पाठ 16 - पतझर में टूटी पत्तियाँ

You might also like

Download as pptx, pdf, or txt
Download as pptx, pdf, or txt
You are on page 1of 18

Class 10 Hindi Sparsh

रवीन्द्र केलेकर
पतझर में टू टी पत्तियााँ
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर

पाठ 16 - पतझर में टू टी पत्तियााँ


त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर एक दन पोंखियनों में दीत्तिए:
शुद्ध सनिा और त्तिन्नी का सनिा अलि क्नों हनता है ?

उिर: शुद्ध सोने में कोई ममलावट नह ीं होत , लेमकन मिन्न के सोने में तााँ बा
ममला होता है । शुद्ध सोने क तुलना में मिन्न का सोना अमिक मजबूत और
उपयोि होता है ।

प्रैखिकल आइत्तियत्तलस्ट त्तकसे कहते हैं ?

उिर: जो लोि शुद्ध आदशश में थोड़ व्यावहाररकता ममलाकर काम चलाते हैं ,
उन्हें प्रैक्टिकल आइमियमलस्ट कहते हैं ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर एक दन पोंखियनों में दीत्तिए:
पाठ के सींदर्श में शुद्ध आदशश क्या हैं ?

उिर: शुद्ध आदशश वैसा आचार मवचार है मजसने इसका पालन करने वालोीं का उत्थान तो
मकया ह है साथ में अन्य लोिोीं का र् उत्थान मकया है ।

लेखक ने जापामनयोीं के मदमाि में ‘स्प ि’ का इीं जन लिने क बात क्योीं कह है ?

उिर: जापामनयोीं ने अमेररका से प्रमतस्पिाश के चक्कर में अपने मदमाि को और तेज दौड़ाना
शुरु कर मदया तामक जापान हर मामले में अमेररका से आिे मनकल सके। इसमलए लेखक ने
जापामनयोीं के मदमाि में ‘स्प ि’ का इीं जन लिने क बात कह है ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर एक दन पोंखियनों में दीत्तिए:
जापान में चाय प ने क मवमि को क्या कहते हैं ?

उिर: ट सेरेमन

जापान में जहााँ चाय मपलाई जात है , उस स्थान क क्या मवशेषतता है ?

उिर: जापान में जहााँ चाय मपलाई जात है वहााँ िजब क शाीं मत होत है ।
माहौल इतना शाीं त होता है मक पान के खलबलाने क आवाज र् सुनाई दे त
है ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर 25 – 30 शब्नों में त्तलखिए:

शुद्ध आदशश क तुलना सोने से और व्यावहाररकता क तुलना तााँ बे से क्योीं क िई है ?


उिर: शुद्ध सोना बहुत क मत होता है । तााँ बे के साथ ममलकर यह तााँ बे के महत्व को
बढ़ा दे ता है । जबक दू सर ओर तााँ बा सोने क क मत को घटा दे ता है । शुद्ध आदशश
जब व्यावहाररकता के साथ ममलता है तो इससे व्यावहाररकता क क मत बढ़ जात
है । लेमकन व्यावहाररकता का ठ क उलटा प्रर्ाव पड़ता है । इसमलए शुद्ध आदशश क
तुलना सोने से और व्यावहाररकता क तुलना तााँ बे से क िई है ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर 25 – 30 शब्नों में त्तलखिए:

चाज न ने कौन स मियाएाँ िररमापूर्श ढ़ीं ि से पूर क ?

उिर: चाज न ने बड़े अदब से मेहमानोीं का स्वाित मकया और उन्हें बैठने क


जिह मदखाई। मिर उसने अींि ठ जलाई और उसपर चायदान रख । इसके
बाद उसने बरतनोीं को चमकाया। यह सार मियाएाँ उसने िररमापूर्श ढ़ीं ि से पूर
क।
‘ट सेरेमन ’ में मकतने आदममयोीं को प्रवेश मदया जाता था और क्योीं?

उिर: ट सेरेमन में शाीं मत का अत्यमिक महत्व होता है । इसमलए वहााँ पर एक


बार में त न से अमिक व्यक्टियोीं को प्रवेश नह ीं मदया जाता है ।

चाय प ने के बाद लेखक ने स्वयीं में क्या पररवतशन महसूस मकया?

उिर: चाय प ने के बाद लेखक को अपार शाीं मत महसूस हुई। उसे लिा मक
उसके मदमाि क रफ्तार बींद हो चुक थ । उसके मन में और आस पास सब
कुछ शून्य सा हो िया था।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर 50 – 60 शब्नों में त्तलखिए:

िाीं ि ज में नेतृत्व क अद् र्ुत क्षमता थ ; उदाहरर् समहत इस बात क पुमि क मजए।

उिर: िाीं ि ज ने अफ्र का में अींग्रेज हुकूमत के क्टखलाि लोिोीं को इकट्ठा मकया था।
जब वे र्ारत आए थे तब तक स्वाि नता सींग्राम क लहर पूरे र्ारत में नह ीं िैल पाई
थ । िाीं ि ज के अथक प्रयासोीं के कारर् पूरे र्ारत क जनता उनके साथ हो िई थ ।
असहयोि आीं दोलन और नमक आीं दोलन क अपार सिलता से पता चलता है मक
उनमें नेतृत्व क अद् र्ुत क्षमता थ ।
आपके मवचार से कौन से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वतशमान समय में इन मूल्योीं
क प्रासींमिकता स्पि क मजए।

उिर: आदशों के मूल्य शाश्वत हैं । आज क कड़ प्रमतस्पिाश वाल मजींदि में


अमिकतर लोिोीं को ऐसा लिने लिा मह क आज आदशश बेमान हो िए हैं और
व्यावहाररकता ह ज त क तरि ले जात है । लेमकन जो लोि वाकई सिलता
के मशखर पर पहुाँ चे हैं , उनके उदाहरर् से हम दे ख सकते हैं मक आदशश का
आज र् उतना ह महत्व है मजतना पहले था।
अपने ज वन क मकस ऐस घटना का उल्लेख क मजए जब:

शुद्ध आदशश से आपको हामन लार् हुआ हो।

उिर: एक बार मैंने िुटपाथ पर बैठे एक र्ूखे बच्चे को अपना मटमिन दे मदया था। उस मदन मुझे
र्ूखा रहना पड़ा लेमकन अींदर से एक अस म स सींतुमि का अहसास हुआ। मुझे लिा मक मुझे अपना
र्ोजन दू सरे को दे कार लार् ह हुआ।

शुद्ध आदशश में व्यावहाररकता का पुट दे ने से लार् हुआ।

उिर: मुझे हमेशा से पसींद है मक जब मैं नई क्लास में जाऊाँ तो मेरे मलए नई मकताबें खर द जाएीं ।
लेमकन कक्षा 9 में प्रवे श के समय मुझे एक ममत्र क पुरान मकताबें आिे दाम पर ममल िईीं। मुझे कुछ
अच्छा नह ीं लिा, लेमकन बचत करने के खयाल से मैंने उसक सार मकताबें खर द ल ।ीं इससे मुझे
िायदा हुआ।
‘शुद्ध सोने में तााँ बे क ममलावट या तााँ बे में सोना’, िाीं ि ज के आदशश और व्यवहार के सींदर्श
में यह बात मकस तरह झलकत है ? स्पि क मजए।

उिर: िाीं ि ज तााँ बे में सोना ममलाने वाले इीं सान थे। इससे वे तााँ बे क क मत बढ़ा दे ते थे। वे
व्यावहाररकता में आदशों को ममलाते थे। इसे समझने के मलए हम नमक आीं दोलन का
उदाहरर् ले सकते हैं । आीं दोलन का उद्दे श्य था अींग्रजोीं को यहााँ क जनता क ताकत
मदखाना। नमक एक मामूल स च ज है लेमकन इसे महीं दुस्तान का हर आदम रोज इस्तेमाल
करता है । इससे महीं दुस्तान का हर अम र िर ब प्रर्ामवत होता है । नमक जै स मामूल च ज
को िाीं ि ज ने अपना हमथयार बना मलया। जो अींग्रेज पहले िाीं ि ज के नमक आीं दोलन क
योजना पर हाँ स रहे थे, वे उस आीं दोलन क सिलता को दे खकर िाीं ि ज का लोहा मान िए
थे।
‘मिरमिट’ कहान में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को
पल-पल में बदल िालने क एक बानि दे ख । इस पाठ के अींश ‘मिन्न का
सोना’ के सींदर्श में स्पि क मजए मक ‘आदशशवामदता’ और ‘व्यावहाररकता’ इनमें
से ज वन में मकसका महत्व है ?

उिर: ज वन में आदशशवामदता और व्यावहाररकता दोनोीं का महत्व है । लेमकन


प्रैक्टिकल आइमियमलस्ट क तरह हमें व्यावहाररकता में आदशशवामदता ममलाने
से बचना चामहए। इसक जिह हमें िाीं ि ज क तरह व्यावहाररकता में
आदशशवामदता ममलाने क स ख लेन चामहए।
लेखक के ममत्र ने मानमसक रोि के क्या-क्या कारर् बताए? आप इन कारर्ोीं से
कहााँ तक सहमत हैं ?

उिर: लेखक के ममत्र ने र्ािदौड़ र्र मजींदि को मानमसक रोि का कारर्


बताया। यह बात सह है मक लोि आजकल चल नह ीं रहे हैं , बक्टि र्ाि रहे हैं ।
आप मकस र् शहर क सड़कोीं पर सुबह 9 बजे नजर िामलए तो पता लिेिा
मक हर कोई कह ीं न कह ीं र्ाि रहा है । लोि अत्यमिक तनाव में होने क वजह
से बात बात पर झल्लाने लिते हैं । रोज-रोज क उत्तरज मवता के दवाब के
कारर् मानमसक रोि का खतरा बढ़ िया है ।
लेखक के अनुसार सत्य केवल वतशमान है , उस में ज ना चामहए। लेखक ने ऐसा
क्योीं कहा होिा? स्पि क मजए।

उिर: लेखक का कहना है क हमारा र्ूतकाल सत्य नह ीं है , क्योींमक वह ब त


चुका है । र्ािे हुए सााँ प क लक र पर लाठ प टने से कोई िायदा नह ीं होता
है । लेखक का कहना है मक र्मवष्य तो अमनमित है , इसमलए उसके बारे में
तनाव पालने से र् कोई लार् नह ीं होता है । वतशमान में ज ना स खने से ह सह
सुख ममलता है । वतशमान पर हम बहुत हद तक मनयींत्रर् कर सकते हैं और
वतशमान के सुख दु ख क पूर -पूर अनुर्ूमत र् कर सकते हैं ।
त्तिम्नत्तलखित के आशय स्पष्ट कीत्तिए:
समाज के पास अिर शाश्वत मूल्योीं जैसा कुछ है तो वह आदशशवाद लोिोीं का ह मदया हुआ
है ।
उिर: आदशशवाद लोि कर् र् अपने बारे में नह ीं सोचते हैं । वे हमेशा दू सरोीं को ऊपर
उठाने क कोमशश करते हैं । इस प्रमिया में उनका कद र् ऊाँचा हो जाता है और पूरे समाज
को द घशकाल न लार् होता है । व्यावहाररक लोि तो केवल अपने मतलब क बात करते हैं ,
मजससे समाज का कोई र्ला नह ीं होता। इसमलए ऐसा कहा जा सकता है मक समाज के पास
अिर शाश्वत मूल्योीं जैसा कुछ है तो वह आदशशवाद लोिोीं का ह मदया हुअ है ।
जब व्यावहाररकता का बखान होने लिता है तब ‘प्रैक्टिकल आइमियमलस्टोीं’ के
ज वन से आदशश ि रे -ि रे प छे हटने लिते हैं और उनक व्यावहाररक सूझ-
बूझ ह आिे आने लित है ।

उिर: लोिोीं क आदत होत है मक क्षमर्क सिलता के मद में वे प्रैक्टिकल


आइमियमलस्टोीं क सराहना करने लिते हैं । इस प्रशींसा के मद में चूर होकर,
प्रैक्टिकल आइमियमलस्ट ि रे -ि रे आदशों से दू र होने लिते हैं । एक समय
आता है जब केवल उनक व्यावहाररक बुक्टद्ध ह मदखत है ।
हमारे ज वन क रफ्तार बढ़ िई है । यहााँ कोई चलता नह ीं बक्टि दौड़ता है ।
कोई बोलता नह ,ीं बक्टि बकता है । हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे
लिातार बड़बड़ाते रहते हैं ।

उिर: यह मटप्पर् आजकल क र्ािदौड़ र्र मजींदि के बारे में है । आप


मकस र् शहर क सड़कोीं पर सुबह 9 बजे नजर िामलए तो पता लिेिा मक हर
कोई कह ीं न कह ीं र्ाि रहा है । लोि अत्यमिक तनाव में होने क वजह से बात
बात पर झल्लाने लिते हैं ।
सर् मियाएाँ इतन िररमापूर्श ढ़ीं ि से क ीं मक उसक हर र्ींमिमा से लिता था
मानो जयजयवींत के सुर िूाँज रहे होीं।

उिर: यह पींक्टि चाज न द्वारा चाय तैयार करने क प्रमिया के बारे में है ।
चाज न हर काम को एक तयशुदा मवमि से बड़ दक्षता के साथ कर रहा था।
उसके हर मियाकलाप में इतना अच्छा तालमेल था मक लिता था मक मिुर
सींि त बज रहा हो। यहााँ पर लेखक ने राि जयजयवींत का उदाहरर् इसमलए
मदया क्योींमक यह राि कुछ मुक्टिल रािोीं में से है मजसपर महारत हामसल करने
में सींि तकार को वषतों लि जाते हैं ।

You might also like