Professional Documents
Culture Documents
Vaman - Ayurved Vyaspeeth
Vaman - Ayurved Vyaspeeth
- च. स.ू १६ / २०-२१
• शरीर शद्धु ी के लिये प्रथम कर्म
वमन चिकित्सा • त्रिदोष शद्ध
ु ी के लिये उपयक्त
ु
प्राधान्य • अभी के जीवनशैली के लिये सर्वोत्तम
• सद्यो गणु कारी
• पर्णू तः रुग्ण आधारित
• वैद्य का कार्य – सिर्फ मार्गदर्शन
वमन चिकित्सा मर्यादा • अनियमितता
• रुग्ण का मानसिक बल – सबसे महत्वपर्णू
• व्यापद् शक्यता अधिक
अवम्यास्तावत-्
क्षतक्षीणातिस्थल
ू ातिकृशबालवद्धृ दर्बु लश्रान्तपिपासितक्षधि
ु तकर्मभाराध्
वहतोपवास मैथनु ाध्ययनव्यायामचिन्ताप्रसक्तक्षामगर्भिणी
वमन अनर्ह
सक
ु ु मारसवं तृ कोष्ठदश्ु छर्दनोर्ध्वरक्तपित्तप्रसक्तच्छर्दिरूर्ध्ववाता
स्थापितानवु ासितहृद्रोगोदावर्तमत्रू ाघातप्लीहगल्ु मोदराष्ठीला
स्वरोपघाततिमिरशिरशङ्खकर्णाक्षिशल
ू ार्ताः||
- च. क. २ / ८
शेषास्तु वम्याः; विशेषतस्तु
पीनसकुष्ठनवज्वरराजयक्ष्मकासश्वासगलग्रहगलगण्डश्लीपदमेह
वमन अर्ह मन्दाग्निविरुद्धाजीर्णान्नविसचि
ू कालसकविषगरपीतदष्टदिग्ध
विद्धाधःशोणितपित्तप्रसेकहृल्लासारोचकाविपाकापच्यपस्मारोन्मादातिसारशोफपाण्डु
रोगमख
ु पाकदष्टु स्तन्यादयः श्ले ष्मव्याधयो विशेषेण महारोगाध्यायोक्ताश्च;
- च. क. २ / १०
शास्त्रोक्त वमन विधी
• स्नेहपान – अच्छ वा विचारणा
सम्यक स्नेह लक्षण दिखायी देने तक
• स्वेदन – मर्यादित
• विश्रामदिन – अभिष्यदं ी आहार
• प्रधानकर्म - वमन
• पश्चात्कर्म – धमू पान, ताम्बल
ु सेवन, संसर्जन क्रम
मल
ू भतू सत्रू
शाखा – कोष्ठ गती