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ह िं दी के समकालीन मह ला

क ानीकार

- सौम्या प्रदीप
पूर्वपीहिका

✯ प्राचीन काल से हर्श्व साह त्य में मह लाओिं ने अपने लेखन


प्रहिभा का पररचय हदया ै ।
✯ पीह़िि और शोहिि नारी को पु रुिप्रधान सामाहिक
व्यर्स्था की अनेक हर्सिंगहियोिं से ल़िने का बल उसके
लेखन के माि ि उसे हमला ।
✯ क्ािं हिकारी आर्ाज़ की गूूँ ि ने साह त्य में ‘ नाररर्ादी हचिं िन ’
को िन्म हदया ।
मह ला लेखखकाएूँ और नारीर्ाद

✭ स्त्री िीर्न के अलहिि, अनछु ए हर्हभन्न पिोिं को एक स्त्री


हििनी प्रामाहिकिा से उद् घाहिि कर सकिी ै , उिना
पुरुश लेखक न ीिं कर सकिा ै ।
✭ नारी मन की हर्िे शिा का अिं कन अने क मह ला
लेखखकाओिंने अपने साह त्य के माध्यम से हकया ै ।
✭ नारीर्ाद हपिृ सत्तात्मक व्यर्स्था में औरिोिं की मु क्ती ,
स्वििंत्रिा िथा सिखक्तकरि की माूँ ग करिा ै ।
✯ ममिा काहलया
✯ गीिािं िहल श्री
✯ मन्नू भिंडारी
✯ हचत्रा मुद्गल
मह ला लेखखकाओिं के ✯ मृदुला गगव
उिा हप्रयिंर्दा
नाम

✯ अमृिा प्रीिम
✯ मैत्रेयी पुष्पा
✯ अलका सरार्गी
✯ प्रभा खेिान

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