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प्रश्न बैंक

सत्र - 2022-23
कक्षा – 10व ीं

ववषय – विन्द

समग्र विक्षा अवियान(सेकेन्डर एजुकेिन)लोक विक्षण सींचालनालय


म.प्र.,िोपाल
कक्षा – 10व

ववषय-विन्द

अनुक्रमवणका

स.क्र. इकाई क्रमाीं क इकाई का नाम

1. 01 वक्षविज िाग-2 काव्य

खण्ड
2. 02 काव्य बोध

3. 03 वक्षविज िाग-2 गद्य

खण्ड

4. 04 िाषा बोध

5. 05 कृविका िाग-2

6. 06 अपविि बोध

7. 07 पत्र - लेखन

8. 08 वनबन्ध - लेखन
इकाई - 1
वक्षविज िाग-2 काव्यखण्ड

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 3 4 5
अीं क अीं क अीं क अीं क
इकाई वक्षविज िाग -2, काव्य खींड 17 06 04 01 --- --- 05
1 • पद्य साहित्य का इहििास
एवं काल हवभाजन,
रीहिकाल, आधुहनक काल
(प्रयोगवाद, प्रगहिवाद,
नई कहविा )
• कहव पररचय
• भावार्थ : (संदभथ , प्रसंग
, भावार्थ , काव्य सौन्दयथ)
• सौंदयथ बोध िर्ा भाव एवं
हवषय वस्तु आधाररि प्रश्न

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अीं क)


सि ववकल्प चुनकर वलखखए-

1. हिन्दी के पद्य साहित्य का दू सरा काल िै -


(अ) रीहिकाल (ब) भक्तिकाल
(स) आहदकाल (द) आधुहनक काल
2. आधुहनक काल का आरम्भ िोिा िै -
(अ) संवि् 1900 से (ब) संवि् 1050 से
(स) संवि् 1375 से (द) संवि् 1800 से
3. छायावाद के आधार स्तम्भ कहव निीं िै -
(अ) हनराला (ब) जयशं कर प्रसाद
(स) मिादे वी वमाथ (द) सूरदास
4. प्रयोगवाद के कहव िैं -
(अ) अज्ञे य (ब) सुहमत्रानं दन पन्त
(स) मिादे वी वमाथ (द) िुलसीदास
5. नई कहविा के कहव िैं -
(अ) हनराला (ब) सुहमत्रानं दन पंि
(स) मिादे वी वमाथ (द) रघुवीर सिाय
6. भक्तिकाल की समय सीमा िै -
(अ) संवि् 1050 से संवि् 1375(ब) संवि् 1375 से संवि् 1700
(स) संवि् 1700 से संवि् 1900(द) संवि् 1900 से अब िक
7. प्रयोगवाद का आरं भ माना जािा िै -
(अ) सन् 1943 से (ब) सन् 1911 से
(ग) सन् 1963 से (द) सन् 1936 से
8. नं द नं दन का प्रयोग हकया गया िैं -
(अ) उद्धव के हलए (ब) गोहपयों के हलए
(स) कृष्ण के हलए (द) सूरदास के हलए
9. गोहपयों को ज्ञान व योग की बािें लगिी िै -
(अ) मधुर (ब) नीरस
(स) कड़वी ककड़ी सी (द) अहि के समान
10. गोहपयों ने श्रीकृष्ण की िुलना की िै -
(अ) िाररल की लकड़ी से (ब) नीम की लकड़ी से
(स) चंदन की लकड़ी से (द) िुलसी की लकड़ी से
11. 'व्याहध' शब्द का अर्थ िै -
(अ) आधार (ब) हचंिा
(स) रोग (द) हवरि
12. सूर के पद में भाषा िै -
(अ) ब्रज (ब) मै हर्ली
(स) खड़ी बोली (द) बघेली
13. 'मरजादा न लिी' के माध्यम से मयाथ दा की बाि किी िै -
(अ) समाज की (ब) प्रेम संबंध की
(स) पररवार की (द) ग्राम घर की
14. सूरदास के गुरु र्े -
(अ) नरिररदास (ब) हवठ्ठलनार्
(स) िररदास (द) बल्लभाचायथ
15. सूर के आराध्य िैं -
(अ) श्रीराम (ब) नानक
(स) श्रीकृष्ण (द) हशव
16. 'पुरइहन पाि' का अर्थ िैं-
(अ) कमल का पत्ता (ब) कमल का फूल
(स) पूरी िरि (द) पुरवाई
17. सूर की रचना निीं िैं -
(अ) सूरसागर (ब) साहित्य लिरी
(स) सूरसारावली (द) हवनय पहत्रका
18. परशु राम को व्यं ग्य भरे उत्तर हदए-
(अ) राम ने (ब) लक्ष्मण ने
(स) हवश्वाहमत्र ने (द) जनक
19. हशव-धनु ष के टू टने पर क्रोहधि िो उठे -
(अ) हवश्वाहमत्र (ब) लक्ष्मण
(स) परशु राम (द) रावण
20. रामचररिमानस की भाषा िै -
(अ) ब्रज (ब) बुन्देली
(स) अवधी (द) मालवी
21. राम-लक्ष्मण के गुरु का नाम र्ा-
(अ) परशु राम (ब) हवश्वाहमत्र
(स) भृ गु (द) िुलसीदास
22. सिस्त्रबाहु का वध हकया र्ा-
(अ) राम ने (ब) परशु राम ने
(स) लक्ष्मण ने (द) हवश्वाहमत्र ने

23. कहव अपनी आत्मकर्ा को बिा रिा िै -


(अ) भोली (ब) करुण
(स) सच्ची (द) सुन्दर

24. ‘र्के पहर्क की पंर्ा’ में अंलकार िै -


(अ) उपमा (ब) अनु प्रास
(स) यमक (द) रुपक
25. छायावाद के प्रहिहनहध कहव िैं -
(अ) जयशं कर प्रसाद (ब) ऋिुराज
(स) सूरदास (द) धमथ वीर भारिी
26. प्रसाद जी को 'कामायनी' पर पाररिोहषक हमला-
(अ) ज्ञानपीठ (ब) हदनकर पाररिोहषक
(स) सरस्विी सम्मान (द) मं गला पाररिोहषक
27. जयशं कर प्रसाद का संग्रि निीं िै -
(अ) आकाशदीप (ब) इं द्रजाल
(स) आं धी (द) साये में धूप
28. ‘उत्साि’ कहविा में बादल प्रिीक िै -
(अ) शां हि का (ब) गहि का
(स) क्रां हि का (द) सुख का
29. कहव ने बादलों को हकसकी कल्पना के समान पाले हुए माना िै -
(अ) बाल कल्पना (ब) आसमान की कल्पना
(स) हवद् युि की कल्पना (द) काले घुंघराले वालों की कल्पना

30. कहव ने बादलों के हलए हवशे षण प्रयोग हकया िै -


(अ) अनन्त (ब) लहलिा
(स) नवजीवन वाले (द) मनमोिक

31. कहव बादलों से बरसने का आह्वान कर रिा िै -


(अ) गोल-गोल घूमकर बरसने को (ब) आकाश को घेरकर बरसने को
(स) धीरे -धीरे बरसने को (द) िीव्र वेग में बरसने को

32. कहव ने िृप्त धरा के माध्यम से संकेि हकया िै -


(अ) जनसामान्य की पीड़ा (ब) अत्यहधक गमी
(स) जलवायु पररविथन (द) वैहश्वक िपन

33. यि दन्तुररि मु स्कान पाठ के ले खक िैं -


(अ) नवीन (ब) नागाजुथ न
(स) ऋिुराज (द) हनराला
ररक्त स्थान में सि िब्द चुनकर वलखखए -

1. सूर की भक्ति. .. .. .. .. .. . भाव की िै । (साख्य भाव / दास भाव)


2. सूरदास. .. .. .. .. .. .र्े । (जन्ां ध / गूंगे)
3. गोहपयााँ उद्धव को. .. .. .. .. मानिी िैं । (ििभागी / बड़भागी )
4. गोहपयों के हलए श्री कृष्ण िाररल की. .. .. .. की िरि िै । (लकड़ी / फूल)
5. िरर िैं . .. .. .. .. .पहि आए। (राजनीहि / कूटनीहि)
6. सूरदास का हनधन. .. .. ...में हुआ। (रुनकिा/ पारसौली)

7. गोहपयों ने मधुर संबोधन के. .. .. .. .. .. के हलए हदया। (कृष्ण / उद्धव)

8. सूरदास जी मु ख्यिः . .. .. .. .. .. के कहव िै । (वात्सल्य रस / शां ि रस)

9. योग संदेश ले कर. .. .. .. .. .. .मर्ु रा से बृजधाम आये िै । (अक्रूर / उद्धव)

10. ‘छु अि टू ट रघुपहिहु न दोसू’ कर्न ------------------ का िै । (हवश्वाहमत्र / लक्ष्मण )

11. परशु राम स्वभाव से. .. .. .. .. .. .. र्े । (क्रोधी / दयालु )

12. रघुकुल में दे विा ब्राह्मण, ईश्वर भि और. .. .. .. .का वध निीं हकया जािा र्ा।

(गाय/ पहियों )

13. . .. .. .. .. .. .व्यक्ति अपनी प्रशं सा स्वयं िी करिे िैं । (हनडर / कायर)

14. परशु राम के गुरु. .. .. .. .. .. .. .र्े । (भगवान हशव / भगवान हवष्णु )

15. कहव के सरल स्वभाव के कारण. .. .. .. .. .. .. .ने धोखा हदया िै । (हमत्रों /

ररश्ते दारों)।

16. आहलं गन में आिे-आिे. .. .. .. .. .. . जो भाग गया। (रूठकर / मु सक्या)

17. हनराला ने बादलों से. .. .. .. .. .. का आग्रि कर रिा िै । (बरसने / नाचने )

18. हनराला ने बादलों को .. .. .. .के समान सुन्दर बिाया िै । (केशों/आाँ खों)

19. उत्साि कहविा की भाषा. .. .. .. .. .. . िै । (संस्कृिहनष्ठ खड़ी बोली/ बघेली)

20. हनराला की अहधकां श रचनाएाँ . .. .. .. . छन्द में हमलिी िैं । (गीहिका /मु िक)

21. दु हवधािि सािस का शाक्तब्दक अर्थ . .. .. .. .. .िै । (सािस िोिे हुए दु हवधाग्रस्त रिना

/ हबना दु हवधा के रिना)

22. िर चंहद्रका में हछपी एक राि. .. .. .. . िै । (कृष्णा / सुंदर)


सि जोड बनाकर वलखखए –

I (अ) (ब)
1. सूर के पद i. हनराला
2. उत्साि ii. सूरदास
3. हनराला iii. अट निीं रिी िै
4. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद iv. जयशं कर प्रसाद
5. 'आत्मकथ्य' v. िुलसीदास

Ii (अ) (ब)
1. "हवनयपहत्रका i. मं गले श डबराल
2. कामायनी ii. िुलसीदास
3. साहित्य लिरी iii. जयशं कर प्रसाद
4. युगधारा iv. सूरदास
5. पिाड़ पर लालटे न v. नागाजुथ न
Iii (अ) (ब)
1. िुम्हारी यि i. गरज में
2. र्के पहर्क की ii. दं िुररि मु सकान
3. मु ख्य गायक की iii. पंर्ा की
4. मन की मन िी iv. सट निीं रिी िै
5. आभा फागुन की िन v. मााँ झ रिी
Iv (अ) (ब)
1. सूरदास का जन् एवं मृ त्यु i. सन् 1889, सन् 1937
2. िुलसीदास का जन् एवं मृत्यु ii. सन् 1478, सन् 1583
3. जयशं कर प्रसाद का जन् एवं मृ त्यु iii. सन् 1532, सन् 1623
4. हनराला का जन् एवं मृ त्यु iv. सन् 1911, सन् 1998
5. नागाजुथ न का जन् एवं मृत्यु v. सन् 1948
6. मं गले श डबराल का जन् vi. सन् 1899, सन् 1961

एक वाक्य में उत्तर वलखखए

1. सूरदास भक्तिकाल की हकस शाखा के कहव िैं ?


2. गोहपयों के अनु सार राजा का धमथ क्या िै ?
3. सूर-सारावली के कहव का क्या नाम िै ?
4. हिहिज भाग 2 में संग्रहिि सूर के 4 पद किााँ से हलए गए िैं ?
5. गोहपयों ने भ्रमर के बिाने हकस पर व्यं ग्य बाण छोड़े िैं ।
6. राम लक्ष्मण परशुराम संवाद रामचररिमानस के हकस कां ड से हलया गया िैं ?
7. गोस्वामी िुलसीदास की मृत्यु किााँ हुई ?
8. सीिा स्वयंवर में राम-लक्ष्मण हकसके सार् आए र्े ?
9. ‘बालकु बोहल बधौ नहि िोिी’ में कौन सा अलं कार िै ?
10. ऊाँगली हदखाने से कौन मु रझा जािा िै ?
11. कहव प्रसाद जी अपने हकस स्वभाव को दोष निीं दे ना चाििे ?
12. मु रझाकर हगर रिी पहत्तयााँ हकसका प्रिीक िैं ?
13. ‘आत्मकथ्य’ कहविा में हकस पि की अहभव्यक्ति हुई ?
14. प्रेयसी के कपोलों की लाहलमा की िुलना हकससे की गई िै ?
15. प्रसाद जी के आहलं गन में आिे-आिे क्या भाग गया ?
16. बादल के हृदय में कौन छु पा िै ?
17. हवश्व के सकल जन कैसे िो रिे िैं ?
18. ‘घेर-घेर घोर गगन’ में कौन सा अलं कार िै ?
19. बादल हकस हदशा से आिे िैं ?
20. िप्त धरा का सां केहिक अर्थ क्या िै ?

सत्य-असत्य वलखखए-

1. गोहपयााँ कृष्ण द्वारा चुराए गए अपने मन को वापस मााँ ग रिी िैं ।


2. अच्छे लोग परहिि के हलए दौड़े चले आिे िैं ।
3. उद्धव का संदेश गोहपयों को गुड़ की िरि मीठा लगा।
4. योग संदेश सुनकर गोहपयों की हवरि अहि बि रिी िै ।
5. राजा का धमथ िै हक प्रजा को न सिाए ।
6. हशव धनु ष राम ने िोड़ा।
7. कुछ िहत्रय राजाओं को िराकर परशु राम, राम-लक्ष्मण को िराने के सपने दे ख रिे र्े ।
8. वीर व्यक्ति अपनी प्रशं सा स्वयं करिे िैं ।
9. हशव धनु ष को खं हडि दे खकर परशु राम क्रोहधि िो उठे ।
10. परशु राम के फरसे को दे खकर लक्ष्मण भयभीि िो गए।
11. जयशं कर प्रसाद का जन् वाराणसी में हुआ।
12. 'आत्मकथ्य कहविा पिली बार 1932 में िं स पहत्रका के आत्मकर्ा हवशे षां क में प्रकाहशि हुई र्ी।
13. जयशं कर प्रसाद मौन रिकर औरों की कर्ा सुनने के इच्छु क र्े ।
14. कहव जयशं कर प्रसाद अपने जीवन के हनजी अनुभवों को सबसे बां टना चाििे िैं ।
15. कहव प्रसाद ने अपने मन को भाँ वरे का रूप हदया िै।
16. 'अट निीं रिी' कहविा फागुन की मादकिा को प्रकट करिी िै ।
17. छायावादी कहवयों में हनराला ने सबसे पिले मु िक छन्द का प्रयोग हकया।
18. हनराला पूंजीवाद के समर्थक िर्ा पोषक र्े।
19. हनराला को आधुहनक कहव भी किा जािा िै ।
20. हनराला प्रगहिवादी कहव िैं ।

लघु उत्तर य प्रश्न (02अीं क)

1. पद्य साहित्य से आप क्या समझिे िैं ? हलक्तखए।


2. हिन्दी पद्य साहित्य को हकिने कालों में बााँ टा गया िै ?नाम हलखिे हुए समयावहध भी हलक्तखए l
3. रीहिकाल को शं गार काल क्यों किा गया िै ? हलक्तखए।
4. रीहिकालीन दो कहवयों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना हलक्तखए।
5. प्रयोगवाद की कोई दो हवशे षिाएाँ / प्रवृहत्तयााँ हलक्तखए।
6. प्रयोगवादी दो कहवयों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना का नाम हलक्तखए।
7. प्रगहिवादी दो कहवयों के नाम एवं प्रत्येक की एक -एक रचना का नाम हलक्तखए।
8. प्रगहिवाद की कोई दो हवशे षिाएाँ /प्रवृहत्तयााँ हलक्तखए।
9. नई कहविा की कोई दो हवशे षिाएाँ /प्रवृहत्तयााँ हलक्तखए।
10. नई कहविा के दो कहव एवं उनकी एक-एक रचना का नाम हलक्तखए।
11. सूरदास की काव्यगि हवशेषिाएाँ हलक्तखए।
12. सूरदास के साहित्य का भावपि हलखिे हुए 2 रचनाओं के नाम हलक्तखए।
13. मिाकहव सूरदास का साहित्य में स्र्ान हनधाथ ररि कीहजए।
14. गोस्वामी िुलसीदास की दो रचनाओं के नाम एवं काव्यगि हवशे षिाएाँ हलक्तखए।
15. गोस्वामी िुलसीदास के काव्य का भावपि एवं हिन्दी साहित्य में उनका स्र्ान हलक्तखए।
16. जयशं कर प्रसाद की काव्यगि हवशे षिाएाँ हलक्तखए।
17. जयशं कर प्रसाद के काव्य का भावपि स्पष्ट कीहजए।
18. आधुहनक हिन्दी साहित्य में जयशं कर प्रसाद का क्या स्र्ान िै ?
19. हनराला के काव्य का भावपि एवं कलापि हलक्तखए।
20. हनराला की दो रचनाएाँ एवं हिन्दी साहित्य में उनका स्र्ान स्पष्ट कीहजए।
21. कहव नागाजुथ न की दो रचनाएाँ एवं हिन्दी साहित्य में उनका स्र्ान हलक्तखए |
22. कहव नागाजुथ न के काव्य का भावपि हलक्तखए |
23. गोहपयों द्वारा उद्धव को भाग्यवान किने में क्या व्यंग्य हनहिि िै ?
24. उद्धव के व्यविार की िुलना हकस-हकस से की गई िै ?
25. गोहपयों ने हकन-हकन उदािरणों के माध्यम से उद्धव को उलािने हदए िै ?
26. उद्धव द्वारा हदए गए योग के संदेश ने गोहपयों की हवरिाहि में घी का काम कैसे हकया ?
27. 'मरजादा न लिी के माध्यम से कौन सी मयाथ दा न रिने की बाि की जा रिी िै ?
28. कृष्ण के प्रहि अपने अनन्य प्रेम को गोहपयों ने हकस प्रकार अहभव्यि हकया िै ?
29. गोहपयों के अनु सार राजा का धमथ क्या िोना चाहिए ?
30. परशु राम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टू ट जाने के हलए कौन-कौन से िकथ हदए ?
31. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या हवशेषिाएाँ बिाई ?
32. अवधी भाषा आज हकन-हकन िे त्रों में बोली जािी िै ?
33. कहव जयशं कर प्रसाद आत्मकर्ा हलखने से क्यों बचना चाििे र्े ?
34. आत्मकर्ा सुनाने के संदभथ में अभी समय भी निीं कहव ऐसा क्यों कििा िै ?
35. स्मृहि को 'पार्े य' बनाने से कहव प्रसाद जी का क्या आशय िै ?
36. हनराला बादल से फुिार, ररमहझम या बरसने के स्र्ान पर गरजने के
37. कहविा का शीषथ क ‘उत्साि’ क्यों रखा गया िै ?
38. ‘उत्साि’ कहविा में बादल हकन-हकन अर्ों की ओर संकेि करिा िै ?
39. कहव हनराला की आाँ ख फागुन की सुंदरिा से क्यों निीं िट रिी िै ?
40. फागुन में ऐसा क्या िोिा िै जो बाकी ऋिुओं से हभन्न िोिा िै ?
41. बच्चे की दं िुररि मु स्कान का कहव नागाजुथ न के मन पर क्या प्रभाव पड़िा िै ?
42. बच्चे की मु स्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंिर िै ?
43. कहव नागाजुथ न के अनु सार फसल क्या िै ?
44. फसल को िार्ों के स्पशथ की गररमा और महिमा किकर कहव क्या व्यि करना चाििा िै ?
45. कहव नागाजुथ न ने फसल को िजार िजार खे िों की हमट्टी का गुणधमथ क्यों किा िै ?

िावाथथ:-
वनम्नवलखखि पद्याींिोीं का सींदिथ-प्रसींग सविि िावाथथ वलखखए- (03 अीं क)

1. ऊधौ, िुम िौं अहि बड़भागी।


अपरस रिि सने ि िगा िैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइहन पाि रिि जल भीिर, िा रस दे ि न दागी।
ज्ौं जल मााँ ि िेल की गागरर, बूाँद न िाकौं लागी।
प्रीहि नदी मैं पााँ ऊ न बोरयौ, दृहष्ट न रूप परागी।
सूरदास अबला िम भोरी, गुर चोंटी ज्ौं पागी।।
2. िमारे िरर िाररल की लकरी।
मन क्रम बचन नं द नं दन उर, यि दृि करर पकरी।
जागि सोवि स्वप्न हदवस हनहस, कान्ह कान्ह जकरी।
सुनि जोग लागि िै ऐसों, ज्ौं कुरुई ककरी।
सु िौ ब्यािी िमको लै आए. दे खी सुनी न करी।
यि िो सूर हिनहिं लै सौपों हजनके मन चकरी।

3. नार् संभुधनु भं जहनिारा, िोइहि केउ एक दास िुम्हारा ।।


आहयसु काि कहिअ हकन मोिी, सुहन ररसाई बोले मु हन कोिी ।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई, अररकरनी करर कररअ लराई ।।
सुनहु राम जोहि हसवधनु िोरा, सिसबाहु सम से ररपु मोरा ।।

4. मधुप गुन-गुना कर कि जािा कौन किानी यि अपनी,


मु रझाकर हगररिी पहत्तयों दे खो हकिनी आज घनी।
इस गंभीर अनं ि-नीहलमा में असंख्य जीवन-इहििास,
यि लो, करिे िी रििे िैं अपना व्यं ग्य-मलहन उपिास।

5. बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
लहलि लहलि, काले घुाँघराले ,
बाल कल्पना के से पाहल,
वज हछपा, नू िन कहविा,
हफर भर दो-
बादल, गरजो!

6. बादल, गरजो!
हवकल हवकल, उन्न र्े उन्न
हवश्व के हनदाघ के सकल जन,
आए अज्ञाि हदशा से अनं ि के घन !
िप्त धरा, जल से हफर
शीिल कर दो -
बादल, गरजो!

7. िुम्हारी यि दं िुररि मु सकान


धन्य िुम, मााँ भी िुम्हारी धन्य !
हचर प्रवासी मैं इिर.मैं अन्य!
इस अहिहर् से हप्रय िुम्हारा क्या रिा संपकथ
उाँ गहलयााँ मााँ की करािी िैं मधुपकथ
8 . एक के निीं,
दो के निीं,
ढे र सारी नहदयों के पानी का जादू :
एक के निीं,
दो के नहिं
लाख-लाख कोहट-कोहट िार्ों के स्पशथ की गररमा:
एक की निीं,
दो के निीं,
िज़ार-िज़ार खे िों की हमट्टी का गुण धमथ :

9. अट निीं रिीं िै ,
आभा फागुन की िन
सट निीं रिीं िै |

10 . किीं सााँ स ले िे िो,


घर-घर भर दे िे िो
उड़ने को नभ में िुम
पर-पर कर दे िे िो
आाँ ख िटािा हाँ िो
िट निीं रिी िै |

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इकाई – 2

काव्य – बोध

क्र इकाई एवम् ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 3 4 5
अीं क अीं क अीं क अीं क
इकाई काव्य बोध 10 06 02 --- --- --- 02
2 1. काव्य की पररभाषा एवं
भे द (प्रबन्ध काव्य के
भे द)
2. रस: अंग एवं प्रकार
उदािरण सहिि
3. छन्द : दोिा एवं चौपाई
4. अलं कार : मानवीकरण
,पुनरुक्ति प्रकाश,
अहिशयोक्ति, अन्योक्ति
अलं कार

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अीं क)


सि ववकल्प चुनकर वलखखए –
1. 'रसात्मकं वाक्यं काव्यं ' पररभाषा हकस आचायथ की िै ?
अ. आचायथ जगन्नार् ब. आचायथ मम्मट
स. आचायथ हवश्वनार् द. आचायथ रामचन्द्र शु क्ल
2. काव्य के भे द िोिे िैं –
अ. एक ब. दो स. िीन द. चार
3. हकस काव्य के छन्द एक कर्ा के धागे में माला की िरि गुर्े िोिे िै ?
अ. मु िक काव्य ब. प्रबंध काव्य स. श्रव्य काव्य द. दृश्यकाव्य
4. ‘आलं म्बन’ और उद्दीपन का संबंध िै -
अ. स्र्ायी भाव से ब. संचारी भाव से स. हवभाव से द. अनु भाव से
5. संचारी भावों की संख्या िै -
अ. 32 ब. 33 स. 34 द. 35
6. जु गुप्सा हकस रस का स्र्ायी भाव िै -
अ. अद् भु ि ब. वीभत्स स. रौद्र द. भयानक
7. लय, िुक, यहि, गहि, मात्रा एवं चरण से युि रचना को कििे िैं -
अ. रस ब. छन्द स. अलं कार द. इसमें से कोई निीं
8. काव्य की शोभा बिाने वाले कारक को कििे िैं -
अ.रस ब. छन्द स. अलं कार द. उपयुथि में से कोई निीं

9. ‘दोिा’ छन्द के हद्विीय और चिुर्थ चरण में मात्राएाँ िोिी िैं -


अ. 13-13 ब. 11 -11 स 12-12 द. 16-11
ररक्त स्थान में सि िब्द चुनकर वलखखए –

1. नायक के जीवन की हकसी एक घटना अर्वा हृदयस्पशी अंश का पू णथिा के सार् अंकन
.................... काव्य में हकया जािा िै । (मिाकाव्य / खण्ड काव्य)
2. अहभनय ित्व की प्रधानिा .................... काव्य में िोिी िै । (दृश्यकाव्य / श्रव्यकाव्य)
3. काव्य में रस का अर्थ .................... स्वीकार हकया गया िै । (आनं द / अलं कार)
4. नायक - नाहयका के संयोग या हवयोग का वणथन .................... रस में िोिा िै ।
(िास / शं गार)
5. कहविा के रचना हवधान को .................... कििे िै । (छन्द / रस)
6. चौपाई के प्रत्येक चरण में .................... मात्राएाँ िोिी िै । (16-16 /24-24)
7. छन्द .................... प्रकार के िोिे िैं । (आठ / दो)
8. जिााँ लोक की मयाथ दा को पार करके हकसी वस्तु का अत्यंि बिा चिाकर वणथन हकया जािा िै विााँ
.................... अलं कार िोिा िै । (अन्योक्ति / अहिशयोक्ति)
9. वीर रस का स्र्ाई भाव .................... िै । (उत्साि / क्रोध)
10. ‘‘बार-बार मोहि लाहग बोलाबा’’ पक्ति में अलं कार िै । (पुनरूक्तिप्रकाश / उपमा)

सि जोड बनाकर वलखखए –

i अ ब
1. कामायनी - क. छन्द
2. दोिा - ख. खण्ड काव्य
3. सुदामाचररत्र - ग. मिाकाव्य
4. नाटक - घ. हनवेद
5. शां ि रस - ड. दृश्यकाव्य

ii अ ब
1. काव्य की आत्मा - क. माहत्रक छन्द
2. छन्द के प्रकार - ख. रस
3. चौपाई - ग. दो
4. िीन वणो का मेल - घ. शं गार परक
5. हबिारी सिसई - ड. गण

iii. अ ब
1. अलं कार - क. अन्योक्ति
2. जिााँ अप्रस्तु ि कर्न से - ख. मानवीकरण
प्रस्तु ि का बोध िो
3. प्रकृहि में मानवीय - ग. आभू षण
हक्रयाओं का आरोपण
4. लोक मयाथ दा की सीमा - घ. पुररूक्ति प्रकाश
लााँ घ कर वणथन
5. जिााँ एक िी शब्द दो - ड. अहिश्योक्ति
बार आए और उसका
अर्थ भी न बदले
एक वाक्य में उत्तर वलखखए –

1. हकस काव्य में पूवाथ पर संबंध निीं िोिा िै ?


2. रामचररिमानस का प्रमु ख छन्द कौन सा िै ?
3. मु ख्य रूप से स्र्ाई भावों की संख्या हकिनी िै ?
4. ‘बिरस लालच लाल की’ पक्ति में कौन सा रस िै?
5. अद्धथ -सम माहत्रक छन्द क्या िै ?
6 . ‘पड़ी अचानक नदी अपार, घोड़ा कैसे उिरे पार
राणा ने सोचा इस पार, िब िक चेिक र्ा उस पार
इन पक्तियों में कौन सा अलं कार िै ?
7 . ‘गणों’ की कुल संख्या हलक्तखए।
8 . 16-16 मात्राओं का चरण हकस छन्द में िोिा िै?
9 . ‘साकेि’ एवं ‘पंचवटी’ रचनाओं के रचनाकार का नाम हलक्तखए।
10 . मात्राओं की संख्या पर आधाररि छन्द क्या किलािे िैं ?
11 . हजन कारणों से स्र्ायी-भाव िीव्र िोिे िै उन्हें क्या कििे िैं ?

सत्य / असत्य कथन वलखखए –

1. रामचररिमानस मिाकाव्य िै ।
2. दृश्य-काव्य में अहभनय ित्व प्रधान िोिा िै ।
3. माहत्रक छन्द में मात्राओं की हगनिी हनहिि रििी िै।
4. वाहणथक छन्द में गण का बहुि मित्व िै ।
5. रस के साि अंग िै ।
6. जिााँ अलौहकक आियथ का भाव उत्पन्न िो विॉ वीभत्स रस िोिा िै ।
7. कबीर-िुलसी वृंद रिीम आहद कहवयों के भक्ति और नीहि परक दोिे पाठ्य पुस्तक के अंिगथि आिे
िैं ।
8. अन्योक्ति अलं कार में लोकसीमा को पार करके बिा चिाकर वणथन िोिा िै ।
9. ‘बन-ठन के आये, काले -काले मे घ में पुनरूक्ति प्रकाश अलं कार का उदािरण िै ।

अवि लघु उत्तर य/ लघु उत्तर य प्रश्न (02 अीं क)

1. काव्य की पररभाषा हलक्तखए।


2. मिाकाव्य हकसे कििे िैं ?
3. दो खण्डकाव्यों के नाम हलक्तखए।
4. रस के अंगों के नाम हलक्तखए।
5. ‘छन्द’ के हकिने भे द िैं ?
6. ‘हवभाव’ हकसे कििे िैं ? यि हकिने प्रकार के िोिे िैं ?
7. ‘चौपाई’ छन्द का उदािरण हलक्तखए।
8. अहिश्योक्ति अलं कार की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
9. अलं कार हकसे कििे िैं ?
10. हिन्दी के दो प्रहसद्ध मिाकाव्यों के नाम हलक्तखए।
11. वीर रस और रौद्र रस के स्र्ायी भाव हलक्तखए।
12. ‘वात्सल्य’ रस की पररभाषा हलक्तखए।
13. प्रबंध काव्य के भे द हलक्तखए।
14. मिाकाव्य एवं खण्ड काव्य में अंिर हलक्तखए।
15. अन्योक्ति अलं कार की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए ।
16. दसवां रस हकसे माना गया िै ? उदािरण सहिि हलक्तखए।
17. ‘यमािाराजभानसलगा’ यि सूत्र हकसके हलए और क्यों प्रयुि िोिा िै ?
18. ‘मानवीकरण’ अलं कार की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
19. हवभाव और अनु भाव में अंिर हलक्तखए।
20. िीन मिाकाव्यों के नाम रचनाकार सहिि हलक्तखए।
21. चौपाई छन्द के लिण उदािरण सहिि हलक्तखए।
22. ‘स्र्ायी भाव’ हकसे कििे िैं और यि किााँ हवद्यमान रििे िैं ?
23. काव्य के प्रमु ख भे द हलक्तखए।
24. काव्य हकसे कििे िैं ? काव्य के प्रमु ख भे दों को समझाइए।
25. ‘मिाकाव्य’ के प्रमु ख लिण हलक्तखए एवं एक मिाकाव्य का नाम रचनाकार सहिि हलक्तखए।
26. ‘खण्डकाव्य’ को खण्डकाव्य क्यों कििे िै ? पररभाहषि करिे हुए खण्डकाव्य के उदािरण हलक्तखए।
27. प्रबंध काव्य और मु िक काव्य में अंिर हलक्तखए।
28. ‘रस’ हकस कििे िैं ? आचायथ जगन्नार् के अनु सार रस की पररभाषा हलक्तखए।
29. रस के प्रमु ख अंगों का वणथन उदािरण दे कर कीहजए।
30. पुनरूक्ति प्रकाश अलं कार की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
31. अलं कार की पररभाषा एवं भे द हलक्तखए।
32. आख्यानक गीहियााँ हकसे कििे िैं ? उदािरण सहिि हलक्तखए।
33. छन्द की पररभाषा हलक्तखए |
34. दोिा छन्द का उदािरण हलक्तखए l
35. दोिा छन्द की पररभाषा हलक्तखए l

वविेष ि प – रस,छन्द अलींकार एवीं काव्य िेद आधाररि अन्य उदािरणोीं का अभ्यास ि विक्षक
द्वारा कराया जाए |
इकाई - 3
वक्षविज िाग-2 गद्य खण्ड

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई वक्षविज िाग 2, गद्य खण्ड
3 • गदय की प्रमु ख एवं गौण
17 06 04 01 --- --- 05
हवधाएाँ
• ले खक पररचय
• व्याख्या (सन्दभथ , प्रसंग,
व्याख्या, हवशे ष)
• हवषयवस्तु एवं हवचार बोध
पर आधाररि प्रश्न

वस्तुवनष्ठ प्रश्न
(01 अीं क)
सि ववकल्प चुनकर वलखखए -
1 “ने िा जी का चश्मा” पाठ की हवधा िै -
(अ) एकां की (ब) हनबन्ध
(स) व्यं ग्य (द) किानी

2 ‘स्वयं प्रकाश’ जी का जन् हुआ र्ा -


(अ) मध्यप्रदे श में (ब) राजस्र्ान में
(स) गुजराि में (द) उत्तरप्रदे श में

3 स्वयं प्रकाश जी ने पहत्रका का संपादन हकया -


(अ) सरस्विी का (ब) वसुधा का
(स) कादक्तम्बनी का (द) जनवाणी का

4 ‘कैप्टन’ नाम र्ा -


(अ) पान वाले का (ब) सैहनक का
(स) िालदार सािब का (द) चश्मे वाले का

5 ‘ने िा जी का चश्मा’ किानी का मू लभाव िै -


(अ) हशिा का हवकास (ब) समाजसुधार
(स) प्रेम सम्बन्ध (द) दे श भक्ति की भावना

6 कस्बे के चौरािे पर प्रहिमा लगी र्ी -


(अ) मिात्मा गां धी की (ब) भीमराव अम्बे डकर की
(स) सरदार पटे ल की (द) सुभाषचन्द्र बोस की
7 ने िा जी की मू हिथ लगवाई गई र्ी -
(अ) वन हवभाग द्वारा (ब) नगरपाहलका द्वारा
(स) नगरहनगम द्वारा (द) हशिा हवभाग द्वारा

8 ‘कलम का जादू गर’ किा जािा िै -


(अ) स्वंय प्रकाश जी को (ब) सवेश्वर दयाल सक्सेना जी को
(स) मन्नू भं डारी को (द) रामवृि बेनीपुरी जी को

9 ‘बालगोहवन भगि’ पाठ की हवधा िै -


(अ) जीवनी (ब) आत्मकर्ा
(स) रे खाहचत्र (द) संस्मरण

10 बालगोहबन भगि र्े -


(अ) साधु (ब) गृिस्र्
(स) सािब (द) पुजारी

11 बालगोहबन भगि जी पद गािे र्े -


(अ) कबीर के (ब) सूरदास के
(स) मीरा के (द) िुलसीदास के

12 बालगोहबन भगि पाठ प्रिार करिा िै -


(अ) कुरीहियों पर (ब) दिे ज लोहभयों पर
(स) हशिा पर (द) राजनीहि पर

13 बालगोहवन भगि गािे समय बजािे र्े -


(अ) ढोलक (ब) िबला
(स) मं जीरा (द) खं जड़ी

14 सच्चे साधु की पिचान िोिी िै -

(अ) पिनावे से (ब) भाषा से


(स) ईश्वर भक्ति से (द) उसके हवचारों से

15 ‘झूठा सच’ उपन्यास के ले खक िै -


(अ) यशपाल (ब) मन्नू भं डारी
(स) रामबृि बेनीपुरी (द) स्वयं प्रकाश

16 ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ की हवधा िै -


(अ) किानी (ब) हनबन्ध
(स) व्यं ग्य (द) रे खाहचत्र

17 नवाबों के शौक के हलए प्रहसद्ध िै -


(अ) हदल्ली (ब) लखनऊ
(स) िै दराबाद (द) भोपाल
18 मध्यप्रदे श के मं दसौर हजले में जन् हुआ र्ा -
(अ) स्वयंप्रकाश का (ब) सवेश्वर दयाल सक्सेना का
(स) यशपाल का (द) मन्नू भण्डारी का

19 ‘आपका बंटी’ उपन्यास हलखा िै -


(अ) मन्नू भं डारी ने (ब) रामवृि बेनीपरी ने
(स) यिीन्द्र हमश्र ने (द) मिावीर प्रसाद हद्ववेदी ने

20 ‘आत्मकर्ा’ हवधा में हलखा गया पाठ िै -


(अ) नौबिखाने में इबादि (ब) लखनवी अंदाज
(स) बालगोहबन भगि (द) एक किानी यि भी

21 मन्नू भं डारी के हकस व्यविार से िंग आकर हप्रंहसपल ने उनके हपिा को बुलाया?
(अ) अहशष्ट (ब) हवनम्र
(स) दु ष्ट (द) आं दोलनकारी

22 जै नेन्द्र का कौन सा उपन्यास मन्नू भण्डारी को पसंद र्ा?


(अ) सुनीिा (ब) परख
(स) त्याग-पत्र (द) भाभी
23 उस्ताद हबक्तस्मल्ला खााँ के हलए प्रहसद्ध र्े –

(अ) हसिार वादन के हलए (ब) शिनाई वादन के हलए


(स) िबला वादन के हलए (द) बां सुरी वादन के हलए

24 हबक्तस्मल्ला खााँ का दू सरा नाम र्ा -


(अ) अमीरूद्दीन (ब) अलीवख्श
(स) हमट्ठन (द) हुसैन खााँ

25 भदं ि आनं द कौसल्यायन हवशे ष प्रभाहवि र्े -


(अ) ने िरू जी से (ब) गां धी जी से
(स) अम्बे डकर जी से (द) सरदार पटे ल से

26 गद्य की हवधा निीं िै -

(अ) मिाकाव्य (ब) किानी


(स) नाटक (द) एकां की

27 उपन्यास सम्राट िैं -


(अ) जयशं कर प्रसाद (ब) प्रेमचन्द
(स) यशपाल (द) मन्नू भण्डारी

28 ‘यहद गद्य कहवयों की कसौटी िै िो हनबन्ध गद्य की कसौटी िै ’ यि कर्न िै -


(अ) मन्नू भं डारी का (ब) प्रेमचन्द्र का
(स) नं द दु लारे बाजपेयी का (द) आचायथ रामचन्द्र शुक्ल का
ररक्त स्थान में सि िब्द चुनकर वलखखए –

1 लय, िाल, छन्द से आहद से मु ि रचना..............किलािी िै । (पद्य / गद्य)

2 एक अंक वाली रचना..............किलािी िै । (एकां की / किानी)

3 .. .. .. .. में ले खक अपने िी जीवन-वृत्त को प्रस्तु ि करिा िै (जीवनी/आत्मकर्ा)


4 प्रेमचन्द..............िैं । (कहव / कर्ाकार)

5 जीवनी..............की हलखी जािी िै । (स्वयं /मिापुरूष)

6 प्रहिमा बनाने वाले का नाम..............र्ा । (श्यामलाल / मोिीलाल)

7 प्रहिमा पर सरकंडे का चश्मा..............ने लगाया र्ा ।(दु कानदार ने /बच्चों ने )

8 प्रहिमा का चश्मा..............बदल दे िा र्ा । (पानवाला /कैप्टन)


9 ने िाजी की मू हिथ..............कपड़ों में र्ी । (खादी / फौजी)
10 ‘हदल्ली चलो’ का नारा..............ने हदया र्ा । (ने िा जी/ कैप्टन)
11 आषाि की ररमहझम िै । समू चा गााँ व..............में उिर पड़ा । (नहदयों/खे िों)
12 बालगोहबन भगि की मौि उन्हीं के..............हुई । (अनु रूप /हवपरीि)
13 बालगोहबन भगि पाठ..............हवधा का िै । (रे खाहचत्र / संस्मरण)
14 बालगोहबन भगि की सब चीज..............की र्ी । (स्वयं/सािब)
15 कबीर के पद उनके कंठ से हनकलकर..............िो उठिे । (हनजीव/सजीव)
16 िेरी गठरी में लागा..............मु साहफर जाग जरा । (जोर /चोर)
17 नबाब सािब ने खीरे की..............फाकों को बािर फेंक हदया । (सब/दो)
18 नवाब सािब ने संगहि के हलए..............निीं हदखाया । (सम्मान/उत्साि)
19 िम..............से नवाब सािब की ओर दे ख रिे र्े । (कनक्तखयों/क्तखड़हकयों)
20 मन्नू भं डारी का जन् मध्यप्रदे श के..............गााँ व में हुआ । (रामपुरा / भानपुरा)
21 मन्नू भं डारी की बड़ी बिन का नाम..............र्ा । (सुशीला/हवनीिा)
22 शीला अग्रवाल..............की प्राध्याहपका र्ी । (हिन्दी/संस्कृि)
23 हपिाजी के चेिरे का संिोष धीरे -धीरे ..............में बदलिा जा रिा र्ा । (गुस्से/गवथ)
24 हवक्तस्मल्ला खााँ का जन् हबिार के..............गााँ व में हुआ र्ा । (नौनिां राजगीर/डु मरां व)
25 पंचगंगा घाट..............में क्तस्र्ि िै । (काशी/प्रयाग)
26 हबक्तस्मल्ला खााँ ............मं हदर में प्रहिहदन शिनाई बजािे र्े।(हवश्वनार्/बालाजी)

27 काशी शास्त्रों में ..............के नाम से प्रहिहष्ठि िै । (आनं दकानन/वाराणसी)

28 गुरूत्वाकषथ ण का अहवष्कार..............ने हकया र्ा । (राबटथ हुक/न्यु टन)

29 अपनी योग्यिा प्रवृहत्त या प्रेरणा से अहवष्कार करने वाला..............मानव िोिा िै ।


(सभ्य/संस्कृि)

30 मानव संस्कृहि एक..............वस्तु िै । (हवभाज् /अहवभाज्)


सि जोड बनाकर वलखखए -
i अ ब
1. कैप्टन चश्मे वाला i. मिाभोज
2. बालगोहबन भगि ii. काशी
3. मोिीलाल iii. प्रहिमा पर चश्मा
4. बालम खीरा iv. कबीर पंर्
5. मन्नू भं डारी v. डराइं ग मास्टर
6. आनं द कानन vi. लखनऊ
ii अ ब
1. लखनबी अंदाज i. स्वयं प्रकाश
2. एक किानी यि भी ii. रामवृि बेनीपुरी
3. नौबिखाने में इबादि iii. यशपाल
4. संस्कृहि iv. मन्नू भं डारी
5. बालगोहबन भगि v. यिीन्द्र हमश्र
6. ने िाजी का चश्मा vi. भदं ि आनं द कौसल्यायन
iii अ ब
1. सूरज कब हनकले गा i. यशपाल
2. माटी की मू रिें ii. यिीन्द्र हमश्र
3. दादा कामरे ड iii. भदं ि आनं द कौसल्यायन
4. एक प्लेट सैलाब iv. स्वयं प्रकाश
5. यदा-कदा v. रामवृि बेनीपुरी
6. रे ल का हटकट vi. मन्नू भं डारी

एक वाक्य में उत्तर वलखखए -


1 ररपोिाथ ज हकस भाषा का शब्द िै ?
2 हिन्दी गद्य की सवाथ हधक लोकहप्रय हवधा कौन-सी िै ?
3 आधुहनक हिन्दी गद्य का हवकास हकस युग से प्रारं भ हुआ?
4 जीवनी हकसकी हलखी जािी िै ?
5 उपन्यास सम्राट हकन्हें किा जािा िै ?
6 एकां की में हकिने अंक िोिे िैं ?
7 प्रहिमा पर सरकंडे का चश्मा हकसने लगाया र्ा?
8 कम्पनी के काम के हसलहसले में कस्बे से कौन गुजरिा र्ा?
9 ने िाजी की मू हिथ हकससे बनी र्ी?
10 हदल्ली चलों नारा हकसने हदया र्ा?
11 बालगोहबन भगि हसर पर क्या पिनिे र्े ?
12 ‘कलम का जादू गर’ हकसे किा जािा िै ?
13 बालगोहबन भगि कबीर को क्या मानिे र्े ?
14 भादों के महिने में कैसा मौसम िोिा िै ?
15 कबीर के गीिों को कौन गािा र्ा?
16 बालगोहबन भगि की प्रभाहियााँ हकस माि से शु रू िोिी र्ी?
17 भारि हवभाजन की त्रासदी का माहमथ क दस्तावेज कौन सा उपन्यास िै ?
18 ने शनल कॉले ज में यशपाल जी का हकससे पररचय हुआ र्ा?
19 खीरे हकसके पास र्े ?
20 लखनऊ का कौन-सा खीरा प्रहसद्ध िैं ?
21 नबाब सािब ने खीरे की फां कों का क्या हकया?
22 मन्नू भं डारी का हववाि हकससे हुआ?
23 मन्नू भं डारी के हपिा रसोई को क्या कििे र्े ?
24 अजमे र आने से पिले मन्नू भं डारी के हपिाजी किााँ रििे र्े ?
25 शिाब्दी की सबसे बड़ी उपलक्ति क्या र्ी?
26 शास्त्रों में काशी हकस नाम से प्रहिहष्ठि िैं ?
27 हबक्तस्मल्ला खााँ को हकस सवथश्रेष्ठ सम्मान से सम्माहनि हकया गया?
28 काशी हकसकी पाठशाला िै?
29 हबक्तस्मल्ला खााँ की मााँ का नाम क्या र्ा?
30 िरनामदास हकसके बचपन का नाम र्ा?
31 संस्कृहि पाठ हकस हवधा का िै ?
32 सभ्यिा हकसका पररणाम िै?
33 आग के आहवष्कार के पीछे क्या प्रेरणा रिी िोगी?
34 मानव संस्कृहि हकस प्रकार की वस्तु िै ?

सत्य /असत्य वलखखए-


1 नाटक गद्य की हवधा निीं िै ।
2 उपन्यास में कई कर्ाओं का समावेश िोिा िै ।
3 नाटक में एक अंक िोिा िै ।
4 यहद गद्य कहवयों की कसौटी िै िो हनबन्ध गद्य की कसौटी िै ।
5 एक अंक वाली रचना किानी किलािी िै ।
6 कैप्टन चश्मे वाला आजाद हिन्द फौज का हसपािी र्ा ।
7 ने िाजी की मू हिथ संगमरमर की र्ी ।
8 ने िाजी की मू हिथ दो फुट ऊाँची र्ी ।
9 मू हिथ नगरपाहलका ने लगवाई र्ी ।
10 मू हिथकार मोिीलाल अध्यापक र्े ।
11 बालगोहबन भगि कबीर को सािब मानिे र्े ।
12 भादों की अधरहियों में भगि गीि निीं गािे र्े ।
13 बालगोहबन भगि िर वषथ गंगा निाने जािे र्े ।
14 बालगोहबन भगि के दो बेटे र्े ।
15 बालगोहबन भगि साधु र्े ।
16 नवाब सािब ने संगहि के हलए उत्साि हदखाया ।
17 नवाब सािब खीरे खाकर सो गए ।
18 नवाब सािब के पास चार खीरे र्े ।
19 लखनऊ का बालमखीरा प्रहसद्ध िै ।
20 लखनऊ को नवाबो का शिर किा जािा िै ।
21 मन्नू भं डारी 6 भाई-बहिनों में सबसे बड़ी िैं ।
22 शीला अग्रवाल संस्कृि की प्राध्याहपका र्ीं ।
23 मन्नू भं डारी की अपने हपिा से वैचाररक टकरािट र्ी ।
24 मन्नू भं डारी मू लिः एक किानीकार िैं ।
25 अमीरूद्दीन और हवक्तस्मल्ला खा एक िी व्यक्ति के नाम िैं ।
26 शिनाई स्वर-वाद्य यंत्र िै ।
27 काशी संस्कृहि की पाठशाला िै ।
28 काशी में मरण भी मं गल माना गया िै ।
29 हबक्तस्मल्ला खााँ की श्रद्धा काशी हवश्वनार् जी के प्रहि अपार र्ी ।
30 सभ्यिा संस्कृहि का पररणाम िै ।
31 मानव संस्कृहि एक अहवभाज् वस्तु िै ।
32 एक संस्कृि व्यक्ति हकसी नयी चीज की खोज करिा िै ।
33 सभ्यिा और संस्कृहि एक िी बस्तु िै ।

लघु उत्तर य प्रश्न (02अीं क)


1 आत्मकर्ा और जीवनी में दो अंिर हलक्तखए ।
2 किानी और उपन्यास में दो अंिर हलक्तखए ।
3 नाटक और एकां की में दो अंिर हलक्तखए ।
4 रे खाहचत्र और संस्मरण में दो अंिर हलक्तखए ।
5 गद्य हकसे कििे िैं ?
6 हिन्दी साहित्य में गद्य के हवकास का काल हवभाजन हलक्तखए ।
7 हनबन्ध हकसे कििे िैं ?
8 हिन्दी साहित्य के दो हनबन्धकारों के नाम और उनकी रचनाएाँ हलक्तखए ।
9 हिन्दी में उपन्यास सम्राट हकसे कििे िैं ? उनके दो उपन्यासों के नाम हलक्तखए ।
10 हिन्दी गद्य की प्रमु ख हवधाओं एवं गौण हवधाओं के नाम हलक्तखए ।
11 हिन्दी के प्रमु ख दो रे खाहचत्र लेखकों एवं उनकी एक-एक रचना के नाम हलक्तखए।
12 ररपोिाथ ज हकसे कििे िैं ?
13 रामवृि बेनीपुरी की भाषा-शै ली एवं दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
14 यशपाल की भाषा-शैली एवं दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
15 स्वयंप्रकाश की भाषा-शै ली एवं दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
16 मन्नू भं डारी की भाषा-शैली एवं दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
17 स्वयंप्रकाश, यिीन्द्र हमश्र एवं भदन्त आनं द कौसल्यायन की दो-दो रचनाओं के नाम हलक्तखए
18 सेनानी न िोिे हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कििे र्े ?
19 कैप्टन बार-बार मूहिथ पर चश्मा क्यों लगा दे िा र्ा?
20 मू हिथ पर लगा सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगािा िै ?
21 पानवाले का एक रे खाहचत्र प्रस्तु ि कीहजए ।
22 भगि की पुत्रवधु उन्हें अकेला क्यों निीं छोड़ना चाििी र्ी?
23 बालगोहबन भगि के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में हचत्र प्रस्तु ि कीहजए ।
24 भगि ने अपने बेटे की मृ त्यु पर अपनी भावनाएाँ हकस िरि व्यि की?हलक्तखए।
25 मोि और प्रेम में अन्तर िोिा िै । बालगोहबन भगि के जीवन की हकस घटना के आधार पर इस
कर्न का सच हसद्ध करे गें?
26 ले खक को नवाब सािब के हकन िाव-भावों से मिसूस हुआ हक वे उनसे बािचीि करने के हलए
िहनक भी उत्सु क निीं िै ?
27 नबाब सािब ने खीरा सूाँघकर िी क्तखड़की से बािर फेंक हदया । उन्होंने ऐसा क्यों हकया िोगा?
28 ‘लखनवी अंदाज’ किानी को आप और क्या नाम दे सकिे िैं ? हलक्तखए ।
29 इस आत्मकर्ा में ले क्तखका के हपिा ने रसोई को ‘भहटयारखाना’ किकर क्यों संबोहधि हकया िै ?
30 वि कौन सी घटना र्ी हजसके बारे में सुनने पर ले क्तखका को न अपनी आाँ खों पर हवश्वास िो पाया
और न अपने कानों पर?
31 मन्नू भं डारी के हपिा का स्वभाव शक्की क्यों िो गया र्ा?
32 सन् 1947 में मन्नू भं डारी को कौन सी सवाथ हधक मित्वपूणथ खु शी प्राप्त हुई?
33 शिनाई की दु हनया में डु मरााँ व को क्यों याद हकया जािा िै ?
34 हबक्तस्मल्ला खााँ को शिनाई की मं गल ध्वहन का नायक क्यों किा गया िै ?
35 सुहषर बाद्यों से क्या अहभप्राय िै ?
36 शिनाई को ‘सुहषर-वाद्यों’ में शाि की उपाहध क्यों दी गई िै ?
37 ‘फटा सुर न बख्शें ! लुंहगया का क्या िै आज फटी िै िो कल सी जाएगी।कर्न का आशय स्पष्ट
कीहजए
38 काशी में िो रिे कौन से पररविथन हबक्तस्मल्ला खााँ को व्यहर्ि करिे र्े ?
39 हबक्तस्मल्ला खााँ हमली-जुली संस्कृहि के प्रिीक र्े । पाठ में आए प्रसंगों के आधार पर स्पष्ट
कीहजए ।
40 उस्ताद हबक्तस्मल्ला खााँ की काशी हवश्वनार् जी के प्रहि अपार श्रद्धा र्ी, स्पष्ट कीहजए ।
41 शिनाई बजाने के हलए हकसका प्रयोग िोिा िै ?वि कैसा िोिा िै ?
42 ले खक की दृहष्ट में सभ्यिा और संस्कृहि की सिी समझ अब िक क्यों निीं बन पाई िै ?
43 वास्तहवक अर्ो में संस्कृि व्यक्ति हकसे किा जा सकिा िै ?
44 संस्कृि मानव और सभ्य मानव में क्या अंिर िोिा िै? हलक्तखए ।

गद्याींि क सींदिथ ,प्रसींग सविि व्याख्या वलखखए- (03 अीं क )

(1) बार-बार सोचिे, क्या िोगा उस कौम का जो अपने दे श की खाहिर घर-गृिस्र्ी-जवानी-हजं दगी सब
कुछ िोम दे ने वालों पर भी िाँ सिी िै और अपने हलए हबकने के मौके ढू ाँ ढिी िै । दु ः खी िो गए।

(2) वि गृिस्र् र्े , ले हकन उनकी सब चीज ‘सािब’ की र्ीं । जो कुछ खे ि में पैदा िोिा, हसर पर
लादकर पिले उसे सािब के दरबार में ले जािे जो उनके घर से चार कोस दू र र्ा - एक कबीरपंर्ी
मठ से मिलब! वि दरबार में भें ट रूप रख हदया जाकर प्रसाद रूप में जो उन्हें हमलिा, उसे घर
लािे और उसी से गुजर चलािे ।

(3) भादों की वि अंधेरी अधरहिया । अभी र्ोड़ी िी दे र पिले मू सलाधार वषाथ खत्म हुई िै । बादलों की
गरज, हबजली की िड़प् में आपने कुछ निीं सुना िो, हकन्तु अब हझल्ली की झंकार या दादु रों की
टरथ -टरथ बालगोहबन भगि के संगीि को अपने कोलािल में डु बों निीं सकिी ।

(4) यि हपिृ गार्ा मैं इसहलए निीं गा रिी हक मु झे उनका गौरव-गान करना िै , बक्ति मैं िो यि दे खना
चाििी हाँ हक उनके व्यक्तित्व की कौन सी खू बी और खाहमयााँ मे रे व्यक्तित्व के िाने -बाने में गुाँर्ी हुई
िैं या हक अनजाने -अनचािे हकए उनके व्यविार ने मेरे भीिर हकन ग्रक्तियो को जन् दे हदया।

(5) केवल बािरी हभन्निा के आधार पर अपनी परम्परा और पीहियों को नकारने वालों को क्या सचमुच
इस बाि का हबिुल एिसास निीं िोिा हक उनका आसन्न अिीि हकस कदर उनके भीिर जड़ जमाए
बैठा रििा िै । समय का प्रवाि भले िी िमें दू सरी हदशाओं में बिाकर ले जाएक्तस्र्हियों का दबाव
भले िी िमारा रूप बदल दे , िमें पूरी िरि उससे मु ि िो निीं िी कर सकिा।

(6 ) काशी आज भी संगीि के स्वर पर जगिी और उसी के र्ापों पर सोिी िै । काशी में मरण भी मं गल
माना जािा िै । काशी आनं दकानन िै । सबसे बड़ी बाि यि िै हक काशी के पास उस्ताद हबक्तस्मल्ला
खााँ जै सा लय और सुर की िमीज हसखाने वाला नायाब िीरा रिा िै जो िमे शा से दो कौमो को एक
िोने व आपस में भाईचारे के सार् रिने की प्रेरणा दे िा रिा िै ।

(7) एक संस्कृि व्यक्ति हकसी नयी चीज की खोज करिा िै , हकन्तु उसकी संिान को वि अपने पूवथज से
अनायास िी प्राप्त िो जािी िै । हजस व्यक्ति की बुक्तद्ध ने अर्वा उसके हववके ने हकसी भी नए िथ्य
का दशथ न हकया, वि व्यक्ति िी वास्तहवक संस्कृि व्यक्ति िै और उसकी संिान हजसे अपने पूवथज से
वि वस्तु अनायास िी प्राप्त िो गई िै , वि अपने पूवथज की भााँ हि सभ्य भले िी बन जाए, संस्कृि
निीं किला सकिा ।

(8 )मू हिथ संगमरमर की र्ी। टोपी की नोंक से कोट के दू सरे बटन िक कोई दो फुट ऊाँची । हजसे कििे
िैं बस्ट। और सुन्दर र्ी। ने िाजी सुंदर लग रिे र्े । कुछ-कुछ फुट मासूम और कमहसन । फौजी
वदी र्ी। मू हिथ को दे खिे िी ‘हदल्ली चलो ‘ और ‘िुम मु झे खू न दो ... ‘ वगैरि याद आने
लगिे र्े । इस दृहष्ट से यि सफल और सरािनीय प्रयास र्ा।

(9 ) जीप कस्बा छोड़कर आगे बि गई िब भी िालदार सािब इस मू हिथ के बारे में िी सोचिे रिे और
अंि में इस हनष्कषथ पर पहुाँ चे हक कुल हमलाकर कस्बे के नागररकों हुआ िै । का यि प्रयास
सरािनीय िी किा जाना चाहिए। मित्त्व मू हिथ के रं ग-रूप या कद का निीं , उस भावना का िै
वरना िो दे श-भक्ति भी आजकल मजाक की चीज िोिी जा रिी िै ।

(10 ) खे िीबारी करिे, पररवार रखिे भी, बालगोहबन भगि साधु र्े - साधु की सब पररभाषाओं में खरे
उिरने वाले । कबीर को ‘सािब’ मानिे र्े , उन्हीं के गीिों को गािे, उन्हीं के आदे शों पर चलिे।
कभी झूठ निीं बोलिे , खरा व्यविार रखिे। हकसी से भी दो टू क बाि करने में संकोच निीं करिे
, न हकसी से खामखाि झगड़ा मोल ले िे। हकसी की चीज निीं छूिे , न हबना पूछे व्यविार में
लािे।

(11 ) बालगोहबन भगि की संगीि साधना का चरम उत्कषथ उस हदन दे खा गया हदन उनका बेटा मरा।
इकलौिा बेटा र्ा वि। कुछ सुस्त और बोदा-सा र्ा , हकन्तु कारण बालगोहबन भगि उसे और भी
मानिे। उनकी समझ से ऐसे आदहमयों पर दा नजर रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए ; क्योंहक
ये हनगरानी और मु िब्बि दा िकदार िोिे िैं ।

(12 ) ठाली बैठे , कल्पना करिे रिने की पुरानी आदि िै । नवाब सािब की असुहवधा और संकोच के
कारण का अनु मान करने लगे। संभव िै , नवाब सािब ने हबलकुल अकेले यात्रा कर सकने के
अनु मान में हकफायि के हवचार से सेकण्ड क्लास का हटकट खरीद हलया िो और अब गवारा न िो
हक शिर का कोई सफेदपोश उन्हें मं झले दजे में सफर करिा दे खे ।

(13 ) नवाब सािब ने सिृष्ण आाँ खों से नमक-हमचथ के संयोग से चमकिी खीरे की फााँ कों की ओर
दे खा। क्तखड़की के बािर दे खकर दीघथ हनस्वास हलया। खीरे की एक फााँ क उठाकर िोंठों िक ले
गए। फााँ क को सूाँघा । स्वाद के आनं द में पलकें मुाँ द गईं। मुाँ ि में भर आए पानी का घूाँट गले से
उिर गया। िब नवाब सािब ने फााँ क को क्तखड़की से बािर छोड़ हदया। नवाब सािब खीरे की
फााँ कों को नाक के पास ले जाकर , वासना से रसास्वादन कर क्तखड़की के बािर फेंकिे गए।
इकाई-4
िाषा बोध

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई पर वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
आवीं विि प्रश्न प्रश्न
अीं क
1 2 3 4 5
अीं क अीं क अीं क अीं क अीं क
इकाई िाषा बोध
4 • संहध एवं समास(भे द
एवं उदािरण), ____ ____ ____
08 06 01 01
वाच्य, हक्रया के भे द
एवं हक्रया हवशे षण
• मु िावरे एवं
लोकोक्तियााँ , अने कार्ी
शब्द, वाक्यां श के हलए
एक शब्द
• वाक्य के भे द(अर्थ के
आधार पर)
• शब्द शक्ति एवं शब्द
गुण का सामान्य
पररचय

वस्तुवनष्ठ प्रश्न- (01 अंक)


सि ववकल्प चुनकर वलखखए -
1. दो वणों के मे ल को कििे िैं -
अ. संहध ब. समास स. उपसगथ द. प्रत्यय
2. संहध के भे द िोिे िैं -
अ. 2 ब. 3 स. 4 द. 5
3. दो शब्दों का अपने हवभक्ति हचन्हों को छोड़कर आपस हमलना किलािा िै -
अ. संहध ब. समास स. वाक्य रूपान्तरण द. इसमें से कोई निीं
4. हजन मूल शब्दों से हमलकर समास बना िै , उसमें से पिले पद को कििे िैं -
अ. पूवथपद ब. उत्तर पद स. पूवाथ पर द. उत्तरपूवथ
5. ‘वाच्य’ के भे द िैं -
अ. दो ब. िीन स. चार द. छः
6. जो शब्द हक्रया की हवशेषिा प्रकट करिे िै , उन्हें कििे िैं -

अ. रीहि हवशे षण ब. जाहि हवशे षण स. हक्रया हवशे षण द. इसमें से कोई निीं


7. ‘सुनार गिने बनािा िै ’ इसमें वाच्य िै -
अ. कमथ वाच्य ब. किृथवाच्य स. भाववच्य द. उपयुथि सभी
8. हकसी कायथ का करने या िोने वा बोध कराने वाले शब्द किलािे िैं -
अ. संज्ञा ब . हवशे षण स. काल द. हक्रया
9. आग बबूला िोना का अर्थ िै -
अ. मु द्राएाँ बनाना ब. क्रोध करना स. िेवर बदलना द. रं ग बदलना
10. अर्थ के आधार पर वाक्य के भे द िैं -
अ. चार ब. छ‘ स. आठ द. दस
11. हनम्नहलक्तखि में से कौन शब्द-शक्ति का भे द निीं िै -
अ. अहभधा ब. व्यं जना स. लिणा द. रस

ररक्त स्थान में उवचि िब्द चुनकर वलखखए -


1. जब हक्रया का रूप कमथ के अनु सार बदलिा िै .................... वाच्य िोिा िै ।
(कमथ वाच्य/किृथ वाच्य)
2. वाच्य प्रयोग में सबसे अहधक .................... ध्यान रखना पड़िा िै । (हवशे षण/ हक्रया)
3. समु च्चय बोधक शब्दों को .................... किा जािा िै । (योजक/हवयोजक)
4. ‘हवद्यालय’ में .................... संहध िै । (स्वर/व्यंजन)
5. हवलिण अर्थ का बोध कराने वाले वाक्य .................... किलािे िै । (मु िावरा/लोकोक्ति)
6. उड़िी हचहड़या पिचानना .................... िै । (लोकोक्ति/मु िावरा)
7. ‘हवद्यार्ी किा में पि रिे िैं ’। वाक्य में ...................हक्रया िै । (सकमथ क / अकमथ क)
8. समास के भे द .................... िैं । (8/6)
9. ‘चौरािा’ में .................... समास िै । (द्वं द/हदगु)
10. शब्द-शक्ति के .................... प्रकार िै । (3/6)

सि जोवडयााँ बनाकर वलखखए -


i अ ब
1. हजस समास में दोनों पद प्रधान िो - क. ित्पु रूष
2. रसोई घर में समास िै - ख. हद्वगु
3. ‘हत्रभु वन’ में समास िै - - ग. द्वन्द
4. ‘एक मात्र सिारा’ के हलए मु िावरा िै - घ. परास्त करना
5. दां ि खट्टे करना - ड. अंधे की लाठी

ii अ ब
1. शब्दों का सार्थ क समू ि - क. प्रश्नवाचक
2. दो या दो अहधक शब्दों का समू ि - ख. दावानल
3. लोकोक्ति को कििे िैं - ग. समास
4. क्या राम चला गया? वाक्य क्या िै ? - घ. लोगों द्वारा किा गया कर्न
5. जं गल में लगने वाली आग - ड. वाक्य

एक वाक्य में उत्तर वलखखए –

1. वाच्य क्या िै ?
2. ऐसी बाि जो लोगों द्वारा बोली जािी िै और जु बान पर चि जािी िै ।क्या किलािी िै ?
3. ‘हबजली गुल िो गयी’ यि वाक्य वाच्य का कौन- सा प्रकार िै ?
4. समु द्र मं र्न करना का अर्थ हलक्तखए।
5. हवरोध करना के हलए सिी मु िावरा हलक्तखए।
6. शब्द की प्रर्म शक्ति को क्या किााँ जािा िै ?
7. हजसका कोई शत्रु न िो।उसे क्या किा जािा िै ?
8. ‘टे िी खीर’ मु िावरे का अर्थ क्या िै ?
9. ‘प्रहिहदन’ में कौन सी समास िै ?
10. समु च्च्च्यबोधक शब्द का अहभप्राय हलक्तखए।
सत्य / असत्य वलखखए -
1. हक्रया के विथमान काल में काम िोने का पिा चलिा िै ।
2. किृथवाच्य-भाव प्रधान िोिा िै ।
3. कमथ -वाच्य में हक्रया िमे शा अकमथ क रििी िै ।
4. ‘लोक+उक्ति’ से हमलकर लोकोक्ति शब्द बना िै ।
5. ‘उससे खाना निीं खाया जािा’ में भाववाच्य िै ।
6. अहि-परीिा दे ना का अर्थ कहठन पररक्तस्र्हि में पड़ना िै ।
7. मु िावरों और लोकोक्तियों लिणा शब्द शक्ति के जररये अर्थ ग्रिण हकया जािा िै ।
8. वषाथ न िोिी िो फसल सूख जािी, हवहधवाचक वाक्य िै ।
9. मु िावरे और लोकोक्ति एक िी िै ।
10. ‘उपकार मानने वाला कृिज्ञ किलािा िै ।

लघु उत्तर य प्रश्न – (02 अीं क)


1. संहध हकसे कििे िै ? संहध के भे द हलक्तखए।
2. समास को पररभाहषि करिे हुए समास के भे द हलक्तखए।
3. ‘वाच्य’ की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
4. ‘हक्रया’ हकसे कििे िैं ? हलक्तखए।
5. ‘हक्रया’ के भे द हलक्तखए।
6. समु च्चय बोधक शब्दों का प्रयोग किााँ करिे िैं ?
7. ‘नील कण्ठ’ और ‘आदान-प्रदान’ को समास हवग्रि करके हलक्तखए।
8. ‘सीिा-पत्र हलखिी िै ’। वाक्य को प्रश्न-वाचक वाक्य में पररवहिथि कीहजए।
9. शब्द शक्ति हकसे कििे िैं ?
10. शब्द गुण के भे द हलक्तखए।
11. ‘वाक्य’ हकसे कििे िैं ? हलक्तखए।
12. अर्थ के आधार पर वाक्य के भे द हलक्तखए।
13. ‘श्री गणेश करना’ मु िावरे का अर्थ हलक्तखए।
14. ‘सज्जन’ एवं ‘मनोरर् ‘की संहधहवच्छे द कर संहधका नाम हलक्तखए।
15. माधुयथ गुण की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
16. संहध एवं समास में अंिर हलक्तखए।
17. ‘बसों मे रे नै नन में नं दलाल
मोहिनी मू रि सााँ वरर सूरि, नै ना बने हबसाल
इन पंक्तियों में कौन-सा शब्द गुण िै ? हलक्तखए।
18 अहभधा शब्द-शक्ति की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
19 ‘लो, सूयथ डूब गया’ उि वाक्य शब्द-शक्ति को पिचान कर पररभाषा हलक्तखए।
20 ‘फूला न समाना’ एवं ‘लोिा ले ना’ मु िावरों के अर्थसहिि वाक्य बनाकर हलक्तखए।
21 हक्रया हकसे कििे िैं ? इसके भे द हलक्तखए।
22 समु च्चय बोधक शब्दों की उपयोहगिा समझाइए।
23 ‘मैं आज हवद्यालय जाऊाँगा’ को हनषे धवाचक वाक्य में पररवहिथि कर हलक्तखए।
24 ‘रास्ता हदखाने वाले ’ को क्या कििे िैं ?
25. ‘बुंदेले िर बोलों के मुाँ ि , िमने सुनी किानी र्ी’ में कौन सी शब्द शक्ति िै ? कारण सहिि हलक्तखए।
26 मु िावरे और लोकोक्ति में दो अंिर हलक्तखए।
27 प्रसाद गुण की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
28 ‘लिणा’ शब्द शक्ति की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए ।
29 हनम्नहलक्तखि वाक्यों को हनदे शानु सार पररवहिथि कर हलक्तखए -
1. मैं कल भोपाल जाऊाँगी। (प्रश्नवाचक)
2. यि आपका हवद्यालय िै । (हनषे धवाचक)
3. राम घर जािा िै । (आज्ञा वाचक)
30 हनम्नहलक्तखि शब्द समू ि के हलए एक शब्द हलक्तखए -
1. जिााँ लोग परस्पर हमलें ।
2. जो सभी को स्वीकार िो।
3. हजसका आकार न िो।
31 हनम्नहलक्तखि मु िावरों के अर्थ सहिि वाक्य बनाकर हलक्तखए -
1. आाँ ख का िारा िोना
2. आग में घी डालना
3. गागर में सागर भरना
4. िूिी बोलना
32 हनम्नहलक्तखि शब्दों की संहधहवच्छे द करके संहधका नाम हलक्तखए -
1. सूयोदय 2. हनरिर
3. यद्यहप 4. हदग्गज
33 हनम्नहलक्तखि को हवग्रि कर समास का नाम हलक्तखए -
1. यर्ाशक्ति 2. गगनचुम्बी
3. पंचपत्र 4. जलज
34 हक्रया हवशे षण हकसे कििे िैं ? हक्रया हवशे षण के प्रमु ख भे द हलक्तखए।
35. अर्थ आधार पर वाक्य के भे द हलक्तखए।
36. अने कार्ी शब्द क्या िोिे िैं ? हलक्तखए l

वविेष ि प –ववषय विक्षक द्वारा सींवध एवीं समास, वाच्य, वक्रया के िेद ,वक्रया वविेषण
मुिावरे , लोकोखक्तयााँ, अने काथी िब्द, वाक्याींि के वलए एक िब्द ,वाक्य के िेद(अथथ के आधार
पर) िब्द िखक्त एवीं िब्द गु ण आवद से सम्बीं वधि अन्य प्रश्नोीं का अभ्यास ि करवाया जाए l
इकाई - 5
कृविका िाग – 2

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई कृहिका भाग – 2
5 पूरक पाठ्य पुस्तक से हवहवध पाठों
08 06 01 --- --- --- 01
पर आधाररि प्रश्न

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अीं क)


सि ववकल्प चुनकर वलखखए-

1. मााँ ने भोलानार् के घाव पर लगाया-


(अ) मरिम (ब) दवाई
(स) हपसी हुई िल्दी ( द) िुलसी का रस

2. भोलानार् का असल में नाम र्ा-


(अ) िारकेश्वरनार् (ब)अमरनार्
(स) केदारनार् (द) बद्रीनार्

3.’मइयााँ चावल अमहनया कर रिी र्ी’ अमहनया का अर्थ िै -


(अ) फटकना (ब) साफ करना
(स) चुनना (द) धोना

4. बरखा बंद िोिे िी बाग में बहुि से नजर आए-


(अ)चूिे (ब) बंदर
(स) हचरई (द) हबच्छू

5. सां प हनकलने पर डरकर भागे भोलानार् आकर हछपे-


(अ) घर के कमरे में (ब) बैठक के कोने में
(स) हपिाजी की गोद में (द) मइयााँ केअाँचल में

6. ’ साना साना िार् जोहड़’ रचना िै -


(अ)कमले श्वर की (ब) हशव प्रसाद हमश्र की
(स) मधु कां कररया की ( द) हशवपूजन सिाय की

7. एक किार में लगी सफेद सफेद बौद्ध पिाकाएं प्रिीक िैं -


(अ) शां हि और अहिं सा की (ब) सुंदरिा की
(स) आत्मा की शां हि की (द) नए कायथ की शु रुआि की
8. ’ साना साना िार् जोहड़’ गद्य की हवधा िै -
(अ) संस्मरण (ब) यात्रा वृिां ि
(स) डायरी लेखन (द) ररपोिाथ ज

9 . पिाड़ी कुत्ते भोंकिे िैं -


(अ) काली राि में (ब) चां दनी राि में
(स) आधी राि में (द) हदन में

10. ‘फेरी भे टूला’ का अर्थ िै -


(अ) हफर जाएं गे (ब) हफर आएं गे
(स) हफर चलें गे (द) हफर हमलें गे

11. मधु कां कररया की सिे ली िै -


(अ) महण (ब) हजिेन
(स) हप्रयंवदा (द) सुभद्रा

12. खे दुम िै -
(अ) फूलों का बगीचा (ब) रोडोडें डरो के फूल
(स) दे वी दे विाओं का हनवास (द) झरना
13. हिरोहशमा कहविा हकस काव्य संग्रि से ली गई िै ?
(अ) अरर ओ करुणा प्रभामय (ब) नदी के द्वीप
(स) इं द्रधनु रोंदे हुए (द) अरे यायावर रिे गा याद

14 ले खक अपनी अभ्यां िर हववशिा को पिचान पािा िै -


(अ) प्रयोग करके (ब) हलखकर
(स) सुनकर (द) पिकर

15. हिरोहशमा नामक कहविा अज्ञे य ने हलखी-


(अ) भारि में (ब) रे ल गाड़ी में बैठे बैठे
(स) जापान में (द) िवाई जिाज में

16. प्रत्यि अनु भव की अपेिा गिरी िोिी िै -

(अ) बुक्तद्ध ( ब) स्वभाव


(स) अनु भूहि (द) हववशिा

ररक्त स्थान में सि िब्द चुनकर वलखखए -


1. आम की फसल में कभी-कभी खू ब—---------- आिी िै । (आाँ धी / वषाथ )
2. कभी-कभी िमसे………………… कुश्ती भी लड़िे िैं ।( बाबूजी/ हपिाजी)
3. भोलानार् और उनके सार्ी—------------ के हबल के पानी उलीचने लगे।( चूिों/ सां पों)
4. जिााँ लड़कों का संग ििााँ बाजे …………|( मृ दंग/ िंग)
5. लड़के और बंदर पराई ……… निीं समझिे|( प्रीि/ पीर)
6. गंिोक से……….. हकलोमीटर की दू री पर यूमर्ां ग र्ा |(139/149)
7. ले पचा और ……. हसक्तक्कम की स्र्ानीय जाहियााँ िैं |( भू हटया/ सिररया)
8.. हसलीगुड़ी से िी िमारे सार् र्ी यि………. नदी |( हिस्ता/ कोसी)
9. हजिेन उत्साहिि िोकर किने लगा, “………. हिं दुस्तान का क्तस्वजरलैं ड िै | (कटाओ/ कश्मीर)
10. मं हजल से किीं ज्ादा………… िोिा िै मं हजल िक का सफर| (रोमां चक/आकषथक)
11. चाय के बागानों में कई ………. बोकू पिले चाय की पहत्तयााँ िोड़ रिी र्ी| ( युवहियां / युवक)
12. हिरोहशमा—------------------- में िै | (जापान/अमे ररका)
13. अज्ञे य…………… के हवद्यार्ी रिे िैं । (हवज्ञान /कला)
14 . अज्ञे य का जन्—------------------- में हुआ।( उत्तर प्रदे श /मध्य प्रदे श)
15 . अज्ञे य की प्रारं हभक हशिा ……………….में हुई। (पंजाब /जम्मू कश्मीर)
16 . गंिोक का मिलब ………..िै | (पठार/ पिाड़)
17 . हशवपूजन सिाय मु ख्यिः ……… के ले खक िैं | ( गद्य/ पद्य)

सि जोड बनाकर वलखखए-


(i) अ ब

1. मािा का अाँचल क अज्ञे य


2 . मैं क्यों हलखिा हाँ ? ख मािा का अाँचल
3 . हनबन्ध ग हशवपूजन सिाय
4 . साना-साना िार् जोड़ी घ मैं क्यों हलखिा हाँ ?
5 . उपन्यास का अंश ड. यात्रा वृत्तां ि

(ii) अ ब
1.हशवपूजन सिाय का जन् क सच्चीदानं द िीरानं द वात्सयायन
2 . दे िािी दु हनया ख सन् 1893
3 . सलाम आक्तखरी ग हशवपूजन सिाय
4 . अज्ञे य घ मधु कां कररया
5 . अज्ञे य का जन् ड. सन् 1911

(iii) अ ब
1. हशवपूजन रचनावली क काव्य संग्रि
2 . पत्ताखोर ख एक धमथ चक्र
3 . प्रेयर व्हील ग हनबन्ध
4 . हत्रशंकु घ उपन्यास
5 . भिदू ि ड. चार खण्ड
(iv) अ ब
1. खु ले गगन के लाल हसिारे क छोटा शाहमयाना
2 . चैरवेहि - चैरवेहि ख आम का उगिा हुआ पौधा
3 . रफ़्ता-रफ़्ता ग धीरे – धीरे
4 . अमोले घ चलिे रिो -चलिे रिो
5 . चाँदोआ ड. किानी संग्रि

(v) अ ब
1. मिवाला क पीठ के बल ले टना
2 .खे दुम ख कोलकािा में जन्
3 . िारसप्तक ग अज्ञे य
4 . मधु कां कररया घ दे वी दे विाओं का हनवास
5 . उिान ड. प्रहिहष्ठि पहत्रका
एक वाक्य में उत्तर वलखखए-
1. हिं दी का स्मरणहशल्प में हलखा गया पिला उपन्यास कौन सा माना जािा िै?
2. बरखा के बंद िोिे िी बाग में क्या -क्या नजर आए?
3. हवपदा के समय भोलानार् हकसकी शरण में जािा िै ?
4. भोलानार् का असल नाम क्या र्ा?
5. भोलानार् अपने हपिाजी को क्या किकर बुलािे र्े ?
6. भोलानार् और उनके सार्ी टू टी चूिेदानी से क्या बनािे र्े ?
7. हनम्नहलक्तखि शब्दों का अर्थ हलक्तखए-
अ. आबरवााँ ब. अमहनया
8. सामने िी रकम रकम के रं ग-हबरं गे इिने सारे फूल हदखाई पड़े हक लगा फूलों के बाग में
आ गई हाँ । रे खााँ हकि शब्द का अर्थ हलक्तखए|
9. ‘डोको’ क्या िै ?
10. अज्ञे य ने मानव हनहमथ ि सूरज हकसे किा िै ?
11. ले खक ने अपने आप को हिरोहशमा के हवस्फोट का भोिा कब मिसूस हकया?

सत्य / असत्य वलखखए -

1. िारकेश्वरनार् िी भोलानार् र्े |


2. भोलानार् को मइयााँ के गोद से हनकलकर बाबूजी की गोद में शां हि हमली|
3. गणेश जी के चूिे की रिा के हलए हशव का नं दी हनकल आया|
4. िमारे हपिाजी िड़के उठ कर हनपट निा कर पूजा करने बैठ जािे र्े |
5. कभी-कभी बाबूजी िमसे कुश्ती भी लड़के र्े |
6. िम कन्है या बनकर बाबूजी की गोद में िं सिे-िं सिे बािर आिे र्े |
7. चार लड़के बैल बनकर मोट खीच
ं ने लग जािे र्े |
8. गंगटोक मे िनिकश बादशािों का शिर िै |
9. जब हकसी बुक्तद्धस्ट की मृत्यु िोिी िै िो रं गीन पिाकाएाँ लगा दी जािी िैं |
10. सेवेन हसस्टसथ वाटरफॉल असम में िै |
11. चाय के िरे भरे बागानों में कई युवहियां बोकू पिले चाय की पहत्तयााँ िोड़ रिी र्ी|

लघु उत्तर य प्रश्न (02 अीं क)


1. बाल मनोभावों की अहभव्यक्ति करिे-करिे ले खक ने ित्कालीन समाज के पाररवाररक पररवेश
का हचत्रण भी हकया िै |”मािा का अाँचल ’ पाठ के आधार पर इस कर्न की हववेचना कीहजए|
2. भोलानार् अपने साहर्यों को दे खकर हससकना क्यों भू ल जािा िै ?
3. बच्चे मािा- हपिा के प्रहि अपने प्रेम को कैसे अहभव्यि करिे िैं ?
4. मािा का अाँचल शीषथ क की उपयुििा बिाइ|
5. भोलानार् का अपने हपिा से अहधक जु ड़ाव र्ा हफर भी हवपदा के समय मााँ की शरण ले िा िै | इसकी
क्या वजि िो सकिी िै ?
6. गंिोक को मे िनिकश बादशािों का शिर क्यों किा गया ?
7. कभी श्वे ि िो कभी रं गीन पिाकाओं का लगाना हकन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेि करिा िै ?
8. लॉन्ग स्टॉक में घूमिे हुए चक्र को दे खकर लेक्तखका को पूरे भारि की आत्मा एक िी क्यों हदखाई दी?
9. प्रकृहि के अनं ि और हवराट स्वरूप को दे खकर ले क्तखका को कैसी अनु भूहि िोिी िै ? हलक्तखए|
10. ‘ कटाओ पर हकसी भी दु कान का ना िोना उसके हलए वरदान िै |’ इस कर्न के पि में अपना
िकथ हलक्तखए|
11. प्रकृहि ने जल संचय की व्यवस्र्ा हकस प्रकार की िै ? साना साना िार् जोहड़ पाठ के आधार पर
हलक्तखए|
12. ले खक के अनु सार प्रत्यि अनु भव की अपेिा अनु भूहि उनके ले खन में किीं अहधक मदद करिी िै ।
इसका कारण हलक्तखए?
13. मैं क्यों हलखिा हाँ ?पाठ के आधार पर बिाइए हक ले खक को कौन सी बािें हलखने के हलए प्रेररि
करिी िैं ?
14. कुछ रचनाकारों के हलए आत्मानु भूहि के सार्-सार् बािरी दबाव भी मित्वपूणथ िोिा िै | यि बािरी
दबाव कौन-कौन से िो सकिे िैं ?
15. हिरोहशमा पर हलखी कहविा ले खक के अंिः और बािरी दोनों दबाव का पररणाम िै |कैसे? पाठ के
आधार पर हलक्तखए|
16. अनु भव और अनु भूहि में क्या अंिर िै ?
17. ‘मािृत्व और श्रम साधना सार् सार्’ पाठ के आधार पर पिाड़ी महिलाओं की क्तस्र्हि को स्पष्ट
कीहजए|
इकाई - 6
अपविि-बोध

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई अपहठि बोध -
6 04 ___ __ __ 01 __ 01
अपहठि काव्यां श / गद्यां श

अपविि गद्याींि
1. मानव का अकारण िी मानव के प्रहि अनु दार िो उठना न केवल मानविा के हलए लज्जाजनक
िै ,अनु हचि भी िै । वस्तु िः यर्ार्थ मनु ष्य विी िै जो मानविा का आदर करना जानिा िै , कर सकिा िै
केवल इसहलए हक कोई मनु ष्य बुक्तद्धिीन िै अर्वा दररद्र। वि घृणा का िो दू र रिा उपेिा का भी
पात्र निीं िोना चाहिए । मानव िो इसहलए सम्मान के योग्य िै हक मानव िै ,भगवान की सवथश्रेष्ठ रचना
िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
(ii) यर्ार्थ मनु ष्य हकसे कििे िैं ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
2. आप िमे शा अच्छी हजं दगी जीिे जा रिे िैं । आप िमे शा बहिया कपड़े बहिया जू िे व मोबाईल
जै से हदखावों पर बहुि खचथ करिे िैं । आप अपने शरीर पर हकिना खचथ करिे िैं ? इसका मू ल्यां कन
जरूरी िै । यि शरीर अनमोल िै । अगर शरीर स्वस्र् निीं िोगा िो आप ये सारे सामान हकस पर
टां गेंगे? अि: स्वयं का स्वस्र् रिना सबसे जरूरी िै एवं स्वस्र् रिने में िमारे खान-पान का सबसे
मित्त्वपूणथ योगदान िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) अनमोल क्या िै ?
(III) शु द्ध असली शब्दों के हवलोम शब्द हलक्तखए।

3. आदशथ व्यक्ति कमथ शीलिा में िी अपने जीवन की सफलिा समझिा िै जीवन का प्रत्येक िण वि चामथ
में लगािा िै । हवश्राम और हवनोद के हलए उसके पास हनहिि समय रििा िै । शे ष समय जन
सेवा में व्यिीि िोिा िै। िार् पर िार् रख कर बैठने को वि मृ त्यु के समान समझिा िै । काम करने
की उसमें लगन िोिी िै ,उत्साि िोिा िै । हवपहत्तयों में भी वि अपने चररत्र का पररचय दे िा िै । धैयथ की
कुदाली से वि बड़े बड़े संकट पवथिों को ढिा दे िा िै उसकी कायथकुशलिा दे खकर लोग दां िों िले
ऊाँगली दबािे िैं । संिोष उसका धन िै । वि पररक्तस्र्हियों का दास निीं िै । \पररक्तस्र्हियााँ उसकी दासी
िैं ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) उपयुथि गद्यां श में वहणथि व्यक्ति के गुणों का वणथन अपने शब्दों में कीहजए ।
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।

4 दे श प्रेम में आत्म हवस्तार का भाव हनहिि िै । हजस भाव के अंिगथि व्यक्ति पररवार और समाज की
पररहध से भी आगे अपने दे श के प्रहि अपना लगाव अनु भव करने लगिा िै , उस भाव को दे श प्रेम
के अंिगथि पररगहणि हकया जािा िै । दे श प्रेम में दे श की रिा और दे श के हवकास को मित्व हदए
जाने के सार् दे श के प्रहि पूज् भाव का संचार भी सहन्नहिि िोिा िै । जब िक व्यक्ति दे श को अपना
आराध्य निीं बनािा, िब िक दे श के प्रहि समपथण का भाव भी उसमें जाग्रि निीं िोिा।
प्रश्न -
(i) उपयुथि गद्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) दे श के प्रहि समपथण का भाव कब जाग्रि िोिा िै ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।
5. राष्टरीय भावना में शौयथभाव का अपना हवहशष्ट स्र्ान िै । राष्टर गौरव का बखान और उसकी रिा का
प्रबल भाव हजस कहविा में व्यि िोिा िै , उस वीर भाव को शौयथ के अन्तगथ ि हगना जािा िै । शौयथ
का भाव आत्मगौरव से पररपूणथ िोिा िै । हिन्दी कहविा के सुदीघथ इहििास में इस भाव की प्रहिष्ठा
प्राय: सभी युगों में िोिी रिी िै । आहदकाल से आधुहनक युग िक हकसी न हकसी रूप में शौयथ और
दे शप्रेम का भाव जाग्रि रिा िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गदयां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
(ii) शौयथ भाव क्या िै ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।

6. िमारी जीवन शै ली में कम्प्प्यूटर और इं टरने ट का दखल इस कदर बििा जा रिा िै हक संभव िै हक
आने वाले समय में इं सान कम्प्प्यूटर और कम्प्प्यूटर इं सान बन जाएगा। कम्प्प्यूटर हवशे षज्ञ और ले खक
कहव ‘रे कुजथ वील’ ने भहवष्यवाणी की िै हक सन 2029 िक कम्प्प्यूटर और इं सान में िमीज कर
पाना मु क्तिल िो जाएगा और सदी के अंि िक िो वे सवथर्ा एक रूप िो जाएाँ गे।
प्रश्न-
(i) उपयुथि गद्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
(ii) इं सान के कंप्यूटर बन जाने से समाज को क्या खिरे िैं ?
(iii) उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।

7 . लोक साहित्य में लोकगीिों का हवशे ष स्र्ान िै ये गीि व्यक्ति हवशे ष के न िोकर समू ि के
िोिे िैं । इनका रचहयिा अज्ञाि िोिा िै और ये प्राय: मौक्तखक रूप में एक पीिी से दू सरी पीिी या
एक स्र्ान से दू सरे स्र्ान में स्र्ानान्तररि िोिे रििे िैं । लोकगीि, लोकजीवन का दपथण िोिे िैं ।
हजनमें लोक संस्कृहि के समस्त पिों का वणथन िोिा िै । लोकगीि धमथ , सामाहजक रीहि-ररवाज,
दशथ न, ज्ोहिष , वैद्यक, सदाचार, उपदे श, लोक व्यविार ,मनोरं जन िर्ा जीवन के समस्त पिों
का संहचि कोष िोिे िैं ।

(i) उपयुथि गद्यां श का शीषथ क हलक्तखए।


(ii) लोकगीिों की कोई दो हवशे षिाएाँ हलक्तखए।

अपविि पद्याींि

• मााँ िुम्हारा ऋण बहुि िै मैं अहकंचन,


हकन्तु इिना कर रिा हफर भी हनवेदन,
र्ाल में लाऊाँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वि समपथण,
ज्ञान अहपथि प्राण अहपथि,
रि का कण-कण समहपथि,
चाििा हाँ दे श की धरिी िुझे कुछ और भी दू ाँ ।।
प्रश्न -
(i) उपयुथि काव्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
(ii) कहव भारि मााँ को क्या अहपथि करना चाििा िै ?
(iii) दे श की धरिी का िम पर क्या ऋण िैं ?

• गगन-गगन िेरा यश फिरा,


पवन-पवन िेरा बल गिरा,
हिहि-जल-नभ पर डाल हिं डोले ,
चरण-चरण संचरण सुनिरा,
ओ ऋहषयों के वेश,
प्यारे भारि दे श।
प्रश्न -
i उपयुथि काव्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
ii आप अपने दे श को प्यार क्यों करिे िैं ?
Iii उि काव्यां श का भावार्थ हलक्तखए।

• जी पिले कुछ हदन शमथ लगी मु झको,


पर पीछे -पीछे अक्ल जगी मु झको,
जी लोगों ने िो बेंच हदये ईमान,
जी आप न िो सुनकर ज्यादा िै रान,
मैं सोच-समझकर आक्तखर,
अपने गीि बेंचिा हाँ ,
जी िााँ हुजू र में गीि बेंचिा हाँ ’’
प्रश्न -
i उपयुथि काव्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
ii कहव को गीि बेचने में शमथ क्यों निीं आिी?
iii उपयुथि गद्यां श का सारां श हलक्तखए।

• बहिन आज फूली समािी न मन में ,


िहडि आज फूली समािी न घन में ,
घटा िै न झूली समािी गगन में ,
लिा आज फूली समािी न वन में
प्रश्न -
i उपयुथि पंक्तियााँ हकस ऋिु की ओर संकेि करिी िैं ?
ii बिन के खु श िोने का क्या कारण िै ?
iii उपयुथि गद्यां श का भावार्थ हलक्तखए।

• रॉपीं से उठी हुई आाँ खों ने मु झे,


िण भर टटोला,
और हफर,
जै से बहियािे स्वर में ,
वि िाँ सिे हुए बोला,
बाबू सच कहाँ – मे री हनगाि में ,
न कोई छोटा िै ,
न कोई बड़ा िै,
मे रे हलए िर आदमी एक जोड़ी जू िा िै ।
जो मे रे सामने ,
मरम्मि के हलए खड़ा िै ।
प्रश्न -
i मोची िर आदमी को हकस रूप में दे खिा िै ?
ii िर आदमी की मरम् मि से मोची का क्या अहभप्राय िै ?
iii उपयुथि गद्यां श का आशय स्पष्ट कीहजए।

• वीरों का कैसा िो बसंि ?


आ रिी हिमालय से पुकार
िै उदहध गरजिा बार-बार
प्राची, पहिम, भू , नभ उपार,
सब पूछ रिे िैं हदग-हदगंि,
वीरों का कैसा िो बसंि ?
प्रश्न -
(i) उपयुथि काव्यां श का शीषथ क हलक्तखए।
(ii) चीरों का बसंि कैसा िोना चाहिए?
(iii) उपयुथि काव्यां श का भावार्थ हलक्तखए।

• मैं ने छु टपन से हछपकर पैसे बोए र्े सोचा र्ा,


पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे,
रूपयों की कलदार मधुर फसले खनकेंगी,
और फूल-फलकर, मैं मोटा सेठ बनूाँ गा ।।
पर बंजर धरिी में एक न अंकुर फूटा
हमटटी ने न एक भी पैसा उगला।
सपने जाने किााँ हमटे सब धूल िो गए।
मैं ििाश िो, बां ट जोि रिा हदनों िक
बाल कल्पना के अपलक
पॉवड़े हबछाकर मैं अयोध र्ा.
मैं ने गलि बीज बोये र्े , ममिा को रोपा र्ा,
िृष्णा को सींचा र्ा।

प्रश्न-
i काव्यां श का उहचि शीषथ क हलक्तखए।
ii कहव ने पैसों के पेड़ से क्या कल्पना की िैं ?
iii उपयुथि काव्यां श का भावार्थ हलक्तखए।
इकाई - 7
पत्र-ले खन

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 3 अीं क 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई पत्र ले खन -
7 04 ___ ____ _______ 01 __ 01
औपचाररक पत्र/
अनौपचाररक पत्र

1- आप किा दसवीं- ‘अ’ के छात्र िैं , आपकी किा में छात्रों के मान से मे ज-कुसी की कमी िै ।
अपने प्राचायथ को इस समस्या से अवगि कराने िे िु एक आवेदन-पत्र हलक्तखए।
2- अपने हवद्यालय में हनयहमि खे ल प्रहशिक की व्यवस्र्ा करने िे िु अपने प्राचायथ को एक आवेदन-
पत्र हलक्तखए।
3- आप अपनी किा के नायक िैं ,आप अपनी किा के समस्त छात्रों के सार् अपने गां व/शिर की
सड़कों के हकनारे वृिारोपण करना चाििे िैं इस सं बंध में अनु महि प्राप्त करने िे िु अपने प्राचायथ
को पत्र हलक्तखए।
4- अपने हवद्यालय में अंिहवथद्यालयीन हक्रकेट प्रहियोहगिा का आयोजन कराने िे िु अपने हवद्यालय के
प्राचायथ को आवेदन- पत्र हलक्तखए।
5 आपको हपछले वषथ की छात्रवृहत्त प्राप्त निीं हुई िैं ,इस बाि की जानकारी दे ने िे िु अपने प्राचायथ
को एक आवेदन- पत्र हलक्तखए।
6- वाहषथ क परीिा की िैयारी की जानकारी दे िे हुए अपनी मािाजी को एक पत्र हलक्तखए।
7- अपने वृद्ध दादा-दादी के स्वास्थ्य की जानकारी ले ने के हलए अपने हपिाजी को एक पत्र हलक्तखए।
8- आपका पड़ोसी दे र राि िक ध्वहन-हवस्तारक यंत्रों का प्रयोग करिा िै , हजससे आपके अध्ययन में
व्यवधान उत्पन्न िोिा िै । इस बाि की हशकायि करने िे िु अपने शिर के र्ाना-प्रभारी को पत्र
हलक्तखए।
9- आपके गां व में हकसी कन्या का हववाि 18 वषथ की आयु के पूवथ िो रिा िै । इसकी सूचना दे ने
के हलए अपने र्ाना प्रभारी को एक पत्र हलक्तखए।
10- आप वाडथ क्रमां क 3 आनंद नगर रिली के हनवासी िैं । अपने वाडथ में नाहलयों के हनमाथ ण िेिु
अपने वाडथ के पाषथ द मिोदय को एक पत्र हलक्तखए।
11- अपने बैंक खािा नं . को अपने आधार नं बर से संलि (हलं क) करने िे िु बैंक प्रबंधक को एक
पत्र हलक्तखए।
12- राज् की हक्रकेट टीम में चयन िोने पर अपने हमत्र को एक बधाई पत्र हलक्तखए।
13- िाईस्कूल परीिा में अनुत्तीणथ िोने पर हनराश अपने हमत्र को सां त्वना दे िे हुए एक पत्र हलक्तखए।
14- मोबाइल गेम के दु ष्प्रभाव को समझािे हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र हलक्तखए।
15- हवद्यालय के प्राचायथ को शाला शुि से मु क्ति िे िु आवेदन- पत्र हलक्तखए ।
16- हवद्यालय के प्राचायथ को स्र्ानां िरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने िे िु आवेदन पत्र हलक्तखए।
17- सहचव माध्यहमक हशिा मंडल भोपाल को किा 10वीं की अंकसूची की हद्विीय प्रहि मं गवाने िे िु
आवेदन-पत्र हलक्तखए ।
18- वाहषथ क परीिा की िैयारी के संबंध में अपने हपिाजी को एक पत्र हलक्तखए।
19- परीिा में प्रर्म स्र्ान प्राप्त करने पर अपने हमत्र को एक बधाई-पत्र हलक्तखए।
20- हवद्यालय के बुक-बैंक से पुस्तकें प्राप्त करने िे िु अपने हवद्यालय के प्राचायथ को एक
आवेदन- पत्र हलक्तखए।
21- बड़े भाई के हववाि में आमं हत्रि करने िे िु हमत्र को आमं त्रण- पत्र हलक्तखए।

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इकाई - 8
वनबन्ध-ले खन

क्र इकाई एवीं ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अीं कवार प्रश्नोीं क सींख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवीं विि
अीं क
1 अीं क 2 अीं क 3 4 5
अीं क अीं क अीं क
इकाई • अनु च्छेद ले खन /संवाद
8 07 ---- ---- 01 01 --- 02
ले खन /हवज्ञापन ले खन
- -
• हनबन्ध ले खन (रूपरे खा
सहिि)

अनुच्छेद लेखन

हनम्नहलक्तखि हवषयों पर अनु च्छेद हलक्तखए–


• मे रे जीवन का लक्ष्य
• कोरोना काल में लॉकडाउन का दृश्य
• िमारा राष्टरीय ध्वज
• योग भगाए रोग
• भारिीय संहवधान में वहणथि िमारे मू ल किथव्य
• यहद मैं प्राचायथ िोिा
• मे रा भारि मिान
• दू र के ढोल सुिावने िोिे िैं
• हवद्यालय में मे रा पिला हदन
• बाल मजदू री
• अने किा में एकिा
• पुस्तकें: िमारी प्रर्म हमत्र
• मोबाइल गेम से िोने वाली िाहनयााँ
• ऑनलाइन हशिा
• भारिीय संस्कृहि पर अमे ररकी संस्कृहि का प्रभाव
• िमारा सौर मंडल
• उपभोिावादी संस्कृहि
• व्यावसाहयक हशिा की आवश्यकिा
• जब मैं हशिक बन जाऊाँगा
सींवाद लेखन/ववज्ञापन लेखन/सूचना लेखन
• दो हमत्रों के बीच परीिा की िैयारी पर संवाद हलक्तखए।
• श्री राम के द्वारा धनु ष िोड़े जाने पर परशु राम क्रोहधि िोिे िैं ,लक्ष्मण भी उनसे बािचीि
करिे िैं । परशु राम व लक्ष्मण के बीच हुई बािचीि या संवाद को अपने शब्दों में हलक्तखए।
• सूरदास के पद में गोहपयों व उद्धव के मध्य हुई बािचीि या संवाद को अपने शब्दों में
हलक्तखए।
• नानी के घर से लौटने के पिाि अपनी मािा के सार् संवाद हलक्तखए।
• हवज्ञापन लेखन से क्या आशय िै ?
• सूचना ले खन क्या िै ? हलक्तखए।
• अपने हकसी पसंदीदा हवषय पर हवज्ञापन बनाइए।

वनबन्ध ले खन
वनम्नवलखखि ववषयोीं पर रुपरे खा सविि वनबन्ध वलखखए–
• दै हनक जीवन पर माँ िगाई का असर
• पिला सुख-हनरोगी काया
• हशिा के िे त्र में इं टरने ट की उपयोहगिा
• शराबबंदी की आवश्यकिा एवं लाभ
• राष्टरीय हशिा नीहि 2020
• युद्ध और हवज्ञान
• प्रर्म स्विंत्रिा संग्राम
• शिर में हुए चुनाव का एक दृश्य
• आिंकवाद : कारण एवं समाधान
• महिला सशक्तिकरण के उपाय
• स्वच्छ भारि अहभयान
• ग्रामीण जीवन
• हवद्यार्ी जीवन में खे लों का मित्त्व
• प्रदू षण हनयंत्रण में िमारी व्यक्तिगि भू हमका
• भारि में जै व हवहवधिा
• भारिीय सेना: दे श का गौरव
• वैहश्वक गमाथ िट (ग्लोबल वाहमिं ग) के खिरे
• हसने मा का समाज पर प्रभाव
• हशहिि बेरोजगारी: कारण एवं समाधान
• मे री स्मरणीय यात्रा
• मे रे बचपन के हदन

वविेष ि प –ववषय विक्षक द्वारा अन्य ववषयोीं पर ि वनबन्ध लेखन का अभ्यास करवाया जाए |

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उत्तरमाला
इकाई - 1
वक्षविज िाग-2 काव्यखण्ड

सि ववकल्प

1. भक्ति काल 12. बृज 25. जयशंकर प्रसाद


2. संवि् 1900 से 13. प्रेम संबंध की 26. मंगला प्रसाद
3. सूरदास 14. वल्लभाचायथ पाररिोहषक
4. अज्ञेय 15. श्री कृष्ण 27. साये में धूप
5. रघुवीर सिाय 16. कमल का पत्ता 28. क्रां हि का
6. संवि् 1375 से 17. हवनय पहत्रका 29. बाल कल्पना
1700 िक 18. लक्ष्मण ने 30. नवजीवन वाले
7. सन् 1943 से 19. परशुराम 31. आकाश को घेर कर
8. कृष्ण के हलए 20. अवधी बरसने को
9. कड़वी ककड़ी सी 21. हवश्वाहमत्र 32. जन सामान्य की पीड़ा
10. िाररल की लकड़ी से 22. परशुराम ने 33. नागाजुथन
11. रोग 23. भोली
24. अनुप्रास

ररक्त स्थान

1. साख्यभाव 12. गाय


2. जन्ां ध 13. कायर
3. बड़भागी 14. भगवान हशव
4. लकड़ी 15. हमत्रों
5. राजनीहि 16. मुसक्या
6. पारसोली 17. बरसने
7. कृष्ण 18. केशों
8. वात्सल्य रस 19. संस्कृि हनष्ठ खड़ी बोली
9. उद्धव 20. मुिक
10. लक्ष्मण 21. सािस िोिे हुए दु हवधा ग्रस्त रिना
11. क्रोधी 22. कृष्णा
सि जोड

(i)
1) सूरदास
2) हनराला
3) अट निीं रिी िै
4) िुलसीदास
5) जयशंकर प्रसाद

(ii)
1) िुलसीदास
2) जयशंकर प्रसाद
3) सूरदास
4) नागाजुथन
5 )मंगलेश डबराल

(iii)
1) दं िुररि मुसकान
2) पंर्ा की
3) गरज में
4) मााँ झ रिी
5) सट निीं रिी िै

(iv)
1) सन् 1478,सन् 1583
2) सन् 1532 ,सन् 1623
3) सन् 1889 ,सन् 1937
4) सन् 1899 ,सन् 1961
5) सन् 1911 ,सन् 1998
6) सन् 1944

एक वाक्य में उत्तर

1. सूरदास भक्ति काल के कृष्ण भक्ति शाखा के प्रहिहनहध कहव िैं ।


2. प्रजा का हिि िी राजा का धमथ िै ।
3. सूरसारावली के कहव का नाम मिाकहव सूरदास िै ।
4. यि पद सूरसागर के भ्रमरगीि से हदए गए िैं ।
5. गोहपयों ने भ्रमर के बिाने उद्धव पर व्यंग्य बाण छोड़े िैं ।
6. यि अंश रामचररिमानस के बालकां ड से हलया गया िै ।
7. गोस्वामी िु लसीदास की मृत्यु काशी में हुई।
8. सीिा स्वयंवर में राम लक्ष्मण गुरु हवश्वाहमत्र के सार् आए र्े
9. इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार िै ।
10. उं गली हदखाने से कुम्हड़े का फल मुरझा जािा िै ।
11. कहव प्रसाद जी अपने सरल स्वभाव को दोष निीं दे ना चाििे िैं ।
12. मुरझा कर हगर निीं पहत्तयां हनराशा का प्रिीक िैं ।
13. आत्मकथ्य कहविा में जीवन के यर्ार्थ एवं अभाव पि की अहभव्यक्ति हुई िै ।
14. उषाकाल की अरुहणमा से िुलना की गई िै ।
15. प्रसाद जी के आहलंगन में आिे -आिे जीवन का सुख भाग गया।
16. बादल के हृदय में हवद् यु ि या हबजली हछपी िै ।
17. हवश्व की सकल जन गमी से व्याकुल िो रिे िैं ।
18. घेर घेर घोर गगन में अनुप्रास अलंकार िै ।
19. बादल अज्ञाि हदशा से आिे िैं ।
20. िप्त धरा का सां केहिक अर्थ सां साररक सुखों से पीहड़ि पृथ्वी िै ।

सत्य /असत्य

1. सत्य 2. सत्य 3. असत्य 4. सत्य 5. सत्य 6. सत्य 7.


सत्य 8. असत्य 9. सत्य 10. असत्य 11. सत्य 12. सत्य 13. सत्य 14.
असत्य 15. सत्य 16. सत्य 17. सत्य 18. असत्य 19. सत्य 20. सत्य

इकाई - 2
काव्य – बोध
सि ववकल्प-

1. आचायथ हवश्वनार्

2.दो 6.वीभत्स

3.प्रबंध काव्य 7.छं द

4.हवभाव से 8.अलंकार

5.33 9.11 - 11

ररक्त स्थान-

1. खण्डकाव्य 6. 16-16
2. दृश्यकाव्य 7. दो
3. आनंद 8. अहिशयोक्ति अलंकार
4. शंगार 9. उत्साि
5. छं द 10. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

सि जोड -

i 1. मिाकाव्य
2. छं द

3. खण्डकाव्य

4. दृश्यकाव्य

5. हनवेद

ii 1. रस

2. दो

3. माहत्रक छं द

4. गण

5. शंगार-परक

iii 1. आभूषण

2. अन्योक्ति

3. मानवीकरण

4. अहिशयोक्ति

5. पुनरूक्ति प्रकाश

एक वाक्य में उत्तर –

ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l

1. मुिक काव्य 2. चौपाई 3. 9 4. शंगार 5. दोिा 6 . अहिश्योक्ति

7 . आठ 8 . चौपाई 9 . मैहर्लीशरण गुप्त 10 . माहत्रक छं द 11 . हवभाव

सत्य / असत्य कथन वलखखए -

1. सत्य 2. सत्य 3. असत्य 4. सत्य 5. असत्य

6. असत्य 7. असत्य 8. असत्य 9. असत्य


इकाई - 3
वक्षविज िाग-2 गद्य खण्ड
सि ववकल्प-

1 किानी 15 यशपाल
2 मध्यप्रदे श
16 व्यं ग्य
3 वसुधा
17 लखनऊ
4 चश्मे वाले का
18 मन्नू भंडारी का
5 दे शभक्ति की भावना
19 मन्नू भं डारी का
6 सुभाषचन्द्र बोस की
20 एक किानी यि भी
7 नगरपाहलका द्वारा
21 आं दोलन कारी
8 रामबृि बेनीपुरी जी को
22 सुनीिा
9 रे खाहचत्र
23 शिनाई वादन के हलए
10 गृिस्र्
24 अमीरूद्दीन
11 कबीर के
25 गां धी जी से
12 कुरीहियों पर
26 मिाकाव्य
13 खं जड़ी
27 प्रेमचन्द
14 उसके हवचारों से
28 आचायथ रामचन्द्र शु क्ल

ररक्त स्थान-

1 गद्य 10 ने िाजी 19 कनक्तखयों

2 एकां की 11 खे िों में 20 भानपुरा

3 आत्मकर्ा 12 अनु रूप 21 सुशीला

4 कर्ाकार 13 रे खाहचत्र 22 हिन्दी

5 मिापुरूष 14 सािब 23 गवथ

6 मोिीलाल 15 सजीव 24 डु मराव

7 बच्चों ने 16 चोर 25 काशी

8 कैप्टन 17 सब 26 हवश्वनार्

9 फौजी 18 उत्साि 27 आनं दकानन

28 न्यु टन
29 संस्कृि 30 अहवभाज्

सि जोड -

(i) 1 प्रहिमा पर चश्मा

2 कबीर पंर्

3 डराइं ग मास्टर

4 लखनऊ

5 मिाभोज

6 काशी
(ii) 1 यशपाल

2 मन्नू भं डारी

3 यिीन्द्र हमश्र

4 भदं ि आनं द कौसल्यायन

5 रामवृि बेनीपुरी

6 स्वयं प्रकाश
(iii) 1 स्वयं प्रकाश

2 रामवृि बेनीपुरी

3 यशपाल

4 मन्नू भं डारी

5 यिीन्द्र हमश्र

6 भदं ि आनं द कौसल्यायन

एक वाक्य में उत्तर-

ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l

1 फ्ां सीसी भाषा का 6 एक अंक िोिा िै

2 किानी 7 बच्चों में

3 भारिेन्दु युग से 8 िालदार सािब

4 हकसी मिापुरूष या हवख्याि व्यक्ति की 9 संगमरमर से

5 प्रेमचन्द को 10 ने िा जी सुभाषचन्द्र बोस ने


11 कबीरपंहर्यों की सी कनफटी टोपी 24 इन्दौर में

12 रामवृि बेनीपुरी जी को 25 15 अगस्त 1947 को दे श का

स्विंत्र/आजाद िोना
13 कबीर को सािब मानिे र्े

26 आनं द कानन
14 वषाथ का मौसम िोिा िै

27 भारि रत्न
15 बालगोहबन भगि

28 संस्कृहि की
16 काहिथक माि से

29 हमट्ठन र्ा
17 झूठा सच उपन्यास

30 भदं ि आनं द कौसल्यायन का


18 भगिहसंि और सुखदे व से

31 हनबंध हवधा का
19 नबाव सािब के पास

32 संस्कृहि का
20 बालम खीरा

33 पेट की ज्वाला
21 क्तखड़की से बािर फेंक दी

34 अहवभाज्
22 राजे न्द्र यादव से

23 भहटयार खाना

सत्य /असत्य -

1 असत्य 12 असत्य 23 सत्य

2 सत्य 13 सत्य 24 सत्य

3 असत्य 14 असत्य 25 सत्य

4 सत्य 15 असत्य 26 सत्य

5 असत्य 16 असत्य 27 सत्य

6 असत्य 17 असत्य 28 सत्य

7 सत्य 18 असत्य 29 सत्य

8 सत्य 19 सत्य 30 सत्य

9 सत्य 20 सत्य 31 सत्य

10 सत्य 21 असत्य 32 सत्य

11 सत्य 22 असत्य 33 असत्य


इकाई - 4

िाषा बोध

सि ववकल्प-

1. संहध
2. 3

3. समास

4. पूवथपद

5. िीन

6. हक्रया हवशेषण

7. कमथवाच्य

8. हक्रया

9. क्रोध करना

10. आठ

11. रस

ररक्त स्थान -

1. कमथवाच्य 2. हक्रया 3. योजक 4. स्वर

5. मुिावरा 6. मुिावरा 7. सकमथक 8. छः

9. हद्वगु 10. 3

सि जोड -

i 1. - द्वन्द

2. - ित्पुरूष

3. - हद्वगु

4. - अंधे की लाठी

5. - परास्त करना

ii 1. - वाक्य

2. - समास

3. - लोगों द्वारा किा गया कर्न

4. - प्रश्नवाचक

5. - दावानल
एक वाक्य में उत्त्िर-

ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l

1. हक्रयाओं का हवधान 2. लोकोक्ति 3. कमथवाच्य

4. कठोर पररश्रम करना 5. हसर उठाना 6. अहभधा

7. अजािशत्रु 8. कहठन कायथ 9. अव्ययी भाव

10. योजक शब्द

सत्य / असत्य –

1. सत्य 2. असत्य 3. असत्य 4. सत्य

5. सत्य 6. सत्य 7. सत्य 8. असत्य

9. असत्य 10. सत्य

इकाई - 5

कृविका िाग - 2
सि ववकल्प

1. हपसी हुई िल्दी 2. िारकेश्वनार् 3. साफ करना

4. हबच्छू 5 . मइयााँ के अाँचल में 6. मधु कां कररया की

7. शां हि और अहिं सा की 8. यात्रा वृिां ि 9. चां दनी राि में

10 . हफर हमलेंगे 11 . महण 12 . दे वी दे विाओं का हनवा

13 . अरर ओ करुणा प्रभामय 14 . हलखकर 15 . रे ल गाड़ी में बैठे बैठे

16 . अनुभूहि

ररक्त स्थान

1. आाँ धी 2. बाबूजी 3. चूिों 4. मृदंग 5 पीर


6. 149 7 . भूहटया 8. हिस्ता 9 . कटाओ 10 . रोमां चक
11 . युवहियां 12 . जापान 13 . हवज्ञान 14 . उत्तर प्रदे श
15 . जम्मू कश्मीर 16 . पिाड़ 17 . गद्य
सि जोड
(i)

1 हशवपूजन सिाय

2 अज्ञेय

3 मैं क्यों हलखिा हाँ ?

4 यात्रावृत्तां ि

5 मािा का अाँचल

(ii)

1. सन् 1893
2. हशवपूजन सिाय
3. मधु कां कहड़या
4. सक्तच्चदानंद िीरानंद वात्स्यायन
5. सन् 1911

(iii).1. चार खण्ड

2. मधु कां कहड़या


3. एक धमथ चक्र

4. हनबन्ध

5. काव्य संग्रि
(iv)

1. किानी संग्रि

2. चलिे रिो –चलिे रिो

3. धीरे -धीरे

4. आम का उगिा हुआ पौधा

5. छोटा शाहमयाना

(v)

1 प्रहिहष्ठि पहत्रका

2 दे वी दे विाओं का हनवास

3 अज्ञे य

4 कोलकािा में जन्

5 पीठ के बल लेटना
एक वाक्य में उत्तर-

ि प – यिााँ उत्तर सींवक्षप्त में वदए जा रिे िैं वकन्तु ववद्याथी को पू रा एक वाक्य बनाकर ि उत्तर वलखना
िोगा,िब ि सि उत्तर माना जाएगा और पू णथ अीं क प्राप्त िो सकेंगे l

1. दे िािी दु हनया 7. (अ) बहुि बारीक मलमल


(ब) साफ, शुद्ध
2. बहुि से हबच्छू
8. िरि – िरि
3. मइयााँ केअाँचल में
9 . बड़ी टोकरी हजसे पिाड़ी
4. िारकेश्वरनार्
महिलाएं अपनी पीठ पर रखिी िैं |
5. बाबूजी
10 . अणु बम को
6. पालकी
11 . जब अणु हवस्फोट उनके

अनुभूहि प्रत्यि में आ गया |

सत्य/असत्य

1. सत्य 7.असत्य

2. असत्य 8.सत्य

3. असत्य 9.असत्य

4. सत्य 10.असत्य

5. सत्य 11.सत्य

6. असत्य

वविेष ि प –

 विक्षक स्वयीं ि उत्तरमाला क जााँच करिे हुए ववद्यावथथयोीं को अभ्यास कराएाँ |

 ववषय विक्षक द्वारा काव्यबोध एवीं िाषा बोध इकाइयोीं में प्रश्नबैंक में वदए प्रश्नोीं
एवीं उदािरणोीं के अविररक्त अन्य प्रश्नोीं एवीं उदािरणोीं का ि अभ्यास कराया
जाए l

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