ने रे ख ं मकत मकय मक प्रदशटन िूल्य ंकन सशस्त्र
को ध्य न िें रखते हुए िदव र प्र थमिकत दी ज नी च मिए। बिों से अपन य ज सकत िै , जो अच्छ प्रदशटन निीं
• मध्य कैररयर प्रदशिन मूल्यांकन का महत्व: करने व िों को ब िर मनक िने िें िदद कर सकत
पररवेश िें प्रमतभ गी के क यट आध र िें ज्ञ न और o 2003 में सुररं दर नाथ सधमधत और 2004 में होता
सधमधत ने भी मसमवि सेव ओं िें डोिेन मवशेर्षज्ञत की
दक्षत को अद्यतन करे ग ।
मसफ ररश की थी।
o अच्छे िेिनती मसमवि सेवकों को पुरस्कृत मकय
• 2005 िें, दू सरे प्रशासधनक सुिार आयोग (एआरसी) ने
ज एग ।
केंद्र और र ज्य दोनों स्तरों पर िेर्रि एं र्र ी की मसफ ररश
o स्पष्ट् प्रदशटन ि नक तय मकय ज एग ।
की थी।
o क यट प्रकृमत (जॉब प्रोफ इि) िें बदि व के मिए
o ARC ने रे ख ं मकत मकय मक प्रदशटन िूल्य ंकन सशस्त्र
दक्षत ओं को मवकमसत करने िें िदद मििेगी, जैस
बिों से अपन य ज सकत िै , जो अच्छ प्रदशटन निीं
मक पदोन्नमत िोने पर िोत िै ।
करने व िों को ब िर मनक िने िें िदद कर सकत
o औपच ररक योग्यत ओं को बढ ने के मिए एक ि ध्यि
िै ।
के रूप िें भी क ि कर सकत िै , मजससे एक
• लेटरल एं टर ें स के पहले उदाहरण: नंदन नीिेकमण, िोंर्ेक
अमधक री िें अमधक मवश्व स पैद िोत िै ।
मसंि अििूव मिय , मवजय केिकर, अरमवंद सुब्रिण्यन,
o मनमित िक्ष्यों और मसमवि सेवकों के प्रदशटन की
और रघुर ि र जन सभी को मवमभन्न समिमतयों और संगठनों
मनरं तर ररपोर्ट के क रण र जनीमतक िस्तक्षेप िें किी क नेतृत्व करने के मिए सेव ओं के ब िर से ि य गय िै ।
के रूप िें िूल्य ंकन सख्ती से प्रदशटन पर आध ररत धवशेषज् या डोमेन धवशेषज् की आवश्यकता:
िै ।
o यि नौकरश िों को बेितर सिीक्ष प्र प्त करने के
मिए अमधक पररश्रि करने के मिए ब ध्य करे ग ।
o मवभ गों िें व्य वस मयकत को प्रेररत करें ।
o अकुशि िोगों को िर् ने से बेितर उम्मीदव रों के
मिए जगि बनेगी।
109
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• तकनीकी ज्ान: ये डोिेन मवशेर्षज्ञ नीमत मनि ट ण और इसके प्रबंधक भी ि िफीत श िी जैसे खर ब पररच िन
क य ट न्वयन से जु़िी जिीनी स्तर की अंतदृट मष्ट् और व त वरण िें पररण ि निीं दे सकते िैं ।
व स्तमवक चुनौमतय ाँ प्रद न कर सकते िैं । • प्रेररत रुधच: िोगों की अिग-अिग प्रेरण एाँ और रुमचय ाँ
• जधटल पररक्तस्थधतयााँ: प्रश सन से संबंमधत क यट अब िोती िैं । इस प्रक र, अल्प वमध के मिए अमधक ररयों के
अमधक से अमधक जमर्ि, तकनीकी और मवर्षय मवमशष्ट् िोते प श्वट प्रवेश से अनैमतक व्यवि र िो सकत िै ।
ज रिे िैं , इसमिए केवि एक मवशेर्षज्ञ िी उनसे प्रभ वी ढं ग • आं तररक झगड़ा: सरक री क मिटक प्रबंधन प्रण िी िें
से मनपर् सकत िै । अमवश्व स क एक वोर् ब़िे पैि ने पर प श्वट प्रवेश के
• क्षेत्र ज्ान की कमी: स ि न्य य प रं पररक नौकरश ि क्षेत्र पररण िस्वरूप िोग ।
िें व स्तमवकत से अवगत निीं िैं । उद . मशक्ष पृष्ठभूमि के
• धसधवल सेवकों की भूधमका का कमजोर होना : मसमवि
रूप िें कि व िे आईएएस अमधक री स इबर सुरक्ष
सेवकों को पििे से िी संस्थ गत रूप से दक्षत के स थ
चुनौमतयों को निीं सिझ सकते।
सुस्थ मपत पररदृश्यों िें प रं गत बन य ज ये। िेर्रि एं र्र ी
• शासन और प्रदशिन में सुिार: 2017-2020 के मिए नीमत
उनके िनोबि को किजोर करे गी।
आयोग क तीन वर्षीय क यट एजेंड , क्योंमक यि "िौजूद
लेटरल एं टर ी से जुड़ी चुनौधतयााँ:
कररयर नौकरश िी िें प्रमतस्पध ट त्मकत को बढ एग ।"
• नौकरश िी के मवरोध क स िन करन प़ि सकत िै :
• अधिकारी ररक्तक्त अंतर को भरना : दे श िें िगभग 1,500
o सहयोग की कमी: िौजूद अमधक री ब िरी िोगों के
IAS अमधक ररयों की किी िै (क मिटक डे र् िंत्र िय) जैसे
स थ क ि करने के मिए अमनच्छु क िो सकते िैं ,
बसव न समिमत (2016) ने भी इन ररव्हक्तयों को भरने के
मजसके पररण िस्वरूप स ि न्यज्ञों और मवशेर्षज्ञों के
मिए प श्वट प्रमवमष्ट् की वक ित की थी।
बीच अपररि यट संघर्षट िो सकत िै ।
• सरकार में प्रधतभा का प्रवेश और प्रधतिारण: छठे
o पद नुिमित क यट संस्कृमत को अपन ने िें कमठन ई,
केंद्रीय वेतन आयोग की ररपोर्ट (2006) के अनुस र, प श्वट
मजसिें अन्य ब तों के अि व , िोग एक दू सरे से कैसे
प्रमवमष्ट् "उन पदों के मिए भी सरक र िें प्रमतभ क प्रवेश
और प्रमतध रण सुमनमित करे गी मजनकी खुिे क्षेत्र िें उच्च संपकट करते िैं , वे मकतनी जल्दी क ि करते िैं , वे
110
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• फील्ड अनुभव की कमी: प्रवेश करने व िे अमधक ररयों के ब रे िें ज गरूकत ने कोमवड के प्रमत सरक र की
के प स डोिेन ज्ञ न िो सकत िै, िेमकन उनके प स फील्ड प्रमतमिय को कि कर मदय ।
अनुभव की किी िो सकती िै । o संसािनों का उपयोग करने में धवफल: संस धनों
• आरक्षण: यि अज्ञ त िै मक िेर्रि एं र्र ी के ि ध्यि से भती की उपिब्धत क ऑमडर् निीं मकय गय मजसके
के मिए आरक्षण िोग य निीं। क रण श सन मवफि हुआ। कुछ क्षेत्रों िें, प्रय सों क
दोिर व थ ।
• भती में पारदधशिता: प श्वट प्रवेश पर मववेक मधक र से
o उपेधक्षत दृधष्ट्कोण: अमनयोमजत शिरी सिूिों की
"र जनीमत से प्रेररत" िोने क आरोप िग य ज सकत िै ,
उपेक्ष करन । उद . ध र वी को तब तक उपेमक्षत
मजससे मसस्टि को नीच मदख य ज सकत िै ।
मकय गय जब तक मक बहुत दे र निीं िो गई।
आगे की राह
o बोधझल प्रधक्रया: मपछिे कुछ ििीनों िें सरक र 400
• ब िर से नेतृत्व क पीछ करने के बज य, एक िजबूत
से अमधक मनयिों और मवमनयिों के स थ आई, मजससे
प्रबंधन संरचन भीतर से रचन त्मकत को प्रोत्स मित करती
न गररकों के मिए व्हस्थमत अमधक से अमधक दस्त वेज
िै और उसक पोर्षण करती िै ।
आध ररत िो गई। उद . सोिेमर्यि प्र प्त करने के
• सि ध न िेर्रि इं डक्शन निीं िै , बव्हि अमधक कठोर मिए दस्त वेज।
प्रदशटन िूल्य ं कन और बेितर स्ट फ प्रबंधन िै।
o केंद्रीकृत प्रवृधत्त: पििी कोमवड-19 ििर के दौर न,
• भ रत की मसमवि सेव िें र जनीमतक दब व से सुरक्ष और िि ि री मवज्ञ मनयों ने सरक र पर कोमवड-19
मवशेर्षज्ञत -आध ररत कैररयर ि गट जैसे सुध रों की रणनीमत तय करने िें िॉडिर और नौकरश िों की
आवश्यकत िै । ब त सुनने क आरोप िग य ।
सरक र कुछ मिशन-िोड पररयोजन ओं और स वटजमनक क्षेत्र के केस स्ट्डीज और सवोत्तम अभ्यास: कोधवड और
संगठनों के मिए िेर्रि एं र्र ी पर मवच र कर सकती िै जि ं मनजी नौकरशाही
क्षेत्र की मवशेर्षज्ञत िित्वपूणट िै । यि मनजी क्षेत्र और सरक री
• डॉक्टर से नौकरश ि बने िि र ष्ट्र के नंदुरब र के
किटच ररयों क एक संयोजन िोन च मिए।
किेक्टर डॉ. र जेंद्र भ रु़ि ने िेमडकि ऑक्सीजन की
पय ट प्त आपूमतट, अस्पत ि के मबस्तर, कोमवड-19 रोमगयों
धसधवल सेवा और COVID-19
के मिए आइसोिेशन व डट और एक सुमनयोमजत
• "मजज्ञ सु और क गजी, जुनूनी भ रत सरक र िग त र गित र्ीक करण अमभय न के स थ मजिे को च िू रखने िें
कदि उठ रिी थी क्योंमक उसे िौजूद घर्न ओं के ब रे िें
क िय बी ि मसि की िै ।
गित ज नक री थी"- स्वगीय सर सी.ए बेिी
• िोमित मजिे िें क ि करने व िे प्रव सी श्रमिक घर
• यि कोमवड संकर् के दौर न और अमधक स्पष्ट् िो गय । व पस निीं गए िैं , इसके बज य मप्रंस धवन आईएएस के
िि ि री की दू सरी ििर क सबसे खर ब चरण केंद्र और
तित मजि प्रश सन ने न केवि िॉकड उन ि गू िोने
र ज्य स्तर पर नौकरश िी की मवफित से जमर्ि कोमवद पर र शन और आपूमतट के स थ उनकी दे खभ ि की,
संकर् के मिए सरक र की घोर अपय टप्त प्रमतमिय क बव्हि प्रमतबंध िर्ने पर उन्हें नौकरी की पेशकश की।
पररण ि थ ।
• 'भीिव ़ि िॉडि' कोमवड-19 के प्रस र को रोकने िें
• प्रणालीगत धवफलता: इतन सफि रि िै - "मनिटि रोकथ ि"। भीिव ़ि के
o तालमेल की कमी :सरक र के मवमभन्न अंगों के बीच मजि िमजस्टर े र् को इसकी अवध रण क श्रेय मदय
त ििेि की किी और उनिें से प्रत्येक की क्षित ओं ज त िै ।
111
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• रे िवे के कोचों को आइसोिेशन व डट िें बदि गय । • शासन पर नकारात्मक प्रभाव: मसमवि सेवकों को अपने
रे िवे ने आइसोिेशन यूमनर् के रूप िें क ि करने के क ि िें पय ट प्त ज्ञ न और अनुभव प्र प्त करने के मिए िंबे
मिए िगभग 64000 मबस्तरों के स थ िगभग 4000 सिय तक एक पद पर बने रिने की अनुिमत निीं िै ।
आइसोिेशन कोचों क एक बे़ि तैन त मकय िै । इन • मकसी भी पद पर संतोर्षजनक क यटक ि पूर करने से
आइसोिेशन कोचों को आस नी से स्थ न ं तररत मकय पििे अमधक ररयों की ब र-ब र और अनुमचत पदोन्नमत को
ज सकत िै और भ रतीय रे िवे नेर्वकट पर ि ं ग के िंबे सिय से प्रश समनक ि नकों िें मगर वर् के मिए दोर्षी
स्थ नों पर तैन त मकय ज सकत िै । ठिर य ज त रि िै ।
ने तीन सदस्ीय मसमवि सेव बोडट (सीएसबी) क गठन • धसधवल सेवकों को राजनीधतक दबाव से अलग करना:
मकय िै । यि नौकरश िी को र जनीमतक दब व से बच ने िें िदद
करत िै और मसमवि सेवकों के अन वश्यक और ब र-ब र
• भारत में धसधवल सेवा बोडि का धवकास:
िोने व िे तब दिों को सि प्त करत िै , जो कि मसमवि
o होता सधमधत (2004) और धद्वतीय एआरसी की
सेवकों के िनोबि और कि प्रश समनक ि नकों क एक
मसफ ररशों के ब द, 2016 के क मिटक मवभ ग के
प्रिुख क रण िै ।
मनयिों ने सभी र ज्यों के मिए ऐसे बोडट बन न
अमनव यट कर मदय । • धनष्पक्षता की भावना को बढावा दे ना: यि मसमवि
सेवकों को उनके क ि िें तर्स्थत और मनष्पक्षत बन ए
• र्ी एस आर सुब्रिण्यि और अन्य बन ि भ रत संघ
रखने िें भी सुमवध प्रद न करे ग ।
ि ििे (2013) िें सुप्रीि कोर्ट ने नौकरश िी को
र जनीमतक िस्तक्षेप से बच ने के मिए अन्य ब तों के • सुरक्षा की भावना को बढावा दे ना: यमद अमधक ररयों क
अि व , नौकरश िों की पदोन्नमत और पोव्हस्टंग पर एक मनध ट ररत क यटक ि िै तो वे प्रभ वी प्रश सन करने िें
मवच र करने के मिए केंद्र और र ज्यों को एक मसमवि सक्षि िोंगे और यि सेव मवतरण िें सुश सन सुमनमित
• सीएसबी क नेतृत्व र ज्य के िुख्य समचव द्व र मकय ज त सबसे नय र ज्य िै । उद िरण के मिए, िध्य प्रदे श और
िै , मजसिें र ज्य के सबसे वररष्ठ अमतररक्त िुख्य समचव य तमििन डु ने बोडट की स्थ पन के मिए अमनव यट मनयिों क
अध्यक्ष, र जस्व बोडट , मवत्तीय आयुक्त, य तुिनीय रैं क और प िन निीं मकय िै।
व्हस्थमत के एक अमधक री समित सदस् िोते िैं । • धहतों का टकराव: बोडट क नेतृत्व नौकरश ि करें गे
• इसिें एक सदस् समचव भी िोग जो र ज्य सरक र क मजनक प्रमिय के पररण ि िें मनमित स्व थट िो सकत िै ।
धसधवल सेवा बोडि की आवश्यकता: • राजनीधतक वगि का हस्तक्षेप: सरक रों के प स मसमवि
सेव बोडट की मसफ ररश िें संशोधन करने , बदिने य
• कायिकाल की सुरक्षा सुधनधित होना : एक आईएएस
अस्वीक र करने क अमधक र िै , मजन क रणों को मिव्हखत
अमधक री अभी भी एक पद पर औसतन िगभग 15 ििीने
रूप िें दजट मकय ज न च मिए।
िी मबत त िै , जो अमनव यट 3-5 स ि से बहुत कि िै ।
112
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
• राजनीधतक सत्ता में असुरक्षा-सत्ता में असुरक्षा की • इसक उद्दे श्य नए भ रत (न्यू इं मडय ) के दृमष्ट्कोण के
भ वन क पनपन क्योंमक उनक ि नन िै मक मनमित अनुरूप सिी ि नमसकत , कौशि और मवशेर्षज्ञत के स थ
क यटक ि खंड से उनक मनयंत्रण कि िो गय िै , क्योंमक भमवष्य के मिए तैय र मसमवि सेव क मनि ट ण करन िै।
सीएसबी के प स स्थ न ं तरण मसफ ररश की सिीक्ष करने • इसक उद्दे श्य भ रतीय िोक सेवकों को भमवष्य के मिए
क एकि त्र अमधक र िै । अमधक नवोन्मेर्षी, सक र त्मक, रचन त्मक, रचन त्मक,
टर ांसफर और पोक्तस्ट्ंग से धनपटने के धलए सरकार द्वारा धकए प्रगमतशीि, ज्ञ नव न, उत्स िी, खुि और प्रौद्योमगकी को
गए अन्य उपाय: सशक्त बन न िै ।
क यट करने की अनुिमत दे ग , जो भ रत िें सुश सन के मिए बदिने के मिए ि ि के वर्षों िें एक ब़ि सुध र मकय गय
आवश्यक िै । िै ।
मसतंबर 2020 िें केंद्रीय िंमत्रिंडि ने 'मिशन किटयोगी' न ि से • इस योजन िें सभी स्तरों पर केंद्र सरक र के 46 ि ख
र ष्ट्रीय न गररक सेव क्षित मनि ट ण क यटिि (NPCSCB) को किटच री श मिि िोंगे और इसकी ि गत प ंच वर्षों िें 510
113
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
क मिि न करके मसमवि सेवकों के क यट अस इनिेंर् को धमशन कमियोगी कायिक्रम से जुड़ी चुनौधतयााँ:
संरेव्हखत करन श मिि िै । • भारतीय नौकरशाही का रूधढवादी दृधष्ट्कोण: भ रतीय
• एक स ि न्य प्रमशक्षण प्रौद्योमगकी व त वरण क मनि टण नौकरश िी अमनव यट रूप से अपररवमतटत और रूमढव दी
करन , मजसिें मशक्षण स िग्री, संस्थ न और किटच री बनी हुई िै । यि सुध रों और नए मवच रों क मवरोध करत
श मिि िों। िै ।
• सभी मसमवि सेव पदों के मिए भूधमकाओं, गधतधवधियों • दू रस्थ स्व-धशक्षण अमग्रिपंव्हक्त (रंर्ि इन) के
और दक्षताओं (FRACs) के दृमष्ट्कोण क ढ ंच ि गू क यटकत टओं को पूरक कौशि प्र प्त करने और उनके
करन । अनुभव को त ज करने िें िदद कर सकत िै , िेमकन यि
• क्षेत्रगत ज गरूकत तैय री के अि व , योजन "कायाित्मक ििेश िूि ज्ञ न मवकमसत करने क सबसे अच्छ मवकल्प
और व्यवहाररक दक्षताओं" के स थ-स थ एक प्रदशिन निीं िोत िै ।
मूल्यांकन प्रबंिन प्रधक्रया पर भी ध्य न केंमद्रत करे गी।
• प्रणाली का अधतकेंद्रीकरण: एक गमतशीि स वटजमनक
• कायिक्रम मॉड्यूल और संस्थागत संरचना: एकीकृत सेव क यटबि के मिए एक मवकेन्द्रीकृत प्रमशक्षण और
सरक री ऑनि इन प्रमशक्षण (iGOT) किटयोगी िंच क
सीखने की रूपरे ख आवश्यक िै ।
उपयोग क यटिि को मवतररत करने के मिए मकय ज एग ।
धमशन कमियोगी के अभीष्ट् लाभ:
क्षित मनि ट ण के संदभट िें, लेर्फॉिट स वध नीपूवटक तैय र
• सेवा धवतरण में जवाबदे ही और पारदधशिता से
की गई मडमजर्ि ई-िमनंग स िग्री को श मिि करे ग ।
श अभीसन को बढ व मििेग । इसके अि व , यि
इसके अमतररक्त, यि सेव से संबंमधत अन्य ि ििों को
एकीकृत करे ग जैसे पररवीक्ष धीन अवमध के ब द पुमष्ट्, स्थ नीय स्तर पर आवश्यकत के प्रमत मसमवि सेवकों की
• प्रिानमंत्री की मानव संसािन (एचआर) पररषद: • नागररक-केंधद्रत दृधष्ट्कोण: "ऑन-स इर् िमनंग" सरक र
प्रध निंत्री की अध्यक्षत िें, यि मिशन को रणनीमतक और िोगों के बीच की ख ई को प र्ने िें िदद करे ग ।
ि गटदशटन प्रद न करने के मिए शीर्षट मनक य के रूप िें इसके अि व , यि स्थ नीय स्तर पर आवश्यकत के प्रमत
क यट करे गी। मसमवि सेवकों की जव बदे िी को बढ व दे ग ।
• क्षमता धनमािण आयोग: मनम्नमिव्हखत मनरीक्षण भूमिक • सभी स्तरों पर िध्य स्तर के प्रमशक्षण की किी ने
मनभ ने के मिए गमठत- स ि न्यीकरण और मवशेर्षज्ञत के बीच असि नत पैद कर
o यि व मर्षटक क्षित -मनि ट ण योजन ओं को बन एग दी िै । इस प्रक र यि मिशन इस अंतर को कि करे ग ।
और र्र ै क करे ग स थ िी सरक र के ि नव संस धनों • प्रौद्योमगकी संच मित मशक्ष और संस्थ नों िें प्रमशक्षण िक्ष्यों
क िेख -जोख करे ग । और मशक्ष श स्त्र के ि नकीकरण के पररण िस्वरूप भ रत
o मसमवि सेव क्षित के मवक स से संबंमधत सभी के मसमवि सेवक अमधक रचन त्मक, सक्षि, प्रगमतशीि
केंद्रीय प्रमशक्षण संस्थ नों की क य टत्मक मनगर नी और प्रौद्योमगकी-सक्षि िो गए िैं।
करें ।
मिशन किटयोगी क अंमति िक्ष्य सरक र और जनत के बीच
o ि नव संस धन प्रबंधन, भती और क्षित मनि ट ण के
की ख ई को प र्न िै । उन्हें आि आदिी के मिए "ईज ऑफ
क्षेत्र िें सरक र की नीमतगत पििों की मसफ ररश
मिमवंग" के स थ-स थ न गररक-केंमद्रतत और "ईज ऑफ डूइं ग
करन ।
मबजनेस" प्रद न करके, जो सरक र और िोगों के बीच की ख ई
o सिन्वय इक ई क नेतृत्व कैमबनेर् समचव करें गे।
को प र्त िै ।
114
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
मुख्य परीक्षा के धलए प्रमुख वाक्ांश स ि मजक-आमथटक मवक स की प्रमिय िें ब ध ड िी िै ।"
मर्प्पणी।
मिशन किटयोगी, अमतकेंद्रीकरण, ि नव संस धन, सरक री
ऑनि इन प्रमशक्षण, आं तररक संघर्षट, प्रथि एआरसी, मदतीय 5. "भ रत िें जनस ं व्हख्यकीय ि भ ंश तब तक केवि
छात्र का नोट:
115
प्रहार 3.0 शासन व्यवस्था
116
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
1
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
जिषय सूची
1. सामाजिक न्याय: पररचय....................................................................................................................................6
सामाजिक न्याय से क्या तात्पयय है?.................................................................................................................................................... 6
सामाजिक न्याय के जिए संजिधान में प्रािधान................................................................................................................................... 6
भारत में सामाजिक न्याय की क्या आिश्यकता है ? ........................................................................................................................... 6
सामाजिक न्याय प्राप्त करने की चुनौजतयााँ क्या हैं? ............................................................................................................................ 7
सामाजिक न्याय सुजनजित करने के जिए क्या कदम उठाए गए हैं? .................................................................................................... 8
भारत में कल्याणकारी योिनाओं की प्रभािशीिता .......................................................................................................................... 9
सामाजिक न्याय के सामाजिक आदशों को प्राप्त करने के जिए जकन कदमों की आिश्यकता है ? .................................................... 11
5. मजहिाएं ........................................................................................................................................................ 42
पररचय ........................................................................................................................................................................................... 42
मजहिाओं के जिरुद्ध अपराधों से कानूनी संरक्षण ............................................................................................................................ 43
मजहिा सशक्तक्तकरण के जिए योिनाएाँ .......................................................................................................................................... 44
मजहिा कल्याण के जिए संस्थाएाँ ..................................................................................................................................................... 45
मजहिा कल्याण के जिए जिधायी हस्तक्षेप ....................................................................................................................................... 45
मजहिाओं के जिए कल्याणकारी योिनाएाँ /काययक्रम ....................................................................................................................... 52
समाचारों में मुद्दे ............................................................................................................................................................................. 57
2
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
6. बच्चे .............................................................................................................................................................. 72
पररचय ........................................................................................................................................................................................... 72
तथ्य और आं कडे ............................................................................................................................................................................ 72
एएसईआर ररपोटय 2022 के मु ख्य जनष्कषय ...................................................................................................................................... 72
बच्चों से िु डे मुद्दे ............................................................................................................................................................................. 73
बच्चों के जिए संिैधाजनक सुरक्षा उपाय ........................................................................................................................................... 73
बच्चों के कल्याण के जिए जिधायी हस्तक्षेप ...................................................................................................................................... 73
बच्चों के कल्याण के जिए संस्थागत ढांचा ........................................................................................................................................ 74
केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राजधकरण (CARA) ........................................................................................................................... 76
बच्चों के जिए कल्याणकारी योिनाएाँ .............................................................................................................................................. 76
राष्ट्रीय बाि नीजत, 2013 ................................................................................................................................................................. 77
बाि श्रम ......................................................................................................................................................................................... 77
बाजिकाओं के जिए योिनाएं .......................................................................................................................................................... 78
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योिना का आिोचनात्मक जिश्लेषण ....................................................................................................... 78
एकीकृत बाि जिकास योिना का आिोचनात्मक जिश्लेषण ........................................................................................................... 79
समाचार में मुद्दे ............................................................................................................................................................................... 80
3
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
4
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
5
Offline / Online
IDMP
INTEGRATED DAILY MCQ s + MAINS ANSWER WRITING PROGRAM
Prelims + Mains Test Series 2024
168 171
Prelims Tests 1 2 Mains Tests
CSAT NCERT
Module 3 4 Module
Regular Expert
Mentorship 7 8 Evaluation
of All Tests
● संयुक्त राष्ट्र के अनुसार , “सामाबजक न्याय को मोर्े तौर पर आबथटक बवकास के पररणामों के उजचत और समान जितरण के रूप में
समझा जा सकता है ।“
● यह इस दृबिकोण की वकालत करता है बक हर कोई समान आबथटक, राजनीबतक और सामाबजक अबिकारों और अवसरों का हकदार है ।
● सामाबजक न्याय के मूल बसद्ां तों में मानवाबिकार, पहं च, भागीदारी और समानता शाबमल हैं ।
● अनुच्छेद 14 - समानता का अबिकार। ● प्रस्तािना - अपने सभी लोगों को सामाबजक, आबथटक और राजनीबतक
● अनुच्छेद 15 - िमट, मूलवंश, जाबत, बलंग या जन्म न्याय की गारं र्ी दी; क्तस्थबत और अवसर की समानता।
स्थान के आिार पर भेदभाव को रोकता है । राज्य के नीजत जनदे शक जसद्धां त:
● अनुच्छेद 15 (4) - अनुसूबचत जाबत एवं जनजाबत ● अनुच्छेद 38 - राज्य लोगों के कल्याण को िढावा दे ने के बलए एक
की उन्नबत के बलए बवशेष प्राविान/आरक्षण। सामाबजक व्यवस्था सुबनबित करे गा।
● अनुच्छेद 16 - सावटजबनक रोजगार के मामलों में ● अनुच्छेद 39 - नागररकों, पुरुषों और मबहलाओं के अबिकारों को समान
अवसर की समानता। रूप से सुरबक्षत करने के बलए राज्य में पालन बकए जाने वाले नीबत के कुछ
● अनुच्छेद 16(4) - बपछडे वगों के बलए आरक्षण। बसद्ां त जैसे आजीबवका के पयाट प्त सािन; पुरुषों और मबहलाओं दोनों के
● अनुच्छेद 17 - अस्पृश्यता को समाप्त बकया गया बलए समान काम के बलए समान वेतन; श्रबमकों के स्वास्थ्य और शक्ति,
िचपन और युवावस्था को शोषण और नैबतक एवं भौबतक पररत्याग आबद
● अनुच्छेद 19 - भाषण और अबभव्यक्ति की
से िचाया जाए।
स्वतंत्रता की गारं र्ी दे ता है ।
● अनुच्छेद 39ए - राज्य उपयुि कानून या योजनाओं द्वारा समान न्याय
● अनुच्छेद 21 - जीवन और स्वतं त्रता का अबिकार।
और मुफ्त कानूनी सहायता सुबनबित करे गा।
● अनुच्छेद 23 - तस्करी, िेगार (िलात् श्रम) और
● अनुच्छेद 41 - इसका उद्दे श्य िेरोजगारी, िुढापा, िीमारी, बवकलां गता
इसी प्रकार के अन्य जिरन श्रम पर रोक लगाता
और अवां बछत अभाव के मामलों में व्यक्तियों के बलए काम, बशक्षा और
है ।
सावटजबनक सहायता के अबिकार संरबक्षत करना है ।
● अनुच्छेद 24 - कारखानों में िच्ों के रोजगार पर
● अनुच्छेद 46 - अनुसूबचत जाबत, अनुसूबचत जनजाबत और अन्य कमजोर
प्रबतिंि।
वगों के शैबक्षक और आबथटक बहतों को िढावा दे ना।
जैसा बक अमत्यय सेन कहते हैं , सरकार को गरीिी को समाप्त करने के बलए पोषण, स्वास्थ्य, बशक्षा और सामाबजक सुरक्षा पर अपने खचट को
िढाकर एक क्षमता दृजष्ट्कोण अपनाना चाजहए।
● आजथयक जिकास: सरकार द्वारा सामाबजक क्षेत्र पर खचट िढाने से उपभोिा मां ग में वृक्तद् होगी बजससे आबथटक सुिार होगा।
● िनसांक्तख्यकीय िाभां श: मानव पूंजी पर खचट करने से भारत को जनसां क्तिकीय लाभां श का लाभ उठाने में मदद बमलेगी।
● असमानताओं को कम करना: हाल ही में जारी की गई ऑक्सफैम की ररपोटय "असमानता मारती है", में कहा गया है बक महामारी ने
अरिपबतयों की संपबि में अि तक का सिसे िडा उछाल पैदा बकया है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o दु जनया के 10 सबसे अमीर िोगों ने अपनी संपदा दोगु नी कर िी है, जिबक 160 बमबलयन से अबिक लोगों को गरीिी में िकेल
बदए जाने का अनुमान है ।
o भारत में महामारी के िाद K-आकार की आजथयक ररकिरी भारत में बढी हुई असमानताओं को दशायती है। इससे सरकार को
सामाबजक क्षेत्र में खचट िढाने की जरूरत का पता चलता है ।
● गरीबी और भुखमरी कम करना: सरकारों द्वारा सामाबजक क्षेत्र के खचट में कमी गरीिों को गैर -खाद्य आवश्यक वस्तुओं पर अबिक
खचट करने के बलए मजिूर करती है , बजससे मानव संसािन बवकास, स्वास्थ्य और बशक्षा पर उनका खचट कम हो जाता है ।
● समािेशी जिकास: यू एनडीपी द्वारा िारी मानि जिकास सूचकांक (एचडीआई) ररपोर्ट 2021-22 में भारत 189 में से 132वें स्थान पर
है ।
● क्षेत्रीय असमानताएाँ : बिहार में साक्षरता दर लगभग
63% है , जिबक केरल में यह 96% से अबिक है , जो
शैबक्षक उपलक्ति में क्षेत्रीय असमानताओं को दशाट ता
है ।
● सामाजिक बजहष्कार: दबलत, ऐबतहाबसक रूप से
हाबशए पर रहने वाले समुदाय, जाबत-आिाररत
भेदभाव का अनुभव लगातार करते हैं और अक्सर
सामाबजक िबहष्कार के अिीन होते हैं , बजससे
सामाबजक और आबथटक गबतशीलता के उनके
अवसर सीबमत हो जाते हैं ।
● िैंजगक असमानता: भारत में मबहला श्रम िल भागीदारी दर लगभग 20% है , जो वैबिक औसत 47% से काफी कम है , जो आबथटक
भागीदारी में लैंबगक अंतर को दशाट ता है ।
भारत के जिजभन्न कमजोर िगय कौन-से हैं ?
● सामाबजक न्याय और अबिकाररता बवभाग को समाि के िंजचत और हाजशए पर रहने िािे िगों के सशक्तक्तकरण का काम सौंपा
गया है।
● मंत्रािय के िक्ष्य समूह हैं:
o अनुसूबचत जाबत
o अन्य बपछडा वगट
o वररष्ठ नागररक
o मादक द्रव्यों के सेवन के बशकार
o बवमुि, घुमंतू और अिट -घुमंतू जनजाबतयााँ
o बभखारी
o र्् ां सजेंडर
● िागरूकता की कमी: इन योजनाओं के पीछे अच्छे इरादों के िावजूद, उनकी प्रभावशीलता अक्सर जागरूकता की कमी और
लाभाबथटयों की सबिय भागीदारी में कमी जैसे कारकों से िाबित होती है ।
o महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोिगार गारं टी अजधजनयम (मनरे गा): िडी संिा में लाभाबथटयों को इस योजना के तहत अपने
अबिकारों के िारे में जानकारी नही ं है , बजसमें आवेदन के 15 बदनों के भीतर काम उपलि नही ं होने की क्तस्थबत में िेरोजगारी भिे
का प्राविान भी शाबमल है ।
● ख़राब जडजाइन: डे र्ा की कमी के कारण और लक्ष्य समूहों की जरूरतों और प्राथबमकताओं की उबचत समझ न होने के कारण, नीबतयों
को खराि तरीके से बडजाइन बकया जाता है , बजससे अक्षमताओं और अप्रासंबगकता को िढावा बमलता है ।
o उदाहरण के बलए, भारत में साियिजनक जितरण प्रणािी (पीडीएस) को जिजभन्न समूहों की जिजशष्ट् पोषण संबंधी
आिश्यकताओं को पयायप्त रूप से संबोजधत नही ं करने के जिए आिोचना का सामना करना पडा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● कायायन्वयन: खराि कायाट न्वयन और कायाट न्वयन प्रबियाओं से िबहष्कार के कारण कुप्रिंिन, भ्रिाचार हो सकता है और योजना का कम
उपयोग हो सकता है ।
● जनगरानी और मू ल्यांकन: बनगरानी और मूल्यां कन में लक्ष्य समूहों की सबिय भागीदारी के बिना, योजनाओं में कबमयों की पहचान
करना और उन्हें दू र करना मुक्तिल हो जाता है , बजससे लगातार अक्षमताएं पैदा होती हैं ।
o “एकीकृत बाि जिकास सेिा" (आईसीडीएस) योजना की अपयाट प्त बनगरानी और मूल्यां कन के बलए आलोचना की जाती है ।
o इसके पररणामस्वरूप भोजन की आपूबतट में अबनयबमतताएं , भोजन तैयार करने और परोसने में स्वच्छता की कमी और डे र्ा की
ररकॉबडिं ग और ररपोबर्िं ग में बवसंगबतयां जैसे मुद्दे सामने आए हैं ।
● अन्य चुनौजतयााँ: गरीिी की उच् घर्ना और कम शैबक्षक उपलक्ति भारत में कमजोर वगों के सामने आने वाली दो प्रमुख चु नौबतयााँ हैं ।
o कुपोषण का उच् स्तर और साथटक आबथटक सहभाबगता के सीबमत अवसर।
कम सामाजिक क्षेत्र खचय
संदभय:
● िजर् 2022-23 में समग्र सामाबजक क्षेत्र के खचट में कमी दे खी गई, बजसमें बशक्षा, कल्याण, आवास और सामाबजक कल्याण शाबमल
हैं ।
● चािू जित्त िषय में सामाबजक क्षेत्र पर व्यय कुल व्यय के 6.5% से घर्कर 6.1% होने का अनुमान है । ये कर्ौती बनम्नबलक्तखत क्षेत्रों में
दे खी गई है -
o खाद्य सक्तिडी में कमी: 2022-23 के बलए आवंबर्त खाद्य सक्तिडी (िीई) 2.06 लाख करोड है (बपछले वषट के आवंर्न 2.86
लाख करोड से कम) केवल बनयबमत एनएफएसए अबिकारों को कवर करने के बलए पयाट प्त है ।
o मध्याह्न भोिन योिना आिंटन में कमी: इस योजना के बलए आवंर्न बपछले साल के 11,500 करोड से घर्कर इस साल
10,233 करोड हो गया है ।
o स्वास्थ्य बिट में नाममात्र िृक्तद्ध: 83,000 करोड रुपये का समग्र स्वास्थ्य िजर् 2021-22 के बलए िीई से केवल 16% अबिक
है और 2021-22 के आरई (82,921 करोड रुपये) की तुलना में 1,000 करोड रुपये से कम है ।
● सक्षम आं गनवाडी, मातृत्व अबिकार (पीएम मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना) और सामाबजक सुरक्षा पेंशन जैसी महत्वपूणट
योजनाओं के बलए िजर् बपछले वषट के आवंर्न के समान ही है ।
● अंतरायष्ट्रीय श्रम सं गठन (ILO) द्वारा जडसेंट िकय कंटर ी प्रोग्राम: बदसंिर 2022 में, ILO के घर्कों ने भारत 2023-27 के बलए बडसें र् वकट
कंर्् ी प्रोग्राम (DWCP) पर हस्ताक्षर बकए।
o डीडब्ल्यूसीपी समुबचत उत्पादक नौकरी के अवसर पैदा करने, अपने नागररकों के बलए स्थायी आजीबवका िनाने, पयाट प्त सामाबजक
सुरक्षा प्रणाली सुबनबित करने आबद की राि्ीय प्राथबमकताओं पर आिाररत है ।
● SMILE-75 पहि: भारत सरकार ने गरीिी और बभक्षावृबि की मौिूदा समस्या के समाधान के जिए SMILE (आिीजिका और उद्यम
के जिए हाजशए पर रहने िािे व्यक्तक्तयों हेतु सहायता) की एक व्यापक योिना तै यार की है ।
o इसके तहत पचहत्तर नगर जनगम, गैर सरकारी सं गठनों और अन्य बहतिारकों के सहयोग से भीख मां गने के कायट में लगे
व्यक्तियों के बलए पुनवाट स, बचबकत्सा सुबविाओं के प्राविान, परामशट, जागरूकता, बशक्षा, कौशल बवकास पर व्यापक ध्यान दे ने के
साथ कई व्यापक कल्याणकारी उपाय करें गे।
● सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय: यह सामाबजक न्याय और समाज के कमजोर वगों के सशक्तिकरण से संिंबित नीबतयों
और कायटिमों के बनमाट ण और कायाट न्वयन के बलए बजम्मेदार है ।
o मंत्रालय अनुसूबचत जाबत (एससी), अनुसूबचत जनजाबत (एसर्ी), अन्य बपछडा वगट (ओिीसी), बवकलां ग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) और
वररष्ठ नागररकों के कल्याण पर ध्यान केंबद्रत करता है ।
● जिधायी उपाय: भारत ने ऐबतहाबसक रूप से वंबचत जाबतयों और जनजाबतयों, बवकलां गों, र्् ां सजेंडरों आबद के उत्पीडन, असमानता और
भेदभाव को दू र करने और उनकी सामाबजक आबथटक क्तस्थबत में सुिार करने के बलए कई कानून पेश बकए हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
कमजोर वगों के बलए कल्याणकारी योजनाएं समावेशी बवकास को िढावा दे ने और असमानताओं को कम करने के बलए महत्वपूणट हैं । हालााँ बक,
नीबत प्रबिया के सभी चरणों में जागरूकता की कमी और लक्ष्य समूहों की सबिय भागीदारी के कारण इन योजनाओं का प्रदशटन अक्सर
उम्मीदों से कम रहता है ।
सरकारी प्रयास:
भारत सरकार ने कमिोर िगों के जिए कई कल्याणकारी योिनाएं िागू की हैं, जिनमें गरीबी उन्मूिन, मजहिा सशक्तक्तकरण, बाि
कल्याण और हाजशए पर रहने िािे समुदायों के सामाजिक समािेशन के कायय क्रम शाजमि हैं।
● उदाहरण के बलए, महात्मा गां िी राि्ीय ग्रामीण रोजगार गारं र्ी अबिबनयम (मनरे गा), प्रिान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई), एकीकृत
िाल बवकास सेवाएं (आईसीडीएस), अनुसूबचत जाबत उप योजना (एससीएसपी) और जनजातीय उप योजना (र्ीएसपी) आबद।
प्रभािी कायायन्वयन की चुनौजतयााँ:
● िागरूकता की कमी: इन योजनाओं के पीछे अच्छे इरादों के िावजूद, उनकी प्रभावशीलता अक्सर जागरूकता की कमी और
लाभाबथटयों की सबिय भागीदारी में कमी जैसे कारकों से िाबित होती है ।
o उदाहरण के जिए, "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोिगार गारं टी अजधजनयम" (मनरे गा) प्रत्येक ग्रामीण पररवार को एक
बविीय वषट में 100 बदनों की गारं र्ीकृत मजदू री रोजगार का वादा करता है , िडी संिा में लाभाबथटयों को योजना के तहत उनके
अबिकारों के िारे में पता नही ं है , बजसमें प्राविान भी शाबमल है बक आवेदन के 15 बदन के भीतर काम न बमलने पर िेरोजगारी भिा
बमलेगा। जागरूकता की कमी के कारण अक्सर योजना का कम उपयोग हो पाता है ।
● ख़राब जडजाइन: लबक्षत समूहों की ज़रूरतों और प्राथबमकताओं की उबचत समझ के बिना, नीबतयों को ख़राि तरीके से बडज़ाइन बकया
जा सकता है , बजससे अक्षमताएाँ और प्रासंबगकता की कमी हो सकती है ।
o उदाहरण के जिए, भारत में "साियिजनक जितरण प्रणािी" (पीडीएस): दु बनया में अपने प्रकार के सिसे िडे बवतरण नेर्वकों में
से एक होने के िावजूद, इसे बवबभन्न समूहों की बवबशि पोषण संिंिी आवश्यकताओं को पयाट प्त रूप से संिोबित नही ं करने के बलए
आलोचना का सामना करना पडा है । यह प्रदान बकए गए खाद्यान्नों के चयन में सभी के बलए उपयुि एक आकार मॉडल का
अनुसरण करता है ।
● ख़राब कायायन्वयन: ख़राि और अकुशल कायाट न्वयन प्रबियाएाँ कुप्रिंिन और भ्रिाचार को जन्म दे सकती हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● जनगरानी और मूल्यांकन: बनगरानी और मूल्यां कन में लबक्षत समूहों की सबिय भागीदारी के बिना, योजनाओं में कबमयों की पहचान
करना और उन्हें दू र करना मुक्तिल हो जाता है , बजससे लगातार अक्षमताएं पैदा होती हैं ।
o "एकीकृत बाि जिकास सेिा" (ICDS) योिना, बजसका उद्दे श्य 0-6 वषट की आयु के िच्ों के पोषण और स्वास्थ्य की क्तस्थबत में
सुिार करना है , की अपयाट प्त बनगरानी और मूल्यां कन के बलए आलोचना की जाती है ।
o कायाट न्वयन में स्थानीय स्व-शासी बनकायों सबहत बवबभन्न बहतिारकों की भागीदारी के िावजूद, सेवाओं की गुणविा की बनगरानी में
लाभाबथटयों की सबिय भागीदारी अक्सर गायि रहती है ।
o इसके पररणामस्वरूप भोजन की आपूबतट में अबनयबमतताएं , भोजन तैयार करने और परोसने में स्वच्छता की कमी और डे र्ा की
ररकॉबडिं ग और ररपोबर्िं ग में बवसंगबतयां जैसे मुद्दे सामने आए हैं ।
आगे की राह
कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता में सुिार के बलए बनम्नबलक्तखत उपाय अपनाए जा सकते हैं :
● भागीदारी योिना: कल्याणकारी योजनाओं के बडजाइन और योजना में कमजोर वगों को शाबमल करने से यह सुबनबित हो सकता है बक
उनकी जरूरतों और प्राथबमकताओं को पयाट प्त रूप से संिोबित बकया जाता है ।
● क्षमता जनमायण: लबक्षत समूहों को प्रबशक्षण और क्षमता-बनमाट ण सहायता प्रदान करना, उन्हें नीबत प्रबिया में प्रभावी ढं ग से भाग लेने और
यह सुबनबित करने के बलए सशि िना सकता है बक उनके अबिकार और हक सुरबक्षत हैं ।
● सूचना प्रसार: यह सुबनबित करना बक कल्याणकारी योजनाओं के िारे में जानकारी बवबभन्न चैनलों, जैसे सामुदाबयक िैठकों, जन मीबडया
और बडबजर्ल प्लेर्फामों के माध्यम से व्यापक रूप से प्रसाररत की जाती है , जागरूकता िढा सकती है और सेवाओं तक पहं च को
सुबविाजनक िना सकती है ।
जनष्कषय
कमजोर वगों के बलए कल्याणकारी योजनाओं के प्रदशटन को िढाने के बलए, नीबत प्रबिया में लबक्षत समूहों की जागरूकता और सबिय
भागीदारी को िढावा दे ना आवश्यक है । सहभागी दृबिकोण अपनाने, क्षमता बनमाट ण और सूचना का प्रसार करके, इन योजनाओं की
प्रभावशीलता में काफी सुिार बकया जा सकता है , बजससे इक्तच्छत लाभाबथटयों के बलए िेहतर पररणाम प्राप्त होंगे।
अंतरायष्ट्रीय श्रम सं गठन (ILO) द्वारा जडसेंट िकय कंटर ी प्रोग्राम:
● बदसंिर 2022 में, आईएलओ के घर्कों ने भारत के बलए बडसेंर् वकट कंर्् ी प्रोग्राम (DWCP) 2023-27 पर हस्ताक्षर बकए, जो अगले
पां च वषों के बलए दे श में संयुि राि् के िडे जनादे श से जुडा है ।
● डीडब्ल्यूसीपी पयाट प्त गररमामयी उत्पादक नौकरी के अवसर पैदा करने, अपने नागररकों के बलए स्थायी आजीबवका िनाने, पयाट प्त
सामाबजक सुरक्षा प्रणाली सुबनबित करने (बवशेष रूप से अनौपचाररक अथटव्यवस्था में श्रबमकों के बलए), श्रम िाजार में मबहलाओं की
बनरं तर भागीदारी को सक्षम करने, जैसी राि्ीय प्राथबमकताओं पर आिाररत है । कौशल बवकास के बलए एक पाररक्तस्थबतकी तंत्र, और
नवाचार-आिाररत उद्यबमता की संस्कृबत को िढावा दे ना इसका लक्ष्य है ।
● यह ILO के घर्कों की क्षमताओं और सामाबजक संवाद के पाररक्तस्थबतकी तंत्र को मजिूत करने पर केंबद्रत है ।
● भारत अगले पां च वषों में नए डीडब्ल्यूसीपी के कायाट न्वयन के माध्यम से सामाबजक न्याय के बलए एक नया एजें डा शुरू करने के बलए
अच्छी क्तस्थबत में है ।
● सावटभौबमक सामाबजक सुरक्षा को िढावा दे ना डीडब्ल्यूसीपी में प्राथबमकता के रूप में पहचाना गया है ।
● भारत ने दबक्षण एबशया में नेतृत्व बकया क्ोंबक सरकार ने 2020 में सामाबजक सुरक्षा पर नया कोड पेश बकया, बजसमें 'बगग वकटसट'
और 'प्लेर्फॉमट वकटसट' सबहत श्रबमकों के व्यापक कवरे ज की पररकल्पना की गई है ।
● यह संबहता पारं पररक रोजगार के िाहर कायट व्यवस्था के रूप में 'प्लेर्फॉमट कायट' की पररकल्पना करती है ।
● आईएलओ वैबिक सामाबजक न्याय गठिंिन की स्थापना के माध्यम से अपना नया सामाबजक न्याय कायटिम भी शुरू करे गा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता में सुिार के बलए जनम्नजिक्तखत उपाय अपनाए िा सकते हैं:
● भागीदारी योिना: कल्याणकारी योजनाओं के बडजाइन और योजना में कमजोर वगों को शाबमल करने से यह सुबनबित हो सकता है बक
उनकी जरूरतों और प्राथबमकताओं को पयाट प्त रूप से संिोबित बकया जा रहा है ।
● क्षमता जनमायण: लबक्षत समूहों को प्रबशक्षण और क्षमता-बनमाट ण सहायता प्रदान करना, उन्हें नीबत प्रबिया में प्रभावी ढं ग से भाग लेने और
यह सुबनबित करने के बलए सशि िना सकता है बक उनके अबिकार और हक सुरबक्षत हैं ।
● सूचना प्रसार: यह सुबनबित करना बक कल्याणकारी योजनाओं के िारे में जानकारी बवबभन्न चैनलों, जैसे सामुदाबयक िैठकों, जन मीबडया
और बडबजर्ल प्लेर्फामों के माध्यम से व्यापक रूप से प्रसाररत की जाती है , जागरूकता िढा सकती है और सेवाओं तक पहं च को
सुबविाजनक िना सकती है ।
11
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
आगे की राह
सामाबजक न्याय, समाज में बनष्पक्षता और समानता से जुडा है । इसमें स्वास्थ्य दे खभाल, रोजगार, आवास और िहत कुछ में बनष्पक्षता शाबमल
है । भेदभाव और सामाबजक न्याय संगत नही ं हैं । भारत एक कल्याणकारी राज्य है , इसबलए संबविान के बशक्तल्पयों के सपने को साकार करने के
बलए समाज के बवबभन्न कमजोर और हाबशए पर रहने वाले वगों का समथटन करना सरकार की प्रमुख बजम्मेदारी है ।
मुख्य शब्दाििी
क्षमता दृबिकोण, स्माइल-75 पहल, संवैिाबनक प्राविान, स्टैं ड अप इं बडया बमशन, मानव बवकास सूचकां क (एचडीआई), ऑक्सफैम ररपोर्ट
"असमानता मारती है ", समानता का अबिकार, अस्पृश्यता का बनषेि, कल्याणकारी राज्य।
छात्र नोट:
12
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अनुसूबचत िाजत (एससी) को भारतीय संजिधान के अनुच्छेद 341 के तहत पररभाबषत बकया गया है , और वे भारत की जनसंिा
(2011 की जनगणना) का लगभग 16.6% हैं ।
● पंजाि, पबिम िंगाल और उिर प्रदे श में एससी आिादी का बहस्सा सिसे अबिक है ।
● साक्षरता दर - 66.1% (पुरुष - 75.2%, मबहलाएाँ - 56.5%), बलंगानुपात - 933।
13
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● संिैधाजनक और जिधायी सु रक्षा उपायों का अपयायप्त कायायन्वयन: संबविान द्वारा सभी के बलए समानता की गारं र्ी (संबविान के
अनु च्छेद 14, 15 और 17 के तहत) के िावजूद, एससी और
एसर्ी समुदायों के साथ असमान व्यवहार बकया जाता है ।
o सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय के
अनुसार, सरकार के पास बसर पर मैला ढोने का काम
करने वाले 43,797 लोगों का जाबत-संिंबित डे र्ा है,
बजसमें 42,500 से अबिक लोग अनुसूबचत जाबत के
हैं ।
● योिनाओं का खराब कायाय न्वयन: ररपोर्ट के अनुसार
चालू बवि वषट में बदसंिर 2020 तक अनु सूजचत िाजत
घटक योिनाओं (एससीसीएस) और िनिातीय घटक
योिना (टीसीएस) के जिए आिंजटत धनराजश का 40%
से कम खचय जकया गया था।
o मुि रूप से अबशक्षा, अनबभज्ञता, दस्तावेजों की
कमी, उनके प्रबत प्रशासबनक उदासीनता आबद के कारण कल्याण कायय क्रमों में समािेशन और बजहष्करण संबंधी त्रुजटयों से
यह और भी िजटि हो गया है।
अनुसूबचत जाबतयााँ जाबत व्यवस्था की बशकार रही हैं और इसबलए उनके उत्थान के बलए सरकार की ओर से बवशेष प्रयासों की आवश्यकता है ।
इस बसलबसले में , उठाए गए कुछ कदम इस प्रकार हैं:
● शैजक्षक सशक्तक्तकरण: (एससी) छात्रों को बवबभन्न छात्रवृबियााँ प्रदान की जाती हैं ।
o अनु सूजचत िाजत के छात्रों के जिए प्री-मैजटर क छात्रिृजत्त और अनु सूजचत िाजत के छात्रों के जिए पोस्ट-मैजटर क छात्रिृजत्त: इसमें
प्रबत वषट लगभग 55 लाख छात्रों को शाबमल बकया जाता है , जो पोस्ट-मैबर्् क या पोस्ट-माध्यबमक स्तर पर, पीएचडी तक पढ रहे हैं ।
o अनु सूजचत िाजत के छात्रों के जिए शीषय श्रेणी की जशक्षा: 12वी ं कक्षा से आगे की पढाई के बलए बविीय सहायता प्रदान करना।
o राष्ट्रीय फेिोजशप: अनुसंिान अध्ययन को आगे िढाने के बलए बविीय सहायता प्रदान करती है । सभी बवषयों के बलए हर साल
अनुसूबचत जाबत के बलए 2000 िॉर् होते हैं । 3% फेलोबशप अनुसूबचत जाबत श्रेबणयों से संिंबित बवकलां ग व्यक्तियों के बलए
आरबक्षत हैं ।
o िाइब्रेंट इं जडया के जिए यंग अचीिसय छात्रिृजत्त पुरस्कार योिना (पीएम-यशस्वी): केंद्र सरकार मेिावी छात्रों के बलए 7,200
करोड रुपये की राि्ीय छात्रवृबि योजना स्थाबपत करने पर बवचार कर रही है , जो पीएम यशस्वी के तहत सभी मौजूदा छात्रवृबि
योजनाओं को समाबहत करे गी।
● आजथयक सशक्तक्तकरण: आबथटक बवकास के बलए, कुछ बवकास कायटिमों और पहलों का उल्लेख नीचे बकया गया है ।
o राष्ट्रीय अनु सूजचत िाजत जित्त और जिकास जनगम: एनएसएफडीसी ऋण, कौशल प्रबशक्षण, उद्यबमता बवकास कायटिम आबद को
पुनबवटि करके लक्ष्य समूह की सहायता करता है ।
o राष्ट्रीय सफाई कमयचारी जित्त और जिकास जनगम: आय सृजन गबतबवबियों के बलए सफाई कमटचाररयों, मैला ढोने वालों और
उनके आबश्रतों के िीच लाभाबथट यों को ऋण सुबविाएं प्रदान करता है । मशीनीकृत सफाई को िढावा दे ने के बलए, इसने बवबभन्न
राज्यों (2019-20) में 21 यूएलिी को 31.96 करोड रुपये का ररयायती बवि प्रदान बकया। इसने 19033 लाभाबथट यों को कौशल
बवकास प्रबशक्षण की सुबविा प्रदान की।
o अनु सूजचत िाजतयों के जिए ऋण िृक्तद्ध गारं टी योिना: अनुसूबचत जाबतयों के िीच उद्यमशीलता को िढावा दे ना।
o अंबेडकर सोशि इनोिेशन एं ड इनक्यूबेशन जमशन: उच् बशक्षण संस्थानों में पढने वाले अनुसूबचत जाबत के छात्रों के िीच
नवाचार और उद्यम को िढावा दे ना।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
बिट 2023-24:
● बवि मंत्री ने घोषणा की बक सभी
शहरों और कस्ों को मैनहोल से
मशीन होल मोड में संिमण के बलए
सेजिक टैं क और सीिरों की
100% यांजत्रक सफाई के जिए
सक्षम जकया िाएगा।
राष्ट्रीय सफाई कमयचारी आयोग
(एनसीएसके):
● यह एक गैर-िैधाजनक बनकाय है ।
इसका गठन 1994 में एनसीएसके
अबिबनयम, 1993 के तहत तीन साल
की अवबि के बलए एक वैिाबनक
बनकाय के रूप में बकया गया था
और फरवरी 2004 तक जारी रहा,
जि संिंबित अबिबनयम समाप्त हो
गया।
● यह भारत में सफाई कमटचाररयों की
क्तस्थबतयों की जां च करता है और
उनकी क्तस्थबत के संिंि में भारत
सरकार को बसफाररशें करता है ।
राष्ट्रीय सफाई कमयचारी जित्त एिं जिकास जनगम:
● राि्ीय सफाई कमटचारी बवि एवं बवकास बनगम (एनएसकेएफडीसी) सामाबजक न्याय और अबिकाररता मंत्रालय के तहत एक गैर-
िाभकारी कंपनी है।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● इसका उद्दे श्य सफाई कमटचाररयों, मैला ढोने वालों और उनके आबश्रतों को सामाबजक और आबथटक रूप से ऊपर उठाना है ।
नमस्ते:
● सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय (MoSJE) ने एक योजना "नेशनि एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैजनटे शन
इकोजसस्टम" (NAMASTE) तै यार की है।
● इस योजना को दे श के सभी शहरी स्थानीय बनकायों (यूएलिी) तक बवस्ताररत करने की प्रबिया शुरू कर दी गई है ।
● सभी यूएिबी में िागू की िाने िािी योिना की मुख्य जिशेषताएं हैं:
i. पहचान: नमस्ते में सीिर/सेजिक टैं क िकयसय (एसएसडब्ल्यू) की पहचान करने की पररकल्पना की गई है।
ii. प्रजशक्षण: एसएसडब्ल्यू को व्यावसाबयक प्रबशक्षण और पीपीई बकर् का बवतरण।
iii. स्वच्छता प्रजतजक्रया इकाइयों (एसआरयू) को सुरक्षा उपकरणों के बलए सहायता।
iv. आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री िन आरोग्य योिना (एबी-पीएमिेएिाई) के तहत बचक्तन्हत एसएसडब्ल्यू और उनके पररवारों
को स्वास्थ्य िीमा योजना के लाभ का बवस्तार।
v. आिीजिका सहायता: यह कायट योजना स्वच्छता से संिंबित उपकरणों की खरीद के बलए स्वच्छता कायटकताट ओं को िन
सहायता और सक्तिडी (पूंजी + ब्याज) प्रदान करके मशीनीकरण और उद्यम बवकास को िढावा दे गी।
vi. आईईसी अजभयान: नमस्ते के हस्तक्षेप के िारे में जागरूकता फैलाने के बलए यूएलिी और एनएसकेएफडीसी द्वारा संयुि रूप
से िडे पैमाने पर अबभयान चलाया जाएगा।
● उजचत पहचान का अभाि: आबिकाररक और एनजीओ आं कडों के िीच व्यापक अंतर। उदाहरण - राि्ीय सवेक्षण 2018 ने 14
भारतीय राज्यों के वैिाबनक शहरों में मैनुअल मै ला ढोने वालों को स्वीकार बकया।
o 'मैनुअि स्केिें िसय के रूप में रोिगार का जनषेध और उनके पु निायस अजधजनयम, 2013' (पीईएमएसआरए) के तहत
आिारभूत अध्ययन के बवपरीत है ।
● कायायन्वयन अं तराि: राि्ीय सवेक्षण (2018) द्वारा पहचाने गए 87,913 मैनुअल स्कैवेंजसट में से केवल 27,268 को प्रासंबगक योजनाओं
में एकीकृत बकया गया है ।
o पुनवाट स और वैकक्तल्पक रोजगार से संिंबित योजनाओं और लाभों तक सीबमत पहं च।
o पीईएमएसआरए के उल्लंघन के जवाि में कानूनी कारट वाई का खराि कायाट न्वयन।
● सरकारी उदासीनता: स्थानीय प्रशासन यह स्वीकार करने के बलए तैयार नही ं हैं बक उनके अबिकार क्षेत्र में हाथ से मैला ढोने की प्रथा
मौजूद है । (वार्रएड इं बडया की पररयोजना के तहत 2018 िेसलाइन सवेक्षण)।
o 2013 का अबिबनयम बवबभन्न प्रकार के स्वच्छता कायट (सेबिक र्ैं क, सीवर लाइनों की सफाई) को िाहर करता है ।
● सरकार सबसे बडी उिंघनकताय : भारतीय रे लवे में र्् े नों के मल-मूत्र को पर्ररयों पर बगराने वाले शौचालय हैं और इस प्रकार पर्ररयों
को मैन्युअल रूप से साफ करने के बलए सफाईकबमटयों को बनयुि बकया जाता है ।
● फंजडं ग में कमी: सरकार ने फरिरी में स्व-रोिगार योिना के जिए बिट आिंटन 9% घटाकर 2021-22 के जिए 100 करोड
रुपये कर जदया है।
o एसआरएमएस को केंद्र के आवंर्न में कम खचट और महत्वपूणट बगरावर्।
● अन्य: यह प्रथा जाबत, वगट और आय बवभाजन से प्रेररत है , एक व्यवहायट वैकक्तल्पक आय स्रोत की अनुपक्तस्थबत के कारण, अबिकां श लोग
अपने सरकार समबथटत अनुदानों और अबिकारों से अनजान हैं ।
आगे की राह
● मुद्दे और इसकी गंभीरता को स्वीकार करना पहला कदम है , इससे हाथ से मैला ढोने वालों की उजचत पहचान हो सकेगी।
o अस्वच्छ शौचाियों की व्यिक्तस्थत पहचान और सवेक्षण, पुनवाट स योजनाओं के कायाट न्वयन के बलए सिसे महत्वपूणट हैं ।
● इसके अलावा, कानूनों को अक्षरश: िागू करना, इस प्रथा के िारे में सामाजिक संिेदनशीिता , योिनाओं और काययक्रमों के बारे
में िागरूकता और िै कक्तल्पक आिीजिका के अवसर पैदा करना इस िुरी प्रथा से छु र्कारा पाने की कुंजी होगी।
● हाथ से मैिा ढोने की प्रथा के तहत जनचिी िाजतयों के उत्पीडन को कम करने के जिए एक आधुजनक, मशीनीकृत सीिरे ि
सफाई प्रणािी और एक अद्यतन िि जनकासी प्रणािी और एक मिबूत दं ड प्रणािी का जिकास।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
सुक्तखययों में:
बैंजडकूट - केरि मैनहोि सफाई के जिए रोबोजटक्स तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग करने िािा पहिा राज्य बन िाएगा:
● गुरुवायुर के मंबदर शहर में रोिोबर्क िैंबडकूर् को काम में लगाकर केरल अपने सभी कमीशन बकए गए मै नहोलों की सफाई के बलए
रोिोबर्क्स तकनीक का उपयोग करने वाला दे श का पहला राज्य िन गया।
● िैंबडकूर् एक रोिोबर्क मशीन है बजसे बकसी भी प्रकार के सीवर मैनहोल की सफाई के बलए तैयार बकया गया है ।
● इसे केरल क्तस्थत जे नरोिोबर्क्स द्वारा बवकबसत बकया गया है , जो पहले से ही दे श भर के शहरी बनकायों में उपयोग में है , बजससे स्वच्छता
कायटकताट ओं के मैनहोल में शारीररक रूप से प्रवेश करने की प्रथा समाप्त हो गई है ।
मुख्य शब्दाििी
राि्ीय अनुसूबचत जाबत बवि और बवकास बनगम, मैनुअल स्कैवेंबजंग, वाइब्रेंर् इं बडया के बलए यंग अचीवसट स्कॉलरबशप अवाडट स्कीम (पीएम-
यशस्वी ), नमस्ते ("मैकेनाइज्ड से बनर्े शन इकोबसस्टम के बलए राि्ीय कारट वाई"), 'मैनुअल स्कैवें जसट के रूप में रोजगार का बनषेि और उनका
पुनवाट स अबिबनयम, 2013, राि्ीय सफाई कमटचारी आयोग (एनसीएसके)।
छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o 2011 की जनगणना के आं कडों से पता चलता है बक आबदवासी आिादी के िीच नल के पानी, स्वच्छता सुबविाओं, जल बनकासी
सुबविाओं और स्वच्छ खाना पकाने के ईंिन तक पहं च िहत कम है ।
● भूजम हस्तांतरण: औपबनवेबशक काल से, बवकासात्मक गबतबवबियों और कृबष बवस्तार के बलए जनजातीय भूबम का अबिग्रहण बकया गया
है और िीरे -िीरे वे कृबष भूबमहीन मजदू र िन गए हैं ।
● िबरन प्रिासन के कारण जिस्थापन: इससे बनमाट ण उद्योग में ठे का मजदू रों और प्रमुख शहरों में घरे लू कामगारों के रूप में काम करने
वाली अनुसूबचत जनजाबतयों की संिा में वृक्तद् हई है ।
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गरीिी और सामाबजक अलगाव के कगार पर रहने वाले आबदवाबसयों के सवािं गीण समावेशी बवकास को सुबनबित करने के बलए सरकार की
ओर से प्रयास करना उबचत है । सरकार ने अपनी ओर से बनम्नबलक्तखत उपाय बकये हैं :
● शैजक्षक सशक्तक्तकरण:
o छात्रिृजत्त योिनाएाँ : प्री-मैबर्् क और पोस्ट मैबर्् क छात्रवृबि योजना, राि्ीय फैलोबशप और उच् बशक्षा के बलए छात्रवृबि आबद।
o िनिातीय क्षेत्रों में व्यािसाजयक प्रजशक्षण केंद्र: बवबभन्न पारं पररक/आिुबनक व्यवसायों में जनजातीय युवाओं के कौशल को उन्नत
करना। उदाहरण के जिए, सडक और पररवहन मंत्रालय ने घोषणा की है बक सरकार आबदवासी क्षेत्रों और दे श के 115 सिसे
गरीि बजलों में चालक प्रबशक्षण केंद्र स्थाबपत करने के बलए काम कर रही है ।
o एकिव्य मॉडि आिासीय जिद्यािय/आश्रम जिद्यािय: अनुसूबचत जनजाबत के छात्रों के बलए आवासीय बशक्षा प्रदान करते हैं ।
2018 में सरकार ने 50 प्रबतशत से अबिक अनुसूबचत जनजाबत आिादी और कम से कम 20,000 आबदवासी व्यक्तियों वाले प्रत्येक
ब्लॉक में एकिव्य मॉडि आिासीय जिद्याियों की स्थापना की घोषणा की।
कम साक्षरता िािे जििों में एसटी िडजकयों के बीच जशक्षा को मिबूत करने की योिना:
इस योजना का लक्ष्य बचक्तन्हत बजलों या ब्लॉकों में सामान्य मबहला आिादी और आबदवासी मबहलाओं के िीच साक्षरता स्तर के अं तर को
पाटना है।
● कस्तूरबा गांधी बाजिका जिद्यािय (एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और बीपीएि के जिए): उच् प्राथबमक स्तर पर
आवासीय बवद्यालय स्थाबपत करके वंबचत समूहों की लडबकयों तक पहं च और गुणविापूणट बशक्षा सुबनबित करना।
● आबदवासी िच्ों की रचनात्मकता को प्रोत्साहन दे ने के बलए स्कूि इनोिे शन एं बेसडर प्रजशक्षण काययक्रम। एकिव्य मॉडि
आिासीय जिद्याियों (ईएमआरएस) के छात्रों को एसआईएर्ीपी से िहत लाभ होगा क्ोंबक यह जनजातीय िच्ों को सवोिम संभव
बशक्षा दे ने के बलए जनजातीय मामलों के मंत्रालय का भी प्रयास है।
जशक्षकों के जिए योिना - 21िी ं सदी के काययक्रम के जिए अनु भिात्मक जशक्षण:
● िाभाथी: एकिव्य मॉडि आिासीय जिद्यािय (ईएमआरएस) के प्रधानाचायों और जशक्षकों के जिए, 21वी ं सदी के बलए
प्रायोबगक बशक्षण कायटिम शुरू बकया गया है ।
● उद्दे श्य: इसे बशक्षकों यानी बशक्षकों और प्रिानाध्यापकों के बलए एक ऑनलाइन कायटिम के रूप में पररकक्तल्पत बकया गया है ताबक
उन्हें कक्षा में सीखने को वास्तबवक जीवन के अनु भवों के अनुरूप ढालने में मदद बमल सके।
● प्रजशक्षण: यह कायटिम सभी चयबनत बशक्षकों और प्रिानाध्यापकों को बनिः शुल्क प्रदान बकया गया। चयबनत बशक्षकों को "बशक्षक
नेतृत्वकताट " के रूप में प्रबशबक्षत बकया गया।
आजदिासी मजहिाओं के संपजत्त अजधकार:
● िनिातीय मजहिाओं के संपजत्त अजधकार: यह जनजातीय समुदायों से संिंबित मबहलाओं के भूबम, संपबि और संसािनों के
स्वाबमत्व, बवरासत और बनयंत्रण के अबिकारों की कानूनी मान्यता और सुरक्षा को संदबभटत करता है । इन अबिकारों का उद्दे श्य
ऐजतहाजसक िैंजगक असमानताओं को दू र करना और आबदवासी समाजों के भीतर समानता को िढावा दे ना है ।
● मजहिाओं को सशक्त बनाना: ये उपाय आबदवासी मबहलाओं को सशि िनाने, उनके आबथटक अवसरों को िढाने और आबदवासी
समाज के भीतर लैंबगक समानता को िढावा दे ने में योगदान करते हैं ।
● आजथयक सशक्तक्तकरण:
o िनिातीय उत्पादों/उत्पादन के जिकास और जिपणन के जिए संस्थागत समथय न: हालााँ बक,
इस योजना का ररकॉडट ख़राि है क्ोंबक इस योजना के तहत केवल 8 राज्यों को सहायता दी गई
है । जत्रपुरा एकमात्र राज्य है बजसे 2014 से 2018 तक हर साल िनराबश दी गई है और इसने
आवंबर्त सभी िनराबश का उपयोग बकया है ।
o एसटी सदस्यों िािे स्वयं सहायता समूहों के जिए सूक्ष्म ऋण योिना: ग्रामीण बवकास मंत्रालय
(एमओआरडी) के आं कडों के अनुसार, िैंबकंग प्रणाली से एसएचजी को 2.8 लाख करोड रुपये का
लाभ बदया गया है और प्रबत गांव उद्यमों की संिा 79 प्रबतशत िढ गई है , प्रबत व्यक्ति माबसक
आय 22 प्रबतशत िढ गई है । इससे एसर्ी समुदाय को भी काफी फायदा हआ है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o आजदिासी मजहिा सशक्तक्तकरण योिना: यह अनुसूबचत जनजाबत मबहलाओं के आबथटक बवकास के बलए है । ₹1 लाख तक की
लागत वाली योजनाओं के बलए 90% तक का ऋण 4% प्रबत वषट की ररयायती ब्याज दर पर प्रदान बकया जाता है ।
o स्टैं ड अप इं जडया योिना: इच्छु क मबहलाओं और एससी/एसर्ी उद्यबमयों के िीच उद्यबमता को िढावा दे ना। यह योजना िडा
प्रभाव डालने में बवफल रही, क्ोंबक 2018 तक केवल 57 उद्यबमयों को इस योजना के तहत ऋण प्राप्त हआ।
● सामाजिक सशक्तक्तकरण:
o िनिातीय उपयोिना (टीएसपी) के जिए जिशेष केंद्रीय सहायता: जनजातीय कायट मंत्रालय (एमओर्ीए) द्वारा राज्यों को कृबष,
िागवानी, रे शम उत्पादन आबद क्षेत्रों में पररवार-उन्मुख आय-सृ जन योजनाओं के बलए प्रदान की जाती है ।
o िन ग्राम का जिकास: इसे 10वी ं योजना के दौरान एचडीआई िढाने और बनवाबसयों के बलए िुबनयादी सुबविाएं और सेवाएं प्रदान
करने के बलए लॉन्च बकया गया
था।
o पंचायत के प्रािधान (अनुसूजचत
क्षेत्रों तक जिस्तार) अजधजनयम,
1996: इस अबिबनयम ने पां चवी ं
अनुसूची क्षेत्र वाले नौ राज्यों के
आबदवासी क्षेत्रों में पंचायतों के
प्राविानों को बवस्ताररत बकया।
o स्वास्थ्य पोटय ि: इसका ई-पोटय ि,
भारत की जनजातीय आिादी की सभी स्वास्थ्य और पोषण संिंिी जानकारी एक ही मंच पर प्रदान करता है ।
o प्रधान मंत्री दक्ष और कुशिता संपन्न जहतग्राही (पीएम-दक्ष) योिना (2021): यह एससी, ओिीसी, ईिीसी, डीएनर्ी, कचरा
िीनने वालों सबहत स्वच्छता कायटकताट ओं को शाबमल करते हए हाबशए पर रहने वाले व्यक्तियों को कुशल िनाने के बलए एक राि्ीय
कायट योजना है ।
▪ लबक्षत युवाओं को अल्पकाबलक और दीघटकाबलक कौशल प्रदान करके उनके कौशल स्तर को िढाना, इसके िाद
वेतन/स्वरोजगार में सहायता प्रदान करना।
कनायटक में टीएसपी के तहत जनजध का कम उपयोग:
● एससीपी और र्ीएसपी में समग्र प्रगबत आवंबर्त कुल बनबि का िमशिः 15% और 9% बनराशाजनक थी।
● बविान सभा के 73 सदस्ों और बविान पररषद के 36 सदस्ों ने 2019-20 के बलए र्ीएसपी और एससीपी के तहत कोई कायट
प्रस्ताबवत/नही ं बकया है ।
िक्ष्य (नेतृत्वकताय के रूप में ऑनिाइन होना) काययक्रम:
● आबदवासी युवाओं को बडबजर्ल मोड के माध्यम से मागटदशटन प्रदान करने के बलए िनिातीय मामिों के मंत्रािय के साथ फेसबुक
इं जडया की एक संयुि पहल है ।
● उद्दे श्य: आबदवासी समुदायों के 10 लाख युवाओं को बडबजर्ल रूप से कुशल िनाना और बडबजर्ल प्रौद्योबगकी का उपयोग करके
उनके बलए अवसर खोलना।
● यह TRIFED (टर ाइबि कोऑपरे जटि माकेजटं ग डे ििपमेंट फेडरे शन ऑफ इं जडया) से िु डे स्वयं सहायता समूहों और पररिारों
के जिए अपने उत्पादों को वैबिक स्तर पर ले जाने के बलए एक मं च तैयार करे गा।
राष्ट्रीय िनिातीय अनु संधान संस्थान (एनटीआरआई):
● यह एक प्रमुख राि्ीय स्तर के संस्थान और शैक्षबणक, कायटकारी और बविायी क्षेत्रों में जनजातीय बचंताओं, मुद्दों और मामलों के प्रमुख
केंद्र के रूप में काम करे गा।
● यह जनजातीय मामलों के मंत्रालय और राज्य कल्याण बवभागों को एक छत के नीचे जनजातीय सां स्कृबतक बवरासत को प्रदबशटत करने
के बलए अध्ययन और कायटिमों के साथ नीबतगत इनपुर् प्रदान करे गा।
● यह अन्य संस्थानों के साथ सहयोग और नेर्वकट िनाएगा और जनजातीय अनु संिान संस्थानों (र्ीआरआई), उत्कृिता केंद्रों (सीओई)
आबद की पररयोजनाओं की बनगरानी करे गा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● असंगत कर संरचना: दे श भर में कई एनर्ीएफपी (तेंदू पिा, लाख, गोंद, महआ, औषिीय पौिे, साल िीज, आबद) के बलए वतटमान कर
संरचना असंगत है बजसे पुनगटबठत करने की आवश्यकता है ।
● सरकारी नीजतयां: प्रजतकूि घरे िू नीजत के कारण कुछ वस्तुएं बवशेष रूप से बनयाट त िाजार पर बनभटर हैं । उदाहरण: जैसे साल िीज
मक्खन के मामले में बजसका उपयोग यूरोप में चॉकलेर् िनाने में बकया जा सकता है लेबकन भारत में नही।ं
● अक्तस्थर एनटीएफपी बािार: गैर-लकडी वन उत्पाद (एनर्ीएफपी) िाजार अत्यबिक बवबवि है और इसमें अक्सर उतार-चढाव होता
रहता है ; इसबलए िाज़ार क्तस्थरता की िारणाओं या क्तस्थर/िढते िाज़ार की अपेक्षाओं पर आिाररत हस्तक्षेप अक्सर व्यावसाबयक रूप से
अव्यवहायट हो जाते हैं ।
o खरीद एजेंबसयों के पास सफलतापूवटक व्यापार करने के बलए बािार संबंधी िानकारी का अभाि है ।
न्यूनतम समथय न मू ल्य (एमएसपी) प्राप्त करने के जिए सु झाई गई पद्धजत:
● र्े री द्वारा सुझाई गई कायटप्रणाली कमोिेश हक सजमजत की तिय पर है लेबकन इसका सुझाव अबिक बवबशि था।
● र्े री ने सुझाव बदया बक लघु वन उपज के न्यूनतम समथट न मूल्य की गणना के बलए बनम्नबलक्तखत कारकों पर बवचार बकया जाना चाबहए:
● प्रबत बकलोग्राम लघु वन उपज संग्रहण की लागत = C1 + C2 + C3, जिसमें:
o C1 = अनुमाबनत श्रम लागत। प्रयासों की लागत का अनुमान लगाने के बलए औसत मनरे गा दरों को एक िेंचमाकट के रूप में
उपयोग बकया जाएगा;
o C2 = भुगतान की गई लागत (एमएफपी को ले जाने और भंडारण के बलए कलाकृबतयों की लागत, पररवहन लागत, िीमा
प्रीबमयम और बकसी भी अन्य सामग्री लागत पर आिाररत)
o C3 = ज्ञान/कौशल, माबलक की रॉयल्टी और क्तस्थरता के बलए प्रीबमयम (वन अबिकार अबिबनयम की िारा 3(1)सी और पीईएसए
की िारा 4(एम)2 के अनुसार स्वाबमत्व रॉयल्टी। इसकी गणना पुनजटनन की लागत /प्रजाबतयों का रोपण, संसािनों की
प्रचुरता/कमी के आिार पर लागत की सुरक्षा करने के आिार पर की जाती है ।
समाचार में:
आजदिासी और िनिासी:
● हाल ही में 'आबदवासी िनाम वनवासी' की बफर से बछडी िहस में इस समुदाय को बफर से भारतीय राजनीबत में सिसे आगे लाया जा
रहा है ।
● हाल की िहस में, 'आजदिासी' भारतीय जनजाबतयों के बलए इस्तेमाल बकया जाने वाला सही शब्द है क्ोंबक यह उन लोगों को संदबभटत
करता है जो 'इस दे श में शुरू से ही थे' और दू सरी ओर, 'िनिासी' एक जिभािनकारी शब्द है । इसका उद्दे श्य एक बवशे ष समु दाय
को यह िताना है बक वे केवल जंगलों से संिंबित हैं ।
● 'कोि, जकरात और भीि' जो भारत की महत्वपूणट जनजाबतयााँ हैं , उन्हें 'वनवासी' या जंगल के वास्तबवक बनवासी कहा गया है ।
एमएफपी से सं बं जधत सरकारी योिनाएं
िन धन जिकास योिना:
● वन िन योजना 'न्यूनतम समथयन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से िघु िन उपि (एमएफपी) के जिपणन के जिए तं त्र और
एमएफपी के जिए मूल्य श्रृंखिा के जिकास' का एक घटक अप्रै ल 2018 में शुरू बकया गया था।
● राि्ीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में र्् ाइफेड द्वारा कायाट क्तन्वत, वन िन स्टार्ट -अप दे श की आबदवासी आिादी के सामाबजक-आबथटक
बवकास के बलए एक सुबवचाररत मास्टर प्लान है । इस योिना में शाजमि हैं:
o जनजातीय संग्रहकताट ओं के बलए आजीबवका सृजन और उन्हें उद्यबमयों में िदलने का लक्ष्य रखने वाली एक पहल।
o मुि रूप से वनों से बघरे आबदवासी बजलों में आबदवासी समुदाय के स्वाबमत्व वाले वन िन बवकास केंद्र क्लस्टर (वीडीवीकेसी)
स्थाबपत करने का बवचार है ।
o एक वीडीवीके क्लस्टर में 15 आबदवासी एसएचजी/वन िन केंद्र होंगे, बजनमें से प्रत्येक में 20 आबदवासी एनर्ीएफपी संग्रहकताट या
कारीगर यानी प्रबत क्लस्टर लगभग 300 लाभाथी शाबमल होंगे।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o 100% केंद्र सरकार द्वारा बवि पोषण के साथ बजसमें प्रत्येक 300 सदस्ीय वन िन केंद्र क्लस्टर के बलए र्् ाइफेड द्वारा 15 लाख
रूपये बदए जाते हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
समाचार में:
िक्ष्य 2.0
● मंत्रािय और मेटा (फेसबुक) ने िीडसय के रूप में गोइं ग ऑनिाइन काययक्रम (लक्ष्य 2.0) का दू सरा चरण शुरू बकया है , इसका
उद्दे श्य आबदवासी युवाओं और मबहलाओं का बडबजर्ल सशक्तिकरण है ।
● यह कायटिम संचार कौशल, बडबजर्ल उपक्तस्थबत, नेतृत्व और उद्यबमता में सिाह और प्रजशक्षण प्रदान करता है।
● यह पूरी तरह से मेटा (फेसबुक इं जडया) द्वारा जित्त पोजषत है और आबदवासी समुदायों के सभी व्यक्तियों के बलए खुला होगा।
● यह कायटिम फेसिुक लाइव सत्र और मेर्ा बिजनेस कोच के माध्यम से आजदिासी युिाओं को कौशि बढाने और जडजिटि रूप
से सक्षम बनाने पर केंजद्रत है।
● िनधन स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को िाजार की मां ग, पैकेबजंग, ब्रां बडं ग और माकेबर्ं ग के प्रबशक्षण पर बवशेष ध्यान बदया
जाएगा।
● इस कायटिम में जनजातीय मामलों के मंत्रालय, इलेक्ट्ॉबनकी और सूचना प्रौद्योबगकी मंत्रालय और एकलव्य मॉडल आवासीय बवद्यालय
शाबमल हैं । जशक्षा और अनुसंधान नेटिकय, इिेक्ट्रॉजनकी और सूचना प्रौद्योजगकी मंत्रािय के तहत पररयोजना को कायाट क्तन्वत कर
रहा है ।
अनु सू जचत िनिाजत और अन्य पारं पररक िन जनिासी (िन अजधकारों की मान्यता) अजधजनयम, 2006
● िन अजधकार अजधजनयम, 2006 के रूप में लोकबप्रय यह अबिबनयम नागररकों के हाबशये पर पडे सामाबजक-आबथटक वगट की रक्षा
करने और उनके जीवन और आजीबवका के अबिकार के साथ पयाट वरण के अबिकार को संतुबलत करने के बलए अबिबनयबमत बकया गया
था।
● िन में रहने िािे आजदिासी समुदायों और अन्य पारं पररक िन जनिाजसयों के िन सं साधनों के अबिकारों को मान्यता दे ता है , बजन
पर ये समुदाय आजीबवका सबहत बवबभन्न आवश्यकताओं के बलए बनभटर हैं ।
● अजधजनयम में शाजमि हैं:
o स्व-खेती और बनवास के अबिकार बजन्हें आमतौर पर व्यक्तिगत अबिकार माना जाता है ; और
o सामुदाबयक अबिकार जैसे चराई, मछली पकडना और जंगलों में जल बनकायों तक पहं च, पीवीर्ीजी के बलए आवास अबिकार
आबद।
महत्त्व
● इसका उद्दे श्य वन-बनवास समुदायों के क्तखलाफ ऐजतहाजसक अन्याय को दू र करना है।
● यह वन में रहने वाली अनुसूबचत जनजाबतयों और अन्य पारं पररक वन बनवाबसयों की भूजम का स्वाजमत्व, आिीजिका और खाद्य सु रक्षा
सुजनजित करता है ।
● यह सतत उपयोग, जैव बवबविता के संरक्षण और पाररक्तस्थबतक संतुलन के रखरखाव के बलए वन अबिकार िारकों की बजम्मेदाररयों और
अबिकार को शाबमल करके संरक्षण व्यिस्था को मिबूत करता है ।
● संजिधान की पांचिी ं और छठी अनु सूची के अबिदे श का बवस्तार करता है जो स्वदे शी समुदायों के दावों की रक्षा करता है ।
● यह सामुदाबयक वन संसािन अबिकारों को मान्यता दे कर िन प्रशासन का िोकतंत्रीकरण करता है ।
अजधजनयम का कायायन्वयन
● बसतंिर 2018 के अंत तक, कुल 4,219,741 दावे (व्यक्तिगत और सामुदाबयक दावे) दायर बकए गए हैं और 17,848,733 एकड वन भूबम
के 1,889,835 स्वाबमत्व (व्यक्तिगत और सामुदाबयक दावे) बवतररत बकए गए हैं । लेबकन इसका मतलि यह भी है बक कुल 1,934,345
दािे खाररि कर जदए गए।
अजधजनयम के कायाय न्वयन में चुनौजतयााँ
● रािनीजतक इच्छाशक्तक्त की कमी: अबिबनयम के कायाट न्वयन में राजनीबतक इच्छाशक्ति की स्पि कमी है क्ोंबक वन-बनवास समुदायों
की शक्ति का दावा नव-उदारवादी बवकास प्रबतमान के साथ सीिे र्कराव में है ।
● कायायत्मक/कायायन्वयन बाधाएाँ : ये िािाएाँ बनम्नबलक्तखत में पररलबक्षत व्यवक्तस्थत मुद्दों के कारण हैं :
o अबिबनयम के कायाट न्वयन पर आबदवासी, राजस्व और वन बवभाग के िीच समन्वय का अभाि।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● रे नके आयोग, 2008 के अनुसार, लगभग 1,500 खानािदोश और अिट -खानािदोश जनजाबतयााँ और 198 बवमुि जनजाबतयााँ हैं , बजनमें
15 करोड भारतीय शाबमल हैं ।
o रे नके आयोग ने 2001 की जनगणना के आिार पर उनकी जनसं िा लगभग 10.74 करोड होने का अनुमान लगाया था।
● 2014 में एक नए आयोग ने राज्य-वार सूची तैयार की और 1,262 समुदायों को गैर -अबिसूबचत, खानािदोश और अिट -खानािदोश के
रूप में पहचाना।
● 31 अगस्त को भारत में डीएनर्ी समुदायों द्वारा जिमुक्त िाजत जदिस के रूप में मनाया िाता है।
डीएनटी के सशक्तक्तकरण के जिए जिजभन्न सजमजतयााँ गजठत की गईं
● अयं गर सजमजत (1949): भारत की स्वतंत्रता के िाद, 1949-1950 में आपराबिक जनजाबत जां च सबमबत की स्थापना की गई और इसकी
अध्यक्षता एम अनंतशयनम अयंगर ने की। इसने आपराजधक िनिाजत अजधजनयम को जनरस्त करने के बलए कई बसफाररशें कीं।
o सबमबत ने उनके कल्याण और पुनवाट स के बलए पयायप्त धन के आिंटन की आिश्यकता पर भी िोर जदया।
● कािेिकर सजमजत (1953): पहला बपछडा वगट आयोग जनवरी 1953 में श्री काकासाहे ि कालेलकर की अध्यक्षता में बनयुि बकया गया
था।
o इस आयोग ने अपनी ररपोर्ट में सुझाव बदया बक तत्कालीन "आपराबिक जनजाबतयों" को "अबिसूबचत समुदाय" कहा जाना चाबहए।
● इदाते आयोग (2014): फरिरी 2014 में, सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय ने तीन साल की अवबि के बलए बवमुि, घुमंतू
और अिट-घुमंतू जनजाबतयों के बलए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करने का ऐजतहाजसक जनणय य जिया।
o इस राि्ीय आयोग का गठन श्री भीकू रामजी इदाते की अध्यक्षता में बकया गया था।
o अपनी ररपोर्ट में, आयोग ने डीएनर्ी/एनर्ी/एसएनर्ी समुदायों की मसौदा सूची तैयार की, बजसमें उसने राज्यों में इन समुदायों के
बवकास की प्रगबत का मूल्यां कन करने के बलए बवबभन्न राज्यों में इन समुदायों की पहचान की और उन्हें उबचत रूप से सूचीिद्
बकया, ताबक उनके समग्र बवकास के बलए एक व्यवक्तस्थत दृबिकोण िनाया जा सके।
समाचार में:
● सामाजिक न्याय और पयायिरण पर सं सदीय उपसजमजत द्वारा सरकार से एससी/एसटी/ओबीसी सूची के तहत जिमु क्त,
खानाबदोश और अधय खानाबदोश िनिाजतयों के वगीकरण में तेजी लाने का आग्रह बकया गया है ।
● जिमुक्त िनिाजतयााँ (DNTs) उन लोगों के समूह हैं बजन्हें जब्रजटश साम्राज्य के अिीन रहते हए , 1871 के आपराजधक िनिाजत
अजधजनयम से शु रू होकर कई कानूनों द्वारा "िन्मिात अपराधी" के रूप में िेबि जकया गया था।
● इस सबमबत ने इस बात पर प्रकाश डािा जक बवभाग 2021-2022 में डीएनटी समुदायों के आजथयक सशक्तक्तकरण के जिए
योिना को एक रुपया भी नही ं दे पाएगा।
o 2021-2022 के जिए 50 करोड रुपये के जित्तीय आिंटन की तुलना में 2022-2023 के जिए इसे घर्ाकर 28 करोड रुपये
कर बदया गया है ।
o सबमबत ने पाया है बक एजेंसी अभी तक यह तय नही ं कर पाई है बक इन इिाकों को एससी/एसटी/बीसी के रूप में िगीकृत
जकया िाए या नही ं।
भारत में जिमु क्त िनिाजतयों के जिए सरकारी योिनाएाँ
जिमुक्त/घुमंतू/अधय -घुमंतू िनिाजतयों के आजथयक सशक्तक्तकरण के जिए योिना (SEED)
यह योजना बवमुि, घुमंतू और अिट -घुमंतू जनजाबतयों (डीएनर्ी/एनर्ी/एसएनर्ी) के उत्थान के बलए है ।
● योिना का उद्दे श्य जनम्नजिक्तखत प्रदान करना है:
o इन छात्रों को बनिः शुल्क प्रबतयोगी परीक्षा कोबचंग ।
o पररवारों को स्वास्थ्य िीमा प्रदान करना।
o आजीबवका पहलों के माध्यम से इन समुदायों के समूहों का उत्थान करना।
o आवास के बलए बविीय सहायता प्रदान करना।
● कायायन्वयन: यह योजना एक ऑनलाइन पोर्ट ल के माध्यम से लागू की जाएगी जो प्रत्येक आवेदक को एक अबद्वतीय आईडी जारी करे गी
ताबक वे आवेदन कर सकें और अपने आवेदन की क्तस्थबत को ऑनलाइन र्् ै क कर सकें।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● भूजम अजधकार और भूजम कब्जा - बवमुि समुदायों में भूबमहीनता अबिक है और कुछ स्थानों पर, शक्तिशाली लोगों ने डीएनर्ी से
संिंबित भूबम हडप ली है । डीएनर्ी से संिंबित भूबम उन्हें वापस दी जानी चाबहए, और बहतिारकों के साथ सबिय परामशट होना चाबहए।
● समुदाय की जहंसा और िेबजिंग को रोकने के जिए तं त्र - सरकार समुदाय के क्तखलाफ दु व्यटवहार और बहं सा को रोकने के बलए
सावटजबनक अबिकाररयों को संवेदनशील िना सकती है ।
● गुणित्तापूणय जशक्षा तक पहुंच - बवशेष रूप से लडबकयों के बलए अच्छे छात्रावास सुबविाओं के साथ मुफ्त बशक्षा। बशक्षक डीएनर्ी
समुदाय से होने चाबहए और समुदाय के िीच सह-बशक्षा को प्रोत्साबहत करने की आवश्यकता है ।
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● योजना के तहत राज्यों/केंद्रशाबसत प्रदे शों को बशक्षा, आवास, कृबष बवकास, पशुपालन आबद गबतबवबियों के बलए बविीय सहायता प्रदान
की जाती है ।
प्रधानमंत्री पीिीटीिी जिकास जमशन:
● यह पीवीर्ीजी पररवारों और िक्तस्तयों को िुबनयादी सुबविाओं से संतृप्त करे गा और पीवीर्ीजी के बलए बशक्षा पर जोर दे गा।
● समूह के सामाबजक-आबथटक बवकास के बलए अगले तीन वषों के बलए 15,000 करोड रुपये का फंड आवंबर्त बकया गया है ।
● अनुसूबचत जनजाबतयों के बलए बवकास कायट योजना के तहत अगले तीन वषों में बमशन को लागू करने के बलए 15,000 करोड रुपये
उपलि कराए जाएं गे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य जमशन:
● िनिातीय क्षेत्रों में गरीि और कमजोर आिादी को सस्ती स्वास्थ्य
सेवा प्रदान करने के बलए स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाबलयों को मजिूत करने
के बलए जित्तीय और तकनीकी सहायता।
जसकि सेि एनीजमया उन्मूिन जमशन:
● सरकार ने 2047 तक बसकल सेल एनीबमया को खत्म करने का लक्ष्य
रखा है , जागरूकता पैदा करने के बलए कदम उठाए जाएं गे, प्रभाबवत
आबदवासी क्षेत्रों में 0-40 वषट के आयु वगट के 7 करोड लोगों की
सावटभौबमक जां च की जाएगी और केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों
के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से परामशट बदया जाएगा।
बुजनयादी ढांचे को बढािा:
● िनिातीय कायय मंत्रािय: यह आजदिासी गांिों को िुबनयादी
सुबविाएं प्रदान करने के बलए प्रधानमंत्री आदशय ग्राम योिना के तहत
दे श भर में कम से कम 50% आबदवासी आिादी और 500 एसर्ी वाले
36000 से अबिक गां वों को मॉडल आबदवासी गां वों में बवकबसत करने
के बलए काम कर रहा है , और बजसके तहत अि बवबभन्न मं त्रालयों को
कायाट न्वयन पर ध्यान केंबद्रत करने की आवश्यकता है ।
● आकांक्षी ब्लॉक काययक्रम: बवि मंत्री ने कहा बक स्वास्थ्य, पोषण, बशक्षा, कृबष, जल संसािन, बविीय समावेशन, कौशल बवकास और
िुबनयादी ढां चे जैसे कई डोमे न में आवश्यक सरकारी सेवाओं की संतृक्तप्त के बलए 500 ब्लॉकों को कवर करते हए आकां क्षी ब्लॉक
कायटिम शुरू बकया गया है ।
● पीएम आिास योिना: पीएम आवास योजना के बलए पररव्यय को 66 प्रबतशत िढाकर 79,000 करोड रुपये से अबिक करने का
प्रस्ताव है ।
● सूखाग्रस्त क्षेत्र के जिए पानी: कनाट र्क के सूखाग्रस्त मध्य क्षेत्र में, बर्काऊ सूक्ष्म बसंचाई प्रदान करने और पीने के पानी के बलए सतही
र्ैं कों को भरने के बलए ऊपरी भद्रा पररयोजना को 5,300 करोड रुपये की केंद्रीय सहायता दे ने का प्रस्ताव है ।
● भारत साझा जशिािेख भंडार (भारत श्री): बवि मंत्री ने कहा बक एक बडबजर्ल पुराले ख संग्रहालय में 'भारत साझा बशलालेख भंडार'
स्थाबपत बकया जाएगा, बजसमें पहले चरण में एक लाख प्राचीन बशलालेखों का बडबजर्लीकरण बकया जाएगा।
आगे की राह:
● पीवीर्ीजी की बवबशि आवश्यकताओं, चुनौबतयों और अवसरों को समझने के बलए अनु संधान और डे टा सं ग्रह प्रयासों को बढािा दे ना।
साक्ष्य-आिाररत नीबत-बनमाट ण और उनकी क्तस्थबत में सुिार लाने के उद्दे श्य से कायटिमों के प्रभावी कायाट न्वयन में मदद बमल सकती है।
● गैर-सरकारी सं गठनों (एनिीओ) और नागररक समाज समूहों के साथ साझेदारी को िढावा दे ना।
● पीवीर्ीजी को बशक्षा और पयटर्न से संिंबित जनणयय िे ने की प्रजक्रयाओं और नीजत जनमायण में सजक्रय रूप से भाग िे ने के जिए
प्रोत्साजहत करना।
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मुख्य शब्दाििी
बवशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीर्ीजी), गैर -अबिसूबचत, खानािदोश और अिट -घुमंतू जनजाबतयााँ , लघु वन उपज (एमएफपी)
के बलए न्यू नतम समथटन मू ल्य (एमएसपी), वन अबिकार अबिबनयम, 2006, जनजातीय उप योजना, भारतीय जनजातीय सहकारी बवपणन
संघ (TRIFED), बवमुि/घुमंतू/अिट -घुमंतू (SEED) जनजाबतयों के आबथटक सशक्तिकरण की योजना, ढे िर आयोग, वन िन योजना, राि्ीय
जनजातीय अनुसंिान सं स्थान (NTRI)।
छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● शैजक्षक कल्याण:
o प्री-मैजटर क और पोस्ट-मैजटर क छात्रिृजत्त, ओबीसी को राष्ट्रीय फेिोजशप: इस समुदाय के िच्ों को अपनी बशक्षा पूरी करने में
सक्षम िनाना।
● आजथयक कल्याण:
o मजहिाओं के जिए नई स्वजणयमा: इस योजना के तहत, गरीिी रे खा से दोगुने से नीचे जीवन यापन करने वाली बपछडे वगट की
मबहलाएं 5% प्रबत वषट की दर से 1,00,000/- रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकती हैं ।
o सक्षम: यह लबक्षत समूह के बपछडे वगों से संिंबित युवा पेशेवरों के बलए र्मट लोन के तहत एक बवशेष योजना है ।
o जशल्प सम्पदा: इस योजना का उद्दे श्य प्रबशक्षण और बविीय सहायता प्रदान करके बपछडे वगों के तकनीकी और उद्यमशीलता
कौशल को उन्नत करना है ।
o कृजष सम्पदा: रिी और खरीफ या बकसी भी नकदी फसल के दौरान िन की आवश्यकताओं के बलए छोर्े बकसानों और लबक्षत
समूह के सब्जी बविेताओं को माइिोफाइनेंस के तहत ररयायती ऋण प्रदान करना।
● समाि कल्याण:
o ओबीसी/डीएनटी/ईबीसी के कौशि जिकास के जिए सहायता: ओिीसी/डीएनर्ी/ईिीसी की शैबक्षक और सामाबजक-आबथटक
क्तस्थबतयों में सुिार के बलए स्वैक्तच्छक संगठन और राि्ीय बपछडा वगट बवि और बवकास बनगम (एनिीसीएफडीसी) का बनगमन बकया
गया है ।
o बपछडे समुदायों की समग्र प्रगबत के बलए राष्ट्रीय जपछडा िगय आयोग को संिैधाजनक दिाय जदया गया है।
● दू सरा जपछडा िगय आयोग: भारत सरकार ने 1979 में मंडि आयोग जनयुक्त जकया। इसने 1980 में अपनी ररपोर्ट प्रस्तुत की और
ओबीसी के पक्ष में 27% आरक्षण की जसफाररश की। 1990 में सरकार ने इसे स्वीकार कर बलया।
● सामाजिक और शैजक्षक रूप से जपछडा: ओबीसी को सामाजिक और शैजक्षक रूप से जपछडा िगय माना िाता है और उनके
सामाबजक और शैबक्षक बवकास को सुबनबित करने के बलए जशक्षा - अनुच्छेद 15 (4) और नौकररयों - अनुच्छेद 16 (4) में आरक्षण
जदया िाता है।
● इं द्रा साहनी केस (1992): सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को बरकरार रखा लेबकन आजथयक रूप से संपन्न ओबीसी को "क्रीमी
िेयर" के रूप में बाहर रखा।
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● योग्यता का सं रक्षण: हम अपने दे श में आबथटक बपछडे पन की दयनीय क्तस्थबत से योग्यता को प्रभाबवत करने से इं कार नही ं कर सकते।
एससी/एसटी/ओबीसी के जिए कल्याण योिनाओं के प्रदशय न में बाधाएं - आिोचनात्मक परीक्षण
● गरीबी और असमानता: अलगाव, िबहष्कार और व्यावसाबयक अिीनता की समस्ाएं दे श के सामाबजक-आबथटक बवकास में इन
सामाबजक समूहों को मुििारा में लाने में प्रमुख िािाएं हैं ।
● अपयायप्त और अकुशि फंजडं ग: जिबक नीबत आयोग के बदशाबनदे शों के अनुसार इस वषट के िजर् में अनुसूबचत जाबत के बलए दे य
आवंर्न 1,39,172 करोड रुपये होना चाबहए, आवंर्न 83,257 करोड रुपये या 60% था।
o इसके अिािा, धन का आिंटन कुशितापूियक नही ं जकया िाता है : संसािनों को कुछ लबक्षत योजनाओं के िजाय कई
योजनाओं, बवशेष रूप से अनुसूबचत जाबत उप-योजना (एससीएसपी) और आबदवासी उप-योजना (र्ीएसपी) के तहत बवतररत बकया
जाता है ।
o इसके अलावा, प्रत्येक मंत्रालय को अपने खचट का 15% अनु सूबचत जाबत उपयोजना में अलग रखना होता है , लेबकन अक्सर उनके
पररणाम महत्वहीन होते हैं ।
● खराब प्रशासन - अंतर-मंत्रालयी तालमेल की कमी और लाभाबथटयों के उप-इितम लक्ष्यीकरण सबहत शासन एक और प्रमुख मुद्दा है ।
● िमीनी हकीकतों को निरअं दाि जकया िाता है - हस्तक्षेपों को बडजाइन करते समय एससी/एसर्ी समूहों की बवबशि सां स्कृबतक
और सामाबजक आवश्यकताओं को शाबमल करने में असमथटता के कारण इन समूहों को मुििारा में लाने में भी िािा उत्पन्न हई है ।
● ऊपर से नीचे (Top to Down) का दृजष्ट्कोण - बडजाइन, योजना और कायाट न्वयन में लोगों की भागीदारी का अभाव और जवािदे ही
का अभाव।
● दजित और आजदिासी मजहिाओं की उपेक्षा - 2020-21 के िजर् में केंद्र प्रायोबजत योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं से दबलत
मबहलाओं के बलए 0.8% (7,986.34 करोड रुपये) और आबदवासी मबहलाओं के बलए 0.34% (3,174.91 करोड रुपये) का आवंर्न बकया
गया है ।
● िागरूकता - योजनाओं के िारे में जागरूकता सीबमत है बजसके पररणामस्वरूप लीकेज होती है और लाभ से वंबचत बकया जाता है ।
आगे की राह
● मौजूदा सरकारी प्रयासों को अबिक प्रभावी और सहभागी िनाएं ।
● सामाबजक योजनाओं के नवाचार, प्रभावशीलता और प्रभाव के बलए राज्यों की रैं जकंग शुरू करें ।
● दे श भर में प्रमुख सामाजिक प्रथाओं की पहचान करें िो अभी भी दजितों को अिग करती हैं - चाहे िह स्कूिों में, घरों में, या
काययस्थिों में - और छात्रों और जशक्षकों, ग्रामीणों, कंपजनयों आजद के जिए िजक्षत संचार अजभयान चिाएं ।
● एससी/एसर्ी समुदायों के बलए बिट आिंटन िनसंख्या में उनकी जहस्सेदारी के अनुपात में होना चाजहए।
● भारतीय समाज की संरचना को दे खते हए, संबविान बनमाट ताओं की सिसे िडी बचंता एक समतावादी समाज का बनमाट ण करना था जो एक
मजिूत राि् का बनमाट ण करे गा।
● इस प्रकार, समाज के सिसे कमजोर वगट की रक्षा के बलए संबविान बनमाट ताओं ने एससी/एसर्ी के बलए राि्ीय आयोग के रूप में
संवैिाबनक सुरक्षा उपाय प्रदान बकए।
● राष्ट्रीय अनुसूजचत िाजत आयोग: यह अनुसूबचत जाबत और एं ग्लो-भारतीय समुदायों के शोषण के क्तखलाफ सुरक्षा उपाय प्रदान करने के
बलए अनुच्छेद 338 के तहत स्थाबपत एक संवैिाबनक बनकाय है ।
o इसका उद्दे श्य उनके सामाबजक, शैबक्षक, आबथटक और सां स्कृबतक बहतों और संबविान में बकए गए बवशेष प्राविानों को िढावा दे ना
और उनकी रक्षा करना है ।
● राष्ट्रीय अनु सूजचत िनिाजत आयोग: 89िें सं शोधन ने अनु सूजचत िाजत और अनु सूजचत िनिाजत के जिए पूियिती राष्ट्रीय आयोग
को जिभाजित कर जदया और अनुच्छेद 338-ए के तहत एनसीएसटी की स्थापना की।
o इसका उद्दे श्य संबविान के तहत एसर्ी को प्रदान बकए गए बवबभन्न सुरक्षा उपायों के कायाटन्वयन की बनगरानी करना है ।
● राष्ट्रीय जपछडा िगय आयोग: यह आयोग इं द्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ मामिे का पररणाम है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o उच्तम न्यायालय ने सरकार को ओिीसी की सूची में शाबमल करने और िाहर करने के अनुरोिों पर बवचार करने, जां च करने और
बसफाररश करने के बलए एक स्थायी बनकाय गबठत करने का बनदे श बदया था।
o इस प्रकार, इसे 1993 में सामाबजक न्याय और अबिकाररता मंत्रालय के तहत एक वैिाबनक बनकाय के रूप में स्थाबपत बकया गया
था।
o 102िें संशोधन 2018 ने अनु च्छेद 338बी के तहत राष्ट्रीय जपछडा िगय आयोग बनाया और इसे संिैधाजनक दिाय प्रदान
जकया।
o संरचना: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और राि्पबत द्वारा बनयुि तीन अन्य सदस्।
आयोगों के कायय/भूजमका:
● संबविान या बकसी अन्य कानून के तहत एसर्ी के बलए प्रदान बकए गए सुरक्षा उपायों से संिंबित सभी मामिों की िांच और
जनगरानी करना और ऐसे सुरक्षा उपायों के कामकाज का मूल्यां कन करना।
● अनुसूबचत जनजाबतयों के अबिकारों और सुरक्षा उपायों से वंबचत होने के संिंि में जिजशष्ट् जशकायतों की िांच करना।
● योिना प्रजक्रया में भाग िेना और सिाह दे ना और संघ और बकसी राज्य के तहत उनके बवकास की प्रगबत का मूल्यां कन करना।
● राष्ट्रपजत को िाजषयक रूप से और ऐसे अन्य समय पर, जि आयोग उबचत समझे, उन सुरक्षा उपायों के कामकाज पर ररपोर्ट प्रस्तुत
करना।
एससी/एस सी /ओबीसी के कल्याण में एनसीएससी/एसटी और एनसीबीसी द्वारा जनभाई गई रचनात्मक भू जमका के कु छ
उदाहरण
● बंगाि में चुनाि के बाद की जहंसा में, एनसीएससी ने एससी और एसर्ी समुदायों के क्तखलाफ अत्याचारों को स्वत: संज्ञान बलया।
● इसने अनुसूबचत जाबतयों के क्तखलाफ अत्याचार की बशकायतों के बलए एक ऑनलाइन बशकायत पोर्ट ल शुरू बकया।
● सुभाष महािन मामिे की समीक्षा दायर करने का अनुरोि बकया, बजसने एससी/एसर्ी (अत्याचार बनवारण) अबिबनयम, 1989 को
कमजोर कर बदया था। और िाद में, सरकार ने मूल प्राविानों को िहाल कर बदया।
● ईंट भट्ठा क्षेत्र में अनुसूबचत जाबत के श्रबमकों के शोषण के मामले उठाए।
● नामशूद्र, तािाब, पौड
ं र आजद (िंगाली बवस्थाबपत व्यक्ति) समुदाय को उिर प्रदे श की अनुसूबचत जाबत की सूची में शाबमल करने की
बसफाररश की गई।
अनु सूजचत िनिाजत के कल्याण में एनसीएसटी द्वारा जनभाई गई भूजमका:
● पयाट वरण, वन एवं जलवायु पररवतटन मंत्रालय के साथ बवकासात्मक पररयोजनाओं के कारण अनुसूजचत िनिाजतयों के जिस्थापन और
पुनिायस का मुद्दा उठाया और आजदिासी अजधकारों की सुरक्षा के उपायों की जसफाररश की। इसने इस संिंि में राि्पबत को दो
ररपोर्ें प्रस्तुत कीं -
o इं जदरा सागर पोिािरम पररयोिना ने जनजातीय लोगों को प्रभाबवत बकया।
o बवस्थाबपत आबदवाबसयों के पुनवाट स एवं राहत पर राउरकेिा इस्पात संयंत्र।
● उदाहरण के जिए, छिीसगढ राज्य बवद् युत िोडट के एससी और एसर्ी अबिकाररयों की पदोन्नबत से इनकार के संिंि में छिीसगढ उच्
न्यायालय में आबदवाबसयों के बहत से संिंबित कानूनी मामिों में प्रजतजनजधत्व जकया।
● बवशेष अदालतों द्वारा मामलों का समयिद् बनपर्ान प्रदान करने के बलए अनुशंबसत एससी और एसर्ी, पीओए अबिबनयम, 1989 के
संशोिन को स्वतिः ही मान्यता दे दी।
● इसने प्रवासी एसर्ी की गणना, िन अजधकार अजधजनयम के कायाट न्वयन, भूजम अजधग्रहण और आरआर जिधे यक आबद में संशोिन से
संिंबित नीबतगत मुद्दों में भी योगदान बदया।
कल्याण के जिए एक एिें सी के रूप में एनसीबीसी की भूजमका:
● हाल ही में एनसीिीसी ने आरक्षण के प्राविान के अनुसार ओिीसी छात्रों को संस्थान में सीर्ें आवंबर्त न करने के संिंि में सरकारी
मेजडकि कॉिेि और अस्पताि, चंडीगढ को तिब जकया था।
● राि्ीय बपछडा वगट आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय को नोबर्स जारी कर बशकायत की है बक मंडल के िाद 27 प्रबतशत कोर्ा व्यवक्तस्थत ढं ग से
लागू नही ं बकया गया।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● संरचना में पररितय न: लैंबगक जागरूकता सुबनबित करने के बलए अबनवायट रूप से बवशेषज्ञों और मबहलाओं को शाबमल करना।
● संिेदीकरण: अबभजात वगट के पूवाट ग्रहों का मुकािला करने के बलए, आयोग को उन िबहष्करणों के प्रबत संवेदनशील होने की
आवश्यकता है जो बशक्षा और सूचना की कमी के कारण उत्पन्न हो सकते हैं और आदशट रूप से अपनी स्वत: प्रेरणा शक्तियों का अबिक
सबिय रूप से उपयोग करना चाबहए।
● बपछडे वगट के सदस्ों के साथ सहानुभूबतपूणट व्यवहार और उनकी बशकायतों का समय पर बनवारण सुबनबित करने के बलए वकीलों,
न्यायािीशों और पुबलसकबमटयों का क्षमता जनमायण और िागरुकता।
● आजथयक उत्थान: आयोग को अनुसूबचत जाबत कल्याण के बलए सामाबजक और आबथटक योजना में भाग लेने का संवैिाबनक अबिकार
प्राप्त है । इसबलए, इसे आबथटक सशिीकरण और उद्यबमता को सुबविाजनक िनाने में सबिय भूबमका बनभानी चाबहए।
o आयोग को सभी सरकारी योजनाओं में चार या पां च प्राथबमकताओं की पहचान करने और उन प्राथबमकताओं के आसपास सभी
खचों (एससीपी) को बफर से उन्मु ख करने के बलए बविायकों के साथ काम करना चाबहए।
o यह सेवा अथटव्यवस्था में कौशल और लघु व्यवसाय बवकास को िढावा दे ने के बलए काम करे गा।
● अन्य आिश्यक कदम: नागररक समाज के साथ समन्वय, अच्छे सामाबजक कायट को प्रोत्साबहत करना, आबद।
दे श में जाबत-आिाररत पहचान िहत गहराई तक जमी हई है और भारतीय समाज का अबभन्न अंग है । यह व्यक्तियों की बशक्षा, रोजगार और
सामाबजक क्तस्थबत तक पहं च तय करने में महत्वपूणट भूबमका बनभाती है । इसबलए संवैिाबनक आयोग को न केवल अक्षरश: िक्तल्क भावना से भी
अपनी भूबमका बनभानी चाबहए और सामाबजक न्याय तथा जाबत-आिाररत भेदभाव के उन्मूलन के अपने आदे श को पूरा करना चाबहए।
● आरक्षण बशक्षा, रोजगार और राजनीबत में प्रबतबनबित्व में सुिार करके ऐबतहाबसक रूप से वंबचत समूहों के बलए सामाजिक न्याय
सुजनजित करने के जिए सकारात्मक कारट वाई की एक प्रणाली को संदबभटत करता है ।
● मूल रूप से, आरक्षण केवल एससी और एसर्ी को बदया गया था, लेबकन िाद में मंडि आयोग की ररपोटय के कायाय न्वयन के बाद
1987 में इसे ओबीसी (केिि जशक्षा और साियिजनक रोिगार में) समुदाय को भी दे जदया गया।
● 103िां संशोधन अजधजनयम 2019, पूवटवती अनारबक्षत श्रेणी के छात्रों के िीच आबथटक रूप से कमजोर वगों के बलए 10% अबतररि
कोर्ा प्रदान करता है ।
आरक्षण की आिश्यकता:
● ऐजतहाजसक अन्याय और िाजत-आधाररत भेदभाि: भारतीय सामाबजक संगठन की चतुविंसा प्रणाली ने इन सामाबजक समू हों को
ऐबतहाबसक अन्याय और जाबत-आिाररत भेदभाव की ओर अग्रसर बकया है ।
● जपछडापन: वे सामाबजक और आबथटक रूप से सभी मापदं डों पर बपछडे हैं और उनकी क्तस्थबत आज भी संतोषजनक नही ं है ।
● अस्पृश्यता: वे अस्पृश्यता की प्रथा के अिीन थे, जो बवबभन्न सामाबजक प्रबतिंिों का रूप लेती है ।
● साियिजनक सेिाओं में अपयाय प्त प्रजतजनजधत्व: सावटजबनक सेवाओं में बपछडे वगों का अपयाट प्त प्रबतबनबित्व। उन्हें बशक्षा, शक्तिशाली पद
और आकषटक नौकररयााँ दे ने से इनकार कर बदया गया।
● मैनुअि स्कैिेंजिं ग: दे श में यह सामाबजक कुप्रथा अभी भी मौजूद है और इसमें सिसे बपछडे समुदाय कायटरत हैं ।
● समान अिसर: बपछडे समुदायों को उनकी उन्नबत के बलए समान अवसर प्रदान करना।
आरक्षण का प्रभाि:
● केंद्रीय प्रशासबनक सेवाओं में, एससी 1984 में क्लास सी के 14 प्रबतशत, 2003 में क्लास िी के 14.3 प्रबतशत और 2015 में क्लास ए के
13.3 प्रबतशत तक पहं च गए।
● केंद्रीय साियिजनक क्षे त्र के उद्यमों (सीपीएसई) में उनका अनुपात 2004 में 14.6 प्रबतशत से िढकर 2014 में 18.1 प्रबतशत हो गया।
● इसके समानां तर, अनुसूबचत जाबत की साक्षरता दर 1981 में 21.38 प्रबतशत से िढकर 2011 में 66.1 प्रबतशत हो गई।
इक्तच्छत िक्ष्य प्राप्त करने के जिए सुझाि
● क्रीमी-िेयर अिधारणा को लागू करके, एससी और एसर्ी समुदायों का उप-िगीकरण और अजधकांश गरीब िोगों के जिए
आरक्षण िाभ प्राप्त करने को प्राथजमकता दी िाएगी।
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छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
5. मजहिाएं
"िब तक मजहिाओं की क्तस्थजत में सुधार नही ं होगा तब तक जिश्व के कल्याण की कोई संभािना नही ं है। एक पक्षी के जिए जसफय एक
पंख पर उडना सं भि नही ं है" - स्वामी जििेकानन्द
"मैं जकसी समुदाय की प्रगजत को मजहिाओं द्वारा हाजसि की गई प्रगजत के आधार पर मापता हं" - बीआर अंबेडकर
"िडजकयों को जशजक्षत करना गरीबी कम करना है" - कोफी अन्नान
"िब मजहिाएं बेहतर करती हैं तो अथयव्यिस्थाएं बेहतर होती हैं" - जक्रस्टीना िेगाडय
पररचय
● भारत की िनसंख्या में िगभग 50% मबहलाएाँ हैं । आदशय रूप से, उन्हें जशक्षा, स्वास्थ्य, रोिगार, रािनीजत आजद में समान
जहस्सेदारी जमिनी चाजहए। लेबकन, इसके बवपरीत, भारत में कई मबहलाओं को महत्वपूणट कबठनाइयों का सामना करना पडता है और वे
जिकासात्मक मानकों पर जपछड िाती हैं ।
सं िै धाजनक प्रािधान
● अनुच्छेद 15(3) - मजहिाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाि की ● अनुच्छेद 42 - कायट की उजचत और मानिीय
अनुमजत दे ता है। क्तस्थजतयााँ सुजनजित करने और मातृत्व राहत के
● अनुच्छेद 23 - मानि तस्करी और बिात् श्रम का प्रबतषेि। जिए राज्य द्वारा प्राविान करने की अनुमबत दे ता है ।
● अनुच्छेद 39 (ए) - राज्य यह सुबनबित करे गा बक पुरुषों और मबहलाओं ● अनुच्छेद 243डी - सभी स्तरों पर पंचायतों में
को समान रूप से आिीजिका के पयायप्त साधन का अजधकार हो। मजहिाओं के जिए कम से कम एक जतहाई
● अनुच्छेद 39 (डी) - पु रुषों और मबहलाओं दोनों के बलए समान काम के आरक्षण का आदे श दे ता है। 20 राज्यों ने अपने
जिए समान िेतन। संिंबित राज्य पंचायती राज अबिबनयमों में
पीआरआई में मजहिाओं के जिए 50% आरक्षण
● अनुच्छेद 51 (ए) (ई) - मजहिाओं की गररमा के जिए अपमानिनक
का प्राविान बकया है ।
प्रथाओं का त्याग करें ।
भारत में मजहिाओं की क्तस्थजत- तथ्य और डे टा
● साक्षरता: दे श में साक्षरता दर 74.04 प्रजतशत है , पु रुषों के जिए 82.14% और मजहिाओं के जिए 65.46% (2011 की
िनगणना)।
● जिंगानुपात: दे श में बलंगानुपात हमेशा से ही मजहिाओं
के प्रजतकूि रहा है । 2011 (2011 िनगणना) में यह
940 था।
● बाि जिंगानुपात: एनएफएचएस - 5 के अनुसार
जपछिे पांच िषों में पैदा हए िच्ों के बलए जन्म के समय
िाल जिंगानुपात (प्रबत 1,000 पुरुष पर मबहला) 929 है।
● मजहिा काययबि भागीदारी दर: नवीनतम िाजषयक
आिजधक श्रम बि सिेक्षण (पीएिएफएस) ररपोटय
दे श में 15 वषट और उससे अबिक उम्र की मबहलाओं की
सामान्य क्तस्थबत में क्रमशः 2019-20, 2020-21 और
2021-22 के दौरान 30.0%, 32.5% और 32.8% की
बढती काययबि भागीदारी प्रिृ जत्त पर प्रकाश डािती
है। (पीआईबी)
● िैंजगक अंतराि: भारत 28 स्थान बफसलकर 156 दे शों में 140िें स्थान पर है (जिश्व आजथयक मंच का िैजश्वक िैंजगक अंतराि
सूचकांक 2021)।
● यौन उत्पीडन: कॉपोरे र् क्षेत्र की पूणटकाबलक नौकररयों में 35% मजहिाओं ने यौन उत्पीडन का अनु भि जकया है ( द िीमेन इन द
िकयप्लेस ररपोटय )।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● मातृ मृत्यु अनुपात: 2017-19 में 103 और 2014-2016 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 हो गया (भारत में मातृ मृत्यु पर बवशेष
िुलेबर्न 2018-20)।
● स्वास्थ्य: अबिकां श राज्यों में 50 प्रजतशत से अजधक मजहिाएं एनीजमया से पीजडत हैं । ( राष्ट्रीय पररिार स्वास्थ्य सिेक्षण - 5, 2019-
20)।
● घरे िू जहंसा: तीन में से एक ( 34% ) बववाबहत मबहला ( 15-49 आयु िगय ) ने अपने पबत या सहभागी द्वारा शारीररक, यौन या भावनात्मक
बहं सा का अनुभव बकया है (एनसीआरिी)।
● एसडीिी िक्ष्य 3.1: 2030 तक िैजश्वक एमएमआर को 70/िाख से कम िीजित िन्म तक करना।
● एसडीिी 5: "लैंबगक समानता हाबसल करना और सभी मबहलाओं और लडबकयों को सशि िनाना"
मजहिाओं का रािनीजतक बजहष्करण
● िोकसभा में - 14% (78 सां सद) मबहला सां सद। 1952 के िाद से मबहला सां सदों की सिसे अबिक संिा। राज्यसभा में 245 सदस्ों
में से केवल 25 (10.2%) मबहलाएाँ हैं ।
● बविानसभाएं - 4,120 जिधायकों में से केिि 9% मजहिाएं थी ं (एडीआर ररपोर्ट )। हाि के जिधानसभा चुनािों (2021) में
तजमिनाडु में केिि 5% मजहिाएं और 140 सदस्यीय केरि राज्य जिधानसभा के जिए केिि 11 मजहिाएं चुनी गईं।
मजहिा आरक्षण जिधेयक
● िोकसभा के साथ-साथ सभी राज्य जिधानसभाओं में मबहलाओं के बलए एक बतहाई सीर्ें बनिाट ररत करने के बलए संबविान में
संशोिन करना चाहता है ।
● 2010 में राज्यसभा से पाररत और िोकसभा में िंजबत।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● आजादी का अमृत महोत्सि मजहिा सम्मान बचत पत्र: एकमुश्त नई छोटी बचत योिना, मजहिा सम्मान बचत प्रमाणपत्र
(एमएसएससी), माचट 2025 तक दो साि की अिजध के बलए उपलि कराया जाएगा। यह जनजित ब्याि पर 2 साि की अिजध के
बलए मबहलाओं या लडबकयों के नाम पर ₹2 िाख तक की िमा सुजिधा प्रदान करे गा। इसमें आं बशक बनकासी बवकल्प के साथ 7.5%
की दर से ब्याि जमिता है । (केंद्रीय बिट 2023 - 24)।
● िन स्टॉप सेंटर योिना: वन स्टॉप सेंर्र (ओएससी) का उद्दे श्य बनजी और सावटजबनक स्थानों, पररवार, समुदाय और कायटस्थल पर जहंसा
से प्रभाजित मजहिाओं की सहायता करना है ।
● बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योिना: िेर्ी िचाओ, िेर्ी पढाओ भारत
सरकार का एक अबभयान है बजसका उद्दे श्य भारत में िडजकयों के
जिए िागरूकता पैदा करना और कल्याणकारी सेिाओं की
दक्षता में सुधार करना है।
● उज्ज्विा: तस्करी की रोकथाम और तस्करी तथा िाजणक्तज्यक
यौन शोषण के पीजडतों के बचाि, पुनवाट स और पुन:एकीकरण के
बलए एक व्यापक योजना।
● स्वाधार गृह: कजठन पररक्तस्थजतयों में मबहलाओं के बलए एक योजना
ताबक वे सम्मान और दृढ जिश्वास के साथ अपना िीिन िी सकें।
● मजहिा पुजिस स्वयंसेिक (एमपीिी): एक एमपीिी मजहिाओं के क्तखिाफ अपराध से िडने के जिए साियिजनक-पुजिस इं टरफेस
के रूप में काम करे गी।
● मजहिा शक्तक्त केंद्र (एमएसके) का लक्ष्य ग्रामीण मजहिाओं को कौशि जिकास और रोिगार के अिसरों के साथ सशक्त बनाना
है।
● जिजभन्न सजमजत/आयोग की जसफाररशें :
● मजहिाओं के जिए जििाह की आयु 18 से िढाकर 21 िषय करना।
● सरकार को िडजकयों के जिए पररिहन सजहत स्कूिों और कॉिेिों तक पहुंच बढाने पर ध्यान दे ना होगा।
िया िेटिी ● लडबकयों के बलए कौशि एिं व्यिसाजयक प्रजशक्षण सुजनजित करना।
सजमजत, 2020 ● सबमबत ने स्कूिों में यौन जशक्षा की भी जसफाररश की।
● नए कानू न की सामाबजक स्वीकृबत को प्रोत्साबहत करने के बलए बडे पैमाने पर िागरूकता अजभयान चिाया
िाएगा।
● आं तररक जशकायत सजमजत (आईसीसी) के स्थान पर, यह बसफाररश की गई बक एक रोिगार न्यायाजधकरण
िक्तस्टस िमाय स्थाजपत जकया िाए क्ोंबक आं तररक आईसीसी में मबहलाओं को बशकायत करने के बलए हतोत्साबहत बकया
सजमजत, 2012 जाएगा।
● सबमबत ने काययस्थि पर यौन उत्पीडन से मजहिाओं की सु रक्षा अजधजनयम में घरे िू कामगारों को भी
शाजमि करने की जसफाररश की।
आगे की राह
हालााँ बक, इन प्रयासों के िावजूद मजहिा सशक्तक्तकरण के मोचे पर प्रगजत की कमी जदखाई दे रही है इसजिए और सुिारात्मक कदम
उठाने की तत्काल आवश्यकता है । कारट वाई का एक उपयुि तरीका हो सकता है :
● िच्ों की दे खभाल से लेकर समान वेतन तक की नीबतयों और लैंबगक समानता का समथटन करने वाले कानूनों तक, ठोस जिंग
पररितयनकारी नीजतयों को अपनाएं ।
● उत्तरिीिी-केंजद्रत दे खभाि और आवश्यकतानुसार अन्य सेवाओं तक पहं च सुबनबित करने के बलए स्वास्थ्य प्रणािी की प्रजतजक्रया को
मिबूत करें ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● व्यापक यौन बशक्षा और बलंग संवेदीकरण सबहत भेदभावपूणट दृबिकोण और मान्यताओं को चुनौती दे ने के बलए स्कूिी जशक्षा में
पररितयन।
● स्थानीय, राि्ीय, क्षेत्रीय और वैबिक स्तर पर जटकाऊ और प्रभावी साक्ष्य-आधाररत रोकथाम रणनीजतयों में िजक्षत जनिे श,
● डे टा संग्रह को मिबूत करना और उच् गुणविा वाले सवेक्षणों में बनवेश करना तथा मबहलाओं के साथ होने वाली बहं सा के बवबभन्न रूपों
के माप में सुिार करना, बजनमें वे मबहलाएं भी शाबमल हैं जो सिसे अबिक हाबशए पर हैं ।
● िैंजगक िागरुकता पर ध्यान दें : सभी बहतिारकों की लैंबगक जागरुकता घरे लू बहं सा पर प्रभावी प्रबतबिया का एक महत्वपूणट घर्क है ।
इसे पुबलस, न्यायपाबलका, नौकरशाही, नीबत बनमाट ताओं, सामाबजक कायटकताट ओ,ं परामशटदाताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं के प्रबशक्षण के
पाठ्यिम का बहस्सा िनना चाबहए।
● िागरूकता सृिन और सूचना प्रसार: कई मबहलाएं घरे लू बहं सा से िचने में असमथट होती हैं क्ोंबक वे उपलि कानू नी सेवाओं और
एजेंबसयों से अनजान हैं । इसबलए, उपलि सेवाओं की श्रेणी के िारे में जानकारी प्रसाररत करना आवश्यक है ।
जनष्कषय
यबद भारत और भी अबिक कठोर कायाट न्वयन के साथ एक कठोर नीबत अपनाए तो अबिकां श समस्ाएं कम हो जाएं गी। िाकी सि कुछ
अनुसरण कर सकता है । राज्यों को मबहलाओं के क्तखलाफ सभी रूपों में बहं सा से बनपर्ने के बलए िढी हई और मजिूत राजनीबतक इच्छाशक्ति
और नेतृत्व के प्रबत अपनी प्रबतिद्ताओं का सम्मान करना चाबहए।
कायय स्थि पर मजहिाओं का यौन उत्पीडन (रोकथाम, जनषे ध और जनिारण) अजधजनयम, 2013
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
यह मजहिाओं को उनके काययस्थि पर यौन उत्पीडन से बचाने के जिए अजधजनयजमत जकया गया था। यह झूठे या दु भाट वनापूणट आरोपों के
क्तखलाफ सुरक्षा उपाय भी प्रदान करता है ।
अजधजनयम के प्रमु ख प्रािधान
आं तररक जशकायत सजमजत: प्रत्येक जनयोक्ता को प्रत्येक कायायिय या शाखा में (10 या अजधक कमयचाररयों िािी) एक आं तररक
बशकायत सबमबत का गठन करना आवश्यक है ।
● स्थानीय जशकायत सजमजत: बजला अबिकारी को प्रत्येक बजले में और यबद आवश्यक हो तो ब्लॉक स्तर पर एक स्थानीय बशकायत सबमबत
का गठन करना आवश्यक है ।
● जसजिि न्यायािय की शक्तक्तयााँ : जशकायत
सजमजतयों के पास सिूत इकट्ठा करने के
बलए बसबवल अदालतों की शक्तियां हैं ।
● िागरूकता और संिेदीकरण: बनयोिाओं
को बशक्षा और संवेदीकरण कायटिम
संचाबलत करने और यौन उत्पीडन के
क्तखलाफ नीबतयां बवकबसत करने के बलए
िाध्य करता है ।
● दं ड: अबिबनयम का अनुपालन न करने पर ₹
50,000 तक का िुमाय ना िगाया िा
सकता है।
● बार-बार उिंघन करने पर अजधक िुमायना िगाया िाता है और व्यवसाय संचाबलत करने के लाइसेंस को रद्द कर बदया जाता है या
पंजीकरण रद्द कर बदया जाता है ।
चु नौजतयां
● अपिाद: यह अबिबनयम उन सशस्त्र बिों पर िागू नही ं है जो िडे पैमाने पर पुरुष प्रिान हैं ।
● जिंग तटस्थ नही ं: यह टर ांसिेंडरों और पुरुषों आबद के साथ हए यौन उत्पीडन पर जिचार नही ं करता है।
● जनगरानी का अभाि: इसके कायाट न्वयन की बनगरानी के बलए उबचत तंत्र सुबनबित करने हे तु कोई प्राबिकरण नही ं है ।
● संगबठत और असंगबठत दोनों क्षेत्रों में काम करने वाले अबिकां श कमटचाररयों में िागरूकता की कमी है ।
● अन्य: कंपबनयों का गैर-अनुपालन, आईसीसी की बवशेषज्ञता की कमी, मबहला बशकायतकताट का उत्पीडन आबद।
आगे की राह
● यह अबिबनयम काययस्थि पर यौन उत्पीडन की समस्या का समाधान करने के जिए एक बडा कदम है । मबहला श्रम िल की
भागीदारी िढाने और लैंबगक समानता के लक्ष्य को साकार करने के बलए, अबिबनयम को आवश्यक सुिारों के साथ मजिूत बकया जाना
चाबहए जैसे बक इसे बलंग तर्स्थ िनाया जाएगा, सशस्त्र िलों पर लागू बकया जाएगा, आईसीसी को प्रबशक्षण बदया जाएगा, गैर -अनुपालन के
बलए संगठनों को दं बडत बकया जाएगा आबद और इसे लागू बकया जाएगा। तथा इसका अक्षरश: पािन जकया िाएगा।
सरोगे सी अजधजनयम 2021
सरोगे सी वह प्रथा है बजसके तहत एक मजहिा,जकसी दू सरे के जिए बच्चे को इस इरादे से पालती है बक िन्म के बाद बच्चे को उसे सौंप
जदया िाए। ऐसी सरोगेसी व्यवस्था प्रकृबत में परोपकारी या व्यािसाजयक हो सकती है।
अजधजनयम के उद्दे श्य
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अनैजतक प्रथाओं को जिजनयजमत और जनयंजत्रत करना: भारत दु बनया की "गभय रािधानी" के रूप में कुख्यात हो गया है। जोडे
भारत आएं गे और गभट खरीदें गे और िच्ों को वापस ले जाएं गे। यह अबिबनयम सरोगेट के शोषण के मुद्दों से संिंबित अनैजतक प्रथाओं
पर अंकुश िगाने का प्रयास करता है ।
● मजहिाओं के शोषण पर अंकुश िगाने के जिए: अबववाबहत मबहलाएं जित्तीय संकट से जनपटने के जिए अपनी कोख बेच दे ती हैं।
o उदाहरण: आं ध्र प्रदे श में एक मामला सामने आया है जहां 74 साि की बुिुगय मजहिा ने िुडिा बच्चों को िन्म बदया। इतना िूढा
व्यक्ति अपने िच्ों का पालन-पोषण कैसे करे गा? यह शारीररक रूप से अस्वस्थ और नैजतक रूप से गित है।
● जिंग चयन पर अं कुश िगाने के जिए: पूरे दे श में अजनयजमत आईिीएफ केंद्र चि रहे हैं और अजनयजमत सरोगे सी के कारण जिंग
चयन बडे पैमाने पर होता िा रहा है।
● प्रिनन जचजकत्सा पययटन को रोकने के जिए: भारत िैजश्वक प्रिनन उद्योग का केंद्र बन गया है, प्रिनन जचजकत्सा पययटन में भारी
वृक्तद् दे खी जा रही है ।
प्रमु ख जिशे ष ताऐं
● पररभाषा: यह सरोगेसी को एक ऐसी प्रथा के रूप में पररभाबषत करता है बजसमें एक मजहिा इच्छु क दं पजत्त के जिए बच्चे को िन्म दे ती
है, ताजक िन्म के बाद बच्चे को इच्छु क दं पबि को सौंपा जा सके।
● सरोगे सी का जिजनयमन: बविेयक व्यािसाजयक सरोगेसी पर प्रजतबंध िगाता है लेबकन परोपकारी सरोगेसी की अनुमजत दे ता है।
● उद्दे श्य: सरोगेसी की अनुमबत ति दी जाती है जि -
o उन इच्छु क दं पबियों के बलए है जो जसद्ध बांझपन से पीजडत हैं।
o परोपकारी है।
o व्यािसाजयक उद्दे श्यों के जिए और बििी, वेश्यावृबि या शोषण के अन्य रूपों के बलए िच्े पैदा करने के बलए नही;ं और
o बवबनयमों के माध्यम से बनबदट ि जकसी भी क्तस्थजत या बीमारी के जिए।
● पात्रता: इच्छु क दं पबि के पास उपयुि प्राबिकारी द्वारा जारी 'अजनिाययता
का प्रमाण पत्र' और 'पात्रता का प्रमाण पत्र' होना चाजहए।
● उपयुक्त प्राजधकारी: केंद्र और राज्य सरकारें एक या अबिक उपयुि
प्राबिकाररयों की बनयुक्ति करें गी।
● कायय:
o सरोगेसी क्लीबनकों को पंजीकरण प्रदान करना, बनलंबित करना या रद्द
करना
o सरोगेसी क्लीबनकों के बलए मानक लागू करना
o बविेयक के प्राविानों के उल्लंघन के क्तखलाफ जां च करना और कारट वाई
करना
o बनयमों और बवबनयमों में संशोिन की बसफाररश करना।
● राष्ट्रीय और राज्य सरोगे सी बोडय : केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय
सरोगे सी बोडय (एनएसबी) और राज्य सरोगे सी बोडय (एसएसबी) का
गठन करें गी।
o एनएसबी के कायों में शाजमि हैं, (i) सरोगेसी से संिंबित नीबतगत मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह दे ना; (ii) सरोगेसी क्लीबनकों
के बलए आचार संबहता बनिाट ररत करना; और (iii) एसएसिी के कामकाज की बनगरानी करना।
● सरोगेट बच्चे का पािन-पोषण और गभयपात: सरोगेसी प्रबिया से पैदा हए िच्े को इच्छु क जोडे का िैजिक बच्चा माना िाएगा।
सरोगेर् िच्े के गभटपात के जिए सरोगेट मां की जिक्तखत सहमजत और उपयुक्त प्राजधकारी की अनुमजत की आिश्यकता होती है ।
यह प्राबिकरण मेजडकि टजमयनेशन ऑफ प्रे ग्नेंसी एक्ट्, 1971 के अनुरूप होना चाबहए।
● अपराध और दं ड: बविेयक के अंतगटत अपरािों में शाबमल हैं :
o वाबणक्तज्यक सरोगेसी का उपिम या बवज्ञापन करना; सरोगेर् मां का शोषण
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
ग्लोबि के स स्टडी
● परोपकारी सरोगेसी कानू नी है : परोपकारी सरोगेसी अमेररका, जब्रटे न, ऑस्टरे जिया, डे नमाकय और नीदरिैंड जैसे दे शों में कानूनी
है।
● सरोगे सी के सभी प्रकार प्रजतबं जधत हैं: फ्ांस, िमय नी, इटिी, स्पेन, पुतयगाि और बुल्गाररया जैसे दे श सभी प्रकार की सरोगेसी पर
प्रबतिंि लगाते हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
आगे की राह
● यह अबिबनयम बनस्संदेह सही बदशा में उठाया गया एक कदम है क्ोंबक भारत इन प्रथाओं के बलए वैबिक केंद्रों में से एक है । हालााँ बक, यह
सुबनबित करने के बलए एक गबतशील बनरीक्षण की भी आवश्यकता है बक कानून सामाबजक पररवतटनों, नैबतक अपेक्षाओं और तेजी से
बवकबसत हो रही प्रौद्योबगकी के साथ िना रहे ।
सहायक प्रिनन प्रौद्योजगकी
संदभय:
हाल ही में लोकसभा ने सहायक प्रिनन प्रौद्योजगकी (जिजनयमन) जिधेयक, 2021 पाररत जकया है । एआरर्ी बवबनयमन बविेयक का उद्दे श्य
सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योबगकी क्लीबनकों और िैंकों को बवबनयबमत और पयटवेक्षण करना, प्रौद्योबगकी के दु रुपयोग को रोकना और से वाओं
के नैबतक अभ्यास को िढावा दे ना है ।
एआरटी के बारे में
● यह अबिबनयम एआरटी को उन सभी तकनीकों को शाबमल करने के बलए पररभाबषत करता है जो मानव शरीर के िाहर शु क्राणु या
अंडक को संभािकर और युग्मक या भ्रूण को एक मबहला की प्रजनन प्रणाली में स्थानां तररत करके गभायिस्था प्राप्त करना चाहती हैं।
एआरटी सेिाओं के उदाहरणों में शाबमल हैं -
o युग्मक (शुिाणु या अंडाणु) दान
o इन-बवर्् ो-फबर्ट लाइजेशन (प्रयोगशाला में अंडे को बनषेबचत करना), और
o जेस्टेशनल सरोगेसी (िच्ा सरोगेर् मां से जैबवक रूप से संिंबित नही ं है )।
● एआरर्ी सेवाएं इसके माध्यम से प्रदान की जाएं गी:
o एआरटी क्लीजनक जो एआरर्ी से संिंबित उपचार और प्रबियाएं प्रदान करते हैं , और
o एआरटी बैंक जो युग्मकों का भंडारण और आपूबतट करते हैं
एआरटी जिजनयमन अजधजनयम 2021 की जिशे ष ताएं
● एआरटी क्लीजनकों और बैंकों का जिजनयमन: यह अबिबनयम दे श के सभी क्लीजनकों और बैंकों के केंद्रीय डे टाबेस के रूप में
क्लीजनकों और बैंकों की राष्ट्रीय रजिस्टर ी की स्थापना का प्रािधान करता है। यह एआरटी क्लीजनकों को पंिीकरण प्रदान करे गा
िो पांच साि के जिए िै ध होगा और अगले पां च वषों के बलए नवीनीकृत बकया जा सकता है और अजधजनयम का उिंघन होने पर
पंिीकरण रद्द या जनिंजबत जकया िा सकता है।
● राष्ट्रीय और राज्य बोडय : यह एआरर्ी सेवाओं के बवबनयमन की बनगरानी के बलए सरोगेसी (जिजनयमन) जिधे यक, 2019 के तहत गबठत
एक राष्ट्रीय और राज्य बोडय के गठन का प्राविान करता है ।
● एआरटी सेिा प्रदाताओं के जिए जनयम: एआरर्ी प्रबियाएं केवल कमीशबनंग पाबर्ट यों और दाता की बलक्तखत सहमबत से ही संचाबलत की
जानी चाबहए। कमीशबनंग पार्ी को अंडा दाता के पक्ष में (बकसी भी हाबन, क्षबत या मृत्यु के बलए) िीमा कवरे ज प्रदान करने की
आवश्यकता होगी।
● एआरटी के माध्यम से पैदा हुए बच्चे के अजधकार: एआरर्ी के माध्यम से पैदा हए िच्े को कमीशबनंग जोडे का जैबवक िच्ा माना
जाएगा और कमीशबनंग जोडे के प्राकृबतक िच्े के बलए उपलि अबिकारों और बवशेषाबिकारों का हकदार होगा। दाता के पास िच्े पर
माता-बपता का कोई अबिकार नही ं होगा।
● प्री-इम्पप्लांट टे क्तस्टं ग: इस अबिबनयम में ज्ञात, पूवट-मौजूदा, वंशानुगत, या आनुवां बशक िीमाररयों के बलए भ्रूण की जां च करने के बलए प्री-
इम्पप्लांटेशन आनुिंजशक टे क्तस्टं ग के उपयोग की आिश्यकता है। राि्ीय बोडय प्री-इम्पप्लां र्ेशन टे क्तस्टं ग की शतों के संिंि में
जदशाजनदे श और जनयम स्थाजपत करे गा।
● अपराध: इस अबिबनयम के तहत अपरािों में शाबमल हैं :
o एआरर्ी के माध्यम से पैदा हए िच्ों को त्यागना, या उनका शोषण करना,
o मानव भ्रूण या युग्मक िेचना, खरीदना, व्यापार करना या आयात करना, और
o कमीशन करने वाले जोडे , मबहला या युग्मक दाता का बकसी भी रूप में शोषण करना।
● इन अपरािों में पहली िार उल्लं घन करने पर पां च से दस लाख रुपये तक का जुमाट ना लगाया जाएगा।
● िाद के उल्लंघनों के बलए, इन अपरािों में तीन से आठ साल के िीच कारावास और 10 से 20 लाख रुपये के िीच जुमाट ना होगा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● कोई अदालत बकसी अपराि का संज्ञान केवल राि्ीय या राज्य िोडट की बशकायत पर ही लेगी।
एआरटी जिजनयमन अजधजनयम 2021 का महत्व
● एआरटी प्रथाओं का मानकीकरण: भारत में अभी भी मानकीकृत एआरटी क्तक्लजनक प्रोटोकॉि का अभाि है। यह अबिबनयम पूरे
भारत में एआरर्ी के मानक अभ्यास को सुबनबित करे गा।
● मरीिों के शोषण को रोकना: इस अबिबनयम में दाताओं, कमीशबनंग जोडों और एआरर्ी से जन्मे िच्ों के कानू नी अबिकारों की सुरक्षा
के प्राविान शाबमल हैं । इसबलए, अपराबियों के बलए बसस्टम के भीतर काम करना और िडा मु नाफा कमाने के बलए मरीजों का फायदा
उठाना असंभव होगा।
● प्रिनन अजधकारों की रक्षा करना: सरोगेसी और गभाट वस्था जैसी सेवाओं का बवबनयमन और पंजीकरण, सेवाओं की पेशकश करने
वाली बचबकत्सा सुबविाओं और क्लीबनकों के सर्ीक डे र्ािेस के बिना असंभव है । इसबलए यह अबिबनयम अन्य प्रासंबगक कानूनों का
समथटन करे गा और मबहलाओं के प्रजनन अबिकारों को आगे िढाएगा।
अजधजनयम से सं बं जधत जचं ताएाँ
● पहुंच में भेदभाि: यह बविेयक एक बववाबहत बवषमलैंबगक जोडे और बववाह की उम्र से ऊपर की मबहला को एआरर्ी का उपयोग करने
की अनुमबत दे ता है और एकि पुरुषों, एक साथ रहने िािे जिषमिैंजगक दं पजत्तयों और एििीबीटीक्यू+ व्यक्तक्तयों और दं पजत्तयों
को एआरटी तक पहुंच से बाहर रखता है ।
● जनयमों और प्रजक्रयाओं का दोहराि: सरोगेसी और एआरर्ी बिल दोनों ही कई पंजीकरण संस्थाएाँ िनाएं गे, बजससे अबतरे क या बवबनयमन
की कमी होगी। उदाहरण के बलए, एक सरोगेसी क्तक्लबनक को राि्ीय रबजस्ट् ी को यह सूबचत करने की आवश्यकता नही ं है बक उसने
सरोगेसी का कायट बकया है ।
● समानता के अजधकार का उिंघन: यह अबिबनयम भारतीय संजिधान के अनुच्छेद 14 का उिंघन करता है और बच्चों के
अजधकारों पर भी कोई प्रािधान नही ं करता है। अनु च्छेद 14 भारत के प्रत्येक व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता और कानून के
समान संरक्षण की गारं टी दे ता है और इसे नकारा नही ं िा सकता है।
● सेिाओं की िागत: यह सुबनबित करने के बलए कुशल बनगरानी लागू की जानी चाबहए बक प्रबिया की लागत सस्ती रहे , बजससे आबथटक
रूप से वंबचत लोगों को भी इसकी सेवाओं तक पहं चने की अनुमबत बमल सके।
आगे की राह
● अजधजनयम को समािेशी बनाएं : LGBTQIA+ व्यक्तियों और एकल पु रुषों को अबिबनयम के दायरे में शाबमल बकया जाना चाबहए।
इसके अबतररि, एआरर्ी सेवा प्रदाताओं को अंतबनटबहत नैबतक सबमबतयां स्थाबपत करनी चाबहए और अपनी सुबविाओं के भीतर अबनवायट
परामशट सेवाओं का प्राविान सुबनबित करना चाबहए।
● िागतों को जिजनयजमत और मॉजनटर करना: आबथटक रूप से वंबचत लोगों के बलए भी पहं च सुबनबित करने के बलए प्रबिया की लागत
की कुशल बनगरानी लागू की जानी चाबहए।
● सरकारी अस्पतािों में एआरटी सुजिधाएं : सरकार समाज के गरीिों और हाबशए पर रहने वाले वगों की सहायता के बलए चयबनत
सरकारी अस्पतालों में एआरर्ी सुबविाएं स्थाबपत कर सकती है ।
● सरोगे सी और एआरटी अजधजनयम पर एक साथ जिचार करना: सरोगेसी आं तररक रूप से एआरर्ी से जुडी हई है । दोनों पर एक साथ
बवचार बकया जाए तो उबचत होगा।
● परामशय सेिाएाँ : क्लीबनकों में नैबतक सबमबतयााँ होनी चाबहए और अबनवायट परामशट सेवाएाँ उनसे स्वतंत्र होनी चाबहए।
● राि्ीय बहत, अन्य दे शों के साथ अच्छे संिंि, सावटजबनक व्यवस्था, नैबतकता और शालीनता के क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों के जनदे श
सभी एआरटी संस्थाओं पर बाध्यकारी होने चाजहए।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● यह अबिबनयम यह तय करने के जिए राज्य स्तरीय मेजडकि बोडय का गठन करता है जक भ्रूण में पयाट प्त असामान्यताओं के मामलों में
24 सप्ताह के िाद गभाट वस्था को समाप्त बकया जा सकता है या नही।ं
● इसके आिार को मजहिाओं और उसके सहयोजगयों तक जिस्ताररत जकया गया है। अबववाबहत मबहलाएं भी अबिबनयम के तहत
गभटकालीन सीमा के भीतर गभटिारण को समाप्त कर सकती हैं ।
अजधजनयम का महत्व
● प्रिनन अजधकार: गभाट वस्था को समाप्त करना गभयिती
मजहिा का अपना जिचार होता है, और उसके प्रिनन न्यायमूजतय के.एस. पुिास्वामी (सेिाजनिृत्त) बनाम भारत संघ
अजधकारों का एक जहस्सा है। और अन्य मामिा (2017)
● भ्रूण संबंधी असामान्यताओं या यौन जहंसा के मामिे में न्यायालय ने माना बक भारतीय संबविान के अनुच्छेद 21 के तहत
गभयपात की अनुमजत: भ्रूण संिंिी असामान्यताओं या मबहलाओं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के एक भाग के रूप में, प्रजनन बवकल्प चुनने
के साथ होने वाली यौन बहं सा के आिार पर वतटमान अनुमेय का मबहलाओं का संवैिाबनक अबिकार है ।
सीमा से अबिक गभटिारण की अनुमबत मां गने वाली कई
याबचकाएाँ अदालतों में लंबित थी।ं
● सुरजक्षत गभयपात तक सािय भौजमक पहुंच: यह पहली िार अबववाबहत मबहलाओं की गभटपात आवश्यकताओं को स्वीकार करता है और
मबहलाओं और लडबकयों के बलए सुरबक्षत गभटपात सेवाओं तक सावटभौबमक पहं च सुबनबित करने की बदशा में एक कदम आगे है ।
● गोपनीयता के उिंघन के जिए िुमायना: यह उन बचबकत्सकों को दं बडत करता है जो अपनी गभाट वस्था को समाप्त करने की इच्छा रखने
वाली मबहलाओं की गोपनीयता और बनजता की रक्षा करने में बवफल रहते हैं ।
● कमिोर मजहिाओं के जिए सुरजक्षत गभयपात: यह सुबनबित करने में मदद करता है बक सिसे कमजोर और दू र-दराज की मबहलाओं के
बलए सुरबक्षत गभटपात सेवाएं उपलि हैं ।
अजधजनयम से संबंजधत मुद्दे
● मेजडकि बोडय केवल भ्रूण की असामान्यताओं जैसे कुछ मामलों में ही 24 सप्ताह से अबिक के गभटपात का बनणटय लेगा।
● 20-24 सप्ताह के िीच गभाट वस्था को समाप्त करने वाली मजहिाओं की श्रेजणयां जनजदय ष्ट् नही ं हैं।
● मेबडकल िोडट के बनणटय की समय सीमा जनजदय ष्ट् नही ं है।
● यह स्पष्ट् नही ं है जक टर ांसिेंडर व्यक्तक्तयों को इसमें किर जकया िाएगा या नही ं।
● गभटिारण को समाप्त करने के बलए योग्य जचजकत्सा पेशेिरों की अनुपिब्धता।
आगे की राह
गभटपात को वैि िनाने का केंद्र सरकार का बनणटय एक साहजसक कदम है िो हमारे दे श में जिजिध संस्कृजतयों, परं पराओं और
जिचारधाराओं को ध्यान में रखता है । हालााँ बक, यह महत्वपूणट है बक सरकार यह सुजनजित करे जक दे श भर के सभी स्वास्थ्य सेिा
संस्थान नैदाजनक अभ्यास के जिए आिश्यक मानदं डों और मानकीकृत प्रोटोकॉि का पािन करें । इसके अबतररि, गभटपात कराने या
न करने का बनणटय मानवाबिकारों, ठोस वैज्ञाबनक बसद्ां तों और तकनीकी प्रगबत पर आिाररत होना चाबहए।
भारत में गभय पात कानू न
● जदिी उच्च न्यायािय द्वारा मेजडकि टजमयनेशन ऑफ प्रे गनें सी (एमटीपी) अजधजनयम का हवाला दे ते हए इसकी अनुमबत दे ने से
इनकार करने के िाद, भारत के सिोच्च न्यायािय ने हाल ही में एक अबववाबहत मबहला को 24 सप्ताह के गभय को जगराने की
अनुमजत दे दी है ।
● 1971 के मेजडकि टजमयनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अजधजनयम ने गभाट वस्था के मेबडकल समापन के दो चरणों को अबिकृत
बकया है :
o गभटिारण के 12 सप्ताह बाद तक गभयपात के जिए केिि एक डॉक्ट्र की मंिूरी की आिश्यकता होती है।
o 12 से 20 सप्ताह के बीच की गभायिस्था के जिए, यह तय करने के बलए दो जचजकत्सकीय राय की आवश्यकता थी बक क्ा
गभाट वस्था जारी रखने से मााँ की जान को खतरा होगा या उसके शारीररक या मानजसक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होगा।
● 2021 में, संसद ने एक डॉक्ट्र की बसफाररश के आिार पर 20 सप्ताह तक के गभटिारण के बलए गभट पात की अनु मबत दे ने के बलए
कानून में िदलाव बकया।
● 20 से 24 सप्ताह की गभायिस्था के जिए , अद्यतन बनयम के बलए अि दो डॉक्ट्रों की सिाह की आिश्यकता होगी। इसके बलए
बदशाबनदे शों में सात प्रकार की मबहलाओं को रे खां बकत बकया गया है , जैसे बिात्कार या अनाचार से बची मजहिाएं , नाबाजिग,
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
मानजसक रूप से बीमार मजहिाएं , जिधिा/तिाकशुदा, मानजसक या शारीररक असामान्यताएं पैदा करने िािी भ्रूण जिकृजत
आजद।
मजहिाओं के जिए कल्याणकारी योिनाएाँ /कायय क्रम
प्रधानमं त्री उज्ज्विा योिना
● इसे गरीबी रे खा से नीचे (बीपीएि) रहने िािे पररिारों की मबहलाओं को मुफ्त एिपीिी कनेक्शन प्रदान करके मजहिाओं और
बच्चों के स्वास्थ्य की सु रक्षा के जिए 2016 में िॉन्च जकया गया था।
● सबिय घरे लू एलपीजी उपभोिा अप्रैि 2014 में 14.52 करोड से बढकर माचय 2023 तक 31.36 करोड हो गए हैं । (पीआईिी)
योिना का प्रदशयन
● गरीब मजहिाओं के पररिारों को 8 करोड मुफ्त एिपीिी कने क्शन प्रदान बकए गए। केवल चार वषों (2016-20) में घरे लू एलपीजी
कवरे ज 2014-15 में 56% से िढकर 98% हो गया।
● इस योजना के कारण 2014 की तुलना में 2019 में एलपीजी की खपत में 56% की वृक्तद् हई।
● उज्ज्वला से पहले, भारत घरे लू और पररवेशीय वायु प्रदू षण के कारण वैबिक रुग्णता में दू सरा सिसे िडा योगदानकताट था।
मजहिाओं पर प्रभाि
● यह दे श में रसोई गैस की सावटभौबमक कवरे ज सुबनबित करे गा। यह उपाय मबहलाओं को सशि िनाएगा और उनके स्वास्थ्य की रक्षा
करे गा।
● इससे कबठन पररश्रम और खाना पकाने में लगने वाला समय कम हो जाएगा।
जचंताएं
● जसिेंडर ररजफजिंग की ऊंची िागत के कारण उज्ज्वला लाभाथी खाना पकाने वाले अशुद् ईंिन की ओर लौर्ते हैं ।
● 98% एलपीजी कवरे ज के िावजूद स्वच्छ खाना पकाने के ईंिन के कुल उपयोग में केवल 20% की िृक्तद्ध हुई है।
● जिश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है जक अकेिे भारत में खाना पकाने िािे अशुद्ध ईंधन के कारण िगभग 5 िाख मौतें होती हैं ।
इनमें से अबिकतर असामबयक मौतें गैर-संचारी रोगों के कारण हईं।
स्वास्थ्य/पोषण/मातृ त्व के जिए योिनाएं
● जसकि सेि एनीजमया उन्मूिन जमशन: 2047 तक बसकल सेल एनीबमया
को खत्म करने का बमशन शुरू बकया जाएगा। (केंद्रीय िजर् 2023 – 24) योिनाओं का पररणाम
व्यापक राि्ीय पोषण सवेक्षण(2016-18) से पता चला है
● राष्ट्रीय पोषण काययक्रम (पोषण अजभयान): यह कायटिम लक्ष्यों के
बक स्टं बर्ं ग 38.4 प्रबतशत से घर्कर 34.7 प्रबतशत हो
माध्यम से िौनेपन, अल्पपोषण, एनीबमया और जन्म के समय कम वजन
गया है (राि्ीय पररवार स्वास्थ्य सवेक्षण 2015 -16 में
वाले बशशुओं के स्तर को कम करने का प्रयास करता है । उक्तल्लक्तखत)।
● मदर एं ड चाइल्ड टर ै जकंग जसस्टम 2009: यह सुबनबित करने के बलए इसी अवबि के दौरान में वेक्तस्टंग में 21.0 प्रबतशत से
स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाली की बनगरानी करना बक सभी माताओं और उनके 17.3 प्रबतशत तक और
िच्ों को गभाट वस्था दे खभाल, प्रसव के दौरान बचबकत्सा दे खभाल और कम वज़न में 35.7 प्रबतशत से 33.4 प्रबतशत
तक की कमी आयी।
र्ीकाकरण सबहत कई सेवाओं तक पहं च प्राप्त हो।
● इं जदरा गांधी मातृत्व सहयोग योिना: 19 वषट और उससे अबिक उम्र की गभटवती और स्तनपान कराने वाली मबहलाओं को उनके पहले
दो जीबवत जन्मों के बलए सशतट मातृत्व लाभ प्रदान करती है ।
● सुमन (सु रजक्षत मातृत्व आश्वासन): सावटजबनक स्वास्थ्य सुबविा में आने वाली प्रत्येक मबहला और नवजात बशशु को बिना बकसी कीमत के
सम्मानजनक और गुणविापूणट स्वास्थ्य दे खभाल प्रदान करना है। इसके तहत सभी गभटवती मबहलाएं , नवजात बशशु और प्रसव के 6 महीने
तक की माताएं कई मुफ्त स्वास्थ्य दे खभाल सेवाओं का लाभ उठा सकती हैं ।
● प्रधानमंत्री सु रजक्षत मातृत्व योिना: प्रसि पूिय दे खभाि (एएनसी) की गुणविा और कवरे ज में सु िार करने की पररकल्पना की गई है ।
प्रिनन मातृ नििात जशशु और जकशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच+ए) रणनीबत के बहस्से के रूप में जनदान और परामशय सेिाएं ।
पीएमएसएमए के तहत गभटवती मबहलाओं को हर महीने की 9 तारीख को मुफ्त स्वास्थ्य िांच और आवश्यक उपचार बदया जाएगा। यह
योजना गभटवती मबहलाओं के बलए दे श भर के सभी सरकारी अस्पतािों में लागू होगी।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● िेबर रूम एिं गुणित्ता सुधार पहि (िक्ष्य): इस कायटिम से सावटजबनक स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराने वाली प्रत्येक गभटवती मबहला
और नवजात बशशु को लाभ होगा। इससे प्रसव कक्ष, प्रसूबत ऑपरे शन बथएर्र और प्रसूबत गहन दे खभाल इकाइयों (आईसीयू) और उच्
बनभटरता इकाइयों (एचडीयू) में गभटवती मबहलाओं की दे खभाल की गुणविा में सुिार होगा।
मजहिा सु र क्षा के जिए योिनाएं
● हेल्प िाइन का साियभौजमकरण - बहं सा से प्रभाबवत मबहलाओं को 24 घंर्े आपातकालीन और गैर -आपातकालीन प्रबतबिया प्रदान करने
के बलए एक हे ल्पलाइन नंिर (181)।
● मजहिा पुजिस स्वयंसेिक - मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा की घर्नाओं जैसे घरे लू बहं सा, िाल बववाह, दहे ज उत्पीडन और बहं सा आबद के
िारे में अबिकाररयों/पुबलस को ररपोर्ट करना।
● राष्ट्रीय साइबर अपराध ररपोजटिं ग पोटय ि - यह पोर्ट ल केवल मबहलाओं और िच्ों के क्तखलाफ साइिर अपरािों पर बवशेष ध्यान दे ने के
साथ साइिर अपरािों से संिंबित बशकायतों को पूरा करता है ।
● यौन उत्पीडन इिेक्ट्रॉजनक-बॉक्स (SHe-Box) - मबहलाओं द्वारा कायटस्थल पर यौन उत्पीडन से संिंबित बशकायतें दजट करने के बलए
ऑनलाइन बशकायत प्रिंिन प्रणाली।
● जनभयया फंड - भारत में मबहलाओं की गररमा की रक्षा और सुरक्षा सुबनबित करने की बदशा में पहल का समथटन करने के बलए स्थाबपत
बकया गया। इस फंड का प्रिंिन बवि मंत्रालय द्वारा बकया जाता है ।
जनभय या फं ड
● अपनी 316िी ं ररपोटय में, जशक्षा, मजहिाओं, बच्चों, युिाओं और खेि पर स्थायी सजमजत ने बनभट या फंड के कम उपयोग के िारे में
बचंता जताई और अनुरोि बकया बक सरकार अपने द्वारा जित्त पोजषत पररयोिनाओं और कायय क्रमों के जनष्पादन में तेिी िाने के
जिए राज्यों के साथ काम करे ।
o 2013 के केंद्रीय बिट में भारत सरकार द्वारा 10 जबजियन का कोष घोजषत जकया गया था।
o इस फंड का उद्दे श्य भारत में मजहिाओं की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने िािे कायय क्रमों में सहायता करना है ।
o जनभयया (जनडर) 2012 के जदिी सामूजहक बिात्कार की पीजडता को बदया गया छद्म नाम था।
o मजहिा एिं बाि जिकास मंत्रािय सबहत कई मंत्रालयों ने फंड का उपयोग कैसे जकया िाए, इसका बनणटय बलया।
o बहं सा की बशकार मबहलाओं की सहायता के बलए िन स्टॉप सेंटर स्थाजपत करना एक उद्दे श्य था।
o बवि मंत्रालय का आजथयक मामिों का जिभाग फंड के प्रबं धन का प्रभारी है ।
डब्ल्यू ए फपीआर बढाने के जिए
● पुजिस बि में आरक्षण - भारत
पीआरआई में मजहिाएं
सरकार ने सभी राज्य भारत के स्थानीय शासन में नेतृत्व की क्तस्थबत में 14.5 लाख मबहलाएाँ हैं । उन्होंने कोबवड-19 की
सरकारों को पुजिस में लडाई में महत्वपूणट भूबमका बनभाई है ।
मजहिाओं का प्रजतजनजधत्व कुल कोबवड-19 रोबगयों के बलए राशन, आइसोले शन या अस्पताल के बिस्तरों की व्यवस्था करना,
संिा का 33% तक िढाने का गभटवती मबहलाओं के बलए तत्काल बचबकत्सा सहायता प्रदान करना भी उनका ध्यान आकबषटत
बनदे श बदया। बकया।
इस वास्तबवकता और मबहला ने ताओं के काम की मान्यता में, इस वषट का अंतराट ि्ीय मबहला
● राष्ट्रीय मजहिा कोष -
बदवस, 8 माचट 2021, बवि स्तर पर 'नेतृत्व में मबहलाएं : एक कोबवड-19 दु बनया में समान भबवष्य
आरएमके का मुि उद्दे श्य प्राप्त करना' की थीम पर मनाया गया।
गरीि मबहलाओं को बवबभन्न
आजीबवका सहायता और आय सृजन गबतबवबियों के बलए सूक्ष्म ऋण प्रदान करना है।
● कामकािी मजहिाओं के जिए छात्रािास योिना - कामकाजी मबहलाओं के बलए उनके िच्ों के बलए डे केयर सुबविाओं के साथ
सुरबक्षत और सुबविाजनक आवास की उपलिता को िढावा दे ना।
● जडजिटि िाडो - यह एक राि्व्यापी पहल है बजसमें प्रत्येक बेटी को घर से ही काम करने के बलए अपनी प्रजतभा और कौशि
जिकजसत करने के जिए जसखाया और प्रबशबक्षत बकया जाएगा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● जिश्व बैंक की मजहिा, व्यिसाय और कानू न 2023 ररपोटय उन कानूनों और बवबनयमों का मूल्यां कन करती है जो 190 अथटव्यवस्थाओं
में मबहलाओं के आबथटक अवसरों को प्रभाबवत करते हैं ।
● यह ररपोर्ट गजतशीिता, काययस्थि, िे तन, जििाह, जपतृत्व, उद्यमशीिता, संपजत्त और पेंशन िैसे सं केतकों का जिश्लेषण करती
है।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● भारत को आवाजाही की स्वतंत्रता, मबहलाओं के कायट बनणटय और बववाह संिंिी िािाओं से संिंबित कानूनों के बलए एक आदशट स्कोर
प्राप्त हआ।
● भारत ने 100 में से 74.4 के समग्र स्कोर के साथ दबक्षण एबशया में क्षेत्रीय औसत से ऊपर स्कोर बकया। हालांबक, वेतन, पेंशन, बवरासत
और संपबि के अबिकारों को प्रभाबवत करने वाले कानूनों जैसे क्षेत्रों में सुिार की गुंजाइश है ।
● बवि स्तर पर, केवल 14 दे शों को 100 का पूणट स्कोर प्राप्त हआ और लैंबगक समानता की बदशा में प्रगबत िीमी रही है , अबिकां श सुिार
माता-बपता की छु ट्टी और मबहलाओं के बलए काम के प्रबतिंिों को हर्ाने पर केंबद्रत हैं ।
● स्वाधार गृह (कजठन पररक्तस्थजतयों में रहने िािी मजहिाओं के जिए एक योिना) - कबठन पररक्तस्थबतयों में रहने वाली मबहलाओं के
पुनवाट स के बलए यह योजना लागू की जा रही है । इस योजना में उन मबहलाओं को शाबमल बकया गया है जो पररत्यि हैं और बिना बकसी
सामाबजक और आबथटक सहायता के हैं और घरे लू बहं सा, पाररवाररक तनाव और प्राकृबतक आपदाओं की बशकार हैं ।
● उज्ज्विा - तस्करी की रोकथाम और तस्करी और वाबणक्तज्यक यौन उत्पीडन के पीबडतों के िचाव, पुनवाट स और पु न:एकीकरण के बलए
एक व्यापक योजना है । दे श में 134 सुरक्षात्मक और पुनवाट स घरों सबहत 254 पररयोजनाएं हैं । लाभाबथटयों की संिा 5,291 (2019) है ।
● िन स्टॉप सेंटर (सखी) - बहं सा से पीबडत मबहला इन केंद्रों पर बचबकत्सा, पुबलस, कानूनी और मनोवैज्ञाबनक परामशट सहायता प्राप्त कर
सकती है ।
● अनैजतक तस्करी (रोकथाम) अजधजनयम (आईटीपीए), 1956 - अबिबनयम के तहत पंजीकृत वाबणक्तज्यक यौन शोषण और वेश्यावृबि
से संिंबित सभी मामलों पर प्रबतिंि लगाता है ।
जििाह सं बं धी योिनाएाँ
● धनिक्ष्मी योिना - इसका उद्दे श्य माता-बपता को एक आकषटक िीमा कवर प्रदान करके िाल बववाह को दू र करना और माता-बपता को
अपने िच्ों को बशबक्षत करने के साथ-साथ लडबकयों के बलए कुछ बचबकत्सा खचों को कवर करने के बलए प्रोत्साबहत करना है ।
● एनआरआई िैिाजहक जििाद – मजहिा एिं बाि जिकास मंत्रािय ने एनआरआई वैवाबहक बववादों में शाबमल मबहलाओं के बलए
मानक संचािन प्रजक्रया तैयार की है । ये एसओपी मबहलाओं को न्याय तक त्वररत पहं च की सुबविा प्रदान करने के बलए चरणिद् तरीके
से उठाए जाने वाले सही कानूनी उपायों के िारे में िताते हैं ।
मजहिाओं के जिए स्थायी कमीशन के बारे में सु प्रीम कोटय का जनणय य (2020)
● भारतीय से ना में मजहिा अजधकाररयों को पुरुष अबिकाररयों के िरािर कमां ड पद बमल सकते हैं । इसके बख़लाफ सरकार की दलीलें
भेदभावपूणट, परे शान करने वाली और रूबढवाबदता पर आिाररत थीं।
● अदालत ने यह भी कहा बक सभी मबहला अबिकाररयों को उनकी सेवा के वषों की परवाह बकए बिना स्थायी कमीशन उपलि कराया
जाना चाबहए।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o लगभग 90% िेंडर बिजटं ग ग्रामीण जिकास, मजहिा और बाि जिकास, कृजष, स्वास्थ्य और पररिार कल्याण और
जशक्षा पर केंजद्रत है।
o िेंडर बिजटं ग में पररिहन, िि संग्रहण और सुरक्षा जैसे महत्वपूणट क्षेत्रों पर सीबमत ध्यान बदया गया।
o जमशन शक्तक्त के िजर् में 1.2% की कमी दे खी गई।
पाम रािपू त सजमजत
इसकी स्थापना भारत में मबहलाओं की क्तस्थबत में सुिार के बलए अध्ययन और बसफाररशें करने के बलए 2012 में की गई थी।
● मुख्य जसफाररशें
○ सभी बनणटय लेने वाली संस्थाओं में मबहलाओं के बलए 50 प्रजतशत आरक्षण।
○ मबहला सशक्तिकरण पर संसदीय सजमजत को सभी प्रस्ताजित कानू नों के िैंजगक जनजहताथों की िांच करनी चाजहए।
○ राि्ीय मजहिा आयोग को बहतिारकों को पूणट लाभ सुबनबित करने के बलए नीबतयों, कानूनों, कायटिमों और िजर्ों के अध्ययन,
बसफाररश और प्रभाव के सबिय सहायता प्राप्त पुनरुत्पादन आदे श को पूरा करने के बलए 'प्रबतबियाशील हस्तक्षेप' से आगे जाना
चाबहए।
○ दे श में मुक्तिम मबहलाओं की क्तस्थबत का अध्ययन करने के बलए एक अलग पैनल बनयुि करने का सुझाव बदया गया।
○ अलगाव या तलाक की क्तस्थबत में पत्नी और िच्ों को भरण-पोषण का अजनिायय भु गतान।
○ " सम्मान" हत्याओं से िडने के जिए अिग कानू न और मुक्तिम एवं ईसाई पररवार कानूनों में िदलाव क्ोंबक वे मबहलाओं के
क्तखलाफ हैं ।
o "मौक्तखक, एकतरफा और तीन तिाक (तिाक)" और िहबववाह की प्रथा पर पूणय प्रजतबंध।
o आपराजधक न्याय प्रणािी में सुधार
■ मबहलाओं के बलए न्याय सुबनबित करने के बलए आपराबिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल पररवतटन।
■ अबिक बलंग जागरुकता सृजन प्रवतटन मशीनरी।
■ बवबभन्न कानूनों और उनके अंतसिं िंि के िारे में अबिक जागरूकता,।
■ मबहलाओं के अबिकारों की सुरक्षा के बलए जवािदे ही ।
सं द भय :
● बपछले वषट की इसी अवबि की तुलना में 2021 के पहले आठ महीनों में मजहिाओं के क्तखिाफ अपराध की जशकायतों में 46% की वृक्तद्
हई है ।
के बारे में
● संयुि राि् मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा को "जिंग आधाररत जहंसा के जकसी भी कायय के रूप में पररभाजषत करता है जिसके
पररणामस्वरूप मजहिाओं को शारीररक, यौन या मानजसक नु कसान या पीडा होती है, जिसमें ऐसे कृत्यों की धमजकयां,
िबरदस्ती या स्वतंत्रता से मनमाने ढं ग से िंजचत करना शाजमि है , चाहे साियिजनक रूप से घजटत हो या जनिी िीिन में”।
● मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा एक सामाबजक, आबथटक, बवकासात्मक, कानूनी, शैक्षबणक, मानवाबिकार और स्वास्थ्य (शारीररक और
मानबसक) मुद्दा है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● मजहिाओं की कामुकता पर जनयंत्रण: कई समाज मबहलाओं की कामुकता को बनयंबत्रत करने के बलए बहं सा का उपयोग करते हैं , और
इसी तरह कई समाजों में बहं सा का उपयोग उन मबहलाओं को दं बडत करने के बलए बकया जाता है जो सां स्कृ बतक मानदं डों का उल्लंघन
करने वाले यौन व्यवहार, प्राथबमकताओं और दृबिकोण का प्रदशटन करती हैं ।
● घरे िू जहंसा को एक जनिी मुद्दे के रूप में दे खना: कई समाजों में लगातार यह िारणा बक मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा एक बनजी मुद्दा है ,
इस बहं सा को खत्म करने के प्रयासों को गंभीर रूप से िाबित करती है ।
● संघषय समाधान के पैटनय : घर में मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा और उन क्षेत्रों में समुदाय के िीच संिंिों की पहचान की गई है जो संघषट में
हैं या सैन्यीकृत हैं ।
कोविड-19 का प्रभाि
● कोबवड-19 के प्रकोप के िाद से, मबहलाओं और लडबकयों के क्तखलाफ सभी प्रकार की बहं सा, बवशेष रूप से घरे लू बहं सा, तेज हो
गई है ।
● उभरते आं कडों से पता चलता है बक कोबवड-19 के प्रकोप के िाद से कई दे शों में घरे लू बहं सा हे ल्पलाइन पर कॉल में वृक्तद् हई है ।
● यह कोबवड-19 संकर् के िीच िढती छाया महामारी है । कुछ दे शों में, संसािनों और प्रयासों को मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा से
हर्ाकर तत्काल कोबवड-19 राहत पर केंबद्रत कर बदया गया है । इससे मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा में वृक्तद् हई है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● सरकारी योिनाएं : िन स्टॉप सेंटर (ओएससी), मजहिा हेल्प िाइन का साियभौजमकरण (डब्ल्यूएचएि), उज्ज्विा होम, स्वाधारगृह,
आपातकािीन प्रजतजक्रया सहायता प्रणािी (112) जैसी सरकारी योजनाएं और पहल घरे लू बहं सा के खतरे को कम करने में मदद
करती हैं ।
● धन उपिब्ध कराना: भारत सरकार ने घरे लू बहं सा के पीबडतों की मदद करने वाले कायटिमों के बलए भी िन उपलि कराया है ।
उदाहरण के बलए, सरकार ने मजहिा सुरक्षा के जिए जनभयया फंड की स्थापना की है , बजसकी दे खरे ख मबहला एवं िाल बवकास मंत्रालय
करता है ।
आगे की राह
● इन प्रयासों का भारत में घरे िू जहंसा के क्तखिाफ िडाई पर सकारात्मक प्रभाि पडा है। पीडब्लूडीवीए के पाररत होने के िाद से घरे लू
बहं सा के ररपोर्ट बकए गए मामलों की संिा में वृक्तद् हई है , और घरे लू बहं सा के अबिक पीबडत अि सरकार और गैर-सरकारी संगठनों से
मदद मां ग रहे हैं । हालााँ बक, अभी भी बहुत काम जकया िाना बाकी है। भारत सरकार को इन प्रयासों में बनवेश जारी रखने और यह
सुबनबित करने के बलए काम करने की ज़रूरत है बक घरे लू बहं सा के सभी पीबडतों को उनकी ज़रूरत की मदद और सहायता बमल सके।
सं द भय
● िया िेटिी के नेतृत्व वाले एक पैनल की बसफाररश के आिार पर सरकार ने मजहिाओं की शादी की कानूनी उम्र 18 से िढाकर 21
साल करने का फैसला बकया। केंद्रीय मंबत्रमंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और बाि जििाह जनषेध अजधजनयम (पीसीएमए), 2006 में
संशोधन के जिए एक जिधे यक संसद में पेश बकया गया।
के बारे में
● मबहलाओं के बलए बववाह की आयु िढाकर 21 वषट करके, प्रस्ताबवत कानून पुरुषों और मजहिाओं के जिए जििाह की कानूनी आयु में
समानता िाता है। इसमें इस संिंि में एकरूपता सुबनबित करने के बलए बववाह की आयु से संिंबित बवबभन्न समुदायों के व्यक्तिगत
कानूनों में संशोिन शाबमल हैं ।
● साथ ही, ओबडशा सरकार ने 2030 तक राज्य को िाल बववाह से पूरी तरह मुि िनाने की योजना शुरू की है ।
तथ्य और आं कडे
● प्यू ररसचय सेंटर की एक ररपोटय के अनु सार, कई दे शों ने लडकों और लडबकयों दोनों के बलए वैवाबहक उम्र 18 वषट तय कर दी है । इस
सूची में ऑस्टरे जिया, जफनिैंड, फ़्ांस, ग्रीस, हंगरी, िमयनी, इजराइि, आइसिैंड, क्तस्वट् िरिैं ड और रूस शाजमि हैं।
● राष्ट्रीय पररिार स्वास्थ्य सिे क्षण-5 (एनएफएचएस-5) 2019-21 के अनुसार , 20-24 वषट की आयु वगट की मबहलाएं बजनकी शादी 18
साि की उम्र से पहिे हुई थी, शहरी क्षे त्रों में 14.7% और ग्रामीण क्षेत्रों में 27% हैं। 15-19 वषट की आयु की मबहलाएं जो सिेक्षण के
समय पहिे से ही मां थी ं या गभयिती थी ं, 3.8% (शहरी) और 7.9% (ग्रामीण) थी ं।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● इिाम: मुक्तिम पसय नि िॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट्, 1937 के अनुसार युवावस्था प्राप्त कर चुके नािाबलग की शादी वैि मानी
जाती है ।
● जिशेष जििाह अजधजनयम: अि, सरकार को बाि जििाह जनषेध अजधजनयम, 2006, जिशेष जििाह अजधजनयम और जहंदू जििाह
अजधजनयम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोिन करना होगा।
िया िे ट िी सजमजत
• जू न 2020 में , मबहला एवं िाल बवकास मं त्रालय ने मबहलाओं के पोषण, एनीबमया की व्यापकता, आईएमआर,
एमएमआर और अन्य सामाबजक सू च कां कों के मु द्दों के साथ शादी की उम्र के िीच सं िं ि को दे खने के बलए एक र्ास्क
फोसट का गठन बकया।
• सबमबत को बववाह की आयु िढाने की व्यवहायट ता और मबहलाओं और िाल स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के साथ -साथ
मबहलाओं के बलए बशक्षा तक पहं च कै से िढाई जाए, इस पर बवचार करना था।
मु ख्य जसफाररशें :
• जििाह की आयु बढाना: सबमबत ने दे श भर के 16 बविबवद्यालयों के यु वा वयस्कों से प्राप्त फीडिै क के आिार पर
बववाह की आयु िढाकर 21 वषट करने की बसफाररश की है ।
• िडजकयों के जिए स्कू िों और कॉिे िों तक पहुं च बढाना: सबमबत ने सरकार से लडबकयों के बलए स्कू लों और
कॉले जों तक पहं च िढाने पर भी ध्यान दे ने को कहा, बजसमें दू र -दराज के इलाकों से इन सं स्थानों तक उनका पररवहन
भी शाबमल है ।
• यौन जशक्षा: स्कू लों में यौन बशक्षा के साथ कौशल और व्यावसाबयक प्रबशक्षण की भी बसफाररश की गई है ।
• एक िागरूकता अजभयान: बववाह की आयु में वृ क्तद् पर और नए कानू न की सामाबजक स्वीकृ बत को प्रोत्साबहत करने
के बलए िडे पै माने पर एक जागरूकता अबभयान चलाया जाए, बजसके िारे में उन्होंने कहा है बक यह जिरदस्ती के
उपायों से कही ं अबिक प्रभावी होगा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o सामाजिक सुरक्षा काययक्रमों के बारे में कम िागरूकता: ये योजनाएं अक्सर िाल बववाह की िहआयामी प्रकृबत को संिोबित
करने के बलए संलग्न संदेशों के बिना नकद हस्तां तरण प्रदान करने तक ही सीबमत हैं । िाल बववाह को अतीत से उिार ली गई प्रथा
के रूप में दे खा जाता है और लोग इसे िदलना नही ं चाहते हैं ।
● आजथयक कारक
o बोझ के रूप में दे खा िाता है : आबथटक रूप से, िाल बववाह त्वररत आय अबजटत करने वाले तंत्र के रूप में काम करता है । एक
लडकी को उसकी शादी पर उसके पररवार को बदए जाने वाले िडे दहे ज की छूर् के रूप में दे खा जाता है ।
o गरीबी: गरीि घरों की मबहलाएं जल्दी शादी कर लेती हैं । जिबक सिसे बनचले दो श्रेबणयों में से 30% से अबिक मजहिाओं की शादी
18 साल की उम्र तक हो गई थी, सिसे अमीर श्रेणी में यह आं कडा 8% था।
o तस्करी: गरीि पररवार अपनी लडबकयों को न केवल शादी के बलए, िक्तल्क वेश्यावृबि के बलए भी िेचने के बलए प्रलोबभत होते हैं ,
क्ोंबक इस लेन-दे न से लडकी के पररवार को लाभ पहं चाने के बलए िडी रकम बमलती है और लडकी को नुकसान होता है ।
o अजधक काम करने िािे हाथ: िाल बववाह का मतलि है अबिक िच्े और अबिक िच्े अबिक कमाएं गे और पररवार को बविीय
समस्ाओं से िचाएं गे।
o बेटे को प्राथजमकता: पररवार लडकी की बशक्षा में बनवेश नही ं करना चाहते क्ोंबक उससे कोई ररर्नट नही ं बमलता है िक्तल्क उन्हें 13
या 14 साल की उम्र तक एक अच्छी पत्नी िनने के बलए प्रबशबक्षत बकया जाता है और बफर उनकी शादी कर दी जाती है ।
o िडजकयों के आजथयक महत्व का कम मूल्यां कन: लडबकयों को अक्सर सीबमत आबथटक भूबमका के साथ एक दाबयत्व के रूप में
दे खा जाता है । मबहलाओं का काम घर तक ही सीबमत है और उसकी कद्र नही ं की जाती।
चु नौजतयां
● अिैध जििाह: इस तरह का कानून आिादी के एक िडे बहस्से को अवैि बववाह की खाई में िकेल दे गा, बजससे गैर-संस्थागत जन्म होगा।
● मौिूदा कानूनों की अप्रभाजिता: िाल बववाह में कमी मौजूदा कानून के कारण नही ं िक्तल्क लडबकयों की बशक्षा और रोजगार के अवसरों
में वृक्तद् के कारण आई है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अनािश्यक जबरदस्ती: कानू न अंततिः ज़िरदस्ती वाला हो जाएगा, और बवशेष रूप से अनुसूबचत जाबत और अनुसूबचत जनजाबत जैसे
हाबशए पर रहने वाले समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा, बजससे वे कानून तोडने वाले िन जाएं गे।
● िडजकयों के अजधकार को खतरा: शादी की उम्र 21 साल तक िढाने का मतलि यह होगा बक लडबकयों को 21 साल की उम्र तक
अपने बनजी मामलों में कोई अबिकार नही ं होगा।
● माता-जपता द्वारा कानून का दु रुपयोग: माता-बपता द्वारा अपनी िेबर्यों के भागने के बवरुद् कानून का प्रयोग बकया जाता रहा है । यह
माता-बपता के बनयंत्रण और उन लडकों या पुरुषों को दं बडत करने का एक उपकरण िन गया है बजन्हें लडबकयां अपने पबत के रूप में
चुनती हैं ।
● जििाहों की सामाजिक िैधता: भले ही कानून बनबदट ि आयु से पहले बववाह को शून्य घोबषत कर दे , समुदाय की नजर में, व्यवक्तस्थत
बववाहों की सामाबजक वैिता होगी। इससे उन लडबकयों की हालत खराि हो जाती है जो शादी की नई कानूनी उम्र तक पहं चने से पहले
ही बविवा हो जाती हैं ।
● कन्या जशशुहत्या में िृक्तद्ध: भारत में जहां िेर्े को अबिक प्राथबमकता दी जाती है और गरीिी अबिक है , वहां मबहला बववाह की उम्र
िढाने से कन्या बशशुहत्या और बलंग-चयनात्मक गभटपात की व्यापकता में वृक्तद् का अनपेबक्षत पररणाम हो सकता है ।
आगे की राह
● जििाह एक संस्था है ,आयु की क्तस्थजत नही ं: यह कई अन्य चीजों पर आिाररत है , बजसमें आबथटक पैर्नट, युवा लडबकयों पर बहं सा का
डर, कम उम्र में गभटिारण, यौन संिंि शाबमल हैं , इनमें से कई चीजें शादी को प्रभाबवत करती हैं , लेबकन उम्र नही।ं शादी की कानू नी उम्र
िढाने से पहले सरकार को जशक्षा का अजधकार कानू न (आरटीई) पर काम करना चाजहए। इसे 14 साल से आगे िढाया जाना चाबहए
और कम से कम उच् माध्यबमक स्कूली बशक्षा की गारं र्ी दी जानी चाबहए।
● िडजकयों को समान अिसर जमिने की िरूरत: स्वास्थ्य, बशक्षा और जीवनयापन आबद के क्षेत्रों में लडबकयों को अवसर की समानता
प्रदान करने की जरूरत है । दजक्षण कोररया और िापान की तरह अबिक मबहलाओं को कायटिल में लाने से बलंग असंतुलन में सुिार
और कम उम्र में बववाह के मुद्दों को हल करने में भी मदद बमल सकती है ।
● सिोत्तम प्रदशयन करने िािे राज्यों की नीजतयों को अपनाएं : नीजत आयोग ने हाि ही में बकशोरों को सशि िनाकर बाि जििाह
का मुकाबिा करने और गांिों को बाि जििाह मुक्त घोजषत करने के बलए ओजडशा सरकार को SKOCH पुरस्कार से सम्माबनत
बकया। ऐसी प्रथाओं को अन्य राज्यों द्वारा दोहराए जाने की आवश्यकता है ।
● जित्तीय प्रोत्साहन: सामाबजक-आबथटक रूप से कमजोर पररवारों की लडबकयों को िाल बववाह के बलए मजिूर बकया जाता है और उन्हें
बवशेष रूप से बशक्षा प्राप्त करने के बलए बविीय सहायता प्रदान करने से मबहलाओं के िीच बववाह की उम्र अपने आप िढ जाएगी।
● प्रारं जभक गभायिस्था के मुद्दे: पररवार बनयोजन और प्रजनन स्वास्थ्य सहायता का बवस्तार करके बववाह की उम्र पर ध्यान केंबद्रत करने के
िजाय प्रारं बभक गभटिारण को संिोबित करने के बलए कदम उठाए जाने चाबहए, जो गभाट वस्था की तैयारी और पहले जन्म में दे री पर ध्यान
केंबद्रत करते हैं ।
● िागरूकता काययक्रम: बववाह की आयु में वृक्तद् और नए कानून की सामाबजक स्वीकृबत को प्रोत्साबहत करने के बलए िडे पैमाने पर
जागरूकता अबभयान की आवश्यकता है , बजसके िारे में उनका कहना है बक यह जिरदस्ती के उपायों से कही ं अबिक प्रभावी होगा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
पर केंजद्रत है।
● इसका उद्दे श्य मजहिाओं और बच्चों को 18 िषय की आयु तक मुफ्त जशक्षा प्रदान करके, उनकी सामाजिक और आजथयक
भागीदारी को बढािा दे ना और उन्हें यौन शोषण के क्तखिाफ सु रक्षा प्रदान करके सशक्त बनाना है ।
जनष्कषय
● भारतीय मबहलाओं को उनकी जाबत, पंथ, िमट और सामाबजक-आबथटक क्तस्थबत की परवाह बकए बिना पुरुषों के िरािर होने में सक्षम
होने से पहले दे श को एक लंिा रास्ता तय करना होगा।
िै िाजहक बिात्कार और िै िाजहक अजधकार
सं द भय
● हाल ही में, केरल उच् न्यायालय ने कहा बक िैिाजहक बिात्कार, तिाक का दािा करने का एक उबचत आिार है ।
न्यायािय का अििोकन
● बपतृसिात्मक समाज में, "उजचत व्यक्तक्त" हमेशा पुरुष होता है, िो सामाजिक प्रजक्रया में मजहिा के स्थान का आकिन करता है।
इसबलए, मबहलाओं को िच्ा पैदा करने वाली मशीन के रूप में दे खा जाने लगा है , जहां उनकी शारीररक स्वायिता और प्रजनन अबिकार
अकल्पनीय और िेतुके हैं ।
● पजत या पत्नी के पास कष्ट् न सहने का जिकल्प होता है और अदालत द्वारा तलाक से इनकार करके पबत या पत्नी को उसकी इच्छा के
बवरुद् कि सहने के बलए मजिूर नही ं कर सकता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● राज्यों की संस्कृजतयों में जिजिधता: साक्षरता, िहसंिक मबहलाओं के बविीय सशिीकरण की कमी, समाज की मानबसकता, बवशाल
बवबविता, गरीिी आबद जैसे बवबभन्न कारकों के कारण भारत की अपनी अनू ठी समस्ाएं हैं और वैवाबहक िलात्कार के अपरािीकरण से
पहले इन पर साविानीपूवटक बवचार बकया जाना चाबहए।
o इसके अलावा, आपराजधक कानून समिती सूची में है और राज्यों द्वारा िागू जकया िाता है और भारत में राज्यों की संस्कृबतयों
में व्यापक बवबविता है
● जिजध आयोग ने नही ं की जसफाररश: भारतीय बवबि आयोग और गृह मामलों की संसदीय स्थायी सबमबत ने मामले की गहन जां च के िाद
िैिाजहक बिात्कार को अपराध बनाने की जसफाररश नही ं की।
● अनुच्छेद 21 का कोई उिंघन नही ं: वैवाबहक
िलात्कार का गैर-अपरािीकरण संजिधान के
अनुच्छेद 21 का "उिंघन नही ं" है क्योंजक एक
पत्नी को व्यक्तिगत कानून के तहत यौन उत्पीडन
करने वाले पबत के साथ रहने के बलए मजिूर नही ं
बकया जाता है ।
● कायायन्वयन के मुद्दे: वैवाबहक िलात्कार को
अपराि घोबषत करने से गंभीर कायाट न्वयन संिंिी
मुद्दे पैदा होंगे
o यबद बकसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ
बकए गए सभी यौन कृत्य वैवाबहक िलात्कार
के योग्य होंगे, तो यह बनणटय बक यह वैवाबहक
िलात्कार है या नही,ं पूरी तरह से पत्नी पर
बनभटर करे गा बजस पर हमेशा भरोसा नही ं
बकया जा सकता है ।
o ऐसी पररक्तस्थबतयों में अदालतें बकन सिूतों पर
भरोसा करें गी, क्ोंबक एक पुरुष और
उसकी पत्नी के िीच यौन कृत्यों के मामले में कोई स्थायी सिूत नही ं हो सकता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● उत्तरिीजियों के जिए सुरक्षा और सहायता: अपरािीकरण वैवाबहक िलात्कार से िचे लोगों को न्याय पाने, कानूनी उपायों तक पहाँ चने
और आवश्यक सहायता और सेवाएाँ प्राप्त करने की अनुमबत दे ता है । यह पीबडतों को अपमानजनक ररश्ते छोडने, तलाक के बलए फाइल
करने या सुरक्षात्मक आदे श प्राप्त करने के बलए आवश्यक उपकरण दे कर बहं सा के चि को समाप्त करने में सहायता कर सकता है ।
● िैजश्वक मानिाजधकार मानक: कई अंतराट ि्ीय मानवाबिकार ढााँचे, जैसे बक मानि अजधकारों की साियभौम घोषणा और मजहिाओं के
क्तखिाफ सभी प्रकार के भेदभाि के उन्मूिन पर कन्वें शन (सीईडीएडब्ल्यू) , व्यक्तियों को बहं सा के सभी रूपों से िचाने के महत्व
पर जोर दे ते हैं , बजसमें आं तररक बहं सा भी शाबमल है ।
ऐजतहाजसक फै सिा
● सुजचता श्रीिास्ति बनाम चंडीगढ प्रशासन (2009): सुप्रीम कोर्ट ने माना बक प्रजनन बवकल्प का अबिकार संबविान के अनुच्छेद 21
के तहत स्वतंत्रता के अजधकार से आता है।
● इं जडपेंडेंट थॉट बनाम यूजनयन ऑफ इं जडया (2017): इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया बक 15 से 18 साल की पत्नी के साथ
यौन संिंि िलात्कार है , भले ही वह शादीशुदा हो। इस फैसले ने कानून के बपछले अपवाद को पलर् बदया, जो पबतयों को अपनी पबत्नयों
के साथ उनकी सहमबत के बिना यौन संिंि िनाने की इजाजत दे ता था, जि तक बक वे 15 वषट से अबिक उम्र के हों।
● आरआईटी फाउं डेशन बनाम भारत संघ (2022): इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने इं बडपेंडेंर् थॉर् के फैसले को िरकरार रखा और यह
भी फैसला सु नाया बक कानून के अपवाद में "पत्नी" शब्द की व्यािा उन मबहलाओं को शाबमल करने के बलए की जानी चाबहए जो बलव-
इन ररश्ते में हैं । इस फैसले का मतलि है बक बलव-इन ररलेशनबशप में रहने वाली मबहलाओं को वैवाबहक िलात्कार से भी सुरक्षा बमलेगी।
● राष्ट्रीय जिजधक सेिा प्राजधकरण बनाम भारत संघ (2017): इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया बक सरकार को मबहलाओं को
वैवाबहक िलात्कार सबहत यौन बहं सा से िचाने के बलए कदम उठाने चाबहए। अदालत ने सरकार को यौन अपराबियों की एक राि्ीय
रबजस्ट् ी िनाने और िलात्कार संकर् केंद्रों के बलए अबिक िन उपलि कराने का आदे श बदया।
आगे की राह
● अि समय आ गया है बक बविाबयका को इस कानूनी कमजोरी का संज्ञान लेना चाबहए और आईपीसी की िारा 375 (अपवाद) को खत्म
करके वैवाबहक िलात्कार को िलात्कार कानूनों के दायरे में लाना चाबहए। इस कानून के हर्ने से मबहलाएं दु व्यटवहार करने वाले पबतयों
से अबिक सुरबक्षत रहें गी।
पररचय
● मजहिाएं हमेशा से ही STEM (जिज्ञान, प्रौद्योजगकी, इं िीजनयररं ग और गजणत) का बहस्सा रही हैं , लेबकन बवि स्तर पर, STEM क्षेत्रों में
मबहलाओं का प्रबतबनबित्व अभी भी कम है । हाल के वषों में, STEM में मबहलाओं के महत्व की मान्यता िढ रही है और कई सरकारों ने
इन क्षेत्रों में मबहलाओं की भागीदारी को िढावा दे ने के बलए कदम उठाए हैं ।
डे टा और तथ्य
• बवज्ञान और प्रौद्योबगकी बवभाग के आं कडों से पता चलता है बक बपछले दो दशकों में मबहला वैज्ञाबनकों की संिा में वृक्तद् हई है ।
जनष्कषय:
• शोिकताट ओं में मबहलाएं 13.9% (2015) से बढकर 18.7% (2018) हो गईं।
• स्नातकोिर स्तर तक मबहलाओं की भागीदारी अच्छी मात्रा में है , लेबकन उसके िाद इसमें बगरावर् आ रही है ।
• इं िीजनयररं ग में मजहिाएाँ (14.5%) <प्राकृजतक जिज्ञान में मजहिाएाँ (22.5%) <स्वास्थ्य में मजहिाएाँ (24.5%)।
िै जश्वक पररदृश्य
O मबहला और पु रु ष शोिकताट ओं की समान सं िा के मामले में काफी अच्छे अनु पात वाले दे श हैं : दबक्षण अफ्रीका और
बमस्र, बजनमें से प्रत्ये क में 45% मबहला शोिकताट हैं , और क्ू िा में 49% मबहला शो िकताट हैं ।
o मबहला शोिकताट ओं की सिसे अबिक सं िा ट्यू नीबशया, अफ्रीका (55%) में है , इसके िाद अजें र्ीना (53%) और
न्यू जीलैं ड (52%) का स्थान है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
• एसटीईएम पुरस्कारों में मजहिाएं : ये पुरस्कार उन मबहलाओं को बदए जाते हैं बजन्होंने एसर्ीईएम क्षेत्रों में महत्वपूणट योगदान बदया है ।
पुरस्कार अनुसंिान, बशक्षण और उद्यबमता सबहत कई श्रेबणयों में बदए जाते हैं ।
• टर ांसफॉजमिंग इं स्टीट्यूशंस के जिए िैंजगक उन्नजत (िीएटीआई): इसका उद्दे श्य पररवतटनकारी उपायों को िढावा दे ते हए एसर्ीईएम में
लैंबगक समानता का मूल्यां कन करने के बलए एक व्यापक चार्ट र और रूपरे खा तैयार करना है ।
आगे की राह
● िल्दी शुरुआत करना: लडबकयों को कम उम्र से ही एसर्ीईएम रुबचयों को आगे िढाने के बलए प्रोत्साबहत करें । यह उन्हें एसर्ीईएम
बवषयों के िारे में सीखने के अवसर प्रदान करके बकया जा सकता है , जैसे स्कूल के िाद के कायटिमों या ग्रीष्मकालीन बशबवरों के माध्यम
से।
● एसटीईएम के बारे में धारणा बदिना: कई लडबकयों और मबहलाओं को स्टे म में कररयर िनाने से हतोत्साबहत बकया जाता है क्ोंबक
उनका मानना है बक ये क्षेत्र उनके बलए नही ं हैं । एसर्ीईएम में मबहलाओं की सफलता को उजागर करके और लडबकयों को यह बदखाकर
बक वे इन क्षेत्रों में सफल हो सकती हैं , इस िारणा को िदला जा सकता है ।
● एक सहायक िातािरण बनाना: एसर्ीईएम में मबहलाओं को अक्सर उन चु नौबतयों का सामना करना पडता है जो उनके पुरुष
समकक्षों को नही ं झेलनी पडती।ं इन चुनौबतयों में भेदभाव, उत्पीडन और समथटन की कमी शाबमल हो सकती है । एसर्ीईएम में मबहलाओं
के बलए एक सहायक वातावरण िनाना महत्वपूणट है , जहां वे सुरबक्षत और सम्माबनत महसूस करें ।
● रोि मॉडि प्रदान करना: एसर्ीईएम में रुबच रखने वाली लडबकयों और मबहलाओं के बलए रोल मॉडल का होना महत्वपूणट है । रोल
मॉडल उन्हें बदखा सकती हैं बक इन क्षेत्रों में सफल होना संभव है ।
● िचीिे कायय जिकल्प प्रदान करना: एसर्ीईएम में कई मबहलाएं मां भी हैं । मबहलाओं के बलए अपने काम और पाररवाररक बजम्मेदाररयों
के िीच संतुलन िनाना आसान िनाने के बलए र्े लीकम्यूबर्ं ग और फ्लेक्सर्ाइम जैसे लचीले कायट बवकल्प प्रदान करना महत्वपूणट है ।
सं द भय
● हाल ही में, एक राजनीबतक दल ने लंिे समय से बवलंबित मजहिा आरक्षण जिधे यक को संसद में पेश करने का आह्वान बकया।
इसके बारे में
● राजनीबत में मबहलाओं की क्तस्थबत को बनणटय लेने की प्रबियाओं को प्रभाबवत करने और भाग लेने में मबहलाओं की समानता और स्वायिता
की सीमा के रूप में वबणटत बकया जा सकता है । राजनीबतक जीवन में मबहलाओं के बलए समान व्यवहार और अवसर सुबनबित करना
जमीनी स्तर पर शुरू होना चाबहए।
● भारत का 73वां संवैिाबनक संशोिन अबिबनयम दे श के सभी जमीनी स्तर के लोकतांबत्रक संस्थानों में मबहलाओं को अध्यक्ष की सीर्ों और
पदों पर 33% आरक्षण प्रदान करता है और इस अबिबनयम ने भारत में मबहलाओं के राजनीबतक सशक्तिकरण में एक मूक िां बत ला दी
है ।
तथ्य और आं कडे
● अंतर-सं सदीय संघ (आईपीयू ) द्वारा संकजित सूची के
अनु सार, भारत में 17िी ं िोकसभा में 14.44% मजहिाएं
हैं। भारतीय चुनाि आयोग (ईसीआई) की नवीनतम
उपलि ररपोर्ट के अनुसार, अक्टू िर 2021 तक संसद के
सभी सदस्ों में से 10.5% मबहलाएं प्रबतबनबित्व करती हैं ।
● रािस्थान का औसत सबसे ज्यादा था; तबमलनाडु मध्यम
था और बमजोरम में बनणटय लेने में मबहलाओं की भागीदारी
सिसे कम थी।
● अक्ट्ू बर 2021 तक भारतीय चुनाि आयोग (ईसीआई)
के निीनतम आं कडों से पता चलता है बक संसद के कुल
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
कु छ अजतररक्त तथ्य:
● भारतीय प्रशासजनक सेिा (आईएएस) और केंद्र सरकार की रोिगार गणना के आं कडों के अनुसार 2011 से , सभी
कमटचाररयों में से 11% से कम मजहिाएाँ थी ं, जो 2020 में बढकर 13% हो गईं।
रािनीजत में मजहिाओं की भागीदारी का महत्व
● प्रजतजनजधत्व: भारत की आिादी का लगभग आिा बहस्सा मबहलाओं का है और राजनीबत में उनकी भागीदारी यह सुबनबित करती है बक
बनणटय लेने की प्रबियाओं में उनकी आवाज़, बचंताओं और दृबिकोण को पयाट प्त प्रबतबनबित्व बमले। यह समावेशी शासन को िढावा दे ता है
और सुबनबित करता है बक नीबतयां मबहलाओं की बवबवि आवश्यकताओं और अनुभवों को संिोबित करें ।
● िैंजगक समानता: राजनीबत में मबहलाओं की भागीदारी न केवल भारत में लैंबगक समानता को आगे िढाने के बलए आवश्यक है , बक्ति
2030 तक एसडीिी िक्ष्य 5 को प्राप्त करने में भी मदद करती है। सिा के पदों पर मबहलाएं उन नीबतयों की वकालत कर सकती हैं
जो बलंग आिाररत भेदभाव, मबहलाओं के क्तखलाफ बहं सा, पहं च को संिोबित करती हैं । वे स्वास्थ्य दे खभाल, बशक्षा, रोजगार के अवसर और
सामाबजक कल्याण योजनाओं के बलए िुलंद आवाज उठा सकती हैं ।
● रोि मॉडि और प्रेरणा: राजनीबत में मबहलाएं भारत में अन्य मबहलाओं और लडबकयों के बलए रोल मॉडल और प्रेरणा स्रोत के रूप में
काम करती हैं । उनकी उपक्तस्थबत अबिक मबहलाओं को राजनीबत में प्रवेश करने के बलए प्रोत्साबहत करती है , लैंबगक रूबढवाबदता को
चुनौती दे ती है और मबहला नेतृत्वकताट ओं की भावी पीबढयों को प्रेररत करती है ।
● सामाजिक और सांस्कृजतक पररितयन: मबहलाओं की राजनीबतक भागीदारी भारतीय समाज में गहरी जडें जमा चुके बपतृसिात्मक
मानदं डों और पारं पररक लैंबगक भूबमकाओं को चुनौती दे सकती है । यह सामाबजक और सां स्कृबतक पररवतटन को िढावा दे सकता है ,
अबिक लैंबगक समानता को िढावा दे सकता है और मबहलाओं की प्रगबत में िािा डालने वाली िािाओं को दू र कर सकता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● 'सरपंच पजत' के रूप में जानी जाने वाली घर्ना उस क्तस्थबत को संदबभटत करती है जहां बनवाट बचत मबहला प्रबतबनबियों के पबत
बनणटय लेने की प्रबियाओं में महत्वपूणट राजनीबतक शक्ति और प्रभाव रखते हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● चुनािी चुनौजतयााँ: मबहला उम्मीदवारों को अक्सर चुनावों के दौरान िािाओं का सामना करना पडता है , बजसमें चुनावी अबभयानों में
मबहलाओं के प्रबत पूवाट ग्रह, सीबमत बविीय सहायता और असमान मीबडया कवरे ज शाबमल हैं । ये चुनौबतयााँ मबहलाओं के बलए प्रभावी ढं ग
से प्रचार करना और मतदाताओं से जुडना कबठन िनाती हैं ।
सरकारी पहि
● मजहिा आरक्षण जिधेयक 2008: भारत के संबविान में प्रस्ताबवत संशोिन में लोकसभा (संसद का बनचला सदन) और राज्य बविान
सभाओं में सभी सीर्ों में से एक बतहाई सीर्ें मबहलाओं के बलए आरबक्षत करने का सुझाव बदया गया है ।
● पंचायती राि संस्थाओं में मजहिाओं के जिए आरक्षण: संबविान का अनुच्छेद 243डी , खंड (3) पंचायती राज संस्थाओं में मबहलाओं
को शाबमल करने की गारं र्ी दे ता है । यह प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी जाने वाली सीर्ों की कुल संिा और पंचायतों में अध्यक्षों के कायाट लयों
की संिा का कम से कम एक बतहाई आरक्षण अबनवायट करता है।
आगे की राह
● रािनीजतक दिों को प्रोत्साजहत करना: राजनीबतक दलों को मबहला उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करके, बनष्पक्ष बर्कर्
आवंर्न सुबनबित करके और पार्ी के भीतर उनके नेतृत्व को िढावा दे कर सबिय रूप से प्रोत्साहन और समथटन दे ना चाबहए।
● कानू नी ढांचे को मिबूत करना: राजनीबत में लैंबगक समानता को िढावा दे ने के बलए कानू नी ढां चे को मजिूत करने के प्रयास बकए
जाने चाबहए। इसमें बविायी बनकायों में मबहला आरक्षण से संिंबित मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करना और गैर -अनुपालन के बलए
दं ड का कायाट न्वयन शाबमल है ।
● क्षमता जनमायण और प्रजशक्षण: राजनीबत में मबहलाओं के कौशल, ज्ञान और आत्मबविास को िढाने के बलए बवशेष क्षमता बनमाट ण
कायटिम और प्रबशक्षण तैयार बकए जाने चाबहए। ये कायटिम नेतृत्व बवकास, सावटजबनक भाषण, अबभयान प्रिंिन और नीबत बनमाट ण पर
ध्यान केंबद्रत कर सकते हैं ।
● जशक्षा और िागरूकता: बशक्षा और जागरूकता अबभयानों के माध्यम से लैंबगक समानता और मबहला सशक्तिकरण को िढावा दे ना
आवश्यक है । इसमें लैंबगक रूबढवाबदता को चुनौती दे ना, राजनीबत में मबहलाओं की भागीदारी के महत्व के िारे में समुदायों को बशबक्षत
करना और मबहलाओं को राजनीबतक गबतबवबियों में शाबमल होने के बलए एक सहायक वातावरण को िढावा दे ना शाबमल है ।
● मेंटरजशप और नेटिजकिंग: मेंर्रबशप प्रोग्राम स्थाबपत करना जो इच्छु क मबहला राजनेताओं को अनु भवी नेताओं के साथ जोडे , मागटदशटन,
सहायता और नेर्वबकिंग के अवसर प्रदान कर सके। राजनीबत में मबहलाओं के िीच मजिूत नेर्वकट िनाने से उनके बवकास और उन्नबत
के बलए एक सहायक पाररक्तस्थबतकी तंत्र िनाने में मदद बमल सकती है ।
● िमीनी स्तर पर रािनीजतक िागरूकता को बढािा दे ना: ग्रामीण क्षेत्रों और हाबशए पर रहने वाले समुदायों सबहत जमीनी स्तर पर
राजनीबतक जागरूकता और भागीदारी को िढावा बदया जाना चाबहए। इसे नागररक बशक्षा कायटिमों, सामुदाबयक पहं च और स्थानीय
शासन संरचनाओं में मबहला नेतृत्व को िढावा दे ने के माध्यम से प्राप्त बकया जा सकता है ।
● मीजडया की भूजमका: मीबडया सावटजबनक िारणा और चचाट को आकार दे ने में महत्वपूणट भूबमका बनभाता है । मबहला राजनेताओं और
उनकी उपलक्तियों की तर्स्थ और बनष्पक्ष मीबडया कवरे ज को प्रोत्साबहत करना, समाज में उनके योगदान को उजागर करना महत्वपूणट
है ।
िें ड र स्नै प शॉट 2022 ररपोटय
● संयुक्त राष्ट्र मजहिा और संयुक्त राष्ट्र आजथयक और सामाजिक मामिों के जिभाग (यूएन डीईएसए) द्वारा हाि ही में "सतत
जिकास िक्ष्यों (एसडीिी) पर प्रगजत: जिंग स्नैपशॉट 2022" शीषटक से एक ररपोर्ट जारी की गई थी।
● मुख्य जनष्कषय:
o बवकास की वतटमान दर के साथ, लैंबगक समानता हाबसल करने का एसडीिी-5 2030 तक हाजसि नही ं जकया िा सकेगा।
o 368 जमजियन पुरुषों और िडकों की तुलना में , 383 जमजियन मजहिाएं और िडजकयां 2022 के अंत तक अत्यजधक गरीबी
में जी रही होंगी (प्रजत जदन 1.90 अमेररकी डॉिर से कम पर)।
o राष्ट्रीय संसदों में मबहलाओं का समान प्रबतबनबित्व हाबसल करने के बलए भी कम से कम 40 िषों की आवश्यकता होगी।
o 2030 तक बाि जििाह को पू री तरह से खत्म करने के जिए जपछिे दशक की तु लना में 17 गुना तेि गजत से प्रगबत करनी
होगी।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o यह अनुमान लगाया गया है बक संघषयरत क्षेत्रों और सबसे गरीब ग्रामीण पररिारों में रहने िािी िडजकयों को सिसे अबिक
नुकसान होगा।
o 2021 में युद्ध प्रभाजित क्षेत्रों में, पररिार की मजहिा मुक्तखया वाले 38% घरों को मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना
करना पडा, जिबक पुरुष मुक्तखया वाले 20% घरों को मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पडा।
o 15 से 49 िषय की उम्र के िीच की 1.2 अरब से अजधक मजहिाएं और िडजकयां उन दे शों और क्षेत्रों में रहती हैं जहां सुरजक्षत
गभयपात तक पहुंच कुछ हद तक प्रजतबंजधत है ।
िै जश्वक िैं जगक अं त राि सू च कां क
● जिश्व आजथयक मंच (WEF) ने हाि ही में 2022 िैजश्वक िैंजगक अंतराि सूचकांक की घोषणा की।
● जिश्व आजथयक मंच (WEF) के अनु सार, यह वह सूचकां क है जो 2006 में अपनी शुरुआत के बाद से सिसे लंिी अवबि में िैंजगक
असमानताओं को दू र करने की जदशा में प्रगजत पर नजर रख रहा है।
● यह चार महत्वपूणय क्षेत्रों में िैंजगक समानता की जदशा में हुई प्रगजत को मापता है:
o राजनीबतक सशक्तिकरण,
o स्वास्थ्य और उिरजीबवता,
o शैबक्षक उपलक्ति और
o आबथटक भागीदारी और अवसर
● सूचकांक की मुख्य बातें:
o 2022 ग्लोबि िेंडर गैप इं डेक्स के अनुसार, भारत 146 दे शों में से 135िें स्थान पर है , जिबक 2021 में , भारत 156 दे शों में
से 140िें स्थान पर था।
● समग्र प्रदशयन:
o भारत में लगभग 662 जमजियन मजहिाएाँ (66.2 करोड) हैं ।
o भारत का कुि स्कोर 2021 में 0.625 से िढकर 2022 में 0.629 हो गया।
o सूचकां क के बनमाट ण के िाद से, भारत की (135िी ं) बविव्यापी लैंबगक अंतराल रैं बकंग 0.593 और 0.683 के बीच रही है ।
भारत का 2022 का स्कोर 0.629 है िो जपछिे 16 िषों में 16 दे शों में से सातिें स्थान पर है।
मु ख्य शब्दािली
● मबहला बवकास से लेकर मबहला सशक्तिकरण तक; जेंडर िजबर्ं ग; बलंग तर्स्थ
● नीबतयााँ ; क्षमता दृबिकोण; उन्नबत के रास्ते की िािाओं को रोकना, संचयी भेदभाव; दोहरा िोझ; स्वयं को सीबमत करने वाली मानबसकता,
िेर्े को प्राथबमकता दे ना, मबहलाओं की गुमशुदगी और अवां बछत लडबकयााँ ।
जिगत िषों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) िषय
1. बकसी आयोग के संवैिानीकरण के बलए कौन-से कदम आवश्यक हैं ? क्ा आपको लगता है बक राि्ीय मबहला 2020
आयोग को संवैिाबनकता प्रदान करने से भारत में अबिक लैंबगक न्याय और सशक्तिकरण सुबनबित होगा? कारण
दीबजए।
2. सामाबजक बवकास की संभावनाओं को िढाने के बलए, वृद्ावस्था और मातृ स्वास्थ्य दे खभाल के क्षेत्र में ठोस और 2020
पयाट प्त स्वास्थ्य दे खभाल नीबतयों की आवश्यकता है । चचाट कीबजए।
3. समय और स्थान के बवपरीत भारत में मबहलाओं के बलए बनरं तर चुनौबतयााँ क्ा हैं ? 2019
4. "मबहलाओं को सशि िनाना जनसंिा वृक्तद् को बनयंबत्रत करने की कुंजी है "। चचाट कीबजए। 2019
5. "स्थानीय स्वशासन की सं स्था में मबहलाओं के बलए सीर्ों के आरक्षण का भारतीय राजनीबतक प्रबिया के 2019
बपतृसिात्मक चररत्र पर सीबमत प्रभाव पडा है "। बर्प्पणी कीबजए।
6. बपतृसिा भारत में मध्यवगीय कामकाजी मबहला की क्तस्थबत को कैसे प्रभाबवत करती है ? 2014
7. मबहला संगठन को लैंबगक पूवाट ग्रह से मुि िनाने के बलए पुरुष सदस्ता को प्रोत्साबहत करने की आवश्यकता है । 2013
बर्प्पणी कीबजए।
71
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
6. बच्चे
पररचय
● बाि अजधकारों पर कन्वेंशन (यूजनसे फ) के अनुसार एक बच्चे को 18 िषय से कम उम्र के पुरुष या मजहिा के रूप में पररभाजषत
जकया गया है।
● मानव संसािन बवकास के एजेंडे में िच्े पहली प्राथबमकता हैं क्ोंबक आजीवन सीखने और मानव बवकास की नींव इन्हीं महत्वपूणट,
प्रारं बभक वषों में रखी जाती है ।
● हालााँ बक, बच्चे भी समाि का सबसे कमिोर िगय हैं और उन्हें बवशेष ध्यान और दे खभाल की आवश्यकता है ।
तथ्य और आं कडे
● 2011 की िनगणना के अनु सार, भारत में 10.1 जमजियन बाि मिदू र थे।
● राष्ट्रीय अपराध ररकॉडय ब्यूरो ररपोटय (एनसीआरबी) 2022, इस िात पर प्रकाश डालती है बक 2021 में, बाि श्रम (जनषेध और
जिजनयमन) अजधजनयम, 1986 के तहत लगभग 982 मामिे दिय जकए गए , बजनमें सिसे अबिक मामले तेलंगाना में दजट बकए गए,
इसके िाद असम का स्थान है ।
● अंतरायष्ट्रीय श्रम सं गठन (ILO) और यूजनसेफ की निीनतम ररपोटय से पता चिता है जक दु जनया भर में बाि श्रम में िच्ों की संिा
िढकर 160 जमजियन हो गई है , जिबक लाखों िच्े कोबवड-19 के प्रभाव के कारण जोक्तखम में हैं।
● यूजनसे फ-डब्ल्यूएचओ-डब्ल्यूबी के संयुक्त बाि कुपोषण अनु मान से पता चलता है बक दु बनया के सभी कमज़ोर िच्ों में से आिे िच्े
भारत में रहते हैं ।
● नामांकन: ग्रामीण भारत में कुल नामां कन दर 2018 में 97.2 % से बढकर 98.4% हो गई है । यह एक सकारात्मक संकेत है , लेबकन
यह ध्यान रखना महत्वपूणट है बक नामां कन दर अभी भी 100% के राि्ीय लक्ष्य से नीचे है ।
● सीखने का स्तर: हाल के वषों में ग्रामीण स्कूिी बच्चों के सीखने के स्तर में बगरावर् आई है । 2022 में, कक्षा III के केिि 47% छात्र
एक सरल वाक् पढ सकते थे, और कक्षा V के केिि 37% छात्र दो अंकों का घर्ाव कर सकते थे। यह बचंता का कारण है , क्ोंबक
इससे पता चलता है बक कई िच्ों को गुणविापूणट बशक्षा नही ं बमल रही है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● िैंजगक असमानताएाँ : भारत में बशक्षा में अभी भी महत्वपूणट लैंबगक असमानताएाँ हैं । 2022 में, िडजकयों के जिए नामांकन दर 97.8%
थी, जिबक िडकों के बलए 99.0% थी। यह अंतर कम हो रहा है , लेबकन यह अभी भी एक िडी चु नौती है ।
● स्कूि का बुजनयादी ढांचा: कई ग्रामीण स्कूलों का िुबनयादी ढांचा खराि क्तस्थबत में है । 2022 में, केिि 68% स्कूिों में पीने के पानी
की पहुंच थी और केिि 64% में शौचाियों की पहुंच थी। िुबनयादी ढां चे की कमी के कारण िच्ों के बलए सीखना मुक्तिल हो जाता
है और स्वास्थ्य संिंिी समस्ाएं हो सकती हैं ।
बच्चों से िु डे मु द्दे
● बाि शोषण: हर तीन में से दो िच्ों का शारीररक शोषण बकया गया। 53.22% िच्ों ने िताया बक उन्हें एक या अजधक प्रकार के यौन
शोषण का सामना करना पडा है (2007 में मबहला एवं िाल बवकास मंत्रालय का अध्ययन)।
● कुपोषण का उच्च स्तर और संबंजधत िैंजगक असमानता: हाल ही में यूजनसेफ-डब्ल्यू एचओ-डब्ल्यूबी संयुक्त बाि कुपोषण
अनुमान में कहा गया है बक 2020 में, 18.7% भारतीय िच्े अल्प पोषक तत्वों के सेिन के कारण होने िािे िेक्तस्टं ग से प्रभाजित थे।
● सीखने के ख़राब पररणाम: कक्षा तीन के केिि 42.5% बच्चे ही कक्षा एक का पाठ पढ सकते हैं ।
● बाि जििाह: भारत में िाल बववाह की संख्या सबसे अजधक है (जिश्व का एक जतहाई ) बवि में िाल विुओं की संिा सिसे अबिक
भारत में ही है ।
● छात्रों की डर ॉप-आउट दर: अक्तखि भारतीय औसत डर ॉप-आउट दर प्राथजमक छात्रों की संख्या का 4.13 प्रजतशत है जिबक
माध्यजमक स्तर पर यह 17.06 प्रजतशत है (शैजक्षक सांक्तख्यकी एक निर में, 2018)।
● साइबरबुजिंग: 2019 यूजनसे फ यू -ररपोटय पोि के अनुसार , भारत में तीन में से एक बच्चे ने बताया जक उन्हें साइबरबुजिंग का
अनु भि हुआ है।
● बाि अश्लीिता: भारत (यूएस नेशनल सेंर्र फॉर बमबसंग एं ड एक्सप्लॉइर्े ड बचल्ड् न) से हर बदन िाल यौन शोषण की कम से कम
25,000 तस्वीरें अपिोड की िाती हैं ।
● बाि श्रजमक: भारत में िगभग 12.9 जमजियन बाि श्रजमक हैं (आईएिओ,2016)। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में िाल
श्रबमकों की संिा 10.1 जमजियन है ।
● कोजिड-19 महामारी ने चार अन्य मौजूदा महामाररयों को िढा बदया है : कुपोषण, गरीिी, बहं सा और मानबसक स्वास्थ्य मुद्दे।
o िॉकडाउन की जिस्ताररत अिजध ने पहिे से ही िोक्तखम में रहने िािे िोगों के जिए जिं ग आधाररत जहंसा (िीबीिी) और
िच्ों के क्तखलाफ बहं सा के खतरों को िढा बदया है ।
o कई िोग अपने साथ दु व्ययिहार करने िािों के साथ फंस गए हैं और सहायता या सेवाओं तक पहं चने में सक्षम नही ं हैं ।
● अनुच्छेद - 21 ए - राज्य 6-14 वषट की आयु के सभी िच्ों ● अनुच्छेद-243िी - मबहला एवं िाल बवकास के कायटिमों को
को मुफ्त और अबनवायट बशक्षा प्रदान करे गा। पंचायत को सौंपने की मां ग करके िाल दे खभाल के सं स्थागतकरण
● अनुच्छेद -24 - बकसी कारखाने या खदान या बकसी अन्य का प्राविान करता है (अनुसूची 11 की मद 25)।
खतरनाक गबतबवबि में 14 वषट से कम उम्र के िच्ों के ● अनुच्छेद-39(एफ) - बनदे श दे ता है बक िच्ों को स्वस्थ तरीके से
रोजगार पर प्रबतिंि लगाता है । और स्वतंत्रता और गररमा की क्तस्थबतयों में बवकबसत होने के अवसर
● अनुच्छेद -45 - राज्य छह वषट की आयु पूरी करने तक सभी और सुबविाएं दी जाएं और िचपन और युवावस्था को शोषण और
िच्ों के बलए प्रारं बभक िचपन की दे खभाल और बशक्षा प्रदान नैबतक एवं भौबतक पररत्याग से िचाया जाए।
करने का प्रयास करे गा।
● गभय धारण पूिय और प्रसि पूिय जनदान तकनीक अजधजनयम 1994: यह अबिबनयम भ्रूण के बलंग का बनिाट रण और मां के गभट में कन्या
भ्रूण की हत्या पर रोक लगाता है । यह बलंग बनिाट रण के बलए प्रसवपूवट बनदान तकनीकों का उपयोग करने वाले बवज्ञापनों पर भी प्रबतिंि
लगाता है ।
● बाि श्रम (जनषेध और जिजनयमन) अजधजनयम, 1986: यह कुछ रोजगारों में िच्ों की बनयुक्ति पर रोक लगाता है और कुछ अन्य
रोजगारों में िच्ों के काम की शतों को बनयंबत्रत करता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● जकशोर न्याय (बच्चों की दे खभाि और संरक्षण) अजधजनयम, 2015: यह कानून का उल्लंघन करने वाले िच्ों के मामलों में
प्रबियात्मक सुरक्षा उपायों को बनबदट ि करता है और मौजूदा अबिबनयम में गोद लेने की प्रबियाओं में दे री, मामलों की उच् लंबितता,
संस्थानों की जवािदे ही जैसी चुनौबतयों का समािान करना चाहता है ।
● बाि जििाह जनषेध अजधजनयम, 2006: यह िाल बववाह पर रोक लगाता है । यह पीबडतों की रक्षा करता है और उन्हें राहत प्रदान करता
है तथा ऐसे बववाह के बलए उकसाने, िढावा दे ने या इसे संपन्न कराने वालों के बलए सजा िढाता है ।
● यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अजधजनयम, 2012: िच्ों को यौन उत्पीडन, यौन बहं सा और अश्लील साबहत्य के अपरािों से िचाना
और ऐसे अपरािों और संिंबित मामलों और घर्नाओं की सुनवाई के बलए बवशेष अदालतों की स्थापना का प्राविान करना।
कायय
बच्चों के अजधकारों पर सं यु क्त राष्ट्र अजभसमय
● िाल अबिकारों की सुरक्षा के बलए बकसी भी कानून
● यह एक अंतराट ि्ीय मानवाबिकार संबि है जो िच्ों के नागररक,
द्वारा या उसके तहत प्रदान बकए गए सुरक्षा उपायों
राजनीबतक, आबथटक, सामाबजक, स्वास्थ्य और सां स्कृबतक अबिकार को
की िांच और समीक्षा करना और उनके प्रभािी बनिाट ररत करता है ।
कायायन्वयन के जिए उपायों की जसफाररश करना। ● यह पाबर्ट यों को िच्ों की सभी प्रकार के शारीररक या मानबसक बहं सा से
● बाि अजधकारों के उिंघन की िांच करना और सुरबक्षत करने के बलए उबचत बविायी ,प्रशासबनक, सामाबजक और
ऐसे मामलों में कायटवाही शुरू करने की बसफाररश शैबक्षक उपाय करने के बलए िाध्य करता है ।
करना। ● अबभसमय िच्ों के बलए मृ त्युदंड की मनाही करता है ।
● संकर्ग्रस्त िच्ों, हाबशये पर रहने वाले और वंबचत ● कन्वेंशन यह भी स्वीकार करता है बक िच्ों के पास अपनी राय व्यि
करने और दु व्यटवहार या शोषण से सुरबक्षत रहने का अबिकार है और
िच्ों, बकशोरों के िच्ों आबद सबहत बवशेष दे खभाल
उनकी गोपनीयता की रक्षा की जानी चाबहए ।
और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों से संबंजधत
मामिों पर गौर करना।
● समाि के जिजभन्न िगों के बीच बाि अजधकार साक्षरता फैिाना और इन अबिकारों की सुरक्षा के बलए उपलि सुरक्षा उपायों के िारे
में जागरूकता को िढावा दे ना।
● िाल अबिकारों के हनन और उल्लंघन, कानू नों के गैर -बियान्वयन आबद से संिंबित मामलों का स्वत: संज्ञान िेना।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
एनसीपीसीआर की सीमाएाँ :
● सीजमत भूजमका: आयोग की भूबमका बसफाररशें और बनदे श जारी करने तक ही सीबमत है , क्ोंबक उनके पास अपनी बसफाररशों को लागू
करने का अबिकार नही ं है ।
● कोई जनजदय ष्ट् समय सीमा नही ं: पूछताछ या जां च को पूरा करने के बलए कोई बनबदट ि समय सीमा नही ं है ।
● स्वतंत्रता का अभाि: एनसीपीसीआर के अध्यक्ष की जनयुक्तक्त सरकार द्वारा की िाती है और इसबलए इसे सरकार के िहत करीि
माना जाता है । इससे यह आरोप लगने लगा है बक एनसीपीसीआर स्वतंत्र नही ं है और जरूरत पडने पर सरकार के क्तखलाफ िोलने में
सक्षम नही ं है ।
● संसाधनों की कमी: सं साधन पयायप्त न होने के कारण एनसीपीसीआर की आलोचना की जाती रही है , उसके पास अपना काम प्रभावी
ढं ग से करने के बलए संसाधनों का अभाि है । इससे यह आरोप लगने लगा है बक एनसीपीसीआर िच्ों के साथ दु व्यटवहार या उपेक्षा के
मामलों की जां च करने या दु व्यटवहार या उपेक्षा के बशकार िच्ों को सहायता प्रदान करने में असमथट है ।
● अन्य एिेंजसयों के साथ समन्वय की कमी: बाि अजधकारों पर काम करने िािी अन्य एिेंजसयों के साथ अपने काम में समन्वय न
करने के बलए एनसीपीसीआर की आलोचना की जाती है । इससे िाल अबिकारों की लडाई में प्रयासों का दोहराव और प्रभावी समन्वय
की कमी हो गई है ।
● साियिजनक िागरूकता की कमी: बाि अजधकारों के बारे में िन िागरूकता बढाने के जिए पयायप्त कायय न करने के बलए
एनसीपीसीआर की आलोचना की जाती है । इससे ऐसी क्तस्थबत पैदा हो गई है जहां िहत से लोगों को िच्ों के अबिकारों या उन संसािनों
के िारे में जानकारी नही ं है जो दु व्यटवहार या उपेक्षा के बशकार िच्ों की मदद के बलए उपलि हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
आगे की राह
● स्वतंत्रता बढाना: एनसीपीसीआर को और अजधक स्वतंत्र बनाया िाना चाबहए। इसे लंिे समय तक कायटकाल दे कर, इसके सदस्ों को
अबिक स्वतंत्र प्रबिया द्वारा बनयुि करके, या इसे सरकार के क्तखलाफ जां च करने और कारट वाई करने की अबिक शक्ति दे कर बकया जा
सकता है ।
● संसाधन बढाएाँ : एनसीपीसीआर को अपना काम प्रभावी ढं ग से करने के बलए अबिक संसािन बदए जाने चाबहए। इससे उसे दु व्यटवहार या
उपेक्षा के अबिक मामलों की जांच करने, दु व्यटवहार या उपेक्षा के बशकार िच्ों को अबिक सहायता प्रदान करने और िाल अबिकारों पर
काम करने वाली अन्य एजेंबसयों के साथ अपने काम को अबिक प्रभावी ढं ग से समक्तन्वत करने की अनुमबत बमलेगी।
● अन्य एिेंजसयों के साथ समन्वय: एनसीपीसीआर को िाल अबिकारों पर काम करने वाली अन्य एजेंबसयों के साथ अपने काम को
अबिक प्रभावी ढं ग से समक्तन्वत करना चाबहए। इससे प्रयासों के दोहराव से िचने में मदद बमलेगी और यह सुबनबित होगा बक िच्ों को
सवोिम संभव सहायता बमले।
● साियिजनक िागरूकता: एनसीपीसीआर को िाल अबिकारों के िारे में सावटजबनक जागरूकता िढाने के बलए और अबिक प्रयास
करना चाबहए। इससे यह सुबनबित करने में मदद बमलेगी बक अबिक लोग िच्ों के अबिकारों और दु व्यटवहार या उपेक्षा के बशकार िच्ों
की मदद के बलए उपलि संसािनों के िारे में जागरूक हों।
● यह मजहिा एिं बाि जिकास मंत्रािय के तहत एक स्वायत्त जनकाय है। यह मु ि रूप से मान्यता प्राप्त एजेंबसयों के माध्यम से अनाथ,
पररत्यि और आत्मसमपटण करने वाले िच्ों को गोद लेने से संिंबित है ।
● इं र्रकंर्् ी एडॉप्शन, 1993 पर हे ग कन्वेंशन के प्राविानों के अनुसार, इसे िच्ों के दे श और अंतर-दे शीय गोद लेने से बनपर्ने के बलए
केंद्रीय प्राबिकरण के रूप में नाबमत बकया गया है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● मजहिा एिं बाि जिकास मंत्रािय ने रे ििे के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर जकया: रे लवे के माध्यम से दे श में भागे हए,
पररत्यि, अपहृत, तस्करी बकए गए िच्ों के िचाव और पुनवाटस के बलए समन्वय बकया जाएगा। 33 मुि रे लवे स्टे शनों को लापता
पररवारों के िचाव, पुनवाट स और िहाली की सुबविाओं से सुसक्तित बकया गया है ।
● चाइल्डिाइन: संकर्ग्रस्त पररक्तस्थबतयों में िच्ों को िचाने और सहायता के बलए राि्व्यापी 1098 हेल्पिाइन नंबर।
● पॉक्सो ई-बॉक्स: यह बाि यौन शोषण की ररपोटय करने के जिए एक ऑनिाइन जशकायत बॉक्स है ।
● यह नीबत िच्ों की क्तस्थबत में बनरं तर और उभरती चुनौबतयों के समािान में अजधकार आधाररत दृजष्ट्कोण के प्रजत प्रजतबद्धता दोहराती
है।
● यह मानती है बक प्रत्येक िच्ा अबद्वतीय है , और एक अत्यंत महत्वपूणट राि्ीय संपबि है और भेदभाव का कारण िनने वाली क्तस्थबतयों को
कम करने या समाप्त करने के बलए बवशेष उपायों और सकारात्मक कारट वाई की आवश्यकता है ।
● उिरजीबवता, स्वास्थ्य, पोषण, बवकास, बशक्षा, सुरक्षा और भागीदारी प्रत्येक बच्चे के जनजियिाद अजधकार हैं और इस नीबत की प्रमुख
प्राथबमकताएाँ हैं ।
जसफाररशें
● जशक्षा
o सभी िच्ों के बलए माध्यबमक स्तर तक सस्ती और सुिभ गु णित्तापूणय जशक्षा को बढािा दे ना। स्कूलों में सभी प्रकार के भेदभाव
को संिोबित करें और समान अवसर, उपचार और भागीदारी को िढावा दें ।
o आवश्यक बविायी उपायों, नीबत और प्राविानों के माध्यम से सक्षम वातावरण िनाकर वंबचत समूहों के बलए जशक्षा को प्राथजमकता
दें
o सभी िच्ों के बलए समान, समावेशी बशक्षा के बलए आईसीटी उपकरणों तक पहुंच प्रदान करें , जिशेष रूप से दू रस्थ,
आजदिासी और दु गयम पहुंच िािे क्षेत्रों में।
● उत्तरिीजिता, स्वास्थ्य एिं पोषण
o स्वास्थ्य सेिाओं तक सािय भौजमक और जकफायती पहुंच प्रदान करें और िच्ों को सभी जल-जबनत, वेक्टर-जबनत, रि और
अन्य िचपन की िीमाररयों से िचाएं ।
o कुशल स्वास्थ्य कबमटयों द्वारा सुरबक्षत प्रसव, प्रसवोिर दे खभाल और पोषण संिंिी सहायता सजहत मातृ स्वास्थ्य दे खभाि में
सुधार करें ।
o बाि मृत्यु दर के प्रमुख कारणों और जनधायरकों को संबोजधत करना और िाबलकाओं के जीवन, अक्तस्तत्व, स्वास्थ्य और पोषण के
अबिकार को सुरबक्षत करना।
● सुरक्षा
o राज्य िाल अबिकारों की सुरक्षा के बलए राि्ीय और राज्य स्तर पर बविायी, प्रशासबनक और संस्थागत बनवारण तंत्र को िढावा दे गा
और मजिूत करे गा।
o राज्य सभी बच्चों को सभी प्रकार की जहंसा और दु व्ययिहार , हाबन, उपेक्षा, कलंक, भेदभाव, अभाव, आबथटक शोषण, यौन शोषण
आबद से िचाएगा।
बाि श्रम
● बाि श्रम (जनषेध और जिजनयमन) अजधजनयम, 1986: कुछ प्रकार के व्यवसायों में िच्ों की बनयुक्ति पर रोक लगाता है और अन्य
व्यवसायों में िच्ों के काम करने की क्तस्थबत को बनयंबत्रत करता है ।
● बाि श्रम (जनषेध और जिजनयमन) सं शोधन अजधजनयम, 2016: 14 वषट से कम उम्र के िच्ों के रोजगार या काम पर पूणट प्रबतिंि
लगाता है और खतरनाक व्यवसायों और प्रबियाओं में बकशोरों (14-18 वषट) के रोजगार पर भी प्रबतिंि लगाता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● उडान: छात्राओं को स्कूलों से उच्च जशक्षा प्राप्त करने और अं ततः भजिष्य में जिजभन्न ने तृत्व भूजमकाएाँ जनभाने में सक्षम बनाने के
जिए केंद्रीय माध्यजमक जशक्षा बोडय की पहल।
● सुकन्या समृक्तद्ध योिना (2015): एक छोर्ी जमा योजना, बजसे 'िेर्ी िचाओ िेर्ी पढाओ' के एक बहस्से के रूप में शुरू बकया गया था,
ताबक लडबकयों के माता-बपता को उनकी बशक्षा और शादी के बलए फंड जमा करने के बलए प्रोत्साबहत बकया जा सके। लॉन्च के 2 महीने
के भीतर ही इस योजना के तहत 1,80,000 खाते खोले जा चुके थे।
● िाडिी िक्ष्मी योिना (एमपी): लडबकयों के स्वास्थ्य और शैबक्षक क्तस्थबत में सुिार करना। इसका उद्दे श्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकना
और लडबकयों के जन्म के प्रबत लोगों में सकारात्मक दृबिकोण लाना और िाल बववाह को रोकना है ।
● कन्याश्री प्रकल्प (पजिम बंगाि): सशतट नकद हस्तां तरण के माध्यम से बवशेष रूप से सामाबजक-आबथटक रूप से वंबचत पररवारों की
लडबकयों की क्तस्थबत और भलाई में सुिार करना। बंगाि में उच्च जशक्षा संस्थानों में मजहिा जिंगानुपात 2010 में 42% से िढकर
2020 में 47.3% हो गया है । इस योिना ने 2017 में सं युक्त राष्ट्र िोक सेिा पुरस्कार िीता।
● भाग्यिक्ष्मी योिना (कनायटक): गरीिी रे खा से नीचे के पररवारों में िाबलकाओं के जन्म को िढावा दे ना और बवशेष रूप से पररवार और
सामान्य रूप से समाज में िाबलकाओं की क्तस्थबत को ऊपर उठाना।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● स्वास्थ्य
o पहिी जतमाही एएनसी पंिीकरण के प्रबतशत में 2014-15 में 61% से 2019-20 में 71% तक सुिार की प्रवृबि दे खी गई है ।
o संस्थागत प्रसि के प्रबतशत में 2014-15 के 87% से 2019-20 में 94% तक सुिार की प्रवृबि दे खी गई है ।
● जशक्षा
o माध्यजमक स्तर पर स्कूिों में िडजकयों का सकि नामांकन अनुपात 77.45 (2014-15) से िढकर 2019-2020 में 81.32 हो
गया है
o िडजकयों के जिए कायाय त्मक अिग शौचािय वाले स्कूलों का प्रबतशत 2014-15 में 92.1% से िढकर 2018-19 में 95.1% हो
गया है ।
● व्यिहार पररितयन
o िाबलकाओं के प्रबत व्यवहार में सकारात्मक िदलाव आया है और संस्थागत प्रसव की क्तस्थबत में भी सुिार हआ है (नेशनल काउं बसल
ऑफ एप्लाइड इकोनॉबमक ररसचट)।
जचं ताएं
● भारत के सभी राज्यों ने जपछिे पांच िषों (2015-16 से 2019-20) में योजना के तहत आवंबर्त धन का केिि 45 प्रजतशत उपयोग
जकया है।
आगे की राह
● िाबलकाओं के प्रबत मानबसकता में िदलाव न केवल लैंबगक समानता और मबहला सशक्तिकरण के बलए आवश्यक है , िक्तल्क नए भारत
की पररकल्पना को साकार करने के बलए भी आवश्यक है क्ोंबक कोई भी राि् अपनी 50% आिादी को पीछे छोडकर प्रगबत नही ं कर
सकता है । मबहला सशिीकरण की बदशा में पहला कदम िाबलकाओं के अक्तस्तत्व को सुबनबित करना है और िीिीिीपी अबभयान सही
बदशा में एक सही कदम है ।
● 1975 में लॉन्च बकया गया , आईसीडीएस 6 िषय से कम उम्र के बच्चों और उनकी माताओं को भोिन, पूियस्कूिी जशक्षा, प्राथजमक
स्वास्थ्य दे खभाि, टीकाकरण, स्वास्थ्य िांच और रे फरि सेिाएं प्रदान करता है।
उद्दे श्य
● 0-6 वषट की आयु वगट के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की क्तस्थजत में सुिार करना।
● िच्े के उजचत मनोिैज्ञाजनक, शारीररक और सामाजिक जिकास की नींव रखना।
● मृत्यु दर, रुग्णता, कुपोषण और स्कूि छोडने की घटनाओं को कम करना।
● उबचत पोषण और स्वास्थ्य बशक्षा के माध्यम से िच्े के सामान्य स्वास्थ्य और पोषण संिंिी आवश्यकताओं की दे खभाल करने की मााँ की
क्षमता को बढाना।
प्रदशय न और कजमयााँ
प्रदशयन कजमयां
● 4.59 िाख नए आं गनिाडी केंद्र/जमनी आं गनिाडी ● आं गनवाडी (िाल दे खभाल केंद्र) सेवाओं की प्रमुख लाभाबथटयों - सिसे
केंद्र चालू हए। पररचाबलत आं गनवाडी केंद्रों/बमनी गरीि और अबशबक्षत माताओं - के िीच िहत कम पहं च है ।
आं गनवाडी केंद्रों की संिा माचट 2012 में 13,04,611 ● आं गनवाडी केंद्रों पर अत्यबिक िोझ है , उन्हें कम वेतन बमलता है और
से िढकर माचट 2015 में 13,46,186 हो गई। अबिकतर अकुशल हैं ।
● पूरक पोषण के जिए िाभाजथययों की संख्या दसवी ं ● िगभग एक चौथाई चािू आं गनबाजडयों में पीने के पानी की सुजिधा
योजना के अंत में 705.43 लाख से िढकर माचट 2015 नही ं है और 36 प्रबतशत में शौचालय नही ं हैं । पूरे दे श में सेिा जितरण
में 1022.33 लाख हो गई। गुणित्ता और मात्रा में एक समान नही ं है।
● प्री-स्कूि जशक्षा के जिए िाभाजथययों की संख्या ● सावटभौमीकरण के लक्ष्य को आगे िढाने में कई कारणों से कबठनाइयााँ
[बच्चे (3-6 िषय)] दसवी ं योजना के अंत में 300.81 शाबमल हैं - बवशाल िुबनयादी ढााँ चे और संसािन की आवश्यकता, िन
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
लाख से िढकर माचट 2015 में 365.44 लाख हो गई। हडपना आबद।
● मातृ एवं बशशु कुपोषण को कम करने के बलए ● जिश्व बैंक - िाबलका सुिार को लबक्षत करने में असमथटता, गरीि िच्ों की
आईसीडीएस वतटमान में सिसे महत्वपूणट सरकारी तुलना में अमीर िच्ों की भागीदारी अबिक और भारत के सिसे गरीि
हस्तक्षेप है और सिसे कुपोबषत राज्यों के बलए बवि पोषण का बनम्नतम स्तर।
सु झाि
● पूरक सेवाओं का अबभसरण, जो आईसीडीएस लक्ष्यों की प्राक्तप्त के बलए आवश्यक है ।
● आईसीडीएस की मौजूदा बनगरानी प्रणाली को मजिूत और नया रूप दे ने की जरूरत है ।
● स्वास्थ्य कबमटयों के िुबनयादी ढां चे, मानव संसािन और प्रोत्साहन सं रचना को मजिूत करना।
● ग्राम सभा की संस्था का उपयोग लोगों को भोजन/दवा/अन्य सुबविाओं की पात्रता, िच्ों के अबिकारों और आं गनवाडी केंद्र में उपलि
सेवाओं के िारे में जागरूक करने के बलए बकया जाना चाबहए।
आगे की राह
● आईसीडीएस के उद्दे श्य िाल मृ त्यु दर को कम करने, मातृ स्वास्थ्य में सुिार और अत्यबिक गरीिी और भूख को खत्म करने के बलए
एसडीजी के अनुरूप हैं । आईसीडीएस में न केवल िच्ों और मबहलाओं के पोषण की क्तस्थबत में सुिार करने की क्षमता है , िक्तल्क गभटवती
मबहलाओं और बकशोररयों के स्वास्थ्य और पोषण में सुिार करके कुपोषण के जीवनचि को तोडने की भी क्षमता है ।
सं द भय :
● हाि ही में, हाउस ऑफ ररप्रिेंटेजटव्स की स्थायी सजमजत, साियिजनक जशकायत और कानून और न्याय सजमजत द्वारा "पािन-
पोषण और दत्तक ग्रहण कानूनों की समीक्षा" नामक एक ररपोटय तैयार की गई थी।
भारत में अनाथ/पररत्यक्त बच्चे :
● िैंसेट अध्ययन अनाथता को एक या अबिक माता-बपता की मृत्यु या संरक्षक माता-बपता की मृत्यु के रूप में पररभाबषत करता है ।
अनाथ बच्ो ं सं बं ध ी डे टा
● संयुक्त राष्ट्र बाि कोष (यूजनसे फ) के अनुसार, भारत में 2.96 जमजियन अनाथ या पररत्यक्त बच्चे हैं ।
● मजहिा एिं बाि जिकास मंत्रािय ने अपनी 2020-21 की िाजषयक ररपोटय में कहा बक दे श में 7,164 बाि दे खभाि संस्थानों
(सीसीआई) में 2.56 जमजियन बच्चे रहते हैं ।
● केन्द्रीय दिकग्रहण प्राबिकरण के आं कडों के अनुसार, कोरोनोिायरस महामारी के कारण 2013 से 2021 तक भारत में गोद लेने
की संिा सिसे अबिक (3,559) थी।
80
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o कोई भी बहं दू वयस्क जो स्वस्थ जदमाग का है और नाबाजिग नही ं है , िच्े को गोद ले सकता है ।
o 15 िषय से कम उम्र के बकसी भी िच्े को गोद बलया जा सकता है।
o दिक ग्रहण बलक्तखत रूप में बकया जाना चाबहए और अदालत में पंजीकृत होना चाबहए।
o दिक माता-बपता के भी जैबवक माता-बपता के समान ही अबिकार और बजम्मेदाररयााँ हैं ।
o गोद बलए गए िच्ों के पास जैबवक िच्ों के समान अबिकार हैं , बजसमें उनके दिक माता-बपता से संपबि प्राप्त करने का अबिकार
भी शाबमल है ।
81
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● गोद िेने योग्य बच्चों का सीजमत समूह: भारत में गोद लेने के बलए उपलि गोद लेने योग्य िच्ों की संिा सीबमत है , खासकर भावी
दिक माता-बपता की मां ग की तुलना में। इसके पररणामस्वरूप लं िी प्रतीक्षा अवबि और उपयुि साथी ढू ं ढने में चुनौबतयााँ आती हैं ।
● िैजिक बच्चों को प्राथजमकता: भारतीय समाज में अक्सर गोद लेने के िजाय जैबवक िच्ों को जन्म दे ने को अबिक प्राथबमकता दी जाती
है । यह सां स्कृबतक मानबसकता गोद लेने के प्रबत कलंक और पूवाट ग्रह को जन्म दे सकती है , बजससे िच्ों के बलए प्यार भरे घर ढू ं ढना
मुक्तिल हो जाता है ।
● कानू नी और जनयामक चुनौजतयााँ: भारत में गोद लेना बवबभन्न कानूनों और बवबनयमों द्वारा शाबसत होता है , जो बवबभन्न राज्यों में अलग-
अलग होते हैं । इन कानूनों और जबर्ल कानूनी प्रबियाओं का असंगत कायाट न्वयन चुनौबतयां पैदा कर सकता है और भावी दिक माता-
बपता के बलए भ्रम पैदा कर सकता है ।
● जित्तीय बोझ: गोद लेने से जुडी बविीय लागत, बजसमें कानूनी शुल्क, एजेंसी शुल्क और अन्य खचट शाबमल हैं , कई व्यक्तियों और जोडों के
बलए एक महत्वपूणट िािा हो सकती है , बवशेष रूप से आबथटक रूप से वंबचत पृष्ठभूबम वाले लोगों के बलए।
● सामाजिक किंक और भेदभाि: गोद बलए गए िच्ों और गोद लेने वाले माता-बपता को भारतीय समाज में सामाबजक कलंक और
भेदभाव का सामना करना पड सकता है । पररवार के सदस्ों, दोस्तों और समुदाय से स्वीकृबत और समझ की कमी गोद लेने वाले
पररवारों के बलए चुनौबतयााँ पैदा कर सकती है ।
सं द भय
● केंद्र ने पोक्सो अबिबनयम में हाल के संशोिनों को लागू करने के बलए नए बनयमों का एक सेर् अबिसूबचत बकया है ।
प्रमु ख प्रािधान
● स्कूल और केयर होम स्टाफ का अबनवायट पुजिस सत्यापन।
● अश्लील साबहत्य जैसी यौन शोषण सामग्री की ररपोर्ट करने और आयु -उपयुि िाल अबिकार बशक्षा प्रदान करने की प्रबियाएाँ ।
● राज्य सरकार को िच्ों के क्तखलाफ बहं सा के प्रबत िीरो टॉिरें स के जसद्धांत पर आधाररत बाि संरक्षण नीजत बनाने के जिए कहा
गया है।
● केंद्र सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार िच्ों के संपकट में आने वाले सभी व्यक्तियों, चाहे वह बनयबमत हो या संबवदात्मक, को िाल सुरक्षा
और संरक्षण के िारे में संवेदनशील िनाने के बलए समय-समय पर अबभबवन्यास कायटिम, संवेदीकरण कायटशालाएं और पुनियाट
पाठ्यिम सबहत प्रबशक्षण प्रदान करे गी।
● िच्ों के बलए शैजक्षक सामग्री और पाठ्यिम, उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा के बवबभन्न पहलुओं के िारे में जानकारी दे ना।
सडकों पर रहने िािे बच्चों के सं द भय में क्तस्थजत (CISS)
सं द भय
● सडकों पर रहने वाले िच्ों के पुनवाट स में सहायता के बलए (सीआईएसएस) राि्ीय बाि अजधकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर)
ने बाि स्वराि पोटय ि के तहत एक "सीआईएसएस एक्तप्लकेशन" पे श जकया है।
82
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
प्रमु ख प्रािधान
● इसका उपयोग सभी राज्यों और केंद्र शाजसत प्रदे शों से डे र्ा एकत्र करके सडकों पर रहने वाले बच्चों के बचाि और पु निाय स को
टर ै क करने के जिए जकया िाता है।
● खुिे आश्रय स्थि, परामशय , जचजकत्सा दे खभाि, प्रायोजन, व्यसन मुक्ति कायटिम, शैबक्षक सेवाएाँ , कानूनी/पैराकानूनी सेिाएाँ ,
स्वयंसेिा, और सहायता के अन्य रूप सभी संभव हैं ।
● प्लेटफॉमय का प्राथजमक उद्दे श्य डे टा इकट्ठा करना है, बजसे िाद में जििा बाि संरक्षण अजधकारी (डीसीपीओ) को ररपोटय जकया
िाता है ताबक वे उबचत कारट वाई कर सकें।
ओटीटी प्ले ट फामों में काम करने िािे बच्चों की सु र क्षा के जिए मानदं ड
सं द भय
● राि्ीय बाि अजधकार सं रक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सोशि मीजडया और ओटीटी प्लेटफामों सबहत मनोरं िन उद्योग में
काम करने वाले बच्चों के अजधकारों की रक्षा के बलए नए बदशाबनदे श जारी बकए हैं ।
प्रमु ख प्रािधान
● ये बदशाबनदे श िच्ों से जुडे व्यावसाबयक मनोरं जन के बवबभन्न रूपों को कवर करने के दायरे का बवस्तार करते हैं । वे बाि संरक्षण,
स्वास्थ्य, मानजसक स्वास्थ्य, जनमायता की जिम्मेदाररयां, अजभभािकों की भूजमका और बच्चों के जिए आय सुरक्षा को संबोजधत
करते हैं।
● इन बदशाबनदे शों के बलए जििा मजिस्टरे ट से अनुमजत, दु व्ययिहार या शोषण के क्तखिाफ अस्वीकरण और िच्े की बशक्षा के प्राविान
की आवश्यकता होती है । िच्ों या उनके पररवारों द्वारा िनाई गई सामग्री को पाररवाररक उद्यम माना जाता है ।
● बदशाबनदे शों में उल्लंघन के बलए दं ड भी शाबमल है ।
● सोशल मीबडया और ओर्ीर्ी प्लेर्फामों के िढते प्रभाव को कवर करने, बच्चों को शोषण से बचाने और मौिूदा अजधजनयमों (बकशोर
न्याय अबिबनयम, 2015, िाल श्रम संशोिन अबिबनयम, 2016, िच्ों की सुरक्षा, यौन अपराि अबिबनयम, 2012, सूचना प्रौद्योबगकी
(मध्यस्थ बदशाबनदे श और बडबजर्ल मीबडया आचार संबहता) बनयम, 2021) का अनुपालन सुबनबित करने की आिश्यकता में जनजहत है।
मु ख्य शब्दािली
● लैंबगक असमानताएं , बनमाट ता की बजम्मेदाररयां , शून्य सबहष्णुता का बसद्ां त, इं र्रकंर्् ी एडॉप्शन पर हे ग कन्वेंशन (1993), ओर्ीर्ी
प्लेर्फॉमट, सामाबजक कलंक।
छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
7. िररष्ठ नागररक
● 2011 की िनगणना के आं कडों के अनुसार, भारत में वररष्ठ नागररकों (60 + आयु) की आिादी 10.38 करोड है यानी कुि आबादी
का 8.6%। वृद् व्यक्तियों की बहस्सेदारी 1961 में 5.6% से िढकर 2011 में 8.6% हो गई है ।
● संयुक्त राष्ट्र िनसंख्या कोष और हेल्प एि इं जडया द्वारा जारी एक ररपोर्ट से पता चलता है बक 2026 तक िुजुगों की संिा 173
बमबलयन तक िढने की उम्मीद है ।
महत्वपू णय तथ्य
● 71% से अबिक आिादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है ।
● बुिुगय आबादी का नारीकरण: िुजुगों का बलंगानुपात 938 मजहिा, 1000 पुरुष पर (1971) से िढकर 2011 में 1,033 हो गया है
और 2026 तक बढकर 1,060 होने का अनुमान है। (यूएनएफपीए ररपोटय )
● िुजुगों का एक िडा प्रबतशत ( 30% ) गरीबी रे खा से नीचे है।
● जिश्व स्वास्थ्य सं गठन के मु ताजबक, भारत में िुजुगों की आिादी मौिूदा समय के 60 जमजियन से 2050 तक 227 जमजियन से
अजधक हो िाएगी।
िररष्ठ नागररकों के समक्ष चु नौजतयााँ
● रुग्णता और जिकिांगता: यूएनएफपीए के अनुसार, उनमें से 75% क्रोजनक बीमारी से पीजडत हैं , 40% जिकिांगता से ग्रजसत हैं
और 20% को मानजसक स्वास्थ्य से
संिंबित समस्ाएं हैं ।
● गरीबी: िुजुगट मबहलाओं का िडा बहस्सा
गरीि था; प्रबत व्यक्ति न्यूनतम आय प्राप्त
हई; प्राथबमक स्तर की बशक्षा का प्रबतशत
सिसे अबिक था।
● पारं पररक संयुक्त पररिारों का जिघटन:
एकल पररवारों के उभरते प्रचलन के साथ
िुजुगों को भावनात्मक, शारीररक और
बविीय असुरक्षा का सामना करना पड
सकता है ।
● सामाजिक समथय न का अभाि:
सामाबजक सुरक्षा प्रणाली पर कम सरकारी
खचट के कारण भारत में िुजुगट अबिक
असुरबक्षत हैं । शहरी क्षेत्रों में िुजुगट अपनी
िुबनयादी जरूरतों को पूरा करने के बलए मुि रूप से बकराए की घरे लू मदद पर बनभटर रहते हैं ।
● भौजतक बुजनयादी ढांचे की कमी: यह वृद्ों को आराम प्रदान करने में एक प्रमुख िािा है । कई िुजुगट नागररकों को अपने घरों और
सावटजबनक स्थानों दोनों में, भौबतक िुबनयादी ढां चे तक िेहतर पहंच की आवश्यकता होती है ।
● हाल ही में, सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय ने बुिुगय व्यक्तक्तयों के जिए वचुट अल SAGE (सीजनयरकेयर एजिं ग ग्रोथ
इं िन) पहल और SAGE पोर्ट ल लॉन्च बकया।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● पहि का उद्दे श्य: नवीन उत्पादों और सेवाओं के आिार पर चयबनत "स्टाटय अप" को प्रोत्साबहत करना, स्वास्थ्य, आवास, दे खभाल केंद्रों,
बवि, भोजन और िन प्रिंिन से लेकर कानूनी मागटदशटन तक की जरूरतों से जुडी प्रौद्योबगकी पहं च जैसी सेवाओं को संिोबित करना है ।
● SAGE पररयोजना का लक्ष्य उत्पादों, समाधानों और सेिाओं की पहचान, मूल्यांकन, सत्यापन, एकत्रीकरण और सीधे जहतधारकों
तक पहुंचाना है। मंत्रालय एक सुबविाप्रदाता के रूप में कायट करे गा, जो िुजुगों को बचक्तन्हत स्टार्ट -अप के माध्यम से उत्पादों तक पहं चने
में सक्षम करे गा।
● SAGE के तहत चयबनत स्टार्ट -अप बुिुगय व्यक्तक्तयों को स्वास्थ्य, यात्रा, जित्त, कानूनी, आिास, भोिन िैसे जिजभन्न क्षे त्रों में निीन
उत्पाद और सेिाएं प्रदान करें गे ।
● रजत अथटव्यवस्था को िढावा दे ने के बलए 100 करोड रुपये की राबश आवंबर्त की गई है । यह वस्तु ओं और सेवाओं के उत्पादन, बवतरण
और उपभोग की प्रणाली है बजसका उद्दे श्य वृद् और िुजुगट लोगों की िय क्षमता का उपयोग करना और उनकी खपत, जीवन और
स्वास्थ्य संिंिी जरूरतों को पूरा करना है ।
जसल्वर इकोनॉमी को वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, बवतरण और उपभोग की प्रणाली के रूप में पररभाबषत बकया गया है ,
बजसका उद्दे श्य िृद्ध और बुिुगय आबादी की क्रय क्षमता का उपयोग करना है , साथ ही उनकी उपभोग आवश्यकताओं और
जीवनयापन की आवश्यक वस्तुओं और स्वास्थ्य दे खभाल की जरूरतों को पूरा करना है ।
बु िु गों के जिए िीिन की गु ण ित्ता सू च कां क , 2021
● इसे प्रधानमंत्री की आजथयक सिाहकार पररषद (ईएसी-पीएम) द्वारा जारी बकया गया है ।
● यह भारतीय राज्यों में उम्र िढने के क्षेत्रीय पैर्नट की पहचान करता है और भारत में उम्र िढने की समग्र क्तस्थबत का आकलन करता है ।
● इस सूचकां क को एक उपकरण के रूप में उपयोग करके, राज्य सरकारें और बहतिारक उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं बजन पर
उन्हें अपनी पुरानी पीढी को आरामदायक जीवन प्रदान करने के बलए काम करने की आवश्यकता है ।
● प्रमुख जनष्कषय:
o स्वास्थ्य प्रणािी स्तंभ में अक्तखि भारतीय स्तर पर उच्चतम राष्ट्रीय औसत 66.97 है , इसके िाद सामाबजक कल्याण में 62.34
है ।
o जित्तीय कल्याण में 44.7 का स्कोर दे खा गया है , जो बक बशक्षा प्राक्तप्त और रोजगार स्तंभ में 21 राज्यों के कम प्रदशटन से कम है , यह
सुिार की गुंजाइश को दशाट ता है ।
o राज्यों ने आय सुरक्षा स्तं भ में जिशेष रूप से खराब प्रदशय न जकया है क्ोंबक आिे से अबिक राज्यों का स्कोर राि्ीय औसत से
कम है , यानी आय सुरक्षा में 33.03 है , जो सभी स्तंभों में सिसे कम है ।
● राजस्थान और बहमाचल प्रदे श िमशिः वृद् और अपेक्षाकृत वृद् राज्यों में शीषट स्कोररं ग क्षेत्र हैं । केंद्र शाबसत प्रदे श और उिर-पू वट राज्यों
की श्रेणी में चंडीगढ और बमजोरम शीषट स्कोररं ग क्षेत्र हैं ।
o िृद्ध राज्य उन राज्यों को कहा िाता है जिनकी बुिुगय आबादी 5 जमजियन से अजधक है , जिबक सापेक्ष रूप से वृद् राज्य उन
राज्यों को कहा जाता है जहां िुजुगट आिादी 5 बमबलयन से कम है ।
● सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय: वररष्ठ नागररकों के कल्याण के बलए अबिबनयमों, नीबतयों और कायटिमों को बवकबसत
और कायाटक्तन्वत करता है ताबक यह सुबनबित बकया जा सके बक वररष्ठ नागररक एक सुरबक्षत, सम्मानजनक और उत्पादक जीवन जी सकें।
● िररष्ठ नागररकों के जिए एकीकृत कायय क्रम: आश्रय, भोजन, बचबकत्सा दे खभाल और मनोरं जन के अवसर जैसी िुबनयादी सुबविाएं
प्रदान करके वररष्ठ नागररकों के जीवन की गुणविा में सुिार करना
● राष्ट्रीय ियोश्री योिना: यह िीपीएल श्रेणी से संिंबित वररष्ठ नागररकों के बलए शारीररक सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करती
है । िनिरी 2019 तक, िीपीएल श्रेणी के 70939 वररष्ठ नागररकों को लाभाक्तन्वत करते हए 77 बवतरण बशबवर आयोबजत बकए गए हैं ।
● इं जदरा गांधी राष्ट्रीय िृद्धािस्था पेंशन योिना: यह योजना वृद् व्यक्तियों के बलए सामाबजक सहायता प्रदान करती है ।
● िररष्ठ पेंशन बीमा योिना: यह माबसक / त्रैमाबसक / अिटवाबषटक और वाबषटक आिार पर पेंशन का बवकल्प चुनने के बवकल्प के साथ,
दस वषों के बलए प्रबत वषट 8% की ररर्नट की गारं र्ी दर के आिार पर एक सुबनबित पेंशन प्रदान करे गी।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● राष्ट्रीय बुिुगय स्वास्थ्य दे खभाि काययक्रम: िढती उम्र की आिादी को सुलभ, सस्ती और उच् गुणविा वाली दीघटकाबलक, व्यापक और
समबपटत दे खभाल सेवाएं प्रदान करना।
● राष्ट्रीय िररष्ठ नागररक नीजत, 2011: बविीय और खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य दे खभाल, आश्रय और शोषण के क्तखलाफ सुरक्षा के बलए राज्य के
समथटन की पररकल्पना की गई है ।
● िररष्ठ नागररकों के जिए राष्ट्रीय पुरस्कार - ियोश्रेष्ठ सम्मान: िुजुगट व्यक्तियों, बवशेष रूप से गरीि वररष्ठ नागररकों के बलए बवबशि
सेवाएं प्रदान करने में शाबमल प्रबतबष्ठत वररष्ठ नागररकों और संस्थानों द्वारा बकए गए प्रयासों को मान्यता दे ना।
● राष्ट्रीय िररष्ठ नागररक पररषद (एनसीएसआरसी): नीबत के कायाट न्वयन की बनगरानी करने और वृद्ों के बलए नीबतयों और कायटिमों
के बनमाट ण और कायाट न्वयन में सरकार को सलाह दे ने के बलए सामाबजक न्याय और अबिकाररता मंत्री की अध्यक्षता में 1999 में इसका
गठन बकया गया था।
● िररष्ठ नागररकों के कल्याण के जिए राष्ट्रीय कायय योिना (एनएपीएसआरसी ): यह योजना वररष्ठ नागररकों की शीषट चार जरूरतों,
जित्तीय सुरक्षा, भोिन, स्वास्थ्य दे खभाि और मानिीय संपकय/सम्मान का जीवन का िाल रखती है । यह एक व्यापक योजना है ,
जो 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी है , इसके अंतगटत चार उप-योजनाएाँ हैं , अथाट त्:
o िररष्ठ नागररकों के जिए एकीकृत काययक्रम की योिना (आईपीएसआरसी)
o िररष्ठ नागररकों के जिए राज्य कायय योिना (एसएपीएसआरसी)
o िररष्ठ नागररक कल्याण (सीडब्ल्यूएमएसआरसी) के क्षेत्र में भारत सरकार के अन्य मंत्राियों/जिभागों की पहि के साथ
अजभसरण
माता-जपता और िररष्ठ नागररकों का भरण -पोषण और कल्याण (सं शोधन) जिधे यक, 2019
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
8. जदव्यां ग व्यक्तक्त
● " जिकिांग व्यक्तक्त" (पीडब्ल्यूडी) का अथय दीघयकाजिक शारीररक, मानजसक, बौक्तद्धक या संिेदी हाजन िािा व्यक्ति है , जो िािाओं
के साथ िातचीत में, दू सरों के साथ समान रूप से समाज में उसकी पूणट और प्रभावी भागीदारी में िािा डालता है ।
● जिश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दु बनया की लगभग 15% आबादी बकसी न बकसी रूप में बवकलां गता से पीबडत है ।
सं िै धाजनक प्रािधान
● अनुच्छेद 15(1): यह सरकार को िमट, नि, जाबत, बलंग या जन्म स्थान के आिार पर भारत के बकसी भी नागररक (बवकलां गों सबहत) के
क्तखलाफ भेदभाव नही ं करने का आदे श दे ता है ।
● अनुच्छेद 15 (2): यह आदे श दे ता है बक बकसी भी नागररक को सावटजबनक स्थानों तक पहं च के संिंि में बकसी भी बवकलां गता, दाबयत्व,
प्रबतिंि या शतट के अिीन नही ं बकया जाएगा।
● अनुच्छेद 16: राज्य के अिीन बकसी भी कायाट लय में रोजगार या बनयुक्ति से संिंबित मामलों में सभी नागररकों (बवकलां गों सबहत) के बलए
अवसर की समानता होगी।
● अनुच्छेद 23: मानव तस्करी (बवकलां गों सबहत) नही ं हो सकती है, बभक्षावृबि और अन्य प्रकार के जिरन श्रम को प्रबतिंबित बकया गया है
और इसे कानून के अनुसार दं डनीय िनाया गया है ।
● अनुच्छेद 41: इसमें प्राविान है बक राज्य काम, बशक्षा और िेरोजगारी, िुढापा, िीमारी और बवकलां गता के मामलों में सावटजबनक
सहायता का अबिकार सुरबक्षत करने के बलए प्रभावी प्राविान करे गा।
महत्वपू णय तथ्य
● 2011 की िनगणना के अनु सार, भारत में बदव्यां गों की आिादी 26.8 जमजियन है । प्रबतशत के संदभट में, यह कुल जनसंिा का
2.21% है।
● ग्रामीण क्षेत्रों में 18 जमजियन से अबिक और शहरी पररवेश में केवल 8.1 बमबलयन की गणना की गई है । जिकिांग पुरुषों का प्रबतशत
2.41 है जिबक मजहिाओं का प्रजतशत 2.01 है ।
● जिकिांगों में 44% मजहिाएं हैं और शेष 56% पुरुष हैं।
● 2011 की िनगणना के अनुसार , 5-19 िषय की आयु के िीच के 27 प्रजतशत जिकिांग बच्चे कभी बकसी शैक्षजणक संस्थान में नही ं
गए।
● आईएिओ की एक ररपोटय िताती है बक भारत में जिकिांगता के साथ रहने िािे 73.6% व्यक्तक्त श्रम बि से बाहर हैं। मानबसक
बवकलां गता वाले लोग और बवकलां ग मबहलाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली मबहलाएं सिसे अबिक उपेबक्षत हैं ।
● एनएसएसओ ररपोटय के अनुसार, भारत की लगभग 2.2% आिादी बकसी न बकसी प्रकार की शारीररक या मानबसक बवकलां गता के
साथ रहती है ।
● जिकिांग व्यक्तक्तयों के सशक्तक्तकरण जिभाग (जदव्यांगिन) - बवकलां ग व्यक्तियों के कल्याण और सशक्तिकरण के बलए एक अलग
बवकलां गता मामलों का बवभाग स्थाबपत बकया गया था।
● राष्ट्रीय जिकिांग व्यक्तक्त नीजत 2006 - इसका उद्दे श्य एक ऐसा माहौल िनाना है जो उनके अबिकारों की सुरक्षा और समाज में पूणट
भागीदारी के बलए समान अवसर प्रदान करे । यह बदव्यां गजनों के अबिकारों की सुरक्षा और समाज में उनके समावेश को सुबनबित करने
के बलए बवबशि उपायों और रणनीबतयों की रूपरे खा तैयार करता है ।
● सुगम्य भारत अजभयान - इस अबभयान का लक्ष्य बनबमटत पयाट वरण, पररवहन प्रणाली और सूचना एवं संचार पाररक्तस्थबतकी तंत्र की पहं च
को िढाना है ।
● दीनदयाि जिकिांग पुनिायस योिना - बवकलां ग व्यक्तियों के समान अवसर, समानता, सामाबजक न्याय और सशक्तिकरण सुबनबित
करने के बलए एक सक्षम वातावरण िनाना।
● समुदाय आधाररत समािे शी जिकास (सीबीआईडी) काययक्रम -
88
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o बदव्यां गजनों के पुनवाट स के बलए छह महीने के समुदाय आिाररत समावेशी बवकास (सीिीआईडी) कायटिम का उद् घार्न केंद्रीय
सामाबजक न्याय मंत्री द्वारा बकया गया।
o िॉस-बवकलां गता मुद्दों से बनपर्ने और समाज में बवकलां ग लोगों के एकीकरण को सुबविाजनक िनाने के बलए, कायटिम का
उद्दे श्य समुदाय स्तर पर जमीनी स्तर के पुनवाट स कायटकताट ओं का एक पूल बवकबसत करना है जो आशा और आं गनवाडी
कायटकताट ओं के साथ सहयोग कर सकते हैं ।
o उनकी बजम्मेदाररयों को सफलतापूवटक पूरा करने की क्षमता में सुिार करने के बलए योग्यता-आिाररत ज्ञान और कौशल दे ने के
बलए कायटिम बवकबसत बकया गया है । इन कमटचाररयों को "बदव्यांग बमत्र" या बवकलां ग लोगों के बमत्र कहा जाएगा।
● सहायक उपकरणों की
खरीद/जफजटं ग के जिए जिकिांग
व्यक्तक्तयों की सहायता योिना
(एडीआईपी योजना)- बर्काऊ, पररष्कृत
और वैज्ञाबनक रूप से बनबमटत,
आिुबनक, मानक सहायक उपकरणों
और उपकरणों की खरीद में
जरूरतमंद बवकलां ग व्यक्तियों की
सहायता करना।
● जिकिांग व्यक्तक्तयों के जिए जिजशष्ट्
आईडी: यह पररयोजना बवकलां ग
व्यक्तियों के बलए एक राि्ीय डे र्ािेस
िनाने और प्रत्येक बवकलां ग व्यक्ति को
एक अबद्वतीय बवकलां गता पहचान पत्र
(यूडीआईडी) जारी करने के उद्दे श्य से
कायाट क्तन्वत की जा रही है ।
● मोबाइि एडे ड नोट आइडें जटफायर
(MANI): यह दृबििाबित व्यक्तियों को भारतीय िैंक नोर्ों के मूल्यवगट की पहचान करने में सहायता करने के बलए एक मोिाइल
एक्तप्लकेशन है । इसे भारतीय ररजवट िैंक द्वारा बवकबसत बकया गया है ।
● जिकिांग छात्रों के जिए राष्ट्रीय फेिोजशप (आरिीएमएफ): इसका उद्दे श्य बवकलां ग व्यक्तियों के बलए उच् बशक्षा प्राप्त करने के
बवकल्पों का बवस्तार करना है । यह योजना जिकिांग छात्रों के जिए हर साि फैिोजशप 200 प्रदान करती है ।
● सुिभ चुनाि: ईसीआई ने बदव्यां गजनों के बलए वोर् डालने के बलए अनुकूल माहौल िनाने के बलए कई उपाय लागू बकए हैं । उदाहरण -
o ईवीएम की िैलेर् यूबनर् पर ब्रेल साइनेज
o कतार में इं तजार बकए बिना मतदान केंद्रों में प्रवेश करना।
o मतदान केंद्रों के अंदर व्हीलचेयर ले जाने की सुबविा दी गई।
o दृबििाबित/अशि बनवाट चक के साथ एक साथी को जाने की अनुमबत दे ता है ।
o मतदान कबमटयों को बदव्यां गजनों की बवशेष आवश्यकताओं के संिंि में प्रबशबक्षत और संवेदनशील िनाया गया है ।
िै जश्वक उपाय
● भारत ने बवकलां ग व्यक्तियों के अबिकारों और गररमा के संरक्षण और संविटन पर संयुि राि् कन्वेंशन पर हस्ताक्षर बकए। यह बवकलां ग
व्यक्तियों को भौबतक वातावरण, पररवहन, सूचना और संचार और अन्य सुबविाओं और सेवाओं तक पहं च सुबनबित करने के बलए उबचत
उपाय करने का दाबयत्व दे ता है ।
● एबशया-प्रशां त क्षेत्र में बवकलां ग लोगों की 'पूणट भागीदारी और समानता पर घोषणा' का एक हस्ताक्षरकताट है ।
● समावेशी, िािा मुि और अबिकार-आिाररत समाज की बदशा में काम करने वाले बिवाको बमलेबनयम फ्रेमवकट का भी हस्ताक्षरकताट है ।
कल्याण कायय क्र मों के कायाय न्व यन में बाधाएाँ
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● बवकलां ग आिादी की सर्ीक पहचान, क्ोंबक लोग सामाबजक कलंक का सामना करने से िचने के बलए अपनी बवकलां गता को बछपाते
हैं ।
● जनगणना के आाँ कडों के अलावा, बनयबमत अंतराल पर उत्पन्न बदव्यां गजनों के बलए उबचत रूप से अलग-अलग डे र्ा का अभाव है ।
● बवकलां गता से संिंबित मुद्दों के बलए िह-क्षेत्रीय कारट वाई की आवश्यकता होती है , बजसे व्यवहार में हाबसल करना मुक्तिल है
● सीजमत पहुंच: भारत में सावटजबनक िुबनयादी ढााँ चा एक महत्वपूणट चुनौती है । जो बवकलां ग व्यक्तियों के बलए स्वतंत्र रूप से आवागमन
की गबतबवबियााँ मुक्तिल करता है।
● व्यिहार संबंधी बाधाएाँ : भारतीय समाज में बवकलां गता के िारे में नकारात्मक दृबिकोण, रूबढवाबदता और गलत िारणाएाँ िनी हई हैं ।
इससे सामाबजक भेदभाव और िबहष्कार होता है , बजससे बशक्षा, रोजगार और सामाबजक संपकट के अवसर सीबमत हो जाते हैं ।
● जशक्षा: बवकलां ग व्यक्तियों के बलए गुणविापूणट बशक्षा तक पहं च अभी भी अपयाट प्त है । कई स्कूलों में बवबवि बशक्षण आवश्यकताओं को
समायोबजत करने के बलए समावेशी िुबनयादी ढां चे, प्रबशबक्षत बशक्षकों और उपयुि बशक्षण पद्बतयों का अभाव है ।
● रोजगार और आजथयक अिसर: बवकलां ग व्यक्तियों को रोज़गार और आबथटक अवसरों तक पहाँचने में महत्वपूणट िािाओं का सामना
करना पडता है । कायटस्थलों में सीबमत पहं च, उनकी क्षमताओं के िारे में नकारात्मक िारणाएं और उबचत आवास की कमी कायटिल में
उनकी भागीदारी में िािा डालती है , बजससे िेरोजगारी और आबथटक असुरक्षा की दर िढ जाती है ।
● सहानुभूजत की कमी: बवकलां ग लोगों को अक्सर हे य दृिी से दे खा जाता है सहानुभूबत का व्यवहार नही बकया जाता है । समावेशी बशक्षा
के महत्व पर जोर दे ते हए साबथयों और बशक्षकों में संवेदनशीलता की कमी है । अबिकारों के संस्थागतकरण के िारे में बवकलां ग व्यक्तियों
द्वारा उठाई गई बचंताओं के िावजूद, िहत कम कारट वाई की गई है ।
सु झाि
● पररवार, सामुदाबयक सहायता और स्वयं सहायता के माध्यम से पयाट प्त भोजन, पानी, आश्रय, कपडे और स्वास्थ्य दे खभाल तक पहुंच
प्रदान करना।
● नौकरी मेलों सबहत बदव्यां गजनों के बलए रोजगार सृजन सुबनबित करें ।
● उबचत शैबक्षक और प्रबशक्षण कायटिमों तक पहं च सुबनबित करें ।
● उच् रोजगार क्षमता के साथ गुणविापूणट व्यावसाबयक प्रबशक्षण प्रदान करें ।
● एक सक्षम और िािा मुि वातावरण िनाकर सावटभौबमक पहं च के िारे में जागरूकता िढाना।
आगे की राह
● भारत बदव्यां गजनों के बलए कल्याण और सामाबजक न्याय सुबनबित करने के बलए प्रबतिद् है । बदव्यां गजनों को एक अनुकूल वातावरण
प्रदान करने के बलए कई उपाय शुरू बकए गए हैं । बदव्यां गों का सशक्तिकरण भारत के बलए भी लाभदायक है क्ोंबक बवि िैंक का
अनुमान है बक बदव्यां गों को अथटव्यवस्था से िाहर रखने पर सकल घरे लू उत्पाद लगभग 5% से 7% रह जाएगा।
● आरपीडब्ल्यूडी अबिबनयम, 2016 में प्राविान है बक सरकार यह सुबनबित करे गी बक पीडब्ल्यूडी को समानता, गररमा के साथ िीिन
और दू सरों के साथ समान रूप से अपनी अखं डता का सम्मान करने का अबिकार प्राप्त हो।"
प्रमु ख प्रािधान
● जिस्तृत दायरा - बवकलां गता को एक बवकबसत और गबतशील अविारणा के आिार पर पररभाबषत बकया गया है । बवकलां गता के प्रकार
को 7 से बढाकर 21 कर जदया गया है।
● जशक्षा - 6 से 18 वषट की आयु वाले प्रत्येक बवकलां ग िच्े को मुफ्त बशक्षा का अबिकार होगा।
● उच्च जशक्षा में आरक्षण - बवकलां ग व्यक्तियों के बलए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त उच् बशक्षण संस्थानों में 5% आरक्षण।
● पहुंच - बनिाट ररत समय सीमा में सावटजबनक भवनों (सरकारी और बनजी दोनों) में पहं च सुबनबित करने पर जोर बदया गया है ।
● नौकररयों में आरक्षण - बवकलां गता वाले कुछ व्यक्तियों या व्यक्तियों के वगट के बलए सरकारी नौकररयों में 4% आरक्षण बदया गया है ।
● जित्तीय सहायता - बवकलां ग व्यक्तियों को बविीय सहायता प्रदान करने के बलए राि्ीय और राज्य बनबि का बनमाट ण करना।
● जिकिांग व्यक्तक्तयों के क्तखिाफ अपराध के जिए दं ड - यह अबिबनयम बवकलां ग व्यक्तियों के क्तखलाफ बकए गए अपरािों के बलए दं ड
का प्राविान करता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● जिशेष अदाितें - बदव्यां गजनों के अबिकारों के उल्लंघन से संिंबित मामलों को संभालने के बलए बवशेष अदालतें नाबमत की गईं।
जनष्कषय
● यह अबिबनयम गैर-भेदभाव, समाज में पूणट और प्रभावी भागीदारी और समावेशन, सम्मान और मानव बवबविता और मानवता के बहस्से के
रूप में बवकलां गताओं की स्वीकृबत, अवसर की समानता, पहं च आबद पर जोर दे ता है ।
जिकिां ग व्यक्तक्तयों के जिए राष्ट्रीय नीजत का मसौदा
● सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय ने जिकिांग व्यक्तक्तयों (पीडब्ल्यू डी) पर राि्ीय नीबत के नए मसौदे पर जनता से प्रबतबिया
मां गी है ।
● इस मसौदे में बवकलां गता के कारणों का बवस्तार करते हए इसमें कुपोषण, बचबकत्सीय लापरवाही, सामाबजक-सां स्कृबतक कारक और
आपदाओं के कारण होने वाली क्षबत को शाबमल बकया गया है ।
● बदव्यां गजन अबिकार(आरपीडी) अबिबनयम में सूचीिद् बवकलां गताएं और जोक्तखम में अन्य बचबकत्सा क्तस्थबतयां शाबमल हैं ।
● जैसा बक मसौदे में कहा गया है , शुरुआती पहचान से िच्ों में अबिकां श बवकलां गताओं को एक बतहाई रोका जा सकता है ।
● शैक्षबणक संस्थानों को अनुमबत या मान्यता दे ते समय आरपीडी अबिबनयम का पालन करना चाबहए। एमिीिीएस सबहत मेबडकल
पाठ्यिमों में बवकलां गता पर एक मॉड्यूल शाबमल होना चाबहए।
● सडक पररवहन और राजमागट मंत्रालय व्यक्तिगत वाहनों को बवकलां ग व्यक्तियों के बलए सुलभ िनाने के बलए उन्हें सं शोबित करने के
बलए बदशाबनदे श जारी करे गा।
जदव्यां ग मं त्रािय (महाराष्ट्र )
● बदव्यां गों (बवबभन्न क्षमताओं वाले) के बलए एक बवबशि सरकारी एजेंसी को हाल ही में महाराि् में राज्य की मंजूरी बमली है । इसकी घोषणा
अंतराट ि्ीय बवकलां ग बदवस पर की गई थी। 20 वषों से यह मां ग की जा रही है बक बवकलां ग लोगों के कल्याण और सुरक्षा के बलए एक
अलग बवभाग होना चाबहए।
● इसका उद्दे श्य बदव्यां गों के अबिकारों गारं र्ी दे ना और उनके बलए कई सरकारी पहलों को सफलतापूवटक पूरा करना है ।
● नए बवभाग के बलए 1,143 करोड रुपये आवंबर्त बकए गए हैं बजसमें 2,063 नए पद हैं ।
● वतटमान में राज्य में लगभग 2.5 करोड बदव्यां ग व्यक्ति रहते हैं । उन्हें स्वास्थ्य, यात्रा, बशक्षा, रोजगार, छात्रवृबि और पुनवाट स के संिंि में नए
बवभाग से सहायता बमलेगी।
● बवबभन्न बवकलां गताओं के बलए कुल 2,000 बवबशि प्रबशक्षकों को बनयुि बकए जाने का अनुमान है ।
मु ख्य शब्दािली
बदव्यां गजन अबिकार (आरपीडी) अबिबनयम, गुणविापूणट व्यावसाबयक प्रबशक्षण, व्यवहार संिंिी िािाएं , समुदाय आिाररत समावेशी बवकास।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
मू ि डे टा
● 2011 की िनगणना के अनु सार भारत में लगभग 6 िाख टर ांसिेंडर िोग रहते हैं । समलैंबगक, उभयबलंगी और र्् ांसजेंडर
(एलजीिीर्ी) को कुछ सामाबजक और कानूनी कबठनाइयों का सामना करना पडता है ।
● 2011 की िनगणना में यह भी िताया गया जक 55,000 बच्चों की उनके माता-जपता द्वारा टर ांसिेंडर के रूप में पहचान की गई है।
● एसडीिी 3: "सभी चरणों में सभी के बलए स्वस्थ जीवन और कल्याण सुबनबित करना।"
● एसडीिी 5: "लैंबगक समानता हाबसल करना और सभी मबहलाओं और लडबकयों को सशि िनाना"
● एसडीिी 10: "दे शों के भीतर और िीच में असमानताओं को कम करना।"
● एसडीिी 16: "स्थायी बवकास के बलए शां बतपूणट और समावेशी समाजों को िढावा दे ना, सभी के बलए न्याय तक पहं च प्रदान करना और
सभी स्तरों पर प्रभावी, जवािदे ह, समावेशी संस्थानों का बनमाट ण करना।"
सं िै धाजनक प्रािधान
● अनुच्छेद 14: अनु च्छेद कानून के समक्ष समानता की गारं र्ी दे ता है और बलंग, िमट, नि, जाबत या बलंग के आिार पर भेदभाव पर रोक
लगाता है । इसकी व्यािा यौन उन्मु खीकरण और बलंग पहचान को शाबमल करने के बलए की जा सकती है , जो भेदभावपूणट कानू नों और
प्रथाओं को चुनौती दे ने के बलए एक आिार प्रदान करती है ।
● अनुच्छेद 15(1): यह सरकार को बनदे श दे ता है बक वह भारत के बकसी भी नागररक के साथ िमट, मूलवंश, जाबत, बलंग या जन्म स्थान के
आिार पर भेदभाव न करे ।
● अनुच्छेद 15 (2): यह आदे श दे ता है बक बकसी भी नागररक को सावटजबनक स्थानों तक पहं च के संिंि में बकसी भी बवकलां गता, दाबयत्व,
प्रबतिंि या शतट के अिीन नही ं बकया जाएगा।
● अनुच्छेद 19: अनु च्छेद अबभव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारं र्ी दे ता है , बजसमें बकसी के यौन रुझान और बलंग पहचान को व्यि करने की
स्वतंत्रता शाबमल है । इसे LGBTQ+ व्यक्तियों के अपने अबिकारों की वकालत करने के अबिकार की रक्षा करने और LGBTQ+ मुद्दों के
िारे में जागरूकता िढाने के बलए लागू बकया जा सकता है ।
● अनुच्छेद 21: अनु च्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अबिकार की रक्षा करता है , बजसमें सम्मान के साथ जीने का अबिकार भी
शाबमल है । इस प्राविान का उपयोग अदालतों द्वारा LGBTQ+ व्यक्तियों के अबिकारों को पहचानने और उन्हें भेदभाव और बहं सा से
िचाने के बलए बकया गया है । अनु च्छेद 21 के तहत बनजता के अबिकार को भारत के सवोच् न्यायालय द्वारा मौबलक अबिकार के रूप में
िरकरार रखा गया है ।
भारत में LGBTQIA+ िोगों की मान्यता की ऐजतहाजसकता
1860 बब्रबर्श औपबनवेबशक सरकार ने भारतीय दं ड संजहता (आईपीसी) पाररत की, बजसमें धारा 377 शाजमि है, यह एक ऐसा
कानून है जो समलैंबगक यौन गबतबवबियों को अपराि मानता है ।
1977 शकंु तिा दे िी ने भारत में समलैंबगकता पर पहला अध्ययन "द िल्डय ऑफ होमोसेक्सुअि" प्रकाजशत जकया। इसने " पूणट
स्वीकृबत " का आह्वान बकया न जक सजहष्णुता और सहानु भूजत का।
1994 नाज फाउं डेशन ने धारा 377 की संिैधाजनक िैधता को चुनौती दे ते हुए जदिी उच्च न्यायािय में याजचका दायर की।
2009 बदल्ली हाई कोर्ट ने िारा 377 को रद्द कर बदया, लेबकन सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में फैसले को पलर् बदया।
2014 सुप्रीम कोर्ट र्् ां सजेंडर लोगों को " तीसरे जिंग " के रूप में मान्यता दे ता है और उन्हें कुछ अबिकार दे ता है , जैसे वोर् दे ने का
अबिकार और संपबि बवरासत में दे ने का अबिकार।
2018 सुप्रीम कोटय ने बफर से धारा 377 को रद्द कर जदया , बजससे भारत में समलैंबगक यौन गबतबवबि वैि हो गई।
2019 संसद ने र्् ां सजेंडर लोगों के अबिकारों की सुरक्षा, उनके कल्याण और अन्य संिंबित मामलों के बलए टर ांसिेंडर व्यक्तक्त
(अजधकारों का संरक्षण) अजधजनयम बनाया।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● भेदभाि: रोज़गार, आवास, स्वास्थ्य और बशक्षा सबहत अन्य क्षेत्रों में बदखाई दे ता है ।
● स्कूिों में उच्च डर ॉपआउट दर: इसके पररणामस्वरूप स्कूल के वषों का औसत कम हो जाता है ।
● शोषण और बजहष्कार एलजीिीर्ी की सिसे िडी समस्ा शोषण और िबहष्कार है ।
● िागरूकता की कमी: एलजीिीर्ी समुदाय में कल्याणकारी योजनाओं और उनके अबिकारों के िारे में जागरूकता का अभाव है ।
● संिेदनशीिता की कमी: सरकार, सावटजबनक संस्थान, लोग आबद एलजीिीर्ी समुदाय की जरूरतों के प्रबत असंवेदनशील हैं ।
● अत्यजधक दु व्ययिहार: बहं सा, यौन उत्पीडन, शारीररक शोषण और मनोवैज्ञाबनक दु व्यटवहार सभी उनके क्तखलाफ बकए जाते हैं । उनके बलए
सिसे िडा ख़तरा उनके अपने पररवार ही हैं .
● उच्च गरीबी: उनमें से अबिकां श उच् गरीिी के कारण वेश्यावृबि में संलग्न होने और भीख मां गने के बलए मजिूर हैं ।
● समिैंजगकता एक आपराजधक समस्या: 71दे शों में यह एक अपराि है और 6% दे शों में समलैंबगकता के बलए मौत की सज़ा है ।
● अिगाि और नशीिी दिाओं का दु रुपयोग: अंततिः उनमें आत्मबविास और आत्म-सम्मान कम हो जाता है , और वे खुद को दोस्तों और
पररवार से दू र कर लेते हैं । तनाव, अस्वीकृबत और भेदभाव से बनपर्ने के प्रयास में ये व्यक्ति मुि रूप से ड् ग्स, शराि और तंिाकू के
आदी हो जाते हैं ।
● स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे: समलैंबगकता को अपराि मानने से भेदभाव होता है और एलजीिीर्ीक्ू व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाओं तक अपयाट प्त
या खराि पहं च बमलती है । इसके अबतररि, यह एचआईवी की रोकथाम, र्े क्तस्टंग और उपचार के बलए सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम लोगों
के रास्ते में िािा डालता है ।
भारत के राष्ट्ि ीय मानिावधकार आयोग (एनएचआरसी) का एक अध्ययन
● 99% र्् ां सजेंडर लोगों ने कई मौकों पर सामाबजक अस्वीकृबत का अनु भव बकया है ।
● इस समुदाय के 52% लोगों को अपने स्कूल के सहपाबठयों द्वारा और 15 प्रबतशत को अपने बशक्षकों द्वारा उत्पीडन का सामना करना पडा
है , बजसके पररणामस्वरूप उन्हें स्कूल छोडना पडा।
● जनगणना ररपोर्ट 2011 के अनुसार, भारत में 4.8 लाख लोग र्् ां सजेंडर हैं ।
● 50%-60% र्् ां सजेंडर कभी स्कूल नही ं गए।
● 89% र्् ां सजेंडरों ने कहा बक योग्य लोगों के बलए भी नौकररयां नही ं हैं ।
सरकारी उपाय:
● टर ांसिेंडर व्यक्तक्तयों के जिए राष्ट्रीय पोटय ि - दे श में कही ं से भी बडबजर्ल रूप से प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के बलए आवेदन करने में
र्् ां सजेंडर व्यक्ति की मदद करना।
● गररमा गृह - र्् ां सजें डर व्यक्तियों को आश्रय, भोजन, बचबकत्सा दे खभाल और मनोरं जन सुबविाओं जैसी िुबनयादी सुबविाओं के साथ
आश्रय प्रदान करना। यह उनके क्षमता बनमाट ण/कौशल बवकास के बलए सहायता प्रदान करे गा।
● केरि राज्य - र्् ां सजें डर नीबत की घोषणा करने वाला पहला राज्य केरल है । र्् ां सजेंडर व्यक्तियों के उद्दे श्य से समन्वय नामक एक सतत
बशक्षा कायटिम शुरू बकया गया। साथ ही सभी बविबवद्यालयों और संिद् कला और बवज्ञान महाबवद्यालयों को र्् ां सजेंडर लोगों के बलए दो
सीर्ें आरबक्षत करने का बनदे श बदया।
● स्वीकृजत योिना (ओजडशा) - यह राज्य के र्् ां सजेंडर व्यक्तियों के समान अवसर, समानता, सामाबजक न्याय और सशक्तिकरण
सुबनबित करने के बलए पयाट वरण को सक्षम िनाने वाली एक व्यापक योजना है ।
● मुस्कान योिना: केंद्रीय सामाबजक न्याय और अबिकाररता मंत्री ने केंद्रीय क्षेत्र की योजना "मुस्कान: आजीबवका और उद्यम के बलए
हाबशए पर रहने वाले व्यक्तियों के बलए सहायता" शुरू की है ।
o यह र्् ां सजेंडर समुदाय और भीख मां गने के कायट में लगे लोगों को कल्याण और पुनवाट स प्रदान करने के बलए बनिाट ररत है ।
o इसमें दो उप-योजनाएाँ शाबमल हैं -
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o भीख मांगने के कायय में िगे व्यक्तक्तयों के व्यापक पु निायस के जिए केंद्रीय क्षेत्र की योिना: यह सवेक्षण और पहचान, जुर्ाव,
िचाव/आश्रय गृह और व्यापक पुनवाट स पर ध्यान केंबद्रत करे गी।
o टर ांसिेंडर व्यक्तक्तयों के कल्याण के जिए व्यापक पु निायस के जिए केंद्रीय क्षे त्र योिना:
■ यह र्् ां सजेंडर छात्रों के बलए छात्रवृबि प्रदान करता है
■ इसमें पीएम-दक्ष योजना के तहत कौशल बवकास और आजीबवका के प्राविान हैं ।
■ गररमा गृह के रूप में आवास सुबविा भोजन, कपडे , मनोरं जन सु बविाएं , कौशल बवकास के अवसर, मनोरं जक गबतबवबियां
और बचबकत्सा सहायता आबद सुबनबित करती है ।
■ चयबनत अस्पतालों के माध्यम से बलंग-पुनपुटबि सजटरी का समथट न करने वाले PM-JAY के साथ अबभसरण में एक व्यापक
पैकेज प्रदान करता है ।
न्याजयक हस्तक्षे प
● नाज फाउं डेशन बनाम एनसीटी ऑफ जदिी 2009: न्यायालय ने यह भी माना बक धारा 377 संबविान के अनुच्छेद 14 में बनबहत
समानता की गारं र्ी का उल्लंघन करती है क्ोंबक यह एक अनुबचत वगीकरण िनाती है और एक वगट के रूप में समलैंबगकों को लबक्षत
करती है ।
● एनएएिएसए जनणय य, 2014: न्यायालय ने सभी व्यक्तियों के अपने बलंग की स्वयं पहचान करने के अबिकार को िरकरार रखा। इसने
सरकार को तीसरे बलंग के व्यक्तियों को " नागररकों के सामाबजक और शैक्षबणक रूप से बपछडे वगट" के रूप में मान्यता दे ने और
शैक्षबणक संस्थानों और सावटजबनक रोजगार में आरक्षण प्रदान करने का भी बनदे श बदया।
● नितेि जसंह िौहर बनाम भारत संघ (2018): सु प्रीम कोर्ट ने फैसला सु नाया बक आईपीसी की धारा 377 असंिैधाजनक है क्ोंबक
यह स्वायिता, अंतरं गता और पहचान के मौबलक अबिकारों का उल्लं घन करती है , इस प्रकार भारत में समलैंबगकता को वैि िनाती है ।
हालााँ बक, िारा 377 नािाबलगों के साथ यौन संिंि, बिना सहमबत के यौन कृत्य और पाशबवकता के बलए लागू है ।
नागररक समाि:
● सत्यमेि ियते और द तारा शमाय शो जैसे लोकबप्रय र्ीवी शो ने एलजीिीर्ी मुद्दों के िारे में माता-बपता के िीच जागरूकता िढाने में
मदद की है ।
● सोशल मीबडया और कॉपोरे र् पहलों ने एलजीिीर्ी अबिकारों के िारे में जागरूकता िढाई है ।
● उच्च जशक्षण संस्थानों में रै जगं ग पर यू िीसी जिजनयमन: बकसी छात्र को उनके यौन रुझान या बलंग पहचान के आिार पर लबक्षत
भेदभाव, िमकाने और रै बगंग पर रोक लगाता है ।
सु झाि
● स्कूल और कॉलेज स्तर पर अबनवायट जेंडर बशक्षा होनी चाबहए। स्कूल और कॉलेज प्रशासन को इन मुद्दों पर संवेदनशील िनाने की
जरूरत है ।
● र्् ां सजेंडरों के राजनीबतक प्रवेश के बलए एक मंच की स्थापना होनी चाबहये। हर राज्य में एक र्् ां सजेंडर कल्याण िोडट होना चाबहए।
● कल्याणकारी योजनाओं को " बलंग अल्पसंिक " की श्रेणी को पूरा करना चाबहए।
● लैंबगक असमानता वाले व्यक्तियों के बलए आवास एवं भूबम आवंर्न योजनाएाँ प्रभावी होनी चाबहए।
● यौन उत्पीडन तंत्र बलंग तर्स्थ होना चाबहए और बलंग के आिार पर घरे लू बहं सा को एक अलग अपराि के रूप में मान्यता दी जानी
चाबहए।
● संसद को एक भेदभाव-बवरोिी बविेयक पाररत करना चाबहए जो बलंग के आिार पर भेदभाव और उत्पीडन को दं बडत करता है ।
● सामाबजक दृबिकोण को प्रभाबवत करने के बलए िाबमटक संस्थाओं को शाबमल करें क्ोंबक िाबमटक संस्थाओं को समाज में व्यापक स्वीकृबत
प्राप्त है ।
यह अबिबनयम र्् ां सजें डर लोगों के अबिकारों की सुरक्षा, उनके कल्याण और अन्य संिंबित मामलों को प्रदान करने के उद्दे श्य से अबिबनयबमत
बकया गया था।
94
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
प्रमु ख प्रािधान
● एक र्् ां स व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति के रूप में पररभाबषत बकया गया है बजसका जेंडर जन्म के समय बनबदट ि जेंडर से मे ल नही ं खाता है ।
● यह रोजगार, बशक्षा, स्वास्थ्य दे खभाल और अन्य सेवाओं में उनके क्तखलाफ भेदभाव पर रोक लगाता है ।
● यह बलंग पहचान की आत्म-िारणा की अनुमबत दे ता है । लेबकन बजला मबजस्ट् े र् द्वारा जारी पहचान प्रमाण पत्र के आिार पर उनकी
मान्यता अबनवायट है ।
● यह भीख मां गने को अपराि मानता है ।
● यह दं ड के साथ-साथ र्् ां सजेंडर व्यक्तियों के क्तखलाफ अपराि भी बनिाट ररत करता है ।
● र्् ां सजेंडर व्यक्तियों के बलए राि्ीय पररषद की स्थापना - केंद्रीय सामाबजक न्याय और अबिकाररता मंत्री इसके अध्यक्ष होंगे और केंद्रीय
सामाबजक न्याय और अबिकाररता राज्य मंत्री इसके उपाध्यक्ष होंगे। पररषद के बनम्नबलक्तखत
कायट हैं -
o र्् ां सजेंडर व्यक्तियों के संिंि में नीबतयों, कायटिमों, कानून और पररयोजनाओं के
बनमाट ण पर केंद्र सरकार को सलाह दे ना।
o र्् ां सजेंडर व्यक्तियों की समानता और पूणट भागीदारी प्राप्त करने के बलए िनाई गई
नीबतयों और कायटिमों के प्रभाव की बनगरानी और मूल्यां कन करना।
o र्् ां सजेंडर व्यक्तियों की बशकायतों का बनवारण करना।
आिोचना
● नािसा के फैसिे को निरअंदाि जकया गया।
o यह अबिबनयम नालसा के फैसले के मूल के क्तखलाफ है क्ोंबक यह र्् ां सजेंडर क्तस्थबत के आत्मबनणटय की अनुमबत नही ं दे ता है ।
o यह अबिबनयम सावटजबनक रोजगार और बशक्षा में आरक्षण की पेशकश भी नही ं करता है जैसा बक सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले
में बनदे बशत बकया गया था।
● नागररक अजधकारों पर चुप्पी - बववाह, गोद लेना, उिराबिकार जैसे नागररक अबिकारों की अनदे खी की जाती है । अबिबनयम र्् ां स
व्यक्तियों की कल्याणकारी लाभों तक पहं च पर भी अस्पि है ।
● असमान व्यिहार - अबिबनयम में एक र्् ां सजेंडर व्यक्ति के साथ यौन उत्पीडन के बलए अबिकतम दो साल की कैद का प्राविान है ,
जिबक एक बसजेंडर मबहला के साथ िलात्कार के बलए न्यूनतम सजा 10 साल है ।
● टर ांसिुमेन और जहिडा पर अजधक ध्यान केंजद्रत - इं र्रसे क्स, समलैंबगक बलंग और र्् ां समेन पर िहत कम जोर बदया गया है ।
● भीख मांगने को अपराध घोजषत करना - र्् ां सजेंडरों के बलए आजीबवका का कोई बवकल्प प्रदान बकए बिना यह अबिबनयम भीख मां गने
को अपराि घोबषत करता है ।
आगे की राह
● एलजीिीर्ी समुदाय तेजी से सबहष्णुता और स्वीकृबत प्राप्त कर रहा है , खासकर िडे शहरों में, लेबकन भारत में अबिकां श एलजीिीर्ी
लोगों के बलए, घर और स्कूल में, उनकी कामुकता की स्वीकृबत और उनके बलंग बवकल्पों को खुले तौर पर व्यि करने की स्वतंत्रता अभी
भी एक बनरं तर संघषट िनी हई है ।
● इस प्रकार, सरकार को उन्हें सशि िनाने, सामाबजक कलंक को कम करने और उनकी सामाबजक-आबथटक क्तस्थबत में सुिार करने के
बलए समान संवैिाबनक अबिकार प्रदान करने की आवश्यकता है ।
95
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● LGBTQ शब्द का तात्पयट लेक्तस्यन, गे, उभयबलंगी, र्् ां सजेंडर और समलैंबगक या प्रश्न पूछने वाले से है ।
● पहले, यूरोपीय संसद ने यूरोपीय संघ को "एलजीिीर्ीआईक्ू फ्रीडम जोन" के रूप में नाबमत बकया था।
समाचार में
● हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंबगक बववाह को कानूनी मान्यता दे ने का अनुरोि करने वाली याबचकाओं की एक श्रृंखला को संवैिाबनक
न्यायालय के पास भेज बदया।
● केंद्र सरकार ने इन अनुरोिों का बवरोि बकया। कानून मंत्री बकरन ररबजजू ने कहा बक बववाह एक नीबत है बजसका बनणटय केवल संसद और
कायटपाबलका को करना चाबहए।
सरकार के तकय :
● जििाह की धाजमयक पररभाषा: बहं दू बववाह अबिबनयम, 1955 में बववाह की पररभाषा , जो बववाह को "एक पुरुष और एक मबहला के
बमलन" के रूप में पररभाबषत करती है । इस प्रकार, भारत में बववाह को "पबवत्र बमलन", "संस्कार" और "रीबत" माना जाता है और यह
अनुष्ठानों, रीबत-ररवाजों, प्रथाओं, सां स्कृबतक नैबतकता और सामाबजक मूल्य पर बनभटर करता है ।
● संसद द्वारा जिधान: " मानिीय संबंधों " के "कानू नी, धाजमयक और सामाजिक" मानदं डों से कोई भी "प्रस्थान" केवल बविाबयका के
माध्यम से हो सकता है , सवोच् न्यायालय के माध्यम से नही।ं
● राज्य का िैध जहत: बववाह और व्यक्तिगत संिंिों को बवबनयबमत करने में राज्य का वैि बहत है , जो सहमबत की उम्र, बववाह की बनबषद्
बडग्री और तलाक से संिंबित कानूनों में स्पि है । बववाह करने का अबिकार पूणट नही ं है और राज्य के कानूनों के अिीन है ।
● कानू न की व्याख्या: कानू न की व्यािा करते समय, अलग-अलग शब्दों या वाक्ां शों पर ध्यान केंबद्रत करने के िजाय, अबिबनयम की
संपूणट संरचना की पूरी तरह से जां च बकए बिना समान-बलंग बववाह को शाबमल करने के बलए बवशेष बववाह अबिबनयम (एसएमए) के
प्राविानों का बवस्तार करना संभव नही ं है । उदाहरण के बलए, अबिबनयम पत्नी को बवबशि अबिकार प्रदान करता है , और यह अबनबित हो
जाता है बक समलैंबगक बववाह में ये अबिकार बकसके पास होंगे।
● बच्चों को गोद िेने से िुडी समस्या: समलैंबगक जोडों द्वारा िच्ों को गोद लेने से सामाबजक कलंक, भेदभाव और िच्े के भावनात्मक
और मनोवैज्ञाबनक कल्याण पर संभाबवत प्रबतकूल प्रभाव जैसी चुनौबतयााँ सामने आती हैं । ये चुनौबतयााँ भारतीय समाज में बवशेष रूप से
महत्वपूणट हैं , जहााँ LGBTQIA+ समुदाय की स्वीकायटता सावटभौबमक रूप से प्रचबलत नही ं है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● जिंग आधाररत शब्दों में भ्रम: यह तकट उठता है बक 'मााँ ' और 'बपता', 'पबत' और 'पत्नी' जैसे बलं ग आिाररत शब्द समान-बलंग बववाह के
संदभट में चुनौबतयााँ पैदा करते हैं ।
आगे की राह:
● धमय से जिमुख होना: लगभग सभी िमों में ऐसे बववाह वबजटत हैं । इसबलए, कानू नी प्रबतिंि स्थाबपत करने में िमट को िािा नही ं माना जाना
चाबहए।
● भेदभाि को ख़त्म करना: एकल-बलंग वाले समाजों को भेदभाव-बवरोिी कानूनों की आवश्यकता है जो बलंग की परवाह बकए बिना
उत्पादक जीवन और ररश्तों को सक्षम िनाते हैं ।
● सामुदाजयक जिकास को अनु मजत दे ना: समुदायों को अबिकारों की प्रगबतशील प्राक्तप्त के बसद्ां त को लागू करना चाबहए और उन्हें
कानून द्वारा मजिूर नही ं बकया जा सकता है ।
● िागरूकता पैदा करना: िेशक, यह एक त्वररत घर्ना है । हम एक ऐसा समाज हैं जहां सती प्रथा और बनकाह हलाला को िाबमटक
आदे श माना जाता है ।
● जिंग को शाजमि करने के जिए अनुच्छेद 15 के दायरे का जिस्तार: अनुच्छेद 15 नागररकों को िमट, जाबत, बलं ग, बलंग या जन्म स्थान या
इनमें से बकसी के आिार पर राज्य द्वारा सभी प्रकार के भेदभाव से िचाता है । गैर -भेदभाव के बसद्ां त का बवस्तार बलंग और यौन
अबभबवन्यास को शाबमल करने के बलए बकया जाना चाबहए।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● आम िनता और अजधकाररयों को संिेदनशीि बनाना: न्यायमूबतट रोबहं र्न एफ. नरीमन, नवते ज बसंह जौहर और अन्य। यह सरकार
को जनता और अबिकाररयों को चेतावनी दे ने, मीबडया और एलजीिीर्ीक्ू+ समुदाय में भेदभाव को कम करने और अंततिः समाप्त करने
का आदे श दे ता है ।
जनष्कषय :
● भारत में समलैंबगक बववाह को वैि िनाना एक बववादास्पद मुद्दा िना हआ है , बजस पर सरकार और याबचकाकताट िहस कर रहे हैं ।
हालााँ बक, जबर्ल सामाबजक, सांस्कृबतक और कानूनी बवचारों को ध्यान में रखते हए, समलैंबगक बववाह पर कोई भी बनणटय यह सुबनबित
करने के बलए बकया जाना चाबहए बक यह समावेशी है और व्यक्तिगत अबिकारों का सम्मान करता है । अंततिः , एक संतुबलत और बनष्पक्ष
क्तस्थबत खोजना महत्वपूणट है । ऐसा समािान जो बलंग की परवाह बकए बिना सभी लोगों के बलए समानता और गैर-भेदभाव के बसद्ां तों को
कायम रखता है ।
मु ख्य शब्दािली
सामुदाबयक बवकास, भावनात्मक और मनोवैज्ञाबनक कल्याण, एलजीिीर्ीआईक्ू स्वतंत्रता क्षेत्र, िारा 377, बपतृसिा, नैबतकता।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अनुच्छेद 25 - अंतिः करण की स्वतंत्रता और िमट को ● अनुच्छेद 29 - भारत में बकसी भी नागररक की बवबशि भाषा, बलबप
स्वतंत्र रूप से अपनाने और प्रचार करने की स्वतंत्रता। या संस्कृबत को संरबक्षत करने का अबिकार।
● अनुच्छेद 26 - िाबमटक मामलों का प्रिंिन करने की ● अनुच्छेद 30 - सभी िाबमटक और भाषाई अल्पसंिकों को अपनी
स्वतंत्रता। पसंद के शैक्षबणक संस्थान स्थाबपत करने और प्रशाबसत करने का
● अनुच्छेद 28 - कुछ शैक्षबणक संस्थानों में िाबमटक बशक्षा अबिकार।
या िाबमटक पूजा में उपक्तस्थबत के संिंि में स्वतंत्रता ● अनुच्छेद 350 (बी) - राि्पबत भाषाई अल्पसंिकों के बलए एक
बवशेष अबिकारी की बनयुक्ति करे गा।
अल्पसं ख्य कों की सामाजिक-आजथय क क्तस्थजत
● जैबनयों में साक्षरों का प्रबतशत सिसे अबिक (86.73%) है । दू सरी ओर, 2011 की जनगणना के अनुसार मुसलमानों में बनरक्षरों का
प्रबतशत सिसे अबिक (42.72%) है ।
● शैक्षबणक संस्थानों में पुरुषों की उपक्तस्थबत दर मबहलाओं की तुलना में अबिक थी, शहरी क्षेत्रों में भी ग्रामीण क्षेत्रों (एनएसओ) की तुलना में
अबिक थी।
● श्रम िल भागीदारी दर सभी िाबमटक समूहों (एनएसओ) में पुरुषों के बलए (एलएफपीआर) मबहलाओं की तुलना में िहत अबिक था।
सच्चर सजमजत
● भारत में मुसलमानों की सामाबजक, आबथटक और शैक्षबणक क्तस्थबत का अध्ययन
करने के बलए 2005 में बनयुि बकया गया था। इसने 2006 में एक ररपोर्ट प्रस्तुत
की।
● इस सबमबत ने सुझाव बदया बक नीबतयों को "बवबविता का सम्मान करते हए
समावेशी बवकास और समुदाय को 'मुििारा में लाने' पर ध्यान केंबद्रत करना
चाबहए।"
● मुख्य जसफाररशें
o अल्पसंिकों जैसे वंबचत समूहों की बशकायतों की जां च के बलए एक समान
अवसर आयोग का गठन करें ।
o सावटजबनक बनकायों में अल्पसं िकों की भागीदारी िढाने के बलए नामां कन
प्रबिया िनाएं ।
o एक पररसीमन प्रबिया स्थाबपत करें जो उच् अल्पसंिक आिादी वाले
बनवाट चन क्षेत्रों को अनुसूबचत जाबत के बलए आरबक्षत न करे ।
o मुसलमानों की रोज़गार बहस्सेदारी िढाएाँ , बवशेषकर जहााँ सावटजबनक व्यवहार िहत अबिक है। मदरसों को उच्तर माध्यबमक
बवद्यालय िोडों से जोडने के बलए तंत्र तैयार करें ।
o रक्षा, बसबवल और िैंबकंग परीक्षाओं में पात्रता के बलए मदरसों की बडबग्रयों को मान्यता दे ना।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
आगे की राह
● एनसीएम को उनके संवैिाबनक जनादे श को पूरा करने के बलए उनकी कानूनी क्षमता के संदभट में " शक्तियां " प्रदान की जाएं गी। इस
संिंि में, सरकार को ररक्तियों को समय पर भरना चाबहए और अपनी बसफाररशों को कानूनी रूप से िाध्यकारी िनाना चाबहए और
अन्य सभी सुिारों को लागू करना चाबहए जो एनसीएम की दक्षता और प्रभावशीलता को प्रभाबवत कर रहे हैं ।
● राि्ीय अल्पसंिक बवकास एवं बवि बनगम (एनएमडीएफसी)
उद्दे श्य: अबिसूबचत अल्पसं िकों के बपछडे वगों के िीच आबथटक गबतबवबियों को िढावा दे ना।
● अपने उद्दे श्य को प्राप्त करने के बलए, एनएमडीएफसी गरीिी रे खा से दोगुनी आय वाले पररवारों को स्व-रोज़गार गबतबवबियों के बलए
ररयायती बवि प्रदान कर रहा है ।
अल्पसं ख्य क शै क्ष जणक सं स्थानों के जिए राष्ट्रीय आयोग
● भारत में िाबमटक अल्पसंिकों द्वारा स्थाबपत शैक्षबणक संस्थानों की सुरक्षा और सुरक्षा के बलए राि्ीय अल्पसंिक शैक्षबणक संस्थान
आयोग अबिबनयम, 2004 द्वारा स्थाबपत एक वैिाबनक बनकाय है ।
● भारत के संबविान के अनुच्छेद 30 में बदए गए अनुसार िाबमटक अल्पसंिकों को अपनी पसंद के शैक्षबणक संस्थानों की स्थापना और
प्रशासन करने के अबिकारों को सुबनबित करता है ।
अल्पसं ख्य क कल्याण के जिए योिनाएं
शै जक्षक सशक्तक्तकरण
● छात्रिृजत्त योिनाएं जिनमें प्री-मैजटर क, पोस्ट मैजटर क और राष्ट्रीय फेिोजशप शाजमि हैं : अल्पसंिक समूहों के िच्ों को उनकी
िुबनयादी और उच् बशक्षा पूरी करने में सक्षम िनाने के बलए।
● पढो परदे श: यह अल्पसंिक छात्रों को मास्टसट, एम.बफल और पीएच.डी. स्तर में बवदे शी अध्ययन के बलए 'ब्याज सक्तिडी' प्रदान करता
है ।
● नया सिे रा: अल्पसंिक छात्रों को बनजी और सरकारी नौकररयों के बलए प्रबतयोगी परीक्षाओं की तैयारी के बलए कोबचंग संस्थानों में मुफ्त
कोबचंग के बलए बविीय सहायता प्रदान की जाती है ।
● नई उडान: यूपीएससी, एसएससी, राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) आबद द्वारा आयोबजत प्रारं बभक परीक्षा उिीणट करने वाले छात्रों के
बलए सहायता।
आजथय क सशक्तक्तकरण
● उस्ताद: इस योजना का उद्दे श्य अल्पसंिकों की पारं पररक पैतृक कलाओं/बशल्पों के संरक्षण में कौशल और प्रबशक्षण को उन्नत करना
है ।
● नई मंजिि: गरीि अल्पसंिक युवाओं के साथ रचनात्मक रूप से जुडना और उन्हें स्थायी और लाभकारी रोजगार के अवसर प्राप्त
करने में मदद करना।
● मौिाना आजाद राष्ट्रीय कौशि अकादमी: इसकी स्थापना एनएमडीएफसी द्वारा अल्पसंिक समुदायों की सभी कौशल
उन्नयन/बवकास आवश्यकताओं को पूरा करने के बलए की गई थी।
● अल्पसंख्यकों के जिए कारीगर ऋण योिना: उपकरण/औजार/मशीनरी की खरीद के बलए कायटशील पूंजी की आवश्यकता और क्तस्थर
पूंजी की आवश्यकता दोनों के संदभट में कारीगरों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना।
अन्य योिनाएाँ
● अल्पसंख्यक साइबर ग्राम: भारत में बचक्तन्हत अल्पसंिक समूहों में बडबजर्ल साक्षरता कौशल शुरू करना।
● हमारी धरोहर: भारतीय संस्कृबत के संदभट में अल्पसंिक समुदायों की समृद् बवरासत को संरबक्षत करना।
● जियो पारसी: भारत में पारबसयों की जनसंिा में बगरावर् को रोकने के बलए योजना।
● नई रोशनी: अल्पसंिक मबहलाओं में नेतृत्व की गुणविा बवकबसत करना और अल्पसंिक मबहलाओं को सशि िनाना और उनमें
आत्मबविास पैदा करना।
● प्रधान मंत्री का 15-सूत्रीय कायय क्रम: यह सुबनबित करना बक प्राथबमकता क्षेत्र के ऋण का उबचत प्रबतशत अल्पसंिक समुदायों के बलए
लबक्षत है और बवबभन्न सरकार प्रायोबजत योजनाओं का लाभ अल्पसंिक समुदायों के वंबचत वगों तक पहं चे।
● पीएम िन जिकास कायय क्रम: अल्पसंिकों की सामाबजक-आबथटक क्तस्थबतयों में सुिार करना और िुबनयादी सुबविाएं प्रदान करना और
पहचाने गए अल्पसंिक एकाग्रता क्षेत्रों में राि्ीय औसत की तुलना में असंतुलन को कम करना।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
आगे की राह
भारत में अल्पसंिकों को संवैिाबनक और कानूनी सुरक्षा प्राप्त है । हालााँ बक, इसके िावजूद वे कई सामाबजक-आबथटक संकेतकों पर पीछे हैं ।
साथ ही, हाल के बदनों में उनके क्तखलाफ, खासकर मुसलमानों के क्तखलाफ, मानवाबिकारों के उल्लंघन और नफरत और बहं सा के मामले िढ रहे
हैं । इसबलए:
● सरकार को दोबषयों के क्तखलाफ कडी कारट वाई करनी चाबहए और पीबडतों को न्याय सुबनबित करना चाबहए।
● इसके साथ ही सरकार अल्पसंिकों के उत्थान के बलए कल्याणकारी कायटिमों को अक्षरश: लागू करे गी
● अल्पसंिकों को िाकी आिादी के िरािर लाएाँ ताबक बवबविता में एकता िनी रहे क्ोंबक सामाबजक-आबथटक-राजनीबतक असमानताएाँ
भाईचारे और इस प्रकार राि् की एकता को बहला दे ती हैं ।
िै जश्वक अल्पसं ख्य क सू च कां क
● सेंर्र फॉर पॉबलसी एनाबलबसस (सीपीए) द्वारा प्रकाबशत वैबिक अल्पसंिक ररपोर्ट के अनुसार , भारत को 110 दे शों के िीच 'वैबिक
अल्पसंिक सूचकां क' में शीषट स्थान पर रखा गया है ।
● यह ररपोटय जनम्नजिक्तखत प्रमुख जनष्कषों पर प्रकाश डािती है:
o सूचकां क में भारत सवोच् स्थान पर है , इसके िाद दबक्षण कोररया, जापान, पनामा और संयुि राज्य अमेररका हैं । वही,ं सूची में
सिसे नीचे वाले दे शों में मालदीव, अफगाबनस्तान और सोमाबलया शाबमल हैं ।
o यह ररपोर्ट िाबमटक क्तस्थबत का मूल्यां कन करने के बलए अल्पसं िक और उनके प्रबत सरकार का दृबिकोण "मैिो पैरामीर्सट" पर
केंबद्रत है ।
o मूल्यां कन में बवचार बकए गए मापदं डों में संवैिाबनक प्राविान, सरकारी नीबतयां और दे श के कानूनी ढां चे जैसे व्यापक संकेतक
शाबमल हैं ।
o अध्ययन में दावा बकया गया है बक भारत की अल्पसंिक नीबत बवबविता को िढावा दे ने के इदट -बगदट घूमती है और दे श के भीतर
बकसी भी गैरकानूनी िाबमटक संप्रदाय की अनुपक्तस्थबत को उजागर करती ह , जो इसे कई अन्य दे शों से अलग करती है ।
o अध्ययन से पता चलता है बक अन्य िमों और उनके संप्रदायों के प्रबत भारत की समावेशी और गैर-भेदभावपूणट प्रकृबत इसकी
अल्पसंिक नीबत को अन्य दे शों के बलए एक संभाबवत मॉडल िनाती है , जैसा बक संयुि राि् द्वारा मान्यता प्राप्त है ।
जनष्कषय
● सामाबजक न्याय सभी नागररकों के शां बतपूणट और समृद् सह-अक्तस्तत्व के बलए एक अंतबनटबहत बसद्ां त है । यह दे श के आबथटक बवकास
और प्रगबत का आिार है । इसबलए, समानता, गैर-भेदभाव और कमजोर वगों के बलए सामाबजक न्याय संबविान के मूल बसद्ां तों में से हैं ।
● आजादी के िाद से लगातार सरकारों ने सतत बवकास, गरीिी उन्मूलन, पूणट रोजगार और सभ्य काम को िढावा दे ने, सावट भौबमक
सामाबजक सुरक्षा, लैंबगक समानता और सभी के बलए सामाबजक कल्याण और न्याय तक पहं च के बलए काम बकया है । लेबकन अभी भी
अंबतम मंबजल तक पहं चने से पहले मीलों की दू री तय करनी होती है ।
मुख्य शब्दाििी
● प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम, राजनीतिक अल्पप्रतितनतधत्व, प्रधानमंत्री जन तिकास कार्यक्रम, राष्ट्रीर् अल्पसंख्यक आर्ोग अतधतनर्म,
1992.
छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
11. स्वास्थ्य
बशक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, मानव पूंजी और आबथटक बवकास में एक मूलभूत बनवेश है । इसका महत्व इस सािारण तथ्य में बनबहत है बक यह
एक व्यक्ति और समग्र रूप से राि् की उत्पादकता को कई गुना िढा दे ता है । अच्छे स्वास्थ्य के बिना, िच्े स्कूल जाने में असमथट हो जाते हैं
और वयस्क काम पर जाने में असमथट होते हैं । इसबलए दु बनया भर में स्वास्थ्य और बशक्षा पर िहत जोर बदया जा रहा है ।
उदाहरण के बलए:
● उबचत गुणविा की समय पर, स्वीकायट और बकफायती स्वास्थ्य दे खभाल तक पहं च प्रत्येक व्यक्ति का अबिकार है ।
● डब्ल्यूएचओ संबविान (1946) में "प्रत्येक मनुष्य के मौबलक अबिकार के रूप में स्वास्थ्य के उच्तम प्राप्य मानक" की पररकल्पना की गई
है ।
● एसडीिी 3 का उद्दे श्य "सभी उम्र के लोगों के बलए स्वस्थ जीवन सुबनबित करना और कल्याण को िढावा दे ना" है ।
सं िै धाजनक प्रािधान
भारतीय संबविान भी स्वस्थ नागररकता के मूल्य को समझता है और इसबलए इसमें बनम्नबलक्तखत प्राविान हैं :
● अनुच्छेद 39 (ई) - राज्य को श्रबमकों, पुरुषों, ● अनुच्छेद 243िी - अनुच्छेद 243जी के तहत सावटजबनक स्वास्थ्य को
मबहलाओं और िच्ों के स्वास्थ्य को सुरबक्षत करने मजिूत करने के बलए पंचायतों और नगर पाबलकाओं को अबिकार दे ता है
का बनदे श दे ता है । ● मौजिक अजधकार - िंिुआ मुक्ति मोचाट िनाम भारत संघ और अन्य मामले
● अनुच्छेद 42 - राज्य को काम और मातृत्व राहत में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अबिकार की व्यािा
की उबचत और मानवीय क्तस्थबतयााँ िनाने का बनदे श की।
दे ता है । ● सुप्रीम कोटय का फैसिा- पंजाि राज्य और अन्य िनाम मोबहं दर बसंह
● अनुच्छेद 47 - राज्य लोगों के पोषण स्तर और चावला मामले में सु प्रीम कोर्ट ने बफर से पुबि की बक स्वास्थ्य का अजधकार
जीवन स्तर को िढाएगा और सावटजबनक स्वास्थ्य में जीवन के अबिकार के बलए मौबलक है ।
सुिार करे गा।
महत्वपू णय तथ्य
103
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
2020 के दौरान वैबिक मलेररया प्रबतबिया से सीखे गए और िाहरी वायु प्रदू षण 6% के बलए बजम्मेदार था।
सिक को शाबमल बकया गया है । पाठों में रुकी हई प्रगबत,
कोबवड-19 महामारी और उच् िोझ से उच् प्रभाव
दृबिकोण शाबमल थे।
104
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
2.1% और बवि वषट 22 में 2.2% तक पहं च गया, जिबक बवि वषट 21 में यह 1.6% था। यह दु बनया में सिसे कम है जिबक
बवकबसत दे शों में यह 10-18 प्रबतशत के िीच है ।
○ स्वास्थ्य क्षेत्र का खराब प्रशासन - अस्पतालों में अबिक बिबलंग, अनावश्यक नैदाबनक परीक्षण और शल्य बचबकत्सा प्रबियाएं
आबद जैसी गलत प्रथाएं प्रचबलत हैं । भारत में बनजी और सावटजबनक दोनों क्लीबनकों में जवािदे ही की कमी है ।
○ स्वास्थ्य व्यय में अंतर-राज्य जभन्नता - केरल, बदल्ली जैसे बवकबसत राज्य झारखंड, बिहार, उिर प्रदे श आबद जैसे गरीि राज्यों की
तुलना में अबिक खचट करते हैं ।
● ढांचागत चुनौजतयााँ
○ बुजनयादी ढांचे की कमी - 'बमबश्रत बवि के माध्यम से भारत में स्वास्थ्य दे खभाल की पुनकटल्पना' शीषटक वाली नीबत आयोग की
ररपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत की 50% आिादी के पास 35% अस्पताल बिस्तरों तक पहं च है , इस प्रकार स्वास्थ्य दे खभाल के
िुबनयादी ढां चे को मजिूत करने की मजिूत आवश्यकता का संकेत बमलता है ।
○ असमान साियिजनक स्वास्थ्य प्रणाजियााँ – स्वास्थ्य एवं पररवार कल्याण 2021 के ग्रामीण स्वास्थ्य सां क्तिकी के अनुसार, शहरी
क्षेत्रों में कुल 5439 प्राथबमक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और आबदवासी क्षेत्र में 3966 पीएचसी हैं ।
● संसाधनों की कमी
○ प्रजशजक्षत स्वास्थ्य पे शेिरों की कमी -
2021 बवि स्वास्थ्य संगठन की ररपोर्ट के
अनुसार, भारत 2018 तक 44.5:10,000
अनुपात से काफी नीचे था, और प्रबत
10,000 जनसंिा पर 22.8 स्वास्थ्य
कबमटयों के 2006 के मानक से थोडा ऊपर
था।
○ आशा कायय कतायओ ं से िु डा मामिा
■ बनदान उपकरणों की अनुपलिता
■ ग्रामीण, अल्प-सुसक्तित और
आबथटक रूप से कम आकषटक ग्रामीण क्षेत्रों में अभ्यास करने के बलए योग्य और अनु भवी स्वास्थ्य दे खभाल पेशेवरों की िढती
अबनच्छा िडी चु नौबतयां िनती जा रही है ।
● सेिा जितरण चुनौजतयााँ
○ कम गुणित्ता िािी दे खभाि - गलत बनदान, कम प्रबशबक्षत स्वास्थ्य पेशेवरों और गलत दवाओं के नुस्खे के कारण कम गुणविा
वाली दे खभाल प्रचबलत है ।
○ पहुंच में बाधाएं - सामाबजक और बविीय असमानता दोनों के पररणामस्वरूप भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहं च में िािाएं आती
हैं । बवकलां ग, मानबसक रूप से बवकलां ग और िुजुगट आिादी के बलए सेवाएाँ सुलभ नही ं हैं ।
○ जनिी अस्पतािों का दबदबा - भारत में बविीय वषट 2020 में, अस्पताल िाजार बहस्सेदारी का 70 प्रबतशत बहस्सा बनजी क्षेत्र के
प्रदाताओं द्वारा बनयंबत्रत बकया गया था। इसके अलावा, 63 प्रबतशत अस्पताल बिस्तर बनजी क्षेत्र के अस्पतालों द्वारा उपलि कराए
गए थे।
● आउट ऑफ पॉकेट खचय (ओओपीई): राि्ीय स्वास्थ्य खाता (एनएचए) अनुमान, 2018-19 के अनुसार; ओओपीई 2013-14 में 60% से
घर्कर 2018-19 में 48.2% हो गया।
स्वास्थ्य तक पहुं च में सु धार के जिए सरकारी हस्तक्षे प
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● प्रमुख िक्ष्य
○ 2025 तक सकल घरे लू उत्पाद के प्रबतशत के रूप में सरकार द्वारा स्वास्थ्य व्यय को मौजूदा 1.15% से िढाकर 2.5% करना।
○ जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को 67.5 से िढाकर 70 करना और र्ीएफआर को 2.1 तक कम करना, 2025 तक पां च साल से
कम उम्र की मृत्यु दर को घर्ाकर 23 करना।
○ 2020 तक एमएमआर को मौजूदा स्तर से घर्ाकर 100 तक लाना, नवजात मृत्यु दर को 16 तक कम करना और 2025 तक क्तस्थर
जन्म दर को "एकल अंक" तक लाना।
○ एचआईवी/एड् स के बलए 90:90:90 का लक्ष्य प्राप्त करें , यानी - 90% एचआईवी संिबमत लोग अपनी एचआईवी क्तस्थबत जानते हैं ,
90% एचआईवी रोबगयों को बनरं तर एं र्ीरे र्् ोवाइरल थेरेपी प्राप्त होती है और एआरर्ी प्राप्त करने वाले 90% लोगों में वायरल दमन
होगा।
106
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● बुिुगों के जिए स्वास्थ्य दे खभाि हेतु राष्ट्रीय काययक्रम - वृद् आिादी को सुलभ, सस्ती और उच् गुणविा वाली दीघटकाबलक, व्यापक
और समबपटत दे खभाल सेवाएं प्रदान करना।
● ई-संिीिनी (र्े लीमेबडबसन सेवा प्लेर्फामट) - इसमें दो प्रकार शाबमल हैं - डॉक्टर से डॉक्टर (ई-सं जीवनी एिी-एचडब्ल्यूसी) र्े लीमेबडबसन
प्लेर्फामट और रोगी से डॉक्टर र्े लीमेबडबसन प्लेर्फामट ( ई-संजीवनीओपीडी ) जो नागररकों को िाह्य रोगी सेवाएं प्रदान करता है ।
● अटि बीजमत व्यक्तक्त कल्याण योिना - यह िीबमत व्यक्तियों को िेरोजगार होने पर नकद मुआवजा प्रदान करती है ।
आगे की राह
उपयुटि उपायों के िावजूद, भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र कई कमजोररयों से ग्रस्त है । राि् के बवकास में स्वास्थ्य सेवाओं की महिा को दे खते हए
चुनौबतयों से पार पाना प्रासंबगक है । आगे िढने का एक उपयुि तरीका यह हो सकता है :
● सावटजबनक क्षेत्र की स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाली का पयाट प्त बवस्तार और सुदृढीकरण ताबक कमजोर आिादी को उच् लागत और अक्सर
पहं च से िाहर बनजी क्षेत्र की स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाबलयों पर बनभटरता से मुि बकया जा सके।
● स्वास्थ्य पर सरकारी खचट िढकर जीडीपी का 2.5 फीसदी होना चाबहए। स्वास्थ्य संिंिी संसािन आवंर्न में स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता
के प्राविान को उच् प्राथबमकता दी जानी चाबहए।
● उपलि संसािनों का कुशल उपयोग सुबनबित करने और िेहतर स्वास्थ्य पररणाम प्राप्त करने के बलए बविीय और प्रिंिकीय प्रणाली को
बफर से बडजाइन बकया जाना चाबहए।
● क्षेत्रों के भीतर और सभी क्षेत्रों में सेवाओं की समक्तन्वत बडलीवरी, जवािदे ही, नवाचार की भावना को िढावा दे ना कुछ प्रस्ताबवत उपाय हैं ।
● बनजी और सावटजबनक क्षेत्र के स्वास्थ्य दे खभाल प्रदाताओं के िीच सहयोग िढाएाँ ।
● मेबडकल स्कूलों, नबसिंग कॉलेजों आबद का एक िडा बवस्तार आवश्यक है , और सावटजबनक क्षेत्र के मेबडकल स्कूलों को इस प्रबिया में एक
प्रमुख भूबमका बनभानी चाबहए।
● आवश्यक स्वास्थ्य पैकेज के बहस्से के रूप में डॉक्टरी दवाओं में सुिारों की एक श्रृंखला, आवश्यक, जेनेररक दवाओं को िढावा दे ना और
सावटजबनक सुबविाओं में सभी रोबगयों के बलए इन्हें सावटभौबमक रूप से मुफ्त उपलि कराना प्राथबमकता होगी।
● लोगों को जोक्तखमों और अनैबतक प्रथाओं से िचाने के बलए बचबकत्सा पद्बत, सावटजबनक स्वास्थ्य, भोजन और दवाओं में प्रभावी बवबनयमन
आवश्यक है ।
● स्वास्थ्य क्षेत्र पर सरकारी खचट िढाएं और स्वास्थ्य िुबनयादी सेवा और बचबकत्सा िुबनयादी ढां चे में अंतर को दू र करें ।
● सावटजबनक-बनजी भागीदारी को मजिूत करें और सावटजबनक स्वास्थ्य लक्ष्यों को साकार करने में बनजी क्षेत्र की सहायता करें ।
● भबवष्य में कोबवड जैसी चुनौबतयों के बलए तैयारी करते समय एकीकृत बडबजर्ल प्रौद्योबगबकयों का उपयोग करें ।
● गंभीर संिामक रोगों के भबवष्य के प्रकोप से बनपर्ने के बलए बनवारक उपायों पर ध्यान केंबद्रत करना चाबहए।
● स्वास्थ्य संिंिी प्रशासन में सुिार करें क्ोंबक ओवर-बिबलंग जैसी अवां छनीय प्रथाओं को रोकने के बलए कुछ बनयमों की आवश्यकता है ।
प्राथजमक स्वास्थ्य दे खभाि का महत्व
प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल एक कल्याणकारी राज्य का मूलभूत पहलू है और सतत बवकास को िढावा दे ने में महत्वपूणट भूबमका बनभाती है ।
एक नैबतक अबनवायटता के रूप में, यह सुबनबित करता है बक सभी नागररकों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहं च बमले, साथ ही यह
एक स्वस्थ और उत्पादक समाज के बनमाट ण की नीवं के रूप में भी काम करता है ।
सतत जिकास के जिए एक शतय के रूप में प्राथजमक स्वास्थ्य दे खभाि के महत्व को भारत के कुछ उदाहरणों के माध्यम से प्रदजशयत
जकया िा सकता है:
● मानि अजधकार के रूप में स्वास्थ्य: एक कल्याणकारी राज्य के बहस्से के रूप में, प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल एक नैबतक अबनवायटता
है , यह सुबनबित करना बक प्रत्येक व्यक्ति को िुबनयादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहाँ च प्राप्त हो। यह मानव अबिकार के रूप में स्वास्थ्य की
अविारणा के अनुरूप है , जो इस िात पर जोर दे ता है बक सभी लोगों को स्वास्थ्य के उच्तम संभाबवत स्तर को प्राप्त करने का
अवसर बमलना चाबहए।
○ केरल की प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाली मानव अबिकार के रूप में स्वास्थ्य के संचालन को प्रदबशटत करती है । स्वास्थ्य केंद्रों
और सामुदाबयक स्वास्थ्य कायटकताट ओं के एक मजिूत नेर्वकट के साथ, यह सभी के बलए िुबनयादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहं च
सुबनबित करता है , जो केरल के प्रभावशाली स्वास्थ्य संकेतकों में योगदान दे ता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● स्वास्थ्य सेिाओं तक समान पहुंच: एक मजिूत प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाली सभी नागररकों के बलए उनकी सामाबजक-
आबथटक क्तस्थबत की परवाह बकए बिना स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहं च सुबनबित करती है ।
○ तजमिनाडु प्राथबमक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों के व्यापक नेर्वकट के माध्यम से दू रदराज के क्षेत्रों में भी समान स्वास्थ्य सेवा
पहं च सुबनबित करता है । "अम्मा क्तक्लजनक" पहि बनिः शुल्क आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है , जो पहं च में समानता पर
जोर दे ती है ।
● जनिारक दे खभाि और िागत-प्रभािशीिता: लागत-प्रभावी बनवारक उपायों पर ध्यान केंबद्रत करके, प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल
संसािनों के कुशल आवंर्न में योगदान दे ती है और सतत बवकास को िढावा दे ती है ।
○ जदिी के मोहिा क्लीजनक प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल में बनवारक दे खभाल और लागत-प्रभावशीलता पर ध्यान केंबद्रत करते
हैं । वे बन:शुल्क सेवाएं प्रदान करते हैं , बजनमें बनवारक स्वास्थ्य दे खभाल, बनदान और िुबनयादी दवाएं शाबमल हैं , जो िीमारी को
िढने से रोकने, तृतीयक दे खभाल िोझ को कम करने और स्वास्थ्य प्रणाली की लागत-प्रभावशीलता को िढाने में मदद करती
हैं ।
● बेहतर स्वास्थ्य पररणाम: प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल सेवाओं तक पहं च सीिे तौर पर िेहतर स्वास्थ्य पररणामों से जुडी हई है , जै से
बशशु मृत्यु दर में कमी, जीवन प्रत्याशा में वृक्तद् और कम िीमारी का प्रसार।
● आजथयक उत्पादकता: प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहं च सुबनबित करके, एक स्वस्थ और उत्पादक
कायटिल िनाने में मदद करती है , जो सतत बवकास के बलए महत्वपूणट है ।
● सामाजिक सामंिस्य और क्तस्थरता: प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल कमजोर और हाबशए पर रहने वाली आिादी सबहत सभी नागररकों
की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संिोबित करके सामाबजक सामंजस् और क्तस्थरता को िढावा दे ती है ।
स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहं च सुबनबित करके, बनवारक दे खभाल को िढावा दे कर, स्वास्थ्य पररणामों में सुिार करके और आबथट क
उत्पादकता और सामाबजक सामंजस् को िढावा दे कर, प्राथबमक स्वास्थ्य दे खभाल एक स्वस्थ, समावेशी और समृद् समाज की नींव
रखती है जो बनरं तर बवकबसत और बवकबसत हो सकता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
जसफाररशें
इस ररपोर्ट में दे श में स्वास्थ्य िीमा कवरे ज िढाने के बलए तीन मॉडल की बसफाररश की गई है :
● एक बडे और जिजिध िोक्तखम पूि का जनमायण: एक बनजी स्वैक्तच्छक अंशदायी स्वास्थ्य िीमा उत्पाद की सफलता के बलए एक िडे और
बवबवि जोक्तखम पूल के बनमाट ण की आवश्यकता होती है । ऐसा करने के बलए सरकार को सूचना बशक्षा संचार अबभयानों के माध्यम से
स्वास्थ्य िीमा के िारे में उपभोिाओं में जागरूकता पैदा करनी चाबहए।
● एक सं शोजधत, मानकीकृत स्वास्थ्य बीमा उत्पाद का जिकास करना: लापता मध्य की सामथ्यट के अनुरूप, स्वास्थ्य िीमा की लागत
को कम करने की आवश्यकता है। उदाहरण के बलए- आरोग्य संजीवनी को बकफायती िनाया जा सकता है .
● सरकारी सक्तिडी िािा स्वास्थ्य बीमा: इस मॉडल का उपयोग लापता मध्य के उन क्षेत्रों के बलए बकया जा सकता है जो स्वैक्तच्छक
अंशदायी मॉडल के बलए भुगतान करने की सीबमत क्षमता के कारण कवर नही ं बकए गए हैं । मध्यम अवबि में, एक िार जि पीएमजे एवाई
की आपूबतट -पक्ष और उपयोग मजिूत हो जाता है , तो उनके िुबनयादी ढां चे का लाभ लापता मध्य में स्वैक्तच्छक योगदान की अनुमबत दे ने के
बलए बकया जा सकता है ।
आगे की राह
● एकीकृत दृजष्ट्कोण: अलग-अलग समय पर चरणिद् तीन मॉडलों का संयोजन, लापता मध्य आिादी के बलए कवरे ज सुबनबित कर
सकता है ।
● आउटरीच रणनीजत: कृबष पररवारों के बलए राि्ीय खाद्य सुरक्षा अबिबनयम (एनएफएसए), प्रिान मंत्री सुरक्षा िीमा योजना, प्रिान मंत्री
बकसान सम्मान बनबि (पीएम-बकसान) जैसे सरकारी डे र्ािेस को इन पररवारों से सहमबत लेने के िाद बनजी िीमाकताट ओं के साथ साझा
बकया जा सकता है । इससे आिादी के जरूरतमंद वगट तक िीमा उत्पादों की पहं च िढे गी।
स्वास्थ्य का अजधकार
राजस्थान सरकार ने स्वास्थ्य का अबिकार बविेयक पाररत बकया है, जो राज्य के प्रत्येक बनवासी को सभी सावटजबनक स्वास्थ्य सुबविाओं पर
मुफ्त सेवाओं का लाभ उठाने का अबिकार दे ता है ।
स्वास्थ्य का अबिकार क्ा है ?
● स्वास्थ्य का अबिकार स्वास्थ्य के उस न्यू नतम मानक को संदबभटत करता है बजसे प्राप्त करने का प्रत्येक मनुष्य हकदार है । इसकी उत्पबि
1946 में हई जि स्वास्थ्य को मानव अबिकार के रूप में िढावा दे ने के बलए बवि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की गई थी।
● स्वास्थ्य का अबिकार मानव गररमा का एक मूलभूत पहलू है , और यह सरकारों का कतटव्य है बक वे सभी व्यक्तियों के बलए इस अबिकार
की रक्षा करें और उन्हें आगे िढाएं , चाहे उनका बलंग, नि, जातीयता, िमट या सामाबजक-आबथटक क्तस्थबत कुछ भी हो।
● उिेखनीय डे टा: भारत में प्रबत 1,000 लोगों पर केवल 1.4 बिस्तर, प्रबत 1,445 लोगों पर 1 डॉक्टर और प्रबत 1,000 लोगों पर 1.7 नसें
हैं ।
○ 75% से अबिक स्वास्थ्य दे खभाल िुबनयादी ढां चा मेर््ो शहरों में केंबद्रत है , बजससे िाकी आिादी िुबनयादी बचबकत्सा सुबविाओं से
वंबचत है ।
स्वास्थ्य के अजधकार के जिए संिैधाजनक सुरक्षा
● मौजिक अजधकार: भारत के संबविान का अनु च्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौबलक अबिकार की गारं र्ी दे ता है । स्वास्थ्य
का अबिकार गररमापूणट जीवन में अंतबनटबहत है ।
● डीपीएसपी: अनु च्छेद 38, 39, 42, 43, और 47 स्वास्थ्य के अबिकार की प्रभावी प्राक्तप्त सुबनबित करने के बलए राज्य पर दाबयत्व डालते
हैं ।
● परमानंद कटारा बनाम भारत संघ (1989) मामिा: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था बक प्रत्येक डॉक्टर, चाहे वह सरकारी अस्पताल
में हो या अन्यथा, जीवन की रक्षा के बलए उबचत बवशेषज्ञता के साथ अपनी सेवाओं का बवस्तार करने का पेशेवर दाबयत्व है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● फ्रंबर्यसट इन पक्तब्लक हे ल्थ की एक ररपोर्ट के अनुसार, भारत में 33% से अबिक लोग अभी भी संिामक रोगों से पीबडत हैं । संिामक
रोगों पर प्रबत व्यक्ति अपनी जेि से खचट भी अबिक है , बजसमें आं तररक रोगी और िाह्य रोगी दे खभाल के बलए िमशिः 7.28 रुपये और
29.38 रुपये है ।
● अपयायप्त स्वास्थ्य बुजनयादी ढााँचा: भारत में प्रबत 1000 लोगों पर लगभग 1.4 बिस्तर हैं और 75% से अबिक स्वास्थ्य सेवा िुबनयादी
ढााँ चा मेर््ो शहरों में केंबद्रत है , जहााँ दे श की केवल 27% आिादी रहती है , इस प्रकार शेष 73% आिादी में िु बनयादी बचबकत्सा सुबविाओं
का अभाव है ।
● िैंजगक असमानताएाँ : भारत में मबहलाओं को महत्वपूणट स्वास्थ्य असमानताओं का सामना करना पडता है , बजसमें स्वास्थ्य दे खभाल तक
सीबमत पहं च, मातृ मृत्यु दर की उच् दर और बलंग आिाररत बहं सा शाबमल है ।
● बवि आबथटक मंच 2021 के अनुसार, मबहलाओं के स्वास्थ्य और अक्तस्तत्व के मामले में भारत लगातार दु बनया के पां च सिसे खराि दे शों में
शुमार है ।
स्वास्थ्य सू च कां क में राज्यों की रैं क
आगे की राह
● स्वास्थ्य केंद्रों में िुबनयादी ढां चे में सुिार के बलए एनएचपी 2017 में पररकल्पना के अनुसार स्वास्थ्य पर व्यय को 2.5% तक िढाना।
● प्राथबमक स्वास्थ्य केंद्रों को मजिूत
करने की आवश्यकता है क्ोंबक बकसी
व्यक्ति के जीवनकाल में 80-90%
स्वास्थ्य आवश्यकताएं प्राथबमक स्वास्थ्य
दे खभाल केंद्रों द्वारा प्रदान की जा
सकती हैं ।
● मौजूदा नीबतयों और बवबनयमों का
उबचत कायाट न्वयन और संवेदीकरण
● भारत को सावटभौबमक स्वास्थ्य कवरे ज
प्रदान करने की बदशा में काम करने के
बलए थाईलैं ड जैसे अन्य बवकासशील
दे शों से सीखना चाबहए। यूएचसी में तीन
घर्क शाबमल हैं : जनसं िा कवरे ज,
रोग कवरे ज और लागत कवरे ज।
● स्वास्थ्य और पररवार कल्याण मंत्रालय ने एक राि्ीय आत्महत्या रोकथाम रणनीबत की घोषणा की है जो दे श में अपनी तरह की पहली
रणनीबत है ।
● आत्महत्या रोकथाम नीबत 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10% की कमी लाने के बलए समयिद् कायट योजनाओं और िह-क्षेत्रीय
सहयोग के साथ आती है ।
भारत में आत्महत्या से होने िािी मौतों पर डे टा
● भारत में, आत्महत्या के कारण हर साल एक लाख से अबिक लोगों की जान चली जाती है , और यह 15-29 वषट की श्रेणी में शीषट हत्यारा
है ।
● दस्तावेज़ के अनुसार, बपछले तीन वषों में आत्महत्या की दर प्रबत 1,00,000 जनसंिा पर 10.2 से िढकर 11.3 हो गई है ।
● आत्महत्या के सिसे आम कारणों में पाररवाररक समस्ाएं और िीमाररयााँ शाबमल हैं , जो आत्महत्या से संिंबित सभी मौतों में से 34%
और 18% के बलए बजम्मेदार हैं ।
उद्दे श्य
● अगले तीन वषों के भीतर आत्महत्या के बलए प्रभावी बनगरानी तंत्र स्थाबपत करना,
110
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● मनोरोग िाह्य रोगी बवभाग स्थाबपत करना जो अगले पां च वषों के भीतर सभी बजलों में बजला मानबसक स्वास्थ्य कायटिम के माध्यम से
आत्महत्या रोकथाम सेवाएं प्रदान करे गा।
● अगले आठ वषों के भीतर सभी शैक्षबणक संस्थानों में मानबसक कल्याण पाठ्यिम को एकीकृत करना।
● आत्महत्याओं की बजम्मेदार मीबडया ररपोबर्िं ग के बलए बदशाबनदे श बवकबसत करना, और
● आत्महत्या के सािनों तक पहं च को प्रबतिंबित करना।
यह नीजत िैजश्वक रणनीजत के अनुरूप है : संयुि राि् के सतत बवकास लक्ष्य (एसडीजी) 3.4 का उद्दे श्य रोकथाम और उपचार के माध्यम से
गैर-संचारी रोगों से होने वाली असामबयक मृत्यु दर को एक बतहाई तक कम करना और मानबसक स्वास्थ्य और कल्याण को िढावा दे ना है ।
सरकारी पहि
● राष्ट्रीय मानजसक स्वास्थ्य काययक्रम (एनएमएचपी), 1982 को बनकर् भबवष्य में सभी के बलए, बवशेष रूप से आिादी के सिसे
कमजोर और वंबचत वगों के बलए न्यूनतम मानबसक स्वास्थ्य दे खभाल की उपलिता और पहं च सुबनबित करने के बलए शुरू बकया गया
था।
● आत्महत्या के प्रयासों को अपराि की श्रेणी से हर्ाने के बलए मानजसक स्वास्थ्य दे खभाि अजधजनयम, 2017 पाररत जकया गया था।
○ इस अबिबनयम में सिसे महत्वपूणट प्राविान "उन्नत बनदे श" था, जो मानबसक िीमाररयों वाले व्यक्तियों को अपने उपचार के तरीके
को तय करने और बकसी को अपना प्रबतबनबि बनयुि करने की अनुमबत दे ता था।
○ इसने इलेक्ट्ोकन्वक्तिव थेरेपी (ईसीर्ी) के उपयोग को भी प्रबतिंबित कर बदया, और नािाबलगों पर इसके उपयोग पर प्रबतिंि लगा
बदया, अंततिः भारतीय समाज में कलंक से बनपर्ने के उपाय पेश बकए।
● मनोदपयण पहि छात्रों को उनके मानबसक स्वास्थ्य और कल्याण के बलए मनोवैज्ञाबनक-सामाबजक सहायता प्रदान करने के बलए आत्म
बनभटर भारत अबभयान के तहत थी।
● जकरण हेल्पिाइन को शीघ्र जां च, प्राथबमक बचबकत्सा, मनोवैज्ञाबनक सहायता, संकर् प्रिंिन, मानबसक कल्याण और मनोवैज्ञाबनक संकर्
प्रिंिन प्रदान करने के उद्दे श्य से शुरू बकया गया था और इसका प्रिंिन बवकलां ग व्यक्ति यों के सशक्तिकरण बवभाग (डीईपीडब्ल्यूडी)
द्वारा बकया जाएगा।
आगे की राह
● रोकथाम पर काम करने के बलए, हमें मबहला और िाल बवकास मंत्रालय, वाबणज्य और उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं पररवार कल्याण
मंत्रालय सबहत अन्य लोगों को सहयोगात्मक रूप से काम करने की आवश्यकता है ।
● मौजूदा नीबतयों और बवबनयमों के प्रभावी कायाट न्वयन की आवश्यकता।
● आत्महत्याएाँ समाज के सभी वगों को प्रभाबवत करती हैं और इस प्रकार िडे पैमाने पर व्यक्तियों और समुदाय के ठोस और सहयोगात्मक
प्रयासों की आवश्यकता होती है ।
एं टीबायोजटक प्रजतरोध
111
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● कृजष उपयोग को जिजनयजमत करना: महाराि् सरकार - पशुओं में इसके दु रुपयोग को रोकने के बलए बकसानों को डॉक्टर के पचे के
बिना एं र्ीिायोबर्क्स िेचना िंद कर बदया।
● िागरूकता अजभयान - इसके अलावा, सरकार अबभयानों, बवज्ञापनों और नागररक समाज के माध्यम से एं र्ीिायोबर्क प्रबतरोि के िारे
में जागरूकता फैला रही है ।
● अंतरायष्ट्रीय सहयोग - सरकार बवि स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग कर रही है । बवि स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ओर से एं र्ीिायोबर्क
दवाओं के सुरबक्षत उपयोग और प्रबतरोि पर अंकुश लगाने के बलए AWaRe- ऑनलाइन र्ू ल लॉन्च बकया है ।
● स्वच्छ भारत अबभयान भी पयाट प्त स्वच्छता और िेहतर स्वच्छता के माध्यम से एं र्ीिायोबर्क प्रबतरोि को बनयंबत्रत करने का एक
महत्वपूणट तरीका है ।
● रे ड िाइन अजभयान - एं र्ीिायोबर्क दवाओं के अताबकटक उपयोग को रोकने और बिना डॉक्टर की सलाह के एं र्ीिायोबर्क ले ने के
खतरों के िारे में जागरूकता पैदा करने के बलए लाल रे खा के साथ नुस्खे को अबनवायट िनाता है ।
● पररभाषा: सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी "सावटजबनक स्वास्थ्य अभ्यास की योजना, कायाट न्वयन और मूल्यां कन के बलए आवश्यक स्वास्थ्य
संिंिी डे र्ा का बनरं तर, व्यवक्तस्थत संग्रह, बवश्लेषण और व्यािा है ।"
● नीबत आयोग ने एक िेत पत्र जारी बकया, जिजन 2035: भारत में साियिजनक स्वास्थ्य जनगरानी।
जिजन 2035: भारत में सािय ि जनक स्वास्थ्य जनगरानी
● यह नीबत आयोग द्वारा जारी एक िेत पत्र है , बजसकी पररकल्पना भारत में सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी को िढावा दे ने और इस क्षेत्र में
भारत को एक वैबिक नेता के रूप में स्थाबपत करने के बलए एक दृबि दस्तावेज के रूप में की गई है ।
● इसमें बत्रस्तरीय सावटजबनक स्वास्थ्य प्रणाली को आयुष्मान भारत में एकीकृत करने की पररकल्पना की गई है ।
● यह व्यक्तिगत इलेक्ट्ॉबनक स्वास्थ्य ररकॉडट को बनगरानी का आिार िनाकर बनगरानी को मुििारा में लाने का सुझाव दे कर योगदान
दे ता है ।
सािय ि जनक स्वास्थ्य जनगरानी का िाभ
● ग्राहक प्रबतबिया तंत्र के साथ सक्षम होकर व्यक्तिगत गोपनीयता और गोपनीयता सुबनबित करें गी।
● िेहतर िीमारी का पता लगाने, रोकथाम और बनयंत्रण के बलए केंद्र और राज्यों के िीच िेहतर डे र्ा-साझाकरण तंत्र।
सािय ि जनक स्वास्थ्य जनगरानी बनाए रखने में चु नौजतयााँ
● डे टा प्रबंधन: प्रभावी डे र्ा प्रिंिन सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी बमशन के बलए महत्वपूणट है । डे र्ा की खराि गुणविा भी एक प्रमुख
सीबमत कारक है ।
● उभरती बीमाररयों का शीघ्र पता िगाना: उभरती िीमाररयों का तेजी से पता लगाने और सावट जबनक स्वास्थ्य आपातकालीन प्रबतबिया
और पुनप्राट क्तप्त क्षमताओं को िढाने की आवश्यकता नई बवश्लेषणात्मक चुनौबतयााँ पेश करती है ।
● अपयायप्त कंप्यूजटं ग सं साधन: बवश्लेषण के बलए उपलि स्रोतों और डे र्ा की मात्रा में वृक्तद् के साथ, कंप्यूबर्ं ग वातावरण में अपयाट प्त
संसािन डे र्ा के समय पर प्रसंस्करण और पररणामों के संचार पर एक सीबमत कारक हो सकते हैं ।
● कुशि कमयचाररयों की कमी: सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी में बवश्लेषणात्मक डे र्ा प्रिंिन, सां क्तिकीय बवश्लेषण, डे र्ा के
बवज़ुअलाइज़ेशन और स्वास्थ्य-डे र्ा साक्ष्य में अबनबितता को प्रभावी ढं ग से संचाररत करने के बलए मानव संसािनों की आवश्यकता होती
है ।
सु झाि
चूंबक सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी में भारत में स्वास्थ्य प्रणाली को िदलने की क्षमता है , इसबलए इन चुनौबतयों से पार पाना सभी बहतिारकों का
कतटव्य है । चुनौबतयों से पार पाने के बलए कुछ सुझाव इस प्रकार हो सकते हैं :
● एक ऐसा शासन ढां चा स्थाबपत करें बजसमें राि्ीय और राज्य स्तर पर राजनीबतक, नीबत, तकनीकी और प्रिंिकीय नेतृत्व शाबमल हो।
● व्यापक रोग श्रेबणयों की पहचान करें बजन्हें सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी के अंतगटत शाबमल बकया जाएगा।
● गैर-संचारी रोगों और क्तस्थबतयों की चरणिद् तरीके से बनगरानी िढाएाँ ।
● बनयबमत रूप से प्राथबमकता दें बजन्हें सावटजबनक स्वास्थ्य समस्ा के रूप में उन्मूल न के बलए लबक्षत बकया जा सकता है ।
112
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● मुि समथटन कायों, मुि कायों और बसस्टम बवशेषताओं में सुिार करें ; राि्ीय, राज्य, बजला और ब्लॉक स्तर पर।
● डे र्ा साझाकरण, कैप्चर, बवश्लेषण और प्रसार को सुव्यवक्तस्थत करने के बलए तंत्र स्थाबपत करें ।
● बनगरानी गबतबवबि में हर कदम पर नवाचारों को प्रोत्साबहत करें ।
आगे की राह
बनगरानी का उद्दे श्य बनणटय बनमाट ताओं को समय पर, उपयोगी साक्ष्य प्रदान करके अबिक प्रभावी ढं ग से नेतृत्व और प्रिंिन करने के बलए
सशि िनाना है । यह हस्तक्षेपों की आवश्यकता को मापने और हस्तक्षेपों के प्रभावों को सीिे मापने दोनों के बलए उपयोगी है । इस प्रकार,
व्यक्ति की बनजता और गोपनीयता की रक्षा करते हए सावटजबनक स्वास्थ्य बनगरानी को मजिूत करना आवश्यक है ।
स्वास्थ्य और पररवार कल्याण मंत्रालय ने दे श में बडबजर्ल स्वास्थ्य िुबनयादी ढां चे के एकीकरण के बलए आवश्यक सहायता प्रदान करके भारत
में स्वास्थ्य सेवा को बडबजर्ल िनाने के उद्दे श्य से आयुष्मान भारत बडबजर्ल बमशन तैयार बकया।
जिशे ष ताएाँ
● हेल्थ आईडी: यह प्रत्येक नागररक के बलए जारी की जाएगी जो उनके स्वास्थ्य खाते के रूप में भी काम करे गी। इस आईडी का उपयोग
बवबशि रूप से व्यक्तियों की पहचान करने, उन्हें प्रमाबणत करने और उनके स्वास्थ्य ररकॉडट (केवल रोगी की सूबचत सहमबत से) को कई
प्रणाबलयों और बहतिारकों में फैलाने के बलए बकया जाएगा। इसमें जां च, िीमारी, दवा और बनदान का बववरण होगा।
● हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्टर ी (एचपीआर) यह बचबकत्सा की आिुबनक और पारं पररक दोनों प्रणाबलयों में स्वास्थ्य सेवाओं के बवतरण
में शाबमल सभी स्वास्थ्य पेशेवरों का एक व्यापक भं डार है । हे ल्थकेयर प्रोफेशनि रबजस्ट् ी में नामां कन करने से वे भारत के बडबजर्ल
स्वास्थ्य पाररक्तस्थबतकी तंत्र से जुड सकेंगे।
● स्वास्थ्य सुजिधा रजिस्टर ी (एचएफआर): यह बचबकत्सा की बवबभन्न प्रणाबलयों में दे श की स्वास्थ्य सुबविाओं का एक व्यापक भंडार है।
इसमें अस्पताल, क्लीबनक, नैदाबनक प्रयोगशालाएं और इमेबजंग केंद्र, फामेबसयों आबद सबहत सावटजबनक और बनजी दोनों स्वास्थ्य
सुबविाएं शाबमल हैं ।
● व्यक्तक्तगत स्वास्थ्य ररकॉडय (पीएचआर): यह एक इलेक्ट्ॉबनक एक्तप्लकेशन है बजसके माध्यम से मरीज बनजी, सुरबक्षत और गोपनीय
वातावरण में अपनी स्वास्थ्य जानकारी (और दू सरों की बजनके बलए वे अबिकृत हैं ) को िनाए रख सकते हैं और प्रिंबित कर सकते हैं ।
● आयुष्मान भारत जडजिटि जमशन सैंडबॉक्स: बमशन के एक बहस्से के रूप में िनाया गया सैंडिॉक्स प्रौद्योबगकी और उत्पाद परीक्षण
के बलए एक ढां चे के रूप में कायट करे गा जो राि्ीय बडबजर्ल स्वास्थ्य पाररक्तस्थबतकी तंत्र का बहस्सा िनने के इच्छु क बनजी कंपबनयों सबहत
संगठनों को स्वास्थ्य सू चना प्रदाता या स्वास्थ्य सूचना उपयोगकताट या आयुष्मान भारत बडबजर्ल बमशन के बनमाट ण खंडों के साथ
कुशलतापूवटक बलंक िनने में मदद करे गा।
आयु ष्मान भारत जडजिटि जमशन का महत्व
● बडबजर्ल स्वास्थ्य पाररक्तस्थबतकी तंत्र के भीतर अंतरसंचालनीयता िनाना, जैसे भुगतान में िां बत लाने में एकीकृत भुगतान इं र्रफेस द्वारा
बनभाई गई भूबमका।
● स्वास्थ्य सेवा बवतरण की दक्षता, प्रभावशीलता और पारदबशटता में सुिार करना।
● नागररकों को एक क्तक्लक पर स्वास्थ्य सुबविाएं बमलेंगी।
● व्यक्तियों को सावटजबनक और बनजी दोनों स्वास्थ्य सेवाओं तक पहाँचने का बवकल्प प्रदान करना।
● बदशाबनदे शों और प्रोर्ोकॉल के अनुपालन को सुबविाजनक िनाना और मूल्य बनिाट रण में पारदबशटता सुबनबित करना।
● स्वास्थ्य दे खभाल पेशेवरों के पास मरीज़ के मेबडकल ररकॉडट तक िे हतर पहं च होगी।
चु नौजतयााँ / जचं ताएाँ
● जडजिटि जिभािन: इससे बडबजर्ल रूप से बनरक्षर और असंिद् सुदूर, पहाडी और आबदवासी क्षेत्र िाहर हो सकते हैं ।
● गोपनीयता/डे टा उिंघन से सं बंजधत जचंताएाँ : व्यापक डे र्ा सुरक्षा बिल के अभाव के कारण बचंता अबिक वास्तबवक हो गई है ।
● मांग-कौशि बेमेि: बसस्टम को पूरी तरह से बडबजर्ल िनाने के बलए बडबजर्ल डोमे न में कुशल जनशक्ति की भारी आवश्यकता है
लेबकन इसकी आपूबतट कम है ।
● अपयायप्त प्राथजमक स्वास्थ्य दे खभाि डे टा: प्राथबमक स्तर पर िुबनयादी ढां चे और कमटचाररयों की कमी।
113
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
नािाडट ने सरकार के जल, स्वच्छता और स्वच्छता (वॉश) कायटिम का समथटन करने के बलए एक बवशेष पुनबवट ि सुबविा की घोषणा की।
िॉश क्या है?
● WASH एक संबक्षप्त शब्द है बजसका अथट है " िि, स्वच्छता और सफाई "।
● सतत जिकास िक्ष्य 6 के पहले दो लक्ष्यों का फोकस है ।
● बवि स्वास्थ्य संगठन ने 2019 में पाया बक "दु बनया भर में, पयाट प्त वॉश के साथ 2016 में 1.9 बमबलयन मौतों और 123 बमबलयन
डीएएलवाई को रोका जा सकता था।
िॉश का महत्व
● 'पेयजल, स्वच्छता, स्वच्छता और आवास की क्तस्थबत' ररपोर्ट 2020: 56 प्रबतशत शहरी पररवारों के सदस्ों ने खाने से पहले पानी और
सािुन से हाथ िोने की सूचना दी, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 25.3 प्रबतशत पररवारों ने ऐसा बकया।
● हाथ की स्वच्छता का यह बनम्न स्तर एक िडी चुनौती पैदा करने की संभावना है क्ोंबक दे श कोबवड-19 से बनपर् रहा है ।
● वॉश सेवाओं तक पहं च में सुिार से स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा, छात्र बशक्षा, लैंबगक समानता आबद में सुिार हो सकता है । इससे िीमारी और
मृत्यु में कमी आ सकती है , गरीिी में कमी और सामाबजक-आबथटक बवकास में मदद बमल सकती है ।
● स्वच्छता की कमी के कारण हर साल दस्त के कारण लगभग 700,000 िच्ों की मृत्यु हो जाती है , मुितिः बवकासशील दे शों में। िॉश के
कारण होने वाली िीमारी का िोझ वैबिक मौतों का 3.3% है ।
● िोबनक डायररया िच्ों पर शारीररक और संज्ञानात्मक बवकास दोनों के संदभट में दीघटकाबलक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है ।
● िैंजगक न्याय: वॉश सुबविाओं तक पहं च की कमी बवद्याबथटयों (बवशेषकर लडबकयों) को स्कूल जाने से रोकती है और उनकी शैबक्षक
उपलक्तियों और िाद में कायट उत्पादकता को कम करती है । हालााँ बक, वॉश सुबविाओं तक पहं च क्तस्थबत को िदलने में मदद कर सकती
है बजसके पररणामस्वरूप लैंबगक समानता और न्याय प्राप्त होगा।
● पानी कोबवड-19 प्रिंिन के बलए केंद्रीय है , एक बनवारक उपाय के रूप में िार-िार हाथ िोने का सुझाव बदया गया है और संिमण से
उिरने के बलए इसके सेवन को आवश्यक िताया गया है ।
िॉश को बढािा दे ने के जिए सरकारी योिनाएं
● स्वच्छ भारत – इसे खु ले में शौच को खत्म करने और ठोस अपबशि प्रिंिन में सुिार के बलए 2014 में लॉन्च बकया गया।
○ सरकार 2014 से 2019 के िीच लगभग 110 बमबलयन शौचालयों के बनमाट ण के बलए सक्तिडी प्रदान करती है ।
○ एसिीएम ने शौचालय की पहं च और उपयोग के संिंि में लाखों लोगों के व्यवहार को िदल बदया है ।
○ 2014 के िाद से 50 करोड लोगों ने खुले में शौच करना िंद कर बदया है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अमृत - िुबनयादी ढां चे की स्थापना के बलए 2015 में लॉन्च बकया गया जो शहरी पररवतटन के बलए पयाट प्त मजिूत सीवेज ने र्वकट और
पानी की आपूबतट सुबनबित कर सके।
● िि िीिन जमशन - जेजेएम की पररकल्पना 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में व्यक्तिगत घरे लू नल कनेक्शन के माध्यम से
सुरबक्षत और पयाट प्त पेयजल उपलि कराने की है ।
िॉश के िक्ष्य प्राप्त करने में चु नौजतयााँ
● बुजनयादी ढााँचा - शहरी क्षेत्रों में प्रवास, बजसके पररणामस्वरूप गरीिी के घने समूह िनते हैं , स्वच्छता िुबनयादी ढां चे के बलए एक चुनौती
है ।
● शहरी मजिन बक्तस्तयां - अपयाट प्त आपूबतट, मां ग संिंिी िािाएं जो लोगों की इन सेवाओं तक पहं च को सीबमत करती हैं और संस्थागत
िािाएं गरीिों को पयाट प्त शहरी सेवाओं तक पहं चने से रोकती हैं ।
● अनुजचत िि जितरण प्रणाजियााँ - बवि स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है बक बवकासशील दे शों में बवतरण लाइनों में 25%-45% पानी
लीक के कारण नि हो जाता है । पीने योग्य जल लाइनों में अपबशि जल के िॉस-संदूषण के पररणामस्वरूप िडी िीमाररयों का प्रकोप
हआ है ।
● िििायु पररितयन - जलवायु पररवतटन ने वॉश प्रणाबलयों के बलए जोक्तखम िढा बदया है , बवशेष रूप से गरीि और बवकासशील दे शों में
जहां सुरबक्षत रूप से प्रिंबित िुबनयादी स्वच्छता तक पहं च कम है ।
आगे की राह
● पररवतटन की आवश्यकता- पीने के पानी की गुणविा और आपूबतट और बवशेष रूप से स्वच्छता के बलए जोक्तखम मू ल्यां कन में दीघटकाबलक
जलवायु पररवतटन संिंिी बवचारों को शाबमल करना अक्सर नजरअंदाज कर बदया जाता है , लेबकन यह तेजी से आवश्यक हो जाएगा।
● एसडीजी की उपलक्ति- लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), लक्ष्य 6 (सभी के बलए स्वच्छ पानी और स्वच्छता) और लक्ष्य 16 (शांबतपूणट
और समावेशी समाज को िढावा दे ना)
● सभी स्तरों पर अंतर-क्षेत्रीय और बवबभन्न कायटिमों के सहयोग को मजिूत करना
● आशा कायटकताट समुदाय के भीतर से आने वाली स्वयंसेबवका हैं बजन्हें सरकार की बवबभन्न स्वास्थ्य दे खभाल योजनाओं के लाभों तक
पहाँ चने में लोगों को जानकारी प्रदान करने और सहायता करने के बलए प्रबशबक्षत बकया जाता है ।
● आशा मुि रूप से समुदाय के भीतर 25 से 45 वषट की उम्र के िीच की बववाबहत, बविवा या तलाकशुदा मबहलाएं हैं ।
● बवि स्वास्थ्य संगठन ने समुदाय को सरकार के स्वास्थ्य कायटिमों से जोडने के उनके प्रयासों के बलए भारत की 10.4 लाख आशा
कायटकताट ओं को 'वैबिक स्वास्थ्य नेता' के रूप में मान्यता दी है ।
आशा कायय क ताय ओ ं की भू जमका
● वे हाबशए पर रहने वाले समुदायों को प्राथबमक स्वास्थ्य केंद्रों, उप-केंद्रों और बजला अस्पतालों जैसी सुबविाओं से जोडने वाले पुल के रूप
में कायट करते हैं ।
● राि्ीय ग्रामीण स्वास्थ्य बमशन (एनआरएचएम) के तहत इन सामु दाबयक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों की भूबमका पहली िार 2005 में स्थाबपत की
गई थी।
● इसका उद्दे श्य पहाडी, आबदवासी या अन्य कम आिादी वाले क्षेत्रों में प्रत्येक 1,000 व्यक्तियों या प्रबत िस्ती के बलए एक आशा रखना है ।
● आशा कायटकताट ओं को िच्ों का र्ीकाकरण सुबनबित करने और उन्हें र्ीकाकरण के बलए प्रेररत करने का भी काम सौंपा गया है ।
आशा कायय क ताय ओ ं के सामने चु नौजतयााँ
● इस तथ्य के िावजूद बक दोनों महामारी के क्तखलाफ लडाई में अबग्रम पंक्ति में हैं , आशा कायटकताटओं के साथ डॉक्टरों जैसा व्यवहार नही ं
बकया गया।
● “आशा को पयाटप्त पीपीई की आपूबतट नही ं की गई है क्ोंबक वे अनुिंि का पता लगाने और समुदाय में नए संिबमत मामलों के साथ
िातचीत करने का काम करती हैं।
○ इससे उनके और उनके पररवारों के बलए एक िडा खतरा पैदा हो गया, बजसके पररणामस्वरूप उच् जोक्तखम वाले सीओवीआईडी -
19 संपकट होने के कारण समुदाय द्वारा कलंक और भेदभाव बकया जा रहा है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
○ इससे आशा कायटकताट ओं और उनके पररवारों के क्तखलाफ बहं सा के कई मामले भी सामने आए हैं ।
● उन्हें प्राथबमकता या बनिः शुल्क र्े क्तस्टंग तक की भी सुबविा नही ं थी। यबद आशाओं को कोबवड-19 के बलए पॉबजबर्व पाया गया, तो उन्हें
उनके उपचार के बलए सहायता नही ं बमल रही थी।
सु झाि
● बविीय और गैर-बविीय प्रोत्साहनों के माध्यम से सरकार और उनके समुदायों द्वारा आशा कायटकताट ओं के काम को मान्यता
● नीबत बनमाट ण में आशा कायटकताटओं के अनुभवों, जरूरतों और वगट, जाबत और लैंबगक वास्तबवकताओं को पूरा करने के बलए संस्थागत तंत्र
का बवकास
● आशा कायट कताट ओं के बलए समयिद् तरीके से स्पि और संबक्षप्त बदशाबनदे शों का बवकास और प्रसार
● क्षमता बनमाट ण रणनीबत की स्थापना, बवशेष रूप से प्रौद्योबगकी के उपयोग के संिंि में और आशा के बलए पयटवेक्षण पहल शुरू करना
● आशाओं की शारीररक और मानबसक भलाई सुबनबित करने के बलए सहायता प्रणाबलयों का बवकास
● व्यापक स्वास्थ्य प्रणाली सुिारों की शुरुआत, बजसमें बनष्पक्ष भती, प्रबतिारण, बविीय सुरक्षा, अवकाश प्रिंिन, यौन उत्पीडन के क्तखलाफ
सुरक्षा, शारीररक और मानबसक स्वास्थ्य सुरक्षा और सभी स्तरों पर स्पि जवािदे ही के साथ कलंक की रोकथाम के बलए नीबतयों को
मजिूत करना शाबमल है ।
● आशाओं के काम को पूरा करने के बलए आजीबवका, पोषण जैसे ऊध्वाट िर कायटिमों के साथ अबभसरण।
सािाभौवमक स्वास्थ्य किरे ज (यूएचसी)
● यूएचसी का मतलि है बक सभी व्यक्तियों और समुदायों को बविीय कबठनाई के बिना आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों। यूएचसी को
प्राप्त करना उन लक्ष्यों (एसडीजी3.8) में से एक है जो 2015 में एसडीजी को अपनाते समय दु बनया के दे शों ने बनिाट ररत बकए थे।
● लोगों को अपनी जे ि से स्वास्थ्य सेवाओं के बलए भुगतान करने के बविीय पररणामों से िचाने से यह जोक्तखम कम हो जाता है बक लोगों
को गरीिी में िकेल बदया जाएगा क्ोंबक अप्रत्याबशत िीमारी के बलए उन्हें अपने जीवन की िचत का उपयोग करना पडता है , संपबि
िेचनी पडती है , या उिार लेना पडता है - बजससे उनका भबवष्य और अक्सर उनके िच्ों का भी भबवष्य नि हो जाता है ।
● गुणविापूणट, बकफायती स्वास्थ्य सेवाओं तक सावटभौबमक पहं च की कमी भी दे शों की दीघटकाबलक आबथटक संभावनाओं को खतरे में
डालती है और उन्हें वैबिक स्वास्थ्य जोक्तखमों के प्रबत अबिक संवेदनशील िनाती है ।
● साियभौजमक स्वास्थ्य किरे ि प्राप्त करने में बाधाएाँ
○ अतीत में व्यापक बनवारक दे खभाल और प्राथबमक दे खभाल पर अपयाट प्त ध्यान।
○ सरकार प्रायोबजत िीमा योजनाओं की िहलता के पररणामस्वरूप जोक्तखम पूल का बवखंडन हआ।
○ स्वास्थ्य के बलए प्रेररत मानव संसािनों की भारी कमी।
○ भारत में बनबमटत दवाओं के बलए 84 प्रबतशत सबिय फामाट स्ुबर्कल सामग्री (एपीआई) आयात की जाती है ।
○ दे श भर में नैदाबनक परीक्षणों में व्यापक बभन्नता। उदाहरण के बलए, एक बलबपड प्रोफाइल परीक्षण की लागत कुछ शहरों में 90
रुपये और अन्य में 7,110 है ।
● आगे की राह
○ सावटजबनक क्षेत्र में स्वास्थ्य सुबविाएं जुर्ाएं और बनजी क्षेत्र को इसमें शाबमल करें
○ सस्ती दवाओं और बचबकत्सा उपकरणों तक पहं च सुबनबित करें
○ कर्ोच सबमबत की बसफाररशों के अनुसार छह िडे एपीआई मध्यवती क्लस्टर स्थाबपत करके एपीआई के घरे लू उत्पादन को
िढावा दे ना
○ स्वास्थ्य अनुसंिान क्षमता को मजिूत करें
प्रमुख पारं पररक बचबकत्सा की पहचान करें और बचबकत्सा की आिुबनक प्रणाबलयों के साथ सहयोग की सुबविा प्रदान करें
एक स्वास्थ्य
● 'एक स्वास्थ्य' की अविारणा यह मानती है बक मनुष्य का स्वास्थ्य जानवरों और पयाट वरण के स्वास्थ्य से जुडा है ।
● इसका महत्व िढ रहा है क्ोंबक मनुष्यों को प्रभाबवत करने वाली अबिकां श संिामक िीमाररयााँ प्रकृबत में ज़ूनोबर्क (जानवर से मनुष्य
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
में उत्पन्न) होती हैं और इसे कोबवड -19 जैसे उभरते ज़ूनोबर्क खतरों की घर्नाओं को कम करने के बलए प्रभावी ढं ग से लागू बकया जा
सकता है ।
महत्वपूणय शब्दाििी
सावटभौबमक स्वास्थ्य कवरे ज (यूएचसी), आशा, नवजात मृत्यु दर, बशशु मृत्यु दर, संस्थागत जन्म, लापता मध्य
117
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
12. जशक्षा
पररचय
● समतामूलक समाज की प्राक्तप्त के बलए बशक्षा एक स्थायी उपाय है । बशक्षा जीवन िदल दे ती है और शां बत स्थाबपत करने, गरीिी उन्मूलन
और सतत बवकास को आगे िढाने के केंद्र में है ।
● बशक्षा जीवन भर सभी के बलए िुबनयादी मानव अबिकार होने के नाते पहं च और गुणविा से मेल खाना चाबहए।
संिैधाजनक प्रािधान
● 86िें संशोधन अजधजनयम, 2002 ने अनुच्छेद 21 ए के तहत जशक्षा के अजधकार को मौबलक अबिकार के रूप में जोडा, अनुच्छेद
45 की बवषय वस्तु को िदल बदया, और अनुच्छेद 51 ए के तहत एक मौबलक कतटव्य जोडा।
○ अनुच्छेद 21 ए: राज्य छह से चौदह वषट की आयु के सभी िच्ों को मुफ्त और अबनवायट बशक्षा प्रदान करे गा।
○ अनुच्छेद 45: छह वषट की आयु पूरी करने तक सभी िच्ों को प्रारं बभक िचपन की दे खभाल और बशक्षा प्रदान करें ।
○ अनुच्छेद 51 ए: प्रत्येक माता-बपता या अबभभावक को यह सुबनबित करना होगा बक उनके िच्े या वाडट को छह से चौदह वषट की आयु
के िीच बशक्षा के अवसर प्रदान बकए जाएं ।
महत्वपू णय तथ्य
● साक्षरता दर (2011 की जनगणना के अनुसार) 74.04% है ; पुरुषों के बलए 82.14% और मबहलाओं के बलए 65.46%। केरल की
साक्षरता दर सिसे अबिक 93.91% है और बिहार (63.82%) अंबतम स्थान पर है ।
● राष्ट्रीय सांक्तख्यकी आयोग - 2017-18 में साक्षरता 77.7%, पुरुषों के बलए 84.7% और मबहलाओं के बलए 70.3%।
● 1976 में संबविान में 42वें संशोिन ने बशक्षा को एक ' समिती जिषय ' िना बदया।
● सकल नामां कन अनुपात बपछले एक दशक में लगातार िढा है , जो 2019 में 26.3% (जीईआर) तक पहं च गया है ।
● प्राथबमक बशक्षा के बलए पक्तब्लक स्कूल प्रणाली में छात्र -बशक्षक अनुपात 35:1 है ।
● भारत बशक्षा पर सकल घरे लू उत्पाद का केवल 4% खचट करता है , उदाहरण के बलए कुछ बवकासशील दे शों से कम, बशक्षा पर दबक्षण
अफ्रीका का खचट उसके सकल घरे लू उत्पाद का 6.1% है ।
वशक्षा की िावषाक स्स्थवत ररपोटा (एएसईआर), 2023
● एएसईआर ररपोर्ट 2023 पुबि करती है बक प्राथबमक स्कूल जाने वाली उम्र के लडके और लडबकयां सभी स्कू ल वापस आ गए हैं । िच्ों
के बलए सीखने को आकषटक िनाना आज थोडे से प्रयास से संभव है ।
● कई राज्यों में सरकारी स्कूल अि सीमां त और कमजोर सामाबजक समूहों के िच्ों के बलए सिसे अनुकूल स्थान िन गए हैं , क्ोंबक
माता-बपता के पास खचट करने योग्य आय सीबमत है और लडबकयों की बशक्षा केवल औपचाररकता के बलए है ।
● तीन-चौथाई िच्े सरकारी स्कूलों में वापस आ गए हैं क्ोंबक आय और रोजगार कम हो गए हैं ।
चु नौजतयां
● प्राथजमक एिं माध्यजमक जशक्षा: मुि चु नौबतयााँ प्राथबमक और
माध्यबमक बशक्षा में खराि संसािन वाले सावटजबनक स्कूल, िुबनयादी ढां चे
की कमी, बशक्षकों की अनुपक्तस्थबत, बशक्षा की गुणविा, िोडट परीक्षाओं से
जुडे उच् जोक्तखम, जीवन कौशल प्रबशक्षण की अनुपक्तस्थबत, खराि
बशक्षक-छात्र अनुपात, भारतीय भाषाओं की उपेक्षा आबद शाबमल हैं ।
● उच्च जशक्षा: सकि नामांकन अनुपात (2018 में 26.3%), अयोग्य
और अप्रबशबक्षत बशक्षक, पीने के पानी, मूत्रालय और बिजली, फनीचर
और अध्ययन सामग्री जैसी मू लभूत सुबविाओं का अभाव , खराि
गुणविा, महाँ गी बशक्षा, लडबकयों के बलए असुरबक्षत वातावरण,
राजनीबतक हस्तक्षेप, अपयाट प्त शोि, बनजीकरण आबद।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
सरकारी हस्तक्षे प
प्राथजमक जशक्षा
● सिय जशक्षा अजभयान: इसका उद्दे श्य समयिद् तरीके से प्राथबमक बशक्षा का सावटभौबमकरण करना है ।
● पढे भारत, बढे भारत: यह कक्षा I और II के िच्ों के बलए व्यापक प्रारं बभक पढने, बलखने और प्रारं बभक गबणत कायटिमों में सुिार
करने के बलए सवट बशक्षा अबभयान का एक उप-कायटिम है ।
● मध्याह्न भोिन: नामां कन, प्रबतिारण और उपक्तस्थबत को िढाने के साथ-साथ कक्षा I से VIII तक पढने वाले स्कूल जाने वाले िच्ों के िीच
पोषण स्तर में सुिार करना।
● आरटीई अजधजनयम, 2009: इसे अनुच्छेद 21 ए को लागू करने के बलए अबिबनयबमत बकया गया था। इसमें कहा गया है बक 6-14 वषट
की आयु के सभी िच्ों को मुफ्त और अबनवायट बशक्षा प्रदान की जानी चाबहए। यह सभी बनजी स्कूलों में कक्षा I में प्रवेश में आबथटक रूप
से वंबचत समुदायों के बलए 25% आरक्षण भी प्रदान करता है ।
● जनपुण भारत जमशन:
○ बशक्षा मंत्रालय ने िुबनयादी साक्षरता और संिात्मकता पर राि्ीय बमशन शुरू बकया है , बजसे समझ और संिात्मकता के साथ
पढने में प्रवीणता के बलए राि्ीय पहल (बनपुण भारत) कहा जाता है ।
○ समग्र बशक्षा की केंद्र प्रायोबजत योजना के तत्वाविान में लॉन्च बकया गया है ।
○ बनपुण भारत बमशन का लक्ष्य राि्ीय बशक्षा नीबत 2020 की पररकल्पना के अनुसार, 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक प्रत्येक िच्े
के बलए मूलभूत साक्षरता और संिात्मकता में सावटभौबमक दक्षता के लक्ष्य को प्राप्त करना है । इसका लक्ष्य 3 से 9 आयु वगट के
िच्ों की सीखने की जरूरतों को पूरा करना है ।
○ यह बमशन स्कूली बशक्षा के शुरूआती वषों में िच्ों तक पहं च प्रदान करने और उन्हें िनाए रखने पर ध्यान केंबद्रत करे गा; बशक्षक
क्षमता बनमाट ण; उच् गुणविा और बवबवि छात्र और बशक्षक संसािनों/बशक्षण सामग्री का बवकास; और सीखने के पररणाम प्राप्त
करने में प्रत्येक िच्े की प्रगबत पर नज़र रखेगा।
माध्यजमक जशक्षा
● राष्ट्रीय माध्यजमक जशक्षा अजभयान - माध्यबमक बशक्षा तक पहं च िढाने और इसकी गुणविा में सुिार लाने के उद्दे श्य से 2009 में शुरू
बकया गया। अन्य उद्दे श्यों में बलंग, सामाबजक-आबथटक और बवकलां गता िािाओं को दू र करना, माध्यबमक स्तर की बशक्षा तक
सावटभौबमक पहं च प्रदान करना शाबमल है ।
● माध्यजमक जशक्षा के जिए िडजकयों को प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योिना - इसका उद्दे श्य माध्यबमक स्तर पर 14-18 आयु वगट की
लडबकयों के नामां कन को िढावा दे ना है ।
● व्यावसाबयक बशक्षा की योजना - व्यावसाबयक बशक्षा को सामान्य शैक्षबणक बशक्षा के साथ एकीकृत करती है । इसका प्रमुख उद्दे श्य
अथटव्यवस्था के बवबभन्न क्षेत्रों के बलए बशबक्षत, रोजगार योग्य और प्रबतस्पिी मानव संसािन तैयार करना है ।
● अटि इनोिेशन जमशन - दे श भर में स्कूल, बविबवद्यालय, अनुसंिान संस्थानों, एमएसएमई और उद्योग स्तरों पर नवाचार और उद्यबमता
का एक पाररक्तस्थबतकी तंत्र िनाना और िढावा दे ना।
उच्च जशक्षा
● उडान - वंबचत छात्राओं और अनुसूबचत जाबत/अनुसूबचत जनजाबत और अल्पसंिकों के अन्य छात्रों को स्कूल से स्कूल के िाद की
व्यावसाबयक बशक्षा, बवशेष रूप से बवज्ञान और गबणत में स्थानां तररत करने में सक्षम िनाना।
● सक्षम - तकनीकी बशक्षा हाबसल करने के बलए योग्यता परीक्षा में योग्यता के आिार पर तकनीकी बशक्षा हाबसल करने के बलए बदव्यां ग
छात्रों को हर साल 1000 छात्रवृबियां प्रदान करना।
● ईशान उदय - उच् बशक्षा को िढावा दे ने और पूवोिर क्षेत्र के आबथटक रूप से कमजोर वगों के िच्ों को प्रोत्साबहत करने के बलए बवशेष
छात्रवृबि योजना।
● स्वयं काययक्रम - इस कायटिम के तहत, आईआईर्ी, आईआईएम, केंद्रीय बविबवद्यालयों जैसे केंद्रीय बवि पोबषत संस्थानों के प्रोफेसर
हमारे दे श के नागररकों को ऑनलाइन पाठ्यिम प्रदान करें गे।
● राष्ट्रीय उच्चतर जशक्षा अजभयान - आरयूएसए एक केंद्र प्रायोबजत योजना (सीएसएस) है , बजसे 2013 में शुरू बकया गया था, बजसका
उद्दे श्य पात्र राज्य उच् शैक्षबणक संस्थानों को रणनीबतक बवि पोषण प्रदान करना है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
हाि के उपाय
प्राथजमक एिं माध्यजमक जशक्षा
● राज्यों के जिए जशक्षा-जशक्षण और पररणाम को मिबूत करना (स्टासय) पररयोिना: चयबनत राज्यों में हस्तक्षेप के माध्यम से भारतीय
स्कूल बशक्षा प्रणाली में समग्र बनगरानी और माप गबतबवबियों में सुिार लाने की पररकल्पना।
● प्रज्ञाता: बडबजर्ल बशक्षा के बलए बदशाबनदे श बशक्षाबथटयों के दृबिकोण से बवकबसत बकए गए हैं , उन छात्रों के बलए जो वतटमान में
लॉकडाउन के कारण घर पर हैं ।
● समग्र जशक्षा अजभयान: इसे सवट बशक्षा अबभयान (एसएसए) की तीन योजनाओं को बमलाकर शुरू बकया गया था। राि्ीय माध्यबमक
बशक्षा अबभयान (आरएमएसए) और बशक्षक बशक्षा (र्ीई) का उद्दे श्य गुणविापूणट बशक्षा प्रदान करना और छात्रों के सीखने के पररणामों को
िढाना है ; स्कूली बशक्षा के सभी स्तरों पर समानता और समावेशन सुबनबित करना आबद।
उच्च जशक्षा
अनु संधान ● पुनगटबठत उच् बशक्षा बविपोषण एजेंसी (HEFA) द्वारा बवि पोबषत बशक्षा में िुबनयादी ढां चे और प्रणाबलयों को
पुनजीबवत करना (RISE) योजना का उद्दे श्य प्रमुख शैक्षबणक संस्थानों में अनुसंिान और संिंबित िुबनयादी ढां चे में
बनवेश िढाना है ।
● तकनीकी अनुसंिान की गुणविा िढाने के बलए प्रिान मंत्री अनुसंिान अध्येता (पीएमआरएफ) योजना
● IMPRINT (इम्पैक्तक्टंग ररसचट इनोवेशन एं ड र्े क्नोलॉजी) इं बडया, मूल वैज्ञाबनक और तकनीकी अनुसंिान को िढावा
दे ने के बलए आईआईर्ी और आईआईएससी की संयुि पहल।
● शैक्षबणक और अनुसंिान सहयोग को िढावा दे ने की योजना (एसपीएआरसी) का उद्दे श्य भारतीय संस्थानों और
दु बनया के सवटश्रेष्ठ संस्थानों के िीच शैक्षबणक और अनुसंिान सहयोग की सुबविा प्रदान करके भारत के उच्
शैक्षबणक संस्थानों के अनुसंिान पाररक्तस्थबतकी तंत्र में सु िार करना है ।
छात्रों का ● राष्ट्रीय जशक्षा नीजत (एनईपी) 2020 का लक्ष्य 2035 तक उच् बशक्षा में जीईआर को 50% तक िढाना है , बजसमें
नामांकन अंतिः बवषय दृबिकोण के माध्यम से पाठ्यिम को लचीला िनाने , कई बनकास बिंदु िनाने और एसर्ी, एससी, ओिीसी
और एसईडीजी छात्रों को छात्रवृबि दे ने पर जोर बदया गया है ।
● ओपन और बडस्टें स लबनिंग के बलए नया यूजीसी बवबनयमन जो दू रस्थ मोड पर बशक्षा प्रदान करने के बलए प्रबतबष्ठत
संस्थानों को प्रवेश की अनुमबत दे ता है ।
● स्वयं पोटय ि लोगों तक पहं चने और उन्हें अच्छी गुणविा वाली बशक्षा सुबनबित करने की अनुमबत दे ता है ।
● युक्तक्त 2.0 प्लेटफॉमय हमारे उच् बशक्षा संस्थानों में व्यावसाबयक क्षमता वाली प्रौद्योबगबकयों और इनक्ूिेर्ेड
स्टार्ट अप से संिंबित जानकारी को व्यवक्तस्थत रूप से आत्मसात करने में मदद करे गा।
● उन्नत भारत अजभयान उच् बशक्षण संस्थानों को बवकास चुनौबतयों की पहचान करने और सतत बवकास में तेजी लाने
के बलए उबचत समािान बवकबसत करने में ग्रामीण भारत के लोगों के साथ काम करने में सक्षम िनाता है ।
फंजडं ग और ● राष्ट्रीय उच्चतर जशक्षा अजभयान (आरयूएसए), 2013 का उद्दे श्य राज्य संस्थानों को उनके प्रशासन और प्रदशट न
जिजनयमन के संिंि में बविपोषण करना है ।
● 2018 में बशक्षा मंत्रालय और केनरा िैंक के संयुि उद्यम के रूप में िनाई गई उच् बशक्षा बविपोषण एजेंसी (HEFA)
का उद्दे श्य शीषट संस्थानों में िुबनयादी ढां चे में सुिार के बविपोषण के बलए िाजार, दान और सीएसआर फंड से िन
प्राप्त करना है ।
● भारतीय उच्च जशक्षा आयोग (HECI) को यूजीसी या एआईसीर्ीई की जगह लेकर उच् बशक्षा के एक व्यापक
बनयामक के रूप में कायट करने का प्रस्ताव बदया गया था।
● उच् बशक्षण संस्थानों को सशि िनाने और उन्हें बवि स्तरीय बशक्षण और अनुसंिान संस्थान िनने में मदद करने
की सरकार की प्रबतिद्ता को लागू करने के बलए इं स्टीट्यूशन ऑफ एबमनेंस कायटिम शुरू बकया गया है ।
गुणित्ता में ● राष्ट्रीय संस्थागत रैं जकंग फ्ेमिकय (एनआईआरएफ) 2015, भारत में उच् बशक्षा संस्थानों को रैं क करने के बलए
सुधार एमओई द्वारा अपनाई गई एक पद्बत है ताबक संस्थानों को एक-दू सरे के क्तखलाफ प्रबतस्पिाट करने के बलए प्रोत्साबहत
बकया जा सके और साथ ही साथ उनके बवकास की बदशा में काम बकया जा सके।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● एनआईआरएफ भी प्रजतजष्ठत संस्थान (आईओई) योिना के बलए बनजी संस्थानों के मूल्यां कन के मानदं डों में से
एक है जो बवि स्तरीय बशक्षण और अनुसंिान संस्थान के रूप में 20 संस्थानों (सावटजबनक क्षेत्र से 10 और बनजी क्षेत्र
से 10) की स्थापना या उन्नयन के बलए बनयामक वास्तुकला प्रदान करता है ।
● यूजीसी ने फंबडं ग के बलए आवेदन करने वाले सभी एचईआई के बलए एनएएसी मूल्यां कन अबनवायट कर बदया है और
एआईसीर्ीई ने घोषणा की है बक एचईआई द्वारा चलाए जाने वाले कम से कम आिे कायटिमों को राि्ीय प्रत्यायन
िोडट (एनिीए) द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाबहए।
व्यािहाररक सु झाि
● बशक्षा पर सकल घरे लू उत्पाद का कम से कम 6% का आवंर्न और प्राथबमक और माध्यबमक बशक्षा को मजिूत करना।
● व्यक्तिगत प्रबशक्षण, कौशल-आिाररत बशक्षा और बशक्षा में असमानताओं को संिोबित करना।
● िुबनयादी ढां चे का बवकास, प्रौद्योबगकी का उपयोग और बवशेष आवश्यकता वाले िच्ों पर ध्यान केंबद्रत करना
● नैबतक बशक्षा तथा वयस्क साक्षरता पर अबिक ध्यान
● बशक्षकों के प्रबशक्षण और बलंग तर्स्थ बशक्षा को लबक्षत करना
● उच् बशक्षा में सकल नामां कन अनुपात (जीईआर) िढाना।
● सिसे कमजोर समूहों के बलए उच् बशक्षा को अबिक समावेशी िनाएं ।
● अनुसंिान और नवाचार की भावना को िढाने के बलए एक सक्षम पाररक्तस्थबतकी तंत्र िनाएं ।
● अपनी उच् बशक्षा पूरी करने वाले छात्रों की रोजगार क्षमता में सुिार करना।
आगे की राह
● आबथटक, राजनीबतक और सामाबजक पररवतटन के बलए बशक्षा पूवट शतट है । समाज के समग्र बवकास के बलए प्रासंबगक कौशल, दृबिकोण
और ज्ञान से युि सुबशबक्षत और सुसक्तित आिादी की आवश्यकता है ।
● एसडीिी 4 अपनाया गया है बजसका उद्दे श्य "समावेशी और समान गुणविा वाली बशक्षा सुबनबित करना और सभी के बलए आजीवन
सीखने के अवसरों को िढावा दे ना"।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● बडबजर्ल िुबनयादी ढां चे के बवकास के बलए बशक्षा इको-बसस्टम आबकटर्े क्चर प्रदान करे गा, एक संघीय लेबकन अंतर-सं चाबलत प्रणाली जो
सभी बहतिारकों, बवशेष रूप से राज्यों और केंद्रशाबसत प्रदे शों की स्वायिता सुबनबित करे गी।
● यह एक नए बशक्षा पाररक्तस्थबतकी तंत्र के बनमाट ण में मदद करे गा जो एक बडबजर्ल आिार तैयार करे गा जो इसमें शाबमल सभी पक्षों, बवशेष
रूप से राज्यों और केंद्र के स्वशासन की ओर ले जाएगा।
● यह बशक्षाबवदों को प्रबतभा और क्षमताओं के आिार पर मूल्यां कन करने की सुबविा दे ता है , बजससे छात्रों को उनकी बवशेषज्ञता के क्षेत्र को
समझने में मदद बमलती है बजसका उपयोग उनके भबवष्य के पेशे में बकया जा सकता है ।
● इसके तहत, सरकार बशक्षा क्षेत्र के बलए प्रौद्योबगकी समािान का बनमाट ण नही ं करे गी, िक्तल्क एक सक्षमकताट के रूप में कायट करे गी, एक
रूपरे खा पेश करे गी बजसमें प्रौद्योबगकी को बकसी के द्वारा भी बवकबसत और बनबमटत बकया जा सकता है ।
● यह 'बडबजर्ल प्रथम' दृबिकोण को िढावा दे ता है , जो बशक्षण और सीखने की गबतबवबियों का समथटन करता है , और शैबक्षक योजना के
साथ-साथ शासन और प्रशासबनक गबतबवबियों को सुबविाजनक िनाता है ।
● बशक्षा मंत्रालय ने सरकार (अपनी कायाट न्वयन एजेंसी एआईसीर्ीई के माध्यम से) और पूरे भारत में बशक्षा प्रौद्योबगकी कंपबनयों के िीच एक
सावटजबनक-बनजी भागीदारी मॉडल के रूप में एनईएर्ी की घोषणा की थी।
● यह बशक्षाबथटयों की सुबविा के बलए एक ही मंच पर यु वाओं की रोजगार क्षमता िढाने के बलए बशक्षा क्षेत्र में सवोिम बवकबसत तकनीकी
समािानों का उपयोग प्रदान करने की एक पहल है ।
● ये समािान बवबशि क्षेत्रों में िेहतर बशक्षण पररणामों और कौशल बवकास के बलए व्यक्तिगत और अनुकूबलत बशक्षण अनुभव के बलए
कृबत्रम िुक्तद्मिा का उपयोग करते हैं ।
● बवशेष रूप से आबथटक रूप से वंबचत छात्रों के िीच बडबजर्ल बवभाजन को पार्ने और भारत और दु बनया की ज्ञान-आिाररत आवश्यकता
को पूरा करने में एक गेम-चेंजर साबित होगा।
● िी2िी (बिजनेस र्ू बिजनेस) और िी2सी (बिजनेस र्ू कंज्यूमर) मॉडल के साथ ईडी-र्े क कंपबनयों, शैक्षबणक संस्थानों और छात्रों के िीच
अंतर को पार्ता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
एडटे क का जिजनयमन
● एड-र्े क मूलतिः 'जशक्षा' और 'प्रौद्योजगकी' का एक संयोिन है । यह सीखने की सुबविा के बलए कंप्यूर्र हाडट वेयर, सॉफ्टवेयर और
शैबक्षक बसद्ां त का एक संयुि उपयोग है ।
● कोबवड-19 के दौरान, दू रस्थ बशक्षा अचानक एकमात्र बवकल्प िन गई क्ोंबक संस्थानों, छात्रों, अबभभावकों और अबिकाररयों ने बडबजर्ल
मोड पर क्तस्वच कर बदया।
● भारतीय एड-र्े क उद्योग का मूल्य 2020 में 750 बमबलयन अमेररकी डॉलर था और 2025 तक इसके 4 बिबलयन अमेररकी डॉलर तक
पहं चने की उम्मीद है ।
स्व-जनयमन
● एड-र्े क कंपबनयों ने इं र्रने र् एं ड मोिाइल एसोबसएशन ऑफ इं बडया (आईएएमएआई) के तत्वाविान में एक सामूबहक - इं बडया एड-र्े क
कंसोबर्ट यम - का गठन बकया है ।
● इस संघ ने अपने व्यवसायों के बलए एक आचार संबहता अपनाई है । हालााँ बक, सरकार पहले ही एड-र्े क क्षेत्र को बवबनयबमत करने के बलए
एक नीबत िनाने का संकेत दे चुकी है ।
जनयमन की आिश्यकता
● गोपनीयता िोक्तखम: ये ऐप्स गैजेर् के माध्यम से बशक्षाबथटयों से िडी मात्रा में डे र्ा एकत्र करते हैं। सीखने को अनुकूबलत करने और ऐप
के भबवष्य के संस्करणों को बडजाइन करने के बलए इन डे र्ा का सूक्ष्म बववरण में बवश्लेषण बकया जाता है ।
○ जीपीएस, जायरोस्कोप, एक्सेलेरोमीर्र, मैग्नेर्ोमीर्र और िायोमेबर्् क सेंसर जैसे सेंसर, चेहरे के भावों के माध्यम से अनुभव की गई
और व्यि की गई भावनाओं और दृबिकोण जैसे अंतरं ग डे र्ा के साथ-साथ बशक्षाथी के पररवेश के िारे में डे र्ा प्रदान करते हैं ।
○ यह अनुकूबलत उत्पाद िनाने के साथ-साथ उपयोगकताट की गोपनीयता और सुरक्षा को खतरे में डालने में मदद करता है ।
● एकाजधकार: भारी उद्यम पूं जी बवि पोबषत होने के कारण, एडर्े क प्लेर्फॉमट कम या बिना बकसी शुल्क (अत्यबिक मूल्य बनिाट रण) पर
अपनी सेवाएं दे सकते हैं और एकाबिकार िनाने की ओर िढ रहे हैं ।
● एल्गोररथम पूिायग्रह: चूंबक इनमें से अबिकां श प्लेर्फॉमट एआई आिाररत र्ू ल पर चलते हैं , इसबलए एल्गोररथम पूवाट ग्रह की संभावना है
बजसके िच्े के शैक्षबणक कररयर पर दीघटकाबलक पररणाम होंगे।
○ उदाहरण: हाल ही में, यूनाइर्े ड बकंगडम (यूके) में छात्रों को एक एल्गोररदम द्वारा वगीकृत बकया गया था। इससे हं गामा मच गया
जि वंबचत पृष्ठभूबम के छात्रों को िेत छात्रों की तुलना में कम अंक प्राप्त हए, जो इस प्रबिया में बनबहत पूवाट ग्रह को दशाट ता है ।
● ऋण-आधाररत शुि प्रणािी: एड-र्े क कंपबनयों की शुल्क संरचना ऐसी होती है बजसे हर कोई वहन नही ं कर सकता। एडर्े क
कंपबनयां उपभोिाओं की रुबच के आिार पर दी जाने वाली सेवा है , बजसके बलए वे अबिक शुल्क लेते हैं ।
● सामाजिक कौशि पर िोर की कमी: एड-र्े क प्लेर्फॉमट पारं पररक स्कूल प्रणाली की जगह नही ं ले सकते। कक्षा में बनदे श के अलावा,
स्कूल का वातावरण युवा व्यक्तियों के बलए महत्वपूणट जीवन कौशल जैसे सहयोग करने, खेलने, बवचार-बवमशट करने और असहमत होने
की क्षमता जैसे कई प्रकार के बवकासात्मक कायट करता है ।
आगे की राह
● एड-र्े क पररदृश्य, बवशेषकर उनके पैमाने, पहं च और प्रभाव को पूरी तरह से मैप करने के बलए एक तंत्र होना चाबहए। बशक्षकों और छात्रों
के बलए पहं च, समानता, िुबनयादी ढां चे, प्रशासन और गुणविा से संिंबित पररणामों और चुनौबतयों पर ध्यान केंबद्रत बकया जाना चाबहए।
● नीबत बनमाट ण और योजना प्रबिया को योजनाओं (बशक्षा, कौशल, बडबजर्ल प्रशासन और बवि) में अबभसरण को सक्षम करने का प्रयास
करना चाबहए।
● यह सुबनबित बकया जाना चाबहए बक एड-र्े क नीबतयां तीन प्रमुख तत्वों पर ध्यान केंबद्रत करती हैं : पहं च, बशक्षण, सीखने और मूल्यां कन
की सक्षम प्रबियाएं , शासन - योजना, प्रिंिन और बनगरानी प्रबियाओं सबहत शासन प्रणाबलयों में सुिार।
उच्च जशक्षा में जनिी क्षे त्र
● हमारे अबिकां श प्रमुख बशक्षा संस्थान सरकार (राज्य या केंद्र) द्वारा बवि पोबषत हैं और वे सभी गैर -लाभकारी उद्यमों के रूप में चलाए
जाते हैं ।
● बशक्षा के क्षेत्र में बनजी क्षेत्र का प्रवेश इं जीबनयररं ग, दं त बचबकत्सा, बचबकत्सा, फामेसी आबद जैसे व्यावसाबयक पाठ्यिमों से शुरू हआ।
● बनजी क्षेत्र के बलए अवसर समय के साथ िढे क्ोंबक बनजी क्षेत्र को यह एहसास हआ बक इच्छु क छात्रों की उबचत आपूबतट थी जो बशक्षा की
लागत वहन कर सकते थे।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
प्रजतभा पिायन
संदभय
● गृह मंत्रािय (एमएचए) की हाबलया जानकारी के अनुसार, बपछले पां च वषों में छह लाख से अबिक भारतीयों ने नागररकता छोड दी है ।
यह भारत से प्रबतभा पलायन की मात्रा को दशाट ता है
● र्े क कंपबनयों की एक लंिी सूची है , बजनके प्रमुख अमेररका चले गए भारतीय हैं । सूची में बिर्र, गूगल, माइिोसॉफ्ट, एडोि, आईिीएम,
पालो ऑल्टो नेर्वक्सट समेत अन्य शाबमल हैं । यह भारत के प्रबतभा समूह को दशाट ता है जो बवदे शों में काम कर रहा है ।
महत्वपूणय डे टा
● ग्लोबि िेल्थ माइग्रेशन ररव्यू ररपोटय के अनुसार , 2022 में, उच् बनवल मूल्य वाले व्यक्तियों (एचएनआई) के दे श छोडने के मामले में
भारत चीन के िाद दू सरे स्थान पर रहा। 2022 में कम से कम 10,000 एचएनआई ने भारत छोड बदया।
● मॉगयन स्टे निी की ररपोटय ,“ उच्च नेट िथय िािे 35,000 भारतीय उद्यजमयों ने 2014-2020 के िीच एनआरआई/आप्रवासी के रूप में
भारत छोड बदया। भारत बवि में पलायन में नंिर 1 स्थान पर है ।”
● भारत बवकबसत दे शों, बवशेषकर खाडी सहयोग पररषद (जीसीसी) दे शों, यूरोप और अन्य अंग्रेजी भाषी दे शों में स्वास्थ्य कबमटयों का एक
प्रमुख बनयाट तक रहा है ।
प्रजतभा पिायन क्या है ?
प्रबतभा पलायन बशबक्षत व्यक्तियों का एक दे श (अक्सर बवकासशील दे श) से दू सरे (अक्सर अबिक बवकबसत दे श) में प्रवासन है । भारत उन्नत
अथटव्यवस्थाओं के बलए कुशल और अकुशल मानव पूंजी का एक प्रमुख आपूबतटकताट है ।
कारण
पीछे धकेिने िािे कारक
● जित्तीय अनुसंधान सहायता का अभाि: अनुसंिान पर भारत का सकल घरे लू व्यय (जीईआरडी) वषों से सकल घरे लू उत्पाद का 0.7%
पर िना हआ है । बब्रक्स दे शों में भारत का जीईआरडी/जीडीपी अनुपात सिसे कम है ।
● कम आय: बवकबसत दे श स्वास्थ्य, अनुसंिान, आईर्ी आबद क्षेत्रों में िेहतर वेतन प्रदान करते हैं । आय भारत से प्रवास के मुि कारकों में
से एक है ।
● उच्च जशक्षा के अिसरों की कमी: यह स्थायी आप्रवासन का एक प्रमुख कारण है । शीषट भारतीय बविबवद्यालयों के बलए आसमान छूती
कर्-ऑफ को ध्यान में रखते हए, कई छात्र बवदे श में उच् बशक्षा की तलाश में हैं । कौशल और ज्ञान के मामले में उन्हें अन्य दे शों के छात्रों
की तुलना में िढत हाबसल है ।
● प्रजतभाओं को मान्यता न जमिना: नागररकों की शैक्षबणक या संभाबवत उपलक्ति के िावजूद, उन्हें भारत में बफल्म अबभनेताओं और
बिकेर्रों के समान नाम और प्रबसक्तद् नही ं बमलती है । इसबलए, प्रबतभाशाली व्यक्ति िेहतर स्थानों पर चले जाते हैं जो उनकी प्रबतभा को
पहचानते हैं और उनका सम्मान करते हैं ।
● सरकारी नीजतयां : प्रबतभा पलायन को रोकने के बलए सरकार की नीबतयां प्रबतिंिात्मक प्रकृबत की हैं और समस्ा का वास्तबवक
दीघटकाबलक समािान नही ं दे ती हैं । उदाहरण - 2014 में, इसने अमेररका में प्रवास करने वाले डॉक्टरों को भारत लौर्ने पर अनापबि
प्रमाण पत्र (एनओआरआई) जारी करना िंद कर बदया।
● साजहक्तत्यक चोरी और कैररयर जिकास के मुद्दे: समयिद् प्रचार और िौक्तद्क संपदा अबिकारों के प्रभावी कायाट न्वयन की कमी भी
प्रवासन को िढावा दे ती है
● अनु संधान के जिए बुजनयादी ढााँचे की कमी: पुरानी प्रयोगशालाएाँ , असंतुबलत पाठ्यिम भी प्रबतभा पलायन में प्रमु ख योगदानकताट हैं
घटकों का प्रभाि
● बेहतर पाररश्रजमक: बवकबसत दे शों द्वारा बदया जाने वाला िेहतर वेतन और जीवन स्तर प्रवासन के कारणों में से एक है ।
● जिकजसत दे शों की नीजतयां : बवकबसत दे शों ने भारत के प्रबतभाशाली युवाओं को अपने साथ िनाए रखने के बलए प्रवासी-अनुकूल नीबतयां
अपनाईं। उदाहरण के बलए, फ्रां स ने महामारी के दौरान अबग्रम पंक्ति के अप्रवासी स्वास्थ्य कबमटयों को नागररकता की पेशकश की है ।
● उम्र बढने की िनसांक्तख्यकी: कामकाजी उम्र की आिादी में वृक्तद् के कारण कायट की दक्षता कम हो जाती है । इसबलए, बवकबसत दे श
युवा प्रवाबसयों के बलए िेहतर सुबविाएं प्रदान कर रहे हैं ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● सामाजिक दबाि: भारतीय युवा अपने जीवन को लेकर अबिक उदार और व्यक्तिगत होते जा रहे हैं और यहां का समाज अभी भी इस
तरह की जीवनशैली से सामंजस् नही ं बिठा पाया है । इसबलए, भारतीय समाज में एक बनबित तरीके से जीने का दिाव आज के युवाओं
की पसंद की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा रहा है , बजससे उन्हें पबिमी दे शों की ओर जाने के बलए प्रोत्साबहत बकया जा रहा है , जहां का समाज
अबिक उदार और हस्तक्षेप न करने वाला है ।
● बेहतर िीिन स्तर: बवकबसत दे श िेहतर जीवन स्तर, स्वच्छ वातावरण, अच्छी स्वास्थ्य दे खभाल और बशक्षा, वेतन, कर लाभ आबद प्रदान
करते हैं , जो प्रवासन के बलए एक िडा आकषटण िन जाता है ।
● महामारी में आिश्यकता: महामारी की शुरुआत के साथ, बवकबसत दे शों में स्वास्थ्य कबमटयों की अबिक मां ग िढ गई है । बजन दे शों को
अपने स्वास्थ्य कबमटयों को िनाए रखने की सख्त जरूरत है , उन्होंने प्रवासी-अनुकूल नीबतयां अपनाई हैं । पूवट। यूके ने पात्र बवदे शी स्वास्थ्य
कबमटयों को मुफ्त एक साल का वीज़ा बवस्तार बदया है
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
● िैजश्वक भारतीय िैज्ञाजनक (िैभि) जशखर सम्मेिन: इसके तहत, कई बवदे शी भारतीय मूल के बशक्षाबवदों और भारतीयों ने कई
चुनौबतयों के अबभनव समािान पर बवचार िनाने के बलए भाग बलया।
● रामानुिन फेिोजशप: यह भारत के िाहर के प्रबतभाशाली भारतीय वैज्ञाबनकों के बलए भारत में वैज्ञाबनक अनुसंिान पद सं भालने के बलए
है ।
● बवज्ञान में पररवतट नकारी और उन्नत अनुसंिान योजना (स्टासय), शैक्षबणक और अनुसंिान सहयोग को िढावा दे ने की योजना
(एसपीएआरसी) और सामाबजक बवज्ञान में प्रभावशाली नीबत अनुसंिान ( इम्प्रेस ) की बतकडी का उद्दे श्य सामाबजक और शुद् बवज्ञान में
भारत के बवबशि अनुसंिान को िढावा दे ना है ।
● 'इं स्टीट्यूर् ऑफ एबमनेंस' जैसी योजनाओं के माध्यम से जिश्व स्तरीय संस्थानों के जनमायण को बढािा दे ना।
● प्रेररत अनुसंधान के जिए जिज्ञान खोि में निाचार (इं स्पायर) काययक्रम: कायटिम का उद्दे श्य प्रबतभाशाली युवाओं को प्रारं बभक चरण
में बवज्ञान के अध्ययन के बलए आकबषटत करना और बवज्ञान और प्रौद्योबगकी प्रणाली और अनुसंिान एवं बवकास आिार को मजिूत करने
और बवस्ताररत करने के बलए आवश्यक महत्वपूणट मानव संसािन पूल का बनमाट ण करना है ।
प्रजतभा पिायन को सं बोजधत करने के जिए सु झाि
● बुजनयादी ढांचे पर ध्यान: हमें व्यवक्तस्थत िदलावों की आवश्यकता है बजसमें मुि िुबनयादी ढां चे में बनवेश िढाना, श्रबमकों को उबचत
वेतन सुबनबित करना और उन्हें दे श में रहने के बलए प्रेररत करने के बलए एक समग्र वातावरण िनाना शाबमल हो सकता है ।
● नीजतगत हस्तक्षेप: सरकार को ऐसी नीबतयां िनाने पर ध्यान केंबद्रत करना चाबहए जो सकुटलर माइग्रेशन और ररर्नट माइग्रेशन को िढावा
दें यानी ऐसी नीबतयां जो स्वास्थ्य कबमटयों को उनके प्रबशक्षण या अध्ययन के पूरा होने के िाद घर लौर्ने के बलए प्रोत्साबहत करें ।
● जद्वपक्षीय समझौते : यह बद्वपक्षीय समझौते तैयार करने की बदशा में भी काम कर सकता है जो भेजने वाले और प्राप्त करने वाले दे शों के
िीच "बदमाग साझा करने" की नीबत को आकार दे ने में मदद कर सकता है ।
● प्रौद्योजगकी और अनुसंधान में जनिेश: सरकार को कुल GERD (R&D पर सकल घरे लू व्यय) को भारत के सकल घरे लू उत्पाद के 2%
तक िढाने के उद्दे श्य से एक नीबत िनानी चाबहए। सरकार को प्रबतभाशाली लोगों को भारत वापस लाने के बलए और अबिक अत्यािु बनक
अनुसंिान और तकनीकी सुबविाएं तैयार करनी होंगी।
● निाचार में िैजश्वक भागीदारी: सावटजबनक-बनजी भागीदारी तंत्र को िढाकर वैबिक नवाचार भागीदारी को मजिूत करने की आवश्यकता
है और संयुि औद्योबगक अनुसंिान एवं बवकास पररयोजनाओं के बलए सावटजबनक िन में वृक्तद् की जानी चाबहए।
● आइजडया-टू -माकेट चुनौती: रोजगार के अवसरों के बलए बवदे श जाने के िजाय भारतीय नवप्रवतटनकताट ओं को कबठन समय के दौरान
अपने स्टार्ट -अप को आगे िढाने और सफल होने में मदद करने के बलए सरकार को एक बवशेष कोष िनाने की आवश्यकता है ।
जनष्कषय
● भारत को व्यवक्तस्थत पररवतटनों की आवश्यकता है बजसमें अनु संिान एवं बवकास में बनवेश िढाना, स्वास्थ्य, बशक्षा क्षेत्रों में बवि स्तरीय
िुबनयादी ढां चे का बनमाट ण, श्रबमकों को उबचत वेतन सुबनबित करना और एक समग्र वातावरण प्रदान करना शाबमल हो सकता है जो उन्हें
दे श में रहने के बलए प्रेररत कर सके।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
ज्ञानािय न की कमी
संदभय
● बवि िैंक के वैबिक बशक्षा बनदे शक ने कोबवड-19 महामारी के कारण िच्ों की सीखने की हाबन पर बचंता जताई और इन अंतरालों को
पार्ने के बलए ठोस प्रयासों की आवश्यकता िताई।
● बवि िैंक की ज्ञानाजटन की गरीिी गणना के अनुसार, भारत की सीखने की गरीिी 54% (महामारी से पहले) से िढकर 70% (महामारी के
िाद) हो गई है ।
ज्ञानािय न क्या है
● बवि िैंक के अनुसार, ज्ञानाजटन की गरीिी का अथट है 10 वषट की आयु तक एक सािारण पाठ को पढने और समझने में असमथट होना।
● यह संकेतक स्कूली बशक्षा और सीखने के संकेतकों को एक साथ लाता है । यह उन िच्ों के अनुपात से शुरू होता है बजन्होंने पढने की
न्यूनतम दक्षता हाबसल नही ं की है (जैसा बक स्कूलों में मापा जाता है ) और इसे उन िच्ों के अनु पात से समायोबजत बकया जाता है जो
स्कूल से िाहर हैं (और माना जाता है बक वे पढने में सक्षम नही ं हैं )।
● सभी मूलभूत कौशल (िुबनयादी साक्षरता, संिात्मकता और हस्तां तरणीय कौशल) महत्वपूणट हैं , लेबकन पढने पर ध्यान केंबद्रत बकया
जाता है क्ोंबक:
○ पढने की दक्षता सीखने का एक आसानी से समझा जाने वाला उपाय है
○ पढना एक छात्र के बलए हर दू सरे क्षेत्र में सीखने का प्रवेश द्वार है
○ पढने की दक्षता अन्य बवषयों में िुबनयादी बशक्षा के बलए एक प्रॉक्सी के रूप में काम कर सकती है , उसी तरह जैसे बक िच्े में
स्टं बर्ं ग की अनुपक्तस्थबत स्वस्थ प्रारं बभक िचपन के बवकास का एक माकटर है ।
ज्ञानािय न की कमी को दू र करने की आिश्यकता
● यह सामान्य रूप से गरीिी को खत्म करने और साझा समृक्तद् को िढावा दे ने की कुंजी है ।
● सीखने के पररणामों में सुधार करने के जिए: बवि स्तर पर 2000 और 2017 के िीच, प्राथबमक बवद्यालय-आयु वगट के िच्ों के बलए
सीखने के पररणामों में केवल 10% सुिार हआ है । अगर यही गबत जारी रही तो 2030 में 10 साल के 43% िच्े पढ नही ं पाएं गे।
● एसडीिी िक्ष्यों को प्राप्त करने के जिए: हमने जो लक्ष्य बनिाट ररत बकया है वह महत्वाकां क्षी है लेबकन प्राप्त करने योग्य है और सभी के
बलए गुणविापूणट बशक्षा सुबनबित करने वाले सतत बवकास लक्ष्य (एसडीजी4) को प्राप्त करने की बदशा में कारट वाई को प्रेररत करना
चाबहए। इसके बलए दु बनया भर में प्रगबत की दर को लगभग तीन गुना करने की आवश्यकता होगी, जो ति बकया जा सकता है जि हर
दे श उन दे शों के प्रदशटन की िरािरी कर सके बजन्होंने 2000 और 2015 के िीच सिसे अबिक प्रगबत की है ।
● िैजश्वक उत्पादकता बढाने के जिए: सीखने का संकर् न केवल िच्ों की क्षमता को ििाट द करता है , िक्तल्क यह पूरी अथटव्य वस्था को
नुकसान पहं चाता है । यह भबवष्य के कायटिल और आबथटक प्रबतस्पिाट त्मकता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। बवि िैंक के मानव पूंजी
सूचकां क से पता चलता है बक बवि स्तर पर, आज पैदा होने वाले औसत िच्े की उत्पादकता केवल 56% होने की उम्मीद है , अगर दे श
स्वास्थ्य और बशक्षा में पयाट प्त बनवेश करते।
ज्ञानािय न स्तर में जगरािट के कारण
● कोरोना के दौरान स्कूिों को बंद करना: भारत सबहत कई दे शों को स्कूल और कॉलेज िंद करने पडे और ऑनलाइन कक्षाओं को
प्रोत्साबहत करना पडा। 2019 में बवि िैंक की एक ररपोर्ट के अनुसार, दे श में प्राथबमक आयु के 55% िच्े सही ढं ग से पढ नही ं पाते हैं ।
कोबवड-19 के दौरान समस्ा और भी िदतर हो गई क्ोंबक अवलोकनों से पता चलता है बक इसमें 20% की वृक्तद् हई है ।
● अव्यिक्तस्थत स्कूि प्रणाजियााँ: जि िच्ा पढ नही ं पाता है , तो यह आमतौर पर एक स्पि संकेत है बक स्कूल प्रणाबलयााँ िच्ों को गबणत,
बवज्ञान और मानबवकी जैसे अन्य क्षेत्रों में सीखने में मदद करने के बलए सुव्यवक्तस्थत नही ं हैं ।
● स्कूि छोडना: अध्ययन में कहा गया है बक बवि स्तर पर कई िच्े कुशलता से नही ं पढ सकते हैं । 260 बमबलयन से अबिक िच्े स्कूल
नही ं जाते, बजससे संकर् और गहरा गया है ।
● घरे िू आय में जगरािट: सवेक्षणों से पता चला है बक घरे लू आय में बगरावर् के कारण कई छात्रों को बनजी स्कूलों से हर्ने और सरकारी
स्कूलों में दाक्तखला लेने के बलए मजिूर होना पडा है । बनजी और सावटजबनक स्कूलों में गुणविा के अंतर के कारण सीखने की गरीिी में
वृक्तद् हई है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अध्ययन सामग्री की गु णित्ता: पाठ्यपुस्तकें और बशक्षण सामग्री जैसी खराि बडज़ाइन की गई अध्ययन सामग्री खराि प्रदशटन और
सीखने की क्षमता में वृक्तद् का कारण है
● बच्चों में कुपोषण: पोषण, अस्वास्थ्यकर वातावरण या दे खभाल करने वालों द्वारा पोषण की कमी के मामले में िच्ों में गंभीर कमी।
● जशक्षकों की गुणित्ता: बशक्षकों के खराि मागटदशटन और बशक्षण पद्बत, प्रबशबक्षत बशक्षकों की कमी के कारण सीखने के पररणाम में
कमी आ रही है । इससे सीखने की गरीिी में वृक्तद् होती है ।
ज्ञान कौशि का महत्व
● सतत जिकास और गरीबी में कमी के जिए: खराि बशक्षा पररणामों की भबवष्य की समृक्तद् के बलए िडी लागत है , यह दे खते हए बक
मानव पूंजी वैबिक स्तर पर िन का सिसे महत्वपूणट घर्क है ।
● समग्र स्कूिी जशक्षा प्रणाजियों में सुधार: जि िच्े पढ नही ं पाते हैं , तो यह आमतौर पर एक स्पि संकेत है बक स्कूल प्रणाली िच्ों को
गबणत, बवज्ञान और मानबवकी जैसे अन्य क्षेत्रों में सीखने में मदद करने के बलए अच्छी तरह से व्यवक्तस्थत नही ं है ।
● बेहतर गुणित्ता िािे काययबि: बजन दे शों ने मू लभूत बशक्षा को प्राथबमकता दी है और इसमें बनवेश बकया है , उन्होंने िेहतर गुणविा वाले
कायटिल का उत्पादन बकया है , बजससे उनकी अथटव्यवस्थाएं आगे िढने में सक्षम हई हैं । दबक्षण कोररया और चीन दोनों ने 1970 के
दशक में ऐसा बकया था और उनकी अथटव्यवस्थाओं पर इसका जिरदस्त प्रभाव पडा था।
● व्यक्तक्तगत स्वतंत्रता में सुधार: व्यक्तियों और पररवारों के बलए, इससे उच् उत्पादकता और कमाई, गरीिी में कमी, रोजगार की उच्
दर, िेहतर स्वास्थ्य पररणाम और अबिक नागररक जुडाव हो सकता है ।
● समाि को िाभ: समाजों के बलए, यह तेजी से नवाचार और बवकास, िेहतर कायट करने वाले संस्थानों, अबिक अंतर-पीढीगत सामाबजक
गबतशीलता, सामाबजक बविास के उच् स्तर और संघषट की कम संभावना में योगदान दे सकता है।
आगे की राह
● अजधक और बेहतर उम्र और कौशि-उपयुक्त ग्रंथों तक समय पर पहुंच सुजनजित करें - मंगोबलया में, पुस्तकों तक िेहतर पहं च के
कारण छात्रों के पररणामों में 0.21 मानक बवचलन का सुिार हआ।
● कैच-अप िजनिंग और ब्रजशंग में तेिी िाने पर ध्यान दें : इससे िुबनयादी िातों पर ध्यान दे ने में मदद बमलेगी, िच्े आसानी से पाठ्यिम
को याद कर सकते हैं
● कक्षा में जशक्षकों के अजतररक्त प्रयास: बशक्षकों को कक्षा के भीतर छात्रों को ग्रेड या उम्र के अनुसार नही,ं िक्तल्क वे जहां हैं उसके
अनुसार समूबहत करने के बलए िहत अबिक समथटन की आवश्यकता होगी।
● जशक्षा प्रौद्योजगकी में जनिे श: भारत में स्कूल िंद होने का प्रभाव, पुन: नामां कन अबभयान की आवश्यकता, और दो साल के अंतराल के
िाद स्कूल बफर से खुलने पर सीखने के स्तर का पुनमूटल्यां कन और कक्षा बशक्षण के पूरक के बलए बशक्षा प्रौद्योबगकी में बनवेश की
आवश्यकता है ।
● जडजिटि साक्षरता: यह तथ्य बक बशक्षा र्े लीबवजन और रे बडयो कई वषों तक छोडे जाने के िाद वापस आये, एक अच्छा बवकास है । हमें
ऐसी लचीली प्रणाबलयों की आवश्यकता है क्ोंबक हम नही ं जानते बक अगली प्राकृबतक आपदा क्ा होने वाली है ।
● बिटीय आिंटन: िजर्ीय आवंर्न में वृक्तद् से बशक्षा में गुणविा और िेहतर िुबनयादी ढां चा आएगा; यह सीखने की गरीिी को कम करने
में मदद करता है ।
● राष्ट्रीय जशक्षा नीजत (एनईपी), 2020 21वी ं सदी की पहली बशक्षा नीबत है और चौंतीस साल पुरानी राि्ीय बशक्षा नीबत (एनपीई), 1986
की जगह लेती है ।
● पहुंच, समानता, गुणित्ता, सामथ्यय और ििाबदे ही के मूलभू त स्तंभों पर बनबमटत, यह नीबत सतत बवकास के बलए 2030 के एजेंडे से
जुडी है और इसका उद्दे श्य स्कूल और कॉलेज बशक्षा दोनों को और अबिक उन्नत िनाकर भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैबिक
ज्ञान महाशक्ति में िदलना है । इसका लक्ष्य 21वी ं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल और प्रत्ये क छात्र की अबद्वतीय क्षमताओं को सामने
लाना है ।
● राि्ीय बशक्षा नीबत 2020 के लॉन्च ने बशक्षा और सीखने के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगबत को बचबह्नत बकया। भारत की राि्ीय बशक्षा नीबत को
एक साल पूरा हो गया है । महामारी ने एनईपी की प्रगबत को िीमा कर बदया है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● एनईपी अबनवायट रूप से अवलोकन, सुनने, खोज करने, प्रयोग करने और प्रश्न पूछने के माध्यम से सीखने के िारे में है । ये सभी
व्यावहाररक अनुभव हैं और ऑनलाइन बशक्षण में ये पहलू गायि हैं ।
एनईपी 2020 की मु ख्य जिशे ष ताएं
जिद्यािय जशक्षा
● यह नीबत पाठ्यिम में व्यापक िदलाव, "आसान" िोडट परीक्षा, "मुि अबनवायटताओं" को िनाए रखने के बलए पाठ्यिम में कमी और
"अनु भिात्मक जशक्षा और महत्वपूणय सोच" पर जोर दे ने पर केंबद्रत है ।
● नई पाठ्यचयाट और शैक्षबणक संरचना के साथ प्रारं बभक िचपन की दे खभाल और बशक्षा।
● नई एनईपी आयु समूहों के अनु रूप " 5+3+3+4" बडज़ाइन पर जोर दे ती है :
○ 3-8 वषट (मूलभूत चरण),
○ 8-11 (प्रारं बभक),
○ 11-14 (मध्य), और
○ 14-18 (माध्यबमक)।
● एनसीईआरर्ी 8 वषट की आयु तक के िच्ों के बलए प्रारं बभक िचपन दे खभाल और बशक्षा (एनसीपीएफईसीई) के बलए एक राि्ीय
पाठ्यचयाट और शैक्षबणक ढां चा बवकबसत करे गा।
● सभी स्तरों यानी प्रीस्कूल से माध्यबमक तक स्कूली बशक्षा की सावटभौबमक पहं च सुबनबित करने पर जोर बदया गया है ।
● िीच में पढाई छोडने वाले छात्रों को मुििारा में वापस लाने के बलए नवीन बशक्षा केंद्र, छात्रों और उनके सीखने के स्तर पर नज़र रखना।
● मूलभूत साक्षरता और संिात्मकता को एक जरूरी और आवश्यक शतट के रूप में मान्यता दे ते हए, एनईपी 2020 मूलभूत साक्षरता और
संिात्मकता पर एक राि्ीय बमशन की स्थापना का आह्वान करता है :
○ राज्य 2025 तक ग्रेड 3 तक सभी बशक्षाबथटयों के बलए सभी प्राथबमक बवद्यालयों में सावटभौबमक मूलभूत साक्षरता और संिात्मकता
प्राप्त करने के बलए एक कायाट न्वयन योजना तैयार करें गे।
● एनईपी 2020 िहभाषावाद और भाषा की शक्ति के पक्ष में है ।
○ इस नीबत में कम से कम ग्रेड 5 तक, लेबकन अबिमानतिः ग्रेड 8 और उससे आगे तक बशक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/स्थानीय
भाषा/क्षेत्रीय भाषा पर जोर बदया गया है ।
● स्कूिी जशक्षा के जिए मानक-जनधायरण और मान्यता: एनईपी 2020 नीबत बनमाट ण, बवबनयमन, संचालन और शैक्षबणक मामलों के बलए
स्पि, अलग प्रणाबलयों की पररकल्पना करता है :
○ राज्य/केंद्रशाबसत प्रदे श एक स्वतंत्र राज्य स्कूल मानक प्राबिकरण (एसएसएसए) स्थाबपत करें गे।
उच्च जशक्षा
● भारतीय उच् बशक्षा को बवदे शी बविबवद्यालयों के बलए खोलना, यू जीसी और अक्तखल भारतीय तकनीकी बशक्षा पररषद (एआईसीर्ीई) को
खत्म करना, कई बनकास बवकल्पों के साथ चार साल के िह-बवषयक स्नातक कायटिम की शुरुआत करना और एम.बफल को िंद करना।
● ऑनिाइन जशक्षा और जडजिटि जशक्षा: स्कूल और उच् बशक्षा दोनों की ई-बशक्षा आवश्यकताओं की दे खभाल के बलए एमएचआरडी
में बडबजर्ल िुबनयादी ढां चे, बडबजर्ल सामग्री और क्षमता बनमाट ण के बलए एक समबपटत इकाई िनाई जाएगी।
● जशक्षा में प्रौद्योजगकी: राि्ीय शैबक्षक प्रौद्योबगकी फोरम (एनईर्ीएफ): सीखने, मूल्यां कन, योजना और प्रशासन को िढाने के बलए
प्रौद्योबगकी के उपयोग पर बवचारों के मुि आदान-प्रदान के बलए एक मंच प्रदान करने के बलए एक स्वायि बनकाय िनाया जाएगा।
अन्य प्रािधान
● जिंग समािेशन जनजध - मबहला और र्् ां सजेंडर िच्ों की बशक्षा में राि् की सहायता के बलए।
● राष्ट्रीय शैजक्षक प्रौद्योजगकी मंच - सीखने में सुिार के बलए प्रौद्योबगकी के उपयोग पर बवचारों के आदान-प्रदान की सुबविा प्रदान करने
वाला एक मंच।
● नेशनि ररसचय फाउं डेशन - अनुसंिान और नवाचार में सुिार करना।
● जिशेष जशक्षा क्षेत्र - वंबचत क्षेत्रों में कम प्रबतबनबित्व वाले समूहों की बशक्षा पर ध्यान केंबद्रत करना।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
जशक्षा का जित्तपोषण: केंद्र और राज्य बशक्षा क्षेत्र में सावटजबनक बनवेश को जल्द से जल्द जीडीपी के 6% तक िढाने के बलए बमलकर काम
करें गे।
महत्व चुनौजतयां
● व्यापक रूपरे खा: यह पूरे दे श में स्कूल और उच् बशक्षा ● अजनिायय नही ं: हालां बक एनईपी केवल एक व्यापक बदशा
दोनों के बलए एक व्यापक दृबिकोण और व्यापक रूपरे खा प्रदान करता है लेबकन इसका पालन करना अबनवायट नही ं
प्रदान करता है । है ।
● यह आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साबहत करता है । प्रिान मंत्री ● स्थानांतरणीय नौकरी: एनईपी उन माता-बपता के िच्ों के
के शब्दों में, नीबत 'क्या सोचें' के बिाय 'कैसे सोचें' पर िारे में बवशेष रूप से कुछ नही ं कहता है बजनकी नौकररयां
केंजद्रत है। अक्सर स्थानां तरणीय होती हैं ।
● प्रारं जभक िषों पर तनाि: 3 साल की उम्र से शुरू होने ● बशक्षा एक समवती बवषय है , प्रस्ताबवत सुिारों को केंद्र और
वाली स्कूली बशक्षा के बलए 5+3+3+4 मॉडल को अपनाने राज्यों द्वारा सहयोगात्मक रूप से ही लागू बकया जा सकता
में, यह िच्े के भबवष्य को आकार दे ने में 3 से 8 साल की है ।
उम्र के प्रारं बभक वषों की प्रिानता को पहचानता है । ● 6% िीडीपी की चुनौती: सरकार ने बशक्षा पर 6% खचट का
● मातृभाषा: यह कम से कम कक्षा 5 तक िच्े की मातृभाषा लक्ष्य रखा है और मौजूदा कर-से-जीडीपी अनुपात, आबथटक
में सीखने के महत्व को भी पहचानता है । मंदी और महामारी प्रभाव के कारण यह मुक्तिल है ।
● व्यािसाजयक पाठ्यक्रम: नई नीबत हाई स्कूल में कला, ● शीषय रैं जकंग जिश्वजिद्याियों के जिए कोई पररभाषा नही ं:
वाबणज्य और बवज्ञान िाराओं की िािाओं को तोड रही है , दस्तावेज़ में कहा गया है बक दु बनया के शीषट 100
और इं र्नटबशप के साथ व्यावसाबयक पाठ्यिम शुरू करने बविबवद्यालयों में से बविबवद्यालय भारत में पररसर स्थाबपत
का प्रशंसनीय लक्ष्य है । करने में सक्षम होंगे। हालााँ बक यह शीषट 100 को पररभाबषत
करने के बलए मापदं डों को बवस्तृत नही ं करता है ।
आगे की राह
● एनईपी प्रीस्कूल से डॉक्टरे र् अध्ययन तक और पेशेवर बडग्री से व्यावसाबयक प्रबशक्षण तक बशक्षा के संपूणट दायरे को संिोबित करना
चाहता है । यह 21वी ं सदी में गबतशीलता, लचीलेपन, सीखने के वैकक्तल्पक रास्ते और आत्म-साक्षात्कार की आवश्यकता को स्वीकार
करता है । इस प्रकार, राजनीबतक सहमबत िनाई जाएगी और केंद्र और राज्यों को एनईपी को अक्षरश: लागू करने के बलए सहयोगात्मक
तरीके से काम करना चाबहए।
जडजिटि जशक्षा/ई-िजनिं ग
● अच्छी गुणविा वाली बडबजर्ल सामग्री की िढती आवश्यकता को पहचानते हए सरकार ने ई-लबनिं ग सामग्री योगदान को आमंबत्रत करने
के बलए बवद्यादान 2.0 लॉन्च बकया।
ई-जशक्षा
● यह इं र्रनेर् के माध्यम से शैबक्षक जानकारी पहं चाने की एक बवबि है । यह ई-पुस्तकें, सीडी, वेबिनार और अन्य जैसे बवबभन्न चै नलों के
माध्यम से ज्ञान साझा करने की प्रबिया है ।
● यह लचीला और स्व-गबत वाला है और दू रस्थ बशक्षा के बलए उपयुि है ।
● ई-एजुकेशन ने छात्रों को दी जाने वाली चॉक और िोडट शैली की पारं पररक पद्बत में िां बत ला दी है।
िाभ
● सुजिधा और िचीिापन - बशक्षक अपने पसंदीदा समय में कही ं से ● पयायिरण के अनु कूि: पारं पररक बशक्षा जैसे
भी पढा सकते हैं और छात्र कभी भी और कही ं भी पाठ्यिम सीख कागजात की कोई आवश्यकता नही।ं इस प्रकार, यह
सकते हैं । पयाट वरण के अनुकूल है ।
● प्रभािी जशक्षण: स्कूली बशक्षा के सभी स्तरों पर ई-लबनिंग को लागू ● िैजश्वक स्तर की जशक्षा: बशक्षक कई भाषाओं और
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
करने से यह सुबनबित करने में मदद बमली बक छात्र तेज गबत से बवबभन्न समय क्षेत्रों के लोगों को ऑनलाइन बशक्षा
पाठों को पयाट प्त रूप से समझ सकें। प्रदान कर सकते हैं ।
● अनु शाजसत जशक्षण: बशक्षण की दृश्य-श्रव्य पद्बत एक अनुशाबसत ● अजधक िु डाि: पारं पररक बशक्षण की तुलना में
बशक्षण वातावरण की ओर ले जाती है । वहााँ एक प्रभावी बशक्षक बडबजर्ल बशक्षण अबिक आकषटक अनुभव है ।
और छात्र संलग्नक हैं । बडबजर्ल लबनिंग के माध्यम से, एक पाठ्यिम को इस
● िागत प्रभािी: समय, पैसा िचाता है और पररवहन लागत कम तरह से बडज़ाइन बकया जा सकता है जो मल्टीमीबडया
करता है । के उपयोग के माध्यम से इसे इं र्रै क्तक्टव और मजेदार
िना दे ।
चुनौजतयां
● माता-बपता, बशक्षकों और छात्रों की बडबजर्ल बनरक्षरता। ● स्थानीय भाषा में कंर्ें र् का अभाव।
● र्ै िलेर्, लै पर्ॉप आबद जैसे इले क्ट्ॉबनक गैजेर््स का सामथ्यट। ● रसायन बवज्ञान जैसे व्यावहाररक उन्मु ख बवषयों की ई-
● गां वों और दू रदराज के इलाकों में इं र्रनेर् कनेक्तक्टबवर्ी। लबनिंग में सीमाएाँ हैं
● बशक्षकों की अपररबचतता और पररवतटन के प्रबत प्रबतरोि।
सरकारी पहि
● स्वयं (स्टडी िेि ऑफ एक्तक्ट्ि िजनिंग फॉर यंग एस्पायररं ग माइं ड्स ) - यह सूचना और संचार प्रौद्योबगकी (आईसीर्ी) का उपयोग
करते हए ऑनलाइन पाठ्यिमों के बलए एक एकीकृत मंच है , जो स्कूल (9वीं से 12वी)ं से लेकर स्नातकोिर स्तर तक को कवर करता है ।
यह छात्रों के बलए ऑनलाइन पाठ्यिम भी प्रदान करता है ।
● दीक्षा - दीक्षा मंच बशक्षकों, छात्रों और अबभभावकों को बनिाट ररत स्कूल पाठ्यिम से संिंबित आकषट क बशक्षण सामग्री प्रदान करता है ।
● जिद्यादान – यह कायटिम पाठ्यिम के अनुरूप मनोरं जक और आकषटक ई-लबनिंग सामग्री बवकबसत करने और योगदान करने के बलए
बशक्षाबवदों और संगठनों को एक साथ लाता है ।
● जडजिटि जशक्षा पर प्रज्ञाता जदशाजनदे श – ये बदशाबनदे श छात्रों के बलए स्क्रीन समय की सीमा तय करने की सलाह दे ते हैं । इसमें
बडबजर्ल लबनिंग के आठ चरण शाबमल हैं , योजना-समीक्षा-व्यवस्था-मागटदशटन-याक (िातचीत)-असाइन-र्् ै क-सराहना।
● पीएम ई-जिद्या - यह छात्रों और बशक्षकों के िीच बवबभन्न प्रकार की बडबजर्ल/ऑनलाइन बशक्षण-बशक्षण सामग्री तक मल्टी-मोड पहं च
की सुबविा प्रदान करने के बलए एक अनूठी और अबभनव पहल है ।
आगे की राह
● बशक्षा वतटमान में चल रही कोबवड-19 महामारी की सिसे िडी क्षबत में से एक रही है । इस अभूतपूवट समय में बडबजर्ल बशक्षा को
पारं पररक स्कूलों और सीखने के बलए एक व्यवहायट बवकल्प के रूप में दे खा जा रहा है ।
● सरकार और बनजी क्षेत्र को एक साथ बमलकर काम करना चाबहए और यह सुबनबित करना चाबहए बक बशक्षा सभी के बलए उपलि, सुलभ
और सस्ती रहे और एसडीजी 4 को साकार करें यानी, “ सभी के बलए समावेशी और समान गुणविा वाली बशक्षा सुबनबित करना।”
जशक्षा मंत्रािय ने भारत की स्कूली बशक्षा पर यूजनफाइड जडक्तस्टर क्ट् इं फॉमेशन जसस्टम फॉर एिुकेशन प्लस (UDISE+) 2020-21 पर
एक बवस्तृत ररपोर्ट जारी की है ।
UDISE+ के बारे में
● यह स्कूली बशक्षा पर सिसे िडी प्रिंिन सूचना प्रणाबलयों में से एक है ।
● इसमें 1.5 बमबलयन से अबिक स्कूल, 8.5 बमबलयन बशक्षक और 250 बमबलयन िच्े शाबमल हैं ।
● 2018-2019 में लॉन्च बकया गया, UDISE+ को डे र्ा प्रबवबि में तेजी लाने, त्रुबर्यों को कम करने, डे र्ा गुणविा में सुिार और इसके
सत्यापन को आसान िनाने के बलए पेश बकया गया था।
● यह UDISE का एक अद्यतन और उन्नत संस्करण है , बजसे 2012-13 में बशक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू बकया गया था।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
स्कूिों में छात्रों और ● 2020-21 में प्राथबमक से उच्तर माध्यबमक तक स्कूली बशक्षा में नामां बकत कुल छात्र 25.38 करोड
जशक्षकों पर ररपोटय थे। 2019-20 में 25.10 करोड नामां कन की तुलना में 28.32 लाख नामां कन की वृक्तद् हई है ।
● सकि नामांकन अनुपात (िीईआर): यह मापता है बक 2019-20 की तुलना में 2020-21 में
स्कूली बशक्षा के सभी स्तरों पर भागीदारी के सामान्य स्तर में सुिार हआ है ।
● 2019-20 की तुिना में 2020-21 में स्तर के अनुसार िीईआर इस प्रकार है : उच् प्राथबमक में
89.7% से 2%, प्रारं बभक में 97.8% से 99.1%, माध्यबमक में 77.9% से 79.8% और उच्तर
माध्यबमक में 51.4% से 53.8%।
● स्कूिी जशक्षा में जशक्षक: 2020-21 के दौरान 96 लाख बशक्षक स्कूली बशक्षा में लगे हए थे। यह
2019-20 के दौरान स्कूली बशक्षा में शाबमल बशक्षकों की संिा की तुलना में लगभग 8800 अबिक
है ।
● छात्र-जशक्षक अनुपात (पीटीआर): 2020-21 में छात्र-बशक्षक अनुपात (पीर्ीआर) प्राथबमक के
बलए 26, उच् प्राथबमक के बलए 19, माध्यबमक के बलए 18 और उच् माध्यबमक के बलए 26 रहा,
जो 2018-19 से सुिार दशाट ता है।
o 2018-19 के दौरान प्राथबमक, उच् प्राथबमक, माध्यबमक और उच्तर माध्यबमक के बलए
पीर्ीआर िमशिः 28, 20, 21 और 30 थी।
● स्कूि में िडजकयााँ : 2020-21 में 12.2 करोड से अबिक लडबकयााँ प्राथबमक से उच्तर माध्यबमक
तक नामां बकत हैं , जो 2019-20 में लडबकयों के नामां कन की तुलना में 11.8 लाख लडबकयों की
वृक्तद् दशाट ती है ।
गैर-जशक्षण कमयचाररयों गैर-जशक्षण कमयचारी: बपछले कुछ वषों में गैर-बशक्षण कमटचाररयों की संिा में भी सुिार हआ है ।
पर ररपोटय 2020-21 के दौरान कुल गैर-बशक्षण कमटचारी 2018-19 में 12.37 लाख की तुलना में 15.8 लाख
थे।
स्कूि के बुजनयादी ढांचे ● कायाट त्मक बिजली वाले स्कूलों ने 2020-21 के दौरान बिजली प्रदान करने वाले 57,799 स्कूलों की
पर ररपोटय कुल वृक्तद् के साथ प्रभावशाली प्रगबत की है ।
● 2018-19 में 73.85% की तुलना में अि कुल स्कूलों में से 84% में कायाट त्मक बिजली सुबविाएं हैं ,
जो इस अवबि के दौरान 10.15% का उल्लेखनीय सुिार दशाट ती है ।
● कायाट त्मक पेयजल वाले स्कूलों का प्रबतशत 2019-20 में 93.7% से िढकर 2020-21 में 95.2% हो
गया है ।
● वषट के दौरान अबतररि 11,933 स्कूलों में सुबविा जोडकर लडबकयों के बलए कायाट त्मक शौचालय
सुबविाओं वाले स्कूलों का प्रबतशत 2019-20 में 93.2% की तुलना में 2020-21 में िढकर 93.91%
हो गया है ।
● हाथ िोने की सुबविा वाले स्कूलों के प्रबतशत में भी सुिार हआ है और अि यह 2019-20 में 90.2%
की तुलना में 91.9% है ।
● कायाट त्मक कंप्यूर्र वाले स्कूलों की संिा 2019-20 में 5.5 लाख से िढकर 2020-21 में 6 लाख हो
गई, जो 3% की वृक्तद् दशाट ता है । अि, 40% स्कूलों में कायाट त्मक कंप्यूर्र हैं ।
● इं र्रनेर् सुबविा वाले स्कूलों की संिा 2.6% की वृक्तद् के साथ 2019-20 में 3.36 लाख से िढकर
2020-21 में 3.7 लाख हो गई।
महत्वपूणय शब्दाििी
कौशल िेमेल, जनसां क्तिकीय लाभां श, पुनिः कौशल, अपक्तस्कबलंग, सकल नामां कन अनुपात (जीईआर), छात्र बशक्षक अनुपात
(पीर्ीआर), सवट बशक्षा अबभयान, पढे भारत िढे भारत, मध्याह्न भोजन, बनपुण भारत, उडान, सक्षम, ईशान उदय, स्वयं, सीखने की क्षमता,
सीखने की गरीिी, सीखने का अंतर, मूलभूत कौशल, दीक्षा, बवद्यादान, ई-बवद्या, प्रज्ञाता
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● भारत आज एक ऐसा दे श है जहां 65% युवा कामकाजी आयु वगट में हैं । यबद कभी इस जनसां क्तिकीय लाभ को प्राप्त करने की जरूरत
पडी तो यह युवाओं के कौशल बवकास के माध्यम से होगा ताबक वे न केवल अपने व्यक्तिगत बवकास में, िक्तल्क दे श की आबथटक वृक्तद् में
भी योगदान दें ।
चु नौजतयां
● कम या नौकरी कौशि का आभाि: इं बडया क्तस्कि ररपोर्ट 2021 में पाया गया बक लगभग 45.9% युवाओं को ही रोजगार के योग्य
माना जाएगा। यूबनसे फ के आं कडों से पता चलता है बक 50% से अबिक भारतीय युवा 2030 तक रोजगार के बलए आवश्यक बशक्षा और
कौशल प्राप्त करने की राह पर नही ं हैं ।
● उद्यजमता के प्रजत िागरूकता एिं उदासीनता: ऑब्जियर ररसचय फाउं डेशन और िल्डय इकोनॉजमक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के
हाबलया अध्ययन "यं ग इं जडया एं ड िकय" के अनुसार, लगभग 70% भारतीय युवाओं को योजनाओं के िारे में जानकारी नही ं है ।
● अपयायप्त क्षमता: कुशल श्रम की भारी मां ग को दे खते हए शैक्षबणक संस्थानों में उपलि मौजूदा िु बनयादी सुबविाएं अपयाट प्त हैं । भारत में
हर साल लगभग 12 बमबलयन लोगों के कायटिल में शाबमल होने की उम्मीद है जिबक दे श की वतटमान कुल प्रबशक्षण क्षमता लगभग 4.3
बमबलयन है ।
● कौशि मेि नही ं खाता: उद्योगों के बलए आवश्यक कौशल और शैक्षबणक एवं प्रबशक्षण संस्थानों द्वारा प्रदान बकए जाने वाले कौशल के
िीच अंतर है । सरकार और उसकी सहयोगी एजेंबसयों की ओर से बवबभन्न प्रयासों के िावजूद, भारत में व्यावसाबयक पाठ्यिमों की
बविसनीयता अभी भी संबदग्ध है ।
● रीक्तस्कजिंग और यू- क्तस्कजिंग: हाबलया उद्योग ररपोर्ों के अनुसार, दु बनया के 54% कायटिल को 2022 तक रीक्तस्कबलंग और अपक्तस्कबलंग
की आवश्यकता होगी। आबर्ट बफबशयल इं र्ेबलजेंस (एआई), डे र्ा एनाबलबर्क्स जैसी बवघर्नकारी प्रौद्योबगबकयों के उद्भव के कारण
रीक्तस्कबलंग और अपक्तस्कबलंग की चुनौती प्रमुख होती जा रही है । .
● िोक्तखम िेने िािे व्यिहार का अभाि: अबिकां श युवा उद्यमशीलता को पसंद नही ं करते हैं , िक्तल्क वे कंपबनयों में काम करना चुनते हैं ।
● कुशि युिाओं के जिए रोिगार सृिन: भारत को 2030 तक 100 बमबलयन अबिक नौकररयााँ पैदा करने की आवश्यकता है । अबिक
नौकररयााँ पैदा करना सिसे िडी बवकास चुनौती है । कामकाजी आिादी की पूणट भागीदारी के बिना कोई भी दे श अपनी पूरी क्षमता
हाबसल नहीं कर सकता और 21वी ं सदी की चुनौबतयों का सामना नही ं कर सकता।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● अजशजक्षत ग्रामीण युिा: बनजी क्षेत्र मुि रूप से बशबक्षत युवाओं (बवशेष रूप से 12वी ं पास) और िडे पैमाने पर शहरी क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र
की आवश्यकता के अनुसार कौशल प्रबशक्षण प्रदान करता है । अंततिः , असंगबठत क्षेत्र के सैकडों श्रबमकों को बकसी भी प्रकार का कौशल
प्रबशक्षण नही ं बमलता है ।
सरकारी हस्तक्षे प
● क्तस्कि इं जडया: दे श के युवाओं को कौशल सेर् के साथ सशि िनाने के बलए लॉन्च बकया गया जो उन्हें अपने कायट वातावरण में अबिक
रोजगार योग्य और अबिक उत्पादक िनाता है ।
● कौशि जिकास और उद्यजमता पर राष्ट्रीय नीजत, 2015: इसका उद्दे श्य दे श के भीतर की जा रही सभी कौशल गबतबवबियों को एक
व्यापक ढां चा प्रदान करना, उन्हें सामान्य मानकों के अनुरूप िनाना और कौशल को मां ग केंद्रों के साथ जोडना है ।
● पीएम-युिा योिना: उद्यबमता बशक्षा और प्रबशक्षण के माध्यम से उद्यबमता बवकास के बलए एक सक्षम पाररक्तस्थबतकी तंत्र िनाना है ;
उद्यबमता सहायता नेर्वकट की वकालत और आसान पहं च और समावेशी बवकास के बलए सामाबजक उद्यमों को िढावा दे ना।
● इं जडया इं स्टीट्यूट ऑफ क्तस्कल्स (आईआईएस): कौशल की गुणविा और मात्रा के मामले में एक बनबित मानक और स्तर स्थाबपत
करना।
● प्रधान मंत्री कौशि जिकास योिना: रोजगार योग्य कौशल के प्रबत योग्यता को प्रोत्साबहत करना और संभाबवत और मौजूदा दै बनक
वेतन भोबगयों की कायटकुशलता को िढाना, मौबद्रक पुरस्कार और पुरस्कार दे कर और उन्हें गुणविापूणट प्रबशक्षण प्रदान करना।
● दीन दयाि उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योिना: ग्रामीण गरीि युवाओं को आबथटक रूप से स्वतं त्र और बवि स्तर पर प्रासंबगक कायटिल
में िदलना।
● औद्योजगक मूल्य संिधयन के जिए कौशि सुदृढीकरण (स्टर ाइि) पररयोिना: औद्योबगक प्रबशक्षण संस्थानों (आईर्ीआई) और
प्रबशक्षुओं के माध्यम से प्रदान बकए जाने वाले कौशल प्रबशक्षण की प्रासंबगकता और दक्षता में सुिार करना।
● मानि संसाधन एिं जिकास मं त्रािय की पहि: इसने मानव संसािन बवकास के बलए बनम्नबलक्तखत पहल की हैं
○ ऑपरे शन जडजिटि बोडय : भारत में गुणविापूणट बशक्षा को िढावा दे ने के बलए उभरती प्रौद्योबगबकयों का उपयोग करना।
○ आजटय जफजशयि इं टेजििेंस (एआई) और मशीन िजनिंग (एमएि) पर क्लाउड ररसचय िैब: ये लैि छात्रों को भारत में एआई और
एमएल नवाचार पर ध्यान केंबद्रत करने वाली अनुसंिान पहल को आगे िढाने के बलए एडब्ल्यूएस क्लाउड तकनीक का उपयोग करने के
अवसर प्रदान करें गे। यह आईआईर्ी-िीएचयू और अमेज़़ॅन इं र्रने र् सबवटसेज प्राइवेर् बलबमर्े ड (एआईएसपीएल) के िीच समझौता ज्ञापन
के तहत एक पहल है ।
○ सभी के जिए एआई: बशक्षा मंत्रालय ने बचप िनाने वाली बदिज कंपनी इं र्ेल और केंद्रीय माध्यबमक बशक्षा िोडट (सीिीएसई) के साथ हाथ
बमलाकर - 'एआई फॉर ऑल' - एक पहल की शुरुआत की घोषणा की, बजसका उद्दे श्य आबर्ट बफबशयल इं र्ेबलजेंस की िुबनयादी समझ
पैदा करना है ।
● आिीजिका संिधयन के जिए कौशि अजधग्रहण और ज्ञान िागरूकता ("संकल्प"): संस्थानों को मजिूत करने, िेहतर िाजार
कनेक्तक्टबवर्ी लाने और समाज के हाबशए पर रहने वाले वगों को शाबमल करने के माध्यम से गुणात्मक और मात्रात्मक रूप से
अल्पकाबलक कौशल प्रबशक्षण में सुिार करना।
● स्टाटय -अप ग्राम उद्यजमता कायय क्रम (एसिीईपी): ग्रामीण बवकास मंत्रालय द्वारा शुरू बकए गए एसवीईपी का उद्दे श्य ग्रामीण उद्यबमता
को िढावा दे ना है । यह मबहलाओं, अनुसूबचत जाबतयों और अनुसूबचत जनजाबतयों सबहत हाबशए पर रहने वाले समुदायों पर ध्यान केंबद्रत
करता है , उन्हें अपने स्वयं के सूक्ष्म उद्यम शुरू करने के बलए प्रबशक्षण, बविीय सहायता और सलाह प्रदान करता है ।
● राष्ट्रीय कैररयर सेिा (एनसीएस): एनसीएस श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा बवकबसत एक ऑनलाइन मंच है । यह नौकरी बमलान,
कररयर परामशट, कौशल मूल्यांकन और प्रबशक्षण कायटिम सबहत बवबभन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है । मंच का उद्दे श्य सभी
व्यक्तियों के बलए समान अवसर और रोजगार संसािनों तक पहं च की सुबविा प्रदान करना है , चाहे उनकी पृष्ठभूबम कुछ भी हो।
● मजहिा ई-हाट: मबहला एवं िाल बवकास मंत्रालय की यह पहल मबहला उद्यबमयों को अपने उत्पादों को प्रदबशटत करने और िेचने के बलए
एक ऑनलाइन मं च प्रदान करती है । इसका उद्दे श्य मबहलाओं के आबथटक सशक्तिकरण को िढावा दे ना और उनके बलए मुििारा की
अथटव्यवस्था में भाग ले ने के अवसर पैदा करना है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● उडान: उडान गृह मंत्रालय की एक बवशेष पहल है और राि्ीय कौशल बवकास बनगम (एनएसडीसी) द्वारा कायाट क्तन्वत की जाती है। यह
जम्मू और कश्मीर के िेरोजगार युवाओं के बलए कौशल बवकास और नौकरी प्लेसमेंर् पर केंबद्रत है ।
पीएम दक्ष
संदभय
● हाल ही में, सामाबजक न्याय और अबिकाररता मंत्रालय ने कौशल बवकास योजनाओं को लबक्षत समूहों - बपछडा वगट, अनुसूबचत जाबत और
सफाई कमटचारी तक सुलभ िनाने के बलए 'पीएम-दक्ष' (प्रिानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न बहतग्राही) पोर्ट ल और 'पीएम-दक्ष'
मोिाइल ऐप लॉन्च बकया है ।
पीएम दक्ष
● इसके अंतगटत पात्र लक्ष्य समूहों को अल्पावबि पर कौशल बवकास प्रबशक्षण कायटिम प्रदान बकये जाते हैं ।
पात्रता
● अनुसूबचत जाबत (अनुसूबचत जाबत), ओिीसी (अन्य बपछडा वगट), आबथटक रूप से बपछडे वगट, बवमु ि जनजाबत, कचरा िीनने वालों सबहत
स्वच्छता कायटकताट , मैनुअल मैला ढोने वाले, र्् ां सजें डर और अन्य समान श्रेबणयों के हाबशए पर रहने वाले व्यक्ति।
कायायन्वयन
● इसे मंत्रालय के अंतगटत तीन बनगमों द्वारा कायाट क्तन्वत बकया जाता है:
एसडीिी 8: सभी के बलए बनरं तर, समावेशी और बर्काऊ आबथटक बवकास, पूणट और उत्पादक रोजगार और सभ्य काम को िढावा दे ना।
िक्ष्य
2030 तक, युवाओं और बवकलांग व्यक्तियों सबहत सभी मबहलाओं और पुरुषों के बलए पूणट और उत्पादक रोजगार और सभ्य काम और समान
मूल्य के काम के बलए समान वेतन प्राप्त करना।
● श्रम अबिकारों की रक्षा करें और प्रवासी श्रबमकों, बवशेष रूप से मबहला प्रवाबसयों और अबनबित रोजगार वाले लोगों सबहत सभी श्रबमकों
के बलए सुरबक्षत कायट वातावरण को िढावा दें ।
● जिरन श्रम उन्मूलन, आिुबनक दासता और मानव तस्करी को समाप्त करने और िाल सैबनकों की भती और उपयोग सबहत िाल श्रम के
सिसे खराि रूपों पर प्रबतिंि और उन्मूलन सुबनबित करने के बलए तत्काल और प्रभावी उपाय करें , और 2025 तक िाल श्रम को उसके
सभी रूपों में समाप्त करें ।
● सांक्तख्यकी और कायय क्रम कायायन्वयन मंत्रािय ने िून, 2022 में जारी एक अध्ययन के बलए प्रिाजसयों और अस्थायी
आगंतुकों पर डे र्ा संकबलत बकया।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
महत्वपूणय शब्दाििी
कौशल बवकास और प्रबशक्षण, उद्यबमता, लैंबगक जागरुकता, अस्थायी आगंतुक, अपक्तस्कबलंग और रीक्तस्कबलंग, कृबत्रम िुक्तद्मिा, कुशल
समाज, श्रम-गहन क्षेत्र
छात्र नोट:
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● संस्थागत कंपबनयों द्वारा पारदशी तरीके से बकफायती लागत पर कमजोर समूहों के बलए
आवश्यक बविीय उत्पादों और सेवाओं तक पहं च सुबनबित करने की प्रबिया है ।
● सीमां त बकसान, भूबमहीन मजदू र, असंगबठत क्षेत्र के श्रबमक, शहरी झुिी-झोपडी में रहने
वाले, प्रवासी, अल्पसंिक और सामाबजक रूप से िबहष्कृत समूह, वररष्ठ नागररक, र्् ां सजेंडर
और मबहलाओं को बविीय समावेशन के पूवाट वलोकन से िाहर रखा गया है ।
● बविीय समावेशन के बलए िािाएाँ - दस्तावेजों की कमी, उच् लागत, बनजी क्षेत्र के िैंकों की
उदासीनता, बविीय बनरक्षरता, कम आय, गरीिी आबद।
● बवि िैंक समूह अत्यबिक गरीिी को कम करने और साझा समृक्तद् को िढावा दे ने के बलए बविीय समावेशन को एक महत्वपूणट समथटक
मानता है । इसे 17 सतत बवकास लक्ष्यों में से 7 के बलए एक समथट कारी के रूप में पहचाना गया है ।
● यह आबथटक संसािनों की उपलिता को मजिूत करता है और गरीिों के िीच िचत की अविारणा का बनमाट ण करता है ।
● यह समावेशी बवकास की बदशा में एक िडा कदम है । यह वंबचत आिादी के समग्र आबथटक बवकास में मदद करता है ।
● गरीिों और वंबचत लोगों को संशोबित बविीय उत्पाद और सेवाएाँ प्रदान करके उनके उत्थान के बलए प्रभावी बविीय समावेशन की
आवश्यकता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
स्टैं ड अप इं जडया
● ऐबतहाबसक रूप से, हाबशए पर रहने वाले समुदायों के व्यक्तियों को बवबभन्न सामाबजक-आबथटक कारकों के कारण औपचाररक ऋण तक
पहाँ चने में चु नौबतयों का सामना करना पडा है । इस योजना का लक्ष्य अनुसूबचत वाबणक्तज्यक िैंकों के माध्यम से सं पाबिटक -मुि ऋण प्रदान
करके इस अंतर को पार्ना है । इससे उनकी ऋण तक पहं च िढती है और वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में सक्षम होते हैं ।
● इसके अबतररि, ऋण के रूप में बविीय सहायता प्रदान करके, योजना अनुसूबचत जाबत, अनु सूबचत जनजाबत और मबहलाओं सबहत
हाबशए पर रहने वाले समुदायों के व्यक्तियों को उद्यमी िनने के बलए प्रोत्साबहत करती है ।
अन्य योिनाएाँ
● िन धन से िन सुरक्षा तक: िहत सस्ती कीमत पर जीवन और दु घटर्ना जोक्तखम िीमा और सामाबजक सुरक्षा प्रदान करने के बलए,
सरकार ने तीन महत्वाकां क्षी सामाबजक सुरक्षा योजनाएं (ए) प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योिना और (बी) प्रधान मंत्री िीिन ज्योजत
योिना और (ग) अटि पेंशन योिना।
● जीवन सुरक्षा िंिन योजना, प्रिान मंत्री वय वंदना योजना, अनुसूबचत जाबत के बलए उद्यम पूंजी कोष, प्रिान मंत्री सुरक्षा िीमा योजना
(पीएमएसिीवाई), आबद। अन्य योजनाएं हैं .
जित्तीय साक्षरता:
● बविीय साक्षरता ग्राहकों को उनके बविीय कल्याण के बलए सूबचत बवकल्प चुनने के बलए सशि िनाकर बविीय समावेशन की
खोज का समथटन करती है ।
● राष्ट्रीय जित्तीय जशक्षा रणनीजत 2020-2025
○ इसने बविीय बशक्षा को िढावा दे ने के बलए '5-कोर एक्शन' दृजष्ट्कोण का सुझाि जदया है।
○ रणनीबत पेपर में उक्तल्लक्तखत 5c हैं : सामग्री, क्षमता, समुदाय, संचार और सहयोग।
140
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
○ जैसे-जैसे मबहलाएं माइिोफाइनेंबसंग के माध्यम से आबथटक रूप से स्वतंत्र हो जाती हैं , उन्हें अक्सर अपने घरों और समुदायों
में बनणटय लेने की अबिक शक्ति प्राप्त होती है । इससे पारं पररक लैंबगक भूबमकाओं में िदलाव आ सकता है और अबिक
लैंबगक समानता में योगदान बमल सकता है ।
○ उदाहरण - भारत में SEWA (स्व-रोजगार मबहला संघ) ने माइिोफाइनेंबसंग के माध्यम से मबहलाओं को सशि िनाया है,
बजससे घरे लू और सामुदाबयक बनणटय लेने में भागीदारी िढी है ।
● जशक्षा और स्वास्थ्य सेिा तक बेहतर पहुंच:
○ िढी हई आय और बनणटय लेने की शक्ति के साथ, मबहलाएं अपने पररवार की बशक्षा और स्वास्थ्य दे खभाल में बनवे श करने
की अबिक संभावना रखती हैं , बजससे िेहतर समग्र कल्याण में योगदान होता है और कुपोषण के चि को तोड बदया जाता
है ।
● सामाजिक सशक्तक्तकरण और नेटिजकिंग:
○ मबहला स्वयं सहायता समूह सदस्ों को एक साथ आने, अनुभव साझा करने और एक-दू सरे का समथटन करने के बलए एक
मंच िनाते हैं ।
○ इस सामाबजक सशक्तिकरण और नेर्वबकिंग से लैंबगक भेदभाव, घरे लू बहं सा और िाल बववाह जैसे सामाबजक मुद्दों के
क्तखलाफ सामूबहक कारट वाई हो सकती है , बजससे लैंबगक असमानता का चि र्ू र् सकता है ।
○ उदाहरण: भारत के केरि में कुदु म्बश्री काययक्रम ने बवबभन्न सामाबजक मुद्दों को संिोबित करने और मबहला सशक्तिकरण
को िढावा दे ने के बलए मबहला एसएचजी के बलए माइिोफाइनेंबसंग का सफलतापूवटक उपयोग बकया है ।
● गुणक प्रभाि:
○ माइिोफाइनेंबसंग के माध्यम से मबहलाओं के आबथटक और सामाबजक सशक्तिकरण का समुदाय पर कई गुना प्रभाव पड
सकता है , क्ोंबक मबहलाएं अपनी आय को अपने पररवार की भलाई में बफर से बनवेश करने की अबिक संभावना रखती हैं ,
बजससे गरीिी कम होगी और स्वास्थ्य और पोषण में सुिार होगा।
ग्रामीण िैंक, सेवा और कुदु म्बश्री जैसे माइिोफाइनेंबसंग कायटिमों के सफल कायाट न्वयन के माध्यम से, मबहलाएं इन जबर्ल सामाबजक-
आबथटक चुनौबतयों से बनपर्ने में माइिोफाइनेंबसंग की पररवतटनकारी शक्ति का प्रदशटन करते हए िािाओं को दू र करने और अपने
जीवन और समुदायों को िदलने में सक्षम हई हैं ।
जनष्कषय
● बविीय समावेशन न केवल समाज के कमजोर वगों के सशक्तिकरण के बलए िक्तल्क दे श के सतत और समावेशी बवकास के बलए भी
आवश्यक है । इसे सतत बवकास लक्ष्यों के लक्ष्य 7 के बलए एक समथटकारी के रूप में भी पहचाना गया है । पहं च से खाता उपयोग की ओर
िढना भारत के बलए अगला कदम है ।
मुख्य शब्दाििी
बविीय समावेशन, समावेशी बवकास, बविीय साक्षरता, जन िन दशटक, कुदु म्बश्री कायटिम, माइिो फाइनेंबसंग, स्वयं सहायता समूह
(एसएचजी), संशोबित बविीय उत्पाद, गुणक प्रभाव
छात्र नोट:
141
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
15. भू ख
भू ख
पररभाषा
● भूख को एक ऐसी क्तस्थबत के रूप में पररभाबषत बकया जा सकता है बजसमें कोई व्यक्ति बनरं तर अवबि तक िुबनयादी पोषण संिंिी
जरूरतों को पूरा करने के बलए पयाट प्त भोजन नही ं खा सकता है ।
● जिबक भारत अपनी आिादी को क्तखलाने के बलए पयाट प्त भोजन का उत्पादन करता है ,
यह दे श दु बनया की 25 प्रबतशत भूखी आिादी का घर है ।
महत्वपूणट तथ्यों
● अनुमानतिः 3.1 बमबलयन िच्ों में से 1.1 बमबलयन की मृत्यु सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के
कारण होती है (अंतराट ि्ीय खाद्य नीबत अनुसंिान संस्थान, IFPRI)।
● गंभीर एनीबमया के कारण हर साल प्रसव के दौरान 50,000 मबहलाओं की मृत्यु हो जाती है । हर साल लगभग 18 बमबलयन िच्े आयोडीन
की कमी के कारण मक्तस्तष्क क्षबत के साथ पैदा होते हैं (आईएफपीआरआई)।
जिश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की क्तस्थजत ररपोटय , 2022 (खाद्य और ग्लोबि हंगर इं डेक्स, 2022 (कंसनय िल्डय िाइड और
कृजष संगठन द्वारा) िेल्थुंगरजहल्फे द्वारा)
● वैबिक स्तर पर भूख से प्रभाबवत लोगों की संिा 2021 में 828 ● भारत 121 दे शों में 107वें स्थान पर है और 'गंभीर' भूख
बमबलयन हो गई, जो 2020 के िाद से लगभग 46 बमबलयन की वृक्तद् श्रेणी में है ।
है । ● भारत की 14% आिादी अल्पपोबषत है ।
● कोबवड-19 महामारी फैलने के िाद से बवि में भूख का स्तर 150 ● िच्ों में िौनेपन की दर 37.4 प्रबतशत है ।
बमबलयन तक िढ गया है ।
● लगभग 670 बमबलयन लोग, या बवि जनसं िा का 8 प्रबतशत, 2030 में
भी भूख का सामना कर रहे होंगे।
● गरीबी: भारत की 20% से अबिक आिादी प्रबतबदन 1.25 डॉलर से कम पर जीवन यापन करती है । पैसे की कमी के कारण कई लोगों
को पयाट प्त पौबिक भोजन नही ं बमल पाता है बजनकी उन्हें ज़रूरत होती है ।
● मां स और दाल जैसे पौबिक भोजन की उपलिता, पहं च और सामथ्यट का अभाव। प्रभावी गुणविा बनयंत्रण का अभाव एक अबतररि मुद्दा
है ।
● भोिन की बबायदी: भारत में हर साल लगभग 67 बमबलयन र्न भोजन ििाट द होता है बजसकी कीमत लगभग 92,000 करोड रुपये आं की
गई है । सही संदभट में कहें तो यह राबश पूरे बिहार को एक साल तक क्तखलाने के बलए पयाट प्त है ।
● िैंजगक असमानता: सामाबजक मानदं डों के अनुसार, भोजन और पानी तक पहं च वास्तव में पुरुषों, बफर िच्ों और बफर मााँ की ओर
झुकी हई है जो हमेशा सिसे िाद में खाना खाती है ।
● जनरक्षरता: सावटभौबमक रूप से यह दे खा गया है बक बनरक्षरता, गरीिी और अल्पपोषण का सीिा संिंि है । उदाहरण के बलए, साक्षरता
की कमी गरीिी को जन्म दे ती है और पररणामस्वरूप अल्पपोषण, एक दु ष्चि पैदा करता है । इसके बवपरीत, भोजन िच्ों को उच् स्तर
की साक्षरता प्राप्त करने में मदद करता है , और उच् स्तर की साक्षरता वाले िच्े अबिक भोजन सुरबक्षत जीवन जीते हैं ।
● कृजष की कम उत्पादकता: वषाट आिाररत प्रकृबत, बवि, प्रौद्योबगकी की कमी के कारण कृबष की कम उत्पादकता भारत में भोजन की
उपलिता को सीबमत करती है ।
● िििायु पररितय न: जलवायु पररवतटन ने भारत की खाद्य सुरक्षा चुनौबतयों की भयावहता को िढा बदया है । आपदाओं, िाढ और सूखे की
लगातार घर्ना ने भोजन की उपलिता और भोजन की गुणविा को प्रभाबवत बकया है ।
142
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● बछपी हई भूख ति होती है जि लोगों द्वारा खाए जाने वाले भोजन की गुणविा उनकी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा नही ं करती
है , इसबलए भोजन में बवर्ाबमन और खबनज जैसे सू क्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है बजनकी उन्हें अपनी वृक्तद् और बवकास के बलए
आवश्यकता होती है ।
● जछपी हुई भूख के कारण: सू क्ष्म पोषक तत्वों की कमी, खराि आहार, पौबिक भोजन की उपलिता, पहं च और सामथ्यट की कमी।
उदाहरण - मां स, फल, सक्तब्जयााँ आबद। जागरूकता की कमी, सुरबक्षत पेयजल और स्वच्छता सुबविाओं की कमी, कुछ जीवन चरणों के
दौरान सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता में वृ क्तद्। उदाहरण - गभाट वस्था एवं स्तनपान के दौरान, कृबष में फसल बवबविता का अभाव
आबद।
दु जनया में जछपा भूख सं कट
● दु बनया भर में 2 अरि से अबिक लोग बछपी हई भूख से पीबडत हैं , 805 बमबलयन से दोगुने से भी अबिक लोग बजनके पास खाने के बलए
पयाट प्त खाना नही ं है (खाद्य और कृबष संगठन, 2014)।
● अफ़्रीका का अबिकां श भाग, सहारा के दबक्षण में और दबक्षण एबशयाई उपमहाद्वीप ऐसे हॉर्स्पॉर् हैं जहााँ बछपी हई भूख की व्यापकता
अबिक है ।
● कई बवकासशील दे शों को कुपोषण के "जतहरे बोझ" के रूप में जाना जाता है - अल्पपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और
मोटापा।
प्रभाि
● बच्चे और जकशोर: िौनापन और कमजोरी, मानबसक दु िटलता, िार-िार संिमण, िाल स्वास्थ्य और उिरजीबवता पर प्रबतकूल प्रभाव,
उच् मृ त्यु दर आबद।
● गभयिती मजहिाएाँ -:मृत्यु दर में वृक्तद्, प्रसवकालीन जबर्लताओं में वृक्तद् आबद
● ियस्क: खराि स्वास्थ्य, कम उत्पादकता और यहां तक बक मृत्यु, कुपोषण, पुरानी िीमाररयों का खतरा िढ जाना, यहां तक बक हल्की से
मध्यम कमी भी बकसी व्यक्ति की भलाई और बवकास को प्रभाबवत कर सकती है ।
● राष्ट्रों के जिकास पर प्रभाि: मानव स्वास्थ्य को प्रभाबवत करने के अलावा, बछपी हई भूख बवशेष रूप से बनम्न और मध्यम आय वाले दे शों
में सामाबजक-आबथटक बवकास को प्रभाबवत कर सकती है ।
बछपी हई भूख' भूख पैदा नही ं करती जैसा बक हम जानते हैं । हो सकता है बक आप इसे पेर् में महसूस न करें , लेबकन यह आपके स्वास्थ्य
और जीवन शक्ति के मूल पर प्रहार करता है । - यूजनसे फ
छु पी हुई भूख को दू र करने के उपाय
● अनुपूरक: यह एक तकनीकी दृबिकोण है बजसमें पोषक तत्वों को बसरप या गोबलयों के माध्यम से सीिे वांबछत आिादी तक पहं चाया
जाता है ।
o अनुपूरक कायटिमों का उपयोग केवल एक अल्पकाबलक उपाय के रूप में बकया जाता है और बफर इसे दीघटकाबलक, बर्काऊ
भोजन-आिाररत उपायों जैसे फोबर्ट बफकेशन और आहार संशोिन के साथ िदल बदया जाता है ।
● फूड फोजटय जफकेशन: फूड फोबर्ट बफकेशन से तात्पयट प्रसंस्कृत खाद्य पदाथों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को शाबमल करने से है ।
o इसमें खाद्य प्रसंस्करण के दौरान खोए गए पोषक तत्वों को िहाल करना शाबमल है , एक प्रबिया बजसे संविटन के रूप में जाना जाता
है और उन पोषक तत्वों को जोडना जो भोजन में स्वाभाबवक रूप से मौजूद नही ं हो सकते हैं , एक प्रबिया बजसे फोबर्ट बफकेशन के
रूप में जाना जाता है ।
o बायोफोजटय जफकेशन - उत्पाबदत फसल में वां बछत गुणों को शाबमल करने के बलए पौिों के प्रजनन की िेहतर तकनीकों का
उपयोग करके या पौिों को आनुवंबशक रूप से संशोबित करके फसल बकस्मों के पोषण गुणों को िढाना।
● खाद्य जिजिधीकरण
o इसका मतलि सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदाथों की मात्रा और सीमा दोनों को िढाना है ।
o यह आिादी के पोषण में सुिार करने का पसंदीदा तरीका है क्ोंबक इसमें एक साथ सूक्ष्म पोषक तत्व ही नही,ं िक्तल्क
एं र्ीऑक्तक्सडें र् और प्रोिायोबर्क्स जैसे कई खाद्य घर्कों के सेवन में सुिार करने की क्षमता है ।
143
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
पोषण अजभयान
● इसका लक्ष्य िच्ों में स्टं जटं ग और िेक्तस्टं ग को प्रजत िषय 2% (2022 तक कुल 6%) और िच्ों , बकशोर लडबकयों और गभटवती
मबहलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में एनीजमया को प्रजत िषय 3% (2022 तक कुि 9%) कम करना है।
● राज्य सरकारों और केंद्रशाबसत प्रदे शों ने इसके लॉन्च होने के िाद से इसके तहत जारी धन का केिि 30% ही उपयोग जकया है।
● ईट राइट इं जडया मूिमेंट: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राबिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा नागररकों को सही खान-पान की ओर
प्रेररत करने के बलए आयोबजत एक आउर्रीच गबतबवबि।
● पोषण अजभयान: 2018 में मबहला एवं िाल बवकास मंत्रालय द्वारा शुरू बकया गया, इसका लक्ष्य स्टं बर्ं ग, अल्पपोषण, एनीबमया (छोर्े
िच्ों, मबहलाओं और बकशोर लडबकयों के िीच) को कम करना है ।
● प्रधानमंत्री मातृ िंदना योिना: मबहला एवं िाल बवकास मंत्रालय द्वारा बियाक्तन्वत एक केंद्र प्रायोबजत योजना, एक मातृत्व लाभ कायटिम
है बजसे 1 जनवरी, 2017 से दे श के सभी बजलों में लागू बकया जा रहा है ।
● फूड फोजटय जफकेशन: फूड फोबर्ट बफकेशन या खाद्य संविटन चावल, दू ि और नमक जैसे प्रमु ख खाद्य पदाथों में उनकी पोषण सामग्री में
सुिार करने के बलए आयरन, आयोडीन, बजंक, बवर्ाबमन ए और डी जैसे प्रमुख बवर्ाबमन और खबनजों को शाबमल करना है ।
● राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अजधजनयम, 2013: यह कानूनी तौर पर 75% ग्रामीण आिादी और 50% शहरी आिादी को लबक्षत सावटजबनक
बवतरण प्रणाली के तहत सक्तिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का हकदार िनाता है ।
● जमशन इं द्रधनुष: इसका लक्ष्य 2 वषट से कम उम्र के िच्ों और गभटवती मबहलाओं को 12 वैक्सीन-बनवारक िीमाररयों (वीपीडी) के
क्तखलाफ र्ीकाकरण करना है ।
● एकीकृत बाि जिकास सेिा (आईसीडीएस) योिना: 2 अक्टू िर, 1975 को शुरू की गई, आईसीडीएस योजना छह सेवाओं (पूरक
पोषण, प्री-स्कूल अनौपचाररक बशक्षा, पोषण और स्वास्थ्य बशक्षा, र्ीकाकरण, स्वास्थ्य जां च और रे फरल सेवाओं) का एक पैकेज प्रदान
करती है । यह 0-6 वषट के आयु वगट के िच्ों, गभटवती मबहलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के बलए उपलि है ।
मध्याह्न भोिन योिना
● योिना का उद्दे श्य: बशक्षा मंत्रालय के तहत दे श भर में स्कूली उम्र के िच्ों की पोषण संिंिी क्तस्थबत में सुिार करना।
● योिना की उत्पजत्त: मध्याह्न भोजन योजना 1930 से फ्रां सीसी प्रशासन के तहत केंद्र शाबसत प्रदे श पुडुचेरी में लागू की गई है ।
o स्वतंत्र भारत में, मध्याह्न भोजन योजना पहली िार 60 के दशक की शुरुआत में तबमलनाडु में शुरू की गई थी।
o भारत सरकार ने 15 अगस्त 1995 को प्राथबमक बशक्षा के बलए पोषण संिंिी सहायता का राि्ीय कायटिम (एनपी-एनएसपीई)
शुरू बकया।
o 2002 तक, यह योजना भारत के सवोच् न्यायालय के आदे श के तहत सभी राज्यों में लागू की गई थी।
● योिना के बारे में : यह योजना प्राथबमक स्तर पर प्रत्येक िच्े को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोर्ीन के साथ पका हआ मध्याह्न भोजन
और उच् प्राथबमक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोर्ीन प्रदान करती है ।
o इस योजना का नाम िदलकर पीएम-पोषण (प्रिानमंत्री पोषण शक्ति बनमाट ण) योजना कर बदया गया, बसतंिर 2021 में, बशक्षा
मंत्रालय ने इस संिंि में एक अबिसूचना जारी की, जो इस योजना के बलए नोडल मंत्रालय है ।
o यह सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, स्थानीय बनकाय, बशक्षा गारं र्ी योजना और वैकक्तल्पक नवीन बशक्षा केंद्रों, सवट बशक्षा अबभयान
के तहत समबथटत मदरसा और मकति और राि्ीय िाल श्रम पररयोजना स्कूलों में प्राथबमक और उच् प्राथबमक कक्षाओं के िच्ों
के बलए कायट बदवसों पर मुफ्त दोपहर का भोजन प्रदान करता है ।
o 1.27 बमबलयन से अबिक स्कूलों और बशक्षा गारं र्ी योजना केंद्रों में 120 बमबलयन िच्ों को सेवा प्रदान करने वाली मध्याह्न भोजन
योजना दु बनया में अपनी तरह की सिसे िडी योजना है ।
o केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा की बक 2022 तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पूवट -प्राथबमक बशक्षा प्राप्त करने
वाले अबतररि 24 लाख छात्रों को भी इस योजना के तहत शाबमल बकया जाएगा।
o मध्याह्न भोिन योिना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अजधजनयम, 2013 के अंतगटत आती है ।
मध्याह्न भोिन योिना पर सं सदीय सजमजत की ररपोटय
144
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● एक संसदीय सजमजत ने जमड डे मीि योिना के तहत धन के 'कम उपयोग' पर बचंता जताई , बजन्हें दे श में "जशक्षा की रीढ" माना
िाता है।
● ररपोर्ट के मुताबिक, केंद्र के तहत कुल आवंर्न में से 40,576 करोड रुपये स्कूली बशक्षा एवं साक्षरता बवभाग के अंतगयत आने वाली
प्रायोबजत योजनाओं पर मात्र 23,572 करोड रुपये खचट बकये गये।
● बशक्षा, मबहला, िच्े, युवा और खेल पर बवभाग से संिंबित संसदीय स्थायी सबमबत ने केंद्र को कम उपयोग के पीछे के कारकों की
पहचान करने का बनदे श बदया है ।
● पीएम - पोषण योजना, बजसके तहत स्कूलों में छात्रों को पका हआ भोजन उपलि कराया जाता है , आबिकाररक तौर पर आठवी ं कक्षा
तक के 11.8 करोड िच्ों को कवर करती है ।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अजधजनयम, 2013
● उद्दे श्य: लोगों को गररमा के साथ जीवन जीने के बलए सस्ती कीमतों पर पयाट प्त मात्रा में गुणविा वाले भोजन तक पहं च सुबनबित करके
मानव जीवन चि दृबिकोण में भोजन और पोषण सुरक्षा प्रदान करना।
● अजधजनयम का किरे ि:
o िजक्षत साियिजनक जितरण प्रणािी (टीपीडीएस) के तहत सक्तिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के बलए 75% तक ग्रामीण आिादी
और 50% तक शहरी आिादी को कवरे ज प्रदान करता है , इस प्रकार लगभग दो-बतहाई आिादी को कवर बकया जाता है ।
● अजधजनयम के तहत पात्रता:
o पात्र व्यक्ति प्रजत व्यक्तक्त प्रजत माह 5 जकिोग्राम खाद्यान्न चािि/गेहं/मोटे अनाि के जिए 3/2/1 प्रजत जकिोग्राम रुपये की
ररयायती कीमत पर प्राप्त करने के हकदार होंगे।
o मौजूदा अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) पररवार, जो गरीिों में सिसे गरीि हैं , को प्रबत माह प्रबत पररवार 35 बकलोग्राम खाद्यान्न
बमलता रहे गा।
● िाभाजथययों की पहचान:
o ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 75% और 50% के अक्तखल भारतीय कवरे ज के अनुरूप , राज्य-वार कवरे ज केंद्र सरकार द्वारा
बनिाट ररत बकया जाता है ।
o पात्र पररवारों की पहचान का कायट राज्यों/केंद्रशाबसत प्रदे शों द्वारा बकया जाना है ।
● कमिोर समूह के िोगों के जिए प्रािधान:
o एकीकृत िाल बवकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजनाओं के तहत बनिाट ररत पोषण मानदं डों के
अनुसार भोजन के हकदार हैं ।
o 14 वषट तक की आयु के िच्े बनिाट ररत पोषण मानकों के अनुसार पौबिक भोजन के हकदार हैं । पात्र खाद्यान्न या भोजन की आपूबतट
न होने की क्तस्थबत में, लाभाबथटयों को खाद्य सुरक्षा भिा बमलेगा।
o गभटवती मबहलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गभाट वस्था के दौरान और िच्े के जन्म के छह महीने िाद भोजन के
अलावा, ऐसी मबहलाएं कम से कम 6,000 रुपये का मातृत्व लाभ प्राप्त करने की हकदार हैं ।
o राशन काडट जारी करने के बलए पररवार की 18 वषट या उससे अबिक उम्र की सिसे िुजुगट मबहला पररवार की मुक्तखया होगी।
● जशकायत जनिारण: बजला और राज्य स्तर पर बशकायत बनवारण तंत्र। राज्यों को मौजूदा मशीनरी का उपयोग करने या अलग तंत्र
स्थाबपत करने की छूर् होगी।
िैजश्वक खाद्य नीजत ररपोटय 2023
● अपनी सिसे हाबलया ररपोर्ट , िैजश्वक खाद्य नीजत ररपोटय , 2023 में, अंतराट ि्ीय खाद्य नीबत अनुसंिान संस्थान (आईएफपीआरआई) ने
तकय जदया जक यबद जीवन, आजीबवका और संसािनों को िचाना है तो प्रारं बभक चेतावनी प्रणाबलयों में बनवेश बकया जाना चाबहए।
● मुख्य जनष्कषय:
o इस ररपोर्ट में तीन महत्वपूणट क्षेत्रों पर ध्यान केंबद्रत करते हए, खाद्य प्रणाली पर पडने वाले झर्कों के प्रबत अबिक सबिय प्रबतबिया
का आग्रह बकया गया है :
■ संकर्ों की भबवष्यवाणी करना और उनके बलए तैयारी करना
145
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● नीबत आयोग ने मोर्ापे को "मूक महामारी" िताया है । मोर्ापे को असामान्य या अत्यबिक वसा संचय के रूप में पररभाबषत बकया गया है
जो स्वास्थ्य के बलए खतरा पैदा करता है । 25 से अबिक िॉडी मास इं डेक्स (िीएमआई) को अबिक वजन माना जाता है , और 30 से
अबिक को मोर्ापा माना जाता है। अबिक वजन वाले या मोर्ापे से ग्रस्त अबिकां श िच्े बवकासशील दे शों में रहते हैं , जहां वृक्तद् की दर
बवकबसत दे शों की तुलना में 30% अबिक है ।
● मोटापे के जिए िोक्तखम कारक
o अस्वास्थ्यकर भोजन वातावरण (पहं च, वां छनीयता, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदाथों की सामथ्यट)
o अपयाट प्त शारीररक गबतबवबि और गबतहीन जीवन शैली
o अपयाट प्त स्तनपान प्रथाएाँ
o माता-बपता का मोर्ापा, मातृ अल्पपोषण
● मोटापा कम करने की जदशा में भारत का कदम
o एफएसएसएआई की ईट राइट इं जडया पहि: सुरबक्षत और पौबिक भोजन सेवन को एकीकृत करती है , स्कूल पररसर के
आसपास स्वस्थ भोजन को िढावा दे ती है ।
o जफट इं जडया पहि: बफर्नेस और शारीररक गबतबवबियों पर जागरूकता फैलाएं और बफर्नेस को हर स्कूल, कॉलेज और गां व तक
पहं चाएं ।
o बशशु और छोर्े िच्े के आहार के बलए मााँ का पूणट स्नेह (एमएए) कायटिम।
नीजत आयोग ने मातृ, जकशोर और बचपन के मोटापे की रोकथाम पर राष्ट्रीय सम्मेिन आयोबजत बकया
● इसका उद्दे श्य भारत में िच्ों, बकशोरों और मबहलाओं में अबिक वजन और मोर्ापे की रोकथाम के बलए नीबत बवकल्प बवकबसत करना
है ।
आगे की राह
● भूख बमर्ाने में कृबष, ग्रामीण बवकास, सभ्य कायट, सामाबजक सुरक्षा और अवसर की समानता में बनवेश शाबमल है । यह शां बत और क्तस्थरता
तथा गरीिी कम करने में िडा योगदान दे गा। यह सभी के बलए िेहतर पोषण में योगदान दे गा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
मुख्य शब्दाििी
लैंबगक असमानता , गरीिी और अल्पपोषण , खाद्य सुरक्षा चुनौबतयााँ , "बतहरा िोझ ", कुपोषण, अल्पपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी,
मोर्ापा, बछपी हई भूख , खाद्य पौबिकरण, खाद्य बवबविीकरण, पोषण अबभयान , बमशन इं द्रिनुष
147
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
16. गरीबी
पररभाषा
● गरीिी का तात्पयट जीवन की आवश्यकताओं - भोजन, स्वच्छ पानी, आश्रय और कपडों - को पूरा करने के बलए पयाट प्त संसािनों की कमी
से है । बवि िैंक अत्यबिक गरीिी को प्रबतबदन 1.90 अमेररकी डॉलर से कम पर जीवन यापन करने के रूप में पररभाबषत करता है ।
● पूणट गरीिी से तात्पयट उन लोगों से है बजनकी आय बकसी दे श द्वारा बनिाटररत सीमा से नीचे आती है । इस रे खा के नीचे लोग भोजन, पानी
और आश्रय जैसी अपनी िुबनयादी जरूरतों को पूरा करने में असमथट हैं ।
● सापेक्ष गरीिी जीवन की एक ऐसी क्तस्थबत को संदबभटत करती है जहां लोग आवश्यकताएं तो वहन कर सकते हैं लेबकन अपने समाज के
औसत जीवन स्तर को पूरा करने में असमथट होते हैं ।
मु ख्य तथ्य (जिश्व बैं क )
● बवि जनसंिा के 700 बमबलयन से अबिक लोग (10%) अत्यबिक गरीिी में रहते हैं ।
● अंतराट ि्ीय गरीिी रे खा से नीचे रहने वाले पााँ च में से चार लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे।
● गरीिों में आिे िच्े हैं । अबिकां श क्षेत्रों में मबहलाएं अबिकां श गरीिों का प्रबतबनबित्व करती हैं ।
● वैबिक गरीिों में से 40 प्रबतशत से अबिक लोग कमजोरी, संघषट और बहं सा से प्रभाबवत अथटव्यवस्थाओं में रहते हैं ।
भारत में गरीबी
● तेंदुिकर सजमजत (2011): 21.9% जनसं िा िीपीएल के अंतगटत।
● रं गरािन सजमजत (2014): 29.5% जनसं िा िीपीएल के अंतगटत।
● िैजश्वक बहुआयामी गरीबी सूचकांक, 2022: भारत में दु बनया भर में गरीि लोगों की अि तक की सिसे िडी सं िा 22.8 करोड है ,
इसके िाद नाइजीररया में 9.6 करोड है । 2005-06 और 2019-21 के िीच 15 साल की अवबि के दौरान भारत में 41.5 करोड लोग
गरीिी से िाहर बनकले।
उद्दे श्य
● गरीिी को उसके कई आयामों में मापना और वास्तव में प्रबत व्यक्ति उपभोग व्यय के आिार पर मौजूदा गरीिी आं कडों को पूरा करना।
महत्व
● महत्वपूणय साियिजनक नीजत उपकरण: भारत की राि्ीय िहआयामी गरीिी के बवकास के बलए एक सावटजबनक नीबत उपकरण
स्थाबपत बकया जाएगा जो िहआयामी गरीिी की बनगरानी करता है , साक्ष्य-आिाररत और केंबद्रत हस्तक्षेपों की सूचना दे ता है , बजससे यह
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
जनष्कषय
● भारत की राि्ीय एमपीआई की पररकल्पना िहआयामी गरीिी को मापने और इसके व्यवक्तस्थत उन्मूलन के बलए िक्ष्य-उन्मुख कायों में
तेिी िाने के बलए एक व्यापक उपकरण के रूप में की गई है ।
● सूचकां क के आयाम लबक्षत नीबतगत हस्तक्षेपों को पहचानने और प्राप्त करने में मददगार साबित हए हैं ।
● संयुक्त राष्ट्र एमडीिी काययक्रम: भारत की 6.7% आिादी, 2018-19 में $1.25 की गरीिी रे खा से नीचे रहती थी।
● ऑक्सफैम(2018): भारत का शीषट 1% आिादी के पास 73% संपबि है ।
गरीबी के कारण
● सामाजिक पररक्तस्थजत
o असमानता: असमानता अपने आप में एक समस्ा है लेबकन अत्यबिक गरीिी उन्मूलन के बलए एक चु नौती भी है । आय, बलंग,
नि, जाबत, जातीयता, िमट, क्षेत्र और बवकलां गता की क्तस्थबत के आिार पर असमानता बशक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास सुबविाओं
आबद को सीबमत करती है और व्यक्ति की प्रगबत में िािा डालती है , बजसके पररणामस्वरूप गरीिी होती है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o िाजत व्यिस्था: जाबत व्यवस्था ने बनचली जाबत के लोगों पर कई बनयोग्यताएाँ थोप दीं। उनमें से अबिकां श भूबमहीन हैं और
सामाबजक-आबथटक-राजनीबतक क्षेत्र में भेदभाव और िबहष्कार का सामना करते हैं बजसके पररणामस्वरूप सामाबजक, आबथटक और
राजनीबतक गबतशीलता के बलए कम अवसर बमलते हैं और गरीिी िनी रहती है ।
o जपतृसत्ता: बपतृसिा समाज की एक ऐसी व्यवस्था है बजसमें पुरुषों के पास सिा होती है और मबहलाओं को काफी हद तक इससे
िाहर रखा जाता है । अबशक्षा, अवैतबनक घरे लू काम, " बपंक-कॉलर" नौकररयां , िच्ों की बजम्मेदाररयां , घरे लू और यौन बहं सा, संपबि
के अबिकारों की कमी आबद के कारण मबहलाएं पुरुषों की तुलना में अबिक गरीि होती हैं जो बपतृसिा से प्रकर् होती हैं ।
o भेदभाि और बजहष्कार: राजनीबतक, सामाबजक और आबथटक क्षेत्र से भेदभाव और िबहष्कार अक्सर मानवाबिकारों का उल्लंघन,
बशक्षा की कमी, आजीबवका के अवसरों की अनुपक्तस्थबत गरीिी का कारण िनता है और गरीिों को और अबिक गरीि िनाता है।
उदाहरण के बलए - यह र्् ां सजेंडर समुदायों और बनचली जाबत समूहों के िीच गरीिी के मुि कारणों में से एक है ।
o अजधक िनसंख्या: जहां तेजी से जनसंिा वृक्तद् आबथटक बवकास से आगे बनकल जाती है , वहां दे श अपने लोगों की भलाई को
सुरबक्षत करने और आगे आबथटक बवकास को प्रोत्साबहत करने के बलए आवश्यक मानव पूंजी में बनवे श करने के बलए संघषट करते हैं ।
अबिक आिादी वाले दे शों में भोजन की कमी, पानी और कमी, बशक्षा की कमी, अपयाट प्त स्वास्थ्य सुबविाएं , खराि संसािन और
अवरुद् आबथटक बवकास शाबमल हैं ।
● आजथयक कारक
o मुद्रास्फीजत - यबद बकसी व्यक्ति की आय का स्तर मुद्रास्फीबत के समान दर से नही ं िढता है , तो वह और अबिक गरीि हो जाएगा।
उच् मुद्रास्फीबत वाले दे श में गरीिी दर भी अबिक होने की संभावना है ।
o बेरोजगारी - िेरोज़गारी से बविीय संकर् पैदा होता है और दे श की समग्र िय क्षमता कम हो जाती है । इसके पररणामस्वरूप
गरीिी के साथ-साथ कजट का िोझ भी िढता है ।
o संसाधनों का कम उपयोग - प्राकृबतक संसािनों के साथ-साथ मानव संसािन भी बकसी भी राि् की आबथटक वृक्तद् और बवकास के
बलए महत्वपूणट हैं । इसका कम उपयोग आबथटक बवकास को प्रभाबवत करता है और इस प्रकार रोजगार के अवसरों और आय के
स्तर को प्रभाबवत करता है ।
o कम कृजष उत्पादकता - भारत में 50% से अबिक आिादी कृबष पर बनभटर है , लेबकन मानसून पर बनभटरता, इनपुर् की कमी आबद
के कारण इसकी कम उत्पादकता हजारों लोगों को गरीिी में िकेल दे ती है ।
● अन्य कारक
o भ्रष्ट्ाचार: भ्रिाचार आबथटक बवकास में दे री करता है , बवकृत करता है और अपना मागट प्रशस्त करता है । भ्रिाचार और गरीिी
आपस में जुडे हए हैं और एक-दू सरे को प्रभाबवत करते हैं । गरीिी भ्रिाचार को आमंबत्रत करती है जिबक भ्रिाचार गरीिी को और
गहरा करता है ।
o िििायु पररितय न: यह आजीबवका को िाबित करता है , पररवारों को उनके घरों से बनकलने के बलए मजिूर करता है और लोगों
को गरीिी में िकेल दे ता है । उदाहरण - अकेले सूखे से हर साल लगभग 55 बमबलयन लोग प्रभाबवत होते हैं ।
o संघषय और युद्ध: यह हत्याओं, चोर्ों और सेनाबनयों की भती के कारण घरे लू संरचना में िदलाव के माध्यम से गरीबी को सीधे
प्रभाजित करता है; संपबि और आजीबवका के बवनाश के कारण घरे लू आबथटक क्तस्थबत में पररवतटन के माध्यम से; और जिरन
बवस्थापन और प्रवासन के माध्यम से।
o कोजिड महामारी और िॉकडाउन: महामारी और वैबिक मंदी के कारण दु बनया की 1.4% से अबिक आिादी अत्यबिक गरीिी में
बगर सकती है ।
गरीबी का प्रभाि
● दु ष्चक्र: गरीिी एक ऐसे चि में मौजूद है जहां पररणाम और कारण आपस
में जुडे हए हैं ।
● असामाजिक व्यिहार - घर की कम आय ने असामाबजक व्यवहार
अपनाने , िदमाशी में भाग ले ने, िूर होने, चीजों को तोडने , िोखा दे ने या
झूठ िोलने के साथ सहसंिंि बदखाया है ।
● बच्चों पर प्रभाि ; गरीि िच्ों को कुपोबषत होने और उनके आत्मबविास
और सीखने की क्षमता से समझौता होने का खतरा रहता है । वयस्क होने
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
पर उनके गरीि होने की संभावना अबिक होती है , हाई स्कूल छोडने की संभावना अबिक होती है ।
● घरे िू जहंसा: गरीिों को तलाक और घरे लू बहं सा सबहत पाररवाररक समस्ाओं का अबिक खतरा होता है । पूवट के बलए- राि्ीय मबहला
आयोग (एनसीडब्ल्यू) के अनुसार, दे शव्यापी तालािंदी और इसके पररणामस्वरूप गरीिी के िाद से घरे लू बहं सा की बशकायतों में 2.5 गुना
वृक्तद् हई है ।
● स्वास्थ्य: गरीिी का असर शारीररक और मानबसक स्वास्थ्य पर पडता है । गरीि लोगों को कुपोषण, भूख और उच् बशशु मृत्यु दर सबहत
शारीररक स्वास्थ्य चुनौबतयों का सामना करना पडता है ।
● आिास और बेघर होना: गैर-गरीिों की तुलना में गरीिों के िेघर होने की अबिक संभावना है , लेबकन जीणट -शीणट आवास में रहने और
अपना घर खरीदने में असमथट होने की भी अबिक संभावना है ।
● भिाई को प्रभाजित करता है: गरीि लोगों की भलाई, भेदभाव, सामाबजक िबहष्कार, अपराि और बहं सा, कायटकाल की असुरक्षा,
खतरनाक पयाट वरणीय पररक्तस्थबतयों और शासन में आवाज की कमी से िाबित होती है ।
● अिसरों की कमी: गरीि लोग बशक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, िैंबकंग और पूंजी तक पहं च जैसी िुबनयादी सुबविाओं से वंबचत हैं और इस प्रकार
वे अवसरों से वंबचत हैं ।
गरीबी कम करने के सुझाि
● अवसरों में सुिार करें , िचपन से ही बशक्षा में बनवेश करें ● िन का समान बवतरण सुबनबित करें
● रोजगार में वृक्तद् और पूरक आय के रास्ते ● बवकास के क्षेत्रीय असंतुलन को संिोबित करें
● माताओं और पररवारों को आवश्यक सहायता प्रदान करें ● कृबष उत्पादकता में वृक्तद् करना और जलवायु पररवतटन के प्रबत
● जनसं िा बनयंत्रण के बलए प्रयास बकये जायेंगे इसकी लचीलापन िढाना
● गरीि लोगों को कौशल प्रबशक्षण प्रदान करें और उनकी रोजगार
क्षमता िढाएं
● बविीय समावेशन और पूंजी तक पहं च सुबनबित करें
मनरे गा का प्रभाि
● मनरे गा कायटिल में प्रबतबनबित्व औसतन 52% है ।
● गरीबी उन्मूिन- इससे गरीिी को 32% तक कम करने में मदद बमली और 14 बमबलयन लोगों को गरीिी में बगरने से रोका गया।
● जित्तीय समािेशन- साहूकारों पर बनभटरता कम हई।
● संपजत्त जनमायण- कृबष और ग्रामीण बवकास और पयाट वरण संरक्षण को लाभ पहं चाता है ।
● एससी और एसटी सशक्तक्तकरण- मनरे गा भागीदारी में एससी (22.6%) और एसर्ी (17.6%) की बहस्सेदारी लगभग 40% थी।
● व्यय में िृक्तद्ध- ग्रामीण पररवारों के माबसक प्रबत व्यक्ति उपभोग व्यय में उल्ले खनीय वृक्तद्।
● िैंजगक समानता- पारं पररक लैंबगक वेतन भेदभाव को कम करती है और मबहलाओं की सामाबजक-आबथटक क्तस्थबत पर सकारात्मक
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
प्रभाव डालती है ।
● राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अजधजनयम, 2013: यह अबिबनयम कानूनी तौर पर 75% ग्रामीण आिादी और 50% शहरी आिादी को लबक्षत
सावटजबनक बवतरण प्रणाली के तहत सक्तिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अबिकार दे ता है ।
● राष्ट्रीय सामाजिक सहायता काययक्रम: गरीिी रे खा से नीचे के पररवारों के वृद् व्यक्तियों, बविवाओं, बवकलां ग व्यक्तियों और प्राथबमक
कमाने वाले की मृत्यु पर शोक संतप्त पररवारों को सहायता प्रदान करना।
भारत में अभी भी गरीबी क्यों बनी हुई है ?
● ग्रामीण संकट: ग्रामीण संकर् मु ि रूप से िढती इनपुर् लागत, घर्ती भूबम जोत, जलवायु पररवतटन आबद के कारण कृबष बवफलता से
प्रेररत है । कृबष के अलावा अन्य क्षेत्रों में औद्योगीकरण और रोजगार के अवसरों की कमी गरीिी को कम करने में मुि िािा है ।
● महामारी का प्रभाि: कोबवड महामारी और पररणामी लॉकडाउन के पररणामस्वरूप व्यवसाय िंद हो गए, नौकरी छूर् गई और आय में
बगरावर् आई। अनुमान है बक भारत में गरीिों की संिा दोगुनी से भी अबिक हो गई है ।
● क्तस्थर जिजनमायण क्षेत्र: बवबनमाट ण क्षेत्र का बहस्सा जो िडे पैमाने पर रोजगार का सृजन करता है , सकल घरे लू उत्पाद का लगभग 15-16%
क्तस्थर है ।
● गरीबी-जिरोधी योिनाओं की जिफिता: अपयाट प्त िन, नौकरशाही उदासीनता, समावेशन और िबहष्करण त्रुबर्यां , भ्रिाचार, खराि
कायाट न्वयन, ऊपर से नीचे दृबिकोण के कारण गरीिी उन्मूलन कायटिम बवफल हो गए और उनकी सफलता सीबमत हो गई।
● िामपंथी उग्रिाद: भारत में गरीिी का एक भौगोबलक आयाम है। मध्य भारत और पू वोिर क्षेत्र में नक्सली और बवद्रोही बवकास कायों में
िािा डालते हैं और इस प्रकार ये भारत में प्रमुख गरीिी क्षेत्र हैं ।
● अन्य: बनरक्षरता, कौशल की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, जनसंिा बवस्फोर्, आपदाएाँ गरीिी उन्मूलन कायटिमों में िािाएाँ पैदा
करती हैं और इस प्रकार भारत में गरीिी िनी रहती है ।
हाजिया सु धार
● अजधक अिसर: बवबशि क्षेत्रों पर ध्यान केंबद्रत करके बवकासोन्मुख दृबिकोण को सुदृढ बकया गया है जो लोगों को बवकास प्रबिया में भाग
लेने के बलए अबिक अवसर प्रदान करता है ।
● क्षमता जनमायण: सरकारों ने बशक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और अन्य सुबविाओं के प्राविान के बलए आवंर्न में काफी वृक्तद् की है जो क्षमता
बनमाट ण और गरीिों की भलाई को िढावा दे ते हैं ।
● कमिोर िगों का सशक्तक्तकरण: अनुसूबचत जाबत (एससी) और अनुसूबचत जनजाबत (एसर्ी), बवकलां गों और अन्य कमजोर समूहों के
कल्याण के बलए बवशेष कायटिम शुरू बकए गए हैं ।
● नीचे से ऊपर का दृजष्ट्कोण: ग्रामीण गरीिी उन्मूलन कायटिमों को नया रूप बदया गया और उनकी प्रभावशीलता िढाने के बलए उन पर
बफर से ध्यान केंबद्रत बकया गया। योजना में सिा का बवकेंद्रीकरण, िॉर्म अप एप्रोच को एकीकृत बकया गया है । उदाहरण - मनरे गा।
● भ्रष्ट्ाचार पर अंकुश: योजनाओं के कायाट न्वयन में खाबमयों को दू र करने के बलए बडबजर्लीकरण, प्रत्यक्ष लाभ हस्तां तरण, बविीय
समावेशन और सामाबजक लेखा परीक्षा के प्राविान जैसी पहल की गई हैं ।
● सतत और समािे शी जिकास: बवकास में क्षेत्रीय और क्षेत्र आिाररत बवकास असंतुलन को संिोबित करने के बलए, सरकार ने एनईआर
के बवकास के बलए हररत िां बत 2.0, ब्लू इकोनॉमी, उिर पूवी क्षेत्र बवजन 2020 आबद जैसे कायटिम शुरू बकए हैं ।
आगे की राह
● गरीिी केवल आबथटक या राजनीबतक समस्ा नही ं है । यह एक नैबतक मुद्दा भी है और सामाबजक न्याय का मामला भी है ।
● गरीिी राि् के बवकास को भी खतरे में डालती है क्ोंबक यह आबथटक बवकास में िािा िनती है ।
● इस प्रकार सरकार, नागररक समाज आबद को बवबभन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से गरीिी उन्मूलन के बलए बमलकर काम करना चाबहए।
शहरी गरीबी/गरीब
● भारत में शहरीकरण की गबत िढने वाली है और इसके साथ ही शहरी गरीिी और शहरी मबलन िक्तस्तयााँ भी िढें गी। 2011 की जनगणना
के अनुसार -17.7% शहरी आिादी बजसमें 65 बमबलयन लोग शाबमल हैं , झुक्तियों में रहते हैं ।
● शहरी गरीिी की प्रकृबत आवास, पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य, बशक्षा, सामाबजक सुरक्षा, आजीबवका और मबहलाओं, िच्ों और वररष्ठ नागररकों
जैसे कमजोर समूहों की बवशेष जरूरतों के बलए बवबशि चुनौबतयां पेश करती है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● कारण - अबनयंबत्रत प्रवासन, मौजूदा भौबतक और सामाबजक िुबनयादी ढां चे पर जनसंिा का दिाव, अपयाट प्त बनवेश और अवसर,
ग्रामीण क्षेत्रों में आजीबवका के अवसरों की कमी, कृबष मंदी, वृक्तद् और बवकास में क्षेत्रीय असंतुलन।
● सरकारी पहि - शहरी गरीिों का स्वरोजगार कायटिम, जल जीवन बमशन शहरी, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राि्ीय शहरी आजीबवका
बमशन, प्रिान मंत्री आवास योजना (शहरी), अर्ल पेंशन योजना, आबद।
● शहरी गरीबों पर कोजिड का प्रभाि: हंगर िॉच द्वारा संकजित ररपोटय
o महामारी ने भारत में शहरी गरीिों को उनके ग्रामीण समकक्षों की तुलना में अबिक गरीि, भूखा और कम पोषण वाला िना बदया है
और पोषण की गुणविा और मात्रा में बगरावर् आई है ।
o इस खतरे से लडने के बलए सरकारी पहल:
■ पीएम स्वजनजध - यह एक माइिो-िेबडर् सुबविा है जो स्ट् ीर् वेंडरों को एक वषट की अवबि के बलए कम ब्याज दरों पर 10,000 रुपये का
संपाबिटक-मुि ऋण प्रदान करती है ।
■ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योिना - सरकार ने नवंिर, 2020 के अंत तक लगभग 80 करोड लोगों को हर महीने 5 बकलो चावल या गेहूं
के साथ एक बकलो पसंदीदा दाल उपलि कराई।
■ मुफ्त एिपीिी जसिेंडर: लॉकडाउन के दौरान उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन रखने वाले 8.3 करोड िीपीएल पररवारों को
मुफ्त एलपीजी बसलेंडर प्रदान बकए गए।
आगे की राह
● गरीिी और भुखमरी को बमर्ाना आसानी से वैबिक समाज की क्षमता में है लेबकन इसे हाबसल करने के बलए राजनीबतक इच्छाशक्ति होनी
चाबहए।
● आबथटक बवकास, बवशेष रूप से कृबष और ग्रामीण अथटव्यवस्था में व्यापक आिार पर बवकास, स्थायी गरीिी और भूख में कमी के बलए
एक आवश्यक शतट है । साथ ही सीिे तौर पर भूख को कम करने के बलए प्राथबमकता से कारट वाई करने की जरूरत है ।
● गरीिी में पयाट प्त और स्थायी कमी लाने के बलए आवश्यक है बक कृबष और ग्रामीण बवकास को िढावा दे ने के बलए ठोस कदम उठाए
जाएं ।
मुद्रास्फीजत और गरीबी:
● उच् मुद्रास्फीबत पैसे की िय शक्ति को नि कर दे ती है और गरीिों और वंबचतों पर प्रबतकूल प्रभाव डालती है , क्ोंबक वे अपनी आय
का एक िडा बहस्सा आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर खचट करते हैं । मुद्रास्फीबत से खपत कम हो सकती है , गरीिी िढ सकती है और
आय असमानता बिगड सकती है ।
● समाज के कमजोर वगों को मूल्य वृक्तद् के प्रबतकूल प्रभावों से िचाने के बलए बववेकपूणट मौबद्रक और राजकोषीय नीबतयों के माध्यम से
मुद्रास्फीबत का प्रिंिन करना महत्वपूणट है ।
मुद्रास्फीजत को प्रबंजधत करने के कुछ उपायों में शाजमि हैं:
● प्रभािी नीजतयां: मू ल्य क्तस्थरता िनाए रखने के बलए मुद्रास्फीबत लक्ष्यीकरण जैसे एक ठोस मौबद्रक नीबत ढां चे को लागू करना।
● बाधाओं को दू र करना: एक अच्छी तरह से कायटशील आपूबतट श्रृंखला सुबनबित करना और आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन और बवतरण
में संरचनात्मक िािाओं को दू र करना।
● जनष्पक्ष प्रजतस्पधाय: कीमतों को बनयंत्रण में रखने के बलए िाजार में प्रबतस्पिाट को िढावा दे ना।
● मुद्रास्फीबत लक्ष्यीकरण ढां चा: भारत में, भारतीय ररजवट िैंक (आरिीआई) ने मू ल्य क्तस्थरता िनाए रखने और मुद्रास्फीबत को बनयंत्रण में
रखने के उद्दे श्य से 2016 से मुद्रास्फीबत लक्ष्यीकरण ढां चा लागू बकया है । इस ढां चे के तहत, आरिीआई उपभोिा मूल्य मुद्रास्फीबत
(सीपीआई) के बलए एक लक्ष्य बनिाट ररत करता है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के बलए मौबद्रक नीबत कारट वाई करता है ।
ऐसी व्यापक आबथटक चुनौबतयों का प्रिं िन करके, सरकार एक क्तस्थर आबथटक वातावरण िना सकती है जो समावेशी बवकास को सुबविाजनक
िनाता है और आय असमानताओं को कम करता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
बेरोिगारी और गरीबी:
● उच् िेरोजगारी दर से न केवल प्रभाबवत व्यक्तियों और पररवारों की आय में कमी आती है , िक्तल्क सामाबजक अशां बत और अपराि दर
में वृक्तद् में भी योगदान होता है ।
● उदाहरण के बलए, भारत में, कोबवड-19 महामारी और आबथटक मंदी जैसे कारकों के कारण िेरोजगारी दर िढ रही है ।
○ 25 अप्रैल 2021 को समाप्त सप्ताह में दे श की िेरोजगारी दर 7.97% थी।
○ उच् िेरोजगारी दर के कारण नौकरी के अवसरों और िेहतर रोजगार संभावनाओं की मां ग को लेकर युवाओं और छात्र समूहों
द्वारा सामाबजक अशां बत और बवरोि प्रदशटन में वृक्तद् हई है ।
○ बवरोि प्रदशटन अक्सर बहं सक हो जाते हैं , बजससे अपराि दर में वृक्तद् होती है और कानून -व्यवस्था में व्यविान होता है ।
● गरीि और वंबचत लोग बवशेष रूप से िेरोजगारी के प्रबत संवेदनशील होते हैं , क्ोंबक उनके पास अक्सर क्तस्थर रोजगार हाबसल करने के
बलए आवश्यक कौशल, बशक्षा और संसािनों की कमी होती है । िेरोजगारी को दू र करने के बलए सरकार को रोजगार सृजन और कौशल
बवकास के बलए अनुकूल माहौल िनाने पर ध्यान दे ना चाबहए।
बेरोिगारी से जनपटने के कुछ उपायों में शाजमि हैं:
● सहायता प्रणािी: बविीय और बनयामक सहायता प्रदान करके उद्यमशीलता को प्रोत्साबहत करना और छोर्े और मध्यम उद्यमों
(एसएमई) को िढावा दे ना।
● कौशि जिकास: कायटिल को नौकरी िाजार के बलए आवश्यक कौशल से लैस करने के बलए कौशल बवकास कायटिमों और
व्यावसाबयक प्रबशक्षण में बनवेश करना।
● निाचार और अनु संधान एिं जिकास: उभरते क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के बलए नवाचार को िढावा दे ना और
अनुसंिान एवं बवकास में बनवेश करना।
पररचय
● अंतरायष्ट्रीय श्रम सं गठन के अनु सार, सामाबजक सुरक्षा वह सुरक्षा है जो समाज व्यक्तियों और पररवारों को प्रदान करती है : स्वास्थ्य
दे खभाल तक पहं च सुबनबित करना और आय सुरक्षा की गारं र्ी दे ना; बवशेषकर वृद्ावस्था, िेरोजगारी, िीमारी, बवकलां गता आबद के
मामलों में। दे श के प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सुरक्षा दे ना सावटभौबमक सामाबजक कल्याण कहलाता है ।
● अंतरायष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और यूजनसे फ ने "एक अरब से अजधक कारण: बच्चों के जिए साियभौजमक सामाजिक सुरक्षा बनाने
की तत्काि आिश्यकता" ररपोर्ट जारी की।
सािय भौजमक समाि कल्याण की आिश्यकता
● िनता की असुरक्षा: महामारी ने जनता की असुरक्षा को िढा बदया है क्ोंबक इसने अनुमाबनत 75 बमबलयन लोगों को गरीिी में िकेल
बदया है । दू सरी लहर ने बदखाया है बक स्वास्थ्य दे खभाल सेवाओं तक पहाँ चने के बलए पैसा भी पयाटप्त नही ं है । इसने मध्यम और उच् वगट
के नागररकों को भी घुर्नों पर ला बदया है ।
● सामाजिक कल्याण योिनाओं का खराब प्रदशय न: दे श में 500 से अबिक प्रत्यक्ष लाभ हस्तां तरण योजनाएं हैं , लेबकन बफर भी कई को
महामारी के दौरान वांबछत लाभ नही ं बमल पाया। योजनाओं को बवबभन्न बवभागों और उप-योजनाओं में बवभाबजत बकया गया है । इससे
डे र्ा संग्रह से लेकर अंबतम-मील बवतरण तक योजना के हर चरण में समस्ाएं पैदा होती हैं ।
● बेहतर पररणाम: भारत के पि पोबलयो यूबनवसटल र्ीकाकरण कायटिम ने 2014 में इसे पोबलयो मुि होने में मदद की। इससे पता
चलता है बक दे श में सावटभौबमक कायटिम चलाने और िेहतर पररणाम प्राप्त करने की क्षमता है ।
● समािेशन/बजहष्करण त्रुजटयों से बचना: सावटभौबमक प्रणाली दे श के प्रत्येक व्यक्ति और पररवार को शाबमल करे गी बजससे
समावेशन/िबहष्करण की समस्ा से बनपर्ा जा सकेगा। उदाहरण के बलए, राशन काडट के अभाव में पीडीएस को आिार या मतदाता
काडट जैसे सावटभौबमक पहचान पत्र से जोडा जा सकता है । इससे खाद्यान्न की आवश्यकता वाले बकसी भी व्यक्ति को इन योजनाओं ,
बवशेष रूप से प्रवासी आिादी तक पहं चने की अनुमबत बमल जाएगी।
● बेहतर िीिन स्तर: बशक्षा, मातृत्व लाभ, बवकलां गता लाभ आबद तक पहं च। सामाबजक लाभ लोगों के बलए िेहतर जीवन स्तर सुबनबित
करें गे।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● असंगजठत श्रजमक सामाजिक सुरक्षा अजधजनयम 2008: यह अबिबनयम असंगबठत क्षेत्रों के श्रबमकों को सामाबजक सुरक्षा लाभ प्रदान
करने और उनकी भलाई के बलए शुरू बकया गया था। यह अबिबनयम श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा कायाटक्तन्वत बकया जाता है ।
● राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योिना: असंगबठत श्रबमकों की स्वास्थ्य संिंिी जरूरतों को पूरा करने के बलए यह योजना शु रू की गई। यह
गरीिी रे खा से नीचे जीवन यापन करने वाले श्रबमकों के बलए है । यह असंगबठत क्षेत्र के श्रबमकों के बलए एक प्रकार की स्वास्थ्य िीमा
योजना है ।
● आम आदमी बीमा योिना: सरकार द्वारा प्रायोबजत यह सामाबजक सुरक्षा योजना असंगबठत क्षेत्र के व्यावसाबयक समूहों में काम करने
वाले सैकडों व्यक्तियों के बहतों की रक्षा के बलए है । यह योजना प्राकृबतक या आकक्तस्मक मृत्यु, बवकलां गता आबद की क्तस्थबत में िीमाकताट
को लाभ प्रदान करती है ।
● अनुबंध श्रम (जिजनयमन और उन्मू िन) अजधजनयम, 1970: यह अबिबनयम श्रबमकों के बलए िेहतर कामकाजी पररक्तस्थबतयों की
शुरूआत और कायटस्थल पर उन्हें बकसी भी प्रकार के शोषण से िचाने का प्राविान करता है ।
● प्रधान मंत्री श्रम योगी मान-धन (पीएम-एसिाईएम): असंगबठत श्रबमकों के बलए वृद्ावस्था सुरक्षा सुबनबित करने के बलए एक
स्वैक्तच्छक और अंशदायी पेंशन योिना।
● ई-श्रम पोटय ि: श्रबमकों तक सामाबजक सुरक्षा योजनाओं की बडलीवरी की सुबविा के बलए प्रवासी श्रबमकों सबहत असंगबठत श्रबमकों का
एक राि्ीय डे र्ािेस िनाना।
मजहिाएं
● स्वास्थ्य मंत्रािय द्वारा िननी सुरक्षा योिना - बीपीएि माताओं को सावटजबनक अस्पताल में िच्े को जन्म दे ने के बलए सशतट िन
बदया जाता है । िच्ों की उम्र या संिा की कोई सीमा नही ं है ।
● स्त्री स्वाजभमान: इिेक्ट्रॉजनक्स और सूचना प्रौद्योजगकी मंत्रािय द्वारा; ग्रामीण क्षेत्रों में बकशोररयों और मबहलाओं को बकफायती
सैबनर्री नैपबकन उपलि कराएगा।
● सुकन्या समृक्तद्ध योिना: िाबलका के नाम पर िैंक िचत खाता जो सामान्य िैंक खातों की तुलना में अबिक ब्याज दर प्रदान करता है।
ब्याज दरें आबथटक मामलों के बवभाग द्वारा तय की जाती हैं ।
● प्रगजत: आईआईर्ी/तकनीकी पाठ्यिमों की प्रवेश परीक्षा उिीणट करने वाली लडबकयों को एआईसीर्ीई की छात्रवृबि।
● उडान: सीिीएसई की आईआईर्ी/तकनीकी पाठ्यिमों की प्रवेश परीक्षाओं में िैठने वाली लडबकयों को मुफ्त कोबचंग दे ने की योजना
● शी - बॉक्स (2017): ऑनलाइन पोर्ट ल जहां मबहला कमटचारी (सावटजबनक और बनजी क्षेत्र की नौकररयों दोनों में) यौन उत्पीडन की
बशकायतें दजट कर सकती हैं । → सरकार ने POSH अजधजनयम 2013 के तहत कारट वाई शुरू की।
● प्रधानमंत्री उज्ज्विा योिना: पेटरोजियम मंत्रािय िीपीएल मबहलाओं के बलए मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दे ता है
● उज्ज्विा योिना (2007): मजहिा एिं बाि जिकास मंत्रािय की मबहला-िच्ों की तस्करी/वे श्यावृबि के बलए योजना।
● स्वाधार गृह योिना: संकर्ग्रस्त मबहलाओं को आश्रय, भोजन, कपडे और कौशल प्रबशक्षण प्रदान करने के बलए प्रत्येक बजले में
स्वाधार गृह आश्रय गृह स्थाबपत करना।
● सखी िन स्टॉप सेंटर (2015): (जनभयया फंड से पैसे का उपयोग करके स्थापना) ये केंद्र घरे लू
दु व्यटवहार/िलात्कार/वेश्यावृबि/तस्करी आबद से पीबडत मबहलाओं को सहायता प्रदान करते हैं ।
● उद्यजमता: सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रािय: राि्ीय बपछडा वगट बवि एवं बवकास बनगम (एनिीसीएफडीसी) → मबहला
समृक्तद् योजना → मबहला उद्यबमयों के बलए ररयायती ऋण।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
िना बदया है ।
o उच्च बेरोिगारी: अबिकां श िेरोजगारी डे र्ा - चाहे वह सेंर्र फॉर मॉबनर्ररं ग इं बडयन इकोनॉमी से हो या सरकार के अपने
आवबिक श्रम िल सवेक्षण से - दशाट ता है बक शहरी क्षेत्रों में िेरोजगारी दर आमतौर पर अबिक है ।
o भारत की लगातार उच् मुद्रास्फीबत से शहरी गरीि सिसे अबिक प्रभाबवत हैं ।
o भारतीय कस्े और शहर कम वेतन, खराि गुणविा, अनौपचाररक काम की व्यापकता से त्रस्त िने हए हैं । पीएलएफएस डे र्ा से
पता चलता है बक बनयबमत-वेतन वाले काम के प्रसार में वृक्तद् के िावजूद, शहरी कायटिल का 50 प्रबतशत से अबिक बहस्सा या तो
स्व-रोज़गार में है या आकक्तस्मक वेतन वाले काम में लगा हआ है ।
िाभ
o आजीबवका अबिकार कायटकताटओं का मानना है बक हालां बक यह योजना शहरी आिादी के िीच संकर् को कम करने में मदद
करे गी, लेबकन इसकी सफलता की अंबतम परीक्षा यह सुबनबित करना होगा बक यह श्रम िाजार में मजदू री दर में सुिार करे , जो
मनरे गा के प्रमुख योगदानों में से एक था।
o इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली नौकररयााँ ग्रामीण क्षेत्रों से बभन्न होंगी और अबिक कुशल कायटिल की आवश्यकता होगी।
o यह योजना उन लोगों के बलए गेम चेंजर साबित हो सकती है , बजन्होंने महामारी में अपनी नौकररयां खो दीं और उच् मुद्रास्फीबत के
िीच गुजारा करने के बलए संघषट कर रहे हैं ।
● उठाए गए कदम: राज्य सरकारों द्वारा
o यद्यबप शहरी क्षेत्रों के बलए महात्मा गां िी राि्ीय ग्रामीण रोजगार गारं र्ी अबिबनयम (मनरे गा) की तजट पर रोजगार गारं र्ी योजनाएं
हैं ।
o प्रत्येक गुजरते वषट के साथ, अबिक से अबिक भारतीय राज्य सरकारें मनरे गा के शहरी संस्करण की ओर अनुकूल दृबि से दे ख रही
हैं ।
o इसमे शाबमल है :
■ केरल (अय्यंकाली शहरी रोजगार गारं र्ी योजना),
■ ओबडशा (उन्नबत या शहरी वेतन रोजगार पहल),
■ बहमाचल प्रदे श (मुिमंत्री शहरी आजीबवका गारं र्ी योजना या एमएमएसएजीवाई),
■ मध्य प्रदे श (मु िमंत्री युवा स्वाबभमान योजना) और झारखंड (मुिमंत्री श्रबमक योजना)
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
आगे की राह
● आईएिओ के अनुसार , सावटभौबमक सामाबजक सुरक्षा को मानव अबिकार के रूप में मान्यता दे ना सामाबजक न्याय प्राप्त करने के बलए
मानव-केंबद्रत दृबिकोण की आिारबशला है । सावटभौबमक सामाबजक सुरक्षा के बलए हमारे प्रयासों की शुरुआत हमारी सामाबजक सुरक्षा
प्रणाबलयों को मजिूत करने से भी होनी चाबहए-
o कानू नी स्तर: सुरक्षा, कवरे ज और प्रभावी पहं च की सावटभौबमकता पर अबिकार-आिाररत और समावेशी कानून िनाने के बलए
सामाबजक सुरक्षा को मौबलक अबिकार के रूप में मान्यता दे ना।
o जडजिटि स्तर: डे र्ा बडबजर्लीकरण, डे र्ा-संचाबलत बनणटय लेने और सरकारी बवभागों में सहयोग पर ध्यान बदया जाना चाबहए।
इससे कायाट न्वयन क्षमता में सुिार होगा।
o नीजत-स्तर: पयाट प्त लाभ के साथ सामाबजक सुरक्षा तंत्र को सुदृढ और बवस्ताररत करने के बलए बनणाट यक नीबतगत कारट वाइयां ।
सरकार को राज्य और केंद्र की योजनाओं को समेबकत तरीके से मैप करना चाबहए। इससे कल्याणकारी सेवाएं प्रदान करने में
दोहराव, समावेशन और िबहष्करण त्रुबर्यों से िचा जा सकेगा। उदाहरण के बलए, प्रिानमंत्री गरीि कल्याण योजना
(पीएमजीकेवाई): इससे सावटभौबमक सामाबजक सुरक्षा को मजिूत बकया जा सकता है । यह पहले से ही सावटजबनक बवतरण प्रणाली
(पीडीएस), गैस बसलेंडर के प्राविान और मनरे गा के बलए मजदू री को समेबकत करती है ।
o शासन स्तर: प्रवतटन मशीनरी और योजनाओं के कुशल पयटवेक्षण और प्रभावशीलता के बलए पारदबशटता और जवािदे ही िढाना।
o आजथयक स्तर: सभी वगों के बलए व्यापक लाभ प्रदान करने के बलए सामाबजक सुरक्षा उपायों में उच् और बर्काऊ बनवेश सुबनबित
करें । नौकररयों के नए रूप जैसे जगग श्रजमक जो एक ऐसी व्यवस्था/गबतबवबि में काम करते हैं जो पारं पररक बनयोिा-कमटचारी
संिंि से िाहर है ।
o गरीबी का समाधान: िेरोजगारी सुरक्षा के साथ पूणट और उत्पादक रोजगार के माध्यम से। उदाहरण - अवैतबनक कायों को
मान्यता दे ना और िेरोजगारी लाभ योजनाओं का शुभारं भ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
o सूचना, जशक्षा और िागरूकता (आईईसी) अजभयान: अबिकारों के िारे में जागरूकता में सुिार करना, यूबनयन िनाना और
जीवन और कायट पररवतटन में लोगों का समथटन करना। इसके बलए स्वयंसेवी संगठनों और प्रबतिद् व्यक्तियों को लगाया जा सकता
है ।
o योिनाओं का साियभौजमकरण: श्रम िाजार गबतशीलता (सीमाओं के भीतर और पार) का समथटन करने के बलए लाभों की
हस्तां तरणीयता/पोर्े बिबलर्ी।
मुख्य शब्दाििी
उपलिता, पहं च, सामथ्यट , छु पी हई भूख, कुपोषण का बतगुना िोझ- अल्पपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, और मोर्ापा, िौनापन, वेक्तस्टंग,
पूरकता, खाद्य सुदृढीकरण, खाद्य बवबविीकरण, मूक महामारी (मोर्ापा), क्षमता दृबिकोण, लक्ष्य-उन्मुख दृबिकोण, व्यापक- आिाररत बवकास,
सावटभौबमक सामाबजक सुरक्षा, शहरी गरीिी, मानव-केंबद्रत दृबिकोण, डे र्ा बडबजर्लीकरण, जनसां क्तिकीय संिमण।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
सं द भय
● हाल ही में , श्रम और रोिगार मं त्रािय द्वारा घरे िू कामगारों पर पहिे अक्तखि भारतीय सिे क्षण को हरी झंडी बदखाई गई।
चु नौजतयां
● सामाजिक सुरक्षा िाभों का अभाि: औपचाररक श्रबमक सावटजबनक और बनजी संगबठत क्षेत्रों में काम करते हैं और उन्हें पयाट प्त
सामाबजक सुरक्षा लाभ बमलते हैं । लेबकन अनौपचाररक क्षेत्र के श्रबमकों के पास इन लाभों का अभाव है , बजससे वे आबथटक और
राजनीबतक झर्कों के प्रबत िहत संवेदनशील हो जाते हैं ।
● आजथयक आघातों के प्रजत संिेदनशीिता: अनौपचाररक श्रबमकों में से आकक्तस्मक श्रबमक, आबथटक झर्के के प्रबत सिसे अबिक
संवेदनशील होते हैं क्ोंबक उनमें से अबिकां श अकुशल, कम वेतन वाली व्यावसाबयक नौकररयां करते हैं । इन श्रबमकों का एक िडा
बहस्सा हाबशए पर रहने वाले समू हों और प्रवासी मजदू रों का है । अनौपचाररक क्षेत्र की समस्ाएं महं गी हो सकती हैं क्ोंबक इससे नौकरी
और वेतन में कमी, उच् मुद्रास्फीबत और यहां तक बक प्रवासी श्रबमकों की आजीबवका भी खतरे में पड सकती है ।
● संरचनात्मक नुकसान: साक्षरता और कौशल के मामले में संरचनात्मक नुकसान उन्हें शोषण का अबिक बशकार िनाता है । शहरी
अनौपचाररक श्रम िाज़ार में इन लोगों के बख़लाफ भेदभाव के कारण उनके पास प्रस्ताबवत मज़दू री स्वीकार करने के अलावा कोई
बवकल्प नही ं िचता है ।
● सरकार की जिफिता: िेतन असमानता को कम करने और सामान्य समय के दौरान शहरी अनौपचाररक श्रबमकों के एक िडे बहस्से
के बलए न्यूनतम मिदू री सुजनजित करने में सरकार बवफल रही है । इसबलए, अबिकां श शहरी अनौपचाररक श्रबमक अत्यबिक
असुरबक्षत रहते हैं और सामान्य समय में भी अबनबित पररक्तस्थबतयों में रहते हैं । मौजूदा सरकारी कायटिम प्रवाबसयों को उनके मू ल स्थानों
पर लाभकारी रोजगार के अवसर प्रदान नही ं कर सकते हैं ।
● िॉकडाउन का असर: अनौपचाररक क्षेत्र के श्रबमकों को उनके औपचाररक क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में 2020 में राि्ीय लॉकडाउन से
कही ं अबिक नुकसान उठाना पडा। उन्हें अपयाट प्त सुरक्षा कवच के सहारे जीवन गुजारना पडा।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● सामाजिक सुरक्षा योिनाएाँ : जैसे राष्ट्रीय िृद्धािस्था पेंशन योिना (ग्रामीण बवकास मंत्रालय); राि्ीय पाररवाररक लाभ योजना (ग्रामीण
बवकास मंत्रालय); जननी सुरक्षा योजना (स्वास्थ्य और पररवार कल्याण मंत्रालय); आयुष्मान भारत (स्वास्थ्य और पररवार कल्याण
मंत्रालय)।
● बीमा योिनाएाँ : जैसे आम आदमी बीमा योिना (एएबीिाई) के साथ प्रधानमंत्री िीिन ज्योजत बीमा योिना (पीएमिेिेबीिाई)
और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योिना (पीएमएसबीिाई) असंगबठत श्रबमकों को उनकी आयु के आिार पर 18 से 50 वषट की आयु के
बलए जीवन और बवकलां गता कवरे ज प्रदान करती है ।
● घरे िू कामगार क्षेत्र कौशि पररषद: घरे लू कामगारों के व्यावसायीकरण और उनके कररयर की प्रगबत को सक्षम करने के बलए कौशि
और उद्यजमता मंत्रािय के तहत इसकी स्थापना की गई है ।
आगे की राह
● सामाबजक कल्याण योजनाओं के माध्यम से अनौपचाररक क्षेत्र के श्रबमकों को सुरक्षा दे ने की आवश्यकता है ताबक वे बजस व्यविान का
सामना कर रहे हैं , उससे मां ग में स्थायी बगरावर् न हो।
● कृबष अबिक लोगों को समाबहत नही ं कर सकती। यह पहले से ही अत्यबिक भीडभाड वाला क्षेत्र है । नई कृबष-मूल्य श्रृंखलाओं के बनमाट ण
में लौर्ने वाले प्रवाबसयों को शाबमल करने से उत्पादक रोजगार पैदा करने और आजीबवका की रक्षा करने की कुछ क्षमता है ।
● इस िीच, अगर सरकार अपनी "एक राि्, एक राशन काडट " योजना को िढा सकती है , और शहरों और औद्योबगक कस्ों में काम के
स्थानों पर सक्तिडी वाला अनाज उपलि करा सकती है , तो उम्मीद है बक प्रवासी आगे िढने का फैसला करने से पहले कुछ समय के
बलए रुक सकते हैं । वे अपने मूल स्थानों पर वापस जाने के बलए थोडा इं तज़ार कर सकते हैं ।
● सरकारी गोदाम अबतररि अनाज भंडार से भरे हए हैं , और इन भंडार को िनाए रखने की उच् लागत के िजाय प्रवासी श्रबमकों को लाभ
पहं चाने के बलए इसका कम से कम एक बहस्सा बवतररत करना उपयोगी हो सकता है ।
● इसके साथ ही, गरीब कल्याण योिना के तहत कुछ जित्तीय सहायता भी प्रवाबसयों को दी जा सकती है ताबक उन्हें अपने काम के
शहरों में रहने में मदद बमल सके।
नागररक पं िीकरण प्रणािी
सं द भय
● केंद्र सरकार जन्म और मृत्यु की वास्तबवक समय ररकॉबडिं ग को सक्षम करने के बलए नागररक पंिीकरण प्रणािी (सीआरएस) में
सुधार करने की योिना बना रही है।
सीआरएस का महत्व
● सरकार की बेहतर काययप्रणािी सुजनजित करता है: नागररक पंजीकरण नागररकों की कानूनी पहचान के बलए आिार प्रदान करता है
और सरकार को उन्हें एक नागररक के रूप में उनके अबिकारों तक पहं च प्रदान करने में मदद करता है , बजसमें सामाबजक सुरक्षा लाभ,
यबद कोई हो, का अबिकार भी शाबमल है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● नागररकों की आसान टर ै जकंग: प्रत्येक नागररक को र्् ै क करने का एकमात्र तरीका नागररक पंजीकरण है । इससे योजनाओं के बलए
िेहतर और कुशल समावेशन और िबहष्करण सूची िनाने में मदद बमलेगी।
● सही और अद्यतन डे टा: सरकार के जिए, सामाजिक-आजथयक योिना और बवबभन्न सामाबजक क्षेत्र के कायटिमों की प्रभािशीिता
का मूल्यांकन करने के बलए एक पूणट सीआरएस प्रणाली की आवश्यकता आवश्यक है ।
● जचजकत्सा अनु संधान में सहायक: राष्ट्रीय स्तर पर, नागररक पंिीकरण के माध्यम से उत्पन्न महत्वपूणट सां क्तिकी डे र्ा बचबकत्सा
अनुसंिान और जिं ग अनुपात, मृत्यु दर और रुग्णता दर के अध्ययन के साथ-साथ मृ त्यु के कारणों के अध्ययन में भी काफी उपयोगी
है ।
सरकारी पहि
● िन्म और मृत्यु के पंिीकरण के जिए एक समान सॉफ्टिेयर एप्लीकेशन: जन्म और मृत्यु के ऑनलाइन और ऑफलाइन पं जीकरण
के बलए एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन बवकबसत बकया गया है । यह एक्तप्लकेशन बसबवल पंजीकरण प्रणाली के संपूणट दायरे को कवर करता है
जैसे बक घर्नाओं का पंजीकरण, प्रमाणपत्रों का बनमाट ण और सांक्तिकीय ताबलकाओं और ररपोर्ों का बनमाट ण। वतटमान में अंग्रेजी में
उपलि एक्तप्लकेशन को 13 भारतीय भाषाओं में अनु कूजित जकया िा रहा है।
● डे टा जडजिटिीकरण: पुराने ररकॉडट को आसानी से प्राप्त बडबजर्ल रूप में रखने की पररयोजना शुरू की गई है । इससे इले क्ट्ॉबनक
प्रारूप में रबजस्टरों के भंडारण में मदद बमलेगी और ररकॉडट तक आसान पहं च हो सकेगी।
● संस्थानों का डे टाबेस: बचबकत्सा संस्थानों का एक राि्व्यापी डे र्ािेस तैयार बकया गया है । इस व्यापक डे र्ािेस में उन सं स्थानों का पता,
र्े लीफोन नंिर और अन्य संपकट बववरण हैं जहां घर्नाएं घर्ती हैं । योजना आईसीर्ी सक्षम प्लेर्फॉमट के माध्यम से इन संस्थानों में होने
वाली घर्नाओं के पंजीकरण की इलेक्ट्ॉबनक बनगरानी करने की है ।
● संस्थागत इिेंटों की जनगरानी के जिए एक्तप्लकेशन: "पंिीकरण के जिए इिेंट मॉजनटररं ग जसस्टम" नामक एक एसएमएस
आधाररत एक्तप्लकेशन बवकबसत बकया गया है और वतटमान में पायलर् परीक्षण के तहत है । यह एक्तप्लकेशन संस्थानों के स्तर पर
घर्नाओं को र्् ै क करने और उनका पंजीकरण सुबनबित करने का प्रयास करता है ।
● रजिस्टर ारों की क्षमता जनमायण: पंजीकरण पदाबिकाररयों को 13 भाषाओं में प्रबशक्षण दे ने के बलए एक मानक प्रबशक्षण मैनुअल बवकबसत
बकया गया है । राज्य सरकारों को बविीय सहायता प्रदान करके पंजीकरण पदाबिकाररयों का बनयबमत प्रबशक्षण शुरू बकया गया है ।
● डे टा जडजिटिीकरण: पुराने ररकॉडट को आसानी से प्राप्त होने वाले बडबजर्ल रूप में रखने की पररयोजनाएं शुरू की गई हैं । इससे
इलेक्ट्ॉबनक प्रारूप में रबजस्टरों के भंडारण में मदद बमलेगी और ररकॉडट तक आसान पहं च हो सकेगी।
● िकाित और प्रचार: जन्म और मृत्यु पंजीकरण पर गहन िह-मोडल प्रचार और जागरूकता अबभयान पहले से ही चल रहा है ।
सीआरिीएस (जसजिि पंिीकरण और महत्वपूणय सांक्तख्यकी) प्रणािी का कवरे ज िढाने के बलए इस अबभयान को सभी क्षेत्रीय
भाषाओं में बवस्ताररत करने की योजना िनाई जा रही है ।
● मांग सृिन: जन्म और मृ त्यु पंजीकरण के बलए मां ग सृजन के बलए एक नीबतगत माहौल िनाना सीआरवीएस को मजिूत करने के बलए
गबठत राि्ीय र्ास्क फोसट द्वारा पहचानी गई िुबनयादी जरूरतों में से एक है ।
● राष्ट्रीय िनसंख्या रजिस्टर: भारत एक राष्ट्रीय िनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर-2010) स्थाबपत करने की प्रबिया में है । नागररक
पंजीकरण प्रणाली को एनपीआर से जोडा गया है ।
आगे की राह
● जिधानों के माध्यम से: व्यक्तक्तगत डे टा संरक्षण जिधे यक (पीडीपीबी), 2019 बजसका उद्दे श्य व्यक्तियों के गोपनीयता अबिकारों की
रक्षा करना है , नागररकों के डे र्ा के एक सुरबक्षत, अद्यतन और अत्यबिक कायाट त्मक भंडार की दृबि को सक्षम कर सकता है ।
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● आईटी-सक्षम बैकबोन: जनता को शीघ्र सेवा प्रदान करने में प्रणाली के सामने आने वाली चु नौबतयों का समािान करने के बलए, भारत
सरकार ने आईर्ी-सक्षम िैकिोन के माध्यम से नागररक पंजीकरण प्रणाली में पररवतटनकारी िदलाव लाने का बनणटय बलया है , बजससे
जन्म और मृत्यु का पंजीकरण हो सके। न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ वास्तबवक समय के आिार पर।
● प्रजक्रया को स्वचाजित करना: पररवतटन बवतरण बिंदु की प्रबिया को स्वचाबलत करने के संदभट में होंगे ताबक सेवा बवतरण समयबद्ध,
एक समान और जििेक से मुक्त हो।
● कायायन्वयन: यह दे खना िाकी है बक स्वचालन प्रबिया को बर्यर-2, बर्यर-3 शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कैसे लागू बकया जाएगा, जहां
प्रौद्योबगकी की पहं च शहरी और महानगरीय शहरों की तुलना में काफी कम है ।
के यर अथय व्य िस्था
सं द भय
● हाल ही में जिश्व ने 8 माचय को अंतरायष्ट्रीय मजहिा जदिस के रूप में मनाया है । इस वषट, अंतराट ि्ीय मबहला बदवस मनाने के बलए,
अंतराट ि्ीय श्रम संगठन ने अपनी नई ररपोर्ट पेश की, बजसका शीषटक है , 'काययस्थि पर दे खभाि: काम की अजधक जिंग-समान
दु जनया के जिए दे खभाि अिकाश और सेिाओं में जनिे श''।
पृ ष्ठ भू जम
● 'दे खभािकताय और अथयव्यिस्था' को सबसे पहिे भारत के राष्ट्रीय नमूना सिे क्षण द्वारा पररिार और स्वास्थ्य सिेक्षण की ररपोटय
द्वारा उिागर जकया गया था। जिसके बाद कोजिड काि में हमारे दे श में इस िरूरत को गजत जमिी।
● दे खभाल करने वालों और दे खभाल की आवश्यकता वाले लोगों की संिा िहत महत्वपूणट है और अथटव्यवस्था को उन्हें पयाट प्त बविीय
सहायता प्रदान करके लाभ उठाना चाबहए।
● यूजनिसयि बेजसक इनकम: कोबवड-19 महामारी से उत्पन्न आबथटक असमानता, िेरोजगारी और गरीिी से बनपर्ने के बलए, कई लोगों ने
यूजनिसयि बेजसक इनकम (यूबीआई) कायटिम को एक समािान िनाने की वकालत की।
के यर अथय व्य िस्था के कारण
● िनसांक्तख्यकीय पररितय न: बनम्न और मध्यम आय वाले दे शों में जनसां क्तिकीय पररवतटन से कामकाजी उम्र की आिादी की कीमत पर
िुजुगों का अनुपात िढ जाएगा।
● शहरीकरण - यह पारं पररक संयुि-पररवार संरचना को परमाणु , एकल-माता-बपता और अंतरराि्ीय घरों में िदल रहा है , उन्हें
सामुदाबयक दे खभाल िंिन से अलग कर रहा है ।
● िििायु पररितय न - इससे पानी की कमी और ग्रामीण खाद्य संकर् पैदा हो गया है बजससे मबहलाओं और िच्ों पर दे खभाल का िोझ
िढ गया है ।
के यर अथय व्य िस्था का महत्व
● दे खभाल कायट का महत्व बवबभन्न अंतरराि्ीय प्रबतिद्ताओं जैसे सतत जिकास िक्ष्यों और अंतरायष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएिओ) की
शताब्दी घोषणा में शाजमि है।
o कायय संतुिन: आईएिओ की ररपोर्ट मातृत्व, बपतृत्व और बवशेष दे खभाल अवकाश के महत्व पर प्रकाश डालती है , जो मबहलाओं
और पुरुषों के पूरे जीवन में काम और पाररवाररक बजम्मेदाररयों को संतुबलत करने में मदद करती है।
o रोिगार: इं टरने शनि टर े ड यूजनयन कन्फेडरे शन (2019) के अनुसार, भारत में दे खभाल क्षेत्र में 2% सकि घरे िू उत्पाद का
जनिेश 11 बमबलयन नौकररयां पैदा करे गा, बजनमें से 32.5% मबहलाएं पैदा करें गी।
o स्वास्थ्य पररणाम: कायटस्थल जो स्तनपान जैसी दे खभाल सेवाओं के बलए समय, आय सुरक्षा और स्थान प्रदान करते हैं , सकारात्मक
पोषण और स्वास्थ्य पररणाम सक्षम करते हैं ।
o गररमापूणय बुढापा: िुजुगों की दे खभाल सेवाओं का पोषण करने से जनसंिा की उम्र िढने के साथ-साथ गररमापूणट और स्वतंत्र
जीवन जीने का लाभ बमलेगा।
163
प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
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प्रहार 3.0 सामाजिक न्याय
● स्वास्थ्य िाभ: मबहला और िाल स्वास्थ्य नीबतयां उन्हें उबचत बविीय सहायता प्रदान करने में बवफल रहती हैं और यह दे खभाल नीबत
समाज के कमजोर वगट के बलए स्वास्थ्य लाभ के बलए एक छत्र योजना हो सकती है ।
● हाजशए पर िाना: ऐबतहाबसक रूप से , इसके महत्व के िावजूद दे खभाल कायट पर अबिक ध्यान नही ं बदया गया है । यह दो कारकों से
स्पि है - भारत में दे खभाल अथट व्यवस्था श्रबमकों की उबचत पहचान के बलए कोई तंत्र नही ं है ; अन्य दे शों की तुलना में , भारत में दे खभाल
अथटव्यवस्था पर सावटजबनक व्यय िेहद कम (जीडीपी का 1% से भी कम) है ।
● मजहिाओं पर अिैतजनक दे खभाि का असं गत बोझ: मबहलाएं पुरुषों की तुलना में घरे लू कतट व्यों का काफी िडा बहस्सा बनभाती हैं।
इस असंतुलन को दू र करने के बलए, गृबहबणयों के बलए वेतन के प्रस्तावों पर बवचार बकया जा रहा है , लेबकन यह उपाय संभाबवत रूप से
दे खभाल के काम में लैंबगक भूबमकाओं को और भी मजिू त करके उल्टा असर डाल सकता है ।
जनष्कषय :
● एक बवकासशील दे श के रूप में भारत के बलए कोबवड के िाद ररकवरी हाबसल करने के बलए दे खभाल अथटव्यवस्था एक िडा कदम है ।
लेबकन इसके बलए लाभाबथटयों के बलए उबचत डे र्ा संग्रह और शोि की आवश्यकता है ताबक प्रस्ताबवत शब्द 'दे खभाल अथटव्यवस्था' का
लाभ केवल 'िुबनयादी बविीय सहायता' तक ही सीबमत न रह जाए।
छात्र नोट:
165
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
1
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
विषय सूची
1. भारत और इसके पड़ोसी दे श़ों के साथ संबंध .................................................................................... 11
भारत के पड़ोस का ऐततहातसक अवल़ोकन ........................................................................................................................... 11
पड़ोस-प्रथम नीतत ............................................................................................................................................................ 11
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 14
भारत के पड़ोसी दे श़ोों के साथ सोंबोंध़ोों के समक्ष प्रमुख चुनौततयाों ................................................................................................. 16
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 16
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 17
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 19
बढ़ते चीनी फुटतप्रोंट .......................................................................................................................................................... 19
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 20
आतोंकवाद ..................................................................................................................................................................... 20
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 21
क्षेत्रीय सोंगठन .................................................................................................................................................................. 21
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 22
तवगत वर्षो के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ......................................................................................................................................... 22
3. भारत-बांग्लादे श.............................................................................................................................. 27
सरकार द्वारा की गयी पहल ................................................................................................................................................ 28
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 29
तनष्कर्षष .......................................................................................................................................................................... 29
तवगत वर्षो के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ......................................................................................................................................... 29
4. भारत-नेपाल ...................................................................................................................................30
प्रस्तावना ........................................................................................................................................................................ 30
भारत-नेपाल सोंबोंध़ोों में मुद्दे ................................................................................................................................................. 31
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 31
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 33
तनष्कर्षष:.......................................................................................................................................................................... 33
5. भारत-अफगाकनस्तान ...................................................................................................................... 34
प्रस्तावना ........................................................................................................................................................................ 34
भारत-अफगातनस्तान तवकास साझेदारी ............................................................................................................................... 35
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 38
तनष्कर्षष .......................................................................................................................................................................... 39
तवगत वर्षो के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ......................................................................................................................................... 39
6. भारत-म्ांमार .................................................................................................................................40
प्रस्तावना ........................................................................................................................................................................ 40
सम्बन्ध का अवल़ोकन ....................................................................................................................................................... 40
भारत के तलए म्ाों मार का महत्व.......................................................................................................................................... 42
2
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों में मुद्दे ....................................................................................................................................................... 42
म्ाों मार में बढ़ती चीन की उपस्स्थतत ..................................................................................................................................... 43
भारत की तचोंताएों .............................................................................................................................................................. 43
9. भारत-मॉरीशस ............................................................................................................................... 54
प्रस्तावना ........................................................................................................................................................................ 54
मुद्दे................................................................................................................................................................................ 55
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 55
तनष्कर्षष .......................................................................................................................................................................... 56
13. भारत-चीन......................................................................................................................................75
3
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
पररचय .......................................................................................................................................................................... 75
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 76
सोंबोंध के क्षेत्र: अतभसरण और तवचलन .................................................................................................................................. 76
भारत-चीन सहय़ोग .......................................................................................................................................................... 77
तनष्कर्षष .......................................................................................................................................................................... 77
चीनी आक्रमण के सोंभातवत कारक ...................................................................................................................................... 77
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 78
भारत-चीन जल सम्बन्ध ..................................................................................................................................................... 79
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 79
दतक्षण एतशया में चीन का बढ़ता प्रभाव ................................................................................................................................. 80
भारत के तलए तचोंताएँ : ........................................................................................................................................................ 81
भारत-ताइवान ................................................................................................................................................................ 81
तचोंताएों ........................................................................................................................................................................... 82
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 82
चीन-ततब्बत और भारत ..................................................................................................................................................... 82
आगे की राह: .................................................................................................................................................................. 83
तवगत वर्षो के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ......................................................................................................................................... 83
5
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
समस्याएों ...................................................................................................................................................................... 130
आगे की राह: ................................................................................................................................................................ 131
तनष्कर्षष ........................................................................................................................................................................ 131
29. बहु-िेत्रीय तकनीकी और आकथकक सहय़ोग के कलए बंगाल की खाडी पहल (कबम्सटे क) ...................... 145
तबम्सटे क के तसद्ाों त ....................................................................................................................................................... 145
भारत के तलए तबम्सटे क का महत्व ..................................................................................................................................... 145
समस्याएों ...................................................................................................................................................................... 145
आगे की राह: ................................................................................................................................................................ 146
तनष्कर्षष:........................................................................................................................................................................ 146
6
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
तनष्कर्षष ........................................................................................................................................................................ 148
7
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
आगे की राह: ................................................................................................................................................................ 165
45. संयुक्त राष्ट्र आकथकक एवं सामाकजक पररषद (यूएन ईसीओएसओसी) ................................................ 192
अतधदे श: ...................................................................................................................................................................... 192
भारत और सोंयुक्त राष्टर आतथषक एवों सामातजक पररर्षद........................................................................................................... 192
भारत का सोंयुक्त राष्टर के 4 ईसीओएसओसी तनकाय़ोों के तलए तनवाष चन हुआ है ।........................................................................... 192
अमेररकी अतभयान के बाद ईरान सोंयुक्त राष्टर की मतहला सोंस्था ईसीओएसओसी से बाहर ह़ो गया है । .............................................. 192
तवगत वर्षों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ....................................................................................................................................... 193
9
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
प्रौद्य़ोतगकी भू-राजनीततक सहय़ोग क़ो कैसे बढ़ावा दे सकती है ? .............................................................................................. 202
तचोंताएों ......................................................................................................................................................................... 203
भारत प्रौद्य़ोतगकी की भू-राजनीतत का लाभ क्य़ोों नहीों उठा सकता है ? ........................................................................................ 203
सूचना और प्रौद्य़ोतगकी की भू-राजनीतत .............................................................................................................................. 204
भावी कायष य़ोजना .......................................................................................................................................................... 205
तनष्कर्षष ........................................................................................................................................................................ 205
49. सॉफ्ट पावर के साधन के रूप में धमक और संस्कृकत ......................................................................... 206
भूतमका ........................................................................................................................................................................ 206
सॉफ्ट पॉवर के एक साधन के रूप में सोंस्कृतत ...................................................................................................................... 206
सरकार के प्रयास ........................................................................................................................................................... 207
तनष्कर्षष ........................................................................................................................................................................ 208
तवगत वर्षों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा) ....................................................................................................................................... 208
10
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पड़ोस-प्रथम नीकत
"पड़ोस-प्रथम" नीतत का उद्दे श्य पारस्पररक रूप से लाभप्रद, जन-उन्मुख क्षेत्रीय ढाों चे के माध्यम से स्स्थरता और समृस्द् क़ो बढ़ावा
दे ना है । यह परामशी, गैर-पारस्पररक और पररणाम़ोन्मु खी दृतष्टक़ोण का उपय़ोग करते हुए पड़ोसी दे श़ोों के साथ जुडाव क़ो
प्राथतमकता दे ता है ।
11
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
नीकत के 4 स्तम्भ
1. पड़ोस क़ो कूटनीततक और राजनीततक प्राथतमकता
2. इन दे श़ोों के तवकास के तलए सतक्रय समथषन
3. क्षेत्र में बेहतर कनेस्ितवटी और एकीकरण।
4. भारत के नेतृत्व में इस क्षेत्र में क्षेत्रीयता क़ो बढ़ावा दे ना , तजसमे पड़ोसी भी खुद क़ो सहज पाएों |
पड़ोस-प्रथम नीकत के कनधाकरक:
• आकथकक सहय़ोग: बीबीआईएन ऊजाष तवकास समूह में सों लग्न ह़ोना, तजसमें म़ोटर वाहन, जलशस्क्त प्रबोंधन और इों टर-तग्रड
कनेक्शन शातमल हैं ।
उदाहरण: क्षेत्रीय ऊजाष सहय़ोग के तलए बाों ग्लादे श-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीआईएन) पहल।
• सामररक स्थथकत लाभ: दतक्षण एतशया और पतिमी तहों द महासागर में भारत की केंद्रीय स्स्थतत का लाभ उठाना।
उदाहरण: भारत की भौग़ोतलक स्स्थतत इसे क्षेत्र में प्रभाव और तनयोंत्रण प्रदान करती है ।
• संतुलन नीकत दृकष्ट्क़ोण: सोंतुलन और घरे लू कारक़ोों के आधार पर तवदे श नीतत तैयार करना।
उदाहरण: भारत की तवदे श नीतत इस बात से प्रभातवत ह़ोती है तक पातकस्तान और चीन जैसे दे श महाशस्क्तय़ोों के साथ अपने
सोंबोंध़ोों क़ो कैसे बना के रखते है ।
• िेत्रीय कूटनीकत और कवमशक: आस-पास के दे श़ोों के साथ
जुडकर क्षेत्रीय कूटनीतत क़ो सतक्रय करना।
• उदाहरण: साकष के कामकाज क़ो व्यवहायष बनाने के भारत
के प्रयास।
• किपिीय मुद्दे का समाधान: तद्वपक्षीय तचोंताओों क़ो हल करने
के तलए आपसी समझौत़ोों पर ज़ोर दे ना।
उदाहरण: भारत और बाों ग्लादे श ने भूतम सीमा समझौते
(एलबीए) क़ो लागू करने के तलए एक समझौते पर हस्ताक्षर
तकए।
पड़ोस प्रथम नीकत के आधार-स्तम्भ
राजनतयक एवों राजनीततक प्राथतमकता
तवकास के तलए सतक्रय सहायता
क्षेत्र में तवस्ताररत सोंपकष एवों एकीकरण
पड़ोतसय़ोों की सहमतत के साथ भारत के ने तृत्व में क्षेत्रवाद
• कनेस्िकवटी और सहय़ोग: क्षेत्रीय कनेस्ितवटी बढ़ाने के तलए साकष सदस्य़ोों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर तकया गया।
o उदाहरण: सहय़ोग और कनेस्ितवटी क़ो बढ़ावा दे ने के तलए दतक्षण एतशयाई दे श़ोों के साथ भारत का समझौता ज्ञापन।
• आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता: आपदा प्रतततक्रया सहय़ोग, सोंसाधन प्रबोंधन और सहायता प्रदान करना।
• उदाहरण: 2016 के भूकोंप के बाद पड़ोसी दे श नेपाल क़ो भारत की महत्वपूणष सहायता और 2022 में तातलबान के सत्तासीन
ह़ोने के बाद अफगातनस्तान क़ो राहत उपाय प्रदान करना।
• सैन्य और रिा सहय़ोग: सै न्य सहय़ोग के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा क़ो मजबूत करना।
o उदाहरण: नेपाल के साथ सूयक ककरण और बाों ग्लादे श के साथ सोंप्रीतत जैसे सोंयुक्त अभ्यास, साथ ही अफ़गान राष्टरीय सेना
की क्षमता तनमाष ण में सहायता करने के तलए भारत की प्रततबद्ता।
12
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• तकनीकी सहय़ोग: क्षेत्र में तकनीकी सहय़ोग क़ो प्राथतमकता दे ना।
o उदाहरण: टे लीमेतडतसन और ई-लतनिंग जैसे क्षेत्ऱोों में प्रौद्य़ोतगकी-साझाकरण की सुतवधा के तलए एक तवशेर्ष साकष उपग्रह
का तनमाष ण।
• िमता कनमाकण और प्रकशिण: प्रतशक्षण के माध्यम से अफगान राष्टरीय सेना की क्षमता तनमाष ण में सहायता करना।
o उदाहरण: अफगान राष्टरीय सेना की क्षमताओों क़ो बढ़ाने के तलए भारत की प्रततबद्ता।
• नीकत के सकारात्मक पहलू:
• भारत का मुनऱो कसद्धांत: "तबग िदर" की छतव क़ो पररवततषत करना। "पड़ोसी प्रथम" नीतत का उद्दे श्य पड़ोतसय़ोों के तलए गैर-
पारस्पररक, परामशी और सहकारी तवकास सहायता प्रदान करना है ।
• उप-िेत्रीय सहय़ोग: बीबीआईएन और तबम्सटे क
o बीबीआईएन और तबम्सटे क जैसी पहलें उप-क्षेत्रीय सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ती हैं ।
o श्रीलोंका के पूवष प्रधानमोंत्री रातनल तवक्रमतसोंघे ने उप-क्षेत्रीय सहय़ोग के तलए एक आतथषक एकीकरण ऱोडमैप का सुझाव
तदया।
• आपातकालीन प्रतततक्रया: साकष सहायता और सोंचालन
o साकष सहायता क़ोर्ष और संजीवनी व नीर जैसे सोंचालन आपात स्स्थततय़ोों के दौरान सहायता प्रदान करते हैं ।
o दे श़ोों क़ो तचतकत्सा सहायता की पेशकश की जाती है , जैसे जल सोंकट के दौरान मालदीव की सहायता करना।
• कनेस्िकवटी बढाना: अवसोंरचना पररय़ोजनाएों
o सागरमाला, मालदीव में ग्रेटर मेल कनेस्ितवटी पररय़ोजना बीबीआईएन, और कलादान पररय़ोजना जैसी पररय़ोजनाएों
कनेस्ितवटी क़ो बढ़ाती हैं ।
• समुद्री सुरिा: भारत एक शु द् सुरक्षा प्रदाता के रूप में
o भारत तहों द महासागर क्षेत्र में एक शुद् सुरक्षा प्रदाता की भूतमका ग्रहण करता है ।
o पीएम म़ोदी का SAGAR तवजन सभी के तलए सुरक्षा और तवकास क़ो बढ़ावा दे ता है ।
• कवकासात्मक सहायता: सामु दातयक और त्वररत प्रभाव पररय़ोजनाएों , उच्च प्रभाव वाली सामुदातयक तवकास पररय़ोजनाएँ और
त्वररत प्रभाव वाली पररय़ोजनाएँ तवकासात्मक सहायता की सुतवधा प्रदान करती हैं ।
• COVID-19 सहायता: COVID-19 महामारी के दौरान पड़ोसी दे श़ोों क़ो सहायता प्रदान करना। साकष क़ोकवड-19 आपात
फंड की स्थापना और सों जीवनी व नीर जैसे ऑपरे शऩोों ने क्षेत्रीय एकजुटता के तलए भारत की प्रततबद्ता क़ो स्पष्ट करते हुए
तचतकत्सा सहायता, तवशेर्षज्ञता साझा करने और टीक़ोों की आपूततष की सुतवधा प्रदान की है ।
• चुनौकतयां:
• चीन का बढता प्रभाव: उदाहरण के तलए, पातकस्तान, श्रीलोंका और मालदीव जैसे दे श़ोों में चीन की बे ल्ट एों ड ऱोड इतनतशएतटव
(BRI) पररय़ोजनाओों ने ऋण स्स्थरता और क्षे त्रीय सुरक्षा के सोंभातवत प्रभाव़ोों के बारे में तचोंता जताई है ।
सीमा और नदी जल कववाद: उदाहरण के तलए, कालापानी-तलपुलेख क्षे त्र क़ो लेकर 2020 में भारत और ने पाल के बीच सीमा
सोंघर्षष ने तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो तनावपूणष बना तदया, तजससे द़ोऩोों दे श़ोों के बीच सहय़ोग और तविास में कमी आई है । ड़ोकलाम
और गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हाल के गततऱोध के पररणामस्वरूप तविास में कमी आई है ।
• घरे लू राजनीकत: उदाहरण, श्रीलोंका में ततमल मुद्दा, बाों ग्लादे श के साथ तीस्ता जल-साझाकरण मु द्दा, ऱोतहों ग्या मुद्दा और म्ाों मार
में आों तररक तख्तापलट, और तातलबान के नेतृत्व वाले अफगातनस्तान, इन सभी का इन दे श़ोों के साथ भारत के सोंबोंध़ोों पर प्रभाव
पडा है , तजससे पड़ोसी प्रथम नीतत का तनबाष ध कायाष न्वयन बनाए रखना मु स्िल है ।
13
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• साकक की कवफलता: उदाहरण के तलए, भारत और पातकस्तान के बीच तनावपूणष सोंबोंध़ोों के कारण स्थगन और पुनतनषधाष रण ने
क्षेत्रीय सहय़ोग की पहल क़ो ऱोक तदया है और सामू तहक तवकास की सोंभावना क़ो बातधत तकया है ।
• अत्यकधक कवश्वास की कमी और िेत्रीय राष्ट्रवाद का उदय: उदाहरण के तलए, भारत-नेपाल, भारत और चीन के बीच हाल
ही में गलवान और ड़ोकलाम में सीमा तववाद।
आगे की राह:
• उन्नत कूटनीकत और सहभाकगता: प्रमुख मु द्द़ोों और तचोंताओों का समाधान करते हुए पड़ोसी दे श़ोों के साथ उच्च स्तरीय दौरे और
तनयतमत सोंवाद क़ो बढ़ाना।
o उदाहरण के तलए, भारत सु रक्षा चुनौततय़ोों का समाधान करने और तविास तनमाष ण के तलए पातकस्तान के साथ तद्वपक्षीय वाताष
में शातमल ह़ो सकता है ।
• आकथकक सहय़ोग और कवकास: पारस्पररक रूप से लाभकारी पररय़ोजनाओों पर ध्यान केंतद्रत करते हुए पड़ोसी दे श़ोों के साथ
व्यापार और तनवेश पहल़ोों क़ो बढ़ावा दे ना।
o ऊजाष क्षेत्र में बाों ग्लादे श के साथ भारत का सहय़ोग एक उदाहरण है , जैसे तक सीमा पार तवद् युत पारे र्षण लाइऩोों का तनमाष ण।
• ल़ोग़ों के मध्य परस्पर आदान-प्रदान और सांस्कृकतक संबंध: भारत और इसके पड़ोतसय़ोों के बीच साों स्कृततक आदान-प्रदान
और पयष टन क़ो बढ़ावा दे ना, बेहतर समझ क़ो बढ़ावा दे ना।
o उदाहरण के तलए, केदारनाथ और पशुपततनाथ जैसे तीथष स्थल़ोों की यात्रा के तलए ने पाल से आने वाले पयषटक़ोों के तलए वीजा
प्रतक्रयाओों क़ो आसान बनाना।
• सुरिा कचंताओं क़ो दू र करना: आतोंकवाद और सीमा पार अपराध़ोों से तनपटने के तलए खुतफया जानकारी साझाकरण तों त्र
और समस्न्वत कारष वाइय़ोों क़ो सशक्त करना।
O साझा सीमा पर सतक्रय उग्रवादी समूह़ोों से तनपटने के तलए म्ाों मार के साथ भारत का सहय़ोग एक उदाहरण है ।
• उप-िेत्रीय और िेत्रीय सहय़ोग: एकीकरण और सहय़ोग बढ़ाने के तलए BBIN और BIMSTEC जै सी उप-क्षेत्रीय पहल़ोों क़ो
सोंवतधषत करना।
O उदाहरण के तलए, भारत पारगमन मागों और बुतनयादी ढाों चे के तवकास के माध्यम से वस्तुओों और ल़ोग़ोों की तनबाष ध
आवाजाही क़ो बढ़ावा दे ने के तलए भूटान और बाों ग्लादे श के साथ सहय़ोग कर सकता है ।
भारत की पड़ोस नीतत के तमतश्रत पररणाम रहे हैं । हालाों तक इसने आतथषक सहय़ोग और क्षेत्रीय एकीकरण जैसे क्षेत्ऱोों में सफलता
हातसल की है , लेतकन लोंबे समय से चले आ रहे तद्वपक्षीय तववाद़ोों क़ो सुलझाने और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मु काबला करने
में चुनौततयाों बनी हुई हैं । तनरों तर प्रयास, सतक्रय कूटनीतत और पड़ोसी दे श़ोों की तचोंताओों का समाधान भतवष्य में नीतत की प्रभावशीलता
के तलए महत्वपूणष ह़ोगा।
भारत के पड़ोस से सं बं कधत आं कडे और तथ्य
• भारत-पाककस्तान:
o 15 फरवरी 2019 क़ो पुलवामा आतंकी घटना के बाद, भारत ने पातकस्तान के म़ोस्ट फेवडष नेशन (MFN) का दजाष रद्द
कर तदया।
• अों त राष ष्टरीय व्यापार पर सों यु क्त राष्टर COMTRADE डे टाबे स के अनु सार, 2022 में , पातकस्तान क़ो भारत का तनयाष त
629.46 तमतलयन अमे ररकी डॉलर था।
o 1991 से 2023 तक, पातकस्तान क़ो भारत का तनयाष त औसतन 4.17 INR तबतलयन था, ज़ो तदसोंबर 2010 में 24.51 INR
तबतलयन के उच्च स्तर और अिू बर 1994 में 0.03 INR तबतलयन के तनचले स्तर पर था।
14
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• भारत-बांग्लादे श:
o इं कडया िांड इस्क्वटी फाउं डेशन की एक ररप़ोटष के अनु सार, बाों ग्लादे श उपमहाद्वीप में भारत का सबसे बडा व्यापाररक
भागीदार है , और भारत बाों ग्लादे श क़ो कुल तनयाष त का 12% के साथ दू सरा सबसे बडा तनयाष त भागीदार है ।
o 2021-2022 में कुल व्यापार काऱोबार 18.2 तबतलयन अमेररकी डॉलर तक पहुों च गया।
o 2022 में बाों ग्लादे श क़ो भारत का तनयाष त 13.83 तबतलयन अमेररकी डॉलर था, तजसमें कपास, अनाज, मशीनरी, परमाणु
ररएिर, बॉयलर, काबककनक रसायन और अवशेष, खाद्य उद्य़ोग के अपकशष्ट्, पशु चारा भारत से बाों ग्लादे श क़ो तनयाष त
की जाने वाली प्रमुख वस्तु एों थीों।
o 2021 में भारत क़ो बाों ग्लादे श का तनयाष त 191 तमतलयन अमेररकी डॉलर का था, तजसमें गैर-बु नाई वाले पुरुर्ष़ोों के सूट प्रमु ख
तनयाष तक वस्तु थी।
• भारत-नेपाल:
o भारत नेपाल का सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है , तवत्तीय वर्षष 2020-21 के अोंततम ग्यारह महीऩोों में तद्वपक्षीय व्यापार
कुल NPR 976.78 तबतलयन है , भारत से आयात कुल NPR 886.59 तबतलयन का और भारत क़ो तनयाष त कुल NPR
90.19 तबतलयन है ।
o अोंतराष ष्टरीय व्यापार पर संयुक्त राष्ट्र COMTRADE डे टाबेस के अनुसार, 2022 में नेपाल क़ो भारत का तनयाष त 8.53
तबतलयन अमेररकी डॉलर था।
• भारत से नेपाल क़ो तनयाष त की जाने वाली प्रमुख वस्तुओों में खकनज ईंधन, तेल, आसवन उत्पाद, अनाज, रे लवे के अलावा
अन्य वाहन, टर ामवे, प्लास्स्ट्क, ल़ोहे या स्ट्ील की वस्तुएं, खाने य़ोग्य सस्ियां और कवकशष्ट् जडें और कंद शाकमल हैं ।
• भारत-चीन:
o 2022 में, चीन क़ो भारत का तनयाष त 19.8 तबतलयन अमेररकी डॉलर था, जबतक चीन से इसके आयात का मूल्य 52.1
तबतलयन अमेररकी डॉलर था।
o भारत से चीन क़ो तनयाष त की जाने वाली प्रमुख वस्तुओों में अयस्क, लावा और राख, काबककनक रसायन, कपास, तांबा
और खकनज ईंधन, तेल, आसवन उत्पाद शातमल हैं ।
• दू सरी ओर, भारत द्वारा चीन से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओों में इलेिरॉतनक उपकरण, मशीनरी, जैतवक रसायन,
प्लास्स्टक और लौह व इस्पात शातमल हैं ।
• भारत-भूटान:
o भारत भूटान का सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है । 2021-22 में, भारत और भूटान के बीच व्यापार 1422 तमतलयन
अमरीकी डालर दजष तकया गया, ज़ो भूटान के कुल तवदे शी व्यापार का लगभग 80% था।
o 2020 में, भारत के साथ कुल व्यापार एनयू (Nu) 94.89 तबतलयन (तबजली सतहत) था, ज़ो भूटान के कुल बाहरी व्यापार
का 82% था, और तबजली के तबना कुल व्यापार एनयू (Nu) 67.18 तबतलयन था, ज़ो भूटान के कुल व्यापार का 77% था।
• भूटान क़ो भारत के तनयाष त में तबजली और इलेिरॉतनक उपकरण, सीसा, पशु मूल के उत्पाद और ल़ोहा और इस्पात शातमल
हैं ।
• 2022 में, भूटान क़ो भारत का तनयाष त 1.02 कबकलयन अमेररकी डॉलर आों का गया था।
• भारत-म्ांमार:
o 2021-22 तवत्तीय वर्षष के दौरान, म्ाों मार ने भारत क़ो $800 तमतलयन अमरीकी डालर से अतधक मू ल्य का वस्तु तनयाष त
तकया, तजसमें सबसे अतधक तनयाष त की जाने वाली वस्तुएँ चावल, दालें और अन्य कृतर्ष उत्पाद हैं ।
• तवत्तीय वर्षष 2016-2017 में भारत और म्ाों मार के बीच तद्वपक्षीय व्यापार 2 तबतलयन अमरीकी डालर से अतधक था।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o म्ाों मार क़ो भारत के तनयाष त में पशु मूल के उत्पाद, इलेस्िर कल और इलेिरॉतनक उपकरण और पै केज्ड दवाएों शातमल हैं ।
2022 में, म्ाों मार क़ो भारत का तनयाष त 765.16 तमतलयन अमेररकी डॉलर था।
• भारत-मालदीव:
O सामान्य शुरुआत से बढ़ते हुए, भारत-मालदीव तद्वपक्षीय व्यापार 2021 में पहली बार 300 तमतलयन अमेररकी डॉलर के
आों कडे क़ो पार कर गया, जबतक 2006 के दौरान मालदीव क़ो भारत का तनयाष त ₹384 कऱोड था, आयात ₹6 कऱोड से
कम था।
सीमा कववाद:
• सभ्यतागत राज्य: भारत, ऐततहातसक रूप से , एक क्षेत्रीय राज् की तुलना में एक सभ्यतागत राज् के रूप में अतधक पहचान
रखता है , ज़ो उपतनवेशीकरण, जतटल भूभाग और घरे लू राजनीतत के कारण सीमा तववाद़ोों के समाधान क़ो बातधत करता है ।
• सीमा कववाद: भारत क़ो पातकस्तान (कश्मीर), चीन (लद्दाख, अरुणाचल प्रदे श, अक्साई तचन), श्रीलोंका (कच्चातीवू द्वीप) और
नेपाल (कालापानी क्षेत्र) के साथ तववाद़ोों का सामना करना पडता है ।
• सीकमत समाधान सफलता: भारत क़ो तववाद़ोों क़ो दू र करने के तलए पातकस्तान और चीन के साथ युद़्ोों क़ो झेलना पडा केवल
बाों ग्लादे श और श्रीलोंका के साथ सीमा मुद्द़ोों का सफलतापूवषक हल ह़ोों पाया है ।
• सुरिा संबंधी खतरे : पूवष तवदे श सतचव मुचकुोंद दु बे ने रे खाों तकत तकया तक भारत क़ो अपने पड़ोतसय़ोों से सुरक्षा खतऱोों का
सामना करना पड रहा है , तजसमें जातीय सोंघर्षों का तवस्तार, बडे पैमाने पर अवैध प्रवास और भारत के स्खलाफ तनदे तशत
आतोंकवाद के आधार के रूप में पड़ोसी दे श़ोों का उपय़ोग शातमल है ।
सीमा कववाद क़्ों नही ं सुलझ रहे हैं ?
• ऐकतहाकसक कवरासत: जतटल ऐततहातसक तवरासत, तजसमें औपतनवेशीकरण का प्रभाव और स्वैतक्षक सीमाओों का तचत्रण
शातमल है , ने भारतीय सीमा तववाद़ोों क़ो बनाए रखने में य़ोगदान तदया है । उदाहरण के तलए, भारत और पातकस्तान के बीच
कश्मीर तववाद 1947 में तितटश भारत के तवभाजन से उपजा है ।
• दु गकम भू-भाग: भारत की सीमाओों के साथ तहमालय पवषत श्रृोंखला जैसे दु गषम भू -भाग की उपस्स्थतत, सीमाओों का सीमाों कन और
प्रशासन करना चुनौतीपूणष बनाती है । लद्दाख के पहाडी क्षे त्र में भारत और चीन के बीच सीमा तववाद में यह कतठनाई स्पष्ट है ।
• घरे लू राजनीकत: घरे लू राजनीततक तवचार और जन भावना सीमा तववाद़ोों के समाधान में महत्वपूणष भूतमका तनभाते हैं ।
राजनीततक दल और राष्टरवादी भावनाएँ प्रायः भारत सरकार द्वारा अपनाए गए पक्ष क़ो प्रभातवत करती हैं । उदाहरण के तलए,
चीन के साथ सीमा तववाद भारतीय घरे लू राजनीतत के तलए एक सोंवेदनशील मुद्दा बन गया है ।
• भू-राजनीकतक प्रकतिं किता: भू-राजनीततक प्रततद्वों तद्वता और क्षे त्र के अन्य दे श़ोों के सामररक तहत भारतीय सीमा तववाद़ोों के
समाधान में बाधा डाल सकते हैं । उदाहरण के तलए, पातकस्तान के साथ चीन के घतनष्ठ सोंबोंध़ोों ने कश्मीर तववाद क़ो हल करने
के प्रयास़ोों क़ो चुनौतीपूणष बना तदया है ।
• भऱोसे और संचार की कमी: भऱोसे की कमी और भारत और उसके पड़ोसी दे श़ोों के बीच सोंचार के सीतमत चैनल सीमा
तववाद़ोों के समाधान में बाधा डालते हैं । मु क्त सोंवाद और कूटनीततक चै नल़ोों की कमी से गलतफहमी और तनाव बढ़ सकता है ।
कालापानी क्षेत्र क़ो लेकर नेपाल के साथ सीमा तववाद तविास की कमी और सोंचार अों तराल से उत्पन्न ह़ोने वाली चुनौततय़ोों का
उदाहरण है ।
आगे की राह:
• राजनकयक जुडाव: तविास और सहय़ोग के माहौल क़ो बढ़ावा दे ने के तलए पड़ोसी दे श़ोों के साथ तनरों तर वाताष में शातमल ह़ोने
के तलए राजनतयक प्रयास़ोों क़ो बढ़ाना।
16
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• कवश्वास-कनमाकण के उपाय: आपसी समझ क़ो बढ़ावा दे ने और तनाव कम करने के तलए सोंयुक्त सीमा गश्त, साों स्कृततक आदान-
प्रदान और ल़ोग़ोों से ल़ोग़ोों के बीच वाताष जैसे तविास-तनमाष ण उपाय़ोों क़ो लागू करना।
• िेत्रीय सहय़ोग: सदस्य दे श़ोों के बीच सोंवाद और सोंघर्षष के समाधान के तलए एक मोंच प्रदान करने के तलए साकष (क्षेत्रीय सहय़ोग
के तलए दतक्षण एतशयाई सोंघ) जैसे क्षेत्रीय सहय़ोग ढाों चे क़ो बढ़ाना।
• कानूनी ढांचा: तनष्पक्ष और तनष्पक्ष प्रतक्रया सुतनतित करने के तलए अोंतरराष्टरीय मध्यस्थता या कानूनी तोंत्र के माध्यम से सीमा
तववाद़ोों क़ो हल करने के तलए कानूनी ढाों चे क़ो मजबूत करना।
• टर ै क II कडप्ल़ोमेसी: गै र-सरकारी सोंगठऩोों, तथोंक टैं क़ोों और तशक्षातवद़ोों क़ो शातमल करते हुए टर ै क II तडप्ल़ोमेसी पहल़ोों क़ो
प्ऱोत्सातहत करना तातक अनौपचाररक सोंवाद़ोों क़ो सुतवधाजनक बनाया जा सके और सीमा तववाद़ोों के वैकस्िक समाधान तैयार
तकए जा सकें।
नदी कववाद:
• यू ए नईपी के अनु सार, 2030 तक, "तवि की लगभग आधी आबादी गों भीर जल सों क ट से ग्रस्त ह़ोगी।" नदी तववाद
पातकस्तान, चीन, बाों ग्लादे श, ने पाल और भू टान सतहत अपने पड़ोतसय़ोों के साथ भारत के नदी तट सों बों ध़ोों क़ो तनधाष ररत
करे गा।
• िह्मपु त्र नदी और भारत-चीन-बां ग्लादे श सं बं ध :
• िह्मपु त्र पर चीनी बां ध : िह्मपु त्र पर चीन के अपस्टर ीम बाों ध जानबू झ कर नीचे की ओर जल प्रवाह क़ो प्रततबों तधत करते
हैं ।
• चीन के बां ध़ों पर कचं ता: भारत और बाों ग्लादे श क़ो डर है तक िह्मपु त्र पर चीन के बाों ध राजनीततक सों क ट के दौरान
पानी के बहाव क़ो म़ोड सकते हैं ।
• तीस्ता पर भारतीय बांध: िह्मपुत्र की सहायक नदी तीस्ता नदी पर भारत के बाों ध शु ष्क मौसम के दौरान बाों ग्लादे श की जल
आपूततष के तलए तचोंता उत्पन्न करते हैं ।
• तीस्ता पर कवफल समझौता: पतिम बोंगाल सरकार के तवऱोध के कारण भारत और बाों ग्लादे श, तीस्ता नदी के तलए जल-
साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर नहीों कर सके।
• भारत-नेपाल: क़ोसी नदी तववाद ने भारत और ने पाल के बीच सोंबोंध़ोों क़ो तनावपूणष बना तदया है । 1954 में क़ोसी समझौते पर
हस्ताक्षर करने के बावजूद, द़ोऩोों सरकाऱोों के बीच वाताष ठप है , तजससे जल अतधकाऱोों के मु द्दे अनसुलझे हैं । इसके
पररणामस्वरूप पहले बाों ध की उपेक्षा हुई और दू सरे बाों धके तलए साझेदारी स्थातपत करने में तवफलता तमली है ।
भारत और पाककस्तान के बीच कसंधु जल संकध
• अनुकूल प्रावधान ह़ोने के बावजूद: पातकस्तान ने सोंतध में सोंश़ोधन की माों ग की है ।
• भारत में नाराजगी: अपना 80% पानी पातकस्तान क़ो दे ने से भारत में भी नाराजगी है और सोंतध क़ो सोंश़ोतधत करने की माों ग
की जा रही है ।
• आजाद पट्टन: भारत ने आजाद पट्टन के तनमाष ण का तवऱोध तकया है । पीओके और तगलतगत बास्ल्टस्तान में पतकस्तान द्वारा बनाई
जा रही हाइडल पररय़ोजना, ज़ो भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर के तहस्से के रूप में दावा तकए गए क्षे त्र हैं ।
आगे की राह:
• संवकधकत संवाद और सहय़ोग: नदी तववाद़ोों क़ो हल करने और सोंयुक्त नदी प्रबोंधन पररय़ोजनाओों पर सहय़ोग करने के तलए
भारत और उसके पड़ोतसय़ोों के बीच तनयतमत और साथषक सोंवाद क़ो बढ़ावा दे ना।
o उदाहरण: भारत और पातकस्तान के बीच तसोंधु जल सोंतध, तसोंधु नदी के जल के बोंटवारे पर सहय़ोग क़ो सुतवधाजनक
बनाना।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• अंतरराष्ट्रीय मंच़ों का उपय़ोग: सोंयुक्त राष्टर और साकष जैसे अोंतरराष्टरीय मों च़ोों के माध्यम से तववाद़ोों की मध्यस्थता और समाधान
की तलाश करना।
o उदाहरण: भूटान और बाों ग्लादे श भारत के साथ तीस्ता नदी तववाद क़ो हल करने के तलए तवि बैंक से मध्यस्थता की माों ग
कर रहे हैं ।
• थथायी जल-साझाकरण समझौत़ों क़ो लागू करना: साझा नदी सोंसाधऩोों के सतत उपय़ोग क़ो सुतनतित करने के तलए तनष्पक्ष
और वैज्ञातनक जल-साझाकरण समझौत़ोों की स्थापना करना।
O उदाहरण: गोंगा नदी जल के उतचत तवतरण क़ो सुतनतित करने के तलए भारत और बाों ग्लादे श के बीच गोंगा जल बों टवारा
सोंतध।
• जल प्रबंधन बुकनयादी ढां चे में कनवेश: कुशल जल उपय़ोग के तलए मजबूत बुतनयादी ढाों चे का तवकास करना और बाों ध़ोों,
जलाशय़ोों और तसोंचाई प्रणातलय़ोों के माध्यम से तववाद़ोों क़ो कम करना।
O उदाहरण: गोंगा नदी के प्रवाह क़ो प्रबोंतधत करने के तलए भारत द्वारा फरक्का बै राज का तनमाष ण।
• पयाष वरण सोंरक्षण और सहय़ोग: सोंघर्षों क़ो कम करने और सद्भावना क़ो बढ़ावा दे ने के तलए जल सोंसाधऩोों के सों रक्षण और सतत
प्रबोंधन के तलए सोंयुक्त प्रयास़ोों क़ो बढ़ावा दे ना।
O उदाहरण: नेपाल, भारत और बाों ग्लादे श महाकाली सोंतध के माध्यम से महाकाली नदी बेतसन के सतत प्रबोंधन पर सहय़ोग
कर रहे हैं ।
व्यापार बाधाएं :
सों र क्षणवादी नीततय़ोों, उच्च रसद लागत, राजनीततक इच्छाशस्क्त की कमी और तविास की कमी के कारण दतक्षण एतशया
तवि स्तर पर सबसे कम आतथष क रूप से एकीकृ त क्षे त्ऱोों में से एक बना हुआ है , ज़ो व्यापार तवकास में बाधा बन रहा है ।
हालाँ तक अपने पड़ोतसय़ोों के साथ भारत के व्यापार की मात्रा में वृ स्द् हुई है , ले तकन यह अपे क्षाकृ त कम बनी हुई है , ज़ो
वै तिक कु ल का के वल 1.7% -3.8% है ।
कम व्यापार के कारण:
• ऐकतहाकसक कारक: भारत द्वारा समाजवादी आतथषक मॉडल क़ो अपनाने और आयात प्रततस्थापन की नीतत के साथ-साथ
पड़ोसी दे श़ोों में घरे लू अस्स्थरता ने इस क्षेत्र में व्यापार बाधाओों में य़ोगदान तदया है ।
• कनेस्िकवटी चुनौकतयां : दु गषम इलाके, अतवकतसत अोंतदे शीय जलमागष , और अपयाष प्त सीमा अवसोंरचना ने भारत और इसके
पड़ोतसय़ोों के बीच व्यापार और आतथषक एकीकरण में बाधा उत्पन्न की है ।
• अप्रभावी िेत्रीय संगठन: भारत-पातकस्तान सोंघर्षष के कारण साकष की तवफलता और SAPTA और SAFTA की सीतमत
प्रभावशीलता ने क्षेत्रीय व्यापार सहय़ोग क़ो बातधत तकया है ।
• किपिीय संघषक: सीमा तववाद, नदी जल तववाद, और भारत और पातकस्तान के बीच तपछले सोंघर्षों ने क्षे त्रीय एकीकरण और
व्यापार क़ो नकारात्मक रूप से प्रभातवत तकया है ।
• आकथकक गैर-पूरकता: तनयाष त बाजाऱोों में , तवशेर्ष रूप से कपडा और पररधान तनयाष त में सीतमत तवतवधीकरण और ओवरलैप ने
दतक्षण एतशयाई दे श़ोों के बीच पारस्पररक व्यापार लाभ में बाधा उत्पन्न की है ।
• राजनीकतक इच्छाशस्क्त की कमी: राष्टर तनमाष ण, सुरक्षा और रक्षा पर प्राथतमक ध्यान दे ने से क्षेत्रीय व्यापार एकीकरण के तलए
प्राथतमकता और प्रततबद्ता की कमी हुई है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
आगे की राह:
• एफटीए का पुनमूकल्ांकन: तबम्सटे क और भारत-श्रीलोंका एफटीए जै से क्षेत्रीय समझौत़ोों क़ो मजबूत करना |
• एनटीबी क़ो खत्म करना: आयात बाधाओों और सस्िडी क़ो हटाना, और व्यापार बाधाओों क़ो दू र करने के तलए ऑनलाइन
तोंत्र क़ो लागू करना।
• सीमा-पार अवसंरचना में वृस्द्ध: सडक़ोों, हवाई, रे ल सोंपकष और एकीकृत जाों च चौतकय़ोों (आईसीपी) में सुधार।
• वैकश्वक सवोत्तम प्रथाओं क़ो अपनाना: उप-सहारा अफ्रीका के ऑनलाइन तोंत्र जैसे सफल मॉडल़ोों से सीखना।
• राजनीकतक इच्छाशस्क्त का अभाव : सों रक्षणवाद पर काबू पाना और दीघषकातलक व्यापार तहत़ोों क़ो प्राथतमकता दे ना।
दतक्षण एतशया में व्यापार बाधाओों क़ो दू र करने के तलए, तवशेर्ष रूप से भारत में , क्षेत्रीय सहय़ोग क़ो प्राथतमकता दे ना, सोंवाद क़ो
बढ़ावा दे ना और मु क्त व्यापार समझौत़ोों की समीक्षा करना, गैर-टै ररफ बाधाओों क़ो समाप्त करना,, सीमा पार बुतनयादी ढाों चे क़ो
बढ़ाना और वैतिक सवोत्तम प्रथाओों क़ो अपनाने जैसे सतक्रय उपाय़ोों क़ो अपनाना महत्वपूणष है । ऐसा करके, क्षेत्र व्यापार और आतथषक
तवकास के तलए अपार सों भावनाओों क़ो सक्षम कर सकता है , इसमें शातमल सभी दे श़ोों के तलए अतधक एकीकरण और समृस्द् क़ो
बढ़ावा दे सकता है ।
• दतक्षण एतशया में भारत की तवतशष्ट भौग़ोतलक स्स्थतत और इस क्षेत्र में, तवशेर्ष रूप से अफगातनस्तान में चीन की बढ़ती रुतच, भू-
राजनीततक तचोंताओों क़ो बढ़ाते हैं । चीन का लक्ष्य अफगातनस्तान क़ो अपने बे ल्ट एों ड ऱोड इतनतशएतटव में एकीकृत करना है ,
लेतकन तवतभन्न गुट़ोों और उइघु र मु द्दे के साथ अपने सोंबोंध़ोों के कारण जतटलताओों का सामना करना पड रहा है । क्षेत्र की स्स्थरता
और चीन के आतथषक तनवेश का प्रभाव भारत और अन्य क्षे त्रीय शस्क्तय़ोों पर पडे गा।
भारत के कलए कनकहताथक :
• रणनीकतक प्रकतस्पधाक: भारत और चीन के बीच रणनीततक प्रततस्पधाष का एक उदाहरण लद्दाख के तहमालयी क्षेत्र में सीमा
तववाद है । चीन की मुखर कारष वाइयाँ , जैसे तक गलवान घाटी में 2020 का सीमा सोंघर्षष , तववातदत क्षेत्ऱोों पर तनयों त्रण के तलए चल
रहे तनाव और प्रततस्पधाष क़ो स्पष्ट करता है ।
• आकथकक प्रकतस्पधाक: पातकस्तान, श्रीलोंका और बाों ग्लादे श जैसे दे श़ोों में बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों में चीन का तनवेश भारत
के तलए आतथषक प्रततस्पधाष पै दा कर सकता है ।
o उदाहरण के तलए, चीन-पातकस्तान आतथषक गतलयारा (CPEC) में व्यापार और तनवेश क़ो भारत से दू र करने और चीन क़ो
इस क्षेत्र में अतधक आतथषक लाभ दे ने की क्षमता है ।
• सुरिा कचंताएं : तजबूती जैसे दे श़ोों में नौसैतनक तैनाती और सै न्य तठकाऩोों की स्थापना सतहत तहों द महासागर में चीन की सै न्य
उपस्स्थतत भारत की सुरक्षा तचोंताओों क़ो बढ़ाती है । यह चीन की शस्क्त प्रक्षेपण क्षमताओों के दायरे क़ो बढ़ाता है और सोंभातवत
रूप से भारत के पारों पररक प्रभाव क्षेत्र का अततक्रमण करता है ।
• िेत्रीय समीकरण: ने पाल और मालदीव जैसे दे श़ोों में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है , तजससे क्षेत्रीय समीकरण में बदलाव आया है ।
o उदाहरण के तलए, नेपाल के साथ चीन के बढ़ते आतथषक और राजनीततक सोंबोंध़ोों ने भारत-ने पाल सोंबोंध़ोों क़ो तनावपूणष बना
तदया है , तजससे पड़ोसी दे श में भारत का प्रभाव प्रभातवत ह़ो रहा है ।
• संतुलनकारी गठज़ोड: भारत ने चीन के प्रभाव क़ो सोंतुतलत करने के साधन के रूप में सोंयुक्त राज् अमेररका, जापान और
ऑस्टर े तलया जै से दे श़ोों के साथ साझेदारी क़ो मजबूत करने की माों ग की है । इन दे श़ोों के बीच चतु भुषज सुरक्षा सोंवाद (क्वाड) का
गठन क्षेत्र में चीन के उदय का प्रततकार करने के तलए रणनीततक गठज़ोड बनाने के भारत के प्रयास़ोों का एक उदाहरण है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• चीन-पाककस्तान गठबंधन: चीन-पातकस्तान आतथषक गतलयारा (CPEC) पररय़ोजना और यह प्रगाढ़ ह़ोता गठबोंधन, सों युक्त राष्टर
सुरक्षा पररर्षद (UNSC) में मसूद अजहर क़ो एक आतों कवादी के रूप में सूचीबद् करने और कश्मीर मु द्दे के बारे में तचोंता
जताने के भारत के प्रयास़ोों में बाधक है ।
• ऋण जाल कूटनीकत: चीन द्वारा ऋण जाल कूटनीतत का उपय़ोग 99 साल की लीज पर श्रीलोंका में हों बनट़ोटा बों दरगाह के
अतधग्रहण में स्पष्ट है , ज़ो भारत के तलए आतथषक और रणनीततक चुनौततय़ोों प्रस्तुत कर रहा है ।
आगे की राह:
• पड़ोसी प्रथम: गैर-पारस्पररकता के गुजराल तसद्ाों त क़ो अपनाते हुए, भारत अपने पड़ोसी दे श़ोों के साथ राजनतयक और
राजनीततक सों बोंध़ोों क़ो मजबू त करने पर ध्यान केंतद्रत करता है , समान लाभ की उम्मीद तकए तबना एक- दू सरे के लाभ पर ज़ोर
दे ता है ।
• क्वाड और कमकनलेटरल का लाभ उठाना: क्वाड दे श़ोों और अन्य तमनी लेटरल के साथ सहय़ोग करते हुए, भारत इस क्षेत्र के
भीतर कनेस्ितवटी में सुधार, आतथषक तवकास और सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ने के तलए पररय़ोजनाओों के सोंयुक्त कायाष न्वयन की
माों ग करता है ।
• पररय़ोजना पूणकता में तेजी लाना: क्षे त्रीय सोंपकष बढ़ाने और आतथषक तवकास क़ो बढ़ावा दे ने के तलए नेपाल और भूटान में
जलतवद् युत पररय़ोजनाओों के साथ-साथ कलादान मल्टीमॉडल पररय़ोजना जैसी प्रमुख पररय़ोजनाओों क़ो तेजी से पू रा करना
सुतनतित करना।
• सीमा और जल कववाद़ों का समाधान: भऱोसे की कमी क़ो दू र करने और पड़ोसी दे श़ोों के साथ सों बोंध़ोों क़ो मजबू त करने ,
स्स्थरता और सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ने के तलए सीमा और नदी जल तववाद़ोों के समाधान में सतक्रय रूप से शातमल ह़ोना।
• साकक क़ो पुनजीकवत करना: सहय़ोग, सोंवाद और क्षे त्रीय एकीकरण के तलए एक मोंच के रूप में दतक्षण एतशयाई क्षेत्रीय सहय़ोग
सोंगठन (साकष) क़ो पुनजीतवत करना, सहय़ोग क़ो सुतवधाजनक बनाना और दै तनक चु नौततय़ोों का समाधान करना।
• शस्क्तय़ों का द़ोहन: पड़ोसी दे श़ोों के साथ भारत के ऐततहातसक और साों स्कृततक एकीकरण का लाभ उठाते हुए एक सुरक्षा
प्रदाता के रूप में कायष करना और घतनष्ठ सों बोंध़ोों और पास्पररक सोंवृस्द् क़ो बढ़ावा दे ने के तलए तवकास सहायता प्रदान करना।
आतं क वाद
20
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• व्यापार का कनम्न स्तर: आतोंकवाद आतथषक सोंबोंध़ोों क़ो सीतमत करता है , जैसा तक सु रक्षा तचोंताओों के कारण भारत-पातकस्तान
व्यापार प्रततबों ध़ोों में दे खा गया है ।
• परमाणु युद्ध का डर: आतों कवाद परमाणु सोंघर्षष के ज़ोस्खम क़ो बढ़ाता है , तजसका उदाहरण 2019 के पुलवामा हमले से भारत
और पातकस्तान के बीच बढ़ा हुआ तनाव है ।
• भारत की छकव पर प्रभाव: आतोंकवाद भारत की वैतिक स्स्थतत क़ो प्रभातवत करता है , एक स्स्थर और सुरतक्षत शस्क्त के रूप
में इसके उदय में बाधा डालता है ।
आगे की राह:
• सहय़ोग में वृस्द्ध करना: सीमा तववाद़ोों और सों घर्षों क़ो दू र करने के तलए सोंवाद और कूटनीततक प्रयास़ोों क़ो बढ़ावा दे ना, क्षेत्रीय
के दे श़ोों के बीच तविास तनमाषण उपाय़ोों क़ो बढ़ावा दे ना।
• आकथकक एकीकरण क़ो मजबूत करना: आतथषक सोंबोंध़ोों क़ो बढ़ावा दे ने और अस्स्थर तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों पर तनभष रता कम करने
के तलए दतक्षण एतशयाई मु क्त व्यापार क्षे त्र (SAFTA) जैसी क्षेत्रीय पहल़ोों के माध्यम से व्यापार उदारीकरण और आतथषक
अन्य़ोन्यातश्रतता क़ो प्ऱोत्सातहत करना।
• आतंकवाद-कवऱोधी सहय़ोग: क्षे त्रीय स्स्थरता पर आतोंकवाद के प्रभाव क़ो कम करने के तलए खुतफया जानकारी साझा करना,
सोंयुक्त आतों कवाद तवऱोधी अतभयान और चरमपोंथी तवचारधाराओों से तनपटने में सहय़ोग बढ़ाना।
• परमाणु ज़ोस्खम में कमी: परमाणु तसद्ाों त, सोंचार चैनल़ोों और सोंकट प्रबोंधन तोंत्र पर चचाष सतहत परमाणु टकराव के ज़ोस्खम
क़ो कम करने के तलए भारत और पातकस्तान के बीच तविास-तनमाष ण के उपाय़ोों और सों वाद में शातमल ह़ोना।
• िेत्रीय पहल़ों क़ो बढावा दे ना: सोंवाद, सहय़ोग और क्षे त्रीय एकीकरण क़ो बढ़ावा दे ने के तलए SAARC (साउथ एतशयन
एस़ोतसएशन फॉर रीजनल क़ोऑपरे शन) और BIMSTEC (बे ऑफ बों गाल इतनतशएतटव फॉर मल्टी-सेि़ोरल टे स्िकल एों ड
इक़ोनॉतमक क़ोऑपरे शन) जै से क्षेत्रीय मोंच़ोों में सतक्रय रूप से भाग लेना।
िे त्रीय सं ग ठन
क्षे त्रीय सों ग ठन क्षे त्रीय चु नौततय़ोों का समाधान करने , कने स्ितवटी बढ़ाने और आतथष क एकीकरण क़ो बढ़ावा दे ने के तलए
सों वाद, सहय़ोग और समन्वय हे तु मों च प्रदान करते हैं । कु छ क्षे त्रीय सों ग ठन साकष , तबम्सटे क, आईओआरए, एससीओ,
आतसयान आतद हैं ।
महत्व:
• िेत्रीय समन्वय: क्षेत्रीय सोंगठन सदस्य दे श़ोों के बीच समन्वय की सुतवधा प्रदान करते हैं , क्षेत्रीय मु द्द़ोों पर सहय़ोग और सामों जस्य
क़ो बढ़ावा दे ते हैं ।
o उदाहरण: ऱोतहों ग्या शरणाथी सोंकट के दौरान आतसयान के समस्न्वत प्रयास।
• आकथकक एकीकरण: सदस्य दे श़ोों के बीच आतथषक एकीकरण, व्यापार उदारीकरण और तनवेश सुतवधा क़ो बढ़ावा दे ने में क्षेत्रीय
सोंगठन महत्वपूणष भूतमका तनभाते हैं ।
o उदाहरण: एकल बाजार और उत्पादन आधार बनाने के तलए आतसयान आतथषक समुदाय की पहल।
• शांकत और स्थथरता: क्षेत्रीय सोंगठन सोंघर्षष समाधान तोंत्र, शाों तत स्थापना अतभयान और तनवारक कूटनीतत के माध्यम से क्षेत्र में
शाों तत और स्स्थरता बनाए रखने में य़ोगदान करते हैं ।
o उदाहरण: स़ोमातलया और दतक्षण सूडान जै से दे श़ोों में अफ्रीकी सोंघ के शाों तत तमशन।
• सामूकहक सुरिा: क्षेत्रीय सोंगठन सदस्य दे श़ोों के बीच रक्षा सहय़ोग, सोंयुक्त सै न्य अभ्यास और सूचना साझा करके सामूतहक
सुरक्षा क़ो बढ़ाते हैं ।
o उदाहरण: यूऱोप में सु रक्षा खतऱोों के जवाब में नाट़ो के सामूतहक रक्षा उपाय।
21
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• सतत कवकास: क्षेत्रीय सों गठन सतत तवकास क़ो प्राथतमकता दे ते हैं और साझा लक्ष्य़ोों, नीततय़ोों और सहय़ोग के माध्यम से
पयाष वरणीय चुनौततय़ोों का समाधान करते हैं ।
o उदाहरण: जलवायु पररवतषन से तनपटने और प्रशाों त क्षे त्र में सतत तवकास क़ो बढ़ावा दे ने के तलए प्रशान्त द्वीप समूह फ़ोरम
की पहल।
• सांस्कृकतक आदान-प्रदान और सामाकजक जुडाव: क्षेत्रीय सोंगठन साों स्कृततक कायषक्रम़ोों, शैतक्षक कायषक्रम़ोों और पयषटन
पहल़ोों के माध्यम से साों स्कृततक आदान-प्रदान, सामातजक सामोंजस्य और ल़ोग़ोों से ल़ोग़ोों के बीच सोंपकष क़ो बढ़ावा दे ते हैं ।
o उदाहरण: कैरे तबयाई तवरासत और पहचान क़ो बढ़ावा दे ने के तलए एस़ोतसएशन ऑफ कैरे तबयन स्टे ट्स का साों स्कृततक
आदान-प्रदान कायषक्रम।
आगे की राह:
1. "भारत में बढ़ते सीमा पार आतोंकवादी हमले और पातकस्तान द्वारा कई सदस्य-राज़्ोों के आों तररक मामल़ोों में बढ़ता हस्तक्षे प
साकष (क्षेत्रीय सहय़ोग के तलए दतक्षण एतशयाई सोंघ) के भतवष्य के तलए अनु कूल नहीों है ।" उपयुक्त उदाहरण़ोों के साथ समझाइए।
(2016)
2. प्ऱोजेि 'मौसम' क़ो अपने पड़ोतसय़ोों के साथ सोंबोंध सु धारने के तलए भारत सरकार की एक तवतशष्ट तवदे श नीतत पहल माना
जाता है । क्या पररय़ोजना का क़ोई रणनीततक आयाम है ? चचाष कीतजए। (2015)
3. 'चीन एतशया में सोंभातवत सैन्य शस्क्त स्स्थतत तवकतसत करने के तलए अपने आतथषक सोंबोंध़ोों और सकारात्मक व्यापार अतधशे र्ष
क़ो उपकरण के रूप में उपय़ोग कर रहा है ', इस कथन के आल़ोक में , इसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर
चचाष करें । (2013)
4. 'म़ोततय़ोों की माला' से आप क्या समझते हैं ? यह भारत क़ो कैसे प्रभातवत करता है ? इसका मुकाबला करने के तलए भारत द्वारा
उठाए गए कदम़ोों की सोंक्षेप में रूपरे खा प्रस्तुत कीतजए। (2013)
5. गुजराल तसद्ाों त का क्या अथष है ? क्या आज इसकी क़ोई प्रासोंतगकता है ? चचाष कीतजए। (2013)
22
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
2. भारत और पाककस्तान
प्रस्तावना
• भारत-पातकस्तान सोंबोंध भारत के पड़ोतसय़ोों में सबसे जतटल सोंबोंध़ोों में से एक है , लेतकन इसने "तविास की कमी" क़ो कम करने
में महत्वपूणष प्रगतत की है । भारत, पातकस्तान के साथ शाों ततपूणष, सौहादष पूणष और सहय़ोगात्मक सोंबोंध चाहता है , तजसके तलए
तहों सा और आतोंक की अनुपस्स्थतत आवश्यक है । द़ोऩोों दे श़ोों के बीच भार्षाई, साों स्कृततक, भौग़ोतलक और आतथषक सोंबोंध हैं ,
लेतकन राजनीततक और ऐततहातसक कारक़ोों के कारण उनके सोंबोंध जतटल हैं ।
23
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o भारतीय दावा: भारत का दावा है तक सीमा मध्य-चै नल में स्स्थत है जैसा तक 1925 में बनाए गए एक अन्य मानतचत्र में
दशाष या गया है , और मध्य-चैनल स्तोंभ़ोों की स्थापना 1924 में हुई थी।
• कगलकगत बास्िस्तान मुद्दा: हाल ही में पातकस्तान ने तगलतगत बास्ल्टस्तान क़ो 'प्राों तीय दजाष ' दे कर इसे पातकस्तान का 5वाों प्राों त
बना तदया है । यह पूवषवती जम्मू -कश्मीर राज् का तहस्सा था।
अन्य मुद्दे :
• कवषम संतुलन: पातकस्तान कश्मीर क़ो अस्स्थर करने के साधन के रूप में आतों कवाद का उपय़ोग करता है । भारत में
आतोंकवातदय़ोों की घुसपैठ कराने के तलए कश्मीर सीमा पर पीओके में कई आतोंकवादी लॉन्च पैड स्थातपत तकए गए हैं ।
• व्यापार:
o पातकस्तान ने 2021 में भारत क़ो 2.08 तमतलयन डॉलर का तनयाष त तकया।
o पातकस्तान का भारत क़ो सबसे बडा तनयाष त उष्णकतटबों धीय फल ($1.24M), सुगस्न्धत पौधे ($146k), और स्क्रैप
एल्युमीतनयम ($112k) थे।
o तपछले 26 वर्षों के दौरान भारत में पातकस्तान का कनयाकत 10.9% की वाकषकक दर से कगरा है , ज़ो 1995 में $42.5M से
बढकर 2021 में $2.08M ह़ो गया है ।
o भारत क़ो 2021 में आतथषक जतटलता सूचकाों क (ईसीआई 0.61) में 41वाों और कुल तनयाष त ($403 तबतलयन) में 14वाों
स्थान तदया गया।
o पातकस्तान क़ो उस वर्षष आतथषक जतटलता सूचकाों क (ईसीआई -0.55) में 87वाों दजाष तदया गया था और कुल तनयाष त में
66वाों स्थान ($32.7B) तदया गया था।
• चीन पाककस्तान की सदाबहार द़ोस्ती:
o द़ो म़ोचों पर संघषक की संभावना: लद्दाख में हाल ही में भारत-चीन सीमा गततऱोध ने उत्तर-पतिमी और उत्तर-पूवी सीमाओों
पर द़ो म़ोचों पर सोंघर्षष की सों भावना बढ़ा दी है ।
o रणनीकतक घेरा: चीन, सीपीईसी और ग्वादर बों दरगाह के जररए भारत क़ो घेरने के तलए भी पातकस्तान का इस्तेमाल कर
रहा है ।
o बढती चीन-पाककस्तान-ईरान-रूस धुरी: इससे उत्तरी सीमाओों के साथ-साथ तहों द महासागर में भारत की सुरक्षा क़ो
खतरा है ।
o व्यापार और अन्य संबंध: भारत के तलए रक्षा और परमाणु उपकरण़ोों और प्रौद्य़ोतगतकय़ोों का चीनी तनयाष त, तजसमें जहाज,
पनडु स्ब्बयाों और परमाणु -सक्षम हॉतवत्जर त़ोपें शातमल हैं ।
अफ़गाकनस्तान से अमेररका की वापसी का प्रभाव
• ताकलबान की वापसी: भारत और अन्य पड़ोसी दे श़ोों क़ो अफगातनस्तान में तातलबान की तवजयी वापसी के तनतहताथों
के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में तहों सक धातमषक उग्रवाद में वृस्द् से तनपटना ह़ोगा।
• सीमा-पार संपकक: क्षेत्र में तातलबान और अन्य चरमपोंथी ताकत़ोों के बीच भी एक तचोंता का तवर्षय है ।
• अमेररकी सैकनक़ों की वापसी: यह लिर-ए-तैयबा और जैश-ए-म़ोहम्मद जैसे कई भारत तवऱोधी आतोंकवादी सोंगठऩोों
के तलए मु ख्य स्थल बन सकता है ।
• अफगाकनस्तान में भारत की भूकमका क़ो कम आं कना: अफगातनस्तान से सोंयुक्त राज् अमेररका की वापसी भारतीय
उपमहाद्वीप के तलए अने क समस्याएों प्रस्तुत करती है ।
• चरमपंथी ताकत़ों पर कनयंत्रण: भारत के तलए, अमेररकी सैन्य उपस्स्थतत ने चरमपोंथी ताकत़ोों क़ो तनयोंत्रण में रखा ह़ोगा
और अफगातनस्तान में भारतीय भागीदारी के तलए अनु कूल पररस्स्थततयाों स्थातपत की ह़ोोंगी।
24
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• िेत्र में रुकच कम करें : क्य़ोोंतक अफगातनस्तान मध्य एतशया का प्रवेश द्वार है , अमेररका की वापसी से इस क्षेत्र में भारत
की रुतच कम ह़ो सकती है ।
आगे की राह:
• यूएफए समझौते पर आधाररत वाताक: भारत और पातकस्तान के बीच "यूएफए" समझौते पर आधाररत तद्वपक्षीय वाताष शुरू
ह़ोने से आतोंकवाद से लडने , मछु आऱोों क़ो मुक्त कराने , सै न्य कतमषय़ोों से मुलाकात करने और धातमषक पयषटन क़ो बढ़ाने के साथ
राजनतयक सोंपकों में नए आयाम जुडेंगे।
• सॉफ्ट और हाडक पावर का कमश्रण: भारत और पातकस्तान के बीच तद्वपक्षीय वाताष क़ो बढ़ाने के तलए अोंतरराष्टरीय कूटनीतत के
साथ-साथ सॉफ्ट और हाडष पावर कूटनीतत का एक आदशष तमश्रण आवश्यक है ।
• अंतराकष्ट्रीय दबाव: अों तराष ष्टरीय सोंगठऩोों का उपय़ोग पातकस्तान पर आतों कवाद तवऱोधी गतततवतधय़ोों के तलए दबाव बनाने हे तु
तकया जा सकता है , जैसे तक पातकस्तान क़ो एफएटीएफ की ग्रे सूची में शातमल करना, तजससे ऐसे समय में उसकी सरकार के
तलए अोंतराष ष्टरीय बाजाऱोों तक पहुों च बनाना और अतधक कतठन ह़ो जाता है जब इसकी अथषव्यवस्था लडखडा रही है ।
• जैश-ए-म़ोहम्मद से कनपटना: सोंयुक्त राष्टर द्वारा मसूद अजहर क़ो वैतिक आतोंकवादी के रूप में वगीकृत करने से पातकस्तान
पर उसकी सों पतत्तय़ोों क़ो जब्त करने का दबाव बढ़ जाएगा और जै श-ए-म़ोहम्मद-आधाररत सोंगठन का अस्स्तत्व कमज़ोर ह़ो
जाएगा, ज़ो भारतीय सेना के तठकाऩोों पर कई हमल़ोों के तलए तजम्मे दार है ।
कनष्कषक :
• तीव्र आतथषक वृस्द् और तवकास की क्षमता ह़ोने के बावजूद, दतक्षण एतशया आगे बढ़ने में असमथष रहा है । इसका मु ख्य कारण
भारत और पातकस्तान के बीच तववाद और तनाव है । बेहतर भारत-पातकस्तान सोंबोंध यह सुतनतित कर सकते हैं तक उपमहाद्वीप
के तलए तकसी भी सोंभातवत खतरे का समाधान तकया जाए। तविास पर आधाररत सहय़ोग से एक सफल और शाों ततपूणष दतक्षण
एतशया का तनमाष ण सोंभव ह़ो सकता है ।
• पाककस्तान में बढता चीनी प्रभाव: इों तडयन काउों तसल फॉर ररसचष ऑन इों टरने शनल इक़ोनॉतमक ररलेशोंस (ICRIER) के
अनुसार, पातकस्तान की गोंभीर आतथषक समस्याएों सोंकेत दे ती हैं तक भारत क़ो पातकस्तान और सामान्य रूप से दतक्षण एतशया
में बढ़ते चीनी प्रभाव क़ो स्वीकार करना पड सकता है ।
• भारत के स्खलाफ गैर-मैत्री गकतकवकधयां: जब सोंयुक्त राज् अमेररका (यूएस) ने तत्कालीन स़ोतवयत स़ोशतलस्ट ररपस्िक
(यूएसएसआर) के स्खलाफ अपने छद्म यु द् में पातकस्तान क़ो शातमल तकया, त़ो पातकस्तान के सत्तारूढ़ प्रततष्ठान के गु ट़ोों ने
भारत के स्खलाफ अतमत्र गतततवतधयाों करने का साहस महसूस तकया।
• स्थथरता में कनकहत स्वाथक: हालाँ तक, हर क़ोई यह नहीों मानता तक पातकस्तान चीनी समथषन से भारत के स्खलाफ दु स्साहसवादी
नीतत अपनाएगा। "चीन, पातकस्तान में अपने तनवेश के माध्यम से , यतद शाों तत नहीों त़ो स्स्थरता में तनतहत स्वाथष रखेगा।"
o इसके अलावा, चीन ने पहले भी सातबत तकया है तक वह पातकस्तान पर लगाम लगा सकता है ।
• भारत कवऱोधी गकतकवकध: यह कहना जल्दबाजी ह़ोगी तक चीन-पातकस्तान गठबों धन के पररणामस्वरूप भारत तवऱोधी गतततवतध
बढ़े गी या घटे गी।
• एक नए दृकष्ट्क़ोण की आवश्यकता: हालाँ तक, हमारे पड़ोस में अस्स्थर पररदृश्य से उत्पन्न ज़ोस्खम़ोों क़ो दू र करने के तलए,
भारत क़ो पातकस्तान के बाहरी दानदाताओों के साथ जु डने के तलए एक नए दृतष्टक़ोण की आवश्यकता ह़ो सकती है ।
• अंधराष्ट्रवादी बहुसंख्यकवाद का प्रभाव: पातकस्तान का दु खद भाग्य आज इस क्षेत्र क़ो यह सबक तसखाता है तक अों धराष्टरवादी
बहुसोंख्यकवाद तकसी दे श के सामातजक और आतथषक पररदृश्य क़ो तकस तरह तवघतटत कर सकता है ।
25
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• पररणाम़ों का आकलन: पररणामस्वरूप, भारत क़ो आतथषक स्स्थरता बनाए रखने में पातकस्तान की तवफलता के लघु , मध्यम
और दीघषकातलक पररणाम़ोों का आकलन करना जारी रखना चातहए।
कसंधु जल संकध: क़्ों भारत ने पाककस्तान क़ो ऩोकटस जारी कर बदलाव की मांग की है
• पृष्ठभूकम: पातकस्तान ने सोंतध क़ो लागू करने में अपनी "हठधतमषता" का प्रदशषन करते हुए, भारतीय पक्ष में जलतवद् युत
पररय़ोजनाओों के तवकास पर बार-बार आपतत्त जताई है ।
o भारत 1960 के समझौते में बदलाव लाने के तलए सोंतध के अनुच्छेद XII (3) क़ो लागू कर रहा है ।
• IWT और इसकी कववाद समाधान प्रकक्रया: IWT तसोंधु नदी और उसकी सहायक नतदय़ोों के पानी के उपय़ोग के तलए भारत
और पातकस्तान के बीच एक समझौता है तजसकी मध्यस्थता तवि बैंक (WB) ने की थी।
o उस समय भारत के प्रधानमोंत्री जवाहरलाल नेहरू और पातकस्तान के राष्टरपतत अयूब खान ने 1960 में कराची में इस पर
हस्ताक्षर तकए।
• जल का उपय़ोग: समझौते के अनुसार, भारत क़ो पतिमी नतदय़ोों के पानी का उपय़ोग सीतमत तसोंचाई उद्दे श्य़ोों और तबजली के
उत्पादन सतहत असीतमत गै र-उपभ़ोग्य उपय़ोग़ोों के तलए करने की अनुमतत है ।
• जलकवद् युत उत्पन्न का अकधकार: भारत के पास तवतशष्ट तडजाइन और सोंचालन मानदों ड़ोों के अधीन, पतिमी नतदय़ोों पर रन-
ऑफ-द-ररवर (आरओआर) पररय़ोजनाओों के माध्यम से जलतवद् युत उत्पादन का अप्रततबोंतधत अतधकार है ।
• कनवारण तंत्र: IWT का तववाद समाधान तोंत्र एक तत्र-स्तरीय प्रणाली है ।
• IWT का एक रणनीकतक उपकरण के रूप में उपय़ोग: भारत ने तसोंधु जल प्रणाली पर अपने अतधकाऱोों का पूरी तरह से
प्रय़ोग नहीों तकया है ।
o हाल के वर्षों में , तवशेर्ष रूप से उरी हमले के बाद से , ऊपरी तटवती राज् के रूप में भारत के प्राकृततक लाभ क़ो दे खते
हुए, भारत में IWT क़ो एक रणनीततक उपकरण के रूप में उपय़ोग करने की माों ग बढ़ रही है ।
• कई वृहद और लघु जलकवद् युत पररय़ोजनाएं : पररणामस्वरूप, भारत कई वृहद और लघु जलतवद् युत पररय़ोजनाओों क़ो तफर
से शुरू करने के तलए काम कर रहा है ज़ो या त़ो रुकी हुई थीों या य़ोजना के चरण में थीों।
1. "भारत में बढ़ते सीमा पार आतोंकवादी हमले और पातकस्तान द्वारा सदस्य-राज़्ोों के आों तररक मामल़ोों में बढ़ता हस्तक्षेप साकष
(दतक्षण एतशयाई क्षेत्रीय सहय़ोग सोंगठन) के भतवष्य के तलए अनुकूल नहीों है ।" उपयु क्त उदाहरण़ोों के साथ समझाइए। (2016)
2. आतोंकवादी गतततवतधय़ोों और आपसी अतविास ने भारत-पातकस्तान सोंबोंध़ोों क़ो धूतमल कर तदया है । खेल और साों स्कृततक
आदान-प्रदान जैसी सॉफ्ट पावर का उपय़ोग तकस हद तक द़ोऩोों दे श़ोों के बीच सद्भावना पैदा करने में सहायता कर सकता है ?
उपयुक्त उदाहरण़ोों के साथ चचाष कीतजए। (2015)
छात्र का ऩोट
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
3. भारत-बां ग्लादे श
बाों ग्लादे श की रणनीततक स्स्थतत, राजनीततक स्स्थरता और तीव्र आतथषक तवकास इसे भारत का आदशष भागीदार बनाता है । ढाका के
साथ नई तदल्ली की सतक्रय भागीदारी बोंगाल की खाडी और भारत-प्रशाों त क्षेत्र की ओर भारत की बदलती तवदे श नीतत क़ो भी दशाष ती
है । सोंबोंध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, तवदे श मोंत्री सु िमण्यम जयशों कर ने कहा तक भारत और बाों ग्लादे श में "क्षेत्र के सोंपूणष भू -
अथषशास्त्र" क़ो बदलने की क्षमता है ।
तथ्य एक नजर में
• व्यापार: 2022 में भारत-बाों ग्लादे श तद्वपक्षीय व्यापार का मूल्य 18.2 तबतलयन अमेररकी डॉलर था। बाों ग्लादे श भारत का
दतक्षण एतशया में सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है और भारत बाों ग्लादे श का दू सरा सबसे बडा वातणस्ज्क भागीदार है ।
• प्रमुख कनयाकत: बाों ग्लादे श क़ो भारत के प्रमु ख तनयाष त़ोों में पे टऱोतलयम, सूती धागा, गेहों और अन्य वस्तु एों शातमल हैं । अन्य शुद्
वनस्पतत तेल, तबना बुने हुए पु रुर्ष़ोों के कपडे , और तवमान, हे लीकॉप्टर, और/या अोंतररक्ष यान भारत क़ो बाों ग्लादे श के सबसे
बडे तनयाष त़ोों में से हैं ।
• सडक, रे ल और नदी भारत और बांग्लादे श क़ो ज़ोडते हैं : भारत-बाों ग्लादे श मैत्री पुल और पायरा डीप सीप़ोटष सोंयुक्त
बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों में से हैं ।
• कनवेश: भारत बाों ग्लादे श में 3 अरब डॉलर से अतधक का तनवेश करता है । बाों ग्लादे श ने भारत में 1 अरब डॉलर का तनवेश
तकया है और वह 12वें स्थान पर है ।
• भारत बां ग्लादे श सं बं ध़ों का महत्व
• भू-रणनीकतक महत्व: उत्तर-पूवष से कनेस्ितवटी और सुरक्षा- चूोंतक यह क्षे त्र भू - आबद् है और बाों ग्लादे श के माध्यम से इसकी
बेहतर कनेस्ितवटी है ।
• एि ईस्ट् नीकत: बाों ग्लादे श दतक्षण पूवष एतशया के तलए भारत का सेतु है और बीबीआईएन और तबम्सटे क पहल में एक महत्वपू णष
भागीदार है ।
• समुद्री सुरिा: चूोंतक यह रणनीततक रूप से बोंगाल की खाडी
में स्स्थत है , इसतलए यह सों चार की महत्वपूणष समुद्री लाइऩोों
क़ो सुरतक्षत करने के तलए आवश्यक है ।
• व्यापार संबंध: बाों ग्लादे श दतक्षण एतशया में भारत का सबसे
बडा व्यापाररक भागीदार है । 2022 में भारत-बाों ग्लादे श
तद्वपक्षीय व्यापार का मूल्य 18.2 तबतलयन अमेररकी डॉलर था।
o दतक्षण एतशयाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) का तहस्सा ह़ोने के कारण, भारत और बाों ग्लादे श द़ोऩोों क़ो एक-दू सरे के बाजार
में टै ररफ ररयायत के मामले में अतधमानी उपचार तमलता है ।
o प्रस्तातवत बाों ग्लादे श-भारत व्यापक आतथषक साझेदारी समझौते में वस्तुओों, सेवाओों और तनवेश में व्यापार शातमल ह़ोगा।
• कनेस्िकवटी:
o भारत और बाों ग्लादे श के बीच 2010 में हस्ताक्षररत पारगमन समझौते के तहत, बाों ग्लादे श भारत क़ो पररवहन के तीन
तरीक़ोों पर पारगमन सुतवधाएों प्रदान करता है : अोंतदे शीय जल, रे ल और तटीय तशतपोंग।
o भारत-बांग्लादे श अंतदे शीय जलमागक: यह मागष तत्रपुरा क़ो बाों ग्लादे श के माध्यम से भारत के राष्टरीय जलमागष से ज़ोडता
है ।
o रे ल कनेस्िकवटी: वतषमान में , बाों ग्लादे श और भारत के बीच पाों च रे ल तलोंक चालू हैं ।
27
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o तटीय कशकपंग: 2018 में, बाों ग्लादे श और भारत ने एक तटीय तशतपोंग समझौते पर हस्ताक्षर तकए, ज़ो भारत क़ो तत्रपुरा,
असम और मे घालय तक माल पररवहन के तलए तचटगाँ व और म़ोोंगला बों दरगाह़ोों का उपय़ोग करने की अनुमतत दे ता है ।
समझौते के तहत भारत के तलए क़ोई पारगमन शु ल्क या सीमा शुल्क नहीों है ।
o भारत का पूवोत्तर कवकास और कनेस्िकवटी: बाों ग्लादे श ने भी हाल ही में पूवोत्तर भारतीय राज़्ोों में माल के टर ाों स-तशपमें ट
के तलए अपने अोंतदे शीय मागष और चटगाों व और म़ोोंगला के बोंदरगाह़ोों का उपय़ोग करने की अनुमतत दी है ।
• नीली अथकव्यवथथा: भारत और बाों ग्लादे श हाइडऱोकाबषन की ख़ोज, समुद्री सोंसाधऩोों, गहरे समुद्र में मछली पकडने , समुद्री
पाररस्स्थततकी सोंरक्षण और प्रबोंधन में सहय़ोग कर रहे हैं ।
• ऱोकहं ग्या मुद्दा: 2018 में भारत ने बाों ग्लादे श क़ो उसके मानवीय प्रयास़ोों में समथषन दे ने के तलए इों सातनयत के तहस्से के रूप में
300,00ऱोतहों ग्याओों की मदद के तलए आपू ततष भेजी।
सम्बऩ्ों में मु द्दे
• तीस्ता नदी कववाद: तीस्ता नदी भारत और बांग्लादे श के धान कृकष िेत्ऱों के कलए कसंचाई का एक प्रमुख स्ऱोत है ।
o दे श ने 1996 की गोंगा जल सोंतध की तजष पर तीस्ता जल के उतचत तवतरण का लक्ष्य तनधाष ररत तकया था।
o नदी के जल प्रवाह क़ो न्यूनतम रखने के तलए, 2011 में एक समझौता हुआ तजसके तहत भारत क़ो 42.5% पानी, बाों ग्लादे श
क़ो 37.5% और शेर्ष 20% पानी की छूट दी गई।
• फरक्का बैराज: हालाों तक द़ोऩोों दे श 1996 में गोंगा जल के बोंटवारे पर एक समझौते पर पहुों चे, लेतकन भारत के फरक्का बै राज
के तनमाष ण और सोंचालन क़ो लेकर अभी भी लोंबे समय से असहमतत है , तजसे हुगली नदी की जल आपूततष के पू रक के तलए
बनाया गया था।
o बाों ग्लादे श की तशकायत है तक शुष्क मौसम के दौरान उसे पानी का उतचत तहस्सा नहीों तमलता है और जब भारत मानसू न
के मौसम के दौरान अततररक्त पानी छ़ोडता है त़ो उसके कुछ क्षेत्र जलमग्न ह़ो जाते हैं ।
• उग्रवाद: द़ोऩोों दे श़ोों के बीच असहमतत का एक मु ख्य तबोंदु उग्रवाद है ।
• अवैध प्रवासन: दे श की अशाों तत के पररणामस्वरूप बाों ग्लादे शी सीमा के पार प्रवातसय़ोों के प्रवाह ने द़ोऩोों दे श़ोों के बीच तनाव
क़ो और बढ़ा तदया है ।
• चीन के प्रभाव का मुकाबला: परमाणु प्रौद्य़ोतगकी, कृतत्रम बुस्द्मत्ता, आधुतनक खेती के तरीक़ोों और बाढ़ डे टा के आदान-
प्रदान के साथ दे श की सहायता करके बाों ग्लादे श के साथ भारत के सों बोंध़ोों क़ो मजबूत करना दे श में चीन के प्रभाव का मुकाबला
करने में सहायक है ।
• नदी जल साझा करना: द़ोऩोों दे श़ोों के बीच मुख्य मु द्द़ोों में से एक, जल पर असहमतत है ।
o भारत और बाों ग्लादे श द्वारा साझा की जाने वाली 54 नतदयाँ हैं ।
o अपनी साझा नदी प्रणातलय़ोों के लाभ़ोों क़ो उच्चतम करने के तलए, द़ोऩोों दे श़ोों ने जू न 1972 में एक तद्वपक्षीय सोंयुक्त नदी
आय़ोग (JRC) की स्थापना की।
• सीमा सुरिा: 2015 का भूतम सीमा समझौता। सीमा सुरक्षा तग्रड (बीपीजी) की स्थापना और अपराध मु क्त पररक्षे त्र का तनमाष ण।
• कनेस्िकवटी: भारत से माल की आवाजाही के तलए चटगाों व और म़ोोंगला बोंदरगाह़ोों के उपय़ोग पर मानक सोंचालन प्रतक्रया पर
समझौता।
• वैक्सीन मैत्री: भारत ने 109 एम्बुलेंस उपहार में दीों और अनुदान के रूप में क़ोतवड-19 टीक़ोों की 1.2 तमतलयन खुराक भी
दान कीों।
• कवकासात्मक सहायता: 201से भारत ने बाों ग्लादे श क़ो 7.4 तबतलयन डॉलर की 3 क्रेतडट लाइन स्वीकृत की हैं ।
28
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• युवा: भारत में अध्ययन के तवतभन्न क्षेत्ऱोों में तशक्षा प्राप्त करने के तलए भारत ने बाों ग्लादे श के युवाओों के तलए तवशेर्ष 'स्वणष जयोंती
छात्रवृतत्त' की घ़ोर्षणा की।
• कवज्ञान एवं प्रौद्य़ोकगकी में सहय़ोग: जैसे कृतत्रम बु स्द्मत्ता, परमाणु प्रौद्य़ोतगकी का शाों ततपूणष उपय़ोग, वृ हद डे टा और स्वास्थ्य
व तशक्षा में प्रौद्य़ोतगकी-सक्षम सेवाएों ।
क़ोकवड-19 महामारी के दौरान भारत-बांग्लादे श संबंध
• बाों ग्लादे श ने फरवरी 2021 में भारत के सीरम इों स्टीट्यूट के साथ तमलकर क़ोतवड-19 टीकाकरण, यानी क़ोतवशीर्ल् टीक़ोों
का तवस्तार करने के तलए काम तकया। महामारी के दौरान, भारत ने बाों ग्लादे श क़ो लगभग 3.3 तमतलयन ड़ोज तनः शु ल्क प्रदान
की।
• हालाँ तक, क़ोतवड-19 की दू सरी लहर के दौरान भारत में तबगडती स्स्थततय़ोों के कारण, भारत ने बाों ग्लादे श क़ो टीके बेचना
बोंद कर तदया, तजससे टीकाकरण गतततवतधयाँ प्रभातवत हुईों।
• भारत पहुों चाए गए राहत सहायता बॉक्स में बाों ग्लादे श द्वारा बेस्क्समक़ो द्वारा तनतमषत रे मडे तसतवर की लगभग 10,00शीतशयाों ,
साथ ही तजोंक कैस्शशयम, एों टी-वायरल इों जेक्शन, ओरल एों टी-वायरल, 30,00पीपीई तकट और अन्य ग़ोतलयाों थीों।
आगे की राह:
• चीन के प्रभाव का मुकाबला: परमाणु प्रौद्य़ोतगकी, कृतत्रम बुस्द्मत्ता, आधुतनक कृतर्ष पद्ततय़ोों और बाढ़ डे टा तवतनमय के साथ
बाों ग्लादे श की सहायता करने से बाों ग्लादे श के साथ भारत के सोंबोंध मजबू त ह़ोोंगे और भारत अतधक प्रभावी ढों ग से चीन के प्रभाव
का प्रततऱोध करने में सक्षम ह़ोगा।
• शरणाथी संकट का मुकाबला: भारत और बाों ग्लादे श अन्य दतक्षण एतशयाई क्षेत्रीय सहय़ोग सोंगठन (साकष) दे श़ोों क़ो शरणातथषय़ोों
पर एक साकष घ़ोर्षणा का मसौदा तैयार करने के तलए सहमत करने में अग्रणी भूतमका तनभा सकते हैं , तजसमें शरणाथी और
आतथषक प्रवातसय़ोों की स्स्थतत तनधाष ररत करने के तलए तवस्तृत प्रतक्रयाओों की रूपरे खा तैयार की जाएगी।
• बेहतर कनेस्िकवटी: तटीय कनेस्ितवटी, सडक, रे ल और अोंतदे शीय जलमागों में सहय़ोग क़ो मजबूत करके क्षेत्रीय
कनेस्ितवटी में सुधार करने की आवश्यकता है ।
• तीस्ता नदी जल कववाद क़ो संब़ोकधत करना: तीस्ता नदी जल बोंटवारे के दायरे पर आपसी सहमतत प्राप्त करने के तलए,
बोंगाल और केंद्र सरकार द़ोऩोों क़ो आपसी समझ के साथ तमलकर काम करना चातहए और सहकारी सोंघवाद का सोंकेत दे ना
चातहए।
• ऊजाक सुरिा: जैसे-जैसे वैतिक ऊजाष सोंकट गहराता जा रहा है , यह महत्वपूणष है तक भारत और बाों ग्लादे श दतक्षण एतशया की
सहायता के तलए स्वच्छ और हररत ऊजाष का उपय़ोग करने हे तु तमलकर काम करें ।
कनष्कषक
• भारत और बाों ग्लादे श के पास अपने तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने के तलए काफी सोंभावनाएों हैं । सम्बोंध का आधार सहय़ोग,
सहकायष और समेकन ह़ोना चातहए। प्रगतत के तलए सबसे महत्वपूणष शतष शाों तत है । पररणामस्वरूप, सुरतक्षत, शाों त और अपराध-
मुक्त सीमा सुतनतित करने के तलए प्रभावी सीमा प्रबोंधन आवश्यक है ।
कवगत वषो के प्रश्न (मु ख्य परीिा)
1. बाों ग्लादे श में ढाका के शाहबाग चौराहे पर हुए तवऱोध प्रदशष न से राष्टरवातदय़ोों और इस्लामी ताकत़ोों के बीच समाज में बुतनयादी
तवभाजन का पता चलता है । भारत के तलए इसका क्या महत्व है ? (2013)
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
4. भारत-ने पाल
प्रस्तावना
भारत और ने पाल के बीच तवतशष्ट तमत्रता और सहय़ोग का ररश्ता है , तजसमे मु क्त सीमाए , ल़ोग़ो और सोंस्कृतत के स्तर पर गहरा
जुडाव जैसी तवशेर्षताए शातमल हैं . 1950 की भारत-नेपाल शाों तत और तमत्रता सोंतध भारत और ने पाल के बीच मौजू द तवशेर्ष सोंबोंध़ोों
का आधार बनती है ।
भारत ने पाल सं बं ध
• आकथकक: भारत नेपाल का सबसे बडा व्यापार भागीदार है , ज़ो द़ो-ततहाई से अतधक व्यापाररक व्यापार, महत्वपूणष तनवेश और
पेटऱोतलयम आपूततष का य़ोगदान दे ता है । 2002-2003 से भारत का ने पाल के साथ व्यापार अतधशेर्ष रहा है , ज़ो तपछले कुछ वर्षों
में बढ़ रहा है , औसत व्यापार सोंतुलन अनु पात 2002-2003 में 40% से बढ़कर 2018-2019 में 80% ह़ो गया है ।
• कनवेश: भारतीय कोंपतनय़ोों का नेपाल में प्रत्यक्ष तवदे शी तनवेश पर प्रभु त्व हैं , ज़ो कुल स्वीकृत तनवेश के 40% का प्रतततनतधत्व
करती है , तजसमें लगभग 15भारतीय उद्यम सोंचातलत हैं ।
• राजनीकतक: भारत और ने पाल इततहास, सोंस्कृतत और धमष में तनतहत मजबूत तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो साझा करते हैं , लेतकन उन्ें
लगातार सीमा तववाद़ोों का सामना करना पडता है । खुली सीमा मुक्त आवाजाही क़ो सक्षम बनाती है और द़ोऩोों दे श साकष और
तबम्सटे क के सदस्य हैं ।
• सामाकजक: द़ोऩोों दे श़ोों के बीच तववाह और पाररवाररक सोंबोंध़ोों के माध्यम से घतनष्ठ सोंबोंध हैं , तजन्ें ऱोटी-बेटी का ररश्ता के नाम
से जाना जाता है ।
• जल संसाधन: नेपाल की नतदयाँ गोंगा नदी बेतसन के तलए महत्वपूणष हैं , और 2008 में स्थातपत एक तद्वपक्षीय तोंत्र भारत और
नेपाल के बीच जल सोंसाधऩोों और जलतवद् यु त सहय़ोग क़ो प्रतततबोंतबत करता है ।
• सांस्कृकतक संबंध: भारत और ने पाल एक समृद् तहों दू और बौद् तवरासत साझा करते हैं । द़ोऩोों सरकाऱोों ने इस साझी
साों स्कृततक तवरासत क़ो भुनाने का भी प्रयास तकया है । इसके अलावा, भारत और नेपाल ने जनकपु र और अय़ोध्या, काठमाों डू
और वाराणसी, और लुोंतबनी और ब़ोधगया क़ो ज़ोडने के तलए तसस्टर-तसटी समझौते पर हस्ताक्षर तकए हैं ।
o भारत पाटन दरबार में द़ो तवरासत पररय़ोजनाओों क़ो भी तवत्त प़ोतर्षत कर रहा है : पशु पततनाथ ररवरफ्रोंट डे वलपमें ट और
भण्डारखाल उद्यान का जीणोद्ार।
• रिा सहय़ोग: भारतीय और नेपाली सेना वातर्षषक सोंयुक्त सै न्य अभ्यास 'सूयष तकरण' आय़ोतजत करती हैं । ग़ोरखा, ज़ो भारतीय
सेना का एक महत्वपूणष तहस्सा हैं , का ने पाल की सेना के साथ एक मजबूत सोंबोंध है ज़ो 20साल से अतधक पु राना है । भारत
नेपाली सेना क़ो उसके आधुतनकीकरण में सहायता के तलए उपकरण और प्रतशक्षण भी प्रदान करता है ।
• आपदा प्रबंधन: द़ोऩोों दे श सामूतहक आपदा प्रतततक्रया के तलए तबम्सटे क में भाग ले रहे हैं । 2015 के दौरान भारत की सहायता
की नेपाल ने भी सराहना की है ।
• कनेस्िकवटी: चूोंतक नेपाल एक भू -आबद् दे श है , इसतलए यह समुद्र तक पहुों च के तलए भारत पर तनभषर है ।
o द़ोऩोों दे श रे ल कनेस्ितवटी पर सहमत हुए हैं और ने पाल क़ो तहों द महासागर से ज़ोडने के तलए नेपाल में अोंतदे शीय जलमागष
तवकतसत करने पर भी काम कर रहे हैं ।
o सीमाओों पर एकीकृत चेक बों दरगाह़ोों की स्थापना, तजनमें हाल ही में बीरगों ज और तवराटनगर शातमल हैं , ने भी व्यापार और
पारगमन क़ो आसान बना तदया है ।
30
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
भारत-ने पाल सं बं ध़ों में मु द्दे
• मजबूत सीमा कनयंत्रण और सख्ती: वे सीमा पार नकदी की आवाजाही और भु गतान में बाधा डाल रहे हैं ।
• कवश्वास की बढती कमी: द़ोऩोों पड़ोतसय़ोों के बीच- तवशेर्ष रूप से 2015 में अनौपचाररक भारतीय नाकेबोंदी के बाद से , तजसने
नेपाल की अथष व्यवस्था क़ो तबाह कर तदया और द़ोऩोों दे श़ोों में क्षे त्रीय राष्टरवाद का उदय हुआ।
• घरे लू राजनीकत: भारतीय मीतडया में ने पाल के बारे में हातलया सनसनीखेज ररप़ोतटिं ग, नेपाली प्रधान मोंत्री केपी ओली के गै र-
तजम्मेदाराना बयान, तजसमें भारत द्वारा उन्ें पद से हटाने की सातजश रचने के तनराधार आऱोप शातमल हैं , और नेपाल सीमा
पुतलस द्वारा एक भारतीय व्यस्क्त क़ो ग़ोली मारने से तनाव बढ़ गया और साथषक जुडाव के स्थान पर शत्रुतापूणष माहौल बन गया
है ।
• पररय़ोजना पूणक ह़ोने में दे री: नेपाल और भारत के बीच तविास की कमी ने नेपाल में तवतभन्न भारतीय सहायता प्राप्त
पररय़ोजनाओों के कायाष न्वयन क़ो बडे पैमाने पर प्रभातवत तकया।
नवीन भू-राजनीकतक ग्रेट गेम:
o उन्नत साझेदारी: शी तजनतपों ग की यात्रा के दौरान, नेपाल और चीन ने अपने सोंबोंध़ोों क़ो "सदाबहार तमत्रता की तवशेर्षता
वाली व्यापक साझेदारी" से "तवकास और समृस्द् के तलए तचरस्थायी तमत्रता की तवशेर्षता वाली सहय़ोग की रणनीततक
साझेदारी" तक बढ़ाया।
o प्रत्यपकण पर संकध: चीन ने आपरातधक मामल़ोों में पारस्पररक कानूनी सहायता (एमएलएसीएम) पर एक सोंतध पर भी
हस्ताक्षर तकए और प्रत्यपषण पर सोंतध के शीघ्र कनष्कषक की आशा व्यक्त की।
o कहमालयन 'चतुभुकज': चीन, पातकस्तान, अफगातनस्तान और ने पाल के बीच हाल ही में हुई तहमालयी 'चतुभुषज' बैठक भी
दतक्षण एतशया में भारत क़ो ऱोकने के चीनी प्रयास क़ो उजागर करती है ।
o रिा सहय़ोग: पहली बार, पीपुल्स तलबरे शन आमी (पीएलए) और नेपाली सेना ने 2017 और 2018 में द़ो सोंयुक्त-सै न्य
अभ्यास आय़ोतजत तकए। 2019 के बाद से , पीएलए तनयतमत रूप से ने पाली सेना क़ो तवत्तीय सहायता प्रदान करने पर भी
सहमत हुई है ।
आगे की राह:
• समय पर पररय़ोजनाएं : भारत क़ो पररय़ोजनाओों क़ो समय पर पूरा करने की चुनौती के तलए आगे आना ह़ोगा।
• एक पारगमन समझौता: भारत के अोंतदे शीय जलमागों के माध्यम से ने पाल क़ो व्यापार में मदद करने के तलए, और यात्रा के
दौरान अन्य कनेस्ितवटी समझौत़ोों पर भी हस्ताक्षर तकए गए।
• सूक्ष्म-प्रबंधन से बचना: जबतक नेपाल के साथ खुली सीमा ने द़ोऩोों पक्ष़ोों के ल़ोग़ोों के बीच सोंबोंध़ोों क़ो बनाए रखने में मदद की
है , नेपाल में भारत का कतथत "सूक्ष्म-प्रबोंधन", जैसा तक प्रचोंड ने एक बार कहा था, अच्छा नहीों चल रहा है ।
• मैत्री संकध में संश़ोधन: काठमाों डू, 1950 की भारत-ने पाल मैत्री सोंतध के समग्र सोंश़ोधन के तहस्से के रूप में सीमा पर यातायात
क़ो तवतनयतमत करना चाहता है ।
• बडे भाई की छकव: भारत क़ो ऐसे दे श में अपनी "बडे भाई" की छतव के प्रतत सचेत रहना ह़ोगा जहाों घरे लू राजनीततक सत्ता का
खेल हर कुछ महीऩोों में एक नया तवस्मय पैदा करता है ।
भारत-ने पाल िे त्रीय कववाद
इकतहास और वतकमान:
• खुली सीमाएाँ : द़ोऩोों दे श लगभग 1800 तकल़ोमीटर लोंबी अोंतराष ष्टरीय खुली सीमा साझा करते हैं , तजसका प्रबोंधन तद्वपक्षीय शाों तत
और तमत्रता सोंतध (1950) के तहत तकया जाता है ।
o सुगौली की संकध (1816) के साथ पहली बार सीमा का औपचाररक रूप से सीमाों कन तकया गया।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o संकध की धारा 5 के तहत ने पाल ने काली नदी के पतिम क्षेत्र पर अपना दावा छ़ोड तदया। इस प्रकार, काली नदी भारत
और ने पाल के बीच की सीमा बन गई।
• नेपाल का पि: नेपाल का दावा है तक उसने 195के दशक की शुरुआत में वहाों जनगणना कराई थी और अपने दाव़ोों के समथष न
में 1815 की सुगौली सोंतध का हवाला दे ता है ।
• भारत का पि- हालाों तक कालापानी, तलस्ियाधुरा और तलपुलेख के क्षेत्र काली नदी के पतिम में स्स्थत हैं , लेतकन ऐततहातसक
रूप से भारत ने इस क्षेत्र क़ो तनयोंतत्रत तकया है और दावा है तक सीमा कालापानी से शुरू ह़ोती है जहाों से नदी शुरू ह़ोती है ।
• द़ोऩोों सरकारें 1981 में सीमा स्तोंभ़ोों क़ो तफर से तनधाष ररत करने के तलए भारत-नेपाल सीमा सोंयुक्त तकनीकी सतमतत बनाने
पर सहमत हुईों।
• उऩ्ोोंने सीमाओों के प्रबोंधन के तलए 1981 में नेपाल-भारत संयुक्त सीमा कनरीिण तंत्र और 1997 में नेपाल-भारत सोंयुक्त
सीमा प्रबोंधन सतमतत की भी स्थापना की।
• ऩो-मैन्स लैंड: हालाँ तक, कालापानी सीमा, तवशेर्ष रूप से क्षेत्र में तथाकतथत 'ऩो-मै न्स लैंड' का अभी तक उतचत रूप से
सीमाों कन नहीों तकया गया है ।
कवशेषज्ञ़ों की राय
सी. राजा म़ोहन भारत-नेपाल क्षेत्रीय तववाद की पहचान "किपिीय संबंध़ों के वाह्य और आं तररक संदभक में सामने आ रहे
संरचनात्मक पररवतकऩों का एक लिण मात्र" के रूप में करते हैं ।
भारत-नेपाल सीमा संघषक:
• भारत-चीन युद्ध और कालापानी: 1962 के भारत-चीन युद् के बाद से कालापानी पर भारत का तनयों त्रण रहा है ।
• कालापानी पर दावा: नेपाल का दावा तत्कालीन नेपाल साम्राज् और तितटश भारत के बीच 1816 में हुई सुगौली सोंतध से एक
सदी पहले का है ।
o इस सोंतध द्वारा इस क्षेत्र में काली नदी क़ो भारत और ने पाल के बीच की सीमा के रूप में नातमत तकया गया है ।
• स्पष्ट्ता और आम सहमकत की कमी: नदी के सटीक स्थान पर स्पष्टता और आम सहमतत की कमी के कारण द़ोऩोों दे श़ोों के
बीच इस बात पर तववाद रहा है तक कालापानी, तलोंतपयाधुरा और तलपुलेख की भूतम ने पाल या भारत का तहस्सा है या नहीों।
• सुस्ता िेत्र: सु स्ता क्षेत्र गों डक नदी (ने पाल में नारायणी नदी के नाम से भी जाना जाता है ) के तट पर स्स्थत है । सु स्ता क्षेत्र में
तववाद का मुख्य कारण गोंडक नदी का पररवतषनशील मागष है ।
नेपाल में भारत का कालापानी सीमा कववाद:
• कालापानी का थथान: 2000फीट की ऊोंचाई पर, कालापानी कैलाश मानसऱोवर पथ पर उत्तराखों ड के तपथौरागढ़ तजले के
सबसे पूवी भाग में स्स्थत है ।
• सीमा िेत्र: काली नदी का कालापानी खोंड, द़ोऩोों दे श़ोों के बीच सीमा क़ो तचतित करता है ।
• काली नदी का स्ऱोत: भारत और नेपाल के बीच सीमा तववाद काली नदी के स्ऱोत स्थान में तभन्नता के कारण उत्पन्न हुआ, क्य़ोोंतक
प्रत्येक दे श ने क्षेत्र पर अपने सोंबोंतधत दाव़ोों का समथषन करने वाले मानतचत्र तवकतसत तकए थे।
• कालापानी कववाद पर भारत का पि:
o सुगौली संकध: इन धाराओों के उत्तर की भूतम क़ो सुगौली सोंतध द्वारा पररभातर्षत नहीों तकया गया है क्य़ोोंतक काली नदी तलपु -
लेख दरे के बहुत नीचे झरऩोों से तनकलती है ।
• कालापानी कववाद पर नेपाल का पि:
o हटाया गया कलपुलेख: तलोंतपयाधुरा में तलपु लेख के उत्तर में काली नदी में एक धारा बहती है । भारत का पक्ष लेने के तलए
अतधकाररय़ोों ने तलपुलेख क़ो दे श के नक्शे से तमटा तदया।
32
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o अवकशष्ट् चीनी खतरे : 1962 के भारत-चीन युद् के बाद, राजा महें द्र ने कतथत अवतशष्ट चीनी खतऱोों पर भारत की सु रक्षा
तचोंताओों के उपशमन के प्रयास में भारत क़ो कालापानी प्राों त की पेशकश की।
o कालापानी क्षेत्र भारत-नेपाल तववाद का कारण नहीों है क्य़ोोंतक यह नेपाल का क्षेत्र है तजसे नेपाल के राजा द्वारा अस्थायी रूप
से उपय़ोग के तलए भारत क़ो सौोंप तदया गया था।
आगे की राह:
• तत्काल कारक वाई करना: नेपाल के साथ सोंबोंध़ोों के महत्व क़ो दे खते हुए, तजसे अक्सर "ऱोटी-बेटी" (भ़ोजन और तववाह) के रूप
में प्रचाररत तकया जाता है , भारत क़ो इस मु द्दे का जल्द से समाधान करने की आवश्यकता है , खासकर ऐसे समय में जब उसका
पहले से ही लद्दाख और तसस्क्कम में चीन के साथ मतभे द है ।
• सीमा की कवसंगकत क़ो दू र करना: चूोंतक सीमा पार व्यस्क्तय़ोों की अप्रततबोंतधत आवाजाही की अनुमतत है , इसतलए भारत की
राष्टरीय सुरक्षा के सोंदभष में ने पाल का अत्यतधक रणनीततक महत्व है , क्य़ोोंतक आतोंकवादी प्रायः भारत में घुसपै ठ करने के तलए
नेपाल का उपय़ोग करते हैं ।
• स्थथर और बेहतर संबंध़ों क़ो नजरअंदाज नही ं ककया जा सकता: पररणामस्वरूप, एक शतष तजसे भारत नजरअोंदाज नहीों
कर सकता, वह है नेपाल के साथ स्स्थर और बेहतर सों बोंध।
• सकदय़ों पुराना लापरवाहीपूणक कमी: भारत क़ो नेपाल के नेतृत्व क़ो यह समझाने का भी प्रयास करना चातहए तक 6 से 8
तमतलयन नेपाली नागररक भारत में तकस सुखद और सौहाद्रष पूणष वातावरण का आनोंद लेते हैं । पररणामस्वरूप, सतदय़ोों पुराने इस
बोंधन में तकसी भी तरह का लापरवाहीपूणष कमी द़ोऩोों दे श़ोों के तलए चुनौतीपूणष ह़ो सकती है ।
कनष्कषक :
• भारत और ने पाल के बीच वतषमान तद्वपक्षीय सोंतधयाँ तहमालयी नतदय़ोों के प्रवाह क़ो ध्यान में नहीों रखती हैं । इसका एक प्रमुख
कारण, पाररस्स्थततक तवचाऱोों और नदी की माों ग़ोों पर तवचार की जाने वाली ऐसी रणनीततय़ोों का प्रायः अभाव है । पररणामस्वरूप,
भारत और ने पाल क़ो सभी साझा पयाष वरणीय तवशेर्षताओों पर तवचार करते हुए अपने सीमा मुद्दे क़ो हल करने का प्रयास करना
चातहए।
छात्ऱों का ऩोट
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
5. भारत-अफगाकनस्तान
प्रस्तावना
अपनी भू-रणनीततक स्स्थतत के कारण इसका राजनीततक महत्व है । अफगातनस्तान ‘ग्रेट गेम्स’ और 'साम्राज्य़ों के ककिस्तान' का
केंद्र रहा है । गांधार-भारत संबंध, तजसे प्रायः अफगातनस्तान-भारत कनेक्शन के रूप में जाना जाता है , अफगातनस्तान के साथ
भारत के राजनतयक सोंबोंध़ोों क़ो सोंदतभषत करता है । भारत के अफगान सोंबोंध़ोों का तवतशष्ट पहलू , सैन्य भागीदारी के थथान पर
आकथकक सहय़ोग रहा है ।
तथ्य एक नजर में
• केंद्र शातसत प्रदे श लद्दाख के साथ, भारत और अफगातनस्तान 106 तकमी लोंबी भूतम सीमा साझा करते हैं ।
• अफगातनस्तान पर यूएनओडीसी ररप़ोटष 2021 के अनुसार, "अकेले अफगातनस्तान हे ऱोइन और मॉतफषन आपूततष के वैतिक
कुल उत्पादन का 85% तहस्सा रखता है ।
भारत के कलए अफगाकनस्तान का महत्व
• भू-रणनीकत:
o स्थथकत: पूवष, पतिम, मध्य और उत्तर-पूवष एतशया क़ो ज़ोडता है ।
• ईरान, भारत, चीन और रूस जैसे महत्वपूणष दे श़ोों से तनकटता।
• शीत युद् के बाद से , सोंयुक्त राज् अमेररका और रूस के बीच ‘ग्रेट गेम्स’ का केंद्र।
o शस्क्त का िेत्रीय संतुलन: अफगातनस्तान में शाों तत और स्स्थरता भारत के क्षेत्रीय नेता और वैतिक शस्क्त के दृतष्टक़ोण से
जुडी हुई है ।
o मैत्री संकध: 1949 में भारत और अफगातनस्तान ने मैत्री सों तध पर हस्ताक्षर तकये।
o चीनी प्रभाव का मुकाबला: ओबीओआर और अन्य तवकास पहल के माध्यम से चीन इस क्षेत्र में अपनी उपस्स्थतत बढ़ा
रहा है ।
o आं तररक सुरिा: अफगातनस्तान कट्टरपोंथी तवचारधारा, मादक पदाथों की तस्करी का केंद्र है । अतः क्षेत्रीय सुरक्षा के तलए
शाों ततपूणष अफगातनस्तान आवश्यक है ।
• अफगाकनस्तान पर चौथा िेत्रीय सुरिा संवाद: भारतीय राष्टरीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने दु शाों बे (तातजतकस्तान) के
दौरान आतोंकवाद से तनपटने के तलए अफगातनस्तान की क्षमता क़ो मजबू त करने का आह्वान तकया।
• भू-आकथकक:
o कनेस्िकवटी: वातणज् और व्यापार के तलए महत्वपूणष चौराहे के साथ-साथ चाऱोों ओर से भूतम से तघरे मध्य एतशया का
प्रवेश द्वार।
• 2017 में, भारत-अफगातनस्तान एयर फ्रेट कॉररड़ोर व्यापार के तलए ख़ोला गया।
o खकनज संपदा: अमेररकी भू वैज्ञातनक सवेक्षण का अनुमान है तक अफगातनस्तान में 1 तटर तलयन डॉलर मूल्य के खतनज
सोंसाधन हैं , तजनमें ताों बा, ल़ोहा और अन्य धातुएों शातमल हैं ।
o ऊजाक सुरिा: अफगातनस्तान में गैस और ते ल सतहत तवशाल अतवकतसत हाइडऱोकाबषन भोंडार हैं । इसके अततररक्त, यह
TAPI पाइपलाइन का एक महत्वपूणष तहस्सा है ।
o व्यापार: भारत और अफगातनस्तान के बीच एक अतधमानी व्यापार समझौते में अफगान सूखे मेव़ोों की कुछ श्रेतणय़ोों (38
उत्पाद़ोों) क़ो 50% से लेकर 100% तक पयाष प्त टै ररफ ररयायतें प्राप्त करने की अनुमतत दी गई है ।
o सहायता: भारत ने 2002 और 2021 के बीच अफगातनस्तान क़ो तवकास सहायता के रूप में 4 तबतलयन डॉलर प्रदान
तकए।
34
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
भू-राजनीकतक:
• पड़ोस प्रथम नीकत: व्यस्क्त-केंतद्रत, पारस्पररक रूप से लाभकारी और समावेशी सु रक्षा और समृस्द् के तलए क्षेत्रीय ढाों चे क़ो
तवकतसत करने पर ज़ोर तदया जाना।
• ओबीओआर (वन बेि वन ऱोड) पहल का मुकाबला: चाबहार बोंदरगाह के माध्यम से अफगातनस्तान भारत के तलए एक
सशक्त भागीदार ह़ो सकता है ।
• यूएनएससी के कलए दावा मजबूत करना: ऐसी स्स्थतत में जब अफगातनस्तान में सोंयुक्त राष्टर तमशन भी कजातकस्तान में
स्थानाों तररत ह़ो गया है , भारत मानवीय सहायता दे रहा है ।
o राजनीकतक स्थथरता: अफगातनस्तान में स्स्थरता भारत के तहत में है । तदल्ली घ़ोर्षणापत्र में अफगातनस्तान के तलए एक
"समावेशी सरकार" की आवश्यकता क़ो भी रे खाों तकत तकया गया तजसमें समाज के सभी पहलुओों के सदस्य शातमल ह़ोों।
राजनीकतक
• ऑपरे शन एं ड्य़ोररं ग फ्रीडम: 2001 में, भारत ने तमत्र दे श़ोों के सैतनक़ोों क़ो सूचना और रसद सहायता प्रदान की।
• साकक में शाकमल करना: भारत ने 2005 में दतक्षण एतशयाई क्षेत्रीय सहय़ोग सोंगठन, साकष में अफगातनस्तान क़ो शातमल करने
में सहायता की।
• रणनीकतक साझेदारी समझौता: 2011 में भारत और अफगातनस्तान के बीच हस्ताक्षररत इस समझौते से द़ोऩोों दे श़ोों के बीच
सोंबोंध़ोों में सुधार हुआ है ।
आकथकक
• व्यापार एवं वाकणज्य:
• अकधमान्य व्यापार समझौता (2003): तजसके पररणामस्वरूप भारत ने अफगान सूखे फल़ोों की एक तवतशष्ट श्रेणी (38 उत्पाद़ोों)
पर 50% से 100% तक महत्वपूणष शु ल्क कटौती की अनुमतत दी।
o 2016 में पहल: प्रधानमों त्री ने भारत क़ो उच्च गुणवत्ता, तकफायती फामाषस्यूतटकल्स की सुगम आपूततष करने और सौर ऊजाष
के तवकास में सहय़ोग करने के तलए पारस्पररक रूप से सहमत साधऩोों का उपय़ोग करने का प्रस्ताव तदया। भारत और
अफगातनस्तान के बीच अब दू सरा तवमानन मागष है ।
कवकासात्मक सहायता:
o जरांज से डे लाराम: अफगातनस्तान से ईरानी सीमा तक और तफर चाहबहार बोंदरगाह तक वस्तु और सेवाओों के पररवहन
क़ो आसान बनाने के तलए, जराों ज से डे लाराम तक 218 तकल़ोमीटर की सडक बनाई गई (पूणष)।
o टर ांसकमशन लाइन: काबुल से पुल-ए-खुमरी 22केवी डीसी टर ाों सतमशन लाइन का तनमाष ण।
o सलमा बांध कबजली: हे रात प्राों त में सलमा बाों ध तबजली पररय़ोजना का तनमाष ण और कमीशतनोंग (42 मे गावाट)।
o अफगान संसद: अफगान सों सद का तनमाष ण।
o अन्य सहायता: भारत ने काबुल के तलए शहतूत बाों ध और अन्य पेयजल पररय़ोजनाओों का तनमाष ण करने और पयषटन क़ो
बढ़ावा दे ने के तलए बातमयान में बोंद-ए-अमीर तक सडक सोंपकष में सुधार करने का वादा तकया है ।
o ताकलबान के सत्तारूढ ह़ोने के बाद स्थथकत: तातलबान शासन के तवदे श मों त्रालय के प्रवक्ता ने भारत से अगस्त 2022 में
तवकास पररय़ोजनाओों क़ो पूरा करने का अनुऱोध तकया। एक साल तक बोंद रहने के बाद, काबुल में भारतीय दू तावास
आस्खरकार तफर से खुल गया है ।
35
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
मानवीय सहायता:
o स्कूल भ़ोजन कायकक्रम: तवि खाद्य कायषक्रम के माध्यम से लगभग 2 तमतलयन बच्च़ोों क़ो प्रतततदन 100 ग्राम फ़ोतटष फाइड,
उच्च प्ऱोटीन तबस्कुट की आपूततष प्राप्त ह़ोती है ।
o मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा: 30,000 से अतधक अफ़गाऩोों क़ो हर माह पाँ च भारतीय तचतकत्सा तमशऩोों से मुफ़्त तचतकत्सा सलाह
और दवाएँ तमलती हैं । काबु ल में इं कदरा गांधी बाल स्वास्थ्य संथथान का पुनकनकमाकण।
o सैन्य सहायता: अफगान राष्टरीय सेना क़ो 285 सैन्य वाहऩोों की आवश्यकता ह़ोगी, जबतक पाों च शहऱोों के सावषजतनक
अस्पताल़ोों क़ो 10 एम्बुलेंस की आवश्यकता ह़ोगी।
o क़ोकवड के बाद: वैतिक क़ोतवड-19 प्रक़ोप और सोंबोंतधत खाद्य सुरक्षा चुनौततय़ोों से लडने के तलए भारत ने 2020 में
अफगातनस्तान क़ो 75,000 मीतटर क टन गे हों भेजने की प्रततबद्ता जताई है ।
o टीका: भारत ने मानवीय सहायता के रूप में और द़ोऩोों दे श़ोों के बीच सोंबोंध़ोों क़ो बेहतर बनाने के तलए जनवरी 2022 में
अफगातनस्तान क़ो क़ोतवड-19 वैक्सीन की 500,000 खु राकें दीों।
o ताकलबान के बाद: फरवरी 2022 में, भारतीय तवदे श सतचव ने अफगातनस्तान के तलए मानवीय सहायता के रूप में 2500
मीतटर क टन गे हों ले जाने वाले 50 टर क़ोों का एक जत्था भेजा।
सांस्कृकतक
• अमीर अमानुल्लाह खान पुरस्कार: नरें द्र म़ोदी क़ो अफगातनस्तान द्वारा सवोच्च नागररक सम्मान प्रदान तकया गया।
• ICCR (भारतीय सांस्कृकतक संबंध पररषद) फ़ेल़ोकशप: इसे भारत द्वारा 2020 तक बढ़ा तदया गया था।
• खेल: तक्रकेट ने द़ोऩोों दे श़ोों के बीच अोंतर-साों स्कृततक सोंबोंध़ोों क़ो बढ़ावा दे ने में महत्वपू णष भूतमका तनभाई है ।
कशिा और िमता कनमाकण
• अफगान छात्ऱों के कलए अध्ययन: भारतीय साों स्कृततक सोंबोंध पररर्षद हर साल भारत में दीघषकातलक तवितवद्यालय़ोों में पढ़ने
वाले 500 अफगान छात्ऱोों क़ो उनकी स्नातक और स्नातक़ोत्तर तडग्री के तलए प्राय़ोतजत करती है ।
• प्रकशिण कायकक्रम: 500 अफगान सावषजतनक कमषचारी वातर्षषक अिकातलक आईटीईसी प्रतशक्षण कायषशालाओों में भाग लेते
हैं ।
• मकहला व्यावसाकयक प्रकशिण: बागेजानाना में एक सुतवधा जहाों प्रतसद् भारतीय गै र सरकारी सोंगठन SEWA (स्व-ऱोजगार
मतहला सोंघ) अफगान मतहलाओों क़ो प्रतशतक्षत करता है ।
• िमता कनमाकण कायकक्रम: नगरपातलका सरकार, सावषजतनक प्रशासन, चुनावी प्रबोंधन और प्रशासन, मीतडया और सूचना,
नागररक उड्डयन, कृतर्ष अनुसोंधान और तशक्षा, स्वास्थ्य दे खभाल और फामाष स्युतटकल तवज्ञान के क्षे त्र भी तवकास के दौर से गुजर
रहे हैं ।
सवोपरर लक्ष्य यह सुतनतित करना है तक क्षे त्र में हमारे साझेदार भारत की प्रगतत, तवकास और उत्थान से लाभास्न्वत ह़ोों। इसके आधार
पर, हमारे क्षेत्र के सभी दे श पारस्पररक रूप से लाभप्रद साझेदारी बनाने का प्रयास करते हैं । सरकार की सबका साथ, सबका
तवकास और सबका तविास की नीतत क़ो तवदे श नीतत के दायरे में तातकषक रूप से इस तरह व्यापक रूप तदया गया है ।
अफ़गाकनस्तान में शांकत के कलए संवाद
कदल्ली घ़ोषणा • तदल्ली घ़ोर्षणापत्र अफगातनस्तान में स्स्थरता और शाों तत लाने के तलए भारत द्वारा अपनाए गए
दीघषकातलक, सुसोंगत दृतष्टक़ोण क़ो दशाष ता है ।
• अफगातनस्तान पर तदल्ली घ़ोर्षणापत्र में "इस बात पर ज़ोर तदया गया तक अफगातनस्तान के क्षे त्र का
उपय़ोग तकसी भी आतोंकवादी कृत्य क़ो आश्रय दे ने, प्रतशक्षण दे ने, य़ोजना बनाने या तवत्तप़ोर्षण करने
के तलए नहीों तकया जाना चातहए," ज़ो दस्तावेज का एक और महत्वपूणष तहस्सा है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
मास्क़ो प्रारूप • रूस, अफगातनस्तान, भारत, ईरान, चीन और पातकस्तान के तवशेर्ष दू त़ोों की तवशेर्षता के साथ,
अफगातनस्तान पर क्षेत्रीय मोंच 2017 में स्थातपत तकया गया था।
हाटक ऑफ एकशया • 2 नवोंबर 2011 क़ो इस्ताों बुल, तुकी में इसकी स्थापना की गई थी।
कॉन्फ्फ्रेंस • हाटष ऑफ एतशया एक ऐसे अफगातनस्तान के महत्व क़ो पहचानता है ज़ो अफगातनस्तान क़ो केंद्र में
(HOAC) रखकर पू रे क्षे त्र के तवकास के तलए सुरतक्षत और स्स्थर ह़ो।
• यह वास्ततवक और पररणाम-सोंचातलत क्षेत्रीय सहय़ोग के तलए एक रूपरे खा तैयार करता है ।
• इसमें 13 समथषक क्षेत्रीय और अोंतराष ष्टरीय सोंगठन, 14 भागीदार राष्टर और 17 समथषक राष्टर शातमल हैं ।
अफ़गाकनस्तान पर ताकलबान का क़ब्जा
द़ो दशक़ोों तक अफगान मामल़ोों में सतक्रय रूप से हस्तक्षे प करने और आतोंकवाद व अल कायदा से मुकाबले के तलए एक तटर तलयन
डॉलर से अतधक खचष करने के बाद, सोंयुक्त राज् अमेररका ने अफगातनस्तान क़ो अपने आगमन काल से भी बदतर स्स्थतत में छ़ोड
तदया है ।
चुनौकतयां
• सुरिा: अोंतरराष्टरीय आतोंकवाद और कट्टरपों थ अफगातनस्तान पर केंतद्रत हैं । इसका असर कश्मीर पर पड सकता है . अफ़ीम
व्यापार और सों गतठत अपराध भी वहाँ केस्ित हैं ।
• व्यापार: तातलबान सरकार के तहत, अफगातनस्तान के माध्यम से व्यापार कराची और ग्वादर के माध्यम से ह़ोगा, तजससे
चाबहार बोंदरगाह में भारतीय तनवेश - तजसका उद्दे श्य पातकस्तान क़ो बायपास करना था - सोंभवतः लाभहीन ह़ो गया।
• संपकक: अफगातनस्तान और भारत का क़ोई सीधा सोंपकष नहीों है । पातकस्तान क़ो पृथक करने के तलए चाबहार बों दरगाह का
उपय़ोग करने वाला एक नया रास्ता अमेररका-ईरान के बढ़ते तनाव और ईरान के चीन के साथ बढ़ते सोंबोंध़ोों के कारण खतरे में
है ।
• पाककस्तान: पातकस्तान, अफगातनस्तान के साथ अपने सोंबोंध़ोों क़ो भारत के साथ वाताष के नजररए से दे खता है । पररणामस्वरूप
वह अफगातनस्तान में रणनीततक बढ़त चाहता है । एम. के. नारायणन ने कहा, पातकस्तान नई सरकार का 'सोंरक्षक सों त' है ।
• रूस और चीन: पातकस्तान के माध्यम से अफगातनस्तान में चीनी प्रभाव बढ़ रहा है , ज़ो एक प्रॉक्सी के रूप में कायष करता है ।
चीन-पातकस्तान-ईरान-रूस धुरी का उदय। चीन की बीआरआई पहल और उसके तशनतजयाों ग प्राों त की सुरक्षा के तलए
अफगातनस्तान महत्वपूणष है ।
• संथथागत कमज़ोरी: ज़ोस्खम-तवऱोधी मानतसकता और अफगातनस्तान की बढ़ती अपे क्षाओों से मेल खाने में असमथषता के कारण,
तवदे श नीतत सावधानी से बनाई जाती है ।
• नया ग्रेट गेम: एक तरफ पातकस्तान, चीन और रूस के बीच और दू सरी तरफ अमेररका, भारत और अफगातनस्तान के बीच।
• मानवाकधकार: तातलबान के शासन के इततहास क़ो दे खते हुए, भारत अफगातनस्तान पर पडने वाले प्रभाव़ोों क़ो लेकर तचोंततत
है , तजसमें मतहलाओों और अिसों ख्यक अतधकाऱोों का ह्रास, ल़ोकताों तत्रक व्यवस्था का खात्मा और तातलबान के कठ़ोर न्याय
प्रणाली का कायाष न्वयन शातमल है ।
ताकलबान पर भारत का पररवकतकत रुख
• भारत और तातलबान के बीच हातलया वाताष और काबुल के तलए उडानें तफर से शुरू करने के तलए नई तदल्ली से तातलबान का
अनुऱोध तातलबान के पक्ष में रुख में पररवतषन दशाष ता है । भारत द्वारा उत्तरी गठबोंधन का तवऱोध करने और तातलबान क़ो मान्यता
दे ने से इनकार करने की अपनी तपछली रणनीतत क़ो जारी रखने की सों भावना नहीों है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
रुख में पररवतकन क़्ों?
• व्यावहाररक बदलाव: भारत की पहले की स्स्थतत अस्स्थर ह़ो गई है क्य़ोोंतक इसने भारत क़ो कई अफगान शाों तत वाताष ओों में भाग
लेने से ऱोक तदया था।
• अमेररका की जगह लेना: अमेररका की वापसी और तातलबान का सत्ता में वापस आना।
• पाककस्तान फैिर: तातलबान पातकस्तान के स्खलाफ सुरक्षा के रूप में भारत के साथ सोंबोंध स्थातपत करने के तलए भी तैयार
है । अफगातनस्तान और पातकस्तान के बीच डूरों ड रे खा क़ो पूवष तातलबान शासन सतहत तकसी भी अफगान प्रशासन द्वारा कभी
भी स्वीकार नहीों तकया गया है ।
• भारतीय कनवेश: इसके अततररक्त, भारत ने अफगातनस्तान में लगभग 3
तबतलयन डॉलर का तनवे श तकया है । इसमें जराों ज-डे लाराम मागष, अफगान
सोंसद और सलमा बाों ध जैसी पहल शातमल हैं ।
• अपेकित संपकक: भारत क़ो अपनी ऊजाष सुरक्षा और यूरेतशया (तापी
पाइपलाइन) तक पहुों च के तलए अफगातनस्तान की आवश्यकता है ।
इसतलए, भारत के तलए अफगान सरकार की सत्तारूढ़ पाटी के साथ
महत्वपूणष सोंबोंध बनाए रखना आवश्यक है ।
भारत अफगान सम्बन् में चुनौकतयां
अफगान में राजनीततक अस्स्थरता
डरग टर ै तफतकोंग
पातकस्तान से तनकटता
प्राक्सी वार हे तु पातकस्तान द्वारा प्रयु क्त
गैर-ल़ोकताों तत्रक अफगान शासन सत्ता
• धारणा सुधार: भारत क़ो तातलबान सरकार क़ो मान्यता दे ने में तवफल रहने की अपनी तपछली गलती से सीखना चातहए, तजसके
पररणामस्वरूप IC-814 का अपहरण हुआ।
भारत-अफगाकनस्तान सं बं ध के समि चु नौकतयााँ
• आतंकवाद: आतोंकवाद का मुद्दा काफी चु नौतीपूणष ह़ो गया है । भारत क़ो अफगातनस्तान के साथ तातकषक वाताष करनी चातहए।
• नशीली दवाओं की तस्करी: नशीली दवाओों की लत पों जाब और भारत के अन्य तहस्स़ोों में अतधकाों श युवा आबादी क़ो प्रभातवत
करती है ।
• गैर-ल़ोकतांकत्रक शासन: भारत, तजसके ल़ोकताों तत्रक प्रशासन के साथ सोंबोंध बेहतर हुए हैं , ल़ोकताों तत्रक रूप से तनवाष तचत
प्रशासन के प्रबोंधन में सहायता करता है ।
• राजनीकतक अस्थथरता: अफगातनस्तान क्षे त्र में राजनीततक अशाों तत का प्रभाव भारत और अन्य तनकटवती दे श़ोों पर पडे गा।
• पाककस्तान िारा छद्म युद्ध: इसके पररणामस्वरूप, भारत क़ो वतषमान पररस्स्थततय़ोों में अफगातनस्तान के साथ सौहादष पूणष सोंबोंध
बनाए रखना मु स्िल ह़ोगा।
आगे की राह:
• ताकलबान के साथ जुडाव: यह नई तदल्ली क़ो तनरों तर तवकास सहायता के बदले में तवद्ऱोतहय़ोों से सुरक्षा गारों टी माों गने में सक्षम
करे गा।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• िेत्रीय स्तर पर सहय़ोग: भारत क़ो उन दे श़ोों के साथ सहय़ोग करना चातहए ज़ो क्षेत्र की शाों तत और स्स्थरता के प्रतत उसकी
प्रततबद्ता क़ो साझा करते हैं , जैसे चीन और ईरान। इसका एक उदाहरण चीन और भारत के बीच सोंयुक्त अफगान तवकास
पहल है ।
• भारत क़ो अमेररका के थथानीय नेटवकक के साथ कनकटता से सहय़ोग करने की आवश्यकता है : हाल ही में अफगान
शाों तत वाताष के सबसे हातलया पुनरावृतत्तय़ोों में भारत क़ो आमोंतत्रत करके, अमेररका ने भारत के तलए एक बडी भूतमका तनभाने
की इच्छा भी प्रदतशषत की है ।
• भारत क़ो काबुल प्रकक्रया की कनरं तरता सुकनकित करने का प्रयास करना चाकहए: आतोंकवाद तवऱोध, मतहलाओों के
अतधकाऱोों और ल़ोकताों तत्रक तसद्ाों त़ोों (यानी, अफगान के ने तृत्व वाली, अफगान-तनयोंतत्रत और अफगान-स्वातमत्व वाली प्रतक्रया)
के महत्व क़ो बनाए रखने के तलए।
• मध्यथथता की भूकमका: एम. के. नारायणन का तकष है तक भारत क़ो अफगातनस्तान में शातमल करने के इच्छु क कई दे श़ोों
के तलए मध्यस्थ के रूप में कायष करना चातहए।
कनष्कषक
• रणनीतत के सों दभष में , सी. राजाम़ोहन की राय में, अफगातनस्तान में तजतने लाभ हैं उतने ही नुकसान भी हैं । भारत यह पहचानने
के तलए पयाष प्त यथाथषवादी है तक उसके पास अफगातनस्तान का भतवष्य स्वयों तनधाष ररत करने की शस्क्त नहीों है । लेतकन सतक्रय
कूटनीतत और जमीनी स्तर पर केंतद्रत कारष वाई के माध्यम से , भारत क़ो अफगातनस्तान में कुछ प्रभाव हातसल करने और
पररणाम़ोों क़ो आकार दे ने की आवश्यकता है ।
1. 2014 में अफगातनस्तान से अोंतराष ष्टरीय सुरक्षा सहायता बल (आईएसएएफ) की प्रस्तातवत वापसी क्षे त्र के दे श़ोों के तलए बडे
सुरक्षा तनतहताथों से युक्त है । इस तथ्य के आल़ोक में परीक्षण कीतजए तक भारत क़ो अत्यतधक चु नौततय़ोों का सामना करना पड
रहा है और उसे अपने रणनीततक तहत़ोों की रक्षा करने की आवश्यकता है । (2013)
छात्र का ऩोट
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
6. भारत-म्ां मार
प्रस्तावना
• भारत और म्ाों मार के बीच सों बोंध साझी ऐततहातसक,
जातीय, साोंस्कृततक और धातमषक सों बोंध़ोों पर
आधाररत हैं । 160ककल़ोमीटर से अकधक भूतम
भारत और म्ाों मार क़ो अलग करती है , और उनकी
बोंगाल की खाडी में एक समु द्री सीमा भी है ।
• यह दतक्षण पूवष एतशया के प्रवेश द्वार के रूप में कायष
करता है क्य़ोोंतक यह भारत की सीमा से सम्बद्
एकमात्र आतसयान राष्टर है । हमारी "एि ईस्ट्"
और "नेबरहुड फस्ट्क " नीततय़ोों के अनुसार, भारत
म्ाों मार के साथ अपना सहय़ोग बढ़ाना चाहता है ।
• ये पांच बी-बौद् धमष (Buddhism), व्यापार (Business), बॉलीवुड (Bollywood), भरतनाट्यम (Bharatnatyam) और
बमाष टीक (Burma teak), भारत-म्ाों मार सोंबोंध़ोों की धारणा तनधाष ररत करते हैं ।
सम्बन् का अवल़ोकन
• संथथागत तंत्र:
o राष्ट्रीय स्तर की बैठक (एनएलएम): सुरक्षा सहय़ोग, काों सुलर मामल़ोों, मादक पदाथों की तस्करी और एजेंसी समन्वय के
तलए प्राथतमक चचाष मोंच गृह सतचव द्वारा स्थातपत तकया गया था।
o संयुक्त सीमा कायक समूह (जेबीडब्ल्यूजी): सीमा मामल़ोों पर सोंयुक्त सतचव (बीएम), तवदे श मोंत्रालय द्वारा चचाष की जाती
है ।
o संयुक्त व्यापार सकमकत (जेटीसी): वातणज् मोंत्री स्तर पर आय़ोतजत ह़ोने वाली इसमें वाकणस्ज्यक मुद्द़ों पर चचाष की जाती
है ।
कवकास सहय़ोग:
o मुख्य रूप से अनुदान-आधाररत कनकध: भारत ने हाल ही में म्ाों मार क़ो 1.75 तबतलयन डॉलर से अतधक की तवकास
सहायता प्रदान की है । इस सहायता का अतधकाों श भाग अनुदान के माध्यम से तवत्त प़ोतर्षत है ।
o उदाहरण: राखीन राज् तवकास कायषक्रम, तत्रपक्षीय राजमागष पररय़ोजना, कलादान मल्टीमॉडल टर ाों तजट पररवहन
पररय़ोजना, और बागान के आनोंद मोंतदर की पुनस्थाष पना और सु रक्षा तवकास पहल़ोों में से हैं ।
• वाकणस्ज्यक सहय़ोग:
o व्यापार समझौता: 1970 में व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से द़ोऩोों दे श़ोों का तद्वपक्षीय वातणज् धीरे -धीरे बढ़ा
है । वतषमान व्यापार सोंतुलन 1.75 तबतलयन अमेररकी डॉलर है । भारत म्ाों मार का पाों चवाों सबसे बडा व्यापाररक भागीदार
है ।
o ऊजाक: यह दे खते हुए तक भतवष्य में अपतटीय गैस ख़ोज़ोों क़ो भारत में भेजा जा सकता है , म्ाों मार में ऊजाष क्षेत्र में एक
महत्वपूणष भागीदार बनने की क्षमता है । अब तेल एवों गैस और तबजली क्षे त्ऱोों में सहय़ोग पर एक सोंयुक्त कायष समूह है ।
o तनवेश: 771.488 तमतलयन अमेररकी डॉलर के स्वीकृत तनवेश के साथ भारत ग्यारहवें स्थान पर है । म्ाों मार में तवतभन्न
उद्य़ोग़ोों में कायषरत 13 भारतीय सावषजतनक क्षेत्र के उद्यम़ोों में से एक।
40
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
संपकक बढाना:
o अंतराकष्ट्रीय प्रवेश/कनकास कबंदु: द़ो अोंतराष ष्टरीय प्रवेश/तनकास तबोंदु आतधकाररक तौर पर अगस्त 2018 में तमू -म़ोरे ह और
ररह-ज़ोखावथर में ख़ोले गए। इन द़ोऩोों भूतम सीमा चौतकय़ोों क़ो पूरी तरह से कायषशील बनाने के तलए कदम उठाए जा रहे
हैं ।
o म़ोटर वाहन समझौता: इस पर भी वाताष चल रही है ।
o अन्य महत्वपूणक कनेस्िकवटी पररय़ोजनाओं में शाकमल हैं :
o $484 तमतलयन कलादान मल्टीमॉडल टर ाों तजट टर ाों सप़ोटष प्ऱोजेि
o तत्रपक्षीय राजमागष पररय़ोजना, ज़ो हमारे पूवोत्तर क़ो म्ाों मार और थाईलैंड से ज़ोडने वाला एक पूवष-पतिम गतलयारा है ।
o म्ाों मार/मलेतशया-भारत तसों गापुर टर ाों तजट (MIST) कॉररड़ोर:
• MIST के बारे में: MIST एक वैतिक पनडु ब्बी केबल सोंचार नेटवकष है ज़ो मलेतशया, तसोंगापुर, थाईलैंड, मलेतशया और म्ाों मार
क़ो भारत से ज़ोडे गा। MIST केबल प्रणाली की लोंबाई 8,100 तकल़ोमीटर है ।
• महत्व: तसोंगापु र में तुआस से भारत में मुोंबई तक चलने वाले प्रमुख टर ों क मागष के साथ, यह एतशया में सु रतक्षत, तविसनीय, सशक्त
और उतचत मू ल्य पर सोंचार सुतवधाएों प्रदान करे गा।
• आपदा राहत:
o उदाहरण: म्ाों मार में प्राकृततक आपदाओों, जैसे चक्रवात म़ोरा (2017), क़ोमेन (2015), शान राज् में भूकोंप (2010),
2008 में चक्रवात नरतगस आतद के मद्दे नजर, भारत ने सहायता प्रदान करके त्वररत और सफलतापूवषक प्रतततक्रया दी है ।
संस्कृकत:
o बौद्ध कवरासत: भारत की बौद् पृष्ठभूतम क़ो दे खते हुए, भारत और म्ाों मार के बीच मजबूत साों स्कृततक सोंबोंध और गहरी
आत्मीयता की साझा भावना है ।
o उदाहरण: कई क्षततग्रस्त पग़ोडाओों की मरम्मत और सोंरक्षण के साथ-साथ बागान के आनोंद मोंतदर के जीणोद्ार में कई
महत्वपूणष पहल।
• सुरिा सहय़ोग:
o रिा सहय़ोग समझौता: भारत और म्ाों मार ने सै न्य भागीदारी बढ़ाने के उद्दे श्य से जुलाई 2019 में एक रक्षा सहय़ोग
समझौते पर हस्ताक्षर तकए।
o अभ्यास: भारत-म्ाों मार सोंयुक्त सेना अभ्यास (IMBAX), भारतीय नौसेना-म्ाों मार नौसेना (IN-MN BILAT), और सोंयुक्त
नौसेना अभ्यास (IMCOR) भी द़ोऩोों दे श़ोों द्वारा तकया जाता है ।
o ऑपरे शन सनराइज: इसने उत्तर पूवष में सतक्रय तवद्ऱोही सोंगठऩोों के तशतवऱोों क़ो तनशाना बनाया और इसे म्ाों मार सीमा पर
भारत और म्ाों मार की सेनाओों द्वारा चलाया गया। भारत-म्ाों मार सीमा पर, वे कई अराकान सेना के आतोंकवादी तशतवऱोों
क़ो नष्ट करने में भी सहय़ोग करते हैं ।
• समुद्री सहय़ोग और नीली अथकव्यवथथा:
o नीली अथकव्यवथथा: यह तबम्सटे क का एक महत्वपूणष स्तोंभ है जहाों द़ोऩोों दे श तमलकर काम कर रहे हैं । उदाहरण: भारत
के SAGAR (िेत्र में सभी के कलए सुरिा और कवकास) कायषक्रम के तहत, भारत ने तसतवे बोंदरगाह का तनमाष ण तकया
है ।
41
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• भूरणनीकतक:
o सीमा: म्ाों मार और उत्तर-पू वी भारत 1643 तकमी लोंबी भूतम सीमा (अरुणाचल प्रदे श, नागालैंड, मतणपुर और तमज़ोरम
राज़्ोों सतहत) साझा करते हैं ।
o शांकत और स्थथरता: ऱोतहों ग्या प्रवासन सोंकट और जुों टा द्वारा तख्तापलट से क्षेत्र में अस्स्थरता पैदा हुई है ।
o भू-रणनीकतक स्थथकत: म्ाों मार की सीमा चीन, भारत और आतसयान और बोंगाल की खाडी से लगती है ।
o आं तररक सुरिा: उत्तर पूवष में उग्रवाद क़ो ऱोकने के तलए- म्ाों मार तवशेर्ष रूप से भारत के उत्तर पूवष के सोंबोंध में भारत के
तलए अत्योंत महत्वपूणष है ।
o चीन के उत्कषक क़ो ऱोकना: म्ाों मार भारत की 'नेबरहुड फस्टष ', 'एि ईस्ट' और 'इों ड़ो-पैतसतफक' नीततय़ोों की सफलता
के तलए एक महत्वपूणष कारक है ।
o साझा मंच: द़ोऩोों दे श तबम्सटे क, आतसयान क्षेत्रीय मोंच, मे काों ग-गोंगा सहय़ोग, सोंयुक्त राष्टर, डब्ल्यूटीओ जैसे अन्य अोंतरराष्टरीय
सोंगठऩोों के सदस्य हैं ।
• भू-आकथकक:
o व्यापार: द़ोऩोों दे श़ोों के बीच व्यापार की मात्रा लगातार 2 अरब डॉलर या उसके करीब बनी हुई है ।
o ऊजाक सुरिा: म्ाों मार के ऱोतहों ग्या आबादी वाले क्षेत्ऱोों में क्रमशः 11 तटर तलयन और 23 तटर तलयन क्यूतबक फीट के महत्वपू णष
तेल और प्राकृततक गैस भोंडार हैं ।
• भारतीय पक्ष ने याों गून के करीब थानतलन क्षेत्र में 6 तबतलयन डॉलर की तेल ररफाइनरी बनाने का सुझाव तदया है ।
• म्ाों मार में जलतवद् युत क्षमता भी है ।
कनेस्िकवटी: उदाहरण़ोों में कलादान मल्टीमॉडल टर ाों तजट टर ाों सप़ोटष प्ऱोजेि, तत्रपक्षीय राजमागष पररय़ोजना, म्ाों मार/मलेतशया-भारत
तसोंगापुर टर ाों तजट (एमआईएसटी) कॉररड़ोर शातमल हैं ।
o इों ड़ो-पैतसतफक व्यापार: म्ाों मार हमारी इों ड़ो-पैतसतफक रणनीतत में एक महत्वपूणष भागीदार है । तवि की 65 प्रततशत
आबादी, इसके सकल घरे लू उत्पाद का 63 प्रततशत और वस्तुओों का 46 प्रततशत वातणज् तहों द-प्रशाों त क्षेत्र में केंतद्रत है ।
• उग्रवाद: म्ाों मार उत्तर पूवष में कई उग्रवादी सोंगठऩोों के तलए आधार के रूप में कायष करता है । इस शासन द्वारा उनकी
आवागमन की स्वतोंत्रता और सोंगतठत अपराध से जुडाव क़ो आसान बना तदया गया है
• बढती चीनी उपस्थथकत: तख्तापलट के बाद से म्ाों मार ने अतधकाों श तवदे शी तनवेश गोंवा तदया है , लेतकन बीतजोंग ने इसे अपने
तनवेश क़ो बढ़ाने के अवसर के रूप में इस्ते माल तकया है ।
• म्ांमार में घरे लू अस्थथरता और ल़ोकतंत्र का पतन: ल़ोकतांकत्रक रूप से चुनी गई सरकार के बजाय सैन्य शासन से तनपटना
सरकार के तलए अतधक कतठन मु द्दा है ।
o उदाहरण: भारत ने सै न्य जुों टा के साथ सहय़ोग करने और ल़ोकतोंत्र क़ो तफर से स्थातपत करने के तलए एक तिन टर ै क
दृतष्टक़ोण तवकतसत तकया है ।
• ऱोकहं ग्या संकट: इससे भारत में गों भीर अवै ध आप्रवासी मुद्द़ोों में वृस्द् हुई है ।
o म्ाों मार के 980,000 से अतधक ल़ोग़ोों ने बाों ग्लादे श और भारत सतहत पड़ोसी दे श़ोों में शरण माों गी है ।
o पुनः पूततष (ररफाउलमेंट) का तसद्ाों त: भारत सोंयुक्त राष्टर के उस रुख से भी असहमत है तजसमें कहा गया है तक ऱोतहों ग्या क़ो
तनवाष तसत करना ररफाउलमेंट तसद्ाों त का उल्लोंघन ह़ोगा, ज़ो शरणातथषय़ोों क़ो खतरनाक जगह पर जबरन लौटने पर ऱोक
लगाता है ।
42
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• कछद्रपूणक सीमाएाँ और संगकठत अपराध: भारत-म्ाों मार सीमा "ग़ोर्ल्न टर ाइएों गल" के तनकट ह़ोने और इसकी तछद्रपूणष और
असुरतक्षत प्रकृतत के कारण तस्कऱोों क़ो भारत में हे ऱोइन और साइक़ोएस्िव दवाओों के पररवहन के तलए आदशष वातावरण
प्रदान करती है ।
आकथकक: म्ाों मार का शीर्षष व्यापाररक भागीदार चीन है । 2019 में, द़ोऩोों दे श़ोों का वातणज् 12 तबतलयन अमेररकी डॉलर या
म्ाों मार के साथ कुल व्यापार का लगभग एक ततहाई ह़ोने का अनुमान लगाया गया था।
कनेस्िकवटी: बमाष OBOR पररय़ोजना का सदस्य है । बीआरआई पहल के तहस्से के रूप में , चीन ने चीन-म्ाों मार आतथषक
गतलयारा (सीएमईसी) का भी सुझाव तदया है ।
• ऊजाक: 4.5 तबतलयन अमेररकी डॉलर की कुल लागत पर, चीन ने एक समानाों तर प्राकृततक गैस और तेल पाइपलाइन का तनमाष ण
तकया, ज़ो म्ाोंमार के राखीन राज् में क्याउकफ्यू शहर से चीन के युनान क्षेत्र तक पहुँ चती है ।
• रिा: 1988 से , चीन म्ाों मार के प्राथतमक सै न्य आपूततषकताष ओों में से एक रहा है । SIPRI डे टाबेस के अनुसार, म्ाों मार ने 2010
और 2019 के बीच चीतनय़ोों से 1.3 तबतलयन डॉलर की बोंदूकें खरीदीों।
• कनवेश: चीन, म्ाों मार के FDI (प्रत्यक्ष तवदे शी तनवेश) का एक प्रमुख स्ऱोत रहा है , ज़ो माचष 2020 तक कुल 21 तबतलयन अमेररकी
डॉलर था। चीन और म्ाों मार ने 2020 में कई बेल्ट एों ड ऱोड इतनतशएतटव पररय़ोजनाओों पर हस्ताक्षर तकए। 1.3 तबतलयन
अमेररकी डॉलर की लागत से क्याउकफ्यू में एक गहरे समु द्री बोंदरगाह का तनमाष ण प्राथतमक पहल़ोों में से एक था।
भारत की कचं ताएं
• रणनीकतक ऱोकथाम: चीन क़ो रणनीततक रूप से भारत क़ो सीतमत करने और क्याउकफ्यू व ग्वादर बोंदरगाह़ोों के माध्यम से
पतिम और पूवष तक इसकी पहुों च में बाधा डालने से लाभ ह़ोता है ।
• उत्तर-पूवक की सुरिा: म्ाों मार में चीन की उपस्स्थतत से भारत के उत्तर-पूवी राज़्ोों में तवद्ऱोह क़ो बढ़ावा तमल सकता है । खुतफया
आकलन के अनुसार, चीन कई तवद्ऱोही गुट़ोों क़ो धन और हतथयार द्वारा सहायता प्रदान करता है ।
• ऋण जाल कूटनीकत: चीन की यह रणनीतत म्ाों मार क़ो बोंदरगाह़ोों जैसी रणनीततक पररसोंपतत्त चीन क़ो सौोंपने के तलए मजबू र
कर सकती है ।
• म्ांमार में घरे लू अस्थथरता: कुछ रणनीततक तवशेर्षज्ञ़ोों का मानना है तक म्ाों मार में हाल ही में हुए तख्तापलट के पीछे चीन का
हाथ है , तातक उसे अमेररकी पक्ष में शातमल ह़ोने से ऱोका जा सके।
• कनेस्िकवटी: आतसयान के तलए भारत का प्रवेश द्वार म्ाों मार है और यह मेकाों ग गों गा सहय़ोग, आईएमटी तत्रपक्षीय राजमागष
और कलादान पररवहन गतलयारे जैसी महत्वपूणष कनेस्ितवटी पहल में सतक्रय रूप से शातमल है । म्ाों मार में बढ़ता चीनी प्रभाव
इन पहल़ोों के तलए ख़तरा है ।
• आकसयान का कमज़ोर ह़ोना: म्ाों मार में सत्तावादी शासन में आतसयान के तवभाजन क़ो बढ़ाने और चीन का सामना करने की
इसकी एकजुटता और क्षमता क़ो नष्ट करने का सामथ्यष है ।
म्ांमार तख्तापलट में सेना ने सत्ता पर कब्जा कर कलया
1948 में दे श क़ो तितटश प्रभु त्व से आजादी तमलने के बाद से सेना ने तीसरी बार म्ाों मार पर कब्जा कर तलया है । ल़ोकताों तत्रक रूप
से चुनी गई नेता आों ग सान सू की क़ो जेल में डाल तदया गया है और एक साल के तलए आपातकाल की घ़ोर्षणा की गई है ।
भारत पर प्रभाव
• सीमा पार आवाजाही: अवै ध वस्तुओों के पररवहन और व्यस्क्तय़ोों के सीमा पार आवागमन की भी खबरें आई हैं ।
• भारत की एि ईस्ट् नीकत पर प्रभाव: भारत की एि ईस्ट नीतत, ज़ो 2014 के बाद से अतधक गततशील और पररणाम-उन्मुख
ह़ो गई है , क़ो इसके पररणामस्वरूप नुकसान हुआ है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• उत्तर पूवक का कवकास: इसने पूवोत्तर में तवकास क़ो बातधत तकया है और दतक्षण पूवष एतशया की सोंपन्न अथषव्यवस्थाओों तक
पहुों चने के भारत के प्रयास़ोों क़ो अत्यतधक नुकसान पहुों चाया है ।
• चीनी खतरा: इसके अततररक्त, इन आतों कवादी समूह़ोों की सहायता में चीनी खुतफया तवभाग के हस्तक्षेप के बारे में तचोंताएों
त्वररत कारष वाई की माों ग करती हैं ।
• भारत में सुरिा: म्ाों मार में सैन्य अतधग्रहण के प्रतत भारत के दृतष्टक़ोण के पक्ष में पूवोत्तर क्षेत्र में स्थानीय तनवातसय़ोों के तलए
सुरक्षा सोंबोंधी तवचाऱोों का त्याग कर तदया गया है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
7. भारत और भू टान
“भारत भाग्यशाली है तक वह ऐसी भूतम है जहाों राजकुमार तसद्ाथष , गौतम बुद् बने और जहाों से उनके आध्यास्त्मक सोंदेश का
प्रकाश, बौद् धमष का प्रकाश, पूरी तवि में फैल गया। तभक्षुओ,ों आध्यास्त्मक ने ताओों, तवद्वाऩोों और साधक़ोों की पीतढ़य़ोों ने भूटान में
उस लौ क़ो प्रज्वतलत तकया है -”प्रधानमों त्री म़ोदी”
प्रस्तावना
• अपनी साझी स्स्थतत और साों स्कृततक तवशेर्षताओों के
कारण, भारत और भू टान क़ो सदाबहार तमत्र के रूप
में जाना जाता है ।
• भारत और भूटान के बीच उत्कृष्ट् संबंध ने िेत्र की
शांकत और सुरिा बनाए रखने में महत्वपूणक
भूकमका कनभाई है ।
ऐकतहाकसक संबंध
• 8वी ं शताब्दी ई: ऐततहातसक रूप से द़ोऩोों दे श़ोों के
बीच मजबूत साों स्कृततक सोंबोंध हैं ज़ो मु ख्य रूप से
कतब्बती गुरु पद्मसंभव के दौरान फले -फूले,
तजऩ्ोोंने 8वीों शताब्दी में ततब्बत में ताों तत्रक बौद् धमष की शुरुआत की थी।
• 1947: भूटान उन पहले दे श़ोों में से था तजऩ्ोोंने भारत की स्वतोंत्रता क़ो मान्यता दी।
• भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भूटान के प्रवेश का समथकन ककया है ।
• 1972: भारत और भू टान व्यापार और वातणज् समझौते ने उनके बीच मु क्त व्यापार और वातणज् की स्थापना की।
• स्वतंत्रता के बाद: हालाँ तक द़ोऩोों दे श़ोों ने 1978 में दू तावास ख़ोले , लेतकन इन पड़ोतसय़ोों के बीच सोंबोंध 1949 की भारत-भूटान
तमत्रता और सहय़ोग सोंतध पर आधाररत हैं । इस सोंतध क़ो 2007 में सोंश़ोतधत तकया गया था ज़ो उनके बीच सोंबोंध़ोों के तनरों तर
तवकास क़ो दशाष ता है ।
2007 मैत्री संकध के संश़ोकधत प्रावधान
• इसने भारत के बडे भाई के दृतष्टक़ोण से हटकर समानता के तत्व क़ो अपनाया।
• स्वतंत्र कवदे श नीकत: सोंश़ोतधत सोंतध के अनु च्छेद 2 और 4 ने भूटान क़ो भारत के सु रक्षा तहत़ोों क़ो ध्यान में रखते हुए एक ही
समय में अपनी तवदे श नीतत क़ो अतधक स्वतोंत्र रूप से सों चातलत करने में सक्षम बनाया।
• हतथयाऱोों की खरीद: अनुच्छेद 4 भूटान क़ो भारत की सहमतत के तबना अन्य दे श़ोों से सैन्य उपकरण आयात करने की अनु मतत
दे गा।
• सुरक्षा तचोंता: द़ोऩोों दे श़ोों का कतषव्य है तक वे अपनी सीमाओों के भीतर सावषजतनक सुरक्षा और अन्य तहत़ोों क़ो खतरे में डालने
वाले गैरकानूनी कायों क़ो ऱोकें।
भू टान का सहय़ोग और महत्व
राजनीकतक
• ल़ोकतांकत्रक कसद्धांत: भारत के समथषन के माध्यम से , भूटान 2007 से सामान्य ल़ोकताों तत्रक तसद्ाों त़ोों में तविास करते हुए एक
सफल ल़ोकतोंत्र रहा है ।
• अंतराकष्ट्रीय समथकन: भूटान उन पहले दे श़ोों में से था तजऩ्ोोंने भारत के परमाणु परीक्षण का समथषन तकया था।
o भारत क़ो सोंयुक्त राष्टर के मोंच से इसका सदै व समथषन तमलता रहा है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• बहुपिीय साझेदारी: द़ोऩोों दे श बहुपक्षीय सोंगठऩोों क़ो साझा करते हैं जै से;
o साकक (क्षेत्रीय सहय़ोग के तलए दतक्षण एतशयाई सोंघ)।
o कबम्सटे क (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आतथषक सहय़ोग के तलए बोंगाल की खाडी पहल)।
o बीबीआईएन (बाों ग्लादे श, भू टान, भारत, नेपाल पहल)
आकथकक
• व्यापार: भू टान के आयात का मुख्य स्ऱोत और सबसे बडा तनयाष त बाजार भारत है । भूटान की जलतवद् युत क्षमता दे श के तलए
राजस्व का एक महत्वपूणष स्ऱोत है ।
• कनवेश: भूटान के मध्यम-आय का दजाष हातसल करने से भारत क़ो वहाों तनवेश करने का मौका तमलता है ।
• कवत्तीय सहायता: भारत इसकी पोंचवर्षीय य़ोजनाओों का तवत्त प़ोर्षण कर रहा है और उसने इसकी वतषमान पोंचवर्षीय य़ोजना
क़ो 4500 कऱोड रुपये की सहायता भी दी है ।
• जलकवद् युत: भूटान में भारत बुतनयादी ढाों चा सीमा सडक़ोों और जलतवद् युत पररय़ोजनाओों का तवकास कर रहा है । उदाहरण:
हाल ही में मों गदे छू जलतवद् युत सोंयोंत्र का उद् घाटन तकया गया।
• मुक्त व्यापार व्यवथथा और शुल्क-मुक्त पारगमन: इसने व्यापार सोंबोंध़ोों क़ो बढ़ावा तदया है , तजससे भारत भू टान का सबसे
बडा व्यापाररक भागीदार बन गया है ।
भौग़ोकलक और सामररक
• बफर राज्य: भूटान और भारतीय उपमहाद्वीप एक रणनीततक स्थान साझा करते हैं । यह चीन और भारत के बीच एक स्टॉपगै प
के रूप में कायष करता है ।
• टर ाइजंक्शन: चुोंबी घाटी भारत के तचकन ने क कॉररड़ोर से केवल 50तकमी दू र है और भूटान, भारत और चीन के टर ाइजों क्शन
पर स्स्थत है ।
o भूटान का ड़ोकलाम पठार चुम्बी घाटी के तनकट चीन पर सामररक सै न्य बढ़त प्रदान करता है ।
• डे टा साझा करना: चूोंतक भारत की कई नतदयाँ भूटान से तनकलती हैं , इसतलए बाढ़ की भतवष्यवाणी के सोंबोंध में डे टा सहय़ोग
महत्वपूणष है ।
आं तररक सुरिा
• अलगाववादी समूह: द़ोऩोों दे श़ोों ने पहले भू टान स्स्थत यूनाइटे ड तलबरे शन फ्रोंट ऑफ असम (उल्फा) और ने शनल डे म़ोक्रेतटक
फ्रोंट ऑफ ब़ोड़ोलैंड (एनडीएफबी) से तनपटने के तलए सफलतापूवषक तमलकर काम तकया है ।
• संश़ोकधत मैत्री संकध: 2007 की मैत्री सोंतध सोंश़ोधन के प्रावधाऩोों ने इस म़ोचे के सहय़ोग क़ो और भी बेहतर बना तदया है ।
बाढ प्रबंधन
• बाढ प्रबंधन पर कवशेषज्ञ़ों का संयुक्त समूह: इसकी स्थापना भारत की सीमा से लगे तगररपाद क्षे त्ऱोों में बार-बार आने वाली
बाढ़ और तनक्षालन के कारण़ोों पर बात करने के तलए की गई थी।
• डे टा साझा करना: इसके अततररक्त, जल स्तर पर डे टा और बाढ़ के पू वाष नुमान के तलए आवश्यक जानकारी साझा की जाएगी।
सांस्कृकतक और कशिा
• कहं दू धमक और बौद्ध धमक का प्रभाव: उनके जीवन जीने का तरीका इसे बहुत स्पष्ट करता है । इसने मजबूत पारस्पररक सोंबोंध़ोों
और साों स्कृततक सोंलयन क़ो बढ़ावा तदया है ।
• भारत में छात्र: अस्खल भारतीय उच्च तशक्षा सवेक्षण (एआईएसएचई) के अनुसार, भारत में उच्च तशक्षा प्राप्त करने वाले भूटानी
छात्ऱोों की सोंख्या 2012-13 में 2,468 से घटकर 2020-21 में 1,827 ह़ो गई है ।
सहय़ोग के मु द्दे
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• बाह्य ऋण: भारत भूटान का एक प्रमुख व्यापाररक भागीदार है और इसका भुगतान सों तुलन सकारात्मक है , तजससे भूटान के
तलए समस्याएँ पैदा ह़ो गई हैं । इसके सकल घरे लू उत्पाद और इसके तवदे शी ऋण का अनुपात लगभग 100% तक बढ़ गया है ।
• जलकवद् युत पररय़ोजनाओं में कवलंब: द़ोऩोों दे श़ोों ने भू टान की जलतवद् युत क्षमता क़ो 10,000 मेगावाट तक बढ़ाने के तलए
तमलकर काम करने का तनणषय तलया है । भारत अपेतक्षत समय में पररय़ोजनाएों पू री नहीों कर रहा है ।
• कवद् युत शुल्क: भारत की तवद् युत अतधशेर्ष स्स्थतत और पवन व सौर तबजली जैसी वै कस्िक ऊजाष की वृस्द् क़ो दे खते हुए
भूटान क़ो एक लाभदायक जलतवद् युत व्यवसाय बनाए रखने में समस्या का सामना करना पड रहा है ।
• भारतीय हस्तिेप: भूटान में 2013 के चु नाव से ठीक पहले सरकार ने रस़ोई गैस पर सस्िडी कम करने का फैसला तकया,
ज़ो भारतीय हस्तक्षेप का सबू त है ।
• संप्रभुता के मुद्दे: प्ऱोजेि दों तक जैसी घटनाओों के कारण, अब स्थानीय ल़ोग़ोों में अपनी सोंप्रभुता बनाए रखने क़ो लेकर डर है ।
इससे घरे लू मामल़ोों में भारत के हस्तक्षेप की प्रततकूल धारणा बनी है ।
• बीबीआईएन: पयाष वरण और जलवायु पर इसके प्रततकूल प्रभाव क़ो दे खते हुए भूटान बीबीआईएन म़ोटर वाहन समझौते
में शाकमल नही ं हुआ।
• आं तररक सुरिा: वे अब भू टान के दतक्षण-पूवी जोंगल में सतक्रय तवद्ऱोही समूह़ोों क़ो ले कर तचोंततत हैं ।
• चीनी कचंता: भूटान के साथ राजनकयक संबंध थथाकपत करने और अपनी बीआरआई पररय़ोजना क़ो भूटान तक तवस्ताररत
करने के चीनी प्रयास भारत के तलए तचोंता का कारण बन गए हैं । हाल ही में भू टान के पीएम के चीन समथषक बयान ने भारत
और चीन के बीच सोंतुलन बनाने के भूटान के दृतष्टक़ोण के बारे में एक नई बहस छे ड दी है ।
राजनीकतक
• स्वायत्तता का सम्मान: भारत क़ो इसके घरे लू मामल़ोों में हस्तक्षे प करने से बचना चातहए और भारत के स्वायत्त ल़ोकतोंत्र क़ो
दे खते हुए आम जनता का समथषन हातसल करने के तलए हस्तक्षेप न करने का सोंदेश दे ना चातहए।
• सहय़ोग: भूटानी ल़ोकतोंत्र क़ो बढ़ावा दे ने के तलए चुनाव आय़ोग की तरह अोंतर-सोंसदीय सहय़ोग और सोंस्थागत सहय़ोग ह़ोना
चातहए।
• कवदे श नीकत की भूकमका: भूटान ने भारत की द़ो प्रमुख तवदे श नीततय़ोों, "एि-ईस्ट पॉतलसी" और "ने बरहुड फस्टष पॉतलसी" में
महत्वपूणष भूतमका तनभाई है ।
रिा
• ड़ोकलाम गततऱोध जैसी पररस्स्थततय़ोों के तलए तैयार ह़ोने के तलए अतधक सैन्य और वायु सेना प्रतशक्षण अभ्यास आय़ोतजत तकए
जा सकते हैं ।
• साथ ही, आों तररक सु रक्षा क़ो खतरे में डालने वाले राष्टर-तवऱोधी तत्व़ोों से तनपटना आसान ह़ो जाएगा।
अथकव्यवथथा
• व्यापार संबंध: भूटान के तवदे शी ऋण क़ो कम करने के तलए व्यापार तवतवधीकरण और तनयाष त क़ो बढ़ाना आवश्यक है ।
• पयकटन: पयषटन तवशेर्षकर साों स्कृततक क्षेत्र में अवसऱोों का द़ोहन करना।
• करें सी स्वैप: भारत साकष करें सी स्वैप ढाों चे के तहत करें सी स्वैप सीमा बढ़ाने के तलए कदम उठा रहा है ।
• भुगतान सों तुलन: तवतनमाष ण और सेवा क्षे त्ऱोों में सहायता करके भूटान में तनयाष त तवतवधता लाकर नकारात्मक भु गतान सोंतुलन क़ो
कम करने के तलए कदम उठाए जाने चातहए।
कवदे शी सहायता
• भारत की अतधकाों श सहायता भूटान क़ो जाती है , लेतकन तपछले द़ो वर्षों में इसमें तगरावट आई है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• चीन के बढ़ते प्रभाव क़ो दे खते हुए, भारत के तलए अपनी सहायता जारी रखना तकषपूणष है ।
पनकबजली
• भारत द्वारा 10,00मेगावाट जलतवद् युत तवकतसत करने और भूटान से अततररक्त तबजली खरीदने का वादा पूरा तकया जाना
चातहए।
शैकिक और औद्य़ोकगक िेत्र
• ज्ञान साझा करना: भारत का राष्टरीय ज्ञान ने टवकष और भूटान का अनुसोंधान और तशक्षा नेटवकष एकीकृत हैं । इससे छात्ऱोों और
तवितवद्यालय़ोों के तलए ज्ञान साझा करना आसान ह़ो जाएगा।
• इं कडया भूटान फाउं डेशन: इसकी स्थापना 2003 में अोंतर-मानवीय सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने और तवज्ञान, तशक्षा और सोंस्कृतत
के क्षेत्र में तवचाऱोों के आदान-प्रदान क़ो बढ़ावा दे ने के लक्ष्य के साथ की गई थी।
• कौशल और छात्रवृकत्त: द़ोऩोों पक्ष़ोों क़ो भूटानी युवाओों क़ो तशतक्षत करने और उन्ें छात्रवृतत्त प्रदान करने के तलए एक य़ोजना
तवकतसत करनी चातहए।
• भूटानी कवश्वकवद्यालय़ों के साथ औद्य़ोकगक संबंध: इससे उनके छात्ऱोों की ऱोजगार क्षमता और उद्यतमता में वृस्द् ह़ोगी।
अंतररि एवं पयाकवरण सहय़ोग
• दे श़ोों के बीच बाह्य अोंतररक्ष के शाों ततपूणष उपय़ोग पर समझौता ज्ञापन और पयाष वरण व प्राकृततक सोंसाधऩोों पर एक समझौता
ज्ञापन पर हस्ताक्षर तकए गए।
• दकिण एकशया सैटेलाइट (एसएएस) के तलए ग्राउों ड अथष स्टे शन के साथ, भारत और भूटान अों तररक्ष गतततवतधय़ोों में सहय़ोग
कर रहे हैं ।
• इसऱो द्वारा तशतक्षत तकए जा रहे चार भू टानी इों जीतनयर भूटान के आईएनएस-2बी उपग्रह पर काम कर रहे हैं ।
भूटानी मूल्
• भारत क़ो भूटान के तवतशष्ट मू ल्य़ोों और जीवन शैली का सम्मान करना चातहए और उसे अपनाना चातहए।
• भूटानी जीवन शैली का अध्ययन करके भारत पयाष वरण प्रबोंधन एवों प्रसन्नता क़ो साकार करने के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकता
है ।
चीन का मुकाबला
• सीमा कववाद: भूटान भूतम तववाद़ोों पर भारत और चीन की आक्रामक नीतत के महत्व क़ो जानता है ।
• सीमा प्रबंधन और रिा सहय़ोग में संबद्धता: यह चीनी आक्रामकता के स्खलाफ मजबूत प्रततऱोध पैदा कर सकता है ।
• चीन के साथ जुडाव में वृस्द्ध: उपऱोक्त मुद्द़ोों ने भू टान क़ो चीन के साथ अपने जुडाव क़ो बढ़ाने के तलए अपनी स्स्थतत का लाभ
उठाने में मदद की है ।
• भूटान के साथ संबंध: चीन भूटान के साथ राजनतयक सोंबोंध बनाने की प्रतक्रया में है तजसे भूटान ने अभी तक स्वीकार नहीों
तकया है ।
• भूटान की संतुलनकारी रणनीकत: जब भारत-चीन मामल़ोों की बात आती है त़ो भू टान सोंतुतलत दृतष्टक़ोणअपनाता है | 2017
के ड़ोकलाम सोंकट के दौरान भी भू टान ने सोंतुलन का रुख अपनाया था.
• भारत से असंत़ोष: वतषमान सीमा सोंघर्षष पर भारत का साथ दे ने पर चीन से प्रतततक्रया के आशोंका-वश, भूटान सोंवेदी रूप से
भारत से दू र जा रहा है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• भारत एक नए भूतम कस्टम स्टे शन और एक अन्य एकीकृत चेक प़ोस्ट (आईसीपी) ख़ोलने के तलए भू टान के अनुऱोध क़ो मोंजूरी
दे सकता है ।
• भारत ने कनेस्ितवटी बढ़ाने और इस प्रकार व्यापार क़ो बढ़ावा दे ने के तलए भूटान के साथ रे लवे कनेस्ितवटी स्थातपत करने के
अपने प्रयास़ोों क़ो तेज कर तदया है ।
चीन िारा दावा ककया गया नया भूटानी िेत्र
• जून 2020 में चीन ने भूटान की पूवी सीमा पर स्स्थत सकतेंग अभ्यारण्य के तलए यू एनडीपी-जीईएफ फोंतडों ग क़ो ऱोकने का
प्रयास तकया।
• भारतीय कहत:
o चीन का नया दावा: भूटान का पूवी भाग उसकी 'दब्बू पड़ोस' नीकत द्वारा तनदे तशत है ।
o पड़ोकसय़ों पर दबाव डालना: इसतलए उन दे श़ोों पर दबाव डालना ज़ो चीन से दू र हैं और भारत के साथ तजनके मधुर सोंबोंध
हैं ।
o थथान: पूवी सकतेंग अरुणाचल प्रदे श की सीमा पर स्थथत है तजसे चीन अपने ततब्बत क्षेत्र का तहस्सा ह़ोने का दावा करता
है इसतलए इस तरह का दावा सीमा तववाद के मुद्द़ोों क़ो और जतटल बना सकता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
8. भारत और श्रीलं का
प्रस्तावना
• भारत और श्रीलोंका के बीच 2500 वर्षष से अतधक के सोंबोंध़ोों के दौरान व्यापक बौस्द्क, साोंस्कृततक, धातमषक और भार्षाई आदान-
प्रदान हुआ है ।
• इस सदी का "महान खेल" तहों द महासागर के जल में ह़ोगा। इस वजह से तहन्द महासागर के पररपेक्ष में श्रीलोंका एक महत्वपूणष
दे श है |
• श्रीलोंका के पूवष प्रधान मों त्री मतहों दा राजपक्षे के अनुसार, "भारत श्रीलोंका का ररश्तेदार है जबतक अन्य सभी दे श तमत्र हैं ।"
सं बं ध़ों का अवल़ोकन
आकथकक
• सबसे बडा व्यापाररक भागीदार: 2021 में 5.45 तबतलयन
अमेररकी डॉलर के कुल तद्वपक्षीय व्यापाररक व्यापार के साथ –
2020 की तुलना में एक महत्वपूणष वृस्द् (लगभग 48%) - भारत
श्रीलोंका का सबसे बडा व्यापाररक भागीदार था।
• मुद्रा कवकनमय: हाल ही में , श्रीलोंका के तवदे शी भोंडार क़ो बढ़ाने
और COVID-19 के बाद तवत्तीय स्स्थरता की गारों टी के तलए,
भारतीय ररजवष बैंक (RBI) ने श्रीलोंका क़ो 400 तमतलयन डॉलर की
मुद्रा तवतनमय सुतवधा दे ने के तलए एक समझौता तकया।
• तनवेश: सेंटरल बैंक ऑफ श्रीलोंका के अनुसार, भारत कतथत तौर पर
पहले ही 2.2 तबतलयन अमेररकी डॉलर से अतधक का एफडीआई तनवेश कर चुका है । 2021 में, भारत ने सबसे अतधक FDI
($142 तमतलयन) आकतर्षषत तकया।
भारत-श्रीलंका संबंध़ों का महत्व
ऐततहातसक- रामायण काल से श्रीलोंका में च़ोल आक्रमण से तितटश उपतनवेश से वतषमान तक
राजनीततक- उच्च स्तरीय यात्राएों
आतथषक- भारत-श्रीलोंका एफटीए
साों स्कृततक- साों स्कृततक सहय़ोग समझौता
सुरक्षा सहय़ोग---- सोंयुक्त अभ्यास तमत्र शस्क्त और स्स्लने क्स
टर ै तफतकोंग से मु काबले के तलए सोंयुक्त प्रयास
राजनीकतक
• उच्च-स्तरीय कवकनमय: तनयतमत अों तराल पर यात्राओों का उच्च-स्तरीय तवतनमय, द़ोऩोों दे श़ोों के बीच राजनीततक सोंबोंध़ोों की एक
पररभातर्षत तवशेर्षता रही है ।
• भारत की पड़ोसी प्रथम नीकत: यह तवदे श नीतत के क्षेत्र में सबका साथ, सबका तवकास का तवस्तार है ।
• 'भारत प्रथम' नीकत: हालाों तक अपनी पहली तवदे श यात्रा पर, श्रीलोंका के राष्टरपतत ने अपने दे श की "भारत प्रथम" रणनीतत पर
ज़ोर तदया और घ़ोर्षणा की तक "जबतक चीन एक द़ोस्त है , भारत ररश्तेदार है ।"
• साझा मंच: द़ोऩोों दे श साकष और तबम्सटे क जैसे क्षेत्रीय सों गठऩोों के सदस्य हैं । तहों द महासागर क्षेत्र में शाों तत और तवकास क़ो
बढ़ावा दे ने के तलए SAGAR पहल, IORA और IONS बहुपक्षीय आधार पर तमलकर काम कर रहे हैं ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
श्रीलंका का भू-सामररक महत्व
• व्यापार: यह तहों द महासागर से जुडने वाले महत्वपूणष जल मागों पर स्स्थत है , जहाों भारत का 90% व्यापार ह़ोता है ।
• इं ड़ो पैकसकफक रणनीकत: दतक्षण चीन सागर में चीनी आक्रामकता की प्रतततक्रया में , नेतवगेशन के तलए स्वतों त्र और मुक्त पहुों च
सुतनतित करने का प्रयास तकया गया।
रिा और सुरिा सहय़ोग
• सैन्य अभ्यास: भारत और श्रीलोंका वातर्षषक सोंयुक्त सै न्य अभ्यास 'तमत्र शस्क्त' और नौसे ना अभ्यास SLINEX आय़ोतजत करते
हैं । भारत श्रीलोंकाई सेनाओों क़ो रक्षा प्रतशक्षण भी प्रदान करता है ।
• समुद्री सुरिा: तहों द महासागर क्षेत्र में तनगरानी बढ़ाने , समुद्री डकैती तवऱोधी अतभयाऩोों और समुद्री प्रदू र्षण क़ो कम करने के
तलए भारत, श्रीलोंका और मालदीव द्वारा एक तत्रपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहय़ोग समझौता तकया गया है ।
o भारत और श्रीलोंका ने मानव और मादक पदाथों की तस्करी से तनपटने के तलए 2019 में एक समझौता तकया।
• कत्रपिीय सुरिा बैठक: आतोंकवाद और कट्टरपोंथ, समु द्री सुरक्षा और सोंरक्षा, मानव तस्करी और सों गतठत अपराध एवों साइबर
सुरक्षा क़ो सहय़ोग के "चार स्तोंभ" के रूप में स्वीकार तकया गया।
कवकासात्मक सहायता
• सामुदाकयक कवकास: भारत और श्रीलोंका ने उच्च प्रभाव सामुदातयक तवकास पररय़ोजनाओों (एचआईसीडीपी) पर सीमा बढ़ाने
के तलए एक तद्वपक्षीय समझौते तकया।
• पुनवाकस और राहत: आों तररक रूप से तवस्थातपत ततमल़ोों के तलए सहायता। भारत ने 30,000 घऱोों और अन्य तचतकत्सा सुतवधा
बुतनयादी ढाों चे का तनमाष ण तकया है ।
• स्वैप समझौता: साकष मु द्रा तवतनमय ढाों चे के तहत, भारतीय ररजवष बैंक (आरबीआई) और सें टरल बैंक ऑफ श्रीलोंका
(सीबीएसएल) ने 400 तमतलयन अमेररकी डॉलर की मुद्रा स्वैप व्यवस्था क़ो अोंततम रूप तदया है ।
• एलओसी (Line of Credit): एस्जजम बैंक ने अब तक श्रीलोंका में नौ एलओसी का तवस्तार तकया है , तजसमें नवीनतम एलओसी
भी शातमल है , तजसका कुल मूल्य 1.68 तबतलयन डॉलर है । तपछले साल की शुरुआत में श्रीलोंका के तवत्तीय सोंकट के चरम के
दौरान भारत द्वारा 4 अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता प्रदान की गई थी।
सांस्कृकतक और शैकिक सहय़ोग
• समझौता: भारत और श्रीलोंका ने 1977 में एक साों स्कृततक सहय़ोग समझौते पर हस्ताक्षर तकए।
• छात्रवृकत्त: भारत स्नातक और अनुसोंधान अध्ययन में य़ोग्य श्रीलोंकाई छात्ऱोों क़ो छात्रवृतत्त प्रदान करता है ।
o भारत की नालों दा तवितवद्यालय पररय़ोजना में श्रीलोंका भी भागीदार है ।
• प्रकशिण: भारतीय तकनीकी और आतथषक सहय़ोग (आईटीईसी) कायषक्रम के माध्यम से , भारत कई श्रीलोंकाई सरकारी मोंत्रालय़ोों
के प्रतततनतधय़ोों क़ो हर साल 402 पूणष मुआवजे वाले पद प्रदान करता है ।
• ल़ोग़ों के बीच संबंध: बौद् धमष ततमल शालीनता, आतद जैसे साों स्कृततक जुडाव के माध्यम से ।
o इन सोंबोंध़ोों क़ो गहरा करने के तलए, क़ोलोंब़ो में भारतीय उच्चाय़ोग की साोंस्कृततक शाखा, स्वामी तववेकानोंद साों स्कृततक केंद्र
(एसवीसीसी) ने महत्वपूणष भू तमका तनभाई है ।
सं बं ध के बीच मु द्दे
मुद्दे के बारे में
• बौद् बहुमत तवतभन्न धमों और भार्षाओों के ल़ोग़ोों के साथ भेदभाव करता है । ततमल की आतधकाररक
तकमल मुद्दा स्स्थतत का अभाव है , और बौद् धमष क़ो ऱोजगार और तशक्षा द़ोऩोों में प्राथतमकता दी जाती है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• नागररकता दे ने से इनकार: अतधकाों श ततमल़ोों क़ो नागररकता दे ने से इनकार कर तदया गया। इस
प्रकार, श्रीलोंका के चाय बागाऩोों में अतधकाों श ततमल गरीबी में जीवन जीते रहे ।
• गृह-युद्ध और मानवाकधकाऱों का हनन: सोंयुक्त राष्टर का अनु मान है तक द़ोऩोों दे श़ोों के बीच सोंघर्षष की
समास्प्त से पहले के पाँ च महीऩोों में अकेले 40,000 नागररक मारे गए।
• 20वां संश़ोधन: ज़ो 13वें सों श़ोधन क़ो कमज़ोर करता है , श्रीलोंका की नई सरकार द्वारा पेश तकया गया
था। 1987 के भारत-श्रीलोंका समझौते की अन्य आवश्यकताओों, जैसे प्राों तीय स्वायत्तता और ततमल भार्षा
मान्यता, का भी पालन नहीों तकया जाता है । मई 2009 में तलट्टे और श्रीलों काई सरकार।
• चीन द्वारा श्रीलोंका के महत्वपू णष हों बनट़ोटा बों दरगाह क़ो 99 साल के तलए पट्टे पर तदए जाने क़ो लेकर
चीन फैिर तचोंताएों जताई गई हैं । बोंदरगाह पर चीनी पनडु स्ब्बय़ोों के अवल़ोकन ने सुरक्षा क़ो ले कर और भी सवाल
खडे कर तदए हैं ।
• मटाला राजपक्षे अोंतराष ष्टरीय हवाई अड्डे के प्रबोंधन के तलए भारत और श्रीलोंका के बीच सोंयुक्त उद्यम
अपेक्षा के अनु रूप आगे नहीों बढ़ पाया है और पररय़ोजना की हवाई अड्डे और चीन द्वारा सोंचातलत
हों बनट़ोटा बोंदरगाह से तनकटता के कारण समस्याएों और बढ़ गई हैं ।
• कच्चाथीवू द्वीप वह स्थान है जहाों मुख्य सोंघर्षष है । 1974 में यह द्वीप श्रीलोंका क़ो दे तदया गया।
मछु आरे का • हालाँ तक यह समझौता भारतीय मछु आऱोों क़ो तवश्राम करने और नेस्ट डराइों ग के तलए कच्चाथीवू तक पहुों च
मुद्दा प्रदान करता है , लेतकन यह पारों पररक मत्स्यन में सोंलग्न ह़ोने के अतधकाऱोों की गारों टी नहीों दे ता है ।
(कच्चथीवू िीप) • जब भारतीय मछु आरे श्रीलों काई जलमागों पर आक्रमण करते हैं , त़ो 2009 में गृहयु द् की समास्प्त के
बाद से तगरफ्ताररयाँ और हमले बढ़े हैं । भारतीय मछु आऱोों द्वारा बडे टर ॉलर का उपय़ोग करने पर भी
श्रीलोंका आपतत्त जताता है ।
• दीघषकातलक समाधान ख़ोजने के तलए, द़ोऩोों दे श़ोों ने सोंयुक्त कायष समूह ढाों चे की स्थापना की है । मछु आऱोों
क़ो जाल और उनकी जरूरत के अन्य उपकरण दे ने के तलए भारत और श्रीलोंका के बीच एक समझौता
ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर तकए गए।
• भारत तपछले साल की आतथषक तबाही के बाद औपचाररक रूप से अपने महत्वपूणष ऋण पुनगषठन
भारत का कायषक्रम का समथषन करने वाला द्वीप राष्टर का पहला तद्वपक्षीय ऋणदाता बन गया जब उसने अोंतराष ष्टरीय
कवत्तीय आश्वासन मुद्रा क़ोर्ष (आईएमएफ) क़ो तलस्खत तवत्तीय आिासन जारी तकया।
• केवल जब तक श्रीलोंका के आतधकाररक ऋणदाताओों चीन, जापान और भारत द्वारा पयाष प्त तवत्तीय
आिासन नहीों तदया जाता है , तब तक श्रीलों का के तलए आईएमएफ के 2.9 तबतलयन अमेररकी डॉलर के
अोंतररम पैकेज क़ो मोंजूरी दी जाएगी।
• "पड़ोस प्रथम" के तवचार के प्रतत भारत की प्रततबद्ता पर ज़ोर दे ते हुए और तकसी भागीदार क़ो ऐसा
करने की अनु मतत न दे ते हुए, तवत्त आिासन का तवकि भी आदशष के प्रतत भारत के तविास का एक
उदाहरण था।
भारत के पि में • 2018 में, भारत ने श्रीलोंका क़ो 4.16 तबतलयन डॉलर का तनयाष त तकया, जबतक श्रीलोंका ने भारत क़ो
व्यापार संतुलन 767 तमतलयन डॉलर का तनयाष त तकया।
• श्रीलोंका भारतीय बाजाऱोों तक बेहतर पहुों च के साथ-साथ इस असमानता में कमी की इच्छा रखता है ।
आगे की राह:
• कनेस्िकवटी: पाक स्ट्रे ट किज के माध्यम से कनेस्ितवटी के तवकास के माध्यम से आतथषक एकीकरण।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• आकथकक एकीकरण ऱोडमैप (ईआईआरएम): यह उपिेत्रवाद पर आधाररत है और इसका लक्ष्य कुल 30तमतलयन आबादी
और 50तबतलयन डॉलर जीडीपी का लाभ उठाने के तलए भारत के 5 दतक्षणी राज़्ोों क़ो श्रीलोंका से ज़ोडना है ।
• कनजी कनवेश: श्रीलोंका में बुतनयादी ढाों चे, ऊजाष और कनेस्ितवटी में समयबद् तरीके से भारत से तनजी तनवेश क़ो बढ़ाने की
आवश्यकता है ।
• नीली अथकव्यवथथा का लाभ उठाना: भारत नीली अथषव्यवस्था का उपय़ोग करते हुए श्रीलोंका के बुतनयादी ढाों चे और कनेक्शन
क़ो मजबूत करने के तलए जापान और ऑस्टर े तलया जैसे दे श़ोों के साथ भी सहय़ोग कर सकता है ।
• व्यापक आकथकक भागीदारी समझौता (सीईपीए): द़ोऩोों दे श़ोों के बीच आतथषक सहय़ोग बढ़ाने के तलए इस पर हस्ताक्षर तकया
जाना चातहए।
• मछु आऱों क़ो सहायता: राज़्ोों क़ो समुद्र तवकास तवभाग और कृतर्ष मोंत्रालय से सहायता तमलनी चातहए तातक पाक खाडी में
मछु आऱोों क़ो आय के वैकस्िक साधन तमल सकें।
1. भारत श्रीलोंका का सतदय़ोों पु राना तमत्र है । तपछले कथन के आल़ोक में श्रीलोंका में हातलया सोंकट में भारत की 2022
भूतमका पर चचाष कीतजए।
2. भारत-श्रीलोंका सोंबोंध़ोों के सोंबोंध में , चचाष करें तक घरे लू कारक तवदे श नीतत क़ो कैसे प्रभातवत करते हैं । 2013
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
9. भारत-मॉरीशस
प्रधानमंत्री म़ोदी
“भारत और मॉरीशस इकतहास, वंश, संस्कृकत, भाषा और कहं द महासागर के साझा जल िारा एकजुट हैं । आज, हमारी
मजबूत कवकास साझेदारी हमारे घकनष्ठ संबंध़ों के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरी है ।”
प्रस्तावना
• भारत और मॉरीशस के बीच 18वीों सदी का गहरा ऐततहातसक सोंबोंध है , तजसमें 1948 में राजनतयक सोंबोंध स्थातपत हुए थे।
• मॉरीशस में महत्वपूणष भारतीय प्रवासी, ज़ो आबादी का 68% तहस्सा है , द़ोऩोों दे श़ोों के बीच साों स्कृततक और सामातजक सोंबोंध़ोों
क़ो और मजबू त करता है ।
भारत-मॉरीशस सं बं ध
• कहं द महासागर िेत्र: अफ्रीकी क्षेत्र में तहों द महासागर के तटीय दे श़ोों के बीच एक भागीदार के रूप में मॉरीशस महत्वपूणष स्थान
रखता है । द़ोऩोों दे श तहों द महासागर ररम एस़ोतसएशन (आईओआरए) में सतक्रय रूप से भाग लेते हैं , ज़ो एक अों तरसरकारी
सोंगठन है ज़ो तहों द महासागर क्षे त्र के भीतर क्षेत्रीय सहय़ोग बढ़ाने और सतत तवकास क़ो बढ़ावा दे ने के तलए प्रततबद् है ।
• साझा इकतहास: प्रधानमोंत्री प्रतवोंद जगन्नाथ सतहत दे श की लगभग 68%आबादी भारतीय मूल की है ।
o मॉरीशस में महात्मा गाों धी का सोंतक्षप्त तवश्राम (29 अिू बर - 15 नवोंबर, 1901) दे श के इततहास और चेतना में एक
उल्लेखनीय घटना बनी हुई है ।
• आकथकक: तवदे श मों त्री (ईएएम) की यात्रा के दौरान, 'व्यापक आतथषक सहय़ोग और साझे दारी समझौता (सीईसीपीए)' नामक एक
महत्वपूणष मु क्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर तकया गया।
• शैकिक: मॉरीशस भारत के ITEC कायषक्रम का एक महत्वपूणष लाभाथी है और IAFS के तहत सबसे बडी सोंख्या में अफ्रीका
छात्रवृतत्त रखता है ।
o मॉरीशस के लगभग 200 छात्र प्रततवर्षष भारतीय तवितवद्यालय़ोों में अपनी तशक्षा का स्व-तवत्तप़ोर्षण करते हैं , इसके साथ ही
प्रत्येक वर्षष मॉरीशस के छात्ऱोों क़ो 100 अततररक्त ICCR छात्रवृतत्तयाँ प्रदान की जाती हैं ।
• कवकास साझेदारी: प्रधानमों त्री म़ोदी ने मॉरीशस में एक सामातजक आवास पररय़ोजना, एक तसतवल सेवा कॉलेज और 8 मेगावाट
सौर पीवी फामष पररय़ोजना का उद् घाटन तकया।
o मई 2016 में, भारत ने मॉरीशस क़ो पाों च प्राथतमकता वाली पररय़ोजनाओों के कायाष न्वयन के तलए 353 तमतलयन अमेररकी
डॉलर का तवशेर्ष आतथषक पैकेज प्रदान तकया।
o इसके अततररक्त, द़ो समझौत़ोों का आदान-प्रदान तकया गया: एक, मेटऱो एक्सप्रेस और अन्य बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों
के तलए 190 तमतलयन अमेररकी डॉलर की क्रेतडट लाइन के तलए और दू सरा, समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से लघु
तवकास पररय़ोजनाओों के कायाष न्वयन के तलए।
• रिा और सुरिा सहय़ोग: जयशोंकर की यात्रा के दौरान, भारत और मॉरीशस ने मॉरीशस क़ो पट्टे पर एक ड़ोतनषयर तवमान
और एक उन्नत हल्के हे लीकॉप्टर, ध्रुव क़ो स्थानाों तररत करने से सोंबोंतधत द़ो समझौत़ोों पर हस्ताक्षर तकए।
• पयकटन: मॉरीशस में पयषटन क़ो बढ़ावा दे ने के तलए, सरकार ने भारतीय पयषटक़ोों के तलए वीजा-मु क्त नीतत लागू की, तजसमें
तबना वीजा के 30 तदऩोों तक रहने की अनु मतत दी गई, जब तक तक वे अपनी यात्रा के तलए पयाष प्त धन प्रदतशषत कर सकें।
• सागर कवजन (सभी के कलए सुरिा और कवकास): इस तवजन में भारत के समुद्री पड़ोतसय़ोों के साथ आतथषक और सुरक्षा
सहय़ोग क़ो प्रगाढ़ करने का आह्वान तकया गया।
• नेट सुरिा प्रदाता- दतक्षण तहों द महासागर में द्वीपीय दे श़ोों के साथ घतनष्ठ सहय़ोग से तहों द महासागर क्षे त्र में नेट सु रक्षा प्रदाता
के रूप में भारत की भूतमका मजबूत ह़ोगी।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
भारत-मॉरीशस सं बं ध़ों का महत्व
• भू-रणनीकतक महत्व: भारत तहों द महासागर क्षेत्र में अपनी रणनीततक स्स्थतत के तलए मॉरीशस क़ो महत्व दे ता है , क्षेत्र में सुरक्षा
और तवकास के तलए उसके दृतष्टक़ोण का समथषन करता है ।
• आकथकक सहय़ोग: भारत मॉरीशस का सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है , ज़ो इसकी अथषव्यवस्था में महत्वपूणष य़ोगदान दे ता
है । मॉरीशस में नवाचार और समुद्री अनुसोंधान के तलए एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में क्षमता है ।
• चीनी प्रभाव का मुकाबला: मॉरीशस के साथ सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने से भारत क़ो क्षे त्र में चीनी तवस्तार का मुकाबला करने ,
शस्क्त सोंतुलन सुतनतित करने में मदद तमलती है ।
• साों स्कृततक और ऐततहातसक सोंबोंध: गहरे साों स्कृततक सोंबोंध और भारत-मॉरीशस की आबादी ल़ोग़ोों के बीच आदान-प्रदान और
आपसी समझ क़ो बढ़ावा दे ती है ।
• पयकटन और कनवेश: पयषटन और तनवेश में वृस्द् की सोंभावना, द़ोऩोों दे श़ोों के तलए आतथषक अवसर सृतजत करना।
• िेत्रीय स्थथरता और सहय़ोग: समु द्री सु रक्षा, आतोंकवाद तवऱोधी और आपदा प्रबों धन पर सहय़ोग क्षे त्रीय शाों तत और सुरक्षा क़ो
बढ़ाता है ।
• राजनकयक समथकन: अोंतरराष्टरीय मोंच़ोों पर आपसी राजनतयक समथषन वैतिक मुद्द़ोों पर सहय़ोग क़ो मजबूत करता है ।
• तशक्षा और क्षमता तनमाष ण: भारतीय छात्रवृ तत्तयाों और प्रतशक्षण कायषक्रम मॉरीशस के मानव सोंसाधन तवकास और सामातजक-
आतथषक तवकास में य़ोगदान करते हैं ।
मु द्दे
• आकथकक कचंताएाँ : कर च़ोरी के तलए भारत-मॉरीशस द़ोहरा कराधान बचाव समझौते के दु रुपय़ोग ने आतथषक सोंबोंध़ोों क़ो तनावपूणष
बना तदया है ।
• समुद्री सीमा कववाद: भारत और मॉरीशस के बीच चाग़ोस द्वीपसमूह पर लोंबे समय से तववाद है , ज़ो मत्स्यन अतधकार और
सोंसाधन अन्वे र्षण क़ो प्रभातवत कर रहा है ।
• सुरिा संबंधी कचंताएाँ : मॉरीशस तहों द महासागर में समुद्री डकैती और अवैध तस्करी से तनपटने के तलए अतधक समुद्री सुरक्षा
सहय़ोग चाहता है ।
• प्रवासन और श्रकमक मुद्दे: मॉरीशस में भारतीय प्रवातसय़ोों के तलए श्रम दशाओों और अवसऱोों क़ो लेकर कई बार तनाव उत्पन्न
ह़ोता है ।
• चीन: तहों द महासागर क्षे त्र में बढ़ती चीनी उपस्स्थतत तहों द महासागर में भारत के प्रभुत्व क़ो खतरे में डाल रही है । भारत के पास
भी चीन की तरह डीप पॉकेट (अतधक धन) की कमी है ।
o मॉरीशस के साथ चीन का मु क्त व्यापार समझौता (एफटीए) जनवरी 2021 में प्रभावी ह़ो गया।
• कनेस्िकवटी और पररवहन: भारत और मॉरीशस के बीच हवाई और समुद्री कनेस्ितवटी बढ़ाना पयषटन और व्यापार के तलए
आवश्यक है ।
• िेत्रीय मंच़ों पर सहय़ोग: IORA जैसे क्षेत्रीय मोंच़ोों पर बेहतर समन्वय साझा चुनौततय़ोों पर सोंयुक्त प्रयास़ोों क़ो बढ़ा सकता है ।
• स्वास्थ्य और महामारी प्रकतकक्रया: स्वास्थ्य सोंकट के दौरान स्वास्थ्य दे खभाल में सहय़ोग, तचतकत्सा तवशेर्षज्ञता साझा करना
और टीक़ोों तक समान पहुों च सुतनतित करना महत्वपूणष है ।
आगे की राह:
• आकथकक सहय़ोग बढाना: व्यापार और तनवे श क़ो बढ़ावा दे ना और सहय़ोग के तलए नए क्षेत्ऱोों की ख़ोज करना।
• कर और कवत्तीय कचंताओं का समाधान: द़ोहरा कराधान बचाव समझौते की पारदतशषता और उतचत उपय़ोग सुतनतित करना।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• सुरिा सहय़ोग क़ो मजबूत करना: समुद्री सुरक्षा, समुद्री डकैती का मुकाबला करने और अवैध गतततवतधय़ोों से तनपटने पर
सहय़ोग करना।
• सांस्कृकतक और शैिकणक कवकनमय क़ो बढावा दे ना: ल़ोग़ोों के बीच सोंबोंध़ोों और साझा तवरासत की समझ क़ो प्ऱोत्सातहत
करना।
• पयाकवरणीय स्थथरता पर सहय़ोग: सों रक्षण, नवीकरणीय ऊजाष और जलवायु पररवतषन पर तमलकर काम करना।
• िेत्रीय साझेदाररय़ों क़ो मजबूत करना: कनेस्ितवटी और तवकास के तलए क्षे त्रीय मोंच़ोों और सोंयुक्त पहल में शातमल ह़ोना।
कनष्कषक
• अोंत में, भारत और मॉरीशस के पास आतथषक सहय़ोग, सुरक्षा सहय़ोग, साों स्कृततक आदान-प्रदान और क्षेत्रीय साझे दारी के
माध्यम से अपने तद्वपक्षीय सों बोंध़ोों क़ो मजबू त करने , परस्पर तवकास क़ो बढ़ावा दे ने और तहों द महासागर क्षे त्र में स्स्थरता में
य़ोगदान करने का एक मूल्यवान अवसर है ।
छात्र का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
10. भारत-मालदीव
प्रस्तावना
• भारत 1965 में मालदीव की स्वतोंत्रता क़ो स्वीकार करने और राष्टर के साथ राजनतयक सोंबोंध स्थातपत करने वाले प्रारस्िक दे श़ोों
में से एक था।
• 1988 के तख्तापलट की सातजश के दौरान भारत द्वारा प्रदान की गई त्वररत सहायता, तजसे 'ऑपरे शन कैिस' के नाम से
जाना जाता है , ने मालदीव के साथ तविास क़ो बढ़ावा दे ने और स्थायी व सौहादष पूणष तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो तवकतसत करने में
महत्वपूणष भूतमका तनभाई।
सम्बन् का अवल़ोकन
• आकथकक: 1981 में भारत और मालदीव के बीच एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर तकए गए थे। भारत मालदीव का चौथा सबसे
बडा व्यापार भागीदार है ।
o भारत 2018 में चौथे स्थान से बढकर मालदीव का दू सरा सबसे बडा व्यापाररक भागीदार बन गया, महामारी बाधाओों के
बावजूद 2021 में तद्वपक्षीय व्यापार में 31% की वृस्द् हुई।
o भारत-मालदीव का तद्वपक्षीय व्यापार 2021 में 323.9 तमतलयन अमेररकी डॉलर रहा, तजसमें व्यापार सोंतुलन भारत के पक्ष
में है ।
o मालदीव क़ो आतथषक सुधार में सहायता करने के तलए, भारत ने तसतों बर 2020 में मालदीव क़ो 250 तमतलयन अमेररकी
डॉलर की तवत्तीय सहायता प्रदान की।
• रिा: भारत मालदीव राष्टरीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के तलए सबसे अतधक प्रतशक्षण अवसर प्रदान करता है , ज़ो उनकी लगभग
70% रक्षा प्रतशक्षण आवश्यकताओों क़ो पूरा करता है ।
o अप्रैल 2016 में, रक्षा साझेदारी क़ो मजबूत करने के तलए रक्षा हे तु एक व्यापक कायष य़ोजना पर हस्ताक्षर तकए गए थे।
o रक्षा क्षे त्र में उल्लेखनीय पहल़ोों में एमएनडीएफ के तलए समग्र प्रतशक्षण केंद्र की स्थापना, तटीय रडार तनगरानी प्रणाली का
कायाष न्वयन और नए रक्षा मों त्रालय मुख्यालय का तनमाष ण शातमल है ।
• आपदा प्रबंधन: 2004 की सुनामी और 2014 के माले जल सोंकट के बाद, भारत ने मालदीव क़ो पयाष प्त सहायता प्रदान की।
भारत में एमएनडीएफ फायर एों ड रे स्क्यू सतवषस के तलए अनुकूतलत प्रतशक्षण कायषक्रम भी सोंचातलत तकए गए।
• कवकासात्मक सहय़ोग: भारत ने मालदीव में इों तदरा गाों धी मेम़ोररयल हॉस्स्पटल, मालदीव इों स्टीट्यूट ऑफ टे स्िकल एजुकेशन
और ने शनल कॉलेज फॉर पु तलतसोंग एों ड लॉ एनफ़ोसषमेंट (एनसीपीएलई) जैसी उल्लेखनीय तवकास पररय़ोजनाएों लागू की हैं ।
o कनेस्िकवटी पररय़ोजना: भारत ने माले क़ो तीन पड़ोसी द्वीप़ोों से ज़ोडने के तलए मालदीव की सबसे बडी नागररक बुतनयादी
ढाों चा पररय़ोजना, ग्रेटर माले कनेस्ितवटी प्ऱोजेि (जीएमसीपी) के तलए 500 तमतलयन अमेररकी डॉलर की सहायता भी
प्रदान की है ।
o मुद्रा स्वैप: 2019 में RBI और मालदीव मौतद्रक प्रातधकरण (MMA) के बीच $400 तमतलयन के एक तद्वपक्षीय अमेररकी
डॉलर मुद्रा स्वै प समझौते पर हस्ताक्षर तकए गए।
क़ोतवड सोंबोंधी सहायता: क़ोऱोना खतरे से तनपटने में मालदीव के अतधकाररय़ोों और कतमषय़ोों क़ो मागषदशषन और प्रतशक्षण दे ने के तलए
माचष 202में मालदीव में 14 सदस्यीय रै तपड ररस्पाों स मेतडकल टीम तैनात की गई थी।
o ऑपरे शन संजीवनी: क़ोतवड-19 खतरे से तनपटने में तमत्र दे श़ोों की मदद करने के भारत सरकार के प्रयास़ोों के तहत, 2
अप्रैल 2020 क़ो एक तवशेर्ष IAF तवमान ने भारत से मालदीव के तलए 6.2 टन आवश्यक तचतकत्सा आपूततष की।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
भारत के कलए मालदीव का महत्व
• कट्टरपंथ का मुकाबला: मालदीव के 200 से अतधक युवा आईएसआईएस में शातमल ह़ो गए हैं । राजनीततक अस्स्थरता और
सामातजक-आतथषक अतनतितता के कारण बढ़ता कट्टरपों थ पातकस्तान क़ो मालदीव में आतोंकी लॉन्च पैड स्थातपत करने का
अवसर दे सकता है ।
• बढती चीनी उपस्थथकत: मालदीव भारत क़ो तनयोंतत्रत करने की चीन की म़ोततय़ोों की माला की रणनीतत का एक महत्वपू णष तहस्सा
है । चीन की ऋण जाल कूटनीतत की नीतत उसे मालदीव में रणनीततक ररयल इस्टे ट तक पहुों च प्रदान कर सकती है ।
o बीतजोंग द्वारा 200 तमतलयन डॉलर से तवत्त प़ोतर्षत चीन-मालदीव मैत्री तिज, अपने खूबसूरत समुद्र तट़ोों और लैगून के तलए
प्रतसद् उष्णकतटबोंधीय दतक्षण एतशयाई राष्टर में चीन की कई पररय़ोजनाओों में से एक है ।
• आकथकक: भारत और मालदीव के बीच व्यापार और वातणस्ज्क आदान-प्रदान स्स्थर ह़ो गया है और उन्ें इसे अपनी क्षमता के
अनुरूप करने की जरूरत है । क़ोतवड-19 मालदीव की अथषव्यवस्था क़ो नुकसान पहुों चाएगा और चीन के ऋण जाल क़ो और
भी गहराएगा।
• राजनीकतक अस्थथरता: भारत ने इस क्षे त्र में इसकी सुरक्षा और तवकास पर राजनीततक अस्स्थरता के प्रभाव के बारे में महत्वपू णष
तचोंता व्यक्त की है ।
o यामीन खेमे ने नई तदल्ली की भारी तवकासात्मक तवत्तप़ोर्षण के स्खलाफ "इों तडया आउट" अतभयान शु रू तकया और माों ग
की तक स़ोतलह प्रशासन "भारत क़ो ध्यान में रखते हुए तवदे तशय़ोों क़ो राष्टरीय सोंपतत्त बेचना बोंद करे ।"
मु द्दे
• घरे लू राजनीकतक कशकायतें: ल़ोकताों तत्रक सोंस्थाऩोों की शस्क्त में कमी का अनुभव हुआ है , तजससे वे असुरतक्षत ह़ो गए हैं ।
इसके अततररक्त, यतद प्रभावी ढों ग से शातसत नहीों तकया गया, त़ो सुभेद्य ल़ोकतोंत्र कट्टरपोंथी तवचारधाराओों के प्रतत सोंवेदनशील
ह़ो सकता हैं ।
• आतंकवाद का केंद्र: द्वीप राष्टर मालदीव में इस्लामी कट्टरपोंथ का उदय मुख्य रूप से राजनीततक अस्स्थरता और सामातजक-
आतथषक चुनौततय़ोों से प्रेररत है ।
o इसके अततररक्त, इस बात की भी तचोंता है तक सऊदी अरब ने मालदीव क़ो कट्टर बनाने में भूतमका तनभाई है । वास्तव में ,
मालदीव में आईएसआईएस आतोंकवातदय़ोों की प्रतत व्यस्क्त सोंख्या सबसे अतधक दजष की गई है ।
• मालदीव में चीन का प्रभाव: भारत मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव क़ो लेकर तचोंततत है , ज़ो मुख्य रूप से बीतजोंग के नेतृत्व में
कई तनवेश पररय़ोजनाओों से प्रे ररत है ।
o मालदीव अब दतक्षण एतशया में चीन की रणनीततक "स्स्टर ों ग ऑफ पल्सष" पहल का एक महत्वपूणष घटक बन गया है ।
• आकथकक: मालदीव और भारत के बीच तद्वपक्षीय व्यापार वतषमान में बहुत तनचले स्तर पर है और द़ोऩोों दे श़ोों के बीच मुक्त व्यापार
समझौता (एफटीए) नहीों है ।
• भारत कवऱोधी भावनाएाँ : मालदीव राष्टरीय रक्षा बल ने द़ो भारतीय ध्रुव उन्नत हल्के हे लीकॉप्टऱोों का उपय़ोग करने का प्रतशक्षण
प्राप्त तकया।
हालााँकक, उनकी सैन्य प्रकृकत के कारण, भारत के आल़ोचक कुछ व्यस्क्तय़ों ने आऱोप लगाया कक उनका प्रावधान दे श में
सैन्य उपस्थथकत की थथापना का संकेत दे ता है ।
• पारदकशकता की कमी: स़ोतलह सरकार और भारत के बीच हस्ताक्षररत ह़ोने वाले समझौत़ोों में पारदतशषता की कमी क़ो लेकर
अक्सर तचोंता व्यक्त की जाती है ।
• भारत के प्रयास़ों के सम्बन् में गलतफहमी: ऐसी अटकलें लगाई गई हैं तक भारत और मालदीव के बीच यूटीएफ हाबष र
प्ऱोजेि समझौता, तजसका उद्दे श्य उथुरु तथला फाशह में एक तटरक्षक बोंदरगाह तवकतसत करना है , क़ो सोंभातवत रूप से
भारतीय नौसैतनक अड्डे में पररवततषत तकया जा सकता है ।
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आगे की राह:
• 'इं कडया फस्ट्क पॉकलसी': मालदीव की वतषमान सरकार ने अपनी 'इों तडया फस्टष पॉतलसी' की घ़ोर्षणा की है । भारत क़ो इस
अवसर का उपय़ोग तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने के तलए करना चातहए।
• सुरिा साझेदारी: तहों द महासागर में "नेट सुरक्षा प्रदाता" के रूप में भारत की स्स्थतत क़ो मजबूत करने के तलए समुद्री सुरक्षा
पर ध्यान दे ने के साथ रक्षा साझेदारी क़ो मजबूत करना।
• समयबद्ध पूणक ककया जाना: भारत में चीनी बढ़त का मुकाबला करने के तलए, बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों क़ो समय पर पू रा
तकया जाना चातहए। भारत कनेस्ितवटी पररय़ोजनाओों पर जापान के साथ सहय़ोग कर सकता है ।
• प्रवासी: भारत क़ो अपने प्रवासी भारतीय़ोों का अतधक उपय़ोग करना चातहए और सों बोंध़ोों क़ो मजबू त करने के तलए तफल्म,
सोंगीत और व्यस्क्तय़ोों के बीच सोंपकष जैसे साों स्कृततक तत्व़ोों का उपय़ोग करना चातहए।
कनष्कषक
• भारत और मालदीव के बीच सफल तद्वपक्षीय सहय़ोग भारत की पड़ोसी प्रथम नीतत के अनुरूप अन्य पड़ोसी दे श़ोों के साथ
सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने के तलए एक मूल्यवान मॉडल के रूप में काम कर सकता है । भारत क़ो मालदीव के साथ सोंबोंध़ोों क़ो
बढ़ाने और सशक्त करने के तलए तवकास में अपनी साझेदारी जारी रखनी चातहए।
1. तपछले द़ो वर्षों में मालदीव में राजनीततक तवकास पर चचाष कीतजए। क्या यह भारत के तलए तचोंता का क़ोई कारण ह़ोना
चातहए? (2013)
छात्र का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
व्यापाररक संबंध:
• व्यापार अकधशेष: 2022-23 में, भारत का सोंयुक्त राज् अमेररका के साथ 28 तबतलयन डॉलर का व्यापार अतधशे र्ष था।
• किपिीय व्यापार: वातणज् मोंत्रालय के आों कड़ोों के अनुसार, 2022-23 में अमेररका और भारत के बीच तद्वपक्षीय व्यापार
119.42 कबकलयन डॉलर रहा, जबतक 2020-21 में यह 80.51 तबतलयन डॉलर था।
• रिा व्यापार: तेल के अलावा, हाल के वर्षों में भारत-अमेररका रक्षा व्यापार भी बढ़ रहा है ।
• भारतीय सेवा िेत्र की अमेररकी बाजाऱों पर कनभकरता: भारतीय सेवा क्षेत्र और तवशे र्ष रूप से आईटी क्षेत्र अमेररकी बाजाऱोों
पर काफी हद तक तनभष र है ।
• भारत-अमेररका व्यापार पर अकधक जानकारी:
o कनवेश: भारतीय उद्य़ोग पररसोंघ (सीआईआई) द्वारा प्रदान की गई एक अध्ययन ररप़ोटष के अनुसार, अमेररका में मौजू द
लगभग 163 भारतीय कोंपतनय़ोों ने दे श में 40 तबतलयन अमरीकी डालर से अतधक का तनवेश तकया है ।
o ऱोजगार सृजन: इसके अलावा, इन कोंपतनय़ोों ने सोंयुक्त राज् अमेररका में लगभग 425,000 ऱोजगार सृतजत की हैं ।
o व्यापार समझौता: द़ोऩोों दे श़ोों ने 500 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य रखा है और एफटीए पर वाताष स्थतगत ह़ोने के
कारण 'तमनी टर े ड डील' हातसल करने पर भी काम कर रहे हैं ।
o कडकजटल टै क्स: भारत और अमेररका इक्वलाइजेशन ले वी (ईएल) या तडतजटल टै क्स पर एक सोंक्रमणकालीन दृतष्टक़ोण पर
सहमत हैं ।
ऊजाक सहय़ोग: अमेररका-भारत रणनीकतक ऊजाक साझेदारी
• रणनीकतक ऊजाक साझेदारी: भारत-अमेररका ऊजाष वाताष क़ो रणनीततक ऊजाष साझे दारी (एसईपी) के स्तर पर उन्नत तकया
गया है । द़ोऩोों दे श़ोों ने 2021 में जलवायु पर नेताओों के तशखर सम्मेलन के दौरान यूएस-भारत जलवायु और स्वच्छ ऊजाष एजेंडा
2030 साझेदारी शुरू की।
o सोंयुक्त राज् अमेररका और भारत के बीच 2030 एजेंडा के तलए साझेदारी।
o रणनीततक स्वच्छ ऊजाष साझेदारी (एससीईपी) क़ो तफर से तडजाइन तकया गया है ।
o भारत-अमेररका असैतनक परमाणु ऊजाष सहय़ोग की समीक्षा की गई।
o गैस टास्क फ़ोसष का नाम बदलकर भारत-अमेररका न्यून उत्सजषन गैस टास्क फ़ोसष कर तदया गया है ।
• असैकनक परमाणु सहय़ोग (2008):
o एपी 100ररएिर: द़ोऩोों पक्ष़ोों ने वेस्स्टों गहाउस द्वारा तनतमषत तकए जाने वाले छह एपी 1000 ररएिऱोों के तलए भारत में
साइट पर प्रारों तभक कायष शुरू कर तदया है । एक बार पूरा ह़ोने पर, यह पररय़ोजना अपनी तरह की सबसे बडी पररय़ोजनाओों
में से एक ह़ोगी।
o ग्ल़ोबल सेंटर फॉर न्यूस्ियर एनजी पाटक नरकशप (जीसीएनईपी) पर सहय़ोग: भारत और सोंयुक्त राज् अमेररका
202में ग्ल़ोबल सेंटर फॉर न्यूस्ियर एनजी पाटष नरतशप (जीसीएनईपी) पर सहय़ोग के तलए अपने समझौता ज्ञापन क़ो दस
साल तक बढ़ाने पर सहमत हुए।
सामररक भागीदारी:
o चीन का उदय: चीन के उदय और तहों द-प्रशाों त में उसके आक्रामक व्यवहार के सों दभष में भारत-अमेररका रणनीततक
साझेदारी मजबूत हुई है ।
o क्वाड: द़ोऩोों दे श़ोों ने 2+2 मोंतत्रस्तरीय वाताष क़ो सोंस्थागत बना तदया है और तहन्द-प्रशाों त में शाों ततपूणष, स्स्थर और तनयम-
आधाररत व्यवस्था सुतनतित करने के उद्दे श्य से क्वाड क़ो मजबूत करने के तलए भी प्रयासरत हैं ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• क्वाड:
o इं ड़ो-पैकसकफक: यूएसए की इों ड़ो-पैतसतफक रणनीतत ररप़ोटष भारत क़ो इस क्षेत्र में एक 'महत्वपूणष भागीदार' के रूप में
वगीकृत करती है ।
o ब्लू डॉट नेटवकक: उन पररय़ोजनाओों क़ो प्रमातणत करना ज़ो "मुक्त और समावेशी, पारदशी, आतथषक रूप से व्यवहायष ,
तवत्तीय, पयाष वरणीय और सामातजक रूप से तटकाऊ हैं और अोंतरराष्टरीय मानक़ोों, कानूऩोों और तवतनयम़ोों के अनुसार हैं ।"
o ब्लू डॉट नेटवकक का रणनीकतक महत्व: िू डॉट नेटवकष अमेररका की इों ड़ो-पैतसतफक रणनीतत का तहस्सा है , तजसका
उद्दे श्य चीनी राष्टरपतत शी तजनतपोंग की महत्वाकाों क्षी बीआरआई का मुकाबला करना है ।
o रणनीकतक साझेदारी के महत्वपूणक स्तंभ: आतोंकवाद से मुकाबला, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा रणनीततक साझेदारी
के अन्य महत्वपूणष स्तोंभ हैं ।
o सहय़ोग क़ो मजबूत करने के कलए 2+2 मंकत्रस्तरीय संवाद में प्रमुख समझौते: वैतिक साझेदारी और भारत-प्रशाों त
सहय़ोग, पारस्पररक समृस्द्, नवाचार और लचीली आपूततष श्रृोंखला, जलवायु, पयाष वरण और स्वच्छ ऊजाष , तवज्ञान, प्रौद्य़ोतगकी,
साइबर सुरक्षा और अोंतररक्ष, वैतिक स्वास्थ्य, रक्षा और सु रक्षा, आतोंकवाद का मुकाबला और नशीले पदाथों का मुकाबला,
तशक्षा और ल़ोग़ोों के बीच सोंबोंध।
o भारत एक नेट सुरिा प्रदाता के रूप में उभर रहा है : 'इों ड़ो-पैतसतफक' की अवधारणा के आगमन के कारण। यह
मानवीय सहायता और आपदा राहत में सामूतहक कारष वाई कर सकता है , तशतपोंग की तनगरानी कर सकता है और क्षे त्र में
चीन की साम्राज्वादी नीततय़ोों की जाों च कर सकता है ।
• चीन संयुक्त राज्य अमेररका के कलए सबसे बडे रणनीकतक खतरे के रूप में: अमेररका की राष्ट्रीय रिा रणनीकत 2018
और राष्टरीय सुरक्षा रणनीतत 2017 ने सोंश़ोधनवादी चीन क़ो सोंयुक्त राज् अमेररका के तलए सबसे बडे रणनीततक खतरे के रूप
में पहचाना।
o अमेररका भारत क़ो चीन के मुकाबले एक भू-राजनीकतक प्रकतसंतुलन के रूप में दे खता है : अमे ररका भारत क़ो चीन
के मु काबले एक भू -राजनीततक प्रततसोंतुलन, एक आतथषक तवकि और एक ल़ोकताों तत्रक व्यततरे क के रूप में दे खता है
और भारत के तलए, अमेररका न केवल आों तररक सोंतुलन और क्षमता तनमाष ण के मामले में , बस्ल्क बाह्य सोंतुलन के मामले
में भी अपनी चीन नीतत के तलए महत्वपूणष है ।
o भारत आईओआर िेत्र में एक शुद्ध सुरिा प्रदाता के रूप में: सोंयुक्त राज् अमेररका का उद्दे श्य आईओआर क्षेत्र में
एक शुद् सु रक्षा प्रदाता और सोंयुक्त राज् अमेररका के एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में कायष करने के तलए भारत की
वृस्द् और क्षमता में तेजी लाना है ।
• इं ड़ो-पैकसकफक रणनीकत ररप़ोटक : अमेररकी रक्षा तवभाग ने हाल ही में शाों गरी-ला डायलॉग में 'इों ड़ो-पैतसतफक रणनीतत ररप़ोटष '
जारी की। यह IOR में चीन की बढ़ती मुखरता के कारण भारत क़ो तहों द महासागर क्षेत्र और दतक्षण एतशया में सोंयुक्त राज्
अमेररका के एक महत्वपूणष भागीदार के रूप में वगीकृत करता है ।
• यूएनएससी में भारत की थथायी सदस्यता के कलए अमेररका का समथकन: अमेररका ने सोंश़ोतधत सोंयुक्त राष्टर सुरक्षा पररर्षद
में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूततषकताष समूह में भारत की शीघ्र सदस्यता के तलए समथषन व्यक्त तकया है ।
• वैकश्वक कवकास साझेदारी समझौता: भारत-अमेररका वैतिक तवकास साझेदारी क़ो अगले पाों च वर्षों के तलए बढ़ा तदया गया
है । वैतिक तवकास साझेदारी समझौता साझेदार दे श़ोों क़ो सहय़ोगात्मक समथषन प्रदान करता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• वैकश्वक कवकास के कलए कत्रक़ोणीय सहय़ोग: वैतिक तवकास के तलए तत्रक़ोणीय सहय़ोग पर मागषदशषक तसद्ाों त़ोों (एसजीपी)
का तववरण, समझौते की वैधता क़ो 2026 तक बढ़ा तदया गया है ।
• एफटीएफ आईटीटी: जीडीपी के तहत अफ्रीका के तलए फ्यूचर इों तडया तत्रक़ोणीय प्रतशक्षण कायषक्रम (एफटीएफ आईटीटी)
फ़ीड।
• वैक्सीन के कलए कच्चा माल: अमेररका ने वैक्सीन तफल्टर के अपने लोंतबत ऑडष र क़ो भारत के वैक्सीन तनमाष ताओों क़ो भेज
तदया है और टीक़ोों के भारतीय तनमाष ण के तलए तत्काल आवश्यक तवतशष्ट कच्चे माल के स्ऱोत़ोों की भी पहचान की है । इससे
भारत क़ो और अतधक टीके बनाने में मदद तमलेगी।
• COVID-19 परीिण ककट: इसने भारत में ऑक्सीजन तसलेंडर, तचतकत्सा उपकरण और COVID-19 परीक्षण तकट के साथ
C-5M सुपर गै लेक्सी पररवहन तवमान भेजा था।
• भारत-रूस कमत्रता: रूस भारत का सबसे बडा हतथयार आपूततषकताष है । इससे 2 दे श़ोों के सशस्त्र बल़ोों के बीच बढ़ती
अोंतरसोंचालनीयता और सोंचार में बाधा आएगी क्य़ोोंतक अमे ररकी सैन्य सों रचना रूस के साथ सुसोंगत नहीों है ।
• CAATSA पर अमेररका की स्थथकत: अमेररका ने रूस के साथ S-400 तमसाइल रक्षा प्रणाली सौदे के तहत भारत पर प्रततबों ध
लगाने की धमकी दी है ।
• अमेररका-पाककस्तान संबंध: राष्टरपतत तबडे न सतहत कई डे म़ोक्रेट ने अपने अतभयान के दौरान कश्मीर में मानवातधकाऱोों पर
तचोंता जताई है । इससे पातकस्तान क़ो इस मुद्दे का अोंतरराष्टरीयकरण करने में मदद तमल सकती है
• उत्तर-दकिण कवभाजन के डब्ल्यूटीओ मुद्दे में: जबतक अमेररका और अन्य तवकतसत दे श द़ोहा तवकास एजेंडे क़ो दरतकनार
करने और 'नए मुद्दे' पेश करने की क़ोतशश कर रहे हैं , भारत अन्य तवकासशील दे श़ोों के साथ तवकतसत दे श़ोों पर डीडीए के
तहत अपनी प्रततबद्ताओों क़ो पू रा करने के तलए दबाव बनाने के तलए काम कर रहा है ।
व्यापार में:
o लंकबत किपिीय कनवेश संकध: भारत और अमेररका के बीच तद्वपक्षीय तनवेश सोंतध काफी समय से लोंतबत है ।
o भारत की टै ररफ व्यवथथा: सोंयुक्त राज् अमेररका क़ो भारत की टै ररफ व्यवस्था पर लोंबे समय से तचोंता है , तजसमें तवशेर्ष
रूप से कृतर्ष में अपेक्षाकृत उच्च औसत टै ररफ दरें हैं ।
o स्ट्ील और एल्ुमीकनयम टै ररफ और प्रकतश़ोधी टै ररफ: भारत 2018 से लागू अमेररकी "धारा 232" स्टील और
एल्युमीतनयम टै ररफ का तवऱोध करता है । भारत ने अपनी जीएसपी पात्रता ख़ोने के बाद सोंयुक्त राज् अमेररका के स्खलाफ
जवाबी टै ररफ लागू तकया।
o कडकजटल सेवा कर (डीएसटी): सोंयुक्त राज् अमेररका ने नवोंबर 2021 में डीएसटी टर ीटमेंट पर भारत के साथ एक
"राजनीततक समझौता" स्थातपत तकया।
o अमेररकी सामान्यीकृत प्रणाली वरीयताएाँ (जीएसपी): 2019 में, सों युक्त राज् अमेररका ने बाजार पहुों च के मु द्द़ोों के
कारण भारत क़ो अमेररकी व्यापार और तवकास कायषक्रम, जीएसपी से हटा तदया।
• सेवा िेत्र में: द़ोऩोों दे श कुछ सेवा उद्य़ोग़ोों में प्रततस्पधी हैं । भारत में तवदे शी स्वातमत्व की सीमाएों और स्थानीय उपस्स्थतत की
आवश्यकताएों अमेररकी तनगम़ोों की बाजार पहुों च में बाधाओों में से एक हैं ।
• कृकष में: सोंयुक्त राज् अमेररका में , सैतनटरी और फाइट़ोसैतनटरी (एसपीएस) बाधाएों भारत के कृतर्ष तनयाष त में बाधा डालती हैं ।
प्रत्येक पक्ष दू सरे की कृतर्ष सहायता य़ोजनाओों क़ो बाजार क़ो तवकृत करने वाला मानता है । द़ोऩोों पातटष य़ोों ने टीपीएफ में सहय़ोग
करने का फैसला तकया।
64
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• बौस्द्धक संपदा (आईपी): सोंयुक्त राज् अमेररका 2021 "स्पेशल 301" ररप़ोटष ने भारत क़ो अपनी प्राथतमकता तनगरानी सूची
में बनाए रखा।
• "तीव्र" थथानीयकरण (Forced Localization): 2022 में, भारत ने तवि व्यापार सों गठन (डब्ल्यू टीओ) के व्यापार तववाद
तनपटान पैनल के एक फैसले के स्खलाफ अपील की, तजसने फैसला सुनाया तक चीनी और गन्ने के तलए दे श के घरे लू समथष न
उपाय वैतिक व्यापार मानदों ड़ोों के साथ असोंगत हैं ।
• कनवेश: भारत ने कुछ एफडीआई सुधार तकए हैं , जैसे बीमा और ई-कॉमसष प्ले टफामों के तलए तवदे शी इस्क्वटी कैप बढ़ाना और
एफडीआई मों जूरी क़ो सुव्यवस्स्थत करने के तलए एक नई प्रणाली शुरू करना।
• रिा व्यापार: भारत अतधक प्रौद्य़ोतगकी-साझाकरण और सह-उत्पादन पररय़ोजनाएों चाहता है , जबतक अमेररका भारत की रक्षा
ऑफसेट नीतत में अततररक्त सु धार और रक्षा क्षेत्र में उच्च एफडीआई सीमाएों चाहता है ।
• िेत्रीय एकीकरण: सोंयुक्त राज् अमेररका और भारत प्रत्येक प्रमुख क्षे त्रीय व्यापार समझौते से अनु पस्स्थत हैं , तजस पर वाताष
करने में उऩ्ोोंने मदद की: क्रमशः , टर ाों स-पैतसतफक भागीदारी (सीपीटीपीपी) के तलए व्यापक और प्रगततशील समझौता और
क्षेत्रीय व्यापक आतथषक साझेदारी (आरसीईपी)। चीन आरसीईपी का सदस्य है और सीपीटीपीपी में शातमल ह़ोना चाहता है ।
भूरणनीकतक:
o अफगाकनस्तान में: सोंयुक्त राज् अमेररका की अफगातनस्तान से वापसी की घ़ोर्षणा दे श क़ो अस्स्थर कर सकती है तजसका
कश्मीर पर प्रभाव पड सकता है ।
o इं ड़ो पैकसकफक: जहाों भारत का प्राथतमक ध्यान तहों द महासागर पर है , वहीों सोंयुक्त राज् अमे ररका का ध्यान प्रशाों त
महासागर पर अतधक है ।
o मध्य पूवक: ईरान के तलए टर ि प्रशासन की अतधकतम दबाव की रणनीतत ने भारत-ईरान सोंबोंध़ोों क़ो प्रभातवत तकया है और
ईरान चीन के करीब चला गया है ।
o रूस-यूक्रेन युद्ध: अमेररका ने रूस के स्खलाफ प्रकतबंध लगाए जबकक भारत इस मुद्दे पर गुटकनरपेि नजर आया।
o चीन: चीन के साथ सोंभातवत भतवष्य के सहय़ोग के कारण द़ोऩोों दे श कभी-कभी एक-दू सरे पर सोंदेह करते हैं । यह दे श़ोों
के बीच गहरे और दीघषकातलक सौद़ोों क़ो सीतमत करता है ।
जलवायु पररवतकन पर:
o कवत्तीय प्रकतबद्धताओं क़ो पूरा करने में कवफलता: सोंयुक्त राज् अमेररका और अन्य तवकतसत दे श़ोों द्वारा तवकासशील
तवि के तलए तवत्तीय और अन्य प्रततबद्ताओों क़ो पूरा करने में तवफलता।
o नेट जीऱो उत्सजकन लक्ष्य पर मतभेद: 'नेट जीऱो उत्सजषन' पर मतभे द उभरे - सोंयुक्त राज् अमेररका ने इसे वैतिक मों च
पर रखा, तजसे भारत पूवषवती लक्ष्य़ोों क़ो पूरा करने में तवफल मानता है । (हालाों तक भारत नेट जीऱो के तलए प्रततबद् है )।
• डे टा संप्रभुता पर:
o ओसाका टर ै क: भारत ने 2019 में तडतजटल अथषव्यवस्था पर ओसाका टर ै क का बतहष्कार तकया। इसने दे श़ोों में डे टा के मु क्त
आवागमन की अनुमतत दे ने वाले कानून क़ो पाररत करने की वकालत की। हालाँ तक, भारत ने डे टा के मु क्त प्रवाह का तवऱोध
तकया क्य़ोोंतक इससे उसकी सोंप्रभुता का उल्लोंघन हुआ।
o संयुक्त राज्य अमेररका का CLOUD अकधकनयम सु रक्षा एजेंतसय़ोों क़ो सवषर में सोंग्रहीत डे टा प्राप्त करने की अनु मतत दे ता
है , भले ही डे टा अमेररका में उत्पन्न हुआ ह़ो या तवदे शी धरती पर।
o डे टा थथानीयकरण: यू एसए सरकार का तवचार था तक भारत का प्रस्तातवत कानून तडतजटल व्यापार में एक महत्वपूणष बाधा
है ।
सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी)
65
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• शुल्क-मुक्त प्रवेश: जीएसपी का लक्ष्य तवकासशील और अि तवकतसत दे श़ोों के हजाऱोों उत्पाद़ोों के तलए शुल्क-मु क्त प्रवेश
की अनुमतत दे कर आतथषक तवकास क़ो बढ़ावा दे ना है ।
• 2017 में, अमेररका क़ो 5.7 तबतलयन अमेररकी डॉलर के तनयाष त के साथ भारत इस कायषक्रम का शीर्षष प्राप्तकताष था।
आगे की राह:
• कनेस्िकवटी: सोंयुक्त राज् अमेररका भारत में तनवेश कर सकता है और जापान ने एतशया अफ्रीकी तवकास गतलयारे का प्रस्ताव
रखा है । द़ोऩोों दे श क्षेत्र में चीनी पररय़ोजनाओों का मुकाबला करने के तलए आईओआर तटीय राज़्ोों में सोंयुक्त बुतनयादी ढाों चा
तवकास कायषक्रम भी चला सकते हैं ।
• समुद्री िेत्र में सहय़ोग: नीली अथषव्यवस्था और समुद्री क्षे त्र जागरूकता जैसे क्षेत्ऱोों में।
• व्यापार: द़ोऩोों दे श़ोों क़ो 2025 तक 500 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य क़ो प्राप्त करने के तलए तद्वपक्षीय तनवेश सोंतध क़ो अोंततम
रूप दे ने की आवश्यकता है ।
• आपूकतक श्रृंखलाओं क़ो ज़ोस्खम से मुक्त करना- अमेररका आपूततष श्रृोंखला प्रततऱोधी पहल के माध्यम से आपूततष श्रृोंखलाओों में
तवतवधता लाने और उन्ें ज़ोस्खम से मु क्त करने के तलए भारत, ऑस्टर े तलया और जापान के साथ काम कर सकता है ।
• अंतररि प्रशासन: चीनी सेना की बढ़ती अोंतररक्ष क्षमताओों के बारे में साझा तचोंताओों के कारण, अोंतररक्ष प्रशासन अमेररका-
भारत तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों का केंद्र तबोंदु बन जाएगा।
• एक स्वतंत्र और कनयम-आधाररत इं ड़ो-पैकसकफक िेत्र के कलए सहय़ोग: एक स्वतोंत्र, मु क्त और तनयम-आधाररत इों ड़ो-
पैतसतफक क्षेत्र क़ो सुतनतित करने के तलए द़ोऩोों दे श़ोों का सहय़ोग महत्वपूणष है ।
• प्रौद्य़ोकगकी हस्तांतरण: अतद्वतीय जनसाों स्ख्यकीय लाभाों श, अमेररकी और भारतीय उद्यम़ोों के तलए प्रौद्य़ोतगकी हस्ताों तरण,
तवतनमाष ण, व्यापार और तनवेश में महत्वपूणष अवसर प्रस्तुत करता है ।
एशले जे. टे कलस
• टे तलस का मानना था तक सोंवैधातनक ल़ोकतोंत्र, उदार राजनीतत और नागररक राष्टरवाद की अपनी साझा समानताओों के बावजूद,
सोंयुक्त राज् अमेररका और भारत के बीच तविदृतष्ट में तवऱोधाभास़ोों, राष्टरीय प्राथतमकताओों में अोंतर और शस्क्त क्षमता में
असमानताओों के कारण लगातार मधु र सों बोंध नहीों रहे हैं , ज़ो शीत युद् की समास्प्त तक उनके सबसे सशक्त रूप में लोंबे
समय तक कायम रहे ।
कनष्कषक
• असाधारण पररवतषन से गुजर रही अोंतरराष्टरीय व्यवस्था में भारत स्वयों क़ो एक महत्वपूणष अग्रणी के रूप में स्थातपत कर रहा है ।
यह अपनी वतष मान स्स्थतत के आधार पर अपने महत्वपूणष तहत़ोों क़ो आगे बढ़ाने के अवसऱोों का अध्ययन करे गा।
1. "सोंयुक्त राज् अमेररका चीन के रूप में एक अस्स्तत्वगत खतरे का सामना कर रहा है , ज़ो पूवषवती स़ोतवयत सोंघ की तुलना
में कहीों अतधक चुनौतीपूणष है ।" व्याख्या करें | (2021)
2. भारत-रूस रक्षा सौद़ोों की तु लना में भारत-अमेररका रक्षा सौद़ोों का क्या महत्व है ? तहों द-प्रशाों त क्षेत्र में स्स्थरता के सों दभष में
चचाष कीतजए। (2020)
3. भारत और सोंयुक्त राज् अमेररका के बीच सोंबोंध़ोों में तनाव पैदा करने वाली बात यह है तक वातशोंगटन अभी भी अपनी वैतिक
रणनीतत में भारत के तलए क़ोई ऐसा स्थान नहीों ढू ों ढ पा रहा है , ज़ो भारत के राष्टरीय स्वातभमान और महत्वाकाों क्षाओों क़ो पूरा
कर सके। उपयुक्त उदाहरण सतहत समझाइये। (2019)
4. भारत और अमेररका द़ो बडे ल़ोकतोंत्र हैं । उन बुतनयादी तसद्ाों त़ोों की जाँ च कीतजए तजन पर द़ोऩोों राजनीततक प्रणातलयाँ
आधाररत हैं । (2018)
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
छात्ऱों का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
12. भारत-रूस
पररचय
• भारत और रूस तहों द-प्रशाों त क्षेत्र में अमेररका-चीन टकराव के साथ-साथ अन्य कारक़ोों के कारण पररवतषन का अनु भव कर रहे
हैं । पीएम म़ोदी ने रूस के साथ अपने सोंबोंध़ोों क़ो प्राथतमकता दी है , क्य़ोोंतक तेजी से बदलते तवि में यह और अतधक प्रासोंतगक
ह़ो गया है ।
• स़ोची कशखर सम्मेलन, 2018 में, सम्बन्ध क़ो 'कवकशष्ट् और कवशेषाकधकार प्राप्त साझेदारी' तक बढ़ा तदया गया था। सैन्य,
सुरक्षा और परमाणु ऊजाष क्षेत्ऱोों में भारत और रूस का सम्बन्ध 'गहरे आपसी कवश्वास', बहुध्रुवीय तवि व्यवस्था और दीघषकातलक
साझेदारी की सामान्य तवदे श नीतत लक्ष्य पर आधाररत है ।
ऐकतहाकसक अवल़ोकन
• 1971 में शांकत और कमत्रता की संकध: द़ोऩोों दे श़ोों की आम आकाों क्षाओों की प्रास्प्त के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैतिक शाों तत व
सुरक्षा क़ो बढ़ाने के तलए एक ऱोडमैप भी था।
• जनवरी 1993 में यूएसएसआर के कवघटन के बाद मैत्री और सहय़ोग की संकध: स़ोतवयत सोंघ के तवघटन के बाद, भारत
और रूस ने जनवरी 1993 में मैत्री और सहय़ोग की एक नई सोंतध में प्रवेश तकया और 2000 में एक रणनीततक साझेदारी की
स्थापना की।
• इस सोंतध क़ो 2023 में 30 वर्षष पूरे ह़ो गए।
सहय़ोग के िे त्र
• रिा:
o हकथयार आयात: भारत के कुल हतथयाऱोों के आयात में रूस का य़ोगदान 58% है , इसके बाद इजराइल (15%) और
सोंयुक्त राज् अमेररका (12%) का स्थान है ।
o रणनीकतक प्रौद्य़ोकगकी साझा करना: रूस उन कुछ दे श़ोों में से एक है ज़ो भारत के साथ रणनीततक प्रौद्य़ोतगकी साझा
करने का इच्छु क है । S-400 रक्षा प्रणाली सौदा रणनीततक स्वायत्तता बनाए रखने की भारत की इच्छा क़ो भी उजागर करता
है ।
o िह्म़ोस में भागीदार: रूस ने भारत क़ो एक अकुला श्रेणी की पनडु ब्बी पट्टे पर दी है और वह िह्म़ोस के तमसाइल प्रणाली
तवकास में भी एक महत्वपूणष भागीदार है । सामररक पररवहन तवमान और सुख़ोई Su3भी तवकतसत तकए गए हैं ।
o एस-400 वायु रिा प्रणाली: हाल ही में सों पन्न 21वें भारत-रूस तशखर सम्मेलन के दौरान, द़ोऩोों दे श़ोों ने वतषमान एस-400
वायु रक्षा प्रणाली तडलीवरी के सोंदभष में 10-वर्षीय रक्षा सहय़ोग समझौते पर हस्ताक्षर तकए।
o सैन्य अभ्यास इं द्र: द़ोऩोों दे श वातर्षषक तत्र-सेवा अभ्यास इों द्र भी आय़ोतजत करते हैं ।
• व्यापार:
o तद्वपक्षीय व्यापार: रातश 8.1 तबतलयन डॉलर।
o रणनीकतक आकथकक वाताक (2018): इसमें सहय़ोग के छह प्रमुख क्षेत्ऱोों पर ध्यान केंतद्रत तकया गया है , अथाष त् पररवहन
अवसोंरचना; कृतर्ष; लघु और मध्यम व्यवसाय सहायता; तडतजटल पररवतषन और फ्रोंतटयर टे ि़ोलॉजीज; व्यापार, बैंतकोंग, तवत्त
और उद्य़ोग; पयषटन एवों कनेस्ितवटी।
o पूवी आकथकक मंच में भारत की भागीदारी: भारत ने भी पू वी आतथषक मोंच में भाग तलया और रूस के सुदूर दतक्षणपों थी क्षेत्र
के तवकास के तलए 1 तबतलयन डॉलर की ऋण सुतवधा प्रदान की।
o समुद्री मागक: हाल ही में चेन्नई से व्लातदव़ोस्त़ोक तक एक समुद्री मागष भी प्रस्तातवत तकया गया है । इससे रूस के सुदूर पूवष
तक पहुों चने का समय 16 तदन कम ह़ो जाएगा।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• ऊजाक:
o प्राकृकतक गैस: रूस के पास तवि में प्राकृततक गैस का सबसे बडा भों डार है । भारत की ओएनजीसी तवदे श ने सखातलन
तेल और गै स सोंयोंत्र में 20% तहस्सेदारी प्राप्त कर ली है ।
o सेंट पीटसकबगक घ़ोषणा में: द़ोऩोों दे श, आकषतटक क्षे त्र में हाइडर ़ोकाबषन में सोंयुक्त अन्वेर्षण पर सहमत हुए। रूस की 'एतशया
की धुरी' रणनीतत और भारत की आकषतटक नीतत का मसौदा द़ोऩोों इन द़ोऩोों दे श़ोों के बीच अतभसरण क़ो उजागर करते हैं ।
उत्तरी समुद्री मागष क्षेत्र में सों साधऩोों के तवकास क़ो और सुतवधाजनक बनाएगा।
o परमाणु ऊजाक उत्पादन: कुडनकुलम परमाणु ऊजाष सोंयोंत्र (KKNPP) भारत में रूसी सहय़ोग से बनाया जा रहा है ।
• भूराजनीकतक अकभसरण:
o बहुध्रुवीय कवश्व व्यवथथा का लक्ष्य: भारत-रूस द़ोऩोों ने बहुध्रुवीय तवि व्यवस्था का लक्ष्य साझा तकया है । इस उद्दे श्य क़ो
साकार करने के तलए द़ोऩोों दे श तबम्सटे क और एससीओ के माध्यम से सहय़ोग कर रहे हैं ।
o द़ोऩों चीन क़ो एक रणनीकतक प्रकतिं िी के रूप में दे खते हैं : रूस चीन क़ो भतवष्य में एक सों भातवत रणनीततक प्रततद्वों द्वी
के रूप में दे खना जारी रखता है । इसतलए वह भारत, तवयतनाम, इों ड़ोनेतशया आतद दे श़ोों के साथ सहय़ोग गहरा कर रहा
है । रूस ने चीनी प्रभाव क़ो ऱोकने के तलए एससीओ में भारत के प्रवेश पर भी ज़ोर तदया। इसी तरह, भारत ने रूस क़ो
शातमल करने के तलए एि ईस्ट पॉतलसी का दायरा बढ़ाया है ।
o भारत क़ो यूएनएससी सीट के कलए समथकन: रूस ने भी यूएनएससी में स्थायी सीट के तलए भारत के दावे का समथषन
तकया है और जम्मू -कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ खडा है , तजससे इस मुद्दे का अोंतराष ष्टरीयकरण करने के पातकस्तान के
प्रयास क़ो ऱोक तदया गया है ।
• सांस्कृकतक संबंध:
o रूसी छात्र कहं दी सीख रहे हैं : प्रमुख तवितवद्यालय़ोों और स्कूल़ोों सतहत लगभग 20 रूसी सोंस्थान तनयतमत रूप से लगभग
1500 रूसी छात्ऱोों क़ो तहों दी पढ़ाते हैं ।
o 'नमस्ते रूस' जैसे कायकक्रम: 'नमस्ते रूस' जैसे कायषक्रम और जवाहरलाल ने हरू साों स्कृततक केंद्र जैसे सोंस्थाऩोों के
माध्यम से द़ोऩोों दे श़ोों की शैतक्षक प्रततभा क़ो साझा करना।
o "रूस में भारत का मह़ोत्सव": रूस में तसतोंबर 2018 से माचष 2019 के बीच 22 शहऱोों में 10 समू ह़ोों द्वारा 34 प्रदशषऩोों
के साथ आय़ोतजत तकया गया, तजसमें सवषश्रेष्ठ भारतीय सोंगीत, नृत्य, भ़ोजन और आध्यास्त्मक परों पराओों का प्रदशषन तकया
गया।
o महात्मा गांधी क़ो समकपकत प्रदशक नी: 2 अिू बर क़ो, रूसी सोंघ के राज् ड्यू मा ने महात्मा गाों धी की 150वीों वर्षषगाों ठ और
रूसी लेखक तलय़ो टॉशस्टॉय के साथ उनके सोंबोंध की स्मृतत में एक प्रदशषनी का उद् घाटन तकया।
अंतररि प्रौद्य़ोकगकी:
o आयकभट्ट और भास्कर: पूवष स़ोतवयत सोंघ ने भारत के पहले द़ो उपग्रह, आयषभट्ट और भास्कर लॉन्च तकए।
o रूस ने भारत क़ो क्राय़ोजेकनक तकनीक प्रदान की: रूस ने भारत क़ो भारी रॉकेट बनाने के तलए क्राय़ोजेतनक तकनीक
भी प्रदान की है ।
o वाह्य अंतररि में सहय़ोग: द़ोऩोों पक्ष अोंतररक्ष के शाों ततपू णष उपय़ोग पर सहय़ोग करते हैं , जैसे उपग्रह प्रक्षेपण, ग्ल़ोनास
नेतवगेशन प्रणाली, ररम़ोट सेंतसोंग और अोंतररक्ष के अन्य सामातजक अनुप्रय़ोग।
o गगनयान कमशन में सहय़ोग: भारत के पहले मानव अोंतररक्ष तमशन गगनयान के तलए चुने गए चार अोंतररक्ष यातत्रय़ोों ने
रूस में अपना प्रतशक्षण पू रा कर तलया है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
संबंध़ों में मुद्दे
• सहय़ोग के सीकमत िेत्र: शीत युद् के बाद, भारत-रूस सोंबोंध अतधक कायषकारी ह़ो गए हैं । यह सै न्य सहय़ोग और कलपु जों
पर केंतद्रत है जबतक ररश्ते के अन्य पहलु ओों में बहुत कम प्रगतत हुई है ।
• संयुक्त राज्य अमेररका-रूस दु कवधा: तबगडते रूस-अमेररका सोंबोंध़ोों ने असुतवधा का एक नया कारक प्रस्तुत तकया है क्य़ोोंतक
भारत सोंयुक्त राज् अमेररका के साथ अपने बढ़ते सोंबोंध़ोों क़ो खतरे में डाले तबना रूस के साथ अपने दीघषकातलक सोंबोंध क़ो
बनाए रखना चाहता है ।
• रिा: हालाँ तक भारत द्वारा कुल हतथयार आयात का 56%
तहस्सा अभी भी रूस का है , लेतकन यह आों कडा 2010-14
से एक पायदान नीचे है जब रूस की तहस्से दारी 70% थी।
• व्यापार:
o तनजी क्षेत्र शातमल नहीों है ।
o खराब कनेस्ितवटी - अोंतराष ष्टरीय उत्तर-दतक्षण पररवहन
गतलयारे का रुकना।
o कमज़ोर बैंतकोंग तलोंक।
o द़ोऩोों पक्ष़ोों पर ब़ोतझल तनयामक प्रतक्रयाएों ।
भारत-रूस सम्बन् में मुद्दे
पातकस्तान से तनकटता
चीन की आक्रामकता के प्रतत रूस का उदासीन रुख
अमेररका-रूस सोंशय
रूस और चीन का भू -क्षेत्रीय अतभसरण
रूस-यूक्रेन यु द्
रक्षा व्यापार में कमी
• इं ड़ो-पैकसकफक: इों ड़ो-पैतसतफक के उभरते तनमाष ण में , भारत सोंयुक्त राज् अमेररका के करीब बढ़ रहा है । इसने रूस क़ो
तचोंततत कर तदया है । रूसी तवदे श मोंत्री सगे ई लावऱोव ने इों ड़ो-पैतसतफक क़ो "कृतत्रम रूप से थ़ोपा गया तनमाष ण" कहा, तजसे
अमेररका, ऑस्टर े तलया और जापान द्वारा बढ़ावा तदया जा रहा है ।
• आतंकवाद: भारत और रूस ने अोंतराष ष्टरीय आतोंकवाद पर व्यापक सम्मेलन क़ो जल्द से जल्द अोंततम रूप दे ने का आह्वान तकया
है ।
रूस-चीन-पाककस्तान धु री
• यूक्रेन संकट के बाद रूस पर प्रकतबंध: पतिम ने रूस क़ो चीन के करीब धकेल तदया है । द़ोऩोों दे श एतशया, मध्य पूवष और
तहों द-प्रशाों त में अमेररका और पतिम के स्खलाफ काम कर रहे हैं । यहाों तक तक यूएनएससी क़ो भी पी-3 और पी-2 में बाों टा गया
है .
• रूस-चीन व्यापार: भूराजनीततक अतभसरण के अलावा द़ोऩोों दे श आतथषक सोंपूरकताएँ भी साझा करते हैं । 2019 में रूस-चीन
व्यापार 110 तबतलयन डॉलर रहा।
• रिा और प्रौद्य़ोकगकी: रूस चीन के साथ रक्षा उत्पादन में अत्याधुतनक तकनीक भी साझा करता है । चीन क़ो रूस से S-400
तमसाइल तडफेंस तसस्टम भी प्राप्त हुआ है ।
70
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• रूस ने पाककस्तान पर से हकथयार प्रकतबंध भी हटा कदया है : द़ोऩोों दे श़ोों ने 2014 से सहकारी सै न्य अभ्यास भी तकया है ।
पातकस्तान ने पहले ही रूस क़ो सीपीईसी के तहस्से के रूप में अपने ग्वादर बोंदरगाह का उपय़ोग करने की अनु मतत दे दी है ।
पातकस्तान और रूस द़ोऩोों अपने तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो रणनीततक स्तर पर ले जाने का उद्दे श्य रखते हैं ।
• रूस के कलए पाककस्तान का महत्व: अफगातनस्तान और मध्य एतशया और काकेशस में व्यापक स्स्थरता के सोंदभष में भी रूस
के तलए महत्वपूणष है ।
अमे ररका-रूस तनाव
• रूस की कवदे श नीकत के प्रमुख उद्दे श्य: पतिम के साथ सम्मानजनक समाय़ोजन और शस्क्त के वैतिक सोंतुलन में एक स्स्वों ग
राज् के रूप में रूस एक बहुध्रुवीय तवि व्यवस्था चाहता है , जहाँ उसे चीन के बाद दू सरे नों बर की भूतमका तनभाने की क़ोई
इच्छा नहीों है । हालाँ तक, अमेररका और पतिम के प्रततबोंध़ोों ने रूसी अथष व्यवस्था क़ो पोंगु बना तदया है और इसे चीन की ओर
धकेल तदया है ।
अमेररका-रूस तनाव के कारण:
• 2016 के अमेररकी राष्टरपतत चुनाव में मास्क़ो का हस्तक्षे प।
• क्रीतमया पर कब्जा और दतक्षण-पूवी यूक्रेन में सोंघर्षष की शु रुआत।
• सीररया के राष्टरपतत बशर अल-असद के घातक गृहयुद् में रूस का समथष न।
• वेनेजुएला के राष्टरपतत तनक़ोलस मादु ऱो का समथषन।
• तद्वपक्षीय मुद्द़ोों की धारणाओों में 'मानक कवचलन'।
• रूस ने एडवडष स्ऩोडे न क़ो राजनीततक शरण की पेशकश की, साथ ही कायषकताष अलेक्सी नवलनी की तहरासत क़ो लेकर
मानवातधकार के मुद्द़ोों पर रूस और पतिम के बीच असहमतत हुई।
अमेररका और पकिम से प्रकतकक्रया:
• सुरिा के कलए खतरा: अमे ररकी राष्टरीय सु रक्षा रणनीतत में रूस और चीन क़ो अमेररकी राष्टरीय सु रक्षा के तलए शीर्षष द़ो खतऱोों
के रूप में नातमत तकया गया है ।
• प्रकतबंध: अमेररका ने CAATSA एि के तहत रूस पर प्रततबोंध लगाया है ।
• हाल के पहले तशखर सम्मेलन में भी, तबडे न और पुततन द़ोऩोों ने बेहतर सम्बन्ध की इच्छा व्यक्त की, लेतकन सम्बन्ध में आती
कमी क़ो ऱोकने के तलए क़ोई नाटकीय कारष वाई की घ़ोर्षणा नहीों की।
रूस-यूक्रेन युद्ध
• 24 फरवरी क़ो शुरू हुआ, जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू तकया। रूसी सैतनक़ोों ने यूक्रेन के कई शहऱोों पर कब्जा कर
तलया तजनमें माररयु प़ोल, खेरसॉन, खातकषव, सुमी आतद शातमल हैं ।
• यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के संभाकवत कारण: क्रीतमया पर कब्जे के दौरान रूस के प्रभु त्व के कारण रूस से लगातार
खतरे के कारण यूक्रेन पतिमी दे श़ोों के साथ मजबूत आतथषक, राजनीततक और सुरक्षा सोंबोंध चाहता है । इस प्रकार यूक्रेन क़ो
यूऱोपीय सोंघ (ईयू) और नाट़ो के साथ एस़ोतसएशन समझौते (एए) में शातमल ह़ोने की आवश्यकता है । जबतक रूस अपने पड़ोस
में नाट़ो के तवस्तार क़ो बडा ख़तरा मानता है .
संघषक का कारण
• साझा इकतहास:
o यूक्रेन और रूस के बीच सैकड़ोों वर्षों से साों स्कृततक, भार्षाई और पाररवाररक सोंबोंध रहे हैं ।
o स़ोतवयत सोंघ के तहस्से के रूप में यू क्रेन रूस के बाद दू सरा सबसे शस्क्तशाली स़ोतवयत गणराज् था और यह रणनीततक,
आतथषक और साों स्कृततक रूप से महत्वपूणष था।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• ल़ोग़ों का भावनात्मक श़ोषण:
o यूक्रेन में कई रूतसय़ोों और नृजातीय रूतसय़ोों के तलए, दे श़ोों की साझा तवरासत एक भावनात्मक मुद्दा है तजसका चु नावी
और सै न्य उद्दे श्य़ोों के तलए श़ोर्षण तकया गया है ।
• शस्क्त का संतुलन:
o स़ोतवयत सोंघ से यूक्रेन की आजादी के बाद से , रूस और पतिम द़ोऩोों ने क्षेत्रीय शस्क्त सोंतुलन क़ो अपने पक्ष में बनाए रखने
के तलए दे श में अतधक प्रभाव की माों ग की है ।
• एक बफर के रूप में कायक करता है :
o सोंयुक्त राज् अमेररका और यूऱोपीय सोंघ के तलए, यूक्रेन रूस और पतिम के बीच एक महत्वपूणष बफर है ।
o जैसे-जैसे रूस के साथ तनाव बढ़ रहा है , अमेररका और यू ऱोपीय सोंघ यूक्रेन क़ो रूस से दू र रखने के तलए और अतधक दृढ़
ह़ोते जा रहे हैं ।
• यूक्रेन नाट़ो में शाकमल ह़ोना चाहता है : यूक्रेन यूऱोपीय सोंघ (ईयू) और नाट़ो के साथ एस़ोतसएशन समझौते (एए) में भी शातमल
ह़ोना चाहता है । जबतक रूस अपने पड़ोस में नाट़ो के तवस्तार क़ो बडा ख़तरा मानता है .
भारत का रुख:
• रणनीकतक स्वायत्तता का पालन ककया: दबाव में भी पतिमी दे श़ोों के साथ गठबोंधन तकए तबना रणनीततक स्वायत्तता का पालन
तकया।
• भारत रूस क़ो लकित करने वाले प्रस्ताव से दू र रहा: रूस क़ो लतक्षत करने वाले प्रस्ताव का समथषन करने से इनकार कर
तदया और इसके बजाय यूक्रेन क़ो मानवीय सहायता प्रदान की। भारत कीव में अपने दू तावास क़ो तफर से ख़ोलने की घ़ोर्षणा
करने वाले शु रूआती दे श़ोों में से एक था।
भारत की स्थथकत का कवश्लेषण:
• भारत का परहे ज उसके राष्ट्रीय कहत क़ो दशाकता है : उसके रुस के साथ लोंबे रणनीततक सोंबोंध़ो क़ो दे खते हुए।
• कसद्धांत़ों और व्यावहाररक कवचाऱों के बीच संतुलन: भारत ने अपनी तवदे श नीतत के लक्ष्य़ोों के तसद्ाों त़ोों और व्यावहाररक
तवचाऱोों के बीच सोंतुलन बनाया।
• भारत एक मध्यथथ के रूप में: इसके अलावा, भारत ने अनु पस्स्थत रहकर तकसी का पक्ष तलए तबना वाताष और कूटनीतत के
तलए स्थान रखा है । यह रूस के साथ और पतिम में प्राकृततक सहय़ोतगय़ोों, तवशेर्ष रूप से अमेररका और फ्राों स के साथ अपने
पारों पररक सोंबोंध़ोों क़ो दे खते हुए, सभी पक्ष़ोों क़ो वाताष के मोंच पर लाने में भारत की महत्वपूणष भूतमका तनभाने का मागष प्रशस्त
कर सकता है ।
• अग्रणी शस्क्त की आकांिा के कवपरीत: इसकी स्स्थतत क़ो तवशेर्षज्ञ़ोों ने "अग्रणी शस्क्त" ह़ोने की इसकी आकाों क्षा के तवपरीत
बताया है । ऐसा कहा गया है तक एक अग्रणी शस्क्त बनने के तलए भारत क़ो वैतिक सुरक्षा क़ो खतरे में डालने वाले सोंघर्षष पर
स्पष्ट रुख अपनाना ह़ोगा।
दू र रहने के बावजूद, भारत ने राज़्ोों की सों प्रभुता और क्षेत्रीय अखोंडता के सम्मान के सों दभष में सोंयुक्त राष्टर चाटष र और अोंतराष ष्टरीय
कानून में अपने सैद्ाों ततक तविास क़ो उजागर तकया।
• वैकश्वक शासन और संथथाऩों में अकवश्वास: युद् क़ो तनयोंतत्रत करने में सों युक्त राष्टर की तवफलता पर प्रकाश डाला गया और
डब्ल्यूबी, आईएमएफ और डब्ल्यूटीओ जैसी सोंस्थाएों रूस क़ो ऱोक नहीों सकीों।
• अत्यकधक मानवीय पीडा: यूक्रेन में रूस के युद् ने "अत्यतधक मानवीय पीडा" उत्पन्न की है , लेतकन यह वैतिक व्यापार क़ो भी
नुकसान पहुों चा रहा है , तवि व्यापार सोंगठन (डब्ल्यूटीओ) ने ऐसी चेतावनी दी है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• सम्पूणक कवश्व में ऊजाक संकट: ऊजाष सोंकट यूऱोप में जनवरी और माचष के बीच प्राकृततक गैस की कीमतें 45% बढ़कर 41
डॉलर प्रतत तमतलयन तितटश थमषल यूतनट (बीटीयू) ह़ो गईों - ज़ो उष्म अवयव का एक मापक है ।
• यूक्रेन-रूस खाद्यान्न के प्रमुख कनयाक तक हैं : यू क्रेन-रूस क्षेत्र गेहों के लगभग 30% वैतिक तनयाष त और 65% सू रजमुखी के
तलए तजम्मेदार है , ऐसे सोंदभष में जहाों ये बाजार तेजी से तोंग और परस्पर सम्बद् हैं - इसतलए आपूततष में थ़ोडा व्यवधान, कीमत
पर कुछ प्रभाव डालता है ,"
• सोंभातवत परमाणु सोंकट.
• वैतिक स्तर पर हतथयारीकरण।
• भारत के कलए कनकहताथक:
• आकथकक: मूडीज ने स़ोमवार क़ो कहा तक रूस-यूक्रेन सों कट के और बढ़ने से कम़ोतडटी की ऊोंची कीमत़ोों और आपूततष श्रृोंखला
में व्यवधान के कारण लगभग 42% रे टे ड भारतीय कोंपतनय़ोों क़ो महत्वपूणष ज़ोस्खम का सामना करना पड सकता है । वे मुख्य
रूप से तेल और गैस और ऑट़ोम़ोतटव उद्य़ोग़ोों में हैं ।
• सुरिा:
o साइबर सुरिा: यूक्रेन के बाहर फैल रही रूस की साइबर आक्रामकता भारत सतहत दे श़ोों में साइबर सुरक्षा तवशेर्षज्ञ़ोों की
नवीनतम तचोंता है ।
o खाद्य सुरिा: आपूततष श्रृोंखला में व्यवधान के कारण खाद्य सुरक्षा जैसे गेहों की कमी और ऊजाष सुरक्षा चुनौततयाँ उत्पन्न ह़ो
सकती हैं ।
• भूराजनीकतक:
o भारत पर अंतराकष्ट्रीय दबाव: अमेररका और पतिमी दे श भारत पर दबाव बढ़ा सकते हैं । वे तकसी भी सहय़ोग क़ो ऱोकने
के तलए रूस और उसके सहय़ोतगय़ोों के स्खलाफ प्रततबोंध नीतत का उपय़ोग कर सकते हैं ।
o चीन इस शून्य का लाभ उठा सकता है : चीन मध्य एतशया में अपनी उपस्स्थतत क़ो बढाने के तलए रूस द्वारा तनतमषत तकए
गए शू न्य का लाभ उठा सकता है । साथ ही, रूस पर प्रततबों ध लागू ह़ोने पर चीन रूसी हतथयार उपभ़ोक्ता दे श क़ो हतथयाऱोों
की तबक्री बढ़ाएगा।
o पकिम बनाम रूस के बीच संतुलन बनाने में चुनौकतयााँ: एक सोंतुलनकारी दृतष्टक़ोण अपनाना।
आगे की राह:
• सहय़ोग के नए िेत्र: भारत और रूस क़ो 20वीों सदी की साझेदारी क़ो रूपाों तररत करने और इसे 21वीों सदी के तलए उपयु क्त
बनाने की आवश्यकता है । ऊजाष और रक्षा के अलावा, द़ोऩोों दे श़ोों क़ो व्यापार, कनेस्ितवटी आतद जैसे सहय़ोग के नए क्षेत्ऱोों क़ो
ख़ोजने की जरूरत है । भारत और यू रेतशयन इक़ोनॉतमक यूतनयन के बीच एफटीए के तनमाष ण से भारत-रूस के साथ व्यापार में
भी आसानी ह़ो सकती है ।
• चीन क़ो संतुकलत करना: रूस भी मध्य एतशया की अपनी पररतध में बढ़ते चीनी प्रभाव से आशोंतकत है , एक उभरती हुई वैतिक
शस्क्त ह़ोने के नाते भारत चीनी प्रभाव क़ो तनयोंतत्रत करने में मदद कर सकता है । इसके तलए द़ोऩोों दे श़ोों क़ो एससीओ मोंच के
माध्यम से तमलकर काम करने की जरूरत है ।
• आकककटक राजनीकत: भारत रूस के सुदूर पूवष क्षेत्र में जापान और दतक्षण क़ोररया जैसे दे श़ोों के साथ काम कर सकता है और
आकषतटक राजनीतत में चीनी प्रभाव क़ो तनयों तत्रत कर सकता है , तजसकी इच्छा रूस भी रखता है ।
• कनेस्िकवटी: भारत अफगातनस्तान और मध्य एतशया तक पहुों च सुतनतित करने के तलए चाबहार पररय़ोजना में रूसी भागीदारी
की सोंभावना भी तलाश सकता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• बहुध्रुवीय कवश्व व्यवथथा में साझा कहत: बहुध्रुवीय तवि व्यवस्था में द़ोऩोों दे श़ोों का साझा तहत है । द़ोऩोों वैतिक मोंच़ोों पर समान
तवचारधारा वाले दे श़ोों की मदद से अमेररका और चीन के बीच नए शीत युद् से बचने के तलए काम कर सकते हैं ।
• अमेररका-रूस तनाव क़ो कम करने के कलए मध्यथथ: एक महान शस्क्त ह़ोने के नाते भारत तनतित रूप से शाों ततपूणष वैतिक
व्यवस्था क़ो बढ़ावा दे ने के तलए रूस और अमेररका द़ोऩोों क़ो सोंतुतलत करे गा। भारत अमेररका और रूस द़ोऩोों के साथ अपने
मधुर सों बोंध़ोों का लाभ उठाकर द़ोऩोों दे श़ोों के बीच "शीत शाों तत" सुतनतित करने में मदद कर सकता है । भारत ईरान के परमाणु
सोंकट, इों ड़ो-पै तसतफक भू -राजनीतत, यूक्रेनी उपद्रव या अफगान गततऱोध जैसे महत्वपू णष मुद्द़ोों पर शाों तत स्थातपत करने में भी
मदद कर सकता है ।
• 2+2 संवाद: भारत और रूस ने द़ोऩोों दे श़ोों की रणनीततक साझेदारी क़ो गतत दे ने के तलए सोंयुक्त राज् अमेररका के साथ 2+2
सोंवाद की तजष पर सोंवाद स्थातपत करने का तनणषय तलया है ।
कनष्कषक
• प्रचुर प्राकृततक सोंसाधऩोों और वैज्ञातनक और तकनीकी प्रभु त्व के इततहास के साथ, रूस तवि की महान शस्क्तय़ोों में से एक के
रूप में अपनी स्स्थतत बनाए रखता है । चीन के प्रतत रूस के झुकाव क़ो कम करने के तलए, भारत क़ो आतथषक साझेदारी में
सुधार के कदम़ोों क़ो प्राथतमकता दे नी चातहए और भतवष्य की स्पष्ट कायषय़ोजना तवकतसत करनी चातहए। एक उभरती हुई शस्क्त
के साथ लोंबे समय से चली आ रही साझेदारी क़ो खतरे में डालने से बचने के तलए, भारतीय तचोंताओों क़ो भी ध्यान में रखने से
रूस क़ो लाभ ह़ोगा।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
13. भारत-चीन
पररचय
• चीन भारत का सबसे बडा पड़ोसी दे श है और एक प्रमु ख व्यापार भागीदार, रणनीततक उद्य़ोग़ोों में महत्वपूणष सामतग्रय़ोों का
आपूततषकताष और जलवायु पररवतषन में भागीदार है । हालाँ तक, यह भारत की वैतिक आकाों क्षाओों का एक प्रबल प्रततस्पधी भी है ।
चीन के साथ सोंबोंध तशखर (पों चशील) और गतष (ड़ोकलाम गततऱोध, गलवान घाटी सोंघर्षष) द़ोऩोों में भारत की तवदे श नीतत के केंद्र
में रहे हैं । इसतलए चीन क़ो भारत की सबसे सशक्त तवदे श नीतत पररवतषऩोों में से एक माना जाता है ।
मत एवं दृकष्ट्क़ोण
• "भारत ने अपनी सीमा के पार एक भी सैतनक भेजे तबना 20 शतास्ब्दय़ोों तक साों स्कृततक रूप से चीन पर तवजय प्राप्त की
और उस पर प्रभुत्व बनाए रखा।"-हू कशह
• "चीन, भारत की तवदे श नीतत की सबसे बडी चुनौती है " - शकश थरूर
• भारत-चीन सों बोंध 'इों च से मील की ओर' की यात्रा है । INCH 'भारत-चीन' है , जबतक MILES 'तमलेतनयम ऑफ एक्सेप्शनल
तसनजी' है । -पीएम म़ोदी
भारत-चीन आकथक क सं बं ध
• 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार कुल 125.6 तबतलयन डॉलर तक पहुों च गया। यह पहली बार था जब क़ोई टर े डमाकष
100 तबतलयन डॉलर के आों कडे क़ो पार कर गया। चीन से भारत का आयात कुल $97.5 तबतलयन था, जबतक तनयाष त कुल
$28.1 तबतलयन था, द़ोऩोों ही ररकॉडष थे।
भारत के आयात का कारण क्ा है ?
• भारत का सबसे बडा आयात:
o तवद् युत और याों तत्रक मशीनरी।
o उद्य़ोग़ोों द्वारा उपय़ोग तकए जाने वाले तवतभन्न प्रकार के
मध्यवती आयात।
o सतक्रय फामाष स्युतटकल सामग्री
o ऑट़ो घटक
o बडी सोंख्या में तचतकत्सा आपूततष (2020 से)
• चीन क़ो भारतीय कनयाकत में वृस्द्ध: तपछले द़ो वर्षों में , चीन क़ो भारतीय तनयाष त में 50% से अतधक की वृस्द् हुई है । इनमें से
अतधकाों श तैयार माल के बजाय अतनतमषत वस्तुएों हैं , जैसे अयस्क, कपास और समुद्री भ़ोजन।
• आकथकक संबंध़ों में भारत का समग्र रुख: तपछले द़ो वर्षों में आतथषक सोंबोंध़ोों में काफी पररवतषन आया है , नई तदल्ली का सोंदेश
है तक सीमा पर तनाव रहते हुए सब कुछ सामान्य रूप से नहीों चल सकता।
o कडे प्रततबोंध़ोों के कारण तपछले वर्षष चीनी तनवेश में तगरावट आई है ।
o प्रौद्य़ोतगकी और दू रसोंचार में स्टाटष -अप में चीनी तनवेश रुक गया है ।
o 200 ऐप्स प्रततबोंतधत रहें गे, और चीनी कोंपतनय़ोों क़ो 5G परीक्षण़ोों में भाग लेने से ऱोक तदया गया है ।
o भारत ने भी चीनी कोंपतनय़ोों की जाों च बढ़ा दी है , Xiaomi जैसी कोंपतनय़ोों पर कर जाों च की जा रही है ।
o नई तदल्ली आयात तनभषरता क़ो कम करने के तलए एक दीघषकातलक य़ोजना पर तवचार कर रही है , तजसमें भारत क़ो वैतिक
आपूततषकताष बनने और आयात तबल कम करने में मदद करने के तलए 12 क्षेत्ऱोों की पहचान की गई है ।
o भारत-चीन के शेर्ष आतथषक सों बोंध अभी भी स्स्थर स्स्थतत में हैं क्य़ोोंतक सीमा तनाव क़ो हल करने के तलए वाताष जारी है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
आगे की राह:
• चीनी वस्तुओ ं के थथान पर थथानीय वस्तुओ ं का उपय़ोग करना: चीन से आयाततत वस्तुओों के स्थान पर स्थानीय रूप से
तनतमषत उत्पाद़ोों का उपय़ोग करना।
• चीनी उत्पाद़ों पर कनभकरता कम करना: भारत क़ो चीनी आयात का अध्ययन करना चातहए और चीनी उत्पाद़ोों पर अपनी
तनभषरता कम करने के तलए एक रणनीतत स्थातपत करनी चातहए।
• आपूकतक श्रृंखलाओं में कवकवधता लाना: आयात के स्ऱोत दे श़ोों जैसे लैतटन अमेररका, ऑस्टर े तलया, ताइवान, जापान आतद में
तवतवधता लाना। आपूकतक श्रृंखला प्रकतऱोधी पहल उस तदशा में अच्छा कदम है ।
अकभसरण:
• अंतराकष्ट्रीय सहय़ोग संगठन: द़ोऩोों शोंघाई सहय़ोग सोंगठन, पूवी एतशया तशखर सम्मेलन, आरआईसी (रूस भारत चीन समूह),
तिक्स और जी-2के सदस्य हैं ।
• व्यापार: चीन भारत के शीर्षष 2 व्यापार भागीदाऱोों में से एक है और एतशया में सबसे बडा है । तद्वपक्षीय व्यापार 80 अरब डॉलर
से अतधक का है ।
• नई आकथकक व्यवथथा में सुधार: तवि बैंक और आईएमएफ द़ोऩोों ही सुधाऱोों का समथष न करते हैं ।
• डब्ल्यूटीओ सुधार का समथकन करना: और तनयम-आधाररत बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था क़ो मजबूत करना
• जलवायु पररवतकन: द़ोऩोों सामान्य लेतकन तवभेतदत तजम्मेदाररय़ोों के तसद्ाों त का समथषन करते हैं
• कवत्तीय तंत्र: भारत और चीन एआईआईबी और एनडीबी में प्रमु ख तहतधारक हैं
• ऊजाक सुरिा: एतशयाई प्रीतमयम के तवरुद्
o आतंकवाद से लडने में सहय़ोग: चूँतक द़ोऩोों दे श़ोों क़ो चरमपोंथी सोंगठऩोों से ख़तरा है । SCO RATS इसका प्रमुख उदाहरण
है ।
• सतत कवकास लक्ष्य
• अफगाकनस्तान में अपने कवकास कायकक्रम़ों में समन्वय: द़ोऩोों दे श अफगाकनस्तान में स्वास्थ्य, तशक्षा और खाद्य सुरक्षा के
क्षेत्ऱोों में अपने तवकास कायषक्रम़ोों में समन्वय करने पर सहमत हुए।
कवचलन:
• सीमा मुद्दे: भारत-चीन सीमा अक्साई तचन, लद्दाख, अरुणाचल और ड़ोकलाम में अस्स्थर है । गलवान घाटी में हातलया सैन्य
झडप क़ो व्यापक रूप से इसके तलए तजम्मेदार ठहराया जाता है ।
• भू-राजनीकतक संघषक: द़ोऩोों एतशया और तवि में प्रभु त्व के तलए भू -राजनीततक सोंघर्षष में रत हैं
• चीन ने यूएनएससी सुधार का कवऱोध ककया: तवशेर्ष रूप से भारत के तलए स्थायी सीट की माों ग का तवऱोध तकया
• पाककस्तान क़ो चीनी समथकन: कश्मीर, आतोंकवाद, हातफ़ज सईद के मामले में।
• भारी व्यापार असंतुलन: भारत का चीन के साथ सवाष तधक व्यापार असोंतुलन है ।
• एनएसजी समूह में प्रवेश का कवऱोध: चीन भारत की एनएसजी में प्रवे श का तवऱोध करता है
• बीआरआई और सीपीईसी: भारत क़ो पातकस्तान अतधकृत कश्मीर, तजस पर भारत दावा करता है , से ह़ोकर जाने वाली इस
पररय़ोजना पर तचोंता है , इसके अलावा चीन दतक्षण एतशया और अफ्रीका में अपनी हाडष और सॉफ्ट पॉवर का तवस्तार करना
चाहता है , यह इसे भारतीय तहत़ोों (भारत की क्षेत्रीय अखोंडता का उल्लोंघन) के साथ टकराव में डाल रहा है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• दकिण एकशया में आक्रामकता: चीन ने भारी तनवेश तकया है और लगभग सभी दतक्षण एतशयाई दे श़ोों के साथ रणनीततक-सै न्य
सहय़ोग में लगा हुआ है । यह अपने रणनीततक तहत़ोों की पूततष सुतनतित करने के तलए ऋण जाल कूटनीतत और नव-उपतनवेशवाद
में सोंलग्न है ।
• जल सहय़ोग: चीन ने िह्मपु त्र नदी में जल प्रवाह सोंबोंधी डे टा साझा करने से इनकार कर तदया। िह्मपुत्र में आगे चीन के
आक्रामक बाों ध-तनमाष ण कायों का भारत के उत्तर-पूवष पर गोंभीर पररणाम ह़ो सकता हैं ।
• दलाई लामा: ततब्बत के धातमष क प्रमुख दलाई लामा क़ो भारत की ओर से शरण तदए जाने का चीन तवऱोध करता है ।
• चीनी आक्रामकता: तहों द महासागर क्षेत्र और पूवी चीन सागर में।
• कश्मीर मुद्दे पर चीन का हस्तिेप: चीन ने अनुच्छेद 370 पर भारत के कदम क़ो यथास्स्थतत बदलने वाला बताया है जबतक
भारत इसे आों तररक मामला बताता है ।
भारत-चीन सहय़ोग
• वुहान सवकसम्मकत (2003): यह माना गया तक भारत और चीन द़ोऩोों दु तनया में स्स्थरता के कारक हैं । उऩ्ोोंने असहमतत क़ो
तववाद नहीों बनने दे ने का सोंकि तलया।
• सीमा समझौते:
o 1993 सीमा शाों तत और प्रशाों तत समझौता।
o 1996 में एलएसी पर सै न्य तविास-तनमाष ण उपाय़ोों पर समझौता।
o एलएसी पर सै न्य क्षे त्र में तविास-तनमाष ण उपाय़ोों क़ो लागू करने के तौर-तरीके, 2005।
o भारत-चीन सीमा मामल़ोों पर परामशष और समन्वय के तलए एक कायष तों त्र स्थातपत करने के तलए 2012 में समझौता।
o 2013 सीमा रक्षा सहय़ोग समझौता।
• 2020 क़ो भारत-चीन साों स्कृततक और ल़ोग़ोों के बीच आदान-प्रदान के वर्षष के रूप में नातमत तकया गया था।
कनष्कषक
• चीन के प्रधानमोंत्री शी तजनतपोंग ने ममल्लापु रम तशखर सम्मेलन में कहा: "'डरैगन और हाथी नृत्य' की स्स्थतत, चीन और भारत के
तलए एकमात्र सही तवकि है । उसी के अनु रूप, यह महत्वपूणष है तक भारत और चीन द़ोऩोों अपने मतभेद़ोों क़ो सुलझाएों और
वुहान सहमतत में सहमतत के अनुसार एतशयाई सदी की शुरूआत के तलए सहय़ोग करें ।
भारत-चीन सीमा कववाद
मैकम़ोहन रे खा भारत और चीन के बीच 3,488 तकमी लोंबी सीमा है । 1913 में, तितटश-भारत सरकार ने एक तत्रपक्षीय सम्मेलन
आय़ोतजत तकया तजसमें भारत और ततब्बत के बीच की सीमा क़ो औपचाररक रूप तदया गया। 1957 में, चीन ने अक्साई तचन पर
कब्जा कर तलया और उससे ह़ोकर एक सडक का तनमाष ण तकया, तजससे सीमा पर तछटपुट झडपें हुईों, ज़ो 1962 के सीमा युद्
में पररणत हुईों। वास्ततवक तनयोंत्रण रे खा (LAC) एक सै न्य-आतधपत्य वाली रे खा है , तजस पर चीन द्वारा तववाद है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• किपिीय तनाव:
o बीआरआई और सीपीईसी कचंताएाँ : भारत ने चीन की बेल्ट एों ड ऱोड इतनतशएतटव (बीआरआई) और चीन-पातकस्तान
आतथषक गतलयारे (सीपीईसी) की आल़ोचना की है । चीन भारत के तगलतगत-बास्ल्टस्तान के दावे क़ो सीपीईसी के तलए खतरा
मानता है ।
• चीन की आं तररक गकतशीलता:
o क़ोकवड-19 महामारी के कारण आं तररक दबाव: चीन के भीतर आों तररक दबाव, ज़ो आों तशक रूप से क़ोतवड-19
महामारी के कारण बढ़ गया है , भी चीनी व्यवहार क़ो प्रभातवत कर रहा है ।
o LAC और दतक्षण चीन सागर में चीनी आक्रामकता दे खी गई है । ह़ो सकता है तक चीनी ने तृत्व ने घरे लू मु द्द़ोों से ध्यान भटकाने
के तलए यह य़ोजना बनाई ह़ो।
• अमेररका के साथ भारत का तालमेल:
o कहं द-प्रशांत िेत्र में अमेररका और भारत के बीच भू -राजनीकतक अकभसरण भी चीन के कवरुद्ध कनदे कशत है ।
o भारत की क्वाड सदस्यता: भारत क्वाड (अमेररका, जापान, ऑस्टर े तलया और भारत) का सदस्य है तजसका तनतित रूप से
चीन तवऱोधी आयाम है ।
o G-7 में प्रवेश का प्रस्ताव: G-7 क़ो पुनः तडजाइन करने का अमेररकी राष्टरपतत का प्रस्ताव, तजसमें भारत शातमल है (तजसे
स्वीकार कर तलया गया है ) ले तकन चीन क़ो बाहर रखा गया है , यह दशाष ता है तक भारत और चीन पु नः तवऱोधी खेमे में हैं ।
o ये सभी कारक, ज़ो दे श की स्माटष शस्क्त में तगरावट की ओर इशारा करते हैं , ने तमलकर चीन क़ो LAC पर आक्रामक
कदम उठाने की अनुमतत दी।
आगे की राह:
• वतषमान पररस्स्थततय़ोों क़ो दे खते हुए, भारत क़ो अपने सों प्रभु तहत़ोों की रक्षा के उद्दे श्य से एक कायष य़ोजना की रणनीतत बनानी
चातहए -
• सैन्य तैयारी: भारत क़ो सीमा पर सडकें बनानी चातहए और बुतनयादी ढाों चे में सुधार करना चातहए और अोंडमान और तनक़ोबार
कमान क़ो मजबूत करना चातहए, ज़ो एतशया की समुद्री रणनीततक जीवन रे खा और दु तनया की सबसे महत्वपूणष समुद्री लेन की
रक्षा करता है ।
• दबाव कबंदु: एक-चीन नीकत के प्रकत चीन की संवेदनशीलता और अन्य कमज़ोररय़ों का उपय़ोग भारत िारा अपना
दृकष्ट्क़ोण बदलने के कलए ककया जा सकता है । इससे चीन क़ो पता चलेगा तक उसके पास तवकि हैं और उसे घबराना नहीों
चातहए।
• भारत क़ो चीन से मुकाबले के तलए LAC से परे दे खना ह़ोगा। भारत का सबसे अच्छा तवकि दतक्षण चीन सागर/तहों द महासागर
क्षेत्र है , जहाों यह पूवी एतशया के समुद्री सोंतुलन क़ो प्रभातवत कर सकता है ।
o चीन व्यापार और ऊजाष आयात के तलए समुद्री मागों पर तनभषर है , तजससे मलक्का जलडमरूमध्य सुभेद्य है ।
• वैकश्वकता: COVID-19 के बाद, भारत क़ो एतशया और अफ्रीका में चीनी तहत़ोों के स्खलाफ वाताष करने के तलए अपने तवकास
भागीदार की प्रस्स्थतत का उपय़ोग करना चातहए।
• गठबंधन बनाना: चीन के बढ़ते प्रभाव का मु काबला करने के तलए, भारत क़ो अन्य दे श़ोों के साथ शस्क्त-सोंतुलन समझौते बनाने
ह़ोोंगे। साकष और दतक्षण एतशयाई आतथषक एकीकरण पररय़ोजना क़ो पुनजीतवत करना आवश्यक है ।
• अमेररका के साथ जुडना: चीन का मुकाबला करने , क्षे त्रीय सोंबोंध बनाने और भारत-प्रशाों त क्षेत्र क़ो पुनसिंतुतलत करने के तलए,
भारत क़ो प्राथतमक रणनीततक भागीदार के रूप में अमेररका के साथ जुडना चातहए।
78
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• दीघककाकलक दृकष्ट्क़ोण अपनाते हुए: तहों द-प्रशाों त और उससे परे भारत का सोंतुलन और शस्क्त का लाभ उठाना इसकी
ल़ोकताों तत्रक साख, अथषव्यवस्था, बहुपक्षीय सोंस्थाऩोों में नेतृत्व की भूतमका और समु द्री भू ग़ोल पर आधाररत है । गलवान घाटी की
घटनाओों क़ो भारत के कई एतशयाई तमत्ऱोों और साझेदाऱोों के तलए चीनी आक्रामकता के तलए स्वयों क़ो तैयार करने के तलए एक
चेतावनी के रूप में काम करना चातहए।
भारत-चीन जल सम्बन्
जलकवज्ञानीय स्थथकत:
• भारत से ह़ोकर बहने वाली पांच प्रमुख नकदय़ों का उद्गम चीन से ह़ोता है ।
o िह्मपुत्र नदी प्रणाली: तसयाों ग (िह्मपुत्र), ल़ोतहत और सुबनतसरी
o कसंधु नदी प्रणाली: तसोंधु और सतलुज
• चीन दकिण एकशया की 7 सबसे बडी नकदय़ों पर ऊपरी तटवती कनयंत्रक है : तजसमें तसोंधु, गोंगा, िह्मपुत्र, इरावदी, सास्िन,
याों ग्तत्जी और मेकाों ग शातमल हैं ।
• कतब्बती पठार एक प्रमुख स्ऱोत के रूप में कायक करता है : ततब्बती पठार से अपवाह दु तनया में एकल स्ऱोत से सबसे बडी
मात्रा में बनता है , और द़ोऩोों दे श़ोों क़ो महत्वपूणष जल तनाव का सामना करना पडता है । भारत में जनसोंख्या 16% है लेतकन
जल सोंसाधन केवल 4% है , जबतक चीन में जनसोंख्या 20% है लेतकन जल सोंसाधन केवल 7% है । द़ोऩोों दे श औद्य़ोतगक और
कृतर्ष क्षेत्र के तदग्गज हैं ।
जल सहय़ोग:
• जल बंटवारे पर क़ोई संथथागत समझौता नही ं: भारत और चीन के बीच जल बोंटवारे पर क़ोई सोंस्थागत समझौता नहीों है ,
लेतकन सीमा पार नतदय़ोों पर चचाष के तलए 2006 में एक तवशेर्षज्ञ स्तर तों त्र (ईएलएम) था। 2018 में, बाढ़ के मौसम और गै र-
बाढ़ के मौसम में िह्मपु त्र नदी के बारे में जल तवज्ञान सोंबोंधी जानकारी साझा करने के तलए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
तकए गए थे। यतद जल पूवष-सहमत स्तर से अतधक ह़ो जाता है त़ो चीन डे टा साझा करने के तलए भी बाध्य है ।
कचंताएं :
• चीन की ऊपरी तटवती स्थथकत क़ो हकथयारबद्ध करने की िमता: चीन के पास ऊपरी तटवती स्स्थतत क़ो हतथयारबद् करने
की क्षमता है , तजससे डाउनस्टर ीम में पनतबजली पररय़ोजनाओों की य़ोजना बनाने की भारत की क्षमता सीतमत ह़ो जाती है । यह
बाों ग्लादे श और पातकस्तान के साथ जल सहय़ोग के मुद्द़ोों से तनपटने की भारत की क्षमता क़ो सीतमत करता है और तसोंधु जल
सोंतध के तहत इसे पूणष आवोंटन का उपय़ोग करने की भारत की य़ोजना चीनी गतततवतधय़ोों से खराब ह़ो सकती है ।
आगे की राह:
• जल सहय़ोग समझौते क़ो अंकतम रूप दे ना: डे टा साझाकरण, बाों ध तनमाष ण और न्यू नतम जल प्रवाह का समाधान करने के
तलए द़ोऩोों दे श़ोों के बीच एक जल सहय़ोग समझौते की आवश्यकता है ।
• एक मागकदशकक के रूप में IWT: प्रतसद् तसोंधु जल सोंतध क़ो द़ो प्रततद्वों द्वी दे श़ोों के बीच जल सहय़ोग के तलए एक मूल्यवान
मागषदशषक के रूप में काम करना चातहए।
• पानी के मुद्दे के राजनीकतकरण से बचना चाकहए: पानी के राजनीततकरण से तकसी भी कीमत पर बचना चातहए।
िह्मपुत्र पर चीन का नया बांध
• चीन मेड़ोग काउों टी (अरुणाचल प्रदे श के पास) में िह्मपु त्र की सहायक नदी यारलुोंग जोंगब़ो पर एक सुपर बाों ध बनाने की
य़ोजना बना रहा है । इसका उद्गम ततब्बती पठार से ह़ोता है ।
• यारलुोंग जोंग्ब़ो बाों ग्लादे श (जमु ना के रूप में) में प्रवेश करने से पहले अरुणाचल प्रदे श (तसयाों ग के रूप में) और असम (िह्मपु त्र
के रूप में) में बहती है ।
79
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• चीन पहले ही यारलुोंग जोंग्ब़ो पर छ़ोटे बाों ध़ोों की एक श्रृोंखला बना चुका है ।
• नया बाों ध दु तनया के सबसे बडे जल तवद् युत बाों ध थ्री गॉजेस बाों ध से तीन गुना बडा प्रस्तातवत है ।
• यह बाों ध 2030 तक उत्सजष न पीक और 2060 तक शुद् शून्य उत्सजषन हातसल करने की चीन की य़ोजना का एक महत्वपूणष
तहस्सा है ।
• भारत के कलए कचंताएाँ :
o गाद की मात्रा में पररवतष न के कारण िह्मपु त्र बेतसन का क्षरण
o पाररस्स्थततक रूप से सोंवेदनशील क्षेत्ऱोों उदा. काजीरों गा राष्टरीय उद्यान में जल स्तर में पररवतषन।
o यह बाों ध भू कोंपीय दृतष्ट से सोंवेदनशील तहमालय क्षेत्र में स्स्थत है तजससे बाों ध के टू टने का खतरा ह़ो सकता है ।
o नदी जल का राजनीततकरण और हतथयारीकरण तजसमें चीन, भारत के साथ तनाव के समय प्राकृततक प्रवाह में बाधा
डाल सकता है ।
कभी भारत का रणनीततक अहाता माना जाने वाला दतक्षण एतशया हाल ही में बढ़ते चीनी प्रभाव का केंद्र बन गया है ।
• पाककस्तान:
o चीन-पातकस्तान सोंबोंध क़ो सदाबहार गठबंधन माना जाता है ।
o चीन ने चीन-पातकस्तान आतथषक गतलयारे (CPEC) के माध्यम से पातकस्तान में भारी तनवेश तकया है ।
o रणनीततक ग्वादर बंदरगाह में भी चीन की बडी तहस्सेदारी है ।
o चीन सोंयुक्त राष्टर और एफएटीएफ में पाककस्तान क़ो राजनकयक समथकन प्रदान करता है ।
• बांग्लादे श:
o चीन, बाों ग्लादे श के तलए रक्षा आयात का सबसे बडा स्ऱोत है
o चीन इसका सबसे बडा व्यापार भागीदार भी है । यह बाों ग्लादे श क़ो 97% से अतधक व्यापाररक वस्तुओों तक शुल्क-मु क्त
पहुों च प्रदान करता है ।
o यह बाों ग्लादे श के दू सरे परमाणु ऊजाष सोंयोंत्र के साथ-साथ 25 ऊजाष पररय़ोजनाओों का तवत्तप़ोर्षण कर रहा है ।
o चीन ने बाों ग्लादे श के पहले सों चार उपग्रह बों गबोंधु-1 के तलए भी तकनीकी सहायता प्रदान की है ।
• श्रीलंका:
o श्रीलोंका बीआरआई के समुद्री घटक का एक प्रमुख तहस्सा है । हों बनट़ोटा बोंदरगाह BRI के तहत सबसे बडी पररय़ोजनाओों
में से एक है ।
o ऋण-जाल कूटनीतत के कारण, चीन ने हों बनट़ोटा बोंदरगाह जैसी रणनीततक पररसोंपतत्तय़ोों पर भी तनयोंत्रण हातसल कर तलया
है । चीन श्रीलोंका के सबसे बडे ऋणदाताओों में से एक है । "द़ो इों जन", 1.4 अरब डॉलर का चीन समतथषत क़ोलोंब़ो में क़ोलोंब़ो
प़ोटष तसटी और द्वीप के दतक्षणी प्राों त में हों बनट़ोटा बोंदरगाह।
o चीन इसके सबसे बडे व्यापार भागीदाऱोों और रक्षा उपकरण़ोों के स्ऱोत में से एक है ।
o तलट्टे और श्रीलों काई सरकार के बीच गृ ह यु द् के बाद चीन ने सोंयुक्त राष्टर मानवातधकार आय़ोग में श्रीलोंका क़ो महत्वपू णष
राजनतयक सहायता प्रदान की है ।
• नेपाल:
o नेपाल तीन गतलयाऱोों- क़ोसी, गोंडक और कणाष ली में BRI के तहमालयी चरण का मेजबान है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o चीन ने बाहरी दु तनया से कनेस्ितवटी के तलए भारत पर अत्यतधक तनभष रता से बचने के तलए ने पाल क़ो 7 भूतम बोंदरगाह़ोों
तक पहुों च प्रदान की है ।
o प़ोखरा हवाई अड्डे , काठमाों डू-लुोंतबनी रे ल तलोंक और ल्हासा तशगात्से रे ल तलोंक जैसी पररय़ोजनाओों में प्रमु ख तनवेश।
o दू सरा सबसे बडा व्यापार भागीदार और एफडीआई का सबसे बडा स्ऱोत।
मालदीव:
o चीन मालदीव के 70% से अतधक ऋण का स्वामी है और उसने माले हवाई अड्डे और तसनामाले तिज जैसे बुतनयादी ढाों चे में
भारी तनवेश तकया है ।
o एक चीनी कंपनी क़ो फेधू कफऩोल्हहू िीप के कलए 5साल का पट्टा कमला है
o मालदीव में नागररक ल़ोकताों तत्रक सरकार की वापसी के साथ, ऋण-जाल और पररय़ोजनाओों की अव्यवहायषता पर तचोंताओों
के कारण कई बडी बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाएों रुक गई हैं या रद्द कर दी गई हैं ।
भारत के कलए कचं ताएाँ :
• भारत की सॉफ्ट पॉवर के ख़त्म ह़ोने का ख़तरा: भारत के तनकटवती पड़ोस में चीन के प्रवेश से उसकी सॉफ्ट पॉवर और क्षेत्र में
प्रमुख स्स्थतत के ख़त्म ह़ोने का ख़तरा है ।
• हमारे पड़ोस में तनरों कुश शासन क़ो चीनी समथषन: पातकस्तान की सेना या मालदीव के तनरों कुश शासन जैसे शत्रुतापू णष शासन
क़ो चीनी समथषन भारत के तहत़ोों के स्खलाफ है ।
भारत-ताइवान
• द़ो भारतीय साों सद पहली बार ताइवानी राष्टर पतत के शपथ ग्रहण में (वचुष अ ली) शातमल हुए। गलवान घाटी में झडप
के बाद इसे ताइवान के प्रतत दृतष्टक़ोण में बदलाव के रूप में दे खा जा रहा है ।
ताइवान के बारे में
• चीन की कम्ुतनस्ट पाटी (सीपीसी) और कुओतमताों ग पाटी 1949 में ताइवान भाग गईों और पीपु ल्स ररपस्िक ऑफ चाइना
की स्थापना की। प्रारों भ में , ताइवान क़ो कई दे श़ोों के द्वारा एक अलग राष्टर के रूप में मान्यता दी गई थी, लेतकन जैसे-जैसे
चीन आगे बढ़ा, कई दे श़ोों ने केवल पीपुल्स ररपस्िक ऑफ चाइना क़ो ही मान्यता दी।
• आज, सोंयुक्त राष्टर के 193 सदस्य़ोों में से 179 सदस्य ताइवान के साथ राजनतयक सोंबोंध नहीों रखते हैं और यह सोंयुक्त राष्टर
और डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीों है ।
• ताइवान आज एतशया की 5वीों सबसे बडी अथषव्यवस्था, सबसे अतधक आबादी वाला राज् और सोंयुक्त राष्टर प्रणाली के बाहर
सबसे बडी अथषव्यवस्था है और तचप तनमाष ण और आईटी हाडष वेयर में एक वैतिक अग्रणी है ।
भारत-ताइवान सं बं ध़ों का इकतहास
• वन चाइना पॉतलसी में कहा गया है तक भारत ताइवान के साथ पू णष राजनतयक सों बों ध नहीों रखता है ।
• शीत यु द् की समास्प्त के बाद, नीतत क़ो तफर से तै यार तकया गया और ताइपे ई , ताइवान में भारत-ताइपे एस़ोतसएशन
की स्थापना के साथ अनौपचाररक सों बों ध स्थातपत तकए गए।
• ताइपे आतथष क और साों स्कृ ततक कें द्र की स्थापना भी 1995 में भारत में ताइवान सरकार के कायाष लय के रूप में की
गई थी। बढ़ते व्यापार और साों स्कृ ततक सों बों ध़ोों के साथ सों बों ध़ोों में सु धार ह़ो रहा है ।
भारत-ताइवान सं बं ध़ों की वतक मान स्थथकत
• व्यापार: ताइवान-भारत तद्वपक्षीय व्यापार 2021 में 7.7 तबतलयन अमेररकी डॉलर के सवषकातलक उच्च स्तर पर पहुों च गया
• कनवेश: फॉक्सकॉन जैसी ताइवानी कोंपतनय़ोों का भारत में बडे पैमाने पर तनवेश है ।
• 2018 में एक तद्वपक्षीय तनवेश समझौते पर भी हस्ताक्षर तकए गए।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• ताइवान के अकभन्न भागीदार के रूप में भारत: रणनीततक रूप से , ताइवान की नई दतक्षण-सीमा नीतत अपने तीसरे चरण में
भारत क़ो एक अतभन्न भागीदार के रूप में मान्यता दे ती है । यह भारत की अपनी एि ईस्ट नीतत के अनुरूप है ।
• साझा मूल्: भारत और ताइवान मानवातधकार, ल़ोकतोंत्र, कानून के शासन आतद जैसे मूल्य़ोों में तविास साझा करते हैं ।
कचं ताएं
• एक चीन नीकत की बाधाएाँ : भारत-ताइवान सोंबोंध एक चीन नीतत की बाधाओों से सीतमत हैं ।
• ताइवान के साथ संबंध़ों में सुधार से चीन नाराज: सोंबोंध़ोों में तकसी भी तीव्र सुधार से चीन की नाराजगी का खतरा है , तजसके
साथ द़ोऩोों दे श़ोों के पयाष प्त आतथषक सोंबोंध हैं ।
• ताइवान के साथ कम व्यापार: ताइवान के साथ व्यापार संबंध अभी भी कम हैं और भारत ताइवान के कुल व्यापार का
लगभग 1% तहस्सा रखता है ।
आगे की राह:
• कवकनमाकण के िेत्र में सहय़ोग: ताइवानी कोंपतनय़ोों क़ो भारत में तवतनमाष ण सुतवधाएों स्थातपत करने के तलए प्ऱोत्सातहत तकया जाना
चातहए। भारत का तवशाल औद्य़ोतगक आधार और सस्ता श्रम, ताइवान की तकनीकी तवशेर्षज्ञता का पू रक ह़ोगा।
• स्वास्थ्य सेवा के िेत्र में सहय़ोग: COVID-19 के प्रतत ताइवान की प्रतततक्रया ने इसे वैतिक प्रशों सा तदलाई है । भारत क़ो
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उससे सहय़ोग लेना चातहए।
• पयकटन क़ो बढावा दे ना: पयष टन, तवशेर्ष रूप से बौद् तवरासत पयषटन आगामी सहय़ोग के तलए एक सों भातवत क्षेत्र है ।
चीन-कतब्बत और भारत
• चीन ने ततब्बत में रणनीततक रूप से महत्वपू णष राजमागष का तनमाष ण पूरा कर तलया है , तजससे भारत में अरुणाचल प्रदे श के साथ
तववातदत सीमा के दू रदराज के इलाक़ोों तक तवस्ताररत पहुों च सोंभव ह़ो जाएगी।
• हाल ही में कुछ चीनी नागररक़ोों ने भारत में दलाई लामा का जन्मतदन मनाये जाने का तवऱोध तकया।
• ततब्बत तवि का सबसे ऊोंचा और सबसे बडा पठार है ज़ो तहमालय के उत्तर में स्स्थत है । यह दलाई लामा का घर है , तजनका
भारत के ल़ोग बहुत सम्मान करते हैं । 20वीों सदी की शुरुआत से ततब्बत या त़ो स्वतोंत्र है या चीन की लचर सोंप्रभु ता के अधीन
है ।
• तितटश काल में, ततब्बत क़ो शाही रूस के स्खलाफ एक बफर माना जाता था और 2वीों शताब्दी की शुरुआत में इसे एक कमज़ोर
स्वतोंत्र राज् माना जाता था। बौद् धमष ततब्बत में भारतीय़ोों द्वारा लाया गया था और यह दलाई लामा का घर है । पीपु ल्स ररपस्िक
ऑफ चाइना के उदय पर, पीपुल्स तलबरे शन आमी ने 1950-51 में ततब्बत पर कब्जा कर तलया, तजसके कारण 14वें दलाई
लामा क़ो भागना पडा और भारत में शरण ले नी पडी।
• पंचशील समझौते या "चीन और भारत के ततब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और सोंपकष पर समझौता (1954)" के बाद, भारत ने
ततब्बत में बाह्य अतधकार छ़ोड तदए।
• तब से ततब्बत के बाहर से स्वायत्तता के तलए शाों ततपूणष आों द़ोलन चल रहा है ।
भारत-कतब्बत संबंध
• भारत ततब्बत पर चीनी दाव़ोों क़ो मान्यता दे ता है ।
• भारत कतब्बती शरणाकथकय़ों क़ो शरण दे ता है : दू सरी ओर, यह लाख़ोों ततब्बती शरणातथषय़ोों और दलाई लामा क़ो भी शरण
प्रदान करता है ।
• कनवाककसत कतब्बती सरकार क़ो भारत की अनौपचाररक सहायता: भारत तनवाष तसत ततब्बती सरकार क़ो भी अनौपचाररक
सहायता प्रदान करता है ज़ो भारत से सोंचातलत ह़ोती है ।
• भारत कशिा और स्वास्थ्य दे खभाल सहायता प्रदान करता है : ततब्बती शरणातथषय़ोों के तलए आजीवन कायष वीजा के साथ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• कतब्बतशास्त्र (कतब्बत़ोलॉजी) में पीजी पाठ्यक्रम: सात भारतीय सोंस्थान ततब्बतशास्त्र (ततब्बत़ोलॉजी) में पीजी पाठ्यक्रम भी
प्रदान करते हैं ।
• कतब्बती ल़ोग़ों के प्रकत भारत की मानवीय व्यवहार की नीकत: भारत की नीतत ने चीनी सरकार क़ो नाराज तकया है ज़ो ततब्बती
आों द़ोलन क़ो एक अलगाववादी प्रवृतत्त के रूप में दे खती है लेतकन भारत के मानवतावादी दृतष्टक़ोण की दु तनया भर में प्रशोंसा
हुई है ।
भारत के कलए चुनौकतयााँ
• कश्मीर में भारत की असुरिा: ततब्बत में मानवातधकाऱोों के उल्लोंघन के सोंबोंध में भारत के रुख क़ो प्रततबोंतधत कर तदया है ।
• चीन भारतीय सीमा तक पहुं चने के कलए बुकनयादी ढांचे का कनमाकण कर रहा है : चीन ने ततब्बत में रणनीततक रूप से
महत्वपूणष सडक का तनमाष ण पूरा कर तलया है , तजससे भारत की अरुणाचल प्रदे श के साथ तववातदत सीमा के पास सु दूरवती
इलाक़ोों तक पहुों च बढ़ गई है ।
• चीन के साथ बढते व्यापार संबंध: और चीन के साथ परस्पर तनभष रता भारत क़ो चीन और ततब्बत के बीच सोंतुलन बनाने के
तलए बाध्य करती है ।
• कनवाककसत कतब्बती सरकार और दलाई लामा के उत्तराकधकारी पर प्रश्न:
o चीन तनवाष तसत सरकार क़ो भारत के समथषन पर सवाल उठाता है ।
o सोंयुक्त राज् अमेररका ने ततब्बती नीतत और समथषन अतधतनयम पाररत तकया: यह औपचाररक रूप से केंद्रीय ततब्बती
प्रशासन (तनवाष तसत ततब्बती सरकार) क़ो ततब्बती ल़ोग़ोों के वैध प्रतततनतध के रूप में मान्यता दे ता है । यह अमेररकी सरकार
क़ो दलाई लामा के उत्तरातधकार में हस्तक्षे प करने वाले चीनी अतधकाररय़ोों पर प्रततबों ध लगाने की अनु मतत दे ता है ।
• ततब्बती बौद् तवद्वाऩोों ने ततब्बत क़ो भारत के समथषन क़ो चीन के स्खलाफ सौदे बाजी का काडष करार तदया है : हाल ही में , कुछ
ततब्बती बौद् तवद्वाऩोों ने ततब्बत क़ो भारत के समथषन क़ो मानवीय तचोंताओों के बजाय चीन के स्खलाफ सौदे बाजी का काडष करार
तदया है ।
आगे की राह:
• भारत क़ो अपने तहत़ोों क़ो सों तुतलत करना ह़ोगा: चीन और ततब्बत के सों बोंध में।
• ततब्बत में चीन द्वारा मानवातधकाऱोों के उल्लों घन क़ो उजागर करना: भारत क़ो ततब्बत के भीतर बौद् समुदाय़ोों क़ो तनशाना बनाने
और मानवातधकाऱोों के उल्लों घन क़ो सही ढों ग से उजागर करने में पतिमी दे श़ोों के साथ शातमल ह़ोना चातहए।
• ततब्बती ल़ोग़ोों क़ो समथषन जारी रखना: इसे दलाई लामा और तनवाष तसत ततब्बती सरकार क़ो भी समथषन प्रदान करना जारी रखना
चातहए।
1. "सोंयुक्त राज् अमेररका चीन के रूप में एक अस्स्तत्वगत खतरे का सामना कर रहा है , ज़ो पूवषवती स़ोतवयत सोंघ की तुलना में
कहीों अतधक चु नौतीपूणष है ।" व्याख्या कीतजए। (2021)
2. नव तत्र-राष्टर साझेदारी AUKUS का उद्दे श्य भारत-प्रशाों त क्षेत्र में चीन की महत्वाकाों क्षाओों का मुकाबला करना है । क्या यह क्षे त्र
में मौजूदा साझेदाररय़ोों क़ो खत्म करने जा रहा है ? वतषमान पररदृश्य में AUKUS की शस्क्त और प्रभाव पर चचाष कीतजए।
(2021)
3. चीन एतशया में सोंभातवत सैन्य शस्क्त का दजाष तवकतसत करने के तलए अपने आतथष क सोंबोंध़ोों और सकारात्मक व्यापार अतधशे र्ष
क़ो उपकरण के रूप में उपय़ोग कर रहा है , इस कथन के प्रकाश में , भारत पर उसके पड़ोसी के रूप में इसके प्रभाव पर
चचाष कीतजए (2017)
83
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
4. दतक्षण चीन सागर के सोंबोंध में , समुद्री क्षेत्रीय तववाद और बढ़ता तनाव पूरे क्षेत्र में नेतवगे शन और उडान की स्वतोंत्रता सु तनतित
करने के तलए समुद्री सुरक्षा की रक्षा करने की आवश्यकता की पुतष्ट करता है । इस सों दभष में भारत और चीन के बीच तद्वपक्षीय
मुद्द़ोों पर चचाष कीतजए। (2014)
5. 'चीन अपने आतथषक सोंबोंध़ोों और सकारात्मक व्यापार अतधशेर्ष का उपय़ोग एतशया में सोंभातवत सैन्य शस्क्त स्स्थतत तवकतसत
करने के तलए उपकरण के रूप में कर रहा है ', इस कथन के प्रकाश में , भारत पर उसके पड़ोसी के रूप में इसके प्रभाव पर
चचाष कीतजए। (2013)
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o भारत की स्वतों त्रता की 75वीों वर्षषगाों ठ मनाने के तलए 'इों तडया-यूके टु गेदर' (तहों दी में 'साथ-साथ') लागू करना।
भूरणनीकतक:
• द़ोऩों चीन के प्रकतस्पधी हैं : भारत और यू ऱोपीय सोंघ द़ोऩोों के तलए, चीन का उदय ऐसी चुनौततयाँ प्रस्तुत करता है तजनका
तवशेर्ष रूप से समाधान करने की आवश्यकता है । पुतषगाली तवदे श मोंत्री ऑगस्ट़ो सैंट़ोस तसिा के अनु सार, भारत एतशया में
यूऱोपीय सोंघ के प्रमुख साझे दाऱोों में से एक है , न तक चीन, तजसे उऩ्ोोंने तवतभन्न प्रकार से "चयनात्मक भागीदार," "प्रकतस्पधी"
और "प्रणालीगत प्रकतिं िी" के रूप में वतणषत तकया है ।
• यूऱोपीय संघ का कनेस्िकवटी कायकक्रम: यूऱोपीय सोंघ ने चीनी बेल्ट ऱोड पहल का मु काबला करने के तलए अपने कनेस्ितवटी
कायषक्रम का अनावरण तकया है , तजसे ग़ोल्डन गेटवे के रूप में जाना जाता है ।
• इं ड़ो-पैकसकफक पर: यूऱोपीय सोंघ ने अपनी इों ड़ो-पैतसतफक नीतत प्रकातशत की है , ज़ो भारत क़ो केंद्र में रखती है । तवदे श
मोंत्रालय में सतचव (पूवष) रीवा गाों गुली दास के अनुसार, "यूऱोप का इों ड़ो-पैतसतफक क़ो अपनाना इस क्षेत्र की बढ़ती मान्यता क़ो
रे खाों तकत करता है और भारत के साथ सहय़ोग के नए अवसर ख़ोलता है ।"
आकथकक सहय़ोग:
• भारत की उन्नकत: यूऱोपीय सोंघ भारत की उन्नतत क़ो बढ़ावा दे ने और उसके साथ समान स्तर पर व्यवहार करने में अपनी रुतच
क़ो स्वीकार करता है , साथ ही यूऱोपीय सोंघ के ऱोजगार सृ जन, तवकास और तनवेश उद्दे श्य़ोों का भी समथषन करता है ।
• व्यापार: 28 दे श़ोों के एक समूह के रूप में यूऱोपीय सोंघ भारत का सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है । जबतक भारत EU का
9वाों सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है । 2018-19 में, तद्वपक्षीय व्यापार कुल $115.6 तबतलयन था, तजसमें $57.17 तबतलयन
का तनयाष त और $58.42 तबतलयन का आयात था।
• भारतीय कंपकनयााँ: भारत में लगभग 6,000 यूऱोपीय कोंपतनयाँ मौजूद हैं , ज़ो प्रत्यक्ष रूप से 1.7 तमतलयन ल़ोग़ोों क़ो ऱोजगार
दे ती हैं और अप्रत्यक्ष रूप से 5 तमतलयन ल़ोग़ोों क़ो ऱोजगार दे ती हैं ।
• एफडीआई: यूऱोपीय सोंघ भारत में सबसे बडा तवदे शी तनवेशक है । अप्रैल 2000-माचष 2020 की अवतध में , यूऱोपीय सोंघ से
भारत में प्रत्यक्ष तवदे शी तनवेश प्रवाह का मूल्य 109.55 तबतलयन अमेररकी डॉलर था।
• भारत और यूऱोपीय संघ ने संयुक्त व्यापार और प्रौद्य़ोकगकी पररषद लॉन्च की: भारत और यूऱोपीय सोंघ ने अों ततः एक
सोंयुक्त व्यापार और प्रौद्य़ोतगकी पररर्षद शु रू करने का तनणषय तलया।
कवकासात्मक साझेदारी:
• भारत-ईयू कवकास सहय़ोग: भारत-ईयू साझेदारी दशक़ोों तक चली है और 1976 से तवकास सहय़ोग में 2 तबतलयन यूऱो की
प्रततबद्ता जताई है । 2014 के बाद से , यह यूऱोपीय तनवे श बैंक से ऋण के माध्यम से दाता-प्राप्तकताष प्रततमान से सहकारी
प्रततमान में बदल गया है ।
• सतत कवकास: भारत और यू ऱोपीय सोंघ स्माटष शहर, स्वच्छ जल और स्वच्छता व जलवायु कारष वाई जैसे सतत तवकास लक्ष्य़ोों
(एसडीजी) क़ो प्राप्त करने के तलए तमलकर काम कर रहे हैं ।
• जलवायु पररवतकन: स्वच्छ ऊजाष और जलवायु पररवतषन साझेदारी, 2017 के ढाों चे के माध्यम से जलवायु पररवतषन से तनपटने
के वैतिक प्रयास़ोों में द़ोऩोों प्रमु ख तहतधारक बन गए हैं ।
कवज्ञान एवं प्रौद्य़ोकगकी सहय़ोग:
• वैज्ञाकनक और तकनीकी सहय़ोग पर समझौता: द़ोऩोों पक्ष़ोों ने अगले पाों च वर्षों (2020-2025) में इस क्षेत्र में अपने सहय़ोग
क़ो मजबूत करने के उद्दे श्य से वैज्ञातनक और तकनीकी सहय़ोग का तवस्तार करने के तलए वैज्ञातनक और तकनीकी सहय़ोग पर
एक समझौता तकया है ।
• ह़ोराइजन 2020: द़ोऩोों ने जलवायु पररवतषन और ध्रुवीय अनुसोंधान से सोंबोंतधत सों युक्त अनुसोंधान पररय़ोजनाएों - 'ह़ोराइजन
2020' शुरू की हैं ।
86
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
रिा एवं सुरिा सहय़ोग:
• साझा उद्दे श्य: यू ऱोपीय सोंघ और भारत सहय़ोग क़ो मजबू त करने और साझा उद्दे श्य़ोों जैसे समु द्री डकैती, आतोंकवाद-तनऱोध -
कट्टरपोंथ तवऱोधी - और साइबर सु रक्षा जैसे साझा उद्दे श्य़ोों पर ठ़ोस पररणाम़ोों की तदशा में काम करने पर सहमत हुए हैं ।
• नया सूचना संलयन केंद्र: नई तदल्ली में तहों द महासागर क्षेत्र (आईएफसी - आईओआर) हाल ही में EU NAVFOR Atalanta's
Maritime Security Centre- हॉनष ऑफ अफ्रीका (MSC - HOA) के साथ सम्बद् हुआ है ।
• आतंकवाद का मुकाबला: भारत और यूऱोपीय सोंघ ने 14वें भारत-यूऱोपीय सोंघ तशखर सम्मेलन में आतोंकवाद का मु काबला
करने के तलए एक घ़ोर्षणा क़ो अपनाया।
• समुद्री डकैती ऱोधी अकभयान: द़ोऩोों पक्ष़ोों ने जून 2021 में अदन की खाडी में भारतीय नौसेना और यू ऱोपीय सोंघ नौसेना बल
(EUNAVFOR) का प्रथम अभ्यास आय़ोतजत तकया। इसका उद्दे श्य समुद्री डकैती ऱोधी अतभयाऩोों में सहय़ोग बढ़ाना और तवि
खाद्य कायषक्रम के चाटष र के तहत तैनात जहाज़ोों की सुरक्षा करना था।
पीपल-टू -पीपल:
• प्रवासन और गकतशीलता: द़ोऩोों पक्ष़ोों ने प्रवासन और गततशीलता के सामान्य एजेंडा (CAMM) पर सों युक्त घ़ोर्षणा पर हस्ताक्षर
तकए हैं ।
संसद, नागररक समाज:
• भारत के साथ सोंबोंध़ोों का पालन करने के तलए 2007 में यू ऱोपीय सोंसद (ईपी) में औपचाररक रूप से भारत के साथ सों बोंध़ोों के
तलए एक प्रतततनतधमोंडल (डी-आईएन) का गठन तकया गया था।
• भारत-ईयू कथंक टैं क किकनंग पहल: भारत-ईयू के तलए मुख्य प्रासोंतगकता के मुद्द़ोों पर तवचाऱोों का आदान-प्रदान।
बहुपिीय मंच:
• द़ोऩों बहुपिीय मंच़ों पर महत्वपूणक कहतधारक हैं : भारत और यूऱोपीय सोंघ बहुपक्षीय वैतिक प्रणाली में महत्वपूणष तहतधारक़ोों
के रूप में उभरे हैं । भारत और यू ऱोपीय सोंघ जलवायु पररवतषन वाताष , जी-20 आतद में भागीदार हैं । यू एनएससी में स्थायी सीट
के तलए भारत के दावे के तलए यूऱोपीय सोंघ का समथषन महत्वपूणष है ।
भारत, यू ऱोपीय सं घ के सं बं ध़ों में मु द्दे
• व्यापार: वतषमान में 2019 में यूऱोपीय सोंघ के कुल माल व्यापार में भारत की तहस्सेदारी केवल 1.9% है , ज़ो चीन (13.8%) से
काफी पीछे है ।
• यूऱोपीय संघ के सदस्य दे श़ों के साथ भारत के किपिीय संबंध कवककसत हुए, लेककन प्रगाढ नही ं हुए: जबतक जमष नी,
फ्राों स और तिटे न जैसे यूऱोपीय सोंघ के सदस्य दे श़ोों के साथ भारत के तद्वपक्षीय सोंबोंध काफी हद तक तवकतसत हुए, लेतकन इससे
समूह के साथ सोंबोंध़ोों में अपेतक्षत प्रगाढ़ता नहीों आई।
• सीएए और अनुच्छेद 370 पर यूऱोपीय संघ: यूऱोपीय सों सद 2019 में जम्मू और कश्मीर की तवशे र्ष स्स्थतत क़ो खत्म करने के
भारत सरकार के फैसले और नागररकता (सों श़ोधन) अतधतनयम द़ोऩोों की आल़ोचना कर रही थी।
• संरिणवाद: यूऱोपीय सोंघ टै ररफ पर भारत के "सोंरक्षणवादी" उपाय़ोों और यूऱोपीय सोंघ के सदस्य दे श़ोों के साथ तद्वपक्षीय तनवेश
सोंतधय़ोों क़ो समाप्त करने की आल़ोचना करता है ।
• यूऱोप में प्रवास-कवऱोधी और अकत-राष्ट्रवादी भावना का उदय: शरणाथी सोंकट और व्यापार सों रक्षणवाद में वृस्द् और
वैिीकरण के स्खलाफ नाराजगी ने यूऱोपीय सोंघ तवऱोधी भावनाओों क़ो मजबूत तकया है जैसा तक िेस्क्सट में हुआ है ।
• ग्रीन पास: डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुम़ोदन के बावजूद, यूऱोपीय सोंघ ने भारतीय क़ोतवशीर्ल् क़ो अपनी अनुम़ोदन सूची से बाहर
करने के तलए "ग्रीन पास" प्रणाली लागू की है ।
87
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• भारत और यूऱोपीय संघ के बीच प्रस्ताकवत एफटीए: 2007 में िुसेल्स और नई तदल्ली में 15 दौर की वाताष के साथ शु रू
हुआ।
• वस्तुओ ं में व्यापार, सेवाएाँ , कनवेश, तकनीकी बाधाएाँ और व्यापार उपचार: इसमें वस्तुओों में व्यापार, सेवाओों में व्यापार,
तनवेश, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएँ , व्यापार उपचार, उत्पतत्त के तनयम, सीमा शु ल्क और
व्यापार सुतवधा, प्रततस्पधाष , व्यापार रक्षा, सरकारी खरीद, तववाद तनपटान, बौस्द्क सोंपदा अतधकार और भौग़ोतलक सों केत, और
सतत तवकास शातमल हैं ।
वाताक में बाधाएं
वस्तुओ ं का व्यापार:
• भारत की कचंताएाँ : यूऱोपीय सोंघ ने वाइन, स्स्पररट, डे यरी और ऑट़ोम़ोबाइल पर टै ररफ कम करने की माों ग की है , लेतकन भारत
ने इस पर तचोंता जताई है तक इससे बाजार में यूऱोपीय आयात की बाढ़ आ सकती है ।
• गैर-टै ररफ बाधाओं क़ो कम करना: भारत ने स्वच्छता और फाइट़ो-स्वच्छता क्षेत्ऱोों में गैर-टै ररफ बाधाओों और यूऱोपीय सों घ
द्वारा लगाए गए तकनीकी बाधाओों क़ो कम करने की भी माों ग की है ।
• कानूनी रूप से बाध्यकारी धाराएं : भारत क़ो यूऱोपीय सों घ में मानवातधकाऱोों, सामातजक और पयाष वरण और श्रम मानक़ोों पर
कानूनी रूप से बाध्यकारी धाराओों क़ो लेकर तचोंता है ।
• बौस्द्धक संपदा:
o अपनी आईपीआर व्यवथथा क़ो मजबूत करना: यूऱोपीय सोंघ क़ो उम्मीद है तक भारत अपनी आईपीआर व्यवस्था क़ो
मजबूत करे गा, तजसका भारत के तवशाल फामाष स्युतटकल और जेनेररक दवा क्षेत्र पर गों भीर प्रभाव पड सकता है ।
o एवर-ग्रीकनंग और कवकशष्ट्ता: भारतीय कानून "पेटेंट की शाितता और परीक्षण डे टा की तवतशष्टता द़ोऩोों पर यह कहते हुए
प्रततबोंध लगाता है तक वे कम कीमत वाली जेनेररक दवाओों और रसायऩोों की तबक्री क़ो खतरे में डालते हैं "। साथ ही, EU
की 'डे टा एक्सिूतसतवटी' की माों ग क़ो भारत ने खाररज कर तदया।
डे टा-सुरकित दे श:
• डे टा सुरकित दे श का दजाक: EU ने भारत क़ो डे टा सुरतक्षत दे श का दजाष नहीों तदया है । इसके तबना, सोंवेदनशील डे टा का प्रवाह
बातधत ह़ो सकता है , तजससे यूऱोपीय सोंघ में भारतीय व्यवसाय़ोों के तलए पररचालन लागत बढ़ सकती है ।
• डे टा-ग़ोपनीयता मानक: हालाँ तक, अपने तनयामक मानदों ड़ोों और डे टा-ग़ोपनीयता मानक़ोों पर यू ऱोपीय सोंघ की तचोंताओों क़ो
दे खते हुए, इसकी अत्यतधक सोंभावना नहीों है तक समू ह इस माों ग पर सहमत ह़ोगा।
• सेवा िेत्र:
• बाजार तक अकधक पहुं च: जहाों भारत ने म़ोड 1 और 4 के तहत यू ऱोपीय बाजार तक अतधक पहुों च की माों ग की है , वहीों ईयू
ने म़ोड 3 के तहत भारतीय अथषव्यवस्था तक अतधक पहुों च की माों ग की है ।
• यूऱोपीय संघ वकक परकमट और वीजा दे ने में ज्यादा प्रकतबद्धता नही ं कदखा सका: चूों तक यह मु ख्य रूप से व्यस्क्तगत यूऱोपीय
सोंघ के सदस्य दे श़ोों की क्षमता में है , इसतलए यूऱोपीय सोंघ ज्ादा प्रततबद्ता नहीों जता सका। इसके अलावा, यूऱोपीय सोंघ के
पास अलग-अलग य़ोग्यताएों और पे शेवर मानक थे। इन द़ोऩोों कारक़ोों ने व्यापार समझौते क़ो भारत के तलए कम आकर्षषक बना
तदया।
• कनवेशक-राज्य कववाद कनपटान तंत्र: एक अन्य तववादास्पद पहलू तनवेशक-राज् तववाद तनपटान तोंत्र है तजसमें यूऱोपीय सोंघ
तवस्तृत प्रावधान चाहता है जबतक भारत इस प्रावधान क़ो स्वीकार करने में अतनच्छु क है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• किपिीय कनवेश संकधयााँ: यू ऱोपीय सोंघ तवशेर्ष रूप से 2016 में मौजूदा तद्वपक्षीय तनवे श सोंतधय़ोों (बीआईटी) क़ो समाप्त करने
के भारत के फैसले से तचोंततत है , तजसने फ्राों स और यूनाइटे ड तकोंगडम जैसे दे श़ोों क़ो 2015 में अतधकृत बीआईटी के एक नए
मॉडल के आधार पर पहले के समझौत़ोों पर पुनः वाताष करने के तलए प्रेररत तकया है ।
• राजनीकतक इच्छाशस्क्त की कमी: व्यापार और तनवेश वाताष के दौरान पैदा हुए मतभे द इतने व्यापक थे तक उच्च स्तर से
राजनीततक दबाव के तबना इन्ें दू र करना सोंभव नहीों था।
आगे की राह:
• द़ोऩों पि़ों से बातचीत: पूरकताओों पर ध्यान केंतद्रत करने के तलए तवतभन्न मतभेद़ोों से परे दे खना चातहए।
• हररत प्रौद्य़ोकगकी और कृकत्रम बुस्द्धमत्ता जैसे िेत्ऱों में अकधक सहय़ोग: भारत और यूऱोपीय सोंघ कम चुनौतीपू णष क्षेत्ऱोों पर
वाताष करके शुरुआत कर सकते हैं और हररत प्रौद्य़ोतगकी और कृतत्रम बुस्द्मत्ता जैसे उभरते क्षेत्ऱोों में गहन सहय़ोग के तलए
प्रयास कर सकते हैं , तजससे चचाष में अतधक सोंतुतलत पररणाम तमल सकते हैं ।
• स्वास्थ्य दे खभाल में सहय़ोग: भारत की फामाष स्युतटकल तवतनमाष ण क्षमताएों यूऱोपीय स्वास्थ्य दे खभाल प्रौद्य़ोतगतकय़ोों तक पहुों च
के साथ साझेदारी बढ़ाने और भागीदाऱोों के बीच नवाचार क़ो बढ़ावा दे ने के तलए नए तवकि प्रदान कर सकती हैं ।
कनष्कषक
• बीटीआईए पर हस्ताक्षर करने से न केवल भारत और यू ऱोपीय सोंघ की वैतिक स्स्थतत क़ो बढ़ावा तमलेगा, बस्ल्क यह हररत
अथषव्यवस्था, सतत तवकास और सोंसाधन दक्षता जैसे तवतभन्न साझा लक्ष्य़ोों पर अपने सोंबोंध़ोों क़ो बेहतर ढों ग से एकीकृत करने का
अवसर भी प्रदान करे गा।
• पारस्पररक रूप से लाभप्रद व्यापार: 2020 के भारत-ईयू तशखर सम्मे ल न में , द़ोऩोों पक्ष़ोों ने सों तु तलत, महत्वाकाों क्षी
और पारस्पररक रूप से लाभप्रद व्यापार और तनवे श समझौत़ोों की तदशा में काम करने की अपनी प्रततबद् ता की
पु तष्ट की। उऩ्ोोंने राजनीततक मागष द शष न प्रदान करने और तनयतमत आधार पर वाताष जारी रखने के तलए मों त्री -स्तरीय
सों वाद का एक नया तों त्र स्थातपत तकया।
• वाताक कफर से शु रू : मई 2021 में ने ताओों की बै ठ क के दौरान, भारत और यू ऱोपीय सों घ ने वाताष पु नः शु रू करने
की घ़ोर्षणा की।
• ईयू - कने स्िकवटी कायक क्र म:
• चीनी बे ि ऱोड पहल का मु काबला करने के कलए ग़ोल्डन गे ट वे कायक क्र म: यू ऱोपीय सों घ ने चीनी बे ल्ट ऱोड पहल
का मु काबला करने के तलए अपने €30तबतलयन ($34तबतलयन) के ग़ोर्ल्न गे ट वे कायष क्र म का अनावरण तकया है ।
• कनवेश जुटाकर वैकश्वक ररकवरी में मदद करना है : कायषक्रम का उद्दे श्य तडतजटल, स्वच्छ ऊजाष और पररवहन नेटवकष में
तनवेश जुटाकर वैतिक ररकवरी क़ो मजबूत करने में मदद करना है , साथ ही तवि भर में स्वास्थ्य, तशक्षा और अनुसोंधान प्रणातलय़ोों
क़ो बढ़ावा दे ना है ।
• कबल्ड बैक बेटर वल्डक (B3W) पहल की शाखा: यह तबर्ल् बैक बेटर वर्ल्ष (B3W) पहल की शाखा है , तजसकी घ़ोर्षणा जून
2021 में सात सबसे समृद् ल़ोकतोंत्ऱोों के समू ह (G-7) द्वारा की गई थी।
• यूऱोप और कवश्व के बीच मजबूत और कटकाऊ संबंध बनाने का लक्ष्य: कायषक्रम का लक्ष्य यूऱोप और तवि के बीच मजबूत
और तटकाऊ सोंबोंध बनाना और एक नया भतवष्य तनतमषत करना है ।
• तवयतनाम और यूऱोपीय सोंघ के बीच एक नया ऐततहातसक मुक्त व्यापार समझौता 1 अगस्त 2020 क़ो लागू हुआ। यह यू ऱोपीय
सोंघ और तकसी भी आतसयान सदस्य राज् के बीच अब तक का सबसे व्यापक समझौता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
यूऱोपीय संघ-कवयतनाम मुक्त व्यापार समझौते के प्रावधान:
• अकधमानी व्यवहार: समझौता वस्तुओों और सेवाओों द़ोऩोों के तलए व्यापक अतधमान्य उपचार, 200 से अतधक उत्पाद़ोों के तलए
भौग़ोतलक सोंकेत़ोों की मान्यता और सु रक्षा, उदार सरकारी खरीद तनयम और अतविास और तवलय के तलए दातयत्व प्रदान करता
है ।
• सतत कवकास: इसमें जलवायु, श्रम और मानवातधकाऱोों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी तनयम़ोों सतहत सतत तवकास प्रावधान भी
शातमल हैं ।
• टै ररफ हटाना: ईयूवीएफटीए का केंद्र तबोंदु यू ऱोपीय सोंघ और तवयतनाम के बीच टै ररफ का लगभग पूणष उन्मूलन है , तजसमें दस
वर्षों के भीतर 99% से अतधक सीमा शुल्क कऱोों में कमी शातमल है । लागू ह़ोने के तु रोंत बाद तवयतनाम क़ो यू ऱोपीय सोंघ के
65% तनयाष त और यूऱोपीय सोंघ क़ो 71% तवयतनामी तनयाष त क़ो शुल्क-मु क्त पहुों च प्रदान की जाएगी।
• सेवा क्षेत्र में , प्रत्येक पक्ष द्वारा दी जाने वाली कई ररयायतें डब्ल्यूटीओ व्यापार-सेवा समझौते के तहत प्रदान की गई ररयायत़ोों से
अतधक हैं , तजनमें पैकेतजोंग सेवाएों , भवन-सफाई सेवाएों , अोंतः तवर्षय अनु सोंधान एवों तवकास सेवाएों और नतसिंग से वाएों शातमल हैं ।
भारत पर प्रभाव:
• यूऱोपीय सोंघ क़ो भारत के जूते, पररधान, समुद्री उत्पाद और फनीचर का कनयाकत सवाककधक प्रकतकूलतः प्रभातवत हुआ है ।
• पररधान क्षेत्र में , भारत क़ो (यूऱोपीय संघ में) 9 प्रकतशत शुल्क का भुगतान करना ह़ोगा, जबतक तवयतनाम क़ोई शुल्क नहीों
दे गा।
• यूऱोपीय संघ भारत पर बीटीआईए क़ो संपन्न करने में तेजी लाने और सरकारी खरीद, श्रम मानक़ों और स्थथरता जै से
मुद्द़ों क़ो शाकमल करने के कलए दबाव डाल सकता है , तजन्ें स्वीकार करना भारत के तलए मुस्िल है ।
• कनवेश के कलए एक लाभप्रद थथान: ईवीएफटीए भारत के बजाय तवयतनाम क़ो, चीन-अमेररका व्यापार युद् के कारण चीन
से बाहर जाने वाले तनवेश के तलए अतधक लाभप्रद स्थान बना दे गा।
आगे की राह:
• कवदे श नीकत: भारत और यूऱोपीय सोंघ के पास बढ़ती वाताष , व्यापार नीततय़ोों के पुनगष ठन और महामारी के बाद के समय में
सहय़ोग के माध्यम से अपने आतथषक सोंबोंध़ोों क़ो रणनीततक साझेदारी में बदलने का अवसर है ।
• सुरिा: रणनीततक प्राथतमकताओों, सुरक्षा मुद्द़ोों, सोंकट प्रबोंधन और शाों तत स्थापना के आदान-प्रदान पर ध्यान केंतद्रत करना।
o सहय़ोग क़ो मजबूत करना: अप्रसार और तनरस्त्रीकरण, समुद्री सुरक्षा, आतोंकवाद-तनऱोध और साइबर सु रक्षा में ।
• व्यापार और कनवेश, व्यवसाय और अथकव्यवथथा:
o कनयाकत िमता: भारत की यू ऱोपीय सोंघ और पतिमी यू ऱोप में $39.9 तबतलयन की अप्रयुक्त तनयाष त क्षमता है , और द़ोऩोों
पक्ष़ोों क़ो भारत में यूऱोपीय सोंघ के तनवेश प्रवाह क़ो बढ़ावा दे ने और सुतवधाजनक बनाने के तलए आईएफएम का उपय़ोग
करने की आवश्यकता है ।
o जलवायु पररवतकन और स्वच्छ ऊजाक:
• स्वच्छ ऊजाक: 2016 तशखर सम्मेलन में सहमत भारत-यू ऱोपीय सोंघ स्वच्छ ऊजाष और जलवायु साझेदारी क़ो मजबू त करना
और एक नया कायष कायषक्रम तैयार कर उसे लागू करें ।
• कम ग्रीनहाउस गैस उत्सजकन: ऊजाष सुरक्षा, इलेस्िर क वाहन चातजिंग बुतनयादी ढाों चे और ऊजाष अनुसोंधान और नवाचार पर
ध्यान केंतद्रत तकया जाना चातहए।
• स्वास्थ्य सेवा: भारत और यू ऱोपीय सोंघ के बीच अनुसोंधान प्रयास़ोों क़ो ज़ोडने से सोंयुक्त उद्यम और बढ़े हुए व्यापार के तलए नए
अवसर पै दा ह़ो सकते हैं ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• डब्ल्यूएचओ क़ो मजबूत करने के कलए सहय़ोग: भारत और यू ऱोपीय सोंघ डब्ल्यू एचओ क़ो मजबूत करने और स्वास्थ्य सोंकट़ोों
से तनपटने के तलए तहतधारक़ोों, तवशेर्षज्ञ़ोों और वैतिक आतथषक सोंस्थाऩोों क़ो एक साथ लाने के तलए सहय़ोग कर सकते हैं ।
कनष्कषक
• सोंकटग्रस्त तवि व्यवस्था पर दू रगामी आतथषक, राजनीततक और रणनीततक प्रभाव के साथ भारत और यूऱोपीय सोंघ के बीच
घतनष्ठ तद्वपक्षीय सोंबोंध हैं । द़ोऩोों पक्ष़ोों क़ो तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों का तवस्तार करने और महत्वपूणष भू -राजनीततक और रणनीततक
अतभसरण क़ो स्वीकार करने के तलए मजबूत राजनीततक इच्छाशस्क्त का उपय़ोग करना चातहए। यू ऱोपीय सोंघ की भारत रणनीतत
क़ो 2018 में अपनाया गया था।
1. 'अमे ररका और यू ऱोपीय दे श़ोों की राजनीतत और अथष व्य वस्था में प्रवासी भारतीय़ोों की तनणाष य क भू तमका है । उदाहरण
सतहत तटप्पणी कीतजए। (2020)
छात्र का ऩोट:
91
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
15. भारत-जापान
प्रस्तावना
• साों स्कृततक आदान-प्रदान और ल़ोकतोंत्र के समान आदशों के कारण भारत-जापान सों बोंध पारों पररक रूप से मजबू त रहे हैं ।
भारत जापानी सहायता का सबसे बडा प्राप्तकताष है और जापानी कोंपतनय़ोों के तलए एक बडा बाजार है । जापान भारत में तनवे श
करने वाली पहली कोंपतनय़ोों में से एक थी।
पृ ष्ठ भू कम
• 1952 में थथाकपत हुए राजनकयक संबंध: भारत और जापान के बीच राजनतयक सोंबोंध 1952 में तद्वतीय तवि युद् के बाद शाों तत
सोंतध पर हस्ताक्षर के साथ स्थातपत हुए थे।
• व्यापक आकथकक साझेदारी: 2011 में, एक व्यापक आतथषक साझेदारी सोंपन्न हुई।
• जापान की दे श सहायता नीकत: 2016 में, जापान ने अपनी दे श सहायता नीतत, आगमन पर वीजा, रसद समझौते और पहल
में सहय़ोग की घ़ोर्षणा की।
• चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के कलए आपूकतक श्रृंखला लचीलापन पहल (एससीआरआई): 2021 में, भारत, जापान
और ऑस्टर े तलया ने भारत-प्रशाों त क्षेत्र में आपूततष श्रृोंखला में चीन के प्रभु त्व का मुकाबला करने के तलए आपू ततष श्रृोंखला लचीलापन
पहल (SUPPLY CHAIN RESILIENCE INITIATIVE-SCRI) शुरू की।
कवशेषज्ञ़ों का मत
• "जब दु तनया के साथ भारत के सोंबोंध़ोों की बात आती है , त़ो जापान एक महत्वपूणष स्थान रखता है । ये सोंबोंध आज से नहीों,
बस्ल्क सतदय़ोों से चले आ रहे हैं । इसकी नीोंव में सद्भाव और एक-दू सरे की सोंस्कृतत के प्रतत सम्मान है ।"- पीएम म़ोदी
• यह क़ोई आियष की बात नहीों ह़ोगी यतद आगामी 10 वर्षों में जापान-भारत सोंबोंध जापान-अमेररका और जापान-चीन सोंबोंध़ोों
से आगे तनकल जाएों । --- तशों ज़ो आबे, टु वाडष ए ब्यू टीफुल कोंटर ी पुस्तक
• जापान और भारत के बीच सोंबोंध़ोों में दु तनया में सबसे बडी सोंभावनाएों हैं ... एक मजबूत जापान से भारत क़ो लाभ ह़ोता है और
एक मजबूत भारत से जापान क़ो लाभ ह़ोता है ।' उऩ्ोोंने कहा, ''मेरा मानना है तक जब तक भारत और जापान के बीच मजबू त
सोंबोंध नहीों ह़ोोंगे तब तक एतशया कभी तवकास नहीों कर सकता। -पीएम म़ोदी
सहय़ोग के िे त्र
• क़ोकवड-19 महामारी: भारत और जापान क़ोतवड-19 के बाद सोंबोंतधत चुनौततय़ोों से तनपटने के तलए तमलकर काम करने पर
सहमत हुए हैं । जापान भारत क़ो 14.8 तमतलयन डॉलर की आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहा है और चतुभुषज पहल ने
भारत-प्रशाों त क्षेत्र में महामारी की स्स्थततय़ोों से तनपटने के तलए एक सोंयुक्त वै क्सीन आपूततष श्रृोंखला बनाने का तनणषय तलया है ।
इं ड़ो-पैकसकफक:
• इं ड़ो-पैकसकफक िेत्र में भू -राजनीकतक कहत: भारत और जापान चीन की तचोंताओों क़ो दू र करने के तलए तपछले समझौत़ोों के
पररणामस्वरूप, इों ड़ो-पैतसतफक क्षेत्र के एों कर के रूप में कायष करते हैं ।
• उभरते चीन का मुकाबला: तवश्लेर्षक़ोों का मानना है तक भारत और जापान के रणनीततक पररदृश्य में चीन की बढ़ती उपस्स्थतत
ने त्वररत तरीके से सहय़ोग बढ़ाने की रणनीतत क़ो तनदे तशत तकया है ।
• कनयम आधाररत व्यवथथा बनाए रखना: इों ड़ो-पैतसतफक के तलए द़ोऩोों दे श़ोों का दृतष्टक़ोण तनयम-आधाररत व्यवस्था पर
आधाररत है ज़ो सोंप्रभुता और क्षेत्रीय अखोंडता का सम्मान करता है ।
o क्वाड समूह: इों ड़ो-पैतसतफ़क में सोंयुक्त राज् अमेररका, भारत, जापान और ऑस्टर े तलया द्वारा रणनीततक सुरक्षा पररदृश्य
प्रदान करना।
o आपूकतक श्रृंखला लचीलापन पहल: यह भारत-प्रशाों त क्षेत्र में स्वतों त्र और न्यायसोंगत आतथषक व्यवस्था सुतनतित करे गी।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• जापान का स्वतंत्र और खुला इं ड़ो-पैकसकफक: यह जापानी प्रधानमोंत्री द्वारा अपनी भारत यात्रा के दौरान दी गई एक अवधारणा
है ।
o तजसका उद्दे श्य जापान क़ो तेजी से बदलती वैतिक और क्षेत्रीय व्यवस्था और चीन और उत्तर क़ोररया के खतऱोों से तनपटने
के तलए तैयार करना है ।
o इसमें एक "स्वतोंत्र और मु क्त" एतशया-प्रशाों त क्षेत्र बनाना शातमल है ज़ो पूवी अफ्रीका, दतक्षण एतशया और दतक्षण पूवष एतशया
के कुछ तहस्स़ोों क़ो पतिमी प्रशाों त महासागर क्षेत्र और जापान से ज़ोडता है ।
कनेस्िकवटी:
• एकशया-अफ्रीका ग्ऱोथ कॉररड़ोर ( AAGC ): AAGC , एतशया-अफ्रीका क्षेत्र में बुतनयादी ढाों चे के तवकास के तलए भारत और
जापान के बीच एक सोंयुक्त सहय़ोग है , तजसमें स्वास्थ्य, कृतर्ष, आपदा प्रबोंधन और कौशल वृस्द् क़ो प्राथतमकता दी जाती है ।
तवजन दस्तावेज के अनुसार, AAGC के चार प्रमुख स्तों भ़ोों में शातमल हैं :
o क्षमता और कौशल सोंवधषन
o गुणवत्तापूणष बुतनयादी ढाँ चा और सोंस्थागत कनेस्ितवटी
o तवकास और सहय़ोग पररय़ोजनाएँ
o ल़ोग़ोों के बीच साझेदारी।
• ब्लू डॉट नेटवकक: सोंयुक्त राज् अमेररका के सीनेटऱोों ने अोंतरराष्टरीय पररय़ोजनाओों के माध्यम से आतथषक तवकास पर प्रभाव
डालने में भारत की सहायता करने के तलए भारत क़ो िू डॉट नेटवकष (बीडीएन) में शातमल ह़ोने के तलए प्ऱोत्सातहत तकया है ।
बीडीएन दु तनया भर में बुतनयादी ढाों चा तवकास पररय़ोजनाओों की जाों च और प्रमाणन के तलए सोंयुक्त राज् अमेररका, जापान
और ऑस्टर े तलया द्वारा स्थातपत एक बहु-तहतधारक कायषक्रम है ।
• बुकनयादी ढांचे का कवकास: पूरे एतशया और अफ्रीका में चीन क़ो जवाब दे ने के तलए द़ोऩोों दे श बुतनयादी ढाों चे में तनवेश कर
रहे हैं ।
o उन्ें अब इन तवतवध तहत़ोों क़ो जमीनी स्तर पर प्रभाव डालने वाले मूतष कायषक्रम़ोों में पररवततषत करने के तलए एक अतधक
कुशल दृतष्टक़ोण ख़ोजना ह़ोगा।
• िेत्रीय स्थथरता के कलए किपिीय संबंध: द़ो दे श़ोों के बीच तद्वपक्षीय सोंबोंध क्षेत्रीय स्स्थरता के तलए प्रमुख महत्व रखते हैं ।
o जब तक भारत और जापान बे हतर सों बोंध स्थातपत नहीों करें गे तब तक एतशया में स्स्थरता प्रदान करना कतठन है ।
• तीसरे दे श़ों में सहय़ोग: श्रीलोंका, बाों ग्लादे श और म्ाों मार क़ो पाइपलाइन, बाों ध, रे ल लाइन, सडक, अस्पताल सोंस्थान आतद के
तलए ऋण और सहायता तमल रही है ।
बहुपिीय मंच़ों पर साझेदारी:
o अंतराकष्ट्रीय सहय़ोग संगठन: भारत और जापान जी4 के माध्यम से सोंयुक्त राष्टर सुरक्षा पररर्षद का तवस्तार करने के तलए
तमलकर काम कर रहे हैं ।
• क्वाड ग्रुकपंग:
QUAD समूह में भारत-जापान: भारत, ऑस्टर े तलया, जापान और अमेररका, और तनयतमत रक्षा सहय़ोग, खुतफया-साझाकरण
और रसद समथषन के तलए आधार स्थातपत तकया है ।
• तनम्नतलस्खत तवर्षय़ोों पर QUAD में भारत-जापान सहय़ोग:
• क़ोई तत्काल सोंघर्षष सोंबोंधी समस्या न ह़ोने के कारण, साझेदारी का दृतष्टक़ोण सकारात्मक बना हुआ है ।
• इों ड़ो-पैतसतफक में तनयम-आधाररत व्यवस्था बनाए रखना।
• चीन के आतथषक और सै न्य उत्थान का प्रततकार करना।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• एक स्वतों त्र और मु क्त इों ड़ो-पै तसतफक के तलए
• जी-2ग्रुकपंग:
o भारत की G2प्रेसीडें सी और जापान की G7 प्रेसीडें सी के बीच सहय़ोग: भारत की G2प्रेसीडें सी और जापान की G7
प्रेसीडें सी का सहय़ोग द़ोऩोों दे श़ोों क़ो "वसुधैव कुटुं बकम," या "एक पृथ्वी, एक पररवार, एक भकवष्य" की तदशा में तवि
की तनयतत क़ो आकार दे ने का अवसर प्रदान करता है ।
o सककु लर इक़ोनॉमी पर किपिीय सहय़ोग: G7/G20 सहय़ोग, LiFE, समुद्री और प्लास्स्टक अपतशष्ट, COP-27 और CBD
15. भारत ने भारत में नई तकनीक लाने में जापान के प्रयास़ोों क़ो स्वीकार तकया और इस बात पर ज़ोर तदया तक भारत
और जापान सकुषलर इक़ोनॉमी, सोंसाधन दक्षता, तनम्न काबषन प्रौद्य़ोतगकी और हररत हाइडऱोजन पर तद्वपक्षीय सहय़ोग क़ो
मजबूत करने का पता लगा सकते हैं ।
o बहुपिीय ढांचे पर सहय़ोग: भारत उदाहरण के तौर पर नेतृत्व करना चाहता है और वैतिक समुदाय क़ो इसका तहस्सा
बनने के तलए आमोंतत्रत करता है । फ़्यूऱोतशकी पारों पररक प्लास्स्टक रै तपों ग पेपर का एक पयाष वरण-अनुकूल तवकि है । द़ोऩोों
दे श सहय़ोग क़ो और बढ़ावा दे ने और बहुपक्षीय ढाों चे में तमलकर काम करने पर सहमत हुए।
पयाकवरण:
• जलवायु पररवतकन: जापान अपनी उन्नत तकनीक और सूचना का उपय़ोग करके भागीदार दे श़ोों के साथ सहय़ोग कर रहा है ।
आकथकक:
• किपिीय व्यापार: 11.87 तबतलयन डॉलर रहा। 2020 में भारत जापान के तलए 18वाों सबसे बडा व्यापाररक भागीदार था और
भारत के तलए जापान 12वाों सबसे बडा व्यापाररक भागीदार था।
• कनवेश सहायता: भारत के कुल एफडीआई प्रवाह में 6.6% के साथ जापान भारतीय अथषव्यवस्था में 5वाों सबसे बडा तनवेशक
है । भारत का 14वाों सबसे बडा आयात भागीदार और भारत का 19वाों सबसे बडा तनयाष त भागीदार। प्रत्यक्ष तवदे शी तनवेश
(एफडीआई) में 2007 से नौ गुना वृस्द् दे खी गई। जापान भारत क़ो आतधकाररक तवकास सहायता (ओडीए) ऋण प्रदान करता
है ।
o प्रमुख आयात: भारत परमाणु ररएिर, तवद् युत मशीनरी, ल़ोहा और इस्पात व काबषतनक रसायऩोों का आयात करता है ।
o प्रमुख कनयाकत: जापान क़ो तनयाष त में खतनज ईोंधन और खतनज तेल, काबष तनक रसायन और प्राकृततक या पररष्कृत म़ोती
शातमल हैं ।
• किपिीय समझौता: व्यापक आतथषक भागीदारी समझौता (सीईपीए) फरवरी 2011 में लागू हुआ। व्यावसातयक गतततवतधय़ोों में
तेजी लाने के अलावा, इस सौदे का उद्दे श्य भारत में 9प्रततशत जापानी तनयाष त, जैसे ऑट़ो पाट्ष स और इलेस्िर क उपकरण़ोों पर
टै ररफ क़ो खत्म करना था।
• व्यापार साझेदारी: जापान के कुल व्यापार में भारत का तहस्सा 2018 में 1.1 प्रततशत था जबतक भारत के व्यापार में जापान
का तहस्सा 2.1 प्रततशत था।
• उत्तर-पूवक कवकास: जापान ने मेघालय राज् में राष्टरीय राजमागष (एनएच) 4क़ो बे हतर बनाने के तलए तनवेश तकया।
• संयुक्त कवदे शी पररय़ोजनाएं : मई 2018 में, द़ोऩोों सोंयुक्त रूप से श्रीलोंका के पहले एलएनजी टतमषनल के तलए क़ोलोंब़ो बोंदरगाह
पर ईस्ट कोंटे नर टतमष नल स्थातपत करने की य़ोजना बना रहे हैं ।
• एकशया अफ्रीका ग्ऱोथ कॉररड़ोर: 2017 में, एतशया अफ्रीका ग्ऱोथ कॉररड़ोर (एएजीसी) - बे ल्ट एों ड ऱोड इतनतशएतटव
(बीआरआई) पररय़ोजना क़ो सोंतुतलत करने के तलए एक प्रयास शुरू हुआ।
रिा:
• सुरिा सहय़ोग: भारत और जापान ने 2008 में हस्ताक्षररत सुरक्षा सहय़ोग पर एक सों युक्त घ़ोर्षणा पर हस्ताक्षर तकए। `इसमें
रक्षा मोंतत्रय़ोों, सैन्य वाताष और नौसेना के बीच बैठक़ोों की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• तकनीकी सहय़ोग: द़ोऩोों पक्ष़ोों ने सैन्य-तकनीकी सहय़ोग (एमटीसी) बनाने के तलए काम तकया ज़ो आपसी तनभषरता क़ो बढ़ाता
है ।
• भारतीय सैन्य बल का आधुकनकीकरण: जापान क़ो अपने यू एस-2 अस्फ़फ़तबयन तवमान और सरयू पनडु स्ब्बय़ोों के माध्यम से
सैन्य क्षमताओों के आधुतनकीकरण में भारत की सहायता करने की उम्मीद है ।
• संयुक्त सैन्य अभ्यास: अभ्यास धमाष गातजषयन 2018 में भारतीय सेना और जापानी ग्राउों ड सेल्फ-तडफेंस फ़ोसेज (JGSDF) क़ो
एक साथ लाया।
o द़ोऩोों दे श़ोों की वायु सेनाएों अभ्यास सहय़ोग-काइतजन के माध्यम से तटीय सुरक्षा करते हुए तशन्यू मैत्री अभ्यास में सोंलग्न हैं ।
o मालाबार नौसैतनक अभ्यास में जापान ने भी भाग तलया।
अंतररि सहय़ोग:
• माचष 2019 में, भारत और जापान ने बाह्य अों तररक्ष में तद्वपक्षीय सहय़ोग बढ़ाने के तलए अपना पहला वाकषकक किपिीय अंतररि
संवाद आय़ोतजत तकया।
• किपिीय साझेदारी:
• शीत युद्ध के बाद के समय में: शीत युद् के समय में द़ोऩोों दे श़ोों ने एक दू सरे से दू री बनाए रखी। इसका कारण था- भारत का
जापान-अमेररका गठबोंधन से दू र ह़ोना, गुटतनरपे क्षता की नीतत।
• स़ोकवयत संघ के पतन के बाद: स़ोतवयत सोंघ के पतन और भुगतान सोंतुलन के गों भीर सोंकट के कारण, भारतीय ने तृत्व जापान
के साथ घतनष्ठ सोंबोंध़ोों का पक्षधर था।
• नई नीकत पहल: 1993 में भारत ने 'पूवष की ओर दे ख़ो नीतत' की घ़ोर्षणा की। जापान के साथ भारत की 'तवशेर्ष रणनीततक और
वैतिक साझेदारी' शीत युद् के बाद के यु ग में एक शानदार रणनीतत है ।
o नवोंबर 2014 में अनावरण की गई 'एि ईस्ट पॉतलसी' तपछली "लुक ईस्ट पॉतलसी" का सुधार है ।
o यह व्यापक एतशया-प्रशाों त क्षे त्र के साथ कई स्तऱोों पर आतथषक, भू-राजनीततक और साों स्कृततक सों पकष बढ़ाने की एक
कूटनीततक पहल है , ज़ो जापान के साथ बेहतर सोंबोंध़ोों के तवकास में सहायता करती है ।
संबंध़ों का उन्नयन: 2014 में द़ोऩोों ने सोंबोंध़ोों क़ो 'तवशेर्ष रणनीततक और वैतिक साझे दारी' तक तवस्ताररत तकया।
• 2+2 व्यवथथा: 2016 में, भारत ने तवदे श और रक्षा मोंत्रालय़ोों के तलए '2 + 2' व्यवस्था शुरू की। तीन साल बाद इसे मोंत्री स्तर
तक बढ़ा तदया गया, ज़ो इसके तवशेर्ष दजे का सोंकेत था।
• क़ोकवड19 महामारी: साझे दारी से COVID-19 महामारी से तनपटने में मदद तमले गी। महामारी की स्स्थतत के तलए भारत,
जापान, ऑस्टर े तलया के बीच आपूततष श्रृोंखला लचीलापन पहल शुरू की गई है ।
• आपू ततष श्रृों ख ला लचीलापन पहल (एससीआरआई)
• इं ड़ो-पैकसकफक दृकष्ट्क़ोण: यह तवतध के शासन और सोंप्रभुता एवों क्षेत्रीय अखोंडता के सम्मान पर आधाररत है , जापान ने इं ड़ो-
पैकसकफक महासागर पहल (आईपीओआई) शुरू की।
o यह एक स्वतोंत्र, मु क्त और समावेशी क्षेत्र सुतनतित करना है तजसमें इों ड़ो-पैतसतफक क्षे त्र के अोंदर और बाहर (इस क्षे त्र में
तहस्सेदारी रखने वाले दे श) द़ोऩोों दे श भाग लेंगे।
समझौते:
• शांकत संकध (1952): यह तद्वतीय तवि युद् के बाद भारत और जापान के बीच हस्ताक्षररत प्रारस्िक सों तधय़ोों में से एक थी और
इसने द़ोऩोों दे श़ोों के बीच पू णष राजनतयक सोंबोंध़ोों क़ो बहाल तकया।
• हवाई सेवा के कलए समझौता (1956): द़ो दे श़ोों के बीच अपनी-अपनी सीमाओों के बीच और उससे परे तवमानन सेवाएों स्थातपत
करने के तलए एक समझौता। पररणामस्वरूप, उऩ्ोोंने इस उद्दे श्य के तलए अपने अलग-अलग प्रतततनतध तनयुक्त तकये ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• द़ोहरे कराधान से बचाव के कलए कन्वेंशन (1960): भारतीय आयकर अतधतनयम, 1922 के तहत लगाए गए आयकर, सुपर
टै क्स और अतधभार के तलए द़ोऩोों दे श़ोों के बीच द़ोहरे कराधान से बचने के तलए।
• परमाणु ऊजाक के शांकतपूणक उपय़ोग में सहय़ोग के कलए समझौता (2017): यह समझौता गैर-सैन्य उपय़ोग के तलए
प्रौद्य़ोतगकी और सामग्री के हस्ताों तरण के तलए एक आवश्यक कानूनी ढाों चा प्रदान करता है ।
• भारतीय कवदे श नीकत रणनीकत: यह रणनीततक स्वायत्तता के तलए व्यापक प्राथतमकता और तीन व्यापक प्राथतमकताओों सुरक्षा,
आतथषक तवकास और प्रस्स्थतत, से प्रेररत है । इसने जापान के सोंबोंध में आगामी सुधार पर महत्वपूणष ऱोक लगा दी क्य़ोोंतक भारत
रणनीततक स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है ।
आकथकक:
• आकथकक कवमशक: जापान का मोंतव्य, यूएस-2 उभयचर तवमाऩोों और सरयू पनडु स्ब्बय़ोों क़ो बेचकर भारत क़ो अपनी सै न्य
क्षमताओों क़ो आधुतनक बनाने में मदद करने का है । प्रौद्य़ोतगकी हस्ताों तरण का भी वादा तकया गया है और भारत में एक सोंयोंत्र
स्थातपत करने का प्रस्ताव तदया है , लेतकन मूल्य तनधाष रण क़ो लेकर द़ोऩोों पक्ष़ोों में मतभे द है ।
• व्यापार कववाद: जापान से लौह और इस्पात आयात पर तववाद में भारत के स्खलाफ हाल ही में तवि व्यापार सोंगठन (डब्ल्यूटीओ)
के फैसले ने नीतत तनमाष ताओों क़ो जापान से लौह और इस्पात आयात पर भारत द्वारा लगाए गए सुरक्षा शुल्क के बारे में तचोंततत
कर तदया है ।
• िेत्रीय व्यापक आकथकक भागीदारी (आरसीईपी): वर्षों की वाताष के बाद, भारत हाल ही में अनसुलझी मुख्य तचोंताओों के कारण
प्रस्तातवत आरसीईपी व्यापार समझौते से बाहर ह़ो गया। जबतक जापानी प्रततष्ठान का मानना है तक चीन का मुकाबला करने के
तलए भारत क़ो इसमें शातमल ह़ोना चातहए।
• चीन के साथ अत्यकधक कनभकरता: बीतजोंग द्वारा जापान की सुभेद्यता का फायदा उठाने या व्यापार में चीन पर तनभषरता और
आतथषक दबाव का सहारा लेने के साथ, जापान क़ो भारत-जापान साझेदारी में पूरी तरह से भाग लेने के तलए अपनी राष्टरीय सुरक्षा
रणनीतत के तहस्से के रूप में अपनी आतथषक सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है ।
ओसाका घ़ोषणा:
• भारत का इनकार: हाल ही में , भारत ने जापान में जी20 सम्मेलन में बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ सीमा पार डे टा प्रवाह क़ो
सुतवधाजनक बनाने के तलए घ़ोतर्षत एक रूपरे खा "ओसाका टर ै क" पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर तदया।
o यह पहल व्यस्क्तगत जानकारी, बौस्द्क सोंपदा और साइबर सु रक्षा के तलए बढ़ी हुई सु रक्षा के साथ डे टा के वैतिक सोंचलन
के तलए तनयम़ोों क़ो मानकीकृत करना चाहती है ।
o जी-20 ओसाका टर ै क पर आतोंकवाद पर भारत की प्राथतमक तचोंता क़ो उतचत प्रमु खता नहीों दी गई और भारत ने इसमें
शातमल ह़ोने से इनकार कर तदया।
इं ड़ो-पैकसकफक:
• कभन्न प्राथकमकता: भारतीय प्रततष्ठान का तहों द महासागर क्षेत्र पर अतधक ध्यान है जबतक जापानी प्रततष्ठान का प्रशाों त महासागर
क्षेत्र पर अतधक ध्यान है , तजससे तभन्न प्राथतमकता की समस्या उत्पन्न ह़ोती है ज़ो समग्र रूप से एक गैर-सुसोंगत रणनीतत की
ओर ले जाती है ।
तीसरे पि के कलए कभन्न कवचार:
• रूस क़ो द़ोऩोों दे श अलग-अलग तरह से ले ते हैं । रूस-यू क्रेन युद् के दौरान मतभेद उभरते नजर आये.
• चीन के साथ जापान अथषशास्त्र क़ो राजनीतत से अलग करना चाहता है जबतक भारत तकसी भी आक्रामकता की स्स्थतत में चीन
के स्खलाफ चौतरफा कारष वाई करता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• जापान सु र िा प्रदाता के रूप में : अमे ररका ने इों ड़ो-पै तसतफक के तलए अपने रणनीततक ढाों चे क़ो अवगीकृ त कर
तदया है , तजसमें वह भारत क़ो क्षे त्र की सु र क्षा के शु द् स्ऱोत के रूप में सों द तभष त करता है , जबतक जापान चीन क़ो
सों तु तलत करने के तलए इों ड़ो-पै तसतफक क्षे त्र का स्स्थरता प्रदाता ह़ो सकता है ।
• चीन क़ो कनयं कत्रत करना: दु तनया के इन तहस्स़ोों में चीन के बढ़ते प्रभाव का मु काबला करने के प्रयास में , भारत
और जापान ने ईरान और अफ्रीका में बु तनयादी ढाों चे का तनमाष ण करने , म्ाों मार और श्रीलों का क़ो महत्वपू णष सहायता
प्रदान करने और दतक्षण पू वष एतशयाई राष्टर आउटरीच नीतत के एक साझे सों घ क़ो तै यार करने के तलए तमलकर काम
तकया है ।
• एि ईस्ट् पॉकलसी: भारत में 'एि ईस्ट पॉतलसी' की घ़ोर्षणा नवों ब र 2014 में की गई थी और यह लु क ईस्ट
पॉतलसी की तपछली नीतत का उन्नयन है तजसे 1991 में घ़ोतर्षत तकया गया था।
o एि ईस्ट की नीतत के तहत, भारत-जापान एि ईस्ट फ़ोरम का उद्दे श्य भारत की एि ईस्ट नीतत और जापान की मु क्त
और खुली इों ड़ो-पैतसतफक रणनीतत के तहत भारत-जापान सहय़ोग के तलए एक मोंच प्रदान करना है ।
• कनवेश और प्रौद्य़ोकगकी: जापान मौजूदा हाई-स्पीड रे लवे पररय़ोजना सतहत बुतनयादी ढाों चे और हररत अथषव्यवस्था में सहायता
करने के तलए ओडीए में सालाना 4 तबतलयन डॉलर प्रदान करता है । भारत जापान के साथ अपनी रणनीततक साझेदारी का लाभ
उठाने में रुतच रखता है ।
o इससे एफडीआई और आधु तनक प्रौद्य़ोतगकी क़ो सुरतक्षत करने में मदद तमलती है और उन बाजाऱोों तक पहुों च का तवस्तार
ह़ोता है ज़ो आरसीईपी और टीपीपी से दू र रहने के कारण ख़ो गए ह़ोोंगे।
• बहुध्रुवीय कवश्व के कलए साझा दृकष्ट्क़ोण: एक मध्य शस्क्त के रूप में , द़ोऩोों सोंयुक्त राज् अमेररका-चीन की एकध्रुवीय या
उभरती हुई तद्वध्रुवीय दु तनया क़ो तवि शाों तत के तलए खतरा मानते हैं जैसा तक शीत युद् के दौरान दे खा गया था।
• उद्दे श्य: भारत और जापान सों युक्त राष्टर सुरक्षा पररर्षद के स्थायी सदस्य बनने के तलए कई पहल़ोों पर सहय़ोग कर रहे हैं ।
• जी-4 दे श: सों युक्त राष्टर सुरक्षा पररर्षद में सुधार जापान और भारत के तलए एक महत्वपूणष मु द्दा है । अन्य G-4 सदस्य़ोों, यानी
भारत, जमषनी और िाजील के साथ तमलकर UNSC सुधार क़ो साकार करने के तलए काम कर रहा है ।
• संयुक्त राष्ट्र सुरिा पररषद का कवस्तार: द़ोऩोों दे श़ोों ने स्थायी और गै र-स्थायी द़ोऩोों श्रेतणय़ोों सतहत सों युक्त राष्टर के शीघ्र सुधार
की तदशा में काम करने का सों कि तलया है ।
• यूएनएससी की वतकमान सदस्यता: चीन, फ्राों स, रूस, तिटे न और अमेररका यूएनएससी के पाों च वीट़ो-प्राप्त स्थायी सदस्य हैं ।
इसमें 1गै र-स्थायी सदस्य भी ह़ोते हैं , तजनमें से पाों च प्रत्येक वर्षष द़ो साल के कायषकाल के तलए चुने जाते हैं ।
• एक मुक्त, कनयम-आधाररत व्यवथथा: साथ तमलकर वे सोंयुक्त राष्टर सु रक्षा पररर्षद में सुधार की माों ग करें गे, ज़ो गहन क्षे त्रीय
आतथषक एकीकरण और कनेस्ितवटी के साथ एक मु क्त, तनयम-आधाररत और सोंतुतलत क्षेत्रीय व्यवस्था ह़ो।
• स्वतंत्रता और समृस्द्ध का आकक: वाताष और आतधकाररक तवकास सहायता (ओडीए) के माध्यम से , जापान दतक्षण पूवष एतशया,
मध्य एतशया और मध्य और पूवी यूऱोप के दे श़ोों के साथ सहय़ोग कर रहा है ज़ो ल़ोकतोंत्र और बाजार अथष व्यवस्थाओों का तवकास
कर रहे हैं ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
जापान-भारत वै कश्वक साझे दारी क़ो मजबू त करने के कलए अष्ट् आयामी पहल
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• अंतराकष्ट्रीय चुनौकतय़ों का प्रत्युत्तर दे ना: आतोंकवाद से उत्पन्न खतरे और इस खतरे का मुकाबला करने के तलए एकजुट ह़ोकर
काम करने वाले अोंतराष ष्टरीय समुदाय के महत्व क़ो पहचानते हुए, जापान और भारत की सरकारें अपने मौजूदा सहय़ोग क़ो और
मजबूत करें गी।
• हाल ही में चीन पर नजर के साथ, भारत, जापान ने आपसी सै न्य रसद समझौते पर हस्ताक्षर तकए
• इसके बारे में : यह समझौता भारत और जापान के सशस्त्र बल़ोों के बीच पारस्पररक रूप से सहमत गतततवतधय़ोों में
घतनष्ठ सहय़ोग के तलए एक रूपरे खा स्थातपत करता है ।
महत्व:
• सै न्य कठकाऩों तक पहुं च: यह उनकी से नाओों क़ो रसद सहायता के तलए एक-दू सरे के तठकाऩोों तक पहुों चने की
अनु म तत दे गा।
• शस्त्र बल पहुं च बढाना: इसके अलावा द़ोऩोों दे श़ोों की से नाओों क़ो आपू ततष की मरम्मत और पु नः पू ततष के तलए एक -
दू सरे के तठकाऩोों और सु तवधाओों का उपय़ोग करने की अनु म तत दे ना।
• वतक मान भू - राजनीकतक स्थथकत में मदद: समझौते पर हस्ताक्षर तब हुए हैं जब चीन के साथ सीमा तववाद चल रहा
है और चीन की बढ़ती आक्रामकता क़ो ले क र क्षे त्र में तचों ताएों बढ़ रही हैं ।
• समान समझौता: जू न 2020 में , भारत और ऑस्टर े तलया ने अपने समग्र रक्षा सहय़ोग क़ो बढ़ाने के तलए एक
म्ू चु अ ल लॉतजस्स्टक्स सप़ोटष एग्रीमें ट (MLSA) पर मु ह र लगाई।
• क्वाड क़ो मजबू त बनाना: नवों ब र 2017 में , भारत, अमे ररका, ऑस्टर े तलया और जापान ने समु द्री मागों क़ो तकसी
भी प्रभाव से मु क्त रखने के तलए एक नई रणनीतत तवकतसत करने के तलए लों बे समय से लों तबत "क्वाड" क़ो रूप
तदया।
जापान-भारत के कवदे श मं कत्रय़ों की रणनीकतक वाताक
• सं द भक : 2+2 वाताष भारत-जापान रणनीततक सों बों ध़ोों क़ो और मजबू त करे गी।
महत्व:
• कनः शु ल्क पहुं च बनाए रखना: इससे "स्वतों त्र और मु क्त इों ड़ो-पै तसतफक" और दु तनया में महत्वपू णष समु द्री तबों दु ओों
पर सहय़ोग करने में मदद तमले गी।
• बहुकबं दु सहय़ोग: समु द्री सु र क्षा, व्यापार और तनवे श , तवतनमाष ण , कौशल तवकास, कने स्ितवटी और बु तनयादी ढाों चे ,
स्वास्थ्य और कल्याण, इों ड़ो-पै तसतफक महासागर पहल (आईपीओआई) और सों यु क्त राष्टर सु धार सतहत वै तिक
भागीदारी और क्षे त्ऱोों पर सहय़ोग।
• िमता कनमाक ण : यह महत्वपू णष सू च ना अवसों र चना, 5G, इों टरने ट ऑफ तथों ग्स (IOT), और आतटष तफतशयल इों टे तलजें स
(AI) के क्षे त्ऱोों में क्षमता तनमाष ण, अनु सों धान और तवकास, सु र क्षा और लचीले प न में सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे गा।
• कनयम-आधाररत व्यवथथा का पालन: इस बात पर चचाष की गई है तक स्वतों त्र , मु क्त और समावे शी तहों द-प्रशाों त
क्षे त्र के तलए तनयम-आधाररत व्यवस्था बनाए रखने के तलए सामू तहक प्रयास आवश्यक हैं ।
जापान भारत क़ो ऋण प्रदान करता है
• चचाक में क़्ों: जापान ने मे टऱो तवस्तार, जल आपू ततष और फसल तवतवधीकरण पररय़ोजनाओों के तवत्तप़ोर्षण के तलए
भारत क़ो 225 तबतलयन ये न का ऋण तदया।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• महत्व:
• बु कनयादी ढां चे का कवकास: जापान तदल्ली और बें ग लु रु में मे टऱो रे ल तवस्तार, तहमाचल प्रदे श में फसल तवतवधीकरण
पररय़ोजना और राजस्थान में ग्रामीण जल आपू ततष के तलए 225 तबतलयन ये न का ऋण प्रदान करे गा।
• िीप कवकास: अों ड मान और तनक़ोबार द्वीप समू ह में तबजली आपू ततष की स्स्थतत में सु धार के तलए अनु दान। यह द्वीप़ोों
के तलए और तबजली आपू ततष में सु धार के तलए अलग से जापान की पहली तवदे शी तवकास सहायता पररय़ोजना है ।
• जलवायु पररवतक न पर काम करना: ऋण से राजस्थान के झुों झु नू और बाडमे र तजल़ोों में फ्ल़ोऱोतसस क़ो कम करने
में मदद तमले गी।
• गैर-सरकारी सहय़ोग: एसबीआई ने जापान बैंक फॉर इों टरनेशनल क़ोऑपरे शन (जेबीआईसी) के साथ एक ऋण समझौते पर
भी हस्ताक्षर तकए।
• महामारी से कनपटना: भारत के तलए जापान के COVID-19 उपाय, 5तबतलयन येन का आपातकालीन सहायता ऋण और
तचतकत्सा उपकरण़ोों के तलए अनुदान सहायता, यह भारत के नीततगत उद्दे श्य़ोों की सहायता के तलए एक "बजट समथषन" है ।
• मेक इन इं कडया क़ो साकार करना: यह मेक इन इों तडया पहल में सहायता करे गा। यह ऋण भारत में जापानी ऑट़ोम़ोबाइल
तनमाष ताओों के सोंपूणष व्यवसाय सोंचालन के तलए धन के सु चारू प्रवाह क़ो बढ़ावा दे ने हे तु है ।
14वां भारत-जापान वाकषक क कशखर सम्मे ल न नई कदल्ली में आय़ोकजत ककया गया
• हाल ही में , जापानी प्रधानमों त्री ने द़ोऩोों दे श़ोों के बीच 14वें भारत-जापान वातर्षष क तशखर सम्मे ल न के तलए भारत का
दौरा तकया।
पररणाम:
• स्वच्छ ऊजाक भागीदारी (सीईपी): सतत आतथष क तवकास प्राप्त करने , जलवायु पररवतष न का समाधान करने और
ऊजाष सु र क्षा सु तनतित करने की तदशा में सहय़ोग के तलए। इसे 2007 में स्थातपत 'भारत-जापान ऊजाष सों वाद' के
तहत आरि तकया गया है ।
• सतत कवकास पहल: उत्तर पू वष क्षे त्र के तलए लॉन्च की गई।
• भारत-जापान कडकजटल साझे दारी: तडतजटल अथष व्य वस्था में सों ल ग्न ह़ोने और IOT, AI आतद में सहय़ोग की दृतष्ट
से ।
• सं यु क्त साख तं त्र (जे सीएम): यह पे ररस समझौते के अनु च्छे द 6 के अनु सार तवकासशील दे श़ोों में तनजी पूों जी प्रवाह
सु तनतित करे गा।
• जापान िारा कनवेश:
o जापान अगले पाों च वर्षों में भारत में 3.2 लाख कऱोड रुपये का तनवेश करे गा।
o 7 JICA (जापान इों टरनेशनल क़ोऑपरे शन एजेंसी) तवतभन्न राज़्ोों में कने क्शन, जल आपूततष और सीवेज, बागवानी, स्वास्थ्य
सेवा और वन्यजीव सोंरक्षण से जुडी पररय़ोजनाओों के तलए अनुदान दे ती है ।
o जापानी कोंपतनय़ोों ने भारत में तवकेिीकृत अपतशष्ट जल उपचार के तलए ज़ोहकासौ प्रौद्य़ोतगकी पे श करने के तलए एक
समझौता तकया है । इसका उपय़ोग उन स्थाऩोों पर तकया जाता है जहाों अभी तक सीवेज बुतनयादी ढाों चे का तनमाष ण नहीों
तकया गया है ।
• जापान, भारी उद्य़ोग पररवतष न क़ो बढ़ावा दे ने के तलए भारतीय-स्वीतडश जलवायु पहल LeadIT में शातमल ह़ोगा।
• साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहय़ोग के ज्ञापन पर हस्ताक्षर तकये गये।
• तीसरे दे श़ोों जै से रूस-यूक्रेन सोंकट, चीन, अफगातनस्तान, उत्तर क़ोररया और म्ाों मार से उभर रहे मुद्द़ोों पर चचाष की। द़ोऩोों
नेताओों ने यूक्रेन में सों कट के शाों ततपूणष समाधान की अपील की.
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• नेताओों ने भारत में 26/11 हमले और पठानक़ोट हमले जैसे आतोंकवादी हमल़ोों की तनोंदा द़ोहराई।
• मुोंबई अहमदाबाद हाई-स्पीड रे ल क़ो आगे बढ़ाया गया।
आगे की राह:
• स्थथर किपिीय व्यापार: प्रतत वर्षष 20 अरब डॉलर की वतषमान आतथषक एकीकरण दर केवल सतही ही है और व्यापार का
सोंतुलन जापान के पक्ष में व्यापक रूप से झुका हुआ है । इसे ऊपर उठाने के प्रयास़ोों के बावजूद यह स्स्थर बना हुआ है ।
• चीन पर कनभकरता कम करना: जापानी सरकार दतक्षण पूवष एतशया में उत्पादन बढ़ाने के तलए 30 कोंपतनय़ोों क़ो 114 तमतलयन
येन का भुगतान कर रही है , लेतकन इस तनणषय क़ो तत्काल लेने की आवश्यकता है ।
• कवकास के गैर-श़ोषणकारी मॉडल के तहत सहय़ोग बढाने की जरूरत है : द़ोऩोों दे श़ोों क़ो पूरे एतशया और अफ्रीका में
बुतनयादी ढाों चे के तवकास के तलए तनवेश और सहय़ोग करने की जरूरत है , अपना प्रभाव बढ़ाना ह़ोगा और तवकास का एक
वैकस्िक मॉडल पेश करना ह़ोगा।
• प्रौद्य़ोकगकी और सैन्य हाडक वेयर हस्तांतरण: भारत और जापान तनयतमत रूप से सोंयुक्त सै न्य अभ्यास करते हैं और लगातार
उच्च स्तरीय सैन्य सोंवाद भी आय़ोतजत करते हैं लेतकन प्रौद्य़ोतगकी और सैन्य हाडष वेयर हस्ताों तरण के प्रयास अभी तक सफल
नहीों हुए हैं ।
• क्वाड की किपिीयता क़ो कम करना: भारत क्वाड के बारे में काफी अस्पष्ट रहा है , तजससे यह आभास ह़ोता है तक इसने अभी
तक यह तय नहीों तकया है तक औपचाररक रूप से इसमें शातमल ह़ोना है या नहीों, तजसे आमतौर पर अतधनायकवादी चीन का
तवऱोध करने वाले ल़ोकतोंत्ऱोों के समूह के रूप में माना जाता है ।
o क्वाड की पूणष क्षमता का उपय़ोग करने के तलए भारत क़ो रणनीततक स्वायत्तता पर अनावश्यक ध्यान तदए तबना इस पहल
में पू री तरह से भाग लेने की आवश्यकता है ।
भारत क़ो पररय़ोजना कायाकन्वयन में तेजी लाने की जरूरत है : चीन की तुलना में तनयामक सहनशीलता और धीमी
प्रशासतनक प्रतक्रया के कारण सोंयुक्त प्रयास मोंद ह़ो रहे हैं । भूतम अतधग्रहण के कारण बु लेट टर े न जैसी पररय़ोजनाओों में दे री ह़ोने
की सोंभावना है , क्य़ोोंतक कुछ तकसाऩोों ने सरकार द्वारा उनकी भूतम के अतधग्रहण पर आपतत्त जताई है ।
• जलवायु पररवतकन के कलए सहय़ोग बढाने की आवश्यकता: द़ोऩोों सरकाऱोों क़ो ऊजाष सुरक्षा, ऊजाष दक्षता, सोंरक्षण और
प्रदू र्षण मु क्त ईोंधन पर अतधक ध्यान सुतनतित करने के साथ, सतत तवकास और पयाष वरण की दृतष्ट से अनुकूल प्रौद्य़ोतगतकय़ोों
सतहत अपने ऊजाष और पयाष वरण सहय़ोग क़ो मजबूत करने की आवश्यकता है ।
• सहय़ोग का कवस्तार: 5जी, पनडु ब्बी केबल, औद्य़ोतगक प्रततस्पधाष त्मकता, आपूततष श्रृोंखला तवतवधीकरण और उत्तर-पूवी राज्
तवकास पहल जैसे क्षेत्ऱोों में सों भातवत सहय़ोग मौजूद है ।
कनष्कषक
• समग्र रूप में , भारत-जापान ने कई महत्वपू णष प्रयास तकए हैं , ज़ो द़ोऩोों दे श़ोों की अपनी सु र क्षा और रणनीततक
सों बों ध़ोों क़ो बे ह तर बनाने की सशक्त इच्छा क़ो प्रदतशष त करते हैं । तपछले दशक में , द़ोऩोों दे श़ोों ने एक मजबू त
रणनीततक सहय़ोग तवकतसत तकया है ।
हालाँ तक, चीन एक कारक ह़ो सकता है , उदाहरण के तलए, सों यु क्त राज् अमे ररका के तवपरीत, तकसी भी ब़ोझ के अभाव
के कारण यह सों बों ध बनाना आसान था। ले तकन अगर भारत और जापान क़ो आतथष क और रक्षा क्षे त्र में चीन क़ो प्रभावी
ढों ग से सों तु तलत करना है त़ो उन्ें एक वृ ह त्तर गठबों ध न बनाने की भी जरूरत है ।
• जापान ने अंतररि में सौर ऊजाक संयंत्र थथाकपत ककया: जापान अोंतररक्ष में सौर ऊजाष सोंयोंत्र स्थातपत करने और ऊजाष क़ो
पृथ्वी पर पु नवाष पसी की प्रततस्पधाष में शातमल ह़ोने वाला नवीनतम दे श है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• कवद् युत् उत्पादन का उद्दे श्य: यूके स्स्थत स्पेस एनजी इतनतशएतटव ने एक ऐसी य़ोजना बनाने का प्रस्ताव रखा, ज़ो पृथ्वी पर
समान आकार की अतधक तवद् युत का उत्पादन करे गी।
• कछटपुट समस्याओं के अभाव का लाभ: इसके अततररक्त, अोंतररक्ष-आधाररत तवद् युत् सोंयोंत्र क़ो तकसी भी तछटपुट समस्या
का सामना नहीों करना पडे गा क्य़ोोंतक अोंतररक्ष में सूयष हमे शा उस पर चमकता रहे गा।
• पररय़ोजना के अन्य कववरण:
o जापान में एक सावषजतनक-तनजी सहय़ोग का उद्दे श्य, हमारी धरती से 36,000 तकल़ोमीटर की ऊोंचाई पर अोंतररक्ष में सौर
पैनल तैनात करने का है ।
o सौर सुतवधा के तवद् युत् क़ो माइक्ऱोवेव तवतकरण में पररवततष त तकया जाएगा और जमीन-आधाररत प्राप्त स्टे शऩोों क़ो भे जा
जाएगा।
o 1980 के दशक से, एक जापानी अनुसोंधान समूह प्रौद्य़ोतगकी पर काम कर रहा है और उसने क्षैततज और ऊर्ध्ाष धर प्रय़ोग
सफलतापूवषक तकए हैं ।
o यूके स्पेस एनजी इतनतशएतटव का लक्ष्य 2035 तक अों तररक्ष में एक प्रदशषक सोंयोंत्र बनाने का है । चीन का लक्ष्य 2028 तक
अोंतररक्ष-आधाररत सौर ऊजाष सुतवधा शुरू करने का है ।
1. समय आ गया है तक भारत और जापान एक मजबूत समसामतयक सोंबोंध स्थातपत करें , तजसमें वैतिक और रणनीततक
साझेदाररयाों शातमल ह़ोों, तजसका एतशया और सिूणष तवि के तलए बहुत महत्व ह़ोगा।' तटप्पणी कीतजए। (2019)
2. भारत और जापान के बीच हाल के वर्षों में बढ़ते आतथषक सोंबोंध अभी भी अपनी क्षमता से काफी कम हैं । उन नीततगत
बाधाओों क़ो स्पष्ट कीतजए ज़ो इस तवकास क़ो बातधत कर रही हैं । (2013)
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
सहय़ोग के िे त्र
• रिा सहय़ोग: भारत और इों ड़ोने तशया रक्षा सहय़ोग क़ो मजबू त करते हैं , तजसमें िह्म़ोस तमसाइल़ोों के सों भातवत
तनयाष त पर चचाष , सों यु क्त अभ्यास करना और चीन के एकलवाद के बीच रणनीततक रूप से सों रे स्खत करना शातमल
है ।
o भारत-इों ड़ोने तशया ने 14-19 मई 2023 तक तद्वपक्षीय अभ्यास समु द्र शस्क्त-23 का आय़ोजन तकया।
• रणनीकतक साझे दारी: 2018 में पीएम म़ोदी की इों ड़ोने तशया यात्रा के दौरान, द़ोऩोों दे श अपनी व्यापक रणनीततक
साझे दारी के तहत सहय़ोग बढ़ाने पर आम सहमतत पर पहुों चे ।
o उनके समझौते में छह प्रमु ख क्षे त्र शातमल थे अथाष त् व्यापार, समु द्री सों साधऩोों का सतत तवकास, आपदा ज़ोस्खम
प्रबों ध न, पयष ट न, समु द्री सों र क्षा और सु र क्षा और तवज्ञान और प्रौद्य़ोतगकी सहय़ोग।
• समु द्री सु र िा: इों ड़ोने तशया का वै तिक समु द्री आधार और भारत का SAGAR दृतष्टक़ोण बों गाल की खाडी से मलक्का
जलडमरूमध्य तक सों चार की महत्वपू णष समु द्री लाइऩोों क़ो तनयों तत्रत करने में रणनीततक रूप से सों रे स्खत है ।
o द़ोऩोों दे श़ोों ने तहों द महासागर के दे श़ोों के साथ नौसै तनक रसद समझौते पर हस्ताक्षर तकए हैं ।
o भारत-इों ड़ोने तशया समु द्री सहय़ोग के साझा दृतष्टक़ोण का उद्दे श्य समु द्री सों साधऩोों क़ो एक साथ तवकतसत करते
हुए अों ड मान और तनक़ोबार द्वीप समू ह और सु मात्रा के बीच कने स्ितवटी क़ो बढ़ाना है ।
व्यापार: इों ड़ोने तशया अब आतसयान में भारत का दू सरा सबसे बडा व्यापाररक भागीदार है , तद्वपक्षीय व्यापार 2007 में 6.9 तबतलयन
अमेररकी डॉलर से बढ़कर 2021 में 21.01 तबतलयन अमेररकी डॉलर ह़ो गया है ।
o अप्रैल-नवोंबर 2022 के दौरान इों ड़ोनेतशया क़ो भारत का तनयाष त 6.7 तबतलयन अमेररकी डॉलर रहा।
o भारत इों ड़ोनेतशया से क़ोयला और कच्चे पाम तेल का दू सरा सबसे बडा खरीदार है और खतनज, रबर, लुगदी और कागज
और हाइडर ़ोकाबषन भोंडार का आयात करता है ।
• आतंकवाद: नई तदल्ली और जकाताष ने द़ोऩोों दे श़ोों के तलए खतरा बने आतोंकी समूह़ोों से तनपटने के तलए पारस्पररक कानूनी
सहायता सोंतध और प्रत्यपषण इों स्टूमेंट की व्यवस्था भी की है ।
• कनेस्िकवटी: सबाों ग बोंदरगाह क़ो पड़ोसी और रणनीततक साझेदार इों ड़ोनेतशया के साथ साझेदारी में तवकतसत तकया जा रहा
है । यह मलक्का जलडमरूमध्य के करीब है ।
o अोंडमान-आचे तलोंक 2018 से "इों ड़ो-पैतसतफक में समुद्री सहय़ोग के साझा दृतष्टक़ोण" के तहत, इों ड़ोनेतशया के आचे प्राों त
के सबाों ग शहर क़ो अोंडमान और तनक़ोबार द्वीप समूह से ज़ोडता है ।
• वैकश्वक मंच: द़ोऩोों दे श जी20, गुटतनरपे क्ष आों द़ोलन (एनएएम), पूवी एतशया तशखर सम्मे लन और सोंयुक्त राष्टर के सदस्य हैं ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• रणनीकतक स्थथकत और सुरिा: इों ड़ोनेतशया का स्थान समुद्री डकैती, तस्करी, अवैध मत्स्यन और आतोंकवादी गतततवतधय़ोों के
स्खलाफ महत्वपूणष समुद्री मागों क़ो सुरतक्षत करता है ।
• सबांग तक पहुं च: भारतीय तनवेशक़ोों क़ो सबाों ग तक पहुों च प्रदान करना तहों द महासागर में भारत की सु रक्षा भूतमका क़ो मजबू त
करता है ।
• अंतराकष्ट्रीय मंच़ों में सदस्यता: द़ोऩोों दे श G20, NAM, पूवी एतशया तशखर सम्मेलन और सोंयुक्त राष्टर के सदस्य हैं , ज़ो क्षेत्रीय
और वैतिक मु द्द़ोों पर सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ते हैं ।
• चीनी दृढता का मुकाबला: बढ़ती चीनी मु खरता के बीच इों ड़ोनेतशया का समथषन भारत की एि ईस्ट नीतत क़ो मजबू त करता
है ।
• कवजन का संरेखण: क्षेत्रीय सु रक्षा और तवकास क़ो बढ़ावा दे ते हुए SAGAR और ग्ल़ोबल मैरीटाइम फ़ुलक्रम सों रेस्खत ह़ोते हैं ।
• आतंकवाद का समाधान करना: अोंतरधातमषक सोंवाद धमष -आधाररत आतोंकवाद का मुकाबला करते हैं और क्षेत्र में शाों तत क़ो
बढ़ावा दे ते हैं ।
• चीन का प्रभाव: शीत यु द् के बाद से इों ड़ोने तशया का चीन के साथ घतनष्ठ सों बों ध चीन के तहत़ोों के स्खलाफ कायष
करने की उसकी इच्छा क़ो सीतमत कर सकता है ।
• ऐकतहाकसक मतभे द : शीत यु द् के दौरान अलग-अलग गु ट़ोों और पातकस्तान के तलए इों ड़ोने तशया के समथष न ने
भारत-इों ड़ोने तशया सों बों ध़ोों क़ो तनावपू णष बना तदया।
• अनसु ल झी समु द्री सीमाएाँ : अों ड मान सागर में समु द्री सीमाओों का सीमाों कन अभी तक पू रा नहीों हुआ है , तजससे
सम्बन्ध के तलए एक चु नौती बनी हुई है ।
• आकथक क असमानताएाँ : आतथष क तवकास में असमानताएँ और व्यापार असों तु ल न तद्वपक्षीय सों बों ध़ोों के तलए चु नौततयाँ
प्रस्तु त करते हैं ।
• सां स्कृ कतक और भाषा सं बं धी बाधाएं : सों स्कृ तत, भार्षा और सामातजक मानदों ड़ोों में अों त र प्रभावी सों चार और ल़ोग़ोों
से ल़ोग़ोों के बीच आदान-प्रदान में बाधा बन सकता है ।
• प्रकतस्पधी िेत्रीय कहत: क्षेत्रीय मुद्द़ोों में तभन्न तहत़ोों के कारण स्स्थतत क़ो सोंरेस्खत करने में असहमतत और चुनौततयाँ ह़ो सकती हैं ।
• नौकरशाही बाधाएाँ : प्रशासतनक जतटलताएँ और नौकरशाही प्रतक्रयाएँ सों युक्त पहल और सहय़ोग के सुचारू कायाष न्वयन में
बाधा डाल सकती हैं ।
आगे की राह:
• आकथकक सहय़ोग क़ो मजबूत करना: व्यापार और तनवेश सोंबोंध़ोों क़ो बढ़ाने पर ध्यान केंतद्रत करना, आतथषक सहय़ोग क़ो बढ़ाने
के तलए सहय़ोग के नए क्षेत्ऱोों का भी पता लगाना।
• ल़ोग़ों के बीच कवकनमय क़ो बढावा दे ना: साों स्कृततक समझ क़ो बढ़ावा दे ना और सु गम यात्रा की सुतवधा प्रदान करना।
• ऐकतहाकसक मतभेद़ों का समाधान करना: तपछली तशकायत़ोों क़ो दू र करने के तलए मुक्त वाताष में शातमल ह़ोना।
• समुद्री सीमा कववाद़ों क़ो हल करना: समु द्री सीमा मुद्द़ोों के राजनतयक समाधान क़ो प्राथतमकता दे ना।
• रणनीकतक जुडाव क़ो प्रगाढ करना: स्स्थर भारत-प्रशाों त क्षेत्र क़ो बनाए रखने में अपने साझा तहत़ोों का लाभ उठाते हुए क्षेत्रीय
सुरक्षा चुनौततय़ोों पर सहय़ोग करना।
• बहुपिीय सहय़ोग क़ो मजबूत करना: आम मु द्द़ोों पर अोंतरराष्टरीय मों च़ोों पर तमलकर काम करना।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• जन-केंकद्रत भागीदारी क़ो बढावा दे ना: जमीनी स्तर पर सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ना, जैसे शैक्षतणक और साों स्कृततक आदान-
प्रदान, युवा कायषक्रम और व्यावसातयक वाताष।
• कनयकमत उच्च-स्तरीय सहभाकगताएाँ : समझ और तविास क़ो बढ़ाने के तलए लगातार राजनतयक बैठकें बनाए रखना।
कनष्कषक
• भारत और इों ड़ोनेतशया की क्षे त्रीय महत्वाकाों क्षाएों और बढ़ती समुद्री उन्मुखता, चीन की बढ़त के बारे में उनकी तचोंताओों के साथ
तमलकर सोंकेत दे ती हैं तक वे तवतभन्न क्षेत्ऱोों क़ो शातमल करते हुए एक व्यापक साझेदारी स्थातपत करने के तलए अनु कूल स्स्थतत
में हैं ।
छात्र का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
आगे की राह:
• भारत की सॉफ्ट पावर का लाभ उठाना: तकसी भी अन्य प्रमुख शस्क्त के पास खाडी क्षेत्र के दे श़ोों, तवशेर्ष रूप से जीसीसी
दे श़ोों के साथ ल़ोग़ोों के बीच सामातजक-साों स्कृततक अनुकूलता और सामातजक-आतथषक सोंपकष का स्तर भारत जैसा नहीों है ।
• आकथकक संबंध़ों क़ो मजबूत करना: पतिम एतशया में भारत की भागीदारी क़ो प्रततबद्ताओों क़ो पूरा करने और एक आतथषक
और सुरक्षा भागीदार के रूप में अपनी स्स्थतत क़ो मजबूत करने क़ो प्राथतमकता दे नी चातहए। जीसीसी दे श़ोों से स़ोवेररन वेल्थ
फण्ड क़ो आकतर्षषत करने के तलए पररय़ोजनाओों क़ो समय पर पू रा करने और घरे लू व्यापार सुधाऱोों क़ो प्राथतमकता दी जानी
चातहए।
o दतक्षण-पूवष एतशयाई दे श़ोों के साथ बढ़ते व्यापार और व्यवसाय के कारण, एि ईस्ट पहल सफल रही।
• संतुलन नीकत क़ो जारी रखना: भारत क़ो मध्य पूवष भू -राजनीतत में बढ़ती फाल्ट लाइन की ओर कदम नहीों बढ़ाना चातहए।
पारों पररक समान-दू री की नीतत और सभी शस्क्तय़ोों के साथ मधु र सोंबोंध बनाए रखने से अतीत में प्रचु र लाभ तमला है और इसे
जारी रखने की जरूरत है ।
• िेत्र में स्वतंत्र दृकष्ट्क़ोण: भारत क़ो उन महान शस्क्तय़ोों के साथ क्षेत्रीय सहय़ोग क़ो अतधकतम करने के तलए एक लचीली नीतत
अपनानी चातहए जहाों हमारे तहत तमलते हैं और जब वे तभन्न ह़ोते हैं त़ो नकारात्मक पररणाम़ोों क़ो कम करना चातहए।
• इस्लाकमक कलंक का लाभ उठाना: आतथषक और राजनीततक सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने के तलए साझा ऐततहातसक, साों स्कृततक
और धातमषक तवरासत का लाभ उठाया जा सकता है ।
107
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• रिा कूटनीकत: पतिम एतशयाई दे श़ोों के रक्षा बल़ोों के साथ सतक्रय जुडाव और सोंयुक्त रक्षा उत्पादन क्षे त्र में भारत की अवस्स्थतत
में सुधार कर सकते हैं । सेना प्रमुख की हातलया यूएई यात्रा एक अच्छी शु रुआत है
भारत की पकिम एकशया नीकत
• शीत युद्ध के दौरान: पतिम एतशया पर भारत की नीतत प्रचतलत भू -रणनीततक पररदृश्य और शीत युद् की तद्वध्रुवीयता से
आकार लेती थी। भारत ने गु टतनरपे क्षता की नीतत अपनाई और अरब समाजवाद, उपतनवेशवाद-तवऱोध और तफतलस्तीन के तलए
भारत का समथषन, सम्बन्ध के प्रमुख स्तोंभ थे ।
• शीत युद्ध के बाद:
o शीत युद्ध के बाद राष्ट्रीय कहत-उन्मुख व्यावहाररकता की नीकत: शीत युद् के बाद की तवचारधारा, सोंरक्षणवादी
अथषव्यवस्था और तीसरी दु तनया की तचोंताओों का स्थान राष्टरीय तहत-उन्मुख व्यावहाररकता ने ले तलया।
o संतुलन नीकत: भारत ने रक्षात्मक, प्रतततक्रयाशील नीतत दृतष्टक़ोण क़ो त्याग तदया और पारस्पररक लाभ के आधार पर सभी
पतिम एतशयाई दे श़ोों तक पहुों चना शुरू कर तदया, तजससे उन्ें तकसी भी फाल्ट-लाइन पर कदम उठाए तबना मधुर सोंबोंध
बनाने में सक्षम बनाया गया।
o लुक वेस्ट् पॉकलसी: भारत ने ऊजाष सुरक्षा, तनवेश के अवसऱोों और भारतीय प्रवातसय़ोों पर ध्यान केंतद्रत करने के तलए 2005
में लुक वेस्ट पॉतलसी की शुरुआत की। जी.सी.सी. दे श भारत के प्रमुख तेल और गैस आपूततषकताष और व्यापार भागीदार
बन गए हैं , तजनमें भारतीय सबसे बडा प्रवासी समूह हैं ।
वतक मान नीकत
• एस जयशंकर कसद्धांत: हम अोंतरराष्टरीय समुदाय के साथ इस उद्दे श्य क़ो साझा करते हैं तक एक बहु-ध्रुवीय दु तनया में एक
बहु-ध्रुवीय एतशया ह़ोना चातहए।
• लुक वेस्ट् की कनरं तरता: वतषमान नीतत पु रानी लुक वेस्ट नीतत की तनरों तरता है । हालाँ तक, यह उच्च ऑिे न कूटनीतत बाजार
द्वारा आतोंकवाद-ऱोधी और समुद्री क्षेत्र में गहन सु रक्षा सहय़ोग, आतथषक पूरकता और प्रबुद् स्व-तहत पर आधाररत नीतत द्वारा
तचस्न्त है ।
• कथंक वेस्ट् नीकत: 'तथोंक वे स्ट रणनीतत' की शुरुआत करते हुए, तत्कालीन तवदे श मोंत्री एस. जयशोंकर ने कहा, "हम अब
पररणाम़ोों के तनस्िय प्राप्तकताष बनकर सोंतुष्ट नहीों हैं ।" उऩ्ोोंने आगे कहा तक भारत की ऐततहातसक "एि ईस्ट" नीतत का
तमलान "तथोंक वेस्ट" से तकया जाएगा।
• रणनीकतक समझौते: भारत ने सोंयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ रणनीततक समझौत़ोों पर हस्ताक्षर तकए हैं ।
• समुद्री सुरिा: आतोंकवाद-ऱोधी सहय़ोग के अलावा, समुद्री सुरक्षा भारत की पतिम एतशया नीतत का एक महत्वपूणष स्तोंभ बन
गई है ।
• भारत की उदारवादी प्ऱोफ़ाइल का लाभ उठाना: भारत क़ो तकसी भी गुट द्वारा शत्रुतापूणष शस्क्त के रूप में नहीों दे खा जाता
है । भले ही सऊदी अरब और चीन के बीच व्यापार सोंबोंध फल-फूल रहे हैं , लेतकन उनके बीच काफी मात्रा में रणनीततक
अतविास है ।
o भारत ने सउदी से समान दू री बनाए रखी है , तजससे नई तदल्ली के तलए खाडी अरब दे श़ोों के साथ अपनी साझेदारी क़ो
गहरा करना आसान ह़ो गया है । इसने उन घटनाओों से भी दू री बनाए रखी है तजन्ें ईरान अपने तहत़ोों के तलए प्रततकूल
मानता है ।
o यह सोंतुलन क्षे त्र में भारत की भागीदारी में एक पैटनष पेश करता है , ज़ो तकसी के प्रतत शत्रुता से नहीों, बस्ल्क राजनीततक
यथाथषवाद से सम्बद् हर तकसी के साथ तमत्रता द्वारा आकार ग्रहण करता है ।
108
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
कनष्कषक
• शीत युद् के बाद से पतिम एतशया के प्रतत भारत की नीतत में काफी बदलाव आया है । प्रारों भ में , तमस्र, तफतलस्तीन और इराक
भारत की नीतत के केंद्र में थे , लेतकन समय के साथ ईरान, सऊदी अरब और इजराइल भारत की नीतत के प्रमुख स्तोंभ बन गए
हैं ।
छात्र का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
18. भारत-ईरान
प्रस्तावना
• भारत और ईरान के बीच सोंबोंध़ोों का इततहास महत्वपूणष जुडाव़ोों से तचतित है । द़ोऩोों दे श़ोों ने 1947 तक अपनी सीमाएों साझा कीों
और उनकी भार्षाओों, सोंस्कृततय़ोों और परों पराओों में कई समानताएों हैं ।
• वातणज्, ऊजाष, सोंस्कृतत और पारस्पररक सों बोंध़ोों के क्षेत्ऱोों में दतक्षण एतशया और फारस की खाडी के बीच मजबूत सोंबोंध मौजू द
हैं ।
ईरान का महत्व
• ऊजाक सुरिा:
o ईरान कच्चे ते ल का एक प्रमु ख स्ऱोत है और अोंतरराष्टरीय प्रततबोंध़ोों से पहले यह भारत का दू सरा सबसे बडा तेल आपूततष कताष
था।
o फारस की खाडी का फरजाद-बी गैस िेत्र 2008 में ओएनजीसी तवदे श द्वारा ख़ोजा गया था, तजसके पास पररय़ोजना का
न्यूनतम 30% अतधग्रहण करने का अतधकार है ।
• भू-रणनीकतक थथान: ईरान की सीमा ह़ोमुष ज जलडमरूमध्य से लगती है , ज़ो पतिम एतशया और मध्य एतशया के बीच एक
महत्वपूणष रणनीततक मागष है । यह ऐसी तमत्रता के तवकास का मागष प्रशस्त कर सकता है ज़ो पातकस्तानी कारक से अप्रभातवत
ह़ो।
• कनेस्िकवटी: चाबहार, बंदर अब्बास और अोंतराष ष्टरीय उत्तर-दतक्षण पररवहन गतलयारे (आईएनएसटीसी) में बोंदरगाह़ोों के
सफलतापूवषक पूणष ह़ोने के बाद ईरान मध्य एतशया, यूऱोप और रूस के तलए भारत का प्रवेश द्वार बनने की ओर अग्रसर है ।
• ल़ोग़ों के बीच संपकक: द़ोऩोों दे श़ोों में अोंतरसाों स्कृततक आदान-प्रदान क़ो बढ़ावा दे ने के तलए एक मजबू त प्रततबद्ता है । हर साल,
भारत से तीथषयात्री ईरान में कशया तीथकथथल क़़ोम, मशहद और हमीदान की यात्रा करते हैं ।
• िेत्रीय शांकत: ईरान पतिम एतशया में व्यापक प्रभाव वाली एक उभरती हुई क्षेत्रीय ताकत है ज़ो क्षेत्र में शाों तत बनाए रखने में
मदद कर सकती है ।
• व्यापार और कनवेश: अोंतरराष्टरीय प्रततबोंध़ोों के पररणामस्वरूप तद्वपक्षीय व्यापार में काफी तगरावट आई है । द़ोऩोों दे श़ोों के बीच
अतधमानी व्यापार समझौते पर वाताष जारी है ।
मु द्दे
• चीन कारक:
o चीन के साथ गठज़ोड: ईरान और चीन के बीच 25 साल की "व्यापक रणनीततक साझेदारी" ईरान क़ो चीन के करीब ला
सकती है ।
o बुकनयादी ढांचागत पररय़ोजनाएाँ : चीन ने जास्क में एक नया बोंदरगाह बनाने का भी सुझाव तदया है , ज़ो ह़ोरमुज
जलडमरूमध्य के मुहाने पर है । पातकस्तान के ग्वादर बोंदरगाह और ईरान के चाबहार बोंदरगाह के बीच एक तलोंक भी
प्रस्तातवत तकया गया है ।
o राजनकयक सम्बन्: चीन द्वारा राजनतयक सोंबोंध़ोों क़ो तफर से स्थातपत करने के तलए ईरान और सऊदी अरब के बीच एक
समझौते की मध्यस्थता की गई है ।
• बुकनयादी ढांचागत पररय़ोजनाएं : चाबहार बोंदरगाह से जाहे दान तक रे लवे लाइन क़ो सों युक्त रूप से तवकतसत करने के तलए
ईरान और भारत के बीच पहले के समझौत़ोों के बावजूद, ईरान ने अकेले रे ल लाइन के तनमाष ण के साथ आगे बढ़ने का तवकि
चुना है ।
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• अंतराकष्ट्रीय प्रकतबंध: अमेररकी प्रततबोंध़ोों के पररणामस्वरूप ईरान की अथषव्यवस्था बबाष द ह़ो गई है , तजससे ईरान और चीन के
बीच सोंबोंध़ोों क़ो भी बढ़ावा तमला है । ईरान के साथ नई तदल्ली के रणनीततक उद्दे श्य और क्षेत्रीय तवदे श नीतत में इसकी भूतमका
बीतजोंग और ते हरान के बीच सोंबोंध़ोों से बातधत ह़ो सकती है ।
• ईरान कवऱोधी समूह: ईरान नई तदल्ली के इजराइल-भारत-यूएई-यू एस गठबोंधन में शातमल ह़ोने के अप्रत्यातशत फैसले से खु श
नहीों है । गठबों धन, तजसे "ईरान तवऱोधी" गठबोंधन के रूप में वतणषत तकया गया है ।
आगे की राह:
• किपिीय संबंध़ों क़ो पुनः व्यवस्थथत करना: सोंभातवत चीन-ईरान गठबोंधन क़ो ऱोकने और ईरान के साथ अपने सहय़ोग की
सीमा क़ो बढ़ाने के तलए, भारत क़ो अपने सों बोंध़ोों क़ो और अतधक रणनीततक बनाना चातहए।
• अवसंरचना पूणकता ररकॉडक : बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों के कायाष न्वयन टर ै क ररकॉडष में सुधार करना क्य़ोोंतक तवलम्ब भागीदार
दे श़ोों क़ो हत़ोत्सातहत करता है और चीन क़ो अपनी उपस्स्थतत का तवस्तार करने का मौका तमलता है ।
• शांकत थथापना में भूकमका: अमेररका-भारत शाों तत प्रतक्रया क़ो आगे बढ़ाने के तलए ईरान और सोंयुक्त राज् अमेररका क़ो करीब
लाने के तलए द़ोऩोों सरकाऱोों के साथ मैत्रीपू णष सोंबोंध़ोों के साथ एक तटस्थ तीसरे पक्ष के रूप में उभर सकते हैं ।
• तापी गैस पाइपलाइन का पूरा ह़ोना: ऊजाष सुरक्षा क़ो सुरतक्षत करने के तलए, तुकषमेतनस्तान-अफगातनस्तान-पातकस्तान-भारत
(टीएपीआई) गै स पाइपलाइन पररय़ोजना क़ो आगे बढ़ाया जाना चातहए।
1. वतषमान अमेररकी-ईरान परमाणु सोंतध तववाद तकस प्रकार भारत के राष्टरीय तहत क़ो प्रभातवत करे गा? भारत क़ो इस स्स्थतत पर
कैसे प्रतततक्रया दे नी चातहए? (2018)
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o एफडीआई में वृस्द्ध: सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वचातलत मागष से एफडीआई की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी है ।
• कृकष:
o कृकष सहय़ोग: मई 2021 में कृकष कवकास में सहय़ोग के कलए तीन साल के कायक कायकक्रम समझौते पर हस्तािर
ककए गए। कायषक्रम का उद्दे श्य पहले से स्थातपत उत्कृष्टता केंद्ऱोों (सीओई) क़ो मजबूत करना और तनजी क्षेत्र में साझेदारी
और व्यवसाय़ोों क़ो बढ़ावा दे ना है ।
o प्रौद्य़ोकगकी और कवशेषज्ञता: इजरायली प्रौद्य़ोतगकी और अनुभव ने बागवानी मशीनीकरण, सों रतक्षत खेती, बगीचे और
केऩोपी प्रबोंधन, सूक्ष्म तसोंचाई और फसल कटाई के बाद के प्रबोंधन के क्षेत्ऱोों में भारत की सहायता की है ।
o डे यरी फाकमिंग: इजरायली व्यवसाय और तवशेर्षज्ञ दू ध की पैदावार क़ो अतधकतम करने की तवशेर्षज्ञता का उपय़ोग करके
भारत में डे यरी उद्य़ोग क़ो प्रबों तधत करने और आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं ।
o भारत-इजरायल के उत्कृष्ट्ता वाले गांव: इसकी क्षे त्रीय आवश्यकताओों के अनुकूल इजरायली प्रौद्य़ोतगकी और
कायषप्रणाली के प्रसार के आधार पर एक व्यापक मूल्य श्रृोंखला रणनीतत क़ो लागू करने की महत्वाकाों क्षा है । इसमें आधुतनक
कृतर्ष बुतनयादी ढाों चा, क्षमता तनमाष ण और बाजार सम्बद्ता शातमल ह़ोोंगे।
• कवज्ञान एवं प्रौद्य़ोकगकी और नवाचार:
o कवज्ञान एवं प्रौद्य़ोकगकी में सहय़ोग: इसकी दे खरे ख 1993 में हस्ताक्षररत तवज्ञान एवों प्रौद्य़ोतगकी सहय़ोग समझौते के तहत
स्थातपत तवज्ञान एवों प्रौद्य़ोतगकी पर सोंयुक्त सतमतत द्वारा की जाती है ।
o I4F: भारत-इजराइल औद्य़ोतगक R&D और इऩोवेशन फोंड (I4F) की स्थापना के तलए एक समझौता ज्ञापन पर 2017 में
हस्ताक्षर तकए गए थे।
o अनुसंधान में सहय़ोग: तचतकत्सा और सूचना प्रौद्य़ोतगकी, सामातजक और जीवन तवज्ञान, मानतवकी और कला सतहत तवतभन्न
तवर्षय़ोों में सहय़ोगात्मक अनुसोंधान क़ो बढ़ावा दे ने के तलए पाों च साल के $5कमकलयन के शैिकणक अनुसंधान समझौते
पर हस्ताक्षर तकए गए।
नया क्वाड
• भारत, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेररका ने अिाहम समझौते के आधार पर इन राज्य़ों के बीच सहय़ोग
और साझेदारी बढाने के कलए एक चतुभुकज आकथकक मंच शुरू करने का कनणकय कलया है ।
• तवशेर्षज्ञ़ोों के अनुसार, नया तनकाय मध्य पूवी स्स्थरता बनाए रखने में रुतच रखने वाले दे श़ोों के बीच अतधक समन्वय की सुतवधा
प्रदान करे गा।
• नए समू ह के कारक़ोों में अिाहम समझौता, तुकी के क्षेत्रीय प्रभुत्व का समाधान करना और सोंयुक्त राज् अमेररका का पूवी
एतशया में स्थानाों तरण शातमल है ।
भारत के कलए महत्व:
• अमेररका की पुकष्ट्: I2U2 तशखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी अमेररका के इस तविास का एक मजबूत सोंकेत है तक भारत
क्षेत्रीय शाों तत और तवकास में बडा य़ोगदान दे सकता है ।
• नई राजनीकतक इच्छाशस्क्त: भारत की भागीदारी पतिम एतशया के साथ भारत की भागीदारी क़ो लेकर लोंबे समय से चली आ
रही वजषनाओों क़ो दू र करने के तलए तदल्ली में एक नई राजनीततक इच्छाशस्क्त क़ो उजागर करती है ।
• असामान्य सम्बन्: I2U2 मध्य पूवष पर भारत के नए दृतष्टक़ोण का प्रतततनतधत्व करता है क्य़ोोंतक यह तीन दे श़ोों इजराइल,
सोंयुक्त अरब अमीरात और सोंयुक्त राज् अमेररका क़ो एक साथ लाता है , तजनसे भारत ने हमेशा एक सुरतक्षत राजनीततक दू री
बनाए रखी है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• िेत्रीय दृकष्ट्क़ोण में बदलाव: चार दे श़ोों के समूहन के अनु सार, भारत अब अलग-अलग साइल़ो में आय़ोतजत तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों
से एक एकीकृत क्षेत्रीय नीतत पर पररवतषन करने के तलए तैयार है ।
• रणनीकतक लक्ष्य: सोंयुक्त अरब अमीरात प्रमुख तेल तनयाष तक़ोों में से एक है , जबतक इजराइल भारत का प्रमुख रक्षा भागीदार
है ।
• सहय़ोग के अन्य क्षे त्ऱोों में जल पहुों च और ते ल और प्राकृततक गैस सहय़ोग आतद शातमल हैं , जहाों द़ोऩोों दे श़ोों के साझा तहत हैं ।
समस्याएाँ :
• बदलती भू-राजनीकत: पतिम एतशया में चीन-ईरान-रूस बनाम सऊदी-इजराइल-यूएसए धु री का उदय भारत की सोंतुलन
नीतत क़ो कतठन बना सकता है ।
• चीन फैिर: इजराइल चीन व्यापार और रक्षा सहय़ोग भारत-इजरायल से बडा है । इससे भारत-चीन सोंघर्षष की स्स्थतत में
इजराइल क़ो तटस्थ रुख अपनाना पड सकता है ।
• इजराइल कफकलस्तीन संघषक: इजराइल और तफतलस्तीन के बीच हातलया तनाव अरब-इजरायल सोंबोंध़ोों क़ो और खराब कर
सकता है और क्षेत्र क़ो और अतधक अस्स्थर कर सकता है ।
• पकिम एकशया में बदलती भू -राजनीकत: तफतलस्तीन 'गैर-मुद्दा' बन गया है और सऊदी अरब, सोंयुक्त अरब अमीरात और
इजराइल के बीच रणनीततक अतभसरण बढ़ रहा है । इससे भारत के तलए इजराइल के साथ ररश्ते मजबूत करना आसान ह़ो
गया है
• पूरे शीत युद्ध के दौरान कफकलस्तीन का समथकन ककया: भारत अों तराष ष्टरीय कानूऩोों और मानदों ड़ोों के अनुरूप, इजरायली
अतधग्रहण के स्खलाफ नैततक और तवतधक रुख अपनाते हुए, तफतलस्तीनी स्वतोंत्रता का एक मजबूत समथषक बना रहा।
• पूणक राजनकयक संबंध: भारत इजराइल के साथ-साथ तफतलस्तीन के साथ भी राजनतयक सोंबोंध बनाए रखता है ।
• कफकलस्तीन क़ो भारत का समथकन: भारत ने कहा है तक समान सोंप्रभु अतधकाऱोों के तलए द़ो-राज् समाधान सतदय़ोों पुराने
सोंकट क़ो हल करने का रास्ता है ।
• एकतरफा बदलाव़ों का कवऱोध: भारत ने द़ोऩोों पक्ष़ोों से “मौजूदा यथास्स्थतत क़ो एकतरफा बदलने के प्रयास़ोों से बचने” का भी
आग्रह तकया है ।
• भारत मतदान से अनुपस्थथत रहा: भारत सोंयुक्त राष्टर मानवातधकार पररर्षद के प्रस्ताव पर मतदान से अनुपस्स्थत रहा, तजसका
उद्दे श्य अोंतराष ष्टरीय मानवातधकाऱोों के साथ इजराइल का अनु पालन सुतनतित करना है ।
• उकचत कफकलस्तीनी मुद्दे क़ो समथकन: भारत ने सोंयुक्त राष्टर सुरक्षा पररर्षद, महासभा और मानवातधकार पररर्षद में कम से कम
तीन हातलया बयाऩोों में "उतचत तफतलस्तीनी मुद्दे" के समथष न के अपने पारों पररक सोंदभष क़ो भी हटा तदया।
• द़ो-राज्य समाधान: हालाँ तक, बयाऩोों में इजराइल और तफतलस्तीन के ल़ोग़ोों के बीच स्थायी शाों तत सुतनतित करने के तलए सीधी
वाताष के माध्यम से प्राप्त तकए जाने वाले द़ो-राज् समाधान के सामान्य सोंदभष क़ो बरकरार रखा गया है ।
भारत का रुख बदलने का कारण:
• भू-राजनीकत में पररवतकन-शीत युद् की समास्प्त के बाद भारत ने सोंयुक्त राज् अमेररका और यू ऱोप की ओर रुख तकया और
तब से वह इजराइल का एक महत्वपूणष सहय़ोगी बन गया है ।
• व्यावहाररक और यथाथकवादी कवदे श नीकत- हाल के वर्षों में आदशषवादी और आशावादी गुटतनरपे क्षता का स्थान व्यावहाररकता
और 'प्रबुद् स्व-तहत’ ने ले तलया है ।
• डी-हाइफ़नेशन: इजराइल के साथ बेहतर सोंबोंध और इजराइल-कफ़कलस्तीन नीकत का डी-हाइफ़नेशन।
• अिाहम समझौता: अिाहम समझौते के बाद इजराइल और जीसीसी दे श़ोों के बीच सोंबोंध़ोों में सुधार हुआ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
आगे की राह:
• सहय़ोग क़ो मजबूत करना: जैव प्रौद्य़ोतगकी, नवीकरणीय ऊजाष और एग्रीटे क आतद क्षे त्ऱोों में सहय़ोग हुआ है ।
• कफकलस्तीन मुद्दा: भारत क़ो मानवातधकाऱोों क़ो बनाए रखने के तलए इस मुद्दे पर अपना नैततक रुख जारी रखना चातहए।
• भारत की सॉफ्ट पॉवर का उपय़ोग: ल़ोकतोंत्र और धमषतनरपेक्षता का भारतीय मॉडल, ज़ो धातमषक, जातीय, भार्षाई और अन्य
तवतवधताओों क़ो समाय़ोतजत करता है , पूवष तवऱोधी समूह़ोों के शाों ततपूणष सह-अस्स्तत्व के तलए एक व्यवहायष मॉडल ह़ो सकता है ।
• संतुकलत नीकत: चीन-ईरान-रूस बनाम सऊदी-इजराइल-यूएसए धुरी के उद्भव के सोंदभष में , 'प्रबुद्ध स्व-कहत' पर आधाररत
संतुकलत नीकत बनाए रखना।
प्र. I2U2 (भारत, इजराइल, यूएई और यूएसए) समूह वैतिक राजनीतत में भारत की स्स्थतत क़ो कैसे रूपाों तररत करे गा? (2022)
छात्र का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
मु द्दे
• सऊदी: पाककस्तान संबंध: सऊदी अरब और पातकस्तान के बीच वहाबीवाद, तेल और तवत्तीय ऋण के क्षेत्र में सहय़ोग का
एक लोंबा इततहास है ।
• कर वृस्द्ध: दे श के "प्रवासी आतश्रत शुल्क या पररवार कर" में भारी वृस्द् के कारण भारतीय श्रतमक़ोों क़ो अपने पररवाऱोों क़ो घर
वापस भेजने के तलए मजबूर ह़ोना पड रहा है ।
• सऊदी का राष्ट्रीयकरण कायकक्रम: राजशाही ने सतक्रय रूप से "तनताकत" राष्टरीयकरण कायषक्रम चलाया है , तजसका उद्दे श्य
उद्य़ोग में तवदे शी श्रतमक़ोों क़ो सऊदी युवाओों के साथ प्रततस्थातपत करना है । मजदू री में काफी कमी आई है .
• प्रवासी स्थथकतयां: प्रवासी श्रतमक़ोों क़ो सऊदी (और अन्य खाडी दे श़ोों) की प्राचीन कफाला प्रणाली का भी खातमयाजा भुगतना
पडता है ।
• कट्टरवाद: पातकस्तान और अन्य दे श़ोों में मदरस़ोों क़ो फोंतडों ग से कट्टरवाद क़ो बढ़ावा तमलता है ।
• ईरान सऊदी संबंध: सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव बढ़ने के कारण भारत के तलए मध्य पूवष में अपनी सामान्य सोंतुतलत
रणनीतत जारी रखना चुनौतीपू णष ह़ोगा।
आगे की राह:
• कवश्व शस्क्त क़ो संतुकलत करना: चीन और अन्य प्रमु ख कताष ओों की अत्यतधक आतथषक भागीदारी के बीच भारत क़ो अपने
आतथषक और रणनीततक तहत़ोों क़ो सोंरतक्षत करना ह़ोगा।
• िेत्रीय शस्क्तय़ों क़ो प्रबंकधत करना: यह धारणा बढ़ती जा रही है तक अरब स्रोंग ईरान और अरब दु तनया के बीच शीत यु द्
में बदल गया है । भारत क़ो या त़ो द़ोऩोों पक्ष़ोों से समान दू री बनाए रखनी चातहए या सऊदी अरब और ईरान द़ोऩोों के साथ वाताष
में शातमल ह़ोना चातहए।
• व्यापार घाटा कम करना: भारत का सऊदी अरब के साथ 25 तबतलयन अमेररकी डॉलर से अतधक का व्यापार घाटा है । भारत
क़ो तवतभन्न उद्य़ोग़ोों में तनयाष त क़ो प्ऱोत्सातहत करने के तलए और अतधक प्रयास करने चातहए।
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आगे की राह:
• सहय़ोग िेत्ऱों का कवकवधीकरण: "तवजन 2021" पहल का उद्दे श्य दे श की अथषव्यवस्था में तवतवधता लाना और तेल पर तनभषरता
कम करना है । भारत यू एई क़ो तफनटे क, स्टाटष -अप और नवीकरणीय ऊजाष जैसे उभरते क्षेत्ऱोों में शातमल कर सकता है ।
• गैर टै ररफ बाधाओं के मुद्द़ों क़ो हल करना: भारत-यूएई क़ो एनटीबी के उपय़ोग क़ो अतधक पारदशी और पूवाष नुमातनत बनाने
के तलए काम करना चातहए तातक उनके अनुपालन क़ो सरल बनाया जा सके। लेबतलोंग, लाइसेंतसोंग, परतमट आवश्यकताओों,
आयात तनगरानी और तनगरानी आवश्यकताओों पर जानकारी तनयतमत रूप से साझा की जानी चातहए।
• पररय़ोजना क़ो समय पर पूरा करना: अपने सोंबोंध़ोों क़ो आगे बढ़ाने के तलए, दे श़ोों क़ो अपने एमओयू क़ो पूरा करने पर ध्यान
केंतद्रत करना चातहए।
• रणनीकतक साझेदारी का उन्नयन: उन्ें 2+2 तवमशष के समान, अतधक रणनीततक पररचचाष शुरू करने की आवश्यकता है ।
• श्रम कानून में सुधार: कफाला प्रणाली में सुधार के तलए भारत और सोंयुक्त अरब अमीरात क़ो तमलकर सहय़ोग करना चातहए।
कनष्कषक
• द़ोऩोों दे श़ोों क़ो तविास और आत्मतविास के आधार पर अपनी तद्वपक्षीय और बहुपक्षीय वाताष क़ो प्रगाढ़ करने के तलए एक साथ
आना चातहए। एक साझे लक्ष्य क़ो प्राप्त करने के तलए परस्पर त्याग की भावना क़ो भतवष्य की साझे दाररय़ोों में तवकतसत तकया
जाना चातहए।
119
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
छात्र का ऩोट:
120
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
121
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• कशिण केंद्र: उच्च तशक्षा के तलए, मध्य एतशया से कई छात्र भारत और इसके तवपरीत भी, यात्रा करते हैं ।
• सॉफ्ट पावर: मध्य एतशया में ल़ोग भारतीय तफल्म़ोों का आनोंद ले ते हैं और तहों दी सोंगीत सु नते हैं ।
ऊजाक सहय़ोग:
• वन-स्ट्ॉप ऊजाक संसाधन केंद्र: भारत अपने आयात में तवतवधता लाने की क़ोतशश कर रहा है और मध्य एतशया में एक
महत्वपूणष स्ऱोत बनने की क्षमता है । कजातकस्तान दु तनया का 43% यू रेतनयम उत्पन्न करता है , उज्बेतकस्तान में यूरेतनयम और
स्वणष भोंडार पाए जाते हैं ।
• उज़्बेककस्तान के साथ समझौता: उज़्बेतकस्तान में तरल गैस और ते ल सुतवधाओों के तनमाष ण में मदद करने के अततररक्त,
भारत और उज़्बेतकस्तान ने सों युक्त रूप से उज़्बेक गैस भों डार का पता लगाने और तवकतसत करने के तलए समझौते पर हस्ताक्षर
तकए हैं ।
• तुककमेकनस्तान और भारत: तुकषमेतनस्तान दु तनया का चौथा सबसे बडा गै स भोंडार है , ज़ो कम काबषन-सघन ईोंधन है ।
तुकषमेतनस्तान के साथ तापी गैस लाइन पर काम चल रहा है ।
• सौर ऊजाक सहय़ोग: मध्य एतशयाई नेताओों ने "एक सूयष, एक तवि, एक तग्रड" की भारतीय पहल में रुतच तदखाई।
स्वास्थ्य िेत्र में सहय़ोग:
• वैक्सीन कूटनीकत: हाल ही में सोंपन्न तशखर सम्मेलन "व्यापक टीकाकरण, वैक्सीन आपूततष , प्रौद्य़ोतगकी हस्ताों तरण, स्थानीय
उत्पादन क्षमताओों का तवकास, तचतकत्सा उत्पाद़ोों के तलए आपूततष श्रृोंखलाओों क़ो बढ़ावा दे ने और मू ल्य पारदतशषता सुतनतित
करने" पर केंतद्रत है ।
• मध्य एतशयाई नेताओों ने पीएम म़ोदी द्वारा प्रस्तुत "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य" दृतष्टक़ोण की सराहना की।
चाबहार बंदरगाह
• यह भारत और मध्य एतशया के बीच कनेस्ितवटी की एक महत्वपूणष कडी है ।
• 2006 में भारत, ईरान और अफगातनस्तान ने ईरान में चाबहार बोंदरगाह का उपय़ोग करके उनके बीच एक पारगमन और
पररवहन गतलयारा स्थातपत करने के तलए तत्रपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर तकए।
• भतवष्य में, चाबहार पररय़ोजना और अोंतराष ष्टरीय उत्तर दतक्षण पररवहन गतलयारा (आईएनएसटीसी) यू रेतशया क्षे त्र में भारतीय
कनेस्ितवटी क़ो बढ़ाने के तलए एक दू सरे के पूरक ह़ोोंगे।
िे त्र का महत्व
• जकटल भू - राजनीकत:
O वै कश्वक शस्क्त हस्तिे प : जतटल भू -राजनीततक स्स्थतत वै तिक और क्षे त्रीय द़ोऩोों शस्क्तय़ोों की अों त तक्रष या और क्षे त्र
पर उनके पिातवती प्रभाव का पररणाम है ।
O ताकलबान सरकार: अमे ररका के अफगातनस्तान छ़ोडने से भू -राजनीतत में बदलाव आया है और इन दे श़ोों क़ो
अपनी नीतत में सु धार करने के तलए मजबू र ह़ोना पडा है ।
O चीन का उदय: चीन ने बीआरआई के ने तृ त्व वाली बु तनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों और तवत्तीय सहायता के
माध्यम से इस क्षे त्र में एक प्रमु ख उपस्स्थतत दजष की है ।
• कनेस्िं ग कलंक: सीएआर (मध्य एतशयाई क्षेत्र) पतिम एतशया, यूरेतशया और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच एक कनेस्िों ग तलों क
प्रदान करता है । आईएनएसटीसी, चाहबहार बोंदरगाह अफगातनस्तान और सीएआर से कनेस्ितवटी स्थातपत करने में मदद कर
सकता है ।
• व्यापार, संचार और अथकव्यवथथा:
122
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o कसल्क रूट: वह कनेस्िों ग तलोंक था तजसने क्षेत्ऱोों के बीच आतथषक सोंबोंध़ोों क़ो तवकतसत तकया।
o खकनज संपदा: यह क्षे त्र स़ोना, ल़ोहा, ताों बा और एल्यूमीतनयम जैसे खतनज़ोों से समृद् है , तजन्ें बढ़ती भारतीय माों ग के तलए
आयात तकया जा सकता है ।
o कडकजटल कनेस्िकवटी: भारत सभी पाों च दे श़ोों क़ो ज़ोडने वाला एक मध्य एतशयाई ई-ने टवकष स्थातपत करने और टे ली-
एजुकेशन और टे लीमेतडतसन कनेस्ितवटी प्रदान करने की य़ोजना बना रहा है ।
o व्यापार संबंध: भारत टीआईआर की पृष्ठभूतम में माल के अोंतराष ष्टरीय पररवहन पर सीमा शुल्क सम्मेलन में भी शातमल ह़ो
गया है और अश्गाबात समझौते में शातमल ह़ो गया है ।
ऊजाक सुरिा:
• संसाधन: इस क्षेत्र में तेल, प्राकृततक गैस और यू रेतनयम के वृहद् भोंडार हैं । यह भारत की ऊजाक सुरिा की दृतष्ट से महत्वपू णष
है ।
• ऊजाक कूटनीकत: धीरे -धीरे और लगातार, भारत ने तुकषमे तनस्तान और उज़्बेतकस्तान के ऊजाष क्षेत्ऱोों में तहस्सेदारी पाने के तलए
भी कदम उठाए। यहाों तक तक तातजतकस्तान और तकतगष स्तान में भी जलतवद् युत पररय़ोजनाओों में भारत क़ो वर्षों से तहस्सेदारी
तमली है ।
• जारी पररय़ोजनाएाँ : भारत तातजतकस्तान, अफगातनस्तान, पातकस्तान और भारत की मदद से TAPI पाइपलाइन तवकतसत कर
रहा है ।
• सुरिा:
o शांकत और स्थथरता: बढ़ते आतोंकवाद और ग़ोर्ल्न तक्रसेंट के समीप ह़ोने के कारण यह भारत की शाों तत और स्स्थरता के
तलए महत्वपूणष है ।
o आतंकवाद से कनपटना: कजातकस्तान और तातजतकस्तान द़ोऩोों ने भारत के साथ आतोंकवाद के स्खलाफ लडने के तलए
समझौते पर हस्ताक्षर तकए। एससीओ-आरएटी पहल सदस्य दे श़ोों क़ो उग्रवाद, आतोंकवाद और अलगाववाद से लडने में
मदद करती है ।
सामाकजक एवं स्वास्थ्य:
o सामाकजक पूंजी: ल़ोग़ोों के बीच सोंबोंध़ोों क़ो बढ़ाने के तलए, भारत सामातजक पूोंजी क़ो बढ़ाने में सहायता प्रदान कर सकता
है । जैसे भारत थथानीय स्वशासन (पंचायत राज प्रणाली) के प्रबोंधन में अनुभव क़ो मध्य एतशयाई दे श़ोों के साथ साझा
कर सकता है जहाों महल्ला संस्कृकत (थथानीय स्वशासन) व्यापक रूप से प्रचतलत है ।
o स्वास्थ्य सेवाएाँ : भारत सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर सकता है । उदा. आयुवेद और कसद्ध.
• बहुपिीय सहय़ोग:
o यूरेकशयन इक़ोनॉकमक यूकनयन: यह क्षेत्रीय आतथषक एकीकरण के तलए एक सोंगठन है ज़ो वस्तुओों, सेवाओों और श्रम की
मुक्त आवाजाही प्रदान करता है ।
o हाटक ऑफ एकशया सम्मेलन: इसका उद्दे श्य अफगातनस्तान और आसपास के क्षेत्ऱोों में शाों तत, स्स्थरता, सुरक्षा और समृस्द्
सुतनतित करना है ।
o शंघाई सहय़ोग संगठन: इसका उद्दे श्य राजनीतत, अथषव्यवस्था और प्रौद्य़ोतगकी में सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ना और क्षेत्र में
शाों तत, सुरक्षा सुतनतित करना है ।
123
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• हाल ही में पहला भारत-मध्य एतशया तशखर सम्मेलन आय़ोतजत तकया गया।
• तशखर सम्मेलन रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और कनेस्ितवटी, तचतकत्सा और स्वास्थ्य दे खभाल, ऊजाष सुरक्षा, साों स्कृततक सोंबोंध़ोों
और स्स्थर अफगातनस्तान के क्षेत्ऱोों पर केंतद्रत था।
• भारत-मध्य एतशया तद्ववातर्षषक तशखर सम्मेलन के तलए सतचवालय के रूप में कायष करने के तलए नई तदल्ली में "भारत-मध्य
एतशया केंद्र" स्थातपत करने का तनणषय तलया गया।
• इन दे श़ोों की तवधातयकाओों के बीच सशक्त तवचार-तवमशष क़ो सक्षम करने के तलए "भारत-मध्य एतशया सोंसदीय मोंच" बनाने
का प्रस्ताव।
चु नौकतयां
• भू-अथकशास्त्र: चीन और अमेररका के तहत़ोों ने मध्य एतशया और प्रततस्पधी भारत के तहत़ोों की भू -राजनीततक तवमशों क़ो
पररवततषत कर तदया है । चीन की OBOR पहल से चीन की मौजूदगी बढ़ी है
o कनेस्ितवटी में कमी और कम आतथषक भागीदारी के कारण इस क्षेत्र के साथ भारत का व्यापार 2 तबतलयन अमेररकी
डॉलर से भी कम है ।
• कनेस्िकवटी:
o पातकस्तान की शत्रुता और अस्स्थर अफगातनस्तान ने मध्य एतशया के तलए तनकटतम भू तम मागष क़ो बोंद कर तदया है और
साथ ही चाबहार बोंदरगाह के माध्यम से पहुों च क़ो भी असु रतक्षत कर तदया है ।
o कनेस्ितवटी बढ़ाने के तलए INSTC पररय़ोजनाओों का सु स्त तवकास और भी रुका हुआ है ।
• सुरिा:
o अफगातनस्तान में बढ़ते कट्टरपोंथी तातलबान, मध्य एतशया में कट्टरवाद फैलाने में पातकस्तान, सऊदी अरब तुकी और ईरान
की भूतमका।
o ग़ोर्ल्न तक्रसें ट की तनकटता और बढ़ता आतोंकवाद, शाों तत और स्स्थरता के तलए खतरा है ।
• भूराजनीकत:
o भू-राजनीततक क्षेत्र चीन-रूस अतभसरण के कारण सोंवेदनशील है , सीररयाई सोंकट का प्रततकूल प्रभाव भारत क़ो दू र कर
रहा है ।
o आतोंकवाद और जातीय मुद्द़ोों पर तवतभन्न आों तररक सोंघर्षों के कारण सीएआर एक मजबूत क्षेत्रीय समू ह के रूप में जु डने में
तवफल रहा है , ज़ो उन्ें एकजु ट ह़ोने से ऱोक रहा है ।
नाग़ोनो - कराबाख के बीच संघषक
• यह नाग़ोनो-कराबाख क्षेत्र क़ो लेकर आमेतनया और अजरबैजान के बीच एक नृ जातीय-क्षेत्रीय सोंघर्षष है ।
• यह क्षेत्र अजरबैजान का एक क्षेत्रीय तहस्सा है , हालाों तक इसमें ज्ादातर अमेतनयाई ईसाई ल़ोग रहते हैं ज़ो मुस्स्लम बहुल
अजरबै जान से स्वतोंत्र स्स्थतत की माों ग कर रहे हैं ।
• सामररक महत्व: यह INSTC मागष पर स्स्थत है और भारत और यू रेतशयाई क्षेत्र के बीच एक महत्वपूणष कडी है ।
छात्र का ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o भार्षा, भ़ोजन और कला जै से सांस्कृकतक उपकरण़ों का उपय़ोग भारत और लैतटन अमेररका के ल़ोग़ोों के बीच गहरी
समझ और सों बोंध क़ो सुतवधाजनक बना सकता है ।
o समय के साथ, नृत्य और सोंगीत के तलए शै क्षतणक सोंस्थाऩोों द्वारा दी जाने वाली छात्रवृतत्त के साथ, द़ोऩोों क्षेत्ऱोों के बीच
सांस्कृकतक आदान-प्रदान में वृस्द् हुई है ।
o भारत में लैतटन अमेररकी दू तावास भी संगीत समाऱोह़ों और सांस्कृकतक कायकक्रम़ों का आय़ोजन करते हैं तजऩ्ोोंने बडे
पैमाने पर भारतीय दशषक़ोों क़ो आकतर्षषत तकया है ।
o स्पैकनश दू तावास का सांस्कृकतक केंद्र लैतटन अमेररकी तफल्म समाऱोह़ोों की मे जबानी के साथ-साथ भार्षा और व्यों जन में
कक्षाएों प्रदान करने के तलए एक मोंच प्रदान करता है ।
o इन प्रयास़ोों पर सकारात्मक प्रतततक्रया के बावजूद, वे अभी भी शुरुआती चरण में हैं और आगे की ख़ोज के तलए कई
अवसर प्रदान करते हैं ।
• राजनीकतक:
o भारत और िाजील किक्स और आईबीएसए (IBSA) जैसे तवतभन्न प्ले टफामों पर सहय़ोग कर रहे हैं , ज़ो तवकासशील
दे श़ोों क़ो एक वैकस्िक मोंच प्रदान करते हैं , और वतषमान में पतिमी शस्क्तय़ोों के प्रभु त्व वाले सोंस्थाऩोों पर उनकी तनभषरता
क़ो कम करते हैं ।
o हाल ही में , भारत ने कैररकॉम (द कैरे कबयन कम्ुकनटी एं ड कॉमन माकेट) में सामुदातयक तवकास पहल के तलए 14
तमतलयन अमेररकी डॉलर के अनुदान के साथ-साथ सौर ऊजाष , नवीकरणीय ऊजाष और जलवायु पररवतषन से सों बोंतधत
पररय़ोजनाओों क़ो तनतध दे ने के तलए 150 तमतलयन डॉलर की क्रेतडट लाइन की घ़ोर्षणा की है ।
o एक वैतिक शस्क्त के रूप में भारत के उदय, इसके आतथषक तवकास और सॉफ्ट पावर, तवशेर्ष रूप से य़ोग जैसी इसकी
साों स्कृततक और सभ्यतागत प्रथाओों क़ो लैतटन अमेररका में अच्छी तरह से आत्मसात तकया है । भारत की सॉफ्ट पावर ने
इस क्षेत्र में उसके बढ़ते प्रभाव में महत्वपूणष भूतमका तनभाई है ।
o भारत क़ो प्रशांत गठबंधन के वातर्षषक तशखर सम्मेलन में पयषवेक्षक का दजाष तदया गया है , एक व्यापार िॉक तजसमें
तचली, क़ोलोंतबया, मैस्क्सक़ो और पेरू शातमल हैं , ये सभी लैतटन अमेररका में प्रशाों त महासागर के तकनारे स्स्थत दे श हैं ।
• आकथकक:
o भारत वे नेजुएला, मैस्क्सक़ो, क़ोलोंतबया और िाजील से महत्वपूणष मात्रा में हाइडर ़ोकाबकन, साथ ही अजें टीना और िाजील से
खाद्य तेल और चीनी, पेरू और तचली से ताों बा और कीमती धातुएों और इक्वाड़ोर से लकडी का आयात करता है ।
o इसके अततररक्त, भारत लैतटन अमेररका क़ो आईटी सेवाओं का एक प्रमुख प्रदाता है ।
o तपछले पाों च वर्षों में, भारत ने चीन की तुलना में लैतटन अमे ररका क़ो अतधक फामाकस्युकटकल उत्पाद़ों का कनयाकत तकया
है ।
o 2004 में, भारत और मकोसुर ने एक अकधमान्य व्यापार समझौता (पीटीए) पर हस्तािर तकए, तजसका उद्दे श्य
उनके मौजूदा सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करना, व्यापार तवस्तार क़ो बढ़ावा दे ना और पारस्पररक तनतित टै ररफ प्राथतमकताएों दे ना
था।
▪ मकोसुर एक िेत्रीय संगठन है कजसमें दकिण अमेररकी दे श शाकमल हैं तजसका उद्दे श्य मुक्त व्यापार क़ो बढ़ावा
दे कर वस्तुओ,ों सेवाओों, मुद्रा और व्यस्क्तय़ोों के अप्रततबोंतधत तवतनमय क़ो सुतवधाजनक बनाना है ।
o लैतटन अमेररका की कोंपतनय़ोों ने शीतल पेय, मल्टीप्ले क्स, थीम पाकष और ऑट़ो पाट्ष स जै से तवतभन्न क्षेत्ऱोों पर ध्यान केंतद्रत
करते हुए भारत में लगभग एक तबतलयन डॉलर का तनवेश तकया है ।
126
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• सुरिा:
o भारत के रक्षा अनुसोंधान और तवकास सोंगठन (डीआरडीओ) और िाजीतलयाई तवमान तनमाष ता एम्ब्रेयर ने तवमान में उपय़ोग
के तलए रडार प्लेटफॉमष बनाने और तनमाष ण करने के तलए तमलकर काम तकया है ।
o भारत हाल के वर्षों में धीरे -धीरे लैतटन अमेररकी दे श़ोों के साथ अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है , लेतकन उसके प्रयास़ोों पर इस
क्षेत्र में चीन की व्यापक उपस्स्थतत का प्रभाव पड रहा है ।
o रक्षा क्षेत्र में भारत के सीतमत व्यापार और तनवेश क़ो तबना अतधक तवऱोध के सकारात्मक रूप से प्राप्त तकया गया है । यह
स्स्थतत भारत क़ो इस क्षेत्र में चीन पर अप्रत्यातशत और स्थायी बढ़त तदलाती है ।
समस्याएं
• घरे लू और अंतराकष्ट्रीय प्राथकमकताएं : भारत और लैतटन अमेररका के बीच सोंबोंध़ोों का तवकास मुख्य रूप से द़ोऩोों क्षे त्ऱोों क़ो अलग
करने वाली महत्वपूणष भौग़ोतलक दू री के साथ-साथ उनकी सोंबोंतधत घरे लू और अोंतराष ष्टरीय प्राथतमकताओों में अोंतर के कारण
बातधत हुआ है ।
• सांस्कृकतक, भाषाई और प्रवासी संबंध़ों की अनुपस्थथकत: ऐततहातसक रूप से , साोंस्कृततक, भार्षाई और प्रवासी सोंबोंध़ोों की
अनुपस्स्थतत ने भारत और लैतटन अमेररका के बीच सोंबोंध़ोों की कमी में य़ोगदान तदया है ।
• कनेस्िकवटी के मुद्दे: लैतटन अमेररका में तडतजटल तवभाजन एक महत्वपू णष मुद्दा है , जहाों आधे से भी कम घऱोों (45.5 प्रततशत)
के पास िॉडबैं ड तक पहुों च है । इसके अततररक्त, उच्चतम और तनम्नतम कमाने वाल़ोों के बीच इों टरनेट के उपय़ोग में काफी अोंतर
है ।
• कवत्तीय सीमाएं : सुस्त आतथषक तवकास, बढ़ी हुई मुद्रास्फीतत और दु तनया भर में अप्रत्यातशतता के सोंय़ोजन से पता चलता है तक
क्षेत्र के बहुत से व्यस्क्तय़ोों क़ो अपने जीवन की गुणवत्ता में कमी का अनु भव ह़ोने की सों भावना है ।
• मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के कलए बातचीत: मकोसुर के साथ िॉक (bloc) के सदस्य़ोों के बीच असहमतत के कारण
बातचीत रुक गई है ।
• राजनीकतक प्रकतिं किता: इस क्षेत्र के साथ भारत के सों बोंध िाजील और अजेंटीना जैसे दे श़ोों के बीच राजनीततक प्रततद्वों तद्वता से
प्रभातवत ह़ो रहे हैं , ज़ो क्षेत्रीय प्रभुत्व के तलए प्रततस्पधाष कर रहे हैं ।
आगे की राह:
• गहरी समझ हाकसल करना: भारत और लै तटन अमेररका के बीच सोंबोंध़ोों क़ो बेहतर बनाने के तलए, द़ोऩोों पक्ष़ोों के तलए अस्थायी
राजनतयक़ोों पर भऱोसा करने से परे एक-दू सरे की राजनीततक वास्ततवकताओों, सोंसाधऩोों, क्षमताओों और प्राथतमकताओों की
गहरी समझ हातसल करना आवश्यक है ।
• प्रमुख राजनेताओं की पहचान करने में अग्रणी भूकमका कनभाना: लैतटन अमेररका के क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय सोंगठऩोों के
जतटल नेटवकष क़ो दे खते हुए, भारत क़ो राजनीततक पहल क़ो बढ़ावा दे ने के तलए प्रमुख राजनेताओों और मोंच़ोों की पहचान करने
और उनके साथ जुडने में अग्रणी भूतमका तनभानी चातहए, साथ ही आतथषक और सामातजक सोंबोंध़ोों क़ो भी बढ़ावा दे ना चातहए।
• कनवेश की रिा करना: इसे सुतवधाजनक बनाने के तलए, तनवेश की रक्षा करने , द़ोहरे कराधान से बचने , प्रत्यपषण और अप्रवासन
का समथषन करने , ऋण की लाइनें प्रदान करने , तनयामक बाधाओों क़ो खत्म करने के तलए समझौते तकए जाने चातहए।
• अपनी राजनकयक उपस्थथकत बढाना: भारत क़ो इस क्षेत्र में अपनी राजनतयक उपस्स्थतत भी बढ़ानी चातहए, लैतटन अमेररकी
सोंस्कृतत और मामल़ोों के अध्ययन क़ो प्ऱोत्सातहत करना चातहए, तशतपोंग उद्य़ोग़ोों में तनवेश करना चातहए, और क्षेत्र के तवतभन्न दे श़ोों
और समू ह़ोों के साथ पीटीए और एफटीए पर हस्ताक्षर करने की तदशा में काम करना चातहए।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
कनष्कषक
लैतटन अमेररका के साथ भारत का व्यापार इस क्षेत्र में चीन के 450 अरब डॉलर की तुलना में कम है । ऐततहातसक रूप से एलएसी
में भारतीय उद्यम तपछड गए हैं । पररणामस्वरूप, भारत क़ो अपनी आतथषक कूटनीतत क़ो मजबूत करना चातहए और अोंतर-अमेररकी
तवकास बैंक जैसे क्षेत्रीय आतथषक सोंगठऩोों में शातमल ह़ोना चातहए।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• भारत की कवकासात्मक सहायता: भारत ने तवयतनाम के तनन् थुआन प्राों त में सात तवकास पररय़ोजनाओों के तलए 1.5 तमतलयन
अमेररकी डॉलर तदए। तवत्त वर्षष 2021-2022 से शुरू ह़ोकर त्वररत प्रभाव पररय़ोजनाओों की सोंख्या पाों च से द़ोगुनी ह़ोकर दस
ह़ो जाएगी।
• सांस्कृकतक सहय़ोग: भारत और तवयतनाम ने भारत-तवयतनाम सभ्यता और साों स्कृततक सोंबोंध़ोों पर एक तविक़ोश बनाने के
तद्वपक्षीय प्रयास के साथ-साथ तवयतनाम में तवरासत सोंरक्षण पर केंतद्रत तीन नई तवकास साझेदारी पररय़ोजनाएों शुरू की हैं ।
भारत-कवयतनाम कशखर सम्मेलन 2020
• कायक य़ोजना: द़ोऩोों दे श़ोों ने 2021-2023 की अवतध के तलए एक कायष य़ोजना पर हस्ताक्षर तकया हैं , तजसमें अगले द़ो वर्षों
में तद्वपक्षीय साझेदारी क़ो मजबूत करने के अपने एजेंडे क़ो रे खाों तकत तकया है ।
• संयुक्त कवजन दस्तावेज: 2021 से 2023 तक, द़ोऩोों दे श अपनी रणनीततक साझेदारी क़ो मजबूत करने के तलए एक सों युक्त
तवजन दस्तावेज का पालन करें गे।
• रिा सहय़ोग: भारत ने दू सरे दे श़ोों क़ो 100 तमतलयन डॉलर की रक्षा ऋण सुतवधा दी है । इस क्रेतडट लाइन के तहत द़ोऩोों
दे श हाई-स्पीड गाडष ब़ोट मैन्युफैक्चररों ग प्ऱोजे ि क़ो लागू करें गे। भारत और तवयतनाम तवनबैक्स सै न्य अभ्यास भी आय़ोतजत
करते हैं ।
• परमाणु ऊजाक सहय़ोग: एक समझौता ज्ञापन द़ोऩोों दे श़ोों के तनयामक तनकाय़ोों के बीच तवतकरण सुरक्षा और परमाणु सुरक्षा
सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ता है ।
• वैकश्वक सहय़ोग: तवयतनाम ने तवस्ताररत यू एनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समथषन तकया और सुधाररत बहुपक्षवाद
क़ो बढ़ावा दे ने का वचन तदया।
समस्याएं
• भू-आकथकक: तवयतनाम कपडा, ऑट़ोम़ोबाइल आतद जैसे क्षेत्ऱोों से चीन क़ो छ़ोडकर तवतनमाष ण कोंपतनय़ोों क़ो आकतर्षष त करने में
भारत के साथ प्रततस्पधाष कर रहा है ।
• कनेस्िकवटी- भारत द्वारा शु रू की गई तवतभन्न कनेस्ितवटी पररय़ोजनाएों लोंबे समय से अटकी हुई हैं ।
• सतत राजनकयक आउटरीच का अभाव: मेकाों ग-गोंगा सहय़ोग जैसी पररय़ोजनाएों सरकार की उदासीनता के कारण अभी
तक पू रे नहीों हुए हैं ।
• क्वाड का कवऱोध: तवयतनाम क्वाड समूह का समथषन करने में यह कहते हुए क़ोई प्रततबद्ता नहीों रखता है तक वह तकसी भी
प्रकार के सैन्य गठबोंधन के गठन का तवऱोध करता है ।
• रिा: भारत और तवयतनाम िह्म़ोस तमसाइल़ोों की तबक्री पर बातचीत कर रहे हैं ।
• िेत्रीय कववाद: दतक्षण चीन सागर में द़ोऩोों दे श़ोों के क्षेत्रीय दावे अततव्यापी हैं , तजससे चीन के साथ तनाव ह़ोता है और भारत
और तवयतनाम के बीच कभी-कभी असहमतत ह़ोती है ।
• पयाकवरणीय मुद्दे: द़ोऩोों दे श़ोों के तेजी से औद्य़ोगीकरण और आतथषक तवकास के कारण प्रदू र्षण और वऩोों की कटाई हुई है । इन
मुद्द़ोों के समाधान के तलए सहय़ोग की आवश्यकता है ।
• प्रवासन और मानव तस्करी: भारत और तवयतनाम में अवै ध प्रवासन और मानव तस्करी दे खी गई है । सीमा तनयोंत्रण और इन
गतततवतधय़ोों के स्खलाफ सहय़ोग महत्वपूणष है ।
• सांस्कृकतक मतभेद: भारत और तवयतनाम साों स्कृततक और ऐततहातसक सोंबोंध साझा करते हैं , लेतकन साों स्कृततक प्रथाओों और
धारणाओों के कारण सहय़ोग में गलतफहमी या समस्याएों ह़ो सकती हैं ।
130
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
आगे की राह:
• राजनकयक संवाद: तचोंताओों क़ो दू र करने के तलए उच्च स्तरीय राजनतयक सोंवाद बनाए रखना चातहए। समझ और सहय़ोग क़ो
बेहतर बनाने के तलए राजनतयक चैनल़ोों में सुधार करना चातहए।
• आकथकक सहय़ोग: द़ोऩोों दे श़ोों के बीच आतथषक सहय़ोग, व्यापार और तनवेश बढ़ाना। सामान्य आधार ख़ोजना और साझेदारी
बनाए रखना चातहए।
• समुद्री सुरिा और नेकवगेशन: दतक्षण चीन सागर में सहय़ोग में सुधार। सूचना साझाकरण, सोंयुक्त गश्त और क्षमता तनमाष ण
बढ़ाना चातहए।
• सांस्कृकतक और ल़ोग़ों से ल़ोग़ों का आदान-प्रदान: सोंबोंध़ोों और समझ क़ो मजबू त करने के तलए साों स्कृततक आदान-प्रदान,
पयषटन और शै तक्षक कायषक्रम़ोों क़ो प्ऱोत्सातहत करना चातहए। द़ोऩोों दे श़ोों के नागररक़ोों के बीच अतधक मेल -ज़ोल क़ो प्ऱोत्सातहत
करना चातहए।
• पयाकवरण सहय़ोग: प्रदू र्षण, सतत तवकास और सोंरक्षण के मुद्द़ोों क़ो एक साथ सोंब़ोतधत करना चातहए। नवीकरणीय ऊजाष और
अपतशष्ट प्रबों धन में सवोत्तम प्रथाओों, प्रौद्य़ोतगकी और ज्ञान क़ो साझा करना चातहए।
• सुरिा सहय़ोग: सोंयुक्त अभ्यास, प्रतशक्षण और खुतफया जानकारी साझा करने के माध्यम से रक्षा और सु रक्षा सहय़ोग में सुधार
करना चातहए। आतोंकवाद, साइबर अपराध और अन्य अों तरराष्टरीय खतऱोों से मुकाबला करना चातहए।
• िेत्रीय सहय़ोग: समस्याओों क़ो हल करने और स्स्थरता तथा समृस्द् क़ो बढ़ावा दे ने के तलए आतसयान, पूवी एतशया तशखर
सम्मेलन और मेकाों ग-गों गा सहय़ोग जैसे क्षेत्रीय मोंच़ोों पर तमलकर काम करना चातहए।
कनष्कषक
• तवयतनाम 'एि ईस्ट पॉतलसी' का एक महत्वपूणष स्तों भ है और द़ोऩोों दे श़ोों के बीच घतनष्ठ सोंबोंध दतक्षण पूवष एतशया में रणनीततक
सोंतुलन बनाए रखने के तलए महत्वपूणष है ज़ो आक्रामक चीनी गतततवतधय़ोों का गवाह बन रहा है ।
छात्ऱों के ऩोट:
131
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
132
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o संयुक्त सैन्य अभ्यास: भारत ऑस्टर े तलया के साथ रक्षा अभ्यास "मालाबार" और "टै तलसमैन सेबर" में भाग लेगा।
• ऊजाक सहय़ोग:
o नवीकरणीय ऊजाक की कम लागत: द़ोऩोों दे श़ोों ने अल्टर ा-ल़ो-कॉस्ट सौर और स्वच्छ हाइडर ़ोजन सतहत नवीकरणीय ऊजाष
प्रौद्य़ोतगतकय़ोों की लागत क़ो कम करने तथा सहय़ोग के तलए नवीन और नवीकरणीय ऊजाष पर एक आशय पत्र (2022 में)
पर हस्ताक्षर तकए।
o परमाणु समझौता: द़ोऩोों दे श़ोों ने एक नागररक परमाणु सहय़ोग समझौते पर हस्ताक्षर तकए ज़ो ऑस्टर े तलया और भारत के
बीच महत्वपूणष नई ऊजाष व्यापार के तलए रूपरे खा प्रदान करता है ।
o कवत्तीय सहायता: भारत ने अों तराष ष्टरीय सौर गठबोंधन (आईएसए) के तहत प्रशाों त द्वीप दे श़ोों के तलए 10 तमतलयन ऑस्टर े तलयाई
डॉलर (एयू डी) की घ़ोर्षणा की।
• बहुपिीय सहय़ोग
o बहुपिीय म़ोचों पर सहय़ोग: द़ोऩोों क्षेत्रीय और वैतिक स्स्थरता के तलए आतसयान क्षेत्रीय मोंच, क्वाड, राष्टरमोंडल, तहों द
महासागर ररम एस़ोतसएशन तथा जलवायु और स्वच्छ तवकास पर एतशया प्रशाों त साझे दारी के सदस्य हैं ।
o एपेक की सदस्यता: ऑस्टर े तलया एतशया प्रशाों त आतथषक सहय़ोग में एक प्रमुख भागीदार है और भारत की एपेक सदस्यता
के पक्ष में है ।
o आपूकतक श्रृंखला समथकन: भारत, ऑस्टर े तलया और जापान ने आपूततष श्रृोंखला लचीलापन पहल (एससीआरआई) के तहत
तहों द-प्रशाों त आपूततष श्रृोंखला क़ो मजबूत करने के तलए सहय़ोग कर रहे हैं ।
• कवज्ञान और प्रौद्य़ोकगकी:
o ऑस्टर े तलया-भारत रणनीततक अनुसोंधान क़ोर्ष (एआईएसआरएफ) प्रौद्य़ोतगकी क्षेत्र में अोंतराष ष्टरीय सहय़ोग का एक प्रमुख
घटक है ।
o भारत ऑस्टर े तलया सकुषलर इक़ोनॉमी है कथॉन 2021 द़ोऩोों दे श़ोों में सफलतापूवषक आय़ोतजत तकया गया।
o भारत में गगनयान अोंतररक्ष कायष क्रम क़ो ऑस्टर े तलया का भी समथषन प्राप्त है ।
चु नौकतयां
• कारमाइकल क़ोयला पररय़ोजना: अडानी क़ोयला पररय़ोजना का कुछ पयाष वरणतवद़ोों ने तवऱोध तकया, तजसके कारण
पररय़ोजना के तनष्पादन में दे री हुई है ।
• वीजा मुद्दे: ऑस्टर े तलया में काम करने के इच्छु क भारतीय पेशेवऱोों और छात्ऱोों के तलए वीजा सीमाओों के बारे में तचोंताएँ उठाई
गई हैं ।
• यूक्रेन संकट पर भारत का रुख: ऑस्टर े तलया ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की तनोंदा की और सोंयुक्त राज् अमेररका और
अन्य पतिमी दे श़ोों का पक्ष तलया। हालाों तक, भारत ने इस मामले पर रूस की आल़ोचना नहीों करने का तवकि चुना है ।
• क़ोई मुक्त व्यापार समझौता नही ं: दशक़ोों की बातचीत और सोंचार के बावजूद, क़ोई भी दे श मु क्त व्यापार समझौते पर
सहमत नहीों ह़ो सका है ।
• व्यापार घाटा: 2001-02 से भारत का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है । इसका मुख्य कारण भारत के साथ सेवा व्यापार में
ऑस्टर े तलया की कम तहस्सेदारी है ।
• सीईसीए वाताक: ऑस्टर े तलया की भारतीय डे यरी क्षे त्र तक पहुों च की माों ग और भारत की अपने आईटी पेशेवऱोों के तलए अतधक
मुक्त आवाजाही और आसान वीजा मानदों ड़ोों की माों ग के बीच मतभेद, सीईसीए की प्रगतत में बाधा डालने वाला तववाद का मुद्दा
बन गया है ।
133
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• चीनी प्रभाव: चीनी दबाव ने द़ोऩोों दे श़ोों की तवदे श नीततय़ोों क़ो प्रभातवत तकया है तजससे उनके सोंबोंध़ोों क़ो पूणष रूप से साकार
ह़ोने से ऱोका जा सका है ।
• यूरेकनयम आपूकतक: 2014 के तद्वपक्षीय समझौते के बाद से यू रेतनयम आपूततष में उल्लेखनीय वृस्द् नहीों हुई है । हाल ही में डीएई
ने आतथषक व्यवहायषता के कारण ऑस्टर े तलयाई कोंपतनय़ोों द्वारा तदए गए प्रस्ताव़ोों क़ो ठु करा तदया है ।
• भारतीय़ों पर हमले: भारतीय़ोों पर नस्लवादी हमले एक बडा मुद्दा बन गए हैं ज़ो ल़ोग़ोों से ल़ोग़ोों के सोंबोंध़ोों के बीच की खाई क़ो
बढ़ा रहे हैं ।
आगे की राह:
• व्यापार और अथकव्यवथथा में प्रकतस्पधाकत्मकता: भारत क़ो अपनी आतथषक प्रततस्पधाष त्मकता बढ़ाने पर ध्यान केंतद्रत करने की
आवश्यकता ह़ोगी क्य़ोोंतक यह चीन, आतसयान, तचली, जापान, क़ोररया और न्यूजीलैंड जैसे दे श़ोों के साथ प्रततस्पधाष करे गा,
तजनका ऑस्टर े तलया के साथ पहले से ही एफटीए चालू है ।
• धाकमकक उग्रवाद पर अंकुश: ऑस्टर े तलया क़ो खातलस्तानी समूह़ोों की गतततवतधय़ोों और ऑस्टर े तलया में मोंतदऱोों पर हमल़ोों पर अोंकुश
लगाने की आवश्यकता है ।
• सकक्रय राजनकयक जुडाव: ऑस्टर े तलया क़ो तकनीकी सेवाएों प्रदान करने वाली भारतीय कोंपतनय़ोों के तवदे शी मुनाफे पर कर
लगाने क़ो खत्म करने के तलए ऑस्टर े तलया क़ो अपने घरे लू कर कानून में सोंश़ोधन में ते जी लानी चातहए।
• कवज्ञान और प्रौद्य़ोकगकी पर सहय़ोग: भारत और ऑस्टर े तलया नवाचार और स्टाटष अप में अपना सहय़ोग बढ़ा सकते हैं ।
ऑस्टर े तलयाई सरकार का $1.1 तबतलयन का राष्टरीय नवाचार और तवज्ञान एजेंडा भारत के 'स्टाटष -अप इों तडया' और 'मेक इन
इों तडया' अतभयाऩोों का पूरक ह़ो सकता है ।
• अंतररि में सहय़ोग क़ो प्ऱोत्साकहत करना: भारत अपनी कई अोंतररक्ष पहल़ोों के तलए ऑस्टर े तलया क़ो एक वातणस्ज्क अोंतररक्ष
मोंच प्रदान कर सकता है ।
छात्ऱों के ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
26. भारत-अफ्रीका
नेल्सन मंडेला
"भारत और दतक्षण अफ्रीका द़ो ऐसे दे श हैं ज़ो भावनाओों, समान मूल्य़ोों और साझा अनुभव, सोंस्कृततय़ोों और परों पराओों की
आत्मीयता और भौग़ोतलक रुप से एक दू सरे के बहुत करीब हैं ।"
पररचय
भारत-अफ्रीका साझेदारी ऐततहातसक सोंबोंध़ोों, एकजुटता और समृद् और समावेशी भतवष्य के तलए साझा दृतष्टक़ोण पर आधाररत है ।
तपछले कुछ वर्षों में , भारत और अफ्रीकी दे श अपने तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने और आपसी तवकास क़ो बढ़ावा दे ने के तलए
व्यापार, तनवेश, क्षमता तनमाष ण, बुतनयादी ढाों चे के तवकास, स्वास्थ्य सेवा, तशक्षा और साों स्कृततक आदान-प्रदान सतहत तवतभन्न क्षे त्ऱोों में
सतक्रय रूप से लगे हुए हैं ।
तथ्य एक नजर में
• वर्षष 2021-22 के तलए अफ्रीका के साथ भारत का व्यापार महत्वपूणष है , ज़ो कुल 89.5 तबतलयन अमेररकी डॉलर है ।
• भारत और एसएडीसी (दकिणी अफ्रीकी कवकास समुदाय): वर्षष 1980 में इसकी स्थापना हुई। इस समूह में 16 दे श हैं ।
अफ़्रीका के कुल भूतम क्षेत्र का 35.4 प्रततशत, कुल सकल घरे लू उत्पाद का 28.4 प्रततशत और इसकी जनसों ख्या का 28.2
प्रततशत इन दे श़ोों के पास है ।
• भारत और एसएडीसी के बीच मजबूत और घतनष्ठ सोंबोंध हैं । 2021 के मध्य में द़ोऩोों के बीच कुल 30.8 तबतलयन अमेररकी
डॉलर का व्यापार हुआ। इसके अततररक्त, तपछले 26 वर्षों के दौरान, भारत ने एसएडीसी में 69.9 तबतलयन अमेररकी डॉलर
का तनवेश तकया है ।
अफ़्रीकी महािीप क़्ों महत्वपू णक है ?
• अफ्रीका की जनसांस्ख्यकी: अफ्रीका की बडी कामकाजी उम्र की आबादी, इसका बढ़ता मध्यम वगष और सेवाओों का तहस्सा
सभी मूल्यवतधषत व्यापार और तनवेश सोंबोंध़ोों के तलए महत्वपूणष घटक हैं ।
• अफ्रीका में कनवेश का अवसर: कृतर्ष व्यवसाय, पररधान और कपडे , फामाष स्यूतटकल्स और ऑट़ोम़ोतटव घटक़ोों से सोंबोंतधत
उपभ़ोक्ता-सोंचातलत सामान भारत के प्रत्यक्ष तवदे शी तनवेश (एफडीआई) के तलए अवसर प्रदान करता हैं ।
• कचककत्सा पयकटन: तचतकत्सा उपचार के तलए दे श में आने वाले अफ्रीकी पयषटक़ोों की सों ख्या तपछले दशक में लगभग तीन गुना
बढ़ गई है , ज़ो 2010 में कुल पयषटक यात्राओों के 5.4 प्रततशत से बढ़कर 2019 में 15.4 प्रततशत ह़ो गई है ।
• शैकिक केंद्र के रूप में भारत: एस़ोतसएशन फॉर अफ्रीकन स्टू डें ट्स इन इों तडया के अनुसार, वतषमान में 25,000 से अतधक
अफ्रीकी छात्र भारत भर के तवतभन्न तवितवद्यालय़ोों में नामाों तकत हैं ।
• प्राकृकतक संसाधन: यह महाद्वीप खदाऩोों और खतनज़ोों से समृद् है जैसे हीरे , स़ोना, प्लैतटनम और महाद्वीप में कई अन्य वातनकी
उत्पाद प्रचु र मात्रा में हैं , ज़ो दु तनया के बाकी तहस्स़ोों के तलए महत्वपूणष है ।
तकनीकी और आकथकक सहय़ोग (आईटीईसी)
• तकनीकी और आतथषक सहय़ोग (आईटीईसी) पररय़ोजना अफ्रीका के कौशल क़ो तवकतसत करने में महत्वपूणष रही है ।
• आईटीईसी की स्थापना 1964 में हुई थी। इसने भारत-अफ्रीका सहय़ोग में महत्वपूणष भूतमका तनभाई है ।
• 2019 में, भारत ने द़ो अफ्रीकी दे श़ोों के तलए पहला ई-आईटीईसी पायलट कायषक्रम शु रू तकया।
• महामारी की शुरुआत के बाद से , ई-आईटीईसी क़ो नए मानक के रूप में नई प्रतसस्द् तमली है ।
• बदलते समय की माों ग़ोों क़ो सोंब़ोतधत करने के तलए, बडे डे टा एनातलतटक्स, शहरी बुतनयादी ढाों चे प्रबोंधन, डब्ल्यू टीओ से
सोंबोंतधत मुद्दे और सौर प्रौद्य़ोतगकी जैसे नए और अतभनव पाठ्यक्रम व्यवस्स्थत रूप से लॉन्च तकए गए थे ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
भारत-अफ्रीका के बीच सहय़ोग का िे त्र
• व्यापार और कनवेश: द़ोऩोों पक्ष़ोों का लक्ष्य व्यापार तवतवधीकरण क़ो बढ़ावा दे ना, तनवेश क़ो सुतवधाजनक बनाना और नए व्यापार
अवसऱोों की ख़ोज करके आतथषक सोंबोंध़ोों क़ो बढ़ाना है ।
• बुकनयादी ढांचा कवकास: भारत ने पररवहन, ऊजाष और दू रसोंचार जैसे क्षेत्ऱोों पर ध्यान केंतद्रत करते हुए अफ्रीका में बुतनयादी
ढाों चा तवकास पररय़ोजनाओों का सतक्रय रूप से समथषन तकया है ।
• िमता-कनमाकण और कौशल कवकास: भारतीय तकनीकी और आतथषक सहय़ोग (आईटीईसी) कायषक्रम और पैन अफ्रीकी ई-
नेटवकष पररय़ोजना जैसे भारतीय सों स्थाऩोों ने कौशल तवकास, तशक्षा और ज्ञान साझा करने में य़ोगदान तदया है ।
• कृकष और खाद्य सुरिा: भारत कृतर्ष पद्ततय़ोों, प्रौद्य़ोतगकी हस्ताों तरण और तसोंचाई प्रणातलय़ोों में अपना अनु भव अफ्रीका के
साथ साझा करता है । भारत-अफ्रीका कृतर्ष सहय़ोग य़ोजना और भारत-अफ्रीका खाद्य प्रसोंस्करण तशखर सम्मेलन ऐसी पहल हैं
ज़ो इस क्षेत्र में सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ती हैं ।
• स्वास्थ्य दे खभाल और फामाकस्यूकटकल्स: भारतीय दवा कोंपतनय़ोों ने स्वास्थ्य दे खभाल चुनौततय़ोों का समाधान करने के तलए
तवशेर्ष रूप से एचआईवी/एड् स, मलेररया और तपेतदक के क्षेत्ऱोों में अफ्रीका क़ो जेनेररक दवाओों की आपूततष की है ।
• नवीकरणीय ऊजाक और जलवायु पररवतकन: भारत सौर ऊजाष , पवन ऊजाष और अन्य नवीकरणीय ऊजाष स्ऱोत़ोों में अपनी
तवशेर्षज्ञता साझा करता है । भारत और फ्राों स द्वारा शुरू तकए गए अों तराष ष्टरीय सौर गठबों धन (आईएसए) ने सौर ऊजाष अपनाने
क़ो बढ़ावा दे ने के तलए कई अफ्रीकी दे श़ोों की भागीदारी क़ो आकतर्षषत तकया है ।
• कशिा और सांस्कृकतक आदान-प्रदान: भारतीय तवितवद्यालय अफ्रीकी छात्ऱोों क़ो छात्रवृतत्त प्रदान करते हैं , और साों स्कृततक
उत्सव और आदान-प्रदान कायषक्रम एक-दू सरे की सों स्कृततय़ोों की गहरी समझ क़ो बढ़ावा दे ते हैं ।
अफ़्रीका में चीनी गकतकवकधयां
तपछले कुछ दशक़ोों में अफ्रीका में चीनी भागीदारी काफी बढ़ी है । चीन इस महाद्वीप पर सबसे बडे व्यापाररक साझेदाऱोों और
तनवेशक़ोों में से एक बन गया है । जहाों अफ्रीका में चीन की उपस्स्थतत से कुछ लाभ हुए हैं , वहीों इसने भारत के तलए तचोंताएों भी बढ़ा
दी हैं । अफ़्रीका में चीनी गतततवतधय़ोों क़ो लेकर भारत के तलए तचोंता के कुछ कारण इस प्रकार हैं :
• आकथकक प्रकतस्पधाक: अफ्रीका में चीन की आतथषक उपस्स्थतत ने बाजाऱोों और सोंसाधऩोों के तलए प्रततस्पधाष तेज कर दी है । सरकार
समतथषत चीनी कोंपतनयाँ अक्सर बुतनयादी ढाँ चा पररय़ोजनाओों और तनवे श़ोों क़ो सुरतक्षत रखती हैं , ज़ो सोंभातवत रूप से इस क्षे त्र
में भारतीय व्यवसाय़ोों पर भारी पडती हैं ।
• ऋण स्थथरता: चीन द्वारा अफ्रीका में ऋण के माध्यम से बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों का तवत्तप़ोर्षण अफ्रीकी दे श़ोों के तलए
ऋण स्स्थरता के बारे में तचोंताएों बढ़ा दी हैं ।
• भू-राजनीकतक प्रभाव: चीनी सैन्य उपस्स्थतत, नौसैतनक अड्ड़ोों तक पहुों च और अफ्रीका में शाों तत स्थापना अतभयाऩोों में भागीदारी
का क्षेत्रीय सुरक्षा गततशीलता और अफ्रीकी दे श़ोों के साथ भारत की रणनीततक साझेदारी पर प्रभाव पडता है ।
• प्राकृकतक संसाधन अकधग्रहण: अफ्रीका के प्राकृततक सोंसाधऩोों, जैसे तेल, खतनज और लकडी के तलए चीन की भूख ने
सोंसाधऩोों के द़ोहन और पयाष वरणीय तगरावट के बारे में तचोंताओों क़ो जन्म तदया है ।
• अफ़्रीकी कवकनमाकण पर प्रभाव: चीन द्वारा अफ़्रीका क़ो कम लागत वाली तवतनतमषत वस्तुओों के तनयाष त का स्थानीय अफ़्रीकी
उद्य़ोग़ोों पर प्रभाव पडा है , तजनमें वे उद्य़ोग भी शातमल हैं तजनमें भारत के आतथषक तहत हैं ।
• मानवाकधकार और शासन संबंधी कचंताएं : चीनी तनवेश और सहायता अक्सर शासन, मानवातधकार या पयाष वरण मानक़ोों में
सुधार पर आधाररत नहीों ह़ोती है , ज़ो भारत के तलए तचोंता का कारण ह़ो सकता है , ज़ो अफ्रीका के साथ अपने सों बोंध़ोों में साझा
मूल्य़ोों पर ज़ोर दे ता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
मु द्दे और चु नौकतयां
• भौग़ोकलक दू री: भारत और अफ्रीका के बीच भौग़ोतलक दू री कनेस्ितवटी, व्यापार और ल़ोग़ोों से ल़ोग़ोों के बीच आदान-प्रदान
के मामले में तातकषक चुनौततयाों पैदा करती है ।
• प्रकतस्पधी प्राथकमकताएं : अफ़्रीकी दे श़ोों के अक्सर कई साझेदार और जु डाव (engagements) ह़ोते हैं , तजनमें चीन, यूऱोपीय
सोंघ और सोंयुक्त राज् अमेररका जैसी प्रमु ख शस्क्तयाों शातमल हैं ।
• बुकनयादी ढांचे की कमी: कई अफ्रीकी दे श़ोों क़ो बुतनयादी ढाों चे की कमी का सामना करना पडता है , तजसमें अपयाष प्त पररवहन
नेटवकष, तबजली की कमी और तडतजटल कनेस्ितवटी अोंतराल शातमल हैं ।
• सुरिा संबंधी कचंताएं : आतों कवाद, समुद्री डकैती और कुछ अफ्रीकी क्षे त्ऱोों में सोंघर्षष सतहत सु रक्षा चुनौततयाँ स्स्थरता क़ो प्रभातवत
कर सकती हैं और आतथषक तवकास में बाधा डाल सकती हैं ।
• सांस्कृकतक और भाषाई कवकवधता: अफ्रीका कई भार्षाओों, सोंस्कृततय़ोों और परों पराओों वाला एक तवतवध महाद्वीप है । इस
तवतवधता क़ो समझने और नेतवगेट करने के तलए तवतभन्न अफ्रीकी दे श़ोों और समुदाय़ोों के साथ जु डने के तलए प्रभावी सोंचार,
साों स्कृततक सोंवेदनशीलता और अनुरूप दृतष्टक़ोण की आवश्यकता ह़ोती है ।
आगे की राह:
• िमता कवककसत करना: सीतमत मानव सोंसाधन, कौशल अोंतराल और कमज़ोर सोंस्थागत ढाों चे, सोंयुक्त पहल और सहय़ोग के
प्रभावी कायाष न्वयन में बाधा बन सकते हैं । भारत इन मुद्द़ोों क़ो प्राथतमकता के आधार पर सोंब़ोतधत कर सकता है ।
• बाजार पहुं च और व्यापार बाधाएं : भारत-अफ्रीका व्यापार के तवस्तार के तलए व्यापार बाधाओों क़ो दू र करना और बाजार
पहुों च बढ़ाना महत्वपूणष है । टै ररफ और गैर-टै ररफ बाधाएों , तनयामक चुनौततयाों और मानक़ोों और प्रमाणपत्ऱोों में अों तर तद्वपक्षीय
व्यापार और आतथषक सहय़ोग में बाधाएों पै दा कर सकते हैं ।
• कवकास असंतुलन क़ो दू र करना: अफ्रीकी दे श महत्वपूणष तवकास असमानताओों क़ो प्रदतशषत करते हैं , कुछ दे श़ोों में उच्च स्तर
की गरीबी, अितवकास और सामातजक-आतथषक चुनौती का अनुभव ह़ोता है ।
कनष्कषक
वतषमान युग में , भारत और अफ्रीका के बीच सोंबोंध द़ोऩोों महाद्वीप़ोों के बीच एक सों पन्न साझेदारी ह़ोगी, ज़ो क्षमता तनमाष ण, तवकास
सहय़ोग और आतथषक और तकनीकी उद्यम़ोों पर केंतद्रत ह़ोगी। जैसे-जै से दु तनया महामारी के बाद आशावाद की ओर बढ़ रही है ,
भारत और अफ्रीका जुडवाों तवकास केंद्ऱोों के रूप में उभरें गे और अपनी बहुआयामी साझेदारी क़ो एक नए स्तर पर ले जाएों गे।
कवगत वषो के प्रश्न (मु ख्य परीिा)
1. अफ्रीका में भारत की बढ़ती तदलचस्पी के अपने फायदे और नुकसान हैं । आल़ोचनात्मक परीक्षण कीतजए। (2015)
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• साकक मध्यथथता पररषद: यह एक अोंतर-सरकारी तनकाय है ज़ो औद्य़ोतगक, वातणस्ज्क, व्यापार और अन्य तववाद़ोों के तनष्पक्ष
और प्रभावी तनपटान के तलए कानूनी ढाों चा प्रदान करने के तलए अतधकृत है ।
साकक और क़ोकवड-19
• COVID-19 आपातकालीन तनतध शुरू करने के भारत के प्रस्ताव क़ो सकारात्मक रूप से स्वीकार तकया गया, तजसमें सभी
दे श़ोों ने स्वेच्छा से य़ोगदान तदया।
• भारत ने सभी साकष दे श़ोों के तलए सूचना, ज्ञान, तवशेर्षज्ञता और सवोत्तम प्रथाओों के आदान-प्रदान के तलए एक साझा
इलेिरॉतनक मोंच का प्रस्ताव रखा।
• इसने अनु ऱोध़ोों क़ो स्वीकार कर तलया है और तचतकत्सा उपकरण़ोों, दवाओों और अन्य आपूततष के तलए सहायता प्रदान की है ।
• इसने वैक्सीन मैत्री कायषक्रम के माध्यम से अपने पड़ोतसय़ोों क़ो भी टीके उपलि कराए हैं ।
साकक की कवफलताएं
• भारत-पाक संबंध: भारत और पातकस्तान के बीच तनाव और तहों सा में वृस्द् ने साकष की सोंभावनाओों क़ो काफी नुकसान
पहुों चाया है ।
• क़ोई कनयकमत बैठक नही ं: उरी पर आतों कवादी हमले के बाद भारत-पातकस्तान तनाव के कारण साकष बैठकें नहीों ह़ो सकीों।
वर्षष 2021 तपछले तशखर सम्मेलन के बाद से 7वाों वर्षष है जहाों साकष नेता तमले थे।
• कमज़ोर सांस्कृकतक पहचान: यह सदस्य़ोों के बीच तविास की कमी के कारण दे श़ोों के बीच सहय़ोग की सों भावनाओों क़ो
सीतमत करता है ।
• अनसुलझे मुद्दे: यह क्षेत्र अभी भी कई अनसुलझे सीमा और समुद्री मु द्द़ोों का सामना कर रहा है । इसके अलावा, छ़ोटे पड़ोतसय़ोों
के बीच भारत के बडे भाई वाले रवैये के डर ने साकष में सहय़ोग की गुोंजाइश कम कर दी है ।
• भारत की आशंका: इस तरह के सोंगठन का इस्तेमाल उसके छ़ोटे पड़ोसी भारत द्वारा धमकाए जाने का डर व्यक्त करके
अनुतचत ररयायतें तनकालने के तलए कर सकते हैं ।
• साफ्टा में सीमा: इसके कारण दतक्षण एतशया दु तनया में सबसे कम एकीकृत क्षेत्र बना हुआ है , तजसके सदस्य़ोों के बीच व्यापार
उनके कुल व्यापार का 5% से भी कम है ।
• कनणकय लेना: साकष चाटष र के अनुसार, सभी तनणषय सवषसम्मतत से तलए जाते हैं । इससे पातकस्तान कनेस्ितवटी और व्यापार पर
भारत की हर पहल का तवऱोध करने में सक्षम ह़ो गया है ।
• किपिीय मुद्दे: जैसे सीएए-एनआरसी पर बाों ग्लादे श की तचोंताएों , मधेसी मुद्दा और भारत और नेपाल के बीच कालापानी सीमा
मुद्दा आतद।
• बढती चीनी उपस्थथकत: दतक्षण एतशयाई दे श आयात के तलए चीन पर ते जी से तनभषर ह़ो रहे हैं । पातकस्तान, नेपाल, बाों ग्लादे श
और श्रीलोंका सभी वैचाररक और भौततक कारण़ोों से चीन के करीब आ रहे हैं । चीन बाों ग्लादे श और श्रीलोंका क़ो भी सीमा शुल्क
में छूट दे रहा है ।
आगे की राह:
• चीन से कनपटने के कलए साकक क़ो पुनजीकवत करना: चीन के साथ भारत के रणनीततक व्यवहार की शुरुआत दतक्षण एतशया
से ह़ोनी चातहए, ज़ो साकष क़ो पुनजीतवत करता है , ज़ो 2014 के बाद से अवनतत पर है ।
• ल़ोग़ों से ल़ोग़ों के बीच संपकक बढाना: स़ोशल मीतडया और नागररक ल़ोग़ोों के बीच सोंपकष क़ो मजबूत कर सकते हैं और
पाों चवें एस्टे ट और नागररक़ोों की सतक्रय भागीदारी के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण ला सकते हैं ।
• आकथकक एकीकरण: स़ोशल मीतडया और नागररक सतक्रय भागीदारी के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण क़ो बढ़ावा दे सकते हैं ।
140
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• कबम्सटे क के बजाय साकक पर अकधक संसाधन और ध्यान: तबम्सटे क बोंगाल की खाडी क्षेत्र पर ध्यान केंतद्रत करने के कारण
सभी दतक्षण एतशयाई दे श़ोों क़ो शातमल करने के तलए एक अनुपयु क्त मोंच है ।
• व्यवसाय करने में आसानी: प्रौद्य़ोतगकी का उपय़ोग मु क्त पारगमन व्यापार क़ो सुतवधाजनक बनाने , आपूततष और रसद श्रृोंखला
तवकतसत करने , क्रेतडट की व्यापार लाइऩोों का उपय़ोग करने , कनेस्ितवटी बढ़ाने और लेनदे न लागत क़ो कम करने के तलए
तकया जा सकता है ।
कनष्कषक
• भारत क़ो अपने दतक्षण एतशयाई पड़ोस क़ो एक साझा भतवष्य वाली इकाई के रूप में और वैतिक मोंच पर भारत की
महत्वाकाों क्षाओों के तलए एक शस्क्त गुणक के रूप में दे खने के तलए अपना स्वयों का दृतष्टक़ोण ख़ोजने की आवश्यकता है । इस
लक्ष्य क़ो प्राप्त करने के तलए साकष क़ो पुनजीतवत करना आवश्यक है ।
कवगत वषो के प्रश्न (मु ख्य परीिा)
1. "भारत में बढ़ते सीमा पार आतोंकवादी हमले और पातकस्तान द्वारा कई सदस्य-राज़्ोों के आों तररक मामल़ोों में बढ़ता हस्तक्षे प
साकष (दतक्षण एतशयाई क्षेत्रीय सहय़ोग सोंगठन) के भतवष्य के तलए अनुकूल नहीों है ।" उपयुक्त उदाहरण सतहत समझाइये।
(2016)
141
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
28. किक्स
पररचय
• तिक्स पाों च प्रमुख और उभरती अथषव्यवस्थाओों का एक सोंघ है कजसमें िाजील, रूस, भारत, चीन और दकिण अफ्रीका
शातमल हैं । इस शब्द क़ो 2001 में ग़ोल्डमैन सैक्स के अथकशास्त्री कजम ओ'नील ने प्रकतपाकदत तकया था। तिक्स दे श तवतवध
क्षेत्ऱोों और महाद्वीप़ोों का प्रतततनतधत्व करते हैं और उनकी तवशेर्षता उनकी महत्वपूणष आबादी, आतथषक क्षमता और बढ़ते वैतिक
प्रभाव हैं । तिक्स के गठन का उद्दे श्य इसके सदस्य दे श़ोों के बीच आतथषक सहय़ोग, राजनीततक सोंवाद और रणनीततक साझेदारी
क़ो बढ़ावा दे ना है ।
• किक्स का मुख्य उद्दे श्य: तिक्स समू ह का उद्दे श्य सुरक्षा, शाों तत, तवकास और सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ना है । इसका लक्ष्य मानवता
के तवकास और अतधक न्यायसोंगत और न्यायपूणष तवि की स्थापना में महत्वपूणष य़ोगदान दे ना भी है ।
तथ्य एक नजर में
• यह वैतिक जनसोंख्या का लगभग 41%, वैतिक तृतीयक का 30%, वैतिक सकल घरे लू उत्पाद का लगभग 24% और
वैतिक व्यापार का लगभग 16% का प्रतततनतधत्व करता है ।
• यू.के. स्स्थत आतथषक अनुसोंधान फमष एकॉनष मैक्ऱो कोंसस्ल्टों ग द्वारा तदए गए आों कड़ोों के अनुसार, तिक्स सदस्य़ोों में जी7 के
30.7% की तुलना में तवि सकल घरे लू उत्पाद (पीपीपी) का 31.5% तहस्सा शातमल है ।
• 2019-20 में तिक्स दे श़ोों के साथ भारत का कुल व्यापार 110 तबतलयन डॉलर था और 2020-21 में यह बढ़कर 113.3
तबतलयन डॉलर ह़ो गया।
किक्स के मु द्दे और चु नौकतयां
• एकपिवाद का चीनी दृकष्ट्क़ोण: तिक्स समूह पर हावी ह़ोने और चीन के एजेंडे का समथषन करने वाले सदस्य़ोों क़ो भी स्वीकार
करने का चीन का प्रयास अन्य सदस्य दे श़ोों के तलए तचोंता का कारण है ।
• बदलता भू-राजनीकतक माहौल: 2017 में जब से अमेररका-चीन व्यापार युद् शुरू हुआ। चीन ने पतिम तवऱोधी रुख अपनाया
है , लेतकन दू सरी ओर भारत के चीन और रूस की तुलना में पतिम के साथ सौहादष पूणष सोंबोंध हैं । पतिम के तवरुद् इस रुख क़ो
अपनाने से चीन क़ो क़ोई फायदा नहीों ह़ोगा।
• व्यापार: समूह में , भारत और चीन अपे क्षाकृत उच्च तवकास दर वाले द़ो दे श बने हुए हैं , लेतकन द़ोऩोों के बीच व्यापार चीन में
समान बाजार पहुों च की कमी से लेकर भारतीय उत्पाद़ोों के स्खलाफ गैर-टै ररफ बाधाओों तक कई चु नौततय़ोों से प्रभातवत है ।
• समन्वय का अभाव: एनडीबी के तनमाष ण से परे , तिक्स के पास अपने स्वयों के सामूतहक आतथषक तवकास प्रयास़ोों क़ो बढ़ावा दे ने
के तलए बहुत कम नीततगत समन्वय है ।
• राजनीकतक मतभेद: तिक्स दे श़ोों की राजनीततक प्रणातलयाँ , तवचारधाराएों और तवदे श नीतत की प्राथतमकताएँ अलग-अलग हैं ।
ये मतभेद कभी-कभी आम सहमतत बनाने में बाधा डाल सकते हैं और वैतिक मुद्द़ोों पर एकीकृत रुख अपनाने की समूह की
क्षमता क़ो सीतमत कर सकते हैं ।
• सदस्यता का कवस्तार: कम से कम 20 दे श़ोों के औपचाररक और अनौपचाररक सदस्यता आवेदन आए हैं । बढ़ी हुई सदस्यता
सवषसम्मतत तनमाष ण में चुनौती पैदा कर सकती है ।
14वां किक्स कशखर सम्मेलन
• 14वाों तिक्स तशखर सम्मेलन वचुषअली 23 जून, 2022 क़ो आय़ोतजत तकया गया। इसकी मे जबानी चीन ने की थी। इस सम्मेलन
का तवर्षय "उच्च गुणवत्ता वाली तिक्स साझे दारी क़ो बढ़ावा दे ना, वैतिक तवकास के तलए एक नए यु ग की शुरूआत" था।
• इस दौरान कनम्न मुद्द़ों पर चचाक की गई:
142
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o वैकश्वक मुद्दे: ने ताओों ने महत्वपूणष वैतिक मुद्द़ोों पर चचाष की, जैसे बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार, क़ोतवड-19 महामारी और
वैतिक आतथषक सुधार आतद।
o किक्स क़ो मजबूत बनाना: प्रधानमोंत्री ने तिक्स पहचान क़ो मजबूत करने की वकालत की और तिक्स पत्ऱोों के तलए एक
ऑनलाइन डे टाबेस, तिक्स रे लवे ररसचष नेटवकष और बे हतर एमएसएमई सहय़ोग के तनमाष ण का प्रस्ताव रखा।
o 'बीकजंग घ़ोषणा': यह गठबोंधन यू क्रेन क़ो मानवीय राहत प्रदान करने के तलए रे ड क्रॉस की अोंतराष ष्टरीय सतमतत
(आईसीआरसी) और सोंयुक्त राष्टर की पहल का समथषन करने के तलए तैयार है ।
भारत के कलए किक्स का महत्व
• आकथकक अवसर: तिक्स भारत क़ो आतथषक सहय़ोग बढ़ाने और सदस्य दे श़ोों के तवशाल बाजाऱोों में पै ठ बनाने के तलए एक मोंच
प्रदान करता है ।
• भू-राजनीकतक प्रभाव: तिक्स का सदस्य ह़ोने से वैतिक मोंच पर भारत की भू -राजनीततक स्स्थतत बढ़ती है । यह भारत क़ो
महत्वपूणष वैतिक मुद्द़ोों पर अपनी तचोंताओों, तहत़ोों और तवचाऱोों क़ो व्यक्त करने के तलए एक मोंच प्रदान करता है , तजससे उसे
अोंतराष ष्टरीय एजें डे क़ो आकार दे ने की अनुमतत तमलती है ।
• कवकासात्मक सहय़ोग: न्यू डे वलपमेंट बैं क (एनडीबी) जैसी तिक्स पहल भारत क़ो बुतनयादी ढाों चे के तवकास और तटकाऊ
पररय़ोजनाओों के तलए तवत्तीय सोंसाधऩोों तक पहुों च प्रदान करती है ।
• उदाहरण: एनडीबी ने 2015-2020 के बीच के वर्षों में सभी सदस्य दे श़ोों में 25.07 तबतलयन अमेररकी डॉलर (एनडीबी
आपातकालीन सहायता सुतवधा के तहत ऋण सतहत) की 70 बुतनयादी ढाों चे और सतत तवकास पररय़ोजनाओों क़ो मोंजूरी दी है ।
इसमें भारत में 6.9 तबतलयन अमेररकी डॉलर की 18 पररय़ोजनाएों शातमल हैं । (2021 के अनुसार)
• राजनकयक जुडाव: तिक्स भारत क़ो सदस्य दे श़ोों के साथ तनयतमत राजनतयक सोंवाद और आदान-प्रदान में शातमल ह़ोने की
अनुमतत दे ता है । यह जुडाव तद्वपक्षीय और बहुपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करता है , राजनीततक और रणनीततक सहय़ोग क़ो
बढ़ावा दे ता है ।
• ज्ञान साझा करना और सवोत्तम प्रथाएं : तिक्स ज्ञान साझा करने , सवोत्तम प्रथाओों के आदान-प्रदान और स्वास्थ्य दे खभाल,
तशक्षा, तवज्ञान और प्रौद्य़ोतगकी जैसे तवतभन्न क्षेत्ऱोों में सहय़ोग के तलए एक मों च प्रदान करता है । यह सहय़ोग भारत क़ो अन्य सदस्य
दे श़ोों के अनुभव़ोों से सीखने और सफल रणनीततय़ोों क़ो लागू करने में सक्षम बनाता है ।
आगे की राह:
• ल़ोग़ों से ल़ोग़ों के बीच आदान-प्रदान क़ो बढाना: तिक्स के बीच साों स्कृततक सोंबोंध और ल़ोग़ों से ल़ोग़ों के बीच संपकक
सदस्य़ोों के बीच आपसी समझ और तविास क़ो बढ़ावा दे सकता है । भारत तिक्स दे श़ोों के बीच शैक्षतणक आदान-प्रदान, पयषटन,
खेल, मीतडया, कला आतद की सुतवधा प्रदान करके इस पहलू में य़ोगदान दे सकता है ।
• राजनकयक जुडाव: भारत अपने राजनतयक कौशल और नेतृत्व का उपय़ोग अन्य तिक्स सदस्य़ोों के साथ सोंयुक्त राष्टर, जी20,
डब्ल्यूटीओ जै से तवतभन्न बहुपक्षीय मोंच़ोों पर समन्वय करने के तलए कर सकता है , तातक उनके सामान्य तहत़ोों की रक्षा और प्रचार
तकया जा सके।
• बहुिेत्रीय जुडाव: स्वास्थ्य, तशक्षा, तवज्ञान और प्रौद्य़ोतगकी, कृतर्ष, पयाष वरण, ऊजाष, श्रम, आपदा प्रबोंधन, भ्रष्टाचार-तवऱोधी,
नशीली दवाओों-तवऱोधी जैसे तवतभन्न क्षेत्ऱोों में तिक्स के बीच सहय़ोग के दायरे और गहराई का तवस्तार करना।
• बुकनयादी ढांचा कनेस्िकवटी बढाना : भारत क़ो तिक्स क्षे त्र के भीतर बुतनयादी ढाों चा कनेस्ितवटी बढ़ाने के उद्दे श्य से पहल
में सतक्रय रूप से भाग ले ना चातहए। पररवहन नेटवकष, तडतजटल कनेस्ितवटी और ऊजाष जैसी बुतनयादी ढाों चा पररय़ोजनाओों पर
सहय़ोग क्षेत्रीय एकीकरण और व्यापार सुतवधा क़ो बढ़ावा दे सकता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
न्यू डे वलपमें ट बैं क (एनडीबी)
न्यू डे वलपमें ट बैंक (एनडीबी) उभरती अथष व्यवस्थाओों में बुतनयादी ढाों चे और सतत तवकास पररय़ोजनाओों का समथषन करने के तलए
तिक्स दे श़ोों (िाजील, रूस, भारत, चीन और दतक्षण अफ्रीका) द्वारा स्थातपत एक बहुपक्षीय तवत्तीय सोंस्थान है । इसका उद्दे श्य बुतनयादी
ढाों चे के तवकास के तलए तवत्त प़ोर्षण का एक वैकस्िक स्ऱोत प्रदान करना और अपने सदस्य दे श़ोों के बीच आतथषक सहय़ोग क़ो
बढ़ावा दे ना है ।
संबद्ध मुद्दे:
• पूंजीकरण और संसाधन: सदस्य दे श़ोों से पयाष प्त पूोंजी य़ोगदान सुतनतित करना और अन्य तनवे शक़ोों क़ो आकतर्षषत करना
एनडीबी के तलए तनरों तर चुनौततयाों हैं , तजससे पररय़ोजनाओों क़ो प्रभावी ढों ग से तवत्तप़ोतर्षत करने की इसकी क्षमता प्रभातवत ह़ो
रही है ।
• पाइपलाइन पररय़ोजना और कायाकन्वयन: एनडीबी क़ो पररय़ोजनाओों की एक मजबू त पाइपलाइन की पहचान करने और
प्राथतमकता दे ने, कठ़ोर पररश्रम करने और दे री और लागत वृस्द् से बचने के तलए कुशल पररय़ोजना कायाष न्वयन सुतनतित करने
की आवश्यकता है ।
• शासन और कनणकय लेना: तवतभन्न सदस्य दे श़ोों के बीच तनणषय लेने की प्रतक्रयाओों क़ो सोंतुतलत करना, पारदतशषता सुतनतित
करना और प्रभावी शासन तोंत्र एनडीबी के तलए प्रमुख चुनौततयाों हैं ।
• अन्य संथथाऩों के साथ समन्वय: प्रयास़ोों के द़ोहराव से बचने और पू रक शस्क्तय़ोों का लाभ उठाने के तलए अन्य बहुपक्षीय
तवकास बैंक़ोों और तवत्तीय सों स्थाऩोों के साथ प्रभावी समन्वय सुतनतित करना एनडीबी के तलए आवश्यक है ।
• ज़ोस्खम प्रबंधन और स्थथरता: उधार और तनवेश गतततवतधय़ोों से जुडे तवत्तीय ज़ोस्खम़ोों का प्रबोंधन और सतत तवकास प्रथाओों
क़ो बढ़ावा दे ना एनडीबी के सों चालन और दीघषकातलक प्रभाव के तलए महत्वपूणष तवचार हैं ।
कनष्कषक
तिक्स दे श़ोों के साथ सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करने से भारत क़ो बढ़ी हुई बाजार पहुों च, तनवेश के अवसर और राजनतयक लाभ तमल सकते
हैं । भारत के तलए तिक्स पहल़ोों में सतक्रय रूप से भाग ले ना, बुतनयादी ढाों चे के तवकास जैसे प्रमुख क्षेत्ऱोों में सहय़ोग क़ो बढ़ावा दे ना
और सोंघ के भीतर तटकाऊ और समावेशी तवकास में य़ोगदान दे ना महत्वपूणष है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• अपयाकप्त कनकध: तबम्सटे क सतचवालय क़ो अपने पररचालन कायों के तलए अपयाष प्त तवत्तीय और जनशस्क्त सहायता की समस्या
का सामना करना पडता है ।
• क़ोई तटीय कशपमेंट नही ं: तबम्सटे क सदस्य़ोों ने अभी तक एक भी आकर्षषक और साझा तटीय तशपमेंट पाररस्स्थततकी तोंत्र का
तनमाष ण नहीों तकया है और उन्ें अक्सर क्षे त्रीय सीमाओों क़ो पार करने वाले मछु आऱोों की तहरासत का भी सामना करना पडता
है ।
• कम व्यापार: अपने कुल तवदे शी व्यापार के प्रततशत के रूप में तबम्सटे क दे श़ोों के साथ भारत के वातर्षषक व्यापार का प्रततशत
1950 के दशक में द़ोहरे अों क़ोों में था, लेतकन 2020 तक यह 4% तक तसमट गया।
• आपसी सहय़ोग और कवश्वास का अभाव: यह भी दे खा गया है तक कई बार तबम्सटे क सदस्य दे श उन वस्तुओों का आयात
नहीों करते हैं ज़ो अन्य सदस्य़ोों द्वारा तनतमषत और तनयाष त की जाती हैं , बस्ल्क अन्य गै र-सदस्य दे श़ोों से आयात करते हैं ।
• कशखर सम्मेलन में असंगतता: 25 वर्षों में केवल पाों च तशखर सम्मेलन हुए हैं । इस बीच, अब तक 18 मोंतत्रस्तरीय बैठकें ह़ो
चुकी हैं । 2014 से 2017 के बीच वररष्ठ अतधकाररय़ोों की बैठक सात बार स्थतगत की गई।
आगे की राह:
• तबम्सटे क मु क्त व्यापार समझौते (एफटीए) क़ो अोंततम रूप दे ना, तजस पर 2004 से बातचीत चल रही है । एफटीए सदस्य़ोों के
बीच अोंतर-क्षेत्रीय व्यापार और तनवेश क़ो बढ़ावा दे सकता है और भारतीय कोंपतनय़ोों के तलए एक बडा बाजार प्रदान कर सकता
है ।
• पररवहन कने स्ितवटी पर तबम्सटे क मास्टर प्लान (बीएमपीटीसी) क़ो लागू करना, तजसे 2020 में अपनाया गया था।
बीएमपीटीसी सदस्य़ोों के बीच भौततक और तडतजटल कने स्ितवटी में सु धार कर सकता है और माल और ल़ोग़ोों की आवाजाही
क़ो सुतवधाजनक बना सकता है ।
• ऊजाष क्षेत्र, तवशेर्ष रूप से नवीकरणीय ऊजाक और प्राकृकतक गैस के िेत्र में सहय़ोग क़ो मजबूत करना। तबम्सटे क के पास
इस क्षेत्र में काफी सोंभावनाएों हैं क्य़ोोंतक उसके पास सौर, पवन, पनतबजली और बाय़ोमास ऊजाष जैसे प्रचुर सोंसाधन हैं ।
• सुरिा िेत्र में सहय़ोग बढाना, तवशेर्षकर आतोंकवाद, उग्रवाद, मादक पदाथों की तस्करी और साइबर अपराध से तनपटने में ।
तबम्सटे क ने इन मु द्द़ोों के समाधान के तलए एक सुरक्षा सोंवाद तोंत्र और एक आतोंकवाद तवऱोधी केंद्र की स्थापना की है ।
• तबम्सटे क दे श़ोों के बीच ल़ोग़ों के बीच आदान-प्रदान और सांस्कृकतक संबंध़ों क़ो बढावा दे ना, तजससे सदस्य़ोों के बीच
आपसी समझ और तविास क़ो बढ़ावा तमल सके।
कनष्कषक :
तबम्सटे क के साथ भारत की सतक्रय भागीदारी व्यापार और तनवेश क़ो बढ़ावा दे सकती है , कनेस्ितवटी बढ़ा सकती है , साों स्कृततक
आदान-प्रदान क़ो बढ़ावा दे सकती है और आम सुरक्षा चु नौततय़ोों का समाधान कर सकती है । तबम्सटे क सदस्य दे श़ोों के साथ अपने
सोंबोंध़ोों क़ो मजबूत करके, भारत सों गठन के एजेंडे क़ो आकार दे ने, क्षेत्रीय स्स्थरता में य़ोगदान दे ने और बों गाल की खाडी क्षेत्र में सतत
तवकास क़ो बढ़ावा दे ने में महत्वपूणष भूतमका तनभा सकता है ।
छात्ऱों के ऩोट: :
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मु द्दे और चु नौकतयां :
• कववाद और िेत्रीय दावे: आतसयान सदस्य दे श़ोों का तवशेर्षरुप से चीन के साथ दतक्षण चीन सागर में क्षेत्रीय तववाद है । ये तववाद
सोंगठन के भीतर तनाव पैदा कर सकते हैं और एकीकृत प्रतततक्रया के तनमाष ण में बाधा डाल सकते हैं ।
• सीकमत संथथागत िमता: आतसयान की सोंस्थागत क्षमता और तनणषय लेने की प्रतक्रयाओों की कभी-कभी धीमी, ब़ोतझल और
प्रवतषन की कमी के तलए आल़ोचना की जाती है । सवषसम्मतत-आधाररत तनणषय ले ने का दृतष्टक़ोण तवशेर्षरुप से सों वेदनशील या
तववादास्पद मुद्द़ोों पर सोंगठन की त्वररत और तनणाष यक कारष वाई करने की क्षमता क़ो बातधत कर सकता है ।
• सामाकजक-आकथकक असमानताएं : आतसयान सदस्य दे श़ोों में आतथषक तवकास और आय असमानताओों के मामले में काफी
तभन्नता है । इन अोंतऱोों क़ो कम करना और क्षे त्र के भीतर समावेशी तवकास क़ो बढ़ावा दे ना एक चुनौती बनी हुई है ।
• लॉकजस्स्ट्क चुनौकतयां: आपूततष श्रृोंखला स्थातपत करने में चुनौततयाों , खराब बुतनयादी ढाों चा, खराब समुद्री और हवाई
कनेस्ितवटी, जतटल कर और शुल्क सोंरचनाओों में शातमल नौकरशाही लागत भारत और आतसयान दे श़ोों के बीच एफडीआई
प्रवाह और एसएमई सहय़ोग में बाधा डालती हैं ।
आगे की राह:
• बाहरी प्रभाव से कनपटना: चीन, सोंयुक्त राज् अमेररका और जापान सतहत प्रमुख शस्क्तयाों आतसयान क्षेत्र के भीतर प्रभाव
डालना चाहती है , ज़ो सोंगठन की तनणषय लेने की प्रतक्रया और क्षे त्रीय मुद्द़ोों पर सामूतहक रुख क़ो प्रभातवत कर सकता है ।
• बुकनयादी ढांचे और कनेस्िकवटी अंतराल क़ो भरना: आतथषक एकीकरण क़ो बढ़ावा दे ने और क्षेत्र के भीतर वस्तु ओ,ों सेवाओों
और ल़ोग़ोों की आवाजाही क़ो सुतवधाजनक बनाने के तलए क्षेत्रीय कनेस्ितवटी क़ो बढ़ाना और बुतनयादी ढाों चे की कतमय़ोों क़ो
दू र करना महत्वपूणष है ।
• सामाकजक-आकथकक असमानताओं क़ो दू र करना: सामातजक-आतथषक असमानताओों क़ो दू र करना और क्षेत्रीय एकीकरण
से ह़ोने वाले लाभ़ोों का समान तवतरण सुतनतित करना आतसयान के तलए तचोंता का तवर्षय है , तजससे प्रभावी ढों ग से तनपटने की
आवश्यकता है ।
कनष्कषक
• इन मुद्द़ोों और चुनौततय़ोों से तनपटने के तलए आतसयान सदस्य दे श़ोों द्वारा सोंस्थागत प्रभावशीलता बढ़ाने , बातचीत क़ो बढ़ावा दे ने,
तविास बनाने और क्षेत्रीय सहय़ोग क़ो मजबूत करने के तलए तनरों तर प्रयास़ोों की आवश्यकता है । साथ तमलकर काम करके ,
आतसयान इन चुनौततय़ोों पर काबू पा सकता है और क्षेत्रीय एकीकरण, शाों तत, स्स्थरता और साझा समृस्द् के अपने लक्ष्य़ोों क़ो
प्राप्त कर सकता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• िेत्रीय सहय़ोग पहल क़ो मजबूत करना: भारत अपने रणनीततक और आतथषक तहत़ोों के अनुरूप अन्य क्षेत्रीय सहय़ोग पहल़ोों
में सतक्रय रूप से शातमल ह़ो सकता है । उदाहरण के तलए, तहों द-प्रशाों त अवधारणा, बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आतथषक सहय़ोग
के तलए बोंगाल की खाडी पहल (तबम्सटे क), और तहों द महासागर ररम एस़ोतसएशन (आईओआरए) जै सी पहल आतथषक सहय़ोग
क़ो बढ़ावा दे ने और क्षे त्रीय एकीकरण क़ो मजबूत करने के तलए मोंच प्रदान करती हैं ।
• सेवाओं और कडकजटल अथकव्यवथथा पर ध्यान: भारत सेवाओों में अपनी ताकत का लाभ उठा सकता है , तवशेर्ष रूप से आईटी,
स्वास्थ्य सेवा, तशक्षा और पेशेवर सेवाओों जै से क्षेत्ऱोों में । सेवाओों और तडतजटल अथषव्यवस्था ड़ोमेन में अपनी उपस्स्थतत का तवस्तार
करके, भारत इस क्षेत्र में बढ़ती माों ग का लाभ उठा सकता है और अपने प्रततस्पधी लाभ क़ो बढ़ा सकता है ।
• कनयाकत कवकवधीकरण क़ो बढावा दे ना: भारत मूल्यवतधषत और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद़ोों क़ो बढ़ावा दे कर अपनी तनयाष त
ट़ोकरी के तवतवधीकरण क़ो प्ऱोत्सातहत कर सकता है । तवतशष्ट बाजाऱोों की पहचान करके और तनयाष त क्षमता वाले क्षेत्ऱोों में तनवेश
करके, भारत तवतशष्ट उत्पाद श्रेतणय़ोों पर तनभषरता कम कर सकता है और अपने तनयाष त आधार का तवस्तार कर सकता है ।
• रणनीततक साझेदारी बनाने , अनुकूल काऱोबारी माहौल क़ो बढ़ावा दे ने और तवकतसत ह़ो रहे वैतिक आतथषक पररदृश्य में भारत
की अनूठी ताकत और अवसऱोों का लाभ उठाने पर ध्यान केंतद्रत तकया जाना चातहए।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o उदाहरण के कलए: ऑस्टर े तलयाई तनयाष त का 38% चीन क़ो ह़ोता है । चीन सभी क्वाड सदस्य़ोों का सबसे बडा व्यापाररक
भागीदार भी है ।
• अलग-अलग िमताएं : 4 सदस्य़ोों के पास अलग-अलग सैन्य और आतथषक सोंसाधन हैं । सदस्य़ोों की भूतमका और तजम्मेदाररय़ोों
के सोंबोंध में सदस्य़ोों के बीच आम सहमतत का अभाव है ।
• तवतभन्न प्राथतमकताएों : भारत का ध्यान तहों द महासागर क्षेत्र पर है लेतकन अन्य 3 सदस्य़ोों का ध्यान प्रशाों त महासागर पर है ।
• नामकरण की दु कवधा: तवशाल आतथषक परस्पर तनभषरता के कारण सदस्य चीन क़ो मु ख्य रणनीततक प्रततद्वों द्वी के रूप में नातमत
करने में अतनच्छु क हैं ।
आगे की राह:
• आकसयान की केंद्रीयता: क्वाड सदस्य़ोों क़ो इस तसद्ाों त क़ो स्वीकार करना चातहए क्य़ोोंतक यह चीन की केंद्रीयता क़ो अस्वीकार
करे गा और साथ ही क्वाड की तविसनीयता और वैधता क़ो बढ़ाएगा।
• क्वाडप्लस:
o तवयतनाम, न्यूजीलैंड, दतक्षण क़ोररया आतद जैसे दे श़ोों क़ो शातमल करने के तलए सदस्यता बढ़ाई जा सकती है , ज़ो समान
तहत साझा करते हैं ।
o यूऱोपीय दे श यूके और फ्राों स तजनके पास इस क्षेत्र में नौसैतनक अड्डे हैं , उन्ें भी तवस्ताररत क्वाड में शातमल तकया जा
सकता है ।
• सुरिा सहय़ोग क़ो गहरा करना: क्वाड क़ो तनयतमत सों वाद, सोंयुक्त सै न्य अभ्यास और सूचना साझाकरण के माध्यम से अपने
सुरक्षा सहय़ोग क़ो बढ़ाना जारी रखना चातहए।
• गैर-पारं पररक सुरिा चुनौकतय़ों का समाधान: क्वाड क़ो जलवायु पररवतषन, समुद्री सुरक्षा, साइबर खतऱोों और सावषजतनक
स्वास्थ्य सोंकट जैसी गैर-पारों पररक सुरक्षा चु नौततय़ोों से तनपटने के तलए सतक्रय रूप से सहय़ोग करना चातहए।
कनष्कषक
• क्वाड के भीतर अपने सहय़ोग के माध्यम से , इन दे श़ोों का लक्ष्य क्षेत्रीय तवकास क़ो आकार दे ना, अपने तहत़ोों की रक्षा करना और
शाों ततपूणष, स्स्थर और समृद् भारत-प्रशाों त क्षेत्र में य़ोगदान दे ना है ।
छात्ऱों के ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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• नए खतऱोों के तलए गठबों धन क़ो अपनाना: नाट़ो ने 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सजषन क़ो कम से कम 45 प्रततशत तक कम
करने और 2050 तक शुद् शून्य तक पहुों चने पर सहमतत व्यक्त की है और द़ोहरे उपय़ोग वाली उभरती प्रौद्य़ोतगतकय़ोों क़ो
तवकतसत करने वाले स्टाटष -अप में € 1 तबतलयन का तनवेश करने के तलए नाट़ो इऩोवेशन फोंड लॉन्च तकया है ।
o सहय़ोग क़ो मजबूत करने और वैतिक तचोंताओों क़ो हल करने के तलए पहली बार ऑस्टर े तलया, जापान, न्यूजीलैंड और
क़ोररया गणराज् ने नाट़ो तशखर सम्मेलन में भाग तलया।
• कफनलैंड और स्वीडन की सदस्यता: नाट़ो में शातमल ह़ोने के तलए तफनलैंड और स्वीडन क़ो आतधकाररक तनमोंत्रण ने सोंभातवत
सदस्य़ोों के तलए ओपन ड़ोर नीतत के प्रतत नाट़ो की प्रततबद्ता द़ोहराई।
• दकिण से चुनौकतयां: तनवारण और रक्षा के तलए नाट़ो का 360-तडग्री दृतष्टक़ोण, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण उत्पन्न
खाद्य सोंकट की चचाष , और भागीदार दे श़ोों के तलए नए सहायता पैकेज।
• नाट़ो के साझा आदशों क़ो द़ोहराना : सहय़ोतगय़ोों ने सामूतहक रक्षा, तनयम-आधाररत अोंतराष ष्टरीय व्यवस्था और व्यस्क्तगत
स्वतोंत्रता, मानवातधकार, ल़ोकतोंत्र और कानून के शासन के साझा मूल्य़ोों के प्रतत अपनी प्रततबद्ता की पुतष्ट की है ।
नाट़ो कवस्तार के मु द्दे
• गठबंधन क़ो कमज़ोर करने वाली सदस्यता में वृस्द्ध: नाट़ो की बढ़ती सदस्यता गठबोंधन क़ो कमज़ोर करने और इसकी
अनुच्छेद V प्रततबद्ता क़ो कमज़ोर करने का ज़ोस्खम उठाती है , तजससे यह एक सैन्य सों गठन की तुलना में अतधक राजनीततक
सोंगठन बन जाता है ।
• कनरं तर कवस्तार क़ो समाप्त करना मुस्िल है : नाट़ो के तवस्तार क़ो पूरा करना मुस्िल है , क्य़ोोंतक यह बास्ल्टक गणराज़्ोों
और यूक्रेन जै से अन्य दे श़ोों द्वारा महसूस की जाने वाली सुरक्षा की भावना क़ो कम कर सकता है । तनकट भतवष्य के तलए, उन्ें
शाों तत के तलए साझेदारी और अमेररका और पतिम के साथ अन्य सों बोंध़ोों से तनपटना ह़ोगा।
• नाट़ो कवस्तार की आकथकक लागत अवहनीय है : नाट़ो तवस्तार की लागत 2010 तक $ 27 और $ 35 तबतलयन के बीच ह़ोने
का अनुमान है , तजसमें अमेररका कुल का एक ततहाई या अतधक य़ोगदान दे ता है ।
• नाट़ो अपने प्राथकमक उद्दे श्य से भटक रहा है : पूवी और मध्य यूऱोप क़ो सैन्य सुरक्षा के साथ-साथ राजनीततक और आतथषक
मदद प्रदान करने के तलए शाों तत और यूऱोपीय सोंघ के तलए साझेदारी का तवस्तार तकया जा सकता है । तवऱोतधय़ोों का मानना है
तक यह अनावश्यक है और शीत युद् के बाद की अमेररकी तवदे श नीतत के प्राथतमक उद्दे श्य़ोों से ध्यान भटकाता है ।
• नाट़ो के कवस्तार के कारण बढते संघषक: समग्र रूप से क्षेत्र के तलए नाट़ो का तवस्तार नई समस्याएों पैदा करता है , जैसे तक
बढ़ते सोंघर्षष। पू वी-मध्य यू ऱोप के दे श बडे पै माने पर नाट़ो में शातमल ह़ोने के पक्ष में हैं , लेतकन ज़ोस्खम तकसी भी सोंभातवत लाभ
से अतधक है ।
भारत और नाट़ो: भारत पहले नाट़ो के साथ शाकमल ह़ोने से क़्ों बचता रहा ?
• रणनीकतक रूप से स़ोचने में कवफल: भारत के तलए मुख्य मुद्दा नाट़ो नहीों है , बस्ल्क यूऱोप के बारे में रणनीततक रूप से स़ोचने
में असमथषता है ।
• रूस के साथ गठबंधन: कलकत्ता और तदल्ली ने पू रे औपतनवेतशक युग में यू ऱोप क़ो तितटश आों ख़ोों से दे खा, लेतकन स्वतों त्रता
के बाद, उऩ्ोोंने इसे रूसी आों ख़ोों से दे खा।
o बतलषन की दीवार के तगरने और स़ोतवयत सोंघ के पतन के बाद एक नए दृतष्टक़ोण की आवश्यकता थी, लेतकन तदल्ली
रणनीततक रुप से ध्यान दे ने में असमथष थी तजसकी यूऱोप क़ो आवश्यकता थी।
• रूस और पकिम के प्रकत डी-हाइफ़नेशन नीकत की आवश्यकता: तदल्ली ने हाल के वर्षों में एक स्वायत्त यूऱोपीय ढाों चा बनाना
शुरू कर तदया है , लेतकन समे कन के मामले में इसे अभी भी एक लोंबा रास्ता तय करना है ।
यूऱोप की राजनीकतक उपेिा क़ो समाप्त करना:
• भारत ने स्पष्ट रूप से यू ऱोप की लोंबी राजनीततक उपेक्षा क़ो समाप्त करने का प्रयास तकया है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o इसका एक उदाहरण 2018 से फ्राों स के साथ बढ़ता समुद्री सहय़ोग है ।
• दू सरा कदम 2019 में बहुपक्षवाद के तलए फ्रेंक़ो-जमषन गठबोंधन में शातमल ह़ोना ह़ोगा।
• 2018 में नॉतडष क दे श़ोों के साथ भारत के पहले तशखर सम्मे लन में यूऱोप क़ो एक म़ोऩोतलथ महाद्वीप के बजाय उप-क्षेत्ऱोों के एक
महाद्वीप के रूप में मान्यता दी गई।
• मध्य यू ऱोप के तवसेग्रेड फ़ोर में भारत की भागीदारी ने यह भी प्रदतशषत तकया तक यूऱोप एक म़ोऩोतलथ नहीों है ।
भारत क़ो नाट़ो के साथ क़्ों जुडना चाकहए?
• शीत युद् के दौरान भारत की अतनच्छा उसकी गुटतनरपेक्षता पर आधाररत थी।
• 1989-91 में शीत युद् समाप्त ह़ोने के बाद वह तकष मान्य नहीों रह गया था।
• भारत-नाट़ो चचाष का मतलब सीधे तौर पर एक सैन्य गठबों धन के साथ लगातार बातचीत करना ह़ोगा, तजसके अतधकाों श सदस्य
भारत के दीघषकातलक साझेदार हैं ।
• अगर तदल्ली भारत-प्रशाों त वाताष में अतनच्छु क रूस क़ो लाने के तलए प्रततबद् है , त़ो नाट़ो के साथ सहय़ोग छ़ोडने का क़ोई
मतलब नहीों है ।
• अगर तदल्ली शों घाई सहय़ोग सोंगठन (एससीओ) के तत्वावधान में चीन और पातकस्तान के साथ सैन्य अभ्यास करता है त़ो नाट़ो
से बात करने में आपतत्त क्य़ोों ह़ोनी चातहए?
• यूऱोप और नाट़ो क़ो तहों द-प्रशाों त में क़ोई भी भूतमका तनभाने के तलए भारत, ऑस्टर े तलया और जापान जैसे साझेदाऱोों की
आवश्यकता है ।
रूस क्ा चाहता है ?
• रूस ने क्वाड और तदल्ली के वातशोंगटन के साथ तवकतसत ह़ो रहे सोंबोंध़ोों के प्रतत अपने तवऱोध क़ो तबना तछपाए हुए, जगजातहर
तकया है ।
• इसमें नाट़ो क़ो शातमल करने से ज्ादा फकष पडने की सों भावना नहीों है ।
• बदले में, तदल्ली मास्क़ो और बीतजोंग के बीच बढ़ते सों बोंध़ोों से खुश नहीों ह़ो सकती।
• पररपक्व राष्टऱोों के रूप में, भारत और रूस आज दु तनया भर में व्यापक सों रचनात्मक बदलाव़ोों से अपने तद्वपक्षीय सोंबोंध़ोों क़ो बचाने
के महत्व क़ो समझते हैं ।
• इस बीच, रूस और चीन यू ऱोप के साथ व्यापक तद्वपक्षीय बातचीत में सों लग्न हैं ।
कनष्कषक
• नाट़ो के साथ व्यावहाररक जु डाव भारत के नए यू ऱोपीय अतभतवन्यास का एक प्रमुख घटक ह़ोना चातहए, खासकर जब महाद्वीप
भारत-प्रशाों त में एक नई स्स्थतत चाहता है । नाट़ो जैसी प्रमुख यूऱोपीय सोंस्था से जुडने के तलए भारत की तनरों तर अतनच्छा
रणनीततक आत्म-त्याग का एक चौोंकाने वाला उदाहरण ह़ोगी, तजससे हमें बचना चातहए।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• 21वी ं सदी के कलए बहुपिीय संथथान: डब्ल्यूटीओ, डब्ल्यूएचओ और अन्य सोंयुक्त राष्टर तनकाय़ोों में सुधार लाकर अोंतरराष्टरीय
सोंस्थाऩोों का ल़ोकतोंत्रीकरण करना बहुपक्षवाद क़ो प्राप्त करने के तलए सवोच्च प्राथतमकताओों में से एक है ।
• मकहला-नेतृत्व वाला कवकास: भारत ने तवकास की कहानी क़ो मतहलाओों के तवकास से मतहला-नेतृत्व वाले तवकास में बदलने
की क़ोतशश की है ।
भारत िारा चु नी गई प्राथकमकताओं का कवश्ले ष ण
• भारत की अध्यक्षता द्वारा तनधाष ररत प्राथतमकताएों भारत की सों स्कृतत के अतीत और वतष मान का प्रतततबोंब हैं ।
• यह राष्टर की बहुलवादी परों पराओों क़ो दशाष ता है ।
• इन प्राथतमकताओों में बुतनयादी ढाों चे का तवकास भी शातमल है ।
• वे डब्ल्यूटीओ, डब्ल्यू एचओ और अन्य सोंयुक्त राष्टर तनकाय़ोों के तोंत्र क़ो चुनौती दे ते हैं ।
• यह व्यस्क्तय़ोों क़ो पयाष वरण सोंरक्षण (एलआईएफई के माध्यम से ) का एक महत्वपूणष तहस्सा बनाने के तलए तैयार है ।
• यह न केवल मतहलाओों की भागीदारी सुतनतित करता है बस्ल्क अतनवायष रूप से मतहलाओों के नेतृत्व वाला तवकास भी सुतनतित
करता है ।
अध्यिता का महत्व
• कनणाकयक समय में भूकमका: भारत का नेतृत्व बहुत ही महत्वपूणष समय में आया है । दु तनया सामूतहक रूप से महामारी के
अत्याचाऱोों से उबर रही है और रूस-यू क्रेन युद् दे ख रही है ।
• ग्ल़ोबल साउथ का उद्भव: भारत की अध्यक्षता इों ड़ोनेतशया और िाजील की ततकडी में तनतहत है , ज़ो ग्ल़ोबल साउथ के अन्य
द़ो दे श हैं । ग्ल़ोबल साउथ से लगातार तीन अध्यक्षता के साथ, इसके पास उन तचोंताओों क़ो दू र करने का एक अनूठा मौका है
ज़ो ग्ल़ोबल साउथ के तवकास क़ो बातधत करते हैं ।
• भारत एक वैकश्वक शांकतदू त के रूप में: दु तनया ने भारत की अध्यक्षता क़ो रूस और यूक्रेन के बीच शाों तत लाने के एक मोंच के
रूप में भी दे खना शुरू कर तदया है । इस प्रकार भारत ने वैतिक शाों ततदू त का स्थान प्राप्त कर तलया है ।
• आपदा प्रबंधन: भारत की G20 अध्यक्षता आपदा प्रबोंधन में रास्ता तदखा सकती है ।
o आपदा ज़ोस्खम न्यूनीकरण पर कायष समू ह G20 के तलए अगले सात वर्षों में सेंदाई ढाों चे के कायाष न्वयन में नेतृत्व करने का
एक अवसर है ।
• वैकश्वक स्वास्थ्य चुनौकतय़ों का समाधान: भारत की G20 अध्यक्षता वैतिक स्वास्थ्य चु नौततय़ोों का समाधान कर सकती है और
भतवष्य की महामाररय़ोों क़ो ऱोकने के तलए वैतिक शासन क़ो मजबूत करने में मदद कर सकती है ।
o भारत अपनी तडतजटल स्वास्थ्य सोंरचना, तजसमें क़ोतवन और राष्टरीय तडतजटल स्वास्थ्य तमशन (एनडीएचएम) जैसी तकनीकी
सफलताएों शातमल हैं , क़ो अन्य दे श़ोों के साथ साझा कर सकता है और उनकी क्षमताओों का तनमाष ण कर सकता है ।
• एसआईडीएस, एलडीसी आकद की जरूरत़ों क़ो संब़ोकधत करना: तवकासशील दे श़ोों, छ़ोटे द्वीप तवकासशील राज़्ोों, सबसे
कम तवकतसत दे श़ोों और रसातल के तकनारे पर खडे ल़ोग़ोों की तत्काल जरूरत़ोों क़ो पू रा करें ।
• भारत-ईयू सहय़ोग: भारत और यूऱोप जी20 क़ो सहय़ोग के तलए एक मोंच के रूप में उपय़ोग कर सकते हैं और सफल उत्तर-
दतक्षण सहय़ोग की सोंभावनाओों का एक प्रासोंतगक उदाहरण प्रदतशषत कर सकते हैं ।
o यह तीन प्राथतमकता वाले क्षेत्ऱोों में भारत-यू ऱोपीय सोंघ के सहय़ोग का मामला बनता है : सुधाररत बहुपक्षवाद, जलवायु
कारष वाई और ऊजाष पररवतषन, और रूस-यू क्रेन सोंघर्षष पर जी20 नीतत तैयार करना।
• कबम्सटे क दे श़ों के कलए महत्वपूणक: भारत की जी 20 अध्यक्षता बाों ग्लादे श और म्ाों मार जैसे तबम्सटे क दे श़ोों के तलए आतथषक
रूप से महत्वपूणष है क्य़ोोंतक बाद के दे श़ोों के साथ मौजूदा भारतीय व्यापार सोंबोंध , भारत के पूवोत्तर तक पहुों च, और बेहतर
बहुपक्षीय सों बोंध बनाने के तलए भारत के पड़ोसी पहले और एि ईस्ट नीततय़ोों के तलए उनकी प्रमुखता है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
सफलता
• भारत ने तवशेर्ष रूप से अफ्रीकी भूभाग की अनूठी तवकासात्मक अतनवायषताओों क़ो सामने रखा है ।
• जनभागीदारी: 'जनभागीदारी' (या शासन में व्यापक नागररक भागीदारी) के ल़ोकाचार ने G20 और इसके तवचाऱोों क़ो युवाओों,
मतहलाओों, व्यवसाय़ोों और नागररक समाज जैसे तनवाष चन क्षेत्ऱोों में ले जाने के भारत की अध्यक्षता के प्रयास़ोों क़ो रे खाों तकत तकया
है ।
• वसुधैव कुटुं बकम: 'एक पृथ्वी, एक पररवार, एक भतवष्य' के तसद्ाों त द्वारा तनदे तशत और 'वसुधैव कुटुों बकम' के हमारे ल़ोकाचार
के अनुरूप, भारत के जी20 अध्यक्षता ने वैतिक भलाई क़ो आगे बढ़ाने और एक बे हतर ग्रह बनाने के तलए काम तकया है -
भारत के पीएम।
• कश्मीर पर रुख मजबूत करना: कश्मीर पर भारत के साहतसक भू -राजनीततक रुख पर ज़ोर दे ने के अलावा, टीडब्ल्यूजी की
तीसरी बैठक का गोंतव्य जी20 के गणमान्य व्यस्क्तय़ोों क़ो कश्मीर घाटी की तवशाल पयषटन क्षमता क़ो दे खने का अवसर प्रदान
करता है ।
• ग्ल़ोबल साउथ के उद्भव के तलए भारत की वकालत प्रभुत्व हातसल करने का एजेंडा नहीों है , बस्ल्क यह भेदभावपूणष प्रथाओों के
स्खलाफ और सोंसाधऩोों के समान तवतरण, एक ल़ोकताों तत्रक तवि व्यवस्था और सभी के तलए बेहतर जीवन स्स्थततय़ोों के तलए
अपनी आवाज उठाने का एक कायष है ।
कनष्कषक
• यह भारत के तलए वैतिक न्याय और सामातजक कल्याण के माध्यम से तवि सद्भाव के तमशन और दृतष्टक़ोण के साथ एक नई
तवि व्यवस्था स्थातपत करने का एक अवसर है ।
छात्ऱों के ऩोट:
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
36. G-7
• G7 दु तनया की सात उन्नत अथषव्यवस्थाओों का एक अनौपचाररक समूह है , तजसमें कनाडा, फ्राों स, जमषनी, इटली, जापान,
यूनाइटे ड तकोंगडम और सोंयुक्त राज् अमेररका के साथ-साथ यूऱोपीय सोंघ भी शातमल है ।
G7 की भू कमका
• G7 वैतिक ने तृत्व प्रदान करता है और उन मुद्द़ोों पर एक शस्क्तशाली
उत्प्रेरक के रूप में कायष करता है तजन्ें बाद में व्यापक वैतिक और
क्षेत्रीय सदस्यता वाले अन्य मों च़ोों द्वारा उठाया जाता है ।
• G7 वैतिक रुझाऩोों क़ो प्रभातवत करने और व्यापक और जतटल मुद्द़ोों
के साथ-साथ उभरते वैतिक सोंकट़ोों से तनपटने के तलए दु तनया की
उन्नत अथष व्यवस्थाओों क़ो एक साथ लाता है ।
• G7 ने अोंतरराष्टरीय आतथषक और सुरक्षा नीततय़ोों क़ो मजबूत तकया है ,
जलवायु पररवतषन और लैंतगक समानता सतहत वैतिक मु द्द़ोों पर चचाष
क़ो आगे बढ़ाया है , दानदाताओों क़ो एक साथ लाया है और तनरस्त्रीकरण कायषक्रम़ोों का समथषन तकया है ।
• हाल ही में , G7 ने क़ोतवड-19 महामारी से तनपटने और यू क्रेन पर रूस के अवैध आक्रमण का जवाब दे ने के तलए काम तकया
है ।
भारत और G7: G7 कशखर सम्मे ल न में भारत की भागीदारी
• अतततथ दे श के तौर पर भारत G7 का स्थाई सदस्य बनता तदख रहा है । भारत क़ो 2019 से तनयतमत रूप से G7 तशखर सम्मेलन
में आमोंतत्रत तकया जाता है ।
• महत्त्व:
o भारत औद्य़ोतगक दे श़ोों और तवकासशील तवि के बीच एक कडी के रूप में महत्वपूणष भू तमका तनभा रहा है ।
o G7 में भारत की भागीदारी यह सातबत करती है तक भारत एक तजम्मेदार ल़ोकताों तत्रक महान शस्क्त है लेतकन चीन जैसी
क्रूर सत्तावादी शस्क्त नहीों है ।
o G7 में भारत की भागीदारी वैतिक दतक्षण दे श़ोों में य़ोगदान दे गी।
o यह बढ़ती स्वीकायषता और मान्यता की ओर सोंकेत करता है तक भारत क़ो वैतिक चुनौततय़ोों क़ो हल करने के तलए समाधान
ख़ोजने के तकसी भी तनरों तर प्रयास का तहस्सा बनने की आवश्यकता है ।
o इस तरह की भागीदारी से भारत क़ो अोंतरराष्टरीय तचोंता के मौजूदा मुद्द़ोों पर प्रमुख दे श़ोों की स़ोच के बारे में जानकारी तमलती
है ।
भारत G7 का औपचाररक सदस्य क़्ों बन सकता है ?
• दु तनया में भारत का बढ़ता प्रभाव और तजम्मेदारी और तथ्य यह है तक G7 भारत की राय क़ो नजरअोंदाज नहीों कर सकता।
• रक्षा खचष के मामले में भारत दु तनया में तीसरे स्थान पर है ।
• भारत की जीडीपी तिटे न के समान और फ्राों स, इटली और कनाडा से अतधक है ।
• दु तनया क़ो चीन की बजाय भारत जैसी तजम्मेदार और महान शस्क्त की जरूरत है ।
• भारत का शातमल ह़ोना G7 के तलए वैतिक दतक्षण के महत्व क़ो दशाष ता है ।
थथायी सदस्य के रूप में शाकमल ह़ोने में कझझक क़्ों है ?
• ऐसी सोंभावना है तक अगर भारत G7 में शातमल ह़ोता है त़ो भारत चीन के उकसावे का तनशाना बन सकता है .
160
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• तवशेर्षज्ञ़ोों का यह भी दावा है तक भारत इसमें शातमल ह़ोने से तझझक रहा है क्य़ोोंतक भारत अतीत में इन दे श़ोों का उपतनवेश था
और इन पतिमी दे श़ोों पर भऱोसा नहीों कर सकता।
• G7 का तनमोंत्रण मु ख्य रूप से रूस के साथ सोंबोंध त़ोडने और तिक्स क़ो कमज़ोर करने के तलए भारत क़ो पतिमी खे मे में शातमल
करने के तलए है ।
कनष्कषक
• जापान के प्रधानमोंत्री फुतमय़ो तकतशदा का मानना है तक G 20 और G 7 के बीच घतनष्ठ समन्वय तवकासशील दे श़ोों के सामने
आने वाली चुनौततय़ो (तजसमे खाद्य और ऊजाष की बढ़ती कीमते ,ऊजाष सुरक्षा, जलवायु पररवतषन , सतत तवकास और स्वास्थ्य
शातमल है )का सामना करने के तलए तेजी से ध्रुवीकृत दु तनया में एकता बनाने के तलए "गोंभीर रूप से महत्वपूणष" है |
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
162
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• क़ोतवड-19 महामारी ने एक वैतिक स्वास्थ्य आपातकाल उत्पन्न तकया तजसके कारण भारत में आतथषक मोंदी आई। भारत सरकार
और अन्य साझेदाऱोों के साथ तवि बैंक:
o स्वास्थ्य, सामातजक और आतथषक क्षेत्ऱोों की जरूरत़ोों क़ो पू रा करने के तलए जुटाया गया।
o क़ोतवड के स्खलाफ भारत की लडाई में सहायता के तलए 2.75 तबतलयन डॉलर के आपातकालीन ऋण क़ो मोंजूरी दी गई।
कवश्व बैं क और भारत के बीच हाकलया कवकास
• कशिा:
o गुणवत्तापूणष प्राथतमक और माध्यतमक तशक्षा तक पहुों च बढ़ाने में मदद तमली और प्राथतमक तशक्षा में बातलकाओों का
प्रतततनतधत्व बढ़ा।
o तमशन सों कि और स्टर ाइव, अिसों ख्यक समु दाय़ोों की लडतकय़ोों के तलए नई मोंतजल और तृतीयक तशक्षा में सुधार के तलए
टीईक्यूआईपी पररय़ोजना के माध्यम से कौशल तवकास क़ो समथषन।
• सामाकजक िेत्र:
o नकद हस्ताों तरण और खाद्य राशन के माध्यम से क़ोतवड से बचाव में मदद के तलए 2021 में $1.15 तबतलयन सहायता।
o भारत के गरीब राज़्ोों में 9 तमतलयन बुजुगों और तवकलाों ग ल़ोग़ोों क़ो एकीकृत प्रत्यक्ष लाभाथी हस्ताों तरण।
o 10 लाख से अतधक मतहलाओों क़ो तशतक्षत और कुशल बनाने के तलए झारखों ड में सामुदातयक िब स्थातपत करने में मदद
करना।
• स्वास्थ्य:
o डब्ल्यूबी ने प्रमुख य़ोजना प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत हे ल्थ इं फ्रास्ट्र क्चर कमशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत
वतषमान स्वास्थ्य बुतनयादी ढाों चे क़ो मजबू त करने और भतवष्य की महामारी के तलए तैयारी में मदद करने के तलए 1 अरब
डॉलर का ऋण दे ने का प्रस्ताव तदया है ।
o तवि बैंक के सहय़ोग से 2.5 तबतलयन डॉलर की 8 पररय़ोजनाएों तक्रयास्न्वत की जा रही हैं ।
o 2010-2019 के बीच भारत में नए एचआईवी सोंक्रमण में 37% की कमी आई।
o डब्ल्यूबी 2019 से तनजी क्षेत्र के उपचार की सफलता दर में सुधार के तलए राष्टरीय टीबी कायषक्रम का समथषन कर रहा है ।
• प़ोषण:
o 2015 से, डब्ल्यूबी सहायता लगभग 60 तमतलयन गभषवती और स्तनपान कराने वाली मतहलाओों तक पहुों च गई है ।
• ऊजाक:
o मध्य प्रदे श सरकार क़ो सौर ऊजाष पररय़ोजना (उस समय की सबसे बडी एकल-साइट) स्थातपत करने में मदद की।
o मध्य प्रदे श में 2021 में पु नः 1500 मेगावाट की तवद् युत पररय़ोजना स्थातपत की गई है ।
• ग्रामीण जल आपूकतक और स्वच्छता:
o 2000 के बाद से, डब्ल्यूबीजी ने तवत्तप़ोर्षण में $2.8 तबतलयन से अतधक का य़ोगदान तदया है ।
• डब्ल्यूबी का लॉकजस्स्ट्क्स प्रदशकन सूचकांक:
o भारत 2023 सूचकाों क में 6 पायदान ऊपर चढ़ गया है और अब 139 दे श़ोों में 38वें स्थान पर है ।
• भारतीय शहऱों पर डब्ल्यूबी ररप़ोटक , 2022:
o तेजी से बढ़ती शहरी आबादी की माों ग़ोों क़ो पूरा करने के तलए भारत क़ो अगले 15 वर्षों तक हर साल 55 तबतलयन डॉलर
के तनवेश की आवश्यकता है ।
o 2036 तक, शहरी भारत दु तनया की 40% आबादी का घर ह़ोगा।
164
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o भारतीय शहऱोों का 75% तवत्त केंद्र, राज् और स्थानीय सरकाऱोों द्वारा पूरा तकया जाता है । बाकी स्थानीय सरकार के
अतधशेर्ष से है ।
o शहऱोों क़ो तनजी तवत्त ख़ोजने में कतठनाई ह़ोती है और कमज़ोर राजस्व सों ग्रह के कारण समस्या बढ़ जाती है ।
o प्रमुख य़ोजनाओों क़ो शहर की अक्षमताओों के प्रतत धीरे -धीरे कायाष स्न्वत तकया जाता है ।
o कम सेवा शु ल्क और सेवाओों पर भारी सस्िडी के कारण नगरपातलका स्तर पर राजस्व सोंग्रह बहुत कम है ।
o ररप़ोटष में राजक़ोर्षीय आधार और ऋण पात्रता बढ़ाने की तसफाररश की गई है ।
• 2020 में $750 कमकलयन का समझौता: सू क्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम़ोों के तलए आपातकालीन प्रतततक्रया कायषक्रम के तलए।
o यह क़ोतवड-19 अतनतितताओों क़ो दू र करने और अतधक ऋण प्रवाह सुतनतित करने के तलए अथषव्यवस्था में अतधक
तरलता लाएगा।
o यह एनबीएफसी और बैंक़ोों क़ो व्यवहायष एमएसएमई क़ो ऋण दे ना जारी रखने के तलए प्ऱोत्सातहत करे गा।
डब्ल्यू बीजी के साथ चु नौकतयां
• वैकश्वक दकिण का अच्छी तरह से प्रकतकनकधत्व नही ं है : डब्ल्यूबीजी द्वारा उपय़ोग तकए जाने वाले "खुलेपन" चर के कारण
तनणषय लेने में गरीब दे श़ोों क़ो अक्सर कम प्रतततनतधत्व तदया जाता है ।
• उधारकताक की संप्रभुता क़ो कमज़ोर करना: ऋण से जु डी शतें ऐसी हैं तक उधारकताष क़ो एक सों प्रभु राज् के रूप में प्राप्त
शस्क्तय़ोों क़ो कमज़ोर करना ह़ोगा और उनके साथ समझौता करना ह़ोगा।
o जैसे तवत्तीय तनगरानी, सवोत्तम प्रथाएों , अथषव्यवस्था क़ो ख़ोलना आतद।
• उपाय़ों क़ो लागू करने में असमथकता: तवि बैंक के स्वतोंत्र मूल्याों कन समू ह ने डब्ल्यूबीजी की कायषप्रणाली क़ो बढ़ाने के तलए
तसफाररशें कीों। डब्ल्यूबी इन तसफाररश़ोों क़ो लागू करने में तवफल रहा।
• कवकास-आधाररत मॉडल कटकाऊ नही ं है : लेतकन तवि बैंक तबना पूवष जाों च और सोंतुलन के इसे बढ़ावा दे ता रहता है ।
o जैसे एक ऐसी पररय़ोजना क़ो तवत्त प़ोतर्षत करना ज़ो तवकास और ऱोजगार लाती है लेतकन ल़ोग़ोों क़ो तवस्थातपत करती है ।
• बडी पररय़ोजनाओं पर ध्यान दे ना: सोंस्थागत तनवेशक़ोों क़ो आकतर्षषत करना। लेतकन यह पेररस जलवायु समझौते के अनुरूप
नहीों है और इस पररय़ोजना के जलवायु पररवतषन पर पडने वाले प्रभाव की परवाह नहीों करता है ।
o इसके अलावा, ऐसी पररय़ोजनाओों के तलए प्रवासन, तवस्थापन आतद के रूप में एक मानवीय लागत भी आती है ।
आगे की राह:
• स्वतंत्र कनकाय़ों का उपय़ोग करके कवफलताओं क़ो बेहतर ढं ग से पहचानना: डब्ल्यूबीजी उतचत रूप से पररभातर्षत
समस्याओों से अच्छी तरह तनपटता है । लेतकन जब क्षेत्रीय माों ग़ोों (जैसे तक क़ोतवड-19) के अनुसार अनुकूलन और लचीलेपन की
आवश्यकता ह़ोती है त़ो यह अच्छा प्रदशषन नहीों करता है ।
o यह क्षेत्रीय स्तर के तनकाय़ोों द्वारा बेहतर ढों ग से तकया जा सकता है ज़ो मुद्द़ोों और तहतधारक़ोों क़ो बेहतर ढों ग से समझते हैं ।
• बेहतर-अनुकूल कनकाय़ों क़ो पहल करने दे ना: समन्वय और सवोत्तम प्रथाओों के नाम पर; डब्ल्यूबी कभी-कभी अन्य तनकाय़ोों
क़ो अत्योंत तनरीह बना दे ता है ज़ो उस तरह के काम के तलए बेहतर अनु कूल ह़ोते हैं ।
o जैसे- एक ऐसी बडी पररय़ोजना क़ो तवत्तप़ोतर्षत करना तजसे अन्य तनकाय बेहतर ढों ग से कर पाते |
• कडलीवरी एजेंट़ों का बेहतर उपय़ोग: नाजु क स्स्थततय़ोों का पूवाष नुमान नहीों लगाया जा सकता जैसे - ते ल की कीमत़ोों में अचानक
तगरावट, महामारी आतद। जरूरत उन तडलीवरी एजेंट़ोों क़ो दों तडत करने की नहीों, बस्ल्क उन्ें समथषन दे ने की है ज़ो ऐसी स्स्थततय़ोों
से तनपटने में सक्षम हैं ।
• थथानीय समस्याओं के कलए थथानीय समाधान: जल सोंकट, मरुस्थलीकरण आतद जैसे मुद्द़ोों क़ो हल करते समय स्थानीय
समुदाय़ोों के अनुभव़ोों और पारों पररक ज्ञान क़ो ध्यान में रखें।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
o जैसे- तवकतसत दे श़ोों के साथ व्यवहार करते समय अतधकाररय़ोों क़ो उतचत लाभ प्राप्त करने में मदद करने के तलए
"तकनीकी सहायता" के माध्यम से सहायता करना।
• आकथकक सहायता: यह कम तवकतसत दे श़ोों क़ो अन्य दे श़ोों के साथ मु क्त व्यापार में आसानी के तलए कुछ समझौत़ोों के तहत
ररयायतें दे ता है । जैसे दानदाताओों क़ो लाकर, तनजी तनवेश और मु क्त व्यापार क़ो सक्षम बनाना।
कवश्व व्यापार सं ग ठन का शासन
• मंकत्रस्तरीय सम्मेलन: यह डब्ल्यूटीओ का सवोच्च तनणषय लेने वाला तनकाय है । इसकी बैठक आमतौर पर हर द़ो साल में ह़ोती
है ।
• सामान्य पररषद: यह तजनेवा में स्स्थत डब्ल्यू टीओ का सवोच्च-स्तरीय तनणषय लेने वाला तनकाय है । यह तनयतमत रूप से बैठकें
आय़ोतजत करता है ।
• व्यापार नीकत समीिा कनकाय (टीपीआरबी): व्यापार नीतत की समीक्षा करने और व्यापार नीतत तवकास पर महातनदे शक की
तनयतमत ररप़ोटष पर तवचार करने के तलए डब्ल्यूटीओ जनरल काउों तसल की बैठक टीपीआरबी के रूप में ह़ोती है ।
• कववाद कनपटान कनकाय (डीएसयू): डब्ल्यू टीओ सदस्य़ोों के बीच तववाद़ोों से तनपटने के तलए सामान्य पररर्षद तववाद तनपटान
तनकाय (डीएसबी) के रूप में बुलाई जाती है ।
कवश्व व्यापार सं ग ठन की उपलस्ि
• वैकश्वक व्यापार का संकहताकरण: इसने वस्तुओों और सेवाओों में वैतिक व्यापार के तलए बाध्यकारी तनयम बनाए हैं ।
• व्यापार और गै र-व्यापार बाधाओों क़ो दू र करके व्यापार के मूल्य और मात्रा क़ो बढ़ाया। 1995 के बाद से , औसत टै ररफ लगभग
आधा ह़ो गया है , यानी 10.5% से 6.4% तक।
• वैकश्वक मूल् श्रृंखलाओं में उछाल: इन मू ल्य श्रृोंखलाओों के भीतर व्यापार आज कुल व्यापाररक व्यापार का लगभग 70% है ।
व्यवसाय तवतभन्न दे श़ोों और क्षे त्ऱोों में तवतनमाष ण उत्पादन क़ो अलग-अलग करने में सक्षम हैं ।
• अि-कवककसत दे श़ों का समथकन करना: यह माना गया है तक अि-तवकतसत दे श़ोों के तनयाष त पर आयात बाधाओों क़ो कम
करके गरीब दे श़ोों क़ो लाभास्न्वत तकया जाना चातहए।
• व्यापार में वृस्द्ध: 1995 के बाद से, तवि व्यापार का डॉलर मूल्य लगभग चार गु ना ह़ो गया है , जबतक तवि व्यापार की वास्ततवक
मात्रा 2.7 गु ना बढ़ गई है ।
• गरीबी में कमी: यह क़ोई सों य़ोग नहीों है तक तपछले 25 वर्षों में इततहास में सबसे तेजी से गरीबी में कमी दे खी गई है ।
o 1995 में, प्रत्येक 3 में से 1 व्यस्क्त अत्योंत गरीब (डब्ल्यूबी ) की श्रेणी में था, लेतकन आज यह सों ख्या कुल जनसोंख्या के
10% से भी कम है ।
• सेवाओों क़ो प्ऱोत्सातहत करना और हातनकारक व्यापार क़ो सीतमत करना: हम सूचना प्रौद्य़ोतगकी उत्पाद़ोों के व्यापार में
उदारीकरण और हातनकारक कृतर्ष तनयाष त सस्िडी के उन्मूलन क़ो दे ख रहे हैं ।
कवश्व व्यापार सं ग ठन से सं बं कधत मु द्दे
• चीन की का वकणकवाद: चीन की आतथषक प्रणाली ने , उसकी अथषव्यवस्था के आकार और तवकास के साथ तमलकर, वैतिक
व्यापार प्रणाली में तनाव पैदा कर तदया है । चीन के सरकारी स्वातमत्व वाले उद्यम मु क्त -बाजार वैतिक व्यापार प्रणाली के तलए
एक बडी चु नौती पेश करते हैं ।
• अमेररका-चीन व्यापार युद्ध: यह न केवल दु तनया की व्यापार सोंरचना क़ो तवकृत करता है बस्ल्क अन्य आतश्रत दे श़ोों के व्यापार
क़ो भी प्रभातवत करता है ।
• संथथागत मुद्दे: अपीलीय तनकाय के सोंचालन क़ो तदसोंबर 2019 से प्रभावी रूप से तनलोंतबत कर तदया गया है , क्य़ोोंतक सोंयुक्त
राज् अमेररका द्वारा सदस्य़ोों की तनयुस्क्तय़ोों क़ो अवरुद् करने से तनकाय अपील सुनने के तलए आवश्यक तनणाष यक़ोों के क़ोरम
के तबना रह गया है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• स्पष्ट्ता का अभाव: डब्ल्यूटीओ वाताष ओों में समय-समय पर समस्याएों उत्पन्न ह़ोती रहती हैं क्य़ोोंतक तवकतसत बनाम तवकासशील
दे श क्या है इसकी क़ोई सहमत पररभार्षा नहीों है ।
• बढता ई-कॉमसक और कडकजटल व्यापार: तपछले द़ो दशक़ोों में दु तनया की वैतिक व्यापार सोंरचना में भारी बदलाव आया है
और डब्ल्यूटीओ गतत बनाए रखने में तवफल रहा है ।
• बढता गकतऱोध: बातचीत के महत्वपूणष क्षेत्ऱोों (एमएसपी, व्यापार युद् आतद) में बार-बार गततऱोध दे खा जा रहा है और अपीलीय
तनकाय के सदस्य़ोों की तनयुस्क्त में भी गततऱोध जारी है ।
• िेत्रीय व्यापार समझौते का उदय: यह डब्ल्यूटीओ की बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली क़ो प्रभातवत करता है क्य़ोोंतक यह सभी
डब्ल्यूटीओ सदस्य़ोों के तलए गैर-भेदभाव के तसद्ाों त का उल्लोंघन करता है । जैसे आतसयान, नाफ्टा आतद।
• प्राथकमकताओं का िरण: यतद सामान्य टै ररफ दऱोों में कटौती की जाती है त़ो कुछ तवकासशील दे श़ोों (जैसे भारत) से आयात
पर तवकतसत दे श़ोों द्वारा दी गई ररयायतें अथषहीन ह़ो जाती हैं ।
कवश्व व्यापार सं ग ठन और भारत
• भारत ने चावल तकसाऩोों क़ो दी जाने वाली सहायता पर 10% की सीमा क़ो पार करने के तलए डब्ल्यू टीओ (तजनेवा 2023) में
तीसरी बार शाों तत खोंड लागू तकया है ।
o भारत ने अनु मत 10 प्रततशत की तुलना में 13.7% की सस्िडी दी।
• 'शांकत खंड': तकसी भी दे श क़ो कानूनी रूप से खाद्य सुरक्षा कायषक्रम सों चातलत करने से नहीों ऱोका जाएगा, भले ही वे सस्िडी
(भारत के तलए एमएसपी) प्रदान करते ह़ोों; कृतर्ष पर डब्ल्यू टीओ समझौते में तनतदष ष्ट सीमाओों का उल्लोंघन तकया।
• भारत ने गेहूं और टू टे चावल पर कनयाकत प्रकतबंध का बचाव ककया (मई 2023): अमेररका और यूऱोपीय सोंघ सतहत कई
दे श़ोों ने तचोंता जताई, तजस पर भारत ने कहा तक यह केवल घरे लू खाद्य सुरक्षा की तचोंताओों के आधार पर एक अस्थायी उपाय
था। भारत ने कहा:
o इसने तपछली प्रततबद्ताओों का सम्मान तकया था अथाष त ज़ो प्रततबोंध से पहले बने थे.
o यह सरकार-से-सरकारी सौद़ोों के माध्यम से दे श़ोों की वास्ततवक जरूरत़ोों क़ो सोंब़ोतधत कर रहा था।
o टू टे हुए चावल का उपय़ोग मु ख्य रूप से प़ोल्टर ी चारे के तलए तकया जाता है न तक मानव उपभ़ोग के तलए।
सस्िडी सीमा का उल्लं घ न करने का कारण
• अपनी गरीब आबादी की घरे लू खाद्य सु रक्षा जरूरत़ोों क़ो पूरा करने के तलए चावल ककसाऩों क़ो अकतररक्त सहायता उपाय
प्रदान करना।
• सावकजकनक स्ट्ॉकह़ोस्ल्डं ग कायकक्रम: इन कायषक्रम़ोों के तहत; चावल, गेहों, म़ोटे अनाज और दालें , अन्य चीज़ोों के अलावा,
घरे लू खाद्य सु रक्षा जरूरत़ोों क़ो पूरा करने के तलए और "वातणस्ज्क व्यापार या दू सऱोों की खाद्य सु रक्षा में बाधा न डालने के
तलए" ररयायती कीमत़ोों पर हातसल और तवतररत तकए जाते हैं ।
• न्यूनतम समथष न मूल्य (एमएसपी) सावषजतनक तवतरण प्रणाली और राष्टरीय खाद्य सुरक्षा अतधतनयम, 2013 जैसे कायष क्रम।
भारत की 7वी ं व्यापार नीकत समीिा 2021 की मु ख्य बातें :
• भारतीय सीमा शुल्क इलेिरॉकनक गेटवे (आईसीईजीएटीई) की शुरुआत: यह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क ब़ोडष
(सीबीआईसी ) के भारतीय सीमा शुल्क का राष्टरीय प़ोटष ल है ज़ो इलेिरॉतनक रूप से ई-फाइतलोंग सेवाएों प्रदान करता है ।
• व्यापार की सुकवधा के कलए कसंगल कवंड़ो इं टरफेस (स्स्वफ्ट) ने सरकारी एजेंतसय़ोों के साथ इों टरफेस, रुकने का समय और
व्यापार करने की लागत क़ो कम कर तदया है ।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• डायरे ि प़ोटक कडलीवरी (डीपीडी) चयतनत आयातक़ोों क़ो आगमन के 48 घोंट़ोों के भीतर बोंदरगाह से सीधे माल तनकालने की
अनुमतत दे ता है , तजससे आयातक़ोों के तलए समय और लागत कम ह़ो जाती है , बोंदरगाह़ोों पर भीड कम ह़ोती है और व्यापार में
आसानी ह़ोती है ।
• डायरे ि प़ोटक एं टर ी (डीपीई) 24×7 आधार पर कारखाऩोों से सीधे कोंटे नर टतमषनल तक कोंटे नऱोों की सीधी आवाजाही क़ो सक्षम
बनाता है ।
• वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में संरचनात्मक सुधार की शु रूआत।
• डब्ल्यूटीओ के व्यापार सुकवधा समझौते (टीएफए) के कायाकन्वयन और दे श में "व्यापार करने में आसानी" क़ो आगे
बढाने में सकक्रय प्रयास।
o टीएफए का लक्ष्य सीमा शु ल्क प्रतक्रयाओों में तेजी लाना और व्यापार क़ो आसान, तेज और सस्ता बनाना है ।
• डूइं ग कबजनेस ररप़ोटक के तहत "सीमा पार व्यापार" संकेतक में रैं ककंग में अत्यकधक सुधार हुआ है ।
• अपनी एफडीआई व्यवस्था और भारत की राष्ट्रीय बौस्द्धक संपदा अकधकार नीकत, 2016 क़ो उदार बनाना।
• बढती कचंता
o अपररवकतकत व्यापार नीकत: भारत की व्यापार नीतत 2015 में तपछली समीक्षा के बाद से अपररवततषत बनी हुई थी, तजसमें
टै ररफ, तनयाष त कर, न्यूनतम आयात मूल्य, आयात और तनयाष त प्रततबोंध और लाइसेंतसोंग जैसे उपकरण़ोों पर भारी तनभषरता
जारी थी।
o भारत का रुख:
▪ अपररवततषत नीतत घरे लू माों ग और आपूततष आवश्यकताओों के प्रबोंधन के तलए है ज़ो समय-समय पर बदल सकती है
तजससे व्यापाररय़ोों के तलए खतरा पैदा ह़ो सकता है ।
▪ भारत ने खाद्य सुरक्षा के सोंबोंध में पीएसएच (पस्िक स्टॉक ह़ोस्र्ल्ों ग) के स्थायी समाधान के तलए डब्ल्यूटीओ से भी
अनुऱोध तकया।
यू ऱोपीय सं घ और अन्य के साथ आईटी टै ररफ कववाद में भारत के स्खलाफ डब्ल्यू टीओ पै न ल के कनयम
• केस: 2019 में , यूऱोपीय सोंघ ने आईटी उत्पाद़ोों (जैसे म़ोबाइल फ़ोन, घटक़ोों और एकीकृत सतकषट) की एक तवस्तृ त श्रृोंखला के
तलए भारत द्वारा आयात शुल्क (7.5% और 20% के बीच) की शुरूआत क़ो चुनौती दी।
o इसने कहा तक वे अतधकतम दर से अतधक हैं । उस वर्षष जापान और ताइवान ने भी इसी तरह की तशकायतें दजष कीों।
• फैसला: भारत से कहा गया तक वह अपने उपाय तवि व्यापार सोंगठन द्वारा स्थातपत तनयम़ोों के अनुसार लाए। अथाष त भारत ने
वैतिक व्यापार तनयम़ोों का उल्लोंघन तकया था।
भारत ने अपीलीय कनकाय में आईसीटी आयात शु ल्क पर डब्ल्यू टीओ पै न ल के फै सले क़ो चु नौती दी
• केस: भारत ने अपील की तक इस आऱोप के सोंबोंध में फैसले क़ो उलट तदया जाए या रद्द कर तदया जाए तक भारत ने आईसीटी
उत्पाद़ोों पर आयात शुल्क बढ़ाकर वैतिक व्यापार तनयम़ोों का उल्लोंघन तकया है ।
• भारत ने अपीलीय तनकाय से समीक्षा की माों ग की है ।
• कववाद कनवारण का तरीका:
o तद्वपक्षीय परामशष पहला कदम है ।
o परामशष तवफल ह़ोने पर तववाद तनपटान पै नल से सोंपकष करें ।
o यतद क़ोई पक्ष पैनल के फैसले से सोंतुष्ट नहीों है , त़ो वह अपीलीय पैनल (इस मामले में भारत की तरह) से सोंपकष कर सकता
है ।
169
प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• वतषमान में, अपीलीय तनकाय कायष नहीों कर रहा है क्य़ोोंतक अमेररका ने तपछले कुछ वर्षों से सदस्य़ोों की तनयुस्क्त क़ो अवरुद्
कर तदया है ।
कवश्व व्यापार सं ग ठन का 12वां मं कत्रस्तरीय सम्मे ल न (कजने वा 2022)
• मंकत्रस्तरीय: यह डब्ल्यूटीओ का शीर्षष तनणष य लेने वाला तनकाय है । हर 2 साल में इसकी बैठक ह़ोती है । डब्ल्यूटीओ के सभी
सदस्य इसमें शातमल हैं और वे तकसी भी बहुपक्षीय व्यापार समझौते के तहत आने वाले सभी मामल़ोों पर तनणषय ले सकते हैं ।
• समझौते/कजनेवा पैकेज:
o क़ोकवड-19 टीक़ों पर अथथायी छूट:
▪ पेटेंट धारक़ोों की सहमतत के तबना क़ोतवड टीक़ोों पर बौस्द्क सोंपदा पेटेंट क़ो पाों च साल के तलए माफ कर तदया गया।
▪ इससे इन टीक़ोों का उत्पादन आसान ह़ो सकेगा।
▪ यह भारत और दतक्षण अफ्रीका ने 2020 में ज़ो माों ग की थी उसका एक सोंकीणष सोंस्करण है ।
▪ यह क़ोतवड से सोंबोंतधत तनदान और उपचार पर आईपी से छूट नहीों दे ता है ।
o ई-कॉमसक व्यापार पर ऱोक जारी रहे गी:
▪ भारत ने डब्ल्यू टीओ से ई-कॉमसष लेनदे न पर लगाए गए सीमा शुल्क पर ऱोक (अस्थायी तनर्षेध) की समीक्षा करने के
तलए कहा, तजसमें तडतजटल रूप से व्यापार की जाने वाली वस्तुएों और से वाएों भी शातमल हैं ।
▪ 2017-2020 के बीच, तवकासशील दे श़ोों क़ो केवल 49 तडतजटल उत्पाद़ोों के आयात पर सोंभातवत रूप से लगभग
50 तबतलयन डॉलर का टै ररफ राजस्व ख़ोना पडा।
▪ लेतकन सभी सदस्य़ोों ने ई-कॉमसष लेनदे न पर सीमा शु ल्क पर ऱोक जारी रखने का फैसला तकया।
o मछली पकडने वाली हाकनकारक सस्िडी पर सीमाएं : वैतिक मछली स्टॉक की बे हतर सु रक्षा के तलए अगले चार वर्षों
के तलए अवैध, असूतचत और अतनयतमत (आईयूयू) मछली पकडने पर 'हातनकारक' सस्िडी पर अोंकुश लगाएों ।
▪ डब्ल्यूटीओ के इततहास में यह दू सरा बहुपक्षीय समझौता है ।
▪ 260 तमतलयन ल़ोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समुद्री मत्स्य पालन पर तनभषर हैं ।
▪ भारत एक धारा क़ो हटाकर अपने कारीगऱोों और पारों पररक तकसाऩोों की रक्षा करने में कामयाब रहा। इतनी बडी
आबादी ह़ोने के बावजूद भारत सबसे कम मत्स्य पालन सस्िडी दे ने वाल़ोों में से एक है ।
▪ तवकासशील और एलडीसी दे श़ोों में समझौते के लागू ह़ोने की तारीख से "तवशेर्ष और तवभेतदत उपचार" के तहत 2
साल की सोंक्रमण अवतध ह़ोगी।
▪ यह समुद्ऱोों में आने वाले अोंतरराष्टरीय जलक्षे त्र में मछली पकडने के तलए सस्िडी पर भी ऱोक लगाता है ज़ो तटीय दे श़ोों
के अतधकार क्षे त्र से बाहर हैं ।
▪ कुछ आल़ोचक़ोों का कहना है तक यह समझौता केवल सस्िडी वाली मछली पकडने क़ो सीतमत करता है और इसे
ख़त्म नहीों करता है ।
o वैकश्वक खाद्य सुरिा पर:
▪ सोंयुक्त राष्टर तवि खाद्य कायषक्रम द्वारा खरीदा गया भ़ोजन एक बाध्यकारी समझौते के अनुसार तकसी भी तनयाषत
प्रततबोंध से मु क्त ह़ोगा।
▪ यह यूक्रेन-रूस युद् की पृष्ठभूतम और वैतिक खाद्य सु रक्षा के तलए उत्पन्न खतरे के स्खलाफ था।
आगे की राह:
• तवदे शी वस्तुओों के स्खलाफ स्थानीय बाजार की सुरक्षा के प्रावधाऩोों के आने से कई तवकासशील दे श़ोों क़ो मदद तमलेगी और
डब्ल्यूटीओ में उनका तविास बढ़े गा।
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प्रहार 3.0 अंतरराष्ट्रीय संबंध
• डब्ल्यूटीओ के आधुतनकीकरण के तलए तडतजटल व्यापार और ई-कॉमसष से तनपटने के तलए तनयम़ोों के एक नए सेट के तवकास
की आवश्यकता ह़ोगी।
• डब्ल्यूटीओ क़ो पुनजीकवत करना: जलवायु पररवतषन के आसपास के गोंभीर मु द्द़ोों क़ो दे खते हुए, व्यापार और पयाष वरणीय
स्स्थरता क़ो सोंरेस्खत करने के प्रयास़ोों में वृस्द् से जलवायु पररवतषन से तनपटने और डब्ल्यूटीओ क़ो तफर से मजबू त करने में
मदद तमल सकती है ।
• कवश्वास बनाना: इसके सदस्य़ोों के बीच तविास पैदा करने की जरूरत है तक डब्ल्यूटीओ क़ो सभी दे श़ोों की अतधक भागीदारी
की जरूरत है , तातक सभी दे श़ोों के व्यापक तहत में तनष्पक्ष तनयम बनाए जा सकें और कुछ दे श़ोों की अनुतचत व्यापार प्रथाओों
क़ो तवफल तकया जा सके।
छात्ऱों के ऩोट:
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