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कक्षा १० MANUSHYATA
कक्षा १० MANUSHYATA
कक्षा १० MANUSHYATA
पशु-प्रिृहि – ज निरहिं की
तर व्यि र
आप आप – केिल अपने हलए
प्रस्तुत कहित म री प ठ्य पुस्तक
‘स्पशि भ ग – 2’ से ली गई ै । इसके
कहि मैहिलीशरण गुप्त ैं । इन पिंस्क्तंिं
में कहि बत न ि त ैं हक मनुष्यहिं कह
कैस जीिन जीन ि ह ए।
कहि क त ै हक में य ज न लेन ि ह ए हक मृर्त्ु
से न ीिं डरन ि ह ए। में कुछ ऐस करन ि ह ए हक
लहग में मरने के ब द भी य द रखे। उनक जीन और
मरन दहनहिं बेक र ै जह मनुष्य दू सरहिं के हलए कुछ भी
न कर सकें।
मर कर भी ि मनुष्य कभी न ीिं मरत जह अपने हलए
न ीिं दू सरहिं के हलए जीत ै , क्हिंहक अपने हलए तह
ज निर भी जीते ैं । कहि के अनुस र मनुष्य ि ी ै जह
दु सरे मनुष्यहिं के हलए मरे अि ि त जह मनुष्य दू सरहिं की
हििंत करे ि ी असली मनुष्य क ल त ै ।
उसी उद र की कि सरस्वती बख नती,
उसी उद र से िर कृत िि भ ि म नत ।
उसी उद र की सद सजीि कीहति कूजती,
ति उसी उद र कह समस्त सृहष्ट् पूजती।
अखिंड आत्म भ ि जह असीम हिश्व में भरे ,
ि ी मनुष्य ै हक जह मनुष्य के हलए मरे ॥
उसी उद र की कि सरस्वती बख नती,
उसी उद र से िर कृत िि भ ि म नत ।
उद र – म न, श्रेष्ठ, द नशील,
बख नती – गुण ग न करन
िर – िरती
कृत िि – ऋणी , आभ री, िन्य
उसी उद र की सद सजीि कीहति कूजनी,
ति उसी उद र कह समस्त सृहष्ट् पूजती।
सजीि – जीहित
कीहति- यश
कूजती – करन , मिुर ध्वहन
करती
समस्त - पूरी, सभी
अखिंड आत्म भ ि जह असीम हिश्व में भरे ,
ि ी मनुष्य ै हक जह मनुष्य के हलए मरे ।
उद र – दय लु
परहपक र – दू सरहिं पर हकय
गय उपक र
प्रस्तुत कहित म री प ठ्य पुस्तक
‘स्पशि भ ग – 2’ से ली गई ै । इसके
कहि मैहिलीशरण गुप्त ै । इन पिंस्क्तंिं
में कहि ने म त्म बुद्ध क उद रण
दे ते हुए दय , करुण कह सबसे बड
बत य ै ।
कहि क त ै हक मनुष्यहिं के मन में दय ि करुण
क भ ि हन ि ह ए, य ी सबसे बड िन ै । स्वयिं
ईश्वर भी ऐसे लहगह के स ि र ते ैं । इसक सबसे
बड उद रण म त्म बुद्ध ैं । हजनसे लहगहिं क दु :ख
न ीिं दे ख गय तह िे लहग कल्य ण के हलए दु हनय ाँ के
हनयमहिं के हिरुद्ध िले गए।
इसके हलए क् पूर सिंस र उनके स मने न ीिं झुकत
अि ि त उनके दय भ ि ि परहपक र करत ै ि ी
मनुष्य, मनुष्य क ल त ै जह मनुष्यहिं के हलए जीत ै
और मरत ै ।
1) ‘मनुष्यत ’ कहित में कहि ने हकन म न
व्यस्क्तयहिं क उद रण हदय ै और उनके म ध्यम
से क् सिंदेश दे न ि ै?
2) ‘मनुष्यत ’ कहित के म ध्यम से कहि ने हकन गुणहिं
कह अपन ने क सिंकेत हदय ै ? तकि-सह त उिर
हदहजए।
3) मैहिलीशरण गुप्त ने गििरह त जीिन हबत ने के
हलए क् तकि हदए ैं ?
4) मैहिलीशरण गुप्त ने उद र व्यस्क्त के क् -क्
लक्षण बत ए ैं ? स्पष्ट् कीहजए।
मनुष्यत कहित के आि र पर हकन्ीिं तीन
म निीय गुणहिं के ब रे में हलस्खए।
कहि ने दिीहि, कणि और रिं हतदे ि के न महिं क
उल्लेख करके में हकस ब त की प्रेरण दी ैं ?
मनुष्यत कहित में हकस व्यस्क्त कह उद र क
गय ै और उसक क् प्रभ ि बत य गय ैं ?
मनुष्यत कहित में व्यस्क्त कह हकस प्रक र क
जीिन व्यतीत करने की सल दी गई ैं ?
मनुष्यत कहित में कहि ने में परहपक र के हलए
कैसे प्रेररत हकय ै ?
कहि ने कैसी मृर्त्ू कह सुमृर्त्ु क ै?