खजूरी ग्राम में सन 1519 में हुआ था l इनके पिता का नाम भीमाजी तथा माता गोरा देवी थी l निमाड़ में उनका जन्म फारूखी बादशाहो के समय में हुआ था तब समूचे उत्तर भारत में भक्ति काल प्रवर्तित था, तुलसी,सूर ,कबीर आदि महान संत कवियों की रचनाओं का चरम समय था l संत सिंगाजी ने निमाड़ में निर्गुण भक्ति परंपरा का वह बीज बोया जो निमाड़ की संस्कृ ति व सामान्य जन की जीवन शैली मैं आज भी विद्यमान है l निमाड़ में यदि संत सिंगा नहीं होते तो निमाड़ी भाषा इतनी परिष्कृ त जन मन में नहीं होती l उन्होंने लोक भाषा निमाड़ी में 1100 से अधिक पद व भजनों की रचना की l पंडित रामनारायण उपाध्याय लिखते हैं "संपूर्ण संत साहित्य में शायद सिंगा पहले संत हैं जिन्होंने खेती के माध्यम से आध्यात्मिकता का संदेश दिया"
एक बार संत सिंगाजी कहीं जा रहे थे
उन्होंने मार्ग में मनरंगीर स्वामी को एक भजन गाते सुना "समझी लियो रे मना भाई अंत नी होए कोई अपना" इस गीत को सुन संत सिंगाजी बैरागी हो गए I