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त्रिपुरा के उद्योगों में आपका

हार्दिक स्वागत हैं।


त्रिपुरा बांस हस्तकला क्षेत्र
त्रिपुरा के बांस आधारित हस्तशिल्प करीगरों को पूरे देश में सबसे कौशल माना जाता हैं।

बांस फर्नीचर पूरे विश्व में अपने सुंदर आकार एवं डिज़ाइन के लिए विख्यात है जिस वजह से इनकी आयात निर्यात
क्षमता भी काफी अच्छी है।

बांस की चटाइयाँ पूरे राज्य भर में विशेष रूप से जनजातीय आबादी द्वारा ही बूनी जाती हैं और इनकी
कलात्मक सुंदरता को देख सब मुग्ध हो जाते हैं।

र्पूर्वोतर राज्यों में त्रिपुरा को "बांस का घर" कहा जाता है क्योंकि वहाँ लगभग बांस की
21 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। त्रिपुरा अगरबत्तियों हेतु प्रतिवर्ष 45000 मीट्रिक टन बांस
की तीलियों का उत्पादन करती हैं तथा इन्हें अगली प्रक्रिया के लिए कर्नाटक और
गुजरात में भेजा जाता हैं।
आइए त्रिपुरा के लोगों की कला देखें
त्रिपुरा बांस मिशन

त्रिपुरा बांस मिशन एक ऐसी पहल है जो बांस उद्योगों की प्रगति का उद्येश्य


रखती है। इस का लक्ष्य उन गरीबों एवं आदिवासियों की टिकाऊ आजीविका
को बढ़ावा देने का है जो इन उद्योगों से युक्त हैं। इस का ध्यान हस्तकलाओं,
फर्नीचरों, अगरबत्तियों, चटाइयों तथा अन्य औद्योगिक वस्तुओं के अधिकतर
उत्पादन पर भी है।
त्रिपुरा चाय उद्योग

त्रिपुरा के खूबसूरत पहाड़ी इलाके , उपजाऊ मिट्टी तथा उपयुक्त कृ षि


जलवायु परिस्थितियाँ चाय उद्योगों हेतु प्रेरक हैं। बीरेन्द्र किशोर
माणिक्य पहले थे जिन्होंने त्रिपुरा को चाय की खेती से परिचित
करवाया था और आज यहाँ लगभग ६२ चाय उद्यान तथा ४३४६
छोटे चाय बागान हैं। यह चाय पत्तियों की अच्छी गुणवत्ता ही है जो
उन्हें न तो के वल त्रिपुरा में परंतु राष्ट्रीय एवं अतंरराष्ट्रीय बाज़ारों में भी
विख्यात करती है। दुर्गाबाड़ि चाय उद्योग और अदारिनि चाय बागान
यहाँ के कु छ प्रसिद्ध उद्योगों में से है।
त्रिपुरा तेल और प्राकृ तिक गैस निगम
लिमिटेड

त्रिपुरा प्राकृ तिक गैस उद्योग पूर्वोत्तर राज्यों के प्रमुख उद्योगों में से एक है। यह राज्य
प्राकृ तिक गैस का कोष व भण्डार है। यह गैस अपनी गुणवत्ता में उच्च है और इसमें ९७% से
भी अधिक मीथेन पाया जाता है तथा इसमें सल्फर एवं अन्य हानिकारक व ज़हरीले पदार्थ
अनुपस्थित हैं। तेल और प्राकृ तिक गैस निगम लिमिटेड पर्यावरण के अनुकू ल ऐसी गैस
बनाती है जो वाहनों से निकलने वाले धुँए व प्रदूषण को रोकने में अपना योगदान दे सके
और जो सुरक्षित एवं स्वस्थ भी हो।
त्रिपुरा वन विकास और वृक्षारोपण निगम लिमिटेड

रबर बागानों के माध्यम से वनोन्मूलित स्थानों पर पुनः वनीकरण करना।

रबर बागानों के माध्यम से आदिवासियों की आजीविका को बढ़ावा देना।

अधिकतर स्तर पर औषधीय पौधें उगाना।

वन/ रबर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना और ग्रामीण क्षेत्रों से बेरोज़गारी के काले अंधेरे को दूर करना।

तथा विलुप्त होने के कगार पर वन्य जीवन को बचाने में अपना योगदान देना।
त्रिपुरा रबर उद्योग

त्रिपुरा के रबर आधारित उद्योगों के विकास हेतु त्रिपुरा सरकार पश्चिम त्रिपुरा के
बोधंगनगर में त्रिपुरा औद्योगिक रबर पार्क स्थापित कर रही है तथा यह के रल के
बाद भारत का दूसरा सबसे बढ़ा रबर उत्पादक है। इसका लक्ष्य भारत रबर उद्योगों
की प्रगति की ओर अपना योगदान देना है। यह रबर बैंड, टायर, नली, जूते, चटाई,
इत्यादि के भी उत्पादन पर ध्यान देता है।
त्रिपुरा
राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी
संस्थान

राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिपुरा के


युवाओं को कं प्यूटर विज्ञान और प्रशिक्षण आसlन पहुँच के साथ
उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें उच्चकोटि की
जनशक्ति की प्राप्ति हो रही है। इसके इलावा आइ.टी. त्रिपुरा पूर्वोतर
क्षेत्र में गुवाहाटी के बाद दूसरा सबसे अच्छा है।
आशा करते है कि हमारा कार्य
आपको
पसन्द आया
होगा
यह प्रस्तुति देखने के लिए आशुतोष, हर्षित,
लक्ष्य, पारस और उत्कर्ष की ओर से आप सभी
का दिल से धन्यवाद

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