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Class 12 Hindi 15 Most VVI long Question with Answer.

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Class 12th Hindi (ह द
िं ी)
Top 15 vvi long question
PDF के लिए = 9117823062

1-: ार-जीत कविता में मशकिािे की क्या भूलमका ै


Ans-: मशकिािा का कथन ै कक म एक बार किर ार गए ैं। और गाजे-बाजे के साथ जीत न ीिं ार िौट र ी ै।
मि
ू बात की ओर ध्यान न ीिं दे र ा ै विडिंबना ै कक मशकिािे की एकमात्र जजम्मेदारी सड़क सीिंचने भर की ै सच
बोिने या लिखने की न ीिं मशकिािा बुद्धिजीिी िगग का प्रतीक ै नागररकों की भी य ी दशा ै । ककसी की जीत न ीिं
ुई ै इस कविता में कवि इतत ास और जीिन के यथाथग से पररचय कराता ै ।

2-: अगर में िाक् शजक्त ना ोती तो क्या ोता


Ans-: ममें िाक्य शजक्त ना ोती तो मनुष्य गूिंगा ोता मनुष्य को सजृ ष्ट की सबसे म त्िपूर्ग दे न उसकी िाक्य शजक्त
ै इसी िाक्य शजक्त के कारर् ि समाज में िातागिाप करता ै ि अपनी बातो को अलभव्यक्त करता ै और उसकी
य ी अलभव्यक्त िाक् शजक्त भाषा क िाती ै व्यजक्त समाज में र ता ै इसलिए अन्य व्यजक्तयों के साथ उसका
पारस्पररक सिंबि
िं और कुछ जरूरत ोती ै इसी िाक्य शजक्त के कारर् ि मनुष्य ै यहद में इसी िाक्य शजक्त का
अभाि ोता तो मनुष्य जानिरों की भािंतत ी ोता ि अपनी कियाओिं को अलभव्यक्त न ीिं कर पाता जो म सुख दख

इिंहियों के कारर् अनभ
ु ि करते ैं।

3-: लशक्षा का क्या अथग ै एििं इसका क्या कायग ै स्पष्ट करें
Ans-: लशक्षा का अथग ै कक जीिन के सत्य से पररधचत ोना और सिंपूर्ग जीिन की प्रकिया को समझने में मारी मदद
करना ै क्योंकक जीिन वििक्षर् ै ये पक्षी ये िूि ये िैभिशािी िक्ष
ृ ये आसमान ये लसतारे ये मत्स्य सब मारा
जीिन ै केिि इतना ी न ीिं अवपतु इससे क ीिं ज्यादा जीिन ै म कुछ परीक्षाएिं उत्तीर्ग कर िेते ैं म वििा कर
िेते ैं बच्चे पैदा कर िेते ैं म सदै ि जीिन से भायकुि धचिंततत और भयभीत बने र ते ैं लशक्षा इन सब का
तनराकार करती ै भय के कारर् मेिा शजक्त किंु हित ो जाती ै लशक्षा इसे दरू करता ै लशक्षा समाज के ढािंचे के
अनुकूि बनाने में आपकी स ायता करती ै ि सामाजजक समस्याओिं का तनराकरर् करता ै लशक्षा का य ी कायग ै

4-: किा-किा के लिए लसद्िािंत क्या ै


Ans-: किा रसलसक्त अनुभूततयों का एक सरोिर ोती ै किाकार किा की रचना से कोई कृत खड़ा करता ै किाकृतत
की प्रकृतत रस प्रदान करता ै किा के नाम पर एक आडिंबर की रचना ोती ै किा, किा के लिए ै ना कक मन में
अतजृ तत उत्पन्न करने का स्रोत ै

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5-: ि ना लसिं का चररत्र धचत्रर् करें
Ans-:
प्रस्तुत क ानी के मुख्य पात्र ि ना लसिं , जारा लसिं , बोिा लसिं , कीरत लसिं , िजीरा लसिं और इन पात्रों में ि ना लसिं ,
क ानी का मूख्य पात्र ै
य एक आदशग क ानी ै प्रेमी ि ना लसिं और प्रेलमका सरदारनी वििा रह त ोकर भी अपने हृदय में प्रेम का दीप
जिाते र ते ैं ि दीप कभी बुझने िािा न ीिं ै जारा लसिं उस सरदारनी के पतत ै और बोिा लसिं उसका पुत्र ै
दोनों सैतनक ै ि कतगव्य का पक्का
ै उसमें िीरता कूट-कूट कर भरी ु ई ै उसके शब्दों में बबना िेरे घोड़ा बबगड़ता
ै और बबना िड़े लसपा ी, उसका मानना ै की अभ्यास से ी मनष्ु य दक्ष ोता ै िड़कर ी कोई अपनी िीरता
प्रदलशगत कर सकता ै
ि ना लसिं भािुक व्यजक्त ै उसमें मानिीय सिंिेदना कूट-कूट कर भरी ु ई ै , ि असिि प्रेमी ै ि अपने िादों को
पूरा करने के लिए अपना जीिन दािंि पर िगा हदया, सरदारनी को हदए िादा को परू ा करने के लिए अपने प्रार् की
आ ु तत दे दी। ि ना लसिं एक अच्छा आदशग व्यजक्त ै सच्चे अथों में ि ी क ानी का नायक ैं

6-: लसपा ी की मािं की कथा िस्तु प्रस्तुत करें !


Ans-: रात के समय मााँ-बेटी आपस में बातचीत करती ै । मन्
ु नी अपनी मााँ से क ती ै कक मेरी कुछ सा े लियों के कड़े
ब ु त ी सुन्दर ैं जजन् ें ि सारे गााँि में ैं हदखाती ैं। तब बबशनी उसे तयार भरे स्िर में क ती ै कक तेरा भाई तेरे
लिए उनसे भी अच्छे कड़े िाएगा ।
इसके बाद दोनों सो जाती ैं। स्ितन में बबशनी को मानक (उसका बेटा) हदखाई दे ता ै । ि उससे बातचीत करती ै।
ि बुरी तर घायि ै और बताता ै कक दश्ु मन उसके पीछे िगा ै । ि ााँ एक लसपा ी आता ै और ि उसे मरा
ु आ बताता ै । य सुनकर बबशनी स म जाती ै िेककन तभी मानक क ता ै कक मैं मरा न ीिं ू ाँ। ि लसपा ी मानक
को मारने की बात क ता ै। िेककन बबशनी क ती ै कक मैं इसकी मााँ ू ाँ और इसे मारने न ीिं दाँ ग
ू ी।
ि जोर-जोर से मानक । मानक ! क ती ै ! उसकी आिाज सुनकर मुन्नी ि ााँ आती ै । मााँ की जस्थतत दे खकर ि
क ती ै कक तम
ु रोज भैया के सपने दे खती ो, जबकक मैंने तम
ु से क ा था कक भैया जल्दी आ जाएाँगे। किर ि अपनी
मााँ के गिे िग जाती ै।

7-: ार जीत कविता में मशकिािे की क्या भूलमका ै


Ans-: बूढा मशकिािा दे श की राजनीतत से ििंधचत ै । अगर उसे जजम्मेिारी लमिी ोती तो ार को ार क ता जीत
न ीिं क ता। ि सत्य प्रकट करता। उसे तो मात्र सड़क सीिंचने का काम सौंपा गया ै । य ी उसकी जजम्मेिारी ै । सत्य
लिखने और बोिने की मना ी ै । किर भी दस
ू रे क्षेत्र में दखि न ीिं दे ना केिि सीिंचने से ी मतिब रखता ै । इसमें
बौद्धि िगग की वििशता झिकती ै । अगर उसे सत्य क ने और लिखने की जजम्मेिारी लमिी ोती ै तो राष्र की य
जस्थतत न ीिं ोती। झि
ू ी बातों और झि
ू ी शान में जश्न न ीिं मनाया जाता। जीिन के र क्षेत्र में अमन-चैन, लशक्षा-दीक्षा,
विकास की , िारा ब ती ।

8-: चिंपारर् क्षेत्र में बाढ आने के प्रमुख कारर् क्या ै ?


Ans-: चिंपारर् क्षेत्र से बाढ का नाता पुराना ै । उस इिाके की भौगोलिक जस्थतत ऐसी ै की उसे बाढ से बचाया न ीिं
जा सकता। ह मािय से तनकिने िािी कई नहदयााँ नेपाि से ोते ु ए बब ार के इस इिाके में उतरती ै । िेककन
बरसात में ये नहदयााँ परे शानी का सबक भी बनती र ी ै कोशी एक ऐसी नदी ै जो अपनी चिंचि िारा की िज से
कुछ ज्यादा ी क र ढाती र ी ै । बाढ एक प्राकृततक घटना ै , जजसे रोका न ीिं जा सकता। मनुष्य के ह त में य ै
की बाढ के मुताबबक़ जीना सीख िे।

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9-: अिगनारीश्िर तनबिंि ने व्यक्त विचारों का सिंक्षेप में लिखें ।
उत्तर -: अिगनारीश्िर' तनबिंि में हदनकर जी ने बड़े ी उत्तम विचारों को तनरूवपत ककया ै । िे उस विभेद को लमटना
चा ते ैं जोकक नर-नारी दोनों को अिग-अिग करता ै । िे परु
ु षों की उस मानलसकता को पर्
ू तग ः गित बताते ैं कक
स्त्री के गुर् अपनाकर परु
ु ष भी स्त्री के समान ो जाएगा। हदनकर जी के अनुसार पुरुष ि नारी एक समान ैं। दोनों
के अिंदर एक-दस
ू रे के तत्त्ि भी विद्यमान ैं। नारी पुरुष से ककसी भी दशा में कमजोर न ीिं ै । हदनकर जी के अनुसार
नारी केिि नर को ररझाने या उसे प्रेरर्ा दे ने के लिए ी न ीिं बनी ै । जीिन रूपी यज्ञ में ि भी बराबर की ह स्सेदार
ै तथा य ह स्सा घर तक ी सीलमत न ीिं बजल्क बा र भी विस्तत
ृ ै । नर और नारी एक दस
ू रे के बबना अिूरे ैं।
अतः पुिंरुष में नारीत्ि की ज्योतत जगनी चाह ए तथा नारी में पौरुष का आभास ोना आिश्यक ै । हदनकर जी की
'अिगनारीश्िर' की सोच इसी बात की द्योतक ै।

10-: 'तुमुि कोिा ि कि में ' कविता का सिंक्षेप में भािाथग लिखें ।
उतर-: प्रस्तुत कविता तुमुि कोिा ि कि में शीषगक कविता में छायािाद के आिार कवि श्री जयशिंकर प्रसाद क ते ैं
कक सिंसार की ितगमान जस्थतत से क्षुब्ि अिश्य ै ककिं तु उन विषमताओिं एििं समस्याओिं में भी उन् ें आशा की ककरर्
दृजष्ट गोचर ोती ै । कवि की चेतना विकि ोकर नीिंद के पूि को ढूिंढने िगती ै । दःु ख में डूबा ु आ अिंिकारपूर्ग
मन जो तनरिं तर विषाद ै । कवि जीिन की अनेक बािाओिं एििं विसिंगततयों का भुक्तभोगी एििं साक्षी ै । कवि अपने
कथन की सम्पजु ष्ट के लिए अनेक प्रतीकों एििं प्रकृतत का स ारा िेता ै । यथा मरू ज्िािा आहद ।
इस प्रकार कवि ने जीिन के दोनों पक्षों का सक्ष्
ू म वििेचन ककया ै।

11-: प िे कड़बक में कििंक ,कािंच और किंचन से क्या तात्पयग ै ।


उत्तर -: प िे कड़बक में म ाकवि जायसी का व्यजक्तगत पररचय लमिता ै , जायसी की एक ी आाँख ै , िेककन िे उसे
कििंक न ीिं मानते। कवि के अनुसार चन्िमा में भी कििंक ै , ककन्तु ि ी सिंसार को प्रकालशत करता ै । इसी प्रकार
कााँच और किंचन का भेद भी सोने के तपने पर ी स्पष्ट ोता ै । अथागत ् व्यजक्तत्ि का तनखार दख
ु पाकर ी ोता ै।
कििंक, कााँच, और किंचन से स्पष्ट ै कक बा री सौन्दयग का म त्ि उतना न ीिं ै , जजतना आजन्तरक सौन्दयग का ै।

12-: पहित पदों के आिार पर ति


ु सी की भजक्त भािना का पररचय दीजजए ।
उत्तर -: कवि तुिसीदास भगिान राम के अनन्य उपासक थे। इनका 'रामचररतमानस' विश्ि का सिेष्ट म ाकाव्य और
िमगग्रन्थ ै । प्रथम पद में तुिसी माता सीता से तनिेदन के माध्यम से भगिान राम की शरर् में अपनी अजी पेश
करते ैं। दस
ू रे पद में तुिसी अपने को लभखारी रूप में भगिान राम के सम्मुख प्रस्तुत ककया ै । ि कियुग के कष्टों
से पीडड़त ै । जीिन दभ
ू र ै , पेट भरना मजु श्कि ै । प्रभुिं की भजक्तरूपी अमत
ृ से ी भक्त का कल्यार् सम्भि ै । इन
दोनों पदों से तत्कालिन सामाजजक जस्थतत का पता चिता ै । जनता पीडड़त थी, उसे ईश्िर के लसिा ककसी पर भरोसा
न ीिं था ।

13-: तयार का इशारा और िोि का दि


ु ारा से क्या तात्पयग ै ?
उत्तर -: 'तयार का इशारा और िोि का दि
ु ारा' मुजक्तबोि की कविता 'जन-जन का 'चे रा एक' का एक म त्िपूर्ग पिंजक्त
ै । मुजक्तबोि की य कविता िैजश्िक सिंदभग को प्रस्तत
ु करती ै । कवि के अनुसार पीडड़त और सिंघषगशीि जनता की
िैजश्िक अनुभूतत िगभग समान ोती ै चा ें मामिा तयार का ो या िोि का ।

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14-: चिंपारर् में लशक्षा की व्यिस्था के लिए गािंिीजी ने क्या ककया ?
उत्तर -: गााँिीजी का मानना था कक जब तक ग्रामीर् बच्चों की लशक्षा की व्यिस्था न ीिं ोगी तब तक केिि आधथगक
समस्याओिं को सि
ु झाने से काम न ीिं चिेगा। इसी दृजष्टकोर् के आिार पर गााँिीजी ने थोड़े हदन बाद तीन गािंिों में
आश्रम विद्यािय स्थावपत ककये-बड़ रिा, मिुबन और लभतत रिा । इस कायग े तु गााँिी जी ने कुछ तनष्िािान
कायगकत्तागओिं को तीनों गािंिों में तैनात ककया । िे कायगकत्ताग गुजरात और म ाराष्र से आये। इसमें पुिंडिीकजी और
कस्तरू बा का भी स योग र ा।

15-: िो ा क्या ै इसकी खोज क्यों की जा र ी ै ।


उत्तर -: िो ा आितग सारर्ी के समू का प िा तत्ि ै । िरती के गभग में और बा र लमिाकर य सिागधिक प्रातय
तत्त्ि ै िरती के गभग में य चौथा सबसे अधिक पाया जाने िािा तत्त्ि ै । िौ दतु नया का सबसे अधिक इस्तेमाि
ककया जाने िािा िातु ै, इसका उपयोग मुख्यतया स्टीि के रूप में ककया जाता ै जजसका िौ अयस्क मख्
ु य अियि
ै , जो प्रततिषग काम आने िािे सभी िातुओिं का िगभग 95% ह स्सा बनाता ै । इसका उपयोग मुख्य रूप से
सिंरचनात्मक अलभयािंबत्रकी अनप्र
ु योगों में और समि
ु ी प्रयोजनों, ऑटोमोबाइल्स और सामान्य औद्योधगक अनप्र
ु योगों में
ककया जाता ै ।

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