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ऐमिटी इंटरनैशनल स्कू ल

नौएडा-44
विषय – हिंदी, कक्षा-8
ऑनलाइन शिक्षण
प्रायोजक -हिंदी विभाग
आज का सुविचार

शांति अंदर से आती है । इसे बाहर मत ढूँढिए।


सामान्य निर्देश–

1. सभी छात्र अपने माइक को बंद रखिए।

2. पुस्तक– अमृत हिंदी पाठमाला, एक कॉपी और पेन साथ में रखिए।

3. शिक्षण के दौरान प्रश्न के वल चैट से पूछिए।

4. आपके सभी प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँगे।


पाठ – जलियाँवाला बाग में वसंत

विधा – कविता कवयित्री – सुभद्रा कु मारी चौहान


अनुक्रमणिकापरक निर्देश –
कविता का नाम दिनांक हस्ताक्षर
• जलियाँवाला बाग में वसंत (कविता)
वाक्य–निर्माण
लिखित प्रश्न–अभ्यास
कविता
वाचन
वाक्य–निर्माण
अपनी पुस्तिका में लिखिए
1. कीट – मैंने काले रंग का एक कीट देखा।
2. स्मृति– दुर्घटना में शाम की स्मृति खो गई।
3. धृति – राम के धृति गुण ने उसे महान बनाया।
4. खेद – मेरे मित्र के घायल होने पर मुझे खेद हुआ।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के  पंजाब प्रान्त के  अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी के दिन) हुआ था। 
रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी , जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं
जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे
जलियाँवाला बाग में
बसंत 
- सुभद्रा कु मारी चौहान  
सुभद्रा कु मारी चौहान जी  
पूरा नाम-सुभद्रा कु मारी चौहान
जन्म-16 अगस्त, 1904
जन्मभूमि- निहालपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु-15 फरवरी,1948

परिचय- हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका, राष्ट्रीय चेतना की सजग कवयित्री, स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहीं,
अपनी अनुभूतियों को कहानी में व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली, भाषा सरल तथा काव्यात्मक, रचना की सादगी हृदयग्राही।
सुभद्रा कु मारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह
प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झाँसी की रानी कविता के कारण है।
कहानी संग्रह
बिखरे मोती (१९३२)
उन्मादिनी (१९३४)
सीधे साधे चित्र (१९४७)
कविता संग्रह
मुकु ल
त्रिधारा
प्रसिद्ध पंक्तियाँ
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।  मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ 
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकु टी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,  गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी
थी,  दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। 
बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के
सुभद्रा कु मारीजलियांवाला
चौहान ने बसंत बाग़सेमें आह्वान
रोलेट एक्ट,
करते अंग्रे
हुए जों
कहाकीहै दमनकारी
कि यदि वसंत नीतियों
जलियाँवाला बाग में आए तो
वह किस प्रकारव दो नेताओंक्योंकि
से आए? सत्यपाल और सैफ़ु द्दीन
जलियाँवाला बागकिचलू
शोक काकीप्रतीकगिरफ्तारीहै औरके बसंत (नई उमंग नए
उत्साह) खुशियोंविरोध
का।मेंकवयित्री
एक सभाकोरखी गई, जिसमेंबागकु छमें नेता
जलियाँवाला बसंतभाषणका आना देने वाले
अच्छा नहीं लगता लेकिन,
कविता के बसंत को आनेथे।सेब्रिटिश सरकार
कोई नहीं रोक केसकता कई अधिकारियों
इसलिए कवयित्री को यहबसंत 1857 के गदर करते हुए यह प्रार्थना कर
को संबोधित
बारे में .... की पुनरावृत्ति
रही है कि हे बसंत...! जब कभीजैसी भी परिस्थिति लग रही थीबागजिसे
तुम जलियाँवाला न होनेतोदेनेबिल्कु
में आओ के ल शांति से आना, क्योंकि
यहाँ इतना कु छलिएघटित
और हुआकु चलने के लिएजिसमें
है जिससे वो कु छछोटे-छोटे
भी करनेपुरुष,
के लिएस्त्रियाँ,
तैयारबच्चे,
थे। मौत की गोद में सो गए थे।
आपका इस बाग में स्वागत है लेकिन आप जब भी इस बाग में आओ तो इस बात का ध्यान रखना कि
इस स्थान पर क्या हुआ था।
कविता
वाचन
एवं
भावार्थ
यहां कोकिला नहीं, काक है शोर मचाते।
 काले-काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।।
 कलियां भी अधखिली, मिली है कं टक कु ल से।
 वे पौधे, वे पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।।

भावार्थ 
भावार्थ
(प्रस्तुत पद्यांश के माध्यम से कवयित्री कहना चाहती है कि इस बाग में कोयल की नहीं कौवों की आवाज सुनाई दे रही है उड़ते हुए
काले- काले कीड़ों से भंवरों के होने का भ्रम उत्पन्न हो रहा है। पेड़-पौधों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह सब मुरझाए हुए हैं
और पेड़ों से टू टकर कलियाँ नीचे गिरी हुई है।)
शब्दार्थ
कोकिला–कोयल
भ्रमर– भँवरा
कं टक– काँटा
शुष्क– सूखे
झुलसे– आधे जले
परिमल-हीन पराग दाग- सा बना पड़ा है।
 हा ! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।।
 आओ, प्रिय ऋतुराज ! किं तु धीरे से आना।
 यह है शोक स्थान, यहां पर शोर मत मचाना।।

भावार्थ
(बसंत को संबोधित करते हुए कवयित्री कहना चाहती है कि हे बसंत...! यह पूरा बाग निर्दोष लोगों के खून से सना हुआ है, जिससे फू लों के पराग
सुगंधहीन हो गये हैं इसलिए हे बसंत...! जब भी तुम यहाँ पर शांतिपूर्वक आना क्योंकि यहाँ दुख और वेदना फै ली हुई है)।

शब्दार्थ परिमल–सुगंध
(कक्षा–चर्चा हेतु )

उत्तर– जलियाँवाला बाग हत्याकांड की घटना पर


(कक्षा–चर्चा हेतु )

उत्तर– शोक स्थान होने के कारण


वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना।
 दुख की आहें संग उड़ाकर, मत ले जाना।।
 कोकिल गावे, किं तु राग रोने का गावे।
 भ्रमर करें गुंजार, कष्ट की कथा सुनावे।।

भावार्थ
(प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री कहना चाहती हैं कि वायु को भी यदि चलना है तो वह धीरे-धीरे चले, वह दुख भरी आंहों को
अपने साथ उड़ा कर ना ले जाए। कोयल गाए तो वह भी रोने का ही गीत गाए और भ्रमर के गुंजन में भी जलियांवाला बाग
का ही दुख हो।)
लाना संग में पुष्प, न हो वे अधिक सजीले।
हो सुगंध की मंद, ओस से कु छ-कु छ गीले।।
किं तु न तुम उपहार भाव आकर दरसाना।
 स्मृति में पूजा हेतु यहां थोड़े बिखराना।।

भावार्थ
(बसंत को संबोधित करते हुए कवयित्री कहती है कि तुम अपने साथ कु छ हल्के रंग के पुष्पों को लेकर आना जिनमें, अधिक खुशबू ना हो और वे
आंसू रूपी ओंस के कारण नम हो। अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि हे बसंत...! तुम जब भी आओ अपने फू लों को उपहार के रूप में ना लाना
बल्कि उन्हें शहीदों को स्मृति स्वरूप अर्पण करने हेतु लाना।)
कोमल बालक मरे यहां, गोली खा-खा कर।
 कलियां उनके लिए गिराना, थोड़ी लाकर।।
 आशाओं से भरे  हृदय भी छिन्न हुए हैं।
 अपने प्रिय, परिवार देश से भिन्न हुए हैं।।

भावार्थ
(यहां पर कवयित्री कह रही हैं कि छोटे-छोटे कोमल बालक भी अंग्रेजों की गोलियाँ खा- खाकर
मरे हैं। इसलिए उनकी याद में बच्चों रुपी छोटी-छोटी कलियाँ यहाँ पर गिरा देना। यहाँ पर जो लोग
आए थे उनके मन में देश को आजाद कराने की कु छ आशाएँ थी लेकिन अब वे शहीद हो गए हैं
अपने देश और परिवार से दूर हो चुके हैं इसलिए कु छ कलियाँ तुम उनकी याद में यहां पर चढ़ा
देना।)
भावार्थ 
(कवयित्री कहती है कि हे बसंत तुम वह सब करना जो प्रकृ ति ने उसे करने के लिए कहा
कु छ कलियां अधखिली, यहां इसलिए चढ़ाना। है लेकिन, जब वह जलियांवाला बाग में आए तो वह धीरे से आए क्योंकि यह एक शोक
 करके उनकी याद अश्रु की ओस बहाना।। स्थान है।) 
 तड़प- तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खाकर।
 शुष्क-पुष्प कु छ, यहां गिरा देना तुम जाकर।।
शिक्षा- जलियाँवाला बाग कविता के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे देश के
शहीदों ने अपनी जान की कु र्बानी देकर हमें आजादी दिलाई है इसलिए हमें उन शहीदों
का हमेशा सम्मान करना चाहिए।

भावार्थ
(बसंत ऋतु को सम्बोधित करते हुए कवयित्री कहती हैं कि हे बसंत तुम उन सभी शहीदों और परिवार के
लोगों के लिए कु छ कलियाँ यहाँ पर लाकर चढ़ा देना जो अपने परिवार से दूर हो गए हैं। कु छ सूखे फू ल तुम
उन वृद्ध लोगों की याद में यहाँ चढ़ाना जिन्होंने यहाँ अपने प्राणों का बलिदान दिया है।)
(कक्षा–चर्चा हेतु )

उत्तर 1– जलियाँवाला बाग हत्याकांड की घटना पर


उत्तर 2– शोक स्थान होने के कारण
उत्तर 3– छोटे बच्चों की स्मृति में
(कक्षा–चर्चा हेतु )
मौखिक–प्रश्न
प्रश्न 4. कवयित्री के अनुसार वहाँ किस प्रकार के
पुष्प अर्पित करने चाहिए और क्यों ?
उत्तर – संके त–बिंदु –
• लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले।
• तो सुगंध भी मंद, ओस से कु छ–कु छ गीले।
• कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा–खाकर।
• कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।
• तड़प–तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खाकर।
• शुष्क पुष्प कु छ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।
पुनरावृत्ति
लिखित–प्रश्न उत्तर–पुस्तिका में लिखिए।
प्र.1 कवयित्री ने जलियाँवाला बाग के दृश्य का जो चित्रण
किया किया है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
संके त–बिंदु– *यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कं टक-कु ल से,
वे पौधे, वे पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। नोट :- पंक्तियों को ऐसे ही नहीं लिख
परिमल-हीन पराग दाग–सा बना पड़ा है।
देना है , इसका भावार्थ लिखना है |
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
आओ, प्रिय ऋतुराज! किं तु धीरे से आना।
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।।
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा–खाकर।
******************************
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।
उत्तर–पुस्तिका में लिखिए।

लिखित–प्रश्न
2. कोयल और भौरों को क्या निर्देश दिया है ?
उत्तर– संके त–बिंदु – कोयल वसंत में मधुर गीत ना गाकर रोने का राग सुनाए और भँवरे भी फू लों पर
मँडराते हुए कष्टों की कथा सुनाए।
उत्तर–पुस्तिका में लिखिए।
लिखित–प्रश्न नोट :- पुस्तक में प्रश्न 3 की जगह 4 दिया हुआ है |

4) निम्नलिखित आशय को स्पष्ट करने वाली पँक्तियाँ कविता से चुनकर लिखिए।


यहाँ पर कोमल बच्चों पर गोलियाँ चलाई गईं थी।
उत्तर – कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा–खाकर।
ख. यह शोक स्थान है। यहाँ आकर शोर मत करना।
उत्तर – यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
भौंरे की गुंजार में प्रसन्नता नहीं बल्कि दुःख का भाव प्रकट हो।
उत्तर – भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।
उत्तर–पुस्तिका में लिखिए।
लिखित–प्रश्न
प्र.5 कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
गतिविधि
अंग्रेजी महीने का नाम हिंदी महीने का नाम 2 त्यौहार या पर्व
संके त–बिंदु
ऋतुराज , मधुऋतु , मधुमास (कक्षा–चर्चा हेतु )
बगीचा , उपवन , उद्यान
अलि , मधुप , कु सुमाकर
(कक्षा–चर्चा हेतु )

उच्च वैचारिक प्रश्न


छहों ऋतुओं के आधार पर वसंत ऋतु के विषय में स्पष्ट कीजिए कि इस ऋतु में प्रकृ ति में क्या बदलाव आते हैं ?
मूल्यांकन हेतु प्रश्न
सुभद्रा जी की प्रमुख रचना कौन सी है ?
सुभद्रा जी ने कितने कहानी संग्रह लिखे हैं ?
किसी एक का नाम बताइये ।
जलियाँवाला नरसंहार कब और कहाँ हुआ ?
उच्च स्तरीय वैचारिक प्रश्न
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि से और मानव अधिकार की दृष्टि से जलियाँवाला बाग़ की घटना पर
प्रकाश डालिए ।
जलियाँवाला बाग़ में वसंत ( अभ्यास-पत्र )
LAUGHTER
EXERCISE
धन्यवाद

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