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Mahabharat SEA Hindi by Nityant
Mahabharat SEA Hindi by Nityant
Mahabharat SEA Hindi by Nityant
नित्यन्त सिंघल
द्वारा बनाया गया
7A
This Photo by Unknown author is licensed under CC BY-SA.
महाभारत के 10 पात्र.
• भगवान श्रीकृ ष्ण
• भीष्म पितामह
• गुरु द्रोणाचार्य
• कृ पाचार्य
• अर्जुन
• भीम
• नकु ल
• सहदेव
• युधिष्ठिर
• एकलव्य
भगवान श्रीकृ ष्ण • चौंसठ कला और अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों से पूर्ण श्रीकृ ष्ण को भगवान विष्णु
का अवतार माना जाता है।त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राम के रूप में मर्यादा पुरुषोत्
तम बनकर तीनों लोकों का कल्
याण किया । तो द्वापर युग में देवताओं के आग्रह पर कं स का संहार करने और समूचे
विश्व के अधर्मियों को नष्ट करने के लिए कृ ष्णजी का अवतार लिया।
• भारतीय परंपरा और जनश्रुति अनुसार भगवान श्रीकृ ष्
ण ने ही मार्शल आर्ट का अविष्कार किया था। दरअसल पहले इसे कालारिपयट्टू (ka
laripayattu) कहा जाता था। इस विद्या के माध्यम से ही उन्होंने चाणूर और मु
ष्टिक जैसे मल्लों का वध किया था तब उनकी उम्र 16 वर्ष की थी। मथुरा में दुष्ट रजक
के सिर को हथेली के प्रहार से काट दिया था।
भीष्म पितामह
• भीष्म पितामह को महाभारत का सबसे प्रमुख पात्र कहा जाए तो गलत
नहीं होगा क्योंकि भीष्म ही महाभारत के एकमात्र ऐसे पात्र थे, जो प्रारंभ
से अंत तक इसमें बने रहे। भीष्म के पिता राजा शांतनु व माता देवनदी
गंगा थीं। भीष्म का मूल नाम देवव्रत था।
• राजा शांतनु जब सत्यवती पर मोहित हुए तब अपने पिता की इच्छा
पूरी करने के लिए देवव्रत ने सारी उम्र ब्रह्मचारी रह कर हस्तिनापुर की
रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली और सत्यवती को ले जाकर अपने पिता को
सौंप दिया। पिता शांतनु ने देवव्रत को इच्छा मृत्यु का वरदान दिया।
देवव्रत की इस भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही उनका नाम भीष्म प्रसिद्ध
हुआ।
गुरु द्रोणाचार्य
• कौरवों व पांडवों को अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य ने ही दी थी।
द्रोणाचार्य महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। महाभारत के अनुसार एक बार महर्षि
भरद्वाज जब सुबह गंगा स्नान करने गए, वहां उन्होंने घृताची नामक अप्सरा
को जल से निकलते देखा। यह देखकर उनके मन में विकार आ गया और
उनका वीर्य स्खलित होने लगा। यह देखकर उन्होंने अपने वीर्य को द्रोण
नामक एक बर्तन में संग्रहित कर लिया। उसी में से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ
था।
• जब द्रोणाचार्य शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब उन्हें पता चला कि भगवान
परशुराम ब्राह्मणों को अपना सर्वस्व दान कर रहे हैं। द्रोणाचार्य भी उनके पास
गए और अपना परिचय दिया। द्रोणाचार्य ने भगवान परशुराम से उनके सभी
दिव्य अस्त्र-शस्त्र मांग लिए और उनके प्रयोग की विधि भी सीख ली। द्रोणाचार्य
का विवाह कृ पाचार्य की बहन कृ पी से हुआ था।
कृ पाचार्य
• कृपाचार्य सरद्वान और जनपद के पुत्र थे,
जिनका जन्म विशेष रूप से असाधारण तरीके
से हुआ था। वे महर्षि गौतम के पौत्र थे। वह
ऋषि अंगिरस के वंशज थे। उन्हें अपनी बहन
कृपी के साथ राजा शांतनु ने गोद लिया था।
बाद में कृपा एक आचार्य बने, शाही बच्चों
के शिक्षक, उन्हें कृपाचार्य नाम दिया।
• उनकी जुड़वां बहन कृपी ने द्रोण से शादी की।
कृपा उन महारथियों में से थे जिन्होंने
महाभारत के हिंद ू महाकाव्य में कुरुक्षेत्र युद्ध
में पांडवों के खिलाफ कौरवों की तरफ से
लड़ाई लड़ी थी।
• महाभारत में अर्जुन को महाभारत का असली
नायक माना जाता है । भगवद गीता में अर्जुन
श्रोता की भमि ू का निभाते हैं। अर्जुन कुरु
अर्जुन साम्राज्य में पांडु और कंु ती के पुत्र थे। वह इंद्र
के आध्यात्मिक पत्र ु थे। वह पांडव भाइयों में से
तीसरे थे और द्रौपदी, उलुपी, चित्रांगदा और
सभ ु द्रा से अलग-अलग समय पर उनका विवाह
हुआ था। उनके 4 बच्चों में इरावन, बब्रुवाहन,
अभिमन्यु और श्रत ु कर्मा शामिल थे।
• अर्जुन अतिमहारथी वर्ग के योद्धा थे। वह
भगवान कृष्ण के चचेरे भाई और सबसे अच्छे
दोस्त थे। वे महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर और
महान योद्धा थे। उन्होंने अश्वत्थामा, कृपा,
कर्ण, भीष्म और द्रोण जैसे कई योद्धाओं को
हराया। और उसने भीष्म, कर्ण, भरू ीश्रवा जैसे
कई महान योद्धाओं को मार डाला। उनके पास
दे वों, गंधर्वों और असरु ों को हराने का रिकॉर्ड था
भीम
पवनदेव और कुं ती के पुत्र भीम के धर्मपिता पांडु थे। भीम में 10 हजार
हाथियों का बल था। युद्ध में इन्होंने ही सभी कौरवों का वध कर दिया था।
द्रौपदी से जन्मे भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम था। द्रौपदी के अलावा
भीम की हिडिम्बा और बलंधरा नामक 2 और पत्नियां थीं। हिडिम्बा से
घटोत्कच और बलंधरा से सर्वंग का जन्म हुआ।
भीमसेन पौराणिक बल का गुणगान पूरे काव्य में किया गया है। जैसे:- "सभी
गदाधारियों में भीम के समान कोई नहीं है और ऐसा भी कोई जो गज की
सवारी करने में इतना योग्य हो और बल में तो वे दस हज़ार हाथियों के समान
है। युद्ध कला में पारंगत और सक्रिय, जिन्हें यदि क्रोध दिलाया जाए जो कई
धृतराष्ट्रों को वे समाप्त कर सकते हैं। सदैव रोषरत और बलवान, युद्ध में तो
स्वयं इन्द्र भी उन्हें परास्त नहीं कर सकते।"
नकु ल
• अश्विन कु मार और माद्री के पुत्र नकु ल के धर्मपिता पांडु थे। मद्रदेश के राजा
शल्य नकु ल-सहदेव के सगे मामा थे। नकु ल ने अश्व विद्या और चिकित्सा में
भी निपुणता हासिल की थी। द्रौपदी से उनके शतानीक नाम के एक पुत्र भी
हुए। द्रौपदी के अलावा नकु ल की करेणुमती नामक पत्नी थीं। करेणुमती से
निरमित्र नामक पुत्र का जन्म हुआ। करेणुमती चेदिराज की राजकु मारी थीं।
• महाभारत में नकु ल का चित्रण एक बहुत ही रूपवान, प्रेम युक्त और बहुत
सुंदर व्यक्ति के रूप में की गई है। अपनी सुंदरता के कारण नकु ल की तुलना
काम और प्रेम के देवता, "कामदेव" से की गई है। पांडवो के अंतिम और
तेरहवें वर्ष के अज्ञातवास में नकु ल ने अपने रूप को कौरवों से छिपाने के
लिए अपने शरीर पर धूल लीप कर छिपाया।
सहदेव
• सहदेव महाभारत में पाँच पांडवों में से एक और सबसे छोटे थे।अश्विनकु मार
और माद्री के पुत्र सहदेव के धर्मपिता पांडु थे। सहदेव पशुपालन शास्त्र,
चिकित्सा और ज्योतिष शास्त्र में दक्ष होने के साथ ही त्रिकालदर्शी भी थे।
सहदेव की कु ल 4 पत्नियां थीं- द्रौपदी, विजया, भानुमति और जरासंध की
कन्या। द्रौपदी से श्रुतकर्मा, विजया से सुहोत्र पुत्र की प्राप्ति हुई। इसके
अलावा इनके 2 पुत्र और थे जिसमें से एक का नाम सोमक था।
युधिष्ठिर