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चुंबन लंबा था। वो अपने ह ठ से धीरे-धीरे उसके ह ठ सहला रही थी जससे उसक रीढ़ म
व ुतीय चगा रयां सी दौड़ रही थ और वो इ ा कर रहा था क ये आवेगपूण या
अपने तृ तपूण समापन क ओर अ सर हो। उसका नाम वशाखा था– जसका अथ था
द न —और वो न संदेह एक द ाणी थी। स लल सी म म आभा वाला उसका
हाथीदांत जैसा नमल वण, उसका मादक मुख, और प े जैसी चंचल आंख आं शक प
से उसके लहराते, रेशमी, सुनहरी बाल से ढक गई थ जब क वो उसके चेहरे पर झुक
उसक आंख , नाक और ह ठ पर परम आनंदपूण छोटे -छोटे चुंबन जड़ रही थी।
पोरस आनंद महल के क म रेशमी पलंगपोश पर लेटा आ था। अंत:क से
वीणा का धीमा-धीमा वर बखर रहा था जहां एक दरबारी राग हडोल— ेम का राग—के
सुर से छे ड़छाड़ कर रहा था। कमरे क उ र-पूव द वार के साथ लगा एक तसला था
जसे शु गुलाबजल से भरा गया था, और ठ क उसके सामने एक बड़ा सा सुनहरी द प
था जसे चंदन के तेल से जलाया गया था। पोरस परम सुख क अव ा म था।
ख़ुद को वशाखा क ग त व धय के अधीन करते ए, वो तृ त भरी आह भर रहा
था। वो याद करने क को शश करने लगा क कस महान गु ने कहा था क नवाण का
पथ द के आगे पूण अधीनता है। या ये रमणीय ाणी द से कम है? उसने बांह
फैलाकर उसके चेहरे को अपने चेहरे क ओर ख चा और उसके ह ठ वशाखा क ल ग
और इलायची से महकती सांस म अपनी यास बुझाने क को शश करने लगे। पोरस के
अंदर आग लगी ई थी।
उसके गले म आग लगी ई थी! पोरस को महसूस आ क वष और पारद का
म ण उसके ह ठ , जीभ और गले को जला रहा है तो उसने घबराकर वशाखा के बाल
को छोड़ा और अपने गले को पकड़ लया। उसने चीख़ने क को शश क ले कन उसके कंठ
से कोई आवाज़ नह नकल सक —उसका गला वशाखा के ह ठ क सं खया से बेकार
हो चुका था। द वशाखा उसके सर को अपने सुडौल व क गम के आ य म रखे
ए उसके शरीर से सांस को ख़ामोशी से नकलते महसूस करती रही। अंदर राजा क पीड़ा
से बेख़बर मोर बाहर शाही बाग़ म अभी भी नाच रहे थे। पोरस, कैकय और मगध का
श शाली राजा, मर चुका था। महाराज अमर रह!
“वो मर चुके ह, व णुगु त। मुझे तु हारी त के लए ख है, मेरे बेटे। राजा के जासूस हर
जगह फैले ए ह। तु ह भाग जाना चा हए। वो तु हारी तलाश म ह गे,” धनानंद के
मं मंडल म मं ी और चणक के न ावान म का यायन ने समझाया। दरबार म उसने
चणक के मारे जाने क ख़बर सुनी थी और वो चणक के बेटे व णुगु त को चेतावनी दे ने
तेज़ी से चल दया था।
“ले कन अगर म भाग गया, तो मेरी मां क दे खभाल कौन करेगा? वो तो ब त
बूढ़ ह, इसी लए कह जा भी नह पाएंगी” लड़के ने कहा।
“उनक दे खभाल म क ं गा, घबराओ मत,” स न और आ तपूण का यायन
ने कहा।
“और सुवा सनी?” व णुगु त ने पूछा। सुवा सनी बंद महामं ी शकतार क बेट
और व णुगु त क बचपन क पसंद थी।
“य द तुम केवल अपनी दे खभाल कर लो तो बाक़ सबक दे खभाल म कर लूंगा,
व णुगु त,” का यायन ने अधीर होते ए कहा।
व णुगु त के चेहरे क भावशू यता ने का यायन को च का दया। वहां न तो
नराशा का कोई च था और न पीड़ा का। “मुझे व णुगु त मत क हए,” अ भमानी और
ु लड़के ने का यायन से कहा। “आज के बाद से मेरी एकमा पहचान है चाण य—
भ चणक का पु !”
कानपुर क धूल भरी बरहाना रोड दन के यादातर समय चटोर का वग होती थी।
सड़क कनारे क छोट -छोट कान म मुंह म पानी लानो वाले नै स मलते थे—
गोलग पे, आलू ट क , दही कचौड़ी—ख –मीठ वा द चीज़ जो सबसे अ धक
अ वा यकर अवयव से मलकर बनती थ : तले ए आलू, मैदा, चीनी, और नमक।
कोले ॉल का धमाकेदार हमला आमतौर पर चटोर को उन मठाई क कान म जाने से
नह रोक पाता था जहां ल , बफ़ , कु फ़ , जलेबी, मलाई-म खन, गुलाब जामुन और
सैकड़ क़ म क सरी शीरे भरी, चप चपी और पापमय मठाइयां बकती थ । सड़क
दन भर ै फ़क से अट रहती थी—काला-काला धुआं उगलते अ◌ॉटो र ा, कार, कूटर,
हथठे ले, भसे, गाय, और इंसान। हवा गंद ले कन फर भी उ साहपूण थी। पसीने और
पेशाब क गंध म काबन मोनोऑ साइड, तले भोजन, और आसपास के मं दर से आने
वाली धूप क गंध मली ई थी।
बरहाना रोड क एक गली म एक ब ग थी जसने कभी बेहतर दन दे खे थे
और अब खड़े रहने के लए संघष कर रही थी। इसके अंदर, एक जीण सा ज़ीना सरे
लोर के एक लैट को ले जाता था जहां कानपुर म इ तहास के सबसे मुख ोफ़ेसर,
पं डत गंगासागर म , रहते थे। अभी-अभी नहाए और एक सामा य सा सफ़ेद सूती कुता-
पाजामा पहने पं डतजी अपनी सवेरे क पूजा म त थे। वो अपनी पूजा क चटाई पर
पूव क ओर—चढ़ते सूरज क दशा म—मुंह कए बैठे थे और अपने लघु मं दर म रखे
छोटे -छोटे चांद के दे वता को फूल, धूप और चंदन का लेप चढ़ा रहे थे। अपने दे वता
को गुड मॉ नग कह लेने के बाद, वो कांपते ज़ीने से उतरकर बाहर सड़क पर चले गए।
था क पं डतजी अपनी जवानी म एक सुंदर आदमी रहे थे। उनके नाक-
ना शे राजसी, माथा चौड़ा और नाक तोते जैसी थी। वो इ तहाई गोरे ले कन नाटे थे।
ले कन उनका छोटा कद ामक था— नेपो लयन क तरह। उनके सर के लगभग सारे ही
बाल गर चुके थे, और पं डतजी बची-खुची लट को बचाकर रखने के लए बड़े यार से
उ ह पूरे सर पर बाएं से दाएं काढ़ते थे।
अगले तीस मनट मोतीझील चौराहे तक तेज़ टहल म बीतगे जहां एक नीरस से
नाम—बनारसी ट हाउस—का चायवाला पं डतजी के लए चाय एकदम तैयार रखेगा।
पं डतजी का नौकर अ सर शकायत करता था क वो घर पर बेहतर चाय बना सकता है
ले कन पं डतजी को अपनी सवेरे क टहल भी पसंद थी और चाय क कान क गपशप
भी जहां वो सवेरे क नय मत भीड़ का भाग थे। फर वो दो कान आगे अपने
अख़बारवाले के पास जाते और उससे अपनी रोज़ाना क जानकारी का भंडार ख़रीदते।
इसके तीस मनट बाद वो वापस घर पर होते और अगले दो घंटे दे श भर के अख़बार को
पढ़ते ए अपने ल वग म म बताते। उनके अख़बारवाले ने ऐसा नेटवक तैयार कर रखा
था जसके ारा वो कानपुर और लखनऊ के ानीय अख़बार के अलावा मुंबई, नई
द ली, कोलकाता और चे ई के अख़बार भी पं डतजी को स लाई कर पाता था।
“ले कन पं डतजी, आप इतने अख़बार य पढ़ते ह?” लड़के ने एक दन
उ सुकतावश पूछ ही लया। पं डतजी ने जवाब दया, “ य क म दे श म होने वाली हर
चीज़ के बारे म जानना चाहता ं। वना म इस पर शासन कैसे क ं गा?” लड़के ने कोई
जवाब नह दया, बस अ व ास से अपना सर हला दया।
सवेरे दस बजे तक पं डतजी दन के अपने पहले आगंतुक का वागत करने के
लए तैयार थे। उनका से े टरी, एक तेज़ केरलवासी— मेनन—आ चुका था और उनक
डाक छांट रहा था। इ तहास के ोफ़ेसर क ज़दगी का एक और, यादा अहम, प भी
था। वो अ खल भारत नव नमाण स म त— जसे प कार सं ेप म कहते थे य क वो पूरा
नाम याद नह रख पाते थे—के अ य थे। पं डतजी ने ये राजनी तक संगठन कई साल
पहले ग ठत कया था और ये एक अनुभवहीन संघषरत अनजान संगठन से तर क़ करते
ए एक ऐसा मु यधारा का राजनी तक दल बन गया था जसे नज़रअंदाज़ नह कया जा
सकता था।
“गुड मॉ नग, सर,” मेनन ने दन भर के मह वपूण काग़ज़ात क एक इंच भर मोट
फ़ाइल बड़े स म ढं ग से पं डत गंगासागर म को दे ते ए कहा। “मॉ नग, मेनन,”
पं डतजी ने कहा, “आपने चांदनी को कस समय मुझसे मलने के लए कहा है?”
“वो यारह बजे तक यहां ह गी, सर। वो वप के उन एमएलए को लेकर आएंगी
जो दल बदलना चाहते ह,” मेनन ने मु कुराते ए कहा। वो जानता था क ये एक
मह वपूण दन है। ये वो दन था जब एबीएनएस भारत के सबसे अ धक आबाद वाले
दे श—और द ली म स ा पाने क चाबी—उ र दे श क वतमान रा य सरकार को
गराएगी और अपना मु यमं ी बठाएगी। इस सबके पीछे जो था वो एक सरल सा
पं डत था जो हर सवेरे बनारसी ट हाउस म चाय पीता था और ख़ुद को इ तहास का
श क कहलवाना पसंद करता था।
उनके क़रीबी प र चत जानते थे क पं डत गंगासागर म को इ तहास पढ़ाने म
च नह है। उ ह इ तहास बनाने म च है।
म ाजी ने कसी तरह इतना पैसा जुटा लया क वो गंगासागर को उस सरकारी सहायता
ा त कूल से बेहतर कूल भेज सक, जहां वो पढ़ाते थे। उ ह ने गंगासागर से कहा क वो
हमेशा े वहार करे। वो उसे कानपुर के कसी और कूल म नह भेज सकते थे।
कूल म पहले ही दन गंगासागर के अ यापक ने उसे खड़ा होने और कुछ सवाल
के जवाब दे ने को कहा। आ म व ास से भरा गंगासागर तुरंत तैयार हो गया। तगड़ी
पूछताछ क उ मीद म पुराने छा ने एक- सरे को आंख मारी।
“अमे रका के पहले रा प त कौन थे?” हेडमा टर ने पूछा।
“जॉज वा शगटन,” गंगासागर ने जवाब दया।
“शाबाश। इ तहास बताता है क उ ह ने बचपन म एक शरारत क थी। वो या
शरारत थी?”
“उ ह ने अपने पता का चैरी का पेड़ काट डाला था।”
“ब त ख़ूब, गंगासागर। इ तहास ये भी बताता है क उनके पता ने उ ह सज़ा नह
द । बता सकते हो य ?”
“ य क जॉज वा शगटन के हाथ म कु हाड़ी थी?” गंगासागर ने बैठते ए पूछा।
कुछ ही महीन के अंदर वो कॉ पयां जांचने म हेडमा टर क मदद करने लगा और उनका
य श य बन गया। कूल म द वाली क छु यां होने वाली थ । परी ाएं ख़ म ई ही थ
और गंगासागर अपने मनपसंद वषय इ तहास क कॉ पयां जांचने म हेडमा टर क
सहायता कर रहा था। उसे अपने कुछ सहपा ठय के हा या द उ र पर हंसी आ जाती
थी।
“ ाचीन भारत म स से भरा आ था जो बाप से बेटे तक बढ़ते चले गए ह। म स
के सं ह को माइथॉलोजी कहते ह।”
“सबसे महान शासक मोगली थे। सबसे महान मोगली अकबर था।”
“ फर अं ेज़ आ गए। वो अपने साथ कई आ व कार लाए, जैसे केट, ै म टाट
और ट ड रेलवेज़ ।”
“आ ख़रकार भारत पर अं ेज़ ओवर ल करने लगे य क यहां एकता म ब त
यादा अनेकता थी। वो े ए ोटट और इंपोटट थे। उ ह ने भारत से नमक के ए ोट
और फर कपड़े के इंपोट से शु आत क ।”
क ठन सवाल म से एक चं गु त मौय के बु मान गु चाण य के बारे म था।
सवाल था “ कर क या चाण य क पु तक ‘अथशा ’ उसक अपनी कृ त थी या
पुराने वचार का सं ह।” एक अ े ले कन सु त छा ने लखा था, “इस सवाल का
जवाब सफ़ ई र ही जान सकता है य क चाण य मर चुका है। शुभ द वाली।”
गंगासागर ने हा शये म लखा, “ई र को ए- लस मलता है, तु ह एफ़। तु ह भी
शुभ द वाली!”
सबसे पहले सबक़ बहीखाते और लेखाशा के थे। अ वालजी के खाते उनके भरोसेमंद
मारवाड़ी मुनीम—उनके ख़ज़ांची— ारा संभाले जाते थे जसे नौजवान को दोहरी– व
बहीखाते भरने क बारी कयां सखाने का काम स पा गया।
“गंगासागर, दो और दो कतने होते ह?” मुनीम ने पहले दन पूछा।
“चार,” गंगासागर ने जवाब दया।
“ग़लत जवाब। म बाद म तु ह एक मौक़ा और ं गा।”
कई दन बाद वो ाथ मक खात क दे खरेख, खाता व , और खाता संतुलन
क तैयारी तक प ंच गए थे। मुनीम ने फर से पूछा, “गंगासागर, दो और दो कतने होते
ह?”
“चार,” गंगासागर ने जवाब दया।
“ग़लत | म इसका सही जवाब दे ने के लए तु ह एक मौक़ा और ं गा।”
कुछ ह त बाद वो आय पहचान, य अनुमान, और लाभ-हा न खाते को अं तम
व प दे ने तक प ंच चुके थे।
“तु हारा आख़री मौक़ा। दो और दो कतने होते ह?” मुनीम ने पूछा।
लड़के ने झुंझलाकर कहा, “जो चाहो समझ लो!”
“सही जवाब,” मुनीम ने हंसकर कहा। “आ ख़र तुमने हसाब- कताब क
ख़ूबसूरती समझ ही ली!”
मुनाफ़ा अ वाल ख़ून म था। हर वो चीज़ जसे ख़रीदा और मुनाफ़े पर बेचा जा सके,
अ वालजी के लए दलच ी क चीज़ थी। गंगासागर को ज द ही अहसास हो गया क
वो एक वशेष उ ताद के हाथ म है। एक दन वो अ वालजी और उनके मुनीम के बीच
बातचीत के समय उनके साथ बैठा।
“मुनीमजी, हम जूट का कारोबार य नह कर रहे ह?”
“मुनाफ़ा ब त कम है, सर। इतनी मेहनत लायक़ नह है।”
“तो उसे नयात य न कर?”
“ नयात का मू य हमारी घरेलू ख़रीद से भी कम है। हम माल ख़रीदकर उसे कम
दाम पर बेचगे। ये घाटे का सौदा होगा, सर।”
“ले कन अगर हम जूट का य नयात कर और उसे जूट का नाम द? आ ख़र वो
भी जूट ही तो है।”
“ले कन, सर, हमसे कूड़ा कौन ख़रीदे गा?”
“म ख़री ं गा।”
“वा तव म आपका सुझाव या है, सर?”
“अगर हम अ वाल हांगकांग से आपका कूड़ा ख़रीदने को कह द? आप यहां
भारत म जूट का य ख़रीदगे— जसक क़ मत लगभग नह के बराबर होगी—और उसे
अपने वदे शी उप म को जूट के प म बेच दगे।”
“ले कन मुनाफ़ा तो झूठा होगा। हमारा भारतीय खंड मुनाफ़ा दखाएगा जब क
वदे शी खंड घाटा दखाएगा। खेल शू य रा श का ही रहेगा।”
“नह , मुनीमजी। अगर हम इसका नयात करगे तो सरकार समान मू य के
आयात लाइसस दे रही है। भले ही इस सौदे म हम पैसा नह कमा सक ले कन आयात
लाइसस के ी मयम ारा हम लाभ कमा सकते ह!”
गंगासागर ने ठान लया क वो अपने गु क ती ण चतुरता को सीखने के लए
पूरी मेहनत करेगा।
एक सवेरे अ वालजी टहल रहे थे। उनका सामा य रा ता उनके द तर होकर जाता था। वो
जाड़ क एक ठं डी सुबह थी, और यादातर कानपुर अभी सो ही रहा था। अपने बॉस को
आते दे खकर सुर ा गाड ने सलाम बजाया |
“राम राम, साहब,” उसने कहा।
“राम राम, गौरी साद,” अ वालजी ने कहा। “द तर म लाइट य जल रही ह?
इस समय अंदर कौन हो सकता है?”
“गंगासागरजी ने जलाई ह,” गाड ने कहा।
“गंगासागर इतने सवेरे द तर आता है?” अ वालजी ने अ व ास से पूछा।
“ नह , साहब। यादातर दन म वो ज द नह आते ह,” गौरी साद ने जवाब
दया।
“ठ क है! घर पर उसक मां और दो बहन ह। उसे उनके साथ भी कुछ समय
बताना चा हए,” अ वालजी ने कहा।
“नह , नह , साहब। वो यादातर दन म ज द इस लए नह आते ह क
यादातर रात को वो द तर से जाते ही नह ह।”
गंगासागर अपने बॉस के अ◌ॉ फ़स म उनसे कसी बात पर चचा कर रहा था। अ वालजी
के वचार हमेशा लाभ के बारे म होते थे, और इस समय वो सोने क बात कर रहे थे। सरा
व यु ख़ म हो चुका था और अ वालजी के पास आशा का कारण था।
“अमे रक डॉलर को हमेशा सोने के मू य से जोड़ा गया है। कुछ समय पहले तक
एक ॉय स सोना बारह डॉलर का होता था, ले कन हा लया व यु ने इसे बदल डाला
है। डॉलर का मू य गर गया है और एक ॉय स अब पतीस डॉलर का है,” अ वालजी
ने कहा।
“तो?” गंगासागर ने पूछा।
“इसका मतलब ये है, गंगासागर, क अब डॉलर का मू य एक स सोने का
पतीसवां भाग है।”
“इसम अवसर कहां है?”
“भले ही अमे रक सरकार ने डॉलर के मू य को सोने से जोड़ दया हो, ले कन
डॉलर का वा त वक मू य गरता ही जाएगा य क उ ह यु से होने वाले नुक़सान क
भरपाई के लए और पैसा छापना पड़ेगा।”
“तो?”
“और जब डॉलर का वा त वक मू य गरेगा, तो सोने का वा त वक मू य
चढ़े गा।”
“तो इसम कोई अवसर है?”
“ सफ़ अवसर नह है— य– व य का अवसर है।”
“म समझा नह |”
“साफ़ बात है। अगर मेरे पास एक डॉलर हो, तो म उसके बदले एक स सोने
का पैतीसवां भाग ले सकता ं। सही?”
“सही।”
“ले कन सोने स के उस अंश का वा त वक मू य डॉलर से कह यादा है,
सही?”
“सही।”
“तो, अगर हम डॉलर ख़रीदते रह और उ ह सोने के अ धकृत मू य के बदले बेचते
रह, तो या होगा?”
“हम नफे़ म रहगे?”
“सही। तो इंतज़ार कस बात का कर रहे हो?”
अ वालजी ने डॉलर और सोने के इस य– व य के ारा अपनी कंपनी के लए
लाख कमाए। गंगासागर दे खता, सुनता और समझता रहा।
एक और मौक़े पर कपास के ापार क बात थी। भारत ने कुछ साल पहले अं ेज़ से
आज़ाद हा सल कर ली थी और एक नई सरकार दे श को चला रही थी।
“नाए उ ोग मं ी का इरादा कपड़ा मल को रा ीयकृत करने का है,” एक दन
अ वालजी ने यूं ही कहा।
“हम भा वत नह ह गे। हम ापारी ह, न क कपड़ा नमाता,” गंगासागर ने
सावधानीपूवक जवाब दया।
“तुम ग़लत कह रहे हो, हम भा वत ह गे। उ ोग मंद म आ जाएगा।”
“तो?”
“कपास क क़ मत गर जाएगी।”
“तो हम इससे या नुक़सान होगा?”
“कपास को शॉट सेल करो।”
“ह?”
“कपास को आज बेचो और बाद म कम क़ मत पर ख़रीद लो।”
“ले कन अगर रा ीयकरण तुरंत हो गया, तो लेनदे न के दोन छोर स म ढं ग से
संभालने के लए समय नह होगा, सर।”
“हम सु न त करना होगा क मं ी रा ीयकरण का अपना नाटक कुछ समय बाद
करे।”
“कैसे?”
“हम उसे दखाएं क वो इस मुनाफ़ाब श योजना म हमारा साझेदार बन सकता
है।”
गंगासागर को ापार और राजनी त के बीच के नाजायज़ संबंध समझ आने लगे।
“दे खा? ये तु हारे नीचे पटना शहर है,” खड़खड़ाते हॉकर हाट के एक बार फर से
लड़खड़ाने के दौरान मोहनलाल च लाए। गंगासागर अपने ना ते को उलटने के लए तैयार
था और एक बेतहाशा ठं डी सुबह के पांच बजे वहां होने के लए वो अ वालजी और मैड
मोहनलाल दोन को कोस रहा था। जहाज़ म उन दोन क सीट आगे-पीछे थ ।
“रेलवे लाइन के द ण म वो खंडहर दे ख रहे हो? वो कु हरार है— ाचीन
पाट लपु शहर के अवशेष जससे पटना को अपना नाम मला है,” पहली बार वमान म
बैठने वाले अपने सहया ी क बेचैनी से बेख़बर मोहनलाल च लाए। दोन ही बी–8
गॉग स, आरएएफ़ हे मेट, ए–2 बॉ बर जैकेट और 1941 आरएएफ़ मैक वै ट पैराशूट
बैकपैक पहने ए थे। गंगासागर ने वमान क साइड से घबराते ए उस ओर झांका जधर
मोहनलाल इशारा कर रहे थे।
“पाट लपु दो हज़ार तीन सौ साल पहले चं गु त मौय के वशाल सा ा य क
राजधानी था। पटना क बदहाली दे खकर क पना करना मु कल लगता है ना?” शोर
मचाती मशीन को नद के साथ चलने के लए मोड़ते ए वो ज़ोर से चीख़े।
“ये शहर गंगा के द णी कनारे पर बसा आ है ले कन ये पूरा े क े लोहे से
समृ है। बस हम वो काम करना है जो सरकार ने अभी तक नह कया है—सही ान
क पहचान!”
गंगासागर ने कुछ गा लयां बुदबुदा , और वो ख़ुश था क इंजन का शोर पाइलट
को वो गा लयां नह सुनने दे गा।
“सारी नया म ख नज क तलाश के लए भूभौ तक य टै नीक के योग म
ज़बरद त वृ ई है। मेरे सामने यहां टै नॉलोजी का वो उपकरण है मै नेटोमीटर कहते
ह। नया म बस कुछ ही मै नेटोमीटर ह। तु हारे बॉस ने ये अमे रक प र चत के ज़ रए
हा सल कया है। ये साला अ व सनीय है!” मोहनलाल ने कहा।
“ये चीज़ कैसे काम करती है?” पेट म अपने ना ते के छपछपाने क सनसनी को
नज़रअंदाज़ करते ए गंगासागर च लाया।
“ये चीज़ पृ वी क सतह के व भ भाग के सापे चुंबक य आकषण को
मापती है। आइरन अ◌ॉ साइड म सारे ख नज म सबसे यादा श शाली चुंबक य
खचाव होता है। इस लए जब हम ख नज के भंडार के ऊपर उड़गे, तो हम चुंबक य
खचाव म एक न त बदलाव दे खने को मलेगा,” ॉपेलस के शोर और इंजन क
ख़तरनाक लड़खड़ाहट म आं शक प से डू बती आवाज़ म मोहनलाल ने समझाया।
“हम गर रहे ह!” हॉकर हाट तेज़ी से नीचे होने लगा तो मोहनलाल चीख़े। गंगासागर ने
पहले मोहनलाल, फर अ वालजी और फर अपनी क़ मत को कोसा। एक ण को उसे
लगा क पागल पाइलट उसके साथ एक ू र मज़ाक़ कर रहा है ले कन कुछ ही सैकंड म
उसे अहसास हो गया क ये मज़ाक़ नह है। हवा म उड़ता कबाड़ तेज़ी से गर रहा था।
“हम कूदना होगा!” मोहनलाल च लाए। उनके नीचे पाट लपु के खंडहर थे जो
इतने सवेरे आंख फाड़ते सैला नय से ख़ाली थे। ‘मेरा नसीब,’ गंगासागर ने सोचा, ‘म दो
हज़ार तीन सौ साल पुरानी ह य से घरा आ म ं गा। अगर बाद म मेरी लाश मली भी
तो मुझे ाचीन स यता का ही एक अवशेष समझा जाएगा! ज़मीन के अंदर सैकड़ फ़ट
नीचे क े लोहे को ढूं ढ़नो साला मेरे लालची बॉस ने मुझे ऊपर हवा म य भेजा? लोहे के
लए खुदाई करने के बजाय इस ज़ंग लगी लोहे क च ड़या म अब वो मेरी लाश के लए
खुदाई करगे। दे खए, अ वालजी, ये रहा वो लोहा जो आपको चा हए था!’
वमान ने कपकपाते ए च कर खाया तो गंगासागर को भी च कर सा आ गया।
“कूदो! फ़ौरन!” मोहनलाल वमान से नकलते और अपने पैराशूट क रपकॉड को खोलते
ए च लाए। गंगासागर ने भी बना सोचे-समझे ऐसा ही कया। अब वो अपने सहारे था।
वो जानता था क वो मरने वाला है और उसे चता नह थी क साला पैराशूट खुलेगा या
नह । मोहनलाल के जहाज़ क हालत दे खते ए ब त संभव था क बैकपैक म पैराशूट हो
ही नह !
घटना ल पर ज़मीन धंस गई थी। नाक के बल गरे जहाज़ से काला बदबूदार धुआं उठ
रहा था। पाट लपु के वशाल सभागार के अवशेष प म म सौ गज़ र थे। “ या हम
पटना क ओर चल द?” गंगासागर ने पूछा।
“कोई फ़ायदा नह । हम सैला नय के े के ठ क बीचोबीच ह। एक-दो घंटे यहां
बैठो और फर ढे र सारी बस आना शु हो जाएंगी। हम शहर वापस जाने के लए ल ट ले
लगे,” मोहनलाल ने सुझाव दया।
वो मलबे के दायरे से र बैठकर लपट को ठं डा पड़ते दे खने लगे। गंगासागर ने
अपने कपड़ से का लख झाड़ी, और अपने हाथ पर थूककर उससे अपनी आंख साफ़ क ।
मोहनलाल ने अपने जेबी ला क से उसे एक घूंट क पेशकश क । गंगासागर पाइलट को
नज़रअंदाज़ करते ए अपने सामने म म मली एक टहनी से ज़मीन को कुरेदता रहा। ये
सुख़ कछारी म थी—क े लोहे से समृ । अ वालजी, दे खए, सर, मने आपके साले
लोहे के मैदान खोज नकाले, गंगासागर ने सोचा।
टहनी के आगे कोई ऐसा अवरोध आ गया जो उसे नम म म और गहरे खोदने
से रोक रहा था। गंगासागर चढ़कर और ज़ोर से खोदने लगा। गंगासागर को सहनीय बनाने
के यास म मोहनलाल ने कुछ और शराब पी। गंगासागर घुटन के बल बैठकर टहनी से
खुदाई करने लगा। वो जानना चाहता था क अवरोध या है। गंगासागर क कुछ मनट क
खुदाई और मोहनलाल के ह क के कुछ घूंट के बाद अवरोध का ोत मल ही गया।
“च लए! उ ठए और मेरी मदद क जए!” गंगासागर पाइलट पे च लाया।
मोहनलाल चढ़ते ए उठे , उ ह ने अपने जेबी ला क का ढ कन कसा और उसे अपनी
बैगी लाइंग पट क जेब म ख स लया। “हम मलबे म से कुछ धातुई टु कड़े चा हए ह गे
ज ह हम फावड़ क तरह इ तेमाल कर सक,” गंगासागर ने उनसे कहा। डरे ए पाइलट
ए वस जैसी क़लम वाले के ग़ से का सामना नह करना चाहते थे। उ ह एक धातुई छड़
मल गई, जो शायद वमान के कसी पंख क कड़ी थी। उ ह ने उसे सावधानीपूवक छु आ
—वो तेज़ गम नह थी। वो उसे गंगासागर के पास लेकर आए जसने उसे उनसे छ ना और
तेज़ी से खुदाई शु कर द ।
“ऐसा भी या है?” मोहनलाल ने पूछा। “साले एक ेनाइट के टु कड़े को लेकर
हम इतने उ े जत य हो रहे ह? इसक तो चू चयां तक नह ह!”
गंगासागर ने उ ह नज़रअंदाज़ करते ए खुदाई जारी रखी। पं ह मनट के अंदर
उसने यादातर म साफ़ कर द थी और लगभग उलट पड़ी समा ध के प र का एक
खंड दखाई दे ने लगा। ये बेहतरीन ढं ग से पॉ लश कया आ ेनाइट था और उस पर
कसी ऐसी ल प म कुछ लखा था जसे गंगासागर नह समझता था। वो जानता था क ये
शायद ा ी होगी—मौय युग म यु सुलेख—ले कन वो व ास से नह कह सकता था।
“सु शासन का उ े य या है, चाण य?” वेश नदे शक ने पूछा। वो उनके कायालय म
धरती पर बैठे थे, जो क बासी चटाइय , चमप और पांडु ल पय से भरा ब त कम
सजावट वाला क था। कमरे म गंधसफ़ेदा के तेल के द य क गंध बखरी ई थी जो
शाम को वहां रोशनी कर रहे थे।
चाण य का जवाब तुरंत और आ म व ास भरा था। “रंक क ख़ुशी म राजा क
ख़ुशी है और उनके क याण म उसका क याण,” उसने बलपूवक कहा।
“व स, राजा के कत या ह?”
“राजा के तीन कत ह। र ा —रा य को बाहरी आ मण से बचाना; पालन —
रा य म याय व ा बनाना; और अंत म, योग ेम — लोग का क याण।”
“हे चणकपु , वो कौन से संभव साधन ह जनके ारा राजा राजनी तक ववाद
का नपटारा कर सकता है?”
“चार संभव साधन ह, ीमान। साम — वन अनुनय और शंसा; दाम —
आ थक ो साहन; दं ड —सज़ा या यु ; और भेद —बु मानी, चार और चार।”
“एक रा य, दे श, और इसके लोग म या अंतर है?”
“लोग के बना दे श नह हो सकता, और दे श के बना रा य नह हो सकता। लोग
से ही रा य बनता है; एक बांझ गाय क तरह लोग के बना रा य से कुछ पैदा नह होता।”
“रा य का नमाण कन चीज़ से होता है, बु मान श य?”
“इसके नमाण के सात त व होते ह, व ान श क | राजा, मं मंडल, े और
आबाद , ग कृत नगर, राजकोष, सश बल और सहयोगी।”
“राजा को मं य क आव यकता य है?”
“रथ एक प हए से नह चल सकता। राजा को बु मान य को मं य के
प म नयु करना और उनक सलाह को सुनना चा हए।”
“वैभव का मूल या है?”
“वैभव का मूल आ थक ग त व ध है, और इसक कमी भौ तक संकट लाती है।
सफल आ थक ग त व ध क अनुप त म वतमान समृ और भ व य का वकास दोन
ही वनाश के ख़तरे म रहते ह। जस कार हा थय को पकड़ने के लए हा थय क
आव यकता होती है, उसी कार वैभव ा त करने के लए वैभव क आव यकता होती
है।”
“एक रा य के लोग पर कर का उ चत तर या है?”
“ जस कार फल पकने के बाद उ ह उ ान से तोड़ा जाता है, उसी कार राजा
को दे य होने पर राज व वसूलना चा हए। जस कार बना पके फल को नह तोड़ा जाता
है, उसी कार राजा को वो राज व नह वसूलना चा हए जो दे य नह है य क इससे लोग
ु ह गे और राज व के ोत ही न हो जाएंगे।”
“राज व अ धका रय पर राजा को कस सीमा तक व ास करना चा हए?”
“ये जानना असंभव है क पानी म तैरने वाली मछली कब पानी पीती है। इसी
तरह ये पता लगाना भी असंभव है क राज व वसूलने वाले शास नक अ धकारी कब
ग़वन कर लगे।”
“एक रा य के शासन म दं ड कतना मह वपूण है?”
“केवल दं ड क श ही इस लोक और परलोक क र ा करती है, बशत क दं ड
बना भेदभाव के अपराध के अनुपात म दया जाए, और बना ये सोचे क दं ड पाने वाला
राजकुमार है या मन दास।”
“राजा कस तरह सु न त करे क कौन राजा उसके म ह और कौन श ?ु ”
“ नकटवत े का शासक वरोधी है और उसका पड़ोसी म । मेरे श ु का श ु
मेरा म है।”
वेश नदे शक ने आ य से लड़के को दे खा। फर वो पुंडरीका क ओर मुड़कर
मु कुराए। “मुझे इसके ान, व ेषणा मक कौशल और बु म ा म कोई संदेह नह है,
ले कन इसक पढ़ाई का शु क कौन दे गा?” उ ह ने पूछा। अ य ने झपते ए दांत
नकाले। “मेरे बचपन के म ने अपने ॠण का भुगतान मांगा है। इसका शु क म ही
ं गा,” उ ह ने बताया।
चाण य पुंडरीका के सामने दं डवत हो गया और उसने उनसे नवेदन कया क
वो उससे वो दस पण ले ल जो या ा के लए का यायन ारा दए गए पचास पण म से
उसके पास बचे ए थे। “इसे रखो, चाण य। म जब भी उ चत समझूंगा, इस ॠण का
भुगतान मांग लूंगा,” पुंडरीका ने कहा। “तुम पूरे भारत को एक कृत करोगे; तु हारी द त
उस लौ क तरह होगी जो राजा को जुगनु क तरह आक षत करेगी, यहां तक क वो
तु हारे आगे झुक जाएंगे; उठो, चाण य, हमारी मातृभू म को तु हारी ज़ रत है,” अ य
ने घोषणा क । कृत लड़के ने बना कुछ कहे पुंडरीका के चरण छु ए और चला गया।
“पता नह इसे त शला क श ा क आव यकता है भी या नह ,” चाण य के
जाने के बाद वेश नदे शक धीरे से अ य से बोले।
सामने के टे ढ़े दांत, लंबोतरे अंग, ध बेदार और दाग़दार चेहरे, कोयले जैसे रंग और
चक़ ेदार वचा के कारण चाण य त शला म सबसे यादा कु प दखाई दे ता था।
व व ालय राजकुमार और कुलीन प रवार के बेट से भरा आ था जनम से यादातर
उ वग य और सुंदर होने को ब त मह व दे ते थे। चाण य क बु म ा और लगभग हर
वषय पर साह सक वचार भी म जीतने म उसक मदद नह कर सके थे।
एक दन, जब वो शयनागार से अपनी क ा क ओर जा रहा था, तो नद
कनारे उगी सूखी कुश घास के उसके दाएं पैर म चुभने से वो अचानक दद से बल बला
उठा। उसने अचानक अपना पैर ऊपर उठाया और उस कांटेदार तनके को बाहर नकाला
जसने उसे चुनौती दे ने क ह मत क थी। कांटा नकालने और र को नद म धोने के
बाद, चाण य उस तीखी घास को दे खने के लए झुक गया। वो कुश के गु े उखाड़कर
नद म फकने लगा।
“चाण य को दे खो, म ो! हमारे आगे बड़ी-बड़ी बात करता है क वो कस तरह
दे श के मन को न कर दे गा, और दे खो वो उस घास तक को नह कुचल सका जसने
उसके पैर पर आ मण कया!” उसका एक सहपाठ च लाया। चाण य तान को
नज़रअंदाज़ करके अपने सामने क सम या म त रहा। अपने आसपास क हंसी-
ठठोली से बेख़बर वो कुश क तीखी घास को उखाड़ता रहा। कई मनट तक कई मुट्ठ
घास उखाड़ने के बाद, उसने महसूस कया क वो ऐसे अप र कृत तरीक़े से इस श ु घास
को समा त करने म सफल नह हो सकता। उसने अपने म त क म बठा लया क या
करना है और क ा के लए चल दया। “बस हार गए!” उसके साथी च लाने लगे। “अगर
ये वा त वक यु होता तो र पात के बना ही समा त हो जाता। चाण य श ु के आगे
अपने श डाल दे ता,” एक युवा राजकुमार ने कहा। चाण य के पास जवाब दे ने को कुछ
नह था।
अगले दन, चाण य के सहपाठ उसे गाढ़े घोल का एक मटका लाते दे खकर च क
गए। उसके साथी तेज़ी से आगे बढ़े , और चाण य उस सफ़ेद व को घास के एक बड़े भाग
म छड़कने लगा। कुछ और ताने कसे गए। “ये चाण य क नई यु नी त है। अगर तुम
श ु को हरा नह सकते, तो उसे ध पलाओ ता क वो और भी श शाली हो जाए और
तु ह आसानी से न कर डाले,” एक ने कहा। एक और ने तीखी ट पणी क , “नह । नह ।
तुम समझे नह ... ये कुश घास है, हमारे वेद क े य। चाण य घास को चढ़ावा दे रहा है
ता क वो दे वता को स कर सके और इसके ान पर दे वता श ु को न कर सक।”
हमेशा क तरह, चाण य ने कोई सफ़ाई नह द ।
अगले दन लड़के ये दे खकर च कत रह गए क घास के बड़े-बड़े टु कड़े ग़ायब हो
चुके ह। “हे चाण य! तुमने कल जो ध बखेरा था उसम या था?” एक लड़के ने
उ सुकतावश पूछा।
“कुश इतनी चुर और ापक थी क म उसे न नह कर सकता था, इस लए
मने सोचा—मेरे श ु का श ु मेरा म है—कुश का सबसे बड़ा श ु कौन है? जवाब था
फफूंद और च टयां, दोन ही घास पर आ मण करके उसे खा जाती ह। मने कल जो
डाला था वो ध नह था। वो मीठा छाछ था, मेरे म ो। छाछ म ोट न के कारण फफूंद
पैदा ई और चीनी ने च टय को कया,” चतुर युवक ने अपने दं ग सहपा ठय को
समझाया जो ये दे खकर और भी च कत ए क चाण य छाछ का एक मटका और लाया
था और पछले दन वाली या को दोहरा रहा था।
“तुम घास को तो पहले ही मार चुके हो, चाण य। ये सरा मटका कस लए?”
पछले दन मज़ाक़ उड़ाने वाले एक कुलीन लड़के ने पूछा।
“ॠण को अं तम पण तक चुकाना चा हए, और श ु को अं तम च तक न
करना चा हए,” कठोर चाण य ने अपने नए शंसक को समझाया।
“तुम आज जो भी कहो और करो, उसम सावधान रहना, चाण य,” का यायन ने सलाह
द , हालां क चाण य का मंत कसी भी त ा म भाग लेने का नह था। वो ऐसे
समारोह के लए कह यादा व श व ान था। वो बस राजा के दरबार क कायवाही को
दे खना और राजा और उसके नए महामं ी रा स के बीच के समीकरण को समझना
चाहता था। उसने सु न त कया क वो महल के अ त थय क भीड़ म और राजा क
नज़र से र रहे। ले कन उसने ये ग़लती कर द थी क वो का यायन के पास खड़ा था और
रा स क के सामने था। रा स ने कु प चाण य को तुरंत पहचान लया। थोड़ी सी
चगा रयां पैदा करने के उ े य से उसने गंभीरतापूवक घोषणा क , “मगध का सौभा य है
क आज हमारे बीच मगध के मेधावी पु चाण य मौजूद ह जो स त शला
व व ालय म अ यापक ह। दरबार को स ता होगी क आज क चचा का आरंभ
आचाय ारा कया जाए।” वन वाहवाही के बाद चाण य ने हच कचाते ए मंच संभाल
लया। “श द नाप-तौलकर बोलना और अपने ोध को नयं ण म रखना,” चाण य चलने
लगा तो का यायन ज द से फुसफुसाए।
“ॐ! दे व एवं दे व वरो धय के गु , व ान एवं राजनी त के वतक बृह त और
शु को णाम,” चाण य ने ारं भक आ ान कया। वो राजसी सहासन पर बैठे धनानंद
के सामने था जसके दाई ओर रा स खड़ा आ था। “ॐ!” सभा ने सहगान कया।
“हे ानी श क, समाज कस कार रा य क उ त म सामंज य के साथ काय
कर सकता है?” रा स ने पूछा।
“अपने कत का नवाह करके। एक ा ण का कत है अ ययन, अ यापन
और मानव क ओर से दे वता के साथ म य ता करना। य का कत है श
रखना और जीवन क र ा करना। वै य का कत है ापार करना, नमाण करना और
धनोपाजन करना। शू का कत है तीन उ वण क सेवा करना,” चाण य ने ये
जानते ए घोषणा क क सहासन पर बैठा राजा शू है।
रा स े षपूण ढं ग से स आ। उसने चगारी पैदा कर द थी। अब व ोट
होने म अ धक समय लगने वाला नह था। आ यजनक प से धनानंद ने आ मसंयम
बनाए रखा और इस ट पणी को कर दया।
“आचाय, एक राजा म या गुण होने चा हएं?”
“एक आदश राजा को वा पटु , नभ क, और कुशा बु , अ मृ त और
ती ण म त क वाला होना चा हए। उसे मागदशन के त संवेदनशील होना चा हए। उसे
श शाली और सेना का नेतृ व करने म स म होना चा हए। उसे पुर कार और दं ड दे ने म
यायसंगत होना चा हए। उसके पास र होनी चा हए और उसे अवसर का लाभ
उठाना चा हए। उसे यु और शां त के समय म शासन करने म स म होना चा हए। उसे
पता होना चा हए क कब यु करना है और कब शां त ा पत करनी है, कब ती ा
करनी चा हए और कब आ मण करना चा हए। उसे हर समय अपनी ग रमा बनाकर
रखनी चा हए, मृ भाषी, वाद और सौ य होना चा हए। उसे उ ता, ोध, लोभ, हठ,
अधीरता और नदा से बचना चा हए। उसे बड़ क सलाह के अनुसार चलना चा हए—”
“बस करो! मुझे ये उपदे श नह चा हए!” धनानंद ने आवेश म आकर ह त ेप
कया। दरबार म स ाटा छा गया। रा स क समझ म नह आ रहा था क या बोले। उसे
इतने शी भाव क आशा नह थी।
“म सहमत ,ं हे राजा। आपको मेरी सलाह क आव यकता नह है। मेरी सलाह
उनके लए है जनम मेरी सलाह को समझने और काया वत करने क यो यता हो। भा य
से आपम इसम से कोई यो यता नह है!” चाण य दहाड़ा। का यायन मन ही मन घबरा
गए। वो चाण य को य यहां लाए? उ ह ने अनजाने म ही अपना हाथ शेर के जबड़े म
डाल दया था।
“रा स! ये कु प मूख कौन है जसे तुम एक श क के प म स मान दे रहे हो?
हम भाषण दे ना तो र, ये तो यहां होने यो य भी नह है!” धनानंद ने कहा।
“हे महान राजा। ये चाण य है, य दवंगता मा चणक का पु ,” रा स ने
चालाक से बताया।
“आह! अब म समझा। जब मने उस मंदबु का सर काटने का आदे श दया था,
तभी मुझे उसके बेटे के साथ भी ऐसा ही करना चा हए था। चूह म आबाद बढ़ाने क गंद
आदत होती है,” धनानंद ने कहा।
“एक बार फर म आपसे सहमत ,ं हे राजा,” चाण य ने कहा, “मुझे जी वत
छोड़कर आपने मूखता क । श ु को अं तम च तक न कर दे ना चा हए, जस तरह एक
दन म आपको और आपके वकृत वंश को न क ं गा,” चाण य ने शांत भाव से
भ व यवाणी क ।
“इस नीच को गर तार करो और नंद के नक भेज दो। ये तभाशाली ग रका के
चमट और कांट के बीच मेरे पतन के तरीक़े सोच सकता है! जस तरह चूहे को उसक
म से पकड़ा जाता है, उसी तरह इसे इसक ु चोट से पकड़ लो!” धनानंद च लाया
और उसके सपाही चाण य क ओर बढ़ने लगे।
चाण य का हाथ अपनी शखा पर गया और उसने उसक गांठ खोल ली। ोध
के बावजूद धनानंद क ज ासा जाग गई और उसने कहा, “पूंछ खोलने से तुझे कोई लाभ
नह होगा! बंदर हमेशा बंदर ही रहेगा!”
“हे मूख और अ ानी राजा, मने पूरे भारत को एक कृत करने को अपना प व
कत बना लया है ता क ये हमारे ार पर आने वाले वदे शी आ मणका रय का
मुक़ाबला कर सके। मेरा पहला क़दम तुझे इ तहास से मटाना होगा। आज म एक प व
सौगंध लेता !ं म सौगंध लेता ं क म अपनी शखा को तब तक नह बांधूंगा जब तक क
म तुझे और मैसीडो नयाई आ मणका रय को अपने दे श से न का सत करके इसे एक
उदार राजा के शासन म एक कृत न कर ं !” चाण य ने सौगंध ली और सै नक उसे अब
तक खुल चुके उसके बाल से पकड़कर नंद के नक क ओर घसीटकर ले जाने लगे।
अ याय अ याय चार
वतमान समय
“नौकरशाही को जहां तक हो सके, काट दया जाए, क म र,” गंगासागर ने सुझाव दया।
वो मेयर के शानदार अ◌ॉ फ़स म नए नयु ए यु न सपल क म र से बात कर रहा था।
क म र जानता था क वा त वक राजनी तक श गंगासागर है। मेयर ट वी सैट था
ले कन गंगासागर रमोट कं ोल था।
गंगासागर को ख़ुश करने के लए उसने अपने सहायक से दशा नदश तैयार करने
को कहा क कस तरह लालफ़ ताशाही को कम कया जा सकता है। ये सरकारी क़ानूनी
भाषा म लखा एक लंबा द तावेज़ था। अगले दन गंगासागर ने उसे क म र को एक छोट
सी ट पणी के साथ वापस कर दया था। उसम बस इतना लखा था:
गाय ी मं : 14 श द
पाइथागोरस का स ांत: 24 श द
आ क मडीज़ का स ांत: 67 श द
टै न कमांडमट् स: 179 श द
जवाहरलाल नेह का उदघाटन भाषण: 1,094 श द
लालफ़ ताशाही बंद करने के लए आपक सफ़ा रश: 22,913 श द
इकराम, गंगासागर और अ वालजी अंडर वयर पहने पालथी मारे गंगा कनारे अ वालजी
के ाइवेट बीच पर बैठे थे। तीन के पीछे एक-एक मा लशवाला खड़ा था। तीन सरस के
तेल से महक रहे थे, जो कानपुर के मा ल शय का पसंद दा तेल था। तीन आद मय के
सर को गम तेल से तर करने के बाद वो ज़ोर से उनक मा लश कर रहे थे। अ वालजी
गंजे थे ले कन फर भी उनका मा लशवाला उनक खोपड़ी को पूरे ज़ोर-शोर से चमकाने म
लगा आ था। बीच-बीच म मा ल शए अपने मुख ल य— सर—से भटक जाते और
अपने ाहक क गदन, कंध और पीठ को फटने, दबाने और रगड़ने लगते। ये रौग़न और
कराह का उ सव था।
अ वालजी ने पूछा, “गंगा, तु ह लगता है हम अगला वधानसभा चुनाव लड़ने
लायक़ श शाली ह?”
“बात ये नह है क हम इतने श शाली ह या नह ह, बात ये है क या हम
वरो धय को कमज़ोर बना पाएंगे या नह ,” गंगासागर ने जवाब दया, इस बात से बड़े मज़े
से बेख़बर क उसका मा ल शया उसके कान म उं ग लयां डालकर उसे कंपन थेरेपी का
भारतीय सं करण दे रहा है।
“ जतना म तु ह जानता ,ं तुमने कोई योजना बना रखी होगी,” अ वालजी ने
कहते ए हाथ बढ़ाया ता क उनका मा ल शया उनक हथे लय को अपने अंगूठे से घुमा-
घुमाकर अ तरह रगड़ सके—जो र संचार के लए अ ा है।
“मने सुना है क हमारे स मानीय मु यमं ी म कुछ कम स मानीय आदत ह,”
गंगासागर ने धूतता के साथ कहा।
“वो या ह?” इकराम ने पूछा।
“ यादा सही सवाल होगा वो कौन ह,” गंगासागर ने जवाब दया।
“ठ क है। वो कौन ह?”
“म औरत के नाम वणमाला के अनुसार गाऊं?” गंगासागर ने मज़ाक़ कया।
“जो भी हो, इससे हम फ़ायदा या होगा?” अ वालजी ने पूछा। “हमारे मु यमं ी
के शासन का रकॉड अ ा रहा है। उनके होते वतमान शासन को हटा पाना मु कल
होगा। ले कन वो नह ह , तो बात सरी होगी।”
“काम म यादा उ साही लोग के साथ सम या ये होती है क वो सरे मामल म
भी उतने ही उ साही होते ह,” गंगासागर ने कहा।
“चुनाव नज़द क आने के कारण वो सावधान हो जाएंगे। उ ह फंसाना आसान
नह होगा,” इकराम ने कहा।
“अ सर लोभन से छु टकारा पाने का एकमा तरीक़ा लोभन के आगे झुक
जाना होता है,” गंगासागर ने शांत भाव से कहा।
र ो भैया अपनी पुरानी सी म ह ा जीप क ाइवर सीट पर बैठा अपनी घनी काली मूंछ
को प छ रहा था। उसके हाथ म ठं डाई से आधा भरा ट ल का एक गलास था। बादाम,
चीनी, स फ़, गुलाब क प य , काली मच, इलायची, व केसर क महक और अ
ख़ासी मा ा म पो त के बीज वाले ठं डे ध का आधा भाग पहले ही उसके पेट के अंदर
घूम रहा था। ह या, मार-पीट और नाजायज़ ह थयार रखने के छ बीस मामल म
अ भयोगाधीन र ो वधान सभा का सद य था। सै स कांड म पकड़े गए मु यमं ी का
व ासपा र ो रा य क राजनी तक गंदगी का सरा भ ा राज़ था।
उसक बग़ल म उसका पुराना दो त पु लस क म र बैठा था जसने ख़ास तौर से
इस वीरान जगह पर मुलाक़ात के लए कहा था। वो र ो—बज़ा हर एक मन—से
बातचीत करते नह दे खा जाना चाहता था। ो धत ेस और भोली-भाली जनता इस त य
को कभी वीकार नह कर पाती क र ो और पु लस मुख अपने पद एक- सरे के
सहारे ही बनाए ए ह। र ो जैसे लोग आम इंसान के लबास म अपराधी थे, और,
अ सर, पु लसवाले वद पहने अपराधी होते थे। पु लस क म र ढ़ न य के साथ अपनी
नाक कुरेद रहा था। अपनी इस खोज के बीच म उसे महसूस आ क उसके गले म
खुजली हो रही है और उसने खखारते ए बड़ी गहराई से कफ़ नकाला और खुजली के
अपराधी बलग़म के ढे र को अपने मुंह म लाकर उसने उसे ज़मीन पर थूक दया। लगता था
क नाक कुरेदना और गला साफ़ करना उसके मनपसंद शैाक़ थे।
“साले कमीने ने मुझसे कहा है क सारे लं बत मामल क जांच क ं और तु ह
एक मसाल बना ं ,” आ ख़रकार पु लस क म र बोला।
“साले का दमाग़ चल गया है या? मादरचोद को पता नह क इससे पाट क
अपनी ही पोज़ीशन ख़राब होगी? म स ा दल का ख़ास सद य ं, नह या? इससे वो
चुनाव कैसे जीत पाएगा?” ु र ो ने पूछा।
“ फ़लहाल तो रा य के गृहमं ी का उ े य अपने सहयो गय को ये दखाना है क
उसम दम है। एक बार उसक अपनी त मज़बूत हो जाए, तब वो पाट क चता करना
शु करेगा!” क म र ने नाक का एक बाल तोड़ते ए कहा जो उसे परेशान कर रहा था।
“तो फर म हरामज़ादे को दखाऊंगा क म या कर सकता ,ं ” बची ई ठं डाई
जीप के बाहर नम ज़मीन पर फकता आ र ो च लाया।
“खुलेआम मनी मोल लेने के बजाय उसे संकेत दे ने का तु हारे पास एक तरीक़ा
है जससे क़ानून और व ा पूरी तरह बखर जाएगी,” पु लस क म र ने सहायता करने
क को शश म सुझाव दया।
“और वो या तरीक़ा है?”
“तुम राजनी तक प से उसे चुनौती दे सकते हो। उसके चुनाव े म एक रैली
करो। इससे वो थोड़ा हल जाएगा।”
र ो मु कुराया। उसके सामने के दो दांत सोने के थे। उसने अपने वचार से
अपनी वजयी मु कान द और कहा, “तु ह एक आम पु लस क म र कसने बना दया?
तु ह तो मं ी होना चा हए था—और कोई ाथनाएं करने वाला मं ी नह !”
“मने उनसे कहा था क वो रैली न कर, सर। मने समझाया था क इससे क़ानून और
व ा क सम या खड़ी हो सकती है। उ ह ने मुझे व ास दलाया था क वो अपने
फ़ैसले पर पुन वचार करगे। ले कन शायद उ ह ने ऐसा कया नह ,” पु लस क म र ने
उ र दे श के च तत गृहमं ी को समझाया।
“तो उस हरामख़ोर को लगता है क म उसके खुले व ोह को यूं ही वीकार कर
लूंगा,” मं ी च लाए। “मुझे चता ये है क वो पूरी पाट को बखेर दे गा। उसे आज ही
गर तार कर लो!”
मं ी ज़ोर से अपनी कुस पर झूल रहे थे। ‘ चता रॉ कग चेयर जैसी होती है,’
पु लस क म र ने सोचा। ‘ये आपको त तो रखती है ले कन कह ले नह जाती।’ उसने
अपना चतन बंद कया और बोला।
“ये समझदारी नह होगी, सर। उसक अपनी जा त म काफ़ पैठ है। वो उसे एक
तरह के रॉ बन ड के प म दे खते ह। उसे गर तार करके हम उसके जाल म फंस
जाएंगे,” पु लस क म र ने सा ज़शी ढं ग से कहा।
“अगर मने उसे गर तार नह कराया तो मुझे कमज़ोर और ढु लमुल समझा
जाएगा। इसका या भाव होगा? तुम नौकरशाह को कभी चुनाव लड़ने के बारे म च तत
नह होना पड़ता है। तु हारे लए तो सफलता बस रटायरमट तक नौकरी से चपके रहने म
है; मुझ जैसे नेता के लए सफलता का मतलब है इतवार क सुबह तक बने रहना!”
“म आपक भावना को समझता ,ं सर। म एक सुझाव दे सकता ?ं ”
“बोलो,” चढ़े ए मं ी ने कहा।
“इसके बजाय य न उसके क़रीबी सा थय को पकड़ लया जाए? बाद म हम
उ ह ज़मानत पर छोड़ दगे। इस तरह ये संकेत जाएगा क आप अनुशासनहीनता को सहन
नह करगे, और साथ ही आप उससे सीधे टकराने से भी बच जाएंगे। आप उसक हवा
नकाल दगे, सर। उसके पास खड़े रहने के लए टांग भी नह बचेगी।”
उ र दे श के गृहमं ी मु कुराए। वो पचह र साल के बूढ़े आदमी थे। उनके
दांत क जगह डचर लगे ए थे जो उनक इ त दशा के अलावा हर दशा म चलते थे।
पु लस मुख को एक डचर- े रत मु कान दे ते ए वो बोले, “तुम साला राजनी त म य
नह हो? भगवान जानता है तुम प के कपट हो।”
उ ह ने कुस म झूलना बंद कर दया था।
“तुमने तो इकराम को रातोरात हीरो ही बना दया है,” अ वालजी ने ट पणी क । “अगर
एबीएनस का दशन चुनाव म अ ा रहे तो वो आसानी से मु यमं ी के पद का दावेदार
हो सकता है।”
“यही तो मेरी सम या है,” गंगासागर ने कहा। “वो इस काम के लए सही आदमी
नह है।”
“तुम पागल हो या, गंगा? तुमने उसे कुछ नह से यहां तक प ंचाया है। और अब
जब वो उ र दे श म स ा पाने के एकदम नज़द क है, तो तुम उसे पीछे हटाना चाहते हो?
अ व सनीय!” अ वालजी बड़बड़ाए |
“आपने ए ोपीन के बारे म सुना है?” गंगासागर ने पूछा।
“नह । ये या होता है?”
“ये एक ज़हर होता है। इसे डैडली नाइटशेड नाम के पौधे से नकाला जाता है।”
“ या तुम इकराम को ज़हर दे ने का सोच रहे हो, गंगा? ये कुछ यादा नह हो
जाएगा?”
“म बस ये कह रहा ं क ये ख़तरनाक ज़हर — ए ोपीन—ज़हर के तोड़ के प
म भी योग कया जाता है। हालां क ये ज़हर है, ले कन अगर इसका इ तेमाल छोट -छोट
ख़ुराक म कया जाए, तो ये अपने से बड़े ख़तर से लड़ सकता है।”
“तो इकराम छोट -छोट ख़ुराक म योग कया जाने वाला ज़हर है?”
“ भा य से, वो अपनी अं तम त थ के पार नकल चुका है।”
मगध का राजा जानता था क सेना पेट के बल चलती है। राजकोष सेना से भी मह वपूण
था य क लड़ने के यं को चलाने वाला धन कोष ही था। खुदाई पर रा य का पूण
नयं ण था, इस लए खुदाई म नकलने वाला सारा सोना, चांद और ब मू य र न वत:
ही राजकोष म चले जाते थे।
राजकोष क सुर ा कई तरीक़ से क जाती थी। राजकोष हमेशा राजधानी म
त होता था ले कन उसका नमाण इस ढं ग से कया जाता था क ब मू य धातु और
प र तक प ंच भू ार और हटाई जा सकने वाली सी ढ़य वाले तीन भू मगत तल के
मा यम से ही हो सकती थी। इस भू मगत ढांचे क द वार और फ़श पर प र क ब त
मोट परत का ख़ोल रहता था ता क य द कोई मह वाकां ी सधमार चाहे भी तो वहां तक
प ंच को ायी प से बा धत पाए। कोष सामा यत: राजधानी के उ री भाग म त
होता था, राज नवास और नगर के मुख मं दर के बीच। पहरेदार के एक के पीछे एक वृ
दन-रात राजकोष क सुर ा करते थे, जब क धनुष और वषैले तीर लए नशानेबाज़
राजकोष के चार ओर असं य बुज पर तैनात रहते। भौ तक संतु के खोजी कसी भी
चोर को तुरंत मौत ही मल सकती थी।
सुर ा का सरा तरीक़ा था राजकोष का वक करण और सु र ान पर गु त
कोष को नमाण। सामा यत:, ऐसे सु र गु त कोष का नमाण दं डत अपरा धय ारा
कराया जाता और फर उ ह तुरंत ही ाणदं ड दे दया जाता। ऐसे गु त भंडार का पता
राजा और महामं ी के अ त र कसी को नह होता था। अ सर, वा त वक भंडारगृह
संकरे गु त ग लयार वाले भू मगत गड् ढ़ म बनाए जाते थे। इनम से ब त से जानबूझकर
इस तरह बनाए जाते क एक वय क आदमी उन तक न प ंच सके और ाय: इन भंडार
तक प ंचने का एकमा तरीक़ा श त बौन को भेजना होता था। सामा यत: कोष पर
घनी वन त का छलावरण होता, और चोर को हतो सा हत करने के लए वहां सांप,
ब ू और जंगली जानवर छोड़ दए जाते थे।
चाण य जानता था क भूतपूव महामं ी शकतार धनानंद के कसी भी गु त भंडार
के बारे म जानते ह गे, और उन तक प ंचने क कुंजी का यायन के बौने ह गे।
सेनाप त मौय मगध के श शाली शशुंग शासक महानं दन और उनक प नी, प प लवन
क यो ा जनजा तय —मो रया —के के मुख क इकलौती बेट मुरा के मलाप से
पैदा ए थे। हालां क सेनाप त मौय महानं दन के एक उ कृ उ रा धकारी बन सकते थे,
ले कन बूढ़े राजा के कई अ य पु थे जो इस भू मका के लए यादा उपयु समझे जाते
थे। ले कन मौय का कोई भी अ धक यो य भाई सहासन तक नह प ंच सका। वृ
महानं दन अपने नाई को ब त चाहते थे, जो क महाप नाम का एक चालाक और
चकनी-चुपड़ी बात करने वाला था। महापद्म एक य पता और शू मां का
अवैध पु था।
चालाक नाई महापद्म न केवल राजा का ब क उनक रानी सुनंदा का भी
कृपापा बना आ था। ज द ही वो राजा क हजामत बनाने के साथ-साथ रानी के साथ
संभोग करने लगा था। रानी के दोहन के बाद उसने रानी क सहायता से राजा का दोहन
करने का भी न य कया, राजा और सहासन के बाक़ सभी दावेदार क ह या करके।
एकमा जी वत एक छोटा सा लड़का—मौय—था जो ख़तरा बनने के लए ब त
छोटा था।
य प महाप एक नाई मा था, ले कन वो वल ण बु म ा का वामी था।
उसने मौय क तभा को पहचाना और अंतत: उ ह अपनी सेना का अ य बना दया।
महापद्म नरंकुश था, ले कन उदार था। उसके शासन म अपराध लगभग समा त हो गया
और वो छोटे -छोटे सामंत जो नरंकुश बन गए थे स ती के साथ कुचल दए गए। महापद्म
ने अ धकतर उ री भारत और द ण को जीता और हमालय से कुंतल तक, और यमुना
से पु तक, बड़े-बड़े े को अपने अधीन कर लया था और मगध को उ री भारत
का सबसे श शाली रा य बना दया था। य प वो एक य-शू था, ले कन उसने
ा ण और वर च, ा द और वष जैसे व ान गु को संर ण दया। उ तरीय
मता, श शाली सै या धकार, उ चत कर, वशाल सचाई प रयोजनाएं, और कुल
मलाकर उदारता और सहनशीलता का रवैया उसके शासन क मुख वशेषताएं थ ।
ये व णम युग उसके पु धनानंद के काल म नाटक य ढं ग से बदलने वाला था।
बगड़ैल बेटे ारा सेनाप त मौय को एक वशेषता के बजाय बोझ समझा गया। वो
जसने अ धकांश भारत को जीतने म महापद्म क सहायता क थी, अब वयं ही एक
भगोड़ा था—और भगोड़ा बना दया जाने के ोध से उबल रहा था।
चाण य को ोध पसंद था। ये एक अदभुत प से श शाली भावना थी और
इसे सही दशा दे कर इसका रचना मक उपयोग कया जा सकता था।
अ याय छह
वतमान समय
“उ ह ने चुनाव क घोषणा कर द है,” चांदनी ने वजयी भाव से कहा, “उनके पास साला
कोई वक प ही नह बचा था।” अ य क दौड़ म ए लज़ाबेथ और व टर के बीच
मतभेद ने समझौते क गुंजाइश ही नह छोड़ी थी।
“तु ह च बनवाने के लए शांत बैठना होगा,” जोज़ेफ़ न ने शकायत क ,
जसके कला अ यापक ने उसे अगले असाइनमट के प म एक अ◌ॉयल-अ◌ॉन-कैनवस
बनाने के लए कहा था। जोज़ेफ़ न ने अपना पट श रख दया, जो क एक ऐसे का
च बनाने के दौरान बड़ी राहत क बात थी जो एक ण को भी शांत बैठता ही न हो।
“दोन उ मीदवार ने धोखाधड़ी का दावा कया है, है ना? चुनावी राचरण के बारे म
अफ़वाह का बाज़ार गम है।”
चांदनी ने सर हलाया। “मटन कॉलेज के तेईस साल के समाजशा के छा
व टर वॉ लसंगम ने नवंबर म अ◌ॉ सफ़ोड यू नयन के ी म स का चुनाव औपचा रक
प से जीत लया था। उसने बे लयोल कॉलेज क इ क स साल क राजनी त व क़ानून
मेजर ए लज़ाबेथ लटन को 656 के मुक़ाबले 961 वोट से हराया था,” चांदनी ने उ सा हत
भाव से बताया। “ए लज़ाबेथ ारा ये शकायत कए जाने के बाद क व टर ने मतदान-
सं या पर, यू नयन के नयम का उ लंघन करते ए जनके अनुसार चुनाव चार
तबं धत है, एक वशेष प से आर त कमरे म पतीस लोग को पाट द थी, व टर
को, जो क यू नयन का कोषा य रह चुका था, व व ालय के एक यूनल ने अयो य
ठहराया और भ व य म उसके चुनाव लड़ने पर तबंध लगा दया।”
“तो आ ख़रकार जीता कौन?” अपने श प छते ए जोज़ेफ़ न ने पूछा।
“कोई नह । व टर के गुट ने यू नयन क लाइ े रयन ए लज़ाबेथ पर लंदन के एक
बै र टर—अपने ही पता क कंपनी लटन, ायन एंड यारबरो के—से अपना त न ध व
करवाने के लए नवेदन करके परंपरा तोड़ने का आरोप लगाया। वो उ मीद कर रही थी क
उसे बाइ डफ़ॉ ट अ य घो षत कर दया जाएगा, ले कन यू नयन ने नए चुनाव क
घोषणा कर द ,” चांदनी ने कहा।
“तुम य चुनाव नह लड़त ?” जोज़ेफ़ न ने पूछा।
“म ऐसा नह कर सकती। ए लज़ाबेथ और व टर दोन मेरे दो त ह।”
“राजनी त म दो त क यही सम या है,” जोज़ेफ़ न बोली।
“मतलब?”
“दो त आते-जाते रहते ह। मन बढ़ते रहते ह।”
वो अ◌ॉ सफ़ोड क पसंद दा मलन ली ईगल एंड चाइ म बैठे थे, जहां कसी समय म
सी.एस. लुइस और जे.आर.आर. टो क न जैसे लोग सा ह य, ेम और जीवन पर बातचीत
करने के लए बैठा करते थे। एक मुख द वार पर लगी मारक प का पर उनके
ह ता रत फ़ोटो ाफ़, अ◌ॉटो ाफ़ और नशे म लखे कथन दज थे क उ ह ने वहां के
वामी के वा य के नाम जाम पया था।
वाद- ववाद के अंत म उसक शम ली मु कान के साथ ही ेम- संग शु हो गया
था। यो ने हच कचाते ए उसे बाहर चलने को कहा था, हालां क वो ये नह जानता
था क एक भारतीय लड़क के लए डेट करना वीकाय होगा या नह । वो पहले से ही
उ मीद कर रही थी क वो उससे ऐसा कहेगा और वो तुरंत ही मान गई थी।
अबाध बातचीत और वाइन क कुछ बोतल के बाद वो दोन ख़ामोश हो गए। वो
मन ही मन सोच रही थी, डेट पर आया लड़का सोचता है क या भा य उसका साथ दे गा
पर लड़क को पहले से ही पता होता है।
यो के नवास जाते ए जहां वो अकेला रहता था, उ ह ने एक- सरे को इस तरह बांह
म भर लया था जैसे वो दोन वशेषकर इसी एक ण के लए बने ह । यो ने चांदनी
को कस कया और चांदनी ने उसे और भी भरपूर ढं ग से कस कया। ऐसा लगता था जैसे
वो उसे अपने म समा लेना चाहती हो, और ख़ुद उसम समा जाना चाहती हो।
अगली सुबह वो जागी, तो वो कचन म चाय बना रहा था और अंडे ाई कर रहा
था। उ ह ने ब तर म ही ना ता कया और फ़ैसला कया क कुछ ग़ल तयां इतनी मज़ेदार
होती ह क उ ह सफ़ एक ही बार नह करना चा हए।
वो एक र ववार क सुबह थी और चांदनी और यो यूरोप के सबसे पुराने उ े य- न मत
कंसट हॉल होलीवैल यु ज़क म म बैठे ए थे। 1748 म आरंभ आ ये हॉल हेडेन और
हडल जैसे नया के महानतम संगीतकार और रच यता के काय म आयो जत कर
चुका था। र ववार क सुबह को होलीवैल म अ◌ॉ सफ़ोड कॉफ़ कंसट होते थे।
शोभायमान माहौल म सव े संगीतकार और ुप अपने काय म तुत करते थे।
संगीत के े म चांदनी क पसंद बॉलीवुड के गान से े रत थी और शु म उसे
बाख, बीथोवेन और मोज़ाट क यो क पसंद बड़ी बेजान सी लगती थी। ले कन ज द
ही उसे अ◌ॉगन और वॉय लन क सादा और दलकश आवाज़ से यार हो गया। तार वाले
वा क चौकड़ी और एक ऑग न ट क संगत पर वॉय ल न ट ववा ी का कंसट इन ए
माइनर पेश कर रहा था। यो ने धीरे से चांदनी के हाथ को छु आ। उसके बाद कलाकार
बड़े सुंदर ढं ग से ुख क कॉ टश फ़टै सी पेश करने लगा। यो ने उसके हाथ को
कसकर अपने हाथ म पकड़ लया। जब तक कलाकार बीथोवेन के वॉय लन कंसट इन डी
मेजर तक प ंचा, तब तक यो का हाथ चांदनी क जांघ तक प ंच चुका था। वो बाख
के पाट टा इन डी माइनर से शैकोन के लए नह के।
“सार,” तेल भरे काले बाल सावधानीपूवक पीछे क ओर काढ़े युवा केरलवासी बोला,
“आई एम आ-नड टु मट यू।”
“यू आर आ-नड टु मट मी?” गंगासागर ने दोहराया। वो ठ क से समझ नह पाया
था क काला, वन नौजवान या बोल रहा है। फर उसे अहसास आ क द ण
भारतीय कह रहा था क उसे उससे मलकर ख़ुशी ई थी।
“म केरल के एक कॉलेज म पढ़ा ं और अब आपके साथ काम करके पैसा
कमाना चाहता ,ं ” उसने अपने उसी ख़ास लहजे म कहा।
गंगासागर ने अपने दमाग़ म इसका अनुवाद कया।
“तुमने केरल य छोड़ दया?” गंगासागर ने पूछा।
“बस म भारतीय राजनी त म आने क उ मीद कर रहा था,” गंगासागर ने फर से
अपने मन म अनुवाद कया और उस गंभीर नौजवान को दे खकर मु कुराया।
“तु हारी अहता या है?”
“यम बी ये।”
“आह! एमबीए हो—ब त ख़ूब। मुझे एक ऐसा आदमी चा हए भी जसके पास
बंधन क यो यताएं ह ।”
“म जानता ,ं सार। आप ब त त आदमी ह।”
“हां। म त ं ले कन फर भी अपना काम अ तरह कर लेता ं। म तु ह
एक मौक़ा ं गा—मुझे लग रहा है क मुझे अफ़सोस नह होगा। एक हज़ार पए त ख़ाह
ठ क है?”
“इतने पर इंगम टै स लगेगा?”
“इंकम टै स? मुझे नह लगता। ये यूनतम सीमा से कम होगा,” गंगासागर ने
मु कुराते ए अपने नए से े टरी से कहा।
“सर। मेरा एक दो त है। वो एक वेटर है। वो आपसे मलने के लए इंतज़ार कर रहा है।”
“म उससे य मलना चा ंगा, मेनन?” लहजे को नज़रअंदाज़ करते ए
गंगासागर ने पूछा। कई महीन बाद, गंगासागर को लगने लगा था क अब वो ख़ुद भी
लगभग मेनन क ही तरह बोलने लगा था।
“सर, मुझे लगता है क आपको उससे मल लेना चा हए। वो ब त कारगर हो
सकता है।”
“एक वेटर मेरे लए कस तरह कारगर हो सकता है?” गंगासागर ने पूछा।
“सर। वो आपके साथ जुड़ना चाहता है।”
“मुझे कसी नौकर क ज़ रत नह है। उससे कहो कह और नौकरी ढूं ढ़े।”
“नह , नह , सर। उसे नौकरी नह चा हए। वो आपको कुछ बेचना चाहता है।”
“ या?”
“जानकारी।”
गंगासागर के कान खड़े हो गए।
“म उसे अंदर ले आऊं? वो एक घंटे से इंतज़ार कर रहा है,” मेनन बोला।
“ज़ र। उससे मलते ह,” गंगासागर ने कहा।
एक नौजवान—केरल का एक मुसलमान—उ सा हत मेनन ारा अंदर लाया
गया। “सर। ये हमीद है। ये यह कानपुर म गो न गेट बार म वेटर है। बोलो हमीद—सर
को अपनी कहानी सुनाओ,” मेनन ने कहा।
ास मयर म मदर एंड बेबी होम इतना एकांत म था क वहां अनचाहे यान से बचा जा
सकता था। साथ ही, ये न स ारा संचा लत उन सामा य हो स से भ था जहां ‘भटक
ई अ ववा हत मां ’ को वो नाजायज़ ब े पैदा करने के लए भेजा जाता था ज ह बाद
म गोद लेने के लए रखा जाता था। इसके वपरीत ये एक ाइवेट होम था जो उन समृ
प रवार से मोट रक़म वसूलता था जो अपनी गभवती बे टय को इसक दे खरेख म भेजते
थे। व लयम वड वथ के अनुसार, ज ह ने ास मयर म अपने जीवन के चौदह साल
बताए थे, ये मानव ारा ढूं ढ़ा गया सबसे सुंदर ान था। सुंदर लेक ड ट के म य म
बसा धुंध से ढक पहा ड़य , अनंत झील और बल खाते खेत से घरा ास मयर नैस गक
था। हाव रचडसन ने जोज़ेफ़ न को नदश दया था क चांदनी क हालत के बारे म कसी
को—ख़ुद गंगासागर और हाव स हत—पता चले बग़ैर वो उसे वहां ले जाए।
जोज़ेफ़ न ने एक ामोफ़ोन ख़रीदा जसे उसने चांदनी के कमरे म लगा दया था।
उसने चांदनी के लए दे र तक बजने वाले रकॉड – बाख, बीथोवेन, ज़, चाइकॉ क ,
और पैगानीनी के वॉय लन कंसट ज़—क व ा क । चांदनी खड़क पर बैठ शांत
पगडं डय और ऊंची-नीची चो टय से घरे नमल ास मयर को दे खती रहती। जब चांदनी
वॉय लन क धुन म डू बी होती तो जोज़ेफ़ न अ सर बाज़ार चली जाती थी। कभी-कभी
वापसी पर वो चांदनी क नम आंख और चेहरे पर सूख चुके आंसु के नशान दे खती।
वॉय लन क आवाज़ उसे यो क ब त याद दलाती थी। जोज़ेफ़ न उसे ख़ुश करने क
को शश म हर कुछ दन बाद खड़क म चांदनी के मनपसंद गुलाबी गुलदाऊद के फूल
रख दे ती।
वहां प ंचने के आठ ह ते बाद चांदनी ज म दे ने को तैयार थी। उसे अंदाज़ा नह
था क ये नथुने से एक बो लग बॉल नकालने जैसा होगा। जोज़ेफ़ न ने उसका हाथ पकड़ा
जब क मे न ने उसके गभाशयमुख के फैलने क जांच क । ख़ून और ूण व रस रहा था
और नस ने उसे पुश करने के लए कहा। चांदनी ने पुश कया और जैसे ही उसे महसूस
आ क चप चपे पदाथ म एक शरीर उसके अंदर से नकला वैसे ही वो बेहोश हो गई।
चांदनी जागी, तो उसने महसूस कया क उसक सफ़ाई करके उसे वापस उस
कमरे म प ंचा दया गया है जहां झील के हसीन नज़ारे को ढके ए फूल के डज़ाइन वाले
पद पड़े ए थे। जोज़ेफ़ न उसके नज़द क बैठ उसके बाल म उं ग लयां फरा रही थी।
चांदनी ने एक नज़र जोज़फ़ न को दे खा और समझ गई।
“मुझे अफ़सोस है, हनी,” जोज़ेफ़ न फुसफुसाई, “डॉ टर ने कहा है क तुम और
ब े पैदा कर सकती हो, ले कन ये मृत था।”
इं द गंधारराज के आगे नीचे तक झुके और बोले, “हे श शाली स ाट, गंधार क घाट
के अ धप त और वामी, त शला के उपकारी, हे गंधार के नाग रक के उदार पता, हे
बु मान, व ान, वीर—”
गंधारराज ने उ ह वा य के बीच म ही टोक दया। “मेरे त ये श ाचार दखाना
आपक उदारता है, इं द , कतु स य ये है क आप मेरे वजेता ह, और म परा जत ,ं ”
सफ़ेद दाढ़ वाले वृ राजा ने अपने अधीनकता को बैठने का संकेत करते ए कहा।
इं द वयं को तुत क ई कुस पर नह बैठे। इसके बजाय, वृ शासक के त
अपने स मान व प वो उनके पैर के पास पालथी मारकर बैठ गए।
“आप मेरे त इतना स मान य दखा रहे ह ?” गंधारराज ने पूछा, “म आपका
बंद ं और आपने मुझे एक ही घातक वार म हरा दया है।”
“गंधारराज, कैकय रा य ने आपको हमेशा अ यंत स मान क से दे खा है।
हमारे राजा पोरस ने आपके वषय म हमेशा नेह और स मान से बात क है। वो जानते ह
क आप बु मान, याय य और ईमानदार ह। आपके रा य पर आ मण का नणय
ब त क ठन था, ले कन हमारे पास कोई वक प नह बचा था। आपके पु आंभी
सीमावत े म अशां त फैलाने के लए भेष बदले सै नक और यो ा को भेजते रहे
ह। हमने छोट -मोट झड़प को नज़रअंदाज़ करने का पूरा यास कया, ले कन अकारण
अ त मण म कोई कमी नह आई,” इं द ने थके ए और े य शासक को समझाया।
“म आपक प र त को समझ सकता ,ं इं द । म आंभी पर लगाम लगाने के
लए अपनी सांसा रक श य क सीमा म सबकुछ करने को इ ु क ं, ले कन वो
उजड् ड और धृ है। पोरस से मेरी ओर से कहना क उसे मा कर द,” गंधारराज ने वनती
क।
इं द बोलने से पहले थोड़ा हच कचाए। “हे वद ध राजा, कृपया मुझे श मदा न
कर। म आपका तु सेवक ं और मेरे अपने वामी, पोरस, इस वषय म ह कउह
सम या आपसे नह ब क आंभी से है। वो इस बात को लेकर भी च तत ह क आपके पु
सकंदर के साथ गु त समझौता कर रहे ह। अगर गंधार ने सकंदर को भारत का रा ता दे
दया, तो हम सबके रा य ख़तरे म पड़ जाएंगे,” उ ह ने कहा।
“ये असंभव है! आंभी भी जानता है क मेरे अनुमोदन के बना कसी के पास भी
कसी के साथ समझौता करने का अ धकार नह है,” आ त से यादा आशावान राजा ने
कहा।
“म आंभी के काम के बारे म आपको कैसे व ास दलाऊं, महाराज?” इं द ने
कहा। कथना मक के बाद उ र क ती ा कए बना इं द ने आवाज़ लगाई,
“अभय ! कृपया अंदर आओ।”
कुछ ही ण के अंदर वो जासूस जसने मेनका के साथ उसके आनंद ताल पर
दे र रात को बात क थी अंदर आया। उसने दोन आद मय के अ भवादन म हाथ जोड़े
ले कन ख़ामोश रहा और इं द क ओर से अगले नदश क ती ा करने लगा।
“अभय, या तु हारे आदमी आंभी का पीछा करते रहे ह ?” इं द ने लगभग
अदालती ढं ग से पूछा।
“जी, वामी,” अभय ने जवाब दया।
“और या तुमने राजकुमार पर दन के पं ह मु त और रात के पं ह मु त नज़र
बनाए रखी है ?”
“जी, वामी। वो कभी भी हमारी नज़र से र नह रहे।”
“ या राजकुमार पछले शु लप म त दन त शला म ही रहे ?”
“नह , वामी। वो शकार के लए गए थे और शु लप के सरे दन कंबोज म
वेश कर गए थे।”
“कंबोज म वेश करने के बाद उ ह ने वहां श वर ा पत कया था ?”
“जी, वामी। वो अपने कंबोज के श वर म तीन दन और तीन रात रहे।”
“ या राजकुमार से मलने के लए कोई वशेष अ त थ आए थे ?”
“एक दन, वामी। से यूकस आया था और उसने उनके साथ कुछ घंटे बताए
थे।”
“से यूकस, सकंदर का भरोसेमंद जनरल ?”
“जी, वामी। घोड़ पर मैसीडो नयाई राज च से तो ऐसा ही लगता था।”
“ या तु हारे जासूस ने बातचीत सुनी थी ?”
“नह । पर से यूकस का स चव गम मोम और जनरल क मुहर वाली अंगूठ क
व ा करने के लए भट वाले तंबू से बाहर आया था।”
“तो इसका अथ है क वो कोई म तापूण शकार अ भयान नह था, जब तक क
अब शकार क वैजयं तय को मोम क मुहर से दाग़े जाने का चलन आरंभ न हो गया
हो,” इं द ने तीखे ढं ग से ट पणी करते ए गंधारराज के च तत भाव को दे खा।
“ध यवाद, अभय, तुम जा सकते हो,” इं द ने कहा।
“हाय ! मेरे मूख पु ने या कर डाला? म इसक तपू त कस तरह क ं गा,
इं द ?” अभय के जाते-जाते गंधारराज ने पूछा।
इं द के पास कहने को कुछ नह था। वो जानते थे क चाण य क बात सही
थी। पोरस ने गंधार पर आ मण करके आंभी को सकंदर क बांह म धकेलने के
अ त र कुछ हा सल नह कया था।
वो आकृ त ढ ला सा काला पाजामा और काली सूती बंडी पहने ए थी। उसके चेहरे के
नचले भाग पर एक काला मुखौटा ढका आ था, जससे उसका सर और आंख ही खुली
रह गई थ । सन क एक लंबी सी र सी उसक कमर म कसकर लपट ई थी। उसका
चेहरा और हाथ का लख म सने ए थे ता क शरीर का कोई भाग खुला रह गया हो तो वो
रात के अंधेरे म छप जाए। उसक कमर के एक ओर एक छोट सी कटार लटक ई थी
और सरी ओर एक अ तरह तेल पराई ई बांसुरी जैसी बांस क छड़। वो नंगे पैर था
और महल के ग लयारे के ठं डे और घसे ए प र क सल पर चलते ए उसके पैर से
कोई आवाज़ नह हो रही थी। कुछ मनट बाद, वो एक खड़क के पास का, उसने र सी
खोली, उसे पास ही के एक खंभे म मज़बूती से बांधा और बाक़ र सी को उसने बाहर फक
दया। उसने र सी को मज़बूती से पकड़ा और ख़ुद को नीचे खड़क के छ े तक ले जाने
लगा जो एक तल नीचे था। वहां प ंचने के बाद, वो झूलकर अंदर गया, अनंत ग लयारे के
अंदर उतरा, उसने ख़ुद को संतु लत कया और र उस सजावट दरवाज़े को दे खा जो
राजक य शयनक तक ले जाता था।
बाहर दो पहरेदार एक- सरे के पार तरछे भाले लए खड़े थे। पूरे ग लयारे म
खंभ क क़तार थी जो शयनक के दरवाज़े और उसके बाहर खड़े पहरेदार तक जाती
थी। पहरेदार क नज़र से छपने के लए काली आकृ त धीरे से उछल-उछलकर वशाल
खंभ के पीछे छपती ई अपने उ े य क ओर बढ़ रही थी। उसने ये सु न त करने के
लए क वो आ मण करने लायक़ री पर है अपने आख़री क़दम ब त सावधानी से नापे
और फर एक खंभे के पीछे घुटन के बल झुक गया। उसने अपनी कमर से बांसुरी जैसी
छड़ को खोला और एक लंबी गहरी सांस ली।
छड़ को अपने ह ठ तक लाकर उसने दोन म से अ धक चौक े संतरी का
नशाना लया और पाइप म ज़ोर से फूंक मारी। एक बेहद छोटा सा बाण, जो वषैले कंद
के आसव और सांप के वष म बुझा आ था, तेज़ी से अं धयारे ग लयारे म बढ़ा और उसने
संतरी के गले म एक बेहद छोटा सा छे द कर दया। ये म र के काटे से अ धक नह था
ले कन इसका भाव व वंसकारी था। इससे पहले क वो फ़श पर ढहता और अपने साथी
को सावधान करता एक और मटर के दाने जतना बाण ेपक के मुख से नकला और
सरे पहरेदार क आंख के बीच जा धंसा। दोन आदमी कुछ ही सैकंड म ढह गए और
उनके भाल के गरने से शांत ग लयारे म एक भयानक गूंज ई।
वो उछला, दौड़ता आ दोन पहरेदार के पास प ंचा और घुटन के बल झुककर
उसने उनक गदन क नाड़ी क जांच क । प का कर लेने के बाद क वो वाक़ई मर चुके
ह, उसने अपनी कटार नकाली और सावधानीपूवक दरवाज़ा खोला। पूव छोर क ओर
एक वशाल पलंग पर लेट ई आकृ त से नकल रहे ऊबड़-खाबड़ ख़राट के अ त र
कमरा शांत था। कमरे म अंधेरा था, उस एक द ये के अलावा जो वेश ार के नज़द क
जल रहा था।
ह यारा आगे बढ़ता आ ब तर पर सो रहे तक प ंच गया। उसने अपने
पता के चेहरे को दे खा, अपना चाक़ू ऊंचा कया और उसे गंधारराज के सीने म घ प दया।
बूढ़े राजा का बायां नलय सकुड़ा, धमनीय र के फ़ वारे छू ट पड़े और ब तर म दरा जैसे
रंग के गाढ़े र से भीग गया। शासक के पटल पर ह यारे पु क छ व अं कत ई तो
उनक आंख पलांश को खुल । उनका भयपूण भाव ज द ही शां त के भाव म बदल गया
जब उ ह अहसास आ क अंतत: उनका अपमानजनक जीवन समा त हो चुका है।
भूतपूव पु लस क म र गंगासागर के साथ उसके बरहाना रोड वाले छोटे से लैट म बैठा
था। “मने आपके नदश पर गृहमं ी और र ो भैया के बीच झगड़ा बढ़ाने म इकराम क
मदद क थी। अब मुझे नकाल बाहर कया गया है। आप मेरे ॠणी ह,” वो बोला।
“म सहमत ,ं ” गंगासागर ने कहा। “म इससे बड़े पद क व ा क ं गा—
द ली म अपने भाव का योग क ं गा म। ले कन उससे पहले आपको मेरे लए कुछ
और करना होगा।”
“ या ?” पु लस क म र ने ज ासा के साथ पूछा।
“चांदनी को गोली मार दो,” गंगासागर ने सरल भाव से कहा।
े को वो ताज़ा युवा चेहरा तुरंत ही भा गया जो लांट के बाहर चल चलाती धूप म भूख
स
हड़ताल पर बैठा था। ‘चांदनी द च पयन’, टाइ स अ◌ॉफ़ इं डया ने कहा; ‘चांदनी ने सौदा
बदल डाला’, दै नक ने कहा; ‘चांदनी ने चांस लया—और जीती !’ लोकभारती च लाया।
गुलबदन के कोठे के बाहर खड़े होने और पछले मु यमं ी के पतन का कारण
बनने वाला रपोटर सु ख़यां पढ़ रहा था। उसने सैकड़ कसान के साथ ख़ामोश भूख
हड़ताल पर बैठ सफ़ेद सूती साड़ी पहने और आभा बखेरती सुंदर लड़क क त वीर
दे ख । भूतपूव मु यमं ी क ख़बर ने उसे भी मश र बना दया था। वो सोच रहा था क
ेस के साथ चांदनी का संबंध कतने समय चलेगा। थोड़ा सा पाउडर थोड़ा सा पट लड़क
को वो बना दे ता है जो वो है ही नह , उसने सोचा। गंदगी कहां है? उसने क़ालीन के नीचे
झांकने का फ़ैसला कया।
“तु हारी बेट आ यजनक है,” अपने बरामदे म ठं डे लेमनेड क चु कयां लेते ए
गंगासागर ने इकरामभाई से कहा।
“तकनीक प से वो मेरी बेट नह है। म उसे गोद नह ले सका था। मु लम
पसनल लॉ इसे वीकार नह करता है और अदालत इसे वीकृ त दे ने को अ न ु क थ ,
जैसा क आप जानते ह,” इकराम ने खेपन से कहा।
“वा त वक चीज़ वचार होता है। उसे हर कोई तु हारी उ रा धकारी— तु हारी
व रस—के प म दे खता है,” गंगासागर ने कहा।
“अजीब बात है,” इकराम बोला।
“ या ?” गंगासागर ने अपना गलास अपने सामने मेज़ पर रखते ए पूछा।
“ वरासत पाए बना वा रस बना दे ना,” उसने ठहाका लगाया और गंगासागर भी
हंसने लगा।
“तो आप मुझसे या कराना चाहते ह ?” इकराम ने अपना गलास ख़ाली करते ए कहा।
“वोट इक े करने का काम म संभाल लूंगा ले कन वोट गनने का काम तु ह
संभालना होगा,” गंगासागर ने कहा।
“ गनने का काम चुनाव आयोग करता है—म नह !”
“ले कन वोट म हेराफेरी ई तो? चुनावी गड़ब ड़यां ब त आम ह, इकराम। म
चा ंगा इसे तुम संभालो।”
“आप चाहते ह क म एक एसयूवी लए रा य भर म घूमता फ ं और मतदान
क पर क़ ज़ा करके पे टय म एबीएनएस के लए वोट ठूं सता र ं?” पुराने तज़ के
बा बल के वचार से ल ज़त लेते ए इकराम ने पूछा।
“नह , म बस ये चाहता ं क तुम अपने आद मय को हर मतदान क के बाहर
तैनात करो। चुनावी हेरफेर के ज़रा भी संकेत मलने पर मुझे फ़ोन कर दो।”
“और आप सुपरमैन क तरह उड़ते ए आएंगे और सु न त कर दगे क मतदान
क पर क़ ज़ा न हो ?” इकराम ने ं यपूवक कहा।
“नह । पर हम कम से कम पता हो जाएगा क हम कसी सरे मतदान क पर
क़ ज़ा करके भरपाई तो नह करनी है !”
क़ा हरा और जेनेवा होते ए लंदन जाने वाली लाइट दो घंटे बाद नई द ली से चलनी थी।
उसे या ा के कफ़ायती ख़च के साथ इकॉनोमी लास का टकट दया गया था। इस ख़च
पर उसे चूह भरे बल म रहना था। अपने सूटकेस म जांच करने के बाद वो पासपोट
कं ोल पर प ंचा जहां अ◌ॉ फ़सर ने एक सरसरी सी नगाह डाली और उसके सफ़र के
काग़ज़ात पर मुहर लगा द । उसने पासपोट वापस लया और उसे अपने कंधे पर लटके बैग
म डाल लया। वो ान े म प ंचा और सुर ा से गुज़रा।
“ये या है, सर?” उसके बैग क जप खोलने के बाद सुर ा अ धकारी ने पूछा।
बैग क तली म े रंग के ला टक म लपटा और टे प से चपका एक छोटा सा पैकेट था।
“ये मेरा नह है,” रपोटर ने कहा और च कत हो गया क वो पैकेट उसके बैग म कैसे
प ंचा। सुर ा अ धकारी ने, जो क ह रयाणा का एक भारी-भरकम जाट था, जवाब को
नज़रअंदाज़ करते ए एक छोटा सा चाक़ू नकाला जससे उसने पैकेट को फाड़ दया।
उसम से सफ़ेद, ब लौरी सा पाउडर नकला। सुर ा अ धकारी ने उसे अपनी
तजनी से छु आ और उसे धीरे से अपनी ज़बान पर थपथपाया। वो गंधहीन ले कन कड़वा
था। वो यक़ नन हेरोइन थी। “आप डे जरस स ए ट, 1930 क धारा से प र चत ह
ज ह ओ पयम ए ट, 1878 क ासं गक धारा के साथ पढ़ा जाता है, सर ?” सुर ा
अ धकारी ने पूछा और अपने एक साथी को इशारे से कहा क अपराधी को हथक ड़यां
पहना दे ।
“ये मेरा नह है! म आपको बता रहा ं क मुझे नह मालूम ये यहां कैसे प ंचा—”
उसने वरोध कया ले कन इसका कोई फ़ायदा नह आ। मांसल जाट उसे सुर ा जांच
काउं टर पर झुकाकर और उसक बांह कसकर पीछे ख चने के बाद उसक कलाइय म
हथक ड़यां डाल चुका था। “अगर ये तु हारा पैकेट नह है, तो ला टक पर तु हारी
उं ग लय के नशान कैसे ह? वो च लाया। अ धकारी ने उसक गदन पकड़ी, उसे एक
द वार से लगाया और उससे टांग फैलाने को कहा। उसने ज द से उसके पूरे शरीर को
थपथपाया और चुपके से उसके चूतड़ पर नोच भी लया। “बस ये दे ख रहा था क या
तु हारे चूतड़ जेल म होने वाले सुलूक को सहन कर सकगे,” वो ग़राया।
जब रपोटर को हवालात ले जाने के लए एयरपोट के बाहर पु लस क जीप म
लादा जा रहा था, तो वो सोच रहा था, “ ला टक क जांच कए बना साले सुर ा वाले
को ये कैसे पता चला क उसपे मेरी उं ग लय के नशान ह?” फर उसे अपने अख़बार के
अ◌ॉ फ़स म अपने रै म टन इले क टाइपराइटर का े रंग का ला टक कवर याद आ
गया।
वो गंगासागर, अपने संपादक और अपने भा य को कोसने लगा।
लेमन कलर क ब ढ़या सूती साड़ी पहने अंज ल शोफ़र ारा चा लत स वर जैगुआर
ए सजेएस म आई। बॉलीवुड क इस सै स सबल ने अपने सुनहरी बाल एक सफ़ेद
हम ज़ काफ़ से पीछे बांधे ए थे और उसक आंख वसाचे के बेहद महंगे च मे के पीछे
छपी ई थ । उसने अपना माल धीरे से अपने च मे के नीचे थपथपाया और फ़ोटो ाफ़र
का दल तुरंत अपने लैश ब ब चलाकर उस न क दे वी क त वीर लेने लगा जो चुनाव
के अपने डज़ाइनर कपड़ म बेहद आकषक लग रही थी—दयनीय, ज ासु आम लोग के
ना ते के लए ब ढ़या साम ी।
रैली ल तक जाने वाली सड़क झं डय और पताका से सजी ई थ और दो
दे वय —एक राजनी तक और सरी फ़ मी—क एक झलक पाने के लए एक लाख
लोग इंतज़ार कर रहे थे। रैली के मैदान म एबीएनएस के झंडे के तीन रंग—गे , हरा और
लाल—लहलहा रहे थे। गे ह के लए, हरा मुसलमान के लए, और लाल द लत के
लए। एक कोने म एक वशाल टे ज भी बाक़ पूरे मैदान क तरह झंड और फूल से सजा
आ था। अंज ल टे ज तक प ंची जहां चांदनी उसका इंतज़ार कर रही थी। दोन ने एक-
सरे को इस तरह गले लगाया जैसे वो बेहतरीन दो त ह । वा तव म दोन पहली बार मल
रही थ । उनके पीछे उनके गुलाबी रंग के वशाल कटआउट थे, लगभग पं ह फ़ट ऊंचे—
बॉलीवुड क फ़ म के टाइल म। चांदनी का कटआउट उसे चेहरे पर एक मासूम भाव के
साथ दखा रहा था, जसके एक हाथ म इंसाफ़ का तराज़ू था और सरे म तलवार।
अंज ल का कटआउट उसे टै यू अ◌ॉफ़ लबट से े रत एक जलती ई मशाल हाथ म
लए दखा रहा था।
दोन म हलाएं टे ज पर खड़ी थ और पाट कायकता गदे के फूल और लाल-हरे
रबन —पाट के रंग का एक और त न ध व—के बड़े-बड़े छह इंच मोटे हार उनके गले
म डाल रहे थे जैसे क वो वा तव म दे वय का त प ह । दोन म हलाएं खड़ी ई
शंसक भीड़ क ओर हाथ हलाती रह ।
“म आपसे वादा करती ं क म आपको, अपनी य जनता को वशु याय
ं गी। और अगर कभी इस हाथ को याय करने के लए तलवार उठाने क ज़ रत पड़ी, तो
ये केवल एक कारण से उठे गा—इस रा य के ग़रीब और मज़लूम क र ा के लए !”
चांदनी भावुक ढं ग से माइ ोफ़ोन म च लाई और उसके श द रैली के पूरे मैदान म लगे
ीकर पर गूंजने लगे। उसके हज़ार समथक उ ल सत भाव से च लाए, “जब तक
सूरज चांद रहेगा, चांदनी तेरा नाम रहेगा !”
“मुझे आपके यार ने जीत लया है। आपके मान ने मुझे त त कया है।
आपके समथन ने मुझे गौरवां वत कया है। आपके जोश ने मुझे उ साह दया है। मेरे त
आपके व ास ने मुझे े रत कया है। म आपको नराश नह क ं गी—कभी नह !” वो
ता लय क कान फा गड़गड़ाहट के बीच गरजी। पु लस ने मंच को घेरा आ था जहां
दोन म हलाएं खड़ी थ । ला ठयां लए और ख़ाक कपड़े पहने, हे मेट लगाए सैकड़
पु लसवाले लोग के समंदर को मंच पर चढ़ने से रोके ए थे।
चांदनी बैठ और अंज ल बोलने के लए खड़ी ई। वो घबराई ई थी। कैमरे के
सामने ट क पं यां बोलना एक बात थी और लाख राजनी तक कायकता के
सामने भाषण दे ना ब कुल ही अलग बात थी। वो सफ़ इस लए आई थी क उसके ख़ास
रात के दो त—सोमानी— ने उससे कहा था क चांदनी के लए उसका अनुमोदन
मह वपूण था।
“ऐसे दे श म जो अंधेरे, बीमारी, अ श ा और सामंतवाद के अंधेरे म घरा रहा है,
सफ़ एक ही रोशनी है जो तेज़ी से चमकती है! म रोशनी को दे ख रही !ं और आप ?” वो
च लाई, और मैदान अनुमोदन से गूंज उठा। “रोशनी तेज़ है, उ कट है, मने इतनी
चमकदार रोशनी कभी नह दे खी। ये रोशनी का शत कर सकती है, ये रोशनी शु है, ये
रोशनी बना मलावट क ऊजा है, ये रोशनी वो रोशनी है जो पूरे उ र दे श म फैलेगी—
चांदनी !”
भीड़ उ माद होकर च ला- च लाकर अनुमोदन कर ही रही थी क एक गोली क
आवाज़ गूंजी। गोली सुनी भी नह जाती अगर बं क एक खुले माइ ोफ़ोन के आगे नह
चली होती। चांदनी अपना दायां कंधा पकड़े ज़मीन पर गर पड़ी। ख़ून उसक उं ग लय के
बीच से टपक रहा था और उसके ह के सफ़ेद लाउज़ और साड़ी पर एक बड़ा सा लाल
ध बा बन गया था। अंज ल ने ख़ुद को ज़मीन पर गराया और चांदनी के सर को अपनी
गोद म रख लया जब क सुर ा अ धकारी भीड़ को उन तक प ंचने से रोकने म लग गए।
रदशन और सौ ेस फ़ोटो ाफ़र के कैमर ने उस ण को बड़ी सुंदरता से अपने अंदर
क़ैद कर लया।
“आ द श , नमोनम:; सवश , नमोनम:, थम भगवती, नमोनम:, कुंड लनी
माताश ; माताश , नमोनम: ,” र से ये सब दे खते ए गंगासागर बुदबुदाया।
सा वी एक साद , ह क भगवा साड़ी पहने थी और नंगे पैर रहती थी। उसके गले म ा
क माला थी। वो एक सुंदर म हला थी और सफ़ शारी रक प से ही नह । बेशक वो गोरी
थी, सुडौल थी और उसका मु कुराता चेहरा उसके कंध तक फैले खुले बाल से घरा आ
था। ले कन इस सबके अ त र , उसके चेहरे पर एक गहन आ या मक संतु का भाव
था। उसक उप त लगभग जा ई थी— जससे शांत आ म व ास और द शां त
टपकती थी।
वो शीशे क एक बड़ी सी खड़क के सामने जसके बाहर गुलाब का बाग़ीचा
दखाई दे रहा था, एक आरामदे ह सोफ़े पर बैठ थी। गम का मौसम था और नई द ली
क झुलसा दे ने वाली गम कमरे म एयर-कंडीशनर के गुंजन के कारण बाहर ही थी। उसके
बा ओर भारत के धानमं ी सा वी के सोफ़े से ज़रा नीची—सा वी क बु आ मा के
स मान म—एक आरामकुस पर बैठे थे।
“ या चता सता रही है, ब े ?” सा वी ने उनसे पूछा।
“म ब त च तत ,ं माता,” उ ह ने जवाब दया।
ये वडंबनापूण था। वो साठ साल के थे, और वो मु कल से तीस क , ले कन वो
उ ह ‘ब ा’ बोल रही थी और ख़ुद को ‘माता’ कहलवा रही थी। कोई उ ह बात करते
सुनता तो हंसता ले कन उनक बातचीत हमेशा एकदम अकेले म होती थी। धानमं ी के
स चव को भी न तो सरकारी व र ज टर म इसक व करने क अनुम त थी और
न धानमं ी क डायरी म।
“म जानती — ं समझती ं। ब ा परेशानी म हो तो मां ख़ुद ही समझ जाती है,”
वो नम से बोली।
“उ र दे श क प र त असमंजसपूण है। एबीएनएस सबसे बड़ी पाट के प
म सामने आई थी। रा यपाल ने हमसे पूछा था—औपचा रक प से— क या वो उ ह
अगली सरकार का गठन करने के लए आमं त कर। हम लगा क उ ह आमं त न करने
के पया त कारण मौजूद ह।”
“जैसे ?”
“उनके पास ब मत नह था।”
“तु हारी पाट के पास भी नह था—तु हारी पाट के पास उनसे कम सीट थ !”
“ले कन उ ह ने अपनी पाट से बाहर कसी से समथन क च यां लेने का यास
भी नह कया। उ ह ने हमारे लए इस काम को ज़ रत से यादा आसान बना दया क
हम रा यपाल को सरी सबसे बड़ी पाट —हमारी पाट —को सरकार बनाने के लए
आमं त करने को मना ल।”
“तो फर द क़त या है? या तुम इस बात से ख़ुश नह हो क उ र दे श म
तु हारी सरकार होगी ?”
“ कस क़ मत पर? हमारे अपने कुल न यानवे वधायक थे। कामचलाऊ ब मत
के लए बाक़ एक सौ तीन वधायक हम एबीएनएस से लेने पड़े। उनम से कसी को भी
पैसा नह चा हए था, सफ़ मं ीपद चा हए थे।”
“और तुमने दे दए?”
“हां। पर इसका अथ था एक वशाल मं मंडल बनाना—साठ मं ी! पूरा
मं मंडल—अलावा मु यमं ी के—एबीएनएस का था। म कु े को हला रही है!”
“और इससे तु ह चता है ?”
“हे माता, ज द ही उ र दे श म हमारी पाट म बग़ावत हो जाएगी। हमारे अपने
एमएलए— ज ह एबीएनएस को जगह दे ने के लए मं पद से वं चत रखा गया है—बाग़ी
हो रहे ह।”
“तु ह लगता है क उ र दे श म तु हारी सरकार गर जाएगी, ब े ?”
“हां, माता।”
“और बाक़ दे श भर म इसके या भाव ह गे?”
“अगले साल कई रा य म चुनाव होने ह। उ र दे श म सम या होगी तो शेष
भारत म इसके नकारा मक संकेत जाएंगे। इससे लगेगा क हमारी पाट पूरे नयं ण म
नह है।”
“तु हारे या राजनी तक वक प ह, ब े ?”
“म तो दोन तरह मारा जाऊंगा। अगर कुछ नह क ं गा, तो बग़ावत होगी,
सरकार गरेगी और वप आसानी से स ा म आ जाएगा। अगर रा प त से रा प त
शासन क सफ़ा रश क ं गा तो मुझे सं वधान का ग़ ार और चोरी- छपे जोड़तोड़ करने
वाला कहा जाएगा।”
“इधर आओ, ब े,” अचानक उसने आदे श दया। वो उठे और उसके पास जाकर
घुटन के बल झुक गए।
उसने उनके सर पर हाथ रखा और आंख बंद करके गहन भाव से कुछ मं पढ़े ।
एक मनट बाद, उसने अपनी आंख खोल और बताया, “तु हारा उ र कल तक तु हारे
पास होगा !”
“ले कन माता—” उ ह ने बोलना शु कया।
“ श!” उसने ह ठ पर उं गली रखकर उ ह टोक दया। उसका श व ुतीय
था। “ या मने अतीत म तु हारा सही मागदशन नह कया है ?” उसने पूछा।
उ ह ने ख़ामोशी से सर हला दया।
“तो जैसा कहती ं वैसा करो !” उसने नदश दया।
अ याय नौ
लगभग 2300 वष पहले
चाण य अपनी झोपड़ी क धरती पर चं गु त के साथ बैठा पोहे खा रहा था। “हम या
ा त आ, बु मान गु ?” हाल क घटना से भौच के चं गु त ने पूछा।
“वो सबकुछ जो हम चाहते थे,” ा ण ने प े से एक मुट्ठ पोहे उठाते ए
कहा।
झोपड़ी के बाहर से सै नक के अपने सवेरे के ायाम म लगे होने क आवाज़
सुनाई दे रही थ । उनका नरी ण करने वाला अ धकारी पया त तेज़ नह दौड़ने, ऊंचा नह
कूदने, ज़ोर से नह मारने और र तक नह फकने के लए उ ह ैण बोल रहा था। वो
न य ही उनसे पहले से यादा कठोर ायाम करवाता था। उसे एक छोटा ले कन अ यंत
भावशाली और ज़बरद त श शाली बल चा हए था—जो श , ग त, लचीलेपन और
च काने के ारा काम कर सके।
बाहर ायाम नरी क क कठोर और कभी-कभी अप व भाषा को
नज़रअंदाज़ करते ए, चाण य ने अपनी बात शांत भाव से जारी रखी। “ सकंदर ने पोरस
को हराया। पोरस ने अपने तेईस हज़ार सै नक खोए। अब वो सकंदर का एक जागीरदार
मा है। हम वयं ये सब कभी ा त नह कर सकते थे,” चाण य ने तक दया।
“ले कन हमने सकंदर को और यादा श शाली बना दया है,” अपने मुंह म
मसालेदार चावल के म ण को डालते ए चं गु त बोला।
“ठ क इसके वपरीत, य चं गु त। पोरस से यु शु होने से पहले ही सकंदर
के सै नक थके-हारे थे। झेलम क वजय ब त बड़ी क़ मत पर मली है। हमारे जासूस बता
रहे ह क सकंदर के सै नक आगे बढ़ने से मना कर रहे ह। नया सकंदर के आगे बढ़ने
को नह रोक सक ले कन साहसी पर मूख पोरस के साथ एक यु ने उसे रोक दया!”
चाण य हंसा।
“हमने जो कया, मुझे अभी भी उस पर संदेह है। जो सही था हम उसके लए
लड़ना चा हए था!”
“चं गु त, मेरे पु , यु कभी इस लए नह होता है क सही कौन है। ये उसके
लए होता है जो बच जाता है!”
“तो अब या होगा, आचाय?”
“ सकंदर पलट जाएगा। वो ज द ही भारत से चला जाएगा। हो सकता है वो
से यूकस को अपने व जत े का ांतपाल बनाकर छोड़ जाए। और हम तभी अपनी
चाल चलगे,” चाण य ने कहा।
बाहर से सैकड़ ला ठय के एक- सरे से टकराने क आवाज़ ने चाण य के श द
को बल दे दया था। बाहर सलंबम जारी था। श क ने पूरे भारत क ाचीन
यु कला का अ ययन कया था और उ ह अपने जवान के ायाम म स म लत कया
था।
“हम भा यशाली ह क वो हमारे साथ है,” ला ठय के एक- सरे से टकराने क
आवाज़ सुनकर चं गु त ने कहा।
“जब तक वो मेनका क बांह से र रहे, तब तक सब ठ क है,” चाण य ने चेहरे
पर एक धूत मु कान के साथ कहा।
“म कभी नह समझ सकता क आपने आंभी के सेनाप त को हमारा श क
बनने के लए कस कार मना लया!” चं गु त तेज़ी से बोला।
“उसके पास और कोई वक प ही नह था। जब त शला पर कैकय क सेनाएं
आ मण कर रही थ तो वो अपनी वे या के शयनक म आराम कर रहा था। वो ये आशा
नह कर सकता था क गंधारराज या आंभी उसका वागत करगे। उसक मूखता के लए
वो उसके सर को भाले से बेधकर पूरे नगर म घुमाते! मने तो उसे एक वक प दया।”
“हा! उसके पास कोई वक प नह था!”
“स य। हमेशा याद रखना क एक जा गर आपको चुनने के लए कई वक प
दे ता है ले कन आप हमेशा वही चुनते ह जो वो चाहता है!”
“म समझा नह । कभी-कभी आप पहे लय म बात करते ह, आचाय!” चं गु त ने
शकायत क ।
“मेनका कौन है? सेनाप त क जल ड़ा के लए उसने जल ड़ा को कस कार
ा त कया? कैसे इं द के जासूस अभय को इसक भनक लगी और उसने कैकय के
लए इसका लाभ उठाने का नणय लया?” चतुर अ यापक ने शांत भाव से पूछा।
चं गु त ने अपने गु के आगे झुककर उसके चरण श कर लए। वो जानता था
क उसके सामने परम गु है—बाहर सखाए जा रहे यु कौशल का नह ब क अंदर
सखाई जा रही कला का।
“मेरी र ा कर, हे बु मान गु , य क मने पाप कया है,” आंभी ने चाण य के सामने
दं डवत करते ए वनती क । “उठ, हे गंधार के राजा। म आपके ारा कए कसी पाप के
बारे म नह जानता। संभवत: आपको लगता है क म सव और सवभूत ं!” चाण य ने
मज़ाक़ कया। युवा राजा ने उठकर वयं को सीधा कया। अभी भी स मानपूवक हाथ
जोड़े ए उसने कहा, “मुझे सकंदर क ओर म ता का हाथ कभी नह बढ़ाना चा हए था।
मुझे केवल अपने लोग क नाराज़गी ही ा त ई। पोरस क हार भी मेरे लए जीत नह
थी य क सकंदर ने उसका रा य मुझे दे ने के बजाय उसे अपना त न ध बना दया।”
“आंभी क आकां ा के लए गंधार पया त बड़ा है?” चाण य ने चमकती
आंख से धूतता के साथ पूछा।
“हां, पर ये मुझे कचोटता है। अब पोरस और म सकंदर क नज़र म बराबर ह।
हम दोन उसके जागीरदार जैसे ह। मुझे अपने लोग का र बहाए बना जो पदवी मली है
वो वही है जो पोरस को अपने हज़ार लोग का ख़ून बहाने के बाद मली है। फर भी
इ तहास उसे नायक मानेगा और मुझे कायर!”असहाय से आंभी ने कहा।
चाण य ने अपनी सव े झूठ मु कान बखेरी और पूछा, “और चाण य आपके
लए या कर सकता है, हे राजा?”
“मुझे आपक बु म ापूण सलाह चा हए, आचाय। मुझे आपका साथ चा हए।
म जानता ं क मेरा भूतपूव सेनाप त आपक मैसीडो नयाई - वरोधी सेना को श ण दे
रहा है। मुझे इस पर आप नह है। म जानता ं क आप चं गु त को मगध का राजा
बनने का श ण दे रहे ह। मुझे इस पर भी कोई आप नह है। मुझे बस आपका
मागदशन और बु म ापूण सलाह चा हए ता क म गंधार को आ थक और राजनी तक
प से श शाली और मज़बूत बना सकूं,” आंभी ने वनती क ।
“और इसके लए मुझे या करना होगा?” चं गु त ने सावधानीपूवक पूछा।
“म चा ंगा क आप मेरे राजगु बन जाएं और मेरे महल के नकट रह। मने
राजगु के लए एक भ सरकारी नवास बनवाया है। म चा ंगा क आप और आपके
श य उसम रहने लग। आपका सारा य वहन कया जाएगा और आपक अ
दे खभाल होगी। अपनी तापी उप त से उस घर का मान बढ़ाइए, हे आचाय। इस
कार मेरा लाभ ये होगा क मुझे जब भी आपक बु मान सलाह क आव यकता होगी,
तो म आपसे मल सकूंगा!” आंभी ने अनुरोध कया।
“हे राजा, म एक ग़रीब ा ण ं। महल और बड़े भवन मेरे कस काम के? म ऐसे
वैभवशाली वातावरण म असहज महसूस क ं गा!” चाण य ने खेपन से कहा, ये जानते
ए क अपनी ग़रीबी बनाए रखने ने उससे एक हाथ और एक टांग छ न ली थी। आंख म
आंसू लए आंभी एक बार फर से चाण य के सामने दं डवत हो गया और वनती करने
लगा, “कृपा करके, आचाय, मुझे राजनी तक जंगल म अकेला न भटकने द। कृपया मेरे
मागदशक बन जाएं। जब तक आप सहम त नह दे ते म जाऊंगा नह !”
“ठ क है, हे आंभी। आप ब त ज़ ह। म वीकृ त दे ता ,ं पर एक शत पर,”
चाण य ने कहा।
“वो या?” आंभी ने अपनी दं डवत अव ा से बड़े अजीब से ढं ग से सर उठाकर
पूछा। “य द ह शुभ नह ए, तो आप मुझे पद यागने क अनुम त दगे,” ा ण ने कहा।
आंभी मान गया और उसने नए राजगु से एक वा तुकार के साथ अपने सरकारी नवास
पर चलने को कहा ता क वहां चाण य क नजी आव यकता को पूरा कया जा सके।
आंभी ने चाण य के लए जो हवेली बनवाई थी उसम रोशन और हवादार कमरे थे, ऊंची
छत थ , और ढे र सारी जगह थी। मकान एक शानदार आंगन के चार ओर बना था और
एक छलछलाते झरने के कनारे त था। इसम जंगली फूल और फल के पेड़ से भरे
खुले बग़ीचे थे जनसे दरवाज़ और खड़ कय म हमेशा सुगं धत हवा के झ के बहते रहते
थे।
चाण य चं गु त, सहारण, मे हर और शारंगराव के साथ प रसर के दौरे पर था।
उसके श य नराश थे। य उनके गु आंभी के बड़े-बड़े दाव से बहक गए थे? य
उ ह ने एक ऐसे धूत को सहयोग दे ने का नणय ले लया था जसने अपनी आ मा तक
सकंदर को बेच द थी? वा तुकार के मागदशन म एक से सरे कमरे तक जाते ए वो ये
सोचे बना नह रह सके क वो यहां या कर रहे ह। जहां तक चाण य का था, तो वो
हवेली के स दय पर कुछ अ धक ही मु ध दखता था। वो तो लकड़ी के दरवाज़- खड़ कय
पर हाथ फेर रहा था और फ़श पर लेटकर दे ख रहा था और म य के सुंदर काम क
शंसा कर रहा था! दौरा पूरा होने पर उसने वा तुकार को स दय ध यवाद कया और
उससे कहा क वो अगले ही दन अपने श य के साथ रहने के लए आ जाएगा। वो आंभी
ारा भेजे ए राजक य रथ पर सवार ए और अपने आ म क ओर चल दए।
“आचाय, आप या कर रहे ह? हम वहां नह रह—”चं गु त ने बोलना आरंभ
कया। चाण य ने एक इशारे से उसे बोलने से रोका और आ ह कया क वो तब तक
ख़ामोशी बनाए रखे जब तक क अकेले म बात करना सुर त न हो।
अपनी साधारण झोपड़ी म प ंचने के बाद कु प ा ण बोला | “ सहारण। म
चाहता ं क तुम आज रात उस घर को जला डालो। ले कन सावधान रहना, कसी को
पता न चले क ये काम तुमने कया है।”
“ले कन य —” सहारण ने बोलना आरंभ कया।
चं गु त ने उसे टोक दया। “आचाय, आप जो करवाना चाहते ह उसका आपके
पास अव य ही कोई ब त अ ा कारण होगा। हम ऐसा ही करगे। ले कन कृपया हम
कारण तो बताइए,” वो बोला।
“ य चं गु त, म सप आंभी क चापलूसी भरी बात म नह आया था।
समझता है क वो मुझे न कर सकता है! वा त वकता ये है क वो च तत है क म रा य
म बैठा उसके भूतपूव सेनाप त से अपने सै यदल को श ण दलवा रहा ं और इसके
लए मेरे पास पया त धन है!” चाण य फुफकारा।
“ले कन उसका राजगु बनने से साफ़ इंकार य न कर द? नवास न बदल। उस
घर को जलाएं य ?” मे हर ने पूछा।
“ य क वहां बा द सुरंग ह। तु ह लगता है क म वहां लेटकर म ी के काम
क शंसा कर रहा था? म वा तव म फ़श क दरार म च टय को पके ए चावल ले जाते
दे ख रहा था। तु ह लगा क म दरवाज़े- खड़ कय के चकनेपन को महसूस कर रहा था,
जब क म उनक लाख का अ ययन कर रहा था!” उनके चेहर पर असमंजस को दे खकर
ा ण हंसते ए बोला।
“चाहते हो म सफ़ाई ं ?” आ ख़र उसने पूछा। और उनके उ र क ती ा कए
बना सफ़ाई दे ने लगा। “अगर एक नजन घर के फ़श क दरार म च टयां उबले चावल ले
जाती दखाई द, तो इसका अथ है क फ़श के नीचे पका आ भोजन मौजूद है। जहां
भोजन होगा, वहां इंसान ह गे। म समझ गया क घर के अंदर एक गु त तहख़ाना है जहां
सै नक मौजूद ह। वो ख़ामोशी से हमारे आगमन क ती ा कर रहे ह और वो हम पर सोते
म आ मण करगे। आंभी एक ही वार म हम धरती से मटा डालेगा!”
चं गु त च कत रह गया। “ले कन आप दरवाज़ और खड़ कय म इतनी च
य ले रहे थे?” उसने पूछा।
उसके गु ने उ र दया, “उन पर लाख चढ़ ई थी।” ये दे खकर क उसके उ र
से बात साफ़ नह ई, उसने आगे कहा। “लाख एक न हे से क ट का चप चपा ाव होता
है। ये गोलाकार मादा क ट टह नय और छोट शाखा पर अपने मल से बने ग द के
को म जी वत रहती है। ये क ट अ धकतर कुसुम के वृ म पाए जाते ह। जी वत क ट
के साथ टह नय को एक त करने और गम पानी ारा उनके ाव को नकालने से रंजक
ा त होता है। इस रंजक को लाख इस लए कहते ह क आधा सेर रंजक बनाने के लए
लाख क ट क आव यकता पड़ती है। लाख को दरवाज़ और खड़ कय पर लगाने से
उनम चकनापन आ जाता है—और तु ह लग रहा था क म उसी चकनेपन को सराह रहा
ं! पर लाख के साथ सम या ये है क ये अ यंत वलनशील होती है। अगर उस घर म आग
लग जाए तो वो आग के गोले क तरह भ म हो जाएगा। शायद आंभी का यही आशय था
— क पहले गु त तहख़ाने के सै नक ारा हम मरवाया जाए और फर घर म आग
लगवाकर हमारी मौत का कारण एक घटना को बता दया जाए। सहारण, म इसी लए
उस घर को आंभी के आद मय स हत जलवा डालना चाहता !ं आज ही रात!”
रपोटर बदबूदार कोठरी म एक महीने से यादा बता चुका था। सब-जुडी शयल म ज े ट
के सामने उसक ज़मानत क अ ज़यां आत ले कन हर बार सुनवाई के बना ही ख़ा रज
कर द जात ।
उसके बाल म जूएं भर गई थ । उसक वचा हर रात उसे काटने वाले क ड़ क
मेहरबानी से सुख़ और दाग़दार हो गई थी। उसके बाएं कान पर जेल के डॉ टर ारा लगाई
गई प थी जसका कारण एक चूहे ारा उसका कान कुतर लया जाना था। उसका वज़न
कई पाउं ड कम हो चुका था और उसके गाल धंस गए थे। उसका चेहरा लंबोतरा और थका
आ और आंख बेजान सी दखती थ । जेल के घ टया खाने से होने वाले डाय रया के
कारण उसके शरीर म पानी क कमी हो रही थी। कई बार उसे दाल म कॉ ोच मले थे।
उसने शकायत क , तो वाडन ने मज़ाक़ कया, “ श! इतनी ज़ोर से नह । तेरे सा थय ने
सुन लया, तो वो भी मांसाहारी भोजन मांगगे।”
एक काले, तैलीय बाल वाले केरलवासी का दौरा कुछ अजीब सा था। उसक
उप त मा ही दरवाज़े खोलती और स मान पैदा करती लगती थी। वो वाडन के
अ◌ॉ फ़स म एक- सरे के सामने बैठे थे। उनके लए चीनी वाली चाय क व ा क गई
थी। चाय वाले लड़के ने मीठ चाय के दो गलास उनके सामने रखे और ग़ायब हो गया।
“म तु हारी सारी सम याएं र भगा सकता ,ं ” मेनन ने कहा।
“तुम कौन हो?” क़ैद बोला ।
“ये मह वपूण नह है। तुम ब त समझदार आदमी हो। तुम जानते हो तुम यहां
य प ंचे—तुम कुछ यादा ही शरारती हो रहे थे!” उसने एक नटखट ब े को डांटते
हेडमा टर क तरह उं गली उठाते ए डांटा।
“वो रंडी क औलाद—गंगासागर—चाहता है क म पीछे हट जाऊं? उसक उस
छोट सी प व बाब डॉल को छोड़ ं ? लगता है वो इतनी कुंवारी नह है!” वो नफ़रत भरी
सुख़ आंख के साथ च लाया।
मेनन शांत रहा। “मेरे दो त, अगर तुम मेरे साथ श ता से पेश आओगे, तो म
तु हारे साथ यादा उदारता से पेश आऊंगा। हां, तु ह मी डया से र रहना होगा, ले कन
अगर म तु ह इससे भी वा द टोरी दला ं , तो?”
“बोलते जाओ। म सुन रहा ,ं ” रपोटर ने अ च के साथ कहा ले कन मेनन
जानता था क वो उसक च जगा चुका है।
“ या तु ह पता है क इस दे श के धानमं ी के पास एक ब त क़रीबी सलाहकार
है?”
“तु हारा मतलब उनक पाट के महास चव?”
“नह ।”
“भारत के व मं ी?”
“नह ।”
“भारत के गृहमं ी?”
“नह ।”
“ फर कौन?”
“वो शायद हर महीने उनके घर जाती है। उसके दौर का योरा रकॉड म नह रखा
जाता है—न तो मुलाक़ा तय के र ज टर म उ ह दज कया जाता है और न ही धानमं ी
क डायरी म।”
“वो उनक रखैल है?”
“अपने दमाग़ का इ तेमाल करो, मेरे समझदार दो त। अगर उनक कोई रखैल
होती, तो या वो अपने सरकारी आवास पर ही उसक ठु काई करते?”
“ फर कौन है वो?”
“वो बस सा वी के नाम से जानी जाती है। बज़ा हर वो हर बड़े फ़ैसले के बारे म
उससे सलाह लेते ह।”
“और तुम मुझसे या करवाना चाहते हो?”
“मुझे उस पर भु व दलाना।”
“मेरी नाक लडहाउं ड जैसी है—ये कह भी कुछ भी सूंघ सकती है। ले कन म
तु हारी मदद य क ं ?”
“तुम अगले दस मनट म आज़ाद हो सकते हो। सोचो एक लंबा नान, ब ढ़या
खाना, तगड़ी क और ब तर म गमागम औरत कैसी लगेगी?”
“इतना काफ़ नह है। तु ह कुछ बेहतर करना होगा,” रपोटर ग़राया। वो
सौदे बाज़ी कर रहा था ले कन अगर एक ह ी और उसके आगे फक द जाए तो वो ताव
को चाटने को तैयार था।
“अगर म तु हारी ज़दगी के सबसे बड़े टग अ◌ॉपरेशन क व ा कर ं ?”
मेनन ने शांत भाव से कहा।
“ठ क है। तो तुमने मामले को रोककर रा प त शासन तो लागू होने से रोक दया है।
ले कन अब?” अ वालजी ने पूछा।
“मु यमं ी से कहगे क वो इ तीफ़ा द और चांदनी को स ा संभालने द,”
गंगासागर ने कहा।
“ले कन उनक पाट भी हमारी मु यमं ी को समथन दे ने के लए उसी तरह मं ी
पद मांगेगी जैसे हमने उनसे मांगे थे। उनका मु यमं ी कसी सौदे के बना य इ तीफ़ा
दे गा?” मेनन ने पूछा।
“म इस वषय को बदलना चा ंगा, मेनन। तु ह ेस के क ड़े के लए टग
अ◌ॉपरेशन क व ा करनी थी ना?” गंगासागर ने पूछा।
मेनन मु कुराया। “आप चाहते ह क मु यमं ी टहलने जाएं?” उसने पूछा। “ता क
आपको उ ह मं ी पद न दे ने पड़?”
“मुझे लंबी टहल पसंद है— वशेषकर जब वो लोग लंबी टहल पर जाएं जनसे
मुझे चढ़ होती है,” गंगासागर ने कहा।
“तु ह उसपे नज़र रखनी थी, साला उसके साथ सोना नह था!” गंगासागर दहाड़ा।
मु यमं ी के क़ा फ़ले पर हमला ख़बर म छाया आ था और उ ह सुबह को पहरे म
लखनऊ ले आया गया था। शंकर नहाकर और ज द से कुछ खाकर गंगासागर से मलने
चला गया था। बूढ़े से कुछ भी छपाने का कोई फ़ायदा नह था—उसे पता चल ही जाना
था।
शंकर का दमाग़ घूम रहा था। वो बुरे हाल म था। “मने ऐसा कभी नह चाहा था।
ये सब कुछ अचानक हो गया। उ ह मेरी ज़ रत थी और—”
“—और तुमने उसके साथ बेड म ज ना टक कर ली?” गंगासागर च लाया।
“ऐसा नह था। ये ब त घ न , भावना मक, अचानक—” शंकर बोला।
“ लीज़! मुझे त सील मत बताओ!” गंगासागर ने हाथ पीछे बांधे अपने ल वग
म म इधर से उधर टहलते ए कहा।
“म—म—मुझे लगता है क मुझे उनसे— यार हो गया है,” शंकर हकलाया। “म
नह जानता क म वो कर सकता ं या नह जो आप मुझसे चाहते ह। म उस और—औ—
औरत पर कैसे नज़र रखूंगा और उसक रपोट कैसे ं गा जससे मुझे यार हो गया है?”
गंगासागर मु कुराया। ये एक वन , आ तपूण मु कुराहट थी। वो उस कुस के
पास गया जस पर शंकर बैठा आ था और उसने नौजवान के कंधे पर नेहपूण ढं ग से
हाथ रखते ए कहा, “तुम बहा र और ईमानदार हो, शंकर। मुझे सच बताने के लए मुझे
तुमपे गव है।”
शंकर ने चैन क सांस ली। “मेरी राय है क तुम घर जाओ और थोड़ा आराम करो।
एक-दो दन बाद बात करगे क तु ह इस काम से कैसे नकाल।”
शंकर गंगासागर के पैर म गरकर उ ह छू ने लगा। “आपने जो कुछ मेरे लए
कया है—स चव पद दलाने समेत—म उसके लए आपका आभारी ं। आप मेरे गु ह,
सर और म आपका आभारी ं।”
“शांत हो जाओ, शंकर। यार इतनी भी बुरी चीज़ नह है,” गंगासागर हंसा। “ यार
नह होता, तो न तुम पैदा ए होते न म!”
शंकर ज द जाग गया। उसने शेव कया, नहाया और कपड़े पहने। उसका छोटा सा लैट
जसम वो अकेला रहता था, कॉफ़ से महक रहा था। कॉफ़ उसका रोज़ का नयम था,
जसके लए ताज़ा बी स को पीसा जाता और उसे दम म लाया जाता। ताज़ा-ताज़ा दम ई
कॉफ़ को नज़रअंदाज़ करते ए, उसने अपना ीफ़केस लया, दौड़ता आ सी ढ़य से
उतरा और बस टॉप क ओर बढ़ गया। पछली रात चांदनी से फ़ोन पर ई बातचीत के
बारे म सोचकर उसके क़दम म एक नया जोश आ गया।
“समझ म नह आता तु ह कैसे ध यवाद क ,ं ” चांदनी ने कहा था।
“ श! आप जानती ह क कसी ध यवाद क ज़ रत नह है,” उसने डांटा।
“जानती ं। सुनो, हमारे बीच जो आ—”
“हां?”
“समझ म नह आता कैसे क ं। अगर ये तु हारे लए बेमानी था, तो म समझ
सकती — ं ”
“ या बात कर रही ह आप? बेमानी? म—”
“मुझे ख़ुशी है क इसके तु हारे लए कुछ मायने थे। म तु ह बताना चाहती ं क
मेरे लए इसके अब भी ब त मायने ह।”
“मुझे लगता है क मुझे आपसे यार होने लगा है,” वो बोला।
“ फर तो हम एक ही क ती म सवार ह,” वो सरल भाव से बोली।
शंकर बस टॉप प ंच चुका था जो सड़क के पार था। सड़क पार करने से पहले
उसने पहले दा और फर बा ओर दे खा। बना कसी चेतावनी के एक टाटा क आया,
जसका ाइवर शायद नयं ण खो चुका था। प ीस टन का वशाल रा स शंकर से
टकराया और उसने उसक ह ड् डय का सुरमा बना दया। क ाइवर ने आगे बढ़ते ए
रयर ू मरर म शंकर का त- व त शरीर दे खा जो र और मांस का ढे र बना पड़ा था।
अ याय यारह
लगभग 2300 वष पहले
“म आपसे ेम करती ं,” सुवा सनी ने धनानंद के बाल म उं ग लयां फराते ए कहा
जब क वो उसक गोद म सर रखे ए था, “ले कन आपके महामं ी ने मुझे बड़ी वधा म
डाल दया है, यतम | वो चाहते ह क म उनक प नी बन जाऊं।” उसने राजा क
कनप टय म थरथराहट महसूस क ।
“रा स तु ह ऐसा या दे सकता है जो म—मगध का स ाट—तु ह नह दे
सकता?” वो गरजा। सुवा सनी ने अपनी उं ग लयां नीचे उसक छाती पर ले जाकर उसके
चूचुक के चार ओर घुमा , अपना चेहरा नीचे उसके चेहरे के पास लेकर गई और
फुसफुसाई, “आप जानते ह क मुझे ये सब, जो हमारे बीच है, कतना अ ा लगता है।
आप ये भी जानते ह क मुझे आपक श या धन से कोई मतलबा नह है। म तो बस
आपसे ेम करती ,ं वामी।”
“मुझे तु हारे बारे म जो बात पसंद है, सुवा सनी, वो ये है क तुम सवेरे एक
दे खभाल करने वाली मां हो सकती हो, दोपहर को अनुराग करने वाली बहन हो सकती हो,
और रात को रंडी हो सकती हो!” वो अप र कृत ढं ग से बड़बड़ाया। वो अंदर से कांप गई
और उसने अपनी आंख बंद कर ल । व णुगु त ने उससे ये भयंकर कोण बनाने को य
कहा था?
“म उनसे बात क ं गी। अगर इससे उनका दल टू टता है, तो ऐसा ही सही,”
सुवा सनी ने कहा।
“ दल नह टू टेगा ब क ब त नीचे कुछ टू टेगा,” धनानंद हंसा।
“तुम मूख हो! गम खीर खाते समय हमेशा बाहरी कनारे से खाना आरंभ करो जो ठं डा
होता है, न क बीच से जो एकदम गम होता है,” मां ने अपने छोटे से बेटे क जली ई
उं ग लय को संभालते ए डांटा। दं डायण के आ म के बाहर बैठा चाण य दं डायण क
प रचा रका को अपने बेटे को डांटते दे ख रहा था।
दं डायण का आ म कृ त क दे न का उ कृ उदाहरण था। घने पेड़ से घरा
आ म एक चमचमाते झरने के कनारे त था और हवा म एक ऐसा जा ई पुट था
जसका वणन करना मु कल था— नमल हवा, चीड़ और गंधसफ़ेदा क सुगंध और प व
अ न का पावन धुआं। चाण य के पा व म चं गु त बैठा था और वो भी न य जीवन के
इस छोटे से नाटक को दे खकर अ भभूत था। उसने पलटकर दे खा, तो चाण य उसे दे खकर
मु कुरा रहा था। “ या बात है, आचाय?” चं गु त ने पूछा। चाण य क मु कान का अथ
हमेशा ये होता था क वो कुछ योजना बना रहा है। इससे चं गु त असहज हो जाता था।
“मने सारी रणनी त ही ग़लत बनाई है,” अंतत: चाण य बोला। “ये अ श त और
अनपढ़ म हला मुझसे अ धक समझदार है। इसने वो सट क सै नक रणनी त प रभा षत
क है जो म, बु मान और व ान चाण य, नह सोच सका।” चं गु त असमंजस म पड़
गया ले कन मौन रहा। सामा यत: उसके गु बना पूछे ही ीकरण दे दे ते थे।
“आज तक मेरा यान मगध पर और मगध म तु ह, चं गु त को, स ाट के प म
सहासना ढ़ करने पर रहा, ले कन अब मुझे लगता है क म ग़लत था। मगध तो खीर के
बीच का भाग है। पहले हम उसके आसपास के छोटे -छोटे रा य म घुसपैठ करनी होगी।
फर मगध कह यादा आसानी से ा त हो जाएगा,” चाण य ने कहा। “वो दो बड़े रा य
जो मगध को चुनौती दे सकते थे, वो कैकय और गंधार थे। उन दोन को हमारी बांटो और
शासन करो क नी त ारा ीण कया जा चुका है। और मगध के अंदर, सुवा सनी धनानंद
और रा स के बीच खाई बनाने म सफल रही है। म उ मीद कर रहा ं क अगले कुछ दन
के अंदर रा स यहां हमारे पास होगा। कौन सोच सकता था क चालाक रा स एक दन
हमारा सहयोगी होगा? राजनी त व च लोग को सहयोगी बना दे ती है!” चाण य हंसा।
“ कतु आचाय, मगध तो अब भी उ र भारत का सबसे श शाली रा य है। दो
लाख से अ धक पैदल सेना, अ सी हज़ार घुड़सवार, आठ हज़ार रथ और छह हज़ार
हा थय से यु मगध पर अ धकार करना क ठन होगा। सकंदर के आदमी भी गंगा को
पार करने से डरते थे!” चं गु त ने कहा।
“समझदार नेतृ व वाले दस सै नक बना नेता के सौ सै नक को हरा सकते ह,”
चाण य ने कहा। “यु ामक व तु है। य बल कसी भी सम या का ब त ीण
उपाय है। इसी लए इसका योग छोटे ब े करते ह!”
उनके वचार- वमश म नगाड़ क आवाज़ और आगे बढ़ते सै नक क धमक से
अचानक बाधा पड़ गई। ‘‘ सहारण!” चाण य ने कहा। “दे खो तो कौन है। ज द !”
सहारण के नकट आने पर वो ज द से फुसफुसाया।
“ये तो वयं श शाली सकंदर है,” सहारण ने पहरे वाले पेड़ से उतरते ए
कहा। “वो ॠ ष दं डायण के त स मान कट करने आया है।” सकंदर अपने य घोड़े
यूकेफ़ेलस पर सवार था। ये घोड़ा एक थेसे लयाई घोड़ापालक ने सकंदर के पता राजा
फ़ लप तीय को तीन हज़ार टे लट म दया था, ले कन इस बेक़ाबू घोड़े को फ़ लप के
तीन हज़ार घोड़ा- श क म से कोई भी क़ाबू नह कर सका जो हर उस घुड़सवार को
पटक दे ता था जो उस पर सवारी का यास करता था। सकंदर अकेला था जो इसम
सफल आ। तब से ये घोड़ा उसने अपने पास रखा था। यूकेफ़ेलस ने सकंदर के
यादातर सेनाप तय से यादा दे श और यु दे खे थे।
सकंदर का क़ा फ़ला जब आ म प ंचा तो सकंदर घोड़े से उतर गया, और उसे
दं डायण और उनके योग कर रहे श य के पास ले जाया गया। योग का एक वशेष
ायाम ज़मीन पर पैर मारना था। दे वता जैसे सकंदर के आगमन से बेख़बर ये श य
अपने इस ायाम म लगे रहे। र बैठा चाण य हंसने लगा। मज़ा आएगा।
पाट लपु के पूव भाग म शव गली का वो घर एक साधारण सा ढांचा था। पड़ोसी इसे
एक भूतपूव ग णका ारा संचा लत नृ य व ालय के प म जानते थे। साधारण सा एक
तल का घर एक ढके ए ांगण के चार ओर बना आ था जसका योग वहां रहने वाली
लड़ कयां अपनी कला के अ यास के लए करती थ । व ालय क ाचाया पचास वष से
ऊपर क एक सु चपूण म हला थी। कहा जाता था क वो कभी धनानंद क मुख
ग णका रही थी और क एक समृ संर क ने उसे उसक राजक य सेवा से मु दलाने
के लए चौबीस हज़ार पण से अ धक य कए थे।
छा ाएं साधारण पृ भू मय क लड़ कयां थ ज ह वयं क और अपने प रवार
क दे खभाल के लए कोई काम चा हए था। वो सामा यत: छह से आठ वष क आयु म
सं ा म वेश लेती थ और उ ह च कला, क वता, संगीत, नृ य, गायन, पाककला और
नाटक जैसी व भ कलाएं सखाई जाती थ । उनके श ण और जीवन तर के य म
कोई कसर नह छोड़ी जाती थी। उ ह सव े आवास, व , भोजन और सु वधाएं द
जाती थ । ाचाया और उनक अ या पकाएं उदार और सहानुभू तपूण थ ।
पर एक व णम नयम कभी नह तोड़ा जा सकता था। उन सबको हर सुबह एक
वशेष प से बनाए गए ध का एक गलास पीना होता था। ध भ रंग , बनावट और
वाद का होता था। येक घोल कसी वशेष लड़क के लए वशेष प से म त कया
जाता था और ाचाया ख़ुद एक व तृत योरा रखती थ क कसने कतना और या
पया। अगर लड़ कयां एक बार व ालय के ार म वेश कर लेने के बाद इस एक कठोर
नयम पर न उठाएं तो वो एक लाड़ भरा और सु वधाजनक जीवन जी सकती थ ।
छह से आठ वष क लड़ कयां जो यौवनारंभ के कोई च नह दखाती थ , उ ह
ह के नीले ध का एक कुडु ब हर रोज़ दया जाता था। जब वो आठ से दस वष क आयु
को प ंचत और उनके व क क लयां उभरने लगत , तो उ ह रोज़ाना केसर-नारंगी रंग के
दो कुडु ब दए जाते। दस से बारह क आयु म, जब उनके जघनकेश उभरने लगते, तब
म ण क ख़ुराक प तई-हरे घोल के तीन पा त दन शाम तक प ंच जाती। बारह से
चौदह क अव ध म, जब उनक बग़ल के बाल नकलने लगते और उनके कू हे कमर क
तुलना म फैलने लगते, उनक त दन क ख़ुराक ध के गुलाबी शबत का एक हो
जाती। चौदह से सोलह क अव ा के बीच जब उनका डबो सजन और मा सक धम
आरंभ होता, तब उ ह बादामी भूरे रंग के ध का एक अधक दया जाता।
सं ा का बारीक से शोध करने पर एक इससे भी चकर त य पता लग सकता
था: सारी लड़ कयां, बना अपवाद के, बैसाख के सातव दन मंगलवार क ज मी ई होत ।
उनक ज मकुंडली भा यपूण प से श शाली होती थी जो ये सु न त करती थी क
उनके साथ संभोग करने वाला पु ष मर जाएगा। उ ह वषक या के नाम से जाना जाता
था।
सं ा को मलने वाले अनुदान क छानबीन से एक और भी दलच त य पता
लग सकता था। सारा पैसा मयूर यास नाम क सं ा ारा दया जाता था, जसके
सं ापक चाण य और सेनाप त मौय थे। जो ये दे खते ए एक उपयु नाम था क मौय
का नाम मोर पर पड़ा था।
मलयरा य के राजा के दरबार म मौत का सा स ाटा पसरा आ था। सारी आंख काले
व और गले म मानव-मुंड क माला पहने उस व च तां क पर टक ई थ । उसके
दाएं हाथ म एक दं ड था और उसके भी ऊपरी भाग म एक मानव-मुंड बंधा आ था। उसके
सरे हाथ म र जैसे रंग का एक म का पा था जो संभवत: र से भरा आ था।
“हे राजा, सव ानी नपुणक के श द को सुन!” मलयरा य के बारे म सहारण
ारा द गई जानकारी को अपने म त क म दोहराता आ पागल कपट च लाया। “तेरे
महल म एक क है—एक बदबूदार और अ यु क जसम अ धकतर ताला लगा रहता
है। उस कमरे क धरती म एक ा ण क लाश दबी है जसक यहां ह या क गई थी। उसे
खुदवाकर रा य क सीमा से बाहर द न करवा। उस ा ण क आ मा तेरे वंश को
अ भश त कर रही है और तेरी ग त के माग म अवरोध बनी ई है!”
सहारण जानता था क उसक चाची का महल के एक ा ण पहरेदार के साथ
बड़ा गमागरम अवैध संबंध था। भीषण संभोग के दौरान पकड़े जाने पर पहरेदार को
सहारण के ु चचेरे भाई ारा मार डाला गया था जसने अपनी मां के राजसी संभोग
को दे खा था। उसके बाद बेटे ने और कोई जगह न होने के कारण लाश को एक अ यु
भंडारगृह म गाड़ दया था। इस काम म उसने सहारण क सहानुभू त और नै तक ोध का
लाभ उठाकर उसक मदद ली थी। इस रह य के दो भागीदार— सहारण क चाची और
उसका ु बेटा—कुछ वष बाद मलयरा य पर पोरस के आ मण म मारे गए और गड़ी
ई लाश का रह य अपने साथ अपनी चता म ले गए।
राजा और उसके दरबारी अपने सामने खड़े उ म आदमी के साहस से दं ग रह
गए। राजा ने कसी तरह वयं को शांत रखते ए पूछा, “श शाली गु , आप हम बता
सकते ह क इस ा ण का शरीर कहां है? महल का प रसर सौ एकड़ से अ धक म फैला
आ है और द सहायता के बना लाश को ढूं ढ़ पाना असंभव होगा।”
अधपगले नपुणक ने आंख बंद क और बड़बड़ाना आरंभ कर दया—इतनी ज़ोर
से क दरबार म उप त अ धकतर लोग सुन सक— “म वरोचना के पु बाली के सामने
दं डवत होता ं। म सौ मायावी मं के वामी शंबर से ाथना करता ं। म नकुंभ, नरक,
कुंभ, और श शाली पशु तंतुक को नमन करता ं। हे चांडाली, कुंभी, तुंबा, कटु क,
सारंग, म तुमसे ाथना करता ,ं मुझे उन अ य क दशा दखाओ!” उसने अचानक
अपनी आंख पूरी और उ म भाव से खोल और च लाया, “ मल गया! मेरे साथ आओ!”
वो पागल क तरह उस क क ओर भागने लगा जसक त सहारण उसे
व तारपूवक बता चुका था। सरे तल पर प मी ओर के ग लयारे के सातव दरवाज़े पर
प ंचकर वो क गया। उसने फर से आंख बंद क और उसने अ धकतम संभव
अ त ाकृत ऊजा का आ ान कया और कहा, “म ा ण के भूत क नकारा मक ऊजा
को ठ क यहां महसूस कर रहा ं। म ग़लत नह !ं नपुणक कभी ग़लत नह होता!
चांडाली क श से, इस क को खोदो और मलयरा य क चता को र कर दो।”
फावड़ से खुदे फ़श से अ यां नकल , तो तां क क अलौ कक श य से
भा वत राजा नपुणक के पास जाकर उसके आगे झुक गया। नपुणक ने राजा के माथे
पर भभूत लगाकर उसे आशीवाद दया। राजा ने अपनी टक क माला उतारी और
तां क को दे द , जसने उसे लया और खोद गई क़ म फक दया। “ब मू य र न मेरे
कस काम के, हे राजा? म चाहता, तो सारे संसार क समृ मेरी हो सकती थी ले कन
भौ तक समृ न तो मेरे पास है और न ही मुझे इसक इ ा है,” अ षणीय दखने के
चाण य के नदश का उसने पूरी तरह ले कन हच कचाते ए पालन करते ए कहा।
वद ध गु के न वाथ वहार से दशक म एक त , स मानपूण न त ता फैल गई।
एक दन बाद, राजा बीमार पड़ गया। ठं ड और ठन के साथ तेज़ वर से वो ीण
हो गया और दरबार म आने यो य भी नह रहा। बुख़ार ने उसे मपूण भी बना दया और
इस अ ायी पागलपन क अव ा म वो अपने आसपास हर कसी को गंद -गंद गा लयां
दे ने लगा। नपुणक जानता था क वो भभूत काम कर गई थी जो उसने राजा के माथे पर
लगाई थी। उसम धतूरे के बीज का चूण म त था, जो म त म पैदा करने का एक जाना-
माना गु मं था। च तत रानी ने नपुणक को वापस महल बुलवाया | “कृपया राजा क
अचानक ई अ या शत अव ा का कोई नदान ढूं ढ़,” उसने वनती क ।
“ चता न कर, रानी। राजा को एक गलास ध इस वशेष घोल के साथ पलाएं
जो मने तैयार कया है। मेरा वादा है क ये सवेरे तक एकदम व ह गे,” धूत कपट ने
उसे व ास दलाया। उस औष ध म च क क जड़ का चूण और काली मच मली ई
थी, जसे चाण य ने पहले ही बना लया था।
अगले दन राजा के उ लेखनीय प से व हो जाने ने नपुणक को द ान
दला दया। ये दो दन के भीतर गु क सरी असाधारण उपल थी। ले कन अभी
उ सव मनाने का समय नह था। मलयरा य के सहासन के दावेदार सहारण क सहायता
से चं गु त नाम के एक छोकरे के नेतृ व म सश ह यार ने नगर को घेर लया था और
ग कृत राजधानी अ धकृत प से घेराव म थी। घेराव पूरे कृ ण प के दौरान जारी रहा
और नगर म आव यक व तु क कमी होने लगी। शी तापूण बुलाई गई एक सभा म
सहारण और चं गु त के बाल पर सामने से आ मण करने के नणय के बारे म सोच-
वचार चल ही रहा था क तभी नपुणक ने एक और शानदार वेश कया।
“राजा! मेरे पास तेरे लए एक मह वपूण संदेश है,” धूत ने अपनी बात इस ान के
साथ आरंभ क क सरल भाव मं प रषद उसके येक श द पर व ास करने को तैयार
है। “महल के मं दर म कुबेर क एक मू त है। तेरे राजपुरो हत ारा क जाने वाली पूजा
ु टपूण है और इसी कारण से तुझ पर वनाश का संकट छा गया है। ु ट को र कर और
तू श ु क सेना को पीछे हटते दे खेगा!”
उसके आदे शानुसार और अनेक मं और अनु ान के साथ कुबेर क म क
मू त को हटवाया गया और राजसी झील म घुलने के लए डाल दया गया जब क
म हमामं डत नपुणक ारा नधा रत ोक और तो का उ ारण जारी रहा। उसी
ण, चाण य ने सहारण और चं गु त को आदे श दया क वो अपने सै नक को पीछे
हटा ल और क़लेबंद राजधानी से कुछ र एक गु त ान पर छप जाएं। जैसे ही इस
चम का रक वापसी का समाचार फैला, उ सव शु हो गए और सामंत और सामा य लोग
सभी ने सड़क को भर दया। जब संगीत, म दरा और यां छा ग और उ सव अपने
चरम को प ंचा, तभी चाण य के सै नक ने वापस आकर असंशयी नगर पर आ मण कर
दया। ये एक र हीन त तापलट था—ये आक मक, नाटक य और सरल था, उस
ा ण के अनु प जसने इसक रचना क थी।
“अगर यु जैसी त बनी रहे, तो लोग क सहानुभू त वतमान सरकार के साथ बनी
रहेगी। हमेशा ऐसा ही होता है। जो लोग सरकार क पतलून उतारने को तैयार म रहते ह,
वही अचानक दे शभ बन जाते ह!” अ वालजी ने अपने गाडन म लंच के दौरान
गंगासागर से कहा। चांदनी और इकराम को ही लंच म और बुलाया गया था।
“वो बस अपने चूतड़ बचा रहे ह! और कुछ नह ,” इकराम ने अपने मुंह म गोभी
परांठा भरते ए कहा।
“हर समझदार आदमी अपने चूतड़ बचाता है। और यादा समझदार आदमी
अपनी पट पहने रहता है,” गंगासागर ने कहा।
“हां?”
“ धानमं ी कायालय से हमने आर ण मामले का जो रसाव कराया वो कारगर
रहा। यु का उ माद खड़ा करके धानमं ी हमारी चाल म आ गए ह। अब येक र ा
सौदा क समी ा होगी—ख़ासकर मैजे टक युनीश स क ।”
“ य ?”
“ य क मैजे टक युनीशंस ◌ा को राइफ़ल का एक ब त बड़ा अनुबंध दया
गया था और सोमानी को हमारे दए नदशानुसार अब दो तशत कंपनी सा वी क है।
और सा वी धानमं ी क अवैध बेट है। अनौ च य का मामला, नह ?” गंगासागर ने
अपनी नमक न ल सी के गलास को साफ़ करते ए कहा।
“ले कन इस तरह तो हम सोमानी को नुक़सान प ंचाएंगे। मैजे टक म वो भी
भागीदार है,” चांदनी ने तक दया। “वो अपने नुक़सान क भरपाई क मांग करेगा।”
“मने उससे कहा था क सौदा होते ही वो मैजे टक के शेयर बेच दे । मेरा याल है
क उसके शेयर तीन दन पहले बक चुके ह,” अ वालजी के घर पर मले ब ढ़या भोजन
क शंसा म आई एक छोट सी डकार को दबाते ए पं डत ने कहा।
“तो इस मामले को कैसे संभाल?” इकराम ने खीर का वाद लेते ए पूछा।
“अपने नेवले रपोटर को फर से बुलाया ◌ाया जाए और उससे कहा जाए क
धानमं ी क ग को हला दे । वैसे भी, वो सा वी वाले मामले को उछालने के लए बस
हमारे इशारे के इंतज़ार म बैठा है, सही?”
“सही।”
“ले कन उसके अवैध बेट होने के बारे म कोई बात न हो,” गंगासागर ने कहा।
“अरे गंगा, मुझे नह पता था उसके लए तु हारे दल म एक नम कोना भी है,”
अ वालजी ने मज़ाक म कहा।
“ऐसा नह है। मेरा मानना है क ये जानकारी पैसे क तरह है। इसे नासमझी से
ख़च करने के बजाय बक बैलस क तरह संभालकर रखना चा हए,” गंगासागर ने कहा।
“चांदनी, मुझे लगता है क लोकसभा के चुनाव हमारी उ मीद से ज द हो सकते ह!”
गंगासागर हंसा। हंसी से उसके गले म ख़राश आई और वो खांसने लगा। उसने थोड़ा पानी
नगला और अ नयं त प से दोबारा हंसने लगा। अ वालजी, चांदनी और इकराम उसे
हैरत से दे खने लगे। पं डत को इस तरह अ नयं त दे खना अजीब सा लग रहा था।
“हंसने वाली बात या है?” इकराम ने पूछा।
“ धानमं ी। म बना पट के उनक क पना कर रहा !ं ”
“उसे एक जीत मलनी चा हए, ऐसी जीत जो उसे आकषण का क बना सके,” गंगासागर
ने कहा।
“आपका मतलब र ा मं ी को? वो तो कह रहे ह क उ ह धानमं ी बनने क
कोई मह वाकां ा नह है,” चांदनी ने कहा।
“इसका मतलब ये कहना नह है क उनके शुभ चतक चाहगे तो वो अपना नाम
आगे नह बढ़ाया जाने दगे।”
“नई द ली म धानमं ी, व मं ी, वदे श मं ी, गृहमं ी और र ा मं ी—सभी
एक ही स ा ढ़ पाट के सद य ह। हम इससे या फ़क़ पड़ता है क आ ख़र म कौन
जीतता है?”
“एक मह वपूण कारण है, चांदनी।”
“वो या?”
“हमारे युवा उ ोगप त सोमानी का र ा मं ी के साथ अ ा समीकरण है।
मैजे टक युनीश स याद है? हमारे आदमी को पद मलना हमारे हत म होगा।”
“तो आपको लगता है क आप र ा मं ी को धानमं ी पद दला सकते ह?”
“हां, ले कन उ ह उ पद के लए गंभीर दावेदार नह समझा जाता है। अगर उ ह
एक वक प बनना है तो उ ह कुछ नाटक य करना चा हए, कुछ ऐसा जससे उ ह तुरंत
व सनीयता और पहचान मल सके।”
“जैस?े ”
“हम उनसे एक जंग जीतने को कह सकते ह।”
“कहां?”
“एनजे9842 ।”
“कभी इसके बारे म सुना नह ।”
“इसी लए तो ये एकदम उपयु जगह है।”
शाम के समाचार दे खते ए चांदनी मु कुरा रही थी। “इस स ताह ऑ ज़वर ने लोकसभा
चुनाव से पहले उ र दे श के मतदाता के आम मूड के बारे म सीएफ़सी से कराए गए
सव ण के न कष का शत कए। सव ण म पाया गया क अ धकतर लोग नई द ली म
सरकारी उदासीनता से असंतु ह और मानते ह क क म चांदनी गु ता ारा भू मका
नभाने के यास का समथन कया जाना चा हए। ये पहला अवसर है जब हर जा त,
समुदाय, लग और उ के लोग से समान त याएं ा त ई ह। ‘मतदाता के एक
भारी ब मत का मानना है क चांदनी गु ता के नेतृ व म एबीएनएस क म भू मका
नभाकर बेहतर नतीजे दे सकती है,’ कल सव ण के नतीजे जारी करते ए सीएफ़सी
व ा ने कहा।”
end
“सीएफ़सी कस क़ म क एजसी है?” चांदनी ने अपने से े टरी से पूछा।
“मुझे ब कुल अंदाज़ा नह । म मेनन से पता क ं ?”
“हां। उसे पता होगा। इस यास क अगुआई गंगासागरजी ने क थी,” चांदनी ने
कहा।
कुछ मनट बाद से े टरी मु कुराता आ चांदनी के अ◌ॉ फ़स म आया।
“मने सीएफ़सी के पूरे नाम का पता लगा लया है। मेनन जानता था।”
“ या नाम है?”
“कं योरस फ़ोथ काड।”
“पाट क भारी जीत क भ व यवाणी करने के लए मुझे तुम जैसे यो तषी चा हए,”
गंगासागर ने आ यच कत आदमी से कहा। उसे एक फ़टपाथ से उठाया गया था जहां
बैठकर वो ग़रीब मूख को व ास दलाता था क अ व सनीय समृ , अ व सनीय
सौभा य, यश और वैभव बस आने ही वाला है।
“म मश र नह हं, सर। कोई मेरा व ास नह करेगा,” यो तषी बोला |
“वो मुझपे छोड़ दो। मने आज लखनऊ के एक मुख अख़बार के साथ तु हारे
इंटर ू क व ा क है। तु ह भ व यवाणी करनी है क उ र दे श म मं मंडल म
फेरबदल होने वाला है।”
“ले कन म ये नह जानता!”
“अब जान गए हो। म आज मु यमं ी से बात क ं गा और वो सु न त करगी क
कल एक छोटा सा फेरबदल हो जाए। तुम लोग के वपरीत, म ब त पहले से भ व यवाणी
करने से बचता ं। घटना के सु न त हो जाने के बाद भ व यवाणी करना कह बेहतर
रहता है। फेरबदल होने के बाद तुम एक इंटर ू और दोगे।’’
“और म या क ंगा?” भौच के आदमी ने पूछा।
“तुम इस साल ज़बरद त फ़सल क भ व यवाणी करोगे।”
“पर म ये नह जानता!”
‘‘अब जान गए हो। मेरे पास कृ ष मं ालय क एक गोपनीय रपोट है। रपोट
तु हारे इंटर ू के अगले दन सावज नक क जाएगी। और तब तुम अपना तीसरा इंटर ू
दोगे।”
“और तब म या क ंगा?” या शत प से उसने पूछा।
“तुम इलाहाबाद म अ या शत बा रश क भ व यवाणी करोगे।”
“ले कन म तो ये नह जानता!”
“जानते हो। मने व ा कर द है क एक छोटा वमान गंगा के ऊपर स वर
आयोडाइड से बादल रोप दे । तु हारी भ व यवाणी के अगले दन अ या शत बा रश होगी।
तब तक ेस और जनता तु हारी कही हर बात का व ास करने लगगे। और फर तुम
अपना चौथा इंटर ू दोगे।”
“और चौथे इंटर ू म म या क ंगा?”
“तुम एबीएनएस और चांदनी के लए भारी जीत क भ व यवाणी करोगे |”
“ले कन म ये भी नह जानता!”
“म भी नह जानता, ले कन उ मीद करता ं क तु हारी भ व यवाणी सच सा बत
हो।”
गंगा और यमुना के संगम पर बसा इलाहाबाद तनावपूण था। पुराने शहर म, कुछ म ती मार
रहे ह युवा ने मुसलमान पर शराब फक द थी। ग़ से म कुछ नासमझ मु लम लड़क
ने गौमांस के टु कड़े गंगा कनारे सी ढ़य पर छोड़ दए। चगारी भड़क और इलाहाबाद म
हसा फैल गई।
उ र दे श क मु यमं ी—चांदनी गु ता—ने नए पु लस मुख को बुलाया आ
था। चांदनी जानना चाहती थी क दं गे रोकने के लए पु लस या क़दम उठा रही है।
गंगासागर एक मुलाक़ाती कुस पर बैठा था जब क सरी पर पु लस मुख बैठा था।
“ त नयं ण म है, मैडम,” पु लस मुख ने कहा। “दं गा गयर पहने दं गा
पु लस क तीन बटा लयन ने शहर म माच कया और अ नयं त भीड़ को छतराने के
लए आंसूगैस का योग कया। उन पर ट-प र से हमला कया गया ले कन उ ह ने
शहर के मुख भाग म नयं ण कर लया है। यादातर इलाक़ा नयं ण म है, अलावा
पुराने शहर के जहां अभी व ा ा पत करने म कुछ दन लग सकते ह।”
“मौत या हताहत?” चांदनी ने पूछा।
“मौत कोई नह ई, पर कुछ लोग हताहत ह। अगर एक गुमनाम जानकारी के
कारण हमने समय रहते पुराने शहर म बटा लयन न भेजी होत , तो ये सं या अ धक हो
सकती थी।”
“डर,” बातचीत का ख़ अचानक बदलते ए गंगासागर ने कहा।
“जी, सर?” मुख ने पूछा।
“डर! हम आज ही व ा ा पत करना चाहगे—कल या परस नह । डर पैदा
क जए। क़ानून का डर,” गंगासागर ने बालपूवक कहा।
“ले कन सर, क यू क घोषणा कर द गई है और हम तबंध हटाने के लए
आपके आदे श का इंतज़ार कर रहे ह। हम कठोर उपाय के बना भी नतीजे ा त कर
सकते ह।”
“जैसा म कहता ं क जए। म चाहता ं क कल मु यमं ी इलाहाबाद म एक
सावज नक सभा को संबो धत कर।”
“ले कन सर—”
“मेरे याल से नए पु लस मुख ने शंसनीय काम कया है, मु यमं ी,”
गंगासागर ने सरल भाव से कहा, “ले कन कभी-कभी ऐसे हालात म ला ठय और आंसूगैस
से यादा भावना मक अपील क ज़ रत होती है।”
“सर, इस समय इलाहाबाद का दौरा करना ठ क नह रहेगा। इलाहाबाद अभी
ऐसा बा द का ढे र है जसम कभी भी व ोट हो सकता है,” मुख ज द से बोला।
“मु यमं ी क सुर ा के लए वहां आप ह ना? या हम कोई नया आदमी ढूं ढ़ना
होगा जो मु यमं ी के अपने य नाग रक से मलते समय उनक सुर ा भावी ढं ग से
सु न त कर सके?” गंगासागर ने लगभग फुसफुसाहट म कहा।
“हम इनक र ा करगे, सर,” पु लस मुख ने कहा, वो समझ गया था क फ़ैसला
लया जा चुका है।
“हे महान राजा, चाण य आपसे सहायता मांगने आया है,” तेज वी और श पोरस ारा
तुत कए गए आसन को हण करते ए कु प ा ण ने कहा। इं द चाण य के
पास बैठ गया।
“आचाय, मने आपक तीखी बु म ा, आपके व तृत ान, न कष क
भ व यवाणी करने के आपके अदभुत कौशल और आपके असीम न य क अदभुत
कहा नयां सुनी ह। ले कन या आप यहां केवल इस लए नह आए ह क आपका चं गु त
के साथ मतभेद हो गया है?” इतनी मह वपूण जानकारी होने के कारण ख़ुद को महत
समझते ए पोरस ने पूछा।
चाण य अपने चेहरे पर े तम नराशापूण भाव लाया और बोला, “आपसे कुछ
छपा नह रह सकता, हे श शाली पोरस। आपके आंख और कान हर जगह मौजूद ह।
हां, ये स य है क मेरा चं गु त के साथ कुछ मतभेद हो गया है। ले कन म यहां चं गु त के
साथ मतभेद के कारण नह आया ;ं ब क मेरा उससे मतभेद इसी लए आ क म
आपसे मलना चाहता था।”
पोरस ने गंभीर भाव से सर हलाया। उसे व ास था क चाण य उसे सच बता
रहा है। अभय ने बताया था क आचाय और उनके मु य श य के बीच ववाद का कारण
यही था क आचाय चं गु त के बजाय उसे—महान पोरस को—मगध के सहासन पर
बठाना चाहते थे।
“म आप पर य व ास क ं , आचाय? आपके कुच के कारण मेरे सहयोगी
मलयराज को उनके भतीजे ारा सहासन युत होना पड़ा,” एक व ोटक उ र पाने क
आशा म पोरस ने क चा।
“हां, अजेय राजा। मने सहारण के लए वो वापस लया जो अ धकृत प से
उसका था। मेरे ान पर आप होते, तो आप भी यही करते। कतु आपके इस के उ र
के लए क आप मुझ पर य व ास कर, कृपया बाहर ती ा कर रहे आगंतुक को
भीतर बुलवाएं,” चाण य ने कहा।
इं द ने अदली से कहा क वो आचाय के अ त थ को अंदर लाए। कुछ ही ण
म अदली रेशमी व , ब मू य र न और राजसी गौरव के अ य सभी ृंगार से सुस त
एक नवयुवक को लेकर अंदर आया। ये मलयरा य का नया अ भ ष राजा था—
सहारण। वो पोरस के नकट गया, उसके आगे नमन कया और बोला, “हे भ स ाट,
मेरा आपसे कोई वैर नह है। मलयरा य आपका नरंतर सहयोगी था और रहेगा। मेरा
ववाद मेरे चाचा के साथ था ज ह ने छल-कपट ारा सहासन ह थया लया था। उस
वषय का समाधान हो चुका है। कृपया मुझे आशीवाद द, महान राजा।”
पोरस उदासीन और तट भाव बनाने का पूरा यास कर रहा था, ले कन
चाण य जानता था क वो राजा के अहंकार को तु करने म सफल रहा है। अगर पोरस
मोर होता, तो उसके पंख पूरी तरह फूल चुके होते! बना दखावे वाले शासक क तुलना म
अहंकारी और दं भी शासक को संभालना कह अ धक सरल था। “उठ, सहारण। आएं
और मेरे नकट बैठ,” इस सबसे पूरी तरह भा वत पोरस ने कहा।
“आपके मन म या है, आचाय?” सहारण के बैठने के बाद पोरस ने पूछा।
“दो लाख पैदल सेना, अ सी हज़ार घुड़सवार सेना, आठ हज़ार रथ और छह
हज़ार हा थय के साथ मगध अभी भी संसार क सबसे बड़ी सै य श है। महान पोरस
और उनके सहयो गय — सहारण स हत—क संयु श भी मगध को झुकाने के लए
अपया त होगी। अगर तेज वी पवते र को मगध के सहासन पर अ धकार करना है, तो
हम आपक श और मेरी चतुरता क आव यकता होगी,” चाण य ने कहा।
“मुझे चतुरता क कोई आव यकता नह है,” अहंकारी पोरस ने टोका।
“ सकंदर के सामने आपक श कस काम आई?” चाण य ने सौ य भाव से
याद दलाया। “मेरी सलाह मान ल, पवत के महान वजेता, तो आप न त प से मगध
के स ाट बन जाएंगे।”
“और चं गु त?”
“मुझे ऐसे श य क आव यकता नह है जो अपने गु का स मान नह करते
ह। वो जो कुछ भी जानता है मने उसे सखाया है और वो इस कार मेरा आभार कर
रहा है? नक म जले वो!”
“ठ क है, आचाय, म आपके उ े य के त तब ता कट करता ं। हम या
तो मगध को जीतगे या फर इस यास म वग ा त करगे!” पोरस ने भ भाव से
घोषणा क ।
“हर कोई वग जाना चाहता है, कतु मरना कोई नह चाहता,” चाण य ने सरल
भाव से कहा।
मेनन सवेरे का अख़बार इकरामभाई को पढ़कर सुना रहा था। मेजर बेद छह महीने के
नरंतर चुनाव चार के बाद शांत दख रहा था और गंगासागर के ल वग म म बैठा चाय
पी रहा था।
“लोकसभा म कामचलाऊ ब मत के साथ, वजयी गठबंधन के अ य मंगलवार
शाम चार बजे भारत के रा प त से भट करके नई सरकार के गठन के लए अपना दावा
पेश करगे। गठबंधन के सहयो गय ारा एक बैठक म ये फ़ैसला एकमत से लया गया।
अ य का नाम स ा ढ़ दल ारा ता वत कया गया और स ा ढ़ दल के सबसे बड़े
सहयोगी साझेदार म से एक, एबीएनएस, के अ य पं डत गंगासागर म ारा इसका
अनुमोदन कया गया।”
“हाह! सबसे बड़ा , न क सबसे बड़े म से एक !” इकराम बोला और मेजर बेद
मु कुराने लगा। कोई फ़ॉमूला न होने का उसका फ़ॉमूला कारगर रहा था। उसने मेनन से
अख़बार लया और आगे पढ़ने लगा। “सबसे अ धक दो सौ सीट जीतने वाले स ा ढ़ दल
के बाद एबीएनएस गठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है, जसके पास उ र दे श से पसठ
एमपी ह। गठबंधन को कई छोट पा टय से समथन क च यां मली ह और अब उसके
पास लगभग तीन सौ सांसद का समथन है जो लोकसभा म आम ब मत के दो सौ बह र
के आंकड़े से कह अ धक है। गठबंधन के अ य ारा रा प त को एक च स पी
जाएगी जसम संसद म स ा ढ़ दल के त न धमंडल के नेता के प म धानमं ी—
भूतपूव र ा मं ी—के पुन: चुनाव के बारे म त सील दज होगी। ये भी आशा है क वो
अपनी पाट को गठबंधन के सहयो गय ारा मली समथन क च यां भी तुत करगे।
संभावना है क रा प त अगली सरकार बनाने के लए गठबंधन को नमं ण दगे। माना जा
रहा है क शपथ हण समारोह शु वार को रा प त भवन म होगा।”
“ये अ ा है क इस सरकार को समथन दे रहे सांसद क तादाद तीन सौ है,”
इकराम ने कहा।
“ य ? य क इस तरह वो आधे से अठाईस यादा हो गए ह?” मेनन ने पूछा।
“नह , य क इस तरह एबीएनएस ारा समथन वापस ले लए जाने पर वो आधे
से सतीस कम रह जाएंग!े ” इकराम ने मज़े से पान चबाते ए कहा, जब क बेद हंसने
लगा।
“ या माननीया वदे श मं ी जानती ह क भारत के झंडा क़ानून क धारा 2.2 उपधारा (xi)
का उ लंघन करते ए पोलड के भारतीय तावास म हमारा रा - वज सूया त के बाद भी
द शत कया गया? या माननीया मं ी सदन को व ास दलाएंगी क वो सुधारा मक
कारवाई करगी?”
“ ीमान अ य महोदय, म सदन को व ास दला सकती ं क म न त प
से कारवाई क ं गी।”
“ ीमान अ य महोदय, या माननीया वदे श मं ी वीकार करगी क हमने
जेनेवा म हा लया वदे श स चव तर क बातचीत म पा क तान को मुखता ा त करने
द ? या मं ीजी ने वहां क गई ग़ल तय से कुछ सीखा?”
“ ीमान अ य महोदय, म सस मान कहना चा ंगी क म और भी ग़ल तयां
करने को इ ु क ं अगर माननीय सांसद उनसे सीखने को तैयार ह ।”
“माननीय अ य क अनुम त से, या माननीया वदे श मं ी जानती ह क उनके
मं ालय के साउथ लॉक द तर म शराब पेश क गई जब क वो एक ाई डे था?”
“ ीमान अ य जी, मेरा नजी वचार है क शराब कसी भी चीज़ का जवाब नह
है। ये इंसान को सवाल ही भुला दे ता है। वैस,े माननीय सांसद का सवाल या था?”
“ ीमान अ य जी। ऐसा लगता है क वदे श मं ालय अंतररा ीय कूटनी त क
बा द सुरंग के बीच अपना रा ता बना रहा है। भा यवश, माननीया मं ी के पास अनुभव
क कमी है और वो अंधेरे म कसी ब े क तरह लड़खड़ा रही ह।”
“ ीमान अ य जी, मेरा मानना है क अंधेरे म ब से घटनाएं होती ह और
अंधेरे म घटना से ब े होते ह। मेरे याल से हम सब इसी तरह यहां प ंचे ह!”
सारी लोकसभा म ठहाके गूंजने लगे और चांदनी बैठ गई। ये था क ये नई
लड़क ऐसी नह थी जससे पंगा लया जा सके। यो हे म फ़ोड ने को शश क थी और
मुंह क खाई थी।
स ल बोड ऑफ़ डाइरे ट टै सेज़—सीबीडीट —के चेयरमैन ने व मं ी के
यागप से पहले उ ह दो फ़ाइल भेज । ये मु े गमागरम थे और वो चाहता था क इन पर
मं ी ख़ुद द तख़त कर।
पहली फ़ाइल आर एंड एस से संबं धत थी और मं ी और ं टा के बीच क़रीबी
संबंध होने के नाते, सीबीडीट के चेयरमैन ने सीधे व मं ी से अनुम त मांगी थी।
कुछ घंट बाद, दोन ापन गंगासागर के हाथ म थे, जहां वो उसके कृपापा , सीबीडीट
चेयरमैन, ारा प ंचा दए गए थे। उसने सावधानीपूवक पहले ापन के दोन प के
टे पल को अलग कया और फर यही या उसने सरे ापन के साथ अपनाई।
फर उसने आर एंड एस वाले ापन के पहले प े को उस ापन के सरे पृ से
जोड़ा जसम साधारण वेतनभो गय के लए राहत क मांग क गई थी और दोन पृ को
एक साथ टे पल कर दया। फर उसने अपनी कार तानी पर संतु भाव से एक नज़र
डाली।
माननीय व मं ी। आर एंड एस क ग त व धय क जांच से व ीय
अ नय मतता के कई उदाहरण सामने आए ह। य प के कई आइटम महंगे तीत होते
ह, वशेष प से इस उ े य से क उनक कर यो य आय को कम कया जा सके। साथ
ही, ऐसा तीत होता है क मुनाफ़ा छपाने के उ े य से नजी साझेदा रयां खड़ी क ग ।
आय प के कई आइटम गत कर दए गए, बज़ा हर इस उ े य से क कर
अ धका रय को राज व से वं चत रखा जाए। कुछ सौदे — वशेषकर संप य के य-
व य से संबं धत—संदेहा द मू यांकन पर कए गए, जससे कर-दे यता और भी कम
हो, कम से कम काग़ज़ पर। इन प र तय म, म आपका परामश चा ंगा क इन मामल
से कैसे नपटा जाए। ध यवाद। चेयरमैन, स ल बोड अ◌ॉफ़ डाइरे ट टै सेज़।
तयाना मेन वेयर के प मी भाग से लगा ेट हॉल अ◌ॉफ़ पीपुल अठारह लाख वगफ़ट
म फैला आ था। बी जग का राजनी तक क ेट हॉल कई ऐ तहा सक बैठक का गवाह
रहा था, जनम से एक मश र बैठक म अमे रक रा प त रचड न सन भी शा मल रहे थे।
ब ग के उ री भाग म टे ट बकेट हॉल था जसम सात हज़ार मेहमान आ सकते थे।
भारत क माननीया वदे श मं ी चांदनी गु ता चीन के तीन दवसीय सरकारी दौरे
पर र ववार सुबह को बी जग प ंची थ । ये चांदनी का पहला चीन दौरा था और वहां
आवास के दौरान उसे चीनी धानमं ी और उ व ध नमाता से मलना था—और
साथ ही अपने समक के साथ बातचीत करनी थी। चांदनी को ाकृ तक आपदा से
नबटने के लए ा पत एक संयु चीन-भारत मै डकल ट म के एक समारोह म भी
स म लत होना था। फर उसे बी जग म आधा रत एक सरकारी वचार- वमश समूह,
चाइनीज़ एकेडमी अ◌ॉफ़ सोशल साइंसेज़, म भाषण दे ना था। श आ यूज़ से बातचीत
म चांदनी ने कहा क वो चीन “दोन दे श और हमारी भावी पी ढ़य के लए शोभायमान
संबंध को आकार दे ने और पार रक हत के सभी मु पर उ मु बातचीत करने के
लए खुले दमाग़ से आई थी।”
उसके दौरे क आख़री रात चीनी वदे श मं ी ने उसके स मान म एक भोज का
आयोजन कया। भोज म चीन के पाट और रा य नेता भी स म लत थे। चीन और भारत
के रा ीय वज हॉल म लगाए गए थे और भोज क शु आत म ल बड ारा दोन दे श
के रा गान बजाने से ई। चीनी मं ी ने अपनी कुस से उठकर चांदनी और उसके सरकारी
त न धमंडल का वागत कया। बाद म उ ह ने कहा, “बेशक चीन और भारत के बीच
कुछ मतभेद रहे ह, ले कन भारतीय वदे श मं ी क समझदारी और बु म ा के कारण
हमारे दो महान रा के बीच पार रक हत के मु पर बेहतर समझ पैदा ई है।”
चांदनी वनीत भाव से मु कुराई। चीनी मं ी को लगा क वो उनक बात से ख़ुश
हो रही है। ले कन वो वा तव म मख़ म और उसक एकदम सही समय पर गर तारी के
बारे म सोचकर मु कुरा रही थी। चांदनी ने अपने मेज़बान के नाम जाम उठाकर अपनी
शंसा का जवाब दया। उनके स मान म उसने स अं ेज़ी क व जॉन ाइडेन क दो
पं यां उ त क , ‘ए मैन सो वे रयस ही सी ड टु बी, नॉट वन बट अ◌ॉल मैनकाइंड्स
ए पटोम। ’ (वो व वध गुण का सं ह लगता था, वो एक इंसान नह ब क सारी
इंसा नयत का तीक था।) मं ी ने उसके उदार श द के लए उसे ध यवाद दया। वो
शायद इतना उदार नह होता अगर उसने चांदनी ारा उ त ाइडेन क शेष क वता पढ़
होती।
शेष क वता थी, ए मैन सो वे रयस ही सी ड टु बी, नॉट वन बट अ◌ॉल मैनकाइंड्स
ए पटोम; टफ़ इन ओपी नय स, ऑ वेज़ इन द रॉ ग; वाज़ एवरी थग बाइ टाट् स एंड
न थग लॉ ग; बट इन द कोस अ◌ॉफ़ रवॉ वंग मून, वाज़ के म ट, फ़डलर, टे ट्समैन एंड
बफ़ून !’ (वो व वध गुण का सं ह लगता था, वो एक इंसान नह ब क सारी
इंसा नयत का तीक था; वचार म अ ड़यल, हमेशा ग़लत; बड़ी-बड़ी शु आत करता, र
तक कभी नह जाता; एक ही चांद के अंदर, वो दवासाज़, जालसाज़, राजन यक और
लंगूर सब कुछ बन जाता!)
“सर, लगता है हमारे सामने एक सम या आ खड़ी ई है,” मेनन ने असहज भाव से कहा।
“ या बात है, मेनन?” सवेरे के अख़बार से सर उठाते ए गंगासागर ने पूछा।
“हमीद—वेटर— जसने हम म ज े ट तक प ंचाया था। वो और पैसा मांग रहा
है।”
“ले कन हमने तो म ज े ट ारा इकराम के ख़लाफ़ गर तारी का वारंट जारी
कराने के लए उसे पैसा दे दया था ना?”
“हां। ले कन वो और पैसा मांग रहा था।”
“जब इकराम ने मु यमं ी के पद क दौड़ से हटने का फ़ैसला कर लया था, तो
वारंट हटवाने के लए भी हमने उसे पैसा दया था ना?”
“हां। ले कन म ज े ट उससे ऊब गया है और उसने अपने लए एक और सुंदर
लड़का ढूं ढ़ लया है। लगता है, हमीद आ थक संकट म है।”
“दरअसल वो पैसा मांग कस काम के लए रहा है?”
“ख़ामोश रहने के लए।”
इकराम ने लखनऊ क सबसे बड़ी म जद, जामा म जद, म अभी जुमे क नमाज़ पढ़ ही
थी। यहां इकराम क है सयत एक हीरो जैसी थी। उसने छोटे -छोटे काम —नौकरी के लए
सफ़ा रश, कूल म दा ख़ले, जायदाद के झगड़े के नपटारे, बेट के दहेज के लए पैसा दे ने
—म सैकड़ लोग क मदद क थी। जामा म जद म जुमे के नमा ज़य म इकराम कसी
रॉ बन ड से कम नह था।
नमाज़ पूरी होने के बाद इकराम लखनऊ के म य म त पीले बलुआ प र क
पं ह म से एक मेहराबदार गुंबद के नीचे से नकलकर पचास हज़ार वगफ़ट े फल वाले
वशाल सहन म आ गया। उसे तुरंत ही शंसक के एक झुंड ने घेर लया। उसने दे खा क
एक काला नौजवान उसे घूर रहा है। वा तव म उसे यक़ न था क वो लड़का उसका पीछा
करता आ म जद म आया है। यादा सलाम- आ के च कर म न पड़ने वाले इकराम ने
उसे इशारा कया, “लड़के! तु ह मुझसे मलना है? बोलो!” नौजवान ने अपने आसपास इस
तरह दे खा जैसे ख़ौफ़ज़दा चूहा ब ली के सामने हो। इकराम ने अपने प र चत से कहा क
वो थोड़ी दे र उ ह अकेला छोड़ द।
“सर, मने आपके बारे म ब त क़ा बले-तारीफ़ बात सुनी ह। एक इंसाफ़पसंद और
रहम दल आदमी क आपक शोहरत क वजह से ही म आपसे मलने क ह मत जुटा
पाया। मेरे पास कुछ ऐसी जानकारी है जो आपके काम आ सकती है,” नवयुवक ने कहा।
“जानकारी? कस क़ म क जानकारी?” इकराम ने पूछा।
“सर, लीज़ वादा क जए क म जब आपको बताऊंगा तो आप मुझे मारगे नह
—”
“अरे, म य तुम जैसे यारे लड़के को मारने लगा,” इकराम ने ं या मक ढं ग से
पूछा।
“सर, मुझे पैसे क ज़ रत थी और इस च कर म म आपको नुक़सान प ंचा
बैठा। म अ लाह क क़सम खाता ं क मेरा इरादा ऐसा नह —”
वो फूट-फूटकर रोने लगा।
“बेटे। य न तुम मुझे पूरी बात बता दो? तु हारा नाम या है और तुम या काम
करते हो?” इकराम ने लड़के के कंधे पर हाथ रखते ए कहा।
“मेरा नाम हमीद है और म कानपुर म गो न गेट बार म वेटर था...”
“और मुझसे तु हारा या ता लुक़ है?”
“म उस म ज े ट का सम लगी ेमी था जसने आपके ख़लाफ़ गर तारी का
वारंट जारी कया था।”
“अ ा। समझा,” इकराम ने अपनी ठोड़ी खुजाते ए कहा।
“गंगासागरजी के से े टरी मेनन ने मुझसे कहा था क म आपके ख़लाफ़ वारंट
जारी करवाऊं और बाद म र करवा ं —मने वैसा ही कया जैसा उ ह ने कहा था।”
“ले कन अगर तुम इतने ही असरदार हो, तो ऐसी बदहाली म य हो? लगता है
तु हारे दन ख़राब चल रहे ह।”
“मने अपनी वेटर क नौकरी छोड़ द —मुक़ मे हल करवाना यादा फ़ायदे मंद
था। ले कन फर पांडे—म ज े ट—मुझसे ऊब गया और उसने मुझे छोड़ दया।”
“और तुम मुझसे या चाहते हो?” इकराम ने पूछा।
“मने सुना है क आपने हाल ही म अपनी जुमे क मंडली के एक सद य रा शद
को आर एंड एस ए वएशन म नौकरी दलवाई है। या आप मेरी भी सफ़ा रश कर सकते
ह?”
“म य क ं गा ऐसा? तुमने मुझे मु यमं ी के ओहदे से र रखने के लए उस
ा ण लोमड़ी क मदद क थी!”
“ले कन सर, म सारे ख़ास नेता —चांदनीजी समेत—के नज़द क र ंगा य क
आर एंड एस ए वएशन ही सरकारी वभाग को जहाज़ और हैलीकॉ टर दे ता है। म आपक
आंख और कान बन सकता ं। जैसा क आप जानते ह, राजनी त म इकलौती अहम
करसी जानकारी होती है,” हमीद ने वनती क ।
इकराम हमीद क बात पर ग़ौर करता आ ठोड़ी खुजाने लगा। आ ख़रकार वो
बोला, “जाकर रा शद से मलो। उससे कहना तु ह मने भेजा है।”
“हमीद अकेला इस व वंस क योजना नह बना सकता था। उसे कसी और ने सखाया
और भा वत कया होगा। हम इसक तह तक प ंचना चा हए,” अ वालजी च तत वर
म बोले।
“कोई चांदनी के साथ पंगा मोल लेकर बच नह सकता, मेनन!” गंगासागर अपने
से े टरी क ओर मुड़कर फुफकारा। “अगर कोई समझता है क उसके पास मुझसे पंगा
लेने लायक़ गो लयां ह, तो मुझे उसक गो लयां चा हए!”
“ऐसा लगता है क हमीद को इस पद पर इकराम क सफ़ा रश पर रखा गया
था,” अ वालजी ने कहा।
“वो पु लसवाल के भेष म इंटेलीजस यूरो के आदमी थे ज ह हमीद को पकड़ने
के लए भेजा गया था। अब हमीद को बोलना होगा—वो बता सकता है क चांदनीजी को
कौन रा ते से हटाना चाहता है। या म इंटेलीजस यूरो के नदे शक से क ं क वो उसक
ज़बान खुलवाएं?” मेनन ने पूछा।
“नह । मने नदे शक से कहा है क वो हमीद को सचला दे वी को दे द—बाक़ काम
वो कर लेगी,” गंगासागर ने कहा।
“सचला दे वी? ले कन वो तो हजड़ा है। वो या करेगी?” अ वालजी ने पूछा।
“मुझे उसक गो लयां चा हए। मेरे लए ये काम वो करेगी।”
ख़ुद को चार तरफ़ से घेरे हजड़ से भयभीत हमीद ने कन खय से अपने आसपास दे खा।
उसे ध और अफ़ म के ह के से म ण का एक पेय पीने को मजबूर कया गया था, जो
बस इतना था क वो थोड़ा सु त पड़ जाए ले कन उसका डर कम न हो। वो एक स त
सतह वाले बेड पर चार हाथ-पैर फैलाए नंगा पड़ा था, और उसके हाथ-पैर पाय से बंधे
ए थे। उसके अंडकोष म एक र सी कसकर बांधी गई थी ता क उसके जननांग तक र
का बहाव न प ंच सके। हर कुछ घंट पर हजड़ का मुख र सी को और कस दे ता
जससे वो बेहोश हो जाता। वो उसे होश म लाने के लए उसके चेहरे पर पानी फकते और
वो फर से अपने गु तांग म वही तेज़ झुलसा दे ने वाला दद महसूस करने लगता।
उसे घेरे ए हजड़े बा चार माता— गा क अवतार—क वंदना कर रहे थे। वो
उसे दबाए ए थे जब क उनक अगुआ सचला दे वी ने एक धारदार, चमचमाता न तर
नकाला जसके कनारे ऊपर जल रही रौशनी म चमक रहे थे। न तर को अपने चु लू बने
हाथ और सामने को फैली बांह म इस तरह लए, जैसे वो उसे कसी उ श को भट
चढ़ाना चाहती हो, वो आंख बंद कए कुछ पढ़ रही थी। फर उसने अपनी आंख खोल
और उससे कहा, “लगता है क तू पूरा मद नह है। मुझे तेरा अंडकोष तुझसे यादा हक़दार
कसी को दे ने का काम स पा गया है!”
हमीद के मुंह से दल दहला दे ने वाली चीख़ नकल पड़ी। आंसू उसके चेहरे पर
ढलकने लगे और वो वनती करने लगा, “ लीज़, तुम जो चाहोगे म बता ं गा! मेरे पास
जतना पैसा है सब ले लो! ले कन मुझे चोट मत प ंचाओ! लीज़! रहम करो!”
“ख़ामोश, ब े, ख़ामोश,” सचला दे वी ने उसके पास जाकर अपने माल से
उसके चेहरे से आंसू प छते ए कहा। “ये तु हारी ज़दगी का सबसे ख़ुशी भरा दन होगा।
अपने बाक़ जीवन भर बा चार माता क सेवा करने का मौक़ा हर कसी को नह मलता
है। तुम भा यशाली हो। रोना बंद करो, भा यशाली।”
“तुम मेरे साथ ऐसा य कर रही हो?” हमीद चीख़ा। “म तो बस अपने लए एक
बेहतर ज़दगी चाहता था। म कभी चॉपर म तोड़फोड़ नह करता। म एक अ ा, भला
और ईमानदार आदमी ं—”
“तुम आदमी नह हो! तुम कभी आदमी नह होगे! मेरा आशीवाद चाहते हो, तो
तुम मुझे सच बताओगे। वो कौन है जसने तु ह ये घ टया काम करने के लए मनाया?
ख़ुद दे वी के अवतार क ह या करने क को शश के लए!”
“म तु ह सब कुछ बता ं गा! लीज़ मुझे ब धया मत करो! लीज़! या ख़ुदा,
लीज़! जस आदमी ने मुझे इस काम पे लगाया था वो ख़ुद को रा शद कहता है—वो आर
एंड एस ए वएशन के लए काम करता है। मने इकरामभाई तक को सब कुछ बता रखा
था। मने तु ह सब कुछ बता दया है, लीज़ मुझे छोड़ दो!”
“मुझे ख़ुशी है क तुमने मुझे सच बता दया, भा यशाली। ये अहम है क तुम ये
सफ़र साफ़ दल के साथ करो,” सचला दे वी ने न तर के एक ही वार म उसके जननांग को
काटते ए कहा। हमीद च ला भी नह सका य क तेज़, सुलगते दद क वजह से वो
बेहोश हो गया था। वो तभी जागा जब उ ह ने उस जगह जहां कभी उसका जननांग होता
था एक लकड़ी का खूंटा धंसाया और घाव को दाग़ने के लए गम तेल डाला।
अ याय पं ह
लगभग 2300 वष पहले
मगध से नकास के बाद रा स नए माहौल म बड़े आराम से बस गया लगता था। त शला
म अपने नए आवास म वो आंगन म एक सुनहरी कुस पर बैठा था, और उसक मो तया
रंग क पगड़ी हीर से झल मला रही थी। दो अ यंत सुंदर दा सय के हाथ म सोने के द त
वाले याक क पूंछ के मोरछल हल रहे थे। छ धार के हाथ म मौजूद एक सुनहरी छाता
धूप से उसक र ा कर रहा था, जब क उसका एक और सेवक उसक नीलम-मा णक
ज ड़त तलवार को संभाले ए था। वो नंगे पैर बैठा था और उसके सूअर क खाल और
चांद क पा काएं एक ओर पड़ी थी। एक और ग णका उसे ठं डा रखने के लए ताड़ के
प , उशीर क घास और मोर के पंख से बना पंखा झल रही थी। उसक सारी से वकाएं
पारदश लंबे अंतरीय पहने थ जनके ढ ले कायाबंध क गांठ बीच म बंधी ई थ और
उनका झीना कपड़ा क पना के लए ब त कुछ नह छोड़ रहा था।
चाण य बना कसी घोषणा के प ंचा, तो रा स ज द से अपनी कुस से खड़ा
हो गया और उन सारी आकषक लड़ कय को उसने भगा दया जो उसके भ व
क र ा म लगी थ । “दे ख रहा ं क आप बड़े मज़े म रह रहे ह, रा स,” मगध के अनुपम
भूतपूव महामं ी के चार और ऐ य को दे खकर दांत नकालते ए चाण य ने ट पणी
क । “म ये भी दे ख रहा ं क धनानंद ारा सकंदर के लए भेजी गई भट का अ ा
योग हो रहा है,” चाण य ने एकदम रेशमी आवाज़ म कहा। रा स शमा गया। वो जानता
था क इस कु प हरामज़ादे क नज़र से कुछ नह बच सकता था।
“इंसान को पेट तो भरना ही होता है,” रा स ने वन भाव से कहा। “मुझे
व ास है आपको ये दे खकर स ता हो रही होगी क म धनानंद के धन म सध लगा रहा
ं।”
“और मगध के भा यशाली नाग रक के धन म भी,” रा स को अं तम श द
बोलने का अवसर न दे ते ए चाण य ने कहा। ‘‘जो भी हो, मेरे य म रा स, म यहां
उस नधनता पर बात करने नह आया जो आपको घेरे ए है। म एक अ यंत मह वपूण
वषय पर बात करने आया ं—धनानंद के पतन म आपका योगदान!”
“म आपके साथ ,ं आचाय। उस ने मुझसे वो एकमा म हला छ न ली
जससे म स ा यार करता था,” उसने कहा और उस क या को तलवार लाने का संकेत
कया जसके पास उसक तलवार थी। उसने भारी-भरकम तलवार को उसके द ते से
पकड़कर उठाया और नाटक य ढं ग से घोषणा क , “म अंत तक ल ंगा! हम म से एक—
धनानंद या म— ही जी वत बचेगा!”
चाण य खल खलाया। “अरे नह , मेरे य रा स। म आपसे तलवार से लड़ने
जैसा साधारण काम नह लेना चाहता। आपके कोमल हाथ और ब मू य ाण को
जो खम म नह डाला जा सकता।”
“ या आप मेरे शौय पर उठा रहे ह, आचाय?” रा स ने घृणापूण वर म
पूछा।
“मेरे म , वो शौय या है जसक हम बात कर रहे ह? शौय का अथ वो एकमा
होना है जो जानता है क आप भयभीत ह! छाह! आपका मह व आपके शौय म
नह ब क आपके षडयं कारी म त क म है। मुझे आपका म त क चा हए, तौर-तरीक़
के बारे म आपका ान। ब क इससे भी बढ़कर—लोग के बारे म आपका ान!”
“म आपक सेवार म त पर ं, आचाय। धनानंद से लड़ने के लए म हर कार से
आपक सहायता के लए तैयार ,ं ” रा स ने बड़बोलेपन से कहां, “नह , नह , नह ,
रा स, मुझे धनानंद से लड़ने म आपक सहायता नह चा हए। मुझे आपक सहायता बना
लड़े जीतने म चा हए। और इसका हल एक ऐसे के पास है जसे आप ब त नकट
से जानते ह। उसका नाम भ शाल है।”
आंभी का ोध से बुरा हाल था। उनक ह मत कैसे ई! अगर हर कोई इसी तरह याय
करने लगा, तो व ध के शासन का या होगा? ये ा ण लुटेरे समझते ह क ये बौ
भ ु क ह या करगे और बच नकलगे? अब वो अपने राजा का नदयी प दे खगे!
उसके आदे श पर उस भयंकर नरसंहार के लए उ रदायी को उसके सै नक
ने गर तार कर लया। ये दं ड का नह ब क तशोध का मामला था। उन ह यार ने
र पपासा बुझाने के लए सौ नद ष बौ को मार डाला था। वो अपरा धय को दं ड न
दे ने को कस कार यायसंगत ठहरा सकता था?
“उ ह एकदम न न करके बु माग पर खड़ा करो, और सब लोग मानव के साथ
क जा सकने वाली हीनतम ू रता को दे ख। धधकती लाल क ल उनक जीभ म ठ क
जाए, उनके दाएं हाथ उबलते तेल म डु बोए जाएं, बा आंख म गम मोम डाला जाए और
उनके बाएं पैर के अंगूठे को काट डाला जाए। उ ह इस कार त- व त करने के बाद,
उनके चेहर को काला कया जाए और उ ह गध पर बठाकर पूणतया अपमा नत करते
ए सड़क पर घुमाया जाए! मरने वाले बौ भ ु के वपरीत वो जी वत रहगे—परंतु
उनके जीवन जीवंत नक ह गे!” हताश आंभी ने आदे श दया। वो नह जानता था क वो
एक वालामुखी पर बैठा है।
“ऐसा य है क तुम संभोग कर रहे हो जब क मेरी हालत ख़राब हो रही है?” भ शाल ने
पूछा। जीव स ने उसे खुद को उस ग णका से पृथक करते ए दे खा जो उसक बांह म
लेट थी। ग णका ने हंसते ए उसे और खलवाड़ के लए अपनी ओर ख चने का यास
कया ले कन जीव स ने उसे फटकार दया। वो उठ और मुंह बसूरती ई कमरे से चली
गई, जब क भ शाल बैठ गया। जीव स ने अपनी पगड़ी और व ठ क कए और फर
म दरापा को उठाते ए उसक सारी स चढ़ा गया। उसने अपनी मूंछ प छ और
मज़ाक़ करते ए कहा, “ये स इस बात का माण है क ई र हमसे ेम करता है और
चाहता है क हम स रह! आप इतने उदास य ह?”
भ शाल मौन था। जीव स ने कुरेदा, “ या आपने मं प रषद को मना लया
क हमारी सेनाएं पाट लपु प ंचने तक बना कसी तरोध के मगध म वेश कर जाएं?”
भ शाल ने सर हलाया। “उ ह कसी तरोध का सामना नह करना होगा।
ले कन पाट लपु प ंचने पर भयानक यु के लए तैयार रहना।” भ शाल ने एक और घूंट
लया और म दरा से अपने बोध को ीण होने दया।
“आपको ऐसा य लगता है क हम पाट लपु के लए लड़गे?” जीव स ने
सरलभाव से पूछा।
“आर एंड एस के साथ आपके कारोबारी संबंध रहे ह ना?” गंगासागर ने लंच के दौरान
पूछा। वो शांत हो गया था।
“हां। याद है तुमने मुझे जी रोडवेज़ का ोजे ट दया था, वो मने ं टा को दला
दया था?” अ वालजी ने अपनी लेट म बचे ए चावल और दाल का नवाला मुंह म
डालते और वाद लेते ए कहा।
“म चाहता ं क आप अपने कसी व ीय शकारी को उनके पीछे लगा द,” ताज़े
दही का याला अ वालजी क ओर बढ़ाते ए गंगासागर ने कहा।
“तुम या कराना चाहते हो?” अ वालजी ने पूछा।
“म चाहता ं क आर एंड एस क कंप नया के ख़रीदे गए एक-एक शेयर का
व ेषण कया जाए। कसने ख़रीदा? कसने बेचा? कब? और म उसे उनके सावज नक
ववरण से जोड़कर दे खना चाहता ं!” अपने च मच को अनुशासना मक ढं ग से हलाते
ए गंगासागर गुराया।
“तुम या मलने क उ मीद कर रहे हो, गंगा?” अ वालजाी ने पूछा।
“म उ मीद नह करता ं। म तलाश म तभी नकलता ं जब म जानता ं क मुझे
या मलेगा।”
“वो या है?”
“एक ऐसा पैटन जो दशाता है क इन दोन साझेदार म मलीभगत है—और ये
सरकार से यादा से यादा बज़नेस बटोरने के लए अपने आपसी मतभेद दखाते रहे ह।
सबसे मह वपूण ये क ये अपनी कंपनी के टॉक ख़रीदने के समय अपने झगड़े सामने
लाते ह और बेचने के समय झगड़ को ठं डा होता दखाते ह। ये हम और जनता को गाय
क तरह ह रहे ह!”
“ले कन आर एंड एस चांदनी को मारने के लए इकराम का साथ य दगे?”
अ वालजी ने अपने नैप कन से मुंह प छते ए कहा।
“शायद इस लए क आर एंड एस एबीएनएस ारा नई द ली म सरकार को दए
जा रहे समथन से तो ख़ुश ह ले कन ये नह चाहते क एबीएनएस नई द ली म सरकार का
नेतृ व करे। धानमं ी पद के लए चांदनी को अब एकमा श शाली दावेदार के प म
दे खा जा रहा है, और इससे इकराम को भी नुक़सान होगा,” गंगासागर ने कहा।
“वो ये भी जानते ह क चांदनी के सौदे के साथ गंगासागर भी रहेगा, जो क एक
भयानक संभावना है,” अ वालजी ने मज़ाक़ कया।
“उसने पलक झपकाए बना एक नाग रक को मार डाला,” इंटेलीजस यूरो के नदे शक ने
कहा।
“यही तो इकराम है,” गंगासागर ने शांत भाव से कहा।
“अगर उसने इसे आदत बना लया, तो हम मुसीबत म पड़ जाएंगे,” नदे शक ने
कहा।
“मने इकराम को ये जानते ए ही गृहमं ी बनाया है क उसे रोकने के लए तुम
उसके नज़द क रहोगे। अपना काम करो,” गंगासागर ने जवाब दया।
एनएसजी के कमांडो वमान क ओर पीछे से बढ़े —अंध ब से। जहाज़ के ढांचे के नीचे
नकास माग के रा ते जहाज़ तक प ंचने के लए पांच ट म चोरी- छपे ए युमी नयम क
काली सी ढ़य से चढ़ने लग । कं ोल टावर इकराम ारा वमान पर चढ़ने क सरकारी
प त के बारे म लगातार बात करके हाइजैकर के यान को त रखने के यास म लगी
रह । दस मनट बाद जब इकराम वमान क सी ढ़य तक प ंचा, तो हाइजैकर उसक
तलाशी लेने के लए दरवाज़े के नज़द क खड़ा इंतज़ार कर रहा था।
इसी बीच एनएसजी कमांडोज़ ने आपातकालीन दरवाज़े उड़ा डाले और तेज़ी से
वमान म घुसकर या य से च ला- च लाकर फ़श से लग जाने को कहने लगे। तीन
सा थय को तुरंत गोली मार द गई। चौथा— उनका सरगना— वमान के दरवाज़े पर
इकराम का इंतज़ार कर रहा था। वो ये दे खकर हैरतज़दा रह गया क गृहमं ी ने अपनी जेब
से एक नाइपर बं क़ नकाली और नीचे से ही उसका नशाना लेने लगे।
मेनन गंगासागर के ल वग म म बैठा उसे ख़बर पढ़कर सुना रहा था। “शु वार को सारा
उ र दे श ख म डू ब गया और दे श का अ धकांश भाग शहीद गृहमं ी—इकराम शेख़
—क मौत का शोक करने के लए बंद रहा। उनके शरीर को शु वार को वायुसेना के
वमान ारा नई द ली से उनके वतन कानपुर तदफ़ न के लए लाया गया। इससे पहले,
राजधानी म हज़ार लोग ने उस वीर को अं तम वदाई द जसने आई सी-617 के बंधक
को बचाने के लए अपनी जान क क़बानी दे द ,” मेनन ने पढ़ा। उसने त या के लए
गंगासागर को दे खा, ले कन वहां कोई त या नह थी।
उसने आगे पढ़ा, “इकराम शेख़ को, जो बुधवार को एक हाइजैकर क गोली से
मारे गए, कानपुर के बागमारी मु लम क़ तान म उनके मां-बाप के पास दफ़नाया गया।
गृहमं ी के जनाज़े को नरंतर बढ़ती भीड़ के बीच कानपुर क सबसे बड़ी झोपड़प म
उनके घर से ीन पाक टे डयम ले जाया गया जहां उनक शोकाकुल मुंहबोली बेट —
वदे श मं ी चांदनी गु ता—और दे श व दे श के अ य नेता स हत हज़ार लोग ने भारत
के सव े गृहमं य म से एक को ांज ल अ पत क । बाद म, भारतीय सेना का एक
वाहन जनाज़े को क़ तान लेकर प ंचा जब क हज़ार लोग ने उ ह अं तम वदाई द ।
कई जगह पर पु लस शोकाकुल क बढ़ती सं या को नयं ण करने म असफल रही और
लोग ने जनाज़े के नज़द क प ंचने के लए बै रकेड तोड़ डाले। अनेक क य मं य के
साथ आए धानमं ी ने वाहन म रखे मृत शरीर को मालाएं पहना । वो इकराम क
राजनी तक उ रा धकारी और मुंहबोली बेट चांदनी गु ता और वग य नेता के राजनी तक
सहयोगी और गु , एबीएनएस मुख गंगासागर म —से भी मले। धानमं ी ने लोग के
लए अपील जारी क वो दवंगत आ मा के ख म आ मह याएं न कर।”
गंगासागर खांसा। मेनन ने पढ़ना बंद करके सर उठाकर दे खा। वो दे ख सकता था
क गंगासागर क आंख नम थ । मेनन थोड़ा हल गया, पर उसने आगे पढ़ना जारी रखा,
“ टे डयम और क़ तान के बीच क सड़क शोकाकुल से भरी पड़ी थ , जो सड़क
कनारे, छत पर, टे डयम म भीड़ लगाए ए थे और उस को अल वदा कहना
चाहते थे जो एक अचानक, ासद पूण मौत मरा था जससे वो अभी भी उबरने क
को शश म लगे ए थे। जनाज़ा धीरे-धीरे टे डयम तक प ंचा जहां व भ राजनी तक
पा टय के नेता ने ांज ल अ पत क । सैकड़ गा ड़यां उस फूल से लदे क के पीछे
चल रही थ जसम रा ीय वज म लपटे शरीर को रखा गया था। अपने मुंहबोले पता के
शरीर के पास चांदनी गु ता खड़ी थ जो लोग से वाहन को आगे बढ़ने दे ने क अपील कर
रही थ । कुछ लोग रा ीय वज हाथ म लए क क ओर दौड़ रहे थे ता क जनाज़े को
नज़द क से दे ख सक और चांदनी गु ता को सां वना दे सक। शेष उ र दे श म स ाटा
पसर गया और सामा य जीवन अचानक थम सा गया। कूल, कॉलेज, अ◌ॉ फ़स, कान
और ापा रक त ान नेता के स मान म बंद रहे। सवेरे क सामा य गहमागहमी नदारद
रही और सरकार ने दो दन क छु क घोषणा कर द । दे श सरकार ने सात दन के
शोक का ऐलान कया और ट वी अ◌ॉपरेटर ने सारे मनोरंजन चैनल बंद कर दए।”
मेनन लेख के अंत तक प ंच गया था। गंगासागर ने उसक आंख म दे खा और
कहा, “मुझे ू र होना होगा, दयालु होने के लए। इस कार बुरे का आरंभ होता है और
बदतर पीछे छू टता है।” मेनन ने कभी शे सपीयर को नह पढ़ा था वना वो जान जाता क
उसके आक़ा ने अभी हेमलेट का उ रण पढ़ा था। “इंटेलीजस यूरो के नदे शक को फ़ोन
करो। मुझे उससे बात करनी है,” गंगासागर ने अपने बेड म क ओर बढ़ते ए कहा।
वो धीरे-धीरे बड़बड़ा रहा था, “आ द श , नमोनम:; सवश , नमोनम:, थम
भगवती, नमोनम:, कुंड लनी माताश ; माताश , नमोनम:|”
हमीदा— जसे पहले हमीद के नाम से जाना जाता था— कान के बाहर खड़ी ज़वान
चटका रही थी। “तुम नह चाहते हम कान को आएं द?” वो अपनी नक़ली चोट को
शम ले ढं ग से लहराती ई बोली। कानदार उसे और सचला दे वी के गग क उसक सरी
सा थय को दे खने से कतरा रहा था। अपने भड़क ले मेकअप और सा ड़य म लपटे अपने
मांसल ज म क वजह से वो बड़ी भयानक लग रही थ । ये दे खकर क उसक ढक -
छपी धमक का वां छत असर नह आ, बाक़ हजड़ ने ता लयां बजाना और च लाना
शु करके इतना हंगामा खड़ा कर दया क ाहक कान म आने से बचने लग। कानदार
ने ज द से अपना रवैया बदला और, एक क़ मत पर, उनसे आएं ल । हमीदा ने मन ही
मन अपने नसीब को कोसा और उस दन के बारे म सोचने लगी—जव वो हमीद थी—जब
इकराम से मलने के लए वो म जद गई थी। “लड़के! तु ह मुझसे मलना है? बोलो!”
इकराम ने इशारा करते ए कहा था। उस पहली मुलाक़ात के कुछ ह ते बाद हमीद
इकराम से दोबारा म जद म मला था।
“म आर एंड एस ए वएशन म रा शद से मला था, उसने मुझे नौकरी दला द ।
ले कन वो मुझसे एक काम कराना चाहता है... मुझे डर लग रहा है,” हमीद ने कहा।
“डर य लग रहा है?” इकराम ने थोड़ा चढ़ते ए पूछा।
“वो मुझसे एक हैलीकॉ टर के धन क टं क म कंकर भरवाना चाहता है। ये
आपक मुंहबोली बेट चांदनीजी के चॉपर म तोड़-फोड़ क कारवाई के लए है। लीज़ सर,
मदद क जए!”
“घबराओ मत, बेटे। जो रा शद कहता है करो। बाक़ म संभाल लूंगा।”
“ले कन—ले कन—म कसी मुसीबत म नह पड़ना चाहता...”
हमीद के जाने के बाद, इकराम ने फ़ोन उठाया और इंटेलीजस यूरो के नदे शक
से बात क ।
“उससे चांदनी के चॉपर म तोड़-फोड़ के लए कहा गया है,” इकराम बोला।
“तो इस रा शद को फ़ौरन गर तार कर लेते ह,” नदे शक ने सुझाव दया।
“शायद ये उसका असली नाम न हो। इसके अलावा, उसके कुछ साथी भी हो
सकते ह,” इकराम ने कहा। “नह । हमीद को रा शद के नदश पे अमल करने दो। उसे
गर तार करने के लए अपने आद मय को तैयार रखो और इसका दखावा भी करो। म
हमीद को पु लस क नह ब क तु हारी हरासत म चाहता ं। रा शद पे नज़र रखो ता क
हम सफ़ उसे नह ब क उसके पूरे नेटवक को पकड़ सक।”
“साला तुमने हमीद को सचला दे वी के हाथ म जाने कैसे दया?” इकराम इंटेलीजस यूरो
के नदे शक पर च लाया।
“तो म या करता? गंगासागर को इंकार कर दे ता?” नदे शक ने पूछा।
“तुम उसे भागने दे सकते थे!” इकराम दहाड़ा।
“गंगासागर मेरे पीछे पड़ जाता और हमीद के बजाय मेरी गो लयां जात !” हताश
नदे शक बोला।
“तुम गंगासागर को सच बता सकते थे— क हमीद मासूम है और क हम
दरअसल रा शद को धर दबोचना चाहते ह।”
“इसका मतलब उसे ये भी बताना होता क रा शद को और हमीद को भी आर एंड
एस ए वएशन म नौक रयां आपने दलवाई थ ।”
“इकराम को हाइजैकर पर नशाना साधने क कोई ज़ रत नह थी। अगर वो ये काम
एनएसजी पर छोड़ दे ते, तो शायद अभी ज़दा होते,” इंटेलीजस यूरो के नदे शक ने कहा।
“जानता ,ं जानता ,ं ” गंगासागर बोला। “ले कन उसने ट वी पे हाइजैकर का
चेहरा दे ख लया था। वो जान गया था क हाइजैकर रा शद है। इस बात ने उसका ख़ून
खौला दया होगा क रा शद ने ही चांदनी को मारने क को शश क थी और इस लए उसने
ख़ुद ही उसे मार डालने का फ़ैसला कया होगा।”
“इकराम को बचाने क को शश म एनएसजी को मजबूरन रा शद पर गोलीबारी
करनी पड़ी,” नदे शक ने कहा।
“इकराम ऐसा ही था—पहले गोली चलाओ, बाद म सवाल पूछो। इकराम भले ही
एक ग़ सैल बदमाश हो, ले कन वो दल का हीरा था। बेशक वो गोली चलाने म ज दबाज़ी
करता था, ले कन सफ़ तभी जब क उसे यक़ न हो क इससे इंसाफ़ होगा। और हां, जब
हमीद ने उसे बताया होगा क उसे मु यमं ी पद से वं चत रखने के लए मने चाल चली थी,
तो उसे ग़ सा ज़ र आया होगा, ले कन वो अपना बदला चांदनी से कभी नह लेता,”
गंगासागर ने कहा।
“आप कबसे नम पड़ने लगे, सर?” नदे शक ने पूछा।
“उस समय से जब तु ह ग़लत ढं ग से पु लस क म र के ओहदे से हटाया गया था,
और मुझे तु हारे लए ख आ था और मने तु ह इंटेलीजस यूरो म पद दलाने क
व ा क थी। तुम भी इकराम के दो त आ करते थे!”
“अफ़सोस, मेरे काम म कोई ायी दो त नह होते— सफ़ ायी हत होते ह।”
“ज द करो! सारे कुं म सूया त से पहले फेना मभ म डलवा दो। मुझे य ऐसे अयो य
मूख को सहन करना पड़ रहा है?” जीव स उन लोग के गरोह का नरी ण करते ए
बड़बड़ाया जो पाट लपु के कुं , कुंड , तालाब और जलाशय को वषा करने म
त थे।
“मगध पर अ धकार करने के लए हम नद ष क ह या य कर?” चं गु त ने
चाण य से पूछा था।
उसके गु ने उ र दया था, “सवेरे सबसे पहले पानी पीने वाले पशु ह गे।
इसी लए वषा करण रात को करना आव यक है—मानव जान ब त कम जाएंगी।
अघोरपं थय के अ भशाप का समाचार फैल ही चुका है। ब त समय नह लगेगा जब
जनता हर वो बात करने लगेगी जो हम कहगे |”
“और तब या होगा जब प रषद हम बुलाकर हमसे ाप वापस ले लेने क वनती
करेगी?” शारंगराव ने पूछा।
“सरल है। हम उनसे कहगे क इसके सुधार के लए धनानंद को एक महान याग
करना होगा। उसे अपना महल छोड़कर जंगल म— नवासन म—रहने के लए जाना
होगा। इसी बीच, जीव स अपने आद मय से उस जल म जसम हमने एक रात पहले
वष मलवाया था हमारे ारा न मत वषहर औष ध— मथ रदातय— म त करवा दे गा।
चम कार होते ह!” चाण य हंसा।
“पर हम नगर पर नयं ण कैसे ा पत करगे?” चं गु त ने पूछा। उसके गु क
ज टल योजनाएं उसे हमेशा उलझन म डाल दे ती थ । वो तो आमने-सामने के यु को
पसंद करता था जसम उसके करने के लए कुछ हो।
“धनानंद के सेनानायक—भ शाल—को जीव स ने पूरी तरह ख़रीद लया है।
जैसे ही धनानंद नगर के ार से नकलेगा, भ शाल पूरे मगध क सेना का नेतृ व तु ह स प
दे गा, चं गु त, बशत क उसे पूव नधा रत उ कोच दे दया जाए।”
“ले कन फर भी पोरस और क लगराज पूव और प मी सीमा पर यु के
लए तैयार खड़े ह गे,” चं गु त ने यु र दया।
“उ ह हमसे यु करने क आव यकता नह होगी| हम खुली बांह से उनका
वागत करगे,” चाण य ने कहा।
“तो हमने उ माद न न नरभ य के भेष म इधर से उधर भटकने क ये
क दायक या ा केवल इस लए क है क हम नगर के ार खोल सक और श ु को चा बयां
दे सक?” चं गु त ने इस वचार से चढ़कर कहा क दं भी पोरस का पाट लपु म वागत
करना पड़ेगा।
चाण य हंसने लगा। फर गंभीर होते ए, उसने कहा, “चं गु त, शायद तुम मेरे
ारा सखाई गई सबसे पहली बात म से एक भूल चुके हो | अपने म को नकट रखो
और अपने श ु को और भी नकट रखो।”
जब धनानंद अपने महल और रा य का याग करके अपनी भा यशाली प नय और
सेवक —जो याग करने के लए कसी तरह तैयार नह लगते थे—के साथ चला, तो
भ शाल एक ओर खड़ा रथ , घोड़ और हा थय के जुलूस को दे खता रहा। भ शाल
भारमु था—उसके ॠण अदा कए जा चुके थे और अब वो अ यंत समृ था।
जीव स को चाण य ने ये सु न त करने का नदश दे दया था क जब राजा
का साथवाह नकले, तो सुवा सनी कह भी उसके आसपास न हो। एक अं तम सौदे बाज़ी
के लए उसक अभी भी आव यकता पड़ने वाली थी—या उसने वयं को ये समझा रखा
था। अपने वा भमान के कारण वो उसके त अपने जीवन भर के आकषण को वीकार
नह करना चाहता था।
“म चाहता ं उसे मार डाला जाए,” धनानंद को रथ म जाते दे खकर चाण य ने
शारंगराव से कहा | स ाट एक ही दन म दस वष बूढ़ा हो चुका दखता था। उसके चेहरे
को हमेशा सजाने वाली ू र मु कान लु त हो चुक थी | उसक दं भपूण अकड़ जा चुक थी
| और मगध का रा य भी जा चुका था |
“अगर हमने उसे मरवा दया, तो सारे नगरजन समझगे क इसके पीछे हम ह—
और उनका सोचना सही होगा,” शारंगराव ने तक दया।
“हमारी यादा बड़ी सम या भ शाल है। संभवत: उसे लगता है क वो अभी भी
सेना मुख के पद का अ धकारी है। वो रा स के संपक म रहा है जो हमारे कबूतर
प ाचार का योग करता रहा है,” जीव स फुसफुसाया।
“ या उसने औपचा रक प से अपनी तलवार हम सम पत कर द है,” चाण य
ने पूछा।
“नह ,” जीव स ने उ र दया।
“ये काम तुरंत करो। मुझे उसक तलवार चा हए। मेरी एक योजना है,” चाण य ने
कहा जब क मगध क जनता धनानंद के न कासन का ज मना रही थी। जैसे ही
साथवाह पाट लपु के ार से नकला, चाण य ने पोरस और क लग के शासक को संदेश
भेजे जाने का आदे श दया क वो क़लेबंद नगर म वेश कर सकते ह और एक भ
वागत क आशा कर सकते ह।
“आप उ ह मेरी इ ा के व अंदर आने दे रहे ह,” चं गु त ने चाण य को
सुझाव दया। उसका गु मु कुराया। “मेरी सम या ये है,” आचाय ने कहा, “ क तु हारे
पास एक श शाली इ ाश है ले कन मेरे पास एक कमज़ोर ‘नह ’ है!”
कैकय और क लग क सेनाएं पाट लपु म ढलकती चली आ । स मा नत अ त थय के
वागत के लए चाण य महल के वेश पर खड़ा था | जैसे ही उनके रथ अंदर आए, उनके
वागत म सौ नगाड़े वाल ने अपने नगाड़ का कानफाडू शोर आरंभ कर दया।
क लगराज पोरस जैसा लंबा तो नह था ले कन उतना ही श शाली अव य
दखाई दे ता था। वो यो तष क से अपने लए शुभ लहसु नया ज ड़त कां य का टोप
पहने ए था | उसके व पर चम अ तर वाला व था जस पर लौह-कवच था। एक लंबी
मूठ वाला चौड़ा खड् ग उसक पेट से लटक रहा था | वो अपने रथ से नकला तो चाण य
ने उसका अ भवादन कया। “पाट लपु म वागत है, हे महान राजा,” उसने वर म
कहा और फर थोड़ा धीमे से बोला, “मुझे पूरी आशा है क ये रा य आपके उदार शासन से
गौरवा वत होगा |”
पोरस ने इस अवसर के लए भ पोशाक पहनी थी, उसक ह क पीली पगड़ी
पर प े और नीलम से बना हरा–नीला मोरपंख लगा आ था। उसका वशाल शरीर तीन
घोड़ वाले रथ से बाहर आया, तो चाण य ने पूरी वन ता से हाथ जोड़कर उसका वागत
कया। “पाट लपु म वागत है, हे महान स ाट,” उसने ऊंचे वर म अहंकारी शासक क
चापलूसी करते ए कहा। फर वो फुसफुसाया, “मुझे आशा है क मगध आपके शासन म
समृ ा त करेगा।” पोरस मु कुराया। मने इस को इसका सही ान बता दया है,
उसने सोचा।
जब दोन शासक अपने वला सतापूण नवास म प ंच गए, तो ये चालाक
वयं उनसे मलने प ंचा। “म चं गु त से पहले ही कह चुका ं क वो मगध क दावेदारी से
पीछे हट जाए,” चाण य ने उन दोन से कहा। “ कतु रा य को नेतृ वहीन नह छोड़ा जा
सकता। य द चं गु त शासन नह कर सकता, तो इसका नेतृ व आप दोन म से ही कसी
एक को करना होगा | आप दोन क सेना के लड़ने से अ ा ये होगा क दोन महान
शासक के बीच ं हो जाए,” उसने सुझाव दया। वो जानता था क ये सुझाव दोन के
दं भ को आक षत करेगा।
पोरस ने हाथ बढ़ाकर अपनी तलवार नकाली | उसने उसे यार से पकड़ा, जैसे तलवार का
द ता उसके हाथ का ही भाग हो। उसने अपने फ़ौलाद को तैयार कया, और धातु साथ
धातु के संघष के लए तैयार हो गया |
क लग ने अपने फलके को अपने बाएं हाथ म पकड़ा। वामह त होना वा तव म
लाभकारी होता है, उसने सोचा। उसके अ धकतर वरोधी उससे लड़ते समय ठ क से
अनुमान नह लगा पाते थे। वो वामह त से लड़ने के अ य त नह होते थे जब क वो दाएं
हाथ वाल के साथ लड़ने म अ यंत सहज था।
वो रणकला क शा ीय मु ा म एक– सरे के आसपास मंडरा रहे थे। ऐसा
करते ए वो एक– सरे क आंख म घूरते थे। एक झपक नणय कर दे ती क कौन हावी
होगा | जैसे ही दोन यो ा एक– सरे से भड़े, उनके फलक से चगा रयां उठने लग |
अचानक शोर म ठहराव आ गया य क अब वो एक– सरे क गदन तक तलवार
ले जाने के यास म गुथे ए खड़े थे। ये र मु ा कुछ समय तक जारी रही और फर
क लग क आंख झपक । पोरस ने अपने श को आगे धंसाया, ले कन क लग ने
आ मण से बचने के लए तीन सौ साठ ड ी पर तेज़ी से घूमते ए बड़ी वशेष ता के
साथ वापसी कर ली। पोरस ने र तो नकाला ले कन ाण नह नकाल सका।
दोन वरोधी अपने आ मण म तेज़ी लाने के यास म अपनी पूरी जान लगाने
लगे। दोन जानते थे क ं का अंत एक क मौत के साथ होगा ले कन दोन ये भी जानते
थे क उ ह एक नतीजा चा हए—और वो भी शी ।
क लग लड़खड़ाया और वो उस ण म जान गया था क ये उसके जीवन का अंत
है। पर वो फर भी उछलकर आ मण करने के लए आगे बढ़ा, जब क पोरस शां तपूवक
एक ओर हटा और अपनी तलवार के एक ही वार से उसने क लग क गदन के एक ओर
एक गहरा घाव कर डाला। घाव से र फूट पड़ा, क लग ज़मीन पर गरा और उसक
तलवार झनझना उठ । एक अ यंत शौयपूण ण म पोरस ने अपनी तलवार ज़मीन पर
फक और अपने वरोधी के पास झुक गया | क लग का र बहता और जीवन नकलता
रहा, और पोरस ने कहा, “ वदा, हे वीर राजा। पोरस को गव है क वो आपसे लड़ा।”
एक गया, एक और जाना है, चाण य ने सोचा।
हैरी रचड् सन ने एक गहरी सांस ली। इ तहास यक़ नन इ तहास का सबसे नीरस वषय
था। उसे हेनरी अ म और नई–नई प नय के उसके शौक़ म भी दलच ी नह होती थी।
उसने अपने नक़ली कॉलर और सफ़ेद टाई को ठ क कया और फर से अपनी कताब को
पढ़ने लगा। उसक गदन म खुजली हो रही थी। वो कभी कूल क यू नफ़ॉम—काला
टे लकोट, वे टकोट और पन ाइ ड ाउज़स—का आद नह हो सका था। ईटन उसके
लए एक मुसीबत था।
गोडॉ फ़न हाउस म अपने नजी कमरे म उसने कुस पर अपने कू ह को
असहजता से खसकाया। पछले दन डवीज़न के लए दे री से प ंचने पर हेडमा टर से
खाई पांच छ ड़य क वजह से उसके कू हे अभी भी ख रहे थे। उसका पेट शकायत कर
रहा था। बे कटन– वशाल क य डाइ नग हॉल प रसर—म ना ता, दोपहर का खाना और
रात का खाना बड़ा ही बे वाद होता था। एकमा भोजन जो उसे अ े लगते थे वो थे म य
सवेरे का चबस का नैक और म य सांय क लड़क क चाय, ले कन आज उस काम क
वजह से जो उसे पूरा करना था, वो ये दोन ही चूक गया था। उसक बड़ी इ ा हो रही थी
क वो घर पर होता।
हैरी एक सुंदर लड़का था। उसक ज़द वचा म एक सुनहरी चमक थी और उसके
काले बाल घने और चमकदार थे। सातव क ा के इस लड़के का क़द अभी से पांच फ़ट
चार इंच हो चुका था और उसके नाक–न श बड़े कोमल से थे। उसका चेहरा मासू मयत
क त वीर था—कोमल ह ठ, तराशी ई नाक और प े जैसी हरी आंख।
उसने अपनी मां जोज़ेफ़ न से कई बार पूछा था क उसे ईटन जाने क या
ज़ रत थी जब क वो रमणीक ास मयर म उनके पास रह सकता था और नज़द क के
कसी भी कूल म पढ़ सकता था। उसे लंबी छु के लए सफ़ छमाही पर और कम छु
के लए दो बार— मकेलमस और लट के दौरान—जाने को मलता था। मम कहती थ क
उसके पता क मौत के बाद उ ह ने उसे अकेले पाला था। दोन के अ ा जीवन बताने
और ईटन क बेतहाशा फ़ स भरने का बस यही एक तरीक़ा था क जोज़ेफ़ न लगातार
काम करती रहे। एक पटर का काम कतना मु कल हो सकता है, हैरी सोचता था।
यादातर कलाकार इस लए प टग बनाते थे ता क प टग बेचकर खा–पी सक और संभोग
कर सक। और वो तो शायद कभी अपनी प टग बेचती भी नह थ —घर प टग से भरा
पड़ा था। जोज़ेफ़ न ने हैरी को ये नह बताया था क उसका संर क भारत का एक वृ
था— जसक उदारता के कारण जोज़ेफ़ न एक कलाकार जैसा जीवन तीत कर
पाती थी—पं डत गंगासागर म । जब से जोज़ेफ़ न और उसके पता ने चांदनी क
दे खभाल क थी, तब से जोज़ेफ़ न क दे खभाल करने को गंगासागर ने अपना कत
समझा था।
ईटन म हर वो खेल होता था जसके बारे म कोई सोच सकता था— फ़टबॉल,
र बी, हॉक , केट, बा केटबॉल, नौकायन, एथले ट स, तलवारबाज़ी, माशल आट् स—
फ़ह र त का कोई अंत नह था। खेल म कम च रखने वाल के लए उनके आधु नकतम
संगीत वभाग म— जसम एक अ व सनीय संगीत टै नॉलोजी सुइट और रकॉ डग
टू डयो शा मल था— डजे रडू समेत हर संगीत यं मौजूद था। कूल म दो थएटर थे और
थएटर के शौक़ न ब े कूल के नाटक , हाउस के नाटक और यहां तक क कथानक
लेखन म भी भाग ले सकते थे। इसके अलावा ईटन म प टग, ॉइंग, मू तकला, सेरे म स,
टमे कग, वाद– ववाद और भाषणकला भी सखाई जाती थी।
ले कन हैरी क एकमा च उसका वॉय लन थी। पछले वष संगीत के लए द
गई आठ छा वृ य म से एक उसे मली थी और इसे पाना सहनशीलता का इ तेहान था।
संग त छा वृ परी ा जनवरी के अंत म ई थी और तयो गय को दो वषम धुन अपने
मुख साज़ पर और एक अपने सरे साज़ पर बजानी थ , लखे ए संगीत को बजाना था,
वण परी ण दे ने थे और अपनी क ा के अनुसार स तक बजाने थे। हैरी ब त अ े
अंक से उ ीण आ था—वो ईटन म दा ख़ले से पहले ही वॉय लन पर ेड एट था। ऐसा
लगता था जैसे वो पैदा ही तार के चौरागे के वर के बीच आ था।
जोज़ेफ़ न ने एक ामोफ़ोन ख़रीदा जसे उसने चांदनी के कमरे म लगा दया था। उसने
चांदनी के लए दे र तक बजने वाले रकॉड —बाख, बीथोवेन, ा ज़, चाइकॉ क , और
पैगानीनी के वॉय लन कंसट ज़—क व ा क । चांदनी खड़क पर बैठ शांत
पगडं ड़य और ऊंची–नीची चो टय से घरे नमल ास मयर को दे खती रहती। जब चांदनी
वॉय लन क धुन म डू बी होती तो जोज़ेफ़ न अ सर बाज़ार चली जाती थी। कभी–कभी
वापसी पर वो चांदनी क नम आंख और चेहरे पर सूख चुके आंसु के नशान दे खती।
वॉय लन क आवाज़ उसे यो क ब त याद दलाती थी। जोज़ेफ़ न उसे ख़ुश करने क
को शश म हर कुछ दन बाद खड़क म चांदनी के मनपसंद गुलाबी गुलदाऊद के फूल
रख दे ती।
वहां प ंचने के आठ ह ते बाद चांदनी ज म दे ने को तैयार थी। उसे अंदाज़ा नह
था क ये नथुने से एक बो लग बॉल नकालने जैसा होगा। जोज़ेफ़ न ने उसका हाथ पकड़ा
जब क मे न ने उसके गभाशयमुख के फैलने क जांच क । ख़ून और ूण व रस रहा था
और नस ने उसे पुश करने के लए कहा। चांदनी ने पुश कया और जैसे ही उसे महसूस
आ क चप चपे पदाथ म एक शरीर उसके अंदर से नकला वैसे ही वो बेहोश हो गई।
चांदनी जागी, तो उसने महसूस कया क उसक सफ़ाई करके उसे वापस उस
कमरे म प ंचा दया गया है जहां झील के हसीन नज़ारे को ढके ए फूल के डज़ाइन वाले
पद पड़े ए थे। जोजे़फ़ न उसके नज़द क बैठ उसके बाल म उं ग लयां फरा रही थी।
चांदनी ने एक नज़र जोजे़फ़ न को दे खा और समझ गई।
“मुझे अफ़सोस है, हनी,” जोज़ेफ़ न फुसफुसाई, “डॉ टर ने कहा है क तुम और
ब े पैदा कर सकती हो, ले कन ये मृत था।”
चांदनी आख़री मील पैदल चलकर गांव प ंची। बहार के पूव चंपारण ज़ले का जतौरा
मूसाहार टोला बना सड़क , बजली, पीने के पानी, कूल और अ ताल वाला गांव था।
ऐसा लगता था जैसे स यता ने जतौरा से बचकर ही नकल जाने का फ़ैसला कया आ
था।
वो एक द लत घर म रात बताने वाली थी, अगर उस झोपड़ी को घर कहा जा
सकता था। म र , चूह और सांप से परेशान उस झोपड़ी म मौसम से कसी तरह क
शरण नह थी। झोपड़ी के बाहर म पर एक चटाई बछाकर, उसने अ य द लत के साथ
एक अनौपचा रक खुली बैठक क और फर उनके साथ एक कफ़ायती खाना—रोट ,
याज़ और नमक—खाया। ये वो लोग थे ज ह कसी समय म ा ण अछू त कहते थे।
अ ृ यता भले ही आधी सद पहले तबं धत कर द गई हो, ले कन ये कलंक अभी शेष
था। उन ग़रीब मज़ र क कहा नयां सुनकर उसक आंख म आंसू आ गए ज ह एक
व त का भोजन कमाने के लए अपने ब को बंधुआ मज़ र के प म बेचना पड़ रहा
था।
वापस द ली आने पर, दो दन बाद वो अपने सरकारी नवास 19, तीन मू त लेन
म गंगासागर से मली। “आपने मुझे वहां य भेजा था? वहां के हालात पूरी तरह
नराशाजनक ह! उस गांव के दो सौ ब म से कुल तीन ब े कूल जाते ह! सबसे
नज़द क कूल छह मील र है! अ ताल तो भूल ही जाइए, वहां बु नयाद दवाइयां दे ने
के लए एक दवाख़ाना तक नह है। व ता नाम क तो चीज़ ही नह है— टायफ़ॉइड
और हैज़ा ामीण के सबसे बड़े मुलाक़ाती ह और जब-तब उनसे मलने जा प ंचते ह।
या ये आपको च तत नह करता?” उसने पूछा।
“ चता रॉ कग चेयर जैसी चीज़ है; ये आपको हलाती तो रहती है, ले कन कह
लेकर नह जाती है,” गंगासागर ने उस लाउं जर पर आगे-पीछे झूलते ए कहा जस पर वो
बैठा आ था। “मने अ वालजी से एक नजी यास ा पत करने को कहा है। आर एंड
एस के पैसे को पूरी तरह राजनी तक उ े य के लए योग नह कया जाएगा। ये बहार
के द लत गांव क पहचान करेगा–सबसे ग़रीब गांव क —और कुछ साधारण मु पर
यान दे गा।”
“कौन से मु े ?”
“एक ाथ मक कूल, पीने का साफ़ पानी, एक बु नयाद वा य-र ा क और
दै नक पोषण क गारंट ।”
“और इनसे कन गांव को फ़ायदा होगा?”
“ बहार के रोहतास और भाबुआ ज़ल के गांव।”
“ या रोहतास और भाबुआ को चुनने के पीछे ये कारण है क ये ज़ले बहार के
द लत मु यमं ी के चुनावी गढ़ ह?” चांदनी ने चालाक से पूछा।
“मेरा याल है क आर एंड एस से कमीशन के प म मलने वाले पैसे का बड़ा भाग उसी
तरह ख़च हो रहा होगा जस तरह हमने बात क थी?” गंगासागर ने पूछा।
अ वालजी ने सर हलाया। “ बहार म यास के काम के लए जा रहे थोड़े से अंश
के अलावा सारा पैसा स टयो सस के शेयर ख़रीदने म लग रहा है। अब हमारे पास लगभग
पांच तशत कंपनी है।”
“बा ढ़या,” गंगासागर ने कहा।
“ले कन हम स टयो सस य ख़रीद रहे ह?” अ वालजी ने पूछा। “उससे बेहतर
कई सॉ टवेयर कंप नयां ह जनम हम नवेश कर सकते ह। जनसे हम अपने नवेश पर
दोगुना मुनाफ़ा मल सकता है!”
“मुझे इस नाम क खनक पसंद है,” गंगासागर ने अपने पुराने बॉस को आंख
मारते ए कहा।
“हमीदा नाम का एक हजड़ा है जो लखनऊ म टुं डे कबाब के नज़द क रहता है। मुझे उससे
मलना है,” कायवाहक धानमं ी ने कहा। संसद के हंगामे के कारण भारत म एक और
आम चुनाव होने वाला था और दे श म रा प त शासन लागू हो चुका था। उनक सरकार
ब कुल लंगड़ी थी।
“मुझे नह पता था क फ़ ट लेडी को ब ा आ है, म तुरंत—” उनके नजी
स चव ने कहा।
“ये साला फ़ ट लेडी का मामला नह है,” धानमं ी ने ज़रा दे र से ये महसूस
करते ए कहा क उ ह ने अपनी प नी के लए एक उपा ध रच द है। “मुझे कसी नवजात
के लए आशीवाद नह चा हए। मुझे इस ख़ास हजड़े से मलना है। बस—ज द करो।”
कायवाहक धानमं ी ने अपने नजी स चव को अंदर बुलाया। “ये चुनाव भ होने वाला
है,” उ ह ने अपनी आइ ड ट क चु क लेते ए कहा।
“वो कैसे, सर?” उनके स मानपूण नजी स चव ने पूछा, जो ब त साल से उनका
राज़दार रहा था।
“अब इकराम नह है। ये कौन सु न त करेगा क उ र दे श म कोई गड़बड़ी न
हो? इकराम के गुंडे सारे मतदान क पर नज़र रखते थे और सु न त करते थे क मतदान
क पर क़ ज़ा न हो। गंगासागर ने एक अहम साथी खो दया है।”
“तो ये हमारे लए अवसर है?” नजी स चव ने अपने बॉस को मु कुराकर दे खते
ए पूछा।
हैरी रचड् सन बेहद ख़ुश था। ईटन कॉलेज कंसट हॉल क सारी सीट भरी ई थ । ये
उसका पहला एकल शो था और ईटन कॉलेज सफ़नी ऑक ा ने उसके साथ संगत क
थी। कंसट का आयोजन तब कया गया था जब वॉय लन वशेष इतज़ाक पलमैन ने
अपने ईटन दौरे के दौरान हैरी को वॉय लन बजाते सुना था। फर उ ह ने अपने वचार
कूल को लखे थे। “शु आत हैरी रचडसन से करते ह। वो एक असाधारण वॉय ल न ट है
जसक शानदार तकनीक उसके संगीतमय म त क से जुड़ी ई है जो छोट से छोट
बारीक को भी नज़रअंदाज़ नह करता है। ऐसा लगता है जैसे हैरी ने वो जवाब भी ा त
कर लए ह जनके अ य को सवाल तक नह पता...”
आज का शो पाट टा नं . 2 इन डी माइनर से शैकोन इन डी माइनर था, जो क
योगा मक संगीत म बाख क सबसे स कृ त थी। शैकोन को बाख के दौर म एकल
वॉय लन सूची का शखर माना जाता था य क इसम वॉय लन–वादन के सारे प आ
जाते थे। हैरी ने इ तहास क सबसे क ठन कृ तय म से एक को चुना था और उसे ु टहीन
ढं ग से बजाकर दखाया था। वो अपनी मां—जोज़ेफ़ न—को सामने क पं म, बाक़
दशक के साथ, पूरे जोश के साथ सराहना करते दे ख सकता था। वो खड़े होकर उसका
अ भनंदन कर रही थ । उसे अपने यारे बेटे पर नाज़ था।
पलमैन के अनुमोदन क वजह से दशक म ेस के सद य भी मौजूद थे। सफ़
टे न से ही नह । वल ण ब े के फ़ोटो ख चे गए और कैमर के लैश से हॉल जगमगा
उठा। हैरी एक भारतीय रपोटर को भी फ़ोटो ख चते दे ख सकता था।
इस समय अ◌ॉल इं डया इं ट ूट अ◌ॉफ़ मै डकल साइंसेज़ के ग लयारे सूने पड़े ए थे।
डॉ टर ने गंगासागर से नवेदन कया था क वो उससे मलने ठ क आधी रात से पहले
आए ता क वो कसी को पता चले बना टै ट कर सके। अब वो—गंगासागर और मेनन—
उसके अ◌ॉ फ़स म जज या जूरी के अं तम आदे श क ती ा कर रहे अ भयु क
मा नद बैठे ए थे।
“आपको फेफड़ का कसर है, गंगासागरजी,” डॉ टर ने सहानुभू तपूवक कहा।
“पर म धू पान तो नह करता ं,” गंगासागर ने शकायत क , लगभग इस उ मीद
के साथ क उसक मनुहार क श यां डॉ टर को ये वीकार करने पर मजबूर कर दगी
क उसे ये भयंकर रोग नह है।
“ये रोग सफ़ धू पान करने वाल को ही नह होता है। आप एक बेहद षत
माहौल म रहते ह। ऑटो र का काला धुआं भी उतना ही घातक हो सकता है। कतनी
ही चीज़ ह जो इसका कारण बन सकती ह—धू पान, न य धू पान, वायु षण,
ए बे टस—”
“अभी तक मुझम ऐसे कोई ल ण नह थे,” अपनी ज़दगी क र ा करते ए
गंगासागर ने कहा।
“लगभग प ीस तशत रो गय को तभी पता चलता है जब ब त दे र हो चुक
होती है,” डॉ टर ने वन ता से बताया।
“म जी वत र ंगा?” अचानक अपनी न रता को याद करते ए गंगासागर ने
पूछा।
डॉ टर ने धीरे से सर झटका | “चम कार तो होते ह, गंगासागरजी | बद क़ मती
से, हम कसर के पूरे शरीर म फैलने तक ल ण को नह पकड़ पाए। इस टे ज म, न तो
सजरी से ही ब त मदद मलेगी और न ही क मोथेरेपी से।”
“मेरे पास कतना समय बचा है?” वृ पं डत ने पूछा।
डॉ टर ने कंधे उचकाए। “इन चीज़ क भ व यवाणी करना मु कल है। मेरे
अंदाज़े से एक महीना— यादा से यादा |”
“उसे धानमं ी बनाने के लए इतना काफ़ है,” गंगासागर ने घोषणा क और
डॉ टर च कत रह गया। “आपको ये जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखनी है, डॉ टर। अब
म चलता ं। मुझे ब त काम करने ह।”
“पर गंगासागरजी, हम आपको दा ख़ल करना होगा। हम आपका—”
“सु नए, डॉ टर। मर जाना कोई बड़ी बात नह होती—कोई भी ऐसा कर सकता
है। जब म अपने अ न ु क नमाता से मलने के नज़द क होऊंगा तो मेनन मुझे ले
आएगा!” उसने कहा और तेज़ी से डॉ टर के अ◌ॉ फ़स से नकल गया।
मेनन ज द –ज द उसके पीछे गया और उसने दे खा क उसका वामी धीरे–धीरे
बड़बड़ा रहा है, “आ द श , नमोनम:; सवश , नमोनम:, थम भगवती, नमोनम:,
कुंड लनी माताश ; माताश , नमोनम:। ”
“वो धानमं ी बनने वाली है और हम उसक नाजायज़ संतान को बेनक़ाब करने वाले ह,”
सोमानी ने गंगासागर से कहा। “अख़बार को ये ब त अ ा लगेगा।”
“म ऐसा कोई काम करने से पहले ब त अ तरह सोचता,” गंगासागर ने एक
और खांसी के दौरे से बचने के लए धीरे से बोलते ए कहा।
“आपके पास हमारे ख़लाफ़ कुछ नह है, गंगासागर | वैसे भी, आप य परेशान
ह? वो तो आपको हमेशा के लए छोड़ गई है,” ं टा ने कहा।
“जब हज़ार लोग एक प र क मू त क पूजा करते ह, तो वो अपनी श यां
उसे स प दे ते ह। इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क मू त या सोचती है। चांदनी वही मू त है
और मुझे कोई फ़क़ नह पड़ता क वो मेरे बारे म या सोचती है। मेरा एकसू ीय एजडा है
उसे धानमं ी बनाना।”
“आपका एजडा बकवास है! भारत जैसा ढ़वाद दे श कभी वीकार नह करेगा
क एक ढ ले नै तक च र क म हला धानमं ी बने,” सोमानी ने कहा।
“ढ ले नै तक च र वाली म हला क बात चली है,” गंगासागर ने कहा, “तो म
आपको एक ब त य म से मलवाना चा ंगा। वो एबीएनएस के लए श का तंभ
रही ह,” गंगासागर बोला।
“कौन?” सोमानी ने ज ासापूवक पूछा।
शरीर से चपक काली साड़ी म बेहद आकषक लगती बॉलीवुड क साइरन अंदर
आई | कमरे म बैठे मद को नज़रअंदाज़ करते ए वो सोफ़े पर बैठ गई और फर बड़े
मादक अंदाज़ से अपना सगरेट जलाने लगी |
“जैसा क आप जानते ह, हम लोग बड़े आभारी थे जब आप महानुभाव ने
अंज ल से उ र दे श के वधान सभा चुनाव म चांदनी के समथन म आने का अनुरोध
कया था। अपनी कृत ता कट करने के लए हमने अंज ल को अपने रा य से रा य सभा
सद य ना मत कया था। अंज ल मुझे नय मत प से एक वशेष रा म के बारे म
बताती रही ह जो लगभग हर रात उनसे मलने मुंबई म उनके शानदार समंदर कनारे के
मकान म जाता है,” गंगासागर ने कहा।
सोमानी का चेहरा सुख़ पड़ गया। गंगासागर बोलता रहा। “ये वशेष म बज़ा हर
काफ़ संप है, ले कन ऐसा लगता है क उसक प नी उसक ज़ रत पूरी नह कर पाती
है। मेरे म त क म ये है: या भारत जैसे ढ़वाद दे श—और वशेष प से
सोमानीजी क सुंदर प नी—को एक मुख बज़नेसमैन क बेड म ड़ा के बारे म
सुनने म दलच ी होगी?”
बुरी तरह नाराज़ ं टा ने सोमानी को घूरकर दे खा। “मने तुमसे कहा था क अपनी
पट क ज़प बंद रखना— क सुर त खेलना कतना अहम है,” वो च लाया।
“म सहमत ं। मेरा मतलब, इंसान को हमेशा सुर ा का यान रखना चा हए,”
गंगासागर ने सर हलाते ए कहा। “लगता है क इस नया म अ सी तशत से यादा
लोग हादस के नतीजे ह।”
एंबुलस कानपुर क धूल भरी सड़क पर च लाती ई दौड़ी जा रही थी। पीछे , एक डॉ टर
ने गंगासागर के चेहरे पर अ◌ॉ सीजन मा क चढ़ाया और सो डयम लोराइड क आईवी
लगा द । वृ पं डत सवेरे क पूजा से उठने के बाद गर पड़ा था और मेनन ने घबराहट म
एंबुलस के लए फ़ोन कर दया था। नई द ली के अ◌ॉल इं डया इं ट ूट अ◌ॉफ़
मै डकल साइंसेज़ के डॉ टर का कहना था क गंगासागर को तुरंत वमान ारा द ली ले
आया जाए ले कन गंगासागर अड़ गया था। उसे घर पर ही रहना था—कानपुर म।
मेनन पं डत के पास बैठा आ था जसे मा क से सांस लेने म तकलीफ़ हो रही
थी और वो उसका हाथ कोमलता से पकड़े ए था। उसक आंख म आंसू थे। मेनन क
नया म गंगासागर ही सब कुछ था। अपनी ख़राब हालत के बावजूद, बूढ़े पं डत ने मेनन
क चता को दे खा और कुछ कहने क को शश क । “मौ लक—” वो शु आ, ले कन
सांस लेने भर के यास ने उसे आगे बोलने से रोक दया।
कुछ घंटे बाद, वृ अ ताल म अपने कमरे म था और थोड़ी बेहतर हालत म था।
मेनन और अ वालजी गंगासागर के पास बैठे थे जब क वो अपनी ाथना पढ़ने म लगा
आ था।
“मौ लक श , म तुझे नमन करता ं; सव व मान श , म तुझे नमन करता
ं; जसके मा यम से ई र सृ रचता है, म तुझे नमन करता ं; कुंड लनी क सजना मक
श , म तुझे नमन करता ं।”
अगली सुबह, उसे पलंग ऊंचा करके टका दया गया था जब क उसने मेनन से
पूछा, “तुमने उसे तो नह बताया ना?”
“नह तो,” मेनन ने झूठ बोला। उसने अ ताल प ंचते ही चांदनी को फ़ोन कर
दया था।
“मुझे इंटेलीजस यूरो वाले अपने दो त से मलना है,” गंगासागर ं धी ई आवाज़
म मेनन से फुसफुसाया। वो जानता था क डॉ टर ने गंगासागर के मुलाक़ा तय पर पाबंद
लगा रखी थी—इस हालत म ज़रा सा भी खचाव ठ क नह था। अ वालजी ने
वन तापूवक गंगासागर के आदे श क याद दलाई।
“वो गो लय से मेरी बीमारी को नह मार सकता, इस लए मुझे अपने बल से
मारने क को शश कर रहा है! भाड़ म गए डॉ टर के आदे श। आईबी नदे शक को
बुलवाइए।”
हमीदा अपने कमरे म लकड़ी क छोट सी मेज़ पर झुक ई थी। उसके सामने टग .22
मै नम पेन गन के पास इ तेमाल कया आ पटै स कैमरा खुला पड़ा था। उसने कैमरे के
अंद नी पुज़ नकाले और उनक जगह टगर को धीरे से लगा दया। उसे सु न त करना
था क बं क़ कैमरे के फ़ म–एडवांस लीवर के रा ते चलने के लए ठ क से तैयार हो चुक
थी। ये शटर रलीज़ बटन को दबाने से चलती—सामने लगे शीशे के लस को तोड़ती ई।
मेज़ के एक कोने पर वो पास पड़ा आ था जो उसने धानमं ी के नजी स चव
से चुराया था। उसे बस ये उ मीद थी क बार कोड अभी भी काम करेगा और उसे रा प त
भवन म वेश मल जाएगा। अगर आगंतुक के पास से नॉथ लॉक, साउथ लॉक और
रा प त भवन जाया जा सकता था, तो इस बात क संभावना कम ही थी क एक व र
अ धकारी के पास से इन सारी जगह पर नह जाया जा सकता।
एक द वार पर एक खूंट थी जस पर एक कोट का हगर टं गा आ था। नजी
स चव ारा दया गया सूट, शट और टाई धुलवा ली गई थी और इ तेमाल के लए तैयार
थी। तेरे मरने से मुझे या फ़ायदा, गंगासागर? हमीदा ने सोचा। इससे मेरा बदला लेने का
मौक़ा छ न लया। अफ़सोस, अब तेरी य चांदनी को मरना पड़ेगा।
मेरी य चांदनी,
म बस तुमसे माफ़ मांगना चाहता ं। म नशानेबाज़-इंटेलीजस यूरो के नदे शक
—से फर से दाएं कंधे का नशाना लेने को नह कह सका। इसे इलाहाबाद म इ तेमाल
कया जा चुका था। नदे शक ने मुझे व ास दलाया था क हमीदा का यं काम नह
करेगा ले कन वो हमेशा के लए उससे छु टकारा हा सल कर लगे। उसने मुझे ये भी यक़ न
दलाया था क तु हारा घाव छछला होगा। अफ़सोस, राजनी तक जीवन म इस तरह क
क़बा नयां दे नी ही पड़ती ह। तु हारे मामले म तु हारे दोन कंधे और दोन ेमी क़बान हो
गए।
म ाथना करता ं क जब तुम ये चट् ठ पढ़ो तब भी तुम धानमं ी हो—इससे
ये स हो जाएगा क मेरी रणनी त सफल रही। हमारा दे श ब लदान और याग को पसंद
करता है। ये बड़े यारे गुण ह जो लोग के बीच इंसान क लोक यता को क़ायम रख
सकते ह। खड़े रहने के लए कभी–कभी गरना भी पड़ता है। ख का वषय है क हमारी
आख़री बातचीत—हमारी बनावट बहस—हमारे राजनी तक वरो धय और इले ॉ नक
यं पर चोरी– छपे बात सुनने वाल के लए थी। वना, म तु ह ये बताना चाहता क मुझे
तुमपे नाज़ है।
मुझे लग रहा है क जब तुम ये च पढ़ रही हो तो हैरी तु हारे पास बैठा है।
तु हारे राजनी तक कै रयर को बचाने के लए मुझे उसे तुमसे राज़ रखना पड़ा। जहां तक
यो का सवाल है—मने जो कया उसका मुझे कोई पछतावा नह था। वो बुरी ख़बर था।
हां, शंकर का मामला अलग था। मुझे लगता है क वो सचमुच तुमसे यार करता था,
ले कन कभी–कभी यार नफ़रत से वनाशकारी होता है। ए लज़ाबेथ थम ने इं लड पर
व जन वीन बनकर राज कया और यही म तुमसे चाहता था।
जोजे़फ़ न ने यारे हैरी को बताया था क उसने उसका ये नाम इस लए रखा क
उसके पता का अनौपचा रक नाम हैरी था और क वो उस र ते को बनाए रखना चाहती
थी। उसने उसे ये नह बताया क ‘हरी’ हद म एक रंग भी होता है और क उसने ये नाम
ब े क प े जैसी—तु हारी तरह—हरी आंख क वजह से चुना था। जैसा क तुम दे ख
सकती हो, उसे एक ऐसा नौजवान बनाने के लए जस पर तुम नाज़ कर सको, उसक
परव रश म कसी तरह के ख़च क कमी नह आने द गई।
भारत क एकता और अखंडता के लए श शाली नेता क ज़ रत है और
अ सर ऐसे नेता को गंदे खेल खेलने पड़ते ह। चाण य ने अपने चेले—चं गु त—के
लए यही कया और मने अपनी चेली—चांदनी—के लए यही कया। हां, श ने शव को
पीछे छोड़ दया—जो क हमारे दौर का च है। मुझे कोई खेद नह ।
चांदनी ने च को तह कया और खड़ी हो गई। “हम लोग डनर के लए ला के ीस
चल?” उसने पूछा।
“मुझे ब त अ ा लगेगा, ले कन आज के बजाय कल चल सकते ह? मुझे कसी
से मलना है,” हैरी ने कहा।
“ कससे?”
“रा धका शंकरन से,” हैरी ने थोड़ा शमाते ए कहा।
“लगता है मुझे अकेले ही डनर करना पड़ेगा,” चांदनी ने बनावट नराशा से
कहा।
“मने सुना है क खाना ब त बुरा होता है,” हैरी बोला।
“ला के ीस म?” चांदनी ने पूछा।
“नंबर टै न पे। उनक प नी शहर से बाहर ह,” हैरी ने कहा।