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सत्र - 2022-23
कक्षा – 10व ीं
ववषय – विन्द
ववषय-विन्द
अनुक्रमवणका
खण्ड
2. 02 काव्य बोध
खण्ड
4. 04 िाषा बोध
5. 05 कृविका िाग-2
6. 06 अपविि बोध
7. 07 पत्र - लेखन
8. 08 वनबन्ध - लेखन
इकाई - 1
वक्षविज िाग-2 काव्यखण्ड
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 3 4 5
अीं क अीं क अीं क अीं क
इकाई वक्षविज िाग -2, काव्य खींड 17 06 04 01 --- --- 05
1 • पद्य साहित्य का इहििास
एवं काल हवभाजन,
रीहिकाल, आधुहनक काल
(प्रयोगवाद, प्रगहिवाद,
नई कहविा )
• कहव पररचय
• भावार्थ : (संदभथ , प्रसंग
, भावार्थ , काव्य सौन्दयथ)
• सौंदयथ बोध िर्ा भाव एवं
हवषय वस्तु आधाररि प्रश्न
12. रघुकुल में दे विा ब्राह्मण, ईश्वर भि और. .. .. .. .का वध निीं हकया जािा र्ा।
(गाय/ पहियों )
ररश्ते दारों)।
20. हनराला की अहधकां श रचनाएाँ . .. .. .. . छन्द में हमलिी िैं । (गीहिका /मु िक)
21. दु हवधािि सािस का शाक्तब्दक अर्थ . .. .. .. .. .िै । (सािस िोिे हुए दु हवधाग्रस्त रिना
I (अ) (ब)
1. सूर के पद i. हनराला
2. उत्साि ii. सूरदास
3. हनराला iii. अट निीं रिी िै
4. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद iv. जयशं कर प्रसाद
5. 'आत्मकथ्य' v. िुलसीदास
Ii (अ) (ब)
1. "हवनयपहत्रका i. मं गले श डबराल
2. कामायनी ii. िुलसीदास
3. साहित्य लिरी iii. जयशं कर प्रसाद
4. युगधारा iv. सूरदास
5. पिाड़ पर लालटे न v. नागाजुथ न
Iii (अ) (ब)
1. िुम्हारी यि i. गरज में
2. र्के पहर्क की ii. दं िुररि मु सकान
3. मु ख्य गायक की iii. पंर्ा की
4. मन की मन िी iv. सट निीं रिी िै
5. आभा फागुन की िन v. मााँ झ रिी
Iv (अ) (ब)
1. सूरदास का जन् एवं मृ त्यु i. सन् 1889, सन् 1937
2. िुलसीदास का जन् एवं मृत्यु ii. सन् 1478, सन् 1583
3. जयशं कर प्रसाद का जन् एवं मृ त्यु iii. सन् 1532, सन् 1623
4. हनराला का जन् एवं मृ त्यु iv. सन् 1911, सन् 1998
5. नागाजुथ न का जन् एवं मृत्यु v. सन् 1948
6. मं गले श डबराल का जन् vi. सन् 1899, सन् 1961
सत्य-असत्य वलखखए-
िावाथथ:-
वनम्नवलखखि पद्याींिोीं का सींदिथ-प्रसींग सविि िावाथथ वलखखए- (03 अीं क)
5. बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
लहलि लहलि, काले घुाँघराले ,
बाल कल्पना के से पाहल,
वज हछपा, नू िन कहविा,
हफर भर दो-
बादल, गरजो!
6. बादल, गरजो!
हवकल हवकल, उन्न र्े उन्न
हवश्व के हनदाघ के सकल जन,
आए अज्ञाि हदशा से अनं ि के घन !
िप्त धरा, जल से हफर
शीिल कर दो -
बादल, गरजो!
9. अट निीं रिीं िै ,
आभा फागुन की िन
सट निीं रिीं िै |
---------xxxx------
इकाई – 2
काव्य – बोध
क्र इकाई एवम् ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 3 4 5
अीं क अीं क अीं क अीं क
इकाई काव्य बोध 10 06 02 --- --- --- 02
2 1. काव्य की पररभाषा एवं
भे द (प्रबन्ध काव्य के
भे द)
2. रस: अंग एवं प्रकार
उदािरण सहिि
3. छन्द : दोिा एवं चौपाई
4. अलं कार : मानवीकरण
,पुनरुक्ति प्रकाश,
अहिशयोक्ति, अन्योक्ति
अलं कार
1. नायक के जीवन की हकसी एक घटना अर्वा हृदयस्पशी अंश का पू णथिा के सार् अंकन
.................... काव्य में हकया जािा िै । (मिाकाव्य / खण्ड काव्य)
2. अहभनय ित्व की प्रधानिा .................... काव्य में िोिी िै । (दृश्यकाव्य / श्रव्यकाव्य)
3. काव्य में रस का अर्थ .................... स्वीकार हकया गया िै । (आनं द / अलं कार)
4. नायक - नाहयका के संयोग या हवयोग का वणथन .................... रस में िोिा िै ।
(िास / शं गार)
5. कहविा के रचना हवधान को .................... कििे िै । (छन्द / रस)
6. चौपाई के प्रत्येक चरण में .................... मात्राएाँ िोिी िै । (16-16 /24-24)
7. छन्द .................... प्रकार के िोिे िैं । (आठ / दो)
8. जिााँ लोक की मयाथ दा को पार करके हकसी वस्तु का अत्यंि बिा चिाकर वणथन हकया जािा िै विााँ
.................... अलं कार िोिा िै । (अन्योक्ति / अहिशयोक्ति)
9. वीर रस का स्र्ाई भाव .................... िै । (उत्साि / क्रोध)
10. ‘‘बार-बार मोहि लाहग बोलाबा’’ पक्ति में अलं कार िै । (पुनरूक्तिप्रकाश / उपमा)
i अ ब
1. कामायनी - क. छन्द
2. दोिा - ख. खण्ड काव्य
3. सुदामाचररत्र - ग. मिाकाव्य
4. नाटक - घ. हनवेद
5. शां ि रस - ड. दृश्यकाव्य
ii अ ब
1. काव्य की आत्मा - क. माहत्रक छन्द
2. छन्द के प्रकार - ख. रस
3. चौपाई - ग. दो
4. िीन वणो का मेल - घ. शं गार परक
5. हबिारी सिसई - ड. गण
iii. अ ब
1. अलं कार - क. अन्योक्ति
2. जिााँ अप्रस्तु ि कर्न से - ख. मानवीकरण
प्रस्तु ि का बोध िो
3. प्रकृहि में मानवीय - ग. आभू षण
हक्रयाओं का आरोपण
4. लोक मयाथ दा की सीमा - घ. पुररूक्ति प्रकाश
लााँ घ कर वणथन
5. जिााँ एक िी शब्द दो - ड. अहिश्योक्ति
बार आए और उसका
अर्थ भी न बदले
एक वाक्य में उत्तर वलखखए –
1. रामचररिमानस मिाकाव्य िै ।
2. दृश्य-काव्य में अहभनय ित्व प्रधान िोिा िै ।
3. माहत्रक छन्द में मात्राओं की हगनिी हनहिि रििी िै।
4. वाहणथक छन्द में गण का बहुि मित्व िै ।
5. रस के साि अंग िै ।
6. जिााँ अलौहकक आियथ का भाव उत्पन्न िो विॉ वीभत्स रस िोिा िै ।
7. कबीर-िुलसी वृंद रिीम आहद कहवयों के भक्ति और नीहि परक दोिे पाठ्य पुस्तक के अंिगथि आिे
िैं ।
8. अन्योक्ति अलं कार में लोकसीमा को पार करके बिा चिाकर वणथन िोिा िै ।
9. ‘बन-ठन के आये, काले -काले मे घ में पुनरूक्ति प्रकाश अलं कार का उदािरण िै ।
वविेष ि प – रस,छन्द अलींकार एवीं काव्य िेद आधाररि अन्य उदािरणोीं का अभ्यास ि विक्षक
द्वारा कराया जाए |
इकाई - 3
वक्षविज िाग-2 गद्य खण्ड
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई वक्षविज िाग 2, गद्य खण्ड
3 • गदय की प्रमु ख एवं गौण
17 06 04 01 --- --- 05
हवधाएाँ
• ले खक पररचय
• व्याख्या (सन्दभथ , प्रसंग,
व्याख्या, हवशे ष)
• हवषयवस्तु एवं हवचार बोध
पर आधाररि प्रश्न
वस्तुवनष्ठ प्रश्न
(01 अीं क)
सि ववकल्प चुनकर वलखखए -
1 “ने िा जी का चश्मा” पाठ की हवधा िै -
(अ) एकां की (ब) हनबन्ध
(स) व्यं ग्य (द) किानी
21 मन्नू भं डारी के हकस व्यविार से िंग आकर हप्रंहसपल ने उनके हपिा को बुलाया?
(अ) अहशष्ट (ब) हवनम्र
(स) दु ष्ट (द) आं दोलनकारी
(1) बार-बार सोचिे, क्या िोगा उस कौम का जो अपने दे श की खाहिर घर-गृिस्र्ी-जवानी-हजं दगी सब
कुछ िोम दे ने वालों पर भी िाँ सिी िै और अपने हलए हबकने के मौके ढू ाँ ढिी िै । दु ः खी िो गए।
(2) वि गृिस्र् र्े , ले हकन उनकी सब चीज ‘सािब’ की र्ीं । जो कुछ खे ि में पैदा िोिा, हसर पर
लादकर पिले उसे सािब के दरबार में ले जािे जो उनके घर से चार कोस दू र र्ा - एक कबीरपंर्ी
मठ से मिलब! वि दरबार में भें ट रूप रख हदया जाकर प्रसाद रूप में जो उन्हें हमलिा, उसे घर
लािे और उसी से गुजर चलािे ।
(3) भादों की वि अंधेरी अधरहिया । अभी र्ोड़ी िी दे र पिले मू सलाधार वषाथ खत्म हुई िै । बादलों की
गरज, हबजली की िड़प् में आपने कुछ निीं सुना िो, हकन्तु अब हझल्ली की झंकार या दादु रों की
टरथ -टरथ बालगोहबन भगि के संगीि को अपने कोलािल में डु बों निीं सकिी ।
(4) यि हपिृ गार्ा मैं इसहलए निीं गा रिी हक मु झे उनका गौरव-गान करना िै , बक्ति मैं िो यि दे खना
चाििी हाँ हक उनके व्यक्तित्व की कौन सी खू बी और खाहमयााँ मे रे व्यक्तित्व के िाने -बाने में गुाँर्ी हुई
िैं या हक अनजाने -अनचािे हकए उनके व्यविार ने मेरे भीिर हकन ग्रक्तियो को जन् दे हदया।
(5) केवल बािरी हभन्निा के आधार पर अपनी परम्परा और पीहियों को नकारने वालों को क्या सचमुच
इस बाि का हबिुल एिसास निीं िोिा हक उनका आसन्न अिीि हकस कदर उनके भीिर जड़ जमाए
बैठा रििा िै । समय का प्रवाि भले िी िमें दू सरी हदशाओं में बिाकर ले जाएक्तस्र्हियों का दबाव
भले िी िमारा रूप बदल दे , िमें पूरी िरि उससे मु ि िो निीं िी कर सकिा।
(6 ) काशी आज भी संगीि के स्वर पर जगिी और उसी के र्ापों पर सोिी िै । काशी में मरण भी मं गल
माना जािा िै । काशी आनं दकानन िै । सबसे बड़ी बाि यि िै हक काशी के पास उस्ताद हबक्तस्मल्ला
खााँ जै सा लय और सुर की िमीज हसखाने वाला नायाब िीरा रिा िै जो िमे शा से दो कौमो को एक
िोने व आपस में भाईचारे के सार् रिने की प्रेरणा दे िा रिा िै ।
(7) एक संस्कृि व्यक्ति हकसी नयी चीज की खोज करिा िै , हकन्तु उसकी संिान को वि अपने पूवथज से
अनायास िी प्राप्त िो जािी िै । हजस व्यक्ति की बुक्तद्ध ने अर्वा उसके हववके ने हकसी भी नए िथ्य
का दशथ न हकया, वि व्यक्ति िी वास्तहवक संस्कृि व्यक्ति िै और उसकी संिान हजसे अपने पूवथज से
वि वस्तु अनायास िी प्राप्त िो गई िै , वि अपने पूवथज की भााँ हि सभ्य भले िी बन जाए, संस्कृि
निीं किला सकिा ।
(8 )मू हिथ संगमरमर की र्ी। टोपी की नोंक से कोट के दू सरे बटन िक कोई दो फुट ऊाँची । हजसे कििे
िैं बस्ट। और सुन्दर र्ी। ने िाजी सुंदर लग रिे र्े । कुछ-कुछ फुट मासूम और कमहसन । फौजी
वदी र्ी। मू हिथ को दे खिे िी ‘हदल्ली चलो ‘ और ‘िुम मु झे खू न दो ... ‘ वगैरि याद आने
लगिे र्े । इस दृहष्ट से यि सफल और सरािनीय प्रयास र्ा।
(9 ) जीप कस्बा छोड़कर आगे बि गई िब भी िालदार सािब इस मू हिथ के बारे में िी सोचिे रिे और
अंि में इस हनष्कषथ पर पहुाँ चे हक कुल हमलाकर कस्बे के नागररकों हुआ िै । का यि प्रयास
सरािनीय िी किा जाना चाहिए। मित्त्व मू हिथ के रं ग-रूप या कद का निीं , उस भावना का िै
वरना िो दे श-भक्ति भी आजकल मजाक की चीज िोिी जा रिी िै ।
(10 ) खे िीबारी करिे, पररवार रखिे भी, बालगोहबन भगि साधु र्े - साधु की सब पररभाषाओं में खरे
उिरने वाले । कबीर को ‘सािब’ मानिे र्े , उन्हीं के गीिों को गािे, उन्हीं के आदे शों पर चलिे।
कभी झूठ निीं बोलिे , खरा व्यविार रखिे। हकसी से भी दो टू क बाि करने में संकोच निीं करिे
, न हकसी से खामखाि झगड़ा मोल ले िे। हकसी की चीज निीं छूिे , न हबना पूछे व्यविार में
लािे।
(11 ) बालगोहबन भगि की संगीि साधना का चरम उत्कषथ उस हदन दे खा गया हदन उनका बेटा मरा।
इकलौिा बेटा र्ा वि। कुछ सुस्त और बोदा-सा र्ा , हकन्तु कारण बालगोहबन भगि उसे और भी
मानिे। उनकी समझ से ऐसे आदहमयों पर दा नजर रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए ; क्योंहक
ये हनगरानी और मु िब्बि दा िकदार िोिे िैं ।
(12 ) ठाली बैठे , कल्पना करिे रिने की पुरानी आदि िै । नवाब सािब की असुहवधा और संकोच के
कारण का अनु मान करने लगे। संभव िै , नवाब सािब ने हबलकुल अकेले यात्रा कर सकने के
अनु मान में हकफायि के हवचार से सेकण्ड क्लास का हटकट खरीद हलया िो और अब गवारा न िो
हक शिर का कोई सफेदपोश उन्हें मं झले दजे में सफर करिा दे खे ।
(13 ) नवाब सािब ने सिृष्ण आाँ खों से नमक-हमचथ के संयोग से चमकिी खीरे की फााँ कों की ओर
दे खा। क्तखड़की के बािर दे खकर दीघथ हनस्वास हलया। खीरे की एक फााँ क उठाकर िोंठों िक ले
गए। फााँ क को सूाँघा । स्वाद के आनं द में पलकें मुाँ द गईं। मुाँ ि में भर आए पानी का घूाँट गले से
उिर गया। िब नवाब सािब ने फााँ क को क्तखड़की से बािर छोड़ हदया। नवाब सािब खीरे की
फााँ कों को नाक के पास ले जाकर , वासना से रसास्वादन कर क्तखड़की के बािर फेंकिे गए।
इकाई-4
िाषा बोध
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई पर वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
आवीं विि प्रश्न प्रश्न
अीं क
1 2 3 4 5
अीं क अीं क अीं क अीं क अीं क
इकाई िाषा बोध
4 • संहध एवं समास(भे द
एवं उदािरण), ____ ____ ____
08 06 01 01
वाच्य, हक्रया के भे द
एवं हक्रया हवशे षण
• मु िावरे एवं
लोकोक्तियााँ , अने कार्ी
शब्द, वाक्यां श के हलए
एक शब्द
• वाक्य के भे द(अर्थ के
आधार पर)
• शब्द शक्ति एवं शब्द
गुण का सामान्य
पररचय
ii अ ब
1. शब्दों का सार्थ क समू ि - क. प्रश्नवाचक
2. दो या दो अहधक शब्दों का समू ि - ख. दावानल
3. लोकोक्ति को कििे िैं - ग. समास
4. क्या राम चला गया? वाक्य क्या िै ? - घ. लोगों द्वारा किा गया कर्न
5. जं गल में लगने वाली आग - ड. वाक्य
1. वाच्य क्या िै ?
2. ऐसी बाि जो लोगों द्वारा बोली जािी िै और जु बान पर चि जािी िै ।क्या किलािी िै ?
3. ‘हबजली गुल िो गयी’ यि वाक्य वाच्य का कौन- सा प्रकार िै ?
4. समु द्र मं र्न करना का अर्थ हलक्तखए।
5. हवरोध करना के हलए सिी मु िावरा हलक्तखए।
6. शब्द की प्रर्म शक्ति को क्या किााँ जािा िै ?
7. हजसका कोई शत्रु न िो।उसे क्या किा जािा िै ?
8. ‘टे िी खीर’ मु िावरे का अर्थ क्या िै ?
9. ‘प्रहिहदन’ में कौन सी समास िै ?
10. समु च्च्च्यबोधक शब्द का अहभप्राय हलक्तखए।
सत्य / असत्य वलखखए -
1. हक्रया के विथमान काल में काम िोने का पिा चलिा िै ।
2. किृथवाच्य-भाव प्रधान िोिा िै ।
3. कमथ -वाच्य में हक्रया िमे शा अकमथ क रििी िै ।
4. ‘लोक+उक्ति’ से हमलकर लोकोक्ति शब्द बना िै ।
5. ‘उससे खाना निीं खाया जािा’ में भाववाच्य िै ।
6. अहि-परीिा दे ना का अर्थ कहठन पररक्तस्र्हि में पड़ना िै ।
7. मु िावरों और लोकोक्तियों लिणा शब्द शक्ति के जररये अर्थ ग्रिण हकया जािा िै ।
8. वषाथ न िोिी िो फसल सूख जािी, हवहधवाचक वाक्य िै ।
9. मु िावरे और लोकोक्ति एक िी िै ।
10. ‘उपकार मानने वाला कृिज्ञ किलािा िै ।
वविेष ि प –ववषय विक्षक द्वारा सींवध एवीं समास, वाच्य, वक्रया के िेद ,वक्रया वविेषण
मुिावरे , लोकोखक्तयााँ, अने काथी िब्द, वाक्याींि के वलए एक िब्द ,वाक्य के िेद(अथथ के आधार
पर) िब्द िखक्त एवीं िब्द गु ण आवद से सम्बीं वधि अन्य प्रश्नोीं का अभ्यास ि करवाया जाए l
इकाई - 5
कृविका िाग – 2
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई कृहिका भाग – 2
5 पूरक पाठ्य पुस्तक से हवहवध पाठों
08 06 01 --- --- --- 01
पर आधाररि प्रश्न
12. खे दुम िै -
(अ) फूलों का बगीचा (ब) रोडोडें डरो के फूल
(स) दे वी दे विाओं का हनवास (द) झरना
13. हिरोहशमा कहविा हकस काव्य संग्रि से ली गई िै ?
(अ) अरर ओ करुणा प्रभामय (ब) नदी के द्वीप
(स) इं द्रधनु रोंदे हुए (द) अरे यायावर रिे गा याद
(ii) अ ब
1.हशवपूजन सिाय का जन् क सच्चीदानं द िीरानं द वात्सयायन
2 . दे िािी दु हनया ख सन् 1893
3 . सलाम आक्तखरी ग हशवपूजन सिाय
4 . अज्ञे य घ मधु कां कररया
5 . अज्ञे य का जन् ड. सन् 1911
(iii) अ ब
1. हशवपूजन रचनावली क काव्य संग्रि
2 . पत्ताखोर ख एक धमथ चक्र
3 . प्रेयर व्हील ग हनबन्ध
4 . हत्रशंकु घ उपन्यास
5 . भिदू ि ड. चार खण्ड
(iv) अ ब
1. खु ले गगन के लाल हसिारे क छोटा शाहमयाना
2 . चैरवेहि - चैरवेहि ख आम का उगिा हुआ पौधा
3 . रफ़्ता-रफ़्ता ग धीरे – धीरे
4 . अमोले घ चलिे रिो -चलिे रिो
5 . चाँदोआ ड. किानी संग्रि
(v) अ ब
1. मिवाला क पीठ के बल ले टना
2 .खे दुम ख कोलकािा में जन्
3 . िारसप्तक ग अज्ञे य
4 . मधु कां कररया घ दे वी दे विाओं का हनवास
5 . उिान ड. प्रहिहष्ठि पहत्रका
एक वाक्य में उत्तर वलखखए-
1. हिं दी का स्मरणहशल्प में हलखा गया पिला उपन्यास कौन सा माना जािा िै?
2. बरखा के बंद िोिे िी बाग में क्या -क्या नजर आए?
3. हवपदा के समय भोलानार् हकसकी शरण में जािा िै ?
4. भोलानार् का असल नाम क्या र्ा?
5. भोलानार् अपने हपिाजी को क्या किकर बुलािे र्े ?
6. भोलानार् और उनके सार्ी टू टी चूिेदानी से क्या बनािे र्े ?
7. हनम्नहलक्तखि शब्दों का अर्थ हलक्तखए-
अ. आबरवााँ ब. अमहनया
8. सामने िी रकम रकम के रं ग-हबरं गे इिने सारे फूल हदखाई पड़े हक लगा फूलों के बाग में
आ गई हाँ । रे खााँ हकि शब्द का अर्थ हलक्तखए|
9. ‘डोको’ क्या िै ?
10. अज्ञे य ने मानव हनहमथ ि सूरज हकसे किा िै ?
11. ले खक ने अपने आप को हिरोहशमा के हवस्फोट का भोिा कब मिसूस हकया?
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई अपहठि बोध -
6 04 ___ __ __ 01 __ 01
अपहठि काव्यां श / गद्यां श
अपविि गद्याींि
1. मानव का अकारण िी मानव के प्रहि अनु दार िो उठना न केवल मानविा के हलए लज्जाजनक
िै ,अनु हचि भी िै । वस्तु िः यर्ार्थ मनु ष्य विी िै जो मानविा का आदर करना जानिा िै , कर सकिा िै
केवल इसहलए हक कोई मनु ष्य बुक्तद्धिीन िै अर्वा दररद्र। वि घृणा का िो दू र रिा उपेिा का भी
पात्र निीं िोना चाहिए । मानव िो इसहलए सम्मान के योग्य िै हक मानव िै ,भगवान की सवथश्रेष्ठ रचना
िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
(ii) यर्ार्थ मनु ष्य हकसे कििे िैं ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
2. आप िमे शा अच्छी हजं दगी जीिे जा रिे िैं । आप िमे शा बहिया कपड़े बहिया जू िे व मोबाईल
जै से हदखावों पर बहुि खचथ करिे िैं । आप अपने शरीर पर हकिना खचथ करिे िैं ? इसका मू ल्यां कन
जरूरी िै । यि शरीर अनमोल िै । अगर शरीर स्वस्र् निीं िोगा िो आप ये सारे सामान हकस पर
टां गेंगे? अि: स्वयं का स्वस्र् रिना सबसे जरूरी िै एवं स्वस्र् रिने में िमारे खान-पान का सबसे
मित्त्वपूणथ योगदान िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) अनमोल क्या िै ?
(III) शु द्ध असली शब्दों के हवलोम शब्द हलक्तखए।
3. आदशथ व्यक्ति कमथ शीलिा में िी अपने जीवन की सफलिा समझिा िै जीवन का प्रत्येक िण वि चामथ
में लगािा िै । हवश्राम और हवनोद के हलए उसके पास हनहिि समय रििा िै । शे ष समय जन
सेवा में व्यिीि िोिा िै। िार् पर िार् रख कर बैठने को वि मृ त्यु के समान समझिा िै । काम करने
की उसमें लगन िोिी िै ,उत्साि िोिा िै । हवपहत्तयों में भी वि अपने चररत्र का पररचय दे िा िै । धैयथ की
कुदाली से वि बड़े बड़े संकट पवथिों को ढिा दे िा िै उसकी कायथकुशलिा दे खकर लोग दां िों िले
ऊाँगली दबािे िैं । संिोष उसका धन िै । वि पररक्तस्र्हियों का दास निीं िै । \पररक्तस्र्हियााँ उसकी दासी
िैं ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) उपयुथि गद्यां श में वहणथि व्यक्ति के गुणों का वणथन अपने शब्दों में कीहजए ।
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
4 दे श प्रेम में आत्म हवस्तार का भाव हनहिि िै । हजस भाव के अंिगथि व्यक्ति पररवार और समाज की
पररहध से भी आगे अपने दे श के प्रहि अपना लगाव अनु भव करने लगिा िै , उस भाव को दे श प्रेम
के अंिगथि पररगहणि हकया जािा िै । दे श प्रेम में दे श की रिा और दे श के हवकास को मित्व हदए
जाने के सार् दे श के प्रहि पूज् भाव का संचार भी सहन्नहिि िोिा िै । जब िक व्यक्ति दे श को अपना
आराध्य निीं बनािा, िब िक दे श के प्रहि समपथण का भाव भी उसमें जाग्रि निीं िोिा।
प्रश्न -
(i) उपयुथि गद्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) दे श के प्रहि समपथण का भाव कब जाग्रि िोिा िै ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
5. राष्टरीय भावना में शौयथभाव का अपना हवहशष्ट स्र्ान िै । राष्टर गौरव का बखान और उसकी रिा का
प्रबल भाव हजस कहविा में व्यि िोिा िै , उस वीर भाव को शौयथ के अन्तगथ ि हगना जािा िै । शौयथ
का भाव आत्मगौरव से पररपूणथ िोिा िै । हिन्दी कहविा के सुदीघथ इहििास में इस भाव की प्रहिष्ठा
प्राय: सभी युगों में िोिी रिी िै । आहदकाल से आधुहनक युग िक हकसी न हकसी रूप में शौयथ और
दे शप्रेम का भाव जाग्रि रिा िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गदयां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) शौयथ भाव क्या िै ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
6. िमारी जीवन शै ली में कम्प्प्यूटर और इं टरने ट का दखल इस कदर बििा जा रिा िै हक संभव िै हक
आने वाले समय में इं सान कम्प्प्यूटर और कम्प्प्यूटर इं सान बन जाएगा। कम्प्प्यूटर हवशे षज्ञ और ले खक
कहव ‘रे कुजथ वील’ ने भहवष्यवाणी की िै हक सन 2029 िक कम्प्प्यूटर और इं सान में िमीज कर
पाना मु क्तिल िो जाएगा और सदी के अंि िक िो वे सवथर्ा एक रूप िो जाएाँ गे।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
(ii) इं सान के कंप्यूटर बन जाने से समाज को क्या खिरे िैं ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
7 . लोक साहित्य में लोकगीिों का हवशे ष स्र्ान िै ये गीि व्यक्ति हवशे ष के न िोकर समू ि के
िोिे िैं । इनका रचहयिा अज्ञाि िोिा िै और ये प्राय: मौक्तखक रूप में एक पीिी से दू सरी पीिी या
एक स्र्ान से दू सरे स्र्ान में स्र्ानान्तररि िोिे रििे िैं । लोकगीि, लोकजीवन का दपथण िोिे िैं ।
हजनमें लोक संस्कृहि के समस्त पिों का वणथन िोिा िै । लोकगीि धमथ , सामाहजक रीहि-ररवाज,
दशथ न, ज्ोहिष , वैद्यक, सदाचार, उपदे श, लोक व्यविार ,मनोरं जन िर्ा जीवन के समस्त पिों
का संहचि कोष िोिे िैं ।
अपविि पद्याींि
प्रश्न-
i काव्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
ii कहव ने पैसों के पेड़ से क्या कल्पना की िैं ?
iii उपयुथि काव्यां श का भावार्थ हलक्तखए।
इकाई - 7
पत्र-ले खन
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 3 अीं क 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई पत्र ले खन -
7 04 ___ ____ _______ 01 __ 01
औपचाररक पत्र/
अनौपचाररक पत्र
1- आप किा दसवीं- ‘अ’ के छात्र िैं , आपकी किा में छात्रों के मान से मे ज-कुसी की कमी िै ।
अपने प्राचायथ को इस समस्या से अवगि कराने िे िु एक आवेदन-पत्र हलक्तखए।
2- अपने हवद्यालय में हनयहमि खे ल प्रहशिक की व्यवस्र्ा करने िे िु अपने प्राचायथ को एक आवेदन-
पत्र हलक्तखए।
3- आप अपनी किा के नायक िैं ,आप अपनी किा के समस्त छात्रों के सार् अपने गां व/शिर की
सड़कों के हकनारे वृिारोपण करना चाििे िैं इस सं बंध में अनु महि प्राप्त करने िे िु अपने प्राचायथ
को पत्र हलक्तखए।
4- अपने हवद्यालय में अंिहवथद्यालयीन हक्रकेट प्रहियोहगिा का आयोजन कराने िे िु अपने हवद्यालय के
प्राचायथ को आवेदन- पत्र हलक्तखए।
5 आपको हपछले वषथ की छात्रवृहत्त प्राप्त निीं हुई िैं ,इस बाि की जानकारी दे ने िे िु अपने प्राचायथ
को एक आवेदन- पत्र हलक्तखए।
6- वाहषथ क परीिा की िैयारी की जानकारी दे िे हुए अपनी मािाजी को एक पत्र हलक्तखए।
7- अपने वृद्ध दादा-दादी के स्वास्थ्य की जानकारी ले ने के हलए अपने हपिाजी को एक पत्र हलक्तखए।
8- आपका पड़ोसी दे र राि िक ध्वहन-हवस्तारक यंत्रों का प्रयोग करिा िै , हजससे आपके अध्ययन में
व्यवधान उत्पन्न िोिा िै । इस बाि की हशकायि करने िे िु अपने शिर के र्ाना-प्रभारी को पत्र
हलक्तखए।
9- आपके गां व में हकसी कन्या का हववाि 18 वषथ की आयु के पूवथ िो रिा िै । इसकी सूचना दे ने
के हलए अपने र्ाना प्रभारी को एक पत्र हलक्तखए।
10- आप वाडथ क्रमां क 3 आनंद नगर रिली के हनवासी िैं । अपने वाडथ में नाहलयों के हनमाथ ण िेिु
अपने वाडथ के पाषथ द मिोदय को एक पत्र हलक्तखए।
11- अपने बैंक खािा नं . को अपने आधार नं बर से संलि (हलं क) करने िे िु बैंक प्रबंधक को एक
पत्र हलक्तखए।
12- राज् की हक्रकेट टीम में चयन िोने पर अपने हमत्र को एक बधाई पत्र हलक्तखए।
13- िाईस्कूल परीिा में अनुत्तीणथ िोने पर हनराश अपने हमत्र को सां त्वना दे िे हुए एक पत्र हलक्तखए।
14- मोबाइल गेम के दु ष्प्रभाव को समझािे हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र हलक्तखए।
15- हवद्यालय के प्राचायथ को शाला शुि से मु क्ति िे िु आवेदन- पत्र हलक्तखए ।
16- हवद्यालय के प्राचायथ को स्र्ानां िरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने िे िु आवेदन पत्र हलक्तखए।
17- सहचव माध्यहमक हशिा मंडल भोपाल को किा 10वीं की अंकसूची की हद्विीय प्रहि मं गवाने िे िु
आवेदन-पत्र हलक्तखए ।
18- वाहषथ क परीिा की िैयारी के संबंध में अपने हपिाजी को एक पत्र हलक्तखए।
19- परीिा में प्रर्म स्र्ान प्राप्त करने पर अपने हमत्र को एक बधाई-पत्र हलक्तखए।
20- हवद्यालय के बुक-बैंक से पुस्तकें प्राप्त करने िे िु अपने हवद्यालय के प्राचायथ को एक
आवेदन- पत्र हलक्तखए।
21- बड़े भाई के हववाि में आमं हत्रि करने िे िु हमत्र को आमं त्रण- पत्र हलक्तखए।
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इकाई - 8
वनबन्ध-ले खन
क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई • अनु च्छेद ले खन /संवाद
8 07 ---- ---- 01 01 --- 02
ले खन /हवज्ञापन ले खन
- -
• हनबन्ध ले खन (रूपरे खा
सहिि)
अनुच्छेद लेखन
वनबन्ध ले खन
वनम्नवलखखि ववषयोीं पर रुपरे खा सविि वनबन्ध वलखखए–
• दै हनक जीवन पर माँ िगाई का असर
• पिला सुख-हनरोगी काया
• हशिा के िे त्र में इं टरने ट की उपयोहगिा
• शराबबंदी की आवश्यकिा एवं लाभ
• राष्टरीय हशिा नीहि 2020
• युद्ध और हवज्ञान
• प्रर्म स्विंत्रिा संग्राम
• शिर में हुए चुनाव का एक दृश्य
• आिंकवाद : कारण एवं समाधान
• महिला सशक्तिकरण के उपाय
• स्वच्छ भारि अहभयान
• ग्रामीण जीवन
• हवद्यार्ी जीवन में खे लों का मित्त्व
• प्रदू षण हनयंत्रण में िमारी व्यक्तिगि भू हमका
• भारि में जै व हवहवधिा
• भारिीय सेना: दे श का गौरव
• वैहश्वक गमाथ िट (ग्लोबल वाहमिं ग) के खिरे
• हसने मा का समाज पर प्रभाव
• हशहिि बेरोजगारी: कारण एवं समाधान
• मे री स्मरणीय यात्रा
• मे रे बचपन के हदन
वविेष ि प –ववषय विक्षक द्वारा अन्य ववषयोीं पर ि वनबन्ध लेखन का अभ्यास करवाया जाए |
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उत्तरमाला
इकाई - 1
वक्षविज िाग-2 काव्यखण्ड
सि ववकल्प
ररक्त स्थान
(i)
1) सूरदास
2) हनराला
3) अट निीं रिी िै
4) िुलसीदास
5) जयशंकर प्रसाद
(ii)
1) िुलसीदास
2) जयशंकर प्रसाद
3) सूरदास
4) नागाजुथन
5 )मंगलेश डबराल
(iii)
1) दं िुररि मुसकान
2) पंर्ा की
3) गरज में
4) मााँ झ रिी
5) सट निीं रिी िै
(iv)
1) सन् 1478,सन् 1583
2) सन् 1532 ,सन् 1623
3) सन् 1889 ,सन् 1937
4) सन् 1899 ,सन् 1961
5) सन् 1911 ,सन् 1998
6) सन् 1944
सत्य /असत्य
इकाई - 2
काव्य – बोध
सि ववकल्प-
1. आचायथ हवश्वनार्
2.दो 6.वीभत्स
4.हवभाव से 8.अलंकार
5.33 9.11 - 11
ररक्त स्थान-
1. खण्डकाव्य 6. 16-16
2. दृश्यकाव्य 7. दो
3. आनंद 8. अहिशयोक्ति अलंकार
4. शंगार 9. उत्साि
5. छं द 10. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
सि जोड -
i 1. मिाकाव्य
2. छं द
3. खण्डकाव्य
4. दृश्यकाव्य
5. हनवेद
ii 1. रस
2. दो
3. माहत्रक छं द
4. गण
5. शंगार-परक
iii 1. आभूषण
2. अन्योक्ति
3. मानवीकरण
4. अहिशयोक्ति
5. पुनरूक्ति प्रकाश
ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l
1 किानी 15 यशपाल
2 मध्यप्रदे श
16 व्यं ग्य
3 वसुधा
17 लखनऊ
4 चश्मे वाले का
18 मन्नू भंडारी का
5 दे शभक्ति की भावना
19 मन्नू भं डारी का
6 सुभाषचन्द्र बोस की
20 एक किानी यि भी
7 नगरपाहलका द्वारा
21 आं दोलन कारी
8 रामबृि बेनीपुरी जी को
22 सुनीिा
9 रे खाहचत्र
23 शिनाई वादन के हलए
10 गृिस्र्
24 अमीरूद्दीन
11 कबीर के
25 गां धी जी से
12 कुरीहियों पर
26 मिाकाव्य
13 खं जड़ी
27 प्रेमचन्द
14 उसके हवचारों से
28 आचायथ रामचन्द्र शु क्ल
ररक्त स्थान-
8 कैप्टन 17 सब 26 हवश्वनार्
28 न्यु टन
29 संस्कृि 30 अहवभाज्
सि जोड -
2 कबीर पंर्
3 डराइं ग मास्टर
4 लखनऊ
5 मिाभोज
6 काशी
(ii) 1 यशपाल
2 मन्नू भं डारी
3 यिीन्द्र हमश्र
5 रामवृि बेनीपुरी
6 स्वयं प्रकाश
(iii) 1 स्वयं प्रकाश
2 रामवृि बेनीपुरी
3 यशपाल
4 मन्नू भं डारी
5 यिीन्द्र हमश्र
ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l
स्विंत्र/आजाद िोना
13 कबीर को सािब मानिे र्े
26 आनं द कानन
14 वषाथ का मौसम िोिा िै
27 भारि रत्न
15 बालगोहबन भगि
28 संस्कृहि की
16 काहिथक माि से
29 हमट्ठन र्ा
17 झूठा सच उपन्यास
31 हनबंध हवधा का
19 नबाव सािब के पास
32 संस्कृहि का
20 बालम खीरा
33 पेट की ज्वाला
21 क्तखड़की से बािर फेंक दी
34 अहवभाज्
22 राजे न्द्र यादव से
23 भहटयार खाना
सत्य /असत्य -
िाषा बोध
सि ववकल्प-
1. संहध
2. 3
3. समास
4. पूवथपद
5. िीन
6. हक्रया हवशेषण
7. कमथवाच्य
8. हक्रया
9. क्रोध करना
10. आठ
11. रस
ररक्त स्थान -
9. हद्वगु 10. 3
सि जोड -
i 1. - द्वन्द
2. - ित्पुरूष
3. - हद्वगु
4. - अंधे की लाठी
5. - परास्त करना
ii 1. - वाक्य
2. - समास
4. - प्रश्नवाचक
5. - दावानल
एक वाक्य में उत्त्िर-
ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l
सत्य / असत्य –
इकाई - 5
कृविका िाग - 2
सि ववकल्प
16 . अनुभूहि
ररक्त स्थान
1 हशवपूजन सिाय
2 अज्ञेय
4 यात्रावृत्तां ि
5 मािा का अाँचल
(ii)
1. सन् 1893
2. हशवपूजन सिाय
3. मधु कां कहड़या
4. सक्तच्चदानंद िीरानंद वात्स्यायन
5. सन् 1911
4. हनबन्ध
5. काव्य संग्रि
(iv)
1. किानी संग्रि
3. धीरे -धीरे
5. छोटा शाहमयाना
(v)
1 प्रहिहष्ठि पहत्रका
2 दे वी दे विाओं का हनवास
3 अज्ञे य
5 पीठ के बल लेटना
एक वाक्य में उत्तर-
ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना जाएगा और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l
सत्य/असत्य
1. सत्य 7.असत्य
2. असत्य 8.सत्य
3. असत्य 9.असत्य
4. सत्य 10.असत्य
5. सत्य 11.सत्य
6. असत्य
वविेष ि प –
ववषय विक्षक द्वारा काव्यबोध एवीं िाषा बोध इकाइयोीं में प्रश्नबैंक में वदए प्रश्नोीं
एवीं उदािरणोीं के अविररक्त अन्य प्रश्नोीं एवीं उदािरणोीं का ि अभ्यास कराया
जाए l