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भूगोल

CHAPTER- I
सौरमंडल में पृथ्वी
खगोलीय पिंड
खगोलीय पिंड या खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृ तिक रूप से पायी जाती है

इसमें तारे, ग्रह, प्राकृ तिक उपग्रह, गैलेक्सी, उल्का पिंड, ब्लैक होल, आदि।
तारा
 कु छ खगोलीय पिंड बहुत ही विशाल और गर्म होते हैं और गैसों से बने होते हैं।
इन खगोलीय पिंडों की अपनी ऊष्मा और प्रकाश होता है। जो खगोलीय पिंड
अपना प्रकाश और ऊष्मा विसर्जित करता है उसे तारा कहते हैं।
 सूर्य एक तारा है।
 तारे से आने वाली रोशनी कांपती हुई दिखती है। इसे तारों का टिमटिमाना कहते
हैं।
नक्षत्रमंडल

 रात्रि के समय आसमान में तारों के विभिन्न


समुहो द्वा रा बनाई गई विविध आकृ तियों को
नक्षत्र मंडल कहते हैं।

अर्सा मेजर या बिग बीयर इसी प्रकार का एक


नक्षत्र मंडल है।

सप्त ऋषि सप्त -सात, ऋषि - संत यह सात तारो


का समुह है, जो कि नक्षत्र अर्सा मेजर का भाग
है।
ध्रुवतारा
उत्तरी गोलार्ध में ध्रु वतारा हमेशा उत्तर दिशा में दिखता है।

वह उत्तरी ध्रु व से हमेशा एक जगह चमकता हुआ नजर आता है।


ग्रह
 ग्र ह वे खगोलीय पिण्ड हैं , जो सू र्य या कि सी अन् य तारे के चारों ओर परिक्र मा करते रहते हैं ।

हमारे सौर मंडल में 8 ग्र ह हैं , जि नके ना म हैं - बुध, शु क्र , पृथ् वी, मंगल, बृहस्पति , शनि, वरुण और
ने प्चू न।

जो सूर्य के चारों ओर परि क्र मा करता हो,


उसमें पर्या प्त गु रुत्वा कर्ष ण बल हो,
जिससे वह गोल स्वरूप ग्र हण कर सके ,
उसके आसपास का क्षे त्र सा फ़ हो, यानि उसके आस- पास अन् य खगोलिए पिण्डों की भीड़ – भाड़ न
हो।
सौर मंडल
 सौर मंडल के अवयव हैं सूर्य, आठ ग्रह,
कु छ अन्य खगोलीय पिंड, क्षु द्रग्रह और
उल्कापिंड।
चंद्रमा

 सौर मंडल में हमारा सबसे नजदीकी पड़ोसी है चंद्रमा।  जब चंद्रमा एक वृत्ताकार तश्तरी के रूप
यह पृथ्वी का इकलौता उपग्रह है। पृथ्वी से चन्द्रमा की में दिखता है तो इसे पूर्ण चंद्र या पूर्णिमा
दूरी 384,000 किमी है। का चांद कहते हैं। जब आकाश में चांद
 चंद्रमा को पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में 27 बिलकु ल नहीं दिखता है तो उस रात को
दिन लगते हैं। अमावस्या कहते हैं
 चंद्रमा को अपने अक्ष पर एक बार घूमने में भी 27 दिन
ही लगते हैं।
क्षुद्रग्रह (Asteroid)

 क्षुद्रग्रह खगोलीय पिंड होते है जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते है। यह अपने
आकार में ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडों से बड़े होते हैं।
 क्षुद्रग्रह मंगल एवं बृहस्पति ग्रह के मध्य पाए जाने वाले छोटे-छोटे आकाशीय
पिंड हैं, जो एक पट्टी (Belt) के रूप में विद्यमान हैं।
उल्कापिंड
 सूर्य के चारों ओर घूमने वाले पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों को उल्कापिंड कहते हैं।

 वायुमंडल में प्रवेश करते समय घर्षण के कारण इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि पत्थर के
ये टुकड़े जलकर राख हो जाते हैं। ऐसे समय में ये आकाश से तेजी से गुजरने वाली एक
चमकीली रेखा के रूप में नजर आते हैं। इसे उल्का कहते हैं।
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