✯ प्राचीन काल से हर्श्व साह त्य में मह लाओिं ने अपने लेखन
प्रहिभा का पररचय हदया ै । ✯ पीह़िि और शोहिि नारी को पु रुिप्रधान सामाहिक व्यर्स्था की अनेक हर्सिंगहियोिं से ल़िने का बल उसके लेखन के माि ि उसे हमला । ✯ क्ािं हिकारी आर्ाज़ की गूूँ ि ने साह त्य में ‘ नाररर्ादी हचिं िन ’ को िन्म हदया । मह ला लेखखकाएूँ और नारीर्ाद
✭ स्त्री िीर्न के अलहिि, अनछु ए हर्हभन्न पिोिं को एक स्त्री
हििनी प्रामाहिकिा से उद् घाहिि कर सकिी ै , उिना पुरुश लेखक न ीिं कर सकिा ै । ✭ नारी मन की हर्िे शिा का अिं कन अने क मह ला लेखखकाओिंने अपने साह त्य के माध्यम से हकया ै । ✭ नारीर्ाद हपिृ सत्तात्मक व्यर्स्था में औरिोिं की मु क्ती , स्वििंत्रिा िथा सिखक्तकरि की माूँ ग करिा ै । ✯ ममिा काहलया ✯ गीिािं िहल श्री ✯ मन्नू भिंडारी ✯ हचत्रा मुद्गल मह ला लेखखकाओिं के ✯ मृदुला गगव उिा हप्रयिंर्दा नाम ✯ ✯ अमृिा प्रीिम ✯ मैत्रेयी पुष्पा ✯ अलका सरार्गी ✯ प्रभा खेिान