Professional Documents
Culture Documents
पाठ 16 - पतझर में टूटी पत्तियाँ
पाठ 16 - पतझर में टूटी पत्तियाँ
पाठ 16 - पतझर में टूटी पत्तियाँ
रवीन्द्र केलेकर
पतझर में टू टी पत्तियााँ
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर
उिर: शुद्ध सोने में कोई ममलावट नह ीं होत , लेमकन मिन्न के सोने में तााँ बा
ममला होता है । शुद्ध सोने क तुलना में मिन्न का सोना अमिक मजबूत और
उपयोि होता है ।
उिर: जो लोि शुद्ध आदशश में थोड़ व्यावहाररकता ममलाकर काम चलाते हैं ,
उन्हें प्रैक्टिकल आइमियमलस्ट कहते हैं ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर एक दन पोंखियनों में दीत्तिए:
पाठ के सींदर्श में शुद्ध आदशश क्या हैं ?
उिर: शुद्ध आदशश वैसा आचार मवचार है मजसने इसका पालन करने वालोीं का उत्थान तो
मकया ह है साथ में अन्य लोिोीं का र् उत्थान मकया है ।
उिर: जापामनयोीं ने अमेररका से प्रमतस्पिाश के चक्कर में अपने मदमाि को और तेज दौड़ाना
शुरु कर मदया तामक जापान हर मामले में अमेररका से आिे मनकल सके। इसमलए लेखक ने
जापामनयोीं के मदमाि में ‘स्प ि’ का इीं जन लिने क बात कह है ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर एक दन पोंखियनों में दीत्तिए:
जापान में चाय प ने क मवमि को क्या कहते हैं ?
उिर: ट सेरेमन
उिर: जापान में जहााँ चाय मपलाई जात है वहााँ िजब क शाीं मत होत है ।
माहौल इतना शाीं त होता है मक पान के खलबलाने क आवाज र् सुनाई दे त
है ।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर 25 – 30 शब्नों में त्तलखिए:
उिर: चाय प ने के बाद लेखक को अपार शाीं मत महसूस हुई। उसे लिा मक
उसके मदमाि क रफ्तार बींद हो चुक थ । उसके मन में और आस पास सब
कुछ शून्य सा हो िया था।
त्तिम्नत्तलखित प्रश्नों के उिर 50 – 60 शब्नों में त्तलखिए:
िाीं ि ज में नेतृत्व क अद् र्ुत क्षमता थ ; उदाहरर् समहत इस बात क पुमि क मजए।
उिर: िाीं ि ज ने अफ्र का में अींग्रेज हुकूमत के क्टखलाि लोिोीं को इकट्ठा मकया था।
जब वे र्ारत आए थे तब तक स्वाि नता सींग्राम क लहर पूरे र्ारत में नह ीं िैल पाई
थ । िाीं ि ज के अथक प्रयासोीं के कारर् पूरे र्ारत क जनता उनके साथ हो िई थ ।
असहयोि आीं दोलन और नमक आीं दोलन क अपार सिलता से पता चलता है मक
उनमें नेतृत्व क अद् र्ुत क्षमता थ ।
आपके मवचार से कौन से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वतशमान समय में इन मूल्योीं
क प्रासींमिकता स्पि क मजए।
उिर: एक बार मैंने िुटपाथ पर बैठे एक र्ूखे बच्चे को अपना मटमिन दे मदया था। उस मदन मुझे
र्ूखा रहना पड़ा लेमकन अींदर से एक अस म स सींतुमि का अहसास हुआ। मुझे लिा मक मुझे अपना
र्ोजन दू सरे को दे कार लार् ह हुआ।
उिर: मुझे हमेशा से पसींद है मक जब मैं नई क्लास में जाऊाँ तो मेरे मलए नई मकताबें खर द जाएीं ।
लेमकन कक्षा 9 में प्रवे श के समय मुझे एक ममत्र क पुरान मकताबें आिे दाम पर ममल िईीं। मुझे कुछ
अच्छा नह ीं लिा, लेमकन बचत करने के खयाल से मैंने उसक सार मकताबें खर द ल ।ीं इससे मुझे
िायदा हुआ।
‘शुद्ध सोने में तााँ बे क ममलावट या तााँ बे में सोना’, िाीं ि ज के आदशश और व्यवहार के सींदर्श
में यह बात मकस तरह झलकत है ? स्पि क मजए।
उिर: िाीं ि ज तााँ बे में सोना ममलाने वाले इीं सान थे। इससे वे तााँ बे क क मत बढ़ा दे ते थे। वे
व्यावहाररकता में आदशों को ममलाते थे। इसे समझने के मलए हम नमक आीं दोलन का
उदाहरर् ले सकते हैं । आीं दोलन का उद्दे श्य था अींग्रजोीं को यहााँ क जनता क ताकत
मदखाना। नमक एक मामूल स च ज है लेमकन इसे महीं दुस्तान का हर आदम रोज इस्तेमाल
करता है । इससे महीं दुस्तान का हर अम र िर ब प्रर्ामवत होता है । नमक जै स मामूल च ज
को िाीं ि ज ने अपना हमथयार बना मलया। जो अींग्रेज पहले िाीं ि ज के नमक आीं दोलन क
योजना पर हाँ स रहे थे, वे उस आीं दोलन क सिलता को दे खकर िाीं ि ज का लोहा मान िए
थे।
‘मिरमिट’ कहान में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को
पल-पल में बदल िालने क एक बानि दे ख । इस पाठ के अींश ‘मिन्न का
सोना’ के सींदर्श में स्पि क मजए मक ‘आदशशवामदता’ और ‘व्यावहाररकता’ इनमें
से ज वन में मकसका महत्व है ?
उिर: यह पींक्टि चाज न द्वारा चाय तैयार करने क प्रमिया के बारे में है ।
चाज न हर काम को एक तयशुदा मवमि से बड़ दक्षता के साथ कर रहा था।
उसके हर मियाकलाप में इतना अच्छा तालमेल था मक लिता था मक मिुर
सींि त बज रहा हो। यहााँ पर लेखक ने राि जयजयवींत का उदाहरर् इसमलए
मदया क्योींमक यह राि कुछ मुक्टिल रािोीं में से है मजसपर महारत हामसल करने
में सींि तकार को वषतों लि जाते हैं ।