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अल्फ्रे ड ज़ेक्टर - पुस्तक प्रेमी

मैकी पामिन्तुआन
अल्फ्रे ड ज़ेक्टर - पुस्तक प्रेमी
मैकी पामिन्तुआन
अल्फ्रे ड ज़ेक्टर को के वल एक चीज ही खुशी देती है - वो है किताबें
इकट्ठा करना. फिर वो अपने मिशन पर निकलता है, और शहर की अंतिम
पुस्तक तक इकट्ठी करता है. अंत में पहाड़ी पर खड़ा उसका घर, बड़ी और
छोटी किताबों से खचाखच भर जाता है. लेकिन अब बाकी शहरवासियों के
पास पढ़ने के लिए कु छ भी नहीं बचता है - एक भी किताब नहीं! अंत में
अल्फ्रे ड ज़ेक्टर को किताबों का सच्चा आनंद समझ में आता है.
अल्फ्रे ड ज़ेक्टर एक पुस्तक प्रेमी था.

उसके गर्म, पुराने घर में, हर शेल्फ


और अल्मारी में, उसकी प्रिय किताबों
की कतारें लगी थीं.
बचपन में अल्फ्रे ड को बस एक ही ललक थी, कि कोई
उसे प्यार करे
लेकिन हर बार जब उसने वो कोशिश की तो हर बार
उसका उल्टा हुआ.
वो अके ला और शर्मीला बड़ा हुआ, होशियार और सपने
देखने वाला,
तब उसे पता चला कि किताबों से
उसे खुशी मिलती थी.

समय उड़ता गया, किताबों का ढेर बढ़ता गया,


उसके घर का हर शेल्फ किताबों से लद गया.
जैसे-जैसे अल्फ्रे ड बड़ा हुआ,
उसका पुस्तक संग्रह बढ़ता गया.
अल्फ्रे ड की अलमारियाँ चीज़ों से नहीं,
उपन्यासों से भरी हुई थीं.

उसके एक्वे रियम में रखा था.....


मछलियों का विश्वकोश!!
उसने शुरू में सोचा कि वो सिर्फ एक पुस्तक से खुश होगा,
लेकिन फिर दो किताबें आईं,
फिर तीन किताबें, और फिर चार! 
अल्फ्रे ड ने निरीक्षण किया
पुस्तकों का ऊं चा ढेर
अब गिरने वाला था.
"वो काफी नहीं हैं,“ उसने कहा.
"मेरे पास सब लोगों की
किताबें होनी चाहिए!"
पहाड़ी पर उसका घर
जल्द ही पुस्तकों से खचाखच भर गया.
लेकिन अल्फ्रे ड अपना सपना
साकार करना चाहता था,
और अब वो उसके बहुत ही करीब था!
उसने पूरे शहर को छान मारा
पैदल चलकर और साइकिल पर
उसने चट्टानों को उल्टा किया
और लोगों के दरवाज़ों को खटखटाया.
आखिरकार उसकी तलाश का अंत निकट आया.
उसकी उंगलियां कांपने लगीं,
उसकी आँखों में आंसू भर आए.
आखिरी किताब एक स्मार्ट लड़के के पास थी.
"तुम्हारी चमकदार लाल साइकिल के बदले में
मैं तुम्हें वो किताब दूंगा."
शहर अब खाली हो गया घर का कोना-कोना

सभी किताबें, बड़ी और छोटी घर का चप्पा-चप्पा

अल्फ्रे ड ज़ेक्टर के पुस्तकालय में आ गईं हर अल्मारी, हर शेल्फ

अल्फ्रे ड ने उन सबको इकट्ठा किया! किताबों से खचाखच भर गया.


वैसे
अल्फ्रे ड को खुश होना चाहिए था.
उसका सपना सच हो गया था!
लेकिन उसे कु छ गड़बड़ लगी.
"अब मैं क्या करूं ?"

टिक.......
टिक....... टिक .......

. . दीवार पर घड़ी लगातार टिक-टिक कर रही थी.


"बिल्कु ल ठीक है!" अल्फ्रे ड ने कहा.
"अब मुझे उन सभी पुस्तकों को पढ़ना चाहिए!"
दिन बीते, सप्ताह बीते
महीने बीते, साल बीते.
अल्फ्रे ड ने
डॉ. सेउस से लेकर शेक्सपियर तक,
.. . किताबों के बिना लोगों का जीवन
सब कु छ पढ़ डाला.
नीरस, उबाऊ और
इस दौरान.......
खोखला हो गया.
उनकी बातचीत बेतुकी,
और सोने का समय उबाऊ हो गया.

अब ऐसे तमाम बच्चे थे


जिन्हें कभी किसी ने कोई किताब
पढ़कर नहीं सुनाई थी!
फिर एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन,
अल्फ्रे ड ने आखिरी किताब भी पढ़ डाली.
जैसे ही उसने कहानी ख़त्म की,
उसके दिमाग में तमाम विचार कौंधने लगे.
 
थके हुए अल्फ्रे ड ने चारों ओर अच्छी तरह देखा.
किताबों ने जबसे उसके दरवाजे को बंद किया था,
तब से वो घर से बाहर नहीं निकल पाया था.
अल्फ्रे ड खुद को बहुत परेशान महसूस कर रहा था.
"अब क्या?" वो चिल्लाया.
"अभी भी कु छ गड़बड़ है!
वो क्या है?"
उसने आह भरी.

जो आनंद उसने पहले महसूस किया था,


वो अब एक गहरे दुःख में बदल गया था.
जिन किताबों से उसे कभी अथाह प्यार था,
उनसे अब उसका मकबरा बन गया था!
अल्फ्रे ड उठा और और वो धीरे-धीरे
चिमनी में से ऊपर चढ़ा.
वो अपनी झोंपड़ी की
पत्थर की छत से बाहर निकला.
वो छत पर जाकर बिलकु ल शांत बैठा गया. . .
तभी एक जंग लगी लाल साइकिल
पहाड़ी के ऊपर आई.
उन किताबों ने अल्फ्रे ड को
काफी स्मार्ट बनाया था.
उसके दिमाग में विचार उठे
और वे उसके हृदय में फै ले!
"मैं अब असलियत को समझा हूँ!"
अल्फ्रे ड छप्पर पर से चिल्लाया.
"क्षमा करें, भाई!
देखें आपके लिए एक उपहार है! उसे पकड़ें."
अल्फ्रे ड कु छ दुखी हुआ
पर अब उसने खुद को एक पक्षी जैसा मुक्त महसूस किया.
“और जहाँ से वो पुस्तक आई है,
वहां अभी और भी हैं!
जाकर, वो सन्देश फै लाएं!”
ஆல்பிரட் புத்தகங்களை இளையவர்களுக்கும்
வயதில் பெரியவர்களுக்கும் வழங்கினான்.அவர்
சிரித்தார் மற்றும் அவர் சிரித்தார்என கதைகள்
கூறப்பட்டன.
Alfred gave books
to the young and the old.
He laughed and he smiled மீண்டும் நகரம் முழுவதும் எல்லோரும்
வாசிக்கிறார்கள்... .அடுமனைகளில்,

as stories were told. பேருந்துகளில், மரங்களில்,தலைகீழாக


தொங்கிக்கொண்டும் கூட!
மு ற் று ம்

நண்பர்கள் சூழ, ஆல்ஃபிரட் செக்டர்


அறிவித்தார்,"சிறந்த வகையான புத்தகங்கள்பகிரப்பட்ட
புத்தகங்கள். "

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